मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा षोडश सत्र
फरवरी-मार्च, 2018 सत्र
गुरूवार, दिनांक 15 मार्च, 2018
(24 फाल्गुन, शक संवत् 1939)
[खण्ड- 16 ] [अंक- 10 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 15 मार्च, 2018
(24 फाल्गुन, शक संवत् 1939)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- राम निवास जी, चीफ व्हिप आप हो. देखिए क्या स्थिति है?
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- खाली-खाली तम्बू है खाली-खाली मंच.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- कांग्रेस की दयनीय स्थिति है. उप चुनाव तुम जीता करो. मुख्य चुनाव हम जीतेंगे.
राज्य मंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग)-- कांग्रेस की जमानत जब्त हुई है. यहां पार्षदों को उससे ज्यादा मिलते हैं. पांच हजार मिले हैं. ज्यादा खुशी मत मनाना. (व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत-- तुम तो कोलारस की बात करो. (व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- कांग्रेस की जमानत जब्त हुई है. विश्वास भाई उसी की खुशी में पटाके फोड़े हैं. जमानत जब्त होने की खुशी में. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- ललना को पलना में खिलाकर ही खुश हो. खुद तो एक बच्चा पैदा करो. (व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत-- दोनों मंत्री कोलारस की बात करो.. (व्यवधान)...
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की सीट हारी है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी प्रश्नकाल हो जाने दें. फिर जो बोलना है बोलना. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- कांग्रेस की जमानत जब्त हुई है. दूसरे के ललना को पलना में खिलाओ. मिलकर ही लड़ सकते हो अकेले-अकेले लड़ने लायक नहीं रहे. यह तो तय है कि अकेले-अकेले लड़ने लायक नहीं रहे. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- कृपया व्यवधान न करें. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- इतना तो मान जाओ.
बरझा बाईपास का निर्माण
[नगरीय विकास एवं आवास]
1. ( *क्र. 94 ) श्रीमती नंदनी मरावी : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या सिहोरा नगर पालिका के अंतर्गत बरझा बाईपास के निर्माण की मांग नगरवासियों द्वारा दीर्घ समय से की जा रही है एवं प्रश्नकर्ता द्वारा भी समय-समय पर इस मार्ग का निर्माण किये जाने के संबंध में ज्ञापन दिये गये हैं? (ख) यदि हाँ, तो मार्ग निर्माण का कार्य कब आरंभ किया जावेगा तथा कब तक यह मार्ग पूर्ण करा लिया जावेगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) विधान सभा तारांकित प्रश्न क्रमांक 1142, सत्र नवंबर 2017 में दिए गए उत्तर अनुसार संचालनालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास म.प्र. भोपाल द्वारा नगर पालिका परिषद, सिहोरा के बरझा रोड निर्माण कार्य के प्रस्ताव को परीक्षण उपरांत युक्तिसंगत नहीं पाए जाने से अमान्य कर दिया गया है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती नंदनी मरावी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने सिहोरा-खितौला के बीच बाईपास निर्माण के संबंध में प्रश्न लगाया था और उसके जवाब में आया है कि निरीक्षण में युक्तिसंगत नहीं पाये जाने के कारण उसे अमान्य कर दिया गया है. इससे मैं सहमत नहीं हूं क्योंकि 2008 से निरंतर मैं इस सड़क के लिए प्रयासरत हूं और यह जनता की बहुत बड़ी मांग भी है. सिहोरा-खितौला नेशनल हाईवे पर बसा हुआ नगर है और इसके अंतर्गत 60 पंचायतें कवर होती हैं. क्या मंत्री महोदया इस सड़क के निर्माण की सहमति देंगी ?
श्रीमती माया सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक महोदया ने जो प्रश्न उठाया है, खितौला से सिहोरा को जोड़ने वाली बरझा लिंक रोड में 29 खसरों की भूमि सड़क निर्माण में आ रही है. जिसमें से केवल 5 शासकीय भूमियां हैं शेष 24 विभिन्न भू-स्वामियों की भूमियां हैं. प्रस्तावित सड़क निर्माण में आबादी नहीं होने से ये युक्तिसंगत नहीं है और खितौला से सिहोरा के लिए एक और सड़क वहां पर है. जिससे प्रस्तावित सड़क निर्माण का औचित्य नहीं उठता है इसलिए इसे अमान्य किया गया है.
श्रीमती नंदनी मरावी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से मैं निवेदन करूंगी कि यदि नगर पालिका सड़क नहीं बनाना चाहती है तो कम से कम किसी दूसरे विभाग से यह काम हो जाए क्योंकि वास्तव में इस सड़क की बहुत आवश्यकता है और इसके अलावा वहां कोई दूसरा रोड नहीं है. मैं वहां इतने सालों से रह रही हूं इसलिए उस सड़क की महती आवश्यकता को समझती हूं यदि इसमें मंत्री महोदया से मुझे कोई ठोस जवाब मिल जाये तो बेहतर होगा.
श्रीमती माया सिंह- मैंने आपको ठोस जवाब नहीं अपितु सही जवाब दिया है. मैं आपकी मदद अवश्य करूंगी परंतु मैं किसी अन्य विभाग के विषय में यहां क्या कह सकती हूं ?
श्रीमती नंदनी मरावी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि सिहोरा का मास्टर-प्लान 2005 में बनाया गया था जो कि 2011 में समाप्त भी हो चुका है. मेरा मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि सिहोरा के लिए नया मास्टर-प्लान कब तक बनेगा और यदि नया मास्टर-प्लान तैयार नहीं हो पाया है तो क्या पुराने मास्टर-प्लान को निरस्त कर दिया जायेगा क्योंकि वहां लोगों की जमीनें हैं और लोग वहां अवैध रूप से मकान बनाते जा रहे हैं जिससे बाद में वहां अवैध कॉलोनी के समस्या सामने आयेगी.
अध्यक्ष महोदय- यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है फिर भी यदि मंत्री महोदया कुछ कहना चाहें या आश्वासन देना चाहें तो कह सकती हैं.
श्रीमती माया सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब तक नया मास्टर-प्लान तैयार नहीं होता है तब तक पुराने मास्टर-प्लान पर ही कार्य होता है.
अध्यक्ष महोदय- जल्दी करवा दें.
श्रीमती नंदनी मरावी- लेकिन प्लान कब तक बन जायेगा. मेरा प्रश्न लगा है, नगर पालिका से संबंधित मुझे कुछ तो आश्वासन मिले.
श्रीमती माया सिंह- जानकारी हासिल कर ली गई है, जल्दी ही करेंगे.
बैकलॉग श्रेणी के पदों की पूर्ति
[नगरीय विकास एवं आवास]
2. ( *क्र. 1756 ) डॉ. मोहन यादव : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) म.प्र. में विकास प्राधिकरणों में बैकलॉग श्रेणी के तृतीय एवं चतृर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदों पर नियुक्ति के संबंध में क्या नियम हैं? (ख) दिनांक 01 जनवरी, 2014 से प्रश्न दिनांक तक नियमों की प्रति उपलब्ध कराते हुये वर्तमान में उज्जैन विकास प्राधिकरण में बैकलॉग के रिक्त पदों की जानकारी प्रदान करें? उ.वि.प्रा. में उक्त अवधि में कब कब किन किन बैकलॉग पदों पर भर्ती के लिये विज्ञप्ति जारी की गई है? भर्ती के लिये कौन से नियमों एवं उपनियमों के अनुसार कार्यवाही की गई? नियुक्ति वैध है अथवा अवैध? यदि अवैध हैं तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) की जानकारी अनुसार उज्जैन विकास प्राधिकरण में बैकलॉग श्रेणी के तृतीय एवं चतृर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदों हेतु रिक्त आरक्षित पदों की भर्ती के लिये किन नियमों का पालन किया जावेगा? नियमों की प्रति उपलब्ध करावें? (घ) प्रश्न (ख) की जानकारी अनुसार यदि म.प्र. विकास प्राधिकरण सेवा (अधिकारी तथा सेवक) भर्ती नियम 1988 के विपरीत प्रक्रिया का पालन कर की जा रही भर्ती किस नियम के तहत वैध है? कारण बतायें। यदि सेवा भर्ती नियम 1988 में कोई परिवर्तन या निरस्त की गई हो, तो प्रति उपलब्ध करावें?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) :
डॉ.मोहन यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बहुत ही सामयिक है और उसकी गंभीरता के नाते, जब पहला जवाब आया तो उसमें कहा गया कि नियम विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई है. दूसरा प्रश्न मैंने बैकलॉग की भर्ती के संबंध में उठाया था. दूसरी बार मुझे संशोधित जवाब प्राप्त हुआ जिसमें स्वीकार किया गया कि वाकई गलती हुई है और अब इसकी जांच की जा रही है. मैं केवल इतना निवेदन करना चाहता हूं कि मंत्री महोदया बहुत अच्छे से विभाग चला रही हैं और उतनी ही गंभीरता के साथ यह स्वीकार कर लिया गया कि वाकई गलती हुई है. मैं कहना चाहता हूं कि वर्ष 2013 का परिपत्र, जिसमें गजट प्रकाशन हुआ था और नियम विरूद्ध भर्ती के संबंध में 2013 में स्पष्ट कर दिया गया था कि जो भी भर्ती होगी, व्यापम से भर्ती होगी. उसके बजाय 2014 में उसे छोड़कर मध्यप्रदेश विकास प्राधिकरण सेवा भर्ती नियम, 1988 के नियमानुसार भर्ती कर ली गई. यह एक गंभीर त्रुटि है. जब आपके पास नियम, परिपत्र सब कुछ है फिर यह मान लिया गया कि वर्ष 2013 में प्रकाशित राजपत्र, हमारे पास वर्ष 2016 में आया. एक विभाग द्वारा ऐसी त्रुटिपूर्ण कार्यवाही को देखते हुए नजरअंदाज करना एक गंभीर गलती है. इसमें कौन-कौन से अधिकारी सम्मिलित हैं, किस प्रकार से गलती हुई ? यह तो अच्छा हुआ कि प्रश्न काल में प्रश्न लग गया अन्यथा हम यह किस प्रकार समझ पाते कि किस तरह अपने अधिकारों का दुरूपयोग किया गया है.
श्रीमती माया सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रथमदृष्टया भर्ती में यह देखने में आता है कि सामान्य प्रशासन विभाग और मध्यप्रदेश विकास प्राधिकरण सेवा भर्ती नियम, 1988 के कतिपय प्रावधानों के पालन में प्रक्रियात्मक त्रुटि हुई है. मैं इसे स्वीकार करती हूं इसलिए मैं संचनालय स्तर से जांच किये जाने के आदेश देती हूं. जांच में जो निर्णय आयेगा, गुण-दोष के आधार पर हम कार्यवाही करेंगे.
डॉ. मोहन यादव:- अध्यक्ष महोदय, वैसे मैं, माननीय मंत्री जी का धन्यवाद भी अदा करता हूं. इसमें इतना सा और जोड़ना चाहता चाहता हूं कि जिस प्रकार से माननीय मंत्री जी ने कहा है कि यह प्रक्रिया की गलती है और गंभीर गलती है, तो इसमें जांच में विधायक को साथ में रखें. एक छोटा सा निवेदन यह भी है कि इसकी समय-सीमा में, एक-दो महीने में जांच हो जाये, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा.
श्रीमती माया सिंह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम एक महीने में जांच पूरी कर लेंगे.
डॉ. मोहन यादव:- माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रधानमंत्री आवास योजना का क्रियान्वयन
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
3. ( *क्र. 3588 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम उदय से भारत उदय अभियान के दौरान एस.ई.सी.सी. 2011 में जो परिवार सूचीबद्ध नहीं हैं, लेकिन मौके पर आवासहीन हैं अथवा कच्चा मकान है, उनका परीक्षण कर सूची बनाने के निर्देश हैं? यदि हाँ, तो बालाघाट जिले की विधानसभा क्षेत्र 112 में विकासखण्ड वारासिवनी-खैरलांजी की ग्राम पंचायतों में कितने नाम जोड़े गये? नामवार सूची देवें। (ख) विधानसभा क्षेत्र 112 में विकासखण्ड वारासिवनी-खैरलांजी में ऐसे कितने ग्राम एवं कितनी पंचायतें हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का एक भी आवास नहीं मिला है? संख्या एवं नाम सहित जानकारी देवें। (ग) उक्त योजना में किस कारण से जो पंचायतें एवं ग्राम छूटे हैं तथा कब तक इन छूटे हुये गांवों को इस योजना का लाभ दिलाया जावेगा एवं कैसे? जो पंचायतें एवं गांव इस योजना से पिछड़ गये हैं, उनकी भरपाई विभाग किस प्रकार करेगा? यदि विभाग द्वारा भारत सरकार के पोर्टल पर छूटे हुये हितग्राहियों को जोड़ने का अनुरोध किया गया है, तो प्रश्न दिनांक तक भारत सरकार द्वारा विभाग को क्या जवाब दिया गया? छायाप्रति देवें। (घ) क्या विभाग ग्रामों का पुन: परीक्षण कर आवासहीन अथवा कच्चे मकान के हितग्राहियों को इस योजना के तहत आवास प्रदान करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। नाम जोड़ने का प्रावधान वर्तमान में नहीं है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। समय-सीमा निर्धारित किया जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
डॉ. योगेन्द्र निर्मल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि मेरा प्रश्न ''क'' से लेकर ''घ'' तक है. इसमें खापा पंचायत को नगर पालिका क्षेत्र में बताया है, जबकि यह नगर पालिका क्षेत्र में नहीं है, यह पंचायत है.
अध्यक्ष महोदय:- आपका प्रश्न क्या है ?
डॉ. योगेन्द्र निर्मल:- अध्यक्ष महोदय, यहां प्रधानमंत्री आवास नहीं आये हैं और जब प्रधान मंत्री आवास के लिये मैंने चर्चा हेतु प्रश्न लगाया तो इसमें यह बताया गया कि यह खापा पंचायत, नगर पालिका क्षेत्र में है.
अध्यक्ष महोदय:- मूल प्रश्न में यह नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे मूल प्रश्न में खापा पंचायत का कोई उल्लेख नहीं है. लेकिन माननीय सदस्य ने जो कहा है, इसके संबंध में, मैं एक व्यापक स्वरूप में बताना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत जो आवास कुटीरें स्वीकृत हुई हैं, जो हमें भारत सरकार से लक्ष्य प्राप्त हुआ है, एसईसीसी 2011 के जो भारत सरकार ने आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण कराया था. उसके आधार पर यह पूरी सूची बनी थी.
माननीय सदस्य का यह कहना भी सही है और मैं भी इस बात को स्वीकार कर रहा हूं कि बहुत से गांव इसमें छूट गये हैं और बहुत से पात्र लोग भी इसमें से छूट गये हैं. भारत सरकार ने ही यह निर्देश दिये हैं कि जो लोग छूट गये हैं, उनके बारे में सूची बनाकर जानकारी भारत सरकार को भेजें. हम यह प्रक्रिया पूरी करने जा रहे हैं, निर्देश भी सीईओ, जिला पंचायत के लिये जारी कर दिये गये हैं. भारत सरकार के निर्देश दिनांक 24.01.2018 के परिप्रेक्ष्य में दिनांक 19.02.2018 को समस्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायतों को प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण की स्थायी प्रतीक्षा सूची अद्यतन करने की प्रक्रिया निर्देश प्रसारित किये गये हैं. अत: भारत सरकार की अनुमति प्राप्त होने के उपरांत ही पात्र पाये गये हितग्राहियों को हम लाभांवित करेंगे, इसमें इनकी पंचायत भी हो जायेगी और बाकी जो भी छूट गये होंगे, वह भी हो जायेंगे.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल:- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के बजट उदबोधन में भी आ गया था. हम संतुष्ट थे, लेकिन आप इस कार्यवाही को शीघ्र करवा दें. अध्यक्ष महोदय, ऐसा मेरा आपके माध्यम से आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय:- खापा जो है, वह आपके उत्तर में है. बारासिवनी में खापा नगर पालिका क्षेत्र में शामिल होने से इसको शामिल नहीं किया. इसका तो आप परीक्षण करवा लें, वह कह रहे हैं कि खापा, ग्राम पंचायत है.
श्री गोपाल भार्गव:- अध्यक्ष महोदय, खापा सहित प्रदेश के ऐसी सारी ग्राम पंचायतें या गांव, जहां पर वंचित रह गये हैं या किसी त्रुटि के कारण से, खामी से उनको पुनरीक्षित करने का, भारत सरकार का आदेश आ गया है, यह हम सूची बनाकर भारत सरकार को भेज देंगे. वहां से जैसे ही सूची का एप्रुवल आयेगा, जो भी पात्र हितग्राही हैं, उनको प्रधानमंत्री आवास आवंटित कर दिया जायेगा.
श्री कैलाश चावला:- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि नगर पालिका क्षेत्र के 5 किलोमीटर के दायरे में, जो गांव आते हैं, उनको न तो गांव मानकर लाभ दिया जा रहा है, न ही नगर पालिका मानकर लाभ दे रहे हैं. इसी कारण जो सदस्य ने प्रश्न उठाया है कि खापा पंचायत नजदीक की पंचायत हैं, ऐसी कई पंचायतें प्रदेश में हैं. जिसमें लोगों को आवास भी नहीं मिल रहे हैं और मनरेगा का काम भी नहीं हो पा रहा है. उसके कारण परेशानियां खड़ी हो रही हैं तो क्या जो ग्राम पंचायत स्टेटस है, उन गांवों में यह सब सुविधा आप उपलब्ध करायेंगे?
अध्यक्ष महोदय:- यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है. यह पॉलिसी मैटर है.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं क्या बताऊँ ? एक फैशन चल गया है, गांव की जनसंख्या जैसे ही 5- 7 हजार हुई और मांग शुरू हो जाती है कि नगर परिषद् घोषित कर दो, वे घोषित भी हो जाते हैं. वे तमाम प्रकार के लाभ आवास से लेकर कपिलधारा के कुओं से लेकर, सीसी रोड और अन्य योजनाओं से वंचित हो जाते थे. मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूँ कि भारत सरकार के जो निर्देश हैं कि कितने रेडियस के अन्दर है ? क्योंकि शहर से लगी हुई जो ग्राम पंचायतें हैं, वे इतनी सेचुरेशन में आ गई हैं कि उनमें हम काम कराना मुनासिब नहीं समझते तो इस बात का शायद भारत सरकार को भी आभास होगा, ये उन्हीं के निर्देश थे. मैं एक बात का परीक्षण फिर करा लूँगा कि यदि इसमें कुछ गुंजाइश है, संभावना है तो पंचायत क्षेत्र में रहने वाला कोई भी पात्र हितग्राही इससे वंचित न रहे. उनके निर्देशों के चलते हुए यह सब हुआ है लेकिन हम इसमें से कोई संभावना निकालने की कोशिश करेंगे. यदि संभावना होगी तो उस काम को भी कर देंगे.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पिन प्वाइंट एक प्रश्न है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूँगा.
अध्यक्ष महोदय - आपको एलाऊ नहीं किया है.
श्री निशंक कुमार जैन - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूँगा कि 2011 में प्रधानमंत्री आवास के लिए 2 लाख रुपये रखे गए थे.
अध्यक्ष महोदय - श्री निशंक जैन का कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री निशंक कुमार जैन - (XXX)
खरगापुर में शासकीय महाविद्यालय खोला जाना
[उच्च शिक्षा]
4. ( *क्र. 1358 ) श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खरगापुर विधान सभा क्षेत्र के नगर खरगापुर में शासकीय महाविद्यालय नहीं होने के कारण छात्र-छात्राओं को जिला मुख्यालय तथा अन्य स्थानों पर उच्च शिक्षा ग्रहण करने हेतु भटकना पड़ता है तथा मुख्यालय खरगापुर के आस-पास का क्षेत्र काफी बड़ा है, जिसमें 5-6 शास. हा.से. स्कूल भी आते हैं तथा खरगापुर में महाविद्यालय खोले जाने की मांग को लेकर क्षेत्र के छात्रों का प्रतिनिधि मण्डल तथा प्रश्नकर्ता द्वारा उच्च शिक्षा मंत्री को पत्र भी दिया गया था, जिस पर क्या कार्यवाही की गई? (ख) क्या खरगापुर नगर के छात्र-छात्राओं द्वारा एवं आम नागरिकों द्वारा तहसीलदार खरगापुर को ज्ञापन देकर माननीय मुख्य मंत्री महोदय म.प्र. शासन से भी मांग की है? क्या छात्र-छात्राओं की सुविधा एवं मांग तथा शिक्षा के लोक व्यापीकरण को ध्यान में रखते हुये खरगापुर नगर में शासकीय महाविद्यालय खोले जाने की घोषणा करेगें? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जयभान सिंह पवैया ) : (क) जी नहीं। खरगापुर में 02 विद्यालय संचालित हैं तथा 01 अशासकीय महाविद्यालय संचालित है। खरगापुर से 28 कि.मी. की दूरी पर शासकीय महाविद्यालय पलेरा, 33 कि.मी. की दूरी पर शासकीय महाविद्यालय जतारा एवं 40 कि.मी. की दूरी पर टीकमगढ़ में 02 शासकीय महाविद्यालय संचालित हैं। इन महाविद्यालयों में खरगापुर के विद्यार्थी अध्ययन कर सकते हैं। माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा क्रमांक बी. 3502 के निर्देशानुसार खरगापुर से 10 कि.मी. की दूरी पर बल्देवगढ़ में शासकीय महाविद्यालय प्रारम्भ किया जाना प्रस्तावित है, जिससे खरगापुर की आवश्यकताओं की भी पूर्ति होगी। अतः वर्तमान में खरगापुर में महाविद्यालय प्रारम्भ किया जाना प्रस्तावित नहीं है। (ख) जी हाँ। शेष उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है ।
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि नगर खरगापुर के अंतर्गत 6-7 हायर सेकेण्डरी स्कूल आते हैं, उन स्कूलों से उत्तीर्ण छात्र-छात्राएं की आर्थिक स्थिति कमजोर है, छात्र-छात्राएं अशासकीय महाविद्यालय में प्रवेश नहीं ले पाती हैं. वे जिला मुख्यालय में रहने एवं उनके आने-जाने का खर्च भी नहीं उठा पाते हैं इसलिए काफी संख्या में होनहार बेटा-बेटियां उच्च शिक्षा ग्रहण करने से संचित रह जाते हैं इसलिए छात्र-छात्राओं की दशा और दिशा देखकर बेटा और बेटियों के हित में खरगापुर में शासकीय महाविद्यालय खोले जाने का मेरा माननीय मंत्री जी से विशेष अनुरोध है.
श्री जयभान सिंह पवैया - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न के उत्तर में हमने स्पष्ट किया है कि माननीय सदस्या ने खरगापुर के लिए अनुरोध किया है और उत्तर में कहा है कि खरगापुर से 10 किलोमीटर दूर बल्देवगढ़ तहसील केन्द्र है, यह आपकी विधानसभा में है. आपने ही दिनांक 8 दिसम्बर, 2016 को तारांकित प्रश्न क्रमांक 493 में यह मांग की थी कि बल्देवगढ़ में शासकीय महाविद्यालय प्रारंभ किया जाये. हमने आपको यह जानकारी दी है और वह जानकारी आपके लिए प्रसन्नतादायक होनी चाहिए कि दिनांक 7 मई, 2017 को माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा क्रमांक 3502 के द्वारा बल्देवगढ़ में नया महाविद्यालय प्रारंभ करने की घोषणा की है और उसको खोलने की कार्यवाही प्रचलन में है. हम कोशिश करेंगे कि नये सत्र से खोल दें. 10 किलोमीटर के अन्दर फिर दूसरा कॉलेज स्वीकृत करना, यह न ही व्यावहारिक है और न ही संभव है.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, खरगापुर विधानसभा क्षेत्र, टीकमगढ़ जिले में सबसे पिछड़ा हुआ क्षेत्र है.
अध्यक्ष महोदय - आपकी ही डिमाण्ड पर तो मंत्री जी ने बल्देवगढ़ किया है.
14 वें वित्त आयोग अन्तर्गत संपादित कार्य
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
5. ( *क्र. 3877 ) श्री मधु भगत : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परसवाड़ा विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत विभाग द्वारा विगत तीन वर्ष में 14 वें वित्त आयोग अन्तर्गत ग्राम पंचायतों में क्या-क्या कार्य, कितनी-कितनी राशि से कराये गये हैं? (ख) क्या उपरोक्त कार्यों का भुगतान मूल्यांकन के उपरांत किया गया है? यदि हाँ, तो पूर्ण कार्यों के प्रमाण-पत्र जारी करने की तिथि बतायें? (ग) एन.आर.एल.एम. योजना के अन्तर्गत विगत एक वर्ष में बालाघाट जिलें में क्या-क्या गतिविधि ली गई एवं इनमें से कितनी परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में सम्मिलित हैं? व्यय राशि एवं हितग्राही लाभान्वित की संख्या बतावें? (घ) एन.आर.एल.एम. योजना अन्तर्गत व्यय का भुगतान किस आधार पर किया गया?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) बालाघाट जिले में विगत 1 वर्ष में एन.आर.एल.एम. योजना अंतर्गत स्व-सहायता समूह गठन, ग्राम संगठन गठन एवं उसका क्षमतावर्धन गतिविधियां की गई हैं। उक्त समस्त गतिविधियां परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में भी की गई हैं। परसवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में व्यय राशि 73.86 लाख है। लाभान्वित हितग्राहियों की संख्या 256 है। (घ) एन.आर.एल.एम. योजना के अंतर्गत व्यय का भुगतान आर.बी.आई. परिपत्र दिनांक 01 जुलाई, 2017 एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यालय द्वारा जारी पत्र क्रमांक 6539/वित्तीय समावेषन/एन.आर.एल.एम./2017 भोपाल दिनांक 28.09.2017 के प्रावधानों के अनुसार किया गया है।
श्री मधु भगत - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैंने माननीय मंत्री जी से प्रश्न किया था कि 14 वें वित्त से ग्राम पंचायतों में कौन-सी सड़क, कितनी सड़कें, कहां से कहां तक और कितनी पंचायतों को बनीं. उन्होंने मुझे आंकड़े दिए हैं कि आधी पंचायतों की, एक घर से दूसरे घर का नाम बताया है लेकिन बालाघाट पंचायत के अंतर्गत यह नहीं बताया गया है कि प्रति पंचायत कितनी सड़क बनी ? फिर भी मैं संतुष्ट हूँ. 14 वें वित्त योजना के अंतर्गत सड़क का जो निर्माण हो रहा है. लेकिन मैं एक आश्वासन मंत्री जी से इस पर चाहता हूँ कि छोटी पंचायत की राशि कम है और बड़ी पंचायत को राशि ज्यादा है लेकिन मौके पर जाओ तो बड़ी पंचायत भी पूरी नहीं हो रही है और छोटी पंचायत की सड़कें भी पूरी नहीं हो रही हैं. पहले मुझे 14 वें वित्त पर एक आश्वासन दे दें, फिर मैं दूसरा प्रश्न करता हूँ.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमको भारत सरकार से चौदहवें वित्त आयोग की राशि प्राप्त होती है. अभी नये वित्त आयोग की सिफारिशें आ जायेंगी. यह जनसंख्या के आधार पर होता था. यदि वहां का क्षेत्रफल ज्यादा होता है तो उसके लिये 10 प्रतिशत की राशि अधिक दी जाती है. हम इस राशि में घट बढ़ नहीं कर सकते हैं क्योंकि वह राशि सीधे पंचायत के खाते में जाकर जमा होती है. यदि श्री मधु भगत जी किसी बात को कहेंगे तो मैं उसके संबंध में यह कहना चाहूंगा कि हम इस काम को कराने में सक्षम भी नहीं है और हम इसके लिये प्राधिकृत भी नहीं है क्योंकि यह भारत सरकार के चौदहवें वित्त आयोग की राशि पंचायत के खाते में सीधे ही जमा हो जाती है और जनसंख्या के आधार पर पंचायतें उसे लेती हैं. पंचायतें वह राशि अपने-अपने कार्यों की प्राथमिकता के आधार पर व्यय करती हैं. माननीय सदस्य सड़क के लिये जितनी राशि कह रहे हैं उसके संबंध में कहना चाहता हूं कि यदि कोई छोटा गांव हैं लेकिन ज्यादा काम होना और राशि कम है तो अन्य किसी योजना में उस गांव को लाभांवित किया जा सकता है और गांव में व्यवस्था की जा सकती है.
श्री मधु भगत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से आश्वासन मांगा है कि क्या आप केंद्र सरकार से इस बात की जानकारी देंगे कि यदि भविष्य में ऐसी योजना जब भी बनायें तो उसमें इस बात का ध्यान रखें कि प्रति पंचायत के अंदर कितनी सड़कों का निर्माण पूरा हो सकता है ? उस हिसाब से बजट का निर्धारण कर दें, भविष्य के हिसाब से निर्धारण कर दें ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को जानकारी देना चाहता हूं कि हमारी मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना, स्टेट कनेक्टविटी योजना, ग्रेवल सड़क योजना और भी दूसरी योजनाएं जैसे पंच परमेश्वर के अंतर्गत सी.सी. रोड बनाने की योजनाएं आदि बहुत सी योजनाएं सड़कें बनाने के लिये चल रही हैं. जहां तक हमारी बाध्यता है कि भारत सरकार चौदहवें वित्त आयोग की जो राशि देती है, उस राशि में हम कोई परिवर्तन नहीं कर सकते हैं, वह जनसंख्या के मापदंड से सभी राज्यों और निकायों के लिये मिलती है, इस कारण से हम उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं. लेकिन मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि यदि वह किसी कार्य विशेष के बारे में या अपने क्षेत्र के बारे में बतायेंगे कि वहां पर सड़क बनना आवश्यक है तो हम उसके बारे में विचार कर लेंगे.
श्री मधु भगत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे तीन प्रश्न थे.
अध्यक्ष महोदय - आप बस एक ओर प्रश्न कर लें.
श्री मधु भगत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक ही प्रश्न करूंगा. प्रश्न ''ग'' में मेरे द्वारा माननीय मंत्री जी से एक प्रश्न किया गया था कि एनआरएलएम योजना के अंतर्गत विगत एक वर्ष में क्या-क्या गतिविधियां की गई ? इस प्रश्न के उत्तर में बताया गया है कि स्व सहायता समूह का गठन, ग्राम संगठन गठन एवं उसकी दक्षतावर्धन गतिविधियां की गई हैं. कृपया मंत्री जी मुझे बताने की कृपा करें कि ग्राम संगठन से उनका क्या आशय है एवं क्या ग्राम संगठन एनआरएलएम के कार्यों में शामिल है यदि हां तो उसके क्या कार्य हैं ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे ग्रामों में जो महिला स्व सहायता समूह हैं, इनका गठन करके हम स्वरोजगार की व्यवस्था के लिये कुछ रिवालविंग फंड देते हैं और बैंकों के साथ कन्वरजेंस करके स्वरोजगार के लिये प्रेरित करते हैं और उन्हें ट्रेनिंग देते हैं. 2016-17 से 2017-18 तक यहां पर 202 स्वसहायता समूहों को आरएफ की राशि 26 लाख जारी की गई और 2017-18 तक अभी तक कुल 5407 स्वसहायता समूहों को सीआईएफ की राशि 74 लाख 85 हजार रूपये जारी की गई है. इस के अंतर्गत स्वरोजगार के लिये ट्रेनिंग देते हैं और महिलाएं अपना खुद का रोजगार सृजन कर सकें इसके लिये एनआरएलएम काम करता है.
श्री मधु भगत - अभी मेरा प्रश्न आधा ही हुआ है. अभी मेरा प्रश्न पूरा नहीं हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न हो गया है, आप बैठ जायें. आप अनंतकाल तक नहीं पूछ सकते.
श्री मधु भगत - मेरा प्रश्न पूरा नहीं हुआ है, इसमें आपको बताना पड़ेगा. इसमें बहुत बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है, इसका जवाब देना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न हो गया है, कृपया बैठ जायें. आपने तीन प्रश्न पूछ लिये हैं जबकि आप दो ही प्रश्न पूछ सकते थे.
श्री मधु भगत - मेरा प्रश्न अभी अधूरा है. इसमें 73 लाख 86 हजार रूपये 256 हितग्राहियों को दिया गया है, जबकि इनकी योजना और कार्यों का पता नहीं है. यह किस योजना में दिया गया है कौन सी तकनीकी शिक्षा प्राप्त की गई है इसमें किसी भी प्रकार से कोई भी आंकलन नहीं है? इसमें कुल 73 लाख 86 हजार रूपये का भ्रष्टाचार हुआ है. यह भ्रष्टाचार का प्रश्न है यह बहुत जरूरी है.
अध्यक्ष महोदय - आप अनंतकाल तक नहीं पूछ सकते हैं. (व्यवधान)...
श्री मधु भगत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. मैंने प्रश्न किया था उसका जवाब पूरा आया नहीं है. (व्यवधान)...
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय सदस्य आपका प्रश्न हो गया है, आप बैठ जायें. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - आप एक ही प्रश्न में दस प्रश्न पूछ रहे हैं. आपने पूछा ग्राम संगठन का क्या अर्थ है. आपको पहले ही सीधा प्रश्न पूछना चाहिए था, जो आप पूछना चाह रहे थे लेकिन आपने एक प्रश्न उसमें जाया कर दिया. अब आप आखिरी प्रश्न पूछ लें, उसके बाद में आप बिल्कुल बैठ जायें और भाषण नहीं दें बिल्कुल बिंदुबार अपना प्रश्न करें.
श्री मधु भगत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि 73 लाख 86 हजार रूपये का जो आवंटन किया है, उसमें इसमें दर्शाया हुआ है कि इस आजीविका के लिये 15 हजार,11 हजार, 10 हजार, 12 हजार ऐसे 256 लोगों को दिया है, क्या आपके पास उसकी जानकारी है कि किस संस्था को दिया गया उसने कौन सी तकनीकी शिक्षा दी है, कौन सा कौशल विकास किया है, किस माध्यम से उसका विकास क्षेत्र में हुआ है ? यह हम किस संगठन को तैयार कर रहे हैं ?
श्री गोपाल भार्गव – माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे मैंने पूर्व में उत्तर में बताया कि हम महिला स्वसहायता समूह के लिए रिवाल्विंग फंड देते हैं. साथ ही ग्रामों में जो संगठन बनाया जाता है, उस संगठन को ट्रेनिंग देने का कार्य भी किया जाता है और उन समूहों के खातों में ही राशि अंतरित की जाती है, किसी व्यक्ति के खाते में राशि नहीं दी जाती है. संगठन अपनी आवश्यकतानुसार काम करते हैं, जैसे कालीन बनाना, मोमबत्ती बनाना, अगरबत्ती बनाना, वस्त्र बनाना, बच्चियों के लिए आजकल ड्रेस भी बनाते हैं, भोजन बनाने और अन्य तरह के कार्य भी ये संगठन करते हैं, उनके आर्थिक स्वावलंबन और सुदृढ़ीकरण करने के लिए यह योजना चलती है. दो वर्षों में आपने जो 73 लाख रूपए की राशि बताई इसके बारे में आपको हम अवगत करा देंगे. यदि माननीय सदस्य के पास में ऐसी कोई शिकायत हो जिसमें कहीं भी फर्जी तरीके से आहरण किया गया हो तो, हमें बता दें मैं आज ही जांच करवा लेता हूं.
श्री मधु भगत – धन्यवाद.
तहसील जीरन में नवीन महाविद्यालय की स्वीकृति
[उच्च शिक्षा]
6. ( *क्र. 2688 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विगत 4 वर्षों में नीमच जिले में नवीन महाविद्यालय खोले जाने के प्रस्ताव शासन को प्राप्त हुए हैं? यदि हाँ, तो विधानसभा क्षेत्रवार बतायें। (ख) प्रश्नांश (क) में प्राप्त प्रस्ताव में से किन-किन विधानसभा क्षेत्र में कहाँ-कहाँ पर नवीन महाविद्यालय खोले जाने की शासन स्वीकृति प्रदान की गयी और कितने स्वीकृति हेतु लंबित हैं? (ग) क्या प्रश्नांश (ख) में नीमच विधानसभा क्षेत्र की जीरन तहसील में नवीन महाविद्यालय खोले जाने के प्रस्ताव शासन स्वीकृति हेतु लंबित हैं? यदि हाँ, तो शासन स्वीकृति कब तक प्रदान की जावेगी?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जयभान सिंह पवैया ) : (क) जी हाँ। नीमच जिले के विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत तहसील जीरन में महाविद्यालय खोले जाने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा क्रमांक बी. 4286 के अनुसार जीरन में महाविद्यालय खोलने के निर्देश हैं, जिस पर यथोचित कार्यवाही प्रचलन में है। (ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) अनुसार।
श्री दिलीप सिंह परिहार – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जन आशीर्वाद यात्रा में दिनांक 20 अगस्त 2013 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी जीरन आए थे, तो उन्होंने जनसमूह के बीच में कहा था कि जीरन में कालेज खोल दिया जाएगा. 2013 के बाद अभी 20 जनवरी 2018 को दलोदा कृषि उपज मंडी में जब मुख्यमंत्री जी आए थे तो मैंने और मंडल अध्यक्ष जी ने भी मुख्यमंत्री जी को वह घोषणा याद दिलाई थी, तो उन्होंने कहा था कि जनवरी में कालेज खोल दिया जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री जी की घोषणा के बाद भी कालेज खोलने के कार्य को प्राथमिकता नहीं दी गई. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि जीरन में शीघ्र कालेज प्रारंभ करवाने की कृपा करें.
श्री जयभान सिंह पवैया – अध्यक्ष जी, श्री दिलीप परिहार जी ने जीरन में महाविद्यालय खोलने का प्रश्न उठाया है. मुख्यमंत्री जी की जीरन में कालेज खोले जाने की घोषणा है. मंत्री परिषद का निर्णय प्राप्त किया जाना यद्यपि शेष है. पदो का सृजन भी होता है, उसकी भी एक प्रक्रिया है, लेकिन मैं माननीय विधायक जी से कहूंगा कि जीरन में यदि कोई निजी भवन किराए पर उपलब्ध कराने में हमारी मदद कर दें तो हम इसी सत्र से महाविद्यालय की प्रक्रिया पूरी करके कालेज शुरू करवा देंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार – माननीय अध्यक्ष जी, अभी मंदसौर कलेक्टर श्रीवास्तव जी और नीमच कलेक्टर श्री विक्रम सिंह जी भी जीरन गए थे, मैंने उनको कालेज के लिए कुछ स्थान भी बताए थे. हम निश्चित ही स्थान उपलब्ध करवा देंगे. अत: इसी सत्र से मंत्री जी जीरन में कालेज खोलने की घोषणा कर दें. जीरन आदिवासी बाहुल्य है, वहां की जनता को इसका लाभ होगा, बेटे-बेटियों को 30 किलोमीटर नीमच तक दूर जाना पड़ता है, वह नही जाना पड़ेगा.
श्री जयभान सिंह पवैया – अध्यक्ष जी, 2018-19 से जीरन में महाविद्यालय प्रारंभ हो जाएगा.
श्री दिलीप सिंह परिहार – माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं.
शामगढ़ जल आवर्धन योजना हेतु राशि की स्वीकृति
[नगरीय विकास एवं आवास]
7. ( *क्र. 3731 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) शामगढ़ जल आवर्धन योजना हेतु कितनी राशि स्वीकृत की गई है एवं डी.पी.आर. की प्रतिलिपि उपलब्ध करावें? (ख) उपरोक्त स्वीकृत जल आवर्धन योजना का कार्य डी.पी.आर. के अनुरूप पूर्ण किया गया है या नहीं? (ग) सम्पवेल पम्प, पुल की लम्बाई एवं विद्युत कनेक्शन कितनी दूरी से सम्पवेल पर लगाया गया है तथा कितने कि.मी. की पाईप लाईन डाली गई है? डी.पी.आर. में जितनी लम्बाई पुल की विद्युत कनेक्शन केबल की और पाईप लाईन की डी.पी.आर. में जो दर्शाई गई, उसमें और वर्तमान में जो लगाई गई है, दोनों में क्या अन्तर है? (घ) शामगढ़ नगर परिषद द्वारा जल आवर्धन योजना हेतु ठेकेदार को पूरा भुगतान कर दिया गया है या भुगतान बाकी है? यदि बाकी है, तो इसका कारण बतावें।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) नगर परिषद शामगढ़ की जल आवर्धन योजना यू.आई.डी.एस.एस.एम.टी. योजना अंतर्गत भारत सरकार द्वारा राशि रू. 2374.00 लाख की स्वीकृत हुई है। डी.पी.आर. की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) योजना के कार्य को लमसम निविदा के आधार पर करवाया गया है, जिसमें ठेकेदार को सर्वेक्षण एवं इन्वेस्टिगेशन कर स्वयं की डिजाईन बनाकर कार्य करने का प्रावधान था। तद्नुसार ठेकेदार द्वारा किये गये सर्वेक्षण के आधार पर वास्तविक कार्य करवाया गया है, जिसमें डी.पी.आर. से आंशिक परिवर्तन हुआ है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) जल आवर्धन योजना में स्थल पर हुये वास्तविक कार्य के मान से समानुपातिक कटौत्रा कर ठेकेदार को भुगतान किया जा चुका है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री हरदीप सिंह डंग : माननीय अध्यक्ष महोदय, शामगढ़ जल आवर्धन योजना के बारे में मेरे द्वारा जो जानकारी मंत्री जी से चाही गई थी उसकी लागत 2374.00 लाख बताई गई है. मैंने यह प्रश्न पूछा था कि जो डी.पी.आर. बनी थी जो सर्वेक्षण इन्वेस्टिगेशन डिजाईन तैयार की गई थी उसमें जो आंशिक परिवर्तन करना बताया गया है, मंत्री जी उस डी.पी.आर. में कितने प्रतिशत आंशिक परिवर्तन कर सकते हैं ? पहले तो यह जानकारी उपलब्ध करा दें ?
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सम्माननीय सदस्य श्री हरदीप सिंह डंग को जानकारी देना चाहती हूं कि निविदा में इस बात का जिक्र है कि ठेकेदार को सर्वेक्षण और इन्वेस्टिगेशन कर स्वयं की डिजाईन बनाकर कार्य करने का प्रावधान है. उसके आधार पर और तत्कालीन आवश्यकताओं को देखते हुये उसमें फेरबदल किया गया है.
श्री हरदीप सिंह डंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी द्वारा जो आंशिक परिवर्तन की बात की जा रही है, किसी भी कार्य की जो राशि मंजूर होती है वह डी.पी.आर. के तहत होती है. 2374.00 लाख जो मंजूर हुये थे उसमें पुल 1500 मीटर बनाना था लेकिन 1044 मीटर बनाया गया, 466 मीटर कम बनाया गया. इसी तरह से विद्युत कनेक्शन केवल की लंबाई 26 किलोमीटर बताई गई थी मात्र 4 किलोमीटर डाली गई है मतलब 22 किलोमीटर की नई केवल लाईन 11 के.वी की डाली जानी थी, किंतु डाली गई 33 के.वी. की. कुल मिलाकर के ठेकेदार के द्वारा इस काम में करोड़ों रूपये की बचत की गई है, यहां से सेटिंग करके कम कार्य के अधिक पैसे लिये गये हैं. मेरा आरोप है पक्का कि जो रूपये ठेकेदार को भुगतान होना था यहां से सेटिंग करके करोड़ों रूपये ज्यादा का भुगतान ठेकेदार को किया गया है. जबकि योजना में कम काम हुआ है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य से कहना है कि यहां आरोप नहीं चलता यहां पर प्रमाण चाहिये. यदि प्रमाण हो तो बात करें.
श्री हरदीप सिंह डंग -- हां मैं प्रमाण दे रहा हूं.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- ऐसे तो हम भी आरोप लगा देंगे. इसलिये आप प्रमाण के साथ में बात करें.
श्री हरदीप सिंह डंग-- अरे मैं प्रमाण दे रहा हूं. अरे यार तुम मेरे टाइम पर ही बोलते हो.
अध्यक्ष महोदय-- बहादुर सिंह जी, बैठ जायें. सदस्य को कहने का अधिकार है.
श्री हरदीप सिंह डंग-- चक्कर क्या है भाई. अपन पड़ोसी हैं, थोड़ा मन मारा करो. (हंसी) अध्यक्ष महोदय, इसी योजना के बारे में जब मैंने विधानसभा में ध्यानाकर्षण लगाया था, उसकी जांच के आदेश हुये थे लेकिन वह जांच की रिपोर्ट आज तक प्रस्तुत नहीं हो पाई है. सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में इस योजना के माध्यम से 15-15 दिन में एक दिन पानी की सप्लाई हो रही है.
अध्यक्ष महोदय- आप तो सीधे प्रश्न कर दें.
श्री हरदीप सिंह डंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि इस प्रकरण की जांच कराई जाये, जो पेमेंट ठेकेदार को करोड़ों रूपये अतिरिक्त दिये गये हैं वह गलत दिये हैं जबकि उसका पेमेंट इतना नहीं बनता है. क्या मंत्री जी इसकी जांच करायेंगी ?
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो बात सम्माननीय विधायक जी कह रहे हैं उनको जानकारी देना चाहती हूं कि नगर परिषद शामगढ़ के इंटकवेल पर एप्रोच ब्रिज की लंबाई डी.पी.आर. के अनुसार 1500 मीटर थी लेकिन वास्तविक कार्य के अनुसार पुल की लंबाई का कार्य 466 मीटर कम होने से कार्य की राशि 104.67 लाख का भुगतान ठेकेदार को कम किया गया है. सारा डिटेल्स मेरे पास में है हम उसको भेज देंगे. सदस्य को लिखित में उत्तर दिया गया है. माननीय सदस्य ने (ख) के जबाव में लिखा है कि योजना के कार्य को लमसम निविदा के आधार पर करवाया गया है, जिसमें ठेकेदार को सर्वेक्षण एवं इन्वेस्टिगेशन कर स्वयं की डिजाईन बनाकर कार्य करने का प्रावधान है तो उसी के अनुसार है. मतलब डी.पी.आर. के अनुसार वास्तविक कार्य में तत्कालीन आवश्यकताओं को देखते हुये फेरबदल भी हुआ है तो वास्तविक कार्य के मान से भुगतान हुआ है. इसमे कई मदों में कार्य कम होने से समानुपातिक राशि काटी गई है तो कहीं वास्तविक कार्य ज्यादा होने से राशि उस हिसाब से दी गई है. माननीय सदस्य को एक बात और बताना चाहती हूं कि अनुबंध के अनुसार ऑर्बिट्रेशन( Arbitration.) का प्रावधान है, अपील चल रही है, निर्णय के अनुसार कार्य़वाही होगी.
श्री हरदीप सिंह डंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से जो पढ़कर के बताया है बिल्कुल सही बताया है लेकिन मेरा यह कहना है कि 26 किलोमीटर की जगह मात्र 4 किलोमीटर लाइन डाली गई, जहां 11 केवी की लाईन डाली जानी थी वहां पर 33 केवी की डाली जाती है 22 किलोमीटर का अंतर है और अगर आपने डेढ़ करोड़ रूपये कम कर दिये, वहां पर अगर आपको 6 से 7 करोड़ रूपये कम देने पड़ते और आप मात्र डेढ़ करोड़ रूपया कम देते हो तो कितना डिफरेंस है. वहां पर ठेकेदार ने सेटिंग करके रूपये थोड़े-बहुत कम कराये, जबकि उसको 5 से 7 करोड़ रूपये कम देने थे, ज्यादा रूपये का भुगतान किया गया है, इसकी जांच कराई जाये और सीतामऊ की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है, सुवासरा जल आवर्धन है उसकी भी रिपोर्ट नहीं आई है, यह तीनों जो योजना है नगर पंचायत सुवासरा, शामगढ़ और सीतामऊ की, तीनों की जांच कराई जाये, लाखों और करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार सामने आयेगा और जो पुरानी पाइप लाइन डाली गई थी उसको भी नई पाइप लाइन में जोड़ा गया है, जो अधिक बताई है उसको भी पुरानी पाइप लाइन से जोड़कर उसकी लंबाई भी ज्यादा बताई गई है, उसका भुगतान भी गलत किया गया है. इसलिये मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि एक तो सीतामऊ की जांच सामने लाई जाये, शामगढ़ और सुवासरा की जांच कराई जाये, सुवासरा में अभी 20-20 दिन में पानी आ रहा है, इस पर भी ध्यान दिया जाये.
श्रीमती माया सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, बचत के हिसाब से ही राशि काटकर ही भुगतान किया जा रहा है और डिजाइन में सिविल शासन और नगर पालिका के हित में है और आपने जो बात कही है मैं फिर कह रही हूं कि अनुबंध में आर्बीट्रेशन का प्रावधान है और उसमें अपील चल रही है, निर्णय के अनुसार हम कार्यवाही करेंगे. आपने जो बातें की हैं उनको हम ध्यान में रखेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग-- अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना यह है.
अध्यक्ष महोदय-- उनका कहना यह है कि प्रपोज रेट राशि काटना चाहिये अनुपातिक, उसकी जांच करा लें कि जो राशि काटी गई है वह अनुपातिक है कि नहीं है.
श्रीमती माया सिंह-- अध्यक्ष महोदय, हम उसकी जांच करवा लेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि तीनों नगर पंचायत, सुवासरा, शामगढ़ और सीतामऊ, मैं मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि इन्होंने सीतामऊ में जांच टीम भेजी, परंतु सीतामऊ की जांच टीम की रिपोर्ट आज तक नहीं आई, वहां सड़कों के बाहर पाइप दिख रहे हैं और वह करोड़ों रूपये की योजना है.
अध्यक्ष महोदय-- जांच करवा लेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग-- यह जो मैं प्रश्न लगाता हूं यह प्रेक्टिकली देखकर लगाता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न तो टू दी पाइंट रहता है.
श्री हरदीप सिंह डंग-- मेरा निवेदन है कि तीनों नगर पंचायत की जांच करवायें, क्योंकि अगर पीछे से जांच होगी तो फिर लीपापोती होगी. इमसें मुझे भी शामिल रखें.
अध्यक्ष महोदय-- जांच प्रक्रिया से अवगत करा देंगे, शामिल चाहे न करें.
श्री हरदीप सिंह डंग-- अध्यक्ष महोदय, एक बात और मेरी सुन लें.
अध्यक्ष महोदय-- अरे उनकी बात पर मत जाओ (बाजू में बैठे हुये निशंक कुमार जैन, सदस्य की तरफ संकेत करते हुये) वह तो डिस्टरबेंस करवाते हैं. ऐसे में आपका प्रश्न बिगड़ जायेगा, और कुछ गड़बड़ी हो जायेगी, अभी लाइन पर है.
श्री हरदीप सिंह डंग-- आप संरक्षण दे दें. जांच में जब दूसरे विधायकों को शामिल करते हैं तो मुझे करने में क्या बुराई है.
अध्यक्ष महोदय-- आपको अवगत करायेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग-- अवगत नहीं, उसमें शामिल करें. क्योंकि मैं वहां का विधायक हूं, मैं जानता हूं, वहां गलती मैं ही बता सकता हूं, दूसरा कोई नहीं बतायेगा.
अध्यक्ष महोदय-- निशंक जैन जी ने समझा दिया, आप बैठकर समझ गये.
श्री मधु भगत-- निशंक जी ने बोला है कि पोल खुल जायेगी, उन्होंने समझा दिया है कि पोल खुल जायेगी.
श्री हरदीप सिंह डंग-- आप अगर सही को सही करना चाहते हैं तो मुझे शामिल करें.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी इनका एक सेंटेंस में जवाब दे दें, फिर शिवनारायण जी पूछेंगे.
श्रीमती माया सिंह-- जब जांच होगी, विधायक जी को सूचना कर दी जायेगी और आप उसमें शामिल हो सकते हैं.
श्री हरदीप सिंह डंग-- धन्यवाद.
प्रधानमंत्री आवास हेतु राशि का आवंटन
[नगरीय विकास एवं आवास]
8. ( *क्र. 3838 ) श्री शिवनारायण सिंह लल्लू भैया : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) उमरिया जिला अंतर्गत नगर परिषद चंदिया एवं नौरोजाबाद में प्रधानमंत्री आवास वर्ष 2017-18 व प्रश्न दिनांक तक कितने आवास स्वीकृत किए हैं? पृथक-पृथक स्पष्ट व पूर्ण जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) निकाय से स्वीकृत प्रधानमंत्री आवास की सूची तथा हितग्राहियों को जारी राशि व दिनांक की जानकारी देवें? (ग) क्या राज्य शासन ने प्रश्नांश (क) के निकाय में राशि स्वीकृत कर आदेश जारी किया है? यदि नहीं, तो कब तक इस महत्वाकांक्षी योजना में राशि आवंटित की जाएगी।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) भारत सरकार द्वारा नगर परिषद, चंदिया में दिनांक 30.10.2017 को 424 आवास एवं दिनांक 27.12.2017 को 1388 आवास, इस प्रकार चंदिया में कुल 1812 आवास लागत राशि रू. 72.23 करोड़ स्वीकृत किये गये हैं। भारत सरकार द्वारा नगर परिषद, नौरोजाबाद में दिनांक 29.05.2017 को 893 आवास, लागत राशि रू. 38.49 करोड़ स्वीकृत कराये गये हैं। (ख) भारत सरकार द्वारा नगर परिषद, चंदिया हेतु आज दिनांक तक राशि आवंटित नहीं की गई है, जिससे निकाय को राशि अंतरित नहीं की गई है। हितग्राहियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। नगर परिषद, नौरोजाबाद की स्वीकृत परियोजना हेतु निकाय को राज्यांश की प्रथम किश्त की राशि रू. 40 हजार प्रति हितग्राही के मान से दिनांक 07.10.2017 को कुल राशि रू. 357.20 लाख आवंटित की गई है। हितग्रहियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) नगर परिषद, चंदिया को भारत सरकार से राशि प्राप्त नहीं होने के कारण राज्य शासन द्वारा अभी तक निकाय को राशि जारी नहीं की गई है। भारत सरकार से राशि प्राप्त होने पर निकाय को राशि अंतरित की जाएगी। नगर परिषद, नौरोजाबाद को राज्य शासन द्वारा अब तक निकाय को प्रथम किश्त की राज्यांश राशि आवंटित की गई है, निकाय द्वारा राशि उपयोग किये जाने के उपरांत शेष राशि आवंटित की जाएगी।
श्री शिवनारायण सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उमरिया जिले के नगर परिषद नौरोजाबाद, नगर परिषद चंदिया में प्रधानमंत्री आवास की प्रथम किश्त उन्होंने जारी कर दी है इसलिये मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा. माननीय मंत्री जी से एक अनुरोध करूंगा कि प्रथम किश्त का प्रमाण पत्र, नगर परिषद नौरोजाबाद एवं नगर परिषद चंदिया में वितरण कराये जायें जिससे हितग्राहियों को संतुष्टि मिले.
श्रीमती माया सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, उमरिया जिले की नगरीय निकायों में उमरिया, पाली, नौरोजाबाद और चंदिया में कुल 4777 आवास स्वीकृत हुये जिसमें संचालनालय द्वारा उमरिया, पाली और नौरोजाबाद में कुछ 685.20 लाख की राशि जारी की है, सिर्फ चंदिया में राशि जारी नहीं की गई है. उमरिया, पाली और नौरोजाबाद में कुल 723 हितग्राहियों को 296.40 रूपये की राशि आवंटित की गई है. बाकी के शेष हितग्राही जो नौरोजागाद के हैं वह कोलफील्ड की भूमि पर रहने के कारण उनकी राशि आवंटित नहीं की है, लेकिन हमें जैसे ही राशि प्राप्त होगी, हितग्राहियों को आवंटित कर दी जायेगी.
श्री शिवनारायण सिंह लल्लू भैया--अध्यक्ष महोदय, चंदिया में कब तक प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि जारी होगी?
श्रीमती माया सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं स्वयं केन्द्रीय मंत्री जी से मिलकर राशि जारी करने के संबंध में चर्चा कर चुकी हूं. उन्होंने शीघ्र ही राशि जारी करने के लिये आश्वस्त किया है. जैसे ही राशि प्राप्त होगी, हम जारी कर देंगे.
बीना नगर की विकास कार्य योजना की स्वीकृति
[नगरीय विकास एवं आवास]
9. ( *क्र. 3526 ) श्री महेश राय : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) बीना नगर की विकास कार्य योजना 2011-12 का प्रकाशन प्रश्न दिनांक तक क्यों नहीं किया गया? (ख) यदि योजना लंबित है तो किस स्तर पर कब तक निराकृत कर ली जावेगी? (ग) क्या योजना लंबित होने से बीना शहर के विकास कार्य बाधित हो रहे हैं, दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही प्रस्तावित की गयी है? (घ) प्रश्नांश (क) के अनुसार विकास कार्य योजना का प्रकाशन कब तक होगा?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) बीना विकास योजना 2011 राज्य शासन की अधिसूचना दिनांक 01.02.2000 द्वारा अनुमोदित होकर प्रभावशील की जा चुकी है। (ख) से (घ) प्रश्नांश (क) के उत्तर के अनुसार।
श्री महेश राय--अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि बीना विकास योजना 2011-12 का प्रकाशन कब तक होगा, क्योंकि नगर निगम क्षेत्र के पूरे विकास कार्य काफी समय से अवरूद्ध है.
श्रीमती माया सिंह--अध्यक्ष महोदय, बीना विकास योजना का 2021 में वर्तमान प्रचलित जी.आई.एस. तकनीक के आधार पर बनाये जाने और नियमन के प्रावधान मध्यप्रदेश के भूमि विकास निगम 2012 के प्रावधान के अनुरूप नहीं होने के कारण बीना विकास योजना का प्रारूप 2021 को वापस करते हुए प्रचलित जी.आई.एस. तकनीक के आधार पर आगामी दशक के लिये तैयार करने के लिये नगरीय विकास आवास विभाग के द्वारा आयुक्त सह संचालक नगर तथा ग्राम निवेश मध्यप्रदेश को निर्देशित किया गया है.
श्री महेश राय--अध्यक्ष महोदय, कृपया इसमें समय सीमा बताएंगी ?
श्रीमती माया सिंह--अध्यक्ष महोदय, जल्दी से जल्दी इसको पूर्ण कर लेंगे.
मुख्यमंत्री सड़क योजना में छूटे हुए ग्रामों को मुख्य मार्ग से जोड़ा जाना
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
10. ( *क्र. 2600 ) श्री बाला बच्चन : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2017-18 में प्रदेश में मुख्यमंत्री सड़क योजना में छूटे हुए ग्रामों को जोड़ने के लिए शासन द्वारा निर्णय किया गया? यदि हाँ, तो बड़वानी जिले में स्वीकृत कुल कि.मी. दूरी तथा अनुमानित व्यय की जानकारी देवें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) के वर्णित मार्गों की निविदा आमंत्रित होने के बाद कार्यादेश तत्काल जारी नहीं हुये हैं? (ग) ऐसे कौन-कौन से मार्ग इंदौर संभाग के हैं, जहाँ निविदा स्वीकृत होने तथा कार्यादेश जारी होने में एक माह से अधिक का समय लगा है? नाम सहित देवें। (घ) निविदा स्वीकृत होने तथा कार्यादेश जारी होने में विलंब को विभाग क्या अनियमितता मानता है? यदि हाँ, तो इस अनावश्यक विलंब के लिए उत्तरदायित्व निर्धारित कर क्या जाँच कराई जावेगी?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। बड़वानी जिले में वर्ष 2017-18 में कोई सड़क स्वीकृत नहीं की गई। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) इंदौर संभाग में ऐसे कोई मार्ग नहीं हैं, जहां निविदा स्वीकृत होने तथा कार्यादेश जारी होने में एक माह से अधिक का समय लगा है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
कुंवर सौरभ सिंह सिसौदिया--अध्यक्ष महोदय, निवेदन है कि विधान सभा का अधिकार क्षेत्र विभाग सीमित करता जा रहा है. जबकि कोई प्रदेशव्यापी या कोई समस्या का प्रश्न किया जाए उसको सीमित कर दिया जाता है.
अध्यक्ष महोदय--ऐसा नियमों में है. बहुत व्यापक प्रश्न नहीं पूछना चाहिये वह भी आप नियम पढ़ लीजिये.
कुंवर सौरभ सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय, कई जगह पर बिना पूछे कर दिया जाता है.
अध्यक्ष महोदय--बिना पूछे ही कर दिया जाता है.
कुंवर सौरभ सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय, इसमें विभाग सीमित करता है या विधान सभा.
अध्यक्ष महोदय--विधान सभा सीमित करती है उसकी सहमति देती है.इसका पॉवर विधान सभा को ही है.
कुंवर सौरभ सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री सड़क योजना के विषय में है प्रश्न (क) का उत्तर आया है जी हां. मेरा मंत्री जी से कहना है कि कुछ गांव हैं कोडिया से चिंबाडिया, मंडवारा से बाणी, मंडवारा से उचावद इन गांवों का परीक्षण करवा कर इन गांवों को जोड़ने का निर्णय करेंगे ?
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, वैसे तो मेरे पास में विभाग से जो उत्तर आया है उसमें 2017-18 में कोई भी सड़क स्वीकृत नहीं की गई है और न ही बड़वानी जिले में सड़क का कार्य शेष है जो कि कनेक्टिविटी से वंचित हो. लेकिन जिन गांवों के नाम माननीय सदस्य जी ने दिये हैं उसका हम परीक्षण करवा लेंगे यदि किसी कारण से यह गांव छूट गये होंगे तो वहां भी जल्दी से जल्दी सड़क निर्माण की स्वीकृति दे देंगे.
प्रश्न संख्या 11 (अनुपस्थित)
बुंदेलखण्ड पैकेज से दमोह जिले में कराये गये कार्य
[योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी]
12. ( *क्र. 86 ) श्री लखन पटेल : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दमोह जिले को आज प्रश्न दिनांक तक बुंदेलखंड पैकेज से कोई राशि दी गई है? यदि हाँ, तो विकास खण्ड वार कितनी-कितनी राशि प्रदान की गई? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में प्राप्त राशि से दमोह जिले में कौन-कौन से कार्य किस-किस विभाग द्वारा कराये गये? अलग-अलग विभागवार, विकासखण्डवार कार्य विवरण स्वीकृत राशि सहित सूची उपलब्ध करावें। (ग) क्या अधिकारियों की मिलीभगत से दमोह जिले में आई बुंदेलखण्ड पैकेज की राशि का दुरूपयोग हुआ है? यदि नहीं, तो बुंदेलखण्ड पैकेज से कराये गये कार्यों की आज क्या स्थिति है? विभागवार अलग-अलग जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत कर संबंधित कार्य का स्थल निरीक्षण रिपोर्ट बनाकर जानकारी प्रदान करें? (घ) बुंदेलखण्ड पैकेज से दमोह जिले में कराये गये प्रत्येक विभागवार अलग-अलग कराये गये कार्यों की क्या उपयोगिता है एवं आम लोगों को इसका क्या लाभ मिला वस्तुस्थिति से अवगत करावें? क्या कराये गये निर्माण कार्यों का आज की स्थिति में कोई नामोनिशान ही नहीं बचा? यदि ऐसा है तो इसके लिए जबावदार अधिकारियों पर कोई कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की जावेगी?
श्री लखन पटेल--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बड़ा गंभीर है, सीधा जनता से जुड़ा हुआ है. बुंदेलखण्ड पैकेज में बहुत सारे विभागों के द्वारा काम कराये गये, लेकिन बुंदेलखण्ड पैकेज को बंद हुए लगभग तीन साल हो गये हैं. बहुत सारे विभागों के काम अभी बकाया है. जैसे उदाहरण के तौर कई तालाब बनाये गये, लेकिन उन तालाबों से नहरें नहीं बन पायीं. नहरे नहीं बनी हैं, उसमें काम बकाया है उसमें काम कब तक पूरे किये जाएंगे? मंत्री जी दूसरा प्रश्न पूछना चाहता हूं कि हाई कोर्ट के निर्देशानुसार इस पूरे पैकेज की जांच हो रही है? उत्तर में आया है कि जांच जारी है और अधिकारियों के खिलाफ डी.ई. हो रही है. मैं दूसरी बात यह जानना चाहता हूं कि जांच कब तक होगी उसको चार साल हो गये हैं. डॉ.गौरीशंकर शेजवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है और गंभीर भी है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय,आजकल डाक्टर साहब बहुत नयी-नयी ब्रांडेड शर्टें,कपड़े पहनकर आ रहे हैं. मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि वन विभाग में ऐसी क्या तब्दीली आ गयी है.मुझे क्या पता था कि हार्ट के आपरेशन से ऐसा परिवर्तन आ जाता है. मै भी अपना करवा लेता.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय,कोई भी इंजन बोर हो तो उसकी क्षमता बढ़ ही जाती है.
ऊर्जा मंत्री(श्री पारस चन्द्र जैन) - अध्यक्ष महोदय,गोपाल भार्गव जी पीछे देख लें मैंने भी हार्ट का आपरेशन करवाया है पहले से अच्छा हो गया हूं. आप भी करा लो.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय सदस्यों ने अधूरे कार्यों को पूरा करने की मांग की है. बुंदेलखण्ड पैकेज के तहत हमने भारत सरकार से राशि मांगी है जो निर्धारित समय में उन्हें देना था लेकिन नहीं दी गई और यह राशि है 359.53 करोड़. यह मांग हमने उनसे की है और जैसे ही यह राशि आयेगी, पहले हम उसका प्राक्कलन करवा लेते हैं कि कितने कार्य शेष हैं और उस पर कितना व्यय होगा ? और जैसे ही केन्द्र सरकार से हमें राशि प्राप्त होगी तो उन्हें करवाने का हम पूरा पूरा प्रयास करेंगे. यह सत्य है कि इसमें स्थल निरीक्षण भी किया गया है. जिन विभागों को यह काम दिया गया था. उसमें जांच भी हुई है और उसमें अनियमितताएं भी पाई गई हैं. अनियमितताओं की जांच भी हो रही है और उन अधिकारियों को आरोपपत्र भी दिये गये हैं और उनकी विभागीय जांच हम जल्दी से जल्दी संस्थित करेंगे. जांच में या स्थल निरीक्षण में जैसी माननीय सदस्य ने शंका व्यक्त की है आप हमें बता दें कि आपकी क्या अपेक्षा है,कैसी जांच होना चाहिये. जांच अच्छे से हो सके तो आपकी जो राय होगी हम वैसी जांच करवा सकते हैं.
श्री लखन पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके स्थल निरीक्षण की फिर से जांच करवा दें क्योंकि बहुत सारी जगहों पर कार्य नहीं हुए हैं तो उसकी जांच करवा दें और मुझे भी इसमें शामिल कर लें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि पूरे कार्यों का स्थल निरक्षण हो चुका है और हम फिर से पूरा रिपीट करेंगे तो उसमें समय लगेगा और जांच में देर होगी. आप रेण्डम कुछ अपने क्षेत्र में,बगल के क्षेत्र में या जहां की आपको जानकारी हो. आप उसकी लिस्ट दे दीजिये. हम उनका स्थल निरीक्षण करवा लेंगे और जो अधिकारी यह कार्य करेंगे, वह हम आपको बता देंगे और आपको उसमें साथ में सम्मिलित करेंगे. बाकी जो आपके मन में जांच के प्रति शंका है कि जांच में कमी है, देर हो रही है तो जांच भी हम जल्दी करवाने की कोशिश कर रहे हैं.
श्री लखन पटेल - माननीय मंत्री जी बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रश्नकर्ता के पत्रों पर कार्यवाही
[वन]
13. ( *क्र. 3397 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दक्षिण वनमण्डल बैतूल के वन अपराध प्रकरण क्रमांक 453/65, दिनांक 02 जून, 2014 के संबंध में प्रश्नकर्ता ने पत्र क्रमांक 8101, दिनांक 10 अक्टूबर, 2017 प्रेषित कर प्रधान मुख्य वन संरक्षक सतपुड़ा भवन भोपाल से चाहे गए दस प्रश्नों में से किसी भी प्रश्न का कोई उत्तर प्रश्नांकित दिनांक तक भी प्रश्नकर्ता को नहीं दिया गया? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नकर्ता ने अपने पत्र में कौन-कौन से प्रश्न का उत्तर दिए जाने का अनुरोध किया? दस प्रश्नों में से किस प्रश्न का उत्तर प्रश्नांकित दिनांक तक भी प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने प्रश्नकर्ता को किन-किन कारणों से दिया जाना उचित नहीं समझा? (ग) प्रकरण क्रमांक 453/65 में 02 जून, 2014 को म.प्र. वनोपज व्यापार विनियमन 1969 की धारा 2घ एवं 5 लगाकर क्या कार्यवाही की गई? इस धारा को निरस्त किए जाने के संबंध में 02 मार्च, 2016 को किसे पत्र लिखा गया? यह धारा 2घ एवं 5 लगाने और उसे निरस्त किए जाने का पत्र लिखने का क्या कारण रहा है? (घ) प्रश्नकर्ता के दस प्रश्नों में से किस प्रश्न का उत्तर प्रधान मुख्य वन संरक्षक कब तक प्रश्नकर्ता को उपलब्ध करवा देगें?
वन मंत्री ( डॉ. गौरीशंकर शेजवार ) : (क) जी हाँ। कार्यालयीन पत्र क्रमांक 3941, दिनांक 23.10.2017 के माध्यम से प्रश्नकर्ता माननीय विधायक श्री निशंक कुमार जैन को अवगत कराया गया है कि ''वर्तमान में उक्त प्रकरण में अपील माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर में विचाराधीन है।'' अतः प्रश्नवार विस्तृत उत्तर नहीं दिया गया। (ख) प्रश्नकर्ता द्वारा प्रेषित पत्र क्रमांक 8101, दिनांक 10 अक्टूबर, 2017 की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। पत्र में उल्लेखित वन अपराध प्रकरण क्रमांक 453/65, दिनांक 02 जून, 2014 पर माननीय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश मुलताई, जिला बैतूल द्वारा पारित आदेश दिनांक 20.09.2016 के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर में अपील विचाराधीन है। अतः विषय Subjudice होने के कारण प्रश्नकर्ता को प्रश्नवार उत्तर नहीं दिया गया। (ग) प्राथमिक वन अपराध प्रकरण क्रमांक 453/65, दिनांक 02 जून, 2014 में भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 26 (च), 33-1 (ए), 66 (क), 69 के साथ-साथ मध्यप्रदेश वनोपज (व्यापार विनियमन) अधिनियम 1969 की धारा 2 (घ) एवं 5 जैव विविधता अधिनियम 2002 की धारा 3, 7 सहपठित धारा 55 भी अधिरोपित की जाकर अवैध संग्रहित 892.05 कि.ग्रा. धावड़ा गोंद को जप्त किया गया। शासन द्वारा धावड़ा गोंद को विनिर्दिष्ट वनोपज की सूची से हटा दिये जाने के कारण वन अपराध प्रकरण में अधिरोपित धारा 2 (घ) एवं 5 त्रुटिपूर्ण होने के कारण वन परिक्षेत्राधिकारी, मुलताई ने अपने पत्र क्रमांक 375, दिनांक 02.03.2016 द्वारा माननीय न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी मुलताई को प्रकरण में अधिरोपित मध्यप्रदेश वनोपज (व्यापार विनियमन) अधिनियम 1969 की धारा 2 (घ) एवं 5 को हटाने का अनुरोध किया गया। (घ) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय वन मंत्री जी से पूछा था कि क्या वन मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे कि क्या दक्षिण वन मण्डल बैतूल के..
अध्यक्ष महोदय - वह तो लिखा है. आप तो वरिष्ठ विधायक हैं.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैंने पी.सी.सी.एफ. से 10 प्वाइंट पूछे थे और जब मेरे पास उत्तर नहीं आया तो मैंने प्रश्न लगाया. आज दुर्भाग्य देखिये कि सरकार न्यायालय की आड़ लेकर उन 10 प्रश्नों का उत्तर नहीं देने को जस्टीफाईड कर रही है जबकि माननीय उच्च न्यायालय ने,किसी भी न्यायालय ने उत्तर देने से नहीं रोका तो क्या जिसने उत्तर नहीं दिया उसके खिलाफ आप कोई कार्यवाही करेंगे. मेरा पहला प्रश्न है. मंत्री जी इसका उत्तर दे दें इसके बाद मेरे तीन-चार और पूरक प्रश्न हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप एक और अभी पूछ लीजिये उसके बाद एक और पूछ लीजिये.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ा मामला है. दूसरी बात क्या लघु वनोपज के अंतर्गत धावड़ा गोंद आती है या नहीं, नोटिफाईड और डि-नोटिफाईड, किस केटेगरी में आती है?
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं, पहले उसका उत्तर ले लें, जो पहले प्रश्न पूछा है. 10 प्रश्नों की उन्होंने जानकारी मांगी है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, 10 प्रश्नों में एक-एक प्रश्न में भी फिर 10-10 प्रश्न हैं.
श्री निशंक कुमार जैन - आप तो सबकी जानकारी दिलवा देते, कहीं न कहीं आप क्यों किसी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय - निशंक जी, जवाब तो सुन लें.
श्री गोपाल भार्गव - यह तो खैरियत है एक बार डॉक्टर साहब ने 5 पृष्ठों का ध्यानाकर्षण सूचना का उत्तर पढ़ा था.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, मैं बुराई नहीं कर रहा हूं, मैं प्रशंसा कर रहा हूं.
श्री निशंक कुमार जैन - अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय श्री भार्गव जी का काम है यदि ऐसा आप भी करने लगें तो मजा ही आ जाए. आपका चश्मा दूसरा है, उनके जैसा सफेद चश्मा तो लगा लें.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं, आपको उत्तर लेना है कि नहीं, नहीं तो मैं आगे बढूंगा, आप यहीं प्रश्नोत्तर कर लेंगे? उनकी तरफ से कुछ उत्तर आया ही नहीं है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, मैं तारीफ कर रहा हूं कि जनता के हित में और विषय को उजागर करने के लिए यदि प्रश्न पूछने की कला यदि कोई सीखे तो जैन साहब से सीखे.
श्री निशंक कुमार जैन - गुरू आप ही हो, सरकार गुरू आप ही हो.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न का उत्तर लेंगे कि नहीं? अब यदि आप उत्तर के बीच में बोले तो मैं 14 नम्बर बुलाऊंगा.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, 10 प्रश्न जो हैं, प्रश्न भी इन्होंने ही पूछे और फिर उसकी यह भी प्रतिलिपि मांगी कि क्या-क्या वे प्रश्न थे? हमने परिशिष्ट अ में उनको जानकारी दी है, एक पेज, दो पेज, तीन पेज, चार पेज और भी इसमें पेज हैं. मैं इस पर आपत्ति नहीं कर रहा हूं, लेकिन प्रश्न का उत्तर मैं इसलिए नहीं दे सकता कि जो मामला सबजूडिस है और विधान सभा में चर्चा के बाद कहीं कोई न्याय प्रभावित होता है, उसका उत्तर नहीं देना चाहिए. अब मैंने विभाग को यह निर्देश दिये हैं कि इनके प्रश्नों की जो लिस्ट है इसमें से ऐसे कितने उत्तर दिये जा सकते हैं, जो सबजूडिस होने के बाद भी न्याय को प्रभावित नहीं करते तो उसमें से सक्रूटनी कर लेंगे और आप चाहें तो आपकी एक बैठक हम अधिकारियों के साथ करवा सकते हैं.
श्री निशंक कुमार जैन - अध्यक्ष महोदय, मेरा किसी बैठक में कोई इंट्रेस्ट नहीं है. मेरा प्रश्न टू द पाइंट है.
अध्यक्ष महोदय - आप उत्तर तो पूरा होने दें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, टू द पाइंट यदि बात है तो टू द पाइंट उत्तर आ गया है. यह मेरा निवेदन है. इसके अतिरिक्त यदि कुछ है तो वह मैंने इनसे कह दिया है.
अध्यक्ष महोदय - जो दूसरा प्रश्न लघु वनोपज का पूछा था, वह और बता दें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, लघु वनोपज वाले में यह बात सही है कि धावड़ा गोंद वह विनिर्दिष्ट सूची में नहीं आती थी. अधिकारियों ने उसको इस सूची में लिया है, लेकिन इसके अलावा दूसरी धाराओं में प्रकरण और रजिस्टर्ड था. धाराओं का उल्लेख है, आप कहें? आवश्यकता नहीं है उनका उल्लेख करने की, लेकिन बाद में जब विभागीय अधिकारियों ने उसे समझा और देखा कि ये विनिर्दिष्ट सूची से बाहर बाद में निकाल लिया गया है तो जैसे ही बाद वाला नोटिफिकेशन उनके सामने आया तो उन्होंने अदालत में सप्लीमेंट्री चालान पेश किया और कहा कि हम इस प्रकरण में इन-इन धाराओं में को कम करना चाहते हैं फिर वहां न्यायालय से विभाग के खिलाफ निर्णय हुआ और लोकेश निकाजू और संजय शिवहरे के पक्ष में निर्णय हुआ तो कुछ धाराएं उसमें ऐसी थीं जो जैव विविधता से और अन्य से संबंधित थीं, उन धाराओं में चूंकि प्रकरण चलाना अनिवार्य था और फिर हाईकोर्ट में अपील में सरकार गई है. अब मुझे यह बता दें कि जब निर्णय आएगा या तो हम उसका इंतजार करें या धाराओं का हम एक बार परीक्षण करवा लेंगे कि क्या ये धाराएं गलत तो नहीं लगाई गई हैं. यदि कहीं ऐसा लगता है कि धाराएं गलत लगाई गई हैं तो हम एडव्होकेट जनरल से भी राय ले सकते हैं और जैसी एडव्होकेट जनरल हमको राय देंगे, हम केस के बारे में वैसा आगे चलेंगे.
श्री निशंक कुमार जैन - अध्यक्ष महोदय, यह बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न है. मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. मेरा कहना यह है कि जब सरकार ने खुद धावड़ा गोंद को डि-नोटिफाईड की सूची में डाला है. उसके बाद प्रकरण क्यों पंजीबद्ध किया गया ? जब 2008 का वन अधिनियम लागू हो गया उसके बाद 2014 में प्रकरण क्यों पंजीबद्ध किया गया ? जिस अधिकारी ने प्रकरण पंजीबद्ध किया है क्या उसके खिलाफ माननीय मंत्री जी कोई कार्यवाही करेंगे ? अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहूंगा. मेरा प्रश्न पिन प्वाइंट है.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने सारी बात कह दी. जांच कराने के लिये भी तैयार हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, गोंद एकत्रित करके पकड़ी गई अकेला इतना मामला नहीं है, यहां जैव विविधता को भी नष्ट किया गया है. एक तो गोंद प्राकृतिक रूप में निकलती है उसका कलेक्शन होता है. दूसरा इनके ऊपर जो प्रकरण दर्ज हुआ है वह यह हुआ है कि पौधों को केमिकल के माध्यम से ज्यादा मात्रा में निकालकर गोंद ज्यादा एकत्रित की जिससे वह पौधे नष्ट हो गए. यदि 50-50 और 100-100 पौधे गोंद निकालने से नष्ट हो जाएंगे तो ऐसे लोगों के खिलाफ प्रकरण चलाना अनिवार्य है. प्रकरण में जांच के उपरांत जैव विविधता अधिनियम 2002 की धारा 3(7) सहपठित धारा 355 भी इसमें जोड़ी गई है.
प्रश्न संख्या 14 - (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या 15 - (अनुपस्थित)
''एकात्म यात्रा'' के आयोजन पर व्यय
[योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी]
16. ( *क्र. 15 ) डॉ. गोविन्द सिंह : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में माह दिसम्बर 2017 एवं जनवरी 2018 में ''एकात्म यात्रा'' के प्रारंभ दिनांक से समापन दिनांक तक राज्य के खजाने से कुल कितनी राशि किन-किन कार्यों पर व्यय की गई? इस एकात्म यात्रा से प्रदेश की आम जनता को क्या लाभ हुआ है? (ख) ''एकात्म यात्रा'' के समापन समारोह में शामिल होने के लिए ओंकारेश्वर में आमजनों को लाने-ले जाने के लिए किस-किस जिले से कितनी-कितनी निजी बसों का अधिग्रहण किया गया था तथा इन बसों का किराया, भुगतान किये जाने के क्या मापदण्ड निर्धारित किये गये थे? क्या मापदण्डों के अनुसार बस ऑपरेटरों को बसों के किराये का भुगतान किया गया है? यदि हाँ, तो बस संचालकों के नाम एवं बस क्रमांक सहित भुगतान की गई राशि का ब्यौरा दें? (ग) क्या इस यात्रा की नोड्ल एजेंसी ''जन अभियान परिषद'' को बनाया गया था? यदि हाँ, तो जन अभियान परिषद को किस-किस मद से कितनी-कितनी राशि कब-कब दी गई? उक्त राशि में से कितनी राशि किस-किस कार्य पर परिषद द्वारा व्यय की गई तथा कितनी-कितनी राशि शेष है? (घ) क्या भारतीय संविधान में ''एकात्म यात्रा'' जैसे धार्मिक कार्यक्रमों को शासकीय व्यय पर आयोजित किए जाने के प्रावधान हैं? (ड.) यदि हाँ, तो क्या प्रावधान हैं? यदि नहीं, तो विधि विरूद्ध किए गए उक्त आयोजन हेतु शासकीय धन के दुरूपयोग की क्या उच्च स्तरीय जाँच कराई जाएगी? यदि नहीं, तो क्यों?
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, क्या एकात्म यात्रा का आयोजन धार्मिक है ? आपके जवाब में आया है कि यह धार्मिक नहीं है. मैं पूछना चाहता हूं कि जो खर्चा आपने जन अभियान परिषद से किया है, जन अभियान परिषद के हमारे पास उद्देश्य हैं, उन 16 उद्देश्यों में कहीं भी इसका उल्लेख नहीं है कि ये गतिविधियां कर सकते हैं. 12 करोड़, 2 लाख रुपये आपने इसमें खर्च किया है. क्या मंत्री जी, संविधान में ऐसा प्रावधान है कि हम किसी भी धार्मिक गतिविधि के लिए शासन की राशि व्यय कर सकते हैं ? अगर है तो कृपा करके उसका उत्तर दे दें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, एकात्म यात्रा का काम जन अभियान परिषद को भी दिया गया था.
श्री रामनिवास रावत - आप अपने जवाब में मना कर रहे हैं. प्रश्नांश (ग) में दिया है कि क्या इस यात्रा की नोडल एजेंसी जन अभियान परिषद को बनाया गया था, तो आपके उत्तर में आया है कि जी नहीं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - वकीलों की एक कला होती है कि जितना उनके मतलब का होता है केवल उतना ही पढ़ते हैं और जैसे ही विषय उनके खिलाफ जाने लगता है तो वह भूल जाते हैं इस बात का भी ख्याल नहीं रखते कि उसमें कॉमा, फुल स्टॉप भी है.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपने अपने उत्तर में स्वीकार किया है कि जी नहीं. जब नोडल एजेंसी नहीं बनाया गया तो किस हैसियत से जन अभियान परिषद को राशि दी गई है ?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, नोडल एजेंसी बनाना अलग विषय है और काम करवाना अलग विषय है. यह विभाग की उदारता है कि त्रुटिपूर्ण प्रश्न का भी जवाब दिया है. ..(व्यवधान)...
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, भाषण नहीं जवाब चाहिए. आप यह बताइए कि क्या संविधान में कहीं ऐसा उल्लेख है कि आप धार्मिक गतिविधियों में राशि खर्च कर सकते हैं ? शासन की राशि का दुरुपयोग करेंगे ? दूसरी बात जन अभियान परिषद के 13 उद्देश्यों में कहीं भी यह काम शामिल नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जब आत्मा एक हो रही है तो कहां आपत्ति होना चाहिए कि किसके द्वारा एक हो रही है, किसके द्वारा नहीं हो रही है ?
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, एकात्म यात्रा से प्रदेश की जनता को क्या लाभ हुआ है ? ..(व्यवधान)...
डॉ. गोविंद सिंह - आपने मेरे प्रश्न का जवाब नहीं दिया. आप सरकारी धन का संवैधानिक धज्जियां उड़ाते हुए जनता की गाढ़ी कमाई का धन अपनी छवि बनाने के लिए उपयोग करेंगे ? यह है कोई प्रावधान. न उद्देश्य है, न कानून है, न जन अभियान परिषद् के उद्देश्य में है. करोड़ों रुपये आपने फूंक डाला. यह आपने किस नियम के तहत किया है.
श्री रामनिवास रावत -- आप जनता के पैसे को लूट रहे हो, उड़ा रहे हो.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप कह रहे हैं कि धार्मिक नहीं है. तो मुख्यमंत्री जी ने धार्मिक क्यों कहा कि यह धार्मिक यात्रा है. मुख्यमंत्री जी का बयान है. तो फिर एकात्म यात्रा में आपने साधु संतों पर किस हैसियत से खर्चा किया. मुख्यमंत्री निवास का खर्चा इसमें क्यों नहीं जोड़ा.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- गोविन्द सिंह जी, आप जब मंत्री थे, तो वहां जो मीटिंग होती थी, उसके चाय पानी का और मीटिंग का खर्चा भी लिखा गया है उसमें. मेरा ऐसा कहना है कि जहां सरकारी बैठकें होंगी, उनका व्यय सरकारी होगा.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
..(व्यवधान)..
12.01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय -- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी-
1. श्री के.डी.देशमुख
2. श्री प्रताप सिंह लोधी
3. डॉ. रामकिशोर दोगने
4. पं. रमेश दुबे
5. श्री बहादुर सिंह चौहान
6. श्री सचिन यादव
7. श्री शैलेन्द्र जैन
8. श्री बाबूलाल गौर
9. श्री सुखेन्द्र सिंह
10. श्री यादवेन्द्र सिंह
..(व्यवधान)..
12.02 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
(1) भोपाल में आरती राय एवं बैतूल जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कामठी में 20 वर्षीय युवती द्वारा आत्महत्या की जाना.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)-- भोपाल में आरती राय का तो मामला चल ही रहा है. ..
अध्यक्ष महोदय -- उसका कॉल अटेंशन ले रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, जी. लेकिन कल की तारीख में बैतूल जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम कामठी में 20 वर्षीय जया ने भी कल आत्महत्या कर ली. उसने अपनी छेड़खानी की रिपोर्ट थाने में सुबह 11.00 बजे की. पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की तो शाम को उसने आत्महत्या कर ली..
अध्यक्ष महोदय -- आप उसको नियम में लगा दें.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में बालिकाएं पूरी तरह से असुरक्षित हैं. महिलाएं पूरी तरह से असुरक्षित हैं. अभिभावक अपनी बच्चियों को कालेज और स्कूल भेजने में डर रहे हैं..
अध्यक्ष महोदय -- आपने इसमें कुछ दिया है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, हां स्थगन दिया है. पूरा भोपाल शहर आंदोलित है. पूरा प्रदेश आंदोलित है...
अध्यक्ष महोदय -- उस पर चर्चा करा रहे हैं, इस विषय को भी उसमें जोड़ देंगे.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, स्थगन दिया हुआ है. सरकार को चिंता करना चाहिये कि हमारी मां ,बहनें एवं बंटियां सुरक्षित रहें..
अध्यक्ष महोदय -- चर्चा के लिये सहमत हैं, उसमें यह विषय भी ले लेंगे और दोनों विषय जोड़ करके चर्चा करायेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, जी. लेकिन उत्तर आना चाहिये. इस पर तो स्थगन ग्राह्य होना चाहिये. इतना गंभीर विषय है.
अध्यक्ष महोदय -- गंभीर विषय है, उस पर काल अटेंशन ले रहे हैं. आपको मैंने बता दिया है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, पूरा भोपाल शहर, जो प्रदेश की राजधानी है, वह आंदोलित है. पूरे प्रदेश की जनता आंदोलित है.
अध्यक्ष महोदय -- 20 तारीख को उस पर ले रहे हैं.
(2) आदिवासियों को बोनस का नगद भुगतान किया जाना.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) -- अध्यक्ष महोदय, आदिवासियों की गाढ़ी कमाई जो बोनस का पैसा उनको मिलना चाहिये था, मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि जनता की गाढ़ी कमाई जो बोनस का, मजदूरों का पैसा है, उस पैसे से 260 रुपये की साड़ी, जूता चप्पल देने का सरकार प्रयास कर रही है और जो साड़ियां 260 रुपये की हैं, वह साड़ी सूरत में 70 रुपये की आ रही है. हमारा सरकार से अनुरोध है कि जो मजदूर आदिवासी भाइयों का पैसा है, बोनस का, वह उनको मिलना चाहिये और वह उनको नगद भुगतान किया जाये. उसमें मुख्यमंत्री जी और प्रधानमंत्री जी का फोटो छपवाकर चुनाव में राशि का दुरुपयोग करना उचित नहीं है. इसलिये मैं इसका विरोध करता हूं और सरकार से मांग करता हूं कि इस प्रकार से शासन के धन का दुरुपयोग न करें. जनता के, गरीबों का, आदिवासियों का पैसा न लूटे, वह उनकी मेहनत का पैसा है..
(3) पन्ना जिले में पेयजल संकट होना.
श्री मुकेश नायक (पवई) -- अध्यक्ष महोदय, पन्ना जिला सूखाग्रस्त घोषित हुआ है. कम पानी गिरने के कारण भूजल स्तर बहुत नीचे चला गया है और पेयजल की भारी समस्या का सामना आम जनता को करना पड़ रहा है. मेरा आपसे निवेदन है कि पीएचई विभाग को ज्यादा ज्यादा सतर्कतापूर्वक नल सुधारने के लिए, नल-जल योजनाओं को सुधारने के लिए, पेयजल के परिवहन के लिए तत्परतापूर्वक जो काम पन्ना जिले में करना चाहिए, वह अभी नहीं हो पा रहा है. मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. कृपया शासन इस पर ध्यान दे.
(4) भोपाल और इंदौर में मेट्रो ट्रेन चलाई जाना
श्री बाबूलाल गौर (गोविन्दपुरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा बहुत गंभीर मामला है. भोपाल और इंदौर में मेट्रो ट्रेन नहीं चलाने के कारण हमारा प्रदेश पिछड़ता जा रहा है. सरकार की कोई इच्छा-शक्ति नहीं है कि मध्यप्रदेश के अंदर मेट्रो ट्रेन चलाई जाए.
अध्यक्ष महोदय -- यह विषय पहले कॉल-अटेंशन में आ चुका है.
श्री बाबूलाल गौर -- अध्यक्ष महोदय, मेरा सरकार से निवेदन है कि इसे गोरखधंधे में न फंसाया जाए. हमारे प्रदेश के अंदर मेट्रो ट्रेन की बहुत आवश्यकता है. इसलिए मैं सरकार से आग्रह करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- इस विषय पर आपका कॉल-अटेंशन ले लिया.
श्री बाबूलाल गौर -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- पहले ले लिया था, अब नहीं लेंगे.
(5) राघोगढ़ विधानसभा क्षेत्र में किसानों को नियमानुसार नगद राशि का
भुगतान न होना
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, गुना जिले के राघोगढ़ विधान सभा क्षेत्र में कृष उपज मंडी, आरोन में वर्तमान समय में गेहूँ, चना और धनिया की खरीदी का कार्य चल रहा है. इसमें व्यापारियों द्वारा वर्तमान में सिर्फ 10 हजार रुपये का भुगतान किसानों को किया जा रहा है और बाकी राशि आरटीजीएस के माध्यम से दी जा रही है, जबकि शासन के नियमानुसार किसानों को न्यूनतम 50 हजार रुपये तक की धनराशि का भुगतान नकद करने के आदेश हैं, परंतु शासन द्वारा आज दिनांक तक 50 हजार रुपये तक का नकद भुगतान नहीं किया जा रहा है. यह मुद्दा किसानों द्वारा उठाया जा रहा है. इस प्रकार की विसंगति होने के कारण क्षेत्र के किसानों एवं व्यापारियों में भारी आक्रोष है.
(6) जौरा विधान सभा क्षेत्र में नहरों से पानी छोड़ा जाना.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में दो नहरें निकलती हैं, एक एलएमसी और एक एबीसी. दोनों बारी-बारी से चलीं, खूब पानी मिला, लेकिन लास्ट में जो अरहर की फसल को काटकर गेहूँ बोया गया था, वह गेहूँ कच्चा है, अगर उसको एक पानी नहीं मिला तो वह फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी. इसलिए जनता में भारी आक्रोष है. वहां दो दिन के लिए एक पानी छोड़ दिया जाए तो पंपों से किसान पानी दे देंगे.
(7) दमोह जिले में पेयजल संकट होना
श्री प्रताप सिंह (जबेरा) -- अध्यक्ष महोदय, दमोह जिले के तेंदूखेड़ा विकासखण्ड के ग्राम जरुआ में भीषण पेयजल संकट आ गया है. यहां के कुएं सूख गए हैं, साथ ही लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा एक भी हैंडपंप का खनन नहीं किया गया है. लगभग 10 किलोमीटर के एरिए में कहीं पर ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है. इसके चलते ग्रामीण आसपास के पोखरों का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. इससे बच्चों में कुपोषण की बीमारी फैल रही है और दो बच्चों की मृत्यु हो चुकी है एवं 4 बच्चे अभी भी इलाजरत हैं. इसके चलते वहां की जनता में रोष व्याप्त है. उक्त समस्या के निराकरण के लिए शासन जल्दी ही कोई कार्यवाही करे.
(8) बालाघाट जिले की भरवेली माइन्स से वायु प्रदूषण होना
श्री मधु भगत (परसवाड़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बालाघाट जिले के अंतर्गत भरवेली में स्थित मैंगनीज माइन्स के द्वारा वायु प्रदूषण हो रहा है, जिससे क्षेत्र के करीबी ग्रामों की जनता में कई प्रकार की बीमारियां हो रही हैं. कम्पनी द्वारा ग्रामवासियों के इलाज के लिए कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके द्वारा वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का प्रशिक्षण तथा इलाज किया जा सके. इसी प्रकार जिले के चिकित्सालय में पल्मोनरी बीमारियों से संबंधित न तो विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और न ही मशीनें हैं. यह क्रम वर्षों से जारी है. ग्राम मंझारा, टवेझरी एवं भरवेली में माइन्स में द्वारा वायु प्रदूषण से होने वाली अस्थमा जैसी बीमारियों की जांच हेतु न तो कोई शिविर लगाए गए हैं और न ही जांच हेतु किसी चिकित्सक को भेजा जाता है. क्या बालाघाट जिले की मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड, भरवेली माइन्स मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वायु प्रदूषण निवारक एवं नियंत्रण के अधिनियम, 1981 का उल्लंघन कर रही है. क्या ये सभी बातें विभाग के संज्ञान में हैं, यदि हां, तो क्या विभाग द्वारा माइन्स के आसपास के ग्रामों में निवासरत ग्रामीणों की अस्थमा की जांच करवाई जाएगी. मैं माननीय सदन की ओर शून्यकाल की सूचना प्रेषित करता हूँ.
(9) सुवासरा विधान सभा क्षेत्र में पेयजल संकट होना
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सुवासरा विधान सभा क्षेत्र की नाहरगढ़ और क्यामपुर पंचायत में पेयजल का संकट है. अभी एक सप्ताह पहले पेयजल के लिए पूरे नाहरगढ़ को जनता के द्वारा बंद रखा गया था. पीने का पानी वहां पर नहीं है, 5-5, 7-7 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है.
अध्यक्ष महोदय -- आज पीएचई विभाग की डिमांड्स हैं, तब बोल लीजिएगा.
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय, क्यामपुर में वहां के युवा पानी के कारण भूख-हड़ताल पर बैठे हुए है. नाहरगढ़ और क्यामपुर में पानी की तुरंत व्यवस्था कराई जाए, मुझे यह सूचना देनी है. धन्यवाद.
(10) बासौदा विधान सभा क्षेत्र में पेयजल संकट होना
श्री निशंक कुमार जैन (बासौदा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बासौदा विधान सभा की गंजबासौदा, त्यौंदा और ग्यारसपुर तहसील के करीब 100 गांवों में भीषण पेयजल संकट व्याप्त है, इसलिए जनता में जबरदस्त रोष व्याप्त है.
अध्यक्ष महोदय -- आज पीएचई विभाग की चर्चा है.
12.10 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
1. मध्यप्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (क्रमांक 19 सन् 2017) वाणज्यिक कर विभाग की अधिसूचनाएं क्रमांक 1 से 111.
2. मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017
3. मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन लिमिटेड का 42 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016
4. मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम का वार्षिक प्रतिवेदन एवं अंकेक्षित लेखे वर्ष 2016-2017
12.12 बजे अध्यक्षीय घोषणा
श्री बाला बच्चन, सदस्य की ध्यानाकर्षण सूचना को आगामी कार्य दिवस
में लिया जाना
अध्यक्ष महोदय -- प्रथम ध्यानाकर्षण सूचना के प्रस्तुतकर्ता श्री बाला बच्चन, सदस्य के आज अपरिहार्य कारण से उपस्थित न हो पाने के कारण माननीय सदस्य के अनुरोध अनुसार यह ध्यानाकर्षण आगामी दिवस में लिया जाएगा.
12.13 बजे ध्यान आकर्षण
श्योपुर जिले के अनेक ग्रामों में चकबंदी को निरस्त कर काबिज भूमि के आधार पर राजस्व अभिलेख में नाम दर्ज न किया जाना
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री दुर्गालाल विजय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जमीन उन किसानों के नाम हैं ही नहीं जो किसान वहाँ पर काबिज हैं फिर खाद-बीज लेने में और केसीसी में कठिनाई क्यों नहीं आएगी मंत्री जी बतायें? क्योंकि केसीसी या खाद-बीज का लेन-देन तो खातों में दर्ज नाम के आधार पर ही होगा. दूसरी बात मैं यह पूछना चाहता हूँ कि यह अधिसूचना कब जारी हुई है और माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले लगातार दस वर्षों से यह आश्वासन दिया जा रहा है कि इसमें कार्यवाही प्रचलित है और पिछले समय जब यह आया था उसको भी एक वर्ष हो गया है उस समय आपने एक वर्ष के अंदर इस कार्य को पूर्ण करने का आश्वासन दिया था. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि एक तो अधिसूचना जारी करने की तारीख बतायें दूसरा इसको कब तक शासकीय कागजातों में अमल करके इसका क्रियान्वयन हो जाएगा इसकी समय सीमा निश्चित करें.
श्री उमाशंकर गुप्ता--- माननीय अध्यक्ष महोदय, सूचना की तारीख तो मैंने उत्तर में पढ़ी है, 7 फरवरी 2017 से अधिसूचना जारी हो गई है, मेरे उत्तर में मैंने पढ़ा था और इसलिए तकलीफ नहीं है कि अभी वह काबिज हैं. सवाल त्रुटि सुधार का है.वर्ष 1960 में जो चकबंदी हुई थी उसके कारण स्थान का परिवर्तन, रकबे का नंबर परिवर्तन इत्यादि हुआ था तो इसके कारण कोई दिक्कत नहीं है. वह अभी खेती पर काबिज हैं, खेती कर रहे हैं और कोई ऐसी बात नहीं है लेकिन हाँ, यह जल्दी होना चाहिए. हमने कोशिश भी की है लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, आप जानते हैं कि साल भर में करने का हमने प्लान भी बनाया था, काम चल भी रहा है लेकिन हमारे पास पटवारी, आरआई की संख्या भी कम है और बहुत से काम हमारे पास बीच में आ जाते हैं. कहीं ओलावृष्टि का काम, कहीं क्षतिपूर्ति का काम आ जाता है. इस कारण थोड़ा विलंब हुआ है. लेकिन वह काम चल ही रहा है और हमने आज ही कलेक्टर को निर्देश दिये हैं कि उसको बहुत जल्दी पूरा करा दें. लेकिन अगर किसी किसान को जिन कामों में कोई तकलीफ बता रहे हैं अगर वह स्पेसीफिक मुझे बता देंगे तो तकलीफ हम नहीं आने देंगे और इस काम को भी जल्दी पूरा करा लेंगे.
श्री दुर्गालाल विजय-- अध्यक्ष महोदय, सब किसानों को तकलीफ है,स्पेसीफिक क्या बताएंगे. अध्यक्ष महोदय, जमीन दूसरों के नाम है अब हमको कैसे लोन मिलेगा, किस प्रकार से हमें खाद बीज लेने का मौका मिलेगा. इसमें कोई स्पेसीफिक बताने की आवश्यकता नहीं है और यह बात वर्ष 2007 में तय हो गई थी कि इसको 6 महीने में करा देंगे तब श्री नारायण सिंह कुशवाह जी राजस्व मंत्री थे उस समय तय हुआ था कि इसको हम 6 माह में कर देंगे तबसे लेकर अभी तक 10 वर्ष का समय गुजर गया लेकिन अभी तक तो कुछ हुआ नहीं है मेरा निवेदन है कि आप समय सीमा बतायें कि कब तक आप ठीक कर देंगे.साथ ही सरकार का यह जवाब कि हमारे अमला नहीं है पटवारी नहीं, गिरदावर नहीं है तो क्या होगा किसानों का? यह मेरा निवेदन है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय, जो वास्तविकता है वह मैंने बताई है. 9235 पटवारी हम भर्ती कर रहे हैं और वहाँ जो समस्या क्रय-विक्रय में आती है वह आदिवासी जमीन के कारण आती है लेकिन मैंने कहा है क्योंकि जमीन तो उनके पास है ही.
श्री दुर्गालाल विजय-- अध्यक्ष महोदय, बात पटवारियों की भर्ती की नहीं है. बात यह है कि पांच गांवों किसानों का आप कब कितने समय में निश्चित कर देंगे. इसकी कोई समय सीमा बता दीजिये.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय,एक साल में कर देंगे.
श्री दुर्गालाल विजय-- अध्यक्ष महोदय, एक साल का आश्वासन तो मंत्री जी पहले ही दिया हुआ है. एक वर्ष का तो पहले से ही कह रखा है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय,वर्ष 2007 से चल रहा है रेवेन्यू में हमने काफी परिवर्तन लाये हैं.
श्री दुर्गालाल विजय-- अध्यक्ष महोदय,एक साल तो आपकी विज्ञप्ति जारी होकर हो गये हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय, मेरा वही कहना है कि हम जल्दी कर देंगे साल भर का आश्वासन तो पिछला दिया ही हुआ है.
श्री दुर्गालाल विजय-- अध्यक्ष महोदय, साल भर ज्यादा है छह महीने का आश्वासन दे दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- आप असत्य आश्वासन क्यों दिलवाना चाहते हैं. मेरा यह कहना है कि जो अमला काम कर रहा है..
श्री दुर्गालाल विजय-- अध्यक्ष महोदय, इसमें असत्य आश्वासन देने का कोई प्रश्न ही नहीं है. सवाल यह है कि अगर एक साल बाद नहीं होगा तो इसका क्या अर्थ निकलेगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप तो बीच का कर दें, वह छह महीने की कह रहे हैं, आप साल भर की कह रहे हैं तो आप मंत्री जी नौ महीने में कर दें, कम से कम इस कार्यकाल में यह काम हो जाएगा.
श्री दुर्गालाल विजय-- अध्यक्ष महोदय,इस कार्यकाल में तो करना ही चाहिए एक साल बाद करने का क्या अर्थ.पिछले समय भी आपने एक साल का कहा था.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय, छह महीने के पहले ही करवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, दूसरी बात यह है कि यह समस्या जहाँ-जहाँ चकबन्दी हुई है वहाँ सब जगह है. हमारे जिले में भी यह समस्या है और रिकार्ड दुरुस्त नहीं हो रहा है. अभी जो रोड निकल रही है तो कंपनसेशन दूसरे के नाम जमा होगा तो यह समस्या सब जगह है मैं तो आपको स्पेसीफिक बता रहा हूं. कृपा करके आप इसको सारे प्रदेश में एक अभियान के रूप में लें.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय, इसको हम करेंगे और प्रदेश में जगह-जगह यह काम चल भी रहा है लेकिन कई जगह तकलीफ है.
श्री दुर्गालाल विजय-- धन्यवाद मंत्री जी.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने भी इसी में ध्यानाकर्षण लगाया था.
अध्यक्ष महोदय-- अब उन्होंने कहा है सब जगह के लिए.
12.21 बजे
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति एवं स्वीकृति.
याचिका समिति के अट्ठावनवें, उनसठवें एवं साठवें प्रतिवेदनों की प्रस्तुति.
श्री इन्दर सिंह परमार, सदस्य-- अध्यक्ष महोदय, मैं, याचिका समिति का याचिकाओं से संबंधित अट्ठावनवाँ, उनसठवाँ एवं साठवाँ प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.
12.22 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति.
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्य सूची में सम्मिलित सभी याचिकाएँ प्रस्तुत की हुई मानी जाएँगी.
12.23 बजे
वक्तव्य.
दिनाँक 28 मार्च, 2017 को पूछे गए अतारांकित प्रश्न संख्या 176 (क्रमांक 7543) के उत्तर भाग (क) एवं (घ) में संशोधन संबंधी.
अध्यक्ष महोदय-- अब डॉ.गौरीशंकर शेजवार, वन मंत्री, दिनाँक 28 मार्च, 2017 को पूछे गए अतारांकित प्रश्न संख्या 176 (क्रमांक 7543) के उत्तर भाग (क) एवं (घ) में संशोधन करने के संबंध में वक्तव्य देंगे.
वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनाँक 28.3.2017 की प्रश्नोत्तर सूची के पृष्ठ क्रमांक 288 में मुद्रित अतारांकित प्रश्न संख्या 176 (क्रमांक 7543) में, मैं निम्नानुसार संशोधन करना चाहता हूँ--
प्रश्नोत्तर सूची में मुद्रित उत्तर के भाग "क" एवं "घ" के स्थान पर कृपया निम्नानुसार संशोधित उत्तर पढ़ा जावे--
12.25 बजे
12.26 बजे
12.27 बजे
9. वर्ष 2018-2019 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
(1) मांग संख्या - 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले)--अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करती हूँ कि 31 मार्च, 2019 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को--
अनुदान संख्या - 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के लिए दो हजार पांच सौ
अट्ठानबे करोड़, तीन लाख सत्तर हजार रुपए
तक की राशि दी जाए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अब, इस मांग पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तु किए जाने हेतु सहमति देंगे उनके ही कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जायेंगे.
मांग संख्या - 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी
श्री आरिफ अकील 2
श्री नीलेश अवस्थी 6
श्री मधु भगत 11
श्री रामनिवास रावत 12
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब, मांग और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 20, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की अनुदान की मांगों पर कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्तमान में मध्यप्रदेश में पेयजल की जो स्थिति है, हर जिले में पानी का संकट है. पानी से स्त्रोतों का अतिदोहन हुआ है जिसके कारण हर जगह भू जल का स्तर बहुत नीचे चला गया है. चाहे वह गांव में हैण्डपंप या ट्यूबवेल की बात हो या फिर शहरी क्षेत्र में भी कुछ जगह 2-3 दिन में एक बार पानी आता है और कई शहरों में हफ्ते में एक बार पानी आता है. जिसके कारण मध्यप्रदेश के आम नागरिकों के भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. मैं मानता हूँ कि विभाग की उपेक्षा और गलतियों से यह स्थिति पैदा हुई है. मैं सदन का ध्यान इस बात की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ कि वर्तमान में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग पर चर्चा हो रही है और इस विभाग से संबंधित बहुत कम अधिकारी आज सदन की अधिकारी दीर्घा में मौजूद हैं. इस पर भी माननीय मंत्री महोदया को विशेष ध्यान देना चाहिए. यह गंभीर बात है. पूरे वर्ष के बजट पर चर्चा हो रही है. विभाग से बहुत कम अधिकारी यहां पर उपस्थित हैं. अध्यक्ष महोदय आप भी इस बात को नोट करें.
अध्यक्ष महोदय--इतनी लंबी चर्चा इस पर नहीं होती है. मंत्री जी बैठी हैं.
श्री रामनिवास रावत--मंत्री जी सक्षम हैं पूरे प्रदेश को पानी पिला रही हैं.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी प्रार्थना है यह कभी परम्परा नहीं रही है कि हम अधिकारी दीर्घा की चर्चा करें. मैं माननीय सदस्य से आपत्ति नहीं कर रहा हूँ. मैं तो अध्यक्ष महोदय से कह रहा हूँ कि हम अप्रत्यक्ष रुप से उनसे क्यों बात करें. जब मंत्री और माननीय सदस्य यहां मौजूद हैं तो जो कुछ कहना है इनसे ही कहें. अब यह विभाग की व्यवस्था है. मंत्री हमारी इतनी योग्य हैं, स्वयं लिख रही हैं, उन्हें दुनिया का ज्ञान है वे आपका जवाब देंगी.
श्री जयवर्द्धन सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग राज्य सरकार का ऐसा पहला विभाग है जो वेंटिलेटर पर आ चुका है. पिछले दिनों नीति आयोग के सदस्य रमेशचन्द्र जी ने मध्यप्रदेश का दौरा किया था. उन्होंने इस बात का उल्लेख किया था कि मध्यप्रदेश में 61 प्रतिशत आबादी के घरों में पेयजल की व्यवस्था नहीं पहुंच पा रही है. यह बहुत गंभीर विषय है. 21 प्रतिशत घरों में आज भी पेयजल की व्यवस्था नहीं है. यह बात नीति आयोग ने उठायी है. यह संख्या सबसे अधिक मध्यप्रदेश में है. जबकि गुजरात में 95 प्रतिशत घरों में पेयजल की उपलब्धता है. छत्तीसगढ़ में भी 50 प्रतिशत से अधिक घरों में पेयजल की उपलब्धता है. मध्यप्रदेश में इतनी खराब स्थिति क्यों है इस पर मंत्री महोदया जब अपना भाषण दें तो उसमें इसका उल्लेख करें.
अध्यक्ष महोदय, इस बार बजट में ग्रामीण जल आपूर्ति के लिए लगभग 1051 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है. मैं मद क्रमांक-1201, 1202 एवं 1203 का उल्लेख करना चाहूंगा. जिनमें विदेशी सहायता के माध्यम से कुल 450 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है. ग्रामीण समूह में जल प्रदाय योजना हेतु. मैं मंत्री महोदया से निवेदन करुंगा कि वे अपने भाषण में उल्लेख करें कि जो विदेशी मद से पैसा मिल रहा है यह किन-किन योजनाओं के लिए उपयोग किया जाएगा. यह अच्छी बात है कि बाहर से पैसा मिल रहा है. कौन-कौन सी बड़ी परियोजनाएं जिनके माध्यम से जल स्तर बेहतर हो सके जिसके माध्यम से पानी की उपलब्धता और बेहतर हो सके. वे कौन-कौन सी योजनाएं हैं उनके बारे में आप जरुर उल्लेख करना. जिस प्रकार से इस बार लगभग 1000 करोड़ रुपए ग्रामीण जल के लिए और पूंजीगत व्यय 2000 करोड़ रुपए दिया गया है. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का जो वार्षिक प्रतिवेदन है उसमें पिछले 3 साल में कितनी राशि विभाग को आवंटित हुई, कितनी राशि का उपयोग हुआ उसके बारे में मैं सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ. वर्ष 2014-2015 में कुल 1470 करोड़ रुपए की राशि आवंटित हुई थी जिसमें से 325 करोड़ रुपए व्यय नहीं हो पाया. वर्ष 2015-2016 में 1160 करोड़ रुपए की राशि आवंटित हुई थी जिसमें से 375 करोड़ रुपए के आवंटन का व्यय नहीं हो पाया था. वर्ष 2016-2017 में 2000 करोड़ रुपए में से सिर्फ 473 करोड़ रुपए ही खर्च हो पाए. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका मतलब है कि विभाग तीन साल में कुल जितनी राशि नहीं खर्च कर पाया वह लगभग 2000 करोड़ रुपए तक है. इसीलिए आज यह स्थिति है कि इतना सारा पैसा पी.एच.ई. के लिए आवंटित किया जा रहा है लेकिन उसमें से भी पिछले तीन, चार सालों में लगभग 2 हजार करोड़ रुपए बर्बाद हो गए हैं. इसी प्रकार से राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम में हर साल जो आवंटन है वह कम होता गया. ऐसा क्यों हुआ? जबकि केन्द्र से हमारी मांग होनी चाहिए कि हर साल केन्द्र के माध्यम से आवंटन में वृद्धि हो. राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम में वर्ष 2014-2015 में 540 करोड़ रुपए दिये गये थे. वर्ष 2015-2016 में राशि 500 से 365 करोड़ हो जाती है और वर्ष 2016-2017 में उससे कम 300 करोड़ रुपए दिया गया. इस राशि से, इस मद से भी लगभग 200 करोड़ रुपए ऐसे हैं जो विभाग खर्च नहीं कर पाया है. मैं माननीय मंत्री महोदया से विशेष रूप से निवेदन करूंगा कि इस पर भी विभाग केन्द्र के साथ आपत्ति दर्ज करे कि इसमें और राशि विभाग को क्यों नहीं दी गई. हम इसमें केन्द्र के माध्यम से मांग करें कि इसमें भी प्रदेश को और राशि दी जाए क्योंकि वर्तमान में 18 जिलों में सूखा घोषित हुआ है. 138 तहसीलें ऐसी हैं जहां पर सूखा घोषित हुआ है. साथ में ऐसे अन्य जिलों में भी जहां पर सूखा घोषित नहीं हुआ है वहां पर भी वर्तमान में भारी जल संकट है. मेरा विभाग से विनम्र आग्रह है कि पूरी राशि खर्च हो और ठीक से खर्च हो. नियमानुसार प्रतिव्यक्ति पेयजल की उपलब्धता 55 लीटर होनी चाहिए. रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि आज भी लगभग 20 हजार ऐसी बसाहटें हैं जहां पर पर्याप्त पेयजल 55 लीटर प्रति हाऊस होल्ड आज तक नहीं मिल रहा है. एक और जो बहुत बड़ी समस्या मध्यप्रदेश में है वह पानी में अधिक फ्लोराइड कन्टेन्ट की है और यह समस्या अधिकतर आदिवासी बस्तियों में है. वर्ष 2016-2017 में ऐसी लगभग 100 बसाहटें थीं जहां पर फ्लोराइड की समस्या थी जिसके कारण यह पानी काफी हानिकारक रहता है. आश्चर्य की बात यह है कि जो शासकीय प्रतिवेदन इस साल का दिया गया है उसमें इन बसाहटों की संख्या बढ़ गई है. अब लगभग 170 ऐसी बसाहटें हैं जहां पर आज भी फ्लोराइड कन्टेन्ट पानी में अधिक है. यह सब ऐसे बिंदु हैं जो शासकीय प्रतिवेदन में शामिल हैं. मेरा माननीय मंत्री महोदया से निवेदन है कि हम एक ऐसी योजना चलाएं जिसके माध्यम से पूरे मध्यप्रदेश में पेयजल फ्लोराइड से मुक्त हो क्योंकि यह एक बड़ा मुद्दा है जिसके कारण जो हमारे आदिवासी भाई बंधु हैं उनको इससे काफी सहायता मिलेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मानता हूं कि पी.एच.ई. विभाग में सबसे बड़ी समस्या अगर कोई है और जो पूरे संकट की जड़ है वह एक नियम है जिसके बारे में प्रतिवेदन में भी उल्लेख किया गया है. उसमें यह लिखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्र में जो नलजल योजनाएं हैं उनका संचालन और उनका संधारण का पूरा दायित्व ग्राम पंचायतों को है. मैं मानता हूं कि यह बहुत गलत नियम है क्योंकि वर्तमान में जो स्थिति ग्राम पंचायतों की है. ग्राम पंचायतों के पास पर्याप्त साधन नहीं हैं जिनके माध्यम से वह खराब नलजल योजना को ठीक कर सकें, हैण्डपम्प को ठीक कर सकें. कल जब ग्रामीण विकास विभाग की चर्चा हो रही थी उस समय भी उसके बारे में चर्चा हुई थी. इसमें भी मैं माननीय मंत्री महोदया से निवेदन करूंगा कि पी.एच.ई. विभाग के जो कर्मचारी हैं उनकी पर्याप्त संख्या में हर तहसील में उपस्थिति नहीं है और अगर पंचायतों का काम सौंपा जाता है अभी जो काम सौंपा गया है पंचायतों के पास भी पर्याप्त ऐसे इंजीनियर नहीं हैं जिनके माध्यम से पेयजल व्यवस्था ठीक हो सके और इसी कारण जब भी प्रश्न आते हैं नलजल योजनाओं के बारे में और जब भी विधायकों के द्वारा यह पूछा जाता है कि वर्तमान में तहसील में, ब्लॉक में या विधानसभा में जो चालू हैं ऐसी कितनी नलजल योजनाएं हैं तो विभाग से उत्तर आता है कि 100 में से 90 चालू हैं जबकि वास्तविकता यह होती है कि 100 में से 90 बंद होती हैं और मुश्किल से पांच या दस चालू होती हैं. यह इसीलिए हो रहा है कि वर्तमान में संचालन का पूरा काम पंचायतों को दिया गया है. जबकि मैं मानता हूं कि पूरी नलजल योजना की देखरेख, उसका संचालन का काम पी.एच.ई. विभाग को खुद करना चाहिए. क्योंकि उनके पास विशेषज्ञता है, उनके पास ऐसे इंजीनियर्स हैं जो यह काम कर सकते हैं. मैं मंत्री महोदया से निवेदन करूंगा कि इस पर विभाग विशेष ध्यान दे. पिछले चार पांच सालों में भ्रष्टाचार के कुछ ऐसे बड़े मुद्दे सामने आए हैं उन पर भी माननीय मंत्री महोदया को विशेष ध्यान देना चाहिए. शिवपुरी में एक मुद्दा आया था जहां पर ऑनलाईन टेंडर जिसका कम से कम दस दिन का समय होना चाहिए वह 25 मिनट बाद ही क्लोज़ हो गया था. इसका उल्लेख सी.ए.जी. रिपोर्ट में हुआ है. कुछ साल पहले अनूपपुर में मोटर और पाईप का एक बहुत बड़ा घोटाला हुआ था. जिसमें पी.एच.ई. विभाग के कुछ इंजीनियर और कुछ कर्मचारी भी सस्पेंड हुए थे और मेरा आरोप है कि इस प्रकार का घोटाला अन्य जिलों में हो रहा है, अन्य ब्लॉक में हो रहा है. जहां पर जो सबडिवीजन ऑफिसर है या फिर जो पी.एच.ई. का इंजीनियर है उनकी पाईप और मोटरों के सप्लायरों के साथ मिलीभगत है. उनके रिश्तेदार की दुकानें हैं जहां से टेंडर होता है और वह बहुत कमाते हैं. मेरा माननीय मंत्री महोदया से विशेष आग्रह है कि जिलों में कौन-कौन सी कंपनियां हैं जो पाईप सप्लाई कर रही हैं. कौन-कौन सी कंपनियां हैं जिनके द्वारा मोटर की सप्लाई हो रही है उन पर एक बार फिर पूरा सर्वे हो उनकी निगरानी हो. हर जिले में ऐसे लोग हैं जो इसमें अनाप-शनाप कमीशन कमा रहे हैं. मेरा ऐसा मानना है कि इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे दो सुझाव हैं जिन पर मैं माननीय मंत्री महोदया का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. सबसे पहले जल स्तर को और ऊपर करने के लिए हमें बहुत विशेष ध्यान देना चाहिए. ऐसे बहुत सारे जिले हैं, बहुत सारी तहसील हैं, बहुत सारे गांव हैं जो पानी के स्त्रोत के पास बसे हैं लेकिन वहां भी पानी का संकट आता है. वहां पर जहां पर कोई ऐसा बड़ा डेम हो, बड़ा तालाब हो, बड़ी नदी हो तो उसके द्वारा हम पानी कैसे लिफ्ट कर सकते हैं उसके द्वारा कैसे बेहतर पेयजल व्यवस्था हो सकती है उसके बारे में माननीय मंत्री महोदया कुछ विचार करें. कुछ ऐसी परियोजनाएं इसमें शामिल हों जिसके द्वारा बडे़ डेमों के माध्यम से, बड़े तालाब के माध्यम से, नदियों के माध्यम से पानी लिफ्ट करके पेयजल की व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्र में मिल पाए उस पर विशेष ध्यान दिया जाए. साथ में मैं मानता हूं कि सिर्फ अधिक हैण्डपम्प बोर करने से, ट्यूबवेल बोर करने से समस्या का हल नहीं होगा. हमको साथ में इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वॉटर शेड के माध्यम से हम जल स्तर को और बेहतर कैसे कर सकते हैं इसके लिए एक अंडरग्राउंड स्टडी हो कि एक्वाफोर्स कहां-कहां पर हैं, ऐसी केविटीज़ कहां पर हैं जिसमें बारिश के समय पानी वापस डायवर्ट हो सके. अगर हम ऐसी स्टडीज़ करेंगे तो उसके माध्यम से विभाग के द्वारा हम पहचान कर पाएंगे कि कहां-कहां पर पानी का जल स्तर बेहतर हो रहा है. और कहां-कहां पर सक्सेसफुल बोर हो सकता है क्योंकि इस साल लगभग जनवरी, फरवरी में ही पानी का स्तर बहुत नीचे चला गया है. इसीलिए इस बार हर गांव में पानी का संकट है, हर गांव में कहीं न कहीं ट्यूबवेल फेल हो चुकी है, हैण्डपम्प खराब हो चुका है और अगले तीन महीने भी विशेषकर मार्च तो आधा खत्म हो ही गया है लेकिन अप्रैल, मई और जून में भी पानी का संकट और बहुत गंभीर होने वाला है. जिस पर मैं माननीय मंत्री महोदया से आग्रह करूंगा कि वह उनके भाषण में हमको ऐसे सुझाव दें जिसके द्वारा दीर्घावधि के लिए ऐसे सुझाव मिले जिसके माध्यम से हमारे पूरे मध्यप्रदेश में जल स्तर बेहतर हो. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- श्री हेमंत विजय खण्डेलवाल. श्री के.के. श्रीवास्तव.
श्री के.के. श्रीवास्तव (टीकमगढ़)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 20 में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा प्रस्तुत मांगों का समर्थन करता हूं. ग्रामीण क्षेत्रों में हैण्डपंप और नल-जल योजनाओं के माध्यम से पेयजल उपलब्ध करवाया जा रहा है. हम सभी जानते हैं कि जल स्तर निरंतर अवर्षा के कारण जमीन के अंदर नीचे खिसकता चला जा रहा है. लगभग 3 मीटर, इसी वर्ष भू-जल नीचे चला गया है इसलिए अब भू-जल पर हमें अपनी निर्भरता कम करनी पड़ेगी और सतही जल का प्रबंधन करने की संरचनायें ज्यादा से ज्यादा निर्मित करनी पड़ेंगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग इस दिशा में व्यापक स्तर पर काम कर रहा है. मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की इसी सरकार ने यह चिंता की कि कैसे सतही जल का उपयोग अधिक से अधिक संरचनायें खड़ी करके हम कर सकते हैं. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की तरफ से एक जल-निगम बनाया गया है. इस जल-निगम के माध्यम से समूह नल-जल योजनाओं की एक श्रृंखला पूरे प्रदेश में खड़ी की गई हैं. इन श्रृखंलाओं में चाहे सीहोर जिले की मरदानपुर, रायसेन जिले की उदयपुरा, देवास जिले की पुंजापुरा, बालाघाट जिले की भटेरा एवं पीपरझिरी, सिवनी जिले की झुरकी, बड़वानी जिले की तलुनखुर्द, छिंदवाड़ा जिले की मोहखेड़, ये सारी समूह जल प्रदाय योजनायें हैं और इन्हें जल प्रदाय योजना के तहत प्रारंभ कर लिया गया है. इसके अतिरिक्त राजगढ़ जिले की कुण्डलिया, मोहनपुरा, पहाड़गढ़, पन्ना जिले की पवई, सतना जिले की सतना बाणसागर समूह जल प्रदाय परियोजनायें. इन सभी परियोजनाओं की संरचनायें भू-जल से हटकर सतही जल खड़ी की गई हैं और ये नल-जल योजनायें तैयार की गई हैं. इसी तरह से शहडोल जिले की गोहपारू, ब्यौहारी, उमरिया जिले की बल्लोढ़ समूह जल प्रदाय योजनाओं का भी शीघ्र काम प्रारंभ किया जा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम इसके लिए गौरवान्वित हैं. टीकमगढ़ जिले में निवाड़ी की समूह जल प्रदाय योजना का कार्य अंतिम चरण में है. निकट भविष्य में इस योजना से हम जल प्रदाय करने की स्थिति में हैं और टीकमगढ़ जिले में ही बानसुजारा, बांध परियोजना, 526 गांव, जिसमें 4 विधान सभा क्षेत्रों को सम्मिलित किया गया हैं. 974.54 करोड़ रुपये की स्वीकृति इस योजना हेतु मिली है लेकिन जल संसाधन विभाग द्वारा पानी की इतनी उपलब्धता नहीं होने के कारण हमें इसमें दो चरण करने पड़े. दो फेस में हम इसका कार्य करेंगे. जिसमें से 201 गांवों के लिए 270 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है, जो 10 एम.सी.एम. पानी पर है. धसान नदी से बानसुजारा का कार्य प्रारंभ होगा. वित्तीय प्रबंधन के संयोजन करने की बात मंत्री महोदया ने मेरे ध्यानाकर्षण में उस समय कही थी और मैं फिर मंत्री महोदया से आग्रह करता हूं कि बुंदेलखण्ड सूखा प्रभावित है. यह एक सूखा जिला है और बुंदेलखण्ड के 201 गांवों में पीने के पानी संकट न हो पाये. आपकी व्यवस्थायें ठीक चल रही हैं. नल-जल योजनायें हों या छोटे-छोटे हैण्डपंपों का बसाहटों में संचालन और संधारण करने का कार्य, बेहतर स्तर पर चल रहा है लेकिन 55 लीटर पानी, गांव में प्रति व्यक्ति हम कैसे उपलब्ध करवा पायें इसकी दिशा में हमें इस योजना को शीघ्र संचालित करने के लिए बजट के आवंटन की आवश्यकता है इसलिए इसे भी बजट में शामिल कर लिया जाये. 526 गांवों में से 201 गांवों के बाद शेष गांवों के लिए इसी धसान नदी पर नीचे गणेशपुरा बैराज बनाने की आवश्यकता है. इस हेतु मध्यप्रदेश शासन के अधिकारी-कर्मचारी वर्क-आउट कर रहे हैं. मुझे विश्वास है कि शीघ्र ही हम गणेशपुरा का कार्य भी प्रारंभ कर लेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण क्षेत्रों में नल-जल योजनाओं के माध्यम से घरेलू कनेक्शन का प्रावधान एक बड़ी ही विचित्र बात है. पहले इसकी कोई कल्पना भी नहीं थी. प्रतिपक्षी दल अभी इस बारे में बात कर रहे थे. आरोप लगाना बहुत आसान है. यदि ये लोग एक पार्ट भी पूरा कर देते, यदि ये सतही जल संधारित कर संरचनायें खड़ी कर देते तो हम केवल नल-जल योजनाओं के माध्यम से लोगों को पानी पिला सकते थे लेकिन इन्होंने तो कुछ किया ही नहीं. सारा काम हमें ही करना पड़ रहा है. हमारी सरकार को करना पड़ रहा है. आज ये लोग बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं और खुद कुछ किया नहीं.
श्री सुखेन्द्र सिंह- बरसात करवा दो भाई.
श्री के.के. श्रीवास्तव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहूंगा कि हमारी सरकार के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा पेयजल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु ग्राम पंचायतों को ''फील्ड टेस्ट किट'' उपलब्ध करवा रही है.
12.50 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
श्री के.के. श्रीवास्तव- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पंचायत प्रतिनिधियों को फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से कैसे पानी की गुणवत्ता की जांच की जाये, इस हेतु प्रशिक्षित भी किया गया है. मुख्यमंत्री ग्राम नल-जल योजना से मेरे क्षेत्र की जनता को घरेलू कनेक्शन के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध होगा. इसके लिए मैं हमारे प्रदेश की मंत्री महोदया एवं उनकी टीम को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने एक बहुत बड़ी योजना बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध करवाने की व्यवस्था बनाई है. छोटी-छोटी बसाहटों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा नल-जल योजनाओं एवं हैण्डपंप संधारण की व्यवस्था बनाई गई है, उसके लिए बजट की आवश्यकता तो पड़ेगी ही और बजट कम न पड़े इसलिए मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया से निवेदन करना चाहूंगा कि इसके लिए भी बजट की उपलब्धता सुनिश्चित कर दी जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, टीकमगढ़ जिले में वर्ष 2017-18 में अभी तक 203 बसाहटों में नलकूपों का खनन कर हैण्डपंप स्थापित किए गए हैं. जिससे इन बसाहटों में ग्रामीणों को 55 लीटर प्रति व्यक्ति मापदण्ड के हिसाब से पेयजल की आपूर्ति करने की दिशा में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग कार्य कर रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने टीकमगढ़ जिले की बात कर रहा हूं जहां हमने ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से भी नल-जल योजनाओं को ठीक किया और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सहयोग से हैण्डपंपों का संधारण, नई योजनायें- मिशन भागीरथी चलाकर हमने टीकमगढ़ जिले में 107 पानी की टंकियां, अपनी विधायक निधि के माध्यम से बनवाई हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि केवल काम करने की आवश्यकता है. यदि दो किलोमीटर दूर भी कहीं पानी मिलता है तो हमारे लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की टीम, हमारी जनपद पंचायत की टीम एवं सारे लोगों ने मिलकर उस दिशा में काम किया और बसाहटों में, गांवों में चौक-चौराहों में पानी की व्यवस्था की गई है. मैं मानता हूं टीकमगढ़ जिले में हम घर-घर पानी नहीं पहुंचा पाये लेकिन हमने गांवों के चौक-चौराहों में पानी को पहुंचाने का प्रयास किया है. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की टीम हमें निरंतर सहयोग करती है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि समूह नल-जल की जो भी योजनायें बन रही हैं, उनके लिए बजट की कोई कमी न रहे. सिंचाई के लिए हम साधन उपलब्ध करवायें लेकिन सिंचाई करने वाले लोग कैसे रहेंगे, वे कैसे जीवित रहेंगे, यह पहले देखने की आवश्यकता है इसलिए उनके लिए पेयजल की व्यवस्था हो. मैं कहना चाहता हूं कि सिंचाई की संरचनायें भी खड़ी हों और साथ ही पीने के पानी की उपलब्धता के लिए भी बजट में कोई कमी न आये. इस पर भी मंत्री महोदया को काम करने की आवश्यकता है एवं बजट में प्रावधान करने की आवश्यकता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जिस द्रुतगति से वर्तमान समय में काम कर रहा है, उसके लिए मैं विभाग की पूरी टीम और मंत्री महोदया को धन्यवाद देते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा. आपने मुझे समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय- श्री रामपाल सिंह. श्री फुन्देलाल सिंह मार्को.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्तमान में पूरे प्रदेश के विभिन्न तहसील, ब्लॉकों में सूखे की स्थिति निर्मित हुई है और कम वर्षा के कारण पेयजल के संकट की स्थिति बनी है. खासकर जंगल, पहाड़ों में निवासरत ऐसे जनजाति समुदाय के लोग, जो मजरे-टोलों में 5-10-20 घरों के समूह बनाकर निवास करते हैं उन बसाहटों में सबसे ज्यादा पेयजल की समस्या है. मेरे द्वारा कई बार इस विषय पर इस सदन के माध्यम से विभाग और मंत्री महोदया का ध्यान आकर्षित किया गया है और पिछले बजट सत्र में भी मेरे द्वारा अनुरोध किया गया था कि आप कृपा करके उन जनजाति समुदाय के लोगों के लिए कुछ विचार करें जो वर्षा के पानी पर निर्भर हैं, जल स्त्रोतों पर निर्भर हैं एवं सतही जल में कुंए, बावडि़यों से निस्तार करते हैं, वर्षा कम होने के कारण ऐसे स्त्रोत धीरे-धीरे सूखते जा रहे हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री महोदया से पुन: निवेदन है कि आप कृपा करके जहां 10-15-20 घरों की बसाहटें हैं उन बसाहटों में पेयजल के लिए कम से कम एक-एक हैण्डपंप का खनन करवा दें और वहां क्षेत्र में कई बार अधिकारियों ने भ्रमण भी किया है, इसके प्रस्ताव भी बनाये गये. परन्तु पता नहीं वह प्रस्ताव कहां जाते हैं और उन प्रस्तावों को कब स्वीकृति प्रदान की जायेगी ? यह कार्यालयों में लंबित पड़े रहते हैं. मैं चाहता हूं कि जहां पर पहाड़ी क्षेत्र हैं, उन क्षेत्रों में खासकर के इस विषय पर सरकार को ध्यान देना चाहिये. वर्तमान में जो वर्षा की स्थिति है, वह बहुत कम है और जल स्तर दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है. इसलिये मैं चाहता हूं कि आपको यह जो संधारण का कार्य है, जिसको आपने ठेके पद्धति से देकर रखा है. वहां ठेकेदार को मोबाईल लगाते रहिये, विभाग को मोबाईल लगाते रहिये तो विभाग बोलता है कि काम ठेकेदार को दे दिया है और ठेकेदार का पता नहीं है. मैं यह चाहता हूं कि आप विभाग के मंत्री हैं और आपके विभाग का पूरा अमला कार्यरत है, जिस तरह से पहले विभाग के जो मैकेनिक हैं, कर्मचारी हैं, जिस काम के लिये आपने उनको पदस्थ किया है, उनको काम दिया है. कृपा करके आपने पूरे प्रदेश में जो ठेकेदारी पद्धति अपनाकर, नल संधारण का काम ठेके पर देकर रखा है, उसको परिवर्तित करिये. क्योंकि आपने जिन कामों के लिये विभाग में कर्मचारियों को पदस्थ किया है, वह काम उन कर्मचारियों से कराने का निर्देश दें.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा पिछले वित्तीय वर्ष में 51 गांव की किरगी जल-प्रदाय योजना हेतु आपने लगभग 60 करोड़ रूपये प्रदान किये थे, इसके लिये मैं आपको धन्यवाद भी देता हूं. लेकिन हमारी 81 गांव की जल-प्रदाय योजना, दमेहड़ी और मुख्यमंत्री महोदय जी की घोषणा भी है, अभी उप चुनाव में घोषणा भी करके आये थे कि यह 81 गांवों की दमेहड़ी सामूहिक जल-प्रदाय योजना को स्वीकृति प्रदान कर दी जायेगी और इसको गांव के लोग आशा की निगाहों से देख रहे हैं. वैसे भी मुख्यमंत्री जी घोषणावीर हैं. यह तो सभी लोग जानते हैं, लेकिन मैं सदन के माध्यम से आपको ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं कि चूंकि यह मेरे क्षेत्र का मामला है और आपने जनता के बीच में वादा किया है, इसलिये मैं संबंधित विभाग के मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि इस बार जब आप अपना उदबोधन करें तो 81 गांवों की दमेहड़ी सामूहिक जल-प्रदाय योजना का उल्लेख जरूरे करें और उसको स्वीकृति प्रदान करने का कष्ट करें.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र में आज भी 135 ऐसे मजरे-टोलों की बसाहटें हैं, जहां पर हैंड पंपों की व्यवस्था नहीं की गयी है. इसके संबंध में हमने विभागीय कर्मचारियों से सर्वे भी कराया है और विभाग को प्रस्ताव भी भेजा है, परन्तु आज दिनांक तक उसका खनन न होने से लोगों में काफी रोष व्याप्त है.हम चाहते हैं वहां भी आप तत्काल खनन कराकर, लोगों को सुविधा प्रदान करने का कष्ट करेंगे. हमारे यहां जो विभिन्न जल-प्रदाय योजना स्थापित हैं, उसमें कई ऐसे गांव हैं, ग्राम पंचायतें हैं, जहां पर नलजल योजना चलायी जा रही हैं, लेकिन उनके संधारण के अभाव में आपने उनको ग्राम पंचायत में समर्पित किया है. ग्राम पंचायत के पास अपनी कोई आय नहीं है, उनके आय के स्त्रोत न होने के कारण उन नलजल योजनाओं को चलाने वह असफल हैं, जिसके कारण बहुत सारी नलजल योजनाएं बंद पड़ी हुई हैं. हम चाहते हैं कि आप तत्काल कोई ऐसी व्यवस्था करें कि जो नलजल योजनाएं बंद पड़ी हैं, वह प्रारंभ हों. गर्मी के दिन प्रारंभ हो गये हैं, जिससे कि गांव के लोगों को शुद्ध पीने के पानी से निजात मिल सके. अभी बहुत सारी शिकायतें भी प्राप्त हुई हैं. लोग तरह-तरह की बातें भी कर रहे हैं कि आज पीएचई विभाग में जिस तरह से भ्रष्टाचार व्याप्त है,उस पर भी आप लगाम कसें, वैसे भी आप तेज-तर्रार मंत्री हैं, आप विभाग को कसकर रखिये. मेरे अनुपपूर जिले में अभी आदरणीय जयवर्द्धन सिंह जी बोल रहे थे कि (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय:- इसे विलोपित करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को:- एक हमारा ट्रायबल का कार्यपालन यंत्री है, उसके ऊपर दबाव बनाकर सारे काम कराये जा रहे हैं. उस पर भी आप निगाह रखें कि जिले में जितने भी कार्यपालन यंत्री हैं, वह काम कर रहे हैं, जो खासकर के ट्रायबल के लोग हैं वह काम करें. वह अपनी इच्छानुसार शासन की योजनाओं का लाभ नहीं दे पा रहे हैं. उन पर दबाव बनाकर के, शासन-प्रशासन की धौंस देकर के वहां स्थानीय लोग जो आपसे जुड़े हैं, वहां के ठेकेदार बने हुए हैं और वहां पर बहुत ज्यादा घपले हुए हैं. मैं चाहता हूं कि आप इसकी जांच करायें और जब भी जांच समिति बनायें तो जांच समिति में भी हम लोगों को भी शामिल करें. हम सही तथ्य सामने लाने का प्रयास करेंगे ताकि जिसके हित के लिये आपने योजना बनायी है और यहां से राशि भेजी जा रही है, उस राशि का वास्तव में सदुपयोग होना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय, पूरे अनुपपूर से कई कर्मचारियों को यहां मंत्रालय में अटैच कर के रखा है. हमारे यहां एक डोले नाम का एक उपयंत्री है, वह साल भर से यहां पर पदस्थ है. पता नहीं यहां पर कौन सा प्रोजेक्ट तैयार कर रहे हैं. अनुपपूर जो यहां से 750 किलोमीटर दूर है, वहां से यहां पर पदस्थ कर दिया है. हमारा आदिवासी क्षेत्र है, वहां पर कर्मचारियों की कमी है, ऐसे दुर्गम क्षेत्रों में जो लोग नहीं जाना चाहते हैं, ऐसे क्षेत्रों के कर्मचारियों को आपने मुख्यालय, भोपाल में संलग्न करके रखा है. सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश हैं और आपने ही आदेश जारी किये कि संलग्नीकरण समाप्त किया जाता है,फिर भी आपने उनको यहीं पर संलग्न करके रखा है. मैं चाहता हूं कि ऐसे कर्मचारी जो विभिन्न कार्यों में संलग्न हैं, जो क्षेत्र में काम न करके किसी न किसी रूप में यहां पर संलग्न हैं, उनको कार्यमुक्त करें. गर्मी के दिन आ रहे हैं, वह अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर काम करें, जिससे कि लोगों को वहां पर लाभ मिले, ऐसी मेरी आपसे अपेक्षा है. इन्हीं शब्दों के साथ मैं एक बार पुन: विनम्रतापूर्वक निवेदन करता हूं कि मेरे 81 गांवों की दमेहड़ी जल प्रदाय योजन, जो तीन वर्ष से लंबित है, वह आपकी अनुमति के बिना स्वीकृत होना संभव नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है, इसलिये उसे आज ही स्वीकृत करने की कृपा करने की करेंगे.आपने मुझे बोलने का समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.
1.03 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होना
उपाध्यक्ष महोदय:- आज भोजन अवकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गयी है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करेंगे.
1.04 बजे वर्ष 2018-19 की अनुदान मांगों पर मतदान (क्रमश:)
श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल(बैतूल):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 20 के समर्थन में अपनी बात कहना चाहता हूं. मैं आपके माध्यम से प्रदेश के मुखिया शिवराज जी और पीएचई मंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा कि आपने प्रदेश के 1 लाख, 28 हजार ग्रामीण बसाहटों में से 84 प्रतिशत बसाहटों को पानी उपलब्ध कराने का कार्य किया है. आपको इस बात के लिये भी बधाई देना चाहूंगा कि सोलर पंप आधारित, क्योंकि हर जगह बिजली नहीं पहुंच पाती है,छोटी-छोटी बसाहटों में आपने लगभग डेढ़ हजार योजनाओं को मंजूरी देने का काम किया है. मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल योजना में आपने लगभग 255 गांव की योजनाओं को बजट में शामिल किया है. इसके साथ ही साथ आने वाले भविष्य की योजनाएं, जिसमें सामूहिक नलजल योजनाएं, जिसमें कई गांवों को मिलाकर करोड़ों रूपये की योजनाएं, ऐसी आपकी 27 योजनाएं प्रस्तावित हैं. मेरे जिले की भी पारसडो आधारित योजना है उसके लिये भी मैं आपका धन्यवाद करता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं सरकार को इस बात के लिये धन्यवाद देना चाहता हूं कि पेयजल जैसी समस्या के लिये आपने पीएचई 2 हजार 986 करोड़ रूपये का बजट आवंटित किया है. ऐसी नलजल योजनाएं जो पीएचई विभाग के द्वारा संचालित हैं, उनके स्त्रोत सूख गये हैं. मैं पीएचई विभाग को धन्यवाद देना चाहूंगा कि इन सब योजनाओं में स्त्रोत के लिये आपने भरपूर राशि देने का काम कर रहे हैं.मेरा आपसे अनुरोध है कि ऐसी योजनाओं के लिये आप भरपूर राशि दे रहे हैं, लेकिन ऐसी योजनाएं जहां पर, आपकी योजनाएं नहीं हैं और वहां पर भी पानी का संकट है, यदि आप वहां पर भी ध्यान देंगे तो उचित होगा. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि पीएचई और ऊर्जा विभाग मिलकर, हमारे गांव की जो नल-जल योजनाएं हैं, उन्हें बिजली के बिल के बोझ के कारण कामर्शियल बिल देना पड़ता है, वे नहीं चल पातीं और इसलिए हम किसानों को सब्सिडी देते हैं तो पेयजल को भी हम सस्ते में बिजली दें, पीएचई के माध्यम से ऐसा अनुरोध सरकार से किया जाये, जिससे हमारी नल-जल योजनाएं बिजली के बिल के कारण बन्द न हो पाएं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से पीएचई विभाग से अनुरोध है कि हम अगर चर्चा करें तो मध्यप्रदेश ही नहीं, पूरे देश की करें. जमीन में जो पानी का स्तर है, वह लगातार कम हो रहा है. इसका कारण यह है कि पहले एक व्यक्ति को 20 से 25 लीटर पानी लगता था और आज आधुनिकता के कारण 100 से 150 लीटर एक व्यक्ति को पानी लग रहा है और भूजल स्तर लगातार कम होता जा रहा है. हम ट्यूबवेल खुदवाने का शॉर्ट टर्म काम तो कर लेते हैं, हमें लांग टर्म काम करने होंगे. अगर हम दीर्घकालीन उपाय नहीं करेंगे तो आने वाले समय में हम पेयजल समस्या से निपटारा नहीं पा पाएंगे. मेरा आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी और पीएचई मंत्री जी से अनुरोध है कि पहले तो पीएचई विभाग और पंचायत विभाग मिलकर, वाटर रिचार्जिंग के लिए एक अलग नीति बनाएं और उसके लिए एक अलग कोष पंचायतों को दें. मेरा आपसे अनुरोध है कि श्री राजेन्द्र सिंह जैसे कई एक्सपर्टस् हैं, जो जिलों में जाकर कार्यशालाएं लगा सकते हैं, जिससे वाटर रिचार्जिंग एक आंदोलन बन जाये. जैसे इस देश में सफाई आंदोलन बन गया. वाटर रिचार्जिंग एक आंदोलन बन जाये तभी हम इस समस्या से निपट पाएंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, महाराष्ट्र का एक जिला सिरपुर है. वहां पर मध्यप्रदेश के जिलों से आधा पानी गिरता है लेकिन वहां उन्होंने एक पैटर्न को अपनाया है. उन्होंने नदी-नालों को 6-6 मीटर गहरा किया और उसे 20 मीटर तक चौड़ा किया तथा श्रृंखलाबद्ध 6-7 डेम बनाए. उसमें जन सहयोग भी लिया, उसे पूरे देश में सिरपुर पैटर्न कहते हैं. हाइड्रोलॉजिस्ट श्री सुरेश खानापुरकर हैं, जिन्हें हमने बैतूल इन्वाइट किया था और इस पद्धति पर हम अपने बैतूल जिले में माइनिंग निधि और बाकी निधि से मिलकर काम करने जा रहे हैं. आज सिरपुर में मई और जून में भी सारे नदी-नाले बहते हैं, जो आज से 5-10 वर्ष पहले सूख जाया करते थे, हम उस पद्धति को भी अपनाएं. पीएचई में सभी विभागों का समन्वय बनाएं. अब मैं आपके माध्यम से आखिरी में अपने जिले की बात करना चाहूँगा. मेरे जिले में 22 नल-जल योजनाएं और 664 हैंडपम्प बन्द हो गए हैं, लगातार इनकी स्थिति बिगड़ती जा रही है क्योंकि इस वर्ष पानी कम गिरा है, उसके कारण लगातार भूजल स्तर कम होता जा रहा है तो हमारे जिले में 500 ट्यूबवेल की अनुमति दें, 6 से 8 इंच के ट्यूबवेल के लिए अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराएं. अगर यह राशि हमारे जिले को उपलब्ध हो जाती है तो हम इस समस्या से त्वरित निजात पा लेंगे. मैं अन्त में, आपके माध्यम से हमारी पीएचई मंत्री जी एवं माननीय मुख्यमंत्री जी से यह अनुरोध करूँगा कि मैंने जो सुझाव दिए हैं कि हम एक्सपर्ट की मदद लें, दीर्घकालीन उपायों पर विचार करें और पीने के पानी के लिए पूरे मध्यप्रदेश की समस्या को हल कर पाएंगे बल्कि पूरे देश में एक उदाहरण बनकर भी सामने आएंगे. मुझे अपनी बात को बोलने के लिए समय देने के लिए धन्यवाद देते हुए अपनी बात समाप्त करने की इजाजत चाहूँगा. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - धन्यवाद. श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर. श्री रजनीश हरवंश सिंह जी, प्रारंभ करें.
श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है. जल ही जीवन है और जल है तो कल है. मैं आपके माध्यम से आदरणीय मंत्री महोदया का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ कि मेरे यहां पर अपार जल की संभावना है और समूह नल-जल योजना भी माननीय मंत्री जी के द्वारा स्वीकृत की गई है. मैं अपनी ओर से एवं अपने क्षेत्र की जनता की ओर से उनका धन्यवाद भी ज्ञापित करता हूँ कि आपने मेरे क्षेत्र में जहां फ्लोराइड था, वहां पर तीन-तीन समूह नल-जल योजनाएं स्वीकृत कीं.
उपाध्यक्ष महोदय, सरकार और माननीय मंत्री जी तो यहां से योजनाओं को स्वीकृत कर देते हैं पर जो योजना 2016 में स्वीकृत होती है, उसका लगभग एक महीने पूर्व उसमें सिर्फ पाईप आने का काम चालू हुआ है. इतनी महत्वपूर्ण योजना है, जिनसे की कहीं 86 गांव, तो कहीं 189 गांव, तो कहीं पर 86 गांव, यदि कुल गांव मिलाएं तो 250-300 गांवों के लोगों को दो वक्त के पीने का पानी और निस्तार के पानी की यह बहुमूल्य व्यवस्था पीएचई विभाग के द्वारा मेरे क्षेत्र में की गई है पर उसका धरातल पर, गांव पर अभी उपयोग नहीं हो रहा है. मेरी आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से प्रार्थना है कि इस पर जरूर अधिकारियों को बुलाकर, इस योजना के कार्य में तेजी से गति प्रदान करने की कृपा करें. मेरी महत्वपूर्ण बात यह है कि मेरी विधानसभा क्षेत्र का मुख्यालय केवलारी है और 35 वर्ष पुरानी नल-जल योजना जर्जर हालत में हैं, पाईप विस्तारीकरण का काम है, इसमें पाईपों की आवश्यकता है, बोर की आवश्यकता है एवं उसमें अतिरिक्त दो-दो बोर करके मोटर सप्लाई की व्यवस्था करने की जरूरत है. जहां पर आबादी 3,000 हजार थी, आज वहां पर आबादी 35 वर्ष में 15,000 से 20,000 की हो गई है पर वही पुरानी नल-जल योजना कुछ ही वार्डों तक सीमित होकर रह गई है तो केवलारी के लिए पाईप लाईनें जो टूटी-फूटी हैं, जो बोर नहीं हुए हैं, उसके लिए अतिरिक्त व्यवस्था करने की कृपा करें. यह मेरा माननीय मंत्री महोदया से निवेदन है कि इसके लिए मैंने समय-समय पर जिले के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में अधिकारियों से चर्चा की थी और उन्होंने इस नगर की नवीन जल आवर्धन योजना का 2.82 करोड़ रुपये का एस्टीमेट विभाग को विगत वर्ष प्रेषित किया था. इसकी अभी स्वीकृति नहीं हुई है. माननीय मंत्री महोदया से मेरी प्रार्थना है कि इस योजना को स्वीकृत करें क्योंकि 30,000 आबादी का मामला है.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले) - नगर पंचायत, नगरपालिका की व्यवस्था पीएचई विभाग नहीं करता है.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - वह ग्राम पंचायत है. मैंने इसके लिए नगर परिषद् बनाने के लिए निवेदन मुख्यमंत्री जी से किया है.
उपाध्यक्ष महोदय - अभी वह ग्राम पंचायत ही है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - केवलारी यदि पंचायत है तो हम करवा देंगे.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, 35 वर्ष पुरानी नल-जल योजना है. दूसरा मेरा निवेदन है कि दिनांक 23 फरवरी, 2010 को छपारा ग्राम पंचायत में 2.75 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई, 8 वर्ष हो गए हैं. इस शासन की 2.75 करोड़ रुपये की राशि शासन के ही पास जमा है, आज दिनांक तक छपारा की जल आवर्धन योजना चालू नहीं हुई है. जब भी मैंने प्रश्न लगाया कि दिनांक 2 जुलाई, 2014 को प्रश्न क्रमांक 955 के माध्यम से मैंने माननीय मंत्री महोदय से जानकारी मांगी तो उसमें यही कहा गया कि यह काम तकनीकी कारण से चालू हो रहा है, स्थान परिवर्तित करना पड़ रहा है. इस कारण से इस योजना में विलम्ब हो रहा है और इस योजना में दिनांक 2 जुलाई, 2014 तक 80.00 लाख रुपये शासन का खर्च हो चुका था. आज उस योजना की यह स्थिति है कि पाईप लाईन विस्तारीकरण का काम हो गया है पर मंत्री महोदया आज भी जल आवर्धन योजना 2.75 करोड़ रुपये की चालू नहीं हुई है और आज सदन में वह कहावत चरितार्थ हो रही है कि 'भरे तालाब में घेंघा प्यासा'.
उपाध्यक्ष महोदय, एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध उसी छपारा में बना हुआ है, 2.5 लाख एकड़ जमीन में मां बेन गंगा के पानी को रोककर, उससे किसानों की जमीन सिंचित हो रही है पर उस नगर के ग्रामवासियों को क्या मिला ? हम दो वक्त के पीने का पानी भी 8 वर्ष में मुहैया नहीं करा पाए. माननीय मंत्री महोदया, आपने तो स्वीकृत कर दिया, इसमें आपका बहुत बड़प्पन है. जब भी मैं बुआ को देखता हूं, तब मुझे माननीय मंत्री महोदया की पुरानी साथी और हम सबकी बुआ आदरणीय जमुना देवी जी की याद आ जाती है. पहले एक बुआ इस तरफ भी थी और एक बुआ उस तरफ भी हैं. माननीय मंत्री महोदया बहुत सीनियर हैं, मुझे उनसे डर लगता हैं क्योंकि वह मेरे पिताजी को भी डांट देती थीं. हम माननीय मंत्री महोदया का बहुत आदर करते हैं और इसी कारण बुआ जी का प्रेम भी आ जाने से यह योजनायें स्वीकृत हो गई हैं. मैं माननीय मंत्री महोदया का ताउम्र, जीवन पर्यंत आभारी रहूंगा कि क्योंकि उन्होंने मेरे क्षेत्र में तीन-तीन समूह नल-जल योजना लगभग 250 गांव के लोगों को दो वक्त के पीने का पानी मुहैया कराने का काम किया है. यह काम उन्होंने मेरे निवेदन पर किया है, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इनके क्षेत्र में तीन-तीन योजनाएं पास हो गई हैं जबकि यह कांग्रेस के विधायक हैं और हमारे क्षेत्र में अन्य विधायकों के क्षेत्रों में यह योजनायें पास ही नहीं हुई हैं, इसके बावजूद यह तारीफ के बजाय बुराई भी कर रहे हैं. इनको माननीय मंत्री महोदया को धन्यवाद देना चाहिये.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, श्री बहादुर भाई मुझे इंगित कर रहे हैं कि मैं बोलते-बोलते कुछ और भी करूं परंतु मैं ऐसा नहीं करने वाला हूं. मैं यह कहना चाहूंगा पहले नगरपालिका में, नगर परिषद में, शहर में नल की टोंटियां खुला करती थीं. यह वहीं कांग्रेस है, जिसने शहर की टोंटियों को सुरक्षित रखकर गांव के लोगों के घरों में टोंटी लगाने का काम किया है, टंकी बनाने का काम किया है, पाईपलाइन डालने का काम किया है, नहीं तो गांव के लोग पंचायत के सार्वजनिक कुएं से पानी लेकर आने का काम करते थे वर्ष 1993 में गांव-गांव टंकी का निर्माण, बड़ी बड़ी ऊंची-ऊंची टंकियों को बनाने का काम कांग्रेस पार्टी ने किया है और अब बुआ जी उस काम को समूह नल-जल योजना में गति प्रदान करने का काम कर रही हैं. वह उसी रोड पर गाड़ी को और तेज दौड़ाने का काम कर रही है, जिस रोड को बनाने का काम कांग्रेस ने किया था. इस प्रकार कांग्रेस ने धरातल पर काम किया था (मेजों की थपथपाहट). अब मैं विषय पर आना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय - अब आप समाप्त करें.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - मैं आधा मिनट में समाप्त कर दूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय - आप किसी की बात का जवाब न दें, आप सिर्फ अपनी बात रखें.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, क्या आप इन्होंने पहले जो बोला है, उसे विलोपित करेंगे ? क्योंकि यह अपने विषय पर अब आ रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - उसे विलोपित नहीं करेंगे क्योंकि उन्होंने कुछ असंसदीय नहीं कहा है. श्री रजनीश हरवंश सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 58 नल-जल योजनायें पूर्व में स्वीकृत हैं परंतु माननीय मंत्री महोदया वह अभी तक चालू नहीं हुई हैं वह बंद पड़ी हुई हैं. मेरा निवेदन है कि 58 नल-जल योजना एक विधानसभा में बहुत होती है, जब शासन का पैसा स्वीकृत है, तो वह पैसा बेकार में रखा हुआ है, इस पर भी जरूर अधिकारियों से जांच पड़ताल करवायें. आज भी पांच टंकियों का निर्माण अधूरा है. मैंने दिनांक-16.12.2015 को शीतकालीन सत्र में इस संबंध में प्रश्न उठाया था ,तब उसका जवाब यह आया था कि हम जल्दी ही इसे पूर्ण करवा देंगे परंतु आज तक वह पांच टंकिया और 58 नल-जल योजना का काम अधूरा है. मैं यह कहना चाहता हूं कि वह कार्य बहुत ज्यादा अधूरा नहीं है बल्कि कहीं पर सिर्फ पाईपलाइन विस्तारीकरण का काम बाकी है, कहीं पर टंकियों पर सीढि़यां बनाने का काम हैं, कहीं पर कनेक्टविटी करना हैं, कहीं बोर में मोटर डालना है. मैं अंतिम बात यह कहना चाहता हूं कि इसके संधारण का काम पंचायत की जगह पीएचई विभाग करे क्योंकि काम पीएचई विभाग कर रहा है और आहते में ताले खोलने का काम पंचायतें कर रही है. इसलिए इसको पीएचई विभाग के अंतर्गत रखा जाये. ब्लॉक स्तर पर पीएचई का आफिस होता था, सब इंजीनियर होता था, उनका टेक्नीशियन होता था, उनकी गाड़ी रहती थी, पाईप एक्सट्रा रहते थे इसलिए वह तुरंत बोर और मोटर का काम करते थे. मेरा निवेदन यह है कि यह व्यवस्था पुन: लागू की जाये. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद और माननीय मंत्री महोदया आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
उपाध्यक्ष महोदय - चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी जी आप बोलें, वह नहीं हैं श्री बहादुर सिंह चौहान जी आप बोलें.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या का समर्थन करते हुए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के संबंध में अपने विचार रखना चाहता हूं. मध्यप्रदेश में इस वर्ष अधिकांश तहसीलों में सूखे की स्थिति बनी हुई है, इस दृष्टि से भी इस विभाग पर महती जवाबदारी आ गई है. विभाग द्वारा जिला कलेक्टरों को निर्देशित किया जा चुका है कि जो भी नल-जल योजना जिले में बनी हुई है, उसके संधारण के लिये, उसको चालू करने के लिये यदि पाईप की कमी है या मोटर की कमी है या बोर नहीं है, तो इसके लिये जिला स्तर पर एक कमेटी है जिसको बीस लाख रूपये खर्च करने का अधिकार शासन द्वारा दिया गया है, उसके तहत कार्य हो रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह विभाग जब से बना है, तब से बोरिंग कर रहा है. पहले छोटे बोर होते थे, फिर बड़े बोर होने लगे. इनके विभाग में दो प्रकार के बोर होते हैं एक डीटीच 6 इंची का बोर होता है और दूसरा काम्बीनेशन बोर 8 इंची का होता है. मैं माननीय मंत्री जी को एक सुझाव देना चाहता हूं कि यदि 100 डीटीएच बोर लगे हुए हैं और 100 काम्बीनेशन बोर लगे हुए हैं तो उसका आप परीक्षण करा लें. इस संबंध में मेरा अपना दावा इस सदन के अंदर यह है कि जब इनका परीक्षण करायेंगे तो पायेंगे कि इनमें से मात्र पांच डीटीएच बोर चल रहे हैं और काम्बीनेशन 90 प्रतिशत बोर चल रहे हैं क्योंकि डीटीएच बोर में मोटरे फंस जाती हैं और पाईप अंदर रह जाता है. लेकिन फिर भी विभाग डीटीएच बोर इसलिए करवाता है क्योंकि इसकी लागत कम है और यह आधे पैसे में ही हो जाता है और काम्बीनेशन बोर डबल खर्चे में होता है. लेकिन काम्बीनेशन बोर में एक बार स्त्रोत का पानी मिल जाता है तो उस स्त्रोत से गांव की पानी की समस्या हमेशा के लिये हल हो जाती है. मेरा आपसे आग्रह और निवेदन है कि आप 25 बोर की जगह 15 बोर ही लगायें, लेकिन जब भी बोर लगायें तो काम्बीनेशन बोर ही लगायें, इस पर विभाग जरूर विचार करे. मैं एमएस पाईप और जीआई पाईप के बारे में कहना चाहता हूं कि ठेकेदार लोग कई बार जितने पाईप उस बोर के अंदर डालना चाहिए उतने पाईप नहीं डालते हैं, उस कारण वह बोर कोलेप्स हो जाता है और बोर हमेशा के लिये खराब हो जाता है. मेरा आग्रह है कि इस पर भी यदि विभाग की पकड़ बनेगी तो बोर हमेशा के लिये गांव वालों के लिये काम में आयेगा. इस प्रकार एक स्त्रोत ड्रिलिंग करके हो गया और दूसरा जल स्तर पर जहां पर नदी बह रही है, जहां पर जल संसाधन विभाग टैंक बना हुआ है, वह योजना वहां पर बनाई जा सकती है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को एक बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहता हूं. यह बात सत्य है कि जमीनी स्तर पर इस विभाग के पास इतना अमला नहीं है, यह स्वीकार करना चाहिए. लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि पानी हर व्यक्ति को सुबह लगता है और हमेशा पानी की आवश्यकता रहती है. अधिकांश नल-जल योजनायें बनने के बाद सब ग्राम पंचायतों को हैंडओवर कर दी गई है. मैं एक महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहता हूं कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और पंचायत ग्रामीण विकास विभाग की संयुक्त बैठक होना चाहिए और यह छोटी-छोटी योजनायें जिसमें एक -एक गांव की हजार और पंद्रह सौ की नल जल योजनायें जो चल रही हैं, इनका संधारण और इनको बनाने और स्वीकृत करने का कार्य भी ग्राम पंचायत को दे देना चाहिए ताकि उसका रख रखाव अच्छे से हो सके. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मात्र मध्यप्रदेश के अंदर उस स्थान पर कार्य करे जहां पर नदी बह रही है, जहां पर टैंक बना हुआ है. यदि यह विभाग 16 गांव, 20 गांव, 25 गांव, 40 गांव की बड़ी से बड़ी करोड़ों रूपये की योजना बनाकर उसका संधारण करेगा तो यह विभाग उसमें बहुत ही सफल होगा यह मेरा व्यक्तिगत सुझाव है. इसके साथ ही मैं यह भी कहना चाहता हूं कि इनके विभाग का एक जल निगम बना हुआ है, जिसमें 32 योजनायें स्वीकृत की गई हैं और सात बनकर चालू हो गई है और बाकी पर कार्य प्रगति पर है. पूरे मध्यप्रदेश में 32 योजनायें जल निगम के द्वारा बनाई गई हैं. मैं यह कह रहा हूं कि इनको 320 योजनायें बनाना चाहिए और आने वाले 25-30 वर्षों की जरूरतों के मान से जितना पानी उपलब्ध हो उतनी योजनाएं बनना चाहिए. अकसर ऐसा होता है कि16 गांव की योजना बन गई, फिर डिमांड आ गई, फिर पानी कम पड़ गया. पहले आपने आठ इंची पाईप डाला था, अब 16 इंची पाईप डालिये, लेकिन देखने में यह आ रहा है कि आने वाले तीस वर्षों में कितनी जनसंख्या यहां पर होने वाली है और कितने गांव और जुड़ सकते हैं, वह जोड़ना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जल निगम के द्वारा बहुत अच्छा कार्य प्रदेश स्तर पर किया जा रहा है, वह लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से ही जुड़ा हुआ है. मैं एक जानकारी और देना चाहता हूं कि जहां बोर खनन होता है वहां कहीं हार्ड स्टेटा होता है, कहीं लूज स्टेटा होता है और जो प्रायवेट डीलर होते हैं वह टेण्डर तो डाल देते हैं, लेकिन बाद में उस बोर को छोड़कर चले जाते हैं और वह बोर कई दिनों तक नहीं होता नहीं है. लेकिन यह बात सत्य है कि जहां पर कहीं नदी या टैंक नहीं है वहां पर तो बोर खनन करना ही पड़ेगा, वहां की जनता को तो तत्काल नल जल योजना बनाकर पानी दिया जाना चाहिए. जैसे सिंहस्थ का मामला था, उज्जैन में सिंहस्थ में पीएचई विभाग की बहुत अहम भूमिका रही है, यह मैंने अपनी आंखों से देखा है. इनके विभाग की जो नवीन हाईपावर की मशीनें है, 11300 की जो मशीनें है वह 24 घंटे में दो-दो बोर कर देती हैं और मोटरें लगाकर सिंहस्थ में पानी उपलब्ध करवाया है. नर्मदा का पानी भी क्षिप्रा में आया था और स्नान करने के लिए नदी बहती भी रही, लेकिन सिंहस्थ का क्षेत्र बहुत बड़ा था, उसमें लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा बहुत ही अच्छा कार्य किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक और सुझाव यह देना चाहता हूं कि विभाग की जो मशीनें हैं वे बहुत पुरानी हो गई हैं और मेंटेनेंस पर उसमें राशि खर्च हो रही है. मेरा कहना है कि हर एक जिले में नवीन तकनीकी की मशीनें जो आई है त्रिचेंगगोडे से, साउथ तमिलनाडु, त्रिचि, नामक्कल, आत्तुर में पूरे भारत में बहुत ही अच्छी मशीन हैं वे लोग विदेशों में अपनी मशीनें भेजकर कार्य कर रहे हैं. मेरा सुझाव है कि वहां से टाइअप करके प्रत्येक 51 जिले में मॉडल के रूप में एक एक मशीन तो विभाग को खरीदकर इसी वर्ष देना चाहिए, क्योंकि यह सूखे का वर्ष है. एक इनका मेकेनिकल विभाग भी है, इस विभाग की जो गाड़ी ड्रिलिंग के लिए गांव में आती है वह सात दिन तक ड्रिलिंग करती रहती है, उसमें स्टाफ भी नहीं होता, डीजल भी नहीं होता और मशीन की केपेसिटी भी नहीं होती है. इसलिए मेरा आग्रह है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की मेकेनिकल ब्रांच को मजबूत करने के लिए इस मशीन को प्रत्येक जिला स्तर देना चाहिए. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय – बहुत बहुत धन्यवाद बहादुर सिंह जी.
श्री यादवेन्द्र सिंह (नागौद) – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सतना जिले में पेयजल का संकट सबसे ज्यादा है और सतना जिला सूखे से प्रभावित है और सूखा घोषित है. वहां पर जनवरी से पेयजल की समस्या है.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सतना आपका गृह जिला है, यादवेन्द्र सिंह जी अच्छी बात बताने की बजाये सूखे की बात बता रहे हैं वह तो जहां जाते हैं वहां सूखा पड़ जाता है. मैं एक कमेटी में गया था वहां पानी था, लेकिन सूखा गया, ये तो अगस्त ऋषि से भी बड़े आदमी है. (..हंसी)
श्री यादवेन्द्र सिंह – यह दैवीय प्रकाप है (..हंसी) सतना जिले में तीन माह से जनवरी से सूखा है. नगर पंचायत नागौद में कम से कम 300-400 टैंकर पानी परिवहन कर शहर के अंदर भेजा जाता है. रामपुर ब्लाक में जहां बाणसागर का पानी आ रहा है वहां की बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन इसी तरह पूरे जिले में चाहे वह चित्रकूट हो, नागौद हो, चिरेगांव हो, जहां बरगी का पानी अभी तक 30 वर्षों से नहीं आया है. इस वजह से नाले नदियां सब सूख गए हैं. तीन महीने से राइजर पाइप नहीं है, न ही मोटर है, न ही जल का परिवहन हो रहा है. मेरी विधान सभा में लगभग 3000 हैण्डपम्प हैं जिनमें से लगभग 1000-1200 के ऊपर बंद हैं और 42 नलजल योजना है जिसमें से 15-20 नलजल योजना बंद है और उसमें भी पानी गहरे में चले जाने के कारण पम्प सूख गए हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करूंगा कि सतना जिले में हर ग्राम पंचायतों में एक एक बोर 500 फीट तक कराया जाए, तभी इस समस्या का हल हो सकता है. 84 गांव पहाड़ में मेरे परसोनिया क्षेत्र में भी इसी तरह का पेयजल संकट है. 5-6 किलोमीटर दूर पानी का उद्गम है, इसी तरह से पूरे क्षेत्र की हालत खराब है नागौद ब्लाक हो, चाहे वह डचेहरा ब्लाक हो. पानी के लिए राइजर पाइप और मोटरों की व्यवस्था की जाना जरूरी है. दो साल पहले सूखे की स्थिति में जो मोटर खराब हुई है वह मोटर दोबारा किसी काम के लायक नहीं बची. पिछली बार बहुत ही खराब मोटरें सप्लाई की गई थीं. इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि अच्छी किस्म की मोटरें सप्लाई हों. जहां तक नागौद शहर का सवाल है तो हमारी माननीय मंत्री जी के यहां पन्ना में एक मशीन ऐसी है जो बालू में बोर कर लेती है. दीदी जी से निवेदन है कि पन्ना में जो बोरिंग मशीन है वह हमारी नागौद नगर पंचायत में एक दिन के लिए भेज दें, हम पैसा भी जमा करा देंगे, अगर तीन बोर हमारे यहां हो जाए, तो नागौद की काफी समस्या का हल हो जाएगा. पूरी रात 24 घंटे लोग पानी के लिए लाइन लगाए सड़क पर खड़े रहते हैं, इसलिए मेरा निवेदन है कि आप अपनी बोरिंग मशीन का पैसा जमा करवा ले जो भी कीमत हो. एक दिन के लिए पन्ना जिला से नागौद के लिए बोरिंग मशीन भेज दें तो हमारे शहर की समस्या का निदान हो जाएगा. हमारे संभाग में सिर्फ एक ही वह मशीन है उसको देने का कष्ट करें. राइजर पाइप और जहां पानी की व्यवस्था न हो तो वहां जल परिवहन कराने का अनुरोध है. अभी राइजर पाइप नहीं है, हम आपके एग्जीक्यूटिव इंजीनियर से कोई सामग्री के बारे में बात करते हैं तो वे कहते हैं कि हमारे पास कोई सामग्री नहीं है. यही आपसे अनुरोध है कि जितनी जल्दी हो सके पेयजल के संकट से निदान के लिए आवश्यकतानुसार व्यवस्था करें. उपाध्यक्ष जी आपने बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय – यादवेन्द्र जी आज आपने बहुत सधा हुआ भाषण दिया. बहुत अच्छा भाषण दिया.
श्री बहादुर सिंह चौहान – उपाध्यक्ष जी, यादवेन्द्र जी दिल के साफ है, जो मन में आता है वही कहते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी, सतना जिले की मैं बात करना चाहता हूं, अभी आपने प्रति विकासखंड 20-20 या 25-25 पावर पम्पस भेजे हैं. यदि औसत हर गांव में एक पावर पम्प भेजा जाए तो ही कुछ समस्या का निदान होगा, पेयजल की स्थिति बहुत खराब है. मान लीजिए एक जनपद में 250 गांव हैं तो कम से कम 250-250 पावर पम्प एक-एक जनपद या ब्लाक में देना चाहिए.
डॉ. कैलाश जाटव – उपाध्यक्ष जी, मैं आपको धन्यवाद देता हूं, पूरा सदन इस बात से सहमत है.
श्री यादवेन्द्र सिंह – उपाध्यक्ष जी, हर गांव में एक गहरा बोर होना चाहिए.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले) – माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं भी आपको धन्यवाद देती हूं कि आपने स्वीकार किया कि हमने पम्प भेजे हैं, और आपने जो अपेक्षा की हैं उनको भी भेजेंगे.
श्री यादवेन्द्र सिंह – उपाध्यक्ष जी, हर गांव में दो-दो पम्प चाहिए.
श्री रामलाल रौतेल (अनूपपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से हम सब इस बात से परिचित हैं कि मानव जीवन के लिये पानी कितना आवश्यक है और मध्यप्रदेश की सरकार ने बड़ी संवेदनशीलता के आधार पर अपने मापदंडों के आधार पर योजनाबद्ध तरीके से प्रत्येक गांव में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दृष्टि से व्यवस्था सुनिश्चित की है. मैं इस मंच के माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद ज्ञापित करूंगा कि जिन्होंने लगातार, विशेषकर के मेरे विधानसभा क्षेत्र अनूपपुर में लगभग 42 नल जल योजनाओं की स्वीकृति प्रदान की है. उस 42 नल जल योजनाओं में से लगभग 25 ऐसी नल जल योजनायें हैं जो बिगड़ी हुई हैं. उसके अनेक कारण हैं, किसी का स्त्रोत सूख गया है, किसी की लाईन क्षतिग्रस्त हो गई है, किसी मे मोटर पंप खराब है, किसी ग्राम पंचायत ने उसकी राशि की अदायगी नहीं की है. इन पर गंभीरता से ध्यान देकर उन नल जल योजना को चालू कराने की आवश्यकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सूखा पड़ा है. मेरा विधानसभा क्षेत्र अनूपपुर पूर्णत: आदिवासी क्षेत्र है और वहां पानी का बहुत संकट है. हमने इस बारे में विभागीय अधिकारियों से अनुरोध किया, सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है, सरकार ने एक छोटी सी विधानसभा में 42 नल जल योजनायें स्वीकृत की हैं यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. लेकिन स्थानीय स्तर पर जो विभागीय अमला पदस्थ है कहीं न कहीं उस अमले के दोष होने के कारण किसानों को और आम आदमी को पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. मैं माननीय मंत्री जी के ध्यान में इस बात को लाना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र अनूपपुर में लगभग 3 ऐसे विभाग के सब इंजीनियर हैं जो कि विगत 15 वर्षो से अनूपपुर में पदस्थ हैं. मैंने अनेक बार विधानसभा में प्रश्न लगाये हैं. उसमें मंत्री जी ने इस बात को स्वीकार किया है कि जांच में सिद्ध पाये गये और सिद्धता के आधार पर उनको वहां से अलग कर दिया गया है लेकिन स्थिति यह है कि आज भी वह वहीं पर मौजूद हैं. प्रभावित यह लोग करते हैं और इनकी गलती का खामियाजा जनप्रतिनिधि भुगतते हैं. अगर हम किसी गांव में जाते हैं तो पानी न मिलने का मुद्दा उठाकर के गांव के लोग जनप्रतिनियों के ऊपर गुस्से का इजहार करते हैं. इसलिये मेरा मंत्री जी से व्यक्तिगत अनुरोध है कि ऐसे संबंधित अधिकारी जिनका सरकार ने दोष भी सिद्ध पाया है अगर वहां से हटाकर के किसी अच्छे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी को वहां पर पदस्थ करें तो मुझे लगता है कि अच्छा होगा और बेहतर व्यवस्था बनेगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र विशेषकर के अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के हमारे भाई श्री फुन्देलाल सिंह मार्कों जी बैठे हुये हैं, इनका और मेरा पूरा क्षेत्र ग्रामीण आदिवासी क्षेत्र है, अनूपपुर में 177 नल जल योजनायें है जिसमें से लगभग 100 नल जल योजनायें बंद पड़ी हुई हैं. अगर हम इस संबंध में स्थानीय अधिकारियों से बैठक बुलाने की बात करते हैं, प्रभारी मंत्री जब बैठक लेते हैं तो विभागीय प्रतिवेदन आता है कि शत प्रतिशत नल जल योजनायें चालू हैं . अगर इनका भौतिक सत्यापन करेंगे तो मुश्किल से 60 या 70 नल जल योजनायें ही चालू हालत में मिलेगी. इसमें सरकार का कहीं कोई दोष नहीं है. जनप्रतिनिधियों का भी कहीं किसी प्रकार का कोई दोष नहीं है. इसमें अगर कोई दोषी है तो संबंधित अमला दोषी है जो क्रियान्वयन एजेंसी है वह जिम्मेदार है और उस अधिकारी की जिम्मेदारी का खामियाजा जनप्रतिनिधियो को भुगतना पड़ता है. इसलिये मैं मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं, वैसे मैंने विधानसभा प्रश्न किया था उस विधानसभा के प्रश्न के संदर्भ मे 3 कमेटियां बनी, जांच में अधिकारी की सिद्धता को पाया गया लेकिन आज भी वह अधिकारी वहां पर मौजूद हैं. इसलिये मै मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि शुद्ध पेयजल पहुंचाने की शासन की मंशा है, लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो, साफ पानी उपलब्ध हो, सरकार की जो इस संबंध में नीति है, जो मापदंड हैं उसके आधार पर अगर हम लोगों को पेयजल उपलब्ध करा सकें तो बेहतर होगा कि आप संबंधित अधिकारी को मेरी विधानसभा क्षेत्र विशेष से पृथक करने के आदेश जारी करेंगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मै आपके सुझाव से शत प्रतिशत सहमत हूं कि प्रत्येक गांव में अगर एक नल जल योजना और चालू कर दें तो बेहतर होगा. एक सुझाव मेरा यह भी है कि अगर हम नल जल योजना प्रत्येक गांव में संचालित करते हैं तो उस गांव में एक महिलाओं का समूह आवश्यक रूप से बनाया जाना चाहिये, इसलिये कि अगर इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, पीडित हैं तो महिलायें ही हैं, इसलिये एक समूह बना दें उसका संरक्षण, संवर्धन, देख-रेख की जिम्मेदारी उस महिला समूह की होगी तो निश्चित रूप से बहुत अच्छे परिणाम आयेंगे और नल जल योजना का बेहतर उपयोग हो सकेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र अनूपपुर में मुख्यमंत्री पेयजल योजना के अतिरिक्त 10 बड़े बड़े ऐेसे गांव हैं जहां पर नल जल योजना की आवश्यकता है . मंत्री जी से विनम्रता के साथ अनुरोध करते हुये इस आशा के साथ उम्मीद करता हूं कि आप 10 नल जल योजनायें मेरी विधानसभा क्षेत्र की स्वीकृत करने का कष्ट करेंगी. मैंने उन नल जल योजनाओं के प्रस्ताव भिजवा दिये हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया इसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि माननीय श्री रामलाल रौतेल जी ने 15-20 वर्षो से जमें हुये अधिकारियों को हटाने का अनुरोध किया है , कही ऐसा न हो कि आप उनको मेरी विधानसभा में पदस्थ कर दें इसलिये आपसे प्रार्थना है कि जब भी आप ऐसी व्यवस्था करें तो अनूपपुर, पुष्पराजगढ, कोतमा को छोड़कर के बगल की विधानसभा में भेजने की कृपा करेंगी , तो ज्यादा अच्छा होगा. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री निशंक कुमार जैन (बासौदा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं विदिशा जिले की गंजबासौदा विधानसभा क्षेत्र के मामले में माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, विगत दिनों बैठक हुई उसमें विभागीय अधिकारियों ने बताया कि हमारे क्षेत्र की पूरी नल जल योजनाये प्रारंभ हैं. जबकि स्थिति यह है कि आधे से अधिक नल जल योजनायें हमारे क्षेत्र में बंद पड़ी हुई हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मै कुछ सुझाव माननीय मंत्री जी को देना चाहता हूं कि निश्चित रूप से सूखे के कारण ग्राउंड वॉटर बहुत तेजी के साथ नीचे जा रहा है. कहीं कहीं पर 50 से 100 फुट पानी नीचे जा चुका है. ऐसी स्थिति में मेरा सुझाव है कि जिस गांव में जो नाला है, हैंडपंप के आसपास यदि उस नाले पर कम लागत से, छोटा से स्टाप डेम बना दिया जाये, यदि राशि न हो तो उसको मनरेगा से जोड़कर के स्टाप डेम बना दिया जाये तो कम से कम वह हैंड पंप रिचार्ज हो सकेंगे. क्योंकि प्रत्येक गांव की यही समस्या है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को मेरा दूसरा सुझाव यह है कि आज हालत यह है कि हैंडपंप खराब होने की शिकायत हम करते हैं आउट सोर्स हर जगह पर है, तीन दिन का समय है, तीन दिन के बाद में 200 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से शासन ने पेनाल्टी लगाने का नियम बनाकर के रखा है. मगर बहुत कम जगह जो आउटसोर्स की एजेसी है उस पर पेनाल्टी नहीं लगाई जा रही है क्योंकि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग के अधिकारियों के और आउटसोर्स एजेंसी के इतने मधुर संबंध होते हैं कि उन पर पेनाल्टी नहीं लग सकती है. मेरा इस संबंध में मंत्री जी से अनुरोध है कि एक जनपद वार्ड पर एक हैंडपंप के मैकेनिक की नियुक्ति कर दी जाये और जो राशि आप आउटसोर्स को दे रहे हैं .16 लाख रूपये आउटसोर्स एजेसी को हैंडपंप के संचालन और संधारण के लिये मेरे गंजबासौदा विकासखण्ड में दिये जाते हैं, यदि आउटसोर्स का सिस्टम खतम करके वह राशि एक जनपद वार्ड पर एक हैंडपंप मैकेनिक रख दिया जाये तो एक तो उस जनपद क्षेत्र के लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा, दूसरा जब गांव का व्यक्ति ही हैंडपंप का मैकेनिक नियुक्त हो जायेगा तो जो मुख्य समस्या हैंडपंपों को सुधारने की आती है, मैकेनिक जाता है वह कहता है कि हम आपके पाइप को क्यों उठायें , क्यों हैंडपंप खिंचवाये, उसके लिये तो आपको पैसा मिल रहा है तो जब गांव का आदमी हैंडपंप मैकेनिक होगा तो उसको सुधारने में भी सुविधा रहेगी और जो 15 दिन तक हैंडपंप नहीं सुधरते हैं मैं समझता हूं कि एक या दो दिन में हैंडपंप का संधारण हो जायेगा. आप चाहें तो उस मैकेनिक को 79 दिन पर कलेक्टर रेट पर रख सकते हैं, जिससे आगे कोर्ट कचहरी के चक्कर से भी बचा जा सके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को तीसरा सुझाव है कि हमारे जिले में हमारी जीवन दायिनी बेतवा नदी बहती है. एक तरफ सरकार बहुत बातें करती है कि जल निगम से हमने इन 50 गांव में पानी दे दिया, इन 100 गांव में पानी दे दिया. यदि बेतवा नदी के किनारे के दोनों तरफ के, चाहे वह किसी का भी विधानसभा क्षेत्र हो यदि उन गांव में 25 या 50 गांव का क्लस्टर बनाकर के नल जल योजनायें चालू कर दी जायेंगी तो मैं समझता हूं कि हमारा ग्राउंड वाटर भी बचेगी और पानी का स्तर भी बना रहेगा. बहते हुये पानी का भी हम बेहतर उपयोग कर सकेंगे. क्योंकि बेतवा नदी में बहुत पानी है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि आपका सुझाव था और मंत्री जी ने भी उसको स्वीकार किया है इस मामले में कम से कम प्रत्येक गांव में एक मोटर तो कंपलसरी दी जाये क्योंकि कहीं 5 मोटर देते हैं, कहीं 10 मोटर देते हैं, कहीं पर 20 मोटरें देते हैं और हालत यह है कि वह ऊंठ के मुह में जीरे के समान होती है. इसलिये प्रत्येक गांव में कम से कम एक मोटर जरूर दी जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से अनुरोध है कि नये हैंडपंप जो भी लगें उनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की बस्तियों को प्राथमिकता दी जाये क्योंकि जो बड़े आदमी होते हैं वह तो अपना पानी का इंतजाम कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में कर लेते हैं. प्राथमिकता अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की बस्तियों में हैंडपंप का संधारण करने को दी जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पाईप नहीं है, विभागीय अधिकारी से कल ही मैंने फोन किया तो वो कहते हैं कि पाईप उपलब्ध नहीं हैं, आप बतायें सरकार एक तरफ वायदा करती है कि हम सबको पेयजल उपलब्ध करायेंगे और अभी तो वहां पर पाईप ही नहीं है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा क्षेत्र का एक गांव है धुरेरा, वहां पर पिछले एक साल से एक हेण्डपम्प में पठार पर फ्लोराइड युक्त पानी निकल रहा है, कितनी बार कहने के बाद भी वहां पर दूसरे हेण्डपम्प का संधारण नहीं किया गया. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक सुझाव मैं और आपके माध्यम से मंत्री जी को देना चाहता हूं. मैं समझ सकता हूं कि भारत सरकार जो नये हेण्डपम्प आपको देती है वह जनसंख्या के मान से देती है और उसमें क्या हो रहा है कि जो पुराने हेण्डपम्प हैं वह भी रिकार्ड में चालू बताये जाते हैं. जब वाटर लेविल नीचे है उन हेण्डपम्पों का भौतिक सत्यापन कराकर पंचायतों से प्रस्ताव लेकर या ग्रामसभा से प्रस्ताव लेकर आपकी टेक्नीकल टीम की रिपोर्ट के बाद उनको शासकीय रिकार्ड में स्थाई तौर पर मृत तो नहीं कह सकते, स्थाई तौर पर डेड मानते हुये, या स्थाई तौर पर बंद कर दिये जायें मतलब उसका जो भी तकनीकी शब्द का हम इस्तेमाल कर सकें जिससे सरकारी रिकार्ड में जब हेण्डपम्पों की संख्या कम होगी और जनसंख्या ज्यादा दिखेगी तो निश्चित रूप से हम भारत सरकार से भी और मध्यप्रदेश सरकार अपने स्रोतों से भी पानी की व्यवस्था कर सकती है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि हमारे एक साथी ने कहा उस बात से मैं बिलकुल सहमत हूं कि पीएचई की अधिकतर मशीनरी वर्षों पुरानी है तो कभी उन्होंने कहा कि साहब इसका क्लिच टूट गया, कभी हौज पाइज फट गया, रोज चार-आठ दिन में कोई न कोई समस्या आती है तो नई मशीनें दी जायें और साथ में जो एक और समस्या है कि यदि हेण्डपम्पों की सफाई के लिये एक मशीन यदि हर जिले में दी जाये तो मैं समझता हूं कि इस समस्या से हम बहुत जल्दी कुछ न कुछ हल पा सकेंगे. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि बासौदा विधान सभा क्षेत्र के प्रत्येक गांव में एक हेण्डपम्प के संधारण की आप घोषणा करें जिससे वहां के पीने के पानी की समस्या हल हो सके.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप संधारण चाहते हैं कि नया हेण्डपम्प खनन कराना चाहते है.
श्री निशंक कुमार जैन-- सॉरी, नये हेण्डपम्प लगाने की घोषणा करें, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ऐसा मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है.
श्री रामप्यारे कुलस्ते (निवास)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 20, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की अनुदान मांगों का मैं समर्थन करता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक सभ्य मानव पर्यावरण की आवश्यकतायें बहुत हैं जिसमें स्वच्छ पेय और सुखद पानी की आपूर्ति जीवन को स्वच्छ तरीके से रखने के लिये महत्वपूर्ण है और इस काम को हमारे प्रदेश की सरकार और पीएचई विभाग बहुत मुस्तैदी के साथ में कर रहा है. प्रत्येक व्यक्ति को स्वच्छ पेयजल कैसे मिले इसके लिये विभाग नित नई योजनायें बनाते हुये और जैसा कि अभी मेरे पूर्व वक्ताओं ने कहा कि ग्रामीण बसाहटों में 55 लीटर और 70 लीटर का जो मापदण्ड हमने तय करके और उस लक्ष्य को पूरा करने के लिये कि प्रत्येक व्यक्ति को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो, इस काम के लिये बहुत मुस्तैदी के साथ करते हुये नित नई योजनायें प्रारंभ की हैं, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा प्रदेश की समस्त ग्रामीण बसाहटों में शुद्ध पेयजल देने के लिये योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त प्रदेश में जल निगम के माध्यम से भी सतही जलस्रोतों से जो ग्रुप योजना के माध्यम से योजनायें संचालित की जा रही हैं. मैं अपनी निवास विधान सभा, मंडला जिले की बात करूं तो 2 योजनायें मेरे यहां संचालित हैं. एक और योजना जो तीन विकासखंडों के लिये बनाकर जिसका डीपीआर भेजा गया था 448 गांवों के लिये, बरगी डेम से प्रस्तावित था. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बरगी बांध से निवास विधान सभा के 182 गांव प्रभावित हुये. अभी पूर्व वक्तओं के द्वारा एक ऐसी बात कही गई कि निश्चित रूप से जहां डेम बने हुये हैं और वहां से जो विस्थापित हमारे लोग हुये और वहां वर्तमान समय में जो बसाहट है उनमें पेयजल की भारी खराब स्थिति बनी हुई है. पानी के किनारे रहते हुये भी खासकर बरगी डेम के आसपास जो गांव बसे हुये हैं उनमें स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता की दरकार अभी भी है.
1.51 बजे सभापति महोदय (श्री ओमप्रकाश सखलेचा) पीठासीन हुये.
माननीय सभापति महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि जो तीन विकासखंडों के लिये 448 गांव की जो योजना प्रस्तावित है उसको इसी बजट में सम्मिलित करते हुये योजना की स्वीकृति देंगे तो मुझे लगता है जो हमारी सरकार की प्रतिबद्धता है एक तो वह पूरी होगी, इसके साथ-साथ कुछ हमारी संचालित बनी हुई योजनायें हैं, कहीं स्रोत की समस्या के कारण, स्रोत न मिलने के कारण 2-2, 3-3 साल से आधे अधूरे पड़े हुये हैं, पाइप लाइन बाकायदा बिछी हुई है, टंकियां बनी हुई हैं, परंतु योजना संचालित नहीं है. ऐसी स्थिति में या तो सतही जल की जो बात आती है इसमें इंटेकवेल या डकवेल की योजना भी संचालित की गई है, योजनाएं बहुत अच्छी प्रारंभ की गई हैं, सरकार की मंशा भी अच्छी है परंतु प्रापर मॉनीटरिंग करने की आवश्यकता है, समय पर शुद्ध पेयजल कैसे लोगों को मिले, आवश्यकता इस बात की है और उस काम को मुझे लगता है थोड़ी और मॉनीटरिंग करते हुये इस काम को आगे बढ़ाने के लिये मैं आग्रह कर रहा हूं, माननीय सभापति महोदय, जो योजनायें बनकर के बंद पड़ी हैं, इसी तरह से मेरा एक मोहगांव विकासखंड मुख्यालय है, खासकर मंडला जिले में कहीं फ्लोराइड अधिक है, लौह तत्व की जो समस्या बनी हुई है, खासकर के मोहगांव विकास खंड मुख्यालय में जो हमारी योजना संचालित है उसमें स्वच्छ पेयजल जो पीने का पानी है बुढ़नेर नदी से हम प्राप्त करते हैं.
सभापति महोदय-- कुलस्ते जी कितना समय और लेंगे.
श्री रामप्यारे कुलस्ते-- माननीय सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र की दो, तीन समस्यायें हैं उनको बताकर के मैं समाप्त करता हूं. मुख्यालय की जो नल जल योजना है उसमें एक तो मेरा ऐसा मानना है जो हमें भूजल संवर्धन एवं पुनर्भरण के कार्यक्रम में संरचनायें निर्मित करते हैं उसके लिये अगर बुढ़नेर नदी में मेरा ऐसा आग्रह है कि एक बैराज बनाकर के लोगों को विकासखंड मुख्यालय में स्वच्छ पेयजल इसके साथ-साथ, वैसे ही सूखे की समस्या है, पानी का जलस्रोत काफी नीचे चला गया है तो एक संरचना बनाकर के पुन: इन योजनाओं को संचालित करेंगे ताकि नगर में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सकेगा ऐसा मेरा मानना है और जितनी भी हमारी नल, जल योजनायें हैं, 2-3 योजनायें जहां संचालित हैं, जहां ओवरहेड टेंक की आवश्यकता है, टिकरिया, पटैरा, मैली जो गांव हैं उनमें अगर ओवरहेड टेंक की स्वीकृति दी जाती है तो निश्चित रूप से जो स्रोत हैं उसके साथ-साथ निर्बाध रूप से ग्रामवासियों को पानी भी अच्छा प्राप्त हो सकेगा, ऐसा मैं मानता हूं. माननीय मंत्री जी मेरी बातों पर गौर करते हुये 2-3 समस्यायें हैं उनको आप इसी सत्र में स्वीकृति देकर प्रारंभ कराने की कृपा करेंगी ऐसा मानते हुये, माननीय सभापति महोदय, आपने जो समय दिया उसके लिये आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा)--सभापति महोदय, वर्तमान में गर्मी का समय आ रहा है जिसके कारण सभी माननीय सदस्यगण चिन्तित हैं. मेरे क्षेत्र में पेयजल की व्यवस्था अच्छी हो. अभी भीषण गर्मी प्रारंभ ही नहीं हुई है उससे पहले ही हमारे यहां पर कई नल-जल योजनाएं बंद हैं अथवा जो हैण्डपम्प बंद हो चुके हैं. उसकी रिपोर्ट क्या पी.एच.ई. विभाग के द्वारा मंगाई है ? अभी दो-तीन महीने पहले हमने जो मांग की थी कि यहां पर पानी की कमी है. अभी 6 दिन पहले नाहरगढ़ जो सबसे बड़ी पंचायत है वहां पर पीने का पानी नहीं मिल रहा है उसके शहर को विरोध स्वरूप बंद किया गया. वहां की जनसंख्या करीब 10 से 11 हजार है वहां पर जनता द्वारा मांग की जा रही है कि हमें पानी उपलब्ध कराओ उसके बारे में विभाग ने क्या रिपोर्ट दी ? वहां की जनता बहुत दुःखी है. अगर इस तरह की रिपोर्ट आपके पास में नहीं आती है, तो आपका अमला आपको सही ढंग से जानकारी नहीं दे रहा है. अभी तीन दिन पहले श्यामपुर उसके पास की बड़ी पंचायत है दो दिन से वहां के युवा पानी न मिलने के कारण भूख हड़ताल पर बैठे हैं. वहां की नल-जल योजनाओं से 20-25 दिन में 25-30 मिनट ही नल से पानी देते हैं. ऐसी स्थिति में विभाग वहां की रिपोर्टिंग नहीं लेता है जिसकी सूचना आपको भोपाल में नहीं मिलती है तो इस पर आप ध्यान देंगे तो बहुत अच्छी बात होगी. मेरी विधान सभा के 355 गांव तथा 103 पंचायतें हैं. मेरा मानना है कि आप जब पानी के स्रोत के लिये होल करवाते हैं उसमें लाखों करोड़ो रूपये उसमें खर्च करते हैं. 6 इंच का होल जब करवाते हैं उसमें हैंडपम्प लगते हैं, पाईप लगता है 200 फीट और बोर हो रहा है 600 फीट तो 400 फीट का क्या फायदा. आप हैण्डपम्प के लिये 200 फीट का पाईप डाल रहे हैं और होल 600 फीट तक करवा रहे हैं. हम उसमें कहते हैं कि पानी की मोटर दे दें. उसमें फिर सिंगल फेस की मोटर देते हैं वह एक दो दिन में खराब हो जाती है. आपके यहां रिकार्ड में आ जाता है कि आपको मोटर दी गई. मेरा मानना है कि वहां पर 8 इंची पानी के स्रोत के लिये होल करवायें उसमें तीन अथवा पांच हार्सपावर की, जैसा पानी निकले उसके अनुसार मोटर देंगे तो अच्छा रहेगा. मोटर वहां के ठेकेदार से मत खरीदिये जो वास्तव में अच्छी कम्पनी हो उससे खरीदें जिससे मोटर खराब न हो और पंचायत को बनवाने का खर्च भी बच सके. एक बार पानी की मोटर जाने के बाद पंचायत के सुपुर्द हो जाती है. मोटर कई बार तो लोगों के घरों में भी पड़ी रहती है इसलिये आप उस पर भी ध्यान दें. अभी मुख्यमंत्री पेयजल योजना के लिये जनसंख्या के हिसाब 8 गांवों को चिन्हित किया है. वहां पर जनसंख्या के आधार पर पानी के स्रोत के लिये होल लगाये हैं उसके लिये आपका धन्यवाद करता हूं. हम कहीं न कहीं शहरों में जल आवर्द्धन योजना को चालू कर रहे हैं. 15 किलोमीटर से पाईप लाईन डालकर के उसमें 20 से 23 करोड़ रूपये उसमें खर्च कर रहे हैं, तो क्या ग्रामीण क्षेत्र की जनता को तथा वहां के गांव वालों को नदी से पानी लाकर के पिलाने का अधिकार है कि नहीं है ? क्या आप बड़ी योजनाएं शहरों के लिये देते हैं, यह अच्छी बात है.
सभापति महोदय--इसका सुझाव आप ऐसे दे दें कि तीन चार पंचायतों का एक क्लस्टर बनाकर के क्लस्टर की योजना को चालू कर देंगे तो ठीक रहेगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान--सभापति महोदय, आपके फेवर में सुझाव दे रहा हूं कि ग्राम पंचायतों में ऑलरेडी क्लस्टर बने हुए हैं.
श्री हरदीप सिंह डंग--सभापति महोदय, मेरा निवेदन है कि जो आपने क्लस्टर बनाने की बात कही है, यह क्लस्टर सब बने हुए हैं उनको भी जल समूह में शामिल करें. अभी 284 जल समूह की योजना का पत्र मुख्यमंत्री जी का आया था आपके यहां की योजना पास कर दी गई है उसको भी डेढ़ साल हो गया है वहां पर उसका काम ही प्रारंभ नहीं हुआ है. आप उस स्वीकृति पत्र को पुनः देखें. आपको मैं पत्र दूंगा उसमें 284 गांवों को जल समूह में सम्मिलित किया गया है उस योजना को तुरंत प्रारंभ करवायें. कर्मचारियों को हैंडपम्प ठीक करने के लिये बार बार कहते हैं, फिर भी वह लोग उपस्थित नहीं होते हैं. वहां पर हैंडपम्प ठीक करने वाले समय पर पहुंच जायं तो पानी की समस्या ठीक हो सकती है, वह नहीं आने से हैण्डपम्प ठीक नहीं हो पा रहे हैं. हैंडपम्प के पाईप जो नीचे जाते हैं वह काफी समय बाद पुराने हो के कारण सड़न आ जाने से जल जाते हैं उसमें विभाग को तुरंत पाईप उपलब्ध करवाने चाहिये, वहां पर 15-20 दिनों तक वहां पर पाईप ही उपलब्ध नहीं हो पाते हैं. वहां के चालू हैंडपम्प भी बंद की गिनती में आ जाते हैं. हम लोग वहां पर रिपेयरिंग के लिये भी तैयार रहते हैं आप कर्मचारियों को हैंडपम्प रिपेयर करने के लिये उत्साह बढ़ायें. रीबोर करते समय कुछ जगहों पर पेड़ों की जड़े अथवा पत्थर आ जाते हैं अथवा कहीं मिट्टी आ जाती है. रीबोर के लिये जो सूची बनी हुई है उसके हिसाब से वहां पर रीबोर करवा देंगे, तो आने वाले दिनों में पानी की समस्या हल हो सकेगी. अभी निशंक भाई बोल रहे थे कि अनुसूचित जाति बस्तियों की बात की है वहां की कई बस्तियों में आज भी हैंडपम्प नहीं लगे हुए हैं, न ही वहां पर कुएं हैं. गेलाना की अनुसूचित जाति बस्ती वाले दो साल से पानी के लिये संघर्ष कर रहे हैं. वहां पर पानी का बोर होने पर मोटर नहीं जा सकती है. अगर थोड़ी दूरी पर जल स्रोत का होल लगाकर उसमें पानी की मोटर लगाई जाए. वहां पर बोर में मोटर फंस जाती है, वह दो दिन से निकल भी नहीं रही है. आसपुर गांव में पानी की दिक्कत है वहां की महिलाएं दो किलोमीटर की दूरी से पानी लेने जाती हैं. पहले पीएचसी छोटे छोटे डेम बनाती थी उसको किन कारणों से बंद कर दिया गया है. जब मैं 2005 में सरपंच था तब डेम बनते थे.
सभापति महोदय, मेरा कहना है कि आप हैंडपम्प चोपाटी, चोराहा, शमशान, कब्रिस्तान, मंदिर, मजरे, टोले, नई आबादी में हम कहते हैं कि हैंडपम्प लगाना हैं, वहां के अधिकारीगण बोलते हैं कि छः महीने पहले सर्वे हुआ है. अगर उसमें आपके यहां का नाम हुआ तो हैंडपम्प लगेगा नहीं तो नहीं लगेगा. वहां पर एक हैंडपम्प था वह भी बंद हो गया है, तो क्या बिना सर्वे के हैंडपम्प नहीं लग सकता है. वहां की जनता कह रही है कि पानी बंद हो गया है और वहां के अधिकारी कह रहे हैं कि आपके यहां का सर्वे में नाम नहीं है. आप मेरे निवेदनों को स्वीकार करेंगी. मेरे यहां नाहरगढ़, श्यामपुर, आसपुरा, गेलाना मजरों टोलों में पानी की दिक्कतों को आप दूर करवाएंगी धन्यवाद.
श्री यादवेन्द्र सिंह--सभापति महोदय, मैं सुझाव देना चाहता हूं कि जो सर्वे करवा रहे हैं पहले जनपद से सर्वे करवाकर ही बोर करें. यह पहले के सर्वे करवाकर बैठे हैं. उसी आधार पर बोर कर रहे हैं.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक (बिजावर)--सभापति महोदय, वैसे तो पूरा मध्यप्रदेश अल्प वर्षा से ग्रसित है. विशेषकर बुंदेलखंड में अल्प वर्षा की वजह से गंभीर जल संकट है. मध्यप्रदेश सरकार के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को सबसे ज्यादा उम्मीद है इसलिये इस विभाग की मांग संख्या 20 का समर्थन करने के लिये उपस्थित हूं. अभी मैं पूरी चर्चा को सुन रहा था जितने भी माननीय सदस्यों ने चर्चा में हिस्सा लिया है. चाहे वह कटोती प्रस्तावों के समर्थन में बोले हों, चाहे मांगों के समर्थन में बोले हों, सभी ने एक बात विशेष रूप से कही है कि भूजल स्तर में कमी आयी है. भूजल स्तर में कमी आने के लिये न तो सरकार जिम्मेदार है और न ही प्रकृति जिम्मेदार है, मूलतः हम लोग ही जिम्मेदार हैं. शुद्ध पेयजल प्रदान करने के लिये 9 हजार बसाहटों में पूरे प्रदेश में विभाग ने काम किया है. विशेष रूप से छतरपुर जिले में 200 बसाहटों में शुद्ध पेयजल उपलबध कराने की बात विभाग ने कही है और इसकी लिमिट भी तय हुई है 55 लीटर,प्रति व्यक्ति प्रति दिन, इन हालात में पहुंचने के लिये कि हमें कोई सीमा तय करनी पड़ रही है, हम सब जिम्मेदार हैं. पहले यह होता था सभापति महोदय, कि गांव में जो गलियां हैं, जो खोरे हैं वे कच्चे होते थे. घर के आंगन कच्चे होते थे. नगरीय क्षेत्रों में जो सड़कें होती थीं उनकी किनारे की पटरियां भी कच्ची होती थीं. लिहाजा प्रकृति का जो जल हम सब पर कृपा रुप में बरसता था उसका अधिकांश हिस्सा भूजल के रूप में संग्रहीत हो जाता था. धीरे-धीरे आधुनिकता की दौड़ ऐसी बही कि सी.सी. रोड पक्की हुईं,आंगन पक्के हो गये,नगरों में जो सड़कों के किनारे पटरियां थीं वे सी.सी. हो गईं या पेवर्स बिछा दिये गये.
सभापति महोदय - पाठक जी,अपने क्षेत्र की बात कर लें तो ज्यादा उचित होगा क्योंकि समय की सीमा है.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक - माननीय सभापति महोदय, यह जो सामाजिक तकलीफ है उसके दोषों पर ध्यान आकर्षित कराया गया तो एक बार अपने दोषों का भी ध्यान कर लें तो ठीक रहेगा इसलिये मैंने इस विषय को लिया है. 2017-18 के प्रारम्भ में मुख्यमंत्री नलजल योजना जो शुरू हुई उसमें प्रथम चरण में 1200 योजनाओं को लिया गया है और अच्छी बात यह है कि उनकी प्रशासनिक स्वीकृति भी 1 हजार से ज्यादा की हुई है यह भी विभाग की उपलब्धि है इसलिये मैं विभाग की मांग का समर्थन कर रहा हूं. निविदा प्रक्रिया भी पूर्ण हुई है और काम हो रहे हैं. 2017-18 में सौर ऊर्जा आधारित नलजल योजनाओं का भी शुभारंभ होना है. इसके डी.पी.आर. भी तैयार हुए हैं. इस विषयपर मेरा एक सुझाव है. विधान सभा क्षेत्र में एक कदवारा ग्राम है वहां सक्षम जल स्त्रोत है वहां पेयजल की व्यवस्था के लिये सौर ऊर्जा से संचालित पम्प है लेकिन उस स्त्रोत से गांव की दूरी 1 कि.मी. के आसपास है तो वहां यदि पाईप लाईन बिछाने का काम विभाग कर देगा तो जो सौर ऊर्जा से संचालित करने की जो योजना है उसमें यह पहला पायलट प्रोजेक्ट हो सकता है. बंद नलजल योजनाओं के चालू कराने के लिये जो विशेष व्यवस्था की गई है कि जिला स्तर पर समितियां बनाई गई हैं. कुछ ऐसी बसाहटें हैं जहां पानी नहीं पहुंच पा रहा है पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. आसपास के जल स्त्रोतों को शुरू करके वहां पानी पहुंचाएंगे तो वहां पेयजल उपलब्ध हो जायेगा. यह कहने की बात नहीं है कि अभी सूखाग्रस्त पूरा बुंदेलखण्ड क्षेत्र लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी पर अधिक निर्भर रहेगा तो पूरी उदारता के साथ विभाग काम करेगा ऐसा मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री गोवर्धन उपाध्याय(सिरोंज) - माननीय सभापति महोदय, अभी काफी पी.एच.ई. विभाग पर सुझाव आये. केवल इतना कहना चाहूंगा मेरे क्षेत्र के संबंध में कि 2 साल पहले ग्राम आनन्दपुर में जनभागीदारी योजना के तहत गांव वालों ने पैसा इकट्ठा किया. 50 लाख की योजना बनाई. नतीजा यह हुआ कि वह योजना आज तक चालू नहीं हो सकी. बड़े दुख की बात है कि आज मेरे क्षेत्र में आपके विभाग के द्वारा कोई ऐसा काम नहीं किया जिसकी तारीफ की जाए. लोग परेशान और दुखी हैं और कई बार अपना दुख प्रकट करने के लिये मैंने विधान सभा में भी प्रश्न उठाए.साथ में आपको भी शिकायतें कीं पर इस ओर आपने ध्यान नहीं दिया. कम से कम जनभागीदारी योजना को सफल बनाने के लिये आपको सहयोग करना चाहिये. मेरे क्षेत्र में लगभग सवा सौ हैंडपंप खराब पड़े हैं. ई.ई. अटैच हैं. इंजीनियर्स बीमार हैं ऐसी स्थिति में संकट कैसे दूर होगा. कोई सुनने वाला नहीं. उसकी न रिपेयर हो रही,न उसका मेंटेनेंस हो रहा, न उसकी देखभाल हो रही. साथ में जितने भी हैंडपंपों के फाउंडेशन बने हैं जिनको भी ठेका दिया गया एक हैंडपंप का काम पूरा नहीं किया. बड़े दुख की बात है. सरकार यहां बैठी है और उसके बावजूद भी काम न हो यह दुख की बात है. इस साल पानी का संकट है. मैं इतना निवेदन करना चाहता हूं कि सिरोंज विधान सभा क्षेत्र की ओर आप ध्यान दें और ध्यान देकर इस काम को पूरा करें. इतना ही मैं कहूंगा.आपने मुझे समय दिया. धन्यवाद.
सभापति महोदय - श्री आशीष गोविन्द शर्मा....
श्री घनश्याम पिरोनिया(भाण्डेर) - माननीय सभापति महोदय, उनकी जगह वे मुझे बोलने को कह गये थे.
सभापति महोदय - एक मिनट में जल्दी से आप अपनी बात कह दें.
श्री घनश्याम पिरोनिया - सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 20 का समर्थन करता हूं और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के द्वारा जो जनहित में कार्य किये गये हैं, उनके लिये मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में कांग्रेस के लोग तमाम आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं लेकिन मेरा जो विधान सभा क्षेत्र भाण्डेर है जो अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्र है. वहां पी.एच.ई. विभाग द्वारा 13 नलजल योजनाएं इस वर्ष स्वीकृत की गईं हैं और एक-एक करोड़ रुपये की वे योजनाएं हैं. इन योजनाओं का मैं भूमिपूजन करके आया. ग्रामवासी बड़े अभिभूत थे कि कांग्रेस के जमाने में एकाध कोई योजना आ जाती थी और वे योजनाएं भी जो उनके कार्यकाल में प्रारम्भ की गई हैं जो अपनी हालत पर आंसू बहा रही हैं.उनके कार्यकाल की टंकियां आदि, वे सारे के सारे कार्य मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार में हो रहे हैं. इसके अलावा तमाम सारे जो काम अपेक्षित थे उनको इस विभाग के द्वारा पूरा किया गया है. मैं मेरे विधान सभा क्षेत्र में जो सौर ऊर्जा से चलित ट्यूबवेल की जो पद्धति है, मैं मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि नलजल योजनाओं के साथ में उनको जोड़ा जायेगा तो सुचारू रूप से उनका पानी हमारे यहां के प्रत्येक घर तक पहुंच पाएगा. मेरे क्षेत्र में एक पहुज नदी है, वहां सेमाहा,हरदई,तेतना और बेरछ में जिस प्रकार से स्टाप डैम की आवश्यक्ता है, वह बन जायेंगे तो इससे जल स्तर भी बढ़ेगा और भूजल संरक्षण की ओर हम बढ़ेंगे और जो कविता हम सब लोग पढ़ते हैं कि-" पानी गए न ऊबरै,बिन पानी सब सून" तो उसमें कहीं न कहीं संरक्षण होगा. मेरे यहां जो 13 नलजल योजनाएं जो माननीय मंत्री जी ने स्वीकृत की हैं, मैंने 10 नलजल योजनाओं के और प्रस्ताव बनाकर उनको भेजे हैं, तो दतिया जिले के भाण्डेर विधान सभा क्षेत्र में 10 नलजल योजनाएं उनके द्वारा और स्वीकृत की जायेंगी तो अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिये सरकार की जो सोच है, अंतिम छोर के, इस विधान सभा क्षेत्र को उनका आशीर्वाद मिलेगा. मुझे बोलने का अवसर दिया. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कुंवर विक्रम सिंह (राजनगर) - सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 20 का विरोध करता हूं. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया जो हमारी मौसी लगती हैं, उनसे अनुरोध करता हूं कि हमारा जिला छतरपुर, समस्त जिला सूखे की चपेट में है और आए- दिन पानी को लेकर वहां पर समस्याएं हो रही हैं. ग्रामीण अंचलों में देखा जाय, चाहे छतरपुर शहर में देखा जाय, चाहे मेरी विधान सभा में देखा जाय, चाहे 5 अन्य और विधान सभा क्षेत्र जिले में हैं. समस्त जिला सूखे की चपेट में होने के कारण कुएं सूख चुके हैं. नदी नालों में भी पानी बचा नहीं है. मेरा माननीय मंत्री महोदया से, मौसी जी से यह निवेदन है कि जिन ग्राम पंचायतों में जल स्रोत सूख चुके हैं, उनमें पानी का परिवहन पीएचई विभाग द्वारा करवाया जाय ताकि आम जनमानस को पीने के लिए पानी मिल सके. मेरी माननीय मंत्री महोदया से यह भी आशा और उम्मीद है कि जो समूह नल-जल योजना आपके द्वारा और माननीय मुख्यमंत्री के द्वारा 248 गांवों की मेरे विधान सभा क्षेत्र में मंजूर हुई है, उसका काम जल्दी से जल्दी शुरू किया जाय. मेरा ऐसा मानना है और मेरी अंतर्रात्मा यह कहती है कि माननीय मंत्री महोदया इस काम को करेंगी. निश्चित ही करेंगी और हमारे समस्त जिले को इस सूखे के संकट में पानी पिलाने का काम माननीय मंत्री महोदया करें, ऐसा मेरा मानना है और मेरा विश्वास है. सभापति महोदय, आपको बहुत बहुत धन्यवाद आपने मुझे बोलने का मौका दिया.
सभापति महोदय - आपको भी बहुत धन्यवाद, आपने सहयोग किया. श्री पन्नालाल शाक्य, श्री सचिन यादव.
श्री सचिन यादव (कसरावद)- सभापति महोदय, अभी शासन की तरफ से दिशा-निर्देश जिले में भेजे गये हैं, उसमें उन बंद नल-जल योजनाओं को प्राथमिकता देने की बात कही गई है. अभी इसी सत्र में मैंने एक प्रश्न के माध्यम से मेरे विधान सभा क्षेत्र में नल-जल योजनाएं जो अभी चल रही हैं, उसकी जानकारी मांगी है और जो जवाब आया है, उसमें 148 नल-जल योजनाएं चल रही हैं. सारी की सारी योजनाएं चालू हैं ऐसा जवाब आया है. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध करना चाहूंगा कि जो नल-जल योजनाएं चालू हैं वे कई वर्षों से काम कर रही हैं और उसके बाद जनसंख्या में भी वृद्धि हुई है. नये मकान बने हैं. नई बहुएं, नये बच्चे, जिनकी शादियां हुई हैं उन्होंने नये अपने आवास बनाए हैं और जो नल-जल योजनाएं हैं जिनको चालू बताया गया है. वे सिर्फ उस पर्टिक्युलर गांव में हैं. लेकिन जो नई बसाहटें, जो नये मोहल्ले इन विगत वर्षों में विकसित हुए हैं वहां पर पेयजल की भारी समस्या है. जो नल-जल योजनाएं जिनको चालू बताया गया है, उसे कहीं न कहीं उन लोगों को वंचित करने का काम इस प्रश्न के उत्तर के माध्यम से किया जा रहा है तो मेरा अनुरोध है कि आप ऐसी कुछ व्यवस्थाएं कराएं ताकि जो और भी नई बसाहटें आई हैं जो मोहल्ले इन विगत वर्षों में बने हैं, वहां भी हम इन नल-जल योजनाओं के माध्यम से विस्तार कर सकें.
सभापति महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र की जो जानकारी मेरे पास में आई है इसमें कुछ प्रस्ताव हमने विभाग के माध्यम से यहां पर भोपाल भिजवाएं हैं, उसमें बलफवाड़ा का प्रस्ताव है, हीरापुर का प्रस्ताव है, दोंदवाड़ा, आवलिया, बाड़ी, साईखेड़ा, झिरनिया, खराड़ीबुजुर्ग, खराड़ीखुर्द, पोखरखुर्द, इनके प्रस्ताव तैयार करके यहां पर भिजवा दिये गये हैं. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि थोड़ी सी कृपा करके हमारी इन सभी बंद नल-जल योजनाओं को चालू कर जो नये प्रस्ताव आपके पास आए हैं, इनको भी अपने बजट में शामिल करें. धन्यवाद.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा)- सभापति महोदय, एक समय था, कुंओं में कीड़े पड़ जाते थे, उसी का पानी पीकर बीमार होकर एक-एक गांव में 100-100 आदमी एक साथ बीमार हो जाते थे. आज हमारी सरकार ने सभी गांवों में पेयजल की व्यवस्था की है.
श्री कुंवर विक्रम सिंह - सभापति महोदय, ऐसा प्रतीत होता है कि अभी भी विपक्ष में माननीय सदस्य बैठे हुए हैं.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा - सभापति महोदय, इनको बात बुरी लगती है. मैं इन्हीं के जमाने की बात कर रहा हूं. आज तो मध्यप्रदेश में स्वच्छ जल प्रदाय किया जा रहा है. गांवों की संख्या असंख्य है. कोई भी गांव अछूता नहीं है, जिसमें हैंडपंप नहीं हो. सभापति महोदय, आंगनवाड़ी हैं, स्कूल हैं. भू-जलस्तरीय जो नल-जल योजनाएं हैं, मैं इसका बहुत समर्थन करता हूं. मैं माननीय मंत्री महोदया से आपके माध्यम से आग्रह करता हूं कि समूह जल प्रदाय योजना आज पूरी तरह से प्रभावी है. सभी ने स्वीकार किया है कि जमीन जल स्तर नीचे चला गया है. ऐसी स्थिति में यह समूह जल प्रदाय योजना बहुत कारगर सिद्ध हो रही है. सभापति जी, मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक पगारा डेम से 36 कि.मी. लाइन डालकर, पगार डेम में इंटेक वेल बनाकर 23 गांव में बहुत बड़ी-बड़ी टंकियां बनाई गई हैं, उससे 35 गांवों को स्वच्छ पानी मिलेगा. 31 मार्च तक विभाग ने आश्वासन दिया है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया से आग्रह करूंगा कि बीच में आपका स्वास्थ्य खराब हो गया था, आज तो आपका स्वास्थ्य भी ठीक है और आपके विभाग में प्रमुख सचिव भी बहुत ठीक हैं. अब जितने भी काम जो चल रहे हैं, उन कामों में निश्चित रूप से गति आएगी.
श्री सुखेन्द्र सिंह - क्या सरकार गड़बड़ है?
श्री सूबेदार सिंह रजौधा- सभापति महोदय, 31 मार्च तक अगर कहीं यह योजना पूरी हो गई तो जिन्होंने, मध्यप्रदेश के लोकप्रिय माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने मेरे विधान सभा क्षेत्र में जो 35 गांवों को स्वच्छ पानी पिलाने की घोषणा की थी, उस घोषणा का शुभांरभ अप्रैल में हम माननीय मुख्यमंत्री जी से करा सकेंगे, इसलिए माननीय मंत्री महोदया से निवेदन करता हूं कि 31 मार्च तक यह काम पूरा हो जाना चाहिए. दूसरा, मेरे यहां के दो गांव जो पहाड़ी क्षेत्र में हैं, घाड़ोर और कुंवरपुर, मैंने इस योजना को जोड़ने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी से आग्रह किया था, उन्होंने घोषणा की थी कि एक गांव घाड़ोर को जोड़ लिया गया है, दूसरा कुंवरपुर गांव है, यह पहाड़ी क्षेत्र में हैं, जमीन में वहां पर पानी नहीं है. उस पर अभी काम शुरू नहीं हुआ है. मैं माननीय मंत्री जी से उम्मीद करता हूं इस गांव को भी शीघ्र जोड़ने का काम करेंगे. सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र में एक चंबल का क्षेत्र पड़ता है. वहां पर चंबल के किनारे ऐसे गांव हैं, उन गांवों के नाम हैं, छिन्वरा, उत्तमपुरा, ताजपुर, मंजीतपुरा, अजबाकापुरा, बहादुरसिंहकापुरा, कोलूडाड़ा, कोटरा, बुरजा, इन गांवों में मेरे कार्यकाल में मुझे साढ़े चार साल विधायक बने हो गये एक भी हैण्डपंप खनन नहीं हुआ. विभाग का कहना है कि यहां पर पहले डेढ़ सौ फुट मिट्टी आती है, उसके बाद पत्थर आ जाता है, हमारे पास कॉम्बिनेशन की मशीन नहीं है, तो मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि वह करीब 10 गांव हैं उनमें हर गांव में एक-एक, दो-दो हैण्डपंप लगवाने की व्यवस्था करें. एक विशेष परेशानी है हैण्डपंप संधारण की. मेरे विधानसभा क्षेत्र में विकासखंड पहाड़गढ़ में 65 पंचायतें हैं और 65 पंचायतों में एक ही ठेकेदार को हैण्डपंप सुधारने का ठेका दे दिया गया है. गांव का आदमी मुझे फोन करता है, एसडीएम को फोन करता है, ठेकेदार को फोन करता है, लेकिन ठेकेदार की इतनी जिम्मेदारी नहीं है कि वह तत्काल सुधारे. इसमें मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि जिले में एक ऐसा कंट्रोल रुम बनाया जाए, चाहे ठेकेदार बनाए, चाहे विभाग बनाए, लेकिन सूचना हम ठेकेदार को न देते हुए विभाग के कर्मचारी को दें और उनसे ही पूछें कि हमारे हैण्डपंप का क्या हुआ. मैं समझता हूं कि मंत्री जी इसमें भी निश्चित रूप से निर्णय लेंगी और एक कंट्रोल रुम जिस प्रकार से 181 पर मध्यप्रदेश का कोई भी आदमी फोन करता है तत्काल उसको राहत मिलती है उसी प्रकार से ही एक नंबर जिले में होगा जिसमें हम अपने हैण्डपंप की सूचना दें. दूसरा जैसे स्टॉप डेम की चर्चा आई थी वास्तव में जमीन में पानी है, मेरे क्षेत्र में 60 फुट जल स्तर नीचे चला गया है, वहां पर हैण्डपंप काम नहीं करते, छड़ें टूट जाती हैं, ज्यादा छड़ें होने से सरिया खुल जाता है, इसलिये मेरा आग्रह है कि उनमें मोटर डलवाने का काम करें और जो पहाड़ी क्षेत्र है जहां हैण्डपंप बंद पड़े हैं, पानी पूरी तरह से सूख गया है वहां भी मैं उम्मीद करता हूं कि मंत्री जी पहाड़ी क्षेत्र में, मेरे विधानसभा क्षेत्र में तीन विकासखंड में कुछ क्षेत्र कैलारस का, कुछ क्षेत्र जौरा विकासखंड का, कुछ क्षेत्र पहाड़गढ़ का, कुल आधे से ज्यादा पहाड़ी क्षेत्र है इसलिये हैण्डपंप सूख गए हैं, जल स्तर खत्म हो गया है, वहां नए हैण्डपंप लगवाने के लिए जरूर व्यवस्था करें नहीं तो वहां परिवहन से पानी पिलाना पड़ेगा. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से आग्रह करता हूं कि जिन बोरों में पानी है उनमें अधिक से अधिक मोटर मेरे क्षेत्र में डलवाने की कृपा करेंगे. आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिए मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.
श्री यादवेन्द्र सिंह- सभापति जी, अभी ये कह रहे थे कि मेरे यहां सब ठीक-ठाक है, बढि़यां पानी है, मुख्यमंत्री जी ने पूरे क्षेत्र में उद्घाटन कर दिया है. अभी साढ़े चार साल से क्या चंबल के बीहड़ में फरारी काट रहे थे ? आप सही बात क्यों नहीं करते हैं ?
श्री सूबेदार सिंह रजौधा- सभापति महोदय, बच्चे पैदा हुए फिर जवान हो गए, अब बूढ़े हो गए, क्या वे डॉक्टर के पास नहीं जाते ? मेंटेनेंस जरूरी है. आपके जमाने में लोग कीड़े वाला पानी पीते थे.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज)- सभापति महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग निश्चित रूप से हम सबके लिये बड़ा महत्वपूर्ण विभाग है. उसका कारण यह है कि जल ही जीवन है. हमारे कई साथी विधायकों ने इसके बारे में कहा. एक कहावत है कि ''रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून, पानी गए न ऊबरे मोती, मानुष, चून.'' यह कहावत किसके लिए है यह किसी से छिपा नहीं है, आप सब पढ़े-लिखे और समझदार हैं. 14 सालों से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और इन 4 सालों में लगातार सूखा पड़ रहा है. सूखा क्यों पड़ रहा है ? पुरानी कहावत है कि जब जिस राज्य का राजा धर्मात्मा होता है.
सभापति महोदय- आप कहावत में अपना समय निकाल देंगे ? आप दो मिनट में अपनी बात रखिए.
श्री सुखेन्द्र सिंह- सभापति जी, जब आप हमारे बगल में बैठते हैं तब खूब बोलते हैं और जब आप वहां बैठ गए तब हम लोगों पर आप पाबंदी लगा देते हैं. कम से कम इतना को ख्याल करिए आपको तो बोलना नहीं है. कहावत है कि जिस राज्य का राजा अगर धर्मात्मा होता है तो वहां अच्छी बारिश होती है, लेकिन इन चार सालों में बारिस नहीं हो रही है. (XXX) यह कहने में कतई संकोच नहीं है. जब बरसात नहीं होती तो बड़े-बड़े धर्म, यज्ञ किए जाते है, बड़े-बड़े धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- सभापति महोदय, (XXX) यह विलोपित काराएं.
सभापति महोदय- (संकेत से) इसको विलोपित किया जाए.
श्री सुखेन्द्र सिंह- मंत्री महोदया, आप तो हमारे रजनीश सिंह जी की बुआ लगती हैं थोड़ा हमारे ऊपर कृपा करें. बड़े-बड़े धार्मिक अनुष्ठान होते हैं तब जाकर बरसात होती है. निश्चित रूप से हमारे मुख्यमंत्री जी ने भी धार्मिक आयोजन किए, एकात्म यात्रा की, बड़े-बड़े साधु-संत बुलाए, निश्चित रूप से पूरे प्रदेश में दौड़ाए, लेकिन इसके बावजूद कोई बारिश नहीं हुई. इसका कारण यह था कि उसमें भी भ्रष्टाचार हुए, उसमें भी कलंक आए इसलिये बरसात नहीं हुई. आज हम पीडि़त हैं. लगातार सूखे की बात हो रही है. मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहता हूं कि सरकार ने यहां पर कोई कम प्रयास नहीं किए इसको मैं स्वीकार करता हूं, कहीं नलजल योजना की, कहीं हैण्डपंप, बहुत सारी योजनाएं कीं. हम लोग विधायक हैं, हम लोगों ने 70 प्रतिशत विधायक निधि से पेयजल पर खर्च किया. मेरे क्षेत्र में तो और भी ज्यादा हुई है, लेकिन उसके बावजूद कहीं न कहीं पानी की किल्लत की स्थिति है. सभापति महोदय, राईजर पाइप के बारे में हर विधायक ने आपत्ति की है कि राईजर पाइप नहीं पहुंच रहे हैं. मैं भी आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि एक ग्राम पंचायत में इतने हैण्डपंप हो गए हैं कि जितने राईजर पाइप जाते हैं वह एक गांव के लिए भी नहीं हो पाते हैं. इसलिए राईजर पाइप बढ़ाए जाएं. राईजर पहुंच गई, लेकिन मुझे यह कहने में संकोच नहीं है कि जब अधिकारी, कर्मचारी नहीं हैं तो यह राईजर पाइप कौन लगाएगा ? तो इस पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाए.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- सभापति महोदय, आप स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि इतने ज्यादा हैण्डपंप हो गए हैं कि राईजर पाइप पूरे नहीं पड़ रहे हैं और कह रहे हैं कि हैण्डपंप नहीं है.
श्री सुखेन्द्र सिह- सभापति महोदय, यह आपने नहीं कराया मंत्री महोदया, यह तो सारे विधायकों ने विधायक निधि से कराया है. आपकी यह कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है. मैंने तो पहले भी बताया कि आपने सारे इंतजाम किए लेकिन बरसात ही नहीं हो रही है. पूरी तरह से भ्रष्टाचार हो रहा है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा- सभापति महोदय, 70 लाख से 2 करोड़ हो गए हैं.
श्री के.के. श्रीवास्तव- सभापति महोदय, 2003 के पहले के मुख्यमंत्री ने अभियान चलाया था पानी-रोको, पानी रोको, तब से उनका पाप का घड़ा हम लोग भोग रहे हैं...(व्यवधान)...
सभापति महोदय- कृपया सुखेन्द्र सिंह जी, अपनी बात समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत- सभापति महोदय, पाप का घड़ा यह तो कार्यवाही से निकलवा दें. सभापति महोदय- (संकेत से) इसे कार्यवाही से निकाल दें.
श्री सुखेन्द्र सिंह- सभापति महोदय, मेरा एक सुझाव मंत्री महोदया को है कि गांवों में व्यक्तिगत बोर कराए जा रहे हैं और जिसे विभाग कराता है तो 300 फुट से ज्यादा बोर नहीं हो पाता और व्यक्तिगत बोर कम से कम 600-700 फुट तक होते हैं, तो मेरा यह अनुरोध है कि सरकारी बोर भी कम से कम 500 फुट बनाया जाए और मेरा दूसरा सुझाव यह है कि जो व्यक्तिगत बोर कराकर अपने बाड़े के अंदर अपनी बगिया सींच रहे हैं, उनके लिए शासन की तरफ से एक सख्त निर्देश जाना चाहिए कि कम से कम अपने पड़ोसियों, अपने मोहल्ले वालों के लिए पानी की व्यवस्था करें. इससे हमारे पेयजल का निदान होगा, बाकी सरकार तो पूरी तरह से असफल और फेल है, कुछ होने वाला नहीं है. जब तक सरकार चेंज नहीं होगी तब तक बारिश नहीं होगी और जब तक सरकार चेंज नहीं होगी तब तक पेयजल पर निदान नहीं पाया जा सकता है. आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा- आप मुंगेरीलाल के सपने देखो सरकार चेंज करने के लिये.
श्री आर.डी. प्रजापति (चन्दला)- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 20 के समर्थन में अपनी बात कहना चाहता हूं. बुंदेलखंड में सभी लोग बता चुके हैं और मैं भी बताना चाहता हूं कि लगातार सूखा पड़ रहा है. इस सूखे के कारण पूरी जगह नदी तालाब और कुएं, हैंडपम्प यह सब सूख गये हैं. यह एक प्रकृति की देन है और सब से ज्यादा बुंदेलखण्ड में सूखा पड़ने के कारण आज जानवर भी विशेषकर गाय जो आवारा पशु है, वह भी पानी के कारण मर रहे हैं. जल स्तर इतना ज्यादा गिर गया है कि..
सभापति महोदय -- आप क्षेत्र पर आ जायें, तो ज्यादा उचित रहेगा.
श्री आर.डी.प्रजापति -- सभापति महोदय, मैं क्षेत्र पर ही आ रहा हूं. 80 प्रतिशत हैंडपम्प सूख गये हैं. जितनी नल जल योजनाएं हैं, वे सूख गई हैं. हैंडपम्प में 2 से 4 बाल्टी पानी निकलता है. इसमें सरकार का दोष नहीं है. यह वास्तव में प्रकृति का प्रकोप है और इसमें यह कहना गलत है, कभी भी प्रकृति का प्रकोप होता है. चाहे जिसकी सरकार हो. यह सरकारें प्रकृति से बड़ी नहीं हैं. मंत्री जी हमारे क्षेत्र की हैं और मेरा क्षेत्र मंत्री जी के यहां से लगा हुआ है. वे हमारे यहां की प्रभारी मंत्री जी भी हैं और हमारी पालक भी हैं. तो मेरा निवेदन यह है कि जहां हैंडपम्प सूख गये हैं, वहां नये हैंडपम्प लगवाए जायें. नल जल योजनाओं के जो बोर हैं, उनका और गहरीकरण किया जाये. साथ ही केन और पुरमिल नदी में जहां तहां जो पानी है, उसको रुकवाकर के और उसको कहीं न कहीं बांध जैसे बंधवाकर टेम्परेरी अगर उससे पानी की व्यवस्था ढोने का काम पीएचईडी करेगा, चूंकि अलग से तो पानी आने वाला नहीं है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 355 गांव हैं और 355 गावों में से ऐसा कोई गांव नहीं है, जहां पानी की व्यवस्था पूर्ण रुप से हो. हमारी सरकार यह स्वच्छता अभियान जो कर रही है और हम सब लोग इसमें लगे हैं. जो भी आपके शौचालय बने हुए हैं, यह बहुत बड़ा मामला है. इससे बड़ा कोई मामला नहीं है. ये बगैर पानी के कैसे हो सकता है. यह राष्ट्रीय स्तर का मामला है और हम सब के लिये बड़ा मामला है, जिससे बीमारी न फैले. आज जब सब चीज होते हुए भी हमारे यहां शौचालय हो जाने के बावजूद भी हम लोग बाहर जाने को मजबूर हैं. इसलिये मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि पानी की व्यवस्था किसी भी तरह से की जाये और आप स्वयं जानती हैं, ऐसा नहीं हैं, चूंकि क्षेत्र एक ही है. जो भी अधिक से अधिक व्यवस्था हो, अधिक पाइप बढ़ाये जायें, अच्छी मशीनें लगवाई जायें और जहां सबसे ज्यादा सूखा है और जल स्तर ज्यादा गिर गया है, उन जगहों का आप सर्वे करवा करके पानी की व्यवस्था आप करवायें, जिससे जन जीवन जो आज प्रभावित है और पूरी तरह से पशुओं एवं आदमियों में हा-हाकार मचा है. मंत्री जी, मेरा निवेदन है और आप स्वयं समझती हैं, किसी तरह से जो भी आप उचित समझें, व्यवस्था करायें. यह व्यवस्था केवल पानी नदियों से जो इकट्ठा करके या परिवहन से ही हो सकती है. एकाएक इतना जल्दी कहीं से पानी आने वाला नहीं है या अधिक गहराई के बोर करवाये जायें, यही मेरा निवेदन है. सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) -- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 20 पर अपनी बात रखने के लिये खड़ी हुई हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र लांजी के अंतर्गत 5 पंचायतें पहले तो कुलपा, कारंजा, बापड़ी,परसोड़ी परसवाड़ा, इन पंचायतों का पूरा एरिया ड्राय है. इसके लिये ग्रुप वाटर सप्लाई स्कीम काफी दिनों से पेंडिंग रखी हुई है. मैं जब से विधायक बनी हूं, तब से मैंने प्रयास किया है. चाहे विधान सभा प्रश्न, चाहे ध्यान आकर्षण के माध्यम से हो. मुझे इतना विश्वास था कि शायद अंतिम बजट की जब किताब आयेगी, तो उसमें इस ग्रुप वाटर सप्लाई स्कीम की मंजूरी मिल जायेगी, लेकिन जब मैंने देखा , तो इसमें बजट में कहीं कोई इसका दूर दूर तक जिक्र नहीं है. मैं मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहती हूं कि मेरे ही विधान सभा का जो मुख्यालय है, नगर परिषद् लांजी, उसमें 18 करोड़ रुपये की वाटर सप्लाई स्कीम स्वीकृत हुई है और लगभग 20 किलोमीटर दूरी से छोटी बाग नदी से पानी लांजी तक लाया जायेगा, जो लगभग 20 किलोमीटर दूर है और इन पंचायतों की दूरी जहां से पानी लाना है, वहां से मुश्किल से 2-3 किलोमीटर की दूरी पर ये पंचायतें हैं. मैं मंत्री जी से यह कहना चाहती हूं कि जब वाटर सप्लाई स्कीम वहां पर बनेगी तो निश्चित रुप से फिल्टर प्लांट भी वहां लगेगा. तो कम बजट में इन पंचायतों को भी हम लोग पानी पहुंचाने की व्यवस्था कर सकते हैं. यदि इसका मंत्री जी जिस तरीके से सिर हिला रही हैं, मुझे विश्वास है कि जरुर इस बात के लिये सहमति देंगी और हमारे वहां के लोगों की पीने के पानी की समस्या दूर हो जायेगी. दूसरी बात, जब भी हम लोग क्षेत्र में घूमते हैं, तो हमेशा एक ही बात आती है कि जितने मोक्षधाम, श्मशानघाट हैं, उन सबमें हैंडपम्पों की मांग सभी लोगों से, सभी जनप्रतिनिधियों से की जाती है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि जैसे उन्होंने आंगनवाड़ियों के लिये यह प्राथमिकता की है कि कहीं भी आंगनवाड़ी होगी, तो वहां हैंडपम्प खुदेगा. प्राथमिक शालाओ में आपने बाध्यता कर दी है कि यहां हैंडपम्प होगा ही. वैसे ही मेरा आपसे निवेदन है कि जितने हमारे श्मशानघाट और मोक्षधाम हैं, उन सभी के लिये आप एक ऐसा प्रस्ताव बना दें कि सभी मोक्षधाम और श्मशानघाट में हैंडपम्प लगवाये जायेंगे.
सभापति महोदय -- वहां पानी की व्यवस्था की जाये, इसको ऐसा कर लें, तो ज्यादा अच्छा रहेगा.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- सभापति महोदय, बिलकुल.
2.43 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
उपाध्यक्ष महोदय, यह तो मध्यप्रदेश और हम सब के लिये बहुत सौभाग्य की बात है कि केंद्र में जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है, तब से पेयजल विभाग मध्यप्रदेश के लोगों के पास ही रहा है. पहले चाहे नरेद्र सिंह तोमर जी हो और वर्तमान में प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री, सुश्री उमा भारती जी के पास हो. तो जब दोनों ही मध्यप्रदेश के लोगों के पास यह विभाग है, तो इस विभाग के लिये तो मुझे लगता है कि बजट की कहीं कोई कमी नहीं आनी चाहिये, क्योंकि मुझे प्रशासकीय प्रतिवेदन के माध्यम से एक बात जो जानकारी में आई है कि जितनी स्कीम्स केंद्र सरकार और राज्य सरकार जब दोनों के योगदान से कोई योजना बनाई जाती है, तो बहुत सारी स्कीम्स में तो केंद्र सरकार ने अपना हाथ पीछे खींच लिया, लेकिन रुरल ड्रिंकिंग वाटर स्कीम, यह स्कीम ऐसी है, जिसमें पहले केंद्र 50 प्रतिशत देता था और राज्य सरकार का 50 प्रतिशत लगता था, लेकिन इसमें केंद्र सरकार ने अपना बड़ा दिल किया और 60/40 का रेशो इसमें कायम किया है. यह बहुत अच्छी स्कीम है. लेकिन पिछले वर्ष 2016-17 में मैं यह प्रशासकीय प्रतिवेदन के माध्यम से कह रही हूं कि वर्ष 2016-17 के लिये केंद्र सरकार द्वारा आवंटन में कमी की गई और 2016-17 के बाद वर्ष 2017-18 के लिये केंद्र सरकार द्वारा आवंटन में कमी की गई, जिसके कारण पेयजल कार्यक्रमों के वित्तीय ढांचे के अनुरुप केंद्रांश में कटौती के फलस्वरुप राज्य सरकार द्वारा भी समतुल्य राशि उपलब्ध नहीं कराई गई. मैं यह बात कहना चाहती हूं कि जिस समय केंद्र में हमारे केंद्रीय मंत्री माननीय कमलाथ जी हुआ करते थे, शहरी विकास विभाग जब उनके पास हुआ करता था, तो उन्होंने कभी भी, उनके साथ तो यह दिक्कत थी कि केंद्र में कांग्रेस की, यूपीए की सरकार थी और प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी, उसके बावजूद भी उन्होंने हमेशा इस बात को प्रोत्साहित किया कि आप केवल मध्यप्रदेश से प्रस्ताव भिजवाइये, उसको पास करवाने की जवाबदारी उनकी रहेगी और जब उनका विभाग बदला, सड़क परिवहन विभाग उनके पास गया, तब भी उन्होंने इसी उदार भावना के साथ काम किया. आज तो केन्द्र में भी आपकी सरकार है और प्रदेश में भी आपकी सरकार है.
उपाध्यक्ष महोदय -- अंतिम एक मिनट में आपके यदि कोई सुझाव हों तो वे दे दें.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक सुझाव मैं देना चाहती हूँ कि पीएचई विभाग की सलाहकार समिति की जब बैठक हुई थी, उसमें यह निष्कर्ष निकला था कि ग्राम पंचायतों की जो नल-जल योजनाएं हैं, उनको पीएचई विभाग को सौंप दिया जाए. आदरणीय गोपाल भार्गव जी भी यहां पर बैठे हुए हैं, लेकिन शायद मंत्री जी को पसंद नहीं था या मुझे नहीं पता कि क्या बात थी, योजनाएं विभाग को ट्रांसफर नहीं हुईं. अगर इससे सबसे ज्यादा परेशानी किसी को हो रही है तो वह गांव में निवास करने वाली जनता को हो रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम विधायक लोग भी जब सदन के बाहर बैठते हैं, चाहें वे कांग्रेस के विधायक हों या बीजेपी के हों या बसपा के विधायक हों, हम लोग भी यही चर्चा करते हैं कि नल-जल योजनाएं ग्राम पंचायत के हाथों में रहती हैं तो उनके संचालन में निश्चित रूप से दिक्कत आती है क्योंकि यदि नल-जल योजना में खराबी हुई तो सबसे पहले शिकायत सीईओ के पास जाती है और उनके पास इस तरह का कोई टेक्निकल स्टॉफ नहीं है. उनको इन सब योजनाओं के संचालन में निश्चित रूप से दिक्कत आती है. इसलिए मैं आपके माध्यम से यह निवेदन करना चाहती हूँ कि पीएचई विभाग को ये नल-जल योजनाएं वापस कर दी जाएं ताकि गांवों में इनका संचालन बहुत सही तरीके से हो सके.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- वापस की जाती हैं. क्या अभी वापस कर दें ?
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- मंत्री जी, यह तो बहुत बड़ी बात हो जाएगी. धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव -- जब यहां पर कुछ है ही नहीं तो वापस करने में क्या दिक्कत है. सारा काम तो पीएचई विभाग ही करता है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अंतिम बात कहना चाहती हूँ और फील्ड की एक दिक्कत बताना चाहती हूँ..
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, आपका समय समाप्त हो गया है. अंतिम बात आपने पहले भी कही थी.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- उपाध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री अमर सिंह यादव (राजगढ़) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं पीएचई विभाग की मांग संख्या - 20 का समर्थन करता हूँ. मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार जब से आई है, ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की सुचारू रूप से व्यवस्था मध्यप्रदेश सरकार द्वारा, माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा, माननीय मंत्री जी द्वारा कराई जा रही है. सरकार द्वारा हर गांव में नल-जल योजना के माध्यम से और सार्वजनिक कूप निर्माण के माध्यम से जल संकट के निवारण के लिए निश्चित रूप से लगातार कार्य किया गया है. मध्यप्रदेश में हमारे प्रदेश के मुखिया माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने गांवों में रहने वाले हर समाज का, हर वर्ग का ध्यान रखा है. ग्रामीण क्षेत्रों का चहुंमुखी विकास कैसे हो और पानी की सुचारू रूप से व्यवस्था कैसे हो, इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है, चाहे वह मुख्यमंत्री पेयजल योजना हो या जल निगम हो, जल निगम का निर्माण किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय -- यादव जी, मेरा सुझाव है कि समय की कमी है तो अपने क्षेत्र की योजनाओं के बारे में यदि कुछ सुझाव देने हों तो वह दे दें.
श्री अमर सिंह यादव -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि संपूर्ण राजगढ़ जिले में जल निगम के माध्यम से समूह योजना बनाकर मेरे विधान सभा क्षेत्र में मोहनपुरा परियोजना से 403 गांवों की योजना स्वीकृत की गई है. इसका टेंडर भी जारी हो चुका है और गोरखपुरा बांध, जो मेरे विधान सभा क्षेत्र में है, इससे 156 गांवों की योजना सेंक्शन हुई है. हमारे राजगढ़ जिले के पहाड़गंज, मूनला और कुंडलिया के माध्यम से इस प्रकार 1500 करोड़ रुपये की योजना देकर इस प्रदेश के मुखिया माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने राजगढ़ जिले पर बड़ी कृपा की है. आने वाले समय में संपूर्ण जिले के हर गांव में स्वच्छ पानी पीने को मिलेगा. मैं विभाग को, माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
कुँवर सौरभ सिंह सिसोदिया (बहोरीबंद) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सीधे क्षेत्र की समस्याओं पर आता हूँ. मेरे यहां पर लगातार तीन-चार साल से सूखा पड़ रहा है. विभिन्न प्रश्नों के माध्यम से मैंने अपनी बात उठाई है पर पीएचई विभाग इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. पठार क्षेत्र का, रीठी और बहोरीबंद ब्लॉक का जल स्तर लगभग 500-600 फुट नीचे चला गया है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इस पर ध्यान दें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछले वर्ष पानी को लेकर बिना पानी के 50 घंटे मैं एक अनशन पर बैठा था, उसके बाद शासन की तरफ से कुछ पैसा जारी हुआ था, पर वह पर्याप्त नहीं है. हमारे यहां वाटरशेड परियोजनाएं कागजों पर ही चल रही हैं इसलिए वाटर कन्जर्वेशन नहीं हो पा रहा है.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (कुसुम सिंह महदेले) -- उपाध्यक्ष महोदय, वाटरशेड परियोजनाएं पहले ही बंद हो चुकी हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- इन योजनाओं का नाम बदल गया है, अब आईडब्ल्यूएमपी हो गया है.
कुँवर सौरभ सिंह सिसोदिया -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं क्षमा चाहूंगा, पर मेरे कहने का उद्देश्य यह है कि इनका कोई लाभ नहीं मिल रहा है. एक सबसे बड़ी समस्या है कि अगर विधायक निधि से हम बोर करवाना चाहें तो पीएचई विभाग को अगर हम पैसे देते हैं तो उसका एस्टीमेट इतना ज्यादा होता है कि 3 लाख, 4 लाख में होता है. अगर पेयजल के नाम से उस बोर को हम 100 फुट करना चाहें तो 100 रुपये फुट के हिसाब से 10 हजार रुपये का होता है, जबकि पीएचई में जाकर यह 3 लाख रुपये का होता है. इसमें मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है, हम इनसे मशीन के लिए बोलते हैं तो ये 60 हजार रुपये की मशीन लगाते हैं, जबकि विधायक निधि से हम 25 हजार रुपये में लगा लेते हैं. अत: मेरा निवेदन है कि विधायक निधि का कुछ ऐसा प्रोविजन किया जाए कि इससे अच्छा काम हो सके. स्वेच्छानुदान का मेरा आधा पैसा तो मुझे पानी के परिवहन में देना पड़ रहा है. हमारे यहां प्रशासन की समस्या यह है कि प्रशासन सुध ही नहीं ले रहा है. उपाध्यक्ष महोदय के माध्यम से मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि कोई ऐसा प्रोविजन कर दिया जाए कि जो हम सरपंचों को निधि देना चाहें, माननीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री जी भी यहां पर बैठे हुए हैं, तो वे सीधे बोर करवा लें. आप इसका भौतिक सत्यापन करा लें, बोर है, पानी है तो पैसे दिए जाएं. मेरा आपसे निवेदन है कि इसी तरह से मोटर में कर लें क्योंकि अगर हम पीएचई से लेते हैं तो 60 हजार की मोटर पड़ती है और जब हम अपनी निधि से डायरेक्ट दुकान से दिलवाते हैं तो 20 से 25 हजार की मशीन पड़ती है. हमारे यहां प्रॉपर रीठी, जो कस्बा है, विकासखंड मुख्यालय है, उसमें इतनी बड़ी समस्या है कि वहां पर करीब-करीब 20 टैंकर्स से परिवहन हो रहा है और पूरे गांव में, पूरे कस्बे में बिना घूमने के पानी नहीं मिल पा रहा है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि यह काम करवा दें. कई बार मैंने निवेदन किया है कि हमारे यहां एक अलग से योजना बना दें. हमारा क्षेत्र बुंदेलखंड और महाकौशल के बीच में आता है तो जो रिब है वह रेड स्टोन की रिब है उसके कारण बहुत तकलीफ आ रही है, मेरा निवेदन है कि माननीय मंत्री जी अगर इन सब विषयों पर ध्यान देंगी तो बेहतर होगा, धन्यवाद.
श्री मंगल सिंग धुर्वे ( घोड़ाडोंगरी) -- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि हमारे जिले में पेयजल के लिए काफी काम हुआ है. लेकिन इस वर्ष बैतुल जिले में औसत से कम वर्षा हुई है, अत: माननीय मंत्री जी से मैं आग्रह करता हूँ कि घोड़ाडोंगरी विधान सभा क्षेत्र में नवीन हैण्डपंप खनन के लिए राशि दी जाए. साथ ही चिचोली विकासखण्ड की पुरानी नल-जल योजनाओं में मरम्मत के लिए ठेकेदार को 4 माह से टेंडर हो गए हैं, उनको आदेश मिल गए हैं, लेकिन अभी तक उन्होंने अपना काम चालू नहीं किया है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है. साथ ही शाहपुर, भयावाड़ी, सीतापाटला, पाटाखेड़ा और घीसीबागला में 8 साल पहले एक-एक करोड़ रुपये से बड़े-बड़े टैंक बनकर तैयार हुए लेकिन आज तक चालू नहीं हुए हैं, इनको भी अतिशीघ्र चालू करवाने की कृपा करें. धन्यवाद.
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदया का ध्यान तीन विषयों पर दिलाना चाहता हूँ. एक तो यह है कि पीएचई विभाग द्वारा पंचायतों को नलकूप खनन के लिए और कुछ उसकी रिपेयरिंग के लिए राशि डाली गई है तो मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र के जितने ग्रामों में उन्होंने राशि डाली है, वह मुझे बता दें क्योंकि सरपंच लोग उस काम को कर नहीं रहे हैं, वे इन्टरेस्ट नहीं ले रहे हैं. दूसरी बात यह है कि मेरे यहां पर करीब 50 गांव ऐसे हैं जो कि बिल्कुल सूख गए हैं, मैंने उनकी सूची माननीय मंत्री महोदया की दी है और 146 हैंडपंप खनन के लिए मैंने आवेदन किया है. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, इसके लिए धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- मेरा भी एक सुझाव था. आपने हमारे क्षेत्र बाणसागर में 1500 करोड़ रूपए की लागत की सबसे बड़ी नल-जल समूह योजना दी है जिससे हमारे 345 गांवों में पेयजल की व्यवस्था हो जाएगी. नागौद और उचेहरा में कुछ मैहर में और थोड़ा सा रामपुर बघेलान में यह व्यवस्था हो जाएगी. लेकिन वह बाणसागर में स्थापित है. बाणसागर स्त्रोत जो है वह रामनगर में है लेकिन योजना का नाम आपने जो दिया है उसका बाणसागर और परसबनिया इस तरह से दिया है. उसमें रामनगर का नाम ही नहीं है. जबकि रामनगर ब्लॉक है जहां बाणसागर से पानी लिफ्ट कर रहे हैं. मेरा यह कहना है कि इसमें सुधार करवाएं. (मेजों की थपथपाहट)
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज जिन माननीय सदस्यों ने पीएचई विभाग की चर्चा में भाग लिया है उन सब को मैं धन्यवाद देती हॅूं और जिन माननीय सदस्यों ने कटौती प्रस्ताव दिए हैं उनको भी धन्यवाद देती हॅूं. सबसे पहले तो श्री जयवर्द्धन सिंह जी को धन्यवाद देती हॅूं. भू-जल नीचे चला गया है क्योंकि वर्षा कम हुई है. उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार पर दोष लगाते हो तो हमें तो वह जमाना भी याद है जब अवर्षा की वजह से कांग्रेस के जमाने में लाल गेहॅूं खाना पड़ते थे और ऐसी बुरी स्थिति होती थी कि पूरी तरह से सब फसलें नष्ट हो जाती थीं. आपने कहा कि सोलर पंप की व्यवस्था कराएं तो निश्चित रूप से आपका सुझाव बहुत अच्छा है और हमने यह प्रावधान भी किया है कि जो छोटी बस्तियां हैं जहां हैण्डपंप का पैसा नहीं दे सकते हैं और मोटर पंप, बिजली का पैसा नहीं दे सकते हैं वहां सोलर पम्पों की व्यवस्था की जाए. सतही जल की हम व्यवस्था करेंगे कि हैण्डपंप पर निर्भरता कम हो. उस सतही जल से पानी ले सकें. श्री के.के.श्रीवास्तव जी ने सुजारा बांध की योजना को जल्दी पूरी करने के लिए कहा है उस पर भी जल्दी काम करेंगे. श्री फुन्देलाल सिंह जी ने सोलर पम्प के लिए प्रस्ताव करवाने के लिए कहा है उसको भी हम पूरा करेंगे. श्री खण्डेलवाल जी ने भी बहुत अच्छे सुझाव दिए हैं. पीएचई के ऊर्जा विकास और पंचायतों की बात कराने के लिए कहा है उसे भी हम पूरा करेंगे. श्री रजनीश सिंह जी, जो कांग्रेस से हैं उन्होंने केवलारी के लिए मुझे बहुत धन्यवाद दिया है मैं भी उनको धन्यवाद देती हॅूं कि उन्होंने थोड़ी सी तारीफ तो की आपने और आपके जो काम बचे हैं उनको भी हम जल्दी पूरा करा देंगे. श्री बहादुर सिंह चौहान जी ने डीटीएच बोर फेल होने के बारे में कहा है तो हम अच्छी कॉम्बीनेशन मशीन से बोर कराने के लिए कहा है तो उसको भी हम करेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हॅूं कि मेरी विधानसभा में 244 गांव हैं और वहां पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी का डिवीजन नहीं है, कृपया वहां पर डिवीजन खोल दिया जाए.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- निश्चित रूप से बहादुर सिंह चौहान जी आपके यहां डिवीजन खोल देंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- श्री यादवेन्द्र सिंह जी को मैं बताना चाहती हॅूं कि आपके रायजर पंप भेज दिए हैं और श्री रामलाल रौतेल जी ने कहा है कि सब-इंजीनियर हटा दीजिए तो समझिए आज ही हमने हटा दिया और आपके क्षेत्र में ही नहीं, आपके जिले में ही नहीं रहने देंगे. श्री निशंक कुमार जैन जी तो अब चले गए हैं. इन्होंने भी हैण्डपंप मांगे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- दीदी, आपने एक गेंद से दो विकेट ले लिए.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- उपाध्यक्ष महोदय, इन्होंने फ्लोराइड पानी की समस्या बतायी है वैसे हमने व्यवस्था की है कि जहां-जहां फ्लोराइड पंप के हैण्डपंप लगे हैं उनमें लाल रंग पोत दिया जाए और उसमें लिख दिया जाए कि इन हैण्डपंपों का पानी न पिया जाए. अगर इनके क्षेत्र में इस प्रकार की व्यवस्था नहीं है तो हम उसकी व्यवस्था करा देंगे. श्री रामप्यारे कुलस्ते जी ने कहा है कि हमारे यहां योजना बनवा दें. उसको भी हम बनवा देंगे. श्री हरदीप सिंह डंग जी ने भी कुछ सुझाव दिए हैं. सभी के नाम बोलने में बहुत टाइम लगेगा. इसलिए मैं जल्दी-जल्दी पढ़ देती हॅूं. श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक जी, श्री गोवर्धन सिंह उपाध्याय जी, श्री घनश्याम दास पिरोनियां जी, कुंवर विक्रम सिंह जी सभी सदस्यगणों ने, जिन्होंने सुझाव दिए हैं इन सभी सुझावों का हम पालन करेंगे और मानेंगे और उनके क्षेत्र में पानी की कमी नहीं होने देंगे. सबको पूरी तरह से पानी देंगे.
श्री हजारीलाल दांगी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में भी पानी की समस्या है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- आप मुझसे अलग से मिल लीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी से आप अलग से मिल लीजिएगा. आप माननीय मंत्री जी को लिखकर दे दीजिएगा.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरे लिए आज प्रसन्नता की बात है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की मांग पर आज चर्चा है और सत्ता और विपक्ष के अधिकांश माननीय सदस्यों ने मुझे धन्यवाद दिया है कि मैंने अच्छा काम किया है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें एक साल पहले जो आश्वासन मिला था उसको पुन: याद दिलाना चाह रहा था.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस तरह से तो मैं भाषण ही नहीं दे पाउंगी.
उपाध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, आप जारी रखिए.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जिन माननीय सदस्यों ने सकारात्मक सुझाव दिए हैं उन पर गहराई से विचार किया जाएगा और मैं यह भी आश्वस्त करती हॅूं कि स्थानीय एवं क्षेत्रीय समस्याओं के बारे में जो बिन्दु उठाए गए हैं उन पर पूरी गंभीरता से कार्यवाही करेंगे, कोई लापरवाही नहीं करेंगे. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाली 5.50 करोड़ की आबादी के लिए पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य करता है. अब तक प्रदेश में पेयजल व्यवस्था मूलरूप से हैण्डपंपों पर आधारित रही है. प्रदेश में अधिकांश क्रियान्वित नल-जल योजनाएं भी भू-जल पर ही आधारित हैं. लेकिन उपाध्यक्ष महोदय, हम ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं कि हम भू-जल पर कम निर्भर रहें और दूसरे उपायों पर विचार करें. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के लिए वर्ष 2018-19 के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम हेतु कुल राशि 273.82 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है. जिसमें रूपए 140.20 करोड़ रूपए केन्द्रांश और 133.62 करोड़ रूपए के राज्यांश का प्रावधान है. केन्द्र सरकार से लगातार राशि कम प्राप्त होने के कारण राज्य शासन द्वारा प्रदेश में सुचारू रूप से पेयजल व्यवस्था हेतु लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की राशि हमने अलग से व्यवस्था की है भले ही हमें केन्द्र से पैसा कम मिला है लेकिन हमने व्यवस्था की है कि 534.73 करोड़ रूपए का प्रावधान हमने राज्य से किया है. प्रदेश की जल व्यवस्था में हम कोई कमी नहीं आने देंगे. 534.73 करोड़ रूपए का प्रावधान राज्य मद में रखा गया है एवं मध्यप्रदेश जल निगम के लिए रूपए 1395 करोड़ का प्रावधान किया गया है और इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देती हॅूं.
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- अब तो अच्छी बात है. एक जीजी उते हैं और जीजी इते हैं. .(हंसी)
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- जीजी, कंजूसी कर रही हैं.(हंसी)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम लोग भी सुन लिए हैं कि जीजी कंजूसी कर रही हैं. (हंसी)
श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, रिकॉर्ड में भी आ जाना चाहिए जो माननीय मंत्री जी ने कहा है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम उनसे जाकर निवेदन करेंगे कि कंजूसी न करें. उनका अपना प्रदेश है. भले ही वे झांसी से सांसद हैं लेकिन हैं तो वे मध्यप्रदेश कीं.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम बुंदेलखण्ड के सभी लोग जाएंगे और बहुत पैसा लेकर आएंगे, आप चिन्ता न करो.
श्री के.के.श्रीवास्तव -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दोनों ही बुन्देलखण्ड की हैं. दोनों ही पेयजल मंत्री हैं और दोनों ही जीजी हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय भार्गव जी ने हमें आश्वासन दे दिया है कि हम सब बुंदेलखण्ड के लोग जाएंगे और निवेदन करके ले आएंगे. पेयजल व्यवस्था के संबंध में केन्द्र में माननीय मोदी की सरकार है राष्ट्रीय नीति अब हैण्डपंपों के स्थान पर नल-जल प्रदाय योजनाओं से घरेलू कनेक्शन देकर पेयजल उपलब्ध कराने की है यानि कि हम घर-घर में टोंटी लगाएंगे, घर-घर में पानी में देंगे. इस हेतु भारत शासन द्वारा वर्ष 2022 में 90 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को नल-जल योजनाओं से तथा 80 प्रतिशत परिवारों को घरेलू कनेक्शन के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराने का हमारा लक्ष्य है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, टोटी भर रहेगी या पानी भी आएगा.(हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय -- पानी भी आएगा.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- वह तो जब टोटी लगेगी, तब पता चलेगा. अभी तो लगी नहीं है. (हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय -- टोटी की तारीफ मत बताइगा. (हंसी)
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्तमान में नल जल योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण आबादी को पेयजल उपलब्धता का राष्ट्रीय औसत 54 प्रतिशत है और प्रदेश का औसत 37 प्रतिशत है. यह निश्चित रूप से कम है अतः इस क्षेत्र में हम राष्ट्रीय औसत के बराबर आने का प्रयास कर रहे हैं. हमारा लक्ष्य है कि हम वर्ष 2022 के लिए निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे और इसके लिए काफी बड़ी संख्या नल जल प्रदाय योजनाओं का क्रियान्वयन आवश्यक होगा जो कि हम करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश में विगत वर्षों में किये गये कार्यों के फलस्वरूप 1.4.2017 की स्थिति में कुल 1लाख 28 हजार 61 बसाहटों में से 99 हजार 817 बसाहटें 55 लीटर प्रति व्यक्ति के प्रतिदिन के मापदंड से पूर्णतः आच्छादित थीं. यह कहते हुए मुझे गर्व महसूस हो रहा है और अब वर्ष 2017-18 में कुल 1075 बसाहटों के निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध आज दिनाँक तक कुल 9090 बसाहटों को पूर्णतः आच्छादित किया गया है और वित्तीय वर्ष 2018-19 में लगभग 8 हजार बसाहटों में नलकूप योजनाओं के माध्यम से आच्छादन हेतु हमने रुपये 124 करोड़ का प्रावधान किया है जो कि पूर्णतः राज्यांश है कहीं बाहरी सहायता नहीं है. अभी फ्लोराईड के संबंध में बात हो रही थी मैं उसके संबंध में कहना चाहती हूं कि प्रदेश की कुल गुणवत्ता प्रभावित चिन्हित 9183 बसाहटों में से 8997 बसाहटों में सुरक्षित वैकल्पिक स्त्रोतों पर आधारित योजनाओं के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा चुका है, जहाँ पर फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्र था, वर्ष 2018-19 में शेष 186 गुणवत्ता प्रभावित बसाहटों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने हेतु बजट में राशि 26.16 करोड़ का प्रावधान किया गया है जो थोड़ी-बहुत बसाहटें बची हैं उनके लिए भी हमने वर्ष 2019 तक कार्यक्रम पूरा करने का निर्णय लिया है कि वहाँ भी हम शुद्ध पेयजल उपलब्ध करा सकें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में विभाग द्वारा मुख्यमंत्री एवं अंशदान आधारित ग्राम नल जल योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है इन योजनाओं में घरेलू कनेक्शन के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया है. इन नल जल योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु कुल राशि 311 करोड़ का प्रावधान किया गया है जिससे कि 2211 राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत तथा रुपये 100 करोड़ राज्य ग्रामीण पेयजल योजना के अंतर्गत प्रावधानित है. उपाध्यक्ष महोदय, जितना हम कर रहे हैं उतना कांग्रेस के जमाने में कभी भी नहीं हुआ. ग्रामीण शालाओं में, आंगनवाड़ियों में एवं आश्रम, छात्रावासों में पेयजल व्यवस्था एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है. एक सदस्य महोदय ने सुझाव दिया था कि जो मोक्षधाम हैं वहाँ पर भी हैंडपंप या पानी की व्यवस्था होनी चाहिए. उपाध्यक्ष महोदय, आज मैं विधानसभा के माध्यम से घोषणा करती हूँ कि प्रत्येक मोक्षधाम में एक हैंडपंप लगाया जाएगा. (मेजों की थपथपाहट).
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- मैं मंत्री महोदया को इसके लिए धन्यवाद देना चाहती हूं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- आपने सबके हित की बात की है इसलिए मैं आपका भी धन्यवाद देती हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश की सभी शासकीय भवनयुक्त इन संस्थाओं में पेयजल व्यवस्था की जा चुकी है तथापि ऐसी संस्थाओं जिनमें स्त्रोत असफल अथवा गुणवत्ता प्रभावित हो गये हैं उनमें राज्य ग्रामीण पेयजल योजना के अंतर्गत पेयजल व्यवस्था करने के कार्य निरंतर प्रगतिरत् है. प्रदेश में पेयजल समस्या के शाश्वत समाधान हेतु मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित द्वारा पर्याप्त भूजल उपलब्धता का अभाव वाले क्षेत्रों में एवं गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों में भूजल स्त्रोत आधारित पेयजल योजनाओं के स्थान पर सतही स्त्रोत आधारित योजना से पानी दे रहे हैं, जहाँ कहीं भूजल अच्छा नहीं आ रहा है वहाँ पर हम सतही नल जल योजनाओं के द्वारा पानी प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं, उस स्थान पर सतही स्त्रोत आधारित समूह में जल प्रदान योजनाओं के माध्यम से घर-घर नल कनेक्शन स्थापित कर पेयजल उपलब्ध कराने हेतु प्राथमिकता के आधार पर कार्यवाही की जा रही है. जिसके लिए प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों की सतही स्त्रोत आधारित समूह जलप्रदाय योजनाओं की डीपीआर तैयार कर रहे हैं और चरणबद्ध तरीके से यह कार्य किया जा रहा है इन योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु वित्तीय साधनों की व्यवस्था हेतु बाह्य वित्तीय संस्थाओं से भी हमने सहायता ली है जिससे कि हमारे प्रदेश में पेयजल की किसी प्रकार की कमी ना हो सके.जैसे कि बाह्य वित्तीय संस्थाओं में जायका,विश्व बैंक,ब्रिक्स, न्यू डेवलपमेंट बैंक एवं एशियन डेवलपमेंट बैंक से हमने ऋण लेने का प्रयास किया है और जब हमें यह पैसा प्राप्त हो जाएगा तो सुचारू रूप से हम प्रदेश में पेयजल की व्यवस्था और भी अच्छी करेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जल निगम द्वारा प्रदेश में, जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित बड़े बांधों से भी हम प्रयास कर रहे हैं. अभी यह सलाह दी गई थी कि हम बड़े बाँधों से प्रयास करें. उपाध्यक्ष महोदय, आपका भी सुझाव था तो हम उसके अनुसार काम कर रहे हैं. जल निगम द्वारा प्रदेश में जल संसाधन विभाग द्वारा निर्धारित बड़े बाँधों मुख्यतः बरगी, बाण सागर, इंदिरा सागर, राजघाट, माताटीला आदि पर आधारित समूह नल जल योजना तैयार की गई हैं. इसी के साथ प्रदेश की मुख्य नदियाँ नर्मदा, ताप्ती, महानदी पर इंटकवेल का निर्माण कर समूह नल जल योजनाएं तैयार की गई हैं इसके अतिरिक्त प्रदेश के अन्य बाँधों एवं मुख्य नदियों पर आधारित नल जल योजनाएं तैयार करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है जिसे हम जल्दी पूरा कर लेंगे. प्रदेश के भूजल अभावग्रस्त क्षेत्र में प्राथमिकता के आधार चरणबद्ध तरीके से राजकीय उपलब्धता के आधार पर उक्त सतही स्त्रोतों के साथ-साथ अन्य सतही स्त्रोतों पर आधारित योजनायें तैयार कर उनका क्रियान्वयन किया जायेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्तमान में 33 जलप्रदाय योजनाओं के माध्यम से 19 सौ ग्रामों की लगभग 25 लाख ग्रामीण आबादी को घर-घर नल कनेक्शनों के माध्यम से हम पेयजल उपलब्ध कराने हेतु योजनाओं के क्रियान्वयन पर कार्य कर रहे हैं जो प्रगतिरत् है. अभी तक 9 समूह जलप्रदाय योजनाओं पर कार्य पूर्ण करके 472 गाँवों में घरेलू नल कनेक्शनों के माध्यम से पेयजल प्रदान आरंभ कर दिया गया है और शेष योजनाओं के कार्य भी शीघ्र पूर्ण कराये जाएंगे और हम घर-घर नल जल योजना के द्वारा पानी देंगे. उपाध्यक्ष महोदय, बुंदेलखंड क्षेत्र में सूखा है और वैसे भी पानी की कमी इस क्षेत्र में हमेशा रहती है इसलिए इस क्षेत्र में बुंदेलखंड विकास विशेष पैकेज का द्वितीय चरण हमने प्रारंभ कर दिया है जिसके अंतर्गत प्रावधानित राशि रुपये 252.47 करोड़ है और पैकेज के अंतर्गत तीन समूह की पेयजल प्रदाय योजनाओं का क्रियान्वयन निरंतरित है एवं वर्ष 2018-19 में इनसे हम पेयजल प्रदाय करना प्रारंभ कर देंगे. उपाध्यक्ष महोदय, ब्रिक्स एवं न्यू डेवलपमेंट बैंक द्वारा सहायित नवसमूह पेयजल योजना लागत राशि रुपये 4512 करोड़ का क्रियान्वयन किया जाना प्रस्तावित है. इन योजनाओं के क्रियान्वयन उपरांत 3467 ग्रामों की लगभग 33 लाख 45 हजार ग्रामीण आबादी लाभान्वित हो सकेगी. वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार समूह जलप्रदाय योजनाओं के क्रियान्वयन चरणबद्ध तरीके से किया जा रहा है और आगे भी किया जाएगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदेश को 15 सौ सोलर पंप स्थापित करने का लक्ष्य दिया गया है. विभाग द्वारा निर्णय लिया गया है कि इन पंपों से पेयजल प्रदायित योजना इस प्रकार से तैयार की जाये कि ग्रामीणों को घरेलू कनेक्शन के माध्यम से पेयजल प्राप्त हो सके और इस हेतु विभाग द्वारा वर्ष 2017-18 में सोलर पंप आधारित नल जल योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु विस्तृत दिशा निर्देश जारी कर दिये गये हैं और इस योजना को वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 150 से 250 की जनसंख्या वाली बसाहटों में क्रियान्वित किया जाएगा. जो अभी बात आई थी जहाँ छोटे-छोटे टोले मजरे हैं, वहाँ पर बिजली नहीं होती है इसलिए इन सोलर पंपों के माध्यम से कार्य किया जाएगा. जहाँ पर 150 से 250 की जनसंख्या की आबादी है उन गाँवों में हम सोलर पंप के जरिये, जहाँ पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति की बसाहटें हैं, वहाँ पर हम सोलर पंप पर आधारित योजनाएं देंगे क्योंकि विद्युत व्यय इसमें शून्य होता है. तो आसान है तो इनके द्वारा हम पानी देंगे. उपाध्यक्ष महोदय, केन्द्रीय भूजल बोर्ड द्वारा वर्ष 2010-11 में किए आंकलन के अनुसार प्रदेश में 33 जिलों में क्रमशः 24 विकासखण्ड अति दोहित, 4 विकासखण्ड दोहित एवं 47 विकासखण्ड अर्ध दोहित श्रेणी में हैं. इन विकासखण्डों में भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए इसका संरक्षण एवं संवर्धन करना अत्यन्त आवश्यक है और विभाग द्वारा इन विकासखण्डों में भूजल संवर्धन एवं पुनर्भरण का कार्य किया जा रहा है. ग्रामीणजनों को सुलभ एवं त्वरित पेयजल व्यवस्था उपलब्ध कराने हेतु हैण्डपंपों के रखरखाव के कार्य को हमने मध्यप्रदेश लोक सेवा प्रदाय गारंटी में लिया है. याने हैण्डपंप सुधार की अभी बहुत शिकायतें हुईं कि हैण्डपंप बिगड़े पड़े हैं तो हमने इस कार्य को लोक सेवा गारंटी के अंतर्गत अब हमने दे दिया है और इस कार्य को हम प्राथमिकता से करेंगे और जहाँ कहीं भी शिकायत आएगी और नहीं सुधरेंगे तो उस पर हम कार्यवाही भी करेंगे ये मैं आपको आश्वासन देती हूँ क्योंकि हम इसको मध्यप्रदेश लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम के दायरे में ले आए हैं. (मेजों की थपथपाहट) इसके अतिरिक्त प्रदेश स्तर पर.....
श्री रामनिवास रावत-- माननीय मंत्री जी, लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम में आप शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों पर तो कार्यवाही कर सकती हों पर जहाँ संधारण ठेकेदारों को दे दिया है, उन पर लोक सेवा गारंटी कहाँ से लागू होगी?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- उपाध्यक्ष महोदय, ठेकेदार के ऊपर सब इंजीनियर होते हैं और विभाग के कर्मचारी, अधिकारी, होते हैं, अगर वे ठेकेदार से ठीक से काम नहीं कराएँगे तो हम अधिकारी, कर्मचारी, जो हमारे विभाग के हैं उन पर कार्यवाही करेंगे तो वे ठेकेदार से अपने आप काम कराएँगे. उपाध्यक्ष महोदय, ठेकेदार से काम कराएँगे और नहीं कराएँगे तो सस्पेण्ड होंगे. इसके अतिरिक्त प्रदेश स्तर पर शिकायतों के निराकरण हेतु जो हमने सबसे बड़ा काम किया है कि मुख्यमंत्री हैल्प लाइन में भी बिगड़े हैण्डपंपों की शिकायतों को प्राप्त किया जाता है और इन शिकायतों के निराकरण में विभाग निरंतर प्रथम स्थान पर है. मुख्यमंत्री शिकायत निवारण में हमारा विभाग प्रथम स्थान पर है और यह हमारे लिए बड़े गौरव की बात है और नलजल प्रदाय योजनाओं के स्रोतों का जलस्तर नीचे चला जा रहा है.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- शिकायतों में प्रथम है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- आपको सिवाय कमियाँ देखने के लगता है और कुछ आता ही नहीं है. कैसे हैं बना साहब, आप, नाम बना है और बिगाड़ने का काम करते हों. (हँसी) कम से कम बना नाम को तो सार्थक करिए.
श्री गोपाल भार्गव-- अब जीज्जी जो हैं आपको पानी पिला पिला कर मारेंगी, चिन्ता नहीं करना. (हँसी)
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नलजल प्रदाय योजनाओं के स्रोतों का जलस्तर नीचे चला जाना योजनाओं के बन्द होने का एक महत्वपूर्ण कारण होता है. प्रदेश शासन द्वारा अब यह नीतिगत निर्णय लिया गया है कि नलजल योजनाओं के विद्युत देयकों का भुगतान शासन अपने स्तर से करेगा. यह बहुत बड़ी बात है. इसके लिए माननीय पंचायत मंत्री जी को हमें धन्यवाद देना चाहिए. इसके अतिरिक्त ग्रीष्मकाल में सभी नलजल योजनाएँ सुचारु रूप से चालू रहें इस हेतु विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. नलकूप खनन हेतु विभाग में कुल 112 विभागीय खनन मशीनें कार्यरत हैं. अभी कहा जा रहा था कि मशीनें खराब हैं और काम नहीं करतीं, आरोप लगाए जा रहे थे तो मैं बताना चाहती हूँ कि नलकूप खनन हेतु विभाग में कुल 112 विभागीय खनन मशीनें कार्यरत हैं. जिनमें 101 डीटीएच मशीनें हैं, 101 डीटीएच रिग और 8 रोटरी रिग जो ग्रेवल पैक में काम करती हैं तथा 3 कॉम्बिनेशन रिग मशीनें हमारे पास में हैं और इन मशीनों के द्वारा कैसा भी स्ट्रेटा हो, हम पानी निकाल कर रहते हैं और जिलों की भू संरचना को दृष्टिगत रखते हुए डीटीएच रिग पथरीले इलाके में, साधारण नलकूप, रोटरी रिग मशीनें, मिट्टी व रेतीले स्ट्रेटा में और ग्रैवल पैक नलकूप तथा कॉम्बिनेशन रिग मशीनें स्ट्रेटा के क्षेत्र में नलकूप खनन करने के लिए उपयुक्त होती हैं. इन मशीनों के द्वारा किसी भी सदस्य को ये शिकायत नहीं रहेगी कि हमारे क्षेत्र का स्ट्रेटा ऐसा है और वहाँ पर ये हैण्डपंप या नलकूप नहीं हो रहे. इन शिकायतों का निराकरण होगा और वर्तमान में हमारे पास 4 हायड्रो फैक्चिंग मशीनें भी हैं. जिसके द्वारा मशीनें जल आवक क्षमता बढ़ाने में 3 यील्ड टेस्ट यूनिट भी जल आवक क्षमता परीक्षण के लिए विभाग के पास उपलब्ध है और ग्रामीण क्षेत्रों में विभाग द्वारा प्रदाय किए जा रहे....
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, आप अभी और कितना समय लेंगी?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- बस थोड़ा सा.
श्री गोपाल भार्गव-- अभी तो मछली विभाग और बचा है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- अब मछली नहीं है मेरे पास. वह आर्य साहब के पास चली गई. हमारे पास बेकार थी, वहाँ उनका काम है.
श्री गोपाल भार्गव-- वहाँ तो बिना पानी के मछली कैसे रहेगी?
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- सबसे पवित्र काम है सबको पानी पिलाना वह सब पुण्य आपको मिल रहा है.
श्री रामनिवास रावत-- जीज्जी सबको पानी पिला रही हैं और आप कह रही हैं कि बेकार का काम है. आप तो पुण्य कार्य कर रही हों.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- आपने मेरी तारीफ की, मैं आपको धन्यवाद देती हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, ग्रामीण क्षेत्रों में विभाग द्वारा प्रदाय किए जा रहे जल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जल परीक्षण प्रयोगशालाएँ हमारे पास 51 के 51 जिलों में 1-1 प्रयोगशाला है. जहाँ हम जल की गुणवत्ता का परीक्षण करते हैं और हमारा लक्ष्य है कि हम मध्यप्रदेश की पूरी आबादी को शुद्ध जल प्रदाय करें. उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश में 51 जिला स्तरीय तथा 105 उप खण्ड स्तरीय प्रयोगशालाएँ हैं एवं राज्य मुख्यालय पर राज्य अनुसंधान प्रयोगशाला स्थापित है जिनमें पेयजल स्रोतों के नियमित जल परीक्षण किए जाते हैं. उपाध्यक्ष महोदय, हर्ष का विषय है कि विभाग की राज्य स्तरीय प्रयोगशाला को एनएबीएल प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ, जो मध्यप्रदेश के लिए बड़े गौरव की बात है और हमारे विभाग के लिए और हमारे विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों, के लिए प्रशंसा की बात है. उपाध्यक्ष महोदय, एनएबीएल प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ है. यह प्रयोगशाला समूचे मध्य भारत की प्रथम एनएबीएल प्रमाणित प्रयोगशाला है और इसी प्रकार प्रदेश की रतलाम जिला स्तरीय प्रयोगशाला भी एनएबीएल से प्रमाणित कराने हेतु कार्यवाही की गई है, तो रतलाम में जब हो जाएगी तो दो प्रयोगशालाएँ हो जाने से और आसानी हो जाएगी. इन प्रयोगशालाओं द्वारा वर्ष 2017-18 में चार लाख छः सौ पाँच जल नमूनों का परीक्षण किया गया है और फील्ड टेस्ट किट के माध्यम से लगभग छप्पन हजार इकसठ पानी के नमूनों की जाँच मैदानी कार्यकर्ताओं द्वारा की गई. मध्यप्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम के अंतर्गत हमने अब ग्रामीण क्षेत्रों के शासकीय पेयजल स्रोतों की जल गुणवत्ता परीक्षण कार्य को भी इस सेवा में सम्मिलित कर लिया है तो जल प्रदाय योजनाओं के संचालन एवं संधारण हेतु तदर्थ स्वास्थ्य ग्राम समितियों के, अभी ग्राम समितियों की बात आई थी कि ग्राम समितियाँ बना दी जाएँ तो अच्छे से जल प्रदाय होगा लेकिन पहले से हमारे पास व्यवस्था है कि जल प्रदाय योजनाओं के संचालन एवं संधारण हेतु तदर्थ स्वास्थ्य ग्राम समितियों के सदस्यों, ग्राम वासियों में स्वच्छ पेयजल के उपयोग के प्रति जागरूकता पैदा हो सके इसके लिए इन सदस्यों की क्षमता वृद्धि एवं जन जागरूकता हेतु प्रशिक्षण एवं प्रचार प्रसार जैसी सहायक गतिविधियों के लिए शासन द्वारा जल सहायता संगठन का गठन किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय-- अभी तो बहुत पन्ने बचे हैं ऐसा लग रहा है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- उपाध्यक्ष महोदय, 2-3 मिनट और लगेंगे. मैं सदन को अवगत कराना चाहूँगी कि वित्तीय वर्ष 2017-18 में माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रारंभ की गई मुख्यमंत्री ग्राम नल जल योजना के अंतर्गत प्रथम चरण में प्रत्येक विकासखण्ड के 4-4 ग्रामों को चिन्हांकित किया गया है. इस योजना हेतु सफल नलकूप प्राप्त होने पर ही योजना की डीपीआर तैयार कराने का निर्णय भी किया गया है कि जब जल मिल जाएगा तभी डीपीआर तैयार होगी. उपाध्यक्ष महोदय, वर्तमान तक कुल 4853 सफल स्रोत विकसित करते हुए लगभग 1765 ग्राम इस योजना के क्रियान्वित हेतु पात्रता सूची में शामिल हो चुके हैं और विभाग द्वारा प्रथम बार कंसलटेंट के माध्यम से मुख्यमंत्री ग्राम नलजल योजनाओं की डीपीआर तैयार कराई गई है जिससे वास्तविक सर्वेक्षण के आधार पर उचित गुणवत्ता की डीपीआर तैयार हो सके. वर्तमान तक लगभग 1500 डीपीआर हमारे विभाग ने तैयार कर ली हैं और शासन द्वारा वर्तमान तक लगभग 1037 योजनाओं की प्रशासकीय सेंग्शन जारी कर दी है तथा इन योजनाओं की कुल लागत 1002.60 करोड़ है और मुख्यमंत्री ग्राम नलजल योजनाओं की निविदाएँ अब तक स्वीकृत हो चुकी हैं तथा वर्तमान में लगभग 540 योजनाओं की निविदाएँ आमंत्रित हैं, जिनके निराकरण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. मुख्यमंत्री ग्राम नलजल योजना के तहत प्रथम चरण में लगभग 1200 योजनाओं को वित्तीय वर्ष 2018-19 में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है और मैं आशा करती हूँ कि सरकार के प्रत्येक घर को नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराने में मुख्यमंत्री ग्राम नलजल योजना मील का पत्थर साबित होगी. विभाग के कार्यों के त्वरित क्रियान्वयन हेतु प्रक्रिया का सरलीकरण विभाग द्वारा किया गया है जिनमें मुख्य निम्नानुसार है. विभाग द्वारा नल जल योजनाओं की निविदाओं में व्यापक प्रतिस्पर्धा एवं नए ठेकेदारों को अवसर प्रदान करने हेतु 2 करोड़ रुपए लागत की योजनाओं में निविदापूर्ण अर्हता को समाप्त कर दिया गया है. बंद नल-जल योजनाओं को शीघ्र चालू कराने हेतु किए जाने वाले कार्यों के 20 लाख रुपए तक के प्राक्कलनों की स्वीकृति के अधिकार जिला स्तर तक प्रत्यायोजित कर दिए गए हैं जिससे समय भी न लगे और जिला कलेक्टर को 20 लाख रुपए का प्रावधान पहले ही कर दिया गया है. जिला स्तरीय समिति चाहे तो बंद नल-जल योजनाओं को चालू कराने हेतु 5 लाख रुपए तक के लागत कार्य संबंधित ग्राम पंचायत से करा सकती है. अभी कहा गया था कि ग्राम पंचायतों के पास कुछ नहीं होता है लेकिन कलेक्टर के पास जो 20 लाख रुपए होते हैं उसमें से 5 लाख रुपए तक कलेक्टर पंचायत को दे सकते हैं और वहां की योजनाएं सुचारु रुप से चालू हो सकती हैं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए मैं सभी सदस्यों को और आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय--मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या-20 पर कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किए जाएं.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
उपाध्यक्ष महोदय--अब, मैं मांगों पर मत लूंगा. प्रश्न यह है कि 31 मार्च 2019 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को--
अनुदान संख्या- 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के लिए
दो हजार पांच सौ अट्ठानबे करोड़, तीन लाख, सत्तर हजार रुपए
तक की राशि दी जाए.
मांग का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
(2) मांग संख्या - 13 किसान कल्याण तथा कृषि विकास
मांग संख्या- 54 कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन)--उपाध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूँ कि 31 मार्च, 2019 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को--
अनुदान संख्या -13 किसान कल्याण तथा कृषि विकास के
लिए नौ हजार इकहत्तर करोड़, तिहत्तर
लाख, तिरासी हजार रुपए, तथा
अनुदान संख्या -54 कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के लिए एक सौ
सतासी करोड़, अठहत्तर लाख, तीन हजार रुपए
तक की राशि दी जाए.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अब, इन मांगों पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किए जाने हेतु सहमति देंगे, उनके ही कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जाएंगे.
मांग संख्या - 13 किसान कल्याण तथा कृषि विकास
श्री सचिन यादव 2
कुँवर विक्रम सिंह 3
डॉ. गोविन्द सिंह 4
श्री मधु भगत 8
श्री रामनिवास रावत 9
मांग संख्या - 54 कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा
श्री मधु भगत 3
श्री रामनिवास रावत 4
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब, मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चन्द लाइनों से अपनी बात की शुरुआत करता हूँ--
खून पसीना बोता है, धरती में फसल उगाता है,
फिर भी उस किसान के हिस्से बस मरना ही आता है,
फंदे से अगर लटके तो तुम कहते हो कायर उसको,
हक मांगे अपना तो सड़कों पर वो गोली खाता है.
यह रचना सीहोर जिले के एक साहित्यकार की है जिन्होंने किसान की व्यथा लिखी है. इससे सारी बातें क्लियर हो जाती हैं. मैं आज मांग संख्या 13 किसान कल्याण तथा कृषि विकास तथा मांग संख्या 54 कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा पर चर्चा करने जा रहा हूँ. मांग संख्या के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में अपनी बात रखने जा रहा हूँ. विभाग का नाम किसान कल्याण तथा कृषि विकास है लेकिन पिछले 13-14 वर्षों में किसानों का कल्याण तो नहीं हुआ है यह बात तो तय है. हम यह जरूर मान सकते हैं कि प्रदेश में पैदावार निश्चित रूप से बढ़ी है लेकिन किसान की स्थिति नहीं सुधरी है और यह बात इसलिए लागू होती है क्योंकि किसानों में आज निराशा का भाव है. उनका भविष्य अंधकार में है. बातें तो बहुत सारी कही गई हैं. हम सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह सदन बड़ा पवित्र सदन है और शैलेन्द्र जी स्वयं एक बहुत अच्छे किसान हैं. मैं इनसे अनुरोध करूंगा कि यह सत्य वचन कहते हुए बता दें कि इनको कितना मुआवजा और भावांतर मिला है.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- मुकेश भईया आप इंतजार करिए. सारी बातें सिलसिलेवार आ जाएंगी.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- अब आप कुछ देर में तनख्वाह भी पूछोगे.
चौधरी मुकेश सिंह चतेर्वेदी -- मैंने सत्य बात पूछी है.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कृषि प्रधान देश होने के नाते हमारे मध्यप्रदेश की जो अवधारणा है वह कृषि पर आधारित है. हम सब गांव में बसते हैं और गांव में बसने के साथ कृषि को मुख्य व्यवसाय मानकर अपना खुद का जीवनयापन तो करते ही करते हैं साथ में इस देश की अन्न की पूर्ति करते हैं, लोगों के लिए रोटी का इंतजाम करके देते हैं. हमारे इस प्रदेश के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमेशा किसान को अपना भगवान कहा है और उनकी बेहतरी के लिए काम करने की बातें कही हैं लेकिन कुछ बातें कुछ प्रश्न आज उठते हैं कि मंदसौर में गोली काण्ड क्यों हुआ? अगर ऐसी बात थी कि भगवान पर गोली चल गई तो क्या कारण बने कि मंदसौर में गोली काण्ड हुआ? क्या कारण बने कि टीकमगढ़ में किसानों के कपड़े उतरवा लिए गए? उनको जेल में डाल दिया गया. क्या कारण है कि मध्यप्रदेश में दिन पर दिन आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं? आज इसी सदन में एक प्रश्न हमारे नेता प्रतिपक्ष जी ने लगाया था. उसके उत्तर में जो आंकड़े आए हैं वह लगभग पिछले 13 वर्ष में 15 हजार 129 किसानों की आत्महत्या के मामले आए हैं. रोजाना 6 किसान आत्महत्या कर रहे हैं. हमें कभी सुनने को नहीं मिलता था कि मध्यप्रदेश का किसान आत्महत्या कर रहा है. जब इतनी सारी बातें और इतना सारा कार्य किया जा रहा है. जब 11 हजार करोड़ रुपए से ऊपर का बजट है तो किसान आत्महत्या क्यों कर रहा है? यह प्रश्न उठता है कि एक तरफ तो बहुत सारी बातें कही जाती हैं और दूसरी ओर किसान आत्महत्या कर रहा है. इसके क्या कारण हैं? सबसे बड़ी बात यह है कि सीहोर जिले में कई किसानों ने आत्महत्या की. जून के महीने में तो 15-20 दिन के अंदर लगभग 7 किसानों ने आत्महत्या कर ली थी. यही समय होता है जब किसानों को लेनदेन करना होता है, अगले साल की तैयारी करनी होती है उसी समय जून के महीने में आधा दर्जन से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की. हम आपकी मंशा पर शक नहीं कर रहे हैं कि सरकार की मंशा क्या है, क्या नहीं है, लेकिन सिर्फ अच्छी मंशा होने से काम नहीं चल पाएगा बार-बार हम कहते हैं कि मुख्यमंत्री जी की मंशा अच्छी है, माननीय मंत्री जी की मंशा अच्छी है लेकिन सिर्फ मंशा अच्छी होने से काम हो जाएगा क्या? काम धरातल पर होना चाहिए. सिर्फ मंशा अच्छी रखने से काम नहीं चलेगा. मैं बात करना चाहूंगा कि मैंने पूरे प्रतिवेदन का अध्ययन किया. उसी के आधार पर मैंने आज का अपना भाषण तैयार किया है. उस पर जो पुरस्कार व सम्मान मुख्य उपलब्धियों में दर्ज है कि पिछले पांच वर्षों में हमें लगातार कृषि कर्मण अवार्ड मिला है. निश्चित रूप से खाद्यान्न की पैदावार हमारे यहां बढ़ी है और उसके कारण कृषि कर्मण अवार्ड मिला है लेकिन एक बात और है माननीय मंत्री जी खुद किसान हैं, जानते हैं हमें मिला है मोटा अनाज की पैदावार पर लेकिन हम सभी जानते हैं कि अनाज पैदावार से किसान की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होगी. हमने देश का पेट भरने का काम तो किया है. सिर्फ हम खाद्यान्न पैदा कर देंगे तो भण्डारण तो हो जाएगा लेकिन किसान को सबसे कम फायदा अगर होता है तो खाद्यान्न उत्पादन में होता है और इसीलिए भारत सरकार ने यह योजना बनाई थी. ताकि खाद्यान्न की पूर्ति हो. हम जब किसान के कल्याण की बात करेंगे तो फिर खाद्यान्न की पूर्ति तो हो जाएगी लेकिन उसका कल्याण नहीं हो पाएगा. उसको जो फायदा मिलना चाहिए वह फायदा उसका नहीं मिल पाएगा. उसमें भी एक बात है कि गेहूं की पैदावार बढ़ी और खेती की पैदावार बढ़ी उसमें किसानों का सबसे बड़ा योगदान है और मैं उनको अपनी यह चार लाईन समर्पित करता हूं कि--
अपनी ताकत के बलबूते पर हाथी जिन्दा है,
मिलजुलकर रहती है सो चीटी भी जिन्दा है,,
लड़ते हैं मौसम से सिस्टम से मरते दम तक,
इसलिए जिन्दा है खेत और किसानी जिन्दा है,,
आज यह किसानों की मेहनत का परिणाम है निश्चित रूप से सरकार उसमें अपनी पूरी वाहवाही ले लेगी तो काम नहीं चलेगा. उन किसानों की अथक मेहनत और खून पसीना जो खेत पर बहाते हैं उसके ऊपर भी जाना चाहिए. जो एक और बिंदु है कि कृषि उत्पादन और कृषि उत्पादकता संबधी उपलब्धियां उसमें उन्होंने दिया है कि पिछले 12-13 वर्षों में प्रदेश में लगातार पैदावार बढ़ी है और जो तुलना की है हमने 13 साल 14 साल पहले से की है. अगर आप तुलना करें तो आजादी के बाद से सन् 1956 से भी आप करते कि मध्यप्रदेश में कितना अनाज पैदा हुआ तो ज्यादा बेहतर तरीके से आंकड़े आ सकते थे. मात्र आप 14 सालों के आंकड़े क्यों बताते हैं. यदि आप 14 सालों के आंकड़े बताते हैं तो और बड़ा दिल रखिये और सन् 1956 से आंकड़ें बतायें और यदि आप करना चाहें तो अन्य प्रदेशों से भी तुलना करें कि उनके मुकाबले हम कहां खड़े हैं ? आप बार-बार विपक्ष को केवल यह बताने के लिए कि 14 साल पूर्व क्या था और अब क्या हो गया है, तुलना करते हैं. आप अन्य प्रदेशों से भी अपनी तुलना करें और सन् 1956 से भी करें. मेरा अनुरोध है कि जब माननीय मंत्री जी और अन्य सदस्य वक्तव्य दें तो सन् 1956 जब मध्यप्रदेश की स्थापना हुई थी, तब के आंकड़ों से भी तुलना करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सरकार की एक और नीति को समझ नहीं पाता हूं कि यही सरकार पहले बोनस देती थी. किसानों के लिए यह अच्छी बात थी. फिर सरकार ने बोनस देना बंद कर दिया और अब फिर चुनाव पास आ गए तो फिर बोनस देना प्रारंभ कर दिया. कृपया आप यह स्पष्ट करें कि कब आप कौन सी नीति लागू करेंगे और कब आप कौन सी नीति पर अमल करना बंद करेंगे. क्या सिर्फ चुनाव जीतने के लिए ही हम यह सब कुछ करेंगे ? चुनाव आया तो बोनस चालू, चुनाव में देर है तो बोनस बंद, यह कौन सी नीति है ? क्या केवल चुनाव जीतना ही हमारा उद्देश्य है ? क्या चुनाव ही हमारा मुख्य ध्येय है ? इस बात पर भी हमें विचार करना होगा. सरकार एक बार जब कोई कार्य प्रारंभ करें तो उसे लगातार चालू रखें या बंद कर दें तो फिर उसे बंद ही रहने दें. सरकार लगातार कह रही है कि पैदावार बढ़ रही है तो फिर बोनस देने की क्या जरूरत है ? यदि सरकार किसानों के लिए कुछ करना चाहती थी तो उसे समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी की बात करनी थी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक और बिंदु है- ''जैविक खेती की स्थिति''. वर्ष 2016-17 में 1.98 लाख हेक्टेयर सर्टिफाइड ऑर्गेनिक कल्टीवेशन का उल्लेख किया गया है. मैं यह बात दावे के साथ कह सकता हूं कि ऑर्गेनिक कल्टीवेशन केवल कागजों पर है. आप रजिस्टर्ड लिस्ट में से 10-20 लोगों के नाम निकाल लीजिये और आप स्वयं वहां जाकर देखें कि क्या वास्तव में वहां जैविक खेती हो रही है ? आप पायेंगे कि जैविक खेती वहां नहीं हो रही है और वास्तविक नतीजे आपके सामने आ जायेंगे. इस संबंध में मुझे कुछ और कहने की जरूरत नहीं है. आप स्वयं जांच करवा लें. मैं खेती-किसानी से जुड़ा हुआ आदमी हूं. मैं स्वयं जानता हूं कि ब्लॉक से अधिकारी आते हैं और कहते हैं कि कागज दे दो, पैसे दे दो, हो गई जैविक खेती. अगर जैविक खेती किसानों द्वारा की गई तो उन्हें क्या फायदा मिला ? आपने जैविक खेती के किसानों को क्या मार्केट दिलाया. आप बतायें कि यदि मध्यप्रदेश में किसानों ने जैविक खेती की तो उनकी मार्केटिंग के लिए आपने क्या कदम उठाये हैं ? आपने उस किसान का माल कहां बिकवाया ? यदि आप हमें यह जानकारी देंगे तो निश्चित रूप से हमें समझ आयेगा. सिर्फ यह बता देना कि हमने 2 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती की है तो उससे काम नहीं चलेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आज प्रतिवेदन पर ही बढ़ रहा हूं. उसमें कहा गया है कि अनुसंधान केंद्र तथा संस्थागत स्थापना. मैं मंत्री को इस बात से अवगत करवाना चाहता हूं कि हमारे प्रदेश में उन्नत बीज के उपयोग का प्रतिशत 7 प्रतिशत है और वहीं पूरे देश का उन्नत बीज के प्रयोग के क्षेत्र में प्रतिशत 27 प्रतिशत है अर्थात् हम राष्ट्रीय लक्ष्य से 20 प्रतिशत पीछे हैं. हम किसानों को उन्नत बीज नहीं दे पा रहे हैं, जिसकी उसे महती आवश्यकता है. मैं मालवा क्षेत्र से आता हूं और पिछले 6-7 सालों से हमें अच्छी क्वालिटी का उन्नत किस्म का सोयाबीन का बीज नहीं मिल पा रहा है. हमारे अनुसंधान केंद्रों से नई वैरायटी का लॉन्च नहीं हो पा रहा है. न ही मध्यप्रदेश की जलवायु के अनुसार कोई अच्छा, नया गेंहू का बीज आ पाया है. जो बीज आये हैं उनसे अच्छी पैदावार नहीं मिल पा रही है. इसी वजह से सोयाबीन की खेती घाटे में जाती जा रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे पास उपलब्ध प्रतिवेदन में किसानों के लिए कल्याणकारी कदम का उल्लेख किया गया है. इसमें सबसे ऊपर भावांतर योजना है. मैं पूछना चाहता हूं कि भावांतर योजना क्यों लाई गई तो उत्तर प्राप्त हुआ कि किसानों को समर्थन मूल्य की प्राप्ति हो जाए. उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी-बिक्री मंडियों में होती है, वह किसकी ड्यूटी है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज बिके ? सरकार वह तो नहीं कर पाई. मंडी में समर्थन मूल्य पर किसानों की उपज को नहीं बिकवा पाई. सरकार को इसके लिए कोई न कोई उपाय करने की आवश्यकता थी. सरकार को एफ.ए.क्यू. क्वालिटी की लैबॉरिटी स्थापित करनी चाहिए थी, जिससे कि पता लग सके कि माल एफ.ए.क्यू. स्टैण्डर्ड का है या नहीं. यदि माल एफ.ए.क्यू. स्टैण्डर्ड का होता तो निश्चित रूप से समर्थन मूल्य पर बिकता परंतु आप वह मूल्य नहीं दिलवा पाये. आपकी व्यापारियों से न जाने कौन सी सांठ-गांठ है. आप एफ.ए.क्यू. पर उपज नहीं बिकवा पाये और भावांतर योजना ले आये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3050 रुपये था. भावांतर योजना लागू होने के बाद सोयाबीन 2200-2300 रुपये में मंडी में बिका. आपके द्वारा भावांतर के 450 रुपये देने के बाद भी आप न्यूनतम समर्थन मूल्य तक की कीमत किसान को नहीं दे पाये. आप किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी उपलब्ध नहीं करवा पाये और वह घाटे में ही रहा. व्यापारियों ने सारा माल भावों को गिराकर खरीदा और आपकी योजना को व्यापारियों ने फेल कर दिया. अभी यही स्थिति गेंहू की है. मैं कहना चाहता हूं कि यह योजना लहसून और प्याज के लिए तो बहुत अच्छी है क्योंकि उसमें हमें प्रोक्योरमेंट करना पड़ता था, ट्रांसपोर्टेशन में बहुत खर्चा होता था, वेयर-हाऊसिंग का खर्च होता था, लगभग आधा पैसा खर्च हो जाता था लेकिन यह योजना अनाजों के लिए नहीं है. भावांतर योजना के स्थान पर यदि आप किसान के लिए यह सुनिश्चित करते कि व्यापारी उसकी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगा और आप बोनस अलग से दे देते तो किसान का फायदा होता. आपकी भावांतर योजना से तो किसान को कोई फायदा नहीं हुआ अपितु किसान भावांतर योजना के भाव के जाल में फंसकर रह गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, फसल ऋण ''शून्य ब्याज दर'' पर. हम बार-बार इसकी बात करते हैं लेकिन ये ऋण को-ऑपरेटिव बैंक से दिए जाते हैं नेशनलाईज़्ड बैंक ये ऋण नहीं देते हैं. आप जब इसकी तुलना करेंगे कि कितना ऋण नेशनलाईज़्ड बैंकों से किसानों को मिलता है और कितना ऋण को-ऑपरेटिव बैंक किसानों को देते हैं तो सारी स्थिति आपके सामने स्पष्ट हो जायेगी. अगर वे आंकड़े उपलब्ध नहीं है. मैंने प्रश्न भी लगाया था लेकिन मुझे उत्तर नहीं मिल पाया कि किसानों को कितना को-ऑपरेटिव बैंक से मिलता है और कितना नेशनलाईज़ बैंकों से मिलता है. यह बात आप और हम सभी जानते हैं कि अगर एक एकड़ पर यदि नेशनलाईज़ बैंक, जहां 20 से 25 हजार रूपये तक दे देता है, वहां को-ऑपरेटिव बैंक 6 से 7 हजार रूपये से ज्यादा का ऋण उपलब्ध नहीं कराता है तो जो पूर्ति करना चाह रहे हैं, वह पूर्ति नहीं हो पा रही है. हां, पीठ थपथपाने के लिये ठीक है कि शून्य प्रतिशत पर कर पा रहे हैं, पर आप यह भी देखिये कि उसका लाभ कितने लोगों को मिल पाया है. अभी आपने इस वर्ष घोषणा की है कि हम उसका सेटल करेंगे. उसके पहले का आप निकालेंगे तो लगभग आधे लोगों को भी फायदा नहीं मिल पाया है. किसानों की आय को दोगुना करने का रोडमैप भी आप लोगों ने बनाया है, जिसका आपने उल्लेख किया है. अब सीधी सी बात है कि आय दोगुनी कैसे होगी. हमने कहीं इकॉनामिक्स में पढ़ा होगा कि आय दोगुनी तभी होगी जब हमारे खर्चें कम हों और जो हमारी मूल हो वह हमें ज्यादा से ज्यादा मिले, पैदावार दोगुनी होगी, पैदावार दोगुनी होने के अलावा हमें अनुकूल भाव भी मिले तो हम भाव दे नहीं सकते, हमें बार-बार शासन की ओर जाना पड़ता है, लेकिन खर्च में कटौती की बात करें तो डीजल और पेट्रोल पर सबसे ज्यादा वैट टैक्स लगा है तो वह मध्यप्रदेश में लगा है. खेती-किसानी में डीजल एक महत्वपूर्ण कंटेन्ट है, ट्रेक्टर उसी से चलता है, सारे काम उसी से चलते हैं, आप उसी पर टैक्स कम नहीं कर पा रहे हैं तो आय कहां से होगी. आपने आय दोगुनी करने के लिये क्या रोड मैप बनाया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि जब वह अपना उदबोधन दें तो वह बतायें कि आय कैसे दोगुनी हो जायेगी. हम भी समझें और हमारे यहां के किसानों को भी बता पायें.
उपाध्यक्ष महोदय, नकली खाद के बारे में बात करना चाहता हूं. नकली खाद के बारे में मेरा एक सवाल लगा था उस समय माननीय मंत्री जी ने उत्तर दिया था. आज तक आपने किसी बड़ी कम्पनी पर कार्यवाही नहीं की है. जबकि कोई कार्यवाही की है तो उन दुकानदारों पर की है, और तो और जब एक बार सेम्पल फेल हो जाते हैं और दूसरी बार सेम्पल पास हो जाते हैं, न जाने उसमें कौन सा खेल है.यही हाल दवाई का है. विभाग में स्टॉफ की भारी कमी है, मेरे खुद के ब्लॉक में सिर्फ तीन कृषि विकास अधिकारी और ग्राम सेवक मौजूद हैं. क्योंकि आप भर्ती नहीं कर रहे हैं तो कैसे आप वहां तक अपनी योजनाओं को ले जायेंगे. पॉली हाऊसेस् और ग्रीन हाऊसेस् की मैं बात करूंगा तो पॉली हाऊसेस् और ग्रीन हाऊसेस् या तो सबसिडी के खेल में चले गये या उन किसानों के पास हैं जो एक्चुअल किसान हैं ही नहीं. वह शहर में रहते हैं और उनका कोई और व्यवसाय है, लेकिन उन्होंने पॉली हाऊसेस् बनाकर रखे हैं. एक्चुअल किसानों के पास पॉली हाऊसेस् नहीं हैं. अभी तक बहुत सी मंडियों में इलेक्ट्रिानिक तौल कांटे नहीं लगे हैं, जहां पर किसान अपनी पूरी ट्रॉली को तुलवा सके.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं राजपोषित योजनाओं के बारे में कुछ बताना चाहता हूं. बलराम ताल योजना, अभी मात्र 1200 तालाब बने हैं, जबकि इस योजना का लो लक्ष्य था उसका एक तिहाई बने हैं, इसका लक्ष्य 3557 तालाब का लक्ष्य था. जब आप यह बतायें कि जनवरी-फरवरी और मार्च में कहां से तालाब बन जायेंगे, जब खेतों में फसल है. यह गर्मी में मई-जून में बनने थे. अभी तक मात्र 1200 बलराम तालाब बने हैं. जबकि लगभग 3600 तालाब का लक्ष्य रखा था. इसी तरह बॉयो-गैस की बात है, उसमें भी 25 के लगभग बने हैं. एससीएसटी के लिये लघु सिंचाई योजना की बात करते हैं तो पिछले वर्ष लगभग एक तिहाई लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पायी है, जो आवंटित होता है उसको भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं. हम स्वॉयल हैल्थ कार्ड की बात कर रहे हैं, उसके रिजल्ट तो आ जाते हैं, लेकिन कितने लोगों ने इम्प्लीमेंट किया, कितने लोगों ने स्वॉयल हैल्थ की जांच के बाद रिजल्ट आया उसके बाद आगे क्या कार्यवाही की, इसके बारे में सरकार के पास कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है कि इतनी कमी आयी तो उस किसान ने क्या किया.
उपाध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मेरे खुद के जिले में, मेरे खुद के विधान सभा क्षेत्र में उसकी शुरूआत हुई थी, उसमें माननीय प्रधानमंत्री जी आये थे. माननीय मंत्री जी ने एक सवाल के जवाब में सदन में कहा था कि बहुत टेक्निकल है, समझा नहीं सकते, उसके बारे में अलग से चर्चा होना चाहिये. अभी तक उसके बारे में अलग से कोई चर्चा नहीं हो पायी है. नयी फसल बीमा का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है. उसका प्रीमियम तो कट रहा है , लेकिन इकाई तीन-तीन पंचायतों को होने के कारण, अगर किसी के खेत में नुकसान हो जाता है, या किसी गांव में हो जाता है तो उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. उसमें टेक्निकल प्राब्लम है, उसे दूर करने की आवश्यकता है, और तो औेर पिछले वर्ष कहा गया कि हम फसल बीमा योजना ले आये तो मुआवजा नहीं देंगे, अब फिर कह दिया, क्योंकि चुनावी साल आ गया कि ओला गिर गया तो हम मुआवजा देंगे और आरबीसी एक्ट में भी संशोधन करेंगे. यह दो तरह की नीति है. खेत तीर्थ योजना में सिर्फ कृषि विज्ञान केन्द्र में पहुंचाया जाता है. मंत्री जी, अगर किसी किसान के खेत में ले जाते तो अच्छी बात होती. उपाध्यक्ष महोदय, एक मोपअप, मध्यप्रदेश कृषि में महिलाओं की भागीदारी योजना, इसके बारे में तो मैंने पहली बार पढ़ा कि यह न जाने कौन सी योजना चल रही है.यह आज तक हमको जमीन पर देखने को नहीं मिली है और मुख्यमंत्री किसान विदेश अध्ययन यात्रा, उसका पेपरों में इतना आ गया कि उसके बारे में मुझे बोलने की आवश्यकता नहीं है कि लिस्ट में कौन से किसान थे, कौन से नहीं थे. उसको आपने ऑन लाईन कर दिया है तो वह ऑन लाईन में कब खुलता है, कब खत्म हो जाता है, किसानों को पता ही नहीं चलता है. वे कई बार हमारे पास आते हैं और बताते हैं कि पता ही नहीं चला कि हम कब अनुदान के लिए ऑनलाईन अप्लाय करें और कब उसकी तारीख चली गई ? एक जो किसानों को सबसे बड़ा खतरा है, वह वन्य जीवों से है. आज तक मंत्री जी ने यह नहीं बताया कि वन्य जीवों से फसल का नुकसान हुआ है तो उसका कितना मुआवजा किसानों को मिल पाया है ? वह है तो सही, लेकिन आज तक किसानों को नहीं मिल पाया है. हमारे आवारा मवेशियों से भी फसलों को बहुत नुकसान हो रहा है और सरकार उसके बारे में कोई ठोस नीति नहीं बना रही है.
उपाध्यक्ष महोदय - आप समाप्त करें. आपको 16-17 मिनट हो गए हैं.
श्री शैलेन्द्र पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, मैं 2 मिनट में अपनी बात समाप्त कर दूँगा. मैं कृषि आयोग की बात करना चाहता हूँ कि कृषि आयोग की कितनी मीटिंगें हुईं ? कितनी बार विभाग, परामर्शदात्री समितियों की बैठक हुई और कितनी बार कृषि कैबिनेट ने बैठक की ? माननीय मंत्री जी, आज आप अपने भाषण में बता देंगे कि क्या निर्णय लिया ? तो बहुत ज्यादा बेहतर होगा. राज्य के दृष्टिपत्र 2018 में राज्य कृषक आयोग में सदस्य का प्रावधान किया गया है, इसी परिप्रेक्ष्य में अप्रैल 2014 से अभी तक पैंडिंग है, लेकिन नहीं हो पाया है. मैं कुछ मांगें कहकर, अपनी बात को समाप्त करना चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय, अगर आप किसानों का भला करना चाहते हैं तो किसानों का सम्पूर्ण कर्ज आपको माफ करना पड़ेगा, उनके बिजली के बिल माफ करने पड़ेंगे और गेहूँ का समर्थन मूल्य आपको बढ़ाना पड़ेगा. आपने अभी बोनस दे दिया, आप न जाने कब हटा लेंगे, इससे काम नहीं चलेगा. दलहन और तिलहन में भी आपको कम से कम 8,000 रुपये प्रति क्विंटल का भाव करना पड़ेगा और किसानों को मजबूतीकरण देने के लिए या तो पेंशन योजना या उनको एक सम्मान राशि प्रति एकड़ के हिसाब देंगे तो निश्चित रूप से मध्यप्रदेश के किसानों का भला होगा और उनको निराशा का भाव नहीं आएगा. हमारा सबका यह प्रयास होना चाहिए कि हम मध्यप्रदेश के किसान, जो हृदयस्थली में रहते हैं और खेती-किसानी का काम बड़ी मेहनत तथा ईमानदारी के साथ करते हैं, लोगों का पेट भरते हैं, उनकी भी उन्नति हो, उनके बच्चे भी अच्छे स्कूलों में पढ़ें, उनका भी जीवन-स्तर अच्छा हो, हम सबकी यही मंशा होनी चाहिए. इस तरह से हमारी कार्ययोजना बननी चाहिए. आपने बोलने का मौका दिया, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - धन्यवाद.
श्री गोविन्द सिंह पटेल (गाडरवारा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कृषि विभाग से संबंधित मांग संख्या 13 एवं 54 के समर्थन में खड़ा हुआ हूँ. कृषि विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है. हमारा मध्यप्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है, मध्यप्रदेश में बहुआयामी फसलें होती हैं, खाद्यान्न भी होते हैं, दलहन भी होता है, तिलहन भी होते हैं और अब तो गन्ना भी बहुतायत में हमारे प्रदेश में होने लगा है. प्रदेश का 50 प्रतिशत गन्ना हमारे नरसिंहपुर जिले में होता है. यहां पर सब किस्म की फसलें होती हैं और जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश में आई है तब से कृषि के क्षेत्र में निरन्तर विकास हुआ है, वृद्धि हुई है और सुधार हुए हैं. हमारे मुख्यमंत्री जी एवं हमारी कृषि मंत्री जी के लगातार प्रयास से कृषि क्षेत्र ने कई ऊँचाइयां प्राप्त की हैं. आज जो हमें कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है, वे ऐसे ही सहज नहीं मिला है. कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त करने के लिए सरकार ने बहुत काम किए हैं. अभी शैलेन्द्र भाई कह रहे थे कि लागत कम नहीं हो रही है, लागत कम हो रही है जैसे जीरो प्रतिशत ब्याज, वह भी किसानी पर लागत कम करने का प्रयास है. जीरो प्रतिशत ब्याज हुआ तो किसान को ब्याज नहीं लगेगा, उससे उसकी लागत कम हुई. दूसरा, हमारे यहां बिजली रीडिंग, जो मीटर से होती थी, जिसमें 5 एचपी पर पैंतीस हजार रुपये का बिल आना चाहिए, आज फ्लैट रेट से 5 एचपी के सात हजार रुपये ले रहे हैं तो उससे भी खेती पर भार कम आ रहा है. सिंचाई की सुविधा बढ़ी है, जो कि सन् 2003 में 7.5 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी, आज 40 लाख हेक्टेयर सिंचाई होती है, उससे खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ा है इसलिए खाद्यान्न के क्षेत्र में मध्यप्रदेश को लगातार पांच वर्षों से कृषि कर्मण पुरस्कार मिल रहा है. ऐसा नहीं है कि मोदी जी की सरकार आई है, तब से ही यह मिला है. माननीय मनमोहन जी की सरकार में भी कृषि कर्मण पुरस्कार हमारे मध्यप्रदेश की सरकार को मिला है. पांच वर्षों से कृषि कर्मण पुरस्कार मिल रहा है. पांच वर्षों में हमारी सरकार का लक्ष्य किसानों की आय दुगुनी करने का है तो ऐसे उपाय जिससे कृषि का उत्पादन बढ़े और लागतें कम हों और किसानों को नई तकनीकें, नए बीज, अच्छे किस्म के बीज एवं अच्छा किस्म की खाद उपलब्ध करवाकर किसान की आय पांच वर्ष में दुगुनी करने का सरकार का लक्ष्य है. उसके लिए सरकार कृत-संकल्प है. आज भावांतर योजना हमारी सरकार लाई क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कृषि उत्पादन के रेट कम हुए, उससे हमारा प्रदेश भी अछूता नहीं रहा और हमारे उत्पादन और खासकर दलहन के रेट कम हुए हैं.
03.50 बजे {सभापति महोदय (श्री रामनिवास रावत) पीठासीन हुए.}
श्री गोविन्द सिंह पटेल --- सरकार ने उन दलहन के रेटों से किसान को नुकसान न हो फायदा हो इसलिये भावांतर योजना लाई है. भावांतर योजना में खरीफ की फसलों में सोयाबीन, उड़द, मूंग और मक्का की फसलों को लिया है. भावांतर योजना में समर्थन मूल्य और मॉडल रेट जो तीन प्रदेशों का रेट होता है, उसका जो अंतर होगा वह उस किसान के खातें में दिया जायेगा. जैसे उड़द का कल 5400/-रूपये समर्थन मूल्य था और मॉडल रेट 3 हजार रूपये था, इस प्रकार सरकार ने 2400 रूपये प्रति क्विंटल उड़द का पैसा किसानों के खातों में जमा किया और इस भावांतर योजना में 15 लाख किसान खरीफ की फसल में सम्मिलित हुये.
माननीय सभापति महोदय, सरकार ने 28 लाख मैट्रिक टन किसानों की उपज को भावांतर योजना के द्वारा खरीदा और 10 लाख 50 हजार किसानों को उनके खातों में 15 सौ करोड़ का भुगतान किया, यह बहुत बड़ी किसानों को राहत है. सरकार ने एक हजार करोड़ रूपये का प्रावधान 2018-19 के लिये भावांतर योजना के अंतर्गत किया है. हमारी रबी फसल में चना, मसूर, सरसों और प्याज भी भावांतर योजना में सम्मिलित है. कल ही मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है जिसमें लहसुन को भी भावांतर योजना में शामिल किया है. इस प्रकार सरकार ने प्याज जो कि उद्यानिकी फसल है, उसको भी भावांतर योजना में खरीदने के लिये 250 करोड़ रूपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, बीज प्रत्यारोपण दर में तीन-चार रूपये प्रति हेक्टेयर वृद्धि हुई है. हमारे यहां 18 क्विंटल गेहूँ पैदा होता था और प्रति हेक्टेयर बीज प्रत्यारोपण क्षमता में खाद का उपयोग 49.44 किलोग्राम था, जो 2016-17 में बढ़कर अब प्रति हेक्टर 70.35 किलोग्राम हो गया है. खाद्य के उपयोग में डीएपी में 31 प्रतिशत और पोटाश में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और इससे किसान को फायदा हुआ है.
माननीय सभापति महोदय, हमारे सिंचाई सुविधा में विस्तार एवं उपयुक्त विज्ञानिक इनपुट के कारण फसलों की उपलब्धता में वृद्धि हुई है. वर्ष 2003 में गेहॅूं की उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर 18 क्विंटल थी, जो अब 35 क्विंटल हो गई है. हमारी धान की उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर 8 क्विंटल थी, जो अब 32 क्विंटल हो गई है. हमारे मक्का की उत्पादन क्षमता प्रति हेक्टेयर14 क्विंटल थी, वह 34 क्विंटल हो गई है. हमारा कुल खाद्यान्न उत्पादन 143 मैट्रिक टन था, वह 439 मैट्रिक टन हो गया है. दलहन का उत्पादन 33 लाख मैट्रिक टन से 79 मैट्रिक टन हो गया है और तिलहन का उत्पादन 49 मैट्रिक टन से 87 मैट्रिक टन हो गया है.
माननीय सभापति महोदय, सरकार ने अभी इसी वर्ष से गेहूँ, धान में किसानों को प्रोत्साहन योजना देना शुरू की है. सरकार ने पिछले वर्ष 2017 में जो गेहॅूं और धान की फसल बिकी है, उसमें प्रोत्साहन के रूप में दो सौ रूपये क्विंटल के हिसाब से 2017 का किसानों के खातों में भुगतान करेगी. सरकार अब जो गेहॅूं इस सीजन का है जिसका सपोर्ट प्राइज 1735 है, उसमें 265 रूपये बोनस देकर 2 हजार रूपये में किसानों का गेहॅूं खरीदेगी, मुख्यमंत्री जी द्वारा इसकी घोषणा हो चुकी है और सरकार के बजट में भी इसकी व्यवस्था कर दी गई है और इसके लिये 2018-19 के बजट में 3650 करोड़ रूपये का प्रावधान सरकार ने किया है.
माननीय सभापति महोदय, हम जो किसानों को प्रोत्साहन योजना और बोनस दे रहे हैं, उसमें किसान कल्याण विभाग को इस बजट में 9 हजार 278 करोड़ का प्रावधान है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 87 प्रतिशत अधिक है. इस सरकार ने उद्यानिकी फसलों के भण्डारण हेतु भी व्यवस्था की है क्योंकि जो नश्वर उद्यानिकी फसलें रहती हैं, उनके भण्डारण की आवश्यकता है क्योंकि उनको ज्यादा देर तक संग्रहित करके नहीं रख सकते हैं, इसलिए इसके लिये 5 लाख मैट्रिक टन शीतघर निर्माण के लक्ष्य के विरूद्ध 3 लाख 32 मैट्रिक टन क्षमता विकसित हो चुकी है. उद्यानिकी भण्डारण के लिये, प्याज भण्डारण हेतु 5 लाख मैट्रिक टन के विरूद्ध 01 लाख 70 हजार मैट्रिक टन की क्षमता वृद्धि के शीतघर बन चुके हैं और 2 लाख 75 हजार मैट्रिक टन निर्माणाधीन हैं. उद्यानिकी विस्तार हेतु सरकार ने 01 हजार 198 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है जो 2017-18 के बजट से 46 प्रतिशत से अधिक है. फसलों के रेट के उतार चढ़ाव होते रहते हैं, इनके लिये भी जैसे मूंग के रेट कम हुए थे और जो समर की मूंग थी उसके रेट कम हुए थे. लेकिन सरकार ने उसकी खरीदी की थी ताकि किसानों को नुकसान न हो. मूंग के रेट 10 जून 2017 से 31 जुलाई 2017 तक 5225 रूपए की कीमत से सरकार ने मूंग की खरीदी की और जहां आवश्यकता थी वहां सेन्टर बढ़ाए भी. सरकार ने कुल 2 लाख 22 हजार 484 मीट्रिक टन की खरीदी की. 10 जून 2017 से 31 जुलाई 2017 तक 5 हजार की दर से सरकार ने 41,980 मीट्रिक टन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उड़द की खरीदी की. अरहर की खरीद 10 जून 2017 से 550 प्रति क्विंटल कीमत से 65732 मीट्रिक टन की व्यवस्था सरकार ने की. मसूर की खरीदी की व्यवस्था भी समर्थन मूल्य से सरकार ने की. 3950 की दर से 19,780 मीट्रिक टन मूंग भी सरकार ने खरीदी. सरकार ने प्याज 8 रूपए प्रति किलो के समर्थन मूल्य में 8.73 लाख मीट्रिक टन प्याज खरीदी और किसानों को जो रेट मिलते हैं उससे 1 हजार करोड़ रूपए का अतिरिक्त भुगतान किया है. सरकार ने 2016 की बीमा राशि का दावा 1 लाख 818.95 करोड़ का भुगतान किसानों को आरटीजीएस के माध्यम से किया. प्रधानमंत्री फसल योजना हेतु 2017 में 30.12 लाख किसानों को इसका भुगतान किया है. मुख्यमंत्री किसान विदेश अध्ययन यात्रा के तहत नवंबर दिसम्बर में विदेश अध्ययन दौरा हमारे विभाग ने करवाया जिसमें 120 किसानों के 20-20 के समूह बनाकर किसानों को अलग अलग देशों में कृषि से संबंधित अध्ययन हेतु भेजा. एक समूह को इजराइल-हॉलैंड में भेजा, दूसरे समूह को स्पेन-फ्रांस में भेजा, तीसरे समूह को चीन में भेजा, चौथे समूह को पेरू-चिली में भेजा, पांचवा समूह को ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैण्ड में भेजा और छटवें समूह को ब्रिटेन-अर्जेन्टिना में भेजा. सरकार ने मुख्यमंत्री खेत तीर्थ दर्शन यात्रा भी शुरू की जो कि हमारे 1 लाख 63 हजार किसानों को प्रदेश के अंदर एवं प्रदेश के बाहर चयनित ऐसे खेत तीर्थ दर्शन यात्रा जहां चयनित बहुआयामी फसलें या जिन फसलों की अध्ययन की आवश्यकता है वहां भ्रमण हेतु भेजा गया. सरकार ने 2017 में 17.95 लाख क्विंटल उन्नत बीज किसानों को वितरित किए. 2017 में ही 15.20 लाख हेक्टेयर शंकर बीज किसानों को दिए गए जिसमें, शंकर मक्का, शंकर धान और शंकर बाजारा के बीज वितरित गये. ये अच्छे उत्पादन वाले बीज हैं. सरकार ने उर्वरकों का अग्रिम भण्डारण की भी व्यवस्था की है. उर्वरकों की समस्या होती थी, कभी यूरिया नहीं है, कभी डीएपी नहीं होता था. कभी पोटाश नहीं होता था, इसकी बहुत समस्या होती थी, लेकिन सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि अब उर्वरकों की समस्या नहीं होती है. 2017 में 3.20 लाख मीट्रिक टन यूरिया का भंडारण हुआ, 2.68 लाख मीट्रिक टन डीएपी का भंडारण हुआ, 0.70 लाख मीट्रिक टन का काम्पलेक्स का एवं 0.23 लाख मीट्रिक टन पोटाश का भंडारण सरकार ने किया कुल मिलाकर 6.83 मीट्रिक टन का अग्रिम भंडारण हुआ.
सभापति महोदय – कृपया समाप्त करें.
श्री गोविंद सिंह पटेल -- सभापति महोदय, शीघ्र ही समाप्त करूंगा. किसानों के हित के लिये सरकार ने 1 जून, 2017 से लेकर के 8 सितम्बर,2017 तक 100 दिन, 100 योजनायें किसानों के लिये लागू कि जिसमें किसानों के क्रेडिट कार्ड बनाये .विभाग के द्वारा 100 दिन में 2 लाख 88 हजार नवीन किसानों को क्रेडिट कार्ड बनाकर के दिये गये.ऋण वितरण में किसानों को 7 लाख 88 हजार करोड़ की राशि का ऋण वितरण सरकार द्वारा किया गया. प्रदेश की सरकार किसानों के हित में काम कर रही है. एक समय हम बुजुर्गों से सुना करते थे कि -उत्तम खेती मध्यम बान।निषिद चाकरी भीख निदान।। सभापति महोदय किसानी उत्तम व्यवस्या है और किसानी को उत्तम बनाने की स्थिति में हमारी सरकार लेकर के आ रही है.
माननीय सभापति महोदय, चूंकि मैं एक किसान भी हूं इसलिये कुछ सुझाव सरकार को देना चाहता हूं. सभापति महोदय, आज प्रदेश में हर फसल का बेहतर उत्पादन हुआ है, जितनी सुविधायें किसानों को मिलना चाहिये उतनी सुविधायें सरकार की तरफ से किसानों की दी गई है. लेकिन थोड़ी दिक्कत किसानों को दो वर्षों से आ रही है. क्योंकि दो वर्ष पहले तुवर 12,000 रूपये क्विंटल बिकती थी और चना 10 हजार रूपये प्रति क्विंटल बिकता था. दो वर्ष में अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य की कीमत कम होने के कारण खासकर के दलहन के रेट में कमी आई है . इसलिये किसान के घाटे की भरपाई की सरकार ने कोशिश की है .किसान को फसल की लागत का मूल्य मिल सके इसके लिये भावांतर योजना चलाई, समर्थन मूल्य पर खरीदी के द्वारा किसानों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया गया है लेकिन किसान थोड़ा सा परेशान इसलिये है कि उसको किसानी का सही मूल्य नहीं मिल पा रहा है. सरकार की तरफ से पूरी सुविधायें किसानों को उपलब्ध कराई जा रही है, फसल का उत्पादन भी पूरा हो रहा है सिर्फ अनाज के सही रेट न मिलने से किसान परेशान है. सरकार प्रयास कर रही है लेकिन और भी सरकार की तरफ से यह प्रयास होना चाहिये कि किसान को उसकी उपज का वाजिब मूल्य मिलता रहे, क्योंकि किसान टूटता है रेट न मिलने के कारण, सरकार इसके लिये और ज्यादा प्रयास करे. मंत्री जी को सुझाव है कि नये नये ऐसे उपाय लागू करे जिससे किसान को फायदा हो, किसान को उसकी उपज का उचित मूल्य उसे मिल सके. सभापति महोदय, आज कृषि मंत्री जी ने, मुख्यमंत्री जी ने किसानों के लिये बहुत कुछ किया है, किसानों को खेती की और प्रेरित किया है, ऐसे प्रयास और करें जिससे लोगों का किसानी की तरफ रूझान बढ़े. सभापति महोदय, आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. गोविन्द सिंह(लहार) -- माननीय सभापति महोदय, खेती घाटे का धंधा बनती जा रही है. किसान परेशान है. किसान के ऊपर कभी सूखा, कभी ओला, कभी पाला, कभी गिरूआ, कभी गिल्ली कहीं पर इल्ली का प्रकोप रहता है इस काऱण किसान की फसलें हर वर्ष खराब रहती है. ऐसा देखने को कम ही मिला है कि इन आपदाओं से किसानों का सामना न हो अन्यथा कहीं न कहीं कोई विपत्ती किसानों पर आती है. इस वर्ष की ही बात कर रहा हूं अभी हरी भरी फसलें गेहूं की तैयार खड़ी हुई थीं, ओलावृष्टि हुई जिससे किसानों के खेत चौपट हो गये और किसान की गाढ़ी कमाई भी पानी में चली गई.
सभापति महोदय, प्रदेश का किसान लाचार और परेशान है, आखिर किसान जाये तो कहां जाये, किसके दरवाजे पर अपना रोना रोये. सरकार जब तक किसानों के हित में नीति नहीं बनायेगी, जिससे किसान की फसल के नुकसान की भरपाई हो और उसकी उपज का सही मूल्य किसानों को नहीं मिलेगी तब तक किसान ऐसे ही आत्महत्यायें करता रहेगा, वह कभी सम्पन्न नहीं हो सकेगा.
माननीय सभापति महोदय, क्या कारण है लोग खेती के धंधे में नहीं उतर रहे हैं. जब हमारा देश आजाद हुआ था उस समय देश की आबादी का 50 प्रतिशत किसान खेती करता था, 2011 में जब आंकड़ें सामने आये तो पता चला कि हिन्दुस्तान में 26 प्रतिशत किसान खेती के धंधे में है. अर्थात आजादी के बाद 24 प्रतिशत ऐसे किसान थे जिन्होंने खेती का धंधा छोड़ दिया. अगर खेती लाभ का धंधा है, किसानो को खेती के धंधे से लाभ हो रहा है, बराबर उसका परिवार चल रहा होता तो 24 प्रतिशत किसान का खेती न करने का यह आंकड़ा कोई कम नहीं है.
माननीय सभापति महोदय, अभी हमारे दल के सदस्य भाई शैलेन्द्र पटेल जी ने बताया और इस बात में भी सच्चाई है कि मध्यप्रदेश में गेहूं की और हर जींस की उपज की पैदावार में वृद्धि हुई है. लेकिन खेती की उपज में वृद्धि के बाद भी जब तक किसानों को उसकी उपज का सही मूल्य नहीं मिलेगा तब तक किसानों की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता है. अन्न की आपूर्ति को भरोसेमंद बनाने और किसानों की आर्थिक हालत को बेहतर करने, इन दो मकसदों को लेकर 2004 में केंद्र सरकार ने एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स का गठन किया। किसानों को सुविधायें मुहैया कराने की दृष्टि से ही स्वामीनाथन आयोग का गठन 2004 में हुआ था. उस आयोग की रिपोर्ट की सिफारिश के अनुसार अगर किसानों को लाभ नहीं मिलेगा, किसान की माली हालत नहीं सुधर सकती है. जब तक स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को सरकार द्वारा लागू नहीं किया जायेगा किसान को फायदा नहीं हो सकेगा. मध्यप्रदेश में पिछले साल 3 कंपनियों को आपने बीमा करने के लिये दिया था. एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी को 31 जिलों में, एचडीएफसी एग्रो को 10 जिलों में, आईसीआई लोम्बार्ड को 10 जिलों में दिया है. अब आप यहीं से लगा लो कि तीनों कंपनियों ने किसानों से एक वर्ष में 1800 करोड़ रूपये प्रीमियम वसूला और किसानों को उसका मिला कितना, पूरे मध्यप्रदेश में जो नुकसान हुआ उसमें किसानों को केवल 714 करोड रूपये मिले. किसानों की गाड़ी कमाई का जो पैसा था उससे आपने खाद ले लिया, किसान ने खाद उठाया तो जबरन ही आपने उसका बिना मर्जी के बीमा कर दिया. किसान ने अगर सोसायटी से कोई कर्जा लिया तो बीमा कर दिया, किसान को पता ही नहीं चला, जब आखिरी में किश्त चुकाने गया तो पता चला. सीहोर जिले का एक कलरिया गांव है वहां के किसान हैं उत्तम सिंह उन्होंने वर्ष 2016 में बीमा की किश्त चुकाई थी 1342 रूपये, 2 एकड़ में उन्होंने सोयाबीन बोया था, पूरा सोयाबीन खराब हो गया, लेकिन जब क्लेम की बात आई तो उनको मात्र 17 रूपये का मुआवजा मिला. इसी प्रकार रेहटी गांव की किसान हैं श्रीमती लीला बाई, उनसे 5220 रूपये प्रीमियम वसूल किया गया था और जब बीमा क्लेम मिला तो 194 रूपये 22 पैसे. यह विसंगति है, अगर उनका नुकसान हुआ था तो बीमा कंपनी को ऐसी नीति बनाना चाहिये कि पूरी की पूरी भरपाई किसान की करे. इसी कारण आज किसान लगातार आत्महत्या कर रहा है. पूरे हिन्दुस्तान में अगर सबसे ज्यादा कर्जदार किसान कहीं हैं तो वह हैं उत्तर प्रदेश में, उत्तर प्रदेश की आबादी हमारे यहां से 3 गुना है, उत्तर प्रदेश में 79 लाख 8 हजार 110 किसान कर्ज के नीचे दबे हुये हैं और हमारी आबादी कम होने के बाद मध्यप्रदेश में 77 लाख 41 हजार 400 किसान ऐसे हैं जो कर्ज के नीचे दबे हुये हैं. राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो रिकार्ड में भी वर्ष 2016 के आंकड़े बता रहे हैं कि केवल मध्यप्रदेश में 1290 किसानों ने मजबूरी में आत्महत्या की है. मंत्री जी मैं आपसे जानना चाहता हूं कि जब चुनाव आता है तो घोषणा पत्र में आप लंबे-लंबे वायदे करते हैं. आपने किसानों के हित में वायदा किया था कि पूरी कि पूरी फसल हम समर्थन मूल्य पर खरीदेंगे, लेकिन पिछले वर्षों से केवल धान और गेंहूं के अलावा आपने समर्थन मूल्य पर कुछ नहीं खरीदा. पिछले वर्ष जब किसान आंदोलित हुआ तब जरूर आपने मूंग, उड़द भी चालू किया अन्यथा अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई. आपने किसान कल्याण आयोग बनाने का वादा किया था, वर्ष 2006 में बनाया, लेकिन अभी तक धरातल पर कोई काम नहीं हुआ. पदाधिकारियों को गाड़ी, बंगला मिल गये, (XXX), अपनी पार्टी के एक नेता को खुश करने के लिये यह सब कर रहे हैं.
डॉ. कैलाश जाटव-- माननीय सभापति जी, (XXX) शब्द हटा दिया जाये, पार्टी के नेता यह शब्द भी हटाये जायें.
सभापति महोदय-- हटा दें.
डॉ. गोविंद सिंह-- (XXX) क्या होता है, तुम बैठ जाओ, हम खड़े होते हैं तो तुम क्यों खड़े हो जाते हो.
डॉ. कैलाश जाटव-- माननीय आप वरिष्ठ सदस्य हैं, शब्दों का चयन तो ठीक करें, हम लोग भी आपसे ही सीख रहे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह-- आप बैठ जाईये, हम सिखा देंगे, आ जाना घर पर.
डॉ. कैलाश जाटव-- ठीक है, धन्यवाद. ..(हंसी)..
डॉ. गोविंद सिंह-- प्रत्येक कृषि उपज मंडी हेडक्वार्टर पर आपने किसानों के लिये मिट्टी परीक्षण करने का वादा किया था, अभी कुछ जगह कार्यालय तो बने हैं, लेकिन धरातल पर कोई कार्य नहीं हुआ. किसानों को पता नहीं रहता कि कौन सी मिट्टी में कौन सी फसल की पैदावार होती है, लेकिन 2-2 वर्ष हो गये उन कार्यालयों में भी कोई कार्य नहीं हो रहा, भवन खराब हो रहे हैं. अगर आपने भवन बनवाये हैं तो उन्हें तत्काल चालू करें. आपने वर्ष 2003 में यह भी वादा किया था, घोषणा पत्र हम साथ में लाये हैं.
लोक निर्माण मंत्री (श्री रामपाल सिंह)-- माननीय सभापति जी, गोविंद सिंह जी भी मंत्री रहे थे, एकाद अपनी उपलब्धि भी तो बतायें, किसानों के लिये आपने क्या किया था, आपने तो कुछ किया ही नहीं था.
डॉ. गोविंद सिंह-- हमने क्या किया था वह अलग से बैठकर बतायेंगे ..(हंसी).. किसानों के लिये कुछ किया हो या न किया हो, लेकिन जो मिलने आते थे उनसे कह देते थे कि लिख लाओ आर्डर, लिखो फैसला प्यारे, दस्तखत लो हमारे. तो हम दस्तखत ठोक देते थे. यह हम करते रहे और अब आप जानो बाकी क्या हुआ, आप समझते रहो. आपका घोषणा पत्र हमारे सामने है इसमें लिखा है किसानों की जमीन की खरीद पर स्टाम्प शुल्क कम करेंगे. आपने स्टाम्प शुल्क 10 गुना बढ़ाया है.
जमीन के एक बीघा का रेट हमारे गांव में 12 से 15 हजार रूपये होता था आज 60 से 70 हजार रूपये खर्च हो रहा है. इतना महंगा रेट बढ़ाते चले जा रहे हैं. जिले की रेट बढ़ाने की समिति होती थी उसमें विधायक भी बुलाये जाते थे, वह तय करेंगे, लेकिन आज नौकरशाही इतनी हावी है कि आपकी बात कोई भी सुनने को तैयार नहीं है. आप लोग भी उस साजिश में शामिल हो कि किसानों को रेट बढ़ाकर के लूटो. आज 10 गुना भाव हो गये हैं. आपने पहले बीहड़ समतलीकरण का वायदा किया था हम बीहड़ समतलीकरण कराकर भूमिहीन किसानों को देंगे. 14 साल आपके निकल गये अभी तक इस दिशा में कोई काम नहीं किया है. घोषणा पत्र 2008 में यह वायदा भी किया था कि जो किसान मण्डी में फसल बेचने आयेगा उनको पांच रूपये में भरपेट खाना देंगे. इतने माननीय सदस्य यहां बैठें हैं वह बता दें कि किसी भी मण्डी में भोजन की व्यवस्था हो. आपने बोला था कि 6 पूड़ी दाल व रोटी सब्जी आप खिलाएंगे.
श्री इंदर सिंह परमार--हमारे यहां की मण्डी में भोजन की व्यवस्था किसानों के लिये है. आप आ सकते हैं आप वहां पर आमंत्रित हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह--आज ही चलता हूं भाषण के बाद सारी कलई खुल जाएगी.
श्री इंदर सिंह परमार--जी हां चलिये.
डॉ.गोविन्द सिंह--सभापति महोदय, कृषि मंडियों में आप लोग तमाम पैसा वसूल करते हैं, आप सड़क निधि के लिये टैक्स लेते हैं. आपका यह भी वायदा था कि मण्डी टैक्स 2 प्रतिशत की जगह पर 1 प्रतिशत करेंगे. वह भी आज तक 14 वर्षों में नहीं किया है. आप किसानों से सड़क निधि का पैसा लेते हैं उस सड़क निधि के पैसे से किस मण्डी में कितना खर्च किया है. आमदनी के हिसाब से आपने खर्च करने का काम नहीं किया है. मेरे क्षेत्र की लहार उपज मण्डी नई बनी है वहां पर आधा किलोमीटर की सड़क भी नहीं है. इस बारे में कई बार पत्र लिख चुके हैं तथा कई बार कह चुके हैं. आप उस मण्डी से करोड़ो रूपये वसूल कर चुके हैं लेकिन सड़क नहीं बनी हैं. आपको चुने हुए जनप्रतिनिधियों तथा प्रजातंत्र में विश्वास नहीं है. आपकी मण्डी समितियों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य हैं उनको किसी भी काम के लिये एक रूपया भी खर्च करने का अधिकार नहीं है. आपने शहर से काफी दूरी पर मण्डी बना दी, भिण्ड-मुरैना में तो समस्या है. पिछले तीन सालों में दो व्यापारियों को लूटा गया है. एक व्यापारी से 1 लाख 13 हजार रूपये छीन लिये और उसको रीढ़ की हड्डी में गोली भी मारी वह अपंग होकर घर पर पड़ा है. मण्डी में आपके पास में गार्ड रखने के लिये व्यवस्था नहीं है. मैंने मण्डी अध्यक्ष से कहा तो उन्होंने कहा कि हम कुछ नहीं कर सकते हैं. ट्रांसफर करेंगे तो सीधे करेंगे. आप गार्ड की व्यवस्था करें या मण्डियों को अधिकार दें पैसा खर्च करने के लिये आपने तो सांप के दांत निकाल लिये जैसा सपेरा सांप को लेकर के घूमता है, ऐसी हालत आपने मण्डी अध्यक्षों की बना दी है. सबको आपने पॉवरलेस कर दिया है. उनको पॉवर दें ताकि आप मंडियों का विकास कर सकें.
सभापति महोदय, जिस प्रकार 108 एम्बलेंस चल रही है, उसी प्रकार 109 एम्बूलेंस पशुओं को ले जाने के लिये चलित उपचार सेवा लागू करेंगे? कहां चल रही है, किस जिले में चल रही है मंत्री जी मैं भी देखना चाहूंगा ? आपने छपवाकर जनता को गुमराह करने का काम किया है. आप जनता से वोट लेते हैं फिर उनको भूल जाते हैं. जो घोषणा पत्र होता है वह मुख्यमंत्री जी को रोज पढ़ना चाहिये कि मैंने जनता से क्या वायदे किये थे ?
सभापति महोदय, भावान्तर के बारे में कई लोग बोल चुके हैं. भावान्तर का मतलब होना चाहिये समर्थन और बीच के मूल्य का अंतर, वह सही मायने में भावान्तर है. पिछले वर्ष सरसों का मूल्य भावान्तर में था 3750 रूपये क्विंटल आपने सरसों का 3100-3200 रूपये मूल्या किया. भावान्तर का लाभ जगहों पर नहीं मिला है. हमारे जिले में कहीं पर भावान्तर की योजना चालू नहीं हुई. भावान्तर में कुल मिलाकर 100-50 रूपये का फर्क मिलता है बाकी नुकसान होता है. मैं कहना चाहता हूं उसको आप भी समझ लें, यह छपा हुआ भी है. अभी दीवाली का त्यौहार था, उस समय टमाटर 40 से 45 रुपये प्रति किलो बिक रहा था और आज रायसेन जिल में टमाटर 1 रुपये किलो बिक रहा है क्योंकि जो टमाटर पाकिस्तान जाता था, एक्सपोर्ट बंद हो गया. एक्सपोर्ट बंद होने से टमाटर नहीं बाहर नहीं जा रहा और जगह-जगह आलू के ढेर लगे हुए हैं, गाय खा रही हैं. किसान का लागत मूल्य नहीं निकल रहा है. किसान को किस प्रकार से ठगा जा रहा है. केवल एक उदाहरण देते हुए अपनी बात समाप्त करूंगा. हमारे भिण्ड जिले के पास फिरोजाबाद जिला, वहां पर भारी तादात में आलू होता है. वहां से आलू लाकर लोग भिण्ड में कोल्ड स्टोर हैं, वहां आलू रखते हैं 400 रुपये क्विंटल,मतलब 4 रुपये किलो आलू वहां से लाते हैं. हमारे सामने एक सेठ जी कालूमल रहते हैं. कालूमल जी ने 4 रुपये किलो आलू लेकर आये, उन्होंने उसे सुखाया फिर आलू एक किलो रह गया. एक किलो आलू छीलकर उसमें 3 रुपये का मिर्च,मसाला लगाया. 2 रुपये की उसमें थैली लगा दी. अपने पिताजी के नाम की, आलूमल,कालूमल के नाम की, और अंकल चिप्स बना दिये. थैली में अंकल चिप्स बेचे. एक किसान जिसने मेहनत करके आलू उगाया और अंकल चिप्स बनकर वह 100 रुपये किलो का हो गया. एक किसान जिसने मेहनत करके आलू उगाया और अंकल चिप्स बनकर वह बिका 25 ग्राम 10 रुपये में. किसान को तो सब खर्चा मिलाकर 20 रुपये किलो पड़ा और 60 रुपये का मुनाफा आलूमल,कालूमल सेठ ने अंकल चिप्स बनाकर उठाया.
डॉ. कैलाश जाटव - सभापति महोदय, इनको कितना समय दिया गया. विपक्ष के पास कितना समय है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - सभापति महोदय, जब इतना फायदा है तो क्यों नहीं करते यह धंधा.
सभापति महोदय - कृपया समाप्त करें.
डॉ.गोविन्द सिंह - यह मुनाफा किसान को मिलता तो आज किसान आत्महत्या को मजबूर नहीं होता. धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 का समर्थन करता हूं. पूर्व वक्ताओं ने इस विभाग को लेकर काफी बातें कहीं हैं. मध्यप्रदेश सरकार के जितने विभाग हैं उसमें कृषि विभाग अतिमहत्वपूर्ण विभाग है. 70 से 80 प्रतिशत जनता इस विभाग से जुड़ी हुई है. 1 नवंबर,1956 को हमारा मध्यप्रदेश,17 जिले महाकौशल के,16 जिले मध्य भारत के,8 जिले विन्ध्य प्रदेश के,2 जिले भोपाल राज्य के....
सभापति महोदय - सीधे कृषि विभाग पर बोलें.
श्री बहादुर सिंह चौहान - मैं वह कह रहा हूं. इस प्रकार 3 लाख 5 हजार वर्ग कि.मी. से अधिक का क्षेत्रफल वही है जो 1956 में था और उस समय से कृषि हो रही है और पूर्व में कांग्रेस की सरकार रही हैं. 2003 में हमारी सरकार बनी और उस समय इस मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा मात्र 7 लाख 50 हजार हेक्टेयर था और आज मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा 40 लाख हेक्टेयर से अधिक है. 2003 में जब मैं पहली बार विधायक बनकर आया उस समय इस मध्यप्रदेश में बिजली मात्र 6027 मेगावाट थी और आज 18043 मेगावाट है.
श्री सुखेन्द्र सिंह - कृषि विभाग पर बात करिये.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - भईया,खेती उसी से होती है. खेती काहे से करते हो.
श्री सुखेन्द्र सिंह - हमें नहीं पता. हम तो जानते नहीं.
श्री बहादुर सिंह चौहान - अब बिजली हो गई, पानी हो गया. जब तो इतना अनाज पैदा हो रहा है. बिजली और पानी के बाद तो सिंचाई हुई है तभी तो एक बार नहीं पांच बार कृषि कर्मण अवार्ड मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह जी की सरकार को मिला. मैं गौरीशंकर बिसेन जी को इसके लिये धन्यवाद देना चाहता हूं. इनके विभाग ने बहुत ही अच्छा कार्य किया है. आपके जो प्रधानमंत्री थे, उस समय भी हमको कृषि कर्मण अवॉर्ड मिला है. उस समय आपके प्रधानमंत्री थे. यह 5 बार सौभाग्य यदि किसी राज्य को प्राप्त है तो वह मध्यप्रदेश को है और श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार को है.
श्री सुखेन्द्र सिंह - आप सिर्फ पुरस्कार लिये हैं, जब श्री मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे तो 70,000 करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया था. आपके प्रधानमंत्री ने कर्ज माफ नहीं किया है.
सभापति महोदय - आप अपनी बात जारी रखें.
श्री बहादुर सिंह चौहान - इन्होंने छूमंतर कर दिया तो मेरा भाषण भी अलग तरह से चालू हो गया. सभापति महोदय, यह भावांतर योजना को जब से बजट पर चर्चा चल रही है छूमंतर योजना बना दी है. मैं यह कहना चाहता हूं कि जब यह योजना बनाई गई थी उस समय 8 जिंस ली गई थीं और 4 जिंस अभी ली गईं, इस प्रकार 12 जिंस ली गई हैं. आप मित्रों को पूछ लें कि कौन-सी जिंस हैं वे बताएंगे नहीं. भावांतर योजना से कितना लाभ हुआ, वे बताएंगे नहीं. यह योजना खरीफ 2017 में बनी है. इस योजना को माननीय मंत्री द्वारा बनाए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है यह खरीफ 2017 में बनी है और मात्र अक्टूबर, नवम्बर और दिसम्बर, इन तीन माह के अंदर 1512 करोड़ रुपए किसानों के खाते में डाल दिये गये हैं. (मेजों की थपथपाहट)..यह मैं आपको जानकारी देना चाहता हूं. अब ये कहते हैं कि मध्यप्रदेश के किसानों को पैसे नहीं मिले.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप तो भावांतर योजना क्या है, जरा डिटेल्स बता दो?
श्री मनोज सिंह पटेल - श्री बहादुर सिंह जी तो ठीक हैं. कोई भी किसान इस योजना के बारे में बता सकता है, बजाय इसके कि वह भोपाल में बैठा हुआ नेता न हो.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - सभापति महोदय, मैं डॉक्टर साहब की सीट पर जाकर बता देता हूं.
श्री बहादुर सिंह चौहान - मैं बता रहा हूं कि भावांतर योजना क्या है. मैं सब तैयारी करके आता हूं. सभापति महोदय, इस योजना को मैं एक्सप्लेन इसलिए करना चाहता हूं.(XXX), जबकि किसानों के हित की सबसे महत्वपूर्ण योजना है.
सभापति महोदय - कांग्रेस के लोग फेल करना चाहते हैं, इसे विलोपित करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -इस योजना का और विस्तार करना चाहिए. मैं कह रहा हूं कि वे विरोध कर रहे हैं. यहां पर भी कर रहे हैं और बाहर भी कर रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप तो समझा दो, जब आपके विभाग के मंत्री नहीं समझ पाए तो आप क्या समझ पाओगे?
श्री सुखेन्द्र सिंह - इसको तरीके से समझाओ, समझ जाएंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान -सभापति महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि जो ग्रीष्मकालीन मूंग होता है, अब चूंकि वह उस समय पैदा हुआ तो वह 3000-3200 रुपए में बिकता था, उसका समर्थन मूल्य 5250 रुपए था और सरकार ने 2,22,484 मी.टन खरीदा. एक किसान को 2000 रुपए से 2200 रुपए प्रति क्विंटल हिसाब से उसके खाते में डाला है. यदि किसी ने 100 क्विंटल मूंग बेचा है तो 2,20,000 रुपए की आय सीधे-सीधे उस किसान को हुई है. यह है भावांतर योजना. उड़द, उड़द का समर्थन मूल्य 5000 रुपए प्रति क्विंटल है और यह योजना अभी खरीफ 2017 में बनी है. इसमें 41,980 मी.टन इस भावांतर योजना के अंतर्गत खरीदा गया है. इसमें भी 1500 रुपए से 1000 रुपए का फायदा प्रति क्विंटल किसान को प्राप्त हुआ है. तुवर, जिसका समर्थन मूल्य 5050 रुपए प्रति क्विंटल है और इस भावांतर योजना के अंतर्गत 6,02,732 मी.टन खरीदी गई है. इसमें कितना लाभ किसानों को हुआ है? यहां तक ही नहीं, मसूर, जिसका समर्थन मूल्य 3950 रुपए प्रति क्विंटल है. यह भी 19,780 मी.टन खरीदी गई है. अब रही प्याज की बात.
सभापति महोदय - खरीदी नहीं गई, इतनी मात्रा पर भावांतर दिया गया है.
श्री बहादुर सिंह चौहान - उसका लाभ हुआ है, किसान ने उसको बेचा है और उसका समर्थन मूल्य डाला गया है इतने मी.टन का उसके खाते में डाला गया है. वही तो हुआ 1512 करोड़ रुपए. इसी प्रकार से प्याज, आप प्याज-प्याज कर रहे हैं. अब प्याज भी इस भावांतर में ले लिया. लहसुन भी इसमें ले लिया, चना भी इसमें ले लिया, सरसों भी ले लिया. आप कह रहे थे सरसों ले लो. सरसों भी इसमें ले ली है. मसूर भी ले ली है. 12 जिंस इस भावांतर योजना के अंतर्गत ली गई है. 800 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से 8.73 लाख मी.टन प्याज मध्यप्रदेश सरकार ने खरीदी. मैं श्री गौरीशंकर बिसेन जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि जो प्याज किसान रोड पर फेंकते थे, 8 रुपए किलो में वह सरकार ने खरीदा है. किसान प्याज को नहीं फेंक पाया, यह किसान को लाभ हुआ है. (मेजों की थपथपाहट).. यह है भावांतर योजना. यह इसका लाभ है. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की बात हो रही थी..
लोक निर्माण मंत्री (श्री रामपाल सिंह) - सभापति महोदय, डॉक्टर साहब सुन नहीं रहे हैं, वह भावांतर योजना पर इतनी देर से बोल रहे हैं. सभापति जी, डॉक्टर साहब घोषणा करेंगे कि भावांतर की जो राशि है वह वापिस करेंगे. आपने जो राशि भावांतर की ली है, वह वापिस करने की घोषणा करेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपके कृषि विशेषज्ञ कायदे से समझाएंगे, वह समझा नहीं रहे.
श्री बहादुर सिंह चौहान- सभापति महोदय, भावान्तर पर कांग्रेस के किसी व्यक्ति से भी चर्चा करने के लिए हम आमने सामने भी तैयार है. माननीय मंत्री जी ने इतनी बड़ी योजना बनाई है, माननीय शिवराज सिंह जी ने इतनी बड़ी योजना बनाई है कि इसमें हम एक घण्टा चर्चा कर सकते हैं. मध्यप्रदेश का हर किसान इस योजना को लेकर खुश है और मुझे किसान होने के नाते इस बात का दुख हो रहा है कि विपक्ष के द्वारा इसका छू मंतर योजना नाम लिया जा रहा है. आप यहां बोल लो, परंतु मध्यप्रदेश का किसान 2018 में बताएगा कि छू मंतर आप हो गए कि भावान्तर योजना होगी. यह वक्त आपको बताने वाला है.
डॉ. गोविन्द सिंह- अभी तक किसी ने भी भावान्तर को छू मंतर नहीं कहा. आप स्वयं छू मंतर कह-कहकर प्रचारित कर रहे हैं. आप कहिए आपको मंत्री नहीं बनाया है तो आप मुख्यमंत्री के विरोधी हो.
श्री के.के. श्रीवास्तव- बहादुर सिंह जी, जो भी छू मंतर कहेगा, वह छू मंतर हो जाएगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान- सभापति महोदय, यदि लोगों ने छू मंतर योजना नहीं कहा तो मैं आज ही त्यागपत्र दे दूंगा. कार्यवाही निकालकर देख लीजिए.
सभापति महोदय- हाऊस में तो किसी ने नहीं कहा.
श्री बहादुर सिंह चौहान- आप कार्यवाही उठाकर देख लीजिए कितने लोगों ने प्रश्नकाल में कहा है, डिबेट में कहा है.
सभापति महोदय- बहादुर सिंह जी, आप अपना भाषण जारी रखें, समाप्त भी तो करना है.
श्री बहादुर सिंह चौहान- सभापति महोदय, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में कहा कि यह भी फेल, कंपनियां पैसे ले गईं, कंपनियों ने लूटमार कर दी, यह योजना जो मध्यप्रदेश को 5 भागों में बांटा गया है, 10 संभागों में 2-2 संभाग मिलाकर इस योजना को प्रारंभ किया गया है, आपको विश्वास होना चाहिए कि इसी गए वर्ष में 1682 करोड़ रुपये मध्यप्रदेश के किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा से लाभ मिला है और 819253 किसानों को इस योजना का लाभ मिला है.
सभापति महोदय- आप और कितना समय और लेंगे ? कृपया जल्दी समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान- सभापति महोदय, 2003 के पहले हम खेती करते थे, तो इस मध्यप्रदेश के अंदर नकली बीज, नकली दवाई और नकली खाद बिकता था. हमारी सरकार आने के बाद, शिवराज जी के सरकार में आने के बाद, गौरीशंकर बिसेन जैसे व्यक्ति के मंत्री बनने के बाद नागार्जुन खाद 2004 में उठाकर देख लीजिए जिसका मध्यप्रदेश में एलोकेशन नहीं था, आपको पता होगा यदि 2004 के पहले यूरिया खाद आता था तो एसडीएम और एसडीओपी द्वारा थाने में गाडि़यां खड़ी करवाकर यूरिया खाद का वितरण होता था. यह खाद, बीज, दवाई मध्यप्रदेश में हमारी सरकार आने के बाद नकली खाद बंद हुआ है, नकली बीज बंद हुआ है, नकली दवाई बंद हुई है. अब असली खाद, असली बीज, असली दवाई, बिजली, पानी मिल रहा है..(व्यवधान)...
कुंवर सौरभ सिंह सिसोदिया- अब नकली किसान पैदा हो गए हैं, असली किसान खत्म होते जा रहे हैं. ..(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान- सभापति महोदय, यह बात सत्य है कि अधिक पैदावार होने से निश्चित रूप से जिंसों के भाव गिरे हैं. पहले जितना उत्पादन होता था उससे चार गुना अधिक उत्पादन होने लगा है. इसलिए भावों में कमी आई है और भाव गिरे हैं. इस विषय पर गंभीरता से हम सब लोग और सरकार मिलकर विचार कर रही है. इसी के लिए भावान्तर योजना बनाई है कि जब भाव गिर जाए तो किसान की फसल कम भाव में नहीं बिके. सभापति जी, आपने बोलने के लिये समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) -- सभापति महोदय, मैं आज कृषि विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा करने के लिये खड़ी हुई हूं. आज सबसे ज्यादा जो कमी हमको महसूस हो रही है, जब भी कृषि विभाग की बात आती है, तो हमेशा स्वर्गीय महेंद्र सिंह कालूखेड़ी जी इसकी ओपनिंग कांग्रेस पक्ष से करते थे. आज उनकी कमी बहुत ज्यादा महसूस हो रही है, क्योंकि जब वे अपनी स्पीच देते थे, तो केवल कांग्रेस पक्ष के लोग ही नहीं सत्ता पक्ष के लोग, बीएसपी के लोग, सारे लोग उनकी बातों को बहुत गंभीरता से सुनते थे और हमेशा उन्होंने किसानों के पक्ष में लड़ाई लड़ी और यहां तक कि जब तक वे जीवित रहे, तब तक तो लड़ाई लड़ी ही, लेकिन जब वे इस दुनिया से विदा हुए, उसके बाद भी वे किसानों का भला कर गये. स्वर्गीय रामसिंह यादव जी हो चाहे महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी, हम सब अच्छे से जानते हैं कि जब अभी मुंगावली और कोलारस में उप चुनाव हुए. तो उप चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए भावान्तर योजना में चना, मसूर और सरसों इन तीनों फसलों को जब भावान्तर में जोड़ा गया, तो हम सब जानते हैं कि उसकी वजह केवल उप चुनाव था और उप चुनाव का, हमारे दोनों सदस्य इस दुनिया में नहीं रहे, इसलिये हमको सामना करना पड़ा.
सभापति महोदय, इस बात से हम लोग समझ सकते हैं कि चुनाव का डर, कितना प्रभाव होता है चुनाव का. यह तो खेर उप चुनाव था. लेकिन अभी 2018 में आम चुनाव होने वाले हैं और इस चुनाव का असर, प्रभाव इतना जबरदस्त है कि हमारे मुख्यमंत्री जी को नई शब्दावली खोजनी पड़ी प्रोत्साहन राशि. 200 रुपये धान पर और 200 रुपये गेहूं पर प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा हुई है. जब इस देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार केंद्र में बनी, तो प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था कि हम पूरे देश में अनाज का मूल्य एक जैसा रहे, इसलिये सभी राज्यों से उन्होंने निवेदन किया और कहा कि भाई कोई भी राज्य सरकारें बोनस नहीं देंगी और जो राज्य सरकार यदि बोनस देगी तो एफसीआई के माध्यम से उनकी खरीदी नहीं करेंगे. केवल उसी बात से लेकर सभी सरकारों ने बोनस देना बंद कर दिया. मध्यप्रदेश की सरकार ने भी बोनस देना बंद कर दिया. लेकिन अब जब चुनाव सामने पड़ा हुआ है, तो बोनस शब्द को खत्म करके प्रोत्साहन राशि के नाम का सामना अब हमको करना पड़ रहा है. मैं कहना चाहती हूं कि यदि सरकार वास्तव में किसान के प्रति इतनी गंभीर थी, तो जब प्रोत्साहन राशि शब्द का प्रयोग अभी कर सक रहे हो, तो क्या उस समय, जिस समय प्रधानमंत्री जी..
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) -- सभापति महोदय, मेरा एक निवेदन है कि कांग्रेस के नेता और राहुल गांधी यह घोषणा कर दें कि प्रोत्साहन राशि नहीं लेंगे और कोई भी कांग्रेसी प्रोत्साहन राशि नहीं लेगा, क्योंकि हमें पसंद नहीं है. दोनों काम एक साथ कैसे होंगे. सबसे पहले वहां कांग्रेसी खड़ा होगा, प्रोत्साहन राशि लेने के लिये और कांग्रेस के विधायक यहां बुराई कर रहे हैं. तो हमें कम से कम अपनी नीति स्पष्ट रखनी चाहिये. तिवारी जी, बोलो कुछ.
डॉ. गोविन्द सिंह ‑- हम बोल रहे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- आप यहां खड़े होकर घोषणा करो कि हम प्रोत्साहन राशि नहीं लेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह ‑- सभापति महोदय, मैं घोषणा करता हूं कि डॉ. शेजवार जी अपने घर की कमाई से, अपनी भाभी की कमाई से जो प्रोत्साहन राशि देंगे, तो गोविन्द सिंह कतई नहीं लेंगे, ठुकरा देंगे. ..(हंसी)..
श्री के.के.श्रीवास्तव -- गोविन्द सिंह जी, आपने क्या वीरता दिखाई. वीरता की कहानियां सुनी थी चम्बल से, अब खुलकर सामने आ गई साहब.
लोक निर्माण मंत्री (श्री रामपाल सिंह)-- सभापति जी, डॉक्टर साहब फोन करते थे कि भावान्तर की राशि जिले में कब आयेगी. यह सबसे पहले लेने आप गये थे.
सभापति महोदय -- यह आपस की बातें सदन में नहीं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- सभापति महोदय, वन मंत्री जी ने एक बहुत ही गंभीर बात राहुल गांधी जी, कांग्रेस के नेताओं और हम सब कांग्रेसियों को लेकर कही. आज यदि आपको प्रोत्साहन राशि देनी पड़ रही है. आपने केवल इसलिये बोनस खत्म करवाया था, क्योंकि आप चाहते थे कि पूरे देश में अनाज का मूल्य एक बराबर हो. उस समय हम लोगों को भी ऐसा लगता था कि वास्तव में यदि नरेन्द्र मोदी जी एक जैसा मूल्य रखना चाहते हैं, तो अनाज का समर्थन मूल्य वह इतना तय कर देंगे कि किसी को भी बोनस खत्म करने में कोई दुख नहीं होगा. यदि आप सही किसान के हितैषी हैं, तो आप मुझे बोलकर बताइये कि क्या आप लोग इस बोनस राशि को खत्म करने से दुखी नहीं हैं, क्योंकि आप भी किसान पुत्र हैं, हमारे मुख्यमंत्री जी तो सबसे ज्यादा संवेदनशील किसान कहे जाते हैं इस प्रदेश के. क्या उन्होंने इस बात को स्वीकार किया.उन्होंने इस बात को अच्छे से स्वीकार किया कि बोनस की राशि खत्म करने से हमारे यहां के किसान दु:खी हैं, इसलिए उन्होंने प्रोत्साहन राशि का रास्ता निकाला.
माननीय सभापति महोदय, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की बात हमेशा हम लोग सुनते थे. जब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत हुई थी तो यह कहा गया था कि यदि किसी किसान की भी फसल खराब होगी तो उस किसान को भी मुआवजा मिलेगा. सेटेलाइट से सर्वे होगा, ऐसे होगा, वैसे होगा, आदि दुनिया भर की बातें यहां पर हुई थीं. आज आप फील्ड में देख लीजिए, माननीय गौरीशंकर बिसेन जी यहां पर बैठे हुए हैं, वे जमीनी नेता हैं, हम लोग कांग्रेस के लोग हैं, इस योजना को भली-भांति हम भी जानते हैं कि जमीन पर इस योजना की क्या स्थिति है. आज हम लोग कांग्रेस के हैं, इसलिए बोल पा रहे हैं, जो बीजेपी के लोग हैं, वे नहीं बोल पाते, लेकिन सच्चाई यही है कि आज यदि किसी एक किसान की फसल खराब होती है तो उसको मुआवजा नहीं मिल रहा है और इसका मुख्य कारण यह है कि आज भी इकाई किसान न होकर, पटवारी हलका है. इसलिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की राशि का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है.
सभापति महोदय -- कृपया समाप्त करें. आज कृषि विभाग का बजट पारित कराना है, कृपया सहयोग करें और अंतिम एक मिनट में अपनी बात समाप्त कर दें.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय सभापति महोदय, यदि एक मिनट में समाप्त करने की बात है तो जो सबसे मुख्य प्वॉइंट है, वह मैं बोलना चाहती हॅूं. आज भावान्तर योजना की बात यहां पर हो रही थी. भावान्तर योजना बनाने की जरूरत ही आपको नहीं पड़ती यदि आप मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम, 1972 की धारा 36 के क्रमांक 3 का अध्ययन कर लेते. इसमें अधिसूचित फसलों की मंडियों में बिक्री हेतु स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एमएसपी, एमएसपी से कम कहीं पर भी किसी भी मंडी में अनाज की खरीदी नहीं होगी. लेकिन माननीय सभापति महोदय, आज आप देख लीजिए कि हर मंडी में एमएसपी से नीचे ही खरीदी हो रही है. यदि हमारी सरकार इतनी गंभीर है तो उनको मंडी सचिवों पर कार्यवाही करनी चाहिए, उनको मध्यप्रदेश विपणन बोर्ड के एमडी पर कार्यवाही करनी चाहिए कि उन्होंने क्यों एमएसपी से कम मूल्य पर अनाज की खरीदी वहां पर की. आज भावान्तर यदि आपको देना पड़ रहा है तो उसका एकमात्र कारण यह है कि जिस समय मुख्यमंत्री जी ने भावान्तर योजना की यहां पर घोषणा की थी, उनके विचार बहुत अच्छे थे, उनकी सोच बहुत अच्छी थी क्योंकि वे चाहते थे कि एमएसपी का जो रेट किसानों को मिलना चाहिए था, वह रेट नहीं मिल पाता है, इसलिए उस अंतर को खत्म करने के लिए उन्होंने भावान्तर योजना चालू की थी. आज भावान्तर योजना के लिए अनुपूरक बजट में 4 हजार करोड़ रुपये का प्रोविजन किया था लेकिन आप उसमें से केवल 1500 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाए और इसका एकमात्र कारण यह है कि यदि भावांतर योजना में रोढ़ा बनने का कोई काम कर रहा है तो मंडी का जो यह नियम है कि एमएसपी से कम रेट पर आप खरीदी कर ही नहीं सकते, बोली लग ही नहीं सकती, वहां व्यापारी किसी कीमत पर भी एमएसपी से कम रेट पर अनाज को नहीं खरीद सकता. मैं चाहूँगी कि सदन इस बात को बहुत गंभीरता से ले. आज भी यदि इस अधिनियम पर सख्ती से कार्यवाही हो गई तो भावान्तर योजना की कहीं दूर-दूर तक जरूरत नहीं पड़ेगी. माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया. बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय -- क्या तिवारी जी कुछ कहना चाहेंगे.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय सभापति जी, अभी हिना जी ने एक बात कही है. मंडी का जो यह कानून है कि मिनिमम सपोर्ट प्राइज से नीचे मंडी में खरीदी नहीं हो सकती. यह कानून 1972 में बना है और इसका सेक्शन-35 है. अब जब मध्यप्रदेश की सरकार ही अपने कानून का उल्लंघन कर रही है, मिनिमम सपोर्ट प्राइज से कम में उन मंडियों में खरीदी कर रही है. इस पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया. आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान इस बात पर आकर्षित करना चाहूँगा.
श्री के.के. श्रीवास्तव (टीकमगढ़) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 के समर्थन में अपनी बात कहने के लिए खड़ा हुआ हूँ. भारत कृषि प्रधान देश है और हमारे देश के अंदर गांव-गांव में एक कहावत चला करती थी कि ''उत्तम खेती, मध्यम बान'' लेकिन इस कहावत के विपरीत जो हुआ, उसमें पूर्ववर्ती सरकारों की किसानों के प्रति उपेक्षापूर्ण नीतियों ने किसानों को भूख और कंगाल का पर्याय बना दिया था. न समय पर खाद, न बिजली, न पानी, न बीज न कोई दान और अनुदान, कोरी फर्जी घोषणाएं, 5 हॉर्स पावर के पंपों पर बिजली नहीं मिली. ऐसी उपेक्षाएं किसानों की गई. न सिंचाई के साधन मिले. समय पर खाद, बीज नहीं मिला और मिला तो नकली मिला. कीटनाशक दवाएं नहीं मिलीं जिसके कारण किसान तंगहाली की स्थिति की ओर चला गया. मध्यप्रदेश में वर्ष 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आयी. हमने सिंचाई का रकबा बढ़ाया. हमने बिजली की व्यवस्था की. हमने समय पर खाद, बीज देने की व्यवस्था की. कृषि यंत्रों, उपकरणों पर अनुदान देने का पर्याप्त काम किया. जिसका परिणाम यह हुआ कि मध्यप्रदेश में खेती लाभ का धंधा बन गई. 5 बार कृषि कर्मण अवॉर्ड प्राप्त हुआ. वही किसान, वही धरती, वही खाद, बीज है. समय पर बिजली देना, सिंचाई के साधन देना उनके बाजुओं की ताकत से और इस धरती माता की कोख से अन्न पैदा करके मध्यप्रदेश को 5 बार कृषि कर्मण अवॉर्ड उन्हीं किसानों ने दिलाया. यह हमारी सरकार की नीतियों के कारण संभव हुआ है.
माननीय सभापति महोदय, प्राकृतिक आपदा में ओला हो, अतिवृष्टि हो, इल्ली हो, (XXX), पता नहीं कौन-कौन सी बातें हो रही थीं.
सभापति महोदय -- (संकेत से) यह विलोपित करे.
श्री के.के.श्रीवास्तव -- माननीय सभापति महोदय, कितना मिलता था, कितना दिया जाता था. आज रात में अगर ओला गिरता है तो रिश्तेदार दो-चार-दस किलोमीटर से भी किसान के खेत पर नहीं पहुंच पाता. वहीं मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी जाकर किसान को गले लगा लेते हैं उसके दर्द को और उसके आसुंओं को पोंछते हैं. (मेजों की थपथपाहट) यह मध्यप्रदेश की किसान हितैषी सरकार है. "जाके पांव न फटी बिवाई, वो का जाने पीर पराई." लोगों ने मजाक उड़ाया. एक किसान पुत्र ओला पर्यटन कर रहे हैं. यह उस किसान से पूछिए जिसने चार महीने मेहनत करके मिट्टी में अपना खून-पसीना बहाया है और जब उसकी फसल बर्बाद होती है तो माननीय मुख्यमंत्री के पहुंचने से राहत और राहत के बाद राशि उस किसान को प्राप्त होती है. कर्ज की स्थिति के बारे में अभी बात हो रही थी कि किस-किस किसान को जीरो परसेंट पर कर्ज मिला है. रिकॉर्ड देखे जा सकते हैं, बुलाए जा सकते हैं. आप तो सदन के सदस्य हैं. आप जो मांग करेंगे वह मिल जाएगा. पहले बाप कर्ज लेता था, बेटा चुकाता था, नाती चुकाता था तब भी कर्ज नहीं चुकता था. ट्रेक्टर बिक जाता था, जमीन बिक जाती थी, घर नीलाम हो जाता था और किसान भी अधिकारियों के कारण पीछे वाले दरवाजे से भागकर छिपता-छिपाता घूमता था. आज हमारी सरकार आयी तब 18 प्रतिशत ब्याज से घटाकर जीरो परसेंट कर दिया और अब तो खाद, बीज पर एक लाख रूपए लेने पर 10 परसेंट माफ करने की योजना मध्यप्रदेश की सरकार ने बनाई है. 90 हजार रूपए लौटाओ और 1 लाख रूपए लो. सिंचाई व्यवस्था बनायी, बिजली दी, खाद, बीज दिया.
माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2008 में कृषक कल्याण योजना हमारी सरकार ने बनायी., अन्नदाता खुशहाल रहें, दीर्घायु रहें. भगवान न करे, अगर किसी किसान की खेती का काम करते हुए मृत्यु हो जाती है तो 4 लाख रूपए उस किसान को मिलेगा. यह हमारी सरकार ने योजना बनायी. स्थायी अपंगता पर 1 लाख रूपए मिलेगा. अंग-भंग होने पर आंशिक अपंगता पर 50 हजार रूपए और उसकी अंत्येष्टि के लिए भी 4 हजार रूपए की व्यवस्था मध्यप्रदेश की कृषक हितैषी सरकार ने की है. भावांतर योजना के बारे में बात हो रही थी. भावांतर योजना की स्थिति यह है कि किसानों के बीच भावांतर योजना इतनी लोकप्रिय हो गयी है जिससे कांग्रेस के भाव का अंतर जरूर खत्म हो गया. उसका भाव जरूर गिर गया है. कल्पना नहीं की जा सकती. प्राकृतिक आपदा से फसलें बर्बाद हो जाती हैं. क्वॉलिटी खराब हो जाए, अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में गिरावट आ जाए, मूल्यों में गिरावट आ जाए तो उस गिरावट से हमारा किसान प्रभावित न हों, उसके लिए हमारी सरकार ने योजना बनायी है कि किसान को भावांतर योजना का लाभ दिया जाए. अभी हम उसका पूरा ब्यौरा पढ़ना नहीं चाहते, चूंकि यह बात पहले आ चुकी है और हमारे पूर्व वक्ताओं ने कही है. अधिसूचित 8 फसलों के कुल उत्पादन का 22 प्रतिशत भावांतर भुगतान योजना में लाभ दिया गया है. 1000 करोड़ का मूल्य स्थिरीकरण कोष का गठन किया गया है. मध्यप्रदेश कृषि उत्पाद लागत एवं विपणन आयोग का गठन किया गया है. कृषक प्रोत्साहन योजना की बात हो रही थी. खराब है, खराब है. जब माननीय वन मंत्री जी ने कहा तो उनने कहा कि आप देंगे तो नहीं लेंगे, बाकी तो हम सब ले लेंगे.
सभापति महोदय -- श्रीवास्तव जी, कितना समय और लेंगे.
श्री के.के.श्रीवास्तव -- माननीय सभापति महोदय, अभी तो मुझे दो ही मिनट नहीं हुए हैं. अच्छा नहीं लग रहा हो, तो फिर न बोलूं.
सभापति महोदय-- आपको छह मिनट हो गये हैं.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- माननीय सभापति महोदय, मैं एक मिनट में अपनी बात खत्म कर देता हूँ. आपका आदेश जरूर मानूंगा. सभापति महोदय, कृषक प्रोत्साहन योजना, अद्भुत, विचित्र किन्तु 100 परसेंट सत्य है.पिछले वर्ष गेहूँ और धान पर जो भी रेट किसानों को मिला था उसमें मध्यप्रदेश की सरकार ने घोषणा की है कि 200 रुपया प्रति क्विटंल की दर से हम फिर से किसानों के खाते में देंगे. कल्पना नहीं कर सकते आप. आगे की योजना तो बन सकती लेकिन पिछले पर भी देना, पिछले पर भी मिलना, यह मध्यप्रदेश की किसान हितैषी सरकार कर सकती है, शिवराज सिंह चौहान कर सकते हैं, हमारे कृषि मंत्री जी कर सकते है. माननीय सभापति महोदय, इस योजना हेतु वर्ष 2018-19 के बजट में 3650 करोड़ रुपये हमने रखा है.
माननीय सभापति महोदय, मुख्यमंत्री हम्माल एवं तुलावटी सहायता योजना 2008 में बनी थी. इस योजना में प्रसूति व्यय सहायता, प्रसूति अवकाश सहायता, चिकित्सा सहायता, प्रावीण्य छात्रवृत्ति, विवाह सहायता, मृत्यु सहायता का प्रावधान किया. इसकी पहले कभी चिंता नहीं की गई, वह मंडी का हम्माल, वह तुलावट, वह बेचारा गरीब पल्लेदार, छोटी-छोटी इकाई के बारे में सरकार ने चिंता की है.माननीय सभापति महोदय, इनको प्रसूति व्यय सहायता, प्रसूति अवकाश, चिकित्सा सहायता , मृत्यु सहायता सहित अन्त्येष्टि तक की सहायता का प्रावधान हमारी सरकार ने किया है. इस योजना में प्रारंभ से फरवरी 2018 तक हमने 32698 हितग्राहियों को 841 लाख रुपये का भुगतान किया है. सभापति महोदय, मंडी प्रांगण में 5 रुपये थाली भोजन की बात हो रही थी. अब पता नहीं यह हमारे समधी साहब हैं, रिश्तेदार हैं, इनके भिंड में क्यों नहीं मिल रही है वह थाली? माननीय सभापति महोदय, हर जगह थाली की ठीक व्यवस्था है लेकिन किसानों को यह कैसे मिले इसकी मॉनिटरिंग करनी होती है. घर बैठे हम केवल नेतागिरी करे इससे कुछ नहीं होगा. आप आप बैठें, वहाँ जायें, थाली का भोजन चखें और देखें कि हमारी सरकार कैसा काम कर रही है. माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2015-16 में हमने इस योजना के लिए अनुदान राशि 11.95 लाख रुपये दी, वर्ष 2016-17 में 12 लाख रुपये, 2017-18 में 32 लाख रुपये की राशि उपलब्ध कराई है.
माननीय सभापति महोदय, किसान परंपरागत खेती से आगे बढ़ें, वैज्ञानिक खेती अपनाएं. मृदा परीक्षण की व्यवस्था भी हमने की है. अब तो हर तहसील स्तर, हर ब्लॉक स्तर पर मृदा परीक्षण की प्रयोगशालाओं के लिए हमारी सरकार कटिबद्ध, संकल्पबद्ध है उस दिशा में भी हम बढ़ रहे हैं.
सभापति महोदय-- अब कृपया सहयोग करें.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- सभापति महोदय, एक मिनट में बात समाप्त करता हूँ. सभापति महोदय, लोग यहाँ अभी टीकमगढ़ की भी चर्चा कर रहे थे. किसान आंदोलन की चर्चा कर रहे थे, किसानों के हितैषी बनने का (XXX) कर रहे थे, किसानों के लिए घड़ियाली आँसू बहा रहे थे. अरे, कपड़े उतारने वाले कांग्रेस के लोग थे, दावे के साथ कहता हूँ, पुलिस थाने में अगर कोई किसान के कपड़े उतारे जाते हैं तो वह किसान मोबाइल से फोटो नहीं खींच पाता है. मोबाइल वहाँ नहीं होता है . कांग्रेसी पहले से ही सड़कों पर कपड़े उतारकर घूम रहे थे, पुलिस के सामने हिम्मत थी किसान की जो वीडियोग्राफी कर लेता? वह कांग्रेसी लोग थे, जिन्होंने अपने आंदोलन को...(व्यवधान)...मैं दावे के साथ कहता हूँ. (XXX)...(व्यवधान)...मध्यप्रदेश की जनता माफ नहीं करेगी.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- माननीय सभापति महोदय, ..(व्यवधान)..कांग्रेसी इतने मजबूत थे कि थाने में भी चले गये और कपड़े भी उतार दिये और फोटो भी खींच लिये, सारा काम कांग्रेसियों ने कर लिया? और पुलिस देखती रह गई. क्या बात करते हो के.के. भाई.
सभापति महोदय--- कृपया बैठ जाएं. किसानों की हत्या करने वाले हत्यारों शब्द विलोपित किया जाये.
श्री के.के.श्रीवास्तव-- कांग्रेस के पदाधिकारी थे.सड़कों पर घूमे थे.
सभापति महोदय-- कृपया बैठ जाएं.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- धन्यवाद, सभापति महोदय.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर-- माननीय विधायक जी का असत्य बोलने में आपका पहला नंबर आएगा.
श्री दुर्गालाल विजय-- माननीय सभापति महोदय, मैं आपका ध्यानकृष्ट करना चाहता हूँ कि हमारी सरकार ने, माननीय मुख्यमंत्री जी ने, मंत्री जी ने किसानों को मुआवजा देने में बहुत अच्छा प्रयास करके हर जिले में मुआवजे की राशि पहुँचाई है. हमारे जिले श्योपुर में किसानों के मुआवजे की राशि उनके खातों में डाली गई तो बैंकों ने उसकी ऋण में भरपाई कर ली है वह किसी किसान को राशि देते नहीं हैं. यह बड़ी भारी कठिनाई है. सभापति महोदय, आपके माध्यम से मैं
………………………………………………………………………………………….
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
मंत्री जी से निवेदन करूँगा कि यह सहायता की राशि तो किसानों को मिलना चाहिए क्योंकि परेशानी के कारण उनको यह राशि दी गई है.
श्री नीलेश अवस्थी(पाटन)-- माननीय सभापति महोदय, मैं माँग संख्या 13 एवं 54 के विरोध एवं कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलना चाहता हूँ अगर पूरे प्रदेश में कोई सबसे ज्यादा परेशान हैं वह है, किसान. बातें और चर्चायें तो बहुत हो गई मैं मंत्री जी से एक निवेदन करना चाहता हूँ कि अगर यह किसान हितैषी सरकार है, किसानों के हित में फैसले लेने हैं तो एक फैसला बहुत आवश्यक है कि अभी किसानों के उत्थान के लिए कि हमारे मध्यप्रदेश में पूर्ण कर्जमाफी होना चाहिए. दूसरा, हमारे किसानों के बिजली के बिल माफ होना चाहिए और उनको उचित मूल्य मिलना चाहिए. इन तीन बिन्दुओं में अगर सरकार काम करती है तो कहीं न कहीं हमें लगेगा कि यह सरकार किसानों के हित में काम कर रही है. बजट में इस बात का उल्लेख किया गया कि विकास दर बढ़ रही है. मैं सरकार से पूछना चाहता हूँ कि अगर विकास दर बढ़ रही है तो हमारा किसान सबसे ज्यादा आत्महत्या क्यों कर रहा है? हमारा किसान आंदोलित क्यों है? अगर विकास दर बढ़ रही होती तो ये सब चीजें नहीं होना चाहिए. अगर सरकार के प्रति रोष है तब ये चीजें हो रही हैं और एक जुमलेबाजी तरीके से किसानों की फसल का दोगुना करना, किसानों की आय दोगुना करना, यह निश्चित तौर पर किसान एक जुमलेबाजी की तरह देख रहा है. अगर सही में किसानों का दोगुना करना है तो उसको जो रेट बढ़ते जा रहे हैं हमारे खाद के, बीज के, कीटनाशक के, डीजल के, पेट्रोल के, इन सबको कम करना होगा, तब जाकर किसान को राहत मिलेगी. फसल बीमा योजना के बारे में मैं आपको बताना चाहता हूँ कि फसल बीमा योजना का लाभ किसानों को बिल्कुल नहीं मिल रहा है. कुछ आँकड़े आपके सामने पेश करना चाहूँगा कि 8 फरवरी 2018 को एसएलबीसी की रिपोर्ट के अनुसार फसल बीमा कंपनी ने किसानों से 1800 करोड़ रुपये का प्रीमियम वसूला और क्लेम में सिर्फ 714 करोड़ रुपये किसानों को मिला. यह साबित करता है कि फसल बीमा कंपनियों को पूरा पूरा लाभ मिल रहा है और जहाँ रहा किसानों का सवाल उनके हाथ में कुछ नहीं आ रहा है. मैं यह बताना चाहता हूँ कि किसानों को बीमा कंपनी से न कोई दस्तावेज मिलते हैं न उनको कुछ जानकारी मिलती है कि हमारी फसल का अगर नुकसान हो रहा है तो हमें कहाँ पर जाना है, किससे मिलना है और कब, जब फसल का नुकसान तुरन्त अधिकारी देखने के लिए आने चाहिए महीनों हो जाते हैं अधिकारी वहाँ फसल देखने नहीं आते है. मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि जबलपुर के हिसाब से 2016 में 32 हजार कृषकों ने अपना फसल बीमा कराया और 27 करोड़ रुपये प्रीमियम जमा कराया गया. मात्र 307 कृषकों को उसका लाभ मिला है. अब आप देख रहे हैं कि 32 हजार किसानों में से मात्र 307 किसानों को लाभ मिला है. मैं सरकार को एक सुझाव देना चाहता हूँ कि ग्राम इकाई से उसको खेत इकाई में लाना पड़ेगा तब जाकर बीमे का सही लाभ किसानों को मिलेगा. माननीय सभापति महोदय, मैं उपकरणों की बात करता हूँ. कृषि उपकरणों की खरीदी में सब्सिडी का प्रावधान इस योजना के तहत प्रदेश भर में दिसंबर 2017 तक कुल 81 हजार 831 किसानों ने आवेदन किए थे. इनमें से मात्र 11 कृषकों को ही अनुदान जारी हुआ है. आप देख सकते हैं कितने आवेदन आए और कितने लोगों को लाभ मिल रहा. 11 किसानों को लाभ मिला है. इस योजना में अगर किसानों को सही लाभ देना है तो ऑन लाइन सिस्टम से हट कर क्योंकि हमारा ऑन लाइन सिस्टम में किसान अभी पूरी तरह नहीं जुड़ा है. उन्हें, जैसे पूर्व में एक प्रथा चलती थी उस हिसाब से ही उनको व्यवस्था देनी पड़ेगी तब जाकर उनको उसका लाभ मिलेगा. आज प्रशिक्षण के तौर पर देखा जाए फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए कृषकों के मिट्टी प्रशिक्षण कार्ड बनाने की बात पिछले सत्र में कही थी. आज इस योजना से प्रदेश में मात्र 10 प्रतिशत से कम कृषकों को लाभ मिल रहा है. मैं यह भी बताना चाहता हूँ कि तहसील एवं ब्लाक स्तर पर प्रशिक्षण एवं प्रयोगशाला बनाना चाहिए.
सभापति महोदय-- अब कृपया जल्द समाप्त करें.
श्री नीलेश अवस्थी-- सभापति महोदय, पशुधन आज हमारे प्रदेश में कम होता जा रहा है. जैविक खेती से लोग दूर होते जा रहे हैं. आज बीमारियाँ क्यों बढ़ रही हैं, आज किसान कीटनाशक का उपयोग कर रहे हैं. लेकिन जब तक हम जैविक खेती की तरफ नहीं आगे बढ़ेंगे और जैविक खेती में उनका सही उत्पादन का सही उनको दाम नहीं मिलेगा तब तक उनका उत्थान नहीं होगा क्योंकि हमारा जैविक की तरफ बिल्कुल ध्यान हटता जा रहा है और कीटनाशकों के कारण जिस तरह से आज कैंसर बहुत सी ऐसी बीमारियाँ फैलती जा रही हैं. जिससे लोगों की मृत्यु भी होती जा रही है.
सभापति महोदय, मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा कि बिजली विभाग द्वारा आज यह बड़ी बड़ी बातें होती हैं कि 10 घंटे किसानों को बिजली...
सभापति महोदय-- ऊर्जा विभाग की मांगों के समय बोल लेना.
श्री नीलेश अवस्थी-- किसानों से जुड़ी हुई बाते हैं...
सभापति महोदय-- सभी विभाग किसानों से ही जुड़े हुए हैं.
श्री नीलेश अवस्थी-- सभापति जी, मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा कि बिजली किसानों को खेत में कम से कम 18 घंटे मिले, भले ही 24 घंटे गाँव में न मिले. अगर किसानों के उत्थान की बात कर रहे हैं. किसानों को 10 घंटे बिजली देने का सरकार जो वादा कर रही है वह मुश्किल से 7 या 8 घंटे मिल रही है. मैं आपको एक जानकारी देना चाहूँगा बिजली विभाग द्वारा सर्दी के मौसम में भी किसानों को रात को डेढ़ से दो बजे बिजली दी जाती है. यह सोचने की बात है कि इतनी ठंड में लोग बाहर नहीं निलकते हैं हमारे किसान को रात को डेढ़ से दो बजे बिजली मिलेगी. यह मानवता के हिसाब से उचित नहीं है.
सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव)--माननीय सभापति महोदय, मैं किसानों की अनुदान मांगों के समर्थन में बोल रहा हूँ. एक नारा था "जय जवान-जय किसान" यह नारा कांग्रेस ने दिया था. स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी उस समय देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे. जब किसानों की बात हम करते हैं. कांग्रेस के बंधु बाहर सड़कों पर आन्दोलन करते हैं लेकिन सदन में किसानों की चर्चा के लिए आप देखिए कि जितने लोगों ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस का झण्डा उठाकर आन्दोलन किया उनमें से एक भी अपनी सीट पर नहीं है. साईकिल चलाने का ढोंग करते हैं, किसानों की फसलें रोंदने का ढोंग करते हैं और आज सदन में चर्चा से भागते हैं. किसानों की सरकार का जो विरोध करते हैं उन नेताओं को अभी भी समझ में आ जाए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--माननीय सभापति जी, माननीय सदस्य से मेरा अनुरोध है कि मंत्रिमंडल के सदस्य गिन लें और अपने पक्ष के विधायकों को भी देख लें.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल--तिवारी जी माननीय सदस्य जी का यह कहना है कि जो किसानों के समर्थन में खड़े हो रहे हैं वे आज सदन में कहां हैं.
डॉ. कैलाश जाटव--सभापति महोदय, फिर यह समय मेरे समय में से कटेगा.
सभापति महोदय--वे बैठ गए हैं. आप प्रारंभ करें.
डॉ. कैलाश जाटव--सभापति महोदय, हम सदन में किसी पार्टी की तरफ से नहीं बोलते हैं. हम सब लोगों को इस प्रदेश में किसानों के भले के लिए चर्चा करना चाहिए. राजनीति सब करते हैं लेकिन सदन कानून बनाता है किसानों की चिंता करने के लिए विषय है. हमारे प्रदेश का बजट बन रहा है उस बजट में कितना अनुदान होना चाहिए, कितनी राशि किसानों के लिए होना चाहिए उसके लिए हम चर्चा कर रहे हैं. यह बात मैंने इसलिए बोली कि आप प्रदेश को भ्रमित कर रहे हैं, आप किसानों को भ्रमित कर रहे हैं. आप उनकी फसलों को रोड पर फेंक रहे हैं, पांव से रोंद रहे हैं. किसका सम्मान कर रहे हैं आप ? दस किसानों को खड़ा करके आप किसानों का आन्दोलन खड़ा करते हैं और प्रदेश के किसानों को बदनाम करते हैं. अगर आपने किसानों को बदनाम करने का काम किया है तो किसानों के लिए बजट में राशि बढ़ाने के लिए सदन में बहस करने के लिए उपस्थित होना चाहिए था. मेरा यह भी कहना है कि जो लोग आत्महत्या की बात करते हैं. किस रिपोर्ट ने यह बता दिया कि किसानों ने दुर्दशा की वजह से आत्महत्या की ? लेकिन विपक्ष के साथी लगातार बोल रहे हैं कि किसान आत्महत्या कर रहा है. कई कारण हो सकते हैं. मैं अपने जिले का एक उदाहरण देना चाहता हूँ. धमना में किसानों का आन्दोलन चल रहा था वहां पर किसी किसान परिवार में किसी किसान की दुखद मृत्यु हो गई उसकी पोस्ट मार्टम रिपोर्ट आई उसमें बताया गया कि मृत्यु हार्ट फेल होने के कारण हुई है. वहां कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता गए और जाकर बोलने लगे कि किसान ने कर्ज की वजह से आत्महत्या की है. मैं कहता हूँ भ्रम मत फैलाइए जो सत्य है उसे स्वीकार करिए.
सभापति महोदय, केन्द्र में 3-4 साल सरकार को हो गए हैं. फसल बीमा की चर्चा कर रहे हैं यह किसने लागू की ? भावान्तर योजना किसने लागू की ? किसानों को बोनस देने की बात कर रहे हैं यह किसने लागू किया ? जो तौल करने वाले होते हैं उनको किसने सुविधा दी ? पांच रुपए का भोजन किसने चालू किया ? जो नकली और जहरीली दवाएं बाजार में बिकती थीं उसे रोकने का काम किसने किया ? अगर इस सब बातों पर चर्चा हो रही है तो यह विषय हमने दिया है. यह विषय अगर पहले से चलता, यह सुविधाएं किसानों को पहले से देते तो यह सदन में हमारी तरफ बैठे होते विपक्ष में नहीं बैठे होते. हमने किसानों और गरीबों की चिंता की है. मैं पूरे बजट पर चर्चा करना नहीं चाहता हूँ. हर वर्ष हमारा बजट बढ़ रहा है, हर वर्ष हम किसानों को दे रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने जिलों में खण्ड स्तर पर जाकर खुद किसानों से चर्चा की. कोई आन्दोलन नहीं है. कोई किसान विरोध में नहीं है. आज हिना कावरे जी बोल रही हैं कि 200 रुपए का बोनस, क्यों दर्द हो रहा है भई. हम पहले दें, बाद में दें, आपने कब दिया ? आपने कभी दिया हो तो बताएं, हम दे रहे हैं तो क्या दिक्कत है. हमारे मुख्यमंत्री जी को दर्द था, हम किसी कारण से प्रावधान नहीं कर पाए लेकिन हमने कुछ रास्ता ढूंढा हम प्रोत्साहन राशि दे रहे हैं आपको उसका स्वागत करना चाहिए. अगर आप स्वागत नहीं कर सकते हैं तो उसका विरोध मत करिए. आप यहां पर बैठकर उन्हें देने वाली राशि में कटौती की बात कर रहे हैं और बाहर जाकर किसानों को आन्दोलन करने के लिए भड़का रहे हैं.
सभापति महोदय, मैं कृषि मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि मेरे गोटेगांव मण्डी में शेड की बहुत कमी है तो दो शेड और दुकानदारों को बैठने की व्यवस्था नहीं है उनके बैठने की व्यवस्था हो जाए. मैंने आपको पत्र दिया है मंडी की सड़कों के लिए वह भी स्वीकृत हो जाएं तो मैं मंत्री जी आपका बड़ा आभारी रहूंगा.
सभापति महोदय, आपने बोलने का मौका दिया उसके लिए धन्यवाद.
सभापति महोदय-- सीधे अपने विधानसभा क्षेत्र की बात कहकर माननीय मंत्री जी को सहयोग प्रदान करें.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव)-- माननीय सभापति महोदय, किसी ने भी सीधे बात नहीं की है तो सिर्फ मुझसे अपेक्षा क्यों है.
सभापति महोदय-- अब सभी से अपेक्षा करेंगे.
श्रीमती झूमा सोलंकी-- धन्यवाद सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 पर अपनी बात रखूंगी और सीधे ही बात रखूंगी. कृषि विभाग की जो समस्याएं हैं उनके अंतर्गत मैं माननीय मंत्री जी का आकर्षित करना चाहती हूं. कृषि विभाग के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं में किसानों को नकली खाद, नकली बीज और नकली कीटनाशक दवाइयां प्रदान की जा रही हैं. मैं यह स्थिति इसलिए बताना चाह रही हूं क्योंकि मेरे क्षेत्र में इसी वर्ष जो नकली बीज की वजह से सोयाबीन की फसलों में अफलन की स्थिति निर्मित हुई है पूरा क्षेत्र इससे प्रभावित हुआ और किसानों ने सोयाबीन की जितनी बुवाई की है उसमें एक भी किलो का उत्पादन नहीं हुआ. इसके लिए किसानों ने विरोध किया, मांग रखी कि हमारे नुकसान का मुआवजा दिया जाए. 12 दिन लगातार किसानों ने वहां आंदोलन किया. आज भी उनको कोई मुआवजा राशि नहीं मिली है. भारतीय जनता पार्टी के नेता वहां पहुंचे जरूर थे और उस आंदोलन में जाकर बोले कि किसान अपने आंसू खुद रो रहे हैं. यदि काम करना है तो गेती फावड़ा उठाओ और जाकर खंती और रोड खोदो. यह उनके शब्द थे. दिलासा देना या मुआवजा देने की बात तो दूर उनके घावों पर वह नमक और मिर्ची डालकर आए हैं.
सभापति महोदय, यह इनके कर्म हैं. यह सदन में जितनी अच्छी बात कहते हैं वास्तव में वह कहीं दिखाई नहीं देती है. कृषि यांत्रिकी विभाग के द्वारा किसानों के आधुनिक खेती करने के लिए जो यंत्रों को उन्हें दिया जाना चाहिए उसका जो लक्ष्य है पूरे जिले में सात, आठ किसानों को मिलता है जो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. यदि आप कृषि महोत्सव के आयोजन करते हैं, गांव-गांव जाते हैं और बिना कारण से जो राशि खर्च होती है यह राशि खर्च न करते हुए इन यंत्रों के माध्यम से उन्हें यह फायदा पहुंचाया जाए तो निश्चित ही किसानों को इससे फायदा होगा. मेरा एक सुझाव है जो कृषि के आधुनिकीकरण को बढ़ावे के लिए और क्षेत्र में अन्य कॉलेजों की मांगें होती हैं और उसकी पूर्ति सरकार अपनी ओर से कर रही है किंतु कृषि महाविद्यालय की जो भारी कमी पूरे देश में देखी जा रही है मैं चाहती हूं कि मेरे खरगोन जिले में कृषि महाविद्यालय खुले और इसका लाभ हमारे यहां के विद्यार्थियों को मिले. साथ ही भावांतर की बात सभी ने रखी क्योंकि मेरा जिला मिर्ची के नाम से प्रसिद्ध है. हमारे बेडि़या क्षेत्र की मिर्ची पूरे एशिया की चुनिंदा मंडियों में गिनी जाती है. इस भावांतर योजना में प्याज तक को शामिल कर लिया गया किन्तु मिर्ची को शामिल नहीं किया है. चूंकि हमारे जिले से एक मंत्री जी भी बनाए गए हैं, मैं उनका भी ध्यानाकर्षित करती हूं कि वे इसको जरूर शामिल करें क्योंकि वहां का जो मिर्ची का उत्पादन होता है बहुत ज्यादा मात्रा में होता है और अच्छी गुणवत्ता की मिर्ची का होता है. बहुत ज्यादा किसान इस उत्पादन का फायदा लेते हैं किन्तु भावांतर का फायदा उन किसानों को कहीं न कहीं नहीं मिल रहा है. आज जो सोसायटियों के कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हैं जिसकी वजह से किसानों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. भावांतर की योजना कहें, आप ऋण अदायगी कहें, ऋण लेना कहें किसानों की जितनी समस्याएं हैं उनका वह सामना कर रहे हैं क्योंकि छोटे से बड़े कर्मचारी सभी के सभी हड़ताल पर जाने से उनका पूरा ऑफिस बंद हो चुका है. उनकी क्या मांगे हैं.
सभापति महोदय-- माननीय मंत्री जी इसे जरूर देख लें, रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- हड़ताल खत्म हो गई है.
श्रीमती झूमा सोलंकी-- हड़ताल खत्म नहीं हुई है उनकी मांगे नहीं मानी गईं. उनकी मांगे मानी जाएं ताकि किसानों को इसका इसका फायदा मिले.
सभापति महोदय-- रजिस्ट्रेशन की अवधि बढ़ा दें.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन)- सभापति महोदय, 24 तारीख तक रजिस्ट्रेशन की अवधि बढ़ा दी गई है और हड़ताल भी खत्म हो गई है.
श्रीमती झूमा सोलंकी- माननीय सभापति महोदय, जिस तरह से व्यापारी अपना प्रोडक्ट तैयार करते हैं और उसके मूल्य का निर्धारण करने का अधिकार उस व्यापारी को है. चाहे साबुन-तेल हो या अन्य छोटी चीजें हों या सुई से लेकर ट्रैक्टर तक हो. यदि इनके मूल्य का निर्धारण करने का अधिकार व्यापारी को है तो हमारा किसान जो अपनी दिन-रात की मेहनत और खून-पसीना लगाकर खेती करता है, उपज करता है, उसे भी अपनी फसल के मूल्य का निर्धारण करने का अधिकार होना चाहिए. मैं इसके लिए इस सदन से मांग करूंगी. सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
श्री भारत सिंह कुशवाह (ग्वालियर-ग्रामीण)- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. हमारी सरकार ने यह सिद्ध कर दिया है कि वास्तव में यह पहली सरकार है जो किसान हितैषी है. हमारी सरकार ने किसानों के लिए समय-समय पर कई संशोधन किए हैं जिससे किसानों का हित हो सके.
सभापति महोदय- कृपया यदि आपके क्षेत्र के कोई सुझाव हों तो वे सीधे बता दें.
श्री भारत सिंह कुशवाह- सभापति महोदय, मध्यप्रदेश की सरकार ने भावांतर भुगतान योजना के तहत पिछले वर्ष कई फसलों को लिया था. मुझे इस बात की खुशी है और इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी एवं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने मुख्य रूप से सरसों और चना की फसल को भी भावांतर भुगतान योजना में सम्मिलित किया है.
सभापति महोदय, इसके अलावा मैं कहना चाहूंगा जिस प्रकार से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बहुत सी चीजों को कवर किया गया है उसी तरह यदि आवारा पशुओं की समस्या के कारण, उन पशुओं द्वारा जो फसल नष्ट की जाती है, उसे भी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सम्मिलित किया जाये तो निश्चित रूप से किसानों के लिए यह बहुत अच्छी बात होगी. साथ ही मैं यह भी अनुरोध करना चाहूंगा कि यदि फसल बीमा के तहत सरकार इसे कवर नहीं कर सकती है तो जो किसान निजी भूमि पर कृषि करते हैं और वहां तार-फेंसिंग करना चाहते हैं, फसल की रखवाली करना चाहते हैं, उस तार-फेंसिंग के लिए सरकार किसानों को कम से कम 50 प्रतिशत की अनुदान राशि दे. मेरा मानना है कि यह निर्णय किसान के हित में होगा.
माननीय सभापति महोदय, विशेषकर मेरा एक और आग्रह मंत्री जी से है. मेरा विधान सभा क्षेत्र जंगल से घिरा हुआ क्षेत्र है. आवार पशुओं और जंगली जानवरों की वहां काफी अधिक संख्या है. इस बाबत् मैंने पिछले माह विभाग में भी निवेदन किया था और वहां से एक प्रस्ताव कृषि विभाग को अग्रेषित किया गया है. तार-फेंसिंग के लिए डी.पी.आर. बनकर आई है. जंगल के किनारे होने वाली तार-फेंसिंग में वन विभाग की भी सहमति है. मंत्री जी से मेरा पुन: अनुरोध है कि यदि इसकी स्वीकृति मिल जाती है तो निश्चित रूप से कई गांवों के किसानों को इसका लाभ मिलेगा. धन्यवाद.
सभापति महोदय- मंत्री जी, यह एक बहुत अच्छा सुझाव है. उसे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में तो नहीं लिया जा सकता है लेकिन तार-फेंसिंग के लिए यदि अनुदान की व्यवस्था हो जाए तो बेहतर होगा क्योंकि आवारा पशुओं से पूरे प्रदेश के किसान पीडि़त हैं.
श्री इंदर सिंह परमार, कृपया सीधे अपने सुझाव देकर समाप्त करेंगे.
श्री इंदर सिंह परमार (कालापीपल)- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 13 और 54 के समर्थन में अपनी बात रख रहा हूं. हमारे देश में जब किसान आंदोलन होते हैं तो एक स्वामीनाथन् आयोग की बड़ी चर्चा होती है. मैं सदन में उल्लेख करना चाहता हूं कि स्वामीनाथन् आयोग की रिपोर्ट से भी आगे बढ़कर मध्यप्रदेश ने काम किया है. उस रिपोर्ट में जो भी सुझाव आये हैं मैं समझता हूं कि उन सुझावों को मध्यप्रदेश लगभग-लगभग लागू कर चुका है. कम लागत के लिये जो-जो प्रयास करना चाहिये, उसमें हम जानते हैं कि किसानों को चार प्रतिशत ब्याज का सुझाव दिया गया था. मध्यप्रदेश की सरकार बगैर ब्याज के पैसा किसानों को उपलब्ध करवा रही है.
सभापति महोदय:- माननीय सदस्य, बातों का रिपीटेशन हो रहा है, आप अपने क्षेत्र के बारे में सुझाव दे दें, सारी बातें आ गयी हैं.
श्री इन्दर सिंह परमार:- माननीय मंत्री जी, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में जो प्रावधान किये गये हैं वह काफी अच्छे हैं, लेकिन उसमें कुछ और सुधार करने की जरूरत है. खेत इकाई मानने का प्रावधान केवल ओला, बाढ़ से फसल का नष्ट होना या फिर मिट्टी के कटाव के कारण तीन बातों को लेकर खेत इकाई माना गया है. बाकी के लिये खेत इकाई का प्रावधान नहीं है, उसमें पटवारी हल्के को जोड़ा गया है और इकाई माना गया है. मेरा निवेदन है कि इस वर्ष जब सोयाबीन की फसल पर पानी गिरा, उसके कारण खेत में ही सोयाबीन की फसल खराब हो गयी. उसको भी फसल बीमा योजना में जुड़ना चाहिये था. सब किसानों ने टोल फ्री नंबर पर शिकायत की, लेकिन किसानों को उसका लाभ उस माध्यम से नहीं मिला, वह तो पटवारी हल्के में ज्यादा नुकसान हुआ था, इसलिये वह उसमें कवर हो रहे हैं, नहीं तो उन किसानों को इसका लाभ नहीं मिलता, इसलिये मेरा सुझाव है कि इसके लिये जरूर पहल करना चाहिये, बीमा कम्पनियों से बातचीत करके या भारत सरकार से बात करना पड़े तो करना चाहिये.
सभापति महोदय, दूसरा हमारे यहां पर कृषि यंत्रों के लिये जो ऑन लाईन व्यवस्था है, उस व्यवस्था में थोड़ा सा सुधार करने की आवश्यकता है, इससे पारदर्शिता जरूर आ रही है, लेकिन पोर्टल कब खुलता है, पता नहीं चलता है. इसलिये उसकी एक या दो महीने की निश्चित तारीख होना चाहिये और वर्ष भर के लिये एक बार पंजीयन हो जाना चाहिये, ताकि उन्हीं किसानों को क्रमश: उसी में से लाभ दिया जा सके. इससे सब लोगों को लाभ मिलेगा.
माननीय मंत्री जी, मेरे क्षेत्र की कुछ मांग है, उसके संबंध में भी आपसे निवेदन करना चाहता हूं. शुजालपुर और कालापीपल विकास खण्ड की जो मिट्टी परीक्षण की लैब बनकर तैयार हो गयी है और मेरे ख्याल से पूरे मध्यप्रदेश की बनकर तैयार हुई है. उनको जल्दी प्रारंभ करायेंगे तो अभी हमारी लैब की जो दूसरी जगह व्यवस्था है, वह हम उसमें शिफ्ट करा सकें. उसके लिये जो एक्सपर्ट कर्मचारियों की व्यवस्था होगी, वह भी करवाने का कष्ट करें. कालापीपल क्षेत्र पूर्ण रूप से कृषि आधारित है. शाजापुर जिले में, मेरी और से कृषि महाविद्यालय की मांग की जा रही है, क्योंकि वहां पर कृषि महाविद्यालय खुलेगा तो वहां के विद्यार्थियों और किसानों को उससे लाभ हो सकेगा.
5.13 बजे {उपाध्यक्ष महोदय(डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
इसी प्रकार से शाजापुर, कालापीपल से 90 किलोमीटर दूर पड़ता है और कृषि विज्ञान केन्द्र, शाजापुर में है, यदि संभव हो सकता है तो कृषि विज्ञान केन्द्र भी कालापीपल में खोलने की कृपा करें. एक और हमने मंडी बोर्ड के द्वारा एक इचौथ गांव हैं, जिसमें एक बहुउद्देशीय मार्केट बनाया है, लेकिन वहां पर मुख्य सड़क से पहुंचने के लिये लगभग दो किलोमीटर की दूरी है. वहां सड़क नहीं होने से उसका उपयोग नहीं हो रहा है. मैं आपसे निवेदन करता हूं कि सड़क निधि से उस सड़क को स्वीकृत करने का कष्ट करें. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद्
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़):-माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कृषि विभाग पर चर्चा हो रही है. हमारे मध्यप्रदेश का 80 से 85 प्रतिशत किसान कृषि पर आधारित है. हमारा यह मध्यदेश और देश, कृषि प्रधान देश है और हमेशा कृषि पर जब भी चर्चा होती है निश्चित ही हमारे माननीय विधायकों द्वारा अपने सारगर्भित विचार सदन में प्रस्तुत किए जाते हैं कि हम कैसे उन्नति करें ? किसानों की खुशहाली, बहाली, उन्नति और विकास जैसे विषयों पर चिन्तन करते हैं और बजट प्रावधान भी किए जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - फुन्देलाल सिंह जी, समय ज्यादा नहीं है. इसलिए आप अपने क्षेत्र की बातें कर लें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 13 एवं 54 का विरोध करते हुए, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2017-18 में संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत संचालनालय आदिम जाति कल्याण क्षेत्रीय विकास, भोपाल के माध्यम से कृषि विभाग को राशि प्रदान की गई थी. यह राशि 20 जिलों में 9,000 लाख रुपये का आवंटन आदिवासी विकासखण्डों में उक्त संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के अंतर्गत कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा जैसे जैविक कृषि के माध्यम से आदिवासी कृषकों को एवं विशेष पिछड़ी जाति बैगा, भारिया एवं सहरिया कृषकों हेतु 2,000 लाख रुपये का प्रावधान कर जिलों में भेजा गया था और इस राशि का इतना पुनीत कार्य और उपयोग था कि जनजाति समाज एवं आदिवासी समाज के किसानों के सर्वांगीण विकास और उन्नति के लिए इस राशि को यहां खर्च किया जाना था कि जैविक उत्पादन के साथ उनकी फसलों की मार्केटिंग करना था, उनकी समिति बनानी थी और समिति बनाकर ब्राण्ड नाम भी देना था. लेकिन मुझे दु:ख के साथ सदन में कहना पड़ रहा है कि 11,000 लाख रुपये संविधान के अनुच्छेद 275 (1) के तहत कृषि विभाग को देने के साथ न तो कृषकों की समिति बनाई गई, न ही ब्रांड तैयार किए, न ही उनकी मार्केटिंग, न ही पैकिंग और न ही उनका विक्रय नहीं किया गया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह राशि उनके खातों में भी जमा किया जाना था. लेकिन सरकार और विभाग द्वारा मिलकर जिस तरीके से इस राशि का बंदरबाट किया गया, जो विशेष पिछड़े आदिवासी समाज के लोग जिनके नाम से यह बजट था और ये प्रावधान किए गए थे, उनके नाम तक रह गए और वास्तव में यह राशि किसी दूसरे के हाथों में चली गई. मेरे अनूपपुर जिले में भी लगभग 7.73 करोड़ रुपये अमुक जनजातीय समाज के लिए कृषि विभाग को जनकल्याणकारी कार्यों के लिए दिए गए थे. हमने कई बार कृषि विभाग से यह जानना चाहा कि आप बताएं कि 7.73 करोड़ रुपये कौन से आदिवासी समाज के लोगों को दिये गये ? आपने किन-किन खातों में पैसा जमा किया ? आपने किन-किन विशेष पिछड़ी जनजाति के बैगा, भारिया एवं सहरिया लोगों के खातों में जमा किया ? आज तक विभाग उसकी जानकारी देने में मूक है और वह जानकारी नहीं दे रहा है तथा गोल-मटोल बातें बना रहा है. यह पूरे प्रदेश के उन 20 आदिवासी जिलों में यह राशियां वितरित की गई हैं. माननीय कृषि मंत्री महोदय से, मैं यह अपेक्षा करूँगा कि जब आप अपना भाषण दें तो इन बातों का जरूर उल्लेख करेंगे कि आपने किन-किन जिलों में कितनी समितियां बनाईं और कौन-कौन से जैविक उत्पादन तथा कौन-कौन से उत्पादन का ब्रांड नाम दिया ? और उसकी पैकिंग कहां की ? उसकी मार्केटिंग कितनी हुई ? और आपने मार्केटिंग के साथ उसका कितना लाभांश किसानों को दिया ? इन तमाम चीजों के बारे में और जो आपने 11 हजार लाख रूपये का वितरण किया है, कृषि में व्यय किया है, उन तमाम चीजों के बारे में भी अपने उदबोधन में बताने की कृपा करेंगे ताकि हम तमाम सदस्य लोग जो जानना चाहते हैं कि आदिवासी समाज के लिये अनुसूचित जनजाति के लिये, विशेष पिछड़ी जाति के लिये जो बजट में प्रावधान किया जाता है क्या वह वास्तव में धरातल पर पहुंच रहा है कि नहीं पहुंच रहा है ? क्या वास्तव में उस समाज के लोगों को लाभ मिल रहा है कि नहीं मिल रहा है ? इस बात को भी बताने की कृपा करेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं वे अपने उदबोधन में लाभांवित हितग्राहियों की विकासखंडवार सूची और इस संबंध में जानकारी देने के कृपा करेंगे. आपने खरीफ की फसल में वर्ष 2017-18 में जैविक कृषि उत्पादन की मात्रा तथा प्रति हितग्राही प्राप्त लाभांश की जो राशि आपने दी है, उस राशि पर आपने जो मार्केटिंग की है, उस राशि पर आपने जो पैकिंग की है, इसके लिये आपने समिति को बनाया है, आपने किन-किन खातों में पैसा जमा किया है, आपके द्वारा दी गई इस राशि से कौन-कौन से अति पिछड़ी जनजाति के लोगों की उन्नति हुई है या विकास हुआ है. इस प्रकार की यह तमाम् बातों पर आप प्रकाश डालेंगे, ऐसी मैं आपसे अपेक्षा करता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इन्हीं शब्दों के साथ और ज्यादा समय न लेते हुए मैं कहना चाहता हूं कि मेरा क्षेत्र कृषि प्रधान है और जंगल पहाड़ों से भी भरा है. वहां पर खेती लोग करते हैं. माननीय कृषि मंत्री जी से मैं इतना निवेदन करना चाहता हूं कि आप एक कृषि मंडी पुष्पराजगढ़ विधानसभा मुख्यालय में खोलने की कृपा करें ताकि हम आज जो भावांतर योजना है या छूमंतर योजना है. मैं तो भावांतर योजना को छूमंतर योजना नहीं कहता हूं, लेकिन मैंने सदस्यों से सुना है कि अभी कोई छूमतंर योजना भी आ गई है.
डॉ. कैलाश जाटव - माननीय मार्को जी आपने अभी तो कहा है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को - मैं नहीं कह रहा था, वह माननीय श्रीवास्तव जी कह रहे थे और उन्होंने ही छूमंतर कहना शुरू किया है.
कुंवर हजारीलाल दांगी - अरे आप छूमंतर छोड़ो, कहीं आपके यहां पर मंडी खोलना ही छूमंतर न हो जाये(हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय - समय कम है, आप बोलिये.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि वह विधानसभा मुख्यालय में एक मण्डी खोलेंगे तो बड़ी कृपा होगी, ताकि वहां के किसानों को भी लाभ मिले. दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि पोड़ी फार्म में 1500 एकड़ जमीन है, वहां हर वर्ष हानि हो रही है, इसलिए मैं चाहता हूं कि उसमें एक कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना हो ओर यदि आप वहां पर एक कृषि अनुसंधान केन्द्र स्थापित करेंगे तो बड़ी कृपा होगी. इन्हीं शब्दों के साथ माननीय उपाध्यक्ष जी आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल (बैतूल) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अनुदान मांग 13 और 54 के समर्थन में अपनी बात कह रहा हूं. मैं आपके माध्यम से इस प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान और कृषि मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा जिनके कारण आज भावांतर जैसी योजना में 15 लाख किसानों को लाभ हुआ है. मैं आज यहां पर सिंचाई सुविधा के कारण प्रति एकड़ जो किसानों की फसल बढ़ी है, उसके बारे में बात नहीं करूंगा और हमारी सरकार ने बीमे में जो 1 हजार 6 सौ करोड़ दिया है, उसकी भी डिटेल में नहीं जाऊंगा, लेकिन मैं इतना बताना चाहूंगा कि पहली बार खसरा-खतौनी की नकल घर पहुंचाने का काम हमारे माननीय मंत्री जी और इस सरकार ने किया है. हमारी सरकार ने ही पहली बार 85 लाख 65 हजार मृदा कार्ड नि:शुल्क वितरित करने का कार्य किया है. हमारी सरकार के कारण ही पहली बार किसानों को पटवारी के घर के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे हैं. हमारी सरकार ने सीमांकन अविवादित नामांतरण और अविवादित बंटवारे का काम तीन माह में करने का लक्ष्य बनाया है. मैं जीरो प्रतिशत की बात नहीं करूंगा. मैं सीधे ही इस बात पर आता हूं, मैं अपने क्षेत्र की भी बात नहीं करूंगा. मैं आपको बताना चाहूंगा कि इस बात को मानने में कोई दिक्कत नहीं है कि हमारे यहां पूरे देश में किसानों की हालत व्यवसायी और उद्योगपतियों के मुकाबले काफी कम है. हमारे देश की जीडीपी 17 प्रतिशत है और 49 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर है यानि बाकी हमारे जो विकल्प उद्योग और व्यापार हैं, उनसे वन थर्ड इन्कम किसान की है, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि यह स्थिति कोई भारत की नहीं है बल्कि जिस चीन का उदाहरण पूरी दुनिया में दिया जाता है और जिसकी बात-बात पर हम बात करते हैं उस चीन में भी 9 प्रतिशत जीडीपी कृषि से है और वहां पर भी 28 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर है. यानि उसकी भी हालत खेती के मामले में और दीगर चीज के मामले में भारत जैसी है. माननीय महोदय में इसलिए उदाहरण दे रहा हूं क्योंकि दुनिया के अधिकतर देशों में कृषक की हालत ऐसी है, लेकिन कुछ ऐसे देश हैं जिनके पदचिन्हों पर हम चल सकते हैं. मैं बताना चाहूंगा कि कनाड़ा जैसा देश जहां की जीडीपी में कृषि का योगदान 2 प्रतिशत हैं और वहा मात्र 1.6 प्रतिशत लोग कृषि कार्य में लगे हैं, इसका मतलब है कि वहां उद्योग एवं सर्विस क्लास से ज्यादा आय खेती करने वालों की हैं. दुनिया में सबसे आगे एक छोटा सा देश इजराइल है जिससे संबंध बढ़ाने का काम हमारे देश के मुखिया श्री नरेन्द्र मोदी जी कर रहे हैं वहां पर 2 प्रतिशत जीडीपी की आय कृषि से है और मात्र एक प्रतिशत लोग खेती करते हैं. मैं यह कहना चाहता हूं कि जब ये देश जीडीपी दोगुना कर सकते हैं और बाकी क्षेत्रों से आगे बढ़ सकते हैं तो भारत और मध्यप्रदेश उनके पदचिन्हों पर क्यों नहीं चल सकते? मैं कृषि मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि उन देशों ने विपरीत मौसम में जो अत्याधुनिक तरीके अपनाए हैं और आगे बढ़े हैं, हम भी उस तरफ आगे बढ़े. कुछ सुझाव देकर मैं अपनी बात समाप्त करूंगा, अब समय आ गया है कि हम मौसम की मार को लेकर रोना बंद करें और हम ऐसी फसलों का चयन करें, जैसे गन्ना बाड़ी है, पॉली हाउस में सब्जी का उत्पादन है, ताकि हम सुरक्षित खेती कर सके. पशुपालन में जैसे गाय पालन, बकरीपालन, मुर्गी पालन, मछली पालन, इस तरह के कार्यों में हम किसानों को प्रोत्साहित करें. लोक वानिकी इतना बड़ा कार्य है यदि हम फॉरेस्ट से को-आर्डिनेट करके आदिवासी वर्ग की आय बढ़ाने का काम करेंगे तो मैं समझता हूं हम काफी आगे जाएंगे और मेडीसिन के जो प्लांट हैं, उसकी भी खेती को हम बढ़ावा देंगे तो उससे भी कृषकों की आय बढ़ सकती है. मैं चाहता हूं कि सरकार दो तीन जिलों का एक क्लस्टर बनाए और उस क्षेत्र में दो, तीन फसलों का चयन करें, उन्हीं फसलों की मार्केटिंग करें उन फसलों के लिए स्टोरेज की व्यवस्था करें. उन्हीं पर आधारित उद्योगों को बढ़ाएं और उन्हीं पर आधारित शिक्षा को बढ़ाएं. मैं हमारे प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जी और बिसेन जी को धन्यवाद देना चाहूंगा जिनके नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने कृषि कर्मण पुरस्कार पांचवीं बार जीता और मध्यप्रदेश पूरे देश में एक उदाहरण के रूप में सामने आया. उपाध्यक्ष जी आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद .
उपाध्यक्ष महोदय – श्री खंडेलवाल जी आप समय सीमा का हमेशा ध्यान रखते हैं, बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय – श्री रामनिवास रावत जी.
डॉ. कैलाश जाटव – रामनिवास रावत जी तैयारी करके नहीं आए हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – रामनिवास जी हर विषय पर बोलने के लिए तैयार रहते हैं. वे ऑल राउंडर हैं.
श्री हजारीलाल दांगी – उपाध्यक्ष जी, मेरा भी नाम था.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) – माननीय उपाध्यक्ष जी, सभी सदस्यों को बोलने दें, मैं तो इसलिए संकोच कर रहा था कि प्रदेश की 50 प्रतिशत आबादी जो सीधे खेती से जुड़ी हैं और 25 प्रतिशत वह आबादी है जो मजदूरी के रूप में खेती-किसानी से जुड़ी हैं. अब पांच मिनट में उनके बारे में क्या बोल सकता हूं, यह बड़ी विडम्बना है. बोलने के लिए तो बहुत कुछ हैं. उपाध्यक्ष जी, अगर आप अनुमति देंगे तो मैं बोलने के लिए तैयार हूं.
कुंवर हजारीलाल दांगी – उपाध्यक्ष जी हमारा तो नाम है, हमें तो बोलने का समय दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय – रावत जी, ऐसा है कि जो बहुत बुद्धिमान वक्ता होते हैं, वे लंबी बात को संक्षिप्त में कह देते हैं.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा – माननीय उपाध्यक्ष जी, इनके बाद में बोलना हमें ठीक नहीं लगेगा, हमारा नाम था, वरिष्ठ नेता के बाद में हम क्या बोलेंगे.
श्री रामनिवास रावत – इनको ही बोलने दीजिए.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज ) --माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बड़े जद्दोजहद के बाद में मुझे बोलने का अवसर मिला है. उसके लिये धन्यवाद. उपाध्यक्ष जी, मैं मांग संख्या 13 और 54 का विरोध करने के लिये खड़ा हुआ हूं. उपाध्यक्ष महोदय, हमारा देश कृषि प्रधान देश है. अभी हमारे एक साथी विधायक ने स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी, पूर्व प्रधानमंत्री का नाम लिया. निश्चित रूप से उसी समय से देश में हरित क्रांति आई, बड़े बड़े बांध का निर्माण देश में हुआ, चाहे बाणसागर बांध हो, गांधी सागर बांध हो या भाखड़ा नंगल बांध हो, बहुत सारे बांध उस समय देश में निर्मित किये गये. उसी समय से सिंचाई का रकवा बढ़ा और सिंचाई के साधन उपलब्ध हुये. लेकिन अभी हमारे सदस्य बहादुर सिंह जी ने कहा कि पहले कांग्रेस की सरकार के समय सिंचाई का रकवा बहुत कम था भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश में आने से यह रकवा बढ़ा है. तो मैं यह कहना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा हमेशा सदन में असत्य आंकड़े पेश किये जाते है. यह सरकार बिल्कुल असत्य आंकड़े सदन में प्रस्तुत करती है. जो किसान अपनी मेहनत से मजदूरी से अपनी ताकत से अपने पैसे से कुंए खुदवाता है, नलकूप खुदवाता है, और उससे सिंचाई करता है यह सरकार वह रकवा भी इसमें जोड़कर के 41 हजार बताती है इससे बड़े दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय सदस्य सुखेन्द्र जी से कहना चाहता हूं कि वह सारा रकवा जोड़कर के ही बताया जाता है. वह सारा रकवा जब किसान खेती करता है उसी सारे रकवे की बात है वह सारी सुविधायें चाहे बिजली के माध्यम से हो, नहरों के माध्यम से हो, कुंओं के माध्यम से हो कपिलधारा योजना के माध्यम से हो, वह सारी सुविधायें किसानों को हमारी सरकार के द्वारा उपलब्ध कराई गई हैं.
उपाध्यक्ष महोदय- कृपया टोका टाकी न करें. मनोज जी आपको किसने अनुमति दी बोलने की.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी यह भी बात आई कि हमने किसानों को बिजली उपलब्ध कराई. अरे बिजली के बारे में क्या स्थिति है वह मैं सदन में बताना चाहूंगा. हम भी क्षेत्र में दौरा करते हैं. किसानों के बीच में जाते हैं. किसानों के बीच में जाने में किसान कहते हैं कि भैया मोटर हम लोग 1 एचपी की लगाये हैं, लेकिन बिजली के जो बिल किसानों के पास में आ रहे हैं 5 एचपी के. हमने यह देखा था कि मोटर लगाकर के फसल में पानी डालते हैं तो फसल बढ़ती है लेकिन इनकी सरकार में आज 1 एचपी की मोटर से 5 एचपी की मोटरें बढ़ रही हैं. कई किसान ऐसे है जिनके यहां पर 1 एचपी की मोटरें लगी हैं लेकिन बिजली के बिल निरंतर 5 एचपी के आ रहे हैं, बिजली मंत्री यहां पर बैठे हैं उनको इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है. तो उपाध्यक्ष महोदय किसानों को इस सरकार के द्वारा इस तरीके से लूटा जा रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे सत्ता पक्ष के सदस्य श्री के.के. श्रीवास्तव जी अपने भाषण में कह रहे थे कि टीकमगढ़ में किसान आंदोलन नहीं हुये, वहां कांग्रेसियों ने आंदोलन किये हैं. कांग्रेसी हमेशा से किसानों के साथ में रहे हैं. मंदसौर में इतना बड़ा गोली काण्ड हुआ जिसमें 7 किसान मारे गये और मुख्यमंत्री जी ने एक करोड़ का मुआवजा भी दिया, वे धरने पर भी बैठे. तो क्या वह कांग्रेसी थे. कहने का तात्पर्य यह है कि जब इतनी सुविधायें इस सरकार के द्वारा किसानों को उपलब्ध कराई जा रही है, तो फिर किसान आंदोलित क्यों है ? किसान आंदोलन के लिये बाध्य क्यों है ? इस बात पर सरकार को गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे विधानसभा में आदिवासी क्षेत्र में जब हम दौरा करने जाते हैं तो आदिवासी कहते हैं कि यह जो बीज सरकार के द्वारा दिया जा रहा है इसकी स्थिति यह है कि नकली बीज बोने से इससे खेती हुई नहीं, उपाध्यक्ष महोदय, इससे तो किसान के दो नुकसान हो गये, एक तो पानी नहीं बरसा, अकाल पड़ गया, उसमें हमने खेती करी तो बीज नकली निकल गया. इस बारे में हमारे फुन्देलाल जी मार्कों ने बड़ी विस्तार से अपनी बात को रखा है. आदिवासियों की यह पीड़ा है वह भी दो दो एकड़ का काश्तकार हैं. इसलिये मंत्री जी से अनुरोध है कि आप जो खाद्य और बीज किसानों को देते हैं, वैसे भी ज्यादा किसानों को आप देते नहीं है कुछ मामूली किसानों को खाद्य और बीज मिलता है वह भी आपसे धोखा खा रहे हैं. कम से कम किसानों को असली खाद्य और बीज तो उपलब्ध करावें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमें इस बात की भी जानकारी है कि हमारे कृषि मंत्री जी का फल का बगीचा है और मुख्यमंत्री जी का फूल का बगीचा है, इसलिये मुझे यह कहने में कतई संकोच नहीं है कि पूरे मध्यप्रदेश में किसानों की हालत बद्तर है और मंत्री और मुख्यमंत्री फल फूल रहे हैं. कृषि कर्मण्य पुरस्कार पा रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी हमारे एक माननीय सदस्य के द्वारा सदन में चीन का उदाहरण दिया गया उसके बारे में मैं कहना चाहता हूं कि पूरे देश में अगर खेती के बारे में चर्चा होती है तो पंजाब राज्य की होती है. पंजाब के किसानों की पूर्ण कर्ज माफी हुई तब जाकर के कांग्रेस पार्टी की सरकार बनी थी. मेरा कहना आपसे यह है कि जब पंजाब में किसानों की हालत पूरे देश में सबसे अच्छी है तो वहां पर किसानों को कर्जा माफ करने की क्या आवश्यकता थी ? उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से कृषि मंत्री से यह अनुरोध है कि आप किसानों के सही शुभचिंतक हैं तो आप किसानों की कर्ज माफी की बात करिये, आप फसल बीमा की बात करते हैं. उपाध्यक्ष महोदय आपको भी जानकारी है कि सतना को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है. आपकी जानकारी में यह भी है कि सीधी को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है, वहां पर तो थोड़ी बहुत नहरें भी हैं लेकिन रीवा को सूखाग्रस्त क्यों घोषित नहीं किया गया ? अगर सूखाग्रस्त घोषित नहीं हुआ ,फसल बीमा योजना का थोड़ा बहुत लाभ जिन किसानों को वहां मिलना था वह भी नहीं मिलेगा. इसलिये मेरा मंत्री जी से आपके माध्यम से यह अनुरोध है कि रीवा के किसानों के साथ में आपने जो अन्याय किया है कम से कम उनके साथ न्याय कराने का कष्ट करें. सभापति महोदय, आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं समय की सीमा को ध्यान में रखते हुये खंडेलवाल जी ने अभी जितनी बातें रखीं उन्हीं बातों से अपनी बात आगे बढ़ाने का प्रयास करूंगा. बहुत अच्छे चिंतन के साथ देश विदेश और खेती के प्रतिशत का आंकलन उन्होंने सदन के सामने रखा कि कितने प्रतिशत लोग खेती में जुड़े हुये हैं और क्या आमदनी जीडीपी में आ रही है. मैंने भी कई देशों का अध्ययन किया, कई देशों की खेती देखी और मेरा व्यक्तिगत आंकलन भी आज की तारीख में यह बन रहा है कि खेती केवल अब खेती नहीं रह गई है उसमें टेक्नालॉजी भी आ गई है, उसमें फाइनेंस भी जुड़ गया है, उसमें प्रोसेसिंग भी जुड़ गई है, उसमें मार्केटिंग का भी हिस्सा है. अगर मैं आज किसी अच्छे देश के बड़े किसानों से या कई देशों के किसानों से बात करूं तो बात की शुरूआत वह करते हैं कि किस विषय का मार्केट आपके हाथ में है. हमारे किसानों को जो ट्रेनिंग दी जाती है, किसान रथ यात्रा निकलती है और कहीं न कहीं हमारे महाविद्यालय की पढ़ाई में भी इन सब कोर्सों का समायोजन अगर कर लें तो एक बड़ा अंतर आने की गुंजाइश दिखती है. मैं अपनी बात को यहां से शुरू करूंगा. मैं अपने भारत के ही ऐसे किसानों से मिला हूं जो हजार-हजार एकड़ पर कांट्रेक्ट फार्मिंग करवा रहे हैं. लेकिन वह उसकी प्रोसेसिंग तक जाते हैं. मेरा माननीय कृषि मंत्री जी से यह निवेदन है कि कुछ विषयों के कुछ क्लस्टर बना दें और उन क्लस्टर में उन विषयों को फोकस करते हुये, उनकी प्रोसेसिंग यूनिट की बात करते हुये, जब तक उसकी पूरी साइकिल नहीं बनेगी तब तक पूरा प्रॉफिट नहीं आयेगा. यह बात कड़वा सच है कि डिमांड एण्ड सप्लाई से रेट तय होते हैं. अभी कुछ विधायक बोल रहे थे कि किसान को अधिकार दे दो, उससे अधिकार छीना किसने है. लेकिन परिस्थितियां ऐसी बन गईं, विषय ऐसा आ गया कि किसान को मजबूर होकर ओने-पोने दाम में बेचना पड़ रहा है. गलती किसान की नहीं है लेकिन परिस्थितियों में कहीं न कहीं हमें गंभीरता से सोचकर इस विषय पर हमको चर्चा करना पड़ेगी. यह कड़वा सच है कि प्रदेश की 50 प्रतिशत आबादी खेती पर डिपेंड करती है और 25 प्रतिशत खेती की मजदूरी पर करती है. किसान का बेटा जो थोड़ा भी पढ़ लिख गया वह खेती करना इसलिये पसंद नहीं करता कि उसको उतनी आमदनी नहीं है, लेकिन अगर खेती में थोड़ी सी टेक्नालॉजी और फाइनेंस का समन्वय करके क्लस्टर बनाकर दे दें तो खेती भी फायदे का सौदा हो सकती है. कहीं न कहीं दूसरे देश से भी अगर सस्ता इम्पोर्ट हो रहा है तो इम्पोर्ट कहां से हो रहा है, उसकी प्रोडक्शन कास्ट कम कैसे आ गई, उसका अध्ययन हमको भी तो करना पड़ेगा. उन दोनों के अध्ययन को मिलाकर जब हम अपनी बात रखेंगे तो हमारा भी उस पर हल निकलेगा. मैं फिर ज्यादा लंबी बात न करते हुये क्योंकि समय की सीमा है मैं 3-4 महत्वपूर्ण बातों पर सबका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. अभी एक चर्चा आई कि बीमा का बिलकुल फायदा नहीं मिला. मुझे अच्छी तरह से याद है, मैं कम से कम 100 गांव में गया किसान जब लोन लेता है तो उस समय वह अपनी फसल का नाम नहीं लिखाता है, वह जाकर सीधे एक वाक्य बोलता है. क्योंकि उसको उतना ही पता है कि मुझे सबसे ज्यादा लोन जिस फसल में मिलता है वह फसल लिखकर के मुझे जीरो प्रतिशत पर लोन दे दो. क्या हम जनप्रतिनिधियों का दायित्व नहीं है कि वहां जाकर किसानों को यह बात बतायी जाय कि तुम जो फसल बोने वाले हो, उसी का नाम लिखाओ, तो उस बीमे का पूरा पैसा मिलेगा. कहीं न कहीं हमें इस बात पर सोचना पड़ेगा. हमने चर्चा की, पिछले साल हमने देखा, हमने एक एक सोसाइटी में कहा तुम लिखकर दे दो और प्राप्ति ले लो, संबंधित को बीमा का पैसा मिल गया. हम हर चीज में जब संयुक्त रूप से बैठकर चाहे वह किसी भी पक्ष का विधायक हो. विधायक उस एरिये का जागरूकता सबसे बड़ा संदेशवाहक है. अगर वह चर्चा नीचे तक पहुंचाएगा तो सही फसल का बीमा होगा, अगर सही फसल का बीमा होगा तो उसको सही फसल का मुआवजा मिलेगा. मैं इस बात की बहुत तारीफ करना चाहूंगा कि पहली बार किसान को खेती का काम करते हुए तथा मार्केट में जाते हुए अगर दुर्घटना में मृत्यु होती है, तो एक संवेदनशील मुख्यमंत्री जी ने एक परिवार के लिये चार लाख रूपये की घोषणा की है. घोषणा ही नहीं की वास्तव में उसको नीचे तक पैसा पहुंचा. उसके लिये केवल कलेक्टर को अधिकृत करके, 8 से 10 दिन में उस परिवार में पैसा पहुंच रहा है, ऐसे ऐसे जो विषय हैं, इन पर हमें ध्यान देना पड़ेगा. मैं दो तीन विषयों पर विशेष ध्यानाकर्षित कराना चाहता हूं. हमारे एरिये में अभी काफी फल एवं सब्जियों का बहुत बड़ा क्लस्टर बन रहा है. संतरे के बगीचे हमारे यहां तो नागपुर से भी ज्यादा अच्छे हैं. वहां पर उसकी बड़ी मार्केटिंग है. अगर आप अंतर्राष्ट्रीय स्तर की एक मण्डी जावद और अठाना के बीच में खोल दें वहां पर सबसे ज्यादा हरे चने की पैदावार है. हर चने छीलने में कम से कम 2 हजार परिवार की महिलाएं जुड़ी हैं. उनके घर में गृह उद्योग जैसे चल गया है. फल और सब्जी की मण्डी में 8 प्रतिशत की कटौती है, उसके बारे में भी आपको पुनर्विचार करना चाहिये. 8 प्रतिशत बहुत बड़ी आढ़त होती है. हमने इतनी आढ़त का कहीं नहीं सुना है. हम यहां पर मण्डी में 2 प्रतिशत के बारे में इतनी चर्चा कर रहे हैं. आप 8 प्रतिशत चार्ज कर रहे हैं, यह ज्यादा है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस बात की बधाई देता हूं कि प्याज लहसुन को भावान्तर योजना में जोड़ा. हमारे यहां पर इसबगोल बड़ी मात्रा में होता है. आपने इसकी घोषणा की थी कि आप उसको मंडी टैक्स से मुक्त करेंगे. राजस्थान में .5 प्रतिशत है, आज उसके बारे में चिन्ता करेंगे और मैं अपेक्षा करता हूं कि कम से कम दो विषयों पर यहीं पर घोषणा करेंगे. एक सब्जी एवं फल की मंडी का, एक इसबगोल को टैक्स मुक्त करने का. आपने जावद में कृषि उपज मंडी के भवन के लिये एक करोड़ रूपया स्वीकृत किया था वह भी अभी तक नहीं पहुंचा है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस बात की बधाई देता हूं कि कस्टमर हेयरिंग सेन्टर्स की संख्या बढ़ाना चाहिये. उसके बारे में कोई टेक्नॉलॉजी लायें उसके बारे में सोचना चाहिये. एक छोटा सा सुझाव देना चाहता हूं कि ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन में अभी भी ग्रामीण किसान इतना एक्सपर्ट नहीं हुआ है. आप 20 से 30 प्रतिशत डायरेक्ट रजिस्ट्रेशन भी एलाऊ कर दें, तो जो छोटा किसान ऑन लाईन रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाता है, वह भी रजिस्ट्रेशन उसके माध्यम से कर सकेगा. सुपर फूड कई प्रकार के आ रहे हैं, क्योंकि आने वाला समय उसका है उसके बारे में भी सरकार की जो कृषि यात्रा निकल रही है उसमें उसके बारे में भी लोगों को थोड़ी जानकारी दें तो अति उत्तम रहेगा. आपने समय दिया उसके लिये धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मांग संख्या 13 एवं 54 किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग की मागों पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. प्रदेश की 75 प्रतिशत आबादी जो हमारा अन्नदाता है, हमारे शरीर की धमनियों में जो रक्त बह रहा है उन्हीं के पैदा किये हुए खून-पसीने की कमाई से,अन्न से, जिससे हमारा जीवकोपार्जन होता है उसी से हम चलते हैं. प्रदेश में सिंचाई का रकबा बढ़ा है इसे स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं है, प्रदेश में उत्पादन बढ़ा है इसे स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं. प्रदेश की सरकार को 5 बार से कृषि कर्मण अवार्ड मिला है इसे स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं है.माननीय उपाध्यक्ष महोदय,लेकिन हम यह जानना चाहेंगे कि 2004-05 में प्रदेश जो प्रदेश की जी.डी.पी. में कृषि का योगदान 59.9 प्रतिशत था वह वर्ष 2016-17 में घटकर 26 प्रतिशत तक आ गया. तो कहीं न कहीं हम उस अनुपात में नहीं बढ़ पा रहे हैं जो औद्योगिक विकास की दौड़ में देश का किसान हाशिये पर चला गया है. सरकार उद्योगों,बैंकों अथवा अन्य संस्थाओं को उबारने के लिये राहत पेकेज देती रहती है लेकिन किसानों के बारे में हमने कभी ईमानदारी से काम नहीं किया. यह पक्ष हो या वह पक्ष हो. सरकार पक्ष कहेगी हमने किसानों के लिये इतना काम किया है कि किसान सुखी है, किसान खुश है,किसान अपने पैरों पर खड़ा हो गया है हम उसकी बुराई करते रहेंगे लेकिन ईमानदारी से हम उस किसान के बारे में कब सोचेंगे जो रात-दिन मेहनत करता है. रात के एक बजे भी बिजली मिलती है तब खेत में पानी देता है. हम उसके बारे में कब सोचेंगे कि उसको उसकी फसल का सही मूल्य मिले. आज किसान को आवश्यक्ता है, अन्नदाता को आवश्यकता है राहत की,अन्नदाता को आवश्यकता है उसकी फसल के उचित मूल्य दिलाने की. केवल घोषणाओं,जुमलों,वायदों से काम नहीं चलने वाला. कई बातें आईं और कई बातें की गईं सब लोग जानते हैं आज प्रदेश में किसान इतना ही उन्नत है कि फसलें बढ़ रही हैं,फसलों के मूल्य बढ़ रहे हैं तो आज प्रदेश में किसान आत्महत्या लगातार क्यों कर रहा है. प्रदेश में आत्महत्याओं के प्रकरण लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हम देखें वर्ष 2006 में 1248, वर्ष 2007 में 1263, वर्ष 2008 में 1379, वर्ष 2009 में 1395, वर्ष 2010 में 1237 किसानों ने आत्महत्या की.
डॉ.कैलाश जाटव - माननीय उपाध्यक्ष महोदय,माननीय वरिष्ठ सदस्य हैं. यह सत्यापित कर दें कि सभी किसानों ने आत्महत्या, सिर्फ किसानों के लिये योजनाओं की गंभीरता न होने के कारण की गई. भ्रम न फैलाएं. किसान बीमार नहीं होता क्या.
उपाध्यक्ष महोदय - बैठ जाएं कृपया. यह चर्चा का मुद्दा नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - यह ऐसा विषय है कैलाश जी,इसके बारे में हम कभी नहीं सोचते.
श्री सुदर्शन गुप्ता - कांग्रेस के शासन में तो एक किसान नहीं मरा होगा क्यों रामनिवास रावत जी.
श्री रामनिवास रावत - यही देश के किसान,अन्नदाता का दुर्भाग्य है. कभी किसी ने बात नहीं की कि किसान को पहले जो तिल्ली का भाव 10 हजार रुपये था वह तिल्ली का भाव 4 हजार रुपये रह गया. जो उड़द का भाव 9 हजार रुपये था वह 1800 रुपये रह गया. मूंग का भाव 7 हजार रुपये था वह 3 हजार हो गया. हम क्या कर रहे हैं. भावांतर योजना लागू करके हम बहुत वाहवाही लूटना चाहते हैं.भावांतर के भंवर जाल में किसान को फंसा दिया है. अच्छा है, क्या जरूरत है भावांतर योजना की. भावांतर योजना की जगह सरकार को चाहिये कि जो हमारा एम.एस.पी. है. मिनिमम सपोर्ट प्राईज है उस पर सरकार किसान के पूरे उत्पादन को,फसल को सरकार खरीदे. भावांतर योजना की आवश्यकता नहीं है. भावांतर योजना में अंतर की राशि आप नहीं दे पा रहे. आप माडल रेट घोषित कर रहे हो. किसान की लागत जो लगातार बढ़ती जा रही है. किसान जिस दिन उठ खड़ा होगा पूरे देश में क्रांति हो जायेगी. आज आवश्यकता है किसान की लागत मूल्य और उत्पादित मूल्य के रेट निर्धारित करने की, एक आयोग गठित करने की कि किसान की किस-किस फसल में कितनी लागत आती है और उसका उत्पादन मूल्य कितना निर्धारित करना चाहिए. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट है, उसको देना चाहिए. आप कहते हैं कि हमारी सरकार ने यह किया. जून, 2017 में मेधावी प्रोत्साहन समारोह में माननीय मुख्यमंत्री जी ने युवाओं से कहा, मत बनना किसान, खेती मुनाफे का सौदा नहीं. यह मैं नहीं कह रहा हूं विद्यार्थियों से कहने का काम अगर किसी ने किया है, आपके यशस्वी किसान पुत्र मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि खेती लाभ का धंधा नहीं, किसान मत बनना.
उपाध्यक्ष महोदय, अगर यही स्थिति रही तो किसान कहां जाएगा, किस दिशा में जाएगा? आज भले ही हम खेती किसानी से आते हैं. हम बहुत अच्छे से जानते हैं कि जिस परिवार की जीविका केवल और केवल खेती किसानी पर आधारित है, उसके पास अन्य कोई सोर्स नहीं है तो वह कर्जे में पैदा होता है, कर्जे में बढ़ता है और कर्जे में ही समाप्त हो जाता है. अपने बच्चों को लिखा-पढ़ा नहीं पाता है. कम से कम ईमानदारी से राजनीतिक भावना से ऊपर उठकर सोचें कि हम किसान के लिए क्या कर सकते हैं, किसान को उसके पैरों पर कैसे खड़ा कर सकते हैं? किसान जो शुद्ध किसान है, जिसकी जीविका केवल कृषि पर निर्धारित है. हम उनके बच्चों को पढ़ाने के लिए क्या-क्या सहयोग प्रदान कर सकते हैं, उसके बच्चे कैसे पढ़ लिख सकते हैं, उनको अतिरिक्त आय के साधन कैसे जुटा सकते हैं, इस पर हमें विचार करना चाहिए. योजनाएं बहुत बनती है. राजनीतिक भाषण देंगे, यह अलग बात है.
उपाध्यक्ष महोदय, आपने खेती को बढ़वा देने के लिए विदेशों की यात्रा भी कराई. अब मैं कहूंगा तो वही राजनीतिक बात आ जाएगी. विदेशों में यात्रा करने वाले लोग कौन थे? नाम बताऊं कैलाश जी. मुकामसिंह कराड़े पूर्व विधायक और कुक्षी नगरपालिका के अध्यक्ष, यह टीम नम्बर एक में आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड गये थे. बाबूलाल ताम्रकार पूर्व चेयरमैन को-ऑपरेटिव बैंक विदिशा, मनोरमा अग्रवाल बीजेपी व्यापार प्रकोष्ठ की सह संयोजक अशोकनगर, आशीष गुप्ता पूर्व पार्षद जिला इंदौर टीम नम्बर दो में अर्जेंटीना, कल्पना पवार महिला मोर्चा नेता भाजपा विदिशा, टीम नम्बर तीन स्पेन, फ्रांस. हेमंत खण्डेलवाल, यह तो खुद ही गये थे विधायक बैतूल, तो टीम नम्बर चार में भी अश्विनी परिहार जिला मंत्री भाजपा उज्जैन, ऐसी कोई टीम नहीं है, पूरी टीम के मेरे पास में नाम हैं. आप भाजपा के लोगों को यात्रा करा रहे हैं या किसानों को यात्रा करा रहे हैं?
श्री सुदर्शन गुप्ता - उपाध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी के लोग खेती-बाड़ी नहीं करते हैं क्या? वे किसान हैं तो जाएंगे.
श्री रामनिवास रावत - वही जाएंगे और कोई नहीं जाएगा?
कुंवर हजारीलाल दांगी - आपके समय में कोई नहीं गये थे क्या?
श्री रामनिवास रावत - केवल वही जाएंगे और कोई नहीं जाएगा?
श्री सुदर्शन गुप्ता - किसान के अलावा कोई व्यापारी जा रहा हो तो आप आपत्ति लें, वे किसान हैं.
श्री रामनिवास रावत - विधायक किसान की परिभाषा में आएगा?
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - यह तो बहुत गलत बात है कि विधायक किसान नहीं हो सकता. मूलतः आधे लोग किसान हैं.
श्री रामनिवास रावत - यह बात सच है, मैं ईमानदारी से स्वीकार कर रहा हूं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - मैं बीच में बहुत कम बोलता हूं. मैं ईमानदारी से कह रहा हूं कि खेती मूल लाइन है. विधायकी सेवा का संकल्प है. हम सेवा करने के लिए अतिरिक्त समय में राजनीति कर रहे हैं, न कि आर्थिक कमाई के लिए राजनीति कर रहे हैं. हो सकता है कि आपके दल में और कुछ और सोच हो. मैं उसके बारे में नहीं कह सकता.
श्री रामनिवास रावत - कौन विधायक रात के एक बजे जाकर खेत में पानी देता है मुझे बता दो? कौन विधायक खेत में जाकर गोड़ाई करता है या फावड़ा चलाता है या गेती चलाता है.
श्री सुदर्शन गुप्ता - सभी जाते हैं, मेरी भी खेती है. मैं भी जाता हूं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - आप एक काम करिए, इस गलतफहमी में मत रहिए, सच को सच मानना चाहिए. अपवाद ऐसे हर जगह मिलेंगे.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा - माननीय आप अपने भाषण में कभी यह मत कहना कि मैं किसान हूं.
श्री रामनिवास रावत - उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि हिना कांवरे जी ने भी कहा, तिवारी चले गये हैं, हाईकोर्ट जबलपुर ने भी यह स्पष्ट किया था कि भावांतर योजना की आवश्यकता नहीं है, सरकार को सीधे किसान की फसलों को मिनिमम सपोर्ट प्राइज पर खरीदना चाहिए, उससे नीचे नहीं बिके, यह सरकार सुनिश्चित करे. इस तरह की स्थिति किसानों के साथ है.
उपाध्यक्ष महोदय- थोड़ा सीमित कर दें, काफी समय हो गया है.
श्री रामनिवास रावत- जी, सभापति महोदय, अभी कई बातें आईं. आज पूरे प्रदेश में सूखा पड़ा हुआ है और सूखे के कारण सूखा राहत राशि भी भेजी गई है, लेकिन अभी भी खरीफ की फसल नष्ट होने की सूखा राहत राशि का पैसा जब विधान सभा में प्रश्न लगाया तब बंटना शुरू हुआ है. हमारे दुर्गालाल विजय जी चले गये. वह राहत राशि है, राहत राशि का कभी भी ऋण में समायोजन नहीं किया जाना चाहिये, परंतु उस राहत राशि का भी समायोजन किया जा रहा है. जब केन्द्र में यूपीए की सरकार होती थी, ओला, पाला या सूखा पड़ता था तब माननीय मुख्यमंत्री जी और इसी सरकार के मंत्री धरने, उपवास पर बैठ जाते थे कि केन्द्र से राशि नहीं आ रही है हम क्या करें. आज स्थिति यह है कि सूखाग्रस्त जिलों में राहत राशि पहुंचाने के लिए इस सरकार ने 3705 करोड़ रुपये की मांग 02.11.2017 को केन्द्र को भेजी, लेकिन आज दिनांक तक एक नये पाई की राशि किसान के लिए या सूखा राहत में बांटने के लिए नहीं आई. प्रदेश में सूखा राहत के कार्य नहीं चले रहे हैं. इस तरह से कई बातें हैं, केवल घोषणाओं से कुछ नहीं होता है. उपाध्यक्ष महोदय, हम देखें कि प्याज के भाव, जैसे ही खरीदी बंद हुई 35-40 रुपये किलो हो गए. आज टमाटर के भाव, अगर वास्तव में हम राशि दिलाना चाहते हैं तो किसान की जो फसल उत्पादित होती है, उत्पादन से पहले जो मूल्य होता है उस राशि को हम दिलाना सुनिश्चित करेंगे, तो निश्चित रूप से किसान को लाभ होगा.
उपाध्यक्ष महोदय- रामनिवास जी, अब आप समाप्त करें, बहुत समय हो गया.
श्री रामनिवास रावत- उपाध्यक्ष महोदय, बातें तो कई थीं. अभी माननीय मुख्यमंत्री जी ने जिन जिलों में सूखा पड़ा है, जिन क्षेत्रों में ओला, पाला पड़ा है वहां गए हैं और घोषणा भी की है कि किसानों से वसूली नहीं की जाएगी, किसानों को ब्याज जमा न करने पर भी सरकार दोबारा ऋण देगी, किसानों से बिजली के बिलों की वसूली नहीं की जाएगी, लेकिन आज भी लगातार कई किसानों से जबरदस्ती वसूली करने का, उनकी कुर्की करने का काम किया जा रहा है. एक तरफ कहा जा रहा है कि डिफाल्टर किसानों को ब्याज भरने की जरूरत नहीं पड़ेगी वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि कर्ज वसूली स्थगित, ब्याज सरकार चुकाएगी, लेकिन इन सारी घोषणाओं के बाद भी किसानों से लगभग 60-68 करोड़ रुपये की वसूली के लिये सख्ती शुरू हो गई. 6256 किसानों से 68 करोड़ की वसूली के लिए सख्ती शुरू कर दी है. यह क्या स्थिति है ? एक तरफ तो आप वसूली स्थगित करने की बात कर रहे हैं, ब्याज वसूली स्थगित करने की बात कर रहे हैं, दूसरी तरफ उन्हीं किसानों को जेल भेजा जा रहा है. सीधे कोर्ट से वारंट आ रहा है और किसान जेल में जा रहे हैं. किसान को पता ही नहीं है, उसकी यह स्थिति है कि सुनवाई भी नहीं की जा रही है. उपाध्यक्ष महोदय, ऐसी कई बातें हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, हम चाहते हैं कि हम राजनीति और द्वेषभाव से ऊपर उठकर किसानों के हित में बात करें और किसानों को उसके पैरों पर कैसे खड़ा कर सकें, उसकी फसल का भाव कैसे सही मिल सके इसके लिए आप एक समिति बनाएं. आपने आयोग गठित किया है कि लागत मूल्य और उत्पादन मूल्य किसान को मिले, लेकिन आपने किया क्या है कि आज तक किसी की नियुक्ति नहीं हुई. केवल गठन की घोषणा कर दी है. आपने मीटिंग की ? नहीं, एक भी मीटिंग आयोजित नहीं हुई, न आपने सदस्य बनाए. उपाध्यक्ष महोदय, यह स्थिति है. इस तरह से सरकार चल रही है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि मेरे यहां कृषि उपज मंडी समिति पूरे बसाहट वाले क्षेत्र में आ गई है, वह मंडी समिति न रहकर पूरा बाजार बन गया है, दूसरी जगह जमीनें आवंटित करने की कार्यवाही पूरी हो चुकी है. अगर उसके लिए आप राशि प्रदान कर दें, तो हम कृषि उपज मंडी का निर्माण कर लें. आपने समय दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा)- उपाध्यक्ष महोदय, हमारे भाई सुखेन्द्र सिंह जी ने अपने भाषण में कहा था, मैं सोच रहा था कि मैं बोलूं, कहीं वह चले न जाएं, लेकिन वह बैठे हैं तो ठीक है मैं उनकी बात का जवाब देने को तैयार हूं. इन्होंने कहा था कि जो राजा अपने राजधर्म का पालन नहीं करता उसको प्रकृति मदद नहीं करती. यहां वर्षा नहीं हो रही है. 4 वर्ष से वर्षा नहीं हो रही है. किसान भूखा मर रहा है. मैं बना साहब को यह बताना चाहता हूं कि ऐसी विपरीत परिस्थिति में कि वर्षा नहीं हो रही है, लेकिन नहर में बराबर पानी आ रहा है. बिजली बराबर मिल रही है. किसानों की जितनी भी मूलभूत सुविधाएं हैं, सिंचाई के साधन बढ़ाए हैं. सीधे सीधे धार में तो कोई भी तेर सकता है, लेकिन जब विपरीत परिस्थिति में कोई अच्छा, कल्याणकारी काम करे, तो उसको राज धर्म कहते हैं. सुखेन्द्र सिंह जी एक गांव की कहावत है कि लीक लीक तीनों चलें, कायर, कुटिल, कपूत और लीक लीक छोड़ तीनों चलें, शायर, सिंह, सपूत. समृद्धि का रास्ता बनाने के लिये कृषि कल्याण की कितनी योजनाएं हैं. आपने भावान्तर का विरोध किया. आपने जितनी भी योजनाएं हैं, मुख्यमंत्री भावान्तर योजना का विरोध किया, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में कुछ नहीं मिला, यह भी ठगी है. सूरजधारा योजना भी ठगी है. स्वाइल हैल्थ कार्ड भी ठगी है. मुख्यमंत्री ऋण समाधान योजना भी ठगी है और ब्याज कम करना भी ठगी है. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप कांग्रेस के लोगों ने इतने समय राज किया, आप कोई 5 योजनाएं ऐसी बता दें, जो किसानों के कल्याण के लिये आपकी सरकार ने बनाई हों. हमारे समय की 25 योजनाएं तो मैं लिखकर लाया हूं. आप पांच क्या एक ही बता दो, उस समय मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश में एक किसान का बेटा राज नहीं कर रहा था, राज परिवारों से यहां पर ज्यादातर लोगों ने राज किया है. आपमें हिम्मत नहीं थी कि उनको सलाह दे दें. एक किसान का बेटा मुख्यमंत्री बना. वह पीड़ा समझते थे. किसान थे, किसान हैं. आज भी खेतों में जाते हैं. मैं एक बार लखनऊ गया था, लखनऊ में एक इमामबाड़ा बना हुआ है...
श्री सुखेन्द्र सिंह -- आप आस्ट्रेलिया नहीं गये.
श्री सुबेदार सिंह रजौधा -- सुखेन्द्र सिंह जी, आप आस्ट्रेलिया जाओ. हम अपने देश में रहेंगे. हम देसी हैं. मैं लखनऊ गया था, वहां एक इमामबाड़ा बना था. उसमें बोलते थे, तो उनकी दीवारें भी साथ साथ में बोलती थीं. तो हमने वहां गार्ड से पूछा कि इसमें हम वहां बोलते हैं, तो यहां सुनाई पड़ता है. तो उन्होंने कहा कि यहां का एक नवाब था, उन्होंने इस बाड़े को बनवाया था. अकाल, सूखा था. उसने सोचा कि मेरे क्षेत्र के किसानों को कैसे काम मिले और वह भूखा नहीं रहे, आलसी भी नहीं बने. तो उन्होंने अपनी जनता के कल्याण के लिये ढेर सारी योजनाएं बनाईं, इमामबाड़े का निर्माण करवाया. आधे दिन में वह उसका काम करवाते थे, उसकी मजदूरी देते थे और आधे दिन में यह कहते थे कि इसको पैर से तोड़ो. उसकी मजदूरी देते थे. यह उन्होंने उनके हित में काम किया. हमारे मुख्यमंत्री जी ने, कब से कर्ज चल रहा था, किसानों को बुलाकर कहा था कि कैसे किसानों की समस्या हल हो सकती है. तो जीरो परसेंट ब्याज और जीरो में भी निकलकर फिर 10 प्रतिशत और कम. भैया आपको किसने मना किया. कभी कहते हैं कि कर्ज लाद दिया. हमारे वित्त मंत्री जी ने बताया था कि जब आप पर 23 हजार करोड़ रुपये कर्जा था, तब आदमनी की 22 प्रतिशत राशि ब्याज के रुप में जाती थी, आज हम पर इतना कर्ज है, उस कर्ज में आदमनी की 8 प्रतिशत राशि ब्याज के रुप में जाती है. तो हमारी पार्टी, सरकार ने आमदनी बढ़ाई है. जनता के हित में काम किया है और आप कहते हैं कि पानी नहीं पड़ेगा. मैं यह कह रहा हूं कि एक बार मेरे क्षेत्र में दिग्विजय सिंह जी गये थे. एक छोटे से 8 करोड़ के रपटे का भूमि पूजन करने गये थे. लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री जी गायें प्यासी मर रही हैं. पीने के लिये पानी नहीं है. नहर में थोड़ा सा पानी छुड़वा दो. तो इसमें नहर में पानी आ जायेगा तो गायों को पानी मिल जायेगा और यहां वाटर लेवल भी बढ़ जायेगा. लेकिन मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इंद्र देवता की पूजा करो. आपने भगवान के भरोसे प्रदेश को छोड़ दिया था. आज हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने मैं औरों की क्या कहूं, मेरी विधान सभा..
श्री सुखेन्द्र सिंह -- भगवान राम के भरोसे तो आपकी पूरी पार्टी चल रही है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- अपने कर्म से चल रही है. आप तो उसके भी विरोधी हैं. आज आप एकात्म यात्रा का विरोध कर रहे थे. आदमी सुबह-सुबह उठकर भगवान का नाम लेता है. किसान खेत में बैल ले जाता है तो बैलों से भी कहता है कि लो राम का नाम, आप उस राम के नाम का विरोध कर रहे हैं, तभी तो तुम्हारा कल्याण नहीं है.
श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य)-- तभी तो राहुल गांधी अब सब मंदिरों में जा रहे हैं.
श्री सूबेदार सिहं रजौधा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब कांग्रेस की सरकार थी तो हजारों-लाखों एकड़ जमीन चरनोई के रूप में थी, आज गांव में एक बीघा जमीन भी चरनोई के लिए नहीं है. पशुओं की यह हालत हो रही है कि इधर से उधर घूमते रहते हैं, इधर से किसान खदेड़ता है, उधर से किसान खदेड़ता है.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आप समाप्त करें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय उपाध्यक्ष जी, आप तो व्यवस्थित रूप से और निष्पक्षता से सदन चलाते हैं, आप पर तो हम भरोसा करते हैं. आप दयालु हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, ऐसा नहीं है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- उपाध्यक्ष महोदय, महाभारत की घटना है. करन ने एक गाय को बाण मार दिया था तो उस गाय ने श्राप दिया था कि तुझे मृत्यु के मुँह में जाना पड़ेगा. आपने लाखों गायों की चरनोई जमीन छीनकर पट्टे न देकर रट्टे में दिए हैं, आप कल्पना करें आप कभी सत्ता में नहीं आ सकते. यह एक गाय का श्राप है, इसका वेदों-पुराणों में उदाहरण है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने कृषि मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ कि भावांतर योजना का लाभ जो किसानों को मिला है, हम 5 अप्रैल से पूरी विधान सभा में गांव-गांव में एक किसान सम्मान यात्रा निकालेंगे और उसमें हम किसानों से पूछेंगे कि जो हमारी सरकार ने भावान्तर योजना बनाई है, उसका आपको कितना लाभ हो रहा है. इस योजना का कांग्रेस सदन में भी विरोध कर रही है और बाहर भी विरोध कर रही है, क्या इसको बंद कर दें ? हम किसानों की सलाह लेंगे और अपनी सरकार को, अपने मुख्यमंत्री जी को बताएंगे. जनता को आपकी नीयत के बारे में भी बताएंगे कि आप भावांतर योजना को बंद कराना चाहते हैं. एक बात श्री भारत सिंह कुशवाह जी ने कही थी कि कांग्रेस की वजह से गायों की हालत यह हो गई है कि रात में जब हम गाड़ी से जाते हैं तो लोग गायों को खदेड़ते हुए कई किलोमीटर तक ले जाते हैं. उधर से फिर दूसरे किसान ले जाते हैं. बागड़ नहीं है, किसान सोचता है कि खेत में घुस जाएगी तो सब चौपट हो जाएगा.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष जी, इस समय गायों की ऐसी हालत कहां है, जबरदस्ती बोल रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- वे समाप्त ही कर रहे हैं.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, गायों की यह हालत इन्होंने की है. हमारे कृषि मंत्री जी उदार हैं और तार फेंसिंग के काम पर भी जरूर विचार करेंगे. मेरा यह निवेदन है कि तार फेंसिंग पर 50 प्रतिशत नहीं, किसानों को 75 प्रतिशत सब्सिडी पर तार फेंसिंग के लिए अनुदान देंगे. इस उम्मीद के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ. आपने समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह शेखावत - (अनुपस्थित)
श्री मुरलीधर पाटीदार - (अनुपस्थित)
श्री कुँवर हजारीलाल दांगी (खिलचीपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कृषि विभाग की मांग संख्या 13 और 54 के पक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. अभी तक मेरे जितने साथी लोगों ने, पक्ष और विपक्ष के लोगों ने जो बातें बताई हैं, मैं उन बातों को बहुत गौर से सुन रहा था. विपक्ष के साथियों ने भी बहुत लंबी-चौड़ी बातें की हैं. मैं भी एक किसान का बेटा हूँ और आपके साथ में भी रहा हूँ. मेरा यह अनुरोध है कि आज जो किसानों की हालत है, यह इस प्रदेश के मुखिया माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी और माननीय कृषि मंत्री जी के उदार दिल का उदाहरण है कि इन्होंने जितनी सुविधाएं किसानों को दी हैं, उसका फल किसानों को मिला है. उसका ही परिणाम है कि आज किसान इतना खुशहाल है. वर्ष 2003 के पहले मैं भी आपके साथ में था, मैं भी किसान का बेटा हूँ, लेकिन वर्ष 2003 के पहले की स्थिति का अगर हम अवलोकन करें तो किसान की क्या हालत थी. आज किसान की हालत सुधरी है, किसान की मेहनत का फल है कि मध्यप्रदेश को 5वीं बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है. मध्यप्रदेश में किसानों की हालत सुधरी है, इस वजह से पुरस्कार मिला है. वर्ष 2003 के पहले यदि आप जाएं, आज यहां मुआवजे की बात चल रही थी, बीमा की बात चली, भावान्तर की बात चली, किसानों को अनुदान की बात चली, लेकिन मैं आपसे एक अनुरोध कर दूं कि वर्ष 2003 के पहले मध्यप्रदेश में एक बार ओले गिरे थे उस समय किसानों को जो राहत राशि दी गई थी वह 80 रूपए, 90 रूपए और 120 रूपए थी. उस समय पहले चेक दिए थे और आज किसानों के खाते में राशि जमा की है 120 रूपए से ज्यादा की राशि किसी किसान को सहायता के रूप में नहीं दी गई थी और आज माननीय मुख्यमंत्री जी ने सूखा पड़ा तो दिया, ओले पड़े तो दिये, पाला पड़ा तो दिया, बीमा अलग दिलवाया और आज एक अनुरोध कर दूं कि जितनी सुविधाएं कृषि विभाग के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी ने किसानों को दिलायी हैं अगर यह सुविधाएं उस समय मिल जातीं तो आज कितने समय पहले किसानों की हालत सुधर जाती.
उपाध्यक्ष महोदय -- दांगी जी, हमें लगता है वर्ष 2003 में आप उधर ही थे.
कुंवर हजारीलाल दांगी -- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं उधर ही था. तभी मैंने आपसे कहा कि मैं आपके साथ में ही था. लेकिन इसलिए बता रहा हॅूं कि मैंने क्यों छोड़ी और इसका कारण अभी श्री रजौधा जी ने बताया है कि गौमाता के श्राप से हम डूबे हैं. यहां परिक्रमा की जो बात आयी, एकात्म यात्रा का विरोध कर रहे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी की परिक्रमा का विरोध कर रहे हैं. लेकिन मैं एक बात बता दूं आप बुरा मत मानिएगा, इस बात पर विचार करिएगा कि आज माननीय दिग्विजय सिंह जी क्यों परिक्रमा कर रहे हैं. इस बात पर भी तो विचार करिए (XXX)...(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदय -- दांगी जी, आप उनके खास आदमी थे.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस प्रदेश की तरक्की, इस प्रदेश की उन्नति, इस प्रदेश के विकास के लिए, इस प्रदेश की समृद्धि की ओर ले जाएं, इस कामना के साथ यह यात्रा है.
उपाध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए....(व्यवधान).....
कुंवर हजारीलाल दांगी -- मैं एक बात बता दूं. माननीय दिग्विजय सिंह जी परिक्रमा कर रहे हैं. आप लोगों ने एकात्म यात्रा का विरोध किया....(व्यवधान).. मैं एक बात बता रहा हॅूं कि मेरे साथी लोग कितने भले हैं. लेकिन एक बात बता दूं कि गौमाता के श्राप से, गरीबों के श्राप से हम लोग डूब गए थे और उसका प्रायश्चित करने के लिए ये परिक्रमा यात्रा कर रहे हैं इसीलिए मेरे साथियों आप लोग विरोध कर रहे हो लेकिन आज सत्य को सत्य तो कहना पडे़गा. वर्ष 2003 के पहले खाद समय पर नहीं मिलती थी, बिजली समय पर नहीं मिलती थी, पानी पर्याप्त नहीं था. कुएं से सिंचाई होती थी और मध्यप्रदेश की सरकार ने किसानों को इतनी सुविधाएं दी हैं कि उसकी वजह से किसान आज इतना सम्पन्न है. भावांतर योजना का विरोध कर रहे हैं. ..(व्यवधान)... मैं बता रहा हॅूं आप चिन्ता क्यों कर रहे हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब भावांतर योजना चालू हुई तो सबसे पहले कांग्रेस के हमारे साथियों ने खूब विरोध किया. आम सभाएं की लेकिन रजिस्ट्रेशन उन्हीं लोगों ने ज्यादा करवाया और जब फसल तुलने लगी तो सबसे पहले फसल उन्हीं लोगों ने तुलवायी और भावांतर की राशि सबसे ज्यादा उन्हीं लोगों ने ली. आज एक बात बता दूं कि देश आजाद हुए 70 साल हो गए. 70 साल में कभी किसानों के प्याज खरीदे थे. किसान जब प्याज फेंकने लगा तब इस प्रदेश के मुखिया माननीय शिवराज सिंह जी ने और माननीय कृषि मंत्री जी ने विचार करके यह सोचा कि किसान बर्बाद हो जाएगा तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने प्याज खरीदकर और उनको फिकवा दिया, यह माननीय मुख्यमंत्री जी का उदार दिल है.
उपाध्यक्ष महोदय -- दांगी जी, अब समाप्त करें.
कुंवर हजारीलाल दांगी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट और लूंगा. मैं आपसे अनुरोध कर दूं कि एक साल प्याज की कीमत ज्यादा मिलती है और एक साल लहसुन की कीमत ज्यादा मिलती है, इस साल लहसुन के भाव कम हुए.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्याज की बात पर बोल दूं कि प्याज का दर्द इनको मालूम है, क्योंकि प्याज से ही इनकी सरकार गयी थी.
कुंवर हजारीलाल दांगी -- अपनी कैसे गई थी ? माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कल माननीय मुख्यमंत्री जी ने मीटिंग बुलाकर जब किसानों के लहसुन के भाव कम हुए तो उसको भावांतर योजना में शरीक करने की जैसे ही घोषणा की तो किसानों के चेहरे पर रौनक आ गई है और आज किसान हर हालत में इसलिए खुश है कि 2000 रूपए क्विंटल गेहूं और गये साल के 200 रुपये जो मिल रहे हैं उससे किसान बहुत खुश है कि आज किसान का ऐसा मुखिया, किसान हितैषी जो आदमी प्रदेश का मुखिया है, किसान का बेटा है..
उपाध्यक्ष महोदय-- चलिये आप समाप्त करिये.
कुँवर हजारीलाल दाँगी--उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट दे दीजिये. मेरी विधान सभा क्षेत्र की बात तो बता दूँ साहब. जो आदमी कम बोले कभी-कभी बोले उन पर तो कृपा करो. मेरा एक अनुरोध है कि वास्तव में...
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन--दाँगी जी, राजगढ़ जिले के दौरे में जितनी मंडियों की हमने घोषणा की थी उन सबके आदेश कर दिये हैं.
कुँवर हजारीलाल दाँगी-- वह मैं बता रहा हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय--जब मंत्री जी ने बता दिया तो आप बैठ जाइए. मंत्री जी ने आपकी मंडियो के बारे में बता दिया है, आपके मन की बात वह जान गये हैं.
कुँवर हजारीलाल दाँगी-- मेरा मंत्री जी से एक अनुरोध है कि मंडी छापेड़ा में और खिलचीपुर में कृषक विश्राम गृह नहीं है उसको भी अगर आप शरीक कर लें तो ज्यादा अच्छा होगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप बैठ जाएं मंत्री जी को लिखकर दे दें.
कुँवर हजारीलाल दाँगी--उपाध्यक्ष महोदय, छापेड़ा मंडी के अंतर्गत ब्यावराकला उपमंडी है उसे आपने 1 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी उसमें से 45 लाख रुपये की स्वीकृति जारी की है. मेरा अनुरोध है कि वहाँ शेड बनाकर,कार्यालय बना कर उसको भी चालू करा देंगे तो वहाँ के कर्मचारियों को फायदा मिलेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद और थोड़ा और बोलने देते तो अच्छा रहता.
श्री आर.डी.प्रजापति(चन्दला)---माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कृषि विभाग में मैं माँग संख्या 13 और 54 के समर्थन में बोल रहा हूँ. कृषि विभाग में जो हमारा अमला रहता है वह किसानों की उपज बढ़ाने के लिए रहता है और पूरे अमला के साथ-साथ चाहे जन प्रतिनिधि हो, चाहे शासन हो, सभी लोग चाहते हैं कि किसानों की उपज बढ़े और किसानों को फायदा हो एवं किसान आत्म निर्भर रहें और कृषि को फायदे का धंधा बनाने के लिए कहा जाता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे कृषि अमले के लोग अच्छी खाद, अच्छे बीज, अच्छी कीटनाशक दवायें, मिट्टी परीक्षण, अच्छी फसल, अच्छी नहरें सब चीजें देते हैं लेकिन उनको यह आंकलन करना चाहिए कि यह सब देने के बावजूद भी क्या किसानों को उनकी उपज मिलती है ? माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र के बारे में केवल बोलना चाहता हूँ. मेरे क्षेत्र में आवारा पशु इतने हैं और जंगली जानवर भी इतने हैं कि किसान 24 घंटे मेहनत करता है और उसकी फसल जानवर खा जाते हैं और कृषि अमला केवल उनको छोटी-छोटी चीजें बताते हैं जिससे कम नुकसान होता है. आप कीटनाशक दवायें डालो, आप खाद डाल दो. अरे, सब डालने के बाद जब कुछ होना ही नहीं है, कुछ बचना ही नहीं है तो उसको क्यों नहीं बताते? पूरे साल किसान मेहनत करता है लेकिन अंत में उसको कुछ नहीं मिलता है. मैं इस चीज को बार-बार कहता हूँ अभी भी कह रहा हूँ कि मेरे क्षेत्र में 20 हजार जंगली जानवर नीलगाय हैं और 15 हजार करीब गाय एवं आवारा पशु हैं. अगर एक नीलगाय 24 घन्टे में 50 किलोग्राम फसल खाती है तो कम से कम एक साल के अंदर लाखों क्विंटल फसल खा ली जाती है. अभी कुछ लोग बोले कि भाई आर.डी. प्रजापति जी यह नीलगाय केवल फसल का केवल दाना-दाना खाती है क्या? माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने उनसे कहा कि आपको एक फुटपाथ में ले जा रहा हूँ और यहाँ बापू की कुटिया है और पैसा नहीं आपको लगना है, आप किसमें खाएंगे? ""तो उजार जाये तैयार खाय, तो क्यों माल ना खाय"" तो वह पशु पूरे के पूरे दाना खाते हैं मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है आपके माध्यम से कि चूँकि आप लोग फसल कटाई करते हैं, रेण्डम पद्धति से करते हैं, तो यह आंकलन लगा लेना चाहिए कि किस जगह फसल की उपज अच्छी है और किस जगह नहीं है. अगर हमारे शरीर का कोई भी अंग खराब होगा तो वह अंग पूरे शरीर को खराब कर देता है. मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि जिस तरह से पूरे मध्यप्रदेश में अमला काम करता है, मेरे क्षेत्र में भी कृषि अमला काम करता है, वहाँ यह पता लगा लेना चाहिए कि केवल फसल की क्षति के कारण 80 परसेंट किसान पलायन करते हैं, केवल आवारा पशु और जंगली पशुओं के कारण, सब चीज होते हुए भी पूरी की पूरी फसल खाली जाती है. उपाध्यक्ष महोदय, 3 साल से सूखा पड़ा हुआ है. मेरा निवेदन है कि जो अभी हमारे भारत कुशवाह साहब ने बोला था कि इनके लिए तार बाड़ी की व्यवस्था की जाना चाहिए, जो आवारा पशु हैं और जो रोज है, जो नील गाय है, उनके लिए पकड़वाने की या बर्मिन घोषित की व्यवस्था होना चाहिए, जब किसान ही नहीं रहेगा, मानव नहीं रहेगा, तो जानवर फिर क्या रहेगा, जानवर क्या करेगा? उस क्षेत्र में केवल जानवर ही जानवर रहेगा. बार बार उस चीज को मैं कहता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में 3 साल से सूखा है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूँगा कि बलराम तालाब की जो राशि है वह बहुत कम है. उसको कम से कम 5 लाख की जाए और परकूलेशन टैंक जो शासन द्वारा बनाए जाते थे, जिससे आपका जल स्तर ऊपर उठता था, वह बंद हो गए हैं, उनको भी बड़े पैमाने पर बनवाया जाए और माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है, उन्होंने घोषणा की थी, कृषि उपज मंडी चंदला की उसको कई महीने से मंडी घोषित कर दिया है. लेकिन मंडी घोषित होने के बावजूद भी आज तक उस मंडी में कोई अमला ही नहीं है, अध्यक्ष ही नहीं है.
6.22 बजे {अध्यक्ष महोदय(डॉ.सीतासरन शर्मा)पीठासीन हुए}
अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि कृषि उपज मंडी के लिए अमला भेजें और अध्यक्ष की भी घोषणा करने की कृपा करें. छतरपुर बुंदेलखण्ड के बीच में पड़ता है इसलिए मैं निवेदन करूँगा कि कृषि महाविद्यालय भी वहाँ होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री आर.डी.प्रजापति-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन यह है कि कृषि उपज मंडी छतरपुर में एक छोटा सा रोड रह गया है. बनगांय से भगवन्तपुरा, जहाँ सैकड़ों गाँव के किसान, वह रोड न होने के कारण अपनी उपज कृषि उपज मंडी छतरपुर में नहीं ले जा सकते हैं इसलिए वहाँ एक रोड भी बनाया जाए. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, मेरा आप से निवेदन है कि मेरे क्षेत्र में आपने कृषि उपज मंडी तो चंदला को बना दिया है. लेकिन आज तक न तो उसका अध्यक्ष बना है न वहाँ अमला गया है और कई महीनों से मंडी बनी है, तो मेरा निवेदन है कि कम से कम इसकी घोषणा तो आज कर दें. वह लवकुश नगर के लोग ही काम करते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अब कृपया समाप्त करें. बहुत समय हो गया.
श्री आर.डी.प्रजापति-- अध्यक्ष महोदय, सबसे बड़ी बात यह है कि जो मेरे क्षेत्र में सबसे ज्यादा जानवरों से नुकसान है, फैंसिंग की व्यवस्था जरूर करवा दी जाए, तार फैंसिंग दिलाई जाए, जिससे किसान अपनी उपज का सही लाभ ले सके. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का समय दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
6.23 बजे अध्यक्षीय घोषणा.
सदन के समय में वृद्धि संबंधी.
अध्यक्ष महोदय-- किसान कल्याण विभाग की मांग संख्या 13 एवं 54 पर कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूँ सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
डॉ.कैलाश जाटव-- अध्यक्ष महोदय, सामने सुनने के लिए कोई हैं ही नहीं.(प्रतिपक्ष की तरफ से एक साथ आवाज आई कि हैं ना भैय्या)
श्री रजनीश हरवंश सिंह-- दिख नहीं रहे क्या भैय्या?
डॉ.कैलाश जाटव-- (श्री जितू पटवारी जी द्वारा अपने आसन पर पहुँचने पर) अभी आए हैं, अभी.
श्री रजनीश हरवंश सिंह-- सब लोग यहीं हैं.
6.24 बजे वर्ष 2018-2019 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमशः)
श्री नाना भाऊ मोहोड़-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आधा मिनट दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- एक मिनट में बोल दीजिए.
श्री नानाभाऊ मोहोड़ (सौंसर)-- अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में बिजवा, पांढुर्ना और सौंसर में 80 प्रतिशत कपास की खेती की जाती है. कपास के ऊपर भावान्तर नहीं मिलता है. मेरा इसमें एक सुझाव है मंत्री जी हमारे जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं. मैं चाहता हूँ कि प्रति हेक्टेयर 5 हजार रुपए उनको प्रोत्साहन राशि दी जाना चाहिए. मेरा महाराष्ट्र से लगा हुआ क्षेत्र है वहां पर 5 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर दिए गए हैं. धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, मेरा एक सुझाव है.
अध्यक्ष महोदय--मनोज पटेल जी ने बोल दिया कि सामने कोई नहीं है तो वे आकर यहां बैठ गए अच्छे भले वहां बैठे हुए थे. मंत्री जी अब इनका एक सुझाव सुन लें.
श्री जितू पटवारी (राऊ)--आदरणीय अध्यक्ष जी आदरणीय मंत्री जी सामने बैठे हैं आपके माध्यम से मैं उनसे अनुरोध करना चाहता हूँ कि अभी दो दिन से अखबारों में रायसेन में टमाटर फेंकने की बात आई है. ऐसे समय-समय पर और भी फसलें आती रहती हैं और सरकार की यह कोशिश होती है कि...
अध्यक्ष महोदय--नहीं आप बैठ जाएं, यह शून्यकाल की बात है...
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, पूरी बात नहीं सुनी यह तो अव्यावहारिक है. (व्यवधान)
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल--जितू भैया यह अव्यावहारिक कैसे हुआ. अव्यावहारिक तब होता जब आप अपना नाम देते और अध्यक्ष जी आपको बुलवाते और फिर आपको नहीं बोलने देते. (व्यवधान)
डॉ. कैलाश जाटव--माननीय अध्यक्ष महोदय, सिर्फ अपनी बात बोलना और सदन से चले जाना यह कोई तरीका है क्या ? दूसरों को सुनने की क्षमता भी तो रखिए.
अध्यक्ष महोदय--आप तो बैठिए. मंत्री जी आप शुरु करें.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, मैं बैठ जाऊं ?
अध्यक्ष महोदय--हाँ बैठ जाएं प्लीज.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन)--अध्यक्ष महोदय, कृषि विभाग की मांगों पर माननीय शैलेन्द्र पटेल जी से लेकर जितू पटवारी तक 22 माननीय सदस्यों ने अपने विचार रखे हैं.
अध्यक्ष महोदय--जितू पटवारी को तो सुना ही नहीं है. (हंसी)
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन--इशारों में हम समझ गए. अनेक सदस्यों के बड़े सारगर्भित विचार रहे जो विभाग की कार्य पद्धति में और कृषि की उन्नति में लाभकारी होंगे हितकारी होंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, शैलेन्द्र पटेल जी ने जो भाषण दिया उन्होंने प्रशासकीय प्रतिवेदन को बेस बनाकर अपनी बात को रखा यदि अंत में, मैं उसके किसी निचोड़ पर मैं जाऊं तो मुझे कुछ निचोड़ समझ नहीं आया कि क्या उत्तर माननीय सदस्य को दूं. लेकिन माननीय सदस्य की एक बात मुझे अच्छी लगी उन्होंने कहा कि मेरी मण्डी इछावर में इलेक्ट्रानिक तौल कांटे की आवश्यकता है. मैं उनकी इस मांग को स्वीकार करता हूँ उनके लिए 10 से लेकर 50 टन का इलेक्ट्रानिक तौल कांटा उनकी इछावर मण्डी में देने की घोषणा करता हूँ.
श्री शैलेन्द्र पटेल--धन्यवाद मंत्री जी.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन--माननीय अध्यक्ष महोदय, गोविन्द सिंह पटेल जी ने दलहन की मूल्यवृद्धि होना चाहिए ऐसा अपने भाषण में विषय रखा और अन्य विषयों पर बात की. वे गाडरवारा के बहुत लोकप्रिय विधायक हैं. मैं उनके माध्यम से बताना चाहूँगा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 2016-17 में विशेष तौर से दलहन में भारत सरकार ने कितना बढ़ाया है. वर्ष 2016-17 में तुअर 5050 रुपए था इसमें 400 रुपए बढ़ोतरी करके 5450 रुपए कर दिया गया है. उड़द 5000 रुपए थी इसे 5400 रुपए कर दिया गया. मूंग 5225 रुपए थी इसे 5575 रुपए किया गया. सोयाबीन 2775 से बढ़ाकर 3050 रुपए किया गया. मूंगफली में 230 रुपए की बढ़ोतरी हुई है. तिल में 300 रुपए की बढ़ोतरी हुई है. चने को 4000 से 4400 रुपए किया गया. मसूर में 300 रुपए की वृद्धि करके 4250 रुपए किया गया. सरसों में भी 300 रुपए की एमएसपी की वृद्धि हुई है. कई माननीय सदस्यों का यह कहना था कि बीच में चना 10 हजार रुपए बिका या तुअर 10 हजार रुपए तक गई. उस समय देश में दलहन और तिलहन का उत्पादन बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुआ था. इस उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने राज्य सरकारों के सामने प्रस्ताव रखा और विशेष तौर पर मध्यप्रदेश सरकार पर उनका पूरा विश्वास था कि यह राज्य दलहन और तिलहन का उत्पादन बढ़ाएगा. हमने अपने राज्य को दलहन और तिलहन में देश में अग्रणी राज्य बनाने में महती भूमिका का निर्वहन किया उसके कारण हमारे राज्य में दलहन और तिलहन की कमी नहीं है. इसका श्रेय यदि किसी को जाता है तो हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी मान्यवर नरेन्द्र मोदी जी को जाता है. प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान को जाता है उनकी सारी नीतियों को जाता है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, डॉ. गोविन्द सिंह जी ने मुझसे कहा वे मेरे बड़े भाई हैं उनके सामने बात करता तो अच्छा रहता (डॉ. गोविन्द सिंह जी के सदन में अनुपस्थित रहने पर). उन्होंने कहा कि भावान्तर योजना उनको समझ में नहीं आती. मैंने कहा कि थोड़ा समझो भाई भावान्तर भुगतान योजना को हम सब समझ लेंगे तो कभी इसकी आलोचना नहीं करेंगे. पहले हमने जिन चरण में खरीफ की आठ फसलों को अधिसूचित किया उसमें मैं एक बात कहना चाहता हूं कि कुछ लोगों ने कहा कि भावांतर भुगतान योजना का लाभ इसीलिए नहीं मिल पाता है कि उसके मार्केट रेट कम रहते हैं लेकिन मैं एक बात कहना चाहता हूं कि यह जो राम तिल है हमारे राज्य में 50 हजार पंजीकृत किसान हैं और इन 50 हजार पंजीकृत किसानों को एम.एस.पी. से ऊपर जब बिका तो उन्होंने अपनी उपज को भावांतर में आने का प्रश्न ही नहीं उठता और इसीलिए जब एम.एस.पी. से नीचे बिकता है तब भावांतर भुगतान योजना से हमने किसानों को लाभ देने का प्रयास किया है. मैं एक बात और आपसे कहना चाहूंगा दलहन और तिलहन की खरीदी का उत्पादन पूरे देश में चार प्रतिशत सिर्फ सपोर्ट प्राईज पर बिकता है. जबकि भावांतर भुगतान योजना में हमने तीस प्रतिशत उत्पाद को अपने राज्य में लाभ दिया है और इसीलिए मैं कह सकता हूं कि पड़ोस के राज्यों में भी जिन राज्यों ने उन फसलों को सपोर्ट प्राईज पर खरीदा उसके बराबर मूल्य हमने अपने राज्य के किसानों को देकर राज्य के किसान की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने का काम किया है. अभी हमारे शैलेन्द्र जी ने कहा था कि हमारे पास में जो जैविक उत्पाद होता है उसकी कोई सैद्धांतिक व्यवस्था नहीं है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि एपिडा (APEDA) के साथ में तीस कंपनियों का इम्पेनल है और जिनके माध्यम से हम जैविक बीज बनाते हैं और जैविक बीज को डेव्हलप करके वहां पर बिना फर्टिलाइजर के खेती करके, बिना रासायनिक खाद के खेती करके हम अपने राज्य में आज दो लाख हेक्टेयर में जैविक उत्पादन कर रहे हैं जो देश का 33 प्रतिशत है. परम्परागत खेती में हम और तीन लाख हेक्टेयर में खेती करेंगे और इसके बाद हमारा जो जैविक का उत्पादन है हम देश में अग्रणी थे, अग्रणी हैं और अग्रणी रहेंगे. अभी यहां पर विषय आया कि प्राकृतिक आपदा में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का कोई लाभ नहीं मिलता है. मैं कहना चाहता हूं कि प्राकृतिक आपदा का फायदा कब मिलेगा जब फसलों को नुकसान होगा. यदि वर्ष 2016 में फसलों को नुकसान नहीं हुआ ऐसी स्थिति में लाभ नहीं मिलेगा मैं इस बात को स्वीकार करता हूं. लेकिन मैं याद दिलाना चाहता हूं वर्ष 2013 में 2160 करोड़ रुपया हमने खरीफ की फसल के नुकसान का दिया और खरीफ वर्ष 2015 में 4 हजार 6 सौ करोड़ रुपए का हमने भुगतान किया है और मैं आपके माध्यम से राज्य के किसानों को विश्वास दिलाना चाहता हूं अभी खरीफ वर्ष 2017 में प्राकृतिक आपदा पडी़ है और फसलों को नुकसान हुआ है इसलिए मध्यप्रदेश के किसानों को फसल बीमे का सात हजार करोड़ रुपए मिलेगा और इसीलिए मैं कह सकता हूं कि फसल बीमा योजना हमारे किसानों के लिए एक नींव का पत्थर होगा. बहादुर सिंह चौहान, हमारी बहन हिना कावरे जी और अनेक सदस्यों ने यहां पर बहुत सारे सुझाव रखे. इसमें से एक सुझाव मुझे बहुत अच्छा लगा जहां पर सदन में कई बार चर्चा होती है कि किसान की फसल को जब वन्य प्राणी अथवा खुले मवेशी नुकसान पहुंचाते हैं तो उसके लिए कोई विकल्प नहीं है. मैं आज इस सदन के माध्यम से विश्वास दिलाना चाहता हूं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में नीति बनाएंगे और पायलट तौर पर किसानों को अनुदान दर पर,अनुदान रेट पर फेंसिंग उपलब्ध कराने की योजना लेकर हम सदन के सामने आएंगे और इसमें हम सोलर फैंसिंग को भी लाएंगे. चैनल फैंसिंग को भी लाएंगे और किसान की मेहनत से पैदा हुई उपज को बर्बाद नहीं होने देंगे. मैं इस सदन के माध्यम से मेरे सभी साथियों को आश्वस्त करना चाहता हूं हमारे मित्र ओमप्रकाश सखलेचा जी ने ईसबगोल पर जो पड़ौसी राज्य राजस्थान में बिक जाता है क्योंकि हमारे यहां पर सिर्फ मंदसौर और नीमच में ही ईसबगोल पैदा होता है जिसकी मात्रा भी कम है. राजस्थान में 0.05 प्रतिशत मंडी शुल्क है. हम भी मध्यप्रदेश में जारी 2 प्रतिशत मंडी शुल्क को घटाकर 0.05 प्रतिशत करने की घोषणा करते हैं. हम इसे एक अप्रैल से लागू कर देंगे. (मेजों की थपथपाहट)
श्री रामनिवास रावत- मंडियों में ईसबगोल बिकता कितना है ?
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन- हां, बहुत कम आता है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा- हमारे यहां तीन फैक्ट्रियां हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान- कम से कम हमारी इच्छाशक्ति तो है. यह सिर्फ हमारे कृषि मंत्री जी कर सकते हैं. मध्यप्रदेश के दो जिलों में पैदावार होती है.
(...व्यवधान...)
लोक निर्माण मंत्री (श्री रामपाल सिंह)- रावत जी, आप तो लिखते जाओ, आपके काम आयेगा.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे साथी डॉ.कैलाश जाटव जी ने गोटेगांव मंडी में मंडी सेठ की मांग की थी. गोटेगांव मंडी में दो मंडी सेठ स्वीकृत किए जाते हैं और हम इसकी तत्काल स्वीकृति जारी करेंगे. इसी के साथ सखलेचा जी ने जावद में सब्जी मंडी की मांग की है. मैं उनसे कहना चाहूंगा कि वे जमीन उपलब्ध करवा दें, हम जावद में सब्जी मंडी बनाने की घोषणा करते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे रामनिवास रावत जी का काफी दिनों से प्रयास था कि विजयपुर में स्थित मंडी का स्वरूप अब मंडी जैसा नहीं बचा है इसलिए विजयपुर में पृथक स्थान पर नई मंडी बनाने के लिए हम उन्हें पूरा सहयोग करेंगे. मंडी के निर्माण में जिस राशि की जरूरत पड़ेगी, वह भी देंगे. हम अपने कांग्रेस के किसी भाई के साथ कोई भेदभाव नहीं करेंगे. हम किसानों के प्रतिनिधि हैं और किसानों के हित में फैसले करेंगे और पूरे राज्य के किसानों को उसका लाभ मिले इसका पूरा ध्यान रखा जायेगा. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे कुछ साथियों और नीलेश अवस्थी जी ने सदन में विषय रखा कि किसानों का ऋण माफ होना चाहिए. मैं पूछना चाहता हूं कि ऋण क्यों माफ होने चाहिए ? हम जब सरकार में आये तो हमने ब्याज ही नहीं लिया. मैं पिछले बार को-ऑपरेटिव मिनिस्टर था, हमने ब्याज दर को शून्य प्रतिशत कर दिया. अब समय पर जो किसान ऋण लेता है और समय पर ऋण अदा भी करता है, उसके लिए भी हमारे मुख्यमंत्री जी ने एक माह के लिए समयावधि बढ़ाई है. पूर्व में निर्धारित 28 मार्च, तक ऋण अदा करने की तारीख को बढ़ाकर अब 28 अप्रैल कर दिया गया है और इस एक माह का ब्याज भी सरकार पटायेगी. (मेजों की थपथपाहट) इसके अलावा जो किसान ऋण अदा नहीं कर पा रहा है, उसके लिए हमारे को-ऑपरेटिव मिनिस्टर अपने विभाग की मांगों पर जब बात करेंगे तो अवश्य बतायेंगे लेकिन मैं यह बताना चाहता हूं कि को-ऑपरेटिव सेक्टर में जो किसान अपरिहार्य कारणों से ऋण अदा नहीं कर सका, उनका 26 सौ करोड़ रुपये का ब्याज हो रहा है जिसे मध्यप्रदेश की सरकार माफ करने जा रही है. (मेजों की थपथपाहट) जिससे कि किसान फिर से ऋण प्राप्त कर सके. किसानों को 15 हजार रुपये का नया ऋण मिलेगा. पहली किस्त फिर दूसरी किस्त, इस तरह से उन बीच की किस्तों का जो ब्याज होगा, वह भी राज्य सरकार वहन करेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, और बहुत से विषय हैं. अभी दो दिन पूर्व हमारी बहन झूमा सोलंकी जी का एक ध्यानाकर्षण आया था. उसमें उन्होंने कहा था कि किसानों द्वारा उपकरणों आदि के लिए जो रजिस्ट्रेशन किया जाता है, उसमें पारदर्शिता नहीं है. मैंने पूरा उत्तर सदन के सामने रखा था कि हमने 24 घंटे पोर्टल को खुला रखा है. हिना बहन ने कहा था कि समय की वृद्धि की जाए और मैं भी इस बात को महसूस करता हूं इसलिए हमने समय को बढ़ाकर 10 दिन से 20 दिन कर दिया है. अब 20 दिन तक यदि किसान नहीं लेगा तो नए किसान को अवसर मिलेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे आर्टिकल 275, आदिवासी तथा विशेष पिछड़ी जनजाति की योजनाओं के बारे में जैविक खेती में 3 वर्ष तक हमारी 6 फसलें रबी और खरीफ की प्रावधानित थी लेकिन खरीफ की राशि हमें वर्ष 2017 में प्राप्त हुई. इसके लिए हमारा डी.बी.टी. का पोर्टल है. हम इसमें 5 कृषि सीजन के लिए परंपरागत खेती के मद से पैसे का प्रबंधन करके, जैविक खेती को निरंतर जारी रखेंगे. मैं इससे आगे बढ़कर सदन को बताना चाहूंगा कि अभी-अभी 6, 7, 8 और 9 तारीख को हमने आध्यात्मिक और जैविक राज्य स्तरीय कृषि मेला, बालाघाट जिले में आयोजित किया था. जिसमें एक लाख किसानों ने हिस्सा लिया था. हमने वहां जैविक खेती को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है. आगे इस संबंध में हम और रोड-मैप बनायेंगे और राज्य में जैविक खेती को प्रोत्साहित करेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात आयी कि हमारे यहां पर कृषकों को ऑन लाईन पोर्टल का लाभ नहीं मिलता है इस तरह की बात सही नहीं है, 64 हजार 712 कृषकों को कृषि यंत्र उपलब्ध कराये हैं और एक तौर से हमने 29 हजार 304 किसानों को अनुदान भी दे दिया है और शेष प्रकरण पूरे होने के बाद, उनको अनुदान की राशि प्रदान की जायेगी.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात कहना चाहूंगा कि हमारी आय में निरंतर वृद्धि हुई है. हमने 1 अप्रैल 2017 से फरवरी, 2018 तक 1143.53 करोड़ रूपये की आय हमको मंडी से हुई है. इसका कारण है कि ऑन लाईन व्यवस्था, पारदर्शी व्यवस्था और किसान को भावांतर के माध्यम से मंडी में उसकी उपज को बिकने का जो अवसर दिया तो बाहर जो पारदर्शिता का जो हनन होता था, वह नहीं हुआ और मंडी की आय में वृद्धि हुई और 281 लाख टन कुल अनाज की आवक हमारे यहां पर हुई. इसका फायदा हमने मध्यप्रदेश सड़क ग्रामीण विकास प्राधिकरण को राज्य में सड़क बनाने के लिये 2714 करोड़ रूपये दिये हैं. इससे हमारी राज्य की सड़कों का तेज गति से निर्माण होगा. हमने कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में हमें 538 करोड़ रूपये की आय हुई, उसमें से हमने 525 करोड़ रूपये अधोसंरचना के निर्माण में खर्च किये हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं पिछले दिनों मध्यप्रदेश के अनेक संभागों के दौरे पर गया था और जिस-जिस संभाग के दौरे पर हम गये और वहां जिस भी क्षेत्र से मांग आयी, हमने वहां की मंडियों में विस्तार के काम को, नये शेड बनाने के काम को, यदि उनकी बॉऊड्री नहीं है या किसी मंडी में पहुंचने के मार्ग नहीं है तो उन सब कामों को स्वीकृत किया है. मैं आपको बताना चाहूंगा कि ग्वालियर, मुरैना,भिण्ड, शिवपुरी से जितने भी जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव आये, सभी को हमने मांग लिया है और सभी की डीपीआर बनाकर सेंक्शन करने जा रहे हैं. हमारे रजनीश जी बैठे हैं, इनके यहां सिवनी में हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी गये थे, पलारी मंडी में मार्ग नहीं थी तो वहां का एक किलोमीटर मार्ग स्वीकृत किया, केवलारी मंडी में मार्ग नहीं था, उसके लिये मार्ग स्वीकृत किया, भूमा मंडी में मार्ग नहीं था उसके लिये मार्ग स्वीकृत किया और मैं यह बताना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश में दो नयी अतिरिक्त मंडी हमने अशोकनगर और खरगौन में तथा 9 नयी उप मंडियां हमारे प्रदेश में प्रारंभ की है. इसी के साथ सागर के विधायक यहां पर नहीं हैं, उनके क्षेत्र में हम कर्रापुर, सागर जिले की इस उप मंडी को मंडी बनाने की घोषणा करते हैं और उसमें दो एकड़ जमीन कम थी, उसको भी हम कलेक्टर से प्राप्त करने जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैंने कार्यक्रम के दौरान लांजी क्षेत्र में कृषि उपज मंडी बनाने की घोषणा की थी. हमारे को कलेक्टर का प्रस्ताव जैसे ही प्राप्त होगा, हम बालडोंगरी में बालाघाट से पृथक करके लांजी में एक नयी कृषि उपज मंडी बनायेंगे. इसी के साथ-साथ विजयपुर का मैंने जिक्र कर ही दिया है.
अध्यक्ष महोदय, हमने गौ-संरक्षण के क्षेत्र में गौ-संरक्षण के लिये मंडी से 156 करोड़ रूपये विभिन्न जिलों को हमने प्रदान किये हैं. मैं कुलावट योजना का जिक्र नहीं करना चाहूंगा. इसके ऊपर काफी चर्चा हो चुकी है और माननीय सदस्यों ने अपने विचार रखे हैं. लेकिन एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका किसी माननीय सदस्य ने जिक्र किया था. अध्यक्ष महोदय, आरबीसी-64 में कुछ निश्चित प्रावधानों के तहत दुर्घटना होने पर मृतक के परिवारजनों को सहायता राशि का प्रावधान है. यदि कृषि कार्य करते समय में, मान लीजिये कोई किसान ट्रेक्टर में अपना अनाज लेकर मंडी आ रहा है, कोई किसान अपने मोटर सायकिल पर दूध लेकर आ रहा है, कोई किसान झाड़ पर चढ़कर उसकी टहनियां काट रहा है, कोई किसान अपने खेत में बिजली के पंप को इलेक्ट्रिक कनेक्शन दे रहा है. ऐसे समय में यदि कोई प्राकृतिक आपदा होने से उसकी मृत्यु हो गयी तो कोई व्यवस्थित प्रावधान नहीं था. हमने मुख्यमंत्री कृषक जीवन कल्याण योयना में इसके धन में बढ़ोत्तरी की और इसकी राशि को बढ़ाकर कर के 4 लाख 4 हजार रूपये कर दिया है और इसी के साथ स्थायी अपंगता पर एक लाख और आंशिक अपंगता पर पचास हजार और इसका परिणाम यह है कि वर्ष 2017-18 में 490 हितग्राहियों को 9 करोड़ 44 लाख इनक्यानवे हजार रुपये का भुगतान किया गया है. मैं सदन से चाहूँगा कि माननीय सदस्य हमें इसमें सहयोग करें और जो भी किसान कृषि कार्य करते हुए उनको नुकसान पहुँचाता है तो जरूर उनके प्रकरण बनाएं. हम इसमें एक और संशोधन करना चाहेंगे कि पिछले कैबिनेट में माननीय मुख्यमंत्री जी ने व्यवस्था दी थी कि कलेक्टर आर.बी.सी. 6-4 में मृत्यु होने पर जो मुआवजा निर्धारित करते थे, उसका अधिकार अनुविभागीय अधिकारी को उन्होंने दे दिया है, हम भी इस राशि का अधिकार अपने अनुविभागीय अधिकारी को देने की घोषणा करते हैं. जिसके सरलीकरण से वह पैसा हमारे हितग्राहियों तक पहुँच सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने तय किया है कि कभी-कभी किसानों की रखी हुई फसलों का नुकसान हो जाता है, कभी-कभी व्यवहार में तथा आपसी लड़ाई-झगड़े हो जाते हैं, कभी किसी का रखा हुआ अनाज या सामग्री चोरी हो जाती है इसलिए मध्यप्रदेश की सभी कृषि उपज मंडियों में सीसीटीवी कैमरे लगाये जाएंगे और जो हमारी बड़ी मंडी हैं, वहां पर हम कलर सॉल्टेज प्लांट की भी स्थापना करेंगे. जिससे हमारे किसानों को उनकी उपज को सफाई करने का अवसर मिले. हमने मध्यप्रदेश में 1.30 करोड़ रुपये की लागत से 100 बहुउद्देशीय ग्रामीण केन्द्रों का निर्माण कार्य पूरा किया है, जिसमें से 93 केन्द्रों का कार्य पूरा हो चुका है. ये बहुउद्देशीय सेन्टर हैं, यहां पर मिनी मंडी के रूप में इनका प्रयोग होगा. इसी के साथ-साथ हमने यह भी फैसला किया है जैविक उपजों को मार्केट मिल सके इसलिए मध्यप्रदेश की सभी मंडियों में एक शेड जैविक उपज की बिक्री के लिए आरक्षित किया जायेगा, जिससे उपभोक्ताओं को भी वस्तुएं मिल सकें और उत्पादक को भी उनकी उपज का वाजिब रेट मिल सके. इसके साथ-साथ, मैं एक बात बताना चाहूँगा कि भावांतर भुगतान योजना के लाभ कैसे हुए हैं ? मैं एक बात बताना चाहूँगा 39 कवर की मंडियों से हमें 562 करोड़ रुपये मिला, इस तरह से 11 प्रतिशत की वृद्धि होती है, 42 कवर की मंडियों से 227 करोड़ रुपये की आय हुई, इसमें 12 प्रतिशत की वृद्धि होती है, लेकिन वहीं 56 कवर की मंडियों से 175 करोड़ रुपये, जिसमें 34 बल्कि 35 प्रतिशत की वृद्धि होती है और 120 कवर की मंडियों से 178 करोड़ रुपये, इससे 41 प्रतिशत की वृद्धि होती है तो भावांतर भुगतान योजना से, जो मंडियां सिर्फ नाम की रह गई थीं, उनमें काम हुआ है और हमारे किसानों को उनकी उपज को निकट मंडी में बिक्री करने का अवसर मिला है.
श्री रामनिवास रावत - माननीय मंत्री जी, अभी भी कई किसानों का 2 से 12 करोड़ रुपये बकाया है, उन्हें अक्टूबर से अभी तक नहीं मिले हैं, उन्हें रुपये कब तक दिलवा देंगे ?
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन - हमने मध्यप्रदेश के सभी कलेक्टरों से कहा है. एक विषय आया अशोक नगर में, जहां पर चुनाव चल रहे थे, आचार संहिता के कारण कुछ जगह पर नहीं हो सका था. आपके यहां का भी रह गया था, शिवपुरी इत्यादि. हमने कहा है कि प्रत्येक पटवारी हलका नम्बर में आप विशेष अभियान चलाकर पता लगायें कि रजिस्टर्ड किसान जिसने अपनी उपज की बिक्री की है, यदि उसको भावांतर भुगतान के अन्तर की राशि नहीं मिली तो उसका सूक्ष्म संरक्षण करके उनको राशि उपलब्ध कराएं. यदि किसी कलेक्टर के पास डिमाण्ड्स की अतिरिक्त आवश्यकता होगी तो उसी क्षण उनको राशि प्रदान कर दी जायेगी. हम राज्य के किसी किसान के भावांतर की राशि को नहीं रोकेंगे. हमारे पास भावांतर भुगतान के लिए धन की कहीं पर भी कोई कमी नहीं है. हमारे अधिकारी यहां बैठे हैं, कल हम इसकी और समीक्षा कर लेंगे.
श्री रामनिवास रावत - आपके प्रश्न के उत्तर में 2 से 12 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हुआ है.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन - अध्यक्ष महोदय, फिगर कम-ज्यादा होते रहे हैं. हो सकता है, उतना नहीं होगा, लेकिन फिगर देखिये. हमने जनवरी के अन्त तक मक्का को खरीदा है तो कुछ के पैसे रुके हुए हैं. इसी के साथ-साथ राज्य स्तरीय राज्य उपज की उत्पादन लागत क्या होगी, उसके लिए हमने राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चान्सलर की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है. उस कमेटी ने लहसुन की उत्पादन लागत क्या आई है ? उसकी रिपोर्ट सबमिट की है. उसके आधार पर हम उसमें 50 प्रतिशत लाभ जोड़कर लहसुन का समर्थन मूल्य घोषित करेंगे, जिससे हमारे राज्य के किसानों को लहसुन का पूरा-पूरा लाभ मिल सके.
श्री रामनिवास रावत - माननीय मंत्री जी अब टमाटर भी बोलें. (हंसी)
श्री गौरीशंकर चतुर्भज बिसेन - मैं टमाटर पर भी बोलूंगा(हंसी). माननीय अध्यक्ष महोदय, जब मांग और पूर्ति में अंतर होता है, तब स्वाभाविक है कि बाजार नीचे चला जाता है. टमाटर कच्चा पदार्थ है, इसलिए हमने मध्यप्रदेश में कृषि फसल और उद्यानिकी फसलों के प्रसंस्करण के लिये मूल्य संवर्धन, कृषकों की आय की बढ़ोत्तरी के लिये प्राथमिक प्रसंस्करण मूल्य संवर्धन से कस्टम प्रोसेसिंग्स एंड सर्विसिंग सेंटर स्थापित करने का फैसला किया है, जिसमें 40 प्रतिशत किसानों को अनुदान दिया जायेगा, इसमें मिनी राइस मिल,मिनी दाल मिल, मिनी प्रसंस्करण प्लांट, क्लीनिंग ग्रेडिंग प्लांट, क्लीनिंग ग्रेडिंग प्लांट विथ कलर शार्टेज यूनिट, मल्टी कंबोडिटीज फ्लोर मिल, प्याज लहसुन प्रसंस्करण प्लांट और इसी के साथ सोया मिल्क एवं पनीर के प्लांट, हल्दी राइजोम प्रोसेसिंग यूनिट, टोमेटो क्रसिंग एण्ड प्यूरिंग मेकिंग यूनिट, मार्डन ज्यामैट्रिक प्लांट, पोहा मिल, मुरमुरा यूनिट, फल सब्जी, डिहाइर्डेशन प्लांट, फल सब्जी मिनीमल प्रोसेसिंग प्लांट, ब्रेकेट मैकिंग प्लांट, इस प्रकार के 16 प्लांट हैं. इसके अलावा भी ऐसे उपकरण जिनसे हम प्रोसेसिंग कर सकेंगे, हम उनको अपने राज्य में एक साथ स्थापित करेंगे, जिसमें कम से कम हमारे प्रत्येक गांव के किसान का पढ़ा लिखा बेटा, अपने इन छोटे कुटीर उद्योगों के माध्यम से कस्टम हायरिंग के तर्ज पर हम ले जाना चाहते हैं और खाद्य प्रसंस्करण करके खाद्य पदार्थों को सुरक्षित करना चाहते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश 2148 कस्टम हायरिंग सेंटर हैं, लेकिन इसके साथ-साथ मैं बताना चाहूंगा कि हम इस वर्ष 510 नये कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करेंगे. हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री ने कौशल विकास के क्षेत्र में काफी जोर दिया है और इसीलिये हमने इस ओर ध्यान दिया है. यह देखा गया है कि किसान के पास ट्रेक्टर होता है लेकिन सामान्यत: ट्रेक्टर के मैकेनिक नहीं होते हैं और यदि मैकेनिक है तो उसके पास में लाईसेंस नहीं होता है और वह प्रशिक्षित नहीं होता है, इसलिए हमने पी.पी. मोड में पब्लिक प्राइयवेट पार्टनरशिप में मध्यप्रदेश में 6 कौशल विकास केंद्र भोपाल, जबलपुर, सतना ग्वालियर, इंदौर और सागर में स्थापित करने का प्रयास किया है और इनमें से चार चालू हो गये हैं और शेष दो को इस सत्र के उपरांत हम प्रारंभ करेंगे, वह बनकर तैयार हैं. अभी तक 306 ग्रामीण युवकों ने कौशल का प्रशिक्षण का प्राप्त किया है, इसमें 45 दिन की ट्रेनिंग में 50-50 ट्रेक्टर मैकेनिक बनेंगे. इस प्रशिक्षण में उपकरण उपलब्ध कराने और ट्रेनिंग देने का काम ट्रेक्टर कंपनियों का है और बाकी अधोसंरचना विकास का काम मध्यप्रदेश के अभियांत्रिकी विभाग का है. इसलिए मैं कह सकता हूं कि इस दिशा में हमने एक स्थायी नीति लेकर अपने काम को बढ़ाया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी बीज प्रमाणीकरण का विषय आता है तो मैं इस संबंध में बताना चाहता हूं कि हमने 36 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज किसानों को उपलब्ध कराया है. हमारे राज्य में दो विश्वविद्यालय हैं. एक बात मैं ओर कहना चाहता हूं कि इन विश्वविद्यालयों का जितना राज्य के उत्पादन में और शिक्षा के विस्तार में महत्व है, उससे कहीं ज्यादा ब्रीडर शीट के बनाने में इनका योगदान है और यदि इसका जिक्र मैं नहीं करूंगा तो मैं समझता हूं कि मैं अपनी बात को पूरा नहीं रख पाऊंगा. हमारे जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने वर्ष 2016-17 में 17 हजार 730 क्विंटल ब्रीडर शीट, प्रजनन बीज विभिन्न प्रजातियों का तैयार किया है जो देश के उत्पादन का 20 प्रतिशत है. इसी तरह से राजामाता सिंधिया विश्वविद्यालय ने अनेक नई प्रजातियां दी हैं, जिससे हमारे मध्यप्रदेश में चेन्नई के अनेक प्रजातियां आज आई किसानों के बीच में आई हैं. इसी प्रकार हमारे ग्वालियर विश्वविद्यालय ने हमारे किसानों के लिये 6 हजार 644 क्विंटल प्रजनन बीज उपलब्ध कराया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी यह विषय तो हो चुका है चर्चा का लेकिन एक बात कहना चाहता हूं. मध्यप्रदेश की सरकार ने सपोर्ट स्कीम, मूल्य स्थिरीकरण योजना, बाजार हस्तक्षेप योजना में मध्यप्रदेश के किसानों को 1 हजार करोड़ रूपए से अधिक का लाभ दिया है, जिसके बारे में हमारे गोविंद सिंह जी काफी विस्तृत कह चुके हैं. केन्द्र सरकार की नाफेड संस्था के प्रतिनिधि के रूप में हमारे मार्कफेड और नॉन ने जो पिछले समय में बाजार मूल्य जून जुलाई में कम हो गए थे तो हमने समर्थन मूल्य में उपजों को खरीदा, उससे एक अनुभव हुआ कि सरकार का काम व्यापार करना नहीं हो सकता, बल्कि सरकार का काम किसानों को उसकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने का होता है. इसलिए उस अनुभव के आधार पर भावांतर भुगतान योजना लेकर आए जिसमें 21 लाख 88 हजार किसानों ने अपना पंजीयन किया. इसके साथ ही पिछले दिसम्बर तक का जो आंकड़ा था उसके अनुसार 1 हजार 512 करोड़ रूपए का भुगतान किसानों को हुआ. इसमें कुल पंजीकृत किसान 21.88 लाख, कुल पंजीकृत किसानों की बोवनी का रकबा 43 लाख हेक्टेयर, लाभान्वित मात्रा 28 लाख मीट्रिक टन, लाभान्वित किसान 10,051 है. एक बात और कहना चाहता हूं कि भावान्तर योजना में व्यापारी द्वारा जो तुअर खरीदी की गई उसमें 1 फरवरी 2018 से 28 फरवरी 2018 तक 5,450 रूपए समर्थन मूल्य पर और मॉडल रेट आया 4060 रूपए, हम किसानों को फरवरी में 1390 रूपए प्रति क्विंटल देने जा रहे हैं. हर महीने में भावान्तर का जो मॉडल रेट आता है उसके अनुसार हम किसानों को भावान्तर की राशि का भुगतान कराते हैं. अध्यक्ष जी, जो भंडारित माल होगा उस भंडारित माल की जो लागत है उसका 25 प्रतिशत बैंक से ऋण ले सकेगा, जो ऋण लेगा उसका ब्याज भी मध्यप्रदेश सरकार देगी. 10 रूपए प्रति क्विंटल प्रतिमाह यानि भंडार करने का अनुदान किराये भी राज्य सरकार देगी और इसके बाद यदि भावान्तर भुगतान योजना के तहत यदि भंडारित उपज को मार्केट में लाएगा तो भावान्तर भुगतान योजना का उसको भी लाभ दिया जाएगा, यदि वह समर्थन मूल्य के नीचे बिकेगा. इस तरह से हमने मध्यप्रदेश के किसानों के लिए भावान्तर भुगतान योजना के माध्यम से एक तरह से सुरक्षा कवच का काम किया है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद)- माननीय मंत्री जी, जावद कृषि मंडी को बहुउद्देश्यीय भवन की, एक करोड़ रूपए की घोषणा अभी बाकी है, उसको भी बोल दीजिए.
श्री गौरीशंकर चतुर्भज बिसेन – कर दिया है, जावद को 1 करोड़ रूपए बहुउद्देश्यीय भवन के लिए दिया जाएगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी कुछ सदस्यों ने कहा था कि हमारे यहां मिट्टी परीक्षण की प्रयोगशालाएं तो बन गईं, लेकिन उनमें उपकरण नहीं हैं. हमारे प्रदेश में 313 विकासखंड हैं, हमारे पास में 265 स्थानों पर मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला निर्माणाधीन थीं, जिसमें से 44 प्रयोगशाला में सूक्ष्म तत्वों की जांच के लिए डबल एस. उपकरण हमने लगा दिया है और 245 स्थानों पर हम ई-मार्केट के द्वारा क्रय कर रहे हैं, जो भारत सरकार का मार्केट है इस तरह से मध्यप्रदेश के 313 विकासखंडों में मेक्रो एवं माइक्रो तत्वों की जांच करेंगे और उसका परिणाम यह होगा कि किसानों को संतुलित खाद डालने के लिए हमारी टेस्टिंग लैब काफी हितकर होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कई लोग चर्चा करते हैं कि मिट्टी के नमूने लिए गए उससे क्या फायदा होगा. मैं बताना चाहूंगा कि खरीफ 2017 में डीएपी 31 प्रतिशत एवं पोटाश में 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इसी के साथ साथ रबी 2017-18 में डीएपी में 13 प्रतिशत एवं पोटाश में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस तरह से किसान मिट्टी परीक्षण के बाद संतुलित खाद का उपयोग करता है और उसकी जो मृदा है उसका जो स्वभाव है उसमें कोई परिवर्तन नहीं आता है. सिंचाई का रकवा बढ़ा, सरकार ने बिजली दी, अच्छा बीज दिया और सरकार और मुख्यमंत्री की दृढ़ इच्छा शक्ति का परिणाम यह हुआ कि हमारा गेहूं का उत्पादन, धान, और सोयाबीन का उत्पादन वर्ष 2004-05 की बात कर रहा हूं, अपनी सरकार के समय की बात कर रहा हूं. 04-05 में गेहूं 18 क्विंटल 21 किलो, वर्ष 2016-17 में 34 क्विंटल 13 किलो, धान 8 क्विंटल 18 किलो, अब 35 क्विंटल 83 किलो सोयाबीन 8 क्विंटल 19 किलो, अब 12 क्विंटल 31 किलो, चना 9 क्विंटल 20 किलो अब 14 क्विंटल 11 किलो. इसीलिये हुआ है कि हमने समय पर फर्टिलाइजर दिया, समय पर बिजली दी और किसान को बिना ब्याज का ऋण दिया. उसका परिणाम यह हुआ कि आज हमारी फसलों के उत्पादन में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई है और उसका कारण यही रहा है कि सरकार ने खेती को प्राथमिकता दी है.
श्री रामनिवास रावत- मंत्री जी सोयाबीन के उत्पादन में वृद्धि हुई है कि गिरावट आई है.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- प्रति एकड़ वृद्धि, टोटल एरिया घटा है न चने पर आ गये किसान. मक्के पर आ गये, किसान ने परिवर्तन किया है.
श्री रामनिवास रावत- गन्ना और सोयाबीन के उत्पादन में भारी गिरावट आई है.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन--राज्य में कृषि उत्पादन में अपार वृद्धि हुई है. कुल उत्पादन 2.24 वर्ष 2003-04 का आज है 5.42 करोड मेट्रिक टन. कुल खाद्यान का उत्पादन 1.59 करोड़ आज हो गया 4.44 करोड़ यानि 3 गुना, कितना बढ़ायें. तीन गुना बढ़ा दिया है दलहन 34 अब हो गया 82, तिलहन 56 अब हो गया 82, गेहूं 73 अब हो गया 219.. और 219 के कारण 17 तारीख को कृषि कर्मण्य एवार्ड पांचवी बार लेने के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी जा रहे हैं. पांचवी बार माननीय मुख्यमंत्री को मध्यप्रदेश में गेहूं का सर्वोच्च उत्पादन करने के लिये कृषि कर्मण्य एवार्ड मिल रहा है, मै हमारे राज्य के किसानों को, हमारे कृषि के वैज्ञानिकों को और हमारे सारे सदन के साथियों को इस प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता का अभिनंदन करना चाहूंगा कि राज्य लगातार कृषि में तरक्की कर रहा है.
डॉ.कैलाश जाटव- माननीय मंत्री महोदय, आप इतना सब कुछ दे रहे हैं, इतना बढ़ा के बता रहे हैं कांग्रेस वाले कोई सुन ही नहीं रहे हैं, सिर्फ आंदोलन करेंगे.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- नहीं, नहीं करते, कोई नहीं करता. सोयाबीन का उत्पादन बढ़ा है लेकिन टोटल एरिया घटा है चना का उत्पादन 25 से 45 हो गया. इस तरह से दलहन, तिलहन, चना, मसूर, सोयाबीन में देश मे नंबर -एक, गेहूं अरहर, सरसो, देश में नंबर-2, विकास दर की बात करते हैं तो ये कहते हैं कि इनके आंकड़े कागजी है, 18 प्रतिशत विकास दर हिन्दुस्तान में किसी राज्य ने रिकार्ड नहीं बनाया है पिछले पांच साल से तो मेरे मध्यप्रदेश ने बनाये रखा है. हमारे राज्य के किसानों ने रिकार्ड बनाकर के रखा है, हमारी सरकार ने रिकार्ड बनाया है और 2016-17 में तो विकास दर और आगे बढ़ गई 25 प्रतिशत हमारी विकास की दर आ रही है. इस तरह से हमने कृषि में निरंतर तरक्की की है .
अध्यक्ष महोदय वर्ष 2011-12 में कुल खाद्यान उत्पादन में नंबर - एक, 2012-13 में कुल खाद्यान उत्पादन में नंबर-एक, 2013-14 में गेहूं उत्पादन में नंबर-एक, 2014-15 में कुल खाद्यान उत्पादन में नंबर-एक, 2015-16 में गेहूं के उत्पादन में मध्यप्रदेश नंबर-एक, मेरा मध्यप्रदेश नंबर -एक. इसीलिये जिस प्रदेश के किसानों ने अपने राज्य को नंबर एक किया उन किसानों को कृषि समृद्धि योजना के अंतर्गत कृषक प्रोत्साहन योजना के तहत 200 रूपये प्रति क्विंटल धान पर और 200 रूपये प्रति क्विंटल गेहूं पर 67 लाख मेट्रिक टन गेहूं पिछले वर्ष उपार्जन हुआ. 1340 करोड़ रूपया साढ़े 16 लाख मेट्रिक टन धान का उपार्जन हुआ, उसका 30 करोड़ रूपया इस तरह से 1700 करोड़ रूपया राज्य के किसानों को पिछली फसल का दिया जायेगा और 1735 में 265 जोड़कर के नई फसल का गेहूं का मूल्य 2000 रूपये क्विंटल दिया जायेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह है माननीय शिवराज सिंह चौहान की सरकार और इसलिये ऐसी सरकार जिसने उत्पादन में देश में नाम कमाया हो, दुनिया में अपना झंडा गड़ाया हो ऐसे विभाग की मांगों को पूरा सदन ध्वनिमत से सर्वसम्मति से पारित करे, यह मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 16 मार्च, 2018 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 7.07 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 16 मार्च, 2018 (25 फाल्गुन, शक संवत् 1939) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल:
दिनांक: 15 मार्च, 2018 ए.पी.सिंह
प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा