मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा दशम् सत्र
फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र
मंगलवार, दिनांक 15 मार्च, 2016
(25 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
[खण्ड- 10 ] [अंक- 15 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 15 फरवरी, 2016
(25 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.04 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
नेवज/पार्वती नदी पर पुल निर्माण
1. ( *क्र. 5985 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कालापीपल विधानसभा क्षेत्रांतर्गत लोक निर्माण विभाग सेतु संभाग द्वारा वर्ष 2011-12 से 2015-16 तक किन-किन नदियों पर पुल निर्माण की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त हुई है? (ख) नेवज नदी पर ग्राम बोल्दा के पास एवं पार्वती नदी पर देहरी घाट के पास क्या पुल स्वीकृत किये गये हैं? यदि हाँ, तो क्या पुल निर्माण हेतु निविदा आमंत्रित की गई है? कार्यादेश किस एजेंसी को दिया गया है, कार्यादेश अनुसार कार्य पूर्ण करने की अवधि क्या है? कार्यवार जानकारी देवें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सरताज सिंह ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में जो जवाब दिया गया है उसके अनुसार बोल्दा का जो पुल है नेवज नदी पर, वह आज बन कर तैयार हो जाना चाहिए था लेकिन इसमें कारण बताया गया है कि एक किसान ने सहमति नहीं दी है इस कारण मुआवजे की प्रक्रिया नहीं हुई है, मैं माननीय मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूँ कि वह एक किसान कौन है ? उसका नाम बताने की कृपा करें ? दूसरी बात उस किसान से सहमति से सहमति लेने के लिए क्या संबंधित विभाग के अधिकारियों ने कलेक्टर या एसडीएम से कोई बातचीत की सहमति प्राप्त करने के लिए? यदि विधायक से या जनप्रतिनिधि से विभाग के लोग बात नहीं करना चाहते हैं तो कम से कम प्रशासन से तो बात करके उस समस्या का निदान करना चाहिए था जो नहीं किया गया है.
श्री सरताज सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2013 में दिनांक 25.09.2013 को वर्क ऑर्डर इश्यू किया गया था और उस काम को दिनांक 15.03.2016 तक पूरा होना है. यह बात सही है कि भूमि विवाद के कारण थोड़ा सा विलंब हुआ लेकिन अब विवाद समाप्त हो गया है, बातचीत हो चुकी है, उसकी सहमति प्राप्त हो चुकी है, इसमें काम चल रहा है. 8 पिल्लर में से 7 बन चुके हैं और शेष भी पूरा हो जाएगा.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी जो जानकारी दे रहे हैं, मेरे ख्याल से विभाग ने इनको गलत जानकारी दी है, अभी मात्र 6 पिल्लर वहां बनकर तैयार हुए हैं, 3 अभी अधूरे हैं. रात को ही मैं वहां से होकर आया हूँ और मैं चाहता हूँ कि उस किसान का नाम नाम बताएं जिसने सहमति नहीं दी. यदि सहमति प्राप्त हो गई थी तो इसमें यह कारण क्यों बताया गया ?
श्री सरताज सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने बताया कि सहमति थोड़ी विलंब से प्राप्त हुई है लेकिन अब सहमति प्राप्त हो चुकी है. माननीय विधायक जी ने किसान का नाम तो पूछा नहीं इसलिए मुझे उसके नाम की जानकारी नहीं है.
श्री इन्दर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, मैंने किसान का नाम पूछा था, अब मेरा माननीय मंत्री जी से यह कहना है कि वहां पर उसका जो ठेकेदार है, दो किसानों के नाम मेरे पास हैं, वह उनके पास गया है और कहा कि आप इस पर अपनी आपत्ति दर्ज करा दो कि हमको मुआवजा नहीं मिला है, वे किसान मेरे पास पूछने के लिए आए, जब जाकर मैंने विधान सभा में प्रश्न किया है. ये धंधा ठेकेदार और विभाग के लोग मिलकर के सब कामों को विलंब करने के लिए कर रहे हैं. माननीय मंत्री जी उनके खिलाफ क्या कार्यवाही करेंगे ?
श्री सरताज सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कार्य 15.03.2016 तक पूरा होना था.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय मंत्री जी, आज का ही वह दिन है, आज ही 15.03.2016 है.
श्री सरताज सिंह -- हां-हां, आज का ही दिन है, अब कोई पीडब्ल्यूडी के काम में ऐसे थोड़ी होता है कि एक दिन आगे-पीछे नहीं हो पाते. थोड़ा सा समय लगेगा लेकिन काम पूरा हो जाएगा. विवाद हल हो चुका है यह मैं आपसे कह रहा हूँ.
श्री इन्दर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, मेरी आपत्ति इस बात पर है कि वह ठेकदार जाकर किसानों को भड़काता है. पीडब्ल्यूडी विभाग के हर काम में ही ऐसा किया जा रहा है, पीडब्ल्यूडी विभाग के हर काम ऐसे ही प्रभावित हो रहे हैं. इसमें अधिकारी लोग लिप्त हैं जो जान-बूझकर ये करवाते हैं और लेट करवाते हैं, शासन के पैसे का दुरुपयोग होता है.
अध्यक्ष महोदय -- काम पूरा होने का आश्वासन दे दिया है. आप बैठ जाएं.
श्री सरताज सिंह -- अध्यक्ष महोदय, क्या आपके कोई निर्देश हैं इस संबंध में ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं कोई निर्देश नहीं हैं, वह तो आपने कह दिया है काम कराएंगे.
श्री सरताज सिंह -- काम शुरू हो चुका है, काम जल्दी पूरा हो जाएगा.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सब जगह गड़बड़ हो रही है और माननीय मंत्री जी ठीक से प्रश्न का जवाब नहीं दे रहे हैं. मैं जवाब चाहता हूँ कि उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे क्या ?
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाएं, काम हो रहा है आपका.
श्री सरताज सिंह -- माननीय विधायक जी यह चाहें कि कौन सा किसान किस ठेकेदार के पास गया, या कौन सा ठेकेदार किसान के पास गया, यह सारा हिसाब-किताब तो मैं नहीं बता सकता.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय मंत्री जी, आपने जो लेट होने का कारण बताया वह गलत कारण बताया, मुझे आपत्ति इस पर है.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाएं. काम हो जाएगा आपका उसके बाद क्या चाहिए.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सारे जिले भर में ठेकेदारों ने षड्यंत्र करके सारे काम प्रभावित किए हैं.
अध्यक्ष महोदय -- परमार जी का नहीं लिखा जाएगा. श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक, आप अपना प्रश्न करें.
श्री इन्दर सिंह परमार -- (XXX)
कौशल विकास केन्द्र के कर्मियों की वेतन वृद्धि
2. ( *क्र. 6312 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या तकनीकी शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद सरकारी नौकरी प्राप्त कर सकते हैं और कौशल विकास केन्द्र के प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण उपरांत स्वयं का धंधा छोटा सा स्थापित कर सकते हैं? क्या दोनों का काम प्रशिक्षण देना है? (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर संस्थान के अधिकारी एवं कर्मचारी नियमित हैं और वेतनवृद्धियों के साथ-साथ संपूर्ण वेतन प्राप्त कर रहे हैं, जबकि कौशल विकास केन्द्र के अधिकारी एवं कर्मचारी बिना वेतनवृद्धि के वर्षों से संविदा पर कार्य कर रहे हैं, ऐसा क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के आधार पर जब दोनों का कार्य प्रशिक्षण देना है तो फिर नियमित एवं संविदा जैसा नियुक्ति दोष इन अधिकारी एवं कर्मचारियों की स्थापना में क्यों है? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के आधार पर क्या कौशल विकास के अधिकारी एवं कर्मचारियों का नियमित या संविदा वेतन बढ़ाया जाएगा?
तकनीकी शिक्षा मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। (ख) जी हाँ। कौशल विकास केन्द्रों में अल्प अवधि के आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित होने के कारण संविदा नियुक्ति का प्रावधान है। (ग) प्रश्नांश ''ख'' अनुसार। (घ) संविदा पर नियुक्त कर्मचारी/अधिकारियों के मानदेय बढ़ाये जाने की कार्यवाही प्रचलन में है।
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्नांश (ख) के उत्तर में आया है कि अल्प अवधि के प्रशिक्षण कार्यक्रम हेतु संविदा नियुक्ति होती है, मेरा प्रश्न यह है कि कितने समय के लिए होती है ?
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय अध्यक्ष महोदय, काम की आवश्यकतानुसार संविदा नियुक्ति करते हैं लेकिन माननीय विधायक जी ने जिस तरफ इंगित किया है मैं उनकी भावनाओं से सहमत हूँ कि हम जो कौशल विकास केन्द्र में प्रशिक्षण के लिए लोग रखते हैं उनको अभी 7200 रुपये मानदेय देते हैं और आईटीआई में वही हम 10000 रुपये देते हैं, उस प्रस्ताव पर हम शीघ्र निर्णय कर रहे हैं और उनका मानदेय उनके समकक्ष करने की नस्ती हमारे विचाराधीन है.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक ही सवाल से सारे जवाब आ गए, बहुत-बहुत धन्यवाद.
नरसिंहपुर एवं इंदौर जिले में पी.आई.यू. के तहत निर्माण कार्य
3. ( *क्र. 6373 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर एवं इंदौर जिले में पी.आई.यू. के तहत कुल कितने निर्माण कार्य कितनी-कितनी लागत के किए जा रहे हैं? (कार्यवार 1 जनवरी, 2013 से प्रश्न दिनांक तक की जानकारी दें.) (ख) उपरोक्त में से कौन-कौन से कार्य में कितना-कितना विलंब हुआ है एवं उसके कारण लागत में कितनी-कितनी वृद्धि हुई है? (ग) क्या उपरोक्त कार्यों के गुणवत्ताहीन होने संबंधी शिकायतें प्राप्त हुईं हैं, हाँ तो उनका भौतिक सत्यापन किस अधिकारी द्वारा किया गया एवं क्या-क्या कमियां पाईं गईं? (घ) उक्त निर्माण कार्य किस-किस एजेंसी के माध्यम से कराए जा रहे हैं?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सरताज सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''अ-1'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ग) जिला इन्दौर में शिकायत निरंक अत: भौतिक सत्यापन का प्रश्न ही नहीं उठता, नरसिंहपुर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब-1'' अनुसार है। (घ) जिला नरसिंहपुर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''अ-1'' अनुसार है।
श्री जालम सिंह पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न के उत्तर में जो जवाब दिया गया है उसमें आवंटन के अभाव और ठेकेदार की धीमी गति के कारण से निर्माण कार्य अपूर्ण होना बताया गया है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री से निवेदन करता हूँ कि आवंटन कब तक दिया जाएगा और जो ठेकेदार हैं जिन्होंने कि धीमी गति से कार्य किया है क्या उन पर कोई कार्यवाही होगी ?
श्री सरताजसिंह-- अध्यक्ष महोदय, यह सारे कार्य पी.आई.यू. के हैं. पी.आई.यू. पी.डब्ल्यू.डी. का एक विभाग है जो अन्य विभागों द्वारा दी गयी राशि के आधार पर अन्य विभागों के लिए काम करता है, उनके भवन बनाता है और कई बार ऐसा होता है कि अन्य विभाग की तरफ आवंटन आने में विलम्ब होता है चूंकि इसके लिए हमारे बजट से कोई राशि नहीं दी जाती इसलिए विलम्ब होता है और उसके कारण कार्य में विलम्ब होता है. जो माननीय विधायक जी ने जानना चाहा है वह पूरी जानकारी मैं उनको बता रहा हूँ कि नरसिंहपुर में 80 काम स्वीकृत हुए थे जिसमें 57 पूर्ण हो गये. 19 प्रगतिरत् हैं और 4 अभी शुरु नहीं हुए हैं और इसी प्रकार इन्दौर में 56 काम स्वीकृत हुए थे. 23 पूर्ण हो चुके है और 23 प्रगतिरत् हैं.विलम्ब का कारण भी मैंने आपको बता दिया है.
श्री जालम सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, करेली जो मिनि स्टेडियम है, मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुसार अभी भी प्रगति पर है,12 महीने से विलम्ब है, चूंकि वह ठेकेदार नगरपालिका अध्यक्ष है और गुणवत्ताविहीन बहुत काम है और मैंने अभी कलेक्टर महोदय को पत्र भी लिखा था. वहां की दीवार गिरने लगी. मैं निवेदन करता हूँ कि उसकी जांच करा लें और वह कार्य पूर्ण करा लें. वहां पर अभी मैच वगैरह भी होने थे वह भी नहीं हो पाये, उसमें वह ताला डाले हुए हैं , उसमें रेत जमा किये हुए हैं,आपसे निवेदन है कि या तो कार्य पूर्ण करा दें या ठेका निरस्त करा को दूसरे किसी ठेकेदार को टेन्डर करवा दें.
श्री सरताज सिंह-- अध्यक्ष महोदय, करेली स्टेडियम का काम लगभग पूर्ण हो चुका है. जो सपोर्ट फाउण्डेशन थी उसमें उसमें काली मिट्टी भरी, जो नहीं भरनी चाहिए थी और इस बात के लिए उसको नोटिस दिया गया तो उसने वह पूरी मिट्टी बदल दी. अब बहुत साधारण काम बचा है, विशेष काम नहीं है. जल्दी उसको पूर्ण होकर विभाग को हैण्ड ओवर कर दिया जाएगा.
श्री जालम सिंह पटेल-- अध्यक्ष महोदय,ऐसा नहीं है, बाकी निर्माण कार्य बहुत अच्छे चल रहे हैं, मगर वह एक ऐसा काम जो गुणवत्ताविहीन है .उसकी जांच करवा दें. उसकी दीवाल भी गिर रही है. आप किसी अधिकारी से उसकी जांच करवा दें.
श्री सरताज सिंह-- जांच करा दी जाएगी.
श्री गोविन्द सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, राशि के विलम्ब के कारण तो बात अलग है, जो राशि के विलम्ब की बात जो आयी है लेकिन ठेकेदारों के धीमी गति के कारण मेरे यहां भी दो हाई स्कूल भवन के कार्य दो वर्ष से अपूर्ण पड़े हैं और वहां बच्चों को बैठने की जगह नहीं है इसलिए एक बम्हौरीकला और बरहैटा तो वह ठेकेदार की धीमी गति के कारण लिखा है तो ठेकेदार काम नहीं कर रहा है तो उसको टर्मीनेट करके दूसरा ठेकेदार करे लेकिन काम तो करा दें जिससे कि बच्चे वहां बैठ सकें.
अध्यक्ष महोदय-- जल्दी करा दें,कह रहे हैं.
श्री सरताज सिंह-- ठीक है अध्यक्ष महोदय, उसको दिखवा लेंगे.
वन मण्डल ग्वालियर में कराये गये कार्य
4. ( *क्र. 5810 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 1 अप्रैल, 2013 से 31 अक्टूबर, 2015 तक वन मण्डल ग्वालियर में कितने कूपों में परकोलेशन टैंक वन्य प्राणियों के पीने के पानी हेतु तालाब, पानी रोकने की खन्ती कन्टूर ट्रैंच निर्माण कराया गया है? कूपवार, परिक्षेत्रवार, स्थलवार, लम्बाई एवं घनमीटर वाईज़ स्पष्ट करें। (ख) प्रश्नांक (क) अनुसार उक्त निर्माण कार्यों में प्रत्येक कार्य वाइज़ कितनी-कितनी वित्तीय स्वीकृति थी तथा कितना-कितना व्यय किया गया, निर्माण कार्य किस-किस कर्मचारी/अधिकारी के सुपरविज़न में किस-किस निर्माण एजेन्सी/ठेकेदार से कराया गया? क्या उक्त निर्माण कार्य पूर्ण होने के उपरान्त संबंधित तकनीकी विभाग से उनकी गुणवत्ता का सर्टीफिकेट लिया गया है? यदि हाँ, तो कार्य तथा परिक्षेत्र वाईज़ स्पष्ट करें? यदि नहीं, तो क्यों? कारण सहित स्पष्ट करें। (ग) ग्वालियर जिले में किन-किन वन समितियों द्वारा वाहन चालकों, वन सुरक्षा कार्यों पर 1 अप्रैल, 2012 से 31 मार्च, 2015 तक कितनी राशि व्यय की गयी? समिति का नाम कार्य एवं व्यय की गयी राशि की जानकारी दें।
वन मंत्री ( डॉ. गौरीशंकर शेजवार ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1, 2 एवं 3 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 3 अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 4 अनुसार है।
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न क, ख और ग के उत्तर में माननीय मंत्री जी के द्वारा कल शाम को मेरे पास परिशिष्ट पहुंचा. मैंने उसका अध्ययन किया और अध्ययन में यह पाया कि जो जानकारी परिशिष्ट द्वारा भेजी गयी है, वह पूर्णत: असत्य है और यह बात मैं दृढ़ता से इसलिए कह रहा हूँ कि ग्वालियर जिले का 75 से 80 प्रतिशत जो वन क्षेत्र है वह मेरी विधानसभा भितरवार में आता है और आपने मेरे प्रश्न (क) के उत्तर में जो लिखा है, परकोलेशन टैंक वन्य प्राणियों के पीने के पानी हेतु तालाब, पानी रोकने की खन्ती कन्टूर ट्रैंच निर्माण कराया गया है,ऐसा आपने लिखा है. मैं आपके माध्यम से यह जानना चाहता हूँ कि यह परकोलेशन टैंक वन्य प्राणियों के पीने के पानी हेतु तालाब, खन्ती और कन्टूर ट्रैंच में क्या डिफरेंस है,पहली चीज. इनमें डिफरेंस क्या है. दूसरा जो है इनकी उपयोगिता क्या है. इन तीनों की उपयोगिता भी आप बता दें अलग अलग, क्यों इनको आपने बनवाया, इनके अलग अलग कारण भी बता दें. तीसरा आपने इसको एस्टीमेट के हिसाब से बनवाया है. मेरी जो जानकारी है वह यह है कि परकोलेशन टैंक का एक बार बहुत पहले काम हुआ था और उस पर तीन तीन बार राशि का आहरण किया गया है . इसी तरह कन्टूर ट्रैंच का, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है, यदि आपने, जैसा इस परिशिष्ट में लिखा है तो मैं आप से यह जानना चाहता हूँ कि यदि आपने यह सत्य जानकारी दी है तो आप सदन से एक समिति गठित करा दें और समिति गठित कराकर उसकी जाँच करा लें तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें लाखों का हेरफेर है. मेरा गाँव भी उसी जंगल की तलहटी में मैं रहता हूँ. इसमें मुझे एक एक चीज की जानकारी है. इसमें हंड्रेड परसेंट असत्य जानकारी है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम यह चाहते हैं कि इतने स्थान हैं, यदि हम जाँच अधिकारी सब पर भेजेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा कहना यह है कि सब में नहीं मैं अपनी विधान सभा की बात कर रहा हूँ और 70-80 परसेंट वन क्षेत्र मेरे ही क्षेत्र में है.
अध्यक्ष महोदय-- आप उत्तर आ जाने दें फिर आपको अभी और अनुमति देंगे.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- तो सदस्य तो इतनी जगह जा नहीं सकते.
श्री रामनिवास रावत-- जाएँगे.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- ठहरो जरा. बात सुन लो. व्यावहारिक बात करें. आपकी जानकारी में यह जो परिशिष्ट 1, 2, 3 है, इनमें से आप रेण्डम सिलेक्ट कर लीजिए और यह बता दीजिए कि हम इन इन स्थानों की जाँच करवाना चाहते हैं और आप हमको लिख कर दे दीजिए. जाँच किस स्तर पर करवाना चाहते हैं, यह भी आप बता दीजिए कि हम इस अधिकारी से जाँच करवाना चाहते हैं और हमें इसमें कहीं कोई आपत्ति नहीं है. यदि कहीं कोई गड़बड़ी है और किसी ने की है तो निश्चित रूप से वह पकड़ में भी आना चाहिए और गलती करने वाले को सजा भी मिलना चाहिए. लेकिन इतने स्थानों पर काम हुए हैं. अलग अलग रेंज के हिसाब से और बीट के हिसाब से इसमें विवरण है. जैसा कि आपने पूछा था, तो इन पूरे की करवाना चाहते हैं तो इसमें जाँच में समय लग जाएगा. हमारा यह कहना है कि जहाँ आप पहले से गए हैं या आपके व्यक्ति गए हैं और जिन्होंने आपको सूचना दी है ऐसे 10-20 प्वाईंट बता दें रेंडम, तो उनमें जाँच करवाना ज्यादा सुविधाजनक रहेगा और परिणाम भी जल्दी आएगा तो आप इनमें से नाम दे दीजिए. कहाँ कहाँ कि आप जाँच करवाना चाहते हैं. पढ़ लें. 2-4 दिन बाद दे दीजिए और किस स्तर पर आप जाँच करवाना चाहते हैं यह बता दीजिए.
श्री लाखन सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, मैं पूरे जिले की जाँच की बात नहीं कर रहा हूँ. मैं मात्र अपने विधान सभा के जो प्वाईंट हैं उन्हीं की जाँच करवाना चाहता हूँ. एक तो यह है कि मेरी विधान सभा में जितने भी आपने काम करवाए हैं और यह कराए नहीं हैं अभी आपका टेबिल वर्क है. ये काम अभी हुए नहीं हैं इसलिए मैं चाहता हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में जितने भी काम हुए हैं उनकी जाँच करा लें. दूसरा मैंने यह कहा था कि जो आपने परक्यूलेशन टैंक और ये वन्य प्राणी...
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, इन्होंने प्रश्न में पूछा है घनमीटर वाइज, कार्य वाइज, परिक्षेत्र वाइज, क्षेत्र वाइज, यह हिन्दी और अँग्रेजी दोनों है. कार्यवार लिख देते..
श्री लाखन सिंह यादव-- भैय्या मेरा निवेदन है मेरा बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है. आप बैठ तो जाओ.
अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के ही करवा लें. मैं जिले की बात नहीं कर रहा हूँ. आपने मुझे यह नहीं बताया कि इनका ऑब्जेक्ट क्या है? जो परक्यूलेशन टैंक हैं, इनमें डिफ्रेंस क्या है? इनका थोड़ा सा अलग अलग बता दें. इनमें डिफ्रेंस क्या है? यह क्यों बनवाए हैं?
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, भूमि में जो पानी का संरक्षण करते हैं ताकि वॉटर लेवल ऊपर आ जाए इसलिए ये सब होते हैं और विधायक जी ने भी जो पूछा है कि वन्य प्राणियों के पीने के पानी हेतु तालाब, इन्होंने उद्देश्य खुद ने भी बताए हैं. पानी रोकने के लिए खंती, कन्टूर ट्रैंच का निर्माण, तो आपने स्वयं ने भी इसमें उद्देश्य बताया है.
श्री लाखन सिंह यादव-- यह मैंने बताया लेकिन मेरा इस प्रश्न से तात्पर्य यह था...
अध्यक्ष महोदय-- उसका उत्तर आ गया कि क्यों बनाए जाते हैं.
श्री लाखन सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, मेरे ग का, आपने वन समितियाँ बनाई हैं. इन वन समितियों में आपने करीब 11 सौ लोगों के नाम इसमें दिए हैं. मैं आपको यह बता देना चाहता हूँ इनके वन विभाग के जिन लोगों ने यह चार्ट तैयार किया, बड़ी सफाई से किया है लेकिन एक गलती कर गये इसमें कई ऐसे लोगों के नाम दे दिये जो इस दुनिया में नहीं हैं जो 3 साल पहले चले गये. मैं चाहता हूँ कि वन समितियों की एक समिति बनाकर किसी उच्च अधिकारी के साथ क्षेत्रीय विधायक के साथ जांच करवा लेंगे क्या ?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, वन समितियां 5 साल के लिए गठित होती हैं.
श्री लाखन सिंह यादव--अभी जो नाम दिये गए हैं उसमें से कई लोग मर चुके हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्राम सभायें इनका चुनाव करती हैं उसके बाद ही उनकी कार्यकारिणी बनती है तो कोई समिति 5 साल पहले बनी होगी और उसमें से...
श्री लाखन सिंह यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह ऐसे जवाब देते हैं इतने वरिष्ठ होकर आगे की सीट पर बैठकर पूरे सदन में कुछ न कुछ कमेंट करते रहते हैं पूरे हाउस के टाइम पर और जवाब ऐसे देते हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप अपने प्रश्न तक सीमित रहिये, आप उत्तर तो ले लें पहले.
श्री लाखन सिंह यादव--वनराज जी आपसे मेरा विनम्रतापूर्वक अनुरोध है कि आप इसकी जांच करा लेंगे कि नहीं आपके वन में बड़ा भारी घोटाला हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय--लाखन सिंह जी आप कृपया उत्तर ले लें, बहुत समय हो गया है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, यह मुझसे वनराज, वनराज कह रहे हैं सबसे पहले तो आपने मेरी श्रेणी बदल दी मनुष्य से जानवरों में कह दिया मुझको. वनराज का अर्थ होता है शेर मैं तो छोटी मोटी बकरी भी नहीं हूँ साहब कैसे आप अकारण मुझे वनराज, वनराज कहते हैं.
श्री लाखन सिंह यादव--ऐसे ही तो जवाब देते रहते हैं इनसे कहो कि मेरा जवाब दे दें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--अब इनके जवाब में मैं बोलता हूँ कि जहां-जहां सदस्यों की और उनकी मृत्यु हो गई है उनके स्थान पर हम लोगों को परिवर्तित करेंगे और इसके बाद जिन समितियों का कार्यकाल 5 साल से ज्यादा हो गया है उनमें नये चुनाव करवा देंगे और प्रश्न का उत्तर जो आप मांग रहे थे उसमें जा जानकारी हमारे पास है चुनाव के हिसाब से और समितियों को हिसाब से वह आपको प्रेषित की गई है.
श्री लाखन सिंह यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जांच कराने की बात कर रहा हूँ.
श्री रामनिवास रावत--जांच के लिए आश्वासन दे दें.
श्री लाखन सिंह यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, कई लोग 4-4 साल से पैसा आहरण कर रहे हैं उनके नाम पर कर रहे हैं जो लोग हैं हीं नहीं मैं उसकी जांच की बात कर रहा हूँ आपको जांच कराने में क्या आपत्ति है आपके विभाग के लोगों ने इतने सिस्टमेटिक ढंग से इसको संजोया है लेकिन बहुत सारी गल्तियां..
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--मेरी जानकारी जहां तक है किसी भी ऐसे व्यक्ति के नाम पर आहरण नहीं किया गया है.
श्री लाखन सिंह यादव--तो जांच कर लें.
श्री रामनिवास रावत--जो आरोप है उसकी जांच करा लें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, पहले तो हम इसकी जांच करायेंगे कि विधायक जी ने जो आरोप लगाया है कि आदमी जिंदा है कि नहीं है और इनका आरोप सही है या हमारा जवाब सही है. जब आरोप लगायेंगे तो सुनना पड़ेगा मेरा ऐसा कहना है कि विभाग ने ऐसी जानकारी दी है विधायक जी ने यह जानकारी दी है विधायक जी से पहले हम पूछेंगे कि लिस्ट दो कि कौन-कौन हैं और कौन-कौन नहीं है और उस लिस्ट के हिसाब से चलेंगे. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप लोग बैठ जायें उत्तर ही नहीं लेना चाहते हैं (व्यवधान) मंत्रीजी लिस्ट ही तो मांग रहे हैं (व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, मेरी पूरी बात ही नहीं आई है और उसमें से जो सही होगा वह हम सदन के सामने रखेंगे. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--लाखन सिंह जी बैठ जाइये.(व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--आप जो मरने की बात कह रहे हैं यह आपने आरोप लगाया है विभाग ने हमें जानकारी दी दोनों की तुलनात्मक जांच हम करवायेंगे कि कौन सही है आपका आरोप सही है या विभाग का उत्तर सही है (व्यवधान)
श्री लाखन सिंह यादव--अध्यक्ष महोदय, (XXX).
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--यह आपत्तिजनक है कभी (XXX) को इंगित नहीं किया जाता है यह अवहेलना कर रहे हैं (व्यवधान) नियमों में ऐसा नहीं है (व्यवधान)
श्री लाखन सिंह यादव--इसलिए कह रहा हूँ कि (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--आप तो किसी से भी जांच कराने की बात कह रहे हो (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--बैठ जाइये आप, लाखन सिंह जी ने जो उल्लेख किया उसे विलोपित कर दें. (व्यवधान)
श्री निशंक कुमार जैन--अध्यक्ष महोदय, सच्चाई से यह तिलमिला गये (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय :- दोनों की जांच के आदेश दे दिये है. एक का तो कह दिया कि आप रेंडम कर दीजिये और वह जांच करा लेंगे और दूसरा वह यह कि वह यह जांच करायेंगे कि जो सूची है वह डिफेक्टिव है या कोई मृत है. अब उसमें कोई बात नहीं उठती है.
श्री रामनिवास रावत:- इसमें बात यह उठती है कि अगर वह डिफेक्टिव है और पैसे जारी कर दिये और उनके खाते में पहुंच गये. मतलब यह है कि भ्रष्टाचार है तो उसकी जांच नहीं करायेंगे.
अध्यक्ष महोदय:- उन्होंन जांच कराने के लिये बोल दिया है. उसमें अब क्या रह गया है.
श्री राम निवास रावत:- जांच कराने के लिये कहां बोला है. वह तो सूची की जांच कराने का बोला है.
अध्यक्ष महोदय :- उन्होंने जांच कराने का बोल दिया है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- अध्यक्ष महोदय, जांच में विधायक जी भी एक एक स्थान पर जायेंगे और साथ में रहेंगे. जांच में रावत जी भी जायेंगे. दोनों लोग जांच कमेटी में साथ में रहेंगे और पूरे स्थानों में जायेंगे और एक एक स्थान में साथ में रहेंगे. विभाग इनके लिये वाहन उपलब्ध करायेंगे. इनके घर वाहन जायेगा और इनको लेकर आयेगा. इस बात की जांच भी इनके सामने होगी. आप और बोलिये क्या चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जायें आप वरिष्ठ सदस्य हैं. आप लोग दूसरे सदस्यों को भी प्रश्न पूछने दें.
श्री अजय सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरह से शेजवार जी ने बारीकी से जांच की बात की है उसी के संबंध में उदाहरण दे रहा हूं. उन्होंने कहा कि दोनों सदस्य साथ में जायेंगे. लेकिन आरोप यह है कि जो पिछले वर्ष में आहरण हुआ है उसकी जांच करायेंगे क्या.
अध्यक्ष महोदय :- अब यह प्रश्न नहीं उठता है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार:- जांच होगी, तभी तो यह पता चलेगा कि आहरण सही हुआ या गलत हुआ है. जांच होगी तभी तो पता चलेगा और जांच शब्द जब आ जाता है तो उसमें आहरण भी शामिल है. आप लोग अखबारों में नाम छपने के लिये खडे हो जाते हैं.
कटनी वन मंडल अंतर्गत स्थापित वन जाँच नाके
5. ( *क्र. 3332 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कटनी वन मंडल के अंतर्गत वन जाँच नाके कहाँ-कहाँ कब से स्थापित हैं तथा उक्त नाके स्थापित किए जाने के क्या प्रावधान/निर्देश हैं? की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के स्थापित जाँच नाके, यदि नियम विरूद्ध हैं तो उन्हें कब समाप्त किया जावेगा तथा उक्त नाकों में वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई? उक्त कर्मचारियों में से कौन-कौन दैनिक वेतन में कार्यरत हैं? इनमें किन-किन की उक्त अवधि में क्या शिकायतें हैं, उनकी जाँच कब-किसने की?
वन मंत्री ( डॉ. गौरीशंकर शेजवार ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’अ’’ एवं ‘’ब’’ अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में स्थापित कोई भी जाँच नाका नियम विरूद्ध नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। वर्ष 2013-14 से पदस्थ कर्मचारियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’स‘‘ अनुसार है। इनमें से श्री अनिल कुमार मिश्रा, वनपाल के विरूद्ध अवैध वसूली के संबंध में शिकायत प्राप्त हुई है, जिसकी जाँच फरवरी, 2016 में सहायक वन संरक्षक एवं संलग्नाधिकारी, श्री टी.सी. पाल द्वारा की गई है।
कुंवर सौरभ सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से प्रश्न वन जांच नाके के विषय में है कि माननीय प्रश्न के उत्तर में चार नाकों के विषय में लिखा गया है. मैं सीधा प्रश्न करना चाहता हूं कि इन नाकों के होने के बावजूद हमारे जिले में वन क्षेत्र घटता जा रहा है. माननीय स्थिति परिवर्तित हो गयी है. जांच नाकों में लकडी की सायकियों से और अन्य माध्यमों से परिवहन करके लकडी आ रही है. कटनी में सिंधी केंप में एक टाल है, जिस टाल का लगातार आपके विभाग द्वारा तीन चार बार कटर जब्त किया गया है. उसके बाद भी वह टाल संचालित है. लगभग तीन सौ से चार सौ सायकिलों वहां के व्यापारी फायनेंस करके चलवाते हैं. मेरा निवेदन यह है कि क्या इस संबंध में जांच करके इस अवैध लकड़ी के परिवहन को रोका जायेगा क्या ?
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- जांच में एक तो आप चाहते हैं कि जो एक कटर जब्त हुआ था उसकी जांच करवा लें.
कुंवर सौरभ सिंह :-उसकी नहीं . लगातार उसके बाद भी परिवहन हो रहा है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- अध्यक्ष महोदय, दो विषय अलग अलग हैं. एक तो वह स्थान बताया है, जहां पर कटर जब्त हुआ है. उसकी जांच करवा देते हैं.
कुंवर सौरभ सिंह :- मंत्री जी उस कटर का स्थान बदलता रहता है. व्यापारी स्थन बदलता रहता है. वहां पर आपकी जो चार चौकियां हैं. इसके सहयोग से वहां पर लगातार लकडी आती है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- नहीं, इनका कोई सहयोग नहीं मिलेगा. इसकी भी जांच करवा लेंगे और जो इसमें कर्मचारी तैनात हैं. उनकी भी जांच करवा लेंगे और आपकी जो आशंका है, उसको बिल्कुल रोक देंगे.
श्री अजय सिंह :- मंत्री जी आप यह बताने का कष्ट करें कि प्रावधान क्या है,क्या वह सायकिल से भी ला सकता है या सिर्फ हेड रोड का प्रावधान है. अध्यक्ष महोदय, उत्तर आ जाने दीजिये. सायकिल से परिवहन हो रहा है.
प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार/घाट निर्माण
6. ( *क्र. 6294 ) श्री सचिन यादव : क्या उद्योग मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) कसरावद विधान सभा क्षेत्रांतर्गत मां नर्मदा किनारे ग्राम सांयता में विगत 500 वर्ष पुराने शालीवाहन शिव मंदिर परिसर में दर्शनार्थियों के ठहरने हेतु धर्मशाला के निर्माण, ग्राम पानवा माता मंदिर के जीर्णोद्धार एवं घाट निर्माण, ग्राम कठोरा में 200 वर्ष पुराने श्रीराम मंदिर के जीर्णोद्धार एवं ग्राम सगूर भगूर विकासखण्ड भीकनगांव में माता मंदिर के जीर्णोद्धार तथा घाट निर्माण को पूर्ण कराये जाने के लिए प्रश्नकर्ता द्वारा जिला कलेक्टर खरगोन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग एवं माननीय मंत्री जी को लिखे कितने पत्र प्राप्त हुए और उस पर प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शित मंदिरों के निर्माण कार्यों की स्वीकृति कब तक जारी की जायेगी और उक्त सभी कार्यों को कब तक पूर्ण करा दिया जायेगा?
उद्योग मंत्री ( श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ) : (क) कसरावद विधानसभा क्षेत्रांतर्गत मां नर्मदा किनारे ग्राम सांयता में विगत 500 वर्ष पुराने शालीवाहन शिव मंदिर परिसर में दर्शनार्थियों के ठहरने हेतु धर्मशाला के निर्माण, ग्राम पानवा के जीर्णोद्धार एवं घाट निर्माण, ग्राम कठोरा में 200 वर्ष पुराने श्रीराम मंदिर के जीर्णोद्धार संबंधी विषय पर माननीय विधायक का पत्र दिनांक 11.2.2016 विभाग को प्राप्त हुआ है. प्रस्ताव विचाराधीन है. जनपद पंचायत भीकनगांव ग्राम सगूर भगूर तहसील भीकनगांव में छोटी माता मंदिर के घाट निर्माण हेतु विधायक निधि से 5 लाख रुपये वर्ष 2007-08 में स्वीकृत किये जाकर ग्राम पंचायत द्वारा उक्त घाटों का निर्माण करा दिया गया है एवं सांसद निधि से वर्ष 2011-12 में बड़ी माता मंदिर के घाट निर्माण व मंदिर में जीर्णोद्धार हेतु ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को कार्य हेतु 8 लाख रुपये स्वीकृत किये गये थे. संबंधित विभाग द्वारा कार्य पूर्ण करा दिया गया है। (ख) प्रस्ताव प्राप्त होने पर कार्यवाही की जाती है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री सचिन यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत नर्मदा किनारे ग्राम सांयता में लगभग 500 वर्ष पुराना शालीवाहन शिव मंदिर है. ग्राम कठोरा में लगभग200 वर्ष पुराना श्रीराम मंदिर है और ग्राम सगूर भगूर तहसील भीकनगांव में छोटी माता का मंदिर है. इसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन आते हैं. मैं पूछना चाहता हूं कि क्या उक्त मंदिर शासकीय रिकार्ड में दर्ज है और दर्ज हैं तो कब से दर्ज हैं और इनके रखरखाव में कितनी राशि खर्च की गई.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक चिट्ठी आई थी जो 11.2.2016 को मेरे विभाग में प्राप्त हुई थी वह थी श्रीराम मंदिर के जीर्णोद्धार के लिये वह कलेक्टर साहब के पास गई है तीन और मंदिर हैं ग्राम पानवा माता मंदिर,ग्राम कठोरा में श्रीराम मंदिर और ग्राम सगूर भगूर में इन तीनों मंदिरों का इस्टीमेट बनाकर प्रस्ताव फिर से स्वीकृति के लिये दे दूंगी.
श्री सचिन यादव - बहुत-बहुत धन्यवाद.
पशु मेले के आयोजन हेतु बजट का आवंटन
7. ( *क्र. 2538 ) श्री हितेन्द्र सिंह ध्यानसिंह सोलंकी : क्या उद्योग मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) खरगोन जिला अंतर्गत जनपद पंचायत, बड़वाहा के ग्राम पंचायत बॉगरदा में प्रतिवर्ष शहीद दिवस 30 जनवरी से पशु मेले का आयोजन जनपद पंचायत द्वारा किया जाता है, उक्त मेले में पशुओं की बिक्री में आई गिरावट से मेला आयोजन में बजट आवंटन किये जाने एवं ग्राम बॉगरदा में प्रदेश का एक मात्र भारत माता के मंदिर के जीर्णोद्धार के लिये शासन स्तर पर क्या कार्यवाही की जा रही है। (ख) पशु मेला आयोजन करने के लिये बजट आवंटन एवं भारत माता मंदिर के जीर्णोद्धार के लिये प्रश्नकर्ता द्वारा शासन स्तर पर कितने पत्र जारी किये गये हैं एवं विभाग द्वारा इस पर क्या कार्यवाही की गई है? (ग) क्या राज्य शासन प्रश्नांश (ख) के अनुसार प्रश्नकर्ता के प्रस्ताव पर कोई विचार कर आवंटन स्वीकृत करेगा? यदि हाँ, तो कब तक यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें?
उद्योग मंत्री ( श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ) : (क) जी हां. बांगरदा स्थित भारत माता मंदिर शासन संधारित मंदिर नहीं है. अत: मंदिर के जीर्णोद्धार हेतु राशि स्वीकृत किया जाना उचित नहीं है. (ख) विभाग को पत्र प्राप्त नहीं हुआ है. कलेक्टर,खरगौन को माननीय विधायक का एक पत्र दिनांक 20.1.2016 को प्राप्त हुआ है. जिस पर कलेक्टर,खरगौन ने मेला के आयोजन हेतु संचालक संस्कृति विभाग को प त्र लिखा है.(ग) जी नहीं. धार्मिक मेला न होने के कारण राशि स्वीकृत की जाना उचित नहीं है.
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी - माननीय अध्यक्ष महोदय, 30 नवंबर को हम सब शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं और ग्राम बांगरदा में यह एक मात्र भारत माता का मंदिर है और धार्मिक आस्था का केन्द्र है. यहां पशु मेरा तो नहीं लगता और शहीद मेले के नाम से यह प्रसिद्ध है. यहां छोटा सा मेला 15 दिन का लगता है 30 नवंबर से 15 दिसंबर तक का. इसमें जो छोटी मोटी राशि देकर उस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाएंगे और उस मेले को प्रतिवर्ष लगवाएंगे.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत माता मंदिर शासन के अधीन नहीं है. इसीलिये इसकी प्रविष्टि कलेक्टर के रिकार्ड में आ जाये तभी हम इसकी जीर्णोद्धार कर सकते हैं. मैं कलेक्टर साहब से और माननीय सदस्य से यही कहूंगी कि आप अपना प्रस्ताव इसकी प्रविष्टि के लिये कलेक्टर को दें और उसके ऊपर फिर काम किया जाये कि कैसे इसकी एंट्री शासन अधीन हो सकती है. जहां तक मेले का सवाल है वह पशु मेला है और वह पशु मेला ग्रामीण विकास के अंतर्गत आता है क्योंकि जनपद से जुड़ा हुआ है वह हमारे अधीन नहीं है न हमारे मेला प्राधिकरण में आ सकता है. जब भारत माता मंदिर शासन अधीन आ जायेगा तब हम देख सकते हैं कि पशु मेला को भी हम अपने दायरे में ला सकते हैं कि नहीं.
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि वह पशु मेला नहीं पशुओं का बाजार मेले में लगता है वहां शहीद मेले के नाम से भारत माता का मंदिर है. शहीद मेले के नाम से मेला लगता है 30 नवंबर से शुरू होता है पहले जनपद इसमें खर्च किया करती थी पर पशुओं की आवाजाही वहां कम हो गई है. इसलिये हम यह चाहते हैं कि आप इसका प्रस्ताव भेजकर इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाएं और भविष्य में मेला लगवाएंगी.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं फिर से दोहरा देती हूं कि पहले भारत माता मंदिर को शासन के अधीन लाया जाये फिर दूसरी चीजें देख सकते हैं तो पहला काम पहले होना चाहिये फिर दूसरा आयेगा.
प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार
8. ( *क्र. 2919 ) श्री राजेश सोनकर : क्या उद्योग मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा ग्राम पंचायत देवगुराड़िया एवं ग्राम पंचायत मुण्डला दोस्तदार में मंदिर निर्माण हेतु कोई घोषण की थी? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में प्राचीन गुटकेश्वर मंदिर एवं केवड़ेश्वर मंदिर, जो कि लोक माता अहिल्याबाई द्वारा बनाये गये हैं, के जीर्णोद्धार हेतु धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग ने जिला प्रशासन को मंदिर जीर्णोद्धार हेतु कोई राशि आवंटित की थी? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में यदि हाँ, तो उक्त प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार किस विभाग द्वारा कराया जायेगा? क्या मंदिर निर्माण ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के माध्यम से कराये जाने की कोई योजना थी? क्या विभाग द्वारा प्रश्न दिनांक तक टेण्डर प्रक्रिया की गई है? यदि नहीं, तो संबंधित विभाग द्वारा टेण्डर क्यों नहीं बुलाये जा रहे हैं? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग द्वारा मंदिरों के जीर्णोद्धार हेतु स्वीकृत राशि यदि लेप्स होती है, तो क्या आगामी वित्तीय वर्ष में पुन: स्वीकृति दी जायेगी? राशि लेप्स होने के पीछे जिम्मेदारों पर कोई कार्यवाही की जा रही है व कब तक मंदिर जीर्णोद्धार कार्य प्रारंभ करा लिया जायेगा?
उद्योग मंत्री ( श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ, प्राचीन मंदिर गुटकेश्वर मंदिर हेतु रूपये 25.00 लाख एवं केवड़ेश्वर महादेव मंदिर हेतु रूपये 25.34 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति सहित राशि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग इंदौर को दी गई है। (ग) उक्त कार्यों की निर्माण एजेंसी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा है। प्रथम आमंत्रण ई-निविदा क्रमांक 19 दिनांक 15/1/2016 को आमंत्रित की गई थी, जिसमें एकल निविदा प्राप्त होने से पुन: द्वितीय आमंत्रण ई-निविदा सूचना क्रमांक 22 दिनांक 9/2/2016 को आमंत्रित की गई, जो दिनांक 26/2/2016 को खोली गई। जिसे स्वीकृति हेतु दिनांक 27/2/2016 को सक्षम अधिकारी को प्रस्तुत की गई। (घ) निर्माण एजेंसी द्वारा कार्यवाही प्रारंभ की गई है। जीर्णोद्धार का कार्य शीघ्र ही प्रारंभ किया जा रहा है। शेष का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। समय-सीमा में निर्माण कार्य न होने पर पुन: आवंटन दिये जाने पर विचार किया जावेगा।
श्री राजेश सोनकर - माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्दौर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में केवड़ेश्वर महादेव एवं गुटकेश्वर महादेव के प्राचीन मंदिर हैं जिसका निर्माण लोक माता अहिल्याबाई द्वारा किया गया था. माननीय मुख्यमंत्री जी ने दोनों के जीर्णोद्धार के लिये 25-25 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की थी लेकिन वह कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं हो पाया जो मैंने प्रश्न पूछा था उसका जवाब आ गया है वहां एजेंसी तय हो गई है. मैं मंत्री महोदया से निवेदन करना चाहती हूं कि चूंकि सिंहस्थ महापर्व शुरू होने वाला है दोनों ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ होने वाली है तो उसका जीर्णोद्धार का काम कब तक कर दिया जायेगा उसका कार्यादेश कब तक जारी कर दिया जायेगा ?
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, 11.3.16 को हमारे विभाग ने ए.सी.से मौखिक रूप से बात की थी, उसकी सेंक्शन की गई है, अब विभाग फॉलोअप करेगा, जैसे ही माननीय सदस्यगण चाहते हैं उसका जल्दी से जल्दी निर्माण होगा.
प्रश्न संख्या-9
ग्राम नरसिंगा से पिरझलार तक मार्ग का निर्माण
9. ( *क्र. 6206 ) श्री मुकेश पण्ड्या : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बड़नगर विधानसभा क्षेत्र में ग्राम नरसिंगा से पिरझलार तक का मार्ग किस योजना के तहत किस वर्ष में स्वीकृत किया गया तथा कितनी राशि का तथा कितने कि.मी. का स्वीकृत किया गया है? उपरोक्त मार्ग के लिए किस एजेंसी को अधिकृत किया गया है? (ख) वर्तमान में उपरोक्त कार्य की क्या स्थिति है? एजेंसी द्वारा कितना कार्य पूर्ण कर लिया गया है तथा किस अधिकारी द्वारा कार्य की गुणवत्ता को देखे बिना ही भुगतान कर दिया गया तथा कितनी राशि का भुगतान किया गया है? (ग) उपरोक्त मार्ग बनने के समय ही जीर्ण-शीर्ण हो गया है? इसके संदर्भ में ठेकेदार को कितनी बार नोटिस जारी किया गया है? क्या ठेकेदार को इस कार्य के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी किया गया है? यदि हाँ, तो किस इंजीनियर के द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र जारी किया गया है? (घ) उक्त मार्ग का निर्माण कब तक पूर्ण हो जायेगा? प्रश्न दिनांक तक कार्य पूर्ण क्यों नहीं किया गया? क्या कार्य एजेंसी के द्वारा किये गये कार्य की जाँच की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सरताज सिंह ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जी नहीं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (घ) विस्तृत जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री मुकेश पण्डया--माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मेरी विधान सभा नरसिंगा, से पिरझलार सड़क 2007 से निर्माणाधीन है, परन्तु प्रश्न दिनांक तक निर्माण अधूरा है. उक्त मार्ग की रिवाईज्ड प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर स्थायी वित्त समिति से स्वीकृति प्रदान कर, यह कार्य कब से प्रारंभ कर दिया जाएगा.
श्री सरताज सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, 2007-08 में पहली बार इस कार्य का ठेका निकाला गया था जिसमें ठेकेदार द्वारा 6 किलोमीटर में मिट्टी एवं जीएसबी की गई उसमें उसको 70 लाख रूपये का भुगतान किया गया, उसके बाद ठेकेदार काम छोड़कर के चला गया, उस ठेकेदार का ठेका भी निरस्त कर दिया गया. धारा 3 सी में जो उसका अधिक खर्चा लगेगा उस ठेकेदार से वसूल किया जाएगा इस धारा के अंतर्गत उसके दोबारा टेन्डर निकालने के लिये हमने सात बार टेन्डर निकाले, लेकिन किसी का भी कोई टेन्डर नहीं आया एक टेन्डर आठवीं बार आया 5.4.2012 को उस ठेकेदार ने 4.4 किलोमीटर डॉमर का काम किया,200 मीटर में सीसी रोड़ बनायी, 12 पुलियाओं का काम किया उसमें उसको 178 लाख रूपये का भुगतान किया गया है. उस कार्य का एस्टीमेट था 341.5 लाख इसके बाद उस ठेकेदार ने भी काम करना बंद कर दिया उसने जो 2 किलोमीटर का कार्य किया था वह क्षतिग्रस्त हो गया है इसके कारण उस ठेकेदार एवं अधिकारियों पर कार्यवाही की जा रही है. अब पुनः नया टेण्डर लगाया गया है जो कल 16.3.2016 को खुलेगा उसके बाद ही कार्य की प्रगति आगे बढ़ेगी.
श्री मुकेश पण्ड्या--माननीय अध्यक्ष महोदय, 2007 में जो निर्माण कार्य शुरू हुआ था उसके बाद ठेकेदार ने जो कार्य किया है, वह गुणवत्तापूर्ण कार्य नहीं किया गया है तो क्या संबंधित अधिकारियों पर कार्यवाही की जाएगी, जिन्होंने कार्य से अधिक का भुगतान किया गया ?
श्री सरताज सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने ठेकेदार एवं संबंधित अधिकारी दोनों पर कार्यवाही का कहा है. अब सवाल सड़क को पूरा करने का है अब टेन्डर निकाल दिया गया है जो कि कल खुलेगा.
प्रश्न संख्या-10
बागली विधान सभा क्षेत्र में वन परिक्षेत्रों की संख्या
10. ( *क्र. 6394 ) श्री चम्पालाल देवड़ा : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) देवास जिले के बागली विधान सभा क्षेत्र में कुल कितने वन परिक्षेत्र हैं? इनमें कितने बीट हैं? कितनी सब रेंज हैं? इनमें वन परिक्षेत्र उदयनगर में कौन-कौन से विभिन्न पद स्वीकृत हैं व कहाँ-कहाँ कब से रिक्त हैं? (ख) वन परिक्षेत्र उदयनगर से जून-जुलाई 2015 में कितने वन रक्षक, वनपाल, उपवन क्षेत्रपाल के स्थानांतरण किये गये? क्या यह शासन की निर्धारित ट्रांसफर नीति के अंतर्गत किये गये? एक साथ अधिक संख्या में इन क्षेत्रों से स्थानांतरण किये जाने का क्या कारण था? (ग) प्रश्नांकित वन परिक्षेत्र तीन जिलों की सीमाओं से संलग्न है? इसके उपरांत भी अधिक संख्या में स्थानांतरण से विभाग में अस्थिरता व वन परिक्षेत्र की सीमाओं की सुरक्षा का संकट उत्पन्न नहीं होगा?
वन मंत्री ( डॉ. गौरीशंकर शेजवार ) : (क) देवास जिले के बागली विधान सभा क्षेत्र में कुल 07 वन परिक्षेत्र हैं। इनमें 133 बीट व 35 सबरेंज हैं। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नाधीन अवधि में परिक्षेत्र उदयनगर से किसी वन रक्षक, वनपाल, उप वनक्षेत्रपाल के स्थानांतरण नहीं किये गये हैं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) वन परिक्षेत्र उदयनगर की सीमा 3 जिलों की सीमाओं से संलग्न है। रिक्त बीटों की सुरक्षा समीप के कर्मचारियों को अतिरिक्त प्रभार में रखकर कराये जाने से अस्थिरता व वनों की सुरक्षा का कोई संकट नहीं है।
श्री चम्पालाल देवड़ा--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न (ख) के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने बताया है कि उदयनगर वन परिक्षेत्र के वन रक्षक, वनपाल, वनक्षेत्रपाल के स्थानांतरण नहीं किये गये हैं, जबकि मेरी जानकारी के अनुसार उदयनगर परिक्षेत्र में 17 लोगों का स्टॉफ है उसमें से 12 लोगों का स्थानांतरण कर दिया गया है मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि ऐसे कौन से अधिकारियों ने 17 में से 12 लोगों के स्थानांतरण कर दिये और मेरी इसमें चिन्ता इसलिये थी कि देवास नगर का सबसे संवेदनशील वन परिसर है जिसमें इंदौर, खरगौन, खण्डवा एवं देवास जिला लगता है वहां पर अगर कर्मचारी ही नहीं रहेंगे तो हमारे जंगल की सुरक्षा कैसे कर पाएंगे.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न में जो समयावधि बतायी थी उसमें स्थानांतरण नहीं हुए हैं उनकी संख्या उदयनगर में 11 स्थानांतरण हुए हैं.
डॉं. गौरीशंकर शेजवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मई 2015 का आदेश है, एक डिप्टी रेंजर, एक फारेस्टर और 9 वनरक्षक, इनमें से 2 वनरक्षक रिलीव नहीं हुए हैं, जो भी स्थानान्तरण हुए हैं, वह स्थानान्तरण नीति के अंतर्गत होते हैं और देवास जिले में जो संवर्ग है, 20 प्रतिशत और 16 प्रतिशत स्थानान्तरण उसके हिसाब से किए जाते हैं, प्रशासनिक दृष्टि से भी होते हैं और स्वयं के व्यय पर, आवेदन पर, उनकी व्यक्तिगत समस्याओं के आधार पर, स्थानान्तरण होते हैं और यदि माननीय सदस्य इसकी विस्तार से जानकारी चाहते हैं तो वह जानकारी हम उन तक पहुंचा देंगे कि किसका स्थानान्तरण किस आधार पर हुआ है ।
श्री चम्पालाल देवड़ा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हूं कि उदयनगर वन परिक्षेत्र अति संवदेनशील क्षेत्र है और उसमें वहां पर अभी भी कमी है, अभी भी वहां पर प्रभारी रेंज अधिकारी के माध्यम से रेंज चल रही है और बहुत सारे वन रक्षक और वन क्षेत्रपाल के पद रिक्त हैं अगर उनकी पूर्ति कर दी जाएगी तो वहां पर हमको काम करने में सुविधा होगी ।
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां पर जिस अधिकारी का स्थानान्तण हुआ है, वह प्रमोशन पर गए हैं और हम शीघ्र उसको भर देंगे और वन रक्षक,छोटे पदों का जहां तक सवाल है, तो वनरक्षक की भर्ती प्रचलन में है, जल्दी से हमारे पास पद आ रहे हैं और हम जल्दी से जल्दी उदयनगर रेंज में जो भी पद खाली हैं, उनको हम भर देंगे ।
श्री चम्पालाल देवड़ा- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद ।
कन्या महाविद्यालय के भवन का उपयोग
11. ( *क्र. 6334 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या तकनीकी शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ जिले के जिला मुख्यालय पर कन्या महाविद्यालय स्वीकृत किया गया था? यदि हाँ, तो स्वीकृति की दिनांक एवं वर्ष बतावें एवं आदेश की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) क्या यह वर्तमान में संचालित है? यदि नहीं, तो इसके बंद होने का क्या कारण है? क्या बालिकाओं के अध्ययन की सुविधा को देखते हुये शासन इसे पुन: प्रारंभ करेगा? यदि हाँ, तो कब तक और नहीं तो क्यों नहीं? (ग) क्या कन्या महाविद्यालय के स्वीकृत होने के बाद इसके लिये नवीन भवन भी निर्माण कराया गया था? यदि हाँ, तो उक्त महाविद्यालय बंद करने के बाद उस महाविद्यालय के भवन का किसके द्वारा और क्या उपयोग किया जा रहा है? (घ) क्या भवन का उपयोग नहीं होने तथा देखरेख नहीं होने से भवन क्षतिग्रस्त नहीं हो रहा है? क्या शासन उक्त भवन को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिये किसी अन्य शासकीय विभाग को भवन किराये पर देगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
तकनीकी शिक्षा मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। म.प्र. शासन, उच्च शिक्षा विभाग के आदेश क्रमांक 487/37/यो./87, दिनांक 13.07.1987 के द्वारा सत्र 1987-88 से राजगढ़ में कन्या महाविद्यालय स्वीकृत किया गया। (ख) जी नहीं। जिला योजना समिति के निर्णय के परिप्रेक्ष्य में कलेक्टर जिला राजगढ़ के आदेश क्रमांक 1720/जीयोस/2002, दिनांक 28.06.2002 द्वारा शासकीय बालक महाविद्यालय राजगढ़ में कन्या महाविद्यालय सम्मिलित किया गया। जी नहीं। वर्तमान में शासन द्वारा पूर्व से संचालित महाविद्यालयों के सुदृढ़ीकरण गुणवत्ता एवं उनके विकास के प्रयास किये जा रहे हैं। अत: कन्या महाविद्यालय को प्रारंभ करने में कठिनाई है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (घ) शासकीय कन्या महाविद्यालय प्रारंभ तिथि से पुराने बस स्टैण्ड पर स्थित शासकीय पी.जी. महाविद्यालय के भवन में संचालित था। कलेक्टर के आदेश क्रमांक 1722/जी.यो.स./02, दिनांक 28.06.2002 द्वारा उक्त भवन हाईस्कूल, पुरा राजगढ़ को आवंटित किया गया तथा कन्या महाविद्यालय का शासकीय पी.जी. महाविद्यालय, राजगढ़ में विलय किया गया। विलय होने के उपरांत महाविद्यालय की कक्षाएँ कन्या छात्रावास में संचालित की गईं। वर्तमान में पूर्व में संचालित किये जा रहे कन्या महाविद्यालय का भवन पूर्णत: ध्वस्त हो चुका है। अत: किराये पर दिये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। वर्तमान में कन्या छात्रावास भवन में विधि की कक्षाएँ संचालित की जा रही हैं ।
श्री अमर सिंह यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, शिक्षा विभाग द्वारा आदेश क्रमांक 447 / 13.7.1987 में कन्या महाविद्यालय स्वीकृति प्रदान की गई थी, माननीय अध्यक्ष महोदय जिला योजना समिति द्वारा......
अध्यक्ष महोदय- वह तो आ गया है, दोनों कॉलेजों को मिला दिया है, आप तो प्रश्न पूछिए ।
श्री अमर सिंह यादव- माननीय मंत्री महोदय से यही आग्रह है क्या कन्या महाविद्यालय, राजगढ़ जिले को सौगात मिलेगी, स्वीकृति प्रदान की जावेगी ।
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बजट भाषण में कहा है, 10 जिले ऐसे हैं, जहां कन्या महाविद्यालय नहीं है, राजगढ़ को पिछली सरकार के समय विलय कर दिया गया था, लेकिन मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करता हूं कि हम प्राथमिकता से वहां कन्या महाविद्यालय खोलने का प्रयास करेंगे ।
श्री अमर सिंह यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वीकृति प्रदान की जाए और कांग्रेस की सरकार ने 28.6.2002 को कन्या महाविद्यालय को शासकीय महाविद्यालय में विलय किया था, इसकी सामग्री और इसका जो भवन था, उसको भी हमारे हाईस्कूल, डोडीशाला को आवंटित कर दिया गया । मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहूंगा कि उस भवन को पुन: कन्या महाविद्यालय को आवंटन किया जाए और इसकी बहुत बड़ी संपत्ति है, महाविद्यालय की वहां पर सामग्री रखी हुई है, वहां पर प्रोफेसर की पोस्ट स्वीकृत की गई थी, वह भी अभी तक वापस नही की गई है ।
श्री उमाशंकर गुप्ता- माननीय अध्यक्ष महोदय, तत्कालीन सरकार ने कन्या पाठशाला को उपयोग के लिए अनुमति दे दी थी, मुझे ऐसा लगता है कि जब संविलियन होता है तो पोस्ट वहां की बची नहीं है, लेकिन कन्या महाविद्यालय हम शुरू करेंगे, यह मैं माननीय सदस्य को कह रहा हूं ।
श्री अमर सिंह यादव- माननीय मंत्री जी, बहुत बहुत धन्यवाद ।
कुलपति के विरूद्ध प्रचलित जाँच
प्रश्न 12. ( *क्र. 6036 ) श्री आरिफ अकील : क्या तकनीकी शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय के कुलपति श्री एम.डी. तिवारी के विरूद्ध प्रदेश में व अन्य प्रदेश में पदस्थी के दौरान गबन, वित्तीय अनियमितताएं व अवैध नियुक्तियों आदि की जाँच प्रचलन में हैं? यदि हाँ, तो कौन-कौन सी जांचें कब-कब से प्रचलन में हैं और कौन-कौन सी जांचों में दोषी पाये गये? पद व पदस्थी स्थान सहित वर्षवार बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) (ख) के परिप्रेक्ष्य में श्री एम.डी. तिवारी की गोपनीय चरित्रावली का अवलोकन एवं अधिनियम का पालन किए बगैर कुलपति के पद पर पदस्थ किए जाने के लिए कौन-कौन दोषी हैं तथा श्री तिवारी की डी.पी.सी. में किन-किन अधिकारियों द्वारा अनुसंशा की गई? उनके नाम, पद सहित बतावें।
तकनीकी शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल में श्री एम.डी. तिवारी के कुलपति पदस्थ होने के दौरान विभिन्न अनियमितताओं की शिकायतों की जाँच हेतु कुलाधिपति सचिवालय के आदेश क्रमांक एफ-3-3/2015/रास/ यूए-1/1218 दिनांक 09.10.2015 द्वारा मान. न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) श्री ए.के. गोहिल भोपाल को जाँच अधिकारी नियुक्त किया गया, जिसके अनुसार छ: सप्ताह में जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत करना था। इसके पश्चात क्रमश: पत्र दिनांक 24.11.2015 द्वारा 08 सप्ताह एवं 25.01.2016 द्वारा जाँच अवधि को दिनांक 30.03.2016 तक बढ़ाया गया है। श्री तिवारी के विरूद्ध आई.आई.आई.टी. इलाहाबाद में डायरेक्टर पद पर पदस्थगी के दौरान की गई अनियमितता की शिकायत उच्च शिक्षा विभाग को प्राप्त हुई थी। जिसे पत्र क्रमांक 615/819/2015/38-3 दिनांक 15.04.2015 द्वारा नियमानुसार आगामी कार्यवाही हेतु कुलाधिपति सचिवालय को अग्रेषित की गई। जाँच कार्यवाही प्रचलित होने से शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ख) म.प्र. विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 के प्रावधान अनुसार कुलाधिपति सचिवालय की अधिसूचना दिनांक 19.02.2014 द्वारा तीन सदस्यीय समिति (डी.पी.सी. नहीं) नियुक्त की गई थी, जिसके अध्यक्ष प्रो. देवस्वरूप, कुलपति राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर थे एवं सदस्य प्रो. दिनेश सिंह, कुलपति, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली एवं श्री विवेक कृष्ण तन्खा, वरिष्ठ अधिवक्ता, नई दिल्ली थे। समिति द्वारा अनुशंसित पैनल में से कुलाधिपति जी ने आदेश दिनांक 25.04.2014 द्वारा श्री एम.डी. तिवारी को 04 वर्ष के लिए कुलपति नियुक्त किया।
श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री से भोपाल बरकतउल्ला विश्वविद्यालय की अनियमितताओं के बारे में सवाल कर रहा हूँ. मुझे यकीनन, आपके माध्यम से उम्मीद है कि जब जवाब देंगे तो उनको लगेगा कि भोपाल के लोगों का भविष्य बर्बाद न हो. आज शिक्षा मंत्री हो, कल हो सकता है कि आप मुख्यमंत्री बनें और परसों इधर आ जाओ, पर काम ऐसा करना जिससे लोगों का मान-सम्मान बढ़े.
मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूँ कि भाईसाहब जिन साहब को आपने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय का वाइस चान्सलर बनाया है. उससे पहले, उन्होंने काम कहां-कहां किया था ? उनकी अनियमितताओं की जांच तथा आपके पास उनकी गोपनीय रिपोर्ट थी, उसके बाद उसको नजरअंदाज कर, उनको वाइस चान्सलर क्यों बनाया गया ?
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, आरिफ भाई, अभी आप चिन्ता नहीं करें, आपको वहीं बैठना पड़ेगा. लेकिन मुझे बड़ा आश्चर्य है कि आरिफ अकील साहब जैसा छात्र नेता, जिसको सारे नियम-कायदों की जानकारी है. वह कुलपति की नियुक्ति का आरोप हम पर लगा रहे हैं. कुलपति की नियुक्ति में शासन का कोई रोल नहीं होता है. आरिफ भाई भी अच्छी तरह जानते हैं कि कुलपति की नियुक्ति कहां से और कैसे होती है ? कुलपति की नियुक्ति में शासन की न कोई राय, न पैनल और न ही चयन समिति में कोई सदस्य होता है. महामहिम को यह पॉवर हैं, राजभवन सचिवालय यह सारी कार्यवाही करता है और राज्यपाल किनके द्वारा नियुक्त हैं ? आरिफ भाई, वह भी आपको एवं पूरे मध्यप्रदेश को मालूम है कि वे हमारी सरकार के द्वारा नियुक्त नहीं किये गये हैं. कम से कम, ये आरोप मत लगाइये कि कुलपति को हमने नियुक्त किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कुलपति जी के खिलाफ हमें जो भी शिकायतें प्राप्त हुई हैं, मैंने उत्तर में भी बताया है कि हमें कोई सीधे जांच करने का पॉवर नहीं है. हमने कुलाधिपति महोदय कार्यालय को शिकायतों की जांच के लिये करीब 6 पत्र भेजे हैं. दि.15.4.15, 20.5.15, 18.6.15, 30.7.15, 14.8.15 और दि.25.8.15 हमें, जो भी शिकायतें मिली हैं, हमने जांच के लिए वहां भेजी हैं और एक उत्तर में, मैंने बताया है कि हमें वहां से जानकारी मिली है कि वह जांच के लिए कुलाधिपति सचिवालय के आदेश दि. 9.10.2015 द्वारा रिटायर्ड जस्टिस श्री ए.के.गोहिल साहब, भोपाल को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया और जांच चल रही है. इसलिए हम अपने स्तर पर शिकायतों के लिए जो कर सकते थे, उसको हमने पूरी तन्मयता से किया है और उसमें कहीं कोई कोताही नहीं की है.
श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो ऐसे ही हुआ कि -
''पीछे बंधे हैं हाथ और शर्त है सफर,
किससे कहें कि पैर के कांटे निकाल दे ।''
खुद जानते हैं और इनके विभाग ने अनियमितताओं की शिकायत की है और इत्तेफाक से उनकी और मेरी टेलीफोन लाईन कनेक्ट हो गई तो मुझे मालूम हो गया कि दिल्ली और भोपाल से किस कदर वाइस चान्सलर को बचाने के लिए टेलीफोन आ रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो गवर्नर साहब के यहां नहीं जा रहे हैं, व्यापम के नामी-गिरामी व्यक्ति के पास नहीं आ रहे हैं, इन्हीं के पास उनको बचाने के लिए आ रहे हैं. महामहिम जी ने 3 मर्तबा, जो जांच अधिकारी हैं, उनको एक्सटेंशन दिया है, एक मर्तबा 6 हफ्ते का, एक मर्तबा 4 हफ्ते का और एक मर्तबा 8 हफ्ते का. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि अगर आपका शिक्षा जगत में नाम है एवं आप बहुत ही नामी-गिरामी व्यक्ति हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधे प्रश्न करें.
श्री आरिफ अकील - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा प्रश्न यह है कि जब आपके विभाग ने धारा 52 लगाने की अनुशंसा की है तो बगैर किसी डर एवं झिझक के कौन उनको बचाने में इनवाल्व है ? बचाना चाह रहा है. उनकी बात नहीं मानोगे तो व्यवस्था बचेगी, नहीं बचेगी. यह बात आप वहां बैठकर भी तय करें. यह बतायें कि धारा 52 लगाने में सक्षम नहीं हुए तो क्या इस पद से इस्तीफा दोगे ? या धारा 52 लगवाने का प्रयास करोगे ?
श्री उमाशंकर गुप्ता - माननीय अध्यक्ष महोदय, आरिफ भाई भी यह जानते हैं और साधारणत: मेरे ऊपर कोई दबाव काम नहीं करता है. आप इससे तो आश्वस्त रहिये. कोई दबाव में कार्यवाही नहीं होती. जो माननीय सदस्य ने कहा कि दिल्ली या कहीं से मेरे पास कोई एक फोन दबाव का नहीं आया. लेकिन जो प्रक्रिया है और कुलाधिपति कार्यालय की जो मर्यादाएं हैं, जो हमारी सीमाएं हैं, उनको ध्यान में रखते हुए हम लगातार प्रयत्नशील हैं कि इन शिकायतों पर तत्काल कार्यवाही हो और जरूरत पड़ी तो आरिफ भाई ने जो कहा है कि सरकार फिर धारा 52 लगाने में भी नहीं चूंकेगी.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, यह धारा 52 लगाने के लिये इन्होंने मुख्यमंत्री जी को फाइल दी. मुख्यमंत्री जी के पास दबाव आया, वह वहां नहीं गई फाइल. (व्यवधान).. कृपया बैठ जायें. हमारा कभी कभी तो नंबर आता है. हम चेम्बर में जाकर व्यवस्था नहीं मांगते हैं. कृपा करें. बच्चों के भविष्य का सवाल है.
अध्यक्ष महोदय-- आरिफ जी, कृपया संक्षेप में प्रश्न पूछ लीजिये.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि आप दबाव कभी बर्दाश्त नहीं करते , लेकिन टेलीफोन आ रहे हैं, जो प्रयास हो रहे हैं. हो सकता है कि टेलीफोन किसी और के पास आया हो. मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि आप कोशिश, प्रयास कर लीजिये अनियमितताएं हैं, वे जहां जहां रहे हैं, वहां वहां अनियमितताएं की हैं. तो क्या ऐसे आदमी को हटाने के लिये जल्दी से जल्दी आप कार्यवाही करने का प्रयास करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने उत्तर दे दिया.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, यह तो मैं पहले ही कह चुका हूं.
फोरलेन मार्ग निर्माण की जाँच
13. ( *क्र. 4087 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा दिनांक 23.01.2016 को अटेर रोड पुलिया से पुस्तक बाजार भिण्ड तक फोरलेन मार्ग का निर्माण घटिया होने के संबंध में शिकायती पत्र प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग को दिया था? यदि हाँ, तो प्रश्नांश दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (ख) कार्यालय प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग भोपाल के पत्र क्रमांक 17/सी/उत्तर/2016/80, दिनांक 28.1.2016 मुख्य अभियंता लोक निर्माण ग्वालियर को जाँच कर प्रतिवेदन भेजने हेतु निर्देशित किया गया? यदि हाँ, तो क्या जाँच प्रतिवेदन प्रश्नांश दिनांक तक प्राप्त हो चुका है? (ग) प्रश्नांश (ख) में जाँच में क्या कमियाँ पायी गई? कमियों को दूर करने के लिए क्या उपाय किए गए? किस प्रयोग शाला में प्रयुक्त सामग्री का परीक्षण किया गया? परीक्षण रिपोर्ट क्या प्राप्त हुई? (घ) प्रश्नांश (क) में निर्माण कार्य कब तक पूर्ण हो जायेगा, वर्णित मार्ग के किनारे कितनी पट्टी सुरक्षित रखी गई है? कहाँ पर नाला निर्माण हुआ? कहाँ पर नाला निर्माण नहीं हुआ?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सरताज सिंह ) : (क) जी हाँ। शिकायत की जाँच प्रचलित है। (ख) जी हाँ। जी नहीं। (ग) जाँच प्रचलन में है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है। (घ) 31/03/2016 तक पूर्ण होने की संभावना है। वर्णित मार्ग के दोनों ओर के नालों के पश्चात् आर.ओ.डब्ल्यू. से बची हुयी भूमि सुरक्षित पट्टी के रूप में मान्य होगी। मार्ग के दाहिनी ओर चैनेज 10 मी. से 230 मी. तक (लं. 220 मी.) चैनेज 255 मी. से 570 मी. तक (315 मी.) एवं चैनेज 590 मी. से 640 मी तक (लं. 50 मी.) तथा मार्ग की बायीं ओर 10 मी. से 230 मी. तक (लं. 220 मी.) कुल लंबाई 805 मी. में नाला निर्माण कार्य हुआ है। मार्ग के शेष भाग में नाला निर्माण कार्य प्रगति पर है।
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय, अटेर रोड पुलिया से पुस्तक बाजार भिण्ड तक फोरलेन मार्ग का निर्माण घटिया होने के संबंध में दो महीने पहले शिकायत की थी. यह जो सड़क बनने जा रही है. एक वर्ष तक इसमें आंदोलन चला था. मुख्यमंत्री जी से लेकर मंत्री तक इस सड़क के लिये प्रयास किया गया था. इसके लिये मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कि 7 करोड़ की सड़क बनने जा रही है. लेकिन जो विभाग का जवाब आया है. उसमें जवाब कुछ ही नहीं है. जी हां, शिकायत की जांच प्रचलित है. न तो कभी जांच हुई उसकी. एक बहुत बड़ी सड़क, जिसमें रेल्वे स्टेशन पड़ता है. हमारा निवेदन यह है कि जब तक मार्ग पूर्ण हो जायेगा, पूर्ण रुप से घटिया रोड बन जायेगी, तब जांच होगी क्या. आज तक जांच क्यों नहीं हुई.
श्री सरताज सिंह -- अध्यक्ष महोदय, विधायक जी ने स्वयं इस बात के लिये आभार व्यक्त किया है कि यह सड़क बहुत आवश्यक थी. स्वीकृत हो गई है और बन रही है. जो उसकी गुणवत्ता की जांच का सवाल है, इसमें दो प्रकार से जांच होती है. एक तो बीच बीच में हम, क्योंकि यह कांक्रीट रोड है, तो बीच बीच में हम सेम्पल्स लेते हैं और सेम्पल्स को लैब टेस्टिंग के लिये भेजते हैं. तो जो लैब टेस्टिंग की रिपोर्ट आई है, उसके हिसाब से गुणवत्ता ठीक है. लेकिन उसके बाद भी जांच की मांग की गई है और जांच के आदेश भी दिये जा चुके हैं. और उस पूरी सड़क की जांच की जायेगी.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- जो जांच कराई है, वह जांच रिपोर्ट कहां हैं. इसमें लगी नहीं है.
श्री सरताज सिंह -- अध्यक्ष महोदय, विधायक जी चाहें, तो जो लैब की रिपोर्ट्स हैं, वह हम इनको सबमिट कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आपको रिपोर्ट्स दिखा देंगे.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय, दो किलोमीटर में दोनों ओर नाले बन रहे हैं. नालों की स्थिति यह है कि कहीं 20 फिट का नाला बन रहा है, 30 फिट छूट गया, फिर बीच में 40 फिट का नाला बन रहा है. नाले की लेवलिंग ठीक नहीं होगी, तो शहर के बीचों बीच का नाला है. नाला एक साथ बनता है, तो अच्छा बनता है. उसकी मंत्री जी जांच करायेंगे क्या.
अध्यक्ष महोदय -- आप सीधा पूछ लें, आप क्या चाहते हैं.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- हमारा निवेदन यह है कि वरिष्ठ अधिकारियों से इसकी जांच कराई जाये. जांच की हम पहले से मांग कर रहे हैं. आज तक जांच नहीं हुई. काली गिट्टी डालना थी, सफेद गिट्टी डाल दी.
श्री सरताज सिंह -- अध्यक्ष महोदय, दोनों प्रकार की जांच का उल्लेख कर दिया है. पहले जो सेम्पल्स साथ साथ में लिये जाते हैं, काम चलते हुए वह लिये गये हैं और उसमें जो लैब रिपोर्ट्स आई हैं, वह हम इनको बता देंगे और दूसरा पूरी सड़क की जांच के आदेश दे दिये गये हैं. उसकी जांच भी हो जायेगी. नाले का काम चल रहा है जैसे जैसे जितनी जमीन कहीं ज्यादा उपलब्ध है, कहीं कम उपलब्ध है, समस्या आती है. शहर के बीच का मामला है. लेकिन नाले का काम भी चल रहा है और सड़क का काम भी चल रहा है. जो पूरा कर दिया जायेगा.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय, इसका जो मेन ठेकेदार था, उस ठेकेदार ने पेटी कांट्रेक्ट पर दूसरे ठेकेदार को ठेका दे दिया है. मेन ठेकेदार तो भाग गया. जिन शर्तों पर ठेका दिया गया, तीन प्रकार की मशीनें होती हैं. तो उन मशीनों का इसमें प्रयोग ही नहीं हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- आप क्या चाहते हैं, आप प्रश्न पूछिये.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यही है कि वरिष्ठ अधिकारी से जांच कराई जाये.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने हां कर तो दिया है. दो बार कर दिया कि जांच करवा रहे हैं.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- धन्यवाद.
प्रश्न क्रमांक - 14 श्री लखन पटेल (अनुपस्थित)
श्रीमती उमादेवी खटीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न मेरी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. आपकी अनुमति हो तो मैं एक प्रश्न पूछ लूं. मै प्रश्न क्रमांक 14 की बात कर रही हूं जो कि अनुपस्थित हैं.
अध्यक्ष महोदय--उन्होंने लिखकर के नहीं दिया है. इसलिये अनुमति नहीं है.
जय किसान .org द्वारा वित्तीय अनियमितता
15. ( *क्र. 2778 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जय किसान .org ने प्रदेश सरकार से अनुमति लेकर बैंक की समस्त सुविधाएं मुहैया कराने हेतु बैकिंग सिस्टम लागू करने का कार्य किया है? (ख) यदि हाँ, तो प्रदेश के किन-किन जिलों में यह कार्य किया गया है? विवरण सहित बतावें। (ग) क्या जय किसान .org द्वारा छल पूर्वक आम लोगों एवं इस कंपनी में कार्यरत लोगों से ठगी गई राशि को ऐंठ कर लापता हुए संस्थान के मालिक को गिरफ्तार कर ठगी गई राशि को वसूलकर संबंधित हितग्राहियों को प्रदान की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक समय-सीमा बतावें एवं यदि नहीं, तो क्यों?
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) --(क) जी नहीं.(ख) प्रश्नांश "क" के आलोक में प्रश्न उपस्थित नहीं होता. (ग) जय किसान org. द्वारा छलपूर्वक ठगी के संबंध में कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं है. अत: प्रश्न उपस्थित नहीं होता.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने वन मंत्री जी से पूछा है कि जय किसान org. मध्यप्रदेश सरकार से अनुमति लेकर के बैंक की समस्त सुविधायें मुहैया कराने हेतु बैंकिंग सिस्टम लागू करने का कार्य किया है. मंत्री जी ने सीधे सीधे जवाब दिया है कि जी नहीं. जबकि यह जानकारी पूर्णतया असत्य है और सदन को पूरी तरह से गुमराह किया जा रहा है. मेरे पास रिकार्ड. रजित आर ओखंडकर,सीईओ, लघु वनोपज संघ के अधिकारी और संजीव शर्मा के बीच में यह कान्ट्रेक्ट हुआ है . मेरे पास में इसकी प्रति है. अध्यक्ष जी आप कहें तो मैं इस कान्ट्रेक्ट की प्रति पटल पर रखने को तैयार हूं.
(वन मंत्री द्वारा एक माननीय सदस्य से बैठे बैठे बात करने पर )
अध्यक्ष महोदय-- माननीय वन मंत्री जी आपका प्रश्न हैं. (वन मंत्री द्वारा चर्चा में व्यस्त रहने पर ) माननीय वन मंत्री जी , ध्यान दें आपका प्रश्न है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय वन मंत्री जी इस मुद्दे पर कुछ बोलना नहीं चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- मैंने खुद उनका ध्यान दिलाया है न. आप सीधे प्रश्न पूछ लें.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, आप उनको हिदायत दें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार --साहब में यह नहीं कह रहा हूं कि माननीय विधायक मेरे पास में आ गये थे, आप प्रश्न पूछें मैं जवाब दूंगा.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने पूछा कि जय किसान org..
अध्यक्ष महोदय--वह तो प्रश्न में लिखा हुआ है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- मंत्री जी ने सीधे सीधे कह दिया कि इसकी हमको कोई जानकारी नहीं है जबकि जो एग्रीमेंट हुआ है उसकी प्रति मेरे पास में है .
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- संशोधित उत्तर मैंने दिया है. वह सदस्य को मिल गया है क्या? (श्री सुखेन्द्र सिंह , सदस्य द्वारा वह मुझे मिल गया है कहने पर) तो आपने कहा कि जानकारी एकत्रित की जा रही है तो प्रश्नोत्तरी में तो यह था. लेकिन संशोधित उत्तर हमने दिया है.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी संशोधित उत्तर माननीय सदस्य को मिल गया है.उसी आधार पर वह प्रश्न कर रहे हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- तो संशोधित उत्तर के हिसाब से आप पूछ लीजिये.
अध्यक्ष महोदय-- उसी में से सदस्य पूछ रहे हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह --मंत्री जी एग्रीमेंट हुआ कि नहीं हुआ इसका जवाब तो आप देंगे.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- संशोधित उत्तर में "जी नहीं" लिखा है.
अध्यक्ष महोदय-- अब प्रश्न करें आप.
श्री सुखेन्द्र सिंह --अध्यक्ष जी, मेरे पास में एग्रीमेंट की प्रति है, अध्यक्ष जी आप कहें तो इसको हम पटल पर रख दें(एग्रीमेंट की प्रति हाथ में लहराते हुये) मेरे पास में इसकी प्रति है. एग्रीमेंट हुआ है, इसीलिये कह रहा हूं कि असत्य जानकारी सदन में दी है. इसके बाद मेरा दूसरा प्रश्न है कि यदि हां तो किन किन जिलों में कार्य किया गया. कुल 37 जिलों में यह कार्य किया गया है . मेरे पास में यह जानकारी है लेकिन माननीय मंत्री जी इसके बारे में कह रहे हैं कि कोई जानकारी नही है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले प्रश्न पूछा गया था कि क्या जय किसान org. ने प्रदेश सरकार से अनुमति लेकर के बैंक की समस्त सुविधायें मुहैया कराने हेतु बैंकिंग सिस्टम लागू करने का कार्य किया है . हमने कहा कि जी नहीं. इसके बाद इन्होंने दूसरा प्रश्न पूछा था कि क्या सरकार की अनुमति लेकर बैंक ..
अध्यक्ष महोदय-- वह तो आ गया है. वह तो लिखा है इसमें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--यदि हां तो प्रदेश में .. अध्यक्ष महोदय हां है नहीं तो प्रश्न उपस्थित नही होता. और यह जो हमने जानकारी दी है यह सही दी है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- मंत्री जी आपने सीधे सीधे असत्य जानकारी दी है. आप नहीं कह रहे हैं, मेरे पास में एग्रीमेंट की प्रति है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 16......
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, तीसरा प्रश्न मेरा यह है कि जय किसान org. द्वारा छलपूर्वक आम लोगों को इस कंपनी में कार्यरत लोगों में गबन की गई राशि को ऐंठकर लापता हुई संस्था ने मालिक को गिरफ्तार करने और वसूली के संबंध में हितग्राहियों को..अध्यक्ष महोदय इसमें हितग्राहियों के साथ में न्याय नहीं हुआ है, यह बहुत बड़ा व्यापम जैसा घोटाला है. इस पर सरे आम युवाओं के साथ में अन्याय हुआ है और मंत्री जी इस पर कुछ बोल नहीं रहे हैं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, यह क्या है. माननीय सदस्य का प्रश्न चल रहा है.अलग से माननीय सदस्य और मंत्री जी 16 नंबर पर चर्चा कर रहे हैं. प्रश्न 15 का उत्तर आ नहीं पा रहा है. माननीय मंत्री जी जान बूझकर के प्रश्न को टाल रहे हैं .हम इसकी निंदा करते हैं. एक तो मंत्री जी जान बूझकर के समय को टालते हैं. आपको मंत्री जी से उत्तर दिलवाना चाहिये.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, टोटल गबन का मामला है . इसकी जांच करायें.
श्री बाला बच्चन -- स्पेसिफिक प्रश्न है और माननीय मंत्री जी उत्तर से बचना चाहते हैं और अध्यक्ष महोदय आपको उत्तर दिलवाना चाहिये, इसकी जांच कराना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय‑ कृपया बैठ तो जायें.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इस पूरे प्रकरण की माननीय मंत्री जी को जांच करानी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- अब उत्तर ही नहीं सुनना चाहते हैं.
डॉ.गौरींशंकर शेजवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 1 मिनट चाहूंगा मैं. वन विभाग से आपने प्रश्न पूछा और अन्य विभागों से भी हमने जानकारी मंगाई. विभागों के द्वारा जो जानकारी हमको प्राप्त हुई और हमारे विभाग की जानकारी प्राप्त हुई उसके हिसाब से हमने संशोधित उत्तर आपके सामने दिया . अब अध्यक्ष महोदय जो निर्देशित करेंगे हमें कोई तकलीफ नहीं है. आप निर्देशित कर दीजिये जांच का तो हम जांच करवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय--(श्री सुखेन्द्र सिंह द्वारा बैठे बैठे कुछ कहने पर) आप बैठे बैठे हाथ हिला रहे हो, आप बात ही नहीं सुनेंगे और हाथ हिलायेंगे तो क्या पता चलेगा.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- देखिये जांच की शिकायत कोई नहीं है, माननीय विधायक द्वारा कहीं कोई जांच की शिकायत नहीं है.आप हमको शिकायत कर दीजिये हम उसकी जांच करवा लेंगे
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी आप बैठ जाईये. माननीय मंत्री जी कृपया बैठ जायें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- शिकायत कर दीजिये आप.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य, आपने जो प्रश्न पूछा उसका उत्तर तो इसमें आ गया है. मेरी बात को ध्यान से सुन लेना. किंतु उसमें यदि आपको कोई संदेह है तो आप कृपा करके उसको लिखकर के दे दें . माननीय मंत्री जी उसकी जांच भी करा लेंगे और आपको जानकारी भी दे देंगे.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद.
प्रश्न क्रमांक 16
गबन के दोषियों पर कार्यवाही
16. ( *क्र. 6390 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या तकनीकी शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या संयुक्त विभागीय जाँच का निर्णय केवल ऐसे मामलों में ही लिया जाता है, जिसमें बहुत से शासकीय अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ सांठगांठ का आरोप हो और एक प्रतिवादी अपना उत्तरदायित्व दूसरे प्रतिवादियों पर डालने का प्रयत्न न करे? (ख) यदि हाँ, तो स्वामी विवेकानंद शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय नीमच में गत वर्ष 48 लाख के गबन के आरोप में संबद्ध अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 18 के तहत संयुक्त विभागीय जाँच क्यों नहीं की जा रही है? (ग) क्या शासन वर्तमान में संचालित विभागीय जाँच प्रक्रिया नियम-14 को निरस्त कर नियम 18 के तहत संयुक्त विभागीय जाँच आदेशित करेगा? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित की गई राशि की वसूली संबंधितों की संपत्ति अधिग्रहित कर की जाएगी? यदि हाँ, तो तत्संबंधी ब्यौरा दें? (ड.) क्या शासन इस गबन के मामले की विस्तृत जाँच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों के माध्यम से कराएगा? यदि नहीं, तो क्यों?
तकनीकी शिक्षा मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं, नियमानुसार म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 14 के अतंर्गत विभागीय जाँच कराई जा रही है, जिसमें जाँचकर्ता एवं प्रस्तुतकर्ता अधिकारी की नियुक्ति की जा चुकी है। (ग) जी नहीं। विभागीय जाँच नियमानुसार की जा रही है। (घ) जाँच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर उसके निष्कर्षों के अनुसार गुण-दोष पर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी। (ड.) जी नहीं। विभागीय जाँच में दोषी पाये जाने पर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।
श्री दिलीप सिंह परिहार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वामी विवेकानंद कॉलेज में दोषियों के ऊपर कार्यवाही का मामला है, बहुत गंभीर मामला है जहां मैंने विद्या अध्ययन की है, इस गबन की उच्च अधिकारी से म.प्र. नियम 1966 में नियम 18 के तहत संयुक्त विभागीय जांच करा ली जायेगी माननीय मंत्री जी.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)-- इसमें 4 लोग दोषी है, 3 की जांच पूरी हो गई है और उनके खिलाफ एफआईआर हो गई, गिरफ्तारी हो गई, आरोप पत्र जारी कर दिये गये हैं, चारों पर कार्यवाही हो रही है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न काल समाप्त.
प्रश्नकाल समाप्त
नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय-- शून्यकाल, पहले बैठ तो जाओ मुझे यह पढ़ लेने दो. निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनायें सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी-
1. श्री सुखेन्द्र सिंह
2. श्री घनश्याम पिरौनिया
3. श्री नारायण सिंह पंवार
4. श्री दुर्गालाल विजय
5. श्री प्रदीप अग्रवाल
6. श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल
7. श्री संजय उइके
8. श्री गोविंद सिंह पटेल
9. कुंवर विक्रम सिंह
10. श्री यशपाल सिंह सिसौदिया
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये, पहले बाला बच्चन जी, बैठ जाइये.
शून्यकाल में उल्लेख
1. श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने शुक्रवार को स्थगन दिया है, मैं यह चाहता हूं कि मेरे उस स्थगन पर चर्चा हो, सरकार उसका जवाब दे, जो कर्मचारी हड़ताल पर हैं पूरे मध्यप्रदेश में, उस संबंध में मैंने दिया है माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह आग्रह है कि पंचायत सचिव है, रोजगार सहायक हैं, संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी हैं, इसके अलावा अन्य कर्मचारी हैं, आप कृपा करके इस पर चर्चा करवायें और सरकार से जवाब मंगवायें और कर्मचारी काम से लग सकें और प्रदेश की सेवाओं के लिये उनका सहयोग मिलता रहे, पहले उनकी बात को मानी जायें इसके संबंध में मैंने स्थगन दिया है माननीय अध्यक्ष महोदय, उस पर चर्चा करायें आप यह मेरा आपसे आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी उसकी जानकारी मंगवाई है और जानकारी उपलब्ध होने के बाद में उसका निर्णय करेंगे.
2. श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, इंदौर में एक बहुत महत्वपूर्ण करीब 100 सालों से पुराने मकानों के अतिक्रमण तोड़े जा रहे हैं और इंदौर मास्टर प्लान के अंतर्गत जितने भी नियम होते हैं उसकी भी अवहेलना की जा रही है, इंदौर नगर निगम की हडधर्मिता के कारण वहां 100-100 साल पुराने रोजगार और रहने वाले लोगों के साथ अन्याय हो रहा है, मेरा आपके माध्यम से सरकार से अनुरोध है कि उसमें हस्तक्षेप करके 100 साल पुराने मकानों को तोड़ने के बाद उनको कम से कम मुआवजा मिले ऐसी व्यवस्था कराने की कृपा करें और मैंने इस पर ध्यानाकर्षण दिया है तो कृपा करके इसको ग्राह्य करने की कृपा करें.
श्री निशंक कुमार जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे तैसे हमने पीडब्ल्यूडी मंत्री जी को सेट किया अब वह चले ही गये.
अध्यक्ष महोदय-- आप कह दीजिये, क्या कह रहे हैं आप.
श्री निशंक कुमार जैन-- अब माननीय मंत्री जी आयेंगे तब बात कर लूंगा अध्यक्ष महोदय, तब निवेदन कर लूंगा मैं, हमारे स्कूलों की सड़क का मामला था ...
अध्यक्ष महोदय-- कल बोल दीजिये आप. श्री हर्ष यादव.
3. श्री हर्ष यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 10वीं और 12वीं की परीक्षायें चल रही हैं, जो प्राइवेट परीक्षार्थी हैं मध्यप्रदेश सरकार के एक आदेश के द्वारा जो अखबार में भी आया है जितने प्राइवेट परीक्षार्थियों के केन्द्र हैं उनको अति संवेदनशील परीक्षा केन्द्रों में परिवर्तित कर दिया गया है, इससे छात्र मानसिक दवाब में हैं, मानसिक प्रताड़ना झेल रहे हैं, आप समझ सकते हैं कि अति संवेदनशील जो परीक्षा केन्द्र होते हैं उनमें पुलिस बल भी रहता है, परीक्षक भी रहते हैं, वैसे ही तो लोग आत्महत्या कर रहे हैं, सरकार इस पर विचार करेगी क्या, मेरा इसमें निवेदन है.
श्री आरिफ अकील(भोपाल-उत्तर)--अध्यक्ष महोदय,मैंने एक ध्यानाकर्षण दिया है. सरकार पुरातत्व विभाग की एक इमारत को बेच दिया है. मैं आपसे एक अनुरोध करना चाहता हूं कि हम ध्यानाकर्षण की सूची बड़े शौक से देखते हैं कि शायद हमारा नाम उसमें आ जाये लेकिन समझ में नहीं आता ऐसे ऐसे मुद्दों पर ध्यानाकर्षण रखते हैं हम चेम्बर में आने वाले नहीं तो क्या हमारा ध्यानाकर्षण नहीं आयेगा. उसको देख लीजिए अगर योग्य हो तो मेहरबानी करके बगैर चेम्बर में आये उसको कंसीडर कर लीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- आपका ध्यानाकर्षण तो शुरु में ही ले लिया था.
पं. रमेश दुबे(चौरई)--अध्यक्ष महोदय,मैंने 10 तारीख को एक ध्यानाकर्षण दिया है. मेरे विधानसभा क्षेत्र के माचामोर डेम में नाला क्लोजर के समय जयराम मजदूर को रोलर से प्रेस कर दिया गया जिससे उसकी दर्दनाक मृत्यु हो गई. जिससे पूरे क्षेत्र में बहुत जनआक्रोश है. वहां 2 दिन से लगातार काम बंद है. मैंने इस संबंध में ध्यानाकर्षण दिया है. आपसे उसको लेने का आग्रह है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्री आरिफ अकीलजी ने अभी जो बात कही है कि चेम्बर में ही आने से ध्यानाकर्षण स्वीकृत होते हैं नहीं होते हैं. हम यहां पर जो बात कहते हैं उसी आधार पर आप स्वीकार कर लिया करें अध्यक्षजी, मैं यह मानकर चलता हूं कि यह आपके और विधानसभा सचिवालय के ऊपर आक्षेप है.
अध्यक्ष महोदय--उन्होंने सद्भावना पूर्वक कहा है.
श्री गोपाल भार्गव-- इस तरह की बात नहीं होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय--वह हमेशा सद्भावना रखते हैं. ऐसी कोई बात नहीं है.
श्री कैलाश चावला(मनासा)--अध्यक्ष महोदय, पिछले खरीफ की राहत राशि दी जा रही है. उसमें पुजारियों को राहत राशि न देते हुए, कलेक्टर के खाते में वह राशि जमा हो रही है. जिससे पुजारियों में असंतोष है. इस बारे में मैंने एक ध्यानाकर्षण दिया है. कृपया उसको स्वीकार करें.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर)--अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के आदिवासी जिले झाबुआ, अलीराजपुर और बड़वानी में प्रदेश की सरकार ने राज्य स्वास्थ्य सोसायटी ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं एक निजी फाऊंडेशन दीपक फाऊंडेशन जो गुजरात का फाऊंडेशन है उसको ठेके पर दे दिया. उससे अनुबंध कर लिया, एमओयू कर लिया. प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरह से बिगड़ी हुई है. प्रदेश सरकार का पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर उसको किन शर्तों पर, किन नियमों पर दिया है यह बतायें. आदिवासी क्षेत्र के गरीब जो बेचारे बोल नहीं सकते, देख नहीं सकते उनको सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की आवश्यकता है. अगर सरकार को देना थी भोपाल की दे देते. यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है. इससे कल्याणकारी राज्य की भावना समाप्त हो जाती है. इसके लिए हमने स्थगन दिया है.
अध्यक्ष महोदय--आपकी बात आ गई.
श्री रामनिवास रावत--बात तो आ गई. बात आने से थोड़ी ना कुछ होता है.
अध्यक्ष महोदय-- शून्य काल में तो बात ही आती है.
श्री रामनिवास रावत-- अभी स्वास्थ्य व्यवस्था को बेचेंगे फिर शिक्षा को बेचेंगे, सबको बेच देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- शून्य काल में बात ही आती है, उत्तर नहीं आता. आप वरिष्ठ सदस्य हैं,
श्री रामनिवास रावत--मेरा आपसे अनुरोध है कि इस महत्वपूर्ण विषय को आप स्थगन के माध्यम से या ध्यानाकर्षण के माध्यम से या किसी न किसी तरह से विधानसभा की समाप्ति से पूर्व इस पर चर्चा कराने की मेरी विनम्र प्रार्थना है.
अध्यक्ष महोदय, दूसरा कल आपने ओलावृष्टि का ध्यानाकर्षण लिया था. उसके लिए हम आपके आभारी हैं लेकिन कल पुनः कुछ जिलों में भारी ओलावृष्टि हुई है कि सड़कों पर गाड़ियां नहीं चल पायी.बड़ी विडम्बना है. यह ओलावृष्टि के मामले में सरकार को थोड़ा चेता दें.
श्री कमलेश्वर पटेल(सिहावल)--अध्यक्ष महोदय, हमारे सिहावल विधानसभा क्षेत्र के ग्राम चितवरिया, ग्राम महुआ में बाणसागर की नहर फूट जाने से किसानों की फसल का काफी नुकसान हो गया है. पूरा पानी भर गया. एक तरफ प्राकृतिक आपदा और दूसरी तरफ यह घटना हो गई. अध्यक्षजी, आये दिन इस तरह की घटनाएं घटित होती रहती हैं. कई गांवों में पूर्व में भी इस तरह से फसल का नुकसान हुआ है. मेरा निवेदन है कि जिन किसानों की फसल का नुकसान हुआ है,उनका सर्वे कराकर, उनको लाभ दिलायें.
श्री दिनेश राय (सिवनी) - अध्यक्ष महोदय, हमारे जिले में स्वास्थ्य से संबंधित पूरी व्यवस्था लड़खड़ा गई है. मेरा निवेदन है कि स्वास्थ्य कर्मचारी चाहे वे संविदा के हों, या जो भी हैं उनकी बातों को माने और समस्या हल करें. हमारे क्षेत्र में आज की तारीख में कोई भी अस्पताल में कोई भी प्रकार की सुविधाएं नहीं हैं. दिनोंदिन लोग प्राइवेट अस्पताल में जा रहे हैं. दूसरा, अभी ओला पुनः गिरा है, जिसके कारण से मैं कल नहीं आ पाया, उस पर भी ध्यान देने की कृपा करें. हमारे यहां पर फोर लेन में आदमी ज्यादा खत्म हो रहे हैं, जानवर कम खत्म हो रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - एक बार में एक विषय, आपने तीन विषय कर दिये.
श्री दिनेश राय - अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं कि तीनों शून्यकाल पर शासन का जवाब आए.
समय 12.11 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
मध्यप्रदेश स्टेट इंडस्ट्रियल डेव्हलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड का 47 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2012-13
उद्योग एवं रोजगार मंत्री (श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया) - अध्यक्ष
समय 12.12 बजे ध्यान आकर्षण
(1) होशंगाबाद में फर्जी सहकारी संस्था पर विभाग द्वारा कार्यवाही न किया जाना
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा) - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है -
सहकारिता मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय,
समय 12.14 बजे {सभापति महोदय (श्री केदारनाथ शुक्ल) पीठासीन हुए.}
सभापति महोदय,
डॉ. रामकिशोर दोगने -- माननीय सभापति महोदय,10 तारीख को भी एक प्रश्न सोसायटियों के संबंध में था 5355 नंबर पर था. उसमें भी आपराधिक प्रकरण के आदेश हो गये हैं. लेकिन आ ज तक आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध नहीं हुए हैं. उसमें भी सिर्फ नोटिस दिया जा रहा है या उनको सूचित किया जा रहा है उनको कारण बताओ नोटिस दिये जा रहे हैं तो मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि ऐसी जैविक संस्थाओं के विरूद्ध तत्काल परिसमापन की कार्यवाही करना चाहिए जिससे दूसरी संस्थाएं खड़ी न हों, इसके साथ में ऐसे संचालक मंडल को भंग करके इनके विरूद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करना चाहिए, जो संस्था 17000 का लेनदेन कर रही हो और वह एक बैंक में डायरेक्टर बनकर बैठा हुआ हो, वह बैंक में भ्रष्टाचार कर रहा हो, खाद सप्लाई कर रहा हो, दवाई सप्लाई कर रहा हो. मेरा प्रश्न यह है सभापति महोदय कि ऐसी संस्था का परिसमापन कितनी जल्दी कर देंगे मुझे समय सीमा बतायें. ऐसी संस्थाओं में जो फर्जी लोग बैठे हुए हैं क्या कार्यवाही कर रहे हैं क्या आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर रहे हैं या नहीं स्थिति स्पष्ट करें.
श्री गोपाल भार्गव -- सभापति महोदय जैसा कि उत्तर में स्पष्ट किया है कि प्रथम दृष्टया यह संस्था हमें काम चलाऊ या फर्जी समझ में आ रही है. इसका विधिवत आडिट और इसका पर्यवेक्षण जिन अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है, किया गया है, उनका भी हमें प्रथम दृष्टया दोष प्रतीत होता है. इसलिए उनको नोटिस दिया गया है. उनके विरूद्ध कार्यवाही शीघ्रातिशीघ्र शुरू कर दी जायेगी. जहां तक संस्था के फर्जी होने का सवाल है जांच के उपरांत हम 15 दिन के अंदर ताकि किसी प्रकार का स्थगन आदेश किसी न्यायालय से उसको नहीं मिले, विधिसम्मत कार्यवाही करके संचालक मंडल के लिए उसके विरूद्ध भी कार्यवाही करेंगे.
डॉ रामकिशोर दोगने -- आप आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करेंगे ऐसे संस्था के संचालकों के विरूद्ध, क्योंकि यह बहुति बड़ा मामला है और पूरे मध्यप्रदेश में यह चल रहा है. तो क्या ऐसी संस्थाओं के विरूद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- सभापति महोदय जैसे ही रिपोर्ट आयेगी उसके विरूद्ध जो भी धारा बनेगी और जो भी दोष सिद्ध होगा. उसके ऊपर दोष सिद्ध करके कार्यवाही की जायेगी.
सभापति महोदय -- धन्यवाद करिए, आपकी बात आ गई, आपकी मांग पूरी हो गई.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- माननीय सभापति जी, पूर्व में भी हुआ है, पिछले सत्र में भी मैंने प्रश्न लगाया था उसमें उनको सस्पेंड कर दिया गया था और सत्र जैसे ही खत्म हुआ वैसे ही उनको बहाल कर दिया गया था. एक और प्रश्न हरदा का था तो ऐसी प्रक्रिया अगर करना है कि जब तक विधान सभा चले तब तक के लिए सस्पेंड कर दिया फिर बाद में वापस ले लिया. ऐसी प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए बल्कि स्पष्ट प्रक्रिया होनी चाहिए.
सभापति महोदय -- आपके मामले में आपको स्पष्ट आश्वासन मिल रहा है अब आप क्यों बात कर रहे हैं. अब दूसरों का ध्यान आकर्षण आने दें.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- मैं यह पूछना चाहता हूँ कि क्या संचालक मण्डल के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध होगा ?
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय सभापति महोदय, जैसा मैंने कहा दोष यदि प्रमाणित होता है तो 15 दिवस के अंदर हम जांच कराके उसके विरुद्ध आपराधिक मामला भी बनाएंगे और संचालक मण्डल के विरुद्ध भी कार्यवाही करेंगे.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- एक छोटा सा प्रश्न और, सहकारी बैंक में वह डॉयरेक्टर बना बैठा है तो क्या उसे उससे भी पृथक करेंगे ?
श्री गोपाल भार्गव -- सभापति महोदय, जैसा मैंने कहा इस तरह से यदि हम कमिटमेंट करेंगे, अभी न्यायालय में कोई जाएगा और स्टे ले आएगा, तो विधि-सम्मत कार्यवाही करेंगे ताकि किसी प्रकार की उसको रिलीफ न मिले, कार्यवाही हम सुनिश्चित करेंगे. मैंने स्वीकार किया है प्रथम दृष्टया इसमें कि वह संस्था हमें बहुत प्रामाणिक नहीं लग रही है उसमें जो ऋण लिया गया है और उसका जो कारोबार है वह भी बहुत ज्यादा पारदर्शी नहीं है. बहुत ज्यादा खरीद-फरोख्त का या किसी रजिस्ट्रेशन का या फूड प्रोसेसिंग का वह कार्य करता है उसके रजिस्ट्रेशन का कहीं कोई प्रमाण नहीं है, इस कारण से वह तो प्रथम दृष्टया लग ही रहा है लेकिन सप्रमाण इसके साथ हम पुलिस थाने में रिपोर्ट कराएंगे और एफआईआर कराएंगे.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- धन्यवाद मंत्री जी.
2. जबलपुर स्थित पुरूषार्थ को-ऑपरेटिव सोसायटी द्वारा सदस्यों के साथ धोखाधड़ी किया जाना
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
सहकारिता मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय सभापति महोदय,
श्री तरुण भनोत-- सभापति महोदय, इसी से संबंधित इसमें मेरा प्रश्न भी लगा है. मेरा सिर्फ आपसे एक निवेदन है, इसमें सबसे बड़ी जो गलती हुई है वह यह हुई है..
सभापति महोदय-- जब आपका प्रश्न आयेगा, तब कर लीजिएगा. ऐसा नियम नहीं है. डॉ. कैलाश जाटव जी अपना प्रश्न करें.
डॉ. कैलाश जाटव- माननीय सभापति जी, माननीय मंत्री जी जो जवाब आपके पास आया है, उसमें एसडीएम, तहसीलदार और आर.आई. इनकी मिलीभगत से 64 नम्बर के प्लाट की रजिस्ट्री, जिसके मकान की 64 नम्बर की रजिस्ट्री हुई है उनको 65 नम्बर खसरे पर मकान बनवा दिये गये हैं. आप चाहें तो मैं सदन के पटल पर उसकी सूची रख सकता हूँ. आपके पास में यह जानकारी पूरी गलत आयी है और जहां तक हाउसिंग बोर्ड की जमीन सरेण्डर करने का सवाल है. हाऊसिंग बोर्ड ने कभी सरेण्डर किया ही नहीं है और जो जमीन पर हाऊसिंग बोर्ड ने जो गरीबों के लिए बनाये थे, वह वहीं पर यथावत बन हुए हैं.
सभापति महोदय-- डॉ. साहब आप अपना प्रश्न कर लीजिए.
डॉ. कैलाश जाटव-- माननीय सभापति जी, 65 नम्बर पर जो मकान बने हुए हैं वह उनकी पूरी रजिस्ट्रियां 64 नम्बर की हैं और पुरुषार्थ सोसायटी द्वारा जो हमारे नगर निगम क्षेत्र में आने वाला जो नाला है, उस नाले के ऊपर भी प्लाट बेच दिये गये हैं. मैं सिर्फ माननीय मंत्री महोदय से यह पूछना चाहता हूँ कि 64 नम्बर में जितना उन्होंने जमीन आवंटन किया था, जो उनका ले आउट प्लान जैसा आप बता रहे हैं, उस ले आउट प्लान के आधार पर क्या सोसायटी की प्लाटिंग की गयी है और अगर नहीं की गयी है तो फिर 65 नम्बर में मकान कहां से बना दिये गये और 64 नम्बर की रजिस्ट्रियों के मकान 65 नम्बर पर अगर बनाये गये हैं तो उनकी क्या माननीय मंत्री महोदय जांच करायेंगे क्योंकि मेरे पास जिस तरीके की सूची है वहां पर जिनके मकान बनाये गये हैं उन सब के मकानों की रजिस्ट्रियां 64 नम्बर खसरे की हैं और मकान 65 नम्बर पर बनाये गये हैं, यह माननीय मंत्री महोदय अगर थोड़ा बता देंगे तो बड़ी कृपा होगी?
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय सभापति जी, बहुत पुरानी संस्था है, 1953 में इसका पंजीयन हुआ था. इसके बाद में लगातार यह डिस्प्यूट चल रहे हैं. इसमें सेशन कोर्ट का भी, हाईकोर्ट का भी इन सभी के न्यायालय जो है, जो इन्होंने अदब पैरवी में खारिज कर दिये थे. अब विषय यह है कि यदि तहसीलदार ने बाद में इऩ्हीं मामलों में संज्ञान लेकर के इसके पक्ष में निर्णय लिया है जो यह संस्था है मेसर्स परफेक्ट स्टोन वेयर पाईपस कंपनी लिमिटेड. सभापति जी, हाईकोर्ट से, सेशन कोर्ट से, जब इसी संबंध में आदेश हो गए हैं. इसके बाद तहसीलदार ने संज्ञान लेकर और इसमें इस तरह का आदेश किया है कि नहीं ये भूमि उनकी नहीं है. इसके बाद में अब उसकी अपील एस डी एम के कोर्ट में चल रही है. सभापति जी, मेरा आग्रह है कि इनके पास जो भी रिकार्ड उपलब्ध हो वे हमें दे दें. मैं परीक्षण करवा लूँगा और यदि वास्तव में इस प्रकार की कोई बात पाई जाएगी तो हम कार्यवाही भी कर देंगे.
श्री तरूण भनोत-- सभापति महोदय, इसमें मेरा एक पूरक प्रश्न बहुत जरूरी है.
सभापति महोदय-- इसमें पूरक प्रश्न नहीं होता. यह प्रश्नकाल नहीं है. ध्यानाकर्षण है, जिसका ध्यानाकर्षण है केवल वही प्रश्न करेगा...(व्यवधान)..ऐसा नहीं होता. ध्यानाकर्षण में पूरक प्रश्न का प्रावधान नहीं है. जाटव जी, आप प्रश्न करिए...(व्यवधान)..
डॉ.कैलाश जाटव-- माननीय मंत्री महोदय जी, मेरा आप से सिर्फ इतना निवेदन है कि जितनी 64 नंबर की रजिस्ट्रियाँ हैं वो खसरा नंबर 65 पर जो मकान बने हैं क्या आप उनकी इनक्वायरी करा देंगे?
सभापति महोदय-- माननीय मंत्री जी ने कहा है कि आपके पास जो कागजात हो आप दे दीजिए उनकी जाँच हो जाएगी.
डॉ.कैलाश जाटव-- सभापति जी, मैं सिर्फ सदन में माननीय मंत्री जी से इतना जानना चाहता हूँ कि जिनकी 64 नंबर की रजिस्ट्रियाँ हैं वह 65 नंबर की जाँच करवा देंगे क्या?
श्री तरूण भनोत-- माननीय सभापति महोदय, बहुत जरूरी बात है. मैं सदन के संज्ञान में लाना चाहता हूँ. अगर आप सिर्फ एक मिनट की अनुमति दें. इसमें माननीय मंत्री जी, तहसीलदार ने बाध्य किया, जो नजूल की जमीन है उसको सोसायटी नहीं चाहती है कि सोसायटी के नाम पर चढ़ाए पर सोसायटी के नाम पर चढ़वा कर एक व्यक्ति विशेष के नाम पर 20 हजार फुट का प्लाट काट दिया गया. जबकि सोसायटी खुद कह रही है कि हमारे ले-आउट में जमीन नहीं है, यह हमारी जमीन नहीं है. यह नाले की जमीन है, नगर निगम की जमीन है. नाले का मार्ग अवरुद्ध करके वह प्लाट आवंटित कर दिया गया. जबकि सोसायटी के ले-आउट में वह जमीन है ही नहीं. तहसीलदार ने बाध्य किया कि नहीं, आपको यह जमीन लेना पड़ेगी और फलाने आदमी को आवंटित करना पड़ेगी. क्या इसकी जाँच कराएँगे?
डॉ.कैलाश जाटव-- माननीय मंत्री जी, इसमें एस डी एम, तहसीलदार और आर आई ये सालों से, जो भी वहाँ पदस्थ हो रहे हैं पुरुषार्थ सोसायटी से इन्होंने लाखों का घोटाला किया है, मिलकर किया है और आज पूरा नाला अवरुद्ध हो चुका है. पूरे नाले पर कब्जा किया गया. मेरा सिर्फ इतना निवेदन है कि सोसायटी के 64 नंबर रकबे में जितनी उनको ले-आउट प्लान में जमीन दी गई थी, उसकी पूरी जाँच होगी कि वह जमीन पर बनाया गया है कि नहीं बनाया गया. उसके अलावा अगर उन्होंने और भी रजिस्ट्रियाँ की हैं तो उन सबको निरस्त किया जाए और उनकी जाँच बैठाई जाए.
सभापति महोदय-- आप सारे कागजात मंत्री जी को दे दें. उन्होंने कहा है कि आप सारे कागजात दे दीजिए जाँच हो जाएगी. बात खतम. प्रतिवेदनों की प्रस्तुति...(व्यवधान)..
श्री तरुण भनोत-- तहसीलदार बाध्य कर रहा है कि यह खरीद लो...(व्यवधान)..हमारे प्रश्न का जवाब तो देने दीजिए.
सभापति महोदय-- किस लिए जवाब भाई? वह जवाब आ गया.
श्री आरिफ अकील-- वे जवाब दे रहे हैं.
सभापति महोदय-- ऐसा जवाब नहीं होता भाई. ध्यानाकर्षण में सप्लीमेंट्री नहीं होता.
श्री के पी सिंह-- जवाब आ जाने दो उससे क्या अंतर पड़ना है.
सभापति महोदय-- डॉ.कैलाश जाटव के प्रश्न में कह दिया...
श्री अजय सिंह-- माननीय सभापति महोदय, यदि माननीय मंत्री जी कुछ उत्तर देना चाहते हैं तो यह सवाल उनके ऊपर छोड़ा जाए.
सभापति महोदय-- मंत्री जी कहाँ उत्तर देना चाहते हैं, क्यों देना चाहते हैं. वे नहीं दे रहे हैं. उन्होंने दे दिया उत्तर.
श्री अजय सिंह-- देना चाहते हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह-- माननीय सभापति जी, आपने कहा कि ध्यानाकर्षण में सप्लीमेंट्री नहीं होता कौनसी नियम प्रक्रिया में है कि सप्लीमेंट्री नहीं होता.
सभापति महोदय-- आप निकाल कर पढ़ लीजिए. आप बता दीजिए जिस नियम प्रक्रिया में हो.
डॉ.गोविन्द सिंह-- ध्यानाकर्षण के बाद सप्लीमेंट्री तो होता ही है.
सभापति महोदय-- जिसका ध्यानाकर्षण है वह सप्लीमेंट्री करेगा. कोई तीसरा नहीं कर सकता. जिसका ध्यानाकर्षण है वही करेगा.
डॉ.गोविन्द सिंह-- दूसरा जो प्रश्न पूछा जाता है वह सप्लीमेंट्री ही पूछा जाता है.
सभापति महोदय-- डॉक्टर साहब, जिसका ध्यानाकर्षण है वही करेगा. दूसरा नहीं करेगा. आप ध्यानाकर्षण में पहले नाम जुड़वा लिए होते.
डॉ.गोविन्द सिंह-- अगर समस्या है, जनहित का कोई मामला है तो....(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- प्रतिवेदनों की प्रस्तुति....(व्यवधान)..
डॉ.गोविन्द सिंह-- अन्य माननीय सदस्यों को भी पूछने का अधिकार दिया जाता है.
श्री आरिफ अकील-- सभापति महोदय, अगर आपकी कृपा रहे, अगर आप अनुमति दोगे, ऐसी पहले भी परंपरा रही है.(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- नियम कायदे के तहत बात करिए भाई साहब वरिष्ठ सदस्य हैं. आप सब वरिष्ठ सदस्य हैं नियम कायदे से बात करिए. आप हमको नियम बता दीजिए हम अभी एलाऊ कर देते हैं.
श्री आरिफ अकील-- एक मिनट हमारा निवेदन सुन लें..(व्यवधान)..
श्री के पी सिंह-- सभापति महोदय, ऐसे कई अवसर हैं जब ध्यानाकर्षण पर दूसरों को भी अनुमति दी गई है. कल ओला पीड़ित पर हुआ था. उस पर ध्यानाकर्षण किसी और ने लगाया था और सारे विधायकों को अनुमति दी गई थी. कल इसी सदन में हुआ है तो उसमें परंपरा है कोई नियम थोड़े ही बने हुए हैं.
सभापति महोदय-- माननीय मंत्री जी, क्या आप जवाब देना चाहते हैं?
श्री गोपाल भार्गव-- जी हाँ.
श्री आरिफ अकील-- धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय सभापति जी, इस प्रश्न की जो विषय वस्तु है और विवाद है, पूरा इश्यु, यह वास्तव में मैंने समझा कि यह राजस्व विभाग से संबंधित है इससे सहकारिता का कोई बहुत ज्यादा लेना देना नहीं है. सभापति महोदय, मैं जबलपुर जिले के राजस्व अधिकारियों को पत्र लिख कर और उनसे पूरे प्रकरण की जाँच कराने का और जो सही होगा दूध का दूध पानी का पानी वह करने का काम करेंगे...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत-- मेरा कहना यह है कि सोसायटी खुद यह कह रही है कि हमारे ले आउट में नहीं है उसको बाध्य करके प्लाट दूसरे के नाम पर आवंटित करा दिया.
सभापति महोदय-- अब जाँच कराने का कह तो रहे हैं. अब क्या चाहते हों?
डॉ. कैलाश जाटव-- कृपया यह बता दें कि इसकी जाँच कब तक करा देंगे?
श्री गोपाल भार्गव-- शीघ्रातिशीघ्र.
12.35 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
लोक लेखा समिति का दो सौ चौवनवां से तीन सौ पचपनवां प्रतिवेदन
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (सभापति)-- सभापति महोदय, मैं, लोक लेखा समिति का दो सौ चौवन वां से तीन सौ पचपन वां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
माननीय सभापति महोदय, लोक लेखा समिति ने इस वर्ष 58+205+102 कुल 355 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए हैं. पिछली बार नरोत्तम मिश्रा जी, शेजवार जी और माननीय अध्यक्ष महोदय जी ने प्रोत्साहन दिया इसलिये समिति ने दोबारा 102 प्रतिवेदन और रख दिए हैं अब केवल 50 प्रतिवेदन बचे हैं, बैकलॉग क्लियर हो जाएगा.
12.36 बजे बधाई
लोक लेखा समिति के 355 प्रतिवेदन प्रस्तुत किये जाने पर बधाई.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)--माननीय सभापति जी, वास्तव में आप इसके लिए साधुवाद और बधाई के पात्र हैं. माननीय कालूखेड़ा जी के सभापतित्व में बहुत अच्छा कार्य हुआ है आप बधाई के पात्र हैं.
श्री कैलाश चावला--माननीय सभापति महोदय, आपको स्मरण होगा माननीय अध्यक्ष महोदय ने इस बारे में सभी समितियों को मार्गदर्शन दिया था कि वे बैकलॉग क्लियर करने के लिए ज्यादा बैठकें करें. माननीय महेन्द्र सिंह जी की अध्यक्षता में लोक लेखा समिति ने बड़ी जल्दी जल्दी बैठकें आयोजित कीं और 355 प्रतिवेदन इस बार प्रस्तुत किए गए हैं जिससे बैकलॉग समाप्त होने की स्थिति बनी है. मैं इस अवसर पर माननीय सभापति जी को, सदस्यों को और विशेषकर हमारे सचिवालय के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को व महालेखाकार के अधिकारियों को बहुत-बहुत साधुवाद देता हूँ जिन्होंने यह लक्ष्य प्राप्त करने में हम सबकी मदद की.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--समिति के सभी सदस्यों के सहयोग से और स्टाफ से प्रमुख सचिव और विधान सभा के अधिकारियों और कर्मचारियों के सहयोग से यह संभव हुआ है मैं सारा क्रेडिट उनको देना चाहता हूँ.
12.37 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
सभापति महोदय--आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
12.38 बजे वक्तव्य
किसानों की ऋण वसूली स्थगित करने के संबंध में सहकारिता मंत्री का वक्तव्य
सहकारिता मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)--माननीय सभापति महोदय,
श्री बाला बच्चन--माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्रीजी ने जो वक्तव्य दिया है उसमें मेरा यह कहना है कि पिछले 3 वर्षों से मध्यप्रदेश के किसान प्राकृतिक आपदा की चपेट में हैं और बहुत परेशान हैं आर्थिक रुप से किसान टूट चुका है. मेरा आपके माध्यम से मंत्रीजी और सरकार से आग्रह है कि जब तत्कालीन केन्द्र की मनमोहन सिंह जी की सरकार ने 74 हजार करोड़ रुपये किसानों के माफ कर दिए थे तो आपके इस वक्तव्य से काम नहीं चलेगा आपको भी उनका कर्ज माफ करना पड़ेगा केवल वसूली स्थगित करने से काम नहीं चलेगा. सभापति महोदय, मैं आपकी जानकारी में यह भी लाना चाहता हूँ कि जो कमजोर वर्ग के किसान हैं अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के उनके खेतों में अभी तक सरकारी तंत्र पहुंचा नहीं है. ग्राम सेवक, पटवारी, तहसीलदार अभी तक पहुंचे नहीं हैं उनके खेतों का सर्वे नहीं हुआ है उनको जो मुआवजा राशि मिलना चाहिये वह नहीं मिल पाई है. केवल इस वक्तव्य से काम नहीं चलेगा आपको यदि किसानों के हितों पर ध्यान देना है, मुआवजा राशि मिलना चाहिये वह नहीं मिल पायी है. केवल वक्तव्य से काम नहीं चलेगा. आपको किसानों के हितों का ध्यान देना है तो जिस तरह से मनमोहन जी की सरकार ने 74 हजार करोड़ रूपये देश के किसानों का माफ किया है इस तरह से आपको भी माफ करना पड़ेगा तब हम समझेंगे कि आप और आपकी सरकार किसान हितैषी सरकार है.सभापति महोदय धन्यवाद्.
श्री गोपाल भार्गव :- माननीय सभापति महोदय, मनमोहन जी की सरकार ने तो पांच हमार करोड़ रूपये का एन पी ए कर दिया. बईमानों के लिये और उद्योगपतियों के लिये और बैंको के लोगों के लिये आपने पैसा दे दिया है कुछ विदेश भाग गये, कुछ यहीं पर हैं और कुछ जेल जाने वाले हैं. सभापति महोदय, यह फैसला मध्यप्रदेश की सरकार का अभूतपूर्व है. जिसमें हम 900 करोड़ रूपये शार्टटर्म लोन के लिये मिड टर्म लोन में कनवर्ट कर रहे हैं और सारा का सारा पैसा मध्यप्रदेश की सरकार सहकारी बैंको को भरपाई के रूप में देगी.यह मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार उदाहरण है. माननीय नेता प्रतिपक्ष को धन्यवाद् देना चाहिये. यह काम पहले कभी नहीं हुआ है आजादी के बाद कभी नहीं हुआ है.
श्री बाला बच्चन :- सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी आपके वक्तव्य मात्र से और आपने अपने वक्तव्य में जो चीजें समाहित की हैं उससे मध्यप्रदेश के किसानों की आत्महत्याएं रूक नहीं पायेगी इस कारण से, अभी दो दिन पहले अतिवृष्टि ओला वृष्टि हुई है, उसमें 14 किसानों की हत्याएं हुई हैं. उसके पहले कितने किसानों ने आत्महत्यायें कर्ज के कारण की है इसलिये आपको यह ध्यान देना पड़ेगा, अगर मध्यप्रदेश में किसानों की आत्महत्याओं को रोकना है तो आपको उनका कर्ज माफ करना पड़ेगा.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- माननीय सभापति महोदय, हत्या, आत्महत्या यह मेरी समझ में नहीं आ रहा है, यह विषय को डायवर्ट कर रहे हैं. यह तो आपत्तिजनक बात है.
सभापति महोदय :- यह विषय भटक रहा है.
श्री बाला बच्चन :- नहीं, 14 लोगों की तो प्राकृतिक आपदा के कारण मौत हुई है. बाकी इसके पहले रोज किसान आत्महत्या कर रहे हैं आपको उसको रोकना होगा.
12.42 बजे {माननीय उपाध्यक्ष महोदय (डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह )पीठासीन हुए.}
वर्ष 2016 -2017 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
मांग संख्या -18 श्रम
मांग संख्या - 63 अल्प संख्यक कल्याण
मांग संख्या - 66 पिछड़ा वर्ग कल्याण
मांग संख्या - 69 विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्ध घुमक्कड़ जाति कल्याण
उपाध्यक्ष महोदय :- प्रस्ताव प्रस्तुत.
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
सुश्री हिना कांवरे (लांजी):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 18, 63, 66 और 69 पर अपनी बात रख रही हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले न्यूनतम मजदूरी के बारे में बात करना चाहती हूं. न्यूनतम दैनिक मजदूरी, यह जो शब्द है न्यूनतम इस शब्द का पूरे प्रदेश में सही तरह से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय जब भी कोई मजदूर जब काम करने जाता है और जब वह काम करने जाता है तो चाहे वह पंचायत में काम करे, अक्सर यह बात देखने में आयी है कि जब पंचायत में कोई मजदूर काम करने आता है तो हमारे यहां जो न्यूनतम मजदूरी है उसका भुगतान उसके हिसाब से होना चाहिये. परन्तु पंचायतों में जो काम होता है, वहां पर जितना काम होना चाहिये और वहां पर उस काम में जितने मजदूरों की आवश्यकता होती है , अक्सर यह देखने में आया है कि सरपंच जितने मजदूर काम कर रहे होते हैं , उनसे कहीं ज्यादा लोगों के नाम मजदूरी में जोड़ देते हैं और जोड़ने के बाद अक्सरउसका जब वेल्यूएशन किया जाता है और उसका वेल्यूएशन चाहे एस डी ओ करे या सब इंजीनियर करता है तो उस वेल्यूएशन में मजदूरों की ज्यादा संख्या दिखाई जाती है, इसलिये मजदूरी का भुगतान सही तरीके से नहीं किया जाता है. मैं आपको बताना चाहती हूं कि अक्सर जब हम पंचायत में काम देखते हैं तो टास्क रेट के आधार पर काम की बात होती है. मैंने यह बात अक्सर देखी है कि पंचायत में जब भी मजदूरी के भुगतान की बात आती है तो उस समय यह बात बोल दी जाती है कि टास्क रेट के अनुसार ही मजदूरी का भुगतान होगा. उपाध्यक्ष महोदय, टास्क हम इसलिये निर्धारित करते हैं कि एक व्यक्ति जब काम करने जा रहा है, मजदूरी करने जा रहा है तो वह सुबह से लेकर शाम तक जब मजदूरी करता है तो उसको जो मजदूरी शासन ने तय की है उतना भुगतान उनको देना ही पड़ेगा और टास्क इसलिये तय किया जाता है कि यदि वह मजदूर उस टास्क से ज्यादा काम करता है तो जो न्यूनतम मजदूरी तय हुई है, उस न्यूनतम मजदूरी से ज्यादा, उनको मजदूरी का भुगतान करना पड़ेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह बात इसलिये कहना चाहती हूं कि कहीं भी खासकर जहां जहां पर निर्माण कार्य चलते हैं, जहां जहां पेटी कांट्रेक्ट पर जो हमारे ठेकेदार मजदूरों से काम करवाते हैं, क्योंकि पेटी कांट्रेक्ट में जब काम होता है तो उसमें हमने अक्सर यह देखा है कि मजदूरों को भुगतान सही नहीं होता है. हमारे यहां पर पुल का काम चल रहा था तो मैंने जब मजदूरों से बात की तो मुझे वहां पर एक नयी बात पता चली, मुझे लगता है कि यह केवल मेरी बात नहीं है, पूरे सदन में यहां पर जो लोग बैठे हैं निश्चित रूप से उनके साथ भी यह बात होगी. जब मैंने महिलाओं से वहां पर पूछा कि आपको कितनी मजदूरी दी जा रही है तो उन्होंने बताया कि हमें 80 रूपये मजदूरी दी जा रही है और जब पुरूषों से बात की कि आपको कितनी मजदूरी दी जा रही है तो उन्होंने बताया कि हमें 100 रूपये मजदूरी दी जा रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कानून की किसी भी किताब में मजदूरी का भुगतान महिला या पुरूष देखकर नहीं किया जाता है, लेकिन यह सच्चाई है कि फील्ड में यह सच्चाई है. महिलाओं को मजदूरी का भुगतान कम दिया जाता है और पुरूषों को मजदूरी का भुगतान ज्यादा किया जाता है. निश्चित रूप से जब हम इस बात को लेकर अधिकारियों से बात करते हैं तो अधिकारी हमें एक ही बात बता देते हैं कि वह तो ठेकेदार काम करवा रहे हैं. ठेकेदार काम करवाते हैं , लेकिन उस पूरे काम पर निगरानी करने की जवाबदारी अधिकारियों की होती है. कहीं न कहीं मजदूरी का भुगतान कम हो पा रहा है. इस बात पर मैं सबसे ज्यादा ध्यान मंत्री जी ध्यान आकर्षित करवाना चाहती हूं. क्योंकि यह समस्या किसी एक क्षेत्र की नहीं है. यह समस्या पूरे प्रदेश की है. एक और बात मैं कहना चाहती हूं कि हमारे यहां पर मनरेगा, महात्मा गांधी रोजगार योजना यह योजना जब से लागू हुई है तो निश्चित रूप से मजदूरों को रोजगार मिल रहा है, 100 दिन का रोजगार देना इसमें मूलभूत रूप से विद्यमान है और उनको रोजगार भी मिल रहा है. लेकिन वहीं सबसे बड़ी दिक्कत, जब से मनरेगा लागू हुआ है.
श्री वैल सिंह भूरिया :- अभी सरकार ने मजदूरों की मजदूरी 150 दिन कर दी है.
सुश्री हिना कांवरे :- वैल सिंह जी आप मेरी बात को ध्यान से सुन लिया करें, क्योंकि मैं कभी भी पाईंट से हटकर बात नहीं करती हूं. क्योंकि मनरेगा जिस दिन से लागू हुआ है, किसान और मनरेगा दोनों में आपस में बनती नहीं है. मैंने अक्सर देखा है कि जब से खेती का काम आता है तो किसान सरपंच से कह देता है कि अभी आप मनरेगा का काम बंद करवा दें. क्योंकि हमको मजदूर नहीं मिलते हैं और क्यूं न हो, क्योंकि मनरेगा में जो रेट मिल रहा है वह रेट किसान अपने खेतों में काम करवाने वाले मजदूरों को किसी भी परिस्थिति में नहीं दे सकता है. यदि सरकारी रेट जो तय हुआ है उसी रेट पर यदि किसान अपने खेत में काम करने वाले लोगों को यदि मजदूरी देगा तो वह अनाज का एक दाना भी अपने घर नहीं ला सकता इसलिये मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं मुझे खुशी होती कि आज इस सभा में यदि माननीय मुख्यमंत्री जी होते तो मैं यह बात कहना चाहती हूं कि हमारा जो मनरेगा है उस मनरेगा से हमें किसान को दोस्ती करवानी पड़ेगी और वह तभी संभव है जब मनरेगा में जो मजदूर काम करते हैं वे यदि किसान के खेत में काम करें और किसान के खेत में मैं यह नहीं कहती कि सारे किसानों को आप करवा दीजिये. आप पांच एकड़ के किसान से शुरुआत कीजिये कि जिस किसान की भूमि 5 एकड़ है उस किसान के एकड़ में यदि मजदूर काम कर रहे हैं उसका भुगतान मनरेगा के तहत् हो और उसका भुगतान शासन करे तो निश्चित रूप से किसानों के खेत में काम करने से मजदूरों को उसका पूरा रोजगार भी मिलेगा और किसान भी खुश होंगे और हमारा प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है उसमें हमें निश्चित रूप से लाभ मिलेगा. मनरेगा में आज भी हमारे यहां मेड़ बंधान के काम किसानों के खेत में हो रहे हैं तो मेड़ बंधान तक इसको सीमित न किया जाये. एक क्रांतिकारी कदम सरकार उठाये और किसान के खेत में मजदूरों को काम दिया जाये और उसका पेमेंट सरकारी दर से किया जाये. मैं एक और बात कहना चाहती हूं. जब मैं बहुत छोटी थी मुझे अच्छे से याद है कि हमारे मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह जी ने तेंदू पत्ता के राष्ट्रीयकरण किया था और आज जब मैं तेंदू पत्ते के मजदूरों को देखती हूं तो मुझे इतनी खुशी होती है कि राष्ट्रीयकरण के बाद जो हमारे मजदूर हैं उनको मालिकाना हक मिल गया है आज उनकी स्थिति निश्चित रूप से बहुत अच्छी है और यही चीज जो हमारे बीड़ी बनाने वाले मजदूर हैं उनके लिये भी यदि हम कहीं कोई योजना बनायें मैं इसलिये कहना चाहती हूं कि जब हम किसी गांव से गुजरते हैं तो पूछते हैं कि यह किसका घर है तो पता चलता है कि यह बीड़ी ठेकेदार का घर है. बीड़ी ठेकेदार का काम क्या होता है उसका काम केवल इतना होता है कि जो मजदूर होते हैं उनको वे पत्ता उपलब्ध करवाते हैं तम्बाखू और धागा उपलब्ध करवाते हैं. सारा कच्चा माल मजदूरों को दे देते हैं और जब बीड़ी बनकर तैयार हो जाती है तो माल को व्यापारियों को दे देते हैं. केवल इतना सा काम है लेकिन इसमें जो मीडियेटर है वह तो भला चंगा हो जाता है उसका तो घर द्वार संभल जाता है लेकिन जो बीड़ी बनाने वाले मजदूर हैं उनकी स्थिति आज भी जैसे पहले थी वैसी अभी है. मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहती हूं कि लघु वन उपज जैसी कोई संस्था बनाकर बीड़ी बनाने वालों के लिये भी ऐसी कोई संस्था बनाई जाये और शासन इस पर गंभीरता से विचार करे क्योंकि मैंने यह प्रशासनिक प्रतिवेदन पढ़ा है इसमें कई सारी योजनाएं बीड़ी बनाने वाले मजदूरों के लिये हैं लेकिन योजनायें बना देने से बात नहीं बनती. कितनी सारी योजनाएं हैं मैं तो खुद पहली बार पढ़ रही हूं लेकिन जिन लोगों के लिये हम यह योजनाएं बना रहे हैं उन लोगों तक हमको यह योजनाएं पहुंचानी हैं. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि इन योजनाओं की जानकारी उन लोगों तक पहुंचाने का सबसे बढ़िया माध्यम यदि हमारे पाठ्यक्रम है इन योजनाओं को यदि हमारे पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया जाये तो एक-एक परिवार का बच्चा जब पढ़ाई करने जायेगा तो निश्चित रूप से उसको पूरी योजनाओं की जानकारी होगी क्योंकि जब तक योजनाओं की जानकारी अगर हमारे लोगों को नहीं होगी तब तक उनके लिये आप ढेरों योजनाएं बनायें चाहे केन्द्र सरकार बनाये या राज्य सरकार बने लेकिन उसका लाभ जिन लोगों के लिये यह योजनाएं बना रहे हैं उनको नहीं मिल पाता है.एक और बात मैं कहना चाहती हूं अक्सर जो वेलफेयर की योजनाएं होती हैं वह फंड के अभाव में पूरी नहीं हो पाती हैं लेकिन जो आपका कर्मकार शुल्क है. एक पेपर है मेरे पास मैंने इसमें देखा है कि कर्मकार शुल्क 1439 करोड़ रुपये वसूल हुआ है लेकिन श्रमिकों के वेलफेयर में 434 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं. मैं यह बात माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि आप पिछले दो वित्तीय वर्ष के आंकड़े जब आपजवाब दें तो उसमें शामिल करिये कि कर्मकार शुल्क कितना आपके पास आया और आपने श्रमिकों के वेलफेयर में कितना खर्च किया है. अक्सर हम यह बात सुनते हैं और देखते हैं मैं पेपर को बहुत ज्यादा एथ्रेंटिक नहीं मानती और न ही मैं कोई बहुत ज्यादा बुराई करने के मूड में हूं क्योंकि पेपर में अक्सर हम लोग यह देखते रहते हैं कि हमारे विधायकों के लिये भी दिसम्बर का महिना आया पेपर वाले छाप देते हैं कि विधायकों ने अभी तक 30 परसेंट राशि विधायक निधि की खर्च की है और उनका अभी बहुत सारा फंड बचा हुआ है वह किस हिसाब से छापते हैं मैं नहीं जानती लेकिन इस पेप र के माध्यम से एक बात मैं मंत्री जी से जरूर कहना चाहती हूं कि आपके पास जो यह राशि आती है और कितनी खर्च होती है इसे आप जरूर बताएं क्योंकि यह बात सामने आई है क्योंकि आनलाईन सिस्टम की वजह से लोग कहते हैं कि आनलाईन सिस्टम कर दिया है. आवेदन आया न हीं है और आवेदन आया नहीं है इसीलिये हमने उनको सुविधाएं नहीं दी हैं. तो ये जो बातें हैं सिस्टम हम इसलिये लागू करते हैं कि हमें लोगों को सुविधाएं देने में आसानी हो,सरलता जाये लेकिन यह सिस्टम यदि हमारे लोगों को सुविधा देने में परेशानी बन जाये तो उसमें सुधार करना चाहिये और जब तक सिस्टम बहुत अच्छे से लागू नहीं हो जाता हमें इन सिस्टमों को लागू नहीं करना चाहिये जैसे हम जब आनलाईन सिस्टम नहीं हुआ करता था उसी सिस्टम के आधार पर हमें काम करना चाहिये क्योंकि आज जो श्रमिक काम करते हैं मैं उदाहरण देना चाहती हूं कि श्रम न्यायालयों की स्थिति देख लीजिये कई ऐसे प्रकरण जो श्रमिकों के माध्यम से जाते हैं पेंडिंग पड़े रहते हैं और जो साल्व होते हैं वह भी ऐसे होते हैं कि यदि एक श्रमिक ने काम किया जो ठेकेदार हैं वे श्रमिकों के पास पहुंच जाते हैं वे पैसों का लेनदेन कर लेते हैं और श्रमिक अपनी शिकायत वापस ले लेते हैं. यह धरातल की सच्चाई है इसलिये शासन श्रमिकों को उनके अधिकार दिलाये शासन इसके लिये कटिबद्ध है इसमें कहीं दो मत नहीं है लेकिन कुछ सुधार करने की जरूरत है. मेरी जानकारी में यह बात आई है कि मुतावली कमेटी में आरटीआई लागू नहीं है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि वह आरटीआई के तहत मुतावली कमेटी को लाये और दूसरा जो वक्फ बोर्ड का गठन हुआ है निश्चित रूप से इसकी बैठकें समय-समय पर होती रहनी चाहिये यह हम सबके लिये आवश्यक है. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया(मंदसौर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 18,63,66 और 69 का समर्थन करता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, श्रम विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा करने का मुझे अवसर मिला. सत्यमेव जयते,श्रममेव जयते, इसका हम हमेशा स्मरण करते हैं उल्लेख करते हैं और उसी के आधार पर हम समाज के निर्माण की बात करते हैं. श्रमिकों के लिये कल्याणकारी योजनाएं माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में और उनकी मन:स्थिति के आधार पर पूरे प्रदेश भर में श्रम कानूनों के दायरे में रहकर श्रम कानूनों के दायरे में रहकर किये जाने का उल्लेखनीय काम हुआ है. एक समय था जब पूरे प्रदेश भर में श्रमिकों के आंदोलन हुआ करते थे. उद्योगों के मामले हों,कारखानों के मामले हों और वहां पर कभी भी श्रमिक बहुत आसानी से जो अपने कामों को अंजाम देता था उसे उतना महत्व सरकारों द्वारा नहीं मिलता था. ग्वालियर हो,उज्जैन,हो,जबलपुर हो,भोपाल हो,इन्दौर हो, इन महानगरों में श्रमिकों की जो दुर्दशा हुआ करती थी, आज कहीं न कहीं एक वातावरण का निर्माण हुआ है. श्रमिक आंदोलन लगभग समाप्त हो गये हैं. मैं जिस राजनैतिक पार्टी का कार्यकर्ता हूं उनके संदर्भों के साथ आनुषंगिक संगठन का भी उल्लेख करूंगा. भारतीय मजदूर संघ से हम कुछ सीखें देशहित में करेंगे काम, काम के लेंगे पूरे दाम. यह वह नारा नहीं है कि हमारी मांगें पूरी हों, चाहे जो मजबूरी हो. मुझे लगता है कि सरकार ने श्रमिकों के हित को लेकर के जो काम किये हैं उनकी भावना के अनुरुप काम करके बताये हैं. यह सत्य है कि श्रमिकों के परिश्रम के बिना निर्माण की इमारत खड़ी नहीं की जा सकती. उसी निर्माण कार्य में संलग्न उस श्रमिक के लिये संनिर्माण योजनाओं को लेकर के माननीय मुख्यमंत्री जी ने श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा मिले, उनका आर्थिक विकास हो, उसको लेकर के अनुकरणीय काम किये गये हैं. श्रमिकों की पंचायत, महापंचायत, तेन्दूपत्ता से जुड़े उन श्रमिकों का पूरा सम्मान एक समय था पूरी मध्यप्रदेश की राजनीति तेन्दूपत्ता श्रमिकों के इर्द-गिर्द रहती थी. आज उनके सम्मान में इजाफा हुआ है, उनको लेकर के माननीय मुख्यमंत्री जी निरंतर चिन्ता करते हैं. मध्यप्रदेश भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा पूरे मध्यप्रदेश में मजदूरों का पंजीयन करने का महत्वपूर्ण काम किया है उसमें 25 लाख से अधिक पंजीयन इसकी एक उपलब्धि है. संगठित व्यक्ति, संस्था, यूनियनों हर कोई चर्चा करता था, लेकिन शायद मध्यप्रदेश की वर्तमान सरकार यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने जिन्होंने इधर-उधर फैले असंगठित मजदूरों को संगठित करने को लेकर के उनको हक, कानून देने का काम किया है. असंगठित मजदूर हमेशा शोषण का शिकार हुआ करता था उसका गठन करते हुए असंगठित मजदूरों को भी एक ताकत देने का काम सरकार के माध्यम से किया गया है. श्रमिकों के हितार्थ कल्याणकारी योजनाएं वास्तव में उन श्रमिकों को भी उसी प्रकार से जिस प्रकार से गरीबी रेखा के नीचे यीवन-यापन करने वाला या माननीय मुख्यमंत्री जी की हितग्राहीमूलक योजना है वह अलग अलग विभागों से जुड़ी हुई है, लेकिन माननीय मुख्यमंत्री एवं श्रममंत्री जी ने ऐसी हितग्राहीमूलक योजनाओं में श्रमिकों को एक स्थान दिया है उसके लिये व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं. प्रस्तुति सहायता योजना में उस श्रमिका का जो कार्ड होता है उसके पंजीयन के आधार पर दिलाये जाने का काम किया है. चिकित्सा दुर्घटना योजना, शिक्षा प्रोत्साहन योजना, मेघावी छात्र प्रोत्साहन योजना, विवाह योजना, अंतयेष्टि के समय आर्थिक मदद, पंडित दीनदयाल उपाध्याय श्रमिक आश्रय शेड निर्माण, दुर्घटना में भी 1 लाख रूपये की राशि एवं सामान्य मृत्यु होने पर 75 हजार रूपये की राशि का प्रावधान किया गया है. एक श्रमिक के पास में उसका पंजीयन किया हुआ कार्ड है उसमें अगर बिटिया का विवाह किया है उसके लिये पृथक से 25 हजार रूपये की राशि विभाग के द्वारा दिये जाने का प्रावधान किया गया है. मेघावी छात्रों को पुरस्कृत, प्रोत्साहित करने के लिये 2 हजार रूपये से 12 हजार रूपये तक की राशि का प्रावधान बजट में किया जाना स्वागत योग्य है. व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में भी श्रमिकों की बेटे-बेटियों को उच्च शिक्षा उसमें भी मेडिकल, डेन्टल, फिजियोथेरेपी, नरसिंग, पेरा मेडिकाल, एवं इंजीनियरिंग का ले लें उस सबमें प्रतिभावान छात्रों को पृथक-पृथक से एक वर्ष में कहीं पर 20‑15-10 रूपये का प्रावधान है. इस प्रकार से राशियों का जो समावेश किया गया है इसको लेकर के श्रमिकों के परिवारों बेटे-बेटियों को एक सम्मानजनक स्थिति में सरकार ने ला खड़ा किया है. श्रमिकों को भी जीवन-यापन करने का हक है वह भी चाहते हैं कि वह पेंशन के पात्र बने उन्हें लगातार पांच वर्ष तक वैध परिचय-पत्र, स्वालंबन पेंशन के आधार पर 1 हजार रूपये तक की व्यवस्था पेंशन की सरकार के द्वारा व्यवस्था की गई है. दूसरों का भवन, मकान, आश्रय बनाने वाले उस संनिर्माण मजदूर के लिये सरकार ने सोचा है तथा उसका पृथक से काम किया है. नगरीय क्षेत्रों में भी आवास की योजना स्वयं के लिये बनायी है, जो दूसरों के लिये मकान बनाते हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में भी आवास योजना उन श्रमिकों के लिये बनायी गई है, जो कि पंजीकृत श्रमिक हैं उनको भी इंदिरा आवास, मुख्यमंत्री आवास योजना से जोड़ने का अनुकरणीय काम किया है. मध्यप्रदेश के 14 नगरीय क्षेत्रों-नगरपालिका क्षेत्रों में जिसमें महानगर भी हैं जैसे ग्वालियर, सागर, रीवा, सिंगरौली, सतना, कटनी, खंडवा, बुरहानपुर, देवास, इन्दौर, रतलाम, जबलपुर एवं उज्जैन है इनमें ऐसे श्रमिकों को भवन की सुविधा देने के लिये हितग्राहीमूलक योजनाओं का चयन किया गया है, जिसके अंतर्गत 7 लाख 50 हजार रूपये का ऋण का प्रस्ताव किया गया है उसमें 50 प्रतिशत ऋण की स्थिति में 1 लाख रूपये का अनुदान राज्य सरकार की ओर से उस आवास निर्माण करवाने वाले हितग्राही श्रमिकों को दिया गया है. इसी प्रकार से ग्रामीण क्षेत्रों में भी आवास योजना का लाभ दिया गया है, जो कि प्रदेश भर में लागू है. 225 वर्गफीट में भवन बनाने की एक सुविधा उपलब्ध की है उसमें टायलेट,रसोई एवं आंगन, अहाता होगा, एवं पूरे परिक्षेत्र में अगर सामूहिक रूप से श्रमिक इस प्रकार से बस्ती का निर्माण करते हैं उसमें मांगलिक भवन, वेलफेयर की गतिविधियां, बगीचे भी होगें यह सारी सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं. स्थानीय स्तर पर भी सलाहकार समितियों का गठन इस बात को लेकर के किया गया है जिले के कलेक्टर एवं श्रम अधिकारी सब मिलकर के श्रमिकों की जो छोटी-छोटी समस्याएं हैं उसका निराकरण करने के लिये स्थानीय स्तर पर सलाहकार समितियों के माध्यम से उन्हें सम्मान मिले. जिस प्रकार से चिकित्सों, शिक्षकों, की जो आयु सीमा सेवा में बढ़ाई है उसी प्रकार से माननीय मुख्यमंत्री जी ने विशेष ध्यान देकर के श्रमिकों की आयु-सीमा भी 58 वर्ष से बढ़ाकर के अब 60 वर्ष कर दी गई है. माननीय सदस्या हिना जी कह रही थीं कि महिला श्रमिकों को ठीक ढंग से उनके हक की राशि नहीं मिलती है महिला श्रमिकों की वृद्धि उद्योगों, कारखानों में हुई है उससे यह बात परिलक्षित होती है कि मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा कल-कारखानों में भी महिलाओं को जो स्थान, रोजगार से जोड़ दिया गया है वास्तव में यह अनुकरणीय प्रयास है. पिछड़े वर्ग की दो बात रखने की कोशिश करूंगा उनके कल्याण के लिये सरकार ने बहुत ही अनुकरणीय काम किये हैं. पिछड़ा वर्ग में स्वरोजगार, कौशल उन्नयन, छात्रवृत्तियां, प्रशिक्षण, विदेशी अध्ययन तक की छात्रवृत्ति पिछड़े वर्ग के लोगों को देने का काम किया है उसमें जो होनहार छात्र-छात्राएं हैं उनकी प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रोत्साहन योजना लागू करते हुए विभिन्न श्रेणियों में 15-20-25- तथा 50 हजार रूपये तक की राशि का प्रावधान सरकार के द्वारा पिछड़ा वर्ग के होनहार छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभागी बनते हुए प्रावधान किया गया है. इसमें 1 करोड़ 50 लाख रूपये का बजट में प्रावधान किया गया है मैं मंत्री जी इसके लिये आपको बधाई देना चाहता हूं. सफलता को लेकर के इन परीक्षाओं में निरंतर छात्रों की वृद्धि होती जा रही है इससे रोजगार की दिशा में पिछड़े वर्ग के छात्रों को आवासीय व्यवस्था में सम्मिलित करते हुए उन्हें निशुल्क प्रशिक्षण देने की बात की गई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आवासीय व्यवस्था भी मिले, साथ में उनको नि:शुल्क प्रशिक्षण भी मिले । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए 2015 से लेकर आने वाले 2025 तक का, रोड मेप तय हुआ है, 2025 तक की जो संकल्पना सरकार ने की है, माननीय मुख्यमंत्री जी ने की है, माननीय मंत्री महोदय ने की है, मैं उसका थोड़ा सा उल्लेख करना चाहूंगा, लक्ष्य और रोड मेप तैयार किया जा रहा है, मध्यप्रदेश में 3 करोड़ छात्रों को छात्रवृत्ति का लाभ मिल सके, पिछड़ा वर्ग पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में 50 लाख विद्यार्थी इससे लाभान्वित हो सकें, आश्रम और छात्रावास के निर्माण में भी लगभग 1 लाख 50 हजार विद्यार्थियों को लाभान्वित किया जा सके और 500 छात्रावासों का निर्माण किया जा सके, मेघावी छात्र पुरस्कार में भी 2000 विद्यार्थी इससे लाभान्वित हो सकें, विदेशी अध्ययन के लिए 150 अभ्यार्थी विदेशों तक अध्ययन करने के लिए पहुंच सकें, इसकी पूरी संकल्पना सरकार के द्वारा की जा रही है । अल्पसंख्यक कल्याण वर्ग के उत्थान के लिए मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी और मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि जिस राजनैतिक पार्टी का मैं कार्यकर्ता हूं और जिस राजनैतिक पार्टी का मैं विधायक हूं, उस पर हमेशा इस प्रकार का दुराभाव का आरोप लगाया जाता है कि अल्पसंख्यक विरोधी हैं, फूट डालों राज करो की नीति के अंतर्गत भड़काने का काम किया जाता रहा है, लेकिन मैं बानगी देना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने, शिवराज सिंह जी ने अल्पसंख्यक वर्ग के लिए मध्यप्रदेश में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्व, जैन एवं पारसी जितने समाज के लोग हैं, आबादी का लगभग 8.15 प्रतिशत इनका स्थान है और इन सब को लेकर के सरकार ने बड़ी चिन्ता की है, 60 मदरसों में दो अतिरिक्त कक्ष निर्माण के लिए 360 लाख रूपए का प्रावधान स्वागत योग्य है, 200 आंगनवाड़ी इसी वर्ग के लिए, अल्पसंख्यक वर्ग के लिए, निर्माण किए जाने के लिए 600 लाख रूपए का प्रावधान प्रशंसनीय है, 1000 इंदिरा आवास योजना, अल्पसंख्यक वर्ग के परिवारों के लिए 337.50 लाख रूपए की राशि का प्रावधान, 100 सीटर कन्या छात्रावास अल्पसंख्यक परिवार हेतु किए जाने के लिए 190 लाख रूपए का प्रावधान और आई.टी. सेल का गठन करते हुए अल्पसंख्यक परिवार के हितग्राहियों को 12.50 लाख रूपए का प्रावधान किया जाना स्वागत योग्य है ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कल श्री दीपक जोशी जी ने अनुदान मांगों पर अपना उद्बोधन दिया था, सरकार का स्कूल शिक्षा विभाग जिस प्रकार से प्रयास कर रहा है, उसके अंतर्गत अल्पसंख्यक परिवार से जुड़े जो मदरसे हैं, उन मदरसों की रंगाई पुताई का काम भी प्रत्येक विद्यालय के लिए, प्रत्येक मदरसा के लिए, 25-25 हजार की राशि, स्कूल शिक्षा विभाग के माध्यम से मदरसों को दिए जाने की बात आई है, मैं समझता हूं, यह स्वागत योग्य है, अल्पसंख्यक कल्याण के लिए जो योजनाएं संचालित की जा रही हैं, उसके साथ मध्य्रपदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह चौहान ने श्रीराम जी महाजन पिछड़ा वर्ग सेवा राज्य पुरस्कार से मेघावी छात्र- छात्राओं को पुरस्कृत किया है । इसके साथ साथ कोई भेदभाव नहीं हिन्दू - मुसलमान का कोई विरोध नहीं, माननीय मुख्यमंत्री जी ने अल्पसंख्यक पुरस्कारों की श्रृंखलाबद्ध घोषणा की है और उसको यर्थाथता में उतारने की कोशिश की है, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद अल्पसंख्यक सेवा राज्य सेवा पुरस्कार 2014, शहीद अशफॉक उल्ला खॉ सेवा राज्य पुरस्कार 2014, शहीद हमीद खां शोल्जर अल्पसंख्यक सेवा राज्य पुरस्कार योजना, माननीय उपाध्यक्ष महोदय यह जो पुरस्कार दिए गए हैं, राष्ट्रीय एकता और अखण्डता को लेकर के, सामाजिक सद्भावना को लेकर के, वीरता को लेकर के, नागरिकों की सुरक्षा देने में, अद्मय साहस का परिचय देने वालों को लेकर के, साहित्य कला, रंगकर्मी, शिक्षक, उत्कृष्ट कार्य करने वाले, इन तमाम प्रकार के वे बहु-आयामी, वे धनी लोग हैं, उनको इस प्रकार के पुरस्कार से नवाजा गया है ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक बात कहकर अपनी बात को समाप्त करता हूं मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पूरे प्रदेश से अनेक हज यात्री, मकका- मदीना की यात्रा, हज की यात्रा, एक पवित्र यात्रा मानी जाती है, उसके लिए तत्कालीन सरकार ने कभी नहीं सोचा, मुझे बताते हुए अत्यन्त प्रसन्नता है कि आज सर्व-सुविधायुक्त अगर मध्यप्रदेश में कहीं हज हाउस बन रहा है तो वह भोपाल के ग्राम सिंगरचोली के पास सर्वसुविधायुक्त हज हाउस बनकर के लगभग निर्माण के अंतिम चरण में में है, मैं समझता हूं, इससे पूरे मध्यप्रदेश के अल्पसंख्यक परिवार के लोगों को, लाभ मिलेगा जो हज के लिए जाते हैं, उनको सुकून मिलेगा और सुविधाएं मिलेगी, इस प्रकार से निष्पक्ष भाव रखने वाली सरकार का यह श्रम, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण वर्ग के लिए जो अनुदान मांगों की जो चर्चा बजट पर आई है, उसका मैं स्वागत करता हूं, अभिनंदन भी करता हूं और मंत्री जी को, मैं विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहता हूं ।
अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के लिए भोजन विषयक
उपाध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें ।
वर्ष 2016-17 की अनुदान मांगों पर (क्रमश)
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद)- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं मांग संख्या 18,63,66 और 69 के विरोध में खड़ा हूं, हम जिस वर्ग के बारे में बात करने के लिए खड़े हैं, उसने राजस्थान के मरूस्थल से लेकर के, पश्चिम बंगाल से लेकर जम्मू कश्मीर से लेकर कन्या कुमारी तक, न जाने कितने निर्माण किए, किले बनाए और जलाश्य बनाए, जिनका आज हम उपभोग कर रहे हैं, यहां तक कि जिस भवन में बैठे हैं, यह भी उन्हीं के द्वारा बनाया गया है, तकलीफ यह है कि जो हम चर्चा कर रहे हैं, क्या वह उन तक पहुंच पाएगी, इसके लाभ उन तक पहुंच पाएंगे, इस बात पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है । मैं दो पक्तियां बोलते हुए अपनी बात आगे रखूंगा –
होके मायूस न शाम की तरह ढलते रहिए,
जिन्दगी एक भोर है सूरज की तरह निकलते रहिए ।
ठहरोगे एक पांव पर तो थक जाओगे,
धीरे धीरे ही सही मगर राह पर चलते रहिए । ।
2:17 बजे सभापति महोदय(श्री रामनिवास रावत) पीठासीन हुए।
31 दिसम्बर 2015 तक 1634.32 करोड़ की राशि उपकर के रूप में प्राप्त हुई, इस प्रतिवेदन में 24.60 लाख हितग्राही का निर्माण में पंजीयन हुआ है, हकीकत में इतने बड़े प्रदेश की जनसंख्या में, बहुत कम है, बाल श्रम के बारे में कहा गया है कि बाल श्रम मध्यप्रदेश में नहीं हो रहा है, सभी सम्मानीय सदस्य जानते हैं, सुबह शाम जब भी हम गाडि़यों से निकलते हैं, आपको छोटे - छोटे बच्चे पेपर बेचते हुए और ढाबों पर खाना खिलाते हुए मिल जाएंगे । औद्योगिक सुरक्षा के विषय में कारखानों में दुर्घटना की दर 2013 में .62 प्रति हजार थी, जो .49 हो गई है, मेरा आपसे निवेदन है कि यह जो आंकड़े हैं, यह कागजी आंकड़े हैं, हकीकत में बहुत परिवर्तन है । पेज क्रमांक 27, 4.25 में पंजीकृत कारखानों में 1.1.16 को आपने कुल 15 हजार 378 श्रमिक बताए हैं, मेरा मंत्री जी से निवेदन है 15,378 से अधिक रजिस्टर्ड तो आपके कारखाने हैं, यह सदन को गुमराह कर रहे हैं । पेज क्रमांक 29, 4.3 क्षतिपूर्ति 1923 अधिनियम के तहत लेबर ऑफिसर और इंस्पेक्टर की सांठ - गांठ के चलते अपंजीकृत मजदूरों को लाभ नहीं मिल रहा है । हमारे कटनी जिले में लगभग 300 दालमिलें हैं, 50 राईस मिल हैं, आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं पर इसका कहीं कोई उल्लेख नहीं होता है । पेज क्रमांक 29, 4.4 कटनी में एक फैक्ट्री है, अजय फूल, स्वयं के उपयोग के लिए पॉवर जनरेशन करते हैं, वहां पर भूंसी के स्थान पर कोल का उपयोग होता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है । बड़वारा में बुझबुझा प्लांट है, बिरला व्हाईट है, लमतरा है, हमारे यहां बहुत से ऐसे प्लांट आए हैं, जो एम.ओ.यू. के माध्यम से साईन होकर के जिसकी रोज हम लोग फ्लेक्सों में बड़ाई लेते हैं, सत्ता पक्ष के लोग तालियां ठोकते हैं पर इनमें स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिलता है । स्थानीय लोग रोजगार से वंचित है और बाहरी लोगों को कम रेट पर रखा जा रहा है । पेज नं 42, 7.2 में बीड़ी के बारे में लिखा गया है, बीड़ी श्रमिकों का पंजीयन हमारे जिले में बंद है, जो बीड़ी बनाते हैं, 5 रूपए, प्रति हजार उनसे लिया जाता है, कितना टोटल है, यह प्रतिवेदन में उल्लेख नहीं है और कितना इनके ऊपर खर्च होता है, इसका उल्लेख नहीं है, हर जगह ब्लाक स्तर पर एजेंट बन गए हैं जो 60 से 40 प्रतिशत में इनसे सौदा तय करते हैं, फिर उनसे प्रसव में और बाकी कार्यों में शादी में पैसा लेकर उनका कार्य करते हैं, मजदूरों को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है । वास्तव में बीड़ी श्रमिकों के लिए आवास बने हैं, जो नहीं मिल रहे हैं । पेज 48 ,8.4 में उपकर निर्धारण अधिनियम है, इसमें 10 लाख रूपए से ऊपर जो भी मकान बनेगा, उसमें एक प्रतिशत टैक्स लगेगा, अवैध मकानों के बनने से जो नक्शे पास नहीं होते हैं और जब हम यहां प्रश्न लगाकर नियमितीकरण करते हैं तो एक प्रतिशत टैक्स को छोड़ दिया जाता है. यह वही पैसा जाता है जो मजदूरों के उपयोग का है, इससे इन मजदूरों के लिए कॉलोनी बनानी चाहिए. माननीय पेज नं.498.4 में कटनी में हम्मालों के लिये 100 आवास बनाये गये हैं, यह प्रतिवेदन में बताया गया था. कृषि मण्डी में लगभग 500 हम्माल रजिस्टर्ड हैं, दाल मिल और राईस मिल कटनी में लगभग 400 हैं. वेयरहाउस, रेल्वे यार्ड, पार्सल एवं सीमेन्ट फैक्ट्री में हमारे यहां लगभग 10,000 रजिस्टर्ड लोग हैं और कुल 100 आवास दिये हैं. यह कहीं से न्यायसंगत नहीं है. यह तो ऊँट के मुँह में जीरा के समान है.
माननीय सभापति महोदय, पेज नं. 87 में नि:शक्त भरण-पोषण योजना के तहत 40 से 70 प्रतिशत विकलांग को 750 रूपये प्रतिमाह और 71 से 100 प्रतिशत विकलांग को 1,500 रूपये प्रतिमाह दिया जाता है. प्रतिवेदन में दिया है कि मात्र 36 हितग्राही प्रदेश में लाभान्वित हुए हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - सभापति जी, आप इतनी गम्भीर मुद्रा में बैठे थे तो हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी कह रहे थे कि आप मुकेश नायक जी को देखकर गम्भीर हैं या श्री गोविन्द सिंह जी को देखकर.
सभापति महोदय - श्रम विभाग की मांगें चल रही हैं. श्रमिकों की समस्याएं सुनने के लिए गम्भीर हैं. आप जारी रखिये.
कुँवर सौरभ सिंह - माननीय सभापति महोदय, मेरा निवेदन है कि पूरे प्रदेश में मात्र 36 हितग्राहियों को लाभ मिला है. आप इसको भी फ्लैक्स में लगा लीजिये कि बहुत काम किया है. हकीकत तो यह है कि मजदूरों ने काम मांगना बन्द कर दिया है, इसका उदाहरण मनरेगा है. लोगों का विश्वास उठ गया है, लोग प्रदेश से बाहर जाकर काम कर रहे हैं, काम ढूँढते हैं, हमारे यहां से गुजरात, महाराष्ट्र एवं बॉम्बे, बहुत जगह जा रहे हैं एवं काम कर रहे हैं. वहां न उनको सैलेरी पूरी मिलती है और कोई दुर्घटना घटित होती है तो उन लोगों की डेथ बॉडी लाने का भी इन्तजाम नहीं होता. पिछले दिनों हमारे यहां पठार क्षेत्र में 2 लड़के मारे गए थे. वहां के मालिक ने लौटने तक की व्यवस्था नहीं की और सैलेरी तो छोड़ ही दीजिये. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इस विषय पर ध्यान रखकर कि जो भी श्रमिक मध्यप्रदेश के बाहर काम करने जा रहे हैं, उनके लिए योजना बननी चाहिए. जिसमें उनका पंजीयन होना चाहिए और मालूम होना चाहिए कि वह किस फैक्ट्री में और कौन-सा कार्य कर रहे हैं ? अगर हमको यह नहीं मालूम होगा तो बहुत-सी ऐसी फैक्ट्रियां हैं, जहां पर कैमिकल का उपयोग होता है और उस कैमिकल से लोगों को बहुत नुकसान होता है. मेरा आपसे निवेदन है कि इस विषय पर ध्यान दें. हकीकत यह है कि मजदूरों की जो मजदूरी हो, वे चाहे मनरेगा में हों, प्रायवेट संस्थानों में हों, कहीं भी पूरी नहीं मिल रही है. पर किताबी आंकड़े पूरे हैं. केन्द्र सरकार ने सच्चर आयोग की रिपोर्ट, जो केन्द्र सरकार की आई है उसको अनदेखा कर दिया है. अल्पसंख्यक समाज आज पूरे देश में अपने आप को देश से कटा हुआ महसूस करता है. चूँकि सरकार उस पर उतना बजट व्यय नहीं करती है. माननीय उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार ऐसी समस्याएं हैं, जिन पर विशेष रूप से अध्ययन करके निराकरण किया जा सकता है. इसके लिए सरकार को एक अध्ययन दल बनाना चाहिए, जिसमें क्या वास्तविकता है, इसको देखना चाहिए. पिछड़े वर्ग की जो योजनाएं हैं, वे जमीनी हकीकत में नहीं बदली गई हैं. सिर्फ वे किताबों में हैं, दोनों वर्गों के लिए जो लक्ष्य तय किये गये हैं, वे केवल आंकड़ों में पूरे हैं. मेरे कटनी जिले में जब भी कोई व्यक्ति बैंक पहुँचता है तो बैंक में जब तक वह दलाल के पास नहीं जाए, तब तक उसका काम पूरा नहीं होता है. मेरा निवेदन है इस विषय पर ध्यान दिया जाये.
सभापति महोदय, दोनों वर्गों का बहुत बड़ा हिस्सा हमारे क्षेत्र में कृषि पर निर्भर है और जब उनको कोई लाभ नहीं हो रहा हो तो अपनी जमीन बेचकर अन्यत्र पलायन करने को मजबूर हैं. मेरा निवेदन है कि माननीय इस पर ध्यान दें. पिछड़े वर्गों के लिये जो पद आरक्षित हैं, उनकी भर्ती पर सरकार ध्यान देकर समयबद्ध कार्यक्रम चलाये. जिस तरह बाकी वर्गों के लिए, एक विशेष अभियान चलाया जाता है, उसी प्रकार पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के लिये भी किया जाये. वक्फ बोर्ड लगभग निष्क्रिय हो रहा है, उसकी सारी सम्पत्ति पर लोग कब्जा कर रहे हैं.
सभापति महोदय, पुराने समय में एक कहानी होती थी. एक बहुत चालाक व्यक्ति था. वह एक गांव में पहुँचा, उसको भूख लगी हुई थी तो एक बुढि़या के मकान में पहुँचा और कहा कि माताराम कुछ खाने को दो. चूँकि बुढि़या भिक्षा मांगकर जीवन-यापन करती थी तो उसने कहा कि मेरे पास खाने को नहीं है. उस चालाक व्यक्ति ने कहा कि मैं कंकण से खिचड़ी बनाऊँगा तो बुढि़या को उसने कुछ कंकण बीनकर दिये और कहा कि माताराम, मैं इससे खिचड़ी बनाऊँगा. उसने एक भगोने, बर्तन में कंकण डाल दिये, उसने बोला पानी होगा. बुढि़या लालच में आ गई तो उसने सोचा, पानी दे दूँ तो शायद कंकण की खिचड़ी, पत्थर की खिचड़ी मुझे भी खाने को मिल जायेगी. मैं सीख जाऊँ एवं बिना भिक्षा के काम चल जाये. उसने पहले पानी मांगा, फिर उसने बोला थोड़ा-सा चावल और दाल मिल जाये तो बुढि़या ने चावल और दाल भी दे दी. फिर थोड़ा नमक, हल्दी एवं मिर्चा मांग लिया, उसने सब डाल दिया. उसने पूरा का पूरा सामान, उस बुढि़या से ले लिया और खिचड़ी बनाई. खिचड़ी बनाने के बाद थाली में जब परोसा तो उसने कंकड़-कंकड़ उस बुढि़या को दे दिया एवं दाल-चावल की खिचड़ी खुद खा ली.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य, आप कितना समय लेंगे ? अपनी बात जारी रखें.
कुँवर सौरभ सिंह - सभापति महोदय, मेरा यह निवेदन है कि ये सरकारी आंकड़े हकीकत से बहुत दूर हैं. मैं मांग संख्या का विरोध करता हूँ और सिर्फ इतना कहता हूँ कि -
आंखें तालाब नहीं, फिर भी भर आती हैं,
दुश्मनी बीज नहीं फिर भी बोई जाती है,
होंठ कपड़ा नहीं, फिर भी सिल जाते हैं,
किस्मत सखी नहीं, फिर भी रूठ जाती है,
बुद्धि लोहा नहीं, फिर भी जंग लग जाती है,
आदमी का मन शरीर नहीं, फिर भी घायल हो जाता है,
और इन्सान मौसम नहीं, फिर भी बदल जाता है.
धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह शेखावत (नागदा-खाचरोद) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 18, 63, 66 एवं 69 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. जहां मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी एवं मंत्री जी ने श्रम के लिए 169 करोड़ 40 लाख 97 हजार रूपये का प्रावधान किया है. अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिये 25 करोड़ 1 लाख 42 हजार रूपये का प्रावधान किया है, पिछड़ा वर्ग कल्याण के लिये 932 करोड़ 27 लाख 23 हजार रूपये का प्रावधान किया है.
माननीय सभापति महोदय, मैं बताना चाहूँगा कि जबसे मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है. इन 11-12 वर्षों में लगभग, जो मध्यप्रदेश में औद्योगिक अशांति होती थी और एक समय यह होता था कि 'चाहे जो मजबूरी हो, मांग हमारी पूरी हो', लगभग 12 वर्षों से जो मेरे देखने में आया है कि कहीं भी उद्योगों में हड़ताल नहीं हुई है. उद्योग प्रबन्धकों और श्रमिकों में कहीं कोई विवाद नहीं हुआ है. मैं यह मानता हूँ कि यह माननीय मंत्री जी की कार्य-कुशलता थी कि हर विवाद को कहीं न कहीं चर्चाओं में कर, उन चीजों का ठीक प्रकार से निदान किया है. आज 51 जिलों में श्रम कार्यालय का प्रारम्भ होना, हम सबके लिए गर्व की बात है. मैं माननीय सभापति जी, बताना चहूँगा कि जहां पंजीयन की इतनी बड़ी व्यवस्था करी है, जो श्रमिक छोटी-छोटी मजदूरी करते थे. मैं इस बात के लिये माननीय मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश की जहां आबादी साढ़े 7 करोड़ है. उसमें लगभग 3 करोड़ असंगठित मजदूर हैं. उन 3 करोड़ असंगठित मजदूरों के लिए भी शहरी ग्रामीण असंगठित बोर्ड का गठन किया है.
माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी से, इतना निवेदन जरूर करना चाहता हूँ कि यह बोर्ड तेज गति से अपने लक्ष्य को प्राप्त करे. इसके लिये बजट का प्रावधान अगर आप ठीक प्रकार से करेंगे तो ठीक होगा. मैं निर्माण श्रमिकों के लिए जहां पेन्शन योजना, कौशल परीक्षण और उन गरीब श्रमिकों के लिए चाहे शहरी या ग्रामीण हों, उनमें जो भवन बनाने और उसमें 1 लाख रूपये तक अनुदान देने की अभिनव योजना आपने प्रारंभ की है, उसके लिये भी धन्यवाद देना चाहता हूँ. मैं एक निवेदन माननीय मंत्री जी से जरूर करना चाहूँगा कि जो न्यूनतम वेतन है, उस न्यूनतम वेतन को भारत सरकार के सातवां वेतनमान में फोर्थ क्लास कर्मचारियों की न्यूनतम वेतन तय की है और दूसरी समाजिक सुरक्षा अलग से है. अगर न्यूनतम वेतन ठेका श्रमिकों का बढ़ेगा तो निश्चित रूप से एक ठीक वातावरण होगा. उनको भी सम्मान के साथ जीवन जीने का अधिकार होगा. आप स्थायी श्रमिकों के हित के लिए कई बार की योजनाएं बनती हैं और ठीक प्रकार से आपने वातावरण बनाया है, उसके कारण नये उद्योग भी आए हैं और पुराने उद्योग भी बन्द होने से बचे हैं. लेकिन मैं आपसे इतना निवेदन जरूरत करेंगे कि आप स्थायी श्रमिकों के लिये आप ठीक प्रकार से एक योजना बनाते हैं लेकिन जो ठेकेदारी श्रमिक होते हैं, विशेषकर अगर उद्योग चालू स्थिति में हैं और जो श्रमिक 10-15 वर्षों से कार्य कर रहे हैं. 10-15 वर्षों से कार्य करने के बाद भी, उद्योग प्रबन्धक द्वारा उनको कई बार निकाल दिया जाता है. अगर ठेका श्रमिकों का आप संरक्षण करेंगे तो मेरी दृष्टि से ठीक होगा.
मंत्री जी, मैं एक निवेदन आपसे और करना चाहता हूं कि मिनिमम वेज सब को मिले, बैंक के द्वारा मिले. लेकिन कई बार देखने में यह आता है कि जो स्कूल होते हैं, अस्पताल, होटल होते हैं, उनमें ठीक से मिनिमम वेज मिले, इसकी अगर आप सुनिश्चितता करेंगे, तो बहुत ठीक होगा. क्योंकि मैं स्कूलों में देखता हूं कि कई बार जो मिनिमम वेज मध्यप्रदेश शासन के द्वारा, केंद्र की सरकार के द्वारा तय है, वह भी नहीं मिल पाता है. तो अगर आप यह करेंगे तो ठीक होगा. मैं मंत्री जी से एक निवेदन और करना चाहता हूं कि जो बड़े उद्योग होते हैं, इन बड़े उद्योगों में जो सीसा होता है, उनका जो एक प्रकार से, उसकी राशि सोशल एक्टिविटी में वह खर्च करते हैं, उस राशि के प्रति वह जवादेही हो, वह पर्यावरण के उसमें एवं अन्य सोशल एक्टिविटी में पूरी खर्च करें, अगर आप यह सुनिश्चित करेंगे, तो मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा. मंत्री जी, एक चीज के लिये मैं आपको और धन्यवाद देता हूं. जो 58 से 60 साल आपने निजी उद्योगो में किया है, उसके लिये मध्यप्रदेश की सरकार के लिये, मुख्यमंत्री जी के लिये जितनी तारीफ की जाये, उतनी कम है. लेकिन जो मेरे यहां नागदा में तो आपके द्वारा त्रिपक्षीय वार्ता बुलाकर उस नियम को लागू किया, मैं उसके लिये भी आपको धन्यवाद देना चाहता हूं. लेकिन जब वह गजट नेटिफिकेशन हुआ था और जो त्रिपक्षीय वार्ता हुई थी, उसके बीच में जिन श्रमिकों को निकाल दिया था, अगर उन श्रमिकों को वापस हित लाभ दिलाने का आप काम करेंगे तो निश्चित रुप से आपको बहुत बहुत धन्यवाद दूंगा. आपकी जो एक अभिनव योजना है, एक बार आपसे मेरी चर्चा हुई थी, जो श्रमिकों के बच्चों के लिये आवासीय विद्यालय खोलने की योजना थी, अगर यह चीज पूरे मध्यप्रदेश में लागू होगी, तो उन श्रमिकों के बच्चे बड़े स्कूलों में, उन आवासीय विद्यालयों में पढ़कर आगे बढ़ पायेंगे. पिछड़ा वर्ग के लिये जो आपने पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति, विदेश अध्ययन की छात्रवृत्ति, मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग स्वरोजगार योजना और पिछड़ा वर्ग के मेघावी विद्यार्थियों को जो आप पुरस्कार देते हैं, 10वीं के छात्रों को 5 हजार, 12वीं के छात्रों को 10 हजार रुपये और विशेष करके जो व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित परीक्षाओं में पिछड़े वर्ग के सर्वाधिक अंक जो आप पीईटी,पीपीटी और एमसीए में देते हैं, प्रथम पुरस्कार एक लाख, द्वितीय पुरस्कार 50 हजार और तृतीय पुरस्कार 25 हजार रुपये, मैं इसके लिये भी आपको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं आपकी एक योजना के लिये जो अल्पसंख्यक समाज के लिये भोपाल में आप हज यात्रियों के लिये सुविधायुक्त 6 करोड़ की लागत से एक हज हाउस बना रहे हैं, मैं उसके लिये भी आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. सभापति महोदय, आपने बोलने के लिये जो अवसर दिया, उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) -- सभापति महोदय, हम समझते हैं कि गरीबों का सबसे ज्यादा अगर हितैषी कहना चाहिये, तो यह विभाग है. पर गरीबों, मजदूरों के संरक्षण के लिये जिस तरह से काम होना चाहिये, उस तरह से बिलकुल काम नहीं हो रहा है. बड़ा दुख होता है, जब गरीब,मजदूर परेशान होता है. मजदूरी के लिये परेशान है, मजदूरी करने के बाद भी जब अपने भुगतान के लिये परेशान है. 3-3,6-6 महीने वह भटकता रहता है. सरकार, सरकार के अधिकारी कर्मचारी सोते रहते हैं. अगर किसी औद्योगिक, प्रायवेट संस्थान में काम कर रहा है और कोई गरीब अपनी लड़ाई लड़ना चाहता है, अपनी मजदूरी की लड़ाई लड़ना चाहता है तो उसकी शासकीय संस्थाएं मदद न करके औद्योगिक संस्थाओं की मदद करते हैं. बड़ा दुख होता है. कई ऐसी घटनायें आये दिन घटती रहती हैं. और तो और हम तो बोलते हैं, सरकार से मेरा निवेदन है कि जिन भी संस्थाओं ने चाहे वह शासकीय,अर्द्ध शासकीय, प्रायवेट इंडस्ट्रियां हों, बिल्डर हों. जहां जिस क्षेत्र में भी अगर गरीब श्रमिक मजदूरी कर रहा है और अगर उसकी मजदूरी समय पर भुगतान नहीं होती है, तो उसके लिये सरकार को प्रावधान करना चाहिये. चाहे वह मनरेगा में काम किया हो, 6-6 महीने अगर सरकार भुगतान नहीं कर रही है या अन्य योजनाओं में या कहीं प्रायवेट संस्थान में काम किया है, अगर मजदूरी नहीं मिल रही है, तो गरीबों को मजदूरी दिलाने के लिये सरकार को कड़े नियम बनाना चाहिये. चाहे वह शासकीय या प्रायवेट संस्थान हो और उनका समय पर मजदूरी का भुगतान हो, इसके लिये प्रावधान करना चाहिये. न कि इंसपेक्टर राज श्रम विभाग में भी है, उसके माध्यम से जो थोड़ा तालमेल करके और व्यवस्था बना लेते हैं. यह बड़ा चिंता का विषय है. योजनायें तो हमारे बहुत सारे साथियों ने गिनाईं, पर अगर सही में आप देखेंगे, अगर किसी मजदूर, श्रमिक की मृत्यु हो जाती है और जो उसको अंत्येष्टि के लिये 3 हजार रुपये देने का प्रावधान है, उसके लिये भी वह महीनों भटकता है. वह भी उसको नहीं मिल पाता है. यह एक चिंता का विषय है, इस पर सरकार को सोचना चाहिये. सरकार ने इंदिरा आवास के लिये भी बहुत प्रावधान किया है. अन्य योजनाओं, राजीव आश्रय योजना भी इसके पहले थी, अभी मुख्यमंत्री आवास योजना चल रही है. पर सच बात तो यह है कि गरीब के जेब में अगर पैसा है तो उन योजनाओं का लाभ मिलता है. नहीं तो मजदूर भटकता रहता है. उसको न्याय नहीं मिलता है. इस पर सरकार को चिंता करना चाहिये. इसको सख्ती से क्रियान्वयन करना चाहिये. कई संस्थाएं ऐसी भी हैं, जहां मजदूर काम करता है, कोई गार्ड की नौकरी करता है, कई अन्य छोटे कर्मचारी होते हैं. जो सरकार की तरफ से एक निश्चित वेज है, एक शासकीय उचित राशि तय है, वह राशि तो मिलती है, उसके साथ जो पीएफ का पैसा काटते हैं, उसको पीएफ का पैसा समय पर नहीं मिलता है. कई कम्पनियां खा जाती हैं. पीएफ कई गरीबों को नहीं मिल पाता है. इसके लिये भी कड़ाई से, सख्ती से पालन कराना चाहिये. तेंदूपत्ता के बोनस, मजदूरी के लिये सालों इंतेजार करते हैं. 2-3 साल बाद भी उनके खाते में पैसा नहीं जा पा रहा है. अल्पसंख्यक कल्याण की भी बहुत सारी बातें तो होती हैं. योजनाएं भी बहुत सारी गिनाई जाती हैं. पर जिस तरह से इसका प्रचार प्रसार, लाभ जो भी अल्पसंख्यक संस्थाएं हैं, उनको जिस तरह से मिलना चाहिये, नहीं मिल पाता है. इसके लिये भी सरकार को चिंता करना चाहिये और जो जो मद के बारे में हमारे साथी सिंह साहब बोल रहे थे, बड़ा प्रचार प्रसार करके कि हमने इन इन में प्रावधान किया है. सरकार की तरफ से वक्तव्य आ रहा था, पर मिलता नहीं है. हमें तो मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक भी ऐसी संस्था, जगह नहीं दिखाई दी, जहां पर शासकीय अनुदान सरकार द्वारा अल्पसंख्यक संस्थाओं को मिल पाया हो. तो इस पर भी व्यवस्था होना चाहिये. उन्हीं को मिलता है, जिन्होंने लेनदेन कर दिया, सांठ-गांठ कर ली, उन्हीं तक यह लाभ पहुंचा, बाकी संस्थाओं को पहुंचा ही नहीं. इस पर भी व्यवस्था बनाने की आवश्यकता है. एक बड़ा महत्वपूर्ण विभाग मुख्यमंत्री जी ने बड़ा प्रचार प्रसार करके बनाया था और मुख्यमंत्री आवास में भोजन भी कराया था. घुमक्कड़ और अर्द्ध घुमक्कड़ आयोग का भी गठन कर दिया था, अध्यक्ष भी बना दिया था. शायद मेरी जानकारी में है एक अध्यक्ष अभी वर्तमान में है कि नहीं. लेकिन पता नहीं, पर दो कर्मचारी हैं, दो या तीन कर्मचारी से ज्यादा नहीं हैं उस विभाग में. कैसे चलेगा. आपने प्रचार प्रसार तो बहुत किया. उससे ज्यादा तो प्रचार प्रसार में पैसा खर्चा कर दिया और वहीं यह घुमक्कड़ अर्द्ध घुमक्कड़ आयोग बनाया था, उनको एससी,एसटी में शामिल करने की बात सरकार ने की थी. सरकार क्यों भूल गई. क्या केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है कि इस वर्ग के लिये हमने प्रचार प्रसार तो बहुत किया, बहुत बड़ा सम्मेलन बुलाया सरकार के बहुत पैसे भी खर्च कर दिये. उसके बाद क्यों नहीं उनको एससी,एसटी में शामिल करने संबंधी प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा. उनको दर्जा देने का आपने लालच दिया था, क्यों नहीं उनके लिये बात की. क्यों सरकार सिर्फ बातों तक ही सीमति है. सिर्फ सरकार बड़ी बड़ी बातें तो करती है, पर सरकार उनके लिये किसी भी प्रकार का प्रयास नहीं करती है. हम समझते हैं कि अलग से विभाग बनाने से काम नहीं बनेगा. जितने विभाग हैं और जो विभाग हमारे पास पहले से थे, उसमें व्यवस्थाएं सुधार करने की सरकार को ज्यादा आवश्यकता है. बजाये विभाग बनाने के और सरकार का खर्चा बढ़ाने में. अगर हम पिछड़ा वर्ग कल्याण की बात करें, तो बातें तो बहुत करते हैं. पिछली बार ही हमने विधान सभा में प्रश्न लगाया था. जवाब आया था कि एक भी विदेश पढ़ने के लिये छात्र नहीं गया मध्यप्रदेश से. तो पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिये योजनाएं तो बहुत सारी संचालित हैं, परंतु व्यवस्थाओं के नाम पर अगर देखेंगे, इनके छात्रावास में विजिट कीजिये, तो जिस तरह की व्यवस्थाएं होनी चाहिये, बिलकुल व्यवस्था समुचित नहीं हैं. सिर्फ भ्रष्टाचार के अड्डे बने हुए हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि जो बजट का प्रावधान किया गया है, यह भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़े, इसका सही ढंग से उपयोग हो. हम मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मांगों का विरोध करते हैं, धन्यवाद.
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर(मांधाता) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 18, 63, 66 और 69 के समर्थन मे अपनी बात कहन के लिये खड़ा हुआ हूं. श्रम, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक पर बहुत चर्चा हो चुकी है. एक ऐसा वर्ग भी इस मध्यप्रदेश के अंदर रहता है जिसकी चर्चा 2003 से पहले किसी ने नहीं की थी, न किसी सरकार ने सुध ली थी ,न उस पर कभी विचार किया था वह थे धुमक्कड़, अर्द्ध-घुमक्कड़, विमुक्त जाति के लोग. इसके लिये हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने एक अलग से विभाग बनाया है और जो अलग से विभाग बनाया है उसमें 51 जातियों को सम्मलित किया गया है जिसके पीछे उद्देश्य एक ही है कि इन जनजातियों की प्रमुख समस्या, शैक्षणिक, पिछड़ापन, आर्थिक रूप से विपन्नता, घुमक्कड़ प्रवृत्ति के कारण स्थाई आवास का नहीं होना. जब इस विभाग का गठन हुआ तो गठन के पश्चात प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने, हमारे मंत्री जी अंतर सिंह आर्य ने जिस गति के साथ में विभाग का काम शुरू किया है तो मैं दावे के साथ में कह सकता हूं, प्रमाणिकता के साथ में कह सकता हूं कि आज उन जातियों के लोगों का शैक्षणिक स्तर सुधरा है, उनका पिछड़ापन जो बहुत पिछड़ गये थे, इसके लिये सरकार ने अनेक योजनायें बनाकर सरकार ने उनको आगे लाने का काम किया है.
मान्यवर सभापति महोदय, इनका जीवन परेशानियों से भरा रहता हू और इसी को देखते हुये 2011-12 में इसके लिये विभाग का गठन किया गया. इस वर्ग के लोग मजरे,टोले,मोहल्ले बस्तियों में रहते हैं और इसी में विमुक्त जाति में बंजारा समाज भी आता है . यह समाज तो कहीं एक जगह रहता ही नहीं है टांडे उनके रहते हैं गांव गांव में वहां पर यह निवास करते हैं, इन सब वर्गों के लोगों के लिये सरकार ने सड़क, नाली, सीसी रोड, सामुदायिक भवन, पीने के पानी की व्यवस्था, लाईटिंग की व्यवस्था इसके लिये बजट में प्रावधान भी हमारी सरकार ने किया है. इसके साथ ही मैं कमलेश्वर पटेल जी से कहना चाहता हूं क्योंकि यह कह रहे थे कि इसमें कुछ नहीं है एक आयोग का गठन कर दिया. आयोग का गठन नहीं वह एक अभिकरण है, परंतु जब इस विभाग का गठन किया गया तो इसमें इन समाज के लोगों को पढ़ने के लिये छात्रावास की व्यवस्था भी की गई. अब कमलेश्वर भाई आप देखकर के आना जहां जहां यह छात्रावास खुले हैं, आप चाहें तो मेरे यहां चले चलना. मैं आपको आमंत्रित करता हूं. खंडवा जिले में मेरे विधानसभा क्षेत्र में विमुक्त जाति का कन्या छात्रावास , पिछले वर्ष खुला है, हरसूद में खुला है . बुरहानपुर में खोला है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अभी मांग करेंगे कि यह खोला जाये.
सभापति महोदय- कृपा करके समाप्त करें.
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर --सभापति महोदय, मैं कह दूंगा कि 1 बच्चे तक ही सीमित रहो तो क्या रह पाते हो. इसलिये आवश्यकता के आधार पर मांग की जाती है. हमारी जो सरकार ने किया है कांग्रेस की सरकार ने 50 साल तक नहीं किया है , आप लोगों ने सिर्फ शोषण करने का काम किया है. छात्रावास हमने खोले हैं और वहां पर विमुक्त जाति के, घुमक्कड, अर्द्ध घुमक्कड जाति के बालक और बालिकायें उन छात्रावासों में अध्ययन कर रही हैं. उसके साथ ही अध्ययनरत छात्र छात्राओं को छात्रवृत्ति देने का काम भी हमारी सरकार के मुख्य मंत्री और आदरणीय मंत्री जी ने किया है .
1.44 बजे {सभापति महोदय(श्री केदारनाथ शुक्ल) पीठासीन हुए}
आदरणीय सभापति महोदय, विमुक्त जाति के लोगों के पढने के लिये छात्रावास चालू हो गये हैं. छात्रवृत्ति योजना है ही और साथ ही साथ उनको रोजगार की सहायता के लिये ,उनको रोजगार प्राप्त हो इसके लिये ऋण और ऋण में भी अनुदान देने का काम हमारी सरकार ने किया है. विमुक्त जाति के लोगों के लिये आवास योजना भी है. उस आवास योजना में वह एक जगह रहकर अपना रोजगार चालू कर सकते हैं उसमें 60 हजार रूपये का अनुदान और 10 हजार रूपये उसमें श्रम अनुदान दिया जाता है. मान्यवर सभापति महोदय, जाति प्रमाण पत्र के बारे में कहना चाहता हूं. कभी कभी क्या होता है कि घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़, जाति के लोग अलग अलग जगह पर ठहरते हैं और जब जाति प्रमाण पत्र की बात आती है तो जाति प्रमाण पत्र बनाने में उनको दिक्कत आती है इसलिये जाति प्रमाण पत्र बनाने में भी बहुत सरलीकरण कर लिया गया है. अब उनको यहां वहां भटकने की आवश्यकता नहीं है. विमुक्त जाति के लिये अब 10 नवीन छात्रावास यह सरकार और खोलने जा रही है. अब हमारे कांग्रेस के मित्र कहेंगे कि कहां खुले हैं तो मैं उनको बताना चाहता हूं कि इसी धरती पर खुले हैं. 50 साल में मैंने कल भी कहा था और आज भी कह रहा हूं आपकी सरकार जब थी, आपके मुख्यमंत्री जो घोषणायें करते थे, निर्माण कार्यों का भूमि पूजन करते थे, आज भी वो पत्थर लगे हुये हैं, (XXX) . मैं आपको बताना चाहता हूं....
श्री कमलेश्वर पटेल-- तोमर साहब आपके मुख्यमंत्री जी ने हजारों की संख्या में भूमि पूजन किया है लेकिन कोई काम शुरू नहीं हुआ है.
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर-- मान्यवर सभापति महोदय. इस विभाग के गठन के लिये मुख्यमंत्री जी को और मंत्री जी को बहुत बहुत बधाई दूंगा इसमें अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है. आपने मेरे यहां पर कन्या छात्रावास चालू कर दिया है पर मंत्री जी भवन भी बना दें, बच्चियों का मामला है, बेटियों का मामला है.
सभापति महोदय--कृपया समाप्त करें. 8 मिनट हो गये आपको बोलते हुये.
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर -- अभी कहां साहब. मान्यवर सभापति महोदय, एक छात्रावास हेतु भवन निर्माण की मेरी मंत्री जी से मांग है. दूसरा श्रम विभाग के बारे में कहना चाहता हूं . श्रम विभाग में जो श्रमिक काम करते हैं, श्रम न्यायालय हैं वहां पर उनको न्याय मिलता है परंतु बहुत सारे ऐसे श्रमिक भी हैं जो असंगठित हैं जिनका पंजीयन नहीं है उनको उस सुविधा का लाभ मिलना चाहिये. मेरे यहां पर सिंघाजी थर्मल पॉवर है वहां पर ठेकेदारी प्रथा से ठेकेदार श्रमिकों को काम पर लगाता है. पिछले दिनों मैंने एक प्रश्न लगाया था कभी कभी कुछ गलती के कारण वहां पर राज सिक्यूरिटी वाले ने मात्र 4200 रूपये वो श्रमिकों को भुगतान कर रहा है जबकि श्रमिक नियम के अनुसार उसको श्रमिकों का भुगतान कलेक्टर रेट के आधार पर करना चाहिये. अब उसको कहां पकड़े इसके लिये मैं मंत्री जी को एक सुझाव देना चाहता हूं कि वह श्रमिक की तनख्वाह उसके बैंक के एकाउन्ट में डाली जाये. अब एकाउन्ट में डले इसके लिये एक दो जगह पर जांच करने के लिये बैंक से बैलेंस शीट बुलाई जाये कि कितना पैसा इसके खाते में हर माह डाला जा रहा है. तो पता लग जायेगा, पीएफ की राशि जमा हो जाये, और मान्यवर सभापति महोदय, जब हम मंडियों में जाते हैं हम्मालों का पंजीयन नहीं है. इसलिये जो श्रमिक जिनिंग फेक्ट्री में काम करते हैं उनका पंजीयन नहीं होता है, जो श्रमिक दाल मिल में काम करते हैं उनका पंजीयन नहीं होता है, जो श्रमिक सीमेन्ट की फेक्ट्री में काम करते हैं उन श्रमिकों का पंजीयन नहीं होता है, वेयर हाउस में काम करने वाले जो हमारे श्रमिक हैं उनका भी पंजीयन बराबर रूप से नहीं होता है. मैं माननीय मंत्री जी से मांग करता हूं कि अलग अलग क्षेत्रों में जाकर अपने अधिकारियों को भेजें वे वहां पर पंजीयन शिविर लगायें और श्रमिकों का पंजीयन करायें और जो कम वेतन श्रमिकों को मिलता है इस पर विशेष रूप से मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि इस ओर ज्यादा ध्यान देंगे तो श्रमिकों को फायदा होगा. मान्यवर सभापति महोदय, आपने मुझे मांग पर अपनी बात रखने के लिये जो अवसर प्रदान किया है उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर-- माननीय सभापति महोदय, पिछड़ावर्ग, अल्पसंख्यक, श्रम और विमुक्त जातियों की इन अनुदान मांगों के लिये यशपाल सिंह जी, दिलीप सिंह शेखावत जी, सौरभ सिंह जी, सुखेन्द्र सिंह जी और मैं खुद, हमको बोलने का अवसर मिला है, पिछड़ा वर्ग पर, जिस पर आप विशेष रूप से ध्यान दें क्योंकि हम सब सामान्य वर्ग से आते हैं और हमको यह सौभाग्य मिला है तो मंत्री जी आप ज्यादा काम करें.
श्री वेलसिंह भूरिया-- माननीय सभापति महोदय, दरबार यह नहीं सोचें कि हम ही बोलते हैं, हम भी बोलेंगे आदिवासी भी, गरीब और मजदूरों के ऊपर, ठाकुर ही ठाकुर नहीं बोलेंगे, भील भी बोलेगा.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 18, 63, 66, 69 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. यह श्रम विभाग निश्चित रूप से अपने देश के लिये बड़ा ही महत्वपूर्ण विभाग है, जैसा कि अभी साथी विधायक ने कहा कि बोलने वालों की संख्या कम है, लेकिन यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है, इसलिये कि भारत की आबादी में आज भी 80 प्रतिशत किसान हैं, किसाने अपने खेत में मजदूरी करने वाला एक व्यक्ति है और उसी तरह से जो किसान हैं उनके पास जमीनें हैं, आज वह भी अधिया पर, मजदूरी पर अपना खेत दे रहे हैं, लेकिन जब ओला पाला पड़ता है तो किसान तो कुछ न कुछ मुआवजा पा जाता है लेकिन जो बंटाई का मजदूर होता है जो और होता है, उनके बारे में शायद सरकार की कोई चिंता नहीं है यह भी एक बहुत बड़ा विषय है. दूसरी बात माननीय सभापति महोदय, जो बड़े उद्योग लगे हुये हैं, जिस समय उद्योग लगाये गये, उस समय जब जमीनें ली गईं किसानों की तो उनको मजदूरी का काम दे दिया गया, लेकिन आज उनके लड़कों, बच्चों को वह मजदूरी भी नहीं दी जा रही, यह भी एक चिंता का विषय है, उनके लिये भी यह बात आनी चाहिये.
मनरेगा में पहले मजदूरी नियत थी कि कोई मजदूर काम करे या न करे, उसको 100 दिन का काम दिया जायेगा, लेकिन अब वह बढ़ाकर 150 कर दी गई है, लेकिन जब मनरेगा का मजदूर आज काम करता है तो उसकी जो मजदूरी नियत है 150 या 170 उसमें भी कटौती कर दी जाती है, उसको पूरे दिन की मजदूरी नहीं दी जाती, सब इंजीनियर उसको काट देता है कि इतनी मजदूरी नहीं हो पाई है, यह भी एक गंभीर विषय है. अभी हमारे साथी विधायक कह रहे थे कि बहुत बड़ी चिंता हो रही है. आज मशीनी युग का बहुत इस्तेमाल हो रहा है, मजदूर लगातार पलायन कर रहे हैं. भाई सौरभ सिंह ने बड़ी गंभीर बात इसमें बोली कि जो हमारे प्रदेश का मजदूर काम करने के लिये बाहर जाता है, जब कतिपय कारणों से एक्सीडेंटल लाश उसकी गिर जाती है तो उसको आने जाने के लिये कोई व्यवस्था नहीं बनाई गई, माननीय सभापति महोदय मैं समझता हूं आपके क्षेत्र से, पूरे मध्यप्रदेश से, हर विधानसभा क्षेत्र से मजदूर बाहर काम करने के लिये जा रहे हैं, उनके साथ आये दिन कोई न कोई घटना होती है, हम लोगे किसी तरह से वहां के टीआई को फोन करते हैं, आप भी करते होंगे, इस पर एक निश्चित रूप से कानून बनना चाहिये, जब भी हमारे प्रदेश का मजदूर कहीं दूसरी जगह काम करने जाये तो कम से कम उसकी लाश वापस हमारे घर, गांव में सुरक्षित आ सके, यह बड़ा गंभीर विषय है.
अभी मांग संख्या 63 अल्पसंख्यक पर बहुत सारे हमारे साथी विधायकों ने चर्चा की लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि हज के लिये 2015-16 में जो बजट निर्धारित किया गया है, सिर्फ उतना ही बजट निर्धारित रह गया है, उसको बढ़ाया नहीं गया है, अगर इतनी ही चिंता अल्पसंख्यकों की है तो इसमें भी आपको बजट बढ़ाने की आवश्यकता है. हमारे क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग कल्याण के लिये कोई भी छात्रावास नहीं है, तो माननीय सभापति जी आपके माध्यम से अनुरोध है कि हमारे विधान सभा क्षेत्र में पिछड़ा वर्ग कल्याण में छात्रों के लिये कोई नये छात्रावास बनाये जाने की अनुशंसा की जाये. घुमक्कड़, अर्द्धघुमक्कड़ जातियां हमारे विधानसभा क्षेत्र में हैं, लेकिन उनके लिये अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं, यह माननीय सभापति महोदय आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूं कि उनके लिये भी कोई ठोस कदम उठाये जायें, आपने बोलने के लिये समय दिया, इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय-- श्री दिनेश राय (अनुपस्थित)
श्री हजारीलाल दांगी (खिलचीपुर)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 18, 63, 66 एवं 69 के पक्ष में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. माननीय सभापति महोदय आज इस समय जो चर्चा चल रही है, सभी गरीब वर्ग के लोगों के संबंध में चर्चा चल रही है. मेरा अनुरोध है कि श्रम विभाग से जुड़े हुये हैं तो मजदूर हैं, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से जुड़े हैं तो गरीब हैं, पिछड़ा वर्ग के मामले में विचार करें तो पिछड़ा वर्ग भी गरीब वर्ग से आता है और विमुक्त, घुमक्कड़ और अर्द्धघुमक्कड़ जाति के जो लोग हैं, मतलब सारे वर्ग के लोग गरीबी की रेखा के नीचे काम करने वालों की श्रेणी में आते हैं और आज इसकी तुलना करें हम तो वर्तमान समय में मध्यप्रदेश की सरकार ने आज जो समय चल रहा है इसमें और कुछ समय पहले की सरकार में अगर दोनों की तुलना करें, पिछड़ा वर्ग के मामले में अगर आप देखें, पूर्व की सरकारों ने पिछड़ा वर्ग के मामले में, शिक्षा के क्षेत्र में अगर आप देखेंगे और वर्तमान की अगर तुलना करेंगे तो पूर्व में पिछड़ा वर्ग के बच्चों की पढ़ाई के लिये छात्रावास नहीं हुआ करते थे, पढ़ाई के लिये उनको किसी प्रकार की सुविधायें नहीं दी जाती थीं, पहले शिक्षा के स्तर में अगर देते थे तो कुछ वर्ग के लोगों को छात्रावास की सुविधायें दी जाती थीं, छात्रवृत्ति की सुविधायें दी जाती थीं, सभी प्रकार की सुविधायें दी जाती थीं, लेकिन वर्तमान में अगर आप देखें तो हर वर्ग के लागों को चाहे किसी भी वर्ग का हो, लेकिन हर क्षेत्र में उसको सुविधायें दी हैं, वर्तमान सरकार ने. आज पढ़ाई के क्षेत्र में भी देखें हम, तो पहली क्लास से लगाकर 12वीं क्लास के बच्चों को सारी सुविधायें, पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराना, मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था करना, छात्रवृत्ति की व्यवस्था करना और उनको रहने की व्यवस्था करना, छात्रावास जिला लेबल पर पिछड़ा वर्ग के छात्रावास खोले हैं, पहले पिछड़े वर्ग के लिये कोई सुविधायें नहीं थीं, आज वर्तमान सरकार ने जो सुविधायें दी हैं उससे पिछड़ा वर्ग के बच्चों को अध्ययन करने में जो सुविधायें मिली हैं, इस हिसाब से उनका जीवन स्तर सुधरा है और आज पिछड़ा वर्ग के लोगों ने जो तरक्की की है माननीय सभापति महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो किया है, आज माननीय मुख्यमंत्री जी ने जितनी सुविधायें पिछड़ा वर्ग के अगर पहले की तुलना में करें तो उनको बराबर लाकर खड़ा कर दिया है. जिला स्तर पर छात्रावास, अगर बच्चे को छात्रावास में सुविधा नहीं मिली तो उनको प्राइवेट मकान देने के लिये किराया दिया जाता है उससे बच्चों का हौसला बढ़ा है. लोगों ने पढ़ाई में रूचि दिखाई है. आज माननीय सभापति महोदय, मैं तो माननीय मंत्री जी से यही अनुरोध करूंगा कि इसमें और सुधार करने की जरूरत है, अगर पिछड़ा वर्ग के लोगों को हम आगे बढ़ाना चाहते हैं, जितनी सुविधायें दी हैं इससे और ऊपर उठकर करें तो जिला स्तर पर जो आपने छात्रावास खोले हैं बहुत अच्छा किया है, बच्चों को सुविधायें जो दी जिला स्तर पर बहुत अच्छा किया है, पूर्व की तुलना में देखें तो पिछड़ा वर्ग के बच्चों के लिये कोई सुविधायें ही नहीं थीं. आपसे यह अनुरोध है कि तहसील स्तर पर भी छात्रावास की सुविधा पिछड़ा वर्ग के बच्चों को दी जाये ताकि तहसील स्तर पर भी जो ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे हैं, वह आकर रहने लग जायेंगे, उनको जो छात्रवृत्ति हम दे रहे हैं अगर उनको रहने के लिये छात्रावास की सुविधा और देंगे तो वास्तव में बच्चे पढ़ने में ज्यादा रूचि लेंगे. मेरा अनुरोध है कि तहसील स्तर पर भी छात्रावास का निर्माण कराया जाये और आज जिला स्तर पर आपने संख्या जो रखी है 100 बच्चों की और छात्राओं की संख्या 50, मेरा अनुरोध है कि जिला बहुत बड़ा होता है. सरकार बालिकाओं की शिक्षा पर इतना ध्यान दे रही है. बालिका की संख्या जो 50 रखी गई है, वह बहुत कम है. मैं मंत्रीजी से यही अनुरोध करुंगा कि मुख्यमंत्रीजी का जो सोच है, उनका बालिकाओं की शिक्षा पर ध्यान है तो उस 50 की संख्या को बढ़ाकार 150-200 करना चाहिए क्योंकि जिला बहुत बड़ा होता है. वहां पर बहुत बच्चियां पढ़ने आती है. हम जितनी सुविधाएं उनको देंगे तो बच्चों में पढ़ने की ओर रुझान बढ़ेगा. मेरा कहना है कि जो बालकों की संख्या 100 है उसको बढ़ाकर 200 की जावे और बालिकाओं की जो संख्या 50 है उसको बढ़ाकर 150 की जावे क्योंकि बहुत सी बालिकाएं जिला स्तर पर जब पढ़ने आती हैं तो उनको रहने के लिए किराये के मकान नहीं मिलते. अगर मकान मिलते भी हैं तो उनमें अच्छी सुविधाएं नहीं मिलती हैं.
सभापति महोदय--कृपया समाप्त करें.
श्री हजारीलाल दांगी--सभापति जी, पिछड़े वर्ग के बाद अल्प संख्यक वर्ग आता है. मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा गरीब वर्ग के लोग अल्पसंख्यक वर्ग से आते हैं. पूर्व की सरकारों में अल्पसंख्यकों को पढ़ाई या किसी अन्य क्षेत्र में कोई सुविधाएं नहीं दी जाती थी. मुझे कहना नहीं चाहिए लेकिन कह देता हूं कि पूर्व की सरकार अल्पसंख्यक वर्गों के लोगों का किस तरह से उपयोग करते थे उसका उदाहरण देता हूं. चुनाव के समय अल्पसंख्यक भाईयों को आगे कर देते थे. जिस तरह से चाय बनाते हैं और उसमें पत्ती डालते हैं जब वह पत्ती कलर दे देती है तो उस पत्ती को सड़क पर फैंक देते हैं. इसी तरह से चुनाव के समय पर अल्पसंख्यक भाईयों को आगे करके वोट ले लेते थे लेकिन उनके विकास की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. आप इतिहास उठाकर देख लें, आज जितनी सुविधा मध्यप्रदेश में इस सरकार ने अल्पसंख्यक भाईयों के लिए दी है इतनी सुविधा इससे पहले कभी नहीं मिली थी. उसी का परिणाम कि आज अल्पसंख्यक समुदाय के लोग जो मदरसों में शिक्षा लेते हैं उनको कम्प्यूटर दिये हैं. उनके लिए मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था की है. उनको पढ़ाई के लिए किताबें दी. उनको छात्रवृत्ति दे रहे हैं. अल्पसंख्यक समुदाय का विकास कैसे हो, उनके बच्चों का जीवन-स्तर कैसे सुधरे इस ओर सरकार ने चिन्ता की है.
सभापति महोदय--समाप्त करें. एक मिनट में कह दीजिए.
श्री हजारीलाल दांगी--सभापति महोदय,अल्पसंख्यक समुदाय का विकास कैसे हो इस पर माननीय मुख्यमंत्रीजी ने और माननीय मंत्रीजी ने जो चिन्ता की है वे उसके लिए बधाई के पात्र हैं. पिछले 12 साल में अल्पसंख्यक भाईयों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है, उन्होंने प्रगति की है. आज हर अल्पसंख्यक समुदाय का बच्चा पढ़ने में रुचि लेने लगा है.
सभापति महोदय, अल्पसंख्यक समुदाय के लिए जब हज करने जाते थे तो पूरा परिवार, रिश्तेदार मुम्बई उनको छोड़ने जाते थे. लेकिन आज हमारी सरकार ने हज हाऊस के लिए 2 करोड़ रुपये और जमीन की व्यवस्था की है जो वास्तव में उनके कल्याण का काम है. उसके लिए मंत्रीजी, मुख्यमंत्रीजी बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने इतने लोगों को खर्च से बचाया है और कई तरह की दुर्घटनाएं होती थीं. आज मध्यप्रदेश के अल्पसंख्यक समुदाय के लोग प्रसन्न हैं, सुखी हैं उनके विकास के लिए सरकार ने जो किया है वह तारीफेकाबिल है.
सभापति महोदय, श्रम विभाग के विषय में अनेक सदस्यों ने अपनी बात कही है. लेकिन आज मजदूर वर्ग भी हर तरह से सुखी है. रोजगार गारंटी के अंतर्गत पहले तय था कि 100 दिन मजदूरी करेगा लेकिन हमारी सरकार ने 150 दिन मजदूरी के किये हैं. प्रदेश में सारे मजदूरों को मजदूरी मिल रही है लेकिन सबसे बड़ी प्रसन्नता की बात यह है कि मजदूरी तो मिलती है लेकिन प्रत्येक मजदूर को मध्यप्रदेश सरकार की जन कल्याण कारी योजना में एक रुपये किलो गेहूं, एक रुपये चॉवल और एक रुपये किलो नमक मिलता है उससे मजदूरों को कितना सहारा मिलता है. धन्यवाद
सभापति महोदय--श्री जतन उईके....
श्री दिनेश राय--सभापति जी, मेरा नाम निकल गया.
सभापति महोदय--आप उस समय नहीं थे. ठीक है बोलिये.
श्री दिनेश राय(सिवनी)--सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 18 के संबंध में माननीय मंत्रीजी से निवेदन करुंगा. आप श्रमिकों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराते हैं लेकिन वास्तव में वह हमारे यहां पर पूर्णरुप से श्रमिकों को मिल नहीं रहा है. जब वह गरीबी की रेखा के नीचे का श्रमिक है, काम कर ही रहा है तो उन सबका नाम गरीबी की रेखा में आ जाना चाहिए. सभापति महोदय, मंत्रीजी से निवेदन है कि सिवनी में श्रमिकों के लिए पक्के आवास दिये जाने हेतु प्रावधान करें. सिवनी विधानसभा एवं सिवनी जिले के श्रमिकों का पलायन रोकने के लिए मेरे यहां कई बंद उद्योग हैं, उनको प्रारंभ कराया जाये. आप किसी भी शहर में देखेंगे तो श्रमिक हमेशा चौराहों पर खड़े मिलते हैं. मैं चाहताहूं कि उनके लिए वहां रुकने की व्यवस्था,खाने-पीने की व्यवस्था सरकार जरुर करे क्योंकि काम करने के लिए जब वह किसी शहर में जाते हैं तो संबंधित ठेकेदार या संबंधित निर्माण एजेन्सी के पास जाते हैं तो उनके अधीनस्थ हो जाते हैं. उनका सब सामान जब्त कर लिया जाता. जब लगता तब तनख्वाह दी जाती. उनसे ओव्हरटाईम काम लिया जाता है. मेरा निवेदन है उनके लिए एक निश्चितता हो जाये.
सभापति महोदय, मांग संख्या 63 अल्पसंख्यक के संबंध में मैं कहना चाहूंगा, हमारे यहां सिवनी जिले में सामुदायिक छात्र-छात्राओं के लिए आवास उपलब्ध कराने के लिए छात्रावास का निर्माण करावें. अल्पसंख्यक समुदाय के लिए केन्द्र द्वारा लागू योजनाओं को मध्यप्रदेश में लागू किया जाये. अल्पसंख्यक वर्ग के हितों का संरक्षण नहीं हो पा रहा है.उनके लिए स्वीकृत योजनाओं का क्रियान्वयन सुचारु रुप से किया जावे.
सभापति महोदय, सिवनी विधानसभा क्षेत्र में निवासरत् विमुक्त,घुमक्कड और अर्ध घुमक्कड़ जाति जैसे बंजारा समाज को अनुसूचित जाति, जनजाति के समान योजनाओं का लाभ मिले.
सभापति महोदय, मांग संख्या 66 पिछड़े वर्ग में मैं निवेदन करता हूं. विधानसभा सिवनी के अंतर्गत पिछड़ा वर्ग बस्तियों के विकास के लिए अलग से प्रावधान किया जावे. सिवनी जिले के पिछड़ा वर्ग छात्र-छात्राओं के लिए आवास सुविधा उपलब्ध कराने हेतु प्रत्येक ब्लाक मुख्यालय पर छात्रावास का निर्माण कराया जावे. पिछड़ा वर्ग शिक्षित,अशिक्षित बेरोजगारों को स्वयं का रोजगार स्थापित करने हेतु नई योजनाएं बनायी जावे.
सभापति महोदय, आपके माध्यम से मैं कहना चाहूंगा कि हमारे यहां ग्रामीण क्षेत्र से अधिक श्रमिक बाहर पलायन कर रहे हैं. उनके रोकने की कृपा करे. आप कहते हैं कि कलेक्टर रेट पर श्रमिकों को वेतन दिया जाता है लेकिन आप देख लीजिए कि कोटवारों को आप कितनी तनख्वाह दे रहे हैं. कहीं न कहीं आप उनके साथ भी तो ज्यादती कर रहे हैं. उनको हजार-दो हजार रुपये से ऊपर दे नहीं रहे हैं. अकुशल श्रमिक और कुशल श्रमिक को उनकी दर मिलना चाहिए. हमारे नगरीय निकायों में जो स्वीपर काम करते हैं, जो हमारी गंदगी साफ करते हैं, उनको भी पूरी राशि, वास्तविक राशि मिल नहीं रही है. हमारा निवेदन है कि उनके लिए जो सुविधाएं हैं, वह उनको मिले.
सभापति महोदय, आपके यहां बहुत कम श्रम अधिकारी हैं, उनके द्वारा समय समय पर जांच नहीं की जाती. सभी जगह उनका मंथली सिस्टम जम गया है. बड़े बड़े उद्योगों में, बड़े बड़े क्रेशर्स में उनका एक ही काम, उनको महीने से लेना-देना है बाकी से कोई मतलब नहीं है. हमारे यहां अधिकांश बच्चे जिनके माता-पिता नहीं हैं, अगर वह काम नहीं करेंगे तो वह जायेंगे कहां? उनके लिये भी आपने योजना बनायी है लेकिन आपके द्वारा सही व्यक्ति, सही बच्चे, सही परिवार का निर्धारण नहीं हो पा रहा है जिसके कारण मजबूरी में कम उम्र का बच्चा, बाल श्रमिक के रुप में काम करने को मजबूर है. धन्यवाद.
सभापति महोदय--श्री जतन उईके(अनुपस्थित) श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर(अनुपस्थित) श्री गिरीश भण्डारी(अनुपस्थित)
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर)-- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 18,63,66 और 69 का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं.
सभापति महोदय,प्रदेश के श्रम विभाग ने श्रमिकों और मजदूरों के हित में बहुत सारे काम किये हैं. मजदूरों को ठीक तरीके से उनके परिश्रम का पारिश्रमिक प्राप्त हो जाये सरकार इसका निरन्तर प्रयत्न कर रही है. यह बात सही है कि अभी भी बहुत सारे काम करना बाकी है. सरकार ने असंगठित मजदूरों के लिए योजना बनाकर,नियम बनाकर कार्य प्रारंभ किया निश्चित रुप से उसका लाभ हमारे प्रदेश के असंगठित श्रमिकों के प्राप्त हुआ है.कर्मकार सन्निर्माण मंडल के माध्यम से उसमें पंजीकृत जितने भी श्रमिक हैं, उनको विभिन्न सारी योजनाओं से लाभान्वित करने का कार्य किया गया है. सरकार ने प्रसूति योजना के माध्यम से जो लाभ हमारे प्रदेश की मजदूर महिलाओं को और उनके पतियों को देने के लिए यह योजना बनाई. यह बहुत सार्थक योजना हमारे पूरे प्रदेश में वह लागू हुई.
सभापति महोदय, पहले तो कोई भी मजदूर महिला जो बच्चे को जन्म देती थी, उनको प्रसूति के 4-6 दिन बाद ही आर्थिक तंगी के कारण, परेशानी के कारण से काम पर जाना पड़ता था. लेकिन मध्यप्रदेश के संवेदनशील यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने और मंत्री जी ने इस संबंध में बहुत गंभीरता से विचार करके निर्णय किया कि इस प्रकार महिलाओं के बच्चों को जन्म देने के बाद काम पर जाना यह मानवीय संवेदना के प्रतिकूल है. इसके कारण से यह तय किया गया कि महिला के बच्चे को जन्म देने के 45 दिन तक काम पर जाने की आवश्यकता नहीं है. जिसका रजिस्ट्रेशन है, उनको 45 दिन की मजदूरी देने का प्रावधान सरकार ने किया है. केवल इतना ही नहीं 15 दिन की मजदूरी उनके पति को भी जो उनकी देखरेख करे, उनका संरक्षण करे, उनको देने का भी फैसला सरकार ने किया. इसके कारण बहुत सारी प्रदेश के मजदूर महिलाओं को बहनों को इससे बहुत बड़ा लाभ प्राप्त हुआ है.
सभापति महोदय, गरीब कन्याओं का विवाह करना एक समय बहुत बड़ी समस्या होती थी और विशेष कर मजदूरों की कन्याओं का विवाह ठीक तरीके से संपन्न हो जाय, इसकी चिंता करने का काम सरकार के द्वारा किया गया. उसमें विवाह सहायता के रूप में ऐसे मजदूर जो रजिस्टर्ड हैं, पंजीकृत हैं, उनकी बेटियों के विवाह के लिए 25 हजार रुपए की राशि देने का भी सरकार ने किया. इससे बहुत सारी कन्याएं लाभान्वित हुईं. मजदूरों को भी मानसिक रूप से जो तनाव रहता था कि कन्या का विवाह किस प्रकार से संपन्न होगा, उस सबसे भी मुक्ति प्राप्त हुई. एक बहुत बड़ा काम सरकार ने यह किया कि मृत्यु पर जो सामान्य रूप से किसी भी मजदूर की यदि मृत्यु हो जाती है तो उसको 75000 रुपए की अनुग्रह सहायता राशि देने का प्रावधान किया है. यदि कार्य करते हुए किसी मजदूर की मृत्यु हो जाती है तो उसमें 3 लाख रुपए तक देने का प्रावधान किया है और किसी प्रकार से ईश्वर न करे कोई दुर्गटनाग्रस्त हो जाय तो दुर्घटना की स्थिति में भी उनको 1 लाख रुपए का प्रावधान किया गया, उससे सभापति महोदय, मजदूर और उनके परिवार को एक हिम्मत के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ. पहले होता यह था कि कोई मजदूर की काम करते हुए मृत्यु हो जाय, सामान्य रूप से मृत्यु हो जाय तो ऐसे समय पर कोई उसकी मदद और सहायता करने की कोई परिस्थिति नहीं थी. लेकिन सरकार ने इस पर भी ठीक तरीके से विचार करके और इस प्रकार की सहायता देने का प्रावधान किया.
सभापति महोदय, वाहन देने की दृष्टि से भी सरकार ने एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय लिया कि अगर कोई व्यक्ति काम पर जाता है तो जाने के लिए साधन चाहिए, साधन नहीं होते हैं तो उसको बहुत परेशानी उठानी पड़ती है या आटो में बैठकर जाते हैं तो मजदूरी का बहुत पैसा चला जाता है. ऐसी अवस्था में उसमें जो दुपहिया वाहन खरीदने के लिए 10000 रुपए तक की राशि का जो प्रावधान किया है, उससे मजदूरों को बहुत बड़ा लाभ मिला है.
सभापति महोदय, मैं थोड़ी-सी बात हमारे क्षेत्र में रहने वाले घुम्मकड़ों के बारे में और विमुक्त जाति के लोग जो लगातार परिश्रम तो करते हैं, समाज की सेवा में काम करते हैं. चाहे लोहपीट समाज के लोग हों, अथवा वे बंजारा समाज के लोग हों, अथवा वे अन्य किसी भी प्रकार से जिनका स्थायी आवास और निवास नहीं होता है, ऐसे व्यक्तियों को चूंकि कर्मकार मंडल में मजदूरों को तो आवास के लिए बहुत सहायता देने के प्रावधान किये हैं. लेकिन ऐसे लोगों को स्थायी रूप से बसाहट के रूप में जो भी प्रावधान हैं, उसमें श्योपुर विधान सभा क्षेत्र में श्योपुर बड़ोदा और गांव में रहने वाले एवं इस तरह से घूमने वाले लोगों के लिए सहायता उपलब्ध कराए जाने का माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूं. एक और बात जो पिछड़े वर्ग के बारे में आई है, पिछड़े वर्ग में हमारे श्योपुर में एक कन्या महाविद्यालय में वहां पर एक हॉस्टल तो बना दिया है. लेकिन अभी उस हॉस्टल को प्रारंभ नहीं किया है, उसके कारण से जो उसमें 2-3 करोड़ रुपए की राशि लगी है, वह हॉस्टल ठीक से काम में नहीं आ रहा है. महाविद्यालय में जो हॉस्टल बना है, उसमें कन्याओं के रहने की व्यवस्था ठीक से हो जाय तो वह काम ठीक से संचालित हो सकता है.
सभापति महोदय, अभी अल्पसंख्यकों के बारे में बहुत सारी चर्चा हुई. लेकिन मैं 2-3 बातों की तरफ सदन का और विशेष कर विपक्ष के लोगों का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि कई बातें हमारे दल के बारे में, हमारे बारे में या सरकार के बारे में कही जाती है. लेकिन जो कार्य होता है उसके बारे में कभी चर्चा होती नहीं. सभापति महोदय, श्योपुर में अल्पसंख्यक लोगों के लिए एक अलग से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाने का निर्णय किया गया और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र वहां पर बन रहा है. अल्पसंख्यक कन्याओं के रहने के लिए 3 करोड़ रुपए की लागत से श्योपुर में एक हॉस्टल बनाया जा रहा है, वह निर्माणाधीन है. श्योपुर में ही ईदगाह क्षेत्र में जो अल्पसंख्यक समाज का बहुत बड़ा एक ऐतिहासिक स्थल है, उस स्थान पर लगभग 50 लाख रुपए की लागत से उसका निर्माण कार्य, उसके सौंदर्यीकरण का कार्य चल रहा है. सरकार बिना किसी भेदभाव के, बिना किसी पक्षपात के सभी वर्गों के लिए, सभी वर्गों के कल्याण के लिए ठीक तरीके से योजनाएं बनाकर अपने कार्य को संचालित कर रही है. इसके कारण से मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और हमारे विभाग के मंत्री जी को बहुत-बहुत साधुवाद धन्यवाद देते हुए सभापति महोदय अपनी बात समाप्त करता हूं.
श्री वेलसिंह भूरिया (सरदारपुर) - सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 18,63,66 एवं 69 का समर्थन करता हूं. सभापति महोदय, वाकई में देश को आजाद हुए 69 साल हो गये. इन 69 सालों में 50 साल तक कांग्रेस का राज रहा. 50 सालों में मजदूरों, गरीबों, पिछड़ी जाति, घुम्मकड़ जाति, अर्द्ध-घुम्मकड़ जाति और मजदूरों की कोई चिंता कांग्रेस की पार्टी ने नहीं की. चिंता इसलिए नहीं की क्योंकि पहले जागीरदारी प्रथा चलती थी और जागीरदारी प्रथा में मजदूरों का शोषण किया जाता था. सभापति महोदय, जागीरदारों के द्वारा मजदूरों का शोषण किया जाता था. यह 101 परसेंट सही बात है. तत्कालीन हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने मानव संसाधन मंत्रालय से अलग एक अनुसूचित जनजाति मंत्रालय बनाया था.
माननीय सभापति महोदय अभी यहां पर पिछड़े वर्ग की बात की गई, मजदूरों की बात की गई, कुशल श्रमिकों की बात की गई, आज हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार में श्रम मंत्री जी एक गरीब जाति से हैं अनुसूचित जाति का व्यक्ति बना हुआ है. मजदूरों का न्याय करने के लिए और उन्होंने कैबिनेट मंत्री जी ने एक कानून बनायाहै. अत्याचार अधिनियम 1989 और 1995 से इसको और भी सशक्त बनाया है. जो लोग मजदूरों के पैसे खा जाते थे उनसे बेगारी कराते थे उसके ऊपर भाजपा की सरकार ने सख्त रोक लगा दी है दिल्ली और मध्यप्रदेश की सरकार ने भी, मैं समझता हूं सभापति महोदय आज तक 2003 - 04 से लगाकर जब से भाजपा की सरकार मध्यप्रदेश में बनी है तब से लेकर अभी तक एक भी ऐसा मुकदमा कायम नहीं हुआ है पूरे मध्यप्रदेश के किसी भी थाने में किसी जागीरदाऱ ने किसी भी मजदूर से बेगारी करायी हो. मैं 50 से अधिक मामले बता सकता हूं कांग्रेस के राज के इनके इस 50 साल के राज्य में गरीबों के साथ में क्या होता था. गरीबो के लिए क्या न्याय किया गया, गरीबों के समय में इनके शासन काल में क्या हुआ मेरे पास में एक इतनी बड़ी डिक्शनरी बनी हुई है,
श्री बाला बच्चन -- भूरिया जी आप एक भी ऐसा प्रकरण बता दें. आप यहां पर अनेक प्रकरण की बात कर रहे हैं मैं कहता हूं आप एक भी प्रकरण बता दें.
श्री वेलसिंह भूरिया -- बाला भइया आप लोग आदिवासियों पर तो बोलते नहीं है, धार जिले में डही में जहां पर हनी बघेल जी रहते हैं वहां के राजा के द्वारा बेगारी करायी जाती थी.
सभापति महोदय मेरी सरदारपुर तहसील में भी जागीरदारों के द्वारा बेगारी करायी जाती थी. सभापति महोदय मैं सीधे सीधे विकास की बात करता हूं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने हमारी भाजपा की सरकार में 25 लाख मजदूरों का पंजीयन किया है, यानि की 25 लाख लोगों को 10 हजार से लगाकर 3 लाख रूपये तक मुफ्त में इलाज और 10 हजार से लगाकर 10 लाख तक का अनुदान बैंक द्वारा इलाज के लिए दिया जायेगा. मैं एक बात आपको बता देना चाहता हूं. देश के अंदर से अंग्रेज भी गये और कांग्रेस भी गई. अब यह कमल का फूल खिला है यह हमेशा खिलता ही रहेगा. मैं शिक्षा के साथ साथ रोजगार एवं कौशल विकास आज के युग की आवश्यकता है. सभापति महोदय हमारे सरदारपुर में कांग्रेस की सरकार में बाला भईया वह पिछड़े लोग थे मारू कुमावत समाज के लोग थे.
श्री बाला बच्चन -- सभापति महोदय पहले तो यह तय कर लें कि इनको बोलना क्या है. मुझे क्या बोलते हैं आप.
श्री कमलेश्वर पटेल -- पहले आप यह तय कर लें कि प्रजातंत्र किसने लागू किया है आप यहां पर कांग्रेस को कोस रहे हैं.
श्री वेल सिंह भूरिया -- मैं सीधे मेरे क्षेत्र की बात कर रहा हूं मेरी सरदारपुर तहसील में मारू कुमावत जो समाज था उनके लिए पिछड़ा वर्ग का कुमावत जाति का प्रमाण पत्र जारी नहीं हो रहा था वह जारी कर दिया है उसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी को धन्यवाददेना चाहता हूं. हमारी सरदारपुर तहसील में मारू कुमावत जाति अधिक संख्या में है, बंजारा, घुमक्कड जाति अधिक संख्या में निवास करती है. अभी हमारे हजारीलाल दांगी जी जो बता रहे थे वह 100 प्रतिशत सही है तहसील स्तर पर 50 और 100 सीटर छात्रावास खोला जाय. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद्.
श्रीमती झूमा सोलंकी ( भीकनगांव ) -- माननीय सभापति महोदय मैं मांग संख्या 18, 63, 66 और 69 का विरोध करती हूं. श्रम विभाग के अंतर्गत कर्मकार योजना शुरू की गई है जिसमें 90 दिन मजदूरी करने वाले परिवार को कर्मकार मंडल का कार्ड प्रदान किया जाता है, किंतु उस परिवार को उसी के अंतर्गत उस परिवार को खाद्यान्न छात्रवृत्ति और अन्य सहायता प्राप्त होती है. वर्तमान में मेरी विधान सभा भीकनगांव में कर्मकार मंडल के कार्ड उपलब्ध नहीं है जिसके कारण पात्र हितग्राही योजना का लाभ लेने से वंचित हैं. झिरन्या में बाल श्रमिकों को मिर्च तोड़ते हुए पकड़ा गया है लेकिन मालिक के खिलाफ मेंअभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है. श्रमिकों की मजदूरी दर बाजार में प्रचलित दर से बहुत कम है. समय समय पर अधिकारियों और कर्मचारियों के महंगाई भत्ते बढ़ते हैं परंतु उस अनुपात में श्रमिकों की मजदूरी की दर भी बढ़ना चाहिए.
माननीय सभापति महोदय मेरे क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार की तलाश में अपने मूल निवास को छोड़कर शहरों की तरफ पलायन कर रहे श्रमिक वर्तमान में खंड स्तर पर कहीं भी ऐसी डाटा बेस की व्यवस्था नहीं है. ऐसे पलायन करने वाले श्रमिकों कीसही संख्या का पता करें और संख्या एकत्रित करें ताकि स्थानीय स्तर पर उनको रोजगार दिया जा सके.
सभापति महोदय मैं घुमक्कड़ और अर्धघुमक्कड़ जाति के बारे में भी मैं कहना चाहती हूं क्य़ोंकि यह मेरे क्षेत्र में काफी संख्या में निवासरत है. मैं पहले तो माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहती हूं कि मेरे बमनाला गांव में इस समाज के लिए एक छात्रावास खोला गयाहै और बच्चे वहां पर बड़े ही उत्साह के साथ में अध्ययनरत हैं, किंतु उनके लिए एक कमी है कि उनका भवन अभी नहीं बना है और किराये के भवन में वे रह रहेहैं उनके भवन के लिए व्यवस्था अभी सुचारू रूप से नहीं हुई है, स्टाफ की व्यवस्था और उनके रहने की व्यवस्था सुनिश्चित करें. साथ ही झिरन्या में भी इस समाज के लिए छात्रावास है किंतु उनका जो भवन है वह काफी जीर्णशीर्ण अवस्था में है उसकी भी मरम्मत की आवश्यकता है. उसकी व्यवस्था की जाय.
सभापति महोदय मैं कहना चाहती हूं कि इस समाज के लिए जब कांग्रेस की सरकार थी तो आयोग का गठन किया गया था और आयोग का स्टाफ था उसके अध्यक्ष और सदस्य भी थे. उनके द्वारा पूरे प्रदेश में भ्रमण किया जाता था और समाज की जो जो समस्याएं होती थीं उनसे शासन को अवगत कराया जाता था किंतु इस आयोग को समाप्त कर दिया गयाहै उसको पुन: चालू कराया जाय उसकी इस समाज को आवश्यकता है. क्योंकि जिस तरह से आदिवासी समाज पिछड़ा है उ सी तरह से यह घुमक्कड़ और अर्धघुमक्कड़ जाति भी पिछड़ी है आर्थिक और सामाजिक रूप से और हर तरह से पिछड़ी है. इसलिए आवश्यक है कि उनके आयोग को फिर से शुरू किया जाय ताकि वह उस पर नियंत्रण रख सकें और सरकार को अवगत कराया जा सके. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके बहुत बहुत धन्यवाद्.
श्री आर.डी. प्रजापति ( चन्दला ) -- सभापति महोदय मांग संख्या 18, 63, 66 और 69 के समर्थन में अपनी बात कहना चाहता हूं . हमारी सरकार ने श्रमिकों के लिए सबसे बड़ी योजनाएं स्वतंत्र भारत के बाद अगर बनायी हैं तो मध्यप्रदेश की शिवराज जी के नेतृत्व में बनायी गई हैं . मैं कुछ बातें अपने क्षेत्र के बारे मेंकहना चाहता हूं मैं शासन की योजनाओं की भी बातकरना चाहता हूं लेकिन समय कम है.
माननीय सभापति महोदय, मैं निवेदन इसलिए करना चाहता हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में जो श्रमिक कार्य कर रहे हैं, वहां ग्रेनाइट के पहाड़ चल रहे हैं और क्रेशर चल रहे हैं, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि उन पहाड़ों में जो मजदूर काम करते हैं उनके बच्चों के लिए शेड बनवाए जाएं. उनके बच्चों के लिए खेलने के साधन बनाए जाएं. साथ ही वहां पर चिकित्सालय नहीं हैं, पर्यावरण के साधन नहीं हैं तो चिकित्सालय खोला जाए, पर्यावरण के साधन उपलब्ध कराए जाएं. अगर पर्यावरण के साधन ग्रेनाइट और क्रेशर की मशीनों के आसपास नहीं हैं तो ऐसी मशीनों को बंद करवाया जाए.
माननीय सभापति महोदय, मेरा एक और निवेदन है कि श्रमिक कार्ड जो बनते हैं तो मजदूरों को श्रमिक कार्ड बनवाने के लिए बहुत चक्कर लगाने पड़ते हैं, श्रमिक कार्ड कैंप लगाकर बनवाए जाएं और उस दिन की उन्हें मजदूरी प्रदान की जाए. महोदय, इसके अलावा एक और बात है कि जिस जगह वे श्रमिक कार्य करते हैं उसके लिए एक चार्ट बनना चाहिए कि कितने श्रमिक आज कार्य कर रहे हैं कितने घण्टे काम कर रहे हैं कितने रुपये उनको मजदूरी दी जाएगी.
माननीय सभापति महोदय, ऐसे बहुत से होटल हैं जहां पर छोटे-छोटे बच्चों से काम कराया जाता है. इसके संबंध में मेरा माननीय मंत्री से निवेदन है कि श्रम विभाग के अधिकारियों को निरीक्षण के लिए वे भेजें ताकि सही निरीक्षण हो और बच्चों को पढ़ने के लिए मौका दिया जाए.
माननीय सभापति महोदय, मैं पिछड़े वर्ग के लिए भी कुछ कहना चाहता हूँ. पिछड़े वर्ग के अंतर्गत प्रदेश की 92 जातियां हैं और उपजातियां सहित कुल मिलाकर 51 प्रतिशत मध्यप्रदेश में पिछड़े वर्ग की जनसंख्या है. मेरे क्षेत्र के संबंध में मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र चन्दला में पिछड़े वर्ग के लोग बहुत रहते हैं. वहां बालकों और बालिकाओं के लिए हर तहसील स्तर पर छात्रावास खोले जाएं क्योंकि मेरे क्षेत्र से छतरपुर की दूरी 100 किलोमीटर से भी ज्यादा है इसलिए उन्हें आने जाने में परेशानी होती है, अत: मेरा पुन: निवेदन है कि सभी तहसील स्तरों पर बालिकाओं और बालकों के लिए छात्रावास खोले जाएं.
माननीय सभापति महोदय, मैं अब घुम्मकड़, अर्द्धघुम्मकड़ एवं विमुक्त जाति के बारे में बोलना चाहता हूँ. मेरे क्षेत्र में लोहपीटा, नट, बंजारा और कई अन्य समाज के लोग रहते हैं. उनके उत्थान के लिए मैं निवेदन करता हूँ कि मेरे क्षेत्र में भी इनके लिए कालोनी बनवाई जाए क्योंकि यह पिछड़ा हुआ क्षेत्र है और मेरा विधान सभा क्षेत्र अनुसूचित जाति आरक्षित क्षेत्र है. मेरे क्षेत्र में सबसे ज्यादा लोहपीटा और नट बिरादरी के लोग रहते हैं विशेषकर लोहपीटा आज भी अपनी पूरी जिंदगी बैलगाड़ी पर ही व्यतीत करते हैं. अत: मेरा अनुरोध है कि उनके लिए सरकार की योजना के अनुसार उन्हें पक्के आवास दिए जाएं जिसमें सड़कें हों, नालियां हों. कालोनी ऐसी बनाई जाए कि वे एक साथ रह सकें. उनका राशन-कार्ड बनवाया जाना चाहिए, उनका वोटर-लिस्ट में नाम जुड़वाया जाना चाहिए और शासन की जितनी भी योजनाएं हैं उनका लाभ उन्हें मिलना चाहिए. उनके पढ़ने के लिए कैंप आदि लगाकर सुविधा प्रदान की जाए ताकि वे पढ़ सकें और मैं तो कहता हूँ कि उनकी कालोनी में प्राथमिक और मिडिल स्कूल बनवाए जाएं.
माननीय सभापति महोदय, लोहपीटा समाज के संदर्भ में एक निवेदन मेरा यह भी है कि वह असुरक्षित रहता है क्योंकि उनके कोई मकान नहीं रहते हैं, उनकी जिंदगी केवल बैलगाड़ी पर ही रहती है, एक झोपड़ी में रहती है तो जब तक शासन उनको पट्टे नहीं देगा, घर बनाकर नहीं देगा, उनका विकास नहीं हो सकता. बल्कि उनके लिए एक कैंप बनाया जाना चाहिए जहां उन्हें रोजगार दिया जाए. साथ ही उनके लिए दुकानें आरक्षित की जाए, उनको लकड़ी नहीं मिलती, कोयला नहीं मिलता, उनको अपनी बैलगाड़ी खड़ी करने के लिए जमीन नहीं मिलती है. सभापति महोदय, मेरे यहां शासकीय जमीन बहुत पड़ी हुई है, शासन की मंशा है कि भूमिहीन की श्रेणी में जो लोग आते हैं उनको जोतने का भी पट्टा दिया जाए, उनके लिए मकान बनाए जाएं और उनके पढ़ने के लिए व्यवस्था की जाए जिससे वे भी मुख्य धारा में जुड़ सकें और उनका भी विकास हो सके. मैंने देखा है कि लोहपीटा, नट, बंजारा, बैरागी आदि समाज के लोगों के पास बिल्कुल भूमि नहीं है और आवास नहीं हैं, इन्हें आवास और भूमि दी जानी चाहिए और जब तक यह नहीं दिया जाता है तब तक इनको एक कैंप बनाकर के एक जगह रखा जाए और उन्हें शासन की पूरी सुविधाएं जैसे एक रुपये गेहूँ, एक रुपये चावल आदि सबका लाभ दिया जाना चाहिए. माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री विष्णु खत्री (बैरसिया) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 18, 63, 66 और 69 के समर्थन में यहां अपनी बात रख रहा हूँ. बालकृष्ण शर्मा ''नवीन'' की वे पंक्तियां मुझे याद आ रही हैं कि --
देखो उनके महल बने हैं,
लोगों का अपनापन लेकर,
हम अनिकेतन, हम अनिकेतन,
माननीय सभापति महोदय, बालकृष्ण शर्मा ''नवीन'' ने अपनी इन पंक्तियों में श्रमिकों की व्यथा कही है कि श्रमिक श्रम करता है, वह महल बनाता है, वह अट्टालिकाएं बनाता है लेकिन वास्तव में उसकी चिंता यदि किसी सरकार ने की, किसी व्यवस्था ने की तो वह श्री शिवराज सिंह जी की सरकार ने की है. जहां एक ओर यह सरकार उनके आवास के लिए एक लाख रुपये की अनुदान राशि दे रही है तो दूसरी ओर उनको अन्य प्रकार की सरकार की योजनाओं और सुविधाओं का लाभ मिल रहा है जैसे चिकित्सा सुविधा, एक रुपये किलो गेहूँ, एक रुपये चावल आदि का लाभ श्रमिकों को मिल रहा है.
माननीय सभापति महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र बैरसिया में श्रमिकों के लिए शेड नहीं है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करता हूँ कि वे बैरसिया में श्रमिकों के लिए एक शेड का निर्माण कराएं. साथ ही बैरसिया विधान सभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में क्रेशर हैं, क्रेशर से जो डस्ट निकलती है उसका प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है और समय-समय पर वहां पर स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित नहीं होते हैं यदि श्रम विभाग द्वारा चिकित्सा विभाग से समन्वय कर वहां पर इस प्रकार के स्वास्थ्य परीक्षण शिविर का आयोजन हो तो निश्चित रूप से इन श्रमिकों की चिंता हो जाएगी.
माननीय सभापति महोदय, विमुक्त, घुम्मकड़ एवं अर्द्धघुम्मकड़ जाति बस्ती विकास और अन्य योजनाओं के लिए विभाग ने वित्त का प्रावधान किया है और मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद भी देना चाहता हूँ कि पिछले सत्र में उन्होंने मुझे आश्वस्त किया था कि जो योजना मेरे विधान सभा क्षेत्र की बस्ती विकास की बनी है उसके लिए वे कार्य कराएंगे, इसमें मेरे दो-तीन सुझाव हैं. एक तो ये जो जातियां हैं इनका कोई सर्वे अभी तक नहीं किया गया है. अब समय बदल गया है, पहले ये यायावर जीवन जीते थे, लेकिन इसमें कई जातिया ऐसी हैं खासतौर पर बंजारे, बाझड़ा, बेड़िया, ये अब गांव के अन्दर स्थायी रुप से रहने लगे हैं. इनके सर्वे, इनके जाति प्रमाण-पत्र, इनके क्षेत्र में बस्ती विकास, विद्युतीकरण कार्य, बजट में जो प्रावधान हैं, वास्तव में जो हमने बजट में प्रावधान किये हैं इन योजनाओं का लाभ इनको मिले इसके लिए मेरा इतना ही निवेदन है कि विभाग थोड़ा संवेदनशीलता से काम करे और समय-समय इनके लिए जो योजनाएँ बनी हैं उन योजनाओं का लाभ इनको मिले, इसके लिए कैम्प भी इनके अलग अलग क्षेत्रों में आयोजित हों, ताकि इन योजनाओं की इनको जानकारी मिले और इनको उसका लाभ मिल सके. सभापति महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री घनश्याम पिरोनियां(भाण्डेर)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 15 और 33 के समर्थन में मुझे बोलने का अवसर आपने प्रदान किया. मैं यह निवेदन करना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश की जो अनुसूचित जाति की जो सूची है उसमें 6 नम्बर पर बरहर और बसौड़ लिखा हुआ है वहां पहले बराहर के नाम से जाति को जाना जाता था.एक मात्रा का अपभ्रंश होने के कारण बरहर हो रहा हैं. मेरा निवेदन है कि उसको संशोधित करके बराहर और बरार के नाम से ही वह जाति जानी जाती है, मैं स्वयं उस समाज का हूँ इसलिए मैंने उसमें निवेदन किया.
सभापति महोदय-- उसमें आप एक चिट्ठी बना के माननीय मंत्री जी को दे दीजिए.
श्री घनश्याम पिरोनियां-- जी. दूसरी बात मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का और माननीय मंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने इस समाज के उत्थान के लिए मध्यप्रदेश में मध्यप्रदेश बांस विकास निगम का गठन करके वास्तव में समाज को उन्नयन करना का काम किया है. इसके अलावा केश कर्तनालय बोर्ड और जो हमारे रजक समाज के लोग हैं उनके लिए जो उस प्रकार की कार्यवाही की है उसके लिए भी मैं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ. बहुत सारी योजनाएँ मध्यप्रदेश सरकार की अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए संचालित हैं. वास्तव में समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति का उत्थान हो, यह सरकार का सोच लेकर के हमारे मंत्री महोदय और मुख्यमंत्री जी कार्य कर रहे हैं. मेरी विधानसभा में भी विमुक्त जाति और घुमक्कड़ या लोह पीटा समाज के लोग सालोन में निवास करते हैं तो वहां एक छात्रावास उनके बच्चों के लिए अगर बन जाए, ऐसा मैं निेवेदन करना चाहता हूँ और मेरी विधानसभा अनुसूचित जाति बाहुल्य की होने के नाते उन्नाव, सालोन और भाण्डेर में अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रावास या कन्याओं का छात्रावास वहां बने, ऐसा मेरा निेवेदन है. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रम, पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री(श्री अन्तर सिंह आर्य)-- माननीय सभापति महोदय,मेरे विभाग की अनुदान मांग संख्या 18,63,66 और 69 पर सदन में 15 माननीय सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया. सबसे पहले शुरुआत माननीय सुश्री हिना कांवरे जी, माननीय यशपाल सिंह सिसोदिया जी, माननीय कुंवर सौरभ सिंह जी, माननीय दिलीपसिंह जी, माननीय कमलेश्वर पटेल जी, माननीय लोकेन्द्र सिंह तोमर जी, माननीय सुरेन्द्र सिंह जी, माननीय कुंवर हजारीलाल दांगी जी, माननीय दिनेश राय जी, माननीय दुर्गालाल विजय जी, माननीय वेलसिंह भूरिया, माननीय श्रीमती झूमा सोलंकी जी, माननीय आर.डी प्रजापति जी, माननीय विष्णु खत्री जी, और माननीय घनश्याम पिरोनियां जी ने मेरे अनुदान मांगों पर चर्चा की और माननीय दोनों पक्ष के विधायकों ने बहुत कुछ यहां पर सुझाव भी रखें और अपने अपने क्षेत्र की बातें भी रखीं.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन को अवगत कराना चाहता हूँ कि जैसे शुरुआत में हमारी बहन हिना कांवरे जी ने बीड़ी श्रमिकों की चर्चा की है और मैं समझता हूँ कि जितने माननीय सदस्यों ने मजदूरों को हित में जो जो बात यहां पर रखी, विभाग इसके ऊपर गंभीर विचार करेगा. जहां तक बीड़ी श्रमिकों का मामला है क्योंकि मैं भी बीड़ी श्रमिक से जुड़ा हुआ हूँ जब मैं स्टूडेंट लाइफ में कालेज जाता था,मैं दस साल तक तेंदूपत्ता खरीदने का मैं फड़ मुंशी रहा हूँ क्योंकि मजदूरों से मेरा हमेशा सीधा संबंध रहा है. माननीय सदस्यों ने जो जो यहां पर सुझाव दिये हैं,तीनों विभागों के जो सुझाव आये हैं, उसमें हम गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे. हमारे विभाग की जो बहुत सारी योजनाएं हैं, हमने श्रम विभाग से शुरुआत की है क्योंकि श्रम हमारा जो विभाग है, एकदम गरीब लोगों का विभाग है. हमने यह कोशिश की है कि जितने भी हमारे माननीय सदस्य सदन के अन्दर हैं, हमने श्रम विभाग की योजनाओं को माननीय सदस्यों तक पहुंचाने की कोशिश की है. इस साल हमने योजना का एक कलेण्डर जो बनाया था, सभी माननीय सदस्यों को मैने वह कलेण्डर दिये हैं. मेरा माननीय सदस्यों से एक ही अनुरोध है जो हमारा भवन संनिर्माण कर्मकार मण्डल है वह वास्तव में हमारे मजदूरों के लिए बहुत ही उपयोगी योजना है क्योंकि हमारी जो नोडल एजेन्सी है, नगर पंचायत है, नगर पालिका है, जनपद पंचायत है, नगर निगम हैं, इनके माध्यम से हमारी योजना संचालित होती है. मेरा सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि आप भी अपने अपने क्षेत्र में अपने श्रमिक भाइयों का अधिक से अधिक पंजीयन करायें ताकि हम प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्र के माननीय सदस्यों तक हमारी श्रम विभाग की योजनाएं वहां तक जाए, इस प्रकार का हमने प्रयास किया है. मैं पुन: माननीय सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि यह योजना नीचे तक ले जाने में आप विभाग को पूरा सहयोग करें.
माननीय सभापति महोदय, मैं सबसे पहले श्रम विभाग के ऊपर बोलना चाहूंगा. हमारी विभागीय संरचना के अंतर्गत श्रम आयुक्त संगठन, संचालनालय, कर्मचारी राज्य बीमा, औद्योगिक न्यायालय और औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा एवं सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है. श्रम विभाग के अंतर्गत असंगठित और संगठित श्रमिकों को ध्यान में रखकर मध्यप्रदेश के अन्दर श्रम कल्याण मंडल, मध्यप्रदेश भवन संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल, मध्यप्रदेश स्लेट पेंसिल कर्मकार कल्याण मंडल का गठन किया गया है और अभी माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश में एक नया जो ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के जो असंगठित मजदूर हैं इनके लिए भी एक नये बोर्ड का गठन हो चुका है जिसमें माननीय मुख्यमंत्री जी ने श्री सुल्तानसिंह शेखावत का इस बोर्ड का अध्यक्ष बनाया है. अभी हमने इस बोर्ड के लिए कौन कौन सी श्रेणी के श्रमिकों को इसमें शामिल किया जाए, हमारी प्रथम बैठक हो चुकी है.
2.50 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
……….इसके अन्दर करीब डेढ़ करोड़ श्रमिकों का इसके अंतर्गत पंजीयन होगा और जिस प्रकार से हमारे कर्मकार मंडल के अन्दर जो योजना है इसी की भांति हम शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए इस प्रकार की योजना बनाने की योजना है. आने वाले समय में शीघ्र ही इसका क्रियान्वयन होगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, श्रम सुधारों के अंतर्गत राज्य के 3 श्रम कानूनों और 15 केन्द्रीय श्रम कानून का संशोधन किया जाकर इन श्रम कानूनों को विशेषकर श्रमिक हितैषी बनाया गया है. यहाँ यह अवगत कराना उचित है कि श्रम कानून में संशोधन करते समय श्रमिकों के हितों को पूर्ण सुरक्षित रखा गया है. उपाध्यक्ष महोदय, संशोधन श्रमिकों के हितों की दृष्टि से किए गए हैं. इस प्रकार प्रदेश में श्रम सुधारों के लिए किए गए कार्यों को उद्योग और श्रम विभाग दोनों की दृष्टि से ये बहुत व्यावहारिक और उपयोगी हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, कई श्रमिक संगठनों से कई साल से मांग आ रही थी कि उद्योगों में काम करने वाले जो श्रमिक हैं उनकी सेवा अवधि 58 साल थी. माननीय मुख्यमंत्री जी से चर्चा करके इसको 58 साल से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी गई. जिससे हमारे प्रदेश के हजारों, लाखों, श्रमिकों को इसका लाभ मिलेगा. उपाध्यक्ष महोदय, रात्रि पाली के अन्दर महिलाओं को काम करने की जो परेशानी हो रही थी. उसके लिए महिलाओं को रात्रि पाली में महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए उसके नियोजन को अनुमत किया गया है ताकि महिला श्रमिकों के रोजगार को प्रदेश में बढ़ावा मिले और इस प्रकार की व्यवस्था हमारे विभाग ने मजदूरों के लिए की है. उपाध्यक्ष महोदय, हमने पिछले साल से औद्योगिक क्षेत्र के अन्दर स्वप्रमाणीकरण की योजना लागू की है. प्रदेश के उद्योगों की जटिल समस्याओं को दूर करने तथा उद्योगों के लिए सरल एवं आसान वातावरण सुनिश्चित करने की दृष्टि से हमने प्रदेश के उद्योगों के लिए स्वप्रमाणीकरण योजना 2014 प्रारंभ की है क्योंकि पिछले समय में उद्योगों को भी बहुत सारी परेशानी का सामना करना पड़ता था क्योंकि श्रम कानून 16 श्रम कानून में उद्योगों को 61 रजिस्टर रखना पड़ते थे. यह संशोधन होने के कारण 61 रजिस्टर के स्थान पर 1 रजिस्टर रखने की व्यवस्था की है क्योंकि 13 प्रतिवेदन भेजने के स्थान पर 2 वर्षीय प्रतिवेदन भेजने की व्यवस्था हमने पिछली बार की है. उपाध्यक्ष महोदय, यहाँ पर कुछ माननीय सदस्यों ने इंस्पेक्टर राज की भी यहाँ पर बात की है क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश के अनुसार हमने इसमें संशोधन करके यह व्यवस्था कर दी कि इस योजना को अपनाने वाले उद्योगों का 5 वर्ष में अधिकतम 1 बार निरीक्षण का प्रावधान किया क्योंकि पहले बार बार कोई चले जाते थे इस व्यवस्था को, इस इंस्पेक्टर राज को, श्रम विभाग ने समाप्त कर दिया है. 5 वर्ष के बाद ही वह किसी भी उद्योग का निरीक्षण कर सकता है. यदि मान लो कोई अगर शिकायत भी होती है तो हमारे श्रम विभाग के कमिश्नर की अनुमति के बिना उस कारखाने में कोई नहीं जा सकता है. उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश में किसी प्रकार का श्रमिक विवाद उत्पन्न होने पर हमारा अधिकारी द्वारा तुरन्त हस्तक्षेप कर विवादों का निराकरण किया जाता है. जिससे प्रदेश में औद्योगिक तनाव की स्थिति नहीं के बराबर है. उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश के श्रमिक की खुशहाली तथा उनके उज्ज्वल भविष्य की दृष्टि से उन्हें सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश में श्रम विभाग को समर्थ बनाने की कार्यवाही की गई है. उपाध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश के 51 जिलों के अन्दर हमारे श्रम कार्यालय कार्यरत हैं. उपाध्यक्ष महोदय, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संचालनालय को भी हमने प्रभावी बनाया है. बीना और सिंगरौली में उप संचालक, औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के कार्यालय हमने प्रारंभ किए हैं. उपाध्यक्ष महोदय, कई वर्षों से हमारे श्रम विभाग के अन्दर समय पर पदोन्नतियाँ नहीं होती थी, पिछले दो साल के अन्दर हमने काफी डी पी सी करके पदोन्नतियों का काम किया है. श्रमिकों की स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए हमारे मध्यप्रदेश में कर्मचारी राज्य बीमा संचालनालय प्रभावी रूप से कार्य कर रहा है. प्रदेश में 6 बीमा चिकित्सालय और 42 औषधालयों के माध्यम से श्रमिकों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. उपाध्यक्ष महोदय, यह एक मध्यप्रदेश के इतिहास में ऐसा निर्णय माननीय मुख्यमंत्री जी ने लिया है कि जो हमारे निर्माण श्रमिक हैं उनके जो बच्चे पढ़ते हैं, उनकी उच्च शिक्षा की व्यवस्था कहीं पर भी नहीं है इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमारे प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान ने इन मजदूरों की चिन्ता की है और मध्यप्रदेश के अन्दर 4 संभागों को माननीय मुख्यमंत्री जी ने चयनित किया है. जिसमें भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर और जबलपुर हैं. जिसके अन्दर भोपाल में 2 नवंबर 2014 को माननीय मुख्यमंत्री के करकमलों से पंडित दीनदयाल श्रमोदय विद्यालय, जो नवोदय विद्यालय के पेटर्न पर, सर्वसुविधा युक्त 52 करोड़ की लागत से वह भवन बन रहा है. मैं 2-3 बार देखने भी गया हूँ. कम से कम 10-12 करोड़ रुपये उसमें खर्च भी हो गए हैं और इसके साथ हम श्रमिकों के बच्चों के लिए, मुगालिया छाप भोपाल के पास में है, वहाँ पर हमने 15 करोड़ की लागत से श्रमिकों के बच्चों के लिए वहाँ प्रशिक्षण के लिए हमने आई टी आई का भी हम वहाँ पर निर्माण करने जा रहे हैं क्योंकि उसका भी टेंडर हो चुका है. इन्दौर के लिए भी हमें शासन से जमीन उपलब्ध हो गई है. उसके टेण्डर लग गए हैं. इसके अन्दर यह व्यवस्था है कि ये चारों जो बड़े संभाग हैं उसमें 600 लड़कियाँ और 600 लड़के इस प्रकार से 1200 लड़के और लड़कियाँ कक्षा 6 वीं से लगाकर 12 वीं तक ये उच्च शिक्षा प्राप्त करने की, ऐसा निर्णय माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमारे प्रदेश के मजदूरों के लिए लिया है. यह हिन्दुस्तान के किसी भी राज्य के अन्दर श्रम विभाग की इस प्रकार की योजना नहीं है. मेरा, ये चारों जो संभाग हैं क्योंकि जो बड़े संभाग हैं मध्यप्रदेश में वह सबको कवर करते हैं. इसी दृष्टि से हमने ये विद्यालय खोलने का निर्णय लिया है. निर्णय लिया है कर्मकार मंडल का गठन वर्ष 2003 में हुआ है अभी तक 27 लाख निर्माण श्रमिकों को इसका हितलाभ बांट चुके हैं. बहुत से सदस्यों ने यहां पर उल्लेख किया है फिर भी मैं थोड़ी सी जानकारी देना चाहूंगा कि 25 लाख निर्माण श्रमिकों का पंजीयन हो चुका है. वर्ष 2003 से आज तक 536 करोड़ रुपये का हितलाभ हमने बांटा है. कुछ माननीय सदस्यों ने मुझसे पूछा था कि पिछले 2 साल में कितने हितग्राहियों को लाभ दिया गया है उन्हें बताना चाहूंगा इस अवधि में हमने 9 लाख हितग्राहियों को 163 करोड़ रुपये के हितलाभ दिए हैं. श्रम विभाग के भवन संनिर्माण कर्मकार मण्डल में 2014 से 8 नई योजनाएं प्रारंभ की हैं जिसमें निर्माण श्रमिक की दुर्घटना या उनके बच्चों को उच्च शिक्षा की व्यवस्था, प्रतियोगिता, उपकरण आदि खरीदने एवं इस संबंध में समुचित सहायता सुनिश्चित की गई है. श्रमिक जो किसी बड़े शहर के अन्दर या नगर पालिका, नगर निगम क्षेत्र में जाते हैं वहां उनके ठहरने की व्यवस्था नहीं होती है उसके लिए कुछ महानगर चयनित किये गये हैं महानगर भोपाल, जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर में 25 लाख रुपये की लागत से एक भवन निर्माण करने का प्रावधान रखा है. नगर निगम में 20 लाख रुपये तक रैनबसेरा के लिए दे सकते हैं, नगर पालिका में 15 लाख रुपये रैन बसेरा के लिए देने की व्यवस्था है किसी नगर पालिका या नगर पंचायत में श्रमिक शेड की भी आवश्यकता होती है उसके लिए भी बोर्ड से 10 लाख रुपये देने की व्यवस्था है. नगर पंचायत में भी 10 लाख रुपये के रैन बसेरा भवन के लिए दे सकते हैं. इसी प्रकार से यूजीसी, पीजीसी पाठ्यक्रम की प्रवेश परीक्षा की कोचिंग हेतु मजदूरों के बच्चों को 20 हजार रुपये अथवा शुल्क का 75 प्रतिशत दोनों में से जो कम है अनुदान देते हैं. हमारी यह योजना पंजीकृत श्रमिकों के लिए है परंतु कई निर्माण श्रमिक होते हैं जो कि बाहर से आकर काम करते हैं उनके साथ काम करते हुए आकस्मिक घटना घट जाती है तो उनके परिवार को परेशानी का सामना करना पड़ता है इसलिए पिछले साल हमने एक निर्णय लिया था कि जहां निर्माण श्रमिक काम कर रहा है, ईश्वर न करे किसी परिवार में ऐसा हो परन्तु किसी के साथ घटना घट जाती है, अभी पिछली बार आपने जिक्र किया था कि भोपाल में भी एक अपंजीकृत श्रमिक की दुर्घटना से उसकी मृत्यु हो गई हमने निर्देश भी दे दिये हैं उसके परिवार को यदि पंजीयन नहीं हो तो एक लाख रुपये देने की व्यवस्था की है. मैं सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध करुंगा कि आपके क्षेत्र में निर्माण श्रमिक की काम करते हुए मृत्यु हो जाती है तो आप जनपद पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम में यह लाभ उसके परिवार को दिला सकते हैं. पिछली बार 1 लाख रुपये देने की व्यवस्था थी अब यदि पंजीकृत निर्माण श्रमिकों की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है उनके परिवार को 2 लाख रुपये देने की व्यवस्था है. हमने इस योजना का कैलेण्डर माननीय सदस्यों को इसीलिए भेजा है कि कई योजनाओं की जानकारी नीचे नहीं जाने के कारण गरीब व्यक्ति को इसका लाभ नहीं मिल पाता है. मेरा अनुरोध है यह जो दो योजनाएं हैं इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ लोग लें.
उपाध्यक्ष महोदय, निर्माण श्रमिक जो कि साईकिल से मजदूरी करने जाते हैं उनके लिये भी यह नई योजना प्रारंभ की है और साईकिल वितरण की व्यवस्था भी हम कर रहे हैं. 5-6 जिलों में श्रमिकों की कार्यशाला भी लगाई थी उसके माध्यम से योजना की जानकारी देने और साईकिल वितरण की व्यवस्था की गई थी. 2500 रुपये की राशि निर्माण श्रमिकों को साईकिल लेने के लिए देने की व्यवस्था की है. हाल ही में श्रम विभाग की समीक्षा बैठक हुई थी व माननीय मुख्यमंत्रीजी ने भी निर्देश दिये हैं हो सकता है यह राशि वे बढ़ा दें. स्वच्छ भारत योजना के अन्तर्गत निर्माण श्रमिकों के लिए हमने शौचालय बनाने की भी योजना प्रारंभ की है इसमें 15000 रुपये अनुदान देने की व्यवस्था है. श्रमिक चाहे केन्द्र शासन की योजना का लाभ लें या प्रदेश के श्रम विभाग की योजना का लाभ लें वे एक लाभ ले सकते हैं दोनों का लाभ नहीं ले सकते हैं. मंदसौर जिले में स्थित स्लेट पैंसिल कारखाने में कार्यरत् श्रमिकों के स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर मध्यप्रदेश स्लेट पैंसिल कर्मकार कल्याण मंडल का गठन किया है. मध्यप्रदेश स्लेट पैंसिल कर्मकार कल्याण मंडल द्वारा स्लेट पैंसिल उद्योगों में कार्यरत् श्रमिकों के स्वास्थ्य सुरक्षा अन्य योजना विगत दो वर्षों से 59696 हितग्राहियों को 7 करोड़ 90 लाख 45 हजार 865 रुपये तक का हितलाभ दिया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय, जननी सुरक्षा योजना में तो लाभ मिलता ही है एक और योजना जो कि महत्वपूर्ण है वह शुरु की गई है. माननीय मुख्यमंत्रीजी की पुरानी घोषणा के आधार पर जो योजना हमारे यहां चल रही है प्रसूति योजना में 45 दिन का महिला को वेतन देने की व्यवस्था है, यह करीब 9600 रूपये महिला को प्रसूति के समय देने की व्यवस्था है और 3150 रूपये उसके पति को जो 15 दिन मजदूरी करने नहीं जायेगा, उसके लिये देने की इस योजना में व्यवस्था की है. मेरा माननीय सभी सदस्यों से अनुरोध है कि यदि हमारे पंजीकृत निर्माण के श्रमिक के परिवार में कोई प्रसूति हो तो आप अपने विधान सभा क्षेत्र में इस योजना का जरूर लाभ दियायें.
श्री कमलेश्वर पटेल :- उपाध्यक्ष महोदय, कई योजनाएं हैं, जिस विभाग की भी चर्चा होती है, अभी जब स्वास्थ्य विभाग पर चर्चा होगी तो यह भी गिनायेंगे कि हमारी ये योजना है.इस तरह से कई बार रिपीटेशन भी होता है.
श्री अंतर सिंह आर्य:- उपाध्यक्ष महोदय, आपके क्षेत्र में आप यह योजना लागू करें, मैं आपसे यह अनुरोध करना चाहता हूं.
श्री शरद जैन :- माननीय उपाध्यक्ष जी, मंत्री जी आपकी जानकारी के लिये बता रहे हैं. अगर आपको जानकारी है तो फिर आप व्यवधान उत्पन्न क्यों कर रहे हैं.
श्री अंतर सिंह आर्य :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह जो 45 दिन का वेतन देने का है यह तीन बच्चों तक ही इसकी व्यवस्था है. तीसरी विवाह सहायता योजना है. हमारे यहां पर मुख्यमंत्री कन्या सहायता योजना भी चल रही है. परन्तु हमारे यहां जो निर्माण श्रमिक हैं, इसमें हमने यह व्यवस्था की है कि उनकी दो पुत्रियों तक हम 25000 रूपये का चेक उसी समय देंगे. इसमें मजदूर की एक बच्ची की भी शादी होगी तो भी हम उसको 25000 रूपये देने की व्यवस्था की है. माननीय सदस्य अपने-अपने विधान सभा के अन्दर गरीब परिवार की बच्चियों की शादी करायें तो 25000 रूपये देने की हमारे विभाग की व्यवस्था है. हमारे विभाग की एक और योजना है, यह भी बहुत महत्वपूर्ण योजना है. क्योंकि कई बार मजदूरों को भी इसको जानकारी नहीं होने के कारण, उसका लाभ हम मजदूरों को नहीं दिला पाते हैं. क्योंकि स्वास्थ्य विभाग की भी मध्यप्रदेश राज्य बीमारी सहायता, मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान यह योजनाएं तो चल ही रही है. परन्तु हमारे श्रम विभाग के अन्दर ऐसा कोई श्रमिक वैसे ईश्वर न करे की ऐसी कोई बड़ी बीमारी किसी को हो, यदि प्रायवेट अस्पताल में कोई मजदूर जाता है तो उसको तीन लाख रूपये तक की सहायता देने की व्यवस्था हमारे श्रम विभाग के अंदर है. मेरा सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वह अपने-अपने क्षेत्र में इसका लाभ दिलवायें. अभी कुटीर की बात निकली थी वैसे, मुख्यमंत्री आवास योजना, इंदिरा आवास योजना तो चल रही है, लेकिन श्रम विभाग के मजदूरों के लिये नगरीय क्षेत्र में और ग्रामीण क्षेत्र के अन्दर भी है. पहले इसलिये उनके मकान नहीं बन पाते थे, क्योंकि पहले चार वर्ष रेग्यूलर पंजीकृत होने की बाध्यता थी, उसको हमने खत्म करके दो साल तक रेग्यूलर पंजीकृत होना चाहिये, नगरीय क्षेत्र में हमने एक लाख रूपये का अनुदान देने की व्यवस्था है और ग्रामीण क्षेत्र में हमारा मजदूर मकान बनाता है तो उसको 50000 अनुदान देने की व्यवस्था है. मैं माननीय खत्री जी यहां पर बैठे हैं, क्योंकि उन्होंने एक शेड की बात करी है, यदि आपके यहां पर नगर पालिका क्षेत्र अगर होगा तो मैं 15 लाख रूपये देने की घोषणा यहां पर सदन में कर रहा हूं कि वहां पर मजदूरों के लिये रेन बसेरा का निर्माण कर देंगे. मेरा अनुरोध है कि जो भी माननीय सदस्य अपने-अपने क्षेत्र के अन्दर चाहे वह नगर पंचायत हो, नगर पालिका हो या नगर निगम हो यदि वहां से कलेक्टर विभाग के द्वारा आप प्रस्ताव भेजेंगे तो हम जरूर उसके ऊपर विचार करेंगे. क्योंकि यह तो हमको वहीं से उपकर के रूप में राशि मिलती है और ज्यादा से ज्यादा उसकी सुविधा मिले. यही हमारे विभाग का लक्ष्य है. शिक्षा के क्षेत्र में भी कई प्रकार की योजना है.
उपाध्यक्ष महोदय, कई जगह यह बात भी आयी है कि कई जगह पर न्यूनतम वेतन मजदूरों को नहीं मिल रहा है. क्योंकि पिछली बार श्रमिकों की तीन श्रेणियां थी, पहली अकुशल, दूसरी अग्रकुशल और तीसरी कुशल मजदूर, परन्तु हमने पिछली बार एक उच्चकुशल श्रेणी भी बनायी है और हमने श्रमिकों का न्यूनतम वेतन निर्धारित किया है, उसकी भी जानकारी मैं माननीय सदस्यों को देना चाहता हूं कि यह योजना दिनांक 1.2.2015 से लागू है. कृषि श्रमिकों के लिये हमने प्रतिदिन 187 रूपये निर्धारित की है. अकुशल श्रमिकों को प्रतिमाह 6575 रूपये यानि प्रतिदिन 253 रूपये न्यूनतम मजदूरी है. अद्धकुशल के लिये 7432 रूपये प्रतिमाह यानि 286 रूपये प्रतिदिन की मजदूरी है. कुशल के लिये 8810 रूपये हैं और प्रतिदिन के हिसाब से 339 रूपये प्रतिदिन की मजदूरी है और जो हमने नयी श्रेणी उच्चकुशल की बनायी है, उसमें 389 रूपये प्रतिदिन न्यूनतम मजदूरी का रेट है. अब मैं पिछड़ा वर्ग की बात करूंगा. पिछड़ा वर्ग जो विभाग है वह 12 सितम्बर, 1995 को राज्य शासन ने पृथक से पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का गठन किया है. क्योंकि मध्यप्रदेश मे 92 जातियां पिछड़ा वर्ग के अंतर्गत आती हैं, जो मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या का 51 प्रतिशत है.
उपाध्यक्ष महोदय, अल्पसंख्यक के अंतर्गत 6 धार्मिक समुदाय आते हैं जिसमें मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध पारसी और जैन जो कुल जनसंख्या का 8.15 प्रतिशत है और इस प्रकार से पिछड़ा और अल्पसंख्यक मिलाकर कुल आबादी का 60 प्रतिशत आबादी इस विभाग के अंतर्गत है. जिसमें लाखों लोग इसके अंतर्गत आते हैं. पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा अल्पसंख्यकों एवं पिछड़ा वर्ग के आर्थिक एवं शैक्षणिक विकास के अनेक कदम उठाये गये हैं. पिछले दस साल पूर्व इस विभाग का बजट 119 करोड़ रुपये हुआ करता था जो इस वर्ष 2016-17 में 935 करोड़ है. अल्पसंख्यकों के लिये दस साल पहले 2 करोड़ 35 लाख था जो इस वर्ष बढ़कर 25 करोड़ का प्रावधान रखा है. पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण के लिये अनेक योजनाएं हैं. उनके रोजगार और आर्थिक उत्थान हेतु हमने अल्पसंख्यक वर्ग के कमजोर हितग्राहियों के लिये मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना से जोड़ा है इसके अतिरिक्त शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ने के लिये कौशल विकास योजना के अंतर्गत हम नि:शुल्क प्रशिक्षण की व्यवस्था कर रहे हैं. पिछड़ा वर्ग पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति 2015-16 में 4 लाख 18 हजार विद्यार्थियों से हमें आवेदन प्राप्त हुए थे. इस साल का हमारा सक्ष्य 2016-17 में 4 लाख 25 हजार विद्यार्थियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है. मैं माननीय सदस्यों को अवगत कराना चाहता हूं कि 2013 के अंदर हमारे पिछड़ा वर्ग के बच्चों की छात्रवृ्त्ति जो किसी कारणवश कम कर दी गई थी हमने उसको युक्तियुक्तकरण करने की व्यवस्था की है ताकि आने वाले समय में ठीक ढंग से उनको छात्रवृत्ति मिले. यहां पर हमने कुछ विधायकों ने यह बोला था कि विदेश अध्ययन की कोई व्यवस्था नहीं है. 10 विद्यार्थियों को विदेश भेजने की योजना है अब तक हम 17 बच्चों को विदेश अध्ययन के लिये राशि स्वीकृत की है. हमारे विभाग में मेघावी विद्यार्थियों को प्रोत्साहन हेतु दसवीं और बारहवीं के लड़के,लड़कियों को 5 और 10 हजार प्रोत्साहन राशि देने की व्यवस्था है. व्यवसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित की गई पीईटी,पीपीटी एवं एमसीए की परीक्षाओं में पिछड़े वर्ग के प्रथम,द्वितीय,तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को 1 लाख,पचास हजार,पच्चीस हजार रुपये राशि से पुरस्कृत करने की हमारी व्यवस्था है. मध्यप्रदेश के भोपाल में राज्य स्तरीय रोजगार एवं प्रशिक्षण केन्द्र का संचालन हम भोपाल में कर रहे हैं. उसके माध्यम से विगत वर्षों में अनेक विद्यार्थियों का चयन शासकीय सेवा में हुआ है. मैं सदन को यह बताना चाहता हूं कि इस वर्ष से पिछड़ा वर्ग के साथ-साथ अल्पसंख्यक वर्ग के युवक युवतियों के लिये इस प्रशिक्षण केन्द्र में 50 सीटर कन्या छात्रावास हमने इसी वर्ष चालू कर दिया है वे वहां ट्रेनिंग ले रहे हैं. पिछड़ा वर्ग के छात्र,छात्राओं के लिये 2007 से पहले इतनी अच्छी व्यवस्था नहीं थी. हमारे प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की जो घोषणा थी कि मध्यप्रदेश के हर जिले के अंदर 100 सीटर लड़कों का छात्रावास,50 सीटर लड़कियों का छात्रावास होना चाहिये. हमारे पूरे 50 जिलों के अंदर यह छात्रावास निर्माणाधीन हैं. 5-6 भवनों को छोड़कर शेष भवन पूर्ण हो गये हैं और संचालित हो रहे हैं और इस सत्र से हम करीब-करीब सभी होस्टलों को संचालित करेंगे और सदन के अंदर बहुत से विधायकों ने छात्रावासों की मांग रखी है कि ब्लाक स्तर पर होना चाहिये तहसील स्तर पर होना चाहिये हमारे विभाग की बैठक हुई थी माननीय सदस्यों के प्रस्ताव रखे हुए हैं. जो माननीय विधायकों की मंशा है कि ब्लाक स्तर पर भी छात्रावास पिछड़े वर्ग के लिये होना चाहिये मैं आपकी बात पर मुख्यमंत्री जी से चर्चा करूंगा और इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए पूरे मध्यप्रदेश के अंदर हमने छात्रगृह योजना भी चालू की है क्योंकि यह 100 सीटर छात्रावासों से उसकी पूर्ति नहीं हो पाती है. 50 सीटर कन्याओं के लिये छात्रावास हैं उससे पूर्ति नहीं हो सकती. इसके लिये छात्रगृह की व्यवस्था की गई है. तहसील स्तर पर जो बच्चे ग्रुप बनाकर रहेंगे उनको हम तीन हजार रुपये देने की व्यवस्था कर रहे हैं और जो जिला स्तर पर बच्चे रहेंगे उनको चार हजार रुपये कमरे का किराया देने की व्यवस्था रहेगी और संभाग स्तर पर जो बच्चे रहेंगे उनको पांच हजार रुपये इस योजना के तहत् मिलेंगे. कई माननीय सदस्यों ने कुछ बड़े होस्टलों की भी मांग रखी है इसके लिये माननीय मुख्यमंत्री जी चिंतित है. पिछली बार एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी थे हमने यह निर्णय लिया है कि जो हमारे प्रमुख संभाग हैं इन्दौर,भोपाल,जबलपुर,ग्वालियर, इसके लिये हमारे थावरचंद गहलोत जी जो केन्द्र में इसी विभाग के मंत्री हैं उनसे हमने अनुरोध किया था कि वे इसकी इन्दौर से शुरुआत करें मैं सदन को बताना चाहूंगा कि हमारे पिछड़े वर्ग की 500 लड़कियों के लिये छात्रावास स्वीकृत हुआ है और हम भोपाल,ग्वालियर और जबलपुर में भी 500 लड़कियों के छात्रावास खोलने की योजना है ताकि इसके लिये हमने संबंधित कलेक्टर को जमीन विभाग को देने के लिये आदेश भेजे हैं जैसे ही हमको जमीन आवंटित हो जाती है तो हम भारत सरकार के मंत्री जी से प्रस्ताव पर अनुरोध करेंगे यह तीनों जगहों भी पांच पांच की व्यवस्था होगी.
श्री सुखेन्द्र सिंह--जो छात्रवास हैं वहां पर हैण्डपम्प नहीं हैं, पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है.
श्री अंतरसिंह आर्य--आपने पेयजल की समस्या की बात बताई है हम विभाग में इसको दिखवा लेंगे जहां पर जरूरी होगा वहां पर हैंडपम्प की व्यवस्था की जाएगी.
उपाध्यक्ष महोदय--आप इसको लिखकर के दे देंगे.
श्री अंतरसिंह आर्य--माननीय सदस्य जी से अनुरोध है कि वह लिखकरके दे देंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछली बार माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी पिछड़े वर्ग की शिक्षा एवं समाज सेवा क्षेत्र में 2 नये पुरस्कार महात्मा ज्योति मां फुले, सावित्री बाई फुले के नाम से स्थापित हम करने जा रहे हैं और इसी के अंतर्गत पिछड़े वर्ग में 16 पुरस्कार रामजी महाजन के नाम से हम देते हैं और आने वाले समय में इसकी दूरी का भी हमने गठन कर दिया है माननीय मुख्यमंत्री जी इस कार्यक्रम में शरीक होंगे. हम लोगों के ऊपर कुछ लोग आरोप भी लगाते हैं, परन्तु भारतीय जनता पार्टी की खुली नीति है माननीय मुख्यमंत्री जी संवेदनशील हैं उन्होंने अल्पसंख्यकों के लिये एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है इस प्रकार से पुरस्कार पहले नहीं बंटे हैं. 2012-13 में माननीय मुख्यमंत्री जी ने अल्पसंख्यक पुरस्कार की योजना को प्रारंभ किया है. जो कि हर साल यह पुरस्कार भोपाल मुख्यालय पर बांटते हैं. शहीद अशफाकउल्ला खां, शहीद, हमीद खां, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद इनके नाम से हम पुरस्कार देते हैं. अल्पसंख्यक बहुल जिले के विकास कार्यक्रम के अंतर्गत हमारे यहां के चार जिलों में अभी दुर्गालाल विजय जी उल्लेख भी कर रहे थे श्योपुर, बुरहानपुर, खरगौन, इन्दौर के अल्पसंख्यक बाहुल्य कस्बों के चयन किये गये हैं उनके विकास के लिये 14 करोड़ रूपये की राशि की व्यवस्था की है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वक्फ सम्पत्ति के मामले में एक बात आयी थी कि अतिक्रमण हो गया है, क्योंकि हम उस ओर भी काम कर रहे हैं. 4168 अतिक्रमण के प्रकरण दर्ज हुए हैं 1062 प्रकरणों में हमने बेदखली की कार्यवाही प्रारंभ कर दी है. मध्यप्रदेश में अल्पसंख्यक भाईयों के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी ने पहली बार मध्यप्रदेश के किसी भी जिले के अंदर अल्पसंख्यक समुदाय के लिये हज हाऊस की व्यवस्था नहीं थी. 2016-17 का हज हाऊस बना है जो मक्का मदीना में जाने वाले हमारे मुस्लिम भाईयों के लिये उसी हज हाऊस से तीर्थ के लिये रवाना करेंगे. यह 6 करोड़ की लागत का हज हाऊस बना है इसमें और अतिरिक्त काम करवाने के लिये केन्द्रीय हज कमेटी से भी अनुरोध किया है विभाग के मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने भी 3 करोड़ रूपये इस हज हाऊसे के लिये और देने की बात कही है तो आने वाले समय में हम उसका भी निर्माण करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, घुमक्कड़ जाति के अंदर सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश के अंदर जो बंजारा समूह है, वह सबसे ज्यादा है जैसा तोमर जी यहां पर बता रहे थे कि बहुत से क्षेत्रों में ऐसी जो घुमक्कड़ जाति हैं वह एक गांव से दूसरे गांव जाते रहते हैं उनके बच्चे इस कारण से पढ़ ही नहीं पाते हैं उसके लिये माननीय मुख्यमंत्री जी ने गंभीरता से सोचा है. इनके बच्चों के लिये अलग से विभाग बनाया है. अभी मुख्यमंत्री जी की समीक्षा बैठक हुई है उसमें कई सदस्यों ने विभाग के अमले की बात उठाई थी उसमें उन्होंने निर्देशित कर दिया है कि आगे हमारे इस विभाग को अमला मिल जाए ताकि बिना अमले से दूसरे विभाग के अमले पर निर्भर नहीं रहना चाहते हैं इसके लिये हमारा कार्य प्रचलित है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस घुमक्कड़ जाति के लिये आश्रमों की व्यवस्था की है. पिछले 120 छात्रावास घुमक्कड़ जाति के बच्चों के लिये संचालित हैं पिछली बार हमने 20 छात्रावास नवीन हमने और खोले हैं, जो कि चालू भी हो गये हैं अभी इसका जिक्र श्रीमती झूमा सोलंकी जी कर रही थीं. कुलमिलाकर 140 छात्रावास चालू हो गये हैं और इस वर्ष 10 छात्रावास प्रदेश के विभिन्न स्थानों से जैसे मांग आयी है, उस अनुसार खोलने की कार्यवाही कर रहे हैं इसी सत्र से और 10 छात्रावास चालू करेंगे. अभी भी मेरा घुमक्कड़ जाति से संबंध काफी है हमारे क्षेत्र में जो बंजारा विमुक्त जाति है चाहे बुरहानुपुर, खंडवा, खरगौन, बड़वानी हो, इन क्षेत्रों के अंदर जाति बहुत हैं इनके विकास के लिये बहुत सारी योजनाएं हैं दो चार नयी योजनाएं और लागू करने जा रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत--मेरी चिट्ठी आयी है उस पर ध्यान देंगे.
अंतरसिंह आर्य--जी आपकी चिट्ठी आयी है, जरूर उस पर ध्यान देंगे.
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर--अनुसूचित जाति का कन्या छात्रावास तो हो गया है उसके भवन की घोषणा यहां पर कर दें.
अंतरसिंह आर्य--भवन की व्यवस्था भी करेंगे. मैं सभी सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि विभाग की तीनों मांगें आप सब पारित करें.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या- 18,63, 66 एवं 69 पर कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जाएं. कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
(2)
मांग संख्या- 15 अनुसूचित जाति उपयोजना अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय सहायता ।
मांग संख्या- 33 आदिम जाति कल्याण ।
मांग संख्या- 41 आदिवासी क्षेत्र उपयोजना ।
मांग संख्या- 42 आदिवासी क्षेत्र उपयोजना से संबंधित लोक निर्माण कार्य- सड़कें और पुल ।
मांग संख्या- 49 अनुसूचित जाति कल्याण ।
मांग संख्या - 52 आदिवासी क्षेत्र उपयोजना के अंतर्गत त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय सहायता ।
मांग संख्या- 53 अनुसूचित जाति उपयोजना अंतर्गत नगरीय निकायों को
वित्तीय सहायता ।
मांग संख्या- 64 अनुसूचित जाति उपयोजना ।
मांग संख्या- 68 आदिवासी क्षेत्र उपयोजना के अंतर्गत नगरीय निकायों को वित्तीय सहायता ।
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए, अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी ।
श्री बाला बच्चन (राजपुर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 15, 33, 41, 42, 49, 52, 53, 64 एवं 68 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का मैं समर्थन करता हूं ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आदिम जाति कल्याण विभाग के तत्कालीन कमिश्नर और मेरे जिले के असिसटेंट कमिश्नर, बड़वानी के बीच में जो बात-चीत हुई थी, वह वायरल हो गई और वायरल होने से प्रदेश की जनता को पता चल गया है कि इस विभाग मे कितना भ्रष्टाचार फैला हुआ है और अपनी स्वार्थ सिद्वि के लिए अधिकारी पूरी कमीशन खोरी में लगे हुए हैं, नीचे से ऊपर तक तंत्र क्या काम कर रहा है, प्रदेश की जनता को पता चल गया है । आदिम जाति कल्याण विभाग के तत्कालीन आयुक्त यह कहते हैं कि अकेले - अकेले खाओगे तो हज़म नहीं होगा, माननीय मंत्री जी अकेले - अकेले खाओगे तो हज़म नहीं होगा, यह असिसटेंट कमिश्नर बड़वानी को बोलते हैं और यही ऑडियो वायरल हुआ है, तत्कालीन असिसटेंट कमिश्नर, बड़वानी यह बोलते हैं कि अभी मैंने तिमाही बजट को उपयोग में नहीं लिया है, उसको मैंने खर्च ही नहीं किया है । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को, आपके तंत्र को और सदन को जानकारी में लाना चाहता हूं, माननीय मंत्री जी क्या देखते हो, अनुसूचित जाति, जनजाति विकास के वर्ग का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार का यह असली रूप सामने आता है । सरकार देख क्या रही है, सरकार कर क्या रही है, जितना बजट आप हमसे लेते हो, सदन से पास करवाते हो, क्या इन्हीं वर्गों के लिए, इनके विकास के लिए लगता है या नहीं लगता है, इन सारी बातों को, मैं आपके माध्यम से उजागर करना चाहता हूं । फर्जी प्रमाण-पत्र का चलन आ गया है, अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के लिए जो फर्जी प्रमाण-पत्र बनवाते हैं, उनको जो नौकरियां मिलना चाहिए, इन वर्गों को नौकरी मिलना चाहिए, वह फर्जी प्रमाण पत्र लेकर अनुसूचित जाति, जनजाति के नाम से कई विभाग में नौकरियों में लगे हुए हैं, उसकी जांच की गति बहुत धीमी है, लगभग शून्य है और कई विभागों में जांच के आवेदन और शिकायतें ठंडे बस्ते में पड़ी हुई हैं, माननीय मंत्री जी, आप इसकी जांच क्यों नहीं कराते हो, इसकी जांच होना चाहिए और जो लोग फर्जी प्रमाण पत्र लेकर नौकरियों में लगे हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही होना चाहिए ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लोक सेवा प्रबंधन जैसे विभाग में भी आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया है, कार्यालय सहायक जैसे पदों पर जो नियुक्तियां दी गई हैं, उसमें भी नियमों का पालन नहीं किया गया है । डी.मेट. परीक्षाओं में भी नियमों का पालन नहीं किया जाता है, माननीय मंत्री जी मैं आपको बताना चाहता हूं, क्या यह सरकार आरक्षण विरोधियों के हाथ का खिलौना बनी हुई है, आप इस बात का ध्यान रखिए ।
माननीय उपाध्यक्षमहोदय, मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं, प्रदेश की अनुसूचित जाति,जनजाति और पिछड़े वर्ग के आरक्षण के खिलाफ जो माहौल बनाया जा रहा है, जातिगत आरक्षण देश के लिए घातक, ऐसे विषय पर 12 वीं के बच्चों से निबंध लिखवाना, मैं समझता हूं कि यह केवल इन वर्गों का ही अपमान नहीं है, हमारे देश के संविधान का भी अपमान है और बाबा साहब अम्बेडकर जी का भी अपनमान है, माननीय मंत्री, आप जब सदन को संबोधित करेंगे, तो इस बारे में स्पष्ट करना पड़ेगा ।
श्री सचिन यादव- यह प्रश्न मध्यप्रदेश में ही नहीं गुजरात में भी पूछा गया है, इससे सरकार की नीयत साफ पता चलती है ।
श्री बाला बच्चन- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, केवल दो लोगों पर कार्यवाही करके आप इसकी इतिश्री करना चाहते हैं, माननीय मंत्री जी, आप आरक्षित वर्ग से आते हैं और आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व आप मंत्री के रूप में करते हैं । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से सदन में जानकारी लाना चाहता हूं कि संघ के सह-कार्यवाह का परसों यह बयान आया है कि आरक्षण पर समीक्षा होना चाहिए, आप इससे सहमत हैं । क्या आप लोग बिहार के चुनाव को भूल गये हैं ? बिहार के चुनाव के पहले इस तरह, जो बयान दिया था और बिहार की जनता ने जो परिणाम और नतीजे दिये हैं, उसको इतनी जल्दी भूल गये हैं. माननीय मंत्री जी आप इस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस वर्ग में आपको यह देखना चाहिए कि आप समर्थ या असमर्थ हैं. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि आपकी सरकार अगर ऐसा चाहती है तो प्रदेश और देश में भी आपकी सरकार है. संविधान के जो आर्टिकल्स हैं, उनको छेड़कर देख लीजिये. अभी तो आपके प्रधानमंत्री जी भी हैं, आप क्यों नहीं, उनको बोलकर संविधान से इसको हटवा दो. जो इस तरह की बयानबाजी करने का अधिकार, हमारे देश के लोगों को है, जो इस तरह की बयानबाजी करते हैं. यह कहीं न कहीं आपस में भिड़ाने की बात प्रदेश और देश में करते हैं और आरक्षण की भूमिका को चैक करने का काम करते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति 21.1 प्रतिशत है और अनुसूचित जाति का 15.6 प्रतिशत है एवं दोनों वर्गों का प्रतिशत 36.7 है और मध्यप्रदेश का हर तीसरा व्यक्ति अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग से आता है. हम बात करेंगे कि आपने उनको कितना साक्षर किया है ? इन वर्गों की साक्षरता दर कितनी है ? आपके माध्यम से, यह उल्लेख करना चाहता हूँ कि आप और आपका तन्त्र क्या देखता है ? अभी मध्यप्रदेश की साक्षरता दर 69.32 प्रतिशत है. लेकिन जब हम अनुसूचित जनजाति की साक्षरता दर की बात करेंगे, लिटरेसी रेट ऑफ ट्रायबल की बात करेंगे, हम सब सरप्राइज्ड हो जायेंगे. उसका आंकड़ा 50.55 प्रतिशत है और अलीराजपुर जैसे जिले का अनुसूचित जनजाति की साक्षरता दर 32 प्वाइन्ट समथिंग है, झाबुआ का 37 प्वाइन्ट समथिंग, बड़वानी का 39 प्वाइन्ट समथिंग, खरगौन का 44 प्वाइन्ट समथिंग एवं धार का 46 प्वाइन्ट समथिंग है. माननीय मंत्री जी बहुत महत्वपूर्ण विभाग है एवं बड़ा अमला है. आप इसको ठीक ढंग से देखें, अगर साक्षरता दर इन वर्गों का नहीं बढ़ेगा तो मैं समझता हूँ कि जिस मकसद और उद्देश्य के साथ मध्यप्रदेश की जनता ने आपको पब्लिक मेन्डेट दिया है, आप और आपकी सरकार खरे उतरती हुए नहीं दिख रही है या भविष्य में अच्छे रिजल्ट आयें जिससे कि हम देश और दुनिया में दमदारी से इस प्वाइन्ट पर मुकाबला कर सकें. जब हम इन वर्गों में टेलेन्ट नहीं डालेंगे, मुझे नहीं लगता है कि हमारे मकसद और उद्देश्य को लेकर हम मंजिल तक पहुँच रहे हैं, आपको ध्यान देना पड़ेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, गांव के विद्यालयों में टीचर नहीं हैं, अध्यापक नहीं हैं, अभी मैंने राज्यपाल के अभिभाषण पर उल्लेख किया था और इन मांगों पर, मैं बोलता हूँ तो बड़े दुख के साथ कहना चाहता हूँ कि हम ग्रामीण क्षेत्र से चुनकर आते हैं. मैं आप जैसे आरक्षित वर्ग से आता हूँ और मैं खुद भी गांव का रहने वाला हूँ. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि आज भी गांवों के विद्यालयों में कैमिस्ट्री, फिजिक्स, मैथमेटिक्स, बॉयोलाजी, बॉटनी और इंग्लिश के टीचर नहीं हैं, जब तक आप अध्यापक नहीं देंगे तो आप जितना डिंढोरा पीट रहे हैं कि हमने मिडिल स्कूल खोल दिया है, हाई स्कूल खोल दिया है, हायर सेकेण्डरी खोल दिया है और कॉलेज की बात कर रहे हैं. आप क्वालिटी ऑफ एजूकेशन अच्छा नहीं देंगे तो मैं नहीं समझता हूँ कि फिर हम सभी ठीक-ठाक चल रहे हैं, यह सरकार ठीक-ठाक चल रही है. मैं समझता हूँ कि बिल्कुल भी उचित नहीं होगा. माननीय मंत्री जी को बजट भाषण में, मैंने पढ़ा और सुना भी है कि हमने इस विभाग के बजट में काफी बढ़ोतरी की है लेकिन क्या वह बजट, उस क्षेत्र के लिए, उस वर्ग के लिए काम में आ रहा है. मैं उसका उल्लेख करना चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या कण्डिकावाईस और वर्षवाइज, आप मुझे समय और संरक्षण देंगे तो मैं बताना चाहता हूँ कि सरकार क्या काम कर रही है और माननीय मंत्री जी और उनका तन्त्र क्या देख रहा है. मैं उसका उल्लेख करना चाहता हूँ. इस विभाग के वर्ष 2013-14 की राज्य आयोजना में लगभग 62 अरब रूपये का प्रोविजन बजट में किया था. आपने 62 अरब रूपये के अगेन्स्ड, 56 अरब रूपये खर्च किये हैं. इसी प्रकार वर्ष 2014-15 में 77 अरब रूपये के प्रावधान के विरूद्ध 64 अरब रूपये व्यय हुए हैं और 13-14 में 6 अरब रूपये कम और 15-16 में 13 अरब रूपये कम, मतलब 600 करोड़ रूपये और 1,300 करोड़ रूपये. यह सरप्राइज्ड आंकड़े हैं. एक वर्ष आपने 600 करोड़ खर्च नहीं किये हैं और दूसरे वर्ष 1,300 करोड़ रूपये खर्च नहीं किये हैं. आपका विभाग और आपका तन्त्र क्या देखता है ? जो खर्च हुआ है, उसका तो, मैं आगे बताऊँगा ही कि किस तरह भ्रष्टाचार हुआ है ? दस बीस करोड़ रूपये की बात नहीं है. यह सरकार क्या कर रही है ? यह तन्त्र क्या देख रहा है? मैं बताना चाहता हूँ कि इसका सीधा कारण क्या है ? ऐसा क्यों हो रहा है ? ये अनुसूचित जाति-जनजाति के क्षेत्र में विकास के लिए जो राशि लगनी चाहिए और इन वर्गों के लिए लगनी चाहिए, वो वहां खर्च नहीं होकर, यह अन्य कार्यों के लिए एवं अन्य व्यक्तियों के लिए खर्च करते हैं. इसको आपको कन्ट्रोल करना पड़ेगा, देखना पड़ेगा. मैंने बताया है कि हर तीसरा व्यक्ति अनुसूचित जाति-जनजाति से मध्यप्रदेश में आता है, इनके विकास, तरक्की और इनकी प्रोग्रेस किस तरह हो पायेगी. ऐसे होगी तो वह कब तक हो पायेगी. जब बोलें तो आप सीधे-सीधे इसकी जानकारी दें और जिससे इस वर्ग की जनता का भला कर सकें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस वर्ग की जनता और छात्रों के साथ सरासर धोखा है और दूसरा, मैं बताना चाहता हूँ कि 90 प्रतिशत योजनायें एवं छात्रवृत्ति के लिये जो आवंटन मिलता है, वह दूसरे कामों के लिये, दूसरी योजना और दूसरे वर्गों पर खर्च होते हैं. मैं छोटी-छोटी बातें कहकर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ कि तब आप चीजों का जवाब दें. फिर 2014-14 में अनुसूचित जाति-जनजाति विद्युतीकरण योजना के लिये 1 अरब 30 करोड़ रूपये का प्रोविजन के अगेन्स्ड, आपने खर्च किया है, 1 अरब 4 करोड़ रूपये. आप 26 करोड़ रूपये खर्च नहीं कर पाये हैं. जो टोटल बजट का 20 से 25 प्रतिशत होता है. आपने अनुसूचित जनजाति की बस्तियों के लिये विद्युतीकरण के लिए जो राशि ली थी, बजट में प्रोविजन कराई थी लेकिन 25 प्रतिशत राशि, आप व्यय नहीं कर पाये हैं. क्या कारण हैं ? फिर आगे में इंगित करना चाहता हूँ कि वर्ष 2014-15 में ही प्री-मैट्रिक छात्रावास के लिये आवंटित 95 करोड़ रूपये के अगेन्स्ड, 82 करोड़ रूपये ही खर्च हो पाये हैं. ऐसी कई योजनायें हैं. मैं आंकड़े, कण्डिका और मांग संख्या के माध्यम से बता रहा हूँ क्योंकि सरकार नहीं मानेगी. सरकार इसके बाद जब जवाब देगी तो जिस प्रकार माननीय मुख्यमंत्री जी ने भाषण दिया था. माननीय मंत्री जी भाषण देकर इस बात की इतिश्री करना चाहेंगे, बात को समाप्त करना चाहेंगे क्योंकि मुझे मालूम है कि हमारे विधायक साथियों ने, हमने जब बजट भाषण पर बोला था तो सबने स्पेसिफिक मुद्दे और बातें उठाई थी, योजनाओं के नाम और आंकड़े बताये थे. लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी ने किसी बात का कोई जवाब नहीं दिया था. इस प्रकार से, वे भाषण दे गये थे कि जैसे कि कहीं मध्यप्रदेश की जनता एवं भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे हों. अपना 2 घण्टे का भाषण समाप्त करके गए हैं लेकिन मैं बताना चाहता हूँ कि हम जिस दिन विनियोग विधेयक पर बोलेंगे. मुख्यमंत्री जी ने आंकड़ों की कितनी फॉल्स बयानबाजी की है. हम उन आंकड़ों को भी उजागर करेंगे.
माननीय
उपाध्यक्ष
महोदय, अब
मैं अनुदान
मांग संख्या
33 पर आता हूँ.
अनुदान मांग
संख्या 33 की
कण्डिका 52 11 में
बताया गया है
कि आई.टी.डी.पी.
योजना में
पिछले वर्ष की
तुलना में,
इस वर्ष 44
करोड़ रूपये
का बजट कम कर
दिया है,
जो सीधा-सीधा
ड्रायबल के
लिए काम करती
है. माननीय
मंत्री जी,
आपने 44 करोड़
रूपये का बजट
कम करके उनके
साथ, इतना
बड़ा
कुठाराघात क्यों
किया है ?
उनके काम होते
हैं, उनका
विकास होता है,
अनुसूचित
जाति-जनजाति
वर्ग के लोगों
का आपने 44
करोड़ रूपये
एकदम से कम कर
दिये हैं. ऐसे
ही मांग संख्या
33 की कण्डिका 53 25
में व्यावसायिक
प्रशिक्षण
शिक्षा में
युवाओं के साथ
आपने कितना
बड़ा धोखा किया
है. विगत वर्ष 3
करोड़ रूपये
का बजट
प्रोविजन था,
इस वर्ष 33 लाख 54
हजार रूपये का
युवाओं को व्यवसाय
से संबंधित
प्रशिक्षण
दिया जाता है,
वह 3 करोड़ से
घटाकर कम कर 33
लाख 54 हजार
रूपये कर दिया
है. वैसे ही
मांग संख्या
33 की कण्डिका 72 11 अनुसूचित
जाति-जनजाति
हेतु
विद्युतीकरण
योजना के लिए
जो काम किये जाते
हैं, वह 8
करोड़ रूपये
की आपने कमी
कर दी है. जिन
कण्डिकाओं और
मांग संख्याओं
का मैं उल्लेख
कर रहा हूँ.
इन्हीं के
माध्यम से,
काम और विकास
होता है,
इन्फ्रास्ट्रक्चर
के काम होते
हैं. माननीय
मंत्री जी,
मैंने आपको
बोला है कि आप
तो इस वर्ग से
आते हैं,
आपको तो बहुत
बारीकी से अध्ययन
होना चाहिए. यह
अनुसूचित
जनजाति, जाति
वर्ग के लोगों
को किस तरह से
वहां बिजली
या उनकी
बस्तियों का
विकास होना
चाहिये. उनको
जो राहत राशि
दी जाना
चाहिये.
लेकिन आप देख
क्या रहे हैं.
मैं आपको
बताना चाहता
हूं कि मांग
संख्या 33 की
कंडिका 8805
प्राथमिक
स्तर में
बालिकाओं एवं
बालकों कीो
छात्रवृत्ति
वर्ष दर वर्ष
कम होती जा
रही है. उनको
जो देने वाली
छात्रवृत्ति
है, वह आप हर
वर्ष कम करते
जा रहे हैं. 2014-15
में 37 करोड़, 2015-16 में
30 करोड़ और 2016-17
में 29 करोड़
रुपये कर दी
गयी है, क्यों.
हर वर्ष इन
छात्रों की
छात्रवृत्ति
कम क्यों करते
जा रहे हैं.
इसी मांग
संख्या की कंडिका
7634 में आदिवासी
अनुसूचित
जाति, जनजाति
के
विद्यार्थी
जो हायर एजुूकेशन
के लिये
दिल्ली में
जाते हैं, आप
ढिण्ढोरा तो
बहुत पीटते
हो. अब आप यह
आंकड़े
सुनना. हायर
एजुूकेशन,
उनके अध्ययन
के लिये ाआप
उनको दिल्ली
पहुंचाते हो.
दिल्ली के
लिये इन्होंने
कितना
प्रावधान रखा
1 लाख रुपये.
मंत्री जी, बजट
को आप देखते
हो. बजट बनता
है, तो उसको आप
देखते हो.
अनुदान
मांगों को आप
देखते हो.
कंडिकाओं को
आप पढ़ते हो.
एक लाख रुपये.
एक लाख रुपये
में क्या हायर
एजुूकेशन
से संबंधित
वहां
सुविधायें
उपलब्ध हो पायेंगी
और कितने
दिनों तक
बच्चे वहां रह
पायेंगे.
उसके बाद वह
क्या एजुूकेशन
ले पायेंगे.
केवल एक लाख
रुपये का
प्रावधान रखा
है. अगर कहीं
गलत हो तो आप
बोलें, ततो
मुझे बताना.
हमारे साथी
बिलकुल ठीक
बोल रहे हैं
कि आप या ाआपका
तंत्र वहां जब
जायेंगे, तो ेएक
दिन का ही
आपका खर्चा
लगभग एक लाख
रुपये हो जायेगा.
मैं अब आता
हूं अनुसूचित जनजाति
कल्यामण
विभाग से
संबंधित जो
अनुदान मांगे
हैं और उनकी
जो कंडिकायें
हैं, उनमें भी
आपने क्या
किया है, वह
मैं उसका उुल्लेख
करना चाहता
हूं. अब आपको
कसावट करना पड़ेगा.
यह सरकारी
तंत्र जो
निरंकुश हो
रहा है, उस पर
आपको ध्यान
देना पड़ेगा.
धरातल पर कुछ
भी नहीं है.
गांव में जाकर
हम स्कूलों
में देखतते
हैं, मैं उन
बातों को ऱि
फिर प से
रिपीट नहीं
करना चाहता
हूं. मंत्री
जी, मैंने
जैसा बोल है,
इन वर्गक
से आते हो और
इस वर्ग से
आने के बावजूद
भी आप इस पर
कंट्रोल नहीं
कर पाओगे तो
मुझे नहीं
लगता कि इन
वर्गों ाका
मध्यप्रदेश
में कोई
भविष्य
बचेगा. अब मुझे
तो लगता है कि
इन वर्गों का
भविष्य
अंधकार में ही
है. अनुसूचित
जाति कल्याण
विभाग के लिये
आपने क्या
किया है.
कंडिका 2.19 यह जो
अनुसूचित जाति
बस्तियों के
विकास के
लिये भी
आवंटित राशि का
पूर्णम
उपयोग आपने
नहीं किया है.
वर्ष 2013-14 में 69
करोड़ रुपये
का प्रावधान
था, उसके
विरुद्ध
मात्र 61 करोड़
खर्च हुए हैं.
2014-15 में 71 करोड़
के प्रावधान
के विरुद्ध 64
करोड़ रुपये
व्यय किये
हैं. मैं यह पूछना
चाहता हूं कि
भले 8,10,20 करोड़
रुपये इितना
भी आाप
व्यय कम
क्यों करतते
हो. हमको तो और
मांगना
चाहिये इनके विकास
और तरक्की के
लिये. इसकी
कंडिका 2.20 के अनुसार
अनुसूचित
जाति की
बस्तियों में
विद्युतीकरण
के लिये है.
पहले
अनुसूचित
जनजाति के लिये
था, अब
अनुसूचित
जाति की
बस्तियों के
लिये जो
विद्युतीकरण
के लिये
आवंटन बजट
में किया है, उुसका
आप सुन
लीजिये. वर्ष
2014-15 में 28 करोड़
रुपये के
विरुद्ध 24.5
करोड़ृ
रुपये ही व्यय
किये हैं.
उसके अलावा
कंडिका 2.22 के
अनुसार
अनुसूचित जााति
राहत योजना
के अंतर्गत
उसमें भी आप
सुन लीजिये.
वर्ष 2013-14 में 1.7
करोड़ के
विरुद्ध
आपने खर्च
किये हैं 41.29
लाख और वर्ष 2014-15
में 1 करोड़ के
विरुद्ध 19.64 लाख
रुपये की ही
राहत राशि
आपने उनको
प्रदान की है.
राहत राशि भी
आप और आपका
विभाग नहीं
बांट पाते हैं.
और आप कितनी
कितनी कम बांट
पाते हैं. एक
बड़ी बात बता
रहा हूं. ..
उपाध्यक्ष
महोदय -- बाला जी,
थोड़ा इसको
माइक्रो
लेविल पर ले
आइये. इइतनी
बारीकी से आप
कह रहे हैं.
आपको 18 मिनट हो
गये हैं.
श्री
बाला बच्चन -- उपाध्यक्ष
महोदय, यही
तो बोलने की
चीज है. सरकार
क्या कर रही
है, सरकार
क्या गुल खिलाती
है, सरकार के
काररनामों
में तो यही
आयेंगे.
सरकार के ये
कारनामे हैं.
मैंने आपको
बोला है कि
कमिश्नर और
सहायक
कमिश्नर
जिनका ऑडियो
जारी हुआ है,
प्रदेश की
जनता ने सुना
है कि अकेले
अकेले खाओगे
तो हजम नहीं
कर पाओगे.
वहां से मैंने
स्टार्ट किया
है. मैं भ्रष्टाचार
उजागर कर रहा
हूं ौऔर
वह चीजें बता
रहा हूं, अंदर
की जो चीजें
छुपी हुई हैं,
उन चीजों का
मैं उल्लेख
करना चाहता हूं.
मेट्रो रेल
का ढिण्ढोरा
पीटती है आप
और आपकी
सरकार.
मेट्रो रेल के
लिये
अनुसूचित
जाति उप
योजना के मद
क्रमांक 1
एक से आपने 10
करोड़ रुपये
लिये हैं. मद
क्रमांक 2 से 90
करोड़ रुपये
लिये हैं. इन
मदों से जो कि
आपकी मांग संख्या
53 है, 100 करोड़ ररुपये
लेकर आप
रेल्वे लाइन
का काम करने
जा रहे हैं.
क्योंं छल,ठग
रहे हो
अनुसूचित
जाति वर्ग के
लोगों को. 90 करोड़
और 10 करोड़ ररुपये
ाआप
इस वर्ग से
निकाल कर
मेट्रो लाइन
पर खर्च करेंगे.
मंत्री जी, हो
सकता है कि यह
जानकारी में आपको
आपका तंत्र
नहीं आने दे,
क्योंकि
तंत्र इतना
घुमाकर,
भ्रमित करके
मंत्रियों को
रखते हैं.
मंत्री गगण
पता नहीं मुझे
कि ब्रीफिंग
के समय में
क्या देखते
हैं. अगर
जितनी भी यह
चीजें असत्य
निकलती हैं,
तो मैं समझता
हूंं कि
यहां सब सारी
चीजें नोट,
रिपोर्टिंग
हो रही है, आप
इसको नोट
करके बाद में जब
आप बोलें या
उसके बाद में
जब कभी भी आापको
टाइम मिले,
क्योंकि हमने
ऐसे ही
स्पेसीफाइड
चीजें
मुख्यमंत्री
जी के नालेज
में डाली थीं.
लेकिन मैंने
आपको बताया,
अब मैं उसको
रिपीट नहीं
करना चाहता
हूं. एक बात और
है. अनुसूचित
जाति, जनजाति
पर ्अत्याचार
के मामले में
निरन्तर बढ़तते
जा रहे हैं.
अत्याचार
निवारण
अधिनियम के तहत
मैं आपकी
जानकारी में
अभी आंकड़े दे
रहा हूं कि अधिनियम
के तहत वर्ष 2013-14
में अनुसूचित
जाति के 2945 मामले,
जनजाति के 1296
मामले
पंजीबद्ध हुए
हैं और 2014-15 में
जो बढ़कर हो
गये हैं.
अनुसूचित
जाति के 3529 एवं
जनजाति के 1650.
आपको यह विचार
करना पड़ेगा
कि अभी
गैंगरेप हुआ
है 20.6.2015 को श्रीमती
मंजूबाई पति
बागसिंह, जो
भीकनगांव की
है. गैंगरेप उसके
बाद उसकी
हत्या कर दी
गई. ाआज
तक उसके
परिवार वालों
को कोई राहत
राशि नहीं दी
गई है. मंत्री
जी, जब आप
बोलें, तो इन
चीजों का
खुलासा करें.
मैंं यह भी
बताना चाहता
हूं कि आदिम
जाति ककल्याण
विभाग के
मध्यप्रदेश
में 89 विकास
खण्ड आते हैं.
ऐसे ऐसे ब्लाक
हैं, जिस जिले
से मैं आता
हूं, मैं आपको
बताना चाहता
हूं कि पहले
में पानसेमल
क्षेत्र से
विधायक था.
वहां की
स्थिति मैं
बता रहा हूं. न
वहां बीओ, न
जनपद में सीईओ
है, न वहां
तहसीलदार है.
न स्कूलों में
अध्यापक है.
कैसा चल रहा
होगा विभाग.
रावत जी बोल
रहे हैं कि
उनकी विधान
सभा का ब्लाक
भी ट्राइबल
में आता है.
मैं आपको
बताना चाहता
हूं कि आपके त89
ब्लाक लगते
हैं, जिसमें
सीईओ,
तहसीलदार
नहीं हैं,,
उसके बाद फिर
अध्यापक नहीं हैं,फिर
इस ओर आपको आपको
यह ध्यान
पड़ेगा.
बैकलाग के
हजारों पद
रिक्त पड़े
हुए हैं.
शिक्षकों के
पदों की आप
भर्ती करें. बैकलाग
के हजारों पद
रिक्त हैं, तो
उससे आप अनुमान
लगा सकते हैं
कि आपकी
विभाग की
योजननायें और
सरकार रिजल्ट
ओरियेंटेड
कैसे बन सकती
है. जब आप
बोलें, तो इन
बातों का खुलासा
करें. दूसरी
तरफ विशेष
भर्ती अभियान
के नाम पर
खाना पूर्ति
की जा रही ीहै.
प्रदेश में
छात्रवृत्तिथि
घोटाला
मध्यप्रदेश
में अरबबों
रुपयेो
का हुआ है,
आपके लिये और
सरकार के लिये
यह शर्मनाक
बात है और आप
केवल उन
कालेजों के
संचालकों के
खिलाफ उनसे राशि
वसूलने की
कार्यवाही की
बात कर रहे
हैंं.
उन्हें जेल
क्यों नहीं
करा रहे हैं.
उनके खिलाफ एपाफआईआर
दर्ज क्यों
नहीं करा रहे
हैं. एेक-एक
विद्यार्थी
के नाम से 10-10
जगह से वहां
के कालेज के
संचालक मंडल
के लोगों ने
छात्रवृत्ति
निकाल ली है.
यह भी एक बड़ा
घोटाला है.
इसके अलावा भी
मेरे पास
काफी यह विभाग
जो अनियमिितताएं,
धांधली करता
है, भ्र,ष््टाचार
करतता है,
गड़बड़ी करता
है, वह काफी
मेरे पास चीजें
हैं. मैं यह
आग्रह करना
चाहता हूं कि
जितनी बातों
का मैंने मय
अनुदान
मांगों की
कंडिकाओं के
बारे में
खुलासा किया
है. जब आप
बोलें, तो
इसका जवाब
दें . मैं मंत्री
जी यह चाहूंगा
कि इन वर्गों
को ाआप
प्रदेश और देश
की मुख्यधारा
से जोड़ें.
बैकलॉग के
पदों को भरें.
शिक्षकों के
पदों कोे
भरें और
इसके बाद और
भी जो इससे
संबंधित इन
वर्गों को आगे
ले जाने के
लिये जो काम
में आ सकें. ाआप
जब बोलें, तो
मेरी इन
बातों का
जवाब दें और
मैं इसके
अलावा भी
बताना चाहता
हूं कि बहुत
सारी चीजें
जो मैंने अभी त89
विकास खण्डों
की बात की है,
वहां लगने
वाली ग्राम
पंचायतों की
मैंने बात कही है.
एजेंसियों के
खिलाफ जांच न
करते हुए वहां
के सरपंचों और
सचिवों को
चमकाते हैं.
उनके खिलाफ
कार्यवाही
करते हैं.
उनको जेल के
शिकंजे में आप
और शिवराज
सिंह जी की
सरकार के
दूसरे विभाग
के तंत्र
करते हैं.
बाकी वहां
करोड़ों, अरबों
रुपये के जो
भ्रष्टाचार
हुए हैं, मैं
जिस जिले से
आता हूं, और
अधिक समय न
लेते हुए मैं
एकाध दो मिनट
में मेरी बात
कहना चाहता
हूं कि मैं
जिस जिले से
आता हूं, यह बात
बताना चाहता
हूं कि 18 हजार
काम अभी भी
इनकम्पीट हैं
पिछले 5 से 7 साल
में. वह कब काम
पूरे हो पायेंंगे.
अब तो ाआपकी
सरकार यहां
पर और वहां भी
है. अगर कोई
फंड की कमी
पड़ती है
मैंने उल्लेख
किया है कि
सीएसटी का
हमारा पैसा
फंसा पड़ा हुआ
है 14 विभागों
की फाईल के
प्रपोजल
दिल्ली में
पड़े हुये हैं
अगर फंड की
कहीं पर कमी
पड़ती है तो
आप हमें भी ले
चलिये लेकिन
कम से कम जो
सर्व शिक्षा
को आपने बंद
कर दिया है
मॉडल स्कूल के
फंड को आपने
बंद कर दिया
है उसके बाद
बीआरजीएफवाय
का फंड बंद हो
चुका है,
मनरेगा में
राशि आना कम हो
गई है.अब यह
राशि जब नहीं
मिलेगी तो मैं
बड़वानी जिले
का आपको एक
उदाहरण देना
चाहूंगा. जिस
तरह से हांडी
में से एक
चावल को चेक
करते हैं उस
तरह से आप देख
लें . पूरे मध्यप्रदेश
में क्या
हालात होंगे
तो आप कृपा करके
मेरे अपने
बड़वानी जिले
के इनकंपलीट
जो काम हैं,
मैंने इस बात
का उल्लेख
किया है कि
घाट कटे नहीं,
सड़कें बनीं
नहीं, पुल
बनें नहीं,
भवन बने नहीं,
जीएसबी मार्ग
बने नहीं और
उसके बाद राशियां
निकल गई हैं .
मेरे यहां पर 18
हजार काम कभी
आप दौरा कर
लें आपके
विभाग से संबंधित
है, भूरिया
कमेटी वाला
जिला है जो
भूरिया कमेटी
लागू हुई है
उसके अंतर्गत
बड़वानी, धार
और झाबुआ,
खरगौन आने
वाले जिले हैं
आप आकर के देख
लीजिये. जिससे
कि लोगों को
भी उम्मीद जगे
कि सरकार काम
कर सकती है या
जो काम इन
कम्पलीट हैं
यह काम कभी
पूरे होंगे और
कभी हमारे काम
में आयेंगे.
तो माननीय
मंत्री जी जब
आप बोलें तो
इन बातों का
खुलासा करें.
और मैं यही
चाहता हूं कि
इन वर्गों को
भी आप मुख्य धारा
से जोड़कर
पदों की जो
कमियां हैं उन
पदों की
पूर्ति करें.
और रिजल्ट
ओरियेंटेड आप
और आपकी सरकार
को आप बनायें
तब मैं समझता
हूं कि इस
प्रदेश का जिस
मकसद और देश
के साथ पब्लिक
मेंडेड आप और
आपकी सरकार को
जो मिला है तब
जाकर के मकसद
की पूर्ति
होगी.
उपाध्यक्ष
महोदय और भी
बहुत सारी
बातें मुझे
बोलना थी, जब
कभी विषय
आयेगा या
व्यवस्था
होगी उसके
अंतर्गत मैं
अपनी बात को
रखूंगा. आपने
मुझे बोलने के
लिये अवसर
प्रदान किया
उसके लिये आपको
बहुत बहुत
धन्यवाद.
कुंवर सिंह टेकाम(धौहनी) माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 15, 33, 41, 42, 49, 52, 53, 64 और 68 का समर्थन करने के लिये खड़ा हुआ हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब से मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने प्रदेश की बागडोर सम्हाली है और जब से आदरणीय ज्ञान सिंह जी इस विभाग के मंत्री बने हैं तब से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की दिशा और दशा में बहुत आमूलचूल परिवर्तन हुये हैं. यह कहना काफी होगा कि अभी जैसा यहां जिक्र हो रहा था साक्षरता दर पर. आज अनुसूचित जनजाति का साक्षरता दर 50.55 है जिसमें पुरूष का 59.55 महिलाओं का 41.47 है. वास्तव में यह साक्षरता की दर को प्राप्त करने के लिये कड़ी मेहनत और मशक्कत करना पड़ी है.क्योंकि मैं पीछे के वर्षों की बातों पर नहीं जाऊंगा लेकिन आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा का यह प्रतिशत जो आज हासिल हो पाया है वह इसलिये हुआ कि प्राथमिक विद्यालय 22910, माध्यमिक विद्यालय 80103, हाईस्कूल 986, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 752 आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 78, कन्या शिक्षा परिषद 62 और एकलाबाद आदर्श आदिवासी विद्यालय 25, न्यूनतम जो साक्षरता दर वाले कन्या शिक्षा परिषद 13, विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिये उत्कृष्ट विद्यालय 3 सरकार ने स्थापित किये हैं तब जाकर के यह प्रतिशत आया है. अब 10 वर्ष में जो वृद्धि हुई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको एक विकास खंड का उदाहरण देना चाहूंगा मैं जिस विधानसभा क्षेत्र से चुनकर के आता हूं उसमें 2003 के पहले 4 हायर सेकेन्डरी स्कूल थे, आज वहां पर 16 हायर सेकेन्डरी स्कूल हैं अर्थात 12 हायर सेकेन्डरी स्कूलों में वृद्धि हुई है. इन 12 वर्षों में पहले वहां पर 4 हाई स्कूल हुआ करते थे. आज वहां पर 25 हाई स्कूल हैं , यदि 2003 के पहले यदि यही हाई स्कूल की संख्या 25 होती तो आज जो हमारी 50 प्रतिशत पर साक्षरता में पहुंचे हैं वह आज हम 80 प्रतिशत के लगभग होते इसलिये यहां पर जो शिक्षा में परिवर्तन आया है विशेषकर आदिवासी समाज की शिक्षा में जो परिवर्तन आया है , शिक्षा के प्रति जो जागरूकता आई है वह आमूलचूल है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आदिवासी विभाग मुख्यत: शैक्षणिक गतिविधियों के साथ साथ आदिवासी क्षेत्र में विकास के काम को भी देखता है, उनके कल्याण के काम को भी देखता है , बहुत सारी योजनायें हैं अभी हमारे जनजातिय बच्चों को शिक्षा की गुणवत्ता में लाने के लिये,उनकी शैक्षणिक गतिविधियों के जरिये साक्षरता दर प्राप्त करने के लिये उनमें गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिये उनको शहरों में जाने के लिये जब वे शहरों में पढ़ने के लिये जाते थे तो वहां पर उनके रहने के लिये आवास की व्यवस्था नहीं हुआ करती थी. आज वर्तमान में बालक और बालिकाओं के लिये 1348 प्री-मैट्रिक 130 पोस्ट मैट्रिक और 1046 आश्रम शाला संचालित हैं इसमें छात्रवृत्ति के रूप में 1000 रूपये प्रति बालक और 1040 रूपये प्रति बालिकाओं को छात्रवृत्ति देने की व्यवस्था हमारी सरकार ने की है . एक सबसे बड़ी उपलब्धि जो हुई है कि छात्रवृत्ति को अब मूल्य सूचकांक से जोड़ दिया गया है. तो जैसे जैसे मंहगाई बढ़ेगी वह छात्रवृत्ति बढेगी. पहले क्या होता था कि 4-5 साल में रिवीजन होता था. जब हम लोग पढ़ा करते थे तो 15 रूपये हमें स्कालरशिप के रूप में मिलते थे. आज उसकी तुलना में बहुत ज्यादा राशि प्राप्त हो रही है. इसी तरह से उत्कृष्ट शिक्षा केन्द्रों के संचालन के साथ साथ प्रतिभाशाली छात्रों को जो 60 प्रतिशत से ज्यादा अंक पाते हैं उनको इन उत्कृष्ट विद्यालयों में एडमीशन देते हैं और उनको प्रोत्साहन के लिये , स्टेशनरी के लिये 2000 रूपये प्रति बच्चों को अलग से दिया जाता है. इतना ही नहीं. यदि छात्र संभागीय मुख्यालयों में यदि पढ़ने के लिये जाते हैं और जहां पर छात्रावास की व्यवस्था नहीं है वहां पर छात्रगत योजना के अंतर्गत 2 हजार रूपये प्रति छात्र प्रति माह के हिसाब से योजना का लाभ दिया जाता है. जिससे कि वह किराये के कमरे में रहकर के उच्च शिक्षा को प्राप्त कर सकें.इसी तरह से माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जिला मुख्यालय स्तर पर 1250 रूपये ,तहसील मुख्यालय पर 1000 रूपये प्रति माह उनको इस योजना के अंतर्गत दिया जाता है.इतना ही नहीं इन हास्टलों में बच्चियों को मेप्कीन की, किट की सफाई के लिये कक्षा 6वीं से ऊपर जो होते है उनको 200 रूपये प्रतिमाह किट के लिये भी राशि दी जाती है. इसके अलावा कन्या साक्षरता प्रोत्साहन राशि 5वीं उत्तीर्ण कर 6वीं में जाने पर रूपये 500, 8वीं परीक्षा उत्तीर्ण कर 9वीं मे जाने पर रूपये 1000 है, 10वीं परीक्षा उत्तीर्ण कर 11वीं में जाने पर 3000 रूपये दिये जाते है और बालक-बालिकाओं को सायकिलों के रख रखाव के लिये भी इस सरकार ने व्यवस्था की है यदि उनकी सायकिल बिगड़ जाये तो उसको बनाने के लिये पैसे नहीं होते थे, उसके लिये भी रूपये 1000 प्रति वर्ष बच्चों को दिया जा रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यदि बोर्ड की परीक्षा में छात्र अच्छे अंक लाते हैं उनको प्रोत्साहन के लिये शंकर शाह पुरस्कार योजना और रानी दुर्गावती पुरस्कार योजना के द्वारा 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा में जो प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी में अंक लाते हैं उनको 51 हजार, 31 हजार और 21 हजार रूपये पुरस्कार स्वरूप प्रदान किये जाते हैं जिससे प्रोत्साहित होकर के वे अच्छे अंक लेकर के आयें. अच्छा पढें. इतना ही नहीं 12वीं बोर्ड के अलावा यदि वे सर्वश्रेष्ठ आश्रम और स्कूलों में भी बच्चे अच्छे से पढ़े, अच्छे अंक लेकर के आयें, अच्छे परीक्षा के परिणाम निकलें तो उनको भी पुरस्कार देने की यह सरकार ने व्यवस्था बनाई है और प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के रूप में 25 हजार, 15 हजार और 10 हजार रूपये देने की व्यवस्था हमारी सरकार के द्वारा की गई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जनजाति के जो विशेष पिछड़ी जनजातियां हैं उनको स्टाइपेंड के साथ साथ गणवेश के अलावा उनको स्वेटर ठंड से बचने के लिये , जूते - मौजे और स्कूल बैग के लिये भी पैसे 600 रूपये कक्षा 1 से 8 तक और 9 से 12 तक 1100 रूपये उनके बैंक के खाते में दिये जाते हैं जिससे ठंड में ठंड से बचने के लिये स्वेटर, जूते और मौजे और स्कूल बेग खरीद सकें. इसी तरह से अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों को क्रीड़ा-खेल को बढ़ावा देने के लिये 18 जिलों में 17 बालक और 5 बालिका क्रीड़ा परिषद की स्थापना की गई है.खेल को प्रोत्साहन देने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर एवं राज्य स्तर पर यहां पर पुरस्कारों की व्यवस्था है. राष्ट्रीय स्तर पर 21 हजार, द्वितीय पर 15 हजार, तृतीय पर 11 हजार और राज्य स्तर पर 7 हजार, 5 हजार और 3 हजार और राष्ट्रीय स्तर पर जो भाग लेते हैं उनको भी 4 हजार रूपये देने की योजना है. इतना ही नहीं पहले सैनिक स्कूलों में या पब्लिक स्कूलों में पहले एडमीशन अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के छात्रों को नहीं मिलता था, सरकार ने साढ़े 7 प्रतिशत उसमें रिजर्वेशन करके अच्छे स्कूलों में उन बच्चों को एडमीशन देकर के अच्छी शिक्षा देने की व्यवस्था की है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विदेश में शिक्षा के लिये, हिन्दुस्तान के इतिहास में मध्यप्रदेश में पहली बार माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी और हमारे विभाग के मंत्री महोदय विदेश में आदिवासी बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिये भेजने की व्यवस्था की है इससे पहले नहीं थी, अभी तक 16 बच्चे विदेश से पढ़कर लौट आये हैं, इस वर्ष 29 बच्चों का चयन हुआ यह एक ऐतिहासिक घटनाक्रम है, पहले क्यों नहीं सोचा गया क्या बच्चें प्रतिभाशाली नहीं थे, थे लेकिन आदिवासियों के प्रति जितना गंभीर चिंतन माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर रहे हैं, माननीय मंत्री जी कर रहे हैं, उतना पहले कभी नहीं हुआ.
सिविल सेवा में परीक्षा के लिये कोचिंग की व्यवस्था, यदि परीक्षा पास कर लें, यूपीएससी में 40 हजार, मुख्य परीक्षा पास कर लें तो 60 हजार और साक्षात्कार के लिये जो सिलेक्ट हो जायें उनको 50 हजार और इसी तरह से एमपी पीएससी के लिये प्रारंभिक परीक्षा पास कर लें तो 20 हजार, मुख्य परीक्षा पास कर लें तो 30 हजार और साक्षात्कार के लिये जब जायें तो उनको 25 हजार रूपया प्रोत्साहन राशि देने की व्यवस्था है और ट्राइवल प्लान योजना के तहत यहां पर मध्यप्रदेश में 26 आदिवासी परियोजनायें हैं, 5 वृहद परियोजनायें हैं, 30 माढ़ा पॉकेट हैं और 6 लघु अंचल परियोजनायें कार्यरत हैं, और पिछली जनजातियों के लिये 3 प्राधिकरण और 11 अभिकरण उनके विकास और कल्याण के लिये कार्यरत हैं. इसी तरह से अब अपने ट्राइवल परियोजनाओं में सड़क हों, पुल पुलियां हों, पीसीसी हों यह पहले नहीं बनते थे, आज आदिवासी क्षेत्रों में जाइये तो पक्की नालियां, पक्की पीसीसी और हर गांव में विद्युतीकरण की योजना, पहले हम लोगों ने बिजली देखी नहीं थी अगर लगती थी तो पहले बोलते थे कि बिजली के करेंट से मर जाओगे क्यों लगवा रहे हो, आज हर गांव में मांग होती है और मांग के आधार पर आपूर्ति भी हो रही है, आज करीब-करीब सभी गांवों में बिजली की लाइनें पहुंच गई हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- 2003 में जब पहली बार बिजली देखी तो आपको कैसा लगा.
श्री कुंवर सिंह टेकाम-- आप भी सोच सकते हैं आप रीवा के हैं हम सीधी के हैं, क्या सोचते रहे होंगे, ऐसा नहीं है कि बहुत अंतर है, हम ट्राइबल एरिया से आते हैं 2003 में बिजली नहीं देखी हमने तो 1980 में देखी, लेकिन वहां पर यह कहा जाता था कि अगर आप बिजली देखोगे तो करेंट लग जायेगा, इसलिये वहां बिजली लगवाने की आवश्यकता नहीं, आपका जमाना था. अब इस तरह से बहुत सारी योजनाओं का हमारे ट्राइवल विभागों के द्वारा संचालन हो रहा है. प्रतिभाशाली आदिवासी छात्र छात्राओं के लिये नेतृत्व विकास शिविर का भी आयोजन करके उनके नेतृत्व विकास, नेतृत्व कौशल को करते हैं, व्यवसायिक प्रशिक्षण योजना, अनुसूचित जनजाति जो उनको रोजगार से संबंधित, उनको ट्रेनिंग देकर उनको उद्योग धंधों से ऋण दिलाकर, सब्सिडी देकर के, उनको उद्योग विभाग से जोड़ रहे हैं जिससे बेरोजगारी दूर हो. इतना ही नहीं हमारा ट्राइवल विभाग वन्या रेडियो के माध्यम से उनके स्थानीय बोलियों का पहली बार हिन्दुस्तान के इतिहास में हुआ है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप लंबे समय से राजनीति में हैं और आपने देखा है कि कभी कोई ट्राइवल बोली का रेडियो स्टेशन नहीं था, हिन्दुस्तान में कहीं नहीं था, हमारे इस मध्यप्रदेश में 8 रेडियो स्टेशन की स्थापना हुई.
श्री जतन उइके-- माननीय टेकाम जी ट्राइबल बोली में जरा एकदक बता दें गोंदी है या मुबासी है या कोरकू है या कौन सी बोली.
श्री कुंवर सिंह टेकाम-- इसमें मैं बता रहा हूं, रेडियो की जो स्थापना हुई है भीली का है अलीराजपुर, धार और झाबुआ में स्थापना हुआ है गौढ़ी का चिचौली बैतूल में हुआ है, शहरिया का श्योपुर में हुआ है.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- चलता ही नहीं है कुछ रेडियो चले और भीली भाषा में आ जाये.
उपाध्यक्ष महोदय-- बघेल जी, बोलने दें उनको.
श्री कुंवर सिंह टेकाम-- बैगानी का डिण्डोरी में हुआ है और भारिया का छिंदवाड़ा में, इस तरह से यह रेडियो का ही प्रकाशन है, वन्या प्रकाशन के माध्यम से आदिवासी समाज के, आदिवासी संस्कृति का संकलन करके और उसका प्रकाशन करके उन समाज तक उनको पहुंचाने का काम कर रहा है. वनाधिकार के पट्टे पहली बार जंगलों में वर्षों से बसकर के अपना जीवन यापन करते थे ऐसे उन आदिवासी परिवारों को मध्यप्रदेश शासन ने 232564 लोगों को वनाधिकार के पट्टे देकर के उनके जीवन में खुशहाली लाने का काम किया. वनाधिकार के पट्टे ही नहीं उनको आवास देने का, उनको कपिल धारा देकर के, उनको पानी पीने का, उनके खेत में सिंचाई का, कपिल धारा कूप तक बिजली का कनेक्शन देकर के सिंचाई की भी व्यवस्था की है. इसलिये जो जंगली बंजर जमीन थी उसमें अब उपज होने लगी है और वह भरपेट भोजन पा रहे हैं.
स्थाई जाति प्रमाण पत्र पहले बनवाने के लिये चक्कर काटना पड़ता था, अब विद्यालयों में अब बच्चों को निशुल्क लेमीनेटेड हिन्दी और अंग्रेजी बर्जन में बांटा जाता है और एक बार बनाकर के उनको दे देते हैं वह आजीवन उनको उपयोगी होगा, इस तरह से बहुत सारी योजनायें हैं, यदि मैं वर्णण करूंगा तो बहुत लंबा समय जायेगा. आपको बता दें कि आपको बहुत लोगों को पता है कि आदिवासी वर्ग के व्यक्ति की यदि कोई दुर्घटना से मौत हो जाती है, उसके दाह संस्कार के लिये पैसे नहीं होते थे, मध्यप्रदेश की सरकार ने तत्काल राहत राशि 2000 रूपये उस परिवार को देते हैं जिससे उसकी अंतिम क्रिया की जा सके. यदि कोई बच्चा स्कूल में पढ़ते हुये मर जाये तो उसे विद्यार्थी कोष के माध्यम से उसको 25 हजार रूपया देने की व्यवस्था है. इस तरह से बहुत सारी योजनायें हैं, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस सरकार को इसलिये बधाई देना चाहता हूं कि आदिवासियों के जीवन में एक अभूतपूर्व परिवर्तन आया है, कोई माने या न माने, लेकिन यदि गांव में जाइये तो यह पता चलता है कि जिनको 1 रूपये किलो गेंहू, 1 रूपये किलो चावल, 1 रूपये किलो नमक मिलता है पहले वह आदिवासी परिवार भूखे मर जाते थे अब आज वह कम से कम भूखे नहीं मर रहे हैं इस बात की तो गारंटी है और यह देन है माननीय शिवराज सिंह चौहान की, इसलिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रति बहुत बहुत धन्यवाद ज्ञापित करते हुये, इस विभाग के मंत्री माननीय ज्ञान सिंह जी अच्छा काम कर रहे हैं उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देते हुये माननीय उपाध्यक्ष महोदय आपने हमें बोलने के लिये समय दिया, क्योंकि मैं बहुत विस्तार में नहीं जाता हूं, आप जानते हैं मैं कम बोलता हूं और इसलिये मैं अपने सीमित समय में मैं अपने वक्तव्य को समाप्त करता हूं, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कुंवर सिंह टेकाम-- यह खाद्य सुरक्षा अधिनियम आपको मालूम है कब से लागू हुआ.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मांग संख्या 15, 33, 41, 42, 49, 52, 53, 64, 68 पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं, इन मांगों का विरोध करते हुये कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं ज्यादा नहीं बोलूंगा मैं तो माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा अभी मैंने माननीय मंत्री जी को कुछ दिनों पहले कुछ पत्र प्रेषित किये थे कि मेरे ब्लॉक में कुछ हाई स्कूल उन्नयन करके हायर सेकेण्डरी में कर दें, कुछ मिडिल स्कूल उन्नयन करके हाई स्कूल में कर दें तो माननीय मंत्री जी कहते हैं मुझसे मैं अभी उनके पास बैठने निवेदन करने गया कि मैं नहीं कर पाउंगा आपके यहां, मैं ट्राइवल का मंत्री हूं. मैंने कहा माननीय मंत्री जी मेरा ब्लॉक ट्राइवल ब्लॉक है, बोले आपके यहां हो ही नहीं सकता वो तो झाबुआ वाले ब्लॉक ट्राइवल ब्लॉक हैं, तो माननीय मंत्री जी निवेदन करता हूं कि आप अपना प्रशासनिक प्रतिवेदन देख लें इसमें 89 नंबर पर कराहल, चंबल संभाग में कराहल ब्लॉक श्योपुर जिले का है वह ट्राइवल ब्लॉक में आता है, करोगे (मंत्री जी की तरफ इशारा करते हुये) ज्यादा नहीं बोलूंगा, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आपका भाषण समाप्त हो जाना चाहिये, करोगे हो गया.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि निश्चित रूप से इतना बड़ा विभाग है, लगभग 21 प्रतिशत और 16 प्रतिशत आबादी है 33 प्रतिशत के लगभग हमारी एससी और एसटी की आबादी है और इस आबादी के विकास के लिये हमेशा से बाते चलती आ रही हैं, चाहे सत्ता पक्ष हो चाहे विपक्ष हो, विपक्ष के लोग कहेंगे कि हमने बहुत काम किया, सत्ता पक्ष के लोग कहेंगे कि हमने बहुत काम किया, सरकार की बुराई करेंगे, लेकिन आज भी अगर हम फील्ड में जाकर देखें तो वास्तविक स्थिति क्या है यह किसी से छिपा नहीं है. मेरे क्षेत्र में चलें, अभी यह बात आई कि जातिगत आरक्षण देश के लिये घातक मैं इस विषय पर नहीं बोलना चाहूंगा. लेकिन जातिगत आधार पर आरक्षण देश में क्यों आवश्यक है अगर इसको किसी को देखना है तो मेरे साथ मेरे विधानसभा क्षेत्र में चलें और पीटीजी ग्रुप को देखें. सहरिया,बैगा और भारिया को देखें कि उनकी क्या स्थिति है. शैजवार साहब बैठे बैठे कुछ कह रहे हैं. उनकी क्या स्थिति है. आज भी उन लोगों का न तो शिक्षा का स्तर सुधरा.
श्री वेलसिंह भूरिया--रावतजी, 50 साल तक आप लोगों का राज था. 10 साल आप भी सरकार में थे. आप लोगों ने उस समय कुछ ध्यान नहीं दिया.
श्री रामनिवास रावत--भैया वेलसिंह मैं दोनों ही बातें कर रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--वेलसिंह जी मैं सोच रहा था आज आप बोल नहीं रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत--उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी का कुछ बातों की तरफ ध्यान दिलाना चाहूंगा. हमारे जो पीटीजी ग्रुप है.सहरिया परियोजना वहां पर लागू होती है. सीसीडी प्लान के अंतर्गत विशेष पिछड़ी जनजाति के लिए पैसा आता था. उनके भाषायी ज्ञान बढ़ाने के लिए भाषायी शिक्षक की विशेष व्यवस्था की गई थी. लेकिन अब सीसीडी प्लान मद में केन्द्र सरकार से राशि आना बंद हो गई है तो अब आगे राज्य सरकार ने उन भाषायी शिक्षकों रखना बंद कर दिया है. कुछ लोगों को सीधे डी-एड कराकर नियुक्ति दिला दी. लेकिन कुछ लोग बेकार घूम रहे हैं. हमारे के पी सिंह जी नहीं, उनके यहां भी भाषायी शिक्षक रखने की व्यवस्था थी. ऐसे भाषायी शिक्षकों को आप रखवाने की व्यवस्था करें. उस मद में राशि आना बंद हो गई है.
उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह से आंगनवाड़ियों में भी एक एक सहायिका रखने की व्यवस्था उस सीसीडी प्लान में थी वह पैसा भी आना समाप्त हो गया है. उनको भी आगे बढ़ाने की व्यवस्था आप करेंगे. उनका यदि हम शिक्षा का स्तर देखें तो उसकी क्या स्थिति है. मैं जब भी क्षेत्र में जाता हूं तो स्कूलों में जरुर पहुंचता हूं या तो वहां शिक्षक नहीं होता और शिक्षक होता भी है तो बच्चे बैठे होते हैं. मैं बच्चों से बात करता हूं. उपाध्यक्षजी, सातवीं-आठवीं के बच्चे किताब पढ़ना नहीं जानते. नाम लिखना तक नहीं आता. यह आपके ट्रायबल शिक्षा की स्थिति है. शिक्षक स्कूल नहीं जाते. हमारे यहां ट्रायबल विभाग का बीईओ नहीं है, बीआरसी नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, यदि कु-पोषण की स्थिति देखी जाये तो वह भारी मात्रा में है. पूरे एशिया में सर्वाधिक कु-पोषण यदि कहीं पाया जाता है तो हमारे अलीराजपुर,झाबुआ,कोरी और कराल के कुछ क्षेत्रों में पाया जाता है. इस तरफ भी ध्यान देने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्षजी, इन पीटीजी विशेष पिछड़ी जनजाति--सहरिया,बेगा,भारिया--के लोगों के लिए राज्य सरकार ने आदेश निकाला है कि इन लोगों के पढ़े हुए बच्चे जो 12वीं पास हैं, जो 10 वीं पास हैं, उनको योग्यता अऩुसार सीधे नियुक्ति दी जाये. लेकिन सीधे नियुक्तियां कहीं नहीं दी जा रही है. मैं मंत्रीजी से अनुरोध करुंगा कि इस तरह के लोगों को मुख्य धारा में जोड़ने के लिए बराबरी में खड़ा करने के लिए आवश्यक है कि जो लोग बड़ी मुश्किल से 12वीं पास कर पाते हैं और 12वीं पास करने के बाद बीएड की पढ़ाई कर लेते हैं इन लोगों को सीधे नियुक्ति देने का जो राज्य सरकार का परिपत्र है, सीधे नियुक्ति नहीं दी जाती. इन्हें भी व्यापम की परीक्षा का फार्म भरना पड़ता है. आप ऐसे लोगों को चिन्हित करें. और लगातार विज्ञापित होने वाली जगहों में इनके सीधे आवेदन मंगाकर अगर ये पात्र पाये जाते हैं तो नियुक्ति दें. जैसे पुलिस में अगर भर्ती करना है तो वहां इनका शारीरिक योग्यता का मापदंड सही है तो इनको सीधे नियुक्ति दी जाये. इसी प्रकार वन विभाग में इस प्रकार से नियुक्ति दी जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, ट्रायबल सब प्लान के नाम से खूब पैसा आता है. लोक निर्माण के लिए भी पैसा जाता है. सिंचाई, उर्जा आदि में भी पैसा जाता है. हर विभाग में ट्रायबल सब प्लान का पैसा जाता है. लेकिन क्या वास्तव में इन ट्रायबल सब प्लान में जहां ज्यादा लोग बसे हुए हैं. जिनकी 60 प्रतिशत से ज्यादा आबादी निवास करती है, क्या वहां हम इनको सिंचाई की सुविधा दिला पा रहे हैं. क्या उनको रोड़ की सुविधा दिला पा रहे हैं. इस पर नियंत्रण करने के लिए आप देखें कि ट्रायबल सब प्लान का पैसा किन किन विभागों में जाता है और उसका किस तरह उपयोग हो रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, वन अधिकार पट्टों की हमारे सदस्य ने बात कही. यूपीए की सरकार ने कानून बनाया या किसी ने भी बनाया लेकिन वन अधिकार के पट्टे दिये. अभी आवासीय भी दिये लेकिन आपने दुबारा पलट कर मॉनीटरिंग नहीं की है. वन अधिकार के पट्टे वालों को आवास मिले थे उनके आवासों की एक एक किश्त जारी हो गई है, लेकिन दूसरी किश्त मिली नहीं है. मेरे क्षेत्र में तो नहीं मिली है. दूसरी किश्त नहीं मिली है. हम तारीफ तो कर देंगे लेकिन जिन योजनाओं में क्रियान्वयन ठीक नहीं हो रहा है उनको सुधारने की कोशिश करें.
उपाध्यक्ष महोदय, आप जो पैसा भेज रहे हैं. सभी जिलों में जो परियोजना मंडल है उसका गठन हो गया है या नहीं? ट्रायबल सब प्लान की जो राशि खर्च करते हैं, उसके खर्च करने का तरीका क्या है. मेरी जानकारी के अऩुसार मेरे यहां तो नहीं हुआ. आपके यहां हो गया हो तो बात अलग है. कलेक्टर और सहायक आयुक्त, ट्रायबल अपनी मर्जी से जैसे चाहते हैं, वैसे राशि खर्च करते हैं. उन्हें राशि खर्च करने में कोई दुविधा नहीं होती. हम लोगों के प्रस्ताव पड़े रहते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, जाति प्रमाण पत्र प्रक्रिया का सरलीकरण हुआ है. हमें इसे स्वीकार करने में आपत्ति नहीं है. लेकिन जैसे झाबुआ के लोग किसी दूसरे जिले में जाकर बस गये हैं उनके बच्चों के पिछले 50 साल का रिकार्ड मांगते हैं. हमारे पीटीजी के आदमी या आदिवासी ऐसे हैं न तो उनके पास झाबुआ में जमीन-जायदाद थी जिससे वे राजस्व रिकार्ड का प्रमाण पत्र ला सकें न उनकी हमारे यहां कराल में जमीन-जायदाद है न तो उनका मकान कहीं राजस्व अभिलेख में दर्ज है. उनसे कहते हैं कि आप 50 साल का रिकार्ड लाईये तब प्रमाण पत्र बनेगा. ऐसे कई ट्रायबल के लोग हैं जिनकी कहीं भी किसी भी तरह की जमीन,मकान आदि पूरे प्रदेश में कहीं नहीं है, ऐसे बच्चों को प्रमाण पत्र बनवाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. मेरे यहां एक बार बच्चों ने आंदोलन जैसा भी किया था. बात भी हुई थी और कुछ लोगों के प्रमाण पत्र बने हैं, जिनकी जानकारी आ चुकी थी. लेकिन जिनकी जानकारी नहीं आयी उनके प्रमाण पत्र नहीं बने हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी से निवेदन करुंगा कि मेरे ब्लाक को भी 79 की सूची में डाल ले और ध्यान रखें कि कराल ब्लाक भी ट्रायबल ब्लाक है इसमें स्कूल,छात्रावास, हाई स्कूल और इंटर स्कूल देने की जरुर कृपा करेंगे. कराल ब्लाक श्योपुर जिला हेड क्वार्टर तक लगता है. हेड क्वार्टर लगने के कारण एकलव्य आवासीय स्कूल के लिए हमने काफी प्रयास किया है. ट्रायबल के जो बड़े बड़े प्रोजेक्ट जाते हैं. वह ट्रायबल ब्लाक मुख्यालय पर ही बने.चाहे वह क्रीडा परिसर हो, चाहे वह छात्रावास हो, चाहे एकलव्य स्कूल-आश्रम हो जो ट्रायबल आबादी के नाम से जाते हैं वह ट्रायबल ब्लाक पर ही बने ऐसा न हो कि उस ट्रायबल ब्लाक का एक गांव 70 किलोमीटर दूर है और किसी बड़े शहर के बगल में है तो उसमें बने. मैं इस ओर मंत्रीजी का ध्यान आकर्षित करुंगा. धन्यवाद.
इंजी. श्री प्रदीप लारिया (नरयावली) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 15, 33, 41,42,49,52, 53, 64 एवं 68 का समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति की 1 करोड़ 14 लाख और अनुसूचित जनजाति की 1 करोड़ 22 लाख की जनसंख्या है. कुल आबादी का 37 परसेंट अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या मध्यप्रदेश में निवास करती है. यदि देखा जाय तो हर दूसरा, तीसरा व्यक्ति अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का मध्यप्रदेश में निवास करता है.
उपाध्यक्ष महोदय, लगभग 57 वर्ष केन्द्र में कांग्रेस की सरकार रही. लगभग 43 वर्ष मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार रही. अधिकांश समय कांग्रेस की सरकार प्रदेश में, देश में रहीं. स्थानीय निकायों में भी कांग्रेस की सरकार रही. लेकिन अनुसूचित जाति के कल्याण की बात तो कांग्रेस के मित्रों ने की, लेकिन कभी भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का वास्तविक कल्याण हो, इसकी चिंता कभी कांग्रेस की सरकारों ने नहीं की, कांग्रेस के मित्रों ने नहीं की. इसलिए हम सबको देखने को मिलता है. देश की 125 करोड़ की आबादी में से लगभग 80 करोड़ लोग आज भी गरीबी की रेखा के नीचे जीवनयापन करते हैं या गरीब हैं.
समय 4.41 बजे {सभापति महोदय (श्री रामनिवास रावत) पीठासीन हुए.}
सभापति महोदय, जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी. हम सब इस बात को जानते हैं. डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी, जिनका जन्म हमारे मध्यप्रदेश के महू में हुआ था. डॉ. अम्बेडकर जी की बात, संत रविदास जी की बात, कांग्रेस के मित्र करते रहे. अनुसूचित जाति का वोट लेते रहे, आदिवासी भाइयों की वोट लेते रहे. लेकिन उनके कल्याण की कोई योजना कांग्रेस ने नहीं की. इसलिए आज भी 80 परसेंट लोग गरीब हैं. आज जब हम अनुसूचित जाति के लोगों की स्थिति गांवों में देखते हैं तो हमें देखने को मिलता है कि उनके पास रहने के लिए मकान नहीं हैं, दो वक्त को खाने के लिए रोटी नहीं हैं. अच्छे पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं. जब इतने लम्बे समय तक कांग्रेस की सरकार रही लेकिन उनके कल्याण की बात नहीं हुई. न उनके कल्याण करने का काम कभी कांग्रेस की सरकार ने किया है. लेकिन आज हम देखते हैं यदि एक रुपए किलो गेहूं, एक रुपए किलो चावल, एक रुपए किलो नमक चाहे वह अनुसूचित जाति के भाई हो, चाहे अनुसूचित जनजाति के भाई हों, भले ही वे गरीबी की रेखा के नीचे जीवन-यापन नहीं करते, लेकिन उसके बावजूद भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बंधुओं को एक रुपए किलो गेहूं देने की योजना सरकार ने देने का काम किया है. उनको दो वक्त की रोटी देने का काम सरकार ने किया है.
सभापति महोदय, अभी श्री बाला बच्चन जी ने बहुत विस्तार के साथ कहा कि अनुसूचित जाति की ये योजनाएं हैं,इसमें ऐसा हो रहा है, वैसा हो रहा है. मैं पूछना चाहता हूं कि जिस अनुसूचित जाति के दम पर, जिस अनुसूचित जनजाति के दम पर जिन अल्पसंख्यकों के दम पर ये सरकार बनाते रहे. डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी, जिनका जन्म स्थान महू है. वहां पर स्मारक बनाने की बात अनुसूचित जाति के बंधु करते रहे. लेकिन कभी इन्होंने उसके बारे में सुध नहीं ली. जब श्री सुन्दरलाल पटवा जी की सरकार मध्यप्रदेश में आई, हम लोग उनसे निवेदन करने गये. हमारी यह आस्था का प्रश्न है. डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी को हम सब लोग मानते हैं. हम सबको इस बात का गौरव है कि उनका जन्म मध्यप्रदेश में हुआ है, महू में हुआ है. वहां पर उनका स्मारक बनना चाहिए तो सबसे पहले श्री सुन्दरलाल पटवा जी ने उसकी स्वीकृति प्रदान की और वहां पर स्मारक बनाने की घोषणा की. न केवल घोषणा की, बल्कि उसका भूमि पूजन करने का काम भी उस समय की तत्कालीन सरकार श्री सुन्दरलाल पटवा जी की सरकार ने किया. इसके बाद मध्यप्रदेश में श्री दिग्विजय सिंह की सरकार आई. 10 साल में वह काम रुक गया. एक ईंट भी कांग्रेस के मित्रों की सरकार ने वहां पर नहीं रखी. फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार वर्ष 2003-04 में बनी. श्री शिवराज सिंह चौहान जी मुख्यमंत्री बने. हम लोग पुनः उनके पास गये. हम लोगों ने कहा कि स्मारक का काम अधूरा है. हमें इस बात की खुशी है कि 13 करोड़ रुपए की राशि से उन्होंने जो स्मारक का काम रुका पड़ा हुआ था, उसको द्रुत गति से बढ़ाने का काम किया और वहां पर आज स्मारक बन गया है. (मेजों की थपथपाहट)..जब उसका लोकार्पण हुआ तो उस समय एक बहुत बड़ा कार्यक्रम वहां पर 14 अप्रैल को आयोजित किया गया. हम लोगों ने माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन किया कि अनुसूचित जाति के लोग गरीब होते हैं. डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी को जो मानने वाले हैं वे अधिकांश गरीब लोग हैं. वे दूर दूर से वहां पर आते हैं, वहां पर रुकने की व्यवस्था ठहरने की व्यवस्था और वहां पर बड़ा जलसा सरकारी आयोजन के माध्यम से हो, हमें इस बात की खुशी है कि हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने इस बात को स्वीकार किया और वहां पर महाकुंभ का आयोजन किया. अब प्रत्येक वर्ष वहां पर महाकुंभ लगता है. हमें इस बात की खुशी है कि अब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में हमारे देश के प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी का आगमन 14 अप्रैल को हो रहा है. निश्चित तौर पर पूरे देश और प्रदेश से जो उनके अनुयायी हैं, वहां पर एकत्रित होकर डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की 125वीं जयंती मनाने का काम करेंगे.
सभापति महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि अभी हमारे श्री बाला बच्चन जी कह रहे थे, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की योजनाओं का समीक्षा करने का अधिकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विधायकों को यदि किसी ने दिया है तो वह श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार ने दिया है. अंत्यावसायी ऋण जो अनुसूचित जाति के भाइयों के लिए होता है. उस ऋण को देने की जो बैठक होती है, उसमें अनुसूचित जाति का विधायक उसकी अध्यक्षता करता है यह अधिकार यदि किसी ने दिया है तो इस प्रदेश के मुख्यमंत्री आदरणीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने दिया है. महू में डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय खुला है. मैं समझता हूं कि निश्चित तौर पर एक बहुत बड़ी कामयाबी मध्यप्रदेश की सरकार ने हम सबको दी है. संत रविदास जो हमारे प्रेरणा के स्रोत हैं. संत रविदास जी को मानने वाले बहुतायत संख्या में इस मध्यप्रदेश और देश में हैं. संत रविदास जी के नाम पर जब हम लोगों ने इस बात आग्रह किया माननीय मुख्यमंत्री जी से कि संत रविदास जी के नाम पर महाकुंभ का आयोजन होना चाहिए. जहां पर रविदास जी अनुयायी ज्यादा संख्या में रहते हैं. हमें इस बात की खुशी है कि उज्जैन में, सागर में, और अभी हाल ही में मैहर में भी संत रविदास महाकुंभ का आयोजन हुआ. हम लोगों ने माननीय मुख्यमंत्री जी से एक बात रखी कि आप 10वीं से 12 वीं तक जो हमारे अनुसूचित जाति के बंधु हैं उनको पढ़ने में कोई शुल्क नहीं लगती. लेकिन जब वे हायर एजुकेशन के लिए जाते हैं तो वे पैसे के अभाव के कारण अपनी शिक्षा नहीं कर पाते हैं.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य काफी अच्छा बोल रहे हैं लेकिन कृपया सीमित करना का प्रयास करें.
इंजी. श्री प्रदीप लारिया - सभापति महोदय, मुझे इस बात की खुशी है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने बिना एक क्षण देर लगाए उन्होंने इस बात को कहा कि अब हायर एजुकेशन में भी जो हमारे अनुसूचित जाति के बंधु हैं, उनको निःशुल्क शिक्षा देने का काम मध्यप्रदेश की सरकार अपने खर्च से करेगी, अपने खजाने से करेगी. मैं बधाई देना चाहता हूं हमारे माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय मंत्री जी को और मैं समझता हूं कि अनुसूचित जाति के छात्रों के हित में यह एक बहुत अच्छा काम किया है. ऐसी कई योजनाएं हैं. आज जाति प्रमाण पत्र की बात कर लें. बहुत ढिंढोरा पिटता था. लोग तहसील में चक्कर लगाते थे. 6-6 महीने चक्कर लगाते रहते थे. लेकिन उनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बनता था. वर्ष 1960 का हमें प्रमाण पत्र लाना पड़ता था. इसके सरलीकरण का काम हुआ है.
सभापति महोदय - यह बात तो आ गई है. दूसरे माननीय सदस्यों ने भी कहा है.
इंजी. श्री प्रदीप लारिया - सभापति महोदय, जब से जाति प्रमाण पत्रों का सरलीकरण हुआ है 1 करोड़ 15 लाख अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र बनाए गये हैं. यह मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. सफाई कामगार आयोग का गठन यदि किसी सरकार ने किया तो ऐसे हमारे समाज के बंधु जो सफाई करने का काम करते थे. लेकिन उनके हित की बात करने के लिए एक फोरम नहीं था, उनके लिए सफाई कामगार आयोग का गठन किया गया. आज हम देखते हैं कि ऐसे कई मामले सफाई कामगार आयोग में आते हैं, उनका निराकरण करने का काम सफाई कामगार आयोग कर रहा है. सभापति महोदय, अपने क्षेत्र की बात करते हुए मैं अपनी वाणी को विराम दूंगा. हमारे यहां संत रविदास महाकुंभ हुआ था. हम लोगों ने माननीय मुख्यमंत्री जी से इस बात का निवेदन किया कि यहां पर रविदास जी को मानने वाले बहुतायत संख्या में लोग हैं. संत रविदास जी के नाम पर स्मारक बनना चाहिए, उन नाम पर मांगलिक भवन बनना चाहिए.
माननीय मुख्यमंत्री जी ने 3 करोड़ रूपये की राशि वहां पर भवन के लिए दी, वह भवन लगभग तैयार है. लेकिन उसमें अभी कुछ निर्माण कार्य शेष है. 2 करोड़ 62 लाख रूपये की राशि से वह काम लगभग पूर्णता की ओर है. लेकिन जो शेष काम रह गया है उसके लिए 1.13 लाख रूपये की राशि का प्राक्कलन माननीय मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी को प्रेषित किया गया है. मैं समझता हूं कि अगर वह स्वीकृत हो जायेगा तो हमारा बहुत अच्छा भवन वहां पर निर्णित हो जायेगा. दूसरा हमारा मकरोनियर नगरपालिका क्षेत्र है. वहां पर एक आवासीय विद्यालय खुल जाय दूसरा जरूआखेड़ा और परसोरिया में भी एक छात्रावास खुल जाय जिससे हमारे अनुसूचित जाति के बंधूओं को लाभ मिल सके. माननीय सभापति महोदय आपने बोलने के लिए समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद्.
श्रीमती झूमा सोलंकी ( भीकनगांव ) -- माननीय सभापति महोदय मैं मांग संख्या 15, 33, 41, 42, 49, 52, 53, 64 और 68 का मैं विरोध करती हूं और अपनी बात रखती हूं. चूंकि सभी लोग जानते हैं कि पूरे प्रदेश में अगर कोई जाति बहुतायत में निवास करती है तो वह आदिवासी समाज की है. उसके योगदान से ही उसका विकास नहीं हो पाया तो निश्चित रूप से पूरे प्रदेश का विकास अवरूद्ध होता है. आदिवासियों की वर्तमान आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का आंकलन विकासात्मक नजरिये से अगर करें तो स्थिति अत्यंत चिंताजनक है, लगातार कम वन क्षेत्र जिससे आदिवासी क्षेत्र जिससे आदिवासी समुदाय की मूल जरूरतें पूरी तरह सेप्रभावित हो रहीहैं.
सभापति महोदय अगर मेरे खरगौन जिले की बात करें तो वहां पर आदिवासी और पिछड़े वर्ग का समुदाय भी निवास करता है. उनकी उन्नति की बात करते हैं तो आदिवासी विभाग की ओर से जो भी परियोजनाएं लागू की गई है उसमें काफी क्षेत्र छूटा हुआ है. एकीकृत आदिवासी परियोजना के अंतर्गत सीधे राशि मिलती है ताकि वहां के रहने वाले आदिवासी भाईयों का समुचित विकास हो सके, किंतु इस परियोजना के अध्यक्ष की बात करें, हमने इसके बारे में मंत्री जी से बार बार निवेदन किया है लेकिन उसके बाद में आजतक मंडल का गठन नहीं हुआ है आज तक किसी को अध्यक्ष नहीं बनाया गयाहै. मैं आपको उसका कारण भी बताये देती हूं क्योंकि वहां के दोनों विधायक कांग्रेस के हैं. इसलिए शायद मंत्री जी डर रहे हैं कि यह विधायक और कुछ न कर जायें, किंतु आदिवासी जनप्रतिनिधियों के साथ में यहअन्याय हैं यह भेदभाव एक तरह से प्रदेश के आदिवासियों के साथ में अन्याय होगा.
माननीय सभापति महोदय अनुसूचित जाति बस्ती विकास और अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास की जो राशि आवंटित होती है वह भी जनसंख्या के अनुपात में नहीं होती है. क्षेत्र के अनुसार होती है जैसे भीकनगांव में दोनों विकासखण्ड आदिवासी बाहुल्य हैं तो वहां पर जनजाति का पैसा अधिक आना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. वह राशि पूरी बराबरा विकासखण्डों में बांट दी जाती है. इस तरह से जाति के समुदाय है विकास के लिए वंचित रह जाते हैं.
माननीय सभापति महोदय मेरे क्षेत्र में वनग्राम की अधिक पंचायतें हैं लगभग 20 से अधिक पंचायतें हैं मैं हरबार इस बात को रखती हूं क्योंकि इसमें आदिवासी विभाग भी दखल देता है. किंतु पट्टे अभी तक नहीं बने हैं, यदि पट्टे वितरित भी करते हैं तो कई के बाकी रखते हैं, वहां के अधिकारी और कर्मचारी उनको रोककर रखते हैं और वह इसलिए रोककर रखते हैं कि बाद में उनसे पैसा वसूला जा सके. इस बात पर मंत्रीजी विशेष रूप से ध्यान दें तो ज्यादा अच्छा होगा. विकास की योजनाओं में जो भी काम आदिवासी क्षेत्र में होता है उनमें निगरानी नहीं हो पाती है इसकी भारी कमी के कारण वह राशि सही जगह परखर्च नहीं होती है और सही तरीके से विकास नहीं हो पाताहै . भीकनगांव में बालिका छ्त्रावास सालों से है जब कांग्रेस की सरकार थी तब से लेकर आज तक 50 सीटर ही है. बालिकाओं की भर्ती का समय आता है हम लोग भी जब मीटिंगों में जाते हैं तो मीटिंग के समय देखने को मिलता है कि 50 सीट के लिए 500 फार्म आते हैं हमारा मंत्री जी से आग्रह है कि वहां पर 100 सीटर छात्रावास कर दिया जाय और उसी तरहसे झिरन्या में ऊी 50 कीजगह 100 सीटर छात्रावास कर दिया जाय तो अच्छा होगा ताकि जितनी भी बच्चियां पढ़ने वाली आयें उनको उसकी व्यवस्था मिल सके.
सभापति महोदय कपिल धारा के कुंओं पर अजजा वर्ग को नि:शुल्क कनेक्शन जो कि पिछले एक साल से भी अधिक समय से नियम भी है आवंटन भी है किंतु मेरे क्षेत्र में अभी तक किसी भी वर्ग को इसका लाभ नहीं दिया गया है. क्या वजह है आप खुद जानते हैं और इसका जवाब मैं खुद चाहती हूं मंत्री जी इसका जवाब मुझे बतायें.
बच्चों को छात्रवृत्ति समय पर न मिलना . पहले 400 रूपये मिलती थी उसको घटाकर 200रूपये करदिया गया है जो गरीब माता पिताहै जो अपने बच्चों को पढ़ाने में सक्षम नहींहै वह बच्चे स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर है, यह बात कल भी मैंने कही थी आज फिर से कह रही हूं कि पूरा क्षेत्र के बच्चे छात्रवृत्ति के अभाव में नहीं पढ़ पा रहेहैं उससे काफी नुकसान हो रहा है.
शिक्षकों की कमी तो प्रदेश भरमें हैं किंतु सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है तो आदिवासी क्षेत्र एक शिक्षक होता है और वह पहली से पांचवी तक के बच्चों की क्लास को लेकर बैठाये रखते हैं. मंत्री जी मैं चाहती हूं कि आप थोड़ा भी करें और हमारे क्षेत्र में भी आयें, क्योंकि आपके जितने भी माननीय है वह आपको एक दिवास्वप्न या फिर बहुत अच्छा मॉडल आपको दिखाते हैं. वास्तव में धरातल पर ऐसा नहीं है आप आयें हमारा क्षेत्र भी देखें. खरगौन, बड़वानी, धार और झाबुआ वास्तव में आपके विभाग का जो पैसा इन क्षेत्रों में जाता है क्या वह पैसा सही रूप में इस समुदाय को मिल भी रहाहै या नहीं, इसकी वास्तविकता से आपको परिचित होना चाहिए. उसके बाद में माननीय मुख्यमंत्री जी को भी बतायें आप कि हम जिस बात का बार बार ढ़िंढौरा पीट रहेहैं वह सही है भी या नहीं. आदिवासी क्षेत्रों में पीने के पानी की बहुत कमी है, शालाओं में शिक्षकों की कमी है, अस्पतालों में डाक्टरों की कमी पर विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है. आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद्
श्री वेलसिंह भूरिया ( सरदारपुर ) -- माननीय सभापति महोदय आदिवासियों के सम्मान की चिंता अगर किसी राजनीतिक दल ने की है तो वह केवल और केवल हमारी भाजपा की सरकार ने और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार ने की है. यह सत्य है कि आज 89 विकास खण्डों में जो विकास की गंगा बह रही है वह भाजपा की देन है.
सभापति महोदय हमारी भाजपा की सरकार ने आदिवासी भाईयों के सम्मान की चिंता तो की है लेकिन साथ में जो क्रांतिकारी वीर हुए हैं, उनका नाम अगर इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखने का काम किया है तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया है. जो उंगली कटाकर शहीदों की गिनती में अपने को गिना गये, उनकी गिनती कर ली थी 50साल में कांग्रेस की सरकार ने लेकिन हमारी मध्यप्रदेश की सरकार ने जो आदिवासी क्रांतिकारी हुए हैं उनका नाम इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखने का काम किया है. मैं दो करोड़ आदिवासी भाईयों की ओर से माननीय शिवराज सिंह चौहान जी को हमारे माननीय आदिमजाति कल्याण मंत्री जी को मैं बधाई और बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं कि यह ऐतिहासिक काम हमारे आदिवासियों के लिए किया है, ऐतिहासिक काम किया है हमारी भाजपा की सरकार ने, ऐतिहासिक काम किया है हमारे आदिवासी मंत्री जी ने और हमारे पूरे आदिवासी विभाग के पूरे प्रशासनिक अमले ने मैं उनको भी बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय सभापति महोदय विकास की दौड़ में अंतिम पायदान पर खड़े आदिवासी वर्ग के विकास के साथ साथ उनके सम्मान की भी यदि चिंता की है तो वह हमारी सरकारने की है बरदा अहीर में टंट्या भील का स्मारक बनाया है जिस प्रकार से हमारी माननीय सुंदरलाल पटवा जी की सरकार ने महू में हमारे संविधान निर्माता परमपूज्य डॉ अम्बेडकर जी की स्टेचू बनायी और उनके सम्मान में जो काम किया वह अनुकरणीय है , मैं कांग्रेस के मित्रों से कहना चाहता हूं कि आपके प्रधानमंत्री जी या मुख्यमंत्री जी कभी गये थे महू माथा टेका था वहां पर कभी वह एक बार भी गये हों तो बता दें, मध्यप्रदेश का कांग्रेस का मुख्यमंत्री एक बार भी वहां पर गया हो एक रूपया भी दिया हो बाबा साहेब के सम्मान में या किसी क्रांतिकारी वीर के लिए आदिवासी भाई का स्टेचू बनाने के लिए यदि कांग्रेस के मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के नेताओं ने एक रूपया भी दिया हो तो बता दें.
श्री बाला बच्चन -- वेल सिंह जी आपको कितनी जानकारी है दिग्विजय सिंह जी हर वर्ष 14 अप्रैल को जाते थे. आप बिना जानकारी के ही बोलते हैं.
श्री वेल सिंह भूरिया -- अरे वह तो कहीं मिलने के लिए जाते थे वहां पर. (XXX).
सभापति महोदय -- फालतू बात को निकाल दें.
श्री वेल सिंह भूरिया -- माननीय सभापति महोदय, बड़दा अहीर में टंट्या भील हमारे आदिवासी समाज के जो मूल प्रेरणास्रोत हैं उनका स्टेच्यु बनाने के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी और माननीय आदिम जाति कल्याण मंत्री जी ने कार्य किया और 2 करोड़ का स्टेच्यु बनाया. हमने पिछले साल कार्यक्रम रखा था जिसमें पूरे देश के आदिवासी भाई लोग आए थे वे लोग क्या ढोल लेकर आए थे, मांदल लेकर आए थे, वास्तव में मैं बच्चन साहब को बताना चाहता हूँ कि भगोरिया भर दिया, इतना शानदार कार्यक्रम हम लोगों ने किया.
सभापति महोदय -- वैलसिंह जी, इन बातों का रिपीटेशन हो रहा है, अपने क्षेत्र की बातों पर आ जाओ, इंजीनियर भी अभी यही बात कह चुके हैं.
श्री वेल सिंह भूरिया -- जी माननीय सभापति महोदय, भीमा नायक जी की स्मृति में भी हमारी सरकार ने अच्छा कार्य किया है. सरकार ने 1.48 करोड़ रुपये भीमा नायक जी, रानी दुर्गावति, शंकर शाह जी और बिरसा मुण्डा के नाम पर पुरस्कार योजनाओं के लिए और पत्र-पत्रिकाओं में उल्लेख करने के लिए दिये और इस तरह आदिवासी वीर क्रांतिकारियों के गौरव से संपूर्ण देशवासियों को हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अवगत कराया. इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय आदिम जाति कल्याण मंत्री जी को बहुत-बहुत साधुवाद देता हूँ.
माननीय सभापति महोदय, हमारे यहां एक राजा महाराणा बख्तावर जी हुए, वास्तव में महाराणा बख्तावर की शहादत को हिंदुस्तान कभी नहीं भूलेगा. उन्होंने एक आदिवासी रेजिमेंट बनाकर अंग्रेजों को मारकर भगाया. मैं आज उनकी शहादत को प्रणाम करता हूँ. हमारे देश के और प्रदेश के ऐसे कई क्रांतिकारियों को पूजने का काम और इतिहास के पन्नों पर उनको लिखने का काम हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है.
माननीय सभापति महोदय, मैं अपने क्षेत्र की कुछ समस्याएं बताना चाहता हूँ. जोलाना के आसपास 10-11 हाई स्कूल हैं लेकिन जोलाना में हायर सेकण्डरी स्कूल नहीं है तो जोलाना में हायर सेकण्डरी स्कूल हो जाएगा तो बहुत अच्छा रहेगा. इसके अलावा अमझेरा में कन्या हायर सेकण्डरी स्कूल बनाया जाए. अमझेरा में ट्राइबल का जो हायर सेकण्डरी स्कूल है और यह नया हायर सेकण्डरी कन्या स्कूल खोला जाए उसका भी नाम हमारे परमपूज्य महाराणा बख्तावर सिंह जी के नाम पर इसका नामकरण किया जाए तो आने वाली पीढ़ी को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और क्रांतिकारियों के बारे में ज्ञात होगा. रिग्नोद में कन्या हायर सेकण्डरी स्कूल खोला जाए और जोलाना में एक छात्रावास खोला जाए. इसके अलावा कचनार्या जो नदी है इस नदी पर एक बहुत बड़ा पुल बनाने की योजना है जो धार और झाबुआ को जोड़ेगा, यह वर्षों पुरानी समस्या है, यदि कचनार्या नदी पर पेटलावद जाने वाली सड़क पर एक पुलिया बन जाए तो आदिवासी भाई कनेक्टिविटी से जुड़ जाएंगे. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ और माननीय मंत्री जी को भी धन्यवाद देता हूँ और एक लाइन कहकर मैं अपनी बात को समाप्त करता हूँ -- नर्मदा हमारी माई है, शिवराज हमारा भाई है, इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात को समाप्त करता हूँ. वंदे-मातरम, भारत माता की जय.
श्री फूंदेलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 33, 41, 42, 49, 52, 53, 64 और 68 का विरोध करता हूँ और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूँ. आज का यह विषय और जो मांग संख्या हैं ये वास्तव में पूरे प्रदेश के ऐसे समुदाय से संबंधित है जिनके सर्वांगीण विकास के लिए संविधान में भी व्यवस्था है कि ये समाज कैसे मुख्य धारा से जोड़ा जा सके. जब तक यह समाज मुख्य धारा से नहीं जुड़ेगा तब तक आरक्षण व्यवस्था लागू रहेगी.
माननीय सभापति महोदय, अभी भाई लोगों ने बहुत सारी बातें कीं, चिंतन भी किया और बड़ा महिमामंडित करके सरकार के पक्ष को प्रस्तुत किया है लेकिन वे यह भूल गए कि जिन परियोजनाओं और योजनाओं का उन्होंने जिक्र किया है वे कब लागू की गईं उन्हें इसको भी बताना चाहिए था. आदिवासी भाइयों के लिए जो 26 वृहद परियोजनाएं हैं और 5 मध्यम परियोजनाएं हैं, 30 माडा पैकेट और 6 लघु अंचल से बनाई गई जो ये परियोजनाएं हैं जिनके तहत इस समाज के सर्वांगीण उत्थान और विकास की बात की जाती है. जिस तरीके से इस प्रदेश में अनुसूचित जाति और जनजातियों के वर्ग के लिए आंकड़ों का खेल किया जा रहा है, हम और आप सब इस सदन के माध्यम से चिंतित हैं.
माननीय सभापति महोदय, मैं एक बात कहना चाहता हूँ कि जब आपने सारा विकास कर लिया है आपका विकास हुआ है तो गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या में कमी क्यों नहीं आ रही है, इसमें सुधार क्यों नहीं हो रहा है. उनको हमें एक रुपये किलो चावल, एक रुपये किलो गेहूँ और एक रुपये किलो नमक देने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है, हमें इस बात पर चिंतन करना चाहिए. यह क्या सिद्ध करता है कि इस प्रदेश में गरीबों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है और हमारी योजनाएं धरातल पर लागू नहीं हो रही हैं.
माननीय सभापति महोदय, जिस तरह से योजनाओं पर बंदरबाट किया जा रहा है वह किसी से छिपा नहीं है. योजनाएं बनाई जाती हैं, योजनाएं भेजी जाती हैं, धनराशि भेजी जाती है, मांगों के आधार जो प्रस्तावित धनराशि होती है उस धनराशि का वास्तव में हकीकत में जमीन पर उपयोग हो रहा है या नहीं हो रहा है इसका भी मूल्यांकन करना बहुत आवश्यक है. एक भाई तात्या टोपे योजना की बात कर रहे थे, भील स्वरोजगार योजना के अंतर्गत जिला टास्क फोर्स समिति ने जो अनुमोदन किया और अनुमोदन करके सूचियां बैंक में भेजीं तो जो सूची हमने बैंक को भेजी है उसके आधार बैंक ने उनको ऋण उपलब्ध कराया या नहीं कराया यह कौन बताएगा. अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग चक्कर काटते रहते हैं और माननीय सभापति महोदय, विवश होकर उस योजना को ही छोड़ देते हैं. उनको पूरा लाभ नहीं मिलता है हमें इस पर सोचना पड़ेगा. यदि हम इस समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं तो हमें धरातल पर जाकर देखना पड़ेगा कि वास्तव में गरीबी रेखा में रहने वाले और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले भाइयों की स्थिति क्या है ?
माननीय सभापति महोदय, इस आदिम जाति कल्याण विभाग को वर्ष 2006-07 में वन भूमि के पट्टे बनाने के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया. इस नोडल एजेंसी ने और भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने गांवों में जाकर काबिज व्यक्तियो को कहा कि जो लोग भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे केवल उन्हीं को पट्टा दिया जाएगा. यह एजेंसी सदस्य बनाने की योजना हो गई. जिन लोगों ने सदस्यता ग्रहण करने से मना किया तो उनका पट्टा आज भी नहीं मिला है. यह समाज की पीड़ा है. वर्ष 2006-07 में ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को तथा बैगा समाज के लोगों को इसका लाभ मिलना चाहिए था लेकिन आज भी वे आवेदन-पत्र लिए-लिए घूमते रहते हैं. आज जो हमारे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था है,यह शिक्षा व्यवस्था वास्तव में चिन्ताजनक है और इस पर चिन्तन करना चाहिए. आज दो तरीके की शिक्षा व्यवस्था इस प्रदेश में लागू है. एक वह शिक्षा व्यवस्था जो अर्द्ध शासकीय विद्यालयों से दी जाती है और दूसरी शिक्षा व्यवस्था जो गांवों में टाटपट्टी में, टपकते पानी में बैठकर शासकीय विद्यालयों में जो बच्चे अध्ययन करते हैं और कान्वेंट, पीपुल्स जो अच्छे विद्यालय हैं उनके स्तर को देखकर के परीक्षा के पेपर बनाये जाते हैं और जो हमारे बच्चे ग्रामीण शासकीय विद्यालयों में पढ़ते हैं उसी पेपर को वह हल करते हैं. जहां पर टीचर नहीं है, जहां विद्यालय भवन नहीं है, जहां विषयवार हम शिक्षक दे नहीं सके, विज्ञान, गणित, अंग्रेजी के जो विषय हैं उनके आज भी सारे के सारे शिक्षकों के पद रिक्त हैं और इस प्रदेश में 22 हजार अतिथि शिक्षक कर्मियों के माध्यम से ठेके में आपने शिक्षा को दे दिया. आप इस प्रदेश को क्या बनाना चाहते हैं?अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों के साथ क्या करना चाहते हैं, जो 80 प्रतिशत शासकीय विद्यालयों में अध्ययन करते हैं और वे बच्चे कितना संघर्ष करके वहां बैठते हैं,उनको वहां बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. मैं एक घटना बताना चाहूंगा, मेरे क्षेत्र में एक कुरार माध्यमिक विद्यालय है, वहां 134 बच्चे हैं पहली से आठवीं क्लास तक, एक महिला टीचर संविदा पर 5 साल से वहां अकेले पढ़ा रही है, दूसरा शिक्षक आप वहां नहीं दे सके और वह बोली कि साहब मैं पढ़ाती नहीं हूँ, मैं अटैंडेंस लेकर के जानकारी बनाकर के भेजती रहती हूँ. ऐसे विद्यालयों में अनुसूचित जाति, जनजाति के बच्चे जहां 100 प्रतिशत प्रवेशित हैं ऐसे बच्चों को वहां पढ़ाया जाता है. प्रदेश में प्राचार्यों की संख्या और जितने इनके स्वीकृत पद हैं, इनके वहां पद भरे ही नहीं है, व्याख्याताओं की कमी हाईस्कूलों में, प्राचार्यों की कमी, प्रधानाध्यापकों की कमी और अभी मेरे अनूपपुर जिले में 118 उच्च श्रेणी शिक्षकों की पदोन्नति की गयी और आयुक्त महोदय के आदेश से की गयी और आदेश होने के बाद 2013 में और आज 2016 के बाद भी उनकी पदोन्नति कर दी गयी लेकिन उनको पदोन्नति का लाभ, उनको वेतन आज भी यूडीटी का ही दिया जा रहा है. 1987‑88 से जिन सहायक शिक्षकों की नियुक्ति आपने विद्यालयों में की,उनका आज आप प्रमोशन क्यों नहीं कर रहे हैं. बहुत सारे टीचर सेवानिवृत्ति की स्थिति में हैं. 24 साल, 25 साल, 28 साल हो जाने के बाद भी उनको क्रमोन्नति दे देकर उनसे काम ले रहे हैं. उनको पदोन्नति कब देंगे? माननीय मंत्री महोदय से मैं निवेदन करुंगा कि यह आरक्षित ऐसे वर्ग के लोग हैं उनको लाभ यह मिलना चाहिए था उनको यह लाभ आप अभी नहीं दे पाये हैं. क्रीड़ा परिसर, कन्या परिसर जो आज हमारे संचालित हैं. क्रीड़ा परिसरों का हाल यह है कि उनके पास खेल मैदान नहीं हैं, खेल सामग्री तक नहीं है, पीटीआई नहीं हैं,आपने कोच भर्ती नहीं किये, कैसे उनका क्रीड़ा परिसर में प्रशिक्षण होता होगा, कैसे आप संख्या बताते हैं कि राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हम उनको पहुंचा रहे हैं. आप बताइये कि कितने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय,अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों ने भाग लिया, इस बात को भी आपको स्पष्ट करना पड़ेगा.बाकी कौन लोग वहां जा रहे हैं, वह हमने सुना है लेकिन अनूसूचित जाति, जनजाति के बालक बालिकाओं का भी आपको बताना पड़ेगा कि आपने राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कितने लोगों को भेजा है, माननीय मंत्री जी इस पर अपने विचार जरुर रखेंगे.
माननीय सभापति महोदय, आज निर्माण का्र्यों की स्थिति क्या है, रपटा,पुलिया, पीसीसी मार्ग सरलता से विभाग बना लेता है जब हम विद्यालयों में बाऊण्ड्रीवाल की बात करें तो आपका बाऊण्ड्रीवाल का मद लेप्स हो जाता है. ऐसा क्यों होता है,क्या उसमें कमीशन नहीं मिल पाता है, क्या उसमें अर्निंग कम है इसलिए आपने बाऊण्ड्रीवाल नहीं बनाये, मरम्मत का कार्य नहीं हुआ, शौचालय निर्माण नहीं हुआ. आज हमारे प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल, हायर सेकेण्ड्री स्कूल ऐसी स्थिति में हैं जो सड़क से लगे हुए हैं, कभी भी दुर्घटना हो सकती है और दुर्घटनाएं होती भी हैं लेकिन कन्या हाई स्कूल, हायर सेकेण्ड्री विद्यालय हैं वहां आपने बाऊण्ड्रीवाल क्यों नहीं दिये, वहां आप बाऊण्ड्रीवाल क्यों नहीं स्वीकृत करते हैं.
सभापति महोदय-- कृपया संक्षिप्त करें. अपने क्षेत्र पर आप आ जाएं. यह विस्तार से व्यापक है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- माननीय सभापति जी, यह ऐसा मुद्दा है, आज इसको आज सीमित मत करिये.
सभापति महोदय-- मुद्दे को सीमित नहीं कर रहे हैं. अपना भाषण संक्षिप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- जी सभापति महोदय, मैं आपके आदेश का पालन करुंगा. मेरा यह मानना है माननीय मंत्री महोदय से कहां चले गये, यह ट्रायबल का मुद्दा है भैय्या, बहुत भागना पड़ता है
राज्य मंत्री,संसदीय कार्य(श्री शरद जैन)-- सभापति जी, यह तो इस सदन में पहली बार हो रहा है कि पानी पी पी के कोस रहे हैं.
सभापति महोदय-- यह हमेशा होता रहा है, बस देखने का अन्तर है, नजरिये का अंतर है.
श्री शरद जैन-- जहां तक मेरी जानकारी है, 13 साल में ऐसा भाषण देते हुए, ऐसा पानी पीते हुए मैंने किसी को नहीं देखा.
सभापति महोदय-- आप बता दो, कैसे पानी पीते हैं.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- मैं क्षमा चाहूंगा, माननीय मंत्री जी आप बहुत सीनियर हैं.माननीय सभापति जी, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जो हमारे कन्या हाई स्कूल और हायरसेकेण्ड्री स्कूल हैं जिनके बाऊण्ड्रीवाल नहीं बने हैं और जो रोड से लगे हुए स्कूल हैं उनमें अनिवार्य रुप से बाऊण्ड्रीवाल इस बजट के मद से बनवाने की कृपा करें और केवल मेरे यहां नहीं पूरे मध्यप्रदेश में ऐसे हालात हैं और जहां जहां अनुसूचित जाति और जनजाति के जो विद्यालय हैं, जहां आपकी संस्थाएँ संचालित हैं वहां यह बात सबसे पहले करें और वहां यह समस्या सबसे ज्यादा है.मैं विद्यालयों की बात कुछ करना चाहता हूँ, 1983 के पूर्व जब हम पढ़ते थे उस समय बहुत सारे स्कूलों में ऐसे कार्यक्रम होते थे जिसके कारण विद्यालय में बच्चे के अन्दर छुपी प्रतिभा को निखारने का काम किया करते थे.आदरणीय पूज्य गुरुजनों ने शनिवार के दिन वाद-विवाद प्रतियोगिता,अंताक्षरी, रामायण के कुछ पाठ-दोहे इत्यादि की काम्पटीशन हुआ करती थी. गायन, वादन, श्लोक संस्कृत के बच्चों को खड़े करके पढ़ाया जाता था, श्लोक, गीत, गाने गवाये जाते थे, कविता पढ़ायी जाती थी और कुछ जीवन परिचय महापुरुषों के वहां शनिवार के अपरांह्न में यह कार्यक्रम किया जाता था और उसका मात्र एक उद्देश्य था कि बच्चे में आत्मनिर्भरता पैदा हो और उसके अन्दर की छुपी प्रतिभा को निकालकर के समाज के बाहर लाने का काम किया जाता था, बागवानी, खेल‑कूद कराये जाते थे, मैं चाहता हूँ सदन के माध्यम से माननीय मंत्री जी से कि यह सारे पुन: विद्यालयों में प्रारम्भ कराये जाएं इससे बच्चों को लाभ होगा, बच्चे स्वस्थ रहेंगे, आपके अच्छे गुणों का अनुसरण करेंगे.
सभापति महोदय-- मार्को जी, आप बहुत अच्छी बातें रख रहे हैं लेकिन कृपया संक्षिप्त करें. अपने क्षेत्र की समस्याएँ, क्षेत्र के कुछ काम, क्षेत्र की बातों को कह के संक्षिप्त करने का प्रयास करें. माननीय मंत्री जी आ गये.अपने क्षेत्र के प्रस्ताव दे दें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- मैं माननीय मंत्री जी को कुछ नहीं कहना चाहूंगा. मेरे प्रभारी मंत्री जी भी हैं.
श्री ज्ञान सिंह-- माननीय सभापति जी, मैं माननीय सदस्य की भावनाओं को पूर्ण रूप से जानता हूँ.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- मैंने माननीय मंत्रीजी को बहुत सारे आवेदन भी दिए हैं और माननीय मंत्री जी ने मुझे आश्वस्त भी किया है कि दादू तू चिन्ता न कर. इस बार तो मैं सारे काम कर दूँगा. माननीय धुर्वे जी, आप भी हमारी सिफारिश कर देना.
सभापति महोदय, मेरे छोटे-छोटे विद्यालय हैं और माननीय मंत्री जी पूरे क्षेत्र में बालक, बालिकाएँ कम से कम 15 से 20 किलोमीटर तक पैदल हाईस्कूल , हायर सेकंडरी शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं हमारे माननीय प्रभारी मंत्री महोदय मंत्री, आदिम जाति भी अच्छी तरह से जानते हैं उन विद्यालयों के बारे में थोड़ा निवेदन करना चाहूँगा कि जब भी इस बजट में आप प्रावधान करें इन विद्यालयों के उन्नयन की बात करें तो पुष्पराजगढ़ विधान सभा को थोड़ा अपनी अंतर्आत्मा में थोड़ा सा बैठाने की कृपा करेंगे और सहानुभूति पूर्वक इन विद्यालयों का उन्नयन करने की कृपा भी करेंगे. जिनका हाईस्कूल से हायर सेकण्डरी में उन्नयन करना हैं वे हैं, टिठी, जैतहरी, करनपठार, मझौली, खेतगाँव, कोयलारी, कुम्हरवार, परसेलकला, अल्हवार, सरफा, चिल्हियामार, बड़ीतुमी, पटना एवं अचलपुर. जो 7 किलोमीटर से लेकर 15 किलोमीटर तक विद्यालयों की दूरी है.
सभापति महोदय, माध्यमिक शाला से हाईस्कूल में जो बालक, बालिकाएँ, शिक्षा ग्रहण करने जाती हैं, उनका है, पठैती, बिलासपुर, खरसवाल, लीलाटोला, ताली, बिल्डोंगरी, इटौर, लेंढरा, तुलरा और हाईस्कूल कन्या. ये जो हैं हाईस्कूल से हायर सेकण्डरी में और पूर्व में जो मैंने नाम लिए हैं वे माध्यमिक शाला से हाईस्कूल में उन्नयन करने की कृपा करें.
वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार)-- माननीय सभापति महोदय, काँग्रेस पार्टी का लगभग पूरा समय समाप्त हो गया और अगली बार जब बजट आएगा तो उसका भी समय इन्होंने ले लिया.
सभापति महोदय-- जी. यह हमें ध्यान है. समय का हमें ध्यान है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- माननीय, आप तो बहुत वरिष्ठ हैं. माननीय मंत्री जी, हम लोग नये नये विधायक हैं हमें ऐसा लगता है कि इस सदन में जो भी हम कह देंगे, पढ़ देंगे तो वह काम हो जाएगा.
सभापति महोदय-- समय का आवंटन आसंदी करती है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- यह तो मैं मानता हूँ. आसंदी बहुत पावरफुल होती है. (हँसी) हँसने की बात नहीं है. यह सत्यता है.
सभापति महोदय-- लेकिन आप कृपा करें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- मेरी कृपा का तो कोई महत्व है नहीं क्योंकि यहाँ आसंदी की चल रही है.
सभापति महोदय-- मार्को जी, कृपया समाप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, नवीन आश्रम शालाओं में पूरे जंगल पहाड़ का मेरा क्षेत्र है तो नवीन आश्रम शाला यदि आप कृपा करके यहाँ खोल देंगे तो अनुसूचित जनजाति के बालक, बालिकाओं पर बड़ी कृपा होगी. सभापति महोदय, भाटीबड़ा, बड़ी तुम्मी, मिट्ठू महुआ, टिटही जतहरी, तरंग, मझौली, करनपठार, चिल्हियामार, फर्रीसेमर, खेतगाँव, मौहारी, नवगवा, चोरभटी, बैहार और ठोढ़ीपानी में और साथ ही...
सभापति महोदय-- कृपया समाप्त करें. आपने पत्र लिख कर दे दिए हैं. मंत्री जी आपके प्रभारी भी हैं आप निवेदन कर लेना.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- छात्रवृत्ति का जो मसला है बहुत बड़ा है. आज भी प्राथमिक, माध्यमिक शालाओं में छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है. पुस्तकें नहीं मिल रही हैं. उन्हें दिलाने की कृपा करें. सभापति जी, आपने मुझे बोलने का मौका दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री हेमन्त खण्डेलवाल(बैतूल)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 15, 33, 41 और 42 के पक्ष में अपनी बात कहने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मैं हमारे मंत्री जी को उनके विभाग को इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहूँगा कि उन्होंने एक अच्छी योजना विद्यालयों को प्रोत्साहन देने की जो विद्यालय अच्छे परिणाम ला रहे हैं. उन्हें प्रोत्साहन देने की योजना शुरू की और उसके अच्छे परिणाम मेरे जिले में देखने को मिले. मैं आपके विभाग को इस बात के लिए भी धन्यवाद देना चाहूँगा कि आपने आई आई टी और पी एम टी कोचिंग के लिए हमारे जो अनुसूचित जनजाति के होनहार बच्चे हैं उनको भी कोचिंग देने का काम आपके विभाग के द्वारा शुरू किया गया. आदिवासी उपयोजना में हितग्राही मूलक जो गतिविधियाँ हैं उनमें पिछले साल 25,451 लोगों को आपने लाभ दिया. 275 (1) में जो अधोसंरचना विकास के लिए केन्द्रीय मद है उसमें लगभग 148 करोड़ की राशि आपने हमारे जैसे जिलों को और बाकी अन्य जिलों को दी. हर छात्रावास जहाँ पर अनुसूचित जनजाति के बच्चे पढ़ते हैं, रहते हैं, वह जो 20 सीटर था, उसे 50 सीटर करने का अच्छा काम आपने किया और पिछले साल एक हजार संख्या सीटों की आपने बढ़ाई. मैं ट्रायबल मंत्री जी को आपके माध्यम से अपने जिले का जो ट्रायबल विभाग है, उसका एक परिदृश्य आपके सामने रखना चाहूँगा. मेरे जिले में लगभग 55 सौ टीचर्स ट्रायबल विभाग के हैं और लगभग 1 लाख 40 हजार बच्चे ट्रायबल विभाग की स्कूलों में पढ़ते हैं. अगर हम औसत देखें तो एक टीचर पर बच्चे का औसत 25 का है. अगर हम स्कूलों की बात करें तो लगभग 18 सौ स्कूल ट्रायबल विभाग बैतूल जिले में संचालित करता है और अगर हम प्रति शाला बच्चे देखें तो मात्र 80 बच्चे औसत एक शाला में हैं और इसके कारण सरकार का बजट लगभग ढाई हजार रुपये पर बच्चे को पढ़ाने में जाता है. मैंने अपनी यह बात बड़ी गंभीरता से शिक्षा विभाग का जो भाषण था उसमें मैंने दी है. लेकिन मैं थोड़ी सी बात आपके द्वारा करना चाहूँगा कि प्रति टीचर बच्चे का जो रेश्यो है अगर हम बड़े स्कूल चालू कर देते हैं तो लगभग 40 बच्चों का रेश्यो हो सकता है. अच्छे ग्राउण्ड, अच्छी शालाएँ बन सकती हैं अगर हम ट्रांसपोर्ट की सुविधा छोटे छोटे गाँवों से अगर बड़े स्कूलों की तरफ कर देते हैं तो बड़े स्कूल हमारे ट्रायबल विभाग के बनते हैं और उससे बजट की भी कमी आपके द्वारा आ जाएगी और आपके विभाग को भी जो बजट है उसका लाभ हो पाएगा. माननीय सभापति महोदय, एक बात और मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि ट्रायबल सर्व शिक्षा अभियान, शिक्षा और पंचायत में व्यवस्था बड़ी उलझी हुई है. ट्रायबल का स्टाफ है और फर्स्ट से एर्थ तक की व्यवस्था, गव्हर्नेंस का काम सर्व शिक्षा अभियान करता है और साथ ही साथ शिक्षा विभाग परीक्षा लेने का काम करता है और इन कर्मचारियों का ट्रांसफर करने का काम पंचायत विभाग करता है. अगर एक ही विभाग पूरा काम करेगा तो मैं समझता हूँ कि यह व्यवस्था दुरुस्त हो सकती है. मेरे जिले मे 4 ब्लाक शिक्षा विभाग के हैं और 6 विभाग ट्रायबल के हैं. अगर पूरा जिला या तो शिक्षा विभाग के सुपुर्द हो जाए या ट्रायबल के हो जाए तो मैं समझता हूँ शिक्षा में काफी सुधार हो सकता है. एक और बात मैं कहना चाहूँगा कि हमारे यहाँ पंप ऊर्जीकरण के काम काफी चल रहे हैं बैतूल जिले में लगभग 15 हजार कपिल धारा के कूप हैं और जिसमें 5 हजार नलकूप ऐसे हैं जिनमें विद्युतीकरण के लिए राशि दी जानी है. यह काम शुरू भी हुआ था. लेकिन फिर बंद हो गया. ट्रायबल करे या विद्युत विभाग करे, इसमें यह काम अटका हुआ है.
5.28 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह)पीठासीन हुए}
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि तुरन्त इस बारे में निर्णय किया जाए और यह हमारे 5 हजार अनुसूचित जनजाति परिवारों को पंप ऊर्जीकरण की राशि तुरन्त दी जाए. सौ से कम की जो आबादी होती है वहाँ जो मजरे, टोले, के विद्युतीकरण का काम है, वह भी राशि के अभाव में उलझा हुआ है. उपाध्यक्ष महोदय, चूँकि समय कम है इसलिए मैं एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना के संबंध में भी 2-3 बातें कह कर अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा कि हमारी जो एकीकृत आदिवासी परियोजना है उसकी जो वार्षिक गाइड लाइन है जो वार्षिक कार्ययोजना बनती है वह दिसंबर माह में बनती है. मेरा आग्रह है कि अप्रैल माह में ही जो गाइड लाइन है, जो केन्द्र सरकार की गाइड लाइन है, वह बता दी जाए और हर जिले के लिए एक सी गाइड लाइन नहीं बनाई जाए. बैतूल, झाबुआ और छिंदवाड़ा, अपनी अलग अलग विशिष्ट पहचान के लिए हैं. हर जिले की जो गाइड लाइन बने वह वहाँ बैठकर हमारा जो परियोजना मंडल है, आदिवासी परियोजना, वह बनाए. दूसरा मेरा आप से आग्रह था कि प्रति हितग्राही के लिए जो विशेष केन्द्रीय निधि है जिसमें 30 हजार की राशि दी जाती है. यह क्लस्टर से बाहर नहीं जा पाती. मेरा आप से आग्रह है कि अनुसूचित जनजाति का बच्चा अगर कोई बड़ा काम करना चाहता है, उसे आदिवासी वित्त विभाग से जो राशि मिलती है बैंक से लोन लेता है तो ये जो 30 हजार की राशि है वह अंशदान के रूप में दी जाए. हंड्रेड परसेंट सब्सीडी न दी जाए. अगर आप ऐसा करेंगे तो वह अगर ऑटो लेना चाहे, वह अगर बड़ा कोई काम करना चाहे, आटा चक्की चलाना चाहे या लेथ मशीन डालना चाहे, 2-3 लाख रुपये का लोन ले तो मैं समझता हूँ कि बड़े काम इस अंशराशि से वह कर सकता है. एक और बात कहना चाहता हूँ कि जो हमारी आदिवासी परियोजना का पैसा है उसमें त्रैमासिक बंधन है राशि का, याने 3 महीने में जो आवंटन होता है वह पूरा खतम करना पड़ता है और उसके चक्कर में आपका विभाग पूरी की पूरी राशि पंचायत के खाते में ट्रांसफर कर देता है.
उपाध्यक्ष महोदय, आदिवासी जो विभाग है उसकी जानकारी में होगा कि यह काम की राशि आवंटित हो गई मैं आदिवासी जिले का विधायक हूं और मेरे जिले में जिस भी पंचायत में राशि गई है या तो पेंडिंग पड़ी है या उसमें भ्रष्टाचार हो गया है या उसका दुरुपयोग हो गया है इसलिये राशि का आवंटन कार्य हो जाने पर करें वैसे भी जो आदिवासी परियोजना की राशि मिलती है वह केन्द्र सरकार की है उसकी गाइड लाइन का मैंने अध्ययन किया है उसमें कहीं उल्लेख नहीं है कि वह राशि तुरंत किसी विभाग को हस्तांतरित की जाय साल भर उसका उपयोग हो सकता है इसलिये जब जब काम हो तब तब राशि आवंटित करें. जिले की आदिवासी परियोजना की जो कार्ययोजना होती है जिसमें आपके द्वारा आवंटित राशि दी जाती है उसी अनुसार आप राशि दें तो ज्यादा अच्छा होगा. मैं बताना चाहूंगा 275 (1) में बैतूल जिले में 4 करोड़ 31 लाख रुपये का आपने प्रावधान किया उसके विरुद्ध मात्र 49 लाख रुपये की राशि प्राप्त हुई है. इसी प्रकार विशेष केन्द्रीय योजना में 3 करोड़ 19 लाख के प्रस्ताव गये उसके विरुद्ध 60 लाख रुपये की राशि प्राप्त हुई. ऐसा इसलिये हुआ कि यह सारी कार्य योजना दिसंबर, जनवरी और फरवरी में बनाई गई. मैंने इसीलिये आग्रह किया कि कार्य योजना अप्रैल में बनाई जाये. परियोजना प्रशासक का पद वह रिक्त है इसलिये यह सारी गड़बड़ियां होती हैं. सीईओ के भी पद रिक्त हैं. आदरणीय मंत्रीजी से इस बात की उम्मीद करते हुए कि मैंने जिन बिंदुओं पर उनका ध्यान आकृष्ट किया है उनके बारे में जरुर विचार करेंगे और उसे लागू करने का कष्ट करेंगे. उपाध्यक्ष महोदय आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद
श्रीमती शीला त्यागी (अनुपस्थित)
श्री दिनेश राय (सिवनी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से मांग संख्या 15 सिवनी विधान सभा क्षेत्र के अन्तर्गत अस्थायी रुप से घर बनाकर रह रहे हमारे दलित और आदिवासी भाइयों के निवास के पट्टे प्रदान करने के लिए आपसे आग्रह करता हूँ. मांग संख्या 33 सिवनी विधान सभा के अन्तर्गत आदिवासी शिक्षित बेरोजगारों का सर्वे कराकर उनकी योग्यतानुसार शासकीय विभागों में सीधी भर्ती कराकर रिक्त पदों की पूर्ति की जाये ऐसा मेरा आपसे आग्रह है. मांग संख्या 41 आदिवासी क्षेत्र उप योजना सिवनी विकासखण्ड के आदिवासी विकासखण्ड छपारा की 35 पंचायतें हैं जो मेरी ही विधान सभा में आती हैं यहां पेयजल की व्यवस्था काफी खराब है, स्थल जल योजना स्वीकृत की जावे. आदिवासी बहुत क्षेत्र छपारा सिवनी विकासखण्ड में हायर सेकेण्डरी व कन्या प्री-मेट्रिक छात्रावास की स्वीकृति देने की कृपा करें. आदिवासी बहुल क्षेत्र छपारा विकासखण्ड सिवनी में सुचारु आवागमन की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु बजट में प्रावधान करें क्योंकि कुछ गांव ऐसे हैं जहां पर आज भी आदिवासी भाई सड़कों पर नहीं चल पा रहे हैं जिनको साईकिल से या पैदल चलकर शहरी क्षेत्र में आना पड़ता है. कई पुल-पुलिया नहीं बनी हैं बरसात में वहां के निवासी आ नहीं पाते हैं. छात्रावास खुले हैं छात्रावासों में शिक्षक नहीं हैं. क्या आप कभी सिवनी जिले आये हैं? आप आकर लखनादौन और छपारा के ब्लाक में आकर देख लीजिये सिर्फ शहर में आकर मत जाइयेगा. छात्रावासों की यह स्थिति है कि बालिकाओं के छात्रावास में पुरुष रहते हैं. आज की घटना बताता हूँ कुरई के पास एक मेट्रिक, प्री-मेट्रिक छात्रावास है, कमल जी बैठे हैं उनके विधान सभा क्षेत्र का मामला है वहां एक बच्चे की संदिग्ध स्थिति में लाश मिली है. ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में जो भी स्कूल हैं उनको हमारे अधिकारी डी और ई केटेगिरी में रखे हुए हैं. जिन-जिन स्कूलों में मैं गया हूं मुझे शिक्षक कभी नहीं मिले हैं मिलते भी हैं तो 1 या 2 पीरियड पढ़ाकर गायब हो जाते हैं. एक-एक स्कूल से 10-10 टीचर गायब मिले हैं. मंत्रीजी आपसे आग्रह है आप उन क्षेत्रों में दौरे पर जाये. हमारे आदिवासी भाइयों के साथ छलावा हो रहा है बैल जोड़ी दे रहे हैं गाड़ियां दे रहे हैं जो सामग्री दी जा रही है उसमें दलाल लगे हुए हैं. कल ही मैंने भोंगाखेड़ा का निरीक्षण किया था वहां ओले गिरे थे वह देखने में गया था वहां पर जो बैल जोड़ी दी जा रही है उसकी कीमत 25000 रुपये है बताया यह जा रहा है कि 22000 रुपये की जोड़ी है और 3000 रुपये बीमा की राशि है. वहां के किसान कह रहे हैं 9-9, 10-10 हजार में इससे मस्त बैल जोड़ी बिकने को तैयार नहीं है. खुली दलाली चल रही है आदिवासी भाइयों को लूटा जा रहा है. गरीब को गरीब बनाया जा रहा है बड़ा आदमी बड़ा बनता जा रहा है. कहते हैं कि "जात का आदमी जात का बैरी" वहां पर आदिवासी जो अधिकारी बैठे हैं वे अपने लड़कों को उच्च नौकरी पर बिठाना चाहते हैं बड़े रोजगार दिलाना चाहते हैं वे कैसे समाज का और जाति का कल्याण करेंगे. आपके समाज के लोगों का उत्थान करना यह आपकी जवाबदारी है कब तक सीधे-सादे आप रहेंगे. हमारे आदिवासी क्षेत्रों में जो अधिकारी एक साल नौकरी कर लेता है दस साल की उसकी व्यवस्था हो जाती है और तीन साल रह गया तो रिटायरमेंट की चिंता नहीं रहती है वह इतना धन एकत्रित कर लेता है कि उसकी पूरी जिंदगी बीत जाती है.
उपाध्यक्ष महोदय--दिनेश राय जी कुछ सुझाव हों तो दे दीजिये, आज आप बहुत आक्रामक हो रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत--धन एकत्रित कैसे करता है ?
श्री दिनेश राय--भ्रष्टाचार और अवैध वसूली करके. हमारे क्षेत्र में कोई जाने को तैयार नहीं है मैं आपको खुली बात बताता हूं. आदिवासी भाइयों को जिनको वास्तव में बिजली की जरुरत है जिनको किसी योजना का लाभ मिलना है मण्डल, कमण्डल के लोगों के आवेदन पर काम होता है जो आपके हैं जो आपके अपने हैं उनको ही आप देंगे तो दूसरे को अपना कैसे बनाओगे इसलिये आप ट्रायबल क्षेत्रों से हारते हैं उसका कारण यही है वहां पर आप ध्यान नहीं देते हैं वहां के लोगों की व्यवस्था करिये जो गरीब व्यक्ति है उसे सुविधा प्रदान करें. डॉक्टर, नर्स नहीं है उन क्षेत्रों में एम्बूलेंस नहीं हैं. मैंने विधायक निधि से दो एम्बूलेंस दी हैं विभाग कह रहा है कि हम डीजल और ड्रायवर का पैसा कहां से दें. इसकी भी व्यवस्था हमको करना पड़ेगी क्या सरकार किस बात के लिए है लोग सरकार का गुणगान गाते हैं हम भी कहते हैं कि बहुत अच्छे मुख्यमंत्री हैं आप भी बहुत अच्छे हैं लेकिन निचले स्तर पर अधिकारी कर्मचारियों पर लगाम तो कसिये. कुछ लोग कहते हैं कांग्रेस के कार्यकाल को 42-47 साल हो गये आपको भी तो 12 साल हो गये हैं हम लोग किसके पास रोएंगे दोनों ने हमारे क्षेत्र को लूट खाया है. हमारे यहां के आदिवासी भाई आज भी महुआ, गुठलू बीनकर अपना जीवनयापन कर रहे हैं आपने इतनी योजनायें बनाईं गरीब आदमी के लिए कुछ नहीं किया. मैं सीधा-सीधा ब्लेम लगा रहा हूँ आप मेरे ब्लाकों को देख लें छपारा जिसमें 34 पंचायतें आती हैं लखनादौन भी पूरा आदिवासी क्षेत्र है उनका मंत्रीजी एक बार निरीक्षण कर लें. कुछ बोलने की जरुरत नहीं है दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा आप उस क्षेत्र में एक बार आ जायें. धन्यवाद.
श्री जतन उइके (पांढुर्णा)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 33, 41, 42 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आदिम जाति कल्याण मंत्रालय का निर्माण ही आदिवासियों के समुचित विकास के लिये किया गया है. मेरे भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय मित्रों द्वारा वक्तव्य पेश किये गये. किसी भी वर्ग को यदि फर्श से अर्श तक पहुंचाना है तो उसके लिये शिक्षा आवश्यक है खासतौर से इस कौम के लिए जहां तक मेरा अनुभव है बहुत सारी योजनाएं हमारे मित्रों ने गिनायीं और राशि भी बताई कि इतनी राशि आदिवासियों के लिये दी गई है. हमारे मित्रों को इस बात का इल्म होना चाहिये कि आखिरी में हमारी कौम का आदमी खड़ा है जिसे आवश्यकता है उस काम की उस योजना की उन पैसों की उस शिक्षा की क्या आपने उसको जाकर कभी पूछा कि तेरी इच्छा है योजना का लाभ लेने की, पढ़ने की वह होशियार बच्चा है. लेकिन वर्तमान दौर में माननीय उपाध्यक्ष महोदय शिक्षा की जो नीति है चूंकि मेरा पूरा विधानसभा क्षेत्र ट्रायबल है और वर्तमान शिक्षा की स्थिति ऐसी है कि आपको प्राथमिक शिक्षा पहली से लेकर पांचवी तक पास ही करना है छटवीं से लेकर आठवीं तक बच्चे को पास ही करना है उसे पढ़ना आये तो ठीक, पढ़ना न आये तो ठीक, वह स्कूल आये तो ठीक, वह स्कूल न भी आये तो भी ठीक यदि वह कमजोर बच्चा है तो उसको रोकिये और उसको शिक्षक दो महीने गर्मी की छुट्टिेयों में पढ़ायेगा,कौन सा शिक्षक पढ़ायेगा और क्यों पढ़ायेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इतनी सारी योजनोओं की बात तब हम मानेंगे जब हमारी कौम एजुकेटेड हो जायेगी. यहां पर जितने भी समाज के वर्ग यहां पर बैठे हुए हैं, वह समझदार हैं, जागरूक हैं और उस मुकाम तक पहुंचे हुए हैं क्योंकि वह गुणवत्तापूर्ण शिक्षित हैं. आज के दौर में माननीय हमारे वेल सिंह जी कर रहे थे और उनके भाषण की शुरूआत ही वहां से हुई कि कांग्रेस ऐसी है, कांग्रेस वैसी है, कांग्रेस ने फलां काम किया. उनको सुनना चाहिये कि इंदिरा कांग्रेस की देन थी, हमारे आदिवासी मित्रों जिसने हमारी जमीन को रोका था कि आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी कोई नहीं खरीदेगा. यह हमारी कांग्रेस की पहचान है. कुछ भी कह देते हैं. अगर आपकी बुनियाद स्ट्रांग है तो कंगुरा बेहतर होगा. मैं माननीय मंत्री जी से मांग करता हूं कि यदि आप वाकई में आदिवासी कौम की बेहतरी चाहते हैं तो आपको प्रायमरी और मि डिल स्कूल की पढ़ाई का बोर्ड पैटर्न परिवर्तित करना होगा. आप पांचवी और आठंवी की बोर्ड परीक्षा कीजिये ,तभी छन्ना लगेगा. मेरे ख्याल से यहां पर तमाम जो मित्र बैठे हैं, सभी लोग इस पेटर्न से पढ़ कर आयें हैं. उस समय पांचवीं और आठवीं बोर्ड की परीक्षा होती थी, अब छन्ना नहीं है. हमारा बच्चा आठवीं में पास हो गया, नवमीं में पहुंच गया क्योंकि वह बोर्ड नहीं है. फिर दसवीं में पहुंच गया, वहां पर फिर छन्ना लग गया. हमारे आदिवासियों का गांव का बच्चा 90 प्रतिशत फेल हो जाता है, मात्र 10 प्रतिशत पास होता है. वह दसवीं पास होने क बाद ग्यारहवीं में पहुंचता है, वहां फिर विषयवार परीक्षा होती है. जब मैं स्कूल में जाता हूं और 12 वीं के बच्चों से वर्णमाला पूछता हूं ''ष'' लीखिये तो ''त्र'' लिखते हैं. उनसे कहता हूं कि ''ण'' लीखिये तो वह नल का ना लिखते हैं. मैं कहता हूं कि 79 लीखिये तो वह 69 लिखते हैं. मतलब उनको तत्व ज्ञान नहीं है, बारीकियों का ज्ञान नहीं है. उनको कहो कि गिनती बोल दो तो पूरा 1 से लेकर 100 तक बोल देंगे. ''अ'' से लेकर ''ऋ'' तक बोल देंगे, लेकिन बारीकियां नहीं हैं. तत्व ज्ञान नहीं है. फिर हम जाते हैं तो कहते हैं कि अतिथि व्यवस्था है. हमारे गांव में गणित का मास्टर नहीं मिलता है, बायोलॉजी का मास्टर नहीं मिलता है, फिजिक्स और केमेस्ट्री का मास्टर नहीं मिलता है, क्यों नहीं मिलता है. क्योंकि हमारे गांव में यह विषय ही नहीं है. हमारा बच्चा पढ़ ही नहीं पाता है. मैं खुद 12-13 साल टीचर रहा हूं. इसलिये मुझे इस बात का मलाल होता है. मैं पढ़ाई के मामले में बहुत कड़क मास्टर था, पढाई और परीक्षा के मामले में. (व्ययवधान)
श्री रंजीत सिंह गुणवान :- आप स्कूल से भग जाते होगे.
श्री जतन उइके :- नहीं दादा, मोहब्बत करता था. दिल से पढ़ाता था तो उस वक्त बोर्ड की परीक्षा होती थी. पांचवी और आठवीं बोर्ड की परीक्षा होती थी और जब बच्चा उससे छनकर निकलता था. बच्चे में एक डर था, मुझे पढ़ना है नहीं तो मैं फेल हो जाऊगां. उस समय बच्चा पढ़ता था उसे डर था कि पाचवीं और आठवीं बोर्ड है हम फेल हो जायेंगे. अब तो बच्चे को डर ही नहीं है, वह बेखौफ हो गया है कि मैं तो पास हो जाऊंगा. घर वाले यह कहते हैं कि और मास्टरों को टोकते हैं कि मेरा बच्चा एक से लेकर नौवमीं तक पास होता गया और दसवीं में इस (XXX) मास्टर ने मेरे बेटे और बेटी को फेल कर दिया.
उपाध्यक्ष महोदय :- यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री जतन उइके :- वह नवमीं तक के पास किया गया है और नवमीं के बाद दसवीं में वह फेल हो जाता है.
श्री रामनिवास रावत:- वह अपनी तरफ से नहीं कर रहे हैं, अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं.
श्री जतन उइके :- उपाध्यक्ष महोदय, इसलिये मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि आदिवासी कौम के लिये बहुत कुछ करना बाकी है. आदिवासी कौम के लिये वाकई में बहुत सारी योजनाएं बनी हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है. लेकिन उन योजनाओं को सही मायने में अगर धरातल पर पहुंचाना है तो सबसे पहले आप फोकस शिक्षा पर कीजिये. यह मेरा आपसे निवेदन है. मैं ज्यादा नहीं बोलूंगा. मेरे क्षेत्र में लावाघोघरी आश्रम, गायखोरी आश्रम, हीरावाड़ी आश्रम (व्यवधान) जिन आदिवासियों की तरक्की हुई है, हो सकता है मेरा बेटा गया होगा. मेरा भांजा गया होगा. मेरा कहना है कि वह लास्ट में जिसको होश ही नहीं है कि यह इंटरनेशनल एजुकेशन होता क्या है. मैंने उनकी बात की है. मैं अपने क्षेत्र में हीराबाड़ी,देवगढ़ में आदरणीय मंत्री जी बाउंड्रीवाल चाहूंगा और एक गांव पड़ता है चांगोबा और पेलेपर दोनों के दरम्यान बहुत बड़ी नदी है वहां परियोजना से पुलिया बना दें तो बड़ी मेहरबानी होगी. दूसरे आदिवासी परियोजना बहुत बढ़िया परियोजना है और सेंट्रल गवर्नमेंट के द्वारा यह चलाई जाती है नाना भाऊ बैठे हैं और पंडित जी चौरई से बैठे हुए हैं अभी तक हमारी सौंसर परियोजना का गठन नहीं किया गया है और गाईडलाईन में विधायक उसका अध्यक्ष होता है मैंने गाईडलाईन निकाली माप दण्ड निकाले लेकिन दो सालों में अभी तक उसकी मीटिंग ही नहीं हुई है और जब मीटिंग ही नहीं हुई है तो कितना पैसा वहां पहुंचा होगा 2014-15 में 2015-16 में इसका पता नहीं है और उसकी कहां-कहां बंदरबांट हुई होगी तो मेरा निवेदन है कि मंत्री जी आपने तत्काल प्रभाव से गठन कर दिया होगा तो मेहरबानी करके उसका नाम बता दें और न करें हो तो जल्दी कराएं. धन्यवाद.
श्रीमती उमादेवी खटीक(हटा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आदिम जाति अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग की अनुदान मांगों का समर्थन करती हूं कटौती प्रस्तावों का विरोध करती हूं. " सूरासो पहचानिये जो लड़े दीन के हेत,पुरजा पुरजा कट मरे कबहु न झाड़े खेत" श्रद्धेय नाना जी के इस संदेश को हमारे प्रदेश के मुखिया संवेदनशील मुख्यमंत्री हमारे भईया शिवराज जी ने अपने जीवन में उतार कर अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति के लिये कल्याणकारी योजनाएं संचालित करके आदिम जाति कल्याण विभाग के लोगों को धन्य कर दिया. आज 2003 से लेकर आज तक इस प्रदेश के मुखिया ने इस वर्ग का विशेष ध्यान रखा मैं ऐसे संवेदनशील मुख्यमंत्री को हृदय से साधुवाद देती हूं मैं मंत्री जी ककी हृदय से आभारी हूं जिन्होंने आवास योजना लागू कर छात्र,छात्राओं के शैक्षणिक विकास में आने वाली बाधाओं को दूर कर दिया जिससे साक्षरता में भी कमी आई है. मैं विभाग की ओर से सदन का आभार व्यक्त करती हूं कि विभाग को सदन द्वारा 2015-16 में आदिवासी विकास के लिये 5627.08 करोड़ रुपये की राशि योजनाओं के क्रियान्वित करने के लिये उपलब्ध कराई. विभाग के द्वारा वर्ष 2016-17 में आदिवासी विकास हेतु 5895.61 करोड़ रुपये की राशि अभी प्रस्तावित है. विभाग द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश अनुसार राज्य में सामुदायिक नेतृत्व क्षमता विकास कार्य आरंभ किया जिसमें 89 आदिवासी विकासखण्डों में कार्यक्रम का संचालन मध्यप्रदेश में स्वच्छ भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिये जन अभियान परिषद को दिया गया जिसमें इस वर्ग की महिलाएं,पुरुष,बालक,बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाये जाने जैसे कार्य किये जा रहे हैं.
(5.49 बजे) सभापति महोदय ( श्री केदारनाथ शुक्ल ) पीठासीन हुए.
माननीय सभापति जी,आदिवासी योजनाओं के अंतर्गत आदिवासी युवाओं को रोजगार स्थापित करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजनान्तर्गत 20 लाख रुपये तक के ऋण प्रकरणओं की स्वीकृति आदिवासी वित्त एवं विकास निगम के माध्यम से स्वीकृत की जा रही है.वर्ष 2015-16 में 4 हजार से अधिक आदिवासी युवाओं को ऋण तथा अनुदान प्रदान किया गया है. हम हितग्राही औसतन रूपये 4.50 लाख की ऋण सहायता प्रदान करने में सफल हुए हैं. आगामी वर्षों में यह योजना निरंतर रखी गई है. हमारे जिला स्तर से आदिवासी युवाओं को अपने जीवन को आत्मनिर्भर बनाने के लिये लगभग 3 करोड़ रूपये की राशि का वितरण हो चुका है. अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये समाज के धार्मिक-सांस्कृतिक‑सामाजिक कार्यक्रम करने के लिये 50 लाख की राशि से सर्वसुविधायुक्त मंगल भवन विधान सभावार बनाये गये हैं जिससे आदिवासी लोगों में हर्ष व्याप्त है. मैं चाहती हूं कि मंगल भवन प्रत्येक विकासखंड में होना चाहिये जिससे इस वर्ग के और लोग भी लाभांवित हो सके. मध्यप्रदेश की सरकार ने विकास की गंगा बहायी है. हर विधान सभा में खंड स्तर पर चोराहों पर हमारे परम श्रद्धेय संविधान के प्रणेता बाबा साहब अम्बेडकर जी का स्टेचू हर चौराहे पर लगाया जाए इससे हमारे प्रदेश में छूआछूत की भावना दूर होगी एवं समरसता भी आयेगी. अभी हमारे मध्यप्रदेश में 14 अप्रैल, 2016 में हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी का आगमन हो रहा है मैं सदन के माध्यम से उनकी बहुत आभारी हूं कि महू के कुंभ में पहुंचकर हमारे वर्ग को उदबोधन देंगे. मेरी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत कुछ सुझाव देना चाहती हूं आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा चलाये जा रहे छात्रावास के सही संचालन के लिये पर्याप्त वार्डन अधीक्षकों की भर्ती की जावे इसकी अभी भी प्रदेश में कमी है, साथ ही स्थानीय जनप्रतिनिधि सहित जिला स्तरीय समिति बनाकर निरीक्षण किया जाए. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति बाहुल्य ग्रामों में लोगों की मूलभूत सुविधाएं जैसे बिजली, पानी, सड़क के लिये जिले की राशि बढ़ाई जाए. वर्तमान में यह राशि बहुत ही कम पड़ती है हमारे क्षेत्र के ग्राम रजपुरा में अनुसूचित जाति के बालक छात्रावास संचालित है परन्तु वहां पर अनसूचित जाति का बाहुल्य न होने के कारण आदिवासी बाहुल्य है उक्त छात्रावास को परिवर्तन करके आदिवासी छात्रावास में दिया जाए. मैं निवेदन करती हूं कि इस वर्ष किसानों को 5 एकड़ तक की भूमि सुरक्षित रखने के लिये तार फेंसिंग की योजना भी बनायी जाए जिससे उनका जीवन स्तर ऊंचा उठ सके हमारी सरकार उनको उपकरण भी दे रही है, साथ में पांच एकड़ की भूमि में तार फेंसिंग की योजना बनायी जाएगी तो उनका जीवन स्तर उठेगा और उनकी गृहस्थी भी चलेगी. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री संजय उइके (बैहर)--माननीय सभापति महोदय, मांग संख्या 33,41,42,49, 52, 53, 64, एवं 68 के विरोध में चर्चा के लिये खड़ा हुआ हूं. जो वित्तमंत्री जी के द्वारा बजट प्रस्तुत किया गया है. उसमें सामान्य वर्ग के लिये प्रति व्यक्ति 30655 रूपये व्यय का प्रावधान रखा गया है एवं आदिवासी वर्ग के सम्पूर्ण विकास के लिये केवल 11724 रूपये का प्रावधान रखा गया है मैं चाहता हूं कि इसको बढ़ाया जाना चाहिये. इसी अंतर को समाप्त करने के लिए, टी.एस.पी. आदिवासी उपयोजना क्षेत्र का गठन किया गया था, लेकिन बहुतायत यह देखा जा रहा है कि मांग संख्या 41, 42, 52 और मांग संख्या 68 में जितने भी विभागों को यह राशि दी जाती है, टी.एस.पी. के तहत राशि व्यय करने के लिए दी जाती है, उनके द्वारा आदिवासी वर्ग पर वह राशि व्यय न करते हुए, गैर आदिवासी वर्ग पर ज्यादा राशि व्यय की जा रही है, इस पर सतत् निगरानी की आवश्यकता है, मैं माननीय मंत्री महोदय से चाहूंगा कि इस पर ध्यान दें, आदिवासी वर्ग में कम राशि खर्च की जा रही है, गैर आदिवासी वर्ग में उससे कई गुना राशि व्यय की जा रही है, जिससे आदिवासी वर्ग का समुचित विकास नहीं हो पा रहा है, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि इस पर सतत् निगरानी रखें और इस पर रोक लगाने का प्रयास करें ।
माननीय सभापति महोदय, आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनाओं के अंतर्गत हितग्राही मूलक योजनाएं संचालित की जाती हैं, अनुच्छेद 275 एक में अभिनव योजना अंतर्गत आर्थिक विकास सह प्रशिक्षण उद्योग जैसी योजनाओं का क्रियान्वयन एन.जी.ओ. के माध्यम से जो किया जा रहा है, एन.जी.ओ. द्वारा जो डीपीआर बनाया जाता है, वह परियोजना सलाहकार मण्डल से अनुमोदित होकर संचालक कार्यालय आता है, वहां उस डीपीआर को देखने के लिए कोई तकनीकी अमला नहीं है, बिना प्राक्कलन के, बिना टीएस के वह सम्मिट कर दिया जाता है और अनुमोदित होकर क्रियान्वयन के लिए चला जाता है, जिससे इसमें बहुत सारी धन राशि का अप-व्यय होता है, इस ओर भी विशेष तौर से ध्यान देने की जरूरत है, आदिवासी विकास परियोजना के माध्यम से, अधोसंरचना के कार्य और विद्युतीकरण के कार्य कराए जा रहे हैं, वह कार्य आदिवासी वर्ग के नाम पर गैर- आदिवासी वर्ग को लाभ दिया जा रहा है, इस पर भी सतत् निगरानी की जरूरत है कि आदिवासी विकास परियोजनाओं का पैसा जिस परियोजना क्षेत्र में खर्च होना चाहिए वह उस परियोजना क्षेत्र से बाहर व्यय किया जा रहा है, इस पर भी रोक लगाए जाने की आवश्यकता है । आदिवासी परियोजना द्वारा हितग्राही मूलक, रोजगार मूलक योजनाएं संचालित की जा रही हैं, उसका लाभ आदिवासी भाईयों को ठीक तरह से मिल रहा है कि नहीं मिल रहा है, अभी तक विभाग ने कोई फीडबैक नहीं लिया है, करोड़ों रूपए आदिवासियों के नाम पर खर्च किए गए हैं, मेरा ऐसा मानना है कि प्रदेश में एक भी ऐसा आदिवासी नहीं है, जो गरीबी रेखा से इन योजनाओं का लाभ लेकर बीपीएल से एपीएल की श्रेणी में आया हो, इसका फीडबैक लेकर इनका क्रियान्वयन ठीक तरह से हो रहा है कि नहीं हो रहा है, धरातल पर इसको देखने की आवश्यकता है ।
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहूंगा, आदिवासी आश्रम शालाओं और स्कूल भवनों की जितनी भी स्वीकृति नए सिरे से दे रहे हैं, जब स्वीकृति दी जाती है, बजट आपका लेप्स हो रहा है, भवन के साथ - साथ बाउन्ड्रीवाल और बाउन्ड्रीवाल के साथ साथ बिजली और पानी की व्यवस्था का निर्धारण भी उसी समय कर दिया जाए, ताकि बाद में कोई तकलीफ न हो ।
सभापति महोदय- उइके साहब समाप्त करें, मैंने आपसे पहले ही कहा, वह आप कह नहीं रहे हैं, अपने क्षेत्र की बात करें ।
श्री संजय उइके- जी, अपने क्षेत्र की बात रखता हूं, मेरे विधानसभा क्षेत्र के हाईस्कूल कंदई, टंटाटोला एवं गुदमा का उन्नयन किया जाए और टंटाटोला में एक कन्या आश्रम की स्थापना की जाए, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए, धन्यवाद ।
05:59 बजे अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के लिए स्वल्पाहार विषयक
सभापति महोदय- माननीय सदस्यों के लिए सदन की लॉबी में स्वल्पाहार की व्यवस्था की गई है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधा अनुसार स्वल्पाहार ग्रहण करने का कष्ट करें ।
वर्ष 2016-17 की अनुदान मांगों पर मतदान (क्रमश:)
श्री कलेश्वर पटेल(सिहावल)- माननीय सभापति महोदय, जैसा कि कई साथियों ने उल्लेख किया है कि आदिवासी विकास परियोजना हो, अथवा आदिम जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत जो भी प्रदेश सरकार द्वारा योजनाएं संचालित की जा रही हैं, इसमें काफी भ्रष्टाचार है, मेरे क्षेत्र से ही संबंधित है, जो छात्रावास संचालित हैं, वहां पर हम समझते हैं कि सबसे घटिया किस्म की सामग्री सप्लाई की जा रही है । अगर आप बात करेंगे चादर बेडशीट से लेकर जो भी सामग्री यह कहांसे सप्लाई होते हैं कौन इसका निर्धारण करता है समझ से परे है । पर ऐसा लगता है कि अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के लिए सरकार ने कुछ अलग से व्यवस्था बनाकर रखी है, इस प्रकार की विसंगति नहीं होनी चाहिए. जिस एजेन्सी से भी सप्लाई हो, वह अच्छी होना चाहिए. उनको भी यह लगना चाहिए कि हम आदिवासियों के छात्रावास में अनुसूचित जाति छात्रावास में अध्ययनरत् हैं, हमें भी जैसे दूसरे छात्रावास में सरकार के द्वारा व्यवस्था की जाती है, तो सामग्री गुणवत्तापूर्ण होनी चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक पोखरा ग्राम आदिवासी छात्रावास है, बालिका छात्रावास हैं, यहां आठवीं तक छात्राएं अध्ययनरत् हैं. वहां पर बैड नहीं हैं, हमने विजिट किया है, देखा है. एक पलंग पर दो बच्चियां सो रही हैं. यह तो हम समझते हैं कि अन्याय है, एक बैड पर दो बच्चियां सो रही हैं और वहीं पर, जो बालक छात्रावास है. वहां पर भवन बना हुआ है और मेरी समझ से बैड वगैरह की समस्या होगी लेकिन छात्र संख्या कम है और अतिरिक्त कक्ष खाली पड़ा हुआ है. मेरा निवेदन है माननीय मंत्री जी से, आपके माध्यम से कि छात्र संख्या बढ़ा दी जाये. जहां अभाव है, वहां अतिरिक्त कक्ष निर्माण करा दिया जाये एवं अतिरिक्त बैड वगैरह दिलवा दिया जाये क्योंकि इससे काफी विसंगतियां हो रही हैं. दूसरी तरफ जो आदिवासी विकास परियोजनाएं संचालित हैं. चाहे कुसुमी विकास परियोजना हो एवं चाहे दौसर विकास परियोजना हो- दोनों जगह एक को अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर ले गए हैं, जिस तरह से काम करना चाहिए, नहीं करते हैं, वे विभाग को कुछ नहीं समझते हैं.
सभापति महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी, आपके माध्यम से निवेदन है कि थोड़ा होशियार अधिकारी बिठाइये. जो विभाग को समझते हों, गरीबों की भावना को समझते हों और इस तरह से बंदरबांट नहीं होनी चाहिए. अब सिंगरौली जिले में जो देवसर विकास परियोजना है, वहां पर एक ही अधिकारी के पास सहायक आयुक्त है, वे ट्रायबल विभाग के भी ए.सी. हैं और वही आदिवासी विकास परियोजना में भी हैं. उनके पास एक सहायक बाबू है और एक चपरासी है. वह जिला मुख्यालय देवसर में बैठते हैं, आदिवासी विकास परियोजना का ऑफिस देवसर में है. वहां कोई कर्मचारी नहीं है तो ये हालात है. हमने कई बार देखा है कि आप भी जिले से संबंध रखते हैं.
सभापति महोदय - समाप्त कीजिये. आपने बहुत ज्यादा समय ले लिया.
श्री कमलेश्वर पटेल - अभी आपने कहा, अपने जिले तक, अपने विधानसभा क्षेत्र तक सीमित करें. क्षेत्र की बात तो करने दीजिये.
सभापति महोदय - जल्दी समाप्त कीजिये.
श्री कमलेश्वर पटेल - सभापति महोदय, जो समस्या है, हम उसी पर आ गए हैं. मेरी विधानसभा क्षेत्र दो जिले में है- सिंगरौली जिला एवं सीधी जिले का भी पार्ट आता है. जिस तरह की आदिवासी विकास परियोजना हो या ट्रायबल विभाग में जिस तरह से राशियों का आवंटन किया जाता है, जिस तरह से भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है, जहां के लिये राशि जाती है वहां वह खर्च नहीं होती है, मनमानी करते हैं. विधायकों से प्रस्ताव लेते हैं और आदिवासी विकास परियोजनाओं के अन्तर्गत बैल वितरण एवं कृषि यंत्र वितरण का प्रावधान है. एक ही पंचायत में सारी सामग्री वितरित कर देते हैं, आदिवासियों के कई गांव हैं, वे वहां वितरित न कर, इस तरह से प्रयोजन करते हैं कि सारी सामग्री बड़े लोग ले लेते हैं, गरीबों के पास पहुँचता ही नहीं.
सभापति महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल - सभापति महोदय, मैं एक मिनट में अपनी बात करूँगा. कुछ सुझाव हैं, एक तो माननीय मंत्री जी से, आपके माध्यम से निवेदन करूँगा कि जिस तरह से, मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के ऊपर अत्याचार हो रहा है, जिस तरह से पूरे प्रदेश में इस वर्ग के लोग अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं तो मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि उन्हें न्याय दिलाने के लिए, यदि विशेष न्यायालय की हर जिले में स्थापना हो जाये तो मैं समझता हूँ कि उनको ज्यादा परेशानी नहीं होगी और लोगों को न्याय दिलाने में आसानी होगी.
सभापति महोदय - पर्याप्त है, समाप्त कीजिये.
श्री कमलेश्वर पटेल - सभापति महोदय, हमारे साथी जब लारिया जी बोल रहे थे तो पता नहीं कहां-कहां.
सभापति महोदय - आप अपनी पार्टी के नेताजी से बात कर लीजिये.
श्री कमलेश्वर पटेल - सभापति महोदय, हमारे नेताजी ने भी बात की है, पर जब बात करते हैं एक तरफ अम्बेडकर जी की बात करते हैं और सन्त रविदास जी का महाकुंभ बुलाने की बात करते हैं, दूसरी तरफ, गरीब परिवारों को जो आरक्षण मिला हुआ है, उसे खत्म करने के लिए आन्दोलन चलाकर रखे हैं. हम यह समझते हैं कि महोत्सव मनाने से कुछ नहीं होगा. उनकी भावनाओं के साथ सरकार खिलवाड़ न करें. जो पर्दे के पीछे काम कर रही है, सरकार को उससे बाहर आना चाहिए, नहीं तो कोई मतलब नहीं निकलेगा. धन्यवाद.
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी) -- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 15,33,41,42,49,52 ,53,64 और 68 के विरोध में और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं बहुत जल्दी अपने क्षेत्र से ही संबंधित बातें करुंगा. मेरे क्षेत्र ब्यौहारी, जिसमें जनपद पंचायत जयसिंह नगर सम्मिलित है. जिसमें बैगा जाति के लोग निवासरत् हैं और काफी उनकी संख्या है. शासन द्वारा प्रदत्त कल्याणकारी योजनाओं का लाभ शासन की मंशानुरुप वहां के लोग प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं. इस क्षेत्र में बैगा प्रोजेक्ट लागू किये जाने से विशेष पिछड़ी जनजाति का एक अच्छा उत्थान हो सकता है. इस जाति का आज भी मानक स्तर पर जो विकास होना चाहिये, वह आज भी विकास नहीं हो पा रहा है. शिक्षा के क्षेत्र में इस जाति के छात्र काफी पीछे हैं. इनके उन्नयन हेतु मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि जिस तरह से शहडोल जिले में आपने सोहागपुर में एक बैगा प्रोजेक्ट लागू किया है, मेरी भी इच्छा है कि आप जयसिंह नगर ब्लाक में काफी बैगा जाति के लोग निवासरत् हैं, वहां पर भी अगर बैगा प्रोजेक्ट लागू करेंगे, तो वहां के भी बैगा जाति के लोगों का आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, सांस्कृतिक कई तरह का अच्छा विकास होगा. दूसरी चीज मैं यह भी कहना चाहूंगा कि प्रतिवेदन मैं आपने जैसा कहा कि अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिये शिक्षा की योजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है. ऐसी प्राथमिकता को दृष्टिगत रखते हुए मेरा अनुरोध है कि मेरे क्षेत्र में कई ऐसे ट्राइबल के स्कूल माध्यमिक स्कूल से हाई स्कूल और हाई स्कूल से हायर सेकेण्ड्री में अगर उनका उन्नयन कर देंगे तो कई छात्र छात्राओं को लाभ होगा, चूंकि उन स्कूलों की दूरियां काफी हैं. जैसे माध्यमिक स्कूल से हाई स्कूल उन्नयन हेतु ग्राम छतेनी, नगनोड़ीढूरा एवं हाई स्कूल से हायर सेकेण्ड्री स्कूल उन्नयन हेतु टिहकी, झिरियाटोला का नाम शामिल किया जाये, तो बहुत अच्छा होगा. मेरे क्षेत्र में संचालित निजी विद्यालयों में आरटीई के तहत प्रवेश नहीं दिया जा रहा है. जिससे विभाग द्वारा शैक्षणिक उत्थान की कठिनाई हो रही है. आरटीई की धारा 12 (1) क का निजी स्कूलों द्वारा शत प्रतिशत उल्लंघन किया जा रहा है. विद्यालयों में स्थाई शिक्षकों की व्यवस्था नहीं है, चाहे हाई स्कूल हो, चाहे हायर सेकेण्ड्री हो, चाहे आपके माध्यमिक विद्यालय हों.
सभापति महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री रामपाल सिंह -- मैं बहुत जल्दी समाप्त कर रहा हूं. स्थाई शिक्षकों की व्यवस्था नहीं होने से शिक्षा के उत्थान में आज भी यह बाधक बना हुआ है. मंत्री जी से मैं अनुरोध करुंगा कि शिक्षकों की व्यवस्था की जाय, जिससे एक विकास होता है. अनुसूचित जनजाति के कल्याण हेतु निर्माण कार्य हेतु प्रतिवेदन में उल्लेखित छात्रावास, आश्रम शाला, हायर सेकेण्ड्री स्कूलों के भवनों के निर्माण का उल्लेख है. मंत्री जी, मैं बताना चाहूंगा कि जैसे आपका तिखवा है. मंत्री जी, तिखवा आपके माडा में आता है और तिखवा में समझ लीजिये जंगल के किनारे बसा हुआ है, जहां पर सुअर भी आते हैं, शेर भी आते हैं, लेकिन वहां बाउंड्रीवॉल नहीं है, उन आदिवासी छात्रावासों में. इसी तरह से बनसुखली के छात्रावास में नहीं है और न ही वहां आदिवासी छात्रों के लिये शुद्ध पेयजल है. आपके विभाग में अरबों खरबों रुपये बजट आज नहीं हमेशा से आता है. कहां जाता है, उन आदिवासियों के लिये क्यों नहीं किया जाता. अगर ऐसा कर देंगे, तो छात्र बीमार नहीं पड़ेंगे, स्वच्छ पेयजल पीयेंगे और बाउंड्रीवाल आदि यह सब करना चाहिये. इसी तरह से मैं यह कहना चाहूंगा कि आपके सामुदायिक भवन के लिये कई ऐसे गांव है जैसे छिरियामडी, घाटी डोंगरी, बनचाचर,बोरीकला में सामुदायिक भवनों की आवश्यकता है. अनुसूचित जनजाति हेतु ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत एकल बत्ती कनेक्शन, पम्पों का ऊर्जीकरण तथा मजरे टोलों के विद्युतीकरण हेतु ब्यौहारी विधान सभा क्षेत्र का सर्वे कराया जाकर, हमारे क्षेत्र के कई ऐसे गांव हैं, जहां इन योजनाओं को क्रियान्वित कराया जाये.
सभापति महोदय -- कृपया बैठ जायें. श्री वीर सिंह पंवार.
श्री वीरसिंह पंवार (करवाई) -- सभापति महोदय, मैं मंत्री जी द्वारा जो बजट की मांगें पेश की गयी हैं, उनकी बजट की मांगों के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. मुख्यमंत्री जी एवं मंत्री जी के मार्गदर्शन में जो अनुसूचित जाति और जनजाति के उत्थान के लिये विशेष प्रकार के कार्य किये जा रहे हैं, उनके लिये मैं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. मंत्री जी के द्वारा मेरे क्षेत्र कुरवाई में सौ सीटर छात्रावास का अभी निर्माण कार्य चल रहा है, वह बहुत ही अच्छी गुणवत्तापूर्ण है. मेरे ही क्षेत्र के पठारी कसबे में एक अम्बेडकर भवन का निर्माण का कार्य चल रहा है. वह भी काफी अच्छे तरीके का कार्य चल रहा है. मंत्री जी, मेरे क्षेत्र में 2-3 बातों की कमी है. वह मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं. हमारे क्षेत्र में एक चिड़ार करके करके जाति है. उनका पेशा कोटवारी करने का था जो शासन के द्वारा चौकीदार बनाये जाते थे वो लोग कोटवारी का काम करते थे किन्ही कारणवश पुराने रिकार्ड में उनका कोटवार शब्द जाति में जोड़ दिया गया है जब कि अनुसूचित जाति की जो सूची है उसमें कोटवार का कहीं कोई उल्लेख नहीं है इसलिये उनके बच्चों को जाति प्रमाण पत्र लेने में और शासकीय योजनाओं का लाभ लेने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. मंत्री जी से निवेदन है कि रिकार्ड में सुधार करवाकर के जो चिढ़ार जाति के है उनकी चिढ़ार जाति अंकित करवाने की कृपा करें. कोटवार जो शब्द जुड़ा हुआ है इस संबंध में मैंने वहां के राजस्व अधिकारी से बात की है उनका कहना है कि हमारे पास जो सूची है उसमें इनका नाम नहीं है हम किस जाति में ले, तो मंत्री जी से निवेदन है कि बहुत कम संख्या में यह लोग हैं कहीं 1 परिवार है, कहीं 2 परिवार हैं और कहीं पर 3 परिवार हैं तो मंत्री जी इस पर विशेष ध्यान देकर के समस्या का निराकरण करायेंगे.
माननीय सभापति महोदय मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि कुरवाई विधानसभा क्षेत्र में उदयपुर पंचायत है जिसमें मोगिया समाज के कुछ लोग हैं उसमें मोगिया या मोंगिया लिखते हैं , इसमें भी विवाद की स्थिति है. वहां के राजस्व अधिकारी कहते हैं कि पुराना रिकार्ड उपलब्ध कराये, कुछ लोगों के पास में तो राजस्व रिकार्ड है कुछ लोगों के पास में रिकार्ड भी नहीं है, न ही उनको अनुसूचित जाति का और न ही अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र मिल पा रहा है. मंत्री जी इसका परीक्षण कराकर के जो भी उनकी उचित जाति हो उस जाति का उनको प्रमाण पत्र दिलाने का प्रयास करें जिससे कि उनको शासकीय सुविधाओं का लाभ प्राप्त हो सकें. मंत्री जी कुरवाई में कन्या छात्रावास है उसकी अधीक्षिका आपके विभाग की है, वह अपने परिवार सहित छात्रावास में निवास करती है. उसका पति गलत आचरण-कदाचरण करता है, हमारी छोटी किशोर बहनें वहां पर जो रहती हैं उन्होंने कई बार मुझसे उसकी शिकायत की है कि यहां पर ..
सभापति महोदय-- यह बात तो आप मंत्री जी को मिलकर के बता दें. कृपया समाप्त करें.
श्री वीर सिंह पंवार-- मंत्री जी से निवेदन है कि इस समस्या पर भी वे विचार करेंगे.मंत्री जी हमारे क्षेत्र में अनुसूचित जाति अथवा जनजाति के भाईयों को कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम करने हेतु, धार्मिक कार्यक्रम हेतु , अन्य कार्यक्रम हेतु कोई बड़ा हाल नहीं है. मंत्री जी से अनुरोध है कि कुरवाई में एक हाल की स्वीकृति प्रदान करने की कृपा करेंगे. माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि हमारे विधानसभा क्षेत्र में जो बालक छात्रावास है उसमें वाउन्ड्रीवाल का निर्माण नहीं है जिसके कारण कई असामाजिक तत्व शाम होते ही वहां पर एकत्रित हो जाते हैं उस बालक छात्रावास की वाउन्ड्रीवाल का निर्माण करवाने की स्वीकृति प्रदान करेंगे. माननीय सभापति महोदय, आपने मांगों पर अपनी बात रखने का मुझे अवसर प्रदान किया इसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल(कुक्षी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 15, 33, 41, 42, 49, 52, 53, 64 एवं 68 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. सभापति महोदय यह बात तो हम सबको जानना और समझना पडेगी कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को विकास की प्रमुख धारा में जोड़ने का काम कांग्रेस ने ही किया है, कांग्रेस ने इनको आरक्षण दिया और हम लोगों को विकास की धारा से जोड़ा. माननीय सभापति महोदय, समय का अभाव है इसलिये मैं ज्यादा न कहते हुये अपने विधानसभा की कुछ समस्याओं की तरफ माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहूंगा और आशा करूंगा कि मंत्री जी अपने वक्तव्य में मेरी मांगों पर स्वीकृति की बात करेंगे.
माननीय सभापति महोदय, हमारे विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आदिवासी बालक आश्रम लिंगवा, नायकड़ा छात्रावास डही, सामुदायिक बालक छात्रावास डही, उत्कृष्ठ बालक छात्रावास डही, नवीन प्राथमिक विद्यालय शीतलामाता, कुक्षी, शासकीय हाई स्कूल कापसी का उन्नयन उच्चतर माध्यमिक में किया जाये, निरसपुर विकासखंड में खेल परिसर एवं छात्रावास की स्वीकृति प्रदान की जाना बहुत आवश्यक है , मंत्री जी से आशा है कि जल्दी ही इनकी स्वीकृति के आदेश जारी करेंगे. इसके साथ ही कुक्षी विधानसभा में अधिकतर छात्रावास के भवन काफी जर्जर अवस्था में हैं , कभी भी बड़ी दुर्घटना वहां हो सकती है इसलिये या तो उनको दुरस्त किया जाये या नवीन छात्रावास की स्वीकृति प्रदान की जाये. इसी तरह से वहां पर पानी की व्यवस्था भी नहीं है तो पानी की व्यवस्था करते हुये वहां पर सोलर पंर दिये जाने की कृपा करें.
माननीय सभापति महोदय, मेरी विधानसभा क्षेत्र में जिन बालक-बालिकाओं के छात्रावास की स्वीकृति हुई है उनका काम अभी तक प्रारंभ नहीं हो पाया है कृपा करके मंत्री जी उन छात्रावासों का कार्य भी जल्दी से जल्दी प्रारंभ कराने की व्यवस्था करेंगे. उद्योग और वाहन के लिये जो ऋण और सबसीडी शासन की तरफ से उसका कोटा बढ़ाया जाये और हितग्राहियों को जो बैंक के चक्कर लगाने पड़ते हैं उस परेशानी से उनको दूर किया जाये. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के जो अधिकारी हैं उन पर जो विभागीय जांच या कार्यवाही हो चुकी है, मेरा मंत्री जी को सुझाव है कि आप प्रशासनिक स्तर पर एक समिति का गठन करके उन प्रकरणों का जल्दी से जल्दी निराकरण करवायें. सभापति महोदय मेरी विधानसभा से लगे आसपास के क्षेत्र भी आदिवासी हैं, वहां पर एक ट्रायवल यूनिवर्सिटी बनाई जाये ताकि वे लोग वहां पर अपनी परम्परा, अपनी संस्कृति के बारे में जान सकें पढ सकें और अन्य विषयों का भी अध्ययन कर सकें.....
सभापति महोदय-- ठीक है, अब समाप्त करें.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल-- प्रमोशन रोस्टर का पालन नहीं किया जा रहा है, मनमानी कर पदोन्नति की जा रही है तो उस पर भी ध्यान मंत्री महोदय का जाना चाहिये. आईटीडीपी योजना में भी बजट की राशि कम है, उस राशि को भी बढ़ाया जाना चाहिये. होस्टल में जो बच्चियां वह सुरक्षित नहीं है, मेरी विधानसभा का मामला था, मैंने पहले भी आपसे चर्चा की चिट्ठी भी लिखी थी और आपने विधानसभा में बताया था कि आप क्रीड़ा अधिकारी को हटा देंगे, आज तक जिस बालिका ने सोसाइट कर लिया था उसकी पत्नी को दूसरा होस्टल दे दिया और उस क्रीड़ा अधिकारी को आपने वहीं पर रखा हुआ है तो मैं समझता हूं इस पर आपके प्रति प्रश्न चिन्ह लगता है आपकी गंभीरता पर प्रश्न चिन्ह लगता है कि आप आदिवासियों के प्रति गंभीर नहीं है, इसमें भी आपको ध्यानपूर्वक यदि आपने किया है तो उस पर कार्यवाही आपको करना चाहिये. सरकार आपकी हो या हमारी हो फोकस हमारा इस बात पर रहना चाहिये कि कैसे हम अपनी योजनाओं को उस अंतिम व्यक्ति तक पहुंचा पायें और ज्यादातर विकास प्रदेश में और क्षेत्र में करवा पायें, धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा)-- माननीय सभापति महोदय मैं बहुत ही संक्षेप में बोलना चाहता हूं. माननीय मंत्री जी श्यामगढ़ जो सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में आता है वहां पर अजा छात्रावास, कन्या छात्रावास 8 साल पहले 21 लाख रूपया खर्च करे गये और उसमें सिर्फ नींव भरी हुई है और 21 लाख रूपये पूरे धूल में मिल चुके हैं उसकी जांच करा ली जाये कि उसमें कितना रूपये स्वीकृत हुआ था और उसको अगर बिल्डिंग पूरी बननी है तो और रूपये आप स्वीकृत कर सकते हैं या उसके लिये क्या करना है उस पर कार्यवाही करें जिससे उसका निकाल हो सके. दूसरी बात है कि आप जिस विभाग की बात चल रही है वहां पर आंदोलन हुये हैं कि वहां पर अजा वर्ग के जो चमार शब्द लगाया जाता है, यहां पर एक राजस्व विभाग का मामला है आज उसको मेघवाल समाज के लिये मांग की जाती है, चमार शब्द को विलोपित कर मेघवाल समाज लिखा जाये यह बहुत जबरदश्त मांग है इसके लिये मध्यप्रदेश तक धरने देने का प्रोग्राम बनाया जा रहा है, इस पर आप ध्यान देंगे तो बहुत बड़ी बात होगी. मेरा एक ओर निवेदन है कि इंदिरा आवास के लिये एक वेटिंग सूची बनती है जिसमें.....
श्री रामनिवास रावत-- राजस्व अभिलेख में अभी भी लिखा जाता है.
श्री हरदीप सिंह डंग-- हां अभी भी लिखा जाता है. चमार शब्द लिखा जाता है.
श्री रामनिवास रावत-- मंत्री जी इस पर विचार कर लें, राजस्व प्रलेख में अभी भी लिखा जाता है इसको देख लें.
श्री हरदीप सिंह डंग-- इसको विलोपित किया जाये और यह पहले भी मांग की गई है इसको थोड़ा आप गंभीरता से लें, कि इसको विलोपित कर मेघवाल समाज लिखें, चमार शब्द को विलोपित किया जाये. दूसरा जो वेटिंग लिस्ट में नाम रहता है इंदिरा आवास के लिये उसमें कई गरीब अजा वर्ग के व्यक्तियों के नाम छूटे हुये हैं, ग्रामसभा के माध्यम से चिन्हित करके उनका नाम वेटिंग लिस्ट की प्रतीक्षा सूची में जोड़ा जाये जिससे उसको इंदिरा आवास का लाभ मिल सके और मुख्यमंत्री आवास का लाभ उनको मिल रहा है जो सक्षम आदमी है जो 50 हजार रूपये जमा कर सकते हैं, पर इंदिरा आवास का लाभ उसको मिल सकता है जो विचारे भर नहीं सकते हैं इसलिये वेटिंग सूची में उन गरीबों का नाम जोड़ा जाये जिससे उनको सहूलियत होगी और कपिल धारा के कुयें हमारे क्षेत्र में 3 व्यक्तियों को मिलाकर एक कुआं दिया जा रहा है, जबकि दूसरे क्षेत्र में प्रत्येक व्यक्ति को कपिलधारा का कुआ दिया जाता है और हमारे यहां 3व्यक्तियों को मिलाकर कुआ दिया जा रहा है, इस पर आप ध्यान दें. वर्ष 2012 और 2013 में जिनको प्रथम किश्त मिल चुकी है आज तक सेकेंड किश्त नहीं मिली है न वे घर के रहे न घाट के. वर्ष 2012-13 में जिन्होंने काम कराया था वह भी पूरा मिट्टी में मिल चुका है इसलिये उनको सेकेण्ड किश्त जल्दी से दी जाये ताकि काम आगे बढ़ाया जा सके. मेरा मानना है कि अजा बस्तियां जो भी हैं वह आज भी लगता है इसके कारण पिछड़ रहीं हैं कि उनको कांग्रेसी वोट माना जाता है, इसलिये उनका जो विकास होना चाहिये, जो पानी की सुविधायें होना चाहिये, जो सीसी रोड़ बनने चाहिये वह आज तक नहीं बन पा रहे हैं. राजीवगांधी विद्युतीकरण योजना जो अजा बस्ती तक जाना चाहिये वह अभी तक नहीं पहुंच पाई है, इसको भी शीघ्र पहुंचायें तो बहुत बड़ी मेहरबानी होगी. आपने बोलने का मौका दिया धन्यवाद.
श्रीमती सरस्वती सिंह(चितरंगी)--सभापति महोदय, मैं मांग संख्या का विरोध करते हुए अपनी बात कहना चाहती हूं.
सभापति महोदय, मैं अपने चितरंगी विधानसभा के संबंध में कुछ मांगे रखना चाहती हूं. माननीय मंत्रीजी मेरे चितरंगी विधानसभा क्षेत्र से बहुत अच्छी तरह से परिचित हैं. मेरे सभी क्षेत्र ट्रायबल विभाग से जुड़े हुए हैं. मेरे चितरंगी विधानसभा में 115 पंचायतें और लगभग 300 गांव हैं जो सभी आदिवासी क्षेत्र हैं. मेरे यहां अनुसूचित जाति और जनजाति बाहुल्य क्षेत्र हैं. मेरे यहां के 10वीं और 12 वीं के बच्चों को पढ़ने के लिए 70 किमी सिंगरोली जाना पड़ता है. मैं निवेदन करना चाहती हूं कि वहां पोस्ट मेट्रिक छात्रावास खोला जाये ताकि बच्चों को सुविधा मिल सके.
सभापति महोदय, ग्राम पिडरिया में शासकीय हाई स्कूल संचालित है. पिडरिया से चितरंगी की दूरी 12 किमी है और वहां अनुसूचित जनजाति का होस्टल बना हुआ है, वहां जाना पड़ता है. मैं चाहती हूं कि पिडरिया में ही एक कन्या/बालक छात्रावास खोला जाये ताकि बच्चों को ज्यादा सहुलियत मिले.
सभापति महोदय, इसी प्रकार ग्राम लमसरई में हायर सेकंडरी स्कूल खुला है. वहां से छात्रावास की दूरी 40 किमी है. मैं चाहती हूं कि एक छात्रावास लमसरई में खोला जाये ताकि अनुसूचित जनजाति के बच्चों को सहुलियत मिल सके.
सभापति महोदय, मैं विकास के संबंध में बात कहना चाहती हूं. मेरा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य है. हमारे गांव के जो आदिवासी स्कूल हैं सिधार,पिडरिया,नौगई,बूढाडोल जो रोड़ के किनारे बने हैं, उनमें बाऊंड्री वॉल नहीं है, मैं चाहती हूं कि उसमें तत्काल बाऊंड्री वॉल बनायी जाये.
सभापति महोदय, मेरे यहां अनुसूचित जाति के छात्रावास खोले गये हैं जो 50 सीट के हैं उनको बढ़ाकर 100 सीटों का कर दिया जाये. मैं चाहती हूं कि इस संबंध में मंत्रीजी आज ही सदन में घोषणा करें. इसी तरह से अऩुसूचित जनजाति के बच्चों के छात्रावास भी 50 सीट के हैं उनको भी बढ़ाकर 100 सीटों का कर दिया जाये तो हमारे बच्चों पर बड़ी मेहरबानी होगी.
सभापति महोदय, विकास योजना से संबंधित देवसर परियोजना है मैं निवेदन करना चाहती हूं कि हमारी आदिवासी बस्ती में ही रोड़ बनायी जाये. जैसे हमारे बसनिया,बोदाखूटा आदिवासी बस्ती में पीसीसी निर्माण कराया जाये. हमारे कई आदिवासी क्षेत्रों में विद्युत की व्यवस्था नहीं है. कई मजरे-टोले छूट गये हैं. मैं चाहती हूं कि विकास के कार्यों में इसको भी जोड़ा जाये. धन्यवाद.
सभापति महोदय--श्रीमती ऊषा चौधरी...एक मिनट में अपनी बात कहिये.
श्रीमती ऊषा चौधरी(रैगांव)--सभापति महोदय, सब भूमिका बनाते हैं, सबकी बात सुनते हैं जब मैं खड़ी होती हूं तो आप पहले ही टोक देते हैं.
सभापति महोदय--आपने नाम भी बाद में दिया है.
श्रीमती ऊषा चौधरी--सभापति महोदय, मैं आज सदन में नहीं थी. आज हमारे मसीहा मान्यवर कांशीराम साहब, बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक की जयंती थी इसलिए उस कार्यक्रम में गई थी. अभी आयी हूं.
सभापति महोदय--विषय पर बोलिये.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- मैं विषय पर ही बोलूंगी. आज मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति,जनजाति छात्रावास की जो हालत है, वह किसी से छुपी नहीं है. अभी तमाम लोग कह रहे थे कि मुख्यमंत्री महोदय ने हमारे लिये यह किये. बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम से, संत रविदास जी के नाम से यह किया लेकिन आज से 8 सौ साल पहले संत रविदास जी ने राजपाठ की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि ऐसा चाहू राज जहां मिले सबन को अन्न, और ऊंच-नीच सब बसे, रविदास रहे प्रसन्न. लेकिन आज आदिम जाति कल्याण विभाग की यह हालत है कि छात्रावास में रसोई के बगल में बाथरुम हैं, वे बदबू मारते हैं उस परिस्थिति में अनुसूचित जाति के बच्चे पढ़ाई करते हैं. खाने की हालत यह है कि चॉवलों में कीड़ा रहता है. मैं आपको सतना जिले की बात बता दूं. बढ़हईटोला छात्रावास में 30बच्चियों के खाने में सल्फास जहर था. वह बच्चियां जिला चिकित्सालय में भर्ती करायी गई. सौभाग्य था कि वे बच गई. यह हालत आपके आदिम जाति कल्याण विभाग की है. इसमें सुधार लाया जाये.
सभापति महोदय, ये समाज के अंतिर छोर के बच्चे हैं. आरक्षण के तहत आते हैं तो इनके खाने-पीने की व्यवस्था, इनके रहन-सहन की व्यवस्था, उच्चतर स्तर की गुणवत्ता देखकर की जाय और किसी की भी सरकार रही हो, चाहे कांग्रेस की हो, चाहे भाजपा की हो, आरक्षण के तहत संविधान के प्रावधानों में अनुसूचित जाति, जनजाति के बच्चों को पढ़ाई के लिए छात्रावास में रखा गया, न कि किसी ने अहसान किया. क्योंकि संविधान में प्रावधान है. लेकिन आप बजट 300 करोड़ रुपए सिंहस्थ के लिए देते हैं. इसका बजट मैंने लाख में देखा है . मैंने अभी यह बुक में देखा है. इतना बजट है और अहसान जताते हैं कि हमने अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए यह किया. माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान ने यह किया, क्या किया? कितना आपने बजट बढ़ाया, जो समाज निचले तबके का है, उसको बढ़ाने के लिए, उसकी शिक्षा की गुणवत्ता लाने के लिए, उसका उच्च स्तर का जीवन जीने के लिए उसको अच्छी शिक्षा मिले तो वह जब अच्छा खाएगा, अच्छा पीएगा तब तो वह आगे आएगा, तब तो देश आगे जाएगा.
सभापति महोदय, मैं अपने क्षेत्र की बहुत सारी बातें नहीं कहना चाहती हूं, लेकिन इतना कहना चाहती हूं कि आज भोपाल में ही मंडीदीप में गौतमपुरा कालोनी में अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को वर्ष 1958 से सरकार ने उन्हें बसाया है. आज तक उन कालोनियों का पट्टा अनुसूचित जाति के लोगों को नहीं दिया गया. उनके लिए कोई भी सरकारी जो नियम है उसके कोई काम नहीं हो पाते हैं. इसी तरह जिला होशंगाबाद के महादेरा ग्राम में बसे हुए लोगों को भी पट्टा नहीं दिया गया है. डेम बनवाने के चक्कर में उनको वहां से हटाया जा रहा है. जो 50 सालों से बसे हुए लोग हैं, वह गरीब लोग कैसे अपना आशियाना बनाएंगे तो यह हालत मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों की है.
माननीय मुख्यमंत्री महोदय घोषणा करते हैं कि बसे हुए लोगों को हम पट्टा देंगे, उनका आशियाना बनाएंगे. परन्तु इसमें जमीनी सुधार लाने की जरूरत है. सभापति महोदय, अनुसूचित जाति के विभाग में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को 6-6 महीने तक वेतन नहीं मिलता है. उसमें 19 सालों से जो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं, उनको नियमित भी नहीं किया गया है. अभी 2 महीने पहले न्यायालय के आदेश से उनको नियमित करने के लिए आदेश आया है तो मंत्री महोदय से मैं यह कहना चाहूंगी कि उन चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को नियमित किया जाय. दूसरा, जो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं जो 70-70, 100-100 लड़के कलेक्टर रेट पर रसोइए हैं, खाना बनाते हैं लेकिन उनको तनख्वाह 4000 रुपए प्रतिमाह दी जाती है, वह भी 6-6 महीने नहीं दी जाती है. वे कैसे अपना परिवार चलाएंगे? वे कैसे अपने बच्चों को पढ़ाएंगे? सभापति महोदय, एक बात और कहकर मैं अपनी बात समाप्त करूंगी कि आदिम जाति कल्याण विभाग से जो अनुसूचित जाति की बस्तियों में काम कराए जाते हैं उसमें जो नियम बना दिया गया है कि 50 परसेंट आबादी होनी चाहिए, इस नियम को खत्म करके 25 परसेंट का नियम बनाना चाहिए कि 25 परसेंट की आबादी हो. क्योंकि मजरे-टोले बने रहते हैं और मेरे विधान सभा क्षेत्र में 1 साल ही नहीं, जब से मैं विधायक बनी हूं, 2 साल में आदिम जाति कल्याण विभाग से 1 भी सीसी रोड नहीं बनी है, न ही विद्युतीकरण हुआ है, न ही ऐसा कोई काम हुआ है. मैं यही निवेदन करना चाहती हूं कि क्योंकि माननीय मंत्री महोदय आप भी उसी समाज से आते हैं और मंत्री, सरकार में जिस तरह से अनुसूचित जाति के मंत्री होते हैं. अनुसूचित जाति विभाग के मंत्री बनाए गये हैं उसी तरह से अनुसूचित जाति विभाग में डीओ भी अनुसूचित जाति के होने चाहिए. सभापति महोदय, आपने जो बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रणजीत सिंह गुणवान - सभापति महोदय, अपने क्षेत्र की थोड़ी बात बता दें.
सभापति महोदय - आपका नाम इधर से नहीं आया है.
श्री रणजीतसिंह गुणवान -- माननीय सभापति महोदय एक मिनट का समय देदें.
सभापति महोदय -- आपके पार्टी सचेतक की तरफ से आपका नाम नहीं आया है मंत्री जी बोलें.
श्री रणजीत सिंह गुणवान -- सभापति महोदय आदिमजाति कल्याण विभाग का पैसा लैप्स हो जाता है मुझे और भी बहुत सी बातें कहना थीं लेकिन आपने समय नहीं दिया.
आदिमजाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण, मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) -- माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय सभी सदस्यों का बहुत आभारी हूं. चाहे हमारे प्रभारी नेता प्रतिपक्ष हों भाई साहब श्री बाला बच्चन जी, आदरणीय रामनिवास रावत जी, पटेल जी, आदरणीय मैडम चौधरी जी. आप सभी ने हमारे आदिमजाति कल्याण एवं अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा जो कार्यवाहियां समय समय पर की जाती रही हैं उनके संबंध में और उनके दिलो दिमाग में जो जैसा उनको लगा कि अव्यवस्था है, उस विषय पर उन्होंने बिना संकोच के अपने उदगार व्यक्त किये हैं. मैं रामनिवास रावत जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा पहली बार उन्होंने किसी दल की नहीं वास्तव में उस समाज के उत्थान केबारे में अंतर्आत्मा से सुझाव दिये हैं .
जहां तक हमारे प्रतिपक्ष के नेता है. आदरणीय भाई साहब बच्चन जी उनका कहना था कि जवाब दें, माननीय सभापति महोदय मैं उनको आपके माध्यम से कहना चाहूंगा कि ऐसा नहीं अनुसूचित जाति के संदिग्ध जाति प्रमाण पत्र छानबीन समिति के सामने 449 प्राप्त हुए थे समिति के द्वारा 259 का निराकरण कर दिया गयाहै 190 अभी भी जांच के दायरे में हैं.
सभापति महोदय जी बाला बच्चन जी का यह कहना था कि ट्रायबर से 200 वर्षों में 459 शिकायतें प्राप्त हुई हैं जिसमें से 259 का निराकरण हुआ है और 164 प्रकरणों में जाति प्रमाण पत्र निरस्त किये गये हैं. यह कहना सही नहीं है कि प्रकरणों का ढेर लगा हुआ है और उस ओर ध्यान नहीं दिया जाताहै. आपतो जानते हैं कि छानबीन समिति का दायरा कितना होता है. छानबीन समिति अपनी रिपोर्ट कहां कहां भेजती हैं, यह सब आप जानते हैं लेकिन बोलना तो है.
सभापति महोदय शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में हमारे भाई साहब बच्चन जी बड़े आंकड़े निकालकर ला दिये, अगर कोई कह दे कि पिछला क्या था तो कैसा लगेगा. सभापति महोदय जी मैं पहली बार अगर जनजाति और जाति समुदाय के बारे में इन्हीं के प्रशासनिक कार्यकाल में योजना संचालित करने में गति देने में और हमारे भईया बहनों की दशा और दिशा बदलने में अगर किसी के कार्यकाल में प्रयास हुए हैं तो वह हमारे जननायक शिवराज सिंह चौहान जी के कार्यकाल में हुए हैं. हमने बहुत मुख्यमंत्री देखें हैं, आपके ज्यादा देखें लेकिन ऐसा नहीं देखे.
माननीय सभापति महोदय जी बीमारी अनेक, आफत अनेक, यह बात सब जानते हैं, उसका एक उपाय हो सकता है, वह है शिक्षा , शिक्षा तो होना बहुत जरूरी है, अनजान अशिक्षित लोगों को हम कुछ भी दें वह क्या जाने कि क्या चीज है, किस तरह की योजना है, हम तो भाषण दे दिये पल्ले झाड़ दिये, चले जायेंगे अपने आवासों में बंगलों में, यह गलत बात है हमें बोलने तक सीमित नहीं रहना है, आगे प्रयास करना होंगे. इस दिशा में भी अगर कभी प्रयास हुए तो वह भी पहली बार, कहते हैं कि गणित के शिक्षक, साइंस के शिक्षक, बायोलाजी के शिक्षक काहे ध्यान नहीं रखा दादा भाई. क्यों ध्यान नहीं दिए दादा भाई, रहने दो 50-60 साल. क्यों ध्यान नहीं दिए आप लोग, ध्यान अगर किसी ने दिया है तो यह पहली बार हो रहा है. जो महत्वपूर्ण विषय हैं इन विषयों के अध्यापकों की व्यवस्था पहली बार माननीय शिवराज सिंह जी ने की है. पहली बार परीक्षा से पहले विषयवार शिक्षकों की तलाश की गई.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- आप पढ़े-लिखे हैं कि नहीं ?
श्री ज्ञान सिंह -- भाई साहब, प्लीज, आप पहले मेरी बात सुन लें फिर अपनी बात बताना. मुझ आदिवासी को तो बोलने दो मेरे भाइयों, महानुभावों. माननीय सभापति महोदय, पहली बार राजधानी स्तर पर श्यामला हिल्स में इन महत्वपूर्ण विषयों को पढ़ाने के लिए परीक्षा से पहले उनको प्रशिक्षण देने के लिए माननीय शिवराज सिंह ने कहा कि ज्ञान सिंह ढूंढो, प्रतिभावान छात्रों को, वे जहां भी रहते हों, देहात में जंगल बीहड़ों में रहते हों, हमने पहली बार बीहड़ों से प्रतिभावान छात्रों को तलाशने का और तराशने का काम किया, मिलेंगे, हमारे समाज से मिलेंगे, हममें क्षमता है हममें वह बहादुरी है. आदिवासी, (XXX) अनुसूचित जाति समाज में कोई तलाश नहीं रहा है. आजादी की लड़ाई में सब बड़े-बड़े लोगों का नाम चलता है, आदिवासी जननायक जो क्रांतिकारी थे, उनका कोई नाम नहीं लेता. अगर उनका भी नाम इतिहास के पन्नों से निकाल कर सार्वजनिक करने का किसी ने संकल्प लिया है तो वह माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने लिया है.
माननीय सभापति महोदय जी, देखा है पहली बार, शासन की आंखों में प्यार, (हंसी) और किनके लिए, गरीबों के लिए, दलितों के लिए, जो सबसे अंतिम पंक्ति पर खड़े हैं उनके लिए.
श्री गोपाल भार्गव -- मात्र नाम ही ज्ञान सिंह नहीं है असली ज्ञानी से फंसे हो अब आप लोग. (हंसी)
श्री रामनिवास रावत -- माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री ज्ञान सिंह जी तो ज्ञानी हैं ... (व्यवधान)
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय सभापति महोदय जी, माननीय मंत्री जी खूब शिवराज सिंह जी की सरकार की बढ़ाई करते हैं लेकिन आज मंत्री होने के बाद इनके मुंह से जो जातिसूचक शब्द निकला वह असंवैधानिक है.
श्री ज्ञान सिंह -- उसको मैंने निकालने का आग्रह किया है. मैं खेद व्यक्त करता हूँ.
सभापति महोदय -- वह शब्द निकाल दें.
श्री ज्ञान सिंह -- विषयांतर मत कीजिए. याद दिला दूं (XXX) अनुसूचित जाति, जान प्रित अति वाड़ी, सजल न्याय, नैनपुल काबलि ठाढ़ी, कहां आप यहां बोलती हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय सभापति महोदय,
सभापति महोदय -- आप बैठ जाइये, वह रामायण की चौपाई बोल रहे हैं, आपने इतनी आलोचना की तो सब बर्दाश्त कर गए, अब आप बैठ जाइये.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- सभापति महोदय, मैं आलोचना नहीं कर रही हूँ, मैं यथार्थ की बात करती हूँ, रामायण की चौपाई मुझे भी आती है, स्त्री शूद्रो न धियतम्, स्त्री और शूद्र को पढ़ना-लिखना नहीं चाहिए लेकिन बाबा साहब आंबेडकर ने कानून में (xxx) जातिसूचक शब्द हटाया.
सभापति महोदय -- आपको जो बोलना था आप बोल चुकी हैं कृपया बैठ जाइये.
……………………………………………………….
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री ज्ञान सिंह -- सभापति महोदय, यदि इन्हें इतनी आपत्ति है तो मैं अपने वक्तव्य को वापस लेता हूँ...... (व्यवधान) ... माननीय सभापति महोदय जी, अरे पूरा रामायण ही महाभारत है मेरे भाई, क्या बोलते हो यार, यहां कहते हो, जाने पर तो वही करते हो. माननीय सभापति महोदय, मैं आपकी अनुमति से इस सदन को अवगत कराना चाहूंगा कि कुल आबादी का मध्यप्रदेश में एसटी समुदाय 21.51 प्रतिशत और अनुसूचित जाति वर्ग की आबादी का आंकड़ा 15.61 प्रतिशत है. यह तो रेश्यो जब से चलता रहा, कुछ लोगों ने कहा, वे कहां गए, हमारे जतन उइके जी, अरे आप तो अध्यापक थे भैया. (व्यवधान) ... रूको मेरे भाई... सुनो सुनो, प्लीज... अरे भाषा सम्हाल के बोलो, सच्चे दिल वाले हो तो.. (जारी) ...
माननीय सभापति जी, शब्द सम्हालिये बोलिये, शब्द के हाथ न पाँव. प्रेम से बोलो मेरे समाज के हो आप. अरे, मेरे समाज के मेरे दोस्तों प्रेम से बोलो. बोल तो लिये, इतिश्री नहीं होना चाहिए. यह सम्पर्क संवाद बराबर जारी रहना चाहिए, सच्चे और दिल वाले हैं अगर हमारे समाज के लिए तो. हमारी सरकार इसमें दृढ़संकल्पित है, प्रतिबद्ध है. राज्य सरकार ने संसूचित किया, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास हेतु प्रत्येक क्षेत्र में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये जाने का और विभाग की कुछ योजनाओं को स्वयं संचालित करने के लिए हमारे मुख्यमंत्री जी दृढ़ संकल्पित है. माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय सदन को बताना चाहता हूँ कि आदिवासी विभाग के द्वारा संचालित योजनाओं में शिक्षा में सर्वाधिक महत्व दिया जाकर अनेक योजनाएँ संचालित की जा रही हैं. राज्य के 89 आदिवासी विकासखण्डों में कक्षा एक से लेकर बारहवीं तक शालेय शिक्षा का जिम्मा विभाग ने उठाया है. इसके अलावा सम्पूर्ण राज्य में छात्रावास एवं आश्रमों के माध्यम से शिक्षा हेतु अनुसूचित जाति, जनजाति के विद्यार्थियों को आवासीय शिक्षा की सुविधा भी उपलब्ध करायी जा रही है. यह बड़ी समस्या थी. शहरों में जाते थे, जगह नहीं मिलती थी, कमरे नहीं मिलते थे. किसी तरह पढ़ते थे. कुछ लोग बीच में पढ़ाई छोड़ के चले जाते थे, हमारी भैय्या भी और हमारी बहनें भीं. यही क्रम 50-60 साल से चलता रहा. अभी बोल रहे थे,बीच में छोड़ जाते हैं, फेल हो जाते हैं, यह कारण था, समस्या थी, यह अच्छी बात आपने बोली है, यह समस्या थी लेकिन इस समस्या के निदान के लिए आपने क्यों विचार नहीं किया भाई मेरे. समस्या के निदान का अगर विचार किया गया तो वह भैय्या शिवराजसिंह चौहान जी के कार्यकाल में किया गया.आवासीय छात्रावास की सुविधा पहले तो पांच टोली में रहते थे तो 2 हजार दिया जाएगा संभागीय मुख्यालयों में, लेकिन नहीं अब अकेले रहो तब भी 2 हजार, जिले 1250 और तहसील में 1000 रुपये, यह उसी का प्रतिफल है,उसी का परिणाम है. पहले क्या था 2001 तक, शिक्षा का प्रतिशत था साक्षरता का 40.20 प्रतिशत और 2011 में साक्षरता का प्रतिशत 50.50 प्रतिशत हो गया. 10.30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2011 में महिला आदिवासी साक्षरता का प्रतिशत था 28.40 प्रतिशत और 2011 में महिला आदिवासी साक्षरता का प्रतिशत 41.37 प्रतिशत.
श्री रामनिवास रावत-- यह अन्तर्राष्ट्रीय उपलब्ध है.
श्री ज्ञान सिंह-- माननीय रावत जी, इसमें कहीं न कहीं आप सब का सहयोग मिलता है, तब तो बढ़ा है. दोनों हाथ से ताली बजती है, एक हाथ से ताली नहीं बजती.आप आईना दिखा रहे हैं. मैं विपक्ष को अन्दर से आईना समझता हूँ.आपके आईने से देखूंगा, मेरी जनजाति परिवार के लोगों का उसमें सब सिस्टम दिखेगा, मैं प्रयास करुंगा.आपके बहुत अच्छे सुझाव हैं.
श्री रामनिवास रावत-- बहुत अच्छी बात है. एक सुझाव जरुर देना चाहूंगा थोड़ा सा हटे के जो बच्चे दसवीं के बाद, बारहवीं के बाद ड्रॉप आऊट हो जाते हैं और फार्म भरने के लिए उनके पास फीस नहीं होती तो प्रायवेट तरीके से जो पीटीजी या ट्रायबल के जितने भी बच्चे हैं उनको फीस भरने, प्रायवेट परीक्षा फार्म भरने की फीस की व्यवस्था जरुर करा दें. तमाम पैसा रहता है तो वह कम से कम दसवीं और बारहवीं पास कर सकते हैं.
श्री ज्ञान सिंह-- माननीय सभापति महोदय, सब व्यवस्था होगी, सारी व्यवस्था होगी. हम ला रहे हैं जंगलों से बीहड़ों से निकालकर के, एक रत्ती पैसा खर्च नहीं होगा. हमारी सरकार हमारे मुख्यमंत्री जी ऐसे होनहार भैय्या और बहनों को ,आओ, पैसे की कोई चिन्ता नहीं है इसलिए आईएएस,आईपीएस., आईएफएस की परीक्षा में बैठने के पहले कोचिंग की व्यवस्था है पहली बार, पहली बार( मेजों की थपथपाहट)मुख्यमंत्री जी बोलते हैं ज्ञानसिंह,क्या आपके समाज में गांव में कलेक्टर बनने लायक कोई नहीं है . इनमें से कोई नहीं बन सकते, हैं, क्या कमी है, पैसे की कमी है. पैसा फेको तमाशा देखो.इसकी कमी है. बोले, कोई कमी नहीं है पैसे की, हम ला रहे हैं प्रयास है. उसी का परिणाम है कि पहली बार 90-92 हमारे भैय्या, बहन हैं, हमारे प्रदेश के उसमें भी हमारे बैगा समुदाय के.....
श्रीमती ऊषा चौधरी-- छात्रों को 4-4 साल से मकान का किराया नहीं मिला.
श्री ज्ञान सिंह-- आदरणीया बहन जी, सुन लीजिए. वह तैयारी कर रहे हैं. जब कभी परीक्षाएँ होंगी, हमें हिम्मत दिलाई है. हमारी हिम्मत की उन्होंने हौसला अफजाई की है, परीक्षा पास करके बताएँगे. प्रयास जारी है तुरन्त कैसे परिणाम सामने आएँगे. इसी तरह विदेशी अध्ययन के बारे में है, विदेश जाइये, वैज्ञानिक बनकर आइये, डॉक्टर बन कर आइये, एम बी बी एस कोर्स पूरा करके आइये. यह व्यवस्था कब हुई, जब सरकार का परिवर्तन हुआ. जब कमल का फूल खिला था. (मेजों की थपथपाहट) विदेश जा रहे हैं. सभापति महोदय, 39 पढ़ कर, विदेश से अध्ययन करके आ गए. कितनों को तो नौकरी मिल गई. कितनों ने अपना स्वयं का खोल लिया. सभापति महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा हमें आदेशित किया गया, 7 व्यावसायिक पाठ्यक्रमों, मेडिकल, बी डी एस, इंजीनियरिंग, फार्मेसी, नर्सिंग, बी एड एवं डिप्लोमा इंजीनियर को भी प्रायवेट कॉलेजों से करने पर पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत पूरी फीस शासन द्वारा भरी जाएगी. (मेजों की थपथपाहट) आदरणीय रावत जी.
सभापति महोदय, विभाग द्वारा प्रति वर्ष नवीन संस्थाएँ प्रारंभ की जाती हैं. वर्ष 2016-17 में विभाग द्वारा 40 हाई स्कूलों को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तथा 20 उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में अतिरिक्त संकायों को स्थापित करने का प्रस्ताव है, जो अगले शिक्षण सत्र से शुरू हो जाएँगे. सभापति महोदय, 2016-17 में 10 नवीन आश्रम, 20 नवीन कन्या शिक्षा परिसर, 2 नवीन क्रीड़ा परिसर, 20 नवीन प्री-मैट्रिक कक्षा 6 से 8 वीं तक के लिए 20 नवीन प्री-मैट्रिक कक्ष, 9 से 12 वीं तक के तथा 20 नवीन पोस्ट मैट्रिक छात्रावास खोले जाने हेतु बजट में प्रावधान रखा गया है. (मेजों की थपथपाहट) माननीय सभापति महोदय, दो विभाग हैं. आसंदी का जैसा निर्देश हो.
सभापति महोदय-- आप अभी कितना समय लेंगे? थोड़ा सूक्ष्म करें.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)-- सभापति महोदय, इतना अच्छा उद्बोधन, इसका मतलब यह है कि लोग स्वीकार कर रहे हैं कि माननीय मंत्री जी ने जो काम किया, उनके विभाग ने जो काम किया, वह उत्कृष्ठ काम किया है अनुसूचित जनजाति के लिए.
श्री गोपाल भार्गव-- सभापति जी, सभी मंत्रियों के विभागों की मांगों पर चर्चा पूर्ण हो गई. इतना एप्रिसिएशन और इतना समर्थन और इतनी तालियों की गड़गड़ाहट आज तक हम लोगों के लिए नहीं मिली. मैं बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय-- बिल्कुल सही बात है. साधुवाद है.
श्री ज्ञान सिंह-- माननीय सभापति महोदय, आप कह रहे हैं कि बजट कहाँ गया, ऊपर गया कि कहाँ गया, कहाँ गया भैय्या, बजट यहीं है, अगर कुछ करने की तमन्ना है तो कोई कमी नहीं है. इच्छा शक्ति चाहिए. वर्ष 2002-03 में अनुसूचित जाति विकास का बजट था 298.48 करोड़, अब13 साल में, 2016-17 में 1548 करोड़ 12 लाख 45 हजार का बजट प्रावधान हो गया है. (मेजों की थपथपाहट) माननीय सभापति महोदय, अनुसूचित कन्या साक्षरता प्रोत्साहन योजना अंतर्गत कक्षा 11 वीं में प्रवेश लेने वाली छात्रा को रुपये 3 हजार देने का प्रावधान है. कन्या साक्षरता प्रोत्साहन हेतु वर्ष 2016-17 के बजट में राशि 12 करोड़ का प्रावधान किया गया है. कक्षा 1 से पी एच डी तक शिक्षा प्राप्त करने वाली हमारी अनुसूचित जाति की बालिकाओं की संख्या लगभग 13 लाख है प्राथमिक स्तर पर कन्याओं को छात्रवृत्ति देने हेतु 2015-16 के बजट में राशि 16.50 करोड़ का प्रावधान किया था जो वर्ष 2016-17 में बढ़ाकर 17.50 करोड़ किया गया है. कक्षा छह से दसवीं में अध्ययनरत् विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ देने हेतु वर्ष 2016-17 के बजट में राशि रुपये 125.60 करोड़ का प्रावधान किया गया है. राज्य सरकार ने कक्षा नवमी एवं दसवीं हेतु पूर्व से दी जा रही छात्रवृत्ति की दरों में वृद्धि कर कन्याओं हेतु 800 रुपये को बढ़ाकर 1200 रुपये किया गया है. वर्ष 2012-13 से भारत सरकार ने दो लाख रुपये की आय सीमा वाले परिवारों के बच्चों को कक्षा नवमी दसवीं के विद्यार्थियों के लिए नयी प्री मेट्रिक छात्रवृत्ति योजना लागू की है जिसमें एक गैर छात्रावासी विद्यार्थी को रूपये 2250 एवं छात्रावासी विद्यार्थी को 4500 रुपये मासिक छात्रवृत्ति दी जाएगी परन्तु 2 लाख रुपये से अधिक की आय सीमा वाले परिवार के बच्चों को भी राज्य की आयोजना मद से रुपये 800 बालिका को रुपये 1200 छात्रवृत्ति राज्य सरकार द्वारा भुगतान किय़े जाने की व्यवस्था की गई है. पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति में शुल्क तथा वितरण में पारदर्शिता लाने के लिए मध्यप्रदेश में ऑनलाइन फॉर्म जमा करने की व्यवस्था लागू की गई है इस व्यवस्था से विद्यार्थी कहीं भी कम्प्यूटर के माध्यम से छात्रवृत्ति फार्म भर सकता है एवं छात्रवृत्ति की स्थिति ऑनलाइन जान सकता है. इस वर्ष अब तक 2 लाख 53 हजार 223 विद्यार्थियों को लाभान्वित किया जा रहा है. इस योजना के लिए वर्ष 2016-17 में रुपये 385 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है. सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के शैक्षणिक विकास के लिए एवं देश के बाहर उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु योजनाओं में समुचित प्रावधान किया है ऐसे विद्यार्थियों को अध्ययन हेतु आने जाने के किराये से लेकर आवास, भोजन तथा लगने वाले अनिवार्य शुल्क आदि हेतु आर्थिक सहायता की योजना चलाई जा रही है. पहले हमारे अनुसूचित जाति के छात्रों को विदेश अध्ययन भेजने का लक्ष्य था 10 माननीय शिवराज सिंह जी बोले ज्ञान सिंह आपके ट्रायबल वालों का कितना है मैंने कहा ट्रायबल का तो 50 है बोले अनुसूचित जाति कितना है मैंने कहा 10 ही है बोले इसको आगे बढ़ाओ और वह बराबर हो गया. पिछले साल माननीय शिवराज सिंह जी के निर्देशन पर हमारी अनुसूचित जाति के छात्र-छात्रायें जो भी विदेश अध्ययन करने जायेंगे उनकी भी संख्या बराबर कर दी गई.
सभापति महोदय, विभाग अनुसूचित जाति, जनजाति के बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलाने हेतु कटिबद्ध है वचनबद्ध है. विभाग द्वारा सैनिक स्कूल रीवा, पब्लिक स्कूल डेली कॉलेज इंदौर, देहली पब्लिक स्कूल इंदौर, भोपाल तथा सिंधिया पब्लिक स्कूल ग्वालियर में अध्ययन करने वाले अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं को शिक्षण शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाती है. वर्ष 2017 हेतु इस मद में 9 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान प्रस्तावित किया गया है.
सभापति महोदय, माननीय सदस्यों द्वारा वन अधिकार के बारे में बातें कही गई हैं. वनाधिकार के पट्टे पात्र हितग्राही भाइयों को समय पर उपलब्ध हो सकें. वर्ष 2005-06 से इसकी शुरुआत हुई थी 2 लाख 21 हजार से अधिक मान्य दावों को हक प्रमाण-पत्र तैयार करके वन अधिकार के पात्र हितग्राहियों को दिये जा चुके हैं. विभाग का यह प्रयास है इसमें वन विभाग का भी बहुत बड़ा योगदान है मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्यों को आश्वासित करना चाहूंगा कि जून जुलाई तक हमारा पूरा प्रयास होगा जैसी कि माननीय मुख्यमंत्रीजी की सोच है कि जून जुलाई के पहले सभी पात्र परिवारों को वन अधिकार पत्र दे दिये जायें. माननीय सभापति महोदय, इतना ही नहीं कि वनाधिकार के पट्टे उनको दे दिये जायें, वहां तक बिजली के खम्बे गाड़ने का कपिल धार योजना के माध्यम से कूप खुदाने की जिम्मेदारी भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमारे विभाग को दी है. वर्ष 2014-15 में रूपये 10 करोड़ 24 लाख रूपये का व्यय किया जाकर 340 मजरे टोलों का विद्युतीकरण तथा 2189 पम्पों को का ऊजीकरण किया गया है. सभापति महोदय, जी वित्तीय वर्ष 2015-16 में 84 करोड़ रूपये का व्यय किया जाकर 105 मजरे टोलों को विद्युतीकरण एवं 1409 पम्पों का ऊर्जीकरण किया गया है. आप सब जानते हैं कि आबादी बढ़ती है लेकिन धरती तो नहीं बढ़ती है, उसके रास्ते क्या हो सकते हैं, हमारे मुख्यमंत्री जी का यह कहना है कि आप आऊट सोर्स उसका मतलब यह है कि खेती भी हो साईड में कोई धंधा भी हो. हमारे विभाग के उन जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों का और मैदानी कर्मचारियों का, मैं आपके माध्यम से धन्यवाद् ज्ञापित करना चाहूंगा कि स्टाफ की कमी है, विभाग में अधिकारियों, कर्मचारियों की कमी है, मास्टरों की कमी है. यह कमी तो शुरू से रही है, लेकिन दृढ़ इच्छा शक्ति की कमी थी. अब यह सारे पद भर लिये जायेंगे.
श्री सुखेन्द्र सिंह:- माननीय मंत्री जी शुरू वाले सब रिटायर हो गये हैं, नये वाले तो होने चाहिये.
श्री रामनिवास रावत :- संसदीय मंत्री जी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.
श्री ज्ञान सिंह :- हाई कोर्ट में हमारे कुछ अभ्यर्थी नौजवान गये थे तो न्यायालयीन प्रक्रिया के चलते लंबित हैं. वह प्रकरण न्यायालय से वापस हो गये हैं. हमने आयोग से आग्रह किया है कि हमारे विभाग के जितने भी पद खाली हैं, वह चाहे प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड के माध्यम से पूर्ती हो या जिस भी माध्यम से हो, हमारे विभाग के रिक्त पदों की पूर्ति होना बहुत जरूरी है.
अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
सभापति महोदय :- आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 6 के उप पद 2 पर कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन की समय में वृद्धि की जाये, मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
वर्ष 2016 -2017 की अनुदान मांगों पर मतदान (क्रमश:)
श्री ज्ञान सिंह :- माननीय सभापति महोदय जी, सदस्यों ने कई तरह की बातें की. हमारे पटेल जी ने कहा कि छात्रावास घोटाला हुआ, घोटाला कब हुआ होगा, लेकिन हमको जब उसकी जानकारी मिली, विभाग को जानकारी मिली तो सबसे पहले हमारे विभाग ने प्रकरण ई ओ डब्ल्यू को दिया और सीधे हमने विभाग के द्वारा जांच कराने की प्रक्रिया शुरू की. उस पर कार्यवाहियां हुई, यह सही है कि एक छात्र का नाम दो-दो विद्यालयों में, पैरामेडिकल और इंजीनियरिंग कालेज में विद्यार्थी का सात प्रायवेट कालेजों में नाम और पैसा डकारे जा रहे थे, लिये जा रहे थे, जब जांच की प्रक्रिया शुरू हुई तो गिरफ्तारी के डर से बोले कि गिरफ्तारी होनी चाहिये. गिरवफ्तारी कोई साल्यूशन नहीं है, हमारे विभाग का जो पैसा है, उसको वापस भी आना चाहिये और हमने पैसा भी वापस कराया.हमने विभाग का करोड़ों रूपया पैसा वापस कराया.यह हमारे विभाग का प्रयास है. अभी कुछ सदस्यों ने कहा की विभाग में फर्जी घोटाले हुए, मेरा कहना है कि फर्जी घोटालों पर तो पहली बार कार्यवाही हुई है. सभापति महोदय , वह भी आपके सीधी जिले से. वहां पर संस्था का नाम नहीं था. दिवाल में कहीं नोटिस बोर्ड भी नहीं लगा था. वहां राशि जा रही थी, अध्यापक पढ़ा रहे थे, संयोग से प्रभारी मंत्री अपना ही था. हमने कहा क्या हो गया तो बोले कुछ नहीं, उसकी जांच हुई, हमने जांच के लिये अधिकारी भेजे, जाते ही पकड़ लिये गये. सब सतना से तुरन्त वापस, पोल न खोल, एक ऊंगली डालो पूरा हाथ चला गया. पकड़े गये, जांच जारी हुई. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से सब माननीय सदस्यों को बताना चाहता हूं कि आठ लोग अपराधी हुए (व्यवधान) उसमें अपराधी हुआ.तहसील, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से भी वह अपराधी हार गये. उन पर कार्यवाहियां हुई, अभी कुछ लोग कह रहे थे कि कार्यवाही नहीं होती है. मेरा कहना है कि प्रयास भी जारी रहेंगे, अपराधियों पर कड़ी कार्यवाही भी होगी.
श्री शरद जैन :- माननीय रावत जी आप एक बात पर ध्यान दें, भ्रष्टाचारियों पर ठीक से कार्यवाही हुई है तो आपको क्या तकलीफ है.
श्री ज्ञान सिंह :- सभापति महोदय,अभी काफी बातें आयी, मैं सूक्ष्म में कहूंगा. मैं अधिक कुछ नहीं कहूंगा. माननीय सभापति महोदय, जी अपर आयुक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के स्वीकृत पद दो और दोनों खाली, अपर आयुक्त ग्रामीण विभाग के तीन पद और दो खाली, अपर संचालक के पद ग्यारह, उसमें से सात भरे और चार खाली, उपायुक्त के चालीस पद उसमें से 14 भरे और बाकी खाली,कभी ध्यान नहीं दिया, सहायक अनुसंधान अधिकारी के बीस पद उसमें से 16 भरे और चार खाली, वरिष्ठ लेखा अधिकारी के पद खाली, जिला संयोजक, सहायक परियोजना प्रशासक, सहायक संचालक अब इसके बाद भी कहते हैं किे पद खाली हैं. पद खाली रहते हुए भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आपको करना क्या है, सवाल यह है कि पद नहीं भरे हैं, जब पद भरे हैं, करने की अगर क्षमता है. (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन - माननीय सभापति जी, हमने कुछ बोला था वह याद है.
श्री ज्ञान सिंह - आप कहां थे. सबसे पहले तो आपसे ही शुरुआत की थी. अरे मेरे भैया राजा आप ही से बोला था. देखो मेरे भाई, अंत में मैं सभापति महोदय जी सभी माननीय सदस्यों से भी कि फूलों से भी हंसना सीखो,डालियों से सीखो सबको सिर झुकाना, आओ हम सब मिलकर सच्चे हितैषी हैं और दिलेरी हों तो उस समाज के लिये काम करने के लिये आईये. इन्हीं शब्दों के साथ में मैं माननीय सदस्यों का और माननीय सभापति जी जो आपने एकदम अमूल्य समय देकर मुझे कहने का वक्त दिया आपके प्रति मैं बहुत-बहुत आभारी हूं. माननीय शिवराज जी के प्रति भी आभारी हूं. पिछले तीन बजट से मुझे बोलने को मौका नहीं मिला. पहली बार मौका मिला मैंने सोचा कि कहीं इस बार भी हल्ला न हो जाये इसीलिये आदरणीय रावत जी को, बच्चन जी को सभी हमारी बहनों को धन्यवाद देना चाहूंगा नहीं तो हल्ला करने से क्या होता पिछले साल मैं पूरी तैयारी करके बैठा रहा. हाथ उठा पास... यहां बजट पास..विरोधी दल के लोग बाहर पूरे बाहर सड़क के बाहर. इसलिये मैं अपनी बात को यहीं विराम देना चाहूंगा. मैं यही अपेक्षा करूंगा कि भाईयों सही में एक बार तो दिखा दो सर्वसम्मति से पास करा दो अपेक्षा यही करूंगा.
सभापति महोदय - मैं,पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 15,33,41,42,49,52,53,64 एवं 68 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं,मांगों पर मत लूंगा.
अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के फोटोग्राफ्स की प्रदर्शनी एवं खादी उत्पादों के प्रदर्शनी सह विक्रय
केन्द्र विषयक
कल दिनांक 16 मार्च,2016 को प्रात: 10.30 बजे विधान सभा भवन के आडीटोरियम की लॉबी में माननीय सदस्यों के फोटोग्राफ्स की प्रदर्शनी एवं खादी उत्पादों के प्रदर्शनी सह विक्रय केन्द्र का उद्घाटन होगा.
माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कार्यक्रम में समय से उपस्थित होने का कष्ट करें.
सभापति महोदय - विधान सभा की कार्यवाही बुधवार,दिनांक 16 मार्च,2016 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
रात्रि 7.06 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार,दिनांक 16 मार्च,2016 (26 फाल्गुन, शक संवत् 1937) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल भगवानदेव ईसरानी
दिनांक : 15 मार्च,2016 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा