मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा द्वादश सत्र
सितम्बर, 2022 सत्र
बुधवार, दिनांक 14 सितम्बर, 2022
( 23 भाद्र, शक संवत् 1944 )
[खण्ड- 12 ] [अंक- 2 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 14 सितम्बर, 2022
(23 भाद्र, शक संवत् 1944)
विधान सभा पूर्वाह्न 11. 01 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
प्रश्नकाल में मौखिक उल्लेख
पोषण आहार मामले में माननीय मंख्यमंत्री जी के वक्तव्य के संबंध में
मुख्यमंत्री(श्री शिवराज सिंह चौहान):- माननीय अध्यक्ष महोदय, पोषण आहार मामले में प्रदेश में कई तरह के भ्रम फैलाये जा रहे हैं. सरकार के नाते मैं, यह महसूस करता हूं कि सदन के सामने और सदन के माध्यम से जनता के सामने सारी स्थिति स्पष्ट की जाये और इसलिये इस विषय पर मैं, एक वक्तव्य देना चाहता हूं. मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप अनुमति प्रदान करें.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्नकाल हो जाये, उसके बाद ले लेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान:- जैसी, आपकी आज्ञा.
लोक निर्माण विभाग मंत्री( श्री गोपाल भार्गव):- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो व्यवस्था का प्रश्न नहीं होता है. लेकिन मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि पूर्व मुख्यमंत्री का मैंने एक बयान कल अखबार में देखा है कि मैं यहां सदन में (XXX) सुनने के लिये नहीं आता हूं. अध्यक्ष महोदय, यह विधान सभा की अवमानना है और सारे सदस्यों की जहां तक मैं सोचता हूं. इतने वरिष्ठ सदस्य जो राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री रहे हों वो क्या इस सदन को (XXX) का सदन मानते हैं, इसकी निंदा होनी चाहिये. यह आसंदी का और सभी सदस्यों का अपमान है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- अध्यक्ष महोदय, अखबार में आयी खबर पर सदन चलेगा क्या ?
अध्यक्ष महोदय:- आपका ही प्रश्न है ना ?
श्री बाला बच्चन:- हमको भी जनता ने चुना है उसका कोई जवाब सरकार नहीं देती है. सरकार अगर यह जवाब देगी रहेगी तो यह बात नहीं आयेगी...(व्यवधान) सरकार को ध्यानपूर्वक हमारी बात सुनना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय:- बच्चन जी पहले आप बैठ जाइये.
श्री गोपाल भार्गव:- बच्चन जी आप जो कर रहे हैं, क्या वह (XXX) कर रहे हैं. मैं यह जानना चाहता हूं ? (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये. गोपाल भार्गव जी आप भी बैठ जाइये.
श्री गोपाल भार्गव :- बच्चन जी आप जो कर रहे हैं, क्या सब (XXX) कर रहे हैं ? मैं यह पूछना चाहता हूं कि बाला जी, आप क्या (XXX) कर रहे हैं, मैं जानना चाहता हूं ? (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन:- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार को हमारी बातों का जवाब देना चाहिये. आप प्रश्नों के जवाब क्यों नहीं देते हैं.
श्री गोपाल भार्गव:- बाला जी, मैं आपसे जानना चाहता हूं कि आप क्या (XXX) कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाइये.
श्री गोपाल भार्गव:- यह आपके और हमारे लिये कहा गया है.
श्री बाला बच्चन:- अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रश्नों का जवाब क्यों नहीं देते हैं. हम क्या मानेंगे आप प्रश्नों के जवाब क्यों नहीं देते हो.
श्री गोपाल भार्गव:- हमारे आप आपके के लिये कहा गया है. सभी के लिये कहा गया है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाइये. (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन:- आप प्रश्नों के जवाब में लिख देते हैं कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. सरकार कर क्या रही है.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये. गोपाल भार्गव जी आप बैठ जाइये, मैं, कुछ कह रहा हूं.
मेरा आग्रह है कि आप विघ्न मत करिये, बच्चन जी आपको कह रहा हूं. विधान सभा की गरिमा बचाये रखने के लिये, विधान सभा के बारे में बाहर किसी तरह के वक्तव्य की स्वीकारोक्ति नहीं हो सकती है. मैं यह कहना चाहता हूं और यह जो (XXX) शब्द आया है इन सबको विलोपित करिये.
नेता प्रतिपक्ष( डॉ.गोविन्द सिंह):- माननीय अध्यक्ष जी, मैंने और हमारे सभी साथियों ने, अधिकांश ने मध्यप्रदेश में हुए पोषण घोटाले के बाद...
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, उनका बयान आ गया है.
डॉ. गोविन्द सिंह :-अध्यक्ष जी, मेरा अनुरोध है कि सदन में हमें हमारी बात कहने का अधिकार है. पहले हमने स्थगन दिया है तो पहले उस पर हमारी चर्चा हो तो उसके बाद मुख्यमंत्री जी या..
अध्यक्ष महोदय:- मैं आपको प्रतिक्रिया का अवसर दूंगा. मैं आपको अवसर दूंगा. प्रश्नकाल हो जाये मैं आपको अवसर दूंगा.
डॉ.गोविन्द सिंह :- मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारी बात सुनने के बाद में जवाब बाद में हो जाये.
संसदीय कार्य मंत्री( डॉ. नरोत्तम मिश्रा):- अध्यक्ष जी, आपको बालने का अवसर है ना, अध्यक्ष जी आपको भी दे देंगे.
अध्यक्ष महोदय:- आपको भी अवसर दूंगा,
डॉ.गोविन्द सिंह:- हमारी बात सुनने के बाद जवाब बाद में दे दें, हमारी बात सुनने के बाद.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- देखिये, एक बात समझ लीजिये प्रश्न आये उसके बाद ही उत्तर आयेगा कि पहले ही उत्तर आ जायेगा. .. (व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- नियत तो समझ में आ रही है, तुलसी जी तभी तो बोल रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा:- सज्जन जी, उत्तर नहीं दे रहे हैं. वक्तव्य दे रहे हैं, उत्तर और वक्तव्य में अंतर है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:-बिल्कुल अंतर नहीं है.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं अंतर है. सज्जन जी आप बैठिये. (व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले हमारी बात सुनने के बाद पोषण आहार पर वक्तव्य दें. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- सज्जन जी, एक बार माननीय अध्यक्ष महोदय ने व्यवस्था दे दी. गाड़ी आगे निकल गयी तो फिर आप पीछे के स्टेशन पर क्यों उतर रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- नहीं व्यवस्था कहां दी. क्या व्यवस्था दी ? (व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह:- आप सदन को चला क्यों रहे हो. (व्यवधान) पहले हमारी स्थगन लिया जाये, उस पर चर्चा के बाद मुख्यमंत्री जी अपना वक्तव्य दें.(व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- आप और गोविन्द सिंह जी लेट हो गये .(व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह:- पहले हमने स्थगन प्रस्ताव दिया है. उस पर हमारी बात आ जायें, उसके बाद सरकार उत्तर दें.
श्री विश्वास सारंग:- अध्यक्ष जी, हमारे मुख्यमंत्री जी अपना बयान दिया है और आगे बढ़कर कहा है कि हम वक्तव्य देंगे. दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जायेगा. (व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह:- किसने कहा आपको वक्तव्य देने के लिये ?
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- वक्तव्य देने के लिये किसने कहा.
अध्यक्ष महोदय:- सज्जन सिंह जी आप बैठ जाइये.
डॉ.गोविन्द सिंह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जी..
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये और मुझे कहने दें. कृपा करके विधान सभा 11 बजे आहूत होती है. ठीक है मैं, 11 बजे यहां आया, उस समय आप नहीं थे. आप नहीं थे, मेरी पूरी बात सुन लीजिये.
डॉ.गोविन्द सिंह :- अध्यक्ष जी, हम यहां नहीं थे, हम बाहर खड़े थे. घंटी सुनाई नहीं दी. घंटी थोड़ा सुधार लो.
अध्यक्ष महोदय- कृपया करके विधान सभा प्रात: 11.00 बजे होती है. मैं यहां 11.00 बजे आया, आप उस समय यहां नहीं थे.
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम बाहर खड़े थे. घंटी थोड़ी नहीं सुन सके.
अध्यक्ष महोदय- कारण कुछ भी रहा हो. माननीय सदन के नेता आये और उन्होंने कहा कि वे इस विषय पर वक्तव्य देना चाहते हैं. आप उस समय यहां नहीं थे. स्वाभाविक रूप से हमें इसे स्वीकृत करना पड़ा.
डॉ. गोविन्द सिंह- आपकी घंटी बाहर दो दिनों से बज ही नहीं रही है.
अध्यक्ष महोदय- प्रमुख सचिव महोदय, इसे चैक करवाईये. घंटी तो बराबर बज रही है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, सवाल यह है कि मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मैं वक्तव्य देना चाहता हूं, उसके पहले हमारा स्थगन लगा हुआ है. हम उस पर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय- सब पर चर्चा हो जायेगी. पहले प्रश्न काल हो जाये.
11.06 बजे
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
भीकनगांव बिजलवाड़ा उद्वहन सिंचाई परियोजना
[नर्मदा घाटी विकास]
1. ( *क्र. 727 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि भीकनगांव बिजलवाड़ा उद्वहन सिंचाई परियोजना की स्वीकृति कब हुई थी तथा उक्त परियोजना की कितनी लागत थी तथा कार्य पूर्ण करने की समय-सीमा क्या निर्धारित थी? क्या नियमानुसार कार्य की प्रगति संतोषजनक है? नहीं तो क्या कारण है? क्या निर्धारित समय-सीमा में कार्य पूर्ण न होने के सम्बंध में कोई दोषी है? हाँ तो वह कौन है तथा क्या दोषी पर कोई कार्यवाही प्रस्तावित है या कोई कार्यवाही की जा रही है? उक्त परियोजना कब तक पूर्ण होकर क्षेत्र के किसानों को सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध होगा? क्या उक्त योजना में भू-अर्जन की राशि सम्मिलित है? यदि हाँ, तो वर्तमान तक कितनी राशि का वितरण हुआ है? नहीं तो क्या कारण है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : योजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 29.10.2016 को हुई। योजना की लागत रू. 745 करोड़ है। योजना के निर्माण हेतु अनुबंध दिनांक 20.04.2018 को संपादित किया गया, तद्नुसार कार्य पूर्ण करने की समय-सीमा 42 माह अर्थात 19.10.2021 तक थी। कार्य की प्रगति में विलंब हुआ है। तथ्यात्मक स्थिति यह है कि परियोजना की पर्यावरण एवं वन विभाग से स्वीकृति में विलंब, कोविड-19 के कारण वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में सुचारू रूप से कार्य संपादन न होना तथा रबी एवं खरीफ सीजन में कृषकों द्वारा फसल लगाने के कारण कार्य संपादन न होना परियोजना के निर्माण कार्य में विलम्ब के मुख्य कारण हैं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। एजेन्सी द्वारा जून 2023 तक कार्य पूर्ण करने एवं अक्टूबर 2023 रबी सीजन से कृषकों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई जाना लक्षित है। जी हाँ। पारित अवार्ड राशि रू. 17,31,354/- के विरूद्ध राशि रू. 4,98,460/- का भुगतान किया गया है एवं शेष राशि के भुगतान की कार्यवाही प्रचलन में है।
सुश्री हिना लिखीराम कावरे- माननीय अध्यक्ष महोदय यह प्रश्न भीकनगांव बिजलवाड़ा उद्वहन सिंचाई परियोजना में हुए विलंब से संबंधित है. यह प्रश्न माननीय सदस्या श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी जी का है लेकिन उन्होंने मुझे इस प्रश्न हेतु अधिकृत किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, देखा गया है कि जब भी इस तरह की परियोजनाओं में देरी होती है तो ठेकेदार पर पैनाल्टी लगाई जाती है और उस पैनाल्टी के जवाब में, उसका जवाब आता है, जब विभाग उस जवाब से संतुष्ट हो जाता है तो उन्हें पुन: कार्य करने की अनुमति मिल जाती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्यम से, मुख्यमंत्री जी तो चले गए हैं, माननीय मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि ठेकेदार पर पैनाल्टी कितनी लगी, किस अधिकारी ने पैनाल्टी लगाई और उसके जो देरी के कारण बताये गए हैं, इसमें कारण बताये गए हैं कि परियोजना की पर्यावरण एवं वन विभाग से स्वीकृति, NOC नहीं मिलने को, परियोजना में देरी का कारण बताया गया है. जहां तक मैं, जानती हूं ये सारी NOC टेण्डर के पूर्व ले ली जाती है और देरी के कारण में मुझे नहीं लगता कि यह सही कारण आपने यहां दिया है. पहले तो आपने देरी के कारण को स्वीकार किया है, किस अधिकारी ने इसे सही माना है, उस पर आप क्या कार्यवाही करेंगे और आपने जो पैनाल्टी लगाई थी, जिसके परिपेक्ष्य में यह जवाब आया है, वह पैनाल्टी कितनी थी ?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास (श्री भारत सिंह कुशवाह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने पूछा है कि विलंब का कारण क्या है, विलंब का कारण कोई एक नहीं होता है, बगैर पर्यावरण की अनुमति के कोई कार्य प्रारंभ नहीं होता है और इस परियोजना में पर्यावरण की NOC विलंब से मिली और वन विभाग की NOC भी विलंब से ही मिली. इसके अतिरिक्त विलंब का मुख्य कारण कोरोना का प्रकोप रहा है. कृषकों द्वारा रबी और खरीफ की फसल के कारण भी बाधा उत्पन्न हुई है और उससे भी परियोजना में विलंब हुआ. इस प्रकार से परियोजना में विलंब तीन-चार कारणों से हुआ है. मैं समझता हूं कि इन कारणों के लिए न तो कोई एजेंसी जिम्मेदार है और न ही कोई अधिकारी जिम्मेदार है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा-सीधा प्रश्न है कि आपको यह उत्तर मिला कैसे ? क्योंकि अधिकारियों की ठेकेदार से बात हुई होगी, ठेकेदार ने ही, ये कारण स्पष्ट किये होंगे. ठेकेदार स्वयं, बिना आपके पूछे ही तो विलंब का कारण नहीं बतायेगा. निश्चित रूप से आपने कोई पैनाल्टी लगाई होगी, तभी तो उसके जवाब में उसने ये उत्तर दिया है. जो बात मंत्री जी यहां बता रहे हैं, तो मैं बताना चाहूंगी कि NOC टेण्डर के पहले हो जाती है इसलिए NOC की वजह से देरी का प्रश्न ही नहीं उठता है. मंत्री जी, इसके अतिरिक्त जो कारण बता रहे हैं, मुझे नहीं लगता कि वे कारण भी कोई जाय़ज कारण हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो किस अधिकारी ने ये पैनाल्टी लगाई थी और नहीं लगाई तो क्यों नहीं लगाई ? यदि कोई परियोजना वर्ष 2016 में प्रारंभ होकर वर्ष 2021 में पूर्ण होनी थी, उसकी पूरी अवधि बढ़ाकर आपने जून 2023 कर दी है. इसका मतलब इस योजना में देर हुई है तो आपने अवश्य पूछा होगा कि देरी का क्या कारण है, जो कि बिना पैनाल्टी के माध्यम से आप पूछ नहीं सकते, तो कौन-सा ऐसा अधिकारी है, जिसने ये पैनाल्टी लगाई, कितनी लगाई और ये जो कारण आपने दिया है, वे जाय़ज कारण नहीं है इसलिए आप कृपया उत्तर दें.
श्री भारत सिंह कुशवाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2018 अनुबंध हुआ था और पर्यावरण की NOC वर्ष 2020 में आई थी. कुल मिलाकर एजेंसी को 42 माह का समय कार्य करने के लिए दिया गया था. इसके बीच में कहना चाहूंगा कि अनुमति के पहले टेण्डर नहीं होते हैं, ऐसा माननीय सदस्या का कहना है लेकिन टेण्डर पहले भी हो जाते हैं और अनुमतियां बाद में आती रहती हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कुल-मिलाकर एजेंसी की इसमें इसलिए गलती नहीं है क्योंकि एजेंसी ने अभी तक 86 प्रतिशत काम पूर्ण किया है, केवल 14 प्रतिशत काम शेष है. निश्चित रूप से वर्ष 2023 में हम रबी की फसल के लिए पानी उपलब्ध करवायेंगे.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्या किसी अधिकारी का नाम पूछ रही हैं.
श्री भारत सिंह कुशवाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, अधिकारी का प्रश्न इसलिए नहीं उठता है क्योंकि अधिकारी की कोई गलती नहीं है और एजेंसी की गलती इसलिए नहीं है क्योंकि समय-समय पर बराबर काम की मॉनिटरिंग होती है और कोरोना की वजह से यदि कोई ठेकेदार जिम्मेदार होता तो उस पर पैनाल्टी लगाई जाती. एजेंसी तब जिम्मेदार होती है जब कार्य की प्रगति कम हो, जब 86 प्रतिशत काम एजेंसी कर चुकी है, तो उसकी कोई गलती ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- हिना जी केवल एक प्रश्न और.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्यवाही का प्रश्न इसलिए नहीं उठता है क्योंकि वर्ष 2018 में अनुबंध होता है. (व्यवधान)
श्री कांतिलाल भूरिया -- आप अधिकारियों और ठेकेदार की वकालत क्यों कर रहे हैं, जो प्रश्न पूछा जा रहा है उसका जवाब दीजिए. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- वे जवाब दे रहे हैं.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- मैं वही जवाब दे रहा हूँ आप सुन तो लीजिए.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्यक्ष महोदय, यह पूरा इलाका आदिवासी बहुल इलाका है यदि इस तरह से लापरवाही बरती जाएगी तो किसान कहाँ जाएंगे. मंत्री जी के पास जो जवाब आया है वह कहीं न कहीं किसी न किसी कारण से तो आया है. अधिकारियों ने यदि यह जवाब मंगवाया है तो ठेकेदार ने कारण बताया होगा तो आपने कोई न कोई तो नोटिस दिया होगा. ठेकेदारों को आप आर्थिक पेनाल्टी का ही नोटिस देते हैं, आप उसका जवाब दीजिए न कि आपने कितनी पेनाल्टी लगाई थी. जिसके जवाब में आपने यहाँ पर उत्तर दिया है.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय, वैसे मुख्य योजना में रबी की सिंचाई दी जाती है. मेरा इतना सा कहना है कि विलम्ब का मुख्य कारण, मैं फिर से कह रहा हूँ कि कोई अधिकारी दोषी इसलिए नहीं है. वर्ष 2018 में अनुबंध होता है और वर्ष 2020 में पर्यावरण विभाग की अनुमति मिलती है.
श्री तरुण भनोत -- आपने बिना एनओसी के परियोजना का टेंडर निकाल दिया अपनी ही सरकार का नुकसान किया है. (व्यवधान)
श्री भारत सिंह कुशवाह -- पहले मेरी बात तो सुन लीजिए. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- पहले मंत्री जी की बात सुन लीजिए (व्यवधान)
श्री तरुण भनोत -- मंत्री जी कह रहे हैं कि अधिकारी दोषी नहीं है, अधिकारी दोषी क्यों नहीं है. बार बार वही बात कह रहे हैं. वर्ष 2018 में निविदा निकाली जाती है और वर्ष 2020 में, इतनी जल्दी क्यों थी आपको निविदा निकालने की, एनओसी ले लेते उसके बाद निविदा निकालते. उसके बाद आप कह रहे हैं कि कोई अधिकारी दोषी नहीं हैं. इसका जो वित्तीय भार आया है यह किसके ऊपर आया है. (व्यवधान)
श्री भारत सिंह कुशवाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दो अनुमतियाँ मिलती हैं. पर्यावरण एवं वन विभाग की जो अनुमतियाँ मिलीं उस समय भी कोरोना था. कोरोना की वजह से भी अनुमतियाँ मिलने में विलम्ब हुआ है. उस समय आफिस नहीं खुलते थे, लोग उस समय एक दूसरे से बात करने में कतरा रहे थे. विलम्ब के कारण के लिए कोई अधिकारी दोषी हो ऐसा कोई प्रश्न ही नहीं है. न ही एजेंसी दोषी है. एजेंसी से हम समय पर वर्ष 2023 में किसानों को रबी की फसल के लिए पानी उपलब्ध कराएंगे यह हमने सुनिश्चित कर दिया है. एजेंसी को अब आगे समय वृद्धि नहीं दी जाएगी. (व्यवधान)
श्री तरुण भनोत -- टेंडर निकालने की इतनी जल्दी क्यों थी. आपने कोई एनओसी नहीं ली और आप उसके बाद सदन में खड़े होकर कहते हैं कि कोई अधिकारी दोषी नहीं है, ठेकेदार दोषी नहीं है, तो कौन दोषी है भाई, भूत या प्रेत कौन दोषी है. कोई दोषी ही नहीं है. आपने एनओसी पहले क्यों नहीं ली थी. आप पहले एनओसी लेते उसके बाद निविदा बुलाते.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, देरी के कारण ही तो यह प्रश्न लगाना पड़ा. अधिकारियों पर आपको कार्यवाही करना पड़ेगी. आपके विभाग के पीएस वहां जा रहे हैं और वे वहां पर उसे ब्लेक लिस्टेड करने की बात कर रहे हैं इसका मतलब है कि आपका ठेकेदार दोषी है.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि मैं यह कह दूं कि कोरोना और कांग्रेस की वजह से बहुत से काम प्रभावित हुए हैं. सच्चाई तो यह है.(XX). इस वजह से यह काम प्रभावित हुए हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- यह नहीं लिखा जाएगा. एक ही प्रश्न पर 15 मिनट का समय हो गया है.(व्यवधान)
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके द्वारा व्यवस्था देने के बाद भी सरकार ने जवाब नहीं दिया है हम इसको क्या मानें. (व्यवधान)
श्री हरदीप सिंह डंग -- वर्ष 2018 से 2020 तक कांग्रेस की सरकार थी. (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आप से विनती करते हैं कि आप सरकार से जवाब दिलवाएं. आपने व्यवस्था दी आपकी व्यवस्था को मंत्री जी ने कहां माना, सरकार ने कहां माना है. (व्यवधान)
श्री तरुण भनोत -- आपको निविदा बुलाने की इतनी जल्दी क्यों थी. बिना एनओसी के आप निविदा बुला रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- तरुण जी हमारी कावरे जी स्वयं सक्षम हैं खुद ही वे बेहतर प्रश्न कर रही हैं उनको सपोर्ट की आवश्यकता नहीं है. आप बैठ जाइए. वे प्रश्न पूछ रहीं हैं, 15 मिनट का समय एक ही प्रश्न पर दे दिया है. अब आप लोग बैठ जाइए.
श्री सचिन यादव -- इसमें मेरी विधान सभा क्षेत्र के गांव भी आते हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- पहले उनका निराकरण हो जाए अभी तो वहीं गाड़ी फंसी हुई है. पहले वह निकलने दीजिए.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पीएस खुद वहां गए उन्होंने पूरी जाँच की और जाँच के बाद उन्होंने ठेकेदार को दोषी पाया तभी तो उसे ब्लेक लिस्टेड करने के लिए उन्होंने निर्देश दिया. उनके निर्देशन के बाद भी ठेकेदार को ढाई करोड़ रुपए का भुगतान हुआ है. मैं यह कहना चाहती हूँ कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते ही तो यह सारी चीजें हुई हैं तो क्या अधिकारियों पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए. क्या ठेकेदार पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए. आप मुझे बताइए.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ब्लेक लिस्टेड जैसी कोई कार्यवाही नहीं हुई है. पहली बात तो मैं यह कहूंगा कि माननीय सदस्या सदन को गुमराह न करें. मेरा इतना सा कहना है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी भी वहां पर गए थे लेकिन आप उस जगह तक पहुंचे ही नहीं आप आधे रास्ते से ही वापिस आ गए.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- आप मेरी बात तो आ जाने दीजिए. जैसा कहा कि टेंडर पहले लगाया क्यों तो यह जरुरी नहीं है कि..
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न यह है कि पी.एस.खुद गए जाँच करने, पी.एस. ने दण्ड का भागीदार माना उन्हें या तो आप पी.एस. को दण्ड दीजिए या उस अधिकारी को दण्ड दीजिए.
श्री भारत सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विभागीय अधिकारी योजना की प्रोग्रेस देखने के लिए फील्ड में गए यदि कहीं कोई निर्देश की आवश्यकता होती है तो निश्चित रूप से फील्ड विजिट में देते ही हैं. इसमें कोई नई बात क्या है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- इस बात को कहाँ माना...(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन-- (X X)
श्री कमल पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, घोर आपत्ति है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जाएगा. ..(व्यवधान)..
श्री कमल पटेल-- बाला भाई, यह कोई तरीका नहीं है आपका.
श्री बाला बच्चन-- तरीका नहीं है तो..(व्यवधान)..300 करोड़ का कारम डैम जिसने चूना लगा दिया.....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- संसदीय कार्य मंत्री जी....(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, जवाब नहीं आ रहा है. आपने बोला तब भी जवाब नहीं आ रहा है....
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष जी, आप बता दें, आसन्दी की ओर से निर्देश आ जाए.
अध्यक्ष महोदय-- कुल मिला करके उनका कहना है कि कोई पी.एस. गए थे
उन्होंने ब्लेक लिस्टेड की कोई कार्रवाई करने का प्रस्ताव या मन बनाया या कुछ किया है, ऐसा करके उनका कहना है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, संबंधित मंत्री ने जवाब दिया कि कोई ब्लेक लिस्टेड नहीं किया गया, स्पष्ट जवाब दिया.
अध्यक्ष महोदय-- इस संबंध में उनके पास कोई रिकार्ड हो तो प्रस्तुत करें, उसकी जाँच करा लें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, अगर बहन के पास में कोई भी विषय हो वह सम्मानित मंत्री को दे दें, जो विषय देंगी उसकी जाँच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- हाँ जाँच करा लेंगे, बस ठीक है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने कहा है कि कोई विषय हो तो मैं बता देती हूँ क्या क्या है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, विषय नहीं. जो आप कह रही हैं ब्लेक लिस्ट होने का जो प्रस्ताव बना, कुछ बना वो दे दीजिए, जाँच करा लेंगे, बस हो गया.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- माननीय मंत्री जी कह रहे हैं आप बता दीजिए क्या करना है. आप अगर अनुमति दें तो मैं......
अध्यक्ष महोदय-- नहीं नहीं, हो गया, संसदीय कार्य मंत्री जी ने यह कहा कि आपके पास कोई इस तरह के कागजात हैं उसको दे दीजिए उसकी जाँच करा लेंगे....(व्यवधान)...बस बहुत हो गया.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- अध्यक्ष महोदय, कागजात की जरुरत नहीं है. मेरा मतलब है कि जिस अधिकारी ने ठेकेदार से यह कारण जाना होगा कि आपके काम में देरी क्यों हो रही है....
अध्यक्ष महोदय-- इस तरह के कोई कागज हो तो आप दे दीजिए.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- अध्यक्ष महोदय, अधिकारी का नाम भी माननीय मंत्री जी को नहीं पता है. अगर ये प्रश्न लेकर बैठे हैं तो आपको यह भी नहीं पता कि किस अधिकारी ने ठेकेदार से पूछा कि आपको इस काम में देरी का क्या कारण है? क्या आपको उस अधिकारी का नाम भी नहीं पता है और यदि उन्होंने जवाब जो दिया है उसमें आपने बताया है कि देरी के ये ये कारण हैं तो निश्चित रूप से कोई न कोई कार्रवाई तो आपने की है.
अध्यक्ष महोदय-- तो वह दे दीजिए ना, वही तो कह रहे हैं कि वह कागज दे दीजिए.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- ये नहीं बता रहे हैं, ये तो मान ही नहीं रहे हैं..
अध्यक्ष महोदय-- वे नहीं मान रहे हैं तो कागज तो आपको देना पड़ेगा.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- इतने बड़े प्रश्न के बाद और कौनसा कागज देने की जरुरत पड़ रही है?
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 2.....
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने आश्वासन दिया है, आश्वासन बन गया है, पर्याप्त आपके लिए सुरक्षा मिली हुई है आश्वासन समिति में.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह)-- माननीय अध्यक्ष जी, आश्वासन दे दिया है लेकिन मेरा अनुरोध है कि आज आप घोषणा कर दें सदन की समिति एक सप्ताह में जाँच कर ले, सदन में घोषणा क्यों नहीं कर रहे?
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- जिनके यहाँ योजना चल रही है उनको शामिल किया जाए.
डॉ. गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष जी, समिति एक सप्ताह में जाँच करे.
प्रश्न संख्या- 2
नर्मदा नदी में मध्यप्रदेश के हिस्से के आरक्षित जल का उपयोग
[नर्मदा घाटी विकास]
2. ( *क्र. 437 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सरदार सरोवर योजनान्तर्गत नर्मदा ट्रिब्यूनल द्वारा संबंधित राज्यों के मध्य नर्मदा के जल का बंटवारा किया गया था? यदि हाँ, तो मध्यप्रदेश के हिस्से में कितने जल का हिस्सा आरक्षित किया गया है? (ख) वित्तीय वर्ष 2021-22 तक मध्यप्रदेश द्वारा नर्मदा नदी से अपने हिस्से के आरक्षित जल में से कितने प्रतिशत जल का उपयोग कर लिया गया है तथा कितना प्रतिशत जल अभी उपयोग करना शेष है? (ग) क्या आरक्षित जल के उपयोग हेतु सन् 2024 की समय-सीमा निर्धारित है? यदि हाँ, तो क्या इस निर्धारित तिथि उपरांत मध्यप्रदेश नर्मदा नदी पर अपने हिस्से के शेष बचे आरक्षित जल का दावा नहीं कर सकेगा व क्या भविष्य में प्रदेश में नर्मदा नदी पर परियोजनाएं निर्मित नहीं की जा सकेगी? (घ) क्या 1977-78 से माण्डू उद्वहन सिंचाई परियोजना से मालवा में सिंचाई की स्थाई व्यवस्था किये जाने की कवायद चल रही है तथा क्या प्रश्नकर्ता विधायक द्वारा इस परियोजना की स्वीकृति हेतु समय-समय पर अनुरोध किया है? (ड.) क्या विभाग म.प्र. हेतु शेष बचे आरक्षित जल का सम्पूर्ण उपयोग करने के उद्देश्य से समय-सीमा के पूर्व माण्डू उद्वहन सिंचाई परियोजना की स्वीकृति प्रदान करेगा? यदि हाँ, तो कब तक तथा स्वीकृति की कार्रवाई किस स्तर पर प्रचलित है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ, 18.25 मिलियन एकड़ फीट। (ख) 83.45 प्रतिशत जल का उपयोग कर लिया गया है एवं 16.55 प्रतिशत जल का उपयोग शेष है। (ग) तथ्यात्मक स्थिति यह है कि नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण अवार्ड 12 दिसम्बर, 1979 के अनुसार राज्यों के मध्य जल के बंटवारे का 45 वर्ष पश्चात कभी भी पुनरीक्षण किया जा सकता है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी नहीं। जी हाँ। (ड.) ऐसा कोई प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आपको धन्यवाद देना चाहती हूँ कि आपने जो एक व्यवस्था शुरू की है 10 बजे से जिन सदस्यों के प्रश्न लगते हैं उन्हें बुला करके उनकी भावनाओं को समझ करके आप उनका जो सपोर्ट करते हैं और उन्हें जो आत्म विश्वास पैदा करते हैं उसका जो आप कार्य कर रहे हैं उसके लिए मैं आपकी वाकई सदन में प्रशंसा करती हूँ.(मेजों की थपथपाहट) आज मैं भी आप से सुबह मिली और मैं आपका समर्थन चाहती हूँ कि मैंने जो प्रश्न लगाया है उसके लिए मैं आपको बताना चाहूँगी कि मैं नर्मदा उद्वहन सिंचाई योजना से संबंधित प्रश्न और इसमें मैं काफी समय से प्रयास कर रही हूँ और मेरा इसमें प्रयास करने का एक उद्देश्य यह है कि 1977-78 में जब मोरार जी भाई प्रधानमंत्री थे तब वे उस समय धार गए थे स्वर्गीय सकलेचा जी सिंचाई मंत्री थे, विक्रम वर्मा जी तत्कालीन विधायक थे और उस समय जनसभा के अन्दर मोरार जी भाई ने इसकी घोषणा की थी.
समय 11.19 बजे
गर्भ गृह में प्रवेश.
इंडियन नेशनल काँग्रेस के सर्वश्री पाँचीलाल मेड़ा, आरिफ मसूद सहित कुछ अन्य और माननीय सदस्यों का, उन्हें गेट पर रोके जाने के संबंध में नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में प्रवेश.
(श्री पाँचीलाल मेड़ा, श्री आरिफ मसूद, सहित कुछ अन्य और माननीय सदस्य उन्हें गेट पर रोके जाने के विरोध में नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में आए)
..(व्यवधान)..
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- उसका रिकार्ड मेरे पास नहीं है, मेड़ा जी, दो मिनट रुक जाओ ना. मेरी बात तो हो जाने दें.
....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नीना विक्रम वर्मा जी, आप तो बोलें. ....(व्यवधान)...
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- उस समय उन्होंने जनसभा में घोषणा की थी की नर्मदा का पानी धार लाया जाएगा. उसके बाद वर्ष 1979-80 के अंदर उसका सर्वे हुआ था. वर्ष 1980 में एक बैठक हुई थी मंत्रालय में....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- अपनी कुर्सी पर जाकर कहिए न. अपने आसन पर जाकर कहिए न. आप अपने आसन पर जाकर कहिए. आप वहां जाकर कहें, तो सुनेंगे. आप अपने आसन पर जाइए न, तब सुनुंगा...(व्यवधान)...
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मनोज चावला जी और हमारी पार्टी के सदस्यगण सदन के अंदर आ रहे थे, उनको गेट के बाहर रोका गया. जब अंदर आए, तो मनोज चावला जी को अंदर ही इनका हाथ पकड़कर इनको धक्का देकर पुलिस के अधिकारियों ने पटक दिया. क्या विधानसभा के सदस्यों को सदन के अंदर आने की अनुमति आपके द्वारा प्रतिबंधित की गई है...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं.
डॉ.गोविन्द सिंह -- अगर नहीं की गई है तो जिस पुलिस अधिकारी ने इस तरह का कृत्य किया है उसको...(व्यवधान).....
श्री आरिफ मसूद -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी विधायकों को पुलिस ने रोका और नीरज दीक्षित और हमारे आदिवासी विधायक का हाथ मोड़ा पुलिस वालों ने....(व्यवधान)....
डॉ.गोविन्द सिंह -- सदन में नहीं आएंगे. सदन में कार्यवाही को रोका जाएगा...(व्यवधान)..माननीय गृह मंत्री जी, आप तत्काल व्यवस्था करवाइए...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. आप बैठ तो जाइए. अपने आसन पर जाइए न...(व्यवधान)...
डॉ.गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था दें...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आप आसंदी पर जाइए. सुनिए, आप बैठ जाइए. सुन तो लीजिए...(व्यवधान)...यह गंभीर विषय है आप सुनिए तो, मैं कह रहा हॅूं, गंभीर विषय है. (माननीय सदस्यों के एक साथ अपने आसन से कुछ बोलने पर) हमारे खिलाफ नारा थोड़े ही लगाओगे. बैठ जाइए न. गंभीर विषय है. आप आवेदन दीजिए, निश्चित तौर पर मैं इसमें जॉंच कराकर कार्यवाही करूंगा. आप मुझे आवेदन दीजिए. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय , इस विषय में मैं सरकार की तरफ से बोलना चाहता हॅूं..(व्यवधान)..
श्री अजय विश्नोई -- अध्यक्ष महोदय, यह सदन की प्रतिष्ठा का सवाल है...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अजय विश्नोई जी, एक मिनट. अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना निवेदन करना चाहता हॅूं कि किसी भी विधायक की गरिमा को ठेस नहीं पहुंचेगी. (श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव, सदस्य के आपने आसन से खडे़ होकर कुछ बोलने पर) मुझे पूरी बात बोलने दीजिए, पंडित जी महाराज विराज तो जाइए...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हो गया...(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, इस सदन की गरिमा को बनाए रखना आपका और हमारा दोनों का दायित्व है. यह सम्मानित सदस्य लोग तख्तियां लेकर अंदर आ रहे थे, तख्तियों को रोका है न की विधायकों को रोका है, यह कहना गलत है माननीय अध्यक्ष महोदय. कभी कोई कमंडल लेकर आ जाएगा या कोई अस्त्र-शस्त्र लेकर आएगा...(व्यवधान)... अध्यक्ष जी, जहां तक इस परिसर का सवाल है इस परिसर के अंदर सर्वाधिकार आपका सुरक्षित है. इस परिसर के अंदर जो अधिकार है वह आपके पास सुरक्षित है....(व्यवधान)...हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि इस सदन की गरिमा बनी रहे. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज सुबह माननीय गोपाल भार्गव जी ने भी जो विषय उठाया था वह विषय भी इसी से रिलेटेड था. यह लोग, मैं सदन के अंदर (XXX) सुनने नहीं जाता, अब यह क्या है माननीय अध्यक्ष महोदय. यह निन्दा की बात नहीं है अंदर तक तख्तियां लेकर आएं हैं, कमंडल लेकर आए हैं, क्या निन्दा की बात नहीं है...(व्यवधान)...
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन के अंदर तो नहीं आए. सदन के बाहर महात्मा गांधी जी की मूर्ति के समक्ष लाने का अधिकार है, सदन के अंदर नहीं लाए थे. सदन के बाहर लाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है......(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्यमंत्री जी कर रहे हैं जो सबसे सीनियर नेता हैं यहां. जिनको मुख्यमंत्री होना चाहिए....(व्यवधान)..
श्री जितु पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय,..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मैं व्यवस्था दे रहा हॅूं. आप बैठ जाइए.(माननीय सदस्यों के एक साथ अपने आसन से कुछ कहने पर) आप बैठ तो जाइए....(व्यवधान)..
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें न्याय चाहिए. (XXX) कह रहे हैं माननीय गृह मंत्री जी. ऐसे शब्द का उपयोग कर रहे हैं या तो गृह मंत्री जी इस समय में उन पुलिस वालों को...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- अरे पंडित जी, बैठ जाइए न. बैठ जाइए....(व्यवधान).. माननीय सदस्यों से आग्रह है मेरी बात को सुन लीजिए. मेरा आग्रह है कि पूरी बात सुन लीजिए. इस परिसर के भीतर किसी भी माननीय सदस्य के सम्मान को ठेस नहीं पहुंचने देने की जिम्मेदारी मेरी है और जिम्मेदारी का निर्वहन मैं पूरी तरह से करूंगा. पर एक बात का ध्यान आपको भी रखना है (...व्यवधान...) सुन तो लीजिए, आप लोग सुनते नहीं हैं, आधे में खड़े हो जाते हैं. आध में मत खड़े हों, सुन तो लो... (...व्यवधान...)
श्री तरूण भनोत -- और परिसर के बाहर पिटवाएंगे. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- सुन तो लो. मैं केवल आग्रह करना चाहता हूँ कि अपने को चतुर्थ अनुसूची थोड़ी सी पढ़ लेनी चाहिए. वह भी पढ़ लें, हालांकि आपकी अर्जी आएगी, हम जांच कराएंगे, पर मैं केवल आपको याद दिला रहा हूँ. मध्यप्रदेश विधान सभा के सदस्यों द्वारा सदन के भीतर व बाहर अपनाई जाने वाली आचार संहिता के सामान्य नियम, इस नियम (ख) में आप पढ़ेंगे, इसमें लिखा है कि सदन में किसी प्रकार के बिल्ले नहीं लगाएंगे, न ही प्रदर्शन करेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष जी, सदन के अंदर.
श्री पांचीलाल मेड़ा -- सदन के अंदर की बात कर रहे हैं आप.. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- हां, सदन के अंदर, इसीलिए जांच.. (...व्यवधान...)
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष जी, पार्लियामेन्ट के अंदर भी तख्ती लगाकर महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास बैठने की अनुमति है.. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी, मैं कह क्या रहा हूँ, मैं इसीलिए कह रहा हूँ कि ये दोनों विषय हैं, इसकी आप अर्जी दीजिए, मैं जांच करा लूंगा और उसके बाद कार्यवाही करूंगा. (...व्यवधान...)
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष जी, अधिकारी ने विधायक का हाथ मरोड़ा.. (...व्यवधान...) ये अपने आप में बड़ी बात है ना साहब, इसमें तो संरक्षण आपको देना पड़ेगा, हाथ पकड़कर मरोड़ने के मामले में, हाथ पकड़कर मरोड़ा.. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी, जांच का तो कह दिया, जांच कराते हैं ना.. (...व्यवधान...)
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष जी, गृह मंत्री जी ने कहा कि सदस्यों का सम्मान रखना सरकार का और आपका दायित्व है. फिर इन्होंने कहा कि तख्तियां लेकर आ रहे थे तो तख्तियों को रोका, इनको नहीं रोका तो तख्तियां हाथ में से लेने के लिए हाथ तोड़ देंगे क्या (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, यह सब जांच का विषय है. (...व्यवधान...)
श्री जितु पटवारी -- ऐसा अधिकार है आपका, हाथ मरोड़ा है कि नहीं मरोड़ा (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- जितु जी, यह सब कहने से काम नहीं चलेगा, जो मर्जी कह लो, जांच कराएंगे ना, जांच का विषय है. (...व्यवधान...)
श्री तरूण भनोत -- सदस्य सदन के अंदर रो रहा है. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- तरूण जी, आप ही आरोप लगाते हैं, आप ही फैसला करते हैं. आरोप लगाए हैं तो उसकी जांच तो करने दो... (...व्यवधान...)
श्री पांचीलाल मेड़ा -- अध्यक्ष महोदय, हमें रोका गया है... (...व्यवधान...)
11.32 बजे गर्भगृह में प्रवेश एवं धरना
(श्री पांचीलाल मेड़ा, सदस्य सहित इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण सर्वश्री ओमकार सिंह मरकाम, श्री सुरेश राजे, श्री मनोज चावला, श्री रामलाल मालवीय एवं अन्य सदस्यगण गर्भगृह में आए और अपनी-अपनी बात कहते हुए धरने पर बैठ गए)
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष जी, जो (XXX) शब्द आया, यह मैं प्रश्न लाया हूँ, पटल पर रखना चाहता हूँ कि कृषि मंत्री ने 40 प्रश्नों के उत्तर नहीं दिए और भाषण (...व्यवधान...) तो (XXX) ही होता है ना... (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये. (...व्यवधान...)
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, हाथ मरोड़ा गया है(...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- बच्चन जी, ऐसे कैसे फैसला कर दूं. (...व्यवधान...) नहीं, ऐसा नहीं हो सकता. इस तरह का फैसला नहीं हो सकता. (...व्यवधान...) बिना आवेदन दिए, बिना जांच कराए फैसला नहीं हो सकता. (...व्यवधान...) प्रश्न क्रमांक 2 (...व्यवधान...)
श्री जितु पटवारी -- ये (XXX) सरकार नहीं चलेगी. (...व्यवधान...)
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने पहले बोला था (...व्यवधान...)
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, कृषि मंत्री जी ने 40 प्रश्नों के उत्तर नहीं दिए हैं और भाषण अलग देते हैं, उत्तर नहीं देते हैं, (XXX) कलम नहीं चलती. (...व्यवधान...)
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, वापस इसकी बैठक हुई थी, माननीय दिग्विजय सिंह जी सिंचाई मंत्री थे. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, इनके प्रश्न को सुन तो रहे हैं ना(...व्यवधान...)
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मंत्रालय में इसकी बैठक हुई और बैठक के अंदर इसके ऊपर आगे कार्यवाही करने की चर्चा हुई, लेकिन उसके बाद (...व्यवधान...) क्योंकि संसाधन कुछ भी नहीं थे, इसके कारण इसको आगे नहीं बढ़ाया गया, लेकिन जब नर्मदा ट्रिब्यूनल आया, उसके अंदर मध्यप्रदेश को अपने हिस्से के पानी का उपयोग करना था. आज जब मैंने प्रश्न लगाया तो मुझे जानकारी दी गई है कि मध्यप्रदेश ने अपने 83 प्रतिशत पानी का उपयोग कर लिया है. 16 प्रतिशत पानी बचा है और उनका कहना है कि ऐसा कोई प्रोजेक्ट धार से संबंधित माण्डू उद्वहन सिंचाई परियोजना का विचाराधीन नहीं है, लेकिन मेरी जानकारी में है कि 12.03.2020 को यह प्रोजेक्ट ... (...व्यवधान...)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष जी, मैं यह कह रहा हूँ कि आपने घटना की जांच के आदेश दिए (...व्यवधान...) आपने कहा कि जो जांच रिपोर्ट में आएगा, आप उस पर कार्यवाही करेंगे. अब सम्मानित सदस्य क्या चाहते हैं, ये भटकाना कि हाथ टूट गया, किसका हाथ टूट गया, किसी का हाथ नहीं टूटा, किसी को खरोंच भी नहीं आई (...व्यवधान...) कह रहे हैं कि हाथ टूट गया, माननीय अध्यक्ष महोदय, ये सदन के सामने बता दें किसका हाथ टूट गया. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी.. (...व्यवधान...)
श्री जितु पटवारी -- मेड़ा जी, उधर जाइये और गृह मंत्री को दिखा के आइये, ये देखो. (...व्यवधान...)
(श्री पांचीलाल मेड़ा, सदस्य द्वारा गृह मंत्री के आसन के समीप जाकर अपना फटा हुआ पायजामा दिखाया गया)
अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी, (...व्यवधान...) बोलने तो दीजिए ना, सुनिए तो.. आप बैठ तो जाइये. (...व्यवधान...)
एक माननीय सदस्य -- तत्काल कार्यवाही हो, तब तो बात बनेगी. कब तक कार्यवाही होगी. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी... (...व्यवधान...)
डॉ. गोविन्द सिंह -- सुनने कहां दे रहे हैं. (...व्यवधान...)
(व्यवधान के दौरान श्री उमाकांत शर्मा, सदस्य अपने आसन से उठकर गृह मंत्री के आसन के समीप आकर श्री पांचीलाल मेड़ा को अपने आसन पर जाने का इशारा किया, इस दौरान गर्भगृह में दोनों माननीय सदस्य आपस में जोर-जोर से बात करने लगे. कुछ माननीय सदस्य उनको अपने-अपने आसन पर वापस ले गए.)
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित.
(पूर्वाह्न 11.35 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.45 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
श्री कांतिलाल भूरिया -- एक आदिवासी विधायक का हाथ मरोड़ दिया...
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल हो जाने दीजिये ना.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, वर्ष 1979-80 के अंदर इसके ऊपर सर्वे भी हुआ था. 1980 में यहां पर मंत्रालय में बैठक हुई, दिग्विजय सिंह जी उस समय सिंचाई मंत्री थे.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, पहले इस पर चर्चा होनी चाहिये. एक आदिवासी विधायक का अपमान किया है.
श्री कांतिलाल भूरिया -- एक आदिवासी विधायक का बाहर पुलिस ने हाथ मरोड़ दिया. उनका हाथ दु:ख रहा है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, पहले इस पर चर्चा करवाइये पहले इस पर व्यवस्था दीजिये. इस पर पहले सरकार अपना जवाब दे.. (व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, इस पर जो चर्चा की मांग कर रहे हैं उसमें आपने तो व्यवस्था दे दी है. अब चर्चा तो इस पर होगी कि क्या विधायक सदन के अंदर ट्रेजरी के पास आकर दूसरे विधायक का गिरेबान पकड़ सकते हैं, अब चर्चा का विषय यह होगा. यह संसदीय परम्परा तोड़ी जा रही है. संसदीय परम्पराओं को जो तार-तार किया जा रहा है. इनकी बौखलाहट क्यों है यह समझ में आती है. यह क्यों विचलित हैं हम जानते हैं और इसलिये अब चर्चा इस बात पर होनी चाहिये. चर्चा उस बात पर नहीं होनी चाहिये, उसके ऊपर आपने व्यवस्था दे दी है. मैंने कहा कि उनका सम्मान हम रखेंगे, हमने उनके सम्मान की बात की, आसंदी ने उनके सम्मान की बात की, उसके बाद हिम्मत कैसे पड़ गई कि हमारे विधायक के गिरेबान पर हाथ डाल दिया ? यह सब बर्दाश्त नहीं होगा.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, गृह मंत्री जी गलत बोल रहे हैं. विधायक जी ने तो इन पर आक्षेप लगाया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, इनके नेताओं को माफी मांगनी चाहिये उसके बाद सदन आगे बढ़ाइये. ..(व्यवधान)...सदन चलाना अकेले हमारी जिम्मेदारी नहीं है और हम इतने कमजोर भी नहीं हुये, इतने हम मुर्दा आदमी नहीं हैं कि हम जवाब ना दे पाएं जवाब बराबरी से दिया जाएगा. विधायक के गिरेबान पर हाथ डाल दें और हम बैठे रहें. आपके सामने, आप बैठे हैं, आपने व्यवस्था दी थी पहले उनको, आपकी व्यवस्था के बाद उन्होंने ऐसा किया.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, इस पर आपकी व्यवस्था आनी चाहिये आदिवासी विधायक का अपमान किया, कपड़े फाड़े, हाथ मरोड़ा, उनको मारा उसके बाद आप आप देख रहे हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, आदिवासियों को मारा जा रहा है और आप मौन हैं.
डॉ. गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय उमाकान्त शर्मा जी ने पांचीलाल मेड़ा जी की गर्दन पकड़कर धक्का मुक्की की. क्या आदिवासी विधायक के साथ इस तरह से व्यवहार करना, अपमानित करना उचित है ?
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- गृह मंत्री जी, आप कैसा शासन चला रहे हैं आदिवासियों को मारा जा रहा है और आप देख रहे हैं, आप मौन हैं, आदिवासियों को मारा जा रहा है यह कौन सा तरीका है ?
अध्यक्ष महोदय -- वह माननीय सदस्य हैं, यहां पर वह हमारे विधान सभा के सदस्य हैं. आप बैठ जाइये मरकाम जी, नेता प्रतिपक्ष जी, सब लोग बैठ जाइये. मैं कुछ बोल दूं शायद उसके बाद आवश्यकता नहीं पड़े. मेरी बात सुनिये आप. एक तो सब इस बात को स्पष्ट तौर पर अपने ध्यान में रखें कि हमारे इस सदन के भीतर जो बैठे हैं सब माननीय सदस्य हैं इनको किसी तरह आदिवासी, एससी के नाम से हमको नहीं कहना है. यह हमारे माननीय सदस्य हैं. पहली बात तो यह हमको याद रखनी है. दूसरा, मैंने आदेश कर दिया है. अभी आप लोग कक्ष में आ जाइये. विधायक जी भी आ जाएं, आप सब कक्ष में आ जाइये बात कर लेते हैं उसमें क्या कर सकते हैं और जांच रिपोर्ट को मैं परसों आपके सामने प्रस्तुत कर सकता हूं.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, अभी कल जब राष्ट्रपति महोदया की बात की जा रही थी तो क्या कहा जा रहा था कि आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन गईं. आज एक आदिवासी विधायक का अपमान हुआ है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं मैं भीतर की बात कह रहा हूं. अंदर मैं अपनी बात कर रहा हूं.
डॉ. गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, सदन के अंदर अभी आपके जाने के बाद, सदन स्थगित करने के बाद माननीय उमाकान्त शर्मा जी ने माननीय पांचीलाल मेड़ा जी की गर्दन पकड़ी और उनके साथ धक्का मुक्की की. क्या सदन के अंदर विधायक का यह आचरण स्वीकार है. उमाकान्त शर्मा जी ने गर्दन पकड़ी. क्या सदन के विधायक दूसरे विधायक पर हमला करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- घटना की जांच करने के आदेश दिये जा चुके हैं. कृपया प्रश्नकाल चलने दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी बिलकुल असत्य बोल रहे हैं. आप असत्य बोल रहे हैं. यह कुछ भी बोलते हैं.. .(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही प्रश्नकाल तक के लिये स्थगित की जाती है.
(पूर्वाह्न 11.50 बजे सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल तक के लिये स्थगित की गई)
12.13 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय - अब प्रधान महालेखाकार ग्वालियर, मध्यप्रदेश द्वारा प्रस्तुत 'ड्राफ्ट रिपोर्ट ऑफ कंप्लायंस ऑडिट ऑन टेक होम राशन' के संबंध में भ्रम की स्थिति निर्मित होने के परिप्रेक्ष्य में मुख्यमंत्री जी अपना वक्तव्य देंगे.
श्री कमलनाथ (छिंदवाड़ा) - अध्यक्ष महोदय, आज मैं सदन में पहली दफा इस सीट पर बैठा हूं. हमारे प्रतिपक्ष के नेता डॉ. गोविन्द सिंह जी को मैं बधाई देता हूं. (मेजों की थपथपाहट) मैं कल नहीं था. अब डॉ. गोविन्द सिंह जी से सबका आग्रह है कि यह सीट गर्म रखें और पक्की रखें ताकि श्री शिवराज जी यहां आकर बैठें.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - एक बात तो है कि डॉ. गोविन्द सिंह ने आपको दो नम्बर का तो कर दिया.
श्री कमलनाथ - यह तो मैं स्वीकार करता हूं. यह तो मैं अच्छी तरह स्वीकार करता हूं, इसलिए तो मैंने उनको सीट दी है.
अध्यक्ष महोदय - आपकी अंतिम लाइन को छोड़कर बाकी सब में आपके साथ सहमत होते हुए बधाई दे चुके हैं अंतिम लाइन को छोड़ते हुए, बाकी सबने बधाई दी है.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - अध्यक्ष महोदय, पोषण आहार घोटाले पर मैंने और हमारे साथियों ने स्थगन प्रस्ताव रखा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
डॉ. गोविन्द सिंह - और कल आपने आश्वासन दिया था कि चर्चा कराएंगे, परन्तु चर्चा न होकर ..
अध्यक्ष महोदय - व्यवस्था का प्रश्न आया है.
डॉ. गोविन्द सिंह - यह गलत परंपरा है. आज तक 30-32 साल के समय में..
अध्यक्ष महोदय - उसको सुन तो लीजिए, उसको सुनना पड़ेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैंने कभी नहीं सुना, न देखा, न चर्चा हुई कि स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा न होकर पहले जवाब आए. मैं माननीय मुख्यमंत्री और शासन से निवेदन करना चाहता हूं कि पहले हमारे स्थगन पर चर्चा हो और अगर हमारे कार्यकाल में गलत हुआ है, आपके कार्यकाल में गलत हुआ है, हम नहीं रोकना चाहते, अगर हम दोषी हैं तो कार्यवाही करें, लेकिन आप चर्चा से क्यों भागना चाहते हैं? मुख्यमंत्री जी चर्चा कराने से क्यों भयभीत हैं? इस पर चर्चा होना चाहिए, तब हम मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य सुनेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट आफ आर्डर है. जैसा सम्मानित नेता प्रतिपक्ष ने जो विषय उठाया है. जो नियम प्रक्रिया है उसमें स्पष्ट है कि आसंदी की व्यवस्था आने के बाद पुन: उस बात को शुरू नहीं किया जाता फिर भी जहां तक नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि ऐसा वक्तव्य नहीं आता. नई परंपरा है. 78 बार ऐसे वक्तव्य यहां पर दिये गये और यह परंपरा नई नहीं है वह चाहेंगे तो हम यह उनको दे सकते हैं. तीसरी बात, माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी कह रहे हैं कि जवाब नहीं दिया जायेगा. परंपरा यही है कि जब वक्तव्य पढ़ा जाता है तो नेता प्रतिपक्ष जी वक्तव्य का जवाब देते हैं और उसके बाद जो ट्रेजरी बेंच से वक्तव्य पढ़ता है वह उसका जवाब देता है. यह सारी परंपरा है. अब कांग्रेस चर्चा से क्यों भागना चाहती है यह भविष्य के गर्त में है लेकिन आपने व्यवस्था दी है और आप मुख्यमंत्री जी को बुला चुके इसीलिये मेरी प्रार्थना है कि यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है. जो भ्रम फैलाया जा रहा है वह भ्रम पूरी तरह साफ हो जायेगा. इनके पाप हम नहीं ढोने वाले हैं इसीलिये इसको प्रारंभ करें.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मुख्यमंत्री जी.
डॉ.गोविन्द सिंह - यह तो (XXX) है अध्यक्ष जी. आप सदन चलाना चाहते हैं कि नहीं. इतने घोटाले हुए हैं मध्यप्रदेश सरकार में.(.व्यवधान..)
डॉ.नरोत्तम मिश्र - यह बाहर जाकर (XXX) अध्यक्ष महोदय. हिम्मत है तो चर्चा करो. हिम्मत है तो बात करो. हिम्मत है तो चर्चा करो. हां हमारा नेता सदन में बोलेंगे और आपका भी जवाब देंगे.(..व्यवधान..) (XXX)
डॉ.गोविन्द सिंह - स्थगन प्रस्ताव पर पहले कभी जवाब नहीं आया अध्यक्ष जी.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाईये.(..व्यवधान..) आप सुन लें. आप बैठ जाईये.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, चर्चा कराएं. यह बीस हजार करोड़ का (XXX) है. यह घोटाला है बच्चों के हिस्से का राशन खा गये.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ तो जाईये.
श्री पांचीलाल मेड़ा - अध्यक्ष महोदय, मेरे साथ इस तरह का दुर्व्यवहार हुआ.
12.18 बजे
गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
( सर्वश्री पांचीलाल मेड़ा,बाला बच्चन श्री ओमकार सिंह मरकाम अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आए )
अध्यक्ष महोदय - आप अपने आसन पर जाएं. हमने उसमें जांच का आदेश कर दिया.
गर्भगृह से वापसी
( सर्वश्री पांचीलाल मेड़ा,बाला बच्चन, ओमकार सिंह मरकाम अध्यक्ष महोदय के समझाने पर अपने-अपने आसन पर वापस गए.)
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, बीस हजार करोड़ का घोटाला है. 17 साल में प्रदेश को (XXX). बच्चों के नाम के (XXX). इस पर चर्चा जरूरी है.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट आफ आर्डर है. सरकार की तरफ से समय-समय पर वक्तव्य आते हैं. सरकार अपना वक्तव्य रखती है और उस पर कोई प्रतिक्रिया देना है तो नेता प्रतिपक्ष उस पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं और माननीय कमलनाथ जी, संसद में संसदीय दल के नेता रहे हैं वह इस बात को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि सरकार की तरफ से जब भी कोई महत्वपूर्ण विषय होता है उस पर वक्तव्य आता है और विपक्ष के नेता उस पर यदि वे चाहें तो अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं. माननीय कमलनाथ जी संसद में बहुत अच्छे संसदीय कार्य मंत्री के रूप में थे और वे इस बात को जानते हैं कि सरकार को यह अधिकार हमेशा होता है कि वह अपनी तरफ से किसी भी नीति को लेकर,घटना को लेकर, और यह पहली बार ऐसा हो रही है कि माननीय मुख्यमंत्री जी, स्वयं अपनी तरफ से इस बात को कह रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह - यह घोटाला है.
श्री भूपेन्द्र सिंह - आप सुन लें. घोटाला कहां से हो गया. जब कोई गड़बड़ी नहीं हुई तो घोटाला कैसे हो गया.(..व्यवधान..)
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय, इसमें भ्रष्टाचार हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - आप सुन तो लें.
नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह)-- माननीय अध्यक्ष जी, विपक्ष से मेरा आग्रह है, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी और माननीय कमल नाथ जी से मेरा आग्रह है कि माननीय मुख्यमंत्री जी अपना वक्तव्य पढ़ दें उसके बाद नेता प्रतिपक्ष जी अपनी प्रतिक्रिया जो भी उस पर देना चाहें...(व्यवधान)... और आप कोई सप्लीमेंट्री करेंगे, हम लोग जवाब देंगे. आप सप्लीमेंट्री करो न हम जवाब देंगे ...(व्यवधान)... वक्तव्य देने से आप नहीं रोक सकते. ...(व्यवधान)... यह परंपरा उचित नहीं है. ...(व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- इनका वक्तव्य हम क्यों सुनेंगे. ...(व्यवधान)...
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह)-- शासन के हित में जनता के हित में वक्तव्य दिया जा सकता है ...(व्यवधान)... लेकिन यह हमारा स्थगन प्रस्ताव है, इसमें सरकार गले-गले तक भ्रष्टाचार में डूबी है. अगर हम दोषी हैं तो हम जवाब देंगे ...(व्यवधान)...
श्री भूपेन्द्र सिंह-- घोटाला किसने किया, सब सामने आ जायेगा. ...(व्यवधान)... पहले सुन तो लो. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- अभी नेता प्रतिपक्ष जी ने जो सवाल खड़ा किया है उसके बारे में सुन लीजिये, बाद में बात करिये. 12 मार्च 1981 को चंबल परियोजना के संबंध में तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा सिंचाई मंत्री द्वारा वक्तव्य दिया गया जिसके संबंध में सदन में अनेक तत्कालीन सदस्यों के द्वारा कतिपय जानकारियां चाही गईं जिसके संबंध में वक्तव्य देने वाले उप मुख्यमंत्री द्वारा सदस्यों को स्थिति भी स्पष्ट की गई. यहां तक कि कुछ तथ्य व जानकारी उपलब्ध न होने से उसे अगले दिन शून्यकाल में सदन में देने हेतु भी आसंदी से तत्कालीन उप मुख्यमंत्री को निर्देश दिये गये.
इसी तरह 8 मार्च 2001 को सदन में वाणिज्यिक कर मंत्री द्वारा आबकारी नीति के संबंध में वक्तव्य दिया गया, तत्समय भी नेता प्रतिपक्ष के अतिरिक्त अन्य सदस्यों को अपनी बात रखने का अवसर दिया गया. ऐसे ही 16 नवम्बर 2000 को तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारा सत्ता को ग्राम स्वराज के द्वारा जनता के नजदीक ले जाने संबंधी विस्तृत वक्तव्य दिया गया, जिस पर तत्कालीन माननीय नेता प्रतिपक्ष द्वारा भी न केवल विस्तुत प्रतिक्रिया दी गई बल्कि अन्य सदस्यों द्वारा भी हस्तक्षेप के साथ तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री द्वारा कही गई बातों के संबंध में स्थिति भी स्पष्ट की गई. इस प्रकार शासन के वक्तव्य पर पूर्व में नेता प्रतिपक्ष के साथ अन्य सदस्यों द्वारा भी चर्चा में भाग लिया गया. ...(व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- यह तो जानकारी है वक्तव्य ...(व्यवधान)...
डॉ. गोविंद सिंह-- अध्यक्ष जी, आप हमें समझायेंगे, इस तरह समझ में नहीं आयेगा ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- (XXX)...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- अध्यक्ष महोदय, यह चर्चा करें भाग क्यों रहे हैं इतने (XXX) और उस पर चर्चा नहीं करना चाहते. ...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी-- अध्यक्ष जी, आदरणीय गृहमंत्री जी ने कहा कि हम आपके पाप को ढो रहे हैं, इनके पास जो तथ्य है, तर्क है मुख्यमंत्री जी अपने वक्तव्य में बोलेंगे भी, 15 विधायकों ने 139 पर और स्थगन पर आपसे चर्चा मांगी है तो आप इसकी वजाय मुख्यमंत्री जी की नीयत ठीक है, वह बताना चाहते हैं कि हमसे पोषण आहार में कोई घपला नहीं हुआ तो हम अपनी बात कहेंगे वह उनकी कहेंगे तो फिर किस बात से बचना चाहते हैं, यह तो क्लीयर है न तो आप उस पर चर्चा क्यों नहीं करना चाहते ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, बिलकुल बचना नहीं चाहते, आप इसको सुनो उसके बाद उस पर निर्णय ले लो. ...(व्यवधान)... जिस चीज पर व्यवस्था आ गई है उसको सुनो, उसके बाद निर्णय लो ...(व्यवधान)... अध्यक्ष महोदय यह आपका अधिकार है. ...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी-- जिन्होंने खाया है वह जेल जायें. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- चर्चा से क्यों घबरा रहे हो. ...(व्यवधान)...
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, सवाल इस बात का है कि नीतिगत विषयों पर मुख्यमंत्री जी सरकार के मंत्री अपना वक्तव्य दे सकते हैं. यह कोई नीति नहीं है, कौन सी नई नीति आप बना रहे हैं. यह नीति नहीं है, यह हमारा निवेदन है. हमने स्थगन और 139 की चर्चा रखी है. पहले हमारी बात सुनी जाये, इसके बाद माननीय मुख्यमंत्री जी वक्तव्य दें. अगर हमने घोटाला किया है तो हमारे ऊपर आप सरकार में बैठे हैं, आपका अधिकार है, आप हमें जेल में भेजिये. हमने किया होगा तो हम जेल जायेंगे, तो आप क्यों इतने भयभीत हैं? ( मेजों की थपथपाहट) चर्चा क्यों नहीं सुनना चाहते हैं. चर्चा के बाद वक्तव्य दें, यह कोई नीतिगत नहीं है.(व्यवधान..)
लोक निर्माण मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर है. .(व्यवधान..)
डॉ.गोविंद सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन को गुमराह नहीं किया जा सकता है.सदन में आज तक कभी भी स्थगन पर जवाब पहले, बाद में चर्चा कहां हुई है, एक उदाहरण बतायें? आजादी के बाद मध्यप्रदेश की विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के बाद ही जवाब सरकार ने दिया है. .(व्यवधान..)
श्री गोपाल भार्गव -- डॉ.साहब एक मिनट मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर है. .(व्यवधान..)
डॉ.गोविन्द सिंह -- कोई नहीं, पूरे विश्व में, पूरे हिंदुस्तान में और आपके विधानसभा में. .(व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी, उनका प्वाइंट ऑफ आर्डर आ रहा है. .(व्यवधान..)
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे ही प्रश्नकाल आज प्रारंभ हुआ है, मुख्यमंत्री जी वक्तव्य देने के लिये खड़े हुए, आपने व्यवस्था दी. प्रश्नकाल पूरा हो जाने दीजिये, इसके बाद में आपके लिये भी अवसर दिया जायेगा.
डॉ.गोविन्द सिंह -- कल अध्यक्ष महोदय, ने मुझे भी आश्वासन दिया था कि कल चर्चा कराऊंगा. .(व्यवधान..)
श्री गोपाल भार्गव -- डॉ.साहब एक मिनिट, शासन को ट्रेजरी ब्रेचेंस को, सी.एम.को, हम सब लोगों के लिये यह अधिकार है कि किसी भी विषय पर कभी भी हम लोग वक्तव्य दे सकते हैं, यह हमारा अधिकार है. इस अधिकार के लिये बाधित नहीं किया जा सकता है और उसको बाधित करने का जो प्रयास हो रहा है, यह सही नहीं है. .(व्यवधान..)
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य स्वीकार करता हूं, अगर वह इस विषय को छोड़कर अन्य विषय पर वक्तव्य दें. .(व्यवधान..)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- तीन साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार होता है यदि वक्तव्य देना चाहते हैं तो उस पर वक्तव्य दे दें. .(व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय --( एक से अधिक माननीय सदस्य के अपने आसन से बार-बार बोलने पर) आप बैठ तो जाईये, सदन के नेता खड़े हैं, सदन के नेता बोलना चाहते हैं .(व्यवधान..)
मुख्यमंत्री(श्री शिवराज सिंह चौहान) -- माननीय अध्यक्ष महोदय . .(व्यवधान..)
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पोषण आहार को छोड़कर मुख्यमंत्री जी जिस विषय पर नीतिगत मामले पर वक्तव्य देना चाहते हैं, वह दें, हम उसका जवाब देंगे, लेकिन स्थगन पर वक्तव्य नहीं, आपके पास कोई और विषय नहीं है क्या ? . .(व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- सदन के नेता बोलना चाहते हैं, आप बैठ तो जाईये. .(व्यवधान..) ( एक से अधिक माननीय सदस्य के अपने आसन से बार-बार बोलने पर) सदन के नेता बोलना चाहते हैं, आप बैठ जायें. वह अभी वक्तव्य नहीं दे रहे हैं, वह अभी बोलना चाह रहे हैं. .(व्यवधान..)
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप (XXX) चलाना चाहते हो, आप प्रजातंत्र का गला घोंटना चाहते हो. प्रजातंत्र का गला नहीं घोटने देंगे, इस सदन में प्रजातंत्र का गला नहीं घोटने देंगे.(व्यवधान..)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- तीन साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार होता है, मुख्यमंत्री जी की नाक के नीचे, उस पर वक्तव्य दें, घोटाले पर क्यों वक्तव्य देंगे ? (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- अभी वक्तव्य नहीं दे रहे हैं, अभी तो कुछ कह रहे हैं. .(व्यवधान..)
श्री कुणाल चौधरी – (XXX). .(व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- (श्री जितू पटवारी और श्री प्रियव्रत सिंह, सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) अरे जितू जी, अभी वक्तव्य नहीं दे रहे हैं, श्री प्रियव्रत सिंह, अभी वक्तव्य नहीं दे रहे हैं, अभी कुछ कह रहे हैं, तो वह तो सुन लीजिये. .(व्यवधान..)
डॉ.गोविन्द सिंह -- इस विषय को छोड़कर वक्तव्य दें .
अध्यक्ष महोदय -- अभी वह वक्तव्य नहीं दे रहे हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप चर्चा नहीं कराना चाहते हैं, आपसे गुहार है कि इस पर चर्चा करवा दें, स्थगन ले लें इस पर(व्यवधान..)
डॉ.गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, पोषण आहार में हमने जो स्थगन दिया है, उस पर चर्चा नहीं हो सकती है और वक्तव्य दे रहे हैं, यह तो सदन के प्रजातंत्र का उल्लंघन है, सदन की अवमानना है. .(व्यवधान..)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री(श्री भूपेन्द्र सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से, कमलनाथ जी से आग्रह है कि आप वक्तव्य सुन लें और उस पर प्रतिक्रिया देने का अधिकार नेता प्रतिपक्ष जी को है, इसके बाद अगर आप .(व्यवधान..)
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे स्थगन के बाद ही इस पर चर्चा होगी. .(व्यवधान..)
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बार-बार निवेदन साथीगण कर रहे हैं कि इस मामले में स्थगन है, मैं माननीय नगरीय प्रशासन मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं. .(व्यवधान..)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- श्री भूपेन्द्र सिंह जी भोपाल में बड़ी घटनाएं हुई हैं, उन पर मुख्यमंत्री जी वक्तव्य नहीं दे रहे हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह -- मेरा सिर्फ यह अनुरोध है कि इस मामले में स्थगन है, उसी में आप वक्तव्य क्यों देना चाहते हैं? आप किसी और मामले में वक्तव्य दीजिये, प्रदेश में हजारों समस्याएं हैं, हम सुनने के लिये तैयार है, हम आपकी बात सुनेंगे, माननीय मुख्यमंत्री जी की बात सुनेंगे, परंतु आप आपकी बात उसी विषय पर करना चाह रहे हैं, जिस पर स्थगन प्रस्तुत है, आप चर्चा क्यों नहीं कराना चाहते हैं, चर्चा से क्यों बचना चाहते हैं. आप चर्चा से बचना चाहते हैं और आप जबर्दस्ती करेंगे तो आपकी बात कौन सुनेगा और क्यों सुनेंगे आपकी बात? .(व्यवधान..)
श्री भूपेन्द्र सिंह -- आप सुन तो लें. .(व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- (एक से अधिक सदस्यों के अपने आसन से कुछ कहने पर) आप सभी एक साथ क्यों बोल रहे हैं. .(व्यवधान..)
श्री प्रियव्रत सिंह -- आप जबर्दस्ती बोलेंगे, हम आपकी बात सुनने के लिये यहां आये हैं. .(व्यवधान..)
श्री भूपेन्द्र सिंह -- सदन के नेता खड़े हैं. .(व्यवधान..)
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सरकार चर्चा नहीं कराना चाहती है. .(व्यवधान..)
श्री प्रियव्रत सिंह -- आप चर्चा कराईये, हम चर्चा कराने के लिये तैयार हैं, हम आपकी बात जबर्दस्ती क्यों माने, क्या आप जो बोलना चाहते हैं, वह हम बोलें. .(व्यवधान..)
डॉ. गोविन्द सिंह -- अगर मुख्यमंत्री जी स्वीकार कर लें कि घोटाला हुआ है और सदन में वह खेद व्यक्त करते हैं तो हम स्थगन वापस ले लेंगे. वह खेद व्यक्त करें कि घोटाला हुआ है और सरकार ने किया है. .(व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- अरे नेता प्रतिपक्ष जी, वह अभी वक्तव्य नहीं दे रहे हैं, वह कुछ कहना चाहते हैं, वह तो सुन लीजिये.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो यह मानता हूँ कि मैंने स्वयं होकर इस विषय पर सारी स्थिति स्पष्ट करने का ....
अध्यक्ष महोदय - (विपक्ष के कुछ माननीय सदस्यों के खड़े होकर बोलने पर) आप सुन लें. अभी तो माननीय मुख्यमंत्री जी वक्तव्य नहीं दे रहे हैं न.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष जी, मुख्यमंत्री जी ने विधायक दल में कहा है कि हम विपक्ष की बात नहीं सुनेंगे, जवाब नहीं देंगे व अपनी नीति के तहत चलेंगे.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - कुछ समझ में नहीं आ रहा है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष बोलें, विपक्ष बोले, हमें आपत्ति क्या है. आप बोलियेगा, फिर जवाब भी देंगे. चर्चा से भागने का कोई प्रश्न ही पैदा नहीं होता. अगर चर्चा से भागना ही होता तो हम चर्चा शुरू क्यों करते.
डॉ. गोविन्द सिंह - चर्चा स्वीकार कर रहे हैं हम.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) - (विपक्ष के कुछ माननीय सदस्यों के खड़े होकर बोलने पर) माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन के नेता खड़े हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, वक्तव्य के बाद, माननीय नेता प्रतिपक्ष बोलें. आप जिसको एलाऊ करते हैं, वह बोले.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष जी, मेरा मुख्यमंत्री जी से मेरा विनम्र आग्रह है कि आप व्यवस्था बनाएं, सदन की कार्यवाही रोककर.
(..व्यवधान..)
श्री भूपेन्द्र सिंह - सदन के नेता खड़े हैं, (विपक्ष के कुछ माननीय सदस्यों के खड़े होकर लगातार बोलने पर) आप कैसे खड़े हो सकते हैं. यह सदन की परम्परा है.
(..व्यवधान..)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी व्यवस्था के बाद यह उचित नहीं है. नेता प्रतिपक्ष बोलें, बाकि माननीय सदस्य बोलें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं उन पर नहीं बोल रहा हूँ.
श्री जितु पटवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी पूरी बात सुनी जायेगी और सुनना चाहिए. यह हमारा दायित्व है, पर चर्चा दोनों तरफ से करें, आप केवल बोल कर चले जाएं और फिर चर्चा नहीं हो. ऐसा नहीं होगा, यह लोकतांत्रिक नहीं है. नियमानुसार यह चर्चा नियम 139 में करवाओ, स्थगन पर करवाओ, हम इसके लिए तैयार हैं. फिर आप अपना बयान दो. आपका स्वागत है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष जी की अनुमति से बोलेंगे, नेता प्रतिपक्ष बोलें और वह सदस्य जिसको अध्यक्ष जी अनुमति देंगे, वह बोले.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मुख्यमंत्री जी को स्थगन सुनने में डर क्यों लग रहा है ? स्थगन हमसे पढ़वा लो, स्थगन पर बहस करवा लो. फिर जवाब दे दें.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा माननीय नेता प्रतिपक्ष जी और माननीय कमलनाथ जी से आग्रह है कि माननीय मुख्यमंत्री जी अपना वक्तव्य रख दें. उसके बाद आप जो भी वक्तव्य देना चाहें, वह दें और सरकार उसका जवाब देने के लिए तैयार है. अब इसमें आपत्ति कहां है ? माननीय अध्यक्ष महोदय.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष जी, पहले हम चर्चा करना चाहते हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह - आप पहले हमारी बात सुन लें, फिर आप अपना जवाब दे दो.
श्री भूपेन्द्र सिंह - सुनेंगे, सुनेंगे. आपकी बात सुनेंगे.
श्री प्रियव्रत सिंह - आपका काम तो जवाब देने का है.
श्री भूपेन्द्र सिंह - नेता प्रतिपक्ष बोलते ही हैं माननीय.
श्री प्रियव्रत सिंह - नेता प्रतिपक्ष बोलें, आप हमसे सुन लें, हमारे सदस्यों से सुन लें. यह बड़ा मामला है. उसके बाद माननीय मुख्यमंत्री जी जवाब दें.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - आप सुन लीजिये.
श्री प्रियव्रत सिंह - हमारी आवाज दबा दी जाये.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, बिल्कुल नहीं दबा रहे हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह - हम यहां पर बोलने के लिए आए हैं. हम अपनी बात रखने के लिए आए हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप मेरी भी आवाज मत दबाओ. आप मुझे भी बोलने दो.
श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह तो आवाज दबाने का काम हो गया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, यह तो पहली बार ऐसी स्थिति बन रही है कि सत्ता पक्ष अपनी बात कहना चाह रहा है और विपक्ष अपनी शर्तों पर हमें दबाकर अपनी बात को हमारे मुंह से कहलवाना चाह रहा है. अध्यक्ष महोदय, अगर इनको किसी बात की चर्चा करनी है तो वक्तव्य तो आने दें. आपने व्यवस्था दी है. उसके बाद में अगर यह 139 पर चाहते हैं, स्थगन पर चाहते हैं तो उसके बाद में हम बैठने को तैयार हैं. (..व्यवधान..) माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने आपके सामने कहा कि इनके 2-3 लोग बोलें. उसमें कोई बुराई नहीं है. उसके बाद जवाब देंगे. लेकिन पता नहीं क्यों भाग रहे हैं, किस बात का डर है? बताओ तो सही. आप व्यवस्था से क्यों भाग रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - आपकी सरकार भाग रही है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप अगली चर्चा चाहते तो अध्यक्ष जी के आदेश पर नियम एवं प्रक्रिया के तहत बात करेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह - कोरोनाकाल में 250 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. सरकार चर्चा से भाग रही है. सदन में तत्काल कार्य रोककर स्थगन के प्रस्ताव पर चर्चा कराई जाये. अध्यक्ष जी, यह मेरा अनुरोध है और आपने आश्वासन भी दिया था.
श्री भूपेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्वाइंट ऑफ ऑर्डर है.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, आपने आश्वस्त किया था. जब सदन में स्थगन प्रस्ताव रखा गया हो और अगर ऐसा एक भी उदाहरण है तो हम आपकी बात स्वीकार करने को तैयार हैं. अगर प्रस्ताव पर पहले जवाब, फिर हमारी बात सुनी जायेगी, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ. मैं यह बात स्वीकार करता हूँ कि मुख्यमंत्री को, सरकार को अपना वक्तव्य देने का अधिकार है. आप इस विषय को छोड़कर, वक्तव्य दें, हम सुनेंगे. आप एक नहीं, चार दे दें, दस दे दें. आप इस पर वक्तव्य क्यों दे रहे हैं ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - इस वक्तव्य में दिक्कत क्या है ? यह तो बताओ.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप इतने भयभीत क्यों हैं ?
(..व्यवधान..)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - वक्तव्य में दिक्कत क्या है, ये तो बताएं अध्यक्ष महोदय, ये कहां चोरी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, दाल में काला नहीं, पूरी दाल काली है, ये भाग रहे है, सुनने की क्षमता नहीं. (...व्यवधान) गरीब बच्चों के पोषण आहार में ठेकेदारों को देने का जो (XXX) कमलनाथ जी ने किया है ये उससे भाग रहे हैं. (...व्यवधान) सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं की हाथ में हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने जो व्यवस्था दी, जिसको कांग्रेसियों ने बदला है, ये उस पाप से बचना चाहते हैं. उस पाप के डर से बचना चाहते हैं. (...व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - डंके की चोट पर चर्चा करवाना चाहते हैं. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - पहले भूपेन्द्र सिंह जी का हो जाए, उसके बाद बोलिएगा. (...व्यवधान)
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, (...व्यवधान) सदन की ये मान्य परम्परा है. माननीय कमलनाथ जी यहां पर सबसे वरिष्ठ सदस्य है. ये सदन की मान्य परम्परा है कि जब सदन के माननीय नेता या नेता प्रतिपक्ष बोलने के लिए खड़े होते हैं, तो हम सभी को चाहे इस तरफ के लोग हो, चाहे उस तरफ के लोग हो, सभी को इस परम्परा का पालन करना चाहिए. हमारी मध्यप्रदेश की विधान सभा हमेशा देश में एक अलग तरह की पहचान हमारी विधान सभा की है. सुन ले आप. (...व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष जी, ये बच्चों के निवाले का मामला है(...व्यवधान) सवाल लगे हैं. भूपेन्द्र सिंह जी आप चर्चा करें. (...व्यवधान)
श्री हरिशंकर खटीक - सच्चाई सुनिए, सच्चाई सुनने की आदत डालिए. (...व्यवधान)
श्री कमल नाथ - अध्यक्ष जी, अभी भूपेन्द्र सिंह जी ने जिक्र किया था कि मैं ससंदीय कार्यमंत्री था. काफी समय मैं संसदीय कार्यमंत्री था और संसदीय कार्यवाही की मुझे मैं समझता हूं, सबसे ज्यादा जानकारी है. जब भी एक राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय दुर्घटना होती है तो वहां सदन के नेता प्रधान मंत्री उस पर शुरू में ही एक वक्तव्य देते हैं. पर आज की क्या स्थिति है यह हमें समझने की जरूरत है. आज की स्थिति यह है कि 15 स्थगन प्रस्ताव लगे, वे स्थगन प्रस्ताव या तो आप स्वीकार करें, या आप अस्वीकार करें, अगर आपने अस्वीकार किया है तो किस विषय पर बात-चीत होगी, एक विषय होना चाहिए. मैं सदन की कार्यवाही का सम्मान करना चाहता हूं और हम सभी मिलकर सम्मान करना चाहते हैं, आप रक्षक हैं उसके और उसी की आप रक्षा करिए. हमें कोई चिन्ता नहीं है, मुख्यमंत्री जी की बात सुनने में पर जो चिन्ता हमें हैं कि इनकी बात तो हो गई, ये
XXX : निर्देशानुसार विलोपित.
किस चीज का दबाव देंगे हमें, हम तो बोलेंगे, ये कार्यवाही ऐसी होती है कि हमारी बात सुनी जाती है (मेजों की थपथपाहट...) और उसके बाद माननीय सदन के नेता, मुख्यमंत्री जो बोलना चाहे बोले, जो कहना चाहे, जो टिप्पणी करना चाहे, हमारे सदस्यों को जो जवाब देना चाहे, वह दें. पर यहां तो उल्टा शुरू हो रहा है. समस्या, आज सभी की पीड़ा ये है जो आज यहां बैठे हैं और यही पीड़ा मैं आप तक पहुंचाना चाहता हूं. (मेजों की थपथपाहट...)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय कमल नाथ जी, संसदीय ज्ञान के बड़े जानकार हैं. हम उनका आदर करते हैं, लेकिन माननीय अध्यक्ष जी क्या सरकार को ये हक नहीं है क्या कि कोई महत्वपूर्ण घटना हो जाए, जिसमें भ्रम फैलाया जा रहा हो, तो वह अपनी बात रख सके. मुझे तो लगता था कि आप प्रशंसा करेंगे कि नहीं, आपने खुद होकर ये कदम उठाया है. (...व्यवधान) उसके बजाए अगर कोई स्थिति है. (...व्यवधान) जिस पर भ्रम फैलाने के प्रयास हो रहे हैं और मैं उसको वक्तव्य के माध्यम से स्पष्ट करना चाहता हूं तो उसमें दिक्कत क्या है. (...व्यवधान)
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने व्यवस्था दी है और वक्तव्य के बाद, (...व्यवधान) देखिए मैंने कमल नाथ जी को आदर के साथ सुना है, ये आपत्तिजनक है. (...व्यवधान)
श्री जितु पटवारी - (...व्यवधान) ये घोटाला है, घटना कैसे मानते हो आप और ये घटना कैसे हैं बताएं आप. कुपोषण कों, अनाज का, राशन का घोटाला हुआ, उसमें वक्तव्य है, वक्तव्य में तो दोनों तरफ से चर्चा आएगी. (...व्यवधान) आप ऐसे कैसे कर सकते हो, कोई घटना हो गई, कोई मर गया.. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए. सज्जन सिंह जी आप बैठ जाइए, फिर बोलिए.
श्री शिवराज सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, जब माननीय कमलनाथ जी बोल रहे थे तब हम लोग बड़े आदर के साथ उनको सुन रहे थे. मेरा यही कहना है कि वक्तव्य के बाद नेता प्रतिपक्ष जी बोलें आप जिनको और को भी कहें वे भी बोलें हमें क्या आपत्ति है ? हम फिर से जवाब देंगे ? लेकिन अध्यक्ष जी एक बार जब आसंदी से यह व्यवस्था आ गई और मैंने वक्तव्य देने की मांग की. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा--माननीय मुख्यमंत्री जी कुछ और बोलना चाहते हैं वह सीएजी की रिपोर्ट को दबाना चाहते हैं. इसका तो यही मतलब हो रहा है. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय जी ने व्यवस्था दे दी. उस वक्तव्य को देने में आपको दिक्कत क्या है ? (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा--आप चर्चा से भागना चाहते हैं. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान--चर्चा से कोई नहीं भाग रहा है. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा--फिर क्यों उस विषय को लेना नहीं चाहते हैं ? (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान--वक्तव्य देने में दिक्कत क्या है ? माननीय अध्यक्ष महोदय आपने व्यवस्था दी है. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा--पहले स्थगन को ले लिया जाये उसके बाद हम लोग माननीय मुख्यमंत्री जी को सुनने के लिये तैयार हैं. (व्यवधान) पहले स्थगन को सुना जाये उसके बाद हम माननीय मुख्यमंत्री जी को सुनेंगे? (व्यवधान)
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह)--अध्यक्ष महोदय मैं आपसे एक निवेदन करना चाहता हूं कि आप इस सदन में आप एक उदाहरण दें पहले स्थगन को रखा गया हो उस चर्चा को प्रारंभ न किया गया हो और सीधा पहले उत्तर आया हो, आप एक भी ऐसा उदाहरण इस सदन का बता दें. ? (व्यवधान)
एक माननीय सदस्य--जब हमारे सदन के नेता की बात नहीं सुन रहे हैं तो हम भी नेता प्रतिपक्ष जी की कोई भी बात नहीं सुनना चाहते हैं. (व्यवधान)
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह)--अध्यक्ष महोदय यह सरकार इतनी डरी हुई और भयभीत क्यों हैं ? (व्यवधान) जब आप लोग घोटाला करोगे तो आप लोगों को सुनना पड़ेगा? (व्यवधान) आप लोग डरे हुए क्यों हों. हमारी बात को क्यों नहीं सुन रहे हैं? (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप सब लोग एक साथ बोलेंगे तो कैसे काम होगा. आप लोग कृपया करके बैठ जायें.
श्री जितु पटवारी--अध्यक्ष महोदय, हमारे 15 लोगों ने जो स्थगन लगाया है उसको आप स्वीकार कर लें. उस पर चर्चा करा लें, फिर माननीय मुख्यमंत्री जी की बात पूरी सुनेंगे डेढ़ घंटे तक सुनेंगे. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--कृपया आप सब लोग बैठ जाएं. (व्यवधान) आप लोग सुन तो लीजिये. पक्ष की तरफ से जब वक्तव्य आते हैं वक्तव्य होने के बाद नेता प्रतिपक्ष जी अपनी प्रतिक्रिया देते हैं. आप लोग बैठ जायें सुन तो लीजिये आप लोगों को सुनना तो चाहिये ना.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह)--अध्यक्ष महोदय आप स्थगन पर पूर्व का एक सिंगल उदाहरण तो बतायें. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--पहले मेरी बात तो आप सुन लें. वक्तव्य पर प्रतिक्रिया नेता प्रतिपक्ष की आती है, यह सदन का नियम है. इन नियमों को मैं शिथिल करते हुए मैं यह कह रहा हूं कि अगर आपके और भी सदस्य चर्चा में भाग लेना चाहते हैं तो वह भी बराबर चर्चा में भाग लें. मैं उनको भी अवसर चर्चा का दूंगा. (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन--आप फिर स्थगन पर ही चर्चा करा लो. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप लोग मेरी बात तो सुन लो. (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन--आप सबकी चर्चा करा लें. हमसे क्या दुशमनी है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप मेरी पूरी बात ही नहीं सुन रहे हैं. (व्यवधान) मेरी पूरी बात को सुन लें फिर खड़े होना. यह भी गलत है कि मैं खड़ा हुआ हूं और आप भी खड़े हैं. आप मेरी बात को सुन लें. इसके बाद भी आपको ऐसा लगता है कि इसमें और चर्चा की आवश्यकता है तो उस पर भी सदन में बैठकर चर्चा करा लेंगे, उसकी कोई चिन्ता नहीं है. आप मेरे कहने पर आईये तो ? (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन--आप विधिवत् इस पर चर्चा तो कराईये ? (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--मैं चर्चा के लिये सबको अवसर देने के लिये तैयार हूं. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, यह लोग चर्चा नहीं कराना चाहते हैं (व्यवधान)
यह लोग गफलत फैलाना चाहते हैं.
श्री बाला बच्चन--इतने माननीय सदस्यों ने 139 पर चर्चा मांगी है तो उस पर चर्चा करायें. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--अगला विषय वक्तव्य माननीय मुख्यमंत्री जी. (व्यवधान)
वक्तव्य
'ड्राफ्ट रिपोर्ट ऑफ कंप्यायंस ऑडिट ऑन टेक होम राशन' के संबंध में भ्रम की स्थिति निर्मित होने के परिप्रेक्ष्य में माननीय मुख्यमंत्री का वक्तव्य.
12.45 बजे
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान):-
12.47 बजे
गर्भगृह में प्रवेश एवं नारे बाजी
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण माननीय मुख्यमंत्री जी के वक्तव्य के विरोध में गर्भगृह में आये और नारे बाजी करते रहे.)
वक्तव्य( क्रमश:)
मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान -
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में नारेबाजी की जाती रही.)
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा गर्भगृह में नारेबाजी की जाती रही.)
मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान -
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण गर्भगृह में नारेबाजी करते रहे)
अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह जी. आप उनकी जिम्मेदारी मत लीजिए आप उनको बोलने दीजिए. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, लोकतंत्र को तार-तार कर दिया है. (व्यवधान)
1.03 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज भोजन अवकाश नहीं होगा. माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधा अनुसार जाकर भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की सरकार (व्यवधान)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी सदन के नेता बोल रहे थे इन्होंने सदन के नेता को नहीं बोलने दिया. यह आपत्तिजनक है हम इनको बिलकुल नहीं सुनेंगे, कोई किसी हालत में नहीं सुनेगा. यह सदन की परम्पराओं के खिलाफ है. सरकार अपनी तरफ से वक्तव्य दे रही है. यह लोग नहीं सुन रहे थे, यह घोर आपत्तिजनक है. जब यहां सदन के नेता को नहीं सुना गया तो अब यह किस आधार पर यह प्रतिक्रिया देने की बात कर रहे हैं. यह पहले तो आपत्ति कर रहे थे इसलिए मेरी इस पर आपत्ति है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप आगे की कार्यवाही लीजिए. यह बिलकुल गलत है. किसी भी हालत में हम इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं हैं. हम चर्चा के लिए तैयार हैं तो यह चर्चा से क्यों भाग रहे हैं. आपने व्यवस्था दी थी कि जो भी बोलना चाहें वे बोल सकते हैं सरकार उसका जवाब देगी. उसके बाद भी इन्होंने आपकी व्यवस्था का मान नहीं रखा.(व्यवधान)
..(व्यवधान)..
1.05 बजे
2. अध्यादेशों का पटल पर रखा जाना.
(क) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन अध्यादेश, 2022 (क्रमांक 2 सन् 2022),
(ख) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) अध्यादेश, 2022 (क्रमांक 3 सन् 2022),
(ग) मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2022 (क्रमांक 4 सन् 2022), तथा
(घ) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि ( द्वितीय संशोधन) अध्यादेश, 2022 (क्रमांक 5 सन् 2022).
विधि और विधायी कार्य मंत्री (नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन अध्यादेश, 2022(क्रमांक 2 सन् 2022),
मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) अध्यादेश, 2022 (क्रमांक 3 सन् 2022),
मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2022 (क्रमांक 4 सन् 2022) तथा
मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि ( द्वितीय संशोधन) अध्यादेश, 2022 (क्रमांक 5 सन् 2022).पटल पर रखता हूँ.
1.06 बजे
शून्यकाल की सूचनाएँ.
निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएँ सदन में पढ़ी हुई मानी जाएँगी.
1.डॉ.हिरालाल अलावा
2. डॉ.सतीश सिंह सिकरवार
3. श्री आरिफ अकील
4. श्री दिलीप सिंह गुर्जर
5. श्री देवेन्द्र सिंह पटेल
6. श्री रामपाल सिंह
7. श्री पी.सी.शर्मा
8.डॉ.सीतासरन शर्मा
9.श्री बहादुर सिंह चौहान
10. श्री आशीष गोविन्द शर्मा
1.07 बजे
कार्य मंत्रणा समिति का प्रतिवेदन.
अध्यक्ष महोदय--
अब, इसके संबंध में डॉ.नरोत्तम मिश्रा जी, संसदीय कार्य मंत्री प्रस्ताव करेंगे.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि-
अभी अध्यक्ष महोदय ने शासकीय विधेयकों एवं वर्ष 2022-2023 के प्रथम अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान एवं तत्संबंधी विनियोग विधेयक के पुरःस्थापन, विचार एवं पारण पर चर्चा के लिए समय निर्धारण करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की सिफारिशें पढ़ कर सुनाई हैं उन्हें सदन स्वीकृति देता है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि-
जिन कार्यों पर चर्चा के लिए समय निर्धारण करने के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिशें पढ़ कर सुनाई गई हैं, उन्हें सदन स्वीकृति देता है.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
...(व्यवधान)..
1.08 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना.
(क) क्रमांक एफ 5-4/2020/उनतीस-2, दिनांक 17 अगस्त, 2021,
(ख) क्रमांक एफ 5-4/2020/29-दो, दिनांक 23 अगस्त, 2021, तथा
(ग) क्रमांक एफ 5-4/2020/29-2, दिनांक 23 अगस्त, 2021
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री बिसाहूलाल सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 105 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार निम्नलिखित अधिसूचनाएं-
क्रमांक एफ 5-4/2020/उनतीस-2, दिनांक 17 अगस्त, 2021,
क्रमांक एफ 5-4/2020/29-दो, दिनांक 23 अगस्त, 2021, तथा
क्रमांक एफ 5-4/2020/29-2, दिनांक 23 अगस्त, 2021
पटल पर रखता हूँ.
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष और कमलनाथ जी काँग्रेस के विधायकों का आचरण देखकर यहाँ से रूठकर त्यागपत्र देने चले गए हैं.
...(व्यवधान)..
1.10 बजे
(2)
(क) क्रमांक 395-एफ-1-246-2020-अठारह-3, दिनांक 06 नवम्बर, 2020,
(ख) क्रमांक 394-एफ-1-250-2020-अठारह-3, दिनांक 06 नवम्बर, 2020,
(ग) क्रमांक 21-एफ-32-2017-18-3, दिनांक 09 जुलाई, 2018,
(घ) क्रमांक 44-एफ-4-44-2018-18-1,दिनांक 17 दिसम्बर, 2018,
(ङ) क्रमांक 17 एफ-1-16-2021-अठारह-3, दिनांक 31अगस्त, 2021, एवं
(च) क्रमांक 01 एफ-1-15-2021-अठारह (3), दिनांक 13 जनवरी, 2022
(3)
(क) क्रमांक एफ. 2-3/2022/सात/शा.7, दिनांक 19 मई, 2022, तथा
(ख) क्रमांक एफ. 2-6-2021-सात-शा-7, दिनांक 10 अगस्त, 2022
(4) मध्यप्रदेश स्टेट माईनिंग कारपोरेशन लिमिटेड, भोपाल का 56 वां वार्षिक प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2018-19 एवं 57 वां प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2019-2020
(5) मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेस कारपोरेशन लिमिटेड का लेखा परीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020
(6) मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद्, भोपाल की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2018-2019, 2019-2020 एवं 2020-2021
(7)
(क) शहपुरा थर्मल पॉवर कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 15 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021,
(ख) मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 19 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021,
(ग) बाणसागर थर्मल पॉवर कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 10 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021,
(घ) मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 19 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021,
(ङ) मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, भोपाल का 19 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021, तथा
(च) मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2020-2021
(8) मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित का संपरीक्षित वित्तीय पत्रक वर्ष 2020-2021
(9) (क) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा संपरीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022, तथा
(ख)राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छिंदवाड़ा (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020- 2021
(10) (क) मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड का 37 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
(ख) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 202-2022
(11) मध्यप्रदेश प्लास्टिक सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड, ग्वालियर का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2020-2021
1.16 बजे मार्च, 2022 सत्र की स्थगित बैठकों, दिनांक 17, 21, 23, 24 एवं 25 मार्च, 2022 की प्रश्नोत्तर सूचियां तथा प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खंड 10 पटल पर रखा जाना
नियम 267-क के अधीन मार्च, 2022 सत्र में पढ़ी गई
सूचनाओं तथा उनके उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना
अध्यक्ष महोदय -- मार्च, 2022 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा उनके उत्तरों का संकलन पटल पर रखा गया.
राष्ट्रपति/राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना
1.18 बजे ध्यान आकर्षण
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में उल्लिखित संबंधित माननीय सदस्यों की ध्यानाकर्षण की सूचनाएं पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 26 पिछोर से निर्वाचित सदस्य, श्री के.पी. सिंह ''कक्काजू'', निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 105 बिछिया (अ.ज.जा.) से निर्वाचित सदस्य, श्री नारायण सिंह पट्टा, निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 136 सिवनी मालवा से निर्वाचित सदस्य, श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा तथा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 137 होशंगाबाद (नर्मदापुरम) से निर्वाचित सदस्य, डॉ. सीतासरन शर्मा की विधान सभा के सितम्बर, 2022 सत्र की बैठकों से अनुपस्थित
रहने की अनुज्ञा
1.19 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) आवेदन एवं अभ्यावेदन समिति का आवेदनों से संबंधित पन्द्रहवां, सोलहवां, सत्रहवां एवं अठारहवां प्रतिवेदन तथा अभ्यावेदनों से संबंधित बीसवां एवं इक्कीसवा प्रतिवेदन
अध्यक्ष महोदय, मैं आपका आभार व्यक्त करना चाहता हूं जो शब्द याचिका था, ऐसा लगता था कि हम याचना कर रहे हैं, आपने याचिका का नाम परिवर्तित करते हुये अभ्यावेदन एवं आवेदन समिति किये जाने का निर्णय किया. माननीय सदस्य जनता की ओर से निवेदन करता था याचना लगती थी आपने इसको अभ्यावेदन किया मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं. माननीय समिति के सदस्यों के द्वारा, विधान सभा के सचिवालय द्वारा जो सहयोग प्रदान किया गया है और बहुत त्वरित गति से समिति ने कामकाज का निष्पादन किया है मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूं.
(व्यवधान)..
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के माननीय सदस्यों द्वारा गर्भ गृह में नारेबाजी की जाती रही.)
(2) प्राक्कलन समिति का प्रथम प्रतिवेदन
श्री रामपाल सिंह, सभापति - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्राक्कलन समिति का प्रथम प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
(3) सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का सत्ताईस से तैंतीसवां प्रतिवेदन
कुंवरजी कोठार, सदस्य - अध्यक्ष महोदय, मैं, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का सत्ताईस से तैंतीसवां प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत करता हूं.
(4) शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का पंचम प्रतिवेदन
श्री जालम सिंह पटेल, सभापति - अध्यक्ष महोदय, मैं, शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का पंचम प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
(5) प्रश्न एवं संदर्भ समिति का अष्टम् एवं नवम् प्रतिवेदन
श्री केदारनाथ शुक्ल, सभापति - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रश्न एवं संदर्भ समिति का अष्टम् एवं नवम् प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत करता हूं.
(6) स्थानीय निकाय एवं पंचायतीराज लेखा समिति का प्रथम, द्वितीय
एवं तृतीय प्रतिवेदन
श्री अजय विश्नोई, सभापति - अध्यक्ष महोदय, मैं स्थानीय निकाय एवं पंचायतीराज लेखा समिति का प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी उल्लेख करना चाहता हूं कि पिछले 8 साल पहले यह समिति बनी थी, तब से आज पहली बार यह प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का अवसर किसी सभापति को मिला है
(7) कृषि विकास समिति का तृतीय एवं चतुर्थ प्रतिवेदन
श्री बहादुर सिंह चौहान, सभापति - अध्यक्ष महोदय, मैं, कृषि विकास समिति का तृतीय एवं चतुर्थ प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं समिति के सभी माननीय सदस्यों एवं सचिवालय के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को बधाई देना चाहता हूं.
1.21 बजे आवेदनों की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्यों के आवेदन प्रस्तुत किये गये माने जाएंगे.
1.22 बजे वर्ष 2022-23 के प्रथम अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) - अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय के निर्देशानुसार वर्ष 2022-23 के प्रथम अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - मैं, इस प्रथम अनुपूरक अनुमान पर चर्चा और मतदान के लिए दिनांक 15 सितम्बर, 2022 को 2 घंटे 30 मिनट का समय नियत करता हूं.
1.23 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2022
(क्रमांक 6 सन् 2022)
उच्च शिक्षा मंत्री (डॉ. मोहन यादव)- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2022 के पुरःस्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2022 के पुरःस्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2022 का पुरःस्थापन करता हूं.
(2) मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 7 सन् 2022)
विधि और विधायी मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022 के पुरःस्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022 के पुरःस्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश सिविल न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2022 का पुरःस्थापन करता हूं.
(3) मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल (संशोधन) विधेयक, 2022
(क्रमांक 8 सन् 2022)
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री इन्दर सिंह परमार) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल (संशोधन) विधेयक, 2022 के पुरःस्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल (संशोधन) विधेयक, 2022 के पुरःस्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
श्री इन्दर सिंह परमार - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मण्डल (संशोधन) विधेयक, 2022 का पुरःस्थापन करता हूं.
(4) मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2022 (क्रमांक 9 सन् 2022)
विधि और विधायी मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2022 के पुरःस्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2022 के पुरःस्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2022 का पुरःस्थापन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही गुरुवार, दिनांक 15 सितम्बर, 2022 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 1.25 बजे विधानसभा की कार्यवाही गुरुवार, दिनांक 15 सितम्बर, 2022 (24 भाद्र, शक संवत् 1944 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
ए. पी. सिंह
भोपाल : प्रमुख सचिव
दिनांक : 14 सितम्बर, 2022 मध्यप्रदेश विधान सभा