मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 14 मार्च 2023
(23 फाल्गुन, शक संवत् 1944 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
प्रश्न काल में मौखिक उल्लेख.
बी.बी.सी. द्वारा प्रसारित डाक्यूमेंट्री का अशासकीय संकल्प सर्वसम्मति से पारित किए जाने विषयक.
अध्यक्ष महोदय-- गोविन्द सिंह जी, बोलिए.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह)-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं केवल आधा मिनिट में अपनी बात खत्म कर दूँगा. आज समाचार पत्र में पढ़ा कि कल विधान सभा में एक संकल्प बीबीसी के खिलाफ सर्वसम्मति से पारित हुआ है. अध्यक्ष जी, मैंने उस समय लास्ट में इसका विरोध किया था संकल्प सर्वसम्मति से पारित नहीं हो सकता, एक, दूसरा संकल्प का नियम है, संकल्प पूर्व से लगाया जाता है, नियम प्रक्रिया के तहत, कार्य मंत्रणा समिति में उसका प्रस्ताव आता है तब चर्चा होती है. शून्यकाल में कोई विषय उठाने के बाद इसको संकल्प में परिवर्तित किया जाए, जो नियम प्रक्रिया के तहत नहीं है, मैं इसका विरोध करता हूँ. इस तरह की परंपरा लोकतांत्रिक पद्धति, नियमों की, कानूनों की, सत्तापक्ष द्वारा धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं. इसकी मैं घोर निन्दा करता हूँ और बीबीसी के खिलाफ जो प्रस्ताव पारित किया है, उसकी भी घोर निन्दा करता हूँ. प्रस्ताव कोई सर्वसम्मति से नहीं हुआ, बहुमत के दम पर आपने किया है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस वक्त यह संकल्प लाया गया, रखा गया, नेता प्रतिपक्ष सदन में मौजूद थे, एक बात, दूसरी बात, संकल्प यहाँ पर आपने मतदान से कराया है उसमें हाँ की जीत हुई है. तीसरी बात, सरकार पर आरोप लगाने के पहले अंतर्मुखी हों नेता प्रतिपक्ष, कि वे इतने ज्यादा सदन के प्रति उदासीन क्यों रहते हैं? अच्छा, वे अकेले उदासीन नहीं रहते, पूरा दल उस वक्त मौजूद था, आगे की बैंच माननीय कमल नाथ जी को छोड़ दें तो बाकी सब मौजूद थे. ये सब यहाँ पर मौजूद थे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैंने खड़े होकर विरोध किया था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सर्वथा मिथ्या बात है. आप रिकार्ड निकालकर देख लें वो अगर कहते हों.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- आपने विलोपित करवा दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं विलोपित नहीं किया है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- और संकल्प पारित होने का क्या यह तरीका है.
अध्यक्ष महोदय -- कोई बात विलोपित नहीं हुई है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- नियम प्रक्रियाओं की किताब फाड़ी जाती है. नियम प्रक्रियाओं से आप सदन नहीं चलाते हो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, यह अपनी वाहवाही कर रहे हैं नियम प्रक्रिया की किताब फाड़कर. यह उस पर खेद व्यक्त करें, यह इतने वरिष्ठ सदस्य हैं. अपने हाथ से अपनी पीठ ठोंक रहे हैं. यह गलत परम्परा है. नेता प्रतिपक्ष और सज्जन भाई भी, नेता प्रतिपक्ष नहीं बन पाए यह अलग बात है पर अपनी खीज ऐसे तो न निकालें.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय, सारे सदन की उपस्थिति में वह संकल्प ध्वनिमत से पारित हुआ है. आपकी उपस्थिति थी.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आपने नहीं देखा.
श्री शैलेन्द्र जैन -- अब क्यों विरोध कर रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आपने नहीं देखा. अगर आपकी नजरों में दृष्टि दोष है तो मैं उसके लिए कुछ नहीं कह सकता हूँ. मैंने लास्ट में विरोध किया था.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक सेकंड का निवेदन है. आपने बीबीसी के विरुद्ध संकल्प पारित किया. आप उसको पूरा देख लेते. उसमें एक जगह..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, क्या इनको बोलने की अनुमति दी गई है.
श्री विश्वास सारंग -- क्या इस पर डिसकशन होगा. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- विश्वास भाई सुन तो लो. (XXX) विपक्ष चुप बैठा रहेगा. यह संभव नहीं हैं. (XXX) (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- इनका जो मन करे, यह देश का अपमान करें. मोदी जी का विरोध करते करते देश का विरोध कर रहे हैं. फिर कहते हैं कि ईवीएम खराब है. फिर कहते हैं हम चुनाव हार जाते हैं. अभी जो चुनाव हुआ उसमें सूपड़ा साफ हो गया. कांग्रेस पार्टी का इसलिए सूपड़ा साफ हो जाता है. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस बीबीसी का आपने विरोध किया उसका एक सेंटेंस है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई है न. गोविन्द सिंह जी ने कह दिया.(व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं लंबी बात कर ही नहीं रहा हूँ. मैं तो एक सेंटेंस बोल रहा हूँ. बीबीसी की डाक्यूमेंट्री में एक शब्द (XXX) इसका भी विरोध कर दो. इसके खिलाफ भी ले आओ. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- यह नहीं लिखा जाएगा. बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिर्फ आधा सेकण्ड दे दीजिए (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय --आप लोग बैठ जाइए (व्यवधान)
11.07 बजे
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह सरकार की तानाशाही है, नियमों की धज्जियाँ उड़ाई गई हैं. इसलिए कांग्रेस पार्टी बीबीसी के खिलाफ जो निंदा प्रस्ताव पारित हुआ है उसके विरोध में सदन से बहिर्गमन करती है.
(नेता प्रतिपक्ष, डॉ. गोविन्द सिंह जी के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा बी.बी.सी. द्वारा प्रसारित डाक्यूमेंट्री का अशासकीय संकल्प सर्वसम्मति से पारित कर दिए जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया)
श्री विश्वास सारंग -- जब आसंदी से कोई निर्णय आ गया है तो उसके विषय में चर्चा नहीं होगी. कल इनको डांट पड़ी है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं सदन को जानकारी दे दूं कि वह सर्वसम्मति का नहीं था उसमें प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ था और हां की जीत, हां की जीत करके पास हुआ है. यह कहना शायद ठीक नहीं होगा.
11.08 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
सी.एम. राइज स्कूल एवं आदर्श संस्कृत विद्यालय
[स्कूल शिक्षा]
1. ( *क्र. 2264 ) श्री उमाकांत शर्मा : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के किन-किन जिलों के नगरों एवं ग्रामों में सी.एम. राइज विद्यालय एवं आदर्श संस्कृत विद्यालय प्रारंभ किये गये हैं? स्वीकृत विद्यालयों के नाम सहित जानकारी बतावें। इन विद्यालयों के संचालन हेतु कितनी-कितनी राशि कब-कब जारी की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) संदर्भ में इन विद्यालयों में कितने पद स्वीकृत किये गये हैं? विद्यालयवार जानकारी बतावें। कितने पदों पर पदस्थापना है, कितने पद रिक्त हैं? कितने पदों पर अतिथि शिक्षक शिक्षण कार्य कर रहे हैं? विद्यालयवार जानकारी देवें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में कितने विद्यालयों के भवन स्वीकृत कर दिये गये हैं? स्वीकृत राशि सहित जानकारी बतावें। शेष विद्यालयों के भवन कब तक स्वीकृत कर दिये जावेंगे? इन विद्यालयों के भवन निर्माण हेतु कौन-कौन सी एजेन्सियों द्वारा डी.पी.आर. बनाई गई है एवं इन एजेन्सियों को कितना-कितना भुगतान कब-कब किया गया है? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में सी.एम. राइज विद्यालय सिरोंज एवं लटेरी एवं आदर्श संस्कृत विद्यालय का भवन कितनी राशि से स्वीकृत किया गया है एवं किस सर्वे नं. एवं रकबा नं. में निर्माण किया जावेगा? यदि भवन निर्माण की स्वीकृति नहीं हुई है तो कब तक भवन निर्माण की प्रशासकीय स्वीकृति दी जावेगी? (ड.) महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के माध्यम से संचालित आदर्श संस्कृत विद्यालय सिरोंज में कितने पद स्वीकृत हैं एवं कितने पदों पर नियमित शिक्षक पदस्थ हैं? यदि नियमित शिक्षक पदस्थ नहीं हैं तो कब तक पदस्थापना की जावेगी?
अध्यक्ष महोदय -- क्या आपको संशोधित उत्तर मिल गया है.
श्री उमाकांत शर्मा -- नहीं संशोधित उत्तर नहीं मिला है.
अध्यक्ष महोदय-- संशोधित उत्तर क्यों नहीं मिला है. पहले आप संशोधित उत्तर ले लीजिए.
श्री उमाकांत शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मुझे आपका संरक्षण चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- मैं पूरा संरक्षण दूंगा, पहले आप संशोधित उत्तर ले लीजिए. अन्यथा आप पुराना पढ़ेंगे, नया वाला ले लीजिए.
श्री उमाकांत शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं केवल दो प्रश्न कर रहा हूँ. सिरोंज में सीएम राइज विद्यालय बनाने का स्थान चिह्नित कर जो डीपीआर बनाई गई है उस स्थान पर बरसात में 3-3, 4-4 फिट पानी यानि कमर तक पानी अनेक बार भर जाता है. वह मैदान हॉकी का, क्रिकेट का नवाब के जमाने से ऐतिहासिक मैदान है. संकीर्ण मार्ग होने के कारण 15 किलोमीटर रेडियस के क्षेत्र से बसों का, वाहनों का आवागमन होगा तो बहुत परेशानी आएगी. उस जगह डीपीआर क्यों बनाई गई और उस डीपीआर पर खर्च क्यों किया गया. क्या माननीय मंत्री महोदय इसकी जांच कराकर ऐसे डीपीआर बनाने वाले जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे. यह ढाई हेक्टयर पर बनाया जा रहा है जबकि 10 हेक्टयर जमीन मध्यप्रदेश शासन ने दिनांक 7.12.2022 को उपलब्ध करा दी है. मैं मंत्री महोदय से जानना चाहता हूँ इस संबंध में अंतिम आदेश देने की कृपा करें कि नवीन स्थान पर कब से काम प्रारंभ हो जाएगा.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने जिस स्थान का डीपीआर बनाने के लिए कहा था वह जमीन पूर्व से ही शिक्षा विभाग के नाम है इसलिए उस स्थान का निर्णय किया था, चयनित किया था और इसलिए वहां की प्रक्रिया प्रारम्भ की गई थी लेकिन आदरणीय उमाकांत जी का आग्रह है तो आपने जिस स्थान का सुझाव दिया है जो दो ऐसे स्थान बताए हैं उसमें एक स्थान पांच किलोमीटर पहाड़ी पर है और दूसरा स्थान डेढ़ किलोमीटर है. पास में ही है, लेकिन जहां पर ग्रिड बना हुआ है वह थोड़ा जमीन से नीचे है वहां पानी भरने की संभावना है.
श्री उमाकांत शर्मा-- वहां पानी भरने की संभावना बिलकुल नहीं है और मैं चेलेंज कर रहा हूं कि दोनों जगह बरसात का सर्वे कराया जाए.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उमाकांत जी के सभी प्रश्नों का पूरा जवाब दे रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- उमाकांत जी आप बैठ जाइए.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ रास्ते सकरे जरूर हैं परंतु बहुत वर्षों पहले से वह स्थान है. वहां की खास समस्या यह है कि वहां पर अन्य बच्चे भी खेल के लिए आते हैं और आजकल उसमें ऐसे लोग भी सक्रिय हो गए हैं जो उसको खेल के मैदान के रूप में रखना चाहता हैं. जिसमें कई सारे लोग उस खेल के मैदान से व्यवसाय भी करना चाहते हैं.
श्री उमाकांत शर्मा-- आज तक किसने व्यवसाय किया यह बताया जाए. असत्य जानकारी आ रही है, भ्रमित किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- उमाकांत जी आप मंत्री जी का पूरा उत्तर आ जाने दें.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उस पर बच्चे खेलते हैं यह बात सही है.
श्री उमाकांत शर्मा-- आप मुझे यह बताइए कि नवाबों के जमाने से आज तक उस मैदान का क्या व्यावसायिक उपयोग हुआ?
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्कूल शिक्षा विभाग के नाम से दर्ज है फिर भी हमने यह तय किया है कि एक बार परीक्षण करने हमारे यहां से टीम जा रही है और जो माननीय विधायक जी का प्रश्न है या संशय है उसका समाधान करते हुए यदि आवश्यकता लगी तो हम स्थान परिवर्तन करेंगे. मैं सदन के माध्यम से आपको बताना चाहता हूं कि एक बार उनके साथ बैठकर, भ्रमण करके और यदि आवश्यकता पड़ी तो मैं स्वयं वहां जाकर देखकर उनके प्रश्नों का समाधान करूंगा. उसके बाद ही उस पर आगे कार्यवाही प्रारंभ की जाएगी.
श्री उमाकांत शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. मैं बहुत ही पीडि़त और दुखी हूं, निरीह हूं. मैं गिड़गिड़ाकर, हाथ जोड़कर निवेदन कर रहा हूं कि मेरे साथ अन्याय मत होने दीजिए. अधिकारियों की तानाशाही मत चलने दीजिए. क्या कारण है.
अध्यक्ष महोदय-- उमाकांत जी आप कृपया कर बैठ जाइए. तरुण जी आप भी बैठ जाइए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- तरुण जी आप भी दूसरे के ललना को पलना में खिलाने के लिए घूमते रहते हो आपको कुछ अपनी बातें तो उठाना नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित विधायक निरीह नहीं हैं वह हमारे सम्मानित विधायक हैं उनके साथ कोई अन्याय नहीं होगा, वहां पर कोई अधिकारी राज नहीं होगा. सम्मानित विधायक की इच्छा के अनुरूप माननीय मंत्री जी बात करके ही इसे करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- उमाकांत जी मंत्री जी ने भी स्वयं कहा और संसदीय कार्य मंत्री जी ने भी कहा कि बिना आपकी इच्छा के विपरीत नहीं होगा. मंत्री जी ने तो यह भी कहा कि वह स्वयं चले जाएंगे इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है. बिना आपसे पूछे नहीं करेंगे यह भी कह दिया. आपकी तीनों बातें मान लीं कि बिना आपकी इच्छा के नहीं होगा.
उमाकांत शर्मा -- मेरे क्षेत्र में अभी तक यह स्वीकृति नहीं हुई है. मेरा एक और निवेदन है कि डीपीआर की बात हो रही है. डीपीआर विदिशा में बनी स्वीकृति हो गई और उस मैदान पर तीस फिट तक कचरा निकला और अब वह निरस्त हो रहा है. कैसी डीपीआर बन रही है आप डीपीआर वालों पर कार्यवाही कीजिए.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विदिशा की जिस जमीन का उल्लेख कर रहे हैं उस जमीन का जब स्वाइल टेस्ट किया गया तो वह जमीन भवन बनाने के पात्र नहीं पाई गई है लेकिन स्वाइल टेस्ट करना, उसका नापतोल करना, नक्शा तैयार करना यह प्रक्रिया भी साथ-साथ थी क्योंकि ऊपर से मैदान दिख रहा था, लेकिन जब स्वाइल टेस्ट किया गया था तो वह फेल पाई गई है इसलिए हम उस स्थान को बदलने का काम कर रहे हैं. जब स्वाइल टेस्ट किया तो पता चला कि वहां नहीं बन सकता है. पहले वहां कोई गड्डा होगा उसमें कचरा डाला जाता होगा. स्वाइल टेस्ट के पहले वह ऊपर से ऐसा नहीं दिख रहा था स्वाइल टेस्ट के बाद वह दिखा है इसलिए उसको हम कर रहे हैं.
श्री उमाकांत शर्मा-- डीपीआर बनाने वालों को जहां पानी बहता है बाढ़ आती है वह जगह दिखाई नहीं देती है जहां कचरा डला है वह जगह दिखाई नहीं देती. मैं चाहता हूं कि आप ऐसी डीपीआर बनाने वालों को जो मध्यप्रदेश शासन का पैसा खराब कर रहे हैं, समय बर्बाद कर रहे हैं, महत्वकांक्षी योजना को नष्ट कर रहे हैं आप उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे?
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, उमाकांत जी अभी परशुराम स्वरूप में हैं, ये दुर्वासा के स्वरूप में आयें, उसके पहले मैं, शासन की तरफ से अपने साथी मंत्री से आग्रह करता हूं कि उनकी मांग स्वीकार की जाये.
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, कह चुका हूं कि वे जैसा चाहते हैं, वैसा ही हम समाधान करेंगे. हमारी प्रक्रिया पूर्ण हो जाये. अभी 2-3 दिनों में जब भी माननीय उमाकांत जी के पास समय होगा, उस समय मैं स्वयं उनके साथ जाकर, वह जगह देख आऊंगा.
श्री उमाकांत शर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी प्रश्न में मैंने आदर्श संस्कृत विद्यालय का निवेदन किया है. वर्ष 2013 में मेरे यहां मध्यप्रदेश की गीर्वाण वाणी, हमारी मातृभाषा, हमारी देवभाषा संस्कृत, जिसे माननीय मोदी जी और हमारे मुख्यमंत्री जी बहुत गौरवपूर्ण स्थान दिलाना चाहते हैं, वर्ष 2013 से मेरे यहां आदर्श संस्कृत विद्यालय स्वीकृत है लेकिन वहां न स्थाई स्टाफ है, न वहां उसका भवन है, वह भवन क्यों नहीं बना और कब तक बन जायेगा, समय-सीमा दें.
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदर्श संस्कृत विद्यालय के लिए हमने भूमि का आवंटन कर दिया है और आगे भवन निर्माण की प्रक्रिया हम प्रारंभ कर रहे हैं. मध्यप्रदेश में कुछ स्थान और हैं, जहां हम भवन निर्माण की प्रक्रिया कर रहे हैं. जल्दी ही वहां के भवन का निर्माण होगा ताकि संस्कृत में पढ़ने वाले बच्चों को पूरा लाभ मिल सके.
श्री उमाकांत शर्मा- आदर्श संस्कृत विद्यालय जो सिरोंज जिला विदिशा में है. वर्ष 2013 में स्वीकृत हुआ, वर्ष 2013 से 2023 आ गया और अब आप बता दें कि उसके भवन के लिए आप कब तक राशि देंगे ? और कब उसका काम पूर्ण होकर, विद्यालय अपने भवन में पहुंचेगा, और वहां स्टाफ पदस्थ हो जायेगा ?
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रक्रिया चल रही है. उसकी नाप-तौल करके प्रक्रिया आगे ले ली है, जल्द ही माननीय सदस्य को भी उसका नक्शा और डिज़ाइन बताकर हम राशि स्वीकृत करने का काम करेंगे.
श्री उमाकांत शर्मा- मैं, माननीय अध्यक्ष महोदय के माध्यम से मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूं कि क्या प्रक्रिया 10 साल चलती है ? मैं गिड़गिड़ा रहा हूं, आपकी शरण में हूं, आपको दण्डवत प्रणाम कर रहा हूं, हाथ जोड़ रहा हूं 10 साल हो गए हैं.
अध्यक्ष महोदय- उमाकांत जी आप बैठ जायें.
श्री तरूण भनोत- गृहमंत्री जी आप देख रहे हैं ? आपके विधायक हाथ जोड़ रहे हैं. जब माननीय विधायक की यह हालत है तो प्रदेश की जनता की क्या हालत होगी? सदन में माननीय विधायक गिड़गिड़ा रहे हैं, यह दयनीय स्थिति है.
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो प्रश्न माननीय विधायक ने उठाये हैं, मैं, उनका समाधान करने की बात कह चुका हूं. हम जल्दी समाधान करेंगे, उनको बताकर करेंगे. उन्हें इतना वो करने की जरूरत नहीं है.
श्री विजय रेवनाथ चौरे- सत्ताधारी पक्ष के विधायक की यह हालत है तो विपक्ष के विधायकों की क्या हालत होती होगी ?
श्री तरूण भनोत- गृहमंत्री जी, आप दबाव मत डालिये. उमाकांत जी हाथ जोड़ रहे हैं, उनकी बात सुनें. वे रो रहे हैं. अगर उन्होंने कोई घातक कदम उठा लिया तो ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र- हम दबा नहीं रहे हैं. ये हमारे दल का मामला है. आपके खुद के दल में तो दलदल मचा हुआ है.
श्री तरूण भनोत- यह आपके दल का मामला नहीं है, यह इस सदन का मामला है. गृहमंत्री जी ने दबाव से पंडित जी को बिठा दिया है.
अध्यक्ष महोदय- अब हो गया. प्रश्न क्रमांक 2
सी.एम. राइज विद्यालयों के विज्ञापन
[स्कूल शिक्षा]
2. ( *क्र. 2233 ) श्री सज्जन सिंह वर्मा : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सी.एम. राइज विद्यालयों के प्रचार-प्रसार के लिये वर्ष 2022-23 में प्रदेश के समाचार पत्रों में कुल कितनी राशि के विज्ञापन किस-किस मद से दिये गये हैं एवं किन-किन समाचार पत्रों को कितनी-कितनी राशि का भुगतान किया गया है? (ख) शासन की उक्त महत्वाकांक्षी योजना होने के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित कितने सी.एम. राइज विद्यालयों में नियमित प्राचार्य हैं तथा कितने सी.एम. राइज विद्यालयों में प्रभारी प्राचार्य हैं? स्कूलवार जानकारी दें। (ग) जिन सी.एम. राइज विद्यालयों में नियमित प्राचार्य नहीं हैं, उन विद्यालयों में नियमित प्राचार्यों की पदस्थापना कब तक कर दी जायेगी? (घ) उपरोक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में क्या उक्त स्कूलों को परिवहन व्यवस्था से जोड़ा गया है? यदि नहीं, तो क्यों?
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा सी.एम. राइज विद्यालयों के प्रचार-प्रसार के लिये कोई विज्ञापन नहीं दिया गया है, अतः शेषांश का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (ख) स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित सी.एम. राइज विद्यालयों में पदस्थ नियमित प्राचार्य एवं प्रभारी प्राचार्यों की स्कूलवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) सी.एम. राइज योजना अन्तर्गत चयनित विद्यालयों में नियमित प्राचार्यों की पदस्थापना की जाना प्रक्रिया में है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) सी.एम. राइज योजना अन्तर्गत चयनित विद्यालयों में परिवहन व्यवस्था जिले स्तर से निविदा जारी की गई थी। उज्जैन जिले के एक विद्यालय में एवं बड़वानी जिले में परिवहन प्रारंभ कर दिया गया है। शेष जिलों में पर्याप्त निविदाकर्ता उपलब्ध न होने के कारण या निविदाकर्ताओं द्वारा निविदा में भाग नहीं लेने के कारण परिवहन व्यवस्था प्रारंभ नहीं हो सकी है।
श्री सज्जन सिंह वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में माननीय मंत्री जी ने इस बात को दर्शाया है कि सी.एम.राइज स्कूल के विज्ञापनों के लिए जो करोड़ों-अरबों रुपया खर्च किया गया, इन्होंने उस बात से इंकार किया कि हमारे विभाग से कोई राशि खर्च नहीं की गई है. किसी भी विभाग से खर्च की गई हो, विभाग आपका है, करोड़ों रुपया यदि आप विज्ञापनों से वाह-वाही लूटने के बजाए, जिन स्कूलों के भवन नहीं है, स्कूलों के खेलने के मैदान नहीं हैं, एक बीजेपी विधायक यहां रो रहे हैं कि कमर-कमर तक पानी में स्कूल बना रहे हो, यह पूरे प्रदेश के लिए शर्म की स्थिति है. आपके सी.एम.राइज स्कूल की वजह से 3.5 लाख बच्चे सरकारी स्कूलों से पलायन कर गए हैं कि चलो बड़े स्कूल में भर्ती होंगे भविष्य बनेगा लेकिन आपके यहां प्राचार्य तक नहीं है. मेरा मूल प्रश्न यह है कि कितने प्राचार्य सी.एम राइज स्कूल डेढ़ दो साल हो गये हैं, उनको आरंभ किये. माननीय मंत्री जी आपकी दयनीय स्थिति यह है कि 350 स्कूलों की संख्या आपने बतायी, उसमें से 104 प्रभारी प्राचार्य हैं, 68 प्राचार्य आपके पास हैं, 178 पर लोक सेवक कार्य कर रहे हैं. मतलब दो साल में आप प्राचार्य का पद नहीं भर पाये,अच्छे शिक्षक ढूंढ नहीं पाये और भवन की स्थिति यह है कि भवन पुराने स्कूलों में इतनी बुरी स्थिति में हैं, जो उमाकांत जी का दर्द है, तमाम सारे जिलों में पुराने और जर्जर भवनों में, जब आपके पास भवन बनाने का पैसा नहीं था तो वाह-वाही लूटने के लिये क्यों इतने विज्ञापन दिये, बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है. मेरा प्रश्न यह है कि प्राचार्य के पद आप कब तक भर देंगे. आपने अपने जवाब में कहा है कि समय बताना संभव नहीं है. आप पद लेकर बैठे हो, मंत्री हो. एक प्रश्न यह बता दें कि सारे स्कूलों में प्राचार्य का पद कब तक भर देंगे और सारे स्कूल भवन कब तक बन जायेंगे, यह मेरा एक प्रश्न है.
श्री इंदर सिंह परमार:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्य प्रदेश की सरकार ने सी.एम. राइज योजना के जो विद्यालय प्रारंभ किये हैं, वह बजट में प्रावधान करके, प्लानिंग के साथ किये हैं और इसीलिये आज हम पहले राशि जारी हो जाती थी और जगह कहां बनायेंगे, पता नहीं किस स्थान पर बतायेंगे. पहली बार ऐसा हो रहा है कि एक तो हम उस जगह की भी टेस्टिंग कर रहे हैं, ताकि भवन की अवधि लंबी रहे. इसी प्रकार से..
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, दो साल हो गये हैं. यह जवाब ही गलत आता है. 2 साल हो गये है तो क्या जगह का चयन 20 साल में करोगे क्या ?
श्री इंदर सिंह परमार:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक-एक चीज जवाब देना चाहता हूं. सदस्य धेर्य रखें. केवल कीचड़ उछालने से काम नहीं चलेगा.पूरी योजना मध्य प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को ध्यान में रखते हुए बनायी गयी है. हमारे प्रदेश में जो स्कूल शिक्षा विभाग के पास हैं, वह 274 कुल स्कूल हैं. बाकी स्कूल हमारे ट्रायबल विभाग के पास में हैं. 274 स्कूलों में से 104, इसमें हमने पूरी प्रकिया अपनायी थी. सी.एम राइज विद्यालय के लिये हमने प्राचार्य और उप-प्राचार्यों का चयन किया था और उसी में से हमने यह नियुक्ति देने का काम करा है. 104 हमारे नियमित प्राचार्य हैं, 102 उप-प्राचार्य हैं और 68 ऐसे हैं जो उस चयन प्रक्रिया के अंतर्गत नहीं आते थे, लेकिन थोड़ा सा अंतर के साथ वह आते थे. ऐसे उनको प्रभारी प्राचार्य बनाकर के पूरे स्कूलों में व्यवस्था संचालित की जा रही है, अच्छी व्यवस्था है. रहा सवाल भवनों का, भवनों के बारे में लगातार डीपीआर बनने का काम, भवन निर्माण करने का काम प्रारंभ हो गया है और कई जगह पर, हमारे जिले में एक बिल्डिंग बनकर भी तैयार हो गयी है. पहली बार ऐसा हो रहा कि 12 महीने में 25-25 करोड़, 30-30 करोड़ रूपये की बिल्डिंग बन सकती है क्या. यह संभव हुआ है, हो सकता है और नहीं तो हमने इनके समय का भी देखा है. पहले का भी कार्यकाल देखा है. लम्बे समय तक यदि 2 करोड़ रूपये देते थे तो तीन-तीन, चार-चार साल तक कोई हिसाब-किताब नहीं आता था कि बिल्डिंग बनी की नहीं. लेकिन हमने सुधार किया है कि सी.एम राइज योजना के विद्यालय समयावधि में बनें और इसलिये हमने 14-14 महीने का समय देकर के सभी भवनों को कम्प्लीट करना, ताकि आने वाले सत्र में हम, जितने स्कूल हमने इस साल घोषित कर दिये, राशि जारी कर दी, वह सब तैयार हो जायें. तब तक जो पुराने स्कूल भवन हैं, उनकी जो कैपिसिटी है, उस कैपिसिटी के मान से ही हमारे बच्चों को हम एडमिशन दे रहे हैं और आगे आने वाले समय में हम उनकी संख्या को बढ़ायेंगे और एक प्रकार से अच्छी व्यवस्था स्कूल शिक्षा विभाग की कैसे चले, यह हमारा प्रयास है. वह रिजल्ट हम देकर रहेंगे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पूरा भाषण हो गया. जवाब इस तरह आता है क्या ? यह प्राचार्य आप कब तक पूरे स्कूलों में भर दोगे.
श्री कांतिलाल भूरिया:- अध्यक्ष जी, आदिवासी क्षेत्रों में यह हालत है कि स्कूलों के प्लास्टर गिर रहे हैं. बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ रहे हैं.
श्री इंदर सिंह परमार:- माननीय अध्यक्ष जी सज्जन सिंह जी का जो सवाल हैं, आज भी हमारे यहां उच्च पद की प्रक्रिया चल रही है. हम जल्दी जो प्रभारी के रूप में हैं, उनको भी हमारी प्रोसेस अपनाकर के उनकी जगह स्थायी प्राचार्य करने वाले हैं, क्योंकि अभी प्रमोशन नहीं होने के कारण कुछ कठिनाई थी, विभाग ने उसमें नीतिगत फैसला कर लिया है. बहुत जल्दी उन जगह प्राचार्य कर देंगे. बच्चों की पढ़ाई का मामला है, स्कूल खुले सोनकच्छ में बच्चे पढ़ लिखकर विद्वान बनें.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - आपको कुछ पता नहीं, आप कहां से बोल देंगे. सच्चाई है यह.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - बैठो तो, मैं वही तो कह रहा हूं ये सच्चाई है. अध्यक्ष जी, ये मूल प्रश्न था, जो इन्होंने आखिरी में किया है. इसका मंत्री जी जवाब देंगे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - क्या ये खराब प्रश्न है? माननीय अध्यक्ष महोदय, अच्छा प्रश्न है न.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, इन्होंने अपनी बात में एक बात कही कि बच्चों ने सी.एम. राइज स्कूल के लिए भूख हड़ताल की, इससे आप सी.एम. राइज स्कूल की लोकप्रियता और गुणवत्ता समझ रहे होंगे. जो सज्जन वर्मा जी ने कही. (..मेजों की थपथपाहट)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - उन बच्चों ने भाजपा का भेदभाव दिखाया है कि पढ़ाई लिखाई में भी भेदभाव कर रहे हो, जहां कांग्रेस का विधायक है वहां काट दो, अरे मामा तो पूरे मध्यप्रदेश का है भाई (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए, सज्जन सिंह जी बैठ जाइए. उमाकांत जी बैठ जाइए. (...व्यवधान) माननीय मंत्री जी, सज्जन सिंह जी का केवल एक प्रश्न है कि सोनकच्छ में कोई सी.एम. राइज स्कूल खोलना है और उसको उन्होंने मांगा है तो आप जरा बताइए.
श्री इन्दर सिंह परमार - मेरा कहना है कि इन्होंने कहा कि सरकार ने भेदभाव किया. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किसी भी विधायक के साथ भेदभाव नहीं किया. ट्रायबलों में भी नहीं किया है और न अन्य जगह किया है. हमने नीतिगत रूप से (...व्यवधान) जितने स्कूल खुलने थे, सभी क्षेत्रों में देने का काम किया है अभी और हमारा काम प्रक्रिया में चल रहा है, क्योंकि हमको मध्यप्रदेश में कुल 9 हजार 200 स्कूलों की स्थापना करना है. हम आगे जाकर के जिला केन्द्र से 10 किलोमीटर दूर का भी है तो हम कोशिश करेंगे कि जिला केन्द्र पर भी विद्यालय प्रारंभ हो जाए. कोई डाक केन्द्र है उसमें यदि कोई छूटा हुआ हो तो उनको भी जोड़ने का काम करेंगे.
अध्ध्यक्ष महोदय - सोनकच्छ का?
श्री इन्दर सिंह परमार - किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जाएगा, ये हमारी सरकार की प्रतिबद्धता है, मैं उसको आज यहां बताना चाहता हूं. कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा, हम सभी ब्लाक-केन्द्र को उसमें जोड़ने वाले हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, 78 कांग्रेस के विधायकों के क्षेत्र में खुले हैं. ये जो कह रहे भेदभाव वाली बात, जिसके इसमें रह गया है, उसमें मंत्री जी कह रहे हैं कि उसको भी एक्जामिन करवा लेंगे.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - काम शुरू हो गया उसके बाद उसको ट्रांसफर कर दिया, ये भेदभाव नहीं है तो क्या है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी से मैं मिला. मंत्री जी ने मुझे आश्वासन दिया था, पहले हमारे विधान सभा क्षेत्र मेहुना में, पहले बोला एक ब्लॉक में एक स्कूल खोलेंगे, उसके तहत इन्होंने एक स्कूल मेहुना क्षेत्र में खोला आर्डर पहुंचा, उसके बाद हटा दिया. फिर मैं माननीय मंत्री जी से स्वयं मिला और पहली बार मिला और आपने आश्वासन दिया था, हम सदन में आपकी चेयर पर गए थे कि अबकी बार निश्चित कर देंगे, इसके बाद भी आज तक आपने वचनबद्ध होने के बाद भी आश्वासन का उल्लंघन किया है और आज तक पक्षपात आपने किया, अभी तक आपने वह स्कूल नहीं दिया, वास्वत में लड़कों ने एडमिशन ले लिये, दूसरे स्कूल छोड़कर आ गए, वे भटकते फिरे. मैंने आपको चिट्ठी भी लिखी, क्या किया आपने ये पक्षपात नहीं है तो, क्या धर्मराज युधिष्ठिर जैसा फैसला कर रहे हो आप.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने किसी भी प्रकार से एडमिशन का, किसी भी स्कूल में जब तक उसका फुल केबिनेट में स्वीकृति नहीं हो गई तब तक हमने किसी को भी आदेश जारी नहीं किया था, निर्दश जारी नहीं किया था. हमारे प्रतिपक्ष के माननीय नेता ने व्यक्तिगत रूप से मुझे कहा था, वह मैंने कहा कि भाई यदि किसी जगह छूटा है तो उसको हम आगे जोड़ने वाले हैं, वह प्रक्रिया में है, जल्दी इनको सभी को समझ में आ जाएगा कि हमारी सरकार ने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया है इसलिए केवल भाषण देना है तो दें.
श्री कमल नाथ - माननीय अध्यक्ष जी, मैं उस विषय पर नहीं हूं, शिक्षक, कहां स्कूल खुले, अब तो सात महीने ही बचे हैं और मध्यप्रदेश की जनता गवाह है कि अस्पतालों में डाक्टर नहीं, स्कूलों में शिक्षक नहीं, खंभों में तार नहीं और तार में बिजली नहीं. मैं तो अपने साथियों को यही कहना चाहता हूं कि ज्यादा दुखी न होवे, जो इनकी मांगें हैं, सात महीने में पूरी करी जाएगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, यह मुगालते में जी रहे हैं. इसको दिवास्वप्न कहते हैं. यह दिग्विजय सिंह की सरकार की बात कह गए हैं, खम्भे में तार नहीं, तार में बिजली नहीं. दिग्विजय सिंह की सरकार का वर्णन पूरा का पूरा कर दिया है. जहां तक इन्होंने कहा है कि 7 महीने रह गए हैं, यह दिवास्वप्न है. यह बनी बनाई नहीं चला पाए तो बनाएंगे कहां से. (हंसी)
श्री कमलनाथ - अध्यक्ष जी, कम से कम इन्होंने यह तो स्वीकार किया कि 7 महीने बचे हैं. मैं उसका स्वागत करता हूँ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - पर यह सबको मालूम है.
श्री कमलनाथ - कुछ भी यहां कह लें, कुछ भी यहां बोल लें, कुछ भी जवाब दे दें, 7 महीने बाद तो जनता इन्हें जवाब देगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, जनता ने जवाब दिया है, हमेशा 20 वर्षों से हमको वोट ज्यादा आए हैं. एक बार भी कांग्रेस को ज्यादा वोट नहीं आए हैं. सीट इनकी ज्यादा आ गई थी, हमारे संजीव और पंडित की दया है कि इन्होंने सरकार बना ली, वो भी चला नहीं पाये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - भ्रष्टाचार के पैसे .... (व्यवधान)
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, विपक्ष के नेता बनने लायक लोग नहीं आएंगे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - जो भ्रष्टाचार आपने किया .. (व्यवधान)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - मोदी सरकार है .... (व्यवधान)
(..व्यवधान..)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, जो लोक सभा में हालत है कांग्रेस की. वही यहां होगी.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये. सज्जन सिंह जी आपका जवाब आ गया न, जोड़ रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - जनता ने सन् 2018 में आईना दिखा दिया कि तुम कहां खड़े हो ?
(..व्यवधान..)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये.
श्री दिनेश राय 'मुनमुन' - अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्नकाल चल रहा है कि डिबेट चल रही है. यह क्या है ? आप प्रश्नकाल की मर्यादा रखें.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - आप लोग आधे-आधे घण्टे की बहस कर रहे हैं. हम लोग ऐसे ही बैठे रहें. आपकी हंसी-मजाक चलती रहे, आपकी आपस में बातें चलती रहें. आप सदन का समय व्यर्थ कर रहे हैं, हद हो रही है. घण्टों के हजारों-लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं. यह क्या तरीका है ? यह तो कोई बात ही नहीं हुई.
श्री तरुण भनोत - क्या समय गृह मंत्री जी खराब कर रहे हैं. यह आपके लिए (गृह मंत्री जी को देखकर) कह रहे हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - आप विषय पर चर्चा कीजिये. हर विषय को बहस बना देते हैं. आप सब सदन की मर्यादा रखिये.
अध्यक्ष महोदय - डॉ. राजेन्द्र जी, आप बैठ जाइये. श्री आरिफ अकील जी. आपने हाथ उठाया था.
श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर) - अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि जो भोपाल के सरकारी स्कूल हैं, क्या उनमें स्कूलों में पुताई एवं पीने के पानी की व्यवस्था करवा देंगे, लैट्रिन-बाथरूम बनवा देंगे. अगर भेदभाव नहीं है तो.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस तरह से तो एक ही प्रश्न चलेगा. हर एक विधायक प्रश्न पूछेगा. 10 लोग एक ही प्रश्न को पूछ चुके हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) - अध्यक्ष महोदय, बहुत सारे लोगों के प्रश्न लगे हुए हैं. प्रश्नकाल को प्रश्नकाल बने रहने दीजिये. शून्यकाल मत बनाइये.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी.
राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री इन्दर सिंह परमार) - क्या पूछना चाह रहे हैं ?
अध्यक्ष महोदय - श्री आरिफ अकील जी बताइये. आप कौन से स्कूल का कह रहे हैं ?
श्री आरिफ अकील - अध्यक्ष जी, भोपाल में जो सरकारी स्कूल बने हुए हैं. उनमें पुताई नहीं हुई है, लैट्रिन बाथरूम एवं पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. क्या आप करवा देंगे ?
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, आजादी के बाद पहली बार हमने मरम्मत, पुताई और सबके लिए पहली बार इतना पूरा फण्ड दिया है, जो प्रक्रिया में है. आप रिकॉर्ड उठाकर देख लें. कांग्रेस की सरकार ने नहीं दिया है, हमने दिया है. इस वर्ष हमारे जितने स्कूल हैं, सब स्कूलों में पुताई, कोई स्कूल नहीं छोड़ा है. सबको हमने फण्ड देने का काम किया है. ....(..व्यवधान..)
(..व्यवधान..)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - कितना असत्य बोलने वाला मंत्री है. यह असत्य बोलने की ट्रेनिंग है, भाई. एक शिक्षा मंत्री असत्य बोलेगा, उसका असर क्या पड़ेगा, अध्यक्ष जी.
(..व्यवधान..)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, आरिफ भाई को यह जवाब है कि आरिफ भाई जिन स्कूलों की लिस्ट देंगे. उनकी तत्काल पुताई और पानी की व्यवस्था की जायेगी.
श्री आरिफ अकील - आप कितने दिन में कर देंगे ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - जैसे ही आप लिस्ट देंगे, उसी दिन से.
अध्यक्ष महोदय -- (एक माननीय सदस्य के अपने आसन पर खड़े होने पर) नहीं-नहीं मैंने सिर्फ श्री आरिफ जी को विशेष अनुमति दी थी. श्री लाखन सिंह यादव जी आप प्रश्न करें.
ग्वालियर जिले अंतर्गत स्वीकृत कार्य
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
3. ( *क्र. 958 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर जिले के भितरवार, घाटीगांव, डबरा एवं मुरार विकासखण्ड में दिनांक 01 अप्रैल, 2021 से प्रश्न दिनांक तक ग्रामीण यांत्रिकी विभाग द्वारा कुल कितने कार्य स्वीकृत किये गये हैं? स्वीकृत किये गये कार्यों का विस्तृत विवरण ग्राम पंचायत का नाम, ग्राम का नाम, कार्य का नाम, मद, राशि एवं स्वीकृत दिनांक से अवगत करावें। उक्त कार्य में से कौन-कौन से कार्य विभागीय एवं कौन-कौन से कार्य ठेकेदार पद्धति से कराये जा रहे हैं? (ख) प्रश्नांश (क) में दर्शित स्वीकृत कार्यों के विरूद्ध कार्यों की भौतिक एवं वित्तीय जानकारी से अवगत करावें एवं जो कार्य अपूर्ण हैं, उन्हें कब तक पूर्ण कराया जावेगा? (ग) प्रश्नांश (क) में जो कार्य ठेकेदार पद्धति से कराये जा रहे हैं, उन कार्यों के विस्तृत विवरण, ग्राम पंचायत का नाम, ग्राम का नाम, कार्य का नाम, ठेकेदार का नाम, अनुबंधित राशि, कार्य पूर्ण करने की अनुबंधित तिथि, कार्य पूर्ण करने की तिथि एवं कार्य की भौतिक एवं वित्तीय जानकारी से अवगत करावें।
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया ) : (क) ग्वालियर जिले के भितरवार, घाटीगांव, डबरा एवं मुरार विकासखण्ड में दिनांक 01 अप्रैल, 2021 से प्रश्न दिनांक तक ग्रामीण यांत्रिकी सेवा द्वारा कुल 26 कार्य स्वीकृत किये गये हैं, जिनमें से 24 कार्य विभागीय एवं 02 कार्य ठेकेदार पद्धति से कराये जा रहे हैं। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे सभी सम्माननीय विधायकों के यहां 25 प्रश्त आते हैं, बमुश्किल भाग्य से आते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं तो अपनी तरफ भी कहा करो न, अपनी तरफ भी बोलो सभी को.
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी 40 मिनिट हो गये हैं और 40 मिनिट में अभी दो प्रश्नों के जवाब आ पाये हैं. मैं ऐसा मानकर चलता हूं कि यह सबसे ज्यादा यदि कोई इंटरफेयर करते हैं तो यह सत्ता पक्ष के लोग करते हैं. हम लोगों का तो अधिकार है प्रश्न पूछने का, कम से कम से यह प्रश्न तो कर लेना चाहिये और मुझे लगता है कि कल जैसे छ: प्रश्न हुए आप जिस आसंदी पर बैठे हैं, हमको बड़ी उम्मीदें थीं, जब आप यहां अध्यक्ष बने थे. हम चाहते है कि इसमें कोई व्यवस्था आपकी तरफ से आये, कम से कम से 12-15, 20 प्रश्न तक तो मुझे नहीं लगता है कि आपके कार्यकाल में 25 प्रश्न एक भी बार अभी तक हो पाये हों.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं हुआ.
श्री लाखन सिंह यादव -- मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि इस पर थोड़ा सा ध्यान दें.
अध्यक्ष महोदय -- अभी आप प्रश्न करें.
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया है कि भितरवार, घाटीगांव, डबरा एवं मुरार विकासखण्ड में दिनांक 01 अप्रैल, 2021 से प्रश्न दिनांक तक ग्रामीण यांत्रिकी सेवा द्वारा कुल 26 कार्य स्वीकृत हुए और जो परिशिष्ट में जवाब दिया है. आप भी मुझे लगता है कि देख रहे होंगे, नहीं देख रहे होंगे तो मैं बता रहा हूं, इसमें परिशिष्ट में जो प्रिंट किया गया है, उसमें कुछ भी समझ नहीं आ रहा है कि यह कौन से कार्य हैं, कहां कार्य हुए हैं. मैं आपके माध्यम से दो प्रश्न माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं परंतु मंत्री जी यहां पर नहीं है जवाब कौन देगा ? लेकिन मैं आपके माध्यम से दो प्रश्न करना चाहता हूं. नंबर एक बड़कागांव चंगौरा यह मुख्यमंत्री सड़क योजना में स्वीकृत हुआ है, दूसरा भितरवार नरवर रोड से कैठोद रोड है, यह भी मुख्यमंत्री सड़क योजना में स्वीकृत हुआ है, लेकिन आज दिनांक तक माननीय अध्यक्ष महोदय, इस पर काम शुरू नहीं हुआ है. आप यह काम कितने दिनों में शुरू करवा देंगे, इनकी वजह से पूरे क्षेत्र के लोगों में डेली घटनाएं हो रही हैं, रोज एक्सीडेंट हो रहे हैं. मेरा पहला प्रश्न तो यह है कि इनकी स्वीकृति कर कब आप कार्य शुरू करा देंगे? मैं दूसरा प्रश्न इसके जवाब आ जायेगा तब करूंगा.
राज्यमंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग (श्री रामखेलावन पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आर.ई.एस. विभाग द्वारा 26 कार्य स्वीकृत किये गये थे, 24 कार्य विभागीय चल रहे हैं, जिसमें 9 कार्य पूर्ण हो गये हैं, 15 कार्य प्रगतिरत हैं और 31 मार्च तक पूरे हो जायेंगे, दो कार्यों की संविदा हुई है, वहां फसल लगी हुई है फसल जैसे ही कट जायेगी, वह दोनों कार्य भी 31 अगस्त तक पूरे कर दिये जायेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव -- 31 अगस्त ?
श्री रामखेलावन पटेल -- 31 अगस्त 2023 तक.
श्री लाखन सिंह यादव -- अच्छा मैंने सोचा 2025 कह रहे हैं.
श्री रामखेलावन पटेल -- दोबारा सुन लीजिये, 9 कार्य पूर्ण हो गये हैं, 15 कार्य प्रगतिरत हैं.
श्री लाखन सिंह यादव -- ये करा लेना, मंत्री जी तो है नहीं. आप जवाब दे रहे हैं, देख लेना करा देना इनको बहुत दिक्कत है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि चराईडांग से बसईकला यह बीस किलोमीटर का रोड है, यह स्वीकृति के लिये आपके यहां लंबे समय से पेंडिंग है, दूसरा बसई रोड से खितैरा यह साढ़े तीन किलोमीटर का रोड है, यह दोनों रोडों की वजह से पूरे क्षेत्र में स्थिति खराब है. यह स्वीकृति के लिये आपके यहां काफी लंबे समय से पेंडिंग हैं. कृपा करके आप सदन को यह जवाब दे दें कि क्या आप इनको स्वीकृत करा लेंगे?
श्री रामखेलावन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह चराईडांग से बसईकला मार्ग बीस किलोमीटर है और दूसरा बसईकला रोड यह 4.8 किलोमीटर है, चूंकि मुख्यमंत्री सड़क योजना में 15 किलोमीटर सी.सी. रोड नहीं बनती है इसलिये काम पूरा नहीं हो पा रहा है. मुख्यमंत्री सड़क योजना में यह प्रावधान ही नहीं है, इसलिये यह अधूरा है.
श्री लाखन सिंह यादव -- अरे तो जिससे बनती हो, वह तो करा दो. स्थिति वहां खराब है, सी.सी. नहीं बनती है, मेरे भाई तो जो बन रहा हो, हमें तो रोड चाहिये. हमें तो आप रोड करवा दें, क्या करवा सकते हैं वह आप बता दें?
श्री रामखेलावन पटेल -- मुख्यमंत्री सड़क योजना में 15 किलोमीटर सी.सी. रोड बनती ही नहीं है, आधा किलोमीटर, एक किलोमीटर बनती है. आप इतना कहें तो हम बना देंगे. जब उस योजना में प्रावधान ही नहीं तो कैसे पूरा हो जायेगा.
नेताप्रतिपक्ष(डॉ.गोविन्द सिंह) -- अरे प्रधानमंत्री सड़क योजना में तो प्रावधान है. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में आपने तीस-तीस किलोमीटर सड़क बनवाई है, उसमें करवा दो.
श्री रामखेलावन पटेल -- प्रधानमंत्री सड़क योजना में एक गांव जब किसी तरफ से जुड़ जाता है तो फिर दूसरी तरफ से उसको नहीं जोड़ा जाता है. यह प्रावधान है.
अध्यक्ष महोदय -- वह एक छोटी सड़क बता रहे हैं.
श्री लाखन सिंह यादव -- यह जो साढ़े तीन किलोमीटर वाली सड़क है इसी को करो दो, यह तो हो सकता है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय विधायक जी, एक वह बीस किलोमीटर बता रहे हैं. एक कोई तीन किलोमीटर के आसपास आप ही बता रहे हो, तो वह तो हो सकता है.
श्री रामखेलावन पटेल -- जो चार किलोमीटर वाली सड़क है, मैं विभाग के अधिकारियों को निर्देश दूंगा कि उस कार्य को पूरा करा दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
जबलपुर में खेल गतिविधियाँ
[स्कूल शिक्षा]
4. ( *क्र. 71 ) श्री लखन घनघोरिया : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन ने जिला शिक्षा विभाग जबलपुर के खेल गतिविधियों का संचालन, आयोजन करने, खेल सामग्री के क्रय हेतु किस-किस योजना मद में कितनी-कितनी राशि आवंटित की है एवं कितनी-कितनी राशि व्यय हुई? वर्ष 2018-19 से 2022-23 तक की जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) में कब-कब कहां-कहां पर कौन-कौन सी खेल स्पर्धाएं, खेल गतिविधियां आयोजित की गईं एवं किन-किन कार्यों, आवास, भोजन व्यवस्था आदि पर कितनी-कितनी राशि व्यय हुई? इसका सत्यापन किसने किया है? (ग) प्रश्नांश (क) में कब-कब कहां-कहां से कौन-कौन सी खेल सामग्री कितनी-कितनी मात्रा में कितनी-कितनी राशि की क्रय की गई। स्कूलों को कब-कब कितनी-कितनी मात्रा में कौन-कौन सी खेल सामग्री एवं कितनी-कितनी राशि प्रदाय की गई। कौन-कौन सी कितनी-कितनी मात्रा में खेल सामग्री का वितरण नहीं किया गया एवं क्यों? बिलों की कितनी-कितनी राशि का कब-कब भुगतान किया गया? बिलों की छायाप्रति दें। विकासखण्डवार खेल सामग्री वितरण की जानकारी दें। (घ) प्रश्नांश (क) में संचालित कितने-कितने (10+2) हाई एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों में पर्याप्त खेल सुविधाएं, खेल मैदान, खेल शिक्षक, प्रशिक्षक नहीं हैं एवं क्यों? खेल शिक्षक, प्रशिक्षक के स्वीकृत कितने पद रिक्त हैं? इन स्कूलों में बच्चों को खेल प्रशिक्षण, खेल गतिविधियाँ संचालन की क्या व्यवस्था है?
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा विद्यालयों को खेल सामग्री वितरित नहीं की गई है, अपितु पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार राशि प्रदाय की गई है। अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-5 अनुसार है।
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी की तरफ से जो परिशिष्ट में आया है जबलपुर जिले में 196 हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल हैं जिनमें 145 स्कूलों में खेल शिक्षक नहीं हैं और उसके बावजूद खेल सामग्री का क्रय हुआ है और राशि भी प्रदाय की गई है, इसका क्या उपयोग हुआ है, जब खेल शिक्षक नहीं है, व्यायाम शिक्षक नहीं हैं 145 स्कूलों में तो फिर खेल सामग्री का क्रय हुआ है, राशि प्रदाय हुई है. इसका उपयोग हुआ कि नहीं हुआ और नहीं हुआ तो क्या मंत्री जी इसकी जांच करायेंगे.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश के सभी स्कूलों को हम खेल सामग्री के लिये राशि देते हैं और आवश्यकतानुसार उस राशि का वह उपयोग करते हैं, जहां पर खेल शिक्षक हैं वहां पर भी देते हैं और जहां पर नहीं हैं वहां पर भी देते हैं क्योंकि खेल का मैदान है, बच्चे खेलते हैं और खेलकूद की गतिविधियों के लिये उपयोगी सामग्री ही दी जाती है पूरी प्रक्रिया के साथ में क्योंकि माननीय सदस्य का बहुत लंबा चौड़ा प्रश्न है उसमें उन्होंने बहुत सारे प्रश्न किये हैं. मैं कहना चाहता हूं कि पूरी प्रक्रिया के साथ में हमारे वहां की स्थानीय एजेंसी है जो संस्थायें हैं उन्होंने उसका पालन करते हुये और सबका हम आडिट कराने का काम भी लगातार करते हैं, वगैर प्रक्रिया के किसी भी प्रकार की खरीददारी वहां नहीं हुई है और जहां क्रय किया गया है उसका उपयोग भी विद्यार्थियों के हित में किया जा रहा है.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का कहना है कि जहां व्यायाम शिक्षक नहीं हैं वहां खेल सामग्री खरीदी गई है. 145 स्कूलों में नहीं हैं, स्वीकृत पद सिर्फ और सिर्फ 45 हैं 45 में सिर्फ 23 स्कूलों में व्यायाम शिक्षक हैं और 22 पद रिक्त अभी भी पड़े हैं. आप 145 तो छोड़ दें जो 45 स्वीकृत हैं उसमें 22 रिक्त पड़े हैं उसके बावजूद आप कहते हैं कि सामग्री खरीदी गई. यदि खरीदी गई तो उसका उपयोग हुआ या नहीं हुआ इसकी जांच कराने में मंत्री जी को क्या तकलीफ हो रही है.
अध्यक्ष महोदय-- वह तो कह रहे हैं कि उपयोग हुआ है.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जांच करा लें. क्या यह व्यवहारिक रूप से संभव है कि जहां व्यायाम के शिक्षक नहीं हैं, वहां खेल सामग्री खरीदी गई हो और उसका सदुपयोग हुआ हो. क्या यह व्यवहारिक रूप से संभव है.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्कूल शिक्षा विभाग में हम बच्चों को खेल की सामग्री क्रय करने के लिये कुछ राशि देते हैं और उस राशि से वह छोटी-छोटी सामग्री उनको जरूरत पड़ती है वह उसका उपयोग करते हैं और उसके अनुसार जब खरीददारी करते हैं तब उसकी भी पूरी आडिट रिपोर्ट तैयार होती है, आडिट होता है तभी वह सब किया जाता है. जहां तक खेल शिक्षकों का सवाल है निश्चित रूप से सब स्कूलों में खेल शिक्षक के पद अभी तक स्वीकृत नहीं थे, अभी हमने जितने खेल शिक्षक मध्यप्रदेश के सभी स्कूलों में हैं उनके लिये अभी हमने जो शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया है उसमें भी भर्ती कर रहे हैं और आने वाले समय में सभी जगह पर हम खेल शिक्षक देने का काम करेंगे, साथ ही जिन स्कूलों में अभी पद ही स्वीकृत नहीं हैं उनमें भी हम अतिथि शिक्षकों के माध्यम से उनको भी पद सृजन करके आने वाले समय में भी क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का हिस्सा बनने जा रहा है खेल और खेल से भी शिक्षा प्रारंभ की जा रही है इसलिये सभी जगह हम शिक्षकों के पद सृजन करेंगे और जरूरत पड़ी तो उस हिसाब से भर्ती प्रक्रिया पूरी करेंगे और जहां पर शिक्षक नहीं मिलेंगे उनको हम अतिथि शिक्षकों के माध्यम से पूर्ति करने का काम करेंगे ताकि हर खेल के शिक्षक भी हो जायें, खेल का मैदान भी हो जाये, हमारी सरकार की प्राथमिकता है उसको हम पूरी करने वाले हैं.
श्री लखन घनघोरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने एक बात और स्वीकार की कि वर्ष 2020-21 में और वर्ष 2021-22 में कोरोना काल में स्कूल बंद रहे हैं फिर भी खेल सामग्री खरीदी गई है, अब इसे यह मानेंगे कि प्रदाय भी की गई होगी. यह आपका परिशिष्ट कह रहा है.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ स्कूलों में वर्ष 2019-20 में 10-10 हजार रूपये दिये थे उसमें से ज्यादातर स्कूलों ने क्रय करने का काम किया है.
कुछ स्कूलों ने क्रय नहीं किया उसके बाद में 25-25 हजार रुपये की राशि हमने दी है परंतु चूंकि कोरोना काल था कोरोना के समय कुछ स्कूलों ने उस समय भी क्रय नहीं किया और यह सामग्री जो हम विद्यार्थियों के हाथ में खेल के मैदान में देते हैं वह जब खेलते हैं तब देते हैं वह सामग्री विद्यार्थी घर ले जाकर उपयोग नहीं करते हैं और स्कूल के स्टोर के रिकार्ड में वह है. इसलिये यह कहना कि उपयोग हुआ या नहीं हुआ. कोरोना के कारण खेल के मैदान बंद थे स्कूल बंद थे उस समय उसका उपयोग नहीं हुआ होगा लेकिन जैसे स्कूल खुले उसका उपयोग हो रहा है.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय मंत्री महोदय, खेल में खेल हो रहा है और अधिकारी कर रहे हैं और उसके बावजूद जो अधिकारयों ने लिखकर दे दिया वही सुना रहे हैं क्या आप हकीकत की जमीन में जाकर देखेंगे. कोरोना काल में जब स्कूल बंद रहे हैं तब इतना लंबा भ्रष्टाचार आपका यह परिशिष्ट बता रहा है. 2019-20 में आपने 50 लाख 75 हजार की खरीदी की. 2021-22 में 11 लाख 98 हजार 817 रुपये की खरीदी की. यह गई कहां है. क्या यह कोरोना के मरीजों को दी थी. इसकी जांच कराएंगे क्या आप ?
श्री इन्दर सिंह परमार - अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि जो पैसा वर्ष में जारी होता है क्योंकि वर्ष के अंत में वह राशि लेप्स हो जाती है इसलिये स्कूल के लिये सामग्री खरीदी की गई है. जितना आपने प्रश्न में पूछा उसका सब समाधानकारक उत्तर हमने दिये हैं. एक भी इनके विषय को अनछुआ नहीं रखा है लेकिन उसके बाद भी आप बताएंगे किसी स्पेसिफिक स्कूल का उसकी जांच करा लेंगे क्योंकि हमारे यहां स्टाक रजिस्टर बनता है. स्टाक रजिस्टर से उनका वेरिफिकेशन होता है उसके बाद ही भुगतान करने की प्रक्रिया होती है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, माननीय सदस्य का संदेह केवल इतना है कि कोरोना काल में जब सब बंद था उस समय सामग्री की खरीदी कैसे हुई केवल यह वह मांग कर रहे हैं.
श्री इन्दर सिंह परमार - अध्यक्ष महोदय,कोरोना काल में भी जो खरीदी हुई है उसकी प्रक्रिया की भी जांच करा लेंगे और सामग्री स्कूल में उपलब्ध है कि नहीं इसकी भी जांच करा लेंगे.
श्री लखन घनघोरिया - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के ख के उत्तर में जो जानकारी दी गई है. जिले में राज्य स्तरीय खेल प्रतिस्पर्धाएं आयोजित की गई हैं उन स्पर्धाओं से संबंधित प्रशिक्षण की व्यवस्था जिले के कितने स्कूलों में है. इसमें उत्तर नहीं आया है. एक तो आपने जांच का कहा है तो समय-सीमा निर्धारित नहीं की है. खेलों के आयोजन में जो राशि व्यय हुई है. कोरोना काल का लिखित दे दिया गया लेकिन जो राशि व्यय हुई है जितनी खेल की प्रतियोगिताएं हुई हैं उनकी जांच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने जांच का कहा है.
श्री इन्दर सिंह परमार - अध्यक्ष महोदय, जो खेल प्रतियोगिताएं हैं वह हमारी कोरोना काल में बंद थीं. जब स्कूल खुले हैं तभी प्रतियोगिताएं आयोजित हुई हैं. अलग-अलग जिलों में, अलग-अलग स्थानों पर हमने प्रतियोगिताएं आयोजित की हैं. एक निश्चित मापदण्ड के अनुसार हमने राशि जारी की है और उसका सारा रिकार्ड हमारे पास है.
श्री लखन घनघोरिया - 2020-21 का भी दे दिया कि प्रतिस्पर्धाएं आयोजित हुई हैं.कोरोना काल में भी आयोजित हुईं यह भी आपने जवाब दे दिया.
श्री इन्दर सिंह परमार - कोरोना काल में सामग्री जो स्कूलों ने ली होगी उसके अलावा खेल प्रतियोगिताओं के कोई भुगतान का कोई उसमें बिल नहीं है. खेल प्रतियोगिताएं कोरोना काल में बंद थीं. उसका किसी प्रकार का भुगतान नहीं हुआ है.
श्री लखन घनघोरिया - मंत्री जी, आप इसकी सूक्ष्मता से जांच कर लें.
श्री तरुण भनोत - (xxx)
अध्यक्ष महोदय - तरुण जी का नहीं लिखा जायेगा.
(..व्यवधान..)
श्री इन्दर सिंह परमार - अध्यक्ष महोदय,मैंने जवाब दिया है कोरोना काल में जब विद्यालय बंद थे. उस समय हमारी कोई प्रतियोगिताएं नहीं हुई हैं. जब स्कूल खुले हैं. जब प्रतिस्पर्धाएं हुई हैं.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने जांच का कह दिया है. वह जांच करा लेंगे.
श्री तरुण भनोत - किसकी जांच करा लेंगे. जो प्रतियोगिताएं हुई नहीं उनकी जांच कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय - कहा तो जांच कराएंगे.
श्री तरुण भनोत - वह कह रहे हैं जो सामग्री दी उसकी जांच कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय - पर्टिकुलर बताईये.
श्री इन्दर सिंह परमार - अध्यक्ष महोदय, भी हायर सेकेंड्री स्कूल हमने कोरोना काल में भी खोले हैं. जब कोरोना काल समाप्त हो गया. जब सामान्य स्थिति हुई तब कुछ समय के लिये खोले हैं. उनमें यदि कोई प्रतियोगिताएं हुईं उस समय, सारी तारीखें फिक्स हैं. इस तारीख से इस समय तक स्कूल खुलेंगे. उस समय यदि कोई गतिविधि हुई है. उसके अलावा कहीं का नहीं हुआ है.
श्री तरुण भनोत-- अध्यक्ष महोदय, इस पर शासन के द्वारा रोक लगी थी कि प्रतियोगिताएं नहीं होंगी, उस समय खर्चा किया, क्या उसकी जांच करायेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- (श्री सज्जन सिंह वर्मा, सदस्य के खड़े होने पर) क्या हर सवाल पर खड़े होंगे सज्जन सिंह जी. हर सवाल पर नहीं खड़े होना है. नेता प्रतिपक्ष हैं ना. हर सवाल पर खड़े होने की आदम मत डालिये.
श्री लखन घनघोरिया-- अध्यक्ष महोदय, दो लाइन सुन लीजिये. तुम्हारा काम है वादा खिलाफी खेलते रहना और पब्लिक का काम है वादों की बारिश झेलते रहना. गजब है आपका शासन. खेलो इण्डिया और खेल में कितना खेल हो रहा है, इसका मंत्री जी जवाब दे नहीं रहे हैं. मंत्री जी, विश्वास सारंग जी को बड़ी तकलीफ हो रही है, हर चीज में खड़े होकर जवाब दे रहे हैं. यह प्रश्नकाल है, प्रश्नकाल में विपक्ष के विधायक नहीं पूछेंगे, तो क्या सत्ता पक्ष के लोग इसी समय में समय बर्बाद करेंगे. आधे से ज्यादा समय आप लोग बर्बाद करते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न संख्या 5, डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ जी. अब आप बैठिये, उनका प्रश्न आने दीजिये.
श्री लखन घनघोरिया-- विश्वास सारंग जी, कम से कम आप तो सीनियर हैं, वह जवाब नहीं दे पा रहे हैं, तो पहले ही कह दिया करें, उनकी जगह आप खड़े हो जाया करें.
अध्यक्ष महोदय-- साधौ जी, आप प्रश्न करिये. उनका हो गया.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, घनघोरिया जी का आज बैठने का मन ही नहीं हो रहा है. आज ये घर पर बोल कर आये थे.
शिकायतों पर कार्यवाही
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
5. ( *क्र. 948 ) डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र महेश्वर के अंतर्गत विकासखण्ड महेश्वर एवं बड़वाह की ग्राम पंचायतों के निर्माण कार्यों की शिकायतें किन-किन अधिकारियों एवं कर्मचारियों को वर्ष 2019-20 से प्रश्न दिनांक तक में प्राप्त हुई, का विवरण वर्षवार, जनपदवार, अधिकारीवार देवें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार प्राप्त शिकायतों की जांच हेतु किन-किन अधिकारियों को कब-कब आदेश जारी किये गये? जांच में किन-किन अधिकारियों को दोषी मानकर कार्यवाही की गई एवं कितनी जांच कब से लंबित है?
पंचायत मंत्री (श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- अध्यक्ष महोदय, पंचायत विकास कार्य की प्रथम कड़ी होती है. मेरा निवेदन यह है कि मुझे आपके माध्यम से प्रशासन की जानकारी बुलानी पड़ रही है यहां प्रश्न के माध्यम से. समय समय पर वर्ष 2019‑20, 2020-21,2021-22 एवं 2022-23 में बैठकों के माध्यम से, पत्रों के माध्यम से जनपद, जिला पंचायत से जानकारियां मांगीं, कुछ पंचायतों में बहुत निर्माण कार्यों में अनियमितताएं थीं. महेश्वर ब्लॉक ट्रायबल ब्लॉक है, वहां सब हमारे आदिवासी भाई लोग सरपंच हैं. वहां पर कुछ लोग पंचायतें चलाते हैं. वहां पर अनियमितताएं बहुत हुईं. समय समय पर मैंने जांच चाही, जानकारी चाही, लेकिन मुझे जानकारी नहीं दी गई. प्रश्न के माध्यम से मुझे आज जानकारी मिली है. लेकिन मैं इस जानकारी से संतुष्ट नहीं हूं. मंत्री जी यह बताना चाहेंगे कि कुछ प्रश्न में जो मैंने शिकायतें की थीं, ग्राम खाड़ी, जलकोटा, बाकानेर,मेलखेड़ी,जिजाखेड़ी, इसमें जो आपके जवाब आये हैं, कुछ तो आपने न्यायालय प्रकरण बताये हैं. सुलगांवगढ़ की पंचायत है, वहां न्यायलयीन प्रकरण बताया है कि यह न्यायालय में प्रकरण चल रहा है और उसके बाद में आपका जो कॉलम है, यदि लंबित है, तो कब से लंबित है दिनांक बतायें. उसमें आप पूर्ण बता रहे हैं. तो यह विसंगति क्यों है. न्यायालय में प्रकरण भी चल रहा है और आप उसको जांच पूर्ण बता रहे हैं. एक तो यह हो गया. दूसरा, एक जलकोटा करके हमारी ग्राम पंचायत है, वहां पर मैंने कई गंभीर शिकायतें की हैं. वर्ष 2018 में पुलिया के निर्माण के लिये 15 लाख स्वीकृत हुआ. 4 लाख में कर दिया. फिर रिपेयर के पैसे उसको अलग से दे दिये. 2019 में जलकोटा मार्ग में 8 लाख और उसमें सरपंच के फर्जी हस्ताक्षर, सरपंच प्रतिनिधि ने किये. तो मैं मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि क्या इसकी जांच करायेंगे.
राज्यमंत्री, पंचायत (श्री रामखेलावन पटेल)-- अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2019-20 से प्रश्न दिनांक तक महेश्वर में 22 और बड़वाह में ..
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- अध्यक्ष महोदय, यह मैंने पढ़ लिया है. टू दि पाइंट मंत्री जी जवाब दें, जो मैंने प्रश्न पूछा है. यह सब आ गया है, यह मैं पढ़ चुकी हूं.
श्री रामखेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय, 24 शिकायतों पर आपकी 19 की जांच पूर्ण हो गई है. 5 शिकायत प्रकरणों में जदां की कार्यवाही प्रचलित है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- अध्यक्ष महोदय, जो फर्जी दस्तखत किये हैं सरपंच के, उसकी जांच करवायेंगे क्या.
श्री रामखेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय, जांच पूर्ण शिकायतों में 8 शिकायतें निराधार पाई गईं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- अध्यक्ष महोदय, इसमें जवाब चाहिये. वह तो लम्बा पढ़ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, वे जवाब दे रहे हैं कि 8 की जांच हो गई है.
श्री रामखेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय, इन शिकायतों में धारा 92 की सुनवाई उपरांत प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया है. 3 शिकायतों में शासकीय धनराशि जमा कराई गई. संबंधितों की एक वेतन वृद्धि रोकने की शास्ति अधिरोपित की गई. 4 प्रकरणों में वसूली राशि की कार्यवाही प्रचलित है. एक प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय, इन्दौर में प्रचलित है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- अध्यक्ष महोदय, स्पेसीफिक प्रश्न पूछा है कि सरपंच के फर्जी हस्ताक्षर जो किये हैं, क्या उसकी जांच करवायेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएगी.
12.01 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन (बालाघाट) - अध्यक्ष महोदय, बालाघाट जिले में 36वीं पुलिस बटालियन जो है, वहां पर करोड़ों रुपयों के निर्माण कार्य चल रहे हैं, 25 जो आवास बन रहे हैं, उसमें ग्राउंड फ्लोर को मिट्टी से भर दिया गया और 25 करोड़ रुपये का सरकार को नुकसान हुआ है. इसका मैंने ध्यानाकर्षण दिया है. कल मैंने आपसे आग्रह किया था. मेरी विनम्र प्रार्थना है कि इतने बड़े भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए इस ध्यानाकर्षण को ग्राह्य करें. आपके सरंक्षण में हम चाहते हैं कि इस तरह की अनियममितताएं राज्य में न हों और यदि हाऊसिंग बोर्ड ने गड़बड़ी की है तो उन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही हो. मेरी विनम्र प्रार्थना है कि इस ध्यानाकर्षण को आप स्वीकार करें.
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल) - अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय - आप शून्यकाल की सूचना पढ़ें.
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय, आज बजट पर चर्चा रखी हुई है, इतनी मांगों पर चर्चा रखी हुई है. (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह नहीं आएगा. वह नियम में है. श्री प्रियव्रत सिंह जी, शून्यकाल की सूचना पढ़ें.
श्री प्रियव्रत सिंह (खिलचीपुर) - अध्यक्ष महोदय, मेरे जिले राजगढ़ में अभी एक गंभीर और दुखद घटना हुई है. एक रोड एक्सीडेंट में मोटरसाईकिल पर सवार दो नौजवान एक मेरी विधान सभा क्षेत्र का रहने वाला था, दूसरा सारंगपुर विधान सभा क्षेत्र का रहने वाला था. दोनों की बड़ी दुखद मृत्यु हुई और उसका कारण यह था कि जितनी भी रेत की, गिट्टी की ट्रालियां जो चलती हैं, जो ट्रेक्टर के पीछे ट्राली चलती है, उस ट्राली में रेडियम लाइटिंग कुछ नहीं होती है. अक्सर जब ट्राली पंक्चर हो जाती है तो ट्रेक्टर हटा दिया जाता है और मात्र ट्राली सड़क पर छूट जाती है, उसके कारण पूरे मध्यप्रदेश में भंयकर एक्सीडेंट होते हैं. परन्तु मेरे जिले में भी यह बड़ी दुखद घटना हुई. खजूरीगोकुल गांव और खजुरियाहरिगांव के दो नागर समाज के नौजवान थे. आबकारी विभाग द्वारा संचालित परीक्षा देकर वह भोपाल से मोटरसाईकिल से लौट रहे थे और इसी प्रकार से खंजरपुरजोड़ सारंगपुर खिलचीपुर में, संडावत और छापेड़ा के मध्य में एक्सीडेंट हुआ और उनकी मृत्यु हुई. मेरा अनुरोध है कि इसमें आप जरूर व्यवस्था दें और आने वाले समय में सरकार इस पर विचार करे. एक तो उन परिवारों की सहायता करे और दूसरा जितनी भी ट्रेक्टर ट्राली हैं, उनके पीछे रेडियम लाइटिंग लगाना अनिवार्य करें और स्थानीय पुलिस को भी हिदायत दें कि इस प्रकार से सड़क पर अगर कोई ट्रेक्टर ट्राली छोड़ता है तो उसको हटवाने के लिए पुलिस कारगर रहे, नाइट गश्त में पुलिस सतर्क रहे.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) - अध्यक्ष महोदय, मैंने ध्यानाकर्षण की सूचना भी आपको दी है. हमारे यहां हनुमना से लेकर बहरी पहुंचमार्ग जो सिंगरौली की तरफ जाता है उसके पुल में क्रेक आने की वजह से लोगों को 100 कि.मी. की दूरी से जाना पड़ रहा है. पूरा जीवन अस्तव्यस्त है, यह 3 महीने होने वाले हैं. नवीन पुल का जो निर्माण हो रहा है, वह भी बहुत धीमी गति से हो रहा है. आपसे आग्रह है कि मेरा ध्यानाकर्षण स्वीकृत करें.
12.04 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) की वैधानिक आडिट रिपोर्ट वर्ष 2019-20 एवं वर्ष 2020-21
(2) परिवहन विभाग की निम्नलिखित अधिसूचनाएं-
(क) क्रमांक एफ 01-09/2021/आठ, दिनांक 24.02.2021,
(ख) क्रमांक एफ 19-76/2019/आठ, दिनांक 03.03.2021,
(ग) क्रमांक एफ 22-12/2015/आठ, दिनांक 28.04.2021,
(घ) क्रमांक एफ 22-142/2004/आठ,दिनांक 20.04.2021,
(ङ) क्रमांक एफ 22-112/ आठ/2020,दिनांक 11.01.2022,
(च) क्रमांक एफ 22-47/2021/आठ,दिनांक 11.01.2022,
(छ) क्रमांक एफ 22-16/2022/आठ,दिनांक 16.06.2022,
(ज) क्रमांक एफ 22-124/2019/आठ,दिनांक 05.08.2022,
(झ) क्रमांक एफ 22-57/2019/आठ,दिनांक 21.08.2022,
(ञ) क्रमांक एफ 22-23/2022/आठ,दिनांक 24.08.2022,
(ट) क्रमांक एफ 3/3/4/0001/2022/आठ,दिनांक 08.09.2022,
(ठ) क्रमांक एफ 22-12/2015/आठ,दिनांक 21.09.2022,
(ड) क्रमांक एफ 22-23/2022/आठ,दिनांक 30.09.2022,
(ढ) क्रमांक 1867/2018/2021/आठ,दिनांक 30.09.2022,एवं
(ण) क्रमांक एफ 19-55/2019/आठ,दिनांक 09.11.2022,
ठाकुर सुरेन्द्र सिंह नवल सिंह ‘’शेरा भैया’’ -- ( XXX )
अध्यक्ष महोदय – यह नहीं लिखा जायेगा.
(3) (क) जिला खनिज प्रतिष्ठान जबलपुर के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021 एवं 2021-2022 तथा जिला नरसिंहपुर, अनूपपुर, बैतूल, कटनी, छतरपुर एवं अलीराजपुर के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022, तथा
(ख) मध्यप्रदेश असंगठित शहरी एवं ग्रामीण कर्मकार कल्याण मंडल का वार्षिक प्रशासकीय प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023
(4) मध्यप्रदेश पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इंदौर का 20 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
(5) (क) (i) अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा (म.प्र.) का 54 वां प्रगति प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022, एवं
(ii) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2021-2022,
(ख) महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन (मध्यप्रदेश) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021, तथा
(ग) पंडित एस.एन.शुक्ला विश्वविद्यालय, शहडोल (म.प्र.) का
वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
(6) मध्यप्रदेश
प्रदूषण
नियंत्रण
बोर्ड का
वार्षिक लेखा
परीक्षण
प्रतिवेदन
वर्ष 2021-2022
(7) मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित का आठवां वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2019-2020
12.10 बजे ध्यान आकर्षण
(1) भोपाल के दक्षिण पश्चिम क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 30 चूना भट्टी क्षेत्र की कालोनियों में नल कनेक्शन देने एवं शिवाजी नगर क्षेत्र में पेयजल प्रदाय के समय में परिवर्तन किया जाना
श्री पी.सी. शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्चिम) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की भी सूचना थी, आपने नाम लिया था, उसमें आया नहीं, यह भी नगर-निगम से संबंधित है. स्ट्रीट लाइट बंद हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, पहले ध्यानाकर्षण की सूचना तो पढ़िए.
श्री पी.सी. शर्मा -- यह दूसरा है, शून्यकाल की सूचना अलग थी. स्ट्रीट लाइट बंद हैं, राजधानी भोपाल की पूरी कालोनियों की.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, इसको पढ़िए ना, शून्यकाल में उठाना था.
श्री पी.सी. शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री पी.सी.शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्चिम) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने स्वयं ही बता दिया कि इंडिविजुअल कनेक्शन में 1 करोड़ रूपए व्यय होना है. यह विधानसभा दक्षिण-पश्चिम में ही नहीं, पूरे भोपाल का है. माननीय कृष्णा गौर जी बैठी हुई हैं. इनके क्षेत्र का भी मामला है. पूरे भोपाल में जितनी कालोनियां हैं उनमें इंडिविजुअल कनेक्शन नहीं दे रहे हैं. उन्होंने बता दिया कि 1 करोड़ रूपए एक्स्ट्रा खर्च होगा, इसलिए नहीं दे रहे हैं. वर्ष 2020 से लगातार बजट में पैसे हैं और जो आपने बात की है कि इसमें पैसा खर्च होगा, तो अमृत-2 में इसी काम के लिए 500 करोड़ रूपए आ गए हैं. इन्फ्रास्ट्रक्चर वहां पूरा डेवलप है, पाइप लाईन डली हुई हैं और सब जगह टंकियां बन गई हैं, केवल कनेक्शन देना है. उसमें कौन-सा 1 करोड़ रूपए खर्च होगा. यह तो नगर निगम के लोग आपको गुमराह कर रहे हैं. इसमें कहीं कोई दिक्कत नहीं है. इंडिविजुअल कनेक्शन की स्थिति यह है. मेरे पास पेपर्स की कटिंग भी है (अपने हाथ में पेपर्स दिखाते हुए) इसमें मुख्यमंत्री जी की फोटो भी है. नगर सरकार बनने पर बल्क कनेक्शन नहीं दिये जाएंगे, इंडिविजुअल कनेक्शन दिये जाएंगे. जब महापौर जी चुनी गईं, इसी बात पर चुनी गईं और इंडिविजुअल कनेक्शन नहीं दिये जा रहे हैं. कालोनियों में दिक्कतें आ रही हैं. जब इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप है जिससे पैसा मिलेगा. इसमें कहां दिक्कत आ रही है. मैं समझता हॅूं कि आपको इंडिविजुअल कनेक्शन देना चाहिए, आपको घोषणा करना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए. यह इंडिविजुअल कनेक्शन पूरे भोपाल की मांग है. यह केवल मेरे ही विधानसभा क्षेत्र का एक अकेला मामला नहीं है, यह पूरे भोपाल का मामला है. चाणक्यपुरी एक अच्छी कालोनी है वे हर तरह से पैसे देने को तैयार हैं. जैसे जानकी नगर, दीपक सोसायटी, छत्रपति विंडसर कालोनी, गोमती, आकृति, गौतम नगर, राजदीप रेसीडेंसी ऐसी तमाम कालोनियां हैं. नगर निगम को जितना पैसा चाहिए, वह देने को तैयार हैं तो मैं समझता हॅूं कि इसमें इंडिविजुअल कनेक्शंस देना अच्छा है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी घोषणा की थी कि इंडिवजुअल कनेक्शंस दिये जाएंगे, बल्क कनेक्शंस नहीं. नगर निगम का आपका जो घोषणा पत्र था, उसमें 5वें नंबर पर दिया हुआ है तो यह हाई टाइम है, पैसा भी है, इन्फ्रास्ट्रक्चर भी है तो मैं समझता हॅूं कि आपको यह कहना चाहिए और घोषणा करना चाहिए कि इंडिविजुअल कनेक्शंस दिये जाएंगे.
श्री आरिफ मसूद -- माननीय अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय -- उनका उत्तर आ जाने दीजिए. आप बैठ जाइए.
श्री आरिफ मसूद -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे बोलने का मौका दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- अभी उनका उत्तर तो आ जाने दीजिए. आप बैठ जाइए न. अरे, यह कोई बात नहीं हुई. अभी उनके प्रश्न का उत्तर नहीं आया और आप बीच में खडे़ हो गए. बैठ जाइए न.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्री पी.सी.शर्मा जी ने जो विषय रखा है, उन सबका हम परीक्षण करा लेंगे और जो भी यथासंभव होगा, वह यथासंभव हम लोग प्रयास करेंगे. हमारी सरकार की यह प्राथमिकता है कि लोगों को अच्छी से अच्छी सुविधाएं शहरी क्षेत्रों में हों. इसके लिये हमारी सरकार प्रतिबद्ध है और जो आपके सुझाव हैं उन सुझावों के अनुसार हम परीक्षण करा लेंगे. जो भी यथासंभव होगा, वह करेंगे.
श्री आरिफ मसूद -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पूरे भोपाल शहर की बात है और होता यह है कि अधिकारी रटा-रटाया उत्तर दे रहे हैं. जब मुख्यमंत्री जी ने घोषणा कर दी है कि हम इंडिविजुअल कनेक्शन देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- अरे भई, पी.सी.शर्मा साहब ने पूरे भोपाल का ही नाम लिया है.
श्री आरिफ मसूद -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से कहलवा दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने पूरे भोपाल का नाम लिया है.
श्री आरिफ मसूद -- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने एक विधानसभा का नाम कोट किया है. मैं पूरे भोपाल की बात कर रहा हॅूं.
अध्यक्ष महोदय -- एक नहीं किया है. उन्होंने पूरे भोपाल का नाम लिया है.
श्री आरिफ मसूद -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी कह दें, तो हम मान लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आप सुन नहीं रहे थे. श्री पी.सी.शर्मा जी ने श्रीमती कृष्णा गौर जी का नाम लिया, पूरे भोपाल का नाम लिया.
श्री पी.सी.शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, आरिफ भाई का जो मध्य क्षेत्र शाहपुरा में है उसकी भी यही स्थिति है. वहां कालोनियां हैं. माननीय मंत्री जी, इसमें कहीं कोई दिक्कत नहीं है. यह पैसा अमृत-2 में 500 करोड़ रूपए इन-इन चीजों के लिये है. कालोनियों में टंकियां बनी हुई हैं, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप है और इससे पैसा मिलेगा. मुख्यमंत्री जी ने नगर निगम के चुनाव में घोषणा की थी. मुख्यमंत्री जी की घोषणा को तो मान लीजिए. वे यहां बैठे हैं. कम से कम उनके सामने घोषणा हो जाएगी कि इसको तुरंत किया जाएगा.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- मैं इसके लिए, जो आपने कहा है, मैं उसको बिल्कुल मना नहीं कर रहा हूँ. मैं तो स्वयं उस बात को कह रहा हूँ और मैं इस बात को भी कह रहा हूँ कि हमारी सरकार शहरों के विकास के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. शहरों का सुनियोजित विकास हो, शहरों में लोगों की जो मूलभूत आवश्यकताएँ हैं, उनकी सब पूर्ति हो और इसके लिए ही हमारी सरकार ने, चाहे वह अमृत मिशन हो, यह प्रारंभ किया और अमृत मिशन की जो आप बात कर रहे हैं, इसमें अमृत मिशन में जो भोपाल शहर का नवीन क्षेत्र है वह इसमें है. यह क्षेत्र नहीं है पर मैंने फिर भी कहा है कि इसका हम परीक्षण कराएँगे और आप जो चाह रहे हैं उसमें जो यथासंभव होगा वह पूरे भोपाल के लिए जो आप इंड्युजुअल कनेक्शन की बात कर रहे हैं, यह पूरे भोपाल के लिए जो आपका चूनाभट्टी का क्षेत्र है जो 25 कॉलोनीज़ की आप बात कर रहे हैं, वह भी है, जो आरिफ भाई बात कर रहे हैं, वह भी है. सभी भोपाल के लिए पूरी तरह से इसको हम लोग देखेंगे.
श्री पी.सी.शर्मा-- इसको कब तक कर लेंगे?
श्री भूपेन्द्र सिंह-- आप सुन लें. इसको जल्दी करेंगे और जो आपने शिवाजी नगर का भी कहा है, उसमें भी मेरा आप से आग्रह है कि शिवाजी नगर में चूँकि एक लाइन, आपको भी मालूम है, लाइन खराब हुई है, पुरानी लाइन थी और इस कारण से टाइम चेंज करना पड़ा है और इसमें भी अमृत मिशन के अंतर्गत नयापुरा ओव्हरहेड टैंक हम लोग बना रहे हैं और जैसे ही यह कंपलीट होगा तो फिर सुबह जो सप्लाई है वह हम लोग करेंगे. यह बात सही है कि वहाँ पर शासकीय कर्मचारी रहते हैं.
श्री पी.सी.शर्मा-- विधान सभा के रहते हैं, वल्लभ भवन के भी रहते हैं और शाम को कहाँ से भर लेंगे पानी?
श्री भूपेन्द्र सिंह-- बिल्कुल मैं आपकी बात से सहमत हूँ.
श्री पी.सी.शर्मा-- यह टाटा लाइन डाली गई थी, उसमें दो लाइन को एक कर दिया, वह टाटा के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. दो लाइन अगर होती तो पानी आता था. भाई, जब आप सुबह पहले देते थे तो अब देने में क्या दिक्कत है? अभी एक लाइन डलवा दें, कोलार से वहाँ लाइन डलवा दें. आपके घर के सामने ही वह टंकी है उसमें वह जोड़ना है. उसको जुड़वा दें तो यह पानी आ जाएगा. शासकीय कर्मचारी और विधान सभा के कर्मचारी ये सबकी उसमें मांग है क्योंकि कौन 5-6 बजे तक पहुँचेगा घर पर? ये तो पहुँचते हैं 7 बजे तक तो पानी कहाँ से मिलेगा? यह बहुत ही महत्वपूर्ण है अभी आप इसको तुरन्त कर सकते हैं. इसकी घोषणा तो कीजिए कि इसमें पाइप लाइन डलवा देंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- नहीं, मैं आपकी बात से सहमत हूँ और आपका कहना बिल्कुल सही है कि हमारे जो भी, चाहे शासकीय कर्मचारी हों, चाहे आम नागरिक, कोई भी हो, सबकी आवश्यकता सुबह पानी की होती है, मैं इस बात को मानता हूँ और सबको सुबह पानी मिलना चाहिए, शाम को असुविधा होती है, पर चूँकि वो लाइन खराब होने से और नई लाइन डलने के कारण यह कठिनाई आई है इसलिए शाम को वहाँ पर दे रहे हैं. हमने आज ही निर्देश दिए हैं कि इसका परीक्षण करें और हम कोशिश कर रहे हैं कि जल्दी हम यह व्यवस्था करें जिससे कि सुबह पानी वहाँ के लोगों को मिल सके. आपकी जो भावना है उस भावना के अनुसार हमने यह निर्देश जारी किए हैं और उसको हम लोग जल्दी करेंगे.
श्री पी.सी.शर्मा-- इड्युजुअल कनेक्शन में जहाँ जहाँ पॉसिबल है उसको तो कर दें उसमें क्या दिक्कत है.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- बिल्कुल, जहाँ पॉसिबल होगा कर देंगे.
श्री पी.सी.शर्मा-- जितना जो पैसा जमा कर रहे हैं, पैसा देने को तैयार हैं फिर आपको क्या दिक्कत है?
अध्यक्ष महोदय-- हो गया, कर देंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- कर देंगे, जहाँ पॉसिबल....
श्री पी.सी.शर्मा-- चूना भट्टी में एक चीज और है कुछ क्षेत्र में एक दिन की आड़ में पानी आ रहा है. राजधानी में अगर आज आएगा फिर परसों आएगा तो फिर कल करेगा क्या? वहाँ पर गरीब क्षेत्र भी है, स्लम्स है.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- उस व्यवस्था को भी ठीक करेंगे.
श्री पी.सी.शर्मा-- डेली पानी मिले और सुबह मिले, यह व्यवस्था.....
श्री भूपेन्द्र सिंह-- उस व्यवस्था को भी ठीक करेंगे और कुछ क्षेत्र में आपके यहाँ जो आपने हैण्डपम्प का बताया था, उसके लिए भी मैंने कहा है.
श्री पी.सी.शर्मा-- कुछ जगह आपके यहाँ से निर्देश गए हैं वहाँ पर भी....
श्री भूपेन्द्र सिंह-- उसको भी मैंने कह दिया आपने नहीं पूछा....
अध्यक्ष महोदय-- आपका भी नाम ले लिया. आशीष गोविन्द शर्मा जी....
श्री आरिफ मसूद(भोपाल मध्य)-- अध्यक्ष महोदय, बोर करने के लिए....
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, हो गया, आपका भी नाम लिया ना भैय्या उन्होंने.
श्री आरिफ मसूद-- अध्यक्ष महोदय, भोपाल में नगर निगम द्वारा बोर बंद किए जा रहे हैं. जो बोर चल रहे हैं. उन बोरों को, मंत्री जी को बताना पड़ेगा, उन बोरों को भी आपका कमिश्नर निकाल रहा है. वह निकाल देते हैं और नये कनेक्शन दे नहीं रहे हैं. वहाँ लोग पानी के लिए परेशान हो रहे हैं, वहाँ तो जाता ही बोर से है. वह कहते हैं बिजली की वजह से हम इनको बोर का कनेक्शन नहीं देंगे. हमने कई बार कहा हमारी विधायक निधि से ले लो, बोर का पैसा, बोर कर दो, अगर वहाँ लाइन नहीं है तो वे कहते हैं बोर हम नहीं देंगे, भोपाल में एलाऊ नहीं करेंगे तो दो व्यवस्थाएँ एक साथ कैसे होंगी?
श्री पी.सी.शर्मा-- अध्यक्ष जी, मंत्री जी का ट्रैक रिकार्ड है कि इनसे सवाल पूछते हैं और बाहर जाकर वो सॉल्यूलशन लेकर मिलता है अधिकारी, तो आज ऐसा कुछ दिख नहीं रहा है, आज मामला कुछ गड़बड़ है...(व्यवधान)..
श्री आरिफ मसूद-- भूपेन्द्र भाई, आप मीटिंग भी कर चुके हों. तब भी आपने बल्क कनेक्शन पर भी वादा किया था.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- आज भी ऐसा ही होगा.
अध्यक्ष महोदय-- शर्मा जी, उन्होंने निर्देश दे दिए हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- आप बता देना आरिफ भाई करा देंगे जहाँ आप बताएँगे करा देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
श्री आरिफ मसूद-- धन्यवाद.
श्री आरिफ अकील -- जब आप बोर शुरु करवा रहे हैं तो जहां निकाल लिए गए हैं या बंद कर दिए गए हैं उन्हें भी शुरु करवा दीजिए.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- आरिफ भाई करवा देंगे.
(2) देवास जिले के खातेगांव क्षेत्र में कपिलधारा कुंआ योजना के तहत हितग्राहियों को भुगतान न होना
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव) -- अध्यक्ष महोदय,
पंचायत एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री (श्री राम खेलावन पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि आपने जो उत्तर दिया है, निश्चित ही कुछ हितग्राहियों का लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व भुगतान हुआ है लेकिन मैंने स्वयं भी इस प्रक्रिया को समझा है. इनका जो पोर्टल है जिससे मजदूरों को मजदूरी का और सामग्री का भुगतान होता है वह बार-बार हाईड हो जाता है. मैं अधिकारियों के साथ भोपाल तक इस मामले को लेकर आया था. पोर्टल पर बिल हाईड हो जाने के कारण किसान भाइयों को अभी तक भुगतान नहीं मिल पा रहा है. दोनों तहसीलों में ऐसी संख्या लगभग 100 के आसपास है. एक वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो जाने के बाद भी कई किसानों का भुगतान लंबित है.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से इतना आग्रह करना चाहता हूँ कि यह जो तकनीकी त्रुटि है जिसके कारण जो पात्रता रखते हैं उनका भुगतान नहीं हो पा रहा है. किसानों ने अपने खेत पर कुँआ बना लिया उसका पक्का निर्माण भी कर लिया जिसके कारण उनके खेतों पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हुई है. अगर समय पर उनको पैसा मिल जाए तो उनको आर्थिक रूप से सहूलियत होती है. मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि जितने भी प्रकरणों में जिन्हें भुगतान योग्य पाया गया है, जिसका मूल्यांकन भी हो चुका है और जो तकनीकी दृष्टि से भी ठीक हैं. ऐसे समस्त प्रकरणों का भुगतान आप किस समयावधि में करवा देंगे केवल इतना भर बता दें.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नीमच जिले के भी कपिलधारा के कुछ प्रकरण बाकी हैं. सभी जगह पर पेमेंट करवा दें.
श्री राम खेलावन पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पब्लिक फायनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम लागू हो गया है. इसमें जनपद का सीईओ और एकाउन्टेंट के सिग्नेचर से भारत सरकार को वेरीफिकेशन का प्रस्ताव चला जाता है. भारत सरकार से जैसे ही पैसा अलाट होगा इनके कूपों का भुगतान करवा दिया जाएगा.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- माननीय मंत्री जी सभी प्रकरण भुगतान योग्य हैं लेकिन आपका जो एफटीओ है वह पोर्टल बार-बार हाईड हो रहा है, यह कोई तकनीकी त्रुटि है.
श्री राम खेलावन पटेल -- मैं थोड़ी यह कह रहा हूँ कि भुगतान योग्य नहीं हैं. मैं तो कह रहा हूँ कि भुगतान की प्रक्रिया सतत् है भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है जैसे ही पैसा आ जाएगा अतिशीघ्र पेमेंट करा देंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- मध्यप्रदेश में सभी स्थानों पर भुगतान करवा दें.
श्री राम खेलावल पटेल -- अवधि के बारे में मैं कैसे कह सकता हूं. भारत सरकार से पैसा आता है. मैं कैसे कह सकता हूँ कि एक महीने के अन्दर भेज दो. मेरा प्रयास होगा कि शीघ्र पेमेंट हो जाए.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- हाँ शीघ्र करा दें. किसानों से जुड़ा मामला है.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- जल्दी करवा दें.
श्री राम खेलावन पटेल -- मैं रिमाइंडर लेटर भारत सरकार को भिजवा दूंगा.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय मुख्यमंत्री जी भी यहां पर विराजमान हैं यह समस्या एक जिले की नहीं है हर जिले की है, पूरे प्रदेश की है. पूरे बावन जिलों की हर जनपद में यह समस्या है. अगर इस पर थोड़ा सा संज्ञान लेंगे. निहायती गरीब लोगों का पेमेंट भुगतान नहीं हो पा रहा है.
श्री विजय रेवनाथ चौरे-- पूरे प्रदेश में यही स्थिति है. मनरेगा में बजट ही नहीं है.
श्री प्रियव्रत सिंह-- हर जनपद में पैतीस, चालीस प्रकरण ऐसे हैं जिनका भुगतान गरीब लोगों का नहीं हो पाया है.
अध्यक्ष महोदय-- यह विषय आ गया है. आप बैठ जाइए
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय यह आपकी तरफ से भी आसंदी से जा जाए.
12.31 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
ध्यानाकषर्ण सूचनाओं से संबंधित जानकारी मंत्रीगणों द्वारा समय सीमा में विधान सभा सचिवालय को भेजने हेतु संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जाना
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो आपने आज प्रश्न न आने का शासकीय अधिकारियों द्वारा विभागों का उल्लेख किया है मैं आपके इस प्रस्ताव रखने के लिए और सरकार को सचेत करने के लिए आपने जो बात की है मैं आपकी भूरी-भूरी प्रशंसा करता हूं. आप पक्ष विपक्ष के संरक्षक हैं. वास्तव में माननीय मुख्यमंत्री जी के समक्ष भी और सभी माननीय मंत्री मण्डल के समक्ष भी अनेकों बार यह प्रस्ताव रखे जा चुके हैं, कहा जा चुका है. आसंदी की ओर से भी हमेशा निर्देश दिये जा रहे हैं लेकिन शासन ने आपके निर्देशों की भी धज्जीयां उड़ा दी हैं. मैंने अनेकों बार सभी से निवेदन भी किया और जहां देख रहे हैं कि जिन प्रश्नों में सरकार के खिलाफ या सरकार के कारनामे उजागर होते हैं उन प्रश्नों पर कभी भी जवाब नहीं दिया जाता है. माननीय मुख्यमंत्री जी पिछले कई वर्षों से आप मुख्यमंत्री होने के नाते प्रजातंत्र के, संविधान से संरक्षक हैं. आपका भी दायित्व है कि कम से कम आप प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता के सामने सच्चाई को उजागर करने का काम करें. इस तरह तो प्रजातंत्र का, विधान सभा का और माननीय पक्ष, विपक्ष के सदस्यों का कोई मूल्य ही नहीं रहेगा. मैं आपसे पुन: प्रार्थना करता हूं कि कम से कम अपनी बेलगाम नौकरशाही पर कंट्रोल करें और माननीय मंत्रियों से भी हम प्रार्थना करते हैं कि बीस से पच्चीस दिन पहले आपको सूचना मिल जाती है तो कम से कम सदन में नियमित रूप से प्रश्नों के उत्तर आते रहें हम आपसे यह अनुरोध करते हैं और निवेदन भी करते हैं.
12.33 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
12.33 बजे आवेदनों की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी आवदेन प्रस्तुत किए हुए माने जाएंगे.
12.34 राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री यशपाल सिंह सिसौदिया, सदस्य द्वारा 27 फरवरी, 2023 को प्रस्तुत निम्नलिखित प्रस्ताव पर चर्चा का पुनर्ग्रहण
अध्यक्ष महोदय-- अब राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का पुनर्ग्रहण होगा. राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव की चर्चा में दोनों पक्षों के 17-17 माननीय सदस्य बोल चुके हैं. प्रस्ताव पर आठ घण्टे चौंतीस मिनट चर्चा हो चुकी है. चूंकि चर्चा आज ही समाप्त करनी है. कार्यसूची में अन्य कार्य भी सम्मिलित हैं अत: माननीय नेता प्रतिपक्ष जी बालेंगे तत्पश्चात् माननीय मुख्यमंत्री जी चर्चाओं का जवाब देंगे.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल महोदय के द्वारा जो अभिभाषण दिया गया है मैं इसके बारे में चर्चा करता हूं लेकिन माननीय मुंख्यमंत्री जी से भी चाहता हूं कि पिछले वर्षों में देख रहा हूं कि कोई कार्यवाही में जब विपक्ष अपनी बात कहता है तो सरकार को अपने उत्तर में उन बातों का उल्लेख करना चाहिए और स्पष्टीकरण या जवाब देना चाहिए. लेकिन हम बरसों से देख रहे हैं कि जब अजय सिंह जी नेता प्रतिपक्ष थे, तब उन्होंने कुछ मामले रखे थे, उसका कोई जवाब नहीं आया. हमने अभी अविश्वास प्रस्ताव रखा, उसका कोई जवाब नहीं आया. मैं, माननीय मुख्यमंत्री जी से प्रार्थना करना चाहता हूं कि कम से कम जो जनहित के मुद्दे हैं, जिनसे वास्तव में प्रदेश में सुधार होता है और आम जनता का हित होता है, उनके बारे में आप कुछ निर्देश दें और सरकार बताये कि वह क्या करेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल का अभिभाषण अमृतकाल से शुरू हुआ और मुख्यमंत्री जी की विकास यात्रा पर आकर, अंतिम समय में नग्न नृत्य पर जाकर समाप्त हुआ. यह वास्तव में निंदनीय है. यह हमारी महिला बेटियों का अपमान है. आपकी पार्टी के नेताओं के बीच, मंच पर गुटखा खाते हुए सरकारी अधिकारी के बीच, उसका समापन हुआ. मैं, कहना चाहता हूं इस तरह की परंपरा को रोकना चाहिए और जहां तक सवाल विकास यात्रा का है तो विकास यात्रा में आपने जो काम किए, उसके लिए थी. सरकार को काम करना चाहिए, उसमें हमारा कोई विरोध नहीं है लेकिन इस तरह की परंपरा को रोकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी और सरकार के द्वारा प्रवासी भारतीय सम्मेलन किया गया और उसमें विभिन्न विभागों द्वारा, सभी ने मिलकर लगभग 300 करोड़ रुपये का खर्च किया. वहां 20 करोड़ रुपये के पेड़-गमले आदि, सजावट और हरा-भरा करने के लिए खरीदे गए. अब, मैं, मुख्यमंत्री जी से जानना चाहूंगा कि ये जो 20 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो गमले खरीदे गए थे, वे आज कहां हैं ? क्योंकि वे गमले आज मौके पर नहीं हैं. एक तो कम पेड़ और गमले खरीदे गए और जो खरीदे भी गए तो बाद में कुछ अधिकारियों ने उन गमलों को वापस कर दिया और भुगतान की गई राशि वापस ले ली. हमें जो जानकारी दी गई है, उस आधार पर मैं यह बात कह रहा हूं. आप इस बात को दिखवायें कि वास्तव में सच्चाई क्या है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, वास्तव में आपने कार्यक्रम में 3000 प्रवासियों को आमंत्रित किया, उनकी व्यवस्था की. लेकिन जिस परिसर में यह कार्यक्रम रखा गया था, वहां अंदर आपकी पार्टी के लोग पहले घुस बैठे और अनुशासनहीनता की. हमारे विदेशी मेहमान और प्रवासी बाहर ही खड़े रह गए और वे अंदर जाने के लिए तरसते रहे, उनको अंदर जाने ही नहीं दिया गया. इससे भारत और मध्यप्रदेश की, विदेशों में छवि बिगड़ी है. इस बात के लिए मुख्यमंत्री जी आपसे निवेदन है कि जिन लोगों ने ऐसा किया है, उन पर कार्यवाही हो. क्योंकि आपका बुलडोज़र सब जगह चलता है लेकिन ऐसे अपराधियों पर पता नहीं क्यों, उल्टा मुड़ जाता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी सरकार विधायक खरीदकर बनी. यह आपकी ईमानदारी है कि आपने सरकार खरीदी. अब, मैं, महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर आता हूं. उसमें कहा गया कि प्रदेश में हवाई-अड्डे और हवाई-पट्टियां बनाई जा रही हैं. मध्यप्रदेश में जनता को रोटी-कपड़ा-मकान, यह पूरी तरह से उपलब्ध नहीं है, आप अभी तो जमीन के पट्टे बांट रहे हैं, मकान उपलब्ध करवाने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में करोड़ों की हवाई-पट्टियां बनाकर हम शासकीय धन का दुरूपयोग कर रहे हैं. राज्य में ऐसे बड़े हवाई-अड्डे हैं, जहां से आपको व्यापार मिल सकता है. इंदौर-भोपाल-ग्वालियर में आप विस्तार करें, इसमें हमारा कोई विरोध नहीं है लेकिन जहां जरूरत नहीं है, वहां भी आप बना रहे हैं. एक ताकतवर मंत्री के दबाव में, आपने दतिया में हवाई-अड्डा बना दिया, वहां हवाई-पट्टी की क्या जरूरत है? मेरा कहना है कि वहां हवाई-पट्टी का कोई उपयोग नहीं है. आप इंदौर-भोपाल-ग्वालियर में विस्तार करते, वहां उसकी आवश्यकता थी. आखिर कैसे एक मंत्री के कहने पर जो चाहे दतिया में हो रहा है. सीहोर में नहीं है, कहीं प्रदेश में नहीं है. जितनी योजनाएं और जितने कार्यक्रम हैं, वह सब दतिया में पहुंच रहे हैं और वह इसलिये की मंत्री ताकतवर है, कहीं कुर्सी ना हिला दे, इसलिये उसके सब काम करो.
अध्यक्ष महोदय:- गोविन्द सिंह जी, कहीं उसमें इन्डायरेक्ट आपके मित्र हैं, इसलिये आपका भी तो इशारा नहीं है कि वहीं करना है.
डॉ. गोविन्द सिंह:- थोड़ा बहुत लहार की तरफ भी भेज देते, लगा हुआ जिला है, सटा हुआ है. इसलिये मैं कह रहा हूं कि अब तो यह हो गया कि हवाई चप्पल वालों को हवाई जहाज में बैठा लें.
श्री अजय विश्नोई:- जो मंत्री जी कर रहे हैं उस बात पर डॉ. गोविन्द सिंह जी को एतराज नहीं है. एतराज इस बात पर है कि मिल बांट कर नहीं कर रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह:- आपको धन्यवाद, आप तो इतना सोचते भी रहे, लेकिन इधर नहीं सोचते.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने, कमलनाथ जी की सरकार ने बिल्कुल 100 रूपये 100 यूनिट, हर गांव और शहरों के उपभोक्ताओं के लिये इस तरह का नियम बनाया, आदेश निकाला और हर घर को बिजली पहुंची. आज 700 से 1200 रूपये प्रति माह दिया जा रहा है, जबकि आपने कहा कि हम हर उपभोक्ता के घर में चिराग जला रहे हैं, उजेला कर रहे हैं और बिना बिजली खरीदे करोड़ों रूपये का भुगतान आपकी सरकार ने कर दिया, आखिर इसकी जांच आपको करानी चाहिये की यह पैसा बाहर क्यों गया. आप सरप्लस बिजली बना रहे हैं. सरप्लस स्टेट की घोषणा कर रहे हैं. अभी हमारे सरदार जी नहीं हैं, हमें आज तक यही पता नहीं चला कि ऊर्जा विभाग में हमने उनसे पूछा कि आप क्या कर रहे हो, बोले अभी हमारे पास करने के कुछ है ही नहीं. अपने आप ऊर्जा बन रही है, सूर्य से बनेगी. हमने उनसे पूछा कोई योजना हो तो आप बताओ. हमारे यहां ग्वालियर और चंबल संभाग में पहुंचायें तो उसका जवाब नहीं दी पाये. अब आपने बिजली खरीदी है और हम गुजरात को और दिल्ली को बिजली बेच रहे हैं. वह हमसे सस्ती बिलजी लेकर महंगे दामों पर बेच रहे हैं. इस बात से हमारे मण्डल में 38 हजार करोड़ रूपये का घाटा हो गया है. कई आपके विभाग के अधिकारी भिण्ड जिले के आसपास और दतिया के हिस्से में सोहना तरफ और मुरैना के अम्बाहपुर की तरफ. बिजली के कर्मचारी बिजली लगाते हैं, लाइनें खिंचते हैं और उन्हीं में से कर्मचारी सांठगांठ करके दो दिन बाद सारे तार खिंचकर के बेचते हैं. बिजली के खम्बे अगर सड़क बनने के कारण निकाले जाते हैं, हटा दिये जाते हैं, वहां नये लगते हैं वह पीडब्ल्यूडी वाले लगाते हैं. वह सड़क के खम्बे बड़े मंहगे लोहे के पुराने समय के, सब चोरी करके इकट्ठा कर लेते हैं और एक बार हमने पकड़वाया भी, उसकी जांच भी हुई. अधिकारियों को बताया आपके मंत्री नहीं हैं, उनको भी लिखित में दिया लेकिल कोई कार्यवाही नहीं हुई और उन कर्मचारियों की नामजद एफआईआर भी करी और एक बार अधिकारियों ने उनको पकड़ा भी लेकिन आज तक उनको हटाने का काम नहीं किया, केवल ट्रासंफर कर दिया. लाखों रूपये की चोरी करने वाले इस तरह से आप बिजली बचायेंगे क्या ? थोड़ा सा पानी मंगवा दें.
अध्यक्ष महोदय:- पानी लाओ.
डॉ. गोविन्द सिंह:- अरे पानी रखना पड़ेगा. आप तो पानी मंगवा दो या क्या-क्या करा दो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- 20 साल से आपको पानी ही पिलवा रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह:- अभी चार दिन पहले एक समाचार पत्र में छपा की (XXX) तो इसमें लिखा हुआ है कि जितना लूटो सो लूटो, यह कहावत है आज. (XXX) मैं बता रहा हूं कि यह घोटालों की सरकार है, आपका 15 करोड़ का व्यापम का घोटाला, पोषण आहार में हुआ, 12 करोड़ का घोटाला मध्याह्न भोजन में हुआ, हजारों करोड़ का घोटाला ई-टेण्डर में, छात्रवृत्ति घोटाला...
12.45 बजे (सभापति महोदय {श्री हरिशंकर खटीक}पीठासीन हुए)
डॉ. गोविन्द सिंह -- ..नर्सिंग घोटाला, शौचालय घोटाला, प्रधानमंत्री आवास घोटाला, बलराम तालाब घोटाला, फर्जी राशन घोटाला, चावल का घोटाला, फर्जी राशन कूपन का घोटाला, परिवहन घोटाला, फर्जी कन्या विवाह घोटाला, यह पंडित जी कहां चले गये इन्होंने उठाया था कन्या विवाह का मामला.
एक माननीय सदस्य--कमलनाथ जी के शासन में ट्रांसफर घोटाला.
डॉ. गोविन्द सिंह--हम तो अभी भी कह रहे हैं कि इनमें कोई दोषी हो तो उस पर कार्यवाही करिये. ऐसे लोगों को जेल भेजिये. चाहे वह किसी भी दल के हों, उनको सजा मिलना चाहिये. प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय घोटाला, बिजली घोटाला, 20 करोड़ का पोषण घोटाला, व्यापम इस प्रकार से कुल 364 घोटाला
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू-- कमलनाथ जी के शासन में सबसे बड़ा ट्रांसफर घोटाला. जो कागजों पर कहीं पर भी नहीं दिखता है लिया दिया. तब कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में ट्रांसफर उद्योग चलाया बजाय प्रदेश का विकास करने के. किसी भी प्रकार का विकास नहीं किया सिर्फ ट्रांसफर करने के.
डॉ. गोविन्द सिंह--यह आपको चुनाव के बाद पता चल जायेगा.आपको जवाब मिल जायेगा. इसका जवाब जनता दे देगी. माननीय महामहिम महोदय ने प्रदेश में 1 करोड़ 70 लाख दिहाड़ी मजदूरों का जिक्र किया. माननीय मुख्यमंत्री जी जो अभी आपकी रिपोर्ट आरबीआई की आयी है इसमें कृषि मजदूर जो आज है हमारे उनको देश में सबसे कम मजदूरी 217.80 पैसे मिल रही है. जबकि केरल में 728.80 पैसे का भुगतान हो रहा है. कृषि क्षेत्र के जो ग्रामीण मजदूर हैं उनको 266.70 पैसे मजदूरी मिल रही है. दूसरे प्रांतों से हम काफी कम हैं. निर्माण मजदूर हैं उनको करीबन 370.66 पैसे मध्यप्रदेश में मिल रहे हैं. केरल में उनको 870.80 पैसे मिल रहे हैं. हमारे 1 करोड़ 70 लाख दिहाड़ी मजदूर जो प्रदेश में हैं उनके हित कल्याण में आपने तमाम योजनाएं बनायी हैं. संबल योजना भी मदद करने के लिये है. देश में सबसे ज्यादा आत्म हत्या करने के लिये मजबूर हैं तो उनमें मध्यप्रदेश का नाम सबसे ऊपर हैं. यह सरकार का अमृतकाल किसका है, अमृतकाल है सरकार के अधिकारियों एवं मंत्रियों का आपके पास में शासकीय प्लेन, शासकीय हेलीकाप्टर है फिर भी मंत्रियों एवं अधिकारियों ने अपने पिछले तीन वर्षों में 1395 हवाई यात्राएं कीं और इसमें करोड़ो रूपये का व्यय कर दिया है. जबकि आपके शासन ने प्लेन, हेलीकाप्टर की खरीदी की है फिर इतने रूपये के व्यय की क्या आवश्यकता है ?
12.48 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
सभापति महोदय--आज भोजनावकाश नहीं होगा. माननीय सदस्यों के लिये भोजन की व्यवस्था सदन की लाबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
12.49 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा का पुनर्ग्रहण (क्रमशः)
डॉ. गोविन्द सिंह--सभापति महोदय, आपके महामहिम जी के अभिभाषण में यह बताया है कि 5 करोड़ 18 लाख लोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत निशुल्क खाद्यान्न का वितरण हो रहा है. साढ़े आठ करोड़ प्रदेश की जनता है इसमें से 5 करोड़ 18 लाख लोग गरीब हैं, कमजोर है. इससे स्पष्ट है कि 61 प्रतिशत आबादी आज भी गरीबी रेखा के नीचे है. इधर आप अभिभाषण में खुद दर्ज करते हैं और उसका फिर खण्डन करते हैं कि प्रदेश काफी आगे जा रहा है विकासशील प्रदेश है. देश में इसका नाम है. आपने लगातार यह लिखा है कि शासकीय निशुल्क डायलिसिस, सिटी स्केन में पांच स्वास्थ्य केन्द्रों के नाम बताये हैं कि इन जगहों पर हो रहा है. अब आप बता दें नाम कि कहां कहां पर यह हो रहा है, यह स्पष्ट करें ताकि हम भी जाकर के पता करें कि ग्वालियर जैसा बड़ा चिकित्सालय जहां ढाई हजार बिस्तरों की आपने व्यवस्था की है, पहले दो हजार थी, 500 और आपने बढ़ाया है, इसके लिए धन्यवाद. लेकिन कई जगह बिस्तर नहीं है, कई जगहें मशीनें खरीदी गई हैं, धूल चढ़ी हुई है, इनमें कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. आम जनता बाजार से 5-7 हजार में सीटी स्कैन करवाकर भुगतान कर रही है. ये अमृतकाल है? जनता लुट रही है, आप मशीनें दे रहे हो और डाक्टरों ने अपनी मशीनें लगा रखी है, उनसे लिखाया जाता है 30 प्रतिशत कमीशन, जो सी.टी स्कैन करवाने वाले डाक्टर लिखते हैं उनको भुगतान होता है. इस तरह से प्रदेश की गरीब जनता, किसान और मजदूर को लूटा जा रहा है. ये आपका अमृतकाल हो सकता है. आम आदमी, गरीब आदमी और किसान मजदूर का नहीं हो सकता. अभी आपने एक लाख पदों की भर्ती का लक्ष्य रखा है, 81 हजार पदों के विज्ञापन निकाले हैं, अभी शिक्षकों की भर्ती निकाली है, एक लाख में किसी विभाग का नाम नहीं, केवल शिक्षकों के 29 हजार पदो की भर्ती का उल्लेख किया है, तो बाकी के किस विभाग में कितने पद निकाल रहे हों, अगर आपकी भर्ती की, नौजवानों को रोजगार देने की इच्छा है, सरकार की नीयत साफ है, तो तत्काल इस व्यवस्था का काम करें. पूरे भाषण में ताकतवर मंत्री का विभाग छोड़ दिया, कहीं नाम निशान नहीं. अभी आपने कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी और इस प्रणाली के लागू होने के बाद इस प्रदेश के गृहमंत्री के कार्यकाल में लाखों, तमाम महिलाओं पर अपराध बढ़े.
12:52 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए}
मध्यप्रदेश में बच्चियों पर अपराध, बलात्कार के प्रकरण और अन्य जगहें लूट-खसौट चालू है, माफिया पनप रहे हैं, लेकिन आप इसमें या भोपाल में ही क्राइम बहुत ज्यादा बढ़ गया है तो इस प्रणाली को लागू करके जनता की गाढ़ी कमाई का धन दुरुपयोग क्यों कर रहे हो. मैंने तो पहले भी इसका विरोध किया था कि कमिश्नर प्रणाली लागू नहीं होना चाहिए. तमाम लोग अलग अलग जगह पद पर बैठा दिए, बहुत ज्यादा पद बढ़ाकर अलग अलग आपस में खींचातानी मची हुई है. इसलिए तत्काल अभी भी जनता के हित का सवाल है, सरकारी धन अपव्यय होने से बचेगा अगर आप कमिश्नर प्रणाली समाप्त करें तो. माननीय मुख्यमंत्री जी आपका लगभग 18 वर्ष का कार्यकाल हो सकता है ज्यादा भी हो, मैंने गुणा-भाग नहीं लगाया हूं. लेकिन 18 वर्ष में मैं नेता प्रतिपक्ष बनने के पूर्व तीन बार, पहले तो टाइम ही नहीं मिलता था नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद टाइम लेकर आपसे 4 बार मिला हूं, दो बार हमारे कमलनाथ जी साथ थे, दो बार मैं स्वयं आपके यहां गया, हम जनता के हित से, क्षेत्र के हित से जुडे़ काम को लेकर गए, और आप सभी पर लिख देते हैं प्लस गोल कर देते हैं, उसका मतलब होता है कि 100 प्रतिशत काम होना है. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि अभी आपका बजट हमने देखा. आपने करीब 179-180 के करीब सड़कें मंजूर की, लेकिन उन सड़कों में हमने देखा तो आपका प्लस वाला जाने कहां पोत दिया गया बाद में एक सड़क नहीं मिली भिण्ड जिले को और पिछले कई सालों से नहीं मिली. अब मैं कह रहा हूं सागर जिले में 41 सड़के हैं, अभी सागर के तीन तीन मंत्री बैठे हैं, आपकी कुर्सी सुरक्षित रखने के लिए आप उन्हें खुश करोगे, सीहोर जिले में 27 सड़कें हैं, तो सवाल इस बात का है, सड़कों के मामले में बजट में सागर, सीहोर हाफ, पूरे प्रदेश में जो मंजूर हुई थी दो जिलों में आधी और बाकी सब है साफ. उनमें हमारा भिण्ड जिला और लहार विधान सभा क्षेत्र भी आ रहा है. इतने बजट आ रहे, अरे भाई आप प्रेम से बोलते हो, सहृदयी है, भाषण भी आप लच्छेदार देते हों, अच्छे लगते हैं, लेकिन थोड़ा बहुत रहम करो, कम से कम विरोधियों के क्षेत्र को भी देखो, ऐसा आपने क्या कर दिया कि यहां कुछ काम ही नहीं होगा. अब दूसरा शब्द आया सुशासन. अमृतकाल के बाद आखरी में लिखा था सुशासन.
श्री लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा) - डॉक्टर साहब, मुझे एक मिनट दीजिये, अगर आप अनुमति दें तो. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी शासन ने सब विधायकों से 15-15 करोड़ रुपये की सड़क बनाने के प्रस्ताव मांगे थे, सत्ता पक्ष के विधायकों से मांगे थे, मगर विपक्ष के विधायकों से नहीं मांगे.
कुँवर प्रद्युम्न सिंह लोधी (मलहरा) - किसी से नहीं मांगे.
श्री लक्ष्मण सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह फर्क क्यों ? इसलिए मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि आप फर्क न करें ? अगर आपने सत्ता पक्ष के विधायकों से मांगे है तो जरूर मांगिये. लेकिन विपक्ष के विधायकों से भी मांगिये और उन प्रस्तावों को पूरित करिये.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बजट में अल्पसंख्यकों के लिए बजट तो दिया है, बजट देते हैं लेकिन इस बार के बजट में कोई विकास कार्य नहीं दिये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी आपसे कहना चाहता हूँ कि रोजगार कार्यालयों में करीब-करीब 38 लाख अशिक्षित लोगों के नाम दर्ज हैं, 41 लाख 80 हजार 669 तो शिक्षित बेरोजगार हैं और 1 लाख 12 हजार 470 बेरोजगार ऐसे हैं, जो पढ़े-लिखे नहीं हैं. कुल मिलाकर अभी तक आपने पिछले 2 वर्षों में 21 लोगों को रोजगार दिया है. आपके कार्यालय पर सब कार्य मिलाकर मध्यप्रदेश के 52 रोजगार कार्यालयों पर 16 करोड़ रुपये खर्च होते हैं, उन पर आप वेतन भत्ते बांटते हैं, सुरक्षा और रंगाई-पुताई के लिए खर्च कर रहे हैं. लेकिन आपने पिछले 2 वर्षों में शिक्षित बेरोजगार और अशिक्षित बेरोजगार दोनों में मिलाकर 21 लोगों को आप रोजगार दे पाये हो. अब एक रोजगार कितने का पड़ा मुख्यमंत्री जी, एक व्यक्ति को रोजगार देने में 1 करोड़ 6 लाख रुपये खर्च कर दिए, तो आप रोजगार कार्यालयों पर इतना व्यय क्यों कर रहे हैं ? आप इन्हें समाप्त करें. जब आपकी इच्छा रोजगार देने की नहीं है, सरकार रोजगार देने में अक्षम साबित हुई है तो नौजवानों के साथ इस प्रकार का अन्याय न करें.
अध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही आप लगातार बात करते हैं- जीरो टॉलरेंस की. मैं जीरो टॉलरेंस में आपसे पूछना चाहता हूँ कि मुख्यमंत्री जी आपके 49 आईएएस अधिकारियों के विरुद्ध लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में जांच वर्षों से चल रही है, विवेचना चल रही है और अनेकों के लिए लोकायुक्त और आर्थिक अपराध ब्यूरो ने आपसे चालान प्रस्तुत करने की, सरकार से अनुमति मांगी, आखिर जब आप इसमें इनवॉल्व नहीं हैं, आपका कहीं हाथ नहीं है, आपका कोई संरक्षण नहीं है तो आप इन अधिकारियों के विरुद्घ जो सत्ता के शीर्ष में बैठकर गरीबों को दी हुई राशि को हड़प रहे हैं, उनके खिलाफ आप तत्काल चालान प्रस्तुत कराएं ताकि आपका यह जीरो टॉलरेंस हो पायेगा, अन्यथा केवल जनता को बार-बार भाषण देने में इसका कोई मतलब नहीं रह जायेगा. इसके अतिरिक्त आपकी सरकार और भारत सरकार ने भी यह तय किया है कि प्रतिवर्ष शासकीय अधिकारी-कर्मचारी संपत्ति विवरण प्रस्तुत करे, उसका ब्यौरा प्रस्तुत करें, लेकिन आपके बहुत से अधिकारियों ने प्रस्तुत नहीं किया है और किया भी है तो जो अपनी नई संपत्ति करोड़ों रुपये की खरीदी है, अरबों रूपये इकट्ठे कर लिये, वह बालिग बच्चों के नाम कर दी. जो 18 वर्ष से ऊपर के हो गए हैं हमारे बेटे अलग हो गये हैं, उनके नाम करोड़ों की संपत्ति है, लेकिन अपने नाम से स्पष्ट नहीं किया है, मतलब उसको छुपाया है. इसलिये इसके साथ ही साथ माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा कहना यह है कि जब पिछले समय आपसे पहले 15 महीने के करीब श्री कमलनाथ जी के नेतृत्व में सरकार आई थी, हमारे घोषणा पत्र में था, प्रत्येक विधायक संकल्प लाये, प्रत्येक विधायक अपनी संपत्ति प्रति वर्ष विधानसभा के पटल पर रखेंगे. यह संकल्प मैंने सामान्य प्रशासन मंत्री होने के नाते प्रस्तुत किया था और इस सदन के माननीय सभी सदस्यों ने उस संकल्प को सर्वसम्मति से पारित किया था, किसी ने भी इस सदन में विरोध नहीं किया था. वह बहुमत से पारित नहीं हुआ था, वह सर्वसम्मति से पारित हुआ था. लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जानना चाहता हूं हालांकि इस पर दबाव नहीं है, उसमें प्रेशर नहीं है कि हर आदमी को देना है, लेकिन यह स्वेच्छया से है, हम समाज में राजनीति में आये हैं. हम जनता की भलाई के लिये अपना समय देते हैं. हम सरकार में जनता को देने के लिये आये हैं, लेने के लिये नहीं आये हैं, जनता को लूटने के लिये नहीं आये हैं. अगर हम पाक साफ हैं, हमारी नियत साफ है, हमने कुछ धन दौलत इकट्ठा नहीं की है तो हमारा माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है और हम अपने पक्ष के माननीय सदस्यों से भी अनुरोध करते हैं कि आप भी प्रतिवर्ष जब आपकी सरकार का संकल्प था, आपने उसको पारित किया तो आपसे भी प्रार्थना है कि आप अपनी आमदनी का प्रतिवर्ष सदन में अपना लेखा जोखा प्रस्तुत करें. हम एक पक्ष के लिये नहीं कह रहे हैं, यह सभी के लिये है. अब वह आप पर अलग से कानूनी प्रतिबंध नहीं है, वह आपकी स्वेच्छया से है लेकिन पारित जब आपने किया है तो उसका पालन भी करें यह हमारी प्रार्थना है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जीरो टॉलरेंस, वह आपका आयुष्मान कार्ड घोटाला हुआ. अब ईओडब्ल्यू ने किसी ने प्रकरण भी दर्ज किया है, मैंने समाचार पत्र में पढ़ा है, प्रकरण चल रहे हैं. कुछ आयुष्मान कार्ड में जो प्रायवेट स्कूलों ने कई लोगों ने गड़बड़ी की है, उन पर प्रकरण दर्ज हुए हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन इसके साथ ही यह कहना चाहता हूं कि आपके शिवपुरी में एक अनुराग श्रीवता अपात्र ग्राही आई. 500 कार्ड बना डाले अभी तक उसके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हुई है. इसके अलावा भी आयुष्मान कार्ड में जो अधिकारी हैं, कार्यालय हैं, इसमें करोड़ों के भ्रष्टाचार के उल्लेख हैं, चर्चा में आया है, सी.डी. में आया है. एक 4 जुलाई, 2023 को एक कर्मचारी रामचंद्र मीणा की शिकायत पर आशीष महाजन जो सहायक ग्रेड - 3 क्लर्क था, उसको सस्पेंड कर दिया गया और जो अधिकारी उसमें बैठे हुए थे, उनके विरूद्ध कार्यवाही नहीं हुई. एक तो आपके समाचार पत्र और मीडिया के द्वारा वीडियो भी वाइरल हुआ था कि हमें इतना पैसा दो, तब आपको इतना पैसा भुगतान करेंगे, फर्जी भुगतान होता था. न कोई बीमार हुआ, न अस्पताल हैं, न डॉक्टर हैं, लेकिन आयुष्मान के तहत करोड़ों रूपये उसमें भेजा जा रहा था और जिस अधिकारी की चर्चा हुई है, न उससे पूछताछ हुई है, न उस पर कार्यवाही की है, आखिर घोटाला करने के लिये आप उन पर क्यों मेहरबानी कर रहे हो ? कौन सा आपके ऊपर दबाव प्रेशर है, जो ऐसे अधिकारियों को आप छोड़े हुए हो, आप उन पर कार्यवाही करें तो आपकी जो जीरो टॉलरेंस की जो घोषणा है, उस पर प्रदेश की जनता को विश्वास होगा. अन्यथा आपकी थोती घोषणा का कोई मतलब नहीं है और उसमें लिखा है, स्वास्थ्य संचालनालय में तो यह लिखा है कि वसूली हो रही है, लगातार फिरौती मांगी जा रही है, इस तरह के लिखे हैं, लिखित आदेश के हैं. आपके शासकीय विभाग का है फिर भी कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है. अब जगह-जगह आखिरी में बड़ा सुशासन की चर्चा हुई है, कानून व्यवस्था का इसमें कोई उल्लेख नहीं है.
अब कृपया कर कानून व्यवस्था का भी इसमें रखना चाहिये था. अभी आपके कानून व्यवस्था के संबंध में जो एनसीआरबी की रिपोर्ट आई है इसमें 12 प्रकार के अति गंभीर अपराधों में हमारा प्रदेश सबसे आगे है. महिलाओं पर विभिन्न अनाचार, अत्याचार, अनुसूचित जाति जनजातियों पर, बुजुर्गों पर, बुजुर्ग महिलाओं पर सामूहिक सपरिवार आत्महत्याओं के मामले, बुजुर्गों की हत्याओं के मामले, महिलाओं का अपहरण, बच्चियों पर अनाचार इन सबमें हमारा प्रदेश पूरे समुचे देश में टॉप पर है, हम गोल्ड मेडल प्राप्त कर रहे हैं अत्याचार में, पुलिस विभाग की कार्यवाही में कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद भोपाल सहित समूचे प्रदेश के जिले में, यह हालत सुशासन की है, कानून व्यवस्था में चौपट, इसको जंगल राज नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे. रूस में एक सम्राट जॉर्ज थे यहां भी जॉर्जशाही का राज चल रहा है. आज प्रदेश में कानून का राज नहीं है, अमेरिका में बड़े-बड़े पूंजीपतियों ने लैटिन अमेरिका के गरीब देश थे जिसमें ब्राजील, उरूग्वे, चिली, वेनेजुएला, मैक्सिको, अर्जेंटीना, बोलिविया, पैरू, कोलंबिया एक बनाना राज्य था, तमाम पूंजीपतियों ने हजारों करोड़ एकड़ जमीन वहां ली और केले का उत्पादन चालू किया, इन लोगों ने वहां के पूजीपतियों को हटाकर गरीबों को लेकर लेबर का काम कराया, वहां कोई कानून का राज नहीं था, वहां पर सुबह से शाम तक 12-12, 14-14 घंटे काम कराते थे, छोटा-मोटा पेट भर भोजन देते थे, उनके विरूद्ध कोई आवाज नहीं उठाता था अगर आवाज उठाता था तो किसी के हाथ काट दिये जाते थे और किसी को फांसी पर लटका दिया जाता था, वहां पर कानून का राज ही नहीं था उस बनाना राज्य में लैटिन अमेरिका के देशों में जो 1940 से 1970 तक चला उसी प्रकार की नकल आज मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है. यहां आज बोलने का अधिकार नहीं, अगर हम बोलते हैं तो हम पर मुकदमे लगा दिये जाते हैं, असत्य केस में फंसा दिया जाता है. हमारे साथी राजा पटैरिया उन्होंने साफ शब्दों में कहा था कि गरीबों की हत्या हो रही है संविधान की हत्या हो रही है तो आप (XXX), एक ही शब्द में यह वाक्य था, लेकिन 80 दिन के लिये उन्हें जेल में डाल दिया. मैंने आपके एक मंत्री से अनुरोध किया उनका नाम नहीं लूंगा कि उनको थोड़ा बुखार है, उनके यहां से खबर आई है उनके परिवार की तो आप उन्हें 2-3 दिन के लिये अस्पताल में भिजवा दें जब ठीक हो जायें तब जेल भेज देना. बोले नहीं हम नहीं कर सकते, ऊपर का आदेश है अब ऊपर में मुख्यमंत्री जी हो सकते हैं, और प्रधानमंत्री हो सकते हैं. अगर कोई बयान दे दे तो क्या 80-80 दिन जेल में डाला जायेगा क्या. क्या वाणी स्वतंत्रता प्रदेश में खत्म हो चुकी है. हमें अपनी बात कहने का अधिकार नहीं है. अगर कोई राजनैतिक आंदोलन करे तो तत्काल सैकड़ों मुकदमें छात्रों पर लाद दिये गये, 4-4 महीने तक गंभीर अपराधों में जेल में डाले जा रहे हैं और ग्वालियर जेल में उनके परिवार का कोई हितैषी शुभचिंतक मिलने जाये तो जेल के अधीक्षक को हटा दिया और उस पर कार्यवाही कर रहे हैं, यह क्या प्रजातंत्र है, जहां वाणी की स्वतंत्रता नहीं.
आपकी भारतीय जनता पार्टी सरकार में, अवैध उत्खनन हुआ. आज शराब माफिया,खनिज माफिया का राज है. भिण्ड जिले और शायद पूरे प्रदेश में भारी पैमाने पर पूरे मध्यप्रदेश की खनिज सम्पदा को बेरहमी से लूटा जा रहा है. एक बार मैं मुख्यमंत्री जी से 8-10 साल पहले दीपावली के अवसर पर मिला. पहले मैंने उनको शुभकामना दी. मुख्यमंत्री जी ने भी दी. मैंने कहा मुख्यमंत्री जी कम से कम हमारे यहां रेत का अवैध उत्खनन तो बंद कराओ. मुख्यमंत्री जी बोले कि महंगे ठेके ले लेते हैं. इसलिये वे करते हैं तो ठेके महंगे लेने वालों पर कार्यवाही क्यों नहीं होती. अगर महंगे ठेके लिये तो आप दोबोरा ठेके कराईये. अध्यक्ष महोदय, आप गोपनीय जांच करा लें, हमारी बात पर अगर विश्वास नहीं है. ग्वालियर,दतिया,भिण्ड और पूरे प्रदेश में जो समाचार पत्रों में खबरें मिल रही हैं. हमारे बगल में उत्तर प्रदेश की सीमा है. कानपुर में,आगरा,इटावा,उरई,जालोन और झांसी तक. पहले ट्रक चलते थे आज ग्रांडफादर आ गये. एक ग्रांड फादर चार ट्रकों के बराबर होता है. 24-24 पहिये वाले ट्रक आ गये. खनिज के जो ठेकेदार हैं उन्होंने कहा कि हमें रायल्टी दो. एक हजार देते थे उसकी जगह बारह सौ दे दो ले जाओ. नदियें खोखली कर दीं. जलीय जीव-जन्तु मर गये. मगर हमारे सिन्ध नदीं में हैं वहां पहले 25 फुट तक पानी उस नदी में भरा रहता था आज 5 फुट पानी है. सारी साफ कर दी. रेत उड़ रही है वहां. गोहद क्षेत्र में हजारों ट्रक गिट्टी के उत्तर प्रदेश जा रहे हैं और वहां जाकर एक-डेढ़-पौने दो लाख रुपये में यह रेत का ट्रक पड़ता है. प्रत्येक थाने में एसडीओपी 1 हजार रुपये, थाना प्रभारी 700 रुपये, खनिज विभाग वाला 300 रुपये और आपके राजस्व विभाग के अधिकारी उसमें मिले हुए हैं. कुछ यू.पी. के ट्रक वाले हमारे दोस्त भी हैं. हमने उनसे पूछा कि तुम्हारे ट्रक यहां क्यों आते हैं. बोला कि बांदा में भी तो मिलती है बोले वहां कड़ाई है पैसा वसूल होता है. यहां हमें एक ट्रक पर नीचे से ऊपर तक 9 से 10 हजार रुपये देते हैं. हमें खर्चा निकालकर एक ट्रक पर 50 से 60 ह जार रुपये मिल जाते हैं इसलिये हम यहां आते हैं. शासकीय संपत्ति है. खनिज सम्पदा है. इससे सरकार की आमदनी बढ़ाएं. सरकार का खजाना बढ़ाएं. प्रति महिने आपको कर्जा लेना पड़ रहा है. चार लाख रुपये के आसपास आपके ऊपर कर्जा है. यह आप जो बचत करेंगे तो इससे आपको काफी मदद मिलेगी. खनिज के अलावा वन माफिया है. आपके चार जिलों का समाचार पत्रों में उल्लेख आया है मीडिया में आ रहा है. क्या मुख्यमंत्री जी, आप तक यह संदेश नहीं पहुंचता. कैसा आपका प्रशासन है. आपका जनसंपर्क विभाग क्या कर रहा है. मैं उदाहरण देता हूं दिग्विजय सिंह जी की सरकार का. आप आलोचना भले करें. जब मैं सहकारिता मंत्री था 2002 में. एक समाचार समाचारपत्र में छपा भिण्ड में, सहकारिता मंत्री डॉ.गोविन्द सिंह जी ने एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति की जमीन पर कब्जा कर लिया. वह समाचार यहां आया. मुख्यमंत्री जी ने पढ़ा होगा. उसमें उनसे लिखकर आया. माननीय सहकारिता मंत्री जी कृपया आकर चर्चा करें. अब हमने तो कोई काम नहीं किया जीवन में. अनजाने में कोई बात हुई हो तो अलग बात है. उसके बारे में हाई कोर्ट में केस चला. कलेक्टर,एस.पी. को निर्देश हुआ कि जमीन की माप करो. वहां आपकी पार्टी के लोगों ने गलतफहमी भर दी. कि आपकी जमीन हड़पी है. आपकी पार्टी के श्रीमान जी ने, नेता जी ने कि इन्होंने हड़पी है आपकी जमीनें. नाप तौल हुई कलेक्टर, एसपी का सर्टीफिकेट, हाई कोर्ट का डिसीजन, हम लेकर गये, हमने उनको दिखा दिया, वह कटिंग, उनके पत्र आज भी हैं. आज हमारे पास हैं, हमने उनको सुरक्षित रखा हुआ है, हमारी फाइल में अभी भी लगा है. आपके इतने समाचार पत्र, मीडिया में सब आ रहा है और आप तक समाचार नहीं पहुंच रहा है. या तो आपको अधिकारी गुमराह कर रहे हैं. आपके विभाग के लोग आपको जानकारी नहीं दे रहे हैं और अगर दे भी रहे हैं, तो फिर आप चुप क्यों हैं. इसका क्या माना जाये. क्या यह सब आपके संरक्षण में हो रहा है. अगर नहीं हो रहा है, तो आपको कार्यवाही करनी चाहिये. 8 करोड़ जनता के सामने अपना चेहरा साफ रखना चाहिये. जिस प्रकार शीशे में देखने पर दाग होता है, तो साफ करते हैं. तो भ्रष्टाचार की सफाई भी आपको करना चाहिये. यह हमारा अनुरोध है, अब नहीं करो, अब आपकी इच्छा है. सरकार आपकी है, बहुमत आपका है. जो चाहो सो करो. अभी हमारे बैठे एक साथी हैं, अब आपने विधायकों को भी नहीं छोड़ा है. ये हमारे श्री आलोक चतुर्वेदी जी, विधायक हैं. अभी हम छतरपुर गये थे. वहां लोगों ने बताया कि 40 वर्ष पहले इनकी जमीन फारेस्ट से राजस्व विभाग में की गई. इनकी खुद की जमीन थी वह कि राजस्व विभाग के तहत इसके मालिक श्री सत्यव्रत चतुर्वेदी, श्री आलोक चतुर्वेदी हैं. इनको नोटिस जारी हो गया. विधान सभा में प्रश्न लगाया. तो बोला नहीं उनकी स्वयं की है, स्वामित्व की है, राजस्व विभाग ने दिया कि उनकी स्वामित्व की है. इसके बाद फिर शिकायत हुई, भाजपा वाले नहीं साहब इनको तो परेशान करना है. इनको जेल पहुंचाना है, ताकि ये आगे जेल चले जायेंगे, भयभीत हो जायेंगे, चुनाव नहीं लड़ पायेंगे. भाजपा का पट्टा साफ न हो, इसलिये दोबारा फिर दे दिया. फिर पुलिस पहुंच गई इनके घर. घर घेर लिया. बताओ साहब आप. आपने क्यों किया. इन्होंने कहा कि भाई विधान सभा के सवाल हैं,जांच हुई है, जांच में नहीं पाये गये हैं. दो बार आ चुका, तीसरी बार फिर फारेस्ट ने दे दिया. आखिर आप कितना प्रताड़ित करेंगे. जन प्रतिनिधियों के साथ इतना अन्याय क्यों कर रहे हैं. कब का आप बदला ले रहे हैं. इन्होंने आपका कौन सा ऐसा बिगाड़ दिया है. कौन सी आपकी जायदाद छीन ली, जो इनको लगातार रात दिन मानसिक रुप से परेशान कर रहे हो. घर के बच्चे एवं परिवार को पुलिस जाकर पूछताछ कर रही है. क्या यह आपका सुशासन है, इसी को सुशासन कहेंगे. यह सुशासन है कि कुशासन है. यह आप काम कर रहे हैं. इस प्रकार तमाम लोग हैं, एक नहीं हैं सैकड़ों हैं. अभी मुख्यमंत्री जी चले गये, यह तो मैं उनके सामने ही कहना चाहता हूं. (डॉ. नरोत्तम मिश्र द्वारा बैठे बैठे आ रहे हैं, कहने पर) आ रहे हैं, तो आ जाने दीजिये. अब बताइये साहब. मनोज चावला जी हमारे विधायक जी हैं. इन्होंने क्या अपराध कर दिया साहब. खाद रखी है गोदाम में. सोसाइटी के सेक्रेट्री और सहायक सेक्रेट्री खाद कहीं बांट रहे हैं. रात को ले जाकर एक एक बोरी पर 50-50 रुपये लेकर खाद दे रहे हैं. खाद की कमी है. खाद पहुंचा नहीं. जितनी व्यवस्था करनी चाहिये, नहीं की, क्योंकि सरकार की यह ड्यूटी है कृषि विभाग और स्वास्थ्य विभाग की. अप्रैल के महीने के बाद यह तय करें कि हमारी कितनी फसल होने वाली है, हमें कितना अगले वर्ष फर्टीलाइजर लाना चाहिये, गोदाम चाहिये, उसकी व्यवस्था करनी है. अगर आपकी यह आई कि एक लाख मीट्रिक टन की व्यवस्था खरीफ की फसल में पड़ेगी या रबी की फसल में जरुरत पड़ेगी, तो व्यवस्था पहले से ही पूरे जिले की डिमांड मंगाई जाती है. डिमांड मंगाने के बाद सरकार 10 प्रतिशत से ज्यादा एक लाख मीट्रिक टन की डिमांड आई, तो सरकार 1 लाख 10 हजार मीट्रिक टन तक स्टाक करती है. अब स्टाक कहां से करे. मार्कफेड, फेडरेशन एजेंसी थी, 6-7 हजार करोड़ रुपये का पिछला बकाया नहीं आया. उसके पास में पैसा नहीं है. तो छूट व्यापारी लेकर रात को वह खाद गोदाम की जो कुछ आई है, 50 परसेंट, 40 परसेंट, वह व्यापारियों को दे दी गई, बंटती थी. इस बात के लिए श्री मनोज चावला जी ने विरोध किया कि जब 4-5 दिन से खाद रखी है तो उसको बांट क्यों नहीं रहे? इन्होंने जाकर खड़े होकर कहा और खाद बंटवाई कि जनप्रतिनिधि हैं, जनता का दबाव है. जनप्रतिनिधि की ड्युटी है कि जनता की समस्या के लिए बात करे, जनता के बीच में जायं और उन्होंने कहा कि खाद बांटिए. उनके साथ सेक्रेट्री, गोदाम कीपर ने व्यवहार गलत किया, उन्हें उल्टा-सीधा बोला, उसको छोड़ो. जब गलत बात की, उनका अपमान किया तो उन्होंने कहा कि बैठिए, सामने बंटेगी और यह कहा कि आप रसीद काटते जाइए. एक-एक बोरी उठाते जाओ और आप रसीद से पैसा लेते जाओ. यह इनका अपराध हो गया? इसमें कौन-सा अपराध था? जनहित का काम था. किसानों के हित का काम था. मुख्यमंत्री जी आप तो किसान के बेटे हैं, किसान के हितैषी हैं. अनेक बार आप कह चुके कि किसान हमारा भगवान है, हम उनके पुजारी हैं तो आखिर किसी ने किसानों के हित में सच्चाई से कोई बात की और सामने कहा कि आप रसीद काटते जाओ. यह दो-दो बोरी उठा रहे हैं. दो बोरी आप लीजिए, रसीद पैसा इनसे लीजिए.
अध्यक्ष महोदय, चूंकि कांग्रेस का विधायक है, कैसे इसको दबोचना है, कैसे जनता के प्रतिनिधियों को तानाशाही तरीके से नीचा दिखाना है, उनको गिरफ्तार करा लिया. 6-7 लोग साथ में खड़े थे, जो खाद लेने आए थे, उन पर भी मुकदमा डाल दिया. 3-4 महीने तक जेल में डाल दिया. आपको धन्यवाद है! समय सबका एक-सा नहीं रहता है. समय आता जाता है. यह हमें भूलना नहीं चाहिए कि कभी हमें भी सत्ता के बाहर रहना पड़ेगा. हो सकता है कि आप अमृत्व लिखाकर लाए हो कि हम आखिर तक रहेंगे? वह बात अलग है. लेकिन इस तरह का अन्याय नहीं होना चाहिए. उन्हें एक-डेढ़ महीने उन्हें जेल में काटने पड़े. जेल की इनकी तो मुझे जानकारी नहीं है लेकिन श्री राजा पटैरिया की जरूर जानकारी है. हम उनसे खुद मिलने के लिए गये थे. तब उन्होंने बताया था कि जेल में जो कंबल दिये हैं उन कंबलों में बदबू आ रही है, कई जगह छने हैं, सर्दी ज्यादा है तो घर में हमारे बेटे से कह दो कि हमें कुछ दे जाय. हमने जेलर से कहा तो उन्होंने कहा कि यह एलाऊ नहीं है. हम बाहर का सामान यहां पर नहीं आने देंगे तो हमने कहा कि फिर आप अपने घर से ही दे दो तो बोले कि हम कैसे दे दें? आपने ग्वालियर के जेल अधीक्षक का नहीं सुना, उसकी जानकारी आपको नहीं है? उसने कहा कि यह मैं नहीं कर सकता हूं, मैं आपके हाथ जोड़ता हूं, बुरा मत मानो लेकिन मैं नहीं दे पाऊंगा. यह हालत है, जो दो दो बार मंत्री रहा हो, विधायक रहा हो, जनता का नेता है, उसके साथ यह बर्ताव? ठीक है, यह तो आपका समय है. आप कर डालो.
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी से एक मामले को लेकर दो बार मिला. वह किसलिए मिला, किसानों के साथ मुआवजा में हुए भ्रष्टाचार को लेकर मिला. मुख्यमंत्री जी से निवेदन किया कि आप न्याय करो. इनके बंगले पर गया, टाईम लेकर गया. मुख्यमंत्री जी से निवदेन किया कि किसानों के साथ अन्याय हो रहा है. वर्ष 2020 में भिण्ड जिले की गोहद तहसील में ओलावृष्टि हुई है. ओलावृष्टि में मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की, सर्वे हुआ. सर्वे रिपोर्ट आई. मध्यप्रदेश शासन से पीड़ित किसानों की सूची, गांवों के नाम और गांवों के नाम के साथ राशि जारी हुई. अध्यक्ष महोदय, वहां के एसडीएम, तहसीलदार, रेवेन्यू के आरआई, पटवारी सहित, इन लोगों ने करीब 10 करोड़ रुपये. मुख्यमंत्री जी, जरा सुन लीजिए, 10 करोड़ रुपये लूट डाला और क्या हुआ? पैसा जो है, नाम गोविन्द सिंह का, किसान के नाम से राशि डाली और खाता लगा दिया आरिफ भाई का. वह पूरी राशि जिन गांवों में (श्री आरिफ अकील, सदस्य के बैठे बैठे कुछ कहने पर) उदाहरण दे रहा हूं भैया. उदाहरणार्थ कह रहा हूं तो दूसरों के नाम से पैसा पहुंच गया खातों में किसान भटक रहे हैं. हमने प्रमाण सहित सब निकालकर दिया, आंदोलन किया, धरना दिया, प्रदर्शन किसानों ने किया, मैंने भी किया. मुख्यमंत्री को दिया, विधान सभा में सवाल लगाये, कलेक्टर को ज्ञापन दिया, पत्रकार वार्ता की, लेकिन क्या आलीशान भिण्ड का जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री का दबाव, मुख्यमंत्री का अधिकार या कहने का कोई मतलब नहीं. कहा होगा कि नहीं, पता नहीं. जब ज्यादा कहा हमने, तो जांच हुई. जांच में भी सिद्ध हो गया कि यह इतने-इतने लोगों को दूसरे गांवों में जहां ओले नहीं पड़े, 16 गांवों में दूसरे का नाम चला गया. पैसा डल गया और उसके बाद जब हमने ज्यादा किया तो दो पटवारियों से करीब 2 करोड़ से अधिक राशि वसूल हुई और वह पटवारी कह रहा है कि साहब हमसे ही अकेले क्यों कर रहे हैं उसके पैसे तो सबने लिये. हमारे पास उसके ऑडियो हैं. वह हमने माननीय लोकायुक्त में रखे हैं. इसके बाद मैंने लोकायुक्त महोदय को दिया है. 4 महीने हो गये, लेकिन पता नहीं बाहरी मेहमान लोकायुक्त बनाये जाते हैं कि वह न्याय करेंगे. अब क्या कह सकते हैं ऐसे लोकायुक्त को जो प्रमाण सहित देखा, बोले यह तो सच्चाई है, बोले यह तो खुले आम है, सिद्ध है, इसमें काहे की जांच, यह तो पूरा सिद्ध है प्रमाण है, तो हमने कहा ठीक है हो जायेगी कार्यवाही. 5-6 महीने हो गये कोई कार्यवाही नहीं हुई. किसान अभी 2 महीने पहले फिर धरने पर बैठे. आखिर कहां जाए किसान, कहां मांगे न्याय ? मुख्यमंत्री जी को दे रहे हैं तब कार्यवाही नहीं. कहीं भी दे रहे हैं, तो आखिर ऐसा हमारा निवेदन है. यह प्रमाण है. एक तो यह उदाहरण है.
अध्यक्ष महोदय, दूसरा, उसी तहसील में ऐसी जो कोटवार की नियुक्ति होती है, कोटवार है ही नहीं, ना नियुक्ति हुई, फर्जी नियुक्ति कर दी. हर महीने ट्रेजरी से पैसा निकल रहा है. एक भृत्य है वहां का चौकीदार, उसको तहसीलदार कहते हैं जाओ पैसा ले आओ. 2-3 दुकानदार हैं उनसे कह दिया, उनके बयान हैं उन्होंने दिया था, हम तो यह कहते थे कि हमारे भाई का खाता नहीं है इसलिये हम आपके यहां पैसा भेज रहे हैं. उनसे हर महीने पैसे लाते रहे. जब ज्यादा जांच हुई तो जिन्होंने निकाला, जिनके हस्ताक्षर हैं वह कम्प्यूटर नहीं चला पाता, भृत्य है, चौकीदार कम्प्यूटर चलाकर निकालता था वही उसमें भेजता था. दोनों चौकीदार बर्खास्त. ना तहसीलदार पर कार्यवाही, ना एसडीएम पर कार्यवाही. ड्राइंग डिस्बर्सिंग पावर तहसीलदार, एसडीएम के पास थे, हर महीने आरआई उपस्थित रहकर, हाजिरी भरकर वेतन निकालता है, फिर आखिर यह क्यों है ? पूरे प्रमाण हमने दिया. जब मुख्यमंत्री जी से निवेदन किया वह यहां बैठे हैं, विश्वास सारंग जी ने उस दिन कहा जब हम ध्यानाकर्षण लाये राजस्व मंत्री यहां नहीं थे, राजस्व मंत्री की तरफ से आपने सरकार के मंत्री की ओर से विधान सभा में जवाब दिया, आपने विधान सभा के पटल पर स्वीकार किया, वह दस्तावेज हमारे पास है कि भ्रष्टाचार हुआ. आपने कह दिया कि कांग्रेसी का भी हुआ, तो मैंने कहा भाई कांग्रेस का हुआ तो उसको जेल भेजो. यह बात सही है कि 2-4 हों, लेकिन उसने कांग्रेस या कुछ और नहीं देखा, जिससे सांठ-गांठ पटवारी की और अधिकारियों की थी उसको दिया. कांग्रेस के कुछ हो सकते हैं 2-4 आदमी लेकिन आपकी पार्टी के करीब 80 परसेंट हैं जिनको भुगतान हुआ है और ऐसे लोग हैं जिनके फोटो मुख्यमंत्री जी के साथ हैं. कार्यक्रम में गये हों और फोटो निकालना कोई अपराध, बुरी बात नहीं है, कई खड़े हो जाते हैं, हम लोग भी हैं, लोग कहते हैं सेल्फी दो, यह दो, रोज ले जाते हैं सैकड़ों आदमीं, लेकिन मुख्यमंत्री जी, हैं कुछ आदमी फोटो सहित हम प्रमाण दे देंगे. आपने कह दिया. सरकारी जमीन के नंबर पर भी उनको मुआवजा बंट गया. शासकीय नंबर भी दिये थे. आपने जवाब में स्वीकार किया है. आपने आश्वासन दिया कि मैं कमिश्नर से जांच कराउंगा. आज डेढ़ साल हो रहा है कहां है जांच क्या हुआ ? अधिकारी एसडीएम हैं, तहसीलदार हैं, आरआई हैं, वहीं बैठे हुये हैं, हटाना तो दूर, आखिर न्याय मांगने कहां जाएं मुख्यमंत्री जी, आप बताओ ? मैं सच्चाई कह रहा हूं, अगर इसमें असत्य हो तो आप मेरे ऊपर केस दर्ज करके गिरफ्तार कराइये, मैं आपका स्वागत करूंगा. सत्यता के लिए हम कहां जाएं, किसानों की मांग को लेकर हम कहां जाएं. इस प्रकार के निरंकुश अधिकारी हैं.
अध्यक्ष महोदय, अब शिक्षा विभाग की बात करूंगा. शिक्षा मंत्री, ये बड़े बहादुर हैं. कल विदिशा का आ गया, मुख्यमंत्री जी, विदिशा आपके नजदीक है. पूरे प्रदेश में पिछले 3-4 वर्षों से, आरिफ भाई जो कह रहे थे, सच्चाई है, सरकार प्राइमरी स्कूल और मिडिल स्कूलों के लिए पैसा भेज रही है. हर वर्ष राशि जा रही है, पुताई के लिए, मरम्मत के लिए राशि जा रही है, लेकिन जिले के अधिकारी, जिला प्रशासन और सीईओ, ये सब मिलकर आपस में बांट रहे हैं, बंटवारा कर रहे हैं. पैसा शाला विकास समिति को जाना चाहिए, नहीं गया और नहीं जा रहा है. आधे से ज्यादा लोगों ने तो खाता ही नहीं खुलवाया है. हमने जिला शिक्षा अधिकारी से कहा, सीईओ से कहा, बोले साहब, खाते ही नहीं खुले तो क्या करते. सीधे ऑर्डर एक दुकान को दिया. पेमेंट वहां भेज दिया. उनसे लिखा लिया, न तो पुताई हो रही है, न कोई दूसरे काम. उनका यही है कि शाला विकास समिति का खाता ही नहीं है तो कहां भेजते. इसलिए किया. जिनके खाते हैं, उनसे भी लिखा लिया. मुख्यमंत्री जी, आपका बड़ा नाम होगा प्रदेश में, अभी आप अगर जांच करवा लें, बहुत बड़ा घोटाला है शिक्षा विभाग में, स्कूलों में 10-10 हजार, 5-5 हजार सफाई, पुताई के लिए भेजे जाते हैं. इसके अलावा आप 5 हजार और 10 हजार रुपये खेल सामग्री के लिए हर स्कूल को भेज रहे हैं. उस खेल सामग्री में ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, ऊपर से कोई अधिकारी आया, उसने सबको बिठाया कि भई ऑर्डर ले आओ. सबको बुलाकर के शाला विकास समिति के, हो सकता है कि वे स्कूल के हेड मास्टर हों या इन्चार्ज हों, उनसे दस्तखत करवा लिए कि सामान प्राप्त हुआ. बाद में जब सामान भेजा एक बैग में और जब हमें मिडिल स्कूल के मास्टर ने, धौतपुरा गांव अभी हम दौरा कर रहे थे, हमने कहा कि आप दिखाओ बैग तो उसने दिखाया बैग कि यह सामान हमें मिला है. हमने पूछा कि तुमने क्यों नहीं खरीदा तो बोला कि साहब, पैसा ही नहीं दिया. वहीं लिखा लिया कि हम सामान भेजेंगे और हमसे बिल पर प्राप्ति लिखा ली. जब उस बैग में देखा तो वहां दो रस्सियां, कूदने वाली, जो बच्चे कूदते हैं, दो रस्सी, दो बल्ले, एक कैरम बोर्ड और दो खेलने की गेंदें, फुटबॉल, मिडिल स्कूल वालों को, कुल मिलाकर उस बैग में दो हजार या ढाई हजार का सामान होगा. दस हजार का बिल एक स्कूल का बनता है. भिंड में तो साढ़े तीन सौ के आसपास मिडिल स्कूल हैं. यह मैं एक जिले का बता रहा हूँ. अभी मुरैना में भी ऐसा ही हुआ. मुरैना के सभी बड़े-बड़े अखबारों में छपा कि तीन साल से कुछ दिया नहीं और भुगतान पूरा हो गया. अभी तीन-तीन लाख रुपये और आपने दे दिए. तीन लाख रुपये हाई स्कूल को और तीन लाख रुपये इंटर कॉलेज को. उनमें भी यह काम चालू हो गया है. हमने अभी प्रेस कांफ्रेंस की थी. कलेक्टर को, एसडीएम को और जिला शिक्षा अधिकारी से हमने कहा कि हम तुम्हें जेल पहुँचाएंगे. अब जाकर लहार में कुछ स्कूलों को कह दिया है कि भेज दिया है. पहले बोला कि हम क्या करें, खाते ही नहीं खुल रहे हैं तो हमने कहा कि क्या खाता खुलवाना हमारी जिम्मेदारी है. दस साल से सरकार का पैसा जा रहा है. स्कूलों में पुताई नहीं हो रही है. पैसा पहुँचे तो पुताई हो. पुताई होती तो कुछ थोड़ा-बहुत गड़बड़ करते लेकिन कुछ तो दिखता. इसके लिए आपको विशेष जांच समिति बनानी होगी. यही आपके विदिशा में हुआ है. विदिशा का मामला प्रमाण के साथ हमारे पास रखा है. अगर आप चाहो तो हम भेज देंगे. कई अधिकारी हैं. वहां तो बताया कि कुछ लोगों को यहीं बुला लिया, पूरे प्रदेश के जिला शिक्षा अधिकारियों को और लिख दिया कि हम यह काम करा रहे हैं, एक एजेंसी को दे दिया. दतिया में क्या हुआ, मंत्री जी बैठे हैं, आपको नहीं पता, आपके जिले में पूरी ड्रेस नहीं बंटी. बिना ड्रेस बंटवाए करोड़ों रुपयों का भुगतान हो गया. आपके पास भी लोगों ने शिकायतें कीं. हमारे पास प्रमाण हैं, सबूत हैं, ऑडियो भी है. आपने किसी समिति को दिया, आजीविका मिशन को दिया, उसकी अधिकारी कह रही हैं कि मैं क्या करूँ, ऑडियो है, आप जांच कराएं उसकी 18 लाख रूपए हम दे चुके. अब हम तुम्हें कहां से भुगतान करें और आदेश था. सीहोर की एक कंपनी है. उसने निम्न स्तर का कपड़ा भेज दिया. आखिर सब इतना खुलेआम भ्रष्टाचार मचा हुआ है, लोग लूट रहे हैं.
श्री अनिरूद्ध माधव मारू -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अभिभाषण पर चर्चा हो रही है या भिंड, मुरैना, दतिया की बातें हो रही हैं. वही सब सुन-सुनकर दुखी कर दिया इन्होंने.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, सुशासन है सुशासन. अब आपकी अक्ल में सुशासन नहीं घुसा. यह शासन का सुशासन है.
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. बैठ जाइए.
श्री अनिरूद्ध माधव मारू -- पूरा प्रदेश पड़ा है पूरा प्रदेश बोलने को. आप तो पीछे ही पड़ गये भिंड, मुरैना के.
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाओ, बैठ जाओ.
डॉ.गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, सुशासन में आ रहे हैं सुशासन में. हम जनता के लिए कैसा शासन चला रहे हैं. क्या हो रहा है, हम यह बता रहे हैं. ठीक है अब ज्यादा परेशानी आने लगी. (श्री अनिरूद्ध माधव मारू, सदस्य के अपने आसन पर बैठे-बैठे कुछ कहने पर) आपने नहीं किया या तो आप शामिल हो, तब ही बोल रहे हो. नहीं, तो क्या जरूरत है आपको बोलने की. हम आप पर तो आरोप नहीं लगा रहे हैं. मैं किसी व्यक्ति का नाम नहीं लगा रहा हॅूं. जिन्होंने किया, उन पर लगा रहे हैं. मैं कह रहा हॅूं और दावे के साथ कह रहा हॅूं. अगर जो बातें मैंने रेत-खदानों वाली उठायी हैं, आपके स्कूलों वाली बातें उठायी हैं, ड्रेस वाली बातें उठायी हैं और दतिया का ड्रेस वाला मामला तो हमारे पास प्रमाण सहित है. उसमें पैसा पहले ही बंट गया तो मुख्यमंत्री जी, मैं यह कह रहा हूँ कि जो कहा है, आप हमारे आरोपों की जांच कराएं और हमारे ऊपर कार्यवाही करें और अगर नहीं है, अगर हमारे आरोप सिद्ध हो जाएं या गलत साबित हों, तो मैं अपना खुद काला मुहं करा लूंगा.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी से हमारी चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि आपके ऊपर ईडी की जांच है. हमने कहा, मुख्यमंत्री जी यह आपने कराई. हमसे पूछ रहे हैं. आखिर हम ईडी का नोटिस पर 27 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय, दिल्ली में उपस्थित रहे. वहां का नोटिस आ गया. हमारे परिवार वालों ने कहा कि आप कहां डकैती डाल आए. तुम तो बड़ी लंबी-चौड़ी बातें हांकते थे. (हंसी) हमारे चचेरे भाईयों ने कहा. नोटिस हमारे गांव लहार के पते पर पहुंचा था. उन्होंने पढ़ा. हमने कहा, अब जो समझो, सो करें. हम गये. हमने देखा. वहां राज्यसभा सांसद श्री विवेक तन्खा जी, वकील साहब से पूछा. उन्होंने कहा कि तुमने क्या किया. हमने कहा, जिन्होंने किया, उन पर तो कुछ कार्यवाही होती नहीं है. उन्होंने कहा, आप क्या करते हो. हमने कहा कि हमारे पास आमदनी के 4 साधन हैं. एक तो हमारे पास एमएलए की सैलरी है. हमारे नाम ईश्वर की कृपा से खेती ठीक-ठीक है. खेती की आमदनी है. भोपाल के मकान का किराया और भिंड में छोटा रेस्टहाउस है जो दो कमरों का बना है, उस पर टॉवर लगा है तो उसमें बीएसएनएल का 5000 रूपए का किराया आता है. यह कुल मिलाकर हमारे पास है. वे बोले, आपके पास कौन-सी कंपनी के शेयर हैं. हमने कहा कि साहब, शेयर होता क्या है, मैंने कई लोगों से पूछा. मैं शेयर नहीं जानता, मैं गांवों में रहा हॅूं. यहां से गये सीधे लहार गांव जाता हॅूं. शेयर क्या होता है, कंपनी क्या होती है. कोई कंपनी में नहीं हॅूं, मेंबर नहीं, सदस्य नहीं, किसी संस्था का डायरेक्टर नहीं, ट्रस्ट में नहीं हैं और मुझे अपने ऊपर विश्वास है कि हमने जीवन में ऐसा कोई काम नहीं किया है जिसमें हमें प्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता के सामने नीचा देखना पडे़ या हमारी निगाह नीची हो. ऐसा हमने नहीं किया. इसके बाद भी ईडी का नोटिस हमें मिला. माननीय मुख्यमंत्री जी, आप सही-सही बता दीजिए. आप हमसे पूछ रहे हैं. सरकार की बिना इच्छा के नोटिस चला जाएगा. कहां से हुआ. अब बता रहे हैं कैसे हो गया. हमने कहा कि अब आप बताओ. नोटिस आप भेजो और पूछो हमसे. (हंसी) धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव -- आप चिन्ता क्यों कर रहे हो, इसमें इज्जत बढ़ जाती है.
डॉ.गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो कह रहा हॅू कि हमारा पूरा परिवार परेशान है. अध्यक्ष जी, मैंने तो सोच लिया. हजारों साल पहले कई लोग आजादी के लिए लडे़. महात्मा गांधी जी लगभग 11 साल जेल में रहे. पंडित नेहरू जी जेल में रहे. मध्यप्रदेश हो, चाहे दिल्ली की सरकार हो, 302 से बड़ी धारा नहीं है और झूठे केस में 2 से 3 महीने से ज्यादा जेल नहीं है. जब महात्मा गाँधी, हम अगर चोरी में जाएँ, डकैती में जाएँ, भ्रष्टाचार में जाएँ, तो हमारी गर्दन नीची होगी. हम जानते हैं अभी तक का, ईश्वर की कृपा से, हमने ऐसा जानकारी के आधार पर कोई काम नहीं किया है, जिसमें हमें ईडी नोटिस दे, इतनी बड़ी संस्था हमें बदनाम करने का काम करे. फिर भी सरकार है, भाई, आपके ऊपर राज्य है, जैसा चलाओ, जैसा अन्याय करो, जेल में डालो, फाँसी पर लटकाओ, हम सही काम के लिए सहर्ष तैयार हैं. हम कोई घबराने वाले नहीं हैं, भागने वाले नहीं हैं. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मुख्यमंत्री जी.....(मेजों की थपथपाहट)
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हमेशा से यह मानता रहा हूँ कि हमारे नेता प्रतिपक्ष श्रीमान् गोविन्द सिंह जी कभी असत्य भाषण नहीं करते. लेकिन आज उनका भाषण पता नहीं कौन से उन्होंने सलाह ले मारी. वह पूरा असत्य का पुलिन्दा ही है. (मेजों की थपथपाहट) अच्छा, उनका कद छोटा है, लेकिन मैं मानता था व्यक्तित्व बहुत बड़ा है. लेकिन यह भाषण देकर वे बौने हो गए हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्दौर में कहाँ पेड़, कहाँ गमले, मैं यह कहना चाहता हूँ गोविन्द सिंह जी...
डॉ.गोविन्द सिंह-- हमने कहा जानकारी है. जानकारी दी गई है वह बताया मैंने, यह नहीं कहा कि है.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अब वो सही है कि गलत है यह पता नहीं है अभी. यह जानकारी अभी नहीं है. अच्छा, वे भोले भी हैं. वे अभी कह रहे थे कि केला बनाने की कहाँ कौनसे अफ्रिका में, लेटिन अमेरिका में, अब गोविन्द सिंह जी, सीधे मध्यप्रदेश की विधान सभा से लेटिन अमेरिका पहुँच गए आज. हमने सोचा कि लेटिन अमेरिका के उदाहरण का मतलब क्या है? और फिर कह रहे थे कि प्रवासी भारतीय सम्मेलन में बड़ी अनुशासनहीनता हो गई. अध्यक्ष महोदय, मैं गर्व के साथ कह रहा हूँ दुनिया भर के 42 देशों के प्रवासी भारतीय आए पर इन्दौर शहर ने, इन्दौर के नागरिकों ने, केवल सरकार ने ही नहीं, जैसी व्यवस्थाएँ कीं, जाते समय उनकी आँखों में आँसू थे कि ऐसी मेहमाननवाजी हमने कहीं देखी नहीं. (मेजों की थपथपाहट) इन्दौर आगे आया कि मत ठहराओ होटलों में हमारे दिल के दरवाजे भी खुले हैं और हमारे घर के दरवाजे भी खुले हैं, अपने घर में ठहराएँगे. (मेजों की थपथपाहट) इन्दौर के हमारे साथी यहाँ बैठे हैं, वहाँ के जनप्रतिनिधि, लोगों ने अपनी गाड़ियाँ लगाईं, घरों पर ठहराया. भोजन, चाय, नाश्ता, लाना ले जाना, दुनिया तारीफ कर रही है लेकिन गोविन्द सिंह जी कह रहे हैं कि भाजपा कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई नहीं की. गोविन्द सिंह जी, कार्रवाइयाँ, जब आपकी सरकार थी, तब हुई थीं, 15 महीने की सरकार में, ये बैठे हैं नरोत्तम मिश्रा, 18 लोग इनके जेल में थे, जो आसपास थे, खानदान के खानदान का तबादला कर दिया था. हमारे पार्षद मीणा थे उनकी 60 दुकानें बुलडोजर चलाकर तोड़ दी गईं, राजू मीणा, इछावर के मंडल अध्यक्ष के स्कूल पर बुलडोजर चलाया गया. भूपेन्द्र सिंह जी बैठे हैं इनकी होटल नापी गई. संजय पाठक, पता नहीं, आज हैं कि नहीं, कहाँ से लुप के, छुप के, निकल के, बचते, बचाते, उस जमाने में कैसे निकले थे यह मैं जानता हूँ. एयर पोर्ट को छावनी बना दिया, पकड़ो, नापो, मारो, तोड़ो, यह राज अगर दिया था तो 15 महीने की कमल नाथ जी की सरकार ने दिया था. हाँ, हमने बुलडोजर चलाए हैं,
श्री लक्ष्मण सिंह-- तैयार हो, फिर आ रही है वह सरकार.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- हाँ हमने चलाए हैं बुलडोजर और आज इस सदन के माध्यम से मैं फिर कहना चाहता हूँ, माफियाओं पर बुलडोजर चलेंगे, दुराचारियों पर बुलडोजर चलेंगे. (मेजों की थपथपाहट) गुण्डागर्दी करने वालों पर बुल्डोजर चलेंगे. आप बात कर रहे थे कि जेल भेज दिया, मोदी की हत्या कर दो, आखिर सुनने की भी सीमा होती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस का प्रदर्शन होता है (XXX) यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार में बैठे लोग नहीं करते हैं. शालीनता की सारी सीमाएं तोड़ी जा रही हैं. गंदी गालियाँ देंगे, हत्या कर दो फिर धीरे से और कुछ शब्द कह देते हैं. यह सदन लोकतंत्र का मंदिर है, केवल ईंट गारे का भवन नहीं है. मर्यादाएं, मुझे यह कहते हुए गर्व है कि मध्यप्रदेश की विधान सभा की गौरवशाली परम्परा रही है. आलोचनाएं होती हैं, होनी चाहिए. स्वस्थ आलोचना के हम पक्षधर हैं. मैं केवल गोविन्द सिंह जी के संदर्भ में बात नहीं कह रहा हूँ वे तो भले आदमी हैं, लेकिन क्या कमर के नीचे वार किए जाएंगे. क्या मर्यादाएं और शालीनता की सारी सीमाएं तोड़ी जाएंगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने विषय उठाया है इसलिए कह रहा हूँ. वे कह रहे थे भिण्ड में कोई काम ही नहीं हुआ है. अभी-अभी मैं भिण्ड गया था वहां मेडिकल कॉलेज की घोषणा करके आया हूँ. दूसरी सप्लीमेंट्री में गोविन्द सिंह जी वहां शानदार मेडिकल कॉलेज बनने वाला है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- उसके लिए मैं आपको धन्यवाद दे रहा हूँ. बन जाए बस.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- वहां नगर निगम, वहां मेडिकल कॉलेज और सड़कों के 42 काम. एक सूची मैं आपके पास भिजवाऊंगा. 104 करोड़ रुपए के सेकेण्ड सप्लीमेंट्री में 42 काम दिए हैं और आपके क्षेत्र में दिए हैं. भरौली-अमाइन, क्या यह आपके क्षेत्र में नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- नहीं है. (बैठे-बैठे)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अच्छा लहार-अमाइन तो है भाई. 3 करोड़ 26 लाख 77 हजार रुपए की रोड सेकण्ड सप्लीमेंट्री में स्वीकृत हुई है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- मुख्यमंत्री जी हमारे क्षेत्र में केवल 10 किलोमीटर है बाकी की सब उधर भिण्ड जिले में है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अरे, भिण्ड जिला भी तो आपका ही है, इतने छोटे तो नहीं हैं आप.
डॉ. गोविन्द सिंह -- ऐसा नहीं है, हमारे क्षेत्र में नई सड़क कोई भी नहीं है वह तो 50 साल पुरानी सड़क है. उसी पर डामर करा दिया.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- मिहोना टाउन और मजबूतीकरण के लिए पैसा, लहार-अमाइन के लिए पैसा, भरौली-अमाइन के लिए पैसा. 42 कामों के लिए 104 करोड़ रुपए अलग से और आप कहेंगे तो पूरा हिसाब लाकर दे दूंगा. मध्यप्रदेश की सरकार सभी इलाकों में काम करने का प्रयास कर रही है. मैं केवल यह कह रहा हूँ कि आप कह रहे थे कि बिलकुल नहीं दिया है. यह मेरे पास रिकार्ड है. गोविन्द सिंह जी, लहार में भी दे देंगे आप क्यों चिंता करते हैं. आपकी दोस्ती तो नरोत्तम मिश्रा जी से है. शुरु में ही आपने अपने भाषण में मजबूती दे दी कि दतिया वाले पढ़ेंगे कि दतिया में यह हो गया, दतिया में वह हो गया. आप तो जिताने बैठे हो कि दतिया में इतना काम रहे हैं, जिताओ नरोत्तम को.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- नरोत्तम जी से दोस्ती है इसलिए सीएम साहब आपको कुछ नहीं दे रहे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, रेत माफियाओं को कुचलते हुए 14 हजार वाहन, 2 लाख 40 हजार घन मीटर रेत जब्त की गई है. 4 के खिलाफ एनएसए की कार्यवाही की गई. 34 के खिलाफ जिलाबदर की कार्यवाही की गई है. आगे भी कार्यवाहियाँ जारी रहेंगी. जहां गड़बड़ होगी वहाँ कार्यवाही होगी. अध्यक्ष महोदय, गोविन्द सिंह जी भर्ती का पूछ रहे थे. मैं कह रहा हूँ कि आज आप बिलकुल असत्य का पुलिंदा लेकर आ गए. आप नेता प्रतिपक्ष हैं, आप कह रहे थे कि 21 रोजगार दिए गए. मैं बताना चाहता हूँ कि इन पदों पर भर्ती या प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है. पटवारी 7000, शिक्षक 15700, उपयंत्री 2600, पेरा मेडिकल नर्सिंग स्टाफ 6500, फारेस्ट गार्ड, जेल वार्डन 2200, सहायक ग्रेड-3 स्टेनो 2700, पुलिस कांस्टेबिल 7500. माननीय अध्यक्ष महोदय, 15 अगस्त तक 1 लाख से ज्यादा पदों पर भर्ती हो जाएगी, प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. हम लगातार काम करने का प्रयास कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभियोजन की अनुमति, इन्होंने विषय उठाया अभी 70 की अनुमति जारी की गई है. 150 प्रकरणों में अनुमति जारी करने की तैयारी हो रही है. हाँ कहीं-कहीं विधिक पेचिदगियां होती हैं उनमें थोड़ा बहुत समय लगता है. आप जानते हैं. आप जानते हैं कि एक निश्चित प्रक्रिया है, विभाग देता है. विभाग का, विधि विभाग का अलग-अलग अभिमत होता है और फिर वह एक अलग समिति में आता है, लेकिन आज मैं आश्वस्त करना चाहता हूं बेईमानी और भ्रष्टाचार करने वाला कोई बचेगा नहीं. जीरो टॉलरेंस की नीति ही रहेगी. हम लगातार कार्यवाही करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मर्यादाओं की बात कर रहा था और मध्यप्रदेश की सदन की परम्परा बता रहा था. यहां तो कई बार संवेदनाओं का मजाक उड़ाया गया. बिना संवेदना के मनुष्य मनुष्य नहीं हो सकता है. संवेदना का मतलब दूसरे के दर्द से वैसे ही वेदना जो कि आपके मन मे होती है उसे संवेदना कहते हैं. यहां सदन में उदाहरण दिये गये, बंदरों की कहानियां सुनाई गई. यह बात सच है कि हम सतना में थे. सतना के मित्र यहां बैठे हैं. उसके पहले भी हम रीवा गये थे. गोविन्द सिंह जी रीवा में हवाई अड्डा बने इसमें आपको दिक्कत क्या है, क्या परेशानी है. विंध्य का विकास होने दीजिए. यह बात सही है कि सड़क जरूरी है, लेकिन आजकल तो हवाई अड्डा भी जरूरी है क्योंकि निवेश अगर आएगा तो बिना एयर कनेक्टिविटी के नहीं आएगा और जब विंध्य की यह आकांक्षा थी कि निवेश अगर हमारे यहां आए तो इसके लिए केवल हवाई पट्टी से काम नहीं चलेगा वहां प्रॉपर एयरपोर्ट बने. आप ग्वालियर की बात कर रहे थे ग्वालियर में भी बन रहा है, लेकिन विंध्य भी किसी से पीछे नहीं रहेगा यह सरकार का संकल्प है. हम हवाई अड्डे बनाएंगे, हवाई पट्टियां बनाएंगे, सड़कें बनाएंगे यह सरकार की ड्यूटी है, सरकार का कर्तव्य है. लेकिन उस दिन जो यहां सतना की घटना सुनाई गई. हां एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई. कई भाई-बहनों की जान चली गई और सतना में मेरे मित्र जानते हैं जो सतना जिले से हैं, यहां विधायक है वह बैठे हैं मन में वेदना स्वाभाविक थी. घटनाएं होती हैं हम हर एक घटना को रोकने में सक्षम और समर्थ नहीं हैं और उस पर हमारा बस भी नहीं रहता है. एक बस खड़ी थी पीछे से किसी ट्रक ने टक्कर मार दी और उस बस का टायर फट गया, लोग दब गए. मैं मुख्यमंत्री हूं मैं बैचेन हुआ. पहले तो हमने वहीं वॉर रूम बना लिया और उसके बाद हम रातभर नहीं सोये. हम घटनास्थल पर गए, घटनास्थल के बाद अस्पताल गए, घायलों की व्यवस्था की, मृतकों की यथोचित व्यवस्था की. दस-दस लाख रुपए की राशि देने का फैसला किया और अंतिम संस्कार तक मंत्रियों को लगाया कि जाओ अंतिम संस्कार पूरा करवाकर आना. परिवार को सांत्वना भी दो और परिवार की पूरी सहायता भी करो. क्या यह संवेदना नहीं होना चाहिए और यह संवेदना है तो क्या इन संवेदनाओं का मजाक उड़ाया जाना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तराखण्ड में घटना हुई. मुझे नौ बजे खबर मिली. मन व्यथित हुआ. पता चला कि तीर्थ यात्री बस सहित काफी गहरी खाई में गड्डे में चले गए. मुझे नौ बजे खबर मिली. मैं दस बजे यहां से निकल गया. ग्यारह बजे जॉलीग्रेंट पहुंचे और बारह साढ़े बारह बजे में अस्पताल में था, घायलों को देख रहा था और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को लेकर रातों रात सारे शव निकलवाए. स्पेशल विमान किया उसमें पार्थिव शरीर रखे और हमारे पन्ना और छतरपुर जिले में भिजवाने का काम किया. क्या यह संवेदना नहीं होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- चुरहट में चार लोग एयर लिफ्ट हुए.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- चुरहट में भी किया यह पहली बार हुआ कि मजदूर, पटवारी इनको भी एयरलिफ्ट करके दिल्ली के मेदांता अस्पताल में इलाज करवाने का काम किया है तो इस सरकार ने किया है. केवल नेताओं के परिजनों के लिए नहीं किया. यह संवेदना चाहिए और यही संवेदना है जो एक के बाद एक योजनाएं बनवाती हैं. आप अमृतकाल की बात कर रहे थे. हां मैं कह रहा हूं यह अमृतकाल है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एक वैभवशाली भारत, एक गौरवशाली भारत, एक संपन्न भारत एक शक्तिशाली भारत का निर्माण हो रहा है. और यह हम नहीं कहते हैं अब तो जमाना कहता है. अब तो पाकिस्तान वाले भी कहते हैं कि काश हमारे पास भी मोदी होता. हम समाचार चैनलों में देख रहे हैं. आज देश का जो मान बड़ा है, जो प्रतिष्ठा बड़ी है, जो सम्मान बड़ा है मैं सच कहता हूं कि नरेन्द्र मोदी जी युग पुरूष हैं भारत को भगवान का वरदान है नरेन्द्र मोदी जी.
अध्यक्ष महोदय, यह अमृतकाल नहीं तो क्या है सारे विश्व में हमारी साख बन रही है और यह कहते हुए गर्व है कि एक प्रधानमंत्री की संवेदना है कि तुर्की में अगर कहीं भूकम्प में लोग दबते हैं मारे जाते हैं. तो सबसे पहले भारत की फौज, भारत के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ उनकी सेवा करने के लिए तुर्किये में पहुंच जाते हैं, यह आज का भारत है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- असम के सी.एम. हिमंता बिस्वा शर्मा ने उनको हनुमान जी बोला, आपने आज यहां भगवान जी बोला. अच्छा है भाई, अपने-अपने नंबर बढ़ाते रहो, ऐसे भगवान पैदा होते रहें.
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, संवेदना की बात कर रहा था. बचपन में मैंने अपने गांव, घर और आस-पास बेटियों के साथ अन्याय और भेदभाव होते देखा था. भेदभाव ये कि बेटा जन्म लेता था तो आनंद और प्रसन्नता मनाई जाती थी. बेटा आया है, बधाइयां गाओ, ढोल बजाओ, मिठाइयां बांटो, मायके वाले भी आ जायें लेकिन बेटी होती थी तो मां का चेहरा भी उतर जाता था. यह स्थिति मेरे मन में दर्द पैदा करती थी, पीड़ा पैदा करती थी. मैं, मन में सोचता था कि ये क्यों होता है, एक मां के कोख से बेटा भी जन्म ले और बेटी भी जन्म ले. लेकिन बेटी को उतना आदर न मिले. आज तेजी से परिस्थितियां बदली हैं लेकिन बहनों को पर्याप्त सम्मान नहीं था, भेदभाव होता था. पर्याप्त स्थान नहीं, पर्याप्त मान नहीं, पर्याप्त सम्मान नहीं और तब से मन में यह बात आती थी कि ऐसी योजना बननी चाहिए कि जिसके कारण मां-बहन-बेटी को सम्मान मिले. बेटा और बेटी को लोग बराबर मानें, यह मैंने, जब मैं, मुख्यमंत्री बना तब नहीं कहा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब मैं कुछ नहीं था, कल्पना भी नहीं थी कि कभी विधायक भी बन सकते हैं, मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं. तब ये भाव मन में आता था और छोटी-मोटी चीज़ें करने की कोशिश करते थे. जब मैं मुख्यमंत्री नहीं था, तब भी हम बेटियों के विवाह करवाते थे. लेकिन मुख्यमंत्री बनते ही तत्काल अगर पहली दो योजनायें बनाई तो इसी संवेदना के कारण, पहली योजना थी- ''मुख्यमंत्री कन्यादान योजना'' और यह तय किया कि बेटियों का विवाह सामूहिक रूप से होगा.
(मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी योजना बनी थी- ''लाड़ली लक्ष्मी योजना''. जिसका अनुसरण पूरे देश के लगभग हर राज्य ने किया. आज 44 लाख 40 हजार लाड़ली लक्ष्मी बेटियां मध्यप्रदेश की धरती पर हैं. मुझे यह कहते हुए संतोष है, मन में आनंद भी है, समाधान भी है. उन बेटियों को जब वे 5वीं पास करके 6वीं में जाती हैं तो 2 हजार रुपये, 8वीं पास करके 9वीं में जाती हैं तो 4 हजार रुपये, 11वीं 12वीं में 6-6 हजार रुपये और अब कॉलेज में जाती हैं तो 12500 हजार रुपये, डिग्री प्राप्त करके निकलेंगी तो फिर 12500 हजार रुपये और अब तो हमने ये संकल्प लिया है कि यदि मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेज में लाड़ली लक्ष्मी बेटियां जाती हैं तो उनकी फीस भी मध्यप्रदेश की, भारतीय जनता पार्टी की सरकार भरवायेगी.
(मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस योजना के कारण राज्य में लिंगानुपात में भी परिर्वतन आया है. वर्ष 2011-12 में जो 912 था, अब वह बढ़कर 956 हो गया है. बेटियों की संख्या राज्य में बढ़ रही है. मुझे यह कहते हुए गर्व है कि यह संवेदना ही है कि जिसने यह तय किया कि बहनों को राजनैतिक रूप से सशक्त किया जायेगा. महिला के राजनैतिक रूप से सशक्तिकरण की योजना बनी और हमने यह तय किया कि 50 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को हम स्थानीय निकाय के चुनावों में देंगे. आज कितनी बड़ी संख्या में बहनें और बेटियां चुनकर आ रही हैं. चाहे वे पंच हों, सरपंच हों, पार्षद हों, मेयर हों, नगर पालिका, नगर पंचायत की अध्यक्ष हों. नया राजनैतिक नेतृत्व उभरा है. ये हमारी सरकार थी जिसने यह तय किया, बहनों की, बेटियों की 30 प्रतिशत भर्ती हम पुलिस में भी करेंगे. जब हम ये प्रस्ताव लेकर आये थे, गृहमंत्री जी यहां बैठे हैं, आंतरिक विरोध हुआ था, काफी विरोध हुआ था कि बेटियां क्या कर लेंगी? लेकिन हमने जिद की कि 30 प्रतिशत बेटियों की भर्ती पुलिस फोर्स में भी होगी. ये हमारी संवेदना ही थी.
डॉ. विजय लक्षमी साधौ:- माननीय मुख्य मंत्री जी, आपके मंत्रिमण्डल में भी 50 प्रतिशत महिला हो जाये तो और ही अच्छी बात हो जायेगी.
श्री शिवराज सिंह चौहान:- जरूर, आप आगे-आगे देखते जाइये. माननीय अध्यक्ष महोदय, शिक्षकों की भर्ती में भी 50 प्रतिशत बेटियों की भर्ती हो गयी. मैं एक-एक चीज गिनाऊंगा तो घण्टों लगेंगे. बहनों को हमने रजिस्ट्री में छूट दी, स्टाम्प शुल्क केवल एक प्रतिशत लगाने का फैसला किया तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लिया. आजीविका मिशन जिस तेजी से आगे बढ़ रहे हैं,मुझे कहने की आवश्यकता नहीं है लेकिन फिर भी मन में एक बैचेनी थी कि हमारी गरीब बहनें, निम्न, मध्यम परिवारों की बहनें छोटी-छोटी जरूरतों के लिये उनको परेशान होना पड़ता था, बाकी प्रयास लगातार चल रहे थे. लेकिन मन में लगा की एक ऐसी योजना चाहिये कि जिसके कारण बहन को कभी बहन को 1000-500 रूपये की जरूरत पड़े तो उसको हाथ ना फैलाना पड़े और माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने 2017 में एक प्रयोग किया था कि हमारी बैगा, भारिया और सहरिया यह तीनों अत्यंत पिछड़ी जनजाति से बहनें आती थी, उनके परिवार को हमने तय किया कि एक हजार रूपये हर महीने की राशि उनके खाते में डालेंगे. आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी, आपकी सरकार आयी तो वह एक हजार रूपया भी आपने बैगा, भारिया और सहरिया परिवारों के आपने बंद कर दिये थे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम:- बंद नहीं किया गया था, मुख्यमंत्री जी आपसे अनुरोध है कि असत्य बात आप ना कहें. अगर ऐसा है तो आप उसके आदेश दिखा दें.
श्री शिवराज सिंह चौहान:- अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम:- (XXX)
अध्यक्ष महोदय:- इनका नहीं आयेगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन कर रहा हूं और पूरी जिम्मेदारी के साथ कि बैगा, भारिया और सहरिया बहनों को एक हजार रूपये महीना दिया जाता था, वह बंद कर दिये गये थे उनको 15 महीने वह नहीं मिले. हमने आते ही चालू किये. आप संवेदना की बात करते हैं, हम तो जाते हैं अगर कहीं कोई दुर्घटना हो जाती है. इसी भोपाल शहर में गणेश उत्सव के दौरान खटलापुरा में 11 बच्चों की डूबने से मृत्यु हुई थी. पांचवीं मंजिल पर तत्कालीन मुख्य मंत्री बैठे रहे, देखने की कभी जहमत नहीं उठाई. तब भी हम पहुंचते थे. आप योजनाएं बंद कर देते हैं लेकिन आज मुझे यह कहते हुए संतोष है कि जब उस योजना का हमने इम्पेक्ट असेसमेंट कराया, मैं, पूरे सदन को बताना चाहता हूं और सदन के माध्यम से पूरे देश को बताना चाहता हूं कि इम्पेक्ट असेसमेंट कराया तो उन बहनों ने कहां खर्च किया, उन बहनों ने वह पैसा बच्चों को दूध, फल,सब्जी और दाल खरीदने में लगाया और वहां पोषण सुधरा. मेरे मन में एक बैचेनी थी कि एक योजना और ऐसी लायी जाये जो हमारी आधी आबादी को, हमारी बहनों को, हमारी माताओं को और सशक्त करने का काम करे. उस लिये सोचते-सोचते आज मैं आनन्द, गर्व और प्रसन्नता के साथ कह रहा हूं कि दुनिया की सबसे बड़ी महिला सशक्तिकरण की योजना बनायी तो हमने मुख्य मंत्री लाड़ली बहना योजना बनायी.
श्री बाला बच्चन:- आपके पहले हमने हिमाचल में शुरू कर दी. हमने की और पहली केबिनेट में 1500 रूपये कर दी और अब फिर हमारे वचन पत्र में महिलाओं को 1500 रूपये हर महिला को मिलेगा और बिना कंडीशन और उम्र का कोई बंधन नहीं होगा.
श्री दिलीप सिंह परिहार:- बैठिये, आपकी सरकार ही नहीं बनेगी.(व्यवधान) ना कर्जा माफ किया.
श्री बाला बच्चन :- आपकी सरकार का जवाब था.(व्यवधान) वह कमल पटेल जी पीछे बैठे हैं, उनका उत्तर था और मेरा प्रश्न था. मेरे प्रश्न का जवाब दिया था.
( व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान:- अब बाला भाई खड़े हो गये तो मैं,इनको बता देता हूं कि क्या-क्या बंद किया आपने. गरीब आदमी का सहारा बनने वाली संबल योजना इन्होंने बंद की. एक पैसा भी खाते में नहीं डाला. नंबर-दो
डॉ. गोविन्द सिंह:- माननीय मुख्यमंत्री के प्रश्न के जवाब में सरकार का उत्तर आया है कि योजना लगातार जारी थी और रही है.
श्री शिवराज सिंह चौहान:- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी एक नया पैसा संबल योजना के अंतर्गत जो प्रभावितों के खाते में पैसा जाना था नहीं गया, यह योजना बंद करना ही है.
नंबर दो गांव गांव में विकास कार्य करने वाली पंच परमेश्वर योजना.
श्री विजय रेवनाथ चौरे--माननीय मुख्यमंत्री जी संबल योजना के दो साल से खातों में पैसे नहीं आये हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाईये.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधो--अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी आपने भेदभाव किया है कि 2019-20 का पैसा आज तक आपकी संबल योजना में मेरी विधान सभा में 100-125 लोगों का गरीब तबका था, वह अभी भी उससे अछूते हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय अब दीदी का जवाब दे दें. मेरी लाड़ली दीदी 2019-20 में आपकी सरकार थी हमारी सरकार नहीं थी आपकी सरकार ने पैसा नहीं दिया. हमारी सरकार जब से आयी है, तब से पैसा हम दे रहे हैं.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधो--अध्यक्ष महोदय,2019-20 में तो आपने ही पिछले दरवाजे से सरकार बनी थी.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--माननीय नेता प्रतिपक्ष जी जब बोले तो हमारे सदस्यों में कोई सदस्य खड़ा नहीं हुआ था अध्यक्ष महोदय.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधो--अध्यक्ष महोदय,2019-20 में आपकी सरकार पिछले दरवाजे से घुस गई तो फिर आप कैसे असत्य कथन कह रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--माननीय नेता प्रतिपक्ष जी आपसे मेरी प्रार्थना है कि आप बोल रहे थे तो कोई भी नहीं उठा था. आपने सारे मिथ्या आरोप लगाये तो भी नहीं उठा. आप इनके देखो.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधो--अध्यक्ष महोदय,हम असत्य नहीं बोलते इसलिये नहीं उठाया. आप असत्य पर असत्य बोले जा रहे हो इसलिये हम बोलेंगे. यह हमारा हक है.
डॉ.गोविन्द सिंह--आप सभी से मेरा निवेदन है कि आप लोग शांति से सुनिये बाद में बोलने का समय आयेगा. आप लोग कृपा करें. इसके बाद बजट पर चर्चा होगी तो बोलेंगे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत--डॉ.साहब का डंडा चल ही नहीं रहा है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--हमारे पास तो डंडा है ही नहीं हम तो बगैर डंडे के हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय मेरिट में जो बच्चे आते थे. जो 75 प्रतिशत लाते थे उनको 12 वीं उनको लैपटॉप के लिये 25 हजार रूपये देते थे वह भी 25 हजार रूपये देना बंद किये. 0 प्रतिशत ब्याज पर कर्जा देने वाली योजना बंद, मुख्यमंत्री कन्यादान और निकाह योजना में राशि तो बढ़ा दी, घोषणा कर दी 51 हजार रूपये शादियां हो गईं डोलियां उठ गईं, बेटी ससुराल चली गई कई जगहों पर तो भांजे भांजियां भी आ गये, लेकिन कमलनाथ जी की सरकार का पैसा नहीं आया. फसल बीमा योजना के अंतर्गत हमारे कृषि मंत्री जी बैठे हैं मैं जब मुख्यमंत्री बना तब आकर के हमने जमा की और उसके बाद में किसानों को पैसा मिला. प्रधानमंत्री आवास योजना के ढाई लाख मकानों का स्टेट शेयर नहीं दिया इसलिये ढाई लाख मकान वापस लौट गये गरीबों के साथ अन्याय किया आप सबने. 2019-20 में जल जीवन मिशन की योजना प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी लेकर के आ गये थे जिसमें 50 प्रतिशत पैसा राज्य सरकार को मिलाना था आपने जल जीवन योजना चालू ही नहीं की इससे हमारा प्रदेश सवा साल पिछड़ गया. इसलिये मैं आपसे कह रहा हूं कि भारतीय जनता पार्टी की अब दिल्ली में भी सरकार है और यहां पर भी सरकार है. इसलिये अमृतकाल है, क्योंकि एक तरफ मां, बहिन और बेटी के सशक्तिकरण का काम शुरू हो रहा है. अभी आप उठे थे आप ढपोलसंखी बात करते हैं .पैसे आ जायेंगे तो तब देंगे. लेकिन हमने तो सीधे कहा कि 10 जून को इस सदन में बैठे सभी माननीय सदस्य इस सदन के माध्यम से प्रदेश की बहिने सुन लें 10 जून को पात्र बहिनों के खाते में 1 हजार रूपया डालना शुरू कर दिया जायेगा. उनकी जिन्दगी बदलने की यह योजना है. इसके 25 तारीख से आवेदन भराना शुरू हो रहे हैं. यह अमृतकाल है इसलिये अमृतकाल है.
श्री बच्चन नायक--आप जून से देने की बात कर रहे हैं. हम अप्रैल 2023 से 1500 रूपये महीना हर महिला को हम देंगे.
अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाएं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय नेता प्रतिपक्ष जी अमृतकाल की बात कर रहे थे अमृतकाल है अमृतकाल इसलिये है कि गरीबों के कल्याण की योजनाएं जो डबल इंजन की सरकार ने बनायी. 50 साल कांग्रेस की सरकार ने राज किया कभी नहीं बनायी. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना उसमें निशुल्क राशन की व्यवस्था यह गरीबों के लिये अमृतकाल है गरीबों के लिये मैं कह रहा हूं पूरी जिम्मेदारी के साथ जिन गरीबों के पास रहने के लिए आवास की जमीनें नहीं हैं, कई छोटे छोटे परिवार, परिवार बढ़ने के कारण छोटे से घर में रह रहे हैं, परिवार बड़ा हो गया, रहने की जगह नहीं बची, कहां रहें, जब ये सवाल सामने आया तो हमने मुख्यमंत्री भू आवासीय अधिकार योजना बनाई और तय किया कि प्रत्येक परिवार को, परिवार मतलब पति, पत्नी, और उनके बच्चे एक परिवार है. प्रदेश में प्रत्येक परिवार में जिनके पास रहने के लिए आवासीय भूखंड नहीं हैं, उनको आवासीय भूखंड ग्रामीण क्षेत्र में दिया जाएगा, 40 हजार पट्टे हम बांट चुके हैं. अभी आज ही मैंने मंत्री मंडल के साथियों से चर्चा की है, हमारे डेढ़ लाख पट्टे तैयार हैं, उनको नि:शुल्क बांटने का काम हम करेंगे और किसी के पास अगर नहीं होगा तो माननीय अध्यक्ष महोदय हम उनको भी देने का काम करेंगे और इतना ही नहीं, हमने ये भी तय किया है कि हमारे शहरों में रहने वाले, नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति, जिनका जमीन के टुकड़ें पर कई वर्षों से कब्जा है, उनके लिए भी हमारे नगरीय विकास मंत्री यहां बैठें हुए हैं, उनके लिए हमने योजना बना ली है, उनको भी नि:शुल्क पट्टे प्रदान किए जाएंगे. चाहे वह सिंधी पट्टे, चाहे बंगाल से आए हुए भाई और बहनों के पट्टे, उसके भी नियम और प्रक्रिया अत्यंत सरल करके 2000 वर्ग फीट के उनके जो प्लाट है, उन पर केवल एक प्रतिशत से दो प्रतिशत प्रीमियम जमा करवाकर हम उनको भी पट्टा देने का काम करेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, ये अमृतकाल है, इसलिए न केवल रोटी, कपड़ा और मकान(...व्यवधान) अध्यक्ष जी, ये अमृतकाल इसलिए है कि सही अर्थों में गरीबों के कल्याण का अभियान मध्यप्रदेश की धरती पर चल रहा है, ये अमृतकाल इसलिए है. आयुष्मान भारत योजना के अंदर तीन करोड़ 37 लाख लोगों से ज्यादा के हमने आयुष्मान कार्ड बनाकर दिए हैं, ताकि उनके नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था की जा सके. आप विकास यात्रा की बात कर रहे थे, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी. विकास यात्रा निकालने में आपको क्या आपत्ति है. हमने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी के जन्म दिन, 17 सितम्बर से शुरू किया था, सी.एम. जनसेवा अभियान और सी.एम. जनसेवा अभियान के अंतर्गत मुझे कहते हुए प्रसन्नता है, हमने तय किया कि कोई भी गांव या शहर के वार्ड में अगर पात्र हितग्राही किसी योजना के लाभ से वंचित है तो हम हर एक को लाभ देंगे, कोई नहीं बचेगा, सेचुरेट कर देंगे, हमने यह तय किया और मुझे प्रसन्नता है. मैं बधाई और धन्यवाद भी देता हूं, आपको, आप सभी का योगदान मिला. उस सी.एम. जनसेवा अभियान में 83 लाख नए पात्रों का नाम सूची में जोड़ दिया.(....मेजों की थपथपाहट) अलग अलग 38 योजना के 83 लाख हितग्राही, न केवल सूची में नाम जोड़े, बल्कि उनको स्वीकृति पत्र दे दिए गए और योजनाओं का लाभ मिलना प्रारंभ हो गया. अब सी.एम. जनसेवा अभियान हम चलाए तो क्या आपित्त है, माननीय अध्यक्ष महोदय, ये जनसेवा का महायज्ञ है. हमने इसके बाद विकास यात्राएं निकाली, आपको विकास यात्रा पर क्या आपत्ति है. माननीय अध्यक्ष महोदय विकास यात्राएं गई जनता इकट्ठी हुई, लोकार्पण के काम हुए, शिलान्यास के काम हुए, हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया और केवल लाभान्वित नहीं किया गया, अगर कोई पात्र हितग्राही और मिल गया तो 8 लाख से ज्यादा नाम विकास यात्राओं के समय और हमने योजनाओं के स्वीकृत करके उनको भी लाभ देने का मार्ग हमने प्रशस्त कर दिया. (....मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, कई नवाचार हुए, विकास यात्रा में बुजुर्गों का सम्मान किया. कई जगह विकास यात्राओं में गांव की प्रतिभाओं का सम्मान किया. कई जगह ''खुशहाली की टोकरी'' जैसी योजना, जिसमें गांव न तय किया कि अगर हमारे यहां आंगनवाड़ी में बच्चे कुपोषित है तो जनता अपनी तरफ से कुछ न कुछ चीज देंगी. अलग अलग इतने इनोवेशन कि मैं बताऊंगा तो यहां घंटों लग जाएंगे, विकास यात्राओं ने विकास के एक नए आयाम को मध्यप्रदेश की धरती पर स्थापित किया, इसलिए मैं कहता हूं कि यह अमृत काल है (....मेजों की थपथपाहट) हम सरकार चला रहे हैं तो अपनी जनता के लिए चला रहे हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों की बात हो रही थी. किसान कल्याण के कितने काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है. मैं यदि गिनाने लगूँगा, तो उसमें घण्टों लगेंगे. लेकिन आपको ध्यान होगा कि विधान सभा में मैंने, एक बात यहां कही थी कि कर्ज माफी की घोषणा के कारण कई किसानों ने कर्जा देना बन्द कर दिया, उसके कारण वह डिफाल्टर की सूची में आ गये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उन डिफाल्टर किसानों के लिए हमने यह घोषणा की थी कि उन डिफाल्टर किसानों का जो ब्याज है, वह ब्याज भरवाने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार करेगी. इस बजट में 2,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, ताकि ब्याज की गठरी उनके सिर से उतर जाये और फिर से उनको कम से कम सोसायटियों से खाद और बीज मिलने का रास्ता साफ हो जाये. हमने 2 लाख 25 हजार करोड़ रुपया अलग-अलग योजनाओं के तहत इन तीन वर्षों में किसानों के खातों में पहुँचाए हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, अकेले फसल बीमा योजना के अंतर्गत 17,000 करोड़ रुपया हमने किसानों के खाते में डाले हैं, मैं केवल फसल बीमा योजना का बता रहा हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने यह तय किया है कि पीएम किसान सम्मान निधि के 6,000 रुपये खाते में डाले जाएंगे, तो 4,000 रुपये मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत हम खाते में डालेंगे, इस प्रकार 10,000 रुपये हर वर्ष खातों में भेजने का कोई चमत्कार यदि किया है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. यदि आप किसानों की बात करते हैं तो मुझे यह कहते हुए गर्व है कि नेता प्रतिपक्ष जी यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार की नीतियों का परिणाम है कि खाद्यान्न का उत्पादन जो सन् 2003 में केवल 159 लाख मीट्रिक टन था, वह बढ़कर 619 लाख मीट्रिक टन हो गया है. आज 20 लाख हेक्टेयर से ज्यादा में हॉर्टिकल्चर की फसलें हो रही हैं, 17 लाख हेक्टेयर से ज्यादा में जैविक खेती करके जैविक प्रदेश, मध्यप्रदेश को बनाने का चमत्कार किया है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने प्रारंभ किया था, एग्रो इन्फ्रा फण्ड का सवाल हो या पशुपालक और मछलीपालकों को क्रेडिट कार्ड देने का सवाल हो, तो सबमें मध्यप्रदेश प्रथम स्थान पर है. हमने अपने किसानों को जो हानि होती थी, उस हानि के होने में जो पैसा मिलता था, उसको अभी-अभी आरबीसी के नियमों के अंतर्गत बढ़ाया है.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने 4-4,000 रुपये किसानों की सम्मान निधि के रूप में जो कहा, वह नहीं मिल रही है. हम भी लोगों के बीच घूम रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं-नहीं, आप बैठ जाइये. मिल रही है. माननीय मुख्यमंत्री जी.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, अब इनसे बड़ा असत्य बोलने वाला कौन होगा ? हमारे किसान और गरीब कल्याण का महायज्ञ लगातार जारी रहेगा. अभी हमने तय किया है कि बाढ़ की स्थिति में या किसी अन्य कारण से किसानों के खेत में रेत या पत्थर आ जाये तो 18,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से उसको हटाने की राशि दी जायेगी. हमने चाहे दुधारू पशु हो या दुधारू पशु के अलावा अन्य पशु हो, उनकी सहायता राशि आपके समय में कितनी मिलती थी ? अगर मृत्यु हो जाती थी तो. अब हमने बढ़ाकर 37,000 रुपये भैंस, गाय एवं ऊँट इनके कर दिए हैं. भेड़- बकरी के अब 4,000 रुपये बढ़ाकर कर दिए हैं. मुर्गा-मुर्गी के भी 60 से बढ़ाकर 100 रुपये कर दिए हैं, अगर मकान नष्ट होता था तो 95,000 रुपये मिलते थे, अब बढ़ाकर 1,20,000 रुपये कर दिए हैं.
श्री तरुण भनोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX)
अध्यक्ष महोदय - नहीं, आप बैठ जाइये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, यह बहनों की मरने से तुलना कर रहे हैं. यह बहनों की तुलना मरने से की जा रही है. यह नारी का अपमान है. आप इसको विलोपित मत कराइये. यह भैंस के मरने की तुलना लाड़ली बहन से कर रहा है. सम्मान निधि का भैंस के मरने से तुलना हो रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह देखिये तो कि यह क्या है ? भैंस के मरने की तुलना लाड़ली बहन से की जा रही है.
(..व्यवधान..)
श्री दिनेश राय 'मुनमुन' - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बहन को भैंस बोला. आप माफी मांगो. भैंस मरने पर आप बहन के मरने की बात कर रहे हो. (XXX)
(..व्यवधान..)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय.. (..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- (एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने आसन पर खड़े हो जाने पर) आप सभी बैठ जाईये, यह तुलना की गई है, यह बेटियों का अपमान है, इसको विलोपित किया जाये. (व्यवधान..)
श्री रामेश्वर शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, विलोपित नहीं माफी मंगवाईये, माफी मंगवाईये. मध्यप्रदेश की बेटियों का अपमान कर रहे हैं. (व्यवधान..)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कांग्रेस की सोच हो सकती है, हम नारी की तुलना अन्य किसी से नहीं करेंगे. मैं केवल इतना कह रहा हूं.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह) -- माननीय मुख्यमंत्री जी वह समझ नहीं पाये, कहीं दूसरी ओर ध्यान था, वह गलती में बोल गये.
श्री तरूण भनोत -- माननीय मुख्यमंत्री जी आप संवेदनशीलता बता रहे हैं. हमारी बहनों को एक हजार रूपये देकर हम कह रहे हैं कि अमृतकाल आ रहा है, अगर एक भैंस की मौत होगी तो 35 हजार रूपये मिलेंगे और हमारी बहन का घर नहीं चल रहा है तो एक हजार रूपये में उसका अमृतकाल है, इसको स्वीकार कर लें (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- अब कोई सफाई नहीं, हो गया है, अब नहीं लिखा जायेगा (व्यवधान..)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- [XXX]
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, अब नहीं लिखा जायेगा. हो गया है. अब किसी का नहीं लिखा जायेगा (व्यवधान..)
श्री तरूण भनोत -- [XXX]
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- [XXX]
अध्यक्ष महोदय -- मैं माननीय सदस्य से यह कहना चाहता हूं कि भगवान न करे कि कभी दुर्घटना में मृत्यु हो, लेकिन वैसी मृत्यु पर चार लाख रूपये का प्रावधान चाहे भाई हो, चाहे बहन हो उसके लिये हमारी सरकार ने किया है ( मेजों की थपथपाहट) लेकिन अगर आप बहन की बात करते हैं तो लाड़ली बहना योजना और उसके साथ-साथ हमने तय किया है कि जिन माताओं को भी पेंशन मिलती है, उसको भी बढ़ाकर छ:सौ रूपये से हजार रूपया किया जायेगा ताकि उनको भी हर महीने मिले. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल इतना ही नहीं, चूंकि हमारे मित्र ने बात छेड़ी है, इसलिये महिलाओं के स्वारोजगार के लिये जो ब्याज की राशि हम भरेंगे, वह इस साल एक हजार करोड़ रूपये भरने वाले हैं. हमने यह तय किया है कि हमारी जो बेटियां बारहवीं क्लास में अपने गांव के स्कूल में प्रथम स्थान पर आयेंगी, उनको स्कूटी दी जायेगी ताकि वह स्कूटी पर बैठकर जाये. (मेजों की थपथपाहट) आप बहन की बात करते हैं तो मैं ओर योजना गिना देता हूं. छात्रवृत्ति के लिये गांव की बेटी योजना, प्रतिभा किरण योजना और इतना ही नहीं, यह हमारी सरकार है, जिसने वह गरीब बहने जो बेटा बेटी को जन्म देने के बाद महीने भर भी आराम नहीं कर पाती थीं, अपने मासूम बच्चे को गोद में लेकर खेतों में काम करने जाती थीं और मेढ़ पर रख देती थीं और दिन दिन भर मजदूरी करती थीं, उनके लिये जन्म के पहले चार हजार और जन्म के बाद बारह हजार रूपये देना का प्रावधान किया है तो वह भारतीय जनता पार्टी के सरकार ने किया है. यह भारतीय जनता पार्टी की महिलाओं के लिये संवेदनशीलता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अंतर्रात्मा से और हृदय से यह कहता हूं कि गंगा, गीता, गायत्री, सीता, सत्या, सावित्री और दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती हैं नारियां जिनका भारतीय जनता पार्टी की सरकार सम्मान करती है और एक के बाद एक अनेकों कल्याणकारी योजनाएं बनाई हैं. आजीविका मिशन के माध्यम से अभी हमने इस बजट में प्रावधान किया है कि आजीविका मिशन की बहनों को केवल दो प्रतिशत ब्याज पर कर्जा मिलेगा बाकी ब्याज प्रदेश की सरकार अपने खजाने से भरने का काम करेगी (मेजों की थपथपाहट).
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज 44 लाख से ज्यादा स्वसहायता समूह लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं कई बहनें उनमें से एक लाख रूपये की आमदनी वाली हो गई है, एक साल में लखपति क्लब में शामिल हो चुकी हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं किसान के क्षेत्र की बात कर रहा था, जन हानि की बात अभी हो गई, पशु हानि के लिये भी हमने उसको बढा़ने का काम किया है. मैं बताना चाह रहा था कि किसानों के लिये, सिंचाई और इस बार बिजली की व्यवस्था के लिये पूर्ववित्तमंत्री भी जानते होंगे कि अकेले सब्सिडी के लिये इस साल हमने किसानों को 13 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया है, जो सस्ती बिजली देने के लिये किसानों को बिजली पर सब्सिडी हम देंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, खेतों में आधुनिक तकनीकी के उपयोग के लिये द्रोण, फार्म गेट एप, ई-रूपी, स्वाईल हेल्थ कार्ड, डी.बी.टी., एक नहीं अनेकों योजनाएं हम चला रहे हैं. प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिये भी जो किसान प्राकृतिक खेती करेगा और उसके लिये देशी गाय खरीदकर लायेगा, उसको 900 रूपये महीना गाय के लिये दिया जायेगा ताकि वह घनामृत और जीवामृत बनाने का काम कर सके.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, एक
नहीं ऐसी
अनेकों चीजें
किसान के कल्याण
के लिये
भारतीय जनता
पार्टी की
सरकार लगातार
कर रही है.
जहां तक
नौजवानों का
सवाल है,
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
अभी माननीय
नेता
प्रतिपक्ष जी
ने कोई 21 नौकरियों
की बात की थी,
मैं उनकी
जानकारी को
दुरूस्त
करना चाहता
हूं, 1 लाख 24
हजार तो
सरकारी
नौकरियां
लेकिन सरकारी
नौकरी के
अलावा एक
योजना है मुख्यमंत्री
उद्यम
क्रांति
योजना जिसमें
हमने तय किया
है कि
नौजवानों को 1
लाख रूपये से
लेकर 50 लाख
रूपये तक लोन
मिलेगा जिसकी
गारंटी सरकार
लेगी और ब्याज
की सब्सिडी भी
सरकार देगी
ताकि वह अपना
उद्यम खड़ा कर
सके, एक
साल में 1 लाख.
फिर एक और नई
योजना जिसकी
जानकारी मैं
सदन को देना
चाहता हूं. और
सदन के माध्यम
से नौजवानों
को भी देना
चाहता हूं और
वह योजना है
हम नौजवानों
को काम सीखने
के लिये कौशल
उन्नयन के
लिये हम
उद्योगों या
अन्य संस्थानों
में भेजेंगे
और वह काम
सीखेंगे,
लेकिन काम सीखने
के साथ-साथ एक
लाख रूपया एक
साल में एक नौजवान
को दिया
जायेगा लर्न
एण्ड अर्न,
वह काम भी
करेंगे
सीखेंगे भी और
उनको आमदनी भी
होगी. आपने तो
बेरोजगारी
भत्ता कहकर
नहीं दिया था
और नौकरी की
जगह ढोल बजाओ,
ढ़ोर चराओ
जैसे अनेकों
उपक्रम आपने
प्रारंभ किये
थे,
हम बच्चों को
सिखायेंगे भी
और सिखाने के
साथ-साथ एक लाख
रूपया मिले
इसका इंतजाम
करेंगे तो
सीखेंगे और
कमायेंगे
हमारे बेटे
बेटी, हमने
नौजवानों के
लिये ग्लोबल
स्किल पार्क
यशोधरा जी
यहां बैठी हैं,
गोविंदपुरा
में बन रहा है
संत रविदास जी
ग्लोबल
स्किल पार्क
वह बनाने का
काम कर रहे
हैं, इस
साल बनकर
तैयार हो
जायेगा,
सिंगापुर के
सहयोग से हम
बना रहे हैं
और 6 हजार स्किल्ड
नौजवान वहां
से निकलेंगे
बाद में यह
संख्या 10
हजार
पहुंचेगी
लेकिन केवल
भोपाल में नहीं,
भोपाल के
साथ-साथ यह ग्वालियर
में,
जबलपुर में,
रीवा में और
सागर में भी
अब बनाये
जायेंगे ताकि
स्किल्ड मेन
पॉवर हमारी
तैयार हो.
संभागीय
आईटीआई को और
बेहतर करना,
आईटीआई में आज
की आवश्यकताओं
के अनुसार नये
ट्रेड खोलने
के प्रयास करना
यह हमारे
प्रयास
निरंतर जारी
है और मुझे कहते
हुये भी
प्रसन्नता
है कि खेलों
के क्षेत्र
में क्योंकि
खेल और नौजवान
दोनों को हम
अलग नहीं कर सकते,
मध्यप्रदेश
में बहुत उत्कृष्ट
प्रदर्शन
किया है,
अभी खेलो
इंडिया यूथ
गेम्स में
हमारे बच्चे
39 स्वर्ण पदक
लेकर आये हैं,
कुल 96 पदक
हमारे बच्चों
ने जीते हैं,
हम तीसरे नंबर
पर रहे,
पहले हमारा
कहीं नंबर ही
नहीं लगता था
अब हम महाराष्ट्र
और हरियाणा के
बाद तीसरे
नंबर पर हमारे
बच्चे आये
हैं, अभी
विश्व
शूटिंग की
प्रतियोगिता
मध्यप्रदेश
की धरती पर
होने वाली है
खेलों की अधोसंरचना
का भी बहुत
सुंदर विकास
करने का प्रयास
निरंतर
भारतीय जनता
पार्टी की
सरकार ने किया
है. अभी सीएम
राइज स्कूल
की बात हो रही
थी,
कोई आलोचना कर
सकता है,
यह बात सच है
कि बिल्डिंग
इतनी जल्दी
नहीं बन सकती,
लेकिन
बिल्डिंगों
के लिये
पर्याप्त
पैसे का
प्रावधान
किया है,
टेण्डर हो
गये, कई
जगह बिल्डिंग
बन रही है और
सीएम राइज स्कूल
की भी कल्पना
क्या,
कल्पना यही
है कि हमारे
गरीब और मध्यम
वर्गीय बच्चे
भी अच्छे स्कूलों
में शिक्षा
प्राप्त कर
सकें, इन
स्कूलों में
लेब होगी,
लायब्रेरी
होगी, प्लेग्राउंड
होगा, स्मार्ट
क्लास होगी
और स्मार्ट
क्लास का लाभ
यह होगा कि
दिल्ली और
मुम्बई में
बैठकर वहां के
अच्छे
शिक्षकों से
हमारे बच्चे
गांव में भी
पढ़ सकें,
उनमें बस की
व्यवस्था
का प्रावधान
है ताकि आसपास
के 20-25
किलोमीटर के
अंदर आने वाले
गांव से हम
बच्चों को बस
में बिठायें
और फिर स्कूल
लेकर आयें,
शाम को वापस
छोड़ दें और
अब तो पीएम
श्री स्कूल भी
खुलने वाले
हैं, सीएम
राइज स्कूल
और पीएम श्री
स्कूल,
पीएमश्री स्कूल
के लिये भी
माननीय अध्यक्ष
महोदय,
हमने बजट में
प्रावधान
किया है,
तो मेरे कहने
का अर्थ यह है
कि चाहे
शिक्षा का क्षेत्र
हो चाहे बच्चों
के कल्याण के
दूसरे
क्षेत्र हों,
नौजवानों के
रोजगार देने
का क्षेत्र हो,
मैं यह गर्व
के साथ कहना
चाहता हूं कि
मध्यप्रदेश
न्यूनतम
बेरोजगारी
वाले राज्यों
में शामिल है,
न्यूनतम
बेरोजगारी
में नंबर 1 या
नंबर 2 पर रहते
हैं यह भारत
सरकार की
एजेंसी बताती
है,
यह केवल हवा
में नहीं होता,
जितने प्रयास
हमने प्रारंभ
किये, एक
प्रयास है
हमारा हर
महीने रोजगार
दिवस मनाने का
और उसमें हम
ढाई लाख लोगों
को जिसमें स्ट्रीट
वेण्डर भी
शामिल हैं
जिनको 10 हजार
रूपया बिना ब्याज
के दिया जाता
है,
10 वापस कर दें
तो फिर 20 हजार,
20 वापस कर दें
तो फिर 50 हजार
रूपये का
प्रावधान है
तो हमारे
रोजगार देने
का यह
प्रावधान
निरंतर जारी
है. हमारी जो
अनुसूचित
जाति और
जनजाति है माननीय
अध्यक्ष
महोदय, मुझे
कहते हुए गर्व
है कि पेसा
एक्ट को लागू
करके नियम
बनाकर, धरती
पर पहुंचाने
का काम किया
तो इस सरकार
ने किया और मुझे
कहते हुए गर्व
है. मैं
अधिकार अगर
बताऊंगा तो कई
घंटे लग
जाएंगे लेकिन
कई जगह शांति
और विवाद
निवारण समिति
बन गई.
छोटे-मोटे मामले
पुलिस में
नहीं जाएंगे.
अदालत में
चक्कर नहीं
लगाने
पड़ेंगे. गांव
की शांति और
विवाद निवारण
समिति बैठकर
फैसला कर
लेगी. हर साल
पटवारी और बीट
गार्ड के लिये
यह आवश्यक कर
दिया कि वह
खसरे और अक्स
की नकल लेकर
गांव में जाए.
चौपाल में
बैठे. पढ़कर
सुनाए ताकि
धन्ना की जमीन
पन्ना के नाम
न हो पाए हमने
प्रावधान
किया है कि
लघु और गौड़
जो गौड़ वनोपज
है उसको
तोड़ने का
काम, तेंदू
पत्ता जैसी
बाकी जो वन
औषधि हैं
उनको तोड़ने
का काम, स्थानीय
ग्राम सभा
चाहे तो वह
करेगी. मुझे
बताते हुए गर्व
है कि 268 ग्राम
सभाओं ने तय
किया है कि हम
खुद तेंदू का
पत्ता
तोड़ेंगे
सुखाएंगे और
बेचने का काम
करेंगे लेकिन
हम ऐसा नहीं
करेंगे उनको
उनके हाल पर
छोड़ दें.
पूंजी कहां से
आएगी तौ पूंजी
का भी
पर्याप्त प्रावधान
हमने किया है
ताकि मजदूरी
बांटने के लिए
भी उनके पास
पैसा हो और
बिचौलिए उनके
अधिकारों पर
कहीं कब्जा न
जमाएं इसके
लिये फारेस्ट डिपार्टमेंट
पूरी तरह से
उनको सहयोग
करेगा. माननीय
अध्यक्ष महोदय,
अब अगर कोई मजदूर,कहीं
ले जाएगा कोई
ऐजेंसी या
व्यक्ति तो
गांव में पहले
बताकर जाना
पड़ेगा कि
फलानी जगह ले
जा रहे हैं.
कोई गरीब की,
आदिवासी की
जमीन अगर किसी
ने खरीदी
दूसरे ने, तो
ग्राम सभा उस
पर आपत्ति ले
सकेगी. कई बार
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, ऐसी
घटनाएं हो रही
हैं कि हम
चौंक जाते
हैं. कई बार
केवल इसलिये
शादी कर ली
जाती है कि
जमीन खरीद रहे
हैं आदिवासी
बेटी के नाम पर.
ऐसे लोगों को
हम छोड़ेंगे
नहीं किसी भी
कीमत पर
माननीय अध्यक्ष
महोदय, जो छल
और कपट से
जमीन हथियाना
चाहते हैं. कई
बार सरपंच का
चुनाव लड़ाना
है. इसलिये
शादी कर लो. धर्मांतरण
का कुचक्र भी
चलता है. मैं
एक बात साफ कह
देना चाहता
हूं कि
धर्मांतरण के
कुचक्र को मध्यप्रदेश
की धरती पर
चलने नहीं
दिया जायेगा.
किसी भी कीमत
पर चलने नहीं
दिया जायेगा
और इसलिये
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, पेसा
के अंतर्गत
जल के अधिकार,
जमीन के
अधिकार, जंगल
के अधिकार हमने
अपने जनजातीय
भाई,बहनों को
दिये हैं और
उनको ठीक से
क्रियान्वित
करने का काम
कर रहे हैं.
यही सरकार है
जिसने अपने
अनुसूचित जाति
हो और चाहे
अनुसूचित
जनजाति हो
उनके कल्याण
के लिये पेसा
कानून के
अलावा माननीय
अध्यक्ष
महोदय, सिकल
सेल एनीमिया
के खिलाफ हम
अभियान
लगातार चला
रहे हैं. मैं
गवर्नर महोदय
को भी बहुत
धन्यवाद देना
चाहता हूं
बड़ी शिद्दत
से और बड़ी
गंभीरता से कि
वे इस अभियान
का नेतृत्व कर
रहे हैं. उसके
लिये हमने
पैसे का पर्याप्त
प्रावधान
किया है.
हमारे
अनुसूचित जनजाति
के
बेटे,बेटियों
को
मुख्यमंत्री
छात्र गृह
योजना के
अंतर्गत अगर
होस्टल में जगह
नहीं मिलती तो घरों
में ठहरते
हैं. उसका
किराया भरने
का काम करते
हैं.
छात्रवृत्ति
के लिये 728
करोड़ रुपये का
प्रावधान है.
माननीय
अध्यक्ष
महोदय, ऐसी एक
नहीं,
देवारण्य, एक
अलग योजना है
और उसके अलावा
टंट्या मामा
आर्थिक
कल्याण योजना,
मुख्यमंत्री
अनुसूचित
जनजाति विशेष
परियोजना,भगवान
बिरसा मुण्डा
स्वरोजगार
योजना उन
बच्चों के
रोजगार के
लिये बनाई है
और एक बात
कहते हुए मेरा
मन आनंद,गर्व
और प्रसन्नता
से भरा है कि
एक जमाना था
तब आजादी की
लड़ाई में
केवल एक
खानदान के
महापुरुषों
का ही नाम आता
था. मूर्तियां
लगती थीं तो केवल
एक खानदान के
लोगों की लगती
थीं लेकिन यह भारतीय
जनता पार्टी
की सरकार है
जिसने टंट्या
मामा की
प्रतिमा इन्दौर
में लगाई.
जिसने भीमा
नायक जी की
प्रतिमा
लगाई.भगवान
बिरसा मुण्डा
की प्रतिमा
लगाई और यह हमारी
ही सरकार है
जिसने राजा
शंकर शाह के
नाम पर
छिन्दवाड़ा
यूनिवर्सिटी
का नाम रखा. यह
हमारी सरकार
है जिसने रानी
कमलापति के
नाम से
हबीबगंज
स्टेशन का नाम
किया. हमारे
जो जनजाति के
नायक हैं
आजादी की
लड़ाई में,
जिन्होंने
अपना सर्वस्व
न्यौछावर
किया. उनको
सम्मान देने
का काम अगर कर
रही है तो यह
भारतीय जनता
पार्टी की सरकार
कर रही है और
माननीय
अध्यक्ष
महोदय,मुझे यह
कहते हुए भी
गर्व का अनुभव
होता है कि यह
भारतीय जनता
पार्टी की
सरकार डाक्टर
बाबा साहेब अम्बेडकर
का स्मारक कभी
कांग्रेस की
सरकारों ने
नहीं
बनाया,अगर
बनाया तो महू
में उनके जन्म
स्थान पर
भारतीय जनता
पार्टी की
सरकार ने
बनाया. इस
मुख्यमंत्री
ने बनाया.
कांग्रेस ने
एक ईंट नहीं
लगाई माननीय
अध्यक्ष
महोदय. कभी एक
ईंट नहीं
लगाई.
श्री कमलेश्वर पटेल - (xxx)
अध्यक्ष महोदय - इनका नहीं लिखा जायेगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, यह संविधान की बात न करें. (XXX) किसने घोंटा था. अगर घोटा था तो (XXX) यह संविधान की बात कर रहे हैं.
श्री पी.सी. शर्मा -- यह अघोषित आपातकाल चल रहा है, अघोषित.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- (XXX)
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, 2020 में. इस पर भी अब बात हो जाये, बहन जी अगर कह रही हैं तो.
श्री रामेश्वर शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, 56 बार सरकार गिराई हैं, इन्होंने चुनी हुई सरकारें 56 बार.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, हम जनता के समर्थन से यहां पर बैठे हैं. हां, उस तरफ जो साथी बैठे थे, वह आपके पापों के कारण इस तरफ आये, लेकिन चुनाव लड़े और 64-64 हजार वोट से जीत कर बैठे हैं ये. कोई 64 हजार, कोई 57 हजार, कोई 40 हजार. हम खैरात में नहीं बैठे हैं. अगर आज हम हैं, तो मैं गर्व के साथ कहता हूं कि जनता के समर्थन के साथ हम यहां बैठकर जनता के कल्याण के काम कर रहे हैं. अगर जनता इनकी सरकार से खुश होती तो इनको हरा देती ना. ये उप चुनाव में जीत कर आते क्या. ये जीत कर आये हैं. डंके की चोट पर जीत कर आये हैं और फिर से जीत कर आयेंगे और हम फिर से सरकार बनायेंगे.
श्री बाला बच्चन-- अब जीत कर आयेंगे, तब बताना. हो गया काम.
अध्यक्ष महोदय-- कई बार हो चुका है, आप बैठ जाइये.
श्री बाला बच्चन-- जो धोखा किया है, उसका हिसाब लेने का समय आ रहा है.
श्री तुलसी राम सिलावट-- आप नोट कर लो 1 लाख वोटों से जीत कर आयेंगे.
श्री बाला बच्चन-- अब क्या होगा देखना. असली परीक्षा तो अब है. अब जो समय आ रहा है, इसमें देखना.
अध्यक्ष महोदय-- अब आप बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, कल मैं हाउस में नहीं था, पूर्व मुख्यमंत्री जी कभी कभी दूज के चांद की तरह प्रकट होते हैं. आज कांग्रेस की हालत तो यह है कि यह प्रदर्शन भी बाहर करते हैं, तो आधे नेता गायब रहते हैं, रहते नहीं हैं. अच्छा कुछ गिरफ्तारी देते हैं, कुछ बिना ही गिरफ्तारी के ही लौट जाते हैं. लेकिन कल पिछड़ों के आरक्षण की बात कर रहे थे. अगर आरक्षण के नाम पर पिछड़ों की पीठ में छुरा भोंका था, तो कांग्रेस की सरकार ने भोंका था. कल भूपेन्द्र सिंह जी ने सारी बात कही. ..(व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय, मुझे गर्व है यह कहते हुए कि कांग्रेस की गलत नीतियों के कारण आरक्षण माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने समाप्त किया था, उसको फिर से लौटाने के पुण्य का काम किया है, तो हमने किया है, भाजपा सरकार ने किया है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- जिला पंचायत अध्यक्ष 14 से 4 हो गये, ऐसे ही जनपद अध्यक्ष घट गये, ऐसे ही जिला पंचायत सदस्य, जनपद अध्यक्ष, सरपंच सबकी संख्या आधी हो गई. कौन सा अच्छा काम किया है.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, पिछड़ों के भी कल्याण के काम कर रही है, तो भाजपा की सरकार कर रही है. प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी जी से लेकर प्रदेश की सरकार तक समाज के हर वर्ग के कल्याण में आगे हैं और अमृतकाल की आप बात कर रहे थे नेता प्रतिपक्ष जी. हां, यह अमृतकाल है. मैं इसलिये कह रहा हूं अमृतकाल कि 4 लाख किलोमीटर शानदार सड़कें मध्यप्रदेश की धरती पर बनाई हैं, तो हमने बनाई हैं. भाजपा की सरकार ने बनाई है. या तो केंद्र सरकार ने बनाई है या राज्य सरकार ने बनाई है. इसको अमृतकाल नहीं कहें, तो क्या कहें. उस समय को याद करो आप. जब गड्ढों में सड़क थी कि सड़क में गड्ढा था कि गड्ढम गड्ढा था. लोग सड़कों पर नहीं चलते थे. खेतों में से गाड़ियां कुदाया करते थे.
श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय, शताब्दी रुक जाये, तो मैं भी कुछ कह लूं. एक मिनट बोलूंगा. एक मिनट अनुमति दें. अमृतकाल की बार बार बात कही जा रही है, उल्लेख किया जा रहा है. मैं मुख्यमंत्री जी को थोड़ा बताना चाहूंगा कि केवल इन्दौर शहर का ही ले लें, वैसे तो प्रदेश में बहुत सारे ऐसे लोग हैं. (XXX) लौटा नहीं रहे हैं और इन्दौर में एक क्लब बना है हण्ड्रेड करोड़ क्लब. उस क्लब के सदस्य कौन हैं, जिनके पास 2 करोड़ के ऊपर की गाड़ी है. मैं आपको अलग से सूची दूंगा, क्या आप कार्यवाही करेंगे, मैं यह जानना चाहता हूं, धन्यवाद.
श्री शिवराज सिंह चौहान - आए थे हरि भजन को, ओटन लगे कपास. हम कहें यह एकदम कौन-सा विषय आ गया, यह मुझे समझ में नहीं आया.
श्री कमलेश्वर पटेल - वर्तमान सरकार में और पिछली जब दिग्विजय सिंह की सरकार थी और यूपीए गवर्नमेंट में किन-किन मद में कितना पैसा मिला है, कभी आप पुराना राज्य का आंकड़ा निकाल लीजिए.
अध्यक्ष महोदय - आप बजट में बोलना.
श्री लक्ष्मण सिंह - निजी निवेश इसीलिए नहीं आएगा. पूंजीनिवेश आने में बाधा होगी मुख्यमंत्री जी. पूंजीनिवेश आने में बाधा होगी, इसलिए उनसे वसूली करिए, यह मैं कह रहा हूं.
श्री शिवराज सिंह चौहान - मेरे प्रिय मित्र कमलेश्वर जी, रोज सीधी की तरफ यहां से जाते हैं तो उस टनल में से गुजरते हैं जो शानदार हमने बनाई है, कैसा अनुभव करते हैं, यह भी बता दें.
श्री कमलेश्वर पटेल - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह नहीं आएगा. कृपया आप बैठ जाइए.
श्री दिनेश राय मुनमुन - (XXX)
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी की सरकार की प्रतिबद्धता है. हम शानदार सड़कें बना रहे हैं और मैं आज गर्व के साथ कह रहा हूं नर्मदा एक्सप्रेस-वे, चंबल एक्सप्रेस-वे, यह पहले से प्रस्तावित था. विन्ध्य एक्सप्रेस-वे बनाकर भी विन्ध्य की पूरी तस्वीर बदलने का काम अगर करेगी तो भारतीय जनता सरकार करेगी. शानदार फोर लेन सड़कों से जोड़ने का भी हम काम करेंगे. मेट्रो पर हमारा तेजी से काम चल रहा है. फ्लाई ओवर्स हम बना रहे हैं. हाई-वे, एयरपोर्ट बना रहे हैं. हाई-वे के साथ-साथ अब हम 14 जगहों पर रोप-वे भी बना रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह नहीं लिखा जा रहा है. आप बैठ जाइए.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- अध्यक्ष महोदय, गोविन्द सिंह जी, यह बार-बार नहीं, यह अच्छा नहीं लग रहा है.
अध्यक्ष महोदय - कमलेश्वर जी, यह गलत बात है. कमलेश्वर जी, यह ठीक व्यवहार आपका नहीं है. आपके नेता प्रतिपक्ष बोले, सत्तापक्ष से एक भी व्यक्ति नहीं बोला. कम से कम धैर्य से सुनें और कोई आपत्ति है तो बजट आएगा, उसमें बोलना. यह कौन-सी बात हुई? माने आपने तय कर लिया है कि हम बोलने नहीं देंगे, यह गलत बात है. नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे थे तो किसी ने आपत्ति नहीं की.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन कर रहा था कि किसी भी प्रदेश की विकास और समृद्धि के लिए अधोसंरचना विकास अत्यंत आवश्यक है और मुझे यह कहते हुए गर्व है कि इस साल भी बजट में 56 हजार करोड़ रुपया हमने अधोसंरचना विकास के लिए रखा है. हम शानदार सड़कें बनाएंगे. केवल सड़कें नहीं, मेट्रो पर हमारा काम चल रहा है और अब हम शहरी परिवहन के लिए हवाई मार्ग का भी उपयोग करने वाले हैं. 14 रोप-वे अलग-अलग शहरों में बन रहे हैं. जैसे उज्जैन में, अब महाकाल महाराज के दर्शन करने लोग बड़ी संख्या में आते हैं तो स्टेशन पर उतरेंगे, बाई रोड नहीं जाएंगे. वह रोप-वे में केबल कार में बैठेंगे और सीधे महाकाल महाराज के द्वार उतर जाएंगे तो सड़कों पर भी भीड़ कम होगी. यातायात सुगम होगा. (मेजों की थपथपाहट) ऐसे 14 रोप-वे अभी हमने प्रस्तावित किये हैं. इससे पर्यावरण का भी सुधार होगा. लेकिन केवल सड़कें ही नहीं, सिंचाई के क्षेत्र में सभी यह स्वीकार करेंगे कि अभूतपूर्व काम हुआ है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2003 तक सिंचाई की जो कुल व्यवस्था थी, वह कांग्रेस राजा नवाब अंग्रेज अगर पूरे समय का मिला लें तो 7 लाख 68 हजार हैक्टेयर में थी. आज वह बढ़कर हो गई है 45 लाख हैक्टेयर. (मेजों की थपथपाहट) और मुझे यह कहते हुए गर्व है सिंचाई की परियोजना पर चारों तरफ काम चल रहा है. हर कैबिनेट में कोई न कोई सिंचाई योजना हम स्वीकृत करते हैं क्योंकि हमने जो टारगेट किया है, 65 लाख हैक्टेयर जमीन में सिंचाई की व्यवस्था करने का हमारा लक्ष्य है (मेजों की थपथपाहट) उसमें केन बेतवा का जो प्रोजेक्ट है वह अकेले साढ़े 44 हजार करोड़ रुपये का है. वह इसके अलावा है. प्रदेश के हर अंचल में मैं किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं क्योंकि सूखी खेती, खेती नहीं होती है. पानी चाहिए. बिना पानी के खेती में काम नहीं होता है. इसलिए चारों तरफ हम सिंचाई की योजनाओं का जाल फैला रहे हैं और अब केवल केनाल इरिगेशन नहीं, क्योंकि नहर से पानी लाते हैं तो ऊबड़-खाबड़ क्षेत्र में पानी नहीं पहुंच पाता, ऊंचे क्षेत्र में पानी नहीं पहुंच पाता. अलीराजपुर में पाईप की लाइन बिछाकर हमने अपने आदिवासी भाइयों की ऊंची-नीची जमीन पर पानी लाने की योजना बना दी. दो-एक महीने में कंपलीट हो जायेगी हम पानी देंगे. आप मालवा में देख लीजिये, आप निमाड़ में देख लीजिये टनल बनाकर सीधे चंबल का पानी नीमच, मंदसौर जिले में हम लेकर आ गये. टनल का एक बहुत कठिन काम चल रहा है स्लीमनाबाद के पास लगातार हम संघर्ष कर कर रहे हैं. वह पानी टनल बनाकर, भानपुरा के पास हम सीधे नर्मदा बेसिन का पानी सीधे-सीधे गंगा बेसिन तक ले जाने में सफलता प्राप्त करेंगे. चाहे भोपाल हो, चाहे ग्वालियर चंबल हो, चाहे हमारा बुंदेलखंड हो, चाहे बघेलखंड हो, चारों तरफ और आदिवासी क्षेत्रों में भी प्रेसराइज्ड पाईप, आज ही तुलसीराम जी ने मुझे समाचार दिया कि प्रेसराइज्ड पाईप की योजना से पानी पहुंचाने में मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर आया है. केनाल इरीगेशन जब हम करते हैं तो बहुत सा पानी हवा में उड़ जाता है और ऊंची जगह पर तो जा ही नहीं पाता.
अध्यक्ष महोदय, आपको याद होगा इसी सदन में जब पुरानी सरकार हुआ करती थी तब एक बार यह सवाल उठाया गया था कि क्या नर्मदा जी का पानी क्षिप्रा जी में लाया जायेगा, तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने कहा था इम्पॉसिबिल यह हो ही नहीं सकता. वह इम्पॉसिबिल कहते थे, हम कहते हैं असंभव शब्द हमारे शब्दकोष में नहीं है. पानी की अगर जरूरत है तो हम लेकर आयेंगे, तो अब मोटरों से पानी खींचते हैं, पाईपलाइन के जरिये हम लेकर आते थे और अमृत सरोवर भी 2,600 कंपलीट हो गये हैं बाकी पर काम चल रहा है. जलाभिषेक अभियान अलग है और इसलिये जितनी बेहतर सिंचाई की व्यवस्था की जा सकती है हमने किया है. इन प्रयासों से भूजल का स्तर भी बढ़ेगा. विंध्य में नईगढ़ी और त्योंथर जैसी जो हमारी सिंचाई की योजनाएं हैं उनके बारे में अध्यक्ष महोदय खुद जानते हैं.
अध्यक्ष महोदय, तीसरी, बात हुई बिजली की तो मुझे कहते हुये खुशी है कि कभी ऊर्जा की स्थापित क्षमता हमारे पास थी 2,900 मेगावॉट और आज बढ़कर हो गई है 28,000 मेगावॉट, यह चमत्कार से कम नहीं है. (मेजों की थपथपाहट) इतनी सिंचाई की क्षमता बढ़ना यह आसान काम नहीं है और इसलिये केवल हम थर्मल पावर प्लांट नहीं लगा रहे हैं हम सूरज से बिजली बनाने का काम भी कर रहे हैं. अपने ओंकारेश्वर में दीदी हमारी जानती होंगी, सोलर पैनल बिछाने का काम ओंकारेश्वर बांध में चल रहा है. हम बांध की सतह पर सोलर पैनल बिछा रहे हैं. इससे दो फायदे होंगे एक तो जमीन नहीं लगेगी, जमीन नहीं जाएगी, पानी पर हम सोलर पैनल बिछा रहे हैं और दूसरा, पानी भाप बनकर उड़ेगा नहीं. आम के आम और गुठलियों के दाम. यह चमत्कार भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश की धरती पर कर रही है और इसलिये लगातार चाहे नीमच हो, चाहे मंदसौर हो, चाहे शाजापुर हो, छतरपुर में, मुरैना में अलग-अलग जगह और रीवा में तो एशिया का सबसे बड़ा सोलर पावर प्लांट लगाने का काम किया तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया. क्लीन एनर्जी, ग्रीन एनर्जी का जो संकल्प प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का है उसको मध्यप्रदेश की धरती पर हम साकार कर रहे हैं और एक दिन प्रधानमंत्री जी का जो संकल्प है 2070 तक जीरो नेट कार्बन उत्सर्जन उसको हासिल करने में मध्यप्रदेश भरपूर सहयोग प्रदान करेगा. पानी हो, बिजली हो, सड़क हो, पर्यटन हो, अब कई लोग कांग्रेस के मित्रों के समझ में नहीं आता बोले चीता ले आये, अरे चीता लाने का पता है असर क्या पड़ेगा, एक यह पर्यावरण से जुड़ा हुआ मामला है, यह धरती अगर मनुष्यों के लिये है तो मनुष्यों के अलावा बाकी भी तो प्राणी हैं, उनका भी तो कोई हक है इस पर. एक जमाना था पन्ना में टाइगर खत्म हो गये थे हमने पुनर्स्थापित कर दिया. अब फिर से शिवपुरी में टाइगर बसाने का काम कर रहे हैं. चीता पूरे एशिया में समाप्त हो गया था..
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, असली सफलता तब होगी जब एशियाटिक लॉयन आप गुजरात से लेकर आएं जिसके लिये कूनो नेशनल पार्क तैयार किया गया था. यह सफलता होगी अगर आप यह करेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, आज मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट है, आज मध्यप्रदेश लैपर्ड स्टेट है, आज मध्यप्रदेश घडि़याल स्टेट है, आज मध्यप्रदेश वल्चर स्टेट है, आज मध्यप्रदेश चीता स्टेट भी है. वन्य प्राणियों के संरक्षण में ..
श्री प्रियव्रत सिंह -- मुख्यमंत्री जी, अगर लॉयन स्टेट बने, अगर लॉयन स्टेट बनेगा तो और भी ज्यादा मध्यप्रदेश प्रभावशाली होगा पूरे विश्व में, परंतु आप असमर्थ हैं लॉयन लाने में, तभी तो यहां से शेर भेजते हैं और वहां से क्या-क्या लाते हैं, पहले बात हो चुकी है छिपकली और तोते.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हो गया. प्रियव्रत सिंह जी हो गया. बैठ जाइये.
श्री प्रियव्रत सिंह -- छिपकली और तोतों की जगह शेर लेकर आते माननीय मुख्यमंत्री जी, तो हम भी गर्व से कहते कि हमारे मुख्यमंत्री जी शेर लेकर आये हैं, लॉयन लेकर आये हैं, परंतु वह लॉयन आपको मिल नहीं रहा है.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- प्रियव्रत सिंह जी, आप पर जितु का असर हो गया है. आप पर जितु का असर हो रहा है.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- आप पुराने लोगों को क्यों भूल जाते हैं, 1996-97 में इसी विजयलक्ष्मी ने पर्यटन मंत्री के रूप में....
अध्यक्ष महोदय -- हो गया, बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर आप देखेंगे तो 'चीता प्रोजेक्ट', जो हम बना रहे हैं, वह श्योपुर की पूरी आर्थिक स्थिति को बदल देगा. वहां हम इन्फ्रा बना रहे हैं. वहां बहुत बड़ी संख्या में पर्यटक आना चाहते हैं. वे कहते हैं कि कब आ जाएं. हम कहते हैं कि अभी तो रुको भैया, जब तक पूरी तरह से चीते स्थापित न हो जाएं, सामान्य न हो जाएं और जब तक नियम, प्रक्रिया में अनुमति नहीं मिलती, तब तक तो नहीं आ सकते, लेकिन पूरी आर्थिक हालत बदल जाएगी. हम जब वहां परसों गए थे तो गरीब बहनों ने, सहरिया बहनों ने हमें 'होम स्टे' समझाया कि हम ऐसे घर बना रहे हैं भैया कि इस कमरे में अतिथि आकर ठहरेंगे, उन्हें हम चूल्हे की रोटी बनाकर खिलाएंगे. हमारी गाड़ी भी चलेगी तो हमारा भी काम-धंधा चलेगा. हमारी आर्थिक स्थिति भी सुधारने का काम होगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम एक नहीं, हर दृष्टि से हर दिशा में काम करने का प्रयास कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में मेडिकल कॉलेज कितने हुआ करते थे, कई वर्षों तक केवल 6 मेडिकल कॉलेज थे और सागर वाले जानते हैं. गोपाल भार्गव जी बैठे हुए हैं, 1965 से एक अदद एक मेडिकल कॉलेज की मांग सागर के लोग करते थे. आपने गिरफ्तारियां भी दीं, जेल भी गए, लेकिन एक सागर मेडिकल कॉलेज उस सरकार में नहीं खुला. मुझे कहते हुए आज आनन्द और प्रसन्नता है कि अब 25-25 मेडिकल कॉलेज मध्यप्रदेश की धरती पर बनाने का काम हमारी सरकार कर रही है. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य सेवाओं में निरंतर सुधार हो, इसके लिए हम प्रयत्नरत हैं और मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को इसके लिए भी धन्यवाद देना चाहता हूँ. आप सोचकर देखिए कितना बड़ा काम था, कोविड आया, 23 मार्च को तो हमने शपथ ली, 24 मार्च को लॉकडाऊन, जनता कर्फ्यु उसके पहले मोदी जी ने लगाया. मजाक उड़ाया जाता था कि जनता कर्फ्यु, लेकिन यह संवेदना थी. जनता को बचाने की तड़प थी उनके दिल में कि पहले ही उन्होंने रिहर्सल करवा ली. जनता कर्फ्यु, थाली बजाओ, ताली बजाओ, दीपक जलाओ, इसके माध्यम से वे देश को अवेयर कर रहे थे, तब कुछ मित्र मजाक उड़ाने का काम कर रहे थे लेकिन मुझे यह कहते हुए गर्व है कि वह देश, जो पिछली सरकारों के समय कई महामारियों की कई वर्षों तक वैक्सीन नहीं बना पाता था, कोविड आया फरवरी-मार्च में, अप्रैल में मोदी जी ने टास्क-फोर्स बनाई और वैक्सीन एक नहीं, दो दो स्वदेशी वैक्सीन बनकर तैयार हो गई. 100 करोड़ लोगों को लगी. उस वैक्सीन का भी मजाक उड़ाया जाता था कि मोदी वैक्सीन है, लगवा मत लेना, नहीं तो पता नहीं क्या हो जाएगा. बाद में सबने मोदी वैक्सीन ही लगवाई. उसी के कारण आज तक हम लोग यहां बैठे हुए हैं. केवल अपने देश में वैक्सीन नहीं लगी, दुनिया के 100 देशों में भी वह वैक्सीन लगी. यह संवेदनशीलता है. ऐसी महामारी का कैसे मुकाबला किया जाता है, इसका प्रतीक है कोविड का उदाहरण. माननीय अध्यक्ष महोदय, उस समय भी हमने, हमारे साथियों ने, आपने भी दिन और रात काम करने का प्रयास किया. क्रॉयसिस मैनेजमेंट कमेटीज बनी, उन सारे प्रयासों के बारे में मैं विस्तार में नहीं जाना चाहता.
माननीय अध्यक्ष महोदय, टूरिज्म के क्षेत्र में, लगातार टूरिज्म से रोजगार पैदा करने के क्षेत्र में हमारे प्रयास निरंतर जारी हैं. वह काम हम लगातार करते रहेंगे. एक नहीं, अनेक टूरिज्म की डेस्टिनेशन हैं और अब तो रिलीजियस टूरिज्म, आध्यात्मिक पर्यटन, महाकाल महालोक, अध्यक्ष महोदय, शनिवार, रविवार को लगभग 2 लाख लोग महाकाल के दर्शन करने के लिए आते हैं. उज्जैन की पूरी की पूरी आर्थिक स्थिति महाकाल महालोक के कारण बदल गई. अब महाकाल महालोक के सेकण्ड फेज़ पर भी तेजी से काम चल रहा है. उज्जैन ऐसी नगरी होगी कि जिसको देखने दुनिया आएगी. एक तरफ महाकाल महालोक, दूसरी तरफ एकात्म धाम, हमारे शंकराचार्य जी महाराज, भारत को सांस्कृतिक रूप से एक करने का काम जिन्होंने किया. भगवान राम ने उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत को जोड़ा, भगवान श्रीकृष्ण ने पूरब से लेकर पश्चिम तक भारत को जोड़ा, लेकिन यह आदिगुरु शंकराचार्य थे, जिन्होंने पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, चारों दिशाओं से भारत को जोड़ने का काम किया. उनको गुरु मिले थे ओंकारेश्वर में और इसलिए वहां हम अद्वैत धाम बना रहे हैं. एकात्म धाम बना रहे हैं और उनकी प्रतिमा, जिसको 'स्टेच्यु ऑफ वननेस' का नाम हम दे रहे हैं क्योंकि एक ही चेतना हम सबमें है, यह भाव भारत का आज से नहीं, वर्षों पुराना रहा है और मैं दावा करता हूँ कि भौतिकता की अग्नि में दग्ध विश्व मानवता को शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन अगर कराएगा तो भारत का यही दर्शन कराएगा कि एक चेतना हम सब में है. (मेजों की थपथपाहट)
अयं निजं परावेति गणना लघु चेष्टाम् उदार चरितानाम् तू वसुधैव कुटुम्बकम्.
यह भाव भारत का भाव यही दुनिया को सही दिशा दिखाएगा और भारत का यही सन्देश,
सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्चयन्तु, मा कश्चित दुखभाग भवेत.
यह दुनिया को बचाएगा और शान्ति के पथ पर ले जाएगा इसलिए हम एकात्म धाम बनाने का भी काम कर रहे हैं. लेकिन ओरछा में रामरजा लोक बनेगा. (मेजों की थपथपाहट) भगवान राम की बाल क्रियाएँ वहाँ दर्शाई जाएँगी और चित्रकूट में वनवासी राम की क्रीड़ाओं को चित्रित करने का काम किया जाएगा. सल्कनपुर में देवी महालोक बन रहा है और अब तो छिन्दवाड़ा में भी जहाँ भगवान हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा है, जाम साँवली, वहाँ भी हम हनुमान जी के लोक को गठित करने का, बनाने का, प्रयास, काम को हम प्रारंभ करेंगे तो ये सारे स्थान, ऐसे हैं जो हमारी आस्था के, जो हमारी प्रेरणा के, केन्द्र हैं और इसके बाद संत रविदास जी का, अद्भुत संत थे रविदास जी महाराज...
ऐसा चाहूँ राज मैं, जहाँ मिलै सबहि को अन्न, छोट बड़ सब सम रहे, रविदास रहे प्रसन्न. (मेजों की थपथपाहट)
एक अद्भुत दर्शन देने वाले रविदास,
प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी, जाके अंग अंग बास समानी,
प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत संग चंद चकोरा.
प्रभु जी तुम दीपक हम बाती जाकी जोत जलत दिन राती,
प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करत रैदासा.
(मेजों की थपथपाहट)
ऐसे संत रविदास जी का 100 करोड़ रुपये की लागत से सागर के पास भव्य मंदिर बनेगा. (मेजों की थपथपाहट) पूरी दुनिया देखने आएगी और देखने ही नहीं संत रविदास जी महाराज की शिक्षाओं को ग्रहण करने का काम करेगी तो भारतीय जनता पार्टी की यह सरकार माननीय अध्यक्ष महोदय, चौतरफा काम करने का प्रयास कर रही है और इसीलिए हम कह रहे हैं कि सचमुच में यह अमृत काल है. (मेजों की थपथपाहट) लगातार हमारे प्रयास जारी हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी विधायक मित्रों ने चर्चा में मुझे गंभीरता के साथ बताया कि किसानों के लिए जो लागू थी स्वयं का ट्रांसफार्मर, ओन यूअर ट्रांसफार्मर, वह योजना बीच में बन्द कर दी गई थी अब हम पुनः प्रारंभ उसको करने जा रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट) ताकि किसान ट्रांसफार्मर.....
श्री लक्ष्मण सिंह-- मुख्यमंत्री जी, एक मिनिट, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी को एक बात बताना चाहूँगा…(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- सब बैठ जाइये.
श्री लक्ष्मण सिंह-- राजस्थान सरकार में..(व्यवधान)..किसानों की बात है बैठ जाओ. राजस्थान सरकार में 10 किलोवॉट की डीपी एलाऊड् है. मध्यप्रदेश में प्रतिबंधित है. 10 किलोवॉट की डीपी आप एलाऊड् कर देंगे तो 5-6 किसान मिलकर उसको खरीद लेंगे और बहुत बड़ा यह बिजली का संकट जो आपके सामने खड़ा है वह कम हो जाएगा. 10 केव्हीए की डीपी खरीदने की अनुमति आप दिलवा दीजिए तो किसानों की बहुत बड़ी मदद हो जाएगी. वह राजस्थान में है यहाँ मध्यप्रदेश में हम नहीं खरीद सकते 25 की डीपी खरीदो उसके नीचे की नहीं खरीद सकते आपने ऐसा नियम बनाया हुआ है.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सरकार ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया है. हम नशे की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करना चाहते हैं और इसलिए नई आबकारी नीति में हमने यह फैसला किया है कि शराब की दुकानों के पास कोई दारू के अहाते नहीं होंगे. (मेजों की थपथपाहट) 1 अप्रैल से सारे अहाते बन्द किए जा रहे हैं, 1 अप्रैल से मध्यप्रदेश में शराब के अहाते बन्द कर दिए जाएँगे. अगर किसी को पीना है तो वह घर बोतल लेकर जाए लेकिन घर बेटा भी होगा, बेटी भी होगी और पत्नी भी होगी और बेटी के सामने पीने से पहले 17 बार सोचेंगे तो यह नैतिक प्रतिबंध जैसी एक व्यवस्था करने का हमने प्रयास किया है. अध्यक्ष महोदय, बाहर अगर कोई शराब पीता पकड़ा जाएगा तो सजा का प्रावधान और गाड़ी चलाने में कई बार शराब पीकर गाड़ी चलाने में एक्सीडेंट होते हैं.
श्री सुजीत मेर सिंह चौधरी -- शराब बंद करा दो.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- इसलिए शराब पीकर अगर कोई गाड़ी चलाते हुए पाया जाएगा तो उसका ड्रायविंग लायसेंस रद्द किया जाएगा. अलग-अलग प्रावधान होंगे.
श्री सुजीत मेर सिंह चौधरी -- मुख्यमंत्री जी, एक दुकान की आपकी नीति में एक दुकान की चार दुकान खुल गईं.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक विषय और जो चर्चा में आया था. मैं बड़ी गंभीरता के साथ इस सदन में और सदन के माध्यम से जनता के बीच रखना चाहता हूँ. हमारे सरकारी और प्रायवेट दो तरह के स्कूल हैं. पहले हम पीएमटी की परीक्षा यहीं लेते थे. अब नीट के माध्यम से परीक्षाएं होती हैं और वहीं से मेरिट लिस्ट बनकर आती है. एक अध्ययन में यह पाया गया है कि प्रायवेट स्कूलों के बच्चों के एडमीशन नीट की परीक्षा के माध्यम से मेडिकल कॉलेज में ज्यादा होते हैं. सरकारी स्कूलों के बच्चे कम प्रवेश ले पाते हैं. हम शिक्षा के स्तर में लगातार सुधार करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में गरीब के बच्चे पढ़ते हैं, निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं. इसलिए एक ऐसी व्यवस्था आवश्यक है कि दोनों की प्रतिस्पर्धा अगर समान होगी तो सरकारी स्कूलों के गरीब और निम्न मध्यम वर्गीय बच्चों की संख्या घटेगी. इसलिए हम यह तय कर रहे हैं कि नीट के माध्यम से जो सरकारी स्कूल हैं उनके बच्चों की दो मेरिट लिस्ट बनें. एक सामान्य मेरिट लिस्ट हो जिसमें सामान्य मेरिट लिस्ट के आधार पर एडमीशन हो जाए और एक 5 परसेंट की मेरिट लिस्ट अलग बनेगी सरकारी स्कूल के बच्चों की ताकि हम उनको मेडिकल कॉलेज में एडमीशन देकर, गरीबों के बच्चों को और निम्न मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों को मेडिकल कॉलेज में ज्यादा प्रवेश दिलाने का काम कर सकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछली सरकार में हम लोगों ने मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना बनाई थी जिसके तहत खेतों की सड़कें तेजी से बनाने का काम हुआ था. अब फिर से मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना प्रारंभ की जाएगी क्योंकि बाकी सड़कें तो हम बना चुके हैं. (मेजों की थपथपाहट).
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात ओर कोविड में जिनके माता-पिता चले गए उनके लिए हमने मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना बनाई, लेकिन कोविड के अलावा भी अगर कोई बच्चे अनाथ हो जाएं तो फिर वे बच्चे कहां जाएं. अनाथ बच्चों में भी 12 वीं तक को हम अनाथालय में इंतजाम करते थे इसके बाद हम बच्चों को छोड़ देते थे कि तुम कहीं भी जाओ. अब 12 वीं पास बच्चे की उम्र 18-19 साल होती है वे कहां जाते इसलिए हमने एक बदलाव तो यह किया कि जब तक उनको जॉब नहीं मिल जाता या उनकी उम्र 24 साल तक नहीं हो जाती है तब तक भी उनकी व्यवस्था की जाएगी. सड़क पर हम उन बच्चों को नहीं छोड़ सकते हैं. लेकिन कोविड के अलावा भी अगर किसी कारण से बच्चे अनाथ होते हैं तो उन सब बच्चों को अब मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना का लाभ मिलेगा. इन सब बच्चों को अगर वे किसी परिजन के पास भी रह रहे हैं तो 4000 रुपए महीना उनको लालन-पालन के लिए दिया जाएगा. हमारी सरकार के रहते हुए कोई बच्चा मध्यप्रदेश की धरती पर अनाथ नहीं रहेगा.
अध्यक्ष महोदय, हम मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना चलाते हैं इसमें ट्रेनों से हमारे तीर्थ यात्री जा रहे हैं. हमने तय किया है कि जहां हवाई जहाज से जाना संभव है वहां हम बुजुर्गों को भी हवाई तीर्थ दर्शन यात्रा के माध्यम से भी कराने का काम करेंगे. इसके साथ तीर्थ दर्शन योजना में एक पहलू और जोड़ेगे, दिव्यांगों के लिए भी मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना प्रारंभ की जाएगी. जो दिव्यांग हैं, जा नहीं सकते हैं विशेष परिस्थितियाँ कोई आई हैं, उसका भी हम काम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, हमारे विधायक साथियों की हमने जनसम्पर्क की राशि बढ़ाई उसके कारण छोटी-छोटी चीजों में हमारे विधायक के पास कोई जरुरतमंद आए, बीमार आए. दूसरा कोई साथी आए तो उसकी मदद कर पाते हैं. इस योजना का लाभ बड़ी संख्या में गरीबों को मिला है इसलिए विधायकों की भी 25 लाख रुपए की स्वेच्छानुदान की राशि अब अलग से जो आपको मिल रही है उसके अलावा और बढ़ाई जाएगी ताकि हम जरुरतमंद. (मेजों की थपथपाहट)
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- अरे अब तो ताली बजा, इसमें तो बजा दो, सज्जन भैया बजा दो. पीसी भाई इसमें तो अभिनंदन कर दो.
श्री पी.सी. शर्मा-- इसमें जिसको अनुदान देना हो उसे पहले चेक देने की प्रथा थी. वह चेक बंद करवा दिये हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- जिन-जिन विधायकों के सुझाव आएंगे हम उसे स्वीकार कर लेंगे, इसमें कोई दिक्कत नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--बरसात हो रही है उसको मत रोको, बरसात होने दो.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय मुख्यमंत्री जी एक निवेदन है कि इसमें पच्चीस हजार रुपए एक बार में एक व्यक्ति को देने का प्रावधान कर दें. अभी केवल दस हजार रुपए का ही प्रावधान है. इसे आप पच्चीस हजार रुपए कर दें. थोड़ा महंगा इलाज होता है तो पच्चीस हजार रुपए तक की सहायता हो जाती.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अगर विधायकों को लगता है कि ऐसा हो तो यह चर्चा करके उसका प्रावधान कर देंगे.
श्री अजय विश्नोई-- आज शाम को देवड़ा जी के साथ में उसकी बैठक है.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- समिति बैठकर जो तय कर देगी. यह जो योजना है यह गरीबों के लिए है. कोविड में इसे पहले पचास लाख रुपए किया था अब पचास लाख से बढ़कर आपके पास पचहत्तर लाख रुपए होंगे तो लोगों की काफी मदद हो पाएगी.
अध्यक्ष महोदय, यह सरकार लोक कल्याण के काम करते हुए निरंतर आगे बढ़ रही है और इसलिए मैं कहता हूं कि यह आजादी का अमृतकाल है इसमें देश में प्रधानमंत्री जी के माध्यम से और प्रदेश में हमारी सरकार के माध्यम से अमृत बरस रहा है और इसलिए कई बार निराशा और हताशा में जब यहां की जनता नहीं सुनती तो कांग्रेस के नेता विदेशों में जाकर आलोचना करने की कोशिश करते हैं. कोई आलोचना करे उसकी हमें परवाह नहीं है, लेकिन प्रदेश की प्रगति और विकास करते हुए निरंतर विकास के पथ पर और जनकल्याण करते हुए जनता के स्तर को ऊपर उठाकर जनता के कल्याण के महाभियान में हमारी सरकार लगी रहेगी. मैं फिर एक बार कहता हूं, दोहराता हूं और मैंने कई बार कहा है कि हमारे लिए राजनीति प्रोफेशन नहीं है, धंधा नहीं है, राजनीति हमारे लिए मिशन है. राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए राजनीति, जनता के कल्याण के लिए राजनीति, दरिद्र नारायण की सेवा के लिए राजनीति, एक समृद्ध और विकसित मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए राजनीति, आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने के लिए राजनीति भारतीय जनता पार्टी कर रही है और यह राजनीति करते हुए हम अपने प्रदेश को प्रगति और विकास के सर्वोच्च स्थान पर ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. परिश्रम की परिकाष्ठा करेंगे, प्रयत्नों की परिसीमा करेंगे. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- मैं बधाई दे रहा हूं .
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- महंत श्री शिवसागर जी महाराज के प्रवचन समाप्त हुए. धीरेन्द्र शास्त्री और प्रदीप मिश्रा जी अब दो संतों पर खतरा हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मुख्यमंत्री जी मैं भी आपसे आग्रह कर रहा हूं. उस बात से मैं भी सहमत हूं. दस हजार एक पर्सन को कम है क्योंकि सारी चीजें बढ़ गई हैं. तो जब इस पर विचार करें तो आप इस बात पर विचार करें कि इस दस हजार रुपए की सीमा को बढ़ा दें.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी विधायकों की समिति है. विचार करके जो फैसला करेंगे स्वीकार कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदस-- ठीक है.
श्री तरुण भनोत-- यह हम सभी को अप्रैल मई तक मिल जाए. अधिकारी इसको रोक देते हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- आप चिंता मत करो कोई नहीं रोकेगा. आपको मिल जाएगा.
अध्यक्ष महोदय:- मैं, समझता हूं कि राज्यपाल के अभिभाषण के उत्तर में प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव में जितने संशोधन प्रस्तुत हुए हैं, उन पर एक साथ ही मत ले लिया जाये.
समस्त संशोधन अस्वीकृत हुए.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है कि "राज्यपाल ने जो अभिभाषण दिया, उसके लिए मध्यप्रदेश विधान सभा के इस सत्र में समवेत सदस्यगण अत्यन्त कृतज्ञ हैं."
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
3.03 बजे वर्ष 2023-2024 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा
अध्यक्ष महोदय-- अब, वर्ष 2023-2024 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा प्रारम्भ होगी.
श्री तरुण भनोत (जबलपुर-पश्चिम)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद सर्वप्रथम तो मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से एक निवेदन करना चाहूंगा. बहुत देर तक हम लोगों ने आपको सुना है. मुझे पता है कि आपका समय और भी कई महत्वपूर्ण जगह जाना होगा. मैं आपके केवल 5-10 मिनट लूंगा. चूंकि आप यहां बैठे हैं तो मैं, पहले उस विषय पर चर्चा कर लेता हूं जो मैं चाहता हूं कि आप सुन लें.
श्री शिवराज सिंह चौहान- मैं वहां बैठकर सुन लूंगा.
श्री तरूण भनोत- मैं, केवल 5 मिनट लूंगा. मैं आपको ज्यादा नहीं सताऊंगा. मुझे पता है आपने भोजन नहीं किया है. आप यहां बैठें, यहां ज्यादा अच्छे लग रहे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान- मैं, आपकी बात जरूर सुनूंगा. आप चिंता न करें.
श्री तरूण भनोत- धन्यवाद. माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि वित्त मंत्री जी ध्यान दे रहे हों तो मैं, अपना वक्तव्य प्रारंभ करूं.
अध्यक्ष महोदय- माननीय वित्त मंत्री जी, उनके सामने जो विधायक हैं, वे कृपया अपने स्थान पर जायें. वित्त मंत्री जी, तरूण जी आपको संबोधित कर रहे हैं.
श्री तरूण भनोत- माननीय अध्यक्ष महोदय, हाऊस ऑर्डर में आ जाये, मैं, 5 मिनट बाद बोल लूंगा.
अध्यक्ष महोदय- भनोत जी, आप बोलें.
3.11 बजे
{सभापति महोदय (श्री लक्ष्मण सिंह) पीठासीन हुए.}
श्री तरूण भनोत- माननीय सभापति महोदय, मेरा निवेदन है कि हाऊस जब ऑर्डर में आ जायेगा तो फिर में बोलना प्रारंभ करूंगा.
सभापति महोदय- सभी माननीय मंत्रीगण, सदस्यगण अपने-अपने स्थान पर बैठ जायें.
श्री तरूण भनोत- माननीय सभापति महोदय, धन्यवाद. वर्ष 2003 के बाद वर्ष 2018 तक और 2018 के बाद भी 15 माह के कार्यकाल को छोड़ दें तो मध्यप्रदेश की जनता को यह आदत पड़ गई है कि वह एक असत्य बजट, असत्य आंकड़ों के साथ, हेरा-फेरी के साथ, जिससे समाज के किसी वर्ग का कोई भला नहीं होता, वह इस सदन में पेश कर दिया जाता है और फिर उसको बताया जाता है कि मध्यप्रदेश में अमृत-काल चल रहा है. इस बार भी उसकी पुनरावृत्ति की गई है. वल्लभ भवन में 4-5 अधिकारियों ने बैठकर, कुछ लाइनें खींची, जो पहले भी खींची जाती थीं, कुछ आंकड़े बदले और कह दिया कि मध्यप्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए, अमृत-काल का बजट हम लेकर आये हैं.
माननीय सभापति महोदय, जिस बजट की नींव ही असत्य पर रखी गई हो, उससे न पहले भला हुआ है और न अब भला हो सकता है. मेरे पास वित्त सचिव महोदय का स्मरण पत्र है, हमारे विद्वान वित्त मंत्री जी ने जरूर इस स्मरण पत्र को पढ़ा होगा और इसी के आधार पर बजट भी तैयार हुआ होगा. मंत्री जी इसमें एक बहुत बड़ी भूल कर गए, राजकोषीय घाटा 4.02 प्रतिशत पर आपने बजट बनाया है जबकि भारत सरकार द्वारा 3 प्रतिशत राजकोषीय घाटे की अनुमति दी गई है. आपका आंकड़ा ही गलत है. केंद्र सरकार ने आपके FRBM (Fiscal Responsibility & Budget Management) की लिमिट, आपने जिस पर बजट बनाया है वह 4.02 प्रतिशत रखी है और केंद्र सरकार की लिमिट है कि 3 प्रतिशत राजकोषीय घाटे से ऊपर आप बजट नहीं बना सकते हैं. ये आंकड़े का कैसा खेल खेला गया है ? वित्त सचिव महोदय का जो स्मरण पत्र है, उसमें लिखा गया है कि 15वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के अनुसार 4 प्रतिशत पर भारत सरकार से विशेष केंद्रीय सहायता के अंतर्गत 6.5 हजार करोड़ रुपये को शामिल करते हुए, फिर आप लिखते हैं कि 15वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के अनुसार 3 प्रतिशत, प्लस भारत सरकार से विशेष सहायता अंतर्गत 9 हजार 5 सौ करोड़ रुपये को शामिल करते हुए, ये आप कैसे कर सकते हैं, जब आपको अनुमति ही नहीं है, आप बता रहे हैं कि आपने मध्यप्रदेश के लिए 3 लाख 14 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा और लगभग 12.5 प्रतिशत की राशि आपने इस बजट में पिछले बजट की तुलना में बढ़ा दी है. यह असत्य आंकड़े केन्द्र सरकार के नियमों के विरूद्ध बनाया हुआ बजट, इस सदन में पेश किया गया और हम तो जानते हैं कि यह एक परम्परा बन गयी है, असत्य को परोसने की. किस तरह से आंकड़ों का हेरफेर किया जाये, किस तरह से हम इस जीडीपी को बढ़ाकर लोने लेने की जो मात्रा है, उसको बढ़ा लें.
वित्त मंत्री जी मैं आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि बहुत-बहुत बड़ी-बड़ी बातें सदन के नेता यहां पर कह रहे थे.हमने अखबारों में पढ़ा कि आपने 1 लाख करोड़ रूपये महिलाओं के उत्थान के लिये मध्य प्रदेश में प्रावधानित किया है. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि उस प्रावधान के अंतर्गत क्या-क्या आता है, वित्त मंत्री महोदय. आपने क्या किया हमारी बहनों को, आशा वर्कर्स को, ऊषा वर्कर्स को, हमारी आंगनवाड़ी कार्यकताओं को जो हमारी माताओं-बहनों को अन्य योजनाओं के तहत लाभ मिलते हैं, आपने उन सबको सम्मिलित कर दिया, आपने नर्सों का वेतन भी उसमें डाल दिया और यह आंकड़ा दिखा दिया कि 1 लाख करोड़ रूपये हमने महिला सशक्तिकरण के लिये मध्य प्रदेश की माताओं और बहनों के लिये किया है. इससे बड़ाअसत्य और फरेब और क्या हो सकता है. मुझे बड़ा आश्चर्य होता है कि वित्त मंत्री महोदय, मुख्यमंत्री महोदय और विभागों के मंत्री अपनी पीठ थपथपाते हैं कि हम मध्यप्रदेश में बड़ा परिवर्तन कर रहे हैं. हर चीज में परिवर्तन हो रहा है क्रांतिकारी परिवर्तन हो रहा है.
वित्त मंत्री महोदय, मैं एक महत्वपूर्ण विषय की ओर आपका ध्यान आकर्षित कर रहा हूं. मेरे पास एक केलेण्डर है( वित्त मंत्री जी को दिखाते हुए), इसकी एक प्रति मैं आपको भेंट भी करूंगा. सभापति महोदय, मंडला जिले का, ट्रायबल जिले का हमारे शिक्षक वेल्फेयर एसोसिएशन के द्वारा ..
सभापति महोदय:- इस प्रकार से सदन में दिखाते नहीं हैं.
श्री तरूण भनोत:- नियमों के विरूद्ध है तो भेंट नहीं करूंगा, सदन के पश्चात्. मैं कुछ आंकड़े बताना चाहता हूं जिनके दम पर आप इतराते हैं और उनके साथ आप क्या बर्ताव करते हैं, मेरा आशय हमारी सरकार में काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों भाइयों और बहनों की तरफ है. हम लगातार मांग कर रहे हैं, वह भाई बहन आपसे मांग कर रहे हैं जो अपना पूरा जीवन मध्य प्रदेश की सेवा में और लोगों की सेवा में लगा देते हैं की हमारी ओल्ड पेंशन स्कीम को हमें वापस कर दीजिये. इस बजट में आपने उसकी चर्चा भी नहीं की, उसके लिये कोई प्रावधान भी नहीं किया और हालत यह है माननीय सभापति महोदय आंकड़ों के साथ में सदन को बताना चाहता हूं कि एनपीएस के एक पेंशन कर्मचारी जो एनपीएस के अंतर्गत आता था, वह पेंशनर है अमर सिंह मार्को, प्राथमिक शिक्षक, प्राथमिक शाला कुण्डाटोला, विकास खण्ड नारायणगंज, जिला मंडला उनकी सेवानिवृत्ति दिनांक 30.4.2021 को हुई. उनको जो अंतिम वेतन प्राप्त होता था वह 33399 रूपये था और थपथपाइये अपनी पीठ वित्त मंत्री महोदय की आपकी इस एनपीएस स्कीम के तहत उस रिटायर शिक्षक को 485 रूपये प्रतिमाह पेंशन मिल रही है. इससे शर्मनाक बात और क्या हो सकती है ?
माननीय सभापति महोदय, एक तुलनात्मक आंकड़ा और देना चाहता हूं ओल्ड पेंशन स्कीम का उसी जिले का, नाम श्री एम.एल. यादव जी,पद-उच्च श्रेणी शिक्षक, पदस्थ संस्था- शासकीय उमा विद्यालय, पिण्डरई, विकास खण्ड नैनपुर, जिला मण्डला, सेवानिवृत्ति दिनांक 31.7.2021 उनका अंतिम वेतन था 70,000 रूपये. माननीय वित्त मंत्री महोदय आपको अंदाजा है कि इनको पेंशन मिल रही है 39,500 रूपये, एक व्यक्ति को 485 रूपये प्रतिमाह की पेंशन और दूसरे व्यक्ति को जो ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत रिटायर उसको मिल रही है 39500 रूपये की पेंशन. इस प्रकार का भेदभाव, बढ़ती हुई मंहगाई. सभापति महोदय, वित्त मंत्री जी को पता ही होगा कि सबसे महंगी दवा मध्य प्रदेश में मिलती है, सबसे महंगा पेट्रोल और डीजल मध्य प्रदेश में मिलता है, सबसे महंगा गैस का सिलेण्डर मध्य प्रदेश में मिलता है, सबसे महंगा खाने का तेल मध्य प्रदेश में मिलता है. जब महंगाई डायन खाये जात है. तो वित्त मंत्री जी आपको उस वर्ग की याद नहीं आ रही जो आपके प्रदेश में सबसे महति भूमिका निभाती है वह हैं हमारे अधिकारी और कर्मचारी जो मजबूती के साथ खड़े इस प्रदेश को समृद्धशाली बनाने के लिये काम करते हैं. आप उनके लिये एक शब्द भी का भी उल्लेख बजट में नहीं कर पाये. हां हम कहना चाहते हैं कि आपने नहीं किया और ना ही आप करेंगे और उनको आपसे आशा भी नहीं है. पर हमें विश्वास है कि 2023 के अक्टूबर-नवम्बर में जब मध्यप्रदेश में चुनाव होंगे तो हमारी सरकार बनेगी उसमें सबसे पहला हम आदेश लागू करेंगे तो ओल्ड पेंशन स्कीम को वापस लागू करेंगे. माननीय वित्तमंत्री जी लाड़ली बहिना योजना कितना अच्छा लगता है इसको सुनने में आप हमारी लाड़ली बहिना को एक हजार रूपये प्रतिमाह देंगे उसमें भी आप भेदभाव करेंगे. आपने बहुत सारे नियम कायदे-कानून बना दिये कि किसको देंगे, किसको नहीं देंगे. क्योंकि मध्यप्रदेश तो इस बात का आदि हो गया. थोड़े देर पहले हमने सुना भी उसकी एक बानगी भी दिखी मेरी मर्जी, मैं चाहे यह करू, मैं चाहे वो करूं, चाहे कुछ भी ना करूं. लंबे-लंबे भाषण दूं और मध्यप्रदेश को सबसे आगे स्वर्णिम प्रदेश बताने की घोषणा कर दूं. माननीय वित्तमंत्री जी 2003 में कांग्रेस पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश से गई थी आपकी पार्टी की सरकार बनी थी आपको मैं आंकड़ा याद दिलाना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश ऊपर कुल 26 हजार करोड़ रूपये का कर्जा था और उसी समय हमारा बहुत बड़ा नुकसान हुआ था छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना था हमें बहुत बड़ी रेवेन्यू वहां से आती थी वह हमसे अलग हुआ था. कुल 26 हजार करोड़ रूपये का कर्जा मध्यप्रदेश के ऊपर था. आज यह कर्जा 4 लाख करोड़ को पार कर रहा है. जितना कर्जा था उससे अधिक प्रतिवर्ष आप ब्याज की राशि का भुगतान कर रहे हैं. प्रति वर्ष 25 से 30 हजार करोड़ रूपये ब्याज के रूप में भर रहे हैं. मैं आपसे मध्यप्रदेश की जनता की ओर से पूछना चाहता हूं कि ऐसा आपने क्या किया जो कि इतना कर्जा आपके ऊपर चढ़ गया इसमें किसको लाभ हुआ. मैं वित्तमंत्री जी से जानना चाहता हूं कि कौन सा ऐसा विभाग है मध्यप्रदेश का जिसमें कि आप गारंटी के साथ कह सकते हैं कि हमने विकास सम्पूर्ण कर दिया. हमने इसमें बदलाव ला दिया. उस विभाग से मध्यप्रदेश की समस्त जनता चलिये समस्त छोड़िये 25 प्रतिशत जनता भी पूरी तरह से खुश हो चुकी है. जैसा कि मैंने पहले कहा कि एलपीजी के गैस का सिलेन्डर देवड़ा जी 300 रूपये में बहुत महंगा लगता था आज यह 1100 रूपये में सस्ता लग रहा है. 40 रूपये का डीजल बहुत महंगा था 100 रूपये लीटर में बहुत सस्ता लग रहा है. 70 रूपये का खाने का खाद्य तेल सरसों का बहुत महंगा था आज 200 रूपये लीटर बहुत सस्ता आपको लग रहा है. 4 लाख करोड़ से अधिक का कर्ज से ना हमारा किसान खुश, ना हमारा मजदूर खुश, ना हमारे नौजवान जो हमारे घूम रहे हैं ना ही उनको कोई रोजगार मिल रहा है. ना हमारी माताएं, बहिने, गृहणियां जो घरों में काम कर रही हैं वह भी महंगाई से परेशान. सबसे महंगी बिजली मध्यप्रदेश में और आप कहते हैं कि हमने स्वर्णिम मध्यप्रदेश बना दिया है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा--सभापति जी, महंगाई के बारे में माननीय देवड़ा जी कम सुन रहे हैं. जब हमारी दिल्ली में सरकार थी तब यह लोग गाना गाते थे सखी सईंयां तो बहुत कमात हैं महंगाई डायन खाये जा रही है. अब क्या महंगाई इनकी डायन हो गई है क्या ?
श्री तरूण भनोत--सभापति जी इन आंकड़ों के बाद मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति के बाद धन्य हैं इतनी हंसी आपके चेहरे पर आ रही है. आपकी जगह मैं होता तो मेरी जान निकल रही होगी. मैं समझ रहा हूं कि इस बजट में आपका योगदान है ही नहीं यह वहां से पर्चियां आती हैं कुछ पन्ने यहां से वहां बदल दिये जाते हैं. उनको बता दिया जाता है कि मध्यप्रदेश के स्वर्णिम विकास के लिये एक दस्तावेज तैयार किया गया है इसको देख लो रख लो, बातें कर लो, पर भला किसी का भी नहीं होने वाला है. माननीय कमलनाथ जी की सरकार के 15 माह के कार्यकाल की बात करते है कि मैं बहुत सौभाग्यशाली मानता हूं कि उनके जैसे नेता के मुख्यमंत्री जी के रूप के अंतर्गत मुझे वित्तमंत्री जी के रूपये में काम करने का मौका एवं सौभाग्य मिला. माननीय वित्तमंत्री जी आप तत्कालीन कांग्रेस की सरकार के ऊपर आरोप लगाते हैं आप तो सौभाग्य मंत्री हैं. अधिकारियों से पूछ लीजिए और अभी एक पर्ची भी मंगा लीजिए, अभी आ जाएगी, दीर्घा से. हमने 15 माह की सरकार में कितना खर्च किया. माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में 15 माह की सरकार में हमने कुल 13 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया और इन्होंने जिस माह अभी बजट प्रस्तुत किया, अभी माह पूरा नहीं हुआ और आज 14 तारीख को इन्होंने मध्यप्रदेश की आधी जनता की 2 हजार करोड़ रुपए की एक लॉटरी और खोली है, पिछले तीन माह में 25 हजार करोड़ रुपए का कर्जा लिया है. हमने जब 13 हजार करोड़ रुपए का कर्जा लिया, आप हमसे हिसाब मांग लें हम देते हैं, पर हम आपसे हिसाब मांगते हैं तो आप देते नहीं हो और न इसके बाद भी आप जवाब देंगे, जब आपकी बारी जवाब देने की आएंगी. हमने साढ़े 27 लाख किसान भाईयों के कर्जें माफ किए, इसलिए 13 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था. हमने सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि को 300 से 600 रुपए किया इसलिए 13 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लगा. हमने बहुत सारे अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के लिए नई योजनाएं शुरू की उसमें पैसा लगा इसलिए हमने 13 हजार करोड़ रुपए का कर्जा लिया. आप एक अजीब आंकड़ा, मध्यप्रदेश का पिछले वर्ष का बजट. माननीय वित्त मंत्री जी इसको जरुर नोट करिएगा और सदन के माध्यम से हमें इसका जवाब दीजिएगा. आपने वर्किंग डिपार्टमेंट के लिए जिस राशि का प्रावधान किया, पीएचई, पीडब्ल्यूडी, नगरीय निकाय जिनसे काम होते हैं, उस पर जिस राशि का आपने प्रावधान किया था और जो खर्चा हुआ वह कितना है, आप मुझे बता दीजिएगा जरुर 40 हजार करोड़ रुपए, अभी 2 लाख 80 हजार करोड़ के बजट में विकास कार्यों के लिए सभापति महोदय अभी खर्च नहीं हुए. इनका खर्चा कहां हुआ बजट में ये फिर से उसी असत्य के पुलिंदे को यहां लेकर आ गए, जो हमारा स्टेबलिशमेंट कॉस्ट होता है, जो तन्ख्वाहें होती हैं, जो अन्य खर्चें होते हैं, जो ये लोन की राशि लेते हैं और ब्याज की राशि भरने में खर्च कर देते हैं, उसमें इन्होंने पैसा खर्च किया और मध्यप्रदेश में विकास के नाम पर 40 हजार करोड़ रुपए खर्च नहीं हुआ और इस बार ये 3 लाख 14 हजार करोड़ रुपए का एक फर्जी दस्तावेज बनाकर लाए हैं, जो ये लाने की पात्रता ही नहीं रखते. जीडीपी के आंकड़े आप ही ने दिए, क्योंकि उस विभाग के मंत्री आप ही हैं, विभाग का नाम तो याद होगा मंत्री जी एक और कौन सा विभाग है आपके पास में, सांख्यिकी, उसके आंकड़े को पूरा करने के लिए असत्य को ढंकने के लिए, आपको जिसकी छूट केन्द्र सरकार द्वारा नहीं है, आपने वह भी आकड़े इसमें डाल दिए. साढ़े नौ हजार करोड़ रुपया जब आप किसी चीज को अचीव करेंगे तो ग्रांड के रुप में प्राप्त होगा, उसको भी आपने बजट की आमदनी में डाल दिया और दिखा दिया 3 लाख 14 हजार करोड़ रुपए का बजट हम मध्यप्रदेश की जनता के लिए लाए हैं. माननीय, 12 प्रतिशत आप अधिक बता रहे हैं इस बजट को मात्र 1 प्रतिशत का अंतर है, क्योंकि 19 हजार करोड़ रुपए का असत्य आंकड़ा आपने इस बजट के अंदर दिखाया. साढ़े 9 हजार करोड़ रुपए की वह राशि जो हवा में है और ये तो आपको अलाउड ही नहीं है, जो आपने दिखाया वह राजकोषीय घाटे का प्रतिशत जीएसडीपी के हिसाब से 4.02, माननीय वित्त मंत्री महोदय ये आपके हाथ में नहीं है, ये केन्द्र सरकार के हाथ में है, और उसने इसको तीन प्रतिशत से अधिक आपको नहीं मिलेगा, दिया हुआ है. माननीय सभापति महोदय ये क्यों कर रहे हैं. क्योंकि बहुत बुरा समय मानवता के ऊपर आया था कोविड का जब कोरोना का संकट आया, परेशानी थी, आर्थिक स्थितियां भी खराब थी तो केन्द्र सरकार ने अपना पल्ला झाड़ लिया कि हम राज्य सरकार को किसी प्रकार की कोई मदद नहीं करेंगे, हां एक काम कर लो घाटे में तो हो ही और जाकर हम तुम्हारी एसआरबीएम की लिमिट को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर के 4 प्रतिशत कर देते हैं. बैंक से जाकर कर्जा ले लो, आपने कंबल ओढ़कर खूब घी पिया, खूब कर्जा लिया न कोरोना वॉरियर को आज तक पैसा मिला न जो कोविड के कारण जिनकी मृत्यु हुई उनको पैसा मिला न आपने कोरोना वॉरियर्स को नियमित किया और तो और आपने प्रशासन को ताकीद दे दी हर जिले में कि अगर कोविड के कारण भी मौत हुई हो तो उसमें ये मत लिखना की कोविड के कारण मौत हुई है, क्योंकि आपको उनकी मदद न करना पड़े और कर्जा आप भरभूर लेते रहे. माननीय वित्त मंत्री जी इस दस्तावेज में अगर एक लाइन आप उनके लिए भी डालते जो माननीय मुख्यमंत्री जी ने तत्काल में घोषणा की थी कि हम स्कूल जाने वाले बच्चों का कोविड काल का पैसा माफ करेंगे. मैं आज दावे के साथ कह रहा हूँ. आप भी अपने विधान सभा क्षेत्र में जब बैठते होंगे तो लोग आपके पास आते होंगे. सबसे अधिक शिकायतें अगर किसी चीज की आती है और लोग परेशान हैं, वह इसलिए कि लोग अपने बच्चों की स्कूल की फीस जमा नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि उनसे निजी स्कूल वाले 20 हजार, 25 हजार, 50 हजार रुपये का बैकलॉग मांग रहे हैं, जो कोविड के समय का पैसा है, वह जमा नहीं कर पा रहे हैं और उनको धमकी दी जा रही है कि अगर यह पैसा आप जमा नहीं करेंगे तो आपके बच्चे को परीक्षा में नहीं बैठने दिया जायेगा. यह बहुत गंभीर विषय था, इसकी लगातार मांग उठती रही, हम आपका ध्यान इस ओर आकर्षित भी करते रहे, पर माननीय वित्त मंत्री महोदय आपकी संवेदनशीलता नहीं जागी और आपने उसका किसी प्रकार से उल्लेख यहां पर नहीं किया.
माननीय सभापति महोदय, जो बजट बनता है, जब वह इस सदन से पास होता है तो वह सबसे बड़ा दस्तावेज होता है और सरकार को उसी हिसाब से अपना काम भी करना चाहिए. सन् 2018 के बाद जब आप सरकार से बाहर हुए और 15 माह की हमारी सरकार आई तो बहुत सारी ऐसी बातें जो जनकल्याणकारी थीं, बजट में रखी गईं और बजट में उसके लिए प्रावधान भी किया गया. सिर्फ राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से जो बजट, बजटेड चीजें हैं, आप उनको भी नहीं होने दे रहे हैं. मैं अभी माननीय मुख्यमंत्री जी का भाषण सुन रहा था और मुझे आशा और विश्वास है कि वह जहां बैठे हैं, वहां सुन जरूर रहे होंगे, अगर विधान सभा में अपने कक्ष में बैठे होंगे तो सुन रहे होंगे. अब आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना चाहते हैं, वह सब जगह की मध्यप्रदेश में बात कर रहे थे. माननीय वित्त मंत्री महोदय, आप इस विभाग के मंत्री हैं. जब मैं वित्त मंत्री के रूप में काम कर रहा था तो मां नर्मदा जो मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी है. जब वह अमरकंटक से निकलती है और गुजरात के भरूच में जाकर खंभात की खाड़ी में मिलती है. सबसे बड़ा अगर कोई बड़ा शहर आता है तो वह संस्कारधानी जबलपुर का आता है, जो मां नर्मदा के तट पर बसा है. वह जाबालि ऋषि की तपोभूमि है, वह रानी दुर्गावती की कर्मभूमि है और उसको आचार्य विनोबा भावे जी ने संस्कारधानी की उपाधि दी थी. हमने वहां पर मां नर्मदा रिवर फ्रंट के लिए सर्वेक्षण कराया, बजट में पैसा दिया, 3 वर्ष से अधिक हो गए हैं, आपने आज तक उस काम को शुरू नहीं किया. हमने संस्कारधानी जबलपुर के लिए जहां पर हमारे आदिवासी ट्रायबल, छात्र-छात्राएं अधिक संख्या में रहते हैं, बरगी में, चरगवां में, महिला महाविद्यालय खोलने के लिए बजट में पैसा दिया था, आपने नहीं खोला. अभी माननीय मुख्यमंत्री जी अपनी पीठ थपथपा रहे थे कि हम चीते लेकर आए, टाइगर सफारी के लिए जबलपुर में पैसे का प्रावधान दिया गया, बजटेड किया गया. उसका काम आपने शुरू नहीं होने दिया, तो यह भेदभाव हमारे साथ क्यों हुआ ? आप बड़े-बड़े मार्गों की बात कर रहे थे, फ्लायओवरों की बात कर रहे थे. माननीय सभापति महोदय, यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि महाकौशल क्षेत्र की राजधानी जबलपुर कहलाता है और मध्यप्रदेश के सबसे पुराने शहरों में से एक है.
सभापति महोदय - आप एक मिनट में अपनी बात समाप्त कीजिये.
श्री तरुण भनोत - सभापति महोदय, मैं 5 मिनट में अपनी बात समाप्त कर रहा हूँ. जो चीज बजट में पास होकर आई हो और आप वहां की जनता को उससे वंचित कर रहे हैं, तो यह राजनीतिक भेदभाव नहीं है तो फिर क्या है ? आप क्यों शुरू नहीं कर रहे हैं ? 3-3, 4-4 फ्लायओवर्स जो स्वीकृत पड़े थे, बजटेड थे, जिनके लिए बजट में पैसा था, आपने उनको नहीं होने दिया. आप एक बहुत बड़ा मजाक देखिये. अभी खूब पीठ थपथपाई जा रही थी और खूब शाबासियां दी जा रही थीं. मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा. मण्डला, हमारा ट्रायबल जिला है, अनुसूचित जाति में भी आता है. वहां पर एक नया काम किया गया है. देश का प्रथम 100 प्रतिशत, वह जिला जहां आदिवासियों की संख्या है, जो कार्यात्मक साक्षर जिला घोषित हुआ. कलेक्टर जी को मुख्यमंत्री जी ने और राज्यपाल महोदय ने प्रशंसा पत्र भी दिया. वह जबलपुर से पास में ही है, हम उसकी सच्चाई जानने के लिए गए. मण्डला 100 प्रतिशत साक्षर, तो मुझे तो 100 में से 90 लोग वह मिले, जिनके बैंक के खाते भी अंगूठे से खुले रहे हैं.
सभापति महोदय - अब समाप्त कीजिये. डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय जी.
श्री तरुण भनोत - सभापति महोदय, मुझे 5 मिनट दीजिये. अभी तो बहुत दिन है. विधान सभा का बहुत लम्बा समय है. मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ.
सभापति महोदय - नहीं, अभी बहुत सारे वक्ता है.
श्री तरुण भनोत - मुझे तो आज बड़ी आशा जागी थी कि आप आसन्दी पर बैठे हैं.
सभापति महोदय - इसलिए तो आप इतना बोल लिये. (हंसी)
श्री तरुण भनोत - मुझे तो और समय चाहिए, अभी तो शुरूआत हुई है.
सभापति महोदय - अब सामाप्त कीजिये.
श्री तरुण भनोत - सभापति महोदय, मैं अपने लीडर से निवेदन करूँगा कि डॉक्टर साहब मुझे 5 मिनट का समय दिलवा दीजिये.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) - माननीय सभापति जी, आप समय बढ़ा दें और आगे के लिए अपने साथियों का समय कम करेंगे.
सभापति महोदय - अध्यक्ष जी का आदेश है. आगे बहुत वक्ता हैं. ठीक है. आपको 2 मिनट दिये जाते हैं.
श्री तरुण भनोत - माननीय सभापति महोदय, मण्डला के साथ जहां हमारे आदिवासी भाई-बहिन रहते हैं, उनको सरकार ने सर्टिफिकेट दे दिया.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - सभापति महोदय, आपने मेरा नाम पुकारा था.
सभापति महोदय - तरण भनोत जी, एक दो मिनट बोल लें. समय-सीमा का तो ध्यान रखना पड़ेगा न. दो मिनट के बाद डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय जी बोलेंगे.
श्री तरूण भनोत --माननीय सभापति महोदय, आदिवासियों के साथ यह अत्याचार 100 प्रतिशत साक्षर जिला घोषित कर दिया मंडला को, इस प्रकार बजट में और बहुत सारे ऐसे प्रावधान किये हैं जो कहीं भी धरातल पर खड़े ही नहीं होते. चीता की बात माननीय मुख्यमंत्री जी कर रहे थे, 35 करोड़ रूपया खर्च हुआ चीता लाने में और जब हम गौवंश की बात करते हैं कि आपने गौशालाओं को तो बंद कर दिया, आप मध्यप्रदेश के किसी भी राजमार्ग पर चले जाईये गाड़ी लेकर, हम सबको बहुत दुख होता है, हमारा दिल द्रवित हो जाता है जब हम गौमाता को रोड़ के ऊपर कुचला हुआ पाते हैं. आपने गौशालायें बंद कर दीं, हमारी सरकार में हमने मंदिरों के पुजारियों के लिये अनुदान की बात की थी, प्रतिमाह पैसा देने की बात की थी अभी आप बड़ी-बड़ी बात कर रहे थे कि हमने बंद कर दिया, आपने उसको बंद कर दिया. अभी संबल की आप बात करे थे, मेरे विधान सभा क्षेत्र में 300 से ज्यादा हितग्राही ऐसे हैं जिनको वर्ष 2020 के बाद से पैसा नहीं मिला. माननीय महोदय, कहना बहुत है, आंकड़े बहुत सारे हैं.
सभापति महोदय-- आपकी पार्टी के भी बहुत सारे सदस्य हैं उनको भी बोलना है.
श्री तरूण भनोत-- कहा तो था नेताजी ने कि उनका समय कम कर देंगे.
सभापति महोदय-- आपने बहुत समय ले लिया है.
श्री तरूण भनोत-- अभी डेढ़ घंटे माननीय मुख्यमंत्री जी को सुना है. पांच मिनट का समय और.
सभापति महोदय-- नहीं, अब नहीं.
श्री तरूण भनोत-- माननीय, यह ऊपर बैठकर कुर्सी पर क्या हो जाता है, यह विक्रमादित्य का सिंहासन है क्या.
सभापति महोदय-- डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय अपना शुरू करें.
डॉ. गोविन्द सिंह-- सभापति जी आपसे यह निवेदन है कि हमारी सूची में से एक सदस्य का नाम कम कर दें फिर कितने मिनट दोगे आप एक व्यक्ति को, 5 मिनट दोगे. एक सदस्य के लिये कितना समय तय है.
सभापति महोदय-- यह तो अध्यक्ष जी बतायेंगे. यह 20-25 मिनट बोल लिये न.
डॉ. गोविन्द सिंह-- हम एक सदस्य कम कर लेते हैं.
सभापति महोदय-- चलिये मेरा नाम कम कर लीजिये और बोलिये.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- सभापति महोदय, कांग्रेस के पास कोई दूसरा वक्ता नहीं है क्या, एक ही वक्ता बोले जा रहे हैं.
सभापति महोदय-- आप 25-30 मिनट बोल लिये बैठो तरूण. काफी हो गया.
श्री तरूण भनोत-- मुझे समाप्त तो करने दीजिये.
सभापति महोदय-- अब एक मिनट के बाद पाण्डेय जी आप शुरू कर दीजिये और इनका कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री तरूण भनोत-- अब ऐसा है तो मैं बोलता ही नहीं हूं, बैठ जाता हूं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- अरे तरूण भाई नाराज क्यों होते हो.
(श्री विश्वास सारंग जी के बैठे-बैठे समय और देने का कहने पर)
डॉ. गोविन्द सिंह-- अब सारंग जी ने भी कहा है, संसदीय कार्य मंत्री की हैसियत से उन्होंने बोला है, जब आप भी तैयार, हम भी तैयार तो आपको क्या दिक्कत है. हमने कह दिया है कि एक सदस्य कम कर लेंगे, 5 मिनट और दे दो.
सभापति महोदय-- सारी बातें आ चुकी हैं.
श्री तरूण भनोत-- माननीय सबसे महत्वपूर्ण बात बची है.
सभापति महोदय-- अच्छा एक बात सबसे महत्वपूर्ण करो और बैठ जाओ, फिर दूसरी नहीं सुनेंगे. एक महत्वपूर्ण बात और सुन लीजिये.
श्री तरूण भनोत-- मध्यप्रदेश में स्वास्थ, शिक्षा जैसे विभाग भी अपना पूरा बजट खर्च नहीं कर पाये. आपने जिन विभागों, सम्मानीय मंत्री महोदय भी यहां पर कई मंत्री बैठे हैं, कुछ नहीं भी हैं, जो आपने आवंटन किया वह पैसा भी खर्च नहीं हुआ तो कौन सा अमृत काल का समय मध्यप्रदेश के लिये चल रहा है. ऊर्जा के क्षेत्र में बजट था 20 हजार 7 सौ 56 करोड़ रूपये का, खर्च हुआ 11554 करोड़ रूपये, 9 हजार करोड़ रूपये का, अगर यह काम आप करते, इस पैसे का सदुपयोग करते तो हमारी वह मातायें, बहने हमारे छोटे-छोटे व्यापारी जो बढ़े हुये बिजली के बिलों से परेशान हैं उनको राहत मिलती, आप नहीं दे पाये. कृषि में बजट का प्रावधान था 17 हजार 74 करोड़ रूपये का और मिला 12 हजार करोड़ रूपये, आप कह रहे हैं कि मध्यप्रदेश के किसान बहुत खुशहाल हो गये. मध्यप्रदेश में किसानों के लिये हमने माननीय कृषि मंत्री जी बैठे हैं इसमें तो मेरा साथ देना चाहिये. वित्त मंत्री जी से पूछना चाहिये कि आपने यह पैसा क्यों नहीं दिया. हम मध्यप्रदेश के किसानों के लिये खर्चा करते इस पैसे को. जनजातीय विभाग, अभी सहरिया,भारिया सभी याद आ रहे थे माननीय मुख्यमंत्री जी को. 10821 करोड़ का प्रावधान और दिया आपने 7000 हजार करोड़ रुपये. तो आदिवासी भाई,बहनों को, जनजातीय भाई,बहनों को भी तीन हजार करोड़ रुपये कम दिया और सबसे महत्वपूर्ण महिला,बाल विकास विभाग. बहुत पीठ थपथपाते हैं आप. लाड़ली बहना योजना पर हमारे साथी जरूर बात रखेंगे. महिला, बाल विकास पैसे का आवंटन 6956 करोड़ रुपये और दिया आपने 3800 करोड़ रुपये. यह क्या हो रहा है सभापति महोदय, कर्जा बढ़ता जायेगा हर वर्ग परेशान रहेगा. विभागों को आप पूरा पैसा देंगे नहीं तो जो आप बता रहे हैं कि यह अमृतकाल है मध्यप्रदेश का. तो यह बात कहकर अपनी बात समाप्त कर रहा हूं कि यह अमृतकाल आप लोगों का है और आपके कुछ साथियों का है जो भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए हैं. मध्यप्रदेश की जनता का अमृतकाल शुरू होगा 2024 में जब कांग्रेस पार्टी की सरकार, माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में बनेगी और हम जनहितैषी कार्य करेंगे.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय(जावरा) - माननीय सभापति महोदय, हां यह निश्चित में देश का अमृतकाल है और निश्चित रूप से इस देश के अमृतकाल में, बजट के माध्यम से अमृत वर्षा हो रही है और जो वह अमृत वर्षा हो रही है उस अमृत वर्षा को जो माननीय वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा जी ने अपने बजट के माध्यम से सदन में प्रस्तुत किया मैं उसका समर्थन करता हूं और एक प्रार्थना करना चाहता हूं. आज तो शीतला माता का पर्व है. आज तो शीतलता का पर्व है. आज तो शांति का पर्व है. अरे,शांति के साथ में थोड़ी प्रसन्नता भी व्यक्त करें. शांति के साथ में थोड़ी प्रसन्नता की भी बात करें. प्रदेश में जो हो रहा है. प्रदेश में जो लगातार चल रहा है और दिखाई दे रहा है जनता उसका समर्थन कर रही है. जन समर्थन उसको मिल रहा है. जन समर्थन के साथ-साथ में यह पहली बार नहीं दूसरी बार हो रहा है. पहले कोरोना काल था और माननीय मुख्यमंत्री जी ने, माननीय वित्त मंत्री जी ने, आग्रह किया मध्यप्रदेश के जन-जन से,आग्रह किया मध्यप्रदेश की जनता से, आग्रह किया मध्यप्रदेश के अर्थशास्त्रियों से, आग्रह किया मध्यप्रदेश के प्रबुद्ध जनों से, प्रबुद्ध नागरिकों से, सम्मानित जनों से कि वे हमें सुझाव भेजें कि बजट किस तरह का बनाया जाए. उनके सुझाव हमें मिले ताकि बजट में उनको सम्मिलित किया जा सके. यह पहली बार जनता का, जनता के लिए,जनता के द्वारा, शासन और सुशासन उस व्यवस्था को प्रारंभ करते हुए आज जन सुझाव लिये गये. जनता के सुझाव आमंत्रित किये गये और उन सुझावों के माध्यम से अगर सदन में बजट बनाकर प्रस्तुत किया जाता है. पूर्व वित्त मंत्री महोदय मेरे अच्छे भाई हैं. बड़े बुद्धिमान हैं. निश्चित रूप से विद्वान हैं. वे वित्त मंत्री रहे. उनको निश्चित रूप से अनुभव है. यह आंकड़ों का मायाजाल नहीं है. यह आंकड़ों का मायाजाल प्रस्तुत नहीं किया गया है और यह बार-बार दोहरा रहे थे. मैं तो सभापति महोदय, आपसे उम्मीद कर रहा था कि आप उन शब्दों को विलोपित करेंगे. वे बार-बार कह रहे थे कि यहां फर्जी आंकड़े प्रस्तुत किये जा रहे हैं. वे बार-बार यह कह रहे थे कि फर्जी आंकड़े प्रस्तुत करने के साथःसाथ में आप पात्र नहीं हैं बजट प्रस्तुत करने के लिये. आश्चर्य होता है इस बात का. प्रजातंत्र का इससे बड़ा मखौल और क्या होगा. प्रजातंत्र की मजाक उड़ाई जाती है. फर्जी आंकड़े कहे जाते हैं. फर्जी आँकड़े रखे जाने की बात कही जाती है और उसके साथ-साथ में यह बात भी कही जाती है कि यह रखने के लिए आप पात्र नहीं हैं जो जन आशीर्वाद लेकर, यहां सदन में पहुंचते हैं और जो बहुमत को प्राप्त करने के साथ-साथ शासन को चलाने का काम करते हैं उन्हें कैसे कहा जा सकता है कि आप अपात्र हैं और अगर वे कहते हैं कि आंकड़े फर्जी हैं तो मैं सिर्फ आंकड़ों की बात कहना चाहूंगा क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी के उद्बोधन में लगभग सारी बातें जो आनी चाहिये थीं आ गई हैं. यह वर्ष 2023-24 का बजट पहली बार एक अभिनव नवाचार किया गया. मैं यहां सचिवालय के समस्त अधिकारी,कर्मचारी साथियों का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं. विभागीय अधिकारियों का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं कि उन्होंने ई बजट यहां प्रस्तुत किया और जब ई बजट प्रस्तुत करने की बात हुई थी तब तरह-तरह की बहुत सारी बातें आई थीं. लैपटाप तो सभी लेकर गये. लैपटाप तो सभी ने प्राप्त किया. लेपटॉप तो सबने प्राप्त किया. निश्चित रुप से उस लेपटॉप से अध्यन करने के साथ साथ में हार्ड कॉपी की जरुरत पड़ती है. हार्ड कॉपी की आवश्यकता होती है. लेकिन एक नवाचार प्रारम्भ हुआ कि कैसे हम इस पर्यावरण को बचा सकें, कैसे हम वृक्षों की कटाई को रोक सकें. जब हमारे मुख्यमंत्री जी प्रति दिन एक वृक्ष लगा करके पूरे मध्यप्रदेश में हरियाली लाने का संदेश देते हैं, तो यह मध्यप्रदेश विधान सभा पहली ऐसी विधान सभा है, जो ई बजट लाकर के उस पर्यावरण की क्रांति को आगे बढ़ाने का काम करती है और इसलिये मैं धन्यवाद देना चाहता हूं समस्त अधिकारियों, कर्मचारियों का. इस बजट में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश हमारा कैसे बनें, क्योंकि प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी जी का सपना, संकल्प है कि हमारा देश आत्मनिर्भर बनना चाहिये. जब हमारा देश आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हो रहा है, तो हमारे मध्यप्रदेश की भूमिका कितनी है उसमें. हमारे मध्यप्रदेश की सहभागिता कितनी है उसमें. जब प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी जी कहते हैं कि मैं आज 5 ट्रिलयन डॉलर तक इसकी आर्थिक स्थिति लाना चाहता हूं, तो उसमें हमारा योगदान क्या है. हम अगर योगदान अपना देते हैं और मध्यप्रदेश को इसलिये कहा जाता है, मुख्यमंत्री जी के द्वारा जो प्रयास किये जा रहे हैं, वे निश्चित रुप से सराहनीय हैं. यहां पर मध्यप्रदेश के इस बजट में पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने हेतु कुल बजट का लगभग 20 प्रतिशत का प्रावधान किया गया है और बजट के प्रावधान में आप देखें, कुल विनियोग की राशि 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ एवं कुल शुद्ध व्यय 2 लाख 81 हजार 554 करोड़ का प्रावधान किया गया है. इसमें राजस्व आधिक्य 402.76 करोड़ रुपये का रखा गया है. सकल राज्य घरेलु उत्पाद से राज कोषीय घाटे का 4.02 प्रतिशत अनुमानित किया गया है. अनुमानित राजस्व प्राप्तियां रुपये 2 लाख 25 हजार 710 करोड़ रुपये है, जिसमें राज्य के स्वयं के कर की राशि रुपये 86 हजार 500 करोड़ रुपये की राशि रखी गई है. केंद्रीय करों में प्रदेश का हिस्सा रुपये 80 हजार 184 करोड़ अनुमानित है. कर भिन्न राजस्व प्राप्तियां रुपये 14913 करोड़ तथा केन्द्र सरकार से सहायक अनुदान अंतर्गत प्राप्तियां रु. 44 हजार 113 करोड़ रुपये की राशि सम्मिलित की गई है. यह फर्जी आंकड़ों का बजट नहीं है. यहां पर यह जो सब प्राप्तियां कहां से होना है. आय और व्यय किस प्रकार से किया जाना है. आय और व्यय का संतुलन किस प्रकार से किया जाना है. बार बार कर्ज लेने की बात की जाती रही है. क्या विगत् सरकारों ने कर्ज नहीं लिया. क्या विगत् शासनकाल में कर्ज लेने की स्थिति नहीं रहेगी. यह एक संवैधानिक व्यवस्था है. पूरे देश भर में यह संवैधानिक व्यवस्थाओं के माध्यम से प्रत्येक राज्य सरकारें कर्ज लेकर के भी काम करती हैं. निश्चित रुप से जो अनुमान किया जाता है, उस अनुमान से अधिक व्यय हो जाता है और उस अनुमान से अधिक व्यय होने की स्त्थिति में समय समय पर कर्ज लेने की स्थितियां रहती हैं. जब जब कर्ज लेने की स्थिति आई, तो एक अनुमानित सीमा है. एक निश्चित रुप रेखा है. उससे अधिक कर्ज नहीं लिया जा सकता है. यह प्रसन्नता की बात है कि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार और मैं धन्यवाद देना चाहूंगा वित्त मंत्री जी को कि जब से उन्होंने यहां पर बजट प्रस्तुत करना प्रारम्भ किया है, कभी भी यहां पर कोई घाटे की स्थिति नहीं रही. इसी के साथ साथ में कभी भी ओव्हर ड्राफ्ट होने की स्थिति नहीं आई है. नहीं तो विगत् शासन काल में यह देखा गया था, विगत् वर्ष के शासन काल की अगर हम दृष्टिपात करें, तो उसमें यह पाया गया था कि एक एक वर्ष में कई बार उन्हें ओव्हर ड्राफ्ट की स्थिति में पहुंचना पड़ा था. यह भाजपा की सरकार है, कभी भी पूरे कार्यकाल में ओव्हर ड्राफ्ट होने की स्थिति एक भी बार नहीं आई. कभी भी पूरे वर्ष भर में नहीं आई. किसी भी वित्तीय वर्ष में ओव्हर ड्राफ्ट होने की स्थिति नहीं आई. इसी के साथ कभी भी कोई एक दिन ऐसा नहीं आया, जब सरकार ओव्हर ड्राफ्ट होकर के दिवालिया की स्थिति में पहुंच जाये. विगत् वर्षों के शासन काल को अगर हम देखें तब ओव्हर ड्राफ्ट की स्थिति आ ही गई थी. थोड़ी अपनी कालर में भी देखने की वह आदत रखें. थोड़ा स्वयं की ओर भी देखने की भी आदत रखें. तो निश्चित रुप से यह लगेगा कि सामने वाला पक्ष जिस ढंग से काम कर रहा है. सामने वाला पक्ष जिस परिस्थितियों में काम कर रहा है. यह परिस्थितियां आखिर किस तरह की थीं. कोरोनाकाल में सत्ता का परिवर्तन हुआ. कोरोनाकाल में पूरे देश में लॉक डाउन था. कोरोनाकाल में सरकार का गठना होता है और सरकार का गठन उस कोरोनाकाल में जो सारे काम काज, काम धंधे, रोजगार सारे बंद. बंद पड़ी स्थितियों में बंद लॉक डाउन में अगर सरकार बनती है और वह सरकार काम करना प्रारम्भ करती है. तो निश्चित रुप से यह देखा जाना चाहिये कि आखिरकार सरकार को कितनी चुनौतिपूर्ण स्थिति में काम करना प्रारम्भ हुआ.
सभापति महोदय - डॉक्टर साहब, कितना समय लेंगे?
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - सभापति महोदय, अभी तो मैंने भूमिका ही शुरू की है.
सभापति महोदय - भूमिका तो काफी हो गई है. अब आप जल्दी समाप्त करें. 30 वक्ता हैं, सबको बोलने का मौका मिलना चाहिए.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - सभापति महोदय, मैं सही बात कहता हूं और कभी कभी बोलता हूं. सभापति महोदय, मैं निवेदन यह कर रहा था कि जिस चुनौतीपूर्ण स्थिति में सरकार ने काम करना प्रारंभ किया, उन चुनौतियों को आज देखने की आवश्यकता है, उस चुनौतीपूर्ण स्थिति में कोरोनाकाल को पूरी तरह से नियंत्रित करते हुए, आमजन की त्वरित जितनी व्यवस्था की जा सकती है, वह मदद करने का काम शासन ने किया, प्रशासन ने किया, विभागों ने किया.
सभापति महोदय, उस समय जब स्वास्थ्य पर संकट आया था, उस समय जब आवाजाही पर संकट आया था, उस समय जब बंद पड़ी स्थिति में काम की स्थितियां जो हुई थीं, उन चुनौतीपूर्ण विपरीत स्थितियों में जो सरकार ने काम किया है वह निश्चित रूप से सराहनीय है. आज वे सारी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं उस गंभीरता के कारण, उस चुनौतीपूर्ण स्थिति के कारण पूरे मध्यप्रदेश में सुधरी है, यह स्वीकार किया जा सकता है कि पहले कमजोर रही होगी, यह स्वीकार किया जा सकता है कि पहले कमतर रही होगी, लेकिन जब कोरोनाकाल आया तो सबका ध्यान स्वास्थ्य की ओर गया. जब कोरोनाकाल आया तब ऑक्सीजन की ओर सबका ध्यान आकृष्ट हुआ. जब कोरोनाकाल आया, तब ऐसा महसूस हुआ कि अपने-अपने स्थान की स्वास्थ्य सेवाओं को हम ठीक कर सकें. हर जनप्रतिनिधि ने अपने-अपने स्थानीय क्षेत्र की उन सारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को ठीक करने का प्रयास किया है और इसे भी बजट में माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय वित्त मंत्री जी ने प्राथमिकता दी है. इस तरह से लगातार काम करने का प्रयास किया गया है.
सभापति महोदय, वर्ष 2023-24 में वर्ष 2022-23 के पुनरीक्षित अनुमान की तुलना में पूंजीगत परिव्यय में लगभग 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. इससे यह स्पष्ट होता है कि लगातार सरकार, उन जनकल्याणकारी योजनाओं के साथ-साथ में उन कार्यों के साथ-साथ में, उस दलित, पीड़ित, वंचित को सक्षम बनाने के लिए समृद्धि लाने के लिए, समृद्ध बनाने के लिए, सशक्त बनाने के लिए उस गरीब परिवार में कैसे खुशहाली आ सके, उसकी खुशहाली लाने के लिए उन जनकल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन तो कर ही रही, लेकिन उसके साथ-साथ जहां एक ओर पूरे प्रदेश भर में लाखों किलोमीटर सड़कें बन जाने के बाद में नवीन 30000 कि.मी. से अधिक सड़कें बनाए जाने का अगर प्रावधान किया जाता है तो वह निश्चित रूप से स्वागत योग्य है.
हमारी सिंचाई क्षमता जो साढ़े 7 लाख हैक्टेयर हुआ करती थी, उसे 45 लाख हैक्टेयर पर पहुंचाकर उसे बढ़ाकर 60 लाख हैक्टेयर तक ले जाने का प्रयास किया जाता है और उन सिंचाई परियोजनाओं को सम्मिलित किया जाता है तो वह निश्चित रूप से स्वागतयोग्य है.
सभापति महोदय, जब यह सारे कार्य करना प्रारंभ हुए तो अभी माननीय श्री तरुण भाई कह रहे थे कि यह जो सारा बजट रखा गया है लाड़ली लक्ष्मी बेटी के, बहना योजना बना दी, यह बजट का प्रावधान कहां से होगा? किस तरह से होगा? आप थोड़ा बजट का आंकलन करें और एक विचार करें कि जब योजना प्रारंभ हुई तो वह योजना सिर्फ दिखावे के लिए नहीं थी. आज मध्यप्रदेश में 44 लाख 39 हजार लाड़ली लक्ष्मी बेटी हो जाती है तो वह निश्चित रूप से प्रसन्नता की बात है. उस गरीब परिवार की स्थिति को देखें, उस घर परिवार की बात को देखें, जो बिटिया छठीं से आठवीं में जाती है, आठवीं से दसवीं में जाती है, बारहवीं में जाती है. वह कॉलेज में उच्च अध्ययन के लिए जाएगी और वहां पर उसे लगातार राशि प्राप्त होती है और उसी के साथ-साथ में जब बड़ी होती है, जब उसकी कन्यादान की स्थिति आए, निकाह योजना की बात आए तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने उस योजना में उसको सम्मिलित करते हुए उससे भी आगे बढ़ाने का काम किया है. स्वसहायता समूह के माध्यम से भी लगभग 47 लाख महिलाओं को जोड़ते हुए उन्हें रोजगार मूलक काम से जोड़ने का काम भी अगर किया है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी और वित्त मंत्री माननीय श्री जगदीश देवड़ा जी के नेतृत्व में यह होना प्रारंभ हुआ है. मातृ वंदना योजना के माध्यम से लगभग 33 लाख हितग्राही महिलाएं उससे जुड़ जाती हैं. अगर यही संख्या हम जोड़ लें तो लगभग 1 करोड़ 24 लाख 39 हजार लाड़ली लक्ष्मी बेटी योजना के माध्यम से, महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से, मातृ वंदना योजना के माध्यम से प्रदेश की लगभग साढ़े 8 करोड़ आबादी में से 1 करोड़ 24 लाख 39 हजार महिलाएं, अगर महिला इन सिर्फ तीन योजनाओं के माध्यम से जुड़ जाती है तो आप लाड़ली बहना योजना की कल्पना कीजिये जिसके लिये लगभग 8,000 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है और इस लाड़ली बहना योजना के माध्यम से जब प्रदेश की माताएं-बहनें जुड़ेंगी, उन माताओं-बहनों को इससे जोड़ा जाएगा और उसमें कोई बहुत अधिक उलझन वाली बात नहीं है, उसमें तो सीधे-सीधे टैक्स पेयी नहीं होना चाहिये, परिवार में कोई सरकारी अधिकारी-कर्मचारी नहीं होना चाहिये, 5 एकड़ से अधिक भूमि नहीं होनी चाहिये और वह स्वयं की आय का प्रमाण स्वयं दे सकती है.
सभापति महोदय – चलिये, अब समाप्त करिये. श्री बाला बच्चन जी.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय – सभापति महोदय, उस लाड़ली बहना योजना के माध्यम से भी प्रदेश में इतनी बहनाएं जुड़ेंगी इस बात की कल्पना कीजिये और यही तो आत्मनिर्भर भारत के साथ-साथ आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने की, गढ़ने की बात है और जहां तक बात होती है इसी के साथ-साथ लाड़ली बहना के लिये 8,000 करोड़ रुपये की राशि, प्रसूती सहायता के माध्यम से 400 करोड़ रुपये की राशि, लाड़ली लक्ष्मी योजना में 929 करोड़ रुपये की राशि, कन्या विवाह निकाह योजना में 80 करोड़ रुपये की राशि और विभिन्न सामाजिक योजनाओं में 3,525 करोड़ रुपये की राशि इतनी अधिक राशियां देने के साथ-साथ अनेक कार्य किये गये हैं.
सभापति महोदय – धन्यवाद डॉक्टर साहब, अब आप बैठ जाइये. चलिये समाप्त कीजिये.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय – सभापति महोदय, किसान भाइयों की बात यहां पर सदन में आयी थी, किसान भाइयों पर सिर्फ और सिर्फ विद्युत पर जो सब्सिडी दी जाती है मैं स्वयं अभी..
सभापति महोदय – अब आप एक मिनट में समाप्त करिये. काफी समय हो गया. देखिये 30 वक्ता हैं, अभी 2 ही वक्ता बोले हैं. बहुत सारे वक्ताओं को बोलना है. आप वरिष्ठ सदस्य हैं थोड़ा समय का ध्यान रखें.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय – बस दो मिनट में कर रहा हूं. विद्युत पर जो सब्सिडी दी जाती है आप आश्चर्य करेंगे कभी निर्वाचन क्षेत्र में आप भी जाएं, एक ही गांव में शासन की दो योजनाएं चल रही हैं घरेलू और उसी के साथ में कृषि सिंचाई पम्पों की लिये, वह चाहे 3 हार्सपावर हो, 5 हार्सपावर हो या 10 हार्सपावर हो उस पर जो सब्सिडी दी जा रही है आप आश्चर्य करेंगे कि वर्ष भर में एक-एक गांव में एक-एक, डेढ़-डेढ़, दो-दो करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है और अगर वह प्रतिमाह सब्सिडी निकालेंगे तो आप आश्चर्यचकित रह जाएंगे लगभग 10 से 20 लाख रुपये प्रति व्यक्ति राशि दी जा रही है.
सभापति महोदय – चलिये धन्यवाद, डॉ. साहब, अब आप समाप्त करें. श्री बाला बच्चन जी. सिर्फ बाला बच्चन जी का भाषण रिकार्ड में जाएगा.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय – (XXX)
सभापति महोदय – आपका रिकार्ड में नहीं जाएगा. अब आप बैठ जाइये. बाकी जो देना है आप लिखित में दे दीजिये. अब आप बैठ जाइये.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) – सभापति महोदय, दु:ख के साथ कहना पड़ रहा है वर्ष 2023-24 के आय-वययक पत्रक पर सामान्य चर्चा हो रही है और इससे संबंधित बुकलेट मिला करती थी, पिछली बार भी मैंने इस बात को उठाया था और अभी फिर बोल रहा हूं कि हम कहां से यह आंकड़े जुटाएंगे. जहां से, जो भी हमसे जो आंकड़े जुट पाये वह हमने जुटाए हैं, लेकिन पहले इसकी बुकलेट मिलती थी अब बुकलेट नहीं मिली है. मैंने राज्यपाल जी का अभिभाषण जो लगभग 32 पेज, 55 पैरा का है और जगदीश देवड़ा जी, माननीय वित्त मंत्री का भाषण जो 51 पेज का है और 204 पैरा का है, मैंने दोनों बुकों को पढ़ा है, लेकिन आय-व्ययक पत्र जो होना चाहिये वह नहीं है. यह होना चाहिये जिससे हम लोग और जानकारी जुटा सकें.
सभापति महोदय, मैं वित्तमंत्री जी को कहना और बताना चाहता हूं कि आपने जो बजट पेश किया है इस बजट से मध्यप्रदेश की जनता को गहरी निराशा हाथ लगी है. जिस दिन बजट आया उसी दिन एलपीजी गैस के दाम 50 रुपये बढ़ा दिये और एक तरफ सरकार को बकाया जो लेना है वह आप वसूल नहीं कर पा रहे हैं. जीएसटी की जो प्रतिपूर्ति राशि है वह लगभग हजारों करोड़ रुपये की हमारी रुकी हुई है उस राशि को ले नहीं पा रहे हैं और दूसरी तरफ मध्यप्रदेश की जनता को आप अपने बजट से कुछ राहत नहीं दे पा रहे हैं. मैं आपको बताना चाहता हूं कि कुल विनियोग की जो राशि है वह 3 लाख, 14 हजार, 25 करोड़ रुपये की राशि है लेकिन कर्ज जो आपने मध्यप्रदेश की जनता के ऊपर थोप दिया है वह मैं उजागर करना चाहता हूं कि 31 मार्च, 2023 तक कर्ज जो हो जाएगा मध्यप्रदेश सरकार का, शिवराज सिंह जी का और वित्त मंत्री जी का वह लगभग 3.31 लाख करोड़ का कर्ज हो जायेगा. हरेक व्यक्ति के हिस्से में आपका दिया हुआ जो कर्ज है, वह लगभग 41 हजार रुपये हो जाएगा. अभी आपने सालाना खर्च 12 प्रतिशत जो इस बजट में जोड़ा है, यह पैसा आप कहां से जुटाएंगे, यह धन आप कहां से जुटाएंगे. लगभग 55 हजार करोड़ रुपये होगा और वह 55 हजार करोड़ रुपये भी आप कर्ज लेंगे. जब तक अपनी विधान सभा के चुनाव आएंगे, नवंबर-दिसम्बर तक, तब तक मध्यप्रदेश की सरकार का हमारे ऊपर दिया हुआ जो कर्ज है वह 3.85 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा. यह 7 हजार रुपये प्रति व्यक्ति पर और कर्ज बढ़ जाएगा. इस प्रकार 41 हजार रुपये प्रति व्यक्ति पर जो कर्ज था, वह इस वर्ष के नवंबर-दिसम्बर तक बढ़कर 48 हजार रुपये प्रति व्यक्ति पर कर्ज हो जाएगा.
माननीय सभापति महोदय, इस सरकार पर और इन पर वह कहावत चरितार्थ होती है कि उधार लेकर घी पीना. यह कहावत इन पर पूरी तरह से चरितार्थ होती है. आप लगभग 48 हजार रुपये हर व्यक्ति पर कर्ज थोंपने वाले हैं. ऐसा कभी नहीं हुआ था. ये वर्ष 2003 की सरकार का उदाहरण देते हैं. हमारी 15 महीने की सरकार का उदाहरण माननीय मुख्यमंत्री जी और आप देते हैं, माननीय सभापति महोदय, एक महीने में पांच बार इन्होंने कर्ज लिया है. यह जो फरवरी माह अभी गया है, 14 हजार करोड़ रुपये का कर्ज इस सरकार ने इसी माह में लिया है और ये 14 हजार करोड़ रुपये पांच बार में लिए गए हैं. ऐसा कभी नहीं हुआ था. अब मध्यप्रदेश को आपने कर्ज में डुबा दिया है.
सभापति महोदय, दु:ख के साथ कहना पड़ता है कि मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम, 2005 के पैरा 40 में यह लिखा है कि हमको कर राजस्व विभागों में जो राशि मिलती थी, वह 4,301 करोड़ रुपये है, वह अभी तक आपने पिछले दो साल से वर्ष 2021-22, 2022-23 की अभी तक 4,301 करोड़ रुपये की राशि ली नहीं है. दूसरा, मैं आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी की जानकारी में लाना चाहता हूँ कि यह मेरा प्रश्न था, प्रश्न क्रमांक 243, दिनांक 1.3.2023 का प्रश्न था, मैंने सरकार से यह पूछा था कि जीएसटी की प्रतिपूर्ति राशि जो मध्यप्रदेश का हिस्सा है, वह केन्द्र से कितनी लेनी है, इसमें यह उत्तर आया है कि 4,190 करोड़ रुपये लेनी है. यह आंकड़ा और वह आंकड़ा दोनों मिलाकर लगभग 8,491 करोड़ रुपये हो जाते हैं. यह हमारा लेना बकाया है. अगर हम यह ले लेते तो मध्यप्रदेश की जनता को राहत मिलती. दूसरी बात, आपको पांच-पांच बार एक महीने में कर्ज नहीं लेना पड़ता. माननीय वित्त मंत्री जी और पूरी सरकार इस बात को सुने कि आप ऐसा क्यों करते हैं, मध्यप्रदेश को पूरी तरह से कर्ज में क्यों धकेल रहे हैं, कर्ज में क्यों डुबो रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, बजट भाषण की कण्डिका 192 में राजकोषीय घाटा लगभग 3 साल पहले जो 33 हजार करोड़ रुपये था, वह अभी 47,339 करोड़ रुपये हो गया है. 3 साल में 14 हजार करोड़ रुपये का राजकोषीय घाटा आपने और बढ़ा दिया. आपके ही बजट भाषण की कण्डिका 191 में आपने जो बताया है माननीय वित्त मंत्री जी, मैं, सदन और मध्यप्रदेश की जनता इस बात को जानना चाहती है कि केन्द्रीय करों के हिस्से के रूप में 10,636 करोड़ रुपये अधिक प्राप्त होने का अनुमान है, लेकिन मैंने आंकड़े जुटाए, यह असत्य है, आपने ये आंकड़े कहां से जुटाए हैं. मैंने वार्षिक वित्त विवरण में यह पढ़ा है कि केन्द्रीय सहायता एवं अनुदान में बजट अनुमान से लगभग 800 करोड़ रुपये की कमी आई है. जब हमारी राशि लेना है, उसमें भी कमी आई है तो आपने 10,636 करोड़ रुपये का जो आंकड़ा दिया है, वह आंकड़ा आपने कहां से दिया है, जब आप बोलें तो इस बात को स्पष्ट करें.
माननीय सभापति महोदय, जब वित्त मंत्री जी अपनी बात को रखते हैं, बोलते हैं और उत्तर देते हैं तो संसदीय कार्य मंत्री जी सामने बैठे हैं, यह उनको बोलने नहीं देते. पिछली बार का भी हमें ध्यान है कि इनसे जल्दी वाइंड-अप कराया था और उनको बोलने नहीं दिया था, लेकिन हमारा यह जानने का हक और अधिकार है. दूसरी तरफ आप सरकारी संपत्तियों को जो बेचने का काम कर रहे हैं, आपने वर्ष 2021-22 में 137 करोड़ रुपये, वर्ष 2022-23 में 500 करोड़ रुपये और अभी बजट में जो अनुमान है कि इस साल जो संपत्तियों को बेचेंगे, वह भी लगभग 500 करोड़ रुपये की संपत्तियां बेचेंगे.
माननीय सभापति महोदय, दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि काँग्रेस ने मध्यप्रदेश और देश को सींचा है, उसका नवनिर्माण और विकास किया है, उसको खड़ा किया है और आप उन संस्थाओं को, उन परिसंपत्तियों को, बेचते जा रहे हों. माननीय वित्त मंत्री जी, आपने अभी तक अपने खुद के सोर्स आफ इनकम, सरकार ने क्यों नहीं बनाया है? यह हमारा आपके ऊपर आरोप है, आप और आपकी सरकार यह बजट बनाने में और सरकार चलाने में पूरी तरह से फैल्युअर है. 2003 की बात करते हैं 26 हजार करोड़ कर्ज था और आज लगभग आपका 31 मार्च तक मैंने जो बताया है कि 3.31 लाख करोड़ का कर्ज हो जाएगा, तो माननीय वित्त मंत्री जी, आपने सोर्स आफ इनकम मध्यप्रदेश का और सरकार का क्यों नहीं बनाया है?
सभापति महोदय, शराब व्यवसायियों से कितनी साठगांठ करेंगे. मैं इसका खुलासा करना चाहता हूँ. जहाँ से इनकम जो सरकारी खजाने में जो आना चाहिए, इस सरकार की जो इनकम आना चाहिए, शुल्क आना चाहिए, टैक्स जो आना चाहिए, सभापति महोदय, राज्य उत्पादन शुल्क 0039 के मद क्रमांक 103 में मॉल्ट लीकर से वर्ष 2021-22 में 1 हजार 9 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई थी और यही 2022-23 में 1120 करोड़ रुपये मिलने थे लेकिन वह 1120 करोड़ रुपये के अगेंस्ट मात्र 25 करोड़ रुपये आपने वसूली है. वह राशि आपने क्यों नहीं वसूली? और इस वर्ष के बजट अनुमान में शून्य कर दी. जहाँ 1-1 हजार करोड़ रुपये जो मिलते थे, उसको आपने शून्य कर दिया है. कर्ज लेने का सीधा एक रास्ता और तरीका सरकार को मिल गया है. इस कारण से यह राजस्व कर नहीं वसूल पा रही है. शराब माफियाओं से और निर्माताओं से बड़ी सरकार की और आपकी जो साठगांठ है, यह मेरा आरोप है और आप जब बोलें तो इसका आप हिसाब दें.
सभापति महोदय, बात यहीं समाप्त नहीं होती है. मैं मद क्रमांक बता रहा हूँ. मद संख्या 9724 बीयर न्यूनतम प्रत्याभूति ड्यूटी में विगत वर्ष 1726 करोड़ रुपये की आय हुई थी और यह अब इस वर्ष केवल 1325 करोड़ रुपये हो गई और अब तक भी 401 करोड़ रुपये आपने राशि नहीं वसूली है इसलिए मेरा यह आरोप है कि आप इनके साथ कितनी साठगांठ करेंगे? फिर मद संख्या 9725 विदेशी मदिरा प्रत्याभूति ड्यूटी में 400 करोड़ रुपये अनुमान से कम प्राप्त हुए हैं. यह भी आपके ऊपर आरोप लगता है. मद संख्या 1005, विदेशी मदिरा दुकानों के लायसेन्स की फीस 470 करोड़ रुपये थी. अभी तक 140 करोड़ रुपये अभी भी आपने प्राप्त नहीं किए हैं. सभापति महोदय, बात यहीं समाप्त नहीं होती है वाहनों से संबंधित वाहन कर 0041 के अंतर्गत मद क्रमांक 0873 भारी वाहनों पर त्रैमासिक कर 600 करोड़ रुपये वसूलना था, 600 करोड़ रुपये बनते हैं, उसके अगेंस्ट अभी आपने मात्र 215 करोड़ रुपये ही वसूले हैं. मेरा प्रश्न था उसमें उत्तर आया है प्रश्न क्रमांक 247, 2.3.2023 के अनुसार इन्दौर संभाग में इस मद में 143 करोड़ रुपये की राशि वसूलना शेष है. मेरा कहना और चिन्ता यह है कि एक तरफ तो आप कर्ज ले रहे हों क्या यह जितनी राशि हजारों करोड़ रुपये मैंने जो बताई है क्या हमको इसका रेट आफ इंट्रेस्ट, जिस रेट आफ इंट्रेस्ट पर सरकार कर्ज लेती है, क्या हमको यह राशियां हमारी जो रुकी हुई हैं इस रेट आफ इंट्रेस्ट के साथ में वह राशि हमें मिलेगी? यह मेरा आप से आग्रह है माननीय वित्त मंत्री जी.
सभापति महोदय, वर्ष 2021-22 में लगभग पाँच हजार करोड़ रुपये सीमा शुल्क हमको प्राप्त हुआ था. मेरी कहीं भी बात अगर असत्य हो तो जो सजा आप दो उसको भुगतने के लिए, उसको मानने के लिए, मैं तैयार हूँ. पाँच हजार करोड़ रुपये 2021-22 में हमको सीमा शुल्क मिला था. वही घटकर 2022-23 में दो हजार करोड़ हो गई. तीन हजार करोड़ का हमारा नुकसान हो गया और इस साल जो ये मैं आँकड़े आपको बता रहा हूँ यह मद संख्या 0037 से मैंने लिए हैं. वार्षिक वित्त विवरण से मैंने यह जानकारी ली है. लगभग तीन हजार करोड़ रुपये का और माननीय सभापति महोदय, सेवा कर जिससे वर्ष 2021-22 में 862 करोड़ रुपये हमें राजस्व प्राप्त हुआ था. 2022-23 में वह केवल 32 करोड़ हो गया है और इस वर्ष के बजट अनुमान 2023-24 में केवल 16 करोड़, कहाँ 832 करोड़ और कहाँ 16 करोड़ और कहाँ 5 करोड़ और कहाँ पाँच हजार करोड़ और कहाँ दो हजार करोड़, तो जो टैक्स, जो पैसा, जो राजस्व, कर जो लेना चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, आप ले नहीं पाए सिर्फ उधार लेने का रास्ता चुन लिया है. मध्यप्रदेश की जनता के सरकारी खजाने को चूना लगाने का काम आप और आपकी सरकार कर रही है. इसी तरह वस्तुओं और सेवाओं पर अन्य कर तथा शुल्कों के तहत वर्ष 2021-2022 में 125 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था. वर्ष 2022-2023 में पुनरीक्षित अनुमान में केवल 2 करोड़ रुपए हो गया है. कहां 125 करोड़ रुपए और कहां 2 करोड़ रुपए. माननीय वित्त मंत्री जी आप बजट बनाते हैं या बनकर आता है उसको ढंग से पढ़ते भी हो, उसको देखते भी हो, उसको समझते भी हो. जितना मैं आपको बता रहा हूँ यह सारे दस्तावेज जो बजट से संबंधित दस्तावेज हैं उनसे मैंने यह आंकड़े लिए हैं.
सभापति महोदय, एक तरफ राज्यपाल महोदय अपने अभिभाषण में ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट वर्ष 2023 से प्रदेश में 15 लाख करोड़ रुपए का निवेश आएगा यह कहते हैं. मैं इसको स्पष्ट करना चाहता हूँ 15 लाख करोड़ रुपए के इनवेस्टमेंट की आप जो बात करते हैं. वहीं दूसरी तरफ इनका फेल्योर बताना चाहता हूँ वही औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग की मद संख्या 2123 जिसमें निवेश प्रोत्साहन योजना का बजट घट रहा है. वर्ष 2021-2022 में 1587 करोड़ रुपए था. वर्ष 2022-2023 में 1426 करोड़ रुपए हो गया है. 2023-2024 में 1250 करोड़ रुपए हो गया. इस तरह से वर्ष 2021-2022 से लेकर अभी तक 337 करोड़ रुपए का आपका बजट कम हो गया है. आपको अपने ही दावों पर विश्वास नहीं है तो किस तरह से यहां पर निवेश आएगा. बड़े-बड़े उद्योगों को लाने के लिए आप जो लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करते हैं यह भी वित्त मंत्री जी आपका फेल्योर है. जनजाति कार्य विभाग के लिए परिसम्पत्तियों के लिए मद संख्या 9545 के तहत विभागीय परिसम्पत्तियों के संधारण के लिए 203 करोड़ रुपए खर्च करते हैं लेकिन वहीं मद संख्या 9604 में आदिवासी युवाओं के रोजगार के लिए 60 करोड़ रुपए खर्च करते हैं. परिसम्पत्तियों के संधारण के लिए 203 करोड़ रुपए और युवाओं को रोजगार के लिए मात्र 60 करोड़ रुपए. वहीं सभापति महोदय, आवास सहायता पर एसटी के जो स्टूडेंट्स होते हैं आवास सहायता पर विगत वर्ष 307 करोड़ रुपए खर्च हुए थे लेकिन इस बार उसको 200 करोड़ रुपए कर दिया गया है. विविध विकास से संबंधित अनुच्छेद 275 के तहत पिछले वर्ष में 311 करोड़ रुपए आपने व्यय किए थे. इस बार इसके लिए मात्र 150 करोड़ रुपए ही कर दिए हैं. ऐसे ही एससी के छात्रों के लिए भी 49 करोड़ रुपए परिसम्पत्तियों के संधारण के लिए, लेकिन उनको रोजगार देने से संबंधित केवल 40 करोड़ रुपए. ऐसे ही 177 करोड़ रुपए एससी के स्टूडेंट्स की आवास सहायता के लिए थे उसको इस साल 103 करोड़ रुपए कर दिया गया है. विविध विकास के कार्यों के लिए भी पिछली बार 61 करोड़ रुपए थे और अब 30 करोड़ रुपए कर दिए गए हैं. हर जगह एससी एसटी से संबंधित बजट को या जिन वर्गों के लिए या जिन क्षेत्रों के लिए आपने जो प्रोवीजन किया था वहां पर वह खर्च नहीं हो रहा है.
सभापति महोदय, स्कूल शिक्षा विभाग के अतिथि शिक्षकों के मानदेय के लिए विगत वर्ष 350 करोड़ रुपए आपने व्यय किए थे. इस साल केवल 66 करोड़ रुपए का प्रोवीजन है. यह सरकार जहां फेल हो रही है उसका मैंने मय दस्तावेज के मेरे पास जो रिकार्ड है वह आपके सामने रखा है. कई मदों में इस सरकार ने बजट को कम कर दिया है. ऐसे ही युवाओं को रोजगार देने के लिए अनुदान दिया जाता था वह अनुदान भी बंद कर दिया गया है. कमलनाथ जी की सरकार ने मध्यप्रदेश में जो उद्योग आएंगे उसमें 70 प्रतिशत मध्यप्रदेश के युवाओं को लगाने का निश्चित किया था उसको भी इस सरकार ने बंद कर दिया है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- माननीय सभापति महोदय, मेरा पाइंट ऑफ ऑर्डर है. मेरा व्यवस्था का प्रश्न है, संसदीय कार्य मंत्री भी बैठे हैं.
सभापति महोदय -- पाइंट ऑफ ऑर्डर में रुल क्या है. कौन से नियम के अन्दर पाइंट ऑफ ऑर्डर है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- व्यवस्था का प्रश्न है. व्यवस्था का प्रश्न उठा रही हूँ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- सभापति महोदय, यह नहीं बता पाएंगी. इनको मालूम नहीं है कि आप बैठो हो. अगर यह बता दें तो इनको मान जाएंगे. आसंदी ने जो सवाल पूछा है उस सवाल का जवाब दे दो तो मान जाएंगे. मैं वहीं आकर आपके पैर छूऊंगा.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय सभापति महोदय, मैं पेशे से डॉक्टर हूं न. आप चीर फाड़ करो तो मैं मान जाऊं. आप सर्जरी करो तो मैं मान जाऊं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- कर दूंगा आप बता दो.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ--राजनीतिक सर्जरी नहीं. डॉक्टर वाली सर्जरी.
4.15 बजे ( सभापति महोदय {सुश्री हिना लिखीराम कावरे} पीठासीन हुई.)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ--माननीय सभापति महोदया, बजट चालू हो गया. चर्चा चालू हो गई. शासकीय प्रतिवेदन इस पर भी आ गया. जहां तक मेरी जानकारी है सिर्फ एक ही विभाग का रखा है. अगर शासकीय प्रतिवेदन नहीं आया तो सम्मानित सदस्य किस बात की चर्चा करेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--सभापति जी अभी आम बजट पर चर्चा चल रही है. विभागों के प्रतिवेदन विभाग की चर्चा पर.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- यह कार्यसूची में आ गया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मैं मान रहा हूं कि यह कार्यसूची में आ गया है. मैं सिर्फ इतना कह रहा था कि आज आम बजट पर चर्चा है. जब विभागों की चर्चा होगी तब तक यह सभी प्रतिवेदन पहुंच जाएंगे.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- सभापति महोदया, यह जो आज की कार्यसूची है इसमें विभागवार यह छपा है और अगर विभागवार छपा है तो प्रशासकीय प्रतिवेदन इसके पहले आना चाहिए.
सभापति महोदया-- प्रशासकीय प्रतिवेदन आ चुके हैं और यदि कोई नहीं भी आया होगा और कोई स्पेशल आपको जानकारी में होगा तो आप बता दीजिए वह भी पहुंचा दिया जाएगा. जहां तक मेरी जानकारी में है प्रतिवेदन आ चुके हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह-- सभापति महोदया, केवल महिला बाल विकास के अलावा कोई भी प्रतिवेदन नहीं आए आपको अधिकारियों द्वारा असत्य जानकार दी गई है. आप अभी दिखवा लो.
सभापति महोदया-- सामान्य बजट पर चर्चा चल ही रही है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--सभापति महोदया, चर्चा के पहले आ जाएंगे.
सभापति महोदया--आ जाएगा. आपने ध्यान केन्द्रित करवाया है. जो नहीं पहुंचा है वह पहुंच जाएगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- सभापति महोदया, मैं आपसे इतना सा निवेदन कर रहा हूं कि जो आज की कार्यसूची में छपे हैं जैसा कि मेरी बहन ने उल्लेख किया है वह सारे वर्तमान समय में भी टेबिल पर हैं. वह चाहें तो यहां से ले सकती हैं और वहां भी पहुंचे हैं. वह यहां से ले लें, वहां से ले लें. उनके पास पहुंच गया है. यह सारे छपे हुए रखे हैं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय सभापति महोदया, हम वहीं से आ रहे हैं सम्मानित सदस्य भी आ रहे हैं. हमारा अधिकार है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- बहन मैं आपके अधिकार को चुनौती नहीं दे रहा हूं. मैं निवेदन कर रहा हूं कि यहां रखे हैं ले लो. मैं आपको वहां आकर दे देता हूं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ--सारे विधायक बोल रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- वे सारे ले लें और वहां भी पहुंच गए हैं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय संसदीय कार्यमंत्री महोदय यह नियम, प्रक्रिया, कायदे, कानून की बात है. हर सदस्य का अपना-अपना खाना है. यह सिर्फ मेरी अकेले की विडम्बना नहीं है यह सभी सम्मानित सदस्य बोल रहे हैं कि हमको बोलना है तो हम किस आधार पर बोलें. यह सभी की बात है.
श्री बाला बच्चन -- सभापति महोदया, कर्जमाफी का इस सरकार ने बजट में कोई उल्लेख नहीं किया है, कोई प्रोवीजन नहीं किया है. कमलनाथ जी की सरकार ने, हम लोगों की सरकार ने लगभग मध्यप्रदेश में 27 लाख किसानों के साढ़े ग्यारह हजार करोड़ रुपए कर्ज माफ किए थे, लेकिन इस सरकार ने कोई कर्ज माफी का प्रोवीजन बजट में नहीं रखा है. बात यहीं पर समाप्त नहीं होती है पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के जो बड़े हुए दामों ने पूरे प्रदेश की जनता को संकट में डाल दिया है और जिस दिन बजट आया उसी दिन पचास रुपए बढ़ा है जो कि मैंने शुरुआत में बोला है. मैं आपके माध्यम से सरकार से यह भी आग्रह करना चाहता हूं कि अभी जो ओलावृष्टि प्रदेश में हुई है और आंधी और तूफान से किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है. मैं स्वयं राजपुर विधान सभा क्षेत्र के बड़वानी जिले के कई गावों में घूमा था, कई खेतों में गया था हमारे यहां रबी के समय में भी मक्का की फसल बोयी जाती है और मक्का का नुकसान हुआ है, गेहूं का नुकसान हुआ है, सब्जियों का नुकसान हुआ है तो तत्काल सर्वे कराकर उनको मुआवजा दिया जाए. यह भी मेरा सरकार से, माननीय वित्त मंत्री जी से और संसदीय कार्य मंत्री जी से आग्रह है. माननीय सभापति जी मेरा यह भी आग्रह है कि जिस तरह से निमाड़ में कपास खूब होता है. लगभग दस हजार रुपए प्रति क्विंटल पर उसकी खरीदी होना चाहिए. गेहूं भी लगभग तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल पर खरीदी होना चाहिए. ऐसे ही जो मक्का और चना है और जिन किसानों की फसलों का समर्थन मूल्य नहीं है उनका भी समर्थन मूल्य तय हो जाना चाहिए और सब्जियों का भी समर्थन मूल्य तय हो जाना चाहिए. जिससे खेती को हम लाभ का धंधा बनाना चाहते हैं, नहीं तो खेती लाभ का धंधा नहीं बन पायेगी और खेती से लोगों का मोहभंग हो जायेगा.
सभापति महोदया, अंत में मैं, कहना चाहता हूं कि अभी मुख्यमंत्री जी ने पेसा एक्ट की बात की थी, मेरा यह आरोप है और मैं उस वर्ग से भी आता हूं, ट्राइबल एरिया से मैं आता हूं, मेरा आरोप है कि केंद्र सरकार ने जिस तरह से पेसा एक्ट लागू किया था लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार ने उसे पूरा तोड़-मरोड़कर, उसके हाथ-पैर पूरी तरह से बांध दिए हैं जो अधिकार हमें पेसा एक्ट में मिलने चाहिए थे, अनुसूचित जाति, जनजाति क्षेत्र के जो लोग हैं, 20-21 जिलों के जो लोग हैं, प्रदेश की अन्य जगहों पर जो लोग हैं, पेसा एक्ट का जो लाभ उन्हें मिलना चाहिए, उसे भाजपा की सरकार ने पूरी तरह से तहस-नहस और समाप्त कर दिया है. कहने की बात यह है कि पेसा एक्अ को जस का तस लागू करना चाहिए था.
सभापति महोदया, पुलिस कमिश्नर प्रणाली की जो बात करते थे. कल ही गृहमंत्री जी का जो जवाब आया है, सबकी आंखें खुल गई हैं कि अपराधों की संख्या और बढ़ गई है. चाहे वह महिलाओं के विरूद्ध हो, लूट हो, डकैतियां हों, हत्या हो, हत्या के प्रयास हों, उसमें और बढ़ोत्तरी हुई है. नेता प्रतिपक्ष जी ने जो बात पुलिस कमिश्नर प्रणाली पर कही थी, उसमें मेरा भी मानना है कि आप उसमें कसावट करें, मध्यप्रदेश की जनता के हितों की रक्षा करें, उनकी हिफाज़त करें.
सभापति महोदया, मेरा निवेदन है कि बजट जिन क्षेत्रों में, जिन व्यक्तियों के लिए, जिसने लिए बनाया गया है, वहां खर्च हो, मैंने यह देखा है कि हमारे क्षेत्र में, बजट केवल किताबों में, आंकड़ों के माया-जाल के रूप में होता है. आंकड़ों की बाज़ीगरी होती है लेकिन दूरदराज़ का जो क्षेत्र है, ट्राइबल का क्षेत्र है, वहां उन वर्गों पर, उन क्षेत्रों में बजट खर्च नहीं होता है. इसलिए कृपया आप बजट को वहां खर्च करें. दूसरा जितना मैंने आपके संज्ञान में, जो बिंदु, जो विषय मध्यप्रदेश की जनता के लिए दिए हैं, अन्यथा आप तो यदि कोई विधायक यहां अपनी बात रखता है तो आप धीरे-धीरे लोकतंत्र, संविधान और बनी-बनाई संस्थाओं की तो आप हत्यायें करने लगे हैं लेकिन जो विधायक हैं, यदि वे इस सदन में अपनी कोई बात करते हैं मध्यप्रदेश की जनता की बात करते हैं, अपने-अपने विधान सभा क्षेत्र की कोई बात अधिकारपूर्वक करते हैं तो आप उनको निलंबित भी करने लग गये हैं. माननीय वित्त मंत्री जी, जब आप बोलें, आपने जो बजट बनाया है और आंकड़ों का जो मायाजाल रचा है, मैंने स्पष्ट रूप से आपको दस्तावेज सहित, मद सहित आपको बताया है और सदन के विधायक जो भी बात उठाते हैं, उनके प्रश्नों सहित, मैंने यहां उल्लेख किया है तो जब आप बोलें तो हमारी इस बात को स्पष्ट करें और मध्यप्रदेश की जनता को लगे कि उनके साथ न्याय हो रहा है, हम उनके साथ अन्याय नहीं होने देंगे और प्रदेश की जनता के लिए हम हमेशा लड़ेंगे, उनकी बात को रखेंगे, आपने मुझे बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)- सभापति महोदया, माननीय वित्त मंत्री जी ने 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया है. मैं, कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं पर अपनी बात कहना चाहता हूं. 25 जून, 2015 को हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री आवास शहरी और प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण योजना प्रारंभ की. इसमें नगरीय क्षेत्र में मकान बनाने के लिए 2 लाख 50 हजार रुपये का प्रावधान और ग्रामीण क्षेत्र हेतु 1 लाख 35 हजार रुपये रखे गए थे. मध्यप्रदेश में अभी तक हमारी सरकार के द्वारा 47 लाख 55 हजार मकान स्वीकृत किये गए हैं और उसमें से 39 लाख मकान बनाकर उनका उद्घाटन और लोकार्पण मध्यप्रदेश की भिन्न-भिन्न तहसीलों में किया गया है.
सभापति महोदया, इन आवासों को ग्रामीण क्षेत्रों में बनाने के लिए मैं, माननीय वित्त मंत्री जी को इस सदन में धन्यवाद देना चाहता हूं कि उनके द्वारा दलित, शोषित, पीडि़त, वंचित वर्गों के मकान बनाने के लिए इस बार बजट में 8 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके लिए उन्हें पुन: धन्यवाद है ताकि गरीबों का मकान मध्यप्रदेश में बन सके.
सभापति महोदया, राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के तहत 3 हजार 5 सौ करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है.
सभापति महोदया, श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना बनाई गई थी. उसके कारण मध्यप्रदेश के साथ-साथ देश के प्रत्येक गांव में हमें पक्की सड़कें मिलीं. इन्हें बनाने के लिए 1 हजार 8 सौ 26 करोड़ रुपये का प्रावधान वित्त मंत्री जी ने किया है, इसके लिए भी उन्हें धन्यवाद है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों के उन्नयन के लिए, नवीन सड़कें बनाने के लिए पुन: इस बजट में 8 सौ 1 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
सभापति महोदया, यह मैं जो प्रधान मंत्री आवास की बात कर रहा हूं, इसमें 60 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार की होती है और 40 प्रतिशत राशि सरकार की होती है. कमलनाथ जी की 15 माह की सरकार में 40 प्रतिशत का राज्यांश जमा नहीं करने के कारण 3 लाख मकान मध्य प्रदेश में गरीबों के लेप्स हो गये थे. उस समय गरीबों के मकान नहीं बनने दिये. आपके द्वारा 40 प्रतिशत राशि नहीं दी गयी, यह रिकार्ड में है] आप उठा कर देख लीजिये.
माननीय सभापति महोदया, मुझे 15 अगस्त, 2019 को माननीय प्रधान मंत्री जी के द्वारा जन जीवन मिशन..
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव:- सभापति जी, माननीय मुख्य मंत्री ढाई लाख कह रहे थे, अब तीन लाख कर रहे हैं और कोई माननीय सदस्य खड़ा होगा तो चार लाख कह देगा. कुछ भी आंकड़ें दे रहे हैं.
सभापति महोदया:- आप बैठ जाइये.
श्री मनोज चावला:- माननीय सभापति महोदया, आप जो ग्रामीण क्षेत्र में 1 लाख, 35 हजार रूपये दे रहे हैं उसमें मकान नहीं बनता है. ग्रामीण क्षेत्र में भी आप ढाई लाख रूपये करिये. आप वित्त मंत्री जी से यह भी बात माननीय करें. ढाई लाख रूपये में शहरों के लिये योजना लागू है तो गांवों में भी ढाई लाख रूपये मिलें.
श्री बहादुर सिंह चौहान:- माननीय विधायक जी, मैं जनपद सदस्य रहा हूं उस समय इंदिरा आवास में 20 हजार रूपये आते थे. 20 हजार रूपये में मकान बनता है क्या ?
सभापति महोदया:- कृपया आप लोग बैठ जायें, आपस में बात न करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान:- हम लोग शहरी क्षेत्रों में आवास बनाने के लिये 2 लाख, 50 हजार रूपये दे रहे हैं.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ:- उस समय महंगाई क्या थी और आज सब्जियों के क्या भाव हो गये हैं, उस समय गेहूं क्या भाव था और आज क्या भाव है, उस समय तेल क्या भाव था, आज क्या भाव है. इसको भी तो देखो, इतना गुणगान ठीक नहीं है.
श्री मनोज चावला:- उस समय डीजल और पेट्रोल का क्या भाव था, यह भी देख लो. सीमेंट का उस समय क्या भाव था और अभी सीमेंट का क्या भाव है.
श्री बहादुर सिंह चौहान:- आप तो हमारे पड़ोस के हैं, आप तो बैठ जाइये. माननीय सभापति महोदया, जल जीवन मिशन योजना में 50 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार की और 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार की है. यह जल जीवन मिशन योजना यह कहती है कि वर्ष 2024 तक हिन्दुस्तान के प्रत्येक गांव को शुद्ध पीने का पानी मिले इसमें गारण्टी दी गयी है, इस योजना की यह गारण्टी है और मध्य प्रदेश के अन्दर 58 हजार,800 करोड़ की योजनाएं अभी तक स्वीकृत की गयी है. इसके तहत 56 लाख 70 हजार परिवारों को शुद्ध पीने का पानी मध्यप्रदेश में उपलब्ध हो चुका है और आप जानते हो कि 23 योजनाएं जल निगम के द्वारा मंजूर हैं. 338 करोड़ की योजना मेरी महिदपुर विधान सभा में 244 गांवों को सतह से योजना बनाकर उसका कार्य प्रारंभ हो गया है. हम जानते हैं कि बोर से आधारित योजना जब बनती है तो जब बोर में पानी समाप्त हो जाता है तो पूरी योजना बंद हो जाती है. इसलिये नदी से तालाब से जो योजनाएं बनायी जाती हैं, वह लंबे समय तक चलती है. इस नेशपल रूलर ड्रिकिंग वाटर के लिये माननीय जगदीश जी देवड़ा जी ने 7 हजार, 232 करोड़ का प्रावधान ग्रामीण अंचल में पीने का शुद्ध पानी मिले इसके लिये मैं वित्त मंत्री जी को इस सदन में धन्यवाद देता हूं कि गरीब भी गांव में शुद्ध पानी पी सके और समूह जल के लिये जल निगम के द्वारा 400 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.
माननीय सभापति महोदया, देश की आजादी के 70-75 वर्षों में, 50 से 55 वर्ष तक कांग्रेस ने राज किया और 2003 तक मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा 7 लाख, 68 हजार हेक्टेयर पर था और आज माननीय सभापति महोदया 45 लाख हेक्टेयर पर सिंचाई हो रही है. कहां 55 वर्ष और कहां 20 वर्ष, दोनों में कितना अंतर है. केन-बेतवा राष्ट्रीय लिंक परियोजना 44 हजार, 600 करोड़ की लागत से बुन्देलखण्ड बूंद-बूंद पानी के लिये तरसता है, वहां के लिये इतनी बड़ी परियोजना 44 हजार,600 करोड़ की बनायी गयी. इसके लिये मध्य प्रदेश में 8 लाख, 11 हजार हेक्टेयर पर सिंचाई होगी. इसमें मध्य प्रदेश के 10 जिले हैं. हमारा पन्ना, दमोह, छतरपुर, निवाड़ी, सागर,रायसेन, विदिशा और दतिया आदि 10 जिलों में इससे सिंचाई के लिये पानी मिलेगा. हमारे खटीक जी यहां पर बैठे हैं.
इस योजना का लाभ उत्तर प्रदेश के चार जिले झांसी, ललितपुर, बांधा को केन बेतवा लिंक परियोजना मध्यप्रदेश की पहली योजना है जिसका कार्य प्रारंभ हो गया है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि हमने भिन्न भिन्न योजनाएं जैसे 10 लाख हैक्टेयर से ऊपर है उसको वृहद परियोजना बोलते हैं. 2 लाख हैक्टेयर से ऊपर की योजना को मध्यम परियोजना बोलते हैं और 2 के नीचे लघु परियोजना इस प्रकार 475 परियोजनाओं का कार्य मध्यप्रदेश में चल रहा है. इन 475 योजनाओं के पूर्ण होने से 28 लाख हैक्टेयर की सिंचाई मध्यप्रदेश में हो जायेगी. 2025 तक मध्यप्रदेश में 65 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई मध्यप्रदेश की सरकार करेगी इसलिये माननीय देवड़ा जी ने जल संसाधन के लिये बजट का प्रावधान किया है इसके लिये उनको बधाई देना चाहता हूं. कर्जा लिया क्या कर्जा लेकर देवड़ा जी ने कोई जमीन खरीद ली है क्या ? देवड़ा जी एक बार नहीं प्रदेश के लिये 10 बार मध्यप्रदेश के विकास के लिये कर्ज लेंगे. कर्ज नियम के तहत लिया जा रहा है. आप जानते हैं कि नर्मदा न्यायाधिकरण के तहत हमारे मध्यप्रदेश में 18.25 एमएम पानी आवंटित किया गया है इस सम्पूर्ण पानी का दोहन करने के उपरांत मध्यप्रदेश में 24 लाख हैक्टेयर सिंचाई का रकबा और बढ़ जायेगा. हम कह सकते हैं कि देश में सिंचाई के क्षेत्र में मध्यप्रदेश सबसे आगे रहने वाला है. इसके लिये केन बेतवा से 41 लाख आबादी के लिये शुद्ध पीने का पानी मिलेगा. केन बेतवा राष्ट्रीय लिंक परियोजना से 103 मेगावाट जल द्वारा बिजली बनायी जायेगी. 27 मेगावाट सोलर बिजली इस योजना के तहत बनेगी.
सभापति महोदया--बहादुर सिंह जी यह बजट पर सामान्य चर्चा है पर एक पर न बोलकर के सारे बजट पर चर्चा करें. जब विभाग की चर्चा होगी तो आप उस पर बोलियेगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान--सभापति महोदया प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि 80 लाख किसानों को मिल रही है, मैं कृषि का मध्यप्रदेश में चेयरमेन हूं. इसी तर्ज पर हिन्दुस्तान के जितने भी राज्य हैं उसमें एकमात्र राज्य मध्यप्रदेश है जहां पर मुख्यमंत्री कल्याण योजना प्रारंभ की गई है उसमें 4 हजार रूपये का प्रावधान किया गया है. इसमें केन्द्र के 6 हजार राज्य के 4 हजार इसमें 10 हजार रूपये 2 किश्तों में 2-2 हजार और 2-2 हजार रूपये तीन किश्तों में 10 हजार रूपये का फर्क सक्षम व्यक्ति पर नहीं पड़ता है. लेकिन मैं ग्रामीण किसान होने के नाते जानता हूं कि एक बीघा, दो बीघा जो सब्जी का काम करता है, अथवा ठेला चलाता है उसमें एक बीगे में सब्जी का उत्पादन करता है वह 10 हजार रूपये में उन्नत किस्म का बीज-खाद-दवाई लेकर के आता है अपने घर का पालन-पोषण दोनों योजनाओं से करता है.
श्री प्रियव्रत सिंह--सभापति जी गेहूं का समर्थन मूल्य बढ़ाने के लिये काम किया है.
श्री बहादुर सिंह चौहान--सभापति महोदया समर्थन मूल्य 2125 रूपये कर दिया है.
डॉ. योगेश पंडाग्रे--3 हजार रूपये क्विंटल कर दो आपको भी इसमें फायदा होगा.
सभापति महोदया--आप लोग आपस में बात ना करें. कृपया बैठ जाईये.
श्री बहादुर सिंह चौहान--सभापति महोदया मुख्यमंत्री सम्मान निधि के तहत 3230 करोड़ रूपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है. ताकि चार रूपये तथा छः हजार रूपये उन गरीबों को मिल सके. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना उसके तहत 2001 करोड़ रूपये का प्रावधान इसके तहत किया गया है. मुख्यमंत्री फसल उपार्जन के तहत 1 हजार करोड़ का प्रावधान माननीय देवड़ा जी ने किया है.
माननीय सभापति महोदय, हाउसिंग फॉर ऑल हेतु 2800 करोड़ का प्रावधान इस बजट में माननीय वित्तमंत्री जी ने किया है, माननीय मुख्यमंत्री जी को भारतीय जनता पार्टी की सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं. 15 वीं वित्त आयोग की अनुशंसा पर एक हजार 93 करोड़ का प्रावधान इस बजट में वित्त मंत्री जी द्वारा किया गया है. मेट्रो रेल के लिए 710 करोड़ रुपए का प्रावधान इसमें किया गया है
4:36 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए}
अध्यक्ष जी, आप सभी जानते हैं कि जितनी भी नगर पालिका, नगर पंचायत, नगर निगम है उनके लिए एक योजना चलाई गई है कायाकल्प अभियान, इस कायाकल्प अभियान के तहत वे सड़कें जो, जर्जर हो गई हैं, पुरानी हो गई हैं, उसके मेंटेनेंस के 750 करोड़ रुपए का प्रावधान इस बजट में किया गया है, माननीय जगदीश देवड़ा जी को मैं बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना, इस योजना के आने से बहुत लोग परेशान है, इसमें कोई किन्तु परन्तु नहीं है, शपथ पत्र में कोई महिला कह देगी मेरी ढाई लाख से कम आय है, तो उसका फार्म पास हो जाएगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम 10 जून से पूरी योजना को पूर्ण करके मध्यप्रदेश में लाडली बहना के खाते में स्थानांतरित कर देंगे. 12 महीने में 12 हजार रुपए की आय उन गरीब महिलाओं को हो जाएगी. मुख्यमंत्री लाडली लक्ष्मी योजना के तहत 44 लाख 39 हजार, इसमें जो है 929 करोड़ का प्रावधान इस लाडली लक्ष्मी योजना के लिए माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा किया गया है. आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के अतिरिक्त मानदेय हेतु 870 करोड़ रुपए का प्रावधान इस बजट में किया गया है, उन बहनों की ओर से मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद और बधाई देना चाहता हूं. प्रधानमंत्री वाजपेयी योजना 459 करोड़ का प्रावधान माननीय वित्त मंत्री जी ने किया है मैं उन्हें बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं.
श्री मुरली मोरवाल (बड़नगर) - खेलने के ग्राउंड नहीं है हमारे बड़नगर में 15 दिनों तक हड़ताल चली है.
श्री बहादुर सिंह चौहान - आपने सब अतिक्रमण कर रखा है (XXX)
श्री मुरली मोरवाल - खेल ग्राउंड होना चाहिए.
श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब नीरज मंडलोई जी वर्ष 2003 से 2008 तक कलेक्टर उज्जैन थे, उन्होंने प्राथमिक शालाओं के लिए, माध्यमिक शालाओं के लिए ग्राउंड आरक्षित है, नक्शा उठाकर देख लेना, अतिक्रमण हटाना आपका काम है, लेकिन प्राथमिक शालाओं के लिए, माध्यमिक शालाओं के लिए ग्राउंड आरक्षित है. मैं उस बैठक में था ये हर जिले के लिए तय है, लेकिन अतिक्रमण हुआ तो उसको छुड़ाना हमारा काम है.
श्री मुरली मोरवाल - अतिक्रमण हुआ नहीं है, जो स्कूल बन रहा है उसके अंदर ग्राउंड होना चाहिए, खेल के मैदान होने चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - जब आपका नंबर आएगा तब बोलना.
श्री बहादुर सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, इसके लिए 3230 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. 15 किलोमीटर रेडियस में शासकीय बसों के द्वारा बच्चों को स्कूल तक लाना ले जाना ये बहुत ही महत्वपूर्ण योजन, एक कैम्पस रहेगा, वहां पर शिक्षा का बड़ा अच्छा माहौल वहां पर बनेगा, ये बहुत ही सफल योजना हमारे मुख्यमंत्री जी के द्वारा लाई गई है और ये प्रत्येक विधान सभा में खोले जा रहे हैं, किसी स्थान पर तीन किसी स्थान पर दो. आने वाले समय में भी हर स्थान पर इससे निश्चित रूप से माननीय अध्यक्ष महोदय शिक्षा का स्तर सीएम राइज स्कूलों के कारण जरुर सुधरेगा, हमारे शिक्षामंत्री इन्दर सिंह जी बैठे हैं, इनको मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी 23 तारीख को मेरे यहां आए थे, दो स्कूलों की और उन्होंने घोषणा कर दी है, तो दो स्कूल वहां पर और जरुर होंगे, जब आपकी मांग पर चर्चा आएगी तो आपके सामने मैं अपनी मांग जरुर रखूंगा.
अध्यक्ष महोदय - आप समाप्त कीजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, मैं 2 मिनट में कम्प्लीट कर दॅूगा. माननीय मंत्री श्री कमल पटेल चले गए हैं. भू राजस्व संहिता 6(4) में हमने आमूलचूल परिवर्तन किया है. सन् 2003 के पहले, बिजली गिरने से, पानी में डूबने से, सर्प काटने से कोई व्यक्ति की मृत्यु हो जाये तो आप 50,000 रुपये देते थे. अब 4 लाख रुपये कर दिए हैं, उसको 4 लाख रुपये मिलते हैं. पशु हानि होने से 4,125 रुपये मिलते थे, अब 16,000 रुपये से 30,000 रुपये का प्रावधान किया गया है. मकान की क्षति होने से 2,000 रुपये से 12,000 रुपये मिलते थे, अभी 1 लाख 2 हजार रुपये मिलते हैं, का प्रावधान आरबीसी 6(4) में हमारे द्वारा किया गया है. फसल शक्ति पर इल्ली के प्रकोप से, ओलावृष्टि से, अतिवृष्टि से, शीतलहर से एक हेक्टेयर में यदि फसल खराब हो जाती थी, तो पहले प्रावधान आपके समय में 1,000 से 2,000 रुपये था, अब 5,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति हेक्टेयर हम क्षतिपूर्ति की राशि देते हैं. माननीय जगदीश देवड़ा जी को मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपका जो बजट है, वह सर्वहितैषी है, गरीबों के लिए, शोषितों के लिए, पीडि़तों के लिए, किसानों के लिए, सब वर्गों के लिए आपने बहुत ही महत्वपूर्ण बजट प्रस्तुत किया है. एक बार पुन: मैं आपको बधाई देते हुए, अपनी बात को विराम देता हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद. भारत माता की जय.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि हमारे पूर्व वित्त मंत्री श्री तरुण भनोत जी ने राजकोषीय घाटे के बारे में काफी विस्तार से यहां पर बात रखी है, इसलिए मैं यही कहूँगी कि जो बजट यहां मध्यप्रदेश में प्रस्तुत हुआ है. इस बजट को तो हम जीएसडीपी को बढ़ाकर ही संभाल सकते हैं और जीएसडीपी यानि विकास दर. लेकिन विकास दर को बढ़ाने के लिए भाषणों और कागजों पर तो इसको बढ़ाया नहीं जा सकता है, इसको तो जमीन पर ही बढ़ाना पड़ेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे अच्छे से याद है कि हमारे माननीय मुख्यमंत्री ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि मध्यप्रदेश की ग्रोथ रेट पूरे भारत में सबसे ज्यादा है, उन्होंने आंकड़ा भी बताया 19.7 प्रतिशत. चूँकि मैं कॉमर्स की स्टूडेंट रही हूँ तो मुझे बहुत खुशी हुई कि चलो यह तो बहुत अच्छी बात है कि मध्यप्रदेश की विकास दर की यह स्थिति है. लेकिन थोड़े दिनों के बाद केन्द्र सरकार का जो वित्त मंत्रालय है, उसके सांख्यिकी विभाग ने राज्यों की विकास दर जब प्रस्तुत की तो उसमें मध्यप्रदेश तो नम्बर वन पर नहीं था, नम्बर वन पर आन्ध्रप्रदेश था. जिसकी विकास दर 11.43 प्रतिशत थी. 19.7 प्रतिशत तो कहां गया, पता नहीं. 11.43 प्रतिशत आन्ध्रप्रदेश की विकास दर थी. मध्यप्रदेश तो टॉप फाइव में था ही नहीं, सातवें नम्बर पर मध्यप्रदेश का स्थान था. न केवल मध्यप्रदेश बल्कि भारतीय जनता पार्टी के शासित जितने राज्य हैं, वह टॉप फाइव में थे ही नहीं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह बात इसलिए कह रही हूँ कि क्योंकि बजट का जो आपने यहां पर दिया है. आपने 413 करोड़ रुपये का राजस्व आधिक्य बताया है. कोई टैक्स बढ़ाया नहीं, नया टैक्स लगाया नहीं, तो हम यह मान लें कि आपका जो राजस्व है, वह जब पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ेंगे तो अपने आप वैसे ही बढ़ जाना है. हम मध्यप्रदेश के निवासी यह मानकर ही रहें कि पेट्रोल और डीजल के रेट आगामी समय में बढ़ने ही वाले हैं. क्योंकि आपका और कोई रास्ता तो दिखता नहीं है कि आय बढ़े, राजस्व बढ़े. मुझे लगता है कि ऐसे ही कोई कारण होंगे और इसके बाद लाड़ली बहना योजना, बहुत बढ़-चढ़कर इस योजना का जिक्र हो रहा है. यह योजना बहुत अच्छी है, नो डाउट कि मैं भी इसकी तारीफ करूँगी. लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, 8,000 करोड़ रुपये का प्रावधान आपने इसमें किया है. आप इसमें प्रतिमाह 1,000 रुपये देने वाले हैं. महिला बाल विकास विभाग की तरफ से एक पत्र जारी हुआ था जिसमें लगभग 1 करोड़ महिलाओं को इसमें पात्र बताया गया है और यदि उस हिसाब से भी हम आंकलन करें तो लगभग 1 हजार करोड़ रूपये प्रतिमाह हमको लगेंगे और अगर ऐसे देखा जाये तो 12 हजार करोड़ रूपये हमको इस योजना में लगेंगे. आपने 8 हजार करोड़ रूपये का प्रॉवीजन किया है, चलो मैं दो महीने मान लूं, शायद जून से देने वाले हैं, अप्रैल और मई यदि हम नहीं भी दे रहे हैं तो 10 हजार करोड़ रूपये का तो इसमें प्रॉवीजन होना ही चाहिये था तो 2 हजार करोड़ रूपये इसमें कम हैं, आप जब अपना भाषण दें तो मैं चाहती हूं कि इस बात का आप जरूर जिक्र करें और इस योजना में चूंकि यह सामान्य बजट पर चर्चा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी अनुमति से इस मेटर पर थोड़ा कुछ बोलना चाहती हूं क्योंकि अभी यह योजना बहुत चर्चा में है, क्योंकि आपको बता दूं कि इस योजना में जो नियम बनाये गये हैं, जिस महिला को पात्र किया गया है उसमें यह नियम है कि एक तो महिला विवाहित होना चाहिये और आपके आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार प्रति व्यक्ति आय जो 1 लाख 40 हजार प्रति व्यक्ति आय है यदि महिला विवाहित हुई तो परिवार में 2 सदस्य हुये तो 2 सदस्य की आय हम मान लें और बच्चों को तो छोड़ ही दें, दो की भी आय अगर हम मानें तो आपकी आय हो जाती है 2 लाख 80 हजार, इसमें आय की सीमा ही है कि ढाई लाख से अधिक होना नहीं तो ऐसे में तो आपकी योजना शुरू से ही खटाई में दिख रही है, आपने तो लागू करने के पहले ही काटने का नियम बना लिया है तो यह बहुत अजीब सी विडम्बना है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें एक जिक्र और मैं करना चाहूंगी कि 5 एकड़ तक के किसान का जिक्र हुआ है कि 5 एकड़ से ज्यादा भूमि नहीं होना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर आप देखें तो 5 एकड़ का किसान हो, चाहे 10 एकड़ का किसान हो, चाहे 15 एकड़ का किसान हो इनका जो लिविंग स्टेंडर्ड है वह लगभग एक जैसा है, आपने देना किसको है यह तो बता दिया, लेकिन नहीं देना किसको है इसको आपने प्वाइंट आउट नहीं किया है तो हम चाहेंगे कि इस योजना में, अच्छी योजना है तो इस योजना में जिसको अपात्र करना है जो इसमें पात्र नहीं है उसके लिये अलग से आप जरूर डिक्लेरेशन करिये नहीं तो ऐसा न हो कि 6 महीने बाद जब सरकार आपकी आती है तो आप या हमारी आती है तो हमारी कहीं ऐसा न हो कि इस योजना के बाद जब अपात्र का काम शुरू हो तो नाम काटने पड़ जायें, इसलिये आप इसको और स्पष्ट करिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तरफ आप बताईये कि हमारे यहां बीपीएल कार्डधारी परिवार हैं, लगभग वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर पूरे मध्यप्रदेश में 33 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवार हैं, यह वर्ष 2011 का आकड़ा है और मुझे लगता है कि यहां जितने भी विधायक बैठे हैं हर दिन हरेक विधायक कहीं न कहीं से एक नया गरीबी रेखा का कार्ड बनाने के लिये अपना लेटर हेड देता ही है. आज अगर हम आंकलन करें तो यह गरीबी रेखा वाला जो परिवार है इनकी संख्या मध्यप्रदेश में कितनी बढ़ गई है. यह दो अजीब सी विडंबनायें हैं एक तरफ है प्रति व्यक्ति आय जो कि 1 लाख 40 हजार रूपये है और एक तरफ वह गरीब परिवार जो 10 हजार रूपये के आंकड़े से भी नीचे रहते हैं. यह जो मध्यप्रदेश की परिस्थिति है, आर्थिक रूप से अगर हम देखें क्योंकि जब हम इसको देखते हैं तो लगता है कि कितनी विडम्बना है. अमीर और अमीर होता जा रहा है, गरीबों की संख्या और बढ़ती जा रही है, गरीब और गरीब होता जा रहा है, मुझे समझ में नहीं आता कि इसका मैं आंकलन कैसे करूं, खुश होऊं, दुखी होऊं कि मैं क्या बोलूं मुझे समझ में नहीं आता, क्योंकि एक तरफ तो प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है, आपके बजट भाषण में भी है, आर्थिक सर्वेक्षण में भी है तो प्रति व्यक्ति आय बढ़ भी रही है और हमारी गरीबों की संख्या भी बढ़ रही है तो यह कैसा आर्थिक समीकरण है मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है, माननीय मंत्री जी समझा सकते होंगे और माननीय अध्यक्ष महोदय, इस बजट भाषण में 105 ओव्हरब्रिज का जिक्र किया गया था. मुझे अच्छे से याद है कि 105 ओव्हरब्रिज वर्ष 2021-22 के बजट में सामने आया था और मैंने उस समय भी कहा था चूंकि उस समय मध्यप्रदेश में नगर पालिका, नगर निगम के चुनाव होना था, मुख्यमंत्री जी सामने बैठे थे मैंने कहा था कि आपने केवल सामने चुनाव होने वाले हैं इसलिये आप 105 ओव्हरब्रिज आप अपने बजट में लेकर आ गये. वर्ष 2021-22 के बजट भाषण में 105 ओव्हरब्रिज थे और अभी के भी बजट भाषण में इसका जिक्र किया कि यह प्रस्तावित है. बजट तो एक साल के लिये बनता है अगर आप यह बोलते.आपने तो महामहिम राज्यपाल से भी यह बात बुलवा दी कि 105 ओवर ब्रिज प्रस्तावित हैं. यदि आप यह कहते कि 105 ओवरब्रिज हमने कम्पलीट कर लिये या निर्माणाधीन हैं तो भी हम मान लेते. यह कैसा बजट भाषण है. आप तो असत्य कह ही रहे हैं राज्यपाल से भी आपने असत्य कहलवा दिया. मैं ज्यादा दूर नहीं जाती. मैं चूंकि धान के इलाके की हूं तो एक उदाहरण बता दूं कि हमारे यहां एक कहावत है कि जब चावल बनता है तो एक दाना पकड़कर देखते हैं और पता चल जाता है कि चावल पक गया है कि नहीं पूरे चावल को नहीं देखना पड़ता. जब बालाघाट जिले में दो ओवरब्रिज स्वीकृत हुए थे आज तक उनका कोई अतापता नहीं है तो बाकियों का तो मैं क्या ही कहूं. गोपाल भार्गव जी का मुझे पता है कि वह मंत्री हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा - पिछले बजट में हमारे इटारसी के सोनासांवरी का प्रस्तावित हुआ था और अब उसका काम प्रारंभ हो गया है.आपके यहां नहीं हुआ होगा परंतु बहुत जगह प्रारंभ हो गये हैं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - आपको बधाई. कम से कम प्रारंभ हो गये उनकी भी जानकारी दे देते और नहीं हुए उनकी भी दे देते. मैं तो अपने जिले का ही बता रही हूं कि दो-दो ओवरब्रिज स्वीकृत हैं लेकिन उनका अभी तक अतापता नहीं है.बहुत से फ्लेक्स लगे थे. यह तो चुनावी साल है आने वाले दिनों में इन सब चीजों का हिसाब तो होगा. जहां बनेंगे उनको बधाई. जो बन रहे हैं उनको बधाई लेकिन जो नहीं बने उनके लिये क्या. कम से कम ऐसे तो आप शो बाजी न करें. फसल बीमा योजना. मुझे जब से मैं विधायक बनी हूं तब से किसी चीज से आपत्ति हो रही है तो इस प्रधानमंत्री फसल योजना से. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने इस बजट में इसके लिये दो हजार करोड़ का प्रावधान किया है. हम किसानों से भी प्रीमियम ले रहे हैं और राज्य सरकार भी दे रही है और जितना राज्य सरकार प्रीमियम देती है उतना ही केन्द्र सरकार भी देती है और हम यह सब बीमा कंपनियों को पैसा दे रहे हैं. हम जितना दे रहे हैं उससे 50 परसेंट से भी बहुत कम 1 या 2 परसेंट मुआवजे के रूप में वह राशि ले पाते हैं क्योंकि आज ही मेरा प्रश्न लगा था उसका उत्तर जब मैंने देखा तो मैं तो हक्काबक्का रह गई कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से मुझे परेशानी है तो क्या गलत है. इस योजना को तो आपको बंद कर देना चाहिये. समझते आप भी हैं समझते सब हैं फिर आपत्ति किस बात की. क्यों हम बीमा कंपनियों को फायदा दे रहे हैं इस योजना के माध्यम से.(डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ द्वारा अपने आसन से बैठे-बैठे कुछ कहने पर) अब तो बुआ जी, अँदर की बात है. वह मैं क्या कहूं. मैं तो जो सामने दिख रहा है उसकी बात करती हूं कि ऐसी बीमा कंपनियों को फायदा देने से अच्छा है कि हम इतना पैसा किसानों को सीधा-सीधा दे दें.
श्री तुलसीराम सिलावट - विजयलक्ष्मी साधौ जी बुआ जी हो गईं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - बिल्कुल वह मेरी बुआ जी हैं. मेरे पिताजी जब पहली बार विधायक बने थे तब आप पहले से ही विधायक थीं तो मेरे लिये तो बहुत सीनियर हैं. हमारी पूजनीय भी हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी का आज भाषण चल रहा था. मैं बाहर लाईब्रेरी में बैठे-बैठे सुन रही थी. जब पंचायत के चुनाव हो रहे थे. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की जब घोषणा हुई और मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मध्यप्रदेश में जहां भी निर्विरोध रूप से यदि सरपंच चुने जाते हैं. यदि सरपंच महिला बनती है तो हम उस ग्राम पंचायत को 15 लाख रुपये देंगे. यदि पुरुष चुनकर जाते हैं तो साढ़े सात लाख रुपये हम उस ग्राम पंचायत को देंगे. पूरे बजट की किताब में तो कहीं नहीं है कि ऐसा कोई प्रावधान आपने उसके लिये किया हो और अलग से कोई व्यवस्था की हो तो आप जरूर बताएं क्योंकि यह आपने उस समय कहा था और अभी तक वह ग्राम पंचायत जिन्होंने निर्विरोध रूप से चुनाव करवा लिया. वह रास्ता ही देख रही है कि कब पैसा आयेगा. 15 लाख महिलाओं को और महिलाओं की तो बात ही है. तो अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि आपने जो बोला है उसे पूरा तो करें क्योंकि अब नहीं करेंगे तो कब करेंगे. दृष्टिपत्र की तो बात मैं करूं ही नहीं तो ज्यादा अच्छा है क्योंकि इधर बुरा लग जायेगा क्योंकि जितनी स्टडी कांग्रेस के वचन पत्र की हमारे विपक्ष के नेताओं को है तो उतनी खुद के दृष्टिपत्र की नहीं है अगर होती तो निश्चित रूप से जब मैंने पिछली बार मैंने कहा था कि अंतिम बजट जो 2023-24 का आने वाला है. आपके दृष्टिपत्र में है कि जिन बच्चियों को 75 प्रतिशत या उससे ज्यादा अंक आएंगे उनको आप स्कूटी देंगे. आपने इसमें प्रोवीजन किया कि जो बच्चियां बारहवीं में प्रथम आएँगी उनको आप ई स्कूटी देंगे. कालेज ही तो जायेंगी, कालेज जाने के लिये ही तो स्कूटी दे रहे हैं आप. आपने कहा था कि 75 प्रतिशत या उससे ज्यादा आयेंगे, तो हम सबको देंगे. अब आप पीछे क्यों हट रहे हैं. अब आपने प्रथम का एक उसमें जोड़ दिया है कि जो फर्स्ट आयेंगी, उसको देंगे. अरे, जो 75 प्रतिशत ला रही है उनको दो. उनसे ज्यादा नम्बर ला रहे हैं उनको दो. मैं एक की बात नहीं कर रही हूं, मैं तो हजारों की बात कर रही हूं, क्योंकि हमारी बच्चियां पढ़ने में बहुत आगे हैं और मैं जिस जिले से आती हूं, वहां पर तो वैसे भी लिंगानुपात में लड़कों के ऊपर लड़कियां ही भारी हैं. तो हमारे यहां का ही आंकड़ा निकाल कर बता देंगे हम आपको. प्रधानमंत्री आवास की बात मैं यहां कहना चाहूंगी. भाजपा की सरकार का कोई भी शासकीय कार्यक्रम हो, उसकी शोभा कह लो या भीड़ कह लो, यह कौन बढ़ाता है, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी सहायिका. लेकिन जब प्रधानमंत्री आवास की बात आती है, तो इन दोनों को यह सुविधा नहीं मिलती. रोजगार सहायक, जिसकी सेलरी 9 हजार रुपये है. उसको यह सुविधा है कि वह प्रधानमंत्री आवास की सुविधा ले सकता है. लेकिन 5 हजार रुपये लेने वाली आंगनवाड़ी सहायिका उसको यह सुविधा नहीं है. 10 हजार रुपये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को मिलते हैं, उसको प्रधानमंत्री आवास की सुविधा नहीं है. तो ऐसी विपरीत परिस्थितियां क्यों हैं. इसको खत्म करना चाहिये. मैं वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं और अगर सीएम साहब यह भाषण सुन रहे हैं, तो निश्चित रुप से इसको खत्म करने की जरुरत है. मैं दृष्टिप त्र को लेकर आगे बढ़ रही थी. प्रति सिलेण्डर 100 रुपये सब्सिडी देने की बात आपके दृष्टिप त्र में थी. क्या आपके इस बजट में मुझे कहीं तो दिखाई नहीं दिया सब्सिडी गैस सिलेण्डर के लिये आप देने वाले हैं. एक हजार रुपये दे रहे हैं, वह तो अलग बात है. लेकिन जो आपने सिलेण्डर पर सब्सिडी कहा था, वह आप कब करेंगे. यह तो जब से इनकी सरकार बनी है, वर्ष 2020-21 का बजट आया, 2021-22, 2022-23 का, मैं हर बजट में देखती थी कि कहीं न कहीं तो आपका प्रॉविजन होगा आपके दृष्टि पत्र का, पर कहीं नहीं है. जितनी मेहनत आप लोगों ने कांग्रेस के वचन पत्र को पढ़ने में लगाया, बोलने में लगाया, उतनी मेहनत यदि सीतासरन शर्मा जी मुस्करा रहे हैं. मैं आसंदी पर थी, जब आप बोल रहे थे. तो बैठे बैठे मेरे मन में यह विचार आया कि कितनी मेहनत आपने जो है वह 1998 के कांग्रेस के समय के अभिभाषण की चर्चा की. बजट की चर्चा की. इतनी मेहनत आप करते हैं डॉ. साहब, हमने तो आप ही से सीखा है, यहां आपको बैठे देखा है. आप यदि इतनी मेहनत करके उधर बता देते, तो शायद उद्धार हो जाता मध्यप्रदेश की जनता का. इतनी अपेक्षा तो हम आपसे करते हैं, क्योंकि आप बहुत सीनियर हैं, हम आपकी बहुत इज्जत करते हैं. अभी यहां पर ओव्हर ड्राफ्ट की बात आई थी. पाण्डेय जी कह रहे थे कि कांग्रेस के समय में बहुत ओव्हर ड्राफ्ट होता था. हमारी सरकार में कभी ओव्हर ड्राफ्ट नहीं होता. होगा कहां से. जैसे ही बजट का एंडिंग का समय आता है. सब सर्वर डाउन. जहां से पेमेंट होना है, सारे सर्वर डाउन. कहां से पेमेंट निकलेगा. कहां से आप ओव्हर ड्राफ्ट के शिकार होंगे. महीने, दो दो महीने सर्वर डाउन है. लोग जा जाकर के परेशान होते रहते हैं. कहां से ओव्हर ड्राफ्ट आयेगा. अभी तो यह शुरुआत है. शुरुआत में इसलिये कह रही हूं, क्योंकि नया साल आ गया, अब चुनाव में आपको और हमको सबको जाना है. ऐसी बहुत सारी चीजें, बातें आज यहां पर हुईं. जिस तरीके से मधयप्रदेश में गतिविधियां चल रही हैं. मैं मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि अभी भी आपके पास समय है. जितनी बातें विपक्ष के लोगों ने कही हैं. आप उनकी सब बातों को ध्यान से सुनें और अभी समय है हम अपेक्षा करते हैं, क्योंकि आप बहुत सीनियर हैं, इन सब बातों को नोट भी करें और उनका इम्प्लीमेंटेशन भी करें. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) - अध्यक्ष महोदय, हमारे मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी, उनकी मंशा के अनुरूप प्रदेश के हमारे अनुसूचित जाति वर्ग के वित्तमंत्री जी है, उन्होंने जो बजट प्रस्तुत किया है, उसका हम समर्थन करते हैं और उनको बहुत बहुत धन्यवाद देते हैं. उन्होंने मध्यप्रदेश की धरती पर अभी तक के इतिहास का सबसे बड़ा बजट प्रस्तुत किया है.
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2022-23 में जो हमारा बजट था, उसमें 2 लाख 79 हजार 237 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था. इस साल यह बजट बढ़ाकर 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया गया है. इस बजट में देखा जाय तो यह किसानों के कल्याण का बजट है. गरीबों, मजदूरों, माता, बहनों, बेटियों के सम्मान का बजट है. युवाओं, बच्चों, बुजुर्गों और पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं समाज के कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए यह बजट प्रस्तुत हुआ है. सबसे पहले तो इसलिए हम धन्यवाद देना चाहते हैं कि इस बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया है. इसके साथ साथ कई हमारे सम्माननीय विपक्ष के साथी यह बोल रहे थे कि यह बजट कर्जा लेकर बनाया गया बजट है. जब भी सरकारें आती हैं, एक सीमित दायरा रहता है हमें इतना कर्जा लेना है तो हमारी सरकार ने जो कर्जा लिया, वह भी एक सीमित कर्जा लिया है. जो हमारी पात्रता थी, उसके अनुरूप कर्जा लिया. कर्जा लिया तो कर्जा वह लेते हैं, लोन उसी को मिलता है, जिसके पास स्वयं की पूंजी होती है. हमारी सरकार के पास इतनी पूंजी है और हमें कर्जा मिला है. हमारा वित्तीय प्रबंधन देश में सबसे अच्छा है जो हमें कर्जा मिला है. हम आपको बताना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के माध्यम से 8000 करोड़ रुपये का बजट में जो प्रावधान किया गया है. मध्यम वर्ग की हमारी माताएं, बहनें, गरीब वर्ग की माताओं बहनों के सम्मान के लिए एक बहुत अनूठी योजना लाड़ली बहना योजना बनाई गई है. हम सोचते थे, अभी हमारी बहन हिना कावरे जी बोल रही थी, वह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी को धन्यवाद देंगी कि इतिहास में पहली बार माताओं, बहनों के सम्मान को जगाने के लिए एक बहुत अच्छी योजना हमारे मध्यप्रदेश की धरती पर आई है लाड़ली बहना योजना. हम सोचते थे कि आप धन्यवाद देंगी, लेकिन आपने कोई धन्यवाद नहीं दिया. बल्कि आपने यह कहा कि 8000 करोड़ रुपये का बजट बहुत कम बजट है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - अध्यक्ष महोदय, खटीक जी ने शायद सुना नहीं, मैंने आपको बधाई दी, धन्यवाद दिया.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने धन्यवाद दिया है.
श्री हरिशंकर खटीक - आपको धन्यवाद. आपने बोला कि 8000 करोड़ रुपये का बजट है. एक निश्चित समय सीमा है. मध्यप्रदेश की धरती पर एक निश्चित समय सीमा तय कर दी गई है कि 10 जून को मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी वन क्लिक के माध्यम से मध्यप्रदेश की लगभग 1 करोड़ से अधिक माताओं, बहनों के सम्मान में उनके खातों में एक-एक हजार रुपये डालेंगे. यह आपको धन्यवाद देना चाहिए और पूरे मध्यप्रदेश में आपको भी बताना चाहिए कि अनूठा इतिहास में सरकार ने यह फैसला किया है.
अध्यक्ष महोदय, हमारी बेटियों के सम्मान के लिए भी इस बार लाड़ली लक्ष्मी योजना के माध्यम से 929 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया गया है. हमारे मध्यप्रदेश की पहली बेटी या दूसरी बेटी, उस बेटी के सम्मान के लिए लाड़ली लक्ष्मी योजना हमारे मध्यप्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री जी ने बनाई है. उसके माध्यम से हमारी 44 लाख बेटियां आज मध्यप्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी बन गई हैं, लेकिन आज उससे बड़ी खुशी की बात यह है कि हमारे यहां पर लाड़ली लक्ष्मी योजना में जो बेटियां पढ़ने जाएंगी, इंजीनियरिंग, मेडीकल कॉलेज में पढ़ने के लिए जाएंगी, उसमें बेटियों की फीस मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी, बेटियों के मामा भरने जा रहे हैं, इसका भी आप लोगों को अभिनंदन करना चाहिए, इसका भी आपको स्वागत करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, एक चीज और आपके बीच में बताना चाहते हैं मुख्यमंत्री कौशल अप्रेंटिसशिप योजना जो मध्यप्रदेश में चल रही है, उसमें 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. स्कील डेवलपमेंट सेंटर के माध्यम से इस योजना में सीखो और पैसा पाओ. मध्यप्रदेश के लगभग 1 लाख लोगों को इससे रोजगार भी मिलेगा और उनको पैसा मिलने का काम भी होगा. दूसरा, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी जो इस बार से योजना चला रहे हैं मुख्यमंत्री बालिका स्कूटी योजना, मुख्यमंत्री बालिका स्कूटी योजना में हम आपको बता दें, अप्रैल 2023 में जो वार्षिक परीक्षा परिणाम आएगा, जो बेटियां हायर सेकण्ड्री स्कूल में हैं, उन स्कूलों से निकलने वाली बेटी जो उस विद्यालय में हायर सेकण्ड्री स्कूल में पहले नम्बर पर आएगी, उस बेटी को सम्मान के तौर पर स्कूटी देने का प्रावधान इसमें किया गया है. उस बेटी को एक सम्मान के तौर पर स्कूटी देने का प्रावधान इसमें किया गया है. इसके साथ-साथ ..
श्री बापूसिंह तंवर -- साइकिल तो दे न सके स्कूटी की बात कर रहे हैं. साइकिलें नहीं दीं स्कूटी मिलेगी. तीन साल से ड्रेस गायब है.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- साइकिलें आ गई हैं मिल जाएंगी. साइकिलें मिल जाएंगी. साइकिलें मैं बांटकर आया हूं.
श्री बापूसिंह तंवर -- नहीं आई हैं भैया. अभी तक नहीं मिली हैं. तीन साल से साइकिलें गायब हैं. छठवीं क्लास में प्रवेश लेकर नौवीं में पास होकर बिटिया चली गईं.
5.06 बजे {सभापति महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं}
श्री हरिशंकर खटीक – सभापति महोदया, किसानों की बात आई. आपने कहा था हम किसानों को 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ कर देंगे, मध्यप्रदेश का कोई भी किसान यह नहीं कह सकता कि इन्होंने एक भी किसान का 2 लाख रुपये तक का कर्जा माफ किया है. इस तरह की घोषणाएं कांग्रेस के लोग करते हैं. यह असत्य वातावरण निर्मित करते हैं. इन्होंने किसी का 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ नहीं किया और हमारी सरकार ने इस बार 53,964 करोड़ रुपये का प्रावधान किसानों के कल्याण के लिये किया है. पिछली सरकार में इन्होंने जो वचन पत्र दिया था वह थोथा और घोषणाओं से भरा हुआ वचन पत्र था जिसके आधार पर इन्होंने सरकार बनाई थी और 15 महीने इन्होंने सरकार चलाई.
सभापति महोदया, जो इन्होंने कहा था कि हमने इनका कर्ज माफ कर दिया वह कर्जा भी माफ नहीं कर पाये और मध्यप्रदेश के हजारों लोगों को इन्होंने डिफाल्टर बनाने का काम किया. अब हमारी सरकार 2,500 करोड़ रुपये का प्रावधान करने जा रही है कि जो डिफाल्टर हुये किसान हैं उनको हम नॉन डिफाल्टर बनाएंगे और सोसायटियों के माध्यम से उनको खाद और बीज समय पर लोन के माध्यम से देने का काम करेंगे. ऐतिहासिक फैसला हमारी सरकार ने किया है. पहले किसानों को वर्ष 2003 के पहले 18 परसेंट ब्याज दर पर कर्जा मिलता था, लेकिन हमारी सरकार ने उस ब्याज दर को घटाकर 18 परसेंट से 14 किया, 14 से घटाकर, 10 किया, 10 से घटाकर 6 किया, 6 से घटाकर 4 किया और 4 से घटाकर 2 किया और फिर 1 परसेंट किया. हिन्दुस्तान में मध्यप्रदेश की धरती पर हमारे ऐसे किसान हैं जिनको जीरो परसेंट ब्याज दर पर कर्जा देने का काम अगर कोई सरकार कर रही है तो मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है. ऐतिहासिक फैसला सरकार ने किया और जो उस पर ब्याज लगता है वह भी सरकार जब जीरो परसेंट ब्याज दर पर किसानों को कर्जा दिया जाता है तो उसका जो ब्याज है वह सरकार भरने का काम भी कर रही है. सरकार ने ऐतिहासिक फैसला आप लोगों के बीच में किया है.
सभापति महोदया, अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये बात बार-बार आती थी वर्षों से क्योंकि लगातार 2-3 बार से मैं भी विधान सभा में एक सदस्य के रूप में आपके बीच में आ रहा हूं, हम देखते थे अनुसूचित जाति वर्ग के लोग बोलते थे, हमारे हीरालाल अलावा जी भी पेपरों के माध्यम से पढ़ते थे, हमारे अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोग जो हमारे विधायक हैं वह बोलते थे कि मध्यप्रदेश की धरती पर पेसा कानून आना चाहिये, जिसमें जल, जंगल, जमीन और उनको ग्राम पंचायत का अधिकार हमारे आदिवासी समुदाय के बीच में होना चाहिये. कांग्रेस के मित्रों को खुशी होनी चाहिये, हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी का अभिनंदन करना चाहिये कि वह मध्यप्रदेश की धरती पर पेसा कानून लाये और हम सौभाग्यशाली हैं कि 14 नवम्बर को पेसा कानून पूरे मध्यप्रदेश में लागू हो गया. इससे अनुसूचित जनजाति वर्ग का सम्मान बढ़ा है. जनजाति कल्याण के लिये 36,950 करोड़ रुपये का प्रावधान अनुसूचित जनजाति वर्ग की अन्य योजनाओं के माध्यम से किया गया है.
सभापति महोदया, दूसरा, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के लिये भी इस बार 26,087 करोड़ रुपये का प्रावधान जो पिछले वर्ष से 37 प्रतिशत से अधिक किया गया है, यह हमारे लिये सम्मान की बात है. एक चीज और मैं बता दूं जिस वर्ग के कल्याण के लिये किसी सरकार ने कभी चिंता नहीं की, वर्ष 2008 से वर्ष 2013 के बीच जब हम मध्यप्रदेश की विधान सभा में, मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में थे तब उस समय एक नया विभाग बनाया गया था, उस विभाग का नाम था विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्द्ध घुमक्कड़ जाति का विभाग. उस जाति-समुदाय के लोगों को यह पता नहीं था कि यह विमुक्त जाति के लोग किस समाज के हैं. अर्द्ध घुमक्कड़ लोगों को यह पता नहीं था कि वह किस समुदाय के हैं, घुमक्कड़ लोगों को पता नहीं था कि वह किस समुदाय के हैं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने मध्यप्रदेश की धरती पर विमुक्त घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़ जाति का विभाग बनाया और विभाग ही नहीं बनाया बल्कि उसकी योजनाएं भी बनाईं कि जहां वह निवास करते हैं वहां छात्रावास होना चाहिये, जहां वह निवास करते हैं उनके लिये सीमेण्ट कांक्रीट का रोड होना चाहिये. उस समुदाय को पहली बार इतना बजट देने का प्रावधान किया गया है. 1,481 करोड़ का बजट इसमें दिया गया है. पहली बार यह मध्यप्रदेश की विधान सभा में बजट आया है. हम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को और वित्त मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहते हैं.
सभापति महोदया, संबल योजना के माध्यम से अभी जो बात आई हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने अभी आपके बीच में बात रखी कि जब इनकी 15 महीने की सरकार आई तो इन्होंने संबल योजना को बंद कर दिया था. यह मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जिसने चिंता की कि मॉं की कोख में पलने वाला चाहे वह बेटा हो, चाहे बेटी हो अगर वह 4 महीने का है तो सरकार ने उस मॉं को 4,000 रुपये देने का प्रावधान किया है. जब वह बच्चा बाहर आता है, चाहे वह बेटा हो या बेटी हो. नौ महीने के बाद, तो उस समय 12 हजार रुपये देने का प्रावधान है, जिससे मां गरीब है तो वह कम से कम अच्छे लड्डू बनाकर और पौष्टिक आहार की चीजें लेकर ग्रहण कर सकें. बच्चा और वह मां हष्ट-पुष्ट रह सकें. संबल योजना में इसके बाद उसके इलाज की चिंता की गई. इसके बाद सरकार ने चिंता की उस बच्चे की पढ़ाई-लिखाई की और पेट के अंदर से लगाकर के अगर कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है और 60 साल के पहले अगर कोई व्यक्ति बीमार होकर खत्म हो जाता है तो सरकार ने उसके अंत्येष्टि की सहायता के लिए भी चिंता की कि हम 5 हजार रुपये देंगे और अंत्येष्टि की सहायता के बाद अनुग्रह राशि की भी सरकार ने चिंता की. सामान्य मृत्यु पर 2 लाख रुपये देने का प्रावधान अगर किसी सरकार ने किया है तो वह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. इसके बाद और हम आपको बता दें कि अगर कोई व्यक्ति पेड़ से गिरकर खत्म हो जाता है, सड़क दुर्घटना में खत्म हो जाता है, जहरीले जीव-जंतु के काटने से खत्म हो जाता है, सांप-बिच्छू के काटने से खत्म हो जाता है तो माननीय सभापति महोदया, 5 हजार रुपये अंत्येष्टि सहायता तो मिलती ही है, लेकिन इसके साथ-साथ 4 लाख रुपये अनुग्रह सहायता राशि देने का प्रावधान किसी सरकार ने किया है तो वह भारतीय जनता पार्टी की सरकार और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया है.
माननीय सभापति महोदया, इन्होंने संबल योजना को बंद कर दिया था. यह बिल्कुल सही बात है. हमने देखा है कि आप नया सवेरा, भोर सवेरा योजना लेकर आ रहे थे, लेकिन आपका भोर हो गया है. यादव जी, हमारे संदीप जी बहुत विद्वान सदस्य बैठे हैं. भोर हो गया आपका, लेकिन वह संबल योजना पुन: वापिस नहीं ला पाए. मध्यप्रदेश में पुन: भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और गरीब माताओं-बहनों के उद्धार के लिए यह योजना बनी. संबल योजना फिर से आई और संबल-2 के नाम से मुख्यमंत्री जनकल्याण संबल-2 योजना के नाम से सरकार के माध्यम से आज भी यह योजना चल रही है. इसमें 600 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
माननीय सभापति महोदया, अभी शिक्षा के क्षेत्र में आप बात कर रहे थे तो यह सही है कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार हुआ है. हम आपको बता दें कि आंगनवाड़ी में सहायिका का बेटा आज यूपीएससी की परीक्षा में टॉप आने लगा है. इससे बड़ा और गर्व क्या हो सकता है. ओरछा, रामलला सरकार के धाम पर, जब लाल बत्ती से अधिकारी वहां से निकलते थे तो एक बेटा अपनी मां से पूछता था कि मां, क्या हम भी इस यूपीएससी की परीक्षा में पास हो सकते हैं तो मां कहती थी कि बेटा, भगवान रामलला सरकार का आशीर्वाद लीजिए, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान की योजनाओं का लाभ लीजिए और अपनी मेहनत कीजिए, मेहनत के आधार पर आप आईएएस की परीक्षा पास कर सकते हैं. आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि यूपीएससी की परीक्षा में आंगनवाड़ी सहायिका का बेटा निकला है.
सभापति महोदया -- कृपया समाप्त करें.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय सभापति महोदया, इसके बाद सीएम राइज स्कूल खुले हैं. उसके लिए भी 3,230 करोड़ रुपये का प्रावधान इसमें किया गया है. इसमें गांव के बच्चे, किसान के बच्चे और गरीब के बच्चे सीएस राइज स्कूल में पढ़ेंगे और जैसे प्राइवेट स्कूल में शिक्षा दी जाती है, उससे अच्छी से अच्छी शिक्षा, नैतिक शिक्षा, जो बारहवीं पास करने के बाद बेटा-बेटी निकलेंगे, स्वयं अपना फैसला करेंगे कि मुझे मेडिकल कॉलेज में जाना है कि इंजीनियरिंग कॉलेज में जाना है, मुझे किस लाइन में जाना है, इसका फैसला वह सीएम राइज स्कूल में पढ़कर करेंगे.
माननीय सभापति महोदया, इसके साथ-साथ मैं खेल विभाग की बात करना चाहता हूँ. प्रदेश सरकार का वर्ष 2003 के पहले का बजट उठाकर देख लें तो खेल विभाग का जो बजट था, वह मात्र 3 करोड़ रुपये का खेल का बजट हुआ करता था. आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश का खेल विभाग का बजट 738 करोड़ रुपये हुआ है. इससे बड़ा और क्या हो सकता है. तभी हमारे खेल में हमारे प्रतिभाशाली बच्चे आज मध्यप्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं.
माननीय सभापति महोदया, हमारी बहन जी यहां पर बैठी हुई हैं. उनका नाम है डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ जी. जब वे 15 महीने चिकित्सा शिक्षा मंत्री थीं तो हमने उनसे विनम्र प्रार्थना की थी. हमने उनसे प्रार्थना की थी कि आपका नाम डॉक्टर है, आप विजय हैं, आप लक्ष्मी हैं, आप साधौ हैं, कहा था कि नहीं कहा था. मध्यप्रदेश की इसी विधान सभा में कहा था.
05.14 बजे अध्यक्षीय घोषणा
चाय की व्यवस्था विषयक
सभापति महोदया -- सदन की लॉबी में चाय की व्यवस्था की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार चाय ग्रहण करने का कष्ट करें.
05.14 बजे वर्ष 2023-2024 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा (क्रमश:)
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय सभापति महोदया, आप चिकित्सा शिक्षा मंत्री थीं. हमने आपसे विनम्र निवेदन किया था. इसी विधान सभा में प्रार्थना की थी कि हमारा टीकमगढ़ जिला, छतरपुर जिला और दतिया जिला बुंदेलखण्ड के अनुसूचित जाति बाहुल्य जिले हैं. भिण्ड और मुरैना जिले भी हैं, लेकिन भिण्ड के लिए हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने मेडिकल कॉलेज दिया. उनको हम धन्यवाद देते हैं. छतरपुर जिले के लिए मेडिकल कॉलेज दिया, इसके लिए हम धन्यवाद देते हैं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय सभापति महोदया, मेरे नाम का उल्लेख किया गया है... श्री हरिशंकर खटीक -- आप सुनिए, आप पहले मेरी बात तो सुन लें, फिर आप बोलना, इसके बाद क्या हुआ माननीय सभापति महोदया कि आपके धार में भी मेडिकल कॉलेज हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने स्वीकृत किया है. इसके लिए आप कम से कम धन्यवाद दीजिए. आपसे हमने कहा था कि आप डॉक्टर हैं.
सभापति महोदया -- खटीक जी, कृपया समाप्त करें.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय सभापति महोदया, मेरे नाम का माननीय सदस्य ने उल्लेख किया है. यह जितने भी मेडिकल कॉलेजों का बोल रहे हैं, चिकित्सा शिक्षा मंत्री होने के नाते मैंने ही प्रस्ताव केन्द्र सरकार को दिये हैं और उसी के आधार पर यह खुले हैं. यह एक सतत् प्रक्रिया है. चिकित्सा शिक्षा मंत्री के आधार पर मैंने 10 मेडिकल कॉलेज वहां दिये, पर विडंबना यह है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने महेश्वर के 10 में से 9 में तो एमओयू दस्तखत कर दिये लेकिन 1 पर ही भेदभाव करते हुए महेश्वर का नहीं किया. आप गलती कर रहे हैं मैं धार जिले की नहीं हॅूं, मैं खरगौन जिले की हॅूं. उन्होंने महेश्वर का अधर में लटका दिया. मेरा ही दिया हुआ है और उसकी व्याख्या कर रहे हैं आप. मेरी ही कलम से गये हैं. मेरा भी था उसमें, एकमात्र जो है उन्होंने मेरा ही उसको अधर में लटका दिया, बाकी सब पर एमओयू कर दिये.
सभापति महोदया -- कृपया, जल्दी समाप्त करें.
श्री हरिशंकर खटीक -- सभापति महोदया, हमने आपसे अनुरोध किया था कि जहां डॉक्टर लोग रहते हैं वहां आदमी बीमार नहीं होता. जहां विजय होती है वहां जीत ही जीत होती है. जहां लक्ष्मी होती है वहां कांग्रेस वालों को ज्यादा से ज्यादा आवश्यकता है. इसके बाद हमने यह भी कहा था जहां साधौ, तो हमने कहा, भईया हम भी साधने का काम करते हैं हम भी प्रार्थना करते हैं. हमने डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ जी से कहा कि आप चिकित्सा शिक्षा मंत्री हैं, हमारे टीकमगढ़ जिले की धरती पर मेडिकल कॉलेज दे दीजिएगा. हमने आपसे विनम्र प्रार्थना की थी लेकिन जब वर्ष 2003 के पहले की स्थिति उठाकर देख लीजिए तो 5 मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे और आज मध्यप्रदेश की धरती पर 25 मेडिकल कॉलेज होने जा रहे हैं. आपको माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी को धन्यवाद देना चाहिए. हम तो अब टीकमगढ़ जिले में मेडिकल कॉलेज करा ही लेंगे, लेकिन आपने मेरी बात नहीं सुनी थी, आज उसी का परिणाम है. आज आपको विपक्ष में बैठना पड़ रहा है...(व्यवधान)...
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- सभापति महोदया, जनसंख्या बढे़गी, चीजें बढे़ंगी. पहले 1 स्कूल था, अब 10 स्कूल हो गए. फिर 15 स्कूल होंगे. पहले 1 मेडिकल कॉलेज में 100 सीटें होती थीं, 150 बढ़ीं, फिर 200 बढे़ंगी. जैसे-जैसे आबादी बढ़ती जाएगी, वैस-वैसे कॉलेज बढे़ंगे, तो आपने कोई बहुत बड़ा काम नहीं किया है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदया, अभी बहन बोल रही हैं कि जनसंख्या बढ़ गई. धीरेन्द्र शास्त्री जी ने कहा चार. तुम सब लोग फॉलो करते रहे उनको, उनकी बात मानो. 25 कॉलेज और दिला देंगे तुमको.
श्री हरिशंकर खटीक -- सभापति महोदया, आपको धन्यवाद देना चाहिए. अनुसूचित वर्ग के हमारे सज्जन भैया भी हैं और माननीय डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ जी भी हैं. इन्होंने इस मध्यप्रदेश की विधानसभा में एक बार भी धन्यवाद नहीं बोला. आप सबको पता होना चाहिए कि सागर जिले की धरती पर संत रविदास जी का भव्य स्मारक बनने जा रहा है. हम भी अनुसूचित जाति वर्ग के हैं और आप भी अनुसूचित जाति वर्ग के हैं. कांग्रेस के हमारे मित्रों ने (XXX) उनके लिए कुछ नहीं किया. उनके सम्मान में कुछ नहीं किया. आज सागर में संत रविदास जी का स्मारक 10 करोड़ का नहीं, 50 करोड़ का नहीं, 80 करोड़ रूपए का...(व्यवधान)..
श्री विनय सक्सेना -- माननीय सभापति महोदया, इस वाक्य को विलोपित करवा दें.
सभापति महोदया -- ठीक है, इसको हटा दें.
श्री रामलाल मालवीय -- सभापति महोदय,..
सभापति महोदया -- मालवीय जी, अपनी सीट पर जाएं...(व्यवधान)..
श्री रामलाल मालवीय -- सभापति महोदया, वर्ष 2009 में माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी...(व्यवधान)...आज तक नहीं बना. इन्होंने चार बार घोषणा करी, उसके बाद भी आज तक नहीं बन पाया. वर्ष 2009, 2014, 2018 में भी नहीं बन पाया. माननीय खटीक साहब, आप जरा सुनिए. आप आज याद दिलाओ. आपने जब भगवान महाकाल की नगरी में रामघाट उज्जैन में रविदास समाज के सम्मेलन में रविदास जी की मूर्ति की स्थापना करने की बात की थी, तो आप कम से कम मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दे दो, याद दिला दो कि आपने जो घोषणा की, उसको करा दो. आप कराएंगे, तो आपको धन्यवाद...(व्यवधान)..
श्री हरिशंकर खटीक -- सभापति महोदया, देश की आजादी के बाद जिस महापुरूष ने इस देश का संविधान लिखा था, आप कहीं भी उनका स्मारक नहीं बना पाए थे. हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने इन्दौर जिले की महू की धरती पर जहां डॉक्टर भीमराव अंबेडकर साहब का जन्म हुआ, वहां पर भव्य स्मारक बनाने का काम किसी सरकार ने किया है, तो वह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया..(व्यवधान)..
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- सभापति महोदया, यह क्यों असत्य बोल रहे हैं. असत्य क्यों बोल रहे हो. कुछ भी बोले जा रहे हैं. हम सुनेंगे थोड़ी असत्य. वह हम लोगों ने बनाया. महू में बाबा साहब आंबेडकर जी का स्मारक अगर बना है तो वह कांग्रेस की सरकार में बना है और उसके बाद जो बजट का पैसा थोड़ा मिला था तो मैंने स्वयं, जब मैं स्वास्थ्य विभाग की मंत्री थी और मैंने स्वयं दिया था. ये असत्य पर असत्य बोले जा रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री हरिशंकर खटीक -- सभापति महोदया, हम किसी के बीच में नहीं बोले. कांग्रेस ने नहीं बनाया, न कुछ किया और न ही अनुसूचित जाति के लिये कुछ किया...(व्यवधान)..
श्री पांचीलाल मेड़ा -- कांग्रेस की सरकार में महू में बाबा साहब आंबेडकर जी का स्टेच्यू लगा है.
सभापति महोदया -- अब, समाप्त करें.
श्री हरिशंकर खटीक -- सभापति महोदया, बस दो मिनट में अपनी बात कहना चाहता हॅूं. हम आपको बता दें कि भगवान रामलला का जन्म अयोध्या में हुआ. अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनने के लिये तैयार है और इसकी समय-सीमा भी है कि भव्य राममंदिर बनने जा रहा है. आपको मध्यप्रदेश की इस विधानसभा में जय श्रीराम बोलना चाहिए. सबको अधिकार है जय श्रीराम बोलने का लेकिन आपने नहीं बोला...(व्यवधान)..
सभापति महोदया -- कृपया, बैठ जाइए.
श्री हरिशंकर खटीक -- अयोध्या में तो राममंदिर बन रहा है लेकिन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी जहां भगवान रामलला सरकार दिन में विराजमान रहते हैं. सुबह 4 बजे आ जाते हैं और रात में 10 बजे जाते हैं.
ओरछा की धरती पर रामराजा लोक हित का निर्माण करने के लिए हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी जा रहे हैं इससे बड़ा सौभाग्य हमारे लिए और क्या हो सकता है?
सभापति महोदया-- कृपया समाप्त करें खटीक जी.
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय सभापति महोदया, चित्रकूट में दिव्य वनवासी रामलोक जहाँ भगवान राम वनवासी के रूप में रहे. वहाँ पर भी चित्रकूट में दिव्य वनवासी रामलोक बनने के लिए जा रहा है. सल्कनपुर में माँ देवी महालोक जैसी जन जन की आस्था से जुड़ी प्रेरणाओं के लिए 358 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. लेकिन इससे बड़ी एक और खुशी की बात हम आपको बता दें. जब 15 महीने की सरकार बीच में थी तो मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना बंद हो गई थी. मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना बंद हुई उसमें कोई भी बुजुर्ग को, किसी को यात्रा करने के लिए नहीं भेजा गया. आज मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान ने, फिर से हमारी सरकार बनी और मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन यात्रा तो हम लोग करा ही रहे हैं लेकिन इसके साथ खुशी की बात यह है कि अब बुजुर्गों के सम्मान के लिए वह हवाई जहाज में बैठकर भी तीर्थ दर्शन यात्रा करने के लिए जाएँगे. इससे बड़ा और सौभाग्य क्या हो सकता है मध्यप्रदेश में, इसके लिए भी बजट में प्रावधान किया गया है. सभापति महोदया, बोलने के लिए तो बहुत था लेकिन बीच बीच में आप सब लोग बोलते रहे इसलिए आगे और हम मिलेंगे. धन्यवाद.
सभापति महोदया-- श्री संजय यादव जी, बोलिए.
श्री संजय यादव(बरगी)-- धन्यवाद माननीय सभापति महोदया जी. सभापति महोदया, मैं उस जबलपुर से आता हूँ जो हरिशंकर परसाई जी की कर्मभूमि है और उनका शताब्दी वर्ष चल रहा है. बजट, कैसा बजट है, मैं उनकी पंक्तियों से शुरू करूँगा—
अच्छा दिखने वाला शासन, कुछ शब्दों और आँकड़ों के बल पर चलता है क्योंकि जिस तरह से घोषणावीर के झूठे तीर क्योंकि इनके पास तो कहते हैं ना न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी. उधार की जिन्दगी जी रहे. पूरी सरकार उधार की जिन्दगी जी रही है. यह बात जो कमल नाथ जी ने कही थी, यह सरकार के ऊपर एकदम सटीक बैठती है कि आँकड़ों की बाजीगरी है इस सरकार के पास. माननीय पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ जी ने कहा था कि यह बजट कागज, कर्ज और कमीशन का चुनावी बजट है. मैं आँकड़ों सहित आपको उपलब्ध कराऊँगा. किसी भी प्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण होता है स्वास्थ्य लेकिन मध्यप्रदेश में जिस तरह से स्वास्थ्य व्यवस्था की दुर्दशा है. आँकड़ों के साथ, कि प्रदेश में 17 हजार लोगों पर एक डॉक्टर है. सीधी भर्ती विशेषज्ञों के 950 पद भरने की फाइल वित्त मंत्रालय में अटकी पड़ी है. ग्रामीण इलाकों में 24 लाख 60 हजार लोगों पर एक आईसीयू बेड है. जबकि बजट 2022-23 में स्वास्थ्य विभाग का कुल बजट 77.79 परसेंट ही उपयोग में लिया गया है. जब स्वास्थ्य व्यवस्था पर आप बजट खर्च नहीं कर सकते तो आप से क्या उम्मीद की जा सकती है. यह साफ लापरवाही है. रीवा जिले के 45 अस्पतालों के 75 प्रतिशत डॉक्टर्स के पद खाली पड़े हैं महज 119 डॉक्टर ही मौजूद हैं. जबकि 462 पदों पर चिकित्सकों का आना बाकी है. इससे बड़ी घोर लापरवाही सरकार की क्या हो सकती है. प्रदेश के 120 अस्पतालों में आयुष्यमान योजना के अंतर्गत 200 करोड़ रुपये का घोटाला हो चुका है. आयुष्यमान में गड़बड़ी करने पर प्रदेश के 40 अस्पतालों में छापा पड़ा. 18 प्रदेश सहित 27 निजी अस्पतालों में आयुष्यमान योजना में मिलने वाले लाभ को बंद कर दिया गया है और कमीशन का खेल चल रहा है स्वास्थ्य विभाग में 108 जो एंबुलेंस होती है, अभी 6 दिन पहले ही हमारे यहाँ एक उदाहरण था एक्सीडेंट हुआ दो बच्चों की मृत्यु हो गई, पास में मेडिकल लेकिन (XXX) इसलिए जनता का विश्वास सरकारी अस्पतालों में नहीं रह गया और 108 जिसकी जवाबदारी है कि पास के सरकारी अस्पताल में ले जाना चाहिए. लेकिन पूरे मध्यप्रदेश में 108 कमीशन का खेल चल रहा है. (XXX) जो सरकारी डॉक्टर होता है वह रेफर कर देता है कहाँ के लिए, प्रायवेट अस्पताल के लिए क्योंकि (XXX) और सबसे
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
ज्यादा तो बुरे हाल स्कूल शिक्षा के हैं. स्कूल शिक्षा मध्यप्रदेश में खत्म हो चुकी है. यह इनका जवाब भी बता रहा है. मैंने एक प्रश्न लगाया था कि बच्चे या बच्चियाँ पढ़ाई क्यों छोड़ देते हैं, इनका जवाब आया है माता-पिता का पढ़ा लिखा न होना, आर्थिक रुप से कमजोर गरीब होना इसलिए बच्चे पढ़ाई छोड़ देते हैं. बजट वर्ष 2022-2023 में स्कूल शिक्षा विभाग ने अपने कुल बजट का केवल 79 प्रतिशत उपयोग किया है. एक आंकड़े के अनुसार पिछले 2 साल में 13 लाख 78 हजार बच्चों ने स्कूल छोड़ा है. 3 लाख 35 हजार परिवार पलायन कर गए हैं. आप स्कूल चलें हम अभियान चलाते रहे लेकिन प्रदेश में 2357 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां एक भी शिक्षक नहीं है. वहीं 1307 स्कूल ऐसे हैं जो केवल एक शिक्षक के भरोसे हैं. प्रदेश में पिछले दो साल में 13 लाख 78 हजार 520 बच्चे पढ़ाई छोड़ चुके हैं. इनमें सर्वाधिक बच्चे आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ चुके हैं. शिक्षा विभाग के एमपी एजूकेशन पोर्टल-2 की वर्ष 2021-2022 की रिपोर्ट में देखे जा सकते हैं. स्कूल छोड़कर घर बैठने वालों में सबसे अधिक हमारी बेटियां हैं या मामा की भांजियां हैं. जो सबसे ज्यादा स्कूल छोड़ती हैं. क्योंकि ग्रामीण इलाकों में स्कूल जर्जर हैं, भवन नहीं हैं. मेरे यहां उदाहरण है कि 30 स्कूल ऐसे हैं जो पेड़ के नीचे लग रहे हैं. 50 जर्जर स्कूल पिछले महीने कलेक्टर के द्वारा गिरवा दिए गए हैं. यह मध्यप्रदेश की पिछले 18 साल की सरकार में हुआ है. प्रदेश में 1 लाख 54 हजार 64 स्कूल हैं इसमें से 2177 ऐसे हैं जिनमें एक ही टीचर है. 22 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं जिनमें 54 प्रतिशत पद खाली हैं स्कूल शिक्षा विभाग में 36 प्रतिशत सरकारी स्कूल अप्रशिक्षित हैं. इन्होंने सीएम राइज स्कूल की बात की थी. आज सज्जन भैया ने..
श्री रामपाल सिंह -- सभापति महोदय, स्कूल शिक्षा मंत्री माननीय सदस्य से उन 30 स्कूलों की सूची मांग रहे हैं जो पेड़ के नीचे लग रहे हैं. मंत्री जी कह रहे हैं हम भी जबलपुर में ऐसे स्कूल देखने जाना चाहते हैं.
श्री संजय यादव -- बिलकुल आइए. 40 स्कूल गिरा दिए गए हैं. 30 स्कूलों का वीडियो मैंने पिछले हफ्ते कलेक्टर को भेजा है. शिक्षा मंत्री देख सकते हैं. आप नहीं चाहते हैं कि हमारा बच्चा पढ़े क्योंकि जो पढ़ा लिखा नहीं होगा वही भाजपा को वोट देगा. साउथ में आप देखें भाजपा कभी नहीं आती है. आप नहीं चाहते हैं कि लोग पढ़ें.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अच्छा साउथ में कांग्रेस कहां पर है यह बताओ. हम तो एक राज्य में बैठे हुए हैं आप तो साउथ में कहीं पर भी नहीं हो.
श्री संजय यादव -- फिर वापिस आ रही है. जहां पढ़े लिखे लोग हैं वहां पर आपको वोट नहीं मिलता है. उच्च शिक्षा की मैं बात करुं.
श्री बाला बच्चन -- अब कर्नाटक में कांग्रेस आएगी और मध्यप्रदेश में कांग्रेस आएगी. कांग्रेस ही आएगी दोनों जगह.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अभी कहां हो, आप कहां हो.
श्री बाला बच्चन -- डॉक्टर साहब आप जब यहां बैठते थे मैं तब भी आपको बोलता था आप मानते नहीं थे. सरकार बन जाने के बाद आपने बोला बाला भैय्या आप सही बोलते थे. सरकार बनी.
श्री संजय यादव -- मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा के और बुरे हाल हैं. आप ही बताइए जितने यहां पर बैठे हैं कि इन 18 वर्षों में पहले मध्यप्रदेश शिक्षा की और खासकर जबलपुर शिक्षा की नगरी कहलाता था. इन 18 वर्षों में मध्यप्रदेश में कोई बच्चा बाहर से पढ़ने आया क्या, 18 वर्षों में बता दीजिए आपकी सरकार में. मध्यप्रदेश का बच्चा बाहर जाता है क्योंकि यहां पर उच्च शिक्षा अच्छी नहीं है. आपने कॉलेजों को अपग्रेड नहीं किया. कई कॉलेजों में गांवों में एक ही संकाय है कि बच्चे की इच्छा हो मैथ्स पढ़ने की, साइंस पढ़ने की, कॉमर्स पढ़ने की तो वह गरीब बच्चा कहां जाएगा. नर्सिंग की फर्जी डिग्री दे रहे हैं. मध्यप्रदेश बदनाम हो चुका है. मध्यप्रदेश की स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा के मामले में सबसे दयनीय स्थिति है. इसी तरह से आप फर्जी सिंचाई के आंकड़े बताते हैं.
5.29 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
सभापति महोदया -- सदन के समय में शाम 6 बजे तक की वृद्धि की जाए. मैं समझती हूँ सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति व्यक्त की गई.)
5.30 बजे वर्ष 2023-2024 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा (क्रमश:)
श्री संजय यादव -- सभापति महोदया, मैं सिंचाई के सरकारी आंकड़ों की बात कर रहा हूँ. मैंने एक प्रश्न लगाया कि कितनी लिफ्ट एरीगेशन की या कितनी सिंचाई की परियोजनाएं चल रही हैं. कौन-कौन सी पूर्ण हो गई हैं और कौन सी वर्तमान में प्रचलित हैं. इस पर मुख्यमंत्री जी का जवाब आया है कि उस विभाग के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री जी हैं, उनका जवाब आया कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. जब आपके पास जानकारी ही नहीं है तो फिर आप किस हिसाब से कहते हैं कि सिंचाई का रकबा बढ़ाया. हमारे यहां बरगी डेम हो या मण्डला में आदिवासी क्षेत्र हो, जबलपुर में बरगी डेम के पास के लोग आज भी सिंचाई के साधन के लिए तरस रहे हैं. जो कांग्रेस शासन में नहरों का काम हुआ था उसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने खासकर महाकौशल और जबलपुर के जिलों में कहीं भी सिंचाई के साधन का रकबा नहीं बढ़ाया. जल संसाधन विभाग को आवंटित 6338 करोड़ रुपए में मात्र 5576 करोड़ रुपए ही उपयोग कर पाए हैं. यह कुल राशि का 81 प्रतिशत है. किस तरह से लोगों को गुमराह करके रकबा बढ़ाने की बात करते हैं. जबकि सच्चाई यह है कि खसरे में कोई पड़ती की जमीन यदि मैं ले लेता हूं या कोई और ले लेता है और उसमें बोरिंग करवाता है तो खसरे में सिंचित आ जाता है तो सरकार सोचती है कि हमने सिंचित कर दिया है. जबकि वह रहता यह है कि पड़ती की जमीन कोई किसान बोर करवाता है उसमें पम्प हाउस लगाता है तो वह सरकार अपनी उपलब्धि मान लेती है.
सभापति महोदया, वास्तविकता तो यह है कि इन्होंने बहुत बुरे हाल करके रखे हैं. जनजाति की बात, जनजाति समाज की बात आदरणीय मुख्यमंत्री जी कर रहे थे, लेकिन जनजाति के लोगों के साथ जो मजाक मुख्यमंत्री जी, वित्त मंत्री जी ने किया है.
5.31 बजे (अध्यक्ष महोदय { श्री गिरीश गौतम} पीठासीन हुए.)
श्री संजय यादव--कमलनाथ सरकार के समय जो योजनाएं थीं चाहे आदिवासी देवस्थल के लिए आष्ठान योजना हो, चाहे बर्तन प्रदाय योजना हो. चाहे अन्न प्रदाय योजना हो, या मुख्यमंत्री मदद योजना हो यह योजना भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बंद कर दी है जिन्हें कमलनाथ जी की सरकार ने चालू किया था. आदिवासियों का जो फंड मिलता है. एससी या एसटी विभाग का सेंट्रल से जो फंड मिलता है उस फंड का उपयोग अमित शाह जी के स्वागत, सत्कार में खर्च किया जा रहा है. यह आंकड़े आप निकलवा लीजिए. अमित शाह जी जबलपुर आए थे तो पूरा आदिवासी फंड जो कि आदिवासियों के विकास के लिए खर्च होना चाहिए, लेकिन वह फंड भारत देश के गृह मंत्री के स्वागत सत्कार के लिए उपयोग होता है. नारी शक्ति की बात करते हैं. कन्या शिक्षा परिसर माननीय कमलनाथ जी की सरकार में स्वीकृत हुए थे. 29 कन्या शिक्षा परिसर स्वीकृत हुए थे उसमें से एक मेरे यहां भी हुआ था, लेकिन आज तक एक कन्या परिसर की भी प्रशासकीय स्वीकृति जारी नहीं की गई क्यों नहीं की गई क्योंकि कमलनाथ सरकार ने आदिवासी बच्चों के हित में कदम उठाए थे. माननीय शिवराज जी को आदिवासियों के हित में उठाए जाने वाले कदम अच्छे नहीं लगते हैं.
अध्यक्ष महोदय ,शराब नीति की बात कर रहे थे. गुड़ खाये और गुलगुलों से परहेज करें. अरे आप दुकान बढ़ा रहे हैं. नमकीन और अंडे की दुकान बंद करने से क्या शराब नीति सुधर जाएगी. मुख्यमंत्री जी ने आज खुद ही कहा है कि हम चाहते हैं कि घर परिवार में जाकर पियो और सबको पिलाओ, सबको पिलाएंगे तो मुख्यमंत्री जी घर वालों को शराबी क्यों बना रहे हैं? आज मध्यप्रदेश में महिलाएं परेशान हैं इसलिए परेशान हैं कि गांव-गांव शराब बिक रही है. शराब की दुकानें बढ़ गई हैं. कोविड काल में भी शराब की दुकानें खुली थीं. इतना अंधेर हुआ है. लाईन लगती रहीं. कोविड काल एक बहुत बड़ा कारण था. आपने गौशालाओं की दुर्दशा कर दी. जितनी गौशाला कमलनाथ सरकार ने खोलने का काम किया उससे ज्यादा आपने बंद करने का काम किया है. आज पशु आहार के लिए हमारी गाय तरसती हैं, रास्ता देखती हैं. कितनी गायें मारी जा रही हैं. इस मध्यप्रदेश में किसी ने आंकड़ा पता किया. एक्सीडेंट से, भूख से इसका दोषी कौन है इसकी दोषी पूरी तरह से सरकार है. मैं दो मिनट का समय और लूंगा. आंगनवाड़ी की बात करते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी उसी विभाग के मंत्री हैं और इसी सत्र में मेरे प्रश्न में जवाब आया मध्यप्रदेश में 48 प्रतिशत भवन आंगनवाड़ी भवन विहीन हैं. मतलब आप 18 साल में उन नौनिहाल बच्चों के लिए आंगनवाड़ी भवन ही उपलब्ध नहीं करा पाए हैं. मैं आपसे बैठने के पूर्व कहता हूं कि मुख्यमंत्री जी का या वित्तमंत्री जी का जो बजट रहता है उनमें जैसे पिक्चर में आते हैं न वह डिस्क्लेमर वह जो धारावाहिक और फीचर फिल्मों के प्रारंभ में लिखा रहता है कि हमारे इन सभी पात्रों, आंकड़ों और व्यवस्थाओं का वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है. ये सभी आंकड़ें, पात्र काल्पनिक हैं. हमारी जनता को भी यह पता चल सके कि भागने वालों का असलियत से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि ये भाग रहे हैं, घोषणायें अपार और योजनायें सब बेकार. ये माननीय शिवराज जी का चरित्र है. माननीय मुख्यमंत्री जी कह रहे थे कि हमने महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया लेकिन उनको ये मालूम नहीं है कि 33 प्रतिशत आरक्षण माननीय दिग्विजय सिंह जी ने लागू किया था, आपने केवल 17 प्रतिशत बढ़ाया है. आप 50 प्रतिशत का श्रेय नहीं ले सकते. महिलाओं को 51000 रुपये कन्या विवाह के लिए माननीय कमलनाथ जी की सरकार ने दिए थे, आपने नहीं दिए थे. आप कह रहे हैं अमृतकाल चल रहा है, अमृत बरस रहा है.
अध्यक्ष महोदय- आपका समय हो गया है.
श्री संजय यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, ये तो बता दूं कि आज अमृतकाल है कि विषकाल चल रहा है. ठीक है, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती कृष्णा गौर (गोविन्दपुरा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, वित्त मंत्री द्वारा सदन में प्रस्तुत किए गए वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट के समर्थन में अपना पक्ष रखने के लिए खड़ी हुई हूं. माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा सदन में रखा गया बजट, मैं, गर्व के साथ कहना चाहती हूं कि यह सर्वहारा वर्ग का बजट है. यह सर्वव्यापी, सर्वहितैषी और सर्वस्पर्शी बजट है और यदि मैं कहूं, यह बजट इस अमृतकाल में मध्यप्रदेश में विकास और समृद्धि की अमृत वर्षा करने वाला बजट है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सही अर्थों में यह मध्यप्रदेश की आम जनता का बजट है. मैं, वित्त मंत्री जी को बधाई और साधुवाद देना चाहूंगी कि इस बार के बजट में उन्होंने एक नई पहल, नया नवाचार करते हुए, मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार ई-बजट प्रस्तुत किया इसके अतिरिक्त एक और नवाचार करते हुए मध्यप्रदेश की आम जनता, प्रतिष्ठित व्यक्तियों, अर्थविश्लेषकों, अर्थशास्त्री, विषय-विशेषज्ञों से विचार-विमर्श किया, उनसे सुझाव लिए और लगभग 4 हजार सुझावों के आधार पर यह ऐतिहासिक बजट तैयार किया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बहुत सुंदर लाइनें कहीं पढ़ी थीं कि जब भगवान शिव को अपना संकल्प पूर्ण करने की इच्छा होती है तो जगदीश्वर की शरण में जाते हैं और जगदीश्वर भी बिना शिव की कृपा से कोई काम पूर्ण नहीं कर पाते हैं. परस्पर देवो भव: के इस अद्भुत सामंजस्य का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण यदि कहीं देखना है तो मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के रूप में देखने को मिलता है.
(मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय शिवराज जी के राज में आदरणीय जगदीश जी का यह बजट पूरी तरह से संतुलित है, हर वर्ग को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने वाला, 21वीं सदी के एक विकसित और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के विज़न वाला ऐतिहासिक, अभूतपूर्व और अकल्पनीय बजट है. आज हमारा मध्यप्रदेश तेज गति से प्रगति के पथ पर दौड़ रहा है. यह हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी के कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि इन 18 वर्षों में कांग्रेस के कुशासन के उस कलंक को, जिसमें मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य कहा जाता था, उस कलंक को मिटाने का ही काम नहीं किया अपितु मध्यप्रदेश को विकसित राज्यों की श्रेणी में ला खड़ा किया है. यह पहला ऐसा प्रदेश है, जहां अधोसंरचनात्मक विकास और सामाजिक विकास को बराबर का महत्व देते हुए, एक संतुलित विकास की अवधारणा को साकार किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी सदन में मौजूद हैं, जब वे अपना वक्तव्य दे रहे थे तो मध्यप्रदेश की कुव्यवस्थाओं पर गोल्ड मैडल देने की बात वे कह रहे थे. लेकिन माननीय नेता प्रतिपक्ष शायद ये भूल गए थे कि ये मध्यप्रदेश के सुशासन का ही परिणाम है कि हमें एक, दो बार नहीं, 7-7 बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त हुआ है. ये मध्यप्रदेश के सुशासन का ही परिणाम है कि हमने देश भर में हुई स्वच्छता की प्रतिस्पर्धा में 6-6 बार प्रथम स्थान प्राप्त किया है. आज चारों तरफ हो रहे अप्रत्याशित विकास और जनकल्याण का प्रकाश निश्चित रूप से मध्यप्रदेश को आलोकित कर रहा है. विकास की एक नई गाथा कह रहा है और इसका यदि पूरा-पूरा श्रेय यदि किसी को दिया जाता है तो हमारे कर्मप्रिय, जनप्रिय और लोकप्रिय मुख्य मंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान को दिया जाता है. आज हमें कहते हुए यह गर्व है कि प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में भारत विश्व के मानचित्र पर एक सशक्त, समृद्ध और आत्म निर्भर भारत के रूप में स्थापित हो गया है. जब तक इस देश में कांग्रेस की सरकारें रही, दुर्भाग्य इस देश का रहा कि दशकों तक भारत की गिनती दुनिया के देशों में गरीब देशों के रूप में की जाती थी. हम खाद्यान्न से लेकर जरूरत के हर सामान के लिये आयात पर निर्भर करते थे. लेकिन हमें गर्व है यह कहते हुए कि हमारे प्रधान मंत्री जी दूरदृष्टि, उनके नेक इरादे, उनके कुशल नेतृत्व का यह परिणाम है कि आज भारत निर्यात करने वाला देश बन गया है. हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से मजबूत हो रही है. हमारे प्रधान मंत्री जी के कुशल नेतृत्व में हमने भारत पर 200 वर्षों तक राज करने वाले ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए विश्व की पाचवीं अर्थव्यवस्था होने का गौरव हासिल किया है और अब तो दुनिया के अर्थविश्लेषक यह कहने लगे हैं कि भारत के विस्तार की रफ्तार अगर इसी तरह रही तो वर्ष 2029 तक भारत जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय प्रधान मंत्री जी ने भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प लिया है, लक्ष्य तय किया है और मुझे यह कहते हुए गर्व है कि मध्य प्रदेश माननीय मुख्य मंत्री श्री शिवराज सिंह जी के कुशल नेतृत्व में 550 बिलियन डालर के योगदान के लक्ष्य के साथ, इस लक्ष्य की पूर्ति में बहुत बड़ा योगदान देगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम जानते हैं कि इस देश में जब तक कांग्रेस की सरकारें रही, पूरे विश्व में भारत को हेय दृष्टि से देखा जाता था. कभी भी भारत को सम्मान नहीं मिला लेकिन प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व के बाद आज गर्व के साथ हम यह कहते हैं कि जी-20 देशों की अध्यक्षता करने का गौरव भारत को हासिल हुआ है और हमारी यह खुशी,हमारी इस खुशी में कई गुना वृद्धि तब हो जाती है, जब जी समूह की 8 बैठकों का सौभाग्य हमारे मध्यप्रदेश को मिलता है. इंदौर, भोपाल और खजुराहो में हुई बैठकों से विश्व स्तर पर आज मध्यप्रदेश को एक नयी पहचान मिल रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज वास्तव में मुझे यह कहते हुए गर्व है कि मध्यप्रदेश की आर्थिक विकास की दर और कृषि विकास की दर आज देश में सबसे ज्यादा है. हमारे प्रदेश की पर केपिटा इंकम, प्रति व्यक्ति आय कुछ वर्ष पहले तक 38 हजार, पांच सौ हुआ करती थी जो आज साढे तीन गुना बढ़कर 1 लाख, 40 हजार से भी अधिक हो गयी है. यह हमारी सरकार की उपलब्धि है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज वास्तव में मुझे गर्व है यह भी कहते हुए कि आज मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश की जनता का बहुत बड़ा भरोसा बन गयी है. हमारे मुख्य मंत्री जी भरोसे का पर्याय बनकर काम कर रहे हैं. आज समाज का हर वर्ग गरीब हो, मजदूर हो, किसान हो, नौजवान हो, बेटियां हों, बहनें हो, अनुसूचित जाति हो,अनुसूचित जनजाति हो या अल्पसंख्यक वर्ग हर वर्ग विकास की मुख्य धारा से जुड़ा है और माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि मैं, नारी जाति का प्रतिनिधित्व करती हूं, इसलिये गर्व के साथ कहना चाहूंगी कि मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार, मध्यप्रदेश की आधी आबादी के लिये सही अर्थों में ईश्वर का वरदान बनकर आयी है. मुझे गर्व है यह कहते हुए और मैं, माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत धन्यवाद देना चाहूंगी कि जो बजट आपने प्रस्तुत किया वह बजट आपका 3 लाख, 14 हजार, 25 करोड़ का उसमें आपने महिला और बेटियों के कल्याण के लिये 1 लाख, 2 हजार, 976 करोड़ समर्पित किये हैं. मुझे गर्व होता है यह कहते हुए कि यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जो संकल्प के साथ समर्पित होकर, मध्यप्रदेश की बहन और बेटियों के कल्याण और उत्थान के लिये काम कर रही है. हमारी सरकार ने यह साबित कर दिया कि कन्या की किलकारी से लेकर उसके सम्पूर्ण जीवनकाल तक हमारी सरकार उसके साथ खड़ी है. एक बहन गर्भवती होती है तो उसको उचित पोषण की व्यवस्था, हमारी सरकार के द्वारा बहन का प्रसव सुरक्षित हो जाये. संस्थागत प्रसव की व्यवस्था हमारी सरकार के द्वारा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिले. आर्थिक सहायता हमारी सरकार के द्वारा बहन ने अगर बेटी को जन्म दिया है, लाड़ली लक्ष्मी बनाना हमारी सरकार के द्वारा. बेटी अगर थोड़ी बड़ी हुई तो उसके उचित पोषण की व्यवस्था आंगनबाडि़यों में हमारी सरकार के द्वारा. बेटी और बड़ी हुई और स्कूल जाने लगी उसकी निशुल्क शिक्षा, गणवेश, पाठ्य पुस्तकों की व्यवस्था हमारी सरकार के द्वारा और बड़ी हुई, दूसरे गांव में पढ़ने जाना साइकिल की व्यवस्था, हमारी सरकार के द्वारा. शहर में पढ़ने जाना है तो छात्रावास और छात्रवृति की व्यवस्था हमारी सरकार के द्वारा और बेटी विवाह योग्य हो गयी है तो उसके विवाह की चिंता कन्यादान योजना के माध्यम से हमारी सरकार के द्वारा की है. मुझे यह कहते हुए गर्व है कि मध्यप्रदेश में महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक, एवं राजनीतिक सशक्तिकरण के लिये संकल्प के साथ काम किया जा रहा है. 50 प्रतिशत आरक्षण स्थानीय निकायों में ग्राम पंचायतों में हमारी सरकार ने दिया और आज बड़ी संख्या में महिलाएं निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदार बनी हैं. लेकिन इससे भी आगे बढ़कर हमारे मुख्यमंत्री जी ने यह संकल्प लिया कि अब सुरक्षा की जिम्मेदारी भी बेटियों और महिलाओं के हाथों में होगी इसलिये पुलिस की भर्ती में 30 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान यह मध्यप्रदेश की सरकार ने किया और साथ ही साथ शिक्षकों की भर्ती में भी 50 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को दिया, यह वास्तव में भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश की सरकार का महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में मान-सम्मान एवं स्वाभिमान देने की दिशा में उठाया गया बहुत महत्वपूर्ण कदम है. मैं मानती हूं कि वास्तव में आज लगातार महिलाएं एवं बेटियां जिस प्रकार से मध्यप्रदेश की धरती पर सम्मान का जीवन जी रही हैं उन्हें इस बात का एहसास हो गया है कि अब मध्यप्रदेश की धरती पर अगर उसने जन्म लिया है तो वह कभी अभिशाप नहीं समझी जाएगी. लाड़ली लक्ष्मी योजना जब हमारी सरकार लेकर के आयी थी तो बहुत सारी बातें लाड़ली लक्ष्मी योजना के बारे में हुई थी, लेकिन जिस प्रकार से लाड़ली लक्ष्मी योजना की सफलता हम सबको दिखाई दी यह प्रदेश में ही नहीं देश में ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी सराहना हुई. मुझे यह कहते हुए गर्व है कि लाड़ली लक्ष्मी का जब दूसरा चरण प्रारंभ हो गया तो स्वाभाविक रूप से हमारी बेटियां उच्च शिक्षा भी प्राप्त करेंगी और साथ ही साथ हमारी सरकार ने लाड़ली लक्ष्मी योजना के लिये 929 करोड़ रूपये का प्रावधान इस बार के बजट में किया है जो हमारे लिये भी बड़े ही गौरव की बात है. मैं इसके लिये माननीय मुख्यमंत्री जी को बधाई देती हूं. स्व-सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में लगातार प्रयास हो रहे हैं हम जानते हैं कि एक सशक्त महिला, सशक्त परिवार, सशक्त समाज एवं सशक्त देश की रीढ़ होती है, इसलिये महिलाओं का आर्थिक रूप से सशक्त होना बहुत आवश्यक है और इस दृष्टि से हमारे मध्यप्रदेश में काम कर रहे हैं. स्व-सहायता समूहों को जिस प्रकार से हमारी सरकार ने 660 करोड़ रूपये के प्रावधान के साथ मजबूती देने का काम किया है इसके लिये मैं माननीय वित्तमंत्री जी एवं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहती हूं जिन्होंने इतनी बड़ी मदद हमारे स्व-सहायता समूहों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिये दी है और हमारी बहिनें स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक रूप से स्वयं भी मजबूत नहीं हो रही हैं, बल्कि अपने साथ साथ प्रदेश के आर्थिक विकास में भी बहुत बड़ा योगदान दे रही हैं. प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना यह वह योजना है जिसमें गर्भवती बहिन को 9 महीने में हम उसको पांच हजार रूपये उपलब्ध करवाते हैं ताकि उसको पोषण आहार मिल सके. मुझे यह कहते हुए गर्व है कि मध्यप्रदेश पूरे देश में इस प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के क्रियान्वयन में पहले नंबर पर आया है. इसके लिये इस बजट में 467 करोड़ रूपये का प्रावधान माननीय वित्तमंत्री जी ने किया है इसके लिये भी हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी को कोटि-कोटि धन्यवाद देती हूं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक और बड़ी घोषणा की है और कहा कि हमारे मध्यप्रदेश में पढ़ने वाली 12 वीं क्लास की बालिका यदि प्रथम स्थान प्राप्त करती है तो ऐसी बालिकाओं को मुख्यमंत्री ई स्कूटी योजना के माध्यम से स्कूटी देने का निर्णय हमारी सरकार ने लिया है और पहले चरण में पांच हजार स्कूलों में यह योजना लागू होगी इससे मुझको लगता है कि महिला शिक्षा की दिशा में हमारी सरकार द्वारा उठाया गया यह बहुत महत्वपूर्ण कदम है. आज कहते हुए गर्व है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने महिलाओं के स्वावलंबन, बेहतर स्वास्थ्य एवं पोषण आहार के लिये मुख्यमंत्री लाड़ली बहिना योजना को लेकर के आये हैं. मैं समझती हूं कि वास्तव में लाड़ली बहिना योजना से एक नयी क्रांति की शुरूआत इस मध्यप्रदेश में होने जा रही है. एक हजार रूपये जब हमारी बहिनों के हाथ में जब आयेंगे तब वह निश्चत रूप से अपनी छोटी छोटी जरूरतों को पूरा कर सकती है. यह बहुत बड़ी पहल माननीय मुख्यमंत्री जी ने की है और इस बार के बजट में 8 हजार करोड़ का प्रावधान रखा है इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं कि आपने लाड़ली बहिना योजना के माध्यम से मध्यप्रदेश में एक और क्रांतिकारी पहल मध्यप्रदेश में शुरूआत की है. उसके साथ ही साथ लगातार चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो, स्वास्थ्य का क्षेत्र हो, कृषि का हो, उद्योग का हो, अधोसंरचना का क्षेत्र हो, हर क्षेत्र में हमारी सरकार ने बेहतर काम करके दिखाया और इस बजट में बहुत अच्छे प्रावधान भी किये हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज निश्चित रूप से आपके बीच में यह कहते हुए मुझे गर्व है, क्योंकि मैं पिछड़े वर्ग से प्रतिनिधित्व करती हूं और पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए हमारी सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वह निश्चित से ऐसे कदम हैं जो पिछड़े वर्गों को सम्मान की जिन्दगी दे रहे हैं, उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ने का काम कर रहे हैं. मध्यप्रदेश में हुए स्थानीय निकाय ग्राम पंचायतों के चुनाव को ओबीसी आरक्षण के साथ किए जाने का संकल्प माननीय मुख्यमंत्री जी ने इसी सदन में लिया था, और वह सिर्फ संकल्प ही नहीं लिया था, बल्कि उसको पूरा करके भी दिखाया. हमारी सरकार ने यह भी निर्णय लिया कि पिछड़े वर्ग के युवाओं को लगभग 200 युवाओं को जापान रोजगार के लिए, प्रशिक्षण के लिए भेजने का काम हम करेंगे. ताकि हमारे पिछड़ा वर्ग के युवाओं को भी देश से बाहर जाने का अवसर मिले और वह अपने कैरियर को व्यक्तिव को संवार सके. हमारी सरकार ने युवाओं को रोजगार देने की दिशा में भी पर्याप्त प्रावधान किए हैं, मुझे गर्व है कि युवाओं को रोजगार देने की बहुत बड़ी पहल मेरी विधान सभा क्षेत्र में संत रविदास ग्लोबल स्किल पार्क के निर्माण के साथ शुरू होने जा रही है. लगभग 600 करोड़ रुपए की लागत से हमारा ग्लोबल स्किल बन रहा है और प्रतिवर्ष 6 हजार युवाओं को न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण प्राप्त होगा, बल्कि उनको रोजगार भी मिलेगा, तो मुझे लगता है कि रोजगार की दिशा में भी हमारी सरकार बेहतर काम कर रही है. अध्यक्ष जी, मैं समझ रही हूं आपका इशारा बात खत्म करने का है, निश्चित रूप से बहुत सारे हमारे सदस्य है जो अपना वक्तव्य देना चाहते हैं. हमारे वित्त मंत्री जी ने, मुख्यमंत्री जी ने निश्चित रूप से मध्यप्रदेश की समृद्धि का, विकास का और आने वाले समय में 21 वीं सदी के आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने का यह बजट प्रस्तुत किया है. मैं चार लाइनों के साथ अपनी बात समाप्त करूंगी कि-
पंख ही काफी नहीं है आसमानों के लिए,
पंख ही काफी नहीं है आसमानों के लिए
हौंसला हमसा चाहिए ऊंची उड़ानों के लिए,
रोक रखी थी नदी की धार तुमने ही कहीं,
कुदाली हम ही लेकर आए हैं, उन मुहानों के लिए.
बहुत बहुत धन्यवाद.(..मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय - मैं चूंकि हमारी पहली बार की विधायिका है, दूसरा महिला भी है इसलिए मैं टोकना नहीं चाहता था, केवल देख रहा था कि मेरा इशारा समझ जाएंगी. श्रीमती राजश्री रुद्र प्रताप सिंह जी, समय देखते रहिए, आपको भी नहीं टोकना पड़े.
श्रीमती राजश्री रुद्र प्रताप सिंह(शमशाबाद) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहली बार सदन में बोलने जा रही हूं, त्रुटि के लिए क्षमा चाहती हूं. हमारी सरकार जो कल्याणकारी बजट लेकर आई है, उसके लिए मैं प्रदेश भर की बहन बेटियों की तरफ से हमारी सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूं.
वैसे तो यह बजट प्रदेश के हर वर्ग के, हर नागरिक के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने वाला बजट है, लेकिन बजट आते ही सबसे ज्यादा खुशी यदि किसी को हुई है तो पूरे प्रदेश की महिलाओं को हुई है. अध्यक्ष जी, बजट आने के बाद जब अपने क्षेत्र की बेटियां मुझसे मिलीं तो उनकी आंखों में जो चमक थी, उसमें साफ नजर आ रहा था कि वे इस बजट से कितनी खुश हैं. उन्होंने मुझसे कहा कि दीदी हमारे मामा केवल कहने के मामा नहीं है, बल्कि आज उन्होंने अपने मामा का रिश्ता पूरी तरीके से निभाया है. (..मेजों की थपथपाहट) मेरे क्षेत्र की बहनें मेरे पास आईं और कहा कि शिवराज मामा जी पहले लाडली लक्ष्मी योजना के रूप में हमारी बेटियों के पालन पोषण से लेकर उनकी शिक्षा दीक्षा की जिम्मेदारी निभा ही रहे थे, अब बहनों के लिए भी लाडली बहना योजना की एक अनूठी सौगात लेकर आए हैं. अध्यक्ष जी कल्पना कीजिए कि गरीब वर्ग की एक बहन जिसके पास खुद की आय का कोई साधन नहीं है, वह जब बीमार होती है और उसके पास इलाज के लिए पैसे नहीं होते हैं तो उसके मन में कितनी पीड़ा होती होगी. उसे जब अपनी मर्जी से जब खुद के लिए कुछ खरीदने की इच्छा होती होगी या कमजोरी में पोषणयुक्त आहार लेने की इच्छा होती होगी तो सुदूर गांव में जंगलों में पहाड़ी इलाकों में रह रही उस बहन बेटी उस मां के दिल में गरीबी की कितनी पीड़ा होती होगी. तब जरुरत के वक्त उसके पास एक पैसा नहीं होता होगा. उसके दिल की पीड़ा को, उसके दुख को, उसकी जरुरत को समझने का काम किसी ने किया है तो माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्व वाली सरकार ने किया है और उसी का परिणाम है कि आज हर गरीब बहन के खाते में एक हजार रुपए महीना डालने का प्रावधान बजट में किया गया है. अब कोई गरीब बहन अपनी छोटी मोटी जरुरतों को पूरा करने के लिए किसी का मूंह नहीं देखेगी. यह छोटी-छोटी चीजें महिलाओं के जीवन को बहुत बड़े स्तर पर प्रभावित करती हैं. इस बजट ने आज गरीब वर्ग की हर महिला के लिए आगे बढ़कर आत्मनिर्भर बनने के रास्ते खोल दिए हैं. यह सरकार महिलाओं को केवल सपने ही नहीं दिखाएगी, बल्कि सपने दिखाकर उनको साकार करने का काम भी करेगी. स्कूल में जाने वाली हर बेटी को साइकिल देने का काम तो हमारी सरकार कर ही रही थी, लेकिन अब बारहवीं कक्षा में फर्स्ट आने वाली बेटियों को ई-स्कूटी भी दी जायेगी.
अध्यक्ष जी, बेटा-बेटी जब पढ़ते हैं तो उनको खूब परिश्रम करने का प्रोत्साहन देने के लिए घर में माता-पिता उनसे कहते हैं कि बच्चों आप फर्स्ट आओगे तो आपको गाड़ी दिलवाएंगे. लेकिन गरीब मां-बाप चाहते हुए भी यह बात नहीं कह पाते हैं. लेकिन सरकार भी अब माता-पिता की भूमिका निभाने का काम करने जा रही है. गांव की बेटी योजना हो, महिला स्व-सहायता योजना हो, आहार अनुदान योजना हो या प्रसूती सहायता योजना, सारे सार्थक प्रयासों के लिए आज प्रदेश भर की माताएं, बहनें और बेटियां, सरकार को भरपूर आशीर्वाद दे रही हैं. अध्यक्ष जी, हमारे इस बजट में हर वर्ग के विकास के साथ-साथ हमारी संस्कृति और आध्यात्म के प्रचार- प्रसार के लिए भी, जो पुण्य प्रयास किए गए हैं, वह अभूतपूर्व हैं. इस बजट के प्रावधान के अनुसार प्रदेश के तीर्थस्थलों को नई पहचान मिल रही है. आज महाकाल लोक की भव्यता का दर्शन करने देश-विदेश से श्रद्धालु हमारे मध्यप्रदेश में आ रहे हैं.
अध्यक्ष जी, महाकाल की तरह ही बाकी तीर्थस्थलों को भी विकसित किया जाना सुनिश्चित हुआ है. ओंकारेश्वर में आदिगुरू शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा और वैश्विक स्तर का अद्वैत वेदान्त संस्थान सरकार बनाने जा रही है, अब महाकाल लोक की तर्ज पर सलकनपुर में देवी महालोक, ओरछा में राम राजा लोक और चित्रकूट में दिव्य वनवासी राम लोक विकसित किया जायेगा. इसके लिए 358 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है. अब हमारा मध्यप्रदेश विश्व में एक आध्यात्मिक केन्द्र के रूप में विकसित होगा. हमारी सनातन संस्कृति के वैभव का पुन: जयघोष हो, यह संकल्प इस बजट में दिखाई देता है. अध्यक्ष जी, हम गौमाता की सेवा करने वाले प्रावधान लेकर आए हैं. गौमाता की सेवा के लिए 3,346 नई गौशाला का निर्माण सरकार करवायेगी. मेट्रो रेल विकसित करना, नई सड़कों का निर्माण, धार्मिक-सांस्कृतिक स्थलों का पुनरुत्थान, पर्यावरण संरक्षण, कौशल आधारित शिक्षा, उत्तम स्वास्थ्य व्यवस्था, कृषि और महिला सशक्तिकरण से लेकर युवाओं के लिए रोजगार और स्टार्ट अप तक, ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जो इस बजट में शामिल न हो. मुझे यह कहते हुए बहुत प्रसन्नता है कि हमारा आज का यह बजट अपने आपमें जनता को सर्वोपरि और विकास को हमारे संकल्प के रूप में दर्शाने वाला बजट है. हमें पूरा विश्वास है कि हमारा यह लोक कल्याणकारी बजट स्वर्णिम मध्यप्रदेश का रोडमैप तैयार करेगा. हमारा लक्ष्य पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचना है. आज युवा खुश हैं, उनके सपनों को नये पंख मिले हैं, बहन-बेटी हमें आशीर्वाद दे रही हैं, गांव के खेत-खलिहान से लेकर शहर तक के नागरिक अपने विकास के लिए आश्वस्त हैं. निश्चित रूप से यह बजट हमारे सरकार की सबका साथ, सबका विश्वास की नीति को और आगे ले जायेगा.
अध्यक्ष जी, भारतीय संस्कृति और आध्यात्म में विश्व कल्याण के सूत्र निहित हैं. हमारी सरकार सनातन के लोकव्यापीकरण के कार्य के लिए प्रतिबद्ध है. प्रदेश के तीर्थस्थलों को नई पहचान मिल रही है. अब महाकाल लोक की भव्यता का दर्शन सबको आकर्षित कर रहा है. अन्त में, इतना ही कहना चाहूँगी कि वह दिन दूर नहीं, जब आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का गौरवगान विश्वभर में गुंजायमान होगा और सब कहेंगे कि प्रदेश हो तो मध्यप्रदेश जैसा. हम कहते हैं ''सुख का दाता सबका साथी, शुभ का यह संदेश है, मां की गोद पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है ।'' यह बजट इन पंक्तियों को चरितार्थ करने वाला बजट है. मैं पुन: इस सार्थक और अभूतपूर्व बजट के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय वित्त मंत्री जी और अपने सभी साथियों को शुभकामनाएं और धन्यवाद देना चाहती हूँ. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- विधानसभा की कार्यवाही बुधवार दिनांक 15 मार्च, 2023 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 6.00 बजे विधानसभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 15 मार्च, 2023 (24 फाल्गुन, शक संवत् 1944 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक- 14 मार्च, 2023 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा