मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
पंचदश विधान सभा एकादश सत्र
मार्च, 2022 सत्र
सोमवार, दिनांक 14 मार्च, 2022
( 23 फाल्गुन, शक संवत् 1943 )
[खण्ड- 11 ] [अंक- 6 ]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 14 मार्च, 2022
(23 फाल्गुन, शक संवत् 1943 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय -- गोविंद सिंह जी, क्या बात है भाई आज न उधर देख रहे हैं और न हमारी तरफ देख रहे हैं.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, यह जिधर देख रहे हैं हम भी उधर देख रहे हैं, पर यह सिर्फ देखने वालों की नजर देख रहे हैं. मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि हमारी पुलिस ने भोपाल में एक बड़ा प्रशंसनीय कार्य किया है. जे.एम.बी. के जो संदिग्ध लोग थे, जो प्रतिबंधित संगठन था हिन्दुस्तान की सरकार के द्वारा, बंगलादेश से जुड़े व्यक्ति थे, स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे थे उनको हमारी मध्यप्रदेश की पुलिस ने पकड़ा है, उसके लिये मैं चाहता हूं कि समवेत उन्हें बधाई दी जाए. हमारा मध्यप्रदेश शांति का टापू है और यहां के माध्यम से यह संदेश भी भेजना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की शांति हम किसी को भी भंग नहीं करने देंगे चाहे वह कितने भी बड़े लोग हों. बहुत बधाई.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय गृहमंत्री जी, वाहवाही लूट रहो हो, आपकी सरकार फेल्युअर नहीं है ? डेढ़ साल से वह किराये के मकान में रह रहे हैं क्या बात करते हैं. किस तरह की सरकार है भाई, खुद की पीठ खुद ही थपथपा रहे हैं ?
डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया -- यह अन्याय है. आप इतने विद्वान आदमी हैं. यह गलत तरीका है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- डेढ़ साल से वह आतंकवादी भोपाल में मुख्यमंत्री के नाक के नीचे रह रहे हैं. सरकार का वक्तव्य आना चाहिये. वह डेढ़ साल से कैसे रह रहे हैं. ऐसे हमारे प्रदेश को शांति का टापू भी बता दोगे. और नये आतंकवादी तैयार कर रहे हैं ?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- सज्जन भैया, आप तो यह बताओ कार्यवाही हुई अच्छा है कि नहीं ?
11.02 बजे अध्यक्षीय घोषणा
राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता प्रस्ताव पर चर्चा
प्रश्नकाल के पश्चात पूर्ण की जाना
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता प्रस्ताव पर चर्चा के साथ अन्य महत्वपूर्ण वित्तीय कार्य उल्लिखित हैं. अत: सबसे पहले राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता प्रस्ताव पर चर्चा प्रश्नकाल के पश्चात ही पूर्ण की जाएगी. तदोपरांत ध्यानाकर्षण तथा अन्य कार्य लिये जाएंगे. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत हैं.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
11.03 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
उपार्जन केन्द्रों में खरीदी प्रभारी एवं कर्मचारियों की नियुक्ति
[सहकारिता]
1. ( *क्र. 843 ) श्री प्रह्लाद लोधी : क्या सहकारिता मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उपार्जन केन्द्रों में खरीदी प्रभारी और अन्य कर्मचारियों को किसके द्वारा नियुक्त किया जाता है और क्या इन नियुक्तियों में सहकारिता विभाग और सहकारी बैंकों के अधिकारियों की भी भूमिका होती हैं? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) पन्ना और कटनी जिले में वर्ष-2019 से प्रश्न दिनांक तक किन-किन सहकारी समितियों के उपार्जन केंन्द्र कहां-कहां संचालित रहें, इन उपार्जन केन्द्रों में कौन-कौन खरीदी प्रभारी एवं अन्य कर्मचारी नियुक्त थे? इन कर्मचारियों को किसके द्वारा नियुक्त किया गया? क्या इन केन्द्रों में कार्यरत कर्मचारी पूर्व में भी अनियमितता के आरोपी/दोषी थे? यदि हाँ, तो किन-किन केन्द्रों के कौन-कौन कर्मचारी, किस अनियमितता के दोषी/आरोपी हैं? केन्द्र/समितिवार बतायें। (ग) क्या आयुक्त सहकारिता द्वारा दोषी/आरोपी कर्मचारियों को प्रभारी नियुक्त न करने के निर्देश रबी विपणन वर्ष 2021-22 के पूर्व वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में दिये थे? यदि हाँ, तो प्रश्नांकित ''ख'' जिलों में दोषी/आरोपी कर्मचारियों को खरीदी प्रभारी किसके द्वारा बनाया/नियुक्त किया गया? इसके लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं, उन पर क्या कार्यवाही कब तक की जायेगी? (घ) क्या मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (सहकारिता), प्रमुख सचिव (खाद्य), संभाग आयुक्त जबलपुर सहित कलेक्टर कटनी की कार्यालयीन ई-मेल आई.डी. पर दिनांक 12.12.2021 को ई-मेल आई.डी. bhaskarkatni@gmail.com से ''कटनी जिले में धान खरीदी में शासन/विभाग और कार्यालयीन आदेशों के पश्चात् भी अपचारी कर्मचारियों को खरीदी प्रभारी नियुक्त करने की जांच और कार्यवाही बावत्'' विषयक पत्र प्रेषित किया गया था? यदि हाँ, तो क्या प्रश्नांकित पत्र पर कोई कार्यवाही की गयी? यदि हाँ, तो क्या? यदि नहीं, तो क्यों? (ड.) प्रश्नांश ''ख'' जिलों में रबी विपणन वर्ष 2021-22 के उपार्जन कार्य में क्या-क्या अनियमितता पायी गयी और प्रश्न दिनांक तक किस-किस के द्वारा किन आदेशों से जांच की गयी? किस-किस के विरूद्ध प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की गयी और क्या खाद्यान्न के उपार्जन, परिवहन एवं भण्डारण में लगातार पायी जा रही अनियमितताओं पर शासन स्तर पर संज्ञान लिया जायेगा और विस्तृत जांच के आदेश किए जायेंगे? यदि हाँ, तो क्या एवं कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
सहकारिता मंत्री ( डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ) :
श्री प्रह्लाद लोधी -- अध्यक्ष महोदय, मैं दो-दो बार, तीन-तीन बार आपके बीच में विधायक बना हूं. एक बार विधायक जनता ने चुना था, एक बार कांग्रेस के द्वारा निष्कासित किया हुआ विधायक प्रहृलाद लोधी सुप्रीम कोर्ट से जीतकर दो बार विधायक बनकर आपके बीच में आया हूं. अध्यक्ष महोदय, यहां पर विराजमान हमारे सभी मंत्रिगण, सभी विधायकगण, विधायक बहनों, आप सभी के चरणों में सेवक का चरण स्पर्श कर प्रणाम पहुंचे. आप सबसे आशीर्वाद चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को यह बताना चाहता हूं कि मेरे यहां उपार्जन केन्द्रों में खरीदी प्रभारी और अन्य कर्मचारियों को किस-किस के द्वारा नियुक्त किया जाता है ? पन्ना, कटनी जिले में 2019 में प्रश्न दिनांक तक किन-किन सहकारी समितियों के उपार्जन केन्द्रों पर कहां-कहां संचालित रहीं ?
अध्यक्ष महोदय -- विधायक जी, यह तो सब जवाब दे दिया. आप तो सीधा पूरक प्रश्न पूछिये ना.
श्री प्रहृलाद लोधी -- मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि इन सभी जगहों पर अगर अनियमितता हुई है तो क्या कार्यवाही होगी ?
डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया -- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी के प्रश्न का उत्तर तो दिया ही है. विधायक जी के प्रश्न के पहले ऐसी 12 सोसायटियों में गड़बड़ हुआ था. सभी के खिलाफ कार्यवाही कर दी गई है और भी इसके अलावा आपको कुछ ध्यान आता है तो आप बताएंगे, तो उनके खिलाफ भी कार्यवाही करेंगे.
श्री प्रहृलाद लोधी -- बहुत-बहुत धन्यवाद माननीय मंत्री जी.
कुँवर विक्रम सिंह ''नातीराजा'' -- अध्यक्ष महोदय, मेरे जिला छतरपुर में बहुत भ्रष्टाचार हुआ है. सरकार क्यों डी.आर. को बचा रही है. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, वह संतुष्ट हो गये ना. जिनका प्रश्न था उनका उत्तर आ गया.
पशुपालन हेतु संचालित योजनाएं
[पशुपालन एवं डेयरी]
2. ( *क्र. 1980 ) कुँवर रविन्द्र सिंह तोमर भिड़ौसा : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सरकार पशु जीवन उत्थान एवं पशुपालन को बढ़ावा देने के लिये क्या-क्या योजनाएं संचालित कर रही है? (ख) सरकार द्वारा किसानों को पशुपालन करने हेतु सब्सिडी देने एवं ऋण देने के लिये कौन-कौन-सी योजनाएं संचालित की हुई हैं? क्या सरकार दुधारू पशुओं की मौत पर मुआवजा राशि को बढ़ाने का विचार रखती है? अगर नहीं तो क्यों?
पशुपालन मंत्री ( श्री प्रेमसिंह पटेल ) : (क) पशु जीवन उत्थान हेतु विभाग द्वारा पशु चिकित्सा, टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान एवं बधियाकरण कार्यक्रम संचालित है एवं पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए विभाग द्वारा अनुदान पर मुर्रा पाडा प्रदाय, गौ सांड प्रदाय (नंदीशाला), नर सूकर प्रदाय, सूकर त्रयी प्रदाय, प्रजनन योग्य बकरा प्रदाय, बैंक ऋण एवं अनुदान पर बकरी इकाई का प्रदाय, बैकयार्ड कुक्कुट इकाई का प्रदाय, कड़कनाथ इकाई का प्रदाय तथा आचार्य विद्यासागर गौसंवर्धन योजना संचालित है। निगम के द्वारा विभाग के माध्यम से राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम तथा पशुधन बीमा योजना का संचालन किया जा रहा है। (ख) विभाग द्वारा किसानों को पशुपालन करने हेतु सब्सिडी देने की संचालित योजनाएं-अनुदान पर मुर्रा पाडा प्रदाय, गौ सांड प्रदाय (नंदीशाला), नर सूकर प्रदाय, सूकर त्रयी प्रदाय, प्रजनन योग्य बकरा प्रदाय, बैकयार्ड कुक्कुट इकाई का प्रदाय, कड़कनाथ इकाई का प्रदाय तथा बैंक ऋण एवं अनुदान पर बकरी इकाई का प्रदाय एवं आचार्य विद्यासागर गौसंवर्धन योजना संचालित है। निगम द्वारा संचालित पशुधन बीमा योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से ऊपर श्रेणी के हिग्राहियों को 50 प्रतिशत तथा गरीबी रेखा से नीचे/ओ.बी.सी./एस.टी./एस.सी. के हितग्राहियों को 70 प्रतिशत बीमा प्रीमियम अनुदान दिया जाता है।
कुंवर रविन्द्र सिंह तोमर भिड़ौसा - अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से सीधा प्रश्न है कि पशुधन के मामले में सरकार संवेदनशील है. जिन पशुओं की मौत होती है, उसमें जो राशि अभी मिल रही है, वह पर्याप्त नहीं है क्योंकि पशुओं में जैसे भैंस की कीमत एक-डेढ़ लाख रुपये है. मैं माननीय मंत्री जी से सीधा प्रश्न यह कर रहा हूं कि क्या सरकार दुधारू पशुओं की मौत पर मुआवजा राशि को बढ़ाएगी?
श्री प्रेमसिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, दुधारू पशुओं की मौत होने पर मुआवजा राशि देने की कोई योजना विभाग में संचालित नहीं है.
कुंवर रविन्द्र सिंह तोमर भिड़ौसा - अध्यक्ष महोदय, यही तो मेरा प्रश्न है कि दुधारू पशुओं की मौत पर योजना संचालित नहीं है तो क्या वह योजना संचालित होगी, क्या उन पशुओं को मुआवजा राशि मिलेगी तो कब तक मिलेगी और कितनी मिलेगी? मैं यह जानना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - पहले तो यह है कि यह योजना संचालित है कि नहीं है, पहले उसका जवाब आ जाय. क्या इस तरह की कोई योजना है?
श्री प्रेमसिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, मुआवजा राशि देने की कोई योजना विभाग द्वारा संचालित नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - वह आगे मुआवजा की कोई बात ही नहीं है.
कुंवर रविन्द्र सिंह तोमर भिड़ौसा - अध्यक्ष महोदय, मैं वही तो पूछना चाहता हूं कि यह योजना संचालित नहीं है तो उस पर कोई विचार हो रहा है क्या? मैं यह पूछ रहा हूं कि यह किसानों से जुड़ा हुआ मामला है, पशुधन से जुड़ा हुआ मामला है.
अध्यक्ष महोदय - उनका प्रश्न है कि कोई इस तरह की योजना बनाने का विचार है क्या?
श्री प्रेमसिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, विचार करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
प्रश्न संख्या 3 श्री रामलाल मालवीय - (अनुपस्थित)
पैरामेडिकल शुल्क प्रतिपूर्ति में अनियमितता
[जनजातीय कार्य]
4. ( *क्र. 1583 ) श्री विनय सक्सेना : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या आयुक्त आदिवासी विकास द्वारा वर्ष 2013 में आरक्षित वर्ग के पैरामेडिकल कोर्स के विद्यार्थियों के शुल्क प्रतिपूर्ति की अनियमितता के संबंध में वर्ष 2009-10 से 2013-14 के पैरामेडिकल संस्थाओं को छात्रवृत्ति भुगतानों की जांच हेतु निर्देश जारी किये गये थे? (ख) उक्त मामले में समस्त जिलों में बनाई गयी जांच समितियों द्वारा की गयी जांच में क्याक्या निष्कर्ष प्राप्त हुए? जिलेवार प्रतिवेदनों की प्रतियाँ देवें। (ग) उक्त जाँच के पश्चात जिलेवार किन-किन संस्थाओं को, कितनी-कितनी राशि की वसूली हेतु नोटिस जारी किये गये? जिलेवार जारी नोटिस की प्रतियाँ देवें। (घ) उक्त मामले में जारी किये गये नोटिस के विरुद्ध जिलेवार किन-किन संस्थाओं द्वारा कितनी-कितनी राशि वापस की गयी? (ड.) उक्त जारी वसूली नोटिसों के विरुद्ध जिलेवार, किन-किन संस्थाओं द्वारा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गयी? उनमें न्यायालय द्वारा क्या-क्या निर्देश दिए गये? उच्च न्यायालय द्वारा उक्त याचिकाओं में पारित अंतिम आदेशों की प्रति देवें। (च) क्या उच्च न्यायालय द्वारा उक्त याचिकाओं में दिए गये निर्देशों के पालन में जिलेवार कार्यवाही की गयी? यदि हाँ, तो समस्त दस्तावेज विवरण देवें। यदि नहीं, तो क्यों? (छ) उक्त पैरामेडिकल संस्थाओं से छात्रवृत्ति की राशि की वसूली में लापरवाही हेतु कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं? उनके विरुद्ध क्या-क्या कार्यवाही की जावेगी?
जनजातीय कार्य मंत्री ( कुमारी मीना सिंह माण्डवे ) :
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि मेरे प्रश्न में जो मुख्य बात पूछी गयी है कि माननीय उच्च न्यायालय ने जो निर्देश दिये थे वह क्या थे? किन-किन अधिकारियों के ऊपर क्या-क्या कार्यवाही हुई और जो वसूली करने में लगातार देरी हो रही है, यह मामला छोटा नहीं है. अध्यक्ष महोदय, यह 1200 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला है और आदिवासियों के नाम पर किया गया यह घोटाला, उनके हक पर डाका डालने वाला घोटाला मुझे लगता है कि माननीय मंत्री जी ने यह तो स्वीकार किया गड़बड़ी हुई है तो मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं, लेकिन देरी क्यों हो रही है क्या वर्ष 2008 से 2014 के बीच में कितने और वर्ष लगेंगे? (शेम-शेम की आवाज)..यह सरकार कहती है कि हम आदिवासियों के हितैषी हैं. मैं यह कहना चाहता हूं कि उनके हक पर डाका डालने वाले जेल कब तक जाएंगे? माननीय न्यायालय ने ऐसा कोई आदेश नहीं किया, वर्ष 2016 का यह हाईकोर्ट का आदेश मेरे सामने है. मैंने माननीय मंत्री जी को अभी व्यक्तिगत रूप से भी दिखाया है कि उसमें स्पष्ट लिखा है कि आप जो चाहें कर सकते हैं. कलेक्टर इस पर कार्यवाही कर सकते हैं. सिर्फ एक बार उनका प्रतिवेदन लेकर उनकी सुन लें फिर उनको कार्यवाही की खुली छूट दी गई है. फिर आखिर ऐसे कौन-से राजनीतिक लोगों के चलते दबाव में यह काम नहीं हो पा रहा है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि माफियाओं को हम गाड़ देंगे, हमारे माननीय गृहमंत्री जी तो और कहते हैं कि मैं तो भुनवा दूंगा तो मेरा आपसे आग्रह गृह मंत्री जी चाहेंगे तो सब के सब जेल चले जाएंगे और सरकार इनकी बिल्डिंगें कब्जा क्यों नहीं करती है? माननीय मंत्री जी मैं यह पूछना चाहता हूं कि कब तक अधिकारियों को जेल भेजा जाएगा और माननीय उच्च न्यायालय ने क्या आपको निर्देश दिया वह स्पष्ट करें?
अध्यक्ष महोदय - अधिकारियों को जेल भेजना का तो कोई प्रश्न नहीं है? कार्यवाही की बात करें.
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, हाईकोर्ट के निर्देश की यह बात बोल रहे हैं, उसकी आड़ में कि नहीं हो रहा?
अध्यक्ष महोदय- हाईकोर्ट ने लिखा है कि जेल भेज दिया जाय?
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि जो चाहें आप कार्यवाही करें.
अध्यक्ष महोदय - जो चाहें कार्यवाही करें तो जांच करेंगे कि जेल भेजेंगे?
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, जांच भी हो चुकी है. इन्होंने स्वीकार कर लिया है कि कई जगहों से वसूली चालू हो गई. भारतीय दंड संहिता में कहीं नहीं लिखा कि अगर कोई वसूली कर ले तो वसूली कर लेगा तो हम उसको सजा नहीं देंगे. आईपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.
कुमारी मीना सिंह माण्डवे - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो कह रहे हैं वह जांच प्रक्रिया में है, लगातार जांच चल रही है. माननीय विधायक जी को शंका क्यों हो रही है, मुझे नहीं मालूम.
श्री विनय सक्सेना - अध्यक्ष महोदय, मुझे बिल्कुल शंका नहीं है. आपकी नीयत पर शंका नहीं है, परन्तु जो अधिकारी आपको गुमराह कर रहे हैं. आप सहज और सरल मंत्री हैं. मुझे लगता है कि आप समझ नहीं पा रही हैं. आपको जवाब में क्या लिखा जा रहा है. अध्यक्ष महोदय, यह बहुत अवमानना का मामला है. मैंने जवाब पढ़ा है, उसमें लिखा है कि न्यायालय में लंबित है. यह वर्ष 2016 का माननीय उच्च न्यायालय का आदेश आप कहें तो मैं पढ़कर सुना देता हूं, उसमें साफ लिखा है कि वर्ष 2016 को माननीय उच्च न्यायालय ने डिस्पोज़ ऑफ करके कह दिया सभी कलेक्टर जिनके पास में पत्र हैं और यह ऐसा नहीं है, पूरे मध्यप्रदेश में हर जिले का घोटाला है तो उसमें साफ कलेक्टरों को कहा है कि आप इस पर जो वैधानिक कार्यवाही है वसूली भी करें और इनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही भी करें तो माननीय मंत्री जी हमारे भील टंटैया जी का हमने विज्ञापन देखा, हमारे बिरसा मुंडा जी का विज्ञापन देखा. माननीय प्रधानमंत्री जी कहते हैं क्योंकि यह बजट में भी आया है, वह तो कहते हैं कि न खाऊंगा और न खाने दूंगा, तो फिर मंत्री जी, आप क्यों इनको बचाने का प्रयास कर रही हैं. आप एक निश्चित सीमा तय कर दीजिये. आज सदन में अध्यक्ष जी को भी मैं आग्रह करता हूं, क्योंकि यह गरीब आदिवासी भाइयों का मामला है. पहले यह सरकार कहती थी कि 1 रुपये भेजते हैं, 15 पैसे पहुंचता है, वह सच्चाई थी. यहां तो 100 का 100 खा रहे हैं पूरे के पूरे.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करिये.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि माननीय उच्च न्यायालय ने जब आपको छूट दे दी है कार्यवाही करने की, कब तक उनके खिलाफ कार्यवाही होगी, कब तक उनकी बिल्डिंगें टूटेंगी, कब तक उनकी मान्यता रद्द होगी, यह बता दें.
अध्यक्ष महोदय-- वह तो कह रही हैं कि जांच हो रही है.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, जांच कब तक चलेगी. पंच वर्षीय, दस वर्षीय, पच्चीस वर्षीय. जब हमारे पास सरकार मजबूत है. यह गाड़ने और भूनने वाली सरकार है. गाड़े, भूनें नहीं कम से कम उनको जेल भेज दें.
कुमारी मीना सिंह माण्डवे-- अध्यक्ष महोदय, शीघ्र जांच करा ली जायेगी.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, मेरी समझ में नहीं आता, ये विधायकों की एक समिति बना दें, इसमें एक निश्चित समय सीमा कर दें. 2014 से आज तक जांच नहीं हो पाई और कितने वर्ष लगेंगे. मुख्यमंत्री जी हमारे साफ कहते हैं कि वह कड़ी से कड़ी कार्यवाही माफियाओं पर करते हैं. अध्यक्ष महोदय, यह मैं आपसे हाथ जोड़कर निवेदन करना चाहता हूं कि खासकर गृह मंत्री जी भी बैठे हैं. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि 2014 से आज तक इतने साल में आप कुछ नहीं कर पाये तो मंत्री जी इसमें आपकी क्या रुचि है. इसलिये रुचि है कि उसमें बहुत सारे सफेद पोश मध्यप्रदेश के बड़े से बड़े नेताओं के नाम हैं.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, (प्रश्नोंत्तरी दिखाते हुए) आज ही का यह एक प्रश्न है, यह भी भ्रष्टाचार से संबंधित प्रश्न है. इसमें मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि 74 करोड़ रुपये जैसी बड़ी राशि उनके खाते में डाल दी गई.
अध्यक्ष महोदय--तरुण जी, वह उद्भूत नहीं हो रहा है. प्रश्नकर्ता माननीय सदस्य का जवाब दिलवा देने दीजिये. क्यों आप अपने साथी का नुकसान कर रहे हैं. उनका जवाब दिलवाने दीजिये ना.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, यह भी आज ही का प्रश्न है. मंत्री जी स्वीकार कर रही हैं.
अध्यक्ष महोदय--यह उससे उद्भूत नहीं हो रहा है ना.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, भ्रष्टाचार से संबंधित प्रश्न है, तो उद्भूत होगा.
अध्यक्ष महोदय-- उद्भूत नहीं हो रहा है.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, अगर भ्रष्टाचार का इससे उद्भूत नहीं हो रहा है, मैं आपका सम्मान करता हूं, बैठ जाता है, कल कॉल अटेंशन देता हूं आपको.
अध्यक्ष महोदय-- हां, ठीक है.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से दो लाइन का जवाब चाहता हूं कि जब न्यायालय ने आपको खुली छूट दे दी है, तो एक निश्चित समय सीमा में जांच समिति बनाकर इनको जेल भेजने की, उनसे वसूली करने की एक निश्चित समय सीमा सरकार क्यों नहीं तय करती.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, यह 2014 से चल रहा है.
कुमारी मीना सिंह माण्डवे-- अध्यक्ष महोदय, जी. माननीय सदस्य मेरे ऊपर आरोप लगा रहे हैं कि मेरी कोई रुचि है. बिलकुल भी रुचि नहीं है. अगर संस्थाओं के द्वारा उन्होंने गलती की होगी, तो निश्चित रुप से कार्यवाही होगी और कार्यवाही लगातार प्रक्रिया में है. मैं कहना चाहती हूं कि हम शीघ्र करा लेंगे. अगर जो भी व्यक्ति दोषी पाये जायेंगे, उनके विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जायेगी.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि ऐसी कैसी सरकार है 2014 से अभी तक कार्यवाही नहीं कर रही है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं हो गया. प्रश्न संख्या-5 डॉ. अशोक मर्सकोले.
श्री विनय सक्सेना-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जायेगा.
कुमारी मीना सिंह माण्डवे-- अध्यक्ष महोदय, अध्यक्ष महोदय, जब 13 महीने की आपकी सरकार थी, तो उस समय आपको उसी समय यह करा लेना चाहिये था.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठिये. मैं आगे प्रश्न की तरफ बढ़ गया. डॉ. मर्सकोले.
श्री विनय सक्सेना-- मंत्री जी, आदिवासियों के बारे में बड़ी अच्छी बातें आप लोग करते हो, लेकिन कार्यवाही करने से डरते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अब आप बैठिये, आपके साथी का प्रश्न है.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, इस पर उन्होंने कुछ भी तो नहीं कहा.
अध्यक्ष महोदय-- कहां ना कि हम जल्दी करा लेते हैं.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, कब तक, यह स्पष्ट तो होना चाहिये. कितने महीने और जांच चलेगी.
अध्यक्ष महोदय-- स्पष्ट ही कहा है कि जल्दी करा देंगे.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि एक निश्चित समय सीमा तो होनी चाहिये, जिससे मैं आपके सामने अगली बार प्रश्न कर सकूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- किसी जांच को सीमा में कैसे बांधेंगे. जल्दी करा लेंगे, कह दिया. प्रश्न संख्या 5.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, केवल सवाल इस बात का है कि समय लम्बा हो चुका है, आपने कह दिया कि कार्यवाही होगी, स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन कार्यवाही की कृपा करके समय सीमा बता दें. जब 5-6 वर्ष हो चुके हैं, तो केवल आप समय बता दें, इतने दिन में कार्यवाही करेंगे, 2-3 महीने में कार्यवाही करेंगे.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, 6 महीने में इसको वाइंड अप कर देंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- मंत्री जी, भ्रष्टाचारियों को 6 महीने और देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, 6 महीने कह दिया. प्रश्न संख्या 5. डॉ. अशोक मर्सकोले.
बैगा जनजाति हेतु संचालित योजनाएं
[जनजातीय कार्य]
5. ( *क्र. 600 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजना अंतर्गत वर्ष 2016-2017 में मण्डला एवं डिंडौरी जिले में निवासरत बैगा जनजाति के उत्थान हेतु किन-किन योजनाओं के संचालन के लिए आत्मा समिति, आजीविका मिशन या अन्य अर्द्ध शासकीय संस्थानों समितियों को कृषि विभाग द्वारा कितना-कितना आवंटन दिया गया था? (ख) प्रश्नांश (क) योजनाओं का लाभ बैगा जनजाति के हितग्राहियों के अतिरिक्त गैर बैगा आदिवासी के हितग्राहियों को लाभ दिया गया है? यदि हाँ, तो हितग्राहियों की सूची प्रदान करें। इसके लिए कौन-कौन अधिकारी कर्मचारी उत्तरदायी हैं? दोषी पर अभी तक क्या कार्यवाही की गई? (ग) प्रश्नांश (क) (ख) योजना क्रियान्वयन एजेंसी के निगरानी हेतु किस विभाग को दायित्व सौंपा गया था? क्या निगरानी कर रहे विभाग द्वारा योजना क्रियान्वयन की समीक्षा नहीं की गई? प्रतिवेदन सहित दोषियों पर की गई कार्यवाही से अवगत करावें।
जनजातीय कार्य मंत्री ( कुमारी मीना सिंह माण्डवे ) :
डॉ. अशोक मर्सकोले-- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न में वर्ष 2016-17 का मामला है. मैं आपसे विशेष संरक्षण चाहूंगा इसमें दो मुख्य बिन्दु हैं. इसमें आदिवासियों की जो सूची है, सूची में गड़बड़ी करके और गैर आदिवासियों को इसमें लाभान्वित किया गया है. यह एक मामला है और आदिवासियों की फर्जी सूची बनाकर और हितग्राहियों को डबल-डबल फायदा दिलाया गया है. यह मेरा मुख्य बिन्दु है. जब मैंने इस प्रश्न में मण्डला और डिण्डौरी का पूछा, मामला पूरे प्रदेश का है. मध्यप्रदेश के 20 जिलों में केन्द्र से राशि आवंटन हुआ था लेकिन माननीय मंत्री जी ने इतना बड़ा बंडल मेरे पास भिजवाया और जानकारी सिर्फ डिण्डौरी की दी है. मण्डला में जहां सबसे बड़े लेबल पर भ्रष्टाचार हुआ. जहां पर आदिवासी हितग्राहियों का आवंटन गैर आदिवासियों को आवंटित किया गया है. मैं आपके माध्यम से माननीया मंत्री जी से चाहूंगा कि ऐसा क्या हुआ और क्यों हुआ. मण्डला की जानकारी मुझे क्यों नहीं दी गई ?
कुमारी मीना सिंह माण्डवे - अध्यक्ष महोदय, जानकारी एकत्रित की जा रही है. माननीय सदस्य को अवगत करा दिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, आपने प्रश्न क्र. "क" में दोनों जगहों का स्वीकार किया है. मण्डला का भी उल्लेख किया है डिण्डौरी का भी किया है लेकिन जो उनको परिशिष्ट दिया है केवल डिण्डौरी का दिया है. आपने मण्डला स्वीकार किया है. वे चाह रहे हैं कि मण्डला की जानकारी क्यों नहीं दी गई वह उन्हें कब तक मिल जायेगी ?
कुमारी मीना सिंह माण्डवे - शीघ्र दिलवा देंगे अध्यक्ष जी.
डॉ. अशोक मर्सकोले - अध्यक्ष महोदय, वर्ष,2018 से यह मामला संज्ञान में है. आदिम जाति कल्याण विभाग जो केन्द्र का है उसने मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव और मण्डला कलेक्टर को पत्र लिखा जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि 15 दिन में जांच करके कार्यवाही करें. यह दिसम्बर,2021 की बात है. मण्डला कलेक्टर ने 7 जनवरी,2022 को एक टीम का गठन किया है लेकिन आज तक उसकी रिपोर्ट नहीं आ पाई है. यह बहुत बड़ा मामला है. मैं चाह रहा हूं कि या तो एक विधायकों की समिति हो जिसके माध्यम से यह जांच कराई जाए और सिर्फ मण्डला डिण्डौरी की ही क्यों, मध्यप्रदेश के 20 जिलों में इसकी जांच कराई जाए या फिर ई.ओ.डब्लू. के माध्यम से इसकी जांच कराई जाए क्योंकि जो योजनाएं केन्द्र के माध्यम से आती हैं या शासन की योजनाएं आती हैं उनका सही पालन क्यों नहीं हो पाता.
कुमारी मीना सिंह माण्डवे - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का जो कहना है जांच करा लेंगे और जो उसमें दोषी पाए जाएंगे तो कार्यवाही होगी.
अध्यक्ष महोदय - उनका कहना यह है कि कलेक्टर ने कोई आदेश किया कि 15 दिन के अंदर जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करें. जनवरी में कोई कमेटी भी बना दी और इतने दिन हो गये उस कमेटी ने कोई कार्यवाही नहीं की. यह प्रश्न उनका है. उसको कब तक पूरा करा देंगे ऐसा वे पूछ रहे हैं.
कुमारी मीना सिंह माण्डवे - अध्यक्ष महोदय. शीघ्र पूरा करा लेंगे.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय,ऐसे उत्तर आयेंगे कि शीघ्र हो जायेगा. जानकारी एकत्रित की जा रही है. तो हम संतुष्ट हो जायेंगे. मंत्री जी, समय-सीमा बता दें.
अध्यक्ष महोदय - आप भी तो मंत्री रहे है.
श्री तरुण भनोत - हम ऐसे जवाब नहीं देते थे.
अध्यक्ष महोदय - नहीं इसी तरह के जवाब आए हैं.
डॉ. अशोक मर्सकोले - अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर मामला है. कोई उत्तर नहीं है.(..व्यवधान..) यह आदिवासियों के हक के साथ छलावा हो रहा है.(..व्यवधान..)अध्यक्ष महोदय, वर्ष,2018 से यह मामला संज्ञान में है. प्रेस कांफ्रेंस हो चुकी है. इसमें मुझे विशेष संरक्षण चाहिये अध्यक्ष जी. पूरे मध्यप्रदेश के 20 जिलों में मुख्य सचिव के माध्यम से इसकी जांच हो.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठिये. मंत्री जी कलेक्टर का आदेश हो चुका है.उसी को पूरा कराना है. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी,आप कृपया कहिये.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, करा देंगे. अगले सत्र के पहले इन तीन महीनों में हम इसको कराकर इनको जवाब दे देंगे.
डॉ. अशोक मर्सकोले - अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय - नहीं जवाब आ गया. तीन महीने का उन्होंने समय दे दिया.
डॉ. अशोक मर्सकोले - अध्यक्ष महोदय, मेरी बात नहीं आई है.
अध्यक्ष महोदय - आ गया. तीन महीने का उन्होंने कह दिया. हो गया. आप कृपया बैठिये.
(11.20 बजे) बर्हिगमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बर्हिगमन
डॉ. अशोक मर्सकोले - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदया ने जो मैं बात कह रहा था उसका भी जवाब नहीं दिया. इसके विरोध में हम लोग सदन से बर्हिगमन करते हैं.
(डॉ.अशोक मर्सकोले,सदस्य के नेतृत्व में इंडियन नेशन कांग्रेस के सदस्यों ने माननीय मंत्री जी के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बर्हिगमन किया.)
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
गौशालाओं का संचालन
[पशुपालन एवं डेयरी]
6. ( *क्र. 2315 ) श्री जजपाल सिंह जज्जी : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत 3 वर्षों में विधान सभा क्षेत्र अशोकनगर के अंतर्गत कितनी ग्राम पंचायतों में गौशाला स्वीकृत की गई थी? कुल कितनी गौशालाओं का निर्माण हो चुका है तथा कितनी ग्राम पंचायतों में गौशालाओं का निर्माण कार्य शेष है? विवरण उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के अनुक्रम में पंचायतों में निर्मित की गई गौशालाओं के संचालन एवं प्रबंधन हेतु कर्मचारियों का क्या प्रावधान किया गया है? नियुक्त किए गए कर्मचारियों को किस मद से मानदेय प्रदान किया जा रहा है व किस गौशाला में कितनी संख्या में गौवंश रखा गया है? (ग) यदि उक्तानुसार गौशालाओं में गौवंश रखा गया है तो उनके भरण-पोषण के लिए क्या शासन द्वारा गौशालावार राशि दी जा रही है? यदि हाँ, तो विधान सभा क्षेत्र अशोकनगर में किस-किस गौशाला को कितनी-कितनी राशि विगत 3 वर्ष में प्रदाय की गई? सूची उपलब्ध करावें।
पशुपालन मंत्री ( श्री प्रेमसिंह पटेल ) : (क) विगत 3 वर्षों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) पंचायतों में निर्मित की गई गौशालाओं के संचालन एवं प्रबंधन की जिम्मेदारी पंचायतों की है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
श्री जजपाल सिंह जज्जी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पशुपालन मंत्री जी से मेरा सवाल था और मेरे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा है कि मेरी विधान सभा में गौशालायें संचालित हैं. मैंने सवाल यह किया था कि जो गौशालायें संचालित हैं उनमें प्रबंधन के लिये या देखरेख के लिये क्या कोई कर्मचारी नियुक्त है. जिसके जवाब में मंत्री जी ने कहा कि यह जवाबदारी पंचायतों की है. मेरा निवेदन यह है कि पंचायतों के पास ऐसा कोई फंड नहीं है जिससे वह कर्मचारी रख सकें. अगर जब कोई कर्मचारी नहीं है, प्रबंधन के लिये कोई व्यक्ति नहीं है तो वह गौशालायें संचालित कैसे हो रही हैं और उनमें जो गौवंश रखा है उनकी देखरेख कौन कर रहा है.
श्री प्रेम सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष जी, पंचायत सचिव और सरपंचों को जवाबदारी दी गई है और प्रदेश सरकार कलेक्टरों को पैसे देती है और उसके बाद जिला पंचायत सीईओ को देती है और उसके बाद पंचायत को जनपदों से पैसा मिलता है उसके रखरखाव हेतु.
अध्यक्ष महोदय-- उनका जो प्रश्न है.
श्री प्रेम सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष जी, उन्होंने यह बोला है कि किसको जवाबदारी दे रखी है, ऐसा बोला है, तो जवाबदारी पंचायतों को दे रखी है.
अध्यक्ष महोदय-- वह कह रहे हैं कि पैसा नहीं है.
श्री प्रेम सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष जी, पैसा हर माह जाता है.
श्री जजपाल सिंह जज्जी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो पैसा जाता है वह गौवंश के चारे के लिये जाता है, 15 रूपये आप भूसे का देते हैं और 5 रूपये दाना, जबकि कर्मचारी प्रबंधन के लिये कोई तो व्यक्ति होगा जो वहां देख रेख कर रहा हो, पानी पिलाना, चारा डालना. पंचायत के पास कोई प्रॉवीजन नहीं है कि वह कोई कर्मचारी रख सके. ऐसी स्थिति में कौन देख रहा है. पंचायत के पास ऐसा कोई फंड नहीं है. यह वह पंचायत पे कर सकती हैं जो खुद रेवेन्यू जनरेट कर रही हो. मेरी विधान सभा की कोई पंचायत नहीं है जो रेवेन्यू जनरेट कर रही हो. अनुदान जो मिलता है उसका पेमेंट नहीं किया जा सकता है, कोई ग्राम पंचायत कर्मचारी नहीं रख सकती.
श्री प्रेम सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष जी, वन विभाग की बात कही, वन विभाग को भी मध्य प्रदेश की सरकार गौमता के लिये, चारे के लिये, पानी पिलाने के लिये पैसा दे रही है.
अध्यक्ष महोदय-- उनका प्रश्न यह है कि चारे के लिये तो पैसा दे रही है उन्होंने स्वीकार कर लिया. 15 रूपये चारे के लिये और 5 रूपये दाना के लिये. जो उसकी देखरेख कर रहा है उसका जो मानदेय बनता है, उसका कौन दे रहा है.
श्री प्रेम सिंह पटेल-- अभी ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन पंचायत और जो वनग्राम हैं वनग्राम देखती हैं.
अध्यक्ष महोदय-- उनका कहना है कि जो पंचायत रेवेन्यू जनरेट नहीं कर रहीं हैं, उनके पास पैसा ही नहीं है, ऐसा उनका प्रश्न है.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जज्जी जी ने जो प्रश्न किया है. माननीय मंत्री जी जो उत्तर दे रहे हैं वह गलत दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- पहले जज्जी जी का हो जाये, पहले मूल प्रश्नकर्ता का होने दीजिये.
श्री लाखन सिंह यादव-- मैं उसी को आगे बढ़ा रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं आगे मत बढ़ाईये.
श्री प्रेम सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, 20 रूपये में सभी तरह की व्यवस्था करनी है.
श्री जजपाल सिंह जज्जी-- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का जवाब ही नहीं आ पा रहा.
अध्यक्ष महोदय-- 20 रूपये में ही सारी व्यवस्था करनी है, वह कह रहे हैं.
श्री जजपाल सिंह जज्जी-- 20 रूपये में कैसे करेंगे, उन 20 रूपये में से भी मजदूर को नहीं दे सकते, यह भी प्रॉवीजन है. अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि 20 रूपये में एक गौवंश को आप 24 घंटे उसका पेट नहीं पाल सकते. 8 रूपये किलो भूसा मिल रहा है, केवल 2 किलो भूसा 15 रूपये में आ रहा है, उसमें से कर्मचारी नहीं रख सकते, प्रॉवीजन लीगल नहीं है कि उसमें से एक पैसा भी कहीं और खर्च नहीं कर सकते. आखिर गौशालायें चल कैसे रही हैं, यह कह रहे हैं कि मेरी विधान सभा में गौशालायें चल रही हैं और उनमें गौवंश भी यह बता रहे हैं, लेकिन जब कोई कर्मचारी ही नहीं है.
श्री प्रेम सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष जी, 20 रूपये में सारी व्यवस्था करनी है, यह सरकार का नियम है. 20 रूपये में चारा भी है, रखरखाव भी है और सारी व्यवस्था है. पंचायतों को और वनग्रामों को दे रखा है.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब कांग्रेस की सरकार 2018 में बनी थी तब मैं इस विभाग का मंत्री था और जब मैंने पहली बार इस विभाग की मीटिंग ली उस समय लगातार 15 साल भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करें.
श्री लाखन सिंह यादव-- मैं वही कर रहा हूं, आपको थोड़ा सा ब्रीफिंग, और 15 साल यह भारतीय जनता पार्टी जिस गाय के नाम पर राजनीति कर रही थी ... (व्यवधान)...
..(व्यवधान..)..
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, तीन रूपये पंद्रह पैसे पर कैटल पर डे के हिसाब से इन्होंने रखा (व्यवधान..) लेकिन जब मैंने पहली बार मीटिंग रखी तो मैंने पहले ही दिन बीस रूपये पर कैटल पर डे के हिसाब से रखा था और माननीय अध्यक्ष महोदय, यह दुर्भाग्य है कि जब से हमारी सरकार गई है, जजपाल सिंह जज्जी बिल्कुल ठीक प्रश्न कर रहे हैं. जब से हमारी सरकार गई, उस दिन से गौमाता की मध्यप्रदेश में जो स्थिति है,यह जज्जी भाई ठीक कह रहे हैं (शेम शेम की आवाज) (व्यवधान..)
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- यह कांग्रेस के लोग जिन्होंने गौचर की जमीन पूरे प्रदेश के अंदर नेस्तनाबूद कर दी, आज गौ को इस हालत में पहुंचा दिया है, वह सीना ठोंक रहे हैं. यह प्रश्न भी भाजपा के व्यक्ति ने लगाया है, कांग्रेस के व्यक्ति ने नहीं लगाया है और दूसरा मैं जज्जी भाई को भी कहना चाहता हूं कि इस विषय में माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक समिति अलग से बनाई है और स्थाई निदान के लिये हम प्रयास कर रहे हैं. (व्यवधान)
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उस दिन के बाद किसी भी गौशाला में बीस रूपये के हिसाब से इन्होंने ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भाजपा के राज में स्थिति ऐसी बनी है कि गौशालाओं में भाजपा के राज में गौ माता की लाशें मिली हैं.
अध्यक्ष महोदय -- पहले आप सुन लीजिये, उसका उत्तर आ गया है. वह बता रहे हैं कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक समिति बनाई है, उस समिति का निर्णय जल्दी आना वाला है, इस बात पर विचार होगा. प्रश्न क्रमांक-7 श्री सुरेश राजे (अनेक माननीय सदस्यों के एक साथ आपने आसन से कुछ कहने पर) अब हो गया है, श्री सुरेश राजे जी आप बोलें.
माडा पाकेट योजनांतर्गत किये गये कार्य
[जनजातीय कार्य]
7. ( *क्र. 2296 ) श्री सुरेश राजे: क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) मैहर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत माडा पाकेट योजनांतर्गत कौन-कौन से ग्राम सम्मिलित हैं? इस योजनांतर्गत अब तक क्या-क्या कार्य कितनी लागत से कहां-कहां, कब-कब कराये गये हैं? (ख) प्रश्नांश (क) उल्लेखित योजनांतर्गत कार्य योजना में क्या-क्या कार्य प्रस्तावित हैं? इन्हें कब तक कराया जावेगा? क्या इन ग्रामों में माडा पाकेट योजनांतर्गत कार्य हेतु जनप्रतिनिधियों ने भी अनुशंसायें की हैं? यदि हाँ, तो अब तक क्या कार्यवाही की गई? (ग) माडा पाकेट योजनांतर्गत क्या-क्या कार्य लक्षित ग्रामों में कराये जाने का प्रावधान है? प्रचलित कार्यों का कब-कब विभागीय अधिकारियों ने सत्यापन किया?
जनजातीय कार्य मंत्री ( कुमारी मीना सिंह माण्डवे ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' एवं ''दो'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''तीन'' अनुसार है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। प्रस्तावित कार्यों पर सरंपच ग्राम पंचायत द्वारा अनुशंसा की गई है। अनुसंशित कार्य प्रस्तावित सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''तीन'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''चार'' एवं ''पांच'' अनुसार है।
श्री सुरेश राजे -- अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से सीधा प्रश्न है कि मैहर विधानसभा क्षेत्र के 53 गांव माडा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, भारत सरकार की ओर से इतने कम राशि के कार्य क्यों स्वीकृत किये जा रहे हैं? जबकि आधारभूत मूल सुविधाओं से वंचित मैहर विधानसभा क्षेत्र के 53 माडा क्षेत्रों में आदिवासी बस्ती विकास योजना की राशि क्यों स्वीकृत नहीं की जा रही है? जबकि जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में बस्ती विकास योजना के अंतर्गत लगातार काम स्वीकृत किये जा रहे हैं. मैहर विधानसभा के अंतर्गत आदिवासी बाहुल्य ग्रामों में किसानों के कुओं तक विद्युतीकरण राशि स्वीकृत क्यों नहीं की जा रही है ?जबकि अनेक आदिवासी क्षेत्रों में विद्युतीकरण के लिये.
अध्यक्ष महोदय -- आप सीधा प्रश्न पूछिये, आप इसको पढि़ये नहीं.
श्री सुरेश राजे -- अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से यही प्रश्न है कि
यह 52 गांव माडा क्षेत्र के अंतर्गत मैहर विधानसभा क्षेत्र में आते हैं, तो अभी तक इसमें इतनी कम राशि क्यों स्वीकृत की गई है और अभी तक जब से यह माडा क्षेत्र में 53 गांव सम्मिलित हुए हैं, कुल इन्होंने मात्र 7 काम इतनी कम राशि के स्वीकृत क्यों किये हैं? बस इतना ही मूल प्रश्न है.
कुमारी मीना सिंह माण्डवे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति मद की राशि भारत सरकार से कम आती है, तो जितनी राशि आती है, उस हिसाब से पूरे मध्यप्रदेश में दिया जाता है.
श्री सुरेश राजे -- अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय -- अब हो गया, आपने प्रश्न पूछ लिया, अब जितनी राशि आई उसका आवंटन कर दिया.
रेडियो थेरेपी हेतु आवंटित राशि
[चिकित्सा शिक्षा]
8. ( *क्र. 1753 ) श्री आरिफ मसूद : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भारत सरकार के पत्र दिनांक 02 दिसम्बर, 2010 द्वारा गांधी चिकित्सा महाविद्यालय भोपाल को आवंटित राशि में से रूपये 6 करोड़ 70 लाख का आवंटन रेडियो थेरेपी विभाग को मशीन क्रय हेतु किया गया था? उक्त राशि से क्रय मशीनें रेडियो थेरेपी विभाग में कहां स्थापित की गई हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या उक्त राशि का उपयोग अन्य मद में किया गया है अथवा राशि भारत सरकार को वापस दी गई है? जानकारी पृथक-पृथक उपलब्ध कराएं। (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में आवंटित राशि का उपयोग कैंसर विभाग (रेडियो थेरेपी) में नहीं किया गया है, तो दोषी अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। भारत सरकार का पत्र दिनांक 02.12.2010, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) प्रश्नांश 'ख' के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है।
श्री आरिफ मसूद -- अध्यक्ष महोदय, भोपाल में कैंसर अस्पताल को लेकर, हमीदिया अस्पताल को लेकर 8 करोड़ 99 लाख रूपये के लिये मैंने चाहा था कि वहां पर रेडियो ग्राफी की मशीन, तो माननीय का जवाब तो आ गया है, इन्होंने तीनों में ''जी नहीं'' कह दिया है, लेकिन मैं उसने यह पूछना चाहता हूं कि वह पैसा आया या नहीं आया है? यह स्पष्ट इसमें नहीं हो रहा है.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आरिफ भाई ने जो प्रश्न लगाया था, उसमें केंद्र सरकार की ओर से 2 दिसंबर 2010 को हमें जो सीट का अपग्रेडेशन है, उसके लिये पैसा मिलना था, अलग अलग मेडिकल कॉलेज में अलग अलग पैसा मिलना था. भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में हमें 23 करोड़ 97 लाख रूपये के लगभग मिलना था, उसकी पहली किश्त हमें 8 करोड़ 99 लाख की मिली है और उसको पूरी तरह से उपयोग किया गया है. आरिफ मसूद भाई का जो कहना है कि रेडिया थेरेपी के लिये उसका उपयोग क्यों नहीं हुआ या वह पैसा क्या रेडियो थेरेपी के लिये ही आया था ? तो वह रेडियो थेरेपी मशीन के लिये नहीं आया था, अपग्रेडेशन के लिये आया था, उसमें से एक पार्ट वह भी था, पर अलग-अलग प्रायोरिटीज थी, उसमें लगभग जो पैसा आया था, उसको खर्च किया गया. अगर उसके बाद माननीय अध्यक्ष महोदय, इसकी सेकेंड किश्त नहीं आई है और उसको लेकर हमने लगातार पत्राचार किया है. वह सैकेंड किश्त नहीं आई थी, पर फिर हमने आगे माननीय अध्यक्ष महोदय, क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी का यह उद्देश्य है कि हर मेडिकल कॉलेज में हम कैंसर विभाग को बहुत मजबूत करें और उसके लिये हमने माननीय अध्यक्ष महोदय, यह निश्चित किया है कि हम लीनेक जो कि रेडियो थेरेपी की उच्च स्तरीय मशीन है उसको हम भोपाल में भी लगा रहे हैं और मध्यप्रदेश के बाकी मेडिकल कॉलेज में भी लगा रहे हैं.
श्री आरिफ मसूद - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी स्वीकार रहे हैं कि उसमें 3 पोस्टें कर दीं, जब मशीन ही नहीं हैं तो वह 3 पोस्टें. ...
अध्यक्ष महोदय - अभी मंत्री जी ने बताया कि मशीनें लगवा रहे हैं.
श्री आरिफ मसूद - अध्यक्ष महोदय, अभी मशीनें लगाने का कहां कहा. उन्होंने कहा है कि मशीनें लगाई जाएंगी तो फिर यह 3 पोस्टें जो रख दी गई हैं, 3 पोस्टें बढ़ा दी गई हैं, जब मशीनें नहीं हैं तो 3 पोस्ट का क्या कर रहे हैं ?
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा लगता है कि आरिफ भाई अच्छे से ब्रीफ करके नहीं आए हैं.
श्री आरिफ मसूद - मैं अच्छे से ब्रीफ करके आया हूँ. मैं इसलिए अच्छे से ब्रीफ करके आया हूँ कि मुझे मालूम है कि मशीनों की डेट भी निकल गई है. मेरा ध्यानाकर्षण आएगा, तो उसमें सब कुछ आ जायेगा. आप तो उसमें यह तय कर दीजिये कि यह कब तक करवा दिया जायेगा ? यह पेपर है (हाथ से पेपर दिखाते हुए).
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, इनको जिन्होंने क्वेश्चन लिखकर दिया है, उन्होंने पूरी जानकारी लिखकर नहीं दी. यह पोस्ट की बात कर रहे हैं. आरिफ भाई, मुझे समझ में नहीं आया कि आप कौन-सी पोस्ट की बात कर रहे हो.
श्री आरिफ मसूद - अध्यक्ष महोदय, अभी आप ही ने कहा है कि 3 पोस्टें, पीजी के लिए कर दी हैं.
श्री विश्वास सारंग - मैंने बोला ही नहीं है.
श्री आरिफ मसूद - अभी इसमें लिखा हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी नहीं बोले हैं.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, मैं यही बोल रहा हूँ कि उनको किसी ने लिखकर दे दिया है.
श्री आरिफ मसूद - अभी आपने 3 पोस्टों का कहा है.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी पोस्ट का नहीं बोले हैं.
श्री आरिफ मसूद - अध्यक्ष महोदय, मेरा कैंसर को लेकर केवल इतना कहना है क्योंकि कैंसर विश्व में, भोपाल में नम्बर वन पर गिना जा रहा है. यहां रेडियोथेरेपी की मशीनें अगर आ सकती हैं, तो कब आ जायेंगी ? यह बता दें कि इस समय सीमा में आ जाएंगी. आपने 8 करोड़ रुपये के लिए कहा कि उसके लिए अलग-अलग से पेमेन्ट नहीं आया था, तो अब मुझे यह बता दें कि कब तक आ जायेगी, कब स्थापित हो जायेगी ? ताकि भोपाल में मरीजों को कुछ लाभ मिल जाये.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो आरिफ मसूद जी कह रहे हैं. मैंने जैसे कहा कि यह दो लाईनें आगे पढ़ लीं, जो लिखा हुआ था. बेसिकली कोई पोस्ट नहीं आई है. यह तो हमारी क्रेडिबिलिटी है कि हमारे विभाग ने कैंसर डिपार्टमेंट में पीजी की सीट बढ़वा ली. यह तो बड़ी बात है, इस पर तो सदन को, सबको हमें धन्यवाद देना चाहिए और जहां तक इन्होंने यह कहा है कि यह रेडियोथेरेपी की मशीन कब आएगी ? तो मैंने बताया है कि लीनेक को लेकर कैबिनेट से हमने प्रस्ताव पारित करवा लिया है. वह मशीन करीब 20 करोड़ रुपये से 22 करोड़ रुपये की आती है, उसका टेण्डर भी एक-दो दिन में आने वाला है, उसका बंकर का काम भी शुरू हो गया है. केवल भोपाल में नहीं, बल्कि हम मध्यप्रदेश के बाकी मेडिकल कॉलेजों में भी अधिकतर मेडिकल कॉलेजों में यह मशीन लगवा रहे हैं.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी असत्य आश्वासन देते हैं. मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूँ कि विदिशा मेडिकल कॉलेज में कब तक सीटी स्कैन चालू हो जायेगा ?
कुँवर विक्रम सिंह (नातीराजा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र राजनगर में एक व्यक्ति को पदस्थ किया गया है, जो डिजिटल एक्स-रे मशीन चलाता है. माननीय मंत्री जी द्वारा उत्तर दिया गया है. परन्तु वह वहां पर उपस्थित ही नहीं है, वह वहां पर है ही नहीं.
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हाथ जोड़कर निवेदन कर रहा हूँ कि एक बार आपके प्रयास से विपक्ष के विधायकों का एक प्रबोधन कार्यक्रम करवाइये. यह मेडिकल एज्युकेशन का मामला है, वह स्वास्थ्य की बात कर रहे हैं. राजनगर से इस विभाग का कोई लेना-देना ही नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बार आप जरूर करवाएं, यदि यह नहीं करवा पाये तो आप डॉ. नरोत्तम जी को यह ड्यूटी दे दीजिये कि हम प्रबोधन करवा दें. कोई सीट की बात बोल रहा है तो कोई प्रमोशन की बात कर रहा है, पढ़-लिखकर तो आएं. यह सदन ऐसे ही नहीं है. आरिफ मसूद जी ने कुछ पूछ लिया, कोई कुछ पूछ रहा है, वह सीटी स्कैन की बात कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, इससे विधान सभा की गरिमा कम हो रही है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, यह जनहित का प्रश्न है. सामूहिक जवाबदारी है.
अध्यक्ष महोदय - चिकित्सा शिक्षा अलग है, स्वास्थ्य शिक्षा अलग है. इससे प्रश्न उद्भूत ही नहीं हो रहा है.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है कि आप एक बार प्रबोधन कार्यक्रम करवा दीजिये.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, वह आपसे अपेक्षा कर रहे थे कि उन्होंने सोचा, इनसे पूछ रहे हैं. नरोत्तम भाई वह आपसे पूछ रहे थे. आप जवाब दे दीजिये, आप तो सबके जवाब देते हैं.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, सर्वज्ञानी तो आप हैं. आप तो तख्तियां लिखकर लाया करो कि आप किससे पूछ रहे हैं ? और वह डिसाइड आप किया करो.
अध्यक्ष महोदय - विश्वास जी, आपने सलाह यह दी कि नरोत्तम जी को उधर भेज दीजिये, तो आपके लिए हम खतरा क्यों पैदा करें ? उनको नहीं भेजना है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - यहां मत भेजो, पास में खिसका दो.
विभागीय निर्माण कार्य
[सहकारिता]
9. ( *क्र. 110 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या सहकारिता मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2015-16 से लेकर प्रश्न दिनांक तक रतलाम जिला अंतर्गत किन-किन स्थानों पर शासन/विभाग द्वारा किस-किस प्रकार के निर्माण कार्य किस-किस प्रयोजन हेतु किये गये? कार्य एजेन्सी मूल्यांकन हेतु अधिकृत सक्षम अधिकारी के नाम सहित वर्षवार जानकारी दें। (ख) उपरोक्त वर्षों में विभिन्न निर्मित व निर्माणाधीन कार्यों का भौतिक सत्यापन किस के द्वारा किस की उपस्थिति में कब-कब किया गया? कार्यवार, स्थानवार, दिनांकवार जानकारी दें। (ग) अवगत कराएं कि उपरोक्त वर्षों में प्रश्न दिनांक तक विभागीय कार्यों हेतु किस-किस प्रकार के वाहनों का क्रय किया गया, जिनकी लागत कितनी-कितनी है? वे किन कार्यों हेतु उपयोग में लिये जा रहे हैं? उनकी टूट-फूट, मरम्मत व रख-रखाव पर कितना व्यय हुआ? वर्षवार जानकारी दें। (घ) बताएं कि उपरोक्त वर्षों में प्रश्न दिनांक तक कितने ऐसे अधिकारी/कर्मचारी हैं, जो भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में भी लगातार तीन वर्षों से भी अधिक एक ही स्थान पर कार्यरत हैं? कितने अधिकारी/कर्मचारी एक ही ब्लॉक में एवं कितने ऐसे अधिकारी जो कि एक ही कार्यालय पर तीन वर्षों से अधिक पदस्थ हैं? वर्षवार, स्थानवार, कार्यवार जानकारी दें।
सहकारिता मंत्री ( डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ) : (क) प्रश्नांकित अवधि में आर.के.व्ही.वाय. योजनार्न्तगत रतलाम जिले में 05 गोदाम का निर्माण तथा 02 गोदाम की मरम्मत निर्माण एजेंसी म.प्र. राज्य सहकारी विपणन संघ, भोपाल के माध्यम से किया गया, विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) उपरोक्त वर्षों में निर्मित एवं निर्माणाधीन कार्यों का भौतिक सत्यापन विपणन संघ के सहायक यंत्री द्वारा किया गया एवं कार्यपालन यंत्री द्वारा परीक्षण किया गया। दिनांकवार जानकारी संधारित नहीं किया गया है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) प्रश्नांकित अवधि में विभागीय कार्यों हेतु रतलाम जिले में कोई वाहन क्रय नहीं किये जाने से जानकारी निरंक है। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है।
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निर्माण कार्यों से संबंधित और निर्माण कार्यों के साथ ही अन्य मरम्मत के संबंध में प्रश्न लगा था. माननीय मंत्री जी ने अपने उत्तर में बताया है कि आरकेवीवाय योजना के माध्यम से 5 गोदामों का निर्माण और दो गोदामों की मरम्मत की गई और उसकी एजेंसी मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ भोपाल के माध्यम से की गई. इसी के साथ साथ रतलाम जिले में लगभग 22-23 निर्माण कार्य किए गए हैं और वहां पर दो सहायक यंत्री और दो उपयंत्री कार्यरत हैं, किस तरह की उनकी योग्यता होना चाहिए, क्योंकि वर्तमान में जो निर्माण कार्य किए जा रहा है, वे काफी बड़े भवन और काफी गुणवत्ता की आकांक्षाएं-अपेक्षाएं सभी की रहती है. एक तो मैं जानना चाहता हूं कि वे किस स्तर के इंजीनियर हैं और डिप्लोमाधारी हैं और इसी के साथ साथ जब भोपाल विपणन संघ के द्वारा निर्माण एजेंसी बनाई गई तो स्थानीय स्तर पर जिला अंतर्गत प्रशासकीय समिति भी गठित की गई, उपायुक्त महोदय द्वारा अलग से समिति गठित की गई और बैंक के स्वयं के द्वारा भी समिति गठित की गई और संस्था के द्वारा भी स्वयं समिति गठित की गई, लेकिन इनकी मॉनिटरिंग करने के लिए मात्र ये चार ही लोग है और काफी भ्रष्टाचार, अनियमितता, गबन, गुणवत्ताविहीन कार्य किए जाने की जानकारियां प्राप्त हुई हैं, तो क्या माननीय मंत्री जी उसकी गुणवत्ता की जांच करवाएंगे और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करेंगे?
डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, संबंधित विधायक जी ने प्रश्न किया. इसमें सब इंजीनियर रहता है, जो कॉपरेटिव बैंक होती है वह उसका एम्पलाई होता है, जिला सहकारी बैंक का. ऐसे ही रतलाम में भी एक सब इंजीनियर है जो कि सब कामों की मॉनिटरिंग करता है. दो प्रकार की संस्थाओं ने काम किया है, एक मार्कफेड द्वारा हुआ है, कुछ जगह स्थानीय स्तर पर जो हमारी कॉपरेटिव सोसायटियां हैं, साख सहकारी समितियां हैं उनको आवश्यकता पड़ती है तो जिला सहकारी बैंक से लोन लिया गया उस लोन लेने के बाद वहां पर निर्माण हुआ है. माननीय विधायक जी जो कह रहे हैं, अगर विधायक महोदय को ऐसा लगता है तो जिस एजेंसी से चाहे उस एजेंसी से मैं जांच करवाने को तैयार हूं.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी के साथ-साथ मेरा आग्रह यह भी है. चूंकि जो इस्टीमेट प्रोजेक्ट प्लान इंजीनियर के द्वारा बनाए जाते हैं, वह उस पर पूरे गहराई से अध्ययन करता है, स्थल निरीक्षण करता है, आवश्यकता अनुसार इस्टीमेट बनाए जाते हैं और प्रोजेक्ट प्लान बनता है. अब जब सारी निर्धारित स्थिति और निर्धारण के अनुसार कार्य कर लेता है तो फिर कतिपय कारणों से अतिरिक्त राशि की मांग क्यों की जाती है, एडिश्नल इस्टीमेट क्यों बनवाया जाता है. ऐसा रतलाम जिलों में किन किन स्थानों पर हुआ, जहां पर अतिरिक्त इस्टीमेट बनाया गया और वहां पर अतिरिक्त राशि का प्रयोग करते हुए कार्य किया गया.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी ने सभी जांच करवाने को तो कह दिया है और इससे ज्यादा सकारात्मकता क्या हो सकती है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी के साथ मेरा एक अन्य प्रश्न भी है. हमारे रतलाम जिले में 103 सोसायटियां हैं, लेकिन कुछ सोसायटियों में एक से ज्यादा प्रबंधक है, कहीं कहीं पर 3 प्रबंधक है, कहीं पर 2 प्रबंधक है और कहीं कहीं पर प्रबंधक ही नहीं है तो ये असमायोजन क्यों है, क्या इसे माननीय मंत्री जी समायोजित करेंगे, क्या जहां पर प्रबंधकों की आवश्यकता है, उसकी पूर्ति करेंगे.
डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया - अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक महोदय ने दो प्रश्न किए हैं, जो इस्टीमेट बनता है तो इस्टीमेट बनने के बाद जो रिवाइज इस्टीमेट बनता है, उसमें काम का एक्सपेंशन हुआ है, जिसके कारण उसमें राशि की जरुरत पड़ी है, फिर भी माननीय विधायक महोदय कह रहे हैं तो कहीं से भी किसी प्रकार की गड़बड़ी होगी तो, आप चाहे तो भोपाल के मार्कफेड एजेंसी से जांच करवा लेते हैं या किसी और एजेंसी से जांच करवा लेते हैं. दूसरा विषय कहा है कि टोटल मिलाकर 316 हमको कर्मचारी चाहिए, लेकिन हमारे पास मात्र 133 कर्मचारी कार्यरत है. अभी हर सोसायटी पर एक कर्मचारी कार्यरत है. अगर इसमें भी कहीं माननीय विधायक महोदय को लगता है तो इसमें भी हम पूरा समायोजन कर देंगे और कोई भी सोसायटी को खाली नहीं रहने देंगे, जहां 2-3 कर्मचारी होंगे और जहां कम होंगे वहां पर हम उन्हें चार्ज दे देंगे या वहां पर ट्रांसफर करवा देंगे.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - मंत्री महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.
दमोह में मेडिकल कॉलेज का निर्माण
[चिकित्सा शिक्षा]
10. ( *क्र. 547 ) श्री अजय कुमार टंडन : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुख्यमंत्री द्वारा विगत 27 फरवरी, 2021 को दमोह प्रवास के दौरान दमोह में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की गई थी? (ख) यदि हाँ, तो दमोह में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा के बाद प्रश्न दिनांक तक इसके क्रियान्वयन के लिए क्या-क्या कार्यवाही हुई है? (ग) यदि कोई कार्यवाही नहीं की गई तो इसका क्या कारण है? (घ) क्या दमोह में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए बजट में प्रावधान किया जा रहा है? (ड.) मुख्यमंत्री की घोषणा के क्रियान्वयन में विलम्ब के लिए कौन-कौन अधिकारी दोषी है तथा उन पर क्या कार्यवाही की जायेगी?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जी हाँ। (ख) दमोह में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा के बाद की गई कार्यवाही की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उत्तरांश 'ख' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी हाँ। (ड.) उत्तरांश 'क' से 'घ' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री अजय कुमार टंडन --अध्यक्ष महोदय, मैं विधान सभा में पहली बार का विधायक हूं. आपने प्रश्न रखने का मौका दिया इसके लिये आपको धन्यवाद देता हूं. मैं अपने सीधे प्रश्न पर आता हूं. माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने 27 फरवरी, 2021 को दमोह में मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी. उसमें जमीन आवंटित हो चुकी है, डीपीआर बनकर के तैयार है. 266.71 करोड़ रूपये की राशि की व्यवस्था है. इसके लिये मैं दमोह की जनता की ओर से विधायक होने के नाते माननी मंत्री जी आपका धन्यवाद करता हूं. लेकिन आपने मेरे प्रश्न के जवाब में कहा है कि वर्तमान में मंत्रि-परिषद् के समक्ष प्रशासकीय स्वीकृति हेतु विचारणीय है. मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि 27 फरवरी, 2021 को घोषणा हुई मंत्रि-परिषद् की पता नहीं एक वर्ष में कितनी बैठकें हो गई होंगी. हम क्या यह मतलब निकालें कि चुनाव हार जाने के बाद...
अध्यक्ष महोदय--आप मूल प्रश्न पर बोलिये.
श्री अजय कुमार टंडन --अध्यक्ष महोदय, मेरा यही प्रश्न है. हम क्या यह मतलब निकालें कि चुनाव हार जाने के बाद...
अध्यक्ष महोदय--यह प्रश्न नहीं हुआ. आप तो प्रश्न पूछिये.
श्री अजय कुमार टंडन --अध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूं कि घोषणा के एक वर्ष के वर्ष के बाद भी मंत्रि-परिषद् की कई बैठकें हो चुकी होंगी इसके बाद भी इसकी स्वीकृति क्यों नहीं हो जाती है ?
अध्यक्ष महोदय--यह तो प्रश्न ही नहीं हुआ. वह तो जवाब दे देंगे. आपका प्रश्न क्या है ?
श्री अजय कुमार टंडन --अध्यक्ष महोदय, प्रश्न मेरा सीधा सीधा है.
अध्यक्ष महोदय--आपका प्रश्न सीधा नहीं है.
श्री अजय कुमार टंडन --अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि इसमें आप प्रशासकीय स्वीकृति कब तक करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय--आप यह पूछिये ना.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं हमारे माननीय विधायक जी को बहुत धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री जी का तथा मेरा आभार व्यक्त किया उनकी सहृदयता को मैं प्रणाण करता हूं. वैसे तो माननीय विधायक जी ने बातें खुद ही बोल दीं. मैं सदन में यह बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार ने किस प्रकार से मेडिकल एज्यूकेशन डिपार्टमेंट्स के माध्यम से कालेजों को मध्यप्रदेश में लाने का काम किया है. मध्यप्रदेश के निर्माण से लेकर 2008 तक मध्यप्रदेश में केवल 5 मेडिकल कॉलेज थे. भोपाल, इन्दौर, जबलपुर, ग्वालियर और रीवा...
श्री अजय कुमार टंडन --अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी इस बात को स्वीकार करता हूं. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, यह डिसाईड करेंगे.
श्री अजय कुमार टंडन --अध्यक्ष महोदय, मैं यह पूछ रहा हूं कि आप केबिनेट की बैठक में इसकी प्रशासकीय स्वीकृति कब तक देंगे ? (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, मैं वही बता रहा हूं. हमारी सरकार बनने के बाद सबसे पहले मेडिकल कॉलेज खोलने की शुरूआत हुई तो हमने सागर में खोला, हमने 2018 में विदिशा, रतलाम, खण्डवा, शहडोल, दतिया एवं शिवपुरी में खोला. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप लोग एक साथ खड़े हो गये हैं. कृपया बैठिये.
श्री अजय कुमार टंडन --अध्यक्ष महोदय, यह तो सवाल पूछने वाले के साथ अन्याय हो रहा है. जवाब तो दीजिये मंत्री जी. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--टंडन जी इसका हल निकलने दीजिये. (व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी--अध्यक्ष महोदय, इसका जवाब यह नहीं हुआ. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- इसका हल निकलने दीजिये. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, इस बजट में मंडला, मंदसौर, नीमच, श्योपुर, राजगढ़ एवं सिंगरौली में नये मेडिकल कालेज खोल रहे हैं.
श्री अजय कुमार टंडन --अध्यक्ष महोदय, मैं कह रहा हूं कि इसकी स्वीकृति कब होगी ?
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, उज्जैन, बुदनी, दमोह और सिवनी में भी हम मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं. (व्यवधान) यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. इन्होंने एक भी मेडिकल कालेज नहीं खोला. जहां तक दमोह की बात है. वहां पर मैं विधायक जी को कहना चाहता हूं कि आपने स्वयं ने बोला कि इसकी घोषणा हो गई है.
श्री कुणाल चौधरी--यह तो घोषणाएं हो गईं. इन्होंने करा क्या, धरातल पर इन्होंने क्या करा बताने की जगह सिर्फ घोषणाओं को गिना रहे हैं. माननीय मंत्री जी घोषणाओं से कुछ नहीं होता ? (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--इनके सवाल का हल निकलने दीजिये.
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय,जो विधायक जी पूछ रहे हैं. मैं विधायक जी को जानकारी देना चाहता हूं. जैसा कि इन्होंने कहा कि इसकी डीपीआर बन गई है सेंक्शन हो गई है. उसकी एए जारी होने के बाद तुरंत वह मंत्रि-परिषद् में आ जायेगा. इसका मतलब यह नहीं है कि इसको टाला गया है. इसकी एक प्रोसेस है उस प्रक्रिया के तहत काम चल रहा है.
श्री अजय कुमार टंडन-- आप बाकी मेडिकल कॉलेजों की घोषणा तो कर चुके हैं. आप एक साल में अभी तक यह निर्णय नहीं कर पा रहे हैं. एक साल हो गया है. (व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे ही ए.ए. जारी हो जाएगी उसके बाद मंत्री परिषद् का काम भी हो जाएगा. (व्यवधान)...
श्री अजय कुमार टंडन-- इसीलिए तो मैं कहता हूं कि जब चुनाव हार जाते हो तो अपनी घोषणाओं से मुकर जाते हो. (व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग--आपने स्वयं हमें धन्यवाद दिया और आप ही कह रहे हो कि हम मुकर जाते हैं. आपने ही बोला कि बजट सेंग्शन हो गया है और आप ही कह रहे हैं कि मुकर जाते हैं. (व्यवधान)...
श्री अजय कुमार टंडन-- आपने जो सही काम किया मैंने उसके लिए आपको धन्यवाद दिया. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- टंडन जी मंत्री जी ने कह दिया है कि वह जल्दी करवा देंगे बात खत्म हो गई. (व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जल्दी नहीं करवा सकते. मैं बता रहा हूं कि जैसे ही ए.ए. जारी होगी और वह प्रक्रिया के तहत है उसके बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा. (व्यवधान)...
श्री अजय कुमार टंडन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई तो समय-सीमा होगी. जल्दी कब तक कर देंगे. एक साल, दो साल या जब चुनाव आएगा तो फिर से जल्दी कर देंगे? यह बहुत ही गंभीर विषय है. (व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्टेट के बजट से भी मेडिकल कॉलेज खोले हैं. बाकी राज्यों में ऐसा नहीं होता है. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार के माध्यम से बड़ी उपलब्धि है. (व्यवधान)...
श्री आरिफ मसूद-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बार-बार कहते है कि यह शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार है हमने यह कभी नहीं कहा कि यह डॉ. नरोत्तम मिश्र जी की सरकार है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आरिफ जी कृपया कर आप बैठ जाइए. (व्यवधान)...
श्री अजय कुमार टंडन--अध्यक्ष महोदय, जो बात हुई है उसे मैंने स्वीकार किया है लेकिन आप यह तो बताइए कि आपकी एक साल में केबिनेट की इतनी बैठकें हो चुकी हैं. आप केवल यह बता दें कि आप इसे कब तक केबिनेट में लाकर मंजूरी दे रहे हैं. मैं केवल इतना सा ही प्रश्न कर रहा हूं. मामला यहीं तो अटका है. (व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग-- माननीय विधायक जी आपने सुना नहीं मैंने कहा कि एक प्रक्रिया होती है और प्रक्रिया के तहत सबसे पहले घोषणा होती है. (व्यवधान)...
श्री अजय कुमार टंडन-- माननीय मंत्री जी आप हमें समय-सीमा बता दीजिए. चिंता का विषय यह है कि एक साल हो गया है. (व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग-- प्रक्रिया में एक साल नहीं लगा है बहुत जल्दी काम हो रहा है. (व्यवधान)...
श्री अजय कुमार टंडन-- माननीय मंत्री जी, एक महीने, दो महीने कि अगले चुनाव के आने तक आप समय-सीमा बता दीजिए? (व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय मंत्री जी, भाषण देकर आए थे वह हार गए तो यहां पर भी भाषण दे रहे हैं चुनाव के भाषण यहां पर नहीं चलेंगे. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी तारीख बताएं. (व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग-- आप दिव्य ज्ञानी हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कुणाल जी और टंडन जी आप दोनों बैठ जाइए. मैंने कहा है कि प्रक्रिया में है जैसे ही होगा शुरू कर देंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- मंत्री जी विषय से ज्ञान उधर से प्राप्त हो गया है तो अतिरिक्त ज्ञान परोसा जा रहा है.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इतना ही समय लगता है 500 करोड़ का प्रोजेक्ट है यह कोई गुडिया का घर नहीं बनाना है. इसकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनेगी, सेंग्शन होगा, ए.ए. जारी हो रही है उसके बाद हो जाएगा. यह सब प्रक्रिया के तहत ही है इसमें कहीं देरी नहीं हुई है. प्रक्रिया में जितना समय लगता है उतना ही लग रहा है.
श्री अजय कुमार टंडन--आप मेडिकल कॉलेज को गुडिया का घर बोल रहे हैं जहां लाखों लोगों का इलाज होता है.
जेल में कैदियों को प्रदत्त सामग्री
[जेल]
11. ( *क्र. 1592 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्वालियर एवं चम्बल संभाग में किस-किस स्थान पर किस-किस स्तर की जेले हैं, इन जेलों में कितने कैदियों को रखने की क्षमता है? दिनांक 15 फरवरी, 2022 की स्थिति में इन जेलों में कितने-कितने कैदी रखे गये हैं? पूर्ण विवरण देवें। वर्तमान में जेल में बंद कैदियों को प्रतिदिन दिये जाने वाले दैनिक कार्य उपयोगी वस्तुओं एवं भोजन की सूची उपलब्ध करायें। इसमें उपवास एवं रोजे होने पर दिये जाने वाले व्यंजन की जानकारी देवें। (ख) दिनांक 01 जनवरी, 2020 से प्रश्न दिनांक तक बतावें कि ग्वालियर एवं चम्बल संभाग की जेलों में कैदियों के दैनिक उपयोग भोजन आदि का कितना-कितना भुगतान किस-किस ठेकेदार/फर्म/व्यक्ति को किया गया? प्रत्येक जेलवार अलग-अलग जानकारी देवें। (ग) ग्वालियर एवं चम्बल संभाग की जेलों में 15 फरवरी, 2022 की स्थिति में कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी पदस्थ हैं तथा कितने-कितने पद किस-किस जेल में किस-किस कर्मचारी/अधिकारी के रिक्त हैं? पदस्थ कर्मचारियों का नाम, पद वर्तमान पद पर पदस्थापना दिनांक अलग-अलग जेलवार स्पष्ट करें।
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) ग्वालियर एवं चम्बल संभाग में 01 केन्द्रीय जेल, 07 जिला जेल एवं 14 सब जेल हैं। इन जेलों की बंदी आवास क्षमता 5396 है एवं इसके विरूद्ध परिरूद्ध बंदियों की संख्या 6987 है। जेलवार आवास क्षमता एवं परिरूद्ध बंदियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। बंदियों को दिये जाने वाले दैनिक कार्य उपयोगी वस्तुओं/भोजन/उपवास एवं रोजे पर दिये जाने वाले व्यंजन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है।
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय गृह मंत्री जी से बहुत ही विनम्रतापूर्वक एक प्रश्न है कि ग्वालियर चंबल संभाग में कुल 22 जेल हैं. 22 जेलों में एक केन्द्रीय जेल है, सात जिला जेल हैं और 15 सब जेल हैं. इन सारी जेलों की जो बंदी आवासीय क्षमता है वह 5396 है, लेकिन उसके विरुद्ध इस समय यह 22 जेलों में कुल 6987 बंदी आवास कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध है कि यह जो 1591 बंदी हैं इनका संरक्षण इनका रखरखाव जेल मेन्यूअल के हिसाब से कैसे कर रहे हैं? यह मेरा पहला प्रश्न है और दूसरा प्रश्न यह है कि माननीय गृह मंत्री जी की नगर जेल के बारे में जो डबरा सब जेल है उसमें मेरी विधान सभा के जो प्रोफेशन टाइप के अपराधी हैं वह जाते हैं लेकिन कहीं-कहीं कुछ ऐसे लोग उस जेल में पहुंच जाते हैं कि लोकल पार्टी पॉलीटिक्स की वजह से उन पर एफआईआर हो जाती है और वह जेल में चले जाते हैं और जब वह उस जेल में पहुंचते हैं तो उस जेल के जो जेलर हैं वह उनके साथ बहुत ही क्रूरता का व्यवहार करते हैं. मुझे पता नहीं कि यह माननीय मंत्री जी के संज्ञान में है कि नहीं आप तो इस समय पूरे प्रदेश में मस्त हैं. नीचे अपने घर में क्या हो रहा है देख नहीं पा रहे हैं. इतना क्रूरता का व्यवहार करते हैं जो बंदी 8-10 दिन के लिए जाता है उसके साथ मारपीट की जाती है. डेढ़ डेढ़ लाख रुपए वसूल किए जाते हैं. इनके भी कुछ कार्यकर्ताओं के साथ ऐसा हुआ है. जब उस व्यक्ति के घर वालों की इतना पैसा देने की हैसियत नहीं होती है तो उसको सारे बंदियों के सामने लिटाकर उसकी पिटाई की जाती है. जब उसके घर वाले उससे मिलने आते हैं तो वह रो-रोकर कहता है तुम जमीन बेच दो, जेवर बेच दो लेकिन यहां पैसा लाकर दे दो. एक बिंडल की कीमत जो मार्केट में 10 रुपए है वह 100-150 रुपए में मिल रहा है. 5 रुपए की पुड़िया 100 रुपए में मिल रही है गृह मंत्री के गृह नगर में.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न करें.
श्री लाखन सिंह यादव -- गृह मंत्री जी से इतना निवेदन है कि क्या आप उस जेल में एक समिति बनाकर उसकी जाँच करा लेंगे या फिर ऐसे दोषी जेलर को आप सदन में तत्काल हटाने की घोषणा करेंगे. मुझे लगता है यह सब आपके संज्ञान में है. मुझे आपका संरक्षण चाहिए. त्राहिमाम मचा हुआ है. वहां पूछा जाता है कि कौन से विधान सभा क्षेत्र से आए हो. गृह मंत्री बड़े दिल के मेरे मित्र हैं. मैं चाहता हूँ कि वे उस जेलर को हटाएं. नहीं हटा रहे हैं तो जांच के आदेश करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, विश्वास भाई कह रहे थे कि प्रबोधन कार्यक्रम करवा दें. अध्यक्ष महोदय, करवा दीजिए. जो भी माननीय सदस्य ने बोला है उसमें से एक भी चीज प्रश्न में उल्लेखित नहीं है. फिर भी मैं सब बातों के जवाब दूंगा. दूसरा सम्मानित सदस्य की अगर ऐसी कोई चिन्ता है तो निश्चित रुप से हम जाँच करवा लेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उस जाँच में मुझे भी शामिल कर लें. मुझे मालूम है, वैसे मालूम तो आपको भी है. मैं चाहता हूँ कि जो समिति बनाकर जाँच की जाए उस समिति में मुझे भी रखा जाए.
श्री सुदेश राजे -- माननीय गृह मंत्री जी इसमें बहुत सच्चाई है.
कुंवर विजय शाह -- आप जेल कब गए थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मेरे साथ ही जेल गया था जब गया था. (हंसी)
श्री लाखन सिंह यादव -- बहुत स्थिति खराब है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- 100 प्रतिशत निष्पक्ष जाँच करवाऊंगा आप निश्चिंत रहें.
प्रश्न क्रमांक 12 (अनुपस्थित)
विदिशा जिले में घटित अपराधों की जानकारी
[गृह]
13. ( *क्र. 2386 ) श्री उमाकांत शर्मा : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के 18 दिसम्बर, 2018 से प्रश्नांकित अवधि तक पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक विदिशा, अनुविभागीय अधिकारी पुलिस सिरोंज एवं लटेरी तथा थाना सिरोंज, लिटेरी, मुगलसराय, आनंदपुर, उनरसीकलां, दीपनाखेड़ा, मुरवास, पथरिया को कौन-कौन से पत्र प्राप्त हुए हैं एवं पत्रों पर क्या-क्या कार्यवाही हुई? पत्रों की पावती एवं कृत कार्यवाही से कब अवगत कराया गया? यदि कार्यवाही नहीं की गई, तो कब तक की जावेगी? (ख) विदिशा जिले में 18 दिसम्बर, 2018 से 22 मार्च, 2020 तक एवं 23 मार्च, 2020 से प्रश्नांकित अवधि तक हत्या, चोरी, लूट-पाट, बलात्कार, डकैती, आत्महत्या, महिलाओं पर अत्याचार, किसान आत्महत्या, नाबालिग बालिकाओं के साथ दुष्कर्म, मार-पीट, अपहरण, नकवजनी, फिरौती, गौहत्या आदि की कुल कितनी घटनाएं एवं अपराध घटित हुए हैं तथा कितने प्रकरण दर्ज हुए? प्रकरणवार, थानेवार, अनुविभागवार एवं वर्षवार तुलनात्मक रूप से जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) 18 दिसम्बर, 2018 से कितने अपराधी फरार हैं, उनकी गिरफ्तारी कब तक कर ली जावेगी? अभी तक गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई? इसके लिए दोषी कौन है? (घ) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में विदिशा जिले में कितने आदतन अपराधी जिला बदर हुए हैं? क्या सभी जिला बदर के आरोपी पुलिस की मिलीभगत से जिले के अंदर ही निवास कर रहे हैं? यदि हाँ, तो दोषी अधिकारी/कर्मचारियों पर कब तक कार्यवाही की जावेगी?
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' में समाहित है। (घ) जिला विदिशा में दिनांक 18.12.2018 से प्रश्नांकित अवधि तक कुल 68 आदतन अपराधियों को जिलाबदर किया गया। जी नहीं, जिलाबदर के आरोपियों की पुलिस की मिलीभगत से जिले के अंदर निवास करने की कोई सूचना प्रकाश में नहीं है, अतः दोषी अधिकारी/कर्मचारियों पर कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय गृह मंत्री जी से पूरक प्रश्न के रुप में पूछना चाहता हूँ कि प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा मुझे एवं अन्य विधायकों को पत्र पावती एवं कृत कार्यवाही के विवरण से कब अवगत कराया गया है. यदि नहीं कराया गया है तो क्यों नहीं कराया गया है. नहीं कराया गया तो विभाग ने क्या निर्देश दिए. पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट में भी जो मैंने प्रश्न पूछा था कि मेरी पावती का जवाब कब दिया, मेरी पावती की सूचना कब दी और कार्यवाही करके विवरण या उत्तर मुझे कब दिया. माननीय विधायकों को कब दिया जाता है. उसमें भी इन दोनों बातों का उल्लेख नहीं है. कृपया उन दोनों बातों के उल्लेख से भी मुझे अवगत कराने का कष्ट करें. कृत कार्यवाही की जानकारी की उत्तर की दिनांक तथा पत्रों की छायाप्रति मुझे उपलब्ध कराने का कष्ट करें. ऐसा क्या कारण है और इसके लिए कौन-कौन उत्तरदायी हैं. जो माननीय विधायकों के पत्रों की पावती और विधायकों के भेजे गए पत्रों के उत्तर, कार्यवाही किए गए पत्रों के उत्तर नहीं देते हैं. इस संबंध में क्या आप सदन को आश्वस्त करेंगे कि भविष्य में अधिकारियों का यह रवैया नहीं रहेगा. पावती की सूचना दी जाएगी. पत्रों के उत्तर दिए जाएंगे. अन्यथा उस परिस्थिति में माननीय क्या कार्यवाही करेंगे. सदन क्या कार्यवाही करेगा. इस संबंध में मुझे जानकारी चाहिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जैसा जैसा बताया है, वैसा वैसा सब किया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
श्री उमाकांत शर्मा-- अभी तो हुआ ही नहीं है साहब. एक दिनाँक का उल्लेख नहीं है कि इस तारीख को पावती दी. एक दिनाँक का उल्लेख नहीं है कि हमने यह उत्तर दिया. अब विधायक कहाँ जाए?
अध्यक्ष महोदय-- वे कह तो रहे हैं कि जो आपने कहा वे सब देंगे.
श्री उमाकांत शर्मा-- तो अब आगे क्या होगा?
अध्यक्ष महोदय-- आगे सब होगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- जैसा माननीय विधायक जी ने कहा है वैसा सब करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- हो गया.
श्री उमाकांत शर्मा-- अभी मेरा बकाया है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, शर्मा जी, आपका उत्तर आ गया.
श्री उमाकांत शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरा एक बार सुन लें, उसके बाद भले ही मेरे 3, 4, 5, 6 हैं, न सुनें. अध्यक्ष महोदय, हमारे विदिशा जिले में मेरे विधान सभा क्षेत्र से अनेक अपराधी जिला बदर हुए हैं. अपराधियों की रीढ़ की हड्डी तोड़ने के लिए अपराधियों को उनकी औकात दिखाने के लिए माननीय गृह मंत्री महोदय का बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूँ, धन्यवाद देता हूँ और ऐसा ही उत्तर प्रदेश में बुलडोजर चल रहा है लेकिन आप अप्रत्यक्ष बुलडोजर चला रहे हैं, उसके लिए भी धन्यवाद देता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- शर्मा जी, हो गया.
श्री उमाकांत शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, क्या गृह मंत्री महोदय मुझे अवगत कराने की कृपा करेंगे कि जिला बदर अपराधी, जिला बदर क्षेत्र के अन्दर रह रहे हैं और एक सिरोंज का जिला बदर अपराधी जो 4-5 महीने पहले जिला बदर हुआ था, बन्ने बेलदार वह सिरोंज की सीमा से 10 किलोमीटर के अन्दर पकड़ाया गया. मुझे उत्तर में कहा गया कि कोई अपराधी जिला बदर क्षेत्र के अन्दर नहीं रह रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- शर्मा जी, हो गया.
श्री उमाकांत शर्मा-- इसी प्रकार से 3 अपराधी जिला बदर मुरवास थाने के भोपाल में नियमित रूप से रह रहे हैं और लटेरी आते हैं. इस संबंध में माननीय क्या कार्रवाई करेंगे?
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी आप जवाब दें. शर्मा जी, जवाब तो देने दीजिए.
श्री उमाकांत शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूँ. मुख्यमंत्री जी का संरक्षण चाहता हूँ. गृह मंत्री जी का संरक्षण चाहता हूँ और पूरे सदन का संरक्षण चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- हो गया, जवाब आने दीजिए.
श्री उमाकांत शर्मा-- जो बन्ने बेलदार गिरफ्तार हुआ उस पर 15-20 केस हैं. उसने कहा है कि मैं उमाकांत शर्मा को गोली मार दूँगा. मैं सुरक्षा की भी मांग करता हूँ.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, आखिरी में उन्होंने बहुत गंभीर बात कही है. विधायक जी मेरे भाई हैं, सम्मानित सदस्य हैं, पूरी तरह से निश्चिंत रहें, कोई बन्ने बेलदार उनको नहीं मार सकता. जो सुरक्षा वे चाहेंगे वह सारी सुरक्षा उनको मुहैया कराई जाएगी और बन्ने बेलदार की कोर्ट से जमानत हुई है सम्मानित सदस्य और जिला बदर वह आज भी है और जिले के अन्दर घुसने नहीं दिया जाएगा. आप बिल्कुल निश्चिंत रहें.
श्री उमाकांत शर्मा-- इसके पहले सिरोंज टीआई की मिलीभगत से तहसील में, कोर्ट में, थाने में, रेंज में, वह सब जगह बैठता था.
अध्यक्ष महोदय-- अब बैठ जाइये.
गायकी समाज को अनुसूचित जनजाति वर्ग का प्रमाण-पत्र
[जनजातीय कार्य]
14. ( *क्र. 1524 ) श्री सुखदेव पांसे : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) संपूर्ण मध्यप्रदेश में गायकी समाज को अनुसूचित जनजाति वर्ग में सम्मिलित किया गया है? यदि हाँ, तो गायकी समाज कब से प्रदेश के किन-किन जिलों में अनुसूचित जनजाति के रूप में चिन्हित है? (ख) क्या बैतूल जिले में प्रश्नांकित समाज को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित किया गया है? यदि हाँ, तो कब से और यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या विभिन्न सामाजिक संगठनों के द्वारा मान. मुख्यमंत्री जी एवं कलेक्टर बैतूल को प्रश्नांकित गायकी समाज को अनुसूचित जनजाति वर्ग में सम्मिलित किये जाने एवं छात्र-छात्राओं हेतु जाति प्रमाण पत्र बनवाये जाने हेतु निरंतर पत्र प्राप्त हुये हैं? (घ) यदि हाँ, तो बैतूल जिले में उक्त समाज के लोगों को कब तक जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध कराये जा सकेंगे?
जनजातीय कार्य मंत्री ( कुमारी मीना सिंह माण्डवे ) : (क) जी हाँ। अनुसूचित जातियां तथा अनुसूचित जनजातियां सूची (पुनरीक्षण) आदेश 1956 के तहत भारत सरकार द्वारा जारी सूची में गायकी जनजाति को गोंड के साथ 1. बस्तर, छिंदवाडा, सिवनी, मंडला, रायगढ़ और सरगुजा जिलों में। 2. बालाघाट की बैहर तहसील में। 3. बैतूल जिले की बैतूल एवं भैंसदेही तहसीलों में। 4. बिलासपुर जिले की बिलासपुर एवं कटघोरा तहसीलों में। 5. दुर्ग जिले की दुर्ग और संजारी तहसीलों में। 6. जबलपुर जिले की मुरवारा, पाटन और सिहोरा तहसीलों में। 7. होशंगाबाद जिले की होशंगाबाद और सुहागपुर तहसीलों और नरसिंहपुर जिले में। 8. निमाड़ जिले की हरसूद तहसील में। 9. रायपुर जिले की बिन्द्रान्वागढ़, धमतरी और महासमुंद तहसीलों में क्षेत्रीय बंधन के साथ अनुसूचित जनजाति अधिसूचित किया गया है। अधिनियम, 1956 के तहत जारी सूची की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। अनुसूचित जातियां तथा अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) अधिनियम, 1976 के तहत भारत सरकार द्वारा म.प्र. राज्य के लिये जारी अनुसूचित जनजाति सूची में गायकी जनजाति को संपूर्ण मध्यप्रदेश के लिये अनुसूचित जनजाति अधिसूचित किया गया है। जारी सूची की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ख) जी हाँ। अधिनियम 1956 के अनुसार बैतूल जिले की बैतूल एवं भैंसदेही, तहसीलों में एवं अधिनियम 1976 के अनुसार प्रश्नांकित जनजाति पर लगे क्षेत्रीय बंधन को समाप्त किया गया है। (ग) जी हाँ। (घ) बैतूल जिले में गायकी समाज को परीक्षण उपरांत अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र जारी किये जा रहे हैं।
श्री सुखदेव पांसे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में माननीय मंत्री महोदय ने स्वीकार किया है, हमने पूछा था कि बैतूल जिले में, मुलताई तहसील में, बैतूल जिले में गायकी समाज को आदिवासी का जाति प्रमाण-पत्र जारी कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं? माननीय मंत्री महोदय ने स्वीकार किया है कि अधिनियम 1956 के अनुसार बैतूल जिले की बैतूल एवं भैसदेही तहसील एवं अधिनियम 1976 के अनुसार प्रश्नांकित जनजाति पर लगे क्षेत्रीय बंधन को समाप्त किया गया, याने स्वीकार किया है कि गायकी को आदिवासी का जाति प्रमाण पत्र दिया जाएगा. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया से अनुरोध करूंगा कि अभी तक यह गायकी समुदाय को आदिवासी समाज का जाति प्रमाण पत्र में शासन-प्रशासन ने जो अड़ंगे लगाएं हैं क्या उन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे और जिन छात्र-छात्राओं का अहित हुआ है जिनको आदिवासी का प्रमाण पत्र तो दिया ही नहीं, ओबीसी का भी नहीं दिया, वह दर-दर भटकते रहे जाति प्रमाण पत्र के लिए. उनको न तो छात्रवृति मिली न उनको आरक्षण का लाभ मिला. क्या उन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे और एक एसडीएम अनुविभागीय अधिकारी के नेतृत्व में एक टीम गठित करके समय-सीमा में इन गायकी समुदाय के लोगों को आदिवासी का जाति प्रमाण पत्र जारी करेंगे?
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. माननीय मंत्री जी.
सुश्री मीना सिंह मांडवे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, गायकी समाज के जाति प्रमाण पत्र पहले से ही जारी किये जाते रहे हैं.
श्री सुखदेव पांसे -- लेकिन मुलताई में और बैतूल जिले में रोके गए हैं उन अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही हो रही है.
सुश्री मीना सिंह मांडवे -- जो आवेदन आते हैं उनका परीक्षण करके उसके बाद उनको दिया जाता है.
श्री सुखदेव पांसे -- तत्काल उनके लिए कोई आदेश जारी करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- हो गया. प्रश्न काल समाप्त.
(प्रश्न काल समाप्त)
12.05 बजे
राज्यपाल के अभिभाषण पर डॉ. सीतासरन शर्मा, सदस्य द्वारा दिनांक 7 मार्च, 2022 को प्रस्तुत प्रस्ताव पर चर्चा का पुनर्ग्रहण.
अध्यक्ष महोदय -- दिनांक 7 मार्च, 2022 को सदन में प्रस्तुत राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा लगभग साढे़ चार घंटे हो चुकी है. आज की कार्यसूची में बजट पर सामान्य चर्चा आदि अन्य महत्वपूर्ण कार्य उल्लिलिखित हैं जिनमें माननीय सदस्यों को अपने क्षेत्र की समस्याएं रखने का पर्याप्त अवसर उपलब्ध होगा. अत: अभी कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर माननीय मुख्यमंत्री जी के जवाब के पश्चात् तत्परता से चर्चा समाप्त की जाएगी. माननीय मुख्यमंत्री जी.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं सदन के सभी माननीय सदस्यों का, चाहे वह सत्ता पक्ष के हों, प्रतिपक्ष के हों, उनको धन्यवाद देता हॅू. राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर बहुत गंभीर और सार्थक चर्चा हुई है. उस चर्चा के दौरान अनेकों प्रकार के सुझाव भी आए हैं. चर्चा का प्रारम्भ डॉ.सीतासरन शर्मा जी ने किया था. उनके शब्दों का चयन, उनकी भाषा का लालित्य, उनके चुटीले व्यंग्य, लेकिन व्यंग्य में भी शालीनता सचमुच अदभुत था. आदरणीय डॉ.गोविन्द सिंह जी यहां बैठे हैं, आदरणीय लक्ष्मण सिंह जी बैठे हैं. प्रतिपक्ष के माननीय मित्रों ने अपनी बात भी रखी और कई सवाल भी उठाये और कई सुझाव भी दिये. आज की चर्चा में मैं गंभीरता से प्रयास करूंगा कि उन सुझावों और सलाह के बारे में भी जितना संभव है, मैं कह पाऊं. लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मेरा सब्जेक्ट तो यहां है ही नहीं. आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी इनको बना दिया क्या. (डॉ.गोविन्द सिंह, सदस्य की ओर देखकर) अच्छा, मुझे यह समझ में नहीं आ रहा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- भोपाल में जो 4-5 आतंकवादी पकड़ायें हैं, डेढ़ साल से आपकी नाक के नीचे रहे, यह सब्जेक्ट ज्यादा इंर्पोटेंट है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उस दिन नेता प्रतिपक्ष जी से भेंट हुई थी, वह कह रहे थे कि मैं बहुत बिजी़ हॅूं. मुझे उत्तराखंड देखना है, मुझे मणिपुर, पंजाब देखना है, मुझे उत्तरप्रदेश भी देखना है लेकिन अब वह देखने के लिए कुछ बचा ही नहीं है, तो छिंदवाड़ा में क्या कर रहे हैं, यहीं आ जाते. माननीय अध्यक्ष महोदय, शायद यह पहली बार ऐसा हो रहा है कि राज्यपाल महोदय के अभिभाषण की चर्चा में नेता प्रतिपक्ष ने भाग न लिया हो. यह मैं केवल आलोचना के लिए नहीं कह रहा हॅूं लेकिन कुछ चर्चाएं ऐसी होती हैं जहां मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष की उपस्थिति आवश्यक होती है उससे सदन की चर्चा जीवन्त बनती है लोकतंत्र और पुष्ट होता है. अब वे मुख्यमंत्री भी रहे हैं, वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं वे नेता प्रतिपक्ष भी हैं और कांग्रेस की समस्याओं को सुलझाने का संपूर्ण भार भी उन्हीं के कंधों पर है. सारी दुनिया का बोझ वे उठाते हैं तो इधर कुछ क्यों नहीं बांट देते हैं. डॉ.गोविन्द सिंह जी कब से इन्तजार कर रहे हैं...(हंसी)...
श्री लक्ष्मण सिंह -- माननीय मुख्यमंत्री जी, नेता प्रतिपक्ष के बारे में आपने जो कहा है उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि मैं अगर नहीं रहूंगा तो भी हमारे साथी संभाल लेंगे और हम लोग संभाल लेंगे, आप चिन्ता मत करिए आप तो बोलें.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- इसीलिए आज आपने सुझाव दिया है. बढि़या है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- मैं चाहता हॅूं कि आप परमानेंट ही संभाल लें...(हंसी)..
श्री उमाकांत शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, आदरणीय लक्ष्मण सिंह जी को दोनों पक्षों को संभालने की आदत है. भाजपा भी संभाल चुके हैं और कांग्रेस भी संभाल चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइए. सदस्य नेता खडे़ हैं, बैठ जाइए न.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई थी और मैं आश्वस्त हुआ था, तब, जब सदन के एक माननीय सदस्य ने ट्विटर पर राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का बहिष्कार किया था, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने मामला उठाया था और माननीय नेता प्रतिपक्ष ने तब यह कहा था कि यह गलत बात है, हम इसके साथ नहीं हैं. मुझे बड़ी आश्वस्ति हुई थी. सदन की गरिमा, संसदीय परम्पराओं का सम्मान और लोकतंत्र को पुष्ट करने का काम उन्होंने किया था. मैंने उन्हें धन्यवाद भी दिया और खुले हृदय से धन्यवाद दिया था. न केवल यहां सदन में, मैंने ट्वीट करके भी धन्यवाद दिया था. लेकिन दूसरे दिन मैं आश्चर्यचकित रह गया. पहले दिन उन्होंने कहा कि यह गलत है, कांग्रेस पार्टी इसके साथ नहीं है और जब 9 मार्च को हमारे वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा जी पूरी तैयारी करके आए थे और बजट भाषण माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल सदन के लिए ही नहीं, सदन के लिए तो महत्वपूर्ण होता ही है, बजट सत्र ही इसके लिए होता है, इसमें बजट भाषण सबसे प्रमुख होता है. उसको जनता भी जानना चाहती है, जनता भी सुनना चाहती है, अर्थशास्त्री, उद्योगपति, व्यापारी, किसान, नौजवान, गरीब, सभी सुनना चाहते हैं, लेकिन उस बजट भाषण को बाधित किया गया. मुझे आज तक याद नहीं आता, स्वर्गीय पंडित जवाहर लाल नेहरू जी भारत के प्रधानमंत्री रहे, स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी भारत की प्रधानमंत्री रहीं, मोरार जी देसाई जी भारत के प्रधानमंत्री रहे, बीच में व्ही.पी. सिंह जी प्रधानमंत्री रहे, नरसिम्हाराव जी प्रधानमंत्री रहे, राजीव गांधी जी प्रधानमंत्री रहे, अटल जी रहे, मनमोहन सिंह जी रहे, और कमलनाथ जी तो वर्ष 1980 से पार्लियामेंट में हैं, उनका लंबा अनुभव है, इसमें कोई दो मत नहीं है. मध्यप्रदेश की विधान सभा में भी, हम सारे सदस्य गवाह हैं, इतिहास उठाकर देख लीजिए, आज तक कभी बजट भाषण में व्यवधान नहीं हुआ. बाकी व्यवधान हुआ होगा, रोका-रोकी, टोका-टोकी की बात अलग है, लेकिन बजट का भाषण नहीं सुना गया, माननीय सदस्य वेल में आए. बजट सत्र क्यों होता है, सबसे प्रमुख तो बजट का भाषण ही होता है. ...(व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, जब बजट में कुछ है ही नहीं, बजट के उत्तर में यह बात आप बोल लेना. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मुझे समझ में नहीं आया, एक दिन कहा कि गलत है, हम बहिष्कार करते हैं, मैं आश्वस्त हुआ, दूसरे दिन, उन्होंने ही बजट भाषण नहीं होने दिया. ''छोटे मियां, तो छोटे मियां, बड़े मियां, सुभान अल्लाह'', अब वे होते तो बोलने में मजा आता. ...(व्यवधान)...
श्री सुखदेव पांसे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उमा भारती जी ने जो कानून हाथ में लिया, उसके बारे में भी बताएं. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, बैठिए.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- बजट की बात सुन लो. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- बजट में है क्या, दिख तो कुछ भी नहीं रहा है. ...(व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- आपको तो कुछ दिखेगा भी नहीं, आपको नजर नहीं आता. ...(व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर जवाब है भाई ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- नोटिस दिए हैं, गरीबों को, कोरोना काल के बिजली बिल के नोटिस दिए गए हैं, हर गांव में, सौ-सौ लोगों को नोटिस दिए जा रहे हैं. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. गोविन्द सिंह जी भी बोले, और चर्चा में एक सुझाव आया और सुझाव यह आया कि पुलिस में कान्सटेबल की भर्ती के लिए भी लिखित परीक्षा ही क्यों जरूरी है, शारीरिक क्यों जरूरी नहीं है.. ...(व्यवधान)...
डॉ. गोविन्द सिंह -- मुख्यमंत्री जी, इसके लिए आपको धन्यवाद, आपने बात मानी, 50 प्रतिशत बात मानी, 50 प्रतिशत बात रह गई. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद तो पूरा दे रहे हैं ना.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, हम हमेशा सकारात्मक हैं. आप अच्छा सुझाव देंगे, मैं आज इस सदन में खुले हृदय से कह रहा हूँ, इस आदरणीय सदन में कह रहा हूँ, जो भी अच्छे सुझाव आएंगे.. ...(व्यवधान)...
श्री आरिफ मसूद -- फिर शराब बंदी करा दें, पूरे प्रदेश में शराब बंदी हो जाए, अध्यक्ष महोदय, यह भी हमारा एक सुझाव है. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- यदि अच्छे सुझाव आएंगे...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- कोरोना काल के बिजली बिल भी माफ हो जाएं, गरीबों को जो नोटिस दिए जा रहे हैं, वे वापस हों, पूरे विधान सभा में बहुत ज्यादा लोगों को नोटिस दिए गए हैं, हजारों लोग हैं...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइये.. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- पूरा सुन तो लो, माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने पूरी गंभीरता के साथ.. ...(व्यवधान)...
श्री रामचंद्र दांगी -- स्वेच्छानुदान में आप भेदभाव कर रहे हैं. हमारे कांग्रेस पक्ष के लोगों के कोई अनुदान प्रस्ताव मंजूर नहीं कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये. गोविंद सिंह जी का सुन लिया और आप कह रहे हैं कि नहीं स्वीकार किया. सुन तो लिया गोविंद सिंह जी का.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- हमने तय किया है कि अब जो पुलिस की भर्तियां होंगी और भर्तियां होंगी, धुआंधार होंगी आप चिंता मत करो. हमने पुलिस की भर्ती में यह फैसला किया है कि फिजिकल होगा, पूरी पारदर्शिता के साथ होगा. टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुये होगा. अगर दौड़ाएंगे तो आरएफ आई डी टैग लगाकर दौड़ाएंगे ताकि कोई बेईमानी नहीं कर पाए और 50 परसेंट मार्क्स केवल फिजिकल के होंगे, क्योंकि अगर जंगलों में अपराधियों को पकड़ना तो दौड़ने वाला चाहिये, केवल लिखने-पढ़ने वाला नहीं चाहिये. एक बात और कही गई कि मोदी जी का नाम क्यों लिया. अब मोदी जी से आपको क्या एलर्जी है ? मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री हैं.
श्री लक्ष्मण सिंह -- अभिभाषण में आपने लिया इसलिये हम लोगों ने कहा. माननीय मुख्यमंत्री जी, अभिभाषण में मोदी जी का नाम आपने लिखा है इसलिये हमने उल्लेख किया, नहीं तो हम नहीं करते.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- हम लेंगे, लिखेंगे क्योंकि भारत के ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने वैभवशाली, गौरवशाली सम्पन्न, समृद्ध और शक्तिशाली भारत के ..
श्री लक्ष्मण सिंह -- आप लिखेंगे तो हम बोलेंगे, जरूर बोलेंगे.
श्री कुणाल चौधरी -- अच्छे दिन तो आ ही गये हैं यह सुनने में आया है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- हम मोदी जी का नाम क्यों न लें, वह भारत के प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने कश्मीर में धारा 370 समाप्त कर दी. यह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं जिन्होंने तीन तलाक का काला कानून समाप्त कर दिया. यह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कुणाल चौधरी -- जिन्होंने गैस की टंकी 420 रुपये से 1,000 रुपये पहुंचा दी है. विकास है यह.
श्री विश्वास सारंग -- इसमें आपत्ति है अध्यक्ष जी, आप आसंदी से व्यवस्था दीजिये यह बीच-बीच में टोंकते हैं. सुनना सीखो, सुनना. ..(व्यवधान)..
कुँवर विजय शाह -- यह बीच-बीच में बोलते हैं. परम्पराओं का पालन करें.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, बीच में कांग्रेस के मित्र ही कहते थे रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे. अब तारीख भी है और मंदिर भी बन रहा है. (मेजों की थपथपाहट) यह नरेन्द्र मोदी हैं, पाकिस्तान ने अगर जुर्रत की तो सर्जिकल स्ट्राइक करके पाकिस्तान को ठिकाने लगा दिया और वापस आ गये.
श्री सुखदेव पांसे -- इंदिरा जी ने दो टुकड़े करके रख दिये थे.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- हम नहीं कहते जमाना कहता है. मोदी-मोदी केवल यहीं नहीं होता, पूरी दुनिया में होता है. ब्रिटेन के प्राईम मिनिस्टर ने कहा है.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- क्या-क्या बेचा है ?
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइये मर्सकोले जी.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- ब्रिटेन के प्राईम मिनिस्टर ने कहा है कि वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड एंड वन नरेन्द्र मोदी. (मेजों की थपथपाहट) अध्यक्ष महोदय, कोविड के काल में..
श्री लक्ष्मण सिंह -- इसी ब्रिटेन को कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने इस देश से बाहर निकाल दिया था. देश आजाद हुआ था. (मेजों की थपथपाहट)
श्री उमाकांत शर्मा -- क्या अकेले कांग्रेसियों ने निकाल दिया था ? राजे-रजवाडे. ..(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, बजट भाषण में जब बजट की बात करते हैं तो केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं का पैसा भी होता है. भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब कोविड आया, वैज्ञानिकों की टीम बनी, रिकार्ड समय में वैक्सीन बना दी गई. 180 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगा दी गई. हमारे विरोधी मित्रों ने भ्रम फैलाने की कोशिश की कि यह मोदी वैक्सीन है लगवा मत लेना, मोदी वैक्सीन है और बाद में अंधेरे में जाकर खुद ही लगवा आये मोदी वैक्सीन बोलने लायक भी इसलिए बचे कि वैक्सीन लग गई. हम मोदी जी का नाम इसलिए लेते हैं युक्रेन और रूस में युद्ध छिड़ा हुआ है. भारत के हजारों नागरिक फंसे, लेकिन नरेन्द्र मोदी, 4-4 मंत्री, जिनमें सिंधिया जी भी शामिल थे.
श्री कुणाल चौधरी - रोमानिया के मेयर ने खोल दिया है क्या प्रचार कर रहे थे.
श्री शिवराज सिंह चौहान - और एक-एक नागरिक को बाहर निकालकर लाए, केवल अपने देश के लिए नहीं, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद दिया, बांग्लादेशी भी निकाल लाए. पाकिस्तान की एक बेटी ने भी धन्यवाद दिया कि तिरंगा पकड़कर हम भी जीवन की नय्या पार करके वापस आ गये. (मेजों की थपथपाहट) अब मोदी जी का नाम न लें तो किसका नाम लें? क्या राहुल जी का नाम लें? (व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी - मेरा आग्रह है आप कोरोना के बिल माफ कर दो, यह आपके हाथ में है. यह गरीबों को नोटिस आ रहे हैं. (व्यवधान)..
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग)- अध्यक्ष महोदय, यह तो हर एक मिनट में खड़े हो जाते हैं.
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय, यह बजट किसलिए है?
श्री शिवराज सिंह चौहान - धैर्य रखे मेरे मित्रों, आपके एक-एक सवाल का जवाब दूंगा. कांग्रेस पार्टी अभी भी सबक सीखने को तैयार नहीं है. दो नेता, दो का आंकड़ा देखिए. जिन्होंने चुनाव में नेतृत्व किया दो नेता, भाई-बहन. उत्तरप्रदेश में दो सीट, दो प्रतिशत वोट और 379 जगह जमानत जप्त. (मेजों की थपथपाहट)
श्री तरुण भनोत - आप सदन के नेता हैं, आप बहुत अच्छी बात भी कहते हैं, मेरा आपसे निवेदन है कि अगर आप उनका नाम न लें जो इस सदन में नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने नाम नहीं लिया.
श्री तरुण भनोत - मैं मुख्यमंत्री जी से निवेदन रहा हूं, निवेदन कर लूं. मैं बिल्कुल कदापि याद दिलाना नहीं चाहूंगा, बुरी बातें सब भूल जाना चाहते हैं कि वर्ष 1985 में दो ही सांसद थे, ऐसा होता है. हम हार गये, हमने स्वीकार कर लिया. हम आगे बेहतर करेंगे. आपसे यह उम्मीद नहीं है. यह उमाकांत जी करें, यह सिसौदिया जी करें, यह समझ में आता है, शिवराज जी के मुहं से अच्छा नहीं लगता है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अब अध्यक्ष महोदय, यह कहेंगे मोदी जी का नाम मत लो तो कौन का नाम लें. अध्यक्ष महोदय, एक बात और इस सदन में कही गई, सबका साथ, सबका विकास. यह बात आई कि स्टेच्यू ऑफ वननेस बना रहे हैं. लेकिन व्यवहार समानता का नहीं कर रहे हैं. मैं बड़ी विनम्रता से सदन में कहना चाहता हूं, 15 साल से ज्यादा मुझे मुख्यमंत्री बने हो गये हैं. (मेजों की थपथपाहट) कभी भी हमने प्रतिपक्ष के प्रति दुर्भावना से काम नहीं किया.
श्री संजय यादव - मेरा निवेदन है कि 15 करोड़ रुपये आपने हम लोगों को नहीं दिया. 15 करोड़ रुपया कहां दिया, आप बताएं कि कहां दिया?
श्री शिवराज सिंह चौहान -अब आप सुन लो, थोड़ी देर सुन लें. देखिए, कभी कभी तो रोका टोकी चलती है लेकिन हर शब्द के बाद कहेंगे तो कैसे काम चलेगा?
अध्यक्ष महोदय - मेरा आप सबसे आग्रह है कि जब आप लोग भाषण दे रहे थे पूरे तन्मयता के साथ, गंभीरता के साथ एक-एक शब्द को मुख्यमंत्री जी लिख रहे थे. अब उनको जवाब देने दीजिए, बीच में खड़े होना अच्छा नहीं है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ चीजें याद दिलाना चाहता हूं. हमने कभी अपने प्रतिपक्षी मित्रों को, सत्ता में रहते हुए नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं की. लेकिन भेदभाव कैसे शुरु हुआ. यह अन्याय कहां से प्रारंभ हुआ. यह सदन में बैठे हैं संसदीय कार्य मंत्री जी. आपकी सरकार आई, इनके भाई के तीन तीन ट्रांसफर, भगाओ. एक जगह रहने मत दो. नरोत्तम मिश्र जी को सबक सिखाओ. भाई के, रिश्तेदारों के और तो और वह दोस्त का होटल ही निपटा दिया ग्वालियर में. जमींदोज कर दिया. यह अरविन्द सिंह भदौरिया जी बैठे हैं, इनके भाई को पकड़कर ले जाया गया. संजय पाठक जी, मुझे पता नहीं सदन में हैं कि नहीं हैं. रिसोर्ट तोड़ दो. खदानें बंद कर दो. भूपेन्द्र सिंह जी की होटल नपवा दी. गोविन्द सिंह जी की होटल तोड़ने के निर्देश दे दिये. एसपी को लगाकर शरद कोल को डराया गया, 307 का मुकदमा बनवाने की बात की गई. मैं उदाहरण हूं. मेरे क्षेत्र में, आखिर मैं तीन-तीन बार मुख्यमंत्री रहा था. मैं बैठने चला गया एक बघवाड़ा करके गांव था, एक बुजुर्ग का स्वर्गवास, मृत्यु हुई थी. हमारे कार्यकर्ता थे, मैं बैठने चला गया. अब बैठने गया तो एक अध्यापक उनसे भी मेरे पारिवारिक संबंध थे. मैं इतने वर्षों से बुधनी का विधायक रहा. वह भी उस कार्यक्रम में आ गये. बैठने वाला कार्यक्रम था. तो यह कहकर कि पूर्व मुख्यमंत्री के साथ उस कार्यक्रम में यह अध्यापक शामिल हुआ उसको सस्पेंड कर दिया गया. मैंने एक बार नहीं अनेकों बार कहा. आज माननीय कमलनाथ जी नहीं हैं. अनेकों बार कहा कि यह ठीक नहीं है. आखिर किसी की मृत्यु होती है, बैठने में अगर कोई आ जाता है, तो इसमें राजनीति कहां है. लेकिन पूरे समय उसको प्रताड़ित करने का काम किया गया. यहां तक कि बुधनी में नगर पंचायत भाजपा के पास थी. महाराणा प्रताप जी की मूर्ति लगी, उसके अनावरण की उन्होंने गलती कर दी. बोले हमारे विधायक कर देंगे. पत्थर निकलवाकर फिकवा दिया गया. हमने कभी यह नहीं किया. मैं एक नहीं ऐसे अनेकों चीजें गिना सकता हूं. एक पार्षद था भोपाल में. दोष यह कि वह भाजपा का है, बुल्डोजर चला दो, सारी जमीनें तोड़ दो, जमींदोज कर दो. यह कौन सी परम्परा थी. अगर मध्यप्रदेश की राजनीति में भेदभाव और अन्याय का प्रारंभ किया, तो वह 15 महीने की सरकार में हुआ. इसके पहले भाजपा ने नहीं किया. 15 महीने की सरकार ने किया. कुचल दो, दबा दो, बदला ले लो, मार डालो. यह कौन सी राजनीति थी. लेकिन हम ऐसा भेदभाव नहीं करेंगे. सबका साथ सबका विकास. (किसी माननीय सदस्य के बैठे बैठे कुछ बोलने पर) कई हटा दिये, इसलिये तो सरकार हटी, नहीं तो हटती काहे के लिये कोई, 5 साल काम करती, सीधी बात है. अच्छा, इसलिये उस समय बड़ी जल्दी में रहते थे, चलो चलो टाइम नहीं है. चलो चलो टाइम नहीं है. इनको ही कह दिया कि टाइम नहीं है. इन्होंने भी कहा कि हम भी चले मामा के पास, अब हमारे पास भी टाइम नहीं है. (हंसी).. अब यह भेदभाव करने की जरुरत क्या थी.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष महोदय, 2013 में मैं जब विधान सभा चुनाव जीतकर आया. 2013 से 2018 के बीच में मैंने आपका कार्यकाल देखा है और मैंने देखा है कि जब आप बोलते थे तो आप एक गरिमा सदन के अँदर बनाते थे. जो आपका ओजस्वी भाषण होता था और जो तीव्रता होती थी वह आज कहीं न कहीं भटक रही है.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, यह ग्रेडिंग करेंगे. यह क्या हो रहा है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - सारंग जी, सुन लीजिये बहुत सारी बात कांग्रेस के बारे में बोली गई.(..व्यवधान..) मैं कोई आलोचना नहीं कर रहा हूं. मैं कोई गलत बात नहीं बोल रहा हूं. मगर इस सदन में मेरा भी अधिकार है बोलने का.(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - कृपया सभी बैठ जाएं. मुख्यमंत्री जी बोल रहे हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - जिस तरीके से माननीय मुख्यमंत्री जी बोल रहे हैं मैं इनको सचेत कर रहा हूं कि हमने पहले कभी आपको ऐसा देखा नहीं जो आज देख रहे हैं. आप इतने बड़े नेता. चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं. आपको अपनी गरिमा सदन में रखनी चाहिये. हम लोगों को भी आपसे सीखना है. आप इस तरीके की बात करेंगे.छोटी बात करेंगे तो हम पर क्या प्रभाव पड़ेगा. यह भी बात सोचिये.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई. आप बैठ जाएं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - जब जनता के वोट से चुनकर बने थे तब तीव्रता थी. (XXX) तीव्रता खत्म हो गई.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, इसे कार्यवाही से विलोपित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - इसे विलोपित किया जाए.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - मैं आपको बता रहा हूं कि जब आपने एक बार सदन में बोला था तो मैं आपके घर गया था धन्यवाद देने के लिये कि आपने बहुत अच्छा भाषण दिया और आज सदन में मुझे मजबूरी में बोलना पड़ रहा है कि आप अपनी गरिमा को खत्म कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया बैठिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय सज्जन जी जो कह रहे थे मैं केवल इतना निवेदन करना चाहता हूं कि उप चुनाव हुए और उप चुनाव में जनता ने जनादेश दिया. हमारे मित्र बैठे हैं. डाक्टर प्रभुराम चौधरी 64 हजार वोट से जीते. कोई 53 हजार से जीते. कोई 40 हजार से जीते. जनता के जनादेश से हम यहां बैठे हैं मैं यह निवेदन करना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, अर्थव्यवस्था की बात हुई. मैं निवेदन मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था जो आज है उसके बारे में निवेदन करना चाहता हूं अगर कुछ प्रमुख तथ्य देख लिये जाएं. मैं केवल10 साल की बात करूंगा. 2002-03 तक नहीं जा रहा. 10 साल में मध्यप्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह 3 लाख 15 हजार करोड़ से बढ़कर पिछले साल 9 लाख 37 हजार करोड़ तक पहुंच गया और 2021-22 मे हमारा राज्य का सकल घरेलू उत्पाद बढ़कर साढ़े ग्यारह लाख करोड़ रुपये हो गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, सकल घरेलू उत्पाद में चूंकि आपने कहा कि कर्जा ले रहे हैं कर्जा ले रहे हैं मैं इसलिये जवाब दे रहा हूं. सकल घरेलू उत्पाद में पहले मध्यप्रदेश का जो हिस्सा हुआ करता था 3.6 प्रतिशत. तरुण जी तो वित्त मंत्री रहे हैं. अब वह बढ़कर हो गया है 4.6 प्रतिशत. पिछले दस सालों में कृषि का उत्पादन साढ़े तीन गुना बढ़कर 92200 करोड़ रुपये से बढ़कर 3 लाख 23 हजार करोड़ रुपये का हो गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश का निर्यात 14 गुना बढ़ा है. 90 करोड़ रुपये से बढ़कर 1293 करोड़ रुपये हो गया है और तीन हजार करोड़ का हमारा टारगेट है. माननीय अध्यक्ष महोदय, निर्यात हमारा लगातार बढ़ रहा है. सिंचित रकबे के बारे में आप जानते हैं. साढ़े सात लाख हेक्टेयर से हमने शुरू किया था अब 43 लाख हेक्टेयर हो गया है. गेहूं और धान के उपार्जन में 158 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. दूध के उत्पादन में 337 प्रतिशत वृद्धि हुई है. बिजली का उपभोग 263 प्रतिशत बढ़ा है और सेल्फ हेल्प ग्रुप मध्यप्रदेश में माताओं,बहनों के चमत्कार कर रहे हैं. उनका जो योगदान था मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था में 4 हजार करोड़ रुपये से बढ़कर अब लगभग 20 हजार करोड़ रुपये हो गया है और जहां तक आप यह बात कहते हैं कि कर्जा लिया, कर्जा लिया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हर एक राज्य, मैं केवल मध्यप्रदेश की बात नहीं कर रहा, हर एक राज्य कर्जा लेता है, लेकिन कर्जा लेने में अंतर होता है. एक वह सरकार थी जो कर्जा तो लेती थी, लेकिन कर्जा लेकर घी पी जाती थी.
"यावज्जीवेत सुखं जीवेद ऋणं कृत्वा घृतं पिवेत, भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः॥"
हां हमने कर्जा लिया है, लेकिन आप देख लें हिन्दुस्तान के हर एक राज्य में कितनी सरकारों ने कर्जा लिया है. जब केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी, कितना कर्जा लेती थी. आप इतना तो जानते ही हैं कि कोई भी सरकार अगर कर्ज लेती है तो उसके निर्धारित मापदण्ड होते हैं. जीडीपी के एक निश्चित प्रतिशत तक ही कर्जा लिया जा सकता है, उससे ज्यादा कर्ज लेने की अनुमति आपको नहीं होती. दुनिया में कई ऐसे देश हैं जो अपनी जीडीपी के 90 से लेकर 100 प्रतिशत तक कर्जा लेते हैं, लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे कहते हुये गर्व है, मैं वित्त मंत्री जी और उनकी टीम को बधाई देना चाहता हूं, हमने कभी भी आर्थिक संतुलन बिगड़ने नहीं दिया. हमारा वार्षिक राजकोषीय घाटा जो सीमा है भारत सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा उस सीमा में ही रहा है और कोरोना की तीन लहरों के बावजूद कितना कठिन काल था, आप सब जानते हैं. अर्थव्यवस्था ठप्प हो गई थी, टेक्स आना बंद हो गया था, लेकिन उस कठिन काल में हमने न तो किसानों से खरीद बंद की और न गरीबों बेसहारों को छोड़ा, उनके खातों में लगातार पैसा डालने का काम किया. विपरीत और कठिन परिस्थियों में भी, जनता की जिंदगी बचाने के लिये जब-जब, जो-जो कदम जरूरी थे वह सारे कदम हमने उठाये और माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे कहते हुये गर्व है कि इस समय जो करेंट प्राइजेज है उस पर मध्यप्रदेश की विकास दर 19.7 प्रतिशत है, हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा. यह मुकाम हमने हासिल किया है. कोविड के कठिन काल में भी हमने कभी खजाना खाली है, पैसा कहां से लायें, पैसा ही नहीं है. मैं हमेशा कहता रहा परिस्थितियां कठिन हैं, लेकिन इंतजाम करेंगे, जनता को कोई दिक्कत और परेशानी नहीं आने देंगे. जब पहले कांग्रेस की सरकार थी, तब प्रति व्यक्ति आय 15 हजार रूपया थी, अब प्रति व्यक्ति आय बढ़कर हो गई है करेंट प्राइजेज में 1 लाख 24 हजार रूपया. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे वित्त मंत्री जी ने थर्ड सप्लीमेंट्री बजट प्रस्तुत किया था, जब दिग्विजय सिंह जी मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब कुल जितना बजट होता था उतना तो वित्त मंत्री जी ने थर्ड सप्लीमेंट्री में ही प्रस्तुत कर दिया, यह अंतर है.
श्री लक्ष्मण सिंह-- थोड़ा इकोनॉमिक सर्वे के बारे में भी चर्चा कर लें, इकोनॉमिक सर्वे जो मध्यप्रदेश सरकार के ऊपर आया है.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- मैं एक-एक चीज के ऊपर चर्चा करूंगा, आप चिंता मत कीजिये.
श्री लक्ष्मण सिंह-- उसमें जो पोलें खोली गई हैं, उसके बारे में भी चर्चा करना.
श्री तरूण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी जिस प्रकार का प्रस्तुतीकरण यहां दे रहे हैं मैं तो उनको बधाई दूंगा. वित्त मंत्री जी से भी अच्छा काम यहां पर सदन में कर रहे हैं. मैं निवेदन यह करना चाहूंगा कि आज ही बजट पर भी चर्चा है और आपने कहा कि जो सकारात्मक सुझाव आयेंगे, जो ऐसे विचार आयेंगे जिनसे मध्यप्रदेश की उन्नति के लिये काम आयें तो मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा, जब वह चर्चा शुरू हो और हम अपनी शुरूआत करें और अपने सुझाव रखें, आप सदन में जरूर उपस्थित रहें. मुझे विश्वास है कि आप उनको सुनेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- मैं आश्वस्त करता हूं, मेरे विद्वान मित्र, पूर्व वित्त मंत्री श्रीमान तरूण जी को, मैं जरूर मौजूद रहूंगा और जो सकारात्मक सुझाव आयेंगे और जो करना हमारी सीमाओं में रहेगा, मैं असंभव की बात नहीं कर रहा.
श्री तरूण भनोत-- आपको पता है मैं नकारात्मक बात नहीं करता मैं सकारात्मक सुझाव ही रखूंगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- उसको हम जरूर रखेंगे.
श्री तरूण भनोत-- बहुत-बहुत शुक्रिया.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोविड की बहुत चर्चा हुई, कोविड में यह नहीं किया, कोविड में वह नहीं किया. मैं बहुत विस्तार से उस पर चर्चा नहीं करना चाहता, लेकिन मैं तो जिस दिन मुख्यमंत्री बना दूसरे दिन लॉकडाउन लग गया, उन कठिन परिस्थितियों में जो बेहतर से बेहतर हो सकता था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहली लहर की बात नहीं करूंगा क्योंकि उसके बाद एक बार राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हो चुकी थी, लेकिन दूसरी लहर महा भयानक थी, जो पूरी दुनिया में, पूरे देश में आई. कुछ चीजें ऐसी होती है कि जिस पर आपका संपूर्ण वश नहीं चलता है, लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि आप सबसे सहयोग से, जनप्रतिनिधियों के सहयोग से, प्रशासन ने भी, हमारे कर्मचारी अधिकारियों ने सचमुच में जबर्दस्त काम किया है. उस समय क्रायसिंस मैनेजमेंट कमेटियां, हमारे नीचे का अमला भी, चाहे पैरामेडिकल स्टॉफ हो, हमारे पुलिस के साथियों ने, हमारे राजस्व के कर्मचारी अधिकारियों, स्थानीय निकास, ग्राम पंचायत और नगरीय निकायों उनके कर्मचारी अधिकारियों, आप सबने, जनप्रतिनिधियों ने जी जान से मेहनत की, परिश्रम किया, काम किया और उस समय जिस ढंग के संकट आये, आपमें से कई सदस्य गवाह हैं, रात में आठ-आठ, दस-दस दिन तो पूरी रात नहीं सोये, जब ऑक्सीजन का संकट था. हर कभी ट्वीट आ जाता था कि इस अस्पताल में केवल एक घण्टे की, दो घण्टे की ऑक्सीजन है. अच्छा कई जगह ऐसे अस्पताल में भी कोविड का इलाज चालू हो गया है, उस समय कोई प्रतिबंध भी नहीं लगा सकते थे कि जो पहले सूचना ही नहीं देते थे, वह सीधे ट्वीट करते थे कि बस इतनी ऑक्सीजन बची है. रात-रात भर जागकर चाहे वह खाली टैंकर एयरफोर्स के विमानों से भेजना हो, या ट्रेन से ऑक्सीजन के टैंकर को मंगाना हो, ड्रायवर तक को हम ट्रेक करते थे कि गाड़ी कहां तक पहुंची है, हमने भरपूर प्रयास किया, उस लहर से अपनी जनता को बचाने का प्रयास हम कर पायें, लेकिन कोविड के उस कठिन काल में भी माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने धैर्य नहीं खोया और जहां तक टीकाकरण का सवाल है, मुझे कहते हुए गर्व है कि पहला डोज हमने 98 प्रतिशत लोगों को मध्यप्रदेश में लगा दिया, 2 प्रतिशत लोग मिल नहीं रहे हैं या तो बाहर काम पर गये होंगे, उन्हें वहां लग गया होगा( मेजों की थपथपाहट) दूसरा डोज 96 प्रतिशत लोगों को लग गया है और उसी का प्रभाव और परिणाम है कि तीसरी लहर में केवल एक प्रतिशत लोग अस्पताल में गये, एक प्रतिशत से ज्यादा नहीं गये और बहुत भयानक कोविड का प्रभाव नहीं हुआ. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने कोविड के नियंत्रण के लिये जो बेहतर से बेहतर प्रयास संभव था वह करने की भरपूर कोशिश की. आज मैं कह सकता हूं कि फिलहाल अभी चौथी लहर की कोई अभी तक संभावनाएं तो नहीं है, भविष्य का तो अब कह नहीं सकते हैं लेकिन अनुमान यह है कि अब शायद वैसी भयानक परिस्थितियां नहीं बनेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों की यहां चर्चा हो रही थी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि कर्ज माफी का जो वचन हमारे मित्रों ने दिया था, अब वह कितना बदला, कितना खरे उतरे, उसका फैसला तो जनता ने कर दिया है. कहा यह था कि सबका दो लाख रूपये तक का ऋण माफ, फिर छन्ने लगा दिये, इनका नहीं, इनका नहीं, इनका नहीं. 48 हजार करोड़ से घटाकर, 48 हजार करोड़ से घटा-घटाकर फिर 9 हजार करोड़ रूपये तक ले आये, उसमें से भी पूरा नहीं किया, आधा सोसायटियों के ऊपर डाल दिया. मैं उसके विस्तार में नहीं जा रहा हूं, लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात जरूर कहना चाहता हूं कि कर्ज माफी के चक्कर में कई किसान क्योंकि यह कह दिया गया था कि दो लाख रूपये तक का सबका माफ, अब उसके कारण कई किसानों ने...
श्री सज्ज्न सिंह वर्मा -- माननीय मुख्यमंत्री जी आपकी ही सरकार का जवाब आया है कि ''हां'' 27 लाख किसानों का साढ़े ग्यारह हजार करोड़ रूपया माफ हुआ है, यह आपकी सरकार ने जवाब दिया है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कई किसानों ने दो लाख रूपये के माफी के चक्कर में पैसा नहीं भरा, वह डिफाल्टर हो गये और डिफाल्टर हो गये तो ब्याज का चक्कर चालू हो गया और वह ब्याज की चकरी ऐसी चली की कई अब बुरी तरह से परेशान है और इसलिये आज इस पवित्र सदन में यह फैसला आपके सामने कर रहा हूं कि जो डिफाल्टर हो गये, इस चक्कर में कि हमारा कर्जा माफ हो जायेगा, उनके ऊपर कर्ज के ब्याज का जो बोझ है, वह बोझ भारतीय जनता पार्टी की सरकार उतारने का काम करेगी (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जितना कर्जा माफ करने की बात की, क्योंकि यह बात बार बार उठती है, मेरे इस तरफ के मित्रों ने भी कई बार यह बात कही. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बार आप यह देखिये कि आपने जितना कर्जा कुल मिलाकर माफ करने की बात कही थी. मैं आपको कुछ चीजें याद दिला रहा हूँ, मैं केवल कर्जा माफी की बात नहीं कर रहा हूँ. आपने कर्जा माफी की बात तो कर दी, लेकिन सन् 2019-20 में फसल बीमा योजना का प्रीमियम जमा नहीं किया. जब प्रीमियम जमा नहीं किया, इसलिए किसानों को सन् 2020 में वह पैसा ही नहीं मिल रहा था. फसल बीमा योजना का, सरकार बनने के बाद हमने 2200 करोड़ रुपया प्रीमियम भरकर किसानों के खाते में पैसा डलवाने का काम किया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल उसका ही नहीं, रबी और खरीफ की दोनों फसलों को अगर देख लिया जाये तो आपने उसका भी प्रीमियम जमा नहीं किया था. हमने वह प्रीमियम भी जमा किया. अब केवल फसल बीमा योजना का, मैं आपको दो साल का बताता हूँ. हमें 2 वर्ष पूरे नहीं हुए हैं, होने वाले हैं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं बोलना नहीं चाहूँगी. मैं माफी मांगते हुए आपसे बोल रही हूँ. जो आप बीमा की राशि का कह रहे हैं. किसानों को पता ही नहीं हैं, उनके बीमा की राशि का समायोजन हो रहा है. मैं कल ही आई, कल ही किसान मुझे घेरकर बोले कि आप समायोजन कर रहे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान - दीदी, मैं भी कई जगह जा रहा हूँ. मुझे तो कहीं कोई नहीं घेर रहे हैं.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - हमें तो हमारे क्षेत्र में घेर रहे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान - आपको क्यों घेरते हैं ? मुझे समझ में नहीं आता.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - मैं तो कल का लेटेस्ट उदाहरण बता रही हूँ कि बीमा की राशि का समायोजन, किसानों के खातों से उनको बिना बताए हो रहा है, तो आप इसका भी जवाब दे दें.
श्री शिवराज सिंह चौहान - आदरणीय दीदी, डॉ. विजय लक्ष्मी जी आप यह सुन लीजिये कि 2 वर्ष में हमने कुल मिलाकर सन् 2018-19 का आपने जो प्रीमियम जमा नहीं किया था, प्रीमियम जमा करके 19 लाख 34 हजार 843 किसानों के खातों में 3,372 करोड़ रुपये डलवाये. सन् 2019-20 के 25 लाख 46 हजार 649 दावों का भुगतान 6,016 करोड़ रुपये किये.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - मैं गलत भी हो सकती हूँ. अभी आपकी सरकार है. जहां तक मेरी जानकारी है कि 900 करोड़ रुपये कमलनाथ जी की सरकार ने फसल बीमा जो आपका है, वह किया था.
श्री कुणाल चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह पूछना चाहता हूँ कि अभी तक लिस्ट ही नहीं मिल रही है. मैंने कल ही 200-500 किसानों के साथ वहां पर धरना दिया था.
श्री शिवराज सिंह चौहान - आप तो केवल धरना ही करोगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ अभी इस सदन में बता रहा हूँ. सन् 2020-21 के 49 लाख किसानों को 7,618 करोड़ रुपये, जिनमें से केवल कुछ किसानों का बकाया रह गया था, बैंक के एकाउण्ट नम्बर गलत होने के कारण और वह 400-500 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि नहीं है, उस पर रोज काम हो रहा है. लेकिन कुल 7,618 करोड़ रुपये ऐसे दो वर्ष में 17,006 करोड़ रुपये हमने केवल फसल बीमा योजना के किसानों के खाते में डाले हैं. मैं जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूँ. आपकी कर्ज माफी तो आप ही कह रहे हैं कि 11,000 करोड़..
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय, इसके ऊपर तो चर्चा होनी चाहिए, विस्तृत चर्चा की जरूरत है कि बीमा कम्पनियों को प्रीमियम कितनी दी जाती है, वह कितने बीमे दे रहे हैं ? आप वहां पर जाकर तो देखिये. न तो बीमा मिल रहा है. मैं तो खुद जवाबदारी के साथ कह रहा हूँ कि बीमे की राशि 7,500 करोड़ रुपये किसान और सरकार ने बहुत कम राशि किसी को मिली नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - कुणाल भाई, जितु पटवारी जब शान्त बैठे हैं, तो आप शान्त बैठो.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अब ऐसे रोका-टोकी की इजाजत नहीं दूँगा. गंभीर बात आए तो अलग बात है. हर शब्द पर अगर बोला जायेगा तो कैसे काम चलेगा ?
अध्यक्ष महोदय - (श्री कुणाल चौधरी के खड़े होकर बोलने पर) आप बैठ जाइये. आप जब बजट पर चर्चा होगी, तब बोल लीजिएगा. उमाकांत जी, आप भी बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो केवल फसल बीमा योजना का है. अतिवृष्टि और कीट प्रकोप का हमने 3,500 करोड़ रुपये सीधे आरबीसी 6 (4) का किसान के खाते में डाला था, आप याद करें. जब भयानक वर्षा और बाढ़ आई थी, आपने आरबीसी 6(4) का पैसा नहीं डाला, कहा था कि 25 प्रतिशत देंगे. 25 प्रतिशत का कहकर बाकी दिए ही नहीं, लेकिन ये भारतीय जनता पार्टी की सरकार है.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह (पथरिया) - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय शिवराज सिंह चौहान जी को धन्यवाद देना चाहता हूं, उन्होंने किसानों के हित में बहुत अच्छा काम किया है. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री शिवराज सिंह चौहान - ठीक है, बहन जी.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, हमने 3 हजार 500 करोड़ रूपए आरबीसी 6(4) के डाले. कृषि उपभोक्ताओं के लिए 15 हजार 700 करोड़ रूपए से अधिक की बिजली की सब्सिडी दी. पिछले दो साल की बात कर रहा हूं. 29 हजार करोड़ रूपए, जीरो प्रतिशत ब्याज पर कर्जा दिया गया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान का गेहूं हो, चाहे धान हो, या बाकी उत्पाद हो, वह खरीदने का हमने काम किया. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना, प्रधानमंत्री के 6000 रूपए, मुख्यमंत्री के 4000 रूपए, 79 लाख किसानों के खाते में हमने ये भी 16 हजार करोड़ रुपए डाले, मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं माननीय अध्यक्ष महोदय. (...व्यवधान)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को(पुष्पराजगढ़) - (...व्यवधान) 1 लाख 52 हजार (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए मार्को जी. जब बजट में मौका आएगा तब बोलिए. (...व्यवधान) भाषण पूरा करने दीजिए.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) - अध्यक्ष महोदय (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - रामेश्वर जी बैठ जाइए. (...व्यवधान)
श्री रामेश्वर शर्मा - नहीं अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं होता. हर बार खड़े होंगे क्या, इतने बार माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा दिया, एकाध कोई वरिष्ठ सदस्य खड़ा हो तो ठीक है. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए.
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं 32 साल से या तो विधायक हूं, या तो सांसद हूं, या मुख्यमंत्री हूं. टोका-टाकी कभी कभी ठीक है, लेकिन एक लाइन मैं बोलूं और आप टोकेंगे तो मैं अपनी बात ढंग से कह ही कैसे पाऊंगा.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए, मार्को जी बैठ जाइए.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - अध्यक्ष महोदय(...व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, 1 लाख 52 हजार किसानों का पंजीयन नहीं हुआ(...व्यवधान) हम उस बात की ओर मुख्यमंत्री जी का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - मार्को जी बैठ जाइए.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के बारे में. अभी मुझे याद दिला दिया, जब कांग्रेस की सरकार बनी थी, उस समय प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लिए दिल्ली पूरे नामों की सूची ही नहीं भेजी गई थी, और कई किसान वंचित रह गए थे, लाखों किसान वंचित रह गए थे,जिनको प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का पैसा नहीं मिला था. हमने उस सूची को अपडेट किया और उस समय केवल कुछ किसानों का नाम आपने भेजा था. हमने 79 लाख किसानों के नाम भेजकर 79 लाख खातों में ये पैसा डालवाया है (...मेजों की थपथपाहट) और कोई अगर छूट गया है तो वह नाम भी जैसे ही ध्यान में आएगा, उसको निश्चित तौर पर जोड़ा जाएगा, हम किसी का नाम छोड़ेंगे नहीं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कोई शिकायत की चर्चा नहीं करुंगा, बहुत विस्तार से चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन मैं केवल इतना कहता हूं कि विगत केवल दो वर्षों में किसान के खाते में अलग अलग योजनाओं के तहत फसल उपार्जन की राशि मिलाकर के 1 लाख 72 हजार करोड़ रूपए डाले गए हैं(...मेजों की थपथपाहट) ये भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. किसान हमारे लिए सबसे पहले है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी किसी ने बात करते करते सड़क की बात भी निकाली थी. मैं निवेदन करना चाहता हूं बहुत विस्तार में नहीं जाऊंगा, लेकिन अगर केवल सड़कों की बात करेंगे, मैं उस समय की भी याद नहीं दिलाऊंगा, नहीं तो मेरे मित्र लक्ष्मण सिंह जी बहुत परम मित्र हैं, वे कहेंगे भाई साहब को गए तो बहुत दिन हो गए, अब क्यों नाम ले रहे हो(..हंसी) मैं याद नहीं दिलाऊंगा, लेकिन केवल इसी साल, इसी साल का मैं बता रहा हूं, सड़कों के लिए 8 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा का प्रावधान वित्तमंत्री जी ने प्रदेश के बजट में किया है और केवल 8 हजार करोड़ नहीं, डबल इंजन की सरकार है, डबल इंजन, दिल्ली वाली सरकार, हमारे हाईवेज, नेशनल हाईवेज, हमारे राष्ट्रीय राजमार्ग उनका सबका पैसा मिला लो तो 2 हजार 3 सौ करोड़ रूपये की लागत के 2 हजार 770 किलोमीटर फोर लाईन का काम पूरा कर दिया है. 18 हजार 700 करोड़ रूपये की लागत के 13 सौ किलोमीटर की लंबाई की सड़कें उनका उन्नयन किया जा रहा है इसमें 74 सौ करोड़ रूपये की फोर लाईन की 800 किलोमीटर की लंबाई के काम हम इसी साल में पूरा करेंगे. मैं केवल इस काल की बात नहीं कर रहा हूं अगले साल की हमने जो कार्य-योजना बना ली है. 6 हजार 3 सौ करोड़ रूपये की लागत के 520 किलोमीटर लंबाई के 11 काम हम प्रारंभ कर रहे हैं. 2023-24 में 17 हजार 3 सौ करोड़ रूपये की लागत के 16 सौ किलोमीटर लंबाई के 19 काम प्रारंभ हम करेंगे. यह केन्द्र का एवं राज्य का पैसा मिला लो तो 31 हजार करोड़ रूपये की सड़कें मध्यप्रदेश की धरती पर बन रही हैं. सड़कों के क्षेत्र में देख लीजिये, बिजली के क्षेत्र में आप देख लीजिये,
श्री रविन्द्र सिंह तोमर--मेरे क्षेत्र में सड़कें नहीं दी हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान--आप मुझसे मिलने आ जाना मैं आपको सड़कें दे दूंगा.
श्री रविन्द्र सिंह तोमर--11 सड़कें दी हैं हमने लोक निर्माण मंत्री जी को वह करवा दीजिये.
अध्यक्ष महोदय--आप बजट पर मांग करिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान--आप आकर के बता देना. अध्यक्ष महोदय, मैं अपने मित्रों को बताना चाहता हूं कि मिलने में क्या संकोच मैं तो मुख्यमंत्री हूं. लेकिन कई डरते हैं कि मेरी सीआर खराब नहीं हो जाये शिवराज से मत मिलो. अब यह नहीं मिलें तो हम क्या करें ?
श्री सुनील सराफ--माननीय मुख्यमंत्री जी आप तो समय दे दें. हमें आपसे मिलने में कोई दिक्कत नहीं है. हम आपसे मिलने के लिये सौ बार आयेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान--आपको बिल्कुल समय दिया जायेगा. आप चिन्ता मत कीजिये. इधर के मिलते रहते हैं तो हम उनको समय देते रहते हैं.
अध्यक्ष महोदय--सुनील जी आप बैठ जाईये.
श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, बिजली के क्षेत्र में बहुत विस्तार से नहीं जा रहा हूं. लेकिन सोलर का जो उत्पादन बढ़ा रहे हैं. प्रधानमंत्री जी ने पंचामृत का एक मंत्र हमें दिया है. हमें पर्यावरण भी बचाना है. यह सूरज की बिजली का इस्तेमाल करो. मुझे बताते हुए खुशी है कि सोलर एनर्जी गैर परम्परागत ऊर्जा के माध्यम से जिसमें विण्ड भी शामिल है. बायो मास का भी हम थोड़ा काम कर रहे हैं. 5 हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली का उत्पादन प्रारंभ हो गया है. अलग अलग क्षेत्रों में अभी पिछले दिनों आगर, सागर, शाजापुर, नीमच, हमने सोलर प्लांट का हमने भूमि-पूजन किया है. चाहे मुरैना हो, चाहे छतरपुर हो, चाहे ओंकारेश्वर का हमारा सोलर पावर प्लांट...
श्री लक्ष्मण सिंह--अध्यक्ष महोदय, आपने सोलर प्लांट आपने बढ़ाया है, हम मानते हैं, लेकिन यह महंगा बहुत है. राजस्थान में सोलर उत्पादन हो रहा है. वहां पर सोलर बिजली बहुत सस्ती है, यहां पर महंगी क्यों हैं जरा हम जानना चाहते हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में जब हमने रीवा का सोलर पावर प्लांट हमने बनाया था. राजेन्द्र शुक्ला जी हमारे शायद बैठे होंगे. उस समय दुनिया के सबसे कम रेट आये 2.96 पैसे आये अब यह घटकर 2.14 पैसे प्रति यूनिट तक पहुंच गये हैं. उसमें आप जानते हैं कि एक निविदा होती है. निविदा भी केवल अंतर्राष्ट्रीय स्तर की होती है. हम यह मानते हैं कि पहले सोलर के रेट काफी होते थे. अब टेक्नालॉजी के कारण उनके रेट लगातार कम होते जा रहे हैं और भविष्य की ऊर्जा अब सोलर एनर्जी ही है इसलिये दीदी ओंकारेश्वर में भी प्लोटिंग पावर प्लांट हम लोग बनाने वाले हैं 600 मेगावाट की लागत का जो आपके पास में ही है उसमें 3 हजार करोड़ रूपये खर्चा होंगे. हम बिजली की जो आपूर्ति है इसमें बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये ऊर्जा साक्षरता का मंत्र देते हुए सूरज से प्राप्त करने का पूरा प्रयास करेंगे.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--अध्यक्ष महोदय, मैं माफ चाहूती हूं कि आपने ओंकारेश्वर के पावर जनरेशन की बात की. ओंकारेश्वर से नहरे मेरे क्षेत्र में जा रही हैं. प्राथमिकता जहां से जानी जा रहा है ससला टेंक से आप क्षिप्रा में दे रहे हो. आप पीथमपुर में दे रहे हैं. आप आगे दे रहे हो. गंभीर परियोजना जा रही है. बलवाड़ा माइक्रो परियोजना जा रही है, लेकिन जिनकी जमीनें गईं हैं उनको पानी नहीं मिल रहा है. नल आठ-आठ, दस-दस दिन में आ रहे हैं, फसलें सूख रही हैं तो प्राथमिकता यह है कि आप अगर बिजली के ऊपर ध्यान दे रहे हैं तो सिंचाई के रकबे के ऊपर भी ध्यान दें.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- दीदी आप बात कह लो लेकिन फसल सूख रही है यह तो मत बोलो. दीदी फसल नहीं सूख रही है. भरपूर उत्पादन होने वाला है और इस बार कीमत भी बहुत अच्छी है. गेहूं भी 2200 रुपए क्विंटल बिक रहा है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- आप आपके अमले से पूछ लीजिए. किसानों को आठ से दस दिन में पानी मिल रहा है.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अमले से ज्यादा विश्वास हमें आप पर है हम तो सीधे आपसे बात कर लेंगे, लेकिन एक बात जो सदन के माननीय सदस्यों ने उठाई और मेरे इस पक्ष के सदस्यों ने भी मुझे व्यक्तिगत रूप से मिलकर कहा जब कोविड का समय था और कठिन काल था. गरीब भाई और बहन बिजली का बिल भरने में सक्षम नहीं थे, कठिनाई में थे और उस समय हमने बिजली के बिलों की वसूली स्थगित की थी और केवल स्थगित ही नहीं की थी. (व्यवधान) ..
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी बैठ जाइए. (व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान-- सुन लो भाई यह बात ठीक नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप समझाइए कि मेरे बिना बात पूरी किए बीच में उठना यह ठीक बात नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइए.
श्री प्रवीण पाठक-- लोगों को, गरीब बहनों को अपने बिजली के बिल भरने के लिए अपनी झुमकियां बेंचनी पड़ रही हैं.
अध्यक्ष महोदय-- भाईसाहब आप बैठ जाइए. माननीय मुख्यमंत्री जी उसी पर बोल रहे हैं. यही तो खराबी है कि विरोध में खड़े हो जाते हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर मैं उस पर कुछ कह रहा हूं तो फिर बीच में टोका-टोकी करते हैं यह मत कीजिए. यह स्वस्थ परम्परा नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उस समय हमने जिनका 100 रुपए बिल आया था उनके 50 रुपए, जिनका 400 रुपए बिल आया था उनसे केवल 100 रुपए ऐसे अलग-अलग रेट घटाने का काम भी किया था और उसके बाद जो स्थगित किए थे उसको जो बचा हुआ पैसा था उसको 6 किश्तों में जमा कर दें यह हम लोगों ने प्रयास किया था. समाधान योजना लेकर आए थे. मैं यह भी बताना चाहता हूं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- कुणाल जी बैठ जाइए, सुन तो लीजिए, आप सुनिए लीजिए. (व्यवधान) उमाकांत जी बैठ जाइए. (व्यवधान)..
कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सदस्य 18 बार सीट से उठे हैं आप रिकार्ड देख लीजिए. यह 18 बार उठे हैं. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- शाह जी आप बैठ जाइए. मैं आसंदी पर खड़ा हुआ हूं आप सभी बैठ जाइए. कुणाल जी आप बैठ जाइए.
श्री कुणाल चौधरी-- कुर्की के नोटिस दिए गए हैं. (माननीय मुख्यमंत्री जी को कागज दिखाते हुए.)
अध्यक्ष महोदय-- कुणाल जी आप बैठ जाइए. गोविन्द सिंह जी आप अपनी सीट पर आइए. आप लोग केवल लिफाफा देखकर ही विरोध करते हैं. बजट नहीं आया उसके पहले भी विरोध किया इसी तरह से जिस बात की माननीय मुख्यमंत्री जी घोषणा करने जा रहे हैं उसका विरोध क्यों करना. पहले आप सभी सुन तो लीजिए कि वह क्या कहने जा रहे हैं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, समाधान योजना के अंतगर्त 48 लाख उपभोक्ताओं ने 189 करोड़ रुपया जमा भी किया, लेकिन जनता की कठिनाइयों को देखते हुए मेरे इस पक्ष के विधायक मित्रों ने भी मुझे कहा. पिछले दिनों जब मैं भोपाल में अलग-अलग स्थानों पर गया था गरीब बस्तियों में मैंने सफाई का काम किया था तब उन्होंने भी मुझे मिलकर कहा कि बिजली के बिल के कारण कोविड काल में दिक्कत हो रही है और चूंकि आपने मामला उठाया और जो सही बात होती है उस बात को स्वीकार करके जनता को राहत देना यह मेरा कर्तव्य है और इसलिए 88 लाख घरेलू उपभोक्ताओं का लगभग 6 हजार 400 करोड़ रुपया माफ कर दिया जाएगा. इन बिजली के बिलों की वसूली अब उनसे नहीं होगी. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय-- कुणाल जी आप बैठ जाइए. संजीव सिंह जी आप भी बैठ जाइए.
श्री संजीव सिंह 'संजू'-- कुणाल भाई आप मेज तो थपथपा दीजिए. आप मेज ही नहीं थपथपा रहे हो.
श्री कुणाल चौधरी -- मेरी बात आ गई, मेरी बात हो गई तो मैं धन्यवाद भी दूंगा पर मेरा आग्रह है कि जो काट रहे हैं उनको मुख्यमंत्री मना करें. बहुत संवेदना के साथ आपने सोचा उसके लिए धन्यवाद. इसके बाद आप निर्देश दें कि अब कोई बिजली कटौती बिजली विभाग न करें. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल इतना ही नहीं 48 लाख उपभोक्ताओं ने समाधान योजना के अन्तर्गत 189 करोड़ रुपए जमा किये था. अब वे यह महसूस न करें कि हम तो ठगे गए हमने जमा कर दिया अब हमारा क्या होगा. मैं आज यह फैसला भी कर रहा हूँ कि उन्होंने जितने भी पैसे जमा किए हैं वे आगे के बिजली के बिलों में समायोजित कर लिए जाएंगे. (मेजों की थपथपाहट) (व्यवधान)
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक सुझाव दे रहा हूँ. मैं मुख्यमंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि वे वित्त मंत्री महोदय को यह जरुर बोलें कि वे इसका प्रावधान भी रख लें. मैंने पूरे बजट को देखा है कहीं कोई प्रावधान नहीं है. (व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो पहले वित्त मंत्री थे मैं उनको यह कहना चाहता हूँ कि हमने गंभीरता से विचार किया, सारे विधायक मित्रों ने कहा, जनता की परेशानी देखी. हम जो कहते हैं वह करते हैं प्रावधान जरुर करेंगे 21 हजार करोड़ रुपए बिजली की सब्सिडी का इस साल दे रहे हैं यह और बढ़ जाएंगे किस बात की चिंता है. उसकी व्यवस्था हम लोग करेंगे. बात गरीब कल्याण योजना की हो रही थी. मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि सरकार सभी की है, भारतीय जनता पार्टी की सरकार है लेकिन सबसे पहले मुझे कहते हुए गर्व है कि यह सरकार गरीबों की है जो सबसे पीछे हैं जो सबसे नीचे हैं. मध्यप्रदेश के गरीब बिना किसी जाति के बिना किसी भेदभाव के जो भी गरीब हैं उनके कल्याण के लिए यह सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी. गरीबों की जो जरुरते हैं रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई, दवाई और रोजगार का इंतजाम. अभी गरीब कल्याण योजना का 5 किलो प्रति व्यक्ति निशुल्क दिया जाता है. 1 रुपए किलो मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के अन्तर्गत दिया जा रहा है वह जारी रहेगा लेकिन इसके साथ-साथ जो दूसरी बड़ी जरुरत है वह है गरीब के मकान की. मुझे आज कहते हुए गर्व है कि वर्ष 2011 की जो सूची थी, हालांकि कई लोगों ने सूची पर सवाल उठाए लेकिन जो भी सूची बनी थी वर्ष 2011 की सूची में 30 लाख लोगों को मकान देने का प्रावधान था. आज मैं गर्व के साथ कहता हूँ 23 लाख मकान बनाकर हमने कम्पलीट कर दिए हैं. बाकी पर तेजी से काम हो रहा है. इस साल के अन्त तक 30 लाख मकान बनाकर कम्पलीट कर दिए जाएंगे. मेरे विधायक मित्र जरा तारीख नोट कर लें 29 तारीख को दिन के 12 बजे हम 5 लाख 21 हजार मकानों में गृह प्रवेश का कार्यक्रम पूरे मध्यप्रदेश में रखेंगे. आप भी आमंत्रित हैं. हमारे प्रधानमंत्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी वर्चुअली हमसे जुड़कर अपनी बात कहेंगे. यह तो 30 लाख मकानों की बात हुई. लेकिन इसके साथ साथ आवास प्लस की जो सूची है, आपने भी देखा होगा, आपके पास भी जाते होंगे कई लोग, मकान की बात गरीब भाई और बहन करते थे, वंचित रह गए थे, इसमें कोई दो मत नहीं है. हमने उस आवास प्लस की सूची में जो नाम हैं उन सारे नाम, उनका पूरा व्हैरीफिकेशन हो गया है. लगभग 27 लाख के आसपास वह नाम आ रहे हैं. हम उनको भी मकान देंगे. (मेजों की थपथपाहट) मैं आज यह कहना चाहता हूँ पूरी जिम्मेदारी के साथ कि मध्यप्रदेश की धरती पर कोई गरीब, जो पात्र है, कच्ची झोपड़ी में नहीं रहेगा, पक्का मकान बनाकर दिया जाएगा (मेजों की थपथपाहट) और यह केवल कहने के लिए नहीं कह रहे हैं 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान इस साल किया है, 10 हजार करोड़ रुपया. (मेजों की थपथपाहट)
श्री लक्ष्मण सिंह-- माननीय मुख्यमंत्री जी, एक मिनिट. आपने और मकान बनाने की बात कही बहुत अच्छी बात है. लेकिन जो यह मकान बने हैं, ये केवल गरीबों को ही नहीं मिले हैं, कुछ 3 मंजिल वालों को भी मिल गए हैं, बहुत सारी गलतियाँ हुई हैं, तो आप उसका सुधार भी करें. उसके सुधार के लिए अगर आप कुछ कह दें तो धन्यवाद रहेगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- आप उसके सुधार का कोई रास्ता बता दें, क्या करें, गिरवा दें क्या उनको?
श्री लक्ष्मण सिंह-- बिल्कुल गिराइये, जो 3 मंजिल बिल्डिंग वाले हैं वे कुटी ले गए हैं, गरीबों का हिस्सा खा गए हैं, उनकी गिराइये, हम यही कह रहे हैं. हम आपके साथ हैं....(व्यवधान)..
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय लक्ष्मण सिंह जी, पूरी सूची का व्हैरीफिकेशन होगा. कोई गड़बड़ न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा. अपवाद कुछ हो सकते हैं. लेकिन मैं सदन को आश्वस्त करता हूँ कि कोई पात्र गरीब बिना पक्की छत के नहीं रहेगा, बिना मकान के नहीं रहेगा. (मेजों की थपथपाहट) हम मिशन मोड में हैं, हम मिशन मोड पर मकान बनाने का काम करेंगे इसलिए इतना बड़ा प्रावधान किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और इस महान सदन के....
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय....
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये. आप हर बार खड़े हो जाते हैं..(व्यवधान)..
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव-- माननीय मुख्यमंत्री जी, मेरी गरीबों की ओर से प्रार्थना है कि ग्रामीण जो आप मकान दे रहे हैं उनकी राशि बढ़ाई जाए.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक समस्या और आती है. मैं माननीय सदन के सामने वह भी निवेदन करना चाहता हूँ, सत्तापक्ष के मित्र हों, चाहे प्रतिपक्ष के मित्र भी हों, सब से मैं निवेदन कर रहा हूँ, जगह जगह कई लोगों ने मुझे....
श्रीमती राम बाई गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से से शिवराज सिंह जी चौहान हमारे मुखिया से एक निवेदन है कि उनकी योजना बहुत अच्छी है, जनता के लिए बहुत अच्छा काम कर रहे हैं पर मेरा एक निवेदन है कि अभी जो आवास प्लस में लोग रह गए हैं उनको भी जोड़ा जाए और दूसरी बात आप जो अन्न 5 किलो देते हैं, बहुत से गरीब इसमें रह गए हैं, आपकी कृपा उन पर भी हो जाए तो वे भी इस लाभ से वंचित नहीं रहेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अन्न के लिए कोई वंचित नहीं रहेगा, चिन्ता न करें. कोई पात्र रह गया तो जोड़ दिया जाएगा. आप चिन्ता न करें. (मेजों की थपथपाहट) माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक और बहुत महत्वपूर्ण समस्या जो हमारे सामने आई, कई जगह मैं गया तो गरीब मिलने आए कि हमारे घर में तो रहने की जगह नहीं है. मैंने कहा कैसे?
श्री मनोज चावला-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी, बीपीएल राशन कार्ड दो सालों से बंद हैं वह चालू करवा दीजिए. गरीब लोगों के दो सालों से राशन कार्ड नहीं बन रहे हैं, डुप्लीकेट नहीं बन रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने बताया कि घर एक है लेकिन एक पिता के चार पुत्र हो गए, उनका विवाह हो गया तो 4 बहुएँ आ गईं. फिर उनके बेटा बेटी हो गए. अब उनके पास रहने की और कोई जगह नहीं है. केवल उसी मकान में वे रह रहे हैं, तो रहने की जगह ही नहीं है. टीकमगढ़ जिले में जब हम गए थे, याद होगा हरिशंकर जी और बाकी मित्र अगर यहाँ बैठे हों, तो उन्होंने बताया कि एक मकान में 30-30 लोग रह रहे हैं. उनके पास रहने की दूसरी जगह ही नहीं है और इसलिए आज इस महान सदन के सामने हम यह फैसला कर रहे हैं कि वे गरीब, एक परिवार का मतलब पति पत्नी और उसके बच्चे. अगर एक छोटे से मकान में रह रहे हैं और रहने की जगह नहीं है तो ऐसे सारे परिवारों की गणना करके जो वास्तव में, जिनके पास रहने की जगह ही नहीं है, उनको अलग से जगह दी जाएगी, रहने का पट्टा देकर हम जमीन का टुकड़ा देंगे (मेजों की थपथपाहट) ताकि वह भी फिर अपना मकान बनाने का काम कर सके. यह बहुत मानवीय मामला है इसलिए हम मुख्यमंत्री भू-आवासीय अधिकार योजना के अंतर्गत इनको पट्टा देकर जमीन का मालिक बनाएंगे. (मेजों की थपथपाहट) ताकि रहने की जमीन सबके पास रहे. माननीय अध्यक्ष महोदय, गरीब कल्याण के और अनेकों काम में, मैं बहुत विस्तार में नहीं जा रहा. बच्चों की पढ़ाई का सवाल है. उस संबल योजना के बारे में मैं कहना चाहता हॅूं. बीच में जब हमारे प्रतिपक्ष के मित्रों की सरकार आयी थी, उसमें कई नाम काट दिये गये थे. अब संबल योजना फिर से रि-डिजाईन की जा रही है. हम रजिस्ट्रेशन का पोर्टल फिर से खालेंगे और जो जायज़ नाम काट दिये गये हैं, उनको फिर से जोड़ने का काम करेंगे.
श्री बापू सिंह तंवर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने बहुत ही बडे़ दिल से बिजली के बिल माफी के बारे में कहा. प्रधानमंत्री आवास योजना आने से पहले मुख्यमंत्री जी ने मुख्यमंत्री आवास योजना शुरू की थी, उस मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत बैंकों से लोन हुए थे.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, यह तो ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, बैठिए, बिल्कुल नहीं लिखा जाएगा.
श्री बापू सिंह तंवर -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. अरे बैठ जाइए न.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय गोविन्द सिंह जी, आप थोड़ा नियंत्रण तो करो अपने लोगों पर (हंसी)..अब भविष्य आप में ही दिखाई दे रहा है मुझे. अब साहब तो आए नहीं हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह -- कांग्रेस पार्टी फ्री स्टाइल चलती है..(हंसी)..
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, सारे के सारे इतने टेंशन में हैं, इतने दुखी है कि बोलने की स्थिति में ही नहीं हैं.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- हम लोग जनप्रतिनिधि हैं हमको भी अपने-अपने क्षेत्र में जवाब देना है तो हम यहां पर अपनी बात उठाएंगे ही. इसमें आपकी टोका-टाकी करने से कोई, यह तो हमारा अधिकार है. हाउस में बोलने का हमारा अधिकार है. जनप्रतिनिधि के नाते तो हम बोलेंगे ही. असत्य बातें आएंगीं तो बोलेंगे हम.
अध्यक्ष महोदय -- दीदी ठीक है, ठीक है.
श्री उमाकांत शर्मा -- सदन की व्यवस्था के अतिरिक्त उल्लेख का अधिकार है क्या. पीठासीन अधिकारी जो कहेंगे, उसके अनुसार बोलने का अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, ठीक है. उमाकांत जी बैठिए.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, गोविन्द सिंह जी ने जो बात कहीं है, उसको देखते हुए लगता है कि कांग्रेस का परम कल्याण सुनिश्चित है...(हंसी).. एक दिल के टुकडे़ हजार हुए, कोई इधर गिरा, कोई उधर गिरा. आप अन्यथा न लें, लेकिन घोषित कर दिये चन्नी और अध्यक्ष बना दिये सिद्धू. हालत यह हो गई कि सिद्धू जी ने कहा कि मुझे मेरी हार का दुख नहीं है, चन्नी भी हार गया दो-दो जगह से, वह ज्यादा अच्छा है...(हंसी)...अब अगर ऐसी हालत होगी तो माननीय अध्यक्ष महोदय, तो फिर हम भी कुछ नहीं कर सकते. ...(हंसी)...
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- सामूहिक कन्या विवाह के बारे में भी आप घोषणा कर देंगे, सामूहिक कन्या विवाह बंद है तो उसमें भी आप बोल दीजिएगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- हॉं, हॉं जरूर.
अध्यक्ष महोदय -- भाषण पूरा करने दीजिए न. (माननीय सदस्य एक साथ अपने आसन से खडे़ होकर कुछ कहने पर)
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं वही बात कर रहा हॅूं. मुख्यमंत्री कन्यादान योजना धूमधाम से प्रारंभ की जायेगी. (मेजों की थपथपाहट) आप पूरा सुन लो मेरे भाई. आज कोई कसर नहीं छोड़ने वाला मैं. आज मैं पूरे मूड में हॅू. (मेजों की थपथपाहट) बजट पर वित्त मंत्री जी बोलेंगे. आप चिन्ता मत करों.
श्री सुनील सराफ -- माननीय मुख्यमंत्री जी, आप पूरे मूड में हैं तो विधायक निधि भी बढ़ा दीजिए.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय मुख्यमंत्री जी, विधायक निधि भी बढ़ा दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- अरे, बैठ जाइए. आप बैठ जाइए न. ...(व्यवधान)...
श्री सुनील सराफ -- इस पक्ष के ऊपर भी और उस पक्ष के ऊपर भी. विधायक निधि भी ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. अरे बैठ जाइए. अरे, बोलने तो दीजिए.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, गरीबों को घर, गरीबों को प्लॉट, गरीबों को रसोई गैस, गरीब के घर में नल, गरीब को आयुष्मान भारत योजना का लाभ, मैं यह निवेदन करना चाहता हॅूं कि यह मध्यप्रदेश है जहां आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 2 करोड़ लोगों से ज्यादा का पंजीयन हुआ है. 5 लाख रूपए तक का फ्री इलाज निजी अस्पताल में भी, जो अनुबंधित अस्पताल हैं, उनमें कराकर दिया जाएगा. (मेजों की थपथपाहट) अनुसूचित जाति, जनजाति के बारे में कहना चाहता हॅूं.
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, ईलाज में सौतेला व्यवहार न करें. मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान में आप कांग्रेस के किसी विधायक का लेटर स्वीकृत नहीं करते. आप बडे़ मानवीय हैं, मालूम हैं लेकिन इस बार आपने कांग्रेस के विधायकों के स्वेच्छानुदान इलाज में..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- अरे, आप जाते ही नहीं है, जाइए न. सुखदेव जी, आप बैठ जाइए. आप जाते ही नहीं हैं, जाइए न.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं केवल इतना कहना चाहता हूँ, मैं जब मुख्यमंत्री नहीं था, इन्होंने याद दिला दी, मैं कहना नहीं चाहता था, मेरे क्षेत्र में जितने विकास के काम थे, सब के सब रोक दिए गए थे, बार-बार प्रयत्न करने के बाद भी एक कंकड़ नहीं लगा, एक कंकड़, लेकिन हम ऐसा भेदभाव नहीं करेंगे...(व्यवधान)...
श्री सुखदेव पांसे -- आपने भी छिंदवाड़ा में रोका...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अरे अगर और कोई सरकार होती तो छिंदवाड़ा का मेडिकल कॉलेज रद्द कर देती, सिवनी का मेडिकल कॉलेज आपने रद्द कर दिया, हमने कहा सिवनी में भी खोलेंगे और छिंदवाड़ा का भी रद्द नहीं करेंगे. ये भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, चिंता मत करो. ...(व्यवधान)...
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- महेश्वर का क्या कर रहे हैं ? ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- मिल जाएगा दीदी, चिंता मत करो. ...(व्यवधान)...
श्री सुखदेव पांसे -- आप तो इलाज पर बोल दीजिए ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- सब पर बोलूंगा, आप चिंता मत करो. माननीय अध्यक्ष महोदय, अब थोड़ा आगे बढ़ जाएं. हमारे मर्सकोले जी बैठे हैं, हिरालाल अलावा जी बैठे हैं, आज मैं एक सवाल करना चाहता हूँ, वचन-पत्र में कई तरह के वादे अनुसूचित जनजाति के लिए किए गए थे. मैं वचन-पत्र की बात कर रहा हूँ, उसमें पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून लागू करना, वनाधिकार के पट्टे देना, स्थानीय स्तर पर रोजगार देना, कितनी बातें कही गई थीं, मैं तो अपनी बात कहने वाला हूँ, लेकिन आप तब क्यों नहीं बोले, जब 15 महीने आपकी सरकार थी, किसी को पट्टा दिया उस समय ? पेसा कानून पर गंभीरता से विचार हुआ ? पांचवीं अनुसूची लागू करने की कोई बात हुई ? अनुसूचित जनजाति को छला, तो इस कांग्रेस पार्टी ने छला, केवल तबाह और बर्बाद करने का काम किया है. (पक्ष के सदस्यों द्वारा मेजे थपथपाकर शेम-शेम की आवाज की गई). माननीय अध्यक्ष महोदय, जो अनुसूचित जनजाति का बजट कभी केवल 746 करोड़ रुपये हुआ करता था, इस सरकार ने अब 8 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर दिया है. 8 लाख 42 हजार करोड़ रुपये, हमारे जनजाति बेटा-बेटियों को... ...(व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन -- माननीय मुख्यमंत्री जी, उस समय राज्य सरकार के ऊपर कर्ज कितना हुआ करता था, 3 लाख 25 हजार 153 करोड़ रुपये कर्ज कर दिया है...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अरे, हम कर्जा लेकर भी देंगे, जनजाति के लिए कमी नहीं आने देंगे. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- बाला बच्चन जी, बैठ जाएं.. ...(व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, 3 लाख 25 हजार 153 करोड़ रुपये कर्ज करने वाली यह सरकार है. पूरे राजकोष को डुबा के, जनता की गाढ़ी कमाई को डुबा के और अनुसूचित जाति, जनजातियों को लूट लिया. वहां पढ़ाने के लिए टीचर नहीं हैं, 10वीं और 11वीं के बच्चों को हिन्दी पढ़ते नहीं आती है, केमेस्ट्री, फिजिक्स, मेथेमेटिक्स, बॉयोलॉजी, बॉटनी, अभी आपने जनजाति वर्ग पर बात की, इसलिए मैं आपको कहूँगा और कह रहा हूँ, जब हमारी बजट पर चर्चा होगी, सुनना, आपकी सरकार के कान खुल जाएंगे...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- सुनेंगे, सुनेंगे, बैठ जाइये आप.. ...(व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन -- आपने अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को कितना अंदर धकेला है. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अरे, अभी तो हमारी सुन लो, मैं आज फिर से इस सदन में यह घोषणा कर रहा हूँ, आज मैं फिर इस सदन में दोबारा यह कह रहा हूँ कि अनुसूचित जनजाति हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, कर्जा भी लेना पड़े तो कर्जा लेकर भी उनके कल्याण के काम में कोई कसर हम नहीं छोड़ेंगे. सुन लो पहले, मैं क्या-क्या कह रहा हूँ, इसके बाद जवाब देना मुझे.. ...(व्यवधान)...
श्री संजय यादव -- सारी योजनाएं तो बंद कर दीं.. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अरे, योजनाएं तो बंद आपने की थी, अब याद मत दिलाओ मुझे, बैगा, सहरिया और भारिया, एक हजार रुपये मैं देता था, पूछ लो के.पी. सिंह जी से, आज इन जनजातियों का क्या हाल है, आपने तो ये महापाप किया था, जो विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियां थीं, उनका एक हजार रुपया महीना बंद कर दिया था, यह आपकी सरकार थी. तब नहीं बोले आप. माननीय अध्यक्ष महोदय, वह तो हमने चालू कर ही दी है, लेकिन उसके साथ-साथ हमने तय किया है, इन्होंने याद दिलाया मुझे, अनुसूचित जनजाति गौरव दिवस की, हां, हमने मनाया था, भगवान बिरसा मुण्डा की जयंती पर हर साल धूमधाम से अनुसूचित जनजाति गौरव दिवस हम मनाएंगे (मेजों की थपथपाहट). अध्यक्ष महोदय, उस दिन हमने एक तो राशन आपके ग्राम और सिकल सेल एनिमिया, आप तो डॉक्टर भी हैं, अच्छी तरह ये जानते हैं कि कितनी भयानक बीमारी है, जिसको हो गई, उसकी जिंदगी कितनी कठिनाइयों से गुजरती है, हमने उसके इलाज के लिए विशेष प्रोजेक्ट बनाया है, कई बार पूरी तरह इलाज संभव नहीं होता, लेकिन उनकी जिंदगी ऐसे कष्ट में न गुजरे और इलाज की बेहतर व्यवस्था कर दें, इसमें हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. अध्यक्ष महोदय, हमने तय किया है कि कई बार टोलों में, मजरों में अलग-अलग दूर-दूर हमारे जनजाति के भाई-बहन रहते हैं. अगर वह राशन का अनाज लेने जाएं, तो एक दिन आने-जाने में, एक दिन की मजदूरी मारी जाती है, दूर-दूर गांव हैं और इसलिये हमने यह फैसला किया है कि प्रारंभ में 89 जनजातीय ब्लॉक्स में हम गाड़ी भेजकर उनके द्वार पर राशन देने का काम करेंगे और वह गाडि़यां जा रही हैं. हम लगातार गाडि़यां खरीदते जा रहे हैं और वह गाड़ी भी और कोई नहीं चलाएगा, वह गाड़ी सरकारी नहीं होगी, अनुसूचित जनजाति का बेटा-बेटी ही वह गाड़ी खरीदेंगे, हम किराये पर लेंगे, उनको रोजगार भी देंगे और वह राशन वितरण का काम भी सम्पन्न करेंगे. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं, जरा सोचकर देखें, जनजातीय गौरव जिनको पद्मश्री दिया गया है, कभी कांग्रेस ने सोचा कि जनजातीय नायकों को पद्मश्री बज्जू सिंह श्याम को उनकी योग्यता के आधार पर पद्मश्री इस सरकार ने दिया. श्रीमती भूरी बाई, श्रीमती दुर्गाबाई ब्याम कब राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किये गये थे ? हम ऐसे सारे जनजातीय नायक कलाकार हैं उनको सम्मानित करने का काम कर रहे हैं. जितने जनजातीय नायक थे, भगवान बिरसा मुंडा हो, चाहे टण्ट्या मामा हो, चाहे रघुनाथ शाह हो, चाहे शंकर शाह हो, चाहे भीमा नायक हो, चाहे खज्जा नायक हो, उनको सम्मान देने का काम किया है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. उनको सम्मान दिया जाता रहेगा. ''शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा.'' हम जनजातीय नायकों की पूजा करने का भी काम करेंगे.
श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय, कुँवर विजय शाह को कार्यक्रम में नहीं जाने दिया, रोक लिया था. रोका कि नहीं रोका था ? जनजातीय इनके पूर्वजों का कार्यक्रम था इनको वहां पुलिस वालों ने रोक लिया था, हमने टेलीवीजन पर देखा था. कम से कम इनको तो नहीं रोकना था.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने अभी भीमा नायक जी का नाम लिया, आपने बजट में देखा है हजार रुपये की टोकन व्यवस्था की है ? आपने एससी, एसटी के छात्रों की छात्रवृत्ति बंद कर दी. 220 करोड़ रुपये कम कर दिये हैं ?
अध्यक्ष महोदय -- अभी आपको मौका मिलेगा बाला बच्चन जी, आपका मौका आएगा. आप इतने सीनियर हैं. सीधे नहीं, मुझसे बात करें. आमना-सामना क्यों करते हैं ? अभी आपको मौका मिलेगा ना. कोई सदस्य सीधे बात नहीं करेंगे.
श्री प्रेम सिंह पटेल -- भीमा नायक का मंदिर बड़वानी में कितना अच्छा बनाया है, आपने देखा है ?
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, गलत बात कर रहे हैं. सुनने का साहस रखो. भीमा नायक जी का स्मारक भी हमने बनाया है.
श्री बाला बच्चन -- कॉलेज के बच्चों को छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है. पिछले साल की साइकिलें नहीं मिली हैं और क्वालिटी ऑफ एजुकेशन और पढ़ाने लिखाने के लिये कुछ नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- बाला बच्चन जी, आप बैठ जाइये ना.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अब उसमें भी आप सुन लेना.
श्री जगदीश देवड़ा -- छात्रवृत्ति के लिये 1208 करोड़ रुपये का प्रावधान अभी किया है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- और सुन लीजिये. सुना नहीं जा रहा है. मंडला मेडिकल कॉलेज का नाम राजा हृदयशाह के नाम पर रखने का हमने फैसला किया है. महिला पॉलीटेक्निक कॉलेज का नाम रानी फूलकुंवर के नाम पर रखने का हमने फैसला किया. इंदौर जो आर्थिक राजधानी है, इंदौर के भंवरकुआ का नाम टंट्या मामा के नाम पर रखने का हमने फैसला किया. कब कांग्रेस ने फैसला किया था कोई बता दे ? छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम राजा शंकरशाह के नाम पर करने का काम किया तो इस भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. आपने कभी महापुरुषों का नाम रखा ?
डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय, आपने बहुत अच्छी शुरुआत की है, लेकिन जनता सिर्फ यह पूछ रही है कि 18 साल बाद कैसे याद आये ?
अध्यक्ष महोदय -- हो गया मर्सकोले जी, यह गलत बात है. आप बैठ जाइये.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जनजाति के लिये ऋण विमुक्ति कानून के माध्यम से सूदखोरी पर लगाम लगाते हुये नियम विरुद्ध जो कर्जे दिये गये थे उन कर्जों को माफ करने का काम भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. प्रदेश में सामाजिक समरसता के साथ मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ इस सदन में कह रहा हूं और सदन के बाहर भी अपने जनजातीय भाइयों, बहनों को इस सदन के माध्यम से कहना चाहता हूं कि पूरी समरसता के साथ, समाज की समरसता भी न टूटे, पेसा कानून लागू करने का काम हमने प्रारंभ कर दिया है. हम उसको पूरी तरह से लागू करेंगे. वनों के परम्परागत प्रबंधन का काम अब ग्रामसभा को देने का फैसला कर लिया गया है. इसमें भी मैं सदन के माननीय सदस्यों का सहयोग चाहूंगा. यह हमारे विजय शाह जी बैठे हैं. वनों से निकलने वाली बांस और बल्लियां अब पूरी तरह से वन समिति को दे दी जाएगी ताकि जनजाति भाई बहनों के काम आए. इमारती लकड़ी काटकर जो खजाने में राजस्व पूरा आता था उसका 20 प्रतिशत अब सीधे वन समितियों को दे दिया जाएगा. (मेजों थपथपाहट)..जनजाति भाईयों और बहनों को दे दिया जाएगा.
अब तेंदूपत्ते के विक्रय से भी जो पैसा आएगा, उससे 75 प्रतिशत तो हम सीधे संग्राहक को ही दे देंगे. 5 प्रतिशत ग्रामसभा को भी दिया जाएगा. बैगा, भारिया और सहरिया उनकी जो योजनाएं बंद की थीं, हमने कोविड काल में ही प्रारंभ कर दी थी. हमने यह भी फैसला किया है कि वनाधिकार कानून के अंतर्गत एक बार फिर से मामले को खोलकर 35 हजार लोगों को हमने फिर से पट्टा दिया है और अभी भी हम लगातार परीक्षण कर रहे हैं. कोई भी पात्र आदिवासी भाई, बहन बचा होगा तो पट्टा देने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार करेगी. (मेजों थपथपाहट)..जनजाति कल्याण में मेरी सरकार कोई कसर नहीं छोड़ेगी.
डॉ. हीरालाल अलावा (मनावर) - अध्यक्ष महोदय, वन अधिकार कानून वर्ष 2006 के अंतर्गत जो व्यक्तिगत पट्टे दिये हैं उसके लिए आपको धन्यवाद. लेकिन मध्यप्रदेश में कम्युनिटी राइट्स की जो बात है, अभी तक उसमें नहीं के बराबर काम हुआ है, उसमें काम शुरू किया जाय. दूसरा, पैसा कानून की आपने घोषणा की उसके लिए भी बहुत बहुत धन्यवाद. लेकिन पैसा कानून जब वर्ष 1996 में बनाया गया था तो परिकल्पना की गई थी कि उसको छठवीं अनुसूची के पैटर्न पर हम लागू करें तो इसके नियम छठवीं अनुसूची के तर्ज पर बनाना चाहिए और तीसरा, जो महत्वपूर्ण सुझाव है कि पांचवीं अनुसूची के जो प्रावधान हैं, पार्ट ए,बी,सी के सारे प्रावधान पर रेग्युलेशन बनाना चाहिए, यह आदिवासियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा और आदिवासियों के विकास के दरवाजे खोलेगा. धन्यवाद.
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि यह सरकार जनजाति भाई बहन, उनके कल्याण में कोई कसर नहीं छोड़ेंगी और पूरी ताकत के साथ उनकी भलाई के काम हम करते रहेंगे. सामुदायिक जो वनाधिकार के पट्टे देने की बात है, हम लोग उस पर जरूर काम कर रहे हैं. अनुसूचित जनजाति के साथ-साथ अनुसूचित जाति, उसका कल्याण भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार की प्राथमिकता है और इसलिए मैं एक बात यह कहना चाहता हूं कि चाहे अनुसूचित जाति हो, चाहे अनुसूचित जनजाति हो, छात्रवृत्ति के लिए जितनी राशि की आवश्यकता होगी, वह हम भरपूर देंगे, यही सरकार थी, जिसने आश्रम शालाएं खोलीं, जिसने छात्रावास खोले. हमने एक नहीं अनेक, आप जानते हैं कि एकलव्य विद्यालय चल रहे हैं. आप जानते हैं हमने ज्ञानोदय विद्यालय खोलें. आपको एक बात और बताना चाहता हूं कि 4 श्रमोदय विद्यालय हमने खोले, जहां केवल मजदूर के बच्चे पढ़ते हैं वह किसी भी जाति का हो.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि चाहे अनुसूचित जनजाति हो, चाहे अनुसूचित जाति हो, चाहे गरीब के बेटा बेटी हों, उनकी पढ़ाई में हम कोई कसर नहीं रहने देंगे, उसके लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया है और जरूरत पढ़ेगी तो फर्स्ट और सेकण्ड सप्लीमेंट्री भी आती है, हम उसमें प्रावधान करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.
राज्य सरकार ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने संत रविदास महाराज की जयंती को धूमधाम से मनाने का फैसला किया था और हर पंचायत में संत रविदास जी की जयंती मनाने का काम किया है, उसके साथ साथ संत रविदास स्वरोजगार योजना, डॉ. भीमराव अम्बेडकर आर्थिक कल्याण योजना और मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति विशेष परियोजना यह भी हमने लागू करने का फैसला किया है, जिसमें अनुसूचित जनजाति के नौजवानों को रोजगार देने का भी काम करेंगे और एक ग्लोबल स्किल पार्क बन रहा है. हम भोपाल में सिंगापुर सरकार के सहयोग से बना रहे हैं, उसका नाम संत रविदास ग्लोबल स्किल पार्क रखा जाएगा, यह फैसला भी हमने किया है. (मेजों थपथपाहट)..और इसलिए हमारे लिए अनुसूचित जाति, जनजाति वोट बैंक नहीं हैं, इंसान हैं और उनको हम इंसान मानकर उनकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे, लेकिन उसके साथ साथ अन्य पिछड़ा वर्ग की चर्चा बहुत हुई, घोषणाएं जोर-शोर से हुई. आरक्षण 27 प्रतिशत, इस सदन में मामला उठ चुका है, इसलिए मैं बार-बार उस पर नहीं जाऊंगा, 8 मार्च 2019 को आपने फैसला किया, 10 मार्च को हाईकोर्ट में पिटीशन दायर की गई और 19 मार्च को स्टे लगा दिया इसकी सुनवाई करके मुझे कहते हुए बहुत तकलीफ है.आपने पिछड़े वर्ग को छलने का काम किया. पेशी जब हुई, सुनवाई जब हुई तो आपके एडवोकेट जनरल तक वहां खड़े नहीं हुए थे. उसी दिन उच्च न्यायालय ने स्टे दे दिया था. 8 मार्च से 18 मार्च तक उस समय की सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठी रही.
श्री कुणाल चौधरी -- मुख्यमंत्री जी, कांग्रेस की सरकार के समय ओबीसी को अधिकार और हक दिया गया, आपके द्वारा 15 साल मेंओबीसी के साथ केवल बातें की गईं, कांग्रेस की सरकार के समय पहली बार मिला ओबीसी को हक और अधिकार.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, मैं एक तथ्य की तरफ और ध्यान दिलाना चाहता हूं. वह ध्यान दिलाना आवश्यक है. 19 मार्च,2019 में ओबीसी आरक्षण को 27 प्रतिशत से घटाकर 14 प्रतिशत करने की बात केवल शैक्षणिक संस्थानों के संदर्भ में कोर्ट ने कही थी. पर कांग्रेस की सरकार ने स्वयं कोर्ट में जाकर पूछा कि यह स्थगन लोक सेवा आयोग पर क्या लागू होगा और इसी आधार पर कोर्ट ने लोक सेवा आयोग,पीएससी की परीक्षा में भी 27 प्रतिशत आरक्षण को स्टे कर दिया. वह पाप भी अगर किसी ने किया, तो कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने करने का काम किया था. ओबीसी के हितों पर कुठाराघात न हो, इसलिये हमारी सरकार ने यह फैसला किया कि केवल उन प्रकरणों में, जिनमें कोर्ट ने 14 प्रतिशत के लिये स्टे दिया है, उनको छोड़कर बाकी सबको 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जायेगा और यह हमने केवल कहा नहीं है. अभी 8 हजार से अधिक भर्तियां की गई हैं, उनमें 27 प्रतिशत लाभ आरक्षण का हमने दिया है. यह भाजपा की सरकार है और भविष्य में भी जो नौकरियां होंगी, उनमें यह आरक्षण जारी रहेगा. इसके साथ बैकलॉग के भी सारे पदों की भर्ती पूरी क्षमता के साथ जारी रहेगी. यह भाजपा की सरकार का फैसला है. मैं पंचायत चुनाव के बारे में नहीं कहना चाहता, लेकिन ओबीसी के आरक्षण के साथ ही पंचायत के चुनाव हों, इस पर हमने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. अध्यादेश अगर हमको वापस लेना पड़ा, तो अध्यादेश हमने वापस लेने का काम किया. एक नहीं दो-दो बार अध्यादेश वापस लिया और आज मैं फिर कह रहा हूं कि ओबीसी के आरक्षण के साथ ही पंचायत का चुनाव होगा. यह भाजपा की सरकार का फैसला है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी असत्य बयान कर रहे हैं. बैकलॉग के पदों की भर्ती अभी तक आपने क्यों नहीं की. आप पहली बार के मुख्यमंत्री तो हैं नहीं.
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्नकाल नहीं है. आप बैठ जाइये. मुख्यमंत्री जी का भाषण जारी रहने दीजिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, बैकलॉग के पदों पर निरन्तर भर्ती जारी है और अब मैं अपने स्वाभाविक फ्लो में बोलना चाहता हूं. मैंने बहुत सुना है. हमने फैसला किया है कि हम अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वित्त विकास निगम और पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम का सुदृढ़ीकरण करने का काम करेंगे. यह तीनों निगम के लिये इस बार हमने पैसे की व्यवस्था की है. अब अनुसूचित जातियों, जनजातियों और पिछड़े वर्ग के नौजवानों को स्वरोजगार से लगाने के लिये पर्याप्त मात्रा में आर्थिक व्यव्थाएं की हैं. हमारी ओर से उनके कल्याण का काम जारी रहेगा. केवल इतना ही नहीं, यह भाजपा की सरकार है, जो समाज के सब वर्गों का ध्यान रखती है. यह हम ही ने, इसी सरकार ने सामान्य वर्ग आयोग बनाया था और 10 प्रतिशत आरक्षण सामान्य वर्ग के आर्थिक रुप से कमजोर नौजवान बेटे, बेटियों को दिया जा रहा है, यह निरन्तर जारी रहेगा और इतना ही नहीं, कभी कांग्रेस की सरकार ने नहीं किया. हमने किया था. हमने फैसला किया कि सामान्य वर्ग के भी आर्थिक रुप से जो कमजोर बच्चे हैं, उनको हम स्कालरशिप देंगे. स्वामी विवेकानन्द पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति, सुदामा शिष्यवृत्ति, डॉ. ए.पी.जे.कलाम मेघावी छात्र प्रोत्साहन योजना, वीरांगना लक्ष्मीबाई साइकिल वितरण योजना, आचार्य विद्या सागर गौ संवर्द्धन योजना, मां सरस्वती उच्च शिक्षा ऋण योजना. यह सब सामान्य वर्ग के बेटा, बेटियों के लिये हैं और फिर से हमने सामान्य वर्ग आयोग बना दिया है. उसकी जो अनुशंसाएं आयेंगी, हम सामान्य वर्ग के कल्याण के लिये भी लगातार काम करते रहेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माता,बहन और बेटियां हमारे समाज में कहा गया है क गंगा,गीता,गायत्री हैं बेटियां.सीता,सत्या और सावित्री हैं बेटियां. दुर्गा,लक्ष्मी,सरस्वती हैं बेटियां और इस धरती पर कहा गया है कि "यत्र नारीस्य पूजयन्त रमन्ते तत्र देवता " देवता वहीं निवास करेंगे जहां मां,बहन और बेटियों को मान-सम्मान और इज्जत की नजर से देखा जायेगा और इसलिये इस सरकार का यह फैसला है. महिलाओं का, माता-बहनों का शैक्षणिक सशक्तीकरण, आर्थिक सशक्तीकरण,सामाजिक सशक्तीकरण और उसके साथ-साथ राजनीतिक सशक्तीकरण जारी रहेगा. वह करके ही हम चैन की सांस लेंगे. मैं गर्व के साथ यह कहता हूं.यही सरकार थी जिसने फैसला किया मध्यप्रदेश की धरती पर शिक्षकों की भर्ती में 50 परसेंट रिजर्वेशन बेटियों का होगा. हमने फैसला किया वह देना हम जारी रखेंगे. पुलिस की भर्ती में 30 परसेंट रिजर्वेशन. यह क्रांतिकारी फैसला था जिसने महिलाओं के सशक्तीकरण में बहुत महत्वपूर्ण काम किया है. हमने तय किया है कि बेटियों को पुलिस में भी भर्ती करेंगे. 30 परसेंट रिजर्वेशन हम लगातार दे रहे हैं और आप लगातार देख रहे हैं कि बेटियां पुलिस में भर्ती होकर अपने कर्तव्य का निर्वाह कर रही है.माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भारतीय जनता पार्टी की ही सरकार थी जिसने तय किया कि चाहे पंचायत हो,चाहे नगरीय निकाय हो. 50 परसेंट रिजर्वेशन स्थानीय निकाय के चुनाव में महिलाओं को दिया जायेगा यह फैसला भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया. पैदा होने से लेकर जन्म लेने से लेकर अंतिम सांस लेने तक सरकार को साथ खड़ा किया है. मां,बहन और बेटी के साथ तो इस भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. बेटी पैदा हो तो लाड़ली लक्ष्मी. 41 लाख लाड़ली लक्ष्मी बेटियां आज मध्यप्रदेश की धरती पर हैं और आज फिर इस महान सदन के बीच में मैं यह फैसला कर रहा हूं कि लाड़ली लक्ष्मी योजना-2 भी लाई जायेगी और लाड़ली लक्ष्मी बेटियों की उच्च शिक्षा का भी नि:शुल्क इंतजाम किया जायेगा. पढ़ेंगी बेटियां बढ़ेंगी बेटियां. बेटियों को किसी भी कीमत पर पीछे नहीं रहने दिया जायेगा. बेटी पैदा हो तो लाड़ली लक्ष्मी, स्कूल जाये तो किताबें, दूसरे गांव जाए तो साईकिल,बारहवीं में प्रथम श्रेणी में पास हो जाए तो गांव की बेटी कहलाए. कालेज की पढ़ाई के लिये अलग से राशि पाए.कन्यादान योजना को प्रारम्भ करने की बात मैंने पहले ही कर दी है. हम कोई कसर बेटियों के कल्याण में नहीं छोड़ेंगे. हमारे महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप भी क्रांतिकारी काम कर रहे हैं और मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता है कि महिला सेल्फ हेल्प ग्रुपका आर्थिक सशक्तीकरण का काम तेजी से हो रहा है. हमने इस साल 2500 करोड़ रुपये बैंक लिंकेज के माध्यम से महिला स्वसहायता समूहों को देने का फैसला किया है और एक और क्रांतिकारी फैसला जो आपने बदला था और वह फैसला था पोषण आहार बनाने के प्लांट हमने लगाए और वह प्लांट चलाने का जिम्मा महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप के महासंघ उनको चलाएंगे. आपने उस फैसले को बदलकर फिर से ठेकेदारों को पोषण आहार बनाने का ठेका दिया था. अब हमने फिर से बदलकर सातों प्लांटों का संचालन महिला स्वसहायता समूहों को दे दिया है. वह अब स्कूल की यूनिफार्म बनाएंगी. वह अब जल जीवन मिशन के अंतर्गत पानी की योजनाएं चलाएंगी. वह राशन की दुकानें भी जरूरत पड़ने पर चलाने का काम करेंगी. अलग-अलग चीजें वह बना ही रही हैं. आर्थिक रूप से आज स्थिति यह है कि महिला स्व सहायता समूह का मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था में 20 हजार करोड़ रुपये का योगदान है. उनके सशक्तीकरण का काम लगातार जारी हम रखेंगे और इसके साथ ही साथ हमने इस बार चाईल्ड बजट प्रस्तुत किया है. मुझे बताते हुए खुशी है मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं. 57803 करोड़ रुपये का प्रावधान चाईल्ड बजट के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं में किया गया है जिसके बारे में वित्त मंत्री जी विस्तार से इस सदन को बताएंगे. कुपोषण की बात इसी सदन में आपने उठाई थी. मैं कहना चाहता हूं कि आपकी सरकार के समय नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के तीसरे चरण की रिपोर्ट आई थी. रिपोर्ट के मुताबिक 5 वर्ष तक की आयु के 60 परसेंट बच्चे कम वजन के थे. इनमें से गंभीर कुपोषित थे 12.6 परसेंट और अब जो नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की पांचवीं रिपोर्ट आई है इसमें 5 वर्ष तक की आयु के कम वजन के बच्चों का प्रतिशत 60 से घटकर केवल 33 परसेंट रह गया है और गंभीर कुपोषण 12.6 परसेंट से घटकर 6.5 परसेंट रह गया है.
श्री बाला बच्चन-- आप जरा वर्ष 2020-21 के सर्वेक्षण को पटल पर रख दीजिये, आपकी सारी पोल खुल जायेगी.
अध्यक्ष महोदय-- बाला बच्चन जी बैठ जाइये. नहीं, नहीं आपका हो गया, उसमें लक्ष्मण सिंह जी ने बोल दिया. माननीय मुख्यमंत्री जी आप जारी रखिये.
श्री बाला बच्चन-- आर्थिक सर्वेक्षण जिसमें एक्चुअल आंकड़े आते हैं, फेक्ट आंकड़े आते हैं, मुख्यमंत्री जी कुछ भी अपने हिसाब से बोल रहे हैं. आप उसको रखिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, महिलाओं और उनके संघों के प्रशिक्षण, काउंसिलिंग, कौशल संवर्धन, उत्पादों की पैकेजिंग, ब्रांडिंग, मार्केट लिंकेज, डिजिटल मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क के लिये एक नई सी.एम. महिला उद्यम शक्ति योजना भी हम प्रारंभ करेंगे जो इस काम को करेगी और महिलाओं के लिये 100 करोड़ रूपये का एक विशेष कोष बनाने का भी हमने फैसला किया है और भोपाल और इंदौर में जो उद्यमी हमारी बहन और बेटियां हैं उनके लिये एक इंडस्ट्रियल पार्क की स्थापना भी की जायेगी. बच्चों और महिलाओं के कल्याण में मेरी सरकार कोई कसर नहीं रखेगी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक घंटा 40 मिनट हो गया, आधी किताब और बची है अभी, पढ़ा हुआ मान लेते हैं न, रख दो.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- आपने जो सवाल पूछे हैं, उसका जवाब दे रहा हूं, अब आप बार-बार पूछ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये, मुख्यमंत्री जी को बोलने दीजिये. समय तो आप ही बढ़ा रहे हैं, समय तो आपके कारण ही बढ़ रहा है.
श्री सुखदेव पांसे-- माननीय मुख्यमंत्री जी पुरानी पेंशन के बारे में भी कुछ बोल दीजिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अब टोका-टाकी में आधा समय चला गया, पता नहीं चार एक घंटा मुझे बोलना पड़ेगा. इसलिये अब मत टोको, आप बाला को रोको न.
श्री बाला बच्चन-- माननीय मुख्यमंत्री जी अभी आपने बोला की विधायकों के प्रश्नों के जवाब दे रहे हैं और लिखित में हमारे प्रश्नों के जवाब आते हैं तीन-तीन, चार-चार सत्रों से कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- यह गलत बात है, आप बैठ जाइये. माननीय मुख्यमंत्री जी आप जारी रखिये.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अभी इसी सत्र में प्रश्न लगा ...(व्यवधान)... प्रश्नों की जानकारी आप एकत्रित करने की बोल रहे हो. ...(व्यवधान)... लिखित में आप हमारे प्रश्नों का जवाब क्यों नहीं देते हो. माननीय मुख्यमंत्री जी हमें इस बात की पीड़ा है. जिस जनता ने आपको चुनकर भेजा है, उसी जनता ने हमें भी चुनकर भेजा है, आप हमारे प्रश्नों का जवाब क्यों नहीं देते हो. ...(व्यवधान)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- आज बाला बच्चन बड़े गुस्से में हैं, अभी जवाब दे देता हूं. आपने यह कहा कि बच्चों को यह पढ़ना नहीं आता वो पढ़ना नहीं आता. किसने भर्ती की थी यह ? कितने पैसे देते थे भर्ती करने वालों को ? माननीय अध्यक्ष महोदय, शिक्षकर्मी और संविदा शिक्षक वर्ग-3 को 2500 रूपया देते थे महाराज, जब आपकी सरकार थी, हमने बढ़ाकर 45 हजार 300 रूपये कर दिया है. शिक्षाकर्मी संविदा शाला वर्ग-2 को आप 3500 रूपये देते थे, हमने शिक्षा के स्तर को आगे बढ़ाने के लिये 51 हजार 700 रूपये कर दिया है. शिक्षाकर्मी और संविदा शाला शिक्षक को आप 4500 रूपये देते थे महाराज हम 60 हजार 800 रूपये दे रहे हैं ताकि शिक्षा का स्तर और ऊंचा उठे. अब आपने गलत किया और हम ढो रहे हैं.
सुश्री विजय लक्ष्मी साधौ-- सरकारी स्कूलों में आप तुलना कर रहे हैं, उस वक्त का सरकारी प्राइमरी, मिडिल और हायर सेकेण्डरी स्कूलों में बच्चों की संख्या क्या थी और आज की तारीख में प्राइमरी, मिडिल और हायर सेकेण्डरी का लेबल क्या है, उसका भी आप उल्लेख करें, तब लगेगा कि जो न्यू ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये, यह प्रश्नकाल नहीं है, आप उन्हें भाषण पूरा करने दीजिये.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- अच्छा जो-जो दीदी ने पूछा बता ही देता हूं उसमें क्या दिक्कत है.
श्री लक्ष्मण सिंह-- आप अपनी दीदी को नहीं संभाल पा रहे हो, वह पत्थर फेंक रही हैं, दुकानें फोड़ रही हैं. अपनी दीदी को तो संभाल लो. हमारी दीदी तो संभल जायेंगी, हम संभाल लेंगे. ...(हंसी)...
श्री शिवराज सिंह चौहान-- हमारी लाड़ली दीदी को मैं बताना चाहता हूं कि शिक्षा के स्तर को विशेष रूप से और ऊपर उठाने के लिये हमने सी.एम. राइज स्कूल खोलने का फैसला किया है. पहले चरण में 360 स्कूल खोले जा रहे हैं और इन सी.एम. राइज स्कूल में प्राइवेट स्कूलों से बेहतर व्यवस्था होगी. लेब होगी, लायब्रेरी होगी, प्ले ग्राउंड होगा, स्मार्ट क्लास होगी. हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और आस पास के बच्चे भी बस में बैठकर सबेरे स्कूल आयेंगे और शाम को फिर स्कूल से पढ़कर वापस अपने घर चले जायेंगे और जरूरत पढ़ेगी दीदी तो भोपाल और दिल्ली से भी स्मार्ट क्लास में प्रोफेसर शिक्षक पढ़ायेंगे. अब आप पूछोगे तो, मैं बताता रहूंगा, और क्या बताउं बोलो. हम यह स्तर भी ऊंचा उठायेंगे.
श्री आरिफ मसूद -- अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने सारी चीजों का उल्लेख किया है, अल्पसंख्यक कल्याण के लिये भी बोलेंगे तो मैं समझूंगा कि....
अध्यक्ष महोदय -- आप उनको बोलने दीजिये, आप बैठ जाईये.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- यह जवाब भी मुझे देने दो, मैं अपने मित्र को यह कहना चाहता हूं कि जितनी गरीब कल्याण की योजना है, हर एक में अल्पसंख्यक शामिल है, एक में भी नहीं छोड़ा है. एक योजना में भी नहीं छोड़ा है, सब में शामिल हैं.
श्री आरिफ मसूद -- मुख्यमंत्री जी मदरसों को कई वर्ष से पैसा नहीं मिला है, उनको ग्रांट नहीं मिल रही है, उसको दिला दीजिये तो बहुत बड़ा काम हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय -- (एक माननीय सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) अब माननीय मुख्यमंत्री जी के अलावा कोई बोलेगा तो नहीं लिखा जायेगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- XXX
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हम कार्यक्रम करते हैं तो कई कार्यक्रम में भोपाल जैसी जगह आधे से ज्यादा बहने अल्पसंख्यक समाज की आती हैं. हम हर एक का कल्याण करते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, रोजगार का सवाल ओर था, अब चूंकि हमारे मित्र यह कह रहे हैं कि देर काफी हो गई है, अब टोकना नहीं, नहीं तो ओर देर होगी. मैं कुछ चीजों की तरफ ओर ध्यान दिलाकर और फिर आगे बढूंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक विषय रोजगार का है, रोजगार का विषय महत्वपूर्ण है और रोजगार के लिये भारतीय जनता पार्टी की हमारी सरकार की जो नीति है, वह मैं आपके सामने रखना चाहता हूं. हमारी योजना है, नंबर एक नई शिक्षा नीति का प्रभावी क्रियान्वयन करके, कक्षा 6 से ही रोजगार मूलक शिक्षा. नंबर दो शिक्षा और उद्योग जगत की मांग में (एक माननीय सदस्य द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) अब पूरा सुन लें पहले भाई, यह मत करें.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं आप बैठ जायें, माननीय मुख्यमंत्री जी के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, गेप भरने के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर का कौशल प्रशिक्षण ग्लोबल स्किल पार्क बन रहा है, मॉडल आई.टी.आई. बन रही है, जहां ट्रेंड होकर लोगों को रोजगार मिल सके. जिला और विकासखंड स्तर पर रोजगार मेलों का हम नियमित आयोजन कर रहे हैं, उसमें रोजगार मिल रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकारी भर्तियों के माध्यम से अब तक दो साल में 44 हजार भर्तियां हमने की है और उसका काम लगातार जारी रहेगा और माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके साथ -साथ अधिक से अधिक निवेश लाकर नियोजन के अवसरों की हम वृद्धि करेंगे.
श्री बाला बच्चन --XXX
श्री कुणाल चौधरी --XXX
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जायें, आपका नहीं लिखा जा रहा है.
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम पर्यटन श्रम खनिज और सहकारिता आदि में रोजगार के अवसर सृजित करने का भी काम करेंगे और माननीय अध्यक्ष महोदय, हम हर महीने एक दिन रोजगार दिवस के रूप में मना रहे हैं.
श्री बाला बच्चन --XXX
श्री शिवराज सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि नवंबर 2021 से फरवरी 2022 तक चार माह में कुल मिलाकर 10 लाख 27 हजार से अधिक हितग्राहियों को 5 हजार 430 करोड़ रूपये से अधिक की ऋण सहायता उपलब्ध कराकर उनको रोजगार से लगाने का काम किया है, तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है और 30 मार्च को फिर रोजगार दिवस मनाकर रोजगार दिया जायेगा. अध्यक्ष महोदय, हम रोजगार के क्षेत्र में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे.
अध्यक्ष महोदय,रूरल डेव्हलपमेंट, ग्रामीण विकास और शहरी विकास के बारे में अब मैं ज्यादा लंबी बात नहीं करना चाहता हूं. मैं केवल इतना ही कहना चाहता हूं कि दोनों सेक्टर में हमारी सरकार एक गांव में आदर्श ग्राम कैसे बने? रोड कनेक्टिविटी, पीने का हर घर पानी. मैं आपसे यह निवेदन भी करना चाहता हूं कि जब आपकी सरकार थी, वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री जी ने जल जीवन मिशन बनाया था. आपने उसमें स्टेट का शेयर नहीं दिया, आपने मैचिंग ग्रांट नहीं दी, इसलिये जल जीवन मिशन प्रारंभ नहीं हुआ था. अब हर एक गांव में, हर घर में शुद्ध पीने का पानी देने के लिये अगले साल के बजट में हमने छ: हजार तीन सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया है (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, 47 लाख घरों में जल जीवन मिशन के अंतर्गत टोंटी वाले नल लग चुके हैं और बाकी जो शेष हैं, उनमें भी आने वाले दो साल में पीने के पानी की, जहां सोर्स नहीं मिलेगा उसकी बात मैं नहीं करता हूं, कोई ऐसा स्थान है कि जहां बोर में पानी नहीं निकला, अधिकांश योजनाएं, हम सामूहिक पेयजल योजना बना रहे हैं, नर्मदा जी का पानी, अन्य नदियों से पानी, बांधव का पानी ला रहे हैं, लेकिन जहां नहीं मिला मैं उसकी गारंटी नहीं लेता क्योंकि मैंने यह निर्देश भी दिये हैं कि केवल पाईपाइन नहीं बिछेगी, पहले सोर्स देखो नहीं तो टंकी बनी रह जाये और पाईपलाइन बिछी रह जाये, पानी मिले ही नहीं. हम वैसा नहीं करेंगे जैसा आपने सिंचाई की योजनाओं में किया, बांध बना नहीं, पाईप के पैसों का भुगतान पहले ही कर दिया. यह हम नहीं होने देंगे. तुलसी भाई, आप सावधान रहना. हम ऐसा नहीं होने देंगे ...(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - अब मुख्यमंत्री जी के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री बाला बच्चन - (XXX)
श्री सुखदेव पांसे - (XXX)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसलिए गांव में सड़कें, गांव में पीने का पानी, गांव में स्वच्छता, गांव में खेल का मैदान, गांव में पंचायत, गांव में आंगनवाड़ी एवं समग्र गांव के विकास की दिशा में हम लगातार कदम उठा रहे हैं और ग्रामीण विकास के साथ-साथ, भूपेन्द्र जी बैठे हैं, अर्बन डेवहलपमेंट के क्षेत्र में भी नित्य नये रिकॉर्ड भारतीय जनता पार्टी की सरकार स्थापित कर रही है. फिर चाहे सीवेज का सिस्टम हो, चाहे पीने का पानी हो, स्वच्छता का सवाल हो. मैं बहुत विस्तार में नहीं जाऊँगा, लेकिन हम पूरी ताकत के साथ उस काम में लगे हुए हैं. मैं सदन से इतना जरूर निवेदन करना चाहूँगा कि स्वच्छ सर्वे अभियान अभी चल रहा है. गांवों के लिए भी, शहरों के लिए भी, आप भी अपनी-अपनी विधान सभा क्षेत्र को स्वच्छ बनाने में भी सहयोग करने की कृपा करेंगे तो हमारे गांव और शहर, तेजी से आगे बढ़ेंगे. कमलनाथ जी, आज सदन में उपस्थित नहीं हैं, लेकिन भाषण का मजा तो तभी आता है, जब वह होते हैं. मेरा तो पूरा मजा ही किरकिरा हो गया है, आनन्द ही नहीं आया. वे माफिया की बातें बार-बार करते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आज निवेदन करना चाहता हूँ कि माफियाओं के खिलाफ आप चर्चा करते हैं. 2,450 आरोपियों के विरुद्ध 753 प्रकरण दर्ज किए गए हैं और हमने भू-माफियाओं से 21,000 एकड़ से अधिक जमीन मुक्त करवाई है. हमें जहां जरूरत पड़ी, हमने बुलडोजर भी चलवाया है और आज मैं फिर यह घोषणा कर रहा हूँ कि भू-माफियाओं से जो जमीन हमने मुक्त करवाई हैं, वह गरीबों को मकान बनाने के लिए दे दी जाएंगी. माफियाओं की जगह, अब गरीबों के मकान होंगे. हमने चिटफण्ड माफियाओं से लगभग 1.44 लाख लोगों को 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि वापिस दिलवाई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक नहीं, ऐसे अनेकों माफियाओं के खिलाफ हमने कार्यवाही की है. मैं बहुत विस्तार में नहीं जा रहा हूँ लेकिन पूरी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूँ कि कानून और व्यवस्था से खिलवाड़ करने वाले कोई भी हों, मध्यप्रदेश की धरती पर उसको छोड़ा नहीं जायेगा, हम सख्त कार्यवाही करेंगे. अभी कल ही भोपाल में जेएमबी बंगलादेश के एक संगठन के अपराधी पकड़े गए, आतंकवादी पकड़े गए. ...(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - किसी का नहीं लिखा जायेगा. मुख्यमंत्री जी के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री जितु पटवारी - (XXX)
श्री सुखदेव पांसे - (XXX)
कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा - (XXX)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन्होंने बंगलादेश सरकार बदलने का षड्यंत्र किया था, उनको भी पकड़ने का काम इस सरकार ने किया है और इसलिए माफियाओं के खिलाफ लगातार सरकार की कार्यवाही जारी रहेगी.
श्री जितु पटवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आप टोका-टोकी कर रहे हो, तो भाषण कैसे होगा ?
श्री जितु पटवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न लगाइये. मुख्यमंत्री जी, आप भाषण जारी रखिये. ...(व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, अब ये खिसयानी बिल्लियां, खम्भा नोच रही हैं. मैं इनसे पूछ रहा हूँ, यह कर्मचारी कल्याण की बातें बार-बार करते थे, क्या कांग्रेस ने कर्मचारियों को कभी केन्द्र के समान महंगाई भत्ता दिया ? ...(व्यवधान)
श्री जितु पटवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - मुख्यमंत्री जी के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री जितु पटवारी - (XXX)
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - (XXX)
श्री सुखदेव पांसे - (XXX)
श्री बाला बच्चन - (XXX)
श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने कोविड के कठिन काल में अपनी जान देकर भी प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य की रक्षा करने का काम किया. उस समय हम कोविड के कारण मजबूर थे. इसलिए सातवें वेतन आयोग के एरियर्स की किश्त नहीं दे पाए थे, वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं दे पाये थे, महंगाई भत्ता नहीं दे पाये थे लेकिन जैसे ही कोविड से स्थिति ठीक हुई. हमने उनको एरियर्स की किश्त भी दी. वार्षिक वेतन वृद्धि भी प्रारंभ कर दी और 20 प्रतिशत से सीधे बढ़ाकर 31 प्रतिशत मंहगाई भत्ते की किश्त कर दी गई है (...मेजों की थपथपाहट) और आगे भी मैं कर्मचारी मित्रों को ये विश्वास दिलाना चाहता हूं कि ये सरकार कर्मचारियों के कल्याण में भी कोई कसर नहीं छोड़ेगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, (...व्यवधान)
श्री जयवर्द्धन सिंह - (xxx) (...व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, एक आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने का हमने फैसला किया है. मैं अपने सभी विधायक मित्रों से निवेदन करना चाहता हूं कि हमने तय किया है कि गांव का पूरा विकास करना हो, शहरों का विकास करना हो तो हमें जनता के सहयोग की भी आवश्यकता होगी.
श्री सुखदेव पांसे - (xxx) (...व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान - गांव के गौरव का दिवस एवं शहर के गौरव दिवस को एक साथ मनाने चाहिए. (...व्यवधान)
श्री सचिन सुभाष यादव - (xxx) (...व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, (...व्यवधान) जनता के साथ मिलकर हम अपने शहर और गांव को बढ़ाने का प्रयास करेंगे और तेजी से हमारे गांव और शहर आगे बढ़ेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश का सांस्कृतिक अभ्युदय भी हो रहा है. ये सरकार जिसने तय किया कि मध्यप्रदेश के ओमकारेश्वर में अद्वैत वेदांत जिनके श्रीमुख से निकला, एक ही चेतना समस्त जड़ एवं चेतन में अनुस्यूत है और पूरे भारत को सांस्कृतिक रूप से जिसने एक रखा, वैसे आदिगुरु शंकराचार्य जी महाराज की विशाल और भव्य प्रतिमा लगाई जाएगी. (...मेजों की थपथपाहट) महाकाल महाराज के परिसर का विकास आपने देखा होगा, जो कॉरीडोर बन रहा है वह अपने आप में अद्भूत बन रहा है. 700 करोड़ रूपए से ज्यादा की राशि उसमें खर्च की जा रही है. अभी उज्जैन में महाशिवरात्रि का पर्व हमने धूमधाम से मनाया था और दीप जलाने में उज्जैन ने पूरी दुनिया का रिकार्ड तोड़कर नया रिकार्ड स्थापित किया था, (...मेजों की थपथपाहट)वैसे ही हम रामनवमी के पर्व को भी धूमधाम से मनाएंगे. सांस्कृतिक अभ्युदान भी होगा, हमारी संस्कृति, हमारे जीवन मूल्य, हमारी परम्पराएं उनको आगे बढ़ाते हुए ये सरकार सचमुच में मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रूप में परिवर्तित करेगी, इसमें सभी का सहयोग चाहिए. मैं अपने विधायक मित्रों की कई कठिनाइयां जानता हूं, वे बड़े कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं. कई बार पत्रकार मित्र भी उन पर टीका टिप्पणियां कर देते हैं कि माननीयों ने ये कर दिया, माननीयों ने वो कर दिया. अब माननीय दिन और रात, सबेरे से लेकर रात तक जनता की सेवा में भी लगे रहते हैं. कहीं शादी-विवाह हो जाए तो माननीयों को जाना ही पड़ता है, और जाएं तो कुछ न कुछ शुभकामनाएं देनी ही पड़ती है, घर अगर मिलने आए तो चाय पिलाने के खर्च का अंदाज लगाओ,
-----------------------------------------------------------------------------
( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
लेकिन जमाना इसको नहीं देखता, वह कई गुना ज्यादा होता है. इन कठिनाईयों के बावजूद भी जनप्रतिनिधि पूरी निष्ठा के साथ काम करते हैं और इसलिए कोविड काल में हमने फैसला किया कि जो विधायक निधि है, उनमें से 50 लाख रुपये वे स्वेच्छानुदान के रूप में खर्च कर सकते हैं(...मेजों की थपथपाहट) उस फैसले के कारण अब कई जरुरतमंदों की मदद कर पाएं.
मित्रों, मैं मानता हूं, हमारा रास्ता बहुत कठिन है, लेकिन हमने स्वयं ये कंटकाकीर्ण मार्ग अपने लिए चुना है. आप पूरी शिद्दत से मध्यप्रदेश की जनता की सेवा करते रहिए, सरकार की योजनाओं को नीचे (धरातल) उतारते रहिए. इस बार हम एक फैसला और कर रहे हैं कि विधायक निधि बढ़ाकर दो से तीन करोड़ रूपए कर दी जाएगी(...मेजों की थपथपाहट)
(विपक्ष के अनेक माननीय सदस्यों द्वारा अपने अपने आसन से विधायक निधि 5 करोड़ रूपए करने की मांग की गई.) (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाओ न. (...व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान - आपने जो कहा था, मैं कर रहा हूं. (...व्यवधान)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ - 5 करोड(...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आगे सुनिए, बैठ जाओ. (...व्यवधान)
श्री शिवराज सिंह चौहान - और उसमें भी 50 लाख रूपये स्वेच्छानुदान की राशि कर दी जाएगी. (...मेजों की थपथपाहट) आप सभी को होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं. (...मेजों की थपथपाहट) जाओ अपने अपने क्षेत्र में रंग खेलो, गुलाल खेलो, गैर निकालो, जुलूस निकालो और जनता के साथ उत्साह से आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने आगे बढ़ जाओ, बहुत बहुत धन्यवाद. (...मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय--आप लोग कृपया बैठ जाएं. माननीय मुख्यमंत्री जी जब आप माननीय विधायकों को उदारतापूर्वक बोल रहे थे तब उधर से एक ऐसा हाथ दिखा रहे थे. मतलब यह कि यह लोग पांच करोड़ रूपये की मांग कर रहे थे. उतना ना करें तो भी आप इस पर विचार कर लेना.
श्री शिवराज सिंह चौहान--जी हां अध्यक्ष महोदय.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप लोग बैठ जाईये ना हमने आप सब लोगों की बात उनके सामने रख दी है. अब आप लोग बैठ जाएं. उनको विचार करने दीजिये.
अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के लिये लॉबी में भोजन की व्यवस्था विषयक
अध्यक्ष महोदय--आज भोजनावकाश नहीं है. माननीय सदस्यों के लिये भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
2.01 बजे
राज्यपाल के अभिभाषण पर डॉ.सीतासरन शर्मा, सदस्य द्वारा दिनांक 7 मार्च, 2022 को प्रस्तुत प्रस्ताव पर चर्चा का पुनर्ग्रहण.(क्रमशः)
अध्यक्ष महोदय--मैं समझता हूं कि राज्यपाल के अभिभाषण के उत्तर में प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव में जितने संशोधन हुए हैं उन पर एक साथ ही मत ले लिया जाये.
प्रश्न यह है कि --
राज्यपाल के अभिभाषण के उत्तर में प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव में जितने संशोधन हुए हैं उन पर एक साथ ही मत ले लिया जाये.
समस्त संशोधन अस्वीकृत हुए.
प्रश्न यह है कि --
राज्यपाल ने जो अभिभाषण दिया, उसके लिये मध्यप्रदेश विधान सभा के इस सत्र में समवेत सदस्यगण अत्यंत कृतज्ञ हैं.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय--विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 15 मार्च, 2022 के प्रातः 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 2.02 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार दिनांक 15 मार्च, 2022(24 फाल्गुन, 1943) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
भोपाल,
दिनांक :ญญญ 14 मार्च, 2022 ए.पी.सिंह
प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा