मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा षोडश सत्र
फरवरी-मार्च, 2018 सत्र
बुधवार, दिनांक 14 मार्च, 2018
(23 फाल्गुन, शक संवत् 1939)
[खण्ड- 16 ] [अंक- 9 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 14 मार्च, 2018
(23 फाल्गुन, शक संवत् 1939)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
पेयजल समस्या का निराकरण
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
1. ( *क्र. 2276 ) श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) पी.एच.ई.डी. के द्वारा पेयजल समस्या के निराकरण हेतु शासन की क्या नीति व निर्देश प्रचलन में हैं? (ख) पी.एच.ई.डी. को मध्यप्रदेश से विगत चार वर्ष से खण्ड मुरैना को कितने हैंडपंप की स्वीकृति प्राप्त हुई? जानकारी वर्षवार दें। (ग) उपरोक्त अनुसार मुरैना जिले के लिए प्राप्त हैंडपंप कितने स्वीकृत किये गये व स्वीकृति हेतु किन-किन जनप्रतिनिधियों द्वारा प्रस्ताव प्रस्तुत किये गये? जानकारी विधान सभा क्षेत्रवार दी जावे।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 एवं 3 के अनुसार है।
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से अपने प्रश्न के उत्तर में पूछना चाहता हूं कि चार वर्षों में मेरे क्षेत्र में कुल 13 हैण्डपम्प लगाये गये हैं, जबकि 1047 हैण्डपम्प मंजूर हैं. मेरा क्षेत्र जंगल एवं बीहड़ है. वहां पर पिछले चार सालों से सूखा है. वहां पर 1047 में से 13 हैण्डपम्प मेरे क्षेत्र में लगाये गये हैं, ऐसा क्यों? मंत्री जी बताने की कृपा करें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--अध्यक्ष महोदय, पूरी जानकारी परिशिष्ट में दे दी गई है. अतिरिक्त जानकारी के रूप में बता रही हूं कि मुरैना में 200 हैण्डपम्पों की मंजूरी थी जिसमें से हम 187 लगवा चुके हैं 17 और बचे हैं जिनको मार्च तक पूरा कर देंगे.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी द्वारा जो जानकारी दी जा रही है गलत है. चार वर्षों में 1047 हैण्डपम्प लगाने थे, यह आपकी जानकारी है इनमें से विगत् चार वर्षों में मेरे क्षेत्र में 13 हैण्डपम्प लगाये गये हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--अध्यक्ष महोदय, 191 हैण्डपम्प चालू हैं. कई हैण्डपम्पों के जल स्रोत सूख गये हैं, जिसकी वजह से हैण्डपम्पों में पानी नहीं आ रहा है. स्रोत बंद होने की वजह से अन्य वैकल्पिक व्यवस्था हम करने के लिये तैयार हैं.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया--अध्यक्ष महोदय, पूरे क्षेत्र में पानी की समस्या है. वहां पर कुल 10 प्रतिशत हैण्डपम्प चालू हैं. जो सामान जाता है उसे ई.ई. और अधिकारीगण यहां भोपाल में ही बेच जाते हैं.कोई सामान वहां नहीं पहुंच रहा है. मैं यह पूछना चाहता हूं कि 1074 में से 1047 हैण्डपम्प लगे हैं और 1047 में से कुल 13 हैंडपंप मेरे विधान सभा क्षेत्र में 4 साल में लगे हैं.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय, हम अतिशीघ्र व्यवस्था करवा देंगे और मैंने जो जानकारी दी है वह सही जानकारी है और परिशिष्ट में सही जानकारी है.
श्री बलबीर सिंह डण्डौतिया - इसमें गलत जानकारी दी गई है. 4 साल में 1047 हैंडपंप दिये गये हैं और मेरे विधान सभा क्षेत्र में कुल 13 लगे हैं. यह भेदभाव किया गया है.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले - इनके क्षेत्र में जो हैंडपंप बंद हैं,खराब हैं उनको हम सुधरवा देंगे और पानी की कमी नहीं होने देंगे.
श्री बलबीर सिंह डण्डौतिया - माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि जिन अधिकारियों ने भेदभाव किया है उनके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले - जांच करवा लेंगे.यदि अधिकारी दोषी होंगे तो निश्चित कार्यवाही होगी.
मे. रॉयल केटर्स द्वारा निविदा की शर्तों का उल्लंघन
[तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोज़गार]
2. ( *क्र. 2418 ) डॉ. योगेन्द्र निर्मल : क्या राज्यमंत्री, तकनीकी शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत् 3 वर्ष में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय को केन्टीन ठेका मेसर्स, रॉयल केटर्स द्वारा वर्तमान कुल सचिव की कालावधि में कुल कितनी अवधि तक संचालित किया गया है? वर्षवार जानकारी देवें। (ख) राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा मेसर्स रॉयल केटर्स के केन्टीन आवंटन की अवधि में कुल कितनी रॉयल्टी राशि प्राप्त की जानी थी और कितनी रॉयल्टी राशि प्राप्त की गई? दिनांकवार एवं वर्षवार जानकारी देवें। (ग) क्या मेसर्स रॉयल केटर्स द्वारा निविदा की शर्तों के अनुसार ही रॉयल्टी की एक मुश्त राशि कुल सचिव द्वारा जमा कराई गई है? यदि हाँ, तो कब, नहीं तो क्यों? इस हेतु कौन उत्तरदायी है एवं उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है? (घ) एकमुश्त राशि कब तक जमा करा दी जावेगी? (ड.) क्या मेसर्स रॉयल केटर्स को निविदा की शर्त के उल्लंघन हेतु चेतावनी पत्र जारी किया गया है अथवा नहीं? यदि हाँ, तो कब-कब?
राज्यमंत्री, तकनीकी शिक्षा ( श्री दीपक कैलाश जोशी ) :
(घ) संबंधित ठेका निरस्त किया गया है, शेष राशि की वसूली हेतु कानूनी कार्यवाही की जा रही है। (ड.) विश्वविद्यालय द्वारा मेसर्स रॉयल केटर्स को पूर्ण बकाया राशि जमा करने हेतु पत्र दिनांक 03.02.2018 जारी किया गया है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 3 अनुसार है।
डॉ.योगेन्द्र निर्मल - अध्यक्ष महोदय, मेरा क से लेकर और घ तक के जो प्रश्न हैं. इसमें केटर्स द्वारा भारी अनियमितता है और अधिकारियों ने भी इस अनियमितता में सहयोग किया है. मंत्री जी इस पर क्या कार्यवाही करेंगे?
श्री दीपक कैलाश जोशी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं. प्रथम दृष्टया इस संबंध में कुछ अनियमितता सामने आई थी विभाग ने त्वरित कार्यवाही करते हुए 1.2.2018 को एक जांच समिति का गठन कर दिया है. हम अतिशीघ्र समिति का निर्णय लेकर विधायक जी को भी अवगत करा देंगे.
डॉ.योगेन्द्र निर्मल - धन्यवाद.
सुमावली विधान सभा क्षेत्रांतर्गत नल-जल योजना का संचालन
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
3. ( *क्र. 3881 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सुमावली विधान सभा क्षेत्र के ग्राम नन्दपुरा, बरौली, हेतमपुर की ग्रामीण नल-जल योजना की वर्तमान में क्या स्थिति है? ग्राम पंचायतवार जानकारी दी जावे। (ख) उक्त योजना में ग्रामों में खनन कब किये गये? विगत 02 वर्षों में उन पर संपूर्ण कार्यों सहित कितनी राशि खर्च की गई? वर्ष, राशि सहित पूर्ण जानकारी दी जावे। (ग) क्या शासन द्वारा उक्त योजना को बंद कर दिया है? यदि नहीं, तो पूर्ण नहीं करने में विलंब के क्या कारण रहे? (घ) क्या शासन उक्त नल-जल योजना को राशि आवंटित करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) एवं (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। योजनाओं में पर्याप्त क्षमता के स्त्रोतों का अभाव होने के कारण। (घ) जी हाँ। निश्चित समयावधि नहीं बताई जा सकती है।
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैंने जो प्रश्न किये थे माननीय मंत्री महोदया से उनमें उन्होंने बड़ी सूक्ष्म जानकारी दी है. योजनाओं में पर्याप्त क्षमता के स्त्रोतों का अभाव होने के कारण निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है. मैं जानना चाहता हूं कि 2007-08 की योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति हुईं और 2018 अभी यह वर्ष चल रहा है. अगर इन दस वर्षों में भी यही उत्तर आया तो मुझे लगता है कि ठीक नहीं होगा. यह काम कब खत्म हो जायेगा और यह नलजल योजना कब प्रारंभ हो जायेगी. गर्मी का समय है यदि दस सालों में भी विभाग समयावधि नहीं बता पा रहा है तो इससे ज्यादा शर्मनाक बात नहीं हो सकती.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले - - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह स्पष्ट नहीं किया है कि कहां की योजना चालू नहीं है. मैंने एक-एक जानकारी बड़े विस्तृत तरीके से परिशिष्ट में दे दी है और आपको अतिरिक्त जानकारी चाहिये तो प्वाइंटेड बताएं मैं जानकारी दे दूंगी.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने लिखा है ग्राम नन्दपुरा,बरौली,हेतमपुर की ग्रामीण नलजल योजनाओं की वर्तमान में क्या स्थिति है ग्राम पंचायतवा जानकारी दी जाए. मुझे जो जानकारी दी गई है. जो परिशिष्ट मेरे पास है उसमें दिया है किक 2007-08 की यह प्रशासनिक स्वीकृति है. आपने बताया है कि कहीं टंकी प्रारंभ हो गई है. आपने बताया कि बरौली में मोटर खराब है. मैं बताना चाहता हूं कि मोटर खराब होने के कारण नहीं वहां नलजल योजनाओं की पाईप लाईन भी पूर्णत: क्षति ग्रस्त है. उस पर भी काम नहीं हुआ है और हेतमपुर में तो आपने लिखा है कि हमें जगह ही नहीं मिली. दस वर्षों में अगर जगह नहीं मिली एक बार अधिकार मुझसे मिलते तो हम वहां जगह दिलवाते. नन्दपुरा में तो आज तक टंकी ही नहीं बनी है.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय,नन्दपुरा की योजना चालू है. यह सही है कि टंकी नहीं बनी. तो गांव के विवाद के कारण टंकी नहीं बनी है अगर हमें जगह उपलब्ध हो जायेगी तो हम टंकी बनवा देंगे और बरौली की जो बंद योजना है उसके टेण्डर हो गये हैं और मेरे ख्याल से आज से योजना चालू हो जायेगी.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार - माननीय मंत्री जी धन्यवाद. मेरा एक और प्रश्न है कि गर्मी का समय चल रहा है जो 25-25 हैंडपंप विधायकों को दिये जाते थे वह भी मुझे लगता है कि हम लोगों को नहीं दिये जा रहे और यह मेरी नहीं पूरे सदन के विधायकों की मांग है तो जो कम से कम 25 हैंडपंप विधायकों को दिये जाते थे वह तो कम से कम उपलब्ध हो जाएं.
.. (व्यवधान)..
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय, इस साल अवर्षा का साल है. इस साल पानी बरसा नहीं है. पृथ्वी में जमीन के अंदर पानी की बहुत कमी है,कम से कम 10 मीटर नीचे पानी चला गया है. जबर्दस्ती बोर कराएं तो शासन का पैसा ही खर्च होता है. जहां कहीं जांच कराकर पानी उपलब्ध होगा, वहां हम हैंडपंप खनन करवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न संख्या 4 श्री सुशील कुमार तिवारी..
एक माननीय सदस्य - अध्यक्ष महोदय, जांच कराने की मशीन ही नहीं हैं.
श्री दिलीप सिंह शेखावत - अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी लगभग 1000 फीट के आसपास पानी है.
श्री अनिल फिरोजिया - अध्यक्ष महोदय, जवाब तो दिलवाएं. हमें भी मौका दे दिया करें.
अध्यक्ष महोदय - नहीं-नहीं, इस तरह से सबको एलाउ नहीं करेंगे.
श्री अनिल फिरोजिया - हमारे विधान सभा क्षेत्र में भी सूखा है.
अध्यक्ष महोदय - यह समस्या सबके यहां पर है, आपके यहां पर ही नहीं है.
श्री अनिल फिरोजिया - मार्च हो गया है. अप्रैल आ रहा है, पानी कब देंगे?
अध्यक्ष महोदय - प्रतिपक्ष के नेता जी खड़े हैं, कृपा करके कुछ मर्यादा रखें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - अध्यक्ष महोदय, सिकरवार जी का जो प्रश्न है और उनकी जो पीड़ा है. आप ही भर की यह पीड़ा नहीं है. यह बहुत सारे माननीय विधायकों की पीड़ा है. खासतौर से सूखे का वर्ष है, जब भारतीय जनता पार्टी के विधायक के क्षेत्र में ही 10 साल से योजना चालू नहीं हुई तो आज हम यह उम्मीद करें कि कोई विधायक यह कहे कि हमें जल्दी से 25 हैंडपंप दे दें. यह 10 साल से नहीं हुआ तो 6-7 महीने और रुक लो, मंत्री जी पन्ना में वापिस जब चली जाएं, तब शायद हम लोग उम्मीद करें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय, मैं इस पर आपत्ति लेती हूं. मैं पहले ही कह चुकी हूं.
श्री अजय सिंह - आप जब तक रहेंगी पीएचई विभाग में कुछ नहीं होने वाला है मंत्री महोदया.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय, यह उचित बात नहीं है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, यह मुझे लगता है कि उचित बात नहीं है कि आप जब तक रहेंगी, तब कुछ नहीं होने वाला है. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, महिलाओं के प्रति सम्मान तो रखें.
अध्यक्ष महोदय - श्री सुशील कुमार तिवारी अपना प्रश्न पूछिए. ( श्री अनिल फिरोजिया, सदस्य के अपने आसन से कुछ कहने पर) नहीं, कोई उत्तर नहीं आएगा, कोई मतलब नहीं है. अब शून्यकाल में बोलिए.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय, इसमें महिला, पुरुष का सवाल नहीं है. मैं तो रहूंगी जब तक मुख्यमंत्री जी चाहेंगे मैं रहूंगी और काम करूंगी.
अध्यक्ष महोदय - श्री सुशील कुमार तिवारी जी प्रश्न पूछेंगे.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि योजना चालू है टंकी के लिए गांव वाले मिलकर जगह दे दें, टंकी बनवा देंगे और यह कहना गलत है कि योजना चालू नहीं है.
(व्यवधान).
अध्यक्ष महोदय - (कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होकर बोलने पर) सब अपने अपने क्षेत्र की बात बोलेंगे. ऐसा क्या प्रश्नकाल में होता है क्या? ऐसा नहीं होता है. श्री सुशील कुमार तिवारी कृपया अपना प्रश्न करें.
श्री अनिल फिरोजिया - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट.
अध्यक्ष महोदय - एक मिनट नहीं, आधा मिनट भी नहीं. श्री तिवारी जी मैं आगे बढ़ूंगा.
श्री अनिल फिरोजिया - अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष को तो आपने टाइम दिया. नेता प्रतिपक्ष ने पूरी बात ही पलट दी. अध्यक्ष महोदय, पानी की गंभीर समस्या है. नेता प्रतिपक्ष को आपने टाइम दिया, नेता प्रतिपक्ष ने तो पूरी बात ही घूमा दी.
अध्यक्ष महोदय - प्रतिपक्ष के नेता जी को कहने का अधिकार होता है, नियम पढ़ लीजिए.
श्री अनिल फिरोजिया - अध्यक्ष महोदय, जनता की समस्या का सवाल है. ऐसा थोड़े ही होता है. अध्यक्ष महोदय, एक मिनट तो सुनना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय - ऐसा नहीं होता है. ऐसा नहीं कर सकते हैं . हर कभी हर कुछ आप नहीं कह सकते हैं. कभी भी कुछ भी बिना नियम के आप बोलेंगे क्या? आप बैठ जाइए.
जबलपुर जिले में प्रदूषणयुक्त वाहनों पर कार्यवाही
[परिवहन]
4. ( *क्र. 579 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. पर्यावरण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जबलपुर जिले में पी.यू.सी. वाहन नियुक्त किये गये हैं? (ख) यदि हाँ, तो वर्ष 2017-18 में कितने वाहनों का निरीक्षण किया गया? (ग) क्या निर्धारित मापदण्ड से अधिक प्रदूषण वाले वाहनों पर कार्यवाही की गई? (घ) यदि हाँ, तो कितने वाहनों पर कार्यवाही की गई?
गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) जी नहीं। परिवहन विभाग द्वारा जबलपुर जिले में 35 पी.यू.सी. सेन्टर नियुक्त किये गये हैं। (ख) से (घ) परिवहन विभाग द्वारा प्रश्नाधीन अवधि में 4568 वाहनों का निरीक्षण 35 पी.यू.सी. सेन्टर के माध्यम से किया गया है। विभाग द्वारा निर्धारित मापदण्ड से अधिक प्रदूषण फैलाने वाले 137 वाहनों पर नियमानुसार कार्यवाही की गई है।
श्री सुशील कुमार तिवारी - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री ने जो उत्तर दिया है कि प्रदूषण फैलाने वाले 137 वाहनों पर कार्यवाही की है. यह कार्यवाही एक दिन की भी हो सकती है. हमारे जबलपुर में बहुत भारी मात्रा में मिट्टी के तेल से वाहन और ऑटो चल रहे हैं. इस पर कड़ी कार्यवाही होना चाहिए. रास्ते में राहगीर जब निकलते हैं तो आंखों में एक प्रकार से इतनी जलन होती है, इसलिए माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि बड़ी कार्यवाही की आवश्यकता है. इसमें निरंतर जांच की आवश्यकता है क्या इसकी जांच कराएंगे?
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर - अध्यक्ष महोदय, जो माननीय विधायक जी ने अवधि के बारे में प्रश्न किया था. इस अवधि में 4588 वाहनों की जांच की गई. इसमें 137 वाहन ऐसे थे, जिनका प्रदूषण का स्तर निर्धारित स्तर से ऊपर था, उनके विरुद्ध विभाग के द्वारा कार्यवाही की गई है. जहां तक माननीय विधायक जी का प्रश्न है कि उनके यहां इस तरह के और भी वाहनों की संख्या ज्यादा है तो इसके लिए हम पूरा एक विशेष अभियान जबलपुर में चलाएंगे और अभियान चलाकर और भी जो इस तरह के वाहन हैं, उन वाहनों के विरुद्ध भी हम कार्यवाही करेंगे. साथ ही मैं हमने यह भी निर्णय लिया है कि अब जो भी वाहन अगर उसका प्रदूषण निर्धारित मानक से अधिक है तो उस वाहन की हम आरसी जप्त कर लेंगे. उस वाहन को हम परमिट नहीं देंगे और जब तक उसका प्रदूषण स्तर निर्धारित मानकों के अनुसार नहीं होता, तब तक न हम आरसी वापिस करेंगे, न उस वाहन को सड़क पर चलने की अनुमति देंगे.
श्री सुशील कुमार तिवारी - धन्यवाद, माननीय मंत्री जी.
श्री सुदर्शन गुप्ता आर्य - अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि इस तरह का अभियान सिर्फ जबलपुर में ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश में चलाएं.
श्री भूपेन्द्र सिंह - जी हां, यह पूरे मध्यप्रदेश के लिये रहेगा.
प्रश्न संख्या-5 - (अनुपस्थित)
झांसी-खजुराहो सड़क निर्माण में अधिगृहीत भूमि का मुआवजा
[राजस्व]
6. ( *क्र. 1360 ) श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या झांसी-खजुराहो एन.एच. सड़क का निर्माण छतरपुर जिला मुख्यालय में बाई-पास सड़क निर्माण के रूप में राजनगर रोड पर किया जा रहा है? उक्त एन.एच. के निर्माण में जिन किसानों की पटैती भूमि/मालकाना हक की भूमि शासन द्वारा अधिग्रहण की है, उन किसानों को बहुत ही कम दर पर मुआवजा राशि दी जा रही है? (ख) क्या छतरपुर से राजनगर रोड पर कृषक राम अवतार S/o भान सिंह की कृषि भूमि खसरा क्र. 238/1, 241, 245 कुल रकबा 4,325 हे., जो पटवारी हल्का बरकुआं (पलौठाहार) तह. जिला छतरपुर में स्थित है, उक्त कृषक की भूमि में से उक्त झांसी-खजुराहो एन.एच. का निर्माण किया जा रहा है तथा उक्त किसान द्वारा मुआवजा राशि न लेकर उसकी भूमि के बदले पास से लगी हुई शासकीय भूमि खसरा क्र. 228/2/3 की मांग की जा रही है? यदि हाँ, तो क्या जिला कलेक्टरों को शासन के नियमानुसार भूमि तल-बदल किये जाने के अधिकार हैं? यदि हाँ, तो उक्त किसान को भूमि के बदले भूमि प्रदाय किये जाने के आदेश जारी करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) प्रश्नांश (क) से (ख) के संबंध में उक्त किसान को यदि भूमि के बदले भूमि नहीं मिले एवं मुआवजा भी नहीं ले रहा है, ऐसी स्थिति में उक्त किसान को किस प्रकार की योजना से उसकी पटैती भूमि अधिग्रहण की भरपाई करेंगे?
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। प्रावधान अनुसार मुआवजा निर्धारण किया गया है। (ख) जी हाँ। जी नहीं। खसरा क्रमांक 238/1 एवं खसरा क्रमांक 241 के अंश भाग पर निर्माण हो रहा है। जी हाँ। जी नहीं। भू-अर्जन की कार्यवाही होने से प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में कृषक को प्रचलित अधिनियम के तहत मुआवजा भुगतान ही किया जा सकता है।
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर - अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न में माननीय मंत्री जी से यह पूछा था कि छतरपुर जिले के पटवारी हल्का बरकुआं (पलौठाहार) में झांसी-खजुराहो एनएच सड़क के निर्माण में कई किसानों की कृषि भूमि अधिकृत की गई है और कृषक राम अवतार सिंह द्वारा कम मुआवजा मिलने के कारण शासकीय भूमि खसरा नंबर 228 में भूमि के बदले भूमि की मांग की गई थी क्योंकि खसरा नंबर 228 में फर्जी पट्टे बनवा लिए है, तो इस किसान को भूमि के बदले भूमि क्यों नहीं दी जा सकती है ?
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, हमारे विभाग में अदला-बदली की कोई एप्लीकेशन नहीं है और अधिग्रहण के मामले में भूमि बदली की व्यवस्था नहीं है. शासन ने इस पर रोक लगा रखी है. इसमें उचित मुआवजा दिया जाता है.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर - अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी बात मानती हूं भूमि के बदले भूमि दिये जाने की कोई परम्परा नहीं है. खसरा नंबर 228 में रोड निर्माण का पता लगते ही कुछ लोगों के नाम फर्जी पट्टे बन गए हैं. उन फर्जी पट्टों की जांच कराकर क्या वे निरस्त किए जाएंगे ? माननीय मंत्री जी, पट्टे निरस्त किये जाने की घोषणा सदन में कर दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, वैसे यह इस प्रश्न से उद्भूत नहीं होता, लेकिन माननीय सदस्या ने जो बताया है हम इसकी जांच करा लेंगे और कोई गड़बड़ होगी तो उसको ठीक करेंगे.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर - मंत्री जी, समय सीमा तो बता दें. किससे जांच कराएंगे ? पहले समय सीमा तो बताएं फिर हम आपको धन्यवाद देंगे. समय सीमा तो कुछ होती है, 10 दिन, 15 दिन, महीने, दो महीने.
अध्यक्ष महोदय - इससे वह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री उमाशंकर गुप्ता - अध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न से यह उद्भूत ही नहीं होता है, लेकिन मैं जल्दी से जल्दी करा दूंगा.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर - अध्यक्ष महोदय, अगर फर्जी पट्टे हैं तो समय सीमा में निरस्त कराएंगे ? समय सीमा बता दें.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी ने जांच कराने के लिये बोल दिया है.
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान खोला जाना
[तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोज़गार]
7. ( *क्र. 329 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या राज्यमंत्री, तकनीकी शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रत्येक विकासखण्ड में शासन द्वारा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान खोले जाने के निर्देश हैं? यदि हाँ, तो राजगढ़ जिले के कौन-कौन से विकासखण्ड के किस स्थान पर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान खोले गये हैं एवं उनमें कौन-कौन से विषय कितनी-कितनी सीटों हेतु स्वीकृत किये गये हैं? विषयवार सीटों की संख्या से अवगत करावें। (ख) सारंगपुर विकासखण्ड के अंतर्गत औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ना खोले जाने के क्या कारण हैं एवं भविष्य में कब तक सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र के पचोर एवं सारंगपुर नगर में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की जावेगी? (ग) क्या कौशल उन्नयन केन्द्र को औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में उन्नयन किये जाने के शासन के निर्देश हैं? यदि हाँ, तो क्या विकासखण्ड सारंगपुर में संचालित कौशल उन्नयन केन्द्र को औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में उन्नयन किया जा सकता है? यदि हाँ, तो कब तक?
राज्यमंत्री, तकनीकी शिक्षा ( श्री दीपक कैलाश जोशी ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) विभाग की नीति प्रत्येक विकासखण्ड में एक आई.टी.आई. खोलने की है। राजगढ़ जिले में जीरापुर एवं सारंगपुर विकासखण्ड में कोई शासकीय आई.टी.आई. संचालित नहीं है। जीरापुर विकासखण्ड में 01 प्रायवेट आई.टी.आई. तथा सारंगपुर विकासखण्ड में 02 प्रायवेट आई.टी.आई. संचालित हैं। वर्तमान में 119 विकासखण्ड ऐसे हैं, जिनमें शासकीय आई.टी.आई. नहीं है तथा 58 विकासखण्ड ऐसे हैं, जिनमें शासकीय/प्रायवेट आई.टी.आई. संचालित नहीं है। इतनी अधिक संख्या में शासकीय आई.टी.आई. एक साथ खोलना संभव नहीं है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं। (ग) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री कुंवरजी कोठार - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने मेरे प्रश्नांश (ख) के उत्तर में बताया है कि विभाग की नीति प्रत्येक विकासखण्ड में एक आईटीआई खोलने की है, तो मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सारंगपुर में क्या इसी बजट में आईटीआई भवन स्वीकृत करेंगे ?
श्री दीपक कैलाश जोशी - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि शासन की नीति के अनुरूप जो अनुसूचित जाति, जनजाति बाहुल्य ब्लॉक आईटीआई विहीन हैं, उसमें सारंगपुर है और साथ ही औद्योगिक क्षेत्र भी है, अभी हमने नवीन 29 आईटीआई प्रस्तावित की हैं उसमें सारंगपुर का नाम सम्मिलित है.
श्री सोहन लाल बाल्मीक - अध्यक्ष महोदय, चूंकि एससी, एसटी क्षेत्र मेरा भी है वहां पर आईटीआई नहीं खुल पाया है, तो मेरा निवेदन है कि वहां पर भी आईटीआई खोली जावे.
अध्यक्ष महोदय - सोहन लाल जी, दूसरे के प्रश्न में यदि नीतिगत मामला हो तो अनुमति दी जाती है, परंतु अपने-अपने क्षेत्र की बात जब बजट की मांगें आएं तब करिए.
श्री कुंवरजी कोठार - अध्यक्ष महोदय, यह आईटीआई कौन-कौन से विषय के साथ खोली जाएगी ? यह मंत्री जी अवगत करा दें और साथ में भवन की स्वीकृति भी कर दें.
श्री दीपक कैलाश जोशी - अध्यक्ष महोदय, चूंकि हम 4 ट्रेड से आईटीआई की शुरुआत करते हैं, तो इसमें भी 4 ट्रेड से आईटीआई प्रारंभ की जाएगी.
अपराधों की जानकारी
[गृह]
8. ( *क्र. 3889 ) श्री जितू पटवारी : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में जनवरी 2017 से दिसम्बर 2017 तक महिलाओं के प्रति विभिन्न अपराधों की शीर्ष (head) अनुसार संख्या क्या है तथा वर्ष 2016 की तुलना में कितने प्रतिशत किस head में वृद्धि या कमी हुई? वर्ष 2017 में प्रतिदिन औसतन कितनी महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ तथा औसतन प्रतिदिन कितनी महिलाओं का अपहरण हुआ? (ख) जनवरी 2017 से दिसम्बर 2017 तक महिलाओं के प्रति विभिन्न अपराधों पर न्यायालय में कितने प्रकरणों में फैसले दिये गए, उनमें से कितने प्रकरणों में दोषमुक्त हुये तथा कितनों को सजा हुई? सजा का प्रतिशत कितना है? बलात्कार (376), गैंग रेप, अपहरण (363, 364, 366 आई.पी.सी.) के प्रकरणों में न्यायालय द्वारा वर्ष 2017 में दिये गये फैसलों में सजा का प्रतिशत बतायें। (ग) क्या वर्ष 2016 में एस.सी. तथा एस.टी. पर घटित अपराध में क्रमश: 36 % तथा 47 % की वृद्धि हुई है? यदि हाँ, तो इसका कारण बतावें तथा 2017 में इसमें कितने प्रतिशत की वृद्धि या कमी हुई तथा बतावें कि वर्ष 2016 तथा 2017 में न्यायालय द्वारा एस.सी. तथा एस.टी. के खिलाफ घटित अपराध पर दिये गये फैसले में सजा का प्रतिशत क्या है? (घ) प्रशासकीय प्रतिवदेन 2016-17 के पृष्ठ 27 पर विधि विभाग द्वारा की गई कार्यवाही की टेबल में क्रमांक 8, 9, 10 तथा 14 को छोड़कर शेष क्रमांक के बारे में बतावें कि पत्राचार क्र. 1 से 4, 6, 11 से 13 आवश्यक कार्यवाही (क 5) तथा जाँच प्रतिवेदन (क 7) के परिणाम क्या हैं? क्या सारे प्रकरणों में कार्यवाही संपन्न हो गई है? यदि नहीं, तो संख्या बतावें तथा 2017 में भी विधि विभाग की कार्यवाही का विवरण ऊपर अनुसार प्रस्तुत करें।
गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) :
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि महिला हैल्पलाइन, निर्भया पेट्रोलिंग, शौर्य दल, दण्ड विधि में मृत्युदण्ड का प्रावधान, महिला अपराध शाखा का गठन फास्ट ट्रेक कोर्ट की व्यवस्था से प्रदेश में क्या लाभ हुआ. सारी व्यवस्थाओं के बावजूद महिला उत्पीड़न के अपराधों में 37 प्रतिशत वृद्धि हो गई और अभी एनसीईआरटी की रिपोर्ट आई थी, जिसमें हर दूसरा व्यक्ति महिलाओं के उत्पीड़न में पति से लेकर, परिवार से लेकर और समाज में उत्पीड़न मध्यप्रदेश में होता है. तो जो एनसीईआरटी की रिपोर्ट कहती है, उससे आप थोड़ा सा नीचे 100 में से 50 महिलाओं का उत्पीड़न बताते हैं. आपने 35 प्रतिशत मेरे उत्तर के जवाब में दिया है. मैं मंत्री जी से अनुरोध यह करना चाहता हूं कि इतनी व्यवस्थाओं के बावजूद अपराध क्यों बढ़ रहे हैं, इसके क्या कारण हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने महिला अपराधों के संबंध में कहा है. महिला अपराधों को रोकने के लिये जो शासन स्तर पर विभिन्न प्रयास किये गये, वह पूरी जानकारी हमने इसमें दी है. दूसरा महिला अपराध बढ़ने का एक कारण जिस तरह के सख्त कानूनी प्रावधान इस अपराध को रोकने के लिये होने चाहिये, उसमें सख्त कानूनी प्रावधानों की आवश्यकता है. अध्यक्ष महोदय, इसलिये आपकी अनुमति से मध्यप्रदेश विधान सभा से हम लोगों ने दण्ड विधि विधेयक, 2017 में फांसी की सजा तक के सख्त प्रावधान इस विधेयक के माध्यम से किये हैं, जिससे कि इस तरह के अपराधों को हम रोक सकें. जहां तक यह समस्या जो है, यह कोई अकेले मध्यप्रदेश में समस्या बढ़ी हो या अकेले यहां पर ऐसी स्थिति हो, अगर हम इसको देखेंगे तो महिला अपराध में 1993 से 2005 तक मध्यप्रदेश टॉप थ्री में था. आज की स्थिति में मध्यप्रदेश, 2016 में अपराध घटकर आठवीं रेंक पर, हम 3 से 8वें स्थान पर मध्यप्रदेश में रेप के मामले में आये. इसी तरह से अपहरण के प्रकरणों में हम देखेंगे, तो मध्यप्रदेश का 10वां स्थान है आज देश के अंदर. सामूहिक बलात्कार की दृष्टि से हम देखेंगे, तो मध्यप्रदेश 21वें स्थान पर आज देश के अंदर हम हैं. तो सभी अपराधों में अगर हम जनसंख्या के मान से देखेंगे, तो सभी अपराधों में कमी हुई है, परंतु उसके बाद भी जैसा कि माननीय सदस्य, जितू पटवारी जी ने कहा है कि महिला अपराध हम लोगों के लिये एक चुनौती है और निश्चित रुप से यह अपराध घट रहे हैं, अपराध हो रहे हैं, कई जघन्य अपराध हो रहे हैं. आपको भी ज्ञात है कि हम लोगों ने कुछ जघन्य अपराधों में 15 दिन से लेकर के 37 दिन के अंदर न्यायालय में चालान प्रस्तुत किये हैं और अपराधियों को सजा दिलाने में भी हम लोगों को सफलता मिली है. सबसे ज्यादा जो घटनाओं की शिकायत आ रही है, वह सबसे ज्यादा छेड़-छाड़ की घटनाओं की शिकायत पिछले दिनों में बढ़ी है. इसलिये हम लोगों ने यह निर्णय लिया है कि कानूनी प्रावधान तो हम लोग कर ही रहे हैं, इसके साथ साथ जो बड़े शहर हैं, उन बड़े शहरों में हम एक स्वतंत्र एजेंसी से एक वैज्ञानिक सर्वे करायेंगे और इसमें हम यह जानकारी संकलित करेंगे कि जो विभिन्न क्षेत्र, मौहल्ले, कॉलेज एवं स्कूल्स हैं, वहां पर ये एजेंसी के लोग हैं, ये महिलाओं एवं बच्चियों से जाकर इस बात की जानकारी लेंगे कि जो असुरक्षा उनके मन में है या वहां पर असुरक्षा है, तो उसके क्या कारण हैं, असुविधा कोई है, तो उसके क्या कारण हैं. एक हम वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराकर इसके लिये हम जो कालेजों में स्टूडेंट्स हैं, जो सोशल एक्टिविटीज में काम करते हैं, विभिन्न एनजीओज़ हैं, इन सबकी मदद हम लेंगे, जिससे एक वित्तीय भार भी नहीं आएगा और प्राइवेट लोग जाएंगे तो लोग बताएंगे क्योंकि पुलिस के सामने कई बार लोग खुलकर बात नहीं कर पाते, तो हमारे पास इस बात का पूरा एक सर्वेक्षण भी आएगा कि ऐेसे कौन से स्थान हैं जहां पर इस तरह के लोग बड़ी संख्या में एकत्रित होते हैं. बड़ी संख्या में छेड़-छाड़ करते हैं, ऐसी घटनाएं करते हैं. अध्यक्ष महोदय, वहां पर हम विशेष अभियान चलाएंगे और हम लोगों ने यह निर्णय किया है कि जो ऐसे स्थान हैं जहां पर इस तरह के लोग एकत्रित होते हैं, सार्वजनिक स्थान हैं, जहां पर बच्चियों पर कमेंट्स किए जाते हैं या उनके सामने इस तरह की बातें की जाती हैं जिससे उनको पीड़ा पहुँचती है. इन सबको चिह्नित करके उनके विरुद्ध हम सख्त अभियान चलाएंगे. ऐसे लोगों की गिरफ्तारी कर जेल में डालने का काम करेंगे. मध्यप्रदेश के अंदर किसी भी स्थिति में सरकार महिलाओं की सुरक्षा के मामले में कोई समझौता नहीं करेगी. अध्यक्ष महोदय, मैं आपको और आपके माध्यम से इस सदन को यह आश्वस्त करना चाहता हूँ कि महिला सुरक्षा के मामले में हम पूरी तरह से संवेदनशील हैं तथा महिला अपराध रोकने के लिए और भी जो-जो प्रयास करने होंगे, वे सारे प्रयास हम लोग करेंगे.
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि उन्होंने बातें बहुत अच्छी और सकारात्मक कहीं, पर डिसीजन क्या हुए या रिजल्ट क्या है ? मेरे पास वर्ष 2017 की आप ही की सरकार की रिपोर्ट है, इसमें आपका उत्तर है. मंत्री जी, इसमें 2199 रेप के केसेज में 1765 लोग बरी हो गए. आप यह देखेंगे, जैसा आपने कहा कि गैंगरैप के केसेज में हमने 35 दिन में ही निर्णय करा दिया, इसमें 84 में से 60 केस में लोग दोषमुक्त हो गए, यह आपने उत्तर दिया है. इसी तरह से अलग-अलग प्रक्ररणों को हम देखें, वे चाहे अपहरण के हों, चाहे अन्य अपराध हों, इनको सजा मिलने का जो प्रतिशत है, वह किसी का भी 100 में 20 से ज्यादा नहीं है. 100 में से 20 से ज्यादा को सजा नहीं मिली. मंत्री जी, कहीं न कहीं तो चूक है, कहीं न कहीं तो सरकार का फेल्योर है, यह आप मानते हैं या नहीं मानते ?
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने कहा है, यह बात सही है कि कुछ अपराधों में सजा का प्रतिशत कम है, परंतु जिन अपराधों में सजा नहीं हुई है, उन सारे के सारे अपराधों में हम लोग अपील में जा रहे हैं. हम इसके आगे की कार्यवाही कर रहे हैं. यह एक न्यायालय का फैसला है, अभी हमारे पास आगे के न्यायालय हैं और हम इसमें अपील करेंगे और सरकार की यह कोशिश होगी कि अपील करके ऐसे जो भी लोग अगर दोषमुक्त हो गए हैं तो उनको कड़ी सजा मिले. इसके लिए हम पूरा प्रयास करेंगे.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मैं तीन प्रश्न कर सकता हूँ. मेरा माननीय मंत्री जी से आखिरी प्रश्न है कि इसके लिए जो पूरी कानून-व्यवस्था गड़बड़ाई है, ये आपके आंकड़ों से सीधे क्लियर दिखती है कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था लचर हो गई है, गड़बड़ा गई है. इसके कसावट के लिए आपने कई प्रोविजन बताए कि हम ऐसा करेंगे, अलग-अलग बात बताई, वह लंबी बात हो जाएगी, पर अल्टीमेटली इसकी जिम्मेदारी तय नहीं होती है, अधिकारी के पार्ट पर या मंत्री के पार्ट पर या सरकार के पार्ट पर, माननीय मंत्री जी, यह स्वीकार तो आपको करना चाहिए ? मैं समझता हूँ कि करना चाहिए.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विषय तब आता जब हमारे राज्य में अन्य राज्यों की तुलना में अगर अपराध बढ़ रहे होते या हम लोग अपराध नहीं रोक पा रहे होते. जो भी अपराध जहां पर हुए, सरकार ने तत्काल कार्यवाही की. जहां जितनी सख्त कार्यवाही हो सकती थी, सरकार ने तत्काल वह कार्यवाही करने का काम किया. समय-समय पर हम लोगों को यह लगता है कि इसमें किसी अधिकारी की, हमारे डिपार्टमेंट के किसी व्यक्ति की कोई लापरवाही है तो हम लोग समय-समय पर कार्यवाही भी करते हैं और इसलिए माननीय सदस्य से मैं फिर आग्रह करूंगा कि वे आश्वस्त रहें. मध्यप्रदेश सरकार पूरी तरह से संवेदनशील है और मध्यप्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति हम संकल्पित हैं. इसके लिए आप कोई सुझाव देंगे तो हम वह सुझाव भी मानने को तैयार हैं. यह सबकी चिंता का विषय है. हम सब समाज के प्रति जिम्मेदार हैं और इसलिए यह जो सामाजिक विकृति है, जैसा पूर्व में भी कई बार कहा गया कि 98 प्रतिशत अपराध एक-दूसरे को जानने वालों के बीच में होते हैं तो यह समाज के समक्ष एक चुनौती है और इस चुनौती को हम सबको मिलकर इसका सामना करना है और हम सब मिलकर इसका सामना करेंगे. मध्यप्रदेश सरकार महिलाओं की सुरक्षा में कोई कमी बाकी नहीं छोडे़गी. मैं आपके माध्यम से इस सदन को आश्वस्त करता हॅूं.
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री नीलेश अवस्थी जी ने परसों शून्यकाल की सूचना पढ़ी थी, जबलपुर में एक वीडियों वायरल हो रहा है जिसमें एक महिला के साथ अत्याचार किया जा रहा है उसके ऊपर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाएं और किसी अवसर पर उठाइए, प्रश्नकाल में नहीं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने बहुत विस्तार से उत्तर दिया. यह श्री जितू पटवारी जी का बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न था. सवाल यह उठता है कि माननीय मंत्री महोदय ने आखिरी में कुछ ऐसी बातें कहीं कि दूसरे प्रान्तों की तुलना में हम बेहतर हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, 14 साल से आपकी सरकार है. अभी भी हमें वर्ष 1993, वर्ष 2005 के आंकडे़ बताए जाते हैं कि तब क्या संख्या थी और अब क्या संख्या है.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने वर्ष 2008 तक का दिया है.
श्री अजय सिंह -- पहले आपने उसका भी दिया था. माननीय अध्यक्ष महोदय, महिला सशक्तिकरण आपकी प्रथम प्राथमिकता है और लगातार मध्यप्रदेश में इस तरह से महिलाओं के साथ अत्याचार, अन्याय, दुष्कर्म हो रहे हैं. सिर्फ और सिर्फ इस तरह से उत्तर देने से कुछ काम नहीं होगा. बात बिल्कुल सही है, समाज हमारी भी चिन्ता है और आपकी भी चिन्ता है, लेकिन जिस कठोरता के साथ, जिस ताकत के साथ आपको यह कदम उठाना चाहिए वह नहीं हो रहा है, यह चिन्ता हम लोगों की है. इस पर माननीय मंत्री महोदय विस्तार से चुस्त-दुरूस्त करें. मध्यप्रदेश की पुलिस बहुत अच्छी मानी जाती है. थोड़ा दिशा-निर्देश में तेजी लाएं. जो संसाधन नहीं हैं उसमें व्यवस्था करें. भोपाल को ही ले लिया जाए. वैज्ञानिक कोई बात कर रहे हैं.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा 23 नंबर का प्रश्न कब आएगा ? यह भाषण हो रहा है. अन्य-अन्य में यह व्यवस्था उठा सकते हैं. हमारा प्रश्न कब आएगा?
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा स्वयं का 25 नंबर का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइए. जल्दी ही कर रहे हैं.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत लंबी बात कर रहे हैं. ..(व्यवधान)...
श्री अजय सिंह -- महिलाओं के अपराध पर ही तो बात कर रहे हैं...(व्यवधान)....
श्री देवेन्द्र वर्मा -- शून्यकाल में आप देना यह भाषण.... (व्यवधान)...ध्यानाकर्षण में यह विषय उठाना चाहिए. क्या यह महिलाओं और किसानों का विषय है ? हमारा प्रश्न कब आएगा ?...(व्यवधान)....
श्री तरूण भनोत -- यह व्यवस्था आप देंगे क्या ? ...(व्यवधान)....
श्री सचिन यादव -- ये कोई बात है, यह कोई तरीका है ?
डॉ.कैलाश जाटव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो सदस्य सदन में बातचीत करने के लिए भी...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाएं आप.
डॉ.कैलाश जाटव -- व्यवस्था की बात नहीं है तरूण भाई. सबके प्रश्न आते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- डॉ.कैलाश जी,आप बैठ जाएं...(व्यवधान)...
श्री देवेन्द्र वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा प्रश्न कब आएगा. बहुत मुश्किल से प्रश्न लगता है...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- संसदीय परम्पराओं का शिष्टाचार यह है कि जब सदन के नेता या प्रतिपक्ष के नेता बोलें तो उनको यह अवसर दिया जाता है. कृपा करके यह इन परम्पराओं का ही पालन कर रहे हैं. माननीय नेता जी भी इनका पालन करते हैं और संक्षेप में कोई महत्वपूर्ण बात होती है तो उसको सदन के सामने रखते हैं जिसके लिए अनुमति भी है और जिसकी परम्परा भी है. आप सब कृपया बैठ जाएं. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, आपको और कुछ कहना है.
श्री अजय सिंह -- जी नहीं, माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय -- ...(व्यवधान)...आप लोग आपस में बहस नहीं करेंगे. कृपया बैठ जाएं. एक मिनट श्री मंगल सिंह जी बैठ जाइए. श्री भनोत जी बैठ जाइए. गृह मंत्री जी नेता प्रतिपक्ष जी की बात पर कुछ कह रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने जो सुझाव दिया है हम पूरी तरह से उस सुझाव पर उनसे और बातचीत कर लेंगे और उनकी तरफ से और जो भी सुझाव आएंगे, सरकार उसको मानेगी. महिला सुरक्षा के प्रति जो गंभीरता उनकी है उसी गंभीरता के साथ हम लोग मिलकर आगे बढे़गे.
भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 172 अंतर्गत भूमि का व्यपवर्तन
[राजस्व]
9. ( *क्र. 1483 ) श्री नथनशाह कवरेती : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 में प्रदेश के कुछ अनुसूचित जनजाति के क्षेत्रों को शेड्यूल 5 के तहत रखा गया है? इस नियम के कारण शेड्यूल 5 के तहत इन अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के सदस्यों के नागरिक मुख्यालय में अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या न होते हुए भी सामान्य सहित अन्य वर्गों को अपनी भूमि का व्यपवर्तन अर्थात् डायवर्सन करने में लंबी प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है? (ख) क्या मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 172 के तहत अनुसूचित जनजाति क्षेत्र के 815 के नियम में इस आदिवासी वर्ग की जनसंख्या के न होने के कारण नगरीय निकाय में उक्त नियम में शिथिलता प्रदान की जायेगी? (ग) क्या प्रश्नांश (क) के प्रकाश में भूमि का व्यपवर्तन अर्थात डायवर्सन में मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 में प्रदेश के कुछ अनुसूचित जनजाति के क्षेत्रों को शेड्यूल 5 में छूट प्रदान की जायेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 (6-ड.ड.) के अनुसार आदिम जनजाति के भूमि स्वामि से भिन्न भूमि स्वामी द्वारा अन्य व्यक्ति जो आदिम जनजाति का न हो, को अंतरित भूमि, अंतरण के दिनांक से 10 वर्ष तक व्यपवर्तन के लिये प्रतिबंधित है। स्पष्ट प्रतिबंध होने से व्यपवर्तन नहीं किये जा सकते, अत: विलंब का प्रश्न उद्भूत नहीं होता। (ख) वर्तमान में कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। (ग) प्रश्नांश (क) के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उद्भूत नहीं होता।
श्री मंगल सिंह धुर्वे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न क्रमांक 1483 के (ख) के संबंध में प्रश्न पूछ रहा हॅूं कि क्या मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 172 के तहत अनुसूचित जनजाति के क्षेत्र के 815 के नियम में इस आदिवासी वर्ग की जनसंख्या के न होने के कारण नगरीय निकाय में उक्त नियम में शिथिलता प्रदाय की जाएगी ?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जवाब दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- आपने कहा है कि विचाराधीन नहीं है उनका अनुरोध यही है कि इस पर विचार करिये.
श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, अभी तो कोई विचाराधीन नहीं है आगे देखते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- लेकिन यह समस्या है.
श्री मंगल सिंह धुर्वे-- अध्यक्ष महोदय, हाँ यह समस्या है और अनुसूचित जनजाति क्षेत्रों में शेड्यूल 5 के तहत छूट प्रदान की जाएगी क्या?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- अध्यक्ष महोदय, इसको देखते हैं, इसके दोनों ही पक्ष हैं और इसीलिये यह गंभीर विषय है इस पर विचार जरूर कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- सभी पक्षों पर विचार करके वह निर्णय करेंगे.
श्री मंगल सिंह धुर्वे-- धन्यवाद.
थाना सिटी कोतवाली सतना में दर्ज अपराध पर कार्यवाही
[गृह]
10. ( *क्र. 1727 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सतना जिले के धवारी मोहल्ला निवासी रामनरेश पांडे द्वारा थाना सिटी कोतवाली में गंगा गृह निर्माण समिति धवारी के विरुद्ध दिनांक 16.01.2016 को मय दस्तावेज शिकायत पत्र के साथ संलग्न कर जाँच हेतु दिया गया था? यदि हाँ, तो क्या उक्त पत्र की जाँच पश्चात् समिति के खिलाफ अपराध क्रमांक 782, दिनांक 23.11.2017 पंजीबद्ध किया गया था? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो क्या शिकायतकर्ता द्वारा पुनः दिनांक 06.12.2017 को पुलिस अधीक्षक सतना को पत्र प्रस्तुत कर मूल डायरी के मूल दस्तावेजों की हेराफेरी करने पर मूल डायरी का अवलोकन कर अन्य राजपत्रित अधिकारी से जाँच करवाए जाने का अनुरोध किया गया है? उक्त पत्र पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? यदि कार्यवाही नहीं की गई तो क्यों? (ग) क्या संबंधित प्रकरण के संबंध में जाँच अधिकारी द्वारा समिति के सदस्यों से मूल राशन कार्ड/मूल श्ापथ पत्रों को संकलित कर लिया गया है? यदि हाँ, तो मूल राशन कार्डों के ऊपरी पृष्ठों सहित सभी पन्नों की तथा मूल शपथ-पत्र की छायाप्रति उपलब्ध करावें? (घ) क्या जाँच अधिकारी द्वारा, समिति द्वारा संचालित गंगापुरम कॉलोनी धवारी में जाकर अपराधियों की पतासाजी की गई? यदि हाँ, तो उनका मकान नंबर, गली नंबर, मोहल्ला/वार्ड तथा आधार कार्ड/परिचय पत्र की छायाप्रति सहित जानकारी देवें?
गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। (ख) जी हाँ। जाँच कार्यवाही नगर पुलिस अधीक्षक सतना द्वारा प्रचलन में है। (ग) जी नहीं। (घ) जी हाँ। विवेचना की कार्यवाही का विवरण देना न्यायसंगत नहीं है।
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरे प्रश्न में बिंदुवार जानकारी में माननीय मंत्री जी का जवाब जी हाँ, जी हाँ में आया है. (ख) में जवाब आया है कि जी हाँ, जाँच कार्यवाही नगर पुलिस अधीक्षक सतना द्वारा प्रचलन में है. अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा इस मामले को तारांकित प्रश्न क्रमांक 4275, 26.7.2017 को एवं प्रश्न क्रमांक 2907, दिनाँक 6.12.2017 के द्वारा भी सदन में उठाया गया था उसमें भी इनका उत्तर इसी तरह से आया था कि जी हाँ, जाँच कार्यवाही प्रचलन में है. जबकि शिकायतकर्ता रामनरेश पांडे के पत्र दिनाँक 16.1.2016 के साथ मय दस्तावेज संलग्न किये गये थे उसी आधार पर गंगा गृह निर्माण समिति,धवारी के विरुद्ध कार्यवाही क्रमांक 782 दिनाँक 23.11.2017 को पंजीबद्ध की गई थी लेकिन आज तक बार-बार सदन को गुमराह किया जाता है कि जाँच प्रचलन में है. जबकि जाँच हो चुकी है लेकिन नगर निरीक्षक, थाना पुलिस कोतवाली में राजकुमार सिंह, उपनिरीक्षक द्वारा अपराधियों के पक्ष में मूल दस्तावेजों की हेरा-फेरी करके बचाने का काम किया जा रहा है. अध्यक्ष महोदय, जब मुकदमा कायम हो चुका है. जाँच हो चुकी है तो अपराधियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है?
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक का प्रश्न बिल्कुल सही है इस प्रकरण में विलंब हुआ है मैं आपकी बात से सहमत हूँ और मैं आज इस बात के निर्देश जारी कर रहा हूँ कि इस पूरे प्रकरण की संपूर्ण कार्यवाही करके हम इसके लिए एक विशेष टीम बनाएंगे और तीन माह के अंदर हम न्यायालय में चालान प्रस्तुत कर देंगे.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय,जाँच हो चुकी है पंजीबद्ध मुकदमा कायम है, मैंने बताया भी है और अध्यक्ष महोदय, राशन कार्ड नगरपालिका ने भी बनाकर नहीं दिये, खाद्य विभाग ने भी राशन कार्ड बनाकर नहीं दिया है और समिति ने जिस तरह से फर्जी दस्तावेज शामिल करके फर्जी राशन कार्ड बनाये हैं....
अध्यक्ष महोदय-- इसलिए तो जाँच हो गई है और चालान भी पुटअप हो गया है.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने सब कुछ स्वीकार कर लिया है आपकी हर बात को स्वीकार किया और आदेश भी दे दिये हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं यह कहना चाह रही हूँ कि जिस तरह से अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग के नाम से यह समिति बनाई गई थी, फर्जी दस्तावेज बनाये गये थे, इस समिति को मंत्रीजी भंग करने का काम करेंगे और जो 30 एकड़ फर्जीवाड़े की जमीन का मामला था उसमें से 6 एकड़ जमीन एसटी,एससी, ओबीसी के नाम पंजीबद्ध कराएंगे क्या?
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब समिति ही जेल चली जाएगी तो सारी कार्यवाही हो जाएगी, भंग भी हो जाएगी, सब हो जाएगी.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी आप घोषणा कर दें कि भंग कर दी जाती है.
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर-- माननीय अध्यक्ष महोदय,समिति बनाना और भंग करने का अधिकार गृह विभाग को नहीं है. जो अपराध होता है उसकी कार्यवाही करने का हमको अधिकार है.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जेल भेजने का तो आपको अधिकार है?
श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, तीन महीने के अंदर जेल भेज देंगे.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय,बहुत-बहुत धन्यवाद.
ग्वालियर पुलिस द्वारा दर्ज अपराध
[गृह]
11. ( *क्र. 2673 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनांक 14 नवम्बर, 2017 को युवा काँग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष श्री कुणाल चौधरी, पूर्व विधायक श्री रमेश अग्रवाल एवं ग्वालियर युवक काँग्रेस के लोकसभा अध्यक्ष श्री संजय सिंह यादव के नेतृत्व में क्षेत्र की जनता की समस्याओं को लेकर आयुक्त ग्वालियर संभाग ग्वालियर को मोतीमहल में ज्ञापन देना था? क्या इस ज्ञापन के लिये कलेक्टर ग्वालियर को दिनांक 02 नबम्वर, 2017 को विधिवत स्वीकृत हेतु ऑनलाईन आवेदन किया था? क्या इस ऑनलाईन आवेदन की प्रति एवं लोकसभा अध्यक्ष संजय सिह यादव द्वारा पत्र क्र. 508 एवं 509 दिनांक 10 नवम्बर, 2017 को सी.एस.पी. लश्कर एवं झांसी रोड को दिया गया था? यदि हाँ, तो पत्रों की छायाप्रति दें? फिर दिनांक 14 नवम्बर, 2017 को समस्याओं के निराकरण के लिये आयुक्त महोदय को ज्ञापन देने जाते समय रास्ते में लाठियों, डन्डों एवं वाटर कैनन से रोककर क्यों मारा-पीटा गया? (ख) किस कारण से पुलिस द्वारा किन-किन नेताओं एवं जनता पर किस-किस धारा के अंतर्गत झूठे केस लगाये गये? इसके लिये कौन-कौन पुलिस अधिकारी दोषी हैं? क्या दोषियों के प्रति कोई दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक? (ग) क्या नेताओं एवं जनता पर लगाये गये झूठे, गलत केसों को वापिस लिया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) ग्वालियर जिले के थाना जनकगंज, इन्दरगंज, पड़ाव, माधौगंज एवं गिरवाई तथा भितरवार विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले थानों में कौन-कौन पुलिस अधिकारी/कर्मचारी पदस्थ हैं? उनका नाम, पद, पदस्थापना दिनांक बतावें।
गृहमंत्री( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) --
(ख) किसी के भी विरुद्ध कोई झूठा केस नहीं लगाया गया है, अतः किसी भी पुलिस अधिकारी के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता। (ग) अभी तक की विवेचना में पंजीबद्ध अपराधिक प्रकरण गलत नहीं पाया गया है। अतः प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्नानुसार पूछे गये थानों में पदस्थ अधिकारी/कर्मचारी की सूची पुस्तकालय में रखे गये परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनाँक 14 नवंबर 2017 को ग्वालियर जिले के किसानों की समस्याओं को लेकर मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कुणाल चौधरी जी, हमारे पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल जी और युवा कांग्रेस के लोकसभा के अध्यक्ष आदरणीय संजय सिंह यादव जी हजारों किसानों के साथ कमिश्नर साहब को ज्ञापन देने के लिए जा रहे थे तब रास्ते में उनके ऊपर और तमाम सारे किसानों के ऊपर किसके इशारे पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज और वाटर केनन का उपयोग किया गया है और यहाँ तक ही नहीं माननीय अध्यक्ष महोदय, तमाम सारे किसानों को पुलिस के द्वारा खदेड़-खदेड़ कर, दौड़ा-दौड़ा कर, मारा गया, जिससे हमारे ग्वालियर जिले के तमाम सारे किसानों को तमाम सारी चोटें आईं और उसके बाद हमारे किसानों के ऊपर प्रकरण कायम किए गए. अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि क्या हम लोगों को, किसानों को, अपनी समस्याओं के बारे में किसी अधिकारी को ज्ञापन देने के अधिकार नहीं हैं? क्या आपने इन सबको बैन कर रखा है? यदि बैन नहीं किया तो क्यों हमारे किसानों के ऊपर आपने लाठीचार्ज करवाया और लाठीचार्ज के बाद....
अध्यक्ष महोदय-- अब बैठ जाएँ, प्रश्न का उत्तर सुन लें.
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, लाठीचार्ज के बाद प्रकरण कायम करवा रखे हैं. रोज पुलिस चक्कर लगा रही है और रोज फोन्स पर टेरर दे रहे हैं. मेरा निवेदन है कि माननीय मंत्री जी....
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न तो करिए.
श्री लाखन सिंह यादव-- मैं यही कह रहा हूँ अध्यक्ष महोदय, कि वे प्रकरण वापस ले लें और इस तरह से ये बर्बरता पूर्वक आप जो लाठीचार्ज करवाते हैं, ऐसा नहीं करवाएँ. लोग अपनी परेशानियों को लेकर जाते हैं तो मेरा आप से निवेदन है कि ये प्रकरण आप वापस ले लें.पाँच-सात सौ किसानों के ऊपर आपने प्रकरण कायम किए, यह आपने उत्तर में दिया है.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो काँग्रेस की ओर से आयोजन था, इसमें ग्वालियर एडीएम से, वहाँ पर जो फूलपुर बाग मैदान है, वहाँ पर सभा की अनुमति एडीएम के माध्यम से ली गई थी और सभा की अनुमति फूलपुर मैदान में दी थी परन्तु अध्यक्ष महोदय, उस सभा के पश्चात् सभी लोगों ने, वहाँ पर जो पुलिस बैरिकैड्स लगे थे, वे बैरिकेड्स हटा कर और कमिश्नर कार्यालय में अन्दर जाने की कोशिश की, उसको रोकने के लिए, पुलिस के द्वारा वॉटर केनिन का उपयोग हुआ, इसमें किसी को चोट नहीं आई. किसी की कोई एमएलसी नहीं हुई और सारा जो आन्दोलन था, वह शांतिपूर्वक तरीके से, पुलिस की तरफ से कोई ऐसा प्रयास नहीं हुआ परन्तु चूँकि वहाँ पर बैरिकेड्स को तोड़कर और कमिश्नर कार्यालय में अन्दर घुसने की कोशिश की इसलिए पुलिस को मजबूरन वॉटर केनिन का उपयोग करना पड़ा और इस पूरे उसमें संजय यादव जी, जो वहाँ की लोकसभा के आपकी पार्टी के जो भी हों और आपके भतीजे हैं, मेरे भी भतीजे ही हुए. आपके भतीजे भी हैं, तो पुलिस के द्वारा ऐसी कोई कार्यवाही नहीं की गई और अभी न कोई गिरफ्तारी की गई है, न पुलिस घर गई है और इसमें कोई इस तरह की कार्यवाही नहीं हुई.
श्री लाखन सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, मैंने अनुरोध किया था कि कई किसानों पर प्रकरण कायम कर दिए हैं उनको वापस ले लें, वे बड़े भारी नहीं हैं और यह होता रहा है, आपके जमाने में भी यह होता था. मेरा विनम्रतापूर्वक अनुरोध है कि आप घोषणा करें कि ये जो किसानों पर तमाम सारे प्रकरण कायम किए हैं, उनको वापस ले रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, राजनैतिक आन्दोलनों में इस तरह के प्रकरण बनते हैं, सामान्य प्रकरण हैं, कोई ऐसे गंभीर अपराध नहीं हैं, इसको देख लेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, देख लेंगे, यह कौनसा उत्तर है.
अध्यक्ष महोदय-- देखना तो पड़ेगा ही ना.
श्री लाखन सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि प्रकरण वापस ले लें. लोगों को अपनी समस्याओं को ले जाने में भी उनको तकलीफ होती है. आप प्रकरणों को वापस लेने की घोषणा कर दें, मेरे पर बड़ा भारी प्रेशर है, कि साहब हम लोग अपनी बात रखने के लिए प्रशासन के....(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह-- आप ये तो कहो कि आपका भतीजा है.
श्री लाखन सिंह यादव-- भतीजा मेरा नहीं है, जनता का, किसान का, है, मेरा कोई भतीजा नहीं. मैं यही निवेदन कर रहा हूँ कि ये किसानों से जुड़ा हुआ मुद्दा है क्या किसान अपनी बात रखने के लिए नहीं जाएँगे?
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत महत्वपूर्ण है...(व्यवधान)..ये पूरे प्रजातांत्रिक सिस्टम को ध्वस्त कर रहे हैं. लोगों के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अब नहीं.
श्री रामनिवास रावत-- मेरा निवेदन है...
श्री लाखन सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी मंच से कहते हैं कि ये किसानों की सरकार है और किसानों के साथ आप अन्याय कर रहे हों, प्रकरण कायम कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, प्रजातंत्र में आन्दोलन करना, अपनी बात रखना, आदमी का संवैधानिक अधिकार है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- हम पर भी 93-93 मुकदमे दर्ज हुए हैं.
श्री रामनिवास रावत-- ऐसा नहीं करते थे कभी.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- यह तो सामान्य प्रक्रिया है कानून व्यवस्था बना कर रखना पड़ती है.
श्री रामनिवास रावत-- केवल कमिश्नर को ज्ञापन देने जा रहे थे...(व्यवधान).. उसकी मनाही थी क्या?..(व्यवधान)..क्या कोई अपनी पीड़ा को प्रस्तुत नहीं कर सकता?..(व्यवधान)..
गलत नामांतरण की जाँच/कार्यवाही
[राजस्व]
12. ( *क्र. 3606 ) श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य) : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इन्दौर जिले के तहसील कार्यालयों में कार्यरत तहसीलदारों द्वारा किये जाने वाले जमीनों के नामांतरण के संबंध में गलत नामांतरण करने संबंधी शिकायत अथवा विभागीय जाँच चल रही है? (ख) यदि हाँ, तो इन्दौर जिले में पिछले पाँच वर्षों में ऐसे कितने तहसीलदारों द्वारा जमीनों का गलत नामांतरण किया गया है व उन पर क्या कार्यवाही की गई है? साथ ही संबंधित अधिकारी व उसके विरूध्द प्राप्त शिकायत या जाँच प्रकरण व की गई कार्यवाही की सूची उपलब्ध करावें।
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी नहीं। विभागीय जाँच प्रचलित नहीं है। (ख) वर्ष 2013-14 में कार्यरत तहसीलदार श्री बिहारी सिंह एवं श्री बजरंग बहादुर के गलत नामांतरण करने पर श्री बिहारी सिंह की एक वेतन वृद्धि तथा श्री बजरंग बहादुर की तीन वेतन वृद्धियां आयुक्त इंदौर संभाग द्वारा असंचयी प्रभाव से रोकी गईं थीं। श्री श्रीकांत तिवारी, राजस्व निरीक्षक जिन्हें शासन द्वारा नायब तहसीलदार की शक्तियां प्रदान की गई हैं, के द्वारा दिनांक 27.10.2016 को त्रुटिपूर्ण नामांतरण किए जाने पर श्री तिवारी को निलंबित किया जा चुका है। विभागीय कार्यवाही प्रचलित है।
श्री सुदर्शन गुप्ता आर्य--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के भाग (ख) के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया है कि जिन कार्यरत् तहसीलदारों व राजस्व निरीक्षक ने जमीनों का गलत नामान्तरण किया था उनकी वेतन वृद्धियां रोकी गईं तथा निलंबित किया जा चुका है. इसके लिए मैं मंत्री जी और शासन को धन्यवाद देता हूँ किन्तु जो पीड़ित पक्षकार हैं उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिला है उनके पक्ष में भूमि के नामान्तरण की कार्यवाही अभी तक नहीं हुई है. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि क्या वे पीड़ित पक्षकार के पक्ष में नामान्तरण करने का आदेश पारित करेंगे और भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृत्ति न हो इसकी व्यवस्था करेंगे ?
श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय अध्यक्ष महोदय, गलती ध्यान में आई तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की है. पीड़ित पक्ष की बात इस प्रश्न में नहीं थी वह दिखवा लेंगे इससे संबंधित निर्णय होना है तो वह करा देंगे.
श्री सुदर्शन गुप्ता आर्य--धन्यवाद माननीय मंत्री जी.
फसल मुआवजा राशि का आवंटन
[राजस्व]
13. ( *क्र. 3290 ) श्री रजनीश सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सिवनी जिले में वर्ष 2017 में अल्पवृष्टि के कारण खरीफ फसल धान एवं सोयाबीन की फसल नष्ट हो जाने के कारण शासन द्वारा प्रभावित किसानों को सहायता राशि उपलब्ध कराये जाने हेतु शासन से राशि आवंटित की गई है? (ख) यदि हाँ, तो उक्त जिले के प्रत्येक तहसीलों में सहायता राशि प्राप्त करने हेतु कितने आवेदन प्राप्त हुये हैं? कितने लोगों को कितनी राशि की सहायता प्रदान की गई है? तहसीलवार हितग्राही की संख्या, प्रदाय राशि की जानकारी उपलब्ध करायी जावे तथा लंबित प्रकरणों की संख्या उपलब्ध कराई जावे।
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) सिवनी जिले के अंतर्गत वर्ष 2017 में खरीफ मौसम में अल्पवृष्टि से फसल नष्ट नहीं हुई है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उद्भूत नहीं होता है।
श्री रजनीश हरवंश सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न में माननीय मंत्री जी की ओर से जो उत्तर आया है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूँ. मेरे जिले में और विधान सभा क्षेत्र में अल्प वर्षा हुई है. इस बात का प्रमाण उस क्षेत्र का मिट्टी का एशिया का सबसे बड़ा बांध है. माननीय कृषि मंत्री जी सदन में बैठे हुए हैं इन्होंने भी वहां का चार दिन का दौरा किया था. सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते जी ने भी दौरा किया, मैंने स्वयं ने दौरा किया था. इसके बाद 15 सितम्बर को मुख्यमंत्री महोदय पलारी क्षेत्र में आते हैं सूखे की घोषणा करते हैं. उनके साथ चार वैज्ञानिक भी आए थे वे सलाह देते हैं कि अल्पवर्षा के कारण आने वाली फसल कौन सी बोना है और कौन सी नहीं बोना है. अधिकारियों के द्वारा शायद मंत्री जी को गलत जानकारी दी गई है. रिकार्ड दुरुस्त कराएं और हमारे जिले को सूखा घोषित कराएं ताकि किसानों को फसल बीमा और मुआवजे की राशि मिल सके. यह मेरी प्रार्थना है.
श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय अध्यक्ष महोदय, यही प्रश्न पिछले दिनों भी पूछा गया था. यह हमारे मापदण्ड में नहीं आता है इसलिए सूखा घोषित नहीं किया गया है यही जवाब पहले भी दिया है और आज भी यही जवाब है. यदि माननीय विधायक कोई नए तथ्य हमारे ध्यान में लाएंगे तो हम उनका परीक्षण करा लेंगे.
श्री रजनीश हरवंश सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जिले के तमाम अखबार हैं (अखबार दिखाते हुए). अखबारों ने औसतन वर्षा छापी है. बड़े-बड़े नेता क्यों गए ? अगर अल्प वर्षा नहीं होती तो प्रदेश के मुखिया व्यस्त कार्यक्रमों में से समय निकालकर पलारी क्यों जाते ?
अध्यक्ष महोदय--यह बात पहले भी आ चुकी है.
श्री रजनीश हरवंश सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर से जांच कराएं, अधिकारिओं से डाटा तो लें. मेरे पास तो सारे प्रमाण रखे हुए हैं. मंत्री जी खुद मेरे प्रमाण के रुप में बैठे हुए हैं. इससे बड़ी और क्या बात हो सकती है, कृषि मंत्री खुद चिंतित हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य यदि कुछ नए तथ्य दे देंगे तो हम दिखवा लेंगे वे मापदण्ड में आते होंगे तो हो जाएगा.
श्री रजनीश हरवंश सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, आप तो कृषि मंत्री जी से जांच करवा लीजिए. कृषि मंत्री जी खुद खेत-खेत घूमे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, ऐसे बोलने से नहीं होता है. मेरा कहना है कि सूखा घोषित होने के केन्द्र सरकार के मापदण्ड हैं.
श्री रजनीश हरवंश सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह ज्ञापन मुझे सौंपे गए हैं, मेरे पास उसकी कापी है (ज्ञापन दिखाते हुए).
श्री उमाशंकर गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य के पास अगर उस समय के कोई आंकड़े हैं.... बैठ जाइए रावत जी वे सक्षम हैं (श्री रामनिवास रावत जी के खड़े होने पर) वे दो बार इस मामले को उठा चुके हैं. यही प्रश्न पिछले दिनों भी आया था मैंने यही जवाब दिया था. मैं यह कह रहा हूँ कि जैसा माननीय सदस्य कह रहे हैं उनके पास कोई नए तथ्य हैं हमारे आंकड़े में कोई गलती है जो विभाग के पास हैं. आप आंकड़े उपलब्ध कराएंगे और वे उस मापदण्ड में आते हैं तो उस हिसाब से हम कार्यवाही कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय--अब इसमें क्या रह गया है ?
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि यही माननीय सदस्य की चिंता भी है कि सिवनी जिले की औसत वर्षा कितने मिलीमीटर है और इस वर्ष कितने मिलीमीटर वर्षा हुई है ? दूसरा प्रश्न यह है कि आपने कहा है कि अल्पवृष्टि से फसलें नष्ट नहीं हुई हैं. राजस्व की टीम बनाकर आपके द्वारा किन-किन ग्रामों का सर्वे किया गया और कितनी-कितनी नुकसानी आपने पाई यह आप बता दें. सर्वे कराया है या नहीं कराया है ?
श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय अध्यक्ष महोदय, नजरी सर्वेक्षण होता है उसकी रिपोर्ट में उपलब्ध करा दूंगा.
श्री रामनिवास रावत--वर्षा कितने मिलीमीटर हुई ?
श्री उमाशंकर गुप्ता--वह भी उपलब्ध करा देंगे.
श्री रामनिवास रावत--आप कैसे कह रहे हैं कि अल्पवृष्टि से फसलें नष्ट हुईं या नहीं हुईं ?
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी आपको जानकारी उपलब्ध करा देंगे उसके बाद आपको कुछ कहना हो तो आप आधे घंटे की चर्चा में विषय उठा लेना.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने सर्वे ही नहीं कराया है और कह रहे हैं कि फसलें नष्ट नहीं हुई हैं. फसलें नष्ट हुई हैं. हमारे सदस्य की चिन्ता है. मुख्यमंत्री जी खुद भी गए हैं उसके बाद इस तरह का व्यवहार उचित नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--आप तथ्य दे देंगे और आपने जो तथ्य मांगे हैं वे तथ्य मंत्री जी आपको देंगे उसके बाद निर्णय होगा.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, उन्हें हाउस में तथ्य देना चाहिए घोषणा तो हाउस में कर रहे हैं.
श्री रजनीश हरवंश सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
प्रश्न संख्या--14 (अनुपस्थित)
धार जिलांतर्गत लंबित विवादित/अविवादित नामांतरण प्रकरण
[राजस्व]
15. ( *क्र. 2006 ) श्रीमती रंजना बघेल (किराड़े) : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार जिले में वर्ष 2013 से वर्तमान तक कितने विवादित, अविवादित नामांतरण/बंटवारे किये गये हैं? वर्षवार, विधानसभा क्षेत्रवार जानकारी देवें। (ख) वर्ष 2013 से वर्तमान तक धार जिले में विधानसभा क्षेत्रवार कितने नामांतरण/बंटवारे के प्रकरण लंबित हैं? कारण सहित बतावें।
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जिला धार में वर्ष 2013 से वर्तमान तक कुल विवादित नामांतरण-5436, अविवादित नामांतरण-50616, विवादित बंटवारा-5991, अविवादित बंटवारा-6756 किये गये हैं। प्रश्नांकित अवधि में किये गये विवादित, अविवादित, नामांतरण, बंटवारे की वर्षवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जिला धार में वर्ष 2013 से वर्तमान तक कुल विवादित/अविवादित नामांतरण के कुल प्रकरण 837 लंबित/प्रचलित हैं। सिटीजन चार्टर की निर्धारित समय-सीमा के होकर तामिली/साक्ष्य/अभिलेख आदि कारणों से लंबित हैं।
श्रीमती रंजना बघेल (किराड़े) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने मुझे नामांतरण और बंटवारे के संबंध में बहुत ही अच्छी तरह से बिंदुवार सूची उपलब्ध कराई है लेकिन मेरे प्रश्न के (ख) भाग के उत्तर में जिला धार में वर्ष 2013 में वर्तमान तक कुल विवादित, अविवादित नामांकन के 837 प्रकरण लंबित, प्रचलित हैं. सिटीजन चार्टर की निर्धारित समय सीमा के होकर तामिली साक्ष्य, अभिलेख आदि प्रकरणों से अभाव में लंबित हैं. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि आपने मुझे जो प्रश्न के (ख) भाग के उत्तर में जवाब दिया है कि मात्र 837 प्रकरण उपलब्ध हैं. क्या पता माननीय मंत्री जी ही बता पाएंगे कि यह सूची में मिसप्रिंट है कि कैसे है क्योंकि जो सूची मुझे उपलब्ध कराई है उसमें लगभग 2461 नामांतरण के विवादित प्रकरण लंबित हैं. जिसमें धार में 133, बदनावर के 66, सरदारपुर के 1208, 426 मनावर के, 70 धर्मपुरी के, 36 गंगवानी के और 31 कुक्षी के हैं. कुल मिलाकर 2461 लंबित प्रकरण नामांतरण के हैं. ऐसे ही बंटवारे के भी उन्होंने कुल 300 प्रकरण लंबित बताएं हैं. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगी कि यह जो लंबित प्रकरण हैं सिर्फ (ख) भाग के उत्तर में सन् 2013 के दिए हैं लेकिन इसमें वर्ष 2014, 2015, 2016 और 2018 तक के कुल लंबित नामांतरण के विवादित प्रकरण कुल 2461 हैं और 300 बंटवारे के हैं. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगी कि इतने दिन में कई लोगों के साक्ष्य भी दे चुके हैं लेकिन अभी तक उनके नामांतरण और बंटवारे नहीं हो पाए हैं. क्या माननीय मंत्री जी शिविर लगाकर और दोनों पार्टियों को बुलाकर इस तरह के प्रकरणों का निपटारा करने का प्रयास करेंगे?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विवादित प्रकरण राजस्व न्यायालयों में विभिन्न स्तर पर चलते हैं. उनका निपटारा ठीक से हो जाए, जल्दी हो जाय हम यही कोशिश कर रहे हैं. कोई भी अविवादित प्रकरण समय सीमा के बाहर का लंबित नहीं है और यह जो प्रकरण लंबित हैं, विवादित के लिए भी हमने निर्देश दिए हैं कि दो माह के अंदर इन सारे प्रकरणों पर तेजी से सुनवाई करके निपटारा किया जाए.
श्रीमती रंजना बघेल(किराड़े) -- धन्यवाद.
शासकीय/पट्टे की भूमि के राजस्व मण्डलों में लंबित प्रकरण
[राजस्व]
16. ( *क्र. 1990 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासकीय भूमियों व कृषि पट्टा भूमि/आवासीय पट्टा भूमियों के जिला स्तरीय/अनुभाग स्तरीय/तहसील स्तरीय न्यायालयों में प्रचलित विभिन्न प्रकरणों को राजस्व मण्डल द्वारा सुनवाई हेतु मूल नस्ती सहित प्रकरण बुलवाये जाने का प्रावधान है? (ख) यदि हाँ, तो इस हेतु शासन द्वारा क्या-क्या प्रावधान किन-किन नियमों व शर्तों के अधीन किये गये हैं? (ग) क्या मूल नस्ती सहित राजस्व मण्डल द्वारा इस प्रकार सुनवाई हेतु बुलवाये गये प्रकरणों की सुनवाई हेतु कोई समय-सीमा का निर्धारण किया गया है? (घ) यदि नहीं, तो निचले स्तर के राजस्व न्यायालयों के प्रकरण विभिन्न कारणों से राजस्व मण्डल के पास लम्बे समय से लंबित चले आने के कारण, शासकीय भूमियों की हेरा-फेरी व दुरूपयोग रोकने हेतु विभाग अपने स्तर से क्या प्रयास कर रहा है? (ड.) धार जिले में शासकीय भूमियों व कृषि पट्टा भूमि/आवासीय पट्टा भूमियों के कितने प्रकरण कितनी समयावधि से राजस्व मण्डल में सुनवाई हेतु लंबित चले आ रहे हैं?
राजस्व मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जी हाँ। (ख) मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 49 व 50 के अन्तर्गत प्रावधान है। (ग) नियमों में कोई समय-सीमा निधारित नहीं है। (घ) विधि अनुसार कार्यवाही की जाती है। (ड.) धार जिले के 207 प्रकरण राजस्व मण्डल में प्रचलन में हैं। राजस्व मण्डल में प्रचलित व्यवस्था अनुसार प्रकरणों को शासकीय भूमि एवं कृषि पट्टा भूमि के रूप में पृथक से वर्गीकृत नहीं किया जाता है।
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा विषय आदिवासियों को लेकर है. आदिवासियों को हम लोग कृषि के पट्टे और आवासीय पट्टे इसीलिए देते हैं ताकि वह सक्षम हो सकें, अपना जीवन यापन कर सकें लेकिन कुछ तथाकथित लोग माफिया टाईप के जो होते हैं वह उन पर कब्जा करके उस पर होटल निर्माण, आवास या उनका गलत इस्तेमाल होता है. उसके संबंध में जो प्रकरण दायर होते हैं उसके लिए मेरा यह प्रश्न था. मेरा यह कहना है कि जिला एवं तहसील स्तर पर जब प्रकरण की सुनवाई चल रही होती है तब सुनवाई के दौरान निर्णय के पूर्व बिना स्टे दिए मूल नस्ती बुलाकर प्रकरण को लंबित कर दिया जाता है. कोई आदेश पारित नहीं किया जाता है. इस बीच शासकीय भूमि की हेरा-फेरी व अवैध निर्माण हो जाते हैं. यह अनियमितीकरण को बढ़ावा देता है तथा निचले न्यायालयों को प्रभावित करता है. इसके रोकने हेतु मंत्री जी क्या उपाय करेंगे यह बताएंगे ? अकेले धार जिले में फोरलेन की भूमि पर 207 प्रकरण चल रहे हैं और वह वर्षों से राजस्व न्यायालय ग्वालियर में लंबित हैं. अत: मूल नस्ती को जिस आधार पर बुलाया जाता है उसका शीघ्र निराकरण कर वापस अधीनस्थ न्यायालय को पूर्व सुनवाई एवं निर्णय पारित करने हेतु तत्काल भेजे जाने का क्या कदम उठाएंगे ? क्योंकि एक फाईल के साथ तीन-तीन, चार-चार प्रकरण यहां आ जाते हैं और एक सुनवाई भी पूरी नहीं होती है इसके कारण चारों प्रकरण उसके साथ लंबित हो जाते हैं. जिला स्तर, तहसील स्तर की सुनवाई को रोककर मूल नस्ती बुलाकर भ्रष्टाचार की तरफ बढ़ावा हो जाता है क्योंकि स्वाभाविक है कि इसको फाइल बढ़ाने के लिए सालों लग जाते हैं और इसको जल्दी करना नहीं समझते हैं. निर्माण के विरूद्ध अपील होने पर फाईल बुलवाने का प्रावधान है जो बिना आदेश के पारित किए विधिवत स्टे किये केवल मूल नस्ती बुलाकर वर्षों तक लंबित रखना, न्याय से वंचित करना है. इसे रोकने के लिए आप क्या प्रयास करेंगे? क्या धारा में संशोधन कर इसकी जल्दी सुनवाई करेंगे या कुछ समय सीमा निर्धारित करेंगे ?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, राजस्व मंडल एक न्यायालयीन व्यवस्था है और उनको पॉवर है. कोई भी प्रकरण उनके सामने सुनवाई के लिए आते हैं तो वह मूल फाईल बुलवा सकते हैं लेकिन माननीय सदस्या ने जो बात उठाई है राजस्व मंडल के कामों की हम समीक्षा कर रहे हैं और उसमें इस बात का भी ध्यान रखेंगे कि इसमें क्या व्यवस्था की जा सकती है ताकि नीचे मामले नहीं सुनें, यह हम कोशिश करेंगे.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक ही निवेदन है कि इसके अंदर यदि संशोधन हो सकता है तो संशोधित करके समय-सीमा निर्धारित कर दी जाये और मूल फाईल के साथ अन्य 3-4 केस भी साथ में आ जाते हैं उनको अलग करने का यदि कोई प्रावधान हो तो बेहतर होगा क्योंकि एक ही विषय की सारी फाईलें यहां आ जाती हैं इसलिए शेष प्रकरणों में निर्णय नहीं हो पाता है. क्या मंत्री जी इसकी कोई समय-सीमा निर्धारित करेंगे ?
श्री उमाशंकर गुप्ता- माननीय अध्यक्ष महोदय, समय-सीमा निर्धारित करना संभव नहीं है लेकिन जैसा मैंने कहा कि राजस्व मंडल के बारे में हम विचार कर रहे हैं. एक कमेटी बनाई गई है. इस बारे में भी उसमें विचार किया जायेगा कि सारी न्यायालयीन व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए क्या किया जा सकता है.
धार जिले में दर्ज प्रकरणों पर कार्यवाही
[गृह]
17. ( *क्र. 1783 ) श्री वेलसिंह भूरिया : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र सरदारपुर एवं संपूर्ण धार जिले में वर्ष 2015-16 से 2017-18 में कितनी महिलाओं के ऊपर दुष्कर्म एवं हत्याओं की घटनायें घटित हुईं? (ख) इनमें से कितनी घटनाओं में एफ.आई.आर. दर्ज हुईं एवं कितनी घटनाओं में एफ.आई.आर. दर्ज नहीं हुईं, जिन घटनाओं में एफ.आई.आर. दर्ज नहीं हुईं है, तो क्यों नहीं हुई? एफ.आई.आर. दर्ज नहीं करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? (ग) उपरोक्त में से कितने प्रकरणों की विवेचना पूर्ण होकर चालान न्यायालय में प्रस्तुत कर दिये हैं? कितने प्रकरण ऐसे हैं, जिनमें विवेचना पूर्ण हो चुकी है, परन्तु चालान न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किये गये? इसके लिए कौन दोषी है? अपूर्ण विवेचना का कार्य कब तक पूर्ण होगा?
गृह मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ख) इन सभी घटनाओं में एफ.आई.आर. दर्ज हुई है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। विवेचना पूर्ण प्रकरणों में नियत दिनांक को चालान न्यायालय में प्रस्तुत किए जाएंगे। इसके लिए कोई दोषी नहीं है। विवेचना पूर्ण करने की समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री वेलसिंह भूरिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विषय बहुत ही गंभीर है और इसके संबंध में मेरा प्रश्न है कि विधान सभा क्षेत्र सरदारपुर एवं संपूर्ण धार जिले में वर्ष 2015-16 से 2017-18 में कितनी महिलाओं के ऊपर दुष्कर्म एवं हत्याओं की घटनायें घटित हुई ?
श्री भूपेन्द्र सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसकी जानकारी दी गई है.
अध्यक्ष महोदय- यह जानकारी तो दी गई है. इस पर आपका पूरक प्रश्न क्या है ?
श्री वेलसिंह भूरिया- अध्यक्ष महोदय, मुझे केवल सरदारपुर की जानकारी दी गई है. मैंने संपूर्ण धार जिले की जानकारी चाही थी. मुझे घुमा दिया गया है और मंत्री जी को भी घुमाने का प्रयास अधिकारी कर रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह- आपके प्रश्न में स्पष्ट है संपूर्ण धार जिले एवं सरदारपुर. इसलिए दोनों की जानकारी दी गई है.
श्री वेलसिंह भूरिया- दोनों की जानकारी नहीं है.
श्री भूपेन्द्र सिंह- आप क्या चाहते हैं, वह पूछ लीजिये.
श्री वेलसिंह भूरिया- मैं पूछना चाहता हूं कि 299 अपराध लंबित हैं. अभी तक इन पर कार्यवाही क्यों नहीं हो पाई है ? ये 299 अपराधी कब तक पकड़ लिए जायेंगे ?
श्री भूपेन्द्र सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, परिशिष्ट ''ब'' में, जो भी प्रकरण हैं उनके न्यायालय में चालान की जो अवधि है, उस अवधि में न्यायालय में उनके चालान प्रस्तुत हुए हैं और जिन प्रकरणों में अभी चालान की अवधि बाकी है उन प्रकरणों को हम समय-सीमा में चालान के साथ प्रस्तुत कर देंगे. विधायक जी, कोई विशेष प्रकरण हो तो आप बतायें.
अध्यक्ष महोदय- जो लंबित हैं उनको समय-सीमा में कर देंगे.
श्री
वेलसिंह
भूरिया-
माननीय अध्यक्ष
महोदय, मैं
कहना चाहता
हूं कि
जामदा-भूतिया,
होलीबेड़ा
के गंधवानी
क्षेत्र एवं
सरदारपुर
क्षेत्र में
महिलाओं पर ज्यादा
अत्याचार
होता है और
अपराधों पर
कोई अंकुश
नहीं लगा है.
मेरा निवेदन
है कि वहां
पुलिस फोर्स
पर्याप्त हो
जाये क्योंकि
आये-दिन वहां
लूटपाट, चोरी-डकैती,
हत्यायें
होती हैं और
महिलाओं पर
अत्याचार
होते हैं. क्या
मंत्री जी
रिंगनौद चौकी,
सरदारपुर
थाने, तिरला
चौकी और
राजगढ़ थाने
पर पर्याप्त
पुलिस बल की
व्यवस्था
करेंगे?
श्री
भूपेन्द्र
सिंह- माननीय
अध्यक्ष
महोदय, वहां
पर्याप्त
पुलिस बल की
व्यवस्था
की जायेगी.
श्री वेलसिंह भूरिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट हूं. धन्यवाद.
प्रश्न संख्या 18 (अनुपस्थित)
फर्जी खाद्यान्न पर्ची जारी करने पर कार्यवाही
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
19. ( *क्र. 3968 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गुना जिले में खाद्य सुरक्षा अधिनियम जारी होने के बाद से फर्जी खाद्यान्न जारी करने के कितने प्रकरण सामने आये हैं? जिलेवार बतायें। (ख) गुना जिले में फर्जी परिवार तैयार कर कितने प्रकरणों में कितनी राशि का खाद्यान्न जारी किया गया है। कितने प्रकरणों में एफ.आई.आर. दर्ज कराई गई है? किन अधिकारियों और संस्थाओं पर क्या कार्यवाही की गई है? (ग) गुना जिले में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के क्रियान्वयन में गड़बड़ी करने वाले कितने उपभोक्ता भण्डार और उचित मूल्य की दुकानों और सोसायटियों पर अब तक क्या कार्यवाही की गई है? राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कितने परिवारों के नाम खाद्यान पात्रता पर्ची में जोड़े जाने के लिए लंबित हैं ?(घ) कितने अधिकारी, कर्मचारियों पर फर्जी खाद्यान्न पर्ची जारी करने पर विभाग द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई ?
श्री जयवर्द्धन सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में कहा गया है कि गुना जिले में खाद्यान्न पर्चियों के एक प्रकरण में अनियमिततायें पाई गई थीं और उसमें नगर परिषद आरोन के चार कर्मचारियों को निलंबित किया गया है और उन पर एफ.आई.आर. भी दर्ज की गई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि जिन चार कर्मचारियों का इस प्रकरण में उल्लेख किया गया है वे सभी संविदाकर्मी थे. सदन के सभी सदस्य यह जानते हैं कि खाद्यान्न पर्चियों में किसका नाम आना चाहिए यह नगर पालिका में सी.एम.ओ. के स्तर पर तय होता है और ग्रामीण क्षेत्रों में जनपद सी.ई.ओ., पटवारी, तहसीलदार और एस.डी.एम. के स्तर पर तय होता है. मैं जानना चाहता हूं कि उन पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई ? नगर पालिका के वर्ग तीन-चार के संविदा कर्मियों पर कार्यवाही क्यों हुई ? मैं मानता हूं कि यह कार्यवाही गलत हुई है और इसकी पुन: जांच की जानी चाहिए और उस समय आरोन नगर परिषद में पदस्थ सी.एम.ओ., एस.डी.एम. पर कार्यवाही होनी चाहिए.
श्री ओम प्रकाश धुर्वे- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रकरण में जो दोषी पाये गए, जिन्होंने कृत्य किया है, उनके ऊपर ही कार्यवाही हुई है.
श्री जयवर्द्धन सिंह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा है कि यह बात गंभीर है और स्वाभाविक है कि जब भी खाद्यान्न में नाम आते हैं तो वह नाम बड़े स्तर पर तय किये जाते हैं. कोई भी संविदा कर्मचारी के पास नाम तय करने का अधिकार नहीं है. इसलिये मैंने मंत्री जी से निवेदन किया है कि इसकी पुन: जांच हो. आखिर संविदा कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज क्यों हुई है ? कहीं भी नगर पालिका, जनपद में संविदा कर्मचारी यह तय नहीं करते हैं कि कौन बीपीएल में आता है या नहीं आता है तो इसमें मंत्री जी पुन: जांच के आदेश करें. इसमें स्पष्टीकरण हो कि उस समय जो नगर परिषद में सीएमओ थे, उन पर जांच की जाये?
श्री ओमप्रकाश धुर्वे:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जांच में स्पष्ट हो गया है कि जो कम्प्यूटर ऑपरेटर हैं, उन्होंने ही डेटाबेस में गड़बड़ी की है.उनके ऊपर कार्यवाही हुई है. इसमें एसडीएम और नगर पालिका के सीएमओ के ऊपर कार्यवाही का प्रश्न ही नहीं उठता है.
श्री जयवर्द्धन सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, उठता है, क्योंकि लिस्ट उन्हीं से फायनल होती है.
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी ने बता दिया है कि कम्प्यूटर ऑपरेटर ने डेटाबेस में गड़बड़ी की है.
श्री जयवर्द्धन सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप एक बार माननीय मंत्री जी से बोल दें कि वह इस पर एक बार कार्यवाही कर लें, क्योंकि वास्तव में यह एक गंभीर मामला है कि उसमें जांच करा लें.
अध्यक्ष महोदय:- आपको 12 बजे के बाद भी दो प्रश्न पूछने की अनुमति दी.
अब समय नहीं है. प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय:- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी.
1. श्री आशीष गोविन्द शर्मा
2. डॉ रामकिशोर दोगने
3. श्री आर.डी. प्रजापति
4. श्री सुखेन्द्र सिंह
5. श्रीमती शीला त्यागी
6. श्री सुन्दरलाल तिवारी
7. श्री तरूण भनोत
8. श्री हरदीप सिंह डंग
9. श्री नीलेश अवस्थी
10. श्री गोविन्द सिंह पटेल
12.02 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
(1) मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल द्वारा कृषि पंपों के बिजली का बिल समय पर नहीं दिया जाना.
श्री कैलाश चावला(मनासा):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल, नीमच द्वारा कृषि पंप के सिंचाई के जो बिल हैं, वह अप्रैल माह में दिये जाना चाहिये, वह मार्च में दिये जा रहे हैं और बिल अदायगी न करने पर कनेक्शन काटने की धमकियां दी जा रही हैं. जबकि 6 महीने में जो बिल देने चाहिये, वह नहीं दिये जा रहे हैं. इससे कृषकों में असंतोष व्याप्त है. बिल नियमानुसार ही दिये जाने चाहिये.
(2) जिला चिकित्सालय और बीएमसी की मर्जर की कार्यवाही समाप्त की जाना
श्री हर्ष यादव(देवरी):- माननीय अध्यक्ष महोदय, डेढ़ महीने पहले मुख्यमंत्री जी ने हमारे जिले के दोनों मंत्रियों की उपस्थिति में जिला चिकित्सालय और बीएमसी(बुन्देलखण्ड मेडिकल कॉलेज) का मर्जर समाप्त करने की घोषणा की थी. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि डेढ़ महीना हो गया है, लेकिन आज तक मर्जर की कार्यवाही नहीं हुई है. जब मर्जर की घोषणा हुई थी तो पूरे जिले में उत्साह का वातावरण था और खुशी मनायी गयी थी.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से आग्रह है कि जो मर्जर की कार्यवाही की गयी थी, वह समाप्त की जाये.
(3) अतिथि शिक्षकों का मानदेय बढ़ाया जाना.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर):- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से आग्रह है कि प्रदेश में अतिथि शिक्षक बहुत कम मानदेय पर अपनी सेवाएं प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय और अन्य स्थान पर दे रहे हैं. उनके संबंध में भी कोई नीति बनाकर, उस विषय पर भी गंभीरता से विचार किया जाये.
(4) सीधी, सिंगरौली जिले में विद्युत कटौती और कुर्की की कार्यवाही न की जाना
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है कि सीधी, सिंगरौली जिले में कई जगह विद्युत काट दी गयी है. इस समय दसवीं और बारहवीं की परीक्षाएं चल रही हैं और गरीबों को कुर्की के नोटिस जारी हो गये हैं. इस संबंध में, मैंने ध्यानाकर्षण भी लगाया है. आपसे आग्रह है कि आप इसको संज्ञान में लें और इस पर चर्चा करायें और यह जो वसूली अभियान चला रहे हैं, कुर्की का आदेश दिया है, उस रोक लगायी जाये.
(5) पथरिया में विद्युत कनेक्शन काट दिया जाना.
श्री लखन पटेल (पथरिया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है. हमारे यहां विद्युत कनेक्शन काट दिए गए हैं. बच्चों की परीक्षा चल रही हैं और वहां पर बिजली के कनेक्शन काट दिए गए हैं. ऐसे लोगों के बिजली के कनेक्शन भी काट दिए गए हैं, जिन्होंने बिजली के बिल भरे हुए हैं. कृपया अभी परीक्षा के समय वह लाईट तुरन्त चालू कराई जाये.
(6) चन्दला में पानी की व्यवस्था किया जाना.
श्री आर.डी.प्रजापति (चन्दला) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में तीन वर्षों से सूखा पड़ा हुआ है, हैंडपम्प बिल्कुल सूख गए हैं. नदियों में कहीं भी पानी नहीं है, पशु प्यास के कारण मर रहे हैं. मेरा आपसे निवेदन है कि पानी की व्यवस्था करवाई जाये और अगर वहां पानी की व्यवस्था नहीं होती है तो जीव-जंतु और पशु-पक्षी पूरी तरह से मरने की कगार पर हैं. अध्यक्ष महोदय, जो पानी आपके बांधों में है, उस पानी को थोड़ा छुड़वा दिया जाये, जिससे की जानवर न मर सकें और जो गाय हैं, वे पूरी तरह से मरने लगी हैं.
(7) भोपाल में गीतांजलि कॉलेज की छात्रा द्वारा उसके साथ छेड़छाड़ किये जाने पर आत्महत्या किये जाने संबंधी दिये गए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराई जाना.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कल भी यह बात उठाई थी. मैं एक स्थगत दिया हुआ है कि गीतांजलि कॉलेज की छात्रा आरती राय ने छेड़छाड़ के कारण आत्महत्या कर ली और इससे पूरा भोपाल शहर आंदोलित है. पूरे भोपाल शहर में आंदोलन चल रहा है. इस समय विधानसभा का सत्र चल रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी हाल ही में प्रश्न भी था कि पूरे प्रदेश में महिलाएं असुरक्षित हैं, हमारी बालिकाएं असुरक्षित हैं, बालिकाएं कॉलेज और स्कूल जाने की हिम्मत नहीं कर रही हैं, पूरे प्रदेश के पालक और बालिकाओं के माता-पिता आंदोलित हैं.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है. आज निर्णय कर लेंगे.
श्री रामनिवास रावत - बात आने के लिए थोड़े ही खड़े हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय - आपको बोल तो दिया है कि आज निर्णय कर लेंगे.
श्री रामनिवास रावत - चर्चा कराएं या स्थगन स्वीकार कराएं. पूरे भोपाल में आंदोलन चल रहा है, पूरा भोपाल आंदोलित है. अध्यक्ष महोदय, इस विषय पर भी आप चर्चा नहीं कराएंगे. क्या सदन प्रदेश की बालिकाओं की सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - अभी तो कहा है. आपने सुना है कि नहीं सुना. आज निर्णय कर लेंगे कि क्या करना है ?
श्री रामनिवास रावत - निर्णय कब कर दोगे ?
अध्यक्ष महोदय - आज.
श्री रामनिवास रावत -आज निर्णय कर दोगे. हमने स्थगन दिया हुआ है, उसमें कुछ तो निर्णय आना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - आपको बोल तो रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरा भोपाल आंदोलित है, तोड़-फोड़ हो रही है.
अध्यक्ष महोदय - नेताजी, आपको कुछ कहना है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो बात रामनिवास रावत जी ने रखी कि हमने स्थगन भी दिया हुआ है, पूरे भोपाल में महिला उत्पीड़न के बारे में हाहाकार मच रहा है और आप मुस्कुराकर कह देते हैं, हम चर्चा करेंगे. कुछ तो उत्तर आए. यह बड़ा विशेष और गंभीर मामला है. राजधानी भोपाल में लगातार यह तक हैडिंग आ गई हैं कि क्या महिला बेटी होना एक कलंक हो गया है ? इसके बाद भी आप हमारी बात नहीं सुन रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - सुन रहे हैं. आपने शायद सुना नहीं है. मैंने रावत जी से कहा था. आप शायद मेरी बात नहीं सुन रहे हैं.
श्री अजय सिंह - सुनाइये.
अध्यक्ष महोदय - मैंने तब भी रावत जी से कहा कि आज उस पर निर्णय कर लेंगे. अब आप और क्या चाहते हैं ?
श्री रामनिवास रावत - पूरे भोपाल के सभी प्रमुख समाचार-पत्र इससे भरे पड़े हैं एवं भोपाल की घटना के आंदोलन से भरे पड़े हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप स्थगन देते हैं, जानकारी बुलवाते हैं.....(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत - समाचार-पत्र भरे पड़े हैं, तीन दिन हो गए हैं (हाथ में अखबार की कटिंग दिखाते हुए)
अध्यक्ष महोदय - आप वरिष्ठ विधायक हैं, मंत्री रह चुके हैं. उस पेपर कटिंग को आप रख दें.
श्री रामनिवास रावत - स्थगन का मतलब यह होता है कि यह सुबह दिया जाता है और इस पर सरकार का जवाब आना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - पेपर को डिस्प्ले न करें. आप नियम मत बताइये. बैठ जाइये.
श्री रामनिवास रावत - पूरे भोपाल शहर में आंदोलन हो रहा है.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे विदिशा जिले में कैंडिल मार्च निकल रहा है.
श्री रामनिवास रावत - इस घटना को लेकर समाचार-पत्र भरे पड़े हुए हैं. पूरा शहर आंदोलित है. सरकार का जवाब तो आए.
अध्यक्ष महोदय - आपसे बोल तो दिया है.
श्री रामनिवास रावत - आप जवाब दिलाएं. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. आप चर्चा में कल ले लें.
अध्यक्ष महोदय - आप जबर्दस्ती नहीं कर सकते.
श्री आरिफ अकील - अध्यक्ष महोदय, आप कल ले लीजिए.
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस मामले में पूरे प्रदेश की राजधानी में इतना हाहाकार मचा हुआ है. आप सदन में उत्तर भी नहीं दिलवा सकते हैं. इसमें कार्यवाही रोकर चर्चा होनी चाहिए. यह महिला उत्पीड़न की बात है.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, फिर भी सरकार पूरी तरह से गंभीर है. अभी नेता प्रतिपक्ष जी को माननीय गृह मंत्री जी ने जवाब भी दिया है. आज ही बातचीत की बात कही.
अध्यक्ष महोदय - अभी प्रश्न पर चर्चा हुई.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आसंदी ने भी यही कहा.
श्री रामनिवास रावत - फिर आंदोलन क्यों हो रहा है ?
श्री अजय सिंह - मैं राजधानी की बात कर रहा हूँ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - हम भी राजधानी की बात कर रहे हैं. गंभीर विषय पर सरकार पूरी तरह से गंभीर है और आपने भी कहा, आप भी गंभीर हैं. अध्यक्ष जी, आज ही उस पर निर्णय करेंगे.
श्री अजय सिंह - निर्णय नहीं, चर्चा. इसका कोई उत्तर तो आए. स्थगन का मतलब क्या होता है ?
(...व्यवधान….)
12.08 बजे बहिर्गमन
श्री अजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के
सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, महिलाओं के लिए यह सरकार चिन्तित नहीं है. हम बहिर्गमन करते हैं.
(श्री अजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा दिये गये स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा न कराये जाने से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया).
डॉ. रामकिशोर दोगने - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना थी.
अध्यक्ष महोदय - अब नहीं, हो गया. आपके बहिर्गमन में वह चला गया है. आपको बोलना था तो बैठे रहना था. यही परम्परा है, बहिर्गमन होता है किन्तु जिनको बोलना होता है, वे बैठे रहते हैं. आप कल बोलिएगा.
12.09 बजे ध्यानाकर्षण
(1) भोपाल नगर निगम द्वारा झील संरक्षण एवं साफ-सफाई के नाम पर
अनियमितता किया जाना.
श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर) अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री आरिफ अकील – माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जो जवाब पढ़ा है, उससे 210 करोड़ रूपए सीवरेज को खत्म करने के लिए दिए और कहा गया कि 95 प्रतिशत गंदा पानी को रोक दिया है और जो सीवरेज लाइन डाली गई है वह लाइन आज तक काम ही नहीं कर रही है और जो मशीनें आई हैं उनका इस्तेमाल भी नहीं हो रहा है. मैं मंत्री महोदया से यह पूछना चाहता हूं कृपया यह बताए कि बड़े तालाब में कहां से गंदा पानी आ रहा है? मिल रहा है? या आप हमें बिल्कुल शुद्ध पानी दे रही हैं, उस पानी में कोई मिलावट नहीं है, कोई गंदगी नहीं है, कोई खराब पानी नहीं है?
श्रीमती माया सिंह – माननीय अध्यक्ष जी, बड़े तालाब के पानी से संबंधित मैंने जो जवाब अभी दिया है, उसमें उसका उत्तर सम्मानीय विधायक जी को दिया है कि उसमें 95 प्रतिशत गंदे पानी को रोकने के लिए सीवरेज का नेटवर्क जोड़ा गया है और कोशिश की गई है कि वहां पर गंदा पानी न जाए.
श्री आरिफ अकील – माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कहा जा रहा है कि 210 करोड़ रूपए खर्च करके 95 प्रतिशत गंदा पानी को रोका गया है. मैं कह रहा हूं जो सीवरेज लाइन डाली गई है वह लाइन काम नहीं कर रही है. पूरे भोपाल में नर्मदा का पानी, कोलार का पानी देने के लिए पाइन लाइन भी बिछाई है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी पाइप लाइन बिछाई गई है, सभी को कनेक्शन दिए जा रहे हैं, लेकिन हमको यह कहा जा रहा है कि यही गंदा पानी पीयो. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया से कहना चाहता हूं कि आपने सभी के लिए व्यवस्था की है. मेरे विधान सभा क्ष्ोत्र में भी जिन बस्तियों में लाइन डाली जा चुकी है, मात्र कनेक्शन देना है, क्या कनेक्शन के माध्यम से गंदे पानी पीने से हमारे क्षेत्र के लोगों को बचाया जाएगा, यह बताने की कृपा करें.
श्रीमती माया सिंह – माननीय अध्यक्ष जी, मैं सम्माननीय विधायक जी से कहना चाहती हूं कि हम आपको शुद्ध पानी पीने के लिए देंगे, गंदा पानी पीने के लिए क्यों पहुंचाया जाएगा. आप यह कह रहे हैं कि हमसे कहा जा रहा है कि गंदा पानी पीजिए, ऐसी बात बिल्कुल नहीं है. यह पहली बार अमृत योजना के तहत पूरे प्रदेश के 34 शहरों में सीवरेज की लाइन डाली जा रही है, नालों में जहां गंध जाती थी, उसकी भी सफाई का काम किया जा रहा है. निश्चित मानिए आपने नर्मदा और कोलार से कनेक्शन की जो बात उठाई है, उसमें मैं यह कहना चाहती हूं कि इसके लिए जल की मात्रा और नेटवर्क की स्थिति का परीक्षण करना जरूरी है और परीक्षण के उपरांत अतिशीघ्र ही निर्णय से माननीय सदस्य को अवगत करा देंगे.
श्री आरिफ अकील – माननीय अध्यक्ष महोदय, दो सवाल और है, पहला सवाल यह है कि करोड़ों रूपए खर्च करके मेरे विधान सभा क्षेत्र में लाइन डाल दी गई है और पानी नहीं है. ओवरहैड टैंक बने हैं वह भरे नहीं जा रहे है. अध्यक्ष जी, पहले पानी देने की योजना बनती है या लाइन डाल दी जाती है. अब, जब लाइन डलकर तैयार हो गई है तो माननीय मंत्री जी कह रही हैं कि हम शीघ्र परीक्षण करवाएंगे, लेकिन जिन लोगों ने यह लाइन डाली है उन्होंने करोड़ों रूपए का भ्रष्टाचार कर दिया है उन लोगों की और इस पूरी योजना में जो 210 करोड़ रूपए खर्च किया गया है क्या उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर इसकी जांच की जाएगी कि यह 210 करोड़ रूपए खर्च हुआ है या नहीं? जब आप पूरे भोपाल के विधान सभा क्षेत्रों में नर्मदा का पानी दे रहे हैं, तो हमें नर्मदा का पानी भी मत दो, आपकी योजना में यह था लेकिन हमें इसका लाभ नहीं मिल रहा है तो क्या जो लाइन डाली गई है उस लाइन से इस योजना का कनेक्शन कर देंगे? मंत्री महोदया जी, अब तो इसके लिए हां कर दीजिए. (..हंसी)
श्रीमती माया सिंह – माननीय अध्यक्ष जी, विधायक जी से कहना चाहती हूं कि हमने मना ही नहीं किया है कि हम आपको शुद्ध पानी नहीं दे रहे हैं. शुद्ध पानी देना जिम्मेदारी है, हमारा कर्तव्य है और दिया भी जा रहा है. इसमें वास्तविकता नहीं है कि शुद्ध पानी नहीं दिया जा रहा है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) – विधायक जी, यदि नर्मदा का पानी पीना है तो एक बार नर्मदा मैया की जोर से जय बोलो.
श्री आरिफ अकील – क्या नर्मदा मैया की जोर से जय बोलने के बाद नर्मदा का पानी एक महीने के अंदर मेरे विधान सभा क्षेत्र में दिया जाएगा? पहले यह घोषणा करो.
श्री गोपाल भार्गव – हम लोग कोशिश करेंगे.
श्री आरिफ अकील – पहले यह घोषणा करो.
श्री गोपाल भार्गव – मैं भोपाल का प्रभारी मंत्री हूं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक – हमारे नेता आदरणीय श्री दिग्विजय सिंह जी, पैदल नर्मदा जी की परिक्रम कर रहे हैं और यहां तो हेलीकाप्टर से परिक्रम की है.
श्री आरिफ अकील -- मंत्री जी बोलो, मैं जय बोलने के लिये तैयार हूं क्या आप पानी देंगे. बोलो..बोलो.... मैं एक मर्तबा नहीं पांच मर्तबा बोलूंगा .आप मेरे विधानसभा क्षेत्र में नर्मदा का पानी दे दीजिये. चलो मैं पांच मर्तबा बोलूंगा.
श्री गोपाल भार्गव-- आप पहले बोलें इसके बाद मैं बताऊंगा.
श्री आरिफ अकील - वॉह...वॉह.. हाउस में कहने के बाद में मुकर रहे हैं. यही चरित्र है इनका. अध्यक्ष महोदय, हाउस में कहने के बाद मुकर रहे हैं यह हमारे भोपाल के प्रभारी मंत्री हैं.
श्री गोपाल भार्गव- मै अपनी बात पर स्थिर हूं. मैं भोपाल जिले का प्रभारी मंत्री हूं. मंत्री जी के साथ में मैं भी आपके लिये प्रयास करूंगा.
श्री आरिफ अकील- वह तो आप हर बार कहते हो लेकिन करते कुछ नहीं हो.माननीय अध्यक्ष जी, मेरे उस सवाल का जबाव दिलवा दीजिये कि 210 करोड़ रूपये खर्च हुये हैं या नहीं इसकी जांच एक उच्च स्तरीय समिति बनाकर जिसमें क्षेत्रीय विधायक भी शामिल हो और वह समिति इस बात की भी जांच करे पेड़ लगाये हैं या नहीं, सीवरेज की लाईन डाली है तो उसमें गंदा पानी आ रहा है या नहीं आ रहा है. मंत्री जी इसकी जांच करा लेंगी ?
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दोनो बातें बता रही हूं. पहले माननीय सदस्य ने जो अमृत योजना का सवाल उठाया था उसके बारे में कहना चाहती हूं कि अमृत योजना में पूर्व में डाली गई लाइन का उपयोग करके पेयजल योजना के गेप को पूर्ण किया जा रहा है. यह चिंता हमारी है कि पूरे भोपाल को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करायें. दूसरी बात जो ..
श्री आरिफ अकील -- मंत्री जी, आपसे निवेदन है कि इस मामले में आप अपने विवेक से फैसला कर लीजिये,(सदन की अधिकारीदीर्घा की ओर इंगित करते हुये) आपको जो लोग भ्रमित कर रहे हैं आप उनकी बातों में मत आयें, अच्छा पीने का पानी मेरे क्षेत्र में नहीं मिल रहा है. आप मेरी बात पर यकीन करें..
श्री बाबूलाल गौर -- अध्यक्ष महोदय, अमृत योजना पुराने भोपाल में कब तक पूर्ण कर ली जायेगी? और मंत्री जी अगर आपको पता न हो तो विवेक अग्रवाल जी से पूछ लीजिये.
श्रीमती माया सिंह-- अध्यक्ष महोदय, वह काम ऐसा है कि जल्दी से जल्दी करेंगे उसके लिये समय सीमा बताना अभी संभव नहीं है. लेकिन जैसा कि माननीय सदस्य ने समिति से जांच की मांग की है तो हम एक उच्च स्तरीय समिति बनाकर के इसकी जांच करा लेंगे.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, विधायकों को भी शामिल करेंगी या नहीं. 210 करोड़ रूपये की योजना है. इतना पैसा खर्चा होने का बाद भी मेरे क्षेत्र के लाखों लोगों को पीने के लिये गंदा पानी मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय- एक ही ध्यानाकर्षण पर बहुत समय हो गया है.
श्री आऱिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा के क्षेत्र के लोगों को गंदा पानी मिल रहा है और आप कह रहे हैं कि बहुत समय हो गया. 210 करोड़ रूपये का खर्चा होने के बाद भी गंदा पानी मिल रहा है. अध्यक्ष जी मंत्री जी से जबाव दिलवा दीजिये.
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय गौर साहब जी ने जो सवाल उठाया कि अमृत योजना पुराने भोपाल में कब तक पूर्ण कर ली जायेगी,माननीय विधायक जी की भी यह जानने की इच्छा है तो मैं कहना चाहूंगी कि डेढ़ वर्ष में यह योजना पूरी करना प्रस्तावित है.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मेरे सवाल का जबाव अभी भी नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय- दे तो दिया है कि जांच करायेंगे.
श्री आरिफ अकील -- मैंने पूछा है कि जांच समिति में विधायकों को भी शामिल करेंगे , इसका उत्तर नहीं आया है. जांच रिपोर्ट कब तक आ जायेगी यह बता दीजिये. अध्यक्ष महोदय, इतना जबाव दिलवा दें.
श्रीमती माया सिंह -- अतिशीघ्र..
अध्यक्ष महोदय-- अतिशीघ्र कह तो दिया.
श्री आरिफ अकील -- अतिशीघ्र . अध्यक्ष जी यह तो अन्याय है. आप समझ गये हैं.
अध्यक्ष महोदय- आपको इस ध्यानाकर्षण में बहुत समय दिया. अब नहीं.
श्री आरिफ अकील -- 210 करोड़ रूपये डकार गये. खा गये. आज भी मेरे क्षेत्र के लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं.
2. बालाघाट जिले में पंजीकृत मछुआरों को नीलामी से रोके जाने संबंधी
डॉ.योगेन्द्र निर्मल (वारासिवनी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास मंत्री (श्री अंतरसिंह आर्य)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ. योगेन्द्र निर्मल-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को बताना चाहूंगा कि मेरी विधान सभा खैरलांजी में ठीक इसके विपरीत हो रहा है और हर बार एक नये नाम से नीलामी लेने वाले आते हैं, उन पर लाखों रूपये बाकी रहते हैं. वह 14-14, 15-15 लाख रूपये में नावघाट लेते हैं. सरकार के राजस्व का भी नुकसान यह लोग कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि आप आदेश करवायें कि जो यह नावघाट हैं वह मछुआरों को दिये जायें, चूंकि यह ढीमर, मछुआरे लोग बहुत गरीब हैं और इनको पूर्व में अनुसूचित जनजाति में जोड़ने के लिये विधान सभा में प्रस्ताव भी आया है. मैं आग्रह करूंगा कि इन मछुआरों को प्राथमिकता के साथ यह नावघाट दिये जाये.
श्री अंतरसिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पंचायती राज के अंतर्गत जनपद पंचायत को अधिकार प्राप्त हैं. मध्यप्रदेश शासन ने जो मछुआ कल्याण बोर्ड बनाया है यदि उनसे अनुशंसा आ जायेगी तो शासन इस पर निर्णय करेगा.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल-- अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि मछुआ कल्याण बोर्ड को एक पत्र लिखकर के माननीय जी भेजेंगे और मछुआरों को न्याय दिलायेंगे. पंचायत विभाग के मंत्री भी बैठे हैं आपको भी एक पत्र लिख दें कि पंचायत में भी इसको संशोधन में लिया जाये.
श्री अंतरसिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी को आश्वस्त करना चाहता हूं, सरकार इसके ऊपर गंभीर है और जो सुझाव आयेंगे उसके ऊपर हम निर्णय लेंगे.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल-- धन्यवाद.
श्री के.डी.देशमुख(कटंगी)--अध्यक्ष महोदय, बालाघाट जिले में पवनखेड़ी नदी और वैनगंगा नदी और बड़ी बड़ी नदिया हैं. इन नदियों के किनारे बड़े बड़े गांव हैं. इन गांवों में मछुआ समाज के लोग निवास करते हैं. हमारे बालाघाट जिले में खैरलांजी विकासखण्ड में भेंडारा गांव के मछुआरों ने नावघाट समिति बनायी. सिवनघाट गांव के मछुआरों ने नावघाट समिति बनायी, घोटीगांव के मछुआरों ने नावघाट समिति बनायी और लालबर्रा विकासखण्ड में ददिया गांव के मछुआरों ने नावघाट समिति बनायी. नावघाट समिति के द्वारा जब आवेदन जनपद पंचायत में किया जाता है, तो जनपद पंचायत में प्रायः यह देखा जाता है कि पुरानी नावघाट समितियां जो कि डिफाल्टर रहती हैं वह नाम बदल-बदल कर के आवेदन लगाती हैं और उच्चतम बोली पर दूसरे लोग उसमें शामिल हो जाते हैं और नावघाट में मुछआरे लोग हैं वह उच्चतम बोली पर नीलामी पर नावघाट नहीं ले सकते हैं. मेरा इसमें कहना है कि अभी जनपद पंचायत को नीलामी का अधिकार खत्म करके उनको पट्टे पर दिया जाए इस प्रक्रिया को सरलीकृत किया जाए. यह मामला बहुत सालों से चल रहा है.
श्री अंतर सिंह आर्य--अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को कहना चाहता हूं कि जो हमारा बोर्ड है उसमें सुझाव आ जाएंगे तो उसमें इसका समाधान भी हो जाएगा.
श्री के.डी.देशमुख--अध्यक्ष महोदय, बोर्ड तो आपके अधीन है उसमें आपके यहां से सिफारिश की जाएगी तभी तो समस्या का हल होगा.
श्री अंतर सिंह आर्य--अध्यक्ष महोदय, आप चिन्ता न करें इसका समाधान हो जाएगा.
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय--आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
वर्ष 2018-19 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (पूर्वानुबद्ध)
मांग संख्या – 30 |
ग्रामीण विकास |
मांग संख्या – 34 |
सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण |
मांग संख्या – 53 |
त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं को वित्तीय सहायता |
मांग संख्या – 59 |
ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाएं |
मांग संख्या – 62 |
पंचायत.
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श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30, 34, 53, 59, 92 का समर्थन करते हुए अपनी बात रखना चाहता हूं. प्रधानमंत्री आवास योजना इस विभाग की बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है. मध्यप्रदेश के ऐसे गरीब जिनके कच्चे मकान हैं इस योजना के तहत अभी तक इस विभाग के द्वारा 7 लाख 56 हजार मकान स्वीकृत कर दिये गये हैं. इसमें गरीबों को मकान उपलब्ध भी हो चुके हैं. इन मकानों को सरकार द्वारा 2022 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा है. बजट वर्ष 2018-19 में इन मकानों के निर्माण के लिये 6 हजार 6 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान वित्तमंत्री जी ने रखा है. प्रधानमंत्री सड़क योजना भाग-1 के तहत 16881 सड़कों का निर्माण किया गया है जिसकी लंबाई 68771 किलोमीटर है और 188 पुल इस योजना के तहत बनाये गये हैं. इन सड़कों ने निर्माण से मध्यप्रदेश के 17305 ग्राम जुड़े हैं. प्रधानमंत्री सड़क योजना भाग-2 के अंतर्गत इस विभाग ने बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. इसमें अभी तक 172 मार्गों को स्वीकृत किया गया है जिसकी लंबाई 2156 किलोमीटर है तथा 25 पुलों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है. इसमें कुल रूपये 1 लाख 14 हजार 25 करोड़ रूपये खर्च होना है. प्रधानमंत्री सड़क योजना भाग-2 को पूर्ण करने के लिये 2 हजार 5 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है. मैं इसमें महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहता हूं कि मेरी विधान सभा में इस योजना के तहत 34 किलोमीटर का रोड़ स्वीकृत हुआ है 7 मीटर लंबा एवं 7 करोड़ रूपये का है. इतना बड़ा मध्यप्रदेश का पहला रोड़ है, लेकिन उसमें एक यह दिक्कत आ रही है कि ठेकेदार अपनी मशीनरी 25 करोड़ रूपये की लेकर आया है. रोड़ बनाने का पेमेन्ट विभाग 28 दिन बाद करता है, जबकि आधा किलोमीटर की रोड़ रोज बना रहा है. मेरा आग्रह है कि उसके भुगतान का सरलीकरण करने की कृपा माननीय मंत्री जी निश्चित रूप से करेंगे. पहले एक किलोमीटर-आधा किलोमीटर बनाते थे अब तो इसमें 34 किलोमीटर की रोड़ 7 करोड़ रूपये की बना रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना यह गांव के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण योजना साबित हुई है. गांव में ऐसे व्यस्क व्यक्ति रोजगार नहीं है. इस योजना के तहत 100 दिन के रोजगार देने की गारंटी है. इसके लिये इस बजट में 2 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, पंच-परमेश्वर योजना के तहत गांव में जो भी विकास होता है वह पंचायतों के माध्यम से होता है इसके तहत 12699 सी.सी.रोड़ व नालियों का निर्माण किया गया है. इससे राशि के तहत लगभग 18 हजार किलोमीटर के सी.सी.रोड़ बनकर के पूरे मध्यप्रदेश के गांवों में तैयार हो गये हैं. इस वित्तीय वर्ष में वर्ष 2018-19 में इसके लिये 2 हजार 342 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, मध्याह्न भोजन योजना यह योजना भी महत्वपूर्ण साबित हुई है इसमें प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय में जो बच्चे पढ़ रहे हैं उनके लिये यह मध्याह्न भोजन होता है. इस वर्ष इसमें 1100 करोड़ रूपये का प्रावधान इस योजना के तहत किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश में 22816 पंचायतें उसमें आज भी 5166 पंचायतें ऐसी हैं जो भवनविहीन थीं उसमें से 1189 पंचायों में पंचायत भवन का निर्माण हो चुका है. जो 3977 पंचायतें बची हैं उसमें 2931 पंचायत-भवन निर्माणाधीन हैं. मात्र 1046 भवन बनाना बाकी हैं उसके लिये 15 करोड़ रूपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना इसके तहत 285 करोड़ का प्रावधान इस बजट में किया गया है. स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत 2234 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना यह बहुत ही महत्वपूर्ण योजना साबित हुई है उसके तहत अभी तक 3 लाख 80517 कन्याओं का विवाह हो चुका है. इसके तहत मुख्यमंत्री निकाह योजना में भी 10425 निकाह हो चुके हैं. यह योजना 1 अप्रैल 2006 को प्रारंभ हुई थी आज इस योजना के तहत प्रारंभ में 5 हजार रूपये का प्रावधान किया गया था. अब इसमें 28 हजार रूपये का प्रावधान किया गया है. इसमें जिस कन्या का विवाह हो रहा हैं उनके खाते में 17 हजार रूपये डाले जाते हैं, 3 हजार रूपये स्मार्ट फोन के लिये तथा 5 हजार रूपये सामूहिक शादी के लिये दिये जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को एक सुझाव देना चाहता हूं कि आप मंत्री जी इसको नोट करें. यह मध्यप्रदेश का बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव है कि ग्राम पंचायतें 15 हजार की जनसंख्या वाली और उससे भी अधिक हो चुकी हैं और वहां की मूलभूत सुविधाओं के लिये पंचायत ही उसका कार्य करती है और मेरे विधान सभा क्षेत्र का ग्राम झालडा जहां की 15 हजार की जनसंख्या है. वहां माननीय मंत्री महोदय ने सर्वसुविधायुक्त बसस्टैंड वहां बनाने के लिये आदेश कर दिया कि यदि पंचायत के पास पैसा है तो अपना स्वयं का बस स्टैंड निर्मित कर लें. पंचायत द्वारा जो दुकानें बनाई गई हैं उसके द्वारा 2 करोड़ 5 लाख रुपये आय हो चुकी है और खाते में जमा हो चुकी है. चूंकि उसको बनाने की परमीशन भी मिल चुकी है लेकिन समस्या यह खड़ी हो रही है कि पंचायत को 15 लाख से अधिक का कार्य करने का प्रावधान नहीं है. मैं चाहता हूं कि उसके लिये पंचायत ने जितनी राशि अपने संसाधनों से प्राप्त की है तो उस बस स्टैंड को बनाने के लिये 1 करोड़, 2 करोड़ जैसी भी उसकी डी.पी.आर. बने, उस मान से,जिस स्थान पर भी पंचायत बनाना चाहे, उसे बस स्टैंड बनाने की की स्वीकृति प्रदान करने की कृपा करें. आपने बोलने का मौका दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी) - -माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30,34,53,59,62 पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. प्रधानमंत्री आवास योजना जो संचालित है. 2011 में पारिवारिक सर्वेक्षण के आधार पर आवास देने का निर्णय किया गया. इस योजना के अंतर्गत कई ऐसे परिवार हैं जो विभाजित हो गये हैं और पृथक परिवार के रूप में रह रहे हैं और 2011 के बाद विभाजित हुए जो परिवार हैं इस प्रधानंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित हैं. योजना की प्रथम किश्त हितग्राहियों को उपलब्ध करा दी गई और उससे अपना कच्चा मकान तोड़कर प्लिंथ लेबल तक का काम पूरा कर लिया गया और इसी बीच में एक नया नियम लागू कर दिया गया जिससे कई हितग्राहियों के मकान स्वीकृति पश्चात् निरस्त कर दिये गये हैं और प्रथम किश्त की वसूली की कार्यवाही भी की जाने लगी है. इस तरह हितग्राही मकान विहीन हो गया और दूसरी ओर उसे प्रथम किश्त देकर वसूली की मार भी झेलना पड़ रही है. क्षेत्र में विषम स्थिति पैदा हो गई है. योजना प्रारंभ करने के पूर्व हर स्तर पर विचार क्यों नहीं किया गया. क्या सरकार इस पर कोई ठोस कदम उठाएगी जिससे प्रधानमंत्री आवास योजना के स्वीकृत मकानों को पूर्ण करवाया जा सके और प्रदेश के गरीबों को आवास उपलब्ध हो सके. नि:शक्तजनों की बात करना चाहूंगा. कई ऐसे नि:शक्त जन हैं जिनको शासन की विभिन्न योजनाओं जैसे पेंशन है औ अन्य सुविधाओं से वे आज भी वंचित हैं. बी.पी.एल. की जो अनिवार्यता रखी गई है मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि उस अनिवार्यता को समाप्त कर जो दिव्यांग हैं उनको इसका लाभ देने के लिये सरलीकृत तरीका बनाया जाना चाहिये. बहुत सी ऐसी सड़कें हैं जो गांव की आंतरिक बस्ती से गुजरती हैं जिनकी लंबाई 3 कि.मी.,4 कि.मी. है. ऐसी कई सड़कें हैं जिनके लिये हम लोगों ने कई बार प्रस्ताव दिये हैं किन्तु आज भी वे सड़कें अधूरी हैं. बन नहीं पा रही हैं. मैं पंचायतों एवं पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों के संबंध में बात करना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश में पंचायती राज वर्ष 1994-95 में लागू किया गया था. उस समय त्रिस्तरीय पंचायती राज का गठन हुआ और उन्हें व्यापक अधिकार भी दिया गया था. हमने यहां तक देखा कि नामांतरण है, पुल्ली करने का अधिकार भी पंचायतों को था. आज पंचायत राज जिला स्तर पर जिला सरकार गठित की गई थी उससमय प्रत्येक पंचायत में अपने क्षेत्र के कर्मचारियों के क्रियाकलापों पर नियंत्रण रखते थे. क्षेत्रों में कर्मचारियों का जो स्थानांतरण होता था वह भी अधिकार उनको दिया गया था वह अधिकार पंचायतों से छीन लिया गया है उनका नियंत्रण समाप्त हो गया है. पंचायत प्रतिनिधि लगातार अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है. स्वच्छता मिशन की बात करें आज गांवों में जो शौचालय बने हैं अगर इसका भौतिक रूप से सत्यापन करा लिया जाये. उसकी लंबाई चौड़ाई कितनी है. शौचालय का जो सही मापदण्ड होना चाहिये वह आज भी नहीं है और आपके ग्रामीण अंचलों में जितने शौचालय हैं कागजों पर बने हैं.यह दिख रहा है कि आपका पूर्ण ओ.डी.एफ. हो गया किन्तु आज भी आपके बहुत सारे शौचालयों का उपयोग नहीं हो पा रहा है चूंकि वह गुणवत्ता विहीन बने हैं बस औपचारिकता कर दी गई है. इसको भी मंत्री जी को दिखवाना चाहिये. आज की परिस्थिति में जो कियोस्क बैंक खोले गये हैं हर गांव में. जो बड़े-बड़े गांव हैं जहां कियोस्क बैंक से मजदूरी भुगतान और पेंशन का भुगतान होता है उन कियोस्क बैंकों में इतनी लापरवाही की जारही है जो हितग्राही गये या जोपढ़े लिखे नहीं है उनके अंगूठे लगवा लिये गये और उसके बाद यह कह दिया गया कि सर्वर डाऊन है,कल आ जाओ और उनके पैसे निकल जाते हैं उनको पता नहीं चलता जब वह मुख्य शाखा में खाता दिखवाते हैं तो उन्हें पता चलता है कि हमारे पैसे तो निकल गये. मैं यह चाहता हूं कि इस पर प्रभावी तरीके से माननीय मंत्री जी को कदम उठाना चाहिये. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - श्री हजारी लाल दांगी...अनुपस्थित
श्री प्रदीप अग्रवाल..... अनुपस्थित
श्रीमती चन्दा सिंह गौर(खरगापुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30,34,53,59,62 की अनुदान मांगों के विरोध में अपनी बात रख रही हूं. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पूरे प्रदेश की ग्रामीण आबादी के जनमानस के हित में संजीवनी का कार्य किया जाता है परन्तु मुझे ऐसा कहते हुए खेद हो रहा है कि प्रदेश की ग्रामीण जनता आज मूर्छित पड़ी है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न लिखकर लाए हैं तो ठीक है क्योंकि पूरक प्रश्न याद नहीं रहते किन्तु पूरा भाषण पढ़कर न दें. प्वाइंट पर बोलें.
श्रीमती चन्दा सिंह गौर - अध्यक्ष महोदय,मंत्री जी पढ़-पढ़कर बोल रहे हैं मैं तो पहली बार की विधायक हूं मुझे बोलने दिया जाये. कौन से मंत्री पढ़कर नहीं बोल रहे. आप बता दें. आप कह दें मैं बिल्कुल नहीं बोलूंगी.
अध्यक्ष महोदय - उनके लिये स्वीकृति है.
श्रीमती चन्दा सिंह गौर - अध्यक्ष महोदय,अगर आप कह दें तो मैं बिल्कुल नहीं बोलूंगी.
अध्यक्ष महोदय - आंकड़े पढ़कर बोलें. बाकी भाषण अपने मन से दें.
श्रीमती चन्दा सिंह गौर - प्रदेश की ग्रामीण जनता आज मूर्छित पड़ी हुई है. यह विभाग अपनी मनमानी करने में बहुत अग्रसर है जबकि इस विभाग के माननीय मंत्री जी बहुत वरिष्ठ और दयालु हैं किन्तु इस विभाग के अधिकारी मनमाने करने में बहुत आगे निकल गये हैं. यह बात मैं इसलिये कह रही हूं कि मैंने अपने एक प्रश्न में पूछा था कि विधान सभा खरगापुर एवं टीकमगढ़ जिले से मजदूर क्यों पलायन कररहे हैं. मुझे जवाब दिया गया था कि विभाग को कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है. मैं पूछना चाहती हूं कि खरगापुर विधान सभा क्षेत्र के गांव के गांव खाली पड़े हुए हैं. ऐसा क्यों हो रहा है क्योंकि ग्राम पंचायतों में शासन द्वारा नवीन कार्य खोले ही नहीं जा रहे हैं.
इसलिए मध्यप्रदेश के मजदूरों को पलायन करना पड़ रहा है. खरगापुर विधान क्षेत्र सूखे की चपेट में है. क्षेत्र में आम जनता को पानी नहीं मिल पा रहा है और भेलसी, देरी, कुड़याला, लखेरी, पतेहरी, गणेशपुरा सहित पूरे स्थानों पर नलजल योजना बंद पड़ी हैं. विभाग के अधिकारी सुधार का आश्वासन हर वर्ष देते हैं, परन्तु कोई सुधार नहीं होता है. मैं कहना चाहती हूं कि मैं जब भी अपने क्षेत्र में जाती हूं, 60-65 वर्ष की माताएं, बहनें मेरे गले से लिपटकर रोती हैं और मुझसे बताती हैं कि मुझे वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रही है. अध्यक्ष महोदय, गरीबी की रेखा में इनके नाम नहीं होने के कारण इनको वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिलती है. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि जो ये 60-65 वर्ष की महिलाएं हैं, जिसके बारे में श्री रामपाल जी ने भी बोला है कि इनकी सूची में नाम होने की अनिवार्यता समाप्त की जाय और पूरे प्रदेश की इन माताओं, बहनों को योजना में शामिल कर आप आशीर्वाद प्राप्त करें.
अध्यक्ष महोदय, इसके बाद मैं एक बात और कहना चाहती हूं कि मध्यप्रदेश में ग्राम पंचायतों में फर्जी ग्राम सभाओं का आयोजन किया जा रहा है. इस विषय से जुड़ा हुआ मामला टीकमगढ़ जिले की जतारा जनपद पंचायत अपदाबमौरी से संबंधित है वहां पर फर्जी आम सभा का आयोजन करके बिना एनओसी लिये क्रेशर संचालित किये जा रहे हैं. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा कोई जांच नहीं की जाती है. अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2016-17 में खरगापुर विधान सभा क्षेत्र में, पूरे टीकगमढ़ जिले में, वित्त आयोग की राशि से हर ग्राम पंचायत में जहां अच्छे पीने के पानी के स्रोत, बोर थे, वहां पर मोटर डलवाई गई थी और हौदी, टंकी बनाकर पशुओं को पानी मिला था.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्रीमती चन्दा सिंह गौर - अध्यक्ष महोदय, लेकिन इस वर्ष वे मोटरें कहां गई? माननीय मंत्री जी अपने जवाब में कहेंगे. एक भी मोटर वहां पर नहीं है. टीकमगढ़ जिले में खरगापुर क्षेत्र में पानी का बहुत संकट है. अध्यक्ष महोदय, खरगापुर विधान सभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना में भारी अनियमितताएं हो रही हैं. साथ ही में बड़ी तेजी से बहुत पैसे वसूले जा रहे हैं. देखरेख में जो अधिकारी बैठे हैं, सुविधा शुल्क लेकर पंचायत और ग्रामीण विकास की रखवाली बड़ी ताकत से कर रहे हैं. सचिवों के स्थानांतरण तो इस कदर होते हैं कि आज दूसरी नीति बनाई जाती है, कल दूसरी नीति बनाई जाती है. आज उनका ट्रांसफर इधर कर दिया जाता है, कल वहां से बुलाकर यहां पर कर दिया जाता है. ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जो कल्याण शिविर लगाए जाते हैं, जो अंत्योदय मेले आयोजित किये जाते हैं, इनमें किसी भी जनमानस का हित नहीं होता है. न किसी को आज तक कोई फायदा मिला है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्रीमती चन्दा सिंह गौर - अध्यक्ष महोदय, यदि इसी राशि को कहीं और बढ़ाया जाय तो गरीबों के हक में यह राशि आएगी. लेकिन ऐसा करने से तो बर्बाद होती है. अधिकारी उसका दुरुपयोग करते हैं. मैं यह भी बताना चाहती हूं कि विकलांग भाइयों का पूरे टीकमगढ़ जिले में बार-बार परीक्षण करवाया जाता है, बार-बार उनको परेशान किया जाता है, लेकिन उनको आज तक उपकरण कुछ नहीं दिया गया है. माननीय मंत्री जी इस पर भी ध्यान दें. अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
12.55 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30, 34, 53, 59 एवं 62 का समर्थन में अपनी बात रखने के लिए खड़ा हुआ हूं. निश्चित रूप से जब से मैंने कार्यकर्ता के रूप में कार्य प्रारंभ किया है. लगभग 40-42 वर्ष मुझे काम करते हुए हो गये हैं. राजनीतिक क्षेत्र में काम करना, सामाजिक क्षेत्र में काम करना और ग्रामीण क्षेत्र में जाना, मेरा परिवार भी ग्रामीण क्षेत्र से रहा, पिता का जन्म भी ग्राम में हुआ. अगर इन विगत वर्षों में देखें और पहले गांवों के भीतर से लेकर गांवों को जोड़ने वाली सड़कें नहीं हुआ करती थी या तो पगडंडिंया हुआ करती थी या गाड़ी गडार हुआ करती थी. पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री माननीय श्री गोपाल भार्गव जी की निश्चित रूप से उसमें गंभीरता है. वे चिंता भी करते हैं. मैं प्रशंसा मात्र इसलिए नहीं कर रहा हूं कि उन्होंने काम मंजूर किये हैं. कांग्रेस के मित्रों ने भी इस बात की प्रशंसा की है. कल श्री यादवेन्द्र सिंह जी ने भी कहा है कि भले आदमी हैं पं. गोपाल भार्गव जी, सहज और सरल हैं. उन्होंने जो ग्राम पंचायतों में मांगलिक भवन नहीं हुआ करते थे, आगे रहकर उन्होंने विधायकों को फोन लगवाए, आगे रहकर विधायकों को सूचनाएं दीं कि अपने यहां से नाम भेजें. आप अपने यहां पर किन-किन स्थानों पर मांगलिक भवन चाहते हैं. पिछले वर्ष 12-12 लाख रुपए के 3-3 मांगलिक भवन प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र में और इसी के साथ-साथ इस वर्ष भी 10 लाख रुपए के भी और 20-20 लाख रुपए के भी फिर से मांगलिक भवन प्रदान किये हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं इसमें सुझाव भी सम्मलित करना चाहता हूं कि प्रत्येक गांव में मांगलिक भवन की आवश्यकता होती है. प्रत्येक गांव में किसी भी माध्यम से चाहे 5000 स्क.फीट का एक डोम बनाया जाय. कोई जो रिक्त भूमि हो, वहां पर डोम बना दिया जाय, दुख-सुख के काम होते हैं. वहां अगर गांव में एक डोम बना दिया जाएगा तो उसकी लागत 15-20 लाख रुपए से ज्यादा नहीं और बल्कि कम ही आएगी. एक डोम के माध्यम से वहां पर जो सुख-दुख के काम होते हैं उसमें काफी सुविधा मिलेगी. आपने निश्चित रूप से ग्रामीण क्षेत्र में स्व-सहायता समूह के माध्यम से लगभग पूरे प्रदेश भर में 2 लाख से अधिक परिवारों को लाभ पहुंचाया है. इससे निश्चित रूप से उन्हें काफी सहारा भी मिला है. उपाध्यक्ष महोदय, 24 लाख परिवार लगभग 2 लाख से ज्यादा स्व-सहायता समूहों में जोड़े गये और उनको 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा का ऋण दिया जाना, ग्रामीण क्षेत्र में स्व-सहायता समूह के माध्यम से प्रत्येक कार्य किया जाना, गांवों के आदमी को आत्म-निर्भर बनाना, सक्षम बनाना, न केवल वहां पर स्वच्छता के कार्यों के साथ में, जैसा कि अभी माननीय सदस्य कह रहे थे. वह राशि तो सीधे-सीधे शौचालय की उस हितग्राही के खाते में जा रही है. वह अपनी निगरानी में, अपनी देख-रेख में करे. हमारे विधान सभा क्षेत्र में हम जब जा रहे हैं गांवों में, हमने खुद ने भी खड़े रहकर वहां पर जितनी मदद हम कर सकते थे कि करें. मुझे प्रसन्नता इस बात की है कि हमारे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, लगभग 10 मिनट तक शौचालय का गड्ढा खोदने का काम करते हैं तो उसी के साथ-साथ में हमारे पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री अपनी सारी मर्यादाओं को छोड़ते हुए एक आदमी के रूप में उस शौचालय को बनाने के लिए प्रदेश में प्रेरणा देने के लिए वे भी गड्ढा खोदने का काम करते हैं कि यहां पर शौचालय बने और स्वच्छता को प्राथमिकता मिले. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि इसके साथ-साथ गांव में और भी आवश्यकताएं महसूस की जा रही हैं. पहले यह कहा जाता था कि गांव का व्यक्ति पलायन कर रहा है, शहरों की ओर जा रहा है. लेकिन अब गांव विकसित हो चुके हैं. कहीं पर प्रधानमंत्री सड़क योजना के माध्यम से, मुख्यमंत्री सड़क योजना के माध्यम से, सुदूर ग्राम संपर्क सड़क योजना के माध्यम से, मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना के माध्यम से गांव लगभग-लगभग चहुदिशाओं में जुड़ गये हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना में लगातार इतने आवास बने हैं. कुछ गांव में तो लगभग 150-200 तक प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुए हैं. लेकिन इसमें भी माननीय मंत्री जी का मैं ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि वर्ष 2011 में जब यह सर्वे किया गया, हो सकता है उस सर्वे में किस प्रकार की क्या स्थिति आ रही होगी, मैं कोई आरोप, आक्षेप नहीं लगाना चाहता हूं. लेकिन बाद में जो ग्राम सभाएं हुई हैं और उन ग्राम सभाओं में जो नाम जोड़े गये हैं, उन्हें प्राथमिकता मिल सके, ऐसी कोई कार्य योजना निश्चित करें. एक विकासखण्ड में जितना मुख्यमंत्री आवास योजना में पहले निश्चित किया गया था कि 500 आवास या 1000 आवास, हम एक वर्ष में बनाएंगे. इसी प्रकार से इसमें भी किया जा सकता है. एक विकासखण्ड में इतने आवास बनाएंगे, एक ग्राम पंचायत के अंदर इतने आवास और एक ग्राम में इतने आवास बनाएंगे, कुछ ऐसी प्राथमिकता हो जाय. हो क्या रहा है कि एक गांव कहता है कि मेरे यहां पर 150-200 प्रधानमंत्री आवास बन गये, वह भी प्रशंसा की बात है, खुशी होती है. लेकिन उसके नजदीक का गांव कहता है कि मेरे यहां पर तो दो ही मंजूर हुए, तीन ही मंजूर हुए तो वहां पर थोड़ा असहजता का भाव हमें आता है, उस सूची को कैसे ठीक किया जा सकता है, उसको नियम अंतर्गत लेते हुए, वह भी करेंगे तो निश्चित रूप से काफी स्वागत योग्य होगा. उपाध्यक्ष महोदय, अब ग्रामीण क्षेत्र पूरी तरह से विकसित होकर विकास की ओर बढ़ रहे हैं. माननीय मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी लगातार गांवों को प्राथमिकता दे रहे हैं. लेकिन एक कठिनाई जो देखने में आती है, माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि कई जगह हमें फोन आते हैं कि भैया मदद करें दें, भले गौशाला में 31 हजार, 21 हजार की रसीद कटवा दें, मेरे यहां के मवेशी आप गौशाला में छुड़वा दें. मेरे स्वयं के अनुभव से मैं सुझाव देना चाहता हूं कि क्यों न गांव की जो रिक्त भूमि है वहां पर एक अच्छा पशु शेड बनाया जाए ? उसमें पानी की खैर लगा दी जाए, ट्यूबवेल की व्यवस्था कर दी जाए और इससे निश्चित रूप से रोजगार भी सृजन होगा, यह मनरेगा के माध्यम से यदि करवाया जा सके तो इस पर विचार करना चाहिए. रोजगार इस प्रकार से सृजन होगा कि एक तो देशी खाद वहां मिलने लगेगी, मवेशियों को वहां पर देखभाल और सुरक्षा मिल जाएगी और उस शेड में वहां पर खाद के साथ दूध इत्यादि अन्य व्यवस्था भी स्थानीय रूप से की जाए तो वह भी स्थाई कार्य होगा.
उपाध्यक्ष महोदय, इसी के साथ-साथ जब शौचालय बन गए, मांगलिक भवन बन रहे हैं, पंचायत भवन इतने सुंदर बने हैं कि माननीय मंत्री जी जब मेरे निर्वाचन क्षेत्र में दौरे पर निकले थे तो वह चौक गए और उन्होंने कहा इतना सुंदर क्या यह पंचायत भवन है ? इतने अच्छे पंचायत भवन बन गए हैं, लेकिन इसी के साथ-साथ सड़के भी बन गई हैं. जैसा कि मैंने अभी पशु शेड के बारे में निवेदन किया. इसके साथ-साथ मैं एक आग्रह सुझाव के रूप में माननीय मंत्री जी से और करना चाहूंगा कि अभी भी गांवों में परम्परा है कि महिलाएं जब दु:ख अथवा उनको अन्य पारिवारिक कठिनाई आती है तो वह घरों में स्नान नहीं करती हैं, दु:ख के समय वे नदी-नाले या अन्य जगहों पर स्नान करती हैं, तो एक नई मांग आने लगी है कि क्यों न महिलाओं के लिए महिला स्नानगृह गांवों में बनाए जाएं ? महिला स्नान गृह किस प्रकार से बनवाए जा सकते हैं उसको भी आप प्राथमिकता में लेंगे तो निश्चित रूप से गांवों में काफी सुविधा होगी. अभी गांव में स्वसहायता समूह और रोजगार के साथ में बहुत सारी चीजें की हैं, माननीय मंत्री जी ने तो इतनी अच्छी व्यवस्था कर दी है कि सिंगल क्लिक पर पेंशन सबको उसी तारीख पर मिलने लग जाएगी और सीधे उनके खाते में वह राशि पहुंच जाएगी. बार-बार बात आती है कि जो राशि है वह कम रहती है, क्यों न कम से कम एक हजार रुपये तक की पेंशन की व्यवस्था की जाए ताकि उन वृद्धजनों, विकलांगों, असहायों, विधवा, परित्यक्ता महिलाओं को एक हजार रुपये तक की पेंशन मिल सके, इसके बारे में थोड़ा विचार करें तो अच्छा होगा. उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की कुछ सड़कें हैं उनके बारे में मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय - पाण्डेय जी, अब आप मंत्री जी को लिखकर दे दीजिए, मंत्री जी वैसे ही बहुत उदार हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 53, 62, 30 पर बोलना चाहती हूं. मेरे विधानसभा क्षेत्र में मैं जबसे विधायक बनी हूं तबसे यह पांचवा बजट सत्र है, ग्राम पंचायत खरुआ, सेमरवारा में कम से कम चार किलोमीटर की सड़क है जो आज तक नहीं बनी है. किसी प्रकार का रास्ता नहीं है, मिट्टी तक नहीं पड़ी है. वहां पर बरसात के महीनों में जब महिला जननी सुरक्षा गांव में जाती है, गर्भवती महिला को जब हॉस्पिटल लाया जाता है तो गाडि़यां फंस जाती हैं और उसकी वहीं पर मृत्यु हो जाती है. दो गाडि़यां फंस चुकी हैं, इसका प्रमाणीकरण मैं दे चुकी हूं. कई बार मैंने लोक निर्माण विभाग चूंकि मैं कमेटी में सदस्य भी हूं, लिखकर दिया, माननीय मंत्री जी को भी लिखकर दिया है, परंतु वह सड़कें आज तक स्वीकृत नहीं हुईं. फाईल में तो आ जाती हैं लेकिन आज तक नहीं बनी हैं. इसी तरह से कई सड़कें मेरे विधानसभा क्षेत्र में हैं. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहती हूं कि यह अंतिम बजट है अगर इसमें आप इन सड़कों को जैसे खरुआ से चुरहाई, सेमरवारा से चुरहाई है, कोई भी एक सड़क बन जाती है तो गांव वासियों के लिये मार्ग बन जाएगा और उनके लिए सुविधा होगी.
उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह से मध्यप्रदेश में समस्त ग्राम पंचायतों में कार्यरत चौकीदारों, भृत्यों को अगर माननीय मंत्री जी वेतन, मानदेय देने का काम कर देंगे तो उन गरीबों को जो सदियों से गांव की, पंचायत की चौकीदारी करते आए हैं उनको आज तक मानदेय नहीं मिलता है, अगर उनका मानदेय तय कर दिया जाए तो बड़ी कृपा होगी. मंत्री जी से मैं यह भी कहना चाहूंगी कि उसी तरह से ग्राम पंचायतों में रोजगार सहायकों का वेतन भी तय कर दिया जाए तो बड़ी कृपा होगी. उपाध्यक्ष महोदय, तमाम मध्यप्रदेश में शौचालय की बात की जाती है परंतु हमारे विधानसभा क्षेत्र में अगर सर्वे करा लिया जाए, टोटल फर्जी शौचालय कागजों में बने हैं और ग्राम पंचायत में अगर किसी ने थोड़ा बहुत शौचालय बनाया भी है ग्रामीण लोगों ने पैसा इकट्ठा करके, तो उनका पैसा सीईओ जारी नहीं करते. इसी तरह पीएम आवास योजना के तहत हमारे नेता खड़े होकर फोटो तो खिंचवा लेते हैं लेकिन उनकी छत नहीं डल पाती और पूर्ण रूप से पीएम आवास नहीं बने हैं और उनकी मजदूरी का पैसा जो 18 हजार रुपया दिया जाता है वह भी आज तक सीईओ जिला पंचायत और सीईओ जनपद पंचायत ने जारी नहीं किया है. हमारी ग्राम पंचायतें जिस तरह संचालित हैं उनमें बहुत सी पंचायतों में सचिव और रोजगार सहायक नहीं हैं. कभी रोजगार सहायक को अधिकार दे दिया जाता है, कभी पंचायत सचिव को अधिकार दे दिया जाता है इस तरह से समय जाता रहता है और विकास कार्य में बाधा होती है. मैंने कई पंचायतों को सड़क बनाने के लिए, डब्ल्यूबीएम के लिए कई जगह पैसा दिया है, उसकी राशि केवल सचिवों के कारण आज तक जारी नहीं हुई है. कहीं सचिव नहीं है तो कहीं रोजगार सहायक नहीं है. इस तरह से ग्राम पंचायतों में काम बहुत अवरुद्ध हो रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी मैं कहना चाहूंगी कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में नागौद और सोहावल दो ब्लॉक हैं, वहां पर दोनों सीईओ काम नहीं कर रहे हैं केवल प्रोपेगेण्डा करते हैं. मैंने हैण्डपम्पों के लिये राशि जारी की थी लेकिन नागौद सीईओ ने एक साल से राशि जारी नहीं की है, आज तक वह पैसा पंचायतों में नहीं गया है. सरपंच परेशान हैं और मैं चाहती हूं कि मेरे यहां नागौद और सोहावल ब्लॉक के सीईओ बदल दिए जाएं ताकि जो पानी की भीषण समस्या इस समय गांवों में है, हैण्डपम्प बंद पड़े हैं, उनमें कहीं पाईप नहीं है, कहीं मोटर नहीं डली हैं और अगर कहीं मोटर डली है तो बिजली गोल रहती है, यह परीक्षाओं का समय चल रहा है, तो इससे राहत होगी. हालांकि मंत्री जी का कार्य बहुत अच्छा है, आप सभी विधायकों से पूछकर जैसा अभी माननीय सदस्य कह रहे थे, मंगल भवन दिया है, परंतु तीन मंगल भवन में साल भर में कुछ नही होता है क्योंकि जो शासन की नीति है वह बना दी गई है कि ग्रामीण क्षेत्र में जो स्कूल हैं वह गांव के लोगों को शादी ब्याज के लिये नहीं दिये जाते. यह अच्छा भी है, लेकिन तीन मंगल भवन से तीन गांवों, तीन पंचायतों का ही हित होगा बाकी पंचायतों में बड़ी दिक्कत है. उन गांवों में जिन गरीब परिवार के यहां शादी ब्याह या कोई कार्यक्रम होता है तो उनको बड़ी दिक्कत होती है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगी कि मंगल भवन तीन की बजाय 10 कर दिए जाएं तो बड़ी कृपा होगी. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिये धन्यवाद.
1.09 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होना
उपाध्यक्ष महोदय - आज भोजन अवकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
1.10 बजे वर्ष 2018-2019 की अनुदान मांगों पर मतदान (क्रमश:)
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) - उपाध्यक्ष महोदय, माननीय पंचायत मंत्री जी वाकई उनकी प्रशंसा दोनों दल के लोग इस मामले में कर रहे हैं कि उन्होंने बड़ी सहृदयता दिखाई. दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मंत्री जी ने सबसे पत्राचार किया और सबसे प्रस्ताव भी लिये हैं.आपके माध्यम से मंत्री जी को तो हम सारे लोग शुभकामना एवं बधाई देते ही हैं और दूसरे मंत्रियों से भी निवेदन करते हैं कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री जी ने जो कार्य किया है, चाहे वह पक्ष का साथी हो, चाहे विपक्ष का साथी हो, सभी विधायकों से जिस तरह से जनहित के मुद्दों पर उनसे एक जैसा प्रस्ताव लिया. मुझे लग रहा था कि हो सकता है कि विपक्ष के साथियों से मंगल भवन के लिये या पंचायत भवन के लिये कुछ कम नाम मांगे हों, सत्ता पक्ष के साथियों से ज्यादा नाम लिये हों, पर पंचायत मंत्री जी ने सब से एक जैसा नाम लिया, इसलिये हम मंत्री जी को बधाई एवं शुभकामना देते हैं, क्योंकि विभागीय बजट पर चर्चा हो रही है. मंत्री जी के संज्ञान में विभाग में जो कुछ कमियां हैं, जो विभाग में कसावट होनी चाहिये, उसके बारे में भी हम बात करेंगे. ज्यादातर हमारे मध्यप्रदेश का जो ग्रामीण अंचल का एरिया है, वह पंचायतों से जुड़ा हुआ है और जिस तरह से कसावट, कंट्रोल होना चाहिये, उसका कहीं न कहीं अभाव दिखाई देता है. हम जनप्रतिनिधियों के साथ मंत्री जी अच्छा सद्भाव दिखायें, अच्छी बात है. अधिकारी लोग भी जो अच्छा कार्य कर रहे हैं, उनके साथ भी अच्छा सद्भाव होना चाहिये, पर जो अधिकारी गड़बड़ कर रहे हैं, चाहे वह निचले अधिकारी, कर्मचारी हों, जनपद के सीईओ हों, चाहे पंचायत या जिले के अधिकारी हों, भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है. गरीब अगर सबसे ज्यादा वास करता है, गरीबों का अगर सबसे ज्यादा काम पड़ता है, तो वह ग्राम पंचायतों से ही गरीबों का काम पड़ता है, जनपद से पड़ता है. ग्राम उदय से भारत उदय अभियान के तहत पूरे प्रदेश में अभियान चलाया गया और लोगों से आवेदन लिये गये. गरीबों ने बड़ी आशा और उम्मीद के साथ आवेदन दिये थे. यहां मंत्रालय से भी कई सचिव लोग जाकर के हमारे क्षेत्र में भी आये थे, आईएएस अधिकारी लोग जब गांवों में घूमे थे, लगा था कि पता नहीं सरकार कौन सा ग्राम उदय से भारत उदय कौन सा कल्याण कर देगी, पर कहीं न कहीं जो सबने आशा लगाई थी, उसमें पानी फिरा है. इस पर विचार करना चाहिये कि जिन लोगों ने आवेदन दिया था, वह आवेदन कहां गये. आज तक निराकरण नहीं हुआ. पंचायतों में जो शिविर लगे, उसका आज तक निराकरण नहीं हुआ. आपका अंत्योदय मेले में जैसा साथी हमारे चर्चा कर रहे थे, अंत्योदय मेले में आवेदन तो लिये जाते हैं, अंत्योदय मेले का जिस तरह से प्रचार, प्रसार होता है और लोग आवेदन देते हैं. चाहे वह विधवा, विक्लांग, वृद्धा पेंशन हो,पर उसका निराकरण नहीं होता है. मंत्री जी से और मंत्रिमण्डल के सभी सदस्यों से मेरा निवेदन है कि जो पहले व्यवस्था थी, विधवा पेंशन, विक्लांगता पेंशन और वृद्धा पेंशन में जो गरीबी रेखा की बाध्यता कर दी है. अभी हमने पढ़ा है कि अभी 1 अप्रैल से विधवा पेंशन में बाध्यता खत्म कर रहे हैं. मेरा आपसे निवेदन है कि जो 40 प्रतिशत से ऊपर विक्लांग हैं और जो वृद्ध हैं 60 वर्ष से ऊपर जो लोग हैं, उनमें जरुर गरीबी रेखा की बाध्यता आपको खत्म करनी चाहिये, क्योंकि बहुत सारे ऐसे गरीब, असहाय हैं, जो पेंशन से वंचित हैं. जब हम लोग भ्रमण में जाते हैं या कहीं भी, आये दिन आवेदन लेकर खड़े हो जाते हैं कि हम लोगों को पेंशन नहीं मिल रही है, इस पर जरुर सरकार को विचार करना चाहिये. एक तरफ हम गरीब कल्याण वर्ष भी मनाते हैं और दूसरी तरफ अगर गरीबों का कल्याण नही होता है, तो कहीं न कहीं यह चिंता का विषय बनता है. दूसरा, इंदिरा आवास योजना तो सरकार ने बंद कर दी,पर उनकी द्वितीय किश्त के लिये हमारे जिले में अभी भी बहुत सारे लोग चक्कर लगा रहे हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि आप आदेशित करें कि जिन लोगों ने मकान बना लिया है, इससे शासन की राशि का भी दुरुपयोग होता है, अगर एक किश्त चली गई, दूसरी किश्त नहीं जा रही है, तो कहीं न कहीं लोग परेशानी में हैं, उनकी द्वितीय किश्त तत्काल जारी कराई जाये और प्रधानमंत्री आवास योजना में जो सर्वे हुआ था, उसमें बहुत सारे गांव के गांव छूट गये हैं और पंचायतों, सरपंचों से भी, जनप्रतिनिधि होता है पंचायत का प्रतिनिधि भी, जन प्रतिनिधि विधायक लोग भी होते हैं, उनकी भी अनुशंसा का ध्यान रखें और उनसे भी प्रस्ताव लिये जाये. पहले ऐसी व्यवस्था थी. इंदिरा आवास योजना वगैरह में जब पंचायत से प्रस्ताव जाता था, उसके बाद ही निराकरण होता था अभी पता नहीं किस एजेंसी ने किया, कैसे किया, जो गरीब हैं, उनका नाम ही नहीं है. इस पर जरुर ध्यान देना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, कई जिलों में यह आम शिकायत है कि 3-4 वर्ष पहले इंदिरा आवास के लिये एक एक किश्त जारी हुई थी, लोगों ने उसका इस्तेमाल किया, उसके बाद उनको द्वितीय किश्त नहीं मिली है. यह आम जिलों से शिकायत है, इसका परीक्षण करवा लें.
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, इंदिरा आवास की जिनको एक किश्त मिल चुकी है या अंत्योदय आवास या किसी भी योजना की जो पूर्व में प्रचलित थी, उनके शेष काम के लिये भी राशि भारत सरकार से देने के लिये हम लोगों ने कहा था और कुछ के लिये हमने राशि प्राप्त भी कर ली है, राशि दे भी दी है. इसके बारे में हम लोग लगातार चिंतित हैं और उनके पूरे आवास कर दिये जायेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, 2-3 और पाइंट्स हैं, जो बहुत महत्वपूर्ण हैं. हम आपके माध्यम से निवेदन करना चाहेंगे. मंत्री जी, लोगों ने शौचालय तो बनाये, हम लोग खुद गये थे, जब शौचालय बनाने का अभियान शुरु हुआ था. शुरु में भी गये थे, प्रोत्साहित भी किया था और कई जगह तो ओडीएफ हो गया और शौचालय बने ही नहीं हैं. कई जगह जो हितग्राहियों ने सीधे शौचालय बना लिया, उनका भुगतान नहीं हो रहा है. कई जगह मनरेगा की मजदूरी का भुगतान नहीं हो रहा है. ऐसे बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, इन पर जरुर आपको ध्यान देना चाहिये. आप बहुत अच्छे मंत्री जी हैं और थोड़ी कसावट लाइये. मुझे लगता है कि बुंदेलखण्ड से बाहर आप निकलते नहीं हैं. आप मुख्यमंत्री जी से इतना मत डरिये. आपको पूरे प्रदेश का दौरा करना चाहिये. आपको जाना चाहिये. आपके भ्रमण से थोड़ी कसावट आती है. कभी विंध्य रीजन में भी आइये. मंत्री जी बैठे बैठे कह रहे हैं कि अलग से चर्चा कर लीजिये. पर जो तकलीफ है, जो पेंशन की तकलीफ है, जिनका कई जगह अंगूठा नहीं लग पाता है, बुजुर्ग लोग बार-बार चक्कर लगाते हैं, बैंकों में जाते हैं, जितना उनको मिलना है, उससे ज्यादा उनका किराये में पैसा खर्चा हो जाता है. इसकी जरुर सहृदयता दिखाई जानी चाहिये और व्यवस्था बनानी चाहिये. ऐसा नहीं हो कि जब चुनाव नजदीक आता है, तो फिर पिटारा खोल देते हैं कि अब सचिव लोग बांटेंगे. कई जगह ऐसा भी होता है कि रोजगार सहायक और सचिव बिना सरपंच की साईन के राशि आहरण कर लेते हैं. यह भ्रष्टाचार की शिकायत बहुत जगह है. इस पर अंकुश लगना चाहिये और हम लोग जानकारी भी देते हैं जनपद सीईओ की जानकारी में रहता है. उसके बाद भी निराकरण नहीं करते हैं. हमारे विधान सभा क्षेत्र के जनपद पंचायत सिंहावल और देवसर दोनों जगह इस तरह का उदाहरण है. एक निलवार पंचायत का है, एक जगह मझोना पंचायत का है.
उपाध्यक्ष महोदय -- कमलेश्वर जी, जहां सरपंच की अनुमति के बिना या उनके हस्ताक्षर के बिना राशि आहरित कर ली है, वह आप मंत्री जी को लिखित में दे दें.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, मैंने लिखित में कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, जनपद पंचायत सीईओ से कई बार दूरभाष पर भी चर्चा की, पता नहीं कौन सा ऐसा राजनैतिक दबाव है.
उपाध्यक्ष महोदय -- मैं कह रहा हूं न कि आप मंत्री जी को लिखित में दे दीजिये, मैं यहां से कह रहा हूं.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, जी बिलकुल. बहुत बहुत धन्यवाद. मंत्री जी से अपेक्षा है कि जो हमने चर्चा की है, उस पर ध्यान देंगे, धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30,34,53,59 और 62 का समर्थन करता हूं. जैसा कि अभी सभी माननीय सदस्यों ने मंत्री जी को इस बात के लिये बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार प्रकट किया है कि उन्होंने ग्रामीम अंचल में 3-3,4-4 स्थानों पर सामुदायिक एवं मांगलिक भवन बनाने के लिये जो निर्णय किया और वह निर्णय भी उन्होंने दलीय भेदभाव से हटकर के सभी विधायकों के लिये और सब क्षेत्रों में यह मांगलिक भवन बनाने का जो फैसला किया और उससे ग्रामीण अंचल में लाभान्वित हुए हैं. इसके लिये मैं मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. पिछले समय से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में जिस प्रकार से गतिविधियां संचालित होकर के ग्रामीण क्षेत्र का विकास करने का प्रयत्न किया जा रहा है, बहुत ही प्रशंसनीय है और जितनी प्रशंसा एवं तारीफ की जाये, कम है. खामियां तो इस मानवीय जीवन में कार्य करने में कहीं न कहीं किसी न किसी प्रकार से आ जाती हैं, लेकिन अगर ग्रामीण विकास विभाग का समग्र चिंतन किया जाये, उसको ठीक तरीके से देखा जाये, तो यह बात सबके समझ में आ रही है कि अभी पिछले वर्षों में जिस तेजी के साथ ग्रामों का विकास करने का जो संकल्प सरकार ने व्यक्त किया था, उसको विक्रियान्वित करने का कार्य मंत्री जी के नेतृत्व में बहुत ठीक तरीके से चल रहा है. ग्रामीण सड़कों का एक जाल बिछाया गया और पिछले वर्षों में चाहे वह मुख्यमंत्री सड़क योजना के माध्यम से, प्रधानमंत्री सड़क योजना के माध्यम से अथवा ग्रामीण अंचल में कच्ची सड़कें बनाने के माध्यम से जो कार्य हुआ है, उसके कारण से ग्रामीण अंचल में लोगों को आवागमन का ठीक तरीके से साधन उपलब्ध हो गया. जहां पर इतना दुर्गम और कच्चे मार्ग हुआ करते थे कि लोगों को एक गांव से दूसरे गांव में जाने में और शहरी क्षेत्र में जाने में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता था. रास्ता खराब होने के कारण लोग विचार करके भी त्याग देते थे कि रास्ते के कारण जाना संभव नहीं होगा. आज अगर हम ग्रामीण अंचलों को देखें, भले ही वह वन क्षेत्र हों अथवा ग्रामीण अंचल हों, वहां पर प्रधानमंत्री सड़क योजना और मुख्यमंत्री सड़क योजना के माध्यम से बहुत अच्छी सड़कें बनाई गई हैं. यह जो सड़कों का निर्माण हुआ है, जो लगातार आगे भी जारी है, इसके कारण गांव में रहने वाले किसानों को निश्चित रूप से समृद्धि का एक अच्छा अवसर प्राप्त हुआ है. ग्रामीण अंचल से मंडी जाने के लिए, चिकित्सालय जाने के लिए या अन्य स्थानों पर जाने के लिए जो कठिनाइयां होती थीं, उन कठिनाइयों का ठीक तरीके से निवारण करने का कार्य माननीय पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री जी ने किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ग्रामों की आंतरिक सड़कों का जो मामला था, बहुत लंबे अर्से से लोग इस बात की निरंतर मांग करते थे कि ग्रामों की आंतरिक सड़कें खराब हैं, सीसी और पक्के मार्ग बनने चाहिए. उनकी मांग थी कि इन मार्गों को बनाने के लिए ठीक तरह से कोई योजना बनाकर कार्य किया जाए. हमारे माननीय मंत्री जी और पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने जो पंच परमेश्वर योजना बनाई, उस योजना के अंतर्गत ग्रामों को आंतरिक पक्की सड़कों से जोड़ने का जो काम चल रहा है और जैसा कि संकल्प व्यक्त किया गया है, यह हम सब लोग भी जानते हैं कि वर्ष 2022 तक शायद ही ऐसा कोई गांव बचेगा जिसकी आंतरिक सड़कें पक्के सीसी सड़क मार्ग से न जुड़ी हों.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2011-12 से अभी तक 12699 करोड़ रुपये पंच परमेश्वर योजना के अंतर्गत खर्च करके 18 हजार किलोमीटर सड़कें बनाने का काम किया गया है. इस योजना के अंतर्गत अब बहुत तेजी के साथ गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ने का काम किया जा रहा है. अभी इसी वित्तीय वर्ष में प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत 3 हजार 8 सौ किलोमीटर लंबी सड़कों द्वारा 1747 बसाहटों को जोड़ने का काम हुआ है, जो वास्तव में बहुत प्रशंसनीय कार्य है. हमारे माननीय मंत्री जी के नेतृत्व में ऐसे गांवों को भी कनेक्ट करने का काम चल रहा है जहां आधा किलोमीटर, एक किलोमीटर सड़क मार्ग से गांवों को जोड़ना है. इसका ठीक तरीके से उपाय होना चाहिए और ज्यादातर ग्रामवासी बंधु इस बात की मांग करते हैं, अत: यह काम भी बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है और हमें विश्वास है कि आने वाले समय में इस प्रकार की कनेक्टिविटी गांवों में हो जाएगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, स्टेट कनेक्टिविटी में भी बहुत सारे मार्गों को जोड़ने का काम हमारे माननीय मंत्री जी ने किया है. मेरे क्षेत्र में भी पिछले वर्ष 2 ऐसे गांव हैं जिनको स्टेट कनेक्टिविटी से जोड़ा गया है जिनकी बहुत आवश्यकता थी. हमारे क्षेत्र में दुर्गापुरी मंदिर न केवल श्योपुर क्षेत्र में बल्कि चंबल, ग्वालियर अंचल और राजस्थान का भी श्रद्धा का केन्द्र है. बहुत वर्षों से लोग इसकी मांग कर रहे थे, माननीय मंत्री जी ने उसको स्टेट कनेक्टिविटी से जोड़कर वहां सड़क मार्ग बना दिया, इसके लिए मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ. एक और मार्ग है-देवरी हनुमान मंदिर मार्ग, जो श्योपुर जिले का बहुत प्रसिद्ध मंदिर है, इस स्थान पर भी सड़क मार्ग बनाने के लिए फैसला किया गया और यह मार्ग बन गया.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आप समाप्त करें.
श्री दुर्गालाल विजय -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से एक निवेदन करना चाहता हूँ कि अभी हमारे यहां दो ऐसे धार्मिक स्थल हैं जिनमें मेनरोड तो है लेकिन कोई 600 मीटर या 800 मीटर की दूरी पर है. वहां पर बारिश में श्रद्धालुओं को जाने में बहुत कठिनाई होती है. उन्होंने आश्वासन भी दिया है, एक मार्ग अनगढ़ बाबाजी के स्थान के लिए है और एक बासबंद गांव में भैरव बाबा जी के स्थान के लिए है, इन दोनों स्थानों को भी स्टेट कनेक्टिविटी से जोड़ देंगे तो वहां उन स्थानों में आने वाले श्रद्धालुओं को बहुत लाभ मिलेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक और काम हमारे प्रदेश के अंदर और विशेषकर मेरे श्योपुर जिले में पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग द्वारा बहुत तेजी के साथ चलाया जा रहा है. मैं इसके लिए माननीय मंत्री जी को बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ कि हमारे श्योपुर जिले में और पूरे प्रदेश में लगभग 24 लाख परिवारों को जोड़कर आपने 2 लाख से अधिक स्व-सहायता समूह बनाए और इन स्व-सहायता समूहों के माध्यम से लगभग 2 हजार करोड़ रुपये का जो इनको ऋण प्राप्त हुआ है, इसके माध्यम से इनको समृद्ध होने का, सशक्त होने का अच्छा अवसर मिला है. इन स्व-सहायता समूहों के माध्यम से जो आजीविका मिशन के द्वारा काम कराया जा रहा है, इसमें ऐसी कई महिलाओं को और परिवारों को कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ है जिनके पास रोजगार के साधन नहीं थे और इसके कारण उनके पलायन करने की स्थिति आ रही थी, इसको रोकने में यह योजना बड़ी कारगर साबित हुई है.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब समाप्त करें.
श्री दुर्गालाल विजय -- उपाध्यक्ष महोदय, एक-डेढ़ मिनट में समाप्त करता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- केवल एक मिनट में समाप्त करें.
श्री दुर्गालाल विजय -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ऐसे तो बहुत बड़ा विभाग है पर मैं एक बात यह निवेदन करना चाहता हूँ कि अभी सामाजिक न्याय विभाग के अंतर्गत मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का जो कार्य प्रारंभ हुआ है, निश्चित रूप से लाखों-लाख कन्याओं का विवाह संपन्न कराने का कार्य हमारे मुख्यमंत्री जी ने, हमारे माननीय मंत्री जी ने किया है. एक आदर्श भी हमारे मंत्री जी ने प्रस्तुत किया कि अपने बेटे का विवाह भी इस मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत कराया और पूरे प्रदेश के लोगों को एक संदेश दिया. मैं इसके लिए उनको धन्यवाद देता हूँ. लाखों-लाख कन्याओं का विवाह तो संपन्न हो रहा है पर इस योजना में जो राशि दी जा रही है, वह कम रहती है. अगर इसको और बढ़ाएंगे तो उन गरीब कन्याओं का विवाह और धूमधाम से करने के लिए बहुत अच्छा मौका मिलेगा. मजदूर सुरक्षा योजना के बारे में मैं कहना चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब आपका एक मिनट समाप्त हो गया है.
श्री दुर्गालाल विजय -- उपाध्यक्ष महोदय, समाप्त कर ही रहा हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, ऐसे नहीं, आप तो अनुशासित सदस्य हैं. हमेशा अनुशासन में रहते हैं.
श्री दुर्गालाल विजय -- उपाध्यक्ष महोदय, क्षेत्र की एक बात कहकर अपनी बात समाप्त कर दूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- यह गलत बात है, आपने एक मिनट मांगा था, मैंने दे दिया. अब आप अपने सुझाव माननीय मंत्री जी को लिखकर दे दीजिएगा.
श्री दुर्गालाल विजय -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री के.पी. सिंह (पिछोर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से स्वच्छ भारत के ऊपर अपनी बात कहना चाहूँगा.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- पहले तारीफ तो कर दो भाई.
श्री के.पी. सिंह -- डॉक्टर साहब, तारीफ तो इसलिए नहीं कर सकता कि जैसा आप यहां कहते हैं वैसा नीचे हो ही नहीं रहा है. यहां आप कुछ कहते हैं, नीचे कुछ हो रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय -- डॉ. शेजवार जी, खड़े होकर कुछ कह दीजिए, ज्यादा बेहतर रहेगा.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, हमने माननीय मंत्री जी की तारीफ की थी, व्यवस्थाओं की तारीफ नहीं की थी, व्यवस्था तो पूरी अव्यवस्थित है.
उपाध्यक्ष महोदय -- डॉ. साहब, अमूमन आप बैठकर कहते नहीं, खड़े होकर ही बात करते हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं क्षमा चाहता हूँ. हम कल से सदन में देख रहे हैं कि अभी तक पक्ष और विपक्ष, दोनों पक्षों के सीनियर और जूनियर, महिला और पुरुष माननीय सदस्य भी, सभी ने किसी न किसी रूप में हमारे पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री जी की प्रशंसा की है और उसमें विशेष रूप से मंगल भवन, सामुदायिक भवन, जिस तरीके से उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी विधायकों से अपने-अपने क्षेत्रों में नाम मांगे हैं और उनको स्वीकृति दी है तो सब उनकी प्रशंसा कर रहे हैं. एक परम्परा जैसा माहौल बना था तो के.पी. सिंह जी ने उस माहौल को तोड़ दिया. सभी ने सबसे पहले मंत्री जी तारीफ की, लेकिन इन्होंने नहीं की तो मैंने इन्हें टोका कि कम से कम प्रशंसा तो करें.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, भार्गव जी की प्रशंसा हो रही है और शेजवार साहब से सुनी नहीं जा रही है, इसलिए उसको बंद कराने के लिए उन्होंने यह बात की ताकि उनकी प्रशंसा बंद हो जाए.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, ऐसी कोई उनकी मंशा नहीं है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, जंगली पशु किसानों का इतना नुकसान करते हैं, आप भी बाड़ा लगवा दीजिए, हम आपकी भी प्रशंसा करने लगेंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदय, इनके जंगल में ही मंगल होगा.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- उपाध्यक्ष महोदय, देखिए हम तो न्याय की बात करते हैं, या तो आप प्रशंसा करिए या वह मंगल भवन वापस कर दीजिए कि मुझे अपने क्षेत्र में नहीं बनवाना है. (हंसी). भार्गव जी, मेरा यह कहना है कि यदि ये आपकी प्रशंसा नहीं करते तो भी आप इन्हें मंगल भवन दीजिए, आपकी उदारता की हम प्रशंसा करते हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, वह पर्याप्त नहीं है, बहुत सीमित है, चार-चार दिया, जब सभी पंचायतों में बनेगा तब अच्छा होगा.
श्री गोपाल भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदय, एक सड़क जितने की बनती है, उतने में 10 मंगल भवन बन जाते, आप अपने क्षेत्र की देखें, आपके यहां जितनी सड़कें मंजूर की हैं, आप उसका मूल्यांकन क्यों नहीं करते. आप सिर्फ मंगल भवन की ही बात क्यों करते हैं क्योंकि वह ऊपर दिखता है, सड़क सबके चलने की होती है, इसलिए आप ऐसा कह रहे हैं.हर विधानसभा क्षेत्र में कम से कम 10-10, 20-20 करोड़ रूपए की सड़कें इसी साल स्वीकृत हुई हैं. अभी टेण्डर की प्रक्रिया में हैं. सारी चीजें आप देखिए. आपके लिए पत्र भी पहुंचे होंगे. (मेजों की थपथपाहट) आपके यहां इलेक्ट्रिफिकेशन कर रहे हैं. आपके यहां भी कुछ चीजें मैं अपने बजट भाषण में दूंगा. अच्छी बात यदि आप करते हैं तो मैं आपके लिए हृदय से धन्यवाद देता हॅूं. कम से कम हमें एक सकारात्मक राजनीति करने की परम्परा बनाना चाहिए. आपके लिए धन्यवाद.
श्री के.पी. सिंह (पिछोर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय की जो योजना है उसकी ओर माननीय मंत्री जी का आपका ध्यान दिलाना चाहता हॅूं. आप भी बुन्देलखण्ड में रहते हैं और थोड़ा बहुत पार्ट हमारा भी पड़ता है. एक साल में मैं अपने विधानसभा क्षेत्र के हर गांव में जाता हॅूं बाकी जिलों में जहां भी जाने का अवसर मिलता है वहां जाता हॅूं. लेकिन जितनी भी जगह जाकर देखते हैं कहीं भी शौचालयों का उपयोग नहीं हो रहा है और उसका बेसिक कारण यह है कि आपने 6000 और 6012 रूपए हितग्राही को दे दिया तो शौचालय तो बन जाता है लेकिन जब तक पानी की व्यवस्था आप नहीं करेंगे, तब तक शौचालय बनाने का कोई अर्थ नहीं है. मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी को भी पत्र लिखा था और माननीय मंत्री जी को भी इसकी कॉपी भेजी थी, आपको कॉपी मिली या नहीं, इसकी मुझे जानकारी नहीं है. जितने गांवों में जाते हैं ज्यादातर लोग या तो कंडे रख लेते हैं या लकड़ी रख लेते हैं या अन्य कोई सामान रख लेते हैं, यह हकीकत है. आप स्वीकार करें या न करें लेकिन हकीकत यह है कि उनका सदुपयोग नहीं हो पा रहा है. अगर आप वास्तव में उन शौचालयों का सदुपयोग करवाना चाहते हैं और इस प्रदेश के गांवों को खुले में शौच से मुक्त करवाना चाहते हैं तो आपको पानी की व्यवस्था करनी पडे़गी और जब से शौचालय की योजना चली है तब से मैंने तीन पत्र लिख चुका हॅूं. केन्द्र सरकार से आपको शौचालय का पैसा मिल रहा है. वह पैसा आप दे देते हैं. लेकिन अगर आप पानी की व्यवस्था नहीं करते हैं और केन्द्र सरकार ने उसमें व्यवस्था नहीं की है तो क्या आप अपने विभाग से या पीएचई विभाग जो दूसरे मंत्री जी देखते हैं क्या उस विभाग से पानी की व्यवस्था नहीं की जा सकती ? अब गांवों में लोगों पीने के लिए पानी नहीं है. हैण्डपंप सूख रहे हैं. नल-जल योजना संचालित नहीं हो रही हैं. कागजों में नल-जल योजना की स्वीकृति हो जाती है. यह आपकी विधानसभा में होगा, यह अकेले मेरी विधानसभा की बात नहीं है जब तक आप पानी की व्यवस्था नहीं कर सकते, तब तक शौचालय का उपयोग नहीं हो सकता. कहने को भले ही आप किसी गांव को ओडीएफ करा दें. माननीय भार्गव जी, मैं एक गांव का किस्सा बताता हॅूं. हमारे यहां एक एसडीएम साहब थे. उन्होंने मुझे फोन किया कि साहब आप हमारे साथ चलिए और एक गांव को हम ओडीएफ घोषित कर रहे हैं. मैंने कहा ठीक है, आप चलिए मैं बाद में आता हॅूं. जब मैं उस गांव में पहुंचा तो सरकारी मशीनरी सब पहुंच गयी. उनका जो उद्घाटन होना था, वह हो गया. फिर मैंने एसडीएम को लेकर उस गांव का दौरा किया और एसडीएम से कहा कि एक भी घर बता दो जिसमें शौचालय का उपयोग हो रहा है. पूरा गांव ओडीएफ घोषित हो गया. अखबारों में भी छप गया. उस गांव का नाम कैढर है वह शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में है और मेरी विधानसभा क्षेत्र से लगा हुआ है. चूंकि माननीय मंत्री जी का प्रेशर था, ऊपर से प्रेशर था कि गांव को ओडीएफ घोषित करो तो वह गांव ओडीएफ घोषित तो हो गया लेकिन पूरे गांव में एक भी शौचालय इस स्थिति में नहीं था जिसका कोई उपयोग करता हो. नदी के किनारे बसा हुआ गांव है. सारे के सारे गांव के लोग नदी के किनारे जाते हैं. एक और वाकया उसी दिन शाम को हुआ, चूंकि दल गया हुआ था. हम दोपहर के बाद ही वहां पहुंचे थे. शाम को उन लोगों को आदत होती है और सुबह लोगों को आदत होती है तो मैं एसडीएम साहब के साथ गया कि चलिए मैं दिखाता हॅूं कि क्या हो रहा है. नदी के किनारे जब पहुंचे तो जो हालात पुराने थे, वही के वही थे. वही मैं कह रहा हॅूं कि लोगों की आदत में सुधार करना है. कई लोगों को खुले में ही शौच आता है. कई लोग कहते भी है कि हम शौचालय में नहीं जा सकते. गांव के लोगों को खुली हवा में शौच करने की आदत है और उस आदत को बदलना है. माननीय रामनिवास रावत जी के जिला श्योपुर में एक महिला सरपंच से सीईओ साहब ने कह दिया कि चाहे कपडे़ उतारकर बेच दो लेकिन शौचालय आपको बनाना पडे़गा. अब इस तरह की घटनाएं कई जगह होती हैं. माननीय मंत्री, जी मेरा आपसे आग्रह है कि वास्तव में यदि हम गंभीर हैं तो आपको पानी की व्यवस्था करनी पडे़गी. वरना जितना पैसा आप शौचालय में खर्च कर रहे हैं उसका कोई औचित्य सिद्ध हो ही नहीं हो रहा है. यह हकीकत आप भी समझते हैं और मैं समझता हॅूं कि सारे विभागीय अधिकारी भी समझते होंगे और कलेक्टर्स भी इस बात को स्वीकार करते हैं, एसडीएम भी स्वीकार करते हैं कि साहब हम क्या करें. पानी की व्यवस्था हम नहीं कर सकते. अलग से कोई बजट आवंटन नहीं है तो वास्तव में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत अगर शौचालय का सदुपयोग करवाना चाहते हैं तो आप यह कैसे करेंगे, क्या करेंगे यह आपकी अपनी परिधि है, आपकी जवाबदारी है. आप इसकी व्यवस्था कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं, यह मेरा आपसे सुझाव है. आलोचना करने का मेरा कोई मंतव्य नहीं है. लेकिन हकीकत धरातल पर है. अगर वास्तव में हमको इसका सदुपयोग कराना है तो पानी की व्यवस्था करनी ही पड़ेगी और सूखाग्रस्त जो जिले हैं उनमें तो जब पीने का पानी ही नहीं है तो शौचालय का पानी आदमी कहां से लाएगा ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा सुझाव है कि इसमें कोई व्यवस्था करें और सरपंचों और सचिवों पर जो दबाव है कि आपको टॉरगेट पूरा करना है. कई सरपंच आते हैं कई सचिव आते हैं कि साहब सीईओ का दबाव है कि टॉरगेट पूरा करके दो. कई गांवों में ऐसी घटनाएं होती हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि इस बारे में थोड़ा गंभीरता से विचार करें और जिले में कमेटी बनाकर या विकासखण्ड लेबल पर कमेटी बनाकर कैसे इस व्यवस्था को ठीक किया जा सकता है, इसकी कुछ व्यवस्था करेंगे तो मैं समझता हॅूं कि आपकी सार्थकता सिद्ध होगी और बाकी माननीय डॉ.शेजवार जी ने आपकी तारीफ करने की बात की है. माननीय शेजवार जी की आज्ञा का मैं पालन करता हॅूं कि यह बाकी विभागों में ऐसा नहीं हो रहा है. आपने राजनैतिक चश्में से हटकर एक आदर्श राजनैतिक व्यक्ति की सोच को दर्शाया है उसके लिए मैं आपको साधुवाद देता हॅूं लेकिन एक बात और ध्यान दिलाना चाहता हॅूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र की मुझे कल एक चिट्ठी मिली. उसमें एक सड़क स्वीकृत हुई है. एक बूढ़ाखेड़ा नाम का गांव है. उस गांव की जनसंख्या मुश्किल से 300 से 400 के करीब है. वहां सड़क ऑलरेडी बनी हुई है. अब इस स्वीकृति में जो गड़बड़ी हो रही है चूंकि आप वहां नहीं देख सकते. सड़क बनी हुई है, पुल-पुलिया सब बना हुआ है चूंकि मैं गांव में साल में एक बार जाता हॅूं मुझे जानकारी है. अब आप कौन-सी नई सड़क बनाएंगे ? यह मुझे समझ में नहीं आया. यह जो दिक्कतें हो रही हैं कि आपको कागज पर प्रपोजल भेज दिया और चूंकि आप देख नहीं सकते तो मेहरबानी करके इसमें इतना करिए कि जिला लेबल से पहले उसका आंकलन हो जाए कि वास्तव में वह रोड है या नहीं है, उसकी उपयोगिता है या नहीं है. पूरे गांव की बसाहट डामर रोड के किनारे आ चुकी है. गांव में कुछ बचा ही नहीं है. अब उस गांव में सड़क बनाकर क्या करेंगे ? माननीय मंत्री जी मेरी आपसे यह विनती है कि जिला लेबल पर, जनपद लेबल पर आंकलन करके वहीं से प्रस्ताव आए और यह आंकलन हो जाए कि वास्तव में इस रोड की जरूरत अब बची है कि नहीं बची है. क्योंकि रोड आपने स्वीकृत कर दी. ठेकेदार ने काम ले लिया तो वह काम तो करेगा ही क्योंकि उसे अपना काम करना है, लेकिन उसकी उपयोगिता है या नहीं. यह उदाहरण मैंने इसलिए दिया कि यह मेरे सामने बात आयी. ऐसे और उदाहरण मध्यप्रदेश में बहुत सारे हो सकते हैं. जहां उन रोडों की उपयोगिता नहीं बची है लेकिन चूंकि प्रस्ताव आ गए और आपके यहां से स्वीकृत होकर चले गए तो धरातल पर वहीं से प्रपोजल बने और कम से कम यदि इस प्रक्रिया का पालन कर सकें कि संबंधित विधायकों को पूछ लें. हम से यदि पूछा गया होता तो हम ऐसा गांव बताते जो वास्तव में जहां पर सड़क की आवश्यकता थी. लेकिन पूछने के बजाय सीधे स्वीकृति दे दी तो, यह व्यवस्था थोडी़ ठीक नहीं है. माननीय श्री गोपाल भार्गव जी आप समझदार हैं और बहुत अनुभवशील हैं. चूंकि समय बहुत ज्यादा बचा नहीं है लेकिन 2-4-6 महीने जो भी बचे हैं और जिसमें सुधार किया जा सकता है तो अच्छी बात है, वरना आप की मर्जी. सरकार आपकी है और माननीय डॉ.शेजवार जी आपकी तारीफ कर ही रहे हैं तो आप सोचेंगे. अब चूंकि माननीय डॉ. शेजवार जी की तारीफ कोई कर नहीं रहा है इसलिए उन्हें लग रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, श्री के.पी.सिंह जी ने शौचालय के उपयोग के बारे में एक बहुत महत्वपूर्ण बात कही है तो यहां एक विज्ञापन के बारे में मैं बताना चाहता हॅूं और वह विज्ञापन इतना अच्छा है कि वास्तव में उस विज्ञापन से प्रभावित होकर लोग शौचालय का उपयोग कर रहे हैं. उस विज्ञापन में एक छोटी-सी बच्ची और उसके दादाजी का संवाद बताया है. दादाजी ने कहा कि एक नया टी.वी. ले लो तो छोटी बच्ची कहती है कि अरे, रहने दो दादाजी आप तो टी.वी. देखोगे नहीं तो दादाजी कहते हैं कि क्यों नहीं देखूँगा. तो बच्ची दादाजी से यह कहती है कि शौचालय बनकर भी तो 2 साल हो गये उसमें गये आप, एक बार भी क्या? (हंसी) उस बच्ची ने दादाजी को प्रभावित किया और परिणाम यह आया कि दादाजी शौचालय का उपयोग करने लगे ऐसे विज्ञापनों की हमें प्रशंसा करना चाहिए. सरकार विज्ञापन के माध्यम से भी लोगों को जागरूक कर रही है. सरकार को यह मालूम है कि गाँवों में शौचालय बनेगा लेकिन गाँव में जो वृद्ध, पुराना आदमी है, वह शौचालय का उपयोग देर से करेगा लेकिन उन्हें प्रभावित करने के लिए और शौचालय का उपयोग कराने के लिए ऐसे विज्ञापन आ रहे हैं मैं इनकी प्रशंसा करना चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपकी यह जो प्रतिक्रिया है या किस्सा कहानी है यह देर से आई, उस दिन जब विज्ञापनों की आलोचना हो रही थी तब आपको यह बताना चाहिए था.
श्री के.पी. सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, शेजवार जी को विज्ञापन सही रूप में याद नहीं है . उसमें बच्ची नहीं है ,बच्चा है. बच्चे ने दादाजी को बोला है, भार्गव जी को जानकारी होगी. आपकी याददाश्त बुढ़ापे में कमजोर हो गई है. बच्चे को बच्ची कह रहे हो. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपका एक मिनट और लेना चाहूंगा कि माननीय मंत्री जी, इसमें जो जुर्माने का भय लोगों को दिखाया जा रहा वह मेरी समझ से मानवता के नाते ठीक नहीं है. यह लोटा छिना लेते हैं, कहीं-कहीं इस तरह की घटनायें हो रही हैं. यह परिवर्तन इतने जल्दी संभव नहीं है, जैसा हम सोच रहे हैं तो यह जबर्दस्ती या दादागिरी है इससे गाँवों में लोग उखड़ भी सकते हैं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)-- प्रशासन से ऐसे कोई निर्देश नहीं हैं लेकिन जो स्थानीय स्तर पर कुछ उत्साही अधिकारी हैं, वह ऐसा कर देते हैं.
श्री के.पी. सिंह-- उनको जरा डायरेक्शन दे दें कि इस तरह की दादागिरी ना करें नहीं तो किसी दिन उनके साथ बदतमीजी होगी तो गाँव वालों को दोषी ठहराया जाएगा. यह लोटा छुड़ाना, जुर्माना करना मेरी समझ से उचित नहीं है. इस संबंध में विभाग से एक डायरेक्शन चला जाए कि इस तरह की हरकतें ना की जायें. उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री आशीष गोविंद शर्मा(खातेगाँव)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश के विकास के लिए गाँवों का और शहरों का समुचित विकास होना परम आवश्यक है.हम सौभाग्यशाली हैं कि इस सरकार ने गाँवों पर केंद्रित करके, गाँवों का समुचित विकास करने का कार्य किया है. एक समय में गांवों की पहचान धूल उड़ती हुई गलियाँ, पीने के पानी के लिए हैंडपंप, श्मशान घाट का किसी प्रकार का वजूद ना होना, पंचायत भवन, आंगनवाड़ी भवन जैसी चीज कोई अस्तित्व में नहीं होना यह गाँव की एक परिभाषा हुआ करती थी लेकिन जब से इस मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार काम कर रही है, आदरणीय गोपाल भार्गव जी जैसे मंत्री इस विभाग को देख रहे हैं, तब से मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि आज गाँवों में तस्वीर बहुत उलट हुई है.
उपाध्यक्ष महोदय, इस सरकार ने 500 से कम आबादी वाले गाँवों को मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना से जोड़ने का काम किया. माननीय मुख्यमंत्री जी ने खेत तक सड़क बनाने का काम किया. आज हम किसी भी गाँव में चले जाएं हमको वहाँ पर कीचड़ से सनी हुई गलियाँ दिखाई नहीं देती हैं क्योंकि पंच परमेश्वर योजना में सरकार ने इतनी राशि ग्राम पंचायतों के विकास के लिए दी हैं कि जिसमें सुंदर-सी नालियाँ और अच्छा-सा सीमेंट, क्रांकीट का रोड बनाये. मैं इस योजना में सिर्फ इतनी अपेक्षा करता हूँ कि जो रोडों की गुणवत्ता है उसमें कई पंचायतों में बहुत अच्छा काम हो रहा है कई में अच्छा नहीं हो रहा है. इसलिए जिस तरह हमारे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के नार्म्स हैं और उसका जो सीमेंट , क्रांकीट बन रहा है इसी तरह की गुणवत्ता की सड़कें ग्राम पंचायतों में बनाई जाए अन्यथा एक पंचायत का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद जब दूसरे सरपंच चुन जाते हैं वह वापस उन सड़कों का काम करते हैं क्योंकि तब तक वह सड़कें उखड़ जाती हैं इसीलिये गुणवत्ता का ध्यान रखा जाये कि सीमेंट, क्रांकीट की सड़कें अच्छी बने. पंच परमेश्वर में जो राशि हमको मिल रही है चौदहवें वित्त आयोग और अन्य वित्त आयोग से उसका जल संकट में भी भरपूर उपयोग हो सके इसके लिए भी सरकार को प्रावधान करना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, गाँवों में मवेशियों के पीने के पानी की बड़ी दिक्कत होती है और कई बार पंचायत से लोग माँग करते हैं कि उनके लिए पानी की कोई हौद बना दी जाये. इस तरह के प्रावधान भी हम यदि इस योजना में करेंगे तो बहुत अच्छी बात होगी. हमारी केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री जी और राज्य सरकार की यह मंशा है और उसी के अनुरूप हमारे देश में प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना चल रही है और प्रत्येक सांसद को एक-एक गाँव गोद में लेने के लिए प्रधानमंत्री जी ने आह्वान किया था उसके अंतर्गत सांसद आदर्श ग्राम योजना भी हमारे यहाँ चल रही है. मध्यप्रदेश के कई सारे गाँव इन योजनाओं से लाभान्वित हो रहे हैं और इसमें गरीबी उन्मूलन पर सरकार का विशेष फोकस है. गरीबी उन्मूलन का नारा हमारे देश में बहुत समय से प्रचलित है लेकिन वास्तव में गरीबी का उन्मूलन हो इसके लिए इन योजनाओं पर और इन गाँवों पर विभाग का फोकस होना चाहिए ताकि हम गरीबी का उन्मूलन कर सके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से जो रेत की और गौण खनिज की खदानें हैं वह ग्राम पंचायतों को दी गई हैं और इससे जो आमदनी होगी उससे निश्चित ही हम ग्राम पंचायतों का विकास कर सकेंगे. लेकिन वह राशि किसी एक ग्राम पंचायत को नहीं दी जाकर उसके आसपास की और भी कई सारी ग्राम पंचायतों के विकास के लिए यदि खर्च की जाएगी तो मुझे विश्वास है कि ग्राम पंचायत को एक बहुत बड़ा फंड विकास के लिए मिलेगा. आज इस विभाग की अनुदान माँगों के संबंध में मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में कुछ गाँव ऐसे हैं जो राजस्व ग्राम में चिन्हित नहीं हैं लेकिन उनकी आबादी लगभग तीन सौ, चार सौ, पाँच सौ के आसपास है और वह शत-प्रतिशत आदिवासी गाँव हैं ऐसे गाँव दावतपुरा, खातामऊ,पलासी, घोटामांडली, रामटेक और बड़ीकरार है. इन गाँवों में जाने के लिए कोई सड़क नहीं है. ना तो मुख्यमंत्री सड़क योजना में यह गाँव चिन्हित हैं, ना प्रधानमंत्री सड़क योजना में अगले दो चार वर्षों में इन गाँवों को सड़क मिलने की कोई संभावना है.इसलिए ऐसे गाँवों में विशेष फोकस करके उन आदिवासी भाईयों को सड़कों से जोड़ा जाएगा तो मैं मानूंगा कि सड़कों के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम हुआ है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज इस सरकार ने स्वच्छता मिशन के प्रति अपना संकल्प दोहराया है. जो शौचालय क्षतिग्रस्त हो चुके हैं उनको भी नरेगा के माध्यम से रिपेयर करके पुनः उपयोग के लिए बनाया जाएगा यह एक बहुत अच्छी बात है. आरईएस विभाग के माध्यम से 15 लाख रुपये तक की सड़कों की टीएस जारी करने का अधिकार तो ग्राम पंचायत को है लेकिन उससे बड़ी जो सड़कें हैं जिनकी लागत 45-50 लाख रुपये के आसपास है उनकी एएस जिले से नहीं हो रही है. हमारे कई सारी सड़कों के प्रस्ताव विभिन्न विधायकों के भी जिले के माध्यम से स्वीकृति के लिए भोपाल में आए हैं. इसलिए ऐसी सड़कों की भी प्रशासकीय स्वीकृति शीघ्रता से प्रदान की जाये ताकि उन ग्रामीण जनों को भी सड़क का लाभ मिल सके. मध्याह्न भोजन योजना का संचालन भी ग्राम पंचायतों के माध्यम से होता है, जनपद के माध्यम से राशि का आवंटन होता है इसमें मेरा ऐसा मानना है कि प्राइमरी शालाओं और मिडिल शालाओं में जो राशि प्रति बच्चा प्रदान की जा रही है वह राशि कम है और कारण कई प्राथमिक स्कूलों में बच्चे को मध्याह्न भोजन पर्याप्त नहीं मिल पा रहा है ऐसी शिकायतें मेरे पास भी आई हैं. इसीलिए इसका बजट प्रति बच्चा बढ़ा दिया जाये तो बहुत अच्छा होगा खास कर के प्राइमरी स्कूलों में.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह भी माँग करना चाहता हूं कि आपने गाँवों में खेल का मैदान बहुत अच्छा दिया है. ग्राम पंचायतों में आज कई जगह हमको खेल के मैदान देखने के लिए मिल रहे हैं. कामधेनु योजना के अंतर्गत ग्राम पंचायतों में गौशाला दी जानी है. निश्चित ही गाँवों में आवारा मवेशी एक बहुत बड़ी समस्या है और गाँवों में कई ग्राम पंचायतों में गोचर भूमि के लिए जगह भी उपलब्ध है. यदि प्रत्येक ग्राम पंचायतों को गौशालायें चलाने के लिए संचालन के लिए आप यदि राशि प्रदान करेंगे तो मुझे विश्वास है कि पूरे मध्यप्रदेश में जो आवारा मवेशियों की समस्या है उससे निदान मिल सकेगा और गौवंश का संरक्षण भी हो सकेगा. विधवा पेंशन के लिए जो मुख्यमंत्री जी ने बीपीएल की अनिवार्यता समाप्त की है उसके लिए मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. बहुत सारी ग्राम पंचायतों का क्षेत्र बहुत बड़ा-बड़ा है, चार-चार, पांच-पांच गाँवों की बड़ी-बड़ी पंचायतें हैं इस कारण जो सरपंच जिस गाँव से चुना जाता है वह उसी गाँव में ज्यादा फोकस करके काम करता है और अन्य गाँवों में विकास कार्य प्रभावित होता है इसीलिए जो ग्राम पंचायतें बड़ी हैं उनका पुनः परिसीमन किया जाये और एक हजार, दो हजार, तीन हजार की आबादी पर नई-नई ग्राम पंचायतें बनाई जाएंगी तो मुझे विश्वास है कि ग्राम स्वराज का हमारा जो सपना है वह साकार हो सकेगा. मध्यप्रदेश में ग्राम पंचायतें बहुत अच्छा काम कर रही हैं. हमारे माननीय पंचायत मंत्री महोदय ने ग्राम पंचायत के सचिवों को बहुत सारे अधिकार दिये हैं. सचिवों को अनुकंपा नियुक्ति के प्रावधान भी सेवा शर्तों में किये गये हैं और मंगल भवन भी दिये हैं. कुल मिलाकर आज गाँवों को भी एक अच्छे गाँव के रूप में मध्यप्रदेश में पहचाना जा रहा है. एलईडी लाईट से लेकर पेयजल की बढ़िया-बढ़िया योजनायें हमारे मध्यप्रदेश में चल रही हैं इसलिए मैं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महोदय को अपनी ओर से धन्यवाद देता हूँ . उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के अवसर दिया इसके लिए आपको भी धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, शंकरलाल जी तिवारी जी नहीं हैं, आज सुबह वह मुझसे चर्चा कर रहे थे कि सतना जिले में माइनिंग सेस से प्रभारी मंत्री जी ने, माननीय धुर्वे जी ने, वह भी सदन में उपस्थित हैं, उन्होंने राशि एलाट की थी, सांसद जी की अनुशंसा पर, विधायकों की अनुशंसा पर, जिला पंचायत अध्यक्ष, माननीय सदस्यों की अनुशंसा पर आदेश भी जारी हो गये थे सब जनपदों में पहुँच गये, लोगों ने तैयारी शुरु कर ली उसके बाद दुबारा जब जिला योजना समिति की बैठक हुई तो यह चीज आई कि वहाँ के सीईओ ने यह शायद बात रखी, यहाँ से कोई मार्गदर्शन या गाइड लाइन गई है कि वह सेस की राशि सिर्फ मुख्यमंत्री पेयजल योजना में इस्तेमाल हो सकती है तो, हालाँकि यह चर्चा वहाँ पर, उस योजना समिति में आई, लेकिन मंत्री जी ने और सभी लोगों ने और कलेक्टर ने यह निर्देश दिया कि पहले जो जारी हो गई है उसको इश्यु कर दिया जाए और भविष्य में इसको, उसके अनुरूप, जो यहाँ का सर्क्यूलर है उसके अनुरूप कार्यवाही की जाए. लेकिन सीईओ ने यह न करने के बजाय उन्होंने मार्गदर्शन के लिए यहाँ भेज दिया है, अब वहाँ लोग इन्तजार कर रहे हैं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- उपाध्यक्ष महोदय, जहाँ तक मुझे जानकारी है कि इस प्रकार का कोई प्रस्ताव विभाग के पास नहीं आया है. मायनिंग फण्ड जो है वह जिले में प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में और जो समिति होती है कलेक्टर और उसमें सारे अधिकारी होते हैं, वह तय करते हैं, प्राथमिकताएँ क्या होना चाहिए, क्या कार्ययोजना होना चाहिए...
उपाध्यक्ष महोदय-- यही हुआ है.
श्री गोपाल भार्गव-- उपाध्यक्ष महोदय, विभाग के पास नहीं आया है. यदि आया होगा तो मैं दिखवा लूँगा क्योंकि पहले की जिला योजना समिति की बैठक की जो प्रोसिडिंग थी, बाद की प्रोसिडिंग में क्या अन्तर है, किसके स्तर से हमारे यहाँ आया है, जहाँ तक मुझे जानकारी है कि इस प्रकार का कोई निर्देश.....
उपाध्यक्ष महोदय-- तत्कालीन सीईओ अनूप सिंह थे शायद उनका स्थानांतरण हो गया है, उन्होंने मार्गदर्शन दिया होगा.
श्री गोपाल भार्गव-- जानकारी ले लूँगा और जो कुछ भी उचित होगा मैं उसके बारे में निर्देशित कर दूँगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
कुँवर विक्रम सिंह(राजनगर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30, 34, 53 और 62 के कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो जो दलगत राजनीति से ऊपर उठकर के माननीय मंत्री जी ने काम किया है और माननीय मंत्री जी के पास में जब से यह पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग आया है. मंत्री जी ने हमेशा इसी प्रकार से काम किया है. जब 2003 में मैं प्रथम बार चुनकर आया था, 2004, 2005 से, जब से मंत्री जी इस विभाग में आए हैं, उन्होंने सबसे अलग हट करके यह काम किया है. मैं उनको बहुत बहुत साधुवाद देता हूँ. (मेजों की थपथपाहट)
उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से अपने क्षेत्र के बारे में 2-3 चीजें कहना चाहता हूँ. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में हमारा रनेफॉल रोड से टोरिया टेक तक रोड बन चुकी थी परन्तु बीच में चार किलोमीटर का टुकड़ा, रनेफॉल वन विभाग बैरियर से लेकर और सपोहा पहाड़ी तक, यह प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का टुकड़ा छूटा हुआ है. माननीय मंत्री जी इसको जल्दी से जल्दी करवाने की सदन में घोषणा भी करेंगे, ऐसी मुझे उम्मीद है.
श्री गोपाल भार्गव-- रिजर्व फॉरेस्ट है?
कुँवर विक्रम सिंह-- रिजर्व फॉरेस्ट है. उसका क्लियरेंस मिल चुका है. वन मंत्री जी बगल में बिराजे हैं, वन मंत्री जी और आप दोनों तालमेल करके इसको कर लें.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से एक और बात माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ. यह सामाजिक न्याय विभाग के ऊपर है. सामाजिक न्याय विभाग, जो माननीय मंत्री जी का है इस विभाग में कन्यादान योजना बहुत अच्छी योजना है. उससे गरीब लोगों की शादियाँ हो रही हैं परन्तु इस योजना में एक विसंगति यह है कि जो अति वृद्ध लोग हैं और जिनको पेंशन मिलती है और गरीबी रेखा में उनके नाम भी हैं परन्तु चूँकि उनके फिंगर मशीन पर नहीं आ पाते हैं, वह ट्रेक नहीं हो पाती हैं. दूसरा उसमें आँखों का प्रावधान है तो आँखों में भी उनका बहुत मेडिकल चेकअप करवा करके उनको करवा लिया जाए.
माननीय मंत्री जी, तीसरी बात मैं यह कहना चाहता हूँ कि आपके विभाग में, मेरे विधान सभा क्षेत्र में पाय पंचायत है, पाय पंचायत का प्रकरण आपके पास भी आया. कई बार मैंने ध्यानाकर्षण के माध्यम से यहाँ पर उठाया भी, प्रश्नों के माध्यम से भी उठाया परन्तु आज दिनाँक तक पाय पंचायत की कोई कार्यवाही नहीं हुई. दंडित सरपंच को होना चाहिए था, दण्ड मिला सचिव को. सचिव के ऊपर रिकवरी बंध गई परन्तु जिसने उस पैसे का आहरण किया, जिस पैसे का उपयोग किया, उसको आज तक सजा नहीं मिली. माननीय मंत्री जी, यह सुनिश्चित करवाएँ और मैं समझता हूँ कि आज ही आप अपने वक्तव्य में यह बात कहेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, लास्ट प्वाईंट बोलूँगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र में राजनगर जनपद और लवकुश नगर जनपद दोनों में ही आपके कार्यालय में जो पदस्थ लोगबाग हैं, क्या माननीय मंत्री जी, कोई स्थानांतरण नीति आपके लिपिकवर्गीय कर्मचारियों की है, यदि है तो उनके स्थानांतरण क्यों नहीं किए जाते हैं, यदि नहीं किए जा रहे हैं तो किस वजह से नहीं किए जा रहे हैं और यदि नीति आपकी है तो कब तक करेंगे? उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिए धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
डॉ.कैलाश जाटव-- उपाध्यक्ष महोदय, मुझे भी बोलने का समय दिया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय-- अभी रुक जाइये. श्री सुन्दरलाल तिवारी जी अपनी बात कहें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी(गुढ़)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं उल्लेखित मांग संख्या के विपक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. माननीय मंत्री जी को पक्ष विपक्ष दोनों की तरफ से धन्यवाद बहुत मिले हैं और यह बात भी बहुत सही है कि शेजवार जी अब नहीं चाहते कि कोई धन्यवाद दे. लेकिन फिर भी एक विषय को लेकर हम लोग माननीय मंत्री जी की प्रशंसा करने के लिए बाध्य हैं. जो आपने समभाव और सम्यक भाव राजा होने के नाते आपने जो दिखाया है, इसके लिए हम आपको बहुत बहुत धन्यवाद देते हैं. (मेजों की थपथपाहट) यह पक्ष तो प्रभावित हुआ लेकिन इस बात का असर बगल में बैठे शेजवार साहब और अन्य मंत्रियों में इस समभाव का प्रभाव नहीं पड़ा है, इस बात का खेद भी है. वे भी अपने विभाग के संचालन में इस तरह का कोई काम करे जिसमें विधायकों को ऐसा लगे कि हमारी भी भागीदारी है या हमारी भी पूछ है, ऐसा अन्य किसी मंत्री ने नहीं किया.
वन मंत्री(डॉ.गौरीशंकर शेजवार)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्रस्ताव है कि एक आदर्श रूप में विभाग संचालन, जिस प्रकार गोपाल भार्गव जी ने किया है तो विधान सभा की तरफ से उनको इसका एक पुरस्कार मिलना चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)
उपाध्यक्ष महोदय-- बिल्कुल. हम लोग विचार करेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- हम लोग उसका समर्थन करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- उपाध्यक्ष जी, आगे के इसके बहुत खतरे हैं इसलिए मैं डॉक्टर साहब के इस प्रस्ताव को वापस करता हूँ. (हँसी)
उपाध्यक्ष महोदय-- मैं समझ रहा हूँ. आपको ये गड्डे की तरफ धकेल रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह-- उपाध्यक्ष जी, आपने प्रस्ताव रखा तो आप भार्गव जी से एकाध दिन का समय लेकर जाकर ट्रेनिंग ले लें क्या कला है इनमें, इनसे सीखें.
श्री के.पी.सिंह-- डॉक्टर साहब, आप तो यह बताओ कि यह समभाव, हालाँकि भार्गव साहब तो आप से उम्र में कम ही होंगे. आप अब बुजुर्ग भी हो गए हों. ये सीख आप लेंगे कि नहीं लेंगे?
उपाध्यक्ष महोदय-- बुजुर्ग नहीं हुए, अनुभवी हो गए हैं.
श्री के.पी.सिंह-- बुजुर्ग भी हैं. अब तो डॉक्टर साहब दूसरा दिल लेकर आ गए हैं. पुराना दिन तो उन्होंने हटा दिया, तो मेरा आप से आग्रह है कि यह सीख आप भी लो और आप अपने विभाग में कुछ ऐसा करके दिखाओ और आप अपने विभाग में कुछ ऐसा करके दिखाओ कि अगली बार जो 5-10 दिन का सेशन आएगा, उसमें कम से कम इस पुरस्कार की लाइन में आपका भी नाम आ जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक बहुत बड़ी चूक हो रही है मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि जो सबसे कमजोर निःशक्त व्यक्ति है, विकलांग, उसके साथ मध्यप्रदेश में न्याय नहीं हो रहा है. उसके जो अधिकार हैं, वे अधिकार उसको नहीं दिए जा रहे हैं. हमारा ज्यादा ध्यान या हमारा केन्द्र बिन्दु मनरेगा हो सकता है. लेकिन एक कानून बना हुआ है, निःशक्त व्यक्ति अधिनियम 1995, यह जो कानून बना हुआ है. इस कानून में तीन प्रावधान हैं धारा-66, धारा-67 एवं धारा-68. इन तीनों धाराओं का पालन मध्यप्रदेश की सरकार ने नहीं किया है. जिसकी वजह से मध्यप्रदेश के दिव्यांग कानून में जो अपेक्षित है, केन्द्र सरकार ने जो अपेक्षा की है जो हिन्दुस्तान में दिव्यांगों को मिलना चाहिए उससे वे वंचित हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं धारा-66 का एक भाग आपके ध्यान में लाना चाहता हूँ. समूची सरकारें अपनी आर्थिक क्षमता और विकास की सीमाओं के भीतर ऐसे नि:शक्त व्यक्तियों के लिए जो विशेष रोजगार कार्यालय में दो वर्ष से अधिक से रजिस्ट्रीकृत हैं जिन्हें किसी अभिलाभप्रद उप-जीविका में नहीं लगाया जा सका है बेरोजगारी भत्ता के संदाय के लिए एक स्कीम अधिसूचना द्वारा बनाएगी. यह जो बेरोजगारी भत्ते का प्रोवीजन किया गया है नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम 1995 के लिए यह आज तक मध्यप्रदेश के अन्दर लागू नहीं हुआ है. जिसके कारण जो बोल नहीं सकते, जो देख नहीं सकते, जो चल नहीं सकते. उन्हें अपनी भावना व्यक्त करने लिए भी बहुत ज्यादा परिश्रम करना पड़ता है अगर कोई साथ दे तब वे अपनी भावना व्यक्त कर सकते हैं. उन गरीबों के पास हमारी मध्यप्रदेश की भावना आज तक नहीं पहुंची है. केवल ऊंची-ऊंची बातें हो रही हैं. इन गरीबों की सुध सरकार नहीं ले रही है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कर रहा हूँ इसलिए मैंने वह धारा भी बताई है.
उपाध्यक्ष महोदय, नि:शक्त कर्मचारियों के लिए बीमा स्कीम के बारे में कहना चाहता हूँ. समूची सरकार अपने नि:शक्त कर्मचारियों के फायदे के लिए बीमा स्कीम अधिसूचना द्वारा बनाएगी. जो जनरल बीमा योजना है मैं उसकी बात नहीं कर रहा हूँ. इसमें स्पेशल प्रोवीजन इस बात का है कि जो कर्मचारी नि:शक्त हैं उनके बीमा के लिए भी योजना बनाई जानी चाहिए. मध्यप्रदेश में यह योजना भी आज तक नहीं बनी है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि निश्चित रुप से यह जो अधिनियम है निरीह, कमजोर और समाज से सबसे नीचे वर्ग के लिए है उस पर ध्यान दें. विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को कहें कि इन नि:शक्त लोगों की भी वे मदद करें. इसमें कई बड़े-बड़े प्रोवीजन हैं जिस पर इस सरकार ने ध्यान नहीं दिया है. अनुच्छेद-13 के अनुसार राज्य समन्वय समिति के पुनर्गठन की कार्यवाही नहीं की गई जिसको सरकार ने अपने प्रतिवेदन में स्वीकार तो किया है. इस समिति का गठन भी केवल नि:शक्त लोगों के लिए है. हिन्दुस्तान में हर राज्य ने इसका पुनर्गठन कर लिया है लेकिन मध्यप्रदेश में इसका पुनर्गठन आज तक नहीं हुआ है. इसका गठन अनुच्छेद-13 में होना चाहिए था.
उपाध्यक्ष महोदय, अनुच्छेद-19 के अनुसार राज्य कार्यपालिक समिति का गठन नहीं किया गया है. इन्हीं नि:शक्त लोगों के लिए एक राज्य कार्यपालिक समिति का गठन होना चाहिए. इन दोनों समितियों का गठन नहीं हुआ है जिसकी वजह से सभी संचालित योजनाएं जो इन लोगों के लिए हैं. वे योजनाएं संचालित नहीं हो पा रही हैं. बेसिकली हमने इनका गठन मध्यप्रदेश में किया ही नहीं है इसलिए संचालित योजनाएं प्रभावित हो रही हैं और बहुत सी योजनाएं अपने आप असंचालित पड़ी हुईं हैं क्योंकि इनका गठन मध्यप्रदेश में नहीं हुआ है. अनुच्छेद-25 में भी यही है. अनुच्छेद-44 का भी पालन नहीं हो रहा है. सार्वजनिक स्थान पर जैसे बस स्टेण्ड है, नि:शक्त लोगों के लिए अनुकूल शौचालय अभी मध्यप्रदेश में नहीं बने हैं. नि:शक्त लोगों के लिए एक अलग तरह का शौचालय बनता है उन शौचालयों का निर्माण हो. धारा-60 में नि:शक्तजन के लिए आयुक्त की नियुक्ति होती है. मेरा ख्याल है आयुक्त नियुक्त तो है लेकिन व्यय करने के लिए उसे कोई राशि नहीं दी गई है या अधिकार नहीं दिया गया है. इसलिए यह योजनाएं डम्प पड़ी हुई हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के बारे में मेरा कहना है कि इस विभाग एक आदेश निकला हुआ है अधिसूचना क्रमांक एफ-8-01-2013-17-मेडी-2, दिनांक 4.1.2014 द्वारा कार्यवाही जिला स्तर पर नहीं हो रही है. विकलांगता का प्रमाण-पत्र जिला स्तर पर जिला अस्पताल में या दीगर डिस्पेंसरीस में या ब्लाक स्तर पर इसका गठन हो और इन दिव्यांगों को वहां दिव्यांगता का प्रमाण-पत्र उपलब्ध हो सके. यह योजना भी नोटिफाइड है लेकिन यह मध्यप्रदेश में लागू नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय--तिवारी जी 2 मिनट में समाप्त करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूँ यह रिपीटीशन नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय--आप भी लोक सभा चले जाइए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, यह बात अभी तक आई नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय--हम तो समय से जानते हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--आप समय से जानते हैं लेकिन सदन को यह भी जानना पड़ेगा कि गरीबों के हितार्थ कोई चर्चा हो रही है या नहीं हो रही है.
उपाध्यक्ष महोदय--नहीं ऐसा नहीं है सभी जिम्मेदार लोग हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--किसी ने यह बताया हो कहा हो तो हम अपनी सीट पर बैठ जाएंगे.
उपाध्यक्ष महोदय--यह बात किसी ने नहीं कही है आप इसी बात को कहकर समाप्त कर दीजिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र यह कहने को हैं. आज तक यह केन्द्र स्थापित नहीं किए गए हैं. जो हुए भी है उसमें स्टाफ की पूर्ति नहीं हुई है. एक महत्वपूर्ण बात यह है कि जो कुष्ठ रोगी ठीक हो जाते हैं उनके लिए अन्य सुविधाओं का प्रोवीजन इसमें है, उनके पुनर्वास का प्रोवीजन है उनको दिव्यांग की श्रेणी में माना जाए ऐसा भी निर्देश है. मध्यप्रदेश में जो कुष्ठ रोग के रोगी ठीक हो गए हैं उनको गरीबी रेखा में जोड़ लिया जाए उनको अन्य प्रावधानों में सुविधाएं मिल सकें उनका पुनर्वास हो सके. मध्यप्रदेश में यह योजना भी लागू नहीं है जिससे कुष्ठ रोगियों को कोई लाभ नहीं हो रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, नि:शक्तों के विवाह तो आप कर रहे हैं लेकिन उसके उपरान्त उनके रोजगार के लिए उनको नौकरी दिलाई जाए या उनका भरण-पोषण हो सके ऐसी व्यवस्था हो. ऐसा कानून में नियम है लेकिन इसका भी पालन मध्यप्रदेश के अन्दर नहीं हो रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, रोजगार गारंटी योजना में एक विशेष योजना है कि जिन मजदूरों को मजदूरी नहीं दी जा रही है ऐसा प्रावीजन है कि उनका पंचायतों में आवेदन पत्र लिया जाए और 15 दिवस के अन्दर उनको रोजगार नहीं देते हैं तो उनको बेरोजगारी भत्ता दिया जाए. यह भी अभी तक मध्यप्रदेश में लागू नहीं है केवल कानून के पन्ने में इस बात का उल्लेख है. मेरा यह कहना है वर्ष 2015 में इसकी क्षतिपूर्ति का आदेश भी जारी हुआ है. अगर मजदूरों की मजदूरी का समय पर भुगतान नहीं किया जा सकता है तो उनको भी कम्पनशेसन का प्रोवीजन है. मध्यप्रदेश में यह भी लागू नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि जहां सरकार को संवेदनशील होना चाहिए वहां सरकार चुप बैठी है. दिव्यांगों की बड़ी-बड़ी बातें होती हैं. मेरा यह कहना है कि गरीबों के लिए मध्यप्रदेश में जो कानून बने हैं उन कानूनों के साथ (XXX). धन्यवाद.
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी की दो बातों पर ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. विगत 4 वर्षों में विधायक निधि और सांसद निधि जो पंचायतों में गई है इनके निर्माण कार्य पूरे पड़े हुए हैं अगर यह पूरे हो जाएं तो बड़ी कृपा होगी और आपके द्वारा जो भवनों के लिए राशि जारी की गई है वह भी पंचायतों के द्वारा आधी अधूरी बनाई जा रही है उसका भी आप थोड़ा सा ध्यान रखेंगे. दूसरी बात यह कि आपने जो पंचायत भवनों के लिए राशि जमा की है चार-चार, पांच-पांच साल हो गए पंचायत भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है उनको जो एजेंसी आपकी पंचायत काम करती है उसका सरपंच बदल जाने की वजह से वह पैसा खा गया है. वह पंचायत भवन भी अधूरे पड़े है तो ऐसे पेंडिग वर्क जिसकी राशि मध्यप्रदेश शासन ने दो साल, तीन साल, एक साल पहले जारी की हैं उनकी एक बार समीक्षा हो जाए बस यही निवेदन था. आपने मुझे बोलने का मौका दिया धन्यवाद.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. निश्चित रूप से ग्रामीण विकास हमारे प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण है और 80 प्रतिशत मध्यप्रदेश की जनता आज भी गांवों में रहती है. जैसा की अभी सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने माननीय मंत्री जी को धन्यवाद भी दिया कि मंत्री जी ने अच्छा काम किया और मेरी तरफ से भी उनको धन्यवाद है बशर्ते सड़कों की बात मैं करना चाहता हूं सड़कें गांवों में मंजूर हुईं कुछ सड़कें बनी भी चाहे प्रधानमंत्री सड़क हो, चाहे मुख्यमंत्री सड़क हो और चाहे ग्रमीण विकास की मनरेगा से सड़के हों लेकिन वह सड़कें आधे अधूरे में रुक जाती हैं उसका क्या कारण है उसका कारण यह है कि किसान हैं, गरीब हैं वह जमीन देने से मना कर देते हैं. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि अगर उनके लिए भी जमीन लेने की बजाय मुआवजे की व्यवस्था कर दी जाए जमीन के बदले तो वह सड़कें अधूरी नहीं रहेंगीं. प्रधानमंत्री सड़क की बहुत सारी सड़कें मंजूर हैं वह भी रुकी हुई हैं. मात्र एक कारण है कि किसान जमीन देने के लिए तैयार नहीं है. आपके माध्यम से मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि अगर आप इस पर विशेष रूप से ध्यान देंगे तो निश्चित रूप से सड़कों का जाल बिछ जायेगा जैसा आपका सपना है. शौचालय के बारे में बहुत सारी बातें हुईं. मैं जनपद का उपाध्यक्ष वर्ष 2005 में था उस समय शौचालय का काम शुरु हुआ. डॉ. मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे वहां से यह बातें शुरु हुई लेकिन आज भी वही स्थिति है कि लगातार शौचालय की बात की जा रही है. उसके बदले जो गरीब हैं उनके गल्ले बंद कर दिये जाते हैं, केरोसीन बंद कर दिया जाता है, इसके बावजूद या तो भ्रष्टाचार का अड्डा है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि अगर हो सके तो इसके लिए कोई ठोस उपाय किया जाए ताकि एक बार शौचालय बन जाए तो दुबारा इसकी चर्चा न हो. प्रधानमंत्री आवास निश्चित रूप से पूरे देश में, प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास के नाम का डंका पीटा जा रहा है लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना घरों में तो लिखा जा रहा है लेकिन नरेन्द्र मोदी जी का नाम लिखा जा रहा है यह समझ के परे बात है.
श्री प्रदीप अग्रवाल-- इसमें क्या परे बात है. तुमने तो पूरी योजना का नाम ही इंदिरा आवास योजना रख दिया था..... (व्यवधान)...
डॉ. कैलाश जाटव-- किसी गरीब को अगर सरकार ने दिया है और नाम लिख रहे हैं तो क्या बात है. हमने दिया है लिखेंगे. (व्यवधान)...
श्री सुखेन्द्र सिंह-- किसी गरीब को डेढ़ लाख रुपए देकर उसका घर लिखा लोगे, उसकी जमीन लिखा लोगे क्या अपने हिसाब से. यह कोई तरीका है. ऐसे नहीं चलेगा. यह जो नाम लिखने की परम्परा आवास योजना में बिलकुल गलत है. (व्यवधान)...
श्री अमर सिंह यादव-- गरीब अपनी मर्जी से लिखे. गरीब अपनी स्वयं की इच्छा से नाम लिखवा रहा है उसमें किसी को क्या आपत्ति होना चाहिए. (व्यवधान)
श्री सुखेन्द्र सिंह-- कोई नहीं लिखवा रहा है. (व्यवधान)...
श्री अमर सिंह यादव-- कोई दबाव नहीं है. स्वयं गरीब अपनी इच्छा से नाम उसके आवास के ऊपर लिखवा ले तो आपको कोई आपत्ति नहीं होना चाहिए. (व्यवधान)...
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- क्या प्रधानमंत्री जी ऐसा चाहते हैं, क्या मुख्यमंत्री जी ऐसा चाहते हैं कि उनका नाम लिखा जाए. सदन में स्पष्ट करें. (व्यवधान)...
श्री अमर सिंह यादव-- नहीं-नहीं गलत, तिवारी जी गलत है. (व्यवधान)...
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिया है कि प्रधानमंत्री जी ने निर्देश दिया है कि हमारा नाम जबर्दस्ती लिखा जाए. (व्यवधान)...
श्री अमर सिंह यादव-- नहीं-नहीं माननीय तिवारी जी आपका तर्क गलत है. माननीय उपाध्यक्ष जी इनका तर्क गलत है किसी को बाध्य नहीं होना है किसी को आदेश नही दिया. (व्यवधान)...
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- निर्देश केन्द्र सरकार का हो या राज्य सरकार का हो... (व्यवधान)...
डॉ. कैलाश जाटव-- उपाध्यक्ष महोदय, यह इंदिरा गांधी का नाम लिख सकते हैं इंदिरा गांधी का आवास कर सकते हैं लेकिन प्रधानमंत्री आवास... (व्यवधान)...
श्री अमर सिंह यादव-- आप अपने समय व्यक्तिगत प्रभाव से योजनाएं बनाते थे. आज प्रधानमंत्री के नाम से है तो क्या दिक्कत है. (व्यवधान)...
श्री प्रदीप अग्रवाल—(XXX)..... (व्यवधान)...
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- उपाध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने हमेशा मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के नाम से लिखा है. (व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदय-- ओमप्रकाश जी आप तो नियम कानून मानते हैं हम खड़े हुए हैं. सभी माननीय सदस्यों से यह अनुरोध है कि जब यहां आसंदी पर बैठा व्यक्ति खड़ा होता है तो आप लोगों को बैठ जाना चाहिए. तिवारी जी अपनी शंका का समाधान कर लें. आप प्रधानमंत्री जी से, मुख्यमंत्री जी से फोन से पूछ लीजिएगा. सुखेन्द्र सिंह जी मैं एक चीज और जानना चाहता हूं मेरा आब्जर्वेशन है कि जो विधायक निधि हम लोगों को मिलती है हम लोग अपना नाम लिखाते हैं कि नहीं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- वह भी गलत है.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप लिखाते हैं कि नहीं तिवारी जी, यह बताइए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- हम इस बात पर आपसे सहमत है कि वह भी गलत है अगर नियम नहीं है तो नहीं लिखना चाहिए और नियम है तो लिखिए.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप लिखाते हैं क्या?
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- हम नहीं लिखाते. मैं व्यक्तिगत कभी नहीं लिखवाता.
श्री अमर सिंह यादव-- अरे कैसे नहीं लिखाते.. (व्यवधान) ..
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- खुद लिख दें तो लिख दें. न उद्घाटन करने जाता हूं न लिखवाने जाता हूं. (व्यवधान) ..
उपाध्यक्ष महोदय-- अरे बैठ जाइए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- जिले के अधिकारी बाध्य करते हैं इसलिए मैंने यह कहा कि अगर सरकार का कोई आदेश हो या केन्द्र सरकार का कोई आदेश हो तो वह हम लोगों को भी उपलब्ध कराया जाए और पटल पर रखा जाए.
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी दोहरे मापदण्ड नहीं. आप कह रहे हैं कि कोई लिखा देता तो हम क्या करें. वहां भी कोई लिखा देता तो क्या करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अधिकारी बाध्य कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- दोहरे मापदण्ड नहीं.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चलिए ठीक है कि नाम लिखा जा रहा है कि नहीं लिखा जा रहा है लेकिन विधान सभा में बहुत सारे गांव के गांव छूट गए हैं इस बात को मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि इसका पुन: सर्वे कराया जाए. इसलिए कि यह वर्ष 2011 का सर्वे है. जब केन्द्र में सरकार कांग्रेस की थी. उस समय का सर्वे है थोड़ा बहुत डिस्टर्ब हो गया है तो इसका पुन: सर्वे कराया जाए और इसकी राशि बढ़ाई जाए. तब जाकर इसकी मंशा पूरी होगी. मेरी आखिरी बात यह है कि..
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- माननीय सदस्य इस बात से तो सहमत हैं कि उस समय सर्वे गलत हुआ था.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सत्ता पक्ष के विधायक इस बात से सहमत हैं कि जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे उस समय यह योजना लागू हुई थी उस समय यह सर्वे कराए गए थे. वह इससे सहमत हैं.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय उपाध्यक्ष जी उस समय यह योजना लागू नहीं हुई थी. (व्यवधान) ..
श्री सुखेन्द्र सिंह-- उसी समय यह योजना लागू हुई थी. इंदिरा आवास योजना उसी समय लागू हुई थी. (व्यवधान) ..
श्री इन्दर सिंह परमार—(XXX)…(व्यवधान) ..
उपाध्यक्ष महोदय-- अभी जो माननीय सदस्य कर रहे हैं वह कार्यवाही में नहीं आएगा. सिर्फ बन्ना जी की बात आएगी.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय क्या यह नाम लिखा जा रहा है (XXX). (व्यवधान)
डॉ. कैलाश जाटव—(XXX)
उपाध्यक्ष महोदय- ये कार्यवाही में नहीं आयेगा इसे निकाल दें.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- ये हमारा पैसा है. जो हम टैक्स देते हैं वह लौटकर आता है.
उपाध्यक्ष महोदय-- ये जितनी भी बात हुई है इसे कार्यवाही से निकाल दीजिये. सिर्फ सुखेन्द्र सिंह बन्ना जी का लिखा जायेगा.
डॉ. कैलाश जाटव-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- मैंने सब कार्यवाही से निकाल दिया है. आप बैठ जाईये.
श्री सुखेन्द्र सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि प्रत्येक विधान सभा में एक-एक स्टेडियम ग्रामीण क्षेत्रों में दिया गया था. वे अधूरे हैं या तो बहुत से स्थानों पर अभी तक उनकी शुरूआत ही नहीं हुई है. इसका क्या कारण है ? मेरी विधान सभा का स्टेडियम भी अभी अधूरा पड़ा हुआ है. हमारे वरिष्ठ विधायक सुंदरलाल तिवारी जी कह रहे थे कि उनके क्षेत्र में भी शुरू नहीं हुआ है. इस पर भी थोड़ा सा जोर देने की जरूरत है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से अपने क्षेत्र की एक विशेष बात मैं मंत्री जी से कहना चाहूंगा और मैंने इस बारे में मौखिक रूप से मंत्री जी से कहा भी है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का कार्यालय हमारे मऊगंज क्षेत्र में 12 वर्षों से संचालित था. जो जिला बनने की स्थिति में है लेकिन उस कार्यालय को अधिकारियों ने या राज्य शासन से प्राप्त आदेशानुसार, 6 माह पूर्व रातों-रात उठाकर रीवा में रखा गया है. पूछने पर जवाब यह दिया जाता है कि वहां सर्वर नहीं है. काम करने में कठिनाई होती है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूं कि मऊगंज में बैंकों की सारी कार्य प्रणाली चल रही है और अन्य बहुत से कार्य भी वहां चल रहे हैं इसलिए वह कार्यालय वापस मऊगंज में किया जाए. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिए धन्यवाद.
श्री प्रदीप अग्रवाल (सेंवढ़ा)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लिस्ट में मेरा भी नाम है. उस समय मैं थोड़ा बाहर चला गया था. कृपया मुझे भी दो मिनट का समय दें.
उपाध्यक्ष महोदय- आपका नाम तो बहुत पहले था, आप तब से अनुपस्थित चल रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय जब आसंदी पर थे, तब से आप अनुपस्थित हैं.
श्री प्रदीप अग्रवाल- मेरा निवेदन है कि अंत में मुझे केवल दो मिनट दे दिए जायें.
उपाध्यक्ष महोदय- अभी आप बैठ जायें. मैं देखता हूं.
श्री देवेन्द्र वर्मा (खण्डवा)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30, 34, 53, 59 और 62 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मेरे कुछ छोटे-छोटे सुझाव हैं जो मैं सदन में रखना चाहता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान एवं हमारे पंचायत, ग्रामीण विकास मंत्री जी की योजनाओं के परिणामस्वरूप आज गांव और शहरों का भेद समाप्त हो गया है अर्थात् आज हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में भी सौ प्रतिशत पक्की सड़कें और मकान बन रहे हैं और ऐसी अनेक योजनायें संचालित हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज आबादी तेजी के साथ बढ़ रही है और हम देखते हैं कि प्रत्येक गांव के पास एक फोकटपुरा या जबरन कॉलोनी या इंदिरा आवास जैसी अवैध कॉलोनी के रूप में एक नया गांव ही विकसित हो जाता है. इन गांवों की जमीन का मद देखा जाए तो वे या तो छोटे झाड़ की जमीन हैं या इसी प्रकार के रास्ता मद की जमीन है या ऐसी ही किसी अन्य मद की जमीन होती है. इसलिए ऐसे क्षेत्रों के लोग शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं. ऐसी कॉलोनियों के लिए भी कोई योजना बनाई जानी चाहिए अथवा ऐसी विकसित कॉलोनियों को आवासीय मद में परिवर्तित किया जाना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार प्रत्येक गांव से एक-दो किलोमीटर की दूरी पर जो फालिये थे, वे आज एक-एक, दो-दो हजार की आबादी वाले फालिये हो गए हैं. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि एक सर्वे पुन: इस प्रकार का करवाया जाये जिससे कि ऐसे बड़े-बड़े फालियों को राजस्व ग्राम घोषित किया जा सके जिससे कि वहां के रहवासियों को निश्चित रूप से अनेक शासकीय योजनाओं जैसे- प्रधानमंत्री सड़क योजना आदि का लाभ मिल सकेगा. इसी प्रकार शहरी क्षेत्र के आस-पास के गांवों में बड़ी-बड़ी इण्डस्ट्री, बड़े-बड़े उद्योग-धंधे, उद्योगपतियों द्वारा शहर का संपत्ति कर एवं अन्य कर बचाने के लिए गांवों में जमीन लेकर अपने उद्योग-धंधे लगाये जाते हैं. जिसका दुष्परिणाम उस गांव को भुगतना पड़ता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज ग्रामीण क्षेत्रों में भी कई आंगनबाड़ी कक्ष, मांगलिक भवन और इसी प्रकार के अनेक शासकीय भवनों का निर्माण किया जाता है. जो कि प्राय: छितर-बितर होते हैं अर्थात् गांव के चारों ओर बिखरे होते हैं इसलिए मेरा कहना है कि एक ऐसा प्लान बनाया जाए जिससे कि ऐसे सभी भवन, ऑफिस एक ही बिल्डिंग या परिसर में हों. इससे गांव की थोड़ी-बहुत जमीन बच जायेगी. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिए धन्यवाद.
श्री मधु भगत (परसवाड़ा)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को भी ह्दय से धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने हमारी पंचायत को तीन सामुदायिक भवन दिए हैं. इसके अलावा हमें 10 गांवों की स्ट्रीट लाईट भी मिली है, इसके लिए भी मैं धन्यवाद देना चाहूंगा. इस धन्यवाद के चलते हम आपसे उम्मीद रखते हैं कि आप ग्राम पंचायत परसवाड़ा, जो कि मेरा विधान सभा क्षेत्र है इसके अंतर्गत 137 पंचायतें हैं. प्रत्येक ग्राम पंचायत पूरी तरह से व्यवस्थित नहीं है लेकिन इतनी बड़ी व्यवस्था बनाना भी पंचवर्षीय में संभव नहीं है. इसलिए यदि आप हमारी 5-6 मांगें पूरी कर देते हैं तो हमें अति प्रसन्नता होगी क्योंकि व्यवस्थायें बहुत बड़ी हैं और उनके ऊपर यदि पूर्व में निरंतर कार्य किया जाता, अधिकारियों द्वारा जानकारी दी गई होती तो निश्चित तौर पर सभी ग्राम पंचायतों का विकास होता.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी मंत्री जी से मांग है कि प्रधानमंत्री सड़क योजना, मुख्यमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत मेरे यहां एक पंचायत कुर्जा है जिसके चार गांव हैं. उन चार गांवों की स्थिति यह है कि वे प्रधानमंत्री सड़क से जुड़ गए हैं लेकिन उसके 3 टोले, जो मजरे कहलाते हैं, वे दूर-दूर हैं और वहां चलने लायक मार्ग नहीं है. वहां जनसंख्या कहीं 150-200 है. यदि वहां मुख्यमंत्री मार्ग की सुव्यवस्थित व्यवस्था कर दी जाये तो हमारी प्रत्येक पंचायत मार्ग से जुड़ जायेगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी एक और मांग बहुत समय से जनमानस के हित की है कि ग्राम पंचायत सेवरी के तहत ग्राम कातोली है. खामी से कातोली के बीच में, नक्सलवादी बेल्ट है. नहरा का एक मार्ग, नहरा वहां नदी का पानी है उसके दूसरी ओर पहाड़ के किनारे पर गांव बसा हुआ है. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि इस पर गौर फरमायेंगे, यह बहुत जरूरी है. जब से देश आजाद हुआ है तब से वहां की जनसंख्या सौ के ऊपर नहीं हुई है. यह बहुत अच्छी बात नहीं है कि वहां की जनसंख्या ऊपर नहीं हुई है. इस पर अधिकारियों ने हमेशा ध्यान दिया है कि जनसंख्या कम होने की वजह से हम इसके ऊपर पुलिया का निर्माण नहीं कर सकते. वहां की रहवासियों के लिए आवागमन का कोई मार्ग ही नहीं है. वहां खेती है, रहवास है, आंगनबाड़ी भी है लेकिन कोई पहुंच मार्ग नहीं है. नदी को पार करके बच्चे सिर पर बस्ता रखकर, घुटनों तक पानी को पार करके जाते हैं. इससे कई जनहानियां हुई हैं और लोग लापता भी हुए हैं. इसी प्रकार ग्राम दोरिंदा, ग्राम खामी से कातोली के बीच में यदि एक छोटी सी पुलिया का निर्माण कर दिया जाये तो वहां के सवा सौ लोगों के परिवार के लिए आवाजाही का एक सुगम रास्ता बन जायेगा. बच्चों की पढ़ाई की अच्छी व्यवस्था हो जायेगी. मैं कुछ और सड़कों के विषय में अपनी मांग रखना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- आप मंत्री जी को लिखित में दे दीजियेगा.
श्री मधु भगत- मंत्री जी मैं आपको अपना पत्र ही दे दूंगा और मैं आपसे आश्वासन चाहूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय- नहीं-नहीं, मंत्री जी काम करते हैं. आप लिखित में दे दीजिये.
श्री मधु भगत- मंत्री जी, मेरा केवल इतना निवेदन है कि कातोली वाला मार्ग आप दिखवा लें. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, इसके लिए धन्यवाद.
श्री चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी (मेहगांव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने मेरा नाम मान्य किया. चूंकि संपूर्ण सदन ने एक स्वर से ग्रामीण विकास विभाग और उसके मंत्री जी द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा की है. मैं उसी कड़ी में जुड़ते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की मांग संख्या 30, 34, 53, 59, 62 का समर्थन करते हुए कहना चाहता हूं कि उन्होंने हमारे क्षेत्र की चिंता की लेकिन कुछ त्रुटियां हैं जिन्हें मैं इंगित करना चाहूंगा. कोर-नेटवर्क के सर्वे में कुछ त्रुटियां रह गई हैं और कुछ राजस्व गांव जो उसमें जुड़ने चाहिए थे वे उस समय नहीं जुड़ पाये थे इसलिए मेरा मा. मंत्री जी से कहना है कि कोर-नेटवर्क का सर्वे एक बार पुन: करवा लिया जाये या जो गांव छूट गए हैं उनका ही सर्वे करवाकर उनको, उसमें जुड़वा दिया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, इसके अलावा मैं कहना चाहूंगा कि उज्जवला योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना के सर्वे में भी कुछ त्रुटियां हैं. इसमें शासन की ओर से ऐसा कोई प्रावधान किया जाये कि जो लोग छूट गए हैं और वास्तविक हकदार हैं उनके नाम जोड़ने का प्रावधान किया जाये और इसके लिए किसी सर्वे सूची की बाध्यता न की जाये. मेरा आपके माध्यम से मा. मंत्री जी से अनुरोध है कि इन तीन विषयों पर वे गौर कर लें. पहला तो कोर-नेटवर्क में जो सड़कें और गांव रह गए हैं, उनको जिले के प्रशासन से पता करके ऐसे ही जोड़ दिया जाये बजाए इसके कि सर्वे की बाध्यता रखी जाये. दूसरा उज्जवला एवं प्रधानमंत्री आवास योजना में भी सिर्फ प्रशासन से पूछकर और प्रशासन से रिपोर्ट लेकर छूटे हुए लोगों को जोड़ दिया जाये, इस हेतु मैं मंत्री जी से अनुरोध करूंगा. धन्यवाद.
श्री प्रदीप अग्रवाल ( सेंवढ़ा):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 30, 34,53, 59 और 62 का समर्थन करता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपका और माननीय मंत्री जी का बहुत आभार व्यक्त करता हूं कि मध्यप्रदेश का लगभग 70 प्रतिशत एरिया ग्रामीण क्षेत्रों में आता है, लेकिन उन्होंने संपूर्ण व्यवस्थाएं करके ग्रामीण क्षेत्रों को नगरीय क्षेत्रों की तर्ज पर विकसित किया है. इनमें सबसे पहले हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में शादी होती थी तो बारात के रूकवाने के लिये कोई व्यवस्था नहीं होती थी, लेकिन माननीय मंत्री महोदय ने मंगल भवन और सामुदायिक भवन देकर गरीब वर्ग के लोगों को, जो बारात रूकाने की व्यवस्था की है, उसके लिये मैं समस्त ग्रामीणजनों की ओर से मंत्री महोदय का आभार व्यक्त करता हूं.इसमें एक छोटी सी कमी है. क्योंकि इसकी जो ड्राईंग है, वह पांच कमरे और एक किचन की है. मैं मंत्री महोदय से अनुरोध करता हूं कि इसमें एक हॉल और बनाया जाये और एक लेट्रिन-बॉथरूम बनायी जाये, जिससे कि बारात रूक सके और एक बड़ा हॉल होगा तो ज्यादा लोग उसमें रूक सकेंगे. दूसरी और जहां विकलांगों में, विधवा विकलांगों में बीपीएल की पात्रता को खत्म किया है, इसके लिये मैं मंत्रीजी का और मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं. साथ ही साथ इसमें विकलांगों को और जो 60 वर्षों से ऊपर वृद्ध हैं, उनको भी बीपीएल की पात्रता से मुक्त किया जाता है तो यह एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक कदम होगा और उनको लाभ मिल सकेगा, क्योंकि वह इसके वास्तविक हकदार हैं.
तीसरी यह जो सड़क की बात है तो हमारे क्षेत्र के और मध्यप्रदेश के लगभग 90 प्रतिशत ग्राम सड़क मार्ग से सिंगल कनेक्टिविटी से जुड़ चुके हैं, लेकिन आज भी उन्हें एक गांव से दूसरे गांव में जाना पड़ता है तो निश्चित रूप से उन्हें 15 से 20 किलोमीटर का चक्कर लगाकर जाना पड़ता है. जबकि एक गांव से दूसरे गांव की दूरी मात्र एक से डेढ़ किलोमीटर की होती है. यदि उनको भी इंटर- कनेक्टिविटी दे देते हैं तो निश्चित रूप से हमारी जो मुख्य सड़कें हैं, उन पर लोड भी कम होगा और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को एक गांव से दूसरे गांव में जाने में असुविधा भी नहीं होगी और अधिकांश किसानों के खेत भी उन्हीं ग्रामों में, उन्हीं सड़कों पर पड़ते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की कुछ ऐसी रोडे हैं, जैसे जुझारपुर से सिलोरी, भर्रोली से स्यावरी, थैली से सिलोरी, नदना से वहेरा, अटला से देभई, रतनगढ़ रोड से वुडेरा, वरजोरपुरा से पडौल, पचैरा से कंजौली, इन्दरगढ़ से वरिया, वरगुवां से कडूरा, जैतपुरा से सुखदवपुरा, मैधोरा से मलकपहाडी, भरसूला से खिरका, नीमडाडा से किटाना, दरयावपुर से रसूलपुरा, कसेरूआ से मैहरा और हेतमपुरा से करई, ऐसे बहुत सारे ग्राम जो कि राजस्व ग्राम नहीं है, जो सड़क मार्ग से वंचित रह गये हैं, लेकिन उनमें भी ग्रामवासी निवास करते हैं, बहुत सारे निवास करते हैं तो ऐसे ग्रामों को भी सड़क से जोड़ा जाये, जिससे कि वह ग्रामवासी अपना जीवन-यापन अच्छे ठंग से कर सकें. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री अनिल फिरोजिया (तराना) :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले तो आपके माध्यम से मंत्री जी को बधाई दूंगा कि उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास की जो गंगा बहायी है और जो सामूदायिक भवन प्रारंभ किये हैं, उसके लिये धन्यवाद दूंगा. आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि अभी हमारी ग्रामीण सुदृढ़ सड़क योजना को शायद रोका गया है, तो उसको प्रारंभ कर दें, जिससे की छोटे-छोटे मजरे-टोले जुड़ जायेंगे. दूसरा जो आरईएस के छोटे-छोटे स्टाप डेम हैं. अगर आप उसको बनवा देगें तो पानी रूकेगा और पीने के पानी की भी व्यवस्था होगी.
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर (मांधाता):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं ग्रामीण विकास विभाग की मांगों का समर्थन करते हुए दो-तीन सुझाव देना चाहता हूं.मेरी विधान सभा क्षेत्र का बहुत सारा हिस्सा इंदिरा सागर परियोजना और ओंकारेश्वर परियोजना में डूब में आ गया है. इंदिरा सागर परियोजना में जो क्षेत्र डूबा, उसमें विकास खण्ड, बलड़ी पहले जनपद था. वह पूरा डूब गया है,अब नया विकास खण्ड, किल्लौद बना है और वह 15 साल से अभी तक जनपद का कार्यालय, विकास खण्ड का कार्यालय, एक स्वराज भवन में छोटे से भवन में लग रहा है तो वहां पर एक नया जनपद का कार्यालय स्वीकृत कर दिया जाये. दूसरी एक दिक्कत हमारे यहां पर है कि जो डूब क्षेत्र के लोग है उसमें जो लेबर हैं, जिनको 93 हजार रूपये मात्र अनुदान दिया है. उनको भी प्रधानमंत्री आवास योजना में शामिल किया जाना चाहिये. वह लेबर हैं, उनका पक्का मकान भी नहीं बना है. उनको भी अगर प्रधानमंत्री आवास योजना में शामिल कर लिया जायेगा क्योंकि उन्होंने बहुत बड़ा त्याग इंदिरा सागर परियोजना, ओंकारेश्वर बांध के लिये किया है, यह उनका बहुत बड़ा त्याग है तो उनको भी प्रधान मंत्री आवास की यह सुविधा दी जाना चाहिये. आपने बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पँवार (ब्यावरा ):- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा केवल मंत्री जी से केवल इतना आग्रह है कि इस समय मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत जो सड़कों का डामरीकरण होने वाला था, उस पर रोक लग गयी है. मेरे विधान सभा क्षेत्र ब्यावरा की सड़कों के टेण्डर लगे थे, कोई पार्टी नहीं आयी, इसलिये उस पर रोक लग गयी है. सभी मुख्यमंत्री सड़कों पर डामरीकरण को रोका न जाये, वह अनवरत् चालू रखा जाये, यही मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है.
श्री मंगल सिंग धुर्वे (घोड़ाडोंगरी):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से केवल दो बातें कहना चाहता हूं. मैं आपके माध्यम से मंत्री से कहना चाहूंगा कि जो पंचायतों को 15 लाख रूपये का अधिकार दिया है, उसको बढ़ाकर 20 लाख रूपये कर दिया जाये, ताकि जो अन्य मदों से पुल-पुलिया के टेण्डर करके निर्माण कार्य किये जा रहे हैं. इसमें संभागीय स्तर पर टेण्डर लगता है और इसकी प्रक्रिया में काफी देर लगती है. यदि पंचायत को एजेंसी बना दिया जायेगा तो समय से भी काम होगा और गुणवत्तापूर्ण काम होगा.
आपके माध्यम से हर गांव में खेल मैदान और शमशान घाट, मंगल भवन और स्ट्रीट लाईट सबका काम कर दिया है. अब आपको केवल इसकी राशि 15 से 20 लाख रूपये करने का कष्ट करेंगे. सब जगह आपने शमशान घाट दिया है, लेकिन आपने हमारे आदिवासी क्षेत्र में, कई लोग जो हैं शव को शमशान घाट में लेकर नहीं जाते हैं, अपनी जमीन में दफनाते हैं. उसके लिये ऐसी कोई सरकारी जमीन हो, ताकि आदिवासी समुदाय के लोगों के लिये एक सरकारी जमीन निश्चित हो जाये. जिससे वहां पर वह लोग दफनाने का काम करेंगे. धन्यवाद.
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग(श्री गोपाल भार्गव):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग और सामाजिक न्याय विभाग की कल और आज हुई चर्चा के दौरान बहुत बड़ी संख्या में हमारे सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया और अपने सुझाव दिये. हमारे जो बेहतर काम हैं, उनकी सभी ने सराहना भी की, कुछ जो हमारी कमी है उसके बारे में उन्होंने हमको अपने विचार भी दिये.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले जिन्होंने शुरूआत की थी, वह हमारे छोटे भाई रजनीश हरवंश सिंह जी ने की थी. हमारे साथी विधायक हेमंत खण्डेलवाल, हरजीत सिंह डंग, गोविन्द सिंह जी पटेल, श्रीमती झूमा सोलंकी, श्री सूबेदार सिंह जी,यादवेन्द्र सिंह जी, बहादुर सिंह जी,रामपाल सिंह जी, श्रीमती चंदा गौर जी, श्रीमती ऊषा चौधरी जी, कमलेश्वर पटेल जी, दुर्गालाल विजय जी, के.पी.सिंह जी, आशीष शर्मा जी, कुँवर विक्रम सिंह जी,श्री सुन्दरलाल तिवारी जी,कैलाश जाटव जी,सुखेन्द्र सिंह जी, देवेन्द्र वर्मा जी, मुकेश चतुर्वेदी जी, प्रदीप अग्रवाल जी, अनिल फिरोजिया जी, मंगल सिंह जी धर्वे और भी अनेकों सदस्यों ने जो सुझाव दिये हैं. सभी सदस्यों ने बहुमूल्य सुझाव दिये हैं. मैं उनका स्वागत करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, पिछले लगभग 9 वर्ष से अधिक समय से, मैं इस विभाग को देख रहा हूं. उपाध्यक्ष महोदय, यह विभाग हमारे शासन के द्वारा, हमारे अधिकारियों के द्वारा यह एक प्रकार से रेगुलेटेड विभाग है. हमें राज्य सरकार के जो अधिकार मिले हैं उनका तो हम प्रयोग करते हैं, लेकिन भारत सरकार से जो योजनाएं आती हैं, उनके क्रियान्वयन का भी काम करते हैं. एक प्रकार से योजनाओं का अम्ब्रेला हैं. 5 वर्ष कोई योजना चलती है, उसके बाद जब लक्ष्य पूर्ण हो जाता है तो योजना बन्द हो जाती है. योजना में कहीं कुछ खामियां होती हैं, कमियां रहती हैं लेकिन योजना बन्द हो जाती है. इस कारण से हम खामियों को कभी पूरा नहीं कर पाते हैं. मसलन, किसी ने आवास के बारे में बताया, लेकिन आवास का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया इस बीच योजना बन्द हो गई, फिर नई योजना शुरू हो गई. विसंगतियां आती हैं, लेकिन हम अपने राज्य मद से या अन्य व्यवस्थाओं से दूर करने की कोशिश करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, सबसे पहला प्रयास यह है कि जो एक देश के अन्दर प्रवृत्ति बन गई है कि हम गांव छोड़कर शहर में जाएं, वहां रहें, वहां बेहतर वातावरण है, अच्छी चमकदार सड़कें हैं, पेयजल की व्यवस्था है, बिजली पूरी आती है, नालियां हैं, साफ-सफाई है, रोजगार के साधन हैं एवं संसाधन हैं. इन सब बातों को हम गांव के अन्दर पूरा करें ताकि गांव से शहरों की तरफ पलायन रुके. आज मुझे यह कहते हुए खुशी है कि इन 10 वर्षों में जो हमारा आंकड़ा है, मुझे खुशी है कि अन्य राज्यों में शहरों की तरफ जो पलायन बढ़ा है, जो प्रतिशत है, आज उसमें मध्यप्रदेश सबसे कम है, आज हम वह व्यवस्थाएं गांव में देने में सफल हुए हैं, जो शहरों के अन्दर हैं और इस कारण से मध्यप्रदेश में पलायन की वह स्थिति नहीं है, वह अनुपात नहीं है, जो अन्य राज्यों में है. इसमें कई राज्यों में तो 50-50 प्रतिशत हो गया है, लेकिन आज भी हमारा राज्य 70-30 प्रतिशत 10 वर्षों से बना हुआ है. यह इस बात का प्रतीक है कि हमने राज्य में ग्रामीण क्षेत्र में जो अधोसंरचना का विकास है, जो मूलभूत आवश्यकताएं हैं, उसे पूरा करने का काम मुकम्मल तरीके से किया है. हमने मंगल भवन बनाए, जो अभी सभी सदस्यों ने कहा. मुझे तो मालूम ही नहीं था कि मंगल भवन में इतनी प्रशंसा होगी, नहीं तो मैं तो इसमें राशि की व्यवस्था करने का काम भी करता. हमारे अधिकारी बैठे हैं, मैं तो आज ही चर्चा करूँगा और हो सकता हो तो अगला विधानसभा सत्र भी आएगा तो उसमें और ज्यादा धन्यवाद मिलेगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान - मंगल भवन के लिए प्रत्येक सदस्य को धन्यवाद दिया जाये.
श्री गोपाल भार्गव - उपाध्यक्ष महोदय, हम कोई अप्रमाणिक या कच्ची बातें नहीं करना चाहते हैं. जो कुछ भी होगा, हम अभी अपने एसीएस और अधिकारियों से चर्चा करके करने की कोशिश करेंगे. जो भी आवश्यकता होगी, जैसा माननीय सदस्यों ने कहा कि मुझे आज ठीक लगा, कल भी ठीक बात हो रही थी, हम कभी-कभी नकारात्मक बातें करते हैं तो हमें लगता है कि हम लोकतंत्र को कहीं न कहीं आघात पहुँचाने का काम कर रहे हैं, हम लोकतंत्र को कहीं न कहीं कमजोर करने का कार्य कर रहे हैं. जो बेहतर काम हैं, वे सामने वाले करें या हम करें, वह कार्य चाहे दिल्ली में हो या कहीं और हो. उसके लिए यदि हम अच्छा काम कर रहे हैं और हमें प्रशंसा मिलती है तो इससे हमें ऊर्जा मिलती है, उत्साह बढ़ता है, इससे कार्य करने में मदद मिलती है नहीं तो सामान्यत: यह होता है कि उन्होंने कहा कि इससे क्या होता है ? इससे क्या लाभ हुआ ?
उपाध्यक्ष महोदय, मुझे बहुत खुशी है कि हमारे तमाम सदस्यों ने आज इसको एप्रीशिएट किया, इसका समर्थन किया. जो अच्छे काम हुए हैं, उसके लिए धन्यवाद दिया है. गांव के अधोसंरचना के विकास के लिए जहां मंगल भवन की सभी ने बात की है, पंचायत भवन भी अब मध्यप्रदेश में एक भी बाकी नहीं रहेगा, जिसका खुद का भवन नहीं हो, हमने नये पंचायत भवन मंजूर कर दिए हैं. (मेजों की थपथपाहट) खेल मैदान सभी शत-प्रतिशत पंचायतों में मंजूर किए हैं, शमशान, अच्छी सड़कें, पक्की सड़कें, गांव तक एप्रोच रोड, प्रधानमंत्री सड़क, मुख्यमंत्री सड़क हो और गांव के अन्दर पक्की सीसी रोड, नालियां, ड्रेनेज की सारी की सारी व्यवस्थाएं हैं, इसके अलावा जो हिन्दुस्तान में मैंने 60-70 के दशक में एक फिल्म देखी थी- 'रोटी, कपड़ा और मकान'. इसमें इंसान की तीन जरूरत होती है- रोटी, कपड़ा और मकान. हम दो जरूरतें पूरी कर रहे हैं. आज 20 रुपये किलो का गेहूँ खरीद कर हम 1 रुपये किलो के भाव से गरीब आदमी के लिए मध्यप्रदेश में दे रहे हैं, चावल दे रहे हैं. यह रोटी की आवश्यकता हमने पूरी करने का काम किया है और दूसरा काम पिछले साल से हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने और मध्यप्रदेश की सरकार ने 60 और 40 के आंकड़े से, उन्होंने 60 प्रतिशत और हमने 40 प्रतिशत राशि का समायोजन करके, आज हमारे विभाग की सबसे ज्यादा राशि यदि जा रही है और सबसे ज्यादा खर्च हो रही है तो वह प्रधानमंत्री आवास में खर्च हो रही है क्योंकि हमें 40 प्रतिशत राशि मिलानी पड़ रही है. लेकिन हम खर्च कर रहे हैं ताकि मध्यप्रदेश के किसी गरीब आदमी के घर, किसी कच्चे मकान वाले के घर, मिट्टी से बने घर में, ऐसा मकान जिसमें रात्रि में कोई महिला और पुरुष सोता था, उसका परिवार सोता था, ऐसे कच्चे मकान में तो रात्रि में चांद और सितारे दिखा करते थे. वह दिन में सोता था, दिन में रहता था तो उसे सूरज की रोशनी का सामना करना पड़ता था. इस भावना को दृष्टिगत रखते हुए हमने कोशिश की है कि मध्यप्रदेश की सरजमीं पर एक भी आवासहीन व्यक्ति ऐसा न रहे, जिसका कच्चा मकान हो. इसके लिए मुझे कहते हुए खुशी है कि शानदार आवास की व्यवस्था एवं आंगनवाडि़यों की व्यवस्था है, हमने यह तय किया है कि मध्यप्रदेश की एक भी आंगनवाड़ी ऐसी नहीं रहेगी, महिला बाल विकास के सहयोग से. हमने यह तय किया है कि पंचायत विभाग उसमें पैसा मिला रहा है. हमारी पंचायत इस काम को कर रही है. मैं यह कहना चाहता हूँ कि अगले वर्ष तक हम महिला बाल विकास के माध्यम से यह कोशिश करें कि मध्यप्रदेश में एक भी आंगनवाड़ी ऐसी न रहे, जो स्वीकृत हो लेकिन वह भवनविहीन हो. हम उसके लिए बेहतर से बेहतर 8 लाख रुपये की आंगनवाड़ी बनाकर देंगे. यह मुख्यमंत्री जी की कल्पना है, हमारी कल्पना है कि हर गांव का एक तालाब होना चाहिए. हमने यह महत्वाकांक्षी कार्यक्रम दिया हुआ है. जैसे अभी कटाई समाप्त होगी, उसके बाद हमारा फुर्सत का सीजन आएगा तो हम गमियों के सीजन में इस काम को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ हाथ में लेंगे, करवाएंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, मुझे यह कहते हुए खुशी है कि मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में पहले कुल 28 प्रतिशत शौचालय थे, आज हम 85 प्रतिशत तक पहुँच गए हैं. इससे बड़ी क्या बात हो सकती है ? हमारे डॉ. गोविन्द सिंह जी और श्री के.पी.सिंह (कक्का जू) कह रहे थे. मैंने कहा कुछ हमारे यहां ट्रेडीशनली भी है. यह बात सभी लोग जानते हैं कि हम सुबह-सुबह बीड़ी पीते हुए जब तक लोटा लेकर बाहर तक नहीं जाएंगे तो वहां ऐसी स्थिति होती है. हमें यह स्वीकार करना चाहिए, हम लोग भी गांव से आए हैं. हमें परम्पराएं मालूम हैं, हमें वहां के ट्रेडीशन्स मालूम हैं, हमें वहां की सारी व्यवस्थाएं मालूम हैं. मैं नहीं चाहता हूँ कि सीटी बजाकर, हम किसी प्रकार से उन लोगों को प्रताडि़त, लांछित करके इस व्यवस्था को अलाऊ करें. हमें जन-जागरण इतना करना पड़ेगा, हमें लोगों में इतनी अवेयरनेस पैदा करनी पड़ेगी कि गन्दगी फैलती है तथा घरों की मर्यादा भंग होती है. मैं कन्यादान समारोह में जाता हूँ और देखता हूँ एवं अन्य शादियों में जाता हूँ कि विवाह होकर बहू घर पर आई और दूसरे दिन उसके पैर में माहोर लगा है, हल्दी लगी है, लेकिन जब वह लोटा लेकर गांव के बाहर शौच करने के लिए जाती है, इससे बड़ी मर्यादा भंग करने की बात शायद हमारे हिन्दू समाज और पूरी संस्कृति पर नहीं होगी. हमने यह प्रयास किया है कि 2 अक्टूबर तक हम पूरे मध्यप्रदेश को शौचालय से मुक्त कर देंगे, इसमें पूरे जोर-शोर के साथ प्रशासन लगा हुआ है. कहीं कोई कमजोरी होगी. मैं यह मानकर चलता हूँ कि किसी ने कहा कण्डे रख दिए, किसी ने कहा कि लकड़ी रख दी, किसी ने कहा कि कुछ भी रख दिया है. यह एक सामान्य सोच की बात है. जैसा कि डॉक्टर साहब ने कहा था. विज्ञापन इसीलिए दिये जाते हैं कि इससे कुछ सीखो, नुक्कड़ नाटक होते हैं, तमाम प्रकार के प्रयास लोगों को समझाने के लिए होते हैं, यह जिला प्रशासन भी करता है. कभी-कभी जिला प्रशासन, हमारा विकासखण्ड का प्रशासन या फिर हमारे सब डिवीजनल अधिकारी अतिरेक में आकर कुछ भी निर्णय ले लेते हैं, लेकिन मैं मानकर चलता हूँ कि यह अच्छे उद्देश्य के लिए किया गया काम है, इसमें कोई बहुत ज्यादा आपत्ति करने की बात नहीं है.
श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, इसमें शासन की राशि का सिर्फ दुरुपयोग हुआ है.
श्री गोपाल भार्गव - उपाध्यक्ष महोदय, यह माननीय सदस्य भी जानते हैं. ये राजनीतिक परिवार से हैं. इनके पिता लम्बे समय तक विधायक और मंत्री भी रहे हैं.
श्री मुकेश नायक - उपाध्यक्ष महोदय, मैंने अपने विधानसभा क्षेत्र के रैपुरा के आसपास के 10 गांवों का दौरा किया, मैं बहुत विनम्रतापूर्वक मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि जब शौचालयों का निरीक्षण किया तो शौचालयों में गांव के आदमी कण्डे और भूसा रखे हुए हैं. (हंसी)
श्री गोपाल भार्गव - उपाध्यक्ष महोदय, मुकेश भाई ने जो कहा है .....
श्री शंकरलाल तिवारी - आप जन-जागरण कीजिए.
श्री गोपाल भार्गव - मुकेश भाई, मेरे ही विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं. मैं इनसे कहना चाहता हूँ कि क्या कोई आईपीसी में संशोधन करके, हम इसको रोक सकते हैं ? क्या हम कानून बना सकते हैं ?
श्री मुकेश नायक -- आप सही कह रहे हैं, जनजागरण की आवश्यकता है. जागरूकता की आवश्यकता है, इसके साथ ही ब्लाकों में जो भ्रष्टाचार है, उसको सी.ई.ओ. के स्तर पर रोकने की आवश्यकता है. यदि12 हजार रूपये की राशि स्वीकृत की गई, इसमें से 3 हजार रूपये ले लेने पर उसके पास 9 हजार रूपये बचते हैं और एक हजार रूपये हितग्राही ने खर्च कर देने पर सिर्फ आठ हजार रूपये ही बचते हैं. अब आठ हजार में शौचालय ऐसा ही बनेगा जिसमें भूसा और कंडा रखे जायेंगे.
श्री अमर सिंह यादव - निर्मल गांव के तहत पांच सौ रूपये में आपकी सरकार ने आवास बनाये थे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - श्री मुकेश भाई के एरिये में ही केवल तीन हजार रूपये की वसूली होती होगी.
श्री के.पी.सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, मैंने पानी की व्यवस्था के बारे में आपसे सवाल किया था, उस बारे में आप क्या सोच रहे हैं ? यह तय है कि जो श्री मुकेश जी ने कहा है, हम भी वही कह रहें हैं कि जब तक आप पानी की व्यवस्था नहीं करेंगे उसमें कंडा भूसा ही रखा मिलेगा और कुछ नहीं मिलेगा.
श्री गोपाल भार्गव - उपाध्यक्ष महोदय, जो गांव ओ.डी.एफ. हो रहे हैं हमारी इसमें कोशिश यह है कि नल-जल योजनायें जिन गांवों में प्रचलित हैं, जिन गावों में क्रियाशील हैं, उन गांवों में सबसे पहले ओ.डी.एफ. करें, शौचालय बनवायें. हमारी इसके पीछे यही मंशा थी कि जिन गांवों में सोर्स है, बोर है, सब कुछ है या फिर घरों तक पानी जाता है, हमने सबसे पहले शुरू के चरण में वहां पर इसी बात को लिया था. लेकिन भारत सरकार ने कहा है कि जो राज्य कर लेगा बहुत अच्छा होगा, इसलिए मुझे आज कहते हुए खुशी है कि हम इस मामले में अन्य राज्यों की तुलना में काफी बेहतर हो चुके हैं. जैसा मैंने कहा कि 85 प्रतिशत ग्रामीण आबादी जो कभी 27 और 28 प्रतिशत होती थी, वह आबादी अब 85 प्रतिशत इन दो तीन वर्षों में पहुंच गई है. इससे ज्यादा खुशी की ओर कोई बात नहीं हो सकती है. हो सकता है कि इसमें दो-तीन प्रतिशत खामियां हो सकती हैं और कुछ भी हो सकता है लेकिन हमने उसको मनरेगा से ठीक करने का काम किया है. इसमें जो कुछ भी गड़बड़ी थी, जो टूट-फूट गये थे, जो भी उसमें खामियां थी या फिर जो करने लायक नहीं रहे हमने उनके लिये मनरेगा से कनवरजेंश करके उसके लिये व्यवस्था की है. यह बात पहले भी हमारे अधिकारियों के माध्यम से सामने आ गई थी.
उपाध्यक्ष महोदय, मुझे बहुत खुशी है कि और हमारे विभाग के अधिकारियों की मदद से देश में प्रधानमंत्री जो आवास योजना शुरू हुई है, हमें उस आवास योजना में हिंदुस्तान में अव्वल नंबर मिला और सबसे ज्यादा आवास बनाने में हम कामयाब रहे हैं.(मेजों की थपथपाहट) मैं किसी अन्य राज्य का नाम नहीं लेना चाहता हूं लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि उन राज्यों में यदि 6 लाख आवास बनाने थे तो उन राज्यों में सिर्फ 6 हजार आवास बन पायें हैं. यह हमारी कार्यक्षमता का और हमारे अधिकारियों और विभाग की कार्यक्षमता का परिचायक है और हमारे जो मैदानी अधिकारी हैं, उन सबकी इस कार्यक्रम के प्रति इस लक्ष्य की प्राप्ति के प्रति उनके समर्पण का, उनकी निष्ठा का मेहनत का सबसे बड़ा सबूत है. हमने पुरानी आवास योजनाओं में भी 6 लाख 12 हजार के करीब घर बनाये थे, उनके बारे में बहुत विस्तार से नहीं जाना चाहता हूं. अब जैसा कई सदस्यों ने बताया कि किसी गांव में एक आवास मिलता था, किसी गांव में दो आवास मिलते थे, किसी गावं में तीन आवास मिलते थे और उसी में बंटवारा हो जाता था. इस प्रकार हमें वह इंदिरा आवास कहीं बहुत ज्यादा देखनें को नहीं मिले हैं. लेकिन मैं इस बात को दावे और प्रमाण के साथ के साथ कह सकता हूं कि जो प्रधानमंत्री के यहां से 2011 का डेटा आया है और उसमें से जो स्वीकृत हुए हैं, उनमें से लगभग 99 प्रतिशत आवास बन रहे हैं या बनकर तैयार हो चुके हैं. इस प्रकार उसमें 6 लाख के करीब आवास बनकर तैयार हो चुके हैं और हमें नया लक्ष्य मिला है. प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत हमें 2016-2017 में 04 लाख 44 हजार आवास, 2017-18 में 3 लाख 89 हजार आवास तथा 2018-2019 में 5 लाख 11 हजार आवासों का लक्ष्य प्राप्त हुआ था. हम कुल 5 लाख 92 हजार आवास पूर्ण करके पूरे देश में प्रथम स्थान पर हैं. खास तौर से एक खुशी की बात है कि मुख्यमंत्री जी की भी यह इच्छा थी कि जो समाज का ऐसा वर्ग है जो आज तक मुख्यधारा में नहीं आ पाया है, जिसमें जनजाति के लोग सहारिया लोग हैं, भारिया लोग हैं, आदिवासी लोग हैं और भी अन्य अनेकों वर्ग के लोग हैं, बेगा वर्ग के लोग हैं, हमने इनके लिये अलग से तीस हजार आवासों के बनाने का लक्ष्य रखा हुआ है. मुझे लगता है कि इसमें सहारिया, भारिया और बेगा लोगों में एक भी ऐसा परिवार नहीं रहेगा जो आवासहीन रहेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, हमें आवास योजना की जो राशि प्राप्त हुई थी इसके बारे में चर्चा करना चाहता हूं कि 2016-17 में हमें 2479 करोड़ रूपये की राशि प्राप्त हुई थी जिसमें केंद्रांश 1487 करोड़ रूपये था और राज्यांश 991 करोड़ रूपये था. 2017-18 में 6312 करोड़ रूपये की राशि प्राप्त हुई, जिसमें केंद्रांश 2747 करोड़ और राज्यांश 2525 करोड़ रूपये था. हमको यह राज्यांश 60-40 के अनुपात के कारण प्राप्त हुआ था, यह अभूतपूर्व है. किसी योजना में इतनी बड़ी राशि आज तक किसी राज्य के अंदर प्रावधानित नहीं हो पाई थी. यह हम सबके लिये गर्व की बात है आज चूंकि बजट पर चर्चा हो रही है और इस कारण से मैं इस बात को रेखांकित करना चाहता हूं कि इतनी बड़ी राशि का हमारे मुख्यमंत्री जी ने और सभी अधिकारियों ने एक महत्व के साथ इसको प्रावधानित किया और राशि को स्वीकृत किया.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी (मेहगांव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक अनुरोध यह है कि जब मुख्यमंत्री आवास योजना प्रारंभ हुई तब उस समय प्रधानमंत्री आवास की योजना नहीं थी, अगर उन आवासों को प्रधानमंत्री आवास में बदल दिया जाये क्योंकि किसी को बगल में प्रधानमंत्री आवास मिला और किसी को मुख्यमंत्री आवास मिला, तब उसको अपना पैसा ऋण के रूप में वापस करना होता है और एक को नहीं करना है तो इससे बड़ी विसंगति हो रही है.
श्री कमलेश्वर पटेल - मुख्यमंत्री आवास योजना ही बंद हो चुकी है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - मुझे मालूम है मैं वही कह रहा हूं और मेरा यही अनुरोध है कि उसको परिवर्तित करके प्राधानमंत्री आवास योजना में कर दिया जाये तो वह ऋण से मुक्त हो जायेगा,
02.56 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, इनका प्रस्ताव अच्छा है इसे गंभीरतापूर्वक विचार कर लें.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन लोगों के आवास स्वीकृत नहीं हुए हैं और हमारा जो 2011 में आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण हुआ था और 2011 में जिनके आवास स्वीकृत नहीं हुए हैं जिनके सूची में नाम नहीं आये हैं उनके बारे में भारत सरकार के निर्देश आ गये हैं और हम उनकी एक पूरक सूची तैयार करके भारत सरकार को प्रेषित करेंगे. आज मैं इस सदन को बताना चाहता हूं कि जो लोग वंचित रहे और अभी जिनके नाम सूची में नहीं आये हैं आप सभी सदस्यगण, विधायकगण उनको बता दें कि वह चिंता न करे. जैसे ही हमारी यह सूची पूरी हो जायेगी, एडजस्ट हो जायेगी. इसके बाद में जो लोग आज की तारीख में वंचित हैं और कह रहे हैं कि हमारी क्या गलती जो हमारा नहीं हुआ, इस गांव में 150 हो गये और कोई गांव में एक भी नहीं हुआ है और किसी गांव में दो तीन हुए हैं, तो इस प्रकार की सारी की सारी जो खामियां हैं, कमियां है जो कोई चूक हो गई होगी तो वह सारी की सारी चूक दूर कर ली जायेगी और उसकी सूची बनाकर पूरे राज्य से भारत सरकार को प्रेषित कर दी जायेगी. भारत सरकार के निर्देश हैं कि इसके बाद वह इस सूची पर काम करना शुरू कर देंगे, यह सबसे बड़ी उपलब्धि की यह बात आप सभी विधायक, सदस्यों की जानकारी में है.
श्री हरदीप सिंह डंग - मंत्री जी पूरे के पूरे गांव छूट गये हैं, क्या वह ले लिये जायेंगे ?
श्री गोपाल भार्गव - मैं उनके बारे में भी बता रहा हूं यदि उसमें पात्र लोग होंगे तो वह ले लिये जायेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग - धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत - ऐसे कई गांव है जो आपके पोर्टल पर सर्वे के बाद भी नहीं आ पायें हैं और वह गांव छूट गये हैं. मेरे ब्लॉक में दो तीन गांव इस तरह के हैं, जो प्रधानमंत्री आवास की सूची में ही नहीं लिये गये हैं और पोर्टल पर दर्ज होने से छूट गये हैं.
श्री गोपाल भार्गव - मेरा ही विधानसभा क्षेत्र है, अब मैं क्या बताऊं. (हंसी)
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय मंत्री जी वह तो आप पहले ही बता चुके हैं. (हंसी)
श्री रामनिवास रावत - आपका ही विधानसभा क्षेत्र है तो आप इसमें सुधार करवाने का प्रयास करें.
श्री अनिल फिजोरिया - माननीय मंत्री जी, आपने बहुत अभूतपूर्व योजना लागू की है. इसके लिये आपको बधाई और साधुवाद देना चाहता हूं लेकिन माननीय मंत्री जी जो छोटे-छोटे स्टाप डेम हैं, उनके लिये आप जरूर कुछ करना क्योंकि पानी की बहुत समस्या आ रही है. दूसरा बात यह है कि पंच परमेश्वर जो योजना है इसमें हाथ जोड़कर निवेदन है कि इस साल सूखे को ध्यान में रखते हुए उसमें भी जल के लिये पंचायत ही वह बोरिंग करा ले या मोटर ले ले, उसकी व्यवस्था आप यहां से निर्देशित करेंगे तो कृपा होगी.
श्री गोपाल भार्गव - पंचायत अगर बोर करेगी तो पीएचई क्या करेगी ?
श्री अनिल फिजोरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, पीएचई नहीं कर रही है यह मैं सुबह ही तो चिल्ला रहा था परंतु माननीय अध्यक्ष महोदय जी ने बोलने ही नहीं दिया था. मैंने सुबह इसलिए चिंता व्यक्त की थी.
श्री रामनिवास रावत - श्री मुकेश चौधरी जी ने प्रस्ताव दिया था, उस पर विचार कर लें.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय रावत जी आप वरिष्ठ सदस्य हैं, आप जानते हैं हम कुछ प्रतिशत बढ़ा दें. अभी हमने दस प्रतिशत राशि का प्रावधान पंच परमेश्वर से निकालकर और हमने दस प्रतिशत का रखरखाव के लिये जैसे जो कुछ भी पाईप लाईन टूट फूट जाती है और मोटर जल जाती है मोटर खरीदना होती है, और भी अन्य काम करना होता है इसके लिये दस प्रतिशत राशि आरक्षित की है. हम अभी अधिकारियों के साथ में चर्चा करके यह कोशिश करेंगे. यह बात सही है कि इस साल कम वर्षा के कारण यह समस्या आई है और पीएचई से भी हम चर्चा करेंगे जितना वह कर सकेंगे करेंगे नहीं तो हम अपने संसाधनों से करेंगे.
श्री अमरसिंह यादव - पीएचई ने तो मना ही कर दिया है, वह पूरा-पूरा मामले आपके ऊपर ही है.
श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, पीएचई का इतना बुरा हाल है कि बता नहीं सकते हैं. (व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय - ऐसा लग रहा है कि प्रश्नकाल चालू हो गया है , कृपया आप व्यवधान न डालें. (व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप सभी बैठ जायें. अगर हर व्यक्ति थोड़ी-थोड़ी देर में बोलेगा तो मंत्री जी हर व्यक्ति का उत्तर कैसे देंगे? जो सदस्य खड़े होकर बोल रहे हैं वह सब बोल चुके हैं. कृपया आप सभी बैठ जायें. (व्यवधान).....
श्री अमरसिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह महत्वपूर्ण मुद्दा है, यह पूरे प्रदेश का मुद्दा है. (व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय – वही बात तो हो रही है, वही आप बोल रहे हैं अभी अनिल फिरौजिया जी ने भी यही बोला है. (..हंसी)
श्री गोपाल भार्गव – अध्यक्ष महोदय, सभी लोग जानते हैं कि नगरीय क्षेत्रों में पेजयल के लिए पीएचईडी का अपना खुद का तंत्र है, पीएचईडी ग्रामीण क्षेत्रों में काम करता है.
डॉ. कैलाश जाटव – अध्यक्ष महोदय, पीएचईडी भी भार्गव जी को दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय – सदस्य कर रहे हैं पीएचईडी भी भार्गव जी को दे दें. (..हंसी)
श्री गोपाल भार्गव – यह मेरे हाथ में नहीं है.
श्री रामनिवास रावत – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन करना चाहूंगा. मेरी विधान सभा में तीन चार गांवों में तीन मोटरें खराब हैं, काफी दिनों से मोटर खराब है और लोग पांच-पांच किलोमीटर दूर से पानी लेकर आ रहे हैं. कलेक्टर को बताया तो कलेक्टर इसमें ध्यान नहीं दे रहे.
अध्यक्ष महोदय – हर क्षेत्र की चर्चा मंत्री जी कैसे कर पाएंगे?
श्री रामनिवास रावत – इस राशि को पेयजल पर खर्च करने के लिए 10 प्रतिशत बढ़ा दें या पेयजल संबंधी संधारण का काम पीएचईडी को दे दें.
श्री गोपाल भार्गव – अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को जानकारी देना चाहता हूं कि हर जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में एक समिति बनी है, पीएचईडी उसका प्राक्कलन तैयार करके कलेक्टर को देता है और कलेक्टर उसको तुरंत स्वीकृत करते हैं. (...व्यवधान)
श्री के.पी. सिंह – वित्त मंत्री जी के भाषण में यह कहा गया था, लेकिन यह काम हकीकत में नहीं हो पा रहा है इसलिए आपसे कह रहे हैं आप पीएचईडी को टाल देते हैं और पीएचईडी वाले कुछ नहीं कर पा रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव – उनके तरफ 800 करोड रूपए की राशि है.
श्री के.पी. सिंह – 800 करोड़ रूपए कहां जा रहा है? वही बात तो आपसे कर रहे हैं कि आप कुछ करो.
अध्यक्ष महोदय – कृपा करके बैठ जाए और विषय को पूरा होने दीजिए. यह तो अनंत काल तक चलेगा, गर्मी में पूरे क्षेत्रों में समस्या है.
डॉ कैलाश जाटव – माननीय अध्यक्ष महोदय, जो यह विषय आया है कि कलेक्टर बैठक लेते हैं, जबकि कलेक्टर पानी के लिए बैठक नहीं लेते हैं.
अध्यक्ष महोदय – मेरा सदस्यों से अनुरोध है कि आपकी सभी बात आ गई है, मंत्री जी ने बात सुन भी ली है, उस पर मंत्री जी को निर्णय करने दीजिए, उनको बात कहने दीजिए, जब आप मंत्री जी को कहने नहीं देंगे तो बात कैसे बनेगी?
श्री रामनिवास रावत – स्वच्छता शौचालय अभियान असफल हो रहा है. लोटे में से पानी छुड़ा लेते हैं, लोटा छुड़ा लेते हैं, शौच पर भी जुर्माना.
अध्यक्ष महोदय – रावत जी, बैठ जाइए, अब तो सहयोग करिए.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) – अध्यक्ष जी, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि हम एक पहलू देख रहे हैं कि कार्यकर्ता सीटी बजाकर खुले में शौच करने से रोकते हैं, लेकिन दूसरा पहलू हम देखें तो ऐसे कार्यकर्ता भी काम कर रहे हैं जो दो-दो महीने तक अपनी चप्पलें और जूते त्यागकर ओ.डी.एफ. के लिए प्रयास कर रहे हैं. बुराई करना तो बहुत आसान है लेकिन उनकी प्रशंसा भी करना चाहिए कि जिन्होंने अपने पांव के जूते छोड़ दिए सिर्फ इसलिए कि उनका गांव ओ.डी.एफ. हो जाए, उनकी तारीफ करना चाहिए. कार्यकर्ता अपने पांव की चप्पलें त्यागकर सीटी बजा रहा है और दूसरे को प्रेरित कर रहा है कि इस तरह से गंदगी न करें, बल्कि गांव को ओ.डी.एफ. करें. दोनों पहलू देखना चाहिए एक तरफा बात करना न्याय नहीं है.
श्री रामनिवास रावत –जुर्माना करते हैं शौच पर और पानी की व्यवस्था नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय – रावत जी आप बैठ जाए. आप हर बार खड़े हो रहे हैं. यह क्या हो रहा है क्या प्रश्नकाल चह रहा है? आप सभी अपनी बात कह चुके है. यहां पर 32-33 सदस्यों के नाम हैं, अब मंत्री जी को बोलने दीजिए, जो दिमाग में आता है बोलने के लिए फिर खड़े हो जाते हैं. ओमप्रकाश जी आप बोलिए.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद)– माननीय अध्यक्ष महोदय, वास्तव में यह हर गांव की समस्या है कि पेयजल व्यवस्था में बहुत समस्या आ रही है. मेरा एक छोटा सा सुझाव था कि 10 प्रतिशत या 20 प्रतिशत देने के साथ अगर सरपंच के ऊपर यह जिम्मेदारी आ जाती है मेंटेनेंस और पेयजल की तो कहीं न कहीं वह अगले चुनाव को ध्यान में रखकर ज्यादा सावधानीपूर्वक उस व्यवस्था को पूरी करेगा.
अध्यक्ष महोदय – सखलेचा जी हो गया, अब कोई उदाहरण नहीं.
श्री गोपाल भार्गव – माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों के सुझाव के अनुसार जो जिले ज्यादा संक्रमित है जहां पेयजल की ज्यादा समस्या है, उन जिलों के लिए हम अलग से विचार कर लेंगे कि कितनी राशि की व्यवस्था करनी है. लेकिन जैसे मैंने कहा कि हमारा जो लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग है यह विभाग ही इस काम के लिए है कार्य निष्पादित भी करता है, बनाता भी वही है, बोर भी वही करता है, सोर्स भी वही करता है, उसके सर्वे डिवीजन भी हैं, टंकियां भी वही बनाता है, ओवरहेड टैंक भी वही बनाता है. मुझे इस समस्या के बारे में मालूम है, मुख्यमंत्री जी भी इस समस्या को लेकर चिन्तित है हम उनसे अंतर विभागीय चर्चा करके और भी राशि की यदि आवश्यकता होगी तो हम पंच परमेश्वर या और भी किसी मद से इसके लिए राशि का प्रावधान करने का काम करेंगे. सबसे बड़ी आवश्यकता इसमें सामाजिक जागरुकता की है. हमने कई ऐसे समाचार पढ़े कि घर में शैचालय नहीं है तो दूसरे दिन महिला पति को छोड़कर चली जाती थी और जब तक शौचालय नहीं बनता तब तक नहीं आती थी. अभी कुछ महीने पहले एक फिल्म आई थी, टॉयलेट-एक प्रेमकथा, यदि हमारे सदस्य उस फिल्म को देख लेते तो इस विषय पर चर्चा ही नहीं करते यह बड़ी उद्देश्यपूर्ण फिल्म बनी है.
अध्यक्ष महोदय, स्वच्छ भारत मिशन 2 अक्टूबर 2014 से प्रारंभ हुआ, उस समय 29.7 प्रतिशत घरों में शौचालय की व्यवस्था थी. मिशन प्रारंभ से अब तक कुल 53 लाख 23 हजार 900 घरों में शौचालय निर्मित हुए, अब 85.33 प्रतिशत घरों में शौचालय की सुविधा हैं. वर्ष 2017-18 में घरेलू शौचालय निर्माण के लक्ष्य 22 लाख 75 हजार के विरूद्ध अब तक 22 लाख 34 हजार शौचालय निर्मित किए गए हैं. देश में मध्यप्रदेश इस वर्ष शौचालय निर्माण में दूसरे स्थान पर है. (...मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, इस योजना इस योजना अंतर्गत इस वर्ष में अब तक कुल राशि का 2288 करोड़ रूपए व्यय किया ज चुका है, जिसमें से 401 करोड़ रूपए की राशि अनुसूचित जाति उपयोजना में तथा 486 करोड़ रूपए की राशि अनुसूचित जनजाति उपयोजना में व्यय किया जा चुका है. प्रदेश के 17 जिले के 23597 ग्राम खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं. हम सभी के लिए यह गौरव की बात है.
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2018-19 में स्वच्छ भारत मिशन योजना के अंतर्गत हम 2234 करोड़ की राशि का व्यय करेंगे ऐसा अनुमान है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के मामले में भी आज हम कह सकते हैं कि हमारा प्रदेश हिन्दुस्तान में लगभग अव्वल नंबर का प्रदेश है. यह हमारे कर्मचारियों एवं हमारी संस्था ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण की मेहनत है इस कारण से हमारी जो इज्जत बनी, इसके कारण हमें भारत सरकार ने कई बार पुरस्कृत भी किया है. हमारे पीएमजीएसवाय अंतर्गत 2016-17 में 969 किलोमीटर गैर परम्परागत पद्धति से सड़कों के निर्माण हेतु भारत सरकार द्वारा प्रथम पुरस्कार एवं निर्धारित लक्ष्य के विरूद्ध 5081 किलोमीटर सड़कों के निर्माण हेतु भारत सरकार द्वारा हमें तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ है, यह हम सभी के लिए गर्व की बात है. हम इसमें प्रथम नंबर पर आने की कोशिश कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई), के अंतर्गत गुणवत्ता एवं निर्माण हेतु भारत सरकार के लक्ष्यों की पूर्ति पर भारत सरकार के द्वारा प्रोत्साहन राशि 200 करोड़ रूपया और प्रदत्त राशि 2017-18 के लिये प्रोत्साहन राशि 219 करोड़ रूपये हमें प्राप्त हुई है. अब नेश्नल क्वालिटी मानीटर के लोग आते हैं यह हमारे अधिकारी नहीं करते हैं, राष्ट्रीय स्तर के अधिकारी और विशेषज्ञ आते हैं और वह देखते हैं कि मध्यप्रदेश की प्रधानमंत्री योजना की सड़क अन्य राज्यों से बेहतर हैं और इसी कारण से हमें यह प्रति वर्ष 200 करोड़ रूपये से ज्यादा की राशि प्रोत्साहन के रूप में प्राप्त हुई है. हमारे विभाग के लिये विभाग के अधिकारियों और सबके लिये यह गौरव की बात है.
अध्यक्ष महोदय, हम लोग अभी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत जितनी सड़कें हमने स्वीकृत की हैं यह लोक निर्माण विभाग की सड़कों से लगभग डबल हो गई हैं. यह सुनकर के सदन को आश्चर्य होगा. लोक निर्माण विभाग द्वारा आजादी के पूर्व से और आजादी के बाद तक जितनी सड़कों का निर्माण किया है उससे ज्यादा लगभग डबल लंबाई की सड़कें प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश के ग्रामों में अभी तक बन चुकी हैं. हम सबके लिये यह गर्व का विषय है कि अल्प समय में हमारी इन संस्थाओं ने बहुत मेहनत करके पारदर्शी तरीके से इस काम को पूरा किया है.
अध्यक्ष महोदय, अभी तक हम 20256 करोड़ रूपये का व्यय करके 79285 किलोमीटर लंबी लड़के, 187 पुलों का निर्माण कर चुके हैं जिससे 16276 गांव को संपर्कता प्राप्त हो गई है. वर्ष 2017-18 में 1700 करोड़ रूपये व्यय करके हम 4145 किलोमीटर लंबाई की सड़के पूर्ण कर ली हैं तथा 1462 गांव को हमने जोड़ा है. वर्ष 2018-19 में 338 छुटे हुये ग्रामों को जोड़ने हेतु सड़क निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में 1500 किलोमीटर सड़कों के निर्माण का लक्ष्य है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों के लिये बहुत अच्छी और काम की सूचना है, क्योंकि 8 माह के बाद सभी लोग चुनाव में जायेंगे तो आपके लिये चाहे इस पक्ष का मामला हो या उस पक्ष का मामला हो, सभी के लिये यह योजना है. प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना पार्ट-II . योजना में पूर्व से निर्मित ग्रामीण सड़कों के उन्नयन का कार्य किया जाना है, योजना के अंतर्गत 179 पुल एवं 376 मार्गों की लंबाई 5016 किलोमीटर हेतु कुल राशि 3432 करोड़ के कार्यों की स्वीकृति भारत सरकार से सितम्बर 2017 के पश्चात हमें प्राप्त हो गई है. जिसकी हम सभी क्षेत्रों में नियमों के हिसाब से सड़कें बनाने का काम करेंगे. इस योजना के अंतर्गत 24 करोड़ रूपये व्यय करके 24 किलोमीटर की सड़क का कार्य भी हमने पूर्ण कर लिया है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में 3500 किलोमीटर सड़क के निर्माण का लक्ष्य है.
अध्यक्ष महोदय, विश्व बैंक एवं एशियाई इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक से प्राप्त ऋण से मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों का डामरीकरण करने के बारे में माननीय सदस्यों को सूचना देना चाहूंगा, सभी सदस्य इस बात को गौर से सुनें कि प्रदेश में मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत निर्मित मार्गों में डामरीकरण योजना हेतु जो हमारा ग्रेवल रोड बना था कच्चा, रूपये 3400 करोड़ के ऋण एवं बजट से यह कार्य हम करवा रहे हैं इस कारण से आप सब लोग मैजें थपथपायें (सदन में मैजों की थपथपाहट) यह सब हम कर रहे हैं औऱ इस बात को मैं इसलिये कहना चाहता हूं कि इस योजना में 10 हजार किलोमीटर लंबी सड़कों का डामरीकरण हम करने वाले हैं, दो साल में. रामनिवास जी सुन लें 10 हजार लंबी कच्ची सड़कें मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना की, अरे इसके लिये आप धन्यवाद तो दे दें.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मै माननीय मंत्री जी को धन्यवाद भी देता हूं लेकिन जो सड़कें वन विभाग से होकर के निकली हैं. उनको भी शामिल कर लें तब पूर्ण रूप से धन्यवाद दूंगा.
श्री गोपाल भार्गव - (बगल में बैठे डॉ. गौरीशंकर शैजवार, वन मंत्री की तरफ ईशारा करते हुये) यहां से एनओसी हो जायेगी तो हम कर देंगे हमें कोई दिक्कत नहीं है.
श्री रामनिवास रावत-- मंत्री जी उनकी एनओसी तो पहले से ही है.
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय वन राज आपकी इस मामले में मदद करेंगे.
श्री शंकरलाल तिवारी-- मैं बड़े भाई आदरणीय रावत जी से कहना चाहता हूं कि कांग्रेस के जमाने में कभी इतनी सड़कें मिली थीं ? कभी सोचा भी नहीं था आज तो दरवाजे दरवाजे सीमेन्टेड सड़के हैं.
कुंवर विक्रम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आदरणीय तिवारी जी बार बार इस बात को कहते हैं तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि उस समय 5 रूपये की क्या वेल्यू थी और आज 500 रूपये की क्या वेल्यू है. बतायें.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्य ग्रामीण संपर्कता योजना के बारे में कहना चाहता हूं कि इस योजना में अभी तक 507 करोड़ रूपये व्यय करके हमने 1200 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण कर लिया है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में 250 किलोमीटर सड़को के निर्माण का लक्ष्य है. संधारण और रख रखाव के बारे में सदन को जानकारी देना चाहूंगा कि सामान्यत यह बात आती थी कि प्रधानमंत्री सड़क योजना एक निश्चित अवधि के बाद में खराब हो जाती हैं उसके बाद में उन सड़कों की मरम्मत का काम नहीं होता है. लेकिन मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि जो 67000 किलोमीटर लंबी सड़कें हमने बनाई हैं वर्ष 2017-18 में 5700 किलोमीटर सड़कों के नवीनीकरण का कार्य किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त क्रष्ट उन्नयन का कार्य भी किया जा रहा है. वर्ष 2017-18 में 755 करोड़ रूपये का व्यय किया जायेगा. वित्तीय वर्ष 2018-19 में 6000 किलोमीटर लंबी सड़कों के नवीनीकरण का लक्ष्य है. अध्यक्ष महोदय, आपने भी देखा होगा कि बहुत सी सड़कें ऐसी है जो हैवी ट्राफिक के कारण , माइनिंग के कारण वह सड़कें खराब हो जाती थी इनका हमने क्रष्ट रिवीजन का काम अपने राज्य मद से, सारी सड़कों को चिह्नित करके इन सड़कों के मजबूतीकरण का काम हाथ में लिया है
श्री हरदीप सिंह डंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी को सुझाव है कि सड़कों के साथ में नालियों का भी प्रावधान किया जाये क्योंकि सड़क के साथ नालियां नहीं बनाई जा रही हैं. गांव में नाली बनाना कंपलसरी करें ताकि पानी की निकासी हो सके.
श्री गोपाल भार्गव- रिवीजन हो रहा है. अध्यक्ष महोदय, हमारा समेकित जल प्रबंधन योजना (आईडब्ल्यूएमपी) चलती है इसमें वर्ष 2017-18 में अद्यतन स्थिति तक हमने 4919 जन संरक्षण एवं संवर्धन योजना का निर्माण किया जिसमें 25310 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई का सामर्थ्य विकसित किया है. मैं यह कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश को जो कृषि कर्मण्य एवार्ड मिले हैं, उसकी पीछे जो प्रदेश का भू-जल है इसके उन्नयन का कार्य, गर्भ के भूजल को ऊपर उठाने का कार्य,इस जल को और ज्यादा संरक्षित करने का कार्य जो भी कार्य हमारी इस समेकित जल प्रबंधन योजना (आईडब्ल्यूएमपी) के अंतर्गत होता है हम लोगों ने प्रभावी तरीके से किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक रोजगार की बात है. इस समय देश में रोजगार की चर्चा बहुत हो रही है. इसलिये भी यह चर्चा ज्यादा प्रासंगिक है कि पिछले दिनो में मैंने प्रमुख अखबारों में देखा है कि बच्चों के खाने हेतु जो तीन एजेंसियां काम कर रही थीं, इनको समाप्त करके महिलाओॆ के स्व सहायता समूह के द्वारा इन सारे बच्चों को भोजन करवाने का काम अब महिला समूहों के द्वारा किया जायेगा अब किसी बड़े ठेकेदार के द्वारा मध्यप्रदेश में नहीं किया जायेगा. यह बात मध्यप्रदेश की सरकार ने हमारे कैबिनेट ने तय कर ली है और उसका क्रियान्वयन विभाग की आजीविका समूहों के क्लस्टर बनाकर के इसका फेडरेशन बनाकर के हम लोग क्रियान्वयन करने का काम कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, हमारे जो गठित स्व सहायता समूह हैं 2017‑18 मे 42700 समूह हमारे सभी समूह की संख्या है 2 लाख 54 हजार समूहों में 24 लाख 58 हजार परिवारों को हमने जोड़ा है. यह समूह सभी प्रकार का काम कर रहे हैं. सेनेटरी नैपकिन या 'स्वच्छता पैड बनाने, अगरबत्ती, गुढ़ चिक्की, साबून निर्माण, सिलाई-किराना की दुकान, आटा चक्की, टेंट हाउस तमाम प्रकार के काम. एक बहुत बड़ी जरूरत होती थी. हमारी जो बेटियां हैं, बालिकायें हैं , वह आज भी खुले रूप से सेनेटरी नैपकिन बाजार से नहीं ले जाती हैं. इस कारण से हम लोगो ने विचार करना शुरू किया जिसके परिणाम आपको जल्दी ही देखने को मिलेंगे कि जितने भी हमारे गर्ल्स हायर सेकेन्डरी स्कूल हैं या फिर ऐसे स्कूल जिसमें को-एजूकेशन हैं लेकिन गर्ल्स रहती हैं इनमें हम वो मशीन लगाने जा रहे हैं जिनसे वो सेनेटरी नैपकिन कम से कम मूल्य पर प्राप्त कर अपने उपयोग में हर माह ला सकती हैं. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की यह अभूतपूर्व योजना है जिसे देश के किसी भी राज्य ने अभी तक लागू नहीं किया है जिसको हम लागू करने जा रहे हैं ताकि बच्चियों को दिक्कत न हो कि हम कहां किस दुकान पर जायें क्या बात करें. उनको लज्जा का अनुभव भी होता है, इस कारण से वह अशुद्ध तरीके से प्रयोग करती है, बाद में इन्फेक्शन हो जाता है. आजीविका मिशन के माध्यम से हमारे 32 जिलों में स्वसहायता समूहों द्वारा प्राथमिक और माध्यमिक शाला के बच्चों के लिये लगभग 90 लाख स्कूल यूनिफार्म बच्चियों के लिये स्कूल शिक्षा विभाग के माध्यम से हम सप्लाई कर रहे हैं और वह सभी महिलायें बनायेंगी जो गांव, देहात में रहती हैं, जो हमारे समूह हैं. इससे महिला सशक्तिकरण के लिये भी और स्वरोजगार के लिये भी काम होगा. अध्यक्ष महोदय, हमारे सचिवों के बारे में, जनप्रतिनिधयों के बारे में बहुत सी बातें कहीं गईं. हमारी जो पंच परमेश्वर योजना है, वर्ष 2017-18 में हमने ग्राम पंचायत को अभी तक 2300 करोड़ रूपये जारी किये हैं, औसत छोटी से छोटी ग्राम पंचायत में भी इस साल 10 लाख रूपये पहुंचे हैं इससे बड़ी पंचायतों में तो 25 लाख, 40 लाख, 50 लाख रूपया, इतना पैसा हिन्दुस्तान के इतिहास में आजादी के बाद कभी आज तक भी ग्राम पंचायतों के लिये उपलब्ध नहीं करवाया गया, यह हम सबके लिये एक प्रकार से विकास के लिये जो लोग सोचते हैं उनके लिये गौर करने की बात है. ग्रामीण क्षेत्रों में हम लोगों ने वर्ष 2017-18 में ग्राम पंचायतों द्वारा अपनी ग्राम पंचायत के अंतर्गत सरपंचों द्वारा लगभग 3 हजार किलोमीटर लंबी सीसी सड़कें और पक्की नाली का निर्माण पूर्ण कर लिया है. पंच परमेश्वर योजना के अंतर्गत जो हमने मापदण्ड निर्धारित किये हैं इसमें हम यह बताना चाहते हैं कि जो अभी हमारे रामनिवास जी चर्चा कर रहे थे इसमें हमने नवीन अधोसंरचना के अंतर्गत कार्यों पर 75 प्रतिशत जिसमें से न्यूनतम 50 प्रतिशत सीमेंट कांक्रीट सड़क एवं पक्की नाली निर्माण पर, शेष 25 प्रतिशत आप जो भी काम करवाना चाहो आपके लिये छूट है, हमने पंचायतों के लिये उसकी छूट दी हुई है और पेयजल सुविधाओं को सुदृढ़ करने के लिये 10 प्रतिशत जो अभी माननीय सदस्यों ने कहा. हम आज ही इस पर विचार करेंगे कि हम और ज्यादा राशि का प्रावधान कर सकते हैं तो उसके लिये भी हम, या छूट दे सकते हैं या हम बढ़ा सकते हैं तो उसके लिये हम करेंगे. परिसम्पत्तियों के संधारण पर क्योंकि पंचायत भवन बन जाते हैं, पुताई नहीं होती और दूसरे भवन बन जाते हैं, मरम्मत नहीं होती, क्षरण हो जाता है तो इसके लिये हमने साढ़े सात प्रतिशत, कार्यालयीन व्यय हेतु, नहीं तो इधर-उधर से पैसा लिया जाता है साढ़े सात प्रतिशत, आकस्मिक व्यय जैसे अंत्येष्टि सहायता हेतु एक बार में अधिकतम 10 हजार रूपये के नगद आहरण की अनुमति हमने पंचायतों को गांव में दी है. कोई गरीब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, लावारिस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है जिसको जलाने दफनाने वाला कोई नहीं होता, उसके लिये भी एडवांस 10 हजार रूपये ग्राम पंचायतें आहरित कर सकती हैं माननीय सदस्य इस बात की जानकारी ले लें, सर्कुलर पहुंच चुके हैं. जो हमारे निर्माण कार्य हैं जैसे रपटा, पुलिया अभी हमारे माननीय सदस्य चर्चा कर रहे थे कि इसमें 25 प्रतिशत छूट जो हमने दी हुई है रपटा, पुलिया, बाउंड्रीवाल, कांजीहाउस, चबूतरे, पुस्तकालय, यात्री प्रतीक्षालय, पेवर ब्लॉक, सामुदायिक शौचालय, एलईडी, स्ट्रीट लाइट, सार्वजनिक पार्क इन सभी में पंच परमेश्वर की राशि हमने प्रावधानित की है, आप उपयोग कर सकते हैं. जो माननीय सदस्यों को जानकारी नहीं होगी इसके लिये हमने 25 प्रतिशत राशि व्यय करने की अलग से छूट दी हुई है, इसके साथ-साथ आप कनवर्जेंस भी कर सकते हैं ताकि आपका काम पूरा हो जाये.
श्री लखन पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इतना हो गया कि हमारे बाजू वाले सदस्य कह रहे हैं कि अगली बार हमें सरपंच बनना है. ..(हंसी)...
श्री बाला बच्चन-- जबकि वास्तविकता यह है कि अब इस सरकार में कोई सरपंच बनना नहीं चाहता है. बहुत बुरी हालत है, बहुत बुरी स्थिति है.
श्री संदीप जायसवाल-- आप चुनाव तो करवाओ सबसे ज्यादा सरपंच बनने की लाइन लगेगी.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- सरपंचों के खाते भोपाल से संचालित हो रहे हैं, पैसे नहीं निकल रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- विधायकों को जितना मिल रहा है उससे तीन गुना सरपंचों को मिल रहा है.
श्री बाला बच्चन-- अब यह तो सरकार के ऊपर डिपेंड करता है कि ईमानदारों को भी सरकार बेईमान बताती है, यह तो सरकार की नजरों और सोच पर निर्भर करता है.
श्री गोपाल भार्गव-- आप रोजगार गारंटी से काम करवा लो तमाम प्रकार के काम आपके जिले में तो बहुत ज्यादा होते हैं.
श्री बाला बच्चन-- मेरे यहां बड़वानी जिले में पिछले 2 साल पहले से 18 हजार काम अधूरे पड़े हैं, केवल एक जिले में. मैंने विधान सभा में कई बार प्रश्न लगाये, सभी में जानकारी एकत्रित की जा रही है, यही जवाब मिला है.
श्री गोपाल भार्गव-- अब सरपंच बदल गये, प्राथमिकतायें बदल गई तो इसके लिये मैं क्या कर सकता हूं. भवनविहीन पंचायतों के भवन निर्माण के लिये 16556 लाख से 1117 ग्राम पंचायतों के भवनों का निर्माण एवं रूपये 17 हजार 82 लाख से 1240 मांगलिक सामुदायिक भवनों का निर्माण कार्य तथा राशि रूपये 11208 लाख से 1437 आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण की स्वीकृतियां इस विभाग के द्वारा जारी कर दी गई हैं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी कितना समय लेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- 15 मिनट और लगेंगे.
डॉ. रामकिशोर दोगने-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि आपने जो 3-3 भवन हर विधान सभा में दिये हैं इसमें किसी को 10 लाख, किसी को 12, किसी को 20 लाख दिये हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- वह आबादी के हिसाब से हैं, बड़ा गांव होगा तो बड़ी राशि है, यदि कहीं विसंगति हो गई हो तो आप लिखकर दे दें.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री महोदय से कहना चाहती हूं कि जिस तरह से आपने 3-3 मंगल भवन हर विधान सभा क्षेत्र में दिये हैं उसी तरह वृद्धाओं को अगर एक-एक वृद्धाश्रम माननीय मंत्री जी दे दें.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो प्रश्नोत्तर शुरू हो गया.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं आप उत्तर मत दीजिये.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- मैं निवेदन कर रही हूं, अगर एक-एक वृद्धाश्रम हर विधान सभा को दे दें तो बड़ी कृपा होगी.
श्री गोपाल भार्गव-- देखते हैं, विचार करेंगे. पंचायत सचिवों के लिये 1 जनवरी 18 के पश्चात नियुक्त पंचायत सचिवों को 2 वर्ष तक 10 हजार रूपये प्रतिमाह निश्चित मानदेय दिया जायेगा, 2 वर्ष की संतोषजनक सेवा पूर्ण करने पर. 5200-20200 रूपये, ग्रेड पे 1900 का वेतनमान दिया जायेगा, लगभग 24 हजार रूपये से ज्यादा की राशि ग्राम पंचायत के सचिवों के लिये जिनके बारे में हमेशा चर्चा होती रहती थी. यह हमारी पंचायतों के महत्वपूर्ण कर्मचारी है विकास के काम में सबसे ज्यादा भूमिका यह अदा करते हैं उनकी लंबे समय से मांग चल रही थी. 1 अप्रैल 2018 को 10 वर्ष की नियमित सेवा अवधि पूर्ण कर चुके ग्राम पंचायत सचिवों को यह राशि दी जायेगी. सचिवों की मृत्यु पर उनके आश्रितों के लिये, पहले 1 अप्रैल 17 से प्रावधान था अब उनकी मांग थी, इच्छा थी और यह बात भी सही है, वह अल्पवेतन भोगी कर्मचारी है इस कारण से हमने तय कर दिया कि उनके परिवार का भरण पोषण होता रहे, वह मृत्यु की स्थिति में असहाय महसूस न करें इस कारण से अब हमने उसके 10 वर्ष घटा दिये हैं, 1 अप्रैल 2008 से हमने ग्राम पंचायत के सचिवों के परिवार के लिये अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान कर दिया है और यह भी कह दिया है कि काम बहुत अच्छा करना, गड़बड़ी न हो. महिला पंचायत सचिवों को सेवा अवधि में 180 दिवस का मातृत्व अवकाश, पुरूष पंचयत सचिवों को 15 दिवस का पितृत्व अवकाश.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय मंत्री जी यह आपने बहुत अच्छा किया इसके लिये धन्यवाद है, लेकिन आपने जो अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रावधान लागू किया है इसमें पिछले समय में जो सचिव मृत हो गये हैं उनकी अनुकंपा नियुक्ति के बारे में आप क्या कहेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- 10 साल पहले से है, जीएडी का नियम तो 7 साल का है, हमने 10 साल किया है. धन्यवाद दो.
श्री रामनिवास रावत-- धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, गांव के मुख्य मार्गों पर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था, प्रदेश के गांव एवं मुख्य मार्गों को प्रकाशित करने के लिये विभाग द्वारा पहल की गई है. विद्युत वितरण कंपनियों के माध्यम से गांव के मुख्य मार्ग पर एलईडी लाइट, मीटरिंग और आटोमेटिक ऑन ऑफ स्विच लगाये जायेंगे. प्रथम चरण में प्रत्येक विधायक से उनके विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत 10 ऐसे गांव की सूची प्राप्त की गई है जहां मुख्य मार्गों को प्रकाशित करने की तत्काल आवश्यकता है. प्रथम चरण में 2623 गांव के मुख्य मार्गों पर प्रकाश की योजना है जिस पर लगभग 52 करोड़ 40 लाख रूपये व्यय अनुमानित है. स्थापना के उपरांत विद्युत व्यवस्था, रखरखाव एवं बिजली की खपत का भुगतान संबंधित ग्राम पंचायतें करेंगी. पोषण आहार संयंत्र के बारे में अभी 2-4 दिन से चर्चा ज्यादा चल रही है. स्वसहायता समूहों द्वारा टेक होम राशन के उत्पादन के लिये 7 पोषण आहार संयंत्र बनाने का निर्णय लिया गया है. प्रदेश के धार, देवास, मंडला, रीवा, सागर, शिवपुरी में 2500 मीट्रिक टन एवं होशंगाबाद में 600 मीट्रिक टन के संयंत्र का निर्माण ग्रामीण यांत्रिकी सेवा द्वारा किया जायेगा. सातों जिलों में कलेक्टर द्वारा संयंत्रों के निर्माण के लिये भूमि चिन्हित कर ली गई है. होशंगाबाद जिले में भवन की लागत 4 करोड़ 40 लाख एवं अन्य जिलों में 7 करोड़ पचास लाख रूपये है.
स्मार्ट मीट्रिंग में नल जल योजनाओं के बिल उल्टे-सीधे आते थे सरपंच लोग परेशान रहते थे कि इतना बिल आ गया है हमारी लाईट कट गई है हम पेयजल को प्रदाय नहीं कर पा रहे हैं. प्रदेश की 15367 ग्रामीण नल-जल योजनाओं में विद्युत खपत एवं प्रवाह मापने के लिये विद्युत वितरण कंपनियों के माध्यम से स्मार्ट मीट्रिंग की जाना प्रस्तावित है. हम इस साल अनाप-शनाप बिल नहीं देंगे. 2 साल से मीटर तथा ट्रांसफार्मर नहीं रखा गया, पेयजल योजना बंद है, फिर भी बिल लगातार आ रहे हैं. अब जितना भी बिल होगा वास्तविक बिल होगा उसका वास्तविक भुगतान हमारे द्वारा किया जाएगा. महात्मा गांधी मनरेगा के बारे में भी चर्चा हुई यह बहुत व्यापक योजना है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत सरकार द्वारा 15.5 करोड़ मानव दिवसों का अनुमोदन भारत सरकार के द्वारा किया गया था जिसे वित्तीय वर्ष 2017-18 में 9.3, 2018 तक 1556.88 मानव दिवस सृजित किये गये. लगभग 99.87 प्रतिशत है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में सृजित मानव दिवस विगत् चार वर्षों में सबसे अधिक है. जितना हमें भारत सरकार लक्ष्य देती है उसको हमें पूरा करना होता है जो शेष दिवस हैं जैसा कि एक माननीय सदस्य श्री तिवारी जी ने प्रश्न किया था कि मनरेगा में जिनको काम नहीं मिलता है उनका पैमेंट कैसे देंगे. इसमें जो डिले पैमेंट है उसका हमने कम्पनशेसन 2 करोड़ 41 लाख रूपया आंकलित करके प्रभावितों को देने का काम कर दिया है. महात्मा गांधी मनरेगा 2016-17 में 3647 करोड़ रूपये व्यय किये गये जिसमें से मजदूरी पर 2188 करोड़ रूपये तथा सामग्री पर 1138 करोड़ रूपये व्यय किये गये हैं. वित्तीय वर्ष 2017-18 में 4 हजार 42 करोड़ रूपये व्यय किये जा चुके हैं जिसमें मजदूरी पर 2637 करोड़ रूपया तथा सामग्री पर 1312 करोड़ रूपये व्यय किये जा चुके हैं.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी आपने मेरे प्रश्न के उत्तर में बताया है कि आपका कम्पनसेशन 29 करोड़ 30 लाख 46 हजार 892 है जो कि अभी तक नहीं दिया गया है.
श्री गोपाल भार्गव--साफ्टवेयर अपडेट नहीं था.
श्री रामनिवास रावत--दो दिन पहले ही प्रश्न का उत्तर आया है.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, आज की तारीख में मेरे पास में जो सूचना है.
श्री रामनिवास रावत--यह कम्पनसेशन 2015-16 से अभी तक नहीं दिया गया है.
श्री गोपाल भार्गव--बेरोजगारी भत्ता बाकी नहीं है जीरो है.
श्री रामनिवास रावत--मैं कम्पनसेशन की बात कर रहा हूं, डिले पेमेंट मंत्री जी.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, उसके बारे में कई बार चर्चा हुई है. उसके बारे में डिटेल में आपको जानकारी दे देंगे. अध्यक्ष महोदय, विभागीय योजना की कार्यप्रणाली को एवं वित्तीय प्रबंधन को पारदर्शी बनाने हेतु सूचना प्रौद्योगिकी का हमारे विभाग ने सर्वोतम एवं सर्वोच्च स्थिति तक उपयोग कर अभिनव कार्य किया है. ग्राम पंचायतों के कार्यों एवं वित्तीय प्रबंधन हेतु पंच परमेश्वर पोर्टल विकसित किया गया है. इस पोर्टल में ग्राम पंचायतों को प्राप्त होने वाली राशियां, व्यय के देयक तक के कार्यों के फोटोग्राफ उपलब्ध हैं. भारत सरकार ने इस प्रयास को गोल्ड आईकॉन राष्ट्रीय ई गवर्नेंस अवार्ड प्रदान किया गया है. हिन्दुस्तान में पहला राज्य है जिसने एक ऐसा पोर्टल बनाया है जिसमें कितनी राशि आपके खाते के अंदर पहुंच गई. आपने क्या काम किया ? व्यय क्या हुआ ? उसमें कितनी राशि शेष है, किये गये काम का फोटो, जब शुरू के फेस में रोजगार योजना तथा दूसरी योजनाएं आयी थीं उसमें काफी विसंगतियां थीं, यह बात मैं स्वीकार करता हूं, लेकिन आज की तारीख में मैं दावे के साथ इस बात को कह सकता हूं कि हमने लगभग शत-प्रतिशत अचूक, पूरे के पूरे सिस्टम के लिये बना दिया है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास साफ्टवेयर का उपयोग लाभार्थियों के लिये चयन, प्राथमिकता निर्धारण राशि जारी करने और प्रगति की निगरानी करने के लिये किया जा रहा है. जीरो टेगिंग अब ऐसा नहीं चलेगा कि बना लिया इंदिरा आवास, कुछ सचिव ने, कुछ सरपंच ने कुछ हितग्राही ने और अन्य लोगों ने, इनको टेगिंग करनी पड़ेगी नहीं तो उनकी प्लिंथ ही रूक जाएगी. उनकी 40 हजार रूपये की किश्त की जगह अब हमने जो नया नियम बना है उसमें हमने पहली किश्त 25 हजार की कर दी है अंतिम किश्त को हमने बढ़ा दिया है वह इस कारण क्योंकि हमें जानकारी मिली की 25 हजार में बन जाती है और बाकी राशि का दुरुपयोग कर लेते हैं और जब छत की स्थिति आती है उस समय वह कहते हैं कि हमारे पास पैसा नहीं बचा, पैसा दिलाओ. तो बड़े व्यवहारिक तरीके से हमने इसे किया है. स्वच्छ भारत मिशन,ग्रामीण क्षेत्र अंतर्गत निर्मित शौचालयों के निर्माण की प्रोत्साहन राशि का वितरण सीधे हितग्राही के खाते में करने के लिये स्वच्छ एम.पी.पोर्टल विकसित किया है. महात्मा गांधी,नरेगा के अंतर्गत नरेगा साफ्ट के माध्यम से चयनित कार्यों का प्रबंधन,वित्तीय प्रबंधन,श्रमिकों का प्रबंधन एवं मजदूरी भुगतान तथा शिकायत निवारण कार्य किये जाते हैं. जियो मनरेगा के माध्यम सेसृजित परिसम्पत्तियों की जीरो टेगिंग की जा रही है. मध्याह्न भोजन कार्यक्रम में पोर्टल के माध्यम से प्रदेश में भोजन प्रदाय कररही संस्थाओं को भोजन पकाने की राशि,रसोईयों को मानदेय का भुगतान तथा खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है. पहले खाद्यान्न का वितरण ऐसा नहीं किया जाता था.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी कितना समय लेंगे. एक घंटा हो गया है.
श्री गोपाल भार्गव - बस दस मिनट,कुछ सार्थक बातें भी बता रहे हैं. प्रश्नोत्तर अगले दिनों में कम हो जायेंगे. अध्यक्ष महोदय, पंचायत,ग्रामीण विकास विभाग के कार्यों के निरंतर पर्यवेक्षण,निगरानी के लिये इंफ्रामेपिंग मोबाईल एप्स का उपयोग किया जा रहा है. एम.डी.एम. जो है 81 हजार प्राथमिक शालाओं में,30 हजार माध्यमिक शालाओं में और विद्यार्थियों की संख्या भी 42 लाख,27 लाख ऐसे कुल मिलाकर हमारे 77 हजार एस.ए.जी. जो हमारे हैं, उनके माध्यम से किया जा रहा है. एम.डी.एम. में हम सप्ताह में तीन दिन सुगंधित मीठे दूध के चूर्ण से निर्मित गर्म दूध पांच फ्लेवर से युक्त दूध,उसका प्रदाय कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत - पंचायतों के आडिट की बात रह गई. पंचायतों का आडिट नहीं करा रहे.
श्री गोपाल भार्गव - आडिट का सारा सिस्टम है. सोशल आडिट की मुकम्मल व्यवस्था है.सोशल आडिट निरंतर हमारा हो रहा है. लक्ष्य के विरुद्ध प्रदेश की न्यूनतम 50 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में वित्तीय वर्ष 2017-18 में सामाजिक अंकेक्षण किया जाना है उक्त के अनुक्रम में दिनांक 9 मार्च,2018 तक 7868 मतलब 69 प्रतिशत ग्राम पंचायतों में सोशल आडिट की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है. शेष पंचायतों में 31 मार्च,2018 तक सोशल आडिट पूर्ण कर लिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय, सामाजिक न्याय,एक विषय आया था जो हमेशा आता है कि पेंशन नहीं मिलती. हम लोगों ने प्रयोग किया कि पहले 1 रुपये अकाउंट में डालें यदि वह सभी जगह ठीक तरीके से वह 1 रुपया पहुंच जाता है हमारे पोर्टल पर दिखता है तो फिर हम उसकी 300,500 रुपये की राशि देने का काम करते हैं और मुझे कहते हुए खुशी है कि हमारी जो सिंगल क्लिक पेंशन वितरण योजना है इसके अंतर्गत लगभग 36 लाख से ज्यादा पेंशन हितग्राहियों को ई पेमेंट के माध्यम से हितग्राहियों के खाते में प्रति माह रेगुलर पेंशन जमा की जा रही है. इसमें किसी प्रकार की शिकायत नहीं आ रही है.एक शिकायत जरूर है थम्ब इम्प्रेशन की और रैटिना की. इसके बारे में भी हम कोई रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं ताकि यह समस्या भी हल हो जाये.
अध्यक्ष महोदय, विकलांगों की रेपेटाईजेशन की बात आई. प्रत्येक जिले में जिला विकलांग पुनर्वास केन्द्र के भवन निर्माण का निर्णय लिया गया है. प्रथम चरण में हम 10 भवन निर्माण की कार्यवाही शुरू कर रहे हैं. जिला भोपाल में एक उच्च स्तरीय सर्वसुविधायुक्त वृद्धाश्रम जो 100 सीटर रहेगा. फाईव स्टार वृद्धाश्रम,14 एकड़ जमीन में बनाएंगे. उसमें खेल,आनंद की भी व्यवस्था रहेगी, सभी चीजें रहेंगी. स्थापित करने की अभिनव पहल की गई है. पंचतारा वृद्धाश्रम,जिसमें सारे वृद्ध रहने के लिये आयें. दिव्यांगजनों के लिये संचालित शासकीय महाविद्यालय एवं छात्रावास के लिये भवन निर्माण का निर्णय लिया गया है. वृद्धजनों हेतु विशेष प्रावधान किये हैं. मध्यप्रदेश माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण नियम,2009 में संशोधन करते हुए मध्यप्रदेश शासन के अधीन कार्यरत् शासकीय विभाग,अर्द्धशासकीय उपक्रम,बोर्ड,निकायों के अधिकारी,कर्मचारी जो अपने माता-पिता की उपेक्षा करते हैं ऐसे अधिकारियों,कर्मचारियों के वेतन से 10 प्रतिशत या अधिकतम 10 हजार रुपये काटकर भरण-पोषण भत्ता आवेदक के माता-पिता के खाते में जमा कराये जाने का हमने प्रावधान कर दिया है. जमा भी होने लगा है.
श्री गोपाल भार्गव - (डॉ. नरोत्तम मिश्र, संसदीय कार्यमंत्री के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) हां दे देंगे. हमारे संसदीय कार्यमंत्री जी कह रहे हैं. जो हमारे दिव्यांग भाई हैं, उनके लिए हम क्रमशः एक साथ तो नहीं दे सकते, यह मोटराईज्ड मोटरसाईकिल देने का भी हम शीघ्रातिशीघ्र प्रावधान करेंगे. (मेजों की थपथपाहट)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी - पहले बेरोजागारी भत्ते का कह दें.
अध्यक्ष महोदय - अब आप कहां चले गये? आप पीछे चले गये. अब सामाजिक न्याय विभाग आ गया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - दिव्यांगों को बेरोजगारी भत्ता देने का नियम है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - जब भी विकलांग की बात होती है, यह क्यों खड़े होते हैं?
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, नियम है, कानून है, जिसके लिए मैंने मंत्री जी का ध्यान आकर्षित किया है, उस बारे में बताएं?
अध्यक्ष महोदय - नहीं, वह तो पीछे निकल गया, आप रिवर्स जा रहे हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत स्वागत इस बात का है, माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी ने जो घोषणा की है, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद भी है. एक निवेदन भी करना चाहता हूं कि यदि किसी प्रकार की कोई कमी रहे, हमारी विधायक निधि में भी ऐसी छूट दे दी जाय कि अगर कोई ऐसा दिव्यांग शेष रहे तो हम विधायक निधि के माध्यम से भी वह राशि प्रदान कर सकें. अभी विधायक निधि से उसमें अनुमति नहीं हो रही है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, यह प्रदेश में कई स्थानों पर हुआ है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - हमने 15 लोगों को मोटरसाईकिल दी है 37000 रुपए की और विधायक निधि से दी है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - अध्यक्ष महोदय, हम भी देना चाहते हैं. हमारे क्षेत्र में हम भी दे देंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अपने क्षेत्र में 15 लोगों को दी है, वे अच्छे से उससे चल रहे हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - हमारे यहां जिला योजना में स्वीकृति नहीं है. इसके आदेश जारी हो जाएं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, यह अच्छी बात है. कुछ माननीय विधायकों ने, कुछ सांसदों ने अपनी राशि समायोजित करके दी है.
श्री आशीष शर्मा - अध्यक्ष महोदय, हम भी मोटरसाईकिल देना चाहते हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां के कलेक्टर को हमने लेटर लिखा, अनुमति दिया और रेडक्रॉस सोसाइटी के माध्यम से उनको वितरित किया गया.
श्री शंकरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री से मेरा आग्रह है कि यदि प्रत्येक ग्राम पंचायत में अगर इतनी आप व्यवस्था कर रहे हैं. एक-दो स्वीपर, सफाई कर्मचारी भी यदि पंचायतों को आप उपलब्ध करा सकें.
अध्यक्ष महोदय - आप रिवर्स में चले गये. आप बैठ जाए. वह सामाजिक न्याय विभाग पर बोल रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव - वह पंच परमेश्वर में प्रावधान है.
श्री शंकरलाल तिवारी - कहीं भी स्वच्छता और सफाई के कर्मचारी नहीं हैं.
श्री बाला बच्चन - इसमें समय-सीमा का ध्यान रखें, ऐसा नहीं हो कि सरकार का कार्यकाल निकल जाए, इसमें समय-सीमा का ध्यान रखें. जो आपने अभी जिसकी व्यवस्था दी है तो यह समय-सीमा में हो जाएगा तो ज्यादा अच्छा होगा.
श्री गोपाल भार्गव - स्वीपर की?
श्री बाला बच्चन - नहीं, दिव्यांगों के लिए जो आपने मोटरसाईकिल का प्रावधान करने की बात की है, इसमें समय-सीमा का भी ध्यान रखें.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, हमारे बहुत से जिलों में, संयोग यह है कि मेरे पास जो विभाग हैं, दोनों केन्द्रीय मंत्री राज्य से ही हैं. ग्रामीण विकास और पंचायत विभाग के और साथ में सामाजिक न्याय के, माननीय श्री गेहलोत जी ने कई स्थानों पर मोटराईज्ड मोटरसाईकिल वितरण का काम किया है. सांसदों की कुछ राशि उसमें मिलाई है, एएलएम जो भारत सरकार का उपक्रम है, जो उसको बनाता है उसके साथ है. लेकिन वह इतनी बड़ी संख्या में नहीं बना पाता कि सारी पूर्तियां एक साथ हो जाय. इस कारण से यह विचार आया था कि पहले पढ़ने वाले जो लड़कें हैं कॉलेज में जो पढ़ते हैं, जो अस्थि बाधित हैं उन लोगों को दिया जाय. जो भी हमारा बजट एलाउ करेगा उसके हिसाब से धीरे-धीरे पूरे प्रदेश में देने का काम करेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, बेरोजगारी भत्ता जो नियम में है.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी, बैठ जाएं. कृपा करके बैठ जाएं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, क्या गरीब की बात नहीं करेंगे, गरीब की बात करने तो यहां आए हैं. नियम भी बता दिया है, कानून भी बता दिया.
श्री गोपाल भार्गव - तिवारी जी, आप बहुत विद्वान हैं, पढ़े-लिखे हैं. बेरोजगारी भत्ता मेरा विषय नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - है.
श्री गोपाल भार्गव - निःशक्तजन की आप बात करें, विधवा की बात करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - निःशक्तजन की बात कर रहा हूं. निःशक्तजन अधिनियम, 1995 में उल्लेख है.
श्री गोपाल भार्गव - आप पढ़े-लिखे होकर बेरोजगारी भत्ते की इस विभाग से बात नहीं कर सकते हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - आपके विभाग की बात है. अध्यक्ष महोदय, हमने आपका ध्यान आकर्षित किया है.
श्री गोपाल भार्गव - आपका कहना क्या शिक्षित बेरोजगारों को है?
श्री सुन्दरलाल तिवारी - नहीं, हम आपको फिर से पढ़कर सुना देते हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, यह तो फिर से प्रश्नोत्तर शुरू हो गया?
श्री सुखेन्द्र सिंह - आप छोड़िए विभाग, तिवारी जी को दीजिए फिर देखिए क्या होता है?
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नोत्तर शुरू नहीं होगा. आप तो अपनी बात कहिए. तिवारी जी नहीं मानते. आप अपनी बात जारी रखिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मैंने आपको भी ध्यान आकर्षण दिया है. शॉर्ट नोटिस क्वेश्चन के लिए भी इस मामले में मैंने आग्रह किया है. निवेदन किया है और माननीय मंत्री जी को भी पढ़कर सुनाया है.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपा करके बैठ जाएं.
श्री गोपाल भार्गव - नि:शक्त विवाह, जिनके जीवन की उम्मीद ही खत्म हो गई थी, निराश, हताश हो गये थे, कई लोग आत्महत्या कर लेते थे, कई लोग भिक्षावृत्ति करने लगते थे, उनके जीवन में उजाला लाने का काम विभाग ने किया है. नि:शक्त विवाह प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत दम्पत्ति में से एक दिव्यांग तथा एक सामान्य होने पर रुपये 2 लाख प्रोत्साहन राशि दिये जाने का हमने प्रावधान किया है. कन्या विवाह एवं निकाह योजना के अंतर्गत कन्या के लिये 3 हजार रुपये का स्मार्ट फोन हमने देने का काम किया है. मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत आज दिनांक तक 426848 कन्याओं के सामूहिक विवाह संपन्न करा दिये गये हैं. वर्ष 2017-18 में भी हमारा 30347 विवाह संपन्न कराने का लक्ष्य है. इससे ज्यादा हो जाये तब भी किसी प्रकार की कोई कमी राज्य में नहीं है. मुख्यमंत्री निकाह योजना के अंतर्गत 10678 निकाह संपन्न हो चुके हैं. वर्ष 2017-18 में 1278 निकाह संपन्न हुये. बहु विकलांगों के लिये 500 रुपये की सहायता और कोई आय सीमा नहीं है, योजना वर्ष 2009 से प्रारंभ है और वर्तमान में 69935 बहु विकलांग हितग्राही इससे लाभान्वित हो रहे हैं. नर्मदा तटीय क्षेत्रों को नशामुक्त बनाने की दिशा में हमने कला पदक दलों का सांस्कृतिक कार्यक्रम 535 ग्राम पंचायतों के 1198 ग्राम में नशा मुक्ति के जन जागृति कार्यक्रम आयोजित किये हैं. अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय परिवार सहायता योजना इसमें 2017-18 में 34597 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया है. 2018-19 में राशि 80 करोड़, 5 लाख का हमने प्रावधान किया है. सबसे महत्वपूर्ण बात पिछले समय में हमारे नेत्रहीन दिव्यांगजन ने आंदोलन किया था, उसके पहले भी हमारा आदेश था, लेकिन वह जिलों में पालन नहीं हो रहा था, चूंकि उसको सामान्य प्रशासन विभाग नियंत्रित करता है, सारे विभागों का समन्वय करता है. मैं अंत में यह कहना चाहता हूं कि नि:शक्तजनों के लिये भी हमने उनकी पात्रता के अनुसार, उनकी नि:शक्तता के अनुसार उनको नौकरी मिले कि किस प्रकार की है अस्थि बाधित, श्रवण बाधित, नेत्र बाधित, तो उनके लिये काम किया है.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, नि:शक्तजनों की बात आई. एक नि:शक्त व्यक्ति अधिनियम 1995 केन्द्र सरकार का है जो राज्य सरकारों को लागू करना है. उसके अनुसार ही बेरोजगारी भत्ता देने, बीमा कराने की यह व्यवस्था है कि अगर वह दो साल तक बेकार रहता है और उसका नाम रोजगार कार्यालय में है और काम नहीं दिला पाते हैं तो बेरोजगारी भत्ता राज्य सरकार देगी. उस अधिनियम में यह निर्देश हैं. उसका पालन करा रहे हैं कि नहीं करा रहे हैं ?
अध्यक्ष महोदय - श्री तिवारी जी ने कहा था उसको तरीके से आपने उठा दिया है. आप उसका परीक्षण करा लें...(व्यवधान).. लेकिन यह प्रश्नकाल नहीं है. कृपया बैठ जाएं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, हम परीक्षण करा लेंगे.
श्री सुन्दर लाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, गरीबों का लाभ वर्षों से मारा जा रहा है. क्या सरकार को मालूम नहीं है ? सरकार लागू क्यों नहीं कर रही है ?
अध्यक्ष महोदय - आपका नाम जब आया था तब आपने यह विषय क्यों नहीं बोला ? अब उसके बाद कागज हाथ में लेकर कह रहे हैं.
श्री सुन्दर लाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मैंने बोला है. माननीय मंत्री जी ने उस विषय को छुआ भी नहीं तब मुझे दोबारा बोलना पड़ा.
श्री गोपाल भार्गव - राम निवास जी, यह कब का कानून है ?
श्री रामनिवास रावत - यह वर्ष 1995 का कानून है.
श्री गोपाल भार्गव - आपने क्या दिया ?
श्री सुन्दर लाल तिवारी - आपने क्या दिया ? अपना बताइए, जब हम आएंगे तब देंगे. आपने दिया नहीं दूसरे को बोल रहे हैं. ...(व्यवधान)...यह लागू होना चाहिये.
...(व्यवधान)...
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- ..अध्यक्ष महोदय, यह गरीबों, विक्लांगों और दिव्यांगों का मामला है. यह मध्यप्रदेश में लागू होना चाहिये.
श्री गोपाल भार्गव -- यही तो दुर्भाग्य है,(XXX). ..(हंसी)..
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, इसको कार्यवाही से निकाल दें.
अध्यक्ष महोदय -- खुद भी तो बामन है न.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, बाकी को कोई मतलब नहीं है, ये पता नहीं कहां से गढ़ा मुर्दा उखाड़ रहे हैं.
श्री के.पी. सिंह -- आपने कहा कि तीन बामन . एक मुकेश जी, एक भार्गव जी और एक तिवारी जी. ये तीन हुए न लाइन से यहां.
श्री गोपाल भार्गव -- यहां बहुत हैं. यह तो एक कहावत थी, इस कारण से मैंने कही है, किसी दुर्लक्ष्य को लेकर नहीं कही है.
अध्यक्ष महोदय -- इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, अंत में दिव्यांगों से भेदभाव करने पर दो वर्ष की सजा एवं 5 लाख के अर्थ दण्ड का हमने प्रावधान किया है. ..(व्यवधान).. अंतिम बात है. उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में निःशक्तजनों हेतु हमने 4 प्रतिशत की बजाय 6 प्रतिशत आरक्षण निःशक्तजनों के लिये किया है और उच्च शिक्षा हेतु निशःक्त बच्चों हेतु 5 प्रतिशत सीटों का आरक्षण निश्चित किया है. अंत में पंचायत, ग्रामीण विकास, सामाजिक कल्याण, निशःक्त कल्याण विभागों की मांगों के लिये राज्य सरकार ने जितना अधिकतम हो सकता था, मेरे विभागों में जितना अधिकतम हो सकता था, हमने उसे करने का सर्वोत्तम प्रयास किया है. बीच बीच में जो सदस्यों की बातें आई हैं, उन सदस्यों की बातों के भी मैंने उत्तर दिये हैं. इस कारण से मेरा आग्रह है कि इन मांगों को सर्वसम्मति से पारित करें. यह जनहित का, लोकहित का , ग्राम हित का, सबका बजट है.
3.53 बजे
(2) |
मांग संख्या – 10 |
वन |
|
मांग संख्या – 31 |
योजना, आर्थिक और सांख्यिकी |
|
मांग संख्या – 60 |
जिला परियोजनाओं से संबंधित व्यय |
|
मांग संख्या – 61 |
बुन्देलखण्ड पैकेज से संबंधित व्यय.
|
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए, अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
वन विभाग के लिए एक घंटे का समय आवंटित है जिसमें 14 मिनट विपक्षी दल को हैं और 43 मिनट पक्ष को हैं. मेरा अनुरोध है कि समय का ध्यान रखेंगे.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपसे यह संरक्षण चाहते हैं कि जितने भी बोलने वाले सदस्यों के नाम हैं, जो बोलना चाहते हैं, उनको जितना भी समय, कम से कम 1-1, 2-2 मिनट आप दे सकें, वह देंगे तो बहुत अच्छा होगा.
अध्यक्ष महोदय -- बहुत लोग हैं, पर रिपीटीशन न हो, इसका ध्यान रखेंगे तो अच्छा रहेगा.
कुँवर सौरभ सिंह सिसोदिया (बहोरीबंद) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोल रहा हूँ. यह पहला विभाग वन विभाग ऐसा है जिसका लिटरेचर और डेटा हम लोगों के पास आया है, इसमें वर्ष 2003 से कोई तुलना नहीं की गई है. अगर वर्ष 2003-04 से इस वन विभाग की तुलना कर ली जाती तो शायद डेटा बताने लायक नहीं रहता.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले 12 साल में लगभग 50 करोड़ 63 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं, अगर इतने पौधे ईमानदारी से लगे होते तो पूरे प्रदेश में जंगल होता. जितने पौधे लगाए जा रहे हैं, जो इनके डेटा हैं, इसके हिसाब से इतने गड्ढे एक दिन में खोदे ही नहीं जा सकते. हमारे पास इतनी नर्सरी नहीं हैं कि जिनमें इतने पेड़ लगाए जा सकें जितने डेटा वन विभाग लगातार प्रस्तुत कर रहा है. हकीकत यह है कि छिंदवाड़ा में 16 लाख 68 हजार पौधों के रोपण की आपने बात की, किंतु महज 12 लाख पौधों के दस्तावेज आपने प्रस्तुत किए हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, समस्या यह है कि लगभग 2 साल में 12 लाख वर्ग किलोमीटर जंगल खत्म हो गया है, ऐसा पेपरों के आंकड़ों से मालूम पड़ा है. खेती के लिए जमीन का अधिक उपयोग हो रहा है, जंगल से सटे हुए शहरी इलाकों में शहर बढ़ रहे हैं, जंगल कट रहे हैं. डूब क्षेत्र लगातार बढ़ रहा है. वैध और अवैध माइनिंग के कारण जंगल सिमट रहे हैं. पेड़ों की अवैध कटाई हो रही है. वन विभाग का जो मूल कर्तव्य है उसको छोड़कर वन विभाग फ्लैक्स और होर्डिंग पर आ चुका है. माननीय मंत्री जी के ही क्षेत्र रायसेन में लगभग 5800 हेक्टेयर क्षेत्र में जंगल कम हो गए हैं, विदिशा में 5400 हेक्टेयर, भोपाल में 900 हेक्टेयर, दमोह में 700 हेक्टेयर और अलीराजपुर में 500 हेक्टेयर क्षेत्र में जंगल कम हुए हैं. माननीय मंत्री जी का यह कहना है कि इस रिपोर्ट में कितनी विश्वसनीयता है यह पता नहीं.
3.58 बजे {सभापति महोदय (श्री कैलाश चावला) पीठासीन हुए.}
माननीय सभापति महोदय, कहा जा रहा है कि दीनदयाल उपवन के नाम से भाजपा अपने मंडलों में लगभग 125 एकड़ जमीन बांटेगी. वन विभाग का जो काम है, वन विभाग सिर्फ पैसे खर्च कर रहा है, लेन्टाना उन्मूलन राशि लगातार निकल रही है, लेकिन लेन्टाना कहीं खत्म नहीं हो रहा है. जंगल साफ हो रहे हैं, जवाबदार कौन है, इसकी कौन जवाबदारी लेगा. माननीय वन मंत्री जी से मेरा कहना है कि आपके रेंजरों के ऊपर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि वन कटवा रहे है. यह हमें कई पेपरों के माध्यम से मालूम पड़ रहा है. लकड़ी चोरों के हौंसले बुलंद हैं और आप फ्लैक्स और होर्डिंग में रुके हुए हैं. मुलताई में रेंजर की गाड़ी पर वन माफिया हमला करता है. हरे-भरे वन उजाड़े जा रहे हैं. आप रक्षा कैसे करेंगे. आपने हथियार तो दे दिए, कारतूस नहीं दिये हैं. कारतूस खरीदने की अभी तक आपके पास केन्द्र की मंजूरी नहीं आई है. अपने यहां पोचिंग, अवैध शिकार हो रहा है और लगातार वन काटे जा रहे हैं. आपके जो सही कर्मचारी हैं, वही आपके विभाग से संतुष्ट नहीं हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- भाषण दो भाई, हम नेता लोग हैं. एक के बाद एक पेपर की पूरी कटिंग पढ़ रहे हैं. सभापति महोदय, यह पटल पर रखवा दें, पढ़ी हुई मानी जाएंगी. थोड़ा-बहुत तो भाषण दो.
कुँवर सौरभ सिंह सिसोदिया -- भाषण भी देंगे, आप परेशान न हों.
श्री रामनिवास रावत -- ये भाषण भी दे देंगे तो होना क्या है, उनकी तो रुचि इस विभाग में है नहीं. वे तो इस विभाग को देखते ही नहीं हैं.
सभापति महोदय -- सौरभ सिंह जी, आप अपनी बात कहें.
कुँवर सौरभ सिंह सिसोदिया -- माननीय सभापति महोदय, मैं यह जानना चाहूँगा कि एक नोटशीट पर ट्रांसफर हुआ और वे अधिकारी 6-7 माह बाद पकडे़ जाते हैं. जबलपुर का बड़ा कांड था. आपकी कोई ट्रांसफर पॉलिसी नहीं है. बार-बार अखबारों के माध्यम से आरोप लग रहे हैं. खुला खेल है. एक फील्ड डॉयरेक्टर थे. वे वाइल्ड लाइफ में ट्रेंड थे, जिनको माननीय मोदी जी ने ईनाम दिया और उनको आपने ग्रामीण विकास विभाग भेज दिया. पश्चिमी बैतूल में आपका डेटा बता रहा है कि पूरे क्षेत्रों में अवैध कब्जा हो रहा है. आप बजट की मांग कर रहे हैं. आप लगभग 80 करोड़ रूपए लैप्स करवा रहे हैं. आपको 30 करोड़ रूपए स्टेट को देना था और 50 करोड़ रूपए सेन्ट्रल से आने थे. सरकार जंगल बचाना चाह रही है या जंगल उजाड़ना चाह रही है. लगभग 100 करोड़ रूपए ऐसे हैं जो आपको अन्य मदों से सेन्ट्रल से प्राप्त हो सकते थे अगर आप इसमें 40 परसेंट राशि का कन्ट्रीब्यूशन करते, लेकिन आपने ऐसा नहीं किया. कोई भर्ती नहीं है. पूरे वॉयरलेस सिस्टम खतम हो चुके हैं. जितना एक स्थानीय स्तर पर एक डीआईजी के पास अमला होता है अगर आप वन विभाग के अधिकारी को उतना अमला देंगे तो वास्तव में जंगल सुरक्षित हो सकेंगे. सत्ता पक्ष के हमारे माननीय मित्र बार-बार वर्ष 2003 कहते नजर आ रहे हैं. वन विभाग में कोई वर्ष 2003 नहीं कहेगा. क्योंकि वन का रकबा घटा है, जानवर ज्यादा शिकार हुए हैं.
माननीय सभापति महोदय, बिना साधन के जंगल की चौकीदारी कैसे होगी. आप अधीनस्थ कर्मचारियों को ऊपर पदस्थ कर रहे हैं. सीसीएफ के पद पर डीएफओ की पोस्टिंग कर रहे हैं. रिसर्च एक्सटेंशन इंदौर में अभी आपने की. आप वृक्षारोपण वहां पर कर रहे हैं जहां पर पानी का साधन नहीं है. हर बार नये-नये बोर्ड वहां पर लग जाते हैं, फेंसिंग हो जाती है. सिर्फ रूट स्टॉक से जंगल बन रहे हैं. आप कोई मेंटेन नहीं कर पा रहे हैं. सिर्फ रिकॉर्ड में वृक्षारोपण हो रहे हैं. जंगल में आग लग रही हैं. फॉयरिंग सिस्टम क्या है, सेटेलाइट सिस्टम क्या है. जब भी कहीं से आप ट्रेन से गुजरेंगे, आप देखेंगे कि महुए के समय में, तेंदुपत्ता के समय में जंगलों में आग लगी रहती है और लगातार हम लोग देखते आ रहे हैं. पता नहीं आग कौन बुझा रहा है, इसके लिए कहां राशि जा रही है. जगह-जगह आपने जंगलों में जंगली-जानवरों के पीने के लिए सॉसर बनाए हैं. पानी की समस्या है. मेरे कटनी जिले में ग्राम पंचायत टेढ़ी में जब मैं जिला पंचायत में था तब मैंने सौर ऊर्जा का पंप जंगल में पानी के लिए दिया था. वन विभाग उस पम्प की हिफाजत नहीं कर पाया. वह पम्प चोरी हो गया. वहां के पैनल चोरी हो गए तो आप कल्पना कर सकते हैं कि जब जंगल के बीच से पम्प और पैनल चोरी हो सकते हैं तो वहां पर जानवरों का क्या हाल होगा.
माननीय सभापति महोदय, लकड़ी कटकर आ रही है. वहां विधिवत चेकिंग नहीं हो रही है और चेकिंग के नाम पर जो सरबोझा वालों को, बैलगाड़ी वालों को और साइकिल वालों को पकड़ते हैं जबकि इससे ज्यादा नुकसान बड़े ट्रेक्टरों से और ट्रकों से लकडि़यों की चोरी हो रही है. कटनी, जबलपुर में कुंडम प्रोजेक्ट में दो शेर मारे गए हैं. कुंडम प्रोजेक्ट वाले, जिनको आप खूब कटाई का काम देते हैं वे सिर्फ कूप काटते हैं. उनका काम साथ में जंगल भी देखना है. सिर्फ आपकी प्लॉनिंग में है आप कूप काट रहे हैं. हमारे यहां पेंगोलिन मारे गए हैं. पेंगोलिन का एक बहुत बड़ा रैकेट पकड़ा गया है. पोचिंग के लगातार पकडे़ गए हैं. आप वन विभाग में ई-पेमेंट से लेबरों को पेमेंट दे रहे हैं जबकि उनके ऊपर पहले से लोन है. जब उनके खाते में पैसा जाता है तो वह पैसा कट जाता है इसीलिए आपके यहां के मजदूर काम करने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं. तेंदूपत्ता के अवैध परिवहन के बहुत से प्रकरण पकडे़ गए हैं पर आप उस तेंदूपत्ता का कर क्या रहे हैं. तेंदूपत्ता नीलाम कर रहे हैं, नष्ट कर रहे हैं, आज तक मालूम नहीं पड़ा. सबसे ज्यादा अवैध परिवहन तेंदूपत्ता का हो रहा है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने उस दिन घोषणा की कि 100 करोड़ रूपए के जूते-चप्पल और पानी की बॉटल बांटेगे. ऐसा लगता है कि सरकार सिर्फ घोषणाओं में ज्यादा लगी हुई है.
सभापति महोदय -- कुंवर सौरभ सिंह जी, आप जरा समय का ध्यान रखते हुए संक्षिप्त में कहें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय सभापति महोदय, कुंवर सौरभ सिंह जी ने 2-3 मिनट तो स्मार्ट-स्मार्ट में ही निकाल दिये.
कुंवर सौरभ सिंह सिसोदिया -- माननीय भार्गव जी की बहुत तारीफ हो गई और माननीय शेजवार जी की तारीफ कोई नहीं कर रहा है तो मैंने कहा कि काम की तारीफ नहीं हुई तो स्मॉर्टनेस की कर दें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- फिर शुरू हो गया आपका.
कुंवर सौरभ सिंह सिसोदिया -- माननीय यशपाल जी बोलना पड़ता है, आपसे कुछ तो सीखना पडे़गा. माननीय सभापति महोदय, सांख्यिकी विभाग के संविदा कर्मचारी फिर से आंदोलित हो रहे हैं. आपने नियम विरूद्ध भर्ती की है. आपने फीस ली, आपने परीक्षा ली. लोगों को रखा और उसके बाद निकाल दिया. अगर कोई प्राइवेट व्यक्ति आपसे किसी काम का पैसा ले और काम न करे तो सरकार उसकी संपत्ति नीलाम कर देगी.पैसा वापस हासिल करेगी पर आपका विभाग ही ऐसा है कि आपने लगातार आर्थिक एवं सांख्यिकी में यह काम किया है. सभापति महोदय, लगातार वन विभाग की जो स्थिति बन रही है चाहे कटनी जिले की बात कर लें या मध्यप्रदेश की बात कर लें जितने भी आपके वाइल्ड पार्क हैं, जितने भी आपके नेशनल पार्क हैं उनमें वन विभाग की तरफ से आपने जो घूमने का समय दिया है, आपने अलग-अलग जोन बना दिये हैं इनमें दिक्कत यह जा रही है कि वहाँ जो लोग घूमने जा रहे हैं उनकी इतनी ज्यादा गाड़ियाँ जा रही हैं कि उससे वन्य प्राणियों को बहुत तकलीफ हो रही है और उनके हेबिटेट डिस्टर्ब हो रहे हैं और उनके प्रजनन की स्थिति पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है. आज की तारीख में हमारे खितौली और बांधवगढ़ से लगे हुए हिस्से में शेर मायग्रेट करके आ रहा है. कटनी में समदड़िया कालोनी में एक तेंदुआ घुस गया. जगह-जगह तेंदुआ और शेर सड़कों पर देखने मिल रहे हैं इसका कारण जंगलों का खत्म होना है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि जो जंगल खत्म हो रहे हैं उसका प्रेशर शहर की तरफ आ रहा है. हम चाहेंगे कि इस विषय में मंत्री जी ध्यान दें.फ्लेक्स और होर्डिंग पर सरकार लगातार बहुत ध्यान दे रही है आप इसकी तुलना भी वर्ष 2003 से कर लें बाकी चीजों से तो आप तुलना करते हैं. मैं कहना चाहता हूं कि अगर वन विभाग रहेगा और वन रहेंगे तो वास्तव में हम लोग जीवित रहेंगे वर्ना फ्लेक्स और होर्डिंग तो प्लास्टिक की चीजें हैं पता नहीं कब खत्म हो जाएंगी. माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर)-- माननीय सभापति महोदय, मैं माँग संख्या 10,31, 60,61 का समर्थन करता हूँ. मध्यप्रदेश में वनों की दृष्टि से हमारा यह प्रदेश समृद्ध प्रदेश है. मध्यप्रदेश की सरकार ने और हमारे माननीय वनमंत्री जी ने प्रयत्न किया है कि हमारा यह मध्यप्रदेश का वन जो पूरे देश के अंदर जाना जाता है इसको और अधिक समृद्ध बनाया जा सके और समृद्ध बनाये जाने की दृष्टि से जिन कार्यों को करने की आवश्यकता है उसको धीरे-धीरे करके विभाग ने और माननीय मंत्री जी ने आगे बढ़ाने का काम किया है.
माननीय सभापति महोदय, वैसे तो हमारे प्रदेश के वनों को संरक्षित करने की दृष्टि से धीरे-धीरे करके बहुत सारा काम किया गया है कई स्थानों पर नवीन वृक्षारोपण का कार्य और विशेष कर के अभी नर्मदा कछार में लगातार सात करोड़ पौधे लगाने का जो कार्य किया गया वह वास्तव में बहुत प्रशंसनीय कार्य है इसके कारण से वनों में और समृद्धि आएगी और हमारे मध्यप्रदेश का प्राकृतिक वातावरण उत्तम और अच्छा बनेगा. हमारे मध्यप्रदेश में वनों को ठीक तरीके से समृद्ध करने की दृष्टि वन समितियों का जो गठन किया गया है उसमें महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का काम मध्यप्रदेश की सरकार और वनमंत्री जी ने किया है, यह वास्तव में बहुत प्रशंसनीय कार्य है. महिलायें वनों के संरक्षण की दृष्टि से अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा चिंता करती हैं. जो महिलायें वनों में रहती हैं और जिन वन समितियों में महिलाओं ने अपना स्थान प्राप्त किया है, उससे उनमें उत्सुकता आई है और उस उत्सुकता के कारण से वह वनों की समृद्धि के लिये कार्य करने हेतु ठीक तरीके से आगे बढ़ी हैं. महिलाओं को जो अवसर वन समितियों में प्रदान किया है उसके लिए मंत्री जी को मैं बहुत-बहुत साधुवाद देता हूँ.
सभापति महोदय, वैसे तो वनों के संरक्षण का काम ही वन विभाग किया करता है लेकिन अभी हमारे प्रदेश में एक अभिनव कार्य किया गया कि वनों के क्षेत्र में रहने वाले लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करने की दृष्टि से वहाँ पर बड़े दीनदयाल स्वास्थ्य शिविर लगाये गये लगभग 502 शिविरों में 61 हजार महिला और पुरुषों ने इसका लाभ लिया. पहली बार यह मौका आया. वैसे तो वन विभाग में जहाँ पर लोगों को अधिकारियों और कर्मचारियों के द्वारा प्रताड़ना की चिंता रहती थी. लेकिन ऐसे मौके पर जब मध्यप्रदेश के वन विभाग ने गाँव में जाकर दीनदयाल चिकित्सा शिविर लगा कर उन लोगों का स्नेह और प्रेम जीता और लोगों को स्वास्थ्य शिविर में यह समझने का मौका भी मिला कि वनों का संरक्षण करने का कर्तव्य प्रत्येक नागरिक का है और जो लोग वनों के क्षेत्र में रह रहे हैं उनका स्वास्थ्य परीक्षण करके उनको स्वास्थ्य लाभ देने का अवसर भी वन विभाग द्वारा दिया गया. इसके लिए मैं विभाग की और माननीय मंत्री जी की प्रशंसा करता हूँ. माननीय सभापति महोदय, वन्य प्राणियों द्वारा जनहानि या घायल किए गए लोगों के लिए जितनी क्षतिपूर्ति की राशि दी जाती थी, उस क्षतिपूर्ति की राशि को भी विभाग ने बढ़ाया है. अक्सर यह होता है कि जहाँ पर वनों में लोग रहते हैं, अपने कार्यों को करते हैं, उस समय अगर कोई जंगली जानवर आ जाता है और वहाँ पर रहने वाले और कार्य करने वाले व्यक्ति को किसी प्रकार का नुकसान पहुँचाता है या जनहानि हो जाती है तो इसमें क्षतिपूर्ति की राशि बढ़ाए जाने पर मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने ऐसे ग्रामों में रहने वाले लोगों के दर्द को समझा है.
सभापति महोदय, मानव और वन्य प्राणियों में कहीं न कहीं द्वन्द्व की स्थिति लगातार बनी रहती है और कई बार ऐसे मौके आते हैं कि जंगल के क्षेत्र में रहने वाले गाँवों के लोगों के सामने जब जंगल का कोई पशु आ जाता है तब ऐसी अवस्था में निश्चित रूप से उनमें आपस में द्वन्द्व होता है, तो सरकार ने तय किया, वन विभाग ने यह भी तय किया है कि ग्रामवासियों की आपसी सहमति के आधार पर, जबरन नहीं, उनकी स्वेच्छा के आधार पर, उनको अन्य स्थानों पर स्थापित किए जाने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है. यह भी वास्तव में वन विभाग का एक अच्छा निर्णय है, इसके लिए मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ.
सभापति महोदय, एक और व्यवस्था की गई है वन्य प्राणियों के अपराधों की दृष्टि से बहुत सारे मुकदमे ग्रामवासियों पर आ जाते हैं और उनका कई वर्षों तक निराकरण नहीं हो पाता है. लोगों को अदालत के चक्कर काटने पड़ते हैं. इसके लिए उन्होंने विशेष न्यायालयों के गठन की व्यवस्था की है और इससे त्वरित न्याय मिलने की संभावना होगी. वन्य क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर जिन मुकदमों का सामना उनको करना पड़ता है, वर्षों तक तारीख पेशियों पर जाने की स्थिति न बने, यह प्रयास सरकार के द्वारा किया गया है उसके लिए मैं सरकार को धन्यवाद देता हूँ.
माननीय सभापति महोदय, अभी तेन्दूपत्ता संग्राहकों के लिए सरकार ने 2017 में 23 लाख 37 हजार मानक बोरा के एवज में 292 करोड़ का इनको बोनस वितरित किया और महुआ फूल का समर्थन मूल्य भी 14 रुपये से बढ़ाकर 30 रुपये किया गया. यह जो गाँव में रहने वाले लोग हैं, विशेषकर हमारे क्षेत्र में सहरिया लोग रहते हैं, महुआ फूल का वे कलेक्शन करते हैं और उसके लिए जब बाजार में जाते हैं तब कम पैसा मिलता है, अब सरकार ने 30 रुपये प्रति किलो का जो भाव निर्धारित किया है, निश्चित रूप से वह सराहनीय है और इससे संग्राहकों को इसका लाभ मिलेगा. सभापति महोदय, इसके साथ साथ सरकार ने ऐसे संग्राहकों के लिए चरण पादुका योजना प्रारंभ की, उसमें उनको जूते, चप्पल, साड़ी, पानी की बोतल और जो उनके उपयोग में आने वाली वस्तुएँ हैं, वह देने का फैसला किया. इसके कारण से भी संग्राहकों को अपना संग्रहण करने में जो कठिनाइयाँ थीं, उनको दूर करने का कार्य वन विभाग ने किया है.
सभापति महोदय, मैं ईको पर्यटन के संबंध में निवेदन करना चाहता हूँ. सरकार ने ईको पर्यटन बोर्ड बना करके प्राकृतिक क्षेत्र में जो अधोसंरचना विकास के लिए कार्य करने का निर्णय लिया है, वास्तव में वह बहुत सराहनीय है. मेरे क्षेत्र में भी एक बड़ी सेंचुरी वहाँ पर प्रारंभ की गई है. उस सेंचुरी के अन्दर कूनो पालपुर सेंचुरी के नाम से जाना जाता है और उसके आसपास ईको पर्यटन बोर्ड ने जो कार्य किए हैं उसके कारण से वहाँ पर्यटकों का आना प्रारंभ हुआ है और इसके साथ साथ इसमें एक और बात जो विशेष रूप से की गई है कि जो युवा लोग हैं, उनको रोजगार मुहैया हो सके. इसके लिए उन्होंने प्रशिक्षण देने का काम भी प्रारंभ किया है. उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में जो लोग काम करते हैं ऐसे लोगों के लिए, जैसे तैराकी का प्रशिक्षण देना, वहाँ पर आने वाले लोगों के आतिथ्य सत्कार का प्रशिक्षण देना, लोगों को गाइड का प्रशिक्षण देना, ऐेसे अनेक तरह के प्रशिक्षण देकर ईको पर्यटन के माध्यम से लोगों को रोजगार मुहैया कराने की दृष्टि से सरकार ने जो कार्य प्रारंभ किया है, वास्तव में यह इस कारण से प्रशंसनीय है कि वहाँ उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को एक रोजगार का अवसर उपलब्ध हो पाया है. भौगोलिक दृष्टि से नक्शों के सुधार करने का काम भी वन विभाग द्वारा किया गया है. वर्तमान समय में सूचना प्रौद्योगिकी की जो पद्धति चल रही है उसमें सूचना केन्द्र को मजबूत करके ठीक करने का जो काम चल रहा है. पूरे राज्य के नक्शों को डिजीटल करने का कार्य हो रहा है. मैं, मेरे क्षेत्र के बारे में माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ. श्योपुर में वन विभाग और राजस्व के नक्शों की लाइनों को लेकर कठिनाइयां उत्पन्न है. एक मामला तो आपके सामने भी आया था आपके निर्देश पर उसका निवारण हो गया है. दो-तीन मामले और हैं जो बिना कारण वहां पर उलझन पैदा कर रहे हैं. राजस्व विभाग की जमीन है, वन विभाग वाले कहते हैं कि हमारी है. इसके समाधान की दृष्टि से निर्णय लेंगे तो ग्रामवासियों को इसका ठीक तरह से लाभ प्राप्त हो पाएगा. मैं एक और कठिनाई का उल्लेख करना चाहता हूँ. चंबल होने के कारण चंबल अभ्यारण्य का क्षेत्र है. चंबल अभ्यारण्य के ग्रामवासी किसी अपराध जैसी स्थिति में नहीं आते हैं लेकिन उनको बिना कारण परेशान करने का काम जारी है. मेरे क्षेत्र में राजस्थान के सवाई-माधोपुर जिले से बनास नदी की रेत आती है लेकिन वहां रहने वाले अधिकारी जो लोग राजस्थान से वैध तरीके से रेत ला रहे हैं उन लोगों को भी चंबल की रेत बताकर उनके ट्रेक्टर्स को जप्त करने का काम करते हैं जिसके कारण वहां के ग्रामवासियों को बहुत बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. मंत्री जी इस मामले में बहुत सजग, चैतन्य और जागरुक हैं वे इस समस्या के समाधान हेतु निर्देश देंगे यह मैं निवेदन करना चाहता हूँ.
सभापति महोदय, एक निवेदन और करना है कि जंगल के क्षेत्र में गांव में जो लोग रह रहे हैं उन लोगों को वर्षों से रहने के बाद भी वह सुविधाएं प्राप्त नहीं हो पा रही हैं. वनग्राम की दृष्टि से भी उन लोगों के लिए कठिनाई पैदा की जाती हैं उसके निवारण की आवश्यकता है.
सभापति महोदय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर श्योपुर का नाम हो गया है कूनो पालपुर अभ्यारण्य के कारण लेकिन अभी तक वहां जो शेर लाने की बात थी वह पूरी नहीं हो पाई है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूँ उन्होंने वह सेंचुरी भी देखी है और रात्रि विश्राम भी किया है. मैं निवेदन करता हूँ कि शेर आ जाएंगे तो पर्यटन आगे बढ़ेगा. यही बात कहकर मैं अपनी बात समाप्त करता हूं. आपको और माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद.
कुँवर विक्रम सिंह (राजनगर)--माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या-10 के विरोध में अपनी बात कहते हुए सरकार द्वारा माननीय मंत्री जी के विभाग से अनावश्यक रुप से राशि को खर्च करने का जो काम किया जा रहा है, माननीय (XXX) की ओर से यह बहुत ही बुरी बात है.
"जंगल के भ्रष्टाचार को कौं लों करें बखान,
मिट रहे जंगल दिन पे दिन और का करें इनकी बखान."
माननीय सभापति महोदय, माननीय (XXX) की शक्ति का परीक्षण तो किया जाए की वे अपनी शक्ति का इस्तेमाल करें.
सभापति महोदय--यह शब्द विलोपित किया जाए.
कुँवर विक्रम सिंह -- सभापति महोदय, 61 करोड़ रुपया केवल प्लान्टेशन और पौध रोपण पर व्यय किया गया है. इस पौध रोपण को केवल गीनिज बुक्स ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में जिद करके, हद करके नाम दर्ज कराने के लिए किया गया है. वास्तविकता देखी जाए तो माननीय वन मंत्री जी के स्वयं के क्षेत्र में 5800 हेक्टेयर जंगल कम हुआ है जो कि प्रशासकीय प्रतिवेदन में दर्ज है.
सभापति महोदय, दीनदयाल उपवन के नाम से जो भूमि आवंटित की गई है वहां हेबीटेट डिस्ट्रक्ट हुआ है और जो हेबीटेट डिस्ट्रक्ट हो गया है उसमें वहां की वाइल्ड लाइफ पलायन कर गई है पक्षी भी वाइल्ड लाइफ में आते हैं वे पलायन कर गए हैं. बहुत सी ऐसी बातें हैं. मैं एक बात कहना चाहूंगा जो बड़ा चिन्तनीय विषय है और मैं लगातार इस बात को कहते आ रहा हूं अपना जो एशियाटिक वुल्फ है जिसको बिगना कहते हैं बिगना एक विलुप्त होने वाली सूची में दर्ज है और माननीय मंत्री जी का विभाग उसके लिए क्या कर रहा है? इसमें कोई उल्लेख आपने बजट में उनके प्रजनन के लिए या उनके आर्टिफीशियल ब्रीडि़ग के लिए या उनको केप्टिवेट करके उनको ब्रीड करने के लिए आपने कोई भी व्यवस्था नहीं की है. मध्यप्रदेश के सारे जंगलों में और जंगलों से जुड़े हुए जितने भी ग्रामीण अंचल हैं जहां पर खेती होती है वहां पर एक तरफ हमारे मुख्यमंत्री जी सोचते हैं कि कृषि को लाभ का धंधा बनाए परंतु लाभ का धंधा कैसे बने. जब रोज रोजड़ा और जंगली सुअर के कारण आतंक है 200-200, 400-400 के झुंड हैं माननीय सभापति महोदय, कानून में कुछ न कुछ शिथिलता कीजिए, अपनी शक्ति का प्रयोग कीजिए. वनराज जी मैं आपसे यह निवेदन करता हूं.
सभापति महोदय-- मंत्री जी को वनराज कहना ठीक नहीं है. वनराज शेर को कहते हैं.
कुँवर विक्रम सिंह-- सभापति महोदय, वन विभाग में ऐसे कई अधिकारी हैं जिनके विरूद्ध कई प्रकरण लंबित हैं और कुछ अधिकारी तो ऐसे हैं जिनकी सेवानिवृत्ति भी हो गई है लेकिन फाईलें दबी की दबी रह गईं. मैं कुछ आंकड़े बताना चाहूंगा यह कुछ फाईल नंबर हैं 1680/16, 1081/16, 527/16, 461/16 964/16, 491/16, 118/15, 22/16, 856/16, 857/16, फिर भी जांच चल रही है. वह रिटायर भी हो गए हैं परंतु आज तक उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई है. यह फाईल नंबर हैं. अब मैं थोड़ी सी तारीफ भी करना चाहूंगा. माननीय वन मंत्री जी की लघु वन उपज संघ में बीमा की राशि बढ़ाई गई है. जो स्वागतयोग्य है. धन्यवाद माननीय मंत्री जी ऐसे अच्छे काम आप करते जाएं तो बहुत अच्छी बात है. मेरे विधानसभा क्षेत्र से पन्ना राष्ट्रीय उद्यान से विस्थापित ग्रामों में जैसा मोटा चौकन, रैपुरा, चन्हारी यह ग्राम विस्थापित हुए थे इनको दूसरी जगह पर नादिया विहर में एकलव्य नगर में वहां पर और कुछ को पन्ना जिले के पुखरा में विस्थापित किया गया था, कुछ को झालर में किया गया. परंतु आज दिनांक तक जो जमीनें उनको दी गई हैं, जमीनों का तो हक बता दिया गया है कि यह पांच-पांच एकड़ प्रति वयस्क व्यक्ति एक एक परिवार को वह जमीनें मिल चुकी हैं परंतु आज दिनांक तक उनको न तो पट्टे दिए गए हैं और न तो भूमि अधिकार पुस्तिकाएं उनको प्राप्त हुईं हैं. वन विभाग के द्वारा जो कुंए खोदे गए वहां पर उस समय पर टेंकरों से पानी डाला गया उन कुओं में आज मेरे पूरे जिले में सूखे की स्थिति है. सूखे की स्थिति में वहां पर एक बूंद पानी पीने के लिए नहीं है वन मंत्री वहां पर थोड़ी सी व्यवस्था करवाएं मैं ऐसी आशा और उम्मीद रखता हूं. माननीय सभापति महोदय, हमारे मध्यप्रदेश में यदि जैकॉल (लड़ईया) जिसे गीदड़ भी कहते हैं किसी को काटता है तो थाने में रिपोर्ट करने जाना पड़ता है. थाने वाले किसी गंभीर अपराध की रिपोर्ट लिखेंगे कि उस व्यक्ति की रिपोर्ट लिखेंगे जिसे कुत्ते ने काट लिया या किसी जंगली जानवर ने काटा हो. मंत्री जी आप इस नियम का सरलीकरण करें. इसे प्रमाणित करने के लिए आप ग्राम के सरपंच को अधिकृत करें. ग्राम के सचिव को अधिकृत करें, ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक को अधिकृत करें.
माननीय सभापति महोदय, मैं अपनी अंतिम बात कहना चाहता हूं कि यदि रोजड़ों और सुअर के लिए परमिट जारी कर दिए जाये तो वन विभाग को कुछ आय भी होगी और लोगों को अपनी स्पोर्ट एक्टिविटी का भी लाभ मिलेगा. मंत्री जी, आपको इसमें अपनी तरफ से मुख्यमंत्री जी से बात करनी पड़ेगी. इस नीति से वास्तव में दोनों लाभ हैं. इससे रेवेन्यू भी आयेगा और किसानों को हो रहे नुकसान से भी निजात मिलेगी. माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिए धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 10, 31, 60 और 61 का समर्थन करता हूं. वन विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है. नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा के तहत जो पौधरोपण किया गया था उसमें वन विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. वन विभाग और वन विकास निगम के द्वारा 3 करोड़ 33 लाख 72 हजार पौधों का रोपण किया गया. वन विभाग में एक अभिनव योजना प्रारंभ की गई है. महिला एवं बाल विकास विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग की योजनाओं को उन आदिवासियों तक पहुंचाने में यह योजना बहुत ही कारगर साबित हुई है. वन संरक्षण पुरस्कार योजना, वन विभाग द्वारा वर्ष 2016 में प्रारंभ की गई थी. इसके लिए उत्कृष्ट उपलब्धि वाले वनरक्षकों को वन संरक्षण के लिए सतपुड़ा वन संरक्षण और विंध्य वन संरक्षण पुरस्कार, इस प्रकार दो योजनायें वर्ष 2016 में प्रारंभ की गई. जिसमें वन संरक्षण हेतु दो व्यक्तियों को 25-25 हजार रूपये का पुरस्कार देने का प्रावधान किया गया है ताकि उन वनरक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों में कार्य करने का उत्साह बना रहे.
माननीय सभापति महोदय, एकलव्य शिक्षा विकास योजना बहुत ही महत्वपूर्ण योजना वन विभाग द्वारा प्रारंभ की गई है. तेंदूपत्ता के व्यापार से प्राप्त लाभ की राशि का उपयोग दूरस्थ ग्राम में रहने वाले श्रमिकों के बच्चों की पढ़ाई में किया जाता है.
माननीय सभापति महोदय, मैं एक और बात की ओर सदन का ध्यान अवश्य आकर्षित करना चाहूंगा कि नीलगाय का मामला अब सिर्फ बुंदेलखंड का नहीं रहा है. अब यह समस्या मंदसौर-नीमच में भी हो गई है और धीरे-धीरे मालवा में भी नीलगाय का बहुत अधिक प्रकोप हो गया है. वन्य जीवों का संतुलन बिगड़ता ही जा रहा है. वन्य जीवों में कुछ प्रभावशील जातियों की संख्या बहुत बढ़ती जा रही है वहीं दूसरी ओर कुछ जातियां विलुप्त होती जा रही हैं.
श्री दिलीप सिंह परिहार- बहादुर भाई, वह रोजड़ा है.
श्री बहादुर सिंह चौहान- हमारे मालवा में उसे नीलगाय कहा जाता है. हमारे विक्रम भाई उसे रोजड़ा कहते हैं तो अब मैं भी उसे रोजड़ा कहकर ही संबोधित करता हूं. माननीय सभापति महोदय, मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि इस संबंध में कोई न कोई नीति निश्चित रूप से बनाई जाये. चाहे इसके लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा जाये, विभाग के अधिकारी भी यहां बैठे हुए हैं. इस पर आज नहीं तो कल नीति बनाने पर मजबूर होना पड़ेगा. आने वाले समय में फसलें नष्ट होती जा रही हैं. मैं यह कहना चाहता हूं कि बंदरों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ती जा रही है. क्योंकि वन समाप्त हो गये हैं, वन समाप्त होने के कारण, बंदर कस्बे में आ जाते हैं और बंदर बच्चों को काट भी लेते हैं. इस प्रकार की घटनाएं भी हो रही है. इस पर विभाग को चिंता करना चाहिये.
सभापति महोदय, हमारे मालवा क्षेत्र में ज्यादा वन नहीं हैं, लेकिन जो आरा मशीनें हैं, इस ओर मैं विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि हमारे रास्ते पर जो पेड़ खड़े हैं. उन सब वृक्षों को आरा मशीनें चलाने वालों ने रात में काट दिये हैं. मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि आप विभाग को सख्त निर्देश दें कि प्रत्येक आरा मशीन की महीने में एक बार रेण्डम जांच हो,ताकि पेड़ों की कटाई पर रोक लग सके और मालवा में जो वृक्ष बचे हैं, वह बचे रह सकें. एक वृक्ष को पालना और उसको खड़ा करना बच्चे से भी कठिन है. बच्चा तो दूध पीने के लिये रो देता है, तो मॉं को लगता है कि बच्चे को दूध पिलाना है, लेकिन वृक्ष को पानी की प्यास लगेगी तो वह बोल नहीं सकता है. इसलिये एक वृक्ष बड़ा करने में काफी परिश्रम लगता है. मेरा आग्रह है कि जो वन बचा हुआ है, उसको बचाने के लिये जो-जो भी नीति मालवा में बनायी जाये, उसको बनाने की कृपा करेंगे. सभापति महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन(राजपुर):- माननीय सभापति महोदय, मैं अनुदान मांगों का विरोध करते हुए, मैं कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं और आपके माध्यम से मंत्री जी को यह कहना चाहता हूं कि वन विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है. मध्यप्रदेश सरकार टायगर स्टेट का दर्जा प्राप्त करने की कोशिश में जो सरकार लगी थी. सभापति महोदय, उन कोशिशों को भी शिकारियों ने और वन माफियाओं की मिली-भगत ने समाप्त कर दिया है. वर्ष 2006 में बाघों की संख्या 300 थी, जो वर्ष 2014 में बढ़कर 308 हुई है, उसमें कोई ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं हुई है और राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव के चलते, जो सिंह गुजरात से आने वाले थे, उनके आने की उम्मीद भी समाप्त हो गयी है, उस नतीजे पर भी सरकार नहीं पहुंच पायी है. माननीय वन मंत्री जी आपको इस बात पर ध्यान देना पड़ेगा और सभापति महोदय, प्रश्न क्रमांक 567, दिनांक 8.3.2018 में सरकार ने स्वीकार किया था कि बांधवगढ़ टायगर रिजर्व में वर्ष 2010 से 2018 तक 31 बाघों की मौत हुई है. यह चिंता का विषय है और मैं यह वे आंकड़े बता रहा हूं कि सरकार ने हम लोगों के प्रश्नों के जो जवाब दिये हैं, उसका मैं यहां पर उल्लेख कर रहा हूं. यह प्रश्न संख्या- 567 के जवाब में ही आया है, जो माननीय मंत्री जी के द्वारा ही दिया गया है कि 31 बाघों की मौत एक चिंता का विषय है और इसमें छोटे कर्मचारियों पर कार्यवाही करके केस की इतिश्री करने में सरकार लग गयी है, लेकिन जो क्षेत्र संचालक स्तर के अधिकारी के खिलाफ जो कार्यवाही होना चाहिये, वह नहीं हुई है और मंत्री जी विभाग पर जो आपका खौफ और आपकी पकड़ बनना चाहिये थी, वह किस कारण से नहीं बन पा रही है, जब आप जवाब दें उस समय बतायें. बात यहीं समाप्त नहीं होती है ग्वालियर और शिवपुरी जिले में सोन-चिरैया अभ्यारण में अवैध खनन का काम भी बड़े जोरों पर चल रहा है और धीरे-धीरे सोन चिरैया का अस्तित्व ही अभ्यारण्य में समाप्त होता जा रहा है. मंत्री जी, मैं यह भी बताना चाहता हूं कि पता नहीं आपका तंत्र जब आपको और विभाग को रिव्यू करते हैं, उस समय बता पाते हैं या नहीं. यह भी हमारे विधायक साथियों के प्रश्नों के जवाब बताना चाह रहा हूं कि प्रश्न क्रमांक-2074, दिनांक 8.3.2018 में बताया गया है कि वर्ष 2012 से 2018 तक एक भी सोन चिरैया, इन अभ्यारण्य में नहीं देखी गयी है. धीरे-धीरे इनका अस्तित्व ही समाप्त होता जा रहा है. यह सब प्रश्नों का जो जवाब आया है, उन्हीं का मैं यहां पर उल्लेख कर रहा हूं और माननीय मंत्री जी के ध्यान में, जानकारी में लाना चाहता हूं. माननीय सभापति महोदय, यहीं पर इन्हीं अभ्यारण्य में 26 माह में अवैध खनन के 255 प्रकरण बने हैं, 18 वाहन जप्त हुए हैं, 18 घनमीटर फर्शी की जप्ती हुई है लेकिन सोन चिरैया के संरक्षण के लिए राशि व्यय करने में कोई कमी नहीं हुई. सरकार के द्वारा बराबर राशि खर्च की जा रही है, लेकिन सोन चिरैया का अस्तित्व समाप्त हो गया है. माननीय मंत्री जी, मैं आपको वर्षवार बताना चाहता हूँ. वर्ष 2012 के लेकर अभी तक सोन चिरैया नहीं देखी गई है तो हर वर्ष इसके संरक्षण के लिए, जो राशि आप व्यय कर रहे हैं, राशि दे रहे हैं. मैं वे आंकड़े भी बताना चाहता हूँ.
4.36 बजे [उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए]
उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2015-16 में 47 लाख रुपये, वर्ष 2016-17 में 82 लाख रुपये एवं वर्ष 2017-18 में 51 लाख रुपये घाटीगांव, ग्वालियर अभ्यारण्य में सोन चिरैया संरक्षण के लिए किया गया है, माननीय मंत्री जी, ऐसा ही करैरा अभ्यारण्य, शिवपुरी में वर्ष 2015-16 में 10 लाख रुपये, वर्ष 2016-17 में 13 लाख रुपये और वर्ष 2017-18 में 15 लाख रुपये कहां पर खर्च किए गए हैं ? यह हम सबके लिए एवं प्रदेशवासियों के लिए चिन्ता का विषय है और सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. जो अभ्यारण्य में सोन चिरैया नहीं देखी जा रही है और उसका अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है. मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान उस ओर आकर्षित कर रहा हूँ. वहीं घाटीगांव, ग्वालियर अभ्यारण्य 512 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. उसमें अधीक्षक का पद अभी भी रिक्त है, इसके अलावा करैरा अभ्यारण्य की स्थिति तो और भी खराब है, वह 202 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, उसमें मात्र 7 कर्मचारी हैं. इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सरकार जान-बूझकर शायद ऐसा करना चाहती है जिससे कि अवैध उत्खनन का कारोबार जोरदार चलता रहे एवं बाकी की चीजें समाप्त होती रहें तो माननीय मंत्री जी ऐसा नहीं होना चाहिए. इस पर आपको ध्यान देना पड़ेगा. जब आप बोलें तो मेरी इन बातों को आप स्पष्ट करें और यह हाऊस की प्रॉपर्टी है, उसका मैं उल्लेख आपकी ओर कर रहा हूँ. यही हालात पौधारोपण के भी हैं. इसमें भी प्रश्न क्रमांक 3202, दि. 27.7.17 में आपने बताया है कि हरियाली महोत्सव के अंतर्गत वर्ष 2014 से 2016 तक आपने 10 करोड़ पौधे लगाए हैं, 8 करोड़ पौधे जीवित बताए गए हैं. इन पर 404 करोड़ रुपये खर्च होना बताया गया है लेकिन जब हम प्रश्न पूछते हैं. जब हम यह पूछते हैं कि ये किन फर्मों से लिए गए हैं ? इनके बिलों की रसीदें पूछते हैं, टीडीएस काटा गया है कि नहीं काटा गया है, सरकार इस पर कोई जानकारी नहीं देती है एवं 404 करोड़ रुपये खर्च होना बताया गया है. आपने 2 जुलाई, 2017 को भी 7 करोड़ पौधे लगाने का बताया है, मतलब चार साल में 15 करोड़ पौधे लगाने की बात कही गई है. 15 करोड़ पौधे किस जमीन पर लगे हैं ? ये दोनों हरियाली महोत्सव के अंतर्गत और उसके बाद 2 जुलाई, 17 को आपने जो पौधे लगाए हैं. जिन वन मण्डलों में हरियाली महोत्सव के तहत पौधे लगाए गए हैं. 2 जुलाई, 17 को भी हरियाली महोत्सव द्वारा जो लगाए गए थे, 2 जुलाई, 17 को भी उन्हीं वन मण्डलों ने उनको फिर से लगाना बताया गया है और फिर राशियां निकाली गई हैं. माननीय मंत्री जी ऐसा नहीं होना चाहिए और आप जैसे मंत्री के विभाग में यह हो रहा है तो पूरी सरकार का अनुमान हम लगा सकते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरी बात यहीं तक समाप्त नहीं होती है. मैंने यह पूछा है कि 4 वर्षों से हमारे प्रश्नों की जानकारी एकत्रित की जा रही है. एक जैसा जवाब आता है तो सरकार की इच्छाशक्ति या सरकार की मंशा यह नहीं है. मैं समझता हूँ कि माननीय मंत्री जी, ऐसा होना नहीं चाहिए. मैं चौथे प्रश्न का भी उल्लेख कर रहा हूँ. यह मेरा प्रश्न क्रमांक 2599, दि. 8/3/2018 था. दि. 8/3/2018 में सरकार बता रही है कि 2 जुलाई, 17 को जो पौधारोपण खरगौन वन मण्डल में 36.47 रुपये प्रति पौधा, बड़वानी वन मण्डल में 45.36 रुपये प्रति पौधा, सेंधवा वन मण्डल में 51.03 रुपये प्रति पौधा और बड़वाह वन मण्डल में 54.45 रुपये प्रति पौधा रौपा गया है तो अलग-अलग वन मण्डलों में अलग-अलग क्यों खर्चा हुआ ? मैं यह पूछना चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी एक पौधा एक जगह 36 रुपये का और दूसरी जगह 54 रुपये का पौधा रोपा गया है. सरकार क्यों कन्फ्यूश्ड है या सरकार ऐसा क्यों कर रही है ? जब आप बोलें तो इन बातों को स्पष्ट करे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वनमंत्री जी जवाब दें कि सोन चिरैया अभ्यारण्य में अवैध खनन क्यों हो रहा है व कर्मचारियों की कमी क्यों रखी गई है ? दूसरा जवाब बाघों के अवैध शिकार और पौधा रोपण में भ्रष्टाचार के बारे में दें. माननीय मंत्री जी मैंने यह जो प्रमाणित चीजें आपके सामने रखी हैं और अभी तक हम और हमारे विधायक साथी जो सदन में प्रश्न लगा रहे थे, चूंकि प्रश्नों के दौरान बहुत कम समय मिल पाता है इसलिए मैंने उसकी जानकारी का ही उल्लेख किया है. माननीय मंत्री जी जब आप अभी अंत में जवाब दें तो हमारी इन बातों को साफ करें क्योंकि धीरे-धीरे सदन के सदस्यों का विश्वास सरकार के प्रति, विभागों के प्रति कम होता जा रहा है. इसके साथ ही यदि अनुदानों की मांगों पर भी बोलकर अगर जवाब नहीं मिल पाता है तो हम लोगों का धीरे-धीरे सरकार के प्रति, विभागों के प्रति विश्वास कम होता जा रहा है. यदि आप जैसे मंत्री जी के विभाग का यह हाल है तो सरकार के अन्य विभागों का और अन्य मंत्रियों का हम अनुमान लगा सकते हैं कि सरकार किस स्थिति में खड़ी है. माननीय वन मंत्री जी मेरी इन सारी बातों को आप साफ करें. मैंने यह सब अथेंटिक चीजें मय प्रमाण के सदन में रखी है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया है, उसके लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री हेमंत विजय खण्डेलवाल(बैतूल) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं वन विभाग की मांग संख्या 10 के समर्थन में अपनी बात कहना चाहता हूं. मैं आपके माध्यम से सदन को बताना चाहता हूं कि दुनिया में सबसे ज्यादा वनक्षेत्र 81 लाख वर्ग किलोमीटर का रसिया में है, उसके बाद ब्राजील, कनाडा, यूएस, चाईना का वन क्षेत्र आता है. हमारे भारत में लगभग 7 लाख 5 हजार वर्ग स्क्वायर किलोमीटर वन क्षेत्र है. लेकिन मैं आपके माध्यम से केंद्र सरकार को बधाई देना चाहता हूं कि हमारे यहां पिछले पांच वर्ष में 5081 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले 25 सालों में हमारे पड़ोसी पाकिस्तान में 40 प्रतिशत तक वन क्षेत्र घट गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारा देश वनों के मामले में दुनिया में दसवें नंबर पर है, लेकिन मैं आपके माध्यम से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और वनमंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार जी को इसलिए बधाई देना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश पूरे देश में वन क्ष्ोत्र में पहले नंबर पर है. हमारे मध्यप्रदेश में लगभग 11 प्रतिशत वन क्षेत्र और लगभग 95 हजार वर्ग स्क्वायर किलोमीटर का वन क्षेत्र है और हमारा वन मंत्रालय उसे लगातार बढ़ाने का काम कर रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में सात करोड़ पौधे रोपने का काम हुआ है. मैं आपके माध्यम से हमारी सरकार को इसके लिये भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि सरकार ने इसके लिये 2706 करोड़ रूपये बजट में प्रावधान किया है. मैं केंद्र सरकार को भी बधाई देना चाहूंगा कि उन्होंने बांस को पेड़ की परिभाषा से अलग किया है. अब किसान पेड़ भी लगा पायेंगे और केंद्र सरकार ने बांसों के रोपण के लिये लगभग 200 करोड़ रूपये की राशि दी है. मैं माननीय वन मंत्री जी और उनकी पूरी टीम को वनों की सुरक्षा और वन प्राणियों की सुरक्षा के लिये 620 करोड़ रूपये के प्रावधान करने के लिये धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछली बार सदन में जब 52(क) की चर्चा हुई थी तब मैंने भी उस समय चर्चा में भाग लिया था और मंत्री जी ने बहुत सकारात्मक जवाब मुझे दिये थे. मैंने नारंगी जमीन के बारे में उनसे जानना चाहा था कि यह जमीन वन विभाग की है या राजस्व विभाग की यदि यह जमीन राजस्व विभाग की है तो फिर इस पर हमारे वन विभाग के कानून क्यों लागू होते हैं और यदि यह जमीन वन विभाग की है तो इसे वन भूखंड से बाहर क्यों रखा गया है ? मैंने उस समय चर्चा में भी बताया था कि नारंगी शब्द का उपयोग फारेस्ट के किसी भी अधिनियम में नहीं है. मैं बताना चाहता हूं कि बैतूल में लगभग 1 लाख 37 हजार हेक्टेयर जमीन नारंगी के नाम से दर्ज है. इसमें से मात्र 7 हजार हेक्टेयर में वन हैं और 1 लाख 30 हेक्टेयर वन लगाने के लिये उपयुक्त जमीन नहीं है और इसमें से 78 हजार हेक्टेयर तो राजस्व के भू-अभिलेख में दर्ज है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को कहना चाहता हूं कि इस जमीन के डी-नोटिफिकेशन में वन विभाग को कोई दिक्कत नहीं चाहिए, पिछली बार मंत्री जी ने अधिकारियों को निर्देश भी दिया था. मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि भारत में सबसे पहले नारंगी को लेकर कदम आदरणीय मंत्री जी ने ही उठाया है और एसीएस द्वारा बैतूल सीसीएफ और कलेक्टर को निर्देश दिये हैं कि यह जमीन बहुत जरूरी है और उसके लिये हम उस पर आगे कार्यवाही करें. 62 हेक्टेयर जमीन मांगने के लिए बैतूल नगर पालिका ने आज ही प्रस्ताव पारित करके वन विभाग को भेजने का निर्णय किया है. मैं समझता हूं कि आप हमारे बैतूल के आवास की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमारे इस प्रस्ताव को मंजूरी देंगे. मैं आपको नारंगी के विषय में बार बार इसलिए कहता हूं कि हमारे आदिवासी क्षेत्रों में वन के कारण, इस नियम के कारण, हमारे बहुत से डेम नहीं बन पा रहे, कई गांवों में बिजली नहीं पहुंच पा रही, स्कूल नहीं बन पा रहे, सड़कों का निर्माण नहीं हो पा रहा है, ऐसी कई चीजें हैं. अगर हम चाहे तो नारंगी जमीन यदि राजस्व को मिलती है तो हमारे बहुत सारे विकास कार्य हो सकते हैं. आपके माध्यम से मैं दो और अनुरोध मंत्री जी से करना चाहूंगा कि वनों से संबंधित छोटे अपराध जो हमारे वनवासियों द्वारा अज्ञानतावश हो जाते हैं उसमें 1 हजार रूपए से ऊपर के वाहन राजसात कर लिए जाते थे. मेरा अनुरोध है कि यह राशि 10 वर्ष पहले निर्धारित थी, 10 वर्ष में रूपए का बहुत अवमूल्यन हुआ है, इस राशि को बढ़ाकर 5 हजार कर दें ताकि छोटी छोटी धाराओं में हमारे वनवासियों के वाहन राजसात न हो. इसी के साथ साथ किसानों के हित में मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि सुअर और अन्य वन प्राणी जो किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. हमारी सरकार केन्द्र सरकार से सर्वसम्मति से यह अनुरोध करें कि हम इन्हें वन्य प्राणी के अधिसूची से अलग करें. हमारे प्रदेश की पहचान वनों से और वन्य प्राणियों से हैं. मैं मंत्री जी और उनकी पूरी टीम को आपके माध्यम से धन्यवाद देता हूं कि आपने इस मामले में प्रदेश को नंबर 1 रखा. वृक्षारोपण भी मध्यप्रदेश में आपके नेतृत्व में बड़े पैमाने पर हो रहा है. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया और बिना टोके मैं अपनी बात समाप्त कर पाया, इसके लिए मैं पुन: आपको धन्यवाद देता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय – मैं टोकने के लिए मशहूर हूं क्या? (....हंसी)
श्री बाला बच्चन – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह आपके लिए नहीं आसंदी के लिए है.
अध्यक्ष महोदय - श्री रामनिवास रावत.
श्री बाला बच्चन – हमें भी नहीं टोका था, हम भी माननीय आसंदी और उपाध्यक्ष जी को धन्यवाद देते हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी – विपक्ष की टोका टाकी के लिए कहा है. इतना बढि़या बोल रहे थे कि विपक्ष से कोई टोका-टाकी नहीं हुई.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, महत्वपूर्ण विषय और मांगों पर चर्चा हो रही है, जो मानव जीवन के लिए अति आवश्यक है और उनका संरक्षण भी मानव जीवन जीवन के लिए अति आवश्यक है. मैं मांग संख्या 10, 31, 60 एवं 61 का विरोध करते हुए कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूं. बहुत सारे हमारे विद्वान साथियों ने वन के संरक्षण और संवर्धन के संबंध में अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं. मैं कुछ पेपरों पर बात करना चाहूंगा कि शासन और प्रशासन की ओर से समय समय में वन के संरक्षण और संवर्धन के साथ ही विभिन्न आदेश निर्देश जारी किए गए और उन आदेश और निर्देशों पर सरकार कितनी गंभीरता से उनके पत्रों और निर्देशों को लेती हैं, इन पर चर्चा करना चाहूंगा. सामुदायिक वन अधिकार और शासन के आदेश है, जो प्रमुख सचिव आदिम जाति कल्याण के द्वारा दिनांक 10 जून 2008 को जारी आदेश, प्रमुख सचिव, वन के द्वारा दिनांक 10 अप्रैल 2015 को जारी आदेश, आयुक्त आदिवासी विकास के 16 अप्रैल 2015 को जारी आदेश, जो सामुदायिक वन अधिकार से संबंधित आदेश है. डी-नोटीफाइड भूमि एवं अभिलेख संशोधन के आदेश भारतीय वन अधिकार नियम 1927 की धारा 34-अ के अनुसार अधिसूचनाओं का ब्यौरा और उसके संबंध में भी मैं चर्चा करना चाहूंगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 24 जुलाई, 2004 को मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी आदेश, 5 अगस्त 2004 को आयुक्त भू-अभिलेख बंदोबस्त द्वारा जारी आदेश, 30 सितम्बर, 2004 को प्रमुख सचिव, राजस्व विभाग द्वारा जारी आदेश, 25 जनवरी, 2005 को कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षण भू-प्रबंधन द्वारा जारी आदेश, 21 मई, 2015 को वन मुख्यालय भोपाल द्वारा समय समय पर जो पत्राचार किये गये और जो जमीनी स्तर पर विभाग के लोगों द्वारा कार्यवाही की गई है उसके संबंध में भी हम चर्चा करना चाहेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय निजी भूमि को पृथक किये जाने के संबंध में भी कई आदेश जारी हुये हैं. 11 जुलाई, 2008 को वन विभाग राज्य मंत्रालय से जारी आदेश 20 जुलाई 2009 को वन मुख्यालय से जारी आदेश, 1 जून 2015 को मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेश, जिन आदेशों का मैं यहां पर उल्लेख कर रहा हूं यह निजी भूमि को पृथक किये जाने से संबंधित आदेश विभाग द्वारा जारी किये गये हैं. लघु वनोपज से संबंधित शुद्ध लाभ के आदेश का उल्लेख भी करना चाहूंगा. 15 मई, 1998 को राज्य मंत्रालय, वन विभाग द्वारा जारी आदेश, 21 जनवरी, 2006 को भी राज्य मंत्रालय वन विभाग द्वारा जारी आदेश, 10 फरवरी, 2012 को राज्य मंत्रालय वन विभाग द्वारा जारी आदेश,लघु वनोपज की राशि को लेकर और माननीय सदस्यों द्वारा इस संबंध में किये गये विधानसभा के प्रश्न पर विभाग द्वारा क्या कार्य़वाही की गई है इस पर भी हम चर्चा करना चाहेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ग्राम सभा के अधिकार जो अधिकार दिये गये हैं उसके संबंध में स्मरण कराना चाहूंगा कि 25 जनवरी 2001 को वन विभाग मंत्रालय द्वारा जारी आदेश और समय समय पर वन संरक्षण और वन अधिनियम से संबंधित जो नियम और कानून में संशोधन किये गये उसके बारे में मंत्री जी से कहना है कि आपके इन आदेशों का किस प्रकार से नीचे का अमला उपयोग कर रहा है जिसका जीता जागता उदाहरण है कि प्रदेश में पर्यावरण का संतुलन बना रहे उसके लिये आवश्यक वन क्षेत्र जो होना चाहिये वह धीरे धीरे कम होता चला जा रहा है. आज 33 प्रतिशत वन क्षेत्र जो पर्यावरण के संतुलन के लिये होना था आज काफी नीचे चला गया है. 30 प्रतिशत तो वन विभाग के आंकड़े बता रहे हैं लेकिन मेरा दावा है कि लगभग 26 से 27 प्रतिशत ही वन क्षेत्र प्रदेश में बचा है.
उपाध्यक्ष महोदय, मात्र आंकड़े जारी कर देने से प्रदेश का पर्यावरण और वन संतुलन और संरक्षण नहीं हो सकता है. इस संबंध में विभिन्न माननीय सदस्यों द्वारा पूछे गये विधानसभा के प्रश्नों के संबंध में विभाग द्वारा जो उत्तर दिया गया है,उसमें विरोधाभाष है. वित्तीय वर्ष 2013-17 के बीच में विभाग के द्वारा जो वृक्षारोपण का कार्य किया है, उसके बारे में वन वृत शहडोल के बारे में जानकारी देना चाहूंगा कि 22.7.2013 को एक दिन में लगभग 55 लाख पौधों को रोपण विभाग द्वारा प्रदेश में किया गया है. 17 लाख वृक्षों को विभाग द्वारा प्रमाणित करके 51 प्रतिशत पौधे जीवित बताकर के गिनीज बुक आफ वल्ड रिकार्ड में अपना नाम लिखा लिया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय 1 जनवरी 2017 से लेकर के आज दिनांक तक विभाग ने करीब 12 लाख 22 हजार 701 पौधे, अधिरोपित किये जाने की बात कही है. कुल 67 लाख के आसपास वन विभाग के द्वारा पौधे अधिरोपित किये गये हैं.मैं ज्यादा तो नहीं कहना चाहता हूं लेकिन मां नर्मदा की पदयात्रा के समय मैंने अपनी ही विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम दूधी से लेकर के नर्मदा तक तक मां नर्मदा यात्रा में जो वृक्षारोपण किया गया है उसका उल्लेख भी मैं यहां पर करना आवश्यक समझता हूं.माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 110 किलोमीटर की हमने पैदल यात्रा की, इस यात्रा में माननीय दिग्विजय सिंह जी भी रहे, मां नर्मदा के किनारे किनारे जितना वृक्षारोपण हरी-चुनरी के नाम से जो वृक्षारोपण किया गया स्थिति यह है कि 110 किलोमीटर के क्षेत्र में 300 से ज्यादा पौधे मौके पर जीवित अवस्था में नहीं है. यह मां नर्मदा के नाम पर हरी चुनरी के नाम पर आपके विभाग द्वारा कार्य किया गया हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 110 किलोमीटर में 300 से अधिक पौधे जीवित नहीं हैं. यह मां नर्मदा के नाम पर हरी चुनरी के नाम पर आपने काम किया है, मुझे इस बात का दुख है. चूंकि इस पूरी यात्रा में जब मां नर्मदा के नाम से आपने सेवा की, उसके संरक्षण, संवर्धन के लिये आपने शुरूआत की और मां नर्मदा की उदगम स्थली मेरा विधान सभा क्षेत्र होने के नाते हमने कंधे से कंधा मिलाकर के माननीय वन मंत्री जी के साथ भी बैठक की और उसमें पूरा सहयोग भी किया. आज जब हम धरातल पर जाते हैं और जिस उद्देश्य से हमने वृक्षारोपण किया वह वृक्ष ही आज गायब हैं और वृक्ष लगाने से ज्यादा वृक्षों को काट लिया गया. वह आज भी देखने को मिलता है, आपके बहुत सारे स्रोत है, आपके बहुत सारे माध्यम हैं, मैं दो-चार गांव के नाम भी बता देता हूं, कल ही आपके पास रिपोर्ट आ जायेगी, ग्राम दमगड़ में आप देखिये कितने पेड़ लगे हैं और कितने पेड़ों को काटकर के और उनके संरक्षण में उपयोग किया गया, मैं पुष्पराजगढ़ की बात कर रहा हूं. आज जिस तरीके से हमारे भोगोलिक क्षेत्र, वनक्षेत्र कम होते जा रहे हैं और ऐसे ऐसे जो वृक्ष है, बेशकीमती जो हमारे वृक्ष हैं, साल, है, सागोन है, हल्दू है, बीज है ऐसे वृक्ष धीरे-धीरे लुप्त होते जा रहे हैं. हमारी पहाडि़यां खुलती जा रही हैं. अवैध कटाई के कारण, जब वर्षा के दिन होते हैं सीधी बूंदे उन पर पड़ती रहती हैं और बड़े-बड़े पहाड़ों से बड़ी तेजी से वर्षा के कारण भू-कटाव होता है, जो छोटे-छोटे नाले हैं वह नदी का रूप धारण कर लेते हैं, बड़ी-बड़ी खाईयां बन जाती हैं. माननीय वन मंत्री महोदय से मैं निवेदन करना चाहूंगा कि जंगलों के अंदर, पहाड़ों में छोटे-छोटे स्टॉप डेम, चेक डेम, मिट्टी के बंधान निर्मित करके तेजी से हो रहे भू-कटाव को रोकने का काम करना अति आवश्यक है ताकि वह पेड़ जिनकी जड़ें वर्षा के कारण और मिट्टी भू-कटाव के कारण जो खुल जाती हैं, वह बह जाते हैं, वह वृक्ष सूखने लगते हैं उनको रोकने में यह सहायक होंगे, उनको खड़े रखने में सहायक होंगे. हमारा जलस्रोत बढ़ेगा, जलस्रोत बढ़ेगा तो जंगल के जो पशु हैं, पक्षी हैं, चिडि़या हैं, प्राणी हैं उनका उपयोग कर सकते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- फुंदेलाल जी, अब समाप्त कीजिये.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- माननीय उपाध्यक्ष जी, अगर आपकी अनुमति हो तो मैं 1-2 मिनट और बोल लूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- सिर्फ एक मिनट बस.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- जी उपाध्यक्ष महोदय, हमारी जो वनोपज है, जो हमारे आदिवासी समाज के लोग, जनजाति समाज के लोग हमेशा जंगल, पहाड़ों में निवास करके हमारी वनोपज का संरक्षण करते हैं. कुल्लू गोंद, हर्रा, बहेरा, सालबीज, लाख, महुआ और तेंदूपत्ता, अचार, चिरोंजी, आंवला इत्यादि जैसे जो हमारे जंगलों में मिलते थे आज वह धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं. हमारे जो वनवासी हैं, जंगलों में निवास करने वाले जो हमारे आदिवासी समाज के भाई हैं जो कंदमूल फल खाकर के जो दुर्लभ जड़ी-बूटियों का प्रयोग करके अपने जीवन की रक्षा करते थे वह भी धीरे-धीरे आज समाप्त होता जा रहा है. हम आंकड़े चाहे कुछ भी बताते रहें, लेकिन वास्तविकता यह है कि आज इन तमाम चीजों से हम कोसों दूर जा रहे हैं और आने वाले समय में मुझे ऐसा लगता है कि ए फॉर एप्पल, सेव जैसे बताया जाता है, उसी तरीके से यदि साल के वृक्ष का हमको बताना पडे़ तो धीरे-धीरे यह भी दुर्लभ होता जा रहा है, लुप्त होता जा रहा है. जिसका प्रतिरोपण हम नहीं कर सकते हैं. ऐसी बहुत सारी औषधियां हैं, बहुत सारे हमारे पेड़-पौधे हैं जिसका संरक्षण करना अति आवश्यक है.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपको इस विषय पर बहुत ज्ञान है क्योंकि आप उस इलाके से आते हैं, लेकिन अब समय की भी सीमा है, आपको बोलते-बोलते 12 मिनट हो गये. अब समाप्त करें.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिये मैं आपको धन्यवाद देता हूं.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा(खातेगांव)--उपाध्यक्ष महोदय, हम सब सौभाग्यशाली हैं कि मध्यप्रदेश में समृद्ध वन क्षेत्र उपहारस्वरूप प्रकृति का मिला हुआ है. मेरे विधानसभा क्षेत्र देवास में भी वनों से आच्छादित क्षेत्र देखने को मिलता है. जहां पर वन्य प्राणियों से लेकर वनस्पतियों की दुर्लभ प्रजाति भारत का नंबर एक सागौन का जंगल हमारे यहां उपलब्ध है. जिसका परिरक्षण एवं संवर्धन अति-आवश्यक है. निश्चित ही जनसंख्या के बढ़ते दबाव के कारण आज वन क्षेत्र घटा है और कहीं न कहीं उसके दुष्परिणाम हमको परिस्थितितंत्र के बिगड़ने पर तथा जो फूड चयन होता है उसको भी देखने को मिल रहा है. मौसमों में हो रहे बदलावों का एक बड़ा कारण वनों का कम होना भी मैं मान सकता हूं. जिस तरह पृथ्वी के वातावरण में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है कहीं न कहीं उसके पीछे कारण यह भी है कि औद्योगीकरण एवं विकास के कारण जो मनुष्य की जरूरते हैं उसने वनों को काटने पर मजबूर किया है. जितने भी बड़े बड़े प्रोजेक्ट सड़कों से लेकर अन्य कार्यों के चल रहे हैं उसके कारण वनों को काटना पड़ रहा है. इसलिये हम सबकी चिन्ता निश्चित तौर पर होनी चाहिये कि हम आने वाली पीढ़ियों को कैसे स्वस्थ पर्यावरण दे सकें. इसीलिये वनों को बचाना हम सबकी प्राथमिकता है. माननीय मंत्री जी एवं हमारी सरकार ने मध्यप्रदेश में हरियाली को बढ़ाने के लिये बहुत सारे किये हैं. हरियाली महोत्सव में प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पौधारोपण किया जाता है, जिसके आशानुकूल परिणाम इस समय हमारे सामने आ रहे हैं. मैं कुछ सुझाव अपने माध्यम से रखना चाहता हूं कि जिससे मुझे लगता है कि वनों की सुरक्षा एवं बढ़ोतरी भी हो सकेगी. हम स्वयं यदि प्रकृति के प्रेमी बनेंगे तथा वनों की सुरक्षा के लिये कार्य करेंगे तो मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में मध्यप्रदेश की पीढ़ियों को समृद्ध वन क्षेत्र दे पायेंगे. मेरा ऐसा मानना है कि वनों में सबसे बड़ा नुकसान का कारण होता है गर्मी के दिनों में आग लग जाती है और कई लोग महुआ बीनने के कारण और वनों से निकलने वाली उपज के कारण वनों व पेड़ों के आसपास आग लगा देते हैं तथा जो लोगो बीड़ी वगैरह पीते हैं वह जलती हुई बीड़ी वहां पर फेंक देते हैं जिस कारण जो पतझड़ के सूखे पत्ते गिरे रहते हैं उसमें गर्मी के दिनों में आग लग जाती है. इसके कारण जो नये नये पौधे रहते हैं वह भी नष्ट हो जाते हैं इसलिये वन अमले को फायर ब्रिगेड जैसी व्यवस्था देनी चाहिये. जंगल की आग से निपटने के लिये सुरक्षित नेटवर्क होना चाहिये तथा एक अच्छा सूचना तंत्र विकसित होना चाहिये, अमला उनका इतना प्रशिक्षित होना चाहिये कि जंगल में आग लगने की सूचना के बाद तुरंत उस पर काबू पाया जा सके. चूंकि ग्रीष्मकाल चल रहा है इस तरह की घटनाएं निरंतर होंगी. आजकल देखा जा रहा है कि जगह जगह घाट पड़ते हैं वहां पर बड़ी संख्या में बंदरों की प्रजातियां घाट के आसपास रहती हैं. वहां से यात्री जब निकलते हैं तो उनको खाने के लिये कुछ न कुछ देते हैं, उनके लिये पीने की कोई व्यवस्था नहीं होती है, इसलिये ऐसे घाटों पर वन विभाग के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था उन जानवरों के लिये की जाए. अनुभूति केम्प के माध्यम से वनों को दिखाने का एक बहुत अच्छा प्रयास वन विभाग के माध्यम से हो रहा है. मैं खुद अनुभूति केम्पों में गया हूं जहां पर बच्चों ने जंगल को करीब से देखा है और उनकी जिज्ञासाओं के समाधान करने के लिये वनों से जुड़े हुए विशेषज्ञ रहे हैं. इसका बजट बढ़ाना चाहिये. अभी बहुत कम संख्या में बच्चे वनों को देख पा रहे हैं. हम खुशकिस्मत हैं कि हम इस पीढ़ी को वन सजीव रूप से दिखा पा रहे हैं इसलिये उनको दिखाने के लिये अनुभूति केम्प का बजट बढ़ाना चाहिये. वनों के संरक्षण के लिये जो आप ट्रेंच खोलते हैं वह एक कारगर उपाय है, लेकिन कई बार उस ट्रेंच को ग्रामीणों के द्वारा भर दिया जाता है. वनों के आसपास कुछ कुछ क्षेत्र में लगातार हर वर्ष तार फेंसिंग की जाएगी तो उसमें अवैध चारागाह भी नहीं बन पाएंगे और पशु भी जाकर छोटे-छोटे पौधों को नष्ट नहीं कर पाएंगे इसलिये चाहे आप इसमें पहली बार में कम बजट लें. लेकिन वनों के आसपास तार फेंसिंग करने का काम करें. ईको टूरिज्म में कन्नौद सब डिवीजन में बहुत सारी संभावनाएं हैं. वहां बांडी बड़ली एक स्थान है जहां पर तालाब भी है उसको पर्यटन की दृष्टि उसको और अच्छा विकसित कर सकते हैं. इसके लिये वनमंत्री जी चाहता हूं कि कुछ राशि प्राप्त हो. वनों से हमको जो वनस्पतियां प्राप्त होती हैं. वहां पर दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधे हैं उनका संरक्षण होना चाहिये. कई सारी प्रजातियां धीरे धीरे विलप्त हो रही हैं. कुछ पक्षी-पशुओं की प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं. इसलिये वन विभाग के माध्यम से इनका संरक्षण किया जाना चाहिये. सबसे बड़ी एक कमी हमको देखने में यह आती है वह है वन विभाग के पास अमले का अभाव. जो वन समितियां आपकी बनी हुई हैं उनको भी एक्टिव करने की आवश्यकता है. उनके पास पर्याप्त अधिकार नहीं है. उनको मानदेय समय पर नहीं मिल रहा है और वनों की रक्षा सही तरीके से की जा सकती है तो वह वन समितियों के माध्यम से की जा सकती है क्योंकि वहां के जो स्थानीय निवासी हैं उनको हम वनों को बचाने की जिम्मेदारी देंगे तो मैं ऐसा मानता हूं कि हम वनों को बचा पाएंगे. इसके अलावा मेरे यहां थिवनी अभ्यारण्य करके एक स्थान है जिसमें एक गांव का पुनर्वास किया गया है वहां विस्थापन नीति के अनुसार जिन भाईयों ने अपनी जमी छोड़ी है तो दूसरी जगह जमीन खरीदने के लिये उनको स्टाम्प ड्यूटी में छूट मिलना चाहिये इसका प्रावधान भी विभाग की नीतियों में किया जाना चाहिये. इसके अलावा जहां कहीं सड़कों के बड़े बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं चाहे वह स्टेट हाईवे के हों,नेशनल हाईवे के हों,जिला हाईवे के हों इनमें जितने भी वृक्ष रास्ते में आ रहे हैं चाहे वह प्रधानमंत्री सड़क का मामला हो संबंधित ठेकेदार को यह ताकीद की जाये कि जितने वृक्ष आपके द्वारा इस सड़क निर्माण में काटे जा रहे हैं सड़क निर्माण के बाद आप दुगुनी संख्या में पेड़ लगायें उसकी तार फेंसिंग की व्यवस्था करें. वन विभाग के माध्यम से और नमामि देवी नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान लगभग 7 करोड़ पौधों का पौधरोपण किया गया है. मैं आज गर्व के साथ कह सकता हूं कि बहुत सारे पौधे नर्मदा की कछार में आज जीवित हैं. खासकर मेरे क्षेत्र में काला मृग जो दुर्लभ प्रजाति है, इसलिये जो काला मृग,हिरण है उसके संरक्षण के लिये कई बार उनके साथ दुर्घटना हो जाती है. इसलिये उनके पेयजल और उनके संरक्षण के लिये कोई घोषणा सरकार के द्वारा होनी चाहिये इसके अलावा जहां जंगली जानवर बहुतायत में हैं चाहे शेर हों,चाहे तेंदुआ हों, कई बार उनके साथ शिकार की घटनाएं मध्यप्रदेश में देखने को मिलती हैं. आज चीता दुर्लभ प्रजाति की श्रेणी में पहुंच गया है. हमारे देश सेचीता लगभग लुप्त प्राय हो गया है और भी कई प्रजातियां विलुप्ति की कगार पर हैं अगर हम इन दुर्लभ प्रजातियों को नहीं बचा पाए तो कहीं न कहीं हमें लगेगा कि हमने अपने दायित्व का निर्वाह ईमानदारीपूर्वक नहीं किया इसलिये इन सभी पशु,पक्षियों के संरक्षणके लिये वन विभाग के माध्यम से कदम उठाए जाएं. मैं मंत्री महोदय को धन्यवाद देता हूं कि आपके कार्यकाल में वनों का संरक्षण और संवर्धन बहुत अच्छे से हो रहा है. धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र मेश्राम(देवसर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10 के संबंध में अपने विचार व्यक्त करने के लिये खड़ा हुआ हूं. वनों के समीप रहने वाले ग्राम वासी जो रोजमर्रा की आवश्यकताओं तथा जीवकोपार्जन के लिये मुख्यत: वनों पर निर्भर रहते हैं जिनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये वनों पर निरंतर दबाव बना रहता है. इस दबाव को कम करने के लिये हमारे प्रदेश की सरकार और हमारे मुख्यमंत्री जी और विभाग ने जो अद्वितीय काम किये हैं जो आजीवका योजना के माध्यम से जो काम किये हैं इसके लिये मैं मंत्री जी और विभाग को धन्यवाद देता हूं. इस आजीविका सृजन की वजह से क्षेत्रों में अच्छे परिणाम मिले हैं. वन विभाग द्वारा ग्रामीण नवयुवक एवं नवयुवतियों को आजीविका के नये संसाधन उपलब्ध कराने के लिये विभिन कार्यों के प्रशिक्षण दिये जा रहे हैं. प्रशिक्षण प्राप्त कर युवा लोग अपना रोजगार प्रारंभ कर रहे हैं. कुछ नवयुवक प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम कर रहे हैं. मैं मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं तथा यह निवेदन करता हूं कि आपने जो अभिनव पहल प्रदेश के 10 जिलों में की है.
मेरा जिला भी इसमें जोड़े और इस बार सिंगरौली को भी जोड़कर उसमें आजीविका प्रशिक्षण केन्द्र बनाने की कृपा करें. उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि जो लोग वनों के समीप रहते हैं, वे लोग पालतू मवेशियों को वनों में चरने के लिए छोड़ देते हैं, जिससे वनों का पुनरुत्थान प्रभावित होता है. चराई के इस दबाव को कम करने के लिए ग्रामों से लगे वन क्षेत्रों में चारागाह की गतिविधियों को व्यापक करने की आवश्यकता है. आप इस ओर जरूर ध्यान देंगे ताकि वनों पर जो दबाव है वह कम होगा. माननीय मंत्री जी और विभाग को धन्यवाद देता हूं क्योंकि आपके कुशल संयुक्त वन प्रबंधन के तहत गठित समितियों को जो काश्त के लाभांश की राशि उपलब्ध कराई जाती है. कई समितियों में इस राशि से भी हितग्राही मूलक योजनाओं के तहत जो आपके विभाग के द्वारा सिलाई मशीन, साईकिल मरम्मत करने की दुकान, किराना दुकान जैसे छोटे छोटे उद्यम चलाए जा रहे हैं, जिससे लोगों को वहां का लाभ मिल रहा है और जो वहां के हमारे आदिवासी भाई है, वे लोग उसका लाभ ले रहे हैं. इसलिए इस योजना में भी आपको विस्तार करने की आवश्यकता है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र की कुछ समस्याओं के बारे में आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि अपने विभाग में कुछ सुधार करने की जरूरतें हैं. वहां पर जो वनों में लोग रहते हैं, वहां पर कभी क्षेत्र में जाते हैं तो हम उन लोगों को पानी पीने के लिए हैंडपंप उत्खनन करवाते हैं. विभाग के लोग जब वह उत्खनन होता रहता है तो दबाव करके उन मशीनों को उठवा लेते हैं. मेरी करबद्ध प्रार्थना है और अभी अभी हमारे जिले में जो एक डीएफओ आए हैं. हमारी करीब 32 सड़कें बन चुकी थी और उन्होंने जब ज्वाइन किया तो दूसरे ही दिन उन सारी सड़कों को निरस्त कर दिया था. मेरी करबद्ध प्रार्थना है कि ऐसे विद्वान और ऊर्जावान डीएफओ को अविलंब वहां से हटवा दिया जाय. सुना है कि उनका प्रमोशन भी हो रहा है तो जल्दी हट जाएं. अभी अभी 4 सड़कें उन्होंने निरस्त कर दीं. वे अतिमहत्वपूर्ण सड़कें थीं, जबकि उनमें वन नहीं हैं लेकिन चूंकि इच्छाशक्ति नहीं है तो मेरा कृपापूर्वक माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि उनको हटा दिया जाय और एक अच्छे व्यक्ति को रखें, जिससे कि हमारे क्षेत्र का विकास हो सके. यह सिंगरौली के लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय है. जैसे विद्युतीकरण करते हैं. जो विद्युतीकरण में तार ऊपर से जाता है, वहां के अमले के अधिकारी कर्मचारी, उसमें भी व्यवधान उत्पन्न करते हैं. मेरी करबद्ध प्रार्थना है क्योंकि इतनी जनकल्याणकारी योजनाएं हैं. वन विभाग भी हमारे प्रदेश का विभाग है और माननीय मुख्यमंत्री जी की इतनी उदारतापूर्ण योजनाएं हैं तो हमको उनको सहयोग करना है. मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि एक आदेश जारी करें कि कम से कम जो हमारी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं हैं, उनका लाभ जनता तक मिल सके.
उपाध्यक्ष महोदय, विस्थापन का वर्ष 2008 में एक पैकेज आया था. मेरी बॉर्डर की विधानसभा है. धवनी, जिला सीधी है. वहां पर संजय डुबरी अभ्यारण्य जो है, वहां से विस्थापन का उस वक्त जो पैकेज दिया गया था. आदिवासियों के लिए उसका 10 लाख रुपए मुआवजा रखा था. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि अभी एक लंबा अंतराल हो गया है तो वह बढ़ा दिया जाना चाहिए और बढ़ाकर कम से कम उनके विस्थापन की राशि 20 लाख रुपए किया जाना चाहिए, ऐसा मैं निवेदन करता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे जो बोलने का मौका दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10, 31, 60 एवं 61 पर बोलने के लिए खड़ी हुई हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में कई गांव ऐसे हैं जो जंगलों में भरे हैं, रकसेलवा, लालपुर, चकरभराटां, खुटकाहा, मढ़ईकलपा, ये सब जंगलों से भरा पड़ा है और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोग वहां पर निवास करते हैं. उपाध्यक्ष महोदय, 50 सालों से ज्यादा वे वनों की जमीन पर काबिज हैं और उसमें अपनी खेती का काम करते हैं. लेकिन इस दरम्यान 4-5 सालों से रेंजर द्वारा जो दबंग लोग उन जमीनों पर काबिज हैं, उन पर तो कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाता है. लेकिन जहां आदिवासी गरीब तबके के लोग और अनुसूचित जाति के लोग जिस जमीन पर काबिज थे उन पर पूरा प्लांटेशन करवा दिया गया और उनको पट्टे देने की बजाय उस जमीन से बेदखल किया जा रहा है. इस पर माननीय मंत्री जी गंभीरता से ध्यान देंगे. वनों की कटाई भी बड़ी तेजी से हो रही है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में सिंहपुर रेंज आता है, वहां पर वनों की कटाई कराई गई है और रेंजर द्वारा 108 मजदूरों की मजदूरी नहीं दी गई, यह बड़ी विडम्बना है. उपाध्यक्ष महोदय, वन विभाग की समिति का चुनाव फर्जी तरीके से होता है. अभी हाल ही में 31 तारीख को चुनाव हुये हैं. 08.02.18 को तारीख दी गई थी उसमें जो सदस्य हैं उन पर कर्जा थोपा गया था कि इनके पास कर्ज है, लेकिन जिस दिन स्क्रूटनी हुई उस दिन उनको आदेश दिया गया और 08.02.18 का आदेश उनको 31 तारीख को दिया गया. जिस प्रकार फर्जी तरीके से वन समितियों का चुनाव होता है और नाम उनके भी थे, जैसे पाथरकछार समिति है, इस बार के चुनाव में उन सदस्यों के फार्म रिजेक्ट कर दिये गये. जबकि जिला यूनियन द्वारा जो कर्जा होता है वह डीएफओ के अधिकार क्षेत्र में होता है सदस्यों से उनका कोई लेना-देना नहीं होता है, लेकिन उनके फार्म भी रिजेक्ट कर दिये गये और जो व्यक्ति उस गांव के नहीं हैं, वहां पर जिनका नामो-निशान नहीं है उनके नाम फर्जी तरीके से जोड़े गये और समिति का चुनाव किया गया. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि जब भी वन समिति का चुनाव हो उसमें गरीब व्यक्ति भी चुनकर आएं ताकि वनों की सही तरीके से रक्षा हो सके. इससे अधिक न बोलते हुये मैं अपनी बात समाप्त करती हूं. आपने बोलने का समय दिया, उसके लिये धन्यवाद.
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. भारत के हृदय स्थल के रूप में मध्यप्रदेश प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता विशेषकर वन एवं वन प्राणियों की विविधता के लिए जाना जाता है. मृदा एवं जल संरक्षण के रूप में वन का महत्व अद्वितीय है और पूरे समाज का, आपका और हमारा नैतिक दायित्व है कि इसका संरक्षण हम कैसे करें. निश्चित तौर पर जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ वनों का क्षेत्रफल घटा है. हरियाली महोत्सव में बहुत सारे पौधे लगाये गये, लेकिन पौधा रोपण करना हम उतना महत्वपूर्ण नहीं मानते कि हम संख्या दिखा दें कि एक दिन में हमने इतना किया, उसको हम कितना सुरक्षित रख सकते हैं, उनको कितना जीवित रख सकते हैं, वह महत्वपूर्ण है. अगर भौतिक रूप से देखा जाए तो वहां बहुत कम पौधे जीवित हैं. हमने माननीय दिग्विजय सिंह जी के साथ, साथी विधायक माननीय फुंदेलाल जी के साथ दूधी से लेकर अमरकंटक तक की पैदल यात्रा की. हमने देखा वहां जो पौधे लगाये गये थे बहुत सारे पौधे नष्ट हो गये हैं. उन पौधों का कहीं अता पता नहीं है. पौधे लगाना महत्वपूर्ण नहीं है उसकी सुरक्षा कैसे हो, उसको हम जीवित कैसे रखें वह महत्वपूर्ण है.
उपाध्यक्ष महोदय - रामपाल जी, देखिए समय की थोड़ी कमी है, मेरा स्वास्थ्य भी अच्छा नहीं है, तो आप अपने क्षेत्र की बात कर लीजिए और जल्दी समाप्त कीजिए.
श्री रामपाल सिंह "ब्यौहारी" -- उपाध्यक्ष महोदय, यह वन सुरक्षा समिति, ग्राम वन समिति और ईको विकास समिति, राष्ट्रीय उद्यान अभ्यारण्य क्षेत्रों के लिये, इनमें जो समितियों को सशक्तिकरण हेतु शासन द्वारा ग्रामीण व्यक्तियों को वहां सह सचिव बनाने का निर्णय लिया गया था, किन्तु आज भी सह सचिव को सचिव का प्रभार नहीं दिया गया है, न उनका कोई मानदेय निर्धारित किया गया है. मैं एक चीज और यह कहना चाहूंगा कि जैसे बांस कटाई से संलग्न श्रमिकों को उसके दोहन से प्राप्त जो शुद्ध लाभांश दिया जाता है, वह मात्र बालाघाट, बैतूल एवं सिवनी में लागू है. हम यह चाहते हैं कि इसको हमारे अन्य जिलों में भी लागू किया जाये, जहां बांस की अधिकता है, वहां भी इसको लागू करना चाहिये. लेंटाना का उन्मूलन खास तौर से मैं अपने क्षेत्र की बात कर रहा हूं. जहां आपका संजय गांधी का जो बफर जोन पड़ता है, खड़गड़ी, जमड़ी,बुचरो ऐसे करके कई गांव हैं, जहां लेंटाना की बहुत अधिकता है. लेंटाना को माह जुलाई, अगस्त में उखाड़ दें, क्योंकि बाद में उसको उखड़वाते हैं, तो उस समय तक उनमें बीज और दाने पड़ जाते हैं, उससे वह और घने रुप में उगते हैं और लेंटाना का प्रकोप होने से जंगलों में पुनरुत्पादन नहीं हो पाता है. शुद्ध वायु देने वाले जो पौधे हैं, वह भी नहीं उग पाते हैं. तो मेरा यह कहना है कि उसका उन्मूलन होना चाहिये. जो सामाजिक समूह सुरक्षा जीवन बीमा योजना है, इसमें 5 हजार रुपये दिया जाता है, मैं यह चाहता हूं और आपके माध्यम से यह निवेदन करना चाहता हूं कि इसको बढ़ाया जाना चाहिये. एकलव्य शिक्षा विकास योजना चला रहे हैं. एकलव्य शिक्षा विकास योजना को बहुत सारे गांव में लोग, मैं यह जानता हूं कि आज भी नहीं जानते हैं. उसके मापदण्ड क्या है, उसको कैसे दिया जाता है, उसको बहुत सारे लोग नहीं जानते हैं. इसका बढ़िया प्रचार प्रसार हो, लोगों को यह समझ में आये कि यह एकलव्य विकास योजना किसको देना है. दूसरी चीज सबसे अधिक हमारे यहां जो किसानों की फसलों का नुकसान होता है, वह सुअरों से होता है. सुअरों की ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिये कि या तो उनसे जो फसलों का नुकसान हो रहा है, बहुत कम मात्रा में उनका मुआवजा मिलता है. या तो ऐसी व्यवस्था करें कि उनको एक मुआवजा संतुष्ट पूर्ण तरीके से मिले और आज की परिस्थिति में तो मैं यह समझता हूं कि बगिया जहां लगी हैं, आलू लगे हैं, उसको तक आकर पूरे सुअर नष्ट कर जाते हैं...
उपाध्यक्ष महोदय -- आप उनको नातीराजा के क्षेत्र में भेज दें.
कुंवर विक्रम सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं उनसे वैसे ही परेशान हूं. उनको रायसेन जिले में पहुंचवा दिया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय -- ये उनके किसी काम के नहीं हैं.
श्री रामपाल सिंह "ब्यौहारी" -- उपाध्यक्ष महोदय, बाघों के शिकार का विषय काफी चिंताजनक है. मध्यप्रदेश को टाईगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है, किन्तु देखने में आ रहा है कि लगातार बाघों को शिकार हो रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आप समाप्त करें.
श्री रामपाल सिंह "ब्यौहारी" -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं बाघ पर बोल रहा हूं, क्योंकि मेरे क्षेत्र में अभी हाल ही में एक घटना घटित हुई है, जहां शेर मारा गया था.
उपाध्यक्ष महोदय -- फिर आप नील गाय के बारे में भी बोलेंगे. समय कम है, इसलिये कृपया जल्दी समाप्त करें.
श्री रामपाल सिंह "ब्यौहारी" -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से केवल यह निवेदन करना चाहता हूं कि बहुत से जो महत्वपूर्ण कार्य हैं, जैसे बिजली गुजरना है, सड़कें बनना हैं, उनके लिये वन विभाग की तरफ से काफी रोड़े अटकाये जाते हैं और वह विकास में बाधक बनते हैं. तो नियमों में सरलीकरण किया जाय, जिससे कि सड़क बनाने में या वहां पर उन ग्रामों में बिजली ले जाने का कार्य सहज तरीके से हो जाये, उसका एक सरलीकरण नियमों में किया जाये, मैं मंत्री जी से यह निवेदन करता हूं. आपने समय दिया, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक (बिजावर)-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या-10 वन, मांग संख्या-31 योजना, आर्थिक और सांख्यिकी, मांग संख्या-60 जिला परियोजनाओं से संबंधित व्यय एवं मांग संख्या-61 बुन्देलखण्ड पैकेज से संबंधित व्यय के संबंध में मेरे कुछ सुझाव हैं. एक तो योजना के संबंध में यह सुझाव है कि अभी जो विधायक निधि हम देते हैं, उसमें थोड़ा सा प्रावधान और हो जाये. अभी स्वास्थ्य और शिक्षा के लिये देते हैं, तो इसमें खेल भी सम्मिलित हो जायें. तो खेल के लिये भी दे सकेंगे, तो सुविधा हो जायेगी. बुंदेलखण्ड पैकेज का दूसरा विषय, यह चूंकि पूरी तरह से हमारे क्षेत्र से संबंधित है. बुंदेलखंड पैकेज के जो कुछ काम हुए हैं, राशि के अभाव में या जो भी वजह रही हो, कुछ काम अधूरे छूटे पड़े हैं. एक बार उनको पूरा करा दिया जाएगा तो बड़ी कृपा होगी. वन विभाग के संबंध में कहना चाहूँगा कि जो हमारा किशनगढ़ वाला क्षेत्र है, वहां जंगली पशुओं की वजह से जो लगातार नुकसान होता है, उसकी भरपाई करने के लिए जो फैंसिंग का प्रावधान किया गया था, उसको एक बार और विस्तार देकर, उसकी एक बार जिला स्तर पर समीक्षा कराके यदि व्यवस्था बनाएंगे तो वह सबके लिए उपयोगी होगा. इसके साथ-साथ मैं कहना चाहता हूँ कि हमारा पन्ना टाईगर रिजर्व का जो पीछे का हिस्सा आता है, उसमें सुकवाहा आदि कुछ गांव हैं, वहां वनों की वजह से एक दिक्कत खड़ी हुई, एक झगड़ा भी वहां हुआ था, आदिवासियों के बीच में विवाद हुआ था, इस तरह के विवादों का समाधान करने के लिए यदि जनप्रतिनिधियों के साथ साल-छ: महीने में बैठक होगी तो जो इस तरह के अचानक व्यवधान वनवासियों के बीच में आ जाते हैं, जो वहां के हमारे नागरिक हैं, हमारे मतदाता है और वन विभाग के बीच में विवाद आ जाते हैं तो उनका ठीक से समाधान हो सकेगा और मुझे लगता है कि एक सही दिशा में हम सब चलकर सबके कल्याण की बात कर सकेंगे. मुझे इतना ही निवेदन करना था, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं वन विभाग पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. वन विभाग निश्चित रूप से मानव जीवन के लिए, हम सबके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. अगर वन नहीं है तो निश्चित रूप से हवा नहीं है, पानी नहीं है. इसलिए वन का अपने आपमें बहुत महत्व है. वन विभाग की चिंता सरकार को भी है. पौधे रोपण हर वर्ष किए जाते हैं लेकिन इसके बावजूद आज वन विभाग का एरिया 21 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत पर आ गया है. पौधे हर साल नष्ट हो जाते हैं और बाद में यह पता चलता है कि जंगलों में आग लग गई थी, इसलिए पौधे नष्ट हो गए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह बड़ा गंभीर विषय है कि जंगल में मंगल, यह भ्रष्टाचार का बहुत बड़ा अड्डा है. यह सरकार इसमें बखूबी मालामाल होती है. इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी हमारे रामपाल भाई ने चिंता जाहिर की कि शेरों की संख्या घट रही है. उनके क्षेत्र में कहीं शेरों की मौत हुई, वे बोलना चाहते थे, लेकिन नहीं बोल पाए. हमारा रीवा संभाग, विशेषकर रीवा सफेद शेरों के लिए मशहूर था. अभी पिछले वर्ष टाईगर सफारी का उद्घाटन हुआ, सफेद शेर आए, उसमें मंत्री जी भी गए, मुख्यमंत्री जी भी गए, सारे लोग गए, माननीय उपाध्यक्ष जी, शायद आप भी रहे होंगे.
उपाध्यक्ष महोदय -- जी हां, यह मेरे क्षेत्र में ही है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- जी हां, तो उसमें कितना बड़ा भ्रष्टाचार हुआ, उसको हम लोगों ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से उठाया. उसमें माननीय मंत्री जी ने आरोप भी स्वीकार किए कि निश्चित रूप से इसमें भ्रष्टाचार हुआ, लेकिन अभी तक उसमें कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई, न ही कोई जानकारी आई कि उसमें क्या हुआ, कैसे हुआ, हमको लगता है कि सब दोषमुक्त हो चुके हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बगल में बांधवगढ़ है. वहां पर दूर-दूर से सैलानी आते हैं. लेकिन वे (XXX) बनकर जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- यह शब्द हटा दें.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना नहीं चाहता, लेकिन हम भी ऐसी ही परिस्थिति में गए थे. मैं छोटी सी बात बताना चाहता हूँ, उमरिया में चुनाव था, वैसे तो हम लोग गांव के आदमी हैं बहुत ज्यादा इन सब चीजों में इन्टरेस्ट नहीं रहता, लेकिन एक दिन शेर देखने की इच्छा हुई कि चलो शेर देखने चले. वहां जो सैलानी आए थे, वे कह रहे थे कि हम लोग तीन दिन से यहां पड़े हुए हैं, एक शेर भी दिखाई नहीं दे रहा है. जहां मध्यप्रदेश अपने आप में शेरों के लिए मशहूर था, सफेद शेरों के लिए मशहूर था, लेकिन बाहर से सैलानी आकर यह कहते हैं कि हम लोगों को बांधवगढ़ में शेर देखने के लिए नहीं मिला. यह एक चिंता का विषय है. यही बात हमारे रामपाल भाई ने उठाई थी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारा क्षेत्र जंगल से लगा हुआ है. यह उत्तर प्रदेश का बॉर्डर है. हमने विधान सभा में प्रश्न भी लगाया था. वहां पर फॉरेस्ट और रेवेन्यू डिपार्टमेंट का मैटर था, नाप का मैटर था, वहां पर निरन्तर बाऊन्ड्री कट रही है. वहां पर अवैध उत्खनन भी होता है. अत: मेरा आपके माध्यम से मंत्री महोदय से अनुरोध है कि उसका अगर सही तरीके से सीमांकन कर लिया जाए तो निश्चित रूप से उसका निदान अच्छे से हो सकता है. जवाब में आया है कि सीमांकन होगा लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. उपाध्यक्ष महोदय, अभी नातीराजा ने
और भी हमारे साथी विधायकों ने रोज़ और सुअर की बात उठायी. निश्चित रूप से यह समस्या हर क्षेत्रों में है. हमारे यहां भी है. उसका उचित मुआवजा नहीं मिलता. जब आलू तक खन जाते हैं तो लोग भ्रमित रहते हैं कि कौन खन (खोद) गया. उसको लेकर विवाद होते हैं. बाद में पता चलता है कि सुअर खन (खोद) जाते हैं तो इस तरह की समस्याएं होती हैं. इसके लिए कम से कम ठोस कदम उठाएं जाएं. रोज़ों की संख्या ज्यादा बढ़ गई है उनको रोकने के लिए सार्थक उपाय किए जाएं बल्कि पौधे कम लगाएं जाएं. जो किसान परेशान हैं, उन किसानों के लिए कम से कम बाड़ी का इंतजाम कर दिया जाए या कुछ ऐसा कर दिया जाए जिससे रोजों की संख्या कम हो. यह मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हॅूं और निश्चित रूप से मुझे उम्मीद है. 3-4 सालों से हम ही लोग इस बात को लगातार उठा रहे हैं. यह होता है कि इसके लिये कोई नीति बनेगी लेकिन आज तक कोई नीति नहीं बनी है. अब नवम्बर-दिसम्बर में चुनाव होने हैं. अब आगे क्या होगा. आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि कम से कम इस बार आप कुछ कर दें. नहीं तो फिर माननीय बाला बच्चन जी कह रहे हैं कि अगली बार हम खुद बनाएंगे. बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद.
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. वनों के बारे में बहुत बढि़या चर्चा सदन के अंदर हो रही है. हम सब लोग जानते हैं कि जब प्रकृति और सृष्टि का निर्माण हुआ था तभी वनों का भी अपने आप निर्माण हो गया था. हमारा मध्यप्रदेश वर्ष 1957 में अस्तित्व में आया. उस समय भी वन थे. अब यहां कुछ साथी बोल रहे हैं कि टाइगर नहीं हैं, जानवर नहीं हैं, पक्षी नहीं बच रहे हैं, जल नहीं बच रहा है. यदि आप देखें तो आज भी मध्यप्रदेश में ऐसे कई परिवार और ऐसी हवेलियां हैं जहां पर उन टाइगरों का, शेरों का और अन्य जानवरों का अस्तित्व देखने को मिल जाएगा. मैं उनका नाम लेना नहीं चाहता. अगर हम सही में प्रकृति के सही सचेतक हैं और हम उसको बचाना चाहते थे तो ये 14 साल में भाजपा की सरकार है इस सरकार ने इतना तो किया है कि बच्चों को यह बताया है कि वन कैसे होते हैं, वृक्षों का रोपण कैसे होता है. अगर उन 53-57 सालों में वृक्षों को सही ढंग से सहेजा जाता, काटा नहीं जाता तो आज वनों का स्वरूप कुछ और होता. हम माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी को धन्यवाद देना चाहेंगे कि उन्होंने वृक्ष लगाने का अथक प्रयास किया.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- स्तुति गायन करना कोई जरूरी है ?
डॉ. कैलाश जाटव -- पहले आप बैठ जाइए.
कुंवर सौरभ सिंह सिसोदिया -- प्रश्न में भी उल्लेख कर दो. इसमें आप लोग बार-बार करते हैं.
डॉ. कैलाश जाटव -- माननीय कुंवर सौरभ सिंह जी, मैं आपकी तरह पेपर नहीं पढ़ रहा हॅूं.
कुंवर सौरभ सिंह सिसोदिया -- वर्ष 2003 का भी उल्लेख कर दो. हर बार करते हो.
डॉ.कैलाश जाटव -- कुंवर साहब बैठ जाइए. माननीय उपाध्यक्ष जी, यह क्या है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप लोग क्यों वाद-विवाद कर रहे हैं ?
डॉ.कैलाश जाटव -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं शांति से बैठकर सबको सुन रहा था. माननीय कुंवर सौरभ सिंह जी उसमें पेपर की कटिंग पढ़ रहे थे, मैं तो कुछ भी नहीं पढ़ रहा हॅूं. इस प्रदेश के ऊपर जो घटना घटी है और वनों के ऊपर जो अत्याचार हुआ है, उस पर बोल रहा हॅूं.
श्री कमलेश्वर पटेल -- सबसे ज्यादा आज तीन बार...(व्यवधान)....
डॉ.कैलाश जाटव -- माननीय कमलेश्वर जी, जहां आपका कॉलेज बना था वहां पहले वन था. मुझसे ज्यादा आप जानते हैं. मैं किसी के ऊपर कटाक्ष करना नहीं चाहता. माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं सदन को संबोधित कर रहा हॅूं जो माननीय सदस्य मुझे सुनना नहीं चाहते, वे जा सकते हैं. मैं माननीय उपाध्यक्ष जी के माध्यम से सदन को संबोधित कर रहा हॅूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- यह भी व्यवस्था आप देंगे.. (हंसी). आप तो अपनी बात कह दें.
डॉ. कैलाश जाटव -- माननीय उपाध्यक्ष जी, ऐसा कुछ नहीं है ये मुझे भुलाना चाहते हैं. मैं यह बोल रहा था कि माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने जिस तरीके से वृक्षारोपण का अभियान चलाया, नदी संरक्षण का अभियान चलाया, यह काबिले तारीफ है. हो सकता है कि उसमें प्रशासन के कुछ कर्मचारियों ने गलत भाव से काम किया होगा. वह तो प्रशासन में बैठे अधिकारियों, कर्मचारियों का देखने का काम है. हमारा काम नीतियां बनाना और उनको जमीन पर लागू करना है. सरकारी कर्मचारियों को उसको ठीक ढंग से क्रियान्वित करने का काम है. अगर कहीं पर त्रुटियां हुई हैं तो उसकी जांच करवा सकते हैं, देख सकते हैं. मेरे क्षेत्र में दो वन हैं जो काफी घनिष्ठ हैं. एक झौतेश्वर कुंडा है अभी वर्तमान में कुछ दिन पहले ही वहां तेंदुआ और कुछ जंगली जानवरों को देखा गया था तो मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि उसको संरक्षित किया जाए और एक आलोद पीपरपानी का जो क्षेत्र है वह भी काफी बड़ा वन क्षेत्र है उसको भी अगर संरक्षित करेंगे तो वहां पर भी काफी बड़ा क्षेत्र हमको वन संरक्षण के लिए मिलेगा. मेरे विधानसभा क्षेत्र में करीब 40 परसेंट वन है और उनमें रोडों की अनुमति के प्रकरण लंबित पड़े हैं यदि वह अनुमति मंत्री जी करा देंगे तो बहुत बहुत धन्यवाद. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ.
श्री शंकरलाल तिवारी(सतना) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे एक ही बात कहनी है, आप आशीर्वाद दे दें. हमारे विंध्य क्षेत्र में एक कुन्देर जाति होती है, वह जाति जो दूधी लकड़ी जंगलों में होती है उससे तरह-तरह के खिलौने बनाती हैं और वह दूधी लकड़ी एक नियत समय पर ही यदि मंजूरी मिल जाये तो काटने पर, वह खिलौने बनाये जा सकते हैं नहीं तो वह लकड़ी फिर घुनने लगती है. मैं वनमंत्री जी से विनती करूंगा कि दूधी लकड़ी की व्यवस्था, जो कुन्देर जाति के लोग लघु उद्योग चलाते हैं और उससे खिलौने वगैरह बनाते हैं उनको समय पर परमीशन प्राथमिकता के आधार पर दे दी जाये, ना तो वह इमरती लकड़ी है, ना उससे अन्य कोई काम होता है, वह सिर्फ एक समय पर यदि उनको काटने के लिए मिल जाये तो खिलौने बन सकते हैं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे(लांजी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 31,10 पर अपनी बात रखने के लिए खड़ी हुई हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2014 में जब लोकसभा के चुनाव हुए तो भाजपा की सरकार केंद्र में बनी और योजना आयोग को बदलकर नीति आयोग करने का पहला निर्णय भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लिया, आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी ने लिया. लेकिन मध्यप्रदेश शासन में आज दिनाँक तक भी योजना आयोग का नाम नहीं बदला गया क्योंकि विंध्याचल भवन में आप चले जाओ तो योजना आयोग का नाम आज भी आपको और हमको दिखाई देता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह तो बड़ी विचित्र सी बात है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार केंद्र में बन गई वहाँ परिवर्तन हो गया और हमारी सरकार यहाँ पर भारतीय जनता पार्टी की है लेकिन वह उस परिवर्तन को स्वीकार नहीं कर रही है. हालांकि उसमें केवल नाम का ही अंतर आया है बाकी सारा स्ट्रक्चर जस का तस है इसलिए शायद सरकार का ध्यान इस ओर गया नहीं है. मैंने इस संबंध में विधानसभा प्रश्न भी किया था और अभी तक भी शायद परिवर्तन हुआ नहीं है लेकिन अब हो जाएगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 1998 से मेंटनेंस के लिए विधायक निधि से 1 लाख रुपये देने का प्रोविजन हुआ था. आज दिनाँक तक भी हम लोग 1 लाख रुपये ही मेंटनेंस के लिए दे पाते हैं जबकि एसओआर में भी काफी अंतर आ गया और अक्सर जब भी हम लोगों को मेंटनेंस के लिए राशि देना पड़ता है तो पार्ट वन, पार्ट टू, पार्ट थ्री इस तरह से करके हमको रास्ता निकालना पड़ता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि जो मेंटनेंस की राशि विधायक निधि से दी जाती है उसको कम से कम 5 लाख रुपये कर दें ताकि हम लोगों को भी सुविधा हो और अधिकारी भी अपनी कलम फंसाने से बच जाये क्योंकि काम तो आज भी हो ही रहा है चाहे वह इस रूप में हो, चाहे उस रूप में हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक और सुझाव मैं मंत्री जी को आपके माध्यम से देना चाहती हूँ कि हमारे जो शासकीय ऑफिसेस हैं उनमें फर्नीचर्स की बहुत दिक्कत है और विधायक निधि का भी यह बंधन है कि विधायक निधि फर्नीचर के लिए नहीं दी जा सकती है. जबसे कार्यालय खुला है तब से लेकर आज तक उनके पास आलमारी और बैठने की व्यवस्था नहीं है. कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था नहीं है तो बाहर से जो व्यक्ति जाता है तो, वे लोग हमारे पास अपना रोना तो रोते हैं लेकिन हम लोग उनका कुछ उपाय नहीं कर पाते हैं इसलिए मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि वे इस तरह के प्रोविजन भी विधायक निधि में कर दें ताकि हम लोग शासकीय कार्यालयों में फर्नीचर की व्यवस्था, विधायक निधि से कर दें.
उपाध्यक्ष महोदय, वन विभाग केवल एक ऐसा विभाग है जिसमें ठेके से काम नहीं होता है. लेकिन वन विभाग का ही जो प्रोडक्शन वाला आपका विभाग है उसमें जो जॉब रेट तय हुआ है, वह बहुत ही कम है. प्रति घन मीटर से आप लोगों ने जो रेट तय करके रखा है उसको एक पेड़ की कटाई, प्रति घन मीटर के हिसाब से आप लोगों ने तय करके रखा है. यदि उसका पूरा एवरेज भी हम लोग निकालते हैं तो एक मजदूर पूरे हफ्ते यदि काम करता है तो भी पूरे हफ्ते में जब हम उसको देखते हैं तो उसको एक दिन की मजदूरी लगभग 60 से 70 रुपये, इससे ज्यादा की मजदूरी उसको नहीं मिल पाती है और आज के दौर में जब मनरेगा में 173 रुपये हमको मिल रहे हैं तो 173 रुपये मनरेगा की मजदूरी है तो क्यों न आप अपने विभाग में जो जॉब रेट आप तय करें उसको आप बढ़ाइये ताकि मजदूरों को, क्योंकि यह तो सीधे सीधे खुले तौर पर श्रम कानून का उल्लंघन हो रहा है, उन मजदूरों को केवल 60 या 70 रुपये बड़ी मुश्किल से मिल पाते हैं और दूसरी बात उपाध्यक्ष महोदय, ई-पेमेंट की बात अक्सर यहाँ पर हुई है, मैंने भी विधान सभा में ध्यानाकर्षण लगाया, प्रश्न लगाया, कई बार ये बातें हुई हैं लेकिन अभी तक उसका कभी कोई हल हम लोगों को दिखाई नहीं देता. उसके साथ साथ लकड़ी के बोनस की बात भी इसके पहले मैंने की थी और बाँस का बोनस तो आप हंड्रेड परसेंट दे रहे हैं, इसमें कोई दो मत की बात नहीं है. यह बहुत अच्छी बात है. लेकिन काष्ठ का जो बोनस है, आपने 20 परसेंट तो कर दिया है. अब आप मुझे बताइये माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बाँस काटता है मजदूर, उसका बोनस मिलता है मजदूर को, लकड़ी काटता है मजदूर, उसका बोनस जाता है वन समितियों को, यह तो मजदूरों के हक को छीनने वाली बात हो गई. वन समितियों को न देकर आप सीधे सीधे मजदूरों के खाते में यह लाभांश की राशि आपको देना चाहिए और उपाध्यक्ष महोदय, पहले तो यह राशि 10 प्रतिशत हुआ करती थी, अब उसको 20 प्रतिशत कर दिया. जब विधान सभा के चुनाव 2013 में होने वाले थे उस समय बाँस का बोनस हंड्रेड परसेंट कर दिया गया और चुनाव के पहले पहले सभी मजदूरों के खाते में बाँस के बोनस की राशि डाल दी गई. अब तो 2018 में फिर विधान सभा के चुनाव आ गए, मैं यह नहीं कहती कि लकड़ी का बोनस आप हंड्रेड परसेंट कर दीजिए लेकिन कम से कम 50 परसेंट तो उसको बढ़ा दीजिए और वन समितियों के खातों में न डालकर सीधे सीधे मजदूरों को उस राशि को आप यदि दे दें तो मुझे लगता है कि उनका वास्तविक हक उनको मिल जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- हिना जी, अब समाप्त करिेए.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- उपाध्यक्ष महोदय, वैसे तो मेरे पास बहुत प्वाईंट्स हैं लेकिन यदि आप अनुमति दें तो मैं एक और बात कह देती हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- मैं तो चाहूँगा कि आप समाप्त करें.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं बाँस के बारे में बोलना चाहती हूँ. चूँकि बालाघाट जिला बाँस के लिए प्रसिद्ध है और जहाँ तक मेरी विधान सभा की बात है लाँजी विधान सभा के अंतर्गत जो बाँस उत्पादित होता है मुझे लगता है कि पूरे एशिया में लाँजी विधान सभा के अंतर्गत जो बाँस की क्वालिटी है वह पूरे एशिया में नंबर वन पर है और ऐसी स्थिति में जिस तरीके से बाँसों की जो उत्पादकता है उसमें जो कमी आई है, मैं अपनी तरफ से कुछ नहीं बता रही हूँ, जो आपका प्रशासकीय प्रतिवेदन मेरे हाथ में आया है, उसी में इस बात का जिक्र किया हुआ है कि बाँस का जो हम लोग आंकलन करते हैं नोशनल टन के हिसाब से, 2013-14 से लेकर अभी तक लगातार प्रतिवर्ष इसमें गिरावट आ रही है और यह बहुत ज्यादा सोचने की बात है. इसका एक मात्र कारण यह है कि जो वर्किंग प्लान फॉरेस्ट के जो हमारे आईएफएस फील्ड में जाकर जो वर्किंग प्लान बनाते हैं, उसका क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो रहा है. यह सबसे बड़ी वजह है और माननीय मंत्री जी मुस्करा रहे हैं, मुझे लगता है कि उन्होंने मुस्करा कर मेरी बातों को सहमति दे दी है और मुझे लगता है कि हमारे माननीय मंत्री जी इन सब बातों को भी जरूर स्वीकार करेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, बाँस के लिए एक और बात मैं कहना चाहती हूँ कि हमारे बाँस के व्यापारी बालाघाट में बहुत हैं और उनका पूरा संघ मेरे पास आया था और उन्होंने मुझे बताया कि भारत शासन के विधि एवं न्याय मंत्रालय के द्वारा अध्यादेश, जिसके द्वारा भारतीय वन अधिनियम 1927 में संशोधन किया गया एवं बाँस को इमारती लकड़ी से अलग कर दिया गया है. लेकिन महाराष्ट्र शासन के द्वारा इस अध्यादेश के पालन में बाँस को अनुज्ञा पत्र की अनिवार्यता से मुक्त कर दिया गया है. लेकिन मध्यप्रदेश में आज भी वही प्रथा चल रही है इसलिए मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि आप भी ऐसा आदेश जारी करें. ताकि बाँस से टीपी की प्रतिबद्धता खतम हो. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे जो बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल (वारासिवनी)--उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10, 31, 60 एवं 61 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय, बातें तो सब आ गई हैं हिना दीदी की यह बात भी सही है कि उसको पांच लाख करना चाहिए. फर्नीचर का जो मामला विद्यालयों के लिए आया है बहुत महत्वपूर्ण है. इसमें शासकीय स्कूल के अलावा निजी स्कूल भी गांव में हैं उनके मार्गदर्शन के लिए मैंने आपके विभाग को पत्र लिखा है ताकि उनको भी फर्नीचर दिया जा सके. उनको भी भवन या अतिरिक्त कक्ष दिया जा सके,ऐसा मार्गदर्शन चाहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, पिछले कुछ वर्षों से जुड़ी एक समस्या बार-बार हमारे सामने उपस्थित हो रही हकि ये जीव मानवीय आवासों की ओर, खेतों की ओर लगातार आकर्षित हो रहे हैं और फसलों को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचा रहे हैं. मकानों को क्षतिग्रस्त कर रहे हैं, लोगों को आतंकित कर रहे हैं और लोग भी वन्य जीवों को मारकर या अन्य तरीकों से खदेड़ने के लिए प्रयत्नशील हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, अधिकांश विशेषज्ञ उपरोक्त समस्या का कारण वनों की कटाई और वन क्षेत्र का कम होना बताते आ रहे हैं जबकि कारण इसके विपरीत है. अभी माननीय खण्डेलवाल जी ने वह विषय रखा था. सरकार तो जंगलों को बचाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है और सफल भी हो रही है, फिर वन्य जीव भोजन की तलाश में जंगलों से बाहर क्यों निकल रहे हैं ? इसका मुख्य कारण है जंगलों से स्थानीय एवं वहां वर्षानुवर्ष स्वाभाविक रुप से उगने वाले फल-फूल-घास का विलुप्त होना है. जब सरकारी अमला जंगल बचा रहा है तो यह पेड़ पौधे विलुप्त कैसे हो रहे हैं ? तो इसका कारण है "सागौन वृक्षों का जंगलों में बड़ी मात्रा में वृक्षारोपण." जहां-जहां भी सागौन का वृक्षारोपण हुआ है वहां पर जंगली बेर, जंगली जामुन, खड़-जामुन, एरोनी, कसई, गूलर, चारबीजी, कबीट, करौंदा, नीम-निंबोली, माल कांगनी, तेंदूफल, अमलतास, भिलवा, बेल, छोटा तरबूज, जोंदुरली, कट उंबर, उंबर, छिंद, साल, बीजा, शीशम, सीताफल, टेंबकन, सेलवट, महुआ, आम, अनेक प्रकार की जंगली घास का पनपना बंद हो गया है जो चीतल, सांभर, बंदर, हिरण आदि शाकाहारी वन्य जीवों का भोजन हुआ करता था. जंगल में भरपेट भोजन न मिलने के कारण बंदर या अन्य वन्य प्राणी बस्तियों और खेतों की ओर रुख कर रहे हैं. जिस कारण इन निर्दोष जीवों को निरपराध किसानों का कोपभाजन बनना पड़ता है.
उपाध्यक्ष महोदय, यदि हमारा वन विभाग सागौन की जगह वनों के खाली पड़े भू-भाग पर अन्य इमारती पेड़ साल, शीशम, बीजा जैसे पेड़ों का वृक्षारोपण करे तो इन वृक्षों पर कई पशु-पक्षियों का आवास न उनके लिए फलों-पत्तियों की उपलब्धता बनी रहेगी. साथ ही इन वृक्षों के आसपास अन्य छोटे वन्य पेड़-पौधे-बेलाएं भी आसानी से पनप जाएंगे. इससे समस्त जीव आसानी से अपना जीवनयापन कर सकते हैं. साथ ही लेंटाना उन्मूलन के समय अन्य छोटे पेड़ पौधों को नुकसान न हो इसका भी ध्यान रखना होगा.
उपाध्यक्ष महोदय, सागौन के वृक्षों के आसपास छोटे-मोटे पेड़ पौधों तथा घास न पनपने के कारण वहां का पारिस्थितिक तंत्र भी बिगड़ जाता है जिससे भोजन श्रृंखला भी प्रभावित होती है. इस कारण सर्प, नेवला, मोर, चीटीखोर और अन्य जीव भी प्रभावित होते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, प्रकृति हमारी संरक्षक है, हमारी अभिभावक है. हमारा दायित्व है उसका स्वाभाविक विकास क्रम हम अपने कर्मों से प्रभावित व विकृत न करें. अन्य पड़त जमीनों पर सागौन वृक्षारोपण करके कमाई की जा सकती है. हमारे जल,जंगल,जमीन,खेत,किसान,जनसामान्य एवं समूची जीव सृष्टि को बचाने "सागौन वृक्षारोपण" को जंगल की जमीन पर न करने दिया जाए. इस आग्रह के साथ आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय--इतनी सारी जानकारी आप अथर्व वेद से लाए हैं कहां से लाए हैं.
डॉ. कैलाश जाटव--उपाध्यक्ष महोदय, यह आयुर्वेद के डॉक्टर हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--अच्छा आयुर्वेद के डॉक्टर हैं.
श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा जंगल से बड़ा नजदीकी रिश्ता है और आप जानते हैं मैं उस जिले से आता हूं मेरे जिले में जंगल सत्याग्रह हुआ और जंगल सत्याग्रह में अंग्रेजों ने चार आदिवासी भाइयों को गोली से भून दिया. मैं उस जिले से हूं जहां का सागौन तेलिया सागौन के नाम से पूरे भारत में ही नहीं विश्व में प्रसिद्ध है मैं उस जिले का निवासी हूं. जंगल तो बाड़ी के पीछे से लगा हुआ है पर आज चिंता का विषय यह है कि माननीय उपाध्यक्ष महोदय मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन यह है कि मैं किसी समय जब दर्शक दीर्घा में बैठता था और मैं देखता था कि हमारे आदरणीय वन मंत्री जी नेता प्रतिपक्ष के रूप में इधर विराजते थे. कैसे विषय से भटकाव लाना, कैसे विषय से अलग करना सदन को इतनी अच्छी होशियारी से वह अपनी बात उस समय भी नेता प्रतिपक्ष रहते हुए कह देते थे. एक ब्रीफकेस लाते थे और वह ब्रीफकेस साईड में रखा रहता था तो सदन में एक सनसनी फैल जाती थी कि आज शेजवार जी सदन में क्या लेकर आए. आरोप प्रत्यारोप लगाए और कहा कि यह कागज हैं, यह कागज हैं, कागज हैं यह ढू़ंढ़ने लगे और इतनी देर में वह विषय निकल गया और सामने वाले का जो होना था वह तो रिकार्ड में हो ही गया. परंतु आज बहुत दिनों के बाद मौका मिला है और किसी को कोई जल्दी नहीं है और महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा हो रही है और वन विभाग मध्यप्रदेश का वह विभाग है.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जहां तक मेरा तजुर्बा और अनुमान है शेजवार जी जब भी बोलते हैं तो सदन में रोचकता उत्पन्न होती है और सब आनंद लेते हैं. मेरा ख्याल है कि उससे कहीं व्यवधान नहीं होता है.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बिलकुल सही कहा एक कहावत है ''बादल गरजते हैं पर बरसते नहीं'' शेजवार जी सिर्फ गरजते हैं अगर बरसते तो वन विभाग की यह स्थिति नहीं रहती. (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन-- उस समय जब नेता प्रतिपक्ष थे तब यह सब करते थे अब जब खुद के हाथ में कमान आई तो अब देख लो.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बिलकुल सही कहा हमारे नेता जी ने बाला बच्चन जी ने ''मन चंगा तो कठौती में गंगा'' उनके इंटरेस्ट का विभाग ही मुख्यमंत्री जी ने नहीं दिया तो अब काहे का इंटरेस्ट इसीलिए चुपचाप बैठे रहते हैं और बीच बीच में जिसने बोला उसको सुई लगाई ताकि वह उसके दर्द से थोड़ी देर के लिए तो बैठ जाए.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह रजनीश जी जो बोल रहे हैं यह डॉक्टर साहब के विषय को रखने के लिए भ्रमित कर रहे हैं वह खड़े हो जाएंगे तो इनका है ही नहीं विषय इसीलिए कुछ भी बोलना. अब इधर कागज ढू़ंढ़ना उधर कागज ढ़ूंढ़ना. वह खड़े हो जाएंगे जो आप सुनने के लिए बैठेंगे.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम तो उनसे सीख रहे हैं. हम तो जूनियर के.जी. में हैं.
श्री बाला बच्चन-- डॉक्टर साहब पर असर हो पाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- एक तरफ एक रुपए का सिक्का रख दीजिए दूसरी तरफ चार आने का सिक्का रख दीजिए.
श्री रजनीश हरवंश सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम तो बिलकुल चार आने के हैं और उससे एक आने के हैं. हम तो उनसे ज्ञान प्राप्त करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप भी कुछ ज्ञान की बात करिए.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा-- रजनीश जी कुछ समझ में आया.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वन से वर्षा, वर्षा से अन्न, अन्न से जन और जन से धन वन विभाग का इतना बड़ा स्लोगन है. जन रहेगा तो ही धन रहेगा. अब मेरी जो वेदना और जो चिंता है वह वनराज पर है वनराज मतलब जंगल का राजा और जंगल के राजा मेरे जिले में बहुत हैं पर उन जंगल के राजाओं की क्या दुर्दशा हो रही है. उनकी हत्या हो रही है. अगर गिना जाएगा तो मेरे अकेले जिले से पचासों जंगल के वनराज चले गए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी चिंता इस बात की है कि अपार वन संपदा है. हर्र, बहेड़ा, लाख, चार, चिरौंजी, अचार, गुठलू और शहद, ये ऐसी संपदा है जो व्यक्तियों को निरोगी करती है. जिसमें 101 प्रतिशत शुद्धता होती है. इसमें कोई मिलावट नहीं कर सकता है.
उपाध्यक्ष महोदय- रजनीश जी, आपके पास दो मिनट हैं. या तो आप तथ्यपूर्ण बात कर लीजिये या जो कर रहे हैं वही कर लीजिये. आपको 5 मिनट हो चुके हैं.
श्री रजनीश हरवंश सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है. मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. मेरी बात अभी शुरू भी नहीं हुई है.
उपाध्यक्ष महोदय- यही तो तकलीफ है कि अभी आपकी बात शुरू भी नहीं हुई है. आपके पास केवल दो मिनट हैं.
श्री रजनीश हरवंश सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस अपार वन संपदा के संग्रहण का कार्य वन ग्राम के लोग करते हैं और ये लोग वन ग्राम में ही रहते हैं. भोपाल, कोलकत्ता और मुंबई का आदमी आकर जंगल से उस वन संपदा का संग्रहण नहीं कर सकेगा लेकिन आज स्थिति क्या है ? स्कूल, सड़क, पुलिया यदि पेड़ की एक डाल टूट जाती है तो चार दिन तक बिजली नहीं आती है. वन ग्राम के बच्चे टूटे पुल से पढ़ने नहीं जा पा रहे हैं. अभी हमारे एक साथी ने प्रश्न किया था कि क्या वहां जीवन भर डामर और कांक्रीट की सड़क नहीं बनेगी ? आखिर में हमें उन वन ग्रामों के लिए एक निश्चित सोच रखनी पड़ेगी जो उस वन संपदा का संग्रह कर हमारे जीवन की निरोगी काया में सहायक होते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसके अतिरिक्त मैं तेंदूपत्ता के बोनस की बात करूंगा. मैं बात करूंगा तेंदूपत्ते की गड्डियों के रेट की. काफी दिनों से इनका मूल्य नहीं बढ़ाया गया है और तेंदूपत्ता का बोनस पिछले साल का भी नहीं मिला है. इसका बोनस हर साल आंकलन के पश्चात् उसी साल मिल जाना चाहिए ताकि वह राशि तेंदूपत्ता संग्राहकों के काम आ सके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज वन्य प्राणियों की संख्या बहुतायत में है. किसानों की फसलों का नुकसान इन वन्य प्राणियों से चाहे सुअर हों, हिरण हों, रीछ हों या कोई अन्य वन्य प्राणी हो, हो रहा है. इससे भी बढ़कर नुकसान बंदर करते हैं. हम जब जंगल घूमने जाते हैं तो जहां कहीं बंदरों की चीं-चीं की आवाज होती है, गांव के लोग कहते हैं कि वहां निश्चित रूप से शेर आस-पास होता है. यह एक प्रमाण है. आज पूरे जंगल के बंदर गांवों और शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं और गांव के घरों के खपरों-कवेलुओं को बचने नहीं दे रहे हैं. अब तो यह स्थिति हो गई है कि बंदर घर के अंदर आकर सामान निकालकर खाने लगे हैं इसलिए इस समस्या के लिए कोई ठोस नीति बनानी चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, गृह मंत्रालय के बाद और यदि मैं यह कहूं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि गृह मंत्रालय से भी ज्यादा अमला अगर किसी विभाग का है तो वह वन विभाग का है. डिप्टी रेंजर, रेंजर, एस.डी.ओ., डी.एफ.ओ. और कन्ज़र्वेटर, कितनी बड़ी चैन है लेकिन हमारे नाकेदार को क्या मिलता है ? नाकेदार की कोई सुरक्षा नहीं है. वह जंगल में जाता है इसलिए उसे भी सुविधायें मिलनी चाहिए. उसे भी अपना जीवन प्यारा है. वह तो जंगल में ही है. वह रीछ, भालू, शेर, चीता, वानर के बीच में है. उसके पास तो लाठी तक नहीं है जो लट्ठा, गोला, खोड़, मलगा, बांस की सुरक्षा कर रहा है, वह खुद की सुरक्षा तक नहीं कर पा रहा है. यदि जंगल में कहीं से शेर निकलकर आ गया और उसे दबोच लिया तो वह मदद के लिए किसे पुकारेगा ? कौन उसकी सहायता करने के लिए जंगल में जायेगा ? इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि उसे भी थाना प्रभारी की तरह अपनी सुरक्षा के लिए एक रिवॉल्वर दी जानी चाहिए. (मेजों की थपथपाहट) मेरे भाईयों, बंदूक तो बहुत बड़ी होती है. वह उसे कहां संभालेगा. 7 राउण्ड की रिवॉल्वर वह अपने पास रख लेगा. भगवान न करे उसे रिवॉल्वर की कभी जरूरत पड़े.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पहले वन विभाग के द्वारा मेढ़ बंधान का कार्य होता था. उससे कई फायदे होते थे. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से प्रार्थना करूंगा कि पहले वन विभाग के पास मेढ़ बंधान के कार्य था, स्टॉप डेम बनाने का काम था, उसे पुन: चालू करने की आवश्यकता है. इससे वन्य प्राणियों से रक्षा होगी, मिट्टी का कटाव कम होगा और खेती की जमीन भी उपजाऊ होगी. अंत में मैं केवल इतना कहना चाहूंगा कि-
''जीते लकड़ी, मरते लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का''
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिए धन्यवाद.
6.00 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
श्री आर.डी प्रजापति(चंदला):- मानननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री से निवेदन करना चाहता हूं कि माननीय मंत्री ने मेरे क्षेत्र में नील गाय की समस्या को लेकर एक सर्वे टीम बनाकर यहां से भेजी थी और उन्होंने सर्वे किया और एक वहां खमहां नाला है, वहां से गौमा पद्धत्ति से नील गायों को पकड़कर ,उनका बधियाकरण करके जंगलों में भेजने के लिये, वहां से पूरा का पूरा प्रस्ताव आया है. माननीय मंत्री जी ने पिछले वर्ष सदन में आश्वासन भी दिया था कि हम पहले नील गायों को पकड़वाने का काम केवल चंदला विधान सभा से करेंगे और उन्होंने यहां से अधिकारी भी भेजे थे और प्रस्ताव भी आ गया है. मेरा आपसे निवेदन है कि करीब पांच साल से लगातार हम लोग रोजड़े-रोजड़े (नील गाय) चिल्लाते-चिल्लाते परेशान हैं. मेरा निवेदन है कि यह व्यवस्था की जाये.
कुँवर विक्रम सिंह :- पांच साल से नहीं, आर .डी भाई, मैं 2004 से चिल्ला रहा हूं.
श्री आर.डी.प्रजापति:- मुझे तो पांच साल ही हुए हैं. अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि हमारी सरकार किसान हितैषी सरकार है, हमारी सरकार ने किसानों के हर दु:ख-दर्द को समझा है और हमारी सरकार ने कृषि को दोगुना करने का संकल्प लिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे क्षेत्र में नहरें, मिट्टी परीक्षण और दुनियां भर की योजनाएं, अच्छे बीज, अच्छे खाद,अच्छे वैज्ञानिक सभी चीज भेजती है, लेकिन एक रोज़/ (नील गाय) दो बच्चे, 6 महीने में पैदा करती है और मेरे क्षेत्र में कम से कम 15 हजार नील गाय हैं. अब आप यह मानिये कि 15 हजार में से अगर 10 हजार मादा हैं तो उनकी संख्या 40 हजार बढ़ती हैं.
अध्यक्ष महोदय, आज किसी भी व्यक्ति ने आज तक मरा हुआ रोज़(नील गाय) नहीं देखी होगी. पता नहीं क्या होता है लेकिन एक भी नील गाय मरी हुई नहीं पायी जायेगी.
मेरा निवेदन है कि आप सब चीज दें, लेकिन मेरे क्षेत्र के 70 प्रतिशत आदमियों का पलायन केवल नील गाय के कारण होता है. वहां पर एक भी फसल नहीं बचती है.सबसे बड़ा दुख है तो रोज़ और सुअर का. वहां पर माननीय मंत्री जी ने सर्वे भी करवाया है और मेरे यहां पर 900 हेक्टेयर जमीन ठर्घुरा में पड़ी है, जिसका चैन फेंसिंग के लिये यहां से भेजा और वहां से प्रस्ताव आ गया.
मेरे यहां पर बछौन-रमना है, जहां पर 500 एकड़ जमीन पड़ी हुई है. माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा भी है कि रोज़ों को किसी तरह से पकड़ा जाये और उनका बधियाकरण करके जंगल में भिजवाया जाये.
अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां से तीन साल से सूखा पड़ रहा है और मैं यह चाहता हूं कि एक तो फसल होती नहीं है, सूखा पड़ जाता है, जो थोड़ी बहुत फसल होती है, वह पूरी की पूरी फसल रोज़ खा जाते हैं. मेरा एक निवेदन यह भी है कि बुन्देलखण्ड पैकेज से जो भी पैसा आता है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि उनके पकड़ने की व्यवस्था और उनके तार फेंसिंग की व्यवस्था, उनके बधियाकरण की व्यवस्था अगर आप उस बुन्देलखण्ड पैकेज से कर दें. इसके लिये अच्छा पैसा दे दें तो इस क्षेत्र की कम से कम,चार-पांच विधान सभाओं का कल्याण हो जायेगा. माननीय मंत्री जी से मेरा एक और निवेदन है कि अगर इनको नहीं पकड़ा जाता है तो इनको वन विभाग से हटाकर, इनको बर्मिन घोषित किया जाये. अगर इनको बर्मिन घोषित कर देंगे तो फिर आपकी कोई जरूरत नहीं है, फिर ये अपने आप समाप्त हो जायेंगे. एक चीज कर दी जाये या तो इनको पकड़कर जंगलों में भिजवाया जाये या इनको बर्मिन घोषित किया जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, गोमा पद्धति से पूरा का पूरा प्रकरण बनाकर माननीय मंत्री जी के यहां भेज दिया गया है एवं मेरा माननीय मंत्री जी से हाथ जोड़कर निवेदन है कि इससे ज्यादा किसानों को कोई दु:ख नहीं है, इसका सर्वे करा लिया जाये.
अध्यक्ष महोदय - आपका विषय आ गया है. आप समाप्त करें.
श्री आर.डी.प्रजापति - अध्यक्ष महोदय, मेरे यहां वन विभाग में 3-4 तालाब हैं, जो पशु बहुत परेशान रहते हैं. कटइयाबाबा तालाब का गहरीकरण कराया जाये, धंधागिर तालाब का गहरीकरण किया जाये एवं सभी का सौन्दर्यीकरण कराया जाये. बछौन के पास एक बहुत बड़ा तालाब है, उसको भी इस बजट में लिया जाये. आलहम देवी ठकुर्रा में, जो 900 हेक्टेयर जमीन पड़ी हुई है, उसमें भी पानी की व्यवस्था करवाई जाये. मेरे क्षेत्र में वन समितियों के जो कर्मचारी हैं, वे कम वेतन से परेशान हैं, उनका भी वेतन बढ़ाया जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में जैसे आपकी नर्मदा नदी है, बुन्देलखण्ड में सबसे बड़ी हमारी केन नदी है. केन नदी का अस्तित्व समाप्त होता जा रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूँगा कि उसके किनारे पर पौधे लगवाये जायें. जिससे जो हमारी सबसे बड़ी नदी केन-बेतवा लिंक परियोजना है, जो 25,000 करोड़ रुपये से बनने वाली है, उसका लाभ हमारे यहां तभी होगा जब हमारे यहां रोज़ड़ों को पकड़ा जायेगा. यह मेरा आपसे व्यक्तिगत निवेदन है कि जो आपने सर्वे करवाया है, उसका पालन किया जाये और पर्याप्त मात्रा में बजट दिया जाये. आपने बोलने का मौका दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर (खरगापुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 31 पर एक सुझाव इस मांग संख्या में शामिल करने का अनुरोध करती हूँ. शायद मेरे इस सुझाव से पक्ष एवं विपक्ष के सभी विधायक साथियों के हित में महत्वपूर्ण बात होगी.
अध्यक्ष महोदय - आप सुझाव दे दें.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर - अध्यक्ष महोदय, यह बहुत लम्बे समय से योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग में विधायक निधि की राशि दिये जाने की सूची में मन्दिर, मस्जिद, गिरिजाघर और गुरुद्वारों के सौन्दर्यीकरण एवं जीर्णोद्धार हेतु विधायक निधि दिये जाने का प्रावधान किए जाने का सुझाव है. दूसरा सुझाव, सार्वजनिक स्थलों पर आम जनता को पीने के पानी हेतु वाटर कूलर विधायक निधि से दिये जाने का प्रावधान योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग में किये जाएं, जिससे सभी विधायकों को लाभ मिलेगा एवं हम आम जनता की मांगों को पूरा कर सकेंगे. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद. श्री पन्ना लाल शाक्य.
श्री पन्नालाल शाक्य (गुना) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया, उसके लिए धन्यवाद. पंचायत विभाग में तो समय ही नहीं मिला था, मैंने पर्ची भी लगाई थी. वह पता नहीं कहां चली गई ? मैं माननीय डॉक्टर साहब से निवेदन करूँगा कि वह सुन लें तो बहुत अच्छी बात है. एक कहावत है- 'पुलिस का डण्डा, रेंज का फन्दा' तो मैं डॉक्टर साहब से कहूँगा कि जो रेंज का फन्दा है, वह कहां चला गया ?
श्री शंकरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, शेजवार जी, मैं भी एक पुरानी बात बता दूं कि -
(XXX)
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसे विलोपित करवा दें, यह क्या कुछ भी बोलते रहते हैं, इसको कार्यवाही से निकाल दें. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - इसे कार्यवाही से निकाल दें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा - यह पुरानी बात है भूल जाइये. (व्यवधान)..
श्री पुष्पेंद्र नाथ पाठक - सभी शांति से सुनिये रोचक भाषण आने वाला है. (व्यवधान)
श्री पन्नालाल शाक्य - मैं किसी के बीच में नहीं बोलता हूं परंतु मेरे भाषण में सब खड़े हो जाते हैं. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - हां पता नहीं क्यों सभी खड़े हो रहे हैं (हंसी) अब आप बोलें कोई नहीं बोलेगा. (व्यवधान)..
श्री पन्नालाल शाक्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी काफी लोग जंगल के विषय में बहुत अच्छा बोले, परंतु पहले आप सभी लोग यह विचार करें कि यह बीमारी कहां से पैदा हुई थी? अब डॉक्टर साहब को आप लोग इलाज करने के लिये दे रहे हो जबकि इस बीमारी को पैदा हुये 60-70 साल हो गये हैं. पहले यह सोचा जाये कि जंगल किसने काटा ? डेढ़ क्विंटल, दो क्विंटल, पांच क्विंटल लकड़ी दांह संस्कार में लगती है, परंतु पता नहीं हमने जंगल को काट-काट कर क्या कर दिया है, लकड़ी कहां पर जाकर भर दी है? यह तो बहुत गजब हो गया है, इसके बाद अब हम कह रहे हैं कि जंगल साफ हो गये हैं, जंगल साफ करा दिये है. अभी कुछ लोग कह रहे थे कि नर्मदा जी की यात्रा निकली थी तो सात करोड़ वृक्ष लगा दिये, क्या लोगों की दृष्टि दूषित है, जो वृक्ष वहां पैदा नहीं हुए उनकी चर्चा कर रहे हैं लेकिन उन लोगों को वहां पर जो वृक्ष पैदा हो गये हैं इसकी भी चर्चा करना चाहिए. लेकिन लोगों की नकारात्मक सोच के अलावा कुछ नहीं है. मेरा यह कहना है कि लोगों को सकारात्मक सोचना भी चालू करना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन और करना चाहूंगा कि इस प्रजातंत्र का बड़ा विचित्र राग है, इस संबंध में भारतेंदु हरिश्चंद्र ने कहा था मैं उसको अपने शब्दों में कहना चाहता हूं कि''प्रजातंत्र राज सुख साज, सजे अति भारि और घर-घर राजा पैदा हो गये यही अति ख्वारी'' आज घर-घर और एक-एक गली में राजा पैदा हो गये हैं. जब चुनिंदा राजा हुआ करते थे तो थोड़ी दाब-धौंस रहती थी. अभी जब गली-गली में राजा हो गये हैं तो जंगल कौन बचायेगा, वह खुद ही जंगल कटवा रहे हैं और खनन करा रहे हैं. अब उसके बाद अपेक्षा की जाती है कि जंगल बच जाये तो जंगल कैसे बचने वाला है, यह बहुत मुश्किल है. मैं सुझाव के विषय में कुछ कहना चाहता हूं कि हमारे मध्यप्रदेश में पहाड़ और पठारों पर जितने भी जंगल कट चुके हैं, इसके समाधान के लिये बेरोजगारों को आमंत्रित कीजिये उन्हें ठेका दे दीजिये और उनसे पेड़ लगवाना चालू कर दो और जब तक पेड़ न लगे उनको भुगतान न किया जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी माननीय श्री गोपाल जी ने कहा था कि हम शहरों में वृद्धाश्रम खुलवा रहे हैं. मैं कहना चाहता हूं कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है उन्हें वानप्रस्थ दिलवा दो और जंगलों में उनके वृद्धाश्रम खोल दो और उसको खोलने के लिये एक शर्त तय कर दो कि तुम अपने जीवन में जब तक स्वस्थ्य रहो, तब तक कम से कम 10 पेड़ लगाओ. मैं कहना चाहता हूं कि मुझे डॉ. निर्मल योगेन्द्र जी ने बताया है कि यूकोलिप्टस (नीलगिरी) का पेड़ नहीं लगाना है, हां पेड़ नीम, आम, पीपल एवं शीशम के लगा सकते हो, बरगद का पेड़ भी लगा सकते हो क्योंकि इनमें पानी भरा होता है और इनकी उम्र हजार-हजार साल होती है. यूकोलिप्टस (नीलगिरी) का पेड़ नहीं लगाना है. यूकोलिप्टस (नीलगिरी) का पेड़ जमीन के ऊपर और नीचे का 70 लीटर पानी पी जाता है और वह कुछ भी काम में नहीं आता है, न उसकी छाया काम में आती है, न इसमें फल लगते हैं और न इसकी लकड़ी कोई काम आती है. मेरा माननीय मंत्री जी आपसे निवेदन है कि आप ऐसा कुछ करें तो बहुत अच्छी बात है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जंगल के विषय में कुछ कहना चाहता हूं कि भारत का दर्शन जंगल में ही विकसित हुआ था लोगों को वहीं से शिक्षा प्राप्त हुई थी, सामाजिक व्यवस्था, वहीं से प्राप्त हुई थी. बहुत बड़े ज्ञानी, ऋषि, राज ऋषि जंगलों में ही निवास करते थे. अब जितने भी ज्ञानी हैं, वह जंगलों में नहीं शहरों में रहने लगे हैं, वह फाइव स्टारों में रहते हैं, इसलिए यह व्यवस्था नहीं सुधरने वाली है. यहां की मिट्टी की विशेषता है कि उम्र के पड़ाव के बाद आप शहर छोड़ दो लेकिन पता नहीं क्या बात है ? बहू बेटा ससुर को कितना ही उपेक्षित करे, ससुर धीरे से थैला उठाकर मंदिर के ओटले पर जाकर बैठ सकता है लेकिन यह नहीं सोचेगा कि पांच बच्चों को लेकर कहीं पेड़ लगाने की व्यवस्था करे, आज यह दर्शन खत्म हो गया है. यह सरकार नहीं कर पायेगी, यह गलत धारणा है, इसको दिमाग से निकाल दीजिये. हम सब लोग मिलकर इस संबंध में कुछ करें, हम सभी करें. एक-एक पेड़ हम सब लगायें लेकिन अब हम भी पेड़ कहां पर लगा रहे हैं. अब हम भी पेड़ हमारे घर के सामने दहलान में या उस आंगन के एक गमले में लगा रहे हैं. सोचते हैं पेड़ लगा दिया हरियाली आ रही है. मेरा निवेदन है मैंने जो सुझाव माननीय मंत्री जी को दिया उस पर विचार किया जाए तो अच्छा रहेगा. मंत्री जी एक वृद्धा आश्रम जंगल में खुलवाइए और बेरोजगारों को ठेका देकर उनसे पेड़ लगवाए जाएं, और जिन्होंने जंगल कटवाये हैं, उन पर फंदे डाले जाए. आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीयकृत वनोपज तेन्दूपत्ता पर ही अपनी बात रखूंगी. मैं मांग संख्या 10 के लिए अपनी बात रखने के लिए खड़ी हुई हूं. तेन्दूपत्ता संग्रहण, वन क्षेत्रों मे निवासरत परिवारों की आजीविका में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और विभागीय प्रतिवेदन के अनुसार पूरे मध्यप्रदेश में विक्रय मूल्य की राशि 1339 करोड़ रूपए की आय होती है. साथ ही संग्रहण मजदूरी 290 रूपए दी जाती है, यह बहुत ज्यादा अंतर है, श्रमिकों को अधिक से अधिक लाभ दिया जाना चाहिए, उनकी मजदूरी में बढ़ोत्तरी की जानी चाहिए. लघु वनोपज संघ द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम की पालिसी मजदूरों को दी जाती है. यदि मजदूरों की सामान्य मृत्यु होती है तो 5 हजार रूपए और आंशिक विकलांगता की स्थिति में 12,500 रूपए और यदि मजदूर पूर्ण विकलांग होता है तो उसे 25 हजार रूपए दिया जाता है, एकलव्य शिक्षा की व्यवस्था के अंतर्गत उनके बच्चों को शिक्षा भी दी जाती है और संविधान के 13 वें संशोधन के अनुसार वनोपज का स्वामित्व ग्राम सभाओं, वन समितियों के माध्यम से और वन ग्रामों में क्या आवश्यकता है उसकी प्राथमिकता के आधार पर यह राशि खर्च होती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक ही सुझाव है, समस्या भी है और मांग भी है कि वन ग्राम की पंचायतों में, मेरे भीकनगांव क्षेत्र में काफी वन ग्राम पंचायतें आती हैं, वहां पर सड़क, रपटा, स्टाप डेम, पुलिया, पेयजल, विद्युतीकरण व्यवस्था, आवास व्यवस्था और सामुदायिक भवन जैसे आवश्यकतानुसार निर्माण कार्य होने चाहिए विद्युतीकरण, पेयजल और अन्य सुविधाएं होना चाहिए, किन्तु विभाग के द्वारा पिछले वर्ष और इस वर्ष की जो राशि है जिसे मजदूरों ने कठिन परिश्रम के द्वारा कमाया है, उस राशि से राजस्व ग्राम की पंचायतों में सामुदायिक भवन बना रहे हैं. मुझे इस बात की आपत्ति है कि इस राशि को आवश्यकतानुसार वन समितियां खर्च करें, जिससे उनको फायदा हो न कि राजस्व की पंचायतों में इस राशि से सामुदायिक भवन बनाया जाए. अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से आग्रह है कि विभाग के द्वारा इस प्रकार से जो राशि खर्च की जा रही है उस पर पाबंदी लगाई जाए. दूसरा, मेरा सुझाव है कि मेरे क्षेत्र में वनग्राम में दो बड़ी नर्सरी थीं झिरिन्या क्षेत्र में उसकी, बाउंड्रीवाल के पास में पांच फिट के अंतर से जो घास जलाई जाती है उससे दो नर्सरियां पूरी तरह खत्म हो गई हैं, उसमें जो जानवर थे, पशु पक्षी के रहने के लिए जो जंगल बचा था वह पूरी तरह खत्म हो गया है, खरगोश मारे जा चुके हैं और 4 साल के जो पौधे थे वह भी पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं. यह बहुत लापरवाही स्थानीय अधिकारियोंद्वारा बरती गई है, मैं चाहूंगी कि ऐसे अधिकारी जो व्यवस्था में चूक करते हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए और मैंने जो मांगलिक भवन वाली बात कही है उस पर विशेष रूप से गौर किया जाए. आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद .
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) – माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन सम्माननीय सदस्यों ने मेरे विभाग के मांगों की चर्चा में भाग लिया है, उनका मैं हृदय से आभार मानता हूं और साथ साथ मैं सदन को यह भी आश्वासन देना चाहता हूं कि सदस्यों की तरफ से जो महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं, उनके क्षेत्र से जुड़ी हुई जो मांगें हैं जो सदस्यों द्वारा बताई गई है, उन पर मैं पूरी गंभीरता से विचार करूंगा. आदरणीय सौरभ सिंह जी, आदरणीय दुर्गालाल विजय जी, आदरणीय कुंवर विक्रम सिंह जी, आदरणीय श्री बहादुर सिंह चौहान जी, आदरणीय श्री बाला बच्चन जी, आदरणीय हेमंत खंडेलवाल जी, रामनिवास रावत जी का नाम बोला गया था पता नहीं उन्होंने अपनी बात यहां रखी नहीं, मेरे पक्ष में थे या मेरे खिलाफ में थे, मुझे यह जानकारी नहीं है. आदरणीय आशीष गोविंद शर्मा जी, आदरणीय राजेन्द्र मेश्राम जी, आदरणीय बहन उषा चौधरी जी, आदरणीय रामपाल सिंह (ब्योहारी), आदरणीय पुष्पेन्द्र पाठक जी, आदरणीय सुखेन्द्र सिंह जी, आदरणीय कैलाश जाटव जी, हमारे आदरणीय शंकर लाल तिवारी जी भी गेस्ट के रूप में एपियर हुये थे तो उनका विशेष रूप से धन्यवाद करना चाहता हूं. हमारी बहन हिना कावरे, आदरणीय योगेन्द्र निर्मल जी, आदरणीय रजनीश जी, आदरणीय आर.डी.प्रजापति जी, आदरणीय बहन श्रीमती चंदा गौर जी, आदरणीय पन्नालाल शाक्य जी, आदरणीय बहन श्रीमती झूमा सोलंकी जी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्य प्रदेश हमारे देश के मध्य में स्थित है , सामान्य रूप से सभी ऐसा अपने भाषण की शुरूवात में कहते हैं, यह भी सही है कि प्राकृतिक संसाधनो की यहां पर प्रचुर मात्रा है. जिसमें विशेष रूप से वन्य प्राणी जो विविध प्रकार के हैं और वन संपदा भी विविध प्रकार की मध्यप्रदेश में है और यही एक कारण है कि मध्यप्रदेश के जंगल भारत में ही नहीं दुनियां में भी प्रसिद्ध हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री फुन्देलाल सिंह मार्को जी अपनी बात को सदन मे रख रहे थे. अमरकंटक से चाड़ा के बीच में यदि हम साल के जंगल को देखेंगे तो शायद जंगल को देखने का वो आनंद दुनियां में कहीं नहीं मिलेगा जो साल के जंगल का वहां पर देखने में आनंद मिलता है. चाड़ा एक स्थान है जहां पर वन विभाग का रेस्ट हाउस है. वहां लोग शाम को इसलिये रूकते हैं कि वे जुगनू देखना चाहते हैं. रेस्ट हाउस के दोनों कमरों में जब आदमी वहां बैठता है तो इतनी जुगनू वहां पर देखने को मिलती है. कई बड़े अधिकारी और राजनेता वहां पर रूक चुके हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक मुझे ख्याल है भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी, राजीव गांधी जी और कांग्रेस पार्टी के जो अभी नेता हैं श्री राहुल गांधी जी यह सब चाड़ा जा चुके हैं. वहां के जंगल जो डिण्डोरी में स्थित हैं वह इतने प्रसिद्ध हैं तो हम इनकी प्रशंसा तो करना ही चाहते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी तरफ जहां जल ग्रहण क्षेत्र हमें जंगलों से मिलता है वहीं वृक्ष क्षरण को भी रोकते हैं, नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा में जो मुख्य उद्धेश्य था मां नर्मदा जी के दोनों तरफ वृक्षारोपण का, उसके पीछे यही एकमात्र उद्धेश्य था. वृक्ष लगेंगे, वृक्ष बड़े होंगे, वर्षा को आकर्षित करेंगे साथ साथ में भू-क्षरण को भी रोकेंगे , और भूमि के क्षरण को रोकने के साथ साथ जल ग्रहण की भूमि की क्षमता को बढ़ायेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सौभाग्यशाली हैं कि मध्यप्रदेश में बहुत बड़ा एरिया वनाच्छादित क्षेत्र है. अलग अलग रिपोर्टें आती हैं और लोग उन पर विश्वास कर लेते हैं. जिला रायसेन के बारे में भी कुछ कहा गया कि वहां पर वनाच्छादित क्षेत्र में कमी आई है. अध्यक्ष महोदय, यह रिपोर्टें हैं, उनके सर्वे हैं लेकिन असलियत में दूसरे पहलू को यह लोग नहीं बताते हैं. वनाच्छादित क्षेत्र यदि छोटा-मोटा कम हुआ है तो कारण क्या है. वन संरक्षण अधिनियम में डूब क्षेत्र में इसको भी हमें देखना पड़ेगा, हर साल उल्लेख करना पड़ेगा. दूसरी तरफ यदि हम देखें तो वहां सघन वन नहीं हैं, बिगड़े हुये वन हैं तो एक साल तो आपने सघन वन का आंकलन किया, दूसरे साल बिगड़े वनों का आंकलन कर दिया और अपनी रिपोर्ट दे दी. अध्यक्ष महोदय, हमने तय किया है कि हम अपने विभाग वर्किंग प्लान जो सबसे महत्वपूर्ण हैं, जिसका कार्य करते हैं, ऐसे अधिकारियों को हम काम देंगे और जो वर्किंग प्लान के साथ-साथ हर 2 साल में वहां हमारे वनाच्छादित क्षेत्र का पूरी परफेक्ट रिपोर्ट चित्रों के साथ, वीडियो के साथ हमारे सामने रखेंगे ताकि हमारे वन के बारे में यदि कोई दूसरे लोग ऐसी रिपोर्ट रखें तो हम उनके सामने सच्चाई बता सकें कि वस्तुस्थिति यह है. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश जो है, यह हमारे सौरभ सिंह जी ने कहा था कि वर्ष 2003 के पहले की बात करो. वर्ष 2003 के पहले कांग्रेस की सरकार थी बीच में समवेत वगैरह भी रही, जनता पार्टी भी रही. उसके पहले यहां भोपाल स्टेट था, यह मध्यप्रदेश नहीं था, यहां नवाबों के राज थे. वह सब चीजें हम लोग काउंट करते हैं और आपको मैं बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश संयुक्त रूप से बाद में मध्यप्रदेश बना. यह एक ऐसा राज्य है जिसने वास्तव में वनों के वैज्ञानिक प्रबंधन को प्रारंभ किया और वर्किंग प्लान सबसे पहले यदि कहीं बना और वैज्ञानिक तरीके से वनों के प्रबंधन की यदि किसी ने योजना बनाई और उस योजना को लागू किया है तो वह यह मध्यप्रदेश है. निश्चित रूप से जो अधिकारी उस समय रहे होंगे, जो शासक उस समय रहे होंगे, मैं उनका आभार मानता हूं. मध्यप्रदेश यदि वनाच्छादित क्षेत्र में आज अच्छा और आगे है यदि यहां वन्यप्राणी अच्छी स्थिति में हैं, यहां वनों में रहने वाले जो लोग हैं उनकी आजीविका के बारे में यदि कहीं सोचा जा रहा है तो कहीं न कहीं यह 1860 में जिन अधिकारियों ने यह वर्किंग प्लान बनाया था उसका एक कारण था. दूसरा वर्ष 2003 की तारीफ करने में मुझे कोई संकोच नहीं हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि कहीं आप यह सोच बैठो कि सौरभ सिंह जी ने ही सब कुछ किया है, जिन्होंने किया है उन्हें श्रेय जाना चाहिये. एक तरफ जहां वर्किंग प्लान मध्यप्रदेश में जंगलों के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिये सबसे पहले आया वहीं जंगलों की सुरक्षा के लिये पुर्नउत्पादन और संरक्षण के लिये यदि वन समितियों के बारे में ज्याइंट फारेस्ट मेनेजमेंट का कोई कान्सेप्ट आया तो वह भी सबसे पहले मध्यप्रदेश में आया. और हरदा जिले के तत्कालीन डीएफओ संभवत: शायद राठौर थे, उन्होंने इन संयुक्त वन प्रबंध समितियों का कान्सेप्ट प्रारंभ किया. वनों की सुरक्षा वही कर सकते हैं जो अपने आपको वनों का मालिक समझते हैं. वन समितियों का गठन हुआ, वन समितियों के तीन प्रकार बनाये गये. सबसे पहले बिगड़े वनों में वन समितियां बनाईं, दूसरा सुरक्षा वन समिति रिजर्व फारेस्ट में बनी और तीसरा जो नेशनल पार्क हैं और बफर जोन हैं उनमें हमने ईको समितियां बनाईं. 15 हजार समितियां आज काम कर रही हैं. समितियों को अधिकार भी दिया गया है. मंडला के सम्मेलन में हमने समितियों को बहुत से अधिकार दिये हैं ताकि वह गांव वालों की जो वन समितियों के लोग हैं वहां के रहने वाले हैं उनको तमाम सुविधायें दे सकें और वनों की सुरक्षा के बारे में कंट्रोल कर सकें.
6.29 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि किया जाना
अध्यक्ष महोदय-- माननीय वन मंत्री से संबंधित मांगों पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
(6.30 बजे) वर्ष 2018-2019 की अनुदानों की मांगों पर मतदान(क्रमशः)
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, वन विभाग कुछ प्रशासकीय अधिनियमों के अंतर्गत चलता है जिनका मैं उल्लेख करना चाहता हूं. भारतीय वन अधिनियम 1927, वन्य जीव संरक्षण अधिनयम 1972, मध्यप्रदेश काश्त चिरान विनियमन अधिनियम 1984, वन संरक्षण अधिनियम1980, वनोपज व्यापार विनियमन अधिनियम 1969, मध्यप्रदेश तेन्दू-पत्ता व्यापार अधिनियम 1964, मध्यप्रदेश वन भूमि सास्वत पट्टा प्रतिसम्महरण अधिनियम 1973, मध्यप्रदेश लोक वानिकी अधिनियम 2001, जैव विविधता अधिनियम 2002. इन अधिनियमों का मैंने इसलिये उल्लेख किया है कि बहुत सारे माननीय सदस्य इस बात का उल्लेख कर रहे थे कि इतना बड़ा अमला है. किसी ने पिस्तौल मांगने की बात की, किसी ने इस अमले के सुरक्षा की बात की, किसी ने जानवरों की सुरक्षा की बात की ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष जी उन्होंने अखबार को नहीं पढ़ा होगा जिसमें लिखा था कि लाईन में लगाकर शेर की गिनती करते हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय,ऐसा नहीं है. अभी तक मेरे ख्याल से 2003 के पहले भी ऐसा वनमंत्री नहीं बना जिसने शेरों को लाईन में लगाकर खड़ा करके गिनती करने की बात की हो. एक बार हमारे विभाग के बारे में माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देशों पर पत्रकारों से चर्चा हो रही थी उसको पत्रकार अपनी भाषा में रिपोर्ट कार्ड कहते थे. रिपोर्ट कार्ड क्या होता इसको मैं ज्यादा समझता नहीं था, लेकिन एक पत्रकार ने टाईगर स्टेट के बारे में जोर से कहा कि क्या बात है कि आप शेरों की गिनती क्यों नहीं करते मैं थोड़ा सा विचलित सा हो गया. मेरे मुहं से यह बात नहीं निकलनी थी, मैं मानता हूं कि उस समय रिएक्शन में बात निकल आयी, लेकिन वह बात अखबारों में देश-विदेश में बहुत छपी, फेसबुक पर भी आयी. उन्होंने जोर से मुझसे कहा कि आपने गिनती क्यों नहीं करवायी? मैंने कहा कि शेरों को लाईन में तो खड़े नहीं कर सकते हैं ? मैंने अपनी मजबूरी बतायी थी. मैंने यह नहीं कहा था कि शेरों को मैं लाईन में खड़ा कर सकता हूं. मैं क्या कोई भी 2003 के पहले भी कोई मंत्री में दम रही हो कि शेरों को लाईन में खड़ा कर सके. भाई रजनीश जी अपने घर में भी मंत्रालय रहा है क्या उन्होंने कभी शेरों को खड़ा किया था कभी लाईनों में. पूरे मध्यप्रदेश के शेरों को तो छोड़ दो अपने सिवनी के ही 2-4 शेरों को लाईनों में खड़े कर देते, यह बड़ी शेरों के बारे में कहानियां हैं.
अध्यक्ष महोदय, कभी कभी ऐसे जवाब आते हैं कि आदमी का मुंह बंद हो जाता है. एक बहुत बड़े बहादुर माने जाते थे हमारे विधान सभा क्षेत्र के बड़ा उनका नाम चलता था कि वह तो शेर हैं शेर वहां पर पंडित जी उसी गांव के बैठे थे. भोपाल के एक सज्जन ने उनकी तारीफ में जब उनका नाम आया, कहा कि वह तो शेर हैं, तो पंडित जी ने धीरे से कहा कि हां भईया शेर तो हैं पर भईया सर्कस से बचो. अब सर्कस के शेर की क्या हालत होती है. रिंग मास्टर यू कोड़ा करता है और क्या क्या करता है मुझे नहीं मालूम मेरी एक्टिंग कर रहे थे भईया रजनीश जी. मैंने कहा कि आप भी मेरे साथ रहे हैं आप सबका मुझे समर्थन है. भाई नरोत्तम जी भी हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अभी भी साथ में हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय,मैंने ऐसी कोई एक्टिंग नहीं की.
श्री बाला बच्चन--माननीय मंत्री जी को लगा है कि साथ में नहीं हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, आप तो हैं साथ में.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--डंके की चोट से चाहते हैं बाला भाई आप नेता प्रतिपक्ष के साथ हो कि नहीं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को कुछ जानकारी देना चाहता हूं कि इस बार बजट का जो अनुमान है उसमें पिछले साल से ज्यादा प्रावधान है. 2288.52 करोड़ 2017-18 में अनुमान था उसको बढ़ाकर 2706.05 करोड़ का मांगा गया है. हमारे विभाग ने पिछले वर्ष की तुलना में कुल बजट प्रावधान में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. हमारी जो राजस्व प्राप्तियां हैं वह 2017-18 की तुलना में ज्यादा का अनुमान है और हम आपको बताना चाहते हैं कि हमारे विभाग में जो पुनरीक्षित राजस्व 1132 करोड़ रुपये जो था, उसके विरुद्ध हम इस साल जनवरी तक 864 करोड़ रुपये का लक्ष्य हम प्राप्त कर चुके हैं. विभाग के अंतर्गत जोहमारी मुख्य योजनाएं हैं चूंकि सबने संक्षेप में बोला है मेरी नैतिक जिम्मेदारी है कि मैं भी संक्षेप में बोलूं इसलिये जो न्यूनतम जो आवश्यकता है क्योंकि उतना नहीं बोलूंगा तो कल रजनीश जी बोलेंगे कि कुछ नहीं बोला. इसलिये उतना ही बोलूंगा लेकिन आपसे कम तो इसमें वन्य प्राणियों के बारे में मैं संक्षेप में बोलूंगा. वन्य जीव पर्यावास का समन्वित विकास, इसके अंतर्गत हम वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिये काम करते हैं. अधोसंरचना के विकास के लिये करते हैं. 200 करोड़ का इसमें प्रावधान है. इसके अंतर्गत वन्य प्राणियों के जल स्त्रोतों का विकास करते हैं. लेण्टाना का उन्मूलन करते हैं और चारागाह के विकास का काम है, वन्य प्राणी सुरक्षा है. पशु अवरोधक दीवालें बनाते हैं. अलग-अलग माननीय सदस्यों ने जोमांगे की थीं उनका मेरे जवाब में कहीं न कहीं समावेश हो रहा है. फेंसिंग,संचार साधनों का विकास भी हम इस बजट में करेंगे जो 200 करोड़ का है. वन्य प्राणियों के बारे में,संरक्षित क्षेत्र से बाहर वन्य प्राणियों के बारे में जो हम काम करते हैं इसके लिये 10 करोड़ का प्रावधान है. इसमें सबसे पहले वन्य प्राणी संरक्षण और संवर्द्धन का काम है. कारीडोर, जो दो नेशनल पार्कों के बीच में स्पेस रहता है सामान्य तौर पर. इसमें जो टाईगर है, उसके मूवमेंट रहते हैं. जब शेरों की संख्या ज्यादा हो जाती है और उनको टेरेटरी नयी बनाना पड़ती है और उस नेशनल पार्क या बफर जोन में कहीं स्थान नहीं रहता तो वे दूसरे को चुनते हैं तो जो बीच में कारीडोर है उसमें हमको ऐसे वातावरण निर्मित करने पड़ते हैं. उनके लिये हेबीटाट बनाना पड़ता है ताकि वे आराम से एक नेशनल पार्क से दूसरे में सुरक्षित रूप से जा सकें फिर आजकल एक चर्चा चल रही है. मानव वन्य प्राणी द्वंद,इसके प्रबंधन के बारे में भी हमने प्रयास किये हैं. रहवास विकास के लिये प्रदेश के क्षेत्रीय वन्य मण्डलों में जल स्त्रोतों का विकास इसमें है. न्यायिक अधिकारियों के साथ कार्यशाला है. चौकी का संचालन है,उनके पारिश्रमिक हैं. जल स्त्रोत का विकास इत्यादि हम संरक्षित क्षेत्र के बाहर वन्य प्राणी प्रबंधन इसमें हम करते हैं. ग्रामों के पुनर्वास हेतु मुआवजा देने का हमारा प्रावधान है. हमने कई स्थानों पर गांवों का पुनर्वास भी किया है और यह सफलतापूर्वक हुआ है उन्हें सही तरीके सुविधाएं मिली हैं. कई जगह हमारी प्रोसेस में हैं. कई जगह से विरोध भी आते हैं. कई जगह से आपत्तियां भी आती हैं. इन सभी का समावेश करते हुए हम जिन भी गांवों को विस्थापित करें वे संतुष्ट रहें और उनकी आजीविका अच्छे से चले इस प्रयास के साथ उनका व्यवस्थापन करते हैं इसके लिये 60 करोड़ रुपये का प्रावधान है. दूसरा है जू एवं रेस्क्यू सेंटर की स्थापना, यह सतना जिले के मुकुन्दपुर में,उपाध्यक्ष महोदय के विधान सभा क्षेत्र में इसकी स्थापना हुई है. यह बात अलग है कि अध्यक्ष महोदय कहते हैं कि मेरा विधान सभा क्षेत्र है और शुक्ला जी बगल में से जल्दी वहां आ जाते हैं तो मुझे इसमें कुछ नहीं कहना लेकिन शुक्ला जी ने इसके लिये बहुत मेहनत की है. डी.पी.आर. और अन्य चीजें पूरी की हैं. हमारे बना साहब को तकलीफ है कि जिस आदमी ने डी.पी.आर.बनाई है वह इनसे क्यों लड़ता है. अब रीवा स्टेशन की तासीर ही ऐसी है कि कोई नेता और अफसर आये तो या तो इनमें बहुत अच्छी दोस्ती रहेगी या विवाद हो जायेगा तो विवाद हम कम करें लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मेरे विभाग में कहीं से भी जरा सी भी कोई शिकायत आयेगी. किसी के विरोध में भी शिकायत आएगी तो उस पर कार्यवाही लेकिन परफेक्ट होगी. आपने कभी सोचा नहीं था. इस वजह से मैंने उन पर कार्यवाही नहीं की कि आपकी उनसे लड़ाई हुई थी, बल्कि इसलिए कि मेरे पास शिकायत प्राप्त हुई थी कि ज़ू के निर्माण में कहीं न कहीं अनियमितता हुई. आपने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया था. श्री सुन्दरलाल तिवारी जी यहां पर है नहीं, उन्होंने भी ताकत से बात उठाई थी. हालांकि श्री सुखेन्द्र सिंह बना और श्री सुन्दरलाल तिवारी में यह अंतर है कि श्री बना वहीं से खड़े होकर जवाब मांगते हैं और श्री तिवारी कभी कभी यहां आकर भी जवाब मांगते हैं. लेकिन हम मंत्री हैं दोनों को संतुष्ट करना हमारा काम है और हमारे लिए तो दोनों ही रीवा के हैं, बराबर हैं. चाहे आप श्री बना हों या श्री तिवारी हों, हमको तो दोनों के ही हाथ जोड़ना है तो ऐसा मैं मानता हूं ..
श्री यादवेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, इनके आज तक बंगले हम नहीं गये, चार, साढ़े चार साल हो गये हैं, इतना डर लगता है, इतना खराब बोल देते हैं यहां पर बैठे-बैठे कटु शब्द कि हम आपके बंगले ही नहीं गये, वे लोग जाते होंगे.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - आपका स्वागत है. आप आइए. दिसम्बर में आगन्तुकों के लिए जो बैठक थी. माननीय विधायक और गणमान्य नागरिकों के लिए जो मेरे यहां पर पहले बैठक थी..
श्री यादवेन्द्र सिंह - ..आपको शेर देखना हो तो राहुल भैया के केरवा डेम पर देख आइए. वहां रक्षा कर रहे हैं और आप शेर के नाम पर डर रहे हो, वह जमीन से शेर हमारे नेता प्रतिपक्ष ने मारा है और आपने अभी भ्रष्टाचार की बात की है, आप कभी पोल को देखें जो जंगल में खरीदे गये हैं, उनको देख लें. यह नाड़ी से मोटे हों तो बताइएगा और घटिया किस्म की तार.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - इसकी जांच करवा लेंगे.
श्री यादवेन्द्र सिंह - जितने भी वृक्षारोपण हो रहे हैं उसको आप बताइए, जितना भ्रष्टाचार आपके जंगल विभाग में है कहीं भी नहीं है. किसी विभाग में नजर नहीं जाती है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, ज़ू और रेसक्यू सेंटर दोनों बड़े महत्वपूर्ण हैं वन्यप्राणियों की दृष्टि से हैं, जहां ज़ू के बारे में एक तरफ बच्चों को लोग अनुभूति करवाते हैं, उन्हें जानवरों के बारे में बताते हैं, उनके बारे में पढ़ाई होती है, उनके बारे में ज्ञान होता है. स्कूलों की ट्रिप जाती हैं. वहीं रेसक्यू सेंटर जो हैं, जो घायल और कमजोर जानवर होते हैं, उनके पालन-पोषण के लिए अतिमहत्वपूर्ण है. अभी तो सर्कसों से भी जानवर आए हैं. मदारियों के पास से भी जानवर आए हैं, इन सबकी रक्षा करना और उन्हें अच्छे से रखना, यह रेसक्यू सेंटर में सब काम होता है. वर्ष 2003 के पहले आपने कभी जू और रेसक्यू सेंटर बनाने के बारे में सोचा नहीं. पुराने जो ज़ू हैं वे मापदंडों के अभी उतने अनुरूप नहीं हैं, उन पर प्रश्न आ रहे हैं. चाहे वह ग्वालियर का हो, चाहे इंदौर का हो. हम इनको पूरा सुधारने की बात कर रहे हैं. साथ ही साथ में बच्चों के एजूकेशन के लिए और जानवरों के रेसक्यू के लिए, रेसक्यू सेंटर और ज़ू अनिवार्य हैं. इसलिए हमने इसकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई है, भोपाल के पास खरवई में एक ज़ू सेंटर बनाने के लिए उसकी डिटेल रिपोर्ट हमारे पास में तैयार है. केन्द्र सरकार से उसकी अनुमति भी हम ले रहे हैं. सागर की रिपोर्ट भी हमने केन्द्र सरकार को जो नेशनल ज़ू अथॉरिटी ऑफ इंडिया है, उसको सबमिट कर दी है. रालामंडल में भी हम ज़ू बनाना चाहते हैं.
डॉ. कैलाश जाटव - माननीय मंत्री जी, गोटेगांव में भी बढ़िया जगह है आलोद के पास उसको भी बना दें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, दो तीन चीजें और बताता हूं.राष्ट्रीय वनीकरण योजना है, जिसमें हम शहरों में वृक्षारोपण करते हैं. इसमें हम बड़े सफल हैं. लोगों में जागरूकता के लिए यह अनिवार्य है और वनों के प्रति, वृक्षों के प्रति, पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूकता में इसका बहुत बड़ा योगदान है.
श्री बाला बच्चन - माननीय मंत्री जी, सदन में कुछ जांच के मुद्दे हमने भी आपको दिये हैं?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, दीनदयाल वनांचल सेवा, यह एक ऐसी सेवा है कि इसको यदि हम बुराई के रूप में लें तो ऐसा कह सकते हैं कि वन विभाग बेमतलब दूसरे विभागों में हस्तक्षेप कर रहा है. लेकिन यदि इसको अच्छाई के रूप में किसी ने लिया है तो हमारे तत्कालीन स्वास्थ्य विभाग के मंत्री जी हैं, वास्तव में इनके कारण यह दीनदयाल वनांचल सेवा प्रारंभ हुई. मध्यप्रदेश का इन्द्रधनुष कार्यक्रम जो टीकाकरण का द्वितीय चरण का शुभारंभ होना था वह होशंगाबाद में अध्यक्ष महोदय, आपकी उपस्थिति में और आपके मुख्य आतिथ्य में हो रहा था. मेरे सामने एक फोल्डर आया. फोल्डर में आखिरी में एक कॉलम था कि सघन वन क्षेत्र होने के कारण हम टीकाकरण में यहां सफल नहीं हुए. मुझे वहां अतिथि के रूप में बुलाया गया था. अध्यक्ष महोदय, आप भी थे. वहां हम दो डॉक्टर थे. आप और मैं दोनों नॉन प्लेइंग कैप्टन हैं. डॉक्टरी मैं भी नहीं करता आप भी नहीं करते मगर सोच जरूर रखते हैं और सद्भावना भी है और कहीं न कहीं हम इस बात को मिस करते हैं कि हम प्रेक्टिस क्यों नहीं करते ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - डॉक्टरों की कमी का कहीं यह कारण तो नहीं है ?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - मैंने जब उसमें पढ़ा तो मैंने कहा नहीं, मैंने अपने विभाग के सीसीएफ से पूछा कि इसमें जो कॉलम लिखा है, क्या वन विभाग के कर्मचारी इसमें स्वास्थ्य विभाग के टीकाकरण में, मलेरिया उन्मूलन में, महिलाओं के चेक-अप में कोई मदद कर सकते हैं ? हमारे जितने अधिकारी वहां पर मौजूद थे उन्होंने कहा यदि हमें प्रशिक्षण दिया जाए तो हम इसको सफलतापूर्वक कर सकते हैं. फिर इसके बाद उनसे पूछा गया कि आपको अतिरिक्त काम का वजन तो नहीं रहेगा तो उन्होंने कहा नहीं रहेगा. मैंने वहीं पर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और अध्यक्ष महोदय, आपके सामने इस बात की घोषणा की कि एक सेवा हम अलग से फॉरेस्ट विभाग की तरफ से देना चाहते हैं. मुख्यमंत्री जी से मैंने सलाह की. उन्होंने कहा कि दीन दयाल जन्म शताब्दी वर्ष है तो दीन दयाल जी के नाम से करो इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती और आपका कार्यक्रम अच्छा व सफल होगा. हमने सही तरीके से योजना बनाई और अक्टूबर में मुख्यमंत्री जी ने इसकी लांचिंग की. अध्यक्ष महोदय, बड़ी खुशी के साथ बताना चाहता हूं कि स्वास्थ्य विभाग से जब मेरी बात-चीत होती है तो उन्होंने कहा टीकाकरण में जो वनांचल क्षेत्र है उसमें 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. कहीं न कहीं हम उन वनवासियों के काम आ सके. मलेरिया से जंगल वाले क्षेत्र में जो मौतें होती थीं उसमें भी लगभग 35 प्रतिशत की कमी आई है. हमने वन रक्षकों को प्रशिक्षित किया, हमने मलेरिया वर्करों की ट्रेनिंग दी. मलेरिया वर्कर की ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने स्लाईड बनाना, गोली बांटना सीखा और आवश्यकता पड़ने पर उनका हॉस्पिटलाईजेशन उन्होंने किया और एक परिवार में जहां 5-5, 6-6 मौतें होती थीं, आप हरदा, बैतूल और होशंगाबाद जिले से रिपोर्ट मंगा लीजिए कि मलेरिया से एक भी वनवासी की मृत्यु नहीं हुई है.
अध्यक्ष महोदय, इस योजना की सफलता के बारे में बताना चाहता हूं. जो कुपोषित बच्चे हैं, हमारे रेंज ऑफीसर अपने जंगल के क्षेत्र में उन्हें चिह्नित करते हैं और खुद कॉन्ट्रीब्यूट करके अपनी तरफ से पैसा देते हैं और पोषण आहार, दवाइयों में जो आवश्यकताएं होती हैं, हम राला मंडल और इंदौर के ग्रामीण क्षेत्र में ऐसा काम कर रहे हैं और कई बच्चों के 600-600 और 800-800 ग्राम तक वजन में वृद्धि हुई है, तो यह अन्य विभागों के लिए हमारा योगदान मानें. उसको ऐसा न मानें कि उसमें हमारा कहीं हस्तक्षेप हो रहा है. कार्य आयोजना का क्रियान्वयन में मैं वर्किंग प्लान के बारे में बता चुका हूं, लेकिन मेरा आप सबसे निवेदन है कि जंगल के बारे में जिन्हें थोड़ी भी यदि रुचि है तो वे एक बार वर्किंग प्लान जरूर देखें. वर्किंग प्लान थीसिस है एक डिवीजन के बारे में. कौन से वृक्ष हैं, उनके क्या-क्या प्रकार हैं, उनके बॉटनिकल नेम क्या हैं, उनकी उत्पत्ति कैसे हुई, किन-किन क्षेत्रों में दुनिया में, भारत में कहां-कहां वह पाए जाते हैं, नदियां कितनी हैं, नाले कितने हैं, कहां-कहां डेम बनाने के प्रॉस्पेक्ट्स हैं, उन्हें बनाने के लिये, उनकी योजनाएं, प्लांटेशन क्या हैं, कहां हमें निर्वनीकरण करना है, एक-एक चीज का विस्तार से वर्किंग प्लान में वह अधिकारी दो साल तक काम करते हैं और जाकर पूरे उस डिवीजन के बारे में पूरी तैयारी करते हैं. बहुत से विभागों में ऐसा कहते हैं कि वर्किंग प्लान तो फॉरेस्ट विभाग के ऑफीसर के लिए लूप लाईन है, लेकिन मैं गर्व के साथ कहना चाहता हूं कि जिन अधिकारियों को हमने वर्किंग प्लान में भेजा उन्होंने पूरी मेहनत के साथ उस डिवीजन का वर्किंग प्लान बनाया है और जितना अच्छा वर्किंग प्लान वह अधिकारी बना देगा, वह जंगल उतनी प्रोग्रेस करेगा. चाहे विदोहन के मामले में हो, चाहे पुनरुत्पादन के मामले में हो, चाहे थिनिंग के मामले में हो और वर्किंग प्लान में यह सब चीजों का उल्लेख रहता है कि किस गांव की क्या आवश्यकता है. पुलि,पुलियों का, स्टाप डेम का, चेक डेम का निर्माण हम सब उस वर्किंग प्लान के आधार पर करते हैं. वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिये उन्हें पानी की कितनी आवश्यकता है, कहां बैठेंगे, शिकारियों को हम कैसे रोकेंगे, कहां कहां इनके चांसेस हैं, यह सब पूरा वर्किंग प्लान में रहता है. तो वर्किंग प्लान जरुर एक बार पढ़ें और उसे अनिवार्य रुप से देखें...
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से एक निवेदन करना चाहूंगा कि अमरकंटक में आपका एक बार , दो बार, तीन बार दौरा हुआ. अमरकंटक मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली है, उसका संरक्षण वहीं से शुरु होगा. आप यह बतायें कि वहां के लिये वर्किंग प्लान और वर्किंग कमेटी वहां कब गई, कब वहां क्या क्या आपने अभी तक कराया, कुछ बता तो दीजिये. आप केवल बोले जा रहे हैं...
अध्यक्ष महोदय -- आपने कुछ कहा है तो, अब आप सुन तो लें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, अमरकंटक जो है, वह अनूपपुर डिवीजन में आता है और सर्कल इसका शहडोल है. तो मैं शहडोल के सीसीएफ को यह निर्देशित करुंगा कि माननीय मार्को जी, वहां के जो विधायक हैं, उनको पूरा वर्किंग प्लान बतायें और आप जितने भी वर्किंग प्लान अनूपपुर डिवीजन के देखना चाहते हैं, वह सब बतायेंगे और तब तक बतायेंगे, जब तक कि आपकी एक एक चीज समझ में नहीं आयेगी और इसके लिये आपको ऐसा लगे कि सीसीएफ ने कहीं कोई कमी रखी है..
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय, ..
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्नकाल नहीं है. मंत्री जी, आप जारी रखें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- मंत्री जी, आपके भू संरक्षण विभाग से हम बैठक कर चुके हैं. प्लान बन चुके हैं, वह प्लान लागू कब होगा, यह आप बता दें. वर्किंग प्लान को हम सब समझ रहे हैं. दो - तीन मीटिंग्स हो चुकी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- इसमें इतनी बहस नहीं होती है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, अब हरियाली चुनरी के वृक्षारोपण पर यहां बड़े प्रश्न चिह्न लगाये गये. यात्राओं के आप उद्देश्य तो देखो. हमारे, आपके नेता ने भी नर्मदा जी की परिक्रमा की है, वह एक धार्मिक उद्देश्य है. क्या होता है कि आदमी जब परेशान होता है अपने जीवन से, उसे कहीं ऐसा लगता है कि शायद मुझ से कहीं गलती हुई है, कहीं मैंने कोई पाप किये हैं, तो नर्मदा जी की परिक्रमा उन पापों को धोने के लिये होती है. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि परिक्रमा का किसका क्या उद्देश्य था...
श्री शंकरलाल तिवारी -- नर्मदा जी पाप मोचनी हैं भी. ..(हंसी)..
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, मोक्षदायिनी भी है, पाप मोचनी भी है. ..
श्री यादवेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, उनके पुत्र बैठे हैं, यह जो कह रहे हैं दिग्विजय सिंह जी राजा साहब, पूर्व मुख्यमंत्री जी के बारे में. यह बहुत गलत बात है. आप जो भाषण दे रहे हैं, वे सुन रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया है.
श्री यादवेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने कौन सा पाप किया है, आप जवाब दें हमको.
कुंवर सौरभ सिंह सिसोदिया -- अध्यक्ष महोदय, यह व्यक्तिगत हो रहा है.
..(व्यवधान)..
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- दादा आप सुन लो. अध्यक्ष महोदय, सौभाग्य तो बहुत सारे लोग बताते हैं, लेकिन मैं अपना दुर्भाग्य बताता हूं कि यहां पर बहुत बैठे हैं, जिनके पिताजी मेरे साथ एमएलए रहे हैं. देखो साहब ऐसा मत मानिये कि केवल एक आदमी ने नर्मदा जी की परिक्रमा की है.
राज्यमंत्री, आयुष (श्री जालम सिंह पटेल) -- अध्यक्ष महोदय, मैंने भी परिक्रमा की है, पैदल भी की है और गाड़ी से भी की है. उसमें बुराई की क्या बात है. मैंने 3 बार परिक्रमा की है. एक बार पैदल की है, दो बार गाड़ी से की है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, मतलब ऐसा मत मानिये कि केवल एक आदमी ने नर्मदा परिक्रमा की है. लाखों लोग ..
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- मंत्री जी, क्या राज्यमंत्री जी, जालम सिंह जी ने नर्मदा जी की परिक्रमा की, तो क्या पाप धोने के लिये ऐसा किया. हमारे जो अन्य सासंद रहे, उन्होंने जो यात्रा की.. (व्यवधान)..
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, मैंने बिलकुल नहीं कहा कि पाप धोने के लिये हम नर्मदा जी की परिक्रमा करते हैं और आप कहें तो मैं प्रतिज्ञा के साथ यह बात कह रहा हूं कि यह मैंने नहीं कहा. लेकिन यदि पाप किये हैं, तो धुल जाते हैं. यह मैं बोल रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया अब इस विषय को समाप्त करें. माननीय मंत्री जी और कितना समय लेंगे आप.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, बस दो-तीन मिनट में समाप्त कर दूंगा. नर्मदा जी के केचमेंट में वृक्षारोपण किया गया, इससे निश्चित रूप से नर्मदा जी की धारा में संवर्द्धन होगा, धारा अविरल बहेगी, क्षरण रुकेगा तो जो सिल्ट आती थी, कहीं नर्मदा जी की गहराई को कम करती थी, उसमें सुधार आएगा. नर्मदा सेवा यात्रा का यह बहुत बड़ा कदम है. नर्मदा नदी के किनारे वन भूमि पर वृक्षारोपण के बारे में सदन में माननीय मुख्यमंत्री जी स्वयं बता चुके हैं, विपक्ष की तरफ से जितनी आलोचनाएं थीं, वह सब आ चुकी हैं, आप में से उन सबका मैं धन्यवाद करना चाहता हूँ जो नमामि देवी नर्मदे सेवा यात्रा में पैदल भी चले, माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ भी चले और नर्मदा सेवा यात्रा में साधु-संतों के साथ बैठे. कई लोगों ने तो भाषण करने की भी जुगाड़ लगा दी. ..(व्यवधान)..
श्री यादवेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय प्रहलाद पटेल जी ने भी नर्मदा जी की पद यात्रा किए हैं, क्या उन्होंने भी पाप किया था जो यह कह रहे हैं. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- वह बात समाप्त हो गई, कहां लगे हैं. अब आप बैठ जाएं. ..(व्यवधान).. यह कोई तरीका है क्या. बैठ जाइये आप. ..(व्यवधान)..
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, नर्सरीज में वन विभाग वृक्षों के पौधे तैयार करता है. पिछले साल हमने 4 करोड़ 39 लाख पौधे तैयार किए थे और इस साल 15 करोड़ पौधे तैयार करने का लक्ष्य हमने रखा है, इसके लिए 30 करोड़ रुपये का बजट मांगा है.
अध्यक्ष महोदय, वानिकी विस्तार हमारी एक योजना है, इसके अंतर्गत हम शहरी क्षेत्र में वृक्षारोपण करते हैं, कार्यशालाएं करते हैं, सेमीनार आयोजित करते हैं. निश्चित रूप से आम जनता में यह जागरूकता लाना आवश्यक है कि वृक्षारोपण जरूरी है, वृक्षों को बचाना जरूरी है. कार्यशालाओं में इस बात का उल्लेख होता है कि आखिर वृक्ष हमारे किस-किस काम में आते हैं. पर्यावरण के संरक्षण में वृक्षों का बहुत महत्व है.
अध्यक्ष महोदय, एक बात और चल रही थी, मार्को जी ने बहुत अच्छी बात कही थी कि साल बीज का प्लांटेशन नहीं होता. साल बीज के प्लांटेशन के लिए जो जबलपुर में एसएफआरआई है, उसमें अनुसंधान चल रहे हैं और ऐसा नहीं है, अब हम उसका प्लांट भी तैयार कर रहे हैं और जहां-जहां साल के हिसाब से अनुकूल वातावरण और जलवायु है, उन वनों में हम वृक्षारोपण कर रहे हैं. अभी साल वनों की ऐसी प्रजाति नहीं है कि जो विलुप्त हो रही हो, डिंडोरी में, मण्डला में, बालाघाट में साल बहुत अच्छी मात्रा में है. मैंने आपको जैसा बताया कि साल के जंगलों को देखने के लिए तमाम बड़े-बड़े लोग आ रहे हैं और वह वास्तव में दर्शनीय स्थल हैं. वहां जाने के बाद आदमी का मन इतना प्रसन्न हो जाता है कि जिसका हिसाब नहीं. भैया, हमारे साहब जाएंगे कि नहीं मुझे नहीं मालूम, लेकिन उनको बताना कि वे ताला जरूर जाएं क्योंकि उनके तमाम नेता वहां के वनवासियों की हालत देखने के लिए पहले ताला जा चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय, निजी भूमि पर वृक्षारोपण को हम प्रोत्साहन दे रहे हैं. इसमें जो भूमि स्वामी हैं, उनके लिए भी प्रोत्साहन की व्यवस्था है और बीच में हमने वन-दूत बनाए हैं जो उनको वृक्ष लगाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे और वृक्ष लगवाएंगे, उनको अलग-अलग समय पर आर्थिक रूप से अनुदान देने की व्यवस्था हम करेंगे. मालिक-मकबूजा की लकड़ी का पेमेंट कई बार नहीं होता था, लेकिन हमने इसके लिए प्रावधान किया है. पहले की तुलना में हमने ज्यादा प्रावधान किया है. पहले 20 करोड़ था, अब 34.80 करोड़ रुपये का प्रावधान है तो अब जो निजी भूमि सागौन की या अन्य ईमारती लकड़ी की जो कटाई करवाएंगे, उनका सही तरीके से विदोहन होने के बाद डिपो से नीलामी के बाद तत्काल उनको पूरा का पूरा पेमेंट किया जाएगा. इसमें कहीं कोई कमी नहीं रखी जाएगी. ईमारती लकड़ी का हमने राजकीय व्यापार भी किया है.
अध्यक्ष महोदय, वन संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वनोपज का विदोहन, वन संरक्षण अधिनियम के बारे में बहुत स्पष्ट उल्लेख करना चाहता हूँ. वन संरक्षण अधिनियम में भूमि के ट्रांसफर के लिए कई जगह से शिकायतें आई थीं, जैसे ही मैं मंत्री बना था, तो मैंने कहा कि ऐसा नहीं है, यदि सही तरीके से फार्म को हम भरें और उस कानून को समझ लें और सही समय पर, सही स्थान पर यदि हम एप्लाई कर दें तो वन संरक्षण अधिनियम जितने जल्दी हम सॉल्व करते हैं और जितनी जल्दी भूमि का स्थानांतरण करते हैं किसी दूसरे में नहीं है. मैं इसके उदाहरण भी दे सकता हॅूं. मेरे पास पूरे आंकडे़ हैं. जबसे हमने कार्यशाला की तो वर्क्स डिपॉर्टमेंट के ड्रॉफ्टमेन से लेकर एक्जीक्यूटिव इंजीनियर तक को हमने इस बात को बताया कि यदि रोड बनाने के लिए, तालाब बनाने के लिए यदि बिजली की लाइन खींचने के लिए आपको वन भूमि की आवश्यकता है तो मेहरबानी करके इस फॉर्म को इस तरीके से भरिए और इसके अलग-अलग नियम हैं. बहुत से स्थान ऐसे हैं जहां लोग कहते हैं कि साहब वह परम्परागत 80 साल पुराना रास्ता है और उस रोड की परमीशन मिल गई थी लेकिन साहब उसको डिप्टी रेंजर साहब ने रोक दिया. अरे भैया, जितने में रोड थी उतने में ही बनाओ न. मुरम डालने के लिए बगल में नाली क्यों खोद रहे हो. हालांकि हम फोन कर देते हैं कि चलने दो, अब रोड बनना जरूरी है. रोज हमारा नया काम एक यह भी है जेसीबी को छुड़वाना और जो रोड के दोनों तरफ नाली बन रही है तो मेरा सदन के माध्यम से यह अनुरोध है कि यदि 18 फुट की रोड बनना है तो 18 फुट की ही रोड बनाओ न उसमें वन संरक्षण अधिनियम में परमीशन लेने की जरूरत नहीं है. दोनों तरफ 18 फुट को यदि 24 फुट कर दोगे, नाली खोद लोगे, मुरम डाल दोगे तो कहीं न कहीं डिप्टी रेंजर साहब भी कानून से बंधे हैं कल उनकी इन्क्वायरी हो जाएगी कि तुमने यह कैसे खोदने दी. इन सब चीजों से हम बचें और जो नियम हैं उसके ही अंतर्गत चलें. यहां मैं यह कहना चाहता हॅूं कि वन संरक्षण अधिनियम में डूब क्षेत्र की जो लकड़ी है या अन्य क्षेत्रों की लकड़ी है उसका सही तरीके से भी विदोहन कर रहे हैं. इसके बाद जो वैकल्पिक वृक्षारोपण है उसकी भी हमारी पूरी तैयारी है. बांस का एक राजकीय व्यापार हो रहा है. दो अलग-अलग विषय हैं. काष्ठ की कटाई की प्रक्रिया अलग है, बांस की कटाई की प्रक्रिया अलग है. काष्ठ के मजदूर अलग हैं, और बांस काटने वाले मजदूर कहीं बाहर से भी आते हैं. यह बात आयी थी कि बांस वालों का भी पैसा हम वन समितियों को क्यों नहीं दे देते. महाराष्ट्र से या दूसरे दूर-दूर के जिलों से बहुत बड़ी संख्या में मजदूर लगते हैं यदि मजदूर आए हैं तो उनको बांस कटवाएंगे. फिर बांस कटाई प्रॉपर जल्दी वाला काम है और काष्ठ की कटाई एक अलग विषय है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, कितना समय लेंगे ?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ज्यादा समय न लेते हुए बाकी मैं इसको बाइंड करता हॅूं. अब मेरी एक प्रार्थना है कि नातीराजा बैठे हैं और नातीराजा को जब मैं देखता हॅूं तो रोज़ड़ा दिखता है. मतलब इतना भय है.(हंसी)
कुंवर विक्रम सिंह -- हम आपको देखते हैं तो हमें वनराज दिखता है. (हंसी)
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- अब देखिए साहब, मेरी आपसे एक विनम्र प्रार्थना है कि आप सदन की एक समिति बना दीजिए. कैसी ? यहां से कुछ मंत्री ले लीजिए उसमें. विपक्ष के नेता अपने नाम दे देंगे. प्रभावित जिलों के विधायकों के नाम आ जाएंगे और उच्च स्तरीय इस पर विचार-विमर्श हो जाए कि रोज़ड़ों से फसलों को रोकने के लिए एक समिति बना दीजिए.
डॉ.कैलाश जाटव -- माननीय मंत्री जी, उसमें सुअरों को भी ले लीजिए.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- ठीक है उसमें सुअरों को भी ले लीजिए. हमें कोई आपत्ति नहीं है. मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है और समिति यदि चाहे तो भारत में जितने भी इस विषय के एक्सपर्टस हैं उनको हम बुलवा देंगे. उनके साथ उनकी बातचीत करवा देंगे और इस सदन में हम यह आश्वासन देते हैं कि प्रदेश सरकार रोज़ड़ों से फसलों को हुए नुकसान को रोकने के लिए समिति की जो रिकमंडेशन होगी उसे मानेंगे और केन्द्र सरकार से जो करवाने वाली बात होगी तो हम केन्द्र सरकार के पास जाएंगे कि रोज़ड़ों से हमें ये-ये समस्या है, सूअरों से हमें ये-ये समस्या है और हम इसका निदान करेंगे.
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शंकरलाल तिवारी -- ऐरा प्रथा पर माननीय मंत्री श्री अंतर सिंह आर्य जी ने एक कमेटी बनायी है, जिसमें 4 मंत्री हैं और दोनों दलों के विधायक भी है उसमें नील और रोज़ड़ भी शामिल हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात प्रश्नों के माध्यम से कई बार भाषणों में सदन में हमेशा आती है जो विधायक निधि है उसके नियम हैं कि किन-किन नियमों के अंतर्गत किन-किन कार्यों के लिए विधायक निधि का आवंटन होना चाहिए. बहुत पहले कभी यह नियम बने होंगे बीच-बीच में संशोधन होते गये, तो यह नियम कौन ने बनाये थे यह अभी मेरे पास जानकारी नहीं है लेकिन मैं चाहता हूँ कि जिनका पैसा, बँटता भी उनकी रिकमंडेशन पर है, कार्य एजेंसी भी उनकी उस पर बनती है इसके लिए भी आप एक समिति बना दीजिये अध्यक्ष महोदय, कि वह नियमों में क्या-क्या संशोधन चाहते हैं और जो वह कर देंगे, वैसा हो जाएगा उसमें हमारे विभाग के जो सेक्रेटरी हैं वह उस समिति के सेक्रेटरी रहेंगे. आवश्यकता पड़ेगी तो मैं भी उसमें आ जाऊँगा. लेकिन माननीय विधायकों के मन में अलग-अलग विचार हैं और वह यह कहना चाहते हैं कि यह भी होना चाहिए, वह भी होना चाहिए तो एक साथ यह तय हो जाये और पुराने नियमों में हमें क्या-क्या संशोधन करना है, यह आपके दिशा निर्देशों के हिसाब से समिति के माध्यम से हो जाएगा तो बहुत अच्छा रहेगा. अध्यक्ष महोदय, बोलने के लिए तो बहुत कुछ है लेकिन मैं संक्षेप में बात करूँगा इसका आपको विश्वास दिलाया था. मैं कहना चाहता हूं कि मेरे मन में कहीं कोई छल-कपट नहीं है. मैं जो यह नर्मदा जी की यात्रा के बारे में बात कर रहा था तो शिवराज जी का उद्देश्य जो था, वह नर्मदा को अविरल और निर्मल बनाने का था, यह मेरे विभाग में है. हमारा जो आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग है, उसने इसका संचालन किया था, मैं उसका प्रभारी था. जन अभियान परिषद् के कार्यकर्ताओं ने इसका भौतिक रूप से स्पॉट पर इसका संचालन किया था और इसका उद्देश्य माँ नर्मदा को निर्मल और अविरल बनाने के लिए था.
अध्य़क्ष महोदय, इतना बड़ा काम हो रहा है. प्रधानमंत्री स्वयं अपने मंच से बोलकर गये कि इतने दिन यह यात्रा चली लेकिन जिस तरीके से दुनिया में इसको कवरेज मिलना चाहिए था वह नहीं मिला. अध्यक्ष महोदय, हम क्या कर रहे हैं, एक नदी को निर्मल और अविरल बनाने के लिए हमारी सरकार के क्या-क्या प्रयास हैंव यदि हम इसको छपवा रहे हैं तो कोई बुरा नहीं कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन-- माननीय मंत्री जी, लेकिन हमने तो नर्मदा जी को सुखा दिया.नर्मदा जी सूखने लग गई है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, नर्मदा जी के पानी में अविरलता में कहीं कोई कमी आई और यह सबसे पहले देखा इस प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने और केवल देखा ही नहीं ,योजना बनाई कि दोनों तरफ वृक्षारोपण हम करेंगे, वृक्षारोपण करेंगे तो जल संवर्धन की क्षमता बढ़ेगी और क्षरण कम होगा. नर्मदा जी में अविरल जलधारा बहेगी. अध्यक्ष महोदय, नदी को निर्मल बनाने के लिए दुनिया के इतिहास में अभी तक रिकार्ड नहीं है कि किसी मुख्यमंत्री ने एक साथ प्रदेश की पूरी नदी की लंबाई में सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट के लिए पैसा आवंटित किया हो. शिवराज जी ने इसके लिए पैसा आवंटित किया, एक दिन में किया और आज पूरे अमरकंटक से लेकर बड़वानी तक हर शहर के सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट के टेंडर हो चुके हैं. पैसा आवंटित हो चुका है और काम चालू हो चुका है. घाटों का निर्माण कोई साधारण बात है क्या?
श्री बाला बच्चन-- मंत्री जी, आपने बड़वानी में आकर देखा क्या. नर्मदा जी के किनारे दारू की भट्टियाँ चल रही हैं...(व्यवधान)..
श्री शंकरलाल तिवारी-- आपको अपनी नजर से छिछड़ा ही दिखेगा. अच्छा नजर नहीं आएगा. क्या सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट गलत बना है?
श्री बाला बच्चन-- तिवारी जी, हम तो वहाँ के रहने वाले हैं. इसलिए नर्मदा जी की बात उठाते, नर्मदा जी को आज सुखा दिया है....(व्यवधान)...नर्मदा जी का जल प्रदूषित कर दिया.
अध्यक्ष महोदय--बाला बच्चन जी बैठे कृपया.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, नर्मदा जी को आराम से बहने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय-- बैठिये आप सभी.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, गलत बयां कर रहे हैं मंत्री जी. वहाँ वृक्ष नहीं हैं, जो वृक्ष लगाये वह गायब हो गये हैं...(व्यवधान)...
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्मदा सेवा यात्रा जो योजना विभाग और अन्य विभागों के सहयोग से रखी गई थी नोडल विभाग इसमें योजना विभाग था. एक परिणाम जनक सेवा यात्रा है. एक दिन में इसका परिणाम निकला. अध्यक्ष महोदय, आप इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं, आपके यहाँ भागवत जी विराजमान थीं, प्रवचन हो रहे थे. व्यास गादी पर पंडित जी थे और मेरे ख्याल से कंस वध का प्रसंग था. आपके बगल में बैठने का मुझे मौका मिला. और भागवत जी सुनने का मौका मिला. व्यास गादी से पंडित जी ने यह कहा कि नर्मदा जी में हवन सामग्री का विसर्जन मत करिए. (मेजों की थपथपाहट) क्या कोई कल्पना कर सकता है? यह व्यास गादी के पंडित जी कहे, यह एक दिन का असर है. मुख्यमंत्री ने आह्वान किया, कहा कि नर्मदा जी में अस्थि विसर्जन नहीं होना चाहिए. पंडित जी ने व्यास गादी से कहा, उन्होंने कहा फूल मत डालो, हवन सामग्री मत डालो. यह चमत्कार है, चमत्कार. अध्यक्ष महोदय, चमत्कार है, एक दिन में दिखता है. नरसिंहपुर जिले में नर्मदा जी की हम यात्रा कर रहे थे जालम सिंह जी हमारे साथ में थे, मंच बना था. बगल में मैंने देखा कि नीचे एक माताराम फूल-वूल रखे हैं और अगरबत्ती भी रखी हैं और नारियल भी रखे हैं. हम तो दुनिया के भाषण कर रहे हैं, ऐसा न हो ये हमारे ही सामने फूल फेंक दे, तो उस यात्रा का उद्देश्य ही कमजोर हो जाएगा. मैंने माँ नर्मदा से प्रार्थना की कि आज तो बचाओ माँ. प्रत्यक्ष देखा मैंने ऊपर से कहीं 10-25 फूल बहते हुए आ रहे थे, वह बूढ़ी माँ आगे बढ़ी और फूलों को उसने उठाया और अपनी पन्नी में रखा,(मेजों की थपथपाहट) नारियल को रखा, अगरबत्ती की पुड़िया को अपनी पन्नी में रखा और किनारे पर जाकर जो डस्ट बिन बना था उसमें विसर्जित किया...(व्यवधान)..एक दिन में यह परिणाम आया...(व्यवधान)..आज ट्रीटमेंट प्लांट बने...(व्यवधान)..
श्री सुखेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अवैध उत्खनन रोके तब तो पता चले कि नर्मदा का संरक्षण हो रहा है...(व्यवधान)..ऐसा भाषण दे रहे हैं जैसे नर्मदा तीन सालों में दिखाई देने लगी पहले नर्मदा कहीं दिखती ही नहीं थी...(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, आपके विभाग में जितनी अनियमितताएँ हो रही हैं, भ्रष्टाचार हो रहा है..(व्यवधान)..जमीन में वृक्षारोपण है ही नहीं...(व्यवधान)..
श्री सचिन यादव-- नर्मदा जी की स्थिति क्या कर दी आप लोगों ने. ओंकारेश्वर जो कि हमारा एक धार्मिक स्थल है.....
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि नर्मदा जी में मल की एक बूँद भी नहीं जाएगी. ट्रीटमेंट प्लांट में सीवेज का पूरा ट्रीटमेंट होगा. पानी को शुद्ध किया जाएगा और पानी को खेत में डाला जाएगा. साल, डेढ़ साल, दो साल में, ट्रीटमेंट प्लांट बन कर तैयार होगा और सीवेज पूरी तरीके से ट्रीट होने के बाद नर्मदा जी से अलग, एक साल में परिणाम आएगा. परिणाम का इंतजार करना पड़ेगा मेरे भाई. यदि 2003 से पहले कोई निर्णय लिए होते तो निश्चित रूप से आज यह परिणाम आ गए होते. आपने तो देखा ही नहीं.
श्री बाला बच्चन-- माननीय मंत्री जी, अपने विभाग को कमाण्ड करो...(व्यवधान)..
श्री सुखेन्द्र सिंह-- जंगल बचें, शेर बचें...(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन-- माननीय मंत्री जी, आपको कितने चीजें दी हैं सुझाव के रूप में, अनुभव के रूप में, विधान सभा में हम प्रश्न लगाते हैं, गलत जवाब आते हैं, प्रुफ कितने दिए हैं हमने आपको.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- बाला बच्चन जी के जितने भी प्रश्न इन्होंने कोट किए हैं मैं सबकी निकलवा कर समीक्षा करवा दूँगा और उत्तर हमारे यहाँ से बराबर आते हैं. उत्तर आने के लिए तो विधान सभा भी बाध्य करती है कि आज पहला दिन है विधान सभा का उसके एक दिन पहले हमें हर प्रश्न का उत्तर देना अनिवार्य है. अब पढ़ने की फुर्सत भी तो होना चाहिए.
कुँवर विक्रम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, विस्थापित लोगों को जमीनों के पट्टे और उनके भूमि अधिकार दिलवाने की कृपा करें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- देखो साहब, बैठ जाओ. 2003 के पहले, और पहले केन्द्र में किसकी सरकार थी, उन्होंने वन अधिकार पत्रों के बारे में क्या नियम बनाए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने वन अधिकार पत्रों के बारे में क्या निर्देश दिए हैं? चाहे वह ट्रायबल वेलफेयर डिपार्टमेंट हो, चाहे वन विभाग हो, उसके अंतर्गत ही हम काम करेंगे, उससे एक सूत भी हम बाहर नहीं जा सकते और यदि उसमें कहीं कमी हो वन अधिकार पट्टे बनाने में तो हमको प्वाईंट आउट करो केवल आदिवासी के वन अधिकार पत्र बनेंगे. 2005 से पहले...(व्यवधान)..
कुँवर विक्रम सिंह-- माननीय मंत्री जी, राजस्व विभाग की जमीन हस्तांतरित की गई थी वन विभाग को मैं उस जमीन की बात कर रहा हूँ.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- आपने की तो केवल रोजड़ों की थी. (हँसी) अब यह तो आप फैल रहे हों.
कुँवर विक्रम सिंह-- मैंने यह बात कही है आप मेरा उद्बोधन देख लीजिए.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- सुन लीजिए, यह पहली सरकार है हमारी जिसने, क्या हुआ कि हमने जमीन तो हस्तांतरित कर दी रेवेन्यू को. गाँव हस्तांतरित कर दिए रेवेन्यू को, लेकिन हमने अपने दस्तावेजों में उसे काटा नहीं. डी-नोटिफाय नहीं किया. आज डी-नोटिफिकेशन की एक प्रक्रिया है, राज्य सरकार सेंट्रल को भेजेगी, सेंट्रल गव्हर्नमेंट सुप्रीम कोर्ट से परमीशन लेगी तब जाकर डी-नोटिफिकेशन हुआ है. हमारी पहली गवर्नमेंट ऐसी है, जिसने पूरे मध्यप्रदेश के चाहे वे नारंगी वाले क्यों न हों इन सब के डी-नोटिफिकेशन के प्रस्ताव हम केन्द्र सरकार को भेज चुके हैं और हमारे अधिकारी रोज जाकर वहां पहल करते हैं कि मेहरबानी करके यह डी-नोटिफिकेशन करवा दीजिए ताकि जिनके जमीनों के कब्जे हैं उन्हें बाकी की सुविधाएं मिल सकें. इसके लिए भी हम चिन्तित हैं और कर रहे हैं.
श्री यादवेन्द्र सिंह--हमने एस.सी. एस.टी. को पट्टे दिए हैं मैं दावे से कहता हूँ कि चार पट्टे सामान्य लोगों को दिए गए थे जो बढ़ बढकर बात कर रहे हैं. एक मिनट बोल लेने दीजिए.
अध्यक्ष महोदय--आप बैठ जाइए. नहीं एक मिनट नहीं. यह जिद नहीं चलेगी. बैठ जाइए आप.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, मुझे उपाध्यक्ष महोदय की तरफ से एक पर्चा आया है मैं उसका परीक्षण करवाकर उनको पूरी जानकारी दे दूंगा. उसमें अधिकतम जो भी संभव होगा वह सब करवाऊंगा.
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी ने जो समितियों के बारे में अनुरोध किया है उसके बारे में भी निर्णय कर घोषणा करेंगे.
मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 10,31,60 एवं 61 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किए जाएं.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं मांगो पर मत लूंगा.
अध्यक्ष महोदय--विधान सभा की कार्यवाही गुरुवार दिनांक 15 मार्च, 2018 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 7.17 बजे विधान सभा की कार्यवाही गुरुवार, दिनांक 15 मार्च, 2018 (24 फाल्गुन, शक संवत् 1939) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल ए.पी. सिंह
दिनांक : 14 मार्च, 2018 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा