मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा दशम् सत्र
फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र
सोमवार, दिनांक 14 मार्च, 2016
(24 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
[खण्ड- 10 ] [अंक- 14 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 14 मार्च, 2016
(24 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
विशेष उल्लेख
(क) सदन की बैठकों के समय में परिवर्तन विषयक
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता)-- अध्यक्ष महोदय, आज 11.00 बजे पहली बार यह विधानसभा का सदन शुरु हो रहा है और वास्तव में यह आधा घंटे का टाइम अभी काटे नहीं कट रहा था शायद धीरे धीरे हम लोगों की आदत में आ जाएगा. इसके लिए आपको आभार.
अध्यक्ष महोदय-- आज बहुत से माननीय सदस्य 10.30 के हिसाब से आ गये थे .
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- अध्यक्ष महोदय, वैसे यह हमारे जैसे लेट उठने वाले विधायकों के लिए तो ठीक है.
अध्यक्ष महोदय--- आपके धन्यवाद के लिए आभार.
नागरिक एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री(कुंवर विजय शाह)-- अध्यक्ष महोदय, आपने गोविंद सिंह जी का भी ध्यान रखा है, लेट उठते हैं.
डॉ. गोविंद सिंह-- मैं तो सही टाइम वाला हूं मैं तो 10.30 बजे का ही चाहता हूं.
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- इस उम्र में तो नींद ही नहीं आती है यह कहना चाहते हैं वह.
श्री उमाशंकर गुप्ता--- अच्छा इसलिए गोविंद सिंह जी ने विरोध किया था कि सुबह 10.00 बजे से किया जाये.
(ख) राष्ट्रकुल दिवस पर अध्यक्षीय संदेश
गृह मंत्री (श्री बाबूलाल गौर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो बहुत अच्छा है कि हम उन देशों के सदस्य हैं, जहाँ पहले अँग्रेजों का राज रहा. लेकिन उन देशों की जो प्रगति हुई, जो उसके अन्दर प्रजातांत्रिक व्यवस्थाएँ हैं, वहाँ हमें पहले बहुत बार जाने का मौका मिलता था. लेकिन अब मध्यप्रदेश की विधान सभा से सदस्यों के लिए ये कार्यक्रम स्थगित कर दिए गए हैं और पिछले अनेकों वर्षों से उन देशों का भ्रमण करने से उस देश की प्रगति, उस देश का ज्ञान-विज्ञान, उन देशों की सामाजिक व्यवस्था, उस देश के प्रजातंत्र के बारे में, देश के अन्दर जो अँग्रेजों द्वारा स्थापित किया गया, प्रजांतत्र का डेमोक्रेटिक सेटअप, जैसे हाउस आफ कॉमन्स और हाउस आफ लार्ड्स के द्वारा, यहाँ भी अपनाई गई है. उसमें हम लोगों को घूमने का, देखने का, मौका दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय गृह मंत्री जी का विचार और सुझाव समयोचित है. इस पर जरूर विचार करेंगे.
खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री(कुँवर विजय शाह)-- मंत्रियों को भी साथ में ले जाया जाय, विधायक ही विधायक जाते हैं.
11.06 बजे निधन का उल्लेख.
(1) पशुपालन मंत्री, सुश्री कुसुम सिंह महदेले के परिवार के सदस्यों,
(2)डी एस पी, श्री पाठक एवं अन्य 4 की दुर्घटनाओं में एवं
(3) प्रदेश में ओलावृष्टि से असामयिक मृत्यु होने संबंधी.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इससे इतर विषय की ओर आपका ध्यानाकर्षित करना चाहूँगा. 11 मार्च की दुखद घटना है, हमारे सदन में सहयोगी मंत्री सुश्री कुसुम महदेले जी के परिवार के सदस्यों की असामयिक मृत्यु हुई तो उसके कारण से काफी उन पर वज्रापात जैसा हुआ है. इसी तरह से अशोक नगर में भी मुंगावली के पास में हमारे डी एस पी, वाहन चालक और अशोक, प्रधान आरक्षक की मौत हुई. प्रदेश में ओले से भी पिछले दिनों कुछ लोग मरे हैं तो इनमें भी शोक संवेदना है और सुश्री कुसुम महदेले जी हमारी, जिन्हें हम जीज्जी के नाम से बोलते रहते हैं. परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं कि इन सभी के परिवारों को, डी एस पी पाठक और जीज्जी के परिवार को, यह गहन दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे.
उपनेता प्रतिपक्ष श्री बाला बच्चन(राजपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय डॉ.नरोत्तम मिश्र जी ने जिन दिवंगत आत्माओं का उल्लेख किया है. हम भी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं. कुसुम महदेले जी जो कि बहुत सीनियर मोस्ट इस सदन की सदस्य हैं और उनके परिवार के बारे में जानकर हम सबको भी दुःख हुआ है और आदरणीय जो एस डी ओ पी की जो दुर्घटना में डेथ हुई है और अशोक नगर का भी उल्लेख किया है तो हम सब भी उन दिवंगत आत्माओं के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं और उसके अलावा भी कुछ डेथ हुई हैं उन सबके प्रति हम श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं और शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए ईश्वर से यह प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करें. शांति ऊँ.
अध्यक्ष महोदय-- जिन घटनाओं का उल्लेख माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी एवं नेता प्रतिपक्ष जी ने किया है, वे सभी घटनाएँ दुखद हैं. सड़क हादसे की दुर्घटना में सदन की वरिष्ठ सदस्य एवं मंत्री माननीया कुसुम महदेले जी के परिजनों की भी दुखद मृत्यु हुई है. मैं इस सदन की ओर से इन दुर्घटनाओं में प्रभावितों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूँ.
11.08 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
साक्षी हॉस्पिटल को मेडीकल कॉलेज का दर्जा
1. ( *क्र. 5674 ) श्रीमती ममता मीना : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या गुना जिले के गुना ब्लॉक के म्याना क्षेत्र में एक ही कैम्पस में साक्षी इंजीनियरिंग कॉलेज, साक्षी नर्सिंग कॉलेज तथा साक्षी हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेन्टर एवं एक स्कूल संचालित है? इसी कैम्पस में मेडीकल कॉलेज की अनुमति के लिये आवेदन किया है? क्या निर्धारित मापदण्ड में आता है या नहीं? (ख) यदि प्रश्नांश (क) में वर्णित तथ्य सत्य हैं तो विभाग की कौन सी नीति है, जिसके तहत नियम विरूद्ध साक्षी मेडीकल कॉलेज की विभाग ने अनुशंसा करके केन्द्र शासन को भेजी है? क्या जाँच कराकर निरस्त करेंगे? (ग) क्या साक्षी मेडीकल कॉलेज खोलने की अनुशंसा विभाग द्वारा दबाव में की गई है? यदि नहीं, की है तो बतायें कि नवीन मेडीकल कॉलेज खोलने के क्या नियम हैं? कितनी भूमि भवन तथा सुविधाएं हों तब कौन-कौन अनुमति देता है? (घ) क्या प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) में वर्णित तथ्यों की जाँच करायेंगे? क्या विभाग से संबंधित योजनाओं में साक्षी कैम्पस में एक ही भवन और भूमि को सभी संस्थानों में अलग-अलग बताकर अवैध अनुमतियां ली हैं? क्या उन सभी को जाँच कराकर निरस्त करेंगे और संबंधित पर कार्यवाही करेंगे? कब तक?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) सभी संस्था के लिए पृथक-पृथक भवन हैं। चिकित्सा महाविद्यालय संचालित करने की अनुमति एम.सी.आई. से प्राप्त करने हेतु चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा डी.एण्ड.एफ. जारी किया गया है, जो एम.सी.आई. के मानदण्ड के अंतर्गत है। (ख) नियमानुसार डी.एण्ड.एफ. जारी किया गया है, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। नवीन चिकित्सा महाविद्यालय स्थापित करने हेतु 25 एकड़ भूमि की आवश्यकता होती है। चिकित्सा महाविद्यालय की आवश्यकता दर्शाते हुए एम.सी.आई. के मानदण्डों की पूर्ति की शर्त पर चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा डी.एण्ड.एफ. जारी किया जाता है, एम.सी.आई. नई दिल्ली के मानदण्डों के अनुरूप सुविधायें होने पर एम.सी.आई. द्वारा गहन निरीक्षण उपरांत मान्यता प्रदान की जाती है। (घ) उत्तरांश ‘‘ग’’ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती ममता मीना-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह था कि क्या गुना जिले के ग्राम म्याना में एक ही कैम्पस में साक्षी इंजीनियरिंग कॉलेज, साक्षी नर्सिंग कॉलेज एवं साक्षी हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर तथा स्कूल संचालित है? प्रश्न के जवाब में आया है कि हमने बड़ी बड़ी एजेन्सियों के द्वारा जाँच करवा ली है बड़ी बड़ी एजेन्सियों से जाँच करवाने के बाद भूमि पर्याप्त पाई गई. जबकि एक ही कैम्पस है और बाकी की जो अभी उसमें 25 हैक्टेयर भूमि कही गई है, 25 हैक्टेयर भूमि हो सकती है. लेकिन 25 हैक्टेयर भूमि में वह बना नहीं है. मात्र तीन एकड़ पर वह बना है. एक ही भूमि पर अलग-अलग नाम से मान्यता लेकर अलग-अलग संस्थान उस कैम्पस में संचालित हो रहे हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्रीजी से पूछना चाहती हूँ कि क्या इसकी जांच उन्होंने कराई है ?
राज्य मंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (श्री शरद जैन)--माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय विधायिका जी ने जानकारी दी है कि एक ही कैम्पस में यह संस्थान संचालित हो रहे हैं. यह जगह कुल मिलाकर 44 एकड़ से अधिक है उस स्थान पर साक्षी मेडिकल कॉलेज, साक्षी नर्सिंग कॉलेज, साक्षी इंजीनियरिंग कॉलेज और साक्षी पब्लिक स्कूल यह सब अलग-अलग संचालित हैं. स्वास्थ्य शिक्षा विभाग ने डीएनएपी की अनुमति दिनांक 27.9.2013 को दी है दो वर्ष के बाद उसका रिन्यूवल किया गया. एमसीआई की गाइडलाइन के अनुसार परमीशन दी है जो कि अनुरूप है. इसके पश्चात् ज्वाइंट डायरेक्टर के नेतृत्व में एक छह सदस्यीय समिति भी निरीक्षण हेतु गई थी उसने भी सब कुछ ठीक पाया है और विभाग ने जो अनुमति दी है वह नियमानुसार है जो एमसीआई के मापदंड हैं हम सब उनका पालन करते हैं.
श्रीमती ममता मीना--माननीय अध्यक्ष महोदय, जो जवाब आया है वह पूरी तरह से गलत है. मात्र तीन एकड़ में साक्षी हास्पिटल, साक्षी इंजीनियरिंग कॉलेज, छात्रावास कुल मिलाकर यह केवल तीन एकड़ में बना है. मैं मंत्रीजी से चाहती हूँ कि एक उच्च स्तरीय, प्रदेश स्तरीय जांच कमेटी बनाई जाए उस जांच कमेटी के माध्यम से जांच कराई जाए मैं रोज देखने वाली हूं यह जो बताया गया कि 44 हेक्टयर में यह कैम्पस संचालित है यह गलत है, मात्र तीन एकड़ में यह कैम्पस बना हुआ है इसकी एक उच्च स्तरीय कमेटी के माध्यम से जांच होना चाहिए.
श्री शरद जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बार स्थल निरीक्षण हो चुका है जो समिति गई थी उसने हर बात का निरीक्षण किया और कैम्पस को एमसीआई के अनुरूप पाया फिर भी माननीय विधायिका जी कह रही हैं तो हम किसी उच्च अधिकारी को भेजकर इसका परीक्षण करा लेंगे.
श्रीमती ममता मीना--माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी उच्च स्तरीय समिति से जांच करायें मंत्रीजी.
अध्यक्ष महोदय--मंत्रीजी ने बोल दिया है कि किसी वरिष्ठ अधिकारी से जांच करा लेंगे.
भाण्डेर थाने में पूर्णकालिक निरीक्षक की पदस्थी
2. ( *क्र. 3404 ) श्री घनश्याम पिरोनियाँ : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भाण्डेर थाने में निरीक्षक का पद स्वीकृत है, लेकिन प्रभारी नियुक्त कर कार्य कराया जा रहा है? (ख) क्या पुलिस लाईन दतिया में कई निरीक्षक रिजर्व में मौजूद है? (ग) क्या भाण्डेर थाना उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है और वहां अवैध उत्खनन को लेकर खूनी हिंसक घटनायें होती रहती हैं? इस बावत् जनप्रतिनिधि ने कई बार शिकायत की है? (घ) यदि हाँ, तो भाण्डेर थाने में निरीक्षक पदस्थ न करते हुये प्रभारी क्यों पदस्थ किया गया? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जा रही है?
गृह मंत्री ( श्री बाबूलाल गौर ) : (क) जिले में निरीक्षकों की कमी के कारण कानून व्यवस्था एवं थाना कार्य सुचारू रूप से संपादित करने के लिये प्रभारी नियुक्त कर कार्य कराया जा रहा है। (ख) जी नहीं। (ग) जी हाँ। परन्तु विगत 03 वर्षों में अवैध उत्खनन को लेकर खूनी हिंसक घटनाएं नहीं हुईं हैं और न ही इस बावत् थाना भाण्डेर पर कोई शिकायत प्राप्त हुई है। (घ) प्रश्नांश ‘क’ के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री घनश्याम पिरोनियां--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने मेरे प्रश्न क्रमांक 3404 में आपके माध्यम से वरिष्ठ नेता आदरणीय गृह मंत्रीजी से यह पूछने का प्रयास किया था कि दतिया जिले में मेरे विधान सभा क्षेत्र भांडेर में टीआई रेंक के व्यक्ति को पदस्थ रहना चाहिए वहां अभी दो स्टार के प्रभारी के माध्यम से काम चलाया जा रहा है. प्रश्न का जो उत्तर मुझे दिया गया है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूँ. मैंने दिनांक 30.1.2016 को प्रश्न लगाया था. वहां पर रघुवीर सिंह तोमर, सुदीप सिंह सेंगर और जीतेन्द्र सिंह यादव यह तीन निरीक्षक थे लेकिन 21 फरवरी को विधान सभा प्रश्न पूछने के बाद श्री रघुवीर सिंह तोमर को ट्रेफिक, श्री सुदीप सिंह सेंगर को बढ़ोनी में और श्री जीतेन्द्र यादव को महिला सेल का प्रभारी बनाया गया है जबकि तीन-तीन टीआई वहां पर पदस्थ थे. मेरा निवेदन है कि चाहे भांडेर है या अन्य क्षेत्र हैं टीआई रेंक का अधिकारी वहां पदस्थ रहना चाहिए. यह आश्वासन में मंत्रीजी से चाहता हूँ.
श्री बाबूलाल गौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, जिले में निरीक्षकों की कमी के कारण कानून व्यवस्था और थाना कार्य सुचारु रुप से संपादित करने के लिए प्रभारी नियुक्त किया जा रहा है. अब माननीय सदस्य का आदेश भी है और निवेदन भी है कि प्रभारी नियुक्त करें. अभी हमारे पास कमी है, ट्रेनिंग चल रही है कमी की पूर्ति हो जाएगी तो इनकी भावना के अनुसार विचार करेंगे.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने इसलिये पहले ही नाम पढ़े थे, उन तीनों के और वहां पर पदस्थ थे. अगर वह चाहते तो उस समय वहां पर कर सकते थे. इससे ध्यान में आता है कि सहयोगात्मक अवस्था में वह रहना नहीं चाहते होंगे.
अध्यक्ष महोदय:- आपके प्रश्न का उत्तर आ गया है.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ:- अध्यक्ष महोदय, मैं आश्वस्त तो हो जाऊं. मेरे और भी प्रश्न हैं. वहां पर अवैध उत्खनन हो गया है. वहां पर तमाम प्रकार की समस्या है. मैंने तमाम सारे प्रश्न किये हैं. अभी मेरे प्रश्न का उत्तर ही नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय:- आपको और कुछ पूछना है तो पूछ लीजिये. आपके प्रश्न का उत्तर आ गया है.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ:- अध्यक्ष महोदय, मेरे पहले प्रश्न का उत्तर तो आ जाने दीजिये. वहां पर अभी पदस्थ हैं, अभी वहां पर महिला सेल में जिसको किया है.
अध्यक्ष महोदय :- यह बहस का विषय का थोड़े ही है.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ:- अध्यक्ष महोदय, मेरे पहले प्रश्न का उत्तर तो आ जाये.
अध्यक्ष महोदय :- आप सीधा प्रश्न कर दीजिये.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ:- मैंने मंत्री जी से पहले ही निवेदन कर लिया था.
अध्यक्ष महोदय :- उसका तो उत्तर आ गया है. आपको और कुछ प्रश्न करना है.
श्री घनश्याम पिरोनियॉं :- अध्यक्ष जी, अभी उसका उत्तर ही नहीं आया है.
श्री बाबूलाल गौर :- आवश्यकता अनुसार विचार करेंगे.
श्री घनश्याम पिरोनियॉं :- अध्यक्ष महोदय, महिला सेल वाली जो सब इन्सपेक्टर रीवा टण्डन है, उसको महिला सेल में भेज दें और उसको यहां थाने में भेज दें.
अध्यक्ष महोदय :- आप पूछ कहां रहे हैं. आपकी वह वाली बात तो हो गयी है. आपको और कुछ पूछना है.
श्री बाबूलाल गौर :- आप मुझसे मिल लें. हम उस पर विचार करेंगे.
श्रीघनश्याम पिरोनियॉं :- पलहा टी. आई. को वहां पर भेज दें. वहां पर अवैध उत्खनन हो रहा है. वहां पर तमाम प्रकार की अव्यवस्था है. उसको भी सुधारने के लिये आश्वस्त करने का कष्ट करें. क्यों कल ही मैं बेजा पारा में एक उद्घाटन में था, मेरे सामने जे सी बी मशीन निकली मैने माननीय कलेक्टर महोदय को फोन से अवगत कराया.
श्री बाबूलाल गौर :- माननीय अध्यक्ष महोदय, ''ग'' के उत्तर में लिखा है कि तीन वर्षों में अवैध उत्खनन को लेकर खूनी हिंसक की घटनाएं नहीं हुई हैं और न ही इस बाबत थाना भाण्डेर पर कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा में चार पांच थाने आते हैं. मेरे पास सबूत हैं, मैं प्रस्तुत कर सकता हूं. मैंने कल ही अवगत कराया है.
अध्यक्ष महोदय :- आपके प्रश्न का उत्तर आ गया है. अब और कोई प्रश्न नहीं होगा.
श्री अजय सिंह :- अध्यक्ष महोदय, यह गम्भीर विषय है. सभी भारतीय जनता पार्टी के सदस्य कह रहे हैं. अवैध उत्खनन हो रहा है. थाने में कोई पदस्थ नहीं है. गृह मंत्री जी आप थोड़ा तो ध्यान दीजिये.
अध्यक्ष महोदय :- बात हो गयी है.
अनुदान/वित्तीय सहायता प्राप्त बाल संरक्षण गृह
3. ( *क्र. 4863 ) श्री हर्ष यादव : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) प्रश्न दिनांक की स्थिति में जिला सागर में ऐसे कितने बाल संरक्षण गृह हैं, जिन्हें शासन से अनुदान-वित्तीय सहायता प्राप्त होती है? ऐसे संरक्षण गृहों का नाम, स्थान और वर्तमान में रहने वाले बच्चों की संख्या बतावें? (ख) कबीर सेवाधाम कुडारी में दिनांक 19/11/2013 को कितने बच्चे थे? यदि बच्चों की संख्या कम हुई तो बच्चे कहाँ गये? क्या शासन ने इसकी जाँच कराई? यदि नहीं, तो क्यों? कब तक कराई जायेगी? (ग) बाल सुधार गृहों, संरक्षण गृहों से बच्चे गायब होने के क्या कारण हैं? क्या मानव तस्करी अथवा अनैतिक कार्यों हेतु गायब हैं अथवा बेचे गये हैं? (घ) क्या शासन बच्चा गायब होने वाली संस्थाओं पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कर रहा है? यदि नहीं, तो कारण बतावें? ऐसी संस्थाओं की वित्तीय मदद बंद क्यों नहीं की गई?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) प्रश्न दिनांक की स्थिति में जिला सागर में वित्तीय सहायता प्राप्त एक बाल संरक्षण गृह, संजीवनी बाल आश्रम रजाखेड़ी सागर है, जिसमें 56 बच्चे निवासरत हैं। (ख) कबीर सेवाधाम कुडारी में दिनांक 19/11/2013 को कुल 23 बच्चे निवासरत थे व बच्चों की संख्या कम नहीं हुई है। वर्तमान में बाल कल्याण समिति के आदेश द्वारा दिनांक 24/11/2015 को 13 बालिकाओं को संजीवनी बाल आश्रम एवं 08 बालकों को सेंट फ्रांसिस सेवा धाम आश्रम में स्थानांतरित किया गया है। दो बच्चे आश्रम की केयर टेकर श्रीमती चंदारानी शर्मा के थे, जो उन्हीं के पास छोड़ दिए गये। (ग) बाल संरक्षण गृहों से बच्चे गायब नहीं हुये हैं, अत: शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) प्रश्नांश 'ग' के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री हर्ष यादव :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण भी चाहता हूं, क्योंकि यह सेंस्टिव मामला है. बच्चों से जुड़ा मामला है. इस मामले को जो आज मैंने सदन में उठाया है. वर्तमान सरकार के मंत्री भूपेन्द्र सिंह जी ने, वर्तमान सरकार के विधायक जी ने जांच करवाने के लिये लिखा है. यह जो बच्चों का मामला है, खास तौर से कभी मानव सेवा धाम और सेंट फ्रासिंस सेवा धाम आश्रम का, जिनमें चार बच्चों का गोल होने का उल्लेख मैंने किया है, इनको गायब किया गया है और बार बार यहां के बच्चे गायब होते हैं. वर्तमान सरकार के माननीय मंत्री जी द्वारा जो जवाब दिया गया है, वह भ्रामक है, त्रुटिपूर्ण है, मैं उससे संतुष्ट नहीं हूं. इसके संबंध में मेरा निवेदन है. इसके संबंध में मेरा प्रश्न है कि माननीय हाई कोर्ट जबलपुर के द्वारा 31 जुलाई को जांच के आदेश भी दिये गये थे, इन संस्थाओं के. इसमें आर्थिक अनियमितताओं और वित्तीय अनियमिताओं का भी मामला है. मंत्री जी ने खुद स्वीकार किया है कि मात्र एक संस्था संजीवनी बाल आश्रम संस्था को वित्तीय सहायता प्राप्त होती है, मगर इसके पहले जो संचालित दो संस्थाएं है कबीर सेवा आश्रम और सेंट फ्रांसिस आश्रम को वित्तीय मदद मध्यप्रदेश संस्था को मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा मिलती रही वह कैसे. एक तो जांच का विषय यह है और दूसरा विषय यह है कि बच्चों गायब होने की जो लगातार शिकायतें हो रही हैं उनकी जांच के लिये सदन या तो पूर्व न्यायाधीश से या सदन के विधायकों की समिति से जांच कराने का आदेश करेगी क्या.
श्री माया सिंह :- माननीय अध्यक्ष जी, सम्मानीय विधायक जी ने जो सवाल पूछा है कि मैं उनको बताना चाहती हूं कि उन्होंने जो कहा है कि जो कबीर मानव सेवा धाम कुडारी में बच्चे जो गायब हुए हैं वहां से बच्चे गायब नहीं हुए हैं, बच्चों को वहां से दूसरी संस्था में हस्तांतरित किया गया है. दूसरा वहां से 23 बच्चे इस संस्था में थे और उनकी किसी की भी संख्या कम नहीं हुई है और वहां के कलेक्टर महोदय और वहां की बाल कल्याण समिति,सागर के आदेश के अनुसार ही बच्चों को दूसरी संस्थाओं में स्थानांतरित किया गया.
श्री हर्ष यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, बाल कल्याण समिति सागर की भूमिका संदिग्ध रही है. मेरा निवेदन है 19.11.2013 से 24.11.2015 तक 4 बच्चे और आये थे जिनका कहीं कोई उल्लेख नहीं है दूसरा जो बच्चे स्थानांतरित किये गये हैं उनका कोई रिकार्ड नहीं है न उनका फोटोग्राफ्स है न संबंधित थाने को कोई जानकारी दी जाती है जबकि यह एक नीति है कि जब बच्चे स्थानांतरित किये जाते हैं उनका नाम,पता,जाति और किस जगह से किस जगह स्थानांतरित किये जा रहे हैं कहीं कोई रिकार्ड संधारित नहीं किया जा रहा है. मेरा निवेदन है कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये जांच करवाने में माननीय मंत्री जी को कोई दिक्कत नहीं होना चाहिये. विधायकों की कमेटी बना दें जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के विधायक हों.
श्रीमती माया सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहती हूं कि यह बच्चे जो संस्था में भेजे जाते हैं जो निराश्रित,अनाथ बच्चे,जरूरतमंद बच्चों को बालगृह में प्रवेश कराते हैं उसके द्वारा पुलिस के द्वारा,सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा,आम नागरिक के द्वारा बच्चों को पहले तो बाल कल्याण समिति में भेजा जाता है वहां प्रस्तुत किया जाता है उसके बाद संस्थाओं में प्रवेश दिया जाता है जो आपने कहा कि पता नहीं चलता और कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता तो रिकार्ड रखा जाता है.
श्री हर्ष यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय,कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता है. रखा जाता है तो उपलब्ध कराएं.
श्री शैलेन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, सेंट्र फ्रासिस जो सेवाधाम है इसके खिलाफ अनेक गंभीर अनियमितताओं के आरोप अनेक वर्षों से लग रहे हैं और इसके जो भी रिकार्ड है यह कागजों में हेराफेरी करके सब रिकार्ड ठीक रखते हैं लेकिन वास्तव में वहां पर गंभीर किस्म की अनियमितताएं हो रही हैं. धर्म परिवर्तन के काम वहां पर चल रहे हैं. एक अंतर्राष्ट्रीय रेकेट के रूप में वह संस्था काम कर रही हैं. क्या उसकी किसी रिटायर्ड जज से माननीय मंत्री जी जांच कराएंगी ?
इंजी.प्रदीप लारिया - अध्यक्ष महोदय, यह विषय मैंने इस पूरे प्रकरण पर जो वहां धर्मान्तरण हो रहा है,वहां पर वित्तीय अनियमितताएं हो रही हैं और कुल मिलाकर जो बच्चे हैं उनका जाति,धर्म,पहचान सब बदलने का प्रयास हो रहा है. इस संबंध में मैंने 16 मई,2015 को जिला प्रशासन और सरकार के समक्ष पूरी बिन्दुवार शिकायत की थी एक तो उस पर क्या कार्यवाही हुई इसकी एक रिटायर्ड जज से माननीय मंत्री जी जांच कराएंगी और इसमें विधायकों को भी शामिल करेंगी क्या. चूंकि मेरे विधान सभा क्षेत्र का मामला है और मैं लगातार इसकी शिकायत कर रहा हूं.
श्रीमती माया सिंह - अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो बच्चों का रिकार्ड संधारित है. आप कहते हैं कि उनकी कोई जानकारी ही वहां उपलब्ध नहीं है. जानकारी है. दूसरा बालगृह के बालकों को दूसरे बालगृह में स्थानांतरण करने पर पुलिस को सूचना देने की आवश्यकता नहीं है. वहां पर कलेक्टर और आयुक्त से जांच करा सकते हैं और बच्चों के संस्थाओं से पलायन करने पर कलेक्टर वहां जांच करते भी हैं और यदि कोई दोषी पाया जाता है तो कार्यवाही होती है. ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहां-जहां इस तरीके की कोई शिकायतें हमारे पास आई हैं उन शिकायतों का निराकरण किया है. इस संबंध में एक संस्था से दूसरी संस्था में बच्चे स्थानांतरित किये हैं बच्चे गायब नहीं हुए हैं.
इंजी. प्रदीप लारिया--अध्यक्ष महोदय, मैंने जांच के लिये 16 मई को सरकार को लिखकर के दिया था, पूरा बिन्दुवार लिखकर के दिया था, उस पर क्या कार्यवाही हुई ? वहां पर धर्म परिवर्तन हो रहा है. यह बहुत ही गंभीर मामला है इसमें एक हाईपॉवर कमेटी से जांच करायी जाए.
श्री शैलेन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, इसमें विधान सभा की विधायकों की समिति बनाकर इसकी जांच करायी जाए.
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--किसी बड़ी एजेन्सी से जांच कराएंगी क्या ?
श्रीमती माया सिंह--अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर एवं आयुक्त के माध्यम से इसकी जांच करा देंगे.
इंजी. प्रदीप लारिया--इनकी जांच का कोई मतलब ही नहीं रह जाता. मेरा निवेदन है कि एक रिटायर्ड जज के नेतृत्व में एक कमेटी गठित करेंगे.
श्रीमती मायासिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहती हूं कि मैंने पहले भी कहा वहां कलेक्टर एवं आयुक्त के माध्यम से इसकी जांच करा लेंगे. मुझे इस बात की खुशी है कि मेरा विभाग भी बहुत संवेदनशील बच्चों के लिये सेवाएं दे रहा है, पर आप उसकी चिन्ता कर रहे हैं. सम्मानीय विधायक जी ने जो सवाल उठाया है, यह अच्छी बात है, लेकिन मेरा कहना है कि जो बात इस प्रश्न के माध्यम से यहां पर पूछी है उसका मैंने जवाब दिया है कि वहां पर बच्चे गायब नहीं हुए हैं बच्चे दूसरी संस्था में स्थानांतरित किये गये हैं.
(व्यवधान)
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--अध्यक्ष महोदय, मासूम बच्चों की जिन्दगी से जुड़ा हुआ मामला है, माननीय मंत्री जी इसमें जांच क्यों नहीं करा रही हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, आपने आसंदी से आदेश दे दिये हैं माननीय मंत्री महोदया ने भी कह दिया कि इसकी जांच कलेक्टर एवं आयुक्त के माध्यम से करा लेंगे.
(व्यवधान)
श्री शैलेन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, पहले इनके माध्यम से जांच हो चुकी है इसमें बड़ी ही लीपा-पोती हुई है, इसमें एक विधान सभा की समिति बना दीजियेगा.
श्रीमती माया सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाह रही हूं कि कबीर सेवा धाम कुडारी में बच्चे वहां से गायब हुए हैं, नहीं हुए हैं. मैं आपसे कहना चाहती हूं कि वहां पर 23 बच्चे निवासरत् थे वहां पर बच्चों की संख्या कम नहीं है वर्तमान में कलेक्टर महोदय एवं बाल कल्याण समिति के आदेश पर 13 बालिकाओं को संजीवनी बाल आश्रम में, 8 बच्चों को सेन्ट फ्रांसिस सेवाधाम में स्थानांतरित किया गया है, 2 बच्चे जो कि वहां की केयर-टेकर हैं चन्दारानी हैं, उनके सुपुर्द हैं.
अध्यक्ष महोदय--यह तो स्पष्ट रूप से इसमें लिखा है.
इंजी. प्रदीप लारिया--यह सेन्टफ्रांसिस सेवाधाम का मामला है अध्यक्ष महोदय, जो वहां पर धर्मान्तरण हो रहा है उसका विषय है.
अध्यक्ष महोदय--यह तो उत्तर में आ गया है कि वहां से बच्चे गायब नहीं हुए हैं. आपने आयुक्त से इसकी जांच कराने के लिये बोला है.
इंजीनियर प्रदीप लारिया--अध्यक्ष महोदय,इसमें जांच समिति से जांच कराकर दूध का दूध एवं पानी का पानी हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय--इसमें विधायकों की समिति बनाकर विधायकों को इसमें शामिल करेंगे क्या ?
श्रीमती माया सिंह--अध्यक्ष महोदय, हम यहां पर एक समिति का गठन कर देंगे जिसमें सम्मानित सदस्यों की सहभागिता होगी, हम इसकी जांच करवा देंगे.
प्रश्न क्रमांक 4 श्रीमती शकुंतला खटीक (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या-5
धार जिले में दवाईयों का क्रय
5. ( *क्र. 5726 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) धार जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा दिनांक 01.01.2012 से 31.12.2015 तक खरीदी हेतु कितनी राशि व्यय की गई? (ख) उपरोक्त खरीदी के लिये किन-किन अखबारों में विज्ञप्ति निकलवाई गई, इस प्रक्रिया में किन-किन फर्मों ने भाग लिया और सफल फर्में कौन सी थीं? (ग) जिन फर्मों ने निविदायें नहीं डाली थीं, उन्हें किस आधार पर खरीदी आर्डर दिये गये? कारण स्पष्ट करें। ऐसी कितनी फर्में हैं, जिन्होंने प्रश्नांश (ख) अनुसार निविदा प्रक्रिया में भाग नहीं लिया था और उन्हें सप्लाय आर्डर दिये गये? इसके लिये दोषी अधिकारियों पर कब तक कार्यवाही की जावेगी? (घ) ऐसे कितने वर्क आर्डर थे, जिनमें दवा सप्लायर ने 60 दिन या उससे अधिक समय-सीमा में दवा सप्लाय नहीं की, उस पर कितनी पेनाल्टी लगाई गई? नाम दण्ड राशि सहित बतायें। सी.ए.जी. की 31 मार्च, 2014 की रिपोर्ट के अनुसार जिन फर्मों पर कार्यवाही के लिये कहा गया था? उन पर क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो इसकी अनदेखी करने वाले अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) :
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, दवाईयों के क्रय में पारदर्शिता और उपलब्धता के संबंध में मेरा प्रश्न है । मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से प्रश्न करना चाहूंगा कि क्या मंत्री महोदय, यह बताने की कृपा करेंगे कि मेरे प्रश्न के प्रश्नांश घ के परिशिष्टि में दी गई जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2013-14 की पैनाल्टी की राशि, प्रश्न चर्चा में आने के बाद दिनांक 11.3.2016 को जमा कराई गई, ऐसा क्यों ? इतने समय राशि वसूली क्यों नही की गई ? क्या माननीय मंत्री महोदय प्रदेश स्तर का एक जांच दल गठित कर, इसकी उचित कार्यवाही करेंगे ?
श्री शरद जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय विधायक जी ने प्रश्न किया है, उक्त राशि की कटौती पहले से ही कर ली गई थी । इस प्रकरण में सी.ए.जी. द्वारा 2 लाख 37 करोड़ की रिकवरी का हमको परामर्श दिया गया था, इसमें से 4.97 लाख की वसूली हाईकोर्ट द्वारा निरस्त कर दी गई थी,शेष राशि 2.32 करोड़ के विरूद्व 82 लाख 35 हजार की वसूली की जा चुकी है, शेष राशि की वसूली की कार्यवाही प्रचलन में है, हम उसको शीघ्र कर लेंगे ।
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो जानकारी दी गई है, उसके संबंध में मेरा एक और प्रश्न है, प्रश्न क्रमांक ग के परिशिष्टि ब में केवल वसूली राशि दर्शाई गई है,आरोपित राशि और वसूली का विवरण डिमांड ड्राफ्ट का दिनांक नहीं दर्शाया गया है, ऐसा क्यों ? यह पैसा कब जमा किया गया ? क्या मंत्री महोदय, मुझे इसकी जानकारी उपलब्ध करा देंगे ?
श्री शरद जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने अभी कहा कि 4.97 की वसूली हाईकोर्ट द्वारा निरस्त कर दी गई, ऐसी भी संभावनाएं हैं कि कुछ फर्में और भी न्यायालय में जा सकती हैं, लेकिन हम वसूली की कार्यवाही पूरी सक्षमता के साथ करेंगे ।
छतरपुर जिले में ट्राफिक वार्डन योजना का क्रियान्वयन
6. ( *क्र. 1622 ) कुँवर विक्रम सिंह : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर जिले में सड़क दुर्घटनाओं में वर्ष 2011 से प्रश्न दिनांक तक कितने व्यक्तियों की मौतें हुईं, उनकी संख्या कितनी है? (ख) सामुदायिक पुलिसिंग के अंतर्गत ट्राफिक वार्डन योजना को छतरपुर जिले को सुगम एवं दुर्घटना विहीन बनाने हेतु अब तक क्या प्रयास किये गये? (ग) सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम एवं कमी लाने हेतु क्रेन प्राप्त करने हेतु कोई प्रस्ताव गृह विभाग को दिया गया? यदि हाँ, तो कब? नहीं, तो क्यों?
गृह मंत्री ( श्री बाबूलाल गौर ) : (क) छतरपुर जिले में वर्ष 2011 से प्रश्न दिनांक तक सड़क दुर्घटनाओं के दौरान 934 व्यक्तियों की मृत्यु हुई। (ख) छतरपुर जिले में सामुदायिक पुलिसिंग के अंतर्गत ट्राफिक वार्डन योजना को सुगम एवं दुर्घटना विहीन बनाने हेतु स्वेच्छा से कार्य करने वाले इच्छुक नागरिकों से आवेदन मांगे गये हैं, जिनका वेरीफिकेशन कराने के उपरांत उनको ट्राफिक वार्डन के रूप में नियुक्त कर यातायात संचालन हेतु आवश्यक प्रशिक्षण देकर जिले में तैनात किया जावेगा। (ग) जिला छतरपुर को पुलिस मुख्यालय, भोपाल के आदेश क्रमांक पु.मु./पुमनि/पी.टी.आर.आई./2844/2011, दिनांक 09.12.2011 के द्वारा 01 क्रेन आवंटित की गई है, जो दिनांक 18.01.2012 को जिला छतरपुर को प्राप्त हो चुकी है।
कुंवर विक्रम सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से, मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि इतनी अधिक संख्या में 934 एक्सीडेंट हुए हैं, प्रश्न दिनांक तक 934 लोग इसमें मृत हुए हैं, आज दिनांक कितने लोगों को शासन की तरफ से सहायता राशि दी गई है, पहला प्रश्न है,आगे मैं मंत्री जी से पूछ लूंगा ।
श्री बाबूलाल गौर- माननीय अध्यक्ष महोदय,यह प्रश्न में पूछा ही नही है कि कितने लोगों को आर्थिक सहायता दी गई ।
कुंवर विक्रम सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक्सीडेंट से संबंधित है ।
श्री बाबूलाल गौर- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो एक्सीडेंट होते हैं और एक्सीडेंट में मृत्यु होती है, उसके लिए कोर्ट में जाना पड़ता है ।
कुंवर विक्रम सिंह- सरकार के माध्यम से......
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार के माध्यम से भी आर्थिक सहायता दी जाती है, सामान्य प्रशासन विभाग की पुस्तक में भी प्रावधान है, सरकार ने प्रावधान कर रखा है ।
श्री बाबूलाल गौर- कुछ विशेष घटनाओं पर दी जाती है ।
श्री रामनिवास रावत- सामान्य एक्सीडेंट में ।
श्री बाबूलाल गौर- आपने प्रश्न इतना पूछा है कि कितनी घटनाएं हुई हैं, पांच साल की घटनाएं आप पूछते हैं, एकाध साल की पूछें तो बता दें ।
कुँवर विक्रम सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से यह पूछना है कि आर.टी.ओ. विभाग और अपने यातायात पुलिस विभाग द्वारा कितने वाहनों की चेकिंग की गई, जो वाहन फिटनेस सहित हैं, वह तो ठीक हैं, लेकिन कितने वाहनों की फिटनेस नहीं है और कितने वाहन जैसे डग्गामारी में जीपें चलती हैं,क्रूजर गाडियां भी चलती हैं,लम्बे-लम्बे तूफान मेल भी चलते हैं, इनमें क्षमता से अधिक ओव्हर लोडिंग की जाती है ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या माननीय मंत्री जी, इसकी व्यवस्था करेंगे कि एक वाहन में जितने लोगों को ले जाने की क्षमता है, उतने लोग ही चलें।
श्री बाबूलाल गौर- माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय सदस्य जो प्रश्न पूछ रहे हैं, वह परिवहन विभाग से संबंध रखता है । आपने यह प्रश्न पूछा ही नहीं है कि कितने वाहन आए और कितनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, ओव्हर लोडिंग और फिटनेस परिवहन विभाग से संबंधित है ।
कुंवर विक्रम सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय,ओव्हर लोडिंग यदि ट्रांसपोर्ट व्हीकल की हो तो वह परिवहन विभाग की जिम्मेदारी है, वैसे व्यक्त्यिों की संख्या ओव्हर लोडिंग यह जिम्मेदारी पुलिस विभाग की है, गृह विभाग की है ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और पूछना चाहता हूं . मेरा एक अंतिम प्रश्न है. हर बड़े शहर में ब्रेथ एनेलाईजर का इस्तेमाल किया जाता है. क्या मध्यप्रदेश में ऐसी व्यवस्था है कि ब्रेथ एनेलाईजर का प्रयोग किया जाये ताकि रात्रि के समय, जो एक्सीडेन्ट शराब पीकर होते हैं, उन पर रोकथाम लग सके.
श्री बाबूलाल गौर - हम इसे परिवहन विभाग को भेज देंगे.
श्री राम निवास रावत - आप एक्सीडेन्ट रोकने के लिए क्या करेंगे ?
हीरानगर आरक्षी केन्द्र पर लंबित शिकायतों का निराकरण
प्रश्न 7. ( *क्र. 5916 ) श्री रमेश मेन्दोला : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या इन्दौर के हीरानगर आरक्षी केन्द्र पर दिनांक 20.01.16 को एक विद्युत उपभोक्ता ने इलेक्ट्रॉनिक्स काम्प्लेक्स इलेक्ट्रिकल जोन के कर्मचारी दीपक बाँदिल के विरूद्ध मारपीट, दुर्व्यवहार, गालीगलोच की शिकायत की गई? हाँ तो शिकायत महेश सिंह, 22 ए, सुभाष नगर द्वारा की गई? प्रश्न भाग (क) की शिकायत पर 15.02.16 तक क्या कार्यवाही की गई? अगर नहीं की गई तो कारण बतावें। (ख) क्या विद्युत विभाग के कर्मचारी पर कार्यवाही करने की बजाय शिकायतकर्ता महेश सिंह के विरूद्ध ही एफ.आई.आर. पंजीबद्ध की गई? हाँ तो किन धाराओं में अगर कर्मचारी द्वारा शिकायत की गई तो उसकी प्रति देवें? (ग) हीरानगर आरक्षी केन्द्र पर दि. 15.02.16 की स्थिति में कितनी शिकायतें किस प्रकार की लंबित हैं?
गृह मंत्री ( श्री बाबूलाल गौर ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। आवेदक श्री महेश सिंह द्वारा दिनांक 20.01.2016 को थाना हीरानगर जिला इंदौर में प्रस्तुत किये गये आवेदन पत्र में श्री दीपक बांदिल के विरूद्ध लाइट काटने, विवाद करने एवं अपशब्द बोलने के तथ्य उल्लेखित किये गये थे। शिकायत आवेदन पत्र के अवलोकन करने पर शिकायत के भीतर ऐसी कोई तात्विक शिकायती शब्दावली नहीं पायी गई, जो संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आ सके और शिकायत पर ही सीधे धारा 154 सी.आर.पी.सी. के प्रावधानों के अंतर्गत संज्ञेय अपराध की प्रथम सूचना दर्ज की जा सके। उक्त आवेदन पत्र प्रस्तुत किये जाने के पूर्व ही प्रथम सूचनाकर्ता श्री दीपक बांदिल, सहायक यंत्री, इलेक्ट्रॉनिक्स काम्प्लेक्स इलेट्रिकल जोन, इंदौर की रिपोर्ट पर श्री महेश सिंह के विरूद्ध अपराध क्रमांक 22/16 धारा 353, 294, 506 भादवि दिनांक 20.01.2016 को 18:52 बजे पंजीबद्ध किया जा चुका था। आवेदक श्री महेश के विरूद्ध इसी घटना के संबंध में अपराध पंजीबद्ध होने के कारण उनके द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र को जाँच में लिया गया है। जाँच में आवेदक श्री महेश सिंह को सूचित किये जाने के उपरांत भी उपस्थित न होने के कारण आवेदन पत्र जांचाधीन है। जाँच में आये निष्कर्ष के आधार पर विधि अनुरूप कार्यवाही की जावेगी। (ख) जी नहीं। दिनांक 20.01.2016 को शिकायतकर्ता श्री महेश सिंह द्वारा थाना हीरानगर में आवेदन पत्र प्रस्तुत किये जाने के पूर्व ही प्रथम सूचनाकर्ता श्री दीपक बांदिल, सहायक यंत्री, इलेक्ट्रानिक्स काम्प्लेक्स इलेक्ट्रिकल जोन, इंदौर की रिपोर्ट पर श्री महेश सिंह के विरूद्ध अपराध क्रमांक 22/16 धारा 353, 294, 506 भादवि का दिनांक 20.01.2016 को 18:52 बजे पंजीबद्ध किया गया था। कर्मचारी द्वारा शिकायत की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) हीरानगर आरक्षी केन्द्र इंदौर में दिनांक 15.02.2016 की स्थिति में मारपीट रूपये हड़पने, दहेज की मांग, पारिवारिक विवाद, मकान एवं प्लाटों पर अवैध कब्जे आदि की कुल 116 शिकायतें लंबित हैं। जाँच में आये निष्कर्ष के आधार पर विधि अनुरूप कार्यवाही की जावेगी।
श्री रमेश मेन्दोला - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से, माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हूँ कि एक घटना, जो मेरे विधानसभा क्षेत्र में हुई थी. एक बुजुर्ग व्यक्ति जो स्कूल चलाते हैं, उनका कभी कोई क्रिमिनल अपराध नहीं रहा पर उनका बिजली बिल ज्यादा आने के कारण, वे विभाग में गए और अधिकारी से चर्चा करने गए कि यह जो बिल आया है, गलत आया है, इसको ठीक करें. उन्होंने ठीक तो नहीं किया, वहीं से आदेश करके उनके स्कूल की बिजली काट दी, उनको धौंस दी, गाली-गलौच की एवं धक्के देकर बाहर निकाला दिया और उसकी वे शिकायत लेकर थाने पर गए. यह घटना 2 बजे की है, 3 बजे थाने पर जाकर शिकायत लिखाते हैं तो थाने से लिखित में शिकायत मांगने के बाद, वे वापिस आते हैं और बाद में 6.30 बजे अधिकारी थाने पर जाते हैं और उनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराते हैं. यह जो मुकदमा दर्ज किया है, वह गलत है, असत्य है, यह जो उन्होंने कार्यवाही की है, एक बुजुर्ग आदमी के खिलाफ, जिसका कभी कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है. जो स्वयं शिकायत लेकर गया था, कोई ऐसा भी नहीं कि शासकीय कार्य में बाधा डाल रहा हो कि कोई बिजली काटने गया था तो उसको रोकने की कोशिश की हो. केवल शिकायत लेकर ऑफिस में गए थे और वहीं से आदेश कर, उसका विद्युत बिल भरे होने के बावजूद, बिजली काटी. उस पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया.
मैं, माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूँ कि क्या यह जो गलत रिपोर्ट हुई, उसको वापिस लेंगे ? जो उन्होंने थाने में शिकायत की है, जो पहले शिकायत 3 बजे की है, अधिकारियों ने 6.30 बजे शिकायत की है. 5.30 बजे ऑफिस बन्द होने के बाद, 6.30 बजे थाने में रिपोर्ट कराते हैं तो मुकदमा वापिस लेंगे और अधिकारियों ने जो दुर्व्यवहार किया है, उनके खिलाफ मुकदमा कायम करेंगे.
श्री बाबूलाल गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न का विस्तृत रूप से उत्तर जवाब में दिया गया है. मैं यह पढ़कर इसलिए सुनाना चाहता हूँ कि इन्होंने पूछा था कि हीरानगर आरक्षी केन्द्र पर, उसके उत्तर में आया कि जी हां, आवेदक श्री महेश सिंह द्वारा दि. 20.1.2016 को थाना हीरानगर जिला इन्दौर में प्रस्तुत किये गये आवेदन-पत्र में श्री दीपक बांदिल के विरूद्ध लाइट काटने, विवाद करने एवं अपशब्द बोलने के तथ्य उल्लेखित किये गये थे. शिकायत आवेदन पत्र के अवलोकन करने पर शिकायत के भीतर ऐसी कोई तात्विक शिकायत शब्दावली नहीं पायी गयी, जो संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आ सके और शिकायत पर ही सीधे धारा 154 सी.आर.पी.सी. के प्रावधानों के अन्तर्गत संज्ञेय अपराध की प्रथम सूचना दर्ज की जा सके. उक्त आवेदन-पत्र प्रस्तुत किये जाने के पूर्व ही प्रथम सूचनाकर्ता श्री दीपक बांदिल, सहायक यंत्री, इलेक्ट्रॉनिक्स काम्प्लेक्स इलेक्ट्रिकल जोन, इन्दौर की रिपोर्ट पर श्री महेश सिंह के विरूद्ध अपराध क्रमांक 22/16 धारा 353, 294, 506 भादवि दिनांक 20.1.2016 को 18.52 बजे पंजीबद्ध किया जा चुका है. आवेदक श्री महेश के विरूद्ध इसी घटना के संबंध में अपराध पंजीबद्ध होने के कारण उनके द्वारा प्रस्तुत आवेदन-पत्र को जांच में लिया गया है. जांच में आवेदक श्री महेश सिंह को सूचित किये जाने के उपरान्त भी वे उपस्थित नहीं न होने के कारण आवेदन-पत्र जांचाधीन है. जांच हो रही है, इनके आवेदन-पत्र में भी जांच हो रही है. लेकिन वे उपस्थित ही नहीं हो रहे हैं. आज मैं, इनको विश्वास दिलाता हूँ कि आप विधायक जी स्वयं लेकर जायें, हम जांच करा देंगे.
श्री रमेश मेन्दोला - धन्यवाद.
प्रश्न संख्या 8 - (अनुपस्थित)
स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सकों की पूर्ति
प्रश्न 9. ( *क्र. 4732 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में आदिवासी बाहुल्य जिलों में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टरों की कमी क्यों है एवं उसे कब तक पूरा किया जावेगा? (ख) सीधी सिंगरौली जिलों के स्वास्थ्य केन्द्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कितने डॉक्टरों एवं स्टॉफ की कमी है? पर्याप्त स्टॉफ की नियुक्ति कब तक की जावेगी?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) प्रदेश में विशेषज्ञों/चिकित्सकों की अत्यधिक कमी के कारण पद रिक्त हैं। पदपूर्ति हेतु विभाग निरंतर प्रयासरत है, निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है। (ख) सीधी जिले की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार एवं सिंगरोली जिले की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। विशेषज्ञ के पद पर पदोन्नति की कार्यवाही निरंतर जारी है, लोक सेवा आयोग के माध्यम से 1896 चिकित्सकों की भर्ती प्रक्रिया प्रचलन में है, पदपूर्ति हेतु निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है।
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का जो जवाब आया है, यह पूरी तरह से असंतोषजनक है. यह बार-बार, इस बात का जो सदन में पिछली बार भी प्रश्न किया था. पिछली बार भी प्रश्न किया था, वही जवाब पिछली बार भी आया था और अभी भी वही जवाब आया है और हम समझते हैं कि यह पूरे प्रदेश में, अध्यक्ष महोदय, आपके जिले में भी कमी होगी. यहां सरकार की तरफ से जवाब आ रहा है कि निश्चित समयावधि बताया जाना संभव नहीं है. मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि यह सरकार अगर निश्चित समयावधि नहीं बतायेगी, तो डॉक्टरों की कमी पूर्ति करने की, सपोर्टिंग स्टॉफ की कमी पूर्ति करने की एक निश्चित समयावधि कोई और दूसरी सरकार बतायेगी क्या. मंत्री जी से दूसरा मेरा निवेदन यह है कि एक तरफ सभी जगह उल्लेख किया है कि संविदा कर्मियों से हम काम चला रहे हैं. संविदा कर्मी भी विगत् 15 दिनों से आदोलनरत् हैं, तो क्या ऐसे संविदा कर्मी या सपोर्टिंग स्टाफ है, उनकी मांगों को सरकार मानेगी कि नहीं मानेगी या ऐसे ही उनका आंदोलन चलता रहेगा और प्रायवेट जो हास्पीटल्स हैं, वही जाकर गरीबों को इलाज कराना पड़ेगा.
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (श्री शरद जैन) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य एक बार फिर से प्रश्न दोहरा दें.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, हम मंत्री जी से यह जानना चाहेंगे कि यह जो डॉक्टरों की कमी के संबंध में आपने बताया कि भर्ती प्रक्रिया प्रचलन में है और समयावधि बताया जाना संभव नहीं है. हम नहीं बता सकते. सरकार नहीं बता सकती कि यह समयावधि कि कब डाक्टरों की कमी और सपोर्टिंग स्टाफ की कमी की पूर्ति हो जायेगी. दूसरा, जो सपोर्टिंग स्टाफ संविदा कर्मी हैं, लगातार पूरे मध्यप्रदेश में आंदोलनरत् हैं, जिसकी वजह से पूरी स्वास्थ्य की जो व्यवस्था है, पूरी तरह से चरमरा गयी है. संविदा कर्मी जो आंदोलनरत् हैं, उनकी मांगें सरकार पूरी करेगी कि या ऐसे ही चलता रहेगा.
श्री शरद जैन -- अध्यक्ष महोदय, संविदा कर्मियों के आंदोलन का जो प्रश्न किया गया है, वह प्रश्न में उल्लेख नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- पहले डॉक्टरों का बता दीजिये. वह कह रहे हैं कि कब तक कर देंगे.
श्री निशंक कुमार जैन -- मंत्री जी, संविदा कर्मी आंदोलनरत् हैं. पूरे प्रदेश में ऐसा हो रहा है. आप पूरे प्रदेश का बता दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- उन्हीं को आप पूछ लेने दीजिये.
श्री शरद जैन -- अध्यक्ष महोदय, आप एक काम करते पूरे प्रदेश का प्रश्न पूछ लेते. तो हम पूरे प्रदेश का जवाब भी दे देते.
अध्यक्ष महोदय -- आप कमलेश्वर पटेल जी का जवाब दे दें.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, हमने डॉक्टर के साथ साथ सपोर्टिंग स्टाफ का भी पूछा है. यह मंत्री जी असत्य जानकारी दे रहे हैं.
श्री शरद जैन -- अध्यक्ष महोदय, संविदा कर्मियों की जो आपने बात की, चूंकि वह प्रश्न में नहीं है. फिर भी मैं आपको जानकारी दे रहा हूं. विधायक जी, सुन लें. संविदा कर्मियों से चर्चा जारी है और अतिशीघ्र निराकरण कर लिया जायेगा...(व्यवधान).. एक मिनट पूरा जवाब ले लें.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का इतना गैर गंभीर रवैया इस सदन के अंदर इतने गंभीर प्रश्न पर आप विधान सभा में सो रहे हैं,तो आप घर और ऑफिस में क्या करते होंगे.
श्री के.पी. सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने पहली बार में प्रश्न ही नहीं सुना.
अध्यक्ष महोदय -- आप कृपया बैठ जायें और उत्तर आने दें. आप उत्तर सुन लें. आपने आधी बात सुनी है.
श्री शरद जैन -- अध्यक्ष महोदय, मुकेश जी आप हमारी बात सुन लें और हमें शिक्षा नहीं दें. हमें मालूम है कि आप बहुत विद्वान सदस्य हैं. लेकिन विद्वान हैं अपनी..
श्री मुकेश नायक -- मंत्री जी, बहुत साधारण सी बात पूछी है. कृपया समय सीमा बता दें. आपने कहा कि नहीं बता सकते.
श्री के.पी. सिंह. -- नरोत्तम जी, आप प्रश्न के उत्तर में बोलिये. मेरा नरोत्तम जी से निवेदन है कि कृपया वे प्रश्न का उत्तर दे दें. उन्हें तो पता ही नहीं है कि क्या पूछ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, 1875 डॉक्टरों की पीएससी ने वेकेंसी निकाल दी है. उसकी स्क्रूटनी भी हो गयी है, इंटरव्यू भी हो गये हैं. मैं समझता हूं कि अतिशीघ्र प्राथमिकता पर वह नियुक्ति की जायेगी और सम्मानीय सदस्य के जिले में हम पदस्थ कर देंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल ‑ अध्यक्ष महोदय, अतिशीघ्र, यह तो पिछली बार भी बोला था. ..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, हमने पिछली बार बता भी दिया था. चूंकि वह पीएससी की प्रक्रिया है. पीएससी कर रही है. मैं समझता हूं कि जैसे ही प्रक्रिया हो जायेगी, हम प्राथमिकता पर इनके यहां पदस्थ कर देंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य अमले को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. मरीज परेशान हैं. समय सीमा सरकार क्यों नहीं बता सकती. बड़ा गंभीर विषय है. कई जगह तो ऐसा है कि कुछ अस्पताल चपरासियों के भरोसे चल रहे हैं. एक भी कर्मचारी नहीं है. पूरे मध्यप्रदेश में ऐसा हो रहा है, दूसरी जो प्रायवेट हास्पीटल हैं, वे बड़े तेजी से फल फूल रहे हैं और यह सरकारी डॉक्टर वहां जाकर इलाज करते हैं. बड़ा गंभीर विषय है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या-10.
श्री के.पी. सिंह -- अध्यक्ष महोदय, 12 साल से इसका जवाब अतिशीघ्र आ रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय,यह अतिशीघ्र कब समाप्त होगा. माननीय नरोत्तम मिश्रा के पहले जवाब में भी अतिशीघ्र आया था.
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया बैठ जायें.
11.45 बजे बहिर्गमन
ता.प्रश्न संख्या-9 पर शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर श्री कमलेश्वर पटेल,सदस्य का बहिर्गमन
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर के सदन से बहिर्गमन करता हूं.
(इंडियन नेश्नल कांग्रेस के सदस्य श्री कमलेश्वर पटेल, द्वारा ता.प्र.सं.9 पर शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
प्रश्न क्रमांक-10 श्री मधु भगत (अनुपस्थित)
प्रश्न क्रमांक-11 श्री विजय सिंह सोलंकी (अनुपस्थित)
सड़क दुर्घटना के प्रकरणों पर कार्यवाही
12. ( *क्र. 3026 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग द्वारा दुर्घटना होने पर किस तरह की कार्यवाही किये जाने की व्यवस्था है? विधानसभा क्षेत्र सुसनेर में विगत 02 वर्षों में ऐसे प्रकरण हुए हों तो पूर्ण जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित सड़क दुर्घटना में क्या वाहन परमिट, ड्रायविंग लायसेन्स, परमिट हेतु नियत रूट व अन्य मानकों की सूक्ष्मता से जाँच की गई? यदि हाँ, तो क्या निष्कर्ष निकाले गए? विवरण उपलब्ध करावें। (ग) विधान सभा क्षेत्र सुसनेर अंतर्गत (क) अवधि में गुराड़ी बंगला के निकट सड़क दुर्घटना के प्रकरण में विभाग द्वारा कोई कार्यवाही की गई? यदि हाँ, तो क्या? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में घटित प्रकरणों में वाहनों के यातायात मानकों के अनुरूप दस्तावेज उपलब्ध थे? यदि नहीं, तो की गई कार्यवाही का विवरण उपलब्ध करावें?
गृह मंत्री ( श्री बाबूलाल गौर ) : (क) किसी भी दुर्घटना की सूचना प्राप्त होने पर विभाग द्वारा तत्काल मौके पर पहुंचकर घायल व्यक्ति को उपचार के लिये भेजा जाता है एवं घटना में वाहन चालक की लापरवाही या अपराधिक दायित्व पाये जाने पर वाहन चालक के विरूद्ध प्रथम सूचना पत्र दर्ज किया जाकर वैधानिक कार्यवाही की जाती है। विधानसभा क्षेत्र सुसनेर के अंतर्गत जिला शाजापुर के थाना मोमन बड़ोदिया में सड़क दुर्घटना के विगत दो वर्षों में 45 प्रकरण दर्ज किये गये हैं एवं जिला आगर मालवा के विधानसभा क्षेत्र सुसनेर, थाना सुसनेर, सोयत एवं नलखेड़ा में दो वर्षों में 288 प्रकरण पंजीबद्ध हुए हैं। कुल 333 प्रकरण पंजीबद्ध हुए हैं। (ख) विधानसभा क्षेत्र सुसनेर के अंतर्गत थाना सोयत के अपराध क्रमांक 172/15 एवं थाना सुसनेर के अपराध क्रमांक 366/15 में दस्तावेजों में कमी पायी गई, जिन पर विधि अनुरूप कार्यवाही की गई। शेष प्रकरणों में दस्तावेजों में कमी नहीं पाई गई। (ग) गुराड़ी बंगला के निकट थाना सुसनेर, में सड़क दुर्घटना के अपराध क्रमांक 266/15 तथा थाना सोयत के अपराध क्रमांक 172/15 में प्रकरण में मान. न्यायालय में चालान पेश किया गया है। (घ) प्रश्नांश ‘ग’ के संदर्भ में सड़क दुर्घटना के थाना सुसनेर अपराध क्र. 266/15 में दस्तावेज वैध नहीं पाए जाने पर मोटर व्हीकल एक्ट के तहत चालान मान. न्यायायल में पेश किया गया है।
श्री मुरलीधर पाटीदार-- माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्री जी के द्वारा जो जवाब दिया गया है उस पर आपका ध्यानाकर्षण भी करना चाहूंगा और आपका संरक्षण चाहूंगा कि दशहरे के दूसरे दिन सारे मजदूर लोग दशहरा मनाकर के बापस मजदूरी करने सुसनेर विधानसभा से राजस्थान जो पास में है वहां पर खदानों में काम के लिये जाते हैं.मान्यवर एक बस की दुर्घटना हुआ और दुर्घटना में बस का परमिट 48 सीट का था और 72 सवारी उसमें भरी हुई थीं उसमें 8 लोग मर गये. वह तो माननीय मुख्यमंत्री जी की सहृदयता है कि उनको तत्काल 1-1 लाख रूपये मृतकों के परिवार को दिये और 50-50 हजार रूपये घायलों को दिये. मेरा प्रश्न है कि बस के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई और संबंधित थाना प्रभारी की घोर लापरवाही थी. मैं मंत्री जी से इतना पूछना चाहता हूं कि जब बस का प्रकरण दर्ज हुआ और घटना का प्रकरण दर्ज हुआ. दोनों के प्रकरण क्रमांक अलग अलग है जिसमें लगभग 100 क्रमांक का अंतर है. बस का प्रकरण 266 क्रमांक पर है और बस के खिलाफ जब कोर्ट ने स्वयं संज्ञान लिया कि बस का कोई हवाला ही नहीं है तो उसका प्रकरण क्रमांक 366 था. मैं मंत्री जी से इतना जानना चाहता हूं कि जिनकी घोर लापरवाही है उनके खिलाफ क्या शासन कोई कार्यवाही करेगा. अध्यक्ष महोदय वह तो गनीमत है कि यह तारांकित प्रश्न लगा और प्रश्न लगने के बाद यह लाटरी में भी आ गया तो टीआई को लाईन अटैच किया. अगर यह प्रश्न लाटरी में नहीं आता तो कोई कार्यवाही नहीं होती.
श्री बाबूलाल गौर--(श्री मुरलीधर पाटीदार के खड़े रहने पर) हो गया आपका प्रश्न तो बैठ जाईये. प्रेम से बैठ जाईये.
श्री मुरलीधर पाटीदर- जी.
श्री बाबूलाल गौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय सदस्य का प्रश्न बड़ा महत्वपूर्ण है. थाना प्रभारी के द्वारा बहुत लापरवाही हुई है. मैं इसको स्वीकार करता हूं. और इसलिये उसको सस्पेंड किया जाता है.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- धन्यवाद मंत्री जी.
श्री घनश्याम पिरोनिया-- मंत्री जी आपको धन्यवाद. मंत्री जी हमने शुरूवात की थी फल माननीय सदस्य को मिल गया.
निजी चिकित्सालय एवं नर्सिंग होम्स के विरूद्ध शिकायतों पर कार्यवाही
13. ( *क्र. 5818 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले की विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा अंतर्गत किन-किन स्थानों पर निजी चिकित्सालय एवं नर्सिंग होम किन-किन शर्तों के अधीन कब से संचालित किये जा रहे हैं? शर्तों की प्रति उपलब्ध कराते हुये बतावें कि इन निजी चिकित्सालय एवं नर्सिंग होम्स को किन-किन रोगों, ऑपरेशन आदि के लिये अनुमति प्रदान की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या उक्त सभी निजी चिकित्सालय एवं नर्सिंग होम्स में अनुमति अनुसार ही पात्र चिकित्सकों से कार्य कराया जा रहा है? यदि नहीं, तो विगत दो वर्षों में इनके विरूद्ध क्या-क्या शिकायतें किस-किस स्तर पर कब-कब प्राप्त हुईं तथा प्राप्त शिकायतों में कब-कब, क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या ब्यावरा नगर में संचालित अर्शी नर्सिंग होम में दिनांक 26 जनवरी 2016 को तहसील ब्यावरा के ग्राम बैलास की एक प्रसूता महिला की नर्सिंग होम प्रबंधन की लापरवाही के कारण मृत्यु हो जाने एवं बिना पोस्टमार्टम के प्रसूता की मृत्यु उपरांत शव को एम्बुलेंस में डालकर बल पूर्वक परिवार के सदस्यों को डरा-धमका कर ग्राम बैलास पहुँचाने व परिजनों से अभद्र व्यवहार की स्थानीय एवं जिला प्रशासन को शिकायतें प्राप्त हुईं हैं? यदि हाँ, तो उक्त संबंध में प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) राजगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा में निम्नलिखित निजी चिकित्सालय एवं नर्सिंग होम मध्यप्रदेश उपचार्या गृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं अधिनियम 1973 एवं नियम 1997 के अंतर्गत संचालित हैं। 1. पंजाबी नर्सिंग होम, राजगढ़ रोड ब्यावरा वर्ष 2007 से संचालित है। 2. अर्शी नर्सिंग होम, राजगढ़ रोड ब्यावरा वर्ष 2007 से संचालित है। 3. वरदान हॉस्पिटल, राजगढ़ रोड ब्यावरा वर्ष 2013 से संचालित है। 4. पटवा जनरल हॉस्पिटल एवं मेटरनिटी केयर, राजगढ़ रोड ब्यावरा वर्ष 2013 से संचालित है। 5. कान्ताश्री हॉस्पिटल पुराना सुठालिया रोड़ ब्यावरा वर्ष 2013 से संचालित है। शर्तों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। नर्सिंग होम/चिकित्सालयों में उपलब्ध चिकित्सकों की योग्यता अनुसार रोगों के ईलाज एवं ऑपरेशन करने की अनुमति होती है। (ख) जी हाँ। उक्त चिकित्सालय में अनुमति अनुसार ही पात्र चिकित्सकों से कार्य कराया जा रहा है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। इस संबंध में शिकायत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी राजगढ़ को दिनांक 12/02/2016 को प्राप्त हुई है। प्रकरण की जाँच हेतु जाँच अधिकारी नियुक्त किया गया है। जाँच प्रक्रिया प्रचलन में है।
श्री नारायण सिंह पँवार : माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बहुत सामान्य था कि राजगढ़ जिला के ब्यावरा क्षेत्र के अंतर्गत जितने भी प्रायवेट नर्सिंग होम्स चलते हैं उनमें लगातार अनियमितताएं होती हैं . निरंतर लोगों का वहां पर शोषण होता है और कई प्रकार की फीस की अवैध वसूली भी होती है. स्वास्थ्य विभाग का अमला कभी भी जांच करने की जहमत नहीं उठाता है जिसके कारण लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ होता है और असमय लोगों की मृत्यु भी होती है खास तौर से प्रसूता महिलाओं की..
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधे सीधे प्रश्न कर दें.
श्री नारायण सिंह पँवार : माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने निवेदन किया था कि एक निजी नर्सिंग होम अर्शी में एक बैलास ग्राम की महिला की प्रसूती के दौरान मौत हो गई थी. लेकिन बलात महिला के मृत शरीर को बिना किसी पोस्टमार्टम के गांव पहुंचा दिया गया.मैं उसकी जांच की मांग करता हूं साथ ही यह भी मांग करता हूं कि उस प्रसूता का जो एक माह का जीवित बालक है उसके लालन पालन के लिये सरकार क्या संबंधित दोषी से कुछ क्षतिपूर्ति हेतु राशि दिलायेगी.
राज्य मंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (श्री शरद जैन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस प्रकरण की जानकारी माननीय विधायक जी ने दी है. हम उसकी जांच करा लेंगे.
श्री नारायण सिंह पँवार : माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने क्षतिपूर्ति के लिये भी निवेदन किया है. उसका एक माह का जीवित बालक उसके लालन पालन के लिये क्या सरकार संबंधित दोषी से क्षतिपूर्ति राशि दिलवायेगी.
श्री शरद जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम उसकी जांच करा लेंगे. जांच में जो आयेगा. हम उसको करेंगे.
श्री नारायण सिंह पँवार :अध्यक्ष महोदय, लगातार विभाग के मानीटरिंग की आवश्यकता है. सारे नर्सिंग होम्स बेलगाम होकर के काम कर रहे हैं.
श्री शरद जैन -- इस मामले में हम आज ही सीएमओ को इस बात के निर्देश जारी किये जायेंगे कि जो भी आपके जिले में प्रायवेट नर्सिंग होम्स हैं हम उनकी मानीटरिंग भी करेंगे और इस प्रकरण की जांच भी करायेंगे.
श्री नारायण सिंह पँवार : मंत्री जी धन्यवाद.
नामजद आरोपियों के विरूद्ध न्यायालय में चालान पेश किया जाना
14. ( *क्र. 524 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सतना जिले के थाना उचेहरा अंतर्गत बड़ी छिपहटी उचेहरा निवासी भूरा उर्फ मुबारक अली पिता श्री लाल मोहम्मद के घर में घटी घटना दिनांक 13.07.2012 को लेकर एफ.आई.आर. दर्ज कराई गई थी, जिस पर पुलिस द्वारा दिनांक 19.07.2012 को अपराध क्रमांक 223/12, 294, 323, 506, 34 का मुकदमा नामजद आरोपीगणों के विरूद्ध कायम किया गया था? (ख) क्या उपरोक्त नामजद आरोपीगणों के विरूद्ध दर्ज मुकदमा अपराध क्रमांक 223/12, 294, 323, 506, 34 का चालान न्यायालय में आज दिनांक तक पेश हुआ है या नहीं? यदि नहीं, तो पेश न होने का क्या कारण है? (ग) क्या उपरोक्त अपराध क्रमांकों के सभी आरोपियों की गिरफ्तारी आज दिनांक तक की गई है या नहीं? यदि नहीं, तो गिरफ्तार न करने एवं इतना समय बीत जाने का क्या कारण है? (घ) क्या पुलिस द्वारा घोर लापरवाही करते हुए प्रभावशील एवं सरहंगों के दबाव के कारण न्यायालय में चालान पेश न किये जाने के कारण फरियादी न्याय से वंचित हैं, इसी के चलते फरियादी एवं इनके परिवार के ऊपर दिनांक 01.01.2016 को पुन: इन्हीं अपराधियों के इशारे एवं शह पर घर में घुस कर हमला कराया गया है, जबकि पुलिस द्वारा उल्टा फरियादियों के विरूद्ध झूठी रिपोर्ट अपराध क्रमांक 3 में दर्ज की गई है? यदि हाँ, तो क्यों, क्या दर्ज किये गये झूठे मुकदमें पर खात्मा लगाया जाएगा?
गृह मंत्री ( श्री बाबूलाल गौर ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नांश में उल्लेखित अपराध में कुल 05 आरोपियों के विरूद्ध अभियोग पत्र सक्षम न्यायालय में दिनांक 22.02.2016 को प्रस्तुत किया गया है। प्रकरण में नामजद शेष 02 आरोपी श्री कृष्णदेव सिंह एवं श्री छत्रपाल सिंह के विरूद्ध विवेचना में पर्याप्त साक्ष्य न होने से उक्त प्रकरण से पृथक किया गया है। (ग) प्रकरण में नामजद कुल 07 आरोपियों में से आरोपी 1- श्री निसार पिता श्री अब्दुल सत्तार 2- श्री जयबहादुर सिंह को दिनांक 30.09.2012 एवं आरोपी 1- श्री कौशलेन्द्र सिंह उर्फ बबलू, 2- श्री अशोक द्विवेदी, 3- श्री सुनील गुप्ता को दिनांक 08.10.2012 को साक्ष्य के आधार पर गिरफ्तार किया गया है, शेष 02 आरोपी श्री कृष्णदेव सिंह एवं श्री छत्रपाल सिंह के विरूद्ध पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध न होने से आरोपियों के नाम विवेचना से पृथक किये गये हैं। (घ) जी नहीं। अपराध क्रमांक 223/12 में अभियोग पत्र सक्षम न्यायालय में दिनांक 22.02.2016 को प्रस्तुत किया जा चुका है। थाना उचेहरा में दिनांक 01.01.2016 को दो पक्षों में आपस में झगड़ा होने से क्रमशः फरियादिया श्रीमती जमीला बेगम की सूचना पर अपराध क्र. 02/16 धारा 147, 323, 294, 506 भादवि का अपराध आरोपी श्री शोकत अली एवं उसके अन्य 09 साथियों के विरूद्ध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया एवं फरियादिया श्रीमती आयशा बी की सूचना पर अपराध क्रमांक 3/16 धारा 147, 323, 294, 506 भादवि का आरोपी श्री मुबारक अली उर्फ भूरा तथा श्रीमती जमीला बेगम एवं अन्य 08 नामजद आरोपियों के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया है। अपराध क्रमांक 2/16 में सभी आरोपियान गिरफ्तार होने पर अभियोग पत्र क्रमांक 56/2016 तैयार कर दिनांक 22.02.2016 को माननीय न्यायालय प्रस्तुत किया गया एवं अपराध क्र. 3/16 के समस्त आरोपियान फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है। प्रकरण वर्तमान में विवेचनाधीन है। विवेचना में आये साक्ष्य एवं तथ्यों के आधार पर प्रकरण में विधि अनुरूप कार्यवाही की जाएगी।
श्रीमती उषा चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था कि 2012 में नामजद प्रकरण आया था उसमें रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी लेकिन 2 अभियुक्तों को छोड़ दिया गया है. और 4 साल से चालान पेश नहीं किया गया है. क्या पुलिस के दवाब में आकर के ऐसा किया गया है. मंत्री जी बताने की कृपा करें.
श्री बाबूलाल गौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो पूछा है कि क्या आपने नामजद आरोपियों के विरूद्ध दर्ज मुकदमा अपराध क्रमांक इतने-इतने का चालान न्यायालय में आज दिनांक तक पेश हुआ है या नहीं. प्रश्नांश में उल्लेखित अपराध में कुल 05 आरोपियों के विरूद्घ अभियोग पत्र सक्षम न्यायालय में दिनांक 22.2.2016 को प्रस्तुत किया गया है. प्रकरण में नामजद शेष 02 आरोपी श्री कृष्णदेव सिंह एवं श्री छत्रपाल सिंह के विरूद्ध विवेचना में पर्याप्त साक्ष्य न होने से उक्त प्रकरण से पृथक किया गया है. अब उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं तो कैसे गिरफ्तार कर लें. न्यायपूर्ण कार्यवाही होती है.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन पर मुकदमा कायम था 7 लोगों के प्रति तो 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, 2 लोगों को राजनीतिक दवाब के कारण पुलिस दवाब के कारण इनको छोड़ दिया गया है और फिर अभी चालन पेश किया गया, फिर उसके बाद भी उनको छोड़ दिया गया है.
श्री बाबूलाल गौर-- मैंने पहले ही उत्तर दिया है कि अगर आप और चाहें तो और जांच करा देंगे.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- जी बिल्कुल माननीय मंत्री महोदय.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 15, श्री कमल मर्सकोले
प्रश्न क्रमांक 15, श्री कमल मर्सकोले (अनुपस्थित)
केवलारी विधानसभा क्षेत्रांतर्गत चिकित्सकों के पद की पूर्ति
16. ( *क्र. 4048 ) श्री रजनीश सिंह : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) केवलारी विधानसभा क्षेत्रांतर्गत स्वास्थ्य विभाग के कितने खण्ड हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के उक्त खण्डों में महिला एवं पुरूष चिकित्सक के कितने पद रिक्त हैं एवं कितने पूर्ण हैं? कार्यरत कर्मचारी की जानकारी देवें। (ग) क्या विकासखण्ड छपारा सामुदायिक केन्द्र में महिला चिकित्सक का पद स्वीकृत है? यदि हाँ, तो कार्यरत कर्मचारी का नाम बतायें? यदि नहीं, तो रिक्त पद की पूर्ति कब तक की जावेगी? (घ) तारांकित प्रश्न क्रमांक 2303 दिनांक 04 मार्च 2015 के संदर्भ में बतायें कि प्रश्न दिनांक तक पदों को भरने की कार्यवाही में कितने कौन से रिक्त पद भरे गये? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) केवलारी विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत केवलारी, छपारा, धनौरा, सिवनी विकासखण्ड संचालित हैं। (ख) प्रश्नांकित विकासखण्डों के अंतर्गत संचालित स्वास्थ्य केन्द्रों में पदस्थ चिकित्सकों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं, विभागीय संरचना अनुसार महिला चिकित्सक के पदनाम से पद स्वीकृत नहीं है। जिला चिकित्सालय, सिविल अस्पताल एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर की संस्थाओं में स्त्रीरोग विशेषज्ञ के नाम से पद स्वीकृत हैं। छपारा में विशेषज्ञों के 03 (मेडिसिन, सर्जरी एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ) के एक-एक पद तथा चिकित्सा अधिकारी के 02 पद स्वीकृत हैं। विशेषज्ञों की अत्यधिक कमी के कारण पदपूर्ति नहीं की जा सकी है, स्वीकृत 02 पदों के विरूद्ध 02 चिकित्सा अधिकारियों की पदस्थापना है एवं एक आर.सी.एच. संविदा चिकित्सक पदस्थ है। लोक सेवा आयोग से चयनित चिकित्सकों में स्त्री रोग योग्यता की चिकित्सकों की उपलब्धता अनुसार पदस्थापना संबंधी कार्यवाही की जा सकेगी। निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है। (घ) विभाग रिक्त पदों की पूर्ति हेतु निरंतर प्रयासरत् है। पदोन्नति में पर्याप्त मात्रा में विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं होने से पदपूर्ति नहीं की जा सकी है, हाल ही में पैरामेडिकल कर्मचारियों की नवीन नियुक्ति पश्चात पदस्थापना अंतर्गत 02 लेब टेक्नीशियन, 01 रेडियोग्राफर एवं 02 फार्मासिस्ट ग्रेड-2, कुल 05 कर्मचारियों की पदस्थापना विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत संस्थाओं में की गई है। वर्ष 2015 में लोक सेवा आयोग से चयन पश्चात 17 चिकित्सकों की पदस्थापना सिवनी जिले के अंतर्गत स्वास्थ्य संस्थाओं में की गई है। पदपूर्ति हेतु विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है।
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, घुमा फिराकर स्थिति वही है, सम्मानीय सदस्य रजनीश सिंह की केवलारी विधानसभा में जितने भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, जितने भी उनमें 32 पद स्वीकृत हैं और 32 पद के विरूद्ध 10 पद भरे हुये हैं, 22 पद रिक्त हैं और इसके लिये सम्मानित सदस्य जिनका प्रश्न है वह कई बार माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी से भी अनुरोध कर चुके हैं, यह 22 पद रिक्त हैं और बाकी सभी संविदाकर्मी सभी लोग हड़ताल पर चले गये हैं, सारे अस्पताल खाली पड़े हैं, स्वास्थ्य व्यवस्थायें पूरी तरह से से ठप्प हो गई हैं, माननीय मंत्री जी नंबर 1 तो कब तक इनकी आप प्रतिपूर्ति कर देंगे और दूसरा माननीय सदस्य ने प्रश्न पूछा था कि आप विकासखंड छपरा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में महिला चिकित्सक का पद स्वीकृत है, आपने कहा जी नहीं, इसका आशय स्त्री रोग विशेषज्ञ के पद से ही है, पीडियाट्रिक चिकित्सक फीमेल को महिला चिकित्सक नहीं कहते. जबकि आप दूसरी तरफ कह रहे हैं कि स्त्री रोग विशेषज्ञ का ...
अध्यक्ष महोदय-- आप तो सीधा प्रश्न कर दें, वरिष्ठ सदस्य हैं आप.
श्री रामनिवास रावत-- कब तक आप पदस्थापना इनकी कर देंगे, कब तक वहां की स्वास्थ्य व्यवस्थायें जो ठप्प पड़ी हैं उनको ठीक करा देंगे.
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री (श्री शरद जैन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 2015 में हमने जिला सिवनी में 17 चिकित्सक नियुक्त किये थे.
श्री रामनिवास रावत-- सिवनी का प्रश्न ही नहीं है, केवलारी विधानसभा का प्रश्न है. ब्रीफिंग तो कर लिया करो.
श्री शरद जैन-- मेरे भाई जवाब तो सुन लो, माननीय नियुक्त विधायक जी जवाब सुन लो, आपको जवाब सुनने में भी कष्ट है.
अध्यक्ष महोदय-- आप जवाब सुन लीजिये.
श्री शरद जैन-- 17 डाक्टर हमने वर्ष 2015 में नियुक्त किये और यह बात सर्वविदित है कि जैसी अभी जानकारी आई थी कि 1896 चिकित्सकों की भरती की प्रक्रिया प्रचन में है और अतिशीघ्र हम उनकी और नियुक्ति करेंगे और छपारा का आपने जो जिक्र किया है, हम भी महसूस करते हैं कि वहां लेडीज डॉक्टर होना चाहिये. एक सप्ताह लेडीज डाक्टर की छपारा में नियुक्ति कर दी जायेगी.
श्री रामनिवास रावत-- चलो इतने से ही संतुष्ट हो लेते हैं, एक सप्ताह का बोला है न.
श्री शरद जैन-- संतुष्ट तो हो गये, धन्यवाद नहीं दे रहे.
श्री रामनिवास रावत-- धन्यवाद दे रहे हैं, न.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार (सुमावली)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह रामनिवास जी का प्रश्न होता तो बड़े जोरदारी से पूछते, रजनीश जी का प्रश्न बड़े आराम से पूछा आपने.
श्री रामनिवास रावत-- आपको क्या परेशानी हो रही है.
शासकीय उचित मूल्य की दुकानों का संचालन
17. ( *क्र. 2509 ) श्री रामप्यारे कुलस्ते : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मण्डला जिले में वर्तमान समय में कितनी उचित मूल्य की दुकानें कहाँ-कहाँ संचालित हैं? (ख) मध्यप्रदेश की योजनानुसार प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर उचित मूल्य की दुकान संचालित करने की योजना अनुरूप अभी तक मण्डला जिले में कितनी पंचायतों में उचित मूल्य की दुकानों का संचालन किया जा चुका है? (ग) राशन कार्डधारियों की संख्या, आवागमन एवं दूरी को ध्यान में रखकर के प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्रांतर्गत निवास के सुदूर गांव में काफी लंबे समय से उचित मूल्य की दुकान की मांग निरन्तर चली आ रही है, उक्त सभी ग्रामों में पंचायत स्तर पर दुकानों का संचालन कब तक कर दिया जावेगा?
खाद्य मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) मण्डला जिले में प्रत्येक पंचायत में उचित मूल्य दुकान खोलने के प्रावधान का अभी क्रियान्वयन नहीं हो सका है, क्योंकि मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2015 में संशोधन प्रक्रियाधीन है। (ग) मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2015 में संशोधन उपरांत प्रश्नांकित विधानसभा क्षेत्रांतर्गत प्रत्येक पंचायत में उचित मूल्य दुकानों के आवंटन की कार्यवाही सक्षम अधिकारी द्वारा की जा सकेगी।
श्री रामप्यारे कुलस्ते-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मध्यप्रदेश सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत उचित मूल्य दुकान के माध्यम से गरीबी रेखा और अति गरीबी रेखा के नीचे जो खाद्यान्न वितरण केन्द्र के बारे में था. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से जानना चाहता हूं जैसा उत्तर में दिया गया है कि आदेश 2015 में संशोधन अधिनियम प्रक्रियाधीन है. अध्यक्ष महोदय, उचित मूल्य की दुकानें तो संचालित हैं और निरन्तर खुलती भी जा रही हैं. परन्तु मेरा स्पेसिफिक प्रश्न यह था कि कुछेक क्षेत्र काफी सुदूर हैं और बरगी डूब से प्रभावित भी हैं जिसमें आने-जाने में कठिनाई होती है. कई बार ऐसी दुर्घटनाएं हुई हैं.
अध्यक्ष महोदय--कृपया प्रश्न करें.
श्री रामप्यारे कुलस्ते--मैं प्रश्न पर ही आ रहा हूं. खाद्यान्न लेने लोग उचित मूल्य की दुकान जाते हैं तो वे डोंगी में बैठकर जाते हैं. डोंगी पलट जाने से पूरा राशन गिर जाता है और गंभीर दुर्घटना घटित होते बची है. ऐसी स्थिति में मेरा मानना है कि कुछेक जो चिन्हित गांव हैं कुमठी,मेली,मूसाखो,बेलखेड़ी,पीपरडाही,पापलीकला,पापलीखुर्द,हिनोतिया,चौरई,निवारीमाल, जामुनपानी,पिण्डरई, चुटका, टाटीघाट...
अध्यक्ष महोदय--सीधा प्रश्न कर दें.
श्री रामप्यारे कुलस्ते--इन गांवों में उचित मूल्य की दुकानें अगर खोल दें तो गरीबों के लिए बड़ी मेहरबानी होगी.
कुंवर विजय शाह--अध्यक्षजी, हमारे माननीय विधायक जी ने बहुत जनहित का मुद्दा उठाया है. यह सरकार इन लोगों के लिए समर्पित है और गरीब लोगों को राशन के लिए दुकान पर दूर न जाना पड़े इसलिए हमने पहले ही यह निर्देश जारी कर दिये हैं कि प्रत्येक पंचायत में दुकान खुलेगी और हम, हमारी बात पर कायम हैं. अध्यक्षजी, इसमें विलंब इसलिए हुआ कि कुछ लोग इस आदेश के विरुद्ध कोर्ट में चले गये कि हर पंचायत में दुकान नहीं खोलना चाहिए. कोर्ट ने स्टे हटा लिया है और मंडला जिले में ही और 137 दुकानें हम बहुत जल्दी खोलने जा रहे हैं. आपकी विधानसभा में 46 दुकानें ग्राम पंचायत स्तर पर 2-3 माह में खोल दी जायेगी और इसके अलावा भी जिन गांवों के आपने नाम बतायें हैं, उनका भी परीक्षण करके और जैसा कहा कि डोंगी से जाना पड़ता है उनका परीक्षण कर लेते हैं अगर आवश्यकता होगी तो सरकार वहां भी खोलेगी.
श्री रामप्यारे कुलस्ते--धन्यवाद.
आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन का निर्माण
18. ( *क्र. 1838 ) श्री मुकेश नायक : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) पन्ना जिले में संचालित कौन-कौन से आंगनवाड़ी केन्द्रों हेतु वर्ष 2013-14, 2014-15 तक की अवधि में किस-किस योजना में कहाँ-कहाँ कितने-कितने भवन निर्माण स्वीकृत किये गये? (ख) उक्त में से कौन-कौन से भवनों का निर्माण कार्य निर्धारित अवधि में पूर्ण हो चुका है एवं कौन-कौन से भवन का कार्य अब तक अपूर्ण/अप्रारंभ पड़ा है? कारण बतावें। (ग) उक्त अपूर्ण/अप्रारंभ कार्यों को पूर्ण कराने हेतु विभाग द्वारा वर्तमान तक क्या कार्यवही की गई? कब-कब संबंधित एजेंसियों को इस हेतु पत्र लिखे गये? यदि नहीं, लिखे गये तो कारण बतायें? (घ) क्या शासन उक्त निर्माण कार्यों में हो रहे विलम्ब के कारणों की जाँच करायेगा तथा जाँच में पाये गये अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) जिले में 1170 संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में से वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 की अवधि में बी.आर.जी.एफ. योजना अंतर्गत 20 आंगनवाड़ी भवन निर्माण एवं आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा 05 आंगनवाड़ी भवन निर्माण स्वीकृत किये गये हैं। विस्तृत जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर है। (ख) पन्ना जिले में स्वीकृत इन आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण की कोई निश्चित समय-सीमा नियत नहीं की गई है। उत्तरांश ‘क’ अनुसार स्वीकृत 25 आंगनवाड़ी भवनों में से 16 आंगनवाड़ी भवन पूर्ण हो चुके हैं तथा 09 आंगनवाड़ी भवन निर्माण एजेंसी द्वारा धीमी गति से कार्य करने के कारण अपूर्ण हैं। (ग) निर्माणाधीन/अपूर्ण 09 आंगनवाड़ी भवनों को पूर्ण कराने हेतु जिला स्तर पर निर्माण एजेंसी एवं पंचायत विभाग के साथ समय-समय पर समीक्षा की गई है। किसी प्रकार का विशिष्ट पत्राचार पृथक से नहीं किया गया है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) निर्माणाधीन/अपूर्ण 09 आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण कार्य प्रगतिरत है, जिसे शीघ्रता से पूर्ण कराने की कार्यवाही की जा रही हैं। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री मुकेश नायक--अध्यक्ष महोदय,मंत्रीजी ने मेरे प्रश्न के उत्तर में बताया है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में कुल 439 आंगनवाड़ी केन्द्र हैं. इसमें से 332 आंगनवाड़ी केन्द्र ऐसे हैं जो भवन विहीन हैं और भिन्न भिन्न शासकीय संस्थाओं में संचालित हैं. इसमें 35 किराये के भवनों में लगते हैं. मैं मंत्रीजी से यह पूछना चाहता हूं कि आंगनवाड़ी केन्द्र खोलने के पीछे भवन निर्माण की क्या नीति है. किराये के भवन देने के क्या स्पेसिफिकेशन्स हैं?
श्रीमती माया सिंह--अध्यक्ष महोदय,भवन विहीन आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हो रहे हैं, उनमें ग्रामीण क्षेत्र में तो मनरेगा के अभिसरण से आंगनवाड़ी भवन निर्माण की कार्ययोजना अभी विचाराधीन है. शहरी क्षेत्र में राज्य आयोजना मद से राशि उपलब्ध होने पर हम आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण करवाते हैं. ये वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर है.
श्री मुकेश नायक--अध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी ने यह कहा है कि ज्यादातर बालबाड़ी केन्द्र प्राथमिक स्कूलों में संचालित हैं. ऐसी अनेक प्राथमिक शालाएं हैं जिनमें मात्र 2 या 3 कमरें हैं. एक कमरे में आहार-पोषण के लिए बच्चों का मध्यान्ह भोजन बनता है. एक कमरे में भोजन परोसा जाता है. एक कमरे में प्राथमिक स्कूल की पांचों कक्षाएं संचालित कर दी जाती हैं. इसमें बहुत अव्यवस्था है. मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि क्या आप शासन द्वारा शीघ्र बजट का प्रावधान करायेंगी खासतौर से उन सुदूर ग्रामीण अंचलों में जहां प्राथमिक शैक्षणिक संस्थान हैं, वह बहुत छोटे छोटे हैं.
श्रीमती माया सिंह - अध्यक्ष महोदय, हमारे विभाग की खुद भी यह प्राथमिकता है कि हम आंगनवाड़ी केन्द्रों को खासतौर से सुदूर अंचल में गांव में जहां इस तरीके की दिक्कतें हैं, वहां अच्छे आंगनवाड़ी भवन निर्मित करें और प्राथमिकताओं के आधार पर, बजट की उपलब्धता के आधार पर हम इस पर जरूर ध्यान रखेंगे और पूरा कराने की कोशिश करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
(व्यवधान)..
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - आपका हार्ड लक है.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, बहुत गंभीर प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय - मैंने कोशिश की, लेकिन वह नहीं आ पाया.
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां ओला वृष्टि से किसानों का भारी नुकसान हुआ है.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - बहुत गंभीर प्रश्न है, महिलाओं से संबंधित है.
अध्यक्ष महोदय - आप माननीय मंत्री जी से बाद में समय लेकर बात कर लीजिए, क्योंकि अब प्रश्नकाल समाप्त हो गया. हमारे पूरे प्रयत्न रहते हैं कि पूरे 25 प्रश्न हो जाएं.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, आप 19 नम्बर का प्रश्न देखें, एक महिला के साथ दुष्कर्म हुआ है और एक साल में चालान पेश नहीं हुआ है. इस तरह से अपराधियों को बचाया जा रहा है.
समय 12.00 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया सहयोग करें. अब संभव नहीं है. (व्यवधान)..माननीय श्री नरेन्द्र सिंह जी, अब कुछ नहीं किया जा सकता. निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी. (व्यवधान)..
(1) श्री यशपाल सिंह सिसोदिया
(2) इंजी. श्री प्रदीप लारिया
(3) श्री घनश्याम पिरौनिया
(4) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय
(5) श्री दिनेश राय
(6) श्री अरूण भीमावद
(7) श्री सुदर्शन गुप्ता
(8) श्री शैलेन्द्र पटेल
(9) श्री रामनिवास रावत
(10) श्री के.के. श्रीवास्तव
शून्यकाल में उल्लेख
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के पंचायत सचिव, मनरेगा के कर्मचारी, संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी, ये सभी सामूहिक रूप से हड़ताल पर हैं और पूरे प्रदेश में रोजगार के काम बाधित हो रहे हैं. सदन चल रहा है, हमने स्थगन प्रस्ताव दिया हुआ है, इस पर सरकार गंभीर नहीं है, कृपया इस पर आप चर्चा करा लें. लोग बेरोजगार घूम रहे हैं. प्रदेश में रोजगार गारंटी के सारे काम रोजगार प्रदान करने के सारे काम 23 तारीख से ठप्प पड़े हुए हैं. इस पर गंभीरता से विचार करके इसे चर्चा के लिए ले लें.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, हमारा बहुत गंभीर प्रसंग है. माननीय मंत्री जी को निर्देशित कर दें.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) - अध्यक्ष महोदय, रीवा जिले में कल रात भयानक बारिश और ओले पड़े हैं. रीवा जिले के साथ-साथ मऊगंज क्षेत्र में भयानक ओला, बारिश हुई है.
अध्यक्ष महोदय - आप कार्य सूची तो पढ़ लीजिए, उसमें ध्यान आकर्षण है. (व्यवधान)..(कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होकर बोलने पर) एक मिनट सुन लें. ओले के संबंध में कुछ माननीय सदस्य विषय को उठा रहे हैं. आज जो दूसरा ध्यान आकर्षण है, यह ओले के संबंध में लिया गया है. जिन सदस्यों ने उसमें ध्यान आकर्षण या स्थगन प्रस्ताव या जो भी प्रस्ताव लगाए थे, उनके नाम पढ़े जाएंगे, उनको एक-एक प्रश्न पूछने की अनुमति दी जाएगी और जिनके यहां पर तत्काल में कुछ घटनाएं घट गई हैं, वह भी हाथ उठा देंगे, परन्तु जिनके यहां पर घटनाएं घटी हैं सिर्फ वे ही, अकारण कोई नहीं, उनको भी अनुमति दी जाएगी. कृपा करके अभी उस विषय को नहीं उठाएं.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, आपने कृपा की कि इस पर चर्चा की आवश्यकता समझते हुए ध्यान आकर्षण ग्राह्य किया है. मेरा इसमें विनम्रतापूर्वक आपसे निवेदन है, आपके माध्यम से सरकार से भी निवेदन है कि लगभग प्रदेश के 50 प्रतिशत जिलों में ओला वृष्टि हुई है. किसान पहले से सूखे से परेशान था. अब ओला वृष्टि से पूरी फसलें नष्ट हो गई हैं. सत्ता पक्ष की तरफ से यह बात भी आती रही थी. इसमें स्थगन भी लगा हुआ था, नियम 139 की चर्चा भी दी है. ध्यान आकर्षण एक सीमित विषय होता है, एक-एक प्रश्न पूछकर अपनी बात समाप्त करना पड़ेगी. मेरा आपसे निवेदन है और आपके माध्यम से सरकार से भी निवेदन है कि इसमें हम लोगों के स्थगन भी लगे हुए हैं या तो स्थगन के माध्यम से दिन भर की चर्चा स्वीकार कर लें या नियम 139 की चर्चा स्वीकार कर लें तो सारे सदस्य इसमें सत्ता पक्ष के सदस्य भी अपनी बात कहना चाहते हैं. सभी लोगों के यहां पर ओले पड़े हैं तो आपकी कृपा होगी और ध्यान आकर्षण में एक-एक प्रश्न पूछकर लोगों को संतुष्ट होना पड़ेगा. सारी बातें नहीं आ पाएंगी और पूरे प्रदेश के किसानों के साथ भी यह अन्याय होगा कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद भी आप मात्र ध्यान आकर्षण में उनकी चर्चा निकाल दें.
अध्यक्ष महोदय - विषय की गंभीरता को देखते हुए ही ध्यान आकर्षण को इतने हल्के से नहीं लें. ध्यान आकर्षण भी बहुत गंभीर विषयों में और तात्कालिक विषयों में ही लिया जाता है और इसलिए इसको लिया है. इससे सब माननीय सदस्यों की इंडविजुअल बात भी आ जाएगी और अपने क्षेत्र से संबंधित यदि कोई विशिष्ट प्रश्न होगा जो कि अन्य नियमों में नहीं आ पाता, उसमें सीधे प्रश्न नहीं हो पाता, इसमें वह भी हो जाएगा तो अपने क्षेत्र से संबंधित कोई, यदि जनरल बात है तो कोई बात नहीं, किन्तु यदि कोई स्पेसिफिक बात है तो उसको भी वह बता सकेंगे, इसलिए यह भी महत्वपूर्ण है. दूसरी बात यह है कि राजस्व विभाग की मांग अभी आना बाकी हैं. उसमें भी सभी सदस्य जो कि विस्तार से आप कह रहे हैं वह चर्चा उसमें कर सकते हैं, और आपको भी यह जानकारी है कि सामान्यत: बजट के समय स्थगन प्रस्ताव नहीं लिये जाते हैं. खासकर चूंकि अभी विभाग की मांगे आना ही हैं, इसलिए उस समय चर्चा हो ही जायेगी. अब आप लोगों से अनुरोध है कि सहयोग करेंगे. एक एक मिनट में अपनी बात को समाप्त करेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय आपकी भावना और आपके प्रति कृतज्ञ हैं, लेकिन सरकार के संसदीय मंत्री जिस तरह से चिल्ला चिल्लाकर , बड़े जोर जोर से कह रहे थे कि विपक्ष चर्चा नहीं करना चाहता है. उनसे निवेदन कर रहा हूं कि वह उठकर खुद कहें कि 139 की चर्चा स्वीकार करेंगे . सरकार क्यों ध्यानाकर्षण में समेटना चाहती है. सरकार को इसमें चर्चा कराने के लिए आगे आना चाहिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय इन्होंने तीन बार विधान सभा से बहिर्गमन किया, एक भी बार ओले पाले पर नहीं किया है. मेरा उस बात पर कहना था. मेरा अभी भी कहना है कि इनका एक भी नेता अभी तक ओला प्रभावित क्षेत्र में नहीं गया है. मैं उस बात के संदर्भ में कह रहा था. हमने यहां ध्यानाकर्षण पर चर्चा करवायी है..(व्यवधान).. अभी तक एक भी नेता नहीं गया है. बड़े बड़े नेता हैं जो कि केवल वोट मांगने के लिए जाते हैं..(व्यवधान).. उसके बाद पूछने नहीं जाते हैं. आपने मुझे कहा है तो फिर सुनो, आपने मेरा नाम लिया है तब मैं उठा हूं,इसलिए मैं कह रहा हूं. हमने आपको सुना है आप हमें सुनें. यह तो तरीका है.
श्री रामनिवास रावत -- आप क्या कहना चाहते हैं यहां अभी सभी सदस्य अपने अपने क्षेत्र में होकर आये हैं. अध्यक्ष महोदय यह आपत्तिजनक मामला है इसलिए हम चर्चा कराना चाहते हैं, 139 की चर्चा चाहते हैं, स्थगन प्रस्ताव लाना चाहते हैं, यह घोर आपत्तिजनक है, आप किसानों के हितैषी बन रहे हैं,(व्यवधान).. आप किसानों के साथ में मजाक कर रहे हैं. आपका तरीका है . आप किसानों के मसीहा बनना चाहते हैं तो क्यों नहीं चर्चा को स्वीकार कर लेते,..(व्यवधान).. आप क्यों नहीं सदन में कहते कि चर्चा स्वीकार करते हैं...(व्यवधान)..
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय चर्चा है , ध्यानाकर्षण के रूप में चर्चा करा रहे हैं,..(व्यवधान).. चर्चा आज के बजट में 800 करोड़ रूपये का है उस समय चर्चा करना..(व्यवधान) ..
अध्यक्ष महोदय -- कृपया सभी सदस्य बैठ जायें. अब इस पर ज्यादा चर्चा न करें.
श्री रामनिवास रावत -- ध्यानाकर्षण पर चर्चा नहीं होगी..(व्यवधान ) ..
डॉ नरोत्तम मिश्र -- इनके जितने नेता यहां पर बैठे हैं यह अपने क्षेत्र के बाहर नहीं जाते हैं किसी किसान के पास में..(व्यवधान).. मुख्यमंत्री जी एक एक गांव में जा रहे हैं..इनके जब तीन तीन केन्द्र में मंत्री थे तो एक भी जगह पर नहीं गये हैं..(व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय आज यहां पर चर्चा करने से कौन कतरा रहा है चर्चा ली है तब ही तो ध्यानाकर्षण लिया है.
अध्यक्ष महोदय -- अभी चर्चा होने वाली है, जो चर्चा 5 - 10 मिनट में शुरू होने वाली है उस पर ज्यादा चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय जब भी हम नियम 139 के अंतर्गत चर्चा की बात करते हैं तो संसदीय कार्य मंत्री जी खड़े होते हैं और वह कहते हैं विधायक अपने अपने क्षेत्र में नहीं गये हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- मैं खड़ा नहीं हुआ हूं. आपके सदस्य ने कहा कि जवाब दें तब मैं खड़ा हुआ हूं. पहले तो आप संशोधन कर लें. दूसरा मैंने ये कहा कि आपने इसके पहले तीन बार बहिर्गमन किया था ऐसे विषय पर किया जिस विषय का जनहित से कोई लेना देना नहीं था और आप एक बार भी किसानों के बीच में नहीं गये हैं..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- आप आरक्षण समाप्त करने की बात करेंगे और हम विरोध में कहेंगे तो आप कहेंगे कि यह जनहित का मुद्दा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- आप सब लोग बैठ जायें कृपा करके सहयोग करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष म होदय जनहित से जुड़े मुद्दों से कांग्रेस क्यों कतराती है, हम खुद कह रहे हैं कि चर्चा करें.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष मैं अपनी बात को पूरा करना चाहता हूं. माननीय मंत्री जी आप हमेशा इस प्रकार की बात करते हैं कि विधायक अपने अपने क्षेत्र में नहीं गये हैं. हम सभी लोग अभी अपने क्षेत्र में जाकर आये हैं, हम तो यह चाहते हैं कि नियम 139 के अंतर्गत चर्चा होना चाहिए, सरकार का उस पर जवाब आना चाहिए और जो किसान प्रभावित हुए हैं उनको मुआवजा मिलना चाहिए.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- हमने ऐसा कोई बात नहीं कही है, मैंने यह नहीं कहा है, मैंने कहा है कि आपके नेता अपने क्षेत्र सेबाहर कभी किसानों के लिए नहीं जाते हैं. जो मैंने पहले कहा है वह अभी भी कह रहा हूं. आज तक कोई गया हो तो बोलो..(व्यवधान).. आपका एक भी नेता जिसमें आप भी शामिल हैं. एक भी व्यक्ति अगर किसी किसान के खेत पर गया हो तो बताओ...(व्यवधान).. हमारे मुख्यमंत्री जी अकेले गांव गांव में जा रहेहैं आपका एक भी नेता नहीं गया है.. (व्यवधान) एक भी नेता नहीं गया है बतायें कौन गया है आप लोग केवल वोट मांगने के लिए जाते है...(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- कृपया करके सदन की कार्यवाही चलने दें...(व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय कोई किसानों का हित नहीं हो रहा है केवल भाषणबाजी और नौटंकी बाजी की बात हो रही है..(व्यवधान)..
श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय ओले पर बोलने के बहाने से राजनीतिक फफोले न फोड़ें अपने कलेजे के...(व्यवधान)..
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री ने जो वक्तव्य दिया है, बड़ा विरोधाभासी है और सदन में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि जिस पर विचार करना पड़ेगा. इन्होंने कहा कि कांग्रेस का कोई नेता नहीं गया, तो नेता तो कोई है नहीं कांग्रेस में, आप कह रहे हैं कि कांग्रेस का कोई नेता नहीं गया, अरे कोई नेता होता तो जाता. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय -- श्री सुंदर लाल तिवारी, एक मिनट में अपनी बात कहें.
श्री रामनिवास रावत -- ये कोई प्रश्न ही नहीं है जिसका उत्तर दिया जाए. (...व्यवधान...)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- मेरा प्रश्न यदि अप्रासंगिक है तो किसी को यहां से बोलना चाहिए. (...व्यवधान...)
श्री बाला बच्चन -- माननीय शेजवार जी, हम बोल रहे हैं. (...व्यवधान...)
श्री अजय सिंह -- व्यवधान पुरुष, कृपा करके बैठ जाएं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- मैंने कार्यकारी नेता की बात नहीं कही है, ये सब कार्यकारी हैं. कोई नेता हो तो बात करें. अजय सिंह जी किस अधिकार से कह रहे हैं किसने इनको नेता नियुक्त किया. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- उनका उत्तर देने की जरूरत नहीं आप तो अपनी बात कहें.
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यवधान पुरुष व्यवधान करते रहते हैं. (...व्यवधान...)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अकेले बाला बच्चन कार्यवाहक नहीं हैं आप सब कार्यवाहक हैं. कोई एक नेता हो तो बोलो भाई, हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी का जवाब दो. (...व्यवधान...)
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट.
अध्यक्ष महोदय -- अब वह विषय समाप्त हो गया है. के.पी. सिंह साहब, अब कोई विषय नहीं है. बैठ जाएं. (...व्यवधान...)
श्री गोपाल भार्गव -- डॉ. साहब के प्रश्न का मैं उत्तर दे रहा हूँ. इन सभी में आंचलिक नेता हैं और एक-एक जिले के नेता हैं इनके राष्ट्रीय नेता जो हैं, हर जिले का एक नेता है, जिले का ही दौरा कर लें आपके राष्ट्रीय नेता. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- मेरा माननीय मंत्रिगणों से और माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि ओले पर चर्चा होने के लिए कॉल-अटेंशन लिया है विषय की गंभीरता को आप समझें और इस चर्चा को होने दें. पहले माननीय सदस्य श्री सुंदरलाल तिवारी जी अपनी बात एक मिनट में कहेंगे, उसके बाद श्री हरदीप सिंह डंग जी और निशंक कुमार जैन, इसके बाद मैं अगली कार्यवाही करूंगा.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय शेजवार जी ने मेरा नाम लिया है. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- कोई एलाऊड नहीं है, अब सहयोग करें.
श्री बाला बच्चन -- माननीय शेजवार जी आपके लिए और पूरी सरकार के लिए 1 मार्च को महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण पर हमने इतनी बातें बोलीं, इतने प्रश्न दागे, क्या एक का भी जवाब दिया है. पूरी सरकार कठघरे में है. इतने सारे हमने कारनामे उजागर किए थे उनमें से एक का भी जवाब आपने और आपके मंत्रियों ने नहीं दिया. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जाएं, यह विषय नहीं है. के.पी. साहब आप भी बैठ जाइये आप, आप भी वरिष्ठ सदस्य हैं.
श्री के.पी. सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि हमारे विपक्ष के नेता अगर बीमार हैं और किसी बीमारी से ग्रसित होने की वजह से यहां नहीं आ सकते हैं तो क्या शेजवार जी का इस तरह का कटाक्ष उचित है. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- कृपा करके, इस विषय को समाप्त करिए अब. सभी बैठ जाएं. आप लोग विषय की गंभीरता नहीं समझ रहे हैं.
श्री के.पी. सिंह -- (XXX) इस तरह की बात कहते हुए, कभी आपके साथ भी ऐसा हो सकता है. यह कभी भी किसी के भी साथ हो सकता है. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- माननीय तिवारी जी अपनी बात कहें नहीं तो मैं आगे बढ़ रहा हूँ. आप बोलिए जो आपको बोलना है आप किसी के लिए मत रूकिए.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक गंभीर विषय के लिए हमने स्थगन प्रस्ताव दिया है. वह विषय किसी पार्टी का नहीं है, विधान सभा के सम्मान का प्रश्न है और उस पर हमने स्थगन प्रस्ताव दिया है. मेरा निवेदन यह है कि बजट के डिमांड फॉर ग्रांट्स बजट प्रस्तुत हुआ है, एप्रोप्रिएशन बिल भी आएगा, एक कानूनी त्रुटि हो रही है.
अध्यक्ष महोदय -- पहले मेरी बात सुन लें, आपने पहले लिखकर के प्रिविलेज का नोटिस दिया उसको आपने प्रेस में भी दे दिया.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, नहीं, हमने नहीं दिया साहब.
अध्यक्ष महोदय -- फिर एड्जर्नमेंट मोशन आपने दिया उसकी चर्चा भी अभी कर ली, अब इस विषय में सदन में चर्चा नहीं होती, आपको भी परंपराएं मालूम हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मैंने विशेषाधिकार की सूचना या जानकारी किसी प्रेस को नहीं दी.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी यह बात भी आ गई कि आपने एड्जर्नमेंट मोशन दिया है, एक तो वह एड्जर्नमेंट का विषय नहीं है, किंतु आपने दिया है यह बात भी सदन में आ गई है, अब कृपया अपनी बात समाप्त करें, इसके संबंध में यदि कोई चर्चा करना हो तो कक्ष में कर लें.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, यह विषय इतना गंभीर है..
अध्यक्ष महोदय-- यहां चर्चा का विषय नहीं है. उसकी चर्चा मैंने अलाऊ नहीं की है.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, बहुत बड़ी त्रुटि हो रही है, इस पर विचार कर लें.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, आपकी बात आ गयी.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, तिवारी जी ने जो बात उठायी है. बहुत ही गंभीर विषय है. आप चाहें लें,ग्राह्य करें या न करें. सरकारी की त्रुटि है.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने नोटिस दिया है. अभी आप डिसीजन न दें.
श्री अजय सिंह-- मैं डिसीजन नहीं ले रहा हूँ. मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूँ कि सरकार का इस विषय पर जवाब आना चाहिए.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा)--माननीय अध्यक्ष महोदय, सुवासरा विधानसभा क्षेत्र के खेताखेड़ा ग्राम में कल रात्रि को 9 और 11 के बीच में कंजरों द्वारा जो डकैती का प्लान बनाया गया और उसमें ग्रामीण क्षेत्र के लोगों और कंजरों के बीच में जो मुठभेड़ हुई है उसमें दो से तीन कंजर मारे गये और ग्रामीण क्षेत्र के कई लोग फायरिंग के दौरान घायल हो गये हैं और उनको हास्पीटल में भर्ती करा रखा है. वहां पर पहले भी जो घटनाएँ घटी हैं उसमें कई बार शिकायत की गयी, आज तक उसकी कोई सुनवाई नहीं हो पायी. उसके कारण यह बड़ी घटना घटी है. यह क्षेत्र पूरा कंजर प्रभावित है इसलिए थोड़ा उस पर ध्यान दिया जाए, यह हमारा निवेदन है.
श्री निशंक कुमार जैन(बासौदा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने ग्राम तथा नगर रक्षा समिति के सदस्यों की महापंचायत की थी. माननीय हिम्मतलाल कोठारी जी गृह मंत्री थे और जो घोषणाएँ उन्होंने महापंचायत में की थीं आज तक एक भी घोषणा पूरी नहीं हुईं.
अध्यक्ष महोदय-- यह शून्यकाल का विषय नहीं है. आपका प्रश्न भी है इस पर. इनका रिकार्ड में नहीं आयेगा कुछ.
श्री निशंक कुमार जैन-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- यह रिकार्ड में नहीं आयेगा.इस तरह का आप शून्यकाल का उपयोग नहीं कर सकते.
श्री निशंक कुमार जैन-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- यह कुछ रिकार्ड में नहीं आयेगा. आपका प्रश्न लगा है.सारी बात आप जाकर के प्रेस में वैसे भी दे सकते हैं.कोई चीज रिकार्ड में नहीं आयेगा. श्री कमलेश्वर पटेल एक मिनट में अपनी बात बोलें.
श्री निशंक कुमार जैन-(xxx)
श्री कमलेश्वर पटेल(सिहावल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,सीधी सिंगरौली जिले में आज आधी रात को ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से फसल का काफी नुकसान हो गया.
अध्यक्ष महोदय- ओले की बात अभी आपसे की. अभी आपको अलाऊ करेंगे. अगर अभी बोलेंगे तो बाद में अलाऊ नहीं करेंगे. पांच मिनट के बाद आपका विषय आ रहा है.
12.17 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड का 40 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2014-15
(2) वाणिज्य,उद्योग और रोजगार विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ-1-102-2011-अ-ग्यारह, दिनांक 4 जून,2015
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश सोसायटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1973( क्रमांक 44 सन् 1973) की धारा 43 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार वाणिज्य,उद्योग और रोजगार विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ-1-102 2011-अ-ग्यारह, दिनांक 4 जून,2015 पटल पर रखता हूँ.
(3) मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड का 33 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015
12.19 बजे ध्यान आकर्षण
(1) कटनी नगर निगम सीमा अंतर्गत कालोनियों के नियमितीकरण में विसंगति होना
श्री संदीप जायसवाल(मुड़वारा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
राज्यमंत्री नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग(श्री लाल सिंह आर्य)—अध्यक्ष महोदय,
श्री रामलल्लू वैश्य—माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह का हमारे सिंगरौली नगरपालिक निगम में भी है . नगरनिगम में 22 अवैध कालोनियाँ हैं. वहाँ का विकास रूका हुआ है वहाँ के भी नियमितिकरण की कार्यवाही करे तब ही विकास संभव हो सकेगा.
अध्यक्ष महोदय-- काल अटेंशन में यह विषय नहीं आते हैं संबंधित को ही पूछने दीजिये और उससे उद्भूत नहीं होता है. कृपया आप अलग से पूछवा लें. आपको अनुमति नहीं दे रहे हैं, श्री जायसवाल अपना प्रश्न करें.
श्री संदीप जायसवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, न सिर्फ मेरी विधान सभा बल्कि पूरे प्रदेश में जिस तरह से अवैध कॉलोनियाँ बनी हैं. उससे कई परेशानियाँ हम लोगों के सामने आती है. जैसे कॉलोनियों के बनने से पहले जो बारिश का पानी आसानी से निकल जाता था वह न निकलने से थोड़ी सी बारिश में बाढ़ की स्थितियाँ बनती हैं, अव्यवस्थित निर्माण हैं, इन सबको देखते हुए और जैसा कि माननीय मंत्री महोदय ने जवाब दिया है कि 90 कॉलोनियाँ अवैध हैं जिनको वैध करने की प्रक्रिया होनी है. 90 कॉलोनियाँ अवैध होने का मतलब है कि 30 से 40 परसेंट नगर निगम क्षेत्र का नागरिक वहाँ पर निवास कर रहा है. इस अति महत्वपूर्ण आँकड़े को ध्यान में रखते हुए नगर निगम अगर यह कहती है कि उसने समाचार पत्रों के माध्यम से लोगों से आवेदन मंगाए हैं, उसको जानकारी नहीं मिल रही है, तो सिर्फ इस आधार पर लोगों को अपनी स्थितियों पर नहीं छोड़ा जा सकता कि अगर नहीं आ रहे हैं तो वहाँ पर लोगों को....
अध्यक्ष महोदय-- कृपया प्रश्न करें.
श्री संदीप जायसवाल-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि क्या नगर निगम एक कदम आगे बढ़कर, मैं तो चाहूँगा पूरे प्रदेश में ये हो, मैं प्रश्नकर्ता विधायक हूँ नगर निगम हमारी उपस्थिति में, उन कॉलोनियों में शिविर लगाकर, वहाँ के लोगों को प्रेरित करते हुए कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी? इसके बाद मेरे दो प्रश्न और हैं....
अध्यक्ष महोदय-- दो नहीं, एक ही प्रश्न पूछा जाता है एक और एलाऊ कर देंगे.
श्री संदीप जायसवाल-- अध्यक्ष महोदय, इसमें दूसरा मेरा कहना यह है कि जो एक महत्वपूर्ण सुविधा के नाम पर नल संयोजन के लिए प्रारूप 7 में प्रावधान किया गया है कि आप घोषणा पत्र देंगे तो आपको नल और विद्युत संयोजन वहाँ पर मिल जाएगा. भले ही अवैध कॉलोनी है. लेकिन उसमें शर्त डाल दी गई है कि आपका व्यपवर्तन हो चुका है आपको लिखना पड़ेगा. व्यपवर्तन हो चुका होता तो वह अवैध कॉलोनी क्यों होती? क्या उसको हटाया जाएगा? तीसरा नये नियमों में....
अध्यक्ष महोदय-- अब इसके बाद पूछ लेना. दोनों प्रश्न भूल ही जाएँगे.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जनहित में जो प्रश्न पूछा है मैं उनको संतुष्ट करना चाहता हूँ. एक महीने के अन्दर ही अवैध कॉलोनियों में शिविर लगाकर वैध करने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी जाएगी.
श्री संदीप जायसवाल-- अध्यक्ष महोदय, इसमें नियमों में जो व्यपवर्तन का है उसके संबंध में जो सरलीकरण हो रहा उसमें प्रावधान पर विचार किया जाए. दूसरा, नगर पालिका और नगर पंचायतों में कलेक्टर और नगर निगम में आयुक्त को अवैध कॉलोनियों के संबंध में अधिकार दिए हुए हैं, नई अवैध कॉलोनियाँ न बनें इसकी जवाबदेही इन अधिकारियों पर सुनिश्चित करना और इस संबंध में इनकी जवाबदेही तय की जाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, कुछ कहना है? प्रश्न नहीं है, उनका सुझाव है पर आपको कुछ कहना हो तो कह दीजिए.
श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो सुझाव दिया है. इस प्रकार के अन्य कोई सदस्य भी, चाहे सत्तापक्ष के हों चाहे विपक्ष के हों, अवैध कॉलोनियों के नियमितीकरण करने में कोई उनके सुझाव हों तो उन सुझावों को हम गंभीरता से लेंगे और पूरे मध्यप्रदेश में लेंगे और हम उन पर क्या कार्यवाही ठीक ढंग से हो सकती है, उसमें हम उन सुझावों को सम्मिलित करेंगे..(व्यवधान)..
श्री सचिन यादव-- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक छोटा सा सुझाव है पूरे प्रदेश का मामला है...(व्यवधान)..
श्री संदीप जायसवाल-- अध्यक्ष महोदय, मेरे एक प्रश्न का जवाब नहीं आया है. कलेक्टर और कमिश्नर की जवाबदेही सुनिश्चित हो जाए कि नई अवैध कॉलोनियाँ न बनें...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत-- मेरा भी एक छोटा सा सुझाव है. माननीय मंत्री जी ने कहा है कि सुझाव दे सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब कुछ नहीं. ओला एवं अतिवृष्टि के संबंध में अनेक माननीय सदस्यों ने ध्यानाकर्षण स्थगन प्रस्ताव दिए हैं और अभी भी सदन के अनेक माननीय सदस्यों ने इस विषय पर चिन्ता जताई है और इसलिए विषय की गंभीरता को देखते हुए यह ध्यानाकर्षण लिया गया है क्योंकि अलग अलग क्षेत्रों के विषय हैं उनको इकट्ठा कर दिया गया. मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि समय की सीमा में, भाषण न दें, अपना विषय रख दें तो कार्य में सहूलियत होगी. माननीय मंत्री जी भी उनका सबका समाधान कर सकेंगे.
उप नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन)-- लेकिन इसमें थोड़ा आप समय का भी उल्लेख कर दें. नहीं तो फिर समय के लिए बाउंडेड करेंगे तो थोड़ा उसको...
अध्यक्ष महोदय-- भाषण कोई न दे. ध्यानाकर्षण पढ़ लें. ध्यानाकर्षण बड़ा विस्तृत है. इसको पढ़ दें इसके बाद में अपने अपने क्षेत्र की बात एक एक मिनट में कह दें.
श्री रामनिवास रावत-- यही निवेदन है कि जिनका नाम भी नहीं है और उनके क्षेत्र में ओले पड़े हैं उन्हें भी परमिट कर दें.
अध्यक्ष महोदय-- जिनका नाम नहीं है और यदि ओले पड़े हैं तो उनको एलाऊ करेंगे. आपकी बात स्वीकार है.
श्री रामनिवास रावत-- धन्यवाद.
(2) प्रदेश के अनेक जिलों में ओला एवं अतिवृष्टि से फसलें नष्ट होने से उत्पन्न स्थिति
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी (बड़वाह) (श्री रजनीश सिंह, श्री रामनिवास रावत) माननीय अध्यक्ष महोदय,
राजस्व मंत्री (श्री रामपाल सिंह):-माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी :- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने भी माना है कि ओला वृष्टि हुई है और जिन गांवों का हम लोगों ने उल्लेख किया था, उन गांवों में सर्वे का काम चल रहा है. मैं माननीय मंत्री जी को और माननीय मुख्यमंत्री जी को भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने जब से यह काम अपने हाथ में लिया है, वास्तव में बधाई के पात्र है और धन्यवाद देता हूं कि पिछली बार हमारे खरगौन जिले में 13 करोड़ रूपये के लगभग की राहत राशि दी गयी थी और अभी वर्तमान में भी किसानों की यही इच्छा है और वह सरकार की तरफ आंख उठाकर देख रहे हैं कि सर्वे कब तक पूरा हो जायेगा. मेरा माननीय मंत्री जी से यही पूछना है कि जो सर्वे अधिकारी थे, उनका नाम क्या है और वह कब सर्वे करने गये और किन किन गांवों में उन्होंने सर्वे किया है और सर्वे की राशि कब तक वितरित हो जायेगी और जो गांव छूट गये हैं. जैसे कि मैंने लेटर पेड पर अधिकारियों को लिखकर भी दिया है कि यह गांव छूट गये हैं, वहां पर गेहूं कि फसल पूरी आड़ी हो गयी है और उसके कारण पूरी गेंहूं की फसल बारीक हो जाती है और चने की फसल जो कटने आ गयी थी और जो उसके बीनोले थे वह गिर गये थे. वह भी फसल थोड़ी सी खराब हो गयी है. उसका सर्वे कब तक हो जायेगा. कब तक मुआवजा राशि बांट दी जायेगी और इस सर्वे में कौन कौन से अधिकारी थे इनके नाम मुझे बता दें.
अध्यक्ष महोदय - मैं ऐसा सोचता हूं कि सभी सदस्यों का एकजाई उत्तर मंत्री जी दे दें.क्योंकि बहुत सदस्यों के नाम हैं. सबको अलग-अलग बोलने देने में समय लगेगा.
श्री रामपाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, एकजाई के लिये समय दे दें तो मैं एक घंटे में पूरा विवरण विस्तार से रख सकता हूं.
अध्यक्ष महोदय - अपनी-अपनी बात पूछें वे उत्तर देंगे.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, चूंकि ध्यानाकर्षण लिया है हम तो निवेदन कर रहे थे कि ध्यानाकर्षण की जगह 139 की चर्चा हो. ध्यानाकर्षण लिया है तो हर सदस्य अपने-अपने विधान सभा क्षेत्र का पूछेगा.
अध्यक्ष महोदय - फिर तो एक-एक प्रश्न पूछेंगे.
श्री रामपाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, माननीय हितेन्द्र सिंह जी ने जो विषय रखा है उसमें एक महिने के अन्दर चूंकि सरकार की तरफ से जो पहल हो रही है. ओलावृष्टि जब हुई तो स्वयं माननीय मुख्यमंत्री जी ने जिलों में फोन किया जनप्रतिनिधियों को फोन किया और सबने पहल की. विगत वर्ष भी जब किसानों पर आपदा आई थी जब भी सरकार ने पहल की थी और अभी भी हम लोगों ने जैसे ही सूचना मिली तुरंत निर्देश दिये गये हैं माननीय विधायक जी को मैं आश्वस्त करता हूं उन्होंने समय-सीमा पूछी है तो एक महिने के अन्दर वहां राहत राशि 6(4) के अंतर्गत दे दी जायेगी. दूसरा उन्होंने अधिकारियों के नाम पूछे हैं तो स्पष्ट निर्देश दिये हैं हमने. व्यवस्थाओं में बहुत बड़ा सुधार किया है. पहले राजस्व विभाग की शिकायतें आती थीं उसमें सुधार करने का हमने प्रयास किया है उसके अच्छे परिणाम विगत वर्षों में आये हैं. कोई शिकायत नहीं आ रही. पारदर्शिता से नुकसान,क्षति का आंकलन हो और इसीलिये हमने तय किया है कि राजस्व विभाग के पटवारियों एवं राजस्व निरीक्षक, कृषि विभाग के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी,पंचायत विभाग के सचिव एवं रोजगार सहायक,जनप्रतिनिधियों को भी पहली बार सरकार ने प्रयास किया उसमें पंच,सरपंच,ग्राम पटेल एवं अन्य प्रतिनिधिगण,चौकीदार सभी प्रतिनिधि उपस्थित हों क्षति का आकलन हो और सूची भी पंचायत सचिवालय में लगे. यह प्रयास पहली बार सरकार ने अच्छे किये हैं.
एक माननीय सदस्य - यह टोटल गलत बात है. एक व्यक्ति रिपोर्ट बनाकर देता है उसी पर सबके हस्ताक्षर हो जाते हैं.
श्री निशंक कुमार जैन - माननीय मंत्री जी ने ठीक कहा मगर मौके पर कुछ भी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - यह बहस का विषय नहीं है. उत्तर आने दें.
श्री रामपाल सिंह - यह जो सुधार किया है उसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं. मौके पर पंचनामा भी किया जायेगा यह निर्देश जारी हुए हैं इसके बाद क्षतिपत्र तैयार किया जायेगा और कृषक का नाम,खसरा,रकबा,नुकसानी,प्रतिशत आदि का विवरण भी वहां किया जायेगा.
श्री रामनिवास रावत - यह भाषण हो गया.
श्री रामपाल सिंह - आप श्रवण करें. ध्यानपूर्वक सुनिये.कमियां सुधारी हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप उत्तर सुन लें.
श्री रामपाल सिंह - माननीय विधायक जी ने जो पूछा है उसका जवाब दे रहा हूं. क्षतिपत्रक का प्रकाशन पंचायत भवन पर कराया जाये यह भी निर्देश कर दिये हैं. यह भी बहुत बड़ी उपलब्धि है सरकार की. आप इसकी तारीफ करेंगे तो हमें अच्छा लगेगा. सरकार किसानों के लिये काम कर रही है. सूची लगाने के बाद हमने कहा कि दावे आपत्ति लो और उनको शामिल कीजिये किसान को जवाब दीजिये. वहीं पर निराकरण कीजिये शिकायत यहां तक नहीं आनी चाहिये.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - इतनी अधीरता ठीक नहीं है. सबका नंबर आयेगा जब मैं कह रहा हूं तो आप अधीरता न करें. पहले माननीय मंत्री जी का जवाब आयेगा फिर रावत जी पूछेंगे इसके बाद जो लिस्ट है इस लिस्ट से मैं नाम पुकारूंगा इसके बाद हाथ उठाने वाले सदस्यों को अनुमति दूंगा. कृपा करके बिल्कुल भी उतावलापन न करें. माननीय मंत्री जी.
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में सरकार की तरफ से किसानों के हित में निर्णय लिये गये उनका यह प्रत्यक्ष उदाहरण है कि हम लोग यहां पर काम कर रहे हैं. क्षति-पत्रक के बाद फिर राशि की मांग करेंगे तहसीलदार केस बनाएंगे वह राशि मांगेगे उसमें ई पेमेन्ट के द्वारा राशि किसानों के खाते में जमा कर दी जाएगी, यह हमने व्यवस्था दी है. इसी तरह यह भी तय कर दिया है कि इनके जमाने में कहीं चार-सौ-पांच सौ बंटते थे आज मुख्यमंत्री जी ने तय कर दिया है कि किसी भी किसान को 2000 रूपये से कम नुकसान की राशि नहीं देंगे.
श्री रामनिवास रावत--यह बोलने का तरीका गलत है, यह तो किसानों के साथ कैसा मजाक कर रहे हैं.
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी आप उत्तर को संक्षेप में करिये.
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत से सवाल पूछेंगे मैं उनका समाधान पहले से ही कर रहा हूं और भी दूसरे प्रश्न कर सकें मैं आपका सहयोग कर रहा हूं. अध्यक्ष महोदय, जो निर्देश जारी किये हैं.
श्री रामलखन यादव--इन निर्देशों का धरातल पर अमल हो रहा अथवा नहीं हो रहा है, यह देखना चाहिये.
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तय कर दिया है कि कितना भी छोटा किसान क्यों न हो उनको 2000 रूपये से कम राशि नहीं देंगे. इसी राशि आरबीसी (64) में जो प्रावधान किया गया है उसकी जानकारी माननीय सदस्यों को उपलब्ध करवा देंगे, यह विषय पहले ही दिन आना था, यह विषय विलंब से लिया इसके लिये धन्यवाद, लेकिन हमने खुद ही इसकी पहल की. पिछली बार भी पहल कर निवेदन किया था.
अध्यक्ष महोदय--आप इसके पहले अपनी बात उठाएं मैंने इसलिये आपसे अनुरोध किया था कि सभी इसमें पूछ लें ताकि एक समेकित उत्तर आ जाए, पर उसके लिये भी आप लोग राजी नहीं हुए . मंत्री जी समेकित उत्तर ही पढ़ रहे हैं. कृपया करके स्पेसिफिक प्रश्न पूछें.
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, आज प्रदेश में भारी ओलावृष्टि हुई है मंत्री जी ने भी स्वीकार किया है. कई जगहों पर कल जैसे खरगापुर विधान सभा क्षेत्र में भी ओलावृष्टि हो गई, इसमें 14 लोग मर गये हैं अब मरने वालों की संख्या 16 हो गई है. मैं मंत्री जी से यह बात जानना चाहता हूं कि प्रारंभिक आंकलन के अनुसार पूरे प्रदेश में कितनी राशि की फसलों का नुकसान किसानों का हुआ है. आपने राशि का बता दिया है कि एक माह में उपलब्ध करवा देंगे. दूसरा प्रश्न यह है कि राहत राशि खातों में पहुंचने के बाद बैंक में किसी किसान पर कर्ज होता है तो उनके ऋण पेटे में समायोजित कर देती हैं. क्या मंत्री जी ऐसा आदेश सरकार की तरफ से निकालेंगे जो किसानों को राहत की राशि दी जा रही है किसी भी किसान के ऋण पेटे में समायोजित नहीं की जाएगी. तीसरा प्रश्न प्रदेश में सदन चल रहा है आपने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री जी इसके लिये दौरा कर रहे हैं, हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है. अभी माननीय मंत्री जी का भी जवाब मैंने सुना है. भ्रमण के दौरान माननीय मुख्यमंत्री जी ने कुछ घोषणाएं की हैं ओलापीड़ितों के लिये 1 रूपये किलो गेहूं-चॉवल-नमक दिया जाए, कर्ज वसूली पूरी तरह से स्थगित रहेगी, बिजली के बिलों की वसूली भी स्थगित रहेगी, किसानों की बेटी की शादी के लिये 25 हजार रूपये का राहत राशि दी जाएगी.
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय,राजस्व,जिला पंचायत और कृषि तीनों विभाग संयुक्त सर्वे करेंगे,पीडि़तों की लिस्ट हर पंचायत में चस्पा होगी, प्रति हेक्टेयर 15 हजार रूपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी, 100 प्रतिशत नुकसान मानकर मुआवजा दिया जाएगा, तालाब अन्य निर्माण के जरिए मजदूरी की व्यवस्था की जाएगी और किसानों का ब्याज सरकार भरेगी एवं आगामी वर्ष में खाद, बीज पर कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब सदन चल रहा है,सदन के बाहर घोषणा की है, मैं चाहता हूं कि यह घोषणाएं सदन में आना चाहिए हूं । माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने भी अपने जवाब में घोषित कर दिया है, मेरा सीधा सीधा प्रश्न है,दो प्रश्न मैंने पहले कर दिए, यह जो घोषणाएं हैं, नम्बर 1 ओलापीडि़त किसानों को एक रूपए किलो गेंहू,चावल,नमक इसके आादेश की कॉपी, क्या सरकार ने इसके आदेश प्रसारित कर दिए, इसके आदेश की कॉपी हम सभी सदस्यों को चाहिए? किसानों की कर्ज वसूली पूरी तरह से स्थगित रहेगी, इसके आदेश की कॉपी चाहिए ?
अध्यक्ष महोदय- घोषणाओं के बारे में आप इकट्टा पूछ लीजिए ।
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं आदेश की कॉपी मांग रहा हूं, इसलिए पढ़ कर बता रहा हूं ।
अध्यक्ष महोदय- एक बार पढ़ दिया, दोबारा फिर आप पढ़कर बता रहे हैं, उतनी देर में वह भूल ही जाएंगे ।
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय,जब सदन चल रहा है तो सदन के बाहर इस तरह घोषणाएं नहीं होना चाहिए, यदि हो भी गई हैं तो क्या इन घोषणाओं के परिपालन में आदेश जारी कर दिए गए हैं,बिजली के बिलों का स्थगन,किसान की बेटी को 25 हजार रूपए और पीडि़तों की लिस्ट हर पंचायत पर चस्पा की जाएगी ।
अध्यक्ष महोदय- आप इकट्टा पूछ लें,आप सीधा पूछ लें कि जो घोषणाएं हुई हैं, उनके कौन कौन से आदेश जारी हो गए हैं ।
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय,क्या माननीय मंत्री जी, मुझे इन घोषणाओं की कॉपी उपलब्ध कराएंगे, यदि आदेश जारी हो गए हैं तो सभी सदस्यों को तुरन्त उपलब्ध करा दें, जिससे आपकी घोषणाओं का जमीन पर पालन कराने में सदस्य भी सहभागी बन सकें ।
डॉं. गौरीशंकर शेजवार- माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो दौरे किए हैं और उन्होंने जो घोषणाएं की हैं, हम उनका आभार मानते हैं । माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं जिस बात को कहना चाहता हूं, माननीय मुख्यमंत्री जी दौरे पर जाएंगे,पीडि़त व्यक्तियों से मिलेंगे, ओला पीडि़तों से मिलेंगे तो क्या वहां पर घोषणाएं नहीं करेंगे, जो आप ऐसी आपत्ति कर रहे हैं ।
श्री रामनिवास रावत- फर्जी घोषणाएं करते हो,प्रदेश के किसानों को बरगलाते हो । (व्यवधान)
डॉं गौरीशंकर शेजवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि आज तक कौन कौन से आदेश देने की परंपरा है, आदेश उपलब्ध कराने की परंपरा कब रही है । (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा ध्यानाकर्षण है .......
(व्यवधान)...अध्यक्ष महोदय- माननीय अध्यक्ष महोदय,इतने सीनियर होते हुए,संसदीय प्रक्रिया का ज्ञान होते हुए भी व्यवधान पैदा कर रहे हैं ।
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जाइए,अब उत्तर जान लें, माननीय मंत्री जी ।
श्री सचिन यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक भी घोषणा पर अमल नहीं किया गया है ।
अध्यक्ष महोदय- बैठ जाएं तोमर जी ।
श्री रामपाल सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय रावत जी ने जो प्रश्न किया है, एक तो राशि का मैंने बता दिया है दूसरा ......
श्री रामनिवास रावत- बता दिया है, वह तो मुझे मालूम है आदेश की कॉपी...
श्री रामपाल सिंह- एक मिनट आप सुनें आपको देंगे, आप जरा सुनिए जरा कृपा करें, माननीय अध्यक्ष महोदय, 1086 गांव के नुकसान की जानकारी मिली है, 25 मकान छति का मैंने बता दिया है, 14जनहानि हुई है, उनको 4-4 लाख रूपए देंगे । माननीय अध्यक्ष महोदय, 128 पशु हानि हुई है, उनको भी आर.बी.सी. 6.4 के माध्यम से राशि देंगे । आपने क्षति के आंकलन का कहा है, क्षति का आंकलन कागजी नहीं होता है, वास्तव में जो अमला हमने बताया है, वह गांव गांव,खेत खेत में जा रहा है और क्षति का पत्रक तैयार कर रहा है, उसको विधिवत् यहां भेजेंगे और उसका आंकलन जब आएगा, उसकी राशि का हम आपको उल्लेख कर पाएंगे ।
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रारंभिक आंकलन फौरी तौर पर फील्ड से मंगाया जाता है,आपके नियमों में भी यह व्यवस्था है ।
अध्यक्ष महोदय- यह बहस का विषय नहीं है, जो वह कह रहे हैं, वह सुन लीजिए,सभी को अलाऊ करेंगे, धीरज तो रखिए अवस्थी जी ।
श्री रामपाल सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब वास्तविक क्षति का आंकलन होगा, टीमें बनी हुई हैं और जैसे ही जिले से राशि की मांग आएगी, किसानों का विधिवत् केस बनेगा, वास्तविक नुकसान होगा, हम राशि भेजेंगें और जैसे ही आंकड़े आएंगे, हम राशि भेजेंगे, अभी गांव की जानकारी मैंने आपको उपलब्ध करा दी, दूसरा अध्यक्ष महोदय, इनके प्रश्न का दूसरा उत्तर है ।
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्नों के उत्तर आ जायें. आप क्यों जल्दी करवा रहे हैं ?
अध्यक्ष महोदय - जल्दी तो करना पड़ेगा. (व्यवधान)
श्री राम निवास रावत - आपकी तो कृपा चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - दूसरा प्रश्न कौन-सा ? बिना भाषण के, एक ही प्वाइन्टेड प्रश्न पूछिये. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत - पाइन्टेड यही थे. एक तो मैंने यह पूछा था कि प्रारम्भिक आकलन नहीं बता पाये. दूसरा मैंने पूछा कि जो राहत राशि बैंकों में भेजी जायेगी, वह किसानों के ऋण से काट ली जाये और सबसे महत्वपूर्ण जो घोषणा की है, उसके आदेशों की कॉपी दी जाये. आपने भी अपने वक्तव्य में कहा है कि इनके आदेशों की कॉपियां सदस्यों को चाहिए क्योंकि आपके प्रशासन की हालत खराब है और सदस्यों को कॉपी नहीं मिलेगी तो सब झूठी घोषणाएं हैं, असत्य भाषण कर रहे हो. आप जो घोषणाएं करेंगे, क्या आप सदन के सदस्यों को अवगत नहीं करायेंगे ?
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर - मान्यवर महोदय, मैं रावत जी से पूछना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी. जितने निर्माण कार्य (व्यवधान)
श्री शंकरलाल तिवारी - विपक्ष के लोग कुछ सुनना नहीं चाह रहे हैं. कांग्रेसी कोई बात सुनना नहीं चाह रहे हैं. केवल हंगामा कर रहे हैं. इनका मकसद केवल हंगामा करना है. (व्यवधान)
श्री नीलेश अवस्थी - आप घोषणा कर रहे हैं तो आपको कॉपी देने में क्या दिक्कत है.
श्री सचिन यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, रोना रो रहे हैं, हर बार, सदन में जब भी कोई मुद्दा आता है तो हर बार ये विषय की गम्भीरता को समाप्त कर देते हैं.
अध्यक्ष महोदय - सुन लें, उनके महत्वपूर्ण प्रश्न हैं. पहले उनके उत्तर सुन लें.
श्री रामपाल सिंह - आप अपने अन्दर उत्तर सुनने की क्षमता उत्पन्न करें तो अति कृपा होगी. विद्वान सदस्य श्री रावत जी जो कह रहे हैं नई कॉपी की जरूरत नहीं है. जब सूखा पड़ा था, 80 प्रतिशत पहले ही सूखा घोषित कर दिया था, कन्यादान के पहले से आदेश हैं. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत - आदेशों की कॉपी चाहिए.
श्री रामपाल सिंह - पुराने आदेश पर्याप्त हैं. (व्यवधान)
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर - माननीय अध्यक्ष महोदय, कल ही पंधाना में 90 जोड़ों की शादियां हुई हैं, अब उसमें आदेश मांगोगे. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - मेरा माननीय सदस्यों से आग्रह है कि इन्ट्रप्शन न करें. बहुत से सदस्यों को बोलना है इसलिए कहीं न कहीं सारी बातें आ जायेंगी. माननीय मंत्री जी, कृपा करके थोड़ा धीरज रखेंगे. (व्यवधान)
श्री शंकर लाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, श्री रामनिवास जी छपने लायक बहुत बोल चुके हैं. कांग्रेस पक्ष खूब कर चुकी ओले के मामले में 'हाय हुसैन हम न हुए'. आप यह बता दें कि एक भी बेटी की शादी हुई हो. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आप संक्षेप में वक्तव्य दें.
श्री रामनिवास रावत - यह आपत्तिजनक है. मेरी यह आपत्ति नहीं है. मुझे तिवारी जी की बुद्धिमता पर तरस आता है. प्रदेश के किसानों के बारे में क्या सोचते हैं, मुझे बड़ा दुख है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि इसको प्रोसिडिंग से मत निकालियेगा. तिवारी जी जो भी बोलेंगे, वह पूरा लिखा जाये. (व्यवधान)
श्री सुखेन्द्र सिंह - आप अध्यक्ष महोदय पर छोड़ दें कि क्या लिखना है, क्या नहीं लिखना है. तिवारी जी, आप व्यापारियों के विधायक हैं. आपको किसानों की पीड़ा नहीं समझ में आयेगी. आप खेतों में नहीं जाते हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जायें.
श्री तरूण भनोत - आप लोग मंत्री बनने के लिए कर रहे हो.
अध्यक्ष महोदय - भनोत जी आप बैठ जाएं. (व्यवधान)
श्री शंकर लाल तिवारी - बीजेपी का एक-एक विधायक मंत्री है.
डॉ. रामकिशोर दोगने - इनकी कोई नहीं सुन रहा है तो विधायकों की कौन सुनेगा. तिवारी जी अभी मंत्री बनने में समय लगेगा. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी बैठ जाइये. आप सीधी चर्चा नहीं करेंगे. मेरा सदस्यों से अनुरोध है कि सदन का समय व्यर्थ न करें और मेरा प्रश्न पूछने वाले सदस्यों से भी आग्रह है कि वे अब क्रास क्वेश्चन्स न करें. सब लोग और भी दूसरे सदस्य होशियार हैं. वह बात करेंगे जो रह जायेंगे प्रश्न , वह पूछ लेंगे. सब प्रश्न आपको ही नहीं पूछना है. मंत्री जी से भी अनुरोध है कि बहुत संक्षेप में सभी सदस्यों के उत्तर दे दें.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जो चिंता रावत जी की है, एक तो रावत जी जो कह रहे हैं, यह सूखा संबंधी निर्देश राजपत्र में पहले से जारी है, उसमें यह सब सुविधायें शादी, सस्ते अनाज की हैं और काफी जिले एवं तहसीलें उसमें शामिल हैं. उसका अध्ययन आप कर लेंगे. दूसरा हम मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देंगे, निर्देश तो पहले से जारी है और भी जो उन्होंने किसानों के हित में बड़े साहसिक निर्णय लिये हैं. उनके भी निर्देश आरबीसी 6 (4) में संशोधन करेंगे. आदेश की पहले से कोई परंपरा रही नहीं है,लेकिन आपको आदेश की प्रति जब आदेश होंगे, तो उसकी प्रति जरुर हम आपको पहले भिजवायेंगे. यह हम आपको पूरा विश्वास दिलाते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- उनका एक प्रश्न और था. ..
श्री रामनिवास रावत -- मंत्री जी, आदेश नहीं हुआ ना. यही तो मैं चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- आप कृपया बैठ जायें.
श्री रामनिवास रावत -- मैं यही तो कह रहा हूं कि आप असत्य घोषणायें करते हैं. मुख्यमंत्री जी असत्य घोषणायें करते हैं.
..(व्यवधान)..
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- ..मध्यप्रदेश सरकार के आदेश हो गये. यह कोई आपकी सरकार थोड़ी है कि मुख्यमंत्री जी की नहीं चलगी.
अध्यक्ष महोदय --श्री निशंक कुमार जैन, कृपया अपना प्रश्न करें. ..(व्यवधान).. निशंक कुमार जैन के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, एक बैंकों वाले प्रश्न का उत्तर और आ जाये.
अध्यक्ष महोदय -- अब यह प्रश्न कोई दूसरे सदस्य पूछ लेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- मंत्री जी, बैंक्स राहत राशि के पैसे को ऋण में समायोजित कर लेती हैं.
अध्यक्ष महोदय -- रावत जी, कृपया बैठ जायें. आपके इस प्रश्न का उत्तर आ जायेगा, इतने लोग हैं, इनमें से कोई भी पूछ लेंगे. क्या आप ही प्रश्न पूछ लेंगे सब की तरफ से.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, जो प्रश्न पूछा था, उसका ही उत्तर आ जाये. आप इस प्रश्न का ध्यान रखना, उत्तर नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय -- ध्यान रखा है मैंने.
श्री निशंक कुमार जैन (बासौदा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं राजस्व मंत्री जी की भावनाओं से बिलकुल सहमत हूं और आपकी सहृदयता और सरलता पर हमें कहीं कोई संदेह नहीं है. मगर आप जो बात बोलते हैं, जो बात आप चाहे सदन में बोलें या सरकार के तौर पर बोलें, उसको अमलीजामा आपके अधिकारी, कर्मचारी नहीं पहना रहे हैं. आज सुबह की ही बात है. कल रात गंजबासौदा विधान सभा क्षेत्र में ओले गिरे. उसी के लिये मैंने आपसे अनुरोध किया था कि मुझे जाना है. 80 से 90 प्रतिशत नुकसान था गांव में और आपके तहसीलदार ने कह दिया कि 30 से 40 प्रतिशत नुकसान नहीं है. अब मुझे समझ में नहीं आता कि राजस्व मंत्री जी सही बोल रहे हैं या तहसीलदार सही बोल रहे हैं या मुख्यमंत्री जी सही बोल रहे हैं. दूसरी बात पीछे से बिजली विभाग के अधिकारी कर्मचारी जा रहे हैं, बिजली काट रहे हैं, सहकारिता वाले कर्मचारी मोटर साइकिल उठा रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि सदन में आप घोषणा कर दें कि किसी की भी सहाकारिता की वसूली नहीं की जायेगी. किसी की बिजली की वसूली नहीं की जायेगी और एक रुपये किलो गेहूं और चावल रावत जी ने कहा और मंत्री जी आपने भी कहा, वह शीघ्र वितरित किया जायेगा. और पिछली बार का जो अनुभव है कि एक खेत में दो तरह का मुआवजा नहीं दिया जायेगा, क्योंकि एक किसान भाजपा का कार्यकर्ता है और दूसरा किसान किसान है. उसको एक सा मुआवजा दिया जायेगा. नहीं तो राजस्व विभाग के पटवारी (XXX) और वे खाली खेत में खेती बता रहे हैं. राजस्व मंत्री जी, मेरा आपसे अनुरोध है कि बासौदा विधान सभा क्षेत्र में निष्पक्षता के साथ पूर्ण सर्वे करवा लें, तो आपकी बड़ी महती कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय -- अब आप कृपया बैठ जायें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, यह (XXX) का आरोप लगा रहे हैं, जरा क्षेत्र में जाना पटवारी आपका घेराव करेंगे आज.
श्री निशंक कुमार जैन -- अध्यक्ष महोदय, वन मंत्री जी तो जंगल के मंत्री हैं. (XXX)
1.04 बजे अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के लिये भोजन विषयक
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यों के लिये भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गयी है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
ध्यान आकर्षण सूचना (क्रमशः)
अध्यक्ष महोदय -- मेरा एक और अनुरोध है कि यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है, इस पर भाषण देने की आवश्यकता नहीं है. राजस्व विभाग की बजट मांगें अभी आने वाली हैं. उन पर भी चर्चा का अवसर आयेगा. कृपा करके एक एक बात अपनी क्षेत्र की कहकर के समाप्त कर देंगे. सीधा यदि कोई प्रश्न होगा और जो बहुत जरुरी होगा, क्योंकि सामान्यतः वही वही बात रिपीट होगी. तो इसलिये रिपिटेशन न हो, ताकि सदन का समय भी बच सके, कृपया ऐसा ध्यान रखेंगे.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, यह जो निशंक कुमार जी ने बोला है, यह विलोपित किया जाये. यह अकारण फालतू की बातें करते हैं, इसका कोई औचित्य नहीं है, कृपया उनके द्वारा कहे गये शब्दों को विलोपित किया जाये. यह गलत बात है.
..(व्यवधान)..
इंजी. प्रदीप लारिया-- अध्यक्ष महोदय, निशंक कुमार जैन किसानों के प्रति कितने गंभीर है इसी बात से पता चलता है कि वह अपनी सीट से प्रश्न पूछकर के चले गये हैं.
अध्यक्ष महोदय--मैंने उन शब्दों को कार्यवाही से निकाल दिया है.कृपया सहयोग करें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि माननीय निशंक कुमार जैन, सदस्य थे, उन्होंने कहा कि..
अध्यक्ष महोदय-- मैंने वह कार्यवाही से निकाल दिया है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, मैं दूसरी बात कह रहा हूं. उन्होंने कहा कि मैं बाकी सम्मानीय सदस्यों का ध्यानाकर्षित कर रहा हूं कि आज रात को उनके यहां पर ओले गिरे. उसमें 80 प्रतिशत किसानों की फसल को नुकसान हुआ है, किसानों के बिजली के कनेक्शन काटे जा रहे हैं..अध्यक्ष महोदय, वे स्वयं अभी तक क्षेत्र में गये नहीं है. अध्यक्ष जी आप रिकार्ड उठाकर के देख लें आज की बात निशंक जी ने कही है. मैं आज की बात कर रहा हूं. और उन्होंने घोषणा भी कर दी कि 80 प्रतिशत नुकसान उनके क्षेत्र में हुआ है. यह इस बात का द्योतक है कि किस तरह से बनावटी बातें सम्माननीय सदस्य कर रहे हैं. नुकसान वाली बात अगर कोई होती है, तो राजस्व मंत्री जी विदिशा जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं, विदिशा जिले से सांसद भी रहे हैं. उनके पास में एक एक चीज की जानकारी है, वे एक एक जानकारी देने का प्रयास कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत -- जरूरी नहीं है कि व्यक्ति वहां जब जाये तभी आंकलन की जानकारी दे, सूचना तंत्र से भी जानकारी हासिल की जाती है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, निशंक जी जिन्होंने सवाल किया है वह कहां हैं, सदन में तो उपस्थित नहीं है.
श्री रामनिवास रावत-- इस तरह से तो मंत्री जी सदन में बात उठाने से रोकने का प्रयास कर रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- निशंक कुमार जैन जी कहां हैं ? अगर मैं गलत कह रहा हूं तो वह जवाब दें.आप क्यो खड़े हो रहे हैं. मैं निशंक कुमार जैन का नाम लेकर के कह रहा हूं. असत्य वाचन करते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- डॉ.गोविंद सिंह जी अपनी बात रखेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- -- असत्य वाचन करते हैं, यहां पर खड़े होकर के क्यों जवाब नहीं देते.
अध्यक्ष महोदय-- सभी बैठ जायें. वरिष्ठ सदस्य डॉ. गोविंद सिंह जी खड़े हैं. उनको अपनी बात कहने दें.
श्री रामनिवास रावत-- इस तरह से आरोप लगाना. क्या सदस्य सदन में अपने क्षेत्र की बात नहीं उठायेगा. क्या उनके पास में अपने सूचना तंत्र नहीं हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- उनको इस तरह से डिमोरलाइज करके क्या करना चाहते हैं.मेरी प्रार्थना है कि पटवारियों से हमें काम लेना है, उनसे सर्वे करवाना है, उनसे मुआवजा दिलवाना है, यह इस तरह के अनर्गल आरोप उनके ऊपर लगा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--डॉ.साहब आप बैठ जाएं. डॉ.गोविंद सिंह जी अपनी बात रखें.
डॉ.गोविंद सिंह(लहार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं केवल इतना पूछना चाहता हूं कि एक तो आपने कहा कि पंचायत में सूची टंगेगी उसमें आपत्ति कहां लगेगीं और उसका निराकरण कौन करेगा यह बता दें. दूसरी बात कल की स्थिति बता रहा हूं . मैं कल गांव में ही था. गांव में कल भी बैंक वालों के पास पीड़ित किसानों से वसूली न करने के शासन के आदेश अभी तक नहीं पहुंचे हैं, वसूली स्थगित के आदेश और बिजली के बिल वसूल न करने के लिये मंत्री जी आप आज ही मेरे जिले के लिये तत्काल निर्देश देंगे ? आपने आरबीसी के तहत जो राहत देने की बात की है, उसमें कितनी कितनी राशि किस किस व्यक्ति को देने की बात की है. क्या इसमें छोटे और बड़े किसानों का कोई फर्क है और कितनी कितनी राशि आप देंगे कृपा करके बताने की कृपा करें.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भिंड जिले से यह सूचना आई है उसके अनुसार वहां पर 77 गांव प्रभावित हुये हैं.
श्री रामनिवास रावत-- मंत्री जी आदेश की कापी कहां है.
श्री रामपाल सिंह -- डॉक्टर साहब, आपने जो सवाल किया है, उसमें दिक्कत नहीं आने देंगे.
डॉ.गोविंद सिंह -- पूछ रहे हैं खेत की बता रहे हैं खलिहान की.मैंने जो प्रश्न किया है उसका जवाब आप दे दें.
श्री रामपाल सिंह - क्या है कि थोड़ी पुरानी उधारी है. आप भी ऐसे ही करते थे जब मंत्री थे. पुरानी दोस्ती रखनी पडेगी.
डॉ.गोविंद सिंह --अध्यक्ष महोदय, मैं पाइंटेड प्रश्न पूछ रहा हूं.
श्री रामपाल सिंह -- जब आप मंत्री थे तब हम पूर्व का पूछते थे और आप पश्चिम का बताते थे.मुझे मालूम है. लेकिन मैं उत्तर दे रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय- आप तो उत्तर दीजिये.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, डॉ. साहब ने जो प्रश्न किया है उसके बारे में कहना चाहता हूं कि हमने निर्देश जारी किये हैं कि पंचायत भवन में सूची लगायेंगे, वहां जाकर के दावे आपत्ति करेंगे, वहां के सरपंच भी रहेंगे और डॉक्टर साहब आप भी वहां के सम्माननीय विधायक हैं , आप सूची को देंगे. अगर सूची नहीं लगती है तो आप लिखकर के दें तो हम सख्त कार्यवाही करेंगे. आपको पूरा भरोसा हम यहां दिलाना चाहते हैं. दूसरा बैंकों के मामले में, उनके बैंक और बिजली के जो मामले हैं उनमें मैं तो राजस्व विभाग की तरफ से इतना आपको विश्वास दिला रहा हूं कि तुरंत किसान भाईयों को सहायता राशि दी जायेगी, इस पर आप लोग अलग से जब चर्चा हो तो बैंकों का और दूसरा जो बिजली वाला है इसकी जानकारी हम प्राप्त करके इसका भी समाधान निकालने की पूरी कोशिश करेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- अभी तक नहीं हुआ है न.
डॉ. गोविंद सिंह-- मैंने माननीय मंत्री जी से पूछा था कि इसमें केटेगरी आपने क्या, एक तो उन्हें रोकने के लिये जो घोषणा है आज ही जारी कर दें, दूसरा आपने किसानों में क्या केटेगरी की है, छोटे किसान बड़े किसान क्या सबको बराबर है और क्या, किस रेट से कितना-कितना देंगे, यह बता दें.
श्री रामपाल सिंह-- एक तो हमने तय कर दिया है 2000 रूपये से कम किसी किसान को, कितना भी छोटा किसान हो, नहीं देंगे. यह हमने तय कर दिया है, एक बड़ी खबर आपको यह बता रहे हैं. दूसरा लघु सीमांत कृषकों को हमने जो तय किया है राशि बढ़ाकर असिंचित जमीन है तो 25 से 33 प्रतिशत तक हम 5 हजार प्रति हेक्टेयर देंगे असिंचित पर और 33 से अधिक वाले पर 8 हजार रूपये प्रति हेक्टर सीमांत कृषक को देंगे और बड़े किसानों को 4500, 6800 रूपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देंगे. सिंचित के लिये अलग से रखा गया है माननीय अध्यक्ष जी, 25 से 35 प्रतिशत नुकसान तक 9 हजार प्रति हेक्टेयर और 33 से अधिक वाले किसानों को 15 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर हम देंगे. मुर्गा-मुर्गी का भी जिक्र कर सकता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं रहने दीजिये.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार (सुमावली)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुरैना जिले के, मेरी विधानसभा के ग्राम फराह, चिरायतनी, ढोंगरपुर, मुंदावली, कांसपुरा, सिलायथा ऐसे अनेक गांवों में भारी ओलावृष्टि हुई, मैं बहुत लंबी बात नहीं करूंगा, मैं केवल आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से यह कहना चाहता हूं कि पिछली बार भी मैंने एक प्रश्न किया था, माननीय मंत्री महोदय से मेरी बात हुई थी उसमें सूखे के कारण कई गांव प्रभावित थे, लेकिन गलत आंकड़े के कारण उनको मुआवजा नहीं मिल पाया, मैं केवल माननीय मंत्री महोदय से यह कहना चाहता हूं कि ऐसा न हो कि ओलावृष्टि में हुये नुकसान का ठीक तरह से आंकलन न हो पाये और फिर वह गांव छूट जायें. मैं केवल माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि जो प्रशासनिक अमला है उसमें और कसावट की जाये जिससे ठीक तरह से आंकड़े निकलकर बाहर आयें.
अध्यक्ष महोदय-- उत्तर दे दिया उन्होंने, वह बोल देंगे.
श्री रामपाल सिंह-- इन सब चीजों को ध्यान में रखकर ही यह नये निर्देश जारी हुये हैं और किसी तरह की कोई शिकायत नहीं आने देंगे और मैं आश्वस्त करता हूं माननीय विधायक जी को कि किसी तरह की कमी नहीं आने देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- श्रीमती उमादेवी खटीक.
श्रीमती उमादेवी खटीक. (अनुपस्थित)
अध्यक्ष महोदय-- मेरा सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि अभी हाथ न उठायें यह लिस्ट पूरी हो जाने दें, इसके बाद में. श्री सुंदरलाल तिवारी, कृपया संक्षेप में.
श्री रामनिवास रावत-- आपने ऐसा क्यों सोचा कि संक्षेप में नहीं बोलेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- अभी सुवह वाला विषय फिर उठा देंगे, वही चल रहा है उनके दिमाग में.
1.14 बजे उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुये.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय रीवा जिला सूखाग्रस्त जिला घोषित है. खरीफ की फसल नष्ट हो चुकी है, रवी फसल भी हमारी रीवा जिले में नष्ट हुई है. आज रात्रि, बीती रात करीब पौने 3 बजे पूरे जिले में अलग-अलग गांव में ओलावृष्टि हुई है, हमारे विधानसभा क्षेत्र गुढ़ में वैसा, पड़ोखर, ओटकी, बम्हनगवां, नीगा, छिरेहटा, डिदिया, वांसा, बांसी, चुआं, टीकर, शुकलगवां, गड़ागांव, तमरा, दुआरी, गुढ़, बदवार, हर्दी, जल्दर, बांधी इस तरह के सेकड़ों गांव इस ओलावृष्टि से प्रभावित हुये हैं तो मेरा यह कहना है आपके माध्यम से माननीय उपाध्यक्ष महोदय माननीय मंत्री जी से कि अविलंब सर्वे कराकर और सही ढंग से इनका सर्वे कराया जाये जो वास्तविक क्षति हुई उसका मूल्यांकन कराकर हमारे क्षेत्र के और रीवा जिले के किसानों को क्षतिपूर्ति अविलंब दिलवाने का कष्ट करें.
उपाध्यक्ष महोदय--यह तो सुझाव हो गया. आपका प्रश्न क्या है?
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, एक बात और कहनी है कि जो सर्वे का काम होता है और फिर उस हिसाब से मुआवजा वितरण का काम होता है. पटवारी से सर्वे कराते हैं और आपने बताया कि बहुत सा अमला रहता है. फिर यह मामला तहसीलदार के पास जाता है. फिर यह मामला एसडीओ के पास जाता है. फिर कलेक्टर के पास जाता है.
उपाध्यक्ष महोदय--तिवारी जी, हम नहीं समझ पा रहे हैं कि आपका प्रश्न क्या है? यह तो आपने प्रक्रिया बता दी.यह तो मंत्रीजी को मालूम है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--यह प्रक्रिया में ही जो गड़बड़ है वह निवेदन करना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- क्या गड़बड़ी है वह ही प्रश्न पूछ लीजिए. प्वाइंटेड पूछ लीजिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अगर किसी किसान के खेत को छोड़ दिया गया है. उसका सर्वे नहीं किया गया. वह संतुष्ट नहीं है तो उन्हीं रेवेन्यू अधिकारियों के पास आप पुनः भेजते हैं कि आप आवेदन दें.मेरा मंत्रीजी से प्रश्न है कि ऐसी कोई व्यवस्था करेंगे कि सर्वे और वितरण की टीम में जो अधिकारी लगे हैं, उनसे हटकर चाहे जिला स्तर पर एक ट्रिब्यूनल बने या आप कोई व्यवस्था करें जहां किसान अपना...
उपाध्यक्ष महोदय-- फिर आप भाषण देने लगें. आप भी समझ रहे हैं, आप क्या कह रहे हैं, हम भी समझ रहे हैं. आप मंत्रीजी से प्रश्न पूछ लीजिए. आप प्रश्न पूछने की मुद्रा में आते हैं फिर भाषण देने लग जाते हैं. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--हमारा प्रश्न यह है कि जो अधिकारी सर्वे में शामिल रहते हैं उनके सर्वे से अगर किसान संतुष्ट नहीं है तो क्या कोई ट्रिब्यूनल या इस तरह की व्यवस्था करेंगे कि उन अधिकारियों से हटकर किसान आवेदन दे और वह विचार करे कि सही हुआ है कि गलत हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्रीजी, अगर किसान संतुष्ट नहीं है तो आप कोई दूसरी व्यवस्था करेंगे?आपका प्रश्न आ गया.
श्री रामपाल सिंह--उपाध्यक्षजी, माननीय तिवारीजी के पुराने अनुभव हैं. पहले कच्ची कलम से लिखा जाता था फिर राजस्व विभाग अकेला सर्वे करता था. इन सब चीजों को ध्यान में रखकर सरकार ने एक मजबूत व्यवस्था की है. अब पंचायत भवन में सूची लगेगी. दावे-आपत्ति में जनता की भी सहभागिता की है. सरपंच,मुकद्दम,चौकीदार,पटेल सब लोगों को जोड़कर पारदर्शिता की गई. इसलिए कोई गड़बड़ी नहीं होगी. शासन की ओर से बहुत अच्छी व्यवस्था की है.
उपाध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्रीजी, जो तिवारी जी पूछ रहे हैं कि जो व्यवस्था आपने बनायी उससे यदि किसान संतुष्ट नहीं है तो कहीं और अपील कर सकता है?
श्री रामपाल सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, पहला ग्राम पंचायत में सूची लगेगी, वहां भी आपत्ति कर सकते हैं. यदि वहां सुनवाई नहीं होती तहसील और अनुविभागीय अधिकारी को आपत्ति कर सकते हैं और कार्रवाई होगी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है.
उपाध्यक्ष महोदय-- उत्तर आ गया है. अगर किसान संतुष्ट नहीं है तो एस़डीएम को, तहसीलदार को आवेदन कर सकता है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- वो ही रेवेन्यू विभाग को फिर आप आवेदन देने की बात कर रहे हैं. किसान को जिससे निष्पक्ष न्याय मिल सके ऐसा कोई ट्रिब्यूनल या जिला स्तर पर ऐसी व्यवस्था करेंगे?
उपाध्यक्ष महोदय--तिवारीजी, आप स्वयं अधिवक्ता हैं. बड़े विद्वान, अऩुभवी हैं. क्या इसके लिए कोई ट्रिब्यूनल बनाया जा सकता है निचले स्तर पर?
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, बनाया जा सकता है. मेरा यह कहना है कि आप इसी आरबीसी में संशोधन करिये.
श्री रामपाल सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, किसानों की चिन्ता के लिए मध्यप्रदेश की सरकार कृतसंकल्पित है. उसने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है और जनता को भी शामिल किया है, सरपंच को,जनपद सदस्य को भी शामिल किया है, आपको सम्मान करना चाहिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय,प्रश्न क्या है और आप जवाब क्या दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--चिन्ता के लिए इनको भी तो धन्यवाद दे दीजिए.ये चिन्तित तो हैं.
श्री रामपाल सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, आप बहुत गंभीर हैं. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का जवाब नहीं मिला.
उपाध्यक्ष महोदय--आप तो ऐसा प्रश्न पूछ रहे हैं कि दिनभर चर्चा हो सकती है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि जो आप कह रहे हैं, यह व्यवस्थाएं तो हैं लेकिन पीड़ित किसान संतुष्ट नहीं होता तो कोई स्वतंत्र एजेन्सी को इन्वाल्व करना चाहिए. वह तहसीलदार, वो ही एसडीएम, वो ही कलेक्टर इन्वाल्व है.
उपाध्यक्ष महोदय-- एसडीएम जिम्मेदार अधिकारी है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- उनकी जिम्मेदारी पर मैं प्रश्नचिह्न नहीं उठा रहा हूं. सवाल यह कि जो किसान असंतुष्ट है तो कहीं एक व्यवस्था बनायें जहां वह आवेदन दे और उसकी सुनवाई हो, फिर निर्णय हो जाये. उसको एक फोरम दीजिए जहां किसान संतुष्ट हो सके.
श्री नथन शाह कवरेती (जुन्नारदेव) - उपाध्यक्ष महोदय, जुन्नारदेव विधान सभा में 6 तारीख को ओलावृष्टि हुई और 7 तारीख के दौरान मैंने भ्रमण किया. मेरे क्षेत्र में चावलपानी, बमनी, दइयर, चाखला, मानेगांव, देहगांव, घाना, बिंदरई, बैलगांव, बोमलिया, आदि स्थानों में भारी क्षति हुई है. हमारे यहां एसडीएम भी दौरे पर थीं, लेकिन कहीं कहीं किसानों को उन्होंने चमकाया कि आपकी फसलें क्षति नहीं हुई हैं. परन्तु जब मैं भ्रमण में गया था तो वहां पर चने में काफी क्षति हुई थी और गेहूं को भी कहीं न कहीं क्षति पहुंची है. अभी कल फिर फोन आया है कि छिंदी मंडल में किसानों की फसलों को काफी क्षति हुई है और काफी मकान भी आंधी से उजड़े हैं. माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे किसानों को मुआवजा मिले.
श्री रामपाल सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, जो विधायक जी ने चिंता की है, वे वहां के जनप्रतिनिधि हैं. अगर कहीं किसी तरह की पारदर्शिता में या किसी तरह की कोई बात है तो वह सीधे भी लिखेंगे तो वहां सीधे पत्र भी लिखेंगे और वहां के अधिकारियों को भी कहेंगे कि हमारे सम्मानीय जनप्रतिनिधि विधायक हैं. वह सूची का अवलोकन आप भी करें और कोई कमी है तो वहीं उसका निराकरण कराएं और उसके बाद भी कोई दिक्कत आती है तो यहां बताएं, उसका निराकरण करेंगे.
श्री गोवर्धन उपाध्याय (सिरोंज) - उपाध्यक्ष महोदय, विदिशा जिले की तहसील सिंरोज एवं लटेरी में दिनांक 5.3.16 को शाम को लगभग 5 बजे कई ग्रामों में बारिश के साथ साथ भारी ओलावृष्टि हुई है. इस ओलावृष्टि में फसलों का 100 प्रतिशत से ऊपर नुकसान हुआ है. बड़े अधिकारियों के साथ मैंने भी दौरा किया. दौरों में उन अधिकारियों ने भी महसूस किया है कि वाकई 100 प्रतिशत यहां पर नुकसान हुआ है. मैं यह चाहता हूं कि सिंरोज, लटेरी के जिन ग्रामों में नुकसान हुआ है, जिसमें खास तौर से अहमदाबाद खिल्ली, सिद्दीकगंज, भौरिया, किशनपुरा, गरेंठा, भीकमपुर, कोरवासा, बासखेड़ीगूगल, नारायणपुर, कचनारिया, रामनगर, पीपलखेड़ा, झूकरहौज, बरेंड़ा, सारंगपुर, असदखेड़ी, पारदा, सालपुरखुर्द, पठेरा, विशनपुर एवं तहसील लटेरी क्षेत्र के ग्राम बलरामपुर, इस्लामनगर, खलीलपुर, धरगा, सगड़ा, रूसिया जमालपुर, इन ग्रामों में ओलावृष्टि से भारी नुकसान हुआ है. खेतों की सारी फसल नष्ट हो चुकी है. यहां तक कि बच्चे, व्यक्ति और महिलाएं घायल भी हुए हैं और हम लोगों ने उनको सिंरोज का जो राजीव गांधी अस्पताल हैं वहां पर भर्ती भी करवाया है. मेरा आपसे यही निवेदन है कि इस समय किसान दुखी है, जिन गांवों में ओलावृष्टि हुई है, पिछली बार भी हम ओला से काफी दुखी हुए थे, सूखे से दुखी हुए थे. इसके अलावा बिजली के बिलों का किसानों पर भारी दबाव है कि बार-बार बिजली के बिल आते हैं, वसूली होती है और कनेक्शन डिसकनेक्ट करते हैं, उन्हें परेशान किया जाता है. उन पर केस तक बनाए गये हैं. मेरा यही प्रश्न है कि उनको मदद दी जाय और जहां पर ओलावृष्टि हुई है वहां के किसानों के बिल माफ किये जाएं.
श्री रामपाल सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो बातें ध्यान में लाई है. अधिकारियों की टीम वहां पर गठित होचुकी है. आपके साथ भी अधिकारी गये थे. विगत वर्ष भी आपने कहा था तो आपने धन्यवाद भी दिया था, पर्याप्त राशि आपके क्षेत्र में बंटी थी और कोई भेदभाव नहीं हुआ था. इस साल भी आपने जो बातें ध्यान में लाई है, उसको और माननीय विधायक जी लिखकर देंगे तो उस पर भी सीधी कार्यवाही करेंगे. चूंकि मैं वहां का प्रभारी मंत्री भी हूं तो वहां किसी तरह की कमी नहीं आने देंगे, किसान के हित में निर्णय लेंगे.
श्री गोवर्धन उपाध्याय- आपके लिए पुनः धन्यवाद इस बार भी देना चाहता हूं. मुझे भरोसा है कि आप इसे पूरा करेंगे. परन्तु जो बिजली के बिल हैं, वह माफ करना बहुत आवश्यक है. धन्यवाद.
श्री सुबेदार सिंह रजौधा - उपाध्यक्ष महोदय, मैं भी कहना चाहता हूं. अध्यक्षी जी ने एलाऊ कर दिया है कि जिनके नाम नहीं हैं और जिनके यहां पर ओले पड़े हैं उनको बुलाएंगे.
उपाध्यक्ष महोदय - श्रीमान् जी, जो अभी नाम हैं ये जब सूची समाप्त हो जाएगी, उसके बाद जो माननीय सदस्य हाथ उठाएंगे, मैं सबको अवसर दूंगा. लेकिन एक प्रश्न करने के लिए भाषण देने के लिए नहीं.
कुंवर सौरभ सिंह ( बरोहीबंद ) -- उपाध्यक्ष महोदय मेरे विधान सभा क्षेत्र में सुगमा, निटर्रा, इमलिया, कठारे, इमलाज बांधा, नैगवा, खुसरा, रमपुरा, कुड़ाई, हथकुरी, गुड़ाबाधा और बहोरीबंद विकास खण्ड में गिदुरहा, रामपाटन, कुआं, छपरा, अमांच, नैगंवा ( लखापतेरी), अमाड़ी, पाकर चरगवां, जमुनिया, मोहगंवा, सुपेली, दिहोंटा, पटवा, गाताखेड़ा, मोहतरा, क्योलरहा, कचारगांव, हाथीमार, सलैयाखुर्द में विगत दो तीन दिनों में ओलावृष्टि हुई है. माननीय आपके माध्यम से यहबताना चाहता हूं कि जैसा कि मंत्री जी कह रहे हैं कि ग्राम पंचायतों में सूची टंग जाती है सूची लेट टंगती है यह बहुत व्यावहारिक समस्या है. उसमें किसान आपत्ति नहीं कर पाता है उसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि वहां के पटवारी खसरों के साथ में वहां की जो राशि बनती है, तो उनकी कितनी राशि बनी है उस हिस्से को फाड़ देते हैं, केवल रकबा और कितना प्रतिशत नुकसान हुआ है इतना ही रहता है उसमें से राशि जब गायब हो जाती है तो किसान नहीं समझ पाता है. मेरा आपके माध्यम से केवल एक निवेदन है कि क्या आप एक दिन की समीक्षा कटनी जिले में रख सकेंगे.
श्री रामपाल सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय नई व्यवस्था बनाने में दिक्कत होती है हम नया शूट भी पहनते हैं तो थोड़ा सा नया सा लगता है, नया सिस्टम बनाया है इसमें खामियां है इसको सुधारने में हमें माननीय सदस्यों का सहयोग चाहिए. जैसा विधायक जी कह रहे हैं समीक्षा करने के लिए तो हम वहां के अधिकारियों को कह देंगे कि वह विधायक जी के साथ में समीक्षा करें और कोई कमी होगी तो वह रिपोर्ट हम बुला लेंगे.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर ( खरगापुर ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं अभी सुन रही थी माननीय मंत्री जी बोल रहे थे कि टीकमगढ़ जिलेमें ओला वृष्टि नहीं हुई है. मंत्री जी से निवेदन है कि कल 13 तारीख को इतनी ओलावृष्टि हुई है टीकमगढ़ जिले में कि 100 ग्राम से लेकर 200 ग्राम तक का ओला गिरा है. लेकिन मुझे यह नहीं पता है कि किस विधान सभा क्षेत्र के किस गांव में ओलावृष्टि हुई है. मैं अपनी खरगापुर विधान सभा के ग्रामों के नाम बताना चाहती हूं ग्राम खरीला, सहपुरा, मऔकड़वाह, बारबरने में ओलावृष्टि बहुत हुई है इसलिए माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि इन ग्रामों का स्रर्वे करवाकर मुआवजा देने का कष्ट करेंगे.
श्री रामपाल सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय कल शाम तक की जानकारी और बुलवायी है परसों तक की जानकारी है लेकिन जो चिंता सदस्य की है वहां के अधिकारियों को निर्देशित करेंगे वह क्षति का आंकलन करेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग ( सुवासरा ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं यहां पर ओलावृष्टि की बात करूं तो किसानों की बात यहां पर हो रही है तो मंत्री जी भी यहां पर बैठे हैं, मंदसौर जिला सूखे के कारण वंचित रह गया है और उसके कारण जो मुआवजे की राहत राशि बंटना थी वह आज तक नहीं बंट पायी है. अभी रावत साहब और अन्य साथियों ने कहा है आपने उत्तर भी दिया है कि पंचायतों में लिस्ट लगाई जाती है. एक पूरी टीम गठित होती है. तहसीलदार एसडीएम साहब को रिपोर्ट देते हैं, वह रिपोर्ट फिर कलेक्टर कार्यालय जाती है और वहां से होकर कमीश्नर राशि देते हैं. जब तहसीलदार ने रिपोर्ट एसडीएम कार्यालय में पहुंचा दी हो, और कलेक्टर कार्यालय में रिपोर्ट आ गई हो तो उसमें 33 प्रतिशत से ज्यादा का नुकसान फार्मेट में भरा हो और उसकी प्रतिलिपि हमारे पास हो और उसके बाद में भी वहां के किसान मुआवजे से वंचित रह जाते हैं, जबकि हमारे पास में उसके पूरे प्रूफ है कि 33 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हुआ है लेकिऩ उसके बाद में भी किसान कोमुआवजा नहीं मिला है . एक तो मुझे यह उत्तर दें कि वास्तव में जो रिपोर्ट गई है वह रिपोर्ट पर एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा है. उस रिपोर्ट पर पहले एक्शन लें. हम यहां पर किसानों की और मुआवजा राशि की बात कर रहे हैं लेकिन जो पूरा जिला बचा हुआ है. उसके बारे में एक उत्तर दे दें कि वहां पर नहीं दे रहे हैं तो क्यों नहीं दे रहे हैं दूसरे जिलों को मुआवजा मिला है तो क्यों मिला है. हमारे पास में प्रूफ है कि 33 प्रतिशत से ज्यादा वहां पर नुकसान हुआ है. इतना उत्तर दिला दें उसके बाद मैं ओलावृष्टि की बात करूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- डंग जी, बात सिर्फ एक प्रश्न की हुई थी और ओलावृष्टि की हुई थी. माननीय अध्यक्ष महोदय जब आसंदी पर थे तो उन्होंने एक प्रश्न की अनुमति दी थी और विषय था ओलावृष्टि. पुरानी बात की नहीं, आप सिर्फ ओलावृष्टि की बात करें.
श्री हरदीप सिंह डंग -- मैं तो वही बोलूंगा कि जांच की जाए, जहां पर ओले गिरे हैं उनको मुआवजा दिया जाए पर पहले जो प्रश्न है उसका उत्तर आ जाए तो मैं अच्छा समझूंगा.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंदसौर जिले में निर्देश जारी कर दिए गए हैं जहां ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से नुकसान हुआ है उसका पूरा आंकलन करें और किसान भाइयों को शीघ्र सहायता राशि दिलाने का हम प्रयास कर रहे हैं.
श्री हरदीप सिंह डंग -- यह बहुत बड़ा मुद्दा है, एक उत्तर तो दे दें. वह किसानों की बात है. केवल एक बात बता दें कि आखिर में क्यों नहीं दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- डंग जी, वह विषय इस चर्चा में नहीं है.
श्री हरदीप सिंह डंग -- चर्चा में नहीं है लेकिन वह किसानों की बात है, मैं आज यहां नहीं बोलूंगा तो कहां बोलूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- किसानों के तो बहुत सारे मुद्दे हैं. अब आप बैठ जाइये.
श्री हरदीप सिंह डंग -- यहां मंत्री जी भी बैठे हैं. इनके हाथ में पॉवर है. एक बयान तो दे दें उस पर कम से कम.
उपाध्यक्ष महोदय -- जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर अनुमति चाहेंगे उन्हें अनुमति दी जाएगी लेकिन एक शर्त है कि सिर्फ एक प्रश्न करेंगे, भाषण कोई नहीं देगा.
श्री हरदीप सिंह डंग -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उसमें आश्वासन दिया गया था. मंत्री जी, कुछ तो बोल दो कि उसका क्या होगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- देखिए आसंदी से जो व्यवस्था हुई थी उसका आपको पालन करना चाहिए.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे शाजापुर जिले में शुजालपुर विधान सभा के अंतर्गत किठोर एक गांव है, यहां पर पानी तो कम पर आंधी ज्यादा आई, और आंधी में उस गांव के श्री कैलाश नारायण पिता भगवती प्रसाद का मकान उड़ गया और उसमें से जो लकड़ी गिरी तो वे उसमें दब गए थे और उनके पैर में चोट आई है और जांघ भी टूट गई है तो उनका देवास में अमनदीप हॉस्पीटल में उपचार चल रहा है, वे अत्यंत गरीब हैं. इसी प्रकार से नारायण पिता सिद्धू भी गरीब आदमी है वह अजा वर्ग का है, उसके पास धंधे के लिए बकरियां थीं तो बकरी के बच्चे दबकर मर गए हैं. इसी तरह सूरज सिंह और गोपाल सिंह के मकानों को भी क्षति हुई है, आंशिक रूप से तो सभी गांवों में हुई है लेकिन एक गांव ज्यादा प्रभावित हुआ है, मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि कैलाश नारायण का अमनदीप हॉस्पीटल में ऑपरेशन हो रहा है तो यदि उपचार के लिए मदद मिल जाए और नारायण पिता सिद्धू को बकरी के बच्चे मरने से यदि उसको कुछ मदद मिल जाए और सूरज सिंह और गोपाल सिंह के मकानों के लिए यदि सरकार की तरफ से कुछ सहायता मिल जाए तो बड़ी कृपा होगी.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो चिंता व्यक्त की है पूरा उनको सहयोग कराएंगे और बकरी या और भी जो क्षति है अधिकारियों को और कह रहे हैं कि परीक्षण करें और कहां किस जिस की और जरूरत है वह सब चीजें उपलब्ध कराएंगे.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कैलाश नारायण के उपचार के लिए मैं चाहता हूँ.
श्री रामपाल सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, उपचार की जहां तक बात है तो हम लोग पूरा उपचार मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से वैसे भी करा रहे हैं लेकिन जिनका ये उल्लेख कर रहे हैं उनका भी उपचार हम कराएंगे.
श्री चंद्रभान सिंह चौधरी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ओले से जो क्षति हुई है वह तो दिखती है मगर जो हवा और तूफान आता है और उसके कारण जो फसल गिर जाती है वह पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो जाती है फिर उस फसल में न दाने पड़ते और जब उसकी कटाई होती है तो कुल मिलाकर उस फसल में कुछ भी नहीं निकलता. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जहां भी हवा और तूफान से फसल गिरी है उसको भी इसमें सम्मिलित करेंगे कि नहीं करेंगे ?
श्री रामपाल सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चौधरी चंद्रभान सिंह जी पूर्व मंत्री भी रह चुके हैं और वैद्यराज भी हैं किसान भी हैं, किसानों के दर्द को वे समझ रहे हैं और इस चीज को निश्चित रूप से हम भी समझते हैं कि ऐसी क्षति होती है क्योंकि हम भी किसान हैं तो उसका भी आंकलन हम कराएंगे, जो उनकी चिंता है उसे हम ध्यान में रखेंगे.
श्री बाला बच्चन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपसे यह आग्रह करने के लिए खड़ा हुआ हूँ कि माननीय हरदीप सिंह डंग जी पूरे एक दिन तक धरने पर बैठे थे, उस समय भी उनके यहां जो नुकसान हुआ उसके सर्वे के लिए टीम नहीं पहुँची, सर्वे नहीं हुआ, अभी तक मुआवजा नहीं मिला और अभी भी माननीय मंत्री जी ने उनकी बात का जवाब नहीं दिया तो कृपा करके आप उनसे जवाब दिलवाइये.
उपाध्यक्ष महोदय-- बाला बच्चन जी, चर्चा क्यों शुरु हुई, विषय क्या था, यह भी आपको ध्यान देना पड़ेगा. यह ओलावृष्टि पर चर्चा है और आसंदी पर अध्यक्ष जी बैठे थे, उन्होंने व्यवस्था दी थी. सब माननीय सदस्य जिन्होंने नाम भेजा है, एक एक प्रश्न पूछेंगे. कोई भाषण नहीं देंगे. दूसरा उसके बाद जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर अनुमति मांगेंगे उनको भी अनुमति दी जाएगी लेकिन संक्षेप में अपनी बात रखेंगे और प्रश्न पूछेंगे.
श्री शंकरलाल तिवारी(सतना)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी अभी माननीय राजस्व मंत्री जी ने जो कहा कि आंधी आयी, मेरे सतना में भी कल रात में आंधी आयी और आसपास मैहर में तो पहले ओले भी पड़ चुके थे, मैहर का तो शुरु है पर कल जो आंधी आयी उससे सच में ओले तो छोटे थे पर उससे पूरी जो गेहूं की फसल लदी हुई थी, वह एकदम पसर गयी है और उसमें कुछ होना नहीं है इसलिए कृपापूर्वक जो अभी मंत्री जी ने कहा कि मैं उसका भी सर्वे कराऊंगा¸उसका भी मुआवजा दूंगा, इसके लिए मैं उनका धन्यवाद करता हूँ. मेरा मंत्री जी से एक प्रश्न है कि भगवान, प्रकृति तो हमसे रुठी है, मुख्यमंत्री जी संवेदनशील हैं, राजस्व मंत्री जी संवेदनशील हैं पर एक बिन्दु है जो आज तक चर्चा में नहीं आया..
उपाध्यक्ष महोदय-- आप वित्त मंत्री जी को क्यों छोड़ रहे हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी-- वित्त मंत्री जी भी, आप भी हैं. आप स्वयं भी संवेदनशील हैं मेरी मदद करेंगे. मैं विनती यह कर रहा हूँ कि हम हर अकाल, हर दुकाल को स्वीकार करते हैं ,किसानों को राहत देते हैं, जितना बनता है वह करते हैं पर खेतिहर मजदूर, जब अकाल पड़ गया, जब दुकान पड़ गया, जब अन्नदाता के घर में उसकी गुठली में अन्न नहीं आया तो जो खेतिहर मजदूर उसके कामधाम में लगा रहता है उसका रोजगार भी जाता है, उसका पेट भी मरता है, किसान को तो किसी तरह आधा चौथाई मिलता है लेकिन मैं पूछ रहा हूँ कि खेतिहर मजदूरों के लिए जो इस अकाल-दुकाल में किसान के बाद सर्वाधिक प्रभावित व्यक्ति है उसके लिए भी संवेदनशील मुख्यमंत्री जी, राजस्व मंत्री जी कोई राहत, कोई नगद अनुदान कि वह भी चार महीने, छ: महीने नोन-तेल, लकड़ी,चाय की पत्ती, तम्बाकू खरीद सके, खा सके, ऐसी कोई व्यवस्था सोचेंगे, करेंगे?
उपाध्यक्ष महोदय-- आपकी बात आ गयी. यह ओलावृष्टि से प्रभावित जो किसान हैं उनके यहां काम करने वाले खेतिहर मजदूरों की आप बात कर रहे हैं. माननीय मंत्री जी, है कोई व्यवस्था?
श्री रामपाल सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बंटाईदार और जो किसानी करते हैं,कृषि करते हैं हमारे किसान भाई, उनके लिए हम लोग एक संशोधन ला रहे हैं, उसको नियम बदल रहे हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी-- मैं बंटाईदार की बात नहीं कर रहा हूँ. वह खेतिहर मजदूर जब वहां काम करता है, जब किसान के घर में, मेरे घर में खाना नहीं है तो उसका क्या होगा, उसकी चिन्ता चाहता हूँ, उस पर निर्णय चाहता हूँ.
श्री रामपाल सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, उसको सस्ते अनाज की सुविधा दी जाएगी.
श्री शंकरलाल तिवारी-- ऐसे समय में उसकी नोन तेल, लकड़ी, कपड़ा, बीमारी की दवाई ये सब बंद हो जाती है.
श्री के.के. श्रीवास्तव(टीकमगढ़)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय से अनुरोध करना चाहता हूँ कि टीकमगढ़ जिले में कल रात में बहुत ओलावृष्टि हुई है. टीकमगढ़ जिले की तीन विधानसभाएँ हैं जिसमें टीकमगढ़ मेरी खुद की विधानसभा, जतारा विधानसभा और खरगापुर विधानसभा इनमें ओलावृष्टि की जानकारी लगी है. गांव का पूरा अभी सर्वे का पता नहीं लगा. मैं अनुरोध करना चाहता हूँ कि क्या उसमें शीघ्र ही दल गठित करके एसडीएम, कलेक्टर को निर्देश देकर के वहां का सर्वे काम प्रारम्भ करवा लेंगे?
श्री रामपाल सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जी हां, बिलकुल निश्चित रुप से करायेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- आज आपके उठने बैठने का रिकार्ड बन जाएगा, ऐसा लगता है(हंसी)
श्री नीलेश अवस्थी(पाटन)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ कि पाटन और मझौली तहसील में सूखे के बाद अति ओलावृष्टि से हमारे कई गांव प्रभावित हुए हैं. माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि जो शासन की मंशा है तो शासन ने नियम जारी किये हैं किसानों को राहत के लिए उसमें वास्तविक तौर पर वहां पर अमल नहीं हो रहा है. जैसे कि सूखा घोषित होने के बाद ओलावृष्टि में हमारे किसानों के पास बिजली के बिल आ रहे हैं, नोटिस भी जारी हो रहे हैं उनको जेल भेजने के, बैंक के ऋण वसूली के नोटिस भी जारी हो रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- नीलेश आपके यहाँ ओले कब गिरे हैं.
श्री नीलेश अवस्थी-- 7 और 8 तारीख को गिरे हैं और निरंतर दौरा किया है, करीब 70 से 75 गांव हमारे क्षेत्र के प्रभावित हुए हैं. मेरा मंत्रीजी से निवेदन है कि जो शासन के नियम और जो आपने किसानों के राहत के लिए घोषणायें की है, उस पर जो अधिकारी अमल नहीं कर रहे हैं उन पर कार्यवाही करेंगे.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष मेरी बात हुई थी, उसी दिन जब ओले गिरे थे, यह खेत में थे, वहाँ के कलेक्टर , अधिकारी , सम्मानीय विधायक, सांसद वहाँ मौजूद थे लेकिन जो सरकार की तरफ से जो निर्देश हैं अगर उनके पालन में कोई गड़बड़ी करते हैं तो माननीय विधायक जी लिख दें उस पर हम सख्त कार्यवाही करेंगे.
श्री नीलेश अवस्थी-- धन्यवाद मंत्री जी.
इंजी. प्रदीप लारिया(नरयावली)—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कल मेरे विधानसभा क्षेत्र में मौठी, सेवारा, सेवारी, धौहा और लौहारी में ओलावृष्टि भी हुई है, तेज आंधी भी चली है उसके कारण फसल बिछ गई है. एक तो उसका जल्दी सर्वे हो जाए दूसरा 5 मार्च को भी राहतगढ़ विकासखंड के नरियावली विधानसभा क्षेत्र के कानोनी, सेवारा,सेवारी,धौहा , पिपरियाखंगार, मौठी , लौहारी इत्यादि गांवों में भी ओलावृष्टि हुई थी, तत्काल वहाँ पर राजस्व की टीम गई लेकिन प्रारंभिक सर्वे के जो आंकलन आए हैं. मुझे लगता है कि उसमें गड़बड़ी हुई है मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि क्या दुबारा उसका सर्वे आजू-बाजू के आरआई और पटवारी से,जो वहाँ पंचायत में उस हलके में आरआई और पटवारी पदस्थ हैं व अन्य पटवारी की टीम बनाकर क्या सर्वे कराएंगे और जो कल ओलावृष्टि हुई है, उन गांवों का भी अतिशीघ्र सर्वे करा लिया जाएगा.
श्री रामपाल सिंह--- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जिस तरह से क्षेत्र की चिंता कर रहे हैं वह लिखकर दे दें दुबारा नहीं तिबारा सर्वे करा लेंगे और चिंता न करें क्षति का आंकलन करा लेंगे.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी(मेहगांव)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा माईक सही कराया जाये. उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि भिंड जिले की मेहगांव तहसील में कतरोल,चिरोल,दंदरौआ,खल्ली, सुकांड, मेहरा और मढ़ईयन इन गांवों में लगभग बेर के बराबर ओले गिरे और सरसों की पकी हुई फसल जो खड़ी थी, वह वही झड़ गई इस ओले के कारण. तो क्या मंत्री महोदय, उसका सर्वे कराएंगे और उनको पर्याप्त मुआवजा दिलवाएंगे मेरा मात्र इतना अनुरोध है.
श्री रामपाल सिंह --- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से सर्वे भी कराएंगे और दूसरा आपके माध्यम से मैं सदस्यों से निवेदन करूंगा कि तूफान, भूकंप, अतिवृष्टि भी हमारे आरबीसी में सम्मिलित है अगर ओले नहीं पानी से भी नुकसान हुआ है तो उसको भी हम सम्मिलित करेंगे और सहायता देंगे.
श्री प्रताप सिंह (जबेरा)--- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने दमोह जिले की हटा तहसील एवं दमोह तहसील के बारे में तो स्वीकार किया है कि वहाँ ओले से नुकसान हुआ है लेकिन मैं तेंदूखेड़ा तहसील के सिर्फ पांच गांव नरगुवा,खखरियाकलां, खखरियाखुर्द, हुलासपुरा,भौड़ी और झरोली में भी 5 और 6 तारीख में बड़े बड़े ओले गिरे हैं, वहाँ फसलें बिल्कुल चौपट हो गई हैं तो मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान उस ओर आकर्षित करता हूं कि उनकी भी जांच करवाएंगे.
श्री रामपाल सिंह--- उपाध्यक्ष महोदय, जो तेंदूखेड़ा तहसील ब्लाक के पांच गांवों के नाम दिये हैं, उनका भी सर्वे कराएंगे और भी कहीं नुकसान हो तो ध्यान में लाते जायें उनका भी सर्वे करा लेंगे.
श्रीमती ममता मीना(चाचौड़ा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा में चाचौड़ा और कुंभराज क्षेत्र में ज्यादा तेज हवा के कारण से काफी किसानों की फसलें उड़ गईं. जैसे कोटरा गाँव है, माड़ाखेड़ा है, झारेड़ा है कुंभराज में और चाचौड़ा तहसील में कोटरा गाँव है. जिसकी पूरी फसलें उड़ गईं और सबसे बड़ी बात है ओले भी गिरे और पानी तेज गिरा उसके कारण से, क्योंकि हमारी चाचौड़ा विधान सभा में धनिया की खेती होती है, थोड़ा सा पानी गिरने से धनिया खराब हो जाता है तो एक तो माननीय मंत्री जी उसका सर्वे करा लें. साथ ही एक तेलीगाँव में किसान अपने परिवार के साथ काम कर रहा था और उस समय आकाशीय बिजली गिरी तो उसका 15 साल का एक ही बेटा था उस पर आकाशीय बिजली गिरने के कारण से उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी और उसका पूरा मेडिकल भी हुआ. पुलिस के यहाँ एफ आई आर भी हुई तो...
उपाध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न क्या है?
श्रीमती ममता मीना-- मेरा यह कहना था चूँकि काम करते वक्त उसका बेटा आकाशीय बिजली से चला गया तो उसका मुआवजा उसके परिजनों को मिलना चाहिए. ऐसा माननीय मंत्री जी कहे और पानी के कारण से जो धनिया खराब हुआ उसका भी सर्वे करवाएँ.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष जी, सर्वे वहाँ पर चल रहा है. विगत वर्ष भी हम गए थे. माननीय विधायक जी ने जो कहा है, उसका सर्वे हम कराएँगे. दूसरा, पहले आकाशीय बिजली से मौत पर डेढ़ लाख रुपये मिलते थे अब 4 लाख रुपये, जिस बालक का उन्होंने कहा है, उनको 4 लाख रुपये भी दिए जाएँगे और भी माननीय सदस्य ध्यान में लाएँगे जो मौतें आकाशीय बिजली से हुई हैं, उनको 4-4 लाख रुपये सहायता के दिए जाएँगे.
श्रीमती ममता मीना-- माननीय उपाध्यक्ष जी, 15 साल का बच्चा है तो उसके कारण से उसको निकाल तो नहीं देंगे, उस बच्चे का नाम पदम पुत्र चंपालाल है.
उपाध्यक्ष महोदय-- ममता जी, आपके सारे जवाब आ गए. आपका जवाब आ गया, कह दिया मंत्री जी ने, 4 लाख की बात उन्होंने की है.
श्री प्रहलाद भारती-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं पहले तो माननीय राजस्व मंत्री जी को धन्यवाद....
उपाध्यक्ष महोदय-- नहीं, आप बैठ जाइये. आप तो बोल नहीं रहे थे इंजीनियर लारिया साहब जबर्दस्ती आपका हाथ उठा रहे थे. मैं देख रहा था. आप बैठ जाइये.
श्री मानवेन्द्र सिंह(महाराजपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा में महाराजपुर के गढ़ी मलेहरा राजस्व निरीक्षक क्षेत्र में कल शाम को 8 बजे के करीब बहुत ओलावृष्टि हुई है. जिससे कि काफी ग्रामों में नुकसान हुआ है और नौगाँव तहसील में तेज आँधी और पानी की वजह से काफी फसल का नुकसान हुआ है. काफी फसल गिर गई है. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि इसका सर्वे कराकर मुआवजा राशि की व्यवस्था करवाने का कष्ट करेंगे और वसूली तथा बिजली वसूली, इन दोनों में भी राहत दिलाने की मैं अनुशंसा करता हूँ. माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि इन सभी व्यवस्था की आपकी तरफ से स्वीकृति प्रदान की जाए.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष जी, सम्माननीय मानवेन्द्र सिंह जी ने जो बात रखी है पूरा सर्वे करवाया जाएगा. पूरी सहायता राशि भी जल्दी, जो मांग पत्र आएगा तुरन्त राशि उपलब्ध करवाएँगे.
श्री लाखन सिंह यादव(भितरवार)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 6 और 7 मार्च को ग्वालियर जिले में भितरवार, डबरा और ग्वालियर ग्रामीण में भयानक ओलावृष्टि हुई और वह ओलावृष्टि इतनी ज्यादा हुई कि उसमें मेरे क्षेत्र के करीब 17-18 गाँवों में बहुत ज्यादा ओलावृष्टि हुई. अभी 3 दिन से मैं अपने क्षेत्र में दौरे पर था. जैसा अभी माननीय मंत्री जी यहाँ बता रहे थे कि हमारा अमला पूरी तरह क्षेत्र में सक्रिय है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको यह बता देना चाहता हूँ कि आप यहाँ से निर्देश तो दे देते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि, मैंने पूर्व में भी आप से यह बात कही थी कि धरातल पर जो नीचे आपका अमला काम कर रहा है. वह ठीक से सर्वे नहीं कर रहा है इसका मैं एक उदाहरण देना चाहता हूँ. पिछली बार जब ओलावृष्टि हुई थी तो माननीय मंत्री जी मेरे क्षेत्र में गए थे और जिस किसान के खेत में इनका हेलिकॉप्टर लैण्ड किया, जिस किसान के खेत में इन्होंने अपना मंच बनाया, उस किसान को आज तक मुआवजा नहीं मिला. मैं पूर्व में माननीय मंत्री जी से भी निवेदन कर चुका हूँ और मैं आज यह निवेदन करना चाहता हूँ कि मेरे क्षेत्र के जो 15-17 गाँव हैं जिसमें बसई है, ककेटा है, नंदपुरा, प्रीतम फार्म, सरदारों का डेरा,मौहना, ददौरी, वड़ागाँव, बागबई, छिरैठा,चरखा, गडाजर, इकहरा इत्यादि ऐसे गाँव हैं. जिनमें पिछले साल भी ओलावृष्टि हुई और उसमें ऐसे सैकड़ों किसान हैं. उसमें ऐसे सैकड़ों किसान हैं जिनको आज दिनांक तक उस ओलावृष्टि का मुआवजा नहीं मिला. मेरा निवेदन है कि माननीय मंत्रीजी की मंशा ठीक हो सकती है लेकिन मेरा यह पुन: निवेदन है कि आप अपने नीचे के अमले की मॉनिटरिंग करें नीचे का अमला आपका ठीक से काम नहीं कर रहा है वह उन लोगों के सर्वे में नाम जोड़ रहा है जिन लोगों से वह पैसा ले रहा है इसकी थोड़ी आप मॉनिटरिंग करें. मेरा प्रश्न है कि पिछली बार जो किसान रह गये थे ओलावृष्टि के मुआवजे से वंचित है जिनको आज तक मुआवजा नहीं मिला है उनको तत्काल मुआवजा दिलाया जाये. दूसरा अभी जो ओलावृष्टि हुई है उसका ठीक से सर्वे करायें यह मेरा निवेदन है.
श्री रामपाल सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी निवेदन किया है व्यवस्था सुधारने के लिए आप लोग हमें सहयोग करेंगे, कसावट लाने के लिए जनता को भी इससे जोड़ दिया है और पिछले दो वर्षों से जो परिणाम आ रहे हैं उनमें काफी सुधार हुआ है. विगत वर्ष का माननीय विधायक जी लिखेंगे उस पर तुरंत कार्यवाही की जाएगी. अभी के सर्वे का काम आपके यहां चल रहा है बात हुई है आपके क्षेत्र में टीम घूम रही है वह कोई गड़बड़ी करती है तो हमें सूचना दें हम कार्यवाही करेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव--उपाध्यक्ष महोदय, जो पैसे दे रहे हैं उन्हीं का सर्वे कर रहे हैं. मैंने तीन दिन पहले भी आपसे निवेदन किया था मेरा प्रश्न भी था कि जहां आपका हेलीकाफ्टर उतरा था उस किसान को आप मुआवजा दिलवा दें.
श्री रामपाल सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, वहां की रिपोर्ट यह है कि वहां का खेत खाली था जहां हेलीकाफ्टर उतारा था लेकिन आप कह रहे हैं तो आपकी भावना की कद्र करते हुए उसको मदद कर देते हैं. हेलीकाफ्टर जहां उतरता है वहां खेत खाली होता है फसल पर नहीं उतरता है हेलीकाफ्टर.
श्री लाखन सिंह यादव--उस गांव को 100 प्रतिशत प्रभावित माना गया है एक साल हो गया है दोबारा फिर ओले पड़ गये हैं. जब-जब यह दिल्ली में बैठेंगे तब तब ओले पड़ते ही रहेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय--मंत्रीजी ने मदद करने के लिए आश्वासन दिया है.
श्री प्रहलाद भारती (पोहरी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी तहसील पोहरी और बैराड़ दोनों घोषित हुईं और 38 करोड़ रुपये की मुआवजा राहत राशि मेरी दोनों तहसीलों में माननीय मंत्रीजी ने भिजवाई इसलिये मैं माननीय मंत्रीजी को धन्यवाद देता हूँ. इस बार मेरी विधान सभा के खांदी, नरमानी और भमेड़ में ओलावृष्टि से गेहूं, सरसों, चना, मटर एवं प्याज आदि की फसलों में काफी नुकसान हुआ है. मैंने स्वयं जिले के अधिकारियों के साथ मुआयना किया काफी नुकसान हुआ है उचित सर्वे किया जाकर उचित राहत प्रदान करने की मंत्रीजी कृपा करें.
श्री रामपाल सिंह--जी उपाध्यक्ष महोदय.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र जौरा में नरेला और इस गांव के सभी मजरे, कुवरपुर, देवगढ़, अलाहपुर, चिन्नोनी, करोली, गुज्जा डिढोखर, कोटरा, मिलउआ, रणछोरपुरा आदि गांवों में भारी ओला पड़ा है और वहां सर्वे के नाम पर परसों देवगढ़ के लोग मेरे यहां ट्रेक्टर भरकर आये उन्होंने कहा कि हमारे गांव में ओला पड़ गया है और कोई पटवारी देखने नहीं गया है मैंने नायब तहसीलदार को सूचना करवाकर बुलवाया और देवगढ़ गांव में ओले पड़े थे उसमें नुकसान हुआ लेकिन उसका सर्वे नहीं हुआ था. प्रशासन ने तत्काल उसका सर्वे करवाया और उन्होंने यह स्वीकार किया है कि देवगढ़ गांव में 50 प्रतिशत से ज्यादा ओले पड़े हैं. उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्रीजी से निवेदन करना चाहता हूँ कि जैसे 7 तारीख को देवगढ़ गांव में ओले पड़े थे और उसका सर्वे नहीं हुआ. जब गांव के लोग ट्रेक्टर भरकर आये तब सर्वे हुआ इस प्रकार से मुझे लग रहा है कि जौरा के अधिकारी संवेदनशील नहीं हैं मैं मंत्रीजी से यह चाहूंगा कि कलेक्टर, एडिशनल कलेक्टर के माध्यम से जो गांव मैंने आपको बताये हैं उनके मार्गदर्शन में सर्वे करवाया जाएगा और उनको उचित मुआवजा दिलाने की कृपा करेंगे.
श्री रामपाल सिंह :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननी विधायक बहुत जागरूक हैं, वह खुद गये उन्होंने चर्चा की, लेकिन इसमें अगर किसी ने लेट लतीफी की है तो वह लिखकर दे दें तो उस पर कार्यवाही करेंगे. पीडि़त किसानों को सहायता राशि उपलब्ध करवायेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय :- आपकी बात आ गयी है. आपकी बात रिकार्ड में आ गयी है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा :- माननीय मंत्री जी कहें कि आप कलेक्टर और कलेक्टर के मार्गदर्शन में उनका सर्वे करवाया जायेगा. माननीय मंत्री जी आप आदेश करें.
उपाध्यक्ष महोदय :- माननीय मंत्री जी ने जवाब दे दिया है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा :- उन्होंने नहीं कहा है, उन्होंने कहा है कि लिखकर दें.
उपाध्यक्ष महोदय :-इसमें आपको क्या आपत्ति है. सूवेदार सिंह जी आप एक कागज में गांवों का नाम लिखकर दे दें.
श्री सूबेदार सिेंह रजौधा:- माननीय जब मैंने पूरे गांव के नाम बोल दिये और यह भी कहा है कि देवगढ़ गांव में 7 तारीख को ओले पड़े और वहां पर कोई गया नहीं, जब मैंने परसों तहसीलदार को कहा और वह गये और वहां पर उन्होंने स्वीकार किया कि देवगढ़ गांव में ओले पड़े हैं, तो उनका हमें भरोसा नहीं है. माननीय मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आश्वासन चाहता हूं कि कलेक्टर या ए डी एम के मार्गदर्शन में वह टीम उस गांव का सर्वे करे.
श्री रामपाल सिंह :- देवगढ़ का जो मामला है, सर्वे माननीय विधायक जी ने करवा लिया और कहां का कराना है तो आप बता दो हम तो हम कलेक्टर और ए डी एम को भेज देते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय :- माननीय मंत्री जी कह रहे हैं आप लिखकर दे दें.
श्री रामपाल सिंह :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पूरे मामले का परीक्षण करा लेंगे, कलेक्टर और ए डी एम को भी कहेंगे. अगर कोई दिक्कत होगी तो उसका का भी निराकरण करें और उसका भी समाधान करेंगे.
श्री भारत सिंह कुशवाह :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से ग्वालियर ग्रामीण विधान सभा में भी दो तीन दिन पहले काफी ओले और पानी पड़ने से किसानों की फसल नष्ट हुई. मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री को और पूरी सरकार को धन्यवाद् इसलिये देना चाहूंगा कि आज ओले पड़े और दूसरे दिन प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री जी उन किसानों के बीच में पहुंचे इसके लिये मैं बार-बार धन्यवाद देना चाहूंगा और साथ-साथ ही मैं आपसे अनुरोध करना चाहूंगा कि जिन गांवों का सर्वे हो चुका है उन गांवों के नाम उस सूची में आ चुके हैं, वहां पर उनसे बिजली के बिल की वसूली न की जाये, ऐसे आदेश माननीय मंत्री जी ओर से हो जाये, क्योंकि बिजली की बहुत समस्या है, बाद में जो राहत राशि का काम चलेगा, सर्वे भी ठीक प्रकार से चल रहा है. हम सर्वे से भी संतुष्ट हैं.
उपाध्यक्ष महोदय :- आपका प्रश्न क्या है.
श्री भारत सिंह कुशवाह :- मेरा प्रश्न यही है कि बिजली के बिल की वसूली न की जाये, क्योंकि की गांवों के सूची ओपन हो चुकी है.
श्री लाखन सिंह यादव :- जो विकास का काम है, वह इन्हीं की विधान सभा में होता है.
श्री भारत सिंह कुशवाह :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से यह अनुरोध है कि जो माननीय सदस्य लाखन सिंह जी कह रहे हैं.वह गलत है, पिछली बार अगर सबसे ज्यादा नुकसान की बात कर रहे थे, वहां पर ओले और पाले से फसल नुकसान हुई थी तो सबसे पहले मुख्यमंत्री जी इनकी ही विधान सभा में पहुंचे थे और शत-प्रतिशत किसानों को उन्होंने मुआवजे की राशि दिलायी और माननीय सदस्य जी जो कह रहे हैं, वह गलत आरोप लगा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय :- आप यह बताईये, इसमें आपको आपत्ति क्या है. आपके यहां पर बहुत काम हो रहा है बहुत जागरूक विधायक हैं, आप अपनी विधान सभा क्षेत्र में काम करवा लेते हैं. आपको क्या दिक्कत है. अब आप बैठ जाईये.
श्री सुखेन्द्र सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे रीवा जिले में कल रात बरसात के साथ ओले गिरे पूरे जिले स्तर पर. उसी कड़ी में हमारे मऊगंज विधान सभा क्षेत्र में भी काफी.
उपाध्यक्ष महोदय :- माननीय सभी सदस्यों से मेरा आग्रह है कि उनके विधान सभा क्षेत्र में यदि ओले गिरे हैं, वही हाथ उठाकर अनुमति मांगें. पूरे जिले और संभाग की बात न करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा में काफी मात्री में ओले गिरे जिनका नाम में व्यक्तिगत तौर पर बताना चाहता हूं, जितने गांव तेजी से प्रभावित हुए उसमें मऊगंज तहसील में बहेराडाबर,उमरीमाधव, बरहटा, देवरी और हनुमंना तहसील में अतरेयला,बसिगड़ा, कटहा, दमोदरगढ़, हरई प्रतापसिंह, सरदमन यहां पर काफी मात्रा में ओले के साथ बरसात हुई है, यहां भारी मात्रा में ओले के साथ बरसात हुई है माननीय मंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि इसका तत्काल सर्वे कराकर किसानों को उचित मुआवजा दिलया जाये. हमारा जिला सूखाग्रस्त घोषित था और मेरी दोनों तहसीलें सूखाग्रस्त घोषित थीं और मुआवजा भी किसानों के लिये भेजा गया लेकिन कई गांव ऐसे हैं जहां पर पटवारियों ने काफी धांधलीकी है और उसमें अनियमितता हुई है. हाटा,बलहा,हरदियाई,बिलौंही,लोढ़ी,राजाधौ, कई ग्राम पंचायतें हैं जहां व्यापारियों ने काफी धांधली की है तो मेरा व्यक्तिगत अनुरोध है कि इसकी जांच कराकर इसमें मुआवजा राशि किसानों को दी जाये और पिछली बार पटवारी धरना,आंदोलन पर बैठ गये थे तो इस बार भी जो बारिश हो रही है ओला पड़ रहे हैं तो मेरा आपसे अनुरोध है कि पटवारी धरने पर न जायें वे खेतों में जाकर सर्वे करें और किसानों को लाभ पहुंचाये.
श्री रामपाल सिंह - सुझावों पर कार्यवाही करेंगे.
श्रीमती इमरती देवी(डबरा) - उपाध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि पूरे मध्यप्रदेश में ओले से किसान परेशान है और हमारे किटाल, बारोल, पठर्रा, खेड़ीरामल, देवरा, सेतोल, गोबरा,छीमर,सिरसा,सेकरा और गुलियाई इन गांवों में बहुत ओले पड़े हैं. इनको सबको मुआवजा मिले. हमारी डबरा विधान सभा तीन साल से ओले से बहुत पीड़ित है और पिछले साल भी मुआवजा कुछ लोगों को मिला था लेकिन एक हाथ से मुआवजा दूसरे हाथ से बिजली के बिल किसानों से ले लिये थे. आप पूरी तरीके से मुआवजा दे और जो आज डी.पी.क्षेत्र से उतार रहे और लाईनें काट रहे उन्हें न काटा जाये क्योंकि हमारे किसान अगर बिजली रहेगी तो वे पशुओं को चारा की व्यवस्था मोटरों से कर लेंगे तो बिजली न काटी जाये.
श्रीमती अनीता नायक(पृथ्वीपुर) - उपाध्यक्ष महोदय, हमारे पृथ्वीपुर विधान सभा में कल पचास गांवों में ओले पड़े और फसल एकदम नष्ट हो गई है उसकी जांच करवाई जाये और किसानों को मुआवजा दिलवाया जाये.
श्री रामपाल सिंह - किसानों को मुआवजा दिया जायेगा.
श्रीमती रेखा यादव(मलहरा) - उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र बड़ा मलहरा में कल शाम को 5 बजे से 8 बजे तक आंधी के साथ-साथ सूखा ओला गिरा हुआ है. 250 ग्राम के करीब का ओला है और फसल पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है और बड़ा मलहरा तहसील और बकसोहा तहसील दोनों में करीब 50-55 गांव प्रभावित है मैं मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहती हूं कि ऐसे में गांव के किसानों को चिन्हित न करके गांव के गांव ले लिये जायें ताकि कोई किसान छूट न सके.धन्यवाद.
श्रीमती ललिता यादव(छतरपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे छतरपुर विधान सभा में कल शाम को ओलावृष्टि हुई है जिसमें देहरी, धौरी, कालापानी, जयपुर, बारी, निवारी, पिरपाकलानी,कदारी,बिदपुरा,हथना आदि ग्रामों में ओलावृष्टि हुई है. मैं माननीय मंत्री जी को बधाई भी देना चाहती हूं कि सबेरे से तहसीलदार अपनी पूरी टीम के साथ सर्वे कर रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि जिस तरह से माननीय मंत्री जी ने कहा है कि जो ओला प्रभावित किसान होंगे, उनकी सूची पंचायत-भवन में लगायी जाएगी, यह बात ठीक है, लेकिन मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि सूची लगने के बाद एसडीएम, तहसीलदार, आरआई, नायब तहसीलदार समेत पंचायत भवन में एक जनप्रतिनिधि को लेकर के समीक्षा बैठक करें, ताकि कोई किसान छूट न जाएं. किसानों की कर्ज की वसूली स्थगित की जाए जिस तरह से महेन्द्र कंपनी आदि कम्पनियों से किसान ट्रेक्टर उठाते हैं तो क्या उनके कर्ज की किश्त रूकवा सकते हैं मेरे दो प्रश्न हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--यह आपके सुझाव हैं.
श्रीमती ललिता यादव--ठीक है सुझाव हैं तो लेकिन माननीय मंत्री जी बताएंगे तो समीक्षा बैठक पंचायतों में जन-प्रतिनिधियों के साथ करेंगे तो कोई भी किसान प्रभावित नहीं रहेगा अथवा छूट नहीं जाएगा.
श्री रामपाल सिंह--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इतनी पंचायतों में माननीय सदस्या जा नहीं पाएंगी. आप तहसील स्तर पर इसकी समीक्षा कर लें.
श्रीमती ललिता यादव--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं चली जाऊंगी नायब तहसीलदार, आरआई, अलग अलग जगहों पर भेज दें, 10-12 पंचायतों की बात है.
श्री रामपाल सिंह --माननीय उपाध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से आपका सुझाव बहुत अच्छा है आप निरीक्षण उनके साथ करिये मैं उनको निर्देशित कर दूंगा.
श्रीमती ललिता यादव--कर्ज स्थगित करने के बारे में उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने कुछ नहीं बोला.
श्री रामपाल सिंह--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शासन के जो निर्देश हैं वह सब जगहों पर जाते हैं, पूरी सरकार आपके साथ है.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्राकृतिक आपदाओं का सामना रबी-खरीब फसलों में अपनी निरंतरता लिये हुए है. अभी हाल ही मैं इसी सप्ताह रबी की फसल वैसे ही कम पानी के कारण बर्बादी के कगार पर थी किसान के पास हाथ से मुंह का निवाला आने वाला था, वह भी छूट गया है. मंदसौर तथा उसके आसपास के क्षेत्रों में भी ओलावृष्टि तथा तूफान के कारण से कुछ फसलें प्रभावित हुई हैं, उसको बहुत गंभीरता से इसलिये लेना चाहिये कि खरीफ की फसल का हम चारों विधायक सदन में बैठे हैं मंदसौर जिले की तमाम तहसीलें न केवल सूखाग्रस्त घोषित हुई है बल्कि माननीय देवड़ा जी विराजित हैं सबसे पहले मल्हारगढ़ विधान सभा क्षेत्र में नुकसान हुआ था, मेरे विधान सभा क्षेत्र गरोठ, सुंवासरा से हरदीप सिंह जी कहीं प्रशासन से चूक हुई है मंत्री जी ने राजस्व टीम को भेजा.
उपाध्यक्ष महोदय--अभी ओले की बात चल रही है, हरदीपसिंह जी भी सूखे की बात कर रहे थे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से संरक्षण चाहूंगा कि वह इतना दिखवा लें कि राजस्व विभाग ने खरीफ की फसल का सर्वे किया था उसमें किसानों की संख्या निकाली गई थी उसमें राशि का अनुमान निकाला गया था वह मुआवजे की धनराशि टेबिल नहीं हो पायी उसका खमियाजा हमारे मंदसौर जिले के किसान भाई भुगत रहे हैं, बीमे की राशि तो उनको मिल जाएगी.
उपाध्यक्ष महोदय--आप रबी की फसल की बात कर रहे हैं आप खरीफ की फसल की बात करिये.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--उपाध्यक्ष महोदय,रबी की फसल का नुकसान हुआ है, उसका अभी सर्वे कार्य चल रहा है, कल भी ओला गिरा है उसमें नुकसान हुआ है फसलें आड़ी हो गई हैं. मंत्री जी से निवेदन है कि खरीफ की फसल में पूरा जिला सूखाग्रस्त घोषित हुआ है उसकी राशि की निकाली गई थी उसका टेबिल नहीं पाया है. अगर राशि की डिमाण्ड करते तो आप बड़े ही दयालु मंत्री हैं शासन में माननीय मुख्यमंत्री जी भी बहुत मदद कर रहे हैं. अगर उक्त राशि टेबिल हो जाती तो मुआवजे की राशि मंदसौर जिले में वितरित हो जाती.
श्री रामपाल सिंह‑--उपाध्यक्ष महोदय, जो पिछला विषय आप रख रहे हैं उसका पूरा परीक्षण करवा लेंगे पूर्व में माननीय सदस्यों के यहां तथा आपके यहां भी गये थे ईसबघोल को भी आपके यहां पर जोड़ा है. नये नियम बनाये हैं और भी जो जरूरत होगी, बताएं सरकार आपके साथ है.
श्रीमती सरस्वती सिंह--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चितरंगी विधान सभा में दो दिनों से बारिश हो रही है वहां पर अचानक ओलावृष्टि से मेरे देवरा, लभखरई, पोड़ी, चितरंगी, बरवानी, कसर, बगदरा, कयोटली, कोशतल, ठठरा, कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि से फसलों का नुकसान हुआ है, जिसके कारण किसान की कमर की हड्डी टूट गई है.
श्रीमती सरस्वती सिंह- मंत्री जी से चाहती हूं कि अच्छे से सर्वे कराकर सही मुआवजा दिया जाए और पिछले बार जो जंगल विभाग के पट्टे वालों को मुआवजा दिया गया था, इस बार भी उनको सही मुआवजा दिलाया जाए ।
श्री रामपाल सिह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो बात रखी है, उसको गंभीरता से लेंगे ।
श्री जतन उइके (पाण्ढुर्ना)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे पाण्ढुर्ना विधानसभा क्षेत्र चूंकि संतरांचल क्षेत्र है । मैं माननीय मंत्री महोदय, से दो प्रश्न करना चाहूंगा कि संतरे के मुआवजे का मापदण्ड क्या है ? संतरे का मुआवजा एक पेड़ का, 50 रूपया से 60 रूपया मिलता है, चूंकि एक संतरा चार से पांच रूपए का बिकता है, मुआवजा बहुत कम है, पिछली बार मुख्यमंत्री जी ने 500 रूपए की घोषणा की थी, मेरी गुजारिश है और करबद्व निवेदन है कि उतना ही दिला दें तो बड़ी कृपा होगी ।
श्री रामपाल सिह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे सदन को बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने तुरन्त पांच सौ रूपए का मुआवजा कर दिया है और उसके आदेश भी जारी हो गए हैं ।
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम टिकरिया, द्वारी, बोदा, बिजोरा, संचरा, छट्टनटोला, कस्तूरी, बिलासपुर, कुम्हरवार, करोंदा टोला, खजुरवार, पडरिया, खाटी, हर्रई, लमसरई, कोयलारी, परसवार, टिकईटोला, पुरगा और गन्नागोरा इन गांवों में पिछले 5-6 तारीख को काफी ओला वृष्टि हुई है,इसके पूर्व यहां 29 फरवरी को पाला भी पड़ गया । माननीय मंत्री महोदय से मैं निवेदन करना चाहूंगा कि मेरा क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र है, वहां पटवारी नहीं जाता है, कोई ऐसी टीम गठित कर दें, जैसे तहसीलदार हैं, एस.डी.एम. साहब हैं, जो मेरे साथ जाएं वहां सर्वे कराकर इन लोगों को राहत राशि दिलाने की कृपा करें ।
श्री रामपाल सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय विधायक जी ने कहा है अधिकारियों का दल भी वहां जाएगा, आपको भी सूचना देंगे, पूरी क्षति का आंकलन करेंगे और यदि कोई नहीं जाता है तो आप हमें सूचना दीजिए उसके विरूद्व हम सख्त कार्यवाही करेंगे ।
श्री संदीप जायसवाल (मुडवारा)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,आपके माध्यम से मैं मंत्री महोदय से अनुरोध करूंगा कि पूर्व में मेरे द्वारा उनको सूचना दी गई थी,मेरी विधानसभा के ग्राम छपरवार, बिलगवां, जोहला, जूली, मंढ़ई, देवरा, जुगलीकाप, सुरकी, इत्यादि क्षेत्रों में ओलावृष्टि से काफी नुकसान हुआ है, उनके द्वारा माननीय कलेक्टर को फोन के द्वारा सूचना भी दी गई थी, लेकिन कुछ क्षेत्रों में सुमेरी, कोरी और देवरा में पटवारी नहीं पहुंच रहे हैं, मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि पुन: निर्देश प्रदान करने का कष्ट करें ।
श्री रामपाल सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विधायक जी ने जो सुझाव दिया है, पूरी रिपोर्ट भी बुलाएंगे, निर्देश भी जारी करेंगे ।
डॉं. कैलाश जाटव (गोटेगांव)- माननीय उपाध्यक्ष आपको धन्यवाद,मेरी 90 पंचायतों में करीब 120 गावों में ओलावृष्टि हुई और सात तारीख से लगातार अभी भी हो रही है । मैंने कलेक्टर साहब को भी आवेदन दिया, एसडीएम साहब को भी आवेदन दिया और कुछ गांवों के दौरे पर भी गया था, लेकिन वर्तमान में जिस तरीके से एसडीएम साहब का व्यवहार किसानों के प्रति रहा है, क्या माननीय मंत्री महोदय एसडीएम के प्रति कोई कार्यवाही करेंगे ।
श्री रामपाल सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,आपके माध्यम से, माननीय विधायकों से मैं निवेदन करना चाहूंगा जनप्रतिनिधि दिन रात मेहनत करते हैं, यदि कोई अधिकारी उनको गंभीरता से नहीं लेते हैं तो निश्चित रूप से कार्यवाही करेंगे विधायक जी लिखकर दे दें और यह तो गंभीर विषय है, इस पर हम कार्यवाही करेंगे ।
श्री हरवंश राठौर (बण्डा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कल मध्य रात्रि को मेरी विधानसभा बण्डा में 25 से 30 गांव में ओलावृष्टि हुई है और कम से कम 70 से 75 प्रतिशत का नुकसान हुआ है. ये गांव पजनारी, मोनपुर, कंदारी, कांटी, रिचई, धुरमा, रवारा, बेरखेरी, पापेट, रूरावन, महुना, जगतर, सेमरा रामचन्द्र, रतनपुर, सोरई, मामदा, भूसा कमलपुर, चोकामुडि़या, पिपरिया 14, लाउलीखेड़ा, बिजपुरी, निमोन, चितऊवा, चितोली, पड़वा, डिलाखेरी, पिपरिया राजमन, फतेहपुर हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि मंत्री जी मेरी विधानसभा का दौरा कर लें. वहां के किसानों को राहत मिल जायेगी कि हमारे प्रदेश के मुखिया और मंत्री जी आए हैं क्योंकि बहुत ज्यादा नुकसान है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि तत्काल एक महीने के अन्दर मुआवजा बांटा जाये क्योंकि इसके पहले भी बुन्देलखण्ड में सूखे की स्थिति रही है और उनको भी मुआवजा दिया गया है. इस बार किसानों की हालत और ज्यादा खराब है, इसलिए उनको तत्काल मुआवजा दिया जाये. मंत्री जी को धन्यवाद.
श्री रामपाल सिंह - यह अच्छा सुझाव माननीय विधायक जी ने दिया है. पूरा सहयोग करेंगे और जब आप कहेंगे तो तैयारी रखेंगे.
श्री हरवंश राठौर - जी.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) - माननीय उपाध्यक्ष जी, मैंने शून्यकाल में भी इसकी सूचना दी थी कि 16-17 जनवरी को सीहोर जिले के इछावर विधानसभा की सीहोर तहसील के गांव हसनाबाद, मुगाराम, मामाझर, गुरभेला, चतखेड़ा, मल्लानी, छापरी एवं ताल्लुक में ओले गिरे थे. मैं स्वयं और तहसीलदार उन गांवों में गए थे. आज दो महीने बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है, फसल कट गई है. उनको कब तक मुआवजा मिल जायेगा ? दूसरी बात, मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूँ कि एक क्षेत्र में भ्रांति है कि जो शादी की बात है, वह 33 प्रतिशत से जो कम है, 25 से 33 प्रतिशत. उनको भी प्राप्त नहीं हो पा रही है. माननीय मंत्री जी, यह स्पष्ट कर दें कि क्या जिनका नुकसान 25 से 33 प्रतिशत के बीच हुआ है, उनको भी इस शादी का लाभ मिलेगा कि नहीं ?
श्री रामपाल सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो चिन्ता माननीय विधायक जी ने बताई है. उसकी पूरी रिपोर्ट सीहोर कलेक्टर से बुलवाकर, उस पर कार्यवाही करेंगे.
श्री घनश्याम पिरोनियां (भाण्डेर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछली बार भी हमारा विधानसभा क्षेत्र इससे पीडि़त रहा था. लेकिन वहां न कोई सर्वे हुआ था और नहीं किसी प्रकार की कार्यवाही हुई थी. मेरा निवेदन है कि भाण्डेर विधानसभा में भी सर्वे करवाकर, अगर वहां इस प्रकार नुकसान हुआ हो तो अभी वहां मेरे कार्यालय में एक ट्रैक्टर-ट्रॉली लोग बैठे हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि आश्वस्त कर दें.
श्री रामपाल सिंह - माननीय विधायक जी के क्षेत्र में निश्चित रूप से सर्वे करायेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय - अब देखिये, सदन में यह बीमारी सी हो गई है कि पहले इतने हाथ नहीं उठते थे. अब एक-दूसरे को देखकर सब हाथ उठाते जा रहे हैं. इसकी भी एक सीमा है. सदन में और महत्वपूर्ण विषय आने हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिंहावल) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे सिंहावल विधानसभा क्षेत्र में दो दिन से लगातार असमय बारिश और ओलावृष्टि की वजह से किसानों की काफी फसलों का नुकसान हो गया है. माननीय मंत्री जी, आपके माध्यम से आग्रह है कि क्या मंत्री जी सर्वे करवायेंगे और किसानों को राहत देंगे ?
श्री रामपाल सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, जी हां. जहां भी प्रदेश के अन्दर इस तरह के समाचार मिल रहे हैं, पूरी क्षति का आकलन होगा और आकलन करने के बाद मध्यप्रदेश में किसानों को सहायता भी दी जायेगी. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय - यह क्वेश्चन्स ऑवर नहीं है. मेरे पास समय नहीं है.
श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, अभी जो राहत राशि बांटी गई थी. दोनों जिला सूखा प्रभावित जिले हैं. अभी भी किसान भटक रहे हैं और सूखा प्रभावित किसानों को राहत राशि नहीं मिली है.
उपाध्यक्ष महोदय - कमलेश्वर जी, यह अनुचित है. आप अपने क्षेत्र की बात कर लीजिये. अगर ओले की बात है.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा विधानसभा क्षेत्र 2 जिलों में लगता है. ओले की भी बात कर रहे हैं. ओले के साथ-साथ, अभी जो किसानों को सूखा राहत से नुकसान हुआ था.
उपाध्यक्ष महोदय - अभी सूखा राहत की चर्चा नहीं हो रही है. सिर्फ ओले की हो रही है. यह ध्यानाकर्षण के ऊपर ओले से संबंधित प्रश्न है.
उपाध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, कमलेश्वर पटेल जी के प्रश्न पर कुछ कहना चाहेंगे.
श्री रामपाल सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, उनको और कोई कठिनाई है, तो आप लिख करके दे दें, पुराना भी, नया भी और आने वाले समय में भी आपको गारंटी दे रहे हैं कि कुछ क्षति होगी, तो उसका भी आंकलन कर लेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय -- यह पुराने की भी बात कर ली.
श्री कमलेश्वर पटेल -- हमारे यहां से रिकमंडेशन पहले से आया हुआ है जिला प्रशासन का.
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- उपाध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो आसंदी को और आपको धन्यवाद कि लम्बे समय तक आपने किसानों के क्षेत्र में जो ओलावृष्टि हुई है, उससे संबंधित आपने चर्चा कराई है, उसके लिये मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं, लेकिन जिस तरह से मंत्री जी जवाबों से बच रहे थे. अभी अभी नीलेश जी और शैलेन्द्र पटेल जी ने पूछा था कि जिनके यहां फसलों का 50 प्रतिशत से कम नुकसान हुआ, उनको भी शादियों पर अनुदान देना चाहिये, उससे मंत्री जी बचे. दूसरी बात मैं सरकार को, सदन को और मंत्री जी को याद दिलाना चाहता हूं कि यह हाउस में कहा गया था और मुख्यमंत्री जी ने अभी हाउस से बाहर भी यह कहा है कि जहां जहां किसानों की फसलें जो प्रभावित हुई हैं, चाहे ओले, सूखे, अतिवृष्टि से या बिलकुल जहां बारिश नहीं हुई उससे, बिजली के बिलों की वसूली स्थगित करने की बात मुख्यमंत्री जी ने, राजस्व मंत्री जी ने भी बोली थी और बैंक का जो कर्ज है, उसकी वसूली स्थगित करने की बात कही थी या बैंकों या सहकारी समितियों का जो ब्याज है, उसको माफ करने की बात कही थी. आप अपने उत्तर में किसानों के लिये हम लोग जो यहां प्रश्न उठा रहे हैं, आप उससे बचना चाहते हैं, जवाब नहीं देना चाहते हैं. सरकार किसानों को रिलीफ नहीं देना चाहती है.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, मंत्री जी जवाब दे रहे हैं. कोई पाइंटेड प्रश्न हो तो पूछे.
श्री बाला बच्चन -- हमारे जितने भी विधायकों ने जो बात रखी है. हमारे से ज्यादा मैं समझता हूं कि सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी बात रखी है.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- उपाध्यक्ष महोदय, आज तक ऐसा नहीं हुआ होगा मध्यप्रदेश की विधान सभा में. जितना जवाब मंत्री जी दे रहे हैं.
2.23 बजे बहिर्गमन
प्रदेश के अनेक जिलों में ओला एवं अतिवृष्टि से फसलें नष्ट होने से उत्पन्न स्थिति संबंधी ध्यानाकर्षण पर शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन.
श्री बाला बच्चन -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह आग्रह है कि मंत्री जी सब बचते रहे, राजनीति करते रहे. मध्यप्रदेश के किसानों के साथ धोखा कर रहे हैं. बिजली के बिल और बैंकों के जो कर्ज हैं, उनकी वसूली आप स्थगित नहीं कर रहे हैं. आप किसानों को कोई सुविधा नहीं दे रहे हैं. इस कारण हम सब कांग्रेस पार्टी के विधायक गण सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(श्री बाला बच्चन, उप नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में प्रदेश के अनेक जिलों में ओला एवं अतिवृष्टि से फसलें नष्ट होने से उत्पन्न स्थिति संबंधी ध्यानाकर्षण पर शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया.)
श्री उमाशंकर गुप्ता -- एक एक बात का जवाब दिया है सरकार ने. बहिर्गमन तो आपको करना ही था. यह नोटंकी करना है कांग्रेस को. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि विपक्ष का इस प्रकार का कृत्य जो है, यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है. आपने और अध्यक्ष महोदय ने भी बड़ी संवेदनशीलता दिखाई इस इशू पर. सरकार की ओर से एक एक विधायक जी का मंत्री जी जवाब दे रहे हैं. सबको संतुष्ट कर रहे हैं. उसके बाद भी नेता प्रतिपक्ष का इस प्रकार का कृत्य, चर्चा से भाग कर जाना, यह दुर्भाग्यपूर्ण और कलंक है.
उपाध्यक्ष महोदय -- इस ध्यान आकर्षण पर विस्तार से चर्चा हो चुकी है. करीब दो घंटे की चर्चा में ओलावृष्टि से प्रभावित अधिकांश क्षेत्रों के संबंध में मंत्री जी का जवाब आ चुका है. इसके बाद भी राजस्व विभाग की मांगों पर चर्चा में माननीय सदस्यों को अपनी बात करने का अवसर मिलेगा. अतः अब आज की कार्यसूची में उल्लेखित अनुपूक अनुमान व अन्य महत्वपूर्ण कार्य लिये जायेंगे. कृपया सहयोग करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जवाब नहीं दिया है. ..
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- अध्यक्ष महोदय, एक अनोखा ध्यान आकर्षण था. ध्यान आकर्षण पर इतनी बड़ी चर्चा और उसके बाद भी बहिर्गमन.
2.24 बजे अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 110-परसवाड़ा के सदस्य, श्री मधु भगत की अनुपस्थित की अनुज्ञा.
2.25 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
उपाध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में उल्लेखित माननीय सदस्यों की याचिकायें प्रस्तुत की गई, मानी जायेंगी.
2.26 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
आनलाईन प्रश्न प्रबंधन प्रक्रिया अंतर्गत माननीय सदस्यों से आनलाईन प्रश्न प्राप्त किये जाने की प्रक्रिया संबंधी
उपाध्यक्ष महोदय --
2.26 बजे
डॉ.गोविंद सिंह(लहार) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत चतुर्थ अनुपूरक बजट में कुछ का समर्थन करता हूं कुछ का विरोध करता हूं. उपाध्यक्ष जी, अपनी बात प्रारंभ करूं उससे पहले मैं वित्त मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि मेरे 25-26 वर्ष के राजनैतिक केरियर के दौरान हमें पहली बार चतुर्थ अनुपूरक का सामना करने का अवसर प्राप्त हुआ है.
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय डॉ.गोविंद सिंह जी वरिष्ठ विधायक हैं, मैं उन्हें बताना चाहूंगा कि इस बार प्रदेश में जो एक विशेष परिस्थिति बनी थी, जो आपके ध्यान में है कि मध्यप्रदेश में भयंकर सूखा पड़ा था और मध्यप्रदेश की विधानसभा ने एक नया इतिहास रचते हुये, मुख्यमंत्री जी ने किसानों को तत्काल राहत मिल जाये , इस बजट की व्यवस्था के लिये एक अनुपूरक बजट अलग से लाया गया था तो इसका तो डॉ. गोविंद सिंह जी आपको स्वागत करना चाहिये था. आप जो प्रश्नवाचक चिह्न लगा रहे हैं, यह अनुपूरक अवैधानिक भी नहीं है . डॉक्टर साहब आपसे तो उम्मीद थी कि कम से कम आप इसके लिये वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, अभी तक तो डॉक्टर साहब ने विरोध नहीं किया है सिर्फ उल्लेख किया है.
डॉ.गोविंद सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना यह चाह रहा था कि इस चतुर्थ अनुपूरक के लाये बिना ही किसानों के हित में यह सरकार कार्य कर सकती थी,उनको राहत प्रदान कर सकती थी. आज आप अनुपूरक लेकर के आये, मैंने देखा है कि कई मदों में तो आपने आवश्यकता से अधिक राशि खर्च कर दी है. जब अधिक खर्चा करके आप अनुपूरक के माध्यम से मंजूरी कर रहे हैं तो वह राशि भी बिना अनुपूरक बजट में लाये आप खर्च कर सकते थे, लेकिन आपको किसानों से वाह वाही लूटनी थी. जनता के पसीने की गाढ़ी कमाई के करोड़ो रुपये आपने ...
श्री उमाशंकर गुप्ता -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, किसानों को तत्काल राहत देना थी इसमें वाह वाही लूटने की बात कहां से आ गई. मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान की सरकार अगर किसानों के लिये इतना काम कर रही है, तत्काल राहत देती है, जरा संकट आता है सरकार सहायता करती है तो किसान तो सरकार की वाह वाही कर ही रहे हैं. उसको अलग से वाह-वाही लूटने की जरूरत नहीं है. लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ कि आपने इस पाईंट को उठाया कि क्यों आपने चतुर्थ अनुपूरक लाये.
डॉ. गोविंद सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, गुप्ता जी को तो अपनी बात कहना है. नहीं कहेंगे तो मंत्रिमंडल से बाहर हो जायेंगे.(हंसी).
माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं ऐसा कह रहा हूं कि मुख्यमंत्री जी ने अनेक विभागों के बजट में कटौती की है. विभाग में जो कटौती का पैसा बचा, उससे किसानों को राहत दी जा सकती थी. उपाध्यक्ष महोदय, मैं गुप्ता जी के विभाग पर ही कहना चाहता हूं कि आपके विभाग में कुल पदस्थ लोगों के लिये तनख्वाह का जो पैसा स्वीकृत होता है, आज आपके कॉलेजों में, डिग्री कालेजों में अध्यापक, सहायक प्राध्यापक, लिपिकीय स्टाफ के आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हुये हैं, सेलरी का लगभग 60 प्रतिशत पैसा आपका बच रहा है वह पैसा कहां जा रहा है. प्रदेश में चार हजार डॉक्टरों की कमी है, आयुर्वेदिक अस्पतालों मे 20 प्रतिशत डॉक्टर हैं, बाकी के रिक्त हैं, 1 लाख 42 हजार सभी प्रकार के शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं. ऐसा कौन सा विभाग है जिसमें 25 से 30 प्रतिशत पद रिक्त नहीं हैं. तो यह करोड़ों रूपये की आपके पास में बचत थी, इसलिये मैंने जो चतुर्थ अनुपूरक की बात की है इसकी पुष्टि मेरी बात से होती है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी ने रोजगार कार्यालय के लिये बजट रखा है, राशि ज्यादा नहीं है , गत वर्ष से कम है अनुपूरक की वजह से लेकिन रोजगार कार्यालय में आप भारत सरकार की नेश्नल केरियर सर्विस परियोजना के अंतर्गत मॉडल केरियर सेन्टर स्थापित करना चाहते हैं, बिल्कुल करना चाहिये क्योंकि प्रदेश में रोजगार की विकराल समस्या है. परंतु मैं कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के चालू रोजगार कार्यालयों में स्थिति यह है कि सरकार रोजगार दे कहां रही है ? पिछले वर्ष 2015-16 में 74 हजार महिलाओं ने रोजगार कार्यालय में अपने नाम दर्ज कराये थे, इसमें से एक वर्ष में आपने मात्र चार महिलाओं को रोजगार दिया है. इसी प्रकार से प्रदेश की मैं बात करूं तो प्रदेश में 3 लाख 23 हजार 711 लोगों ने रोजगार कार्यालय में अपने नाम दर्ज कराये थे. उसमें भी आपने मात्र 715 लोगों को रोजगार दिया है. महानगर की बात करूं तो प्रदेश के 4 महानगरों में भोपाल, ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर में करीब 23 लाख से अधिक बेरोजगार आज प्रदेश में घूम रहे हैं. आखिर यह नया कार्यालय खोलकर के आप क्यों अपव्यय करना चाहते हैं. फिर आप इस राशि को खर्च कब करेंगे . आज 14 मार्च हो गई है, आपने दूसरी तरफ आदेश निकालकर के भुगतान पर प्रतिबंध लगा रहा है. आदेश पहुंच चुका है कि किसी भी तरह का भुगतान बंद कर दिया जाये. आज आप इसको पास करेंगे इसके बाद यह राज्यपाल महोदय के पास में मंजूरी के लिये जायेगा, तब तक 31 मार्च आ जायेगा. एक-दो दिन बचेंगे , मारामारी होगी और नंबर दो के फर्जी बिल के माध्यम से भुगतान होगा. अगर आपको इसकी आवश्यकता थी तो आपको इसकी व्यवस्था पहले से करनी चाहिये थी. देरी से आप लेकर के आये हैं आपको इस राशि को खर्च करने का समय भी नहीं मिल पायेगा. वित्त मंत्री जी प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति बहुत गंभीर है . प्रदेश में 3 साल में दोगुना बेरोजगार और बढ़ गये हैं . पूरे मध्यप्रदेश में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र के बेरोजगारों की संख्या देखी जाये तो 50 लाख से ऊपर यह आंकड़ा चला जाता है.
उपाध्यक्ष महोदय--डॉक्टर साहब, आप कितना समय ओर लेंगे.
डॉ.गोविंद सिंह -- आप कहें तो बैठ ही जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- कांग्रेस पक्ष के बहुत सारे वक्ता हैं , कांग्रेस पार्टी से 8 और भारतीय जनता पार्टी से 4 वक्ताओं के नाम आये हैं.
डॉ.गोविंद सिंह -- मैं समय का ध्यान रखूंगा. अपनी बात को जल्दी जल्दी कहकर के समाप्त करूंगा. उपाध्यक्ष महोदय, ऊर्जा के लिये आपने राशि मांगी है, इसको देना भी चाहिये क्योंकि किसानों की समस्या है लेकिन मैं आपसे यह पूछना चाहता हूं कि ऊर्जा विभाग में कई बिजली कंपनियों पर राशि बकाया है,आप उनको पेसा देकर के क्या करेंगे, वह पैसा भ्रष्टाचार में जा रहा है. ग्वालियर में ट्रांसफार्मर की फेक्ट्री में साढे चार करोड़ रूपये ट्रांसफार्मर में जल गये. आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई, जांच नहीं हुई, जांच के आदेश हुये आज दो ढाई वर्ष होने को आ रहे हैं उसकी जांच की पता नहीं है. आपका विद्युत विभाग जो केवल लगा रहा है, वह केवल या तो जल रही हैं या टूट रही हैं, तार के लिये आपने जिन प्रायवेट कंपनियों को ठेके दे रखे हैं वह तार लगाते हैं टूट जाते हैं. अभी दो दिन जो आंधी आई उसमें तार और खंबे टूट गये. हमारे जिले में ही करीब एक हजार से अधिक के खंबे क्षतिग्रस्त हुये हैं. उपाध्यक्ष महोदय, दिनांक 21 मई 2015 को हमारे यहां आंधी आई थी, 40 प्रतिशत खम्भे टूट गये, इतने घटिया और निम्न स्तर के, कंपनियों को आप ठेके देते हैं, इनको पैसा देने से कोई फायदा नहीं है और आज किसानों पर मुकदमा लगा रहे हैं, किसान आत्महत्या कर रहे हैं. पूरे मध्यप्रदेश में हमारे विधानसभा क्षेत्र में ही करीब 328 लोगों पर मुकदमें हैं, और उसमें धारा 135 में प्रावधान है विद्युत विभाग में उसमें गैर जमानती वारंट जारी होता है. न्यायालय को अधिकार नहीं है जज को क्योंकि प्रावधान कर रखा है कि जमानती वारंट नहीं सीधा गिरफ्तारी वारंट जारी करें. कई किसान जेल में जा रहे हैं, 5313 किसनों पर आज चोरी के मामले और बिल जमा न करने के दर्ज हैं, चोरी के हम मानते हैं जो चोरी कर रहे हैं उन पर कार्यवाही हो, लेकिन जो बिल जमा नहीं कर पाते, उस तरह से धारा 135 जो है उसको बदलें और आप जो पैसा दे रहे हैं उसका सदुपयोग हो, क्योंकि आज केवल आपके पास जो कंपनियां हैं उनमें कई कंपनियां ऐसी हैं जिन पर बकाया है आपका नाहर सिपिंग मिल्स है, बिजली का बिल उस पर 28.23 करोड़ का बकाया है, हिन्दुस्तान इलेक्ट्रो ग्रेफाइड पर मंडीदीप में 21 करोड़ 1 लाख बकाया है, काकड़ा मिल्स गोविंदपुरा इडस्ट्रियल एरिया में 68 लाख से अधिक बकाया है, इस प्रकार से जब आप बकाया वसूली कर लो तो आपको इसमें बजट लाने की आवश्यकता नहीं थी, आप बोल रहे हैं आज सुशासन है, यह मध्यप्रदेश का सुशासन आपको इंगित करता है, प्रशासनिक दृष्टि से मध्यप्रदेश का जो नंबर है चुस्त दुरूस्ती का अच्छे प्रशासन का मध्यप्रदेश 13वें नंबर पर पहुंच चुका है.
इसी प्रकार आपने तय किया था कि आईएएस, आईपीएस अधिकारियों की सम्पत्ति की प्रतिवर्ष घोषणा करेंगे, आज तक नहीं हो रही, कई लोग अपनी सम्पत्ति छिपाये बैठे हैं, क्यों छिपाये बैठे हैं यह आपका सुशासन है, यह चुस्त दुरूस्त प्रशासन है. वर्ष 2015-16 में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट आई थी उसमें कृषि विकास दर आपकी घटी है. शिशु मृत्यु दर में आपका औसत प्रतिशत मध्यप्रदेश में 35 प्रतिशत से अधिक है, मातृ मृत्यु दर देश में आज 32.30 प्रतिशत औसत से ज्यादा है पूरे प्रदेश में. मध्यप्रदेश में आपने एक जरूर तारीफ करने का काम किया है आपने वह है मांस उत्पादन, ज्यादातर आपकी पार्टी में शाकाहारी लोग हैं, लेकिन मांस उत्पादन में बड़ी वाहवाही लूट रहे हैं. ..... (व्यवधान) .... नहीं मुझे कोई दिक्कत नहीं मैं तो मल्टीपर्पज हूं ...(हंसी).. बेरोजगारी में भी कमी नहीं आई, बेरोजगारी बढ़ी है. आपसे एक बात और कहना चाहता हूं आपसे केन्द्र से आपको पैसा सड़को के लिये नहीं मिला 15 हजार करोड़ रूपये के करीब, 10 हजार करोड़ रूपये अभी आप प्राप्त नहीं कर पाये, अगर आप वही पैसा प्राप्त कर लें तो आपको यह 12, 13 सौ करोड़ का अनुपूरक लाने की आवश्यकता नहीं थी. पहले तो मुख्यमंत्री जी तमाम धरने प्रदर्शन करते थे, अब आपकी क्यों बोलती बंद है, अब आप हिम्मत के साथ बोलें, आपको सड़कों के लिये 15 हजार करोड़ रूपये नहीं मिला, छात्रवृत्ति बच्चों के लिये 105 करोड़ नहीं मिली, छात्रावास निर्माण के लिये जो इसमें आपने रखा 331 करोड़ केन्द्र सरकार ने नहीं दिया, 3 मेडीकल कॉलेजों के लिये 700 करोड़ रूपये बकाया है, प्रदेश की कई योजनायें जो केन्द्र द्वारा संचालित होती हैं उसमें आपको पैसा नहीं मिल रहा, सोलर ऊर्जा का प्लांट है आपका ठप्प हो जायेगा क्योंकि वहां से उसके लिये भी 248 करोड़ रूपये केन्द्र सरकार ने नहीं दिया है. इसके साथ-साथ एक और सुझाव में आपको देना चाहता हूं कि आप माननीय वित्तमंत्री जी आपसे हमारा अनुरोध है कि आज जो अवैद्य उत्खनन हो रहा है, उसके बारे में बता देना चाहता हूं केवल हमारे भिण्ड जिले में, हमने जो सच्चाई के आधार पर एक, डेढ़ महीने सर्वे करके बताया, केवल सिंध नदी से प्रतिमाह 2 करोड़ की रायल्टी की चोरी हो रही है, अवैद्य उत्खनन हो रहा है और डाक पहाड़ है उस क्षेत्र में तो वहां एक मंत्री के संरक्षण में वहां क्रेशर खुलेआम उनके रिश्तेदार लगाये हैं, 20 क्रेशर लगे हैं. जांच रिपोर्ट आई, भोपाल से टीम गई उसमें आया कि वर्ष 2013 से रसीदें ही नहीं कटीं, हम लगातार बोल रहे हैं, ध्यानाकर्षण प्रश्न भी लगा रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी आपसे अनुरोध करना चाहता हूं अगर आप पूरे प्रदेश में केवल अवैद्य उत्खनन पर रोक लगा दें, ऐसा कोई जिला नहीं है, आपका जो चाचौड़ा है, चाचौड़ा में एक नदी है पार्वती उस पर अवैद्य उत्खनन भारी पैमाने पर चल रहा है, प्रतिदिन एक डेढ़ हजार ट्रेक्टर और ट्रक बाहर जा रहे हैं और वहां खदान स्वीकृत नहीं है, पुलिस वाले सब नीचे से ऊपर तक, माइनिंग और राजस्व वाले चोरी से उसका बाहर भिजवा रहे हैं और आप इसको रोक देंगे तो एक वर्ष में आप ढाई हजार करोड़ रूपये की रेवेन्यू आप केवल माइनिंग से बचा सकते हैं. इसके साथ ही साथ में यह कहना चाहता हूं कि इस पर आप रोक लगायें और खाली पदों को भरें और नहीं भरने का है तो उनके पद कम कर दें. शासकीय डिग्री कॉलेज लहार में एक चपरासी और एक क्लर्क है वह परीक्षा ले रहा था, जब कलेक्टर मुआयना करने गये थे तो केवल एक चपरासी बाहर बैठा और क्लर्क परीक्षा करा रहा है. माननीय मंत्री जी बैठे हैं, हर जगह दखल देते हैं बोलने चालने में इसमें आपकी हिम्मत क्यों कांप रही है, सब बोलते हैं कि आप वचन के बड़े पक्के हैं, लेकिन मैं तो कह रहा हूं इन जैसा वचन हीन कोई आदमी नहीं है, हमसे वादा किया था कि इस बार आपका काम करेंगे, एक-दो अतिथि शिक्षक जरूर भेजेंगे, ग्वालियर में अतिथि शिक्षक कोई आता नहीं है साहब, वहां लहार में छोटी जगह में मिलते नहीं हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, गोविंद सिंह जी के डर से कोई वहां जाता नहीं है, मैं करूं क्या, मैंने इनसे कहा आप अपने नाम बता दो जो आपसे डरते नहीं हों तो मैं उनको कर दूं.
डॉ. गोविंद सिंह-- फिर सरकार काहे के लिये है, आप आर्डर करो, विभाग ने सब जगह डंडा चला दिया तो लहार में क्यों दिक्कत आ रही है. बस मैं केवल एक बात और आपसे कहना चाहता हूं नगरीय प्रशासन में आपने जो बजट रखा है, ठीक है शहरों का विकास हो, लेकिन उसके नियम कायदे भी हों, आपने मास्टर प्लान बनाया इंदौर के लिये 2021 का, उसके तहत कानून में प्रावधान है कि वहां अतिक्रमण नगर निगम का कोई अधिकार नहीं, लेकिन जहां आपने मास्टर प्लान निर्धारित किया है उसी में नगर निगम आज डंडा चला रही है, वहां बड़ी बेरहमी से अतिक्रमण हटा रहे है, जबकि उन्हें अधिकार नहीं है, मास्टर प्लान आपने घोषित कर दिया तो यह रोकना चाहिये. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी दो, तीन विषय और हैं लेकिन मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आप इस पर ध्यान दें, सक्षम हैं मंत्री जी, पूरी ताकत के साथ आप रेवेन्यू रोकने का काम करें और इस तरह के अगर कहीं लीकेज हैं, उन लीकेजों को अगर आप रोकेंगे तो मध्यप्रदेश में सप्लीमेंट्री लाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और कई मदों में केन्द्र से पैसा नहीं आ पाने के कारण परेशानी खड़ी हो रही है वह परेशानी नहीं होगी, आप अपनी तरफ से अपनी सरकार की इच्छाशक्ति मजबूत करते हुये मंत्रिमंडल के साथियों को भी अपने जैसा बनाओं चुस्त दुरूस्त और वसूली करने का काम करो. धन्यवाद माननीय उपाध्यक्ष जी, मंत्री जी के लिये भी धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावाद)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 11, 12, 17, 25, 28, 29, 58, 66 तथा 75 के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. मैं कुछ महत्वपूर्ण बातें सदन के ध्यान में लाना चाहता हूं. जैसा अभी चर्चा में आया कि चतुर्थ बजट क्यों आया. एक बजट तो मात्र कृषि अनुदान के लिये आया, किसानों को सहायता देने के लिये आया. हमारे विपक्ष के साथी बार-बार बात रखते हैं, जब यह बात आई थी तब भी मैंने एक सवाल विपक्ष के साथियों से पूछा था कि वह कृषि की मांग के पक्ष में हैं या विपक्ष में, वह स्पष्ट करें. क्या 9 हजार करोड़ रूपया उस समय विशेष अनुदान का स्पेशल बजट में प्रॉवीजन करके किसानों को दिया, या तो वह कह दें कि नहीं वह नहीं देना चाहिये था, इस विषय को बार-बार चर्चा करके सदन का समय बर्बाद करना, क्वालिटी चर्चा न करके केवल आरोप, प्रत्यारोप करना.
डॉ. गोविंद सिंह-- यहां आपकी बुद्धि नहीं चल पा रही.
समय 2.45 बजे. { सभापति महोदय ( डॉ गोविन्द सिंह ) पीठासीन हुए }
श्री ओमप्रकाश सखलेचा --चलिये मान लेते हैं आप हमारे वरिष्ठ हैं मान लेते हैं, स्वीकार है. मैं यह ही चर्चा कर रहा था कि केवल एक चतुर्थ अनुपूरक था और हर साल तीन ही अनुपूरक आते हैं तो यह भी तीसरा ही माना जाय. दूसरा पूंजीगत परिव्यय जीएसडीपी की अगर मैं तुलना करूं कि 2004 में यह अंक 2.8 प्रतिशत था, मतलब जितनी भी बजट की राशि थी उस राशि में पूंजीगत व्यय 2.8 प्रतिशत था जो कि अब धीरे धीरे अब बेटर मैनेजमेंट से 5.06 वर्ष 2016-17 में हो गया है. मतलब लगभग दोगुने के आसपास है, तो हम जो पैसे का उपयोग है, केवल एक्सपेंडीचर में न करते हुए कहीं न कहीं पूंजीगत में बात कर रहे हैं. मैं अगर ब्याज की बात करूं और राजस्व प्राप्तियों के रेशो में लेकर चलूं कि कितना कुल रेवेन्यू रिसिट के प्रप्रोशन में आप ब्याज खर्च कर रहे हैं तो किसी समय 2004 में ह 22.44 प्रतिशत जो कि आज घटकर 8.11 प्रतिशत रह गया है, इसका मतलब यह लगभग एक तिहाई बचा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- सखलेचा जी यह आंकड़े इस पुस्तक में दिये हैं क्या.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- यह आंकड़े इसमें दिये हुए हों या नहीं, आप भी अपना रिसर्च करते हैं या तो आप इसको चैलेंज कर दें, मैं अगर बात करूं कि फिजिकल डेफिसिट पर बात करूं, तिवारी जी ने कहा था कि बिना चर्चा के मौखिक स्वीकृति के आधार पर 3.5 प्रतिशत के बारोइंग की व्यवस्था बजट में क्यों की है. इसमें चौदहवे वित्त आयोग की जो अनुशंसाएं हैं, वह आन रिकार्ड हैं, उसमें तीन शर्तें उन्होंने डाली हैं जीएसडीपी से 25 प्रतिशत से कम कुल ऋण का दायित्व हो, दूसरी शर्त राजस्व प्राप्ती से आपका ब्याज का प्रतिशत 10 प्रतिशत से कम हो, तीसरा राज्य का लगातार राजस्व आधिक्य हो 10 वर्ष से अगर यह तीनों शर्तें हैं तो आपको अतिरिक्त बारो करने का अधिकार है. अब इसके बाद में दो रास्ते बचे हैं. एक रास्ता तो यह बचा कि आप इंतजार करें परमीशन लें, फिर योजनाएं बनायें और फिर एक अनुपूरक अनुमान की व्यवस्था के लिए बात करें. या एक ही बैठक में इसका प्रावधान कर लें और चूंकि वह प्रावधान नियमों के अनुसार है तो आपको स्वीकृति मिलना ही मिलना है और अगर वह मिलेगी तो आपको फिर से सदन से अनुमति नहीं लेना होगी. यदि आपने इन प्रिंसीपल सहमति ली है तो वह एक जरूरी विषय है.
अब मैं थोड़ा सा विभागों पर बोलना चाहता हूं. अगर उद्योग और रोजगार विभाग में नेश्नल कैरियर सर्विसेज परियोजना के लिए बजट का आवंटन किया है 46 लाख 61 हजार 800 तो वह कहीं न कहीं आज के भविष्य की जरूरत है, वह भारत सरकार की और मध्यप्रदेश के आगे विकास के लिए जरूरी महत्वपूर्ण योजना है, उसमें हमारी भागीदारी में हमारे क्षेत्र के लोग पीछे न रहें इसलिए यह बहुत अनिवार्य है . अगर कैरियर के बारे में कांशियस नहीं होंगे तो विषय ठीक नहीं रहेगा.
दूसरा ऊर्जा विकास की राशि का समन्वय किया है.ऊर्जा विकास विभाग का 260 करोड़ 19 लाख 75 हजार रूपये की राशियों का समन्वय किया है, कुछ राशियों के समन्वय का इसलिए प्रावधान किया है कि वह समन्वय करके तीन अलग अलग खातों के बजाय एक पूरक में आ जाय. इसके बारे में यह जो ऋण का दायित्व था तो लोन को कैपिटल में कनवर्ट करने का प्रावधान किया है, कुछ हद तक 490 लाख 19 हजार का अंतरण किया गया है.
मैं यहां पर सहकारिता के बारे में बात करूं. सहकारिता का अल्पकालीन ऋण को मध्यकालीन ऋण में परिवर्तित करना बहुत जरूरी था. माननीय मुख्यमंत्री जी और इस सदन में पहले चर्चा हो गई थी कि जो किसानों का अल्पकालीन लोन था उसे मध्यकालीन करके डैफर पेमेण्ट में किसान जमा करेगा. यह भी सहकारिता में करना अनिवार्य था.
अगर मैं खनिज संसाधन और सड़क विकास प्राधिकरण के बारे में बात करूं जो पैसा है, वह इंटर चेंज किया है, 35 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है वह भी इसलिए जरूरी था कि अगर वह न करें तो खनिज की विकास निधि को अधोसंरचना में कन्वर्ट किया है.
मैं बात करूं विधान सभा सचिवालय का 1.4 करोड़ तो यह जो एक एक राशि के बारे में हम लोग चर्चा करते हैं तो यह बहुत स्पष्ट है कि यह सब राशियां अतिआवश्यक हैं और इसमें आधे से ज्यादा तो करेक्शन हैं.
आखिरी में सबसे महत्वपूर्ण बात 800 करोड़ रूपये का किसानों की सूखा फसल सहायता अनुदान में यह प्रावधान किया गया है. मैं केवल यह जानना चाहता हूं कि हम लंबी चर्चा के बजाय ,इसमें से कौन सा ऐसा मद है जिसके बारे में कोई असहमति देता है. विषय यह है कि यह सब बातें कहीं न कहीं अनिवार्य हैं. किसानों की चिंता करना, कैरियर के बारे में भविष्य के बारे में आने वाली पीढ़ी के बारे में बात करना और एक महत्वपूर्ण करेक्शन करते हुए गलत इंट्रियां न रखते हुए उ से करेक्शन करना यह जरूरी है. यह इस अनुपूकर में जरूरी होता है.
मैं ज्यादा लंबी चर्चा न करते हुए इस बात के लिए धन्यवाद करूंगा कि जो अल्पकालीन ऋण को मध्यकालीन ऋण में बदलने का जो महत्वपूर्ण निर्णय था उसके लिए मैं माननीय वित्तमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी का बहुत बहुत आभार मानता हूं. क्योंकि बोल देना, घोषणा कर देना, और उसके बाद में 31 मार्च के पहले उसके लिए प्रावधान नहीं होता तो किसान को जीरो प्रतिशत ब्याज ऋण में रिचार्जिंग वाले इश्यू आते तो बहुत गंभीरता और बहुत कठिनाइयां आतीं, उन सब कठिनाइयों से किसानों को लगातार बचाना, पिछले तीन वर्षों से किसानों के ऊपर जो आपदाएं आ रही हैं. उ सके बाद में भी मध्यप्रदेश में कृषि का उत्पादन लगातार बढ़ाये रखना और पूरे कार्य में सहयोग करना इसके लिए अपनी पुरजोर मांग के समर्थन में पक्ष रखते हुए सभी मित्रों से निवेदन करूंगा कि इसको सर्वानुमति से पास करें. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली) - सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 11,12,17,25,28,29,58,66 तथा 75 का विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूं. यह जो विधान सभा में आपने चतुर्थ अनुपूरक बजट पेश किया है, यह दर्शाता है कि आपकी माली हालत खराब है. करीब 4000 करोड़ रुपए के प्रस्ताव थे, लेकिन उनको काटकर आपको बहुत कम राशि मांगनी पड़ी. क्योंकि आपके पास में व्यवस्था नहीं हैं. मांग संख्या 11 रोजगार के मामले में आप जिला रोजगार कार्यालयों से सूची मंगा लीजिए कि आप कितने लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में समर्थ हुए हैं. यहां तक कि आपकी मुख्यमंत्री रोजगार योजना भी ठीक नहीं चल रही है क्योंकि आप बैंकों को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं और बैंक आपको सहयोग नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए जितने लोगों को लाभ मिलना चाहिए, उतने लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है.
सभापति महोदय, ऊर्जा के मामले में मेरा अनुरोध है कि आप बजट का प्रावधान ले रहे हैं लेकिन यह जरूरी है कि ईमानदारी से लोगों को राहत मिले, जिनके लिए आप यह धनराशि की मांग कर रहे हैं. पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, इनको भी प्रोत्साहन देना चाहिए क्योंकि ऊर्जा के क्षेत्र में यह बहुत जरूरी है. मेरे विधान सभा क्षेत्र का उदाहरण दूं, भले ही 24 घंटे बिजली की बात हो रही हो, धड़ाधड़ बिजली काटी जा रही है. वह क्षेत्र सूखा ग्रस्त हो चुका है. लेकिन सूखा ग्रस्त होने के बाद में बिजली के बिल नहीं जाना चाहिए. मेरा यह कहना है कि आप बिजली देते रहेंगे तो वह पानी से सिंचाई करके उत्पादन करेगा और आपके बिजली के बिल का पेमेंट भी करेगा. लेकिन आप उसको उससे भी वंचित कर रहे हैं. तार बिजली विभाग वाले ले जाते हैं. ट्रांसफार्मर ले जाते हैं. किसानों पर धड़ाधड़ प्रकरण बन रहे हैं. पहले किसानों को हथकड़ी भी लगाई गई. लेकिन आपने कभी किसी उद्योगपति को हथकड़ी नहीं लगाई. आपने किसी लाइनमैन बिजली के कर्मचारी जो चोरी करवाते हैं उनको हथकड़ी नहीं लगाई तो किसानों को राहत देना बहुत जरूरी है.
सभापति महोदय, मांग संख्या 17 सहकारिता, यह पेक्स के लिए आपने प्रावधान किया है, यह अच्छी बात हैं, मैं आपको बधाई देता हूं. क्योंकि जीरो परसेंट ब्याज पर राशि किसानों को देने के चक्कर में पेक्स की हालत बहुत खराब कर दी है. आपको उनको ब्याज भी देना चाहिए, पेक्स की जितनी धनराशि है और उनको समय पर मिलना चाहिए. क्योंकि बैंकों की हालत तो खराब है ही. आपने प्राथमिक समितियों की हालत और खराब कर दी है. इसलिए आपको इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए. दुग्ध संघ में जो चुनाव हुए हैं, उसमें अपात्र लोगों को जो निर्धारित दिनों में और निर्धारित मात्रा में दुध नहीं देते हैं उनको संचालक बना दिया गया है. नकली उत्पादकों को आप संचालक बना देंगे तो यही होगा जो भोपाल दुग्ध संघ में हो रहा है. आप पैसा ले लेते हैं लेकिन आपको यह देखना चाहिए कि उस पैसे का सदुपयोग भी हो. लोगों को राहत भी मिले और नियमानुसार काम हो.
सभापति महोदय, मांग संख्या 25 में आपने खनिज के बारे में मांग की है. रेत के भाव आसमान पर है. रेत माफिया हावी है और एक आईपीएस अधिकारी मारे गये, एसडीओ, नायब तहसीलदार की पिटाई हुई और एक वन क्षेत्र का कर्मचारी मारा गया तो कॉस्ट ऑफ कंस्ट्रक्शन इतना ज्यादा हो गई है. आपको रेत को महंगा करना ठीक नहीं है, गरीब आदमियों के लिए मकान बनाना बहुत मुश्किल हो गया है. आपको कुछ ऐसा करना चाहिए कि रेत का माफिया खत्म हो और रेत के भाव सस्ते हों, ताकि गरीब लोगों के मकान बन सकें. आपने जो मकान बनाने की योजनाएँ बनाई हैं वह सब महंगी हो गई हैं. फोर लेन वाली बात में इसको पीपुल्स प्लंडर योजना मैं कहूंगा क्योंकि जब लोक निर्माण विभाग पर चर्चा आएगी तो मैं बोलूंगा. लेकिन मिट्टी, मुरम, गिट्टी में लाखों रुपयों की खनिज चोरी हुई है और इससे आपके खजाने को बहुत नुकसान हुआ है. इसे आपको रोकना चाहिए. खास तौर से पवन चक्की के लोग और फोर लेन के लोग फ्री में मिट्टी, मुरम सब डाल रहे हैं और सरकारी राजस्व की चोरी कर रहे हैं. इसको आपको रोकना चाहिए.
सभापति महोदय, सूखे के लिए आपने 800 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. आपको बधाई है. लेकिन मेरा अनुभव दूसरा रहा है कि सूखे का जो आंकलन होता है, उसमें बहुत बेइमानी होती है. पटवारी को जो पैसा देता है, उसका आंकलन हो जाता है. मैंने एक टेप वहां अशोक नगर के कलेक्टर को सुनाया था, जिसमें पटवारी ने कहा कि यह पैसे नहीं मिले इसलिए मैं आपका प्रावधान नहीं कर पाया. एक पटवारी बोला कि जब अगली साल ओले पड़ेंगे, तब हम आपका आंकलन करेंगे तो उनका मानवीय व्यवहार नहीं है. पिछले तीन वर्ष से मेरे विधान सभा क्षेत्र में इतना जबर्दस्त ओला हर साल पड़ा है और अतिवृष्टि हुई है, इतना नुकसान हुआ है लेकिन लोगों को मुआवजा नहीं मिला. आप धनराशि का प्रावधान कर रहे हैं. लेकिन समान रूप से उसका वितरण भी होना चाहिए, जो गरीब लोग हैं उनको मुआवजा नहीं मिलता है और पैसे वाले किसान ने यह पिछले दो सालों में ले लिया है. मुझे विश्वास है कि इस साल आपने टीम अच्छी बनाई है और पिछले दो साल में जो अन्याय हुआ था वह इस बार नहीं होगा. लेकिन उनको आपको पनिश भी करना चाहिए, जिन लोगों ने पिछली बार अन्याय किया. क्योंकि किसानों को राहत देने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप राहत तो किसानों को देते हैं लेकिन अफीम के किसान को आप किसान नहीं मानते हो. उसकी फसल नष्ट हो रही है, उसको हांकनी पड़ रही है. राज्य में आप अन्य फसलों का मुआवजा देते हैं लेकिन अफीम की फसलों का मुआवजा नहीं देते हैं. सुअर और रोज घोड़े, ये किसान को बर्बाद कर रहे हैं. सारी की सारी फसल खा जाते हैं. न उनको रोकते हैं, न उनको मारने देते हैं. कम से कम अपने खेत पर मारने की अनुमति दें. आपने नियम बना रखा है कि एसडीओ को शिकायत करो फिर वह पटवारी को भेजेगा. क्या वह सुअर और रोज घोड़ा वहां उस खेत पर रुकेगा? जब तक आप यह सब जांच करवाओगे. थोड़ा आपको प्रैक्टिकल होना चाहिए. यह मेरा आपसे अनुरोध है. यह रोज घोड़े अफीम का जाते हैं. अभी 3 दिन पहले ही रतलाम के जिला कांग्रेस अध्यक्ष की गाड़ी पर रोज घोड़ा अफीम खाकर नशे में चढ़ गया और वह अस्पताल में पड़े हैं. आप जाकर इंदौर में देख आइए. मनासा में भी एक मृत्यु हुई है. यह खाते कम हैं..
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) - श्री महेन्द्र सिंह जी का उधर से बहुत नाता है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - मेरे संतरे खा जाते हैं. मेरे आम खा जाते हैं और मैं कुछ नहीं कर सकता क्योंकि आप अनुमति नहीं दे रहे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता - मेरा यह कहना है कि अफीम खाने वाला जो एरिया है, उसका श्री महेन्द्र सिंह जी बड़ा नाता है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - बिल्कुल. मैं उस क्षेत्र का रहने वाला हूं, मेरा आपसे अनुरोध है कि किसानों को इनसे बचाइए. दूसरा, यह निवेदन है कि जो आपने सूखा राहत में 800 करोड़ का प्रावधान किया है, यह नाकाफी है. 85000 करोड़ रुपए का कर्ज कांग्रेस के समय में हमारे प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह जी ने माफ किया था. आपको भी केन्द्र सरकार से मोदी जी से अनुरोध करके कर्जे को माफ करना चाहिए, तब किसान को असली राहत मिलेगी. अगर वह 85000 करोड़ रुपए का कर्ज माफ कर सकते हैं तो आप 20-25 हजार करोड़ रुपए का तो कर्ज माफ करिए. आप कर्ज माफ नहीं करते हैं, बैंकों की वसूली जारी है बिजली का जबर्दस्ती पैसा ले रहे हैं, किसानों को बिजली नहीं दे रहे हैं. इतना बड़ा अन्याय हो रहा है. पहले तो आपके मुख्यमंत्री जी धरना देने की घोषणा करते थे कि केन्द्र से पैसा नहीं मिल रहा है. अब करोड़ों रुपया हर स्कीम में उन्होंने काट दिया है. लेकिन आप बिल्कुल चुप हैं. आप बोलते नहीं हैं. अब आप धरना दीजिए और पैसा लीजिए ताकि आपकी जो वित्तीय स्थिति है, वह थोड़ी ठीक हो. पंचायत राज के बारे में भी आपने मांग की है, मांग संख्या 75, मेरा आपसे अनुरोध है कि पंचायतों को आप भरपूर पैसा दीजिए. अच्छी बात है. लेकिन सरपंचों और पंचों के अधिकारों में कटौती मत करिए. उनको अधिकार दीजिए और पिछले तीन सालों में जो मनरेगा में भ्रष्टाचार जिन मंत्रियों और सरपंचों ने किये, उनको आप दंडित करिए. तभी लोग डरेंगे, नहीं तो नहीं डरेंगे. काफी बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है. एक-एक करोड़ रुपया एक-एक पंचायत में खर्च हुआ है. सरपंच ने अपनी पत्नी, अपने पति, अपने भाई, सचिव ने अपने भाई, सबको मनरेगा में रोजगार दिलवा दिया. एक एसडीओ जो रिटायर होने वाला था, उनको पैसे दे दिये तो उसने मुक्त कर दिया. अल्टीमेटली आदमी को सिविल कोर्ट में जाना पड़ा. सिविल कोर्ट ने धाराओं में प्रकरण दर्ज किये. मेरा आपसे अनुरोध है कि सचिवों पर आप कंट्रोल करिए. नगेसरी के एक पूर्व सरपंच हैं, उन्होंने सामुदायिक भवन और पंचायत भवन पर कब्जा कर रखा है. ऐसे अशोक नगर में कई प्रकरण हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि यह जो आपने धनराशि की मांग की है, इसका उचित उपयोग हो. लोगों को राहत मिले और जो भ्रष्टाचार कर रहे हैं, उनको आप दंडित करें. तब इस पैसे को लेने का फायदा है, नहीं तो कोई फायदा नहीं है. धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) - सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 11,12,17,25,28,29,58,66 तथा 75 के लिए जो चतुर्थ अनुपूरक बजट माननीय वित्त मंत्री जी ने प्रस्तुत किया है, उसके लिए उन्हें बधाई भी देना चाहता हूं और धन्यवाद भी ज्ञापित करना चाहता हूं. सभापति महोदय, कांग्रेस पार्टी के दो वरिष्ठ सम्मानीत सदस्य आदरणीय डॉ. गोविन्द सिंह जी और आदरणीय श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी ने चतुर्थ अनुपूरक बजट पर अपना वक्तव्य दिया. दोनों ही वरिष्ठ हैं, जिन्हें राजनीति का लंबा अनुभव है कृषि के क्षेत्र में भी और सहकारिता के क्षेत्र में भी. दोनों ही वरिष्ठ नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली इस सरकार की उपलब्धियों पर, वक्तव्यों पर, मांगों पर अपनी सहमति 50-50 फीसदी तो कम से कम की है. मैं दोनों वरिष्ठ सदस्यों को धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं बैठे-बैठे नोट कर रहा था.
सभापति महोदय, माननीय गोविन्द सिंह साहब वरिष्ठ सदस्य हैं उन्होंने भी अनुपूरक बजट के अपने प्रारंभिक भाषण में इस बात स्वीकारोक्ति दे दी जो यहां रिकार्ड में है कि 50 फीसदी मांगों का मैं समर्थन करता हूं, 50 फीसदी का मैं विरोध करता हूं. इसी प्रकार महेन्द्र सिंह जी कालूखेड़ा जी को भी मैं बहुत ध्यान से सुन रहा था. उन्होंने भी इस अनुपूरक बजट में सहकारिता के क्षेत्र में जो पेक्स की लड़खड़ाती हालत है. पेक्स को जीवित करने के लिए जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के माध्यम से जो कर्ज किसानों को बंटता है, उसमें अहम भूमिका पेक्स की होती है, उसकी प्रशंसा महेन्द्र सिंह जी ने की और उन्होंने सरकार को बधाई भी दी है.
सभापति महोदय, सूखा राहत में 800 करोड़ रुपये का इस अनुपूरक में प्रावधान किया गया उसके लिए भी महेन्द्र सिंह जी मन,कर्म,वचन से सरकार के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की है. यह अलग विषय है कि रोज घोड़े और सूअर बीच में रोज रोज की तरह आ जाते हैं.
सभापति महोदय, सदस्य होने के नाते मैं इस बात को लेकर संतुष्ट हूं, मुझे भारतीय जनता पार्टी और जनता के आशीर्वाद से इस विधानसभा में आने का दूसरा मौका मिला है. मैं इतना तो समझ पा रहा हूं कि हर वक्तव्य पर कांग्रेस के वरिष्ठ लोग 50-50 प्रतिशत मानसिकता सरकार के कामकाज को लेकर अपनी मोहर लगा रहे हैं, अपनी सहमति दे रहे हैं. थोड़ा बहुत जो 50 प्रतिशत का मन मस्तिष्क में विरोधाभास हो रहाहै उसको भी हम आने वाले 2018 तक ठीक कर लेंगे.
सभापति महोदय, चतुर्थ अनुपूरक में 1004 करोड़ रुपये का अलग अलग प्रावधान किया है यदि इसको हम संयुक्त रुप से देखेंगे तो वास्तव में तारीफे काबिल है. इसलिए कि जब सूखा आया और तात्कालिक परिस्थितियों का मुकाबला करने के लिए,प्राकृतिक आपदा से लड़ने के लिए सरकार को मजबूर होना पड़ा. जैसा कि आदरणीय उमाशंकर गुप्ताजी ने कहा इतिहास बनाया कि एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाकर किसानों की प्राकृतिक मार से जो दुर्दशा हो रही थी, किसान हैरान-परेशान थे, उनको मरहम लगाने का काम माननीय मुख्यमंत्रीजी ने किया. और सूखा फसल क्षति सहायता अनुदान में 2015‑16 में जो 800 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि की मांग की गई है यह तभी तय हो गया था जब पूरे प्रदेश के किसान बेहाल हो गये थे. सूखे के कारण प्रभावित हो रहे थे. सभापति महोदय, सूखे की स्थिति निर्मित होगी तो जो कर्जदार किसान हैं, जिन्होंने सहकारिता के माध्यम से अल्पकालीन ऋण लेते हैं, उन अल्पकालीन ऋणों को जिस प्रकार से मध्य कालीन ऋण में परिवर्तित करना और उसका कोई ब्याज नहीं लेना यह सरकार और मुख्यमंत्रीजी का एक बड़ा संकल्प है. अगर इस चतुर्थ अनुपूरक बजट में इन दोनों प्रावधानों को देखें तो 800 करोड़ रुपये का एक और 204 करोड़ रुपये के अल्पकालीन को मध्य कालीन ऋण में परिवर्तित करने का तो इस प्रकार 1004 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
सभापति महोदय, बजट की प्रतीक्षा किये बगैर किसानों को राहत मिले इस ओर सरकार ने कदम बढ़ाया है. कांग्रेस के समय पहले कहावत होती थी कि न नो मन तेल होगा, न राधा नाचेगी. सरकार के यशस्वी मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह जी चौहान के नेतृत्व में जिस प्रकार तत्काल राहत देने का काम बजट आज आयेगा या कल आयेगा कि प्रतीक्षा किये बगैर किया है. अगर किसी बात की घोषणा की जाती है और उसको किसानों के खाते तक पहुंचाने का काम किया जाता है तो यह चतुर्थ अनुपूरक बजट बड़ी उपलब्धि वाला है.
सभापति महोदय, मैं इस बात को रेखांकित भी करुंगा कि जिस सूखे को लेकर विशेष महत्व के ध्यानाकर्षण को माननीय अध्यक्ष जी ने स्वीकार किया और लगभग सवा बारह बजे से शुरु हुआ जिसमें दर्जनों करीबन 50-60 विधायकों ने जिनके नाम सूची में थे, उन्होंने भी और जिनके नाम सूची में नहीं थे उन्होंने भी सूखे को लेकर चिन्ता की थी, अपने विचार व्यक्त किये थे शायद उसी का परिणाम है कि आज हम इस अनुपूरक बजट में राजस्व विभाग और सहकारिता विभाग के सबसे महत्वपूर्ण विषय पर माननीय मुख्यमंत्रीजी ने घोषणा की थी और जिनका प्रावधान करने की उनके मन में इच्छा थी, उसको आज हम इस अनुपूरक में पूरी होते हुए देख रहे हैं. मैं वित्त मंत्री जी का हृदय से आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि जिन्होंने इस चतुर्थ अनुपूरक बजट में उद्योग, वाणिज्य,सहकारिता,खनिज,उर्जा आदि को लेकर प्रावधान किये हैं.
सभापति महोदय, Make in India और Make in Madhya Pradesh की यदि हम बात करते हैं तो रोजगार की बात आती है, उद्योग की बात आती है. पूरे विश्व में जो वातावरण बना हुआ है उस वातावरण से हमारा प्रदेश भी अछूता नहीं है. यदि उद्योगों में निवेश बढ़ाने के लिए, आकर्षित करने के लिए वातावरण बनाने के लिए यदि कोई कार्य हो रहे हैं तो ऐसी स्थिति में भारत सरकार के नेशनल केरियर सर्विस परियोजना के अंतर्गत जो मॉडल केरियर सेंटर शिवपुरी और ग्वालियर में प्रावधानित किया गया है और उसके लिए इस अनुपूरक बजट में 46.62 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है. यह स्वागत योग्य है.
सभापति महोदय, नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग में प्रवेश कर से नगरीय निकायों को हस्तांतरित करने की जो कार्य योजना चर्चा में, समीक्षा में सरकार के संज्ञान में आयी केबिनेट में आयी, मुख्यमंत्रीजी के दिलो दिमाग में आयी तो माननीय वित्तमंत्रीजी ने उसको स्वीकार करने की कोशिश की. माननीय लालसिंह आर्य,राज्यमंत्री नगरीय प्रशासन एवं विकास जो यहां पर विराजें हैं, इन सबने मिलकर नगरीय प्रशासन विभाग से प्रवेश कर को हस्तांतरण को लेकर जो बात आयी है उसमें भी पात्रतानुसार कुल 325.90 करोड़ रुपये का चतुर्थ अनुपूरक में प्रावधान किया है, यह स्वागत योग्य है.
सभापति महोदय, संसदीय विभाग से जुड़े विधानसभा के सचिवालय के लिए प्रावधान किया गया है. मैं उसका भी स्वागत करता हूं. पूरे विधानसभा सचिवालय की ओर से सरकार का आभार व्यक्त करता हूं. चिकित्सा पूर्ति के लिए 1.40 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
सभापति महोदय, पिछड़ा एवं अल्प संख्यक कल्याण वर्ग के लिए डिंडोरी जैसे पिछडें जिले जहां आदिवासी,वनवासी लोग रहते हैं, वहां कन्या छात्रावास को लेकर, अवमानना के प्रकरण को लेकर 2.835 लाख रुपये का जो प्रावधान किया गया है मैं उसके लिए भी वित्त मंत्रीजी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं.
सभापति महोदय--कृपया समाप्त करें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--सभापति महोदय, जहां तक रोजगार का, उद्योग का सवाल है. यदि हम टोल बूथों की बात करें तो निजी पूंजी निवेश से सड़क बन गई और 50-50 किलोमीटर की दूरी पर जो टोल बूथ लगे हैं उसमें रोजगार मिला है. मैं इसलिए कह रहा हूं कि पूंजी निवेश से सड़क भी बन गई और साथ साथ में ग्रामीण क्षेत्र के कम्प्यूटर सीखने वाले बालकों को भी इन टोल बूथों पर रोजगार प्राप्त हुआ है.
सभापति महोदय, कालूखेड़ा जी बता रहे थे कि पवन उर्जा के क्षेत्र में यदि निवेश बढ़ रहा है तो ग्रामीण अंचल के लोगों को वहां पर चौकीदारी करने, मैनेजरशिप करने, वाहन किराये पर लगाकर मॉनीटरिंग करने का अवसर मिला और इससे निजी पूंजी निवेश भी बढ़ा है.
सभापति महोदय, ये छोटे छोटे रोजगार के लिए रोजगार कार्यालय में अंकित नहीं हुए. मैं वित्त मंत्री जी से, श्रम मंत्रीजी से मांग करुंगा कि निवेशों के अंतर्गत जो छोटेछोटे उद्योगों के माध्यम से जो स्थानीय रोजगार मिला है, यदि हम उनको कहीं टेबल करेंगे तो चौंकाने वाले प्रकरण प्रकाश में आयेंगे. धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी(गुढ़)--सभापति महोदय,चतुर्थ अनुपूरक अनुमान बजट मंत्रीजी ने पेश किया है. इसके माध्यम से लगभग 1325 करोड़ रुपये की मांग की है. यह चतुर्थ अनुपूरक बजट का अगर हम हिसाब लगायें तो जो प्रावधान आपने पुनरीक्षित बजट में कुल व्यय का किया है, वह 1 लाख 32 हजार 647 है. और चतुर्थ अनुपूरक बजट आप लाये हैं इन चारों बजट की हम राशि जोड़ दें तो वह राशि 1 लाख 54 हजार करोड़ रुपये पहुंचती है. यह जो अतिरिक्त राशि की बात सदन में आयी है यह लगभग 20 हजार करोड़ रुपये ज्यादा की राशि है.
सभापति महोदय, जो बजट आपने प्रस्तुत किया इसमें आपने यह नहीं बताया कि यह अतिरिक्त राशि आप कहां से लायेंगे? आपने तो 1 लाख 32 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है तो यह शेष राशि कहां से आयेगी? और आप कैसे इसको वितरित करेंगे, यह चतुर्थ अनुपूरक बजट जो आपने आज पेश किया है इसके अभिलेखों में कहीं भी यह जानकारी नहीं है. अब सवाल इस बात का है कि इसमें डिस्कशन क्या हो ? इसमें हम बात क्या कहें ? जब आपने सदन को यह बताया ही नहीं कि यह आमदनी कहां से होने वाली है ? क्या आप कहीं से बचाएंगे ? क्या आप कहीं से कर्जा लेंगे या दूसरी मदों से रुपये को सरेंडर कराएंगे ? माननीय सभापति जी, इस बात का उल्लेख माननीय मंत्री जी ने कहीं नहीं किया है. फिर मेरा कहना है कि जब इसका उल्लेख नहीं है और राशि 1 लाख 32 हजार करोड़ यह अभी पूरा खर्चा ही नहीं हुआ तो इसी में से आपने उसको क्यों नहीं खर्च कर लिया. इसी में से आप खर्च कर लेते.
माननीय सभापति जी, मेरा यह कहना है कि यह जो बजट पेश किया गया है, फिर सदन को भ्रमित कर रहे हैं. मैं पहले भी आरोप लगा चुका हूँ और विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी आपको दिया है. अब मेरा यह कहना है कि इन्होंने किसानों के लिए 800 करोड़ रुपये के व्यय का अनुमान लगाया है कि इतना हमें व्यय करना है तो ये 800 करोड़ रुपये कहां से आएंगे, मेरा यह निवेदन है कि माननीय वित्त मंत्री जी इस सदन को यह बताने की कृपा करें. जब तक कहां से लाएंगे यह सदन को नहीं बताएंगे तो ये आंकड़े सब असत्य हैं, ये देने की बात असत्य है, इसका कोई मतलब नहीं है.
माननीय सभापति जी, मेरा यह भी कहना है कि पता नहीं इस बार माननीय वित्त मंत्री जी को क्या हो गया है कि न नियम को ध्यान में रख रहे हैं, न कानून को ध्यान में रख रहे हैं और टेलीफोन पर चर्चा करके बजट बना लेते हैं. हमने सवाल खड़ा किया तो माननीय वित्त मंत्री जी ने कहा कि हमने टेलीफोन से चर्चा की है, किससे चर्चा की यह नहीं बताया, आपने प्रधानमंत्री से चर्चा की, जेटली जी से चर्चा की या स्मृति ईरानी जी से चर्चा की, बात आखिर किससे की आपने ? और जो इस बजट का निर्माण किया क्या यह टेलीफोन से होता है ? क्या मौखिक चर्चा से बजट का निर्माण होता है ? पहली बार मध्यप्रदेश विधान सभा के अंदर हिंदुस्तान के इतिहास में किसी वित्त मंत्री ने कहा होगा कि हमने टेलीफोन पर चर्चा करके यह बजट बनाया है परमीशन भविष्य में आएगी. मेरे मित्र सखलेचा जी ने मेरा ध्यान आकर्षित किया है क्योंकि इस पर आपत्ति मैंने पहले की थी. मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि मैंने आपत्ति कहां की है और माननीय वित्त मंत्री जी उस बात को बड़े ढंग से समझते हैं. मैं आपका भी ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ हमारा आरोप यह था कि एफआरबीएम एक्ट...
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- अंकों का खेल ब्राह्मण नहीं समझ पाता है. रहने दो, मैंने आपको चैक करके व्यवस्था दी है कि ये तीन कंडीशन अगर कोई भी राज्य पूरी करेगा तो ..
श्री सुंदरलाल तिवारी -- मैंने वह स्वीकार किया है लेकिन वित्त मंत्री जी ने सदन में मेरी आपत्ति को समझा नहीं, कृपया सुन लीजिए. हमारी आपत्ति यह है कि एफआरबीएम एक्ट में जो घाटे की सीमा को 3 प्रतिशत से 3.5 प्रतिशत आपने कर लिया है यह आपने सदन को धोखा दिया है, आपने सदन के साथ छलावा किया है. भारत सरकार ने सातवें पे कमीशन की रिपोर्ट को अभी तक स्वीकार नहीं किया है इसलिए 3.5 प्रतिशत करने का अधिकार न तो मध्यप्रदेश सरकार को था न माननीय वित्त मंत्री जी को था. अब हमने आरोप क्या लगाया है कि एफआरबीएम एक्ट 2015 में जो आपने अमेंडमेंट किया है उनके उद्देश्यों में जो बात आपने कही है उसमें आपने स्पष्ट यह उल्लेख कर दिया कि भारत सरकार ने इसको स्वीकार कर लिया है. भारत सरकार ने कहां स्वीकार कर लिया ? क्या सदन के सामने वह आदेश आप रखेंगे ? क्या सदन के पटल पर वह आदेश आप सभापति जी को दिखाएंगे ? सवाल केवल विरोध का नहीं है, सवाल केवल सुंदरलाल तिवारी का नहीं है, सवाल यह पूरे सदन का है कि हमारे मंत्री जी अगर विधान सभा को गुमराह करेंगे, गलत आधार पर कानून का अमेंडमेंट सदन के अंदर करेंगे तो इस सदन की गरिमा और गौरव चला जाएगा. जब कभी ये बात अखबारों में, टीवी में, रेडियो से देश के लोग जानेंने तो क्या कहेंगे.
सभापति महोदय -- अब आपका समय समाप्त हो गया.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- सभापति महोदय, यह बड़ा आवश्यक विषय है इसलिए मैं दो मिनट और लूंगा.
श्री जयंत मलैया -- सभापति महोदय, जब ओमप्रकाश सखलेचा जी अपना वक्तव्य दे रहे थे तो ये उनको दिखा रहे थे कि क्या ये चौथे अनुपूरक अनुमान का अंग है, जिस पर आप चर्चा कर रहे हैं क्या वह इस चौथे अनुपूरक अनुमान का अंग है.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय सभापति जी, यह बात इनको तब कहनी थी जब ओमप्रकाश सखलेचा जी ये बात कह रहे थे, तब आपने नहीं टोका और अब मुझे आपने टोक दिया. देखिए सभापति जी, यही गड़बड़ है, यही वह आचरण है, आप उनको भी रोकते. माननीय सभापति जी, यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है लेकिन मध्यप्रदेश विधान सभा के अंदर इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. मैंने अध्यक्ष महोदय से भी निवेदन किया है, मैंने स्थगन प्रस्ताव भी दिया है, जो मुझे नहीं करना चाहिए वित्त मंत्री जी आप इतने अच्छे आदमी हैं, बुद्धिमान हैं मुझे भी यह बुरा लग रहा था कि मैं आपके खिलाफ विशेषाधिकार का नोटिस दूँ.
सभापति महोदय -- वापस ले लेना, क्या बिगड़ गया है (हंसी)
श्री सुंदरलाल तिवारी - माननीय सभापति महोदय, मुझे भी बुरा लग रहा था लेकिन जब मैंने यह कानून देख लिया और मैंने सोचा कि आपसे यह चूक कैसे हुई, आप इतने बुद्धिमान आदमी हैं और ऐसे कानून में अमेंडमेंट आपने कैसे कर दिया और मैं बार-बार कह रहा हूँ, अध्यक्ष महोदय से कहा, उपाध्यक्ष महोदय से कहा, सभापति जी आपसे भी कह रहा हूँ और समूचे सदन में कह रहा हूँ लेकिन कोई इस पर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- तिवारी जी, इस बात को आप कितनी बार रिकार्ड में लाएंगे कि विशेषाधिकार का नोटिस दिया है.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- रिकार्ड की बात नहीं है, ये बनिया की दुकान का बजट नहीं है, मध्यप्रदेश सरकार का बजट है.
सभापति महोदय -- तिवारी जी, समाप्त करें.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- सभापति जी, अगर एक बार ये गाड़ी गलत ढर्रे पर चल पड़ी तो यह गलत गाड़ी कहां तक जाएगी. सभापति जी, अंतिम बात मैं कहना चाहता हूँ कि ये 800 करोड़ रुपये कहां से लाएंगे, इस समय कौन यह कागज बना रहा है मुझे मालूम नहीं है कि कौन फाइनेंस डिपार्टमेंट में अधिकारी है.
सभापति महोदय -- उसमें लिखा तो है कि संचित निधि से लाएंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- सभापति महोदय, संचित निधि से लाएंगे किसी के घर से नहीं लाएंगे.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- यह बताएं कि किस हेड से पैसे लाएंगे.
सभापति महोदय -- आपस में बहस मत करिए. श्री दिलीप सिंह परिहार अपनी बात प्रारंभ करें.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- सभापति जी, एक सेंकड मैं लूंगा, अगर ये संचित निधि में से आएगा तो किस हेड से पैसा आएगा. मैं कहना चाहता हूँ कि 1 लाख 54 करोड़ में आप पहुँच गए, 3.5 प्रतिशत का भी आंकड़ा आपने पार कर लिया तो क्या यह वित्तीय अनुशासन है, मेरा आरोप है कि मध्यप्रदेश सरकार का बजट कानून के विरोध में है, यह तमाशा है, इतना रद्दी बजट तो बनिया की दुकान का भी नहीं होता है. धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार(नीमच)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 11,12,17,25,28,29,58,66 तथा 75 पर प्रस्तुत चतुर्थ अनुपूरक अनुमान की मांगों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ और माननीय मुख्यमंत्री जी को और वित्त मंत्री जी को बधाई देता हूँ. आज तिवारी जी समझ नहीं पा रहे हैं कि बजट में पैसा कहां से आयेगा. यह चतुर्थ अनुपूरक बजट है जो 2015-16 के लिए मध्यप्रदेश के राजस्व विभाग और अन्य विभागों की उन्नति के लिए रखा गया है और यह बात सही है कि जब इस प्रकार का चतुर्थ अनुपूरक बजट आता है.
सहकारिता मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)-- सभापति महोदय, इसको देखने के लिए एजी और सीएजी की व्यवस्था है,आप किसलिए चिन्ता कर रहे हैं. सब के ऊपर वह है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- फिर यहां क्यों लेकर आये हैं? घर से बना के माननीय मंत्री जी दे देते. किसलिए यहां चर्चा होती. यहां ले आये हैं इसलिए मैं निवेदन कर रहा हूँ.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- इनके समझ आयेगी ही नहीं यह बात. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव-- यह किसानों के लिए लेकर के आये हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- तो क्या असत्य बोलोगे आप, कानून बनाने में असत्य बात लिखोगे और हम लोग देखेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- यह असत्य नहीं है.
सभापति महोदय-- कृपया आपस में बहस न करें.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- माननीय सभापति महोदय, यह बजट किसानों के लिए लेकर आये हैं, गरीबों के लिए लेकर के आये हैं, बेरोजगारों के लिए लेकर आये हैं, सहकारिता विभाग के लिए लेकर के आये हैं, इनको तो समर्थन करना चाहिए और हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी और वित्त मंत्री जी की नीति और नीयत साफ है इसलिए हमेशा भंडार भरा रहता है, आपको चिन्ता करने की जरुरत नहीं है. आज सरकार उन्नति कर रही है तो बजट के मापदण्ड के आधार पर ही कर रही है तो मैं इस चतुर्थ अनुपूरक बजट का समर्थन करता हूँ और मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और वित्त मंत्री जी को भी धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने जब एक दिन का सत्र बुलाया था उस समय उन्होंने 9 हजार करोड़ का प्रावधान करके हमारे किसानों को एक बहुत बड़ी राहत दी थी और उसकी वजह से किसान आज प्रसन्न है. मेरे जिले में भी लगभग 100 करोड़ की राशि बंटी है. मेरी विधानसभा में भी लगभग 25 करोड़ की राशि बंटी है. सूखा और फसल क्षति सहायता अनुदान के अंतर्गत अतिरिक्त राशि 800 करोड़ का प्रावधान चतुर्थ अनुपूरक बजट में किया गया है, यह उन्हीं लोगों के लिए किया गया है जो कहीं न कहीं सूखे की वजह से प्रभावित हुए हैं और वित्त मंत्री जी के कुशल प्रबंधन की वजह से यह प्रावधान किया गया है और यह कृषि और राजस्व के इस काम के प्रावधान में जो 800 करोड़ रुपया दिया गया है वह बहुत ही उचित है. मैं वाणिज्य उद्योग एवं रोजगार के लिए माननीय मंत्री जी और वित्त मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि मध्यप्रदेश में शिवपुरी, ग्वालियर और जिला रोजगार कार्यालय में भारत सरकार द्वारा जो नेशनल केरियर द्वारा सर्विस परियोजना के अंतर्गत जो केरियर सेन्टर्स स्थापित किये जा रहे हैं उनके माध्यम से युवाओं का केरियर बनेगा. कहीं न कहीं बेरोजगारों को रोजगार मिलता है तो हम देखते हैं कि कहीं न कहीं प्रदेश में उन्नति होती है और हम देखते हैं चाहे प्रधानमंत्री रोजगार योजना हो या एक लाख से लेकर एक करोड़ तक की योजना हो, उसमें इस बजट का बहुत बड़ा योगदान रहता है और इस स्थापना राशि में लगभग 46.62 लाख रुपये का प्रावधान अनुपूरक बजट में रखा गया है, वह भी एक विकास की कड़ी में नीव का पत्थर साबित होगा. खनिज संसाधन विभाग के लिए भी हम देखते हैं कि लगभग हमारे यहां 35 करोड़ रुपये का प्रावधान चतुर्थ अनुपूरक बजट में रखा गया है उसके माध्यम से भी हमारी जो राशि आने वाली है उस राशि के माध्यम से इस बजट में बहुत सारा काम होने वाला है. मैं ऊर्जा विभाग के लिए माननीय वित्त मंत्री जी को इसलिए धन्यवाद दूंगा कि आज कहीं न कहीं 24 घंटे बिजली मिलती है. 10 घंटे सिंचाई के लिए बिजली मिलती है. तार चेंज किये जा रहे हैं, कहीं न कहीं फीडर सेपरेशन का काम चल रहा है, डी.पी. तत्काल दी जा रही है तो किसान प्रसन्न होता है और यदि किसान प्रसन्न होता है और यदि उसको बिजली मिलती है तो बढ़िया फसल होती है और उससे वह प्रसन्न होता है इसलिए आज ऊर्जा के लिए लगभग 260 करोड़ का जो प्रावधान इसमें किया गया है वह बहुत ही योग्य है और इस बजट का हम सबको समर्थन करना चाहिए क्योंकि बिजली सबको चाहिए. पुराने समय में तार में करंट नहीं होता था.आज करंटदार मंत्री है और तार में भी करंट है. कभी छूने की आवश्यकता नहीं है. पहले हम छू लेते थे और कहते थे कि जाओ करंट नहीं है. हम वहां से आते थे चालू करने और लाइट बंद हो जाती थी तो ऊर्जा के क्षेत्र में अभिनंदनीय कार्य है. सहकारिता विभाग में हम देखते हैं कि सहकारिता के माध्यम से आज एक जो समूह बने हैं या कोआपरेटिव्ह बैंक हैं उन बैंकों में भी जो हमारा ऋण दिया जा रहा है वह ऋण तत्काल वसूल करने के लिए प्रावधान किया गया था और इस प्रावधान के अंतर्गत अल्पकालीन ऋण को मध्यकालीन ऋण में परिवर्तित किया जा रहा है इससे किसानों को सुविधा मिलेगी. जब किसान के पास पैसा नहीं होता था तो कहां से देगा तो आज 204 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है उससे हमारे सहकारी बैंकों की स्थिति मजबूत होगी और कहीं न कहीं हम देखते हैं कि कर्मचारियों के भी वेतन भत्ते, अन्य काम में भी या नियुक्तियों में भी यह जो अतिरिक्त बजट है यह 204 करोड़ रुपये का प्रावधान अनुकूल है. इसके अलावा नगरीय प्रशासन के माध्यम से हमारे नगरों में जो अवैध कालोनियां हैं उनको वैध करने का काम किया जा रहा है. जो वैध कालोनियां हैं उसका सर्वांगीण विकास नगरीय प्रशासन मंत्री और वित्त मंत्री जी के सहयोग से लगातार हो रहा है. हमारे वित्त मंत्री जी लगातार इस काम में लगे रहते हैं कि कहीं भी ऐसी नगरीय क्षेत्र में कोई कालोनियां नहीं हो और तो और वहां स्मार्ट सिटी बनायी जा रही है. स्मार्ट सिटी के माध्यम से, जैसे आज मैं नीमच से आया हूँ, हमारे यहां भी अमृत योजना के माध्यम से गंदा पानी अलग से निकालने के लिए, पर्यावरण को ध्यान में रखकर आज काम किया जा रहा है. हम देखते हैं कि पर्यावरण की व्यवस्था बहुत जरुरी है. इतना देश हमें देता है सब कुछ, हम भी कुछ देना सीखें. सूरज रौशनी दे रहा है, पेड़ छाया दे रहे हैं, फल दे रहे हैं, हवा हमें पर्यावरण में नया जीवन दे रही है तो इसलिए यह नगरीय प्रशासन के माध्यम से जो पर्यावरण विभाग में जो 325.90 करोड़ का बजट का प्रावधान किया गया है, यह बहुत ही अनुपूरक प्रावधान इस चतुर्थ अनुपूरक बजट में किया गया है, यह बड़ा सोच समझ के वित्त मंत्री जी ने प्रावधान किया है. नगरीय क्षेत्र में जो भी हमारे यहां नगरीय विकास में जो काम है उन कामों में गंदा पानी अलग निकालना, या साफ पानी अलग निकालना, यह सब प्रावधान के अनुरुप ही बजट है और इससे विकास होने वाला है. संसदीय कार्य विभाग के माध्यम से भी हम देखते हैं कि 1.40 करोड़ का प्रावधान इसमें किया गया है. हम देखते हैं कि हमारे कर्मचारीबंधु, कोई चिकित्सा सुविधा है, कोई भत्ता है उनके लिए भी यदि कोई प्रावधान है चतुर्थ अनुपूरक बजट में तो वह प्रशंसनीय है. पिछड़ा वर्ग, जो हमारे बंधु, जो अंतिम पंक्ति में बैठे हैं, हमारे दीनदयाल जी भी कहते थे कि उनको आगे की पंक्ति में लाना है. जो हमारे पिछड़े वर्ग के बंधु हैं या अल्पसंख्यक बंधु हैं उनको सरकार की योजनाओँ का लाभ नहीं मिल रहा है. यदि कोई पैसे की कमी आ गयी है तो वित्त मंत्री जी ने कुशल प्रबंधन करके उसके माध्यम से 2.83 लाख का जो प्रावधान किया है वह उनके उत्थान के लिए है. हम देखते हैं कि अल्पसंख्यक बंधु या पिछड़े वर्ग के बंधुओं की भी आज सरकार ने योजना चला रखी है.उन योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचे. मैं तो यही कहूंगा कि यह जो चतुर्थ अनुपूरक बजट है यह बिलकुल सोची समझी नीति के आधार पर है और इस बजट में जो पैसा आने वाला है, मध्यप्रदेश उससे और दोड़ेगा और यह बजट बहुत सोच समझक वित्त मंत्री जी ने रखा है. हम लोग सब सर्वानुमति से इसका समर्थन करें जिससे कि मध्यप्रदेश की जो गति चल रही है, वह और तीव्र गति से बढ़े और तिवारी जी जैसा आप कह रहे थे कि कुछ नहीं हो रहा है, यह आंकड़ो की भी जादूगरी है और सोच समझकर बनाया हुआ वित्त मंत्री जी द्वारा यह बजट है, आप भी समर्थन करें और मैं भी इस बजट का समर्थन करता हूँ.पवन ऊर्जा और हमारे यहां जो ऊर्जा के केन्द्र लगे हैं, माननीय ओम जी के यहां भी माननीय मोदी जी आये थे ,ऊर्जा संयंत्र प्रारम्भ किया था, अभी हमारे ऊर्जा मंत्री जी के यहां भी लग रहा है तो इस बजट में ऊर्जा के क्षेत्र का भी प्रावधान सराहनीय है.आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल(सिहावल)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी ने चतुर्थ अनुपूरक मांगों पर अनुदान संख्या 11,12,17,25,28,29,58, 66 तथा 75 के लिए अनुपूरक बजट पेश किया है. सरकार 1332.46 करोड़ चतुर्थ अनुपूरक बजट पारित कराना चाह रही है. यह ऐसा लगता है कि यह बहुत बड़ी वित्तीय अनुशासनहीनता की एक झलक मात्र है. इस बीच सरकार ने ऐसा कौन सा काम किया जिससे चतुर्थ अनुपूरक बजट लाने की आवश्यकता पड़ी. जब वित्तीय वर्ष समाप्त हो गया है. इस बार जो बजट पेश हुआ उसमें क्यों प्रावधान नहीं किया और ऐसी कौन सी 10 दिन के अन्दर सारी ऐसी व्यवस्थाएँ लानी पड़ीं कि फिर से चतुर्थ अनुपूरक बजट लाना पड़ रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ऐसा लगता है कि सरकार पूरी तरह से हठधर्मिता पर उतर आई है. सरकार को किस बात का डर है? क्या केन्द्र सरकार से जो मिलने वाली मदद थी, वह बंद हो गई? क्या सरकार को पहले से ही मालूम था इसी आशंका में चतुर्थ अनुपूरक बजट लाया गया? यह भी जाहिर हो गया है कि सरकार की बजट प्लानिंग ठीक नहीं है. उपाध्यक्ष महोदय, सारे अनुमान धरे रह गए जब जनता को धोखे में रखने का एक और तरीका निकाला. उपाध्यक्ष महोदय, इस पर सरकार का स्पष्ट जवाब आना चाहिए कि चतुर्थ अनुपूरक बजट की कैसे और कहाँ पर जरुरत पड़ी? उपाध्यक्ष महोदय, पूरा सदन आगे की बात कर रहा है और सरकार पीछे से चुपचाप अनुपूरक बजट लेकर आई. अभी भी स्पष्ट कर दिया जाए क्या कोई पाँचवा अनुपूरक बजट तो नहीं आने वाला है?
उपाध्यक्ष महोदय-- कमलेश्वर जी, 2-3 मिनट में समाप्त कर दें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- उपाध्यक्ष महोदय, अगर पाँचवा अनुपूरक बजट आने वाला है तो उसका भी अभी ही प्रावधान कर दें फिर बाद में अलग से सरकार की राशि खर्च नहीं करना पड़े. फिर से सबको यहाँ बुलाना न पड़े. उपाध्यक्ष महोदय, अभी तो सरकार यह भी नहीं बता पाई है कि केन्द्र सरकार से किसानों की राहत के लिए जो 23 सौ करोड़ रुपये मिलने थे वह मिले भी कि नहीं मिले? फिर सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर 35 करोड़ का लोन भी लिया था, प्रस्ताव किया था और अब चौथा अनुपूरक बजट ले आए. वित्त मंत्री जी बताएँ कि केन्द्र से भरपूर मदद मिलने के बावजूद भी ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा? या तो केन्द्र से मदद मिली नहीं या तो फिर प्रदेश सरकार हम सबको गुमराह कर रही है. उपाध्यक्ष महोदय, इस बार केन्द्र सरकार से जो हर क्षेत्र में राशि मिलती थी उसमें 30 परसेंट की कटौती हुई है. मध्यप्रदेश के लिए यह बड़ा चिन्ता का विषय है. क्या राज्य सरकार को पहले से मालूम था? विशेष सत्र भी बुलाया था इसमें भी इस बात की कोई चर्चा नहीं हुई थी. अभी तक नहीं पता चला कि कहाँ से लोन लिया है. कितने प्रतिशत पर लिया है, कैसे चुकाएँगे और जनता को फिर से कर के बोझ में डालने जा रहे हैं. कुल मिलाकर यह वित्तीय अनुशासनहीनता का ही परिचायक है जो लगातार सरकार बड़े कर्ज पर बढ़ती जा रही है. दूसरी तरफ आप देखेंगे कि जितने भी, उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी ने अनुपूरक बजट का फिर से प्रावधान किया है और आप दूसरी तरफ देखेंगे कि सभी विभागों में अधिकारी, कर्मचारी, आँदोलनरत हैं, पूरे प्रदेश में पंचायत सचिव, रोजगार सहायक और स्वास्थ्यकर्मी आँदोलनरत हैं. इनकी व्यवस्था के लिए सरकार ने किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने कई जगह जो भूमि पूजन किए हैं, उद्घाटन किए हैं. हमारे विधान सभा क्षेत्र में भी कई ऐसे हैं. उसका कहीं प्रावधान नहीं किया है तो क्या माननीय मुख्यमंत्री जी जो घोषणा करते हैं वह सिर्फ घोषणा मात्र रह जाती है? माननीय वित्त मंत्री जी को इस पर भी ध्यान देना चाहिए. अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी घोषणा कर रहे हैं तो सिर्फ घोषणावीर तक सीमित नहीं रहे. वित्त मंत्री जी को प्रावधान करना चाहिए, उनकी घोषणओं को पूरा भी करना चाहिए. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मौका दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद कमलेश्वर जी.
श्री वेलसिंह भूरिया(सरदारपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मेरी बात शुरू करने के पहले मेरे काँग्रेसी मित्रों के लिए एक बात कह कर मेरी बात शुरू करता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय,
जिसके मन में, मैल नहीं वह कभी फेल नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय, निश्चित ही काँग्रेस के मन में मैल था. काँग्रेस के दिल्ली के माननीय युवराज जी भी फेल हो गए और मध्यप्रदेश के अन्दर भी काँग्रेस फेल हो गई और वह हमारे किसानों के मसीहा गरीबों के दाता किसानों के आँसू पोंछने वाले, किसानों के हमदर्द, गरीबों के मसीहा, गरीबों का दाता, जिसका नाम माननीय शिवराज सिंह चौहान है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ और हमारे माननीय वित्त मंत्री जी को भी बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूँ. 1332 करोड़ 46 लाख, 95 हजार 9 सौ करोड़ का जो चतुर्थ अनुपूरक बजट है उसका मैं स्वागत करता हूँ और बहुत बहुत धन्यवाद और बधाई देना चाहता हूँ. वाकई में माननीय वित्त मंत्री जी ने और माननीय शिवराज जी ने गरीबों का ध्यान रखा है. इससे गरीब किसान जिनकी फसल खराब हो गई है. अभी हमारे माननीय यशपाल सिंह जी कह रहे थे कि प्राकृतिक प्रकोप के कारण मुँह का निवाला छिन गया है. मैं एक बात बता देना चाहता हूँ कि किसी भी परिस्थिति के ऊपर व्यक्ति की मजबूत पकड़ होती हो तो जहर उगलने वाला व्यक्ति भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता. हमारे मुख्यमंत्री माननीय शिवराज जी की और माननीय वित्त मंत्री जी की इस मध्यप्रदेश की परिस्थिति के ऊपर मजबूत पकड़ है. मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, हमारी सरकार की मजबूत पकड़ है. चाहे आँधी आए, चाहे तूफान आए, चाहे कुछ भी हो जाए, मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है इसलिए किसी भी किसान को हतोत्साहित होने की आवश्यकता नहीं है. किसी भी किसान को उदास होने की आवश्यकता नहीं है. मध्यप्रदेश का राजा माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी बैठा है इसलिए कोई चिन्ता की बात नहीं है. मैं काँग्रेस के लिए एक लाइन बोल देना चाहता हूँ--
आँधियाँ लाख उठाओ, बिजलियाँ लाख गिराओ, जल गया दीया अँधेरा उठ कर ही रहेगा. खिल गया कमल, काँग्रेस जाकर रहेगी, खतम.
उपाध्यक्ष महोदय, सूखा फसल क्षति सहायता अनुदान के अंतर्गत वर्ष 2015-16 में अतिरिक्त राशि रुपया 8 सौ करोड़ का प्रावधान हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री ने यह रखा है उसके लिए मैं बहुत बहुत धन्यवाद और बधाई देना चाहता हूँ. निश्चित ही इसमें गरीबों का हित और किसानों की भलाई जुड़ी हुई है. गरीब लोगों का भविष्य जु़ड़ा हुआ है. हमारे माननीय वित्त मंत्री जी ने सभी चीजों के ऊपर ध्यान रखा है. राजस्व विभाग का भी, जिसमें 8 सौ करोड़ रुपये उन किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है. उसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री मलैया जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहूँगा. वाणिज्य उद्योग एवं रोजगार विभाग में भी हमारी सरकार ने ध्यान रखा है. खनिज संसाधन में भी हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इसका पूरी तरीके से ध्यान रखा है. ऊर्जा विभाग में हमारे मुख्यमंत्री माननीय शिवराज जी ने किसानों की बिजली अलग और गाँव की बिजली अलग, 24 घंटे बिजली देने का काम हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया.
उपाध्यक्ष महोदय-- वेलसिंह जी अब आप समाप्त करें.
श्री वेलसिंह भूरिया-- अभी तिवारी जी रोना गाना कर रहे थे. तिवारी जी, मैं यह कहना चाहता हूँ जब आपकी सरकार थी, आपके माननीय दिग्विजय सिंह जी की सरकार थी, तब क्या होता था, बिजली तो थी नहीं और तार भी बेचकर खा गए थे काँग्रेस की सरकार में, काँग्रेस के नेता लोग, मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि यह शिवराज सिंह जी चौहान की सरकार है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. 24 घंटे गाँव को बिजली दी जा रही है और 10 घंटे किसान को बिजली दी जा रही है और जहाँ पर बिजली नहीं है वहाँ पर 2016-17 तक 24 घंटे बिजली कर दी जाएगी और अस्थायी कनेक्शन.....
उपाध्यक्ष महोदय--वेलसिंह जी ऊर्जा विभाग की मांगों पर अभी चर्चा होनी है बिजली वाली बात तब कर लीजिएगा.
श्री वेलसिंह भूरिया--उपाध्यक्ष महोदय, ऊर्जा विभाग का मेटर भी इसमें है इसलिए मुझे बोलना पड़ रहा है. मेरे पास एमडी साहब की चिट्ठी आ गई है जो हजारों किसानों के अस्थायी कनेक्शन हैं हमारी सरकार आगामी दिनों में इन्हें स्थायी करने जा रही है. यह किसानों के लिये वरदान है. हमारी सरकार ने बहुत बढ़िया काम किया है मैं माननीय मुख्यमंत्रीजी और वित्त मंत्रीजी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ कि इतना शानदार, जानदार और दमदार बजट पेश किया है यह गरीबों के हक में है, आदिवासी भाइयों के हक में है किसान भाइयों के अधिकार के लिए है. आपने मुझे बोलने का मौका दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. वन्दे मातरम्, भारत माता की जय.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चतुर्थ अनुपूरक बजट के माध्यम से 1322 करोड़ 46 लाख 95 हजार 900 रुपये की राशि की राज्य की संचित निधि से प्रस्तावित व्यय के लिए मांग की गई है. मैं अनुदान संख्या 11,12,17, 25, 28, 29, 58, 66 तथा 75 के विरोध में वक्तव्य देने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
अभी पूर्व में सुन्दरलाल तिवारी जी ने जो बात रखी यह सदन जानने के लिए इच्छुक है यह उसका अधिकार है. आने वाले समय में आप दूध का दूध और पानी का पानी करें ताकि जो बात सदन में आई है उसका समाधान हम जैसे नये सदस्यों को हो और वास्तविक स्थिति का पता सदन और प्रदेश को चल सके.
उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 11 के अन्तर्गत शिवपुरी और ग्वालियर में रोजगार कार्यालयों में भारत सरकार की नेशनल केरियर सर्विस परियोजना के अन्तर्गत मॉडल केरियर की स्थापना की जानी है उसके लिए 46 लाख 61 हजार 800 रुपये की मांग की गई है बाकी पैसा केन्द्र से आ रहा है. विषय यह है कि नेशनल केरियर सर्विस परियोजना के अन्तर्गत इन मॉडल केरियर सेन्टर में क्या नवाचार किया जाएगा इसकी जानकारी हम लोगों को नहीं है अनुपूरक बजट में तो आ गया है लेकिन क्या काम करेंगे क्या होगा उसकी जानकारी हम लोगों तक नहीं है. वैसे भी रोजगार कार्यालयों की स्थिति बहुत गंभीर है आर्थिक सर्वेक्षण के अनुरुप पिछले वर्ष मात्र 334 लोगों को रोजगार कार्यालय के द्वारा रोजगार मिला था और 2014 में 1300 लोगों को रोजगार मिला था. यह बहुत गंभीर बात है प्रदेश में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है और स्कूल शिक्षा मंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री, रोजगार विभाग, वित्त विभाग मिलकर एक ऐसी कार्य योजना बनायें और यह देखें कि देश में और विदेश में रोजगार की संभावना क्या-क्या है उन विषयों का समावेश जब तक हम नहीं करेंगे तब तक प्रदेश की रोजगार की समस्या का समापन नहीं होगा.
सभापति महोदय, मांग संख्या-12 के बारे में कहना चाहता हूँ कि फीडर सेपरेशन का काम अभी बहुत धीमी गति से चल रहा है और गर्मी गांवों में बढ़ती जा रही है इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. लोक अदालतों में हजारों, लाखों किसान दर-दर भटक रहे हैं उनकी समस्या का निराकरण होना भी आवश्यक है और दस घंटे बिजली देने की जो बात कही जा रही है वह नहीं मिल रही है व्यवस्था ऐसी हो कि वाकई में दस घंटे बिजली मिले क्योंकि सिर्फ कहने से काम नहीं चलेगा वास्तविकता में मिले तो किसानों का भला होगा.
उपाध्यक्ष महोदय--अब आप समाप्त करें. आपके दल का जो निर्धारत समय था उससे बहुत ज्यादा समय हो चुका है.
श्री शैलेन्द्र पटेल--उपाध्यक्ष महोदय, अल्पकालीन ऋणों की जो बात की गई है उसमें मध्यकालीन ऋणों को परिवर्तित करने के लिए मांग की गई है. खाद के पैसे अभी भी जमा करवाये जा रहे हैं 15 मार्च कल है और कृषकों से अभी भी खाद के पैसे जमा करवा रहे हैं जो उनको केश मिला था वह वापिस नहीं करवा रहे हैं उसकी बात आगे है. उनके ऊपर भी ध्यान देने की आवश्यकता है जो समय निर्धारित किया है वह 15 मार्च है इस समय किसानों के पास पैसा नहीं होता है इस समय सीमा को भी बढ़ाये जाने की आवश्यकता है. 25 से 33 प्रतिशत का जो नुकसान हुआ था उनकी बेटियों की शादी का भी जवाब नहीं मिला था, मुआवजे का वितरण भी ठीक तरीके से नहीं हुआ है और यह 800 करोड़ रुपये मांग रहे हैं अभी तक वह पैसा नहीं मिला लगभग 4 महीने उस बात को हो गया है इस सदन को यह भी जानने की आवश्यकता है कि केन्द्र से जिस मुआवजे की राशि की मांग की गई थी वह राशि केन्द्र से मिली या नहीं मिली. आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष के माननीय सदस्यों ने चौथे अनुपूरक अनुमान की चर्चा में भाग लिया सभी का मैं धन्यवाद करना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, सामान्यत: वित्तीय वर्ष में तीन अनुपूरक अनुमान विधान सभा में प्रस्तुत किये जाते हैं प्रथम पावस मानसून सत्र में, द्वितीय शीतकालीन सत्र में एवं तृतीय अनुमान वित्तीय वर्ष समाप्त होने के ठीक पूर्व अति आवश्यक और वैधानिक व्ययों के प्रावधान के लिए किया जाता है. किन्तु इस बार किसानों को राहत राशि वितरित करने के लिए विधान सभा का विशेष सत्र आमंत्रित कर द्वितीय अनुपूरक के माध्यम से रुपये 8407.65 करोड़ की अतिरिक्त स्वीकृति दी गई. इसमें सूखा राहत के लिए रुपये 3274 करोड़ वितरित किए जा चुके हैं इसके अलावा किसानों के द्वारा लिए गए अल्पकालीन ऋणों को मध्यमकालीन ऋण में परिवर्तित करने हेतु हमारी सरकार के द्वारा रुपये 444 करोड़ व्यय किये गए हैं. चतुर्थ अनुपूरक अनुमान वर्ष 2014-15 में रुपये 1627 करोड़ 70 लाख 6 हजार 400 मात्र का है. इसमें उपलब्ध हुई राशि रुपये 121 करोड़ 63 लाख 62 हजार सम्मिलित है. राज्य पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार रुपये 1505 करोड़ 59 लाख 82 हजार 600 मात्र का है. वर्ष 2015-16 के लिए विधान सभा द्वारा पारित बजट प्रस्ताव अन्तर्गत रुपये 1 लाख 31 हजार 199.06 करोड़ के अनुमानित व्यय के विरुद्ध रुपये 1 लाख 30 हजार 815.27 करोड़ की प्राप्तियां अनुमानित थीं बजट प्रस्ताव अनुसार राजकोषीय घाटे का अनुमान रुपये 16745.33 करोड़ आंकलित था. वर्ष 2015-16 में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय अनुपूरक बजट के माध्यम से रुपये 22879.07 करोड़ के अतिरिक्त व्यय की अनुमानित व्यय की अनुमति विधान सभा से प्राप्त की गई थी. वर्ष 2015-16 के लिए सोयाबीन फसल को हुई हानि के लिए किसानों को राहत राशि देने का शासन द्वारा निर्णय लिया गया है इस हेतु विधान सभा का विशेष सत्र आमंत्रित कर द्वितीय अनुपूरक की मांगों के माध्यम से मांग संख्या 58 अन्तर्गत राशि 3328 करोड़ के अतिरिक्त व्यय की स्वीकृति दी गई है. किसानों को राहत वितरित करने के लिए राशि रुपये 800 करोड़ की अतिरिक्त मांग की गई है इसके साथ ही सहकारिता विभाग द्वारा किसानों के अल्पकालीन ऋणों को मध्यमकालीन ऋणों में परिवर्तित करने हेतु मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंकों देय राज्य शासन के अंशदान हेतु वर्ष हेतु रुपये 204.70 करोड़ के प्रावधान हैं इन प्रावधानों हेतु विभाग द्वारा अन्य मांग संख्याओं में रुपये 121.63 करोड़ समर्पित किये जायेंगे. चुंगी क्षतिपूर्ति के रुप में नगरीय निकायों को वर्ष 2014-15 के लिए राशि रुपये 2737 करोड़ उपलब्ध कराई जानी थी जिसके विरुद्ध अभी तक 2015-16 में 2111.10 करोड़ का ही प्रावधान किया गया था. शेष राशि रूपये 325.90 करोड़ चौथे अनुपूरक मांगों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है. ऊर्जा उपकर की प्राप्तियों को आगामी वित्तीय वर्ष में ऊर्जा विकास निधि में अंतरण किया जाता है. वर्ष 2013-14 की प्राप्तियों के वर्ष 2014-15 में रूपये 297. 0252 करोड़ अंतरित नहीं किये गये हैं. वर्ष 2014-15 की प्राप्तियों में रूपये 193.1723 करोड़ का भी अंतरण 2015-16 में किया जाना है. इस वर्ष 230 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है. अत: शेष रूपये 260.19 करोड़ का अतिरिक्त प्रावधान चतुर्थ अनुपूरक अनुमान प्रस्तावित है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी :- उपाध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी एक बात जानना चाहा था कि आप रूपये लायेंगे कहां से .
उपाध्यक्ष महोदय :- आप बीच में सदन में नहीं थे. मंत्री जी ने जवाब दिया है. आप बीच में चले गये थे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी :- उपाध्यक्ष महोदय, मैं नहीं गया था, मैं यहीं पर था.
उपाध्यक्ष महोदय :- प्रश्न यह है कि ''दिनांक 31 मार्च, 2016 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 11, 12, 17 ,25 ,28 ,29, 58, 66 एवं 75 के लिये राज्य की संचित निधि से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को कुल मिलाकर एक हजार तीन सौ बत्तीस करोड़, छियालीस लाख, पंचानबे हजार, नौ सौ रूपये की अनुपूरक राशि दी जाए.''
अनुपूरक मांगों को प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2016
श्री जयंत मलैया, (वित्त मंत्री):- उपाध्य क्षमहोदय, मैं मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2016 का पुर:स्थापन करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय :- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि कि मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियाग विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
उपाध्यक्ष महोदय :- प्रश्न यह है कि खण्ड 2, 3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
उपाध्यक्ष महोदय :- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
उपाध्यक्ष महोदय :- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण तथा नाम अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री जयंत मलैया, (वित्त मंत्री):- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय:- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
वर्ष 2016-2017 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
अनुदान संख्या-17 स्कूल शिक्षा (प्रारंभिक शिक्षा) अनुदान संख्या- 40 स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित अन्य व्यय
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा( श्री दीपक जोशी):- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय, सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि 31 मार्च, 2017 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को,
अनुदान संख्या-17 स्कूल शिक्षा (प्रारंभिक शिक्षा) अनुदान संख्या- 40 स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित अन्य व्यय
उपाध्यक्ष महोदय :- उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्ताव पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री
कमलेश्वर
पटेल(सिंहावल):-
माननीय उपाध्यक्ष
महोदय,
मैं समझता हूं
कि शिक्षा
विभाग सबसे
महत्वपूर्ण
विभाग है और
किसी भी
प्रदेश की
तरक्की के
लिये और उसको
आगे बढ़ने के
लिये शिक्षा
विभाग है.
लेकिन मध्यप्रदेश
सरकार ने विगत
साढ़े बारह
वर्षों से
शिक्षा को,
हम समझते हैं
कि अंतिम छोर
में रखा हुआ
है. प्राथमिकता
में स्कूल
शिक्षा नहीं
है. आज आप
देखेंगे,
आज ही देखा कि
पत्रिका न्यूज
पेपर में लम्बे
हेडिंग में
छपा हुआ है कि
इधर पैसा नहीं
और उधर बेकार
पड़े करोड़ो
रूपये,
आये दिन इस
तरह की खबरें
छपती रहती है
और 200 करोड़
रूपये किसकी
गलतियों से
सरकार उपयोग
नहीं करती है
और वित्तीय
वर्ष बीत गया
है. एक तरफ
छात्रवृति के
लिये छात्र
भटकते रहे
हैं. दूसरी
तरफ शिक्षकों
का इतना अभाव
है कि सरकार
ने उसके लिये
व्यवस्था
नहीं बनायी
है. मैं समझता
हूं कि हमारे
शिक्षा
मंत्री और
मुख्यमंत्री
जी हैं, वह
भी सरकारी स्कूल
में ही पढ़े
हैं सरकारी स्कूल
से ही पढे़
हैं. हम लोगों
के समय में
शिक्षा की व्यवस्था
सीमित
संसाधनों में
जिस तरह की
परीक्षा अर्जित
की जाती थी,
आज वर्तमान
में इंफ्रास्ट्रक्चर
बहुत बढि़या
होने के बाद
में भी
शैक्षणिक व्यवस्था
पूरी तरह से
चरमरा गयी है.
प्राथमिक
शिक्षा की व्यवस्था
तो यह है कि
हाल ही में
प्रथम नामक
प्रतिष्ठित
संस्थान की
रिपोर्ट है कि
मध्यप्रदेश
में पांचवीं
तक की कक्षाओं
के पचास प्रतिशत
बच्चें या तो
सही बोल पाते
हैं और न सही
लिख पाते हैं
और गणित में
भी कमजोर हैं,
इस दिशा में
सरकार की कोई
चिंता दिखाई
नहीं देती है.
यदि सरकार को
इस दिशा में
चिंता दिखाई पड़ती
तो सभी स्कूलों
में जिस
अनुपात में
शिक्षक होने
चाहिये,
उस अनुपात में
शिक्षक नहीं
है. प्राथमिक
स्कूलों का
भी एक मापदण्ड
है,
माध्यमिक स्कूलों
का भी एक
मापदण्ड है
कि कितने बच्चों
में कितने
शिक्षक होने
चाहिये और हाई
स्कूल और
हायर सेकेण्डरी
में भी एक
मापदण्ड है.
पर उस मापदण्ड
का यह सरकार
पूरी तरह से
पालन नहीं कर
रही है. पूरी
तरह तो क्या
प्रचास
प्रतिशत भी
वर्तमान में
पालन नहीं हो
रहा है. और किन
के भरोसे
सरकार चल रही
है. अतिथि
विद्वानों के
भरोसे और यही
मजाक उड़ाते हैं
और यही
मुख्यमंत्री
जी ने मजाक
उड़ाया था कांग्रेस
सरकार के
शिक्षा
कर्मियों का
कि कांग्रेस
सरकार ने जो
भर्ती की थी
हम उनको ढो रहे
हैं. बड़ी
शर्म आती है.
आप पूर्ववर्ती
सरकार का तो
मजाक उड़ा रहे
हो परंतु आपने
तेरह सालों
में क्या
किया,आपने
कितने सुधार कर
लिये,आपने कौन
सा बहुत बड़ा
ऐसा काम कर
दिया. स्कूल
खोलने की बात
तो दूर हमारे
सीधी जिले में
अभी 48 स्कूल
बंद करने के
आदेश जारी हो
गये. माननीय
उपाध्यक्ष
महोदय, आज के
पेपर में भी
छपा है. कल के
न्यूज में भी
प्रसारित हो
रहा था.
शिवपुरी जिले
के एक
सर्वशिक्षा
अभियान के
कस्तूरबा
गांधी
छात्रावास
में फूड प्वाइजनिंग
की वजह से कई
बच्चे रात में
भर्ती कराये
गये. जिला
प्रशासन
पहुंचा तो किस
तरह की व्यवस्थाएं
चल रही हैं
इससे अंदाजा
लगा सकते हैं.
पिछले बजट
भाषण में कहा
गया था कि 25817 शौचालय
स्कूलों में
बनाना हैं.
इसके अलावा 23
हजार बंद पड़े
शौचालयों का
पुनर्निमाण
और उनमें
सुधार करना.
इसके लिये 552
करोड़ रुपये रखे
गये थे. यह भी
कहा गया था इस
काम के लिये
अतिरिक्त
धनराशि
जुटाने के
लिये मुख्यमंत्री
स्वच्छता कोष
बनाया जाये.
इसमें कार्पोरेट
सेक्टर और
औद्योगिक
संस्थान की ओर
से भी मदद की
जायेगी. आज इस
संबंध में कोई
चर्चा नहीं.
इसका मतलब साफ
है या तो काम
पूरा हो गया है
या पूरा अधूरा
है. मंत्री जी
इस बारे में
अपने जवाब में
शायद कुछ
प्रकाश
डालेंगे.
मध्यप्रदेश
के जो बच्चे
आई.आई.टी. या
एन.आई.टी. जैसे
संस्थानों
में अगर टाप
करते हैं.
अपनी मेहनत से
टाप करते हैं
पर जब बच्चे
टाप करते हैं तो
उनके लिये
सरकार बड़ा
गुणगान करती
है और शिक्षा
का क्या स्तर
है आप अंदाजा
लगा सकते हैं कि
किस तरह से
आंदोलनरत्
हैं शिक्षाकर्मी.
किस तरह से
संविदा कर्मी
आंदोलनरत् है
और सरकार के
ऊपर कोई जूं
नहीं रेंग रही
है. कोई
व्यवस्था
सरकार नहीं
बना रही है. आज
मध्यप्रदेश
में जो बजट
भाषण का
उल्लेख किया
गया है. बाल
शिक्षा का
अधिकार
अधिनियम के
अंतर्गत वंचित
समूह के
बच्चों की 25
प्रतिशत सीटें
आरक्षित हैं
और उनकी पढ़ाई
का खर्चा सरकार
खुद उठा रही
है. यहां
दिलचस्प बात
यह है कि जब
केन्द्र में
मनमोहन सिंह
जी की सरकार
थी तब यह दबाव
लगातार बनाया
जा रहा था कि
मध्यप्रदेश
अच्छा काम कर
रहा है और जो
पैसे खर्च हो
रहे हैं उसकी
पूर्ति
केन्द्र
सरकार करे.
मोदी सरकार
आने के बाद
ऐसी कोई मांग
मध्यप्रदेश
की नहीं हुई
और जबकि
प्रधानमंत्री
जी मध्यप्रदेश
की सरकार को
मदद करने को
तैयार बैठे हैं.
पता नहीं
तैयार हैं कि
नहीं जिस तरह
से अन्य मदों
में कटौती हुई
है उसी तरह
शिक्षा विभाग
में भी हुई है
कि नहीं.
स्कूल
छात्रवृत्ति
के लिये हमारे
सीधी,सिंगरौली
जिले में आदिवासी
अंचल में
दो-दो,तीन-तीन
सालों से
छात्रवृत्ति
बच्चों को
नहीं मिली है.
पता नहीं इसमें
किसकी
संलिप्तता है
और किसकी
गल्तियों की वजह
से इस तरह की
घटनाएं घट रही
हैं और बेचारे
गरीब परेशान
होते रहते
हैं. समय पर
उनको गणवेश
नहीं
मिलता,समय पर
उनको साईकल का
वितरण नहीं
होता और हम तो
यह भी निवेदन
करते हैं कि जिस
तरह से
बच्चियों के
साईकल के लिये
व्यवस्था की
गई है. दूर
अंचल में
आदिवासी गरीब
बच्चों के
लिये जिस तरह छात्राओं
के लिये है
छात्रों के
लिये भी इस तरह
की व्यवस्था सरकार
को करनी
चाहिये
क्योंकि उनको
भी आने-जाने
में असुविधा
होती है. कई
वर्षों से जो
प्रयोगशाला
सहायक हैं
उनकी
पदोन्नतियां
नहीं हो रही
है. अभी जो
आपका
युक्तियुक्तकरण
के तहत् बहुत
सी
नियुक्तियां
भी हुई हैं
उनमें भी बहुत
सारे लोगों को
छोड़ दिया है
जो शिक्षकों की
सहायक
अध्यापक से
प्राध्यापक
के लिये जो पदोन्नति
हुई है उसमें
आज भी लोग भटक
रहे हैं और भ्रष्टाचार
शिक्षा विभाग
में आज चरम
सीमा पर है
जबकि एक तरह
से शिक्षा को
मंदिर बोलते
हैं और शिक्षा
के स्तर का
सुधार करने के
बजाय शिक्षक
लोग पैसे देकर
काम कराएंगे
तो फिर क्या
स्थिति
निर्मित होगी
और ज्यादातर
शिक्षक एक तो
हमारे पास
पूरे प्रदेश
में विषयवार शिक्षक
नहीं है और
दूसरी तरफ बहुत
से शिक्षक
प्रतिनियुक्ति
पर काम कर रहे
हैं और इसमें
सरकार कोई
ध्यान नहीं दे
रही है. हमारा
आपके माध्यम
से मंत्री जी
से निवेदन है
कि यह व्यवस्था
बनाएं. दूसरा
काम करने के
लिये बहुत
सारे लोग हैं.
आप दूसरे
विभाग के
कर्मचारियों
को लगाईये. एक
तरफ तो आप
पदोन्नति भी
कई वर्षों से
नहीं कर रहे
हैं. स्कूल
में
प्राचार्य
नहीं हैं.
प्रभारी
प्राचार्यों
के भरोसे
स्कूल चल रहे हैं.
आपके
व्याख्याता
नहीं हैं.
विषयवार आपके
लेक्चरार
नहीं हैं और
दूसरी तरफ जो
हैं भी आपने
कहीं उनको
सर्वशिक्षा
अभियान में लगाकर
रखा है. कहीं
डीपीसी बना कर
रखा है कहीं बीआरसी
बनाकर रखा है इस तरह के कामों में लगाकर रखा है. यह संलिप्तता भी समाप्त होना चाहिये चूंकि माननीय मंत्री जी भी शासकीय स्कूल से पढ़े हैं और हम भी शासकीय स्कूल से पढ़े हैं और जितने यहां पर लोग हैं 60-70 परसेंट से ज्यादा लोग शासकीय स्कूल में पढ़े हैं. हम समझते हैं कि किसी भी स्कूल में शिक्षा ग्रहण करना कोई गुनाह नहीं है पर किस तरह की शिक्षा हम ग्रहण करते हैं किस तरह की विचारधारा को हम अपनाते हैं यह ज्यादा महत्वपूर्ण है पर सबसे बड़ा दुख तो इस बात का है कि हमारे जो हांडा जी हैं वह कहीं न कहीं विचारधारा से भटक जाते हैं. माननीय मंत्री जी जो शिक्षा विभाग में भारी भ्रष्टाचार है उस पर सबसे पहले कंट्रोल करेंगे और शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार करिये. आज जो शिक्षा का स्तर गुणवत्ताविहीन हो गया है. शासकीय स्कूलों में लोग बच्चों को पढ़ाना नहीं चाहते. आपको इस पर कंट्रोल करना पड़ेगा. आज गांव-गांव में प्रायवेट स्कूल बहुत अच्छे से चल रहे हैं. हमारे सीधी जिले में48 स्कूल बंद करने के आदेश दिये गये हमारा निवेदन है कि वे बंद नहीं होने चाहिये. मैं शिक्षा विभाग के लिये जो बजट का प्रावधान किया गया है क्योंकि इसका सदुपयोग नहीं हो रहा है.
श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल(बैतूल) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 के पक्ष में अपनी बात कहने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं आपके माध्यम से सरकार को इस बात के लिये धन्यवाद देना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश की सरकार लगातार शिक्षा के विषय में अच्छा काम कर रही है. हर बच्चा स्कूल जाये इसके लिये हमारे मुखिया शिवराज जी लगातार चिंतित हैं. सरकार ने जो अच्छे काम किये हैं उसमें लगभग 8 लाख बच्चों को आर.टी. शिक्षा का जो अधिकार है उसके तहत् प्रवेश दिलाया. लगभग 85 लाख बच्चों को सीधे स्कालपशिप दिलाने का काम इस सरकार ने किया. हर बच्चे को साईकल देने के लिये 2400 रुपये और बारहवीं के बच्चे जिनको 85 परसेंट से ऊपर अंक मिले हैं. उन्हें लेपटाप देने का सरकार ने काम किया. सरकार अभी भी चिंतित है और इसलिये लगातार शिक्षा के क्षेत्र में सरकार कोई न कोई अच्छा काम कर रही है लेकिन आज के समय में शिक्षा का जो वर्तमान परिदृश्य है उसकी तरफ मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. आज हर जनप्रतिनिधि एक बात जानता है कि वह जिस भी गांव में जाता है जिस गांव में अगर मिडिल स्कूल है तो वहां हाई स्कूल की बात होती है हाई स्कूल है तो वहां हायर सेकेण्डरी की बात होती है. प्रायमरी है वहां मिडिल स्कूल की बात होती है. अगर सरकार हर बातों को मानकर अपने स्कूलों का उन्नयन करती है. उपाध्यक्ष महोदय, शालाओं में बच्चों की संख्या लगातार कम होती जा रही है हमें जो एक्पर्ट टीचर्च जैसे मेथ्स-साईंस चाहिये उसकी कमी पूरे प्रदेश में हम अच्छी शालाएं न होने से उनकी मॉनिटरिंग नहीं कर पाते. जो अच्छी प्रयोगशालाएं एवं अच्छे खेल के मैदान होने चाहिये वह भी सरकार चाहकर भी उपलब्ध नहीं करा पाती. मैं इसके उदाहरणस्वरूप अपने जिले की बात रखना चाहूंगा उस उदाहरण से पूरे प्रदेश का परिदृश्य आपके सामने आयेगा. पिछले साल 2014-15 एवं 2015-16 में मेरे बैतूल जिले में लगभग 14 हजार बच्चों की संख्या सरकारी स्कूलों में कम हुई है, जबकि इसके विपरीत शालाओं की संख्या कुल 2900 बैतूल जिले में प्राथमिक एवं मिडिल शालाओं की है. हमारे बैतूल जिले में 1 लाख 79 हजार स्टूडेन्ट हैं और लगभग 7600 शिक्षक हैं अगर उसमें अतिथि शिक्षक मिला दें तो 9 हजार टीचर हैं. अगर हम प्रति शिक्षक टीचर का रेशियो देखें तो 20 से भी कम आता है. 233 शालाएं तो ऐसी हैं जहां 20 बच्चों से भी कम हैं. मैं सरकार को एक सुझाव देना चाहता हूं अगर हम इन छोटी-छोटी शालाओं को बंद करके इनकी जगह 15-20 किलोमीटर में एक मॉडल स्कूल बना लें और उसके लिये ट्रांसपोर्ट की सुविधा दें तो मैं समझता हूं कि स्कूलों की मॉनिटरिंग भी अच्छी होगी उसमें लेब एवं लायब्रेरी भी होगी, खेल का मैदान भी होगा एवं प्रति टीचर शिक्षक का रेश्यो 25 से बढ़कर 40 हो जाएगा. आज वर्तमान स्थिति मैं आपको बताना चाहूंगा आज जो टीचर्स एवं शिक्षा पर जो सरकार खर्च कर रही है अगर हम टीचर का रेश्यो प्रति बच्चा अगर 24 का लेते हैं तो 1600 रूपये प्रति बच्चा सरकार सिर्फ सेलरी पर व्यय करती है, मॉनिटरिंग पर 200 रूपये का खर्चा एवरेज व्यय करती है, हॉस्टल में टोटल बच्चों के 5 प्रतिशत रहते हैं. अगर हम पूरे बच्चों से उसको डिवाईड करते हैं तो 400 रूपये प्रति बच्चा सिर्फ हॉस्टल का खर्चा है, भवन है, मैंने आपको बताया कि बैतूल 1 लाख 90 हजार बच्चे हैं और लगभग 2900 शालाएं 60 स्क्वायर फीट में 60 बच्चे प्रति शाला है 30 स्क्वायर फीट में एक बच्चा बैठता है. अगर हम ब्याज सहित लागत को जोड़ते हैं तो लगभग 300 रूपये प्रति बच्चा भवन की लागत आती है. यदि हम 20 किलोमीटर में एक मॉडल स्कूल अगर हम टांसपोर्ट सहित देते हैं तो हमारे टीचर्स एवं बच्चों का रेश्यो बढ़कर के 40 हो जाएगा उसमें टीचर एवं बच्चों का खर्चा 1 हजार ....
4.17 बजे {सभापति महोदय (श्री केदारनाथ शुक्ल) पीठासीन हुए.}
.....रूपये प्रति बच्चा आयेगा, मॉनिटरिंग पर भी खर्चा होगा उसमें हॉस्टल की जरूरत ही नहीं रहेगी, क्योंकि हर 15-20 किलोमीटर में जब अच्छा स्कूल हो जाएगा तो बच्चा घर से आयेगा एवं घर पर जाएगा अगर परिवहन पर 400 रूपये भी देते हैं तो 1600 रूपये खर्चा होता है और 900 रूपये प्रति बच्चा सरकार बचा लेगी इससे जो मिलेंगे और भी अच्छे स्कूल मिलेंगे, अच्छे लेब मिलेंगे, अच्छी लायब्रेरी मिलेगी और जो शालाएं खाली होंगी उसे पंचायत को लीज आऊट करके शिक्षा विभाग अच्छी राशि भी उपलब्ध करवा सकता है. परिवहन सुविधा से गांवों के बेरोजगारों को सुविधा मिलेगी उससे कहीं न कहीं बेरोजगारी भी दूर होगी. अभी जो शिक्षा है वहां पर जो स्टॉफ है उसकी 4 लाख से ऊपर की संख्या है उसमें कई विभाग ऐसे हैं जो सरकारी कर्मचारियों की कमी की वजह से जूझ रहे हैं. हम प्रतिनियुक्ति पर जो एक्सेस स्टॉफ होगा उनको दे सकते हैं तथा कई शालाएं जो हम नयी बनाते हैं उसकी जगह पर अगर हम मॉडल स्कूल के अच्छे इन्फ्रास्क्ट्रक्चर बनाते हैं तो हमें जो भवन की लागत है वह उन स्कूलों में हम खर्च कर सकते हैं. मैंने इस विषय पर बहुत ही अध्ययन किया है अगर सरकार इस व्यवस्था को लागू करती है तो शिक्षा का बजट 20 प्रतिशत तक कम हो जाएगा इससे अच्छी शिक्षा बच्चो को मिल पायेगी बच्चे घर से जाएंगे एवं घर पर ही लौटकर आयेंगे. इस योजना को कम से कम 2-3 जिलों में इस व्यवस्था को लागू करें इस मॉडल पर ऑलरेडी विचार कर रहे हैं और उसमें मेरा जिला बैतूल को शामिल किया जाए. बैतूल के सभी माननीय विधायक आपको इस बात के लिये धन्यवाद देंगे कि इस व्यवस्था की शुरूआत बैतूल जिले से की जाती है तो कहीं न कहीं शिक्षा में जो क्रांतिकारी परिवर्तन हो सकता है इसके लिये हम सब सरकार की धन्यवाद के पात्र रहेंगे. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर)---माननीय सभापति महोदय,मांग संख्या 27 एवं 40 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. चंद लाईनों से अपनी बात की शुरूआत करता हूं. जो नोनिहालों की बात होती है, नोनिहालों को है चिन्ता जब वह पढ़ेंगे, तब बढ़ेंगे, आप कब से कह रहे हैं सब पढ़ेंगे और सब बढ़ेंगे, किन्तु स्कूल की हालत आपकी ऐसी हुई है आज बच्चे पूछते हैं कि कब पढ़ेंगे और कब बढ़ेंगे. मध्यप्रदेश में 5 हजार से भी ज्यादा स्कूल भगवान के भरोसे चल रहे हैं मैंने भगवान भरोसे इसलिये कहा क्योंकि वहां पर एक भी शिक्षक नहीं हैं. मध्यप्रदेश में सरकार हर बच्चे को शिक्षा मुहैया करने की बात कहती है, लेकिन यह हकीकत से कोसों दूर है, क्योंकि 5 हजार से ज्यादा सरकारी विद्यालयों में कोई भी शिक्षक नहीं हैं. स्वशासन वाले राज्य में 95878 लगभग 1 लाख शिक्षकों की कमी मध्यप्रदेश के अंदर है. काश इतने गुरू मिल जाएं तो होनहार, नोनिहाल नाम कमाएंगे. बच्चों के काम करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था यूनिसेफ द्वारा होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी में सोशल मिडिया एवं शिक्षा विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाल में जो तथ्य सामने आये हैं वह आपके सामने प्रस्तुत करना चाहता हूं. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि राज्य में कुल 1 लाख 14, 444 सरकारी स्कूल हैं इनमें प्राथमिक एवं मिडिल स्कूल भी शामिल हैं इन विद्यालयों में 6 से 13 वर्ष की आयु में 1 करोड़ 35 लाख 66 हजार 965 बच्चे पढ़ते हैं. सितम्बर, 2014 की जिला सूचना प्रणाली के जो आंकड़े हैं वह बताते हैं कि शिक्षकों की कमी के अलावा शिक्षा के अधिकार जो मध्यप्रदेश में लागू नहीं हो पा रहा है उसकी बदहाली पर जो इंगित किया है, यह सारे आंकड़े निकलकर के आते हैं एक तरफ जहां शिक्षक विहीन स्कूल तो नहीं हैं साथ में 17972 विद्यालय ऐसे हैं जो कि एक शिक्षक के बल पर चल रहे हैं . 65,964 विद्यालयों में महिला शिक्षक ही नहीं है और यूडाईज की रिपोर्ट बताती है कि छात्रों को पढ़ाने के लिये आईटीआई के तहत किये गये दिशा-निर्देशों का भी ठीक तरह से पालन नहीं हो पा रहा है हाल यह है कि सरकारी विद्यालयों में औसतन 33 छात्रों पर एक शिक्षक है और 24 हजार से ज्यादा विद्यालय ऐसे हैं जहां पर एक शिक्षक 50 से भी ज्यादा विद्यार्थियों को पढ़ा रहा है वहीं 19 हजार से ज्यादा स्कूलों में एक कक्षा में 50 से ज्यादा विद्यार्थियों का अध्यापन हो रहा है, जिनको पढ़ाया जा रहा है. आर.टी.आई की रोशनी में देखें तो राज्य के विद्यालयों के अनुपात में कुल जो शिक्षकों की कमी है वह है ही और जो प्राथमिक शालाओं एवं उच्च प्राथमिक शालाओं में भी शिक्षकों की कमी है उसमें जितने स्कूल बनने चाहिये वह भी मध्यप्रदेश के अंदर नहीं बन रहे हैं. हमारे हाईकोर्ट ने भी इस बारे में चिन्ता जाहिर की थी 15 सितम्बर 15 को हाईकोर्ट ने स्कूलों की दुर्दशा के बारे में जनहित याचिका पर केन्द्र एवं राज्य शासन के प्रमुख सचिवों एवं संचालक, लोक शिक्षण को एक नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया था, यह गंभीर विषय है. स्कूल में क्वांटिटी एवं क्वालिटी दोनों की आवश्यकता होती है एक तो उतने स्कूल हों वहां पर किस क्वालिटी की शिक्षा दी जा रही है, इस पर और विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. दूसरा मध्यान्ह भोजन पर जो शिकायतें आती हैं बहुत से प्रकरण वह भी लंबित हैं, उन पर भी काम अभी तक नहीं हो पाया है, स्कूलों में बाऊन्ड्रीवाल नहीं है चाहे हमारे प्राइमरी-मिडिल स्कूल हों सरकार को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है कि सारे स्कूलों में बाऊन्ड्रीवाल हो उसके पहुंच के मार्ग हों. बहुत से स्कूल में आज भी लाईट के कनेक्शन नहीं हैं बच्चे अंधेर में पढ़ते हैं कैसे वहां पर कम्प्यूटर चलेंगे कैसे दूसरी चीजें आयेंगी इस पर बात करने की आवश्यकता है ड्रापआऊट रेशियो 5 वीं, 8 वीं व 10 वीं के बाद कितना है इस पर भी सोचने की बात है. एक और तो हम अंग्रेजी स्कूल खोल रहे हैं, लेकिन हिन्दी स्कूल ठीक ढंग से नहीं चला पा रहे हैं इस बारे में ध्यान देने की आवश्यकता है. अतिथि शिक्षक, प्रेरक एवं जो अध्यापक हैं उनकी मांगे लंबित हैं उसका समाधान भी निकलना होगा मेरे इछावर विधानसभा में चार ऐसे हाईस्कूल हैं जिनसके हायर सेकेण्डरी में उन्नयन के प्रस्ताव लंबित हैं.
श्री शैलेन्द्र पटेल- चार ऐसे हाईस्कूल हैं,जिनके हायर सेकेण्ड्री में उन्नयन के प्रस्ताव पिछले ढाई साल से लंबित हैं, मुस्करा हो, चाहे बलोन्डिया हो, आर्या हो, जलाखेड़ा, लेकिन वह पूरे नहीं हो पाए हैं, इसी तरह से मिडिल स्कूल से हाईस्कूल के लिए मूड़लाकलॉ, संग्रामपुर, लसूडि़या, कांकर, नादान ,गौखेड़ी, खामल्या उनके प्रस्ताव अभी तक लंबित हैं और हमारे यहां चार ऐसे हायर सकेण्ड्री स्कूल हैं जो उन्नयन तो हो गए हैं, लेकिन स्कूल भवन नहीं हैं, चाहे वह खैरी हो, ब्रजेश नगर हो, उल्झावन हो, मोघाराम इनकी तरफ भी देखने की आवश्यकता है । स्कूल में शिक्षा के अलावा व्यावसायिक प्रशिक्षण की ओर जब तक हम ध्यान नहीं देंगे ।
सभापति महोदय- कृपया समाप्त करें ।
श्री शैलेन्द्र पटेल- माननीय सभापति महोदय, एक मिनट में समाप्त करूंगा दूसरी बात आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं, उस ओर भी मैं ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं, तब तक बच्चों में सेल्फ ऑब्जर्वेशन की बात नहीं आएगी, तब तक आत्महत्या नहीं रूकेंगी, क्योंकि रूस के दार्शनिक गुरजिएफ ने भी कहा है कि “ Self-observation bring man to the realization of the necessity of self-change ” यही सेल्फ ऑब्जर्वेशन ही वह क्षमता है जो बच्चों को विपरीत परिस्थितियों से बाहर निकाल सकती है,उनकी चेतना को ऊपर उठाती है, स्कूल में प्रेरित करें कि वह सेल्फ ऑब्जर्वेशन रखे, उसके मन में क्या विचार चल रहे हैं, उन विचारों को भी शिक्षक और पालक मिलकर समझें, दूसरी और एक महत्वपूर्ण बात यह है कि जो दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा होती है, उसमें सेंटर बहुत दूर दूर खोल दिए जाते हैं, उन सेंटरों को नजदीक खोले जाएं और स्कूल विभाग के कर्मचारियों से साल भर अलग अलग काम लिए जाते हैं, इस प्रवृति को भी रोका जाए, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगर हमारे बच्चों में शुरूआत से शिक्षा का स्तर रहेगा तो संस्कार आएंगे, उनमें अपने कामों के प्रति समर्पण आएगा तो निश्चित रूप से प्रदेश का और देश का नाम रोशन करेंगे, आपने बोलने का समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद ।
श्री गोविन्द सिंह पटेल (गाडरवारा)- माननीय सभापति महोदय, मैं शिक्षा विभाग की मांग संख्या 27,44 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं । शिक्षा विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है । शिक्षा विभाग की एक महत्वपूर्ण भूमिका है, मैं यह तो नहीं कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की सरकार ने बहुत ही अच्छी व्यवस्था कर दी है, लेकिन पहले की तुलना में व्यवस्था में सुधार हुआ है । शिक्षा के लोक व्यापीकरण और शिक्षा के स्तर में गुणवत्ता आए, बच्चों की उपस्थिति ज्यादा हो और पालकों का रूझान सरकारी स्कूलों की तरफ बढ़े, इसके लिए सरकार ने बहुत प्रयास किए हैं, बच्चे मध्यान्तर की छुट्टी में घर जाते थे, उनके माता पिता मजदूरी पर चले जाते थे, बच्चे आते नहीं थे, इसलिए सरकार ने प्राथमिक शाला और माध्यमिक शाला में मध्यान्ह भोजन व्यवस्था चलाई कि कम से कम बच्चे दिन भर स्कूल में रहें, बच्चों की उपस्थिति बढ़े और रूझान बढ़े । कई गरीब परिवार के लोग कहते थे कि हमारे बच्चों के पास ड्रेस नहीं है, कैसे स्कूल जाएं, क्योंकि स्कूल चलो अभियान हम जुलाई में चलाते हैं, शिक्षक, प्रेरक और जनप्रतिनिधि लोग कोशिश करते हैं कि सभी बच्चे स्कूल आएं और शाला त्यागी बच्चों को शाला में लाने का भी प्रयास करते हैं, उनको हर वर्ष दो गणवेश सरकार नि:शुल्क देती है, कहीं पुस्तकों की समस्या थी, तो पहली से बारहवीं तक के बच्चों को नि:शुल्क पुस्तकों का वितरण भी होता है, जिससे कि बच्चे किताब के लिए मोहताज न हों, कहीं मिडिल स्कूल के बाद हाईस्कूल उनके गांव में न हों या हायर सकेण्ड्री स्कूल नहीं है तो उसके लिए बच्चे कैसे जाएं तो बच्चियों को प्रात्सोहन के लिए साइकिल दी जाती थी, लेकिन अब बच्चों को भी साइकिल दी जाती है, यदि उनके गांव में हाईस्कूल और हायर सकेण्ड्री नहीं है तो वह साइकिल से स्कूल जा सकें, बच्चों को प्रोत्साहन के लिए विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियॉं भी दी जाती हैं, यदि बारहवीं में 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाते हैं तो मुख्यमंत्री उनको पुरस्कृत करते हैं, गांव की बेटी योजना में यदि बारहवीं में बच्ची प्रथम श्रेणी मेंआती है तो उसको कॉलेज में जाने के बाद पॉंच हजार रूपया प्रतिवर्ष दिया जाता है, इस प्रकार की विभिन्न योजनाएं सरकार चलाती है, जिससे कि रूझान बढ़े, लेकिन इतनी बात जरूर आ रही है कि सरकारी स्कूलों में उपस्थिति कम आ रही है, प्रायवेट स्कूल में ज्यादा आ रही है, गरीब लोग भी बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं, उस पर सरकार को जरूर चिन्ता करना पड़ेगी, उसका मुख्य कारण है शिक्षकों की कमी, अभी जो हमारी भर्ती प्रक्रिया है, उस भर्ती प्रक्रिया में प्रदेश स्तर पर आवेदन आंमत्रित किए जाते हैं, जिसकी नियुक्ति तीन जगह हो गई तो वह दूर नहीं जाना चाहता है, फिर से प्रक्रिया प्रारंभ होती है, मंत्री महोदय से और सरकार से अनुरोध करना चाहता हूं, एक सुझाव भी देना चाहता हूं, भर्ती प्रक्रिया को जिला स्तर पर किया जाए, जिला स्तर पर आवेदन आमंत्रित करेंगे तो लगभग पद भर जाएंगे, उसमें शिक्षकों की कमी पूरी हो जाएगी । अतिथि शिक्षकों से हम शिक्षकों की कमी पूरी करते हैं । अभी एक सुझाव आया था कि स्कूल बंद कर दिए जाएं, मैं उसके पक्ष में नहीं हूं । सरकार प्रयास करती है, स्कूल चलों अभियान चलाते हैं, 10 बच्चे पढ़े या 15 पढ़ें, जिस गांव के स्कूल आप बंद करेंगे, गांव के लोग मांग करते हैं कि हमारे गांव में प्राथमिक शाला खोली जाए और यदि खुली खुलाई शाला बंद करेंगे तो उसका अच्छा असर नहीं पड़ेगा । हम प्रयास करें कि बच्चों का आकर्षण बढ़े और कैसे स्कूलों में बच्चे आएं । शिक्षा कोई व्यवसाय नहीं है, जिससे सरकार को घाटा या फायदा हो,इसका कोई विषय नहीं है, शिक्षा तो सेवा है, सेवा करने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था रहती है । स्कूल बंद करने की या इस प्रकार के सुझाव बहुत सोच विचार कर आना चाहिए, ऐसे सुझाव नहीं आना चाहिए जिनसे रिजल्ट खराब हो, क्योंकि यदि 10 बच्चे भी जंगल की प्राथमिक शाला में पढ़ते हैं तो बड़ी बात है, पढ़ना चाहिए और उनको ढंग से व्यवस्था देना चाहिए, दूसरा विषय ज्यादातर शिक्षक चाहते हैं कि हम शहर में चले जाएं और गांव में ज्यादा दूर शिक्षक लोग जाना नहीं चाहते हैं । शहरों में शिक्षकों की संख्या जरूर ज्यादा है, कोशिश करें कि एक दो वर्ष हर शिक्षक गांव में रहे, इसके लिए व्यवस्था करें, दूसरा हमारे अध्यापकों में, महिलाओं और विकलांगों को जरूर स्थानान्तरण की व्यवस्था विभाग ने की है, अध्यापक संवर्ग के ट्रांसफर की व्यवस्था की जाए । मेरे क्षेत्र की बात रखना चाहता हूं, मैं कुछ हाईस्कूलों का उन्नयन हायर सकेण्ड्री में किए जाने के विषय में अपनी बात रखना चाहता हूं:- बसुरिया, कठौतिया, रायपुर, बम्होरीकलॉ, दूसरे माध्यमिक शाला से हाईस्कूल- बैरागढ़, गोटीटोरिया, दहलवाड़ा, झिकौली इन स्कूलों का माध्यमिक से हाईस्कूल में उन्नयन किया जाए हमारे यहां कुछ हायर सेकेण्ड्री स्कूलों के भवन नहीं हैं, हाई स्कूल भवनों के लिए जरूर पैसा दिया गया है परन्तु हायर सकेण्ड्री भवनों के लिए पैसा नहीं दिया गया है । तूमड़ा, बनवारी खुर्सीपार, आमगांव छोटा, नांदनेर, सूखाखेरी और तेंदूखेड़ा हायर सकेण्ड्री स्कूलों में भवन नहीं है और कुछ हाईस्कूल में भवन नहीं हैं, बसुरिया, पनागर, सिरसिरी, पेंपपुर और बांसखेड़ा इनमें हाईस्कूल के भवन दिए जाएं, मैं यह मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं और हमारे स्कूल शिक्षा मंत्री बहुत अच्छा काम कर रहे हैं कुछ और ज्यादा सुधार शिक्षा व्यवस्था में करें और स्कूल बंद न करें यह मेरा निवेदन है, कोई भी स्कूल बंद न हों, उनमें उपस्थिति बढ़ाने का हम प्रयास करें आपने बोलने का समय दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) - माननीय सभापति महोदय जी मैं पहले अपने क्षेत्र के बारे में ही बात करूंगा इसके पश्चात अपने सुझाव रखना चाहूंगा और इस आशय के साथ कि माननीय शिक्षा मंत्री महोदय जी इस वर्ष के बजट में यह जो अपूर्ण भवनों का नाम ले रहा हूं कृपा करके उनको बजट में शामिल करके प्राथमिक और माध्यमिक भवनों की बात है, 2003-04 में जो इस प्रकार से सर्व शिक्षा अभियान के अपूर्ण भवन जो कि अभी तक बजट के अभाव में डोर लेबिल, कोई प्लंथ लेबिल, इस तरीके से अधूरे पड़े हैं, अपूर्ण भवनों की सूची इस प्रकार है :- ई.जी.एस. भवन मोटाटोला बड़ालखौरा, प्राथमिक शाला भवन, करपा, धुराधर, खजुरवार, देवरीदादर, मिट्टूमहुंआ, गोंदीपटपरहा टोला, भर्रा टोला, छाटा टोला, गढ़ीदादर, ईसा टोला, बघाड़, मेडियारास, बराती, पटना, परसेलकला, मिरिया टोला, बेलापानी, चिलिहयाभार, करौंदी, डोंगरीटोला, हर्राई, पिपरहा, करपा, भेजरी, रमना नं-2, भूरा टोला, आश्रम जरहा, बधनी भाभर नं-2, केलवनिया मट्टा, मझौली टोला, फरौता, गेडीआमा, डूमरटोला, बहपुर, भेजरी, टेकाम टोला, पडरी रमना नं 1, सुरसापारा, बरबसपुर, डोंगरिया, बरटोला, कोडार, धुराधर, धुईदादर, अमदरी, खाल्हेदबई, जैतहरी, कातुरटोला, बहपुरी, कोयलारी, कुसेरा, मिर्चादादर, इमलीटोला, सिवनी संगम, अतरिया, केकरिया, काटजुग्राम, जरहा, अचलपुर, अमरकंटक, बसन्तपुर, बिजौरा, बेनीबारी, गिरारी, चिल्हियामार, धर्मदास, गर्ल्स गिरारी, जरहा, खमरौद, कुम्हरवार, लीलाटोला, मझौली, निगमला, पड़मनिया, पढैती, रनईकॉप, रौसरखार, पीपरटोला, मल्हरा बिलासपुर ....
श्री सुदर्शन गुप्ता - मार्को जी यह पूरी मतदान केन्द्र की सूची पढ़ रहे हैं क्या.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - ये आपकी सरकार की तस्वीर पढ़ रहा हूँ. आप जो बताते हैं कि किस तरह से आप प्राथमिक और माध्यमिक शाला की व्यवस्था करके रखे हैं. अभी पहले पढ़ने दीजिये.
श्री सुदर्शन गुप्ता - पहले सन् 2003 एवं 2004 की तो बताइये.
सभापति महोदय - मार्को जी, आप अपनी बात पूरी करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - आप मेरा समय बर्बाद न करें. मेरे अपूर्ण हो जायेंगे. मेरा पूरा ट्रायबल क्षेत्र है. यदि ये इसमें न आये तो ये भी रह जायेंगे. ये पिछले वित्त वर्ष में, मैं पढ़ चुका हूँ, दोबारा पुन: पढ़ रहा हूँ.
श्री अमर सिंह यादव - सभापति महोदय, वो तो गलती से मतदान केन्द्र की सूची निकल गई थी. अब आयेंगे मुकाम पर.
श्री सुखेन्द्र सिंह - आप लोग इन्दौर के विधायक हो न, इसलिए ऐसी बातें करते हैं. ग्रामीण अंचल के होते तो यहां पर लौटकर नहीं आते.
श्री अमर सिंह यादव - मैं तो राजगढ़ का हूँ.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - सभापति महोदय, अपूर्ण शौचालयों की सूची इस प्रकार है, जो अपूर्ण हैं. माध्यमिक शाला कर्ल्स भेजरी, बहपुर, पंडरी, बरबसपुर, डोंगरिया, मंझगवां, बोदा, सरई टोला, खरसोल, सिलवारी, अमरकंटक, ताला, हर्राटोला, हर्षवाह मरहुटोला, रायगढियाटोला, गढ़ीदादर, बैगानटोला आदि है.
सभापति महोदय - कृपया समाप्त करें. आपको 7 मिनट हो गए हैं.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - सभापति महोदय, अभी एक मिनिट भी नहीं हुआ है. डोंगरिया, जीलाटोला, भालूखोदरा, करोंदाटोला, बघाड़ी जिंदाटोला और इस तरह से 100 नाम हैं. जो अपूर्ण शौचालय है.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा (शुजालपुर) - सभापति महोदय, यह सूची माननीय मंत्री जी को दिला दें तो बहुत अच्छा होगा और समय बच जायेगा.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - सभापति महोदय, सुरक्षा की व्यवस्था दें. लूरूटोला, गनेश टोला, मगनाटोला, अमगवां, मझगवां, जरही, घीरूटोला, फीलंग अपूर्ण शौचालय हैं.
सभापति महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - सभापति महोदय, मैं अपनी बात नहीं रख पा रहा हूँ. अभी तो मैंने पढ़ा ही नहीं है.
सभापति महोदय - आप अपनी बात आधा मिनट में कह दें. आप लोग डिस्टर्ब न करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - सभापति महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. प्राथमिक पाठशालाओं में हैण्ड पम्प की समस्या को तुरन्त हल किया जाना चाहिए. आज भी हमारे विद्यालय, हमारे बच्चे पानी से त्राहि-त्राहि कर रहे हैं, सूखा की स्थिति है. प्राथमिक शाला गोदनटोला, नवाटोला, शियार टोला, खाटी, घाघुटोला, पोंगाटोला, नवाटोला, डोंगरीटो, लटियाटोलाऔर ये 50 प्राथमिक शालायें हैं. सभापति महोदय - मार्को जी, अब आप बैठ जाइये.
श्री बाला बच्चन - माननीय सभापति महोदय, माननीय विधायक जी जो नाम ले रहे हैं, वे माननीय मंत्री जी को एक सूची दिलवाकर व्यवस्था करवा दें.
सभापति महोदय - मार्को जी, जैसा नेता प्रतिपक्ष कह रहे हैं, ऐसा आप कर दीजिये. वे जैसी सलाह दे रहे हैं, कर दीजिये.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 27 एवं 40 के समर्थन में अपनी बात रखना चाहता हूँ. वर्ष 2015-16 में हमारी सरकार द्वारा 24 लाख छात्र-छात्राओं को निशुल्क पाठ्य-पुस्तकों का वितरण मध्यप्रदेश के भिन्न-भिन्न स्कूलों में किया गया है. पूरे मध्यप्रदेश में लगभग 4 लाख 25 हजार छात्र-छात्राओं को निशुल्क साइकिलों का वितरण किया गया है. यह सरकार की एक बहुत बड़ी उपलब्धि है.
सभापति महोदय, मैं इस सदन में एक महत्वपूर्ण बात कहना चाहता है कि वर्ष 2015-16 में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 100 माध्यमिक स्कूल को हाईस्कूल और 100 हाईस्कूलों को हायर सेकेण्डरी स्कूलों में बदला गया है एवं हमारे 100 नवीन हाई स्कूल खुले हैं और 100 नये हायर सेकेण्डरी स्कूल खुले हैं. इनके भवन के लिए, इस बजट में 100 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. इसलिए, माननीय शिक्षा मंत्री जी को मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ.
माननीय सभापति महोदय, यह बात सत्य है कि हम स्कूल को बन्द करके एक स्थान पर लाना चाहते हैं. शिक्षा एक उद्योग बन गया है और सक्षम व्यक्ति अपने छात्र-छात्राओं को शासकीय स्कूलों में न पढ़ाते हुए, प्रायवेट स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं और इंग्लिश की होड़ लगाई गई तो कॉन्वेन्ट में पढ़ाना चाहते हैं. कस्बा लेबल पर छोटे-छोटे स्थानों पर 10-12 किलोमीटर पर कॉन्वेन्ट स्कूल खुल गए हैं. जिसमें देखने में, यह आ रहा है कि शासकीय स्कूलों में लगातार छात्र-छात्राओं की कमी होती जा रही है. यह एक गम्भीर मुद्दा है.
सभापति महोदय - आप एक मिनट में, अपने क्षेत्र की बात कह दीजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान - सभापति महोदय, मैं तैयारी करके आया था. अब यह विषय खत्म करके कहना चाहता हूँ. स्कूल शिक्षा विभाग यह विचार कर रहा है कि वह स्कूल बन्द करके 10-15 किलोमीटर पर एक मॉडल स्कूल खोला जाये. मैं माननीय शिक्षा मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि इस विषय में गहन परीक्षण एवं बहुत अच्छे परिणाम के बाद ही सरकार यह निर्णय लेगी तो बहुत ही अच्छा होगा. अब मेरे क्षेत्र की बात, सीधी-सीधी कर लेता हूँ. ज्यादा मांगे रखने की आवश्यकता नहीं है. मेरे क्षेत्र में स्कूल और हाई स्कूल खुल चुके हैं. सिर्फ मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि मेरी विधानसभा में एक गांव बहुत बड़ा कुण्डीखेड़ा है, वहां पर मैं हाईस्कूल खुलवाना चाहता हूँ, अभी वहां पर माध्यमिक स्कूल है. दूसरा, मेरे क्षेत्र में सेमलिया है, वहां पर माध्यमिक स्कूल हैं, वहां पर भी आप हाई स्कूल खोलें. बस, मेरी ये दो मांग ही हैं. कुण्डीखेड़ा और सेमलिया की है. मैं और भी बात कहना चाहता हूँ कि यदि आपकी आज्ञा हो.
सभापति महोदय - आप समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान - सभापति महोदय, एक बिल्डिंग की मांग पर, मैंने 2 हाई स्कूल की मांग की है और आपने गत वर्ष कासोन हाई स्कूल खोल दिया है. वहां पर भवन नहीं है तो आप निश्चित रूप से कासोन में, नवीन हाई स्कूल भवन का निर्माण कर दें. एक बहुत महत्वपूर्ण सुझाव देकर, मैं अपनी बात 30 सेकेण्ड में समाप्त करना चाहता हॅूं. आप जहां भी नवीन बिल्डिंग बनाना चाहते हैं, वह हाई स्कूल की हो या हायर सेकेण्डरी की हो. वहां बाउण्ड्री तो बनायें ही, लेकिन अब आपका स्कूल भवन एक मंजिल नहीं दो मंजिल बनाना चाहिए, जगह की कमी है और इसमें विभाग बहुत गम्भीरता से विचार करे. पहली मंजिल बनाने में 100 प्रतिशत खर्च आता है और दूसरी मंजिल 60 प्रतिशत में ही तैयार हो जाती है और धन भी बचेगा, स्कूल भी दो मंजिला हो जायेगा.
श्रीमती शीला त्यागी ( मनगंवा) -माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 के विपक्ष में, अपनी बात आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान आकृष्ट कराना चाहती हूँ. यह हम सब जानते हैं कि शिक्षा हमें संस्कारवान बनाती है और शिक्षा व्यक्तित्व के निर्माण में अपनी अहम् भूमिका निभाती है.
माननीय सभापति महोदय, हमारे प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर अनियमितता, अव्यवस्था एवं अराजकता विद्यमान है. जिसकी वजह, शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन सही ढंग से नहीं हो रहा है. शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009, जिसमें निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार बनाया गया है और 2009 के अंतर्गत 6 वर्ष से 14 वर्ष के जो सभी बच्चे हैं. उनको निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है. लेकिन मैं मंत्री जी को अवगत कराना चाहती हूं कि यह अधिनियम 1 अप्रैल,2010 से लागू किया है, लेकिन उस अधिनियम के क्रियान्वयन में राज्य सरकार द्वारा निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2011 बनाया गया जरुर है और जो 26 मार्च, 2011 को अधिसूचित किये गये नियम हैं, उनका सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है. जो क्रियान्वयन है, वह बहुत धीमी गति से है. सभापति महोदय, मैं एक दो सुझाव देना चाहती हूं कि जो मध्याह्न भोजन की व्यवस्था है स्कूलों में, वह मध्याह्न भोजन बंद होना चाहिये. क्योंकि इस व्यवस्था में पर्याप्त भ्रष्टाचार है और पूरा स्कूल प्रबंधन खिचड़ी, पोषण आहार, दलिया बांटने और खिलाने, पिलाने के चक्ककर में फंसा रहता है. जो स्कूल का मुख्य उद्देश्य है कि हमारे समाज के नौनिहाल बच्चे पढ़ लिख कर डॉक्टर, इंजीनियर बनें. समाज के विकास में अपनी अहम भूमिका निभायें. प्रदेश का विकास करें. लेकिन यह मध्याह्न भोजन की जो व्यवस्था है, बहुत ही ज्यादा लचर, चरमराई हुई है. जो हमारा 5 वर्ष का बालक होता है, पहले यह होता था कि हमारे बच्चे यह सोचते थे कि स्कूल पढ़ने के लिये होता है, स्कूल जायेंगे, पढ़ लिख कर डॉक्टर, इंजीनियर, एसपी, कलेक्टर बनेंगे. लेकिन अब हमारे बच्चों के मन में यह होता है कि स्कूल खाने के लिये होता है. स्कूल वे बस्ता लेकर जाते हैं, साथ में कटोरा लिये रहते हैं और खिचड़ी, दलिया खाकर खेल कूद कर चले आते हैं. जो हमारी प्रारंभिक शिक्षा है, उसको इससे बहुत ही बड़ा पलीता लग रहा है और इससे हमारे बच्चों की नींव कमजोर हो रही है. इसलिये मैं मंत्री जी से यह कहना चाहती हूं कि यह जो आपने मेनू बनाया है, फल, सब्जी, दूध यह कहीं भी नहीं है. यह पन्नों में संचालित है. मैं मंत्री जी को सुझाव देती हूं कि अगर आप गरीब बच्चों को पोषण आहार देना ही चाहते हैं, दूध दलिया देना ही चाहते हैं, तो आप उन बच्चों को यह नगद राशि उपलब्ध करायें, जिससे उनके मां बाप उनको अच्छे से खिला पिला करके स्कूल में भेजें और वह अपना शिक्षा अध्ययन कर सकें. नहीं तो आपका विभाग तो इसमें पूरी तरह से लिप्त ही है और सारा काम छोड़ करके जैसा कि मैं पहले ही बता चुकी हूं. मैं एक और सुझाव देना चाहती हूं, जो निजी स्कूलों के मान्यता के संबंध में है. जहां शासकीय स्कूल 3 किलोमीटर के अंदर में हैं, वहां किसी भी निजी स्कूल को मान्यता न दी जाये, जिससे कि सरकारी स्कूलों का मान बढ़ा रहे. वैसे भी हमारे देश एवं प्रदेश में दोहरी शिक्षा नीति हो गई है. शिक्षा का व्यावसायीकरण हो गया है, जिससे कि शिक्षा का जो मूल उद्देश्य है, वह पूरी तरह से कहीं न कहीं धीमा हो गया है. इसलिये मैं यह कहना चाहती हूं कि इससे सरकारी स्कूलों का क्रेज बढ़ेगा और शिक्षा का स्तर सुधरेगा. गरीब बच्चों का भी भला हो सकेगा और अच्छे शिक्षक भी सरकारी स्कूलों को मिलेंगे. क्योंकि हमारे जो सरकारी स्कूल हैं, वहां यूजीसी का वेतनमान लागू नहीं है, उसकी वजह से हमारे जो शिक्षक हैं, वह अधिक पैसे की लालच में निजी स्कूलों की तरफ बढ़ रहे हैं. खास करके सरकारी स्कूलों में जो पद हैं, वह भी खाली पड़े हैं. चाहे योग एवं खेल शिक्षक हो. मैं स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा जो समस्त ग्रामीण विद्यालय हैं, उनमें जैसे का ..
सभापति महोदय -- यह बातें तो बहुत लोगों ने कह दी हैं. आप अपने क्षेत्र की बात कह दीजिये.
श्रीमती शीला त्यागी -- मैं अपने क्षेत्र की ही बात कर रही हूं. मैंने मंत्री जी के पिछले बजट के समय भी अपनी बात रखी थी कि मनगवां क्षेत्र के 2-4 स्कूल हैं, जैसे देवास हाई स्कूल है, उसको हायर सेकेण्ड्री स्कूल में उन्नयन किया जाय. क्योंकि लड़कियां काफी दूर तक जाती हैं, आने जाने रास्ते में, सुनसान जगह में उनके साथ छेड़छाड़ होती है. मां बाप भी चिंतित रहते हैं और क्राइसेस भी पैदा होता है. तो देवास,पहरखा और बहुत सारे स्कूल हैं, सभापति महोदय, अगर आप आदेश करेंगे, तो मैं लिखकर मंत्री जी को दे दूंगी. मैं मंत्री जी से यह भी अनुरोध करती हूं कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय भारत शासन की योजना है, ऐसे विकास खण्ड में जहां पर जो बालिका साक्षरता दर है, ग्रामीण साक्षरता दर से राष्ट्रीय औसत से कम तथा महिला एवं पुरुष साक्षरता दर से राष्ट्रीय औसत से अधिक हो, ऐसी जगह कस्तूरबा बालिका छात्रावास खोलने का प्रावधान है. तो मैं चाहती हूं कि मनगवां क्षेत्र में मनगवां मुख्यालय में एक बालिका छात्रावास आप देने का कष्ट करेंगे. मैं आपसे यह भी गुजारिश करती हूं कि एक दो ऐसे छात्रावास हैं, जहां पर बड़ी अनियमितता है और वहां पर न फर्नीचर है और न रहने की व्यवस्था है. मैं मंत्री जी से गुजारिश करती हूं कि मध्यप्रदेश में जितने भी स्कूल हैं, कहीं न कहीं वहां शिक्षकों की कमी है, जैसा कि मैंने कहा कि अच्छे शिक्षक निजी विद्यालयों में जाते हैं. तो अच्छे शिक्षक शासकीय स्कूलों में आयें, ऐसा प्रावधान किया जाये. साथ ही जो भी छात्रवृत्ति दी जाती है, उसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है. इसमें भी आप जांच करवाकर दंडित व्यक्तियों से रिकवरी करवायें और छात्रवृत्ति सही बंटे, जो सरकार की मंशा है कि गरीबों को आर्थिक सहयोग मिले. वे समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकें. सभापति महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया, धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़) -- सभापति महोदय, शिक्षा के विषय में चर्चा चल रही है और लगभग पूरे सदन की चिंता एक है. माननीय सदस्य, बहादुर सिंह जी ने एक बात कही कि गांव की स्कूलों और शहरों की स्कूलों में कितना अंतर है. यह स्कूलों की वजह से हमारे देश में दो दुनिया बन गई है. इसी देश के अंदर दो देश खड़े हो गये हैं. गांव में अब वह गरीब जो शहर की ओर आ नहीं सकते हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि शहर में आकर वह किसी निजी विद्यालय में पढ़ा नहीं सकते, वही लोग गांव में बचे हैं. शहरों में पहली प्राथमिकता लोगों की होती है कि जो निजी स्कूल खुली हैं, उनमें बच्चों को भेजा जाये. शहर में रहने वालों में भी जो गरीब तबके के लोग हैं, उनकी प्राथमिकता शासकीय स्कूल होती है और अगर उनके जेब में पैसे आ जायें, तो वह सारे के सारे बच्चे उनको गार्जियन्स निकाल करके प्रायवेट स्कूल में लेकर चले जायें. मैं सदन में 230 सदस्य, मंत्रीगण को मिलाकर हैं. मैं नहीं समझता कि किसी का बच्चा या पोता किसी शासकीय स्कूल में पढ़ रहा होगा. यह वास्तविक दृश्य है. इस विषय पर चर्चा करने में दुख भी होता है. लेकिन अगर हम इस पर और गंभीरता से विचार करें, तो हमारी पीढ़ी के लोग जो इस सदन में बैठे हैं, वह किसी न किसी शासकीय स्कूल से पढ़कर आये हैं. तो एक जमाना था कि शासकीय स्कूलों का यह स्तर था कि उन स्कूलों में पढ़ने वाले लोग बड़ी बड़ी ऊंचाई तक गये हैं, बड़े ऊंचे पदों पर बैठे हैं और आज उन शासकीय स्कूलों को हमारा समाज घृणा की दृष्टि से देख रहा है. हम इसके लिये अकेले सरकार को दोष नहीं दे सकते हैं कि हम अकेले सरकार को दोषी ठहरा दें. हमारा कहना है कि इस पर एक बार मनन, विचार होना चाहिये कि फिर से हमारे ग्रामीण स्कूलें हैं, उनको हम कैसे सुदृढ़ बनायें और लोगों की इच्छा उन स्कूलों में जाने की हो. अभिभावकों की इच्छा हो कि हम अपने बच्चों को शासकीय स्कूल में भेजें. मंत्री जी, इस पर एक गहन विचार करने की आवश्यकता है. पूरे लार्ज स्केल में, पूरे मध्यप्रदेश में इसको आप नहीं शुरु कर पायेंगे, तो कम से कम कुछ जिलों को इसमें सिलेक्ट करें और उन जिलों से इसकी शुरुआत हो और फिर एक अच्छी परिपाटी बन जाये. सरकार आज आपकी, कल किसी और की भी हो सकती है. लेकिन उस परिपाटी पर चलेगी, तो जो यह हीन भावना हमारे गांव में रहने वाले बच्चों के दिल में है, वह नहीं रहेगी. तो मेरा कहना है कि इस दिशा में कुछ विचार हो. हमारा यह कहना है कि आप अगर अच्छे नजरिये से देखेंगे तो इन स्कूलों में उन बच्चों को खेलने के लिये कोई व्यवस्था ही नहीं है. हम लोग भी स्कूल में पढ़ते थे. तो खेलने के लिये कुछ न कुछ वहां सामग्री उपलब्ध रहती थी. फुटबॉल, बॉलीबॉल और बहुत सारी चीजें खेलने के लिये मिलती थीं. लड़कियों को रिंग बॉल, रस्सियां मिला करती थीं. बच्चे खेला करते थे. उन बच्चों के मन में उदासी कैसे नहीं रहेगी. तीसरी और चौथी पढ़ने वाले बच्चे जो बच्चे 4-4,5-5 घंटे स्कूलों में हैं और उनको खेलने के लिये कुछ नहीं मिल रहा बस जबरिया पकड़कर के उनको अंदर ले जाकर के स्कूल में बैठा दिया जाता है तो मेरा कहना है कि यह सारी समस्यायें हैं. अब स्कूलों में जो चीज हम सुनते हैं उसको हम भूलते हैं जो हम करते हैं उसको हम याद रखते हैं. अब सवाल यह है कि स्कूलों में बच्चों को कुछ सुनना ही सुनना है उन बच्चों को करने के लिये तो कुछ है नहीं, व्यवहारिक तौर पर खेल कूद का सामान हो, पढ़ने लिखने का सामान हो तो बच्चों को कुछ याद रहे कि उन्होंने यहां उठाकर के वहां रखा जो भी बच्चे करते हैं. यह व्यवस्था स्कूलों में है नहीं.
सभापति जी, समय कम है विषय बड़ा है इसलिये यह मैं जरूर कहना चाहूंगा कि मैं इसका पक्षधर हूं कि हमारे एससी एसटी के छात्रों के लिये हॉस्टल बने, लेकिन मैं सदन का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि सवर्ण वर्ग में भी बहुत से गरीब लोग हैं, स्थिति अब पलट गई है उन सवर्ण वर्ग के बच्चों को शिक्षा बेहतर मिल सके और समाज में समरसता बनी रहे उनके मन में हीन भावना न आये तो उनके लिये भी उन गरीब बच्चों के लिये भी हॉस्टल की व्यवस्था की शुरूवात होनी चाहिये ताकि उनको भी पढ़ने लिखने का एक समान अवसर मिल सके.
सभापति महोदय एक चीज मैं और कहना चाहता हूं कि मंत्री जी मुकदमे बाजी पर ध्यान दें इन शिक्षकों के इतने ज्यादा मुकदमें हैं, चाहे हायर एजूकेशन का मामला हो या लोवर एजूकेशन का मामला हो. आप आंकड़े देख लें, सरकार के पास में तो आंकडे होंगे नहीं क्योंकि सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है.
श्री बहादुरसिंह चौहान-- तिवारी जी बड़ा शालीनता का भाषण दे रहे हैं लेकिन आपने सभापति कहा है, आप सभापति जी नहीं कह सकते हैं क्या.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- क्षमा चाहता हूं. अगर मुंह से निकल गया है.
सभापति महोदय-- पहली बार वे आज गुस्सा छोड़कर के बोल रहे हैं, बोलने दीजिये उनको.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अगर मैंने जी नहीं लगाया है तो इसके लिये क्षमा चाहता हूं. अगर स्लिप बात हो गई है तो.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- तिवारी जी बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव आपके हैं नो डाउट...
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- क्या है कि सभापति जी हमारे मित्र भी हैं इसलिये भी हो सकता है कि बात कहीं स्लिप हो गई हो. सभापति महोदय मेरा कहना है कि यह जो मुकदमे उलझे हैं और अलग अलग तरह के ग्रेड आपने बना दिये हैं उसकी वजह से टीचर्स का 20 से 30 प्रतिशत समूह है यह सब अदालत में दिन भर दिमाग लगाये रहते हैं इसलिये इनके ग्रेवियेंस (Grievance ) दूर करने के लिये न जो जिला स्तर पर आपका कोई सेल है न संभाग स्तर पर कोई सेल है और न ही प्रदेश स्तर पर कोई सेल है, शिक्षक जब अधिकारी के पास में जाते हैं तो उनको वह सम्मान नहीं मिलता क्योंकि शिक्षक के पास में उतनी मोटी रकम तो है नहीं कि अधिकारी को पकड़ा दें और अधिकारी उनकी सुन ले.
सभापति महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय सभापति महोदय, हमारा कहना है कि ज्यादा अदालत में यह न उलझें तो जिला स्तर पर, संभाग स्तर पर और प्रदेश स्तर पर उनके ग्रेवियेंस (Grievance ) सुनने के लिये कोई न कोई व्यवस्था की जाये. सभापति महोदय मैं अपने क्षेत्र की बात कहना चाहता हूं. हमारे विधानसभा क्षेत्र गुढ़ में शासकीय हाई स्कूल बुढिया है उसको हम चाहते हैं कि मंत्री जी ध्यान देकर उसका हायर सेकेन्डरी स्कूल में उन्नयन कर दें. दूसरा शासकीय हाई स्कूल मढ़वा है , हम चाहते हैं कि इसका उन्नयन हायर सेकेन्डरी स्कूल के रूप में कर दिया जाये. शासकीय हाईस्कूल सुरसा है उसको भी हम चाहते हैं कि हायर सेकेन्डरी के रूप में उसका उन्नयन कर दें. शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय पड़रा है वहां काफी बच्चों की संख्या है इसको हम चाहते हैं कि हाई स्कूल में मंत्री जी उन्नयन कर दें और अंतिम है शासकीय कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय, द्वारी तो इसका उन्नयन कन्या हाई स्कूल में कर दें यही मेरा निवेदन है. सभापति जी आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री वीरसिंह पंवार(कुरवाई) -- माननीय सभापति महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय स्कूल शिक्षा मंत्री जी के मार्गदर्शन में इस विभाग ने काफी अच्छा काम किया है इसके लिये मंत्री जी को और मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद. सभापति महोदय, जैसा समय का अभाव आप बता रहे हैं तो मैं सीधे अपने क्षेत्र की बात करना चाहता हूं.
सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि मेरे कुरवाई विधानसभा क्षेत्र का जो कस्बा है कुरवाई. उसमें कन्या माध्यमिक शाला है, दो माध्यमिक शालाओं को जोड़कर के एक ही जगह कर दिया है बस स्टेन्ड पर जिसमें बच्चियों के बैठने के लिये पर्याप्त स्थान नहीं है. मंत्री जी से निवेदन है कि वहां पर दो हाल का निर्माण हो जाये तो बच्चियों को बैठने की सुविधा हो जायेगी. बस स्टेन्ड पर ही कन्या हाई स्कूल है उसमें भी बैठने की समस्या है यहां भी बच्चियों की संख्या ज्यादा है. यहां पर भी शेड या हाल का निर्माण हो जाये तो बच्चियों के बैठने की व्यवस्था हो सकेगी. बार बार वे हम लोगों से इस बात की मांग करते हैं और हमारे पास में इतना फंड नहीं होता है कि हम उसमें बना सकें तो यह दो बातें थी. अंतिम बात मंत्री जी से करना चाहता हूं कि हमारे पास में 8 किलोमीटर दूर पर लायरा हाईस्कूल है बीच में नदी पढ़ती है तो बच्चो को कुरवाई आने जाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है . उसको अगर हायर सेकेन्डरी स्कूल के रूप में उन्नयन कर दिया जाता है तो स्थानीय बच्चों को काफी सुविधा होगी. शाला बम्होरी करके जगह है वहां पर भी काफी दिनों से 10वीं कक्षा तक कक्षायें संचालित हैं , बीच में 12वीं करने का था एक वर्ष 11वीं तक की कक्षा वहां पर लगाई भी गई लेकिन चूंकि वहां पर भवन का अभाव था इसलिये उसको बंद कर दिया गया था. मंत्री जी से निवेदन है कि उसको पुन: चालू किया जाये. काफी इन्टीरियर का एरिया है, करीब 40 किलोमीटर वहां से सिरोंज की दूरी पड़ती है और 60 किलोमीटर की दूरी कुरवाई की पड़ती है. तो वहां पर विद्यालय भी नहीं है तो मंत्री जी वहां ध्यान देंगे तो क्षेत्र के लोगों को सुविधा होगी.
माननीय सभापति महोदय, मंत्री जी से एक और निवेदन है कि कुरवाई में जो एक्सीलेंसी स्कूल है उसमें पहले कामर्स संकाय चालू था किसी कारण से 2 वर्ष से वह बंद है और वहां पर जो महाविद्यालय है वहां पर कामर्स संकाय है, चूंकि यहीं से जब बच्चे नहीं निकलेंगे तो महाविद्यालय में कैसे पूर्ति हो पायेगी. मंत्री जी से अनुरोध है कि एक्सीलेंस विद्यालय में कामर्स संकाय को पुन चालू किया जाये जिससे क्षेत्र के सारे बच्चों को लाभ मिलेगा. सभापति महोदय, आपने मुझे अपनी बात कहने का अवसर प्रदान किया इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सचिव यादव(कसरावद) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 के विरोध में अपनी बात कहने के लिये खड़ा हुआ हूं. सभापति महोदय, मेरी मंशा सरकार के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप करने की नहीं है. आज हम लोग शिक्षा विभाग की मांग पर चर्चा कर रहे हैं. इस सदन में जितने भी हमारे साथी हैं सभी ने अपने भाषण में शिक्षा विभाग की चर्चा पर चिंता जाहिर की है, चाहे शिक्षकों की कमी का मामला हो चाहे स्कूलों के उन्नयम का मामला हो. चाहे वह आधार भूत ढांचे में कमी का मामला हो जिसके चलते स्कूल भवनों की कमी, शौचालयों की कमी हो, वाउन्ड्रीवाल की कमी हो, खेल मेदान की कमी हो, ऐसी तमाम चिंतायें यहां पर रखी गई हैं. मैं कुछ आंकड़ो की तरफ माननीय शिक्षा मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं,.
सभापति महोदय, आज हमारे मध्यप्रदेश में जो साक्षरता की दर है वह राष्ट्रीय साक्षरता की दर से बहुत कम है, इससे ज्यादा चिंता का विषय यह है कि इसमें जहां हम एक तरफ महिला सशक्तीकरण की बात कर रहे हैं, हमारी माताओं-बहनों को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं वहीं हमारे इस मध्यप्रदेश में महिलाओं का साक्षरता का दर मात्र 40 प्रतिशत है और यह सरकार के लिये नहीं हम सभी के बेहद चिन्तर और विचार करने का विषय है . किस प्रकार से हम सभी अपने अपने क्षेत्र में महिलाओं की शिक्षा के प्रति हम कैसे जागरूकता ला सकते हैं इसका प्रयास सभी सदस्यों को मिलकर के करना चाहिये.
माननीय सभापति महोदय इसके लिये सरकार ने प्रेरकों की व्यवस्था की है और 1500 से 2000 रूपये की राशि प्रेरकों को दी जाती है. यह प्रेरक जो समाज के निरीक्षर लोग हैं उनको शिक्षित करने का काम करते हैं. मैं समझता हूं कि इसमें कहीं न कहीं मानीटरिंग का अभाव है और जो आंकडे हमारे सामने प्रस्तुत हो रहे हैं वह इसका जीता जागता उदाहरण है. आदरणीय सभापति जी, लगातार हम देख रहे हैं कि हमारी जो प्राथमिक शालायें हैं, हमारी जो माध्यमिक शालायें हैं उसमें लगातार बच्चों की कमी होती जा रही है, हम लोग अगर आंकड़ों के माध्यम से बात करें तो वर्ष 2013-14 में 95 प्रतिशत बच्चे प्राथमिक शालाओं में दर्ज थे, वर्ष 2014-15 में 86 प्रतिशत कम थे, और जब हम लोग माध्यमिक पर आते हैं तो यह वर्ष 2013-14 में जो दर 95 प्रतिशत थी वह 50 प्रतिशत पर आकर रूक जाता है. वर्ष 2014-15 में जो दर 86 प्रतिशत था वह 48 प्रतिशत पर आकर गिर जाता है, इसका मतलब कहीं न कहीं हमारी जो व्यवस्थायें हैं, हमारे विभाग के जो काम करने के तरीके हैं वह उसमें कहीं न कहीं बाधा आ रहे हैं, हम जो प्रयास कर रहे हैं, हम लोग जो कोशिशें कर रहे हैं, वह कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं.
माननीय सभापति जी मैं बहुत ज्यादा वक्त आपका नहीं लेना चाहता हूं, मुझे मालूम है समय का अभाव है. एक और बात मैं माननीय मंत्री जी के संज्ञान में लाना चाहता हूं, प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों में निश्चित ही शिक्षकों की कमी है वह चिंता का विषय तो है ही साथ ही साथ उससे ज्यादा चिंता का विषय जो है वह हमारे हाईस्कूल हैं जो हायर सेकेण्डरी हैं उसमें शिक्षक और छात्रों का जो अनुपात है उसमें भारी अंतर है, हमारे हायर सेकेण्डरी में लगभग 133 छात्रों के ऊपर एक शिक्षक की व्यवस्था है और माननीय सभापति महोदय जी जैसा कि आपको हम सबको मालूम ही है कि जो हायर सेकेण्डरी होती है, 11वीं, 12वीं जो होती है, वह किसी भी छात्र के लिये, उसके छात्र जीवन के लिये, उसके भविष्य के लिये नींव बनाने का काम करती है. सभापति महोदय जी, मेरे विधानसभा क्षेत्र में भी बहुत सारे स्कूलों की, भवनों, की बाउंड्रीवालों की, शौचालयों की तमाम कमियां आ रही है और मैंने विगत दिनों एक प्रश्न के माध्यम से भी माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की थी. माननीय सभापति जी चूंकि विषय बहुत गंभीर है और अभी हमारे एक माननीय सदस्य ने एक बहुत अच्छा सुझाव दिया था कि हमारे मॉडल स्कूलों के ऊपर काम करने की आवश्यकता है. अगर मैं अपने विधानसभा की बात करूं तो आज मेरे विधानसभा में लगभग हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी 20 स्कूल हैं जो भवन विहीन हैं तो कहीं न कही सरकार को गंभीर चिंतन करने का विषय है. जो सुझाव हमारे माननीय सदस्य ने दिये हैं कि अगर हम लोग ऐसे मॉडल स्कूलों की व्यव्था करें जहां पर सारी चीजें हों. आज हम लोग देख रहे हैं कि समाचार पत्रों के माध्यम से लगातार हम लोगों को पढ़ने में आता है कि कहीं किसी जिले के स्कूल में जो मध्यान्ह भोजन है उसमें छिपकली गिर गई है, उस छिपकली गिरने के कारण हमारे बहुत सारे छात्र अस्पतालों में भरती हैं. तो ऐसी कोई व्यवस्था हो, ऐसी कोई कार्य योजना के ऊपर सरकार को काम करना चाहिये जहां पर एक ही छत के नीचे सारी व्यवस्थायें हों, चाहे खाने के लिये बैठने के लिये बच्चों को डाइनिंग टेबिल की व्यवस्था हो, लेबोरेट्री की व्यवस्था हो, कम्प्यूटर लेबोरेट्री की व्यवस्था हो, स्कूलों में पर्याप्त मात्रा में बैंचों फनीचरों की व्यवस्था हो, ऐसी तमाम तरह की सुविधायें हों और बच्चों को स्कूलों तक लाने के लिये जो परिवहन व्यवस्था की बात जो हमारे माननीय सदस्य ने की थी, मैं समझता हूं कि इस तरफ बहुत गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है.
05.09 बजे सभापति महोदय (श्री ओमप्रकाश सखलेचा) पीठासीन हुये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बात करूं कि सरकार अगर मेरे विधानसभा क्षेत्र की मांगों को पूरा करने जाती है तो मेरे विधानसभा में लगभग 20 ऐसी जगह हैं जहां पर भवन नहीं हैं, ऐसी कई जगह हैं जहां पर बाउंड्रीवाल नहीं हैं, तो क्यों न हम लोग ऐसी कोई व्यवस्था जमायें कि वह 20 भवन बनाने की बजाये, 20 जगह व्यवस्थायें देने की बजाये हम लोग कुछ-कुछ किलोमीटरों के दायरे में हम लोग ऐसे मॉडल स्कूल बनायें जहां पर हमारे बच्चे जायेंगे तो अच्छी शिक्षा भी ग्रहण करेंगे और छात्र जीवन की जो बाकी जरूरतें होती हैं चाहे वह खेल मैदान हो, चाहे हम जो मध्यांह भोजन के माध्यम से बच्चों को भोजन दे रहे हैं, यह सारी व्यवस्थायें एक अच्छे वातावरण में और एक सुव्यवस्थित तरीके से हम हमारे बच्चों को दे सकते हैं. अभी हमारे माननीय बहादुर सिंह जी ने भी एक बहुत अच्छा सुझाव दिया था चूंकि अब ग्रामीण क्षेत्रों में जगह की बहुत कमी आ रही है तो इसको देखते हुये हम लोग डबल मंजिलें और इस तरह की व्यवस्थाओं के ऊपर गंभीरता से सोचने की हम लोगों को जरूरत है, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद, जह हिन्द, जय भारत.
श्री सुदर्शन गुप्ता (इंदौर-1)-- माननीय सभापति जी, मैं मांग संख्या 27 और 40 का समर्थन करता हूं. माननीय सभापति जी जब से प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है, स्कूली शिक्षा के स्तर में काफी बढ़ोतरी हुई, स्तर बढ़ा है. जहां पर सभी सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है, सुविधायें बढ़ी हैं और भवनों की स्थिति सुधरी है और पढ़ाई का स्तर भी सुधरा है. मैं आपको आंकड़ों के माध्यम से बताना चाहंगा कि वर्तमान में प्राथमिक शिक्षा सुविधा उपलब्ध है उनमें शासकीय शालायें 83890 हैं, अशासकीय शालायें गैर अनुदान प्राप्त 3974 हैं और अशासकीय शालायें अनुदान प्राप्त 568 हैं. इस प्रकार कुल 88432 प्राथमिक शालायें हैं. वर्तमान में उच्च प्राथमिक शिक्षा सुविधा जो उपलब्ध हैं उसमें शालायें 30341 हैं, अशासकीय शालायें गैर अनुदान प्राप्त 21630 हैं और अशासकीय शालायें जो अनुदान प्राप्त हैं वह 417 है कुल इस प्रकार 52388 हैं. बच्चों का नामांकन सत्र 2015-16 में प्राथमिक शाला में बालक 23 लाख 75 हजार और बालिकायें 24 लाख 16 हजार, कुल मिलाकर 47 लाख 51 हजार विद्र्याथी थे, माध्यमिक शालाओं में बालक 14 लाख 85 हजार और बालिकायें 16 लाख 19 हजार रहीं हैं, कुल मिलाकर 31 लाख 4 हजार विद्यार्थी रहे है. सरकार के द्वारा निशुल्क पाठ्य पुस्तकें वितरित की गईं और उस प्रकार 2015-16 में शासकीय प्राथमिक शालाओं, माध्यमिक शालाओं में, मदरसा बोर्डों में और संस्कृत शालाओं में लगभग 80 लाख 94 हजार बच्चों को निशुल्क पाठ्य पुस्तको का वितरण किया गया, मध्यप्रदेश की सरकार की तरफ से. इसी प्रकार निशुल्क सायकिलों का वितरण किया गया वर्ष 2015-16 में जो बच्चो छठवीं में चले गये, जो पास के गांव में पढ़ने जाते हैं उन्हें सायकिलों का वितरण किया गया है, उनके खातों में सीधे-सीधे 2300 रूपये का एकाउंट पेयी चेक सरकार के माध्यम से दिये गये हैं और इस वर्ष लगभग 2 लाख 70 हजार बच्चों को निशुल्क साइकिलों का वितरण किया गया है. माननीय सभापति जी सामान्य निर्धन वर्ग के बच्चों को छात्रवृत्ति का वितरण किया गया है 2015-16 में. समग्र पोर्टल के माध्यम से सामान्य निर्धन वर्ग के बच्चों को पात्रतानुसार छात्रवृत्ति प्रदान की गई, इसी प्रकार निशुल्क गणवेश प्रदान की गई और वर्ष 2015-16 में 13 लाख 16 हजार बच्चों को गणवेश सरकार के द्वारा दी गई और उसकी राशि हस्तांतरित की गई, हमारी बहिन अभी बोल रहीं थीं कि उसमें भ्रष्टाचार होता है, उनको जानकारी है कि नहीं सरकार के द्वारा सीधे-सीधे बच्चों के खातों में पैसा ट्रांसफर होता है उसमें कहीं कोई भ्रष्टाचार का कहीं रोल होता ही नहीं है.
माननीय सभापति जी, निजी स्कूलों की मान्यता प्रदेश में 5 जनवरी 2016 तक 30115 स्कूलों की मान्यता के लिये आवेदन प्रस्तुत किये गये थे, इसमें जिलों के द्वारा 27226 प्रकरणों का निराकरण किया गया और इसके लिये मैं हमारे शिक्षा मंत्री माननीय दीपक जोशी जी को बधाई देता हूं. माननीय सभापति जी मध्यप्रदेश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के निर्धारित मापदण्डों के अनुसार प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में शतप्रतिशत उपलब्धता सुनिश्चित की गई. स्वच्छ भारत, स्वस्थ विद्यालय अभियान के अंतर्गत समस्त विद्यालयों में पृथकत बालक एवं बालिकाओं के लिये शौचालय उपलब्ध कराये गये जिसके तहत 2015-16 में 58202 शौचालयों का निर्माण सरकार के द्वारा किया गया और यह पूरे देश में सर्वाधिक संख्या हमारे मध्यप्रदेश की है इसके लिये मैं शिक्षामंत्री जी को और शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को बधाई दूंगा.
सभापति महोदय, निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार के अंतर्गत प्रायवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई हैं. उसमें 8 लाख से अधिक बच्चों को निःशुल्क प्रवेश दिया गया. आज गरीब का बच्चा भी निजी स्कूल में पढ़ रहा है. उसकी फीस की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा की जा रही है
सभापति महोदय--जल्दी समाप्त करें.
श्री सुदर्शन गुप्ता--सभापति महोदय, मैं अपने क्षेत्र की बात कह देता हूं. वर्तमान में हमारे इंदौर में निजी स्कूलों की मनमानी के कारण आंदोलन चल रहा है. निजी स्कूल के संचालकों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि किये जाने से विद्यार्थियों के पालन बेहद परेशान हैं. इंदौर के स्कूल प्रबंधकों द्वारा अचानक फीस बढ़ा दी गई है किन्तु फीस बढ़ाने का कोई तर्क नहीं दिया गया है. पिछले दिनों से लगातार अभिभावकों द्वारा फीस वृद्धि के खिलाफ स्कूल संचालकों और प्राचार्यों को विरोध दर्ज कराया गया. इंदौर के पालकों द्वारा लगातार फीस वृद्धि के विरुद्ध लगातार आंदोलन किये जा रहे हैं. धरना-घेराव किया जा रहा है. कल दिन भर इंदौर के विभिन्न चौराहों पर पालकों द्वारा मानव श्रंखला बनाकर निजी स्कूलों के खिलाफ आंदोलन किये गये हैं. निजी स्कूल के संचालकों द्वारा पालकों को डराया-धमकाया जा रहा है और कहा जा रहा है कि हम आपके बच्चों को स्कूल से निकाल देंगे. वहां पर स्कूल की बिल्डिंग फंड के नाम पर पालकों से पैसे वसूलें जा रहे हैं.
सभापति जी, मेरा आपके माध्यम से मंत्रीजी से अनुरोध है कि फीस रेग्यूलेटिंग कमेटी बनायी जाना चाहिए. यह कमेटी बनाने की मांग काफी लंबे समय से चल रही है. पालकों और जन प्रतिनिधियों द्वारा भी यह मांग की गई है. इसके न होने से पालकों के निजी स्कूलों के संचालकों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है. यदि प्रदेश सरकार यह कमेटी बना देती है तो फीस पर नियंत्रण रहेगा और पालकों के आक्रोश का सामना नहीं करना पड़ेगा. मैं मंत्रीजी से अनुरोध करुंगा कि इस ओर ध्यान दे. पूरे इंदौर में अभी लगातार यही आंदोलन चल रहा है. धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा)--सभापति महोदय, शासकीय स्कूलों के स्तर और अच्छी पढ़ाई के संबंध में चर्चा चल रही है. मेरा यह मानना है कि आज हम सब अच्छी बात कर रहे हैं. अच्छी सोच रख रहे हैं. मेरा व्यक्तिगत रुप से सभी सदस्यों से प्रश्न है कि ऐसे कितने मंत्री, कितने विधायक या कितने अधिकारी हैं जो शिक्षा विभाग को संचालित कर रहे हैं,उनके कितने बच्चे शासकीय स्कूलों में जा रहे हैं? एक लिस्ट यहां पर दें. हम शिक्षा के अच्छे स्तर की बात करते हैं. स्कूलों की उन्नति हो गई है. स्तर अच्छा हो गया है तो अच्छे स्तर होने के बाद ऐसे कितने नेता या अधिकारी हैं जो शासकीय स्कूलों में अपने बच्चों को भेज रहे हैं.
सभापति महोदय, सबसे बड़ी बात है कि आज बड़े-बड़े नेताओं ने, बड़े-बड़े अधिकारियों ने...
श्री दिलीप सिंह शेखावत--माननीय विधायक जी आपके बच्चे पढ़ रहे हैं या नहीं?
श्री हरदीप सिंह डंग--मैं उसी बात पर आ रहा हूं.(व्यवधान) मैं सब बता दूंगा. बहादुर सिंह जी सुन लिया करो.(व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान--हम तो अपनी जानकारी देने को तैयार हैं लेकिन इनकी भी जानकारी तो मिल जाये.(व्यवधान)
श्री हरदीप सिंह डंग--सभापति जी, मेरा मानना है कि शिक्षा का व्यवसाय यदि सबसे ज्यादा किसी ने किया है तो नेताओं ने किया है. उन्होंने स्कूलों की अनुमति ले ले कर चाहे वे किसी भी पार्टी के हों. उनके द्वारा निजी स्कूल-कॉलेज खोल लिये हैं इसलिए शिक्षा का स्तर शासकीय स्तर पर अच्छा नहीं बन पा रहा है. अगर शिक्षा का स्तर शासकीय स्तर पर अच्छा बनाना है. (व्यवधान)
सभापति महोदय--मेरा ख्याल है कि हरदीप जी को अपनी बात रखने का मौका देना चाहिए.कृपया बैठ जायें.(व्यवधान)
श्री हरदीप सिंह डंग--मैं कांग्रेस-भाजपा नहीं जानता. यहां पर सदन की बात चल रही है, आम जनता की बात चल रही है. यहां पर भाजपा कांग्रेस की बात नहीं चल रही है. मैं न तो किसी पर व्यक्तिगत आरोप लगा रहा हूं या न किसी की बात कर रहा हूं.
सभापति महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं. हमारे शिक्षा मंत्रीजी, हमारे जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं. हमें खुशी है कि वह क्षेत्र में लगातार आते रहते हैं और मार्गदर्शन देते रहते हैं. सभापति महोदय, जो भी बात करते हैं एक तो शिक्षक की बात करते हैं और शिक्षा स्तर की बात करते हैं. पानी, बिल्डिंग, बाऊंड्री वॉल, विद्युत व्यवस्था, खेल मैदान, स्कूलों का उन्नयन की बात की जाती है.
सभापति महोदय, मैं अपने क्षेत्र की बात करना चाहता हूं. मेरे यहां जिन गांवों की प्राथमिक स्कूल से माध्यमिक स्कूल करना है वह हैं नाथूकेड़ी और करण्डया. इसी प्रकार खेतीखेड़ी, कसरावद, आगर,लावड़ी,धुंधलाफौजी,सेजरामाता, कोठरामाता, गोतमपुरा,जगदी और बोरखेड़ी को माध्यमिक विद्यालय से हाई स्कूल किया जाये. इसी प्रकार हाई स्कूल से हायर सेकंडरी करने का निवेदन मैं पहले भी कर चुका हूं. फिर से निवेदन कर रहा हूं कि ग्राम बसई,दीपाखेड़ा,रणयेरा,भानपुरा,अजयपुर, खेजडिया,बिसनिया,अंगारी,अतावती,नाताराम,रसोई,सातखली,कर्नोद और असावती के हाईस्कूलों को हायर सेकंडरी किया जाये.
समय 5.21 बजे अध्यक्ष महोदय (डॉ सीतासरन शर्मा)पीठासीन हुए.
अध्यक्ष महोदय--कृपया समाप्त करें.
श्री हरदीप सिंह डंग--अध्यक्ष महोदय, शिक्षा मंत्रीजी हमारे प्रभारी मंत्री भी हैं. मंदसौर जिले में सुवासरा विधानसभा में दो शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ है वह केवल इसलिए कर दिया गया कि उन्होंने मुझसे चौराहे पर हाथ मिला लिया. उनके नाम की इंट्री करके, उनका स्थानांतर कर दिया गया. अध्यक्षजी, बिना कारण बताये, बिना किसी शिकायत के इतने अच्छे पढ़ाने वाले शिक्षकों का स्थानांतर कर दिया गया. मंत्रीजी को मैंने आवेदन भी दिया है कि उनका स्थानांतर किस आधार पर किया गया. जब बड़े नेताओं ने कहा तो कहीं न कहीं तालमेल करके, उनको वापस लाया गया. उनका स्थानांतर किस कारण से किया गया. कृपया इसकी जानकारी दें. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया कम समय में अपने क्षेत्र की बात कर लें. माननीय सदस्यों के बहुत नाम शेष हैं.
श्री के के श्रीवास्तव(गुना)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 का समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक प्रायमरी स्कूल के हेड मास्टर का बेटा हूं और इसलिए शिक्षा विभाग से जुड़े हर विषय पर मेरी चिन्ता रहता हूं. हम 15-20 साल पहले की स्थिति देखें. अभी 12 साल का हिसाब मांगने की बात हो रही थी. हम 50 साल का हिसाब दे नहीं पाये और 12 साल का हिसाब मांग रहे हैं. पिछले 50-55 सालों में शिक्षा विभाग में क्या परिस्थितियां थीं. स्कूल खुलवाने के लिए लोगों को प्रदर्शन करना पड़ते थे. भूख-हड़ताल और आंदोलन करते थे. धरना-प्रदर्शन होते थे. अगर स्कूल खुल भी गया तो स्कूल का भवन नहीं. स्कूल भवन है तो मास्टर नहीं. स्कूल मास्टर है तो टेबल कुर्सी नहीं, डस्टर नहीं,ब्लेक बोर्ड नहीं, चाक नहीं, पट्टी नहीं,लोटा नहीं,घंटी नहीं,पीने का पानी का मटका नहीं. ये हालत हुआ करती थी. स्कूल पेड़ के नीचे लगते थे या किसी बरामदा या दालानों में लगते थे. ये 50 सालों का कुकर्म यह प्रदेश ने भोगा है.
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्रीजी, शिक्षा मंत्रीजी और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शिक्षा का अधिकार नियम बनाकर निर्धारित मापदंडों के अनुसार प्रायमरी और माध्यमिक शालाएं खोली हैं. विद्यालयों में देश के भविष्य को गढ़ने और संवारने का प्रकल्प चल रहा है. हम व्यक्तित्व निर्माण की बात कर रहे हैं तो हमारी ड्यूटी हो जाती है कि हम उनको स्वच्छ वातावरण दें. हमने स्वच्छ भारत, स्वच्छ विद्यालय के तहत प्रत्येक शासकीय विद्यालयों में बालक-बालिका के लिए पृथक पृथक शौचालय निर्माण का कार्य किया है.
अध्यक्ष महोदय, हम शौचालयों का निर्माण शहरों और स्कूलों में कर रहे हैं. अब (XXX) तो उनके बारे में मुझे कुछ कहना ही नहीं है. बड़े-बड़े निजी कान्वेंट स्कूल जिनकी ओर कभी किसी गरीब ने पढ़ाई तो दूर उन स्कूलों को देखा ही नहीं लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार ने गरीब,वंचित और कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए 25 प्रतिशत सीटों का कोटा तय कर दिया और उस हिसाब से 8 लाख विद्यार्थी उन स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं और फीस सरकार दे रही है.
अध्यक्ष महोदय, विद्यार्थियों के बाल मन में हीन भावना न आय़े. कौन गरीब, कौन अमीर कोई न कह पाये. इसकी कमीज मेरी कमीज से सफेद क्यों. सुपर निरमा की बहार, सफेदी की झंकार, लो दो दो जोड़ी गणवेश. दो जोड़ी गणवेश का पैसा खातों में भेजा जा रहा है. लगभग 80 लाख विद्यार्थी इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं. सुपर 100 योजना, महत्वपूर्ण योजना, प्रत्येक जिले से 10 वीं के दो दो छात्र मेरिट के आधार पर उनका चयन करके आईआईटी, बीई, पीएमटी की कोचिंग में उनको भेजा जाता है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री के.के. श्रीवास्तव - एक मिनट में बात समाप्त करूंगा. अध्यक्ष महोदय, शिक्षक का शब्द, शि शिष्टाचार, क्ष क्षमावान एवं क कर्तव्य परायण, लेकिन शिक्षक को हटा दिया, शिक्षा कर्मी बना दिया. कर्मी कल्चर को हमने समाप्त किया है. विद्यालयों के उन्नयन को पूरे प्रदेश में हम देखें तो 10 वर्षों में 3000 से ज्यादा माध्यमिक शालाओं का उन्नयन हाईस्कूल में किया. लगभग 2500 हाईस्कूलों को हायर सेकण्ड्री में उन्नयन किया है. आगामी सत्र में भी उन्नयन की प्रक्रिया जारी है. मेरे क्षेत्र में भी 2-3 स्कूल और हैं. अभी पिछले साल हमें 3-4 स्कूल मिले. फिर इस बार भी हम उम्मीद करते हैं. माध्यमिक शाला जानकीबाग को हाईस्कूल में, माध्यमिक शाला शिशु मंदिर टीकमगढ़ को हाईस्कूल में, हाईस्कूल अजनौर को इंटरकॉलेज में, शासकीय माध्यमिक शाला समर्रा को हाईस्कूल में, शासकीय हाईस्कूल ककरवाहा को हायर सेकण्ड्री में करने की आवश्यकता है. मिड-डे मिल के बारे में कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा. मध्याह्न भोजन की यह अच्छी योजना है. लेकिन उस पर सतत् मॉनिटरिंग करने की थोड़ी सी जरूरत है. कभी कभी प्रबंधन की दृष्टि से शाला में कहीं न कहीं जो लापरवाही कहीं दिखाई देती है. कभी कभी अखबारों में भी देखते हैं इसलिए उसमें अधिकारी की जिम्मेदारी तय हो कि उस मिड-डे मिल की व्यवस्था ठीक से हो. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अवसर दिया, आपने मुझे टोका लेकिन बोलने दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) - अध्यक्ष महोदय, अभी सत्ता पक्ष, विपक्ष के सभी विधायक लगातार शिक्षा के स्तर पर चर्चा कर रहे थे. अभी हमारे पहले के वक्ता श्री के.के. श्रीवास्तव जी ने कहा कि मैं शिक्षक का बेटा हूं. आपको याद होना चाहिए कि जब आप शिक्षक के बेटे थे, उस समय कांग्रेस की सरकार थी. अब आप विधायक बने. अब हम समझते हैं कि कोई विधायक का बेटा पढ़ने के लिए सरकारी स्कूलों में तैयार नहीं है, जैसा अभी श्री हरदीप सिंह जी ने बताया. आपने बड़ा लंबा-चौड़ा भाषण दिया इसलिए मैंने इतना बोल दिया. मैं ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहता हूं. मैं सीधे अपने विधान सभा क्षेत्र पर आता हूं. जब कांग्रेस की सरकार थी. श्री दिग्विजय सिंह जी मुख्यमंत्री थे. मजरे-टोलो, हरिजन, आदिवासियों के लिए भले ही 500 के मास्टर उन्होंने बैठाए हों, लेकिन हर क्षेत्र में हर गरीब स्थानों में शिक्षा मिले यह उनकी मंशा थी. लेकिन आज आपकी सरकार ने उन स्कूलों को तोड़कर रख दिया है और वहां पर दारू की दुकानें खुलवा दी हैं. यह है मध्यप्रदेश का चरित्र, यह मैं आप सबको बताना चाहता हूं. ज्यादा कुछ न बोलते हुए मैं सीधे अपने क्षेत्र पर जाना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - (श्री के.के. श्रीवास्तव के कुछ बोलने पर) कृपया उनको आप बोलने दें.
श्री के.के. श्रीवास्तव - स्कूलों का एक भी उदाहरण आप बताइए.
श्री सुखेन्द्र सिंह - स्कूलों में नहीं, स्कूलें तो तोड़ दी गई. वहां पर दारू की व्यवस्थाएं कर दी गईं ताकि वहां पर गरीब लोग सिर्फ दारू पीएं.
श्री के.के. श्रीवास्तव - यह केवल सदन के अंदर प्रसिद्धि पाने के लिए केवल वाह-वाही लूटने के लिए है, गुमराह करने की कोशिश नहीं करें. यह मिथ्या कथन नहीं.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया बैठ जाएं.
श्री सुखेन्द्र सिंह - कुछ हमारे क्षेत्र में स्कूलों के उन्नयन का मामला है. हाईस्कूल तिलया को हायर सेकण्ड्री किया जाय, हटवाच नम्बर 1 हाईस्कूल है, उसको हायर सेकण्ड्री किया जाय. बहेराडाबर, बसिगढ़ा, दमोदरगढ़, हाटा, महदेवा, कन्या विद्यालय गौरी को हाईस्कूल किया जाय. 5वीं से 8वीं दुअरा का उन्नयन किया जाय. प्रतापगंज, कैलाशपुर, ये दो स्कूलें हैं उनका उन्नयन पूर्व में हुआ था . लेकिन अभी इनके लिए भवन उपलब्ध नहीं हैं. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि इनके लिए भवन उपलब्ध कराए जाएं. अध्यक्ष महोदय, ज्यादा कुछ न बोलते हुए आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री इन्दर सिंह परमार (कालापीपल) - अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 27 एवं 40 का मैं समर्थन करता हूं. हम सब जानते हैं कि शिक्षा मनुष्य के जीवन का एक ऐसा प्रारंभिक काल है, जिसमें अच्छी शिक्षा देने से एक अच्छा नागरिक का निर्माण हो सकता है. इसलिए प्राथमिक शिक्षा जितनी अच्छी होगी, उतना ही सारी व्यवस्थाएं ठीक हो सकती हैं. अच्छा आधार प्राथमिक शिक्षा ही है. शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश की सरकार ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए निरंतर प्रयास किये हैं और उससे भी बड़ा महत्व का काम यह सरकार कर रही है कि पारदर्शितापूर्ण शिक्षा दे रही है, विद्यार्थियों को जो सुविधा दी जा रही है, उन सुविधाओं से लेकर शिक्षकों की पदोन्नति आदि तक जो काम किया जा रहा है, उसके कारण से शिक्षा के क्षेत्र में लोगों का विश्वास बढ़ा है. हमारे प्रदेश में हाईस्कूल के प्राचार्यों से प्रमोशन करके हायर सेकण्ड्री स्कूलों में जो पदस्थी की गई. काउंसलिंग के माध्यम से उनको आमंत्रित किया गया और पदस्थ किया गया. यह पारदर्शिता का एक बहुत बड़ा उदाहरण है. मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश में एक से आठवीं तक के बच्चों के लिए जो गणवेश की व्यवस्था है. वह अनुकरणीय है. विद्यार्थियों में जो भेदभाव की और कौन कैसे कपड़े पहनकर आता है, उस व्यवस्था को समाप्त करने में बहुत बड़ा यह कदम साबित हुआ है. स्कूलों में छात्र-छात्राओं के लिए भी शौचालय बनाने का काम भी बड़े पैमाने पर मध्यप्रदेश में हुआ है. एक साल में व्यवस्था को बदला है. स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत इसमें काफी प्रगति की गई है. मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बना है, जिसने सबसे ज्यादा शौचालय विद्यालयों में निर्माण किये हैं. नवीं कक्षा की जो छात्राएं अपने गांव से दूसरे गांव में विद्या अध्ययन के लिए जाती हैं, उनको साईकिल देने का काम भी किया है. साथ ही अब छठवीं क्लास के छात्र छात्राओं को भी अपने पास के विद्यालय में जाने के लिए साईकिल देने के लिए राशि देने का प्रावधान किया गया है. प्रतिभावान छात्रों को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से लेपटॉप जैसी सुविधा और बारहवीं के विद्यार्थियों को 25000 रुपए लगातार देने का काम सरकार कर रही है. हम सब जानते हैं कि एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है, जो वंचित वर्ग या कमजोर वर्ग के विद्यार्थी हैं, जिनको ऐसा लगता था कि हम कभी प्राइवेट विद्यालय में नहीं पढ़ सकते हैं और सरकारी स्कूल ही हमारे लिए हैं. हमारी सरकार ने 25 परसेंट का आरक्षण प्राइवेट विद्यालयों में करके विद्यार्थियों की फीस सरकार के द्वारा वहन की जा रही है. यह क्रांतिकारी कदम है. मैं सोचता हूं कि इसके कारण से आज जो हमारे कमजोर वर्ग के विद्यार्थी हैं, वह गौरव अनुभव करते हैं. हम सब जानते हैं कि मध्यप्रदेश में लगातार माध्यमिक विद्यालयों के उन्नयन करने का काम हाईस्कूलों के उन्नयन करने का काम किया जा रहा है. उसके कारण से काफी कुछ शिक्षा के क्षेत्र में विद्यालय खुले हैं. मेरे कुछ सुझाव भी है जो हमारी प्राथमिक शिक्षा है, जहां 10 बच्चे, 8,5, 3 बच्चे भी किसी विद्यालय में हैं, जो हमने प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों का आरक्षण किया है, उसके कारण से कई गांवों के प्राथमिक शिक्षा के स्कूलों में आज बहुत विद्यार्थी आ रहे हैं. मैं समझता हूं कि किसी गांव में किसी स्कूल में 3 या 4 बच्चे आ रहे हैं तो उनको भी उन प्राइवेट स्कूलों में दाखिल कराकर वहां की व्यवस्था को ट्रांसफर करना चाहिए, दूसरे स्थान पर उसको पदस्थ करना चाहिए ताकि वह जो वहां पर अमला लगा हुआ है वह अन्य जगह पर काम कर सके.
अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की दो तीन मांगें हैं. मेरे यहां पर हाईस्कूल का उन्नयन होना है, इसलिए हड़लाएकलां, बेरछादाता, हर्नियाखुर्द, पखरावदकलां में उन्नयन करके हायर सेकण्ड्री स्कूल बनाया जाए. माध्यमिक विद्यालयों का उन्नयन करके पंचदेरिया, लसूढ़लियामलक, ईमलीखेड़ा, जाबड़ियाभील में हाईस्कूल इस वर्ष खोले जाएं. मेरे क्षेत्र में ग्रामीण क्षेत्र में बहुत कम स्कूल हैं, इसलिए आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि कुछ स्थानों पर बहुत समय से स्कूल चल रहे हैं, लेकिन वहां पर भवन नहीं हैं. एक है धावलाघोसी गांव वहां के हाईस्कूल की बिल्डिंग नहीं है, एक मोरटाकेवड़ी में वर्ष 2007 में जनदर्शन के समय माननीय मुख्यमंत्री जी का आश्वासन था, लेकिन वहां पर आज तक हायर सेकण्ड्री स्कूल की बिल्डिंग नहीं बनी है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि आप कृपया इस ओर ध्यान देंगे. इसी प्रकार हाईस्कूल कमालपुर के लिए भी कहना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर ( खरगापुर ) --माननीय अध्यक्ष महोदय मैं मांग संख्या 27 और 40 के विरोध में अपनी बात कहना चाहती हूं. स्कूल शिक्षा विभाग छात्रों का भविष्य निर्माण का काम करता है. परंतु स्कूल शिक्षा विभाग की सारी की सारी योजनाएं पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार से लिप्त हो गई हैं. मेरी खरगापुर विधान सभा में शासकीय कन्या हायर सेकेण्ड्री की छात्राएं भवन के अभाव में स्कूल के आंगन में बैठकर शिक्षा ग्रहण कर रही हैं उनके बैठने के लिए टाटपट्टी भी नहीं है, फर्नीचर तो दूर की बात है. अध्यक्ष महोदय अभी हमारे टीकमगढ़ के विधायक जी बोल रहे थे कि सब व्यवस्था अच्छी हैं. इ सी तरह से कन्या हायर सेकेण्ड्री बल्देवगढ़ में कक्षों की कमी है इसलिए मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करती हूं कि खरगापुर कन्या एवं बल्देवगढ़ कन्या हाई स्कूल के भवनों के अतिरिक्त कक्ष बनाये जाने की व्यवस्था की जाय जिससे छात्राओं को सुविधा मिल सके.
अध्यक्ष महोदय सरकार केवल स्कूल चले हम का नारा लगाती है लेकिन अभियान को कारगर बनाने के लिए एक ही स्थान पर वर्षों से पदस्थ अधिकारी अवरोधक बनकर शासन की राशि का दुरूपयोग कर रहे हैं .इससे छात्रों को कोई लाभ नहीं मिलता है. प्राथमिक शाला मिडावली जो की मेरी खरगापुर विधान सभा का गांव है जहां पर पिछली जुलाई माह से आज तक छात्रों को गणवेश तक नहीं मिला है. ऐसे कितने ही स्कूल होंगे और किस किस योजना के बारे में मैं आपको क्या क्या बताऊं, यहां पर कहना संभव नहीं है क्योंकि समय कम है.
अध्यक्ष महोदय स्कूलों में न तो शौचालयों का निर्माण हुआ है न हीपीने के पानी की कोई व्यवस्था है. जिन स्कूलों में 500 छात्र हैं वहां पर 3 शिक्षक हैं और जिन स्कूलों में 800 छात्र हैं वहां पर भी 3 शिक्षक हैं. माननीय महोदय मेरा कहना है कि यह कैसा युक्तियुक्तकरण है यह समझ से परे है. अध्यक्ष महोदय 80 प्रतिशत विकलांग शिक्षकों के स्थानांतरण कर दिये जाते हैं. छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिलती है, छात्रो के जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पाते हैं मध्यान्ह भोजन तो शिक्षकों का धंधा बन गया है. आज पूरे प्रदेश से लेकर खरगापुर विधान सभा तक शिक्षा विभाग की सारी योजनाएं गर्त में जा रही हैं. आपने बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद्.
सुश्री ऊषा ठाकुर ( इंदौर - 3 ) - माननीय अध्यक्ष महोदय मैं मांग संख्या 27 और 40 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ी हुई हूं और अपने विचार और सुझाव व्यक्त करना चाहती हूं. अध्यक्ष महोदय हम जानते हैं कि विद्या वह विधा है जो व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास करती है. विद्वानों ने इसे परिभाषित किया है -- ना चौर हार्यम, ना राज्य हार्यम, न भ्रात भाज्यम, न च भारकारी, व्ययेकृते वर्धते एव नित्यम विधा धनम, सर्वधनम प्रधानम. कविवर रवीन्द्रनाथ जी ने कहा कि ज्ञान ही सत्य है और सत्य से पढ़कर दुनिया में कुछ नहीं है.
अध्यक्ष महोदय शिक्षा भी ऐसी चाहिए की जो कि केवल सुविधा और सम्मान के लिए न हो, वह नर से नारायण बनाने के लिए हो, वह अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने के लिए हो और आध्यात्मिकता और सद्गुढ़ों से भरपुर होना चाहिए.क्योंकि भारतीय संस्कृति का तो महामंत्र है साविधा या विमुक्तयें. हमारी शिक्षा तो सर्वश्रेष्ठ थी ही अध्यक्ष महोदय पर अंग्रेजों ने सुनियोजित षडयंत्र करके इसे जड़ मूल से उखाड़ा है. क्योंकि मैकाले की मान्यता थी कि यदि किसी देश को नष्ट करना है तो उसकी शिक्षा उसके संस्कार और संस्कृति पर प्रहार करो स्वमेव देश नष्ट हो जायेगा. मैकाले इस सुनियोजित षडयंत्र में सफल भी हो गया. उसने अपने पिता को जो पत्र लिखा था. वह इस बात को परीलिक्षित करता है कि उसने लिखा है कि मैंने भारत की देशी शिक्षा सांस्कृतिक शिक्षा को जड़ मूल से उखाड़ने का संकल्प कर लिया है. अब इस देश में जो विद्यार्थी तैयार होंगे. वह देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन कार्य आचरण व्यवहार में अंग्रेजों जैसे ही होंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय शिक्षा का सर्वनाश करने के लिए मैकाले ने सबसे पहले 1950 में इस देश का पूरा सर्वे कराया. उत्तर भारत की जिम्मेदारी उसने लिटनक को दी और दक्षिण भारत की जिम्मेदारी उसने थामस मुनरो को दी. जब परिणाम सामने आये तो आश्चर्य चकित रह गया वह कि यह देश उत्तर भारत 97 प्रतिशत साक्षर था और दक्षिण भारत 100 और पूरे देश में 7 लाख 32 हजार गुरूकुल थे. उसका दिमाग खराब हो गया और उसने एजुकेशन एक्ट बनाया 1858 में, और कानूनी भाषा अंग्रेजी को बना दिया. मद्रास , कलकत्ता, मुंबई विश्वविद्यालय स्थापित कर दिये अंग्रेजी के प्रचार और प्रसार के लिए और हमारे गुरूकुलों का नाश किया. गुरूजनों को जेल में डाल दिया है. जो समाज आधारित शिक्षा थी उसका सर्वनाश करके इस देश की शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर दिया.
अध्यक्ष जी विश्व के कई मनोवैज्ञानिक इस बात को स्वीकार करते हैं कि प्राथमिकशिक्षा स्कूली शिक्षा मातृ भाषा में ही होनी चाहिए क्योंकि आदमी का चिंतन विचार मनन मातृ भाषा में ही होता है. कई उदाहरण हैं प्रोफेसर कलाम साहब के अनिल काकोड़कर जी के जिन्होंने मातृ भाषा में अध्ययन करके सफलता के चरमोत्कृष को छुआ है. विद्यालयीन शिक्षा का जो प्रतिमान है वह कभी भी पाश्चात्य नहीं होना चाहिए. यह छोटे बच्चों पर अत्याचार है, अनाचार है हम जानते हैं कि रैन रैन गो अवे, कम अगेन अनादर डे. हमारे और उनके भौगोलिक परिवेश में संस्कृति और संस्कार में जमीन आसमान का अंतर है हमारे यहां पर तो पानी बाबा आ जा ककड़ी भुट्टा ला जा, यह ही प्रासंगिक है. पता नहीं क्यों पूरा का पूरा देश 68 वर्ष से अंग्रेजी के पीछे पड़ा हुआ है. मैं प्रार्थना करना चाहती हूं कि शिक्षा में आमूल चूल परिवर्तन नितांत आवश्यक है. हम जितने भी 230 भाई बहन यहां पर बैठे हैं सबसे प्रार्थना करना चाहती हूं हम केवल राजनेता नहीं है, हम करोड़ो बच्चों के अभिभावक हैं. वह शिक्षा जो उनको तनावग्रस्त करे, उनको कुण्ठाग्रस्त करे, उनको आत्महत्या के लिए प्रेरित करे वह शिक्षा किस काम की है, आज हमको विचार करना होगा और भारत और भारतीयता के विचार के अनुकूल शिक्षा का निर्माण करने में सर्वसम्मति से सहयोग देना होगा.
अध्यक्ष जी मैं अंग्रेजी की सच्चाई बताना चाहती हूं किविश्व के 204 देशों में से कुल 11 देश अंग्रेजी बोलते हैं. जो बच्चे ब्रिटेन जाते हैं पढ़ाई लिखाई उद्योग के लिए उनका प्रतिशत तो 0.02 प्रतिशत है जी 7 के सात देशों में से तो अपने पैर के अंगूठे भी अंग्रेजी को छूना नहीं चाहते हैं.
आप देखें कि अमेरिका और ब्रिटेन इन दोनों में जमीन आसमान का अंतर है. यदि ब्रिटेन का रहने वाला अमेरिका में जाकर नौकरी करना चाहे तो उ से वहां की अंग्रेजी सीखना होगी.
अध्यक्ष महोदय मैं प्रार्थना करना चाहती हूं कि 1947 से हमने तय किया था कि जीडीपी का 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करेंगे पर वह आज तक नहीं हो पाया है. दुख के साथ में कहना होता है कि क्यूबा जैसा छोटा देश अपनी जीडीपी का शिक्षापर 18 प्रतिशत खर्च करता है. उसमें केनिया, मलेशिया और डेनमार्क ये छोटे छोटे देश अपनी जीडीपी का 7 से 18 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करते हैं.
अध्यक्ष महोदय मात्र भाषा में स्कूली शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाय यह निवेदन है. हिन्दी के महत्व को अगर किसी ने समझा है तो हम सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुजारी हैं. हम सबने समझा है. अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हिन्दी को सम्मान दिलाने का पवित्र काम श्रद्धेय अटल जी ने किया उन्हीं के शब्दों में याद दिलाना चाहती हूं -- राष्ट्र संघ के मंच पर हिन्दी की जयकार, हिन्दी की जयकार हिन्द, हिन्दी में बोला देख स्वभाषा प्रेम विश्व अचरज से डोला, कह केदी कवीराय मेम की माया टुटी भारत माता धन्य स्नेह की सरीता पफुटी. उसी पावन कार्य को मोदी जी ने आगे बढ़ाया है. लोक नायक भाई मुख्यमंत्री जी ने भी विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित करके हिन्दी के सम्मान को बढ़ाने का निश्चय किया. हिन्दी सम्मेलन मेंयह तय हुआ कि विधि न्याय हो शिक्षा हो तकनीकी हो चिकित्सा हो इन सब में हिन्दी की महिमा को स्थापित किया जायेगा. इस क्षेत्र में जो पाठ्य पुस्तकों का निर्माण करेगे उन्हें भी सूचना और प्रोद्योगिकी पुरस्कार प्रदान किया जायेगा. शिक्षकों के संदर्भ के कुछ सुझाव हैं शिक्षकों को यदि लाने ले जाने की व्यवस्था शासन की तरफ से हो तो उनकी उपस्थिति विश्वविद्यालय में सुनिश्चित हो सकती है. उन्हें जनगणना, उन्हें पशु गणना, उन्हें भोजन व्यवस्था बनाने से पृथक किया जाय ताकि वह अपनी संपूर्ण क्षमता के साथ बच्चों को पढ़ा सकें.
अध्यक्ष महोदय मैं अपने क्षेत्र की बात रख कर अपनी बात को समाप्त करूंगी. आपकी उदारता का बहुत बहुत धन्यवाद करती हूं. मेरी विधान सभा में 63 स्कूल हैं हमने सभी स्कूलों में स्वच्छता समिति बनाई है. बच्चों को प्रेरित करने की दृष्टि से वहां पर वृक्षारोपण पर्यावरण की भी व्यवस्था की है .
श्री जसवंत सिंह हाड़ा -- ऊषा बहन आप बोलती रहो क्योंकि अभी जो महिला दिवस गया है न तो महिला सशक्तिकरण के लिए अध्यक्ष जी ने आपको अवसर दिया है.
सुश्री ऊषा ठाकुर -- अध्यक्ष महोदय हमने 63 स्कूलों में से 50 की व्यवस्था समाज को प्रेरित करके विधायक निधि से भी जुटाई है लेकिन 13 स्कूल शेष हैं उनकी ही मांग करना चाहती हूं एक एनसीसी प्रशिक्षण केन्द्र है वहां पर चार दीवारी चाहिए, एमटीएच कंपाउण्ड क्रमांक 1 , कटकटपुरा क्रमांक 78,प्रकाश का बगीचा, हाथीपाला उर्दु प्राथमिक शाला 85, शिवाजी नगर स्थित 130 है जो कि दलित बस्ती में मौजूद है वहां बेटियां अच्छे से पढ़ सकें इसलिए इसे हायर सेकण्डरी में परिवर्तित किया जाना चाहिए. कुछ माध्यमिक विद्यालय हैं जबरन कालोनी, भालकेरीपुरा, छावनी क्र. 2 और मोती तबेला, माननीय अध्यक्ष जी, इसके अलावा दो विद्यालय हैं चितावद और संयोगता गंज, ये परीक्षा केन्द्र भी हैं पर इनमें फर्नीचर का अभाव है. हर वर्ष हम लाखों रुपयों का फर्नीचर किराये से लेते हैं, मेरा एक छोटा सा सुझाव है कि बहुत टूटा-फूटा फर्नीचर, स्कूलों में बड़ी मात्रा में पड़ा हुआ है हर जिले में जो जेल हैं वहां कैदी कारपेंटरी का प्रशिक्षण पाते हैं यदि सारा फर्नीचर वहां भेजकर सुधार दिया जाए और इन्हें स्कूलों को दे दिया जाए तो बड़ी मेहरबानी होगी. आपने बोलने का समय दिया, आपको धन्यवाद.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 का विरोध करती हूँ और अपनी बात रखती हूँ. मध्यप्रदेश में शिक्षा की स्थिति में सकारात्मक बदलाव कहीं नजर नहीं आता है. शिक्षा के अधिकार कानून के मानकों के आधार पर देखा जाए तो शिक्षकों की भारी कमी और शिक्षा स्कूल के प्रावधानों के अनुसार प्रत्येक कक्षा का अलग-अलग भवन, अध्यापक कक्ष, बालिका और बालकों के लिए अलग-अलग शौचालक, खेल मैदान और बाऊन्ड्री वाल आदि का भारी अभाव है. शाला भवनों में कमरों की संख्या इतनी कम है कि एक कमरे में दो या तीन कक्षाओं को बिठाकर पढ़ाना पड़ता है जिसका सीधा असर शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ता है. कई स्कूलों में शौचालय या तो हैं या पानी के अभाव में उपयोगहीन हैं. शिक्षा के अधिकार में वर्णित बच्चों के प्रत्येक स्कूल में आवश्यक संख्या में प्रशिक्षित शिक्षकों की भारी कमी और उनकी पद पूर्ति संविदा शिक्षक या फिर अतिथि शिक्षकों से भरी जाती है और इनका मानदेय इतना कम है कि वे भी रुचि लेकर पढ़ाते नहीं हैं. इसलिए मैं चाहती हूँ कि सभी जगह पर इस व्यवस्था को खत्म करते हुए पूर्णकालीन शिक्षकों की व्यवस्था लागू की जानी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, खेलकूद गतिविधियों पर व शालाओं को अंग्रेजी माध्यम की शालाओं में उन्नयन, छात्रावास भवन निर्माण, प्राथमिक शालाओं में बजट इस वर्ष बहुत कम दिया गया है बल्कि इसे बढ़ाना चाहिए था जबकि शासन की ओर से घटाया गया है. मेरी विधान सभा भीकनगांव में दोनों तहसीलों में शिक्षा अधिकारी अभी तक नहीं हैं और दोनों ही प्रभारी के द्वारा चलाए जा रहे हैं, इसकी व्यवस्था हो.
अध्यक्ष महोदय, एससी-एसटी के विद्यार्थियों को समय से छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है, एक-एक साल से उनको छात्रवृत्ति नहीं मिली है तो उन्हें छात्रवृत्ति की व्यवस्था हो ताकि जो निर्धन माता-पिता हैं जो कि अपने बच्चों की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं ऐसे बच्चों के लिए यह बहुत जरूरी है. एक बड़ी समस्या आदिवासी बच्चों की है जो पिछले सालों से 12वीं कक्षा तक के बच्चे छात्रावासों में निवास करते थे और दो सालों से एक नियम ऐसा बना दिया गया कि 10वीं के बाद बच्चे अपनी व्यवस्था अलग से खुद करें. इस नियम के आधार पर कई बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है. मैं चाहती हूँ कि पुन: ऐसी व्यवस्था हो ताकि वे 12वीं तक पढ़े और कालेज की उच्च शिक्षा प्राप्त करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, भीकनगांव में हायर सेकण्डरी स्कूल में कई सालों से एनसीसी चलाई जाती थी और बिना कारण वह पिछले दो सालों से बंद कर दी गई है, यह पुन: चालू की जानी चाहिए क्योंकि इसके माध्यम से बच्चों की गतिविधियां अच्छी होती हैं और उनमें एक राष्ट्रीयता की भावना पैदा होती है तो मैं चाहती हूँ कि यह पुन: शुरू किया जाना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा मैं बड़ी-बड़ी ग्राम पंचायतों में हायर सेकण्डरी स्कूल खोलने के लिए निवेदन करती हूँ ताकि आसपास की बच्चियां बड़े लगन और जागरूकता के साथ अपनी पढ़ाई कर सकें. मैं जहां भी स्कूलों में जाती हूँ लड़कों की संख्या से लड़कियों की संख्या अधिक होती हैं तो मैं चाहती हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के गांव गोराड़िया, कांझर, बंझर, लालखेड़ा, करान्या आदि बड़ी-बड़ी पंचायतें हैं जहां पर हायर सेकण्डरी स्कूल खोले जाने की बहुत आवश्यकता है ताकि बच्चियां अपनी पढ़ाई जारी रख सकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक आखरी सुझाव, बाऊण्ड्री वाल की मांग हमारे सभी माननीय विधायकों द्वारा की गई है किंतु एक साथ विभाग इसको पूर्ण नहीं कर पाता है तो मैं चाहती हूँ कि जहां पर कन्या स्कूल हैं, जहां ज्यादा आवश्यकता है और कन्याओं की सुरक्षा को देखते हुए यदि बाऊण्ड्री वाल का निर्माण किया जाए तो निश्चित तौर से आने वाले समय में हमारी बेटियों की सुरक्षा होगी. इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करती हूँ, आपने मुझे बोलने का समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
कुंवर हजारीलाल दांगी (खिलचीपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 के पक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. सभी माननीय सदस्यों ने अपने-अपने क्षेत्र की समस्या भी बताई और शिक्षा के क्षेत्र में सारी बातें बताईं. सारे लोगों ने एक बात बताई है कि शिक्षा के स्तर में कैसे सुधार किया जाए पर मैं आपसे एक अनुरोध कर दूँ कि सारे लोगों ने शहरी क्षेत्र के मामले में ही बातें बताईं, पुरानी सरकार ने, अभी हमारे विपक्ष के साथियों ने कहा कि दिग्विजय सिंह जी के जमाने में सारे टोले-मजरे में भी स्कूल खोले गए. उस समय भी मैं कांग्रेस से विधायक था, उसके पहले मैं जिला-पंचायत अध्यक्ष भी था, टोले-मजरों की भी मैं बात बता रहा हूँ कि स्कूल तो खोले, मैं पहले भी आपके साथ बैठता था उस समय मैंने देखा है लेकिन एक बात बता दूँ कि उस समय की व्यवस्था में और आज की सरकार की व्यवस्था में इतना फर्क है कि उस समय बड़े-बड़े लोगों की व्यवस्था देखी जाती थी, आज इस प्रदेश के मुखिया ने हम सब लोग जीतकर तो आए हैं और 80 प्रतिशत लोग गांव के मतदाता हैं.
डॉ. गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हजारी मास्टर साहब हम सबको हर सत्र में दाल बाटी खिलवाते थे लेकिन अब जब अच्छी व्यवस्था चल रही है तो क्या उन्होंने आप सब लोगों को खिलाया ? (हंसी)
कुंवर हजारीलाल दांगी -- अध्यक्ष महोदय, यह भी मंत्री थे.
श्री जितु पटवारी -- और देखो, हजारी मास्टर साहब पर हमने तो भरोसा किया था आप मत करना क्योंकि ये कभी भी इधर कूद सकते हैं. (हंसी)
कुंवर हजारीलाल दांगी -- वही बता रहा हूँ कि बहुत थोड़े ही रह गए हैं. जितु भाई, एक बात बता दूँ मेरी बात मानो तो इधर ही आ जाओ नहीं तो आगे का समय और खराब आएगा.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें मालूम है मैं आपके साथ में था राजा साहब की कितनी तारीफें करते थे आप.
कुंवर हजारीलाल दांगी -- जिन-जिन पर राजा साहब ने हाथ फेरा, सभी ठिकाने लग गए, चिंता मत करो. थोड़े से जो और बचे हैं वे भी ठिकाने लग जाएंगे.
श्री जितु पटवारी -- वे तो पकड़-पकड़ के सिग्नेचर ... (व्यवधान) ...
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय हजारी लाल जो हैं यह परिस्थितियों से समझौता करने वाले व्यक्ति हैं और परिस्थितियों से समझौता कर लेना चाहिए, इन्होंने कोई गलती थोड़ी की. (व्यवधान) ...
श्री रामपाल सिंह -- गोविंद सिंह जी, आप उनसे प्रेरणा लो वे आपके प्रेरणास्रोत हैं, उनसे प्रेरणा लेकर आप भी आइये.
कुंवर हजारीलाल दांगी -- कांग्रेस छोड़ कर कितने लोग बीजेपी में आए हैं, बीजेपी का कोई कांग्रेस में नहीं गया है और बात क्लियर है कि जितने थोड़े से बचे हो, तुम भी आ जाओ तो तुम्हारा भी भला हो जाएगा. एक बात बता दूँ साथियों, आज माननीय मुख्यमंत्री जी ने गांव की शिक्षा पर ध्यान दिया है, पहले कांग्रेस की सरकार थी मैं आपको बता दूँ कि गांव की बेटियों को स्कूल में पढ़ने के लिए लोग नहीं भेजते थे. क्यों नहीं भेजते थे क्योंकि इतने साधन नहीं थे, गरीब थे. आज इस प्रदेश के मुखिया माननीय शिवराज सिंह जी ने और शिक्षा मंत्री आदरणीय जोशी जी ने जो नीतियां बनाई हैं. मैं खुद जब पढ़ता था ईमानदारी की बात है एक जोड़ी कपड़ा और किताबें नहीं मिलती थीं मुझे जबकि मैं गांव का हूँ किसान का बेटा हूँ लेकिन आज प्रदेश के मुखिया ने पहली क्लास से बारहवीं क्लास तक सारी किताबों की व्यवस्था की है, कपड़ों की व्यवस्था की है, मध्याह्न भोजन के तहत कुछ भोजन की व्यवस्था हुई है और पांचवीं क्लास ... (व्यवधान) ...
श्री सचिन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूँ कि ... (व्यवधान)
कुंवर हजारीलाल दांगी -- तुम्हारे पिताजी के साथ मैं डायरेक्टर रहा हूँ कॉ-आपरेटिव्ह बैंक में भी, जब वे मंत्री थे, चिंता मत करो, तुम्हारे मैंने वह दिन भी देखे हैं, मुझे वह दिन भी याद है.
श्री सचिन यादव -- मुझे मालूम है.
कुंवर हजारीलाल दांगी -- एक दिन मुझे समय दे दो मैं कांग्रस वालों की सबकी जन्मपत्री बता दूंगा.
एक माननीय सदस्य -- अध्यक्ष महोदय, मैं आप लोगों को बता देना चाहता हूँ कि इन साहब को प्लानिंग के साथ हमने ही भेजा है उधर, वे हमारी प्लानिंग से ही उधर गए हुए हैं.
कुंवर हजारीलाल दांगी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, घबराओ मत, हजारीलाल, अकेला ही बेटिंग करेगा तुमसे. एक बात बता दूँ अध्यक्ष महोदय, राजगढ़ जिले में 5 विधान सभा क्षेत्र हैं, चार में जनता पार्टी के हैं और केवल रह गया है घबरा मत, अगले चुनाव तक उसे भी न लूँ तो मास्टर मत कहना. (हंसी) . अध्यक्ष महोदय, एक निवेदन कर दूं वास्तव में गांव में लड़कियों को स्कूल में पढ़ने नहीं भेजते थे. यह माननीय मुख्यमंत्री जी शिवराजसिंह जी और आदरणीय दीपक जोशी जी की मेहरबानी है कि आज सारी सुविधाएँ बचियों को देने के लिए जो चालू की गयी हैं उसकी बदौलत है कि आज हम जब गांव में दौरे पर जाते हैं तो गांव की बेटियां पांचवीं पास करके छठवीं में जाएगी तो टोलियों के साथ साइकिलों पर बैठकर और धड़ल्ले से पढ़ने के लिए जाती हैं, यह बहुत बड़ी बात है. आज एक बात बता दूं, अपनी बेटियां गांव की बेटियां अगर शहर में जाएंगी, कालेज में पढ़ेंगी तो छात्रावास में रह के आराम से पढ़ रही हैं. आज शिक्षा का स्तर जो बढ़ा है वह माननीय मुख्यमंत्री जी और प्रदेश सरकार की देन है.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- मास्टर साहब,सर्वशिक्षा अभियान कब चला था,आपको मालूम है क्या?
कुंवर हजारीलाल दांगी-- मैंने तो साक्षरता अभियान भी चलाया, सुन लो. मैं आपको बता दूं कि मैं 15 साल तक शिक्षा विभाग में टीचर रहा हूँ, नौकरी से त्यागपत्र देकर जिला पंचायत अध्यक्ष 1994 से 98 तक रहा और इसके बाद मैं कांग्रेस से विधायक बना और दिग्विजयसिंह जी ने बुला के कहा कि मास्टर कांग्रेस ज्वाइन कर ले तो मैंने आकर के ज्वाइन की थी.जिस विधानसभा क्षेत्र से मैं विधायक हूँ.
श्री गिरीश भंडारी-- दिग्विजयसिंह जी को धन्यवाद दो कि मास्टर की जगह आज विधायक हो, नहीं तो मास्टर बन के घूमते रहते. (हंसी)
कुंवर हजारीलाल दांगी-- तू ज्यादा मत बोल, मैं एक बार तुम्हारे यहां चुनाव प्रचार करने जाता तो तुम्हारी फाइल भी निपट जाती. अध्यक्ष महोदय, मैं जिस खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र से जीतकर आया हूँ. इस विधानसभा क्षेत्र में दिग्विजयसिंह जी और प्रियव्रतसिंह जी की तूती बजती थी,जो प्रियव्रतसिंह जी हमारे प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष थे. उनको हरा के आया हूँ, मैं कोई छोटा मोटा आदमी नहीं हूँ, किसान का बेटा हूँ (हंसी) अगली बार तुम्हारा ही नम्बर है
श्री जितू पटवारी-- मैं मास्टर साहब को धन्यवाद देता हूँ मेरे विधानसभा क्षेत्र में भी आपके रिश्तेदार बहुत हैं और आपने वहां आकर कहा कि जितू पटवारी अच्छा लड़का है, मैं यह समझता हूँ, मास्टर साहब मैं सब बात में आपकी इज्जत भी बहुत करता हूँ, आप कांग्रेस के भी थे, आपने मेरे को दाल बाटी भी खिलायी, पर मुख्य बात यह है कि मैं विभीषण नहीं बन सकता.
कुंवर हजारीलाल दांगी-- तम्हारे विधानसभा क्षेत्र को अगली बार देखना, पटवारी जी एक बात बताऊं हजारी मास्टर राष्ट्रीय अध्यक्ष है दांगी समाज का, चिन्ता मत करो पूरे मध्यप्रदेश में डंका तो बजा ही दूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने विधानसभा क्षेत्र की बात कहना चाहता हूँ. मेरे विधानसभा क्षेत्र में माध्यमिक विद्यालय से हाई स्कूल में उन्नयन करने के लिए भंडावत, खारफा, काशीखेड़ी, दोबला, उबाफान, जामौनिया, रनारौव और नानी ऐसे आठ स्कूल को मिडिल स्कूल से हाई स्कूल में उन्नयन करने की जरुरत है. हाई स्कूल से हायर सेकेण्ड्री में घोघटपुर, गागौरनी, जैतपुरा, भानपुरा,भगौरा, खजुरी गोकुल और बामनगांव इन गांवों में हाई स्कूल से हायर सेकेण्ड्री की जरुरत है और जहां बिल्डिंग नहीं है, बैठने की बहुत कमी है, ग्रामीण इलाका है, मेरे राजस्थान से लगा हुआ क्षेत्र है, हाई स्कूल की बिल्डिंग भाटखेड़ा, भानपुरा, जैतपुरा कला, घोघटपुर इन जगहों पर बिल्डिंग के निर्माण की आवश्यकता है और एक निवेदन कर दूं जहां रोड के किनारे मिडिल स्कूल हैं, हायर सेकेण्ड्री स्कूल है वहां बच्चों की सुरक्षा की दृष्टि से हर हालत में बाऊण्ड्रीवाल बनना चाहिए.आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती उषा चौधरी(रैगांव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 का विरोध करती हूँ और कटौती प्रस्ताव के समर्थन पर बोलने के लिए खड़ी हुई हूँ. तमाम् सदन के अन्दर बहुत सारी बातें स्कूल शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा पर चर्चा हुईं. इस देश के अन्दर अंग्रेज न होते तो इस देश के अन्दर बाबा साहब आम्बेडर को संविधान लिखने को नहीं मिलता और संविधान लिखने को नहीं मिलता तो एससी,एसटी और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए शिक्षा नीति नहीं बनती. इस देश के अन्दर बाबा साहब आम्बेडर ने जो संविधान लिखा, आज स्कूल शिक्षा में हम देखते हैं, गीता की बात, महाभारत की बात की जाती थी, पाठ्यक्रम में होना चाहिए लेकिन इस देश के संविधान निर्माता बाबा साहब आम्बेडकर का पाठ्यक्रम स्कूल शिक्षा में नहीं है उनका भी जोड़ा जाना चाहिए और इस देश के अन्दर जब 26 जनवरी स्कूलों में मनायी जाती है, जिस दिन बाबा साहब आम्बेडकर ने 1950 में इस देश का संविधान पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपे थे उस दिन बाबा साहब की तस्वीर रखनी चाहिए लेकिन उसमें बाबा साहब की तस्वीर नहीं रखी जाती है और महापुरुषों की रखी जाती है. स्कूल और प्राथमिक शालाओं के अन्दर कक्ष बने होते हैं तो सभी महापुरुषों के नाम से कक्ष बने होते हैं लेकिन बाबा साहब आम्बेडकर के नाम से कोई कक्ष नहीं होता, न ही सचिवालय रहता. इस देश के अन्दर अभी हमने देखा कि राष्ट्रीय महिला सशक्तीकरण की सभा बुलायी गयी दिल्ली के अन्दर, अभी हमारी बहन अंग्रेजी की बात कर रही थी कि अंग्रेजी का विरोध होना चाहिए लेकिन जो लोग अंग्रेजी का विरोध करते हैं वही लोग इंग्लिश स्कूलों में कान्वेंट स्कूलों में अपने बच्चों पढ़ाने का काम करते हैं और सरकारी स्कूलों में क्या व्यवस्था है, इस समय क्षेत्र में अगर आप जाएं तो देखने को मिलेगा. न तो बच्चों के खाते में ड्रेस का पैसा जाता है, न तो उनको स्कालरशिप ठीक से मिल पा रही है, स्कालरशिप के लिए बच्चे जाति प्रमाणपत्र के लिए तरसते हैं, तमाम् लाइन लगा के उनके मां बाप घूमते रहते हैं मजदूरी छोड़कर और आज इस देश के अऩ्दर जिसने महिलाओं को पढ़ने लिखने का अधिकार दिया, 1832 में महात्मा ज्योतिबा राव फूले की पत्नी मां सावित्रीबाई फूले ने पहला विद्यापीठ उस जमाने में पूना में खोला, जिस जमाने में छुआछूत, ऊंचनीच, भेदभाव, जातिपाति चरम-सीमा पर था, ऐसे माता सावित्रीबाई फूले की तस्वीर स्कूलों के अन्दर नहीं होती है इसलिए आज अंग्रेजी की बात करते हैं. मैं तो कहती हूँ, छठवीं क्लास से मैंने एबीसीडी पढ़ा, जब महिला कांफ्रेस हो रही थी तो वहां सारा कांफ्रेंस अंग्रेजी में हुआ. हमें आधा समझ में ही नहीं आया. इसलिए मैं कहना चाहती हूँ कि आज प्राथमिक शिक्षा केन्द्र में, माध्यमिक शाला में इन महापुरुषों के नाम से पाठ्यक्रम होने चाहिए और इनके बारे में भी बताना चाहिए कि किसने हमें पढ़ने लिखने का अधिकार दिया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या और अपने क्षेत्र की बातों को कुछ कहना चाहूंगी.प्रायवेट स्कूलों में जो आरक्षण की बात हमारे कुछ विधायक और मंत्री साथी कह रहे थे, प्रायवेट स्कूलों में जो आरक्षण 25 परसेंट है, अगर जांच कराया जाए,दिखवाया जाए तो फर्जी एडमीशन किये गये हैं, प्रायवेट स्कूलों में एसी, एसटी के लोगों को, उनके अभिभावकों को भगा दिया जाता है लेकिन क्राइस्ट ज्योति स्कूल को छोड़कर पूरे कान्वेन्ट स्कूलों में एक भी बच्चा अगर एससी,एसटी का मिल जाए तो आप उसमें जांच करवा लें. इस नीति की भी जांच कराने की आवश्यकता है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में प्रायवेट स्कूलों में पूंजीपति लोग पढ़ते हैं और सरकारी में नहीं पढ़ते हैं. मेरे क्षेत्र में मोहारी शासकीय पाठशाला है, जो नागौद ब्लाक में आती हैं, उसमें माध्यमिक शाला को हाईस्कूल में परिवर्तित किया जाए और वहां पानी की व्यवस्था की जाए, वहां शौचालय भी नहीं है तो इन स्कूलों में पानी की टंकी बनवाकर नल लगवाकर शौचालय की जाए. ग्राम पंचायत रौणं में 2007‑08 में हाईस्कूल संचालित की गयी थी और 2012 में हायर सेकेण्ड्री स्कूल संचालित की गयी लेकिन आज तक वहां भवन निर्माण नहीं किया गया, वहां के बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ाई करते हैं, कई बार पत्र लिखा गया पर बिल्डिंग नहीं है, सभी माध्यमिक शाला में हाईस्कूलों में, हायर सेकेण्ड्री स्कूलों में टेबिल कुर्सी उपलब्ध करायी जाए ताकि वहां के गरीब बच्चे, एससी.एसटी के बच्चे सरकारी स्कूल की हालत सुधर सकें.आपने बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती सरस्वती सिंह(चितरंगी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 का विरोध करते हुए मैं अपनी बात रखना चाहती हूँ. मैं सिंगरौली जिले से मैं अपने चितरंगी विधानसभा की ओर से मांग रखना चाहती हूँ, सुल्खानखुर्द में पश्चिम टोला में आदिवासी बस्ती है एवं साहू बस्ती हैं वहां पर एक प्राथमिक स्कूल खोला जाना जरुरी है. ग्राम पीपरी में जगरैला टोला में आदिवासी बस्ती में माध्यमिक शाला वहां बहुत ही जरुरी है क्योंकि बच्चों को बहुत दूर शिक्षा लेने के लिए जाना पड़ता है. वहां प्राथमिक विद्यालय रैहदा में माध्यमिक विद्यालय उऩ्नयन करना चाहिए, उन्नयन करने की स्थिति में है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि प्राथमिक विद्यालय में बाऊण्ड्री वाल की अति आवश्यकता है जो रोड के किनारे बने हुए है, वहां आये दिन दुर्घटनाएँ होती रहती हैं. मैं माननीयय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि मेरे चितरंगी विधानसभा में एक माडल स्कूल जो स्वीकृत हुआ था और केन्द्र द्वारा पैसा भी आया था, जिसको वापस ले लिया गया है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि वे आज इस सदन में मॉडल स्कूल का भवन बनवाने का आज ही आदेश दे दें, याने स्वीकृत किया जाए और बहुत सारे स्कूल जो हमारे माध्यमिक स्कूल हैं, प्राथमिक स्कूल हैं, जिनकी छत जर्जर हो गई हैं, गिरने की स्थिति में आ चुकी हैं. उनको भी सुधारने के लिए भी इस बजट में प्रावधान किया जाए. धन्यवाद.
श्री विष्णु खत्री(बैरसिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 के समर्थन में अपनी बात रखता हूँ. अध्यक्ष महोदय, संस्कृत के एक सुभाषित का अर्थ है, विद्या विनय को देती है, विनय से योग्यता आती है, योग्यता से धन और धन से धर्म और अंत में सुख की प्राप्ति होती है. अध्यक्ष महोदय, व्यक्ति सुखी तब कहलाएगा कि जब वह स्वस्थ होगा और वह स्वस्थ रहे इसके लिए कहीं न कहीं हमें इस दिशा में भी शिक्षा के अन्दर विचार करने की आवश्यकता है. मैं शिक्षा विभाग और माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होंने युगदृष्टा स्वामी विवेकानंद जी की जयन्ती पर सूर्य नमस्कार जैसे कार्यक्रम का आयोजन सरकार कर रही है. इससे कहीं न कहीं हमारे विद्यार्थियों में सूर्य नमस्कार के माध्यम से अपने आपको स्वस्थ रखा जा सकता है. अध्यक्ष महोदय, आयुर्वेद में एक ऋषि हुए हैं बागभट्ट जी उन्होंने दो ग्रंथ लिखे हैं एक अष्टांक संग्रह और अष्टांक हृदय उसके अन्दर उन्होंने ऋतुचर्या और दिनचर्या इस पर काफी विस्तार से लिखा है. मेरा आग्रह यह है कि हम कहीं न कहीं अपने पाठ्यक्रम में इन चीजों का समावेश करें. जिससे कि हमारे विद्यार्थी अन्य चीजों के साथ में अपने आपको स्वस्थ रखने और किस प्रकार से स्वस्थ रखा जा सके यह अपने जीवन के अन्दर व अपनी दिनचर्या में उतार सकें. अध्यक्ष महोदय, आयुर्वेद में रोग के मूलतः तीन कारण बताए गए हैं. वात, पित्त और कफ और ऐसी कई वस्तुएँ हैं जिनका हम दिनचर्या में उपभोग करके इनसे बचा जा सकता है. अध्यक्ष महोदय, गुड़ और शहद, सोंठ अदरक, ये कफ का शमन करते हैं. पित्त का शमन, घी बहुत बड़ा कारक है उसका, अध्यक्ष महोदय, मेरे कहने का आशय यह है कि विश्व का सबसे ज्यादा युवा भारत में रहता है. ये स्वस्थ हो तभी शक्तिशाली भारत होगा.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री विष्णु खत्री-- अध्यक्ष महोदय, इसके लिए आवश्यक है कि हम हमारे पाठ्यक्रम में इन दिन चर्या और ऋतु चर्या से संबंधित इन विषयों का हम समावेश करें.
अध्यक्ष महोदय-- आ गई आपकी सलाह.एक ही विषय में समय निकाल दिया.
श्री विष्णु खत्री-- अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र के बारे में कहना चाहता हूँ कि हमारे क्षेत्र में 4 मिडिल स्कूल का हाई स्कूल में उन्नयन हुआ है. उसके लिए मैं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ. इसके साथ में हमारे क्षेत्र में बैरसिया विधान सभा का सोहाया, नायसमंद, रतुआ और धमर्रा, ये हाईस्कूल से हायर सेकंडरी में उन्नयन की पात्रता रखते हैं. मैं मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि वे इस बजट में इसका समावेश करें. ऐसे ही हमारे जो मिडिल स्कूल हैं जो हाईस्कूल में उन्नयन की पात्रता रखते हैं. उसमें डुंगरिया, लाम्बाखेड़ा, बरखेड़ा बरामद, कढैया चंवर, सुकलिया, झिरनिया, बागसी और धतूरिया. अध्यक्ष महोदय, मैं एक संस्कृत के सुभाषित के साथ अपनी बात समाप्त करूँगा. जो इस प्रकार है---
शस्त्रे हताशु पुरूषा, ना हता भवंति, प्रज्ञा हताशु नितराम् स्वयता भवन्ति,
शस्त्रे हताशु पुरुषस्य, शरीर में कम, प्रज्ञा राजा, कुलंच बेवंच हंति.
अध्यक्ष महोदय, शस्त्र से एक व्यक्ति को मारा जा सकता है. लेकिन बुद्धि से राजा का प्रजा सहित और उसके बेवम् का विनाश किया जा सकता है. आदरणीय दीदी जो बात कह रही थीं कि लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति ने इस देश में वही काम किया है और उसका परिणाम जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में जो छात्र राष्ट्र विरोधी नारे लगा रहे हैं ये उसका परिणाम आज दिखाई देता है. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- श्री यादवेन्द्र सिंह, श्री प्रताप सिंह....
श्री यादवेन्द्र सिंह-- (अनुपस्थित)
श्री प्रताप सिंह-- (अनुपस्थित)
श्रीमती ममता मीना(चाचौड़ा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 के समर्थन में खड़ी हुई हूँ. मैं माननीय मंत्री जी को और माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत बधाई देती हूँ कि जिस दिन से भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश में बनी है उस दिन से शिक्षा में हमारे बालक और बालिकाओं में तथा गाँव के अभिभावकों में भी शिक्षा के प्रति काफी उनका रुझान बढ़ा है. आज हम देख सकते हैं किसी भी स्कूल में जाकर देखें, जैसा अभी हमारे पूर्व वक्ताओं ने कहा जब छुट्टी होती है तब लड़का और लड़कियों की साइकिलों की लाइन लग जाती है, लोगों का इस पार से उस पार निकलना मुश्किल हो जाता है और मध्यान्ह भोजन योजना एक इतनी अच्छी योजना चलाई है जिसमें हमारे बच्चों का आने जाने में समय बच जाता है और उनकी शिक्षा के प्रति विशेष रुचि हो जाती है. अध्यक्ष महोदय, शिक्षा के बारे में हमारे सभी काँग्रेसी भाई उस समय की बात कर रहे हैं जब शिक्षाकर्मी हुआ करते थे. अब माननीय मुख्यमंत्री जी ने अध्यापक और सहायक अध्यापक बनाकर एक सम्मानजनक स्थान दिया. अब शिक्षा के क्षेत्र में हमारे बालक, बालिकाएँ, सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते हैं और हम लोग भी जब जाते हैं तो हमारी लड़कियाँ आकर कहती हैं कि दीदी, हमारा 10 वीं तक स्कूल है आप उसे 12 वीं तक करवा दो या 8 वीं तक स्कूल है तो वे कहती हैं आप उसे 10 वीं तक स्कूल करवा दो. कहीं न कहीं सरकारी स्कूल में शिक्षा के प्रति हमारे बालक और बालिकाओं का जो रुझान बढ़ा है, जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार तीसरी बार बनाई है, 12 साल में जो रुझान बढ़ा है, वैसा रुझान पहले नहीं था. हमारे माननीय सदस्य उस समय का ही रुझान बता रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, आज गणवेश के तौर पर, क्योंकि गणवेश एक सुन्दर, जैसे काजल, बिन्दी लगी हुई एक स्त्री होती है उसी तरह से हमारे बच्चे-बच्चियाँ जब सुन्दर ड्रेस पहन कर जाते हैं तो लगता है कि हाँ जब एक सुन्दर ड्रेस में वे निकलते हैं तो लगता है कि हाँ ड्रेस कोड के साथ निकल रहे हैं और उनके स्कूल का भी एक अनुशासन दिखाई देता है. हमारे बच्चों को छात्रवृत्ति मिलती है तो बच्चों को भी एक प्रोत्साहन मिलता है. अध्यक्ष महोदय, मैं जानती हूँ कि समय कम है क्योंकि मेरा नंबर थोड़ा सा देर से लगता है..
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्रीमती ममता मीना-- मैं बहुत कुछ बोलना चाहती हूँ. अध्यक्ष महोदय, हमारे यहाँ सूखा का जायजा लेने के लिए मेडम मुखर्जी गई थीं उस समय लड़कियाँ आ गई थीं, अनुसूचित जनजाति बालिका छात्रावास है तो उसका भवन काफी जर्जर है तो मैं यह चाहती हूँ कि उमारथाना में माननीय मंत्री जी आप एक नये भवन की स्वीकृति दें क्योंकि वह बहुत जरूरी है. इसी तरह से चाचौड़ा में कन्या हायर सेकंडरी स्कूल है वह भी काफी जर्जर हालत में है तो नवीन भवन की स्वीकृति मंत्री जी से चाहती हूँ. इसी तरह से सानई में नवीन हाई स्कूल स्वीकृत किया जाए क्योंकि वहाँ हाईस्कूल नहीं है, काफी बड़ा क्षेत्र है. इसी तरह से ग्राम उकावद और ग्राम नसीरपुर में नवीन हायर सेकंडरी स्कूल खोला जाए क्योंकि याचिका के माध्यम से भी आ गया है. मैंने माननीय मंत्री जी से भी निवेदन कर लिया था. इसी तरह से मकसूदनगढ़ बालक माध्यमिक शाला यह भी काफी क्षतिग्रस्त है. इसका भी नवीन भवन स्वीकृत किया जाए. इसी तरह से मकसूदनगढ़ में बालकों के लिए तो 12 वीं तक का स्कूल है लेकिन बालिकाओं के लिए नहीं है तो मकसूदनगढ़ में भी नवीन 12 वीं तक की स्कूल किया जाए तो उनको शिक्षा के लिए काफी सुविधा रहेगी क्योंकि....
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्रीमती ममता मीना-- 40-50 किलोमीटर दूर पढ़ने जाना पड़ता है क्योंकि शिक्षा के लिए हमारे मध्यप्रदेश की सरकार इतना बढ़ावा दे रही है इसलिए हमारे जितने भी मैंने नवीन बताए ये खोले जाएँ. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- (अनेक माननीय सदस्यों द्वारा बोलने हेतु निवेदन किये जाने पर) माननीय सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि वे सहयोग करेंगे. बहुत चर्चा हो चुकी. (अनेक माननीय सदस्यों द्वारा एक एक मिनट ही का समय मांगे जाने पर ) नहीं बोलते एक एक मिनट. पहले भाषण देते हैं फिर अपने क्षेत्र की बात रखते हैं. सिर्फ अपने अपने क्षेत्र की बात रखेंगे.
श्री अमर सिंह यादव (राजगढ़)-- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 एवं 40 के समर्थन में मैं बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में श्वसरा, भूमरिया, किलखेड़ा, जलालपुरा, सिंदुरिया, खजूरी इनका माध्यमिक विद्यालय से हाई स्कूल में उन्नयन किया जाये. भोजपुर, किला अमरगढ़ हाई स्कूल से हायर सेकेण्डरी स्कूल में उन्नयन किया जाय.
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऊषा दीदी ने जो पढ़ा है उसे मेरी तरफ से भी पढ़ा हुआ माना जाये उसमें सिर्फ एक ही चीज जोडूंगा, क्षेत्र की मैंने मंत्रीजी को सूची दे दी है. शिक्षा के विषय को लेकर आज सदन में चर्चा कर रहे हैं. प्राथमिक शिक्षा से हमारी शुरुआत होती है. पंडित दीनदयान शोध संस्थान में आप जाकर देखेंगे नाना भाऊ ने नन्ही दुनिया बनाई है उसको देखकर यदि तहसील स्तर पर हम एक विद्यालय खोल पायेंगे तो मैं समझता हूं हम प्रदेश में एक नई शिक्षा की शुरुआत करेंगे. बच्चों को आज कुछ चीजों के बारे में जानकारी नहीं होती है वह हम दे पायेंगे मेरा इतना ही विषय है.
श्री आशीष शर्मा (खातेगांव)-- अध्यक्ष महोदय, पहले पांचवी और आठवीं की परीक्षा बोर्ड की हुआ करती थी उसे पुन: प्रारंभ किया जाय बोर्ड से हटाने के कारण शिक्षा के स्तर में कमी आई है. जो निशुल्क गणवेश वितरण कर रहे हैं उसमें बच्चों को गणवेश दिया जाये, सायकल की राशि की जगह सायकल दी जाये. बच्चों में नैतिक शिक्षा के विकास के लिए, अनुशासन के विकास के लिए, शारीरिक दक्षता के विकास के लिए स्काउट गाइड की गतिविधियां विद्यालय में चलती हैं लेकिन उसका शुल्क लेना आजकल बंद हो गया है उसका शुल्क सरकार दे ताकि स्काउट की गतिविधियां स्कूलों में अच्छे से चलें. मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक संस्कृत स्कूल की मांग में कर रहा हूँ, दो हाई स्कूल का उन्नयन करवाना चाहता हूँ डेहरिया और गुढ़बेल और हायर सेकेण्डरी में संदलपुर, सवासड़ा और राजौर नवीन शैक्षणिक सत्र से प्रारंभ हो. आपने बोलने का अवसर दिया उसके लिये धन्यवाद.
श्री गिरीश भण्डारी (नरसिंहगढ़)-- अध्यक्ष महोदय, दो चीज रखना चाहता हूँ. युक्तियुक्तकरण ठोस तरीके से होना चाहिए इसके लिए ऐसी नीति बनाई जाए जिसमें कोई राजनीतिक दखल नहीं हो और युक्तियुक्तकरण पूरे प्रदेश में किया जाए ताकि जहां शिक्षकों की कमी है वहां शिक्षकों की पूर्ति हो सके शिक्षक गांव में जाना नहीं चाहते हैं शहरों में पूरे शिक्षक हैं गांव में शिक्षा व्यवस्था गड़बड़ हो चुकी है. मैं अपने क्षेत्र की बात रखना चाहता हूँ मेरे विधान सभा क्षेत्र में अनेकों हाई स्कूल हैं जिनका हायर सेकेण्डरी स्कूलों में उन्नयन होना अति आवश्यक है कुंवर कोटरी, लश्करपुर. जो माध्यमिक विद्यालय हैं जिनका हाई स्कूल में उन्नयन होना है वे हैं महुआ, बरखेड़ाडोर, लसूड़िया हाजी. जो हायर सेकेण्डरी और हाई स्कूल हैं जिनको दो-दो साल खुले हुए हो गए हैं वहां भवन की आवश्यकता है कृपया वहां पर भवन स्वीकृत करने का कष्ट करें. आपने बोलने का मौका दिया धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पंवार (ब्यावरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ब्यावरा शहर की आबादी करीब 60 हजार है वहां कन्या शाला पूर्व से संचालित है लेकिन भवन की व्यवस्था आज तक नहीं है जर्जर भवन में कक्षाएं लग रही हैं नये भवन बनाये जावें. वहां एक अतिरिक्त कन्या हाईस्कूल की ब्यावरा में अत्यंत आवश्यकता है वहां का क्षेत्रफल काफी बड़ा हो चुका है. सुठालिया में कन्या हाई स्कूल है उसे हायर सेकेण्डरी में परिवर्तित करने की आवश्यकता है. ग्राम गागाहोनी, आगर, पीपरेरा, कन्या सुठालिया, आनन्दलेडा, किद्दोराड, मऊ, सीलखेडा, बेरसिया, नापानेरा, बारवां ऐसे स्कूल हैं जिनको हाई स्कूल को हायर सेकेण्डरी में परिवर्तित करना जरुरी है. कुछ ऐसे माध्यमिक विद्यालय हैं जिनका हाई स्कूल में उन्नयन करने की आवश्यकता है टोंका, तालोड़ी, बरगया, तरैना, नीनोर, रामगढ़, मोया, खुरी और कचनारया. ग्राम सेमलापार में पिछली बार हाई स्कूल खुला लेकिन भवन की अत्यंत आवश्यकता है वहां बाहर बच्चे बैठते हैं. यह कुछ महत्वपूर्ण मांगे हैं इन्हें स्वीकृति दिलाने का कष्ट करें.
श्री रामलल्लू वैश्य (सिंगरौली)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 का समर्थन करता हूँ. जिला सिंगरौली के अऩ्तर्गत जिला मुख्यालय में दो वर्षों से विद्यालय का उन्नयन नहीं हुआ है यह औद्योगिक क्षेत्र है,कोयला परियोजनाएं हैं, विद्युत परियोजनाएं हैं वहां अतिआवश्यक है इसलिए मैं अपने क्षेत्र के विद्यालयों के उन्नयन के बारे में बात करुंगा. माध्यमिक शाला से हाई स्कूल नवानगर, सासन, गोहा, करोंटी, अमहरा, छिंगुरदा, ऊर्ती और हाई स्कूल कन्या पजरे को हायर सेकेण्डरी, हाई स्कूल देवरी डांड को हायर सेकेण्डरी, हायर स्कूल चाचर को हायर सेकेण्डरी और हाई स्कूल हर्रहवा को हायर सेकेण्डरी में उन्नयन किया जाये. माननीय मंत्रीजी से इतना आग्रह करूंगा कि पिछले साल भी उन्नयन नहीं हुआ था इस साल करवा दें. शिक्षा ही जीवन को अंधेरे से उजाले की ओर ले जाती है. वहां की बालिकाओं के लिए मेरा एक सुझाव है कि प्रत्येक 10 किलोमीटर क्षेत्र में कन्याओं के लिए पढ़ने के लिए विद्यालय का प्रावधान रखा जाये. धन्यवाद.
चौधरी चन्द्रभान सिंह (छिन्दवाड़ा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्कूलों में खेलकूद की बहुत ज्यादा गतिविधियां नहीं होती हैं जिसके कारण छोटे-छोटे बच्चों को डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हृदय से संबंधित बीमारियां हो रही हैं. यदि रस्सी कूद सभी स्कूलों में लागू कर देंगे तो उसमें सरकार को कोई व्यय भार भी नहीं आएगा और बच्चे स्वस्थ रहेंगे. प्रायमरी स्कूल से यह व्यवस्था लागू कर देंगे तो बच्चे स्वस्थ रहेंगे ऐसा माननीय मंत्री जी से निवेदन है.
श्री सुखेन्द्र सिंह--कांग्रेस के जमाने में होती थी इसलिये सभी स्वस्थ हैं अब नहीं होती है.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा (शुजालपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी को एक ही सुझाव देना चाहता हूँ इसी सदन में काशीनाथ त्रिवेदी शिक्षा मंत्री हुआ करते थे आज नहीं हैं लेकिन उन्होंने शिक्षाविद गीजू भाई की पुस्तक का हिन्दी अनुवाद किया है. उन्होंने कहा था कि विद्यालय में एक जैसी घंटी टन-टन-टन बजती है छूटने की और लगने की परन्तु बच्चों को आनंद किसमें आता है मैं समझता हूँ कि पूरा सदन इस बात से सहमत होगा कि छूटने की घंटी में आनंद आता है. गीजू भाई कहते हैं कि जहां छूटने की घंटी आनंद देती है वह शिक्षा का मंदिर नहीं है वह जेल है क्योंकि जेल जाने में मजा आता है यह छूटने में मजा आता है. उनका कहना यह था कि विद्यालय जेल न बनें. गीजू भाई ने विद्यालय को लेकर जो छोटे-छोटे प्रयोग किये हैं उनका काशीनाथ जी ने हिन्दी में बड़ा सार्थक हिन्दी अनुवाद किया है वे पुस्तक यदि विद्यालय में चलें. उन्होंने शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए तनावमुक्त शिक्षा देने का काम किया है.
अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में सिमरौल, नवालाया, रायपुर, झाड़ला और इख्तयारपुर पांच हाई स्कूल करने योग्य हैं और मोहम्मद खेड़ा हायर सेकेण्डरी कर देंगे. शुजालपुर जैसा बड़ा शहर है वहां केवल उत्कृष्ट विद्यालय है वहां दूसरा कोई विद्यालय नहीं है उनके पढ़ने की वहां व्यवस्था नहीं है उनको मजबूरी में किसी प्रायवेट स्कूल में पढ़ना पड़ता है वहां ऊंचे अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों के अलावा किसी को अवसर नहीं मिलता है वहां यदि एक हायर सेकेण्डरी विद्यालय मिलेगा तो बहुत अच्छा रहेगा. धन्यवाद.
डॉ रामकिशोर दोगने (हरदा):- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां हाई स्कूल से हायर सेकेण्डरी करने के लिये चार पांच स्कूल हैं, एक खावापड़वा,नयापुरा, बालागांव, रसलपुर, छिपावड़, खमला और पेठकलां हैं इनको हाई स्कूल से हायर सेकेण्डरी कर दिया जाये. इसी प्रकार से मीडिल स्कूल से हाई स्कूल के लिये कुछ नाम हैं वह मैं आपको बताता हूं वह हैं जटपुरामाल, कड़ोलाराघव, लोधियाखेड़ी, बड़नगर, कायागांव, आदमपुर, इंडिया, कुकरावद, सालियाखड़ी, जामली, नांदरा, दंदवाड़ा, रातातलाई, रोलगांव और प्रतापपुरा इनका उन्नयन कर देंगे तो काफी मेहरबानी होगी, यह निवेदन मैं माननीय मंत्री जी से करना चाहता हूं.
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा(श्री दीपक जोशी) :- माननीय अध्यक्ष महोदय, शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग को आज सदन ने बहुत गंभीरता से और बहुत वैचारिक स्तर पर चर्चा करते हुए अपनी बातों को रख है. सम्माननीय श्री कमलेश्वर पटेल जी ने इस विषय की शुरूआत की थी. सम्मानीय श्री हेमन्त खंडेलवालीजी , श्री शैलेन्द्र पटेल जी, श्री गोविन्द सिंह जीपटेल श्री फुन्देलाल सिंह जी मार्कों, श्री बहादुर सिंह जी चौहान, श्रीमती शीला त्यागी, श्री सुन्दरलाल तिवारी, श्री वीरसिंह पंवार, श्री सचिन यादव, श्री सुदर्शन गुप्ता, श्री हरदीप सिंह डंग, श्री के.के. श्रीवास्तव, श्री सुखेन्द्र सिंह जी, श्री इन्दर सिंह परमार, श्रीमती चन्द्रा सुरेन्द्रसिंह गौर, सुश्री ऊषा ठाकुर, श्रीमती झूमा सोलंकी ,श्री हजारी लाल जी दांगी, श्रीमती ऊषा चौधरी, श्रीमती सरस्वती सिंह, श्री विष्णु खत्री, श्रीमती ममता मीणा, श्री अमर सिंह यादव, श्री कैलाश जाटव,श्री आशीष शर्मा, श्री गिरीश भंडारी, श्री नारायण सिंह पंवार, श्री रामलल्लू वैश्य, चौधरी चन्द्रभान सिंह जी, श्री जसवंत सिंह जी हाड़ा और श्री रामकिशोर जी दोगने ऐसे 32 सदस्यों ने इस सामयिक विषय पर अपने विचार व्यक्त किये. माननीय अध्यक्ष महोदय, शिक्षा का मूल ध्येय और मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग का नारा '' सब पढ़े, सब बढ़े'' यह केवल कागजों तक सीमित नहीं है. अध्यक्ष महोदय, किसी शायर ने बहुत पहले कहा था कि '' नहीं मालूम काबा या कलेशा या बुत खाना, बस इतना याद है, बच्चे सीखते थे वहां पढ़ना'' यह बात मध्यप्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने ध्येय के साथ कहीं न कहीं जोड़ा है. हम स्कूल को सिर्फ सरकारी इमारत नहीं मानते बल्कि स्कूल को प्रदेश को सरकार की नींव का आधार मानते हैं. सन 1967 में शिक्षा में सुधार के लिये जब कोठारी आयोग बना था तब सम्मानीय डी.एस.कोठारी जी ने भी कहा था कि भविष्य का निर्माण उसके अध्ययन कक्षों में हो रहा है और इन अध्ययन कक्षों की चिंता मध्यप्रदेश की सरकार ने उतनी गंभीरता से की जितनी श्रद्धा से कम मंदिर, मस्जित और चर्च को देखते हैं. शिक्षा जैसे पुनीत कार्य को आम आदमी तक पहुंचाने का कार्य सरकार ने अपने ध्येय के साथ जोड़ा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, 1972 में एक बालक बहुत छोटे के गांव से भोपाल पढ़ने के लिये आता है और पढ़ने आने के साथ वह बालक कक्षा नवमीं में भोपाल के एक शासकीय विद्यालय में अपना प्रवेश लेता है और प्रवेश लेने के साथ आज जिस माध्यमिक शिक्षा मण्डल की बात भी आज हम इस इस बजट में करने जा रहे हैं, उसी माध्यमिक शिक्षा मण्डल की एक कालोनी रविशंकर नगर में गैरिज के अंदर अपनी शिक्षा की शुरूआत करता है, अपने हाथ से रोटी बनाना और रोटी बनाकर , स्कूल जाना और स्कूल जाकर वापस घर आकर पढ़ाई के लिये तैयार होना. सन 1972 मैं जब नौवीं से पढ़ाई की शुरूआत करता है, ग्यारहवीं सन् 1975 उस समय आप सबको याद होगा आपातकाल जैसा काम इस देश में हुआ था उस समय यह बालक तरूण अवस्था में शासकीय माडल हायर सेकेण्डरी स्कूल भोपाल का छात्रसंघ का अध्यक्ष था, इस बालक ने देखा की किस प्रकार संविधान का माखौल उड़ाया जा रहा है,उस व्यवस्था के विरूद्ध खड़ा हुआ था और इस बालक ने इमरजेंसी का विरोध किया. जिस समय बहुत ही भयानक स्थिति इस प्रदेश में भी, विपक्ष के नेताओं को एक एक करके जेल में ठूस दिया गया था प्रेस की आजादी छीन ली गयी थी. उस समय यह बालक कहीं न कहीं तैयार होकर मजबूती के साथ लोकतंत्र की रक्षा के लिये जुटा था और लोकतंत्र के पक्ष में परचे फेंकते हुए तात्कालीन सरकार द्वारा इसको गिरफ्तार किया गया था. जिस समय पढ़ाई करना था पेन हाथ में रखना था, उस समय इस बालक को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया. जेल में रहकर इस नौजवान ने जो कुछ सिखा, जो कुछ पढ़ा उन्होंने गीता का अध्ययन किया उन्होंने बाइबिल कुरान को पढ़ा क्योंकि वह अपनी बातों में बताते हैं. जब यह नौजवान 1977 में जेल से छुटकर आता है तो परिदृश्य बदल गया था. केन्द्र और राज्य में परिवर्तन बदल गया था. इस परिवर्तन के साथ यह नौजवान अखिल भारतीय विद्यार्थी जैसे राष्ट्रवादी संगठन के साथ जुड़कर छात्र शक्ति, राष्ट्रशक्ति का नारा बुलंद करके हुए छात्रों को नई दशा और दिशा देने के लिये तैयार हुआ था. यह नौजवान यही नहीं रूकता है. इसने छात्रों के हित में लम्बे लम्बे आंदोलन किये. छात्रों और महाविद्यालय के हित में बड़ी लड़ाईयां लड़ी. इसके साथ ही जब यह राजनीति से जुड़ता है तो इसने पंडित दीनदयाल जी के उस वाक्य को जिसमें अंत्योदय सम्मिलित था,अटल जी के उस वाक्य को जिसमें चरमिती चरमिती सम्मिलित था उस वाक्य को अपना ध्येय बनाते हुए राजनीति में कदम रखा और राजनीति में कदम रखने के साथ यह नौजवान जब प्रदेश का मुखिया 2005 में बनता है तो बनते ही सबसे पहले ही अगर किसी विभाग की सुध लेता है वह शिक्षा विभाग है. क्योंकि वह जानता था कि गांव से आकर पढ़ना रोटी बनाना और खाना बनाना और उसके बाद पढ़ाई करना किस प्रकार की व्यवस्था में पढ़ाई की गयी वह इस चीज से बहुत अच्छी तरह से वाकिफ थे हमारे मुख्यमंत्री जी, इसलिये मैं आज इस मुखिया के आधार पर और सरकार के ध्येय के आधार पर सदन को आशवस्त करना चाहता हूं कि शिक्षा विभाग निश्चित रूप से उस स्वर्णिम मध्यप्रदेश की ओर अग्रसर हो रहा है, जिसकी की कल्पना हमारे मुख्यमंत्री जी ने की है. अभी हमारा बजट 9646.59 करोड़ का था. लेकिन अब यह 9942.27 करोड़ का अनुमानित है. इस बजट में अगर समस्त विभागों की मांग मान ली जाए, सभी को मिला लिया जाए जो अलग अलग विभागों से हमको मिलती है तो पिछली बार यह बजट हमारे पास था15749. 46 करोड़ का, इस वर्ष यह हो गया है 20939. 54 करोड़ का लगभग 33 प्रतिशत की वृद्धि पूरे बजट का 12 प्रतिशत शिक्षा विभाग पर खर्च हो रहा है. वह भी हमारे स्कूल शिक्षा विभाग पर. यह मध्यप्रदेश सरकार की वृद्धि है. मैं किसी प्रकार की बुराई नहीं करता हूं. सबने शिक्षा के लिये काम किया अच्छा काम किया लेकिन बात आती है कि 2003 और 2003 के पहले तो यह आंकड़े बताते हैं वर्ष 2003 के प्रवेश में मध्यप्रदेश में मध्यप्रदेश में 54336 प्राथमिक विद्यालय थे, लेकिन 2014-2015 में यह प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 83890 लगभग 42 प्रतिशत की वृद्धि. वर्ष 2003 में मात्र 18801 शासकीय प्राथमिक शालाएं हुआ करती थी, वर्ष 2014 -15 में यह हो गयी 30341, यह वृद्धि भी हमारे शासनकाल में हुई है. 2003-04 में प्रदेश में हाई स्कूलों की संख्या थी 1704 ..
घोषणा
अध्यक्ष महोदय:- माननीय सदस्यों के लिये स्वल्पाहार की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गयी है. जिन सदस्यों ने नहीं किया हो, उनसे अनुरोध है कि कृपया सुविधानुसार स्वल्पाहार ग्रहण करने का कष्ट करें.
............वर्ष 2003-04 में प्रदेश में हाईस्कूलों की संख्या 1704 थी जो बढ़कर 2843 हो गई. हायर सेकेण्डरी स्कूलों की संख्या बढ़कर 2873 हो गई. लगभग 40-45 प्रतिशत की इन स्कूलों की वृद्धि विगत दस वर्षों में की गई. सर्वशिक्षा अभियान के माध्यम से भी बहुत से काम हुए लेकिन जिस स्कूल चलो अभियान के बारे में कुछ सदस्यों ने उंगलियां उठाई थीं मैं उनको बताना चाहता हूं कि स्कूल चलो अभियान को एक जनआंदोलन के रूप में माननीय मुख्यमंत्री जी ने लिया. मुख्यमंत्री जी का स्पष्ट कहना है कि सरकार के भरोसे रहकर सब काम नहीं किये जा सकते इसलिये आम समाज को जोड़ने का काम उन्होंने प्रेरक साथियों के माध्यम से किया और इसके साथ उस वर्ग की सुधि ली जिसके बारे में कभी कोई सोच नहीं सकता था कि वे शिक्षा तक पहुंच सकते हैं. भीख मांगने वाले बच्चे,पन्नी बेचने वाले बच्चे,अनाथ बच्चे इनको पकड़-पकड़ कर चिन्हित करके 15 आवासीय छात्रावासों के माध्यम से लगभग हम आज चार हजार बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था कर रहे हैं यह मुख्यमंत्री जी के सपनों से जुड़ा हुआ है. आज हमारे अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग की बालिका शिक्षा के बारे में भी पूछा गया. 207 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और 324 बालिका छात्रावास के माध्यम से इसमें लगभग 52 हजार बालिकाएं लाभान्वित हो रही हैं. कक्षा 9 से 12 वीं तक के छात्रों के लिये 201 छात्रावास संचालित हैं जिसमें लगभग 18600 छात्राएं लाभान्वित हो रही हैं इस प्रकार लगभग 70 हजार के आसपास बालिकाओं को हम छात्रावासों के माध्यम से शिक्षा की व्यवस्था कर रहे हैं. दृष्टि बाधित,अल्प दृष्टि बाधित जो सुन नहीं सकते उन बच्चों के लिये क्या इसके लिये भी मुख्यमंत्री जी ने चिंता की और प्रत्येक जिले में इनके लिये अलग से पढ़ाई की व्यवस्था की. अभी आगर मालवा जो नया जिला बना है उसको छोड़कर पचास जिलों में हमने ऐसे बच्चों के लिये 50 सीटर होस्टलों का निर्माण किया और इनके लिये अलग से पढ़ाई की व्यवस्था भी मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कर दी गई है. कमलेश्वर पटेल जी ने बहन शीला त्यागी जी ने और बहन ऊषा चौधरी जी ने आर.टी. के तहत् प्रवेश की बात उठाई. आर.टी. के तहत् प्रवेश में मध्यप्रदेश चौथे और पांचवे नंबर पर है. जितने अधिक हम प्रवेश दिला सकते थे उतना हमने किया. आठ लाख बच्चों के नि:शुल्क प्रवेश की व्यवस्था हमने की है और इनकी फीसों के निष्पादन की व्यवस्था भी मध्यप्रदेश सरकार द्वारा कर दी गई है. नि:शुल्क पाठ्य पुस्तक का काफी साथियों ने जिक्र कर दिया. इसलिये इसको मैं इस बात को दोहराना नहीं चाहता. गणवेश को भी मैं दोहराना नहीं चाहता. स्वच्छ भारत अभियान में 2015-16 में लगभग 58 हजार शौचालयों का निर्माण और मरम्मत का काम हमारी सरकार द्वारा किया गया और देश में प्रदेश अग्रणी है इसे भारत सरकार ने भी सराहा है.भारत सरकार ने भी कहीं न कहीं हमारे स्वच्छ भारत अभियान को सराहा है. शिक्षा में गुणवत्ता का सुधार, अभी भाई आशीष शर्मा जी ने कहा कि पांचवीं की परीक्षाएं बंद हो गईं इनको फिर से शुरू करना चाहिये. अध्य़क्ष महोदय, यह आर.टी. का कानून है उस कानून को देखते हुए हम यह काम नहीं कर सकते लेकिन अपने स्तर पर शासन ने प्रतिभा पर्व के माध्यम से बच्चों का इंटरनल टेस्ट लेना आरंभ किया. यह टेस्ट इसलिये लिया जाता था इसमें बच्चों की प्रतिभा का आकलन किया जा सके लेकिन विभाग को लगा कि अब हमको बच्चों को और आगे बढ़ाने के लिये इसमें और काम करना चाहिये. अब प्रतिभा पर्व हम एक दिन के लिये नहीं तीन दिन के लिये मना रहे हैं और इस प्रतिभा पर्व में बाल सभा साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ बालकों का भी बातचीत का सीधा आदान-प्रदान होता है. जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया और मैं आपके माध्यम से जनप्रतिनिधियों से आव्हान करता हूं. नोट कर लें अगले प्रतिभा पर्व में आप तीन दिन अवश्य किसी न किसी विद्यालय में जायें आपको देखने को मिलेगा कि किस प्रकार शासन प्रतिभा पर्व के माध्यम से बच्चों की शिक्षा के लिये अग्रसर है. शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिये शाला सिद्धि अभियान केन्द्र सरकार द्वारा हमको दिया गया लेकिन हमारी सरकार द्वारा तीन साल पहले ही अकादमिक इम्प्रूवमेंट प्लान बनाया गया था और उसी प्लान का कहीं न कहीं केन्द्र सरकार ने भी अनुसरण किया. आज हम लगभग 25 हजार शालाओं में शाला सिद्धि कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रहे हैं. इसके माध्यम से शिक्षा की गुणवत्ता में निश्चित रूपसे सुधार आयेगा. काफी सदस्यों ने यह कहा कि कहीं न कहीं अनियमितताएं हैं त्रुटियां हैं कमियां हैं. विभाग ने आई.टी.तकनीक का उपयोग करना शुरू कर दिया है. अब हम बच्चों का डाटा बेस,प्रत्येक शिक्षक का डाटा बेस और प्रत्येक स्कूल का डाटा बेस बना रहे हैं.एजुकेशन पोर्टल के माध्यम से समग्र शिक्षक पोर्टल का विकास भी हमने किया है. प्रत्येक बच्चे का डाटा बेस तैयार होने से हितग्राही मूलक योजनाएं सीधे-सीधे उस तक पहुंच जायेगी. शिक्षकों का डाटा बेस होने से उनका वेतन,जीपीएफ,स्थानांतरण,प्रमोशन यह आनलाईन होने के साथ-साथ उन्हें आने वाली दिक्कतों से भी बचाया जा सकता है. भारत सरकार का ई गवर्नेंस कार्य हेतु स्वर्ण पुरस्कार भी मध्यप्रदेश सरकार को मिला है. भारत सरकार ने भी ह मारी इस योजना को सराहा है. शिक्षा मित्र एक मोबाईल एप हमने बनाया है इसके माध्यम से अब शिक्षकों को डी.ओ. या बी.ओ. के कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं वे एप के माध्यम से ही अपनी सारी समस्याओं का निराकरण कर सकता है और साथ में शिक्षक विद्यालय में उपस्थित है कि नहीं उसकी लोकेशन भी इसी एप के माध्यम से हम लोकेट करेंगे.अगले साल इसे अनिवार्य रूप से पूरे प्रदेश में लागू करेंगे. प्रयोग के तौर पर हमने इसको इन्दौर संभाग में लागू किया था बहुत अच्छा परिणाम आया इसलिये अगले साल हम पूरे प्रदेश में इस एप के माध्यम से शिक्षा की व्यवस्था को सुधारने का प्रयासकरेंगे. छात्रवृत्ति का मामला आया. लगभग 9 विभागों की 30 प्रकार की छात्रवृत्तियां हम लोग बांटते हैं. पारदर्शिता पर्व सुनिश्चित करने के लिये हमने इसको आनलाईन कर दिया. अब इसमें न कागजों का लफड़ न किसी प्रकार के बिचौलियों का लफड़ा. सीधा-सीधा आनलाईन हो गया और आनलाईन होने के कारण ही शिक्षा के पोर्टल पर कुल 1 करोड़ 47 लाख 94 हजार 636 विद्यार्थी पंजीकृत थे लेकिन इसमें से जो योग्य पाये गये वह लगभग 87 लाख बच्चे. कहीं न कहीं दोहरे नाम थे. कहीं न कहीं गलत नाम जुड़े थे. इस आनलाईन व्यवस्था के कारण से यह हितग्राही योजना सीधे-सीधे पारदर्शितापूर्वक छात्रों तक पहुंचने लगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिये सरकार ने एक निर्णय और लिया शायद जनप्रतिनिधियों को भी उस निर्णय में साथ देना चाहिये. हमने शैक्षणिक परिसरों को,स्कूल के मैदानों को,स्कूल के स्थानों को गैरशिक्षकीय कार्यों के लिये पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया. अब हम स्कूल के भवन को या स्कूल के मैदान को किसी दूसरे कार्य के लिये नहीं देंगे नहीं तो यह होता है कि अक्सर वहां पर दूसरे काम हो जाते हैं सफाई हमारे बच्चों को करना पड़ती है इसलिये इसको रोकने के लिये हमने इसको पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया है.
डॉ.गोविन्द सिंह - खेल की गतिविधियों के लिये भी प्रतिबंधित कर दिया ?
श्री दीपक जोशी - बहुत बडी संख्या में अध्यापक वर्ग जो काफी समय से अपनी मांगों को लेकर चिंतित था उसके लिये भी 1200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय भार लागू करते हुए छठवां वेतनमान हमने 1 अप्रैल से उनके लिये लागू कर दिया.
डॉ.गोविन्द सिंह - एक तरफ आप कह रहे हो कि बच्चों का स्वास्थ्य बने तो खेल पर क्यों प्रतिबंधकर रहे हो.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय,मंत्री जी का भाषण फर्माईशी प्रोग्राम हो गया. इस पर बोलिये.इस पर बोलिये. अरे नाराज होकर नहीं धीरे बोलो. किसी बात को जब नम्रता से बोला जा सकता है तो जरूरी है हम गुस्सा से ही बोलें.
डॉ.गोविन्द सिंह - तो बीच में आप कटाक्ष क्यों कर रहे हो.
श्री दीपक जोशी - माननीय अध्यक्ष महोदय, डी.एड जैसे महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम का प्रवेश भी जिसमें पहले अनियमितता की काफी शिकायत आती थी उसको भी इस वर्ष से हमने आनलाईन कर दिया है. आज यह विषय कहीं न कहीं संशय की स्थिति से दूर हो गया. माननीय सुदर्शन गुप्ता तथा सदन की भी यही चिन्ता है कि प्रायवेट स्कूलों की फीस और उनके द्वारा अकारण बच्चों को परेशान करना कि इस किताब को आपको खरीदना पड़ेगा, यह आपको ड्रेस पहनना पड़ेगी, यह जूते लेने पड़ेंगे, इसलिये शासन बहुत ही गंभीर था हमने एक नीति बनायी थी उस नीति के क्रियान्वयन के पहले मामला कोर्ट में चला गया और अब कोर्ट की देखरेख में राज्य सरकार के द्वारा शिक्षण शुल्क अधिनियम की तैयारी की जा रही है बहुत शीघ्र हम अगले सत्र के पहले यह एक्ट लागू कर देंगे ताकि कानून की परिधि में सारे निजी विद्यालयों को लेकर इस पर नियंत्रण करने का पूरा पूरा प्रयास करेंगे. हाईस्कूल एवं हायरे सेकेन्डरी जैसा कि पहले ही बताया है कि लगभग 40 प्रतिशत हाईस्कूल तथा हायर सेकेन्डरी को हमने विगत् 12 सालों में उन्नयन किया है, लेकिन राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत वर्तमान में 484 हाईस्कूल्स की स्वीकृति हमें मिल गई है और इसी वित्तीय वर्ष 2016-17 में 266 हाईस्कूल की स्वीकृति भी हमको कहीं न कहीं प्रथम चरण में मिलने की हमारे पास में स्थिति आ गई है. इस तरह लगभग 700-750 हाई स्कूल हम माध्यमिक शिक्षा मिशन के माध्यम से लेंगे, लेकिन जिस प्रकार से मैंने कहा कि शिक्षा के प्रति माननीय मुख्यमंत्री जी बहुत ही संवेदनशील हैं इसलिये मुख्यमंत्री जी ने जब 2012 से केन्द्र सरकार के द्वारा मध्यप्रदेश को हाईस्कूल देना बंद कर दिया तब राज्य के बजट से हर साल 100 स्कूल खोलने का काम किया 300 स्कूल हमने राज्य के बजट से खोले हैं और इस साल हम 100 और स्कूल हम राज्य के बजट से खोलने जा रहे हैं. 100 हायर सेकेन्डरी स्कूल के भवनों का निर्माण भी राज्य बजट में करने की व्यवस्था हमने इस बजट में की है. भाई शैलेन्द्र पटेल जी ने कहा था कि बिजली नहीं है, अब मुख्यमंत्री शाला ज्योति के नाम से लगभग 30 हजार शालाओं के लिये 30 हजार करोड़ रूपये बिजली के लिये व्यवस्था मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा की गई है. सोलर के माध्यम से एवं इलेक्ट्रीफिकेशन के माध्यम से हम बिजली प्राप्त करके रहेंगे. पेयजल के लिये अलग से 1500 करोड़ रूपये की व्यवस्था की है. इसी प्रकार से बैठक व्यवस्था प्रयोगशाला संधारण के लिये 27 करोड़ रूपये की व्यवस्था की है. 1736 हाईस्कूलों, हायर सेकेन्डरी विद्यालयों को विद्युत कनेक्शन के लिये 20 करोड़ रूपये अतिरिक्त स्वीकृत किये हैं इस प्रकार से 50 करोड़ रूपये की राशि हमने बिजली को जोड़ने के लिये इस बजट में हमने प्रावधानित की है, जो कि पहली बार हो रहा है. शिक्षा की व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिये अभी बहिन सरस्वती सिंह जी ने बात उठायी थी मॉडल स्कूल इन स्कूलों की योजना केन्द्र सरकार के द्वारा संचालित की जाती थी. 2015-16 में मॉडल स्कूल की योजना केन्द्र सरकार के द्वारा बंद कर दी गई इस कारण से राज्य सरकार के द्वारा स्वयं के संसाधनों से 201 मॉडल स्कूलों का संचालन निरंतर रखा गया है. कक्षा 9 वीं से 12 वीं तक संचालित लगभग 43 हजार विद्यार्थी अध्ययरत् 197 मॉडल स्कूल के भवनों का निर्माण प्रगतिरत् है. अब राज्य सरकार अपने बजट से जो अतिरिक्त मॉडल स्कूल के भवन रह गये हैं उनका निर्माण करने की व्यवस्था करने जा रही है. सायकिल पर बहुत बड़ी बात उठी मामा सिर्फ भांजियों के लिये बना है 2004 में जब सायकिल योजना का प्रारंभ हुआ था तब इसमें सिर्फ बीपीएल में पढ़ने वाली बच्चियों को हम सायकिल देते थे, लेकिन बाद में बीपीएल का प्रावधान हटा दिया गया और इसके बाद कक्षा 8 से 9 वीं में जाने वाली बच्चियों को भी इस योजना में जोड़ा गया और आज सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में बिना जाति के बंधन के हरेक वह छात्र-छात्राएं जो अपने घर से 1 किलोमीटर की दूरी पर यदि 5 वीं पास करके छठवीं में जाते हैं तथा 8 वीं पास करके 9 वीं जाते हैं तो उनके लिये सायकिल की व्यवस्था मध्यप्रदेश की सरकार करेगी. इस योजना में थोड़ा सा परिवर्तन लाने जा रहे हैं पहले सीधा-सीधा चेक के माध्यम से हम हितग्राही को यह राशि प्रदान करते थे, लेकिन बाद में काफी शिकायतें आयीं कि चेक का दुरूपयोग होता है इसलिये सरकार ने निर्णय किया है कि इस साल हम फिर छात्र-छात्राओं को सायकिल खरीदकर के देंगे यह सायकिल भी क्वालिटी की होगी पहले सायकिल 2300 रूपये की होती थी अब 3100 सौ रूपये की हो गई है, हाईस्कूल के लिये पहले यह 2400 रूपये की थी अब यह 3200 सौ रूपये की हो गई है हमने इनकी राशि को भी बढ़ा दिया है. बच्चों को लेपटॉप देने की अभिनव योजना मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा शुरू की गई है लालपरेड ग्राऊंड पर किस प्रकार से चहकते हुए मध्यप्रदेश के टॉपर बच्चे जिन्होंने 85 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल किये थे अपने माता पिता के साथ आये थे और यह देखने लायक नजारा था जिन्होंने देखा उन्होंने सरकार को सराहा उस समय 10 हजार लेपटॉप 85 प्रतिशत से अधिक अंक लेने वाले विद्यार्थियों को प्रदान किये थे, लेकिन इस साल माननीय मुख्यमंत्री जी ने फिर से इसमें संशोधन करके यदि हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति के छात्र हैं तो उनको 75 प्रतिशत अंकों पर लेपटॉप दे दिया जाएगा, यह सरकार के द्वारा निर्णय लिया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सब पढ़ें, सब बढ़ें यह नारा नहीं है उन बच्चों के लिये जो कि मेघावी हैं वह कहीं न कहीं कोचिंग से दूर हैं उनको कोचिंग से जोड़ने के लिये मध्यप्रदेश की सरकार ने यह निर्णय लिया कि प्रत्येक जिले के गणित-जीव विज्ञान-कामर्स जैसे विषयों पर 2-2 टॉपर बच्चों को सुपर हंड्रेड स्कूल एक हमारा सुभाष स्कूल भोपाल का, दूसरा मल्हार स्कूल है इन्दौर का उसमें हॉस्टल की व्यवस्था देकर अच्छी ट्रेनिंग, कोचिंग देकर इन छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में भाग लेने के लिये तैयार किया गया है और उसी का परिणाम है कि इसके माध्यम से एआईपीएमटी में ऑलइंडिया पीएमटी में, एम्स में, जीएई मेन्स में एवं एनआईटी जैसे जगहों पर आज हमारे मध्यप्रदेश के छात्र बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ रहे हैं इससे मध्यप्रदेश की संख्या में इजाफा हो रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, खेल की स्थिति में जिस प्रकार से मध्यप्रदेश प्रगति कर रहा है वह आंकड़ा खेल एवं युवक कल्याण के बराबर है. राज्य स्तरीय आवासीय विद्यालय सीहोर एवं शारीरिक महाविद्यालय शिवपुरी काफी समय से इनकी गतिविधियां बंद थीं लेकिन पहली बार इन गतिविधियों को जोड़ने के लिये 5 करोड़ रूपये का अलग से प्रावधान सिर्फ इन दो स्थानों के लिये किया है ताकि हम खेल के प्रति आगे बढ़ सकें. इस वर्ष खेलकूद में जो नेशनल स्कूल गेम्स में उसमें मध्यप्रदेश का छठा स्थान है. हमारे बच्चों ने काफी स्वर्ण पदक जीते हैं और उस आधार पर मैं कह सकता हूं कि खेल में जो 141 पदक हमारे छात्रों ने हासिल किये हैं उससे निश्चित रूप से खेल की ऊंचाइयों को आगे बढ़ाने का जो प्रयत्न इस सरकार के द्वारा किया जा रहा है उसमें हम आगे बढ़ रहे हैं. बच्चों में अनुशासन एवं देश की सेवा के प्रति जज्बा जगे, यह भी हमारी चिन्ता रही है इसलिये पहली बार 5 एनसीसी अकादमी एवं 3 बोट हाऊस की स्थापना करने जा रहे हैं इसका प्रस्ताव हमने प्रेषित कर दिया है. एनसीसी संचालनालय के लिये प्लान बजट में 10 करोड़ रूपये की व्यवस्था की गई है ताकि एनसीसी आगे बढ़े.
श्रीमती झूमा सोलंकी--मंत्री जी भीकनगांव में एनसीसी सही तरीसे संचालित नहीं है, उसको ठीक करें.
श्री दीपक जोशी--मैं आश्वस्त करता हूं कि किन कारणों से बंद किया गया है उसको भी हम ठीक कर देंगे. सिंहस्थ जैसा विषय का सबसे बड़ा मेला उज्जैन नगरी में लगने जा रहा है. मेरे ख्याल से पुलिस विभाग के बाद स्वयं सेवी संगठन के रूप में सबसे अधिक सेवा देने वाला विभाग है. लगभग 10 हजार हमारे एन.सी.सी., एन.एस.एस. और स्काउड गाइड के छात्र - छात्राएं वहां पर सहयोगी के रूप में अपनी सेवाएं देंगे, हमारे 71 विद्यालयों को भी हमने कहीं न कहीं ठहरने के लिए, रूकने के लिए, शासन की व्यवस्था के लिए, प्रदत्त किए हैं, इसलिए एन.सी.सी. में भी हमारा कहीं न कहीं योगदान है । हम पर आरोप लगता है कि कहीं न कहीं हम उर्दू के विरोधी हैं, लेकिन आज मध्यप्रदेश की सरकार ने पहली बार अपने बजट से, नहीं तो हमेशा कहीं न कहीं मदरसे, केन्द्र के बजट के रहम पर बैठे रहते थे, प्रत्येक मदरसे को 25 हजार रूपए सिर्फ उनके इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारने के लिए, उनकी रंगाई - पुताई के लिए, उनकी अन्य व्यवस्थाओं के लिए, प्रत्येक मदरसे को चिन्हित करके, 25 हजार रूपए की व्यवस्था राज्य सरकार के बजट से की है ।
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी कितना समय और लेंगे ।
श्री दीपक जोशी- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिर्फ 5 मिनट ।
अध्यक्षीय व्यवस्था
सदन के समय में वृद्वि विषयक
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 8, उपपद 2 का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्वि की जाए, मैं समझता हूं, सदन इससे सहमत है ।
वर्ष 2016-17 की अनुदान मांगों पर (क्रमश)
श्री दीपक जोशी - माननीय अध्यक्ष महोदय, योग को विश्व ने मान्यता दे दी है और मध्यप्रदेश सरकार बहुत पहले से ही यह प्रारंभ कर चुकी है, 12 जनवरी विवेकानंद जयंती को सामूहिक सूर्य नमस्कार के माध्यम से, योग की चेतना को हमने कहीं न कहीं जोड़ा था, लेकिन जब विश्व ने इसको मान लिया, इस कारण से मध्यप्रदेश की सरकार ने, इसको और गंभीरता से लिया है और अब हमारा शासकीय योग संस्थान भोपाल है, इसी की तर्ज पर हर एक संभाग में हम शासकीय योग संस्थान की शुरूआत कर रहे हैं और जिले में भी इसकी व्यवस्था किस प्रकार से हो, इसकी व्यवस्था भी सरकार कहीं न कहीं करने जा रही है । माध्यमिक शिक्षा मण्डल आज निश्चित रूप से प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षा को संचालित करता है, पारदर्शिता पूर्वक यह परीक्षा हो, यह पहली चिन्ता मण्डल की रहती है और मण्डल ने आज पूरा आई.टी. के माध्यम से अपने आप को जोड़ते हुए, आम छात्र को मण्डल तक न पहुंचना पड़े, इसलिए ऐप के माध्यम से ही, उनकी सारी व्यवस्थाएं करने का फैसला किया है और निश्चित रूप से आज मण्डल तक आम छात्रों को पहुंचने की जरूरत नहीं है, वह वहीं पर रहकर ऐप के माध्यम से, आई.टी. के माध्यम से, अपनी डुप्लीकेट मार्कशीट हो या अपने नाम का संशोधन हो, यह सब प्रकार की बातें कहीं न कहीं कर सकते हैं, उच्चतम गुणवत्ता और अधोसंरचना हमारा पहला उद्देश्य है ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार निश्चित रूप से इसके प्रति बहुत चिन्तनशील है और मैं इस विश्वास के साथ माननीय मुखिया की कल्पना जिस शिक्षित मध्यप्रदेश की है, उस शिक्षा के पुनीत काम में हम सब लोग मिलकर कहीं न कहीं इस शिक्षा के क्षेत्र को आगे बढ़ाने का प्रयत्न करें ।
श्री गिरीश भण्डारी- माननीय अध्यक्ष महोदय,मैंने एक सुझाव दिया था, युक्तियुक्त करण के लिए कोई ठोस नीति बनाई जाए और सख्ती से उसका पालन किया जाए, इसकी वजह से ग्रामीण क्षेत्र के, जो इंटीरियर के क्षेत्र हैं, उसमें शिक्षकों की कमी है और शहरों के स्कूलों में ज्यादा शिक्षक हैं, अगर युक्तियुक्त करण की ठोस नीति बनाई जाएगी तो निश्चित रूप से फायदा होगा ।
अध्यक्ष महोदय- ठीक है, आपकी बात पहले आ गई थी, अभी फिर आ गई है ।
श्री दीपक जोशी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की सरकार जिस बुलंदियों से, इस क्षेत्र में नहीं, मैं तो कहता हूं, सभी क्षेत्रों में काम कर रही है, उससे मैं कह सकता हूं कि काम करने वाले के साथ भगवान भी रहता है, आज ईश्वर की असीम कृपा है और मैं तो यह कह सकता हूं कि मुखिया की जो इच्छाशक्ति है, उसके आधार पर मैं तो यह कह सकता हूं कि
खुद ही को कर बुलंद इतना,
कि हर रजा से पहलेखुदा ।
खुद अपने बंदे से पूछे,
बता तेरी रजा क्या है ।।
हम निश्चित रूप से स्वर्णिम मध्यप्रदेश को शिक्षित मध्यप्रदेश में परिवर्तित करेंगे, यह मैं आपको विश्वास दिलाता हूं और सदन से आग्रह करता हूं कि सर्वानुमति से इस बजट को पारित करें, बहुत बहुत धन्यवाद जय हिन्द, जय मध्यप्रदेश ।
(2)
मांग संख्या- 12 ऊर्जा
मांग संख्या- 25 खनिज साधन
मांग संख्या- 32 जनसंपर्क
मांग संख्या- 76 नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा
अध्यक्ष महोदय- उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए, अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी, मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि दोनों पक्षों से पांच - पांच सदस्य बोलेंगे, ताकि समय पर इस विषय को,अनुदान की मांगों को पूरा कर सकें,श्री जितू पटवारी ।
श्री जितू पटवारी(राऊ)- माननीय अध्यक्ष जी, मुझे मांग संख्या 12, 25, 32, और 76 पर बोलने के लिए आपने अवसर दिया है, इस विभाग के आदरणीय मंत्री को, आपके माध्यम से बहुत सज्जन हैं, सरल हैं, बड़े विनम्र भाषी हैं और जवान भी दिखते तो हैं, बाकी चीजें अपनी जगह होगी, इन्होंने बिजली को लेकर समय समय अपनी बातें कहीं विद्युत को लेकर अलग अलग तर्क मुख्यमंत्री जी ने और मंत्री जी ने भी समय समय पर दिए, एक तरफ कहा कि 24 घण्टे बिजली किसानों के हित में, बिजली गरीबों के हित में, बिजली जितनी ज्यादा, जितनी बिजली उतना दाम, अलग अलग समय पर अलग अलग नारे हर वर्ष लगते रहते हैं ।
वनमंत्री (डॉं गौरीशंकर शेजवार)- माननीय अध्यक्ष महोदय,जब हम पहली बार आए थे तो बड़े अनुशासन में रहते थे, जो अपने से बड़े मंत्री हैं, जो सीनियर हैं, उनको विधानसभा में उपहास नहीं करते थे ।
श्री जितू पटवारी- डॉ. साहब आप तो मेरे सीनियर हैं, आप उनको कहां कह रहे हैं, वो तो मेरी उम्र के हैं, वह जवान हैं, आप बुजुर्ग हैं, वो कहां से सीनियर हो गए, खैर कोई बात नहीं, डॉक्टर साहब आप ही डांट दिया करो, मैं भी आपको मेरा अभिभावक ही समझता हूं । अध्यक्ष महोदय, जिस तरीके से मैं अपनी बात कह रहा था कि बिजली को लेकर........
डॉ गौरीशंकर शेजवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कार्यवाही से निकाली जाए यदि यह खबर बाहर फैल गई तो मेरा क्या होगा । अध्यक्ष महोदय, एक मिनट कार्यवाही रोककर इसका कोई निराकरण निकालें । कि इन्होंने मुझसे कहा कि मैं इनका अभिभावक बन जाऊं । यदि यह खबर बाहर फैल गई तो मेरा क्या होगा इनका तो जो होना है वो ये जानें ।
श्री जितू पटवारी- माननीय अध्यक्ष जी, डॉ साहब ने यह कह दिया तो मेरी गलती है, मैं माफी भी चाहता हूं, भले ही आप कार्यवाही से निकाल भी देना पर मैं कह कर रहूंगा कि ये जितनी बातें आज मैं कर रहा हूं, सब तैयारी मेरी डॉक्टर साहब ने करवाई है ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बता रहा था कि विद्युत और बिजली को लेकर अलग-अलग तर्क दिये गये. मैं आंकड़ों समेत बात करने की कोशिश करूँगा और मेरे भाव में, हमेशा सुधारवादी दृष्टिकोण होता है कि हम एम.पी.ई.बी. की ज्यादा से ज्यादा बिजली मध्यप्रदेश में जैसे आंकड़ें आए हैं और जैसे मुख्यमंत्री जी ने राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान कहे थे. मैं समझता हूँ कि सब बातें अच्छी थी तो आपने मंत्री जी, कृषक समृद्ध योजना चलाई थी. पिछले बार इसका बजट 143 लाख था, जो कृषकों को समृद्ध करने के लिए था. मैंने बजट में देखा है कि आपने इसे 50 करोड़ रूपये कर दिया है. आपकी अच्छी बिजली, ज्यादा बिजली, जितनी बिजली, उतना दाम इन सब दावों को थोड़ा-थोड़ा शंकाओं के घेरे में लाता है.
अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही आपने 5 हॉर्स पॉवर के पम्पों, थ्रेसर पर, एकबत्ती कनेक्शन पर, एकबत्ती कनेक्शन फ्री में मध्यप्रदेश की सरकार यह भी देती थी और इससे पहले की भी देती थी. मैं समझता हूँ कि उस गरीब को जो बिजली का बिल आने लगा है, उसकी कल्पना मंत्री जी जब पता चलेगा आपको जब किसी गरीब बस्ती में आप जायेंगे और 5,000 से लेकर 25,000 और 25,000 से 30,000 और 50,000 के बिल, जब वह हमारे हाथों में रखता है तो एक जनप्रतिनिधि तड़प जाता है. जब वह विद्युत मण्डल के अधिकारी और कर्मचारी से बात करता है और यह केवल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की बात नहीं है. यह हर उस व्यक्ति की बात है, जो फील्ड पर है. मैं समझता हूँ कि इसमें सुधार की अति आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय, जो बिजली के बिल गलत आते हैं और जब वे उसका निराकरण करने के लिए जाते हैं, कहीं न कहीं उसकी व्यथा सुनाता है, कार्यालयों के चक्कर काटता है और दुखी हो जाता है कि कइयों ने इसमें आत्महत्या कर ली है और इसके उदाहरण भी मेरे पास हैं. आप अगर अनुमति दें तो मैं पटल पर भी रख सकता हूँ तो सुधारात्मक दृष्टिकोण से आपसे अनुरोध है कि इस बिजली के जो बिल बढ़े हुए आते हैं और उनको सुधार करने के लिए और जो उपभोक्ता है. वह बार-बार विद्युत मण्डल के चक्कर काटने में, कितनी व्यथा होती है. इस पर कोई प्रोग्राम ऐसा बनायें कि इस तरीके की परिस्थिति निर्मित न हो तो मेहरबानी होगी. ऐसे ही एकबत्ती कनेक्शन, आप उस गरीब को जिसको दो वक्त की रोटी नहीं मिलती है. जो झोपड़-पट्टी में रहता है, दलित मोहल्लों में रहता है, उसकी क्या गत हुई है ? आपकी सरकार में, यह पूछने की आवश्यकता नहीं है. अगले बार जब इलेक्शन होगा तो इसका असर आपको दिखेगा. मैं आपको धन्यवाद भी देता हूँ कि आपने आंकड़ों में तो बहुत बातें कहीं. हम दूसरे राज्यों को बिजली हम देते हैं. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दिल्ली को बिजली हम देते हैं, उनको सस्ती बिजली और उपभोक्ताओं को महंगी बिजली देते हो. आपने किसानों को जिस तरह से ठगा है, इस सरकार ने एक तरफ तो आपने किसानों के बिजली के बिलों की संख्या बढ़ाई तो 5,000 इसी वर्ष के आंकड़ें हैं और विधानसभा का जो प्रश्न मैंने किया था कि यह उसका उत्तर है. आपने माना है जबकि यह झूठा है, आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा है. 5,313 मामले किसानों पर दर्ज किये हैं. वह कब किये हैं, जब मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एक साल चला जाये तो चला जाये. यह साल गया है जिन्दगी नहीं गई. किसानों से कोई वसूली नहीं होगी, तब ये प्रकरण दर्ज हुए हैं.
7.07 बजे [उपाध्यक्ष महोदय(डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए]
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक तरफ मुख्यमंत्री जी यहां खड़े होकर, ऊँचे-ऊँचे हाथ करके सभाओं में भाषण देते हैं और आप उसको जो मुख्यमंत्री भाषण देते हैं और उसको आप चिन्हि्त करते हैं कि जो मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं, वह सही है. एक तरफ यह आंकड़े आते हैं, आप ही कहते हैं, कौन सही है, मुख्यमंत्री जी, आप या आपने जो यह विधानसभा में से उत्तर दिया है. यह प्रश्न उठता है कि मुख्यमंत्री जी, मैं एक बात और करना चाहता हूँ कि चूँकि अध्यक्ष जी ने, समय-सीमा बांध कर भी दी है, उसकी भी कोशिश करता हूँ कि किसानों पर तो कम वर्षा, अति वर्षा, ओलावृष्टि, भयावह प्राकृतिक आपदा में आपने यह किया है और आपने उद्योगों पर क्या किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे पास उद्योगों की एक लिस्ट है. आप कहें तो इसको भी पटल पर रख दूँ कि आपकी सरकार की मिली-भगत से, आपकी सरकार के कर्मचारियों की मिली-भगत से उन्हें फिर मजबूर किया जाता है, ऐसा क्यों ?
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - जितू भाई, आप अखबार की कतरनों के माध्यम से स्टेटमेन्ट दे रहे हैं, कई बार अखबार के संपादकों एवं पत्रकारों को उस समाचार का खण्डन भी करना पड़ता है.
श्री जितू पटवारी - मैं सारे आंकड़ों सहित बात करता हूँ. मेरा अनुरोध यह है कि सभी सम्मानित सदस्यों से कहना चाहता हूँ कि अगर उसको आंकड़ों पर लाता हूँ तो विधानसभा के प्रश्नों के उत्तरों से ही लाता हूँ और कहीं से नहीं लाता हूँ. जब भी आपका मन हो, मैं आपको चुनौती देता हूँ कि मेरे आंकड़ों पर आप प्रश्नचिन्ह लगाकर, मुझसे पूछ सकते हैं. मैं दोषी हो जाऊँगा.
उपाध्यक्ष महोदय - जितू जी, आप आसंदी को संबोधित करें.
श्री जितू पटवारी (श्री यशपाल सिंह सिसोदिया की ओर देखकर) - ये कागज के समाचार, मेरे बनाये हुए तैयार किये हुए हैं. यह आपको क्या पता कि क्या है ? क्या वहां से दिख रहा है, चश्मे में दूरबीन लगी है क्या. आप बैठ जाइये.
उपाध्यक्ष महोदय - यशपाल जी, उनको बोलने दीजिये.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध यह है कि मंत्री जी एक तरफ तो किसानों को आत्महत्या करने के लिए उनका विभाग मजबूर करता है और एक तरफ विद्युत के जो बड़े बकायादार हैं. जो उद्योग हैं, बड़े-बड़े नाम हैं, उनको ये छूट देते हैं. उसकी एक लिस्ट जो उनने पूछ ली है, यह भी मेरे प्रश्न के उत्तर में दिया है. मैं बता रहा हूँ, ध्यान से सुनिये. एक तरफ तो नाहर स्पिनिंग मिल्स है, 28-29 करोड़ उस पर बकाया है, 29 करोड़ में किसानों के 6 जिलों निपट जाते. आपने एक ही उद्योग पर छोड़ रखा है, मंत्री जी मेरा अनुरोध है कि इस पर कार्यवाही करें. चूँकि ये आंकड़ें पहले के थे, आपने इस पर कोई कम ज्यादा हो गया होगा पर बकायेदार तो वह बड़ा ही है. यह मैं दावे के साथ कह सकता हूँ, इसी के साथ हिन्दुस्तान इलेक्ट्रोग्राफिक, मण्डीदीप 21 करोड़ रूपये, कराड़ रोलिंग मिल्स 68 लाख रूपये ऐसे ही 30-40 की लिस्ट है. आप भी समझ गए हैं और मैं भी समझ गया हूँ. कृपा करें, हाथ जोड़कर निवेदन है कि एक उद्योग पति से एक उद्योग से उतना कबाड़ लें कि किसान आत्महत्या न करें तो मेहरबानी होगी. मैं ज्यादा कुछ न कहते हुए, इतना कहना चाहता हूँ कि खदानों का काम भी आपके ही पास है और खदानों का मोल-भाव कहां से चालू होता है. खदानों का काम होता है, रेत पर जैत भारी, यह मेरा आप पर आरोप है. रेत की खदानों पर जैत भारी है और ये सब बातें, मैं आंकड़ों से करूँगा. कितने लोग जैत में डम्फर और जे.सी.बी. के मालिक हैं, मेरे पास उसकी भी लिस्ट है. यह बात जितनी भी मैं करूँगा, यह बात जे एण्ड टी की रिपोर्ट आज ही आई है. इसकी रिपोर्ट के आधार पर बातें करूँगा कि 450 रेत खदानें मध्यप्रदेश में अवैध चल रही हैं और कब से एवं क्यों चल रही हैं ? आपने क्या पॉलिसी बनाई है कि रेत का तो खनन भी हो रहा है, इतना काम भी चल रहा है और पिछले एक साल से रेत खदानों पर प्रतिबन्ध भी है ? फिर रेत कहां से आ रही है.
उपाध्यक्ष महोदय, पिछली बार उत्तर आया था कि कांग्रेस के जमाने में तो 200 या कुछ करोड़ का आंकड़ा दिया था. अब हमने 200 करोड़ रूपये का इसमें इजाफा किया है. मैं अमंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि जिस तरह से रेत के मामले में मध्यप्रदेश में भारी चोरी हो रही है, खदानों के मामले में मध्यप्रदेश देश में नम्बर 1 पर है, अवैध खनन, करप्शन का काम आप करते हैं, आपका विभाग करता है. देश में और दुनिया में व्यापम का भी विभाग इतना करप्शन नहीं करता. मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि वे पूरे मध्यप्रदेश में अलग-अलग जगह रेत में खदानों की अलग-अलग बात हो सकती है पर इस पर मध्यप्रदेश के हित में, इस सरकार का बजट और बढ़े जिससे लोगों को हम और सहूलियतें दें. इस पर आप शिंकजा कसना पड़ेगा. मैं समझता हूँ कि करप्शन करने वाले, करवाने वाले को लाभ होता है. अधिकारी एवं कर्मचारी के पास 80 प्रतिशत रहता है, ऊपर तक 20 प्रतिशत नहीं आ पाता पर हजारों-लाखों करोड़ लोग इससे परेशान हो जाते हैं. एक डम्फर वाला, कहीं भी एक दिन में 4 ट्रिप मारता है. डम्फर के व्यापारी कई नेता भी हैं. मेरे पास लिस्ट है, उनकी जो अवैध उत्खनन करवाते हैं. ज्यादा मत बोलिए सब लिस्टों के साथ आया हूँ. उसमें मंत्री भी हैं.
श्री हजारी लाल दांगी - मुझे याद है. जितू भाई यह धंधा, अपने दादा-परदादा के जमाने में भी चल रहा था.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - और पता नहीं है भी कि नहीं है.
श्री जितू पटवारी - आप बैठ जाइये. आपका नाम नहीं है. मैं अनुरोध करना चाहता हूँ कि सत्ता पक्ष के लोग ज्यादा रेत और खदानों का काम करते हैं.
श्री सुरेन्द्र पटवा - जितू जी, आपने मंत्री भी बोला है.
श्री जितू पटवारी - हां, हैं नाम लूँ.
श्री सुरेन्द्र पटवा - नहीं, आपके पास कोई तथ्यात्मक जानकारी हो तो पूरी तरह से रखें.
श्री जितू पटवारी - आप बैठो, मैं रखता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय - जितू जी, आप भाषण भी दे रहे हो, क्या आप सदन भी चला रहे हैं.
श्री जितू पटवारी - दांगी जी आप बैठ जायें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- उपाध्यक्ष महोदय, जब हम विपक्ष में थे और हमारे पास जब तथ्य नहीं होते थे तो हम कोई भी रद्दी के कागज फहरा देते थे कि ये देखो तुम्हारे खिलाफ प्रमाण हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- आपसे ही सीखे हैं ये.
श्री जितू पटवारी -- डॉक्टर साहब मैंने कहा कि आप यह सिखा रहे हो. आज जितना मसाला दिया है, आपने ही दिया है.
श्री मनोज सिंह पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, एक तो ये फर्जी मसाला लेकर आये हैं. इसके बाद इनके पास कितने जेसीबी, डम्पर हैं, यह पूछो जरा.
श्री जितू पटवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, अगर मनोज सिंह पटेल जी ने मुझ पर आरोप लगाया है, तो मैं दावे के साथ सरकार को चुनौती देता हूं कि मेरे या मेरे परिवार के पास मेरे दूर के रिश्तेदार के पास कोई डम्पर, कोई किसी प्रकार का डम्पर कांड मैंने नहीं किया. अगर हो तो उनको और मेरे को दोनों को जेल में डालो.
श्री मनोज सिंह पटेल -- जेसीबी और पोकलेन है.
श्री जितू पटवारी -- कुछ भी नहीं है. मैं इतनी बहादुरी से बोलता हूं.तो मुझे पता है कि क्या करना है. आप मेरे पड़ौसी हो, आप बैठ जाओ.
श्री मनोज सिंह पटेल -- आपके पास ये सारी चीजें हैं. अब आपने ये किसके नाम से ले रखे हैं, यह अलग बात है. धंधा तो करते हैं.
श्री जितू पटवारी -- अगर अवैध काम होता है और आप पकड़ नहीं पाते, ऐसी कैसी सरकार है यह.
उपाध्यक्ष महोदय -- पटवारी जी, क्या किसी को डम्पर रखना अपराध है
क्या.
श्री जितू पटवारी -- नहीं है, उसके पीछे अवैध खनन करना अपराध है.
उपाध्यक्ष महोदय -- हां, वह अपराध है.
श्री जितू पटवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, 450 रेत की अवैध खदानें चल रही हैं और यह जेएंडटी की रिपोर्ट ने कहा है और सरकार से 15 दिन में जवाब मांगा है. जो मैंने अभी बातें कहीं, पर्यावरण विभाग ने इनसे जवाब मांगा है कि 15 दिन में बताओ कि इतने प्रतिबंध के बाद आपने अवैध खनन कैसे कर दिया. 450 खादनों से अवैध खनन हो रहा है. मंत्री जी, मेरा अनुरोध है कि इसका आप जवाब दें. इसके साथ साथ मैं यह भी बताना चाहता हूं कि अलग अलग जिले की अलग अलग भी बातें हैं. लम्बी हो जायेगी. पर इतना जरुर कहूंगा कि जब रेत और अवैध खनन की बात होती तो नेचुरल है यह बात समझनी पड़ेगी कि जो सत्ता में होता है, उसको इसमें अवसर मिलता है. अधिकारी उसकी सुनते हैं, मंत्री उसकी सुनते हैं. मंत्री उसका होता है, कार्यकर्ता किसी नेता का होता है. तो ज्यादा करप्शन का पार्ट कहां गया होगा,यह मुझसे बेहतर आप सब समझ सकते हैं. उपाध्यक्ष महोदय, दूसरी बात, मुझे अच्छा नहीं लगेगा कि आप अगर अनुमति दें तो मेरे पास जो डॉटा आये हैं, जिनके मध्यप्रदेश शासन की वेब साइट से और मध्यप्रदेश सरकार से मैंने जो सवाल पूछा था, उसके उत्तर में पिछले साल, जिस साल मैं विधायक बनकर आया था. उसमें उन खनिज मालिकों का उन खदानों का विवरण दिया था कि किस भाजपा नेता, किस मंत्री की किस की खदान है. चूंकि मुझे चुनौती मिली है सामने से, तो आप अनुमति दें, तो मैं पढ़ दूं या अगर आप अनुमति दें, तो मैं इसको पटल पर रख दूं. और यह अथेंटिक है. यह भी आपसे मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि कई विधायक है यहां, कई मंत्री हैं और कई इनके रिश्तेदार हैं, कई पत्नियां हैं और कई अलग दूर के रिश्तेदार हैं, खदान मेरी है, नाम से मेरे रिश्तेदार के है. मेरे दूर के कार्यकर्ता के नाम से हैं. जब जाकर यह स्थिति है और मैं यह नहीं कह रहा हूं, यह 12 प्रश्न सत्ताधारी पक्ष के विधायकों ने लगाये हैं और इस सरकार ने अवैध खनन में बहादुर सिंह जी का 3 दिन पहले की बात है. जिस तरीके से अवैध खनन को लेकर के उन्होंने, इसके पहले यह मालवीय जी हमारे उज्जैन के विधायक हैं, उन्होंने यह विषय उठाया था. मैं समझता हूं.. (व्यवधान)..
श्री दिलीप सिंह शेखावत -- वह कांग्रेस का है. क्यों पोल खोल रहे हो अपनी. वह जो महिदपुर वाले मामले में जो 30 करोड़ की वसूली निकली है, वह कांग्रेस का है.
..(व्यवधान)..
श्री मनोज सिंह पटेल -- आप केवल भाजपा कह रहे हैं. मतलब धंधा करना बुरी बात नहीं है. कांग्रेस के कितने नेताओं के पास खदानें हैं.
..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय -- मनोज जी, बैठ जायें. श्रीवास्तव जी, बैठ जायें, आपके पास तो डम्पर नहीं है, आप क्यों खड़े हो गये, बैठ जाइये. आप जब बोल रहे थे, तो किसी ने नहीं रोका.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष महोदय, 30 करोड़ 29 लाख 25 हजार 600 रुपये का यदि प्रकरण बना है, तो वह उज्जैन जिले का नहीं मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा प्रकरण है. वह व्यक्ति कांग्रेस का है. कांग्रेस के व्यक्ति ने 30 करोड़ की चोरी की. उसके खिलाफ हमारी सरकार ने कार्यवाही की है. जितू जी, आप जानकारी लेना. (XXX) उपाध्यक्ष महोदय --बहादुर सिंह जी, बैठ जायें. आपकी बात आ गयी.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- बहुत सारे विधायक कांग्रेस के आपके पास पहुंच गये हैं, उनको भी आप देखो.
श्री जितू पटवारी -- अब आप सुनो.
उपाध्यक्ष महोदय -- जितू जी, आप मेरी बात सुनें. अपनी बात कहें चुनौती वगैरह न दें.
श्री जितू पटवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, माफी चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- (श्री शंकरलाल तिवारी के खड़े होने पर) शंकर लाल जी आप बैठ जायें. आपके पास तो डम्पर नहीं है, यह मुझे मालूम है. आप बैठ जाइये.
श्री शंकर लाल तिवारी -- पर यह लफ्फाजी पुराण कहां तक सुनेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय -- वह माइक की महिमा है लफ्फाजी पुराण.
श्री जितू पटवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, चूंकि बहादुर सिंह जी ने कहा कि वह कांग्रेस का है. मैं यह कहता हूं कि यह अवैध खनन कांग्रेस के व्यक्ति ने किया तो क्या वह कानून से ऊपर है. उसको आप क्यों गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं. क्यों कार्यवाही नहीं करते. अगर सरकार ऐसी है तो क्यों है. यह भी एक सवाल उठता है. अब चूंकि आपने कहा कि कांग्रेस का है, तो मैं भाजपा के नाम पढ़ना चालू करता हूं. अब सुनो. उपाध्यक्ष महोदय, मुझे आपसे अनुमति चाहिये. ये कटनी से चालू करुंगा. फिर उसके बाद होशंगाबाद आऊंगा. फिर उसके बाद छिंदवाड़ा,रतलाम,डिंडोरी, भिंड. यह कहां कहां भाजपा के नेताओं की है, वह बताऊंगा. फिर नरसिंहपुर, जबलपुर, बालाघाट, अनूपपुर,झाबुआ,सीहोर, उमरिया, बुरहानपुर और नर्मदा के किनारे और बच गये जो, वह भी. उपाध्यक्ष महोदय, आप मुझे अनुमति दें, तो मैं पटल पर रखूं. यह अथेंटिक प्रश्न का उत्तर है.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, जरुरत नहीं है. आपका टाइम भी हो रहा है. इतना ध्यान रखिये.
श्री जितू पटवारी -- यह कटनी से चालू करता हूं. अभिलाषा कश्यप, एक प्रबुंध नरेन्द्र चौहान है. ये कौन हैं, जानते हैं सब. नरेन्द्र मास्टर साहब. आपने कहा है, इसलिये कह रहा हूं. अभी और बताऊंगा तो उछल कूद मच जायेगी. आपने कहा था, इसलिये कह रहा हूं. इनकी खदान है सीहोर जिले में. कोई कह दे नहीं है, तो चुनौती है मेरी. सबसे ज्यादा जेएंडटी की रिपोर्ट है कि सीहोर और होशंगाबाद में अवैध खनन होता है.
श्री शंकरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, जो सदन के सदस्य नहीं हैं, उपस्थित नहीं हैं, उन पर आरोप नहीं लगाये जाते हैं. उनके नाम लेकर आरोप लगा रहे हैं. न उनको परमीशन है और न डाक्यूमेंट है न कुछ है. यह विलोपित किया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय -- जितू जी, नाम मत लीजिये,जो सदन के सदस्य नहीं हैं, उनके ऊपर आरोप न लगायें.
..(व्यवधान)..
श्री शंकरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, यह लफ्फाजी की हीरोगिरी है. यह विलोपित किया जाये.
श्री जितू पटवारी -- अगर मैं गलत कह रहा हूं तो आप मेरे खिलाफ निन्दा प्रस्ताव लाओ. सदन में मुझे गलत घोषित करो. मैं गलत बयानी कर रहा हूं, तो आपका हक है.(व्यवधान).. दूसरा नाम सुनो. यह बताऊंगा, तो बहुत उछल कूद होगी. अभी आप लोग बैठें.
उपाध्यक्ष महोदय -- पटवारी जी, जो इस सदन के सदस्य नहीं हैं, जो अपना बचाव नहीं कर सकते हैं, उनका नाम न लें. यह परंपरा नहीं रही है.
श्री जितू पटवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि यह वह आंकड़ा है, जिनके पास जो भाजपा का कार्यकर्ता है या नेता है, या उसका रिश्तेदार है, उसकी खदान भी चल रही है और उसी जगह चल रही है और जो जेएंडटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि 450 अवैध खदानें चल रही हैं, इसलिये इसको कोड करना जरुरी है. इसलिये मैं उल्लेख करना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप नाम नहीं लेंगे.
श्री जितू पटवारी -- अगर नाम नहीं लूं, तो पटल पर रख दूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं रहने दीजिये उसको. आपने बता दिया, इतना ही पर्याप्त है.
श्री जितू पटवारी -- इससे तो थोड़ा सत्य सामने नहीं आ पायेगा. और मेरे परिवार के लोग मुझे कहेंगे कि मैं लफ्फाजी कर रहा हूं. यह हो जायेगा. तो दोनों में से एक बात तो होगी.
उपाध्यक्ष महोदय -- ये मनोज अब नहीं कहेंगे. मनोज अब आप यह नहीं कहियेगा.
श्री शंकरलाल तिवारी-- नहीं, तो यहां चौहट्टा छाप भाषण भी न हो ना. घंटे भर से चौहट्टा छाप भाषण हो रहा है.
श्री जितू पटवारी -- यह बताओ कि यह शिवा कंस्ट्रक्शन क्या है. है पता. तो आपको जब पता नहीं है पूरी बात, तो क्यों बोल रहे हो. यह शिवा कंस्ट्रक्शन क्या है. इस सवाल का उत्तर सब पूछ लेना अपने आप से. सबसे ज्यादा रेत का अवैध कारोबार यह कंपनी करती है. यह इंदौर आती है, भोपाल जाती है. जितने भी बड़े शहर हैं, उसमें शिवा कंसट्रक्शन की सबसे ज्यादा रेत जाती है. एक अधिकारी इसकी एक गाड़ी नहीं पकड़ता है. ये सच्चाई है. इसको आपको और हम लोगों को समझना पड़ेगा. मध्यप्रदेश के हितों के साथ जितना दुर्व्यवहार इस कम्पनी ने किया है, किसी ने नहीं किया. तो यह तो पूछना पड़ेगा ना तिवारी जी, कौन करेगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- पटवारी जी, आप दो मिनट में समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, एक जनसंपर्क विभाग सबसे महत्वपूर्ण विभाग आया है.
उपाध्यक्ष महोदय-- जितू जी 2 मिनट में समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी --उपाध्यक्ष महोदय, मैं तो ओपनिंग कर रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपको 22 मिनट बोलते हुये हो गये हैं.2-3 मिनट व्यवधान के हो गये.
श्री जितू पटवारी --उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार का सबसे बड़ा हथियार है जनसंपर्क विभाग. जिस विभाग का बजट इस बार 242 करोड़ रूपये रखा गया है. मैं समझ नहीं पा रहा हूं यहां पर जिस तरीके से काम चालू हुआ जनसंपर्क का, एक बाला बच्चन जी का प्रश्न आया था और उस प्रश्न को कई अखबारों ने छापा भी था. और उस अखबारों से जो सच्चाई निकल कर के सामने आई, वह मैं सदन के सामने रखना चाहता हूं. और उस सच्चाई में सबसे बड़ी बात यह है कि एक वेटर था अशोका होटल का, वेटर या कोई कर्मचारी होगा अशोका होटल में , फिर वह डीजे बजाने लगा, आज से 5-7 पहले की कहानी है, याद रखना आप लोग फिर वो इवेन्ट मैनेजमेंट करने लगा. और इवेन्ट मैनेजमेंट के साथ साथ वो सरकार के जनसंपर्क कार्यालय के संपर्क में आया और इस साल उसको 21 करोड़ की एकमुश्त राशि दी है . 21 करोड़ यह आप और हम जैसे विधायक सोच भी नहीं सकते हैं. यह राशि इसको क्यों दी. इसका एक हिसाब आया तो 35 लाख का बैंक में हिसाब नहीं मिला तो बोले चलो बता देना, मतलब कितना पैसा आ रहा है उसके पास, सिर्फ जनसंपर्क विभाग के सारे काम वही करता है एक आदमी . उपाध्यक्ष महोदय यदि आप अनुमति दें तो मैं नाम बता दूं.(उपाध्यक्ष महोदय द्वारा ईशारे से नाम रहने दीजिये) इसने काम किया है, तभी तो मैं बोल रहा हूं, कुछ तो भी कागज पर हुआ होगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में एक योजना चलती है जिससे आप हम और आम आदमी लाभान्वित नहीं होता है. उसका नाम है के.एम.एस.वाय. कनेजिया समृद्धि योजना. यह कनेजिया समृद्धि योजना क्या है, समझो जरा. इनका एक टेंट लगा है सीएम हाउस में वह पिछले 10 साल से नहीं निकला और यह सरकारी काम है. यह टेंट के व्यवसायी हैं इनका बिल बताऊ कितने का है जनसंपर्क विभाग से ..
उपाध्यक्ष महोदय-- पटवारी जी कृपया 1 मिनट में समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी --उपाध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी गंभीरता के साथ में यह कहना चाहता हूं कि ....
राज्य मंत्री,सामान्य प्रशासन(श्री लाल सिंह आर्य) - उपाध्यक्ष महोदय, यह जो असत्य भाषण लगातार करते चले जा रहे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह -- आपकी भी पोल खोले क्या.
श्री लालसिंह आर्य -- हां हां खोलिये , तैयार हैं हम.
श्री जितू पटवारी --सर मैं खनिज विभाग की जो लिस्ट है इस पर मैं फिर से वापस आना चाहता हूं.
श्री लालसिंह आर्य-- आ जाओ, हमें कोई दिक्कत नहीं है. 43 साल आप सरकार में रहे आप गरीबों की पंचायत नहीं बुला पाये. लेकिन मुख्यमंत्री जी ने अपने बंगले पर पंचायत बुलाकर के गरीबों का कल्याण करने का काम किया है. क्या बरसात में पंचायत करेंगे, क्या गर्मी में पंचायत करेंगे. क्या उनको भोजन नहीं करायेंगे क्या. आप यही चाहते हो न गरीबों को भोजन नहीं होना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय--लाल सिंह जी आपकी बात आ गई है. कृपया बैठें.
श्री जितू पटवारी --आदरणीय उपाध्यक्ष महोदय, एक जनसंपर्क विभाग की नीति बनी थी कि जितनी बेवसाइड है (भारतीय जनता पार्टी के कुछ विधायकों के खड़े होने पर) अरे भैया कृपा करके मुझे बोल लेने दें तो मेहरबानी होगी. जरा सच्चाई सुनो भाई. मैं सब सत्य बोलता हूं. आप लोग परेशान होते हैं. मेरा अनुरोध है कि यह सच्चाई है .(XXX), बैठो.
श्री मनोज पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय,यह कुछ भी बोलेंगे.जितू भैया आपके समय में क्या हिस्सेदारी आती थी....व्यवधान...
उपाध्यक्ष महोदय-- कृपया सब लोग बैठें. शंकर लाल तिवारी जी आप भी बैठें.
श्री लालसिंह आर्य --(XXX).
श्री मनोज पटेल -- कुछ भी आरोप लगायेंगे क्या सदन में...व्यवधान...
उपाध्यक्ष महोदय- देखिये आप प्रोवोक (Provoke) मत करिये न. उसको तरीके से कहिये. आप प्रोवोक (Provoke) कर देते हैं लोगों को तो इतने सारे लोग खड़े हो जाते हैं तो आपकी बात रह जाती है.
श्री जितू पटवारी --जी उपाध्यक्ष जी, मैं कोशिश करता हूं. तरीके से कहने की. उपाध्यक्ष महोदय जनसंपर्क विभाग की एक नीति बनी थी ..
उपाध्यक्ष महोदय-- यह आखिरी बात है, इसके बाद समाप्त करेंगे.
श्री जितू पटवारी --नहीं, उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इतने व्यवधान में मैं अपनी बात कैसे रखूं. अभी मैंने टोटल 8 मिनट बोला है. मैंने आज यहां पर टाइमर लगा रखा है कि मैं कितनी देर बोल रहा हूं और व्यवधान कितनी देर हुआ.
श्री मनोज पटेल-- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा पाईंट आफ आर्डर है..
उपाध्यक्ष महोदय- टाइमर तो यहां भी लगा हुआ है, पूरे सदन में टाइमर लगा हुआ है. पटेल जी बैठ जाईय .इस पर कोई पाईंट आफ आर्डर नहीं होता, बैठ जाईये.
श्री जितू पटवारी --मनोज भाई प्लीज. मेरे को अपनी बात कहने दें.
श्री मनोज पटेल-- उपाध्यक्ष महोदय, जितू भाई ने आरोप सभी पर लगाया कि (XXX) है. यह किसी के ऊपर कुछ भी आरोप लगा देंगे क्या.
श्री शंकरलाल तिवारी-- यह माफी मांगे,(XXX).
श्री मनोज पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, किसी के ऊपर कुछ भी आरोप लगा देंगे क्या, यह हमारे ऊपर चाहे जो आरोप लगा देंगे, पहले यह कांग्रेस में हुआ करता होगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- यह विलोपित .
श्री जितू पटवारी (जारी)-- मैंने क्या आरोप लगाया मुझे तो समझ नहीं आया, मैंने कहा कि (XXX), मैंने तो बचाव किया, बचाव करने वालों को कहते हो कि हम पर आरोप लगाया. उपाध्यक्ष जी अब थोड़ी सी गंभीर बात मैं करना चाहता हूं. जो बाला बच्चन जी का प्रश्न था उस पर सरकार ने जो उत्तर दिया उसमें मध्यप्रदेश में रहने वाले या मध्यप्रदेश के निवासी या मध्यप्रदेश में जो काम करते हैं उन लोगों के लिये एक योजना बनी, जो जनसंपर्क विभाग की वेबसाइट होती है, उसी को काम दिया जाता है जो मध्यप्रदेश में निवासरत है. दिया कोई बात नहीं, मुझे अच्छा लगा कि मध्यप्रदेश के निवासी हैं उनको मिलना चाहिये, पर इसमें एक है गोरखपुर का इसका मतलब नीति आपकी है, या तो मैं गलत हूं ध्यान रखना मंत्री जी मैं स्पेशिफिक आपसे पूछ रहा हूं, जब आपकी नीति है कि मध्यप्रदेश में रहने वाले या निवासी को ही यह एड दिया जाता है तो फिर गोरखपुर के बलबीर सिंह जी, इनको किस अंतर्गत दे दिया आपने, यह आप ही के उत्तर में मैंने यह पूछा था जो 803 नंबर पर इसका उल्लेख है.
उपाध्यक्ष महोदय-- जितू जी अब आप समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी-- उपाध्यक्ष जी मुझे दो मिनट और दे दें.
उपाध्यक्ष महोदय-- समाप्त करें, मैंने कई बार आपसे कह दिया.
श्री जितू पटवारी-- ऐसे ही झालावाड़ की एक कंपनी को दे दिया, ज्योति कंस्ट्रक्शन, ऐसे ही एक दे दिया आपने पीरादेसाई मुम्बई की कंपनी को क्यों दिया, यह एक समझने की बात है. अच्छा यह संख्या मैं कि कितना-कितना पैसा दिया यह बात करूं तो और विवाद होगा, इसलिये पैसे को रोक रहा हूं मैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- जितू भाई समाप्त करें आप.
श्री जितू पटवारी-- उपाध्यक्ष जी मेरा आपसे अनुरोध है कि यह सच्चाई मध्यप्रदेश के लोगों को पता चलना चाहिये कि फोर्स इंडिया भोपाल उसको आपने दिया 2 करोड़ रूपया, क्यों दिया, कैसे दिया, कितना काम किया, यह उपाध्यक्ष जी बताने की आवश्यकता इस मध्यप्रदेश के लोगों कि इन्होंने एक कंपनी है हेमंत गौर जो यह रायसेन भोपाल रोड पर कस्टम मीडिया ... (व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करेंगे, टाइम मेनेजमेंट भी कोई चीज होती है, अब आप समाप्त करेंगे.
श्री जितू पटवारी-- बाला भैया मुझे समय मिलना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय-- समाप्त करेंगे आप, टाइम मेनेजमेंट भी कोई चीज होती है.
श्री जितू पटवारी-- टाइम मेनेजमेंट की बात, मेरी क्या गलती है, अगर मैंने एक बात भी गलत की हो तो मैं गुनहगार हूं और सच बात करने में देर होती है, लोग चिल्लाते हैं तो मैं क्या कर सकता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप प्रोवोक क्यों करते हैं लोगों को.
श्री जितू पटवारी-- मेरे काम करने की शैली ही ऐसी है, इसमें मैं क्या करूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप सम्मानीय विधायक हैं, शैली के संबंध में मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता हूं, लेकिन सदन की शैली अलग होती है. समाप्त करेंगे अब आप.
डॉ. गोविंद सिंह-- सुन नहीं सकते तो बहस क्यों चला रहे हैं, सदन में अगर वास्तविकता नहीं कहेंगे तो कहां कहेंगे. अगर हम कर रहे हों भ्रष्टाचार तो हमारे ऊपर आरोप लगाईये आप. हम तो चुप नहीं रहेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- नहीं, तो फिर लिखित में सूचना दीजिये अगर विधायकों के ऊपर आरोप लगा रहे हैं.
श्री जितू पटवारी-- किसके ऊपर आरोप लगाये मैंने सर.
डॉ. गोविंद सिंह-- किसी का नाम नहीं लिया गया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- यह सड़क का भाषण नहीं है, सदन का भाषण है गोविंद सिंह जी, और अगर बाला बच्चन जी की अगर तुलना करेंगे तो बाला बच्चन जी पांचवी बार हैं विधानसभा में.
उपाध्यक्ष महोदय-- यशपाल जी बैठ जाइये. ... (व्यवधान)..
श्री शंकरलाल तिवारी-- जितू पटवारी का पूरा भाषण खनन माफिया के इशारों पर हो रहा है, और खनन माफिया बीजेपी की सरकार में आने के बाद लूट नहीं पा रहा है, वह खनन माफिया जबरन सरकार पर आरोप लगा रहा है. इतिहास जानता है कि कांग्रेसी खनन माफिया चलाते थे. .....(व्यवधान)...
श्री जितू पटवारी-- यह जेएनटी की रिपोर्ट है, जिसने सरकार से 15 दिन में जवाब मांगा है, बताओं जेएनटी क्या होता है, बताओ. (श्री शंकरलाल जी की तरफ इशारा करते हुये)
उपाध्यक्ष महोदय-- शंकरलाल जी यह आपत्तिजनक है, आप बार-बार टोकते हैं, और कोई उत्तेजित नहीं हो रहा, आप ही हो रहे हैं बार-बार, बैठ जाइये.
श्री बाला बच्चन--उपाध्यक्षजी, वे हमारे ओपनिंग स्पीकर हैं. उनको अपनी पूरी बात कह लेने दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय-- बाला बच्चन जी, कांग्रेस को कुल समय 42 मिनट आवंटित है. जितू पटवारी जी 32-33 मिनट बोल चुके हैं. उसमें से 5-6 मिनट हम व्यवधान के निकाल देते हैं तो भी 25-26 मिनट ये बोल चुके हैं.
श्री बाला बच्चन--उपाध्यक्षजी, थोड़ा समय और दे दीजिए. ये अपनी बात पूरी कर लेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- टाईम मेनेजमेंट करना पड़ता है. यह सीखना पड़ेगा.(व्यवधान)
श्री शंकरलाल तिवारी--ओपनिंग बॉलर और सारी नो बॉल.
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, आप फिर खड़े हो गये.
राज्यमंत्री, संस्कृति(श्री सुरेन्द्र पटवा)--उपाध्यक्ष महोदय, जितू जी यदि कोई बात कहना चाहते हैं, आरोप लगाना चाहते हैं, करें लेकिन जिस तरह से विधायकों को संबोधित करके बात कर रहे हैं जैसा आपने भी कहा. अच्छा बोलते हैं,पहली बार के विधायक हैं. मेरी शुभकामना है कि आने वाले समय में वह नेता प्रतिपक्ष बनें. लेकिन विधायकों से सीधे रुबरु बात न करें. आसंदी को संबोधित करते हुए बात कहें.
उपाध्यक्ष महोदय--यह मैंने कहा है.
श्री जितू पटवारी--उपाध्यक्षजी, इसके लिए मैं खेद व्यक्त करता हूं कि मैंने परिवार के लोगों को ठेस पहुंचाई.
उपाध्यक्ष महोदय--आप अपनी बात समाप्त करिये. अन्यथा मुझे कहना पड़ेगा कि ये कार्रवाई में नहीं लिखा जायेगा. कहीं तो अंत होता है.
श्री जितू पटवारी-- दो मिनट दीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय--एक मिनट में समाप्त करिये.
श्री जितू पटवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, ये ओम बुद्दाय,भोपाल इसको आपने 5 करोड़ रुपये दिये. सृष्टि फिल्म इंडिया,भोपाल के हेमंत गौर इसको 5 करोड़ रुपये से भी ज्यादा दिये. एमपी इंटरप्राईजेस,भोपाल को दिये साढ़े 5 करोड़ रुपया. 15-20 नाम और है चूंकि एक मिनट का समय है. मेरा स्पष्ट कहना है कि जन संपर्क विभाग इस सरकार के खराब कार्यों को अच्छा बताने के लिए काम करता है. अधिकारी यहां पर बैठे हैं. जिस तरीके से मुख्यमंत्रीजी जब मुआवजा बांटने जाते हैं. फसलें देखने जाते हैं. फसलों का नुकसान कितना हुआ यह देखने जाते हैं, आंसू बहते हुए उनके भी विज्ञापन देते हैं. मुझे आज तक समझ में नहीं आया कि अगर किसान के आंसू पोंछो, किसी का दर्द लो, उसके भी विज्ञापन दो. यह मध्यप्रदेश की सरकार हो सकती है कि सिर्फ विज्ञापनों से अपनी बात करती है. मंत्रीजी, मुझे पक्का भरोसा है कि जितने मैंने आरोप लगाये हैं, उनके आप उत्तर देंगे तो आपकी मेहरबानी होगी और मध्यप्रदेश के उज्जवल भविष्य के लिए मैं अनुरोध करता हूं कि इसमें सुधार करें.कांग्रेस पार्टी आपके सुधारों में आपके साथ है. मध्यप्रदेश में अवैध उत्खनन को रोकने की आप कृपा करें जिससे मध्यप्रदेश का राजस्व बढ़ेगा. जिससे म.प्र. की जीवन शैली बदलेगी. इसी के आशा के साथ मैं इस प्रस्ताव का विरोध करता हूं.धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र वर्मा--उपाध्यक्ष महोदय,आप आसंदी से निर्देश दीजिए कि जब मंत्रीजी का उत्तर आये तो उस समय पटवारी जी यहां मौजूद रहें क्योंकि ये हमेशा आरोप लगाकर चले जाते हैं, रणछोड़दास बन जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--नहीं, ऐसी बात नहीं है. उद्योग विभाग की चर्चा में वे पूरे समय बैठे रहे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा(जावद)--उपाध्यक्ष महोदय, चलिये वो घोड़ा नहीं संभाल पाये और तो सब ठीक रहा. मैं मांग संख्या 12,25,32 और 76 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा बहुत स्पष्ट मानना है कि उर्जा जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज है. उर्जा के बिना जीवन का अर्थ ही खत्म हो जाता है. मैं मध्यप्रदेश की सरकार माननीय मुख्यमंत्रीजी, माननीय मंत्रीजी, वित्त मंत्री जी सबको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने उर्जा के लिए पिछले वर्ष से इस वर्ष ज्यादा बजट दिया है. पिछले वर्ष उर्जा के लिए 9704 करोड़ रुपये का बजट था उसको बढ़ाकर इस साल 19977 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. जो दुगुने से ज्यादा है. क्योंकि अगर उर्जा बढ़ेगा, प्रदेश पावर में सरप्लस होगा तो बहुत सारे अन्य उद्योग भी आयेंगे. IT इंडस्ट्रीज़ भी आयेंगी. रोजगार भी आयेंगे. उद्यानिकी और हार्टिकल्चर की बात करें या ग्रीन हाऊस की बात करें या पॉली हाऊस की बात करें या कोल्ड स्टोरेज की बात करें या चेन ऑफ कोल्ड स्टोरेज की बात करें क्योंकि आज की तारीख में 30 से 40 प्रतिशत हमारे प्रदेश के फ्रुट्स और वेजीटेबल जो While transporting सड़ जाते हैं, वह सब अगर बच सकता है तो उन सब चीजों के लिए सबसे पहली मूलभूत जरुरत है बिजली और मैं माननीय मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी को इसके लिए बहुत बहुत बधाई देते हुए यह कहूंगा कि उनकी योजना बहुत अच्छी है और उससे काफी तरक्की आगे और तेजी से बढ़ेगी. मैं अगर बात करूं कि कृषि में बिजली विभाग द्वारा दी हुई सब्सिडी की तो वित्तीय वर्ष 2013-14 में यह 2250 करोड़ रुपए की थी, वर्ष 2014-15 में बढ़कर 4480 करोड़ रुपए हुई, वर्ष 2015-16 में यह बढ़कर 7405 करोड़ रुपए हुई. हर साल किसानों को सब्सिडी और अनुदान मिल रहा है, इसका मतलब किसान जो आधा पैसा भी दे रहा है, चौथाई पैसा भी जो दे रहा है, 75 प्रतिशत सब्सिडी मिल रही है. लेकिन हर साल उसकी खपत भी दोगुनी बढ़ती जा रही है. इसका मतलब पैदावार बढ़ने का कहीं न कहीं मूल कारण बिजली है. मुझे वह दिन भी याद है, जब मैंने वर्ष 2004 में पहली बार बजट पर चर्चा करते हुए जब यह बात उठी थी. मैं पहली बार विधायक बनकर आया था तो ऊर्जा विभाग पर बोलने के लिए मुझे कहा था. मैंने उस समय के सरकारी आंकड़ें बताए थे, जिसमें सालाना एक प्रतिशत तरक्की की मांग की थी कि हमारी खपत इतनी बढ़ती है. मध्यप्रदेश को बस इतनी ही बिजली की जरूरत है. वह आज औसत में 10 से 15 प्रतिशत से ज्यादा की गति से हम तरक्की कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, अगर मैं बात करूं पॉवर जनरेटिंग कंपनी के प्रावधान की तो अलग-अलग कोल ब्लॉक, अलग-अलग जगह की जो पॉवर जनरेटिंग यूनिट हैं, चाहे गोदबहेड़ा कोल ब्लॉक की बात करें तो उसके विकास के लिए 290 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, वह बहुत महत्वपूर्ण है. चाहे मैं सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना के प्रथम चरण के दो प्लांट 600-600 मेगावॉट की, चाहे मैं जिला खंडवा में 151 करोड़ रुपए के अनुदान की बात करूं, चाहे मैं सिंगाजी ताप के दूसरे प्लांट की द्वितीय चरण की बात करूं, 660 मेगावॉट के दो प्लांट की बात है, कुल मिलाकर मध्यप्रदेश की तेजी से प्रगति और आने वाली जरूरतों का क्योंकि आने वाले समय में आईटी और सर्विस इंडस्ट्रीज़ जिस तेजी से बढ़ रही है तो उसमें बिजली की खपत भी सबसे ज्यादा होगी. मुझे वह दिन भी याद है कि किसी जमाने में यहां पर सदन में किसी सदस्य ने कहा था, मुझे नाम तो ध्यान नहीं है. हम काफी तेजी से आईटी में 4 लाख, 5 लाख लोगों को रोजगार देंगे, तब मैंने एक ही सवाल पूछा था कि एक आदमी को रोजगार देने के लिए आईटी इंडस्ट्री में 2 किलोवॉट बिजली की पहले जरूरत होती है. वह बिजली कहां से लाएंगे. वह विश्वास आज हमारे मंत्री जी ने पूरे भारत में यह विश्वास दिला दिया कि बिजली की जितनी जरूरत होगी, चाहे वह उद्योग हो, चाहे सर्विस इंडस्ट्रीज़ हो, चाहे घर का काम हो, चाहे खेती का हो, चाहे फूड प्रोसेसिंग प्लांट की बात हो, जिस दिन इस बात पर विश्वास हो जाता है, उस दिन इंडस्ट्री और बाकी चीजें भी आगे चलेंगी.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं पॉवर ट्रांसमिशन की बात करूं तो ट्रांसमिशन के लिए भी पारेषण प्रणाली पर डबल से ज्यादा पैसा दिया. मैं अगर विद्युत प्रदाय की पिछले 6 महीने से तुलनात्मक आंकड़ों की बात करूं पर मिलियन यूनिट की बात करूं तो सितम्बर 2015 में हमारा प्रोडक्शन था, 513 करोड़ यूनिट जो कि इसी महीने में पिछले वर्ष 459 करोड़ यूनिट था, अगर मैं अक्टूबर की बात करूं तो 544 करोड़ यूनिट से बढ़कर यह 640 करोड़ यूनिट हुआ. औसत यह 17.5 प्रतिशत हुआ, क्योंकि कई बार यह भी चर्चा में बात आई की कैपेसिटी जनरेट करना ही केवल इसका हल नहीं है जब तक आप कितने यूनिट प्रोड्युस करके डिलीवर कर रहे हैं, वह महत्वपूर्ण है. आज मुझे इस बात पर बधाई देने में कोई हिचक नहीं है कि अगर आज बिजली दिल्ली को या मेट्रो को जरूरत होती है तो वह मध्यप्रदेश की सरकार को याद करते हैं. कभी वह स्थिति भी थी जब हमें बिजली ढूंढनी पड़ती थी और विशेषकर कुछ बड़े-बड़े शहरों को छोड़ दें तो गांव में 24 घंटे में से 20 घंटे बिजली गायब ही रहती थी. एक एक के बजाय दो दो तीन तीन इनवर्टर घरों में रखे जाते थे,आज उन सबकी जरूरत नहीं रही है. मैं अगर सुदृढ़ीकरण की बात करूं तो 599, 33 केवीए के नये उपकेन्द्र बनाये हैं,8861 किलोमीटर के नये 33 केवीए की लाइनों बनायी, 1.27 लाख किलोमीटर 11 केवीए की लाइन का निर्माण किया. यह एक दिन का काम नहीं है. यह एक झटके में नहीं हो सकता है. इसके लिए लंबी सोच और लंबा विषय और बड़ी गंभीरता से बैठकर उस फण्ड का भी प्रावधान करना होता है. उन सब परिस्थितियों से भी गुजरना पड़ता है जब लाइनें खींची जाती हैं तो किसी के खेत में से लाइन जाती है, किसी की जमीन में से गुजरती है, इसमें लैण्ड इक्विजिशन से लेकर कई बातों की स्थिति आती है.
मैं यहां पर अगर ट्रांसफार्मरों की बात करूं तो 2.5 लाख नये ट्रांसफार्मर पिछले 5 वर्षों में लगाये गये हैं, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक रिकार्ड है, 100 प्रतिशत ट्रांसफार्मर की वृद्धि करना बड़ी बात है.
दीन दयाल ज्योति पर बात करना भी एक विषय है. जले हुए ट्रांसफार्मरों को बदलने की बात हुई तो जब सूखा पड़ा और पिछले बार स्थिति हुई कि 50 प्रतिशत से 10 प्रतिशत का जो आदेश किया है, आदेश करने के बाद 7176 में 6806 ट्रांसफार्मर 10 प्रतिशत किसानों के द्वारा जमा करने पर बदले गये हैं यह अपने आपमें एक ऐतिहासिक रिकार्ड है.
अगर मैं यहां बात करूं स्पाट मीटरिंग के बारे में तो उसके बारे में भी हमारी इलेक्ट्रिक की डिस्ट्रीब्यूशन की कंपनी इसके बारे में सोच रही हैं. लेकिन मैं यहां पर अस्थायी पंपों को स्थायी में कन्वर्ट करने की भी योजना बनायी है. 5 लाख टेम्परेरी कनेक्शन को परमानेंट में बदलने की जो योजना बनाई है बड़ी महत्वपूर्ण योजना है लेकिन मैं यहां पर एक सुझाव भी देना चाहता हूं कि यह जो टेम्परेरी को परमानेंट करने की योजना पर मैंने मेरे नीमच जिले के आंकड़े जब मंगाये तो मेरी विधान सभा जावद में 1780 कनेक्शन टेम्परेरी हैं इनको परमानेंट करने के लिए 19 करोड़ रूपये की मांग यहां पर आयी है. इसका मतलब यह हुआ है कि औसत एक लाख बीस हजार रूपये प्रति कनेक्शन टेम्परेरी को परमानेंट करने के लिए चाहिए फिर चाहे वह उसके लिए अतिरिक्त खंबे लगा रहे हैं या अतिरिक्त तार लगा रहे हैं, या डी पी लगा रहे हैं. मेरा इसमें एक सुझाव है कि इसको सोलर पंप मिशन में इसको ज्वाइंट कर दें तो एक लाख बीस हजार रूपया तो जो आप सीधे लगा रहे हैं वह एक लाख बीस हजार रूपये प्लस एक साल में 5 हार्स पावर पर मध्यप्रदेश की सरकार औसत में किसान को 60 हजार रूपये का अनुदान देती है, क्योंकि वह बिल मध्यप्रदेश की सरकार भरती है. किसान के पैसे के अलावा बिजली विनियामक आयोग के फार्मूले पर यह एक लाख अस्सी हजार रूपया हुआ, केन्द्र 2 लाख 40 हजार रूपये एक 5 हार्स पावर के पंप के लिए दे रहा है. दोनों को मिलाकर दे दें तो यह अस्थायी के लिए लाइनें खींचना खंबे लगाना ट्रांसफार्मर की वृद्धि करना, के बजाय अगर सीधे सोलर पंप लगा दें. इसमें एक तो जीवन भर के लिए आपकी सब्सिडी बचेगी दूसरा उतनी लाइन को मेंटेन करना, उतने स्टाफ और उतने विवाद से हम बचेंगे तीसरा किसान को भी धीरे धीरे आगे कुछ भी नहीं देना होगा, तो उसकी सक्षमता जो कि माननीय मुख्यमंत्री जी का सपना है उसमें भी तरक्की आयेगी.
यहां पर मेरा एक छोटा सा सुझाव है 5 लाख कनेक्शन 2 - 3 साल में परमानेंट करने की कोशिश कर रहे हैं. उस पैसे को मर्ज कर देंगे तो वह बहुत अच्छी योजना होगी. इसकी मैंने कई स्तर पर चर्चा भी की है. जहां तक मैं समज पाया हूं यह मोस्ट वाइबल इकानामिक्स हैं. मैं एमपी पावर मैनेजमेंट के कार्यशील पूंजी में 500 करोड़ रूपये का जो ऋण है इसके सतत ऋण को इक्विटी में बदलने के लिए उपकर के पैसे को परिवर्तन करने के पैसे को 1640 करोड़ रूपये का जो आपने प्रस्ताव दिया है उसका भी समर्थन करता हूं. देयकों की देनदारी में सतत ऋण में परिवर्तन करकेक 452 करोड़ रूपये बदल रहे हैं. मैं उस पर भी सहमत हूं और इसकी बात पर इन प्रिसिंपल इसलिए इसको एप्रीसिएट करता हूं कि कागजों में जब तक हम जितनी जल्दी ऋण को खत्म करके पॉजिटीव वे में आगे बढ़ेंगे, कैपिटल में कन्वर्ट करके उसकी स्ट्रेंथनिंग करेंगे तो हमारी बॉरोइंग केपेसिटी भी बढ़ेगी और और आगे प्रोडक्शन बढ़ाने में क्षमता बढ़ेगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विद्युत प्रदाय की टोटल स्थिति अगर लें तो पहली बार प्रदेश में 10 हजार मेगावाट से ज्यादा की सप्लाई हुई है जो अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है. आप सोचिए, किसी जमाने में, वर्ष 2004 में यह कुल 27 सौ मेगावाट थी और आज हमने 10 हजार मेगावाट की सप्लाई की है और हम पीक में भी 10861 मेगावाट तक पहुँच चुके हैं. ये अपने आपमें बहुत बड़ा चमत्कार है. पूरे मध्यप्रदेश के विकास की मूल जड़ मेरी निगाह में बिजली है. दूसरी लाइन आती है इन्फ्रास्ट्रक्चर जिसमें सड़क है और शिक्षा थर्ड विषय पर आती है लेकिन अगर बिजली है तो सबकुछ है यह मेरा पक्का विश्वास है. आज अगर मध्यप्रदेश में टोटल उपलब्ध विद्युत क्षमता की बात की जाए तो 16116 हो गई है क्योंकि कुछ शेयर हमें केन्द्रीय बिजली बोर्ड के जो यहां पर प्लांट हैं उनसे भी मिलते हैं. यदि हम इंडीविजुअल बात करें तो अगर मैं मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी की बात करूँ तो यह 6185 मेगावाट है, अगर मैं संयुक्त क्षेत्र में जल विद्युत की बात करूँ तो 2427 मेगावाट है, अगर मैं केन्द्रीय क्षेत्र के बिजली की बात करूँ तो यह 8341 मेगावाट है, अगर मैं निजी क्षेत्र में भी बात करूँ तो अब वह स्थिति नहीं है. किसी जमाने में जब मैं दिल्ली में इंडस्ट्री चलाता था तब मैं सुनता था कि दिग्विजय सिंह जी ने बहुत सारे एमओयू साइन किए परंतु एक भी पॉवर प्रोजेक्ट नहीं आया और वह केवल कागजों में रहा, आज हमारे मध्यप्रदेश में निजी क्षेत्र में 3406 मेगावाट बिजली का प्रोडक्शन हो रहा है, यह अंतर है लोगों की सोच और काम करने के पक्के इरादे का.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अगर नवकरणीय ऊर्जा की बात करूँ तो 2157 मेगावाट है जो किसी जमाने में जीरो था और कांग्रेस के जमाने में मात्र 23 मेगावाट था. जब हम नवकरणीय ऊर्जा की बात करते हैं तो इसमें औसम में 3 से 4 गुना ज्यादा इनवेस्टमेंट होता है तब यह इनर्जी आती है और मैं यहां पर यह बात करूंगा हमारी भारतीय संस्कृति और संस्कार की जिन्होंने सूर्य को पहले दिन से समझा कि वह जीवन के लिए ऊर्जा का स्रोत है. मुझे बड़ा गर्व होता है जब पूरे मध्यप्रदेश में बात होती है कि पूरे एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट जावद में लगा था तो शुरू में मैं जब बात करता था तो लोग हंसते थे कि डेढ़ सौ मेगावाट, हजार करोड़ रुपया, कहां यह बात कर रहा है, हंसी-मजाक में लोग टालते थे और जब लगा और उस समय माननीय नरेन्द्र मोदी तो गुजरात के मुख्यमंत्री थे वे खुद जब प्लांट को लोकार्पण करने आए तो उस दिन हमारा सीना गौरव से फूला था वह दिन आज भी हमें याद है क्योंकि उस समय तक गुजरात पूरे भारत में नंबर वन पर था और उस प्लांट के चालू होते ही मध्यप्रदेश भी सोलर में नंबर वन हो गया और केवल इंडिया में ही नहीं, पूरे एशिया में नंबर वन हो गया. अब जो नई प्रक्रिया है जिसमें तीन पब्लिक सेक्टर एनटीपीसी, मध्यप्रदेश इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड आदि मिलकर हमारे माननीय मंत्री जी के क्षेत्र में साढ़े सात सौ मेगावाट दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल सोलर पॉवर स्टेशन लग रहा है और बहुत जल्दी उसकी लैंड एक्वायर होकर उसकी बाऊंड्री वाल का काम काफी तेजी से चल रहा है. यह प्रोजेक्ट भी अगले डेढ़ से दो साल में कंपलीट हो जाएगा. दुनिया में नाम अगर किसी ने किया है तो वह अल्टरनेट एनर्जी ने किया है जिसमें कोई रॉ-मटेरियल नहीं लग रहा है कोई रिकर्रिंग कॉस्ट नहीं है और वह ऐसी एनर्जी है जो जीवन में कोई पॉल्यूशन नहीं करती है न वातावरण बिगाड़ती है और प्रकृति के विपरीत इसमें एक भी शब्द नहीं है क्योंकि मैंने अपने जीवन में एक ही नियम बनाया है कि प्रकृति के नियमों के अनुरूप अगर आप चलते जाओगे तो दुनिया की कोई शक्ति आपको रोक नहीं पाएगी. प्रकृति के स्वरूप वाली जितनी एनर्जी के सोर्स का उपयोग आज मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है. मैं माननीय राजेन्द्र शुक्ल जी को इस पूरे कार्य के लिए व्यक्तिगत रुप से बहुत बहुत उनका अभिनंदन करता हूँ और धन्यवाद भी देता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, मैं अगर वितरण कम्पनियों के प्रावधान की बात करूं तो 1933 करोड़ रुपये का तीनों वितरण कम्पनियों का प्रावधान किया क्योंकि जब तक हमारा डिस्ट्रीब्यूशन में लॉसेस कंट्रोल नहीं हो क्योंकि किसी जमाने में लॉसेस में 25 से 30 प्रतिशत एनर्जी चली जाती थी, जो आज बहुत कंट्रोल में है उसमें इन तीनों डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी को अगर मैं बात करुं, उप पारेषण के लिए 607 करोड़ रुपया, कृषि उपयोग के लिए जो डिस्ट्रीब्यूशन स्वतंत्र फीडर के लिए 284 करोड़ रुपया इस बार दिया. कृषकों को स्थायी पम्प कनेक्शन के लिए 397 करोड़ रुपये का अलग से प्रावधान किया है. इसके लिए भी मैं आपको बधाई देता हूँ. मैं माननीय मंत्री जी को एक और छोटा सा सुझाव देना चाहता हूँ कि जैसे मैंने कहा कि नये आप टेम्प्रेरी कनेक्शन को परमानेंट कनेक्शन की बात कर रहे हैं. ऐसे ही जितनी भी पंचायत जहां पर जल की परताई योजनाएं हैं उसमें भी अगर आप सोलर पम्प के बारे में विचार करेंगे तो यह पंचायतों का और उनकी योजनाएँ जो कुछ समय बाद बिजली के बिल के डिस्प्यूट को लेकर के या कहीं न कहीं नगर के दूसरी स्ट्रीट लाइट का पैसा जमा नहीं करते, काट देते हैं पब्लिक बहुत परेशान होती है. दो बड़े बड़े विभाग की लड़ाई में जनता को काफी लम्बा कष्ट झेलना पड़ता है. यह तो सिद्ध हो चुका है कि आखिरी में सोलर या आल्ट्रनेट एनर्जी सबसे सस्ती है इसलिए मेरा आपसे यह निवेदन है कि चाहे आप उसमें ग्रामीण विकास मंत्री जो फंड हर साल कर रहा है कि तीन साल या पांच साल का उनका फण्ड क्लब करके एक साथ मांग के जितने भी पेयजल की योजनाएं हैं उनको सोलर पम्प से अगर कनेक्ट कर दें तो यह एक बहुत बड़ा काम आसान होगा और बहुत बड़ी सेवा होगी क्योंकि हर गांव में क्योंकि आज 50 प्रतिशत से ज्यादा पेयजल योजना बंद पड़ी हैं और शहरों में तो कम होती है, और मेरा ख्याल है कि आपके जिले में भी मैं एक बार एस्टीमेट कमेटी के रुप में गया था तो वहां पर भी वही शिकायतें मुझे मिली थीं तो मेरा आपसे विशेष निवेदन होगा कि उस पर थोड़ा ध्यान दें. जो गांव अभी बिजली से बिलकुल कनेक्टेड नहीं हैं वह 324 ग्राम हैं जिनको बिजली अभी तक आपके डाटा के हिसाब से नहीं पहुंची है. लाइन खींचना और नयी ड्रा करने के बजाय वहां की जरुरत कोआपरेटिव्ह बेसिस पर भी सोलर का अभी नया प्रयोग उत्तरप्रदेश में बहुत अच्छा हुआ है. तीन पंचायतों ने टोटली अपनी टोटल पावर की रिक्वार्यमेंट की सामूहिक 50-100 किलोवाट के यूनिट लगा के सेल्फ की है और उसमें 50 प्रतिशत ग्रांट भारत सरकार दे रही है, 25 से 30 प्रतिशत अगर राज्य सरकार दे दे तो तो 20-22 प्रतिशत कोआपरेटिव्ह वहां की करके वह भी कर सकते हैं. ऊर्जीकृत करें , बहुत बढ़िया आप लाइने खींचे, लेकिन वह एक शार्टकट और फास्टर-कट होगा.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया-- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जडी से आग्रह करुंगा कि यह जो सौर ऊर्जा विद्युत पम्प की बात माननीय सखलेचा जी ने उठायी है उसको अगर जावद विधानसभा क्षेत्र से प्रयोगात्मक शुरु करें क्योंकि राजस्थान ने इसको प्रारम्भ कर दिया है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- जावद में अगर आप बोलेंगे, 3 महीने में 1700 आपके टेम्प्रेरेरी कनेक्शन हैं. सत्रह सौ के सत्रह सौ सोलर पर कन्वर्ट करवा दूँगा. सिर्फ आपका जितना पैसा बच रहा है वह पैसा आप वहाँ पर दे दें और एक प्रयोग करके देखें कि उसका रिफ्लेक्शन क्या आता है. बिजली खपत के मामले में जो आपकी एक नई योजना आई है.
श्री दुर्गालाल विजय-- सोलर पंप को मेंटेन करने में कठिनाई है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- मेंटेन उसमें कुछ भी नहीं होता है.
श्री दुर्गालाल विजय-- हमारे श्योपुर में कराहल अनुसूचित जनजाति विकासखंड के अन्दर इस प्रकार के 4-5 गाँवों में प्रयोग किए गए थे, सोलर पंप के.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- पंप में कुछ होता ही नहीं है. सोलर पंप में मेंटेनेंस का कोई लंबा चौड़ा काम नहीं है और हमने तो जो देखे हैं, मैं तो खुद भी देखता हूँ लगे हुए हैं और सोलर प्लाटं डेढ़ साल से मेरे यहाँ चल रहा है. अब तो दो साल हो गए.
उपाध्यक्ष महोदय-- सखलेचा जी, एक मिनट में समाप्त करें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- मैं माननीय बिजली मंत्री जी को इस मामले में भी बधाई देना चाहूँगा कि उन्होंने उद्योगों के लिए ऊर्जा कर पर बड़े उद्योग और छोटे उद्योग पर 50-50 पैसे की ग्राण्ट देकर उद्योगों के लिए पावर सस्ती करके प्रदेश में उद्योगों का रुझान बढ़ाने का एक प्रयास कर रहे हैं वह काम भी उनका बहुत प्रशंसनीय है और उस प्रयास को और ज्यादा अगर आप जितना उसमें सपोर्ट कर सकें उतनी तेजी से इंडस्ट्री आएगी क्योंकि आज मंदी के दौर में अगर इंडस्ट्री कहीं आ सकती है तो आपकी सस्ती बिजली के रुझान पर बड़ी से बड़ी इंडस्ट्री सोचने पर मजबूर होगी.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करें. आपने बहुत लंबी चर्चा कर दी. एक विशेषज्ञ बतौर कर दी.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- मैं क्या करूँ. मैं दो मिनट में समाप्त कर देता हूँ. 2-3 सुझाव मायनिंग के मामले में देना चाहता हूँ. हमारे जिले में जितना भी अभी मायनिंग का काम हो रहा है और जो बड़े ब्लाक को दे रहे हैं. उनका न तो कोई वहाँ पर मायनिंग प्लान है क्योंकि मायनिंग प्लान जहाँ तक मुझे समझाया गया है कि जब तक एक माइन बंद न हो दूसरे को खोलने की इंडस्ट्री को साधारणतः परमीशन नहीं होती है या अधिकतम दो माइन एट ए टाइम चला ले, जब वह पहली बंद करेगा तो तीसरी माइन खोलने की उसको परमीशन होनी चाहिए. दूसरा, उसमें जहाँ तक मुझे ध्यान है जितनी भी इंडस्ट्रीयल आउटपुट की माइन्स हैं, उनको इंडस्ट्री के लिए प्राथमिकता पर लाकर एलोकेट किया जाता है. लेकिन हमारे यहाँ पर कुछ ऐसे प्रकरण हुए मैंने माननीय मंत्री जी के ध्यान में भी डाला था कि जिसमें मायनिंग का एक्ट जब बदल गया उसके बदलने के, लोकसभा और राज्यसभा के प्रस्ताव आने के बीच में, कुछ माइन प्रायवेट ट्रेडिंग की 2-3 दिन में कोर्ट के आदेश के गलत डाक्यूमेंट लगाकर ट्रांसफर की हैं क्योंकि वह ऑक्सन होनी चाहिए और उसकी चर्चा मैंने एक बार माननीय मंत्री जी से भी की थी और मेरा निवेदन है कि अगर वह सब गलत एलोकेशन हुई है और वह केवल मिनरल निकाल कर वहाँ पर मैन्यूफैक्चरिंग सेटअप न लगाकर केवल ट्रेडिंग के लिए अगर वह कर रहे हैं तो यह घोर निंदनीय है क्योंकि हमारे क्षेत्र की इंडस्ट्री को रुकावट करके दूसरा प्रॉस्पर करे और हमारे क्षेत्र के बच्चे बेरोजगार घूमें यह किसी कीमत पर हमें मान्य नहीं होगा. मेरा विशेष आग्रह होगा और दूसरा जितनी भी यह माइन्स एलोकेशन, इनकी कहीं न कहीं मायनिंग प्लान कलेक्टोरेट के यहाँ जब चर्चा होती है कोई विशेष विषय हो तो यह एक्सेसएबल होना चाहिए ताकि उस पर चेक एंड बैलेन्स रखा जाए क्योंकि मायनिंग प्लान के साथ ही इनका पर्यावरण का भी प्लान आता है क्योंकि जितने उसके साथ प्लांटेशन लगने चाहिए वह सब भी नहीं होता है. उपाध्यक्ष महोदय, धन्यवाद आज आपने बहुत समय दिया. बहुत बहुत आभार.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आसंदी से माननीय अध्यक्ष महोदय ने कहा था कि केवल पांच-पांच सदस्य बोलेंगे यह जो नये सदस्य आये हैं यह क्या केवल हो हल्ला सुनने के लिए बैठे हैं. जिनका नाम है लिस्ट में उन्हें अपने क्षेत्र की बात करने की अनुमति दें माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चार-पांच वरिष्ठ सदस्य उधर से बोल लेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- समय तो आप लोग हो-हल्ला करने में बर्बाद कर देते हो प्रश्न यह है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--उपाध्यक्ष महोदय, हमारी आपसे प्रार्थना है आसंदी से प्रार्थना है कि जिन लोगों के उसमें नाम हैं केवल उनको एक-एक मिनट दे दो.
उपाध्यक्ष महोदय--एक-एक मिनट कोई नहीं लेता है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--एक-एक मिनट लेंगे और अपने क्षेत्र की बात कर लेंगे आप यह व्यवस्था देकर जायें उपाध्यक्ष महोदय यह आग्रह है आपसे. चले ही गये. अब सभापति जी व्यवस्था देंगे.
8.06 बजे {सभापति महोदय (श्री ओमप्रकाश सखलेचा) पीठासीन हुए}
सभापति महोदय--पिछली बार जब चर्चा हो रही थी जब मैं उस कुर्सी पर वहां बैठा हुआ था तब चर्चा में यह बात आई कि भले कम व्यक्ति बोलें लेकिन मेरा एक सुझाव है कि आप लोगों के जितने लिखित विषय हैं वह जोड़ लें क्योंकि जो यहां टारगेट दिया है वह दोनों पार्टियों के वरिष्ठों ने बैठकर जो तय किया है मुझे तो सिर्फ उसका पालन कराना है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--माननीय, आसंदी से यह निर्देश हुए थे कि 5-5 लोग बोलेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह--आसंदी से निर्देश नहीं हुए हैं सूबेदार सिंह जी आपकी पार्टी ने लिखकर दिया है कि केवल पांच लोग बोलेंगे. यह बात सही है कि नये सदस्यों को एक-एक मिनट बोलने का समय मिल जाता है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा--आप कर रहें हैं आपकी बात मान लेते हैं लेकिन हमारा निवेदन है कि अनुदान मांगों पर उन्हें समय मिल जाता है वे एक-एक मिनट में अपनी बात कह लेंगे.
सभापति महोदय--अभी इस पर चर्चा करते हैं पहले 5-5 तो हो जाने दें जब तक चर्चा करते हैं उतना समय तो बचायें.
श्री गोपाल भार्गव--यह भारत भवन के कवि सम्मेलन जैसा हाल हो रहा है जितने कवि होते हैं उससे कम श्रोता होते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--सभापति महोदय, भार्गवजी ने जो ध्यान आकर्षित किया कांग्रेस का पक्ष अभी कोरम के अभाव में है.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार)--माननीय सभापति महोदय, पांच सदस्यों को बोलना है पांचों उपस्थित हैं.
सभापति महोदय--पांच पंच हैं अभी तो चलने दो. पांच आदमी किसी को भी कहीं पर भी पहुंचा सकते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय सभापति जी, मैं माननीय मंत्रीजी द्वारा प्रस्तुत मांगों के बारे में चर्चा कर रहा हूँ बहुत लंबी चर्चा हो गई विस्तार से. यहां यह परम्परा पनप रही है कि सच्चाई कहना यहां मुश्किल हो चुका है अगर विधान सभा के सवालों को भी यहां रखें तो नहीं बोल सकते हैं मतलब ताकत के दम पर आवाज दबाने का काम जो सत्तापक्ष के द्वारा मंत्रियों, यह पहली परम्परा है आप भी सभापति जी वर्षों से सदस्य हैं मंत्रियों द्वारा हस्तक्षेप कभी होता नहीं था कभी एकाध बार कोई बात हो गई तो हो गई लेकिन अब हर मामले में हो रहा है उनसे नये विधायक भी सीख ले रहे हैं यह परम्परा सदन में पनप रही है. हम सच्चाई कहेंगे तो लोगों के पेट में दर्द होने लगेगा इसलिये सच्चाई कहने में समय बर्बाद होता है मैं केवल अपनी बात रखना चाहता हूं संक्षिप्त शब्दों में दो-तीन विभागों पर जल्दी-जल्दी बोलूंगा.
सभापति महोदय, माध्यम का गठन जनसंपर्क विभाग ने किया वह उसकी एजेंसी है. माध्यम का काम है कि जो सरकार के और प्रदेश के विज्ञापनों का प्रचार-प्रसार हो समुचित जगह निविदाएं लगें निविदाओं वालों के पास सूचना पहुंचे और कम दर पर हो. मैं बता देना चाहता हूँ माध्यम एक बीच का लूटने का जरिया बन चुका है. माध्यम एक व्यक्ति के द्वारा संचालित किया जा रहा है उसके पीछे कौन है वह बात आएगी तो फिर वही होने लगेगा आप सबको पता है माध्यम का क्या काम है. माध्यम का काम था प्रचार-प्रसार पिछले डेढ़ वर्षों में 200 करोड़ रुपये प्रचार-प्रसार पर व्यय हो गए. मैं पूछना चाहता हूँ कि जो योजनाएं जनता के लिये लाभकारी हैं जो साढे़ सात करोड़ जनता के हित में हैं उनका प्रचार-प्रसार करें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन रेल के टिकट पर विज्ञापन, हवाई जहाज के टिकिट पर विज्ञापन,इस प्रकार की परम्परा बंद होनी चाहिये. जब आपकी सरकार करोड़ों रूपये के कर्ज में है, पैसे के लिये परेशानी आ रही है. बजट के लिये चौथा अनुपूरक लाना पड़ रहा है तो उस पर कंट्रोल करें, उसको रोके. इसको आप देख लें कि कौन चला रहा है, प्रिंटर का काम भी आपने उनको दे दिया है. प्रिटिंग भी आप माध्यम से करवा रहें हैं. माध्यम अपना 15 प्रतिशत ले लेता है. मध्यप्रदेश सरकार सिंहस्थ के संबंध में जो छपाई करवा रही है और अन्य सभी विभागों की छपाई हो रही है, उसका काम आपने एक न्यूज प्रिंटर को दे दिया है. क्या मध्यप्रदेश में और कोई छपाई नहीं कर सकता है, यदि अगर कांपिटिशन होता तो सस्ते में काम जाता और सरकार की बचत होता तो कृपया आप उस पर विचार करें. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि आपने घोषणा की थी कि अधिमान्य पत्रकारों को लेपटाप देंगे. आपने 1088 अधिमान्य पत्रकारों की सूची विधान सभा में दी थी, लेकिन अभी तक आपने 741 अधिमान्य पत्रकारों को लेपटाप दिये हैं बाकी पत्रकारों को नहीं दिये हैं. आपने जो घोषणा की है उसका पालन करना चाहिये. जब मैंने अभी जनसंपर्क विभाग का विधान सभा में जनसंपर्क विभाग के संबंध में प्रश्न लगाया तो मैंने उसमें पूछा की कौन कौन अधिमान्य पत्रकार हैं तो उसमें कुछ ऐसे पत्रकार हैं जो पत्रकार हैं ही नहीं. उसके संबंध में ज्यादा बात इसलिये नहीं करना चाहते हैं कि अधिकांश मुरैना और हमारे जिले में ऐसे भी पत्रकार हैं जो पत्रकार हैं ही नहीं, वह भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं और वह सुविधाएं ले रहे हैं. वह रेल के टिकिट की सुविधा ले रहे हैं. कृपया कर आप उसकी समीक्षा करें, जो फर्जी तरह से लाभ ले रहे हैं, उन पर रोक लगायें. यह हमारा आपसे अनुरोध है. आपने एक श्रद्धा निधि 60 वर्ष से अधिक उम्र के पत्रकार हैं.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी :- सभापति महोदय, माननीय सदस्य बहुत ही वरिष्ठ सदस्य हैं, कृपया किसी भी समस्या का जर्नलाईज न करें. अगर ऐसा है तो आप नाम बतायें. नाम बताकर इंगित करें तो ज्यादा बेहतर है.
डॉ गोविन्द सिंह:- सभापति महोदय, आप कहें तो मैं नाम उजाकर कर दूं.
सभापति महोदय:- आप अपनी बात रखें.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी :- आप एक पार्टी का नाम लेकर उसको जर्नलाइज न करें.
डॉ गोविन्द सिंह :- मैं आपसे सलाह लेकर नहीं बोलूंगा कि आप निर्देश दें फिर मैं बोलूंगा . मैं नाम दे सकता हूं. मेरे पास नाम हैं, अभी बोल देंगे तो आपको ठीक नहीं लगेगा. सभापति महोदय:- अभी और दो विधायकों बोलना है, डॉ गोविन्द सिेंह को बोलने दें. मेरा निवेदन है कि आप लोग सहयोग करें और उनको बोलने दें.
डॉ गोविन्द सिंह :- मेरा कहना है कि जिन विधायकों की आयु 60 वर्ष हो चुकी है आप उनको श्रद्धानिधि पेंशन प्रतिवर्ष 5000 रूपये देते हैं. जब आप मीसा बंदियों की पेंशन बढ़ा रहे हैं तो आपको क्या आप पत्रकारों की भी 5000 रूपये श्रद्धा निधि बढ़ानी चाहिये . इसके साथ ही मैं ऊर्जा निधि के बारे में बोलना चाहता हूं, यहां पर अभी सोलर पंप की बात चली थी. माननीय मंत्री जी सोलर पंप वास्तव में एक कम्पनी है. हमारे जिले के बगल में उत्तर प्रदेश का जालौन जिला है, वहां पर साढ़े सात पावर के ऊर्जा पंप लगाये हैं, वहां पर साढ़े सात पावर की मोटर चल रही है और सिंचाई हो रही है. वहां पर सरकार सबसिडी दे रही है, 95000 हजार रूपये प्रति किसान जमा करा रहा है. 95 हजार रूपये में भी तीन साल तक जो कम्पनी है उसकी तीन साल तक सुधारने की गारण्टी है.
सभापति महोदय :- उत्तर प्रदेश में तीन साल की नहीं पांच साल की गारण्टी है. शायद आपको ध्यान नहीं है.
डॉ गोविन्द सिंह :- आप ज्यादा अनुभवी है, आपको ज्यादा मालूम होगा. आप उस पर ध्यान दें. वहां पर ग्राम पंचायतों में सोलर लाईट की एक प्लेट लगायी है. हमने देखा है कि वर्षा के दिनों में भी हमने देखा है कि अगर धूप नहीं भी निकले
सभापति महोदय:- वह लाईट से चलते हैं, वह फोटो वोल्टिक सेल हैं.
डॉ गोविन्द सिंह :- वह भी जैसे ही शाम हुई अपने आप जल जाते हैं. सुबह बंद हो जाती है. उसकी भी गारण्टी है. जहां गांवों में बिजली नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव :- डॉक्टर साहब आप सखलेचा जी से भाषण लिखवा लेते तो बेहतर कर पाते.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया :- आप सभापति महोदय से जितना समय मांगोगे तो वह दे देंगे. इसमें कोई कंजूसी नहीं होगी.
डा गोविन्द सिंह :- आप लोग उनकी कद्र नहीं कर रहे हैं. आप उनको ऊर्जा विभाग का काम सौंप दो तो फिर आप देखो सब जगह ऊजाला नजर आयेगा. दिन में और रात में. आप योग्य व्यक्तियों की कद्र कहां कर रहे हो.
इसके अलावा मैं कहना चाहता हूं कि आपसे हमने अनुरोध भी किया है और लिख कर भी दिया है. हमारे यहां ग्राम रोई है वहां 33/11 केन्द्र एडीबी से स्वीकृत किया था किन्तु वहां अधिकारियों ने गलत जानकारी दे दी कि यहां जमीन उपलब्ध नहीं है इसलिये वह नहीं बन पाया जबकि कलेक्टर ने 2011-12 में करीब 0.28 हेक्टेयर जमीन विद्युत विभाग के नाम कर दी थी. हमारा निवेदन है मंत्री जी से कि उसको जल्दी से जल्दी बनवा दें. इसके अलावा जो आपका विद्युत अधिनियम है अगर कोई चोरी में पकड़ी जाता है तो उसके खिलाफ धारा 35 का उपयोग. हम नहीं मानते कि जो चोरी करे उस पर कार्यवाही होनी चाहिये. आपकी जो धारा 38 है उस धारा में प्रावधान है कि जो किसान एवं उपभोक्ता बिल समय पर नहीं दे पा रहे उन पर बकाया है तो उन पर सीधे केस विद्युत केस विद्युत विभाग के कर्मचारी लगा रहे हैं अकेले लहार ए.डी.जे.कोर्ट में 730 प्रकरण दर्ज हैं. हमने ए.डी.जे. साहब से निवेदन किया कि आप इनमें गिरफ्तारी वारंट के बजाय आप जमानती वारंट कर दिया करें तो जमानत करा लें. पकड़कर किसान आये तो 10 परसेंट ए.डी.जे. जमा करवाकर उसके बाद केस चलता रहेगा तो उन पर आप जमानती धारा कर दें और आपने घोषणा भी की है कि किसानों को नहीं पकड़ेंगे तो अवैध वसूली न देने पर बिल न चुकाने पर इस धारा का जो दुरुपयोग हो रहा है हमें उम्मीद है कि इसकी आप समीक्षा करें और मुख्यमंत्री का जो विचार है उसका पालन करते हुए किसानों को आप यह राहत प्रदान करेंगे. एक आपकी स्टार डेल्टा कंपनी है सभापति जी, आप ही कह रहे थे कि इसके बहुत अच्छे ट्रांसफार्मर लग रहे. आप अपने विभाग के अधिकारियों से पूछ लेना कि इस कंपनी के जितने ट्रांसफार्मर जितने आये वे चार्ज करते ही फुंक जाते हैं तो जितने ट्रांसफार्मर आपने डेल्टा कंपनी से लिये हैं वे उनको वापस लें और इस तरह के नकली ट्रांसफार्मर न लगवाएं. इसके बाद हम यह कहना चाहते हैं कि ट्रिपल ए.सी.कण्डक्टर आपने मंगाना चालू कर दिये हैं. यह तार थोड़े से कम समय चलने वाले हैं. पूरे एल्यूमीनियम के हैं टूट रहे हैं. पहले आपका एस.आर.कण्डक्टर तार आता था उसमें बीच में स्टील भी होती थी इसलिये वे लंबे समय तक चलते थे तो जो लंबे समय से तार चलने वाला है दो-तीन साल पहले जो आपने लगाये वह खराब हो रहे हैं. इसकी आप समीक्षा करें. ऐसे कामों में धन का अपव्यय होता है. सरकार का नुकसान होता है. विद्युत विभाग वैसे ही घाटे में है तो आप कभी सभापति जी, सखलेचा जी, से राय मशविरा कर लिया करें तो आपको ज्यादा लाभकारी होगा. इसके साथ अब अवैध उत्खनन में वही मामला है. इसमें बहुत नाम हैं सबको पता है लेकिन मैं नाम नहीं लूंगा. अभी आपके मुरैना में अवैध उत्खनन का ट्रेक्टर पकड़ा गया उसने वन विभाग के फारेस्ट के वन रक्षक नरेन्द्र शर्मा पर चढ़ाकर उनकी हत्या कर दी. अकेले भिण्ड जिले में एक वर्ष में आप एक-एक खदान की समीक्षा करा लें तो एक हेक्टेयर मंजूर है आप दो कि.मी. ले जा रहे. पूरे जिले में और प्रदेश में खदानें बंद हैं लेकिन भिण्ड जिले में सिंध नदी पर साल भर में कम से कम प्रति माह 25 करोड़ की रेत चोरी हो रही है. अघर आप पूरे प्रदेश का आंकड़ा लगायें तो आप कहते हैं कि रेवेन्यू बढ़ानी है लेकिन पूरे खनिज का दोहन होकर खनिज ही समाप्त हो जायेंगे इस प्रकार अवैध उत्खनन होरहा है और यह मामला मैं नहीं करीब 12-15 बार तो मैं ध्यानाकर्षण लगा चुका माननीय मंत्री जी आपने ही जवाब दिये. सत्ता पक्ष का और विपक्ष की तरफ से ऐसा कोई विधान सभा का सत्र नहीं चूकता जिस दिन खनिज विभाग पर प्रश्न न लगें. जिस दिन खनिज विभाग के ऊपर प्रश्न लगे तथा उस पर चर्चा न हो दोनों पार्टी के सदस्यगण प्रश्न लगाते हैं तो इसका मतलब यह है कि कहीं न कहीं तकलीफ है. आखिर इतने अधिक प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण अथवा इतनी आवाजें क्यों आ रही है, इस पर आपको विचार करना चाहिये इसमें कोई रास्ता जरूर निकालें अवैध उत्खनन कराने वाले आपके माईनिंग के कर्मचारी एवं अधिकारी आपके पुलिस के हर थारे बंधे हुए हैं प्रति ट्रेक्टर पर 5 हजार रूपये बांध रखे हैं अगर एक महीने में 100 ट्रेक्टर चलते हैं तो उसका हिसाब लगा लीजिये, एक ट्रक का 10 हजार तथा 12 चक्का ट्रक का उसमें 20 हजार रूपये लेते हैं. जो भी अवैध उत्खनन कर रहा है, उस पर रोक लगे आप उसके रेवेन्यू की सुरक्षा करें. एक खदान और है डाकपहाड़‑बरखेड़ी इसके बारे में कहना चाहता हूं कि इसमें एसडीएम गोहद मिश्रा जी थे 1 जनवरी, 2014 से दिसम्बर 7 रिपोर्ट कलेक्टर को लिखित में दी हैं कि अवैध उत्खनन हो रहा है 100-100 फीट के गड्डे हो गये उसमें पॉल्यूशन की मंजूरी नहीं है, विस्फोट की मंजूरी भी नहीं है एक हैक्टेयर में खदान स्वीकृत है उसको 20 हैक्टेयर में खोद रहे हैं गांव के मंदिर टूट गये हैं, लोगों के मकान चटक रहे हैं, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. मैंने विधान सभा में प्रश्न लगाया था उसके तहत आश्वासन दिया था कि हम एक कमेटी यहां से भेजेंगे आपने कमेटी भेजी उसके चार अधिकारी भी गये, उसकी रिपोर्ट भी मेरे पास में हैं उन्होंने भी लिखा कि स्वीकृत खदान से अधिक में खोद रहे हैं इसमें पोल्यूशन विभाग की मंजूरी नहीं है, कोई भी रिकार्ड नहीं , लेकिन उसके बाद भी आपको डेढ़ वर्ष हो गया है अभी तक कार्यवाही नहीं हुई है. आपकी सरकार के चार अधिकारी गये उनकी रिपोर्ट पर आज भी अमल नहीं हो रहा है. करीबन 15-16 क्रेशर अवैध चल रहे हैं. एक क्रेशर की मंजूरी है, यह ज्वाला संगठन के नाम से है यह आप पता कर लेना. ज्वाला संगठन भी अवैध क्रेशर चलाएंगे तो फिर कोई और भी चलाएंगे. प्रतिदिन 200 से 300 ट्रक उत्तरप्रदेश में जा रहे हैं एक दिन में 12 से 15 लाख रूपये की गिट्टी का माल चोरी हो रहा है, यह मुद्दा जिला योजना समिति में भी उठाया उसमें माननीय प्रभारी मंत्री जी ने निर्देश दिये उनके निर्देश से एसडीएम राजेश राठौर की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन हुआ 4 सदस्यों की कमेटी की रिपोर्ट आपके पास पहुंच गई उसमें पूरे 15 पाईंट पर लिखा है 2013 से 3 वर्ष तक रायल्टी की रसीद ही चालू नहीं हुई और प्रत्येक दिन अवैध उत्खनन पुलिस के सामने हो रहा है उसमें 100-100 फीट के गड्डे हो गये हैं उसकी सेटेलाईट से भी जांच कराई गई उसके बाद भी मंत्री जी आपकी क्या कमजोरी है मैं नहीं मानता हूं कि आप इसमें लिप्त हैं आप सच्चे एवं भले आदमी हैं जवाब भी आप सौजन्यता से देते हैं आपका जमीर भी तो जगना चाहिये आप क्यों सचाई को नहीं कह पा रहे हैं मेरा निवेदन है कि आप दूसरा विभाग को पकड़ लें, यह आपके बस का नहीं है, यह चोर बाजारी का मामला है इसलिये ढंग का विभाग ले लें, जिससे आपको शांति मिल सके आपको अपमान न सहना पड़े, पूरे प्रदेश का आपको अपयश न मिले इसमें करोड़ो रूपये की रेवेन्यू जो चोरी हो रही है उसको रोक सकें. ज्वाला संगठन, रेत पत्थर का डाटपहाड़ बरखेड़ी पर अवैध उत्खनन नहीं हो रहा हो जो भी मुझे सदन सजा देगा भुगतने को तैयार नहीं हैं. आज भी जांच के लिये भेज थे तो आपको पता लग जाएगा कितने क्रेशर लगे हैं और कितने की मंजूरी है, कितने पॉल्यूशन की मंजूरी ली तथा कितने विस्फोट किये गये हैं. जो माननीय मुख्यमंत्री जी ने 237 एकड़ भूमि निश्चित कर दी थी.
डॉ. गोविन्द सिंह- वह जमीन अब उद्योग के लिए बची नहीं है, 100 फीट के गढ्ढे होकर पूरी जमीन खुद गई है, अब किस बात के उद्योग लगेंगे । उद्योगों के लिए सुरक्षित कर दी । कितनी हिम्मत है, अधिकारियों की, नेताओं की और वहां के लोगों की, अवैध उत्खनन कर्ताओं की, खनन माफियाओं की, कि मुख्यमंत्री के आदेश की भी.धजियां उड़ा रहे हैं, कृपया आपसे हमारा यही अनुरोध है कि जो हमने बातें कहीं है, उन पर विचार करें, मनन करें और अब की बार तो हिम्मत दिखा दें । एक बार हिम्मत दिखा दो, तो आपको धन्यवाद भी देंगे,भिण्ड के पेड़े भी खिलाएंगे ।
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर)- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या का समर्थन करते हुए अपनी बात खनिज की, ऊर्जा की, चारों मांगों का समर्थन करता हूं, माननीय सभापति महोदय ऊर्जा के विषय में अपनी बात इस सदन में रखना चाहता हूं, इस वर्ष ऊर्जा पर 19,977 करोड़ के बजट का प्रावधान इस विभाग को दिया गया है । माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2016-17 में 400 के.व्ही. के दो सब स्टेशन, 220 के 6 सब स्टेशन और 132 के 18 सब स्टेशन बनाने का प्रावधान रखा गया है, इस उच्च दाब की लाइन और 33 के.व्ही. की लाइन और 11 के.व्ही की लाइन, तीनों लाइनें मिलाकर 54 हजार 566 किलोमीटर, पूरे मध्यप्रदेश में लाइन बिछाई जाएगी, इसका प्रावधान इस बजट में रखा गया है, यहां तक नहीं, इस वितरण के बाद पूरे वितरण के ट्रांसफार्मर स्थापित करना है, वह 64,463 नवीन ट्रांसफार्मर स्थापित किए जाएंगे ।
माननीय सभापति महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि 2003 में जब मैं विधायक बनकर आया था, तो मध्यप्रदेश में सिर्फ 3000 मेघावाट बिजली थी और आपके भाषण में मैंने सुना है कि प्रायवेट सेक्टर से ही 3000 मेघावाट बिजली पैदा हो रही है और 2003-04 से 3000 मेघावाट बढ़ाकर 2015-16 में 16,116 मेघावाट बिजली इस मध्यप्रदेश में हो गई है । मध्यप्रदेश सरकार के जितने भी विभाग हैं, उसमें महत्वपूर्ण ही नहीं, अति महत्वपूर्ण विभाग है, यदि मध्यप्रदेश का विकास करना है तो ऊर्जा विभाग को और ताकत देनी होगी, इसमें और भी प्रावधान करने होंगे, कहने का तात्पर्य यह है कि मध्यप्रदेश के ऊर्जा विभाग के कारण मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकवा 2003 - 04 में 7 लाख 50 हजार था, वह बढ़कर 36 लाख हेक्टेयर हो गया है ।
माननीय सभापति महोदय,यहां तक नहीं 39 लाख हेक्टेयर कृषि सिंचाई का रकबा मध्यप्रदेश में बढ़ा है, कहीं न कहीं कृषि,सिंचाई और ऊर्जा विभाग का आपस में बहुत बड़ा संबंध है और ऊर्जा विभाग से ही विकास की संभावनाएं पूरे मध्यप्रदेश में बनी हुई है । विगत पांच वर्षों में 599 नवीन 33/11 के.व्ही. के ग्रिड मध्यप्रदेश में स्थापित किए गए और उन ग्रिडों से 33 के.व्ही के 8,661 किलोमीटर की लाइनें बिछाई गई हैं । यहां तक नहीं, बल्कि 1.27 लाख किलोमीटर, 11 के.व्ही की लाइन भी मध्यप्रदेश में बिछाई गई है । मध्यप्रदेश में इन पांच वर्षों में पहले से तुलना की जाए तो, 2.31 लाख ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए हैं, आज पूरे मध्यप्रदेश में 4.98 लाख ट्रांसफार्मर स्थापित किए गए हैं, अभी और हम करने जा रहे हैं, इसमें प्रावधान रखा गया है, बिजली के क्षेत्र में लगातार बिजली का उत्पादन बिजली के पारेषण उप-पारेषण और वितरण प्रणाली, माननीय सभापति जी बहुत महत्वपूर्ण बात कह रहा हूं, सभापति महोदय आप मुझे समय दें.मैं किसान भी हूँ और मैं बिना देखे बोल रहा हूँ. हमने पढ़ाई की है और वह बात सदन में रखना चाहते हैं. मैं एक महत्वपूर्ण बात कहना चाहता हूँ कि दि. 28/10/2015 को ऊर्जा विभाग से एक आदेश पारित हुआ है कि मध्यप्रदेश में अब जले हुए और खराब ट्रांसफॉर्मर 50 प्रतिशत की जगह, 10 प्रतिशत में बदले जायेंगे तो दि. 28/10/2015 को 7,163 ट्रांसफॉर्मर फेल थे, विभाग ने 6,823 ट्रांसफॉर्मर बदले. आज की दिनांक में मात्र 358 ट्रांसफॉर्मर बदलना शेष है. मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ क्योंकि समय की कमी है, यह ऊर्जा विभाग की महत्वपूर्ण चीज है कि आप उत्पादन बहुत कर रहे हैं और बढ़ने वाला भी है, अब पारेषण प्रणाली के लिए भी बजट काफी हो गया है. जहां ग्रास रूट पर जो प्रॉब्लम खड़ी हो रही है, आपका विभाग 358 ट्रांसफॉर्मर, सब बदल चुका है परन्तु उनको क्यों नहीं बदल रहा है.
सभापति महोदय, आप इसका एक्जामिन करायें, परीक्षण करायें तो आपके पास एक बात खुलकर आयेगी कि ये वे लोग हैं, जिनके बोर-पाने सूख चुके हैं, कुँए में पानी नहीं है, उनको उस ट्रांसफॉर्मर से बिजली नहीं लेना है एवं उस खम्भे से कोई लेना-देना नहीं है. मेरा तात्पर्य यह है कि निचले स्तर पर हमारी जो लड़ाई है, आपने बहुत अच्छे काम किये हैं. 16 केवीए, 25 केवीए, 63 केवीए, 100 केवीए एवं 200 केवीए के ट्रांसफॉर्मर अपने स्तर पर किए हैं.
सभापति महोदय - बहादुर सिंह जी, केवल 2 मिनट में समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान - सभापति महोदय, केवल 2 मिनट में कह दूँगा और बाद में केवल 30 सेकेण्ड में अपने क्षेत्र की बातें कह दूँगा.
सभापति महोदय - केवल 2 मिनट में.
श्री बाला बच्चन - सभापति महोदय, बड़ी बहादुरी वाली बात कह रहे हैं. जैसा नाम , वैसा ही काम है.
सभापति महोदय - वे बहादुर तो हैं ही.
श्री बहादुर सिंह चौहान - सभापति महोदय, अगर किसान की बात है और सरकार को कोई सुझाव देना है तो नेता प्रतिपक्ष जी, हम निश्चित रूप से देंगे या सदन में सरकार का ध्यानाकर्षित करना भी हमारा फर्ज है. यह 358 ट्रांसफॉर्मर हैं. मैं ऊर्जा मंत्री जी को ध्यानवाद देना चाहता हूँ कि इस क्षेत्र में आपने और मुख्यमंत्री जी ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने, जो इन 12 वर्षों में काम किया है, उसका चित्रण करने की आवश्यकता मुझे नहीं है. मध्यप्रदेश का हर किसान, बीपीएल उपभोक्ता आपको जानता है कि आपने क्या-क्या किया है ? इतना समय नहीं है, नहीं तो मैं उसका भी चित्रण कर सकता हूँ. आपने 2013 - 2014 में 2,250 की सब्सिडी, 2014 - 2015 में 4,480 की सब्सिडी दी और 2015 - 2016 में 7,405 की सब्सिडी दी है. मैं आगे भी बता सकता हूँ लेकिन समयाभाव है.
सभापति महोदय, मैं एक और आवश्यक बात जो ग्रास रूट ट्रांसफॉर्मर की कहना चाहता हूँ कि माननीय ऊर्जा मंत्री जी इस पर ध्यान दें. एम.एल.ए. महोदय जो रोज संघर्ष करते हैं कि एक ट्रांसफॉर्मर में 20 कनेक्शन हैं और उसमें से 16 लोग पैसे जमा कर देते हैं और 4 लोगों को उस ट्रांसफॉर्मर से कोई लेना-देना नहीं है, उनके ऊपर ओवर ड्यू हो गया है. किसी की तरफ 50,000 है, किसी की तरफ 40,000 है, उनको ट्रांसफॉर्मर लगे या नहीं लगे, उनका इस बात से कोई लेना-देना नहीं है. मेरा आग्रह है कि आप वरिष्ठ अधिकारियों से समीक्षा करके, ऐसे लोग जिनको बिजली से कोई लेना-देना नहीं है, उनकी व्यक्ति रिकवरी आप निश्चित रूप से करें ताकि ट्रांसफॉर्मर लगने में समस्या न जाये.
सभापति महोदय, आपसे एक बात और कहना चाहता हूँ कि सीजन के समय आप इतना बड़ा विभाग लेकर बैठे हैं तो मेरा आपसे कृषक हित में सुझाव है कि हर वितरण केन्द्र या उप संभाग पर, आपके 100 केवीए, 63 केवीए, 200 केवीए के ट्रांसफॉर्मर्स एडवांस में स्थापित किया जाना चाहिए ताकि जलते ही बदला जा सके. यह छोटा सा विषय है और मैं यह कहना चाहता हूँ कि आपने स्थायी कनेक्शन का जो निर्णय लिया है, मध्यप्रदेश में स्थायी कनेक्शन होने के बाद, जो खर्च आज आपको ट्रांसफॉर्मर जलने में लग रहा है. आज आपको 40 प्रतिशत का लॉस हो रहा है, पूरा स्थायी कनेक्शन होने के बाद मात्र 5 प्रतिशत का नुकसान और 35 प्रतिशत की बचत आपको होगी. जब स्थायी कनेक्शन हो जायेगा. इन ट्रांसफॉर्मर्स को बचाना है तो आप लाईनमैन को मुखरित करिये. यदि आपने उसको और किया, यदि वह जला तो उसकी जिम्मेदारी होगी. मेरा कहना है कि मध्यप्रदेश में जो ट्रांसफॉर्मर्स जल रहे हैं, इसका 5 प्रतिशत ही जलेगा. आपका लाईनमैन जो निचले स्तर पर है, वह ही बिजली की चोरी करवाता है, जिसके कारण ट्रांसफॉर्मर जल जाता है. मध्यप्रदेश सरकार एवं माननीय मंत्री जी रात-दिन काम करते हैं, उस पर आपको जरूर कार्यवाही करना चाहिए. अन्त में, मेरे क्षेत्र की बात मैंने कहा है और सुझाव भी दिया है कि मैं ज्यादा मांग नहीं रख रहा हूँ. मैं, मेरे क्षेत्र में सौभाग्यशाली हूँ. महिदपुर विधान सभा के अंदर जब मैं 2003 में विधायक बनकर आया था, तो एक नहीं दो 132 बनाये. घोसला का 132 बनवाया, झारला का 132 बनवाया और पहले से मेरे क्षेत्र में 132 था. मैं इतना सौभाग्यशाली हूं कि मेरे क्षेत्र में एक नहीं, दो नहीं, तीन 132 ग्रिड स्थापित हैं. मुझे आपसे छोटी सी आवश्यकता है और पूरी पाजेटिव्ह रिपोर्ट आ गयी. मैंने लिखकर भी दिया था. मेरे क्षेत्र में एक बोलखेड़ानाऊ है और एक पेटलावद है. वहां पर वाल्टेज की समस्या है, 33/11 की दो ग्रिड करीब करीब मंजूरी पर है , दीनदयाल योजना के उसमें है. यह दोनों मंजूर कर देंगे, तो आपकी बहुत बहुत कृपा होगी. धन्यवाद.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव) -- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 12,25,32 और 76 का विरोध करती हूं और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिये खड़ी हुई हैं. अभी सदन के अंदर सभी सदस्यों ने बिजली पर चर्चा की है. मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के अंदर तमाम घोषणाएं की हैं कि 24 घंटे हम बिजली किसानों को, गरीबों को उपलबध करायेंगे. यह बात सत्य है कि 24 घण्टे बिजली दी जाती है, लेकिन बिजली का कनेक्शन ही काट दिया जाये, तो 24 घंटे कहां से हुआ. 48 घंटे भी कनेक्शन नहीं जोड़ पाते. मैं आपको उदाहरण दे दूं. मेरे क्षेत्र के ग्राम बचवई में एक राजकरन नामक का केवट गरीब व्यक्ति, किसान है, दो तीन एकड़ जमीन उसके पास है. मुख्यमंत्री जी ने 10 प्रतिशत बिजली का बिल जमा करने पर और किसानों को माफ करके कनेक्शन जोड़ने की बात कही है. लेकिन पूरा सौ प्रतिशत बिजली का बिल जमा करने के बाद आज उन गरीब किसानों का ट्रांसफार्मर नहीं बदला जाता है. मैं दौरे पर गई और उस किसान ने बताया कि बहन जी मैंने पूरा पैसा जमा कर दिया है, उसके बाद भी मेरा ट्रांसफार्मर नहीं बदला जा रहा है. तो मैंने एसई से कहा. उन्होंने कहा कि मैं कल ट्रांसफार्मर बदलवा दूंगा. लेकिन एक महीने बाद फिर मैं उसी गांव में गई, फिर उस किसान ने बताया कि मेरा ट्रांसफार्मर अभी तक नहीं बदला गया. यह स्थिति है गरीब किसानों की. जैसे बहादुर सिंह जी कह रहे थे कि लाइन मेन जो सेटिंग करता है. लाइनमेन को अगर अच्छी चढ़ौतरी मिल गयी, तो उसका ट्रांसफार्मर तुरन्त बदल जाता है, कनेक्शन भी जुड़ जाता है. चढ़ौतरी न मिलने के कारण गरीब किसान परेशान रहता है. इस व्यवस्था को ठीक किया जाये और इसमें कार्यवाही की जाये. मेरे क्षेत्र में कई जगह ऐसे हैं, अभी परीक्षा का समय है शिवराजपुर में, करहिया बेलगाना में, खनगढ़ में जो नागौद ब्लाक के क्षेत्र के हैं, वहां पर अभी परीक्षा के समय पूरी बस्ती की बस्ती में बिजली के कनेक्शन काट दिये गये. जबकि 20 किसानों में 16 किसानों ने और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने बिजली का बिल भी जमा कर दिया. उसके बाद भी कनेक्शन काट दिये जाते हैं. जैसे कुशवाहों की बस्ती है, सामान्य वर्ग की बस्ती है, अगर दबंग लोग हैं, तो दबाव में कनेक्शन जोड़ दिये जाते हैं, ट्रांसफार्मर भी बदल दिये जाते हैं. लेकिन अनुसूचित जाति की बस्ती जहां पर है, उन बस्तियों पर बड़ी द्वेषपूर्ण भावना से देखा जाता है. उनके कनेक्शन काट दिये जाते हैं, न ही ट्रांसफार्मर बदले जाते हैं. बिजली का बिल जमा करने के बाद भी. मैं मंत्री जी से निवेदन करती हूं कि इस संबंध में थोड़ी तेजी और सख्ती बरतें. मेरे ग्राम पंचायत पैकउरी में पिछली बार सदन में भी बोल था कि सब स्टेशन बनाया जाये. ग्राम पंचायत अमिलिया में अभी नया सब स्टेशन स्वीकृत हुआ है. लेकिन एसडीएम और तहसीलदार राजस्व विभाग की अनुमति नहीं दे रहे हैं. वह 2 प्रतिशत जो जमीन की बात कर रहे हैं और 2 प्रतिशत जमीन कहीं भी नहीं बची सरकारी जमीन और चरनोई दर्ज नहीं है राजस्व में, उसके बाद भी चरनोई बता रहे हैं. स्वीकृति नहीं दे रहे हैं. जबकि सब स्टेशन पास हो गया. इसी तरह की प्रक्रिया नागौद विधान सभा के श्याम नगर में और मैहर विधान सभा में एक गांव है, वहां यह प्रक्रिया थी, उसी एसडीएम, तहसीलदार ने स्वीकृति दे दी है. तो वह सब स्टेशन बन गया. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि ग्राम पंचायत अमिलिया का सब स्टेशन राजस्व विभाग एसडीएम को कहा जाये कि वह स्वीकृत करे, तो बिजली की समस्या कम होगी. एक कुठरा ग्राम पंचायत में भी सब स्टेशन बनवाया जाये. ग्राम पंचायत मड़ई के ग्राम तेदुनीमोटवा में आदिवासी बस्ती में मंत्री जी को मैं धन्यवाद देना चाहूंगी कि पिछले सत्र में जब मैंने बिजली की समस्याओं को कई गांवों के बारे में बताया था, तो उसमें ग्राम मड़ई के ग्राम तेदुनीमोटवा में खुटकहा में बिजली तो चली गई , इसके लिये मैं धन्यवाद देना चाहती हूं. पर आदिवासी बस्ती में अभी भी बिजली नहीं गई है.
सभापति महोदय-- उषा जी कृपा करके समाप्त करें.
श्रीमती उषा चौधरी --माननीय सभापति महोदय, 1 मिनट में अपनी बात को समाप्त करूंगी.सभापति महोदय विद्युतीकरण के लिये मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगी. मेरे क्षेत्र के ग्राम बेला में, चेताटोला में भी 5 विद्युत खंबों की आवश्यकता है, वहां विद्युतीकरण का कार्य कराने की कृपा करें. ग्राम रजरवारा की नई बस्ती अनुसूचित जाति की बस्ती में ग्राम भरजुना के शारदा नगर अनुसूचित जाति बस्ती में, ग्राम पंचायत झाली के रेक्सल्वा आदिवासी बस्ती, बांदा बस्ती में भी विद्युतीकरण कराया जाये. सभापति महोदय, इसी तरह ग्राम म्योहार के करहा मोहल्ला, टिढ़वा एवं बहेरा की आदिवासी बस्ती में भी विद्युतीकरण कराया जाये. ग्राम पंचायत गिंजारा मे 63 हार्सपॉवर का ट्रांसफार्मर लगा हुआ है, वह काम नहीं करता है, बार बार वहां फाल्ट हो जाता है, वहां पर विद्युत के तार भी झूल रहे हैं, इसके लिये मैंने कई बार पत्र भी लिखा है, कलेक्टर महोदय को और विभाग के अधीक्षण यंत्री को भी पत्र लिखकर के शिकायत की लेकिन स्थिति जस की तस है. कृपा करके वहां पर ट्रांसफार्मर बदलवाये अथवा वहां पर 100 हार्सपॉवर का ट्रांसफार्मर लगवाया जाये.इसी तरह से ग्राम पोस्ट इटमा के घोरहटी ग्राम अनुसूचित जाति की बस्ती में भी बिजली के 3 खंबों की आवश्यकता है, उनको तत्काल लगाया जाये.
सभापति महोदय, अंत में, मैं कहना चाहती हूं कि जो विधायकों की जनसंपर्क निधि 2 लाख रूपये बहुत कम है अगर उसको 5 लाख में परिवर्तित कर देंगे तो बहुत अच्छा होगा. माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे मांगों पर अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया इसके लिये आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 12, 25, 32 एवं 76 के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. सभापति महोदय, मैं बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूं मध्यप्रदेश की सरकार को, हमारे मुख्यमंत्री जी को, हमारे ऊर्जा मंत्री जी को जिन्होंने विषम परिस्थितियों के बाद भी जब कि हमारे मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों में सूखे की स्थिति निर्मित हुई और ओलावृष्टि हो जाने के कारण से भी फसलों का नुकसान हुआ. कृषि उत्पादन के लिये सबकी निगाहें ऊर्जा विभाग की तरफ, माननीय मुख्यमंत्री जी की तरफ और ऊर्जा मंत्री जी की तरफ थी अगर मैं यह कहूं तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि ऐसी विषम परिस्थितियों में ऊर्जा विभाग ने जिस मुस्तैदी के साथ में काम किया उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाये वह कम है.
माननीय सभापति महोदय, आज हमारे प्रदेश का जो कृषि उत्पादन है उस कृषि उत्पादन में अहम भूमिक ऊर्जा विभाग की है क्योंकि ऊपर वाले के रूठ जाने के कारण से, प्रदेश में प्राकृतिक विपदा आ जाने के बावजूद ऊर्जा मंत्री जी को और मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के खजाने की बहुत सारी राशि इस विभाग में लगाकर पूरे प्रदेश में किसानों को सिंचाई के लिये बिजली देने का जो प्रबंध किया उसके कारण सूखे की स्थिति के बाद भी हमारे प्रदेश में कृषि उत्पादन हुआ. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय ऊर्जा मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस वर्ष उन्होंने उनका जो बजट था उसको दोगुना किया है. बजट को दोगुना करने में सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह किया कि किसानों को लगभग 5800 करोड़ रूपये की सबसीडी इस वर्ष देने का फैसला भी किया. माननीय सभापति महोदय पिछले तीन वर्षों में लगातार सबसीडी देने से सरकारी खजाने का लगभग 14-15 हजार करोड़ रूपया किसानों के हक में खर्च किया गया. जो बिजली वो प्राप्त करते थे उस बिजली का 1200 रूपये प्रति हार्सप़ॉवर के मान से बिल लेने का काम तो किया लेकिन वास्तव में ऐसे पंपों की जो बिजली का बिल था वह 30 हजार, 32 हजार रूपये के लगभग होता था बची हुई राशि सरकार....
8.45 बजे उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुये.
........ बची हुई राशि सरकार ने अपने सरकारी खजाने से देकर उस किसान को समृद्ध करने के लिये उसको ताकतवर बनाने के लिये ठीक से कृषि करने के लिये सक्षम बनाने का काम हमारी प्रदेश की सरकार ने किया. अभी वर्तमान में भी किसान और खासकर के घरेलू बिजली उपभोक्ता बहुत सारी परेशानियों का सामना कर रहे थे, बिजली के बड़े बिल हो जाने के कारण से और लंबे समय से उनके ऊपर सरचार्ज चले आने के कारण से बहुत बड़ी कठिनाई ऐसे घरेलू उपभोक्ताओं के सामने आ रही थी उनमें गांव के किसान भी शामिल हैं और शहरी क्षेत्र के लोग भी शामिल हैं. अभी माननीय मंत्री जी, माननीय मुख्यमंत्री जी ने विचार करके समाधान योजना लागू की और उस समाधान योजना के माध्यम से घरेलू कनेक्शन धारियों को भी बहुत बड़ा लाभ देने का कार्य किया है. दो प्रकार से जो योजना संचालित हुई है कि जो बिजली का जिनके उपर बिल है और बीपीएल धारी हैं, ऐसे लोगों को सरचार्ज माफ करके आधा पैसा जमा करने का प्रावधान किया है और जो सामान्य वर्ग के लोग हैं ऐसे लोगों को पूरा बिल एकमुश्त जमा करने पर उनको सरचार्ज की राशि माफ करके और बहुत बड़ी राहत प्रदान करने का काम भी मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे पूरे मध्यप्रदेश में बहुत सारे वितरण, ट्रांस्फार्मर बदलने का काम तो सरकार ने बड़ी मुस्तैदी से किया और यह बात कही जाये तो कोई...
उपाध्यक्ष महोदय-- दुर्गालाल जी, 2 मिनट में समाप्त कीजिये.
श्री दुर्गालाल विजय-- 2 नहीं 3 मिनट में कर देता हूं.
डॉ. गोविंद सिंह-- 2 मिनट तो मुख्यमंत्री को धन्यवाद देने में लग जायेंगे.
श्री दुर्गालाल विजय-- डॉ. साहब ने जितनी खेती का आनंद इस सरकार में प्राप्त किया है, भरपूर बिजली दी सरकार ने भिंड जिले को कोई कमी नहीं छोड़ी, इसलिये वह कभी तारीफ करेंगे नहीं, उसका उपयोग, उपभोग तो करते रहेंगे पर कभी प्रशंसा करने का उनके मुंह से निकलेगा नहीं. हमारे चंबल संभाग में और विशेषकर श्योपुर जिले में यह कोई बहुत अधिक तारीफ की बात नहीं है, मेरे जिले के अंदर इतनी अच्छी बिजली उपलब्ध हुई है जिसके कारण से यह किसानों को सूखे की परिस्थिति का अहसास नहीं हुआ और वह अपनी खेती करने में कामयाब हुये हैं. वितरण के ट्रांसफार्मर बदलने का बहुत सारा काम प्रदेश में हुआ है, नीचे के स्तर पर भी बदलने का काम हुआ है और उसमें जो 50 प्रतिशत की पाबंदी लगी हुई थी उसको हटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया इसके कारण से किसानों को इसका लाभ मिला है. बहुत सारे नये 3311 के सब स्टेशन लगाये गये, मेरे श्योपुर में भी लगभग पिछले वर्षों में 20-22 पूरे जिले के अंदर सब स्टेशनों का निर्माण हुआ है. 132 केबीए का हमारे बड़ौदा में बहुत लंबे समय से मांग थी और बहुत बड़ी किसानों की परेशानी थी उस परेशानी को दूर करने का काम भी सरकार ने किया है, उसके कारण से उस क्षेत्र में ठीक तरह से बिजली की सप्लाई जारी है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी हमारे श्योपुर में एक 220 केबीए का उपकेन्द्र लगने की आवश्यकता है उसका कारण यह है कि अभी जो बिजली की सप्लाई है वह सबलगढ़ से होती है, लगभग डेढ़ से दो सौ किलोमीटर दूर से होने के कारण कभी-कभी जब रास्ते में फाल्ट हो जाता है तो उसको सर्च करने में बड़ी कठिनाई हो सकती है और उसके कारण से एक दो दिन लोगों को दिक्कतें और खासकर के किसानों को सिंचाई के समय कठिनाई आ जाती है इसके कारण माननीय मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि श्योपुर में 220 केबीए का उपकेन्द्र स्थापित करने की कृपा करेंगे तो वहां के किसानों को राहत मिलेगी. दो तीन सब स्टेशन लगाये जाने की आवश्यकता 3311 की है और उसके बारे में विभाग से पहले मांग भी की थी हमारे रामबाड़ी के अंदर थोड़ी कठिनाई है इसके कारण से किसानों को दिक्कतें आ रही हैं, अभी पंडित दीनदयाल योजना के अंतर्गत उसको लिया है लेकिन उसमें समय लगने की संभावना है. मेरा माननीय मंत्री जी से आग्रह है ..
उपाध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री दुर्गालाल विजय-- बस एक मिनट में कर रहा हूं, कर ही रहा हूं, आप पधारे हैं बड़ी कृपा हुई है, एक मिनट में कर रहा हूं, क्षेत्र की बात है. इसके अलावा नानावद मे,अडवार, पालड़ी और अलापुरा, धोनपुर गांव में 33/11 के सब स्टेशन लगाने की बहुत आवश्यकता है. वहां हमारे विद्युत मंडल के अधिकारियों ने बड़ी सक्षमता से कार्य किया है. वहां लाईन आदि डालने का काम पूरा हुआ है. जो काम अधूरे हैं, उनको पूरा करने का मंत्रीजी से निवेदन है. मैं पुनःधन्यवाद देता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, विद्युत के क्षेत्र ऐतिहासिक कार्य हुआ है जिसकी जितनी बार प्रशंसा की जाये कम है. जो बजट का प्रावधान किया है उससे आने वाले समय में प्रदेश में विद्युत की स्थिति सुधरेगी और अच्छे प्रदेश के रुप में स्थापित होंगे. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय--सचिन यादव जी...सचिन जी समय का थोड़ा ध्यान रखेंगे.
श्री सचिन यादव(कसरावद)--उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 12,25,32 और 76 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
उपाध्यक्षजी,मैं समझता हूं कि उर्जा विभाग ने उपभोक्ताओं का शोषण करने के लिए,उपभोक्ताओं को लूटने के लिए पूरी तरह से आजादी विद्युत कंपनियों को दे रखी है. मुझे नहीं मालूम की (XXX) शब्द संसदीय है या असंसदीय है. लेकिन मैं इस शब्द का प्रयोग करना चाहता हूं. जिस दादागिरी के साथ, जिस (XXX) के साथ जो हमारे उपभोक्ता हैं, उनके साथ लूटपाट का काम बिजली विभाग के अधिकारी बिजली के बिल के नाम पर कर रहे हैं, उससे एक गंभीर समस्या पूरे प्रदेश में खड़ी हुई है.
उपाध्यक्ष महोदय, हम लोग जब भी क्षेत्र में जाते हैं तो आये दिन सैकड़ों की संख्या में उपभोक्ता बिजली के बिल लेकर हमारे पास आते हैं. जब हम उन बिजली के बिलों को देखते हैं और बाद में उस उपभोक्ता का घर जाकर देखते हैं तो हम खुद आश्चर्यचकित रह जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--यह शब्द विलोपित करें.
श्री सचिन यादव--उपाध्यक्षजी, जब हम वह बिल देखते हैं और उसके बाद उस उपभोक्ता का घर देखते है तो हम लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं. एक छोटा सा मकान. उस मकान में एक ट्यूब लाईट, एक पंखा इससे ज्यादा उस गरीब के घर में नहीं दिखता. वह मजदूर, गरीब सुबह 7 बजे अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए घर से निकल जाता है और शाम को सूर्यास्त के बाद घर पहुंचता है, ऐसे उपभोक्ताओं को बिजली विभाग के लोगों ने 9-9 हजार, 10-10 हजार और कहीं कहीं 25-25 हजार बिजली के बिल भी थमाये हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हो रही है. ऐसी स्थिति इसलिए उत्पन्न हो रही है क्योंकि बिजली विभाग की जो कंपनियां हैं, उन्होंने एक एवरेज बिलिंग की व्यवस्था एक फार्मुला तय कर लिया है. हम मध्यप्रदेश की बात करें तो हमारे यहां पर 85 लाख 80 हजार 244 घरेलू उपभोक्ता हैं. इन घरेलू उपभोक्ताओं में से मैं नहीं समझता हूं कि 30-40 प्रतिशत से ज्यादा लोगों के यहां मीटर लगे हैं. मैं पूरे दावे के साथ कहना चाहता हूं कि विभाग का जो लाईन मेन है, वह लाईन मेन उस मीटरों की रीडिंग लेने के लिए उन उपभोक्ताओं के घर नहीं जाता. वह वहीं अपने ग्रिड पर बैठकर बिल बना लेता है. कहीं कहीं तो यह भी देखने में आता है कि अगर किसी उपभोक्ता से उसकी सेटिंग नहीं हो पाती, उसकी पैसे के लेन देन की बात नहीं हो पाती है तो अगले महीने आप निश्चित मान कर चलिये कि उस उपभोक्ता का भारी भरकम बिजली का बिल आने वाला है.
उपाध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि ऐसे जितने भी गांव हैं, जिले हैं, विधान सभा क्षेत्र हैं, जहां पर मीटर लगने का काम नहीं हुआ है और मीटर लगाने का काम आप अतिशीघ्र करवाने का काम करें ताकि यह जो एवरेज बिलिंग के नाम पर जो लूट और खसौट का काम बिजली विभाग कर रहा है और उपभोक्ताओं को जिस प्रकार से ठगने का काम कर रहे हैं, यह तुरन्त बंद हो. उपाध्यक्ष महोदय, सरकार दावे करती है कि किसी भी उपभोक्ता का या किसी भी जगह ट्रांसफार्मर जलते हैं तो वह ट्रांसफार्मर को 72 घंटे में बदलने का निर्देश ऊर्जा विभाग ने जारी किया है. लेकिन देखने में आता है कि 15-15, 20-20 दिन हो जाते हैं उन उपभोक्ताओं के खास कर जो किसान साथी होते हैं, उन किसानों की फसलें उनके सामने सूख रही होती हैं. लेकिन वह ट्रांसफार्मर विभाग के द्वारा बदले नहीं जाते हैं. अगर वह बदलना भी होते हैं तो मैं जहां तक समझता हूं कि जहां ट्रांसफार्मर जला है, वहां तक ट्रांसफार्मर भेजने की जिम्मेदारी विभाग की होती है. लेकिन 99 प्रतिशत प्रकरणों में ऐसा होता है कि किसान स्वयं अपने खर्चे पर वह जला हुआ ट्रांसफार्मर निकाल कर लाता है, ऊर्जा विभाग के दफ्तर में जाता है और वहां उसको जमा करना पड़ता है. इसके बाद कब उसको ट्रांसफार्मर मिलेगा, इसकी किसी प्रकार की कोई समय सीमा नहीं होती है. विभाग के द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जाता है. जब ट्रांसफार्मर आता भी है तो वह ट्रांसफार्मर भी किसान को अपने खर्चे पर लाकर साइट पर लगवाना पड़ता है.
उपाध्यक्ष महोदय, एक बहुत बड़ी समस्या जो हमारे क्षेत्र में है. हमारी जो गांव की पंचायतें हैं. पंचायतों में जो पेयजल का कनेक्शन होता है, क्योंकि पंचायतें हमारी सरकारी संस्थाएं हैं और इसका जो बिल आता है, उस बिल में हमेशा यह देखने में आया है. अभी कुछ महीने पहले ही पंचायतों के चुनाव संपन्न हुए. जो पुराना सरपंच था, वह बहुत सारी राशि बकाया छोड़कर गया. अब जो नया सरपंच आया, उसको किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं थी, उसको यही नहीं मालूम था कि पंचायत के ऊपर बिजली विभाग का कितना बिल बकाया है. लेकिन जैसे ही उसने पदभार ग्रहण किया, अगले दिन उसको वारंट इशू किया जाता है. वह वारंट पंचायत की बजाय व्यक्तिगत उसके नाम से इशू किया जाता है. हमारी ऐसी कई सारी पंचायतें हैं. अगर आप बोले तो नाम भी गिना सकता हूं, मलतार पंचायत, ओझरा पंचायत, भट्टयान पंचायत, निमरानी पंचायत, यहां के जो सरपंच हैं, उनके ऊपर लगभग ढाई-ढाई, तीन-तीन लाख रुपए का पुराना बकाया बिल उनके व्यक्तिगत नाम पर वारंट इशू किये गये. उन सरपंचों ने चूंकि अभी अभी पदभार ग्रहण किया था, पंचायत में किसी प्रकार से कोई राशि की व्यवस्था नहीं थी कि जिसके माध्यम से वे बिजली का बिल जमा कर सकें. उन्होंने बाजार से साहुकारों से कर्ज लेकर बिजली के बिल की राशि जमा की. उनको लगभग दो-दो, तीन-तीन बार थाने में बुलाकर ऐसे चुने हुए जनप्रतिनिधियों की इज्जत खराब करने का काम किया गया.
उपाध्यक्ष महोदय, चूंकि समय का अभाव है इसलिए मैं सीधे अपनी विधान सभा की दो महत्वपूर्ण समस्याएं हैं उनकी ओर दिलाना चाहता हूं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे कसरावद में उत्कृष्ट विद्यालय है और उस उत्कृष्ट विद्यालय में बीच खेल मैदान में एक 11 के.व्ही.ए., की लाइन गई हुई है. मैं स्वयं वहां जाकर देखकर आया हूं. मैंने ऊर्जा विभाग के लोगों से चर्चा करके उसका एस्टीमेट बनाने के लिए बोला है. लेकिन जो एस्टीमेट आया है, वह बहुत ज्यादा है. शिक्षा विभाग के पास ऐसे किसी बजट की व्यवस्था नहीं है. मैंने ऊर्जा विभाग के लोगों से बात की तो उन्होंने भी किसी प्रकार का सहयोग करने से इंकार कर दिया. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि वहां पर सिर्फ एक या दो पोल हटाने हैं. वहां पर बच्चे बीच मैदान में खेलते हैं. किसी दिन भी कोई भी बड़ी घटना घट सकती है.
उपाध्यक्ष महोदय हमारे यहां पर एक ग्राम भनगाव में ग्रीड सेंग्शन हुई थी उसके लिए उसके लिए राजस्व विभाग से बिजली विभाग के लोगों द्वारा संपर्क करके जमीन आवंटित करायी जो जमीन पटवारी के द्वारा आवंटितकी गई वह गलत जमीन आवंटित कर दी गई, नक्शे में व्यक्तिगत किसान की जमीन को सरकारी बताकर बिजली विभाग में जमा कर दिया. उस जमीन पर ठेकेदार केद्वारा काम भी शुरू करदिया. ठेकेदार ने 4 - 5 लाख रूपये का निर्माण कार्य उस जमीन पर कर दिया , बाद में जब उस किसान की जानकारी में आया तो उसने एसडीएम और कलेक्टर को जाकर आवेदन दिया उसके बाद में जब जांच हुई तो वह जमीन वास्तव में उस किसान की है. अब समस्या यह हो गई है कि ठेकेदार कहता है कि मैंने उस जमीन पर 5 लाख रूपये का निर्माण कर दिया है, विभाग कहता है कि हमारी कोई गलती नहीं है और उस ग्रीड का काम पिछले 5 - 6 माह से रूका हुआ है. कलेक्टर महोदय की जानकारी में भी यह बात मैं लाया हूं लेकिन अभी तक कोई प्रगति दिखाई नहीं दी है, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि आप इसमें दिशा निर्देश जारी करें और उस काम को कराने की कृपा करें. आपने मुझे बोलने के लिए समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह शेखावत ( नागदा - खाचरोद ) --उपाध्यक्ष महोदय मैं मांग संख्या 12, 25, 32 एवं 76 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. उपाध्यक्ष महोदय जहां पर मध्यप्रेदश में बिजली का उत्पादन बढ़ा है. उत्पादन के साथ में बिजली कैसे बचायी जाय इसका प्रयास भी किया गया है. बिजली में हानि कैसे हो यह भी प्रयास किये गये हैं. पारंपरिक ऊर्जा से भी बिजली बनी है, अपारंपरिक ऊर्जा से भी बिजली बनी है, बायोमास से भी बनी है, विंड से भी बनी है, सोलर से भी बनी है , कोयले से भी बिजली बनी है और आज मुझे कहते हुए गर्व है कि 29 मेगावाट से बढ़कर 16000 मेगावाट तक हम लेकर आये हैं . मुझे यहां पर यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि शायद गांव के लोग भी यह कल्पना नहीं करते होंगे कि हम बिजली में कभी भोजन कर पायेंगे. मैं कांग्रेस के मित्रों को यह कहना चाहता हूं कि उस समय इनवर्टर की कितनी खपत थी यह देख लें और उस समय मोटर कितनी जलती थी यह देख लें, ग्रीड, ट्रांसफार्मर कितने जलाये जाते थे यह देख लें, आफिस कितने जलाये जाते थे यह देख लें. अगर आपको लगता है कि व्यवस्थाओं में सुधार हुआ है तो निश्चित रूप से आपको भी मध्यप्रदेश की सरकार को धन्यवाद देना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय एक कांग्रेस के मित्र कह रहे थे कि मुख्यमंत्री जी जब किसानों से मिलने जाते हैं तो रोते हुए के फोटो छपते हैं तो यह तो होता ही है कि अगर आदरणीय पप्पू जी अगर किसी के घर रोटी खाने चले जाते हैं तो उसके भी फोटो छपते हैं और छपवाये जाते हैं. अब अगर इस फोटो के चक्कर में हम किसी सरकार की तारीफ नहीं करें तो यह बात ठीक नहीं है. इसलिए मैं कांग्रेस के मित्रों को यह कहना चाहूंगा कि कृषि में उत्पादन बढ़ा है तो बिजली के उत्पादन के कारण बढ़ा है. अगर यहां पर उद्योग आये हैं तो वह भी बिजली की पर्याप्त उपलब्धता के कारण यहां आये हैं. 2013 के पहले मुख्यमंत्री जी यह कहते थे कि मैं गांवों में 24 घंटे बिजली दूंगा तो हम लोगों को भी लगता था कि अगर गलती से भी कभी 24 घंटे बिजली नहीं गई तो जनता को क्या जवाब देंगे . मैं आज इस विधान सभा में बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं माननीय राजेन्द्र शुक्ल जी वह ऐतिहासिक काम आपने करके बताया कि 24 घंटे बिजली देना कल्पना हुआ करती थी. मध्यप्रदेश कभी बिजली के क्षेत्र में भिखारी प्रदेश हुआ करता था वहीं पर आज हम बिजली बेचने वाले प्रदेश हैं. आने वाले समय में शायद हम बिजली के क्षेत्र में रिकार्ड बनायेंगे और इसलिए बिजली के क्षेत्र में आपने जो अभूतपूर्व काम किया है. मैंने देखा है 2004 में ट्रांसफार्मर लोगों के द्वारा सरकारें बेचा करती थी जब ट्रांसफार्मर जलते थे लेकिन आज ट्रांसफार्मर समय पर बदले जाते हैं 132 केवीए हो 33 केवीए हो, यह ग्रीड हमने नये बनाये हैं. 400 केवीए के ग्रीड हमने नये बनायेहैं. 33 केवीए की लाइन हमने बिछायी है आज की तारीख में अगर हमने इस मध्यप्रदेश में पूरी व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन करने का काम किया है तो भाजपा की सरकार ने किया है. इसलिए अगर आज कोई मेरा मित्र कहता है कि खनिज में ये 10 - 15 नाम और आदरणीय बहादुर सिंह जी ने एक ही बम फेंकदिया 30 करोड़ का अब कहां टिकेंगे. अब ये कोई प्रतिस्पर्द्धा है. अरे गलत जिसने किया वह कोई भी दल का होगा, गलत होगा. इसका मतलब यह हो गया कि पहले आदरणीय राजेन्द्र शुक्ला जी से निवेदन करना पड़ेगा कि वर्ष 2004 के पहले के जो जो थे इनके वाले, उनके नाम हमें दे दो तो हम भी गिना दें 10-15, अब इस प्रकार की चीजें अगर सदन के अंदर आएंगी. हां आप देंगे तो अगली बार फिर मैं भी कह दूंगा लेकिन जो भाई कह रहे थे वे भाई अभी नहीं हैं उन्होंने मांग की थी. इसलिए सारी चीजों में हमने परिवर्तन किया है.
माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं माननीय मंत्री जी से एक निवेदन करना चाहूंगा कि जो किसान ट्यूबवेल लगाते हैं और ट्यूबवेल लगाने के बाद वे यह टेस्ट करते हैं कि पानी है कि नहीं है और एकाध दिन टेस्ट करने के बाद में वे अस्थाई कनेक्शन लेते हैं. इसमें कुछ लोगों के शिकायत करने के बाद उन पर केस बन जाते हैं जिसके कारण बहुत परेशानी होती है तो मेरा निवेदन है कि उसमें कुछ अनुमति उनको दी जाए कि यदि कोई ट्यूबवेल लगाता है तो 2-4 दिन टेस्ट के लिए उनको परमीशन दें ताकि वे टेस्ट कर लें और पानी पर्याप्त हो तो वे अस्थाई कनेक्शन ले लें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से एक और निवेदन करना चाहूंगा कि कभी-कभी ओवरलोड हो जाता है स्थाई कनेक्शन के साथ-साथ अस्थाई कनेक्शन ले लिए जाते हैं और वे इतने ज्यादा हो जाते हैं कि ओवरलोड हो जाता है और डीपी बार-बार जलती हैं, इसके कारण उन बेचारों को भी परेशानी आती है जो साल भर के लिए स्थाई कनेक्शन लेते हैं, इसलिए जितनी केपेसिटी का ट्रांसफार्मर है उससे ज्यादा उस पर अस्थाई कनेक्शन नहीं दिए जाएं ताकि इस लॉस से बचा जा सके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसके अलावा मैं माननीय मंत्री जी से एक और निवेदन करना चाहूंगा कि सोलर विंड जो नॉन-कन्वेंशल एनर्जी है अगर बॉयोगैस को और महत्व दें उसकी सब्सिडी में और बॉयोगैस में अगर गोबर से बिजली बनाएंगे तो निश्चित रूप से पशुधन बढ़ेगा, दूध का उत्पादन बढ़ेगा और बॉयोगैस से बिजली उत्पादन के बाद में जो जैविक खाद बनेगी उससे जैविक खाद को प्रोत्साहन मिलेगा इसलिए बॉयोगैस के बारे में हमें गंभीरता से विचार करना चाहिए और जितनी सब्सिडी हम दे सकें देनी चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक निवेदन और मंत्री जी से है कि जो लाइनें होती हैं वह पहले नहीं होती हैं और कालोनी बनने के बाद तार उन घरों के ऊपर से निकलते हैं और बाद में शिफ्टिंग करने का भारी-भरकम चार्ज लगता है अगर इसकी कोई ठीक से पॉलिसी बने या चार्ज कम करें तो निश्चित रूप से उपभोक्ताओं पर भार कम होगा. मैं क्षेत्र की दो-तीन चीजों पर और आपका ध्यान दिलाना चाहूंगा, मेरे विधान सभा क्षेत्र में मात्र एक 132 का ग्रिड है अगर एक 132 का ग्रिड और बन जाए तो निश्चित रूप से उस संपूर्ण विधान सभा क्षेत्र को लाभ होगा. तीन 33 ग्रिड के प्रस्ताव आए हुए हैं, एक सुरेनसंदला, एक भीखमपुर और एक नंदियासी, ये भी अगर स्वीकृत होंगे तो ठीक से मेरी विधान सभा को फायदा होगा. मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देते हुए अपनी वाणी को विराम दूंगा. जय हिंद जय भारत.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन कर रहा था कि जो बोल रहे हैं उनको 2-2, 3-3 ग्रिड मंत्री जी देने वाले हैं अब इनका क्या दोष है कि जिनका आपने नाम काट दिए, उनका क्या दोष है जिनको बोलने का मौका नहीं मिला तो मैं यह कह रहा था कि मंत्री जी सभी को बराबर दो-दो ग्रिट बांट दें.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप लिखकर दे दें मंत्री जी को.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) -- माननीय उपाध्यक्ष जी, मांग संख्या 12, 25, 32 एवं 76 पर चर्चा चल रही है मुझे इसके विरोध में बोलने का अवसर मिला है. अभी सत्ता पक्ष के विधायक लगातार चर्चा कर रहे थे कि वर्ष 2003 तक मध्यप्रदेश में बिजली की स्थिति क्या थी लेकिन माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूँ कि वर्ष 2003 में निश्चित रूप से बिजली का उत्पादन कम था, आज बिजली का उत्पादन बढ़ा है लेकिन सत्ता पक्ष के लोग ये कतई नहीं कहते कि इस समय कितने लोगों को जेल भेजा जा रहा है, कितने लोगों को एक बत्ती कनेक्शन दिया जा रहा है और कितने लोगों को फ्री में मोटरें दी जा रही हैं, जब हम क्षेत्रों में जाते हैं, तो जैसा भाई सचिन यादव अभी बोल रहे थे कि लोग पूछते हैं कि जो हम लोग एक हॉर्सपॉवर की मोटर पानी में डालते हैं तो उसका बिल आता है तीन हॉर्सपॉवर का तो क्या पानी पाकर मोटर लौकी और कद्दू की तरह फूल जाती है. इसका जवाब हम लोगों के पास नहीं होता.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूँ कि हम लोग ग्रामीण क्षेत्र के विधायक हैं, आप शहरी क्षेत्र के विधायक हैं और पूरे मध्यप्रदेश के मंत्री हैं. हो सकता है कि यह बातें आप तक न पहुंचती हों तो इस सदन के माध्यम से आपको बताना चाहता हूँ. मऊगंज क्षेत्र में अकेले 80 हजार मीटर खराब हैं, शायद इस बात की जानकारी आपको है और रीडिंग नहीं ली जाती, कितनी दुर्दशा होती है, इस समय सूखा पड़ा हुआ है. यह भी फसल चौपट हो गयी है. किसानों के साथ कितना बड़ा घोर अन्याय हो रहा है. अभी हमारे कुछ साथी कह रहे थे कि 10 परसेंट के ट्रांसफार्मर बदले गये लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि एक गरीबी रेखा का कार्ड आता है पीला कार्ड लेकिन वह पीला कार्ड, गरीबी रेखा का जो बना था,अब एक अदालत से पीला कार्ड जाता है, अब वह पीला कार्ड का भय दिखाकर के हर गांव में जबरन बिजली का बिल वसूला गया है. यह पूरे मध्यप्रदेश की परिस्थिति है. राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना जब हमारी केन्द्र में सरकार थी तो सपना देखा था, गांव गांव तक बिजली पहुंचाने का, आज बड़े दावे के साथ हर विधायक यह बोल रहे हैं कि हमारे गांव में यह बिजली पहुंची, वह बिजली पहुंची, लेकिन जब केन्द्र में डाक्टर मनमोहन सिंह जी की सरकार थी उस समय राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना का सपना देखा था और गांव गांव तक बिजली पहुंचाने का प्रयास किया लेकिन इसके बावजूद इस विद्युतीकरण योजना की इतनी दुर्दशा की गयी है कि अभी हर गांव में बिजली नहीं पहुंची है उसका उदाहरण मेरा मऊगंज है. कई गांव ऐसे हैं जो विद्युतीकरणविहीन आज भी है. राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के माध्यम से तो गांवों तक बिजली पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन जो शहर हैं, शहरों में ऐसी कोई योजना नहीं बनी है. हर विधायक के क्षेत्र में एक दो नगर पंचायतें हैं.हर नगर पंचायत क्षेत्रों में आधे क्षेत्र विद्युतविहीन आज भी हैं, यह मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूँ कि उन शहरी क्षेत्रों में जो वार्ड विद्युतविहीन हैं उनके लिए भी तत्काल व्यवस्था करायी जाए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि हमारे क्षेत्र में लोढ़ी, हाटा, नाउनकला, नाउनखुर्र, हर्रई, प्रतापसिंह सरदमन यह गांव आज भी विद्यतविहीन हैं और एक हाटा में सब स्टेशन की आवश्यकता है तो आपके माध्यम से अऩुरोध करना चाहता हूँ कि अगर हाटा में सब स्टेशन बनेगा तो निश्चित रुप से हमारे क्षेत्र को लाभ मिलेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, खनिज की स्थिति, अभी हमारे सम्मानित विधायक डॉ. गोविन्दसिंह, जितू पटवारी जी ने कई बातें रखीं लेकिन उस मुद्दे पर मैं ज्यादा नहीं जाना चाहता सिर्फ यह कहना चाहता हूँ कि जो यह अवैध उत्खनन हो रहा है उसके पीछे एक कारण यह है कि जो खदानों के लिए परमिट दिया जाता है चाहे पठिया पत्थर की खदान हो, इसकी प्रक्रिया इतनी जटिल कर दी गयी है कि सामान्य ठेकेदार या लोग जो करने वाले हैं उनके बस की बात नहीं है जो बड़े स्तर के लोग हैं या जो सरकार से संबंध रखते हैं जो नेताओं से संबंध रखते हैं सिर्फ उनके लिए प्रक्रिया आसान है,यह बहुत सरल चीज है. हमारे क्षेत्र में कुछ पठिया पत्थर का काम चलता है वहां पर लोगों को लीज नहीं मिल पायी है जिसके कारण उनके ऊपर आये दिन अवैध उत्खनन का आरोप लगता है और करते भी हैं अगर उनको सहूलियत के साथ इसमें कुछ लीज या ऐसी परमिट की व्यवस्था कर दी जाए तो शायद अवैध उत्खनन भी रुकेगा और उनको सहूलियत भी मिलेगी. ज्यादा कुछ न बोलते हुए आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय- श्री सुदर्शन गुप्ता, श्री के के श्रीवास्तव, श्रीमती ममता मीना....
श्री सुदर्शन गुप्ता-- (अनुपस्थित)
श्री के के श्रीवास्तव-- (अनुपस्थित)
श्रीमती ममता मीना-- (अनुपस्थित)
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर(मांधाता)-- मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, मैं बिजली विभाग, जनसंपर्क और नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा की अनुदान मांगों के समर्थन में खड़ा हुआ हूँ. मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, जो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. उस कल्पना को इस धरती पर उतारने का काम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान और हमारे ऊर्जा मंत्री आदरणीय राजेन्द्र शुक्ला जी ने वह करके दिखाया है. जो पुरानी सरकारें थीं तब सब माफ के आधार पर चलती थीं और तारों में करंट ही नहीं रहता था. पूरा मध्यप्रदेश अँधेरे में था. उपाध्यक्ष महोदय, 2003 के पहले 50-60 साल में बिजली का उत्पादन 29 सौ मेगावॉट था और मुझे आज इस सदन में यह कहते हुए हर्ष हो रहा है कि 55-60 साल में 29 सौ मेगावॉट और सरकार के बनने के बाद मेरे अकेले इस विधान सभा क्षेत्र में, जहाँ इंदिरा सागर से एक हजार, ओंकारेश्वर से 520 मेगावॉट, संत सिंगाजी थर्मल पावर से प्रथम चरण का काम हो गया है, वहाँ से 12 सौ मेगावॉट और सेकंड फेज का काम चालू हो गया है उसमें 1320 मेगावॉट का काम चल रहा है और तीसरा मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी और एन टी पी सी के ज्वाईंट वेंचर से खरगौन जिले में 1320 मेगावॉट का उत्पादन वहाँ भी होगा. देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी 5 अप्रैल 2015 को एक का लोकार्पण किया दूसरे का भूमि पूजन किया और जो 1320 मेगावॉट का उत्पादन सेकंड फेज में होना है. वह 2018 के पहले पूर्ण हो जाएगा. समय से पहले काम हो रहा है. उपाध्यक्ष महोदय, खंडवा जिले में मेरा क्षेत्र पावर हब है. वॉटर हब है. एरीगेशन हब है. अब हम जल महोत्सव में भी जा रहे हैं पर उपाध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से एक निवेदन है कि संत सिंगाजी थर्मल पावर में जो उस क्षेत्र के किसान, जिनकी जमीनों का अधिग्रहण किया गया है या उसमें यह कह सकते हैं कि इंदिरा सागर प्रोजेक्ट और ओंकारेश्वर प्रोजेक्ट से भी बहुत सारे लोग विस्थापित हुए हैं. संत सिंगाजी थर्मल पावर में उनको सर्विस के लिए 40 साल की उम्र तक की छूट दी जाए. दूसरा, इसमें मेरा निवेदन है कि नौकरियों में उनको और छूट दी जाए ताकि वहाँ के बच्चे जो प्रभावित हुए हैं, जिस परिवार के, वह आई टी आई कर रहे हैं तो उनको उसमें नौकरी मिलने में सुविधा होगी. यह मेरा मंत्री जी से निवेदन है. दूसरा वहाँ पर संत सिंगाजी थर्मल पावर में जो ठेकेदारी प्रथा के माध्यम से जो श्रमिक लगे हुए हैं. एक बार वहाँ जाँच करा लें कि वास्तविक रूप से जितना श्रम विभाग की तरफ से कलेक्टर की तरफ से जो रेट दिए जाने चाहिए, वह रेट वहाँ बराबर नहीं मिल रहे हैं और वहाँ लोकल लोगों के साथ ठीक से व्यवहार भी नहीं हो रहा है. इसकी भी अगर आप यहाँ जाँच कराएँगे तो उन लोगों को जो बेचारे प्रभावित हैं, जिन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया है, उनको सही रूप से रेट मिल जाए. मेरा आप से यह निवेदन है. उपाध्यक्ष महोदय,..(व्यवधान).. अब हम तो पावर हब हैं पर हमारे क्षेत्र में भी उप केन्द्र की आवश्यकता है, बहुत हैं फिर भी जरूरत है. सुखेन्द्र सिंह जी, यह मांग खतम होती नहीं. आवश्यकता आविष्कार की जननी है और इसीलिए आप अपने घर का भी काम पूरा नहीं कर सकते, वह तो आखरी तक भी नहीं होते हैं इसलिए जनसंख्या की भी वृद्धि होती है और जनसंख्या की वृद्धि के साथ आवश्यकताएं भी बढ़ती हैं इसलिये जो बहुत से पुनर्वास स्थान हटे हैं वे मेरे विधान सभा क्षेत्र में आकर बसे हैं इसलिये मैं मान्यवर मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूँ कि एक पामाखेड़ी गांव है (कांग्रेस पक्ष के कुछ सदस्यों द्वारा बैठे बैठे कहने पर) आप हमें छेड़ो मत आपने किया कुछ नहीं दिग्विजय सिंह जी ने मध्यप्रदेश को बर्बाद कर दिया फ्री फ्री कहकर जनता को खत्म कर दिया आज जब 24 घंटे बिजली मिल रही है आपके पेट में क्यों मरोड़ उठ रही है, क्यों उठ रही है 10 घंटे किसानों को बिजली मिल रही है.
उपाध्यक्ष महोदय--आप इधर ध्यान दीजिये, अब आप समाप्त करें.
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर--उपाध्यक्ष महोदय, सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन मेरे क्षेत्र में होता है एक पामाखेड़ी गांव है वहां 18 में से 7 गांव बचे हैं बाकी डूब चुके हैं इसलिये वहां पर एक उपकेन्द्र जो कि स्वीकृत है एक प्रायवेट आदमी वह जमीन दान में दे रहा है उसका निर्माण कार्य अतिशीघ्र करायें. 132 केवी का एक और बूंदी में है वहां पर एक और ग्रिड बनायें ताकि उस क्षेत्र में जिन्होंने कुर्बानियां दी हैं जो विस्थापित हुए हैं जिसने त्याग किया है वहां उन्हें अच्छे वोल्टेज से बिजली मिले इसके लिए 132 केवी का ग्रिड स्वीकृत किया जाये. बखरगांव में और मेरे खुद के गृह ग्राम रिसफल में भी दीनदयाल योजना के अन्तर्गत दो ग्रिड प्रस्तावित किए गए हैं वे भी स्वीकृत कर उनका कार्य चालू करायें. आप सबने बिजली विभाग में अनुकरणीय कार्य किया है मध्यप्रदेश बिजली के उत्पादन में सबसे आगे पहुंचा है इसके लिए मध्यप्रदेश की सरकार को साढ़े सात करोड़ जनता की तरफ से बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत बहुत बधाई.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा--लोकेन्द्र सिंह जी में ज्यादा पॉवर आ गया है कोई छेड़ता है तो करंट मारते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--बल्व वगैरह जेब में रख लेंगे तो अपने आप जलने लगेंगे. (हंसी)
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 12, 25, 32 एवं 76 के कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, समय की मर्यादा का ध्यान रखते हुए मैं ट्रांसमीशन लॉस जो कि 30 प्रतिशत के आसपास है उसके बारे में भी बात नहीं करुंगा, क्या कार्य योजना बन रही है उसके बारे में भी बात नहीं करुंगा, मुख्यमंत्रीजी ने 2008 में जो कोयला पदयात्रा की है उसका क्या हश्र हुआ है उसके बारे में भी चर्चा नहीं करुंगा, कोयला किस दर में खरीद रहे हैं किस क्वालिटी का आ रहा उसके बारे में भी बात नहीं करुंगा, प्रदेश के बाहर से एनटीपीसी से जो शेयर मिलता है क्या वह पूरी लाइट मिल रही है, नहीं मिल रही है उसके बारे में भी चर्चा नहीं करुंगा, महंगी बिजली खरीदी और सस्ती बेची उसके बारे में भी बात नहीं करुंगा, सर्विस प्रोवाइडर कौन हैं क्या हैं उसके बारे में भी बात नहीं करुंगा और क्या-क्या खेल तमाशे होते हैं उसके बारे में भी बात नहीं करुंगा. मेरा एक छोटा सा प्रश्न है मध्यप्रदेश में जो बिजली का शेयर है अलग-अलग सेक्टर्स में वह कृषि क्षेत्र में 38.7 है, उद्योग में 28.5 है और इस तरह से सबसे ज्यादा कृषि के क्षेत्र में बिजली का उपयोग होता है तो जो सबसे बड़ा उपभोक्ता होता है उसको सबसे ज्यादा सुविधा प्राप्त होना चाहिए लेकिन सुविधा के नाम पर रात को 12 से 4 बजे की बीच लाईट मिलती है तो यह कौन सी सुविधा होती है इस तरह से लाईट मिलने से एक तो लाईट की भी बर्बादी होती है और पानी की भी बर्बादी होती है जो कि बहुत बहुमूल्य है. जब हम इतनी बिजली पैदा कर रहे हैं तो फिर लाईट के समय के निर्धारण पर भी विचार होना चाहिए ताकि उस बिजली और पानी का सदुपयोग हो इसके बारे में माननीय मंत्रीजी विचार करें और उन किसानों के हित की भी बात करें जो दिन में भी काम करते हैं उनको रात को भी पानी देने के लिये जाना पड़े यदि बिजली के उत्पादन में हम आगे बढ़ रहे हैं तो इस ओर भी ध्यान देने की जरुरत है. जो 50 प्रतिशत का नियम था धन्यवाद की आपने उसे 10 प्रतिशत कर दिया नहीं तो आधे से ज्यादा किसान सिंचाई नहीं कर पाते और जो ईमानदार उपभोक्ता हैं उनके हित में हम क्या प्लानिंग कर सकें इस ओर भी विचार करने की बात है. कृषक अनुदान योजना के संबंध में मेरे जिले का आपका जवाब था 50 से ज्यादा लोगों के पैसे जमा हो गए हैं लेकिन वह राशि वापिस करने की बात आ गई है क्या यह योजना बंद हो रही है ? अगले वर्ष चालू रहेगी नहीं रहेगी ? आपके जवाब में जरुर इंगित कर दें क्योंकि बहुत महत्वपूर्ण योजना है किसान 25 प्रतिशत अपना शेयर लगाता है बाकी सरकार मिलाती है इस योजना को आप बंद नहीं करें. फीडर सेपरेशन का काम वाकई बहुत घटिया स्तर का चल रहा है उनकी क्वालिटी दिखने में ही बहुत बेकार लगती है इस ओर आप ध्यान दें नहीं तो आज काम हो जाएगा तीन साल बाद हम सबको उस परेशानी की ओर देखना पड़ेगा और खेतों में जो लाईट है, उनके खम्बे और उनके तार की खिंचाई का काम पिछले 10-15 सालों में नहीं हुआ है उस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. जो फीडर सेपरेशन के काम चल रहे हैं, उनमें तीन चार घर जो थोड़ा गांव से हटकर बने हुए हैं, उन घरों के लिये आपने एक नयी योजना दीन दयाल उपाध्याय के नाम से बनायी, लेकिन उसका कार्य चालू नहीं हुआ है. मेरे ही क्षेत्र में मुस्करा, चितौडि़यालाका, भोजनगर, कुलासकला आदि गांवों में और अन्य गांव भी छुटे हुए हैं, ऐसे गांव में भी आप उसको जल्दी चालू करें. जो मंजरे टोले और गांव छूट गये हैं आप कोशिश करें की इसी वर्ष में उन गांवों में लाईट आ जाये. एक महत्वपूर्ण बात है कि लाईन मेनों की जिनकी पचास और पचपन साल की उम्र हो गयी, जब वह खम्बे में चढ़ने लायक नहीं बचे और जब उनका ट्रांसफर कर दिया गया और अब वह दूसरे गांव में जाने के कारण अब वह उस गांव में नहीं पहुंचते हैं. पहले वह गांव के गांव में रहते थे तो वह रात के समय भी वह काम कर देते थे. यह भी एक व्यवहारिक परेशानी है, दूसरा एक मैंने आपको मीटर वाचक का बताया ही है. अलग से मैं आपसे चर्चा कर लूंगा कि सर्विस प्रोवाईडर ने क्या रूल्स बना दिये हैं. पांच हार्स पावर की मोटर्स के साढ़े सात हार्स पावर के बिल आ रहे हैं,यह बड़ा महत्वपूर्ण विषय हैं क्योंकि किसान ने तो पांच हार्स पावर के खरीदे हैं, क्योंकि काम होते होते उसमें रिवाईंडिग के कारण बढ़ जाता है लेकिन किसान की उसमें कोई गलती नहीं होती है. पानी तो कम ही रहता है इस बारे में भी आपको सोचना होगा. जितनी बिजली उतने ही दाम, यह सही बात है, लेकिन इसमें किसान की कोई गलती नहीं होती है और बेवजह से उसको परेशानी होती है. बिलों के विवाद बहुत बढ़ रहे हैं, बिल बढ़े हुए आते हैं. इस और भी देखने की आवश्यकता है और हमारे यहां पर दो डीसी की बहुत आवश्यकता है, एक तो धबौटी है सीहोर जिले में, एक इछावर में बृजेशनगर में और कोलार डेम में आसपास सबिदाबाद में दो डीसी की बहुत आवश्यकता है.
मैं खनिज विभाग के बारे में मैं एक लाईन में अपनी बात समाप्त कर दूंगा एन जी टी की टिप्पणी के बारे में पूर्व वक्ता जितू भाई ने बहुत बातें की है. आज जगह जगह गोली कांड होने लगे हैं. लोगों के मर्डर होने लगे हैं, इसका क्या कारण है कि आज खनिज विभाग को उस ओर देखा जा रहा है कि वह दादागिरी वाला विभाग है. सीहोर जिले के बुदनी विधान सभा के नसरूल्लागंज में गोली चली है, मुख्यमंत्री के विधान सभा क्षेत्र में इसलिये यह विचारणीय बात है. हमारे इछावर में सुबह मार्निंक वाक में लोगों ने निकलना बंद कर दिया है. यह विभाग का भ्रष्टाचार सीधे जनता से सीधे जुड़ा हुआ नहीं है. इससे जनता को फर्क नहीं पड़ता है, इस कारण रोजमर्रा का काम इस विभाग में नहीं आता है. इसलिये इतनी बातें नहीं आती, नहीं तो इतने सवालों के अलावा रोज खनिज विभाग पर सवाल उठता, आप माने या न माने, जनता इसको देख रही है. जनता के मन में भी यह बात आ गयी है कि खनिज विभाग में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है.आप उसको कंट्रोल करने का प्रयास करें.
मैं जनसंपर्क विभाग के बारे में ज्यादा नहीं बोलूंगा क्योंकि समय की काफी कमी है. यह विभाग तो सरकार का विभाग है. सरकार जहां चाहती है, वहां खर्च करती है. लेकिन आप कोशिश यह करें की सही तरह से जनसंपर्क का जो पैसा है वह लगे, ना कि वह सिर्फ सरकार की पब्लिसिटी करे या उसके मुखिया की पब्लिसिटी करे. उसके साथ में जो जनहितेशी बातें है, वह कैसे बेहतर तरीके से लोगों के पास पहुंचे उस ओर आपका पैसा खर्च हो. उसका उतना राजनीतिकरण नहीं होना चाहिये, जितना उसका राजनीतिकरण कर दिया गया. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, बहुत बहुत धन्यवाद् . उपाध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी आप शुरू करें. आप सभी लोग बैठ जाईये. ऐसा है कि दोनों दलों की तरफ से यह तय हुआ था, संसदीय कार्य मंत्री जी जानते हैं, इधर प्रभारी नेता प्रतिपक्ष श्री बाला बच्चन जी जानते हैं कि पांच - पांच माननीय सदस्य दोनों ओर से बोलेंगे. पांच-पांच सदस्यों ने बोल दिया है. आप लोगों की जो समस्या है आप माननीय मंत्री जी को लिखकर दे दें. उसका उतना ही प्रभाव होगा. अब आप लोग बैठ जाईये. मैंने व्यवस्था दे दी है.
उपाध्यक्ष महोदय:- डंग साहब आप बैठ जाईये और लोग भी लोग फिर बोलेंगे. डंग साहब ये गलत बात है. डंग जी जो बोल रहे हैं. वह नहीं लिखा जायेगा.
श्री हरदीप सिंह डंग:- (x x x)
उपाध्यक्ष महोदय:- आप सभी लोग मंत्री जी को लिखकर दे दीजिये. माननीय मंत्री जी आप बोलिये. आप सब लोग लिखकर दे दीजिये . उसका भी उतना ही प्रभाव पड़ेगा जितना आप बोलेंगे.
ऊर्जा मंत्री, (श्री राजेन्द्र शुक्ल) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने विभागों की मांगों पर जितू पटवारी जी ने शुरुआत की उसके बाद ओमप्रकाश सखलेचा जी,आदरणीय डॉ.गोविन्द सिंह जी,आदरणीय बहादुर सिंह जी,माननीय ऊषा चौधरी, माननीय दुर्गालाल विजय जी, सचिन यादव जी, दिलीप सिंह शेखावत जी,सुखेन्द्र सिंह बन्ना जी, लोकेन्द्र सिंह तोमर जी और शैलेन्द्र पटेल जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं कि आपने विभाग के कामकाज को कैसे बेहतर किया जाये अपने सुझाव भी दिये हैं अपनी समस्याएं भी बताई हैं.जितू पटवारी जी ने तो शुरू में जिस तरह से आरोपों की शुरुआत की शुरू में तो लगा कि आरोपों में कुछ दम होगा लेकिन मुझे चिंता थी कि जितू पटवारी जी वापस न आयें लेकिन गनीमत है कि वे वापस आ गये हैं और बार-बार मुझसे कह रहे थे कि मेरे आरोपों का जवाब जरूर देना.
उपाध्यक्ष महोदय - खेल भावना है जितू पटवारी जी में.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - इनके आरोपों का जवाब देते हुए मुझे इतना आनन्द आ रहा है इतने हवा में तीर चलाये जाने वाले जो आरोप थे जो वास्तविकता से बहुत दूर थे. फर्जी दस्तावेजों पर आधारित थे. दूर-दूर तक जिसका सत्यता से कोई सरोकार नहीं था और ज्ञान की कमी भी मुझे नजर आ रही थी कि कौन सी योजना किसलिये है उसका बजट में प्रावधान है तो किसलिये है इसकी बड़ी कमी मुझे नजर आ रही थी. मुझे खुशी है कि आप यहां उपस्थित हैं. आपने शुरुआत में कहा था
उपाध्यक्ष महोदय - संवैधानिक कर्तव्य है सुनना.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कृषि समृद्धि योजना जो फरवरी,2013 में लागू की गई थी.
श्री गोपाल भार्गव - जो भारसाधक मंत्री हैं उनका तो संवैधानिक कर्तव्य है हम लोगों को कौन सा बोनस मिल रहा है अलग से.
उपाध्यक्ष महोदय - कोरम भी तो व्यवस्थित रखना है.
श्री शंकरलाल तिवारी - उपाध्यक्ष महोदय, आज आपके सतना जिले में डगडिया,अकौना,सुहासपासी इन गांवों में भयानक ओले अभी पड़ रहे हैं मैं बाहर गया था इसीलिये आपको बता रहा हूं. आप घरगांव के भी हैं पूरा रघुराजनगर तहसील साफ हो गया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - पटवारी जी ने बजट में देखा कि कृषि समृद्ध योजना में 2015-16 में 143 करोड़ का प्रावधान था.इसको 50 करोड़ कर दिया गया है बजट को घटा दिया गया है लेकिन इन्होंने यह समझने की कोशिश नहीं की कृषि समृद्ध योजना है क्या. कृषि समृद्ध योजना में 2013 में मुख्यमंत्री जी ने किसानों के जितने भी लंबित बिल थे सरचार्ज और मूल बिल का आधा माफ करने की घोषणा की थी जिसमें 538 करोड़ रुपये बिजली कंपनियों ने किसानों के माफ किये थे और राज्य शासन को उसकी भरपाई करनी थी बिजली कंपनियों को और राज्य शासन को उसकी भरपाई करनी थी. 491 करोड़ रुपये की भरपाई हो चुकी थी 50 करोड़ रुपये की भरपाई बाकी थी और इसमें 50 करोड़ जो बचे थे उसका प्रावधान कर दिया तो पटवारी जी ने कहा कि 143 करोड़ रुपये से बजट घटाकर 50 करोड़ कर दिया तो इसलिये योजनाओं की जानकारी होना बहुत आवश्यक है. जो योजना आज अस्तित्व में नहीं है. जो योजना किसानों की मदद करने के लिये लागू की गई थी उसके तहत् हम वह सरकार नहीं है आपको वह दिन याद करना होगा जब 2003 में दिग्विजय सिंह जी उस समय के मुख्यमंत्री हुआ करते थे उन्होंने किसानों के 5 हार्सपावर के पंपों को माफ कर दिया था लेकिन बिजली कंपनियों को राज्य शासन ने उस राशि की भरपाई नहीं की थी जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी थी तो 2003 करोड़ रुपया भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने आपके समय के बिलों की भरपाई बिजली कंपनियों को करने का काम किया. तो हम लोग इस प्रकार के लोग नहीं कि बिजली कंपनी से छूट दिलवा दे फिर राज्य सरकार हाथ उठा ले और उसकी भरपाई न करे तो बचा हुआ 50 करोड़ रुपये वह वापस कर दिया गया इसलिये आप अपने मन से इस शंका को हटा दें और अपने मन को प्रसन्न कर लें यह बजट घटाया नहीं है बल्कि पुरानी देनदारी को वापस करने के लिये बजट में उसका प्रावधान किया है. बार-बार जितू पटवारी जी जे एण्ड टी की बात कर रहे थे. हमारे विधायकों से कह रहे थे कि जे एण्ड टी की रिपोर्ट है. जे एण्ड टी की रिपोर्ट है. मैं भी 7-8 वर्ष से मंत्री हूं मुझे भी जेएनटी की जानकारी मुझे नहीं है मैंने अधिकारियों से पूछा कि यह जेएन क्या है तो मालूम पड़ा कि जेएनटी नहीं जेटी है. आपको जानकारी होना चाहिये. जेटी से राज्य सरकार को कोई भी नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है मैं आपको जानकारी देना चाहता हूं उसकी सुनवाई आज जरूर हुई है. विनायक जी ने नरसिंहपुर जिले से याचिका जरूर दायर की है लेकिन इस प्रकार से कोई भी मामला राज्य सरकार को संज्ञान लेने के लिये प्राप्त नहीं हुआ है इसलिये आपके आरोपों में बहुत ज्यादा दम नहीं है. जहां तक माध्यम का सवाल है आपने जनसंपर्क विभाग के बारे में कहा था राज्य के बाहर के लोगों को वेबसाईट में विज्ञापन दिया गया है जो कि नियमों में नहीं है मैं यहां पर जानकारी देना चाहता हूं कि समाचार पत्र-पत्रिकाओं के लिये तथा इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिये इस प्रकार के नियम हैं कि राज्य शासन के राज्य के अंदर तथा बाहर किस प्रकार से प्रावधान होंगे, लेकिन डिजीटल मीडिया में वेबसाईड पर विज्ञापन देने के लिये इस प्रकार की कोई बाध्यता नहीं है कि हम बाहर की वेबसाईड पर विज्ञापन नहीं दे सकते हैं. हालांकित जिस प्रकार से वेबसाईड में लोग तेजी के साथ अपनी भूमिका में सामने आ रहे हैं हम इसकी एक पॉलिसी भी बना रहे हैं आने वाले समय में जैसी आपकी मंशा है उसमें और बेहतर तरीके से विज्ञापनों का बंटन होने का काम इसमें होगा. आदरणीय गोविन्द सिंह जी की बातों को पूरा करते हुए जिस प्रकार से ऐतिहासिक एवं उल्लेखनीय काम हुआ है इसमें माननीय मुख्यमंत्री जी की इच्छाशक्ति के दम पर हुआ है नहीं तो कोई कल्पना नहीं कर सकता था कि जिस प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में 3-4 घंटे की बिजली के लिये मोहताज होते रहे वहां पर 24 घंटे बिजली दे रहे हैं , यह बात हम मजबूती के साथ बोलते हैं. मुझे याद है कि अटल ज्योति अभियान के माध्यम से 24 घंटे बिजली की घोषणा हमने की थी तो एक तरफ हम लोगों की सभाएं होती थीं हम कहते थे हम ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली दे रहे हैं तो लोग तालियां बजाते थे. चूंकि चुनाव का समय था उस समय दिल्ली से एक हवाई जहाज से दिल्ली से चार-पांच नेता निकला करते थे सुबह वह दिन भर घूमते थे और शाम को दिल्ली चले जाते थे वे अटल ज्योति अभियान का माखौल उड़ाते थे और कहते थे कि यह अटल ज्योति अभियान नहीं है, यह अटल कटौती अभियान है.
9.39 बजे (माननीय अध्यक्ष डॉ.सीतासरण शर्मा) पीठासीन हुए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके 15 दिन बाद चुनाव हुए तो 72 सीटों में से कांग्रेस के लोगों को 58 सीट तक पहुंचा दिया. केवल हम आरोप लगाएंगे एवं लोगों के गल से उत्तर जाएगा इस गलतफहमी में रहकर हमको अपनी भूमिका को निभाने की आवश्यकता नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ.गोविन्द सिंह जी ने मेरे बोझ को हलका कर दिया है मेरे जमीर को झकझोरा है राज्य सरकार के संसाधनों की चोरी हो रही है अपने जमीर को झकझोरो, लेकिन दोहरा मापदण्ड माननीय गोविन्द सिंह जी का कैसे चल सकता है. बिजली की चोरी रोकने का प्रयास होता है तो विभाग को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया जाता है. अगर खदान चोरी होने का सवाल उठता है......
डॉ.गोविन्द सिंह--आप अपने जिले के अधिकारियों से पता कर लेना.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- आपने यह कहा है कि जो प्रकरण बनाए जा रहे हैं, उसमें गलत तरीके से प्रकरण बनाए जा रहे हैं, मैं यह नहीं कहता हूं कि वसूली का अभियान, क्योंकि जिस तरीके से हमने अपने काम को ......
डॉं गोविन्द सिंह- यह कहा है कि जो गैर-जमानती वारंट निकलता है, उसे जमानती करवा दें ।
डॉं गौरीशंकर शेजवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक जानकारी देना चाहता हूं, ऊर्जा मंत्री बहुत लकी है कि जिन- जिन ने आरोप लगाए, मंत्री का भाषण सुनने के लिए सब बैठे हैं, हमारे ऊपर आरोप लगा - लगा के भाग गए और हम जब भाषण कर रहे थे तो हमको तो कोरम की मुसीबत आ रही थी ।
श्री बाला बच्चन- नहीं, नहीं, डॉक्टर साहब आपका विभाग अभी बचा है, वह हमारे ध्यान में है, कोई भगेगा नहीं ।
डॉ. नरोत्तम मिश्र- कौन से विभाग के मंत्री हैं, इनका विभाग निपट गया है, आप खुद ही नहीं थे ।
श्री बाला बच्चन- हमने जो बोला है, उसका जवाब डॉ. साहब ने नहीं दिया, हम तो ऐसा मानकर चल रहे हैं कि अभी बचा हुआ है ।
डॉ. नरोत्तम मिश्र- आपके मानने से क्या है, आप तो डॉ. साहब को राष्ट्रपति मान लो, हम तो उसमें भी तैयार हैं पर आपके मानने से नहीं है, उनका विभाग निपट गया है ।
श्री बाला बच्चन- 5 हजार पेड़,150 करोड़, अच्छा माननीय अध्यक्ष महोदय आ गए हैं ।
श्री राजेन्द्र शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, बिजली के क्षेत्र में जो काम हुआ है, वह बहुत पूंजी निवेश के बाद संभव हो पाया है । मैं आपको वह आंकड़े बता सकता हूं, जब 1992 से लेकर 2003 तक कांग्रेस की सरकार थी, उस समय इतनी बड़ी संख्या में विधायकों ने कभी कल्पना नहीं की थी कि सब स्टेशन बनाएं जाएंगे, 11 के.व्ही. की लाइनें खीचीं जाएंगी, बड़े सब स्टेशन बनाए जाएंगे, आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि बिजली विभाग के अधिकारी हमेशा यह कहा करते थे कि सिस्टम इतना जर्जर हो चुका है कि इसकी मजबूतीकरण के लिए पहले की सरकार से यदि 100-200 करोड़ रूपया मांगा जाता था, तो उनके हाथ - पैर फूल जाते थे, लेकिन हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने वितरण के क्षेत्र में 10 हजार करोड़ रूपए उपलब्ध कराए, जनरेशन के क्षेत्र में 10 हजार करोड़ रूपए उपलब्ध कराए और ट्रांसमीशन के क्षेत्र में 5 हजार करोड़ रूपए उपलब्ध कराए, जिसके दम पर आज हम यह कहने में सक्ष्ाम हो पा रहे हैं कि पहले एल.टी. और एस.टी. का रेसो, यह बड़ा तकनीकी विभाग है, इसको समझने में थोड़ा समय लगता है, एल.टी. और एस.टी. का रेसो, लम्बे समय तक पूंजी निवेश न करने के कारण बिगड़ते बिगड़ते 1.78 : 1 हो गया था, मतलब एक किलोमीटर यदि एस.टी. लाईन थी, तो 1.78 किलोमीटर एल.टी. लाईन थी, जो आदर्श स्थिति होती है, वह 1:1 होती है, यदि एक किलोमीटर एस.टी. लाइन हो तो एक किलोमीटर ही एल.टी. लाइन, किसी भी कीमत पर एक किलोमीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए ।
अध्यक्ष महोदय,मुझे आपको बताते हुए प्रसन्नता है कि बिजली के क्षेत्र में जो सुधार के काम हुए उसमें बिगड़े हुए 1.78 :1 को सुधारते सुधारते 1.04 :1 पर पहुंचा दिया है, आलमोस्ट 1:1 पर पहुंचा दिया है,इससे वोल्टेज के फ्लक्चुवएशन में सुधार हुआ है, टेक्नीकल लॉस में सुधार हुआ है, हमारा जो 55 प्रतिशत से ए.टी.एंड सी. लॉस होता था, वह घटकर 30 प्रतिशत पर पहुंचा है । ट्रांसमीशन के क्षेत्र में जो काम हुआ है, मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि पॉवर ग्रिड कार्पोरेशन का जो टेक्नीकल लॉस है, उससे भी कम हमारे यहां ट्रांसमीशन कंपनी का 2.78 प्रतिशत लॉस हो गया है, जनरेशन के क्षेत्र में भी हमारे सभी सदस्य आपको बता रहे थे कि 16,116 मेगावाट, उस समय 2003 के दौर में जितनी बिजली की आवश्यकता होती थी, उतनी बिजली की उपलब्धता कम की होती थी, बिजली कटौती करनी पड़ती थी, हम दूसरे राज्यों से बिजली खरीदने का काम करते थे, लेकिन 10 हजार 800 मेघावाट बिजली सप्लाई करने के बाद भी हम दूसरे प्रदेशों को बिजली बेचने का काम कर रहे हैं, बिजली खरीदने की हमारी मजबूरी नहीं है ।
श्री कमलेश्वर पटेल- आपके पास उत्पादन क्षमता बहुत है, हमारी समझ से बेचने के बजाय किसानों के लिए बिजली सस्ती करनी चाहिए ।
श्री राजेन्द्र शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर जानकारी की कमी सामने आ गई, कमलेश्वर जी को मैं बताना चाहता हूं कि नियामक आयोग ने किसानों के लिए बिजली के टेरिफ को 6300 पर एच.पी. प्रतिवर्ष किया हुआ है । यदि साल भर में उसका 5 एच.पी. का कनेक्शन होगा तो उसको 36,000 रूपये देना पड़ेगा. मध्यप्रदेश की सरकार ने 6,300 रूपये की जगह 1,200 रूपये लेने का फैसला किया है. बाकि राज्य के खजाने से बिजली कम्पनी को 7,400 करोड़ रूपये सिर्फ किसानों को सब्सिडी दे रहे हैं.
श्री बाला बच्चन - हम तो कह रहे हैं कि माफ कर दीजिये, आपके पास सरप्लस में है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - आप बताइये, किसानों की बिजली कितनी सस्ती कर दें ?
श्री जितू पटवारी - मंत्री जी, कमलेश्वर जी का यह कहना है कि मुख्यमंत्री जी, जो बिहार के चुनाव में बोल आए थे कि 1,200 रूपये प्रति एच.पी. के हिसाब से किसान के लेते हैं जबकि आपने जो हिसाब दिया है, उसको सस्ता कहने का कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - कृपया व्यवधान न करें, माननीय मंत्री जी को बोलने दें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों को प्रति यूनिट बिजली कितने रूपये की पड़ रही है ? आपको जानकारी है. जो डोमेस्टिक बिजली हमको 5.00 रूपये, 5.50 रूपये पड़ती है. किसानों को खेती की बिजली सब्सिडी के बाद कितने रूपये की पड़ती है ? यह जानकारी नहीं है तो कैसे काम चलेगा ?
श्री कमलेश्वर पटेल - केवल इतनी जानकारी है कि आज ही मेरी विधानसभा क्षेत्र से बिजली के बिल की वजह से कोई जेल चला गया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, कोई किसान बिजली के बिल की वजह से जेल नहीं जा रहा है. वह कोई दूसरे मामले में चला गया हो तो अलग बात है. लेकिन बिजली के मामले में कोई जेल नहीं जा रहा है.
श्री सुखेन्द्र सिंह - यह बात तो नहीं मानी जायेगी. मंत्री जी आप वरिष्ठ हैं, हम लोग आपसे लड़ नहीं सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी ने आपकी बात सुनी. अब आप भी सुनिये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों को यह जानकारी होनी जरूरी है कि 82 पैसे प्रति यूनिट किसानों को बिजली इसलिए मिल रही है कि मध्यप्रदेश सरकार के खजाने से 7,400 करोड़ रूपये बिजली कम्पनी को देने का काम, शिवराज सिंह जी की सरकार कर रही है. इसलिए उनको मात्र 82 पैसे में ही बिजली पड़ रही है. अभी हाल ही में हमने घरेलू उपभोक्ताओं की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, समाधान योजना लाये हैं. इसमें जो गरीबी रेखा के नीचे के लोग हैं, उनका 100 प्रतिशत सरचार्ज माफ होगा और उनके मूल बिल का 50 प्रतिशत भी माफ होगा और मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में, एक बड़ा समाधान मई तक, इस योजना को लाने का फैसला लिया गया है और जो सामान्य उपभोक्ता हैं, उनका 100 प्रतिशत सरचार्ज माफ करके, उन्हें भी बड़ी राहत देने का फैसला किया गया है. लेकिन मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी सदस्यों से यह जरूर कहना चाहता हूँ कि हमें लोगों को बिजली का बिल देने की आदत डलवाना पड़ेगी.
अध्यक्ष महोदय, हमारे पास वे आंकड़े हैं कि किसानों को 1200 रूपये प्रति हॉर्स पॉवर बिजली का बिल देने के बाद भी साल में सिर्फ दो बार बिजली का बिल वे जमा करें, इतनी सुविधा देने के बाद भी आपका मीटर रीडर गड़बड़ कर सकता है. रीडिंग में गड़बड़ी हो सकती है, एवरेज बिल दिये जा रहे हैं, इसके आधार पर श्री सचिन जी ने जो बात कही है, उसमें न तो मीटर रीडर की गड़बड़ी है और न ही रीडिंग की गड़बड़ी है, फ्लैट रेट पर 1,200 रूपये सीधे-सीधे देने का काम हो रहा है. उसके बाद यदि 40 प्रतिशत वसूली होगी और 60 प्रतिशत नहीं होगी तो 24 घण्टे बिजली देने का जो काम है, वह बहुत लम्बे समय तक कर पायेंगे.
अध्यक्ष महोदय, कोयले का भुगतान करने की आवश्यकता होती है, जितनी बिजली हम प्रोक्योरमेन्ट करते हैं, चाहे हम एम.पी.जेनरेटिंग कम्पनी से ही बिजली क्यों न लें. उनको भी पेमेन्ट करना पड़ता है. उनको भी कोयला खरीदना पड़ता है और यदि उनके बिलों का भुगतान समय से नहीं होगा तो हमें बिजली कौन देगा ? कोयला कौन देगा ? तो यह एक हमारे सामने उदाहरण है कि बिजली के बिलों के भुगतान करने की आदत हम नहीं डलवायेंगे तो कैसे काम चलेगा ? हालांकि श्री शैलेन्द्र जी ने और कई हमारे साथियों ने कही है. हम इस बात की व्यवस्था कर रहे हैं कि हर महीने 100 प्रतिशत में ट्रांजेक्शन हो जाये. हर महीने एक-एक मीटर की रीडिंग पढ़ी जाये. हर महीने बिजली के बिल बनाये जायें और हर महीने लोगों के घरों में जा-जाकर उनके बिजली के बिलों को पहुँचाया जाये और उसकी व्यवस्था हम आगे करने जा रहे हैं. जिससे किसी को शिकायत न हो. लेकिन यदि हमने लोगों की आदत सुधारने की कोशिश नहीं की तो हो सकता है कि लोग कह दें कि इनका मीटर बहुत तेजी से भागता है. अभी तो एवरेज बिल में 77 यूनिट और 100 यूनिट दिये जा रहे हैं. हो सकता है कि किसी का 125 यूनिट आने लगे, 150 यूनिट आने लगे. हमारे पास आंकड़े हैं, मैं सभी जिलों का तो नहीं पढ़ रहा हूँ. लेकिन भिण्ड और कई ऐसे जिलों के नाम सामने हैं, जिसमें सौ रुपये की बिजली जाती है तो 25,30 रुपये ही मिलता है. हालांकि नीमच में, यहां पर ओमप्रकाश सखलेचा जी हैं, इनके यहां 100 रुपये की बिजली जाती है, तो 93 रुपये मिल जाता है. छिंदवाड़ा में हमारे चौधरी साहब चले गये. वहां पर यदि सौ रुपये की बिजली जाती है, तो 90 रुपये मिल जाता है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- हमारे यहां सोलर पम्प लगा दें, तो 100 प्रतिशत की पेमेंट दिलवाऊंगा. यह मैं गारंटी लेता हूं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, अब हमारे सामने चुनौती बिजली की उपलब्धता की नहीं है. सब स्टेशन बनाने की चुनौती नहीं है. नेटवर्क को और चुस्त दुरुस्त करने का काम जो था, वह हमने कर लिया है. अब हमारे सामने चुनौती यह है कि हम किस तरीके से अपने एटीएनसी लॉस को 15 प्रतिशत से नीचे करें. आज नेशनल लेविल पर जब भी कभी बात होती है, लोग इस बात की तारीफ करते हैं कि मध्यप्रदेश एक पावर सरप्लस स्टेट हो गया है. मध्यप्रदेश में बीमारु राज्य का कलंक यदि लगा था, तो बिजली की कमी वाले राज्य के कारण लगा हुआ था. आज बिजली के आधिक्य वाला राज्य बनकर विकास के सभी क्षेत्रों में जिस तरीके से विकास की गति बढ़ी है, अब कोई यह कहने का साहस नहीं कर सकता कि मध्यप्रदेश बीमारु राज्य है, बल्कि लोग अभी यह कहते हैं कि यदि यही गति जारी रहेगी, शिवराज सिंह जी चौहान यदि इसी प्रकार विकास की गति को आगे बढ़ाते रहेंगे, तो महाराष्ट्र और गुजरात को पीछे करके मध्यप्रदेश नंबर एक के स्थान पर आ जायेगा. लेकिन बिजली सेक्टर के जो जानने वाले लोग हैं, वह यह जरुर पूछते हैं कि आपके यहां एटीएनसी लास कितना है. वह इसलिये नहीं पूछते हैं कि एटीएनसी लॉस कम नहीं है तो बिजली की सप्लाई में और 24 घंटे बिजली में कोई अंतर पड़ रहा है. उनको लगता है कि यदि एटीएनसी लॉस कम नहीं होगा तो इनकी डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनीज की आर्थिक स्थिति खराब हो जायेगी और डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनीज की आर्थिक स्थिति खराब हो जायेगी तो लम्बे समय तक इनको बिजली देने में परेशानी आ सकती है. मुख्यमंत्री जी को और वित्त मंत्री जी को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने जो हमारा फायनेंशियल रीस्ट्रक्चरिंग प्लान था, कई वर्षों से हमारी यह एक कोशिश चल रही है कि हमारा जो वर्किंग केपिटल लोन सरकार का डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी में था, उसको इक्विटी में कनवर्ट कर दें. यह 19 हजार करोड़ रुपये का बजट, जिसकी कटौती का प्रस्ताव आप लेकर आये हैं. आप यह चाहते हैं कि किसानों को सुविधा मिले, उपभोक्ताओं को सुविधा मिले, मीटर लगे. पर्याप्त मीटर रीड हो, उसकी रीडिंग हो. समय पर डिस्ट्रीब्यूशन हो. आपको तो समर्थन करना चाहिये था हमारी मांग का. लेकिन आप कटौती का प्रस्ताव लेकर आये हैं. उस विभाग की कटौती का प्रस्ताव लेकर आये हैं , जिसमें 7 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान हमारे लोन को इक्विटी में बदलने का किया गया है. उसकी प्रशंसा दिल्ली ने की है कि आपने अपने डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी के बैलेंसशीट को सुधारने के लिये यह जो कदम उठाया है, इससे आपको सस्ती दरों पर लोन मिल सकेगा और आप और बेहतर तरीके से अपने काम को अंजाम दे सकेंगे. उस मांग पर कटौती का प्रस्ताव लेकर आये हैं, जिसमें 5800 करोड़ रुपये किसानों को 82 पैसे में हम बिजली देना चाहते हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- मंत्री जी, यह बात सही है, लेकिन यह परंपरा और व्यवस्था का दोष है. अब कटौती प्रस्ताव आते हैं, कोई समर्थन प्रस्ताव का प्रावधान है नहीं. नहीं तो यह निश्चित रुप से यह लोग लाते समर्थन प्रस्ताव. कटौती प्रस्ताव की परंपरा है बजट के साथ.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- अध्यक्ष महोदय, इतना गहरा अध्ययन भी चाहिये कि किस विषय पर कटौती की बात करनी है और किस पर समर्थन की बात करनी है. यह भी इतना पढ़ना पड़ेगा पहले.
श्री बाला बच्चन --- भार्गव जी, जब आप इधर थे, तब आप क्या करते थे. कटौती प्रस्ताव लाते थे कि नहीं लाते थे.
श्री गोपाल भार्गव -- लाते थे. एक रुपये की कटौती की जाये. मैं हमेशा हर विभाग की मांग के समय देता था और यह हमारी संवैधानिक व्यवस्था है,परंपरा है, इस कारण से, लेकिन जैसा मंत्री जी कह रहे हैं कि समर्थन करना चाहिये. लेकिन समर्थन का कोई कालम होता उसमें तो सारे सामने वाले सदस्य करते. अभी भी वे अंतर्मन से कर रहे हैं. लेकिन खुल कर नहीं कह पा रहे हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, कुछ आंकड़े कहकर मैं ऊर्जा विभाग पर अपनी समाप्त करता हूं. कुछ आंकड़े मैं बताना चाहता हूं कि किस तरीके से बिजली की सप्लाई, क्योंकि कभी कभी माननीय सदस्य कहते हैं कि बिजली की सप्लाई नहीं हो रही है. जैसे कि मैंने आपको उदाहरण दिया, अटल कटौती अभियान कहकर अपने विरोध की राजनीति की जिम्मेदारी का निर्वहन आप सारे लोग करते रहते हैं.
अध्यक्ष महोदय,2003-04 में मध्यप्रदेश में 28 हजार 599 मिलीयन यूनिट सप्लाई होती थी. जो बढ़ते बढ़ते अब 61 हजार मिलियन यूनिट बिजली की सप्लाई इस साल हम लोग कर रहे हैं. मतलब 28 हजार से 61 हजार मिलियन यूनिट और देश में बहुत गिने चुने राज्य हैं जो हमसे ज्यादा बिजली सप्लाई कर रहे हैं. इतनी बिजली लोगों को देने का हम काम कर रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, गोरखानाऊ और पेटलावद के लिये मैंने आपसे आग्रह किया है .
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अलग से बात कर लेगे क्योंकि अब समय की सीमा है.
श्री संजय शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, हम लोग भी सुबह से यहां पर बैठे हुये हैं. एक-दो सुझाव हम लोगों के भी ले लिये जायें. पूरे मध्यप्रदेश का मामला है. ग्राम पंचायतों की वॉटर सप्लाई के बिल पंचायत विभाग देगा. किसी सदस्य ने अभी बताया है कि सरपंच जेल जा रहे हैं तो माननीय मंत्री जी प्रदेश स्तर पर बिलों का भुगतान पंचायत विभाग ऊर्जा विभाग को कर दे . इस बात की घोषणा आज सदन में हो जाये.
पंचायत मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अधिकारी भी बैठें हैं . मैं बताना चाहता हूं कि तीनों विद्युत कंपनियों के लिये पंचायत विभाग द्वारा राशि दे दी गई है. जो बाकी होगी वह भी दे देंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नवीन और नवकरणीय ऊर्जा के बारे में कहना चाहूंगा.
(श्री ओमप्रकाश सखलेचा,सदस्य के खड़ा होने पर )
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सखलेचा जी आप वरिष्ठ सदस्य हैं, अगर इस तरह से डिस्कशन होगा तो मंत्री जी का जवाब कैसे आयेगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नवीन और नवकरणीय ऊर्जा की ओर सारी दुनियां की नजर है, कौन सा देश क्या कर रहा है, और कौन सा राज्य कितना काम कर पा रहा है. अध्यक्ष महोदय, मुझे सदन को बताते हुये प्रसन्नता है कि सोलर एनर्जी में वर्ष 2013-14 में जो काम मध्यप्रदेश ने किया वो देश में पहले राज्य के रूप में पुरस्कार मिलने का काम मध्यप्रदेश में हुआ है 2 मेगावॉट से बढ़कर के 750 मेगावॉट हमारी स्थापित क्षमता हो गई. पवन ऊर्जा 100 मेकावॉट से बढ़कर के 1700 मेगावॉट हो गई, यदि हम बायोमास और मिनी हाईडल पावर प्लान्टस को भी जोड़ लें तो 105 मेगावॉट से 2628 मेगावॉट की स्टाल कैपेसिटी हमारी सोलर की हो गई है. लोग यह मान रहे हैं कि देश में सबसे बेहतर तरीके से यदि कोई राज्य आगे बढ़ रहा है तो मध्यप्रदेश काम कर रहा है और 8500 मेगावॉट की हमारी सोलर, विंड के रजिष्ट्रेशन हो गये हैं उनके काम चल रहे हैं. ओमप्रकाश सखलेचा जी ने आपको बताया है कि एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लान्ट नीमच में 135 मेगावॉट का यदि किसी राज्य ने लगाया है तो मध्यप्रदेश राज्य ने लगाया है.लेकिन सिर्फ एशिया का सबसे बड़ा प्लान्ट लगाकर के हमको संतोष नहीं है. हम दुनियां का सबसे बड़ा सोलर प्लान्ट लगाना चाहते हैं.(मेजों की थपथपाहट) माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तक सबसे बड़ा दुनियां का सोलर प्लान्ट अमरिका के केर्लिफोनिया में है 550 मेगावॉट का और रीवा के गुढ़ के इलाके में जो सोलर प्लान्ट हम लगाने जा रहे हैं वह 750 मेगावॉट का सोलर प्लान्ट है. वह दुनियां का सबसे बड़ा सोलर प्लान्ट होगा.और इसके साथ ही कई रूफटॉप क्योंकि जमीन की सिर्फ एक सीमा है. कितना भी प्लान्ट हम लगायेंगे जमीन में क्योंकि इसमें 1 मेगावॉट में 2 हेक्टेयर जमीन लगती है. और इसलिये रूफटॉप सोलर सिस्टम को भी प्रमोट करना बहुत जरूरी है. इसके लिये नेट मीटरिंग पालिसी हम ला रहे हैं. अभी जो लोग अपनी छत पर सोलर पैनल्स लगाते हैं जितना खर्च उनके ऊपर आता है उसमें 30 प्रतिशत भारत सरकार की सबसीडी एनाउंस हुई है 20 प्रतिशत सबसीडी हमारी है और नेट मीटरिंग के कारण बेटरी के खर्चे भी कम होंगे और 1 लाख रूपये में लगने वाला सोलर पैनल 25 हजार रूपये में लगना संभव हो सकेगा इस नेट मीटरिंग पालिसी को भी हम लागू करने जा रहे हैं . मैं पिछले तीन चार वर्ष पहले जर्मनी गया था तो वहां पर सोलर एनर्जी में बहुत ही जबरदस्त काम हुआ है और जब वहां पर जानकारी ली गई कि किस वजह से यहां पर सोलर एनर्जी में इतना प्रमोशन हुआ है तो net metering policy नेट मीटरिंग पालिसी के माध्यम से वो यह काम कर पाये थे. जिसको मध्यप्रदेश बहुत जल्दी अपनी कैबिनेट में लाकर के हम उस पालिसी को एप्रूव्ह करने वाले हैं. सैद्धांतिक रूप से सहमति हो गई है और इसलिये मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि इस एनर्जी के क्षेत्र में भी हम बहुत तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं.
करीब 2600 सोलर पम्प मध्यप्रदेश में लगाये जा चुके हैं और जो आपने बात कही थी कि जो टेम्प्रेरी कनेक्शन, क्योंकि यह बात सही है कि बिजली के क्षेत्र की समस्या का यदि समाधान करना है तो सारे टेम्प्रेरी कनेक्शन को परमानेंट कनेक्शन में बदल देना चाहिये. अभी 21 लाख जो परमानेंट कनेक्शन है किसानों के उसमें पिछले 7-8 वर्षों में 7 लाख टेम्प्रेरी कनेक्शनों को परमानेंट में करवर्ड किया गया है. और शैलेन्द्र जी चिंता मत कीजिये किसान अनुदान योजना बंद नहीं हो रही है, बल्कि और मजबूती से सामने आ रही है, मुख्यमंत्री परमानेंट कनेक्शन योजना के माध्यम से जो स्थाई पम्प कनेक्शन योजना आ रही है उसमें 5 हजार करोड़ रूपये का इंतजाम हम करने जा रहे हैं, और जब तक वह योजना मूर्त रूप नहीं ले लेती तब तक इस बजट में 397 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, कि आपकी जो 6 महीने से ज्यादा समय के जो आवेदन है उसके लिये धन की कमी न पड़े और वह फटाफट वह सारे टेम्प्रेरी कनेक्शन को परमानेंट कनेक्शन में कनवर्ड किया जा सके.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- मेरा निवेदन यह था..
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सखलेचा जी कृपा करके आप विषय आने दें, हर बार आप प्रश्न पूछते हैं आपने आधा घंटा बोला, आपका वक्तव्य ही आधे घंटे का आया था.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- ओमप्रकाश जी अलग से बैठ लेंगे. माइनिंग के क्षेत्र में माननीय अध्यक्ष महोदय शिकंजा कसने की बात हुई है कि शिकंजा कसना बहुत जरूरी है, लेकिन मुझे इस बात की खुशी है कि हमने शिकंजा कसा है. वर्ष 2003 में 600 करोड़ रूपये रायल्टी में राजस्व के रूप में मध्यप्रदेश के खजाने में आता था, आज 3500 करोड़ रूपये रायल्टी के रूप में मध्यप्रदेश के खजाने में आ रहा है, इसका मतलब हमने शिकंजा कसा है, हमने कसावट लाई है, हमने अवैद्य उत्खनन को कम करने की कोशिश की है और हमने रेत के मामले, क्योंकि मैं देख रहा था कि जितने हमारे कांग्रेस के साथियों ने बोला तो रेत पर ही बोला है, तो आपको यह खुशी होगी कि रेत में जहां कहीं भी अवैद्य की संभावना होती थी, जो नई रेत की पॉलिसी हमने बनाई है उसमें जो क्वांटिटी को हमने प्रकाश में लाने का काम किया है वह 2 करोड़ क्यूविक मीटर से बढ़ाकर 5 करोड़ क्यूविक मीटर की रायल्टी की क्वांटिटी का हमने आक्शन किया है, लेकिन यह बात सही है कि बहुत से आवेदन सिया में पड़े हुये हैं ऑक्शन हो गये, सफलता पूर्वक हो गये. 1100 करोड़ रूपये के ऑक्सन हुये हैं, रेत से जहां सवा सौ करोड़ रूपये आता था माननीय अध्यक्ष महोदय वहां पर 1200 करोड़ रूपये के आक्सन में राशि आई है, इसका मतलब क्वांटिटी है.
कुंवर सौरभ सिंह-- माइनिंग पॉलिसी के बारे में क्या बोलेंगे, जो 31 कम्युनिटी आ गई हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- उसके रूल्स फाइनल हो रहे हैं.
कुंवर सौरभ सिंह-- वह सेंगशन होना चाहिये, आक्सन नहीं होना चाहिये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अभी उसके हम नियम बना रहे हैं, बहुत जल्दी केबीनेट में आयेगा और एक माह के अंदर हम यह कोशिश करेंगे कि जो 31 मेजर मिनरल से माइनर मिनरल से कनवर्ड करने के लिये राज्य सरकार को भेजा है उसके अलग से रूल्स बनाने पड़ेगे और रूल्स बनाने का काम चल रहा है.
कुंवर सौरभ सिंह-- आपके पास कुल 580 का स्टॉफ है.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जायें, बैठकर के सुने न उत्तर उनका, आपने प्रश्न पूछ लिया, उसका उत्तर भी दे रहे हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपसे बता रहा था कि रेत में करीब 11, 1200 करोड़ रूपये के ऑक्सन आये हैं, ढाई सौ करोड़ रूपया हमारे खजाने में जमा भी हो गये क्योंकि 25 प्रतिशत तुरंत जमा करना है और उसके बाद उनको सिया में इनवारमेंटल क्लीयरेंस के बिना वह खदान में प्रोडक्शन का काम शुरू नहीं कर सकते. सिया में चूंकि एक अकेली बॉडी थी, पूरे प्रदेश से आवेदन आये तो बहुत जल्दी उसका निराकरण न हो पाने के कारण अवैद्य करने वाली मानसिकता के जो लोग हैं उन्होंने कुछ हरकतें जरूर की हैं, लेकिन हमारी कोशिश होगी कि हर शहर में जो अधिसूचित नाके हैं उन नाकों को हम ...
श्री संजय शर्मा-- माननीय अध्यक्ष जी, ऑक्सन के पहले सिया की परमीशन और एनजीटी की परमीशन के बाद ऑक्सन किये जायें, यह नीति में सुधार किया जाये न कि परमानेंट स्थाई तौर पर बड़े शहरों के बाहर हो, स्टॉफ की कमी और ठेकेदार के आदमी वहां पर अधिकृत करके बिठाये जायें जिससे अवैद्य उत्खनन रूकेगा नहीं तो भारी मात्रा में पूरे प्रदेश में अराजकता बढ़ रही है और बड़े ठेकेदार काम छोड़ने की स्थिति में हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- इसमें मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि अब सिया से भी परमीशन बहुत जल्दी होगी क्योंकि सिया और सिया की जिले की जो बॉडी है जिला लेबल पर उसको भी केन्द्र का जो हमारा इनवायरमेंटल विभाग है..
श्री संजय शर्मा-- 25 प्रतिशत की राशि जो जमा करा ली है, एक-एक साल से लोगों की जमा है उसमें कोई ब्याज नहीं दिया जा रहा, आरटीजीएस करा लिया है इसमें व्यवस्था की जाये कि उनकी एफडीआर जमा हो और जिला खनिज शाखा से 80 प्रतिशत राशि हम जमा करा रहे हैं और 75 प्रतिशत ठेके की राशि भी जमानतदार ले रहे हैं, 10 करोड़ का ठेका है साढ़े 7 करोड़ का जमानतदार चाहिये इसलिये ठेका नहीं उठ रहे हैं और काफी जगह लोग अनुबंध नहीं कर रहे, इसमें थोड़ा सुधार किया जाये कि राशि जो ले रहे हैं उसमें ठेकेदार को ब्याज मिले.
अध्यक्ष महोदय, जैसा मैं बता रहा था कि रेत के अवैध उत्खनन को लेकर सभी सदस्यों की जो चिन्ता है , उसको ठीक करने के लिए जो आवश्यक चीजें हैं. पर्यावरण, स्वास्थ्य क्लियरेंस के लिए जिला स्तर पर जिस बॉडी के अस्तित्व में आने की आवश्यकता थी, वह सारे निर्णय हो चुके हैं. आने वाले समय में EC तुरंत हो और जो वैध ठेकेदार हैं, वह मैदान पर वैध तरीके से रेत का उत्खनन करे और अवैध खनन करने वालों के लिए कोई जगह खाली न बचे. हमारा जो लक्ष्य था, उसको हम जल्दी प्राप्त करेंगे. कुछ शहरों के बारे में संजय जी मुझे बताया था कि जहां से रेत उठकर आती है, वहां पर जो नाके हैं, उन नाकों को आपरेशन करने की बहुत आवश्यकता है. उसमें हम ऐसी व्यवस्था करेंगे कि जो वैध ठेकेदार हैं,उनके प्रतिनिधि भी उन नाकों पर रहें जिससे कि कोई अवैध ट्रक आ रहा है, उसकी पहचान करने में उनकी मदद ली जा सके कि यह उसके द्वारा नहीं लाया जा रहा है, बल्कि अवैध लोगों द्वारा लाया जा रहा है. इससे अवैध उत्खनन में अंकुश आयेगा.
अध्यक्ष महोदय,जहां तक खनिज विभाग का सवाल है. इसमें कोल ब्लाक के ऑक्शन भी हुए हैं. मुझे आपको बताते हुए प्रसन्नता है कि लगभग 1 हजार करोड़ रुपये की आमदनी राज्य शासन को कोल ब्लाक के ऑक्शन से हुई है. जिस तरीके से कोल के ऑक्शन हुए हैं, रायल्टी के अलावा यह राशि हमको मिलेगी. और आने वाले 30 वर्षों तक एक बड़ी राशि राजस्व के रुप में हमको मिलेगी.
अध्यक्ष महोदय, मेजर मिनरल का जो नया माईनिंग एक्ट जनवरी, 2015 में आया है, उसमें यह प्रावधान किया गया है क्योंकि लंबे समय से यह बातें रहती है कि हमारे यहां उत्खनन हो रहा है और हमारे यहां पुनर्वास से प्रभावित लोग हैं, हमारे क्षेत्र के विकास के लिए पूरा का पूरा पैसा एक्स चेकर में आ जाता है, खजाने में आ जाता है और हमारे क्षेत्र के विकास के लिए क्या मिलता है. केन्द्र ने जो नया माईनिंग एक्ट दिया है, उसमें यह प्रावधान किया है कि चलती हुई खदानों की रायल्टी का 30 प्रतिशत उसी जिले में जायेगा. इसके लिए डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाऊंडेशन बनाया गया. प्रभारी मंत्री उसके अध्यक्ष होंगे. लगभग 6-7 सौ करोड़ रुपया वहां जायेगा जो चलती हुई खदानों से ही आना है और जो नई खदानें आवंटित होंगी, उनमें 10 प्रतिशत रायल्टी का पैसा उस डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाऊंडेशन में जायेगा. आप अंदाज लगा सकते हैं कि करीब 27 मेजर मिनरल के जिले हैं जिसमें 6-7 सौ करोड़ रुपये से लेकर हजार करोड़ रुपये तक जायेगा. उस जिले के प्रभारी मंत्री, विधायक बैठ कर तय कर सकते हैं कि कौन सा विकास का काम आवश्यक है. और माईनिंग से प्रभावित जो लोग हैं, उनका और किस तरीके से बेटरमेंट किया जा सकता है. यह एक बड़ा निर्णय इस नये मिनरल एक्ट में किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, एक और बड़ी उपलब्धि हमारे प्रदेश में हुई है. दमोह और कटनी में ONGC में पहले उन्होंने हमने PEL लिया था अब उन्होंने पेट्रोलियम मिनरल लीज लिया है. इसका मतलब अब ऑयल और नेचुरल गैस भण्डार की प्रामाणिकता मध्यप्रदेश में मिली है. जैसे कोल बेड मिथेन के लिए रिलायंस ने शहडोल में ML के लिए अप्लाय किया है. कटनी में ONGC ने ML के लिए अप्लाय कर दिया है. इससे जैसा हम चाहते हैं कि खनिज सम्पदा वाला हमारा प्रदेश है और खनिज का दोहन हो. ओएनजीसी के आने से निश्चित रुप से खनिज का दोहन होगा और देश और प्रदेश के विकास में बड़ा योगदान होगा.
अध्यक्ष महोदय, जनसम्पर्क विभाग शासन की योजनाओं के प्रचार-प्रसार का विभाग है. शासन की योजनाओं का ठीक प्रकार से प्रचार-प्रसार होना बहुत जरुरी है क्योंकि हमारी सरकार ने ऐसी कई कल्याणकारी योजनाएं शुरु की हैं जिसकी जानकारी जनता तक पहुंचाना बहुत आवश्यक है. इस काम में हम लगे हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय,यह पत्रकारों का भी विभाग है. पत्रकारों के हित के लिए हमारी सरकार ने जो निर्णय लिये है इसके पहले शायद जनसम्पर्क विभाग में पहले कभी नहीं लिया गया. दुर्घटना बीमा योजना,स्वास्थ्य बीमा योजना. अध्यक्षजी, आपको जानकर खुशी होगी कि पत्रकारों के लिए जो स्वास्थ्य बीमा योजना करायी गई है उसमें 75 प्रतिशत प्रीमियम 65 लाख रुपये राज्य शासन ने पत्रकारों के स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए जमा किये हैं, 25 परसेंट पत्रकारों को जमा करना पड़ता है. 65 लाख रुपए हमने जमा किये हैं. जो पत्रकारों के परिवार के लोग बीमार हुए, जो पत्रकार बीमार हुए, उनके इलाज के लिए यहां तक की कैंसर का इलाज, हार्ट की बायपास सर्जरी से लेकर इस प्रकार के इलाज जो पत्रकारों ने कराए, उनके लिए 45 लाख रुपए का बीमा कंपनी ने अस्पतालों को भुगतान किया है. 45 लाख रुपए का इलाज दुर्घटना बीमा योजना के माध्यम से और स्वास्थ्य बीमा योजना के माध्यम से पत्रकारों को इसका लाभ मिला है.
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन ) - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, मेरा एक प्रश्न लगा था, उसमें यह था कि जो (XXX) पत्रकार हैं, जो असली ऑरिजनल हैं, जिनका जो हक (XXX) पत्रकारों के द्वारा मारा जाता है, उस प्रश्न का कोट जितू भाई कर भी रहे थे. बहुत बड़ा मामला है विदेशों में भी वह समाचार छपा है. अगर उसको भी आप थोड़ा सा ब्रीफ कर सकें तो मैं समझता हूं कि ज्यादा बेहतर होगा.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह था कि प्रश्न जो भी होगा, लेकिन पत्रकारों को (XXX) कहना, मेरे ख्याल से इसे विलोपित करा दें.
अध्यक्ष महोदय - यह शब्द विलोपित कर दें.
श्री बाला बच्चन - नकली पत्रकार, जो ऑरिजनल हैं वे भी उनको मानते नहीं, उन्होंने इस बात को स्वीकारा है.
श्री मनोज सिंह पटेल - माननीय मंत्री जी, इसमें मेरा निवेदन है कि श्री बाला बच्चन जी को कोई (XXX) लगता है तो यह सूची उपलब्ध करा दें.
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठें, वह विवाद का विषय नहीं है. ठीक है, आपकी बात आ गई. माननीय मंत्री जी..
श्री राजेन्द्र शुक्ल - जैसा संसदीय मंत्री जी कह रहे हैं, मैं उनकी बात से बिल्कुल सहमत हूं. हो सकता है कि सारे पत्रकार अधिमान्यता प्राप्त न कर पाएं हों. लेकिन पत्रकारिता के क्षेत्र में आपको बहुत सारे ऐसे लोग मिलेंगे, जो पत्रकारिता करते हैं वह अधिमान्य भले ही न हो पाएं हों. इसलिए दुर्घटना बीमा और स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ उनको कैसे दिया जाए, हम तो आगे बढ़कर इस पर विचार कर रहे हैं. अधिमान्य पत्रकारों के अलावा ऐसे पत्रकार जो दिन भर साप्ताहिक और मासिक पत्रिका लेकर अपनी भूमिका निभा रहे हैं और अच्छा लेखन कर रहे हैं तो उनको स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ मिले. इस योजना पर भी विचार करके इसको अंतिम रूप देने का काम कर रहे हैं. पिछले दिनों पत्रकारों को, राज्यीय स्तर के, आंचलिक स्तर के और राष्ट्रीय स्तर के जो पुरस्कार हम देते हैं, उस समय बात आई थी कि इलेक्ट्रानिक चैनल के जो पत्रकार हैं, और उनके जो कैमरामेन हैं, उनको भी पुरस्कार देने की योजना बनाई जानी चाहिए तो यह जानकारी भी मुझे आपको देते हुए खुशी है कि इलेक्ट्रानिक चैनल के भी जो राज्यीय स्तरीय और राष्ट्रीय स्तर के जो चैनल मध्यप्रदेश में चलते हैं उनके लिए भी यह पुरस्कार की योजना हम ला रहे हैं. इसमें डेढ़ लाख रुपए पत्रकार का होगा और एक लाख रुपए राज्य स्तर के लोगों का होगा. यह लगातार पत्रकारों की बेहतरी के लिए शासन की योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए जनसंपर्क विभाग अपनी भूमिका निभा रहा है. अभी सिंहस्थ होने जा रहा है. सिंहस्थ की ब्रॉडिंग जिस प्रकार से हम कर रहे हैं. उसकी प्रशंसा हो रही है. देश में ही नहीं, विदेशों में भी, उज्जैन में सिंहस्थ मनाया जा रहा है, इसकी चर्चा हो रही है. चाहे समाचार पत्र हों, पत्रिकाएं, चैनल्स, रेडियो के साथ साथ एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन्स, ट्रेन्स में भी सिंहस्थ के विज्ञापन लगाये गये हैं लगभग सभी शहरों में बड़े बड़े होर्डिंग्स लगाये गये हैं. पूरे देश में यह मैसेज है कि सिंहस्थ जो 12 वर्षों के बाद उज्जैन में हो रहा है, वह बहुत ऐतिहासिक हो रहा है. अभी पिछले दिनों तो स्वामी स्वरूपानंद जी ने भी वहां की व्यवस्थाओं को लेकर, उसके प्रचार-प्रसार को लेकर इस बात की तारीफ की. सारे संत और जो महात्मा हैं, उन्होंने तारीफ की है. अभी मुख्यमंत्री जी ने भी घोषणा की है कि जो 12 आखाड़े हैं उनके 50 किलोवॉट के बिजली के कनेक्शन मुफ्त में दिये जाएंगे. (मेजों की थपथपाहट)..साधु संतों के 30 किलोवॉट के कनेक्शन मुफ्त में दिये जाएंगे. इस प्रकार से जितनी भी बेहतर से बेहतर व्यवस्था उज्जैन के सिंहस्थ को ऐतिहासिक बनाने के लिए ऊर्जा विभाग के माध्यम से, जन संपर्क विभाग के माध्यम से की जा सकती है, क्योंकि यह आस्था और आध्यात्म के विश्व के सबसे बड़े समागम होने जा रहा है तो इसमें कोई कसर छोड़ी नहीं जा रही है. चूंकि यह ब्रॉडिंग और पब्लिसिटी का विभाग है, डॉक्टर साहब यहां पर बैठे हैं उन्होंने अपने बजट के भाषण में बताया था कि विश्व का पहला व्हाइट टाईगर सफारी रीवा में बनकर तैयार हुआ है. जिस तरह से पन्ना को डायमंड के लिए जाना जाता है.उसी तरह से विंध्य को सफेद शेर के लिए जाना जाता है. लेकिन यह बड़ा दुर्भाग्य रहा है कि 45 वर्षों से वहां पर सफेद शेर नहीं था. अब वह वापस आया है.
श्री जितू पटवारी -- वहां पर सफेद शेर हैं ना श्रीनिवास तिवारी जी हैं.
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय यह सामने वाले बात को समझ नहीं पाये हैं जो पिंजड़े में रहते हैं शेर यह तो उनसे तुलना कर रहे हैं, वाइट टाइगर यह भी पिंजड़े में ही है.
श्री राजेन्द्र शुक्ला -- वह तो सफारी में है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार --वह तो कहने की बात है पिंजडे को जरा बड़ा कर दिया, लेकिन पिंजडे के शेर की तुलना जंगल के शेर से नहीं की जा सकती तो जिनकी आप कह रहेहैं वह भी पिंजड़े का ही है और यह जो लाये हैं वह भी पिंजडे में ही है.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी एक शायरी है उठाओ चाबुक सलाम करते हैं, यह वह शेर है जो सरकस में काम करते हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी -- सतना जिले में है इसलिए कभी कभी सतना का भी उल्लेख कर दिया करें, आप प्रभारी मंत्री हैं मुकुंदपुर सतना में है
श्री राजेन्द्र शुक्ला -- अध्यक्ष महोदय शंकरलाल तिवारी जी बिल्कुल सही कह रहे हैं सतना जिले में मुकुंदपुर है और मुकुंदपुर में यह टाइगर सफारी बनकर तैयार हुआ है. यह सीधी में पकड़ा गया था, रीवा में पाला गया था और अब सतना में लाया गया है. अध्यक्ष महोदय मैं सदन से निवेदन करता हूं कि मेरे विभागों की जो मांगें हैं उसको पास करने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय -- मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 12, 25, 32 एवं 76 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब मैं मांगों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2017 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को --
अनुदान संख्या 12 ऊर्जा के लिए सोलह हजार एक सौ इक्यानवे करोड़, सैतालीस लाख, पैसठ हजार रूपये,
अनुदान संख्या 25 खनिज साधन के लिए सैंतीस करोड़, इकहत्तर लाख, नब्बे हजार रूपये,
अनुदान संख्या 32 जनसम्पर्क के लिए दो सौ इकतालीस करोड़, बयासी लाख, चवालीस हजार रूपये, तथा
अनुदान संख्या 76 नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा के लिए एक सौ चौरासी करोड़, साठ हजार रूपये
तक की राशि दी जाय.
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय --विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार दिनांक 15 मार्च, 2016 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
रात्रि 10.19 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 15 मार्च, 2016 (25 फाल्गुन, शक संवत् 1937 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भगवानदेव ईसरानी
भोपाल प्रमुख सचिव,
दिनांक : 14 मार्च, 2016 मध्यप्रदेश विधान सभा