मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
षोडश विधान सभा द्वितीय सत्र
फरवरी, 2024 सत्र
बुधवार, दिनांक 14 फरवरी, 2024
( 25 माघ, शक संवत् 1945)
[खण्ड- 2 ] [अंक- 6 ]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 14 फरवरी, 2024
(25 माघ, शक संवत् 1945)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
प्रश्नकाल में उल्लेख
वसंत पंचमी के अवसर पर सदन को शुभकामनाएं.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, आज वसंत पंचमी है. मैं आपको और पूरे सदन को बधाई देता हूँ. हमारे यहां वसंत पंचमी को माँ सरस्वती का वंदन करते हैं. मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूँ कि मस्तिष्क में माँ सरस्वती स्थान ग्रहण करे और इस सदन में बहुत अच्छी चर्चा हो. कंठ में और मस्तिष्क में माँ सरस्वती स्थान ग्रहण करें और यह सदन अपनी उच्चतम सीमा तक पहुंच सके.
अध्यक्ष महोदय, हमारे देश के अन्दर दुर्भाग्य है. वसंत ऋतु का श्रृंगार रस से बड़ा जुड़ाव रहा है. वेलेनटाइन डे ने आकर सब गड़बड़ कर दिया है. वसंत ऋतु तो प्यार का उत्सव है. यहां से होली तक हमारे यहां लोग प्यार का इजहार वर्षों से करते चले आ रहे हैं. हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हमारे पूर्वजों ने वसंत पंचमी, वसंत ऋतु के ऊपर बहुत सारी कविताएं श्रंगार रस पर लिखी हैं. मैं इस अवसर पर एक कविता सुनना चाहता हूँ.
मौसम की बहार लेकर आया वंसत ऋतु का त्यौहार,
आओ हम सब मिलकर मनाएं दिल में भरकर उमंग और प्यार.
मैं सभी को एक बार फिर से उमंग और प्यार से इस त्यौहार की बधाई देता हूँ. वैसे उमंग जी के साथ कमलनाथ जी बैठे हैं और कमल प्यार का प्रतीक है और इसलिए उमंग और प्यार दोनों साथ में हैं. एक बार फिर से पूरे सदन को बहुत-बहुत बधाई. मध्यप्रदेश की जनता को भी बहुत बहुत बधाई.
अध्यक्ष महोदय -- सदन का कार्यवाही पूर्ण होने के पश्चात् सभी सदस्य एक दूसरे से गले मिलें तभी तो प्यार का इजहार होगा.
11.04 बजे
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
नल-जल योजनाओं के कार्य
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
1. ( *क्र. 1783 ) श्री विवेक विक्की पटेल : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) वारासिवनी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत जल जीवन मिशन में वर्ष 2020 से प्रश्न दिनांक तक कितनी नल-जल योजनाएं कब-कब स्वीकृत की गई है? किन-किन नल-जल योजनाओं का प्रारंभ कब-कब किया गया है? पूर्ण एवं अपूर्ण की स्थिति बतायें। (ख) किन-किन योजनाओं की कार्य अवधि पूर्ण होने के बाद भी कार्य अपूर्ण हैं? यदि हाँ, तो क्या उन ठेकेदारों के विरूद्ध कोई कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) क्या ग्राम रजेगांव एवं आलेझरी में नल-जल योजना स्वीकृत है? यदि हाँ, तो क्या विगत 2 वर्षों से इन योजनाओं का कार्य बंद है? क्या कार्य अवधि समाप्त हो चुकी है? यदि हाँ, तो दोषी ठेकेदार एवं अधिकारियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही की जावेगी? यह योजनाएं कब तक पूर्ण कर ली जायेंगी?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्रीमती संपतिया उइके ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी हाँ, ग्राम रजेगांव एवं आलेझरी में जल जीवन मिशन अंतर्गत कमशः रेट्रोफिटिंग एवं नवीन नल-जल योजना स्वीकृत है। ग्राम रजेगांव तथा आलेझरी में ठेकेदार द्वारा कार्य पूर्ण करने की नियत कार्य अवधि समाप्त हो चुकी है, ग्राम रजेगांव की नल-जल योजना लगभग पूर्ण है एवं ट्रायलरन प्रारंभ है, कार्य पूर्ण होने के उपरांत अंतिम देयक निराकरण के समय विलंब के लिये ठेकेदार के उत्तरदायी पाये जाने की स्थिति में अनुबंध की शर्तों के प्रावधान अनुसार नियमानुसार दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। ग्राम आलेझरी की नल-जल योजना लगभग 80 प्रतिशत पूर्ण है। ग्राम पंचायत द्वारा विद्युत कनेक्शन हेतु सहमति दिया जाना शेष है, संबंधित ठेकेदार के विरूद्ध कार्यवाही प्रक्रियाधीन है, योजनाओं के पूर्ण करने की निश्चित तिथि बताया जाना संभव नहीं है।
श्री विवेक विक्की पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत-बहुत आभार आपने पहली बार के विधायकों के अपनी बात रखने का अवसर दिया. मेरा प्रश्न शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं से संबंधित है. जल जीवन मिशन से संबंधित है. पूरे प्रदेश में इस योजना में भारी भ्रष्टाचार है. मैंने सवाल किया था कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में कितनी नल जल योजनाएं प्रारंभ हैं, कितनी पूर्ण हुईं और जो समयावधि में अपूर्ण हैं उस ठेकेदार पर क्या कार्यवाही हुई. अभी अभी मुझे इसका परिशिष्ट प्राप्त हुआ है.
अध्यक्ष महोदय -- हो गया प्रश्न.
श्री विवेक विक्की पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और प्रश्न है पहले इसका जवाब आ जाए.
श्रीमती संपतिया उइके -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं इस लोकतंत्र के पवित्र मंदिर को प्रणाम करती हूँ और चूंकि मैं पहली बार बोल रही हूँ इसलिए आपका संरक्षण चाहती हूँ. हमारे माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न किया है वह जानकारी पुस्तकालय के परिशिष्ट में रखी गई है.
श्री विवेक विक्की पटेल -- अध्यक्ष महोदय, जानकारी अधूरी है. मेरा यह सवाल था कि जिस ठेकेदार ने समयावधि में कार्य पूर्ण नहीं किया उस पर क्या कार्यवाही होगी ?
श्रीमती संपतिया उइके -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का प्रश्न बिल्कुल सही है, परंतु जिस तरीके से ऐसी योजनाएं अपूर्ण थीं उसका कारण है कि कोविड महामारी के कारण हमारे दो साल खराब हुये और टंकियों के स्थल के चयन में विवाद था. कुछ ऐसे विद्युत कनेक्शन समय पर न मिलने के कारण था और ठेकेदार द्वारा अधिक कार्य ले लेने के कारण भी यह थोडा विलंब हुआ. उसके लिये अनुबंध की शर्तों के तहत अर्थदण्ड की वसूली की जाएगी.
श्री विवेक विक्की पटेल --- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्रश्न इसी पर यह था कि ग्राम पंचायत आलेझरी में और रजेगांव का दोनों एक ही पंचायत की दो योजनाएं हैं, दो साल से बंद हैं, ठेकेदार भाग चुका है, टंकी गिर गई और वह पंचायत फ्लोराइड युक्त पंचायत है इसलिये बहुत जरूरी है कि समय पर काम हों. टंकी गिर गई, पाइपलाइन का विस्तार नहीं हुआ, कनेक्शन नहीं हुये और ठेकेदार को 85 परसेंट का भुगतान हो चुका है, इसमें कहीं न कहीं अधिकारी और ठेकेदार संलिप्त हैं और पूरे प्रदेश में यही हाल है. मैं चाहता हूं कि इसके लिये सरकार जांच कमेटी बनाए क्योंकि वह फ्लोराइड युक्त पंचायत है, बहुत जरूरी काम था, पहले बनना था, लोगों को सुविधा मिलनी चाहिये थी, परंतु अभी तक ठेकेदार गायब है. इसके अलावा भी 6 काम के और ठेके हुये हैं उसका भी ठेकेदार से एग्रीमेंट हो चुका है वह अभी तक नहीं आया है. मैं चाहता हूं कि कार्य समय पर पूर्ण हों. हमारे क्षेत्रवासियों को शुद्ध पानी मिले और जो ठेकेदार और अधिकारी मिलकर इस योजना को पलीता लगा रहे हैं, समय पर कार्य नहीं कर रहे हैं उनकी सरकार जांच कमेटी बनाये, उन पर कार्यवाही हो, उन पर एफआईआर हो. अध्यक्ष महोदय, यह बहुत जनहित का विषय है और पूरे प्रदेश का विषय है. सभी जगह भारी भ्रष्टाचार है. पूरे काम अधूरे हैं. जहां काम हो भी चुके हैं वहां भी पानी नहीं मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- विवेक जी प्रश्न आ गया है.
श्रीमती संपतिया उइके -- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहूंगी कि रेट्रोफिटिंग योजना के तहत यह लागत 49.83 लाख थी. स्वीकृत वर्ष 2020 में की गई थी और इसको पूर्ण करने का लक्ष्य हमने जून 2024 तक का रखा है. इसका काम 80 प्रतिशत पूर्ण हुआ है. ठेकेदार चूंकि अस्वस्थ था इस कारण इस काम में विलंब हुआ है और जैसा कि मैंने आपको कहा कि यदि अनुबंध के मापदंड के तहत, अनुबंध की शर्तों के तहत, यदि कोई भी ठेकेदार काम गुणवत्ता और समय सीमा में नहीं करेंगे तो उनके ऊपर कार्यवाही की जाएगी.
श्री विवेक विक्की पटेल -- अध्यक्ष महोदय, यह गलत जानकारी है.
श्री सुरेश राजे -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न भी इसी से संबंधित था लेकिन 19 नंबर पर है, मुझे नहीं लगता कि चर्चा में आ पायेगा इसलिये क्षमा चाहता हूं, आपने बोलने की अनुमति दी इसके लिये धन्यवाद. यह बहुत महत्वपूर्ण योजना है. अच्छी योजना है, लेकिन जिस तरह ठेकेदार इसको पलीता लगा रहे हैं इसका जीता जागता उदाहरण है मेरे डबरा क्षेत्र की ग्राम पंचायत छीमक में टंकी बन गई, पाइपलाइन बिछा दी और इसमें सबसे बडी जो विसंगति है वह है कटर से काटने का प्रावधान था जो सीसी चाहे वह सांसद मद से बनी हो, चाहे पंचायत मद से बनी हो, चाहे विधायक निधि से बनी हो, वह सारी की सारी की सीसी इस योजना के अंतर्गत काम करने वाले ठेकेदारों ने अस्त व्यस्त कर दी हैं. अध्यक्ष महोदय, यही नहीं कई ठेकेदार सरपंचों पर दबाव डाल रहे हैं कि इसको आप हैंडओव्हर कर लो और यह अपूर्ण काम को जो पूरा हुआ ही नहीं है उसको कहते हैं इसको हैंडओव्हर कर लो. हम आपसे संरक्षण चाहते हैं और इसमें जो-जो ठेकेदार जहां-जहां जिस पंचायत में अपूर्ण काम को पूर्ण कराने का भी प्रयास कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्यवाही की जाए.
श्रीमती संपतिया उइके -- अध्यक्ष महोदय, जैसा हमारे माननीय सदस्य ने कहा चूंकि मैं भी त्रिस्तरीय पंचायती राज में रही हूं और हम लोगों ने विभाग के माध्यम से और सभी पंचायतों को निर्देशित भी करते हैं, निवेदन भी करते हैं कि जब तक चाहे वह सिंगल विलेज योजना हो या सामूहिक जल प्रदाय योजना कोई भी योजना, जब तक वहां आप लोग टेस्ट करके जब तक आप संतुष्ट न हों, उसके लिये तीन स्तर बनाये गये हैं एक तो त्रिस्तरीय पंचायतीराज में हमारे सम्मानीय सरपंच जब तक उसको पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं देंगे, तब तक उसको पूर्ण नहीं माना जायेगा. दूसरा जो हमारी ग्राम सभा होती है, उस ग्राम सभा के प्रस्ताव में और वहां पर काम की गुणवत्ता और पूर्णता प्रमाण पत्र उसमें अनुमोदन किया जायेगा. तीसरा कि वहां पर कलेक्टर के माध्यम से एक अधिकारी को नियुक्त किया गया है कि वहां पर जाकर के उसकी गुणवत्ता देखें और वह पूर्ण हुआ कि नहीं हुआ, वह सारी चीजों को आपने कहा है, हम उसको दिखवा लेंगे और उस पर यदि ऐसा आपके अनुसार यदि होता है, तो उसकी कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- (श्री सुरेश राजे, सदस्य के खड़े होने पर) इसमें दूसरा चांस नहीं मिलेगा.
श्री सुरेश राजे-- धन्यवाद अध्यक्ष जी.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जल जीवन योजना की पूरे प्रदेश के अन्दर ऐसी स्थिति है. हर विधायक चाहे कांग्रेस का हो, चाहे भाजपा का विधायक हो. ठेकेदारों ने 1-2 करोड़ की योजना की स्थिति यह है कि 25 परसेंट काम किया, औपचारिक काम किया, आज भी उन नलों के अन्दर पानी नहीं है. गर्मी आने वाली है और इतनी बड़ी योजना हजारों करोड़ रुपये खर्च हो गये प्रदेश में, क्या सरकार इतनी असंवेदनशील है कि आज ग्रामीणों को पानी की व्यवस्था नहीं करना चाहती है. मेरा आपसे अनुरोध है कि आपने व्यवस्थाएं, नियम तो बता दिये. कमेटी यह है. लेकिन कौन अधिकारी उसकी जांच कर रहा है. मेरी विधान सभा के अन्दर 200 करोड़ रुपये की योजना है. 200 करोड़ की मैंने जांच लिखी. (श्री कैलाश विजयवर्गीय, संसदीय कार्य मंत्री जी को) आप लोग तो शहर में रहते हैं. लेकिन हम तो गांव में रहते हैं. तो मेरा आपसे अनुरोध है कि इसमें एक विधान सभा स्तर की जांच कमेटी बने और उसमें सभी विधायकों को उस क्षेत्र के,उनको लिया जाये और इसमें निष्पक्ष जांच हो, क्योंकि 6 महीने के अन्दर कोई योजना कैसे खत्म हो सकती है. यह हमारा आपसे अनुरोध है कि इसमें एक जांच कमेटी विधान सभा स्तर की बनना चाहिये.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटैल)-- अध्यक्ष महोदय, पीएचई विभाग की मंत्री जी पहली बार जवाब दे रही हैं और मुझे लगता है कि उनके जवाब में पूर्णतः तथ्यात्मक जवाब है. सिंधार जी ने जो बात कही है, मैं उनसे निवेदन करता हूं कि संवेदनशीलता पर प्रश्न चिह्न मत उठाइये. इतना पैसा आया है कि आपके पास मेन पावर नहीं है. यह सच्चाई है, लेकिन जो कुछ बातें आती हैं, तो उसमें बाकायद सिस्टम है कि कलेक्टर ने भी एक अधिकारी को उसमें एपाइंट कर रखा है. गुणवत्ता में कतई समझौता करने का मन न तो भारत सरकार का है और न मध्यप्रदेश सरकार का है. स्पेसीफिक कोई बातें हैं, हम पूरे राज्य को घसीटें, तो मैं उपलब्धि बताता हूं. दमोह सबसे बुरे हाल का जिला था. जहां कुल 13 परसेंट कनेक्शन थे. आज वहां 72 फीसदी है. तो ऐसा नहीं है, लेकिन हमको भी यह तय करना होगा कि हम किन बातों को उठा रहे हैं. सबको पलीता मत लगाइये. कई जगह अगर होती है, तो जो मंत्री जी ने सिस्टम बताया है, उसको हम एक बार प्रयास करना चाहिये. अलग से कमेटी की मैं नहीं समझता हूं कि जरुरत है.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश की बात है और हर विधायक से जुड़ी बात है. यह आपको इसमें संरक्षण देना चाहिये. हर गांव का मामला है. अब कनेक्शन बढ़ने से क्या होता है. पानी आ रहा है उन नलों के अन्दर. किसी गांव के अन्दर किसी में आपने कनेक्शन दे दिये, काग जपर हो गये, लेकिन किसी के नल में पानी नहीं आ रहा है. यह मैं आपको प्रमाण के साथ, दावे के साथ कह सकता हूं. इस पर मैं आपसे चाहता हूं कि आपका संरक्षण चाहिये कि सब विधायकों की और एक जनहित की बात है.
संसदीय कार्य मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष जी, वैसे आपकी सहृदयता है कि आपने सबको बोलने का अवसर दिया है, मैं आपको धन्यवाद भी देता हूं. पर प्रश्न जो है..
अध्यक्ष महोदय-- विषय बहुत लोकप्रिय है. बहुत सारे हाथ उठ रहे हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष जी, पानी का है. पानी रे पानी तेरा रंग कैसा. पानी पर चर्चा है, तो निश्चित रुप से मेरा निवेदन है कि नेता प्रतिपक्ष हमारे बड़े आदरणीय हैं. आप प्रश्न देख लीजिये, एक विधान सभा से संबंधित है. मंत्री जी ने बहुत अच्छा उत्तर दिया है, मैं चाहता हूं कि सदन को मेजें थप थपाकर मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहिये. (सदन में मेजों की थपथपाहट)वे जिस वर्ग से आती हैं, वहां पर वे पंच, सरपंच,जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं. पंचायतीराज का उनको इतना अनुभव है कि मैं नहीं समझता कि सदन में किसी को अनुभव होगा इतना.
अध्यक्ष महोदय-- राज्यसभा की सदस्य भी रहीं हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष जी, और राज्यसभा की सदस्य भी रही हैं और इन्होंने जिस कांफीडेंस के साथ जवाब दिया है, मैं समझता हूं कि उसको समझना चाहिये और जहां पर भी मैं उनकी तरफ से बोलता हूं कि जहां पर भी गड़गड़ी हुई होगी वहां पर हम सख्त से सख्त कार्यवाही करेंगे. जब केन्द्र सरकार प्रदेश में इतना पैसा दिया उसका सदुपयोग हो, इसके लिये जिम्मेदारी हमारी है और जहां पर गड़बड़ी होगी, वहां हम सख्त से कार्यवाही करेंगे.
श्री उमंग सिंघार:- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न उद्भत होता है और जल-जीवन मिशन से ही है. सब विधायकों की भावना है, मैं, मेरी बात नहीं कर रहा हूं. सभी विधायकों की है, भले ही सत्ता पक्ष के विधायक नहीं बोलें, लेकिन सच यह है. जमीन पर क्या हकीकत है. विधान सभा की जांच समिति पहले भी बनती आयी है. क्या आप इस विषय पर जांच समिति नहीं बना सकते हैं ? मेरा आपसे अनुरोध है कि थोड़ा सा इसपर विचार करें. अगर आप नहीं करना चाहते हैं तो अलग बात है. फिर तो हम सीधे बात करेंगे कि भ्रष्टाचार हुआ है और किनके द्वारा हुआ है और किसकी जेब में पैसा गया, फिर वह वाली बात आयेगी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय :- आने दो, इस प्रकार आप डराने की कोशिश मत करो प्यारे. हम इससे कोई डरने वाले भी नहीं हैं. हम एक नहीं 10 जांच करायेंगे और जो दोषी होगा उसको दण्डित करेंगे. यह मैं आपसे पहले भी बोल चुका हूं और फिर अभी भी कह रहा हूं.
श्री उमंग सिंघार:- तो आप करिये ना. आप कर कहां रहे हैं, करिये. प्रमाण चाहिये तो एक क्या एक हजार प्रमाण आपको दे सकते हैं, करिये आप उनको दण्डित.
( व्यवधान)
श्री कैलाश विजयवर्गीय:- अध्यक्ष जी जांच की बात तो हो ही रही है.
( व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार:-:-आप इस बात को लेकर जांच करा लें. (व्यवधान) एक सदन की समिति बना दें, इस बात को लेकर. (व्यवधान) अध्यक्ष जी जांच करा लें...(व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग:- नल जल योजना में आपने क्या किया जब आपकी सरकार थी. (व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार:- आप जांच करा लें. (व्यवधान) इतना बड़ा महत्वपूर्ण है. ( व्यवधान) हर गांव का मुद्दा है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय:- मैं देश के प्रधान मंत्री को धन्यवाद देता हूं. उन्होंने मध्यप्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति को पीने का शुद्ध पानी मिले. इसके लिये इतनी बड़ी राशि दी है. (व्यवधान)
श्री उमंग सिंघार:- अध्यक्ष महोदय, आप इसकी समिति बनाकर जांच करा लें...( व्यवधान )..
श्री सुरेश राजे:- अध्यक्ष जी, आप सरकार से कहें कि इसकी जांच करा लें...(व्यवधान)..
श्री उमंग सिंघार:- माननीय अध्यक्ष जी, आप जांच समिति क्यों नहीं बनाते. यह पूरे प्रदेश का मामला है. (व्यवधान)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को:- अध्यक्ष महोदय, हम चाहते हैं कि आप आसंदी से कोई निर्देश दें..(व्यवधान)
श्री कैलाश विजयवर्गीय:- पानी की व्यवस्था कभी आप लोगों ने नहीं की. ... ( व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- कृपया आप लोग एक बार अपने स्थान पर बैठ जायें. मेरा अनुरोध यह है कि कुल मिलाकर बहुत अच्छी चर्चा चल रही थी और मैं इस कोशिश में था कि बहुत सारे सदस्यों की अपनी चर्चा वह कैसे पटल पर आ जाये और सरकार के ध्यान में आ जाये. तो बीच में जब थोड़ा व्यवधान खड़ा होता है तो उसके कारण सभी लोग खड़े हो जाते हैं. तो जो नये सदस्य हैं, बाकि लोग हैं वह अपनी बात रखने से वंचित हो जाते हैं.
इस पर बहुत सारे लोगों ने हाथ उठाया और मुझे लगता है कि इस विभाग से संबंधित आज 5 और भी प्रश्न हैं.
इंजी. प्रदीप लारिया:- 12 प्रश्न है. मेरा भी 18 नंबर पर प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय:- तो इसलिये मेरा कहना है कि यदि हर प्रश्न दो-दो, चार-चार लोग बोलेंगे तो सारी चीज़ सरकार के संज्ञान में आ जायेंगी और समाधान की तरफ हम बढ़ेंगे तो मैं समझता हूं कि सदन को आगे बढ़ने दीजिये. यही मेरा अनुरोध है. श्री महेश परमार जी.
श्री उमंग सिंघार:- माननीय समाधान नहीं हुआ है. कई सदस्य आपसे अनुरोध कर रहे हैं. कई भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं उनके प्रश्न लगे हुए हैं. उनके यहां भी यही स्थिति है. इस पर आपको जांच कराने में क्या दिक्कत है ? आप जांच करवा लजिये.
श्री मधु भगत:- अध्यक्ष जी, जांच करवा लीजिये कि पानी की कितनी हालत खराब है. बालाघाट जिले के अंदर इतना बड़ा भ्रष्टाचार नल-जल योजना की स्थिति सामने आ जायेगी. (व्यवधान)
श्री प्रहलाद सिंह पटैल:- लोकसभा की जो प्रेक्टिसेस हैं तो आप उसको अभी क्लब कर सकते हैं और प्रश्नकाल आज का उसी के लिये समर्पित कर दीजिये. मुझे लगता है कि इसपर चर्चा से भागने के लिये सरकार तैयार नहीं है. लोक सभा में यह होता है कि अगर संबंधित प्रश्न होता है तो दो प्रश्न को चेयर क्लब कर देती है, अगर जल जीवन मिशन पर ऐसे प्रश्न हैं तो आप लगातार उन्हीं को ले लें, एक तो तरीका यह हो सकता है. दूसरा अगर बहुत महत्वपूर्ण और लोगों को लगता है और सच्चाई हो सकती है. मैं नहीं यह नहीं कह रहा हूं कि आप गलत बोल रहे हैं. लेकिन अल्पकालिक चर्चाओं का प्रावधान होता है. अगले सत्र में आप बोल लेते.
अध्यक्ष जी, यदि आप चाहें तो बाकी कन्टिन्यूस प्रश्नकाल आप इसी पर चला दीजिये.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात अपनी जगह ठीक है, लेकिन कुछ लोगों के अलग-अलग प्रश्न है.
एक माननीय सदस्य - मेरा प्रश्न इसी पर है, मुझे इस सब्जेक्ट का पूरा नॉलेज है. दूसरा मेरा प्रश्न इसी पर है.
अध्यक्ष महोदय - मैंने श्री महेश जी को अनुमति दी है.
श्री शैलेन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, और लोगों के साथ अन्याय हो जाएगा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, श्री प्रहलाद जी ने जो बात कही है, निश्चित रूप से संसदीय परंपरा में ऐसा सब कुछ होता है, परन्तु अन्य लोगों के भी अन्य विभाग के महत्वपूर्ण प्रश्न है. हम उसको इग्नोर नहीं कर सकते हैं इसलिए मेरा निवेदन है कि एक-एक प्रश्न लें. मैं श्री प्रहलाद जी की बात का समर्थन भी करता हूं परन्तु 5-6 प्रश्न इस विभाग के हैं, बाकी दूसरे विभागों के भी महत्वपूर्ण प्रश्न हैं. वह भी आ जायं.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय श्री कैलाश जी की बात से पूरी तरह से सहमत हूं, लेकिन सरकार इस पर कोई व्यवस्था तो दे, कोई आदेश तो दे, अगर सिर्फ नियम पढ़कर ही सुनाना है, फिर क्या मतलब है? हम यह चाह रहे हैं, आपके माध्यम से अनुरोध है कई भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं उनके यहां भी परेशानी है, हमारे यहां भी है तो यह एक निष्पक्ष जांच हो, यह हम चाहते हैं. एक लाइन में बात खत्म हो सकती है, इतने लम्बे भाषण देने का कोई मतलब भी नहीं है.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने स्पष्ट कर दिया, जिस पर्टिक्युलर जगह का था उन्होंने कहा कि उस पर जो भी कार्यवाही होगी, जबर्दस्ती का इस तरह से विवाद करना यह सदन के लिए ठीक नहीं है.
श्री मधु भाऊ भगत - क्या यह पूरे जिले बालाघाट के अंदर जांच होगी? प्रति विधान सभा वार जांच होगी? आप बीच में मंत्री महोदय खड़े होकर बोल लेते हैं, हम अपनी विधान सभा की बात रख ही नहीं पाते हैं.
अध्यक्ष महोदय - मैं समझता हूं कि श्री विवेक विक्की पटेल जी का प्रश्न था और उसका सकारात्मक उत्तर उनको मिला भी है. मंत्री जी ने कार्यवाही के लिए कहा भी है तो स्वाभाविक रूप से एक ही नेचर के प्रश्न होते हैं तो कोशिश करते हैं कि दूसरे लोग भी अपनी बात रख पाएं इसलिए मैंने कुछ लोगों को आमंत्रित किया तो श्री महेश परमार जी हैं, उनको मैंने बुला लिया है.
श्री महेश परमार - अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री विवेक विक्की पटेल - अध्यक्ष महोदय, भारी भ्रष्टाचार है.
श्री महेश परमार - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने बहुत अच्छा जवाब दिया, मैं उनको धन्यवाद देता हूं.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, मैं बार-बार कह रहा हूं, यह पूरे प्रदेश का मामला है, इसको एक लाइन में सरकार को निर्देश देकर, व्यवस्था देकर खत्म कर सकते हैं. हम निष्पक्ष जांच चाहते हैं. मैं श्री कैलाश जी की भावना भी रखना चाहता हूं, श्री प्रहलाद जी की भावना रखना चाहता हूं, लेकिन आप नियम बता रहे हैं, लोकसभा की बात बता रहे हैं परन्तु जो हकीकत है, उस पर एक व्यवस्था देने में क्या है? क्या सरकार के अधिकारियों को आप बचाना चाहते हैं? हर जगह घोटाले? मेरा आपसे निवेदन है कि आप एक बार इस पर विचार करें, छोटी-सी बात है, एक सेकण्ड में खत्म हो सकती है, अब आपकी भावना?
अध्यक्ष महोदय - आप बैठिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, श्री उमंग जी उत्साही नौजवान है. मैं उनकी बात का सम्मान करता हूं. परन्तु प्रश्न एक विधान सभा का है, प्रदेश की स्थिति की जांच कैसे हो जाएगी?
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष महोदय, हर चीज का जवाब अगर संसदीय कार्यमंत्री देंगे?
(व्यवधान)
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - यदि हैंडपंपों का संधारण रख-रखाव का काम देख लें. (व्यवधान) आपसे अनुरोध है कि आप कोई अच्छी व्यवस्था दे दें.
श्री पंकज उपाध्याय - अध्यक्ष जी, यह प्रत्येक गांव की समस्या है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, बात नल-जल योजना की हो रही है और भाई साहब हैंडपंप की बात कर रहे हैं? इधर नल-जल की बात हो रही है और यह हैंडपंप की बात कर रहे हैं.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल - अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं गर्मी में हैंडपंप बंद हो जाते हैं, इसलिए अभी से संज्ञान में ला रहे हैं, ऐसी दिक्कत हो रही है, यह परेशानी आगे नहीं हो, इसलिए उनकी चिंता है.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, इस पर कोई व्यवस्था दें. यह प्रश्नकाल तो खत्म हो जाएगा. यह सरकार किसी निर्णय पर आएगी कि नहीं?
श्री अमर सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्नकाल चलाना ही नहीं चाहते हैं
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष महोदय, क्या यह सरकार जनता की नहीं है? मेरा आपसे करबद्ध निवेदन है. सभी विधायकों की यह बात है. मैं प्रश्नकाल को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता हूं, लेकिन चाहे सत्तापक्ष के या विपक्ष के हों, यह सब विधायकों की बात है मैं अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध कर रहा हूं.
श्री अमर सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, यह चर्चा से भाग रहे हैं. मेरी सरकार जवाब देने के लिए तैयार है. यह चर्चा नहीं करना चाहते हैं. हमारे मंत्री महोदय ने जो जवाब दिया है, वह संतोषजनक दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट अमर सिंह जी. मेरा नेता प्रतिपक्ष जी से अनुरोध है कि कुल मिलाकर आपको बोलने का विशेषाधिकार है आप कभी भी बीच में बोल सकते हैं और उस अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं. आपने जो बात रखी है वह सरकार के संज्ञान में आयी है. एकतरफा कोई व्यवस्था नहीं दी जा सकती है. मैं समझता हॅूं कि प्रश्नवार भी अगर हम चर्चा करेंगे, तो बहुत सारे विषयों का समाधान निकलेगा.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- अध्यक्ष महोदय, समय-सीमा करवा दें. सभी जितने भी विधायक हैं जिनके नल-जल को लेकर प्रश्न लगे हैं उसकी समय-सीमा में जांच करवा दें, यह तो करवा सकते हैं. समय-सीमा तय करवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न तो आ रहा है न. उन्होंने कार्यवाही के लिए कह दिया है.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, यह तो एक विधानसभा का है. मैं सभी पूरे विधानसभाओं की बात कर रहा हॅूं.
अध्यक्ष महोदय -- चर्चा तो आने दो.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, मेरे भी कई प्रश्न लगे हैं. कई विधायकों के भी प्रश्न लगे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- हर चर्चा पर मंत्री जी जवाब देंगे न.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि जांच नहीं हो पा रही है. मेरे प्रश्नों में भी जवाब मैं आपको मय प्रमाण दे दूं. लेकिन मेरा आपसे निवेदन है कि उसमें समय-सीमा तय कर दें.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय जी, मेरा निवेदन है कि यह सिर्फ एक विधानसभा का प्रश्न है. आखिर नियम और कानून से विधानसभा चलेगी. एक विधानसभा का प्रश्न है, इसमें मध्यप्रदेश स्तर पर जांच कैसे बिठा सकते हैं प्रश्न एक. दूसरा यदि कहीं पर और गड़बड़ी है जिसने प्रश्न नहीं पूछा, यदि वह भी माननीय मंत्री जी को शिकायत कर दे, तो हम जांच कराने में पीछे नहीं हट रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट) देखिए, 5 प्रश्न हैं 7 प्रश्न हैं यदि 20 विधायकों की शिकायत है, तो हम 20 की जांच कराएंगे. हम जांच से नहीं डरते और हम किसी को संरक्षण भी नहीं देना चाहते हैं. यह डॉ.मोहन यादव जी की सरकार है यहां भ्रष्टाचारी सीधे जेल जाएंगे. चिन्ता करने की जरूरत नहीं है और यह सदन एक नियम और कानून से चलेगा. एक विधानसभा का प्रश्न है और आप पूरे मध्यप्रदेश की जांच मांग रहे हैं. भई, यह किस नियम से होगा.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को कहना चाहता हॅूं कि कई विधायकों ने प्रश्न लगाए हैं. आज भी यह प्रश्न है. इसके पहले वाली विधानसभा में थे...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, चर्चा तो आगे बढ़ाने दीजिए. आपका कहना है कि एक प्रश्न है लेकिन उसके बावजूद भी 4-5 विधायकों को बोलने के लिए अवसर दे रहा हॅूं कि कम से कम 4-5 विधायकों की 4-5 विधानसभा क्षेत्र की बात सरकार के संज्ञान में आ जाए...(व्यवधान)..
श्री अमर सिंह पटेल -- अध्यक्ष महोदय, महेश परमार जी के पैर दुखने लगे खडे़-खडे़...(व्यवधान)..
श्री महेश परमार -- अध्यक्ष महोदय, भगवान महाकाल की कृपा से मेरे पैर मजबूत हैं. मेरे पैर दुखने वाले नहीं हैं...(व्यवधान)..
...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- इतने लोग बोलेंगे तो सुनने में न सरकार के आ रहा है और न ही मेरे सुनने में आ रहा है.मैं समझता हॅूं यह उचित नहीं है..(व्यवधान)...
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार से बुलवा दीजिए कि जांच समय-सीमा में करवा दें...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- मैंने महेश परमार जी को आमंत्रित कर दिया है...(व्यवधान)..
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप समय-सीमा में जांच करवा देंगे. यह आप इतना तो करवा दीजिए...(व्यवधान)..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, ....(व्यवधान)...
श्री कमलेश्वर डोडियार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- सोहनलाल जी, आप अपने दल के लोगों को बिठाइए. मैं आपको समय देने को तैयार हूँ...(व्यवधान).. मैंने महेश परमार जी को आमंत्रित किया है, वह आपके ही दल के मेंबर हैं....(व्यवधान)..
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट में अपनी बात खतम कर दूंगा..(व्यवधान)..
श्री कमलेश्वर डोडियार -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न 10 नंबर पर पहली बार लगा है. मैं चाहता हूं कि अभी जो प्रश्न लगा है उसका जवाब फटाफट मिल जाए और 10 नंबर तक मुझे भी बोलने का मौका मिल जाए...(व्यवधान)..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय जी, आपने महेश परमार जी का आपने नाम पुकारा है, उनके पैर में हैडेक हो रहा है..(व्यवधान)..
श्री महेश परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, महाकाल की कृपा से मेरा पैर अगंद जी जैसा है. कैलाश जी, आप अपनी चिन्ता कर लें. हमारी चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है. हम जहां भी हैं खुश हैं और अच्छे हैं. हमारा अंगद की तरह पैर है और यहीं डटे रहेंगे..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- कैलाश जी, आपने शुरूआत मोहब्बत से कर दी, उसके कारण यह दिक्कत हो रही है..(हंसी)..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, यह मोहब्बत पर चर्चा चल रही है.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय जी, संसदीय कार्यमंत्री जी कह रहे हैं कि महेश परमार के पैर में हैडेक है...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- महेश जी, एक मिनट बैठ जाइए. आपके वरिष्ठ श्री रामनिवास जी कुछ कह रहे है....(व्यवधान)..
श्री राम निवास रावत—अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न इसलिये महत्वपूर्ण है कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत जितनी भी योजनाएं चल रही हैं. बड़े गर्व से कहते हैं कि मोदी जी ने इतने घरों में पानी पहुंचा दिया. हकीकत यह है कि जल जीवन की जितनी भी योजनाएं बनायी गई हैं इन योजनाओं में धरातल पर एक भी नल जल योजना के काम नहीं हुए हैं. इसके लिये सभी माननीय सदस्य उत्साहित हैं इसलिये सभी की जांच करा लें. मेरा क्षेत्र तो अध्यक्ष महोदय आपके क्षेत्र में है. वहां पर कम से कम 40 गांवों में यह योजना स्वीकृत हुई होगी. मैं दावे के साथ कह रहा हूं कि यह योजना केवल चार गांवों में चल रही होगी. बाकी 36 गांवों में बंद पड़ी है. इसलिये जांच कराने की जरूरत है कि धरातल पर देख लें कि घरों में पानी पहुंच रहा है कि नहीं पहुंच रहा है. इस विषय को मंत्री जी गंभीरता से ले लें. सिर की जगह पैर ना करें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंश सिंघार)—आप इस पर व्यवस्था नहीं दे रहे हैं सरकार भी यह मानने को तैयार नहीं है तो हम इसका बहिर्गमन करते हैं.
11.31 बजे
बहिर्गमन
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार द्वारा शासन द्वारा दिये गये नल जल योजना के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया. )
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमशः)
श्री महेश परमार—अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है. बहुत अच्छा जवाब दिया है. मैं उनको धन्यवाद देता हूं. आदरणीय प्रहलाद पटेल जी वरिष्ठ मंत्री हैं इन्होंने कहा कि इस योजना में पैसा भी खूब आ रहा है. यह बात 100 प्रतिशत सत्य है. मैं भी पंचायत राज से आया हूं. तीन बार जिला पंचायत का सदस्य रहा हूं तथा जिला परिषद् का अध्यक्ष रहा हूं. जिस तरह से आपका परिवार और हम सब गांवों में निवास करते हैं. आदरणीय प्रहलाद जी एवं आदरणीय मंत्री महोदय श्री कैलाश जी बात पर 100 प्रतिशत मैं विश्वास करता हूं कि योजना में पैसा खूब आया है. लेकिन अध्यक्ष महोदय मैं अपनी विधान सभा तराना का आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि आप इसकी 15 दिन में इसकी जांच करा लें. इसमें केन्द्र सरकार ने खूब पैसा दिया है. लेकिन लगभग 100 कार्य योजनाएं ऐसी चल रही हैं उसमें से मुश्किल से दो भी ढंग से नहीं चल पा रही है. इसकी आप जांच करा लेंगे तो मेरी बात असत्य होगी तो पूरे पांच साल इस विधान सभा में पांव नहीं रखूंगा. यह स्थिति है जल मिशन की. मैं तराना विधान सभा की बात कर रहा हूं.
श्रीमती सम्पतिया उइके—अध्यक्ष महोदय, अभी मैं सभी बुद्धिजीवी माननीय सदस्यों की बातें सुन रही थी. सबसे पहले तो हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देती हूं कि जिन्होंने हमारे मध्यप्रदेश और देश के लिये जनजाति कहें अथवा भौगोलिक दृष्टि से चाहे उसको पहाड़ी क्षेत्र कहें अथवा शहरी क्षेत्र कहें. खास कर जिस वर्ग से मैं आती हूं. वहां पर पानी की बहुत समस्या थी. आजादी के बाद से हमेशा कहा जाता था कि हम जनजाति समाज के लोगों की चिन्ता कर रहे हैं, किन्तु इसकी चिन्ता किसी ने की है तो हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने की है. मैं बताना चाहूंगी कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने 2019 में 15 अगस्त को लालकिले से जब उन्होंने घोषणा की तो मध्यप्रदेश में 2020 में इस योजना को चूंकि जनजाति क्षेत्र के भाई-बहन के जीवन स्तर अच्छा सुधरे और उनको पर्याप्त पानी मिले. इन नाते इस योजना का शुभारंभ किया है. जिसके माध्यम से हमारे वरिष्ठ सदस्य श्री रावत जी भी कह रहे थे कि दो घरों में इस योजना के अंतर्गत पानी जा रहा है. तो हम मान लें. मैं आपको बताना चाहती हूं कि जिस तरीके से पूरे मध्यप्रदेश में 67 लाख 72 हजार घरों में पानी जा रहा है. पूरे मध्यप्रदेश के अंदर 12 हजार 151 गांवों में आज पानी की व्यवस्था हुई है. मैं यह भी बताना चाहती हूं कि जिस तरीके से यह 2020 में इस योजना का शुभारंभ हुआ अभी वर्तमान में 2023 जा रहा है. मैंने शुरुआत में ही शुभारंभ किया था चूंकि दो साल हमारे कोविड के कारण खराब हुए. अब मैं आप लोगों को बताना चाहूंगी कि जिस उम्मीद के साथ आप लोगों ने मुझे बनाया और विश्वास किया है. मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि हम रात-दिन धरातल पर जाकर काम करेंगे और पूरे क्षेत्र में आप लोगों के माध्यम से उसको सुधारने का भी काम करेंगे.
श्री सोहन बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिए धन्यवाद. मेरा भी प्रश्न इसी से लगा हुआ था. मैंने प्रश्न पूछा था जल जीवन मिशन के संबंध में, हमारे संसदीय कार्यमंत्री जी अभी मंत्री जी की तारीफ कर रहे थे कि पंचायत से लेकर राज्यसभा तक है. मैंने जल जीवन का प्रश्न पूछा लेकिन मुझे विभाग से माचागोरा स्कीम का जवाब मिला, ये कौन से प्रश्न का उत्तर है. इसी तरह से मैंने अनुसूचित जाति का सवाल पूछा था, अनुसूचित जाति का सवाल मेरे क्षेत्र का नहीं आया, मुझे सागर जिले का जवाब मिला, वह मैं पटल पर रखूंगा, आपको दूंगा. दूसरा मेरा कहना है कि जल जीवन मिशन की स्कीम हमारे यहां भी प्रभावित हो रही दो-तीन साल से काम बंद पड़े हैं, सबसे बड़ी दिक्कत विभाग की है, विभाग ने 10-12 गांवों को क्लब करके एक स्कीम बना दी और वह ठेकेदार को दे दी .
अध्यक्ष महोदय - सोहन जी आप सदन की मर्यादा जानते हैं, कोई प्रश्न हो तो प्रश्न बताइए.
श्री सोहन बाल्मीक - मेरा प्रश्न इसी से जुड़ा हुआ था, एक तो मेरे प्रश्न का जवाब गलत दिया, दूसरा जल जीवन मिशन का मैंने पूछा, लेकिन वे माचागोरा स्कीम का जवाब दे रहे. इस तरह से स्कीम को जो क्लब किया गया, जब ठेकेदार भागता है तो 10-12 गांव प्रभावित हो जाते हैं, उसमें कहीं न कहीं सुधार करके इसमें जांच की जाए और जो ठेकेदार भाग गए हैं, उन पर कार्यवाही की जाए.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी संज्ञान ले लें.
जल-जीवन मिशन अंतर्गत खराब हुई सड़कों की दुरूस्ती
[लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी]
2. ( *क्र. 1700 ) श्री दिनेश जैन बोस : क्या लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) विधानसभा क्षेत्र महिदपुर में जल जीवन मिशन अंतर्गत किन-किन ग्रामों एवं शहरी क्षेत्र में कार्य प्रश्न दिनांक तक किस फर्म/कम्पनी/ठेकेदार द्वारा किये गए हैं? प्राक्कलन लागत सहित जानकारी देवें। (ख) क्या जिन ग्रामों में पानी की टंकिया बनाई हैं, पाइप लाइन बिछाई गई हैं, वहां सी.सी. रोड को खोदा गया है और खोदने के पश्चात उन्हें सही तरीके से रिपेयर नहीं किया गया है? (ग) क्या लाखों रुपए की लागत से बने ग्रामीण क्षेत्रों में सी.सी. रोड का भारी नुकसान ठेकेदारों की लापरवाही से हुआ है? संचालित कार्यों का निरीक्षण कब-कब स्थानीय और उच्च अधिकारियों द्वारा किस पैमाने के आधार पर किया गया है? यदि सी.सी. रोड नहीं सुधरे तो क्या निर्देश नोटिस दिए गए हैं? (घ) जिन ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य पूर्ण होकर पेयजल उपलब्ध हो रहा है, वहां की पंचायत की सहमति, हैंडओवर करने संबंधी जानकारी देवें और संचालित योजनाओं के मेंटेनेंस का कार्य कब तक किसके द्वारा किया जायेगा?
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री ( श्रीमती संपतिया उइके ) : (क) जल जीवन मिशन के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कार्य नहीं किया जाता है, शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01, 02 एवं 03 अनुसार है। (ख) नल-जल प्रदाय योजनाओं के कार्यों में पाइप लाइन के बिछाने एवं जोड़ने में आवश्यकतानुसार खोदी गई सी.सी. सडकों को पाइप लाइन की टेस्टिंग के उपरांत पुनर्निर्माण कर यथास्थिति में कर दिया जाता है। (ग) जी नहीं, शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01 एवं 02 अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 01, 02 एवं 03 अनुसार है।
श्री दिनेश जैन बोस - अध्यक्ष जी, धन्यवाद. मैं पहली बार विधान सभा में प्रश्नकाल में भाग ले रहा हूं. मैंने दो प्रश्न लगाया था. यह सही है लाखों रुपए से बनी ग्रामीण क्षेत्र में सीसी रोड का भारी नुकसान ठेकेदारों की लापरवाही से हुआ है, ये बताए कि संचालित कार्यों का निरीक्षण कब कब स्थानीय और उच्च अधिकारियों द्वारा किया गया कार्य कि पैमाने के आधार क्या है, जो सीसी रोड को खोदा गया, खोदने के पश्चात उन्हें सही तरीके से रिपेयर किया गया या नहीं किया गया?
अध्यक्ष जी, आप लोगों की और मोदी जी और हमारे यहां के विधायक, मैं मेरी विधान सभा की बात करना चाह रहा हूं. एक ही नारा दिया घर-घर पानी, खेत-खेत पानी, मैंने प्रश्न लगाया कि हमारी जो सीसी रोड है, इस योजना के अंतर्गत जिन ठेकेदारों ने काम किया उन्होंने उसको तोड़ दिया, जब मैंने पूछा कि उसके लिए क्या किया जाएगा तो जवाब में यह मिला कि नल जल प्रदाय योजना के कार्यों में पाइप लाइन को बिछाने वा जोड़ने में आवश्यकतानुसार खोदी गई सीसी सड़कों को पाइप लाइन की टेस्टिंग के उपरांत पुनर्निमाण कर यथास्थिति में कर दिया जाता है. मेरा ये प्रश्न है कि कर दिया जाता है, उन्होंने गोलमोल घुमाकर जवाब दिया है. सरपंच लोगों को सीसी रोड के निर्माण के लिए पांचवें वित्त आयोग और 15 वें वित्त आयोग के अंदर केवल पांच लाख से दस लाख रुपए मिलते हैं. पूरे ग्रामीण सर्किल में मध्यप्रदेश की जितनी भी पंचायतें है सभी के अंदर में मेकुर तहसील और हमारे आसपास, उज्जैन जिले में भ्रमण करके आया हूं, और सही जानकारी के साथ यहां पर उपस्थित हुआ हूं, पोस्टर में दो बिन्दु दिए हैं कि कहां कहां पूर्ण काम कर दिया गया है और कहां कहां सीसी रोड को फिलिंग कर दिया है. इन्होंने महतपुर की हरबाखेड़ी, बंजारी, मुंडलापरवल, धाराखेड़ा में पूर्ण होने का दर्शाया गया. मैं खुद वहां पर देखकर आया और रात को सरपंचों से पूछा कि तुम्हारे यहां सीसी रोड जो खोदे गए थे, वे वापस रिपेयर हो गए, तो वे बोले नहीं हुए. मैंने कहा पक्की जानकारी है, वे बोले पक्की जानकारी है. मैंने मेरी समीक्षा मीटिंग में एसडीएम साहब को बोला है कि सीसी रोड रिपेयर नहीं हुए हैं, इन ठेकेदारों को नोटिस दिया जाए, लेकिन वहां पर भी नहीं सुना गया. इस सदन में मैं बताना चाहता हूं कि मैंने खुद ने देखा है, सीसी रोड का निर्माण नहीं हुआ.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, सदस्य का प्रश्न लंबा हो रहा है, प्रश्न सीधा आ जाए तो अच्छा रहेगा, काफी प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय - दिनेश जी, सीधा प्रश्न कर दो.
श्री दिनेश जैन "बोस" - मेरा सीधा प्रश्न यह है कि सी.सी.रोड जो खोदे गये थे मंत्री जी ने मुझे जानकारी दी और जानकारी ऐसी घुमाफिराकर दी कि खोदी गई सड़कों के पाईप लाईन की टेस्टिंग उपरांत पुनर्निमाण करने के उपरांत यथास्थिति में कर दिया जाता है और पूर्ण कर दिया है और वह पूर्ण हुआ नहीं है.
श्रीमती संपतिया उईके - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदस्य को जवाब देना चाहूंगी. आपने जैसा कहा कि काम के समय उसको पूरा खोद दिया जाता है परंतु आपको बताना चाहती हूं कि प्राक्कलन में यह रहता है और यदि वह काम नहीं करता है तो उतने पैसे ठेकेदार के हम रोक लेते हैं और यदि माननीय सदस्य के पास कोई ऐसी बात है तो आप मुझे बताएं उसको मैं दिखवा लूंगी.
श्री दिनेश जैन "बोस" - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पहले प्रश्न का उत्तर इन्होंने दिया कि पूर्ण हो गया है और मैं कह रहा हूं कि वहां पर अपूर्ण है मैंने खुद देखा है समीक्षा मीटिंग में देखा है दूसरा कार्य पूर्णता का सर्टिफिकेट कौन देगा,सरपंच, अभी मैंने पूछा मंत्री जी ने जवाब दिया कि एक मीटिंग होगी ग्राम सभा की और सरपंच उसको एनओसी देगा गुणवत्ता और काम की. यह बहस इसीलिये हो रही है. मैं तथ्यात्मक बात करना चाहता हूं मैं न किसी पार्टी पालिटिक्स से बात कर रहा हूं. मेरी तहसील के अंदर लोगों को जल मिल जाए इसलिये मैं बहस करना चाह रहा हूं और आपका जो नारा है कि घर-घर पानी, प्रश्न के,उत्तर के अंदर ही बहुत सारी चीजें छिपी हुई हैं. मेरा प्रश्न है कि पंद्रहवें वित्त आयोग के अंदर सरपंचों को पांच से दस लाख रुपये मिलते हैं और ठेकेदार ने पूरी सी.सी.रोड तोड़ दी हैं और गुणवत्ता का सर्टिफिकेट सरपंच साहब देंगे यह मैं मान्य नहीं कर सकता. गुणवत्ता का सर्टिफिकेट ऐजेंसी दे.
नगरीय विकास मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) - माननीय अध्यक्ष महोदय,उत्तर में माननीय मंत्री जी ने बता दिया कि जो सड़क खोदी जाती है उस सड़क को उस ठेकेदार को बनाना चाहिये नहीं तो हम उसका पैसा काट लेते हैं यदि उसके बाद कोई शिकायत है वह मंत्री जी को बता दें. वह जांच करा लेंगी.
श्री दिनेश जैन "बोस" - माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरे पास पूरा फोल्डर है. पूर्णता का सर्टिफिकेट दे दिया और सरपंच गुणवत्ता का सर्टिफिकेट देगा,कार्य पूर्णता का सर्टिफिकेट सरपंच देगा और नल लगाए ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - दिनेश जी कृपया बैठ जाएं.
श्री दिनेश जैन "बोस" - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं लोगों के बीच में जब जाता हूं तो सरपंच कहते हैं कि आप काम नहीं करते. हमको पांच लाख,दस लाख रुपये मिलता है और हमारे रोड भी खोद दिये गये. लोग कहते हैं कि आप अगर विधायक हैं तो क्यों प्रश्न नहीं उठाते. वहां पानी भी नहीं मिल रहा है. वहां कीचड़ हो जाता है और एक सरपंच सर्टिफिकेट दे रहा है. एनओसी दे रहा है यह सब गलत है. मैं इसका विरोध करता हूं और मैं जवाब से संतुष्ट नहीं हूं.
श्री भंवर सिंह शेखावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य की जो पीड़ा है यह बहुत गंभीर है और दोनों पार्टियों की एक ही तरह की पीड़ा है. सब गांवों की एक जैसी स्थिति है. यह नलजल योजना भी बहुत अच्छी है. घर-घर पानी पहुंचाने का संकल्प भी बहुत सुंदर है लेकिन वास्तविकता जो धरातल पर है जो माननीय सदस्य आपके सामने अपनी पीड़ा बता रहे हैं यह हर सदस्य की पीड़ा है. कोई भी क्षेत्र उठाकर देख लीजिये. अभी माननीय मंत्री जी बोल रही थीं कि हम ठेकेदार के पैसे रोक देते हैं. किसी ठेकेदार के पैसे नहीं रुकते. सभी ठेकेदारों के पैसे जारी कर दिये गये हैं और सारी गांवों की सड़कें खोद दी गई हैं. एक भी सड़क दोबारा नहीं बनाई गई है.कोई भी पंचायत में जाकर देख लीजिये.कोई भी गांव में जाकर देख लीजिये यह बिल्कुल असत्य,फरेब का बहुत बड़ा घोटाला है. अभी माननीय सदस्य को जानकारी दी गई है कि हम सड़कों की खुदाई के बाद सड़क बना लेते हैं. एक गांव बता दीजिये,कोई विधायक,बीजेपी,कांग्रेस का बता दे कि उसके गांवों की सड़कों को बना दिया गया है. कैलाश जी, आप तो नगर निगम के राजा हो आपके यहां तो सारी सड़कें वैसे ही बन जाती हैं लेकिन जो गांव के अंदर लोगों की पीड़ा है. पीएचई की इस योजना के तहत पूरी पंचायतों की सड़कें खोद दी गई हैं. खुदी हुई सड़कों का कहीं वापस निर्माण नहीं किया गया है. ठेकेदार पैसे लेकर जा चुके हैं. न ठेकेदार मिल रहे हैं न अधिकारी उनके ऊपर जवाबदारी तय कर रहे हैं. मेरा यह निवेदन है कि आदरणीय मंत्री जी अपने विभाग की कोई बड़े लेबल की,हायर लेबल की कमेटी बनाकर आप जहां चाहें वहां की जांच करा लीजिये लेकिन उसकी जांच करा लें और मान लें कि इसमें बोगस पेमेंट हुआ है. इसमें करीब 2 हजार करोड़ रुपये का कम से कम घोटाला हुआ है. घोटाला मतलब ऐसे पेमेंट हो गये हैं जिनका काम नहीं हुआ है. तो इस पर जांच कमेटी बनाकर आप जांच करा लेंगे तो मैं समझता हूं कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन के सभी माननीय सदस्यों से पहले ही निवेदन कर चुका हूँ कि एकदम ये कहना कि प्रदेश स्तरीय जांच कमेटी का गठन, यह प्रैक्टिकल नहीं है. जिस माननीय विधायक के विधान सभा क्षेत्र में गड़बड़ी हुई है, वे शिकायत करें, हम एक-एक की जांच कराएंगे और अध्यक्ष महोदय, एक को भी नहीं छोड़ेंगे, यह मैं बहुत दावे से कह रहा हूँ. इसलिए जहां पर भी भ्रष्टाचार हुआ, वहां पर उन लोगों को जरूर सजा मिलेगी. चाहे वह जनप्रतिनिधि हों, चाहे अधिकारी हों, चाहे वे ठेकेदार हों, एक को भी बख्शा नहीं जाएगा. पर प्रदेश स्तरीय जांच समिति बनाना, यह प्रैक्टिकली संभव नहीं है. जो माननीय विधायक शिकायत करें, हम उसकी जांच कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक 3, कालु सिंह ठाकुर.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय मंत्री जी...
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास जी, बहुत लंबा चल गया, 45 मिनट हो गए.
श्री दिनेश जैन बोस -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न एक रह गया, वह महत्वपूर्ण था. मैं केवल इतना चाह रहा था कि पंचायत की सहमति और हैंडओवर करने संबंधी जानकारी देवें और बताएं कि संचालित योजनाओं को मेंटेनेंस का कार्य कब तक, किसके द्वारा किया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- श्री कालु सिंह ठाकुर, प्रश्न क्रमांक 3.
पेसा एक्ट अधिनियम के अधिकार
[जनजातीय कार्य]
3. ( *क्र. 1402 ) श्री कालु सिंह ठाकुर : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पेसा एक्ट अधिनियम के तहत विशेष अधिकार दिए गए हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार यदि हाँ, तो कौन-कौन से अधिकार दिए गए है? पेसा एक्ट अधिनियम की छायाप्रति उपलब्ध करावें? (ग) क्या मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट के अधिकारों का लाभ हुआ है? यदि हाँ, तो क्या-क्या लाभ हुए?
जनजातीय कार्य मंत्री ( डॉ. विजय शाह ) : (क) जी हाँ। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पेसा ऐक्ट के तहत मध्यप्रदेश पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियम, 2022 अधिसूचित कर विशेष अधिकार दिये गये हैं। (ख) समुदाय, परंपराओं और रूढ़िओं के अनुसार ग्राम सभा के गठन, पारंपरिक पद्धति से ग्राम के विवाद का कार्य तथा ग्राम में शांति बनाये रखने की दिशा में कार्य, कृषि की योजना बनाने, भू-अर्जन के पूर्व परामर्श, कपट द्वारा अंतरिम आदिम जनजाति की भूमि की वापसी, जल संसाधनों एवं लघु जल संभर की योजना और प्रबंधन, खान और खनिज संबंधी, मादक पदार्थ नियंत्रण, श्रम शक्ति की योजना बनाने, गौण वनोपज, साहुकारी, हितग्राही मूलक योजनाओं में हितग्राहियों का चिन्हांकन एवं चयन आदि के अधिकार दिये गये हैं। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जी हाँ। 180 नवीन ग्राम सभाओं एवं 11507 शांति एवं विवाद निवारण समितियों का गठन किया गया है। 20512 सहयोगिनी मातृ समितियों का गठन किया गया है। शराब की 211 नवीन दुकानों के प्रस्ताव ग्राम सभा द्वारा अस्वीकार किये गये हैं। 04 प्रकरणों में अनुसूचित जनजाति की भूमि जो गैर अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को अंतरित की गई थी, ग्राम सभा के द्वारा वापस प्रदाय की गई है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
श्री कालु सिंह ठाकुर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न पेसा एक्ट के तहत था. उसमें माननीय मंत्री जी की तरफ से अभी जानकारी प्राप्त हुई, मात्र अभी 5 मिनट पहले, तो मैं उसके लिए धन्यवाद देता हूँ और आगे मैं इतना चाहूँगा कि पेसा एक्ट के तहत हमारे क्षेत्र में जो उद्योग हैं और पंचायत एक्ट के तहत पंचायत को भी अधिक पॉवर, ऐसा देखा गया. मेरा आग्रह है कि जब पंचायत एक्ट में पंचायत के निर्माण कार्य चलते हैं और जब पंचायत एक्ट के माध्यम से क्षेत्र में रेत और अन्य सामग्री उपयोग करते हैं तो खनिज विभाग या अन्य विभाग वाले पंचायत के काम में भी उनको परेशान करते हैं और बहुत से ट्रैक्टर जप्त किये जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न तो करें.
श्री कालु सिंह ठाकुर -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न मेरा यही है.
डॉ. विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा है, आदिवासी क्षेत्रों में काम करने के लिए रेत की ढुलाई, चूँकि ये खनिज डिपार्टमेंट से रिलेटेड प्रश्न है और पंचायतों को, खासकर आदिवासी क्षेत्रों में कैसे कम कीमत में रेत मिले, उसके लिए हम लोग पंचायत डिपार्टमेंट के साथ मिलकर कोई योजना बना लेंगे.
श्री कालु सिंह ठाकुर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यही है कि हमारे क्षेत्र में उद्योग हैं, मैं आपके माध्यम से चाहता हूँ कि हमारे आदिवासी क्षेत्र में हमारे आदिवासी क्षेत्रों की जमीनें और उनके जो भी संसाधन थे, वे उद्योग के माध्यम से नष्ट हो गए. मेरा आपसे आग्रह है कि उस क्षेत्र के हमारे युवाओं को उन उद्योगों में पेसा एक्ट के तहत रोजगार मिले. मैं यही चाहता हूँ.
डॉ. विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, 15 नवंबर, 2022 को पेसा एक्ट का अधिकार मध्यप्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों की ग्राम पंचायतों को दिया गया, जिसके अंतर्गत बहुत सारे नियम हैं, जिनको ग्राम सभा ने ही बनाने हैं. 89 ट्राईबल ब्लॉक में उस ग्राम सभा के बनाए गए नियमों का पालन करने की जवाबदारी सरकार की है. आप अपनी ग्राम सभा में नियम बना लें, उसका पालन हो रहा है कि नहीं हो रहा है, यह सरकार की जवाबदारी है.
श्री कालु सिंह ठाकुर -- माननीय मंत्री जी, पालन हो रहा है या नहीं हो रहा है, मैं यह तो नहीं चाहता हूँ, पर इतना जरूर कहना चाहता हूँ कि पंचायत में अपने पंचायत के क्षेत्र में उनके निर्माण किए जाते हैं, उनके तहत अधिकारी उनको जप्त करते हैं, जबकि पंचायत को अधिकार है कि उनका शासकीय काम में जो भी क्षेत्र में मुरम है, रेत है, गिट्टी है, वह उपयोग करते हैं, उसी के ट्रैक्टर जप्त किए जाते हैं.
डॉ. विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, खनिज विभाग के साथ और उस जिले के अधिकारी और कलेक्टर के साथ हम लोग बैठक कर लेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने प्रश्न के उत्तर में यह दिया हुआ है कि पेसा एक्ट के तहत पंचायतों को अधिकार दिए गए हैं, उनमें ग्राम सभा के गठन, पारंपरिक पद्धति से ग्राम के विवाद का कार्य तथा ग्राम में शांति बनाए रखने की दिशा में कार्य, कृषि की योजना बनाने, भू-अर्जन के पूर्व परामर्श, कपट द्वारा अंतरिम आदिम जनजाति की भूमि की वापसी, जल संसाधनों एवं लघु संभर की योजना और प्रबंधन, खान और खनिज, यह अधिकार जब पंचायत के पास हैं, तो आपका खनिज विभाग क्यों हस्तक्षेप कर रहा है ? आप क्यों आदिवासियों को लुटवा रहे हो ? यह आपका ही जवाब है.
डॉ. विजय शाह - अध्यक्ष जी, पहली बात तो माननीय सदस्य का यह कहना कि खनिज विभाग क्यों लुटवा रहे हो, यह शब्द ठीक नहीं है. यह उपबंध दिनांक 15 नवम्बर, 1922 का है और जिसमें गौण खनिजों का अधिकार पेसा एक्ट के अंतर्गत ग्राम पंचायतों को दिए गए हैं, उनको कोई तकलीफ आ रही होगी तो वह बैठकर बात कर लेंगे.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, तकलीफ आ रही है. उनके ट्रेक्टर जप्त कर रहे हो, उनकी रेत जप्त कर रहे हो. उनके प्रधानमंत्री आवास नहीं बनने दे रहे हो.
श्री मधु भगत - माननीय अध्यक्ष जी, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. पेसा एक्ट की बात आई है तो मैं मंत्री महोदय से, आपके माध्यम से यह जानना चाहता हूँ कि पेसा एक्ट जो हमको ट्रायबल में दिया गया है, आदिवासियों को सरपंचों को अधिकार. क्या एक पंचायत को जो अधिकार बने हैं ? उसको वहां पर सचिव और वहां का जनपद सीईओ दूसरी पंचायत को कार्य एजेंसी बना सकता है क्या ?
डॉ. विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, यह तो इससे उद्भूत ही नहीं होता है.
श्री मधु भगत - पेसा एक्ट का अधिकार ट्रायबल में आदिवासी को जो दिया गया है कि वह अपनी पंचायत में आम सभा से उद्भूत नहीं होता, यह आप कह रहे हैं. माननीय मंत्री महोदय जी, लेकिन मैं माननीय अध्यक्ष जी के माध्यम से, आपको बताना चाहता हूँ कि यह कार्य हुआ है, परसवाड़ा मुख्यालय में खरपडि़या को एजेंसी बनाया गया है, परसवाड़ा मुख्यालय की, एक शॉपिग काम्प्लेक्स को, तो इसमें दो पंचायतें कैसे कार्य कर सकती हैं ?
डॉ. विजय शाह - वह ट्रायबल पंचायत है क्या ?
श्री मधु भगत - जी हां. दोनों ट्रायबल पंचायत हैं.
डॉ. विजय शाह - पेसा एक्ट के अंतर्गत उनका अधिकार है. माननीय अध्यक्ष जी, ऐसे प्रकरण जो ग्राम पंचायत में निराकरण होने हैं, उनका ही पूरा अधिकार है कि वह अपना काम कहीं से भी करा सकते हैं. ग्राम सभा चाहेगी, अतो कुछ भी हो सकता है.
श्री मधु भगत - अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय से फिर कहना चाहता हूँ कि यह महत्वपूर्ण है. यह पेसा एक्ट का उल्लंघन है, सरपंच के अधिकार का उल्लंघन है.
अनियमित पेड़ों की कटाई के साथ गुणवत्ताविहीन कार्य कराने वालों पर कार्यवाही
[वन]
4. ( *क्र. 1954 ) श्री शरद जुगलाल कोल : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शहडोल व रीवा जिले में कितनी प्राथमिक वनोपज समितियां संचालित हैं, इनके द्वारा विगत 02 वर्षों से प्रश्नांश दिनांक के दौरान कितने-कितने कार्य कब-कब, मदों, कितनी-कितनी लागत से कराए गये, का विवरण देवें, यह राशियां किन-किन मदों से कब-कब प्राप्त हुईं? मदवार, समितिवार, कार्यवार बतावें। कार्य की भौतिक स्थितियां क्या हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार विगत 02 वर्षों में कराये गये कार्यों के भुगतान कब-कब, किन-किन के द्वारा कितनी राशि के किये गये का विवरण प्रश्नांश के समितिवार समय अनुसार देवें। इन कार्यों का सत्यापन कब-कब, किन-किन जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा किया गया, जांच के दौरान केवल शासकीय वाहन/किराये पर लिये गये वाहनों का क्रमांक व लॉगबुक की प्रति देवें? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के तारतम्य में वन समितियों के द्वारा तेंदूपत्ता खरीदी के कार्य प्रश्नांश (क) के अवधि अनुसार की गई का विवरण समितिवार देवें? तेंदूपत्ता खरीदी मद से प्राप्त बोनस की राशि का उपयोग कब-कब कहां-कहां किया गया? समितिवार बतायें। (घ) प्रश्नांश (ग) के तारतम्य में शहडोल जिले के संजय टाईगर रिजर्व वन परिक्षेत्र बफर जोन ब्यौहारी अंतर्गत बीर कोयलारी में लगभग 250 हेक्टयर का पत्ता एवं अन्य फलदार पेड़ों को काटकर चारागाह बनाया जा रहा है, जिसमें लगभग 10,000 तेंदूपत्ता एवं अन्य पेड़ काटे गये, इसकी अनुमति कब किसके द्वारा दी गई? आदेश की प्रति देते हुये, इन अवैधानिक पेड़ों की कटाई के लिये कौन जिम्मेदार है, इसके बगल से लगे हुये अनूसूचित जाति एवं जनजाति के लोग तेंदूपत्ता तोड़कर अपना व परिवार का भरण पोषण करते हैं, इस पर क्या कार्यवाही के आदेश देंगे? (ड.) प्रश्नांश (क), (ख), (ग) एवं (घ) में उल्लेखित तथ्यों अनुसार जिम्मेदारों की पहचान कर उन पर क्या कार्यवाही करेंगे, अगर नहीं तो क्यों?
वन मंत्री ( श्री नागर सिंह चौहान ) : (क) शहडोल जिले में 55 एवं रीवा जिले में 21 प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समितियां संचालित हैं। विगत 02 वर्षों से प्रश्न दिनांक तक कराये गये कार्यों एवं लागत की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 में है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 में है। वाहनों की लॉगबुक की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 में है। (ग) तेन्दूपत्ता संग्रहण का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 में है। वर्ष 2022 के बोनस की राशि का वितरण संग्राहकों को किया गया है। समितिवार बोनस वितरण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-5 में है। वर्ष 2022 की शेष समितियों के बोनस वितरण क्रेता से समस्त राशि प्राप्त न होने के कारण नहीं की गई है। वर्ष 2023 के बोनस की राशि की गणना वित्तीय वर्ष 2023-24 समाप्त होने के पश्चात् किया जावेगा। (घ) संजय टाइगर रिजर्व वन परिक्षेत्र ब्यौहारी बफर अंतर्गत बीट कोयलारी में 90 है, बफर क्षेत्र में चारागाह विकास किया गया है, जिसमें 20 से.मी. गोलाई तक के अनुपयोगी प्रजाति के अग्र पौधों को उखाड़ा गया है तथा उच्च गुणवत्ता का तेन्दू प्राप्त करने के लिए तेन्दू के ढूठों की ड्रेसिंग तथा कट बैंक करने का कार्य भारत सरकार द्वारा अनुमोदित बाघ संरक्षण योजना (Tiger Conservation Plan) में दिए गए प्रावधानों के अंतर्गत किया गया है। कोई भी फलदार पेड़ को नहीं काटा गया है। सक्षम अधिकारी द्वारा प्रदाय कार्य की स्वीकृति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-6 में है। चारागाह कार्य से लगे हुए वन क्षेत्र में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को उच्च गुणवत्ता का तेन्दू पत्ता, वनोपज एवं चारा आजीविका हेतु प्राप्त होगी। किसी भी प्रकार की अवैधानिक कार्यवाही न होने से कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ड.) उत्तरांश (क), (ख), (ग) एवं (घ) के तारतम्य में कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री शरद जुगलाल कोल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न किया था कि हमारे यहां प्राथमिक वनोपज समिति द्वारा शहडोल और रीवा जिले में कितनी समितियां और किन-किन एजेंसियों द्वारा वहां पर कितने कार्य कराये गये और किन-किन मदों से यह राशि प्राप्त हुई ? चूंकि इसमें प्रश्न (क) में जो उत्तर दिया गया है, वह अधूरा है और मैं निवेदन करता हूँ कि इसकी भौतिक स्थिति, इसकी राशि किन-किन मदों से प्राप्त हुई ? इसकी जानकारी इस प्रपत्र में नहीं दी गई है. मैं इसकी जानकारी के साथ-साथ कार्यों की उच्चस्तरीय जांच चाहता हूँ क्योंकि धरातल पर स्थिति यह है कि जमीनी स्तर पर कार्य नहीं हुए हैं. सिर्फ कागजी कोरम पूर्ति करते हुए इसमें शासकीय राशि का गबन किया गया है, मैं इसकी उच्चस्तरीय जांच चाहता हूँ.
डॉ. विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, मैं श्री नागर सिंह चौहान जी की तरफ से बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ, आज वन मंत्री जी सदन में नहीं हैं.
माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य अगर देखेंगे तो विस्तार से इस प्रपत्र में सारी चीजों का हवाला दिया गया है. एक-एक चीज, जो माननीय सदस्य ने जानकारी चाही थी, विस्तृत विवरण दिया है. कितनी राशि, वर्षवार, कहां दी गई है ? अगर इसके अलावा कोई पर्टिक्यूलर कार्य में उनको आपत्ति है, कार्य की जांच करवाना चाहते हैं तो बता देंगे, उसकी जांच करा देंगे.
श्री शरद जुगलाल कोल - अध्यक्ष महोदय, दूसरा विषय मेरा इसी से रिलेटेड है. हमारे यहां ब्यौहारी विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत संजय टाईगर रिजर्व में बफर जोन में कोयलारी में कराये जा रहे निर्माण के नाम पर वहां पर वन अधिनियम से हटकर, वहां पर इमरती लकडि़यों का और तेंदूपत्ता से हजारों पेड़ वहां पर कटाई कर दिए गए हैं, जिससे वहां के ग्रामीणों को तेंदूपत्ता से जो एक वर्ष की राशि एकत्र करते थे, बोनस के रूप में पाते थे, वह उस राशि से वंचित हो गए हैं. वहां के ग्रामीण आदिवासी इस बात से परेशान हैं, जिसका उन्होंने यहां पर पंचायत से प्रमाण-पत्र भी दिया है कि हमारे यहां रोजगार के लिए जो हमें एक वर्ष में तेंदूपत्ते तोड़कर हम राशि अर्जित करते थे, उससे हमें वंचित कर दिया गया है. और इतना ही नहीं इतना करने के बाद, जब मैंने इसकी विभाग से जानकारी चाही तो साक्ष्य मिटाने के लिए वहां पर इमारती लकडि़यों और तेंदूपत्ते के बड़े-बड़े पेड़ों की कटाई करते हुए, उन्हें जलाने का काम किया गया है. इसकी पूरी फुटेज मेरे पास है. मैं, मंत्री जी पूछना चाहता हूं कि क्या वे इसमें कार्यवाही करना सुनिश्चित करेंगे ? क्या उन ग्रामीणों के साथ न्याय किया जायेगा ?
डॉ. कुँवर विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो प्रश्न माननीय सदस्य ने लगाया था और जो आरोप सदस्य ने विभाग पर लगाये हैं, उन्हें मैं नकारता हूं. साथ ही बताना चाहता हूं कि तेंदूपत्ते के पेड़ों में शाखकर्तन होती है और जब शाखकर्तन होता है तो कई ऐसी शाखायें, जिनकी आवश्यकता नहीं होती है, उनका कर्तन करवाया जाता है. सदस्य जी का कहना है कि ठूंठों के रूप में दे दिये गए हैं, मेरी जानकारी के अनुसार ऐसा कुछ नहीं है.
श्री कोल शरद जुगलाल- मंत्री जी, मेरे पास इसके प्रमाण हैं. मेरे पास इसकी वीडियो फुटेज है. मेरे विधान सभा क्षेत्र का मामला है, मेरे पास पूरे साक्ष्य हैं.
डॉ. कुँवर विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पूरा जवाब आ जाने दीजिये. मैं, सदस्य को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यदि ऐसे कोई प्रमाण उनके पास हैं, कोई ज्यादा शिकायत है, तो उसकी जांच करवा ली जायेगी.
श्री कोल शरद जुगलाल- धन्यवाद मंत्री जी. मैं, आपको ये सभी साक्ष्य उपलब्ध करवा दूंगा.
सामुदायिक वन अधिकार पत्र
[जनजातीय कार्य]
5. ( *क्र. 408 ) डॉ. योगेश पंडाग्रे : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला वनाधिकार समिति बैतूल ने अपनी बैठक दिनांक 04.7.2020 एवं दिनांक 08.3.2022 में किस-किस की उपस्थिति में भोपाली क्षेत्र ग्राम पंचायत मोवाड़ से संबंधित कितने-कितने रकबे के सामुदायिक वन अधिकार पत्र मान्य किये। (ख) भोपाली ग्रामसभा ने अपनी किस दिनांक की बैठक में कितने रकबे का सामुदायिक वन अधिकार स्वीकार किया, ग्रामसभा की सहमति या अनुमति या प्रस्ताव के बिना ही दिनाँक 8.3.2022 की बैठक में रकबे में कितनी-कितनी कमी किस-किस की आपत्त्ति के आधार पर की गई? (ग) दिनांक 04.07.2020 की बैठक में मान्य सामुदायिक अधिकार के रकबे को दिनांक 08.3.2022 की बैठक में कम किए जाने का अधिकार उपखण्ड स्तरीय समिति एवं जिला स्तरीय समिति को वन अधिकार कानून 2006, नियम 2008, नियम 2012 की किस धारा या नियम में दिया है? प्रति सहित बतावें। (घ) ग्रामसभा के प्रस्ताव के बिना सामुदायिक अधिकार के रकबे को कम किए जाने पर राज्य स्तरीय वनाधिकार समिति ने किस दिनाँक को क्या निर्णय लिया? राज्य स्तरीय वनाधिकार समिति किस दिनांक को बैठक कर विचार करेगी, निर्णय लेगी।
जनजातीय कार्य मंत्री ( डॉ. विजय शाह ) : (क) जिला वनाधिकार समिति बैतूल की बैठक दिनांक 04.07.2020 में उपखण्ड स्तर समिति बैतूल द्वारा प्रस्तुत दो सामुदायिक दावों के अंतिम विनिश्चय (अनुमोदन) हेतु ग्राम पंचायत मोबाड़ के ग्राम भोपाली के पूजा स्थल के प्राप्त (1) कालाबाबा एवं अन्य पूजा स्थल 1.352 हेक्टेयर (2) अम्बा मां भूरा भगत पूजा स्थल 2.050 हेक्टेयर प्रकरणों में कमी पूर्ति देखी जाकर, वन अधिकार पत्र जारी किये जाने हेतु सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया। जिला वन अधिकार समिति बैतूल की बैठक दिनांक 08.03.2022 में ग्राम पंचायत मोबाड़ के ग्राम भोपाली के कालाबाबा एवं अन्य पूजा स्थल हेतु आर.एफ. 506, 503 के रकबा 0.310 हेक्टेयर एवं अम्बा मां भूरा भगत एवं अन्य देव स्थल हेतु आर.एफ. 506 के रकबा 0.270 हेक्टेयर के सामुदायिक अधिकार जारी किये जाने संबंधी निर्णय लिया गया। जिला वनाधिकार समिति बैतूल की बैठक दिनांक 04.07.2020 एवं बैठक दिनांक 08.03.2022 में उपस्थित एवं बैठक के कार्यवाही विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। (ख) भोपाली ग्रामसभा की बैठक दिनांक 04.10.2019 में कालाबाबा एवं अन्य पूजा स्थल हेतु 1.352 हेक्टेयर तथा अम्बा मां भूरा भगत पूजा स्थल हेतु 2.050 हेक्टेयर रकबे के सामुदायिक दावे को मान्य करने का संकल्प पारित किया गया। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। ग्रामसभा से प्रस्ताव के आधार पर उपखण्ड स्तरीय समिति द्वारा प्रस्ताव पारित कर जिला स्तरीय वनाधिकार समिति को प्रस्ताव प्रेषित किया गया, जिस पर जिला स्तरीय वनाधिकार समिति द्वारा बैठक दिनांक 04.07.2020 में प्राप्त प्रस्ताव के प्रकरणों में कमी पूर्ति देखी जाकर प्रस्ताव पारित किया गया, जिस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया एवं वनमंडलाधिकार उत्तर वनमंडल बैतूल द्वारा प्रस्ताव पर जी.पी.एस. रीडिंग का न होना एवं के.एम.एल. फाईल बनाने पर रकबे में अन्तर होने की त्रुटि दर्शायी जाकर सुधार हेतु प्रकरण मूलत: वापस किये गये। पुन: उपखण्ड स्तर से प्रकरण में कमी पूर्ति होकर प्राप्त होने पर वनमंडलाधिकारी उत्तर बैतूल को परीक्षण हेतु प्रकरण भेजे गये। उपरान्त जिला स्तरीय वनाधिकार समिति द्वारा सुधार किये गये रकबे के अनुसार दिनांक 08.03.2022 की बैठक में दावे मान्य किये गये। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। (ग) अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 एवं वन अधिकारों की मान्यता नियम 2008 की धारा 6 (6) के तहत वन अधिकारों के अभिलेख पर जिला स्तर की समिति का विनिश्चय अंतिम और आबद्ध कर होगा का उल्लेख किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-तीन अनुसार है एवं संशोधन नियम 2012 के नियम 10 (10) के अनुसार किसी रैंक का व्यष्टिक अधिकारी वन अधिकारों पर किसी दावे को लेने या नामंजूर करने, उपांतरित करने या विनिश्चय करने के लिये सशक्त होगा का उल्लेख किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-चार अनुसार है। (घ) उत्तरांश 'ग' अनुसार जिला स्तर की समिति का विनिश्चय अंतिम और आबद्धकारी है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
डॉ. योगेश पंडाग्रे- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न सामुदायिक वन अधिकार से संबंधित है. मेरे यहां भोपाली क्षेत्र है, जिसमें पूरे जिले का सबसे बड़ा आदिवासियों का मेला लगता है. जिसमें एक-डेढ़ लाख लोग प्रतिवर्ष पहुंचते हैं. मैं जानना चाहता हूं कि वहां पर वर्ष 2020 में जिला वन अधिकार समिति की बैठक हुई थी. जिसमें उपखण्ड स्तर समिति और ग्राम समिति तथा जिला वन अधिकार समिति द्वारा यह निर्णय लिया गया था और कालाबाबा क्षेत्र में और अम्बा मां क्षेत्र में कुल 3.42 हेक्टेयर का सामुदायिक वन अधिकार दावा, जिला वन अधिकार समिति द्वारा मान्य किया गया था. लेकिन पुन: वर्ष 2022 में इसकी बैठक हुई और इस क्षेत्र को घटाकर 0.58 हेक्टेयर का सामुदायिक वन अधिकार दावा, जिला वन अधिकार समिति ने मान्य किया. जबकि जिला वन अधिकार समिति का निर्णय अंतिम होता है, जब वर्ष 2020 में यह निर्णय हो चुका था तो वर्ष 2022 में उस वन अधिकार क्षेत्र को कम क्यों किया गया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में लिखा गया है कि कुछ GPS रीडिंग एवं के.एम.एल. फाईल बनाने पर रकबे में अंतर होने की त्रुटि दर्शायी जाकर सुधार हेतु प्रकरण मूलत: वापस किया गया था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा केवल यह कहना है कि वर्ष 2020 में जो निर्णय 3.42 हेक्टेयर भूमि का लिया गया था, उसे यथावत रखा जाये, जिससे वहां पहुंचने वाले लोगों को पूजा-अर्चना और कुछ निर्माण कार्य, जो कि आवश्यक हैं, वे किये जा सकें.
डॉ. कुँवर विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य का जो प्रश्न है कालाबाबा, अम्बा मां भूरा पूजा स्थल एवं अन्य पूजा स्थल जो रकबा सदस्य जी ने सामुदायिक दावे के रूप में परंपरागत रूप से मांगा था, उसकी बैठक FRC में हुई थी. उसके बाद जो ब्लॉक स्तर की समिति होती है, जिसमें SDM सदस्य होता है, उसके द्वारा भी इसे मान्य किया गया था लेकिन 04.07.2020 की जिला कलेक्टर की अंतिम बैठक हुई, उसमें इनके दावे को कम कर दिया गया है. माननीय सदस्य का कहना है कि पूर्व में जो बैठक हुई थी, उसमें इनके द्वारा मांगी गई पूरी की पूरी जमीन को मान्य किया गया था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार आदिवासी, जनजातीय बंधुओं के पूजा स्थल को सामुदायिक दावे के रूप में पूजन-अर्चन और अन्य कार्यों हेतु पूरी तरह से स्वतंत्रता देती है और हम पुन: आपकी भावना के अनुरूप इस पूरे प्रकरण को जिले में प्रेषित कर रहे हैं क्योंकि जिले की समिति का निर्णय अंतिम होता है. हम इसे जांच के लिए भी भिजवा देंगे और इस पर पुन: विचार करके माननीय सदस्य और जनजातीय बंधुओं की मंशा अनुसार फिर से परीक्षण करवाकर, काम करवायेंगे.
डॉ. योगेश पंडाग्रे- धन्यवाद मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्नकाल समाप्त.
प्रश्नकाल समाप्त
12.00 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण मध्यप्रदेश के 31 मार्च, 2021 और 31 मार्च, 2022 को समाप्त हुए वर्ष हेतु मध्यप्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण के वित्तीय लेखों पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का पृथक लेखा परीक्षा प्रतिवेदन
(2) मध्यप्रदेश वेयर हाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन का 18 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं हिसाब-पत्रक वित्तीय वर्ष 2020-2021
12.01 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने एक स्थगन दिया हुआ है. आपकी अनुमति हो तो मैं पढ़कर सुना दूं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य, रामनिवास जी आज आपकी स्थगन की सूचना 9:50 बजे प्राप्त हुई है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, यह नौ बजे से पहले ही प्राप्त होती हैं. नौ बजे तक ही प्राप्त होती हैं. आज ही के दिन सूचना दी जाती है.
अध्यक्ष महोदय--माननीय रामनिवास जी, आज आपकी स्थगन की सूचना 9:50 बजे प्राप्त हुई है और विभाग को भेजी गई है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, स्थगन की सूचना उसी दिन दी जाती है और उसी दिन ली जाती है.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी सूचना विभाग को भेजी गई है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, मैंने स्थगन की सूचना दी है कि एक आदिवासी युवक को नग्न करके, उल्टा टांगकर खींचा गया है और उसकी बेरहमी से पिटाई की गई है. इसके पहले एक आदिवासी युवक पर पेशाब करके उसको पीटा गया था, अपमानित किया गया था. प्रदेश में आदिवासी अत्याचार की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. पूरा आदिवासी समाज दहशत में है. अध्यक्ष महोदय, आपको स्थगन स्वीकार करना चाहिए. पूरे आदिवासी समाज का अपमान हो रहा है.
डॉ. हिरालाल अलावा-- अध्यक्ष महोदय, बैतूल में आदिवासी युवा को नग्न करने का जो वीडियो सामने आया है यह प्रदेश में आदिवासियों के ऊपर बर्बरता की हदों को पार कर रहा है. इस पर आपको स्थगन के लिए मौका देना चाहिए और चर्चा करानी चाहिए.
12.02 बजे ध्यानाकर्षण
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
(1) शिवपुरी जिले में आर. बी. सी. नहर से सिंचाई हेतु पानी न मिलने से उत्पन्न स्थिति
श्री रमेश प्रसाद खटीक (करैरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र करैरा की बहुत बड़ी समस्या सोन चिरैया अभ्यारण्य आपने और सरकार ने इससे किसानों को निजा़त दिलाई इसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया सदन में आपस में खड़े होकर बात न करें. यह सदन में उचित नहीं है. आपको अपनी सीट पर बैठना चाहिए.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन करना चाहता हूं कि एक तो आसंदी की तरफ कभी भी पीठ नहीं होना चाहिए यह हमारी संसदीय परम्परा है. मैं देखता हूं कि माननीय सदस्यगण इसकी चिंता नहीं करते हैं दूसरी बात यह कि जब भी आप अपनी सीट पर बैठे तो आसंदी को नमन करके बैठैं, उठें तब भी नमन करें. थोड़ी सी संसदीय परम्परा है, इसको जरूर हम लोगों को इख्तियार करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- सदन चलते समय आपस में बातचीत न करें इस बात का भी ध्यान रखें.
डॉ. विजय शाह-- अध्यक्ष महोदय, बिना आपकी अनुमति के किसी सदस्य का माईक भी चालू नहीं होना चाहिए.
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री रमेश प्रसाद खटीक -- अध्यक्ष महोदय, मेरा क्षेत्र जिससे विधान सभा में मैं विधायक हूं वर्ष 2008 से 2013 तक रहा हूं, वह आपका भी संसदीय क्षेत्र रहा है, वहां माइनरों में पानी नहीं पहुंच रहा है. मैंने जो प्रश्न किया है वह सत्य है और अभी जो सूचना मंत्री जी दे रहे हैं वह पूर्णत: असत्य है और मैं इसमें आपसे संरक्षण चाहता हूं कि मंत्री जी जो यह कह रहे हैं कि गांवों में पानी दे रहे हैं, 10 वर्षों से अगर उन गांवों में कुटीला, आजी नगर, दुमदुमा, चंन्द्र पटा, झण्डा में अगर एक बूंद भी पानी गया हो तो मैं यहां से अपनी राजनीति, विधायिकी छोड दूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- रमेश जी, आप बैठ जाइये मंत्री जी बताएंगे इससे बडा प्रश्न नहीं हो सकता है.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, एक तो यह जो असत्य बोल रहे हैं यह बिल्कुल गलत बात है. मैं प्रमाण के साथ बोल रहा हूं. सदन में बोल रहा हूं, प्रजातंत्र की सबसे बडी अदालत में बोल रहा हूं. सरासर असत्य यह बोल रहे हैं. आप कोई भी कमेटी बुलाकर दिखवा सकते हैं. कमांड एरिया इन गांवों का ..
श्री प्रदीप अग्रवाल -- अध्यक्ष महोदय, यह बिल्कुल असत्य ...
अध्यक्ष महोदय -- प्रदीप जी, कृपया बैठिये रमेश जी का प्रश्न है.
श्री प्रदीप अग्रवाल -- अध्यक्ष महोदय, इसी से संबंधित प्रश्न है. टेल एण्ड पर बिल्कुल कहीं भी पानी नहीं पहुंच रहा है. यह बिल्कुल जांच कराएं. टेल एण्ड पर पानी पहुंचता ही नहीं है और उनसे कर वसूला जाता है.
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट. रमेश जी, आप अपना सप्लीमेंट्री करिये.
श्री रमेश प्रसाद खटीक -- अध्यक्ष महोदय, मैं संरक्षण चाहूंगा यह मुझ पर आरोप लगा रहे हैं, आप यहां से कमेटी बनाकर भेज दीजिये, अगर वहां इन गांवों में पानी पहुंच रहा हो तो मैं फिर कहता हूं कि मैं अपनी विधायिकी छोड दूंगा. वह नहर सही बनी ही नहीं है, वह पानी उधर जाता ही नहीं है. जिस ठेकेदार ने बनाया है वह पानी वहां आज तक पहुंचा ही नहीं है तो पानी झण्डा में कहां से पहुंच गया ?
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी अधिकारियों की न सुनें माननीय सदस्य की सुनें. अनुसूचित जाति के हमारे माननीय सदस्य हैं आप भी कृपा करके अधिकारियों की चालीसा न पढें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- मरकाम जी, मैं आपको बहुत अच्छे से जानता हूं आप बैठिये.
अध्यक्ष महोदय -- मरकाम जी, कृपया आप बैठ जाइये.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, यह जो तीन गांवों की बात कर रहे हैं मैं उसको दिखवा लूंगा.
श्री प्रदीप अग्रवाल -- अध्यक्ष महोदय, जहां-जहां नहरों का अंतिम छोर है उन गांवों में पानी कभी पहुंचा ही नहीं नहर जब से बनी हैं, क्योंकि जैसे ही पानी शुरू होता है आगे वाले गांव में पहुंच जाता है, प्रेशर इतना नहीं होता है कि पानी अगले 10-15 गांवों में आखिरी में पहुंचे और वहां लोगों से नहर होने के कारण बाकायदा कर भी वसूला जाता है और उनको पानी की प्राप्ति नहीं होती है. एक बार जांच करा लें और इनकी मॉनीटरिंग सही नहीं है, इनके पास पर्याप्त अमला नहीं है इसलिये वह मॉनीटरिंग नहीं होती है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रदीप जी बैठिये. माननीय सदस्य का कहना यह है कि टेल पोर्सन में कभी-कभी प्रेशर के अभाव में पानी नहीं पहुंचता है तो आप दिखवा लें.
श्री रमेश प्रसाद खटीक -- एक प्रश्न और है कि नहर को रिवाइज कराकर क्या आश्वासन देंगे कि वह नहर बनवा देंगे वहां तक पानी पहुंचा देंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- रमेश जी, बस-बस हो गया. मंत्री जी जवाब दे रहे है. आप मिलकर बात कर लेना.
श्री रमेश प्रसाद खटीक -- अध्यक्ष महोदय, आपके सामने आश्वासन मिल जाए.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं नहीं, मिलकर बात कर लेना.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, जैसा आपने बोला मैं इनसे चर्चा कर लूंगा.
12.14 बजे
(2) जबलपुर नगर का गंदा पानी नर्मदा नदी में मिलने से उत्पन्न स्थिति
श्री लखन घनघोरिया (जबलपुर पूर्व) -- अध्यक्ष महोदय,
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, जबलपुर में जब तक महापौर जी कांग्रेस में थे, तब तक इनको गंदगी नहीं दिखी. जैसे ही भारतीय जनता पार्टी में आये, तो इन्होंने ध्यानाकर्षण लगा दिया.
श्री लखन घनघोरिया-- मंत्री जी, लगभग 18-20 साल से, महापौर तो अभी साल भर से था. इसके पहले 18-20 साल से यह प्रश्न हर बार हमारा लगा है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- आपको छेड़ने में मुझे मजा आता है.
अध्यक्ष महोदय-- लखन जी, जवाब आने दें.
श्री लखन घनघोरिया-- मंत्री जी, महापौर जी की आप बात कर रहे हैं. तो श्री हरिशंकर परसाई जी ने लिखा है कि राजनीति के मर्दों ने वेश्याओं को मात दे दी.
अध्यक्ष महोदय-- आप सबके दिमाग में यह बना रहे कि आज बसंत पंचमी है.
..(हंसी)..
12.17 बजे {सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- सभापति महोदय,
श्री लखन घनघोरिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में जो बाते कही, शुरू में उन्होंने महापौर के बारे में कह दिया था. क्योंकि अब महापौर को भी अपने पाले में कर लिया तो तुम्ही अपील, तुम्ही दलील. तुम जज और तुम वकील.
सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो बाते कहीं हैं, वह सारी की सारी बातें असत्य हैं. सबसे पहले जो इन्होंने बताया की वर्ष 2017 में 400 केएलडी क्षमता का नया एसटीपी स्थापित किया गया है. यह पूर्ण रूप से असत्य है. आप भौतिक सत्यापन करा कर देख सकते हैं. आप इसकी जांच करा लें. यह पूर्ण रूप से असत्य है.
दूसरा, खारी घाट में मिल रहे गंदे नाले का पानी समाप्त करने के लिये निर्माणाधीन एक एमएलडी की क्षमता के एसटीपी का लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. माननीय मंत्री जी यह कार्य अभी शुरू हुआ है. यह पूर्ण नहीं हुआ है, इसका लगभग 10 प्रतिशत कार्य हुआ है और यह कब से चल रहा है, इसकी मंथर गति है.
दूसरा, इसी में मेरा प्रश्न था कि ग्वारी घाट, सिद्ध घाट के ऊपर जहां पर एसआरटीपी लगाया गया है, वहां पर ग्वारी घाट बस्ती का गंदा पानी किसी भी स्थिति में एसआरटीपी में साफ होकर नर्मदा नदी के तट तक नहीं पहुंच पायेगा. उसकी बगैर जांच किये, बगैर कोई जानकारी लिये आपने तैयारी तो कर दी, लेकिन माननीय मंत्री जी, वह ऊंचाई पर है और वह जब ऊंचाई पर है और उसका पानी नीचे नहीं आ पाता है. तब इसको रोक दिया गया था, यह काम अधूरा छूटा हुआ है और यह प्रत्यक्ष अभी की सारी तस्वीरें हैं. आप बोलें नाव घाट, उमा घाट, सिद्ध घाट, खारी घाट और दरोगा घाट और यहां पर हमारे बहुत से सम्माननीय वह सदस्य बैठे हैं, जिनकी आस्थाएं नर्मदा जी से है और जो रोज नर्मदा जी के दर्शन करने जाते हैं. हो सकता है कि किसी मजबूरीवश शांत बैठे रहें, खामोश रहें लेकिन अंतरमन से वह इस बात को स्वीकार रहे होंगे कि वहां धार्मिक आस्थाएं कहीं न कहीं आहत होती हैं. वह न बोल पायें, अलग बात है मजबूरी हो सकती है.
सभापति महोदय:- माननीय सदस्य अपना प्रश्न करें.
श्री लखन घनघोरिया:- तो इन सब चीजों पर तीव्र गति से काम मब होगा. आपने महापौर को मिला लिया है. अब जब महापौर को मिला लिया है कि वैसा हो गया कि गंदे नाले भी मिल रहे हैं तो फिर कोई कार्यवाही नहीं होगी, जैसे 20 साल हुआ वैसे अभी होगा. आप क्या जो मेरे द्वारा जानकारी दी गयी तो क्या मंत्री जी इसकी जांच करायेंगे ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय - सभापति महोदय, सरकार के मुखिया समेत हम लोग जो फ्रंट लाइन में बैठे हैं, हमारी नर्मदा मैया पर बहुत श्रद्धा है, सेकण्ड लाइन वालों की भी है.
सभापति महोदय - सबकी कह दीजिए. पूरे सदन की कह दीजिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - सभापति महोदय, पूरे सदन की बहुत श्रद्धा है. हम नर्मदा मैया को मां मानते हैं. सभापति महोदय, मैं सदन को इस बात से अवगत कराना चाहूंगा कि हमारे प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव जी जब पहली बार उज्जैन गये तो उन्होंने सबसे पहले क्षिप्रा में जो भी गंदे नाले मिल रहे थे, उनको रोकने के लिए निर्देश दिये. साथ ही इन्दौर से भी खान नदी से जो पानी जाता था, उसको भी रोकने के निर्देश दिये. मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारी नर्मदा मां पर बहुत श्रद्धा है. आज सुबह डॉ. मोहन यादव जी का फोन आया कि कैलाश जी, यह सिर्फ का जबलपुर का सवाल नहीं है, यह पूरे मध्यप्रदेश का सवाल है और इसलिए जितनी भी अर्बन लोकल बॉडिज़ नर्मदा जी के किनारे है, वहां सब दूर इस बात की आप चिंता करिए कि वहां किसी प्रकार की गंदगी नर्मदा जी में नहीं मिलना चाहिए. मैं कोशिश करूंगा कि दो वर्ष में नर्मदा जी के किनारे जितनी भी हमारी नगर निकाय बॉडी हैं, वहां से किसी भी प्रकार की गंदगी नर्मदा जी में नहीं जाय. यह मैं सदन को आश्वस्त करता हूं और 2 साल के अंदर हम पूरे प्रदेश की एक भी अर्बन लोकल बॉडी का गंदा पानी नर्मदा नदी में नहीं जाए, यह मैं सदन को आश्वस्त करता हूं.
सभापति महोदय - जबलपुर के बारे में बता दीजिए.
लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह) - सभापति महोदय, चूंकि विषय जबलपुर का है. माननीय मंत्री जी ने बहुत सारगर्भित उत्तर दिया, जिम्मेदारी के साथ उत्तर दिया है. अभी अभी थोड़ा पहले जब चुनाव का समय था. महापौर जी ठीक है कि भारतीय जनता पार्टी में आ गये. लेकिन यह सभी जानते हैं कि जब इस तरह की कोई प्रक्रिया का पालन करना हो तो उसमें समय लगना स्वाभाविक है और जितना जिम्मेदारी के साथ उन्होंने कहा है, वह कह सकते थे कि हम 3 महीने में कर देंगे, 4 महीने में कर देंगे. लेकिन चुनाव के समय पर कांग्रेस का जो अपना घोषणा पत्र जारी हुआ था, उसमें यह उल्लेख किया गया था कि 100 दिन के भीतर नर्मदा जी में गंदा नाला मिलना बंद कर देंगे और आज कितना समय हो गया? महापौर जी भारतीय जनता पार्टी में आ गये और वह जिम्मेदारी आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उठाई है और हम उसको करेंगे.
सभापति महोदय - मंत्री जी, आपने जवाब नहीं दिया, वह स्पेसिफिक जबलपुर के बारे में पूछ रहे हैं. आपने पूरे नर्मदा कोस्ट लाइन की बात कर दी. जबलपुर के बारे में बता दीजिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - सभापति महोदय, मैं बता रहा हूं. जबलपुर उसमें सम्मिलित है और माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मैं खुद भी व्यक्तिगत रूप से जबलपुर जाकर इस सारी व्यवस्था को देखूंगा और आपको भी उसमें बुलाउंगा क्योंकि यह हमारे लिए भी बहुत चिंता की बात है और हमारी भी नर्मदा मां के प्रति बहुत श्रद्धा है. यह विषय उन्होंने उठाया है इसलिए उनको धन्यवाद देता हूं और सदन को आपके माध्यम से यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि नर्मदा मैया पवित्र है और पवित्र ही रहेगी, यह जिम्मेदारी हम सबकी है.
श्री लखन घनघोरिया - धन्यवाद, माननीय मंत्री महोदय.
श्री विजय रेवनाथ चौरे - दूसरे जीवनदायिनी नदियां भी हैं, मंत्री जी उसके लिए भी यह व्यवस्था कर दीजिए.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय मंत्री जी आपसे आग्रह है, आपको धन्यवाद भी दे रहे हैं कि आपने सहृदयता दिखाई और सबकी आस्था का यह प्रश्न है. मेरा आपसे एक छोटा-सा आग्रह है, जो आपने यह पढ़कर सुनाया है, यह अधिकारी जो हैं, यह 20 साल से यह पढ़वा रहे हैं, 20 साल से यही चीजें पढ़ी जा रही हैं, यह बिल्कुल जैसे यहां पर रखा हुआ है और भी हमारे प्रश्न थे, जब जब प्रश्न लगाए, यही प्रिंट हमारे पास में आया है. मेरा आपसे निवेदन है कि जो इस प्रकार की भ्रामक जानकारियां देते हैं, आपकी आस्थाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, क्या उनकी जांच आप करा लेंगे?
श्री कैलाश विजयवर्गीय - सभापति महोदय, मैं पहले ही कह चुका हूं, मैं खुद स्थल परीक्षण करूंगा.
सभापति महोदय - लखन जी, माननीय मंत्री जी ने कहा है कि वह स्वयं जाएंगे और वह वहां पर बैठक कर लेंगे, आपको भी बुला लेंगे.
श्री अभिलाष पाण्डेय - सभापति महोदय, चूंकि नर्मदा जी का विषय है तो जबलपुर के उत्तर मध्य विधान सभा से मैं भी आता हूं. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में महापौर के चुनाव में सबसे पहले कहा था कि पहली फाईल नर्मदा के प्रदूषण को रोकने के लिए करेंगे. इसीलिए कांग्रेस इस मामले में हमेशा से फेल रही है, इसलिए इस विषय को लेकर आ रहे हैं, चूंकि चुनावी समय आ रहा है, लेकिन इसमें कांग्रेस फेल रही है.
सभापति महोदय - अभिलाष जी, यह उचित नहीं है.
श्री लखन घनघोरिया -- सभापति महोदय] हमारे सम्मानीय सदस्य अभिलाष जी कह रहे हैं. एक साल के अंदर घोषणापत्र में कहा उसी महापौर को आपने मिला लिया. अब वह स्वच्छ नाला है या गंदा नाला है] यह आप तय करें. यह अलग मैटर है लेकिन हमारा आपसे यह आग्रह है कि यह सब की आस्था का प्रश्न है. जब हम वहां घाट पर दर्शन करने खडे़ होते हैं और जब वहां सुअर आकर घाट पर टहलते हैं अभिलाष जी ने भी देखा होगा] वे बोल नहीं बोल पा रहे हों. कुछ मजबूरी होगी. सबने देखा रोज होता है. कम से कम जीवनदायिनी मॉं नर्मदा जिनकी गोद में हम बसे हैं उसमें यदि आस्था के साथ खिलवाड़ हो रहा है तो इसको राजनैतिक दलगत राजनीति से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.
श्री अभिलाष पाण्डेय -- सभापति महोदय] लखन जी ने बहुत अच्छी बात कही कि नर्मदा जी का जितना उत्थान हुआ है वह भारतीय जनता पार्टी की सरकारों ने ही किया है. चाहे घाटों का उन्नयन हो] चाहे विकास के बहुत सारे काम हो] वह सारे काम भारतीय जनता पार्टी की सरकारों के समय ही हुए हैं.
सभापति महोदय -- अब हम तीसरा ध्यानाकर्षण ले रहे हैं. डॉ.हिरालाल अलावा.
श्री लखन घनघोरिया -- [ XXX ]
...................................................................................................................................
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
...(व्यवधान)..
श्री राकेश सिंह -- सभापति महोदय] इस तरह की टिप्पणी नहीं होनी चाहिए. यह गलत है....(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- इस तरह का विवाद न खड़ा करें...(व्यवधान)..
श्री राकेश सिंह -- सभापति महोदय यह टिप्पणी कार्यवाही से निकालना चाहिए. यह मर्यादाहीन टिप्पणी है. मॉं नर्मदा जी के लिए इस तरह की भाषा का उल्लेख यह मर्यादाहीन है.
श्री लखन घनघोरिया -- सभापति महोदय] काहे की मर्यादाहीन. ..(व्यवधान)..
श्री राकेश सिंह -- आप कहेंगे कि मॉं नर्मदा भारतीय जनता पार्टी की पुत्री हैं..(व्यवधान)..क्या यह मर्यादाहीन टिप्पणी नहीं है...(व्यवधान)..
श्री लखन घनघोरिया -- आप बीच में बोलकर..(व्यवधान)...
श्री राकेश सिंह -- यह आप कहिए न. यह आपको कहने का अधिकार है कि वह बीच में न बोलें. लेकिन मॉं नर्मदा जी के बारे में टिप्पणी की. मॉं नर्मदा जी के भक्त हैं आप. आपको माफी मांगना चाहिए...(व्यवधान)..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- लखन जी] आपको इस प्रकार की टिप्पणी नहीं करना चाहिए. यह बिल्कुल अमर्यादित है...(व्यवधान)...
श्री राकेश सिंह -- लखन जी] आप ऐसे व्यक्ति नहीं हैं लेकिन शायद कांग्रेस का कल्चर है जिसने आपसे यह कहलवा दिया है. इस तरह की टिप्पणी आपको शोभा नहीं देती..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- ..(व्यवधान)...मॉं नर्मदा मैया के उपासक बन रहे हैं और इस तरह से बिलो द बेल्ट बात कर रहे हैं..(व्यवधान)..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- सभापति महोदय] मैंने जवाबदारी से जवाब दिया. उन्होंने हल्के शब्दों का प्रयोग किया] मैंने कुछ नहीं बोला. अब नर्मदा मॉं के बारे में इस प्रकार की टिप्पणी करना] यह तो बहुत ही शर्मनाक है. सभापति महोदय] इनको सदन के अंदर माफी मांगना चाहिए. इस प्रकार की टिप्पणी बिल्कुल नहीं करना चाहिए...(व्यवधान)..मॉं नर्मदा हम सबकी श्रद्धा का केन्द्र है...(व्यवधान)...
श्री राकेश सिंह -- सभापति महोदय] मॉं नर्मदा जी हमारी जीवनदायिनी हैं...(व्यवधान)..दुनिया में एकमात्र नदी है जिसकी परिक्रमा होती है...(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- माननीय सभापति महोदय] मॉं नर्मदा मैया का अपमान सहन नहीं होगा..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- यह कार्यवाही देखी जाएगी जो उचित होगा वह किया जाएगा.चलिए अगला ध्यानाकर्षण है.
श्री राकेश सिंह -- सभापति महोदय] मेरा मानना है कि इसे कार्यवाही से विलोपित किया जाना चाहिए..(व्यवधान)..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- सभापति महोदय] विलोपित करना पर्याप्त नहीं है सदन में माफी मांगना चाहिए. हम सबकी श्रद्धा का केन्द्र है मॉं नर्मदा...(व्यवधान)..सदन में माफी मांगना चाहिए..(व्यवधान)..
श्री राकेश सिंह -- सभापति महोदय] यह स्वीकार्य नहीं हो सकती. मॉं नर्मदा सबकी आस्था का केन्द्र है...(व्यवधान)..
श्री अभिलाष पाण्डेय -- सभापति महोदय] अपने घोषणापत्र में महापौर के इलेक्शन में यह बात लिखी थी तो मैंने क्या गलत कहा...(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- बैठ जाइए. आ गई बात. अब बैठ जाइए...(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- माफी मांग लीजिए न. क्या दिक्कत है. माफी क्यों नहीं मांग रहे हैं.(व्यवधान)..
श्री अभिलाष पाण्डेय -- सभापति महोदय] मैं तो लिखित एविडेंस की बात कर रहा हॅूं कि महापौर के इलेक्शन में कांग्रेस के घोषणापत्र में ..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- सभापति महोदय] यह आपत्तिजनक है...(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- कार्यवाही देख लेना. बात आगे बढ़ गई हैं न...(व्यवधान)...
... (व्यवधान)..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- सभापति महोदय] यह सब नर्मदा भक्तों की श्रद्धा पर एक तरह से इन्होंने चोट पहुंचाई है और इसलिए इनको माफी मांगना चाहिए...(व्यवधान)..
श्री राकेश सिंह -- सभापति महोदय] यह गंभीर बात है..(व्यवधान)....राजनीतिक आरोप स्वीकार करेंगे लेकिन मॉं नर्मदा जी के लिए ऐसी टिप्पणी यह स्वीकार्य नहीं हो सकती...(व्यवधान)...
डॉ.हिरालाल अलावा -- माननीय सभापति महोदय] आपके संज्ञान में लाने से पहले...(व्यवधान)..
श्री राकेश सिंह -- माननीय सभापति महोदय] मेरा मानना है कि माननीय सदस्य को सदन के भीतर क्षमायाचना करना चाहिए. मॉं नर्मदा जी के लिए बहुत ही अमर्यादित टिप्पणी है. यह स्वीकार्य नहीं की जा सकती. वे राजनीतिक आरोप लगाए हमें स्वीकार्य है] हम जवाब देंगे.....(व्यवधान)....
सभापति महोदय—माननीय मंत्री जी सदन की कार्यवाही देखी जायेगी. अगर आपत्तिजनक है तो उसको हटाया जायेगा.
श्री राकेश सिंह—इस टिप्पणी को दोहराने में भी लज्जा आ रही है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—सभापति महोदय, इसको क्या देखना है, यह अमर्यादित टिप्पणी है उन्होंने कहा है उसको पूरे सदन ने सुना है. इसमें इनको क्षमा मांगना चाहिये.
सभापति महोदय—इस टिप्पणी को विलोपित किया जाता है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय—सभापति महोदय,विलोपित करने से कुछ नहीं होता. यह अमर्यादित आचरण है. इन्होंने गंदे नाले की बात की. यह गंदे नाले जैसे शब्द इनके मुंह से निकले हैं सभापति महोदय यह इनके संस्कार हैं. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग—यह लज्जाजनक बात है उमंग सिंघार जी क्या इससे सहमत हो, कांग्रेस विधायक दल लखन घनघोरिया जी की बात से क्या ? (व्यवधान)
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—सभापति महोदय, मां नर्मदा जी को पूजते हैं. यह हमेशा विषय को भटकाना चाहते हैं, यह लोग. कभी अन्य विषय पर बात करते हैं. लेकिन सरकार मुद्दे की बात नहीं करना चाहती है. (व्यवधान) सत्तापक्ष मुद्दे की बात नहीं करना चाहती है, मुद्दे से भटकाना चाहती है, यह मंत्रियों की गरिमा है. (व्यवधान)
श्री राकेश सिंह—यह बहुत ही गंभीर विषय है. आप किसी दूसरे विषय से जोड़कर इसको हल्का नहीं किया जा सकते है. यह बहुत ही गंभीर टिप्पणी है. (व्यवधान)
सभापति महोदय—डॉ.हिरालाल अलावा जी आप अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें. (व्यवधान)
श्री राकेश सिंह—मेरा मानना है कि संसदीय कार्य मंत्री जी से कि आपको आग्रह करना चाहिये इस विषय पर अभी के अभी इस विषय का निराकरण करना चाहिये. (व्यवधान)
सभापति महोदय—आप अपना ध्यानाकर्षण पढ़िये.
श्री लखन घनघोरिया—सभापति महोदय, मैं इसका सबूत दे रहा हूं (सदन में फोटो पेपर दिखाते हुए)
डॉ.सीतासरन शर्मा—यह सदन में शोभा नहीं देता इन शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिये.
सभापति महोदय—मैंने आसंदी से व्यवस्था दे दी है.
श्री विश्वास सारंग—इस तरह की सदन में टिप्पणियां ठीक नहीं है. यह सदन बहुत ही गरिमा से चलेगा. आप इस पर व्यवस्था दीजिये. माननीय उमंग सिंघार जी खड़े होकर के बतायें क्या कांग्रेस विधायक दल का स्टेण्ड है. क्या नर्मदा मां का इस तरह से उपहास उड़ाया जायेगा, इस तरह से अपमान किया जायेगा. (व्यवधान)
सभापति महोदय—देखिये विश्वास जी माननीय सदस्य हिरालाल जी उनका भी महत्वपूर्ण ध्यानाकर्षण है.
डॉ.हिरालाल अलावा—सभापति महोदय, मेरा ध्यानाकर्षण भी महत्वपूर्ण है इस मुद्दे पर सदन में बैठे हुए सभी सदस्यों से गंभीरता से लेना चाहिये.
(3) प्रदेश की मृदा परीक्षण प्रयोग शालाएं बंद होने से उत्पन्न स्थिति.
डॉ. हिरालाल अलावा(मनावर), (डॉ. रामकिशोर दोगने), (श्री फुन्देलाल सिंह मार्को) - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है-
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री( श्री ऐदल सिंह कंषाना) - माननीय अध्यक्ष महोदय-
डॉ.हिरालाल अलावा - माननीय सभापति महोदय, चूंकि यह कृषि उत्पादन,खदान और अनाज में आवश्यक तत्व होने चाहिये उसके लिये जो मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं जो स्थापित की गई हैं लेकिन मंत्री जी ने जो जवाब दिया है मैं उससे बिल्कुल संतुष्ट नहीं हूं.मैंने जिन-जिन जगहों के नाम लिये हैं वहां जो लैबें बंद हैं जिन पर केन्द्र सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च किये हैं. हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने गेहूं और धान में आवश्यक पोषक तत्वों की रिसर्च के माध्यम से जांच की. गेहूं में आयरन और जिंक जैसे हमारे शरीर के लिए उपयोगी महत्वपूर्ण पोषक तत्व कम पाए गए जबकि जो टाक्सिक तत्व थे. आर्सेनिक जो हमारे शरीर के लिए घातक हो सकता है. भविष्य में आने वाले समय में हमारे शरीर में मांस पेशियों से संबंधित बीमारियां,एनीमिया हो सकता है. मेरा प्रश्न यही है कि जो प्रयोगशालाएं केन्द्र सरकार ने आधुनिक कृषि और उत्पादन को बढ़ाने के लिए,पोषक तत्व युक्त गेहूं और धान की फसल के उत्पादन के लिये जो ब्लाक स्तर पर प्रयोगशालाएं करोड़ों रुपये खर्च करके खोली गई हैं. आज दिनांक तक उन प्रयोगशालाओं में वह खुली क्यों नहीं. उनमें मिट्टी परीक्षण क्यों नहीं हो रहा है. मंत्री जी कह रहे हैं कि हम स्वाईल हेल्थ कार्ड दे रहे हैं. सवाल स्वाईल हेल्थ कार्ड बांटने का नहीं है. आप कह रहे हैं कि जिला स्तर पर प्रयोगशालाएं काम कर रही हैं लेकिन यहां सरकार ने ब्लाक स्तर पर प्रयोगशालाएं खोलने पर करोड़ों रुपये खर्च किया तो ब्लाक स्तर पर जो प्रयोगशालाएं खुली हैं और आज दस-दस सालों से बंद पड़ी हुई हैं यह कब तक खुलेंगी और कब तक हमारे बच्चों को,युवाओं को और सभी वर्गों को पोषक तत्व युक्त अनाज मिल पाएगा.
श्री एदल सिंह कंसाना - माननीय सभापति महोदय, माननीय सदस्य ने कहा है कि प्रयोगशालाओं का उपयोग नहीं हो पा रहा है. आप यही तो कहना चाह रहे हैं. मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि हमारी हर जिले में प्रयोगशालाएं हैं और वह परीक्षण कर रही हैं. अब जो नयी तकनीक आई है उसका ब्लाक स्तर पर उसका उपयोग कर रहे हैं और परीक्षणों के लिए किसानों के पास जा रहे हैं. उसका परीक्षण करा रहे हैं. परीक्षण उपरांत जो उपयोगी मिट्टी होगी. उसी का उपयोग हम करेंगे.
सभापति महोदय - माननीय मंत्री जी, माननीय सदस्य ने जिले स्तर की प्रयोगशालाओं का नहीं पूछा हे वह तो आपकी कार्यरत् है. यह जो विभिन्न ब्लाकों में बनी हैं केंद्र सरकार के सहयोग से उस संबंध में प्रश्न है. वह बताएं.
श्री एदल सिंह कंसाना - माननीय सभापति महोदय, जो बंद पड़ी हुई हैं उनको हम जल्दी से जल्दी चालू कर रहे हैं. उनके विधान सभा क्षेत्र में जो बंद पड़ी हुई हों मुझे बता दें उसकी जांच करा लेंगे.
डॉ.हिरालाल अलावा - माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी ने कहा कि जिला स्तर पर जो किसान आ रहे हैं हम उनकी मिट्टी का परीक्षण कर रहे हैं. चूंकि किसान एक ऐसा वर्ग है जो बहुत ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं होता है और खासकर ग्रामीण इलाकों में,आदिवासी क्षेत्रों में इतनी जानकारी नहीं होती कि जिले स्तर पर जाएं, मिट्टी का परीक्षण कराएं तो उनके लिए ब्लाक स्तर पर केंद्र सरकार ने मिट्टी परीक्षण केंद्र खोले हैं. सवाल यह है कि जो ब्लाक स्तर पर खुले हैं वह पिछले दस सालों से बंद पड़े हैं उनका संचालन कब होगा ताकि छोटे कृषक ब्लाक स्तर पर जाकर मिट्टी का परीक्षण करा सकें.
सभापति महोदय - माननीय मंत्री जी यह बहुत गंभीर समस्या है. माननीय सदस्य प्रदेश भर की प्रयोगशालाओं की बात कर रहे हैं. आपने कहा कि उनके क्षेत्र में जो हैं वह चालू कर देंगे. मेरे स्वयं के विधान सभा क्षेत्र में दो प्रयोगशालाएं हैं. रामनगर और अमरपाटन में, वह पिछले पांच-सात साल पहले बनी थीं वे आज तक बंद पड़ी हैं. पूरे प्रदेश में एक नीतिगत निर्णय के लिये मैं संसदीय कार्य मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि ऐसा निर्णय लें कि जो प्रदेश भर में प्रयोगशालाएं ब्लाक स्तर पर बनी हैं ये चालू हो जाएं क्योंकि किसान के पास इतने पैसे तो होते नहीं कि सब जिले स्तर पर पहुंच जाएं तो उनको ब्लाक पर ही सुविधा मिल जाए तो मैं समझता हूं कि जनहित में यह बेहतर होगा किसानों के लिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- सभापति जी, इस देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सारे देश में इस प्रकार की मृदा परीक्षण की प्रयोगशालाएं खोलने के निर्देश दिए थे. पर जैसा कि मंत्री जी ने भी अपने उत्तर में बताया है कि लोग पहुँच नहीं पा रहे हैं. इसलिए प्रयोगशालाएं बंद हैं, पर आज अपने उत्तर में उन्होंने कहा है कि जहां-जहां प्रयोगशालाएं बंद हैं, मैं भी सदन को आश्वस्त करता हूँ, मंत्री जी ने भी अपने उत्तर में कहा है कि हम चालू करवाएंगे और किसानों की सुविधाओं का ध्यान रखेंगे.
सभापति महोदय -- माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी, ये जो प्रयोगशालाएं बंद पड़ी हैं, उसका मूल कारण है कि उनमें स्टॉफ नहीं है. वह स्वीकृत नहीं है, स्टॉफ अगर आप स्वीकृत कर देंगे, करवा देंगे, तो ये सब प्रयोगशालाएं चालू हो जाएंगी. इतना इन्फ्रास्ट्रक्चर बना, मशीनें तक हैं, उपकरण हैं, सब हैं.
श्री भंवरसिंह शेखावत -- सभापति महोदय, मैं बताना चाहता हूँ कि वह इसलिए बंद नहीं हैं कि लोग नहीं जाते, आदरणीय कैलाश जी, प्रत्येक गांव की स्थिति है कि किसान वहां जाना चाहता है, लेकिन वहां सिर्फ मशीनें खड़ी हैं, बिल्डिंग खड़ी है, स्टॉफ का पता नहीं है. स्टॉफ नहीं होने की वजह से किसान जाकर के भी वहां करेगा क्या, और ये किसी पार्टी और किसी प्रधानमंत्री का सवाल नहीं है आदरणीय कैलाश जी, ये किसान की बेसिक समस्या है. गांव के अंदर जब वह उस लैब में जाता है, अभी तो विवरण बताया गया कि 8-8 साल से बंद पड़ी हुई हैं. जितनी हैं, उनमें से 90 प्रतिशत बंद पड़ी हुई हैं और सिर्फ स्टॉफ नहीं है इसलिए. आदरणीय सभापति महोदय, आपने ठीक फरमाया कि स्टॉफ के अभाव में कैलाश जी, वे पूरी की पूरी बंद पड़ी हुई हैं. किसान वहां भटकता रहता है, वहां पहुँच ही नहीं पाता और जाए भी तो मतलब क्या निकलता है उसका, कृपया इसकी कोई व्यवस्था कीजिए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- सभापति जी, ये मोदी की गारंटी है, जो धूल खा रही है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- क्या 10 साल के पहले कभी इस प्रकार की मृदा परीक्षण की प्रयोगशालाएं इस देश के अंदर थीं क्या, ये इस देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने चालू की हैं और ये बात सही है. मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि ये मोदी जी का किसानों के प्रति प्रेम है, किसानों के प्रति गारंटी है और इस सदन में सरकार गारंटी ले रही है कि ये सब, जितनी भी प्रयोगशालाएं हैं, हम लोग चालू करेंगे. इतना मैं निवेदन करना चाहता हूँ. ..(व्यवधान)...
श्री उमंग सिंघार -- तभी इतने सालों से गारंटी धूल खा रही है. ..(व्यवधान)...किसान परेशान है. ..(व्यवधान)...
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अरे भैया, 10 साल पहले थी क्या. आपकी सरकार ने कभी सोचा क्या ? क्या आपके प्रधानमंत्री ने कभी सोचा ? ..(व्यवधान)...
श्री उमंग सिंघार -- आपकी गारंटी है..(व्यवधान)...
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- क्या आपकी सरकार ने कभी सोचा कि किसानों की मिट्टी का परीक्षण करना चाहिए ? ये सिर्फ मोदी जी का सपना है, उन्होंने किसानों की चिंता की है और ये बात सही है. ..(व्यवधान)...
श्री उमंग सिंघार -- ये चिंता होती तो प्रयोगशालाएं चालू होतीं. ..(व्यवधान)...
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- जो प्रयोगशालाएं बंद हैं, सरकार गारंटी के साथ उनको चालू कराएगी. गारंटी के साथ हम चालू कराएंगे. ..(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी, जब आप महू के प्रतिनिधि थे, तब तो गांव आते थे, तब तो किसान आते थे, शहर में नहीं आते हैं, थोड़ा विस्मरण हो गया आपको. सीतासरन जी, आप क्या कहना चाह रहे हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- इन्होंने कहा कि आपके प्रधानमंत्री जी ने सोचा नहीं, उनको सोचने का अधिकार ही नहीं था साहब तो कैसे सोचते, आप भी, बताइये आप (हंसी).
सभापति महोदय -- लेकिन हम इसको, रिकॉर्ड को दुरुस्त कर दें कि 10 साल पहले से बननी शुरू हो गई थीं, और आपकी सरकार में, आप ही के राज में, आपकी सरकार थी, तब ये बनी थीं.
श्री कमलेश्वर डोडियार -- सभापति महोदय, सारी लैब्स जल्दी चालू करने के लिए भर्ती करनी पड़ेगी. जल्दी से जल्दी भर्तियां हो जाएं, बहुत सारे नवजवान बीएससी एग्रीकल्चर की पढ़ाई करके घूम रहे हैं. बहुत सारे बेरोजगार हैं.
सभापति महोदय -- श्री फुन्देलालसिंह मार्को जी, क्या आप पूरक प्रश्न पूछना चाहेंगे.
श्री फुन्देलालसिंह मार्को -- जी हां, सभापति जी.
सभापति महोदय -- तो पूछिए ना.
श्री फुन्देलालसिंह मार्को -- माननीय सभापति जी, मेरा अनुरोध यह है कि पीएचसी, सीएचसी, सामुदायिक भवन चल रहे हैं, जांचें हो रही हैं, लोग अपना ट्रीटमेंट करा रहे हैं और अचानक उनको बंद कर दिया जाए. कुछ लोग हर महीने अपना रोटेशन टेस्ट भी कराते हैं. ये जो लैब्स बंद हुईं, माननीय सभापति जी, इनके बंद होने से हमारी मिट्टी का परीक्षण नहीं हो सका. हमारे किसान भाइयों को जितना उत्पादन मिलना चाहिए था, उससे भी वे वंचित रहे.
सभापति महोदय -- आप प्रश्न पर आ जाएं.
श्री फुन्देलालसिंह मार्को -- सभापति जी, मैं माननीय मंत्री जी से चाहता हूँ कि इसकी एक समय सीमा निर्धारित हो. चूँकि हमने 130 करोड़ रुपये लगाकर भवन बनाया, सारी मशीनें वहां पर रखी हुई हैं. इसमें हम चाहते हैं कि माननीय मंत्री जी समय-सीमा बता दें कि कब तक इन लैब्स को चालू कर दिया जाएगा ?
श्री एदल सिंह कंषाना - माननीय सभापति महोदय, प्रयोगशाला चलाने के लिए नीति बनाई जा रही है और जैसे ही नीति बनकर कम्प्लीट होती है, उसके बाद जल्दी से जल्दी उसको चालू करा दिया जायेगा.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - सभापति महोदय, जब आपकी नीति ही नहीं बनी थी तो आपने प्रयोगशालाओं का निर्माण क्यों किया ? जब आपकी कोई व्यवस्था नहीं थी, आपकी नीति और नियम ही नहीं बने थे, तो किस नियम के तहत 130 करोड़ रुपये आपने व्यय कर दिए और वह अभी खण्डहर पड़े हैं. वहां सारे किसान परेशान हैं.
सभापति महोदय - यह प्रश्न नहीं है, यह प्रश्न की श्रेणी में नहीं आता है. आप बैठ जाइये.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - सभापति महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के उत्तर से संतुष्ट नहीं हूँ.
सभापति महोदय - मंत्री जी ने आश्वस्त तो किया है कि अब नीति बनाकर, इसको कार्यशील करेंगे.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - माननीय सभापति महोदय, जब प्यास लगे तो तभी कुआं खोदने वाला काम कर रहे हैं.
12.56 बजे
(4) भिण्ड नगर पालिका परिषद में आर्थिक अनियमितता होना.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह (भिण्ड) - सभापति महोदय,
12.57 बजे (अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.)
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय,
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो जानकारी दी है. माननीय मंत्री जी, हमारे वरिष्ठ मंत्री हैं. लेकिन कर्मचारियों ने असत्य जानकारी दी है. माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि नगर पालिका भिण्ड जो कि ''ए'' श्रेणी की है, में वर्ष 2019 से 2023 तक 95 हजार रुपये से लेकर 99 हजार रुपये तक की 3,500 फाइलें बनाई गईं. मंत्री जी, मध्यप्रदेश नगरपालिका (लेखा एवं वित्त) नियम 2018 है, उसमें स्पष्ट निर्देश हैं कि सीएमओ एक लाख से अधिक की, एक माह में फाईल नहीं बना सकता है. जैसा अभी बताया गया है 35 करोड़ रुपये की फाइलें मेरे पास हैं. (माननीय सदस्य द्वारा सदन में फाईल दिखाते हुए.)
माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां गलत जानकारी दी जा रही है. आपको अधिकारी गलत जानकारी दे रहे हैं. इन अधिकारियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही होगी, प्रथम दृष्टया में जो दोषी हैं, उनके खिलाफ अभी कार्यवाही की जाये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही अपने उत्तर में स्वीकार किया है कि 3510 निर्माण कार्य हुए हैं. माननीय सदस्य की बात सही है और इसमें जांच कमेटी बना दी गई है. जांच रिपोर्ट आने के बाद हम दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करेंगे. यदि माननीय सदस्य उसमें कुछ दस्तावेज देना चाहें तो आप जरूर दीजियेगा, हम उन्हें जांच में सम्मिलित करके अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करेंगे.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि प्रथम दृष्टया जो दोषी हैं सीएमओ और इंजीनियर उनके खिलाफ तो कम से कम अभी निलंबन की कार्यवाही कर दें और फिर साफ-सुथरी जांच करवा लें. प्रथम दृष्टता वे दोषी हैं. जिस व्यक्ति को नियमानुसार एक लाख की फाईल बनानी है, उसने 800 फाइलें एक माह में की हैं, उसे अधिकार ही नहीं हैं. सीएमओ 800 फाइल कैसे बना सकता है ? इसमें अभी कार्यवाही होनी चाहिए और उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सात दिन में रिपोर्ट मंगवाकर, यदि कोई दोषी होगा तो उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करेंगे.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह- धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- अब, मैं कार्यसूची के पद 3 के उप पद (5) से (14) तक सूचना देने वाले सदस्यों के नाम पुकारूंगा, संबंधित सदस्यों की सूचनायें सदन में पढ़ी हुईं तथा संबंधित मंत्री द्वारा उन पर वक्तव्य पढ़े माने जायेंगे :-
(5) डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह
(6) श्री रामनिवास रावत
(7) श्री यादवेन्द्र सिंह,
(8) सर्वश्री राजेन्द्र भारती, रामनिवास रावत
(9) श्री अरूण भीमावद
(10) श्री आशीष गोविंद शर्मा
(11) श्री राजेश कुमार वर्मा
(12) इंजीनियर श्री प्रदीप लारिया
(13) श्री राजन मण्डलोई
(14) श्री रामनिवास रावत
1.03 बजे
आवेदनों (याचिकाओं) की प्रस्तुति.
अध्यक्ष महोदय- निम्नलिखित माननीय सदस्यों के आवेदन (याचिकायें) प्रस्तुत की गई मानी जायेंगी :-
(1) श्री फूलसिंह बरैया
(2) श्री मथुरालाल डामर
(3) श्री केशव देसाई
(4) डॉ. रामकिशोर दोगने
(5) श्री भैरोसिंह बापू
(6) चौधरी सुजीत मेर सिंह
(7) श्री श्रीकांत चतुर्वेदी
(8) श्री कमलेश्वर डोडियार
(9) श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे
(10) श्री रामनिवास रावत
(11) श्री साहब सिंह गुर्जर
(12) श्री रमेश प्रसाद खटीक
(13) श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर
(14) श्रीमती अनुभा मुंजारे
(15) श्री मधु भाऊ भगत
(16) श्री प्रताप ग्रेवाल
(17) डॉ. हिरालाल अलावा
(18) श्री प्रणय प्रभात पांडे
(19) श्री कैलाश कुशवाहा
(20) श्री वीरसिंह भूरिया
(21) श्री विपिन जैन
(22) श्री दिनेश जैन बोस
(23) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय
(24) श्री अनिल जैन
(25) श्री सुरेश राजे
(26) डॉ. सतीश सिकरवार
(27) श्री मोन्टू सोलंकी
(28) श्री श्याम बरड़े
(29) श्री प्रदीप अग्रवाल
(30) श्री यादवेन्द्र सिंह
(31) श्री केदार चिड़ाभाई डावर
(32) श्री प्रहलाद लोधी
(33) श्री सोहनलाल बाल्मीक
(34) श्री बिसाहूलाल सिंह
(35) श्री राजन मण्डलोई
(36) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर
(37) श्री रजनीश हरवंश सिंह
(38) इंजी. श्री गोपाल सिंह
(39) श्री नारायण सिंह पट्टा
(40) श्रीमती सेना महेश पटेल
(41) इंजीनियर श्री प्रदीप लारिया
(42) श्री अभय कुमार मिश्रा
(43) श्री अमरसिंह यादव
(44) श्री विवेक विक्की पटेल
(45) श्री बाला बच्चन
(46) डॉ. अभिलाष पाण्डेय
(47) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को
(48) श्री दिनेश गुर्जर
(49) श्री शैलेन्द्र कुमार जैन
(50) श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार
(51) श्री शरद जुगलाल कोल
(52) श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा
(53) श्री कालुसिंह ठाकुर
1.04 बजे
अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 64-नागौद से निर्वाचित सदस्य, श्री नागेन्द्र सिंह को विधान सभा के फरवरी, 2024 सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा
1.05 बजे नियम 139 के अधीन अविलम्बनीय लोक महत्व के विषय पर चर्चा
प्रदेश में ओला/पाला गिरने से फसलों को हुई क्षति का किसानों को मुआवजा नहीं दिया जाना
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सुरेश राजे जी चर्चा प्रारंभ करें इसके पहले मैं विपक्ष के माननीय सदस्यों को भी अवगत कराना चाहूंगा कि कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में नियम 139 के तहत चर्चा हो ऐसा कोई निर्णय नहीं हुआ था. यह आपकी सहृदयता है कि हमारे विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार जी, रामनिवास रावत जी, ने कल आपसे आग्रह किया और आग्रह करने के बाद आपने इसको स्वीकार किया है, जबकि न तो सरकार की तैयारी थी और न ही हम इससे अवगत थे. यह विपक्ष के प्रति आपका सम्मान है और प्रजातंत्र ऐसे ही मजबूत होता है. मैं आपकी इस सहृदयता के लिए आपको धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- बहुत-बहुत धन्यवाद कैलाश जी.
श्री रामनिवास रावत-- हम भी आपकी बात से सहमत हैं और हम समूचे विपक्ष की और से माननीय अध्यक्ष महोदय को धन्यवाद देते हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- धन्यवाद.
श्री सुरेश राजे (डबरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारे अध्यक्ष महोदय धन्यवाद के अधिकारी भी हैं और जिस दिन से अध्यक्ष महोदय के नेतृत्व में यह सदन चल रहा है यह पहला अवसर नहीं है कि उन्होंने विपक्षी सदस्यों को बोलने का पूरा अवसर दिया हो. मैं अपने आपको भाग्यशाली मानता हूं कि लगातार हम सभी को बोलने का अवसर मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय, किसानों के संबंध में आज मुझे बोलने का अवसर मिला है. किसानों को प्राकृतिक आपदा के दौरान सहायता राशि नहीं दी जाती है, क्योंकि राजस्व एवं कृषि अमले द्वारा सर्वे में कई बार भेदभाव किया जाता है. किसानों को रबी एवं खरीफ की फसलों पर प्रति हेक्टेयर लगभग 2000 रुपए लागत बीज, खाद एवं दवाइयां इत्यादि पर आती है. जबकि शासन द्वारा प्राकृतिक आपदा से फसल खराब होने पर प्रति हेक्टेयर 5500 रुपए की अधिकतम सहायता राशि देने का प्रावधान है जो कि बहुत कम है. अत: प्राकृतिक आपदा में किसानों को कम से कम 25000 रुपए हेक्टेयर सहायता राशि का प्रावधान होना चाहिए. सरकार को इस ओर सोचना चाहिए. किसानों को 15 दिवस की समयावधि के अंदर भुगतान किया जाना चाहिए. सरकार द्वारा किसानों से फसल बीमा का पैसा प्राईवेट बीमा कंपनियों को जो दिया जाता है वह तत्काल बंद होना चाहिए. किसानों को फसल बीमा का लाभ नहीं मिलता है और लगातार किसानों से फसल बीमा के नाम पर पहले ही पैसा काट लिया जाता है. खरीफ की फसल बाजरा, ज्वार, मूंग, तिलहन, अरहर और रबी की फसल सरसों, गेंहू, चना आदि की फसल खराब होने पर...
डॉ. सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य पढ़कर बोल रहे हैं. पढ़कर बोलना अलाऊ नहीं है.
श्री सुरेश राजे-- सम्माननीय सदस्य पूर्व विधान सभा अध्यक्ष हैं अगर वह थोड़ा सी समझाइश दे रहे हैं तो इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद दूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- वरिष्ठ लोगों की समझाइश मानना ही चाहिए.
श्री सुरेश राजे-- जी. अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि वर्ष 2021-22 में लगातार डबरा विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत जिसमें भितरवार का कुछ हिस्सा भी आता है. अति वर्षा हुई और अति वर्षा के कारण हरसी नहर से पानी अधिकतम छूटा सिंध नदी के अंतर्गत जिसके अंतर्गत कम से कम 100 गांव से ज्यादा प्रभावित हुए और किसान की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं. तमाम सर्वे कराने के बावजूद एक-एक किसान की मेढ़ तक हम किसानों के साथ में अधिकारियों और कर्मचारियों को लेकर गए लेकिन एक भी पैसा किसी भी किसान को बीमा के रूप में नहीं मिला. तो सहायता की उम्मीद करना ही बेकार है. मेरा इतना निवेदन है कि किसान जो किसान से बीमा का पैसा काटा जाता है उसे तत्काल बंद कराया जाए. सरकार यदि वाकई में किसानों के प्रति संवेदनशील है तो किसान बीमा का पैसा किसान न भरे, सरकार किसान का नुकसान होने पर मुआवजा दे. सरकार बीमा का पैसा भरे तो किसानों के लिए राहत की बात होगी. बस यही मुझे निवेदन करना था आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
श्री भंवर सिंह शेखावत (बदनावर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रुप से यह सदन आपका आभारी है. जनता, किसानों और प्रदेश के हित का यह महत्वपूर्ण विषय है जिस पर आपने यह चर्चा ली है. कैलाश जी को छोड़कर बाकी सारे लोग किसानों से संबंध रखते हैं. इसलिए यह सभी की पीड़ा है.
श्री रामनिवास रावत -- इसके बावजूद भी जमीन सबसे ज्यादा है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, इनके क्षेत्र में तो ओला-पाला गिरा भी नहीं है, अकारण ही बोलने के लिए खड़े हो गए हैं. बताइए क्या आपके यहां ओला-पाला गिरा है.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- कैलाश जी यह किसानों का देश है, कृषि प्रधान देश है. किसानों की आज क्या हालत है इसका उल्लेख करने की जरुरत नहीं है जरा दिल्ली की तरफ झांककर देखेंगे तो आपको पता चलेगा. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, यहां विराजमान हैं इसके पहले आप कृषि मंत्री भी थे, दिल्ली में विराजमान थे. पूरे देश के किसान आपके दरवाजे पर गए थे. एक बहुत बड़ा आंदोलन 7 महीने तक चला था. 700 से ज्यादा किसानों ने अपनी आहुति दी थी, शहीद हो गए थे. कुछ समस्याओं को लेकर किसान बार-बार दिल्ली के दरवाजे पर जाता है. अभी हमारे सदस्य ने जब यह विषय रखा कि ओला-पाला से प्रभावित किसान जब अपना मुआवजा मांगता है, अपने नुकसान की भरपाई मांगता है तो सरकार के पास बगले झांकने के अलावा कुछ नहीं होता है. आज पूरे देश का किसान फिर दिल्ली की ओर अग्रसर हो रहा है. अध्यक्ष महोदय, आप तो प्रत्यक्षदर्शी हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को जानकारी देना चाहता हूँ पूरे देश का किसान दिल्ली नहीं गया है. पंजाब के दो-तीन जिले के किसान हैं, पूरे पंजाब के किसान भी नहीं गए हैं. दो-तीन जिले के ही किसान हैं. उनका उद्देश्य और कुछ है. हम किसानों के प्रति बहुत जवाबदार हैं, हमने किसानों के लिए बहुत किया है. आज किसान सम्मान निधि के माध्यम से किसानों के खाते में 12 हजार रुपए पूरे मध्यप्रदेश में पहुंच रहे हैं. मैं सदन को एक और इन्फार्मेशन देना चाहता हूँ. अभी मैं एक ऑटो मोबाइल की एग्जीबिजन में मैं गया था. वहां के मालिक ने यह कहा कि सबसे ज्यादा ट्रेक्टर और मोटर साइकिल देश में कहीं बिक रही हैं तो वह मध्यप्रदेश में बिक रही हैं. यह मध्यप्रदेश के किसानों की सक्षमता है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश का किसान पीड़ित है. बॉर्डर पर रात को किसानों पर अश्रु गैस के गोले और बंदूकों से प्लास्टिक की गोलियां दागी गई हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, कैलाश जी को इस दर्द का पता नहीं है जो किसान है उसे इस दर्द का पता है. आपने किसान को जो कुछ दिया वह तो आपका धर्म था आपने किसी पर कोई एहसान नहीं किया है. पूरे देश को किसान अपनी मेहनत से चलाता है. जब वह अपनी फसल के मुआवजे की बात करता है, अपने फसल के दामों की बात करता है, कैलाश जी उसके घर की स्थिति जब आप जाकर देखेंगे तब आपको पता चलेगा. हम सब लोग मानवीय धर्म से जुड़े हुए हैं. अध्यक्ष महोदय, यह सिर्फ ओला पाला का मुआवजा नहीं है. साल भर पूरे परिवार के साथ मेहनत करने के बाद किसान जो उपज पैदा करता है उसकी लागत को लेने के लिए भी किसान को आंदोलन करना पड़ता है. अभी आदरणीय रावत जी बता रहे थे कि दिल्ली में क्या हालत है. सारे देश के किसान वहां पर खड़े हैं, लाठियां खा रहे हैं. उन पर गोलियां दागी जा रही हैं. आप लोग आदरणीय प्रधानमंत्री जी को उनका मसीहा बताते हैं. जब देश का किसान दिल्ली में आंदोलन कर रहा है, दिल्ली में गोलियां खा रहा है, लाठियां खा रहा है और आपके आदरणीय प्रधानमंत्री जी तो विदेश का दौरा कर रहे हैं. आबूधाबी में हैं. यदि उनके मन में दर्द होता तो किसान 9 महीने तक आंदोलन नहीं करते.
श्री विश्वास सारंग -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, यह नियम 139 की चर्चा है यह विषय पर नहीं बोल रहे हैं, इधर-उधर की बात कर रहे हैं.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विश्व में भारत का सम्मान बढ़ रहा है.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, यह तो सरकार की संवेदनशीलता है कि इसे अध्यक्ष महोदय ने स्वीकार किया है. (व्यवधान)
..(व्यवधान)..
श्री आरिफ मसूद -- जब भोपाल की बात आई, जब किसान गिरफ्तार हुये भोपाल में तब तो आप नहीं बोले. (..व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- यह इधर-उधर ले जाने का क्या मतलब है, यह कोई विषय नहीं है. प्रधानमंत्री जी का दौरा इसका कोई विषय नहीं है, ओला पाला पर बोलें. मध्यप्रदेश की बात करिये.
श्री आरिफ मसूद -- आपके ही क्षेत्र में किसान गिरफ्तार हुये जब गलत जानकारी दी जा रही थी.
अध्यक्ष महोदय -- भंवर सिंह जी, विषय के अंतर्गत रहें, ओला पाला से मध्यप्रदेश के किसानों का जो नुकसान है.
श्री भंवर सिह शेखावत -- आदरणीय, ओला पाला से ही तो किसान परेशान हैं लेकिन सारंग जी क्यों परेशान हैं. आदरणीय सारंग जी..
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, मैं परेशान नहीं हूं. मेरा यह कहना है कि सदन का समय खराब न करें और जिस विषय पर यहां 139 पर चर्चा हो रही है नियम देख लें, आप बहुत आदरणीय हैं, आपका बहुत बडा अनुभव है, परंतु जिस विषय पर चर्चा हो रही है उस विषय तक सीमित रहें.
श्री भंवर सिह शेखावत -- आदरणीय, बार-बार यह अहसान बताने की आवश्यकता मत करिये कि आपने इस विषय पर चर्चा करने के लिये बडा अहसान किया है. हम लोग विधान सभा में आते किसलिये हैं ? जनता आप लोगों को वोट देती किस बात के लिये है ?
अध्यक्ष महोदय -- भंवर सिंह जी, आगे बढिये. कृपया आगे बढें.
श्री भंवर सिह शेखावत -- अध्यक्ष महोदय, अगर हम उनकी समस्याओं पर चर्चा नहीं करेंगे, इसमें नाराज होने की क्या बात है भाई ? आप इतना गुस्सा क्यों होते हैं ? किसानों के नाम से क्यों इतना गुस्सा होते हैं ? आपके यहां किसान नहीं होंगे, लेकिन जिनके यहां किसान होंगे, उनकी यह चिंता है. माननीय सदस्य ने यह कहा है कि महाकौशल, विंध्य के कई जिलों के अंदर बारिश के कारण ओले गिरे और वहां के किसानों की फसलें नष्ट हुई हैं. यह सिर्फ अकेले महाकौशल और विंध्य का नहीं है आप यह देखिये, सागर, रीवा, शहडोल इन संभागों के अंदर ढाई-ढाई सौ ग्राम के ओले गिरे थे. उनकी फसलें नष्ट हो गई हैं. पूरा जबलपुर जाकर घूमकर देखिये आप. यह भिण्ड, मुरैना को जरा देखिये. यह अखबार तो पढ लिया कीजिये सारंग साहब. कितनी तकलीफ है लोगों को और वह मांग क्या रहे हैं आपसे, उनकी फसलें नष्ट हो गई हैं तो आपका तहसीलदार जाए, आपका पटवारी जाए, उसकी गणना कर ले, उसके नुकसान की राशि उसको मिल जाए और जो बीमा आप उससे काटते हैं, किश्तों का वह पैसा देता है, अगर सरकार भी देती है तो अच्छी बात है, लेकिन बीमा कंपनी का पैसा किसान अपने खून पसीने से चुकाता है और उसके बाद उसको क्या मिलता है ? सारी बीमा कंपनियों ने लूट का धंधा मचा रखा है. सारा प्रीमियम लेकर भाग जाते हैं और जब किसान टुकुर-टुकुर देखता रहता है कि उसकी फसल नष्ट हो गई, कोई पटवारी और तहसीलदार जाता नहीं है. वह नुकसान का पैसा मांग रहा है और आप मुझे बता दें, सरकार बताये, कृषि मंत्री जी अपने जवाब में बताएं कि कितना पैसा बीमा कंपनियों ने मुआवजे के तौर पर कौन से संभाग में किसानों को दिया है ? 12 रुपये, 13 रुपये, 17 रुपये की राशि किसान को बीमा की मिलती है और हम यहां खडे होकर बडे अहसान से कहते हैं कि हमने विषय पर चर्चा कराने का आपको मौका दिया है. अरे यह तो सदन बनाया ही इसीलिये है भाई. इस सदन में अगर हम चर्चा नहीं करेंगे, मैं तो धन्यवाद देना चाहता हूं अध्यक्ष महोदय को कि आपने यह अवसर दिया है. इसमें तो बहुत पहले चर्चा हो जानी चाहिये थी. किसान है इस देश का माई बाप, किसान है इस देश पर जान देने वाला, किसान है इस देश का सम्मान बढाने वाला. आप किसान के बारे में चर्चा कर रहे हैं. वह गोलियां खाने के लिये दिल्ली के अंदर तैयार बैठा है. वह किसके लिये लडाई लड रहा है ? खुद के लिये लड रहा है ? खुद की फसल का मुआवजा, उसकी लागत जो लगती है, उसका पैसा लेने के लिये आज वह वहां खडा हुआ है. उसकी जितनी लागत है उतना पैसा तो दे दो. 70 साल की आजादी और अमृतकाल की बात करते हैं. कहां है यह अमृतकाल ? अगर किसान को अपनी फसल का पैसा लेने के लिये गोली खाना पडे तो यह अमृतकाल नहीं है.
आदरणीय सदस्यों, जरा अपने सीने पर हाथ रखकर देखो. इसमें कांग्रेस, बीजेपी मत करो. किसान, किसान है. न वह बीजेपी का है, न वह कांग्रेस का है. वह इस देश का किसान है और इस देश के किसान को अगर अपनी मेहनत का पैसा मांगने के लिये आपके दरवाजे पर बार-बार आना पडे, एक बार-दो बार-तीन बार-चार बार और आपकी पुलिस उनको लाठियां मारकर के दरकाती रहे, यह अगर हमारे देश में हो रहा है तो यह शर्मनाक है. सबके मन में पीडा होनी चाहिये, सबके मन में दर्द होना चाहिये. मैं तो सिर्फ आज इतना ही कहना चाहता हूं कि महाकौशल, भिण्ड, शहडोल, कटनी इस क्षेत्र में और बुंदेलखंड के अंदर काफी नुकसान हुआ है और माननीय मंत्री जी जब जवाब दें तब इसके अंदर जरूर बता दें कि कितना बीमा कंपनियों ने और कितना सरकार दोनों ने मिलकर किसानों के खातों में मुआवजे का पैसा पहुंचाया है ? मैं समझता हूं आप जब उसका आंकडा देखेंगे तो आपकी आंखों से ऑंसू निकल जाएंगे. किसान रो रहा है. आज इन सब बातों पर चर्चा करने के लिये आपने अवसर दिया, मैं तो अध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद देना चाहता हूं और माननीय सदस्यों से भी कहना चाहता हूं, चाहे वह इस दल के हों, चाहे उस दल के हों, किसानों के मामले में थोडा संवेदनशील रहिये. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर डोडियार-- अध्यक्ष महोदय, पश्चिमी मध्य प्रदेश में रतलाम और झाबुआ जिले और अलीराजपुर उधर भी अछूता नहीं है ओले पाले से.
अध्यक्ष महोदय-- कमलेश्वर जी, अभी मैंने आपको बोलने की अनुमति नहीं दी है.
श्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह (पन्ना)-- अध्यक्ष महोदय, क्योंकि किसान की बात आई है, तो किसान मूलतः कोई भी व्यक्ति हो, आम तौर पर देखा जाये तो सभी किसान की पृष्ठ भूमि से आये हैं और जब सभी किसान हैं, तो किसान के प्रति संवेदनशीलता सभी की बनती है, चाहे इस तरफ के लोग हों, चाहे उस तरफ के लोग हों. इसमें मेरा यह कहना है कि जब भी किसानों के हित में कोई बात आती है, तो हमारी सरकार हरदम बड़ी संवेदनशील रही है. पहले भी वर्ष 2023-24 में जब ओला वृष्टि की बात आई थी, तो भिण्ड जिले में भी ऐसे 148 करोड़ रुपये वितरित करने का काम इसी सरकार ने किया था, उसमें कुछ अनियमितताएं भी पाई गई थीं, उसमें 5 पटवारियों को भी निलम्बित किया गया था और कुछ लोगों के ऊपर विभागीय जांच चालू की गई थी. इसी तरह से भिण्ड भर में नहीं, चाहे मुरैना,ग्वालियर, रतलाम, रीवा, मैहर,शहडोल, सीधी हो, चाहे राजगढ़ की बात हो.जहां जहां से भी यह ओलावृष्टि या ऐसी प्राकृतिक आपदाएं जहां पर भी आई हैं, वहां पर सरकार ने संवेदनशीलता दिखाते हुए पैसा वितरित करने का काम किया है. मैं यह मानता हूं कि यह बहुत ही संवेदनशील सरकार है, जो निरन्तर किसानों के प्रति, उनके हितों के प्रति हरदम चिंता व्यक्त करती है. इसलिये मैं यह मानता हूं कि अभी तक यदि देखा जाये तो 3900 से ज्यादा पात्र किसानों को 2 करोड़ 72 लाख से ज्यादा राशि यह सरकार वितरित कर चुकी है. बहुत से किसान अभी प्रक्रिया में हैं, क्योंकि जो उनको पैसे देने हैं, कुछ उनकी कागजी कार्यवाही पूरी न हो पाने के कारण ऐसे करीब 2700 किसान हैं, जो अभी प्रक्रिया में हैं और यह बहुत ही संवदनशीलता इस बात से भी दिखती है कि 11 फरवरी को ओलावृष्टि हुई, 12 फरवरी को हमारी सरकार ने तुरन्त जांच दल गठित करने के लिये हर जिलों को निर्देशित किया, वहां पर जांच दल गठित हो गये. मेरा भी जिला उसमें प्रभावित जिला है ओलावृष्टि में. मेरी विधान सभा भी प्रभावित है और मुझे खुशी है, मैं धन्यवाद देना चाहता हूं राजस्व मंत्री जी को कि टीम स्पॉट पर पहुंच गई हैं, सर्वे कार्य चालू हो गया है. मुझे लगता है, क्योंकि यह बात सही है, क्योंकि जो ओलावृष्टि हुई है, यह यूपी से जो लगा हुआ बॉर्डर है, उस एरिया में हुई है. यह भी देखा गया है कि ओले की साइज भी बड़ी थी. इसलिये 50 परसेंट से ऊपर, क्योंकि यह हमारी सरकार है, जिसने यह निर्णय लिया है कि 50 परसेंट के ऊपर यदि कोई भी क्षति होती है, तो उसको 100 प्रतिशत माना जायेगा. पहले तो हमें ध्यान है कि 2003 में यदि मेक्सीमम यदि देखा जाये, तो वह लोएस्ट आपका 1 हजार रुपये था और मेक्सीमम 12 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर था. अब तो 5 हजार मिनिमम है और 32 हजार रुपये मेक्सीमम कर दिये गये हैं, प्रति हेक्टेयर के हिसाब से. यदि यह बढ़ोत्तरी की है, तो यह भाजपा की सरकार ने की. इसलिये यह सिर्फ फसल नुकसान की बात नहीं है. यह आपके हर उसमें भी है. आपके जनहानि में भी देखा जाये, तो 2003 के समय मात्र 50 हजार रुपये थी, यदि कोई पशुधन या पशु हानि होती थी, जन हानि होती थी, तो 50 हजार रुपये दिये जाते थे. किसी व्यक्ति की मृत्यु पर, लेकिन अब तो 4 लाख रुपये दिये जाते हैं. यह फर्क है. यह पहले आपने देखा होगा कि पशु हानि पर 2100 रुपये प्रति पशु दिया जाता था. अब बढ़ाकर साढ़े 37 हजार रुपये प्रति पशु दिया जाता है. इधर तक नहीं, आपकी यदि कोई दुधारु गाय है, उसको मात्र 4125 रुपये 2003 में दिये जाते थे. अब बढ़ाकर यह राशि 32 हजार रुपये कर दी गई है. इसलिये मैं यह मानता हूं कि यह संवेदनशीलता है हमारी सरकार की कि जो निरन्तर वह बदलाव कर रही है. यदि कोई मकान क्षतिग्रस्त होता है, क्योंकि इसमें ओलावृष्टि में बहुत से मकान भी क्षतिग्रस्त हुए हैं इसलिये मैं मानता हूं कि जब ओलावृष्टि की बात आती है, मकान क्षतिग्रस्त होने पर मिनिमम जो 2003 में था, जो 10 हजार रुपये आप प्रति मकान देते थे, अब 1 लाख 20 हजार रुपये देते हैं. इतना फर्क है और इसलिये मैं यह मानता हूं कि यह निरन्तर इस सरकार ने राशि समय समय पर बढ़ाई है.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- मंत्री जी, आप इतना सा उल्लेख और कर
दें..
श्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह -- अभी मैं विधायक हूं.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- ठीक है. आप मंत्री बनेंगे. आप पहले भी मंत्री रहे हैं. लेकिन आपने कहा ना कि 1 लाख रुपये देने की बात की है. कितने मकानों की, जरा सूची बता दें कि किसी को 1 लाख रुपये मिला हो.
श्री सिद्धार्थ तिवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, 15 महीने की जब सरकार थी, जिस संबल योजना में चार लाख रूपये की बात की गयी है. यह बंद हो गया था, आप आंकड़े उठाकर के देख लें और गांव पता कर लें.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- अध्यक्ष महोदय, हमारे वरिष्ठ सदस्य हैं और अनुभवी भी हैं और अभी कुछ बातें आ रही थी कि किन्हीं कारणों से वह वहां चले गये हैं, पहले यहीं के सदस्य थे. मैं तो पहले से ही उनका सम्मान करता रहा हूं और जब वह विधायक बनें तो मुझे उनको वहां देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि आप वहां कैसे पहुंच गये. मैं उनके पास गया था कि आप वहां पर कैसे पहुंच गये.
अध्यक्ष महोदय:- कहीं भी रहें आप उनका सम्मान करते रहो.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह- मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं. पहले से भी मैं उनका सम्मान करता हूं और आज भी उनका सम्मान करता हूं. मैं माननीय अध्यक्ष महोदय ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता हूं, क्योंकि आपने समय दिया है. मैं शून्यकाल में इस विषय को उठाने वाला था. लेकिन आज आपने हमारे विपक्षी भाइयों ने जो प्रस्ताव लाया है उस पर बोलने का अवसर दिया है. मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि मेरे पन्ना जिले के, पन्ना विधान सभा के अंतर्गत 6 पंचायतें हमारी इस ओलावृष्टि से उनको बड़ा नुकसान पहुंचा है. उसमें हमारी चाहे नरदहा हो, चाहे मकरी हो, चाहे वह भखुरी हो, चाहे भरैय्या हो, चाहे वह आपका देवलपुर हो और चाहे भरर्रा हो ऐसे हमारे यहां पचास प्रतिशत से भी ज्यादा फसलों का नुकसान हुआ है. जिनका सर्वे, मैंने राजस्व मंत्री जी से व्यक्तिगत रूप से आग्रह भी किया है और आज मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को भी व्यक्तिगत रूप से आग्रह करने वाला हूं. क्योंकि सर्वे कार्य आपने चालू करवा दिया है. इसलिये मुझे पूरा भरोसा है, क्योंकि सर्वे कार्य आपने चालू करवा दिया है और इसलिये मुझे पूरा भरोसा है कि जल्दी से जल्दी उनकी सर्वे की जांच रिपोर्ट आयेगी और उस हिसाब से आप राशि का भुगतान भी करेंगे. ऐसा मैं, राजस्व मंत्री जी से आग्रह करता हूं और मुझे पूर्ण विश्वास है कि जल्दी से जल्दी इसका हमारे किसान भाईयों को उसका पैसा मिलेगा. आपने समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद्
श्री साहब सिंह गुर्जर- ( ग्वालियर ग्रामीण ) माननीय अध्यक्ष महोदय, आज आपने बोलने का मौका दिया, इसके लिये धन्यवाद.
अध्यक्ष्ा महोदय, जिस तरह से सदन की शुरूआत हुई थी तो हमारे आदरणीय श्री कैलाश जी ने मोहब्बत से उसकी शुरूआत की थी. मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं कि आदरणीय हमारे नेता राहुल गांधी जी ने कहा था कि- '' नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोली है''. उन्होंने इसको आत्मसात किया. इसके लिये मैं उनको धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, हमारी तानसेन तहसील के क्षेत्र बेहट में, जो संगीत सम्राट तानसेन जी को मैं नमन करता हूं. उनके नाम से तहसील है. उस क्षेत्र के अंतर्गत जिन गांवों में जो ओलावृष्टि, पाला पड़ा है, उससे जो फसल चौपट हुई है और जब उसका सर्वे कराया गया तो फसल चौपट हुई है 80 प्रतिशत और सर्वे में दिया जा रहा है कि 25 प्रतिशत फसल चौपट हुई है. जब 25 प्रतिशत सर्वे दिया जाता है तो उसका किसानों को कोई लाभ नहीं मिलता है. मैं चाहता कि किसानों को किस तरह से उस 80 प्रतिशत का लाभ मिले, ताकि किसानों का भला हो सके और फसल बीमा कम्पनी के द्वारा, जिस तरह से किसान क्रेडिट कार्ड से पैसा काट लिया जाता है उसका भी फसल बीमा का उनको नहीं मिल पाता है, ना ही मुआवजा मिल पाता और न ही फसल बीमा का लाभ मिल पाता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ यह चाहता हूं कि किसानों को उसका लाभ मिले और कैसे मिलेगा और कब मिलेगा ?
सुश्री रामसिया भारती:- अनुपस्थित.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा( खातेगांव):- धन्यवाद. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज बहुत महत्वपूर्ण चर्चा आज सदन में आयी है. किसान किसी भी देश को चलाने की एक महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं. उन्हीं के कारण हमारे भण्डार भरे हुए रहते हैं. मुझे याद है कि आप जब केन्द्र में कृषि मंत्री थे, तब आपने कई नवाचार इस देश के किसानों के लिये किये. चाहे स्वायल हेल्थ कार्ड हो, पानी की एक-एक बूंद को सहजने कि दृष्टि से किसान के खेतों तक सिंचाई की सुविधाओं का विस्तार हो, विद्युत लाइनों का विस्तार हो, नीम कोटेड यूरिया हो या अन्य रसायन खाद की सब्सिडी का मामला हो. अध्यक्ष महोदय, किसानों के क्षेत्र में मान्यवर मोदी जी की सरकार ने और मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लगातार काम किया है.
इसके कारण जो किसान कभी लुटा-पिटा रहता था, कभी जो खेती से इतना भी नहीं कमा पाता था, इतना भी नहीं जुटा पाता था कि अपने बेटा-बेटी की पढ़ाई करा सके. आज कम से कम वह अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है. कृषि आधारित उद्योग हो, समर्थन मूल्य पर विभिन्न फसलों का उपार्जन हो, मैं कह सकता हूं कि मध्यप्रदेश सरकार ही वह सरकार है, जो किसानों की सर्वाधिक अनाज की किस्मों को समर्थन मूल्य पर उपार्जित करती है.
अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने देश में प्रथम बार किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसा एक महत्वपूर्ण काम किया. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट जो कई वर्षों तक कांग्रेस की सरकार के पास पेंडिंग पड़ी रही, जिसकी एक भी सिफारिश उन्होंने लागू करने का प्रयास नहीं किया. भारतीय जनता पार्टी की मोदी जी की सरकार ने समय समय पर समर्थन मूल्य की बढ़ोतरी के साथ-साथ किसान को उसकी उपज का भाव मिल सके, किसी भी मंडी से अनाज का उपार्जन भारत का कहीं का भी व्यापारी कर सके.
अध्यक्ष महोदय - श्री आशीष जी, भोजनावकाश का समय हो गया है. यह भाषण जारी रहेगा. सदन की कार्यवाही 3 बजे तक के लिए स्थगित की जाती है.
(1.31 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
3.03 बजे { अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ओलावृष्टि, पाला पड़ना, अतिवृष्टि या सूखा पड़ना, यह सब प्रकृति की मार अवश्य है लेकिन इसकी चोट कहीं पर पड़ती है तो किसान के दिल पर पड़ती है. किसान इस भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है. मान्यवर प्रधानमंत्री जी के प्रयासों से विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हमारा भारतवर्ष बनने जा रहा है. निश्चित ही विगत दिनों मध्यप्रदेश के जिन जिलों में ओलावृष्टि हुई है, जिसके कारण फसलों को नुकसान हुआ है, सरकार उस नुकसान के प्रति बेहद गंभीर है. मान्यवर मुख्यमंत्री जी ने अधिकारियों को तत्काल निर्देश दिए कि किसान की फसल की क्षति का आंकलन निर्धारित समय-सीमा में हो. नुकसान की राशि सहायता, मुआवजा यदि समय से मिल जाता है तो वह दर्द पर मरहम की तरह काम करता है और यह मध्यप्रदेश के लिए बडे़ सौभाग्य की बात है कि हमारे राजस्व मंत्री जी भी स्वयं सीहोर जिले के बहुत अच्छे किसान हैं. माननीय कृषि मंत्री जी भी एक किसान हैं इसलिए वे एक किसान का दर्द बहुत अच्छे से समझते हैं. वे लोग जब सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हैं, जिन्होंने कभी किसानों के लिए कुछ नहीं किया. आज देश के 11 करोड़ किसान और मध्यप्रदेश के लगभग 85 लाख से अधिक कृषकों को किसान सम्मान निधि प्राप्त हो रही है, तो यह हम सबके लिए गर्व का विषय है कि हम उस व्यक्ति को मदद कर रहे हैं. जो इस देश के अनाजों के भण्डारों को भरता है. आज देश भर के लगभग 80 करोड़ से अधिक लोगों को निःशुल्क अनाज दिया जा रहा है तो इसी अन्नदाता के कारण दिया जा रहा है. आज अगर मान्यवर प्रधानमंत्री जी जो मोटे अनाज के लिये जो शब्द लेकर के आये हैं. उसकी बात घर घर में हो रही है, इस कारण से हो रही है कि सरकार इसकी खेती को बढ़ावा देकर किसानों की मदद करना चाहती है. मैं जानता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सदैव किसानों की मदद की है. पुरानी सरकार के समय भी किसान के खेत पर जब नुकसान होता था. चाहे अग्निकाण्ड के कारण उसकी फसलें जल जाती थीं तो भी उसको मुआवजा दिया जाता था. आर बी.सी.6 (4) के नियमों में हमारी सरकार ने व्यापक संशोधन किया और तो और कोई खेती किसानी का काम करते हुए उसकी मृत्यु होती है. तो भी सरकार उसके परिवार को, उसके उत्तराधिकारी को 4 लाख रूपये की मदद करती है. व्यक्ति के जान की कोई कीमत नहीं होती, वह अमूल्य होती है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार दे रही है उतना किसी ने नहीं दिया. मैं मानता हूं कि ओला-पीड़ित किसानों की मदद करना सरकार की जिम्मेदारी है. यह मोहन यादव जी की सरकार भी मदद करने से पीछे नहीं हटेगी. किसानों को मदद मिले वह अपने पैरों पर खड़ा रह सके और खेती लाभ का धन्धा बने इसके लिये मान्यवर मोदी जी की सरकार तथा मध्यप्रदेश की सरकार के प्रयास आने वाले समय में किसानों की आय को दुगना करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे. धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (अनुपस्थित)
श्री रजनीश सिंह (अनुपस्थित)
श्री कमल मर्सकोले(बरघाट) सिवनी—अध्यक्ष महोदय, विगत् दिनों ओला-पाला गिरने से जो क्षति हुई है. उसकी जानकारी जैसे ही हम सबको लगी. यह सरकार, किसानों की सरकार है, संवेदनशील सरकार है. संवेदनशीलता दिखाते हुए हमारी सरकार ने तत्काल राजस्व विभाग के अधिकार, पंचायत विभाग के अधिकारी उसके साथ साथ कृषि विभाग तथा हार्टीकल्चर विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये तथा इन अधिकारियों द्वारा मौके पर जाकर मुआयना करके उसके सर्वे का काम शीघ्रता से प्रारंभ किया है. किसानों को शीघ्र ही सहायता राशि प्रदान करने की कार्यवाही भी प्रारंभ कर दी है. हम सभी लोग किसान हैं. हमारी सरकार किसानों की सरकार है. जब मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी और जब ओला-पाला किसान के खेत में गिरता था, फसल नष्ट हो जाती थी. तो मुआयजा राशि ऊंट के मुंह में जीरे के समान थी. हमारी सरकार ने आर.बी.सी. 6 (4) में संशोधन करके व्यापक स्तर पर संशोधन करके पाला को प्राकृतिक आपदा में शामिल कर जहां 2003 में फसल नष्ट होने पर 1 हजार प्रति हैक्टेयर से अधिकतम 12 हजार प्रति हैक्टेयर की राशि मिलती थी वहीं आज वर्तमान में 5 हजार प्रति हैक्टेयर से 32 हजार रूपये प्रति हैक्टेयर राशि देने का प्रावधान हमारी सरकार ने किया है. जनहानि होने पर यदि किसी की मृत्यु हो जाये तो 2003 में 50 हजार रूपये प्रति व्यक्ति मिलता था. आज हमारी सरकार 4 लाख रूपये की सहायता राशि देने का प्रावधान किया है. पशुहानि होने पर जो हमारी दुधारू जानवर है. 2003 में 2100 रूपये की राशि मिलती थी. वहीं आज 37 हजार 5 सौ की क्षतिपूर्ति राशि देने का प्रावधान हमारी सरकार ने किया है. बैल, भेंस, घोड़ा, ऊंट इसकी भी यदि मृत्यु हो जाती थी तो 2003 में 4125 रूपये देने का प्रावधान था. आज हमारी सरकार ने 32 हजार रूपये देने का प्रावधान किया है. उसके साथ ही साथ यदि मकान और घर भी क्षतिग्रस्त हो जाये और पूरी तरह से नष्ट होने पर जहां वर्ष 2003 में दस हजार रुपए मिला करता था, वहीं आज 1 लाख 20 हजार रुपए देने का प्रावधान किया है. इसके साथ ही साथ माननीय अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी की सरकार वास्तव में इससे प्रतीत होता है कि जिस प्रकार से संवेदनशीलता के साथ में जैसे ही जानकारी प्राप्त हुई तत्काल संबंधित अधिकारी जाकर के किसान के खेत का मुआयना करके, सर्वे करके सहायता उपलबध करवाने की कार्यवाही उन्होंने प्रारंभ की है. मैं इसके लिए हमारे मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री जी का हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं, आपने बोलने का अवसर दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पट्टा - (अनुपस्थित)
श्रीमती सरला रावत - (अनुपस्थित)
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डोरी) - अध्यक्ष जी आपको बहुत धन्यवाद. सरकार के न चाहते हुए भी आपने किसान हित के लिए चर्चा का अवसर दिया है. हमें आपसे यही आशा थी. उम्मीद करते हैं कि आप लगातर प्रदेश की जनता के हित में हम लोगों को अवसर प्रदान करने की कृपा करते रहे. 11 और 12 तारीख को प्रदेश के कई जिले में भिण्ड मुरैना से लेकर के मंडला डिण्डोरी, शहडोल, उमरिया अनूपपुर तमाम जगह ओला वृष्टि हुई और निश्चित रूप से ओलावृष्टि एक प्राकृतिक आपदा है और इस समय सरकार पूरी तरह से किसान हित में मदद करें, ये हम सब उम्मीद करते हैं. प्रारंभिक दिन में ही डिण्डोरी में किसानों का कुछ दर्द सामने आया. अधिकारी पहुंचते हैं और किसानों के सामने ही कहने लगे कि यहां 10 प्रतिशत नुकसान हुआ है, कहीं पर पांच प्रतिशत नुकसान हुआ है. अधिकारी के शब्द सुनते ही किसानों का दर्द बढ़ गया कि यह किस तरह की बात किए जा रहे हैं. मेरा अनुरोध है कि जो ओला से प्रभावित किसान है, उसमें आपको समझना पड़ेगा कि किस किस प्रकार के किसान है, कुछ बड़े किसान है, जो बड़े स्तर पर खेती करते हैं, एक मध्यम किसान है जो चार पांच एकड़ में खेती करते हैं और एक छोटे किसान है जो एक या दो एकड़ की खेती करते हैं. पर वहीं पर ऐसे भी किसान है, जो शासकीय जमीनों में वर्षों से खेती करते हैं और खासकर के आदिवासी, अनुसूचित जाति और जनजाति के जो छोटे किसान है, कहीं पर 20 डिसमिल में खेती कर रहे हैं, कहीं पर 50 डिसमिल में खेती कर रहे हैं, जिसका रिकार्ड सरकारी राजस्व में दर्ज है, पर वे खेती कर रहे हैं और वर्षों से कर रहे हैं, उन किसानों को, जो सर्वे में किसी प्रकार से सरकारी जमीन मान लिया जाता है और उनकी कहीं सुनवाई होती नहीं है. दूसरी तरफ कुछ ऐसे किसान है जो दूसरे के खेत को अगर वह खाली है तो उसको कुछ दिन के लिए खेती करने के लिए प्रयास करते हैं, उन किसानों का रिकार्ड में नाम नहीं है और आरबीसी 6(4) में जो प्रक्रिया है कि रिकार्ड में आपका नाम होना चाहिए, तब आपको मुआवजा राशि दी जाएगी अब वह गरीब आदमी जो कृषि किया है, जिसकी मेहनत वहां पर लगी है, उसका नाम राजस्व रिकार्ड में नहीं आ पाता.
अध्यक्ष जी, आपके सानिध्य में सरकार से अनुरोध करूंगा कि जो जहां पर कृषि किया है, उसका जो प्रकार है वह कोई भी हो सकता है, पर जो कृषि किया है, उसके आंकलन के आधार पर सर्वे करवाकर उसकी मेहनत का आकलन किया जाए ताकि किसानों को जो कृषि करने वाले हैं उनको सही राहत मिल सके. दूसरी बात डिण्डौरी जिला तमाम तरह की चुनौतियों में संघर्ष कर रहा है लेकिन डिण्डौरी जिले में कुछ ऐसे भी उपलब्धि प्राप्त किसान हैं जैसे लहरी बाई जिसका जिक्र महामहिम के अभिभाषण में भी है. मोटे अनाज की कृषि का संकलन करने में देश में उन्होंने सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है पर मोटे अनाज की खेती से जुड़े हुए जो विषय हैं. मैं आपको बताना चाहता हूं कि लहरी बाई का जो जीवन है वह वन ग्रामों में है और वन ग्रामों में कृषि करने की पद्धति अलग है और वहां पर जो अनाज पैदा होता है वह नेचुरल ग्रेन होता है और नेचुरल ग्रेन का उत्पादन कम है परंतु मानव के लिये वह बहुत आवश्यक है. इस समय हाई लेबल पर उसकी डिमांड है पर उसका उत्पादन कम है. यह अंतर हमें समझना पड़ेगा और वन ग्राम में जिनको अधिकार पत्र मिला है उनको और उसके अलावा लहरी बाई जैसे किसान जो मोटे अनाज का संकलन करते हैं उनके लिये आरबीसी की धारा 6(4) में और राजस्व के जो नियम हैं उसमें कृषि विभाग भी जुड़ा हुआ है. यह गंभीर विषय है और इसके साथ-साथ वर्तमान में जो ओला से नुकसान हुआ है वह तो हुआ ही है लेकिन बहुत से किसानों की फसल का कई प्रकार की बीमारियों से भी नुकसान हुआ है. जैसे नरसिंहपुर जिले में मसूर की खेती में लाली नाम की बीमारी आती है जिसमें वह जड़ से ही पेड़ उखड़ जाता है. हमारे यहां भी खरपतवार की जो समस्या आती है खासकर आदिवासी क्षेत्र में केमिकल का ज्यादा उपयोग नहीं करते. ऐसी स्थिति में फसल का बहुत बड़ा नुकसान हो जाता है. दूसरी बात फसल सही नहीं उग पाने के कारण जितना फसल का उत्पादन आना चाहिये वह नहीं आ पाता. एक और अनुरोध है कि बीमा की जो प्रक्रिया है. बीमा की प्रक्रिया में सर्वे किया जाता है और उस सर्वे में एक गांव में अगर फसल का नुकसान हुआ है तो उसका आकलन किया जाता है.बीमे की स्थिति देखें तो किसी आदमी को बीमारी हो तो वह क्लेम करता है अब पूरे गांव को बीमारी हो जाए तब कंपनी सबको मुआवजा देगी ऐसा कोई नियम नहीं है लेकिन कृषि विभाग में जो नियम है,मैं माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि जो बीमा का वर्गीकरण किया जाता है अगर किसी किसान के एक खेत का नुकसान हो गया तो वह मान्य नहीं किया जाता. वह कहते हैं जब पूरे गांव का जो नुकसान होगा तब वह आएगा तब मुआवजा देंगे. तो बीमा में मेरा सरकार से अनुरोध है कि जो कंपनियां है उनसे आप लोग बात करिये कि एक खेत में अगर किसी का नुकसान हो जाए तो वह बीमा में कवर होना चाहिये. जरूरी नहीं है कि पूरे गांव का नुकसान हो. ओला में भी ऐसा होता है कि कहीं ज्यादा गिर गया कहीं कम गिर गया उस नुकसान को एक साथ बीमा में आकलन करते हैं तो उसकी वजह से किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाता है. तकनीकी रूप से किसानों को जो मदद मिलनी चाहिये वहां बीमा कंपनियां नहीं देती हैं. मेरा अनुरोध है कि अगर एक किसान के खेत का भी नुकसान हो रहा है तो उसका मुआवजा भी बीमा कंपनियां दें. मैं अध्यक्ष महोदय, आपसे उम्मीद करता हूं कि अभी सरकार भेदभावपूर्ण रवैया अपना रही है. अभी जो ओला,पाला का मामला है इसमें भी कहीं ऐसा न हो कि सामने वालों को पंद्रह करोड़,इधर पांच करोड़ भी नहीं मिल रहे हैं. अभी हम सही बात भी बोलेंगे तो कहते हैं कि यह विपक्ष का विधायक है. मतलब सुनना ही नहीं. मेरा कहना है कि चाहे पक्ष के हों, चाहे विपक्ष के हों,चाहे हारे हुए भी हों,जो निर्दलीय भी लड़े थे अगर वे भी कहीं का बता रहे हैं तो उसको सुन लिया जाए.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह किसानों को बांटने का काम कर रहे हैं. किसान पक्ष,विपक्ष के नहीं होते हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - यही तो कह रहा हूं. अहिंसा परमो धर्म: का यहां ध्यान ही नहीं रहता. यहां तो हिंसा हो रही है.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन - किसान न कांग्रेसी है न भाजपाई है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- जैन साहब, उधर हिंसा करने के लिए उतारू हैं. अंहिसा परमो धर्म, हम तो मान रहे हैं. भई, हिंसा न हो, यह तो मानसिक हिंसा भी हुई ना कि 15 करोड़ रुपये उधर और 5 करोड़ रुपये इधर.
अध्यक्ष महोदय -- मरकाम जी, कृपया समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष जी, एक अनुरोध मेरा जरूर इसमें है कि जो हमारे आदिवासी कृषक हैं, छोटे कृषक हैं, अनुसूचित जाति और जनजाति के कृषक हैं, हमेशा संवैधानिक व्यवस्था में हम लोगों को प्रोत्साहित किया गया है. आपके 6(4) आरबीसी में जो बड़े किसान हैं, उनके लिए जो प्रावधान हैं, वही प्रावधान जो गरीबी रेखा में हैं, अति गरीबी रेखा में हैं, उन किसानों के लिए भी लागू किए जाएं.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया कन्क्लूड करें. समय का ध्यान रखें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय मुख्यमंत्री जी, आप अनुसूचित जाति और जनजाति के किसानों के लिए थोड़ी बढ़ोतरी करेंगे तो बहुत अच्छा हो जाएगा. माननीय अध्यक्ष जी, आपकी कृपा इसी तरह से बनी रहे. एक बात और, माननीय मुख्यमंत्री जी, आपसे एक अनुरोध है कि नर्मदा जयंती 16 तारीख को है. माननीय मंत्री जी, अभी जबलपुर के लिए बड़ी कृपा किए, आप दोनों सदन में उपस्थित हैं, मेरी प्रार्थना है कि आप अमरकंटक से शुरू करें और जहां तक आपकी सीमा है, आप ऐसा संदेश दें कि गुजरात वालों को भी सीख मिल जाए कि मध्यप्रदेश में धर्मप्रेमी हैं, धर्मभक्त हैं, नर्मदा भक्त हैं, हमें गर्व होगा और आपके इस तरह के कार्य से देश में संदेश जाना चाहिए. मेरा अनुरोध है, नर्मदा जयंती पर आपको पता ही है कि मेरे डिण्डोरी जिले में वैसे ही 96 प्रतिशत बीपीएल लोग हैं, नर्मदा जयंती मनाने के लिए हमारे साथी विधायक धुर्वे जीक्ष् हैं, उन्हीं के नेतृत्व में कुछ धनराशि दे दें तो हम लोग अच्छे से नर्मदा जयंती मना लेंगे. यह हमारा आपसे अनुरोध है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, आज माननीय मुख्यमंत्री जी ने बहुत बड़ा निर्णय लिया. नर्मदा जी के आसपास की जितनी भी अर्बन बाडीज़ हैं, उसके आसपास का एक बूंद भी गंदा पानी नर्मदा जी में नहीं मिले, बहुत बड़ा निर्णय है ये और मैं समझता हूँ कि इसको तो माननीय मरकाम जी को एप्रेशिएट करना चाहिए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- धन्यवाद अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से 18 साल बाद नर्मदा जी की याद आई, इसके लिए धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी को हृदय से धन्यवाद देता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आप, पहला हमारा डिण्डोरी जिला है, आप डिण्डोरी से कृपा करें और हम आपका दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सम्मान करेंगे. यह हम आपको आश्वस्त करते हैं, पर समय पर आप पूरा काम कर लेंगे, ऐसा हमें विश्वास है.
श्री पन्ना लाल शाक्य (गुना) -- माननीय अध्यक्ष जी ने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं निवेदन कर रहा हूँ, दो लाइनें हैं, राजा प्रसन्नम्, भूगज दानम्, बनिया प्रसन्नम्, दमड़ी च दानम् और ब्राह्मण प्रसन्नम्, केवल आशीर्वादम्, तो वर्तमान में जो हमारी सरकार है, वह राजा की भूमिका में है और वह गजभूमि दान करती है, उसी क्रम में हमको लेना चाहिए. वर्ष 2013 से 2018 के समय में मैं इस सदन का सदस्य था तो ओला पीड़ितों को जितने पैसे मिले थे, सरकार ने जो मुआवजा दिया था, वह गुना से अगर दिल्ली तक नोटों की गड्डी रखते जाएं और दिल्ली से अगर गुना तक आ जाएं, तब भी जगह कम पड़ रही थी. इतने नोट दिए थे. ऐसी सरकार जो कृषक हितैषी है, उसके विषय में मैं हृदय से समर्थन और स्वागत करता हूँ. वर्तमान विषय में माननीय कृषि मंत्री जी से मेरा इतना निवेदन है कि कृषि के जो सहायक धन्धे हैं, जैसे पशुपालन है, फूल-पत्तियों और सब्जियों का उत्पादन है, अगर इन कामों को भी प्रेरित किया जाए तो संभवत: बहुत कुछ किसानों को निजात मिलेगी. अगला विषय मैं बोलकर समाप्त करूंगा कि उत्तम खेती, मध्यम बान, अधम चाकरी, भीख निदान. मध्यप्रदेश भी कृषि प्रधान क्षेत्र में ही आता है और उसको हम उत्तम खेती के रूप में बढ़ावा दें. ऐसा मेरा आपसे निवेदन है. माननीय अध्यक्ष जी, बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री मधु भगत (परसवाड़ा) -- माननीय अध्यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद, आपने बोलने का अवसर दिया. माननीय अध्यक्ष जी, 11 तारीख को बालाघाट जिले में सभी विधान सभाओं में ओलावृष्टि बहुत जोरदार हुई, जिसमें किसानों की फसलें और जो सड़कों का माहौल था, और जो गरीब की छत थी, उसमें तकरीबन-तकरीबन घर का भी नुकसान हुआ है गरीबों का परसवाड़ा विधान सभा के विशेष क्षेत्र डोंगरिया, चांगुटोला, नगरवाड़ा यहां ओलावृष्टि से खड़ी फसल मूंग, चना एवं गेहूँ की सब फसलें नष्ट हो चुकी हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री महोदय से यह कहना चाहूँगा कि किसान वैसे ही कर्ज लेकर फसल की बोनी करता है और वह एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र परसवाड़ा विधान सभा है, जिसमें किसान की आय उतनी नहीं बढ़ी है. वह कोशिश तो बहुत करता है, वह पहले तो पानी की व्यवस्था बनाता है, जब उसे पानी मिलता है तो वह दूसरी फसल लेता है और अचानक ओलावृष्टि हो जाये तो किसान के कर्ज के साथ-साथ उसकी फसल भी नष्ट हो जाती है. आरबीसी 6 (4) में तकरीबन-तकरीबन 90 प्रतिशत किसानों का वहां नुकसान हुआ है, तो बालाघाट जिले में जहां भी ओलावृष्टि हुई है, मैं अपनी पर्टिक्युलर परसवाड़ा के अलावा, पांच विधान सभा का नाम और जोड़ रहा हूँ, उसको सरकारी राजस्व अमले से या जो पटवारी, आरआई और तहसीलदार ने अगर वहां पर इनका सर्वे किया है, तो वाजिब मुआवजा उन किसानों को एवं उन गरीब परिवारों को मिले, यही हमारी मंशा है. किसान हमारा पालनहार है और बालाघाट जिले में किसानों की संख्या सबसे ज्यादा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को यह कहना चाहॅूंगा कि बालाघाट में किसी प्रकार का भेदभाव किसान के साथ न हो, चूंकि दो विचारों के लोग एक ग्राम पंचायत में होते हैं, तो वहां पर सत्ता पक्ष से संबंधित दल किसानों के नाम पटवारी/आरआई से कटवा देता है. अगर हम इस चीज पर केन्द्रित करेंगे तो निश्चित तौर से सबको बराबर की राशि मिलेगी, कोई भेदभाव न हो. आपने मुझे ओलावृष्टि में बोलने का मौका दिया, इन्हीं बातों के साथ, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के किसानों के संबंध में चर्चा चल रही है. प्रदेश के 70 प्रतिशत किसान खेती पर निर्भर हैं. विगत दिनों मध्यप्रदेश के कई क्षेत्रों में भारी ओलावृष्टि हुई है, फसलों को जबर्दस्त नुकसान हुआ है. अध्यक्ष महोदय आपकी भी जानकारी में होगा, ग्वालियर एवं चम्बल में भी जबर्दस्त बारिश और ओलावृष्टि हुई थी, लगभग 1100 हेक्टेयर की खड़ी फसलें नष्ट हो गईं. सबलगढ़ तहसील, जौरा तहसील, सबलगढ़ के जलालगढ़, रसालपुर, सिमरौदा किरार, झारेला सिमरौदा, रामपुर कलान, अरूनगान जागिर एवं कई गांवों में 1195 हेक्टेयर की खड़ी फसल लगभग नष्ट हो गई. इसी तरह से मण्डला, उमरिया लेकर शहडोल में भी ओले पड़े थे, वहां भी काफी फसलें नष्ट हुई हैं, डिंडोरी और उसकी तहसील में भी व्यापक मात्रा में ओले पड़े थे. जबलपुर, पाटन, पनागर, बरेला एवं बरगी आदि कई क्षेत्रों में जबर्दस्त ओले पड़े थे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान साल भर के लिए फसल पर निर्भर करता है. किसान के घर में कोई अन्य आय नहीं होती है, किसान केवल एक ही आय पर निर्भर रहता है और वह भी साल भर मेहनत करता है, खेत में जुताई करता है, पानी देता है, खाद खरीदने और खेत में डालने के बाद जब फसल पककर तैयार हो जाती है, अगर कहीं प्राकृतिक प्रकोप ने उसे घेर लिया, तो किसान की सारी आशाओं पर पानी फिर जाता है, किसान कर्ज में डूब जाता है. किसान की यह स्थिति है कि किसान कर्ज में ही पैदा होता है, कर्ज में ही बड़ा होता है, कर्ज में ही अपना परिवार चलाता है और कर्ज में ही अंतिम विदाई लेता है. जबलपुर जिले में भी काफी ओला/पाला गिरा है, नर्मदापुरम में भी ओले गिरे हैं, ऐसे प्रदेश के कई जिलों में ओले गिरे हैं और रबी की मुख्य फसल गेहूँ, चना तथा मटर है, ये सारी फसलें लगभग नष्ट हो गई हैं. फसलों के नष्ट होने से किसान बहुत परेशान हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तरफ तो हम बिजली के दाम बढ़ाते जा रहे हैं, हमारे खाद के दाम बढ़ते जा रहे हैं, बीज के दाम बढ़ाते जा रहे हैं, इससे किसान की लागत बढ़ती जा रही है और किसान की फसल जब नष्ट हो जाती है तो कई किसान आत्महत्या करते हैं. आत्महत्या करने वाले किसानों की भी संख्या कम नहीं है, कर्ज के कारण ही ऐसी स्थितियां बनती हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम बातें कितनी भी करें. मैं मानता हूँ कि भू राजस्व संहिता के तहत हम उनको फसल के नुकसान की राहत राशि देते हैं, तो एक तरफ तो आज किसान दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं. वह आंदोलन एमएसपी के लिए कर रहे हैं कि हमें Minimum Support Prices मिले. अभी एक सदस्य जो आपके दल से दूसरी बार खड़े हुए हैं. भईया, ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की चर्चा की और कहा कि उसे लागू कर दिया, कहां लागू कर दिया ?
श्री आशीष गोविंद शर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने यह कहा था कि जिस कांग्रेस की सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें मंगवाईं थीं, 10 वर्ष में एक भी सिफारिश को मनमोहन सिंह जी की सरकार ने लागू नहीं किया लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी, की सरकार ने हर वर्ष डेढ़ गुना लागत के अनुरूप MSP बढ़ाने का प्रयास किया है.
श्री राम निवास रावत- डेढ़ गुना लागत के अनुरूप नहीं है. यदि है तो फिर ये आंदोलन क्यों हो रहा है. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट है कि MSP किस तरह से निर्धारित की जाये.
अध्यक्ष महोदय- रावत जी, आपकी जानकारी के लिए मैं, बता दूं स्वामीनाथन आयोग वाजपेयी जी की सरकार ने बनाया था. वर्ष 2007 में उसकी रिपोर्ट समिट हुई थी. आयोग ने 201 सिफारिशें की थीं. MSP की जो बात है, इसमें उनके दो सुझाव थे, वर्ष 2007 से 2014 तक MSP पर कोई विचार नहीं हुआ था. लेकिन आज की परिस्थिति में वर्तमान सरकार ने लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर MSP को घोषित करना प्रारंभ किया है और स्वामीनाथन आयोग की 201 सिफारिशों में से, आज 200 सिफारिशों पर कार्यवाही चल रही है. (मेजों की थपथपाहट)
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, साथ ही इसी सरकार ने स्वामीनाथन जी को भारत-रत्न भी दिया है.
श्री राम निवास रावत- वर्ष 2018-19 में केंद्रीय बजट भाषण में सरकार ने उत्पादन लागत को निर्दिष्ट नहीं किया था. जिस पर डेढ़ गुना के फॉर्मूले की गणना की जाती थी. मूल्य निर्धारण के लिए फॉर्मूला A2+FL साथ ही A2 और C2, CACP (Commission for Agricultural Costs and Prices) जो किसानों का फसल मूल्य लागत आयोग है, जो अलग से कृषि विभाग के अंतर्गत आता है, स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है, CACP खरीफ फसलों के लिए मूल्य नीति विपणन सत्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि A2+FL लागत पर आधारित है. MSP किसान की, फसल की लागत का डेढ़ गुना की सिफारिश की गई थी, आपने 50 प्रतिशत किया है, अच्छी बात है. लेकिन डेढ़ गुना की सिफारिश थी, कहां डेढ़ गुना, कहां 50 प्रतिशत ?
अध्यक्ष महोदय- 50 प्रतिशत जब लागत में जोड़ो तो वह डेढ़ गुना ही हो जाता है.
श्री राम निवास रावत- अध्यक्ष महोदय, डेढ़ गुना कैसे होगा ? लागत का 50 प्रतिशत नहीं लागत का डेढ़ गुना. यदि हमने 10 रुपये लगाये हैं तो उसे 25 रुपये मिलने चाहिए.
डॉ. सीतासरन शर्मा- 10 के 25 तो ढाई गुना हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय- लागत के मूल्य पर 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर MSP घोषित की जाती है.
श्री राम निवास रावत- अध्यक्ष महोदय, लागत के मूल्य का 50 प्रतिशत आपने जोड़ा है. यह मुनाफा थोड़े ही होता है. क्या लागत के बाद किसान केवल मुनाफा ही मानेगा. केवल लागत ही लागत में किसान पूरे जीवन कार्य करेगा, उसे कोई खर्च नहीं करना होगा.
अध्यक्ष महोदय- रावत जी, लागत की गणना तो हर बार ही होती है.
श्री शैलेन्द्र जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनका अंकगणित बहुत ही कमजोर है.
श्री राम निवास रावत- मेरा गणित भी ठीक है और मेरी याद्दाश्त भी बिल्कुल ठीक है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटैल)- रावत जी, का गणित बहुत अच्छा है लेकिन जब उसमें नीयत ठीक नहीं होती है तो गड़बड़ हो जाती है. मैंने पिछली बार भी कहा था कि पटवा जी एक कहानी सुनाते थे- हिसाब-किताब ज्यों का त्यों, फिर भी कुनबा डूबा क्यों ? मुझे लगता है कि हिसाब करते समय ईमानदार रहना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय- रावत जी, वरिष्ठ सदस्य हैं, उन्हें अपनी बात पूरी करने दें.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह- अध्यक्ष महोदय, फर्क सिर्फ चश्मे का है. ये लोग दूसरे चश्मे से देखते हैं और हम लोग इधर दूसरे चश्मे से देखते हैं.
अध्यक्ष महोदय- हां, चश्मे का अंतर तो हो ही जाता है.
श्री राम निवास रावत- अध्यक्ष महोदय, वित्तीय वर्ष 2018-19 में केंद्रीय बजट में सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को, किसानों की उत्पादन लागत का डेढ़ गुना करने की, घोषणा की थी, यह रिपोर्ट का ही अंश है. आपने डेढ़ गुना तो नहीं किया, अभी केवल 50 प्रतिशत ही किया है. आप ये प्रतिशत और बढ़वा दें तो ये किसानों का आंदोलन बंद हो जायेगा. एक तरफ हम किसानों के कल्याण की बात करते हैं, दूसरी तरफ केंद्र में बैठी हुई सरकार, जिस मोदी की गारण्टी, मोदी की गारण्टी, मोदी की गारण्टी ..
अध्यक्ष महोदय-- रामनिवास जी, प्राकृतिक प्रकोप से नष्ट हुई फसलों पर विचार हो रहा है.
श्री रामनिवास रावत-- वही मोदी की गारंटी. सरकार बार्डर पर, किसानों पर गोली चलवा रही है, कीलें बिछवा रही है.
अध्यक्ष महोदय--रावत जी, कृपया आप विषय पर रहे तो मंत्री जी जवाब देंगे.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, मैं विषय पर ही आना चाहता हूं. चाहे हम कांग्रेस पक्ष से हों, चाहे सत्ता पक्ष से हों हमें निश्चित रूप से चिंतन करना चाहिए कि देश में किसानों के आर्थिक हालात क्या हैं? हमारे प्रदेश में आर्थिक हालात क्या हैं? बिजली की स्थिति क्या है? हम बिजली के बिल बढ़ाते जा रहे हैं. किसान का खर्चा कैसे चल रहा है, किसान किस तरह से अपना जीवन जीता है. आज की स्थिति में प्रदेश के किसी भी गांव में चले जाओ अगर कोई नया मकान बन रहा होगा, नया निर्माण हो रहा होगा तो या तो वह सरपंच का होगा, सचिव का होगा या जिसके घर में चार लड़के होंगे जो मजदूरी करने गए होंगे उनका होगा, जिसकी आजीविका केवल खेती पर निर्भर करती है ऐसे किसान का घर कहीं नहीं बन रहा होगा. आज किसान की यह स्थिति है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो राहत राशि देते हैं उसके बारे में कहा कि हमने इतनी राहत राशि प्रदान की है. मैं आपको बताना चाहूंगा कि अभी हाल ही में इन्होंने दिनांक 31.3.2023 में संशोधन किया था और संशोधन के अनुसार राशि बढ़ाई थी. पहले प्रति हेक्टेयर कहीं 500 रुपए, कहीं 1000 रुपए इस तरह से राशि बढ़ाने की बात कही गई है. अगर हम गेंहू की उत्पादन लागत निकालें तो एक हेक्टयर में कम से कम 70 से 80 क्विंटल गेंहू उत्पादित होना चाहिए. एक बीघा में मिनिमम 16 क्विंटल गेंहू होता है. 80 क्विंटल गेंहू की कीमत 1 लाख 68 हजार रुपए होती है. हम कितने दे रहे हैं? जब फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाती है तो मात्र 30 हजार रुपए, 32 हजार रुपए. माननीय मुख्यमंत्री जी राहत राशि के निर्धारण का भी कोई मापदण्ड निर्धारित करें
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद हुआ है. नहीं तो पांच रुपए और ग्यारह रुपए के चैक मैंने देखे हैं जो कांग्रेस की सरकार किसानों को देती थी.
श्री रामनिवास रावत-- वह तो आप अभी भी दे रहे हो. आप वर्ष 2003 की बात कर रहे हो. वर्ष 2003 में रुपए की कीमत क्या थी? वर्ष 2003 में खाद के कट्टे की कीमत क्या थी? जो डीएपी का, खाद का कट्टा आज 1600 रुपए का आ रहा है वह खाद का कट्टा वर्ष 2003 में 180 रुपए का आता था और 50 किलो का आता था वह कट्टा अब 45 किलो का आ रहा है आप इसे क्यों नहीं देखते हैं? आप दे रहे हो तो अपने घर का पैसा नहीं दे रहे है. जो सरकार में होगा वही राहत राशि देगा. वह राशि किसी के परिवार के पुरखों की नहीं है, वह राशि प्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई के टैक्स की है. मेरा निवेदन था कि जिन किसानों की फसलें नष्ट हुई हैं जहां-जहां नष्ट हुई हैं उनको तुरंत राहत राशि दी जाए. उनके बैंकों की वसूली एक साल के लिए बिना ब्याज के स्थगित की जाए और अगले वर्ष बैंकों से ऋण पुन: खाद बीज के लिए प्राप्त हो, उनके बिजली के बिलों की वसूली स्थगित की जाए और इसी के साथ उनको राहत राशि तुरंत प्रदाय करके उनके बिजली के कनेक्शन नहीं काटे जाएं. वह कम से कम पैसे देने की स्थिति में नहीं रहेंगे. उनके घर में यदि कोई बच्ची शादी के लिए है तो उसके लिए भी सरकार सहायता राशि दे ऐसी मेरी मांग है. राहत राशि के लिए मैं जरूर आपसे निवेदन करूंगा, चूंकि आप देश के कृषि मंत्री भी रहे हैं, आपने पूरा अध्ययन भी किया है और किसानों के बारे में जानते भी हैं कि राहत राशि निर्धारण करने के लिए कम से कम 40 प्रतिशत राशि जितनी फसल उत्पादित होती है उसके मूल्य की 40 प्रतिशत राशि अगर हम राहत के रूप में प्रदान करेंगे तो निश्चित रूप से थोड़ा बहुत सहयोग हो पाएगा, किसान खड़ा हो पाएगा. अभी एक सदस्य कह रहे थे कि हमने इतने नोट बांटे कि यहां से लेकर दिल्ली तक नोटों पर ही पैदल चले जाते. मुझे तो आश्चर्य होता है अगर ऐसे किसानों के घरों में पैदा होते तो किसान न जाने कहां से कहां होता. आज किसान काफी परेशान है, दुखी है. किसान यदि दुखी नहीं होता तो पूरे देश से एमएसपी की मांग के लिए दिल्ली की बॉर्डर पर नहीं पहुंचता. मेरा निवेदन है कि एमएसपी का निर्धारण करना तो उनका विषय है उसके बारे में तो नहीं कहूंगा, लेकिन राहत राशि का निर्धारण करना, विधान सभा का, सरकार का, आपका हमारा विषय है. कैलाश जी आपके यहां तो फसल होती नहीं है आपने तो किसानों को जमीन विहीन और कर दिया है. विजयवर्गीय जी आपके यहां खेती नहीं होती है लेकिन जमीन सबसे ज्यादा है.
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास जी भाषण पूरा करें.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके लिए खुले दिल से निर्देश दे दें कि कम से कम जो फसल उत्पादित होती है उसके मूल्य की 40 प्रतिशत राहत राशि देने का कष्ट करेंगे ऐसी मैं अपेक्षा करता हूँ. लेकिन जिस तरह से हंस रहे हैं, मुझे तो आश्चर्य हो रहा है कि किसानों की पीड़ा और किसानों के दुख पर कम से कम हंसना तो नहीं चाहिए बल्कि खड़े होकर कहना चाहिए कि हम खुले मन से विचार करेंगे और राहत राशि बढ़ाने की घोषणा करेंगे. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर डोडियार (सैलाना) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहाड़ी गांवों के इलाके से आता हूँ. अभी यहां पर ओला-पाला की बात चल रही है. यह जो किसानों को समस्याएं आती हैं यह अनइंटेशन हैं, किसी इरादे के साथ में तो ओला-पाला आता नहीं है. एक जानवर होता है जिसे बोलचाल की भाषा में घोड़ारोज बोलते हैं उसे नीलगाय भी कहते हैं. यह जानवर भी बिना किसी इरादे के खेतों में आता है. इससे पूरी फसलें चौपट हो जाती हैं. यह नीलगाय झुण्ड में होती हैं. एक साल में यह जानवर दो बार बच्चे पैदा करता है. मेरा निवेदन है कि वन विभाग और कृषि विभाग इसके लिए कुछ नीति या नियम बनाए. या तो किसान को इसे मारने की अनुमति दे दी जाए. मेरा मत है कि मारने की अनुमति नहीं दी जाना चाहिए, इससे जंगल के विकास पर प्रभाव पड़ेगा. या तो सरकार इन सारे पशुओं को इकट्ठा करके एक अभ्यारण्य बनाए वहां छोड़ दे या इनकी नसबंदी की जाए ताकि यह बार-बार बच्चे पैदा न करें. यह रात को बहुत तेज गति के साथ सड़क पर दौड़ते हैं. मैं तो मोटर साइकिल से आया हूँ. मैं खुद कई बार इस जानवर की वजह से मरने से बचा हूँ. इस जानवर की वजह से आम जनता या किसानों को हमेशा दुर्घटना का डर बना रहता है. रतलाम जिले में इस वजह से कई लोग मारे भी गए हैं. आप पुलिस से रिपोर्ट तलब करेंगे तो जानकारी मिलेगी. मेरा निवेदन है कि ओला-पाला की चर्चा के साथ में इस पर भी विचार करें. घोड़ा रोज भी बिना किसी इरादे के खेत में आता है और किसानों का नुकसान करता है यह भी प्राकृतिक ही है इस पर भी विचार करें. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे भी ओला-पाला पर बोलना है.
अध्यक्ष महोदय -- देखिए रजनीश जी, मैंने आपका नाम पुकारा था, मुझे जितने नाम दिए गए हैं ऐसा कोई नाम नहीं है जो मैंने न बोला हो.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे भी ओला-पाला पर बोलना है.
अध्यक्ष महोदय -- रजनीश जी, आपका ओला-पाला पर ही नाम था. मैंने दो बार नाम लिया था. अब दोबारा विषय ऑन हो जाएगा.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में ओलावृष्टि हुई है, झति हुई है. दो मिनट का समय दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- रजनीश जी, अगली बार दे देना.
अध्यक्ष महोदय -- अन्य सदस्य भी बैठे हैं.
राजस्व मंत्री (श्री करण सिंह वर्मा) -- अध्यक्ष महोदय, ओला से जो नुकसान हुआ है उस पर चर्चा में श्री सुरेश राजे जी, श्री भंवर सिंह शेखावत जी, श्री ओमकार मरकाम जी, श्री मर्सकोले जी, श्री आशीष गोविंद शर्मा जी, श्री बृजेन्द्र सिंह जी, श्री साहब सिंह गुर्जर, श्री मधु भाऊ, श्री रामनिवास रावत जी, श्री कमलेश्वर जी.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे भी बोलना था, मैं भी अनुरोध कर चुका हूँ. मैं आपको दे चुका हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- मुझे बताया नहीं किसी ने.
श्री उमंग सिंघार -- यह आपके कार्यालय की जवाबदारी है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं है आपका नाम. मैं समझता हूँ मंत्री जी का जवाब शुरु हो गया है. आगे बढ़ गया है इसमें आप सहयोग करें.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कई विधायक, ज्यादातर विधायक बोले नहीं हैं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष की तो बात सुन लीजिए, हमारे विपक्ष के नेता हैं.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष के बाद ही तो मंत्री जी बोलेंगे. नेता प्रतिपक्ष भी जब तक सदन की ओर से नहीं बोलेंगे...
अध्यक्ष महोदय -- सबसे अंतिम नाम कांग्रेस पक्ष की ओर से रामनिवास जी का था और बहुत अंत में कमलेश्वर जी का आया तो मैंने उसको भी एडजस्ट किया, मधु भाऊ जी का बाद में आया तो मैंने उसको भी एडजस्ट किया.
श्री उमंग सिंघार -- आपकी जानकारी के लिए बता दूं मैं दे चुका था. अब आपको नहीं बताया गया तो मेरे जवाबदारी नहीं है.
(..व्यवधान..)
श्री विश्वास सारंग -- 139 की चर्चा में ऐसा नहीं होता रजनीश जी. जिसके नाम आपके दल ने लिखकर दिये हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- ऐसी कोई परम्परा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास जी, मेरा नेता प्रतिपक्ष जी से अनुरोध है कि वह कभी भी मुझे सूचना दे देते, उनको तो बोलने का विशेषाधिकार है, वह कभी भी बोल सकते हैं. अब चूंकि इसमें सहयोग करना चाहिये, कार्यवाही आगे बढ रही है, मंत्री जी ने जवाब शुरू कर दिया है.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, आप चाहें तो अनुमति दे सकते हैं आपके पास सर्वाधिकार है.
अध्यक्ष महोदय -- अब नहीं, वह अपनी जगह ठीक है, लेकिन गलत प्रिंसिपल हाऊस में नहीं बनना चाहिये.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, लग नहीं रहा है कि आप मंत्री जी को जवाब देने के लिये कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, अब वह थोडा सा इशारा भी कर देते तो मैं दे देता, नेता प्रतिपक्ष जी को बोलने का सवाल ही नहीं है.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके कार्यालय को जानकारी दे दी थी और उनसे बात भी हुई थी, उन्होंने कहा था बिल्कुल बोल लेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- आपसे अनुरोध भी किया था नेता प्रतिपक्ष जी ने. थोडे समय ही बोलना है नेता प्रतिपक्ष को. थोडा सा समय दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, मुझे लगता है कि एक गलत परम्परा खडी हो जाएगी.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी की बात तो रिकॉर्ड पर आनी चाहिये. मैं हाथ जोडकर प्रार्थना कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- मैं आपकी बात का पूरा आदर करता हूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- यदि मंत्री जी अपना उत्तर स्टार्ट नहीं करते, तो निश्चित रूप से बोल सकते थे. अब गाडी आगे बढ चुकी है.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय मंत्री जी, हम लोग चेन भी तो खींच रहे हैं. चेन पुलिंग भी तो हो रही है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- चेन पुलिंग दंडनीय अपराध है.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, कई सदस्य बोल नहीं पाये हैं. आपसे अनुरोध है, आपके पास सर्वाधिकार है.
अध्यक्ष महोदय -- आप जानते हैं. ..(व्यवधान).. मैंने नारायण पट्टा जी का नाम लिया, रामनिवास रावत जी का नाम लिया कई लोगों का नाम लिया, लोग नहीं थे तो मैं क्या करूं बताओ ? कृपया आप समझदार हैं. परम्पराओं का ख्याल हमको, आपको दोनों लोगों को मिलकर रखना है.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, आप कृषि मंत्री रहे हैं, महत्वपूर्ण मुद्दा है. उस पर प्रदेश के किसानों की बात अगर कांग्रेस विधायक दल करे..
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मेरे 32 साल का अनुभव है कि गाडी आगे जाती है कभी पीछे नहीं जाती है.
श्री आरिफ अकील -- खींची नहीं जाती, परंतु रोकी जा सकती है. अभी प्लेटफार्म से निकली नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं आपका आदर करता हूं .
श्री रामनिवास रावत -- आसंदी से इतना अनुरोध कर रहे हैं.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं मेरा आपसे आग्रह है कृपया बैठ जाएं और सदन की कार्यवाही चलाने में सहयोग करें. आपने बहुत सहयोग किया है. आगे भी करें. अब यह कार्यवाही आगे बढ गई है. मेरे पास विकल्प नहीं है, नहीं तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आपके नेतृत्व में बडा सौहृार्दपूर्ण तरीके से पूरा सत्र निपटा है.
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास जी, आप भी अच्छे से समझते हैं.
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव जी ने मध्यप्रदेश के किसानों का भला करने में कोई कोर कसर नहीं छोडी है.
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट मंत्री जी, नेता प्रतिपक्ष जी को बैठ जाने दीजिये. कृपया बैठ जाइये. मेरा व्यक्तिगत अनुरोध है कृपया बैठ जाइये.
डॉ. मोहन यादव -- नेता प्रतिपक्ष जी, अब माननीय अध्यक्ष जी ने कह दिया है तो इसको मानें.
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, इसीलिये मैं आपकी बात का सम्मान करता हूं, व्यक्तिगत सम्मान रख रहा हूं इसलिये बैठ जाता हूं, लेकिन मेरी पार्टी के नाते मुझे बोलना चाहिये, अपने पक्ष को उठाना चाहिये लेकिन मैं आपकी बात का सम्मान रख रहा हूं. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- नेता प्रतिपक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साहब और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव साहब..
श्री रामनिवास रावत -- वही तो गोली चलवा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास जी, क्या बीपी कुछ डगमगा गया है.
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, पहली बार रोटी-कपडे का इंतजाम किया. रोटी के लिये फ्री में गेहूँ दे रहे हैं. कपडे के लिये 6 हजार प्रधानमंत्री जी और 6 हजार माननीय मुख्यमंत्री जी दे रहे हैं, लोगों के लिये मकान बनाये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- (श्री उमाकांत शर्मा, सदस्य के खडे होने पर) उमाकांत जी, कृपया बैठिये. गंभीर विषय पर चर्चा हो रही है.
श्री करण सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, वह एक-एक बात का ख्याल रखते हैं. विगत मार्च-अप्रैल, 2023 में हुई ओला वृष्टि में शामिल करते हुये वित्तीय वर्ष 2023-24 में ओला पीडितों को राहत के रुपये 148 करोड का वितरण किया गया है. विगत वर्षों में ओला वृष्टि में राहत राशि वितरण में भिण्ड जिले में भुगतान में कुछ अनियमितता की स्थिति पाई गई, कहीं गडबड हुई तो हमारे द्वारा 5 पटवारियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई. इसके अतिरिक्त 19 पटवारियों की विभागीय जांच की गई. मुरैना जिले में भुगतान संबंधी अनियमितता का कोई मामला प्रकाश में नहीं आया. वित्तीय वर्ष 2023-24 में वित्तीय वर्ष 2023-24 में पाला से फसल क्षति में जिला ग्वालियर, रतलाम, रीवा, मैहर, शहडोल, सीधी में राशि रुपये 15 लाख 16 हजार वितरित की गई है. इसके अतिरिक्त जिला राजगढ़ में रुपये 45 लाख वितरण की स्वीकृति प्रदान की गई है. प्रदेश में माह जनवरी,2024 में भी मुरैना जिले की सबलगढ़ तहसील के 12 ग्रामों में ओलावृष्टि से फसल क्षति हुई थी. जिला प्रशासन द्वारा तत्समय आवश्यक कार्यवाही करते हुए अंतर्विभागीय सर्वे दल का गठन कर, जिसमें राजस्व, कृषि, उद्यानिकी एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी/ कर्मचारियों द्वारा सर्वे कार्य कराया गया. कुल 892 हेक्टेयर रकबा प्रभावित हुआ था. कुल 3900 पात्र किसानों को 2 करोड़ 72 लाख राहत राशि का वितरण स्वीकृत किया गया. अभी तक 1205 किसानों को राहत राशि रुपये 1 करोड़ 3 लाख 11 हजार वितरित की जा चुकी है. शेष 2695 किसानों को राहत राशि रुपये 1 करोड़ 69 लाख का वितरण किया जाना प्रक्रियाधीन है. शेष किसानों के बैंक खाते आधार लिंक नहीं होने, भूमि शामिल खाते में होने से सहखातेदारों के मध्य सहमति न होने से राहत राशि वितरण से शेष है. राहत राशि वितरण हेतु जिला प्रशासन द्वारा अभियान चलाकर शीघ्र शेष राशित वितरित की जावेगी.
श्री दिनेश जैन बोस-- मंत्री जी, मैं पूछना चाहता हूं कि इस बीमा राशि में और मुआवजा राशि में पात्र और अपात्र का पैमाना क्या रहता है.
श्री करण सिंह वर्मा-- मैं आपको बाद में बता दूंगा, मैं किसान हूं. अध्यक्ष महोदय, हाल ही में 11 फरवरी,2024 से पूर्वी मध्यप्रदेश के जिलों में असामयिक वर्षा, ओलावृष्टि हुई है. जिला बालाघाट, कटनी, नरसिंहपुर, सिवनी, डिण्डौरी, मण्डला, सतना, सिगरौली, पन्ना, अनूपपुर एवं छतरपुर में ओलावृष्टि उपरांत जिला प्रशासन द्वारा अंतर्विभागीय दल गठन कर सर्वे कार्य कराया जा रहा है. राजस्व विभाग द्वारा भी दिनांक 12 फरवरी,2024 को जिलों को पत्र जारी कर तत्काल सर्वेक्षण हेतु माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार हमारे पी.एस. ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिया है, मैंने भी निर्देश दिया है. प्रारंभिक आंकलन के अनुसार 34 तहसीलों में 343 ग्रामों में फसल प्रभावित हुई है. लगभग 3701 किसानों की फसल प्रभावित हुई है. जिलों द्वारा विस्तृत सर्वे कराया जा रहा है. सर्वे उपरांत राजस्व पुस्तक परिपत्र 6(4) में दिये मापदण्ड अनुसार पात्र किसानों को राहत राशि का वितरण किया जायेगा. राजस्व पुस्तक परिपत्र 6(4) अंतर्गत प्राकृतिक आपदा होने पर पात्र किसानों को राहत राशि भुगतान की कार्यवाही तत्काल की जाती है. समय समय पर राहत राशि में यथोचित वृद्धि कर प्रभावित किसानों को संबल प्रदान किया जाता है. हाल ही मैं विभगीय आदेश दिनांक 31.3.2023 द्वारा 50 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति होने पर राहत राशि 30 हजार प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 32 हजार प्रति हेक्टेयर की गई है. यह हमारी पहली सरकार है, जो 25 परसेंट से 33 परसेंट तक अगर नुकसान हुआ, तो साढ़े 9 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर देंगे. अगर 33 से 50 परसेंट तक नुकसान हुआ, तो 16 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर देंगे. अगर मान लो 50 प्रतिशत से अधिक हुआ, तो 32 हजार प्रति हेक्टेयर देंगे. हिन्दुस्तान में किसी भी प्रदेश में इतनी राशि नहीं दी जाती है. जिन मदों में 30 हजार प्रति हेक्टेयर से कम राशि प्रावधानित थी, उन मदों में भी अनुपातिक रुप से वृद्धि की गई है. विभागीय आदेश दिनांक 28.6.2023 द्वारा केला फसल उत्पादकों/कृषकों में आर्थिक सुरक्षा का भाव उत्पन्न करने हेतु केला फसल हेतु मानदंडों में संशोधन कर राहत राशि में दोगुनी वृद्धि की गई है. विगत् 3 वर्षों में विभिन्न योजना शीर्षों में राशि रुपये 1820 करोड़ का वितरण शासन द्वारा किसानों को किया गया है. अत: यह कहना सही नहीं है कि पीडि़त किसानों के समक्ष भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है एवं उनमें से राज्य सरकार की किसान विरोधी नीति को लेकर तीव्र रोष एवं आक्रोश व्याप्त है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार):- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा एक सुझाव है. आप बोल रहे हैं. (माननीय मंत्री जी के खड़े होने पर)
अध्यक्ष महोदय:- नेता प्रतिपक्ष की बात आ जाने दीजिये.
श्री उमंग सिंघार- मंत्री जी, यदि आप अपनी बात सरकार की तरफ से कहना चाह रहे हैं तो पहले मैं बोल लेता हूं, फिर यह बोल लें. मैं पूरा बोल लूं.
अध्यक्ष महोदय:- वह तो बाद में बोलना. मंत्री जी के भाषण पर यदि आपको कोई टिप्पणी या प्रश्न करना है तो बोलें.
श्री उमंग सिंघार:- देखिये, आंकड़े गिनाने से किसानों को राहत नहीं मिल सकती है. मेरा आपसे अनुरोध है कि आज का जमाना है, एडवांस टेक्नालॉजी है. जिस प्रकार हमारे सदस्य ने भी कहा कि आजकल सेटेलाइट बेस सर्वे होते हैं.
श्री अनिल जैन:- अभी उसी से बीमा दिया जा रहा है.
श्री उमंग सिंघार- तो क्या सरकार इस प्रकार सेटेलाइट की सर्विसेस ले रही है. अगर नहीं ले रही है तो इसको कृषि के क्षेत्र में लेना चाहिये. ताकि आप तत्काल राजस्व विभाग के भरोसे ना रहें. आप तत्काल उस बारे में निर्णय लें. किस फसल आपको बीमारी लग रही है, किसमें कितना उत्पादन होने वाला है और ओला, पाला इन सबकी जानकारी आप तत्काल ले सकते हैं. मुझे लगता है कि सेटेलाइट से हर सात दिन में रिपोर्ट आती है तो हर सात दिन का सरकार के पास अपडेट रहे. मैं जब वन विभाग का मंत्री था तो उस समय यह करना चाह रहा था तो यह मेरा अनुरोध है. रही बात कि आपने जिले वाइज़ समितियां बना ली, लेकिन आपने कहा कि हमको सर्वोच्च राशि 32 हजार रूपये देना है. अभी तक ऐसे मुश्किल से नाम के किसान होंगे, जिनको 32 हजार रूपये मिले हैं. हां, 16 हजार, 8 हजार सब हैं. ..
श्री करण सिंह वर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि ..
अध्यक्ष महोदय:- करण सिंह जी, नेता प्रतिपक्ष बोल रहे हैं. आप उसके बाद अगर कोई बात हो तो बताना.
श्री उमंग सिंघार:- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके क्षेत्र चंबल और ग्वालियर भी गया था और मैंने यह बात खुद आपके नॉलेज में भी डाली थी और खुद आंखों से देखकर आया कि पूरी सरसों की फसलें खराब हो गयी हैं, सबलगढ़ क्षेत्र में. अगर आप वहां किसान को आठ हजार रूपये देंगे तो वह तो ऊंट के मुंह में जीरा है, उसका आठ हजार में क्या होगा.
अध्यक्ष महोदय, एक विधवा महिला थी, उसकी दो बीघा जमीन थी उसकी पूरी फसल खराब हो गयी है. मैंने वह वीडियो आप को भी बताया था. क्या हम मानवता और इंसानियत के नाते ऐसे जो गरीब किसान हैं तो क्या हम उनका ध्यान नहीं रखेंगे ? रही इकाई की बात, बीमा कंपनियां जिस प्रकार से पूरे गांव को एक सर्वे मानती है तो आपके शिवराज सिंह जी ने उस समय घोषणा भी की थी कि हम पूरे एक खेत को एक इकाई मानेंगे, हर किसान को एक इकाई मानेंगे, उसके खेत को लेकर. तो क्या सरकार के जो पूर्व मुख्यमंत्री थे, क्या उसके हिसाब से सरकार आने वाले समय में काम करेगी ? यह भी मैं चाहूंगा कि सरकार बताये. यह मेरे सुझाव भी हैं. लेकिन पूरे प्रदेश के हर जिले में ओला, पाला से किसानों की फसल को नुकसान हुआ. इस पर कांग्रेस, बीजेपी ना करते हुए, हर किसान को लाभ मिले. यही मेरी भावना है और मैं यही कहना चाह रहा था.
अध्यक्ष महोदय:- आपका अच्छा सुझाव है. माननीय मुख्यमंत्री जी कुछ बोलना चाहेंगे ?
मुख्यमंत्री ( डॉ. मोहन यादव):- अध्यक्ष महोदय, वैसे तो करण सिंह जी ने विस्तार से अपनी बात रख दी और सभी सदस्यों को मैं बताना चाहूंगा कि हमारी सरकार किसी भी किसान का एक पाई का भी नुकसान बर्दाश्त नहीं करेगी. निश्चित रूप से उसको मदद करेगी और खेत-खेत के अंदर भी स्पेसिफिकली किसी का नुकसान हुआ तो उसको भी सार्टिंग करके, वहां पर जो राहत राशि है वह जरूर पहुंचाएगें.
अध्यक्ष महोदय:- सेटेलाइट वाला सुझाव भी अच्छा है.
डॉ. मोहन यादव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर आप उचित समझेंगे तो यह सत्र तो अब करीब-करीब किनारे आया है. लेकिन जैसे हमारे एक माननीय सदस्य ने कहा कि नील गाय संबंधी या ऐसे कुछ और अच्छे सुझाव हैं. जिन सुझावों पर सदन के बाद में भी पक्ष और विपक्ष के लोग बैठकर के कोई सकारात्मक अच्छे सुझाव देंगे तो लम्बे समय के लिये उस पर निर्णय अवश्य करेंगे.
श्री उमंग सिंघार- मेरा एक और अनुरोध है, क्योंकि अब बात सेटेलाइट की निकली है तो जिस प्रकार से लोक सभा की कार्यवाही लाईव होती है तो विधान सभा की कार्यवाही भी लाईव हो. जिससे पूरा प्रदेश देख पाये.
मैं समझता हूं कि सत्ता पक्ष को भी इसमें कोई आपत्ति नहीं होना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, इस संबंध में मेरा आपसे भी विशेष रूप से अनुरोध है.
4.00 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएगी.
4.03 बजे सत्र का समापन
अध्यक्ष महोदय -
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो स्थायी आदेश में संशोधन किया गया था, उसको निरस्त किया है, उसके लिए हम भी अपनी तरफ से व्यक्तिश: धन्यवाद देते हैं और केवल आपने स्थायी आदेश में ही संशोधन निरस्त नहीं किया, बल्कि स्थायी आदेश में अब यह भी नई किताब आयी है, उसमें यह भी जुड़ गया है कि इस सत्र के प्रश्नों के उत्तर अगले सत्र के प्रारम्भ होने के पहले दिन रखे जायेंगे. यह आपने किया, इसके लिए मैं आपको हृदय से धन्यवाद देता हॅूं, (मेजों की थपथपाहट) किन्तु यह बिन्दु मैंने उठाया था, यदि यह उल्लेख भी हो जाता कि इस बिन्दु को मेरे द्वारा निवेदित किए जाने पर, तो उसमें क्या बुराई थी. उसमें मेरा नाम भी आ जाता.
अध्यक्ष महोदय -- जिस दिन मैंने यह कहा था, उस दिन आपका उल्लेख किया था, शायद जो लोग सदन में होंगे, उनके ध्यान में होगा.
मुख्यमंत्री (डॉ.मोहन यादव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आज आपका एक तरह से आभार भी मानता हॅूं और पूरे सदन को बधाई देना चाहता हॅूं कि बहुत ही अच्छे वातावरण में स्वस्थ तरीके से पक्ष ने, विपक्ष ने अपनी पूरी बात कही और आपने निष्पक्ष होकर के सभी की बात के लिए पर्याप्त-पर्याप्त मौका दिया, मैं आपको हृदय से धन्यवाद देता हॅूं (मेजों की थपथपाहट) और मैं प्रतिपक्ष को भी धन्यवाद देना चाहता हॅूं कि कई विषयों पर हमको आपके विषय से असहमति दिखी होगी और सरकार उससे सहमत नहीं हुई होगी, फिर भी आपने जागरूकता के साथ अपनी बात कही, मैं आपको भी बधाई देता हॅूं. आपका भी एक तरह से जो विषय का प्रवर्तन है वह एक तरह से सदन की गरिमा बढ़ाने लायक ही है. आप भी बधाई के पात्र हैं. नेता पक्ष होने के नाते मैं अपने मंत्रिमंडल के सभी सदस्यों को भी बधाई देना चाहूंगा, जिन्होंने दक्षता के साथ अपनी तैयारी की, अपने जवाब दिये, अपना विषय रखा, अपनी बात रखी. आप सब को भी मैं बधाई देना चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय, हमारे पक्ष के सभी विधायकों को मैं बधाई देना चाहता हॅूं, जिन्होंने अपने-अपने ढंग से तैयारी करके इस सदन की गरिमा को बढ़ाने के लिए न केवल सक्रिय रूप से भाग लिया, बल्कि अपनी मौजूदगी से यह एहसास कराया कि वह एक अच्छे जागरूक जनप्रतिनिधि के नाते से चुनकर आए हैं और मैं समझ सकता हॅूं कि यह जो हमारा सदन का दौर अभी निकला है, अभी जो चल रहा है, वह आखिरी दौर में पहुंचा है. इसमें आपके प्रशिक्षण का भी बड़ा योगदान है और मैं सभी अपने सारे विधायकों को बधाई देना चाहता हॅूं जिन्होंने अपने प्रशिक्षण के सत्र में भी भाग लिया. साथ ही साथ मैं अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को भी बधाई देना चाहूंगा जिन्होंने हमारे लीडरशिप सम्मिट कार्यक्रम में भाग लिया, तो उनकी दक्षता में निखार आया. आज के इस अवसर पर चूंकि यह बात सही है कि लोकतंत्र में पक्ष-विपक्ष परस्पर होना ही चाहिए. हम अपनी-अपनी बात करते हैं लेकिन हमारी सौहार्द्रता, हमारा सामंजस्य संवेदनशील मुद्दे पर एक-दूसरे से अपनी-अपनी बात कहने के तरीके में अंतर हो सकता है लेकिन अंतर का भाव एक ही रहता है कि हम जनता की सेवा करने के लिए यहां चुनकर आते हैं और साढे़ आठ करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस नाते से हमारी भूमिका उस संवेदनशीलता की तरफ भी होना चाहिए और हम अपने दलों की भूमिका में जरूर हैं लेकिन दलों के चुने जाने के बाद निर्बाध रूप से 230 ही पूरे प्रदेश की बेहतरी के लिए एकजुटता के साथ बात रखने के लिए सदन में आते हैं, यह हम सबका सौभाग्य है (मेजों की थपथपाहट) और जनता ने हमको यह ताकत दी है, जिससे लोकतंत्र की खूबसूरती बढ़ती है. मैं आप सबको बधाई देना चाहता हॅूं और खासकर के हमारे नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार जी, आपने अपनी कुशलता के साथ अपनी बात भी रखी. आपके दल के लोगों को भी आपने अपने ढंग से मौका दिया और मौके-बेमौके पर आपको लगा कि आपको खड़ा होना चाहिए, तो बगैर एक क्षण की देरी किए आपने अपने हक के साथ न्याय करते हुए आपने भी अपनी बात रखी, मैं आपको भी बधाई देना चाहता हॅूं. मैं उम्मीद करता हॅूं कि सदन इसी प्रकार से चलना भी चाहिए. उसी के साथ-साथ प्रतिपक्ष के ही हमारे श्री रामनिवास रावत जी, श्री हेमन्त कटारे जी, श्री ओमकार सिंह मरकाम जी, डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह जी, श्री भंवर सिंह शेखावत जी हैं. मैं नाम लूंगा तो काफी नाम हैं आप सभी लोगों ने अपने-अपने ढंग से बहुत अच्छे से बात रखी. मैं नेता प्रतिपक्ष सहित सारे विधायकों को बधाई देना चाहूंगा कि आपकी जागरूकता से विषय की गंभीरता में और ध्यान गया और उसकी गहराई तक पहुंचने का प्रयास किया गया.
श्री कमलेश्वर डोडियार -- माननीय मुख्यमंत्री महोदय, मैं मेरे दल का अकेला सदस्य हॅूं, लेकिन मैंने भी शामिल होने की कोशिश की.
डॉ.मोहन यादव -- हॉं, मैं मोटरसाईकिल पर भी आ रहा हॅूं. (हंसी) अभी मैं कार से नीचे आपके पास सरकार को ला रहा हॅूं (हंसी) तो हमारे अपने मित्र, जो सैलाना के जनप्रतिनिधि हैं, जो अपनी एक अलग पहचान से जाने जाते हैं. मैंने कहा कि आपने एक अलग विषय उठाया और अच्छा विषय उठाया, भले ही वह को-रिलेवेंट नहीं था. ओला-पाला की बात में नील गाय को लाना पहले तो मैं चौंका, लेकिन आपकी भावना समझ गया कि आपने जो विषय निकाला वह किसान हितैषी है. इसलिये मैंने बीच में थोड़ा खड़े होकर के बात कही कि किसानों के जो कष्ट हैं उसमें पक्ष-विपक्ष मिलकर के बात करें. अगर हम मिलकर के कोई लाईन बनाते हैं तो वह कोई किसी दल की बात नहीं है. लेकिन समग्र रूप से किसान की हित की बात है. इसलिये मैं आपको भी बधाई देता हूं. आपने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. आपने इसी प्रकार के जनहित के मुद्दों को हम आगामी रूप से भी चलाते रहेंगे. अध्यक्ष महोदय, खास तौर पर आपका धन्यवाद आप इतनी निश्चितंता के साथ सारी बात सुनते रहते हैं. इतना आपका दीर्घ अनुभव है. इस अनुभव का आनन्द के साथ यह एहसास होता है कि हां हमारे भी गार्जियन हैं जिस भूमिका में एक छत्री बनी रहनी चाहिये. वगैर कोई तनाव, बगैर कोई व्यवधान, बगैर कोई कष्ट के हरेक को मौका देना. अपनी बात को समझाना चूंकि आपका बड़ा लंबा अनुभव है. इसी का लाभ हमारा सदन उठाना चाहता है. इस तरह के सदन की खास करके हमारे मध्यप्रदेश की विधान सभा का गौरव आपकी मौजूदगी में निश्चित बढ़ता रहेगा. मैं आपके साथ साथ यहां के सभी प्रिन्ट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया के सभी पत्रकार साथियों को बधाई देना चाहूंगा जिनकी मौजूदगी से हमारे सदन की गरिमा बढ़ती है और हमारी बात समाज तक पहुंचती है. साथ ही साथ हमारी विधान सभा से जुड़े सचिवालय के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों तथा सुरक्षा से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी सभी के साथ मेरा भी पिछले 10 साल का अनुभव है. लेकिन आखिरी तक मुख्यमंत्री के लिये धन्यवाद के लिये बैठे रहें और मैं बोलता रहूं, यह भी मेरा ही सौभाग्य है. यह बड़ा मुश्किल था यह अवसर भी आया. यह लोग बहिष्कार करते हम अपनी बात कहते रहे और एकदूसरे से लड़ते रहें. यह कुछ दिन के लिये एकाध विषय पर बात समझ में आती है. लेकिन गंभीर विषयों के साथ हम अपने अपने जवाब के प्रति, दायित्व के प्रति गंभीर हैं, यह उसकी गंभीरता और गहराई बताती है. वास्तव में बधाई के पात्र हैं और देश के लिये मिसाल बनेगा दूसरे प्रदेश की विधान सभाएं हमारी विधान सभा से सीखेगी, यह उम्मीद करता हूं. आपने अपने उद्गार व्यक्त किये उसके प्रति भी धन्यवाद देता हूं. उम्मीद करता हूं कि आपका यह आश्रय हमको मिलता रहेगा. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत—यह आसंदी की कुशल क्षमताएं और आपके संसदीय मंत्री जी की क्षमताओं का असर है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर से आपका सदस्यों को संरक्षण रहा. एक नवाचार आपने शून्यकाल को लेकर के किया. इतने सालों से मैं देख रहा था कि शून्यकाल 15-15 मिनट में ही खत्म हो जाता था. आपने लोकसभा सरीखी नयी व्यवस्था यहां पर दी. इसके लिये मेरे दल की ओर से आपको धन्यवाद देता हूं. मैं एक अनुरोध करूंगा कि मुख्यमंत्री जी मैं चुटकी नहीं लूंगा ईमानदारी के साथ एक बात कहना चाहता हूं. एक इतने सालों का लंबा अनुभव है. इसमें कई वरिष्ठ सदस्य हैं. जनता चाहती है कि हमारे अधिकारों की आप बात करें. जो जनता के दुःख हैं, दर्द हैं, उनके आंसू हैं हम पोंचें . लेकिन दुःख होता है कि सदस्य पूरी तैयारी से आते हैं. आप लोग भी बीच में विपक्ष में रहे. विधान सभा में असत्य जानकारियां शासन से आती हैं. पिछले 10-12 सालों से यहां की व्यवस्था यहां की बिगड़ी है, जो मैं देख रहा हूं. मेरा आपसे, माननीय मुख्यमंत्री, माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी से अनुरोध है कि अगर हम वास्तव में ईमानदारी के साथ लोगों की सेवा करना चाहते हैं तो कृपया करके असत्य जानकारी यहां पर ना दें, यह मेरा आप लोगों से विशेष रूप से अनुरोध है. लेकिन यह ठीक है कि किसी विषय पर सरकार जवाब नहीं देना चाहती, लेकिन छोटे-छोटे विषय होते हैं उन विषयों की भी गलत जानकारी होती है. इस संबंध में मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि आगे उस पर आने वाले समय में नजर रखेंगे. हरदा के बैरागढ़ में फैक्ट्री की घटना हुई पुनरावृत्ति ना हो, इस बात को लेकर सरकार भी सजग रहेगी, ऐसा मुझे विश्वास है. किसानों पर चर्चा हुई, किसानों को लेकर 139 पर आज हमारे कई माननीय सदस्यों ने बात कही लेकिन किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए. ये आपकी और हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. नहीं तो चर्चाएं, तो चर्चाएं हैं, कागजों पर लिखी जाएगी, छपी जाएगी और धूल खा जाएगी, लेकिन उसका निष्कर्ष आना चाहिए, ऐसी मेरी भावना है. नए सदस्यों को आपने मौका दिया, इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं और काफी समय के बाद इतना लम्बा सदन चला, इसके लिए मैं कैलाश जी को भी धन्यवाद देना चाहूंगा, मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहूंगा. आप सभी की सहमति, कार्यमंत्रणा परिषद में हमारे रावत जी और सभी सदस्य लोग थे, हेमंत कटारे जी थे, लखन भाई थे, तो सहमति से हम लोगों ने सदन चलाने का प्रयास किया. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आगे भी हम सकारात्मक रूप से जनता की आवाज उठाते रहेंगे. बस ये है कि आप जनता के दर्द पर सहयोग के रूप में थोड़ा सा मलहम करते रहे, उससे हमें एक आशा रहेगी कि हम सब मिलकर प्रदेश की जनता का ध्यान रख रहे हैं. डिबेट कई मुद्दों पर हुई, कुछ मुद्दे पर सरकार ने सहमति दी किसी में नहीं दी, और आज फिर कहना चाहूंगा कि जिस प्रकार से किसान की बात हमने की. फिर मेरा अनुरोध है कि जल जीवन को लेकर इस पर भी विचार किया जाए. फिर मैं कहूंगा कि यह पूरे प्रदेश की बात है किसी एक विधायक की बात नहीं है, सभी की बात है. (...मेजों की थपथपाहट)
क्योंकि ये प्रधानमंत्री जी की बड़ी महत्वपूर्ण योजना थी, उनका सपना था कि नीचे के व्यक्ति तक हर घर में पानी मिले. तो ऐसा मेरा सत्ता पक्ष से अनुरोध है, सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय संसदीय मंत्री, माननीय मंत्रीगण, सभातालिका के सभी सदस्य, मेरे सभी सदस्य विधायक, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया, विधान सभा के प्रमुख सचिव, विधान सभा सचिवालय, शासन के अधिकारियों, कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों को धन्यवाद देना चाहता हूं. अगले सत्र में हम वापस इसी सकारात्मक सोच के साथ मिलेंगे, यही मैं कहना चाहता हूं, धन्यवाद.
संसदीय कार्यमंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष जी, सबसे पहले तो मैं आपको धन्यवाद देता हूं. अध्यक्ष जी मेरा लगभग 34 साल का संसदीय जीवन रहा. जब मैं पहली बार विधान सभा में आया था, तो जहां उमंग सिंघार जी बैठे हैं, वहां पर श्यामाचरण शुक्ला जी बैठे थे, जहां भाई हेमंत बैठे हैं, वहां पर माननीय अर्जुन सिंह जी बैठे थे, ऐसे ही मोतीलाल बोहरा जी, कृष्णपाल सिंह जी, राजेन्द्र शुक्ल जी उस समय विधान सभा के अध्यक्ष थे. अध्यक्ष महोदय, उस समय की गरिमा को आज मैं आपकी अध्यक्षता में देख रहा हूं, इस बात का मुझे आज बहुत गर्व है.(..मेजों की थपथपाहट)
जो गरिमा उस समय थी विधान सभा की, उस गरिमा से आपने सदन चलाया और माननीय विपक्ष और सत्ता पक्ष के लोगों ने जिस तरीके से इस सदन में चर्चा की है, मुझे लगा है कि ये संसदीय परम्परा इस विधान सभा की जो पुरानी थी, वापस फिर से उठेगी और मध्यप्रदेश का नाम बढ़ेगा. अध्यक्ष महोदय, मैं पहली दिन की घटना याद दिलाना चाहता हूं आपके पास स्थगन आदेश आया, स्थगन की सूचना आई, आपने मुख्यमंत्री जी से बात की. पहले दिन स्थगन को ग्राह्य करना ये माननीय मुख्यमंत्री जी के हृदय की विशालता थी और उससे खूबसूरत बात क्या थी पता है अध्यक्ष महोदय, विपक्ष ने शुरूआत की तो सरकार ने जो अच्छी कार्यवाही की उसकी प्रशंसा की. रामनिवास जी ने प्रशंसा की, वहां के विधायक ने प्रशंसा की, ये होता है मजबूत प्रजातंत्र, ये होती है प्रजातंत्र की खूबसूरती. यदि सरकार अच्छा कर रही है तो उसका खुले हृदय से स्वागत करना चाहिए. यदि सरकार से गलती है तो उसको बिलकुल कटघरे में खड़ा करना चाहिए, ये विपक्ष का काम है और जिस तरीके से पहले दिन की शुरूआत हुई, अध्यक्ष महोदय मैं विपक्ष को इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं और माननीय मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि पहले दिन स्थगन को ग्राह्य करना, आपने बोला भी था कि पहले दिन स्थगन, आपने कहा नहीं नहीं हो जाने दो चर्चा, ये जो विशालता है ये इस विधान सभा में मुझे देखने को मिली और मुझे लगता है कि आने वाले पांच साल इस विधान सभा का भविष्य बहुत अच्छा होगा, उस ऊंचाईयों पर विधान सभा पहुंचेगी, लोग कहेंगे कि अगर चर्चा होती है तो मध्यप्रदेश विधान सभा में चर्चा होती है.
मैं अपने आप को बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं कि इस सोलहवीं विधान सभा का मैं सदस्य हूं.जहां पर बहुत अच्छी चर्चा की शुरुआत हुई. अध्यक्ष महोदय, मैं विधान सभा सचिवालय,मुख्य सचिव,सारे अधिकारीगण और दूरस्थ बैठा हुआ वह कर्मचारी, जो हमारे प्रश्नों के उत्तर देता हूं. देखिये, मैं थोड़ा सा नये विधायकों से कहना चाहता हूं कि विधान सभा चलने और आपके प्रश्न आने का क्या असर होता है. दिव्यराज सिंह जी ने एक प्रश्न पूछा कि पाला,ओला गिरा था उसका किसानों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला.इनका प्रश्न पहुंचा दूसरे ही दिन मुआवजा बंट गया,प्रश्न पहुंचते ही. आपके एक प्रश्न का क्या प्रभाव होता है. गरीब किसानों तक सीधा मुआवजा पहुंच गया. यह सरकार को चलाने का,गतिशील करने का एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म है अध्यक्ष महोदय, और इसीलिये सदन चलना चाहिये और माननीय सभी सदस्यों के इस विधान सभा के चाहे प्रश्न हों,चाहे ध्यानाकर्षण हों,सबका हिस्सा रहना चाहिये.हमारे नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि असत्य जवाब आता है. अध्यक्ष जी, हमारी संसदीय परंपरा में जब भी सरकार असत्य जवाब दे तो सरकार को घेरने के लिये बहुत सारी विद्याएं हैं. प्रश्न संदर्भ समिति,यदि कोई भी प्रमाण हो तो हम सरकार को फिर घेर सकते हैं. सरकार ऐसे असत्य जानकारी देने की हिम्मत नहीं करेगी और इसके लिये बहुत सारे प्लेटफार्म हैं उनका उपयोग करें. मैं विपक्ष के नेता से भी कहूंगा बाकी अभी तक जो मेरी जानकारी है सरकार के प्रश्नों की जानकारी भी आ रही है और बहुत अच्छी परंपरा यहां पर प्रारंभ हुई है. मैं इस अवसर पर आप सभी को बधाई देता हूं. सभी मित्रों को बधाई देता हूं. होली और महाशिवरात्रि की भी बधाई.
4.21 बजे
विधान सभा की कार्यवाही को अनिश्चतकाल के लिए स्थगित किया जाना : प्रस्ताव
संसदीय कार्य मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, अब मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि विधान सभा के वर्तमान सत्र के लिये निर्धारित समस्त शासकीय,वित्तीय एवं अन्य आवश्यक कार्य पूर्ण हो चुके हैं.अत: मध्यप्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम-12(ख) के द्वितीय परन्तुक के अंतर्गत मैं प्रस्ताव करता हूं कि सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. " प्रश्न यह है कि सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की जाए.
प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ.
4.22 बजे राष्ट्रगान " जन-गण-मन" का समूह गान
अध्यक्ष महोदय - अब राष्ट्रगान होगा.
(सदन के माननीय सदस्यों द्वारा राष्ट्रगान " जन-गण-मन " का समूह गान किया गया.)
4.23 बजे
विधान सभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाना :घोषणा
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित.
अपराह्न 4.23 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की गई.
भोपाल
दिनांक : 14 फरवरी,2024
अवधेश प्रताप सिंह
प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा