मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा पंचम सत्र
मार्च, 2025 सत्र
गुरूवार, दिनांक 13 मार्च, 2025
(22 फाल्गुन, शक संवत् 1946)
[खण्ड- 5] [अंक- 4]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 13 मार्च, 2025
(22 फाल्गुन, शक संवत् 1946 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत् हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
11.01 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक-1.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव. (अनुपस्थित)
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, सब होली की छुट्टी मनाने गये हैं. आप हम लोगों को रगड़ रहे हैं. सब होली के मूड में हैं.
जी.एन.एम. पाठ्यक्रम
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
2. ( *क्र. 1290 ) डॉ. सतीश सिकरवार : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जी.एन.एम. पाठ्यक्रम के छात्र एक ही कक्षा में 3 वर्षों से अध्ययनरत हैं? यदि हाँ, तो क्यों ? (ख) यदि हाँ, तो उक्त अध्ययनरत छात्रों का नामांकन करवा कर परीक्षा तिथि कब तक घोषित की जावेगी? (ग) उक्त पाठ्यक्रम या कक्षा में अध्ययनरत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति दिये जाने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो कितनी-कितनी छात्रवृति का भुगतान किया गया है? (घ) प्रदेश में उत्तीर्ण/रजिस्ट्रेशन हो चुके कितने छात्र-छात्राओं की एन.ओ.सी./माइग्रेशन की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है एवं शेष छात्र-छात्राओं की एन.ओ.सी./माइग्रेशन की प्रक्रिया कब तक पूर्ण कर दी जायेगी? (ड.) प्रश्नांश (घ) के संबंध में शेष छात्र-छात्राओं की एन.ओ.सी./माइग्रेशन की प्रक्रिया क्यों पूर्ण नहीं हुई है एवं इसके लिये कौन-कौन जिम्मेदार है? क्या कार्यवाही की गई?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) यथावत (ख) यथावत (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार । (घ) यथावत (ड) यथावत
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, पूरक प्रश्न करें.
श्री सुरेश राजे (अधिकृत) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी यह बताने का कष्ट करेंगे कि जी.एन.एम.पाठ्यक्रम में जो 3 वर्ष का कोर्स होता है उसमें 3 वर्ष से अध्ययनरत छात्राओं की कोई भी परीक्षा अभी तक नहीं हुई है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2022-23 के पहले के वर्ष 2019-20, 2020-21 के सारे एग्जाम तो हो चुके हैं यह आप सही कह रहे हैं. वर्ष 2022-23 का कोर्ट में रोक होने के कारण अब माननीय न्यायालय से अनुमति प्राप्त करने के बाद 1 अप्रैल से परीक्षा का कैलेण्डर घोषित हो गया है तो 1 अप्रैल से 8 अप्रैल के बीच में सारी परीक्षाएं हो जाएंगी.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, क्या कोई दूसरा पूरक प्रश्न है ?
श्री सुरेश राजे -- अध्यक्ष महोदय, इसमें दूसरा पूरक प्रश्न यह है कि यह परीक्षाएं कब तक पूर्ण हो जाएगीं ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने बताया कि 1 अप्रैल से नर्सिंग काउंसिल ने परीक्षा का कैलेण्डर जारी कर दिया है, जो 8 अप्रैल तक सारे एग्जाम हो जाएंगे.
श्री सुरेश राजे -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक 2012 के मानदण्ड
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
3. ( *क्र. 1239 ) श्री पंकज उपाध्याय : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन ने भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक 2012 के न्यूनतम मानदंड में राज्य अनुसार संशोधन कर माना था? यदि हाँ, तो किस-किस मानक में क्या-क्या संशोधन क्यों किये गये? (ख) प्रश्न दिनांक तक प्रदेश के विभिन्न कैटिगरी के चिकित्सालय अनुसार उनकी संख्या तथा इनमें विशेषज्ञ चिकित्सकों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ के स्वीकृत, भरे एवं रिक्त पदों की संख्या बताएं? प्रत्येक कैटेगरी के कितने प्रतिशत पद कम है तथा कारण क्या है? इन चिकित्सालय में इलाज के दौरान इंडोर मरीजों के मृत होने की संख्या कितनी-कितनी है? चिकित्सालय की कैटेगरी अनुसार बताएं। (ग) वर्ष 2016 से 2024 तक विभिन्न कैटेगरी के चिकित्सालय में प्रसव तथा प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु तथा नवजात शिशु की मृत्यु की संख्या कितनी है तथा कितने प्रतिशत प्रसव ऑपरेशन से हुए? (घ) कैग द्वारा लोक स्वास्थ्य अधोसंरचना पर जारी 2024 के प्रतिवेदन में स्वास्थ्य सेवाओं पर कौन-कौन से निष्कर्ष से शासन सहमत है? (ड.) विधानसभा क्षेत्र जौरा अंतर्गत चिकित्सालय जौरा, कैलारस व समस्त उप-स्वास्थ्य केंद्रों में किस-किस रोग के विशेषज्ञ एवं सामान्य चिकित्सकों के कितने पद स्वीकृत, भरे एवं रिक्त हैं? जौरा एवं कैलारस दोनों चिकित्सालयों में चिकित्सा एवं जाँच हेतु क्या उपकरण होने चाहिये एवं क्या-क्या उपलब्ध हैं? कितने अनुपयोगी एवं बंद हैं? चिकित्सालयवार सूची प्रदान करायें।
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "अ" अनुसार । (ख) वर्तमान में प्रदेश अंतर्गत कुल 52 जिला चिकित्सालय, 161 सिविल अस्पताल, 348 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 1442 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं 10256 उप स्वास्थ्य केन्द्र स्वीकृत हैं, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "ब" अनुसार, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "स" अनुसार । पदपूर्ति विभाग की एक निरंतर प्रक्रिया है, निश्चित समयावधि में बताया जाना संभव नहीं है । वर्ष 2024-25 में 5 में चिकित्सालयों की कैटेगरी के अनुसार इन्डोर मरीजों में मृतकों की संख्या की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "द" अनुसार । (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "इ" अनुसार । (घ) कैग से वर्षान्त 2022 की रिपोर्ट वित्त विभाग के पत्र दिनांक 22/02/2025 के माध्यम से विभाग को प्राप्त हुई । नियमानुसार परीक्षण उपरांत आवश्यक कार्यवाही की जाती है । (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "फ" अनुसार ।
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा गया है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, पूरक प्रश्न करें.
श्री पंकज उपाध्याय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहूंगा. वेदों में भी कहा गया और पुराणों में भी लिखा है कि "जान है तो जहान है" और आज मैं इस जान को बचाने के लिए प्रश्न खड़ा कर रहा हॅूं. बडे़ गंभीर विषय के बारे में बड़े हल्के उत्तर पर चर्चा कर रहा हॅूं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- पंडित जी, कौन-से वेद-पुराण में लिखा हुआ है कि "जान है तो जहान है".
श्री पंकज उपाध्याय -- अध्यक्ष महोदय, सब में लिखा हुआ है कि "जान है तो जहान है". आप जितने भी पढ़ोगे. आप एक बार पढ़िएगा. माननीय कैलाश जी, आप पढ़िएगा. आप बहुत सीनियर व्यक्ति हैं. हम तो आपको देखकर सीखते हैं लेकिन आप पढ़िएगा. "जान है तो जहान है". बडे़ गंभीर विषय पर इन्होंने बड़े हल्के उत्तर दिए हैं. इस साल स्वास्थ्य का बजट 23 हजार 535 करोड़ रूपए का है और पिछले साल 21 हजार 440 करोड़ रूपए था.
अध्यक्ष महोदय, परंपरा के अनुसार मुझे अधूरा, अपूर्ण और खंडित उत्तर दिया गया है. मैंने पूछा था कि कैग की रिपोर्ट में कौन-कौन से निष्कर्ष हैं जिससे शासन सहमत है. इस प्रश्न में कहीं भी कैग की रिपोर्ट पर कार्यवाही नहीं पूछा. हमने माननीय मंत्री जी से पूछा था कि कैग रिपोर्ट में पब्लिश करने से पहले यह उत्तर देना था कि उस रिपोर्ट में से आपने कितने निष्कर्ष पर अपनी सहमति व्यक्त की. बस इतना जानना चाहता हूं कि कितने पर स्वीकार किया और कितने पर अस्वीकार किया. कितनों का उत्तर नहीं दिया. माननीय मंत्री जी का जवाब मिला कि नियमानुसार परीक्षण उपरांत आवश्यक कार्यवाही की जाती है. अध्यक्ष महोदय, मैंने तो कार्यवाही का पूछा ही नहीं. कार्यवाही प्रतिवेदन पर होती है. पहले जो रिपोर्ट शासन को देते हैं, उस पर नहीं होती, उस पर तो शासन अपनी टीप देता है, उनके निष्कर्ष से सहमत, असहमत हैं तो नहीं, मैंने कार्यवाही का तो पूछा ही नहीं. मेरा पूरा प्रश्न कैग की रिपोर्ट के आसपास घूम रहा है. इतना विशाल प्रतिवेदन लोक स्वास्थ्य पर..
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न तो करिए.
श्री पंकज उपाध्याय - अध्यक्ष महोदय, यही प्रश्न है कि कैग की रिपोर्ट के बारे में मैंने पूछा उसके बारे में केवल आधी अधूरी जानकारी दी है. केवल हम जानकारी एकत्रित कर रहे हैं? लोक स्वास्थ्य पर 495 पृष्ठ का उसमें 300 से ज्यादा निष्कर्ष, 66 प्रतिशत निष्कर्ष पर शासन ने उत्तर नहीं दिया है, उन निष्कर्षों से आप सहमत हैं कि असहमत हैं, बस यही जानना चाहता हूं?
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, असहमत होने का सवाल ही नहीं है. कैग की रिपोर्ट यदि आपके उत्तर में परिशिष्ट में नहीं है तो मैं आपको उपलब्ध करा दूंगा. 8 बिन्दु पर कैग ने जो हेल्थ केयर से रिलेटेड इश्यु उठाए थे, उसमें मध्यप्रदेश सरकार ने क्या रिस्पांस किया है, वह भी इसमें लिखा हुआ है. इसमें आईपीएचएस जो नॉर्म्स हैं उसको लागू करना, जिसको हमने सर्वोच्च प्राथमिकता से लागू किया है. पिछले 1 वर्ष में जो सबसे बड़ी सफलता है कि लगभग 32 हजार ह्यूमन रिसोर्स की जो कमी आईपीएचएस 12 के हिसाब से जिसको कैग ने कहा है, जो कमी थी उस कमी के पदों की स्वीकृति कराकर भर्ती एजेंसियों को हमने पदों की भर्ती करने की डिमांड भेज दी है, 2,4, 6 महीने के अंदर हमें सारे वह पद जब प्राप्त हो जाएंगे तो जो चिंता आपकी है कि स्वास्थ्य केन्द्रों में मानव संसाधन की कमी है, वह कमी की पूर्ति हो जाएगी.
श्री पंकज उपाध्याय - अध्यक्ष महोदय, बहुत सारी जानकारी छिपाना चाहते हैं. मैंने पूछा है कि कैग के 66 प्रतिशत निष्कर्ष पर शासन ने उत्तर नहीं दिया है. मैंने आपसे यह पूछा है. आप कहीं ओर इस बात को ले जा रहे हैं. मैं यह पूछना चाह रहा हूं कि 66 प्रतिशत जो निष्कर्ष हैं, आपने उत्तर नहीं दिये तो क्यों नहीं दिये? आप उनसे सहमत हैं या असहमत हैं और जनता से क्या छिपाना चाहते हैं? माननीय मंत्री जी, आप बड़े विद्वान हैं बड़ी गंभीरता से इस बात को समझते हैं कि कैग ने लिखा है, कैग ने अनुशंसा की है, 370 निष्कर्ष में लिखा है कि मातृ मृत्यु दर, नवजात शिशु दर आदि के लिए निष्ठापूर्वक कार्यवाही नहीं की गई, प्रतिवेदन के नाम मात्र पर जो उत्तर शासन ने दिये, एक भी उत्तर कैग के द्वारा स्वीकार नहीं किया गया. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के मानक अनुसार स्वास्थ्य पर राज्य के बजट का 8 प्रतिशत होना चाहिए और आपने वर्ष 2025-26 में मात्र 5.5. प्रतिशत दिया है. अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2017-18 से 2021-22 के स्वास्थ्य अधोसंरचना में कैग की रिपोर्ट शासन की टीप के लिए किस दिन प्राप्त हुई, उस उत्तर में कैग की क्या रिपोर्ट है, यह अभी तक नहीं बताया.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश शासन डॉ. मोहन यादव जी की सरकार स्वास्थ्य की सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए कृतसंकल्पित है और जो कैग की रिपोर्ट की आप बात कर रहे हैं उसमें जो मोटे बिन्दु हैं एमएमआर और आईएमआर को कम करना इसको दूर करने के लिए ही जो जरूरी कार्य है जैसे हमारे जो कम्युनिटी हेल्थ सेंटर हैं उसको एफआरयू बनाना, एफआरयू कैसे बनेगा तो हमें उसमें मानव संसाधन की कमी को दूर करना, इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना, उपकरण ले आना उन सारे कामों के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान करके स्वीकृतियां प्राप्त करके जब यह सारे काम पूरे हो जाएंगे तो कैग की रिपोर्ट का और जो उसकी फाइडिंग्स हैं वह पूरी तरह उसकी प्रतिपूर्ति हो जाएगी तो आपकी जो चिंता है, उससे मैं सहमत हूं और उस चिंता को दूर करने के लिए जो जरूरी कार्य है, वह हम कर रहे हैं.
श्री पंकज उपाध्याय- माननीय अध्यक्ष जी, मुझे विधायक बने हुए एक साल ही हुआ है और लगातार केवल यही आश्वासन सुनते आ रहा हूं कि 40 से 60 प्रतिशत पद खाली हैं. मैं यदि मुरैना की बात करूं तो इन्होंने उत्तर दिया इसमें सारे के सारे मुरैना जिले में सर्जिकल विशेषज्ञ का पद खाली है, स्त्री विशेषज्ञ का पद खली है, निश्चेतना विशेषज्ञ का पद खाली है और नेत्र विशेषज्ञ का पद खाली है.
अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही हमारे जौरा और केलारस में तो सारे पद ही खाली हैं. यह बहुत गंभीर विषय है. क्योंकि वहां पर मरीज बड़े विश्वास से जाता है कि सरकार हमारे लिये कुछ न कुछ कर रही है, परंतु वह बिल्डिंग देख कर वह चला जाता है. माननीय मंत्र जी अस्पताल में डॉक्टर ही नहीं है. हम लगातार एक साल से यहां पर आपका यही आश्वासन सुन रहे हैं. यह हमने आपका पांचवीं बार आश्वासन सुना. अध्यक्ष जी, इस पर कुछ न कुछ करना पड़ेगा. कैग की रिपोर्ट कह रही है कि 86 प्रतिशत इन्होंने निष्कर्षों का जवाब ही नहीं दिया है कि सहमत हैं या असहमत हैं.
श्री विजय रेवनाथ चौरे- 30 मेडिकल कालेज खुल गये हैं.
अध्यक्ष महोदय- पंकज जी, अब आप कृपया बैठ जायें. आपके दो पूरक प्रश्न हो गये हैं.
श्री पंकज उपाध्याय- नहीं अध्यक्ष जी मेरा निवेदन है कि अभी किसी ने बोला की 30 मेडिकल कालेज बन गये हैं. इन्होंने यह नहीं बोला है कि जितने स्वास्थ्य केन्द्र हैं, जितने छोटे अस्पताल हैं उनमें डॉक्टर क्यों नहीं हैं. वहां पर प्रसुताएं जाती हैं तो उनका प्रसव क्यों नहीं हो पाता है. जितने एक्सीडेंटल लोग जाते हैं तो उनकी इजाल क्यों नहीं हो पाता है, जो लोग गंभीर रूप से जा रहे हैं तो उनका इलाज क्यों नहीं हो पा रहा है, जिनकी आंखें खराब हैं उनको ग्वालियर और मुरैना क्यों भटकना पड़ रहा है. मैं मंत्री जी आपसे यह पूछना चाहता हूं. लेकिन आप कह रहे हैं कि बस पांच-छ: महीने में भर्ती कर देंगे. आपकी 15-20 साल से सरकार है. आपने अभी तक क्या किया, लगातार पद खाली हैं. माननीय मंत्री जी, बड़ी निराशा होती है, जब अस्पताल में आता है और मरता है. जिसका मरता है उसको बहुत दुख: होता है, पीड़ा होती है.
अध्यक्ष महोदय- पंकज जी. मंत्री जी ने कहा है कि वह आपकी चिंता को दूर करेंगे. बाकि और कुछ भी हो तो मंत्री जी से मिलकर उनको बता देना.
बहिर्गमन
श्री पंकज उपाध्याय, सदस्य द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन.
श्री पंकज उपाध्याय- अध्यक्ष जी, कोई समय-सीमा तय करिये ना. अन्यथा हमारा यहां पर आने का कोई मतलब ही नहीं है. हमारा यहां पर प्रश्न पूछने का कोई मतलब ही नहीं है. मैं यहां पर एक साल से पूछ रहा हूं. उसका कोई मतलब ही नहीं है. इससे अच्छा तो मैं यहां पर बैठता ही नहीं. अध्यक्ष जी, ऐसे काम नहीं होगा. मैं सदन से बहिर्गमन करता हूं.
(श्री पंकज उपाध्याय, सदस्य द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया.)
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
धनवाही माइक्रो सिंचाई योजना
[जल संसाधन]
4. ( *क्र. 1417 ) श्री श्रीकान्त चतुर्वेदी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मैहर तहसील अंतर्गत किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराये जाने की दृष्टि से कौन-कौन सी लघु उद्वहन सिंचाई योजनायें बनायी गयी हैं? योजनाओं की नामवार, स्थानवार, लागतवार जानकारी दी जावे। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या धनवाही माइक्रो सिंचाई योजना का निर्माण कराया जाना कार्य योजना में सम्मिलित है? यदि हाँ, तो इस योजना का निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ किया जावेगा? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) अनुसार क्या बहुप्रतीक्षित समय के बाद उक्त सिंचाई योजना का निर्माण कार्य प्रारंभ न होने से क्षेत्रीय किसानों का कृषि व्यवसाय प्रभावित है? यदि हाँ, तो क्या अविलंब धनवाही माइक्रो सिंचाई योजना का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों कारण सहित जानकारी दी जावे।
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) तहसील मैहर के अन्तर्गत बनाई गई योजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ, राशि रू. 53.73 करोड़ का प्रस्ताव साधिकार के समक्ष रखे जाने हेतु प्रक्रियाधीन है। वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी नहीं। वर्तमान में योजना के क्रियान्वयन/स्वीकृति की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। प्रशासकीय स्वीकृति उपरांत योजना का क्रियान्वयन संभव है, अतः कृषि प्रभावित होने का प्रश्न नहीं। योजना की प्रशासकीय स्वीकृति के अभाव में कार्य प्रारंभ नहीं किया जा सकता। अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री श्रीकांत चतुर्वेदी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक- 1417 है.
श्री तुलसीराम सिलावट - मैंने उत्तर दे दिया है.
अध्यक्ष महोदय- आप अपने पूरक प्रश्न करें.
श्री श्रीकांत चतुर्वेदी- अध्यक्ष महोदय, मैं मैहर विधान सभा से हूं. मेरे प्रश्न का जवाब पटल पर आया है. मैं उससे संतुष्ट हूं. लेकिन इसी काम में मेरे विधान सभा क्षेत्र में बहुप्रतिक्षित धनवाही माइक्रो योजना की प्रशासनकीय स्वीकृति का प्रपोजल करीब 9 सितम्बर, 1924 से लंबित है. मैं मानननी मंत्री से कहना चाहूंगा कि अगर यह काम समय-सीमा में हो जायेगा तो उस क्षेत्र के किसानों बड़ी सुविधा मिलेगी, क्योंकि यह बहुत कम लागत बना है. इसकी लागत है 53 हजार, 71 लाख और जो सिंचाई होनी है वह साढ़े तीन हेक्टेयर में होनी है.उसकी लागत भी बहुत कम है. उसमें कोई जमीन भी अधिगृहित भी नहीं करनी है और इससे किसानों को बहुत फायदा मिलेगा.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य की भावनाओं में अपनी बात को सम्मिलित करता हूं धनवाही माइक्रो सिंचाई परियोजना के निर्माण का निर्णय सम्माननीय विधायक जी कर लिया गया है. परियोजना की अनुमानित अभी लागत लगभग 54 करोड़ रूपये है और सिंचाई का रकबा 3 हजार, 500 हेक्टेयर आंकलित किया गया है. परियोजना की डीपीआर की स्वीकृति हो गयी है और इसके पश्चात निविदा आमंत्रित कर निर्माण कार्य प्रारंभ किया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य आप कोई दूसरा प्रश्न पूछना चाहते हैं.
श्री श्रीकांत चतुर्वेदी- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के जवाब से सहमत हूं. मैं माननीय मुख्यमंत्री और माननीय मंत्री जी को धन्यवाद प्रेषित करना चाहता हूं.
घोड़ारोज की समस्या का निदान
[राजस्व]
5. ( *क्र. 55 ) श्री विपीन जैन : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) घोड़ारोज (रोजड़े) से किसानों की फसलों को हो रहे नुकसान से रोकथाम के लिए सरकार द्वारा क्या प्रयास किये जा रहे हैं? (ख) इनके द्वारा प्रतिदिन बढ़ रहे सड़क हादसों की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा क्या प्रभावी कदम उठाये जा रहे हैं?
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) वन्य प्राणियों से फसल क्षति होने पर राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 की कण्डिका (11-क) के अंतर्गत ''राजस्व एवं वन ग्रामों में वन्य प्राणियों द्वारा फसल हानि किये जाने की सूचना अथवा प्रभावित व्यक्ति का आवेदन प्राप्त होने पर तहसीलदार यथाशीघ्र स्थल निरीक्षण कर फसल हानि का पंचनामा तैयार करेगा, जिस पर वन विभाग के बीट गार्ड अथवा परिक्षेत्र सहायक, जो भी उपलब्ध हो, से इस बाबत् प्रमाणीकरण प्राप्त करेगा कि फसल हानि वन्य प्राणियों द्वारा की गई है। स्थल निरीक्षण पंचनामा प्रमाणीकरण के उपरान्त सक्षम राजस्व अधिकारी द्वारा परिपत्र के मानदंड अनुसार सहायता राशि स्वीकृत की जायेगी।'' के प्रावधान निहित हैं। (ख) घोड़ारोज (नीलगाय) से सड़क हादसों के रोकथाम के लिये आमजन को जागरूक करने हेतु सड़कों पर स्पीड ब्रेकर एवं सड़क किनारे वन्यजीवों की उपस्थिति के सूचक बोर्ड लगाये गये हैं।
श्री करण सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मै इसका उत्तर पटल पर रखता हूं.
श्री विपीन जैन- मानननीय अध्यक्ष मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को बताना चाहता हूं मेरे जिले में सबसे बड़ी एक समस्या है वह है घोड़ारोज की जिसे रोजड़े बोलते हैं और उनकी संख्या इतनी तादाद में बढ़ चुकी है कि आये दिन 30-40, 50-50 के झुण्ड में किसानों के खेत में आते हैं और किसान की फसल चौपट करते हैं. इसके अलावा इससे रोड दुर्घटनाएं भी इतनी हो रही हैं और कई व्यक्ति अपने प्राण तक गवा चुके हैं. मंत्री जी ने उत्तर में बताया है कि हम मुआवजा देते हैं. तो मैं मंत्री जी को कहना चाहता हूं कि इसमें नियम में है कि अगर 25 प्रतिशत से अधिक नुकसान होता है, तो मुआवजा दिया जाता है और मेरे पूरे मंदसौर जिले के अंदर 2014 से 2023 तक केवल एक किसान को मुआवजा मिला है और वह भी मात्र 9 हजार रुपये मिला है. यह जो जानकारी मुझे मिली है, यह आपके विभाग से ही मिली है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि यह समस्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है और इसकी रोकथाम के लिये सरकार क्या प्रयास करेगी, जिससे कि रोजड़ों की संख्या कम हो और हमारे किसान भाइयों का जो फसल का नुकसान हो रहा है, वह भी कम हो और जो उनकी जान माल की हानि, जो एक्सीडेंट में हो रही है रोड पर, वह भी कम हो.
श्री करण सिंह वर्मा—अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न के उत्तर में ही दिया है कि यह सही है कि घोड़ा रोजड़े, नील गाय से फसल क्षति होने पर राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 की कण्डिका (11-क) के अंतर्गत राजस्व एवं वन विभाग दल बनाकर उनको राहत राशि देते हैं. मैंने प्रश्न के उत्तर में ही बता दिया था, फिर दोबारा भी बोल रहा हूं कि कोई वन्य प्राणी से खेत में नुकसान होता है या कोई परेशानी होती है, तो दोनों राजस्व विभाग और वन विभाग संयुक्त सर्वे करते हैं और उसी के आधार पर उनको और जितना मुझे प्राप्त हुआ था, हमने दिया भी है .
श्री विपीन जैन—अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि इसमें 25 प्रतिशत से ज्यादा अगर फसल खराब होती है, तो मुआवजा दिया जाता है और 2014 से 2023 तक यह आपके विभाग का जवाब है मेरे पास. केवल पूरे मंदसौर जिले के अंदर एक व्यक्ति को मुआवजा मिला है और आये दिन किसान लोग आवेदन करते हैं, लेकिन उनको मुआवजा नहीं दिया जाता है. इस समस्या का हल कोई मुआवजा भी नहीं है. मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि इसकी ऐसी कोई प्लानिंग की जाये या योजना बनाई जाये, ताकि इनकी संख्या नहीं बढ़े. या तो इनकी नसबंदी कराई जाये या इनको पकड़कर वन क्षेत्र में छोड़ा जाये. यह समस्या मेरे अकेले की नहीं है, पूरे उज्जैन संभाग की समस्या है और यह प्रदेश की समस्या बनती जा रही है.
श्री करण सिंह वर्मा—अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने कहा है कि सिर्फ एक प्रकरण में सहायता मिली. इससे फसल चपेट में आने के उसमें 10 प्रकरणों में 67716.00 रुपये का हमारा द्वारे भुगतान कर दिया गया है. माननीय सदस्य की चिंता है कि इनकी रोकथाम के लिये, तो इसके लिये हमने वन विभाग में सड़क किनारे वन्य प्राणियों की उपस्थिति के संबंध में सूचक बोर्ड भी लगाया गया है. रोकथाम के लिये मध्यप्रदेश में कहीं भी जहां वन विभाग की जमीन है, वहां हमने ब्रेकर भी लगाये हैं. तो रोकथाम की हम व्यवस्था कर रहे हैं और अगर मान लो हमने एकाध दो बार यहां की जो नील गाय और बाकी वन्य प्राणी हैं, इनको हमने बाहर भी छोड़ा है. इसके लिये मैं वन विभाग से भी बात करुंगा कि रोकथाम के लिये क्या अच्छे उपाय हो सकते हैं, मैं करुंगा.
श्री विपीन जैन—अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि इनकी संख्या अब लाखों में पहुंच गई है और आये दिन किसान इनसे परेशान हैं. यह तो किसानों को बाड़ लगाने के लिये राशि दी जाये, ताकि अपने खेत के चारों ओर वे तार फेंसिंग करें, उसके लिये किसान भाइयों को सहायता राशि दी जाये.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय—अध्यक्ष महोदय, निश्चित रुप से यह गंभीर चर्चा है और विगत् वर्षों में भी सदन में इस पर चर्चा हुई है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार और मुख्यमंत्री जी निश्चित रुप से इस हेतु चिंतित भी रहे. विगत् समय में भी चर्चा हुई थी कि जिस तरह से गौ अभ्यारण्य की कल्पना की गई है. तो क्यों न घोड़ारोज के लिये भी, जिसे नील गाय भी कहा जाता है, रोजड़े भी कहा जाता है, उसके लिये इस प्रकार की कोई संभागीय मुख्यालय पर इस तरह की कोई कार्य योजना बन जाये, ताकि जीव हत्या भी न हो, क्योंकि बहुत से ग्रामीण क्षेत्रों में इन्हें या तो जहर देकर मारा जाता है या अन्य प्रकार से भी इन्हें मार दिया जाता है. यह छुपे से रहते हैं, झुण्ड में रहते हैं, इनसे फसलें निश्चित रुप से नष्ट काफी होने लगी हैं. तुअर की फसल तो कृषकों ने बोना बंद कर दी है. जहां तक क्षतिपूर्ति राशि देने का माननीय राजस्व मंत्री जी ने बताया है वह निश्चित रूप से सराहनीय है किंतु खेतों की बाड़ा-बंदी कैसे की जाये, इसके लिये शासन कोई कार्य योजना किसानों के हित में बनाये, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किसानों के हित में अनेकों योजनायें बनाई हैं , इसमें कोई ऐसी योजना बनाये जो अनुदान मूलक हो, जिसमें कुछ प्रतिशत किसान स्वयं अपनी राशि सम्मलित कर दे उस पर अनुदान दिया जाये, और अगर वायर फेंसिंग करवाने की व्यवस्था की जाये और गौ-अभ्यारण्य के समान नीलगाय के लिये, रोजड़ों के लिये, घोड़ारोज के लिये एक अभ्यारण्य की कल्पना की जाती है तो इस समस्या का निराकरण निश्चित रूप से किया जा सकता है. अनेकों नो-जवानों की मृ्त्यु भी इनके कारण से हुई है. अध्यक्ष जी मेरे विधानसभा क्षेत्र में दुखद घटनायें हुई हैं, तो थोड़ा संवेदनापूर्ण तरीके से , गंभीरता से विचार किया जाए, यही मेरा आपसे निवेदन है.
श्री महेश परमार (तराना)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे इस मामले में एक ही निवेदन है कि इसमें जंगली सुअर का भी जोड़ लिया जाये क्योंकि मेरी विधानसभा के गोलवा गांव का किसान सोहन पटेल 10 बीघा की उसकी गेहूं की फसल चौपट कर दी है. मैंने अभी उसका विडियो भेजा है. तो अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति से मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि मालवा, उज्जैन, तराना में जंगली सुअर और घोड़ारोज से बहुत परेशान हैं, रोज गंभीर घटनाएं हो रही हैं, दुर्घटनाओं में जवान मर रहे हैं जैसा माननीय सदस्य ने भी बताया है कि इनके कारण लोगों की मृत्यु तक हो रही है, इस पर विशेष ध्यान दें और 100 प्रतिशत बाडबंदी के लिये तार फेंसिंग के लिये किसानों को सरकार अनुदान की व्यवस्था करे, यही मेरा अनुरोध है.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विषय पर मेरा भी आपसे अनुरोध है . माननीय अध्यक्ष महोदय,यह वास्तव में बहुत गंभीर मामला है कम से कम पिछले एक माह में मेरी ही विधानसभा के 7 लोगों की मृत्यु हुई है. यह घोड़ारोज कोई फसलों को ही खराब नहीं कर रहे हैं. यह सड़कों पर अंधाधुंध घुसते हैं, अचानक भागकर के आते हैं और इतना इनमें फोर्स रहता है कि मोटर सायकिल वाले वहीं अपना दम तोड़ देते हैं, इस प्रकार की घटनायें बहुत बढ़ रही हैं, इसलिये इस पर सरकार को चिंता करनी चाहिये. यह कोई कांग्रेस और बीजेपी का झगड़ा इसमें बिल्कुल नहीं है, यह मानकर के चलिये. और यह जो शहर वाले हमारे नेता हैं ना कैलाश विजयवर्गीय जी इन्होंने तो घोड़ारोज देखा ही नहीं होगा,(हंसी) क्योंकि शहर में यह कोई आते ही नहीं हैं, सवाल क्या है कि गांव के अंदर जो विधायक हैं उनको इससे बड़ी परेशानी है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- मैं तो आपके कर लेता हूं सुबह से उसी में मुझे सब देवताओं के दर्शन हो जाते हैं (हंसी)
श्री भंवर सिंह शेखावत- कैलाश जी धन्यवाद आपको, लेकिन जैसा मैंने कहा है कि यह समस्या बहुत गंभीर है. माननीय मंत्री जी इस विषय को अगर हम ला सकें इसके लिये मैं आदरणीय वित्त मंत्री जी से भी निवेदन करूंगा कि बहुत सारे सदस्यों ने जो सुझाव दिये है, महत्वपूर्ण हैं कि उसके अंदर यदि आप फेंसिंग करने के लिये कोई सुविधा किसानों को दे दें, आर्थिक रूप से उनको अगर मदद मिल जाये तो वह अपने खेतों की फेंसिंग कर लें, जालियां लगा लें तो कम से कम किसान की फसलें बच जायें क्योंकि फसलें तो किसानों की बर्बाद हो ही रही है लेकिन इनकी नस्लबंदी करने या कुछ न कुछ इसमें आप करें क्योंकि आदमी मरने लगे हैं, मनुष्य बहुत बड़ी संख्या में अब मरने लगे हैं, इसलिये हमारी इस चिंता पर आप निश्चित रूप से विचार करेंगे ऐसा मुझे लगता है.
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले भी निवेदन किया है कि दक्षिण अफ्रिका के विषय विशेषज्ञों के सहयोग से नीलगाय का निस्तारण करने की कार्यवाही हम कर रहे हैं और कहीं भी ऐसे मामले हैं जहां पर पशुहानि हुई होगी, या किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई होगी तो आप मुझे लिखकर के दें दें तो 4 लाख रूपये जो सरकार ने नियम बनाये हैं और आरबीसी की धारा 6(4) के अंतर्गत हमारे माननीय विपिन जैन जी पूछ रहे थे तो उसमे 25 प्रतिशत राशि, पहले तो यह राशि भी नहीं मिला करती थी, भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जिसने 50 प्रतिशत और 33 प्रतिशत हम आरबीसी की धारा के तहत मुआवजा दे रहे हैं, 50 प्रतिशत भी दे रहे हैं और संपूर्ण क्षति होने पर हम 32 हजार रूपये हेक्टेयर के हिसाब से किसान को राहत राशि देते हैं. आप लोगो ने इस विषय पर चिंता की है तो इस पर फेंसिंग करने के लिये हमने कुछ बजट रखा है, मैं उस पर कार्यवाही करूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- मैं समझता हूं कि प्रश्न काफी गंभीर है और पिछले दिनों जो हमारा स्वतंत्र रूप से गोधन घूमता था उसके बारे में भी कई बार सदन में चिंता व्यक्त की गई तो उसके लिये सरकार ने गौशाला की योजना बड़े पैमाने पर बनाई है और उससे कुछ हद तक सफलता मिली है, लेकिन गौधन और घोड़ारोज इन दोनों में जमीन और आसमान का अंतर है. मैं समझता हूं कि गौधन के नुकसान को वायर फेंसिंग करके भी बचाया जा सकता है लेकिन घोड़ारोज से वायर फेंसिंग उसे रोक लेगी यह थोड़ा कठिन काम है, क्योंकि कम से कम 12 फिट तक यह घोड़ारोज छलांग लगाने में सक्षम है, तो आप वाउन्ड्री भी बनाओगे, तार की फेंसिंग भी करोगे तो कितनी करोगे, दूसरा क्या है कि घोड़ारोज को सिर घुसेड़ने की जगह मिलना चाहिये, वायर फेंसिंग में अगर उसका सिर घुस गया तो वह पूरी की पूरी चीज को तहस नहस कर देगा मतलब दीवाल को भी गिरा देगी वायर फेंसिंग तो दूर की बात है. यह तो वाल को भी गिरा देगी तार फेंसिंग तो दूर की बात है. मेरा मंत्री जी और डिप्टी चीफ मिनिस्टर साहब से आग्रह है कि इस मामले में संबंधित विभाग और विशेषज्ञों से सलाह करके कोई व्यवस्थित योजना बनाना चाहिए क्योंकि यह धन भी एक तरह से विकसित हो रहा है यह ज्यादा बढ़ जाएगा तो प्रदेश को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके सुझाव पर माननीय मुख्यमंत्री जी का ध्यान आकर्षित करूंगा और हम इस पर निश्चित रुप से कोई एक कारगर कदम उठाएंगे.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद.
वाहनों के अधिग्रहण में फर्जीवाड़ा
[परिवहन]
6. ( *क्र. 1231 ) श्री कैलाश कुशवाहा : क्या परिवहन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भोपाल एवं शिवपुरी जिला में वर्ष 2016 से 2024 तक मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री के किन-किन जिलों में कितने-कितने कार्यक्रम आयोजित हुए और उन कार्यक्रमों में कितनी राशि खर्च की गयी? परिवहन विभाग द्वारा कितनी-कितनी बसें, किस-किस जिले में अधिग्रहण की गयी और कितनी-कितनी राशि आवंटित की गयी? कितनी राशि का भुगतान किया गया? (ख) भोपाल एवं शिवपुरी जिले में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय भोपाल द्वारा वर्ष 2016 से 2024 तक मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री के विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा कितनी-कितनी राशि व कितनी-कितनी बसे अधिग्रहण की गई? (ग) कोरोना लॉकडाउन के तहत क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय भोपाल एवं शिवपुरी जिले द्वारा कितने-कितने वाहन बसें, मैजिक गाड़ी, लोडिंग एवं सभी प्रकार के ऑटो वाहन लगवाये गये और कितनी धन राशि खर्च की गई, किन-किन फर्मों के खातों में राशि डाली गई? (घ) क्या भोपाल एवं शिवपुरी जिले में "बस अधिग्रहण" में करोड़ों रुपये के फर्जी वाहन नम्बरों पर भुगतान किए जाने की शिकायतें की गई हैं? जिसकी जाँच परिवहन आयुक्त कार्यालय ग्वालियर को भेजी गई, परिवहन आयुक्त कार्यालय ने जाँच हेतु दिनांक 25.09.2019 को दो सदस्यीय टीम गठित की गई, जाँच समिति के दो सदस्यों के नाम एवं पद की जानकारी दें एवं आज तक की गई जाँच के दस्तावेज उपलव्ध करायें एवं दोषी अधिकारियों, कर्मचारियों एवं फर्जी भुगतान प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, की तो क्यों?
परिवहन मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह) -- (क) संबंधित जिलों के जिला कलेक्टर से प्राप्त जानकारी अनुसार प्रश्नावधि में माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय प्रधानमंत्री के भोपाल एवं शिवपुरी जिलों में आयोजित हुये कार्यक्रमों की संख्या, उक्त कार्यक्रमों में खर्च की गयी राशि, उक्त कार्यक्रमों हेतु अधिग्रहित की गयीं बसों की संख्या और कुल आवंटित राशि तथा अधिग्रहित वाहनों हेतु भुगतान की गई राशि की जानकारी परिशिष्ट - अ पर संलग्न है.
(ख) शासकीय कार्यक्रमों हेतु वाहनों का अधिग्रहण संबंधित जिला कलेक्टर द्वारा किया जाता है. भोपाल एवं शिवपुरी जिले में वर्ष 2016 से 2024 तक मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री के विभिन्न कार्यक्रमों हेतु अधिग्रहित की गई बसों की जानकारी परिशिष्ट - अ पर संलग्न है.
(ग) संबंधित जिला कलेक्टरों से प्राप्त जानकारी के आधार पर संकलित जानकारी परिशिष्ट - अ पर संगल्न है.
(घ) उक्त विषय के संबंध में दो सदस्यीय समिति द्वारा कोई जांच आदेशित होना अथवा जांचाधीन होना नहीं पाया गया. शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर सदन के पटल पर रखा है.
श्री कैलाश कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय, शिवपुरी एवं भोपाल जिले में माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय प्रधानमंत्री जी के कार्यक्रमों में लगाए गए वाहनों के संबंध में लापरवाही एवं भ्रष्टाचार करने के संबंध में शिकायतें पत्रों द्वारा एवं नागरिकों द्वारा की गई हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी के वर्ष 2016 से 2024 तक भोपाल में 48 एवं शिवपुरी जिले में 7 कार्यक्रम बताए गए हैं. भोपाल में 8528 व शिवपुरी में 930 बसों का लगाया जाना बताया गया है. वाहनों की सूची उपलब्ध नहीं कराई गई है. कई मोटर साइकिलों और लूना के नाम पर बसों का पेमेंट लिया गया है. मेरे पास सबूत है बिना सबूत के बात नहीं कर रहा हूँ. फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर डालकर भुगतान लिया गया है. इसी प्रकार से कोरोनाकाल में भी ऐसा भ्रष्टाचार हुआ है. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि ऐसा क्यों किया गया.
श्री उदय प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ कि जो शासकीय आयोजन होते हैं वे चाहे माननीय प्रधानमंत्री जी के हों या माननीय मुख्यमंत्री जी के हों इसमें एक व्यवस्था काम करती है. आयोजनों में जो वाहन उपयोग किए जाते हैं उनका अधिग्रहण स्थानीय कलेक्टर के द्वारा किया जाता है. वाहनों को सूचीबद्ध करना, उनको एकत्रित करके सरकार को उपलब्ध कराने का काम जिला प्रशासन के लिए परिवहन विभाग करता है. माननीय सदस्य ने कहा है कि वर्ष 2016 से 2024 के बीच में 48 कार्यक्रम भोपाल में और 7 कार्यक्रम शिवपुरी में हुए हैं. माननीय सदस्य ने कहा है कि इसमें बसों की संख्या भोपाल में 8528 और शिवपुरी में 930 है. कार्यक्रमों में जो खर्च किया गया है, उसमें भोपाल में 44 करोड़ 99 लाख रुपए और शिवपुरी में 5 करोड़ 2 लाख रुपए है. अधिग्रहित वाहनों को जो भुगतान किया गया है वह भी बहुत पारदर्शी तरीके से किया गया है. स्थानीय प्रशासन के द्वारा किया गया है. इसमें परिवहन विभाग या आरटीओ का इन्वाल्वमेंट नहीं रहता है. वाहनों को जो भुगतान किया गया है उसमें भोपाल में 7 करोड़ 12 लाख रुपए और शिवपुरी में 1 करोड़ 36 लाख रुपए की राशि भुगतान की गई है.
अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो कोविड काल का उल्लेख किया है. यह सही है कि उस दौर में भी भोपाल में 418 वाहन लगे थे शिवपुरी में 186 लगे थे. इसका जो भुगतान किया गया वह सदन के पटल पर रखा गया है. जैसा माननीय सदस्य कह रहे हैं उसके डिटेल्स स्थानीय स्तर पर वहां के कलेक्टर इनको उपलब्ध करवा सकते हैं. जो जानकारी हमारे पास है भोपाल में लगभग 100 से अधिक ट्रेवल्स के लोग हैं जिनकी सूची माननीय सदस्य को उपलब्ध कराई जा सकती है. इसी तरह से शिवपुरी जिले में 30 से 35 लोग हैं जिनको भुगतान किया गया है. किसी एक व्यक्ति को इसमें ओबलाइज करने का इंटेन्शन नहीं है. भुगतान करीब 100 से अधिक लोगों के खाते में किया गया है, जो इस बात को इंगित करता है. इसमें लगभग 9 हजार वाहनों का इस्तेमाल किया गया है. सैंकड़ों लोगों को अलग-अलग तरीके से स्थानीय प्रशासन ने भुगतान किया है. जहां तक मेरी जानकारी है इस तरह की कोई वित्तीय अनियमितता नहीं दिखाई देती या कोई छोटे वाहन जैसे बाइक या स्कूटी को भुगतान नहीं किया गया है. प्रथम दृष्टया यह उचित प्रतीत नहीं होता है. यदि सदस्य कोई ऐसी जानकारी उपलब्ध कराएंगे तो वह जांच का विषय हो सकता है.
श्री कैलाश कुशवाह-- माननीय मंत्री जी पहली बात तो आप जवाब देने में घबरा रहे हैं. पता नहीं ऐसा क्यों? मेरा यह कहना है कि मैं सबूत के साथ बात कर रहा हूं. अब प्रशासन आपका बैठा है कि हमारा बैठा है यह आप भी जानते हैं कि वह किससे मिलने कब आता है. मेरा कहना यह है कि क्या आप सब कुछ जनता के पैसे से ही करेंगे? सरकार के पैसे से ही अपना पेट भरेंगे. मैं कहना चाह रहा हूं कि परिवहन आयुक्त कार्यकाल में दो सदस्यीय समिति गठित करने के संबंध में पत्र क्यों लिखा. दो सदस्यीय समिति गठन की जांच के संबंध में मुख्य सूचना आयुक्त के समक्ष पत्र तत्कालीन आरटीओ भोपाल संजय तिवारी जी ने किस आधार पर पेश किया. इसमें जांच चल रही है एवं मुख्य सूचना आयुक्त ने भी माना है कि जांच प्रचलन में है. बस अधिकरण घोटाले के संबंध में यदि जांच नहीं चल रही है तो फिर परिवहन मंत्रालय, परिवहन आयुक्त कार्यालय में मध्य जांच के संबंध में पत्राचार क्यों हुआ. अगर जांच नहीं चल रही तो परिवहन आयुक्त कार्यालय में क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी भोपाल के मध्य जांच के संबंध में पत्राचार क्यों हुआ सूचना आयुक्त के यहां भी पत्राचार हुआ है. परिवहन विभाग ने इस पत्र के संबंध में मेरे प्रश्न का गलत जबाव दिया एवं सदन को गुमराह किया क्योंकि परिवहन विभाग बस अधिकरण घोटाल में दोषी अधिकारियों को बचाना चाहता है. हमारे पास पूरे साक्ष्य मौजूद हैं और हम इस पर कार्यवाही करेंगे मैं सम्पूर्ण प्रकरण में एसआईटी जांच करवाना चाहता हूं. मैं कहना चाह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- कैलाश जी प्रश्न आ गया है. भाषण करोगे तो प्रश्न घूम जाएगा.
श्री कैलाश कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, अब गरीब जनता का सवाल है. मैं कहना चाह रहा हूं कि भाजपा सरकार यह कहती है कि हम युवा बच्चों के लायसेंस मुफ्त में बना रहे हैं लेकिन शिवपुरी जिले के अलावा पूरे प्रदेश में परिवहन आरटीओ ऑफिस के सब दलाल घूम रहे हैं. पांच-पांच हजार रुपए में लायसेंस बना रहे हैं. आप यह बताइए कि ऐसा क्यों? हमारा मजदूर भाई, किसान भाई मजदूरी करके एक सपना देखता है कि मेरे घर में एक मोटरसायकल दो पहिंया वाहन हो, मेरे घर में एक कार हो कर्जा करके, वह एक गाड़ी लेता है वह बेचारा मजदूरी करके, मेहनत करके किश्त भरता है और किश्त पूरी हो जाती है, लेकिन फायनेन्स कटाने के टाइम पर पंद्रह से बीस-बीस हजार रुपए मांगा जाता है और मोटर सायकिल पर पांच हजार रुपए मांगा जाता है ऐसा क्यों? मैं माननीय मंत्री जी से जवाब चाहता हूं. एसआइटी का गठन भी करें.
श्री उदय प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य महोदय ने एक प्रश्न में अनेक चीजें जोड़ने का काम किया है. मूल प्रश्न इनका था कि माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी के आयोजनों में क्या खर्च हुआ और कैसे भुगतान हुआ. मैं बहुत ही जिम्मेदारी से आपके माध्यम से सदस्य को बताना चाहता हूं कि शासकीय आयोजनों में वाहनों का अधिकरण जिला कलेक्टर द्वारा किया जाता है. कलेक्टर के आदेश पर परिवहन विभाग आयोजन करने वाले विभाग को वाहन उपलब्ध कराता है और आयोजन करने वाला विभाग उसका भुगतान करता है. परिवहन विभाग की पेमेंन्ट आदि के भुगतान में कहीं कोई संलिप्तता नहीं रहती है इसलिए मुझे लगता है कि आपका जो प्रश्न है उसका जवाब स्वयं ही आपके सामने आ गया है.
श्री कैलाश कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी....
अध्यक्ष महोदय-- कैलाश जी काफी हो गया है.
श्री कैलाश कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि जांच होना चाहिए यदि जांच नहीं हुई तो मैं यहीं धरना दूंगा.
सिंध नदी पर निर्मित होने वाली जल संरचनायें
[जल संसाधन]
7. ( *क्र. 1058 ) श्री इंजीनियर हरिबाबू राय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला अशोकनगर की सीमा पर बहने वाली सिंध नदी पर कितनी जल संरचनायें निर्माणाधीन प्रस्तावित हैं? जिले का कितना सिंचाई क्षेत्र इन परियोजनाओं से लाभान्वित होगा? कितनी परियोजनाएं किस-किस नाम से निर्माणाधीन/प्रस्तावित हैं? कितने ग्रामों में कितना रकबा कितने कृषक लाभान्वित होंगे? कृपया नाम सहित बतायें। (ख) सिंध नदी पर कौन-कौन से स्थान पर यह परियोजनायें बन रही है? सैंच्य क्षेत्र के साथ योजना का साईट प्लान भी दर्शाकर जानकारी देने की कृपा करें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जिला अशोकनगर की सीमा पर बहने वाली सिंध नदी पर प्रस्तावित जल संरचनाएं, लाभान्वित सिंचाईं क्षेत्र की रकबा एवं कृषकवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) सिंध नदी पर प्रस्तावित/निर्माणाधीन परियोजनाओं के निर्माण स्थल एवं सैंच्य क्षेत्र की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
इंजीनियर हरीबाबू राय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्रमांक 1058
श्री तुलसीराम सिलावट-- अध्यक्ष महोदय, मैं उत्तर पटल पर रखता हूं.
इंजीनियर हरीबाबू राय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, परिशिष्ट दो में माननीय मंत्री जी के यहां से जानकारी मिली है और इन्होंने पांच योजनाएं सिंध नदी पर प्रस्तावित बताई हैं जिसमें एक योजना तो डूब क्षेत्र में आ रही है. इन्हीं योजनाओं के कारण मैं आपके माध्यम से यह पूछना चाहता हूं कि योजनाएं कब तक कार्य रूप में आ जाएंगी क्योंकि अशोकनगर जिला पूरा कृषि पर आधारित है और पानी का कोई स्त्रोत नहीं है. माननीय मंत्री जी लोकसभा के दौरान भी वहां गए थे. कुछ आश्वासन भी दिए थे. मैं चाहता हूं कि उन आश्वासनों को जल्दी से जल्दी पूरा किया जाये. अशोकनगर जिले में पानी की बहुत समस्या है इसलिए वहां नई योजनाओं के लिए भी प्रयास किये जायें. जिससे हमारे क्षेत्र में सिंचाई के साधन उपलब्ध हो सकें. हमारे क्षेत्र में बहुत कम केवल 4-5 प्रतिशत सिंचाई होती है, वहां की पुरानी सभी योजनायें खराब पड़ी हैं, उनका भी जीर्णोद्धार किया जाना बहुत जरूरी है.
श्री तुलसीराम सिलावट- माननीय अध्यक्ष महोदय, अशोकनगर में बहने वाली काली सिंध नदी पर जो 5 परियोजनायें प्रस्तावित हैं, सदस्य द्वारा उनके संबंध में पूछा गया है कि ये कब तब पूरी की जायेंगी. बोधी कार्यालय (Bureau of Design (Bodhi) Water Resources Department) में परियोजनायें परीक्षाधीन हैं, हम इन्हें जल्दी से जल्दी से पूरा करने का प्रयास करेंगे. आपने कहा कि मैं आपके क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के समय गया था तो मैं बताना चाहूंगा कि भाजपा जो कहती है, वह करती है. आप निश्चिंत रहें.
इंजीनियर हरीबाबू राय- मैं भी यही चाहता हूं कि कार्य शीघ्र पूर्ण हो. इसके लिए आपका बड़ा उपकार होगा, धन्यवाद.
रिक्त पदों की पूर्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
8. ( *क्र. 1495 ) श्री हरिशंकर खटीक : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला टीकमगढ़ के सिविल हॉस्पिटल जतारा के लिये एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्यावनी हेतु कितनी-कितनी राशि स्वीकृत की जा चुकी है? कृपया संपूर्ण जानकारी प्रदान करें। (ख) सिविल हॉस्पिटल जतारा के लिये जो भूमि आवंटित हुई थी, पर भवन निर्माण का कार्य क्यों बन्द है? कृपया संपूर्ण जानकारी प्रदान करें एवं जब प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्यावनी का जहाँ भवन निर्माण कराया जा रहा था, जिसके ठीक सामने खुला मुक्तिधाम है, वहाँ क्यों बनाया जा रहा था? ग्रामीणों की मांग के आधार पर अन्य स्थान की भूमि आवंटित कब तक कर दी जावेगी? (ग) जिले में चिकित्सकों एवं अन्य के रिक्त पदों को शासन से कब तक भरकर सिविल हॉस्पिटल जतारा का बन्द पड़ा भवन निर्माण कार्य पुनः चालू कर दिया जावेगा एवं पी.एच.सी. स्यावनी के भवन निर्माण हेतु अन्य स्थान की भूमि कब तक ग्रामीणों को मांग अनुसार आवंटित कर दी जावेगी? विभाग द्वारा प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की गई है?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जिला टीकमगढ़ के सिविल अस्पताल जतारा एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्यावनी हेतु स्वीकृत राशि की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) सिविल अस्पताल जतारा के लिये आवंटित भूमि मत्स्य पालन तालाब अंतर्गत थी, भवन की नींव खुदाई के दौरान अत्यधिक काली मिट्टी एवं साइट तालाब के पास होने से ग्राउण्ड वाटर टेवल ऊपर होने के कारण गड्ढों में लगातार पानी का रिसाव हो रहा था, साइट अस्पताल हेतु उपयुक्त नहीं होने के कारण आवंटित भूमि पर निर्माण नहीं कराया जा रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्यावनी का भवन निर्माण राजस्व विभाग द्वारा आवंटित भूमि पर कराया जा रहा है, प्लिंथ स्तर तक कार्य हो गया है, जिसमें राशि रूपये 12.91 लाख का व्यय हो चुका है। इसके अन्यत्र स्थान पर बनाने की कोई योजना नहीं है। (ग) पद पूर्ति एक निरंतर प्रक्रिया है, निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। वर्तमान 30 बिस्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का पुराना भवन जीर्ण शीर्ण होने के कारण उक्त परिसर में सिविल अस्पताल जतारा का कार्य शीघ्र प्रारंभ किया जायेगा। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्यावनी का भवन निर्माण अन्यत्र स्थान पर कराने की कोई योजना नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री हरिशंकर खटीक- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 1495 है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न का उत्तर सदन के पटल पर प्रस्तुत है.
श्री हरिशंकर खटीक- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पहला प्रश्न है कि टीकमगढ़ जिले की, जतारा विधान सभा मुख्यालय में सिविल अस्पताल स्वीकृत किया गया था, उसके लिए राशि भी स्वीकृत की गई थी, उसके टेण्डर भी हुए लेकिन जहां जमीन एलॉट की गई थी, वहां तालाब के वेस्टवेयर की रेत आने के कारण वहां का स्थान परिवर्तन करने का काम किया जा रहा है. हम चाहते हैं जहां हमारा CSC भवन बना हुआ है, उसके ठीक सामने उद्यानिकी विभाग की जमीन है, वह जमीन सिविल अस्पताल के लिए एलॉट की जाये.
मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि हमारे यहां स्यावनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्वीकृत हुआ था. उसके भवन का भूमि पूजन हमसे करवाया गया लेकिन जहां भूमि पूजन करवाया गया, वहां उसका काम प्रारंभ न होकर अन्यत्र हो गया, उसे रोकने के लिए हम बार-बार वहां गए लेकिन निर्माण एजेंसी द्वारा, दूसरी जगह उसका कार्य प्रारंभ कर दिया गया, जिसमें 12 लाख 91 हजार रुपये का भुगतान भी हो गया. जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बन रहा है, उसके ठीक सामने सड़क की दूसरी ओर खुला मुक्तिधाम है, वहां श्मशान की भूमि भी है. हमारा अनुरोध है कि जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का काम प्रारंभ हुआ था, उस काम को अन्यत्र किया जाये, इसके लिए जनता ने भी लिखकर दिया है कि वहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र न बनवाया जाये क्योंकि वहां खुला मुक्तिधाम है इसलिए उसका स्थान परिवर्तित किया जाये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये दोनों प्रश्न सिविल अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की साईट लोकेशन में परिवर्तन से जुड़े हुए मामले हैं. जैसा कि विधायक जी ने बताया कि 12 लाख रुपये खर्च भी हो गए हैं लेकिन उन्हें इसमें आपत्ति है. हम उनसे चर्चा करके क्या हो सकता है, उसका रास्ता निकालेंगे और सिविल अस्पताल में भी पुराना कम्युनिटी हेल्थ सेंटर है ही, वहां भी पुराने जर्जर भवन को तोड़कर सिविल अस्पताल में उसका उन्नयन कर, उसे बनाया जा सकता है. इसकी भी आपसे चर्चा करके, जैसा बेहतर रास्ता होगा, निकाला जायेगा.
श्री हरिशंकर खटीक- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि भोपाल से इस हेतु अधिकारी भेज दिये जायें. 15 दिनों में स्थान का चयन कर लिया जाये, हम उनके साथ रहेंगे, जहां अच्छे से अच्छी जमीन होगी, हम बता देंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा तीसरा प्रश्न है कि हमारे टीकमगढ़ में जो सिविल अस्पताल स्वीकृत हुआ, वहां मात्र एक ही चिकित्सक है. लथौरा, बमौरीकला की CSC में भी मात्र 1-1 चिकित्सक है. मेरे पूरे विधान सभा क्षेत्र में मात्र 6-7 चिकित्सक होंगे. मेरा निवेदन है कि मैंने पूरे टीकमगढ़ जिले का प्रश्न पूछा था कि जिले में चिकित्सकों के रिक्त पद कब तक भर दिये जायेंगे लेकिन मेरा आग्रह है कि अभी वर्तमान में कुछ चिकित्सकों की पदस्थापना टीकमगढ़ जिले और जतारा विधान सभा क्षेत्र में कर दी जाये, जिससे वहां व्यवस्थायें ठीक हो जायें. हमारे क्षेत्र के मरीज झांसी और ग्वालियर इलाज के लिए जाते हैं. उत्तरप्रदेश बॉर्डर से हमारा क्षेत्र लगा हुआ है. चिकित्सकों की व्यवस्था सिविल अस्पताल जतारा और CSC तथा PSC में हो जाये, कम से कम 5-7 चिकित्सकों की तत्काल वहां के रिक्त पदों पर पदस्थापना के आदेश जारी करें, ऐसा मेरा आग्रह है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके लिए बड़ी खुशी की बात है कि 1,388 विशेषज्ञ, 1,832 मेडिकल ऑफिसर्स की भर्ती हम अतिशीघ्र कराने वाले हैं, वह जो एडिशनल डॉक्टर्स हमको मिलेंगे, उनकी पदस्थापना में आपको प्राथमिकता दी जायेगी.
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद.
सैलाना विधानसभा में शासन को प्रेषित की गई परियोजना
[जल संसाधन]
9. ( *क्र. 1271 ) श्री कमलेश्वर डोडियार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सैलाना विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2016 से प्रश्न दिनांक तक स्वीकृति हेतु वरिष्ठ कार्यालय/शासन को कितनी परियोजना प्रेषित की गई? परियोजना का नाम दर्शाते हुए जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर यह बतायें कि कितनी योजना स्वीकृत हो गई? स्वीकृत योजनाओं के नाम दर्शाते हुए जानकारी दें कि उत्तर दिनांक तक कितनी योजनाओं पर निविदा आमंत्रित कर ली गई? कितनी योजनाओं पर कार्य प्रारंभ हो गया? (ग) रतलाम जिले में जल संरक्षण की प्रभावी योजना तैयार करने की दिशा में सरकार क्या करने जा रही है? सैलाना विधानसभा में एक बड़ा हिस्सा सूखे और बंजर होने के खतरे से जूझ रहा है? इस हेतु सरकार क्या कार्ययोजना अपनाने जा रही है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) सैलाना विधान क्षेत्र में वर्ष 2016 से प्रश्न दिनांक तक स्वीकृति हेतु 25 लघु योजनाओं के प्रस्ताव प्रेषित किये गये, जिनमें से 23 योजनाओं की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है। विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "अ" अनुसार है। (ख) प्रश्नांश 'क' के अनुसार 23 लघु सिंचाई योजनाओं की स्वीकृति प्राप्त है। इन सभी योजनाओं की निविदा आमंत्रित की जाकर 20 योजनाओं के कार्य पूर्ण हो चुके हैं एवं 3 योजनाओं में अनुबंध संपादित किए जा चुके हैं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "ब" अनुसार है। (ग) जल संरक्षण के अंतर्गत अति लघु जल संरचनाओं का निर्माण किया जाता है, ऐसी योजनाओं का निर्माण जल संसाधन विभाग द्वारा नहीं कराया जाता है। प्रश्नागत क्षेत्रान्तर्गत जल संसाधन विभाग द्वारा क्रियान्वित योजनाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "स" अनुसार है, इन योजनाओं से भी जल संरक्षण का कार्य होता है।
श्री कमलेश्वर डोडियार - माननीय अध्यक्ष महोदय, सैलाना विधान सभा क्षेत्र मे वर्ष 2016 से प्रश्न दिनांक तक स्वीकृति हेतु वरिष्ठ कार्यालय/शासन को कितनी परियोजना सिंचाई के लिए तालाब बनाने के लिए प्रेषित की गईं ? परियोजना का नाम दर्शाते हुए जानकारी उपलब्ध करावें और प्रश्न के आधार पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर यह भी माननीय मंत्री बताएं कि स्वीकृत योजनाओं के नाम दर्शाते हुए जानकारी दें कि उत्तर दिनांक तक तालाब चालू करने के लिए कितनी परियोजनाओं पर निविदा आमंत्रित की गई हैं और कितनी परियोजनाओं पर कार्य प्रारंभ हो गया है. रतलाम जिले में जल संरक्षण के प्रभावी योजना तैयार करने की दिशा में सरकार क्या करने जा रही है. सैलाना विधान सभा में एक बड़ा हिस्सा सूखाग्रस्त है.
अध्यक्ष महोदय - कमलेश्वर जी, आप प्रश्न मत पढि़ये. आप पूरक प्रश्न कीजिये. आपने प्रश्न पढ़ना शुरू कर दिया है.
श्री कमलेश्वर डोडियार - मेरा प्रश्न क्रमांक 1271 है.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय सदस्य ने रतलाम जिले की कितनी परियोजनाएं हैं, मैं इसका उत्तर दे चुका हूँ. उसके बाद भी, मैं सम्माननीय सदस्य को निर्मित रतलाम में 124 योजनाएं हैं. एक मध्यम एवं 123 लघु और सिंचाई 36,263 हेक्टेयर में निर्माणाधीन 4 लघु योजनाएं, सिंचाई 1,424 हेक्टेयर प्रस्तावित एक मध्यम सिंचाई 4,950 हेक्टेयर, 17 लघु योजनाएं हैं, जिसमें सिंचाई का रकबा 7,024 हेक्टेयर है, 15 लघु योजनाओं की स्वीकृति परीक्षण उपरान्त शीघ्र की जायेगी. सम्मानित सदस्य को यह अवगत करा रहा हूँ.
श्री कमलेश्वर डोडियार - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है, उसमें दो योजनाएं अभी चालू नहीं हुई हैं. दो योजनाओं में एक मान्दलिया घाट तालाब है, बाजना जनपद का है और एक रावटा नाला तालाब है, बाजना जनपद का है. यह दोनों वन विभाग की स्वीकृति के बाद शुरू होगी, ऐसा कहा जा रहा है. मेरा यह अनुरोध है कि लम्बे समय से वहां के लोगों की मांग है और जल्दी से जल्दी से वन विभाग से स्वीकृत करवाकर/अनुमति करवाकर इसे चालू किया जाये. ऐसी मेरी माननीय मंत्री जी से मांग है.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न आ गया है. अब मंत्री जी जवाब देंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय सदस्य ने जो भावना व्यक्त की है. वन विभाग की स्वीकृति आने के बाद अतिशीघ्र काम किया जायेगा.
श्री कमलेश्वर डोडियार - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने 25 योजनाओं का बताया है कि 23 अभी तक स्वीकृति के लिए भेजे गए हैं. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना है कि मैंने और मेरे क्षेत्र की जनता ने भी विधान सभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत बिरड़ी, ग्राम पंचायत बरड़ापाकड़ा, ग्राम पंचायत देवकाकुण्डल, ग्राम पंचायत बरड़ा और ग्राम पंचायत सैलेज के सेमलखेड़ी के लिए भी मांग पत्र दिए हैं, प्रस्ताव बनाकर दिए हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि इन सिंचाई योजनाओं के लिए, तालाब बनाने के लिए इन परियोजनाओं के लिए जल्दी से जल्दी स्वीकृति दी जाये, डीपीआर बनवाकर और जो 7 लघु परियोजनाएं हैं, इनकी अभी तक डीपीआर नहीं बनी है, इनकी लम्बे समय से मांग है. बाजना जनपद रूपारेल, ग्राम पंचायत देवली, कोटड़ातम्बोलिया की डोमेल तालाब, बोरखेड़ा, ग्राम पंचायत रूपापाड़ा का छपरा तालाब, ग्राम पंचायत बिन्टी का जोधपुरा बैराज, कोंडियापुड़ा, सैलेज का बोरपाड़ा बैराज और घटालिया ग्राम पंचायत का ढावरिया बैराज और बाकी तालाब मरकुल घटालिया और सादेड़ा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि मेरा विधान सभा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य वाला इलाका है. वहां ज्यादातर लोग पलायन पर चले जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय - कमलेश्वर जी, आप बैठ जाइये, आपकी बात आ गई है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. मोहन यादव जी की सरकार में आदिवासी भाइयों का विकास हो रहा है. आप देखिये, कमलेश्वर जी पहले सिर पर कपड़ा बांध कर आते थे, आजकल शैम्पू लगाकर आ रहे हैं.
श्री कमलेश्वर डोडियार - बहुत अवैध शराब बिक रही है, मैंने उनको पकड़ने के लिए ऐसा किया है.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो सम्माननीय सदस्य ने कहा है कि उनका इलाका आदिवासी है, ये हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में चल रही है, मैं उनको आश्वस्त करता हूँ कि आपकी भावनाओं के अनुरूप जो 8 आपकी योजनाएं हैं, आपने यह लिखा है कि लघु परियोजनाएं कब तक स्वीकृत होंगी, तो 2915 हेक्टेयर की 8 लघु योजनाओं की स्वीकृति परीक्षण उपरांत कर दी जाएगी.
स्थाई पट्टों की जानकारी
[राजस्व]
10. ( *क्र. 1023 ) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खरगापुर विधान सभा-47 की नायब तहसील कुड़ीला में नायब तहसीलदार कुड़ीला के द्वारा राजस्व प्रकरण क्र.96/अ/10/1984-85 के अनुसार भूमि खसरा क्र. 1/1 रकबा 3,228 का स्थाई पट्टा कौन-कौन से आवेदकों, कृषकों के नाम जारी किया गया था? संपूर्ण जानकारी सहित दस्तावेज उपलब्ध करायें। (ख) क्या जब नायब तहसीलदार कुड़ीला ने स्थाई पट्टा का आदेश जारी किया वह किसान 1984-85 में कितने वर्ष के थे कहाँ के निवासी थे? क्या दोनों आवेदक पति-पत्नी थे तथा नायब तहसीलदार कुड़ीला ने जिनके नाम पट्टा जारी किया, वह न्यायालय में आवेदन देने एवं पट्टे का आदेश लेने आये होगें? स्पष्ट करें। (ग) क्या उक्त बेश कीमती भूमि को पाने हेतु फर्जीवाड़ा किया गया है तथा स्थाई पट्टा प्राप्त करने वाले वाले वर्ष 1984-85 में आवेदक की जन्म तिथि 10.06.1985 तथा आवेदक की पत्नी की उम्र-जन्मतिथि के अनुसार 05.03.1986 है, क्या इस प्रकार का फर्जीवाड़ा करने वालों के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा कई पत्र शासन/प्रशासन को जाँच कराये जाने हेतु लिखे गये हैं? प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई तथा इसी आशय के प्रश्न के उत्तर में जी नहीं, जी नहीं, प्रश्न उपस्थित नहीं होता है, बताया गया था। जब पट्टा बनाये जाने की तारीख प्रकरण क्र. प्रश्नकर्ता को प्रश्न के माध्यम से बताया गया तो जी नहीं उत्तर दिया गया क्या प्रश्नकर्ता द्वारा जो प्रकरण क्रमांक दर्शाया है, वह है ही नहीं? यदि प्रकरण क्रमांक गलत है तो सही क्या है? संपूर्ण जानकारी सहित फर्जी पट्टा बनवाने वाले आवेदक पति, पत्नी सहित दण्ड के पात्र हैं? क्या दोनों के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) नायब तहसीलदार कुड़ीला के रा.प्र.क्र 96/3-19/1984-85 की राजस्व दायरा पंजी में उक्त नंबर पर श्री सुरेंद्र सिंह तनय चुरामन लोधी, श्रीमती भागवती, पत्नी सुरेंद्र सिंह लोधी के नाम ग्राम रमपुरा, नज.हटा की भूमि ख.नं. 1/3, रकबा 3.228 है. कर भूमि स्वामी स्थायी पट्टा जारी होना लेख किया गया है। फर्जी पट्टों की शिकायत होने पर कमिश्नर द्वारा गठित संयुक्त जाँच दल की रिपोर्ट अनुसार दायरा पंजी से बिना पट्टा जारी हुये अवैधानिक प्रविष्टियां दर्ज की थी, जाँच उपरांत दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध प्राथमिकी थाना बल्देवगढ़ में प्राथमिकी (FIR) 46/2025, दिनांक 08.02.2025 को दर्ज कराई जा चुकी है। प्रश्नानुसार सुरेन्द्र सिंह एवं भागवती लोधी को पट्टा जारी नहीं किया गया है। ख.नं. 1/1 के वर्तमान कम्प्यूटर अभिलेख में ख.नं. 1/1/1 लगायत 1/1/16 तक बटांकन दर्ज है। जिनके किसी भी बटांकन पर श्री सुरेंद्र सिंह तनय चूरामन लोधी एवं श्रीमती भागवती पति सुरेंद्र सिंह लोधी का नाम दर्ज नहीं पाया गया। वर्तमान कम्प्यूटर अभिलेख में ख.नं. 1/3 रकबा 5.878 है. भूमि शासकीय बंजर रूप में दर्ज है। जिस पर संबंधित का नाम दर्ज नहीं पाया गया है। वर्ष 1984-85 की दायरा पंजी के प्र.क्र. 96/3-19/84-85 आदेश दिनांक 30.09.1985 के अनुसार भूमि ख.नं. 1/3 रकबा 3.228 है. भूमि का पट्टा जारी होने का लेख है, जबकि वर्तमान में भूमि ख.नं. 1/3 रकबा 5.878 है. भूमि शासकीय बंजर के रूप में दर्ज है। जिस पर संबंधित के पट्टा जारी होने के संबंध में किसी भी प्रकार की कोई प्रविष्टि अंकित नहीं है। वर्तमान कम्प्यूटर खसरा बी-1 अभिलेख की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। साथ में दायरा पंजी में दर्ज प्रविष्टि की नकल संलग्न है। वर्ष 1984-85 की दायरा पंजी में दर्ज प्र.क्र. 96/3-19/84-85, आदेश दिनांक 30.09.1985 की खोज की गई जो न्यायालय नायब तहसीलदार कुड़ीला/डारगुवां एवं जिला अभिलेखागार टीकमगढ़ में उक्त प्रकरण उपलब्ध नहीं होना पाया गया है। (ख) उत्तरांश 'क' के अनुक्रम में प्रश्न उद्भूत नहीं होता है। (ग) शासकीय भूमियों की हेरा-फेरी के संबंध में शिकायत के आधार पर माननीय कमिश्नर सागर संभाग द्वारा गठित संयुक्त जाँच दल की रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण क्रमांक 108/थ-121/24-25, दिनांक 20.02.2025 अनुसार दोषी कर्मचारियों के विरुद्ध प्राथमिकी सूचना (F.I.R.) क्रमांक 0046/2025, दिनांक 08.02.2025 थाना बल्देवगढ़ में पंजीबद्ध कराया गया है। एफ.आई.आर. की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) उत्तरांश 'क' एवं 'ख' अनुसार।
अध्यक्ष महोदय -- श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर जी, पहले आप अपना प्रश्न क्रमांक बोलिए.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क्रमांक 1023 है.
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न क्रमांक 1023 का उत्तर पटल पर रखता हूँ.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले तो माननीय मंत्री जी को बधाई देती हूँ कि आपने मेरे प्रश्न के उत्तर में चार बाबूओं यानि लिपिकों पर कार्यवाही करते हुए एफआईआर दर्ज की है. मगर फर्जी पट्टा बनवाने वाले आवेदक पति-पत्नी को क्यों छोड़ दिया गया ? असली आरोपी तो वही हैं, जिन्होंने 1984-85 में नायब तहसीलदार कुड़ीला को आवेदन पत्र दिया था और नायब तहसीलदार कुड़ीला ने आवेदक पति-पत्नी के नाम से 1984-85 में स्थाई पट्टा जारी किया. जब पट्टा जारी हुआ, उस समय आप देखेंगे नाम, उम्र तथा जन्मतिथि के अनुसार, आवेदक की जन्मतिथि 10.06.1985 थी और आवेदक की पत्नी की जन्मतिथि 05.03.1986 थी, इन दोनों के विरुद्ध क्यों कार्यवाही नहीं की गई ? इस कार्यवाही को कब तक पूरा कर लिया जाएगा ?
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कुड़ीला का मामला है. कोई हमारे बाबूओं द्वारा पंजी पर पट्टा देना दर्शाया गया है, जबकि भवगति बाई और सुरेन्द्र सिंह को आज तक पट्टा नहीं मिला है और मैंने निर्देश जारी किए हैं कि भगवति बाई और सुरेन्द्र सिंह की भी जांच करके उनके खिलाफ भी कार्यवाही करेंगे. अभी यह काम पुलिस विभाग के पास है.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे माननीय मंत्री जी का तर्क सुनकर ऐसा लग रहा है कि जैसे आवेदक पति-पत्नी ने जमीन का पट्टा बनवाया ही न हो और बाबूओं पर मामला थोंपा गया है. क्या वे बाबू लोग आवेदक पति-पत्नी के घर गए थे कि हम लोग फर्जी पट्टा बनाते हैं, आप लोग भी बनवा लें ? माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बहुत वरिष्ठ हैं, विद्वान हैं, मैं उनका सम्मान करती हूँ, लेकिन मैं फिर पूछना चाहती हूँ कि इस अधूरी कार्यवाही को पूरा करते हुए पति-पत्नी पर एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करवा रहे हैं ? जो मुख्य आरोपी हैं, ऐसा तो नहीं कि वे आवेदक भाजपा के मण्डल अध्यक्ष हैं, इसलिए बचा रहे हैं ? मैंने कम्प्यूटर अभिलेखों के बारे में प्रश्न नहीं पूछा कि आप कहानी सुना रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है, 1984-85 में पट्टा बना है, आवेदक पति-पत्नी उम्र, जन्मतिथि, आवेदक की जन्मतिथि 10.06.1985 है और आवेदक की पत्नी की जन्मतिथि 05.03.1986 है, खसरा नंबर में दोनों के नाम हैं, नायब तहसीलदार कुड़ीला ने 1984-85 में दोनों के नाम पट्टा बनाया है. दोनों पट्टे फर्जी हैं. ऐसे फर्जीवाड़ा करने वाले पति-पत्नी पर एफआईआर दर्ज क्यों नहीं कराई जा रही है ?
श्री करण सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सही है कि चार बाबूओं ने गलत तरीके से पंजी में अंकित किया. मगर अभी भगवति बाई और सुरेन्द्र सिंह को पट्टा नहीं मिला है. परंतु आपने यह भी कहा है कि पट्टा उनका पंजीयन में चढ़ा है, क्या उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की तो यह प्रकरण अभी हमने पुलिस विभाग को दिया है. वे विवेचना कर रहे हैं. मुझे भी कहीं न कहीं लग रहा है कि क्योंकि वैसे तो वे पंजीयन करते नहीं, कहीं न कहीं भगवति बाई और सुरेन्द्र सिंह का भी हाथ उसमें है, तो उनके खिलाफ भी कार्यवाही करने का मैं आश्वस्त करता हूँ.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर -- माननीय मंत्री जी, मैंने शून्यकाल की सूचना भी पिछले सत्र में दी थी. उसमें आया भी था कि पढ़ी हुई मानी गई, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
अध्यक्ष महोदय -- अब आप बैठिए, समुचित उत्तर आ गया है.
स्वास्थ्य केन्द्रों के उन्नयन एवं रिक्त पदों की पूर्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
11. ( *क्र. 1085 ) श्री माधव सिंह (मधु गेहलोत) : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आगर जिला चिकित्सालय व आगर विधानसभा क्षेत्र में कितने सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, उप स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टरों, स्टाफ नर्स एवं अन्य स्टाफ के कितने पद स्वीकृत हैं? स्वास्थ्य केन्द्रवार जानकारी देवें। स्वीकृत पदों के विरूद्ध कितने रिक्त पद हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार आगर विधानसभा स्थित नगर परिषद कानड में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, ग्राम बिजानगरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं ग्राम तनोडिया के उप-स्वास्थ्य केन्द्र को उन्नयन किये जाने हेतु विभाग स्तर पर क्या कार्यवाही की जा रही है? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु क्या नगर परिषद कानड, के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, ग्राम बिजानगरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा ग्राम तनोडिया के उप-स्वास्थ्य केन्द्र का उन्नयन किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (घ) प्रश्नांश (क) अनुसार रिक्त पदों की पूर्ति कब तक कर दी जावेगी?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) वर्तमान में आगर विधानसभा स्थित नगर परिषद कानड प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, ग्राम बिजानगरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं ग्राम तनोडिया के उप स्वास्थ्य केन्द्र को उन्नयन किये जाने हेतु विभाग स्तर पर कोई कार्य योजना प्रस्तावित नहीं है। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) पदपूर्ति एक निरंतर प्रक्रिया है, निश्चित समयावधि बताया जाना संभव नहीं है।
श्री माधव सिंह(मधु गेहलोत) - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 1085 है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, उत्तर पटल पर रखा है.
श्री माधव सिंह(मधु गेहलोत) - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय उप मुख्यमंत्री जी के उत्तर से संतुष्ट हूं और उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं और मेरी डॉ.मोहन यादव जी की सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मेरे जिले के अंदर,मेरा जिला जो है शाजापुर से कटकर नया जिला बना आगर-मालवा वहां पर 200 बिस्तरों का अस्पताल बनाया गया और उसमें डायलिसिस की व्यवस्था पहले नहीं थी और इन्होंने डायलिसिस की व्यवस्था की है. इस एक वर्ष एक अंदर 20 उप स्वास्थ्य केन्द्र देने का काम किया और मैं निवेदन करना चाहता हूं. माननीय मुख्यमंत्री जी,माननीय उप मुख्यमंत्री जी मेरे जिले में आए हैं. गौ अभ्यारण के लिये, तो मैं पूरे सदन को निमंत्रण देता हूं सत्ता पक्ष के लोगों को भी और विपक्ष के लोगों को भी,एक छोटा सा सदस्य हूं. आप एक बार गौ अभ्यारण सालरी आएं और गौ माता की व्यवस्था देखें. मेरा विधान सभा क्षेत्र नंबर वन की पोजीशन पर काम कर रहा है. गौमाता के लिये, स्वास्थ्य के लिये,शिक्षा के लिये, हर प्रकार से डाक्टर मोहन यादव की सरकार मेरे यहां पर रोजगार के आयाम भी खड़े कर रही है मैं सरकार को बधाई देना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र का नाम पूरे प्रदेश में नहीं विदेश में भी नाम चल रहा है. 1320 मेगावाट की बिजली वहां पैदा हो रही है. जय हिन्द.जय भारत.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - मैं माननीय सदस्य को धन्यवाद देता हूं उन्होंने अपने क्षेत्र की समस्याएं उठाईं और उसका समाधान हुआ.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, आप उम्मीद कर रहे हैं कि माननीय मंत्री जी भी माननीय मुख्यमंत्री जी की तारीफ करें. एक बात और मैं कहना चाहता था अगर इजाजत हो,आपने हमारी विधान सभा परंपराओं को बदलकर लोक सभा की दिशा में ले जा रहे हैं.बहुत सी लागू कर रहे हैं. अभी माननीय मुख्यमंत्री जी ने सदन में प्रवेश किया. मैंने बहुत सालों से देखा. 1980 में भी देखा. अधिकारी दीर्घा में बैठे हुए अधिकारी कभी खड़े नहीं होते थे.मुख्यमंत्री प्रवेश कर जाते थे लेकिन यह नयी परंपरा देखी है अब वे मुखिया तो हैं प्रदेश के,सदन के नेता भी हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - नहीं नहीं खड़े होते थे. शुरू से खड़े होते थे.
जल संसाधन मंत्री( श्री तुलसीराम सिलावट) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सम्मान सूचक है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - यह प्रोटोकाल है. मुख्यमंत्री जब भी आते हैं खड़े होते हैं.
अध्यक्ष महोदय - उस समय राजेन्द्र सिंह जी आपका ध्यान नहीं गया होगा.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, लोक सभा में होता है यह. लोक सभा में नहीं होता.मैंने देखा है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - लोक सभा में प्रवेश दूसरे स्थान से होता है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री प्रहलाद सिंह पटेल) - आफीसर्स गैलरी में लोग खड़े होते हैं.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह - मैं लोक सभा का सदस्य नहीं रहा हूं.
लोक निर्माण मंत्री(श्री राकेश सिंह ) - अध्यक्ष महोदय, जब सदन में माननीय प्रधानमंत्री आते हैं. प्रधानमंत्री देश में और मुख्यमंत्री प्रदेश में यह सर्वोच्च लोकतांत्रिक व्यवस्था का पद है इसलिये उसको जनता के द्वारा ही चुना हुआ माना जाता है. यह तो सामान्य परंपरा,शिष्टाचार है. सरकार कांग्रेस की हो या भारतीय जनता पार्टी की लोकतंत्र के प्रति ब्यूरोक्रेसी का यह सम्मान होना ही चाहिये.
सहकारिता मंत्री(श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - यह सम्मान आप लोग भी सीखें.आप सब भी खड़े हुआ करें कृपा करके हम लोगों के साथ में.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह - लोक सभा में होता है नयी परंरपाएं शुरू कर रहे हैं लेकिन मेरा कहना एक और है कि हमारी विधान सभा को विधान सभा ही रहने दें.इसको लोकसभा में परिवर्तित न करें. आपने कल से कई नवाचार शुरू कर दिये हैं विधान सभा में इसको मध्यप्रदेश विधान सभा ही रहने दें.
अध्यक्ष महोदय - हां.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, 2019 में मेरे विधान सभा क्षेत्र में 100 बिस्तरों का अस्पताल बना था और मैं कई बार माननीय मंत्री जी को लगभग 8 पत्र दे चुका हूं कि उसके उपकरण अभी तक नहीं आए. कुछ उपकरण अभी उपलब्ध हुए हैं मगर पूर्ण रूप से उपलब्ध न होने से वह अस्पताल संचालित नहीं हो पा रहा है. वहां डाक्टर्स की कमी है,पैरामेडिकल स्टॉफ की कमी है तो मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि उन कमियों को पूरा किया जाए ताकि उस अस्पताल को चालू किया जा सके.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अध्यक्ष महोदय, जो हॉस्पिटल की बिल्डिंग बन गई है उसके उपकरण फर्नीचर उसी के साथ स्वीकृत हो जाते हैं, उसके साथ प्रोक्योरमेंट का एक प्रोसेस है. जल्दी से जल्दी व्यवस्थायें हो जायेंगी.
श्री सोहन लाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2019 से है अभी तक नहीं मिल पाया है.
भवन निर्माण एवं रिक्त पद
[स्कूल शिक्षा]
12. ( *क्र. 1352 ) श्री हरी सिंह सप्रे : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र कुरवाई जिला विदिशा में कितने सी.एम. राईज स्कूल स्वीकृत हैं? कितने सी.एम. राईज स्कूल निर्माणाधीन हैं, उक्त स्कूलों का निर्माण किस एजेंसी/ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है? कार्य पूर्ण होने की अनुबंध अवधि कब तक की है? अनुबंध की प्रति एवं ड्रॉईंग की प्रति स्कूलवार उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कुरवाई विधानसभा क्षेत्र के कितने सी.एम. राईज स्कूलों में छात्र-छात्राओं हेतु परिवहन सुविधा है एवं उक्त परिवहन किस एजेंसी के माध्यम से किया जा रहा है? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार कुरवाई विधानसभा क्षेत्र के सी.एम. राईज स्कूलों में स्टाफ के कितने पद रिक्त हैं? रिक्त पदों के विरूद्ध कितने अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं? रिक्त पदों की पूर्ति कब तक की जावेगी? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में डांस, संगीत के कितने शिक्षक हैं, कितने पद रिक्त हैं? जानकारी देवें।
स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री उदय प्रताप सिंह ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। पदों की पूर्ति एक सतत् प्रक्रिया है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
श्री हरिसिंह सप्रे- प्रश्न संख्या-12 प्रश्न क्रमांक 1352
श्री उदय प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, उत्तर सभा के पटल पर रखा गया.
श्री हरिसिंह सप्रे-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, माननीय मुख्यमंत्री जी एवं शिक्षा मंत्री जी को मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि मेरी कुरवाई विधान सभा क्षेत्र में सीएम राइज बिल्डिंग बन रही है, इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं, परंतु ठेकेदार की लेट लतीफी के कारण थोड़ा काम में डिले हो रहा है. इसलिये मैं माननीय शिक्षा मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि उसको दिखवा लें और उसको जल्दी बनवा लें. धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय.
श्री उदय प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहता हूं कि शुरूआती दौर में भूमि पर हाईकोर्ट का स्टे होने के कारण विलंब हुआ है, लेकिन इसकी जो निर्धारित समयावधि तय की गई है उस समयावधि में भवन निर्माण कराकर और जो माननीय मुख्यमंत्री जी की मंशा है कि मध्यप्रदेश का एक सीएम राइज के माध्यम से बच्चों को बेहतर शिक्षा की हम व्यवस्था उपलब्ध करायें कुरवाई विधान सभा में भी, वह शुभ दिन जल्दी आयेगा. वर्ष 2025 में हमारी कोशिश होगी कि इनका भवन तैयार हो और माननीय मुख्यमंत्री जी के माध्यम से उन बच्चों को हम इस एकेडमिक ईयर में आखिर तक यह सुविधा उपलब्ध करायें.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य, कोई दूसरा पूरक प्रश्न तो नहीं है.
श्री हरिसिंह सप्रे-- जी नहीं, धन्यवाद.
प्रश्न संख्या 13 - (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या 14 - (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या 15 - (अनुपस्थित)
परीक्षाओं का संचालन
[लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा]
16. ( *क्र. 1453 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मार्च 2020 से प्रश्न दिनांक तक विभाग अन्तर्गत लोकायुक्त, सी.बी.आई., ई.ओ.डब्ल्यू., ई.डी. सहित अन्य जाँच एजेन्सियों में कितनी शिकायतें, एफ.आई.आर., किन के विरूद्ध, किन धाराओं में कब दर्ज हुई? संबंधितों के नाम, पदनाम, कार्यालय का नाम, सहित संपूर्ण जानकारी गौशवारा बनाकर बतायें। (ख) उपरोक्त के अनुक्रम में कितने प्रकरणों में लोक अभियोजन की स्वीकृति चाही गई थी? कितने प्रकरणों में प्रदान की गई? कितने प्रकरणों में किन कारणों से लंबित है? (ग) क्या म.प्र. आयुर्विज्ञान वि.वि. जबलपुर एवं म.प्र. नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल के एकेडमी कैलेन्डर जारी किये गये थे? यदि हाँ, तो इसमें वर्णित किन कार्यों को निश्चित समयावधि में पूर्ण किया गया है? कितने कार्य किन कारणों से कब से लंबित हैं? उन पर कब तक कार्यवाही पूर्ण कर ली जायेगी? (घ) प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में वर्ष 2019 से प्रश्न दिनांक तक उपरोक्त संस्थानों में कितने छात्र-छात्राओं को परीक्षाओं के लिये पंजीकृत कर परीक्षा के संचालन की कार्यवाही की गई? जिलेवार, कॉलेजवार पृथक-पृथक बतायें। (ड.) उपरोक्त के अनुक्रम में नर्सिंग काउंसिल से गायब दस्तावेजों, सी.सी.टी.व्ही. फुटेज की शिकायत एवं एफ.आई.आर. की कॉपी और किसके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो क्यों? (च) वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 में न्यायालयीन प्रकरणों में किन-किन अधिवक्ताओं को अनुबंधित किया गया? कितने प्रकरणों में किस दर से कब और कितना भुगतान किया गया?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा (श्री राजेन्द्र शुक्ल)
श्री जयवर्द्धन सिंह-- प्रश्न संख्या-16, प्रश्न क्रमांक 1453
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष जी, उत्तर सभा के पटल पर रखा गया.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- अध्यक्ष महोदय, बहुत ही गंभीर मामला है नर्सिंग कॉलेज के संबंध में इसमें सबसे पहला प्वाइंट मेरा यह रहेगा कि जैसा कि माननीय मंत्री जी ने पहले भी घोषणा की थी जब हमने पिछली बार इस मुद्दे को उठाया था ध्यानाकर्षण के माध्यम से 2 जुलाई 2024 को कि एक साल के अंतर्गत सभी नर्सिंग छात्रों की जो परीक्षायें हैं वह पूर्ण की जायेंगी, लेकिन अफसोस की बात यह है अध्यक्ष महोदय कि जो नर्सिंग केलेण्डर यूनिवर्सिटी के द्वारा जारी किया गया था उसका अभी तक पालन नहीं हुआ है. माननीय मंत्री महोदय के विभाग के द्वारा नवम्बर 2024 को बी.एससी. सेकेण्ड ईयर बेच 2020-2021 की परीक्षा होने वाली थी, नहीं हो पाई. अक्टूबर-नवम्बर 2024 में बी.एससी. फोर्थ ईयर की परीक्षा होने वाली थी वर्ष 2019-2020 बेच की, वह नहीं हो पाई. एम.एससी. सेकेण्ड ईयर की 2020-2021 की परीक्षा अक्टूबर-नवम्बर 2024 में होने वाली थी, वह नहीं हो पाई. जनवरी 2025 में 2020-21-22 की एम.एससी. की परीक्षा होने वाली थी, वह नहीं हो पाई. मेरा मूल प्रश्न यह है अध्यक्ष महोदय, जब यूनिवर्सिटी के आदेश के बाद केलेण्डर जारी होने के बाद भी यह परीक्षायें नर्सिंग छात्रों की नहीं हो पा रही हैं ऐसा क्या कारण है क्योंकि मंत्री जी की जुलाई 2024 में एक घोषणा के बाद जो शेष फीस छात्रों की बची थी वह इनके कारण उन्होंने जमा कर दी कॉलेजों में, लेकिन अभी तक उनको न्याय नहीं मिल पा रहा है. अध्यक्ष महोदय, मेरा यही आग्रह है माननीय मंत्री जी से कि ऐसा क्या कारण है कि विभाग आपकी बात नहीं सुन रहा है. यूनिवर्सिटी के द्वारा जो जारी शेड्यूल है उसका पालन क्यों नहीं हो पा रहा है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पिछले दिनों भी सदन में आपके सामने बोला था कि एक लाख से ज्यादा बच्चों की परीक्षायें मई 2024 से लेकर मार्च 2025 एक साल अभी नहीं हुआ है मई से शुरू हुआ है और मार्च अभी चल रहा है मैंने एक लाख बोला था, एक लाख बीस हजार बच्चों की परीक्षायें भी हो गई हैं, उनका परीक्षा परिणाम भी घोषित हो गया है तो इसलिये यह कहना सही नहीं है कि परीक्षायें नहीं हुई हैं. वर्ष 2022-23 की जीएन की परीक्षा जैसे अभी एक प्रश्न आया था, वह 1 अप्रैल से 8 अप्रैल की बीच में हो जायेगा. वर्ष 2019-20 2020-21 और 2021-22 इसकी सारी परीक्षायें हो भी गई हैं, इसके सारे परिणाम घोषित भी हो गये हैं. इसलिये जो भी आपके पास जानकारी है यूनिवर्सिटी के कलेण्डर को लेकर, वह मुझे लगता है उसे आप फिर से एक बार देख लें.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मंत्री जी के द्वारा जो उत्तर दिया गया है, उसी में है, आप चाहें तो स्वयं देख लीजिये. माननीय मंत्री जी आपके द्वारा जो उत्तर दिया गया है, उसी में ही जो परिशिष्ट ''स'' है, उसमें जो आपने सभी कैलेंडर्स जारी किये हैं, उसी कैलेंडर में जिस भी कैलेंडर का उल्लेख है और जिसमें सभी जो नर्सिंग कॉलेज की जो परीक्षाएं थीं, उसका शेड्यूल दिया गया था, उसका पालन नहीं किया गया है. माननीय मंत्री जी आपके ही उत्तर में मुझे यह जानकारी दी गई है. मैं आखिरी प्वाइंट सदन के संज्ञान के लिये कहना चाहता हूं कि अकेले एक अधिवक्ता को इस पूरे केस के लिये दो करोड़ रूपये की राशि सरकार के द्वारा दी गई है. एक साल में दो करोड़ रूपये का भुगतान एक वकील को किया गया है. मेरे हिसाब से इस केस को लड़ने के लिये सरकार की तरफ से जो राशि दी गई है, बहुत अधिक है और जो उचित नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे
नियम 267-क के अन्तर्गत विषय
अध्यक्ष महोदय-- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएँ सदन में पढ़ी हुई मानी जाएँगी.
क्रं. सदस्य का नाम
1 डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय
2 श्री कैलाश कुशवाह
3 इंजी. प्रदीप लारिया
4 श्री विपीन जैन
5 श्री प्रताप ग्रेवाल
6 श्री सोहनलाल बाल्मीक
7 डॉ.रामकिशोर दोगने
8 श्री आशीष गोविन्द शर्मा
9 श्री अभय मिश्रा
10 श्री दिनेश गुर्जर
12.02 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यगण, कल और परसों माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण की चर्चा के दौरान बीच में कई बार थोड़ी सी अप्रिय स्थिति उत्पन्न हुई और उसके कारण बाकी सदन के लोगों को भी मुझे लगता है कि उचित नहीं लगा होगा और मेरा मन भी बहुत व्यथित हुआ. परसों श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे जी ने जो वक्तव्य दिया, कल श्री भूपेन्द्र सिंह जी ने जो वक्तव्य दिया, वह निश्चित रूप से थोड़ा सा अनुचित मुझे लगा और मैंने भी एक तौर से उसको बहुत गंभीरता से लिया, चूंकि हम सभी मध्यप्रदेश के हैं और मध्यप्रदेश की विधानसभा में बहुत सारे सदस्य अनेक वर्षों से आ रहे हैं और विधानसभा में हमारे पूर्वजों ने भी बहुत अच्छी परंपराएं स्थापित की हैं, जिसके कारण मध्यप्रदेश की विधानसभा की देश भर में जो प्रतिष्ठा है, वह अग्रणी स्थान पर सामान्य तौर पर रहती है, लेकिन कई बार शब्दावली ऐसी हो जाती है, जो उचित नहीं कही जा सकती है और इसके कारण हम सबका यह प्रयत्न होना चाहिए कि शब्दावली में सुधार हो और हम व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप से बचें. कल माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी और हमारे सदन के वरिष्ठ सदस्य श्री राजेन्द्र कुमार जी, दोनों ने प्वाइंट ऑफ आर्डर के जरिये भी अपनी बात व्यक्त की थी और मैं इस पर आज यह व्यवस्था दे रहा हूं और मैंने दोनों सदस्यों के वक्तव्यों को मंगाकर, कार्यवाही को पढ़ा है और उसमें जो उपयुक्त नहीं है, जिससे सदन की मर्यादा कहीं न कहीं प्रभावित होती है, ऐसे शब्दों को विलोपित किया है.(मेजों की थपथपाहट) मेरी अपेक्षा है कि कोई भी सदस्य इस बात का ध्यान रखे कि व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोपों से बचे और ऐसी शब्दावली का उपयोग न करें, जिससे हमारी सदन की पंरपरा हमेशा के लिये प्रभावित हो और कलंकित हो, ऐसी मेरी आप सब लोगों से अपेक्षा है.
संसदीय कार्यमंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मैं पूरे सदन की ओर से आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं और निश्चित रूप से यह मध्यप्रदेश विधानसभा की गरिमा के लिये बहुत उचित है.
अध्यक्ष महोदय -- अब इस प्रकरण का एकदम पटाक्षेप है, आगे आप सभी ध्यान रखें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि आपकी अनुमति हो तो मैं कुछ कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- अभी नहीं. श्री राजेन्द्र शुक्ल जी आप बोलें.
12.04 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड का 8वां लेखा परीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा(श्री राजेन्द्र शुक्ल ) -- अध्यक्ष महोदय, मैं कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड का 8वां लेखा परीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022 पटल पर रखता हूं.
(2) जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2022-2023
(3) आयुक्त नि:शक्तजन, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
(4) (क) मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड का 22वां वार्षिक प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2023-2024 एवं
(ख) मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, इन्दौर का 22वां वित्तीय वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024
(5) (क) (i) विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन (म.प्र.) का 67 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024 एवं
(ii) रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024 तथा
(ख) अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल का 12वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024
(6) मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
(7) एमपी इण्डस्ट्रीयल डेवलपमेन्ट कार्पोरेशन लिमिटेड का 44वां वार्षिक प्रतिवेदन तथा लेखे वित्तीय वर्ष 2020-2021 (31 मार्च, 2021 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए)
12:07 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति.
12:07 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति.
अध्यक्ष महोदय – आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएंगी.
12:07 बजे लोक लेखा, प्राक्कलन, सरकारी उपक्रमों संबंधी तथा स्थानीय निकाय एवं
पंचायतीराज लेखा समितियों के लिए सदस्यों का निर्वाचन.
12.10 बजे
निर्वाचन
का कार्यक्रम
अध्यक्ष महोदय—अब राज्यपाल के अभिभाषण का पुनर्ग्रहण होगा. नेता प्रतिपक्ष माननीय उमंग सिंघार जी कृपया बोलें.
श्री सोहनलाल वाल्मीक—अध्यक्ष महोदय, हेमंत भाई जी के विषय में बातचीत हुई थी.
अध्यक्ष महोदय—वह विषय समाप्त हो चुका है.
श्री सोहनलाल वाल्मीक—अध्यक्ष महोदय, उन्होंने समय मांगा था कि आप मुझे आरोप पत्र का जवाब देने के लिये समय दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय—अब नेता प्रतिपक्ष जी बोल रहे हैं आप कृपया सहयोग करें.
श्री सोहनलाल वाल्मीक—अध्यक्ष महोदय, जो आरोप पत्र दिया गया है उसका जवाब देने के लिये मौका दिया जाये, ताकि पूरी स्थिति साफ हो जाये.
अध्यक्ष महोदय—मैं इस पर व्यवस्था दे चुका हूं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष महोदय, मुझे पर आरोप लगा है मेरा अधिकार है उस पर उत्तर देने का.
अध्यक्ष महोदय—नेता प्रतिपक्ष को बोलने के लिये आमंत्रित करता हूं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष महोदय, मुझ पर आरोप लगा है उसका उत्तर देने का अधिकार है. मेरे ऊपर सदन में आरोप लगा है उसका मैं उत्तर देना चाहता हूं.
(संसदीय कार्य मंत्री) श्री कैलाश विजयवर्गीय—आप विधान सभा की प्रक्रिया तो समझो जरा. एक बार माननीय अध्यक्ष जी ने कोई व्यवस्था दे दी उस व्यवस्था के ऊपर कोई खड़ा नहीं हो सकता. उनके आदेश हो गये सदन ने उसको मान लिया. उसके बाद आपको कैसे अधिकार मिलेगा.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष महोदय, आरोप पत्र मिला है तो उसके जवाब का उत्तर भी मिलेगा, यही परम्परा रही है. आप भी थोड़ा देखियेगा.
(संसदीय कार्य मंत्री) श्री कैलाश विजयवर्गीय—मुझे आप विधान सभा की प्रक्रिया समझाएंगे.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष महोदय,अगर थोड़ी सी मालूम होगी तो बताने में क्या हर्ज है.
(संसदीय कार्य मंत्री) श्री कैलाश विजयवर्गीय—हम कह रहे हैं कि हमारी बात मान लो एक बार व्यवस्था हो जाये उसके कोई खड़ा नहीं होता है आसंदी पर.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे-- अध्यक्ष महोदय,हमको पता होगा तो मैं उसको बता सकता हूं. आप इसको अनावश्यक रूप से क्यों ले रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय—माननीय श्री उमंग सिंघार जी.
12.13 बजे (6) राज्यपाल के अभिभाषण पर श्रीमती अर्चना चिटनीस, सदस्य द्वारा प्रस्तुत निम्नलिखित प्रस्ताव पर चर्चा का पुनर्ग्रहण... (क्रमशः)
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मेरे दल की ओर से मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आपने जो व्यवस्था दी है कि व्यक्तिगत किसी पर टिप्पणी नहीं होगी, इसका मैं आपको विश्वास दिलाता हूं. लेकिन जो कल हुआ अगर किसी ने आरोप लगाया है तो उस आरोप का जवाब देने का अधिकार है, यह व्यवस्था है. इस पर भी आपको विचार करना चाहिये. लोकतंत्र और संसदीय परम्पराएं आप नयी परम्पराएं बना रहे हैं.लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार परम्पराओं को तोड़ना चाहती है. विधान सभा के सत्र छोटे होते जा रहे हैं विधायक तथा जनप्रतिनिधि अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं. ऐसा लगता है कि इस लोकतंत्र को एक जंजीर में जकड़ा जा रहा है. एक व्यवस्था को बदलाव की तरफ किया जा रहा है. कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा रोकी गई इस विधान सभा में जो विधान सभा की कार्यवाही में स्पष्ट है. मैं सबसे पहले सत्तापक्ष से यही चाहूंगा कि आप इस परम्परा और संसदीय लोकतंत्र के मंदिर को आप जिन्दा रखना चाह रहे हैं कि नहीं ? यह माननीय मुख्यमंत्री जी से चाहूंगा कि आपके भाषण में यह चीज स्पष्ट हो ताकि प्रदेश की जनता को लगे कि आप जनता की हर बात सुनने में विश्वास रखते हैं. और विपक्ष बोलता है तो आपकी जो गलतियां हैं या खामियां हैं हम उसको याद दिला रहे हैं जो आपने घोषणा पत्र में कहा था, जो आप नहीं कर पा रहे हैं. अगर विपक्ष नहीं बोलेगा, तो प्रदेश की जनता को न्याय नहीं मिलेगा. उसको अधिकार नहीं मिलेंगे. क्यूबा के क्रांतिकारी लीडर ची ग्यूवारा ने कहा है "मैंने कब्रिस्तान में उन लोगों की कब्र भी देखी है जिन्होंने इसलिए संघर्ष नहीं किया, कि कहीं वे मारे न जाएं". तो मैं समझ सकता हॅूं. (कई सदस्यों के एक साथ अपने-अपने आसन पर बैठे हुए कुछ कहने पर) यह हिन्दू-मुस्लिम पर आ गए. यही है विकास की बात हो रही है मुद्दों की बात हो रही है. अब आ गए.
अध्यक्ष महोदय -- देखिए, कृपया, दोनों पक्षों से मेरा अनुरोध है कि अब नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री जी बोल रहे हैं. चर्चा करने का पर्याप्त मात्रा में लोगों को अवसर मिला है और आगे बजट में भी लोगों को मिलेगा, इसलिए टोका-टोकी नहीं करना चाहिए.
श्री उमंग सिंघार -- आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि हिन्दुओं में भी गाडे़ जाते हैं आपको नहीं पता है शर्मा जी. (श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य के अपने आसन से कुछ कहने पर) कई जातियां हैं. हमारे आदिवासियों में भी कब्र गाडे़ जाते हैं. आपका ज्ञान अल्प है.
12.16 बजे
{सभापति महोदया (श्रीमती झूमा डॉ.ध्यान सिंह सोलंकी) पीठासीन हुईं.}
सभापति महोदया, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ज्ञान की बात की. ज्ञान युवा शक्ति, गरीब कल्याण किसान कल्याण, नारी शक्ति मिशन प्रारंभ किया गया. माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के इस मंत्र को हम मानते हैं कि ठीक है आपने पहले जल जीवन मिशन शुरू किया था लेकिन प्रदेश में जल जीवन मिशन की क्या स्थिति है. गर्मी आने वाली है लेकिन आज भी आम व्यक्ति के घर पर पानी नहीं पहुंच पा रहा है. पीले-नीले पाइप बाहर बिखरे पडे़ हैं लेकिन नल की टोटियां नहीं लग पायी हैं. यह ज्ञान की बात है. उस गरीब की बात हो रही है. यह कैसा ज्ञान का मंत्र है.
सभापति महोदया, इन्होंने युवा की बात की. वाय मतलब युवा. प्रदेश के अंदर हजारों युवाओं को नौकरियां नहीं हैं. पीएससी के छात्र धरने पर बैठे हैं. मुख्यमंत्री जी ने उनको आश्वासन दिया कि हम उनको देखेंगे. हम आपके लिए नई नौकरियों के द्वार खोलेंगे. लेकिन मेरे ख्याल से 3 महीने होने जा रहे हैं, जो छात्र नेता थे उन पर केस लाद दिये गये. लेकिन आप इस प्रदेश के छात्रों की बात नहीं कर रहे हैं.
सभापति महोदय, इसी तरह से लाड़ली बहना के बडे़-बडे़ पोस्टर लगे थे कि बहनों को 3 हजार रूपए मिलेंगे. लेकिन सरकार ने उस पर से भी अपना मन बदल लिया. स्कील्ड डेवलपमेंट को लेकर सरकार के कई दावे हैं. मैं यह जानना चाहता हॅूं कि प्रदेश में आपने स्कील्ड डेवलपमेंट में कितने छात्रों को ट्रेंड किया. प्रदेश के कितने छात्र उद्योगों में लगे, कितने छात्रों को काम मिला, इसके बारे में कोई आंकडे़ नहीं हैं. यह राज्यपाल महोदय जी के अभिभाषण में भी नहीं है. कल मैंने बजट के भाषण में भी देखा.
सभापति महोदया, मेक इन इंडिया की बात हुई. वैसे मैं आपको जानकारी दे दूं कि देश के 70 परसेंट स्टॉर्टअप इंडिया से बाहर हो गए, जिन्होंने पैसा लगाया, वे पीछे हो गए. यह रिपोर्ट है यह मेरे पास प्रमाण है तो कैसे देश और आपका प्रदेश आत्मनिर्भर हो रहा है, मुझे यह समझ नहीं आता.
सभापति महोदया, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में ईजी ऑफ डूइंग बिजनेस की बात हुई. बिजनेस रिफॉर्म एक्शन प्लॉन में वर्ष 2024 में मध्यप्रदेश की रैकिंग 12 वें नंबर पर है. रिकग्नाइज फॉर रिफॉर्म. यह रिपोर्ट है और आप पहले नंबर पर मध्यप्रदेश को कहते हैं. सदन के अंदर ऐसे असत्य आंकडे़ गिनाने से पूरे प्रदेश की जनता देखती है, सुनती है. माननीय मैं चाहूंगा कि राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में सत्यता होना चाहिए. कई पद खाली पड़े हैं. 80 से 90 हजार पद हर विभाग में खाली पड़े हैं. किसी विभाग में 4000, किसी विभाग में 3000, किसी विभाग में 2000 पद खाली पड़े हैं. डॉक्टर नहीं हैं, 20 साल हो गये हैं. आप नौकरी की उम्र तो बढ़ा रहे हो कि 60 साल से 62 साल की उम्र कर दी. लेकिन जब ऊपर वाला रिटायर होगा, तभी युवा को नौकरी मिलेगी. नये युवाओं के लिए आप रास्ता नहीं खोलना चाहते हो. आप उम्र 60 साल से 62 साल कर दो. 62 साल की उम्र के अंदर रिटायरमेंट की उम्र में आप प्रदेश के युवाओं को नहीं देख रहे हैं. आपकी ऐसी कैसी पॉलिसी है?
सभापति महोदया, मैं समझता हूं कि प्रदेश के युवाओं के लिए इसमें द्वार खुलना चाहिए. एक हमारे श्री ग्रेवाल जी के प्रश्न में जानकारी दी गई कि रोजगार पोर्टल पर कितने बेरोजगार हैं तो राज्यमंत्री माननीय श्री गौतम जी ने प्रश्न के उत्तर में लिखा है कि एमपी रोजगार पोर्टल पर पंजीकृत बेरोजगारों की जानकारी संधारित नहीं की जाती है. प्रदेश के युवाओं का डाटा, प्रदेश में कितने लोग नौकरी चाहते हैं, मध्यप्रदेश सरकार नहीं चाहती कि वह हमारे पास में रहे और उसकी जगह आकांक्षी युवाओं की जानकारी संधारित है. अरे भई, बेरोजगार वह आकांक्षा रख रहा है कि मुझे नौकरी मिलेगी तो आपने बेरोजगार से आकांक्षित कर दिया, शब्दों का खेल है, लेकिन उस प्रदेश के युवा को नौकरी कब मिलेगी, यह स्पष्ट होना चाहिए. कल बात हुई कि प्रदेश में कोई भुखमरी नहीं है. हमारा राज्य कुपोषित नहीं है. लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि प्रदेश चौथे नम्बर पर है, यह नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे है, जिसमें झारखण्ड, बिहार, उत्तरप्रदेश के बाद मध्यप्रदेश कुपोषण में चौथे नम्बर पर है तो यह वित्त मंत्री जी भी असत्य आंकड़ें बता रहे थे. भुखमरी, हाईएस्ट हंगर्स लेवल इंडिया के अंदर बिहार के बाद मध्यप्रदेश दूसरे नम्बर पर है. (शेम-शेम की आवाज) और यह अंतर्राष्ट्रीय फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट यूएस बेस्ड उसकी रिपोर्ट है. कहां आप न बच्चों को देख रहे हो, कुपोषण से जो शिकार बच्चे हैं न उनके बारे में आप सोच रहे हो. प्रदेश में यह भुखमरी की स्थिति हो रही है. किसान परेशान है, युवा परेशान है तो मैं समझता हूं कि बड़ी बड़ी ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट होती है, लेकिन प्रदेश के हर आम व्यक्ति की बात नहीं की जा रही है.
सभापति महोदया, कल आपने कहा कि हर जिले में एक उत्पाद एक प्रोडक्ट को लेकर नीति रहेगी, लेकिन 20 साल में आपने क्यों नहीं किया? भारतीय जनता पार्टी की सरकार को 20 साल होने को आए हैं क्या आपको नहीं दिखा चंदेरी सिल्क, क्या आपको महेश्वरी नहीं दिखा, क्या बाघ प्रिंट नहीं दिखा, आदिवासियों का जो हाथकरघा रहता है, हाथ से जो कलाकृति बनाते हैं क्या वह आपको नहीं दिखी, क्या आपको धान की खेती जो महाकौशल में होती है वह धान नहीं दिखा. मैं समझता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार 20 साल में ब्रांडिंग करती रही. ग्लोबल इनवेस्टर्स मीट करते रहे.
12.24 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, आप अगर इसको जिलेवाइज़ बनाते तो आज हमारा मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर होता, लेकिन आपने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया. अभी आपने कहा कि सरकार ने दावा किया कि 30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा एमओयू हुए. पहले भी कितनी इनवेस्टर्स मीट हुई, कितने एमओयू हुए. यह गरीबों की जमीन छीनने में पूरी सरकार लग जाती है और एक उद्योगपति जब जमीन अलाट कराता है 10 साल 15 साल तक उसका उद्योग नहीं आता है. बड़े बड़े उद्योगपति हैं. एक गरीब के घर का बिजली का बिल काट दिया जाता है, यदि वह 200 रुपये नहीं भरता है. लेकिन एक उद्योगपति का 10-20 करोड़ रूपये का बिजली का बिल बाकी रहता है तो सरकार उससे वसूली नहीं करती तो यह कैसा न्याय है ? सबके साथ न्याय बराबर होना चाहिये. मैं माननीय मुख्य मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि ऐसी कई कंपनियां हैं जो जीएसटी के अंदर इस प्रदेश को लूट रही है. मैं नाम खोलूंगा तो लम्बी लिस्ट निकल जायेगी, यदि आपको जरूरत पड़ेगी तो वह भी मैं आपको दे दूंगा. लेकिन आप जीएसटी छोटे से व्यापारी से लेना चाह रहे हो तो आपको बड़ी कंपनियों से लेना पड़ेगा. एक चोरी हो रही है मिनरल्स के अंदर हो रही है, रायल्टी में चोरी हो रही है. लेकिन आप देखना ही नहीं चाहते हैं. कैसे हमारे आय के स्त्रोत बढ़ेंगे. कहीं न कहीं मैं समझता हूं कि भ्रष्टाचार के कारण इन सब चीजों पर हम आंख के पर पट्टी बांध देते हैं.
अध्यक्ष
महोदय, अभी
बात हुई
इंवेस्टर्स
समिट के
बड़े-बड़े
दावे किये
गये. विकास के
दावे खोखले
रहे लेकिन ग्लोबल
इन्वेस्टर्स
समिट की बात
हुई,
विश्व
आर्थिक मंच द
वर्ल्ड
इकॉनामिक
फोरम की एनवल
मीटिंग इन
दावोस 20 से 24 जनवरी,2025
में हुई, कहां
गया मध्यप्रदेश,
क्यों नहीं
मध्य प्रदेश
को बुलाया
गया. आपकी
जानकारी के
लिये की मध्य
प्रदेश
बीमारू राज्य
है,
इस कारण वर्ल्ड
इकॉनामिक
फोरम में नहीं
बुलाया गया.
हमारे आसपास
के राज्य
महाराष्ट्र
जिसने 80
प्रतिशत
निवेश
आकर्षित किया
और दावोस के
अंदर एमओयू
साइन किये.
तेलंगाना के 20
लाख करोड़
रूपये के
एमओयू साइन
हुए. तेलंगाना,
महाराष्ट्र
केरल यहां के
मंत्री गये,
लेकिन मध्यप्रदेश
को इनवाइट
नहीं किया,
क्यों नहीं
किया. क्योंकि
मध्यप्रदेश
को यह वर्ल्ड
इकॉनामिक
फोरम एक बीमार
और गरीब और
असहाय राज्य
समझता है कि
यहां पर व्यवस्थाएं
नहीं हैं. यह
रिपार्ट है.
अध्यक्ष महोदय, शिकायतों की बात चल रही है, शिकायतें हर मंत्री के पास आती है और हर विधायक के पास आती है, लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी की जो सी.एम ऑन लाइन पोर्टल है उसमें 3 लाख, 29 हजार शिकायतें अभी तक जनवरी, 2025 तक लंबित पड़ी हैं, क्यों ? मैं मुख्यमंत्री से मैं अनुरोध करना चाहूंगा कि इस बारे में आपको संज्ञान लेना चाहिये कि अगर तीन लाख से ज्यादा अगर शिकायतें पड़ी हैं आपके पास तो प्रदेश के अंदर मतलब न्याय नहीं हो रहा है, जो अधिकारी हैं वह जनता के प्रति जवाबदारी तय नहीं कर पा रहे हैं. जनता के प्रति नहीं कर पा रहे हैं तो मैं समझता हूं कि इस बात को माननीय को ध्यान रखना चाहिये और अब आंकड़ें गिनाउंगा तो विभाग वार भी गिना दूंगा कि कितनी कितनी किस विभाग की हैं. किसान की बात राज्यपाल जी के अभिभाषण में 5 रूपये कनेक्शन की बात थी, वित्त मंत्री जी के बजट भाषण में 5 रूपये गायब हो गये तो क्या विरोधाभास है. एक ही सरकार, एक ही सरकार के मंत्री और राज्यपाल जी. 5 रूपये में आप कनेक्शन देना चाहते हैं तो पूरे प्रदेश के किसान देख रहे हैं कि आप किसको पांच रूपये में कनेक्शन देना चाह रहे हैं. आप प्रदेश के किसान को भ्रमित कर रहे हैं, उसको आपकी नीति स्पष्ट करना पड़ेगी, पूरे प्रदेश में लगभग 18 लाख स्थयी कनेक्शन हैं, क्या आप उनको पांच रूपये कनेक्शन में देंगे, यह आपको मुख्यमंत्री जी स्पष्ट करना पड़ेगा. डेढ़ लाख आपके स्थायी कनेक्शन हैं, क्या आप उनको पांच रूपये में देंगे, यह स्पष्ट करना चाहिये. मैं समझता हूं कि ऐसे जुमले बाज़ी से हम किसान से वोट लेते हैं. किसान हमारा अन्नदाता है, उसके साथ असत्य और फरेब नहीं होना चाहिये. किसान सम्मान निधि पांच से छ: हजार रूपये मिलती है, यह बात मैं कई बार बोल चुका हूं. किसान नहीं चाहता है सम्मान निधि, किसान चाहता है एमएसपी( समर्थन मूल्य) किसान की फसल का जो नुकसान होता है समर्थन मूल्य. किसान का जो फसल का नुकसान होता है, उसका उसको बीमा चाहिये. 6 हजार रुपये दे रहे हैं. आज 6 हजार रुपये के अन्दर किस किसान का घर चलता है. कोई भी बता दे, आम व्यक्ति का बता दें कि साल भर एक का भी चलता हो. यह भीख दी जा रही है उस किसान को. अगर आपको देना है, तो उस किसान को एमएसपी दें, समर्थन मूल्य दें. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि हमारे आदिवासियों के लिये वन अधिकार पट्टे, यह किसान निधि उनको तो मिलती ही नहीं है.
खाद्य,नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत) —अध्यक्ष महोदय, यह किसानों का अपमान है, भीख शब्द कहना.
श्री उमंग सिंघार-- तो दो एमएसपी. समर्थन मूल्य दो. हर किसान को दो. अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि जिन आदिवासियों को वन अधिकार के पट्टे मिले, उनको भी किसान सम्मान निधि नहीं मिलती. इसकी भी व्यवस्था होनी चाहिये. 2019 में आर्डर निकला है. लेकिन इस आर्डर का अभी तक नीचे तक कोई उस पर कार्यवाही नहीं हुई. एससी,एसटी एवं पिछड़ा वर्ग की छात्रवृत्ति की बात करना चाहता हूं. सरकार ने कई दावे किये कि हमने यूपीएससी के छात्रों को 63 लाख जो पुराने आंकड़े दिये, लेकिन अभी नर्सिंग में रोज हल्ला चल रहा है, छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं, उनकी छात्रवृत्ति समय पर कब मिलेगा, इस बात को कई चैनल वाले उठा चुके हैं, इस पर सरकार की नीति स्पष्ट होना चाहिये. अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के लिये, ट्रायबल के बच्चों के लिये, बालिकाओं के लिये पहली से पांचवीं तक 250 रुपये. छठवीं से आठवीं तक 600 रुपये और नौवीं से दसवीं तक 1200 रुपये और बालक के लिये 600 रुपये, नौवीं से दसवीं तक बालक के लिये 3500 रुपये. मैं समझना चाहता हूं कि यह साल में इनको इतने पैसे दिये जा रहे हैं,यह क्या है. अब आदिवासियों के नाम पर आप वोट मांगना चाहते हैं. अगर जनसंख्या के अनुपात से देखा जाये तो 22 प्रतिशत है. उनके बच्चों के लिये आप उतनी व्यवस्थाएं, उतने होस्टल्स, उतने स्कूल की व्यवस्थाएं क्यों नहीं सरकार कर पा रही है. अगर आप, अगर वह आदिवासी का बच्चा, वह दलित का बच्चा, वह गांव का रहने वाला उस किसान का बच्चा अगर शहर में पढ़ना चाहता है, तो मैं समझता हूं कि उसको भी उसकी स्कालरशिप शहर के हिसाब से उतनी होनी चाहिये, जो शहर में खर्चा होता है. ऐसे ही कालेज के डिग्री वाले को दिये जा रहे हैं डेस्कालर को 7 हजार रुपये, होस्टलर को दिये जा रहे हैं 13500 रुपये. ग्रुप अलग अलग हैं, प्रोफेशनल के 9500 रुपये और 6500 रुपये. पांच हजार, दस हजार रुपये साल के देने से क्या होगा. उससे ज्यादा तो उसके परिवार के मां बाप कर्जा कर देते हैं, उसको पढ़ाई कराने के लिये और सरकार की तरफ से रियायत नहीं, प्रोत्साहन नहीं. उस आदिवासी, हरिजन, दलित, पिछड़ा वर्ग और किसान के बच्चे के लिये. मैं समझता हूं कि इस पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिये. 27 प्रतिशत आरक्षण की बात, पिछड़ा वर्ग की बात हुई. हाई कोर्ट ने आदेश दे दिया, 13 प्रतिशत होल्ड है, लेकिन मैं चाहता हूं कि सरकार अपनी तरफ से कब इस पर निर्णय ले, ताकि जो आरक्षण की बात है, 27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़ों को नौकरियों के लिये, उस पर तत्काल कार्यवाही हो. लेकिन सरकार चुप बैठी है. मैं मानता हूं कि प्रदेश में कई घोटाले चल रहे हैं. नर्सिंग का घोटाला कैसा हुआ, पता है, सब जानते हैं, जग जाहिर है. अभी राज्यपाल जी के अभिभाषण के पेज नंबर 25 पर लिखा है कि प्रदेश में वाहन चेकिंग की पारदर्शी व्यवस्था लायेंगे. बहुत अच्छा शब्द है. 45 रोड सेफ्टी एंड एनफोर्समेंट चेकिंग पाइंट प्रारंभ कर दिए गए हैं. अभी किसी बार्डर पर जाओ, तो साइड में से रास्ता है, एक आदमी बैठा रहता है एजेंट, टोकन दिया, गाड़ी निकल जाती है. तो यह कहां से भ्रष्टाचार खतम हुआ परिवहन में. परिवहन का बजट गये बार का 169 करोड़ था और पांच हजार करोड़ के घोटाले हो रहे हैं. घोटालों को लेकर माननीय अध्यक्ष महोदय, घोटालों को लेकर के सरकार क्यों सजग नहीं है, क्यों नहीं सदन के पटल पर आये हुये प्रतिवेदनों पर चर्चा नहीं होती, लोकायुक्त के प्रतिवेदन पटल पर आये हैं इस पर मुख्यमंत्री जी चर्चा कराने से क्यों घबराते हैं. अगर आप प्रदेश की सरकार की ईमानदार छवि बनाना चाहते हैं तो मैं चाहूंगा कि जितने भी लोकायुक्त के प्रतिवेदन पटल पर रखे गये हैं उन पर सरकार को चर्चा कराना चाहिये और शेष रहे प्रतिवेदन भी सदन के पटल पर रखे जाना चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, केन-बेतवा लिंक परियोजना की बात करना चाहता हूं. इस योजना से निश्चित रूप से प्रदेश के किसानों को फायदा होगा लेकिन मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि इस योजना के कारण जो प्रदेश का 9 हजार एकड़ भूमि का जंगल डूब में आयेगा और लगभग 45 लाख से अधिक पेड़ कटेंगे, इसके लिये सरकार ने क्या उच्च स्तरीय समिति बनाई जो यह देखे कि इसके कारण प्रदेश को क्या पर्यावरणीय नुकसान होंगे. इसकी कोई स्पष्ट नीति नहीं है. हम विकास तो कर रहे हैं लेकिन विकास के साथ में पर्यावरणीय नुकसान प्रदेश को न पहुंचे उस पर भी हमें गंभीरता से विचार करना चाहिये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, "सांची दुग्ध संघ" जो कि मध्यप्रदेश का एक अच्छा ब्रांड है, मुझे जानकारी मिली है कि इसको "अमूल" को देने का करार हो गया है, इस पर मेरा कहना है कि बदली हुई परिस्थितियों मे मध्यप्रदेश के किसानों और दुग्ध उत्पादकों को बेहतर लाभ मिले इस बात का ख्याल सरकार को रखना चाहिये. नहीं तो यह सरकार विकास के नाम पर कर्ज लेती रहेगी और कर्ज लेकर के विकास नहीं होता , प्रदेश कब आत्मनिर्भर होगा इस पर भी सोचना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे विचार रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- बहुत धन्यवाद, नेता प्रतिपक्ष जी. माननीय मुख्यमंत्री जी.
(सत्ता पक्ष की ओर से मैजों की थपथपाहट)
मुख्यमंत्री (डॉ.मोहन यादव)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिये मैं यहां उपस्थित हूं. अभिभाषण की कृतज्ञता के साथ खासकर मैं सदन मे इस विषय पर विस्तार से चली चर्चा का भी उल्लेख करना चाहूंगा क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का लोकतांत्रिक स्वभाव है कि हम अपनी इन व्यवस्थाओं में न केवल हमारी बात को रखने की कोशिश करते हैं बल्कि सामने वालों को भी सुनकर के उनकी बात को जवाब देने का भी माद्दा रखते हैं. मैं उम्मीद करूंगा कि जितने तरीके से हमारे विपक्ष के साथियों ने बात रखी है आप भी कृपा करके जैसे हमारे सदस्यगण आपकी असत्य बात को, रोने-धोने वाली बातों को सुनते रहे, उम्मीद करते हैं कि आप भी सुनते रहेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस चर्चा में भाग लेने वाले सदस्यों के नाम भी लेना चाहूंगा. माननीय नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार जी, माननीय जयवर्द्धन सिंह जी, माननीय लखन घनघोरिया जी, माननीय फुन्देलाल सिंह मार्को जी, माननीय अभय मिश्रा जी, माननीय सोहनलाल बाल्मिक, माननीय विजय चौरे जी, माननीय फूलसिंह बरैया जी, माननीय सुरेश राजे जी, माननीय बहन श्रीमती झूमा सोलंकी जी, माननीय मधु भगत जी माननीय अध्यक्ष महोदय मैं सभी हमारे विपक्ष के साथियों के नाम ले रहा हूं. इसी प्रकार से माननीय साहब सिंह गुर्जर जी, माननीय रजनीश हरवंश सिंह जी, माननीय दिनेश गुर्जर जी, माननीय यादवेन्द्र सिंह जी, माननीय हीरालाल अलावा जी, माननीय दिनेश जैस बोस जी, माननीय नारायण सिंह पट्टा जी, माननीय विवेक सिंह विक्की जी, माननीय पंकज उपाध्याय जी, माननीय चैन सिंह बरकड़े जी, माननीय प्रताप ग्रेवाल जी, माननीय कैलाश कुशवाह जी, माननीय अनुभा मुंजारे जी, माननीय हेमंत सत्यदेव कटारे जी, माननीय कमलेश डोडियार जी, अब माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं आपको धन्यवाद दूं कि इनकी बात पर हंसू, मेरे पल्ले नहीं पड़ रही है. जिस ढंग से बोलने के लिये आपने लाइन लगा दी, यहां तक कि हमको भी कहा कि आज आप और आराम कर लो, तीसरे दिन आप बोलो, अध्यक्ष महोदय, मैं तो इसका जवाब कल शाम को पांच बजे देने वाला था लेकिन अध्यक्ष महोदय, मैं संसदीय कार्य मंत्री जी का और आपका और नेता प्रतिपक्ष जी का भी इस मामले में धन्यवाद देना चाहूंगा कि इतनी स्वस्थ्य और कौन सी चर्चा होगी .
अध्यक्ष महोदय, हमारे सदन के पूर्व उपाध्यक्ष महोदय, सदन में नहीं हैं अमरपाटन से जो आते हैं उन्होंने बात निकाली थी कि नई परम्परा डालें, अध्यक्ष जी मैं तो इसके लिये आपको धन्यवाद देना चाहूंगा, एक एक मिनट का उपयोग कैसे होना चाहिये. एक एक मिनट कैसे बचाना चाहिये. एक-एक मिनट कैसे बचना चाहिए. पहले 3 दिन छुट्टी होती थी. मैं आपको, संसदीय कार्य मंत्री जी और नेता प्रतिपक्ष जी को धन्यवाद दूंगा, आपने भी इस मामले में मदद की है. आज के बदलते दौर में हमारे समय की कितनी कीमत है इसका वाकई में हिसाब किताब होना चाहिए. एक दिन के लिए प्रदेश की जनता का कितना खर्चा लगता है. ऐसे में राज्यपाल महोदय के अभिभाषण और बजट के बाद हर दिन अलग-अलग छुट्टी क्यों होना चाहिए. छुट्टी के बजाए हमको कामकाज करना चाहिए. यह बहुत अच्छा सकारात्मक संदेश आपने दिया है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे पक्ष के विधायकगण श्रीमती अर्चना चिटनीस जी, हमारी दीदी कितना बढ़िया बोलीं, चर्चा में आनंद आया. वे कहां हैं, शायद वे छुट्टी पर हैं लेकिन उन्होंने बहुत अच्छे से बात रखी. श्रीमान शैलेन्द्र जैन जी, ओमप्रकाश सखलेचा जी, अनिल जैन जी, योगेश पण्डाग्रे जी, अभिलाष पाण्डेय जी, रामनिवास शाह जी, गौरव पारधी जी, बालकृष्ण पाटीदार जी, दिलीप सिंह परिहार जी, माननीय भूपेन्द्र सिंह जी, माननीय गोविन्द शर्मा जी, माननीय हरिशंकर खटीक जी, माननीय श्री तेजबहादुर सिंह जी चौहान, माननीय महेन्द्र सिंह नागेश जी, दिनेश राय मुनमुन जी, डॉ. सुरेन्द्र सिंह गहरवार जी, नीरज सिंह ठाकुर जी, महेन्द्र सिंह यादव जी, मधु गेहलोत जी, माननीय प्रीतम लोधी जी आप सभी ने चर्चा में पूरे मनोयोग से अपने अपने ढंग से पक्ष की बात कही मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण में नए लक्ष्यों और रणनीतियों को सम्मिलित करते हुए प्रदेश के उज्ज्वल भविष्य को जोड़कर खासकर हमारे समय की महान विभुतियों के विचारों को भी समाविष्ट किया है. अभिभाषण में महात्मा गांधी जी की विश्वदृष्टि, भारतरत्न डॉ. भीमराम अंबेडकर जी की सोच, प्रधानमंत्री श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी की विकास दृष्टि का यह त्रिवेणी रुप समावेश है. मैं अभिभाषण को बनाने वाले मित्रों को हमारी सरकार की ओर से बधाई देना चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं नेता प्रतिपक्ष जी से पूछना चाहता हूँ. उन्होंने कहा कि 20 साल का हिसाब दो. माननीय नेता प्रतिपक्ष जरा इस बात का हिसाब बता दें हमारा प्रदेश वर्ष 1956 में बना था. वर्ष 2003 तक आपकी सरकार थी. यह आंकड़े बता रहे हैं कि वर्ष 2003-04 तक 55 साल के समय में जिसमें से सिर्फ डेढ़-दो साल का दो बार का हमारी सरकार का समय कम कर दें. तो प्रति व्यक्ति आय वर्ष 1960 में 80 प्रतिशत थी यह वर्ष 2003 तक आते-आते 60 प्रतिशत रह गई. 20 प्रतिशत कम हो गई यह आपकी सरकार की उपलब्धि है. यह आपके काम करने का तरीका है. 80 जो कि राष्ट्रीय औसत था उससे 20 प्रतिशत और कम कर दी है. यह आपकी सरकार काम कर रही है. आप हमसे हिसाब मांग रहे हैं. हां हम हिसाब देने को तैयार हैं. हमारा हिसाब यह है कि हमने वापिस 80 प्रतिशत पर पहुंचा दी है. यह 20 साल का हमारा रिकार्ड है. आप तुलना करें तो आपको ध्यान में आएगा. वर्ष 1956 में 94 रुपए क्विंटल गेहूं था और आपकी सरकार थी. गेहूं के आंकड़े देखो तब 90 रुपए तौला सोना मिलता था. आपके रहते हुए वर्ष 2003 तक केवल 600 रुपए क्विंटल गेहूं मिलता था. आज हमारी सरकार में 2600 रुपए क्विंटल हम खरीदने को तैयार हैं. यह हमारी सरकार है, यह हमारा काम करने का तरीका है. आप अपने अंदर झांककर देखो.
श्री बाला बच्चन -- माननीय मुख्यमंत्री जी, प्रति व्यक्ति आय प्रतिशत में होती है क्या.
डॉ. मोहन यादव -- बाला बच्चन जी अभी आप कपड़े फाड़ोगे, मैं आंकड़े दे रहा हूँ.
श्री बाला बच्चन -- माननीय मुख्यमंत्री जी, प्रति व्यक्ति आय प्रतिशत में होती है क्या मैं यह जानना चाहता हूँ. (व्यवधान)
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, यह नहीं चलेगा. (व्यवधान)
डॉ. मोहन यादव -- अभी आपको बता रहे हैं जरा आराम से बैठो. तसल्ली से बैठो.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया, सभी लोग बैठ जाएं. (व्यवधान)
डॉ. मोहन यादव -- मैंने प्रारंभ में कहा था जरा साहस रखो. हमने आपकी सारी बातें सुनीं. हम राणा सांगा वाले लोग हैं जो 80 घाव सहन करके भी हिम्मत से मैदान में रहते हैं. आपके जैसी भगौड़े जैसी स्थिति नहीं बनाते हैं. दम चाहिए मैदान में आने के लिए. अगर आप आर्थिक विकास के बारे में आंकड़े की बात कर रहे हैं. राज्य की आर्थिक विकास दर वर्ष 2002-03 तक 4.43 प्रतिशत थी आज 11.5 प्रतिशत है यह हमारी सरकार है. इसके बारे में आपको विचार करना पड़ेगा. एक और बात बताता हूँ. राज्य की जीडीपी 71594 करोड़ आपके टाइम थी और हमारे टाइम 15 लाख 3395 करोड़ की हुई है. अभी आप आंकड़ा देखिएगा मैं दस्तावेज लेकर नहीं जा रहा हूं मैं यहां कोट कर रहा हूं. मैं दोबारा बोल रहा हूं प्रति व्यक्ति आय 11 हजार 718 रुपए वार्षिक थी आज 1 लाख 52 हजार 615 रुपए है. यह आंकड़ा है यह छिपाने की बात नहीं है. आप एक-एक करके सारे आंकड़ों का परीक्षण करें और यह सदन अभी और चलेगा आप बाद में भी बात कर सकते हैं मैं आपके सामने बताना चाह रहा हूं. आज देश की सबसे तेज गति से चलने वाली अर्थव्यवस्था वाला प्रदेश कोई है तो वह मध्यप्रदेश है यह बात सभी के ध्यान में आना चाहिए. वर्ष 2024-2025 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद 15 लाख 3395 करोड़ था. यह हमारा घरेलू उत्पाद है और आंकड़ा आपके सामने है इसी प्रकार से प्रति व्यक्ति आय मैंने दोहराई नहीं है. मैं दोबारा नहीं दोहराना चाहूंगा. कृषि क्षेत्र में प्रदेश की अर्थव्यवस्था में 44 प्रतिशत का योगदान आज की स्थिति में है यह हमारी सरकार का रिकार्ड है. कृषि और संबंधित क्षेत्रों का कार्यबल 52.2 से बढ़कर 57 हुआ है यह हमारी सरकार के काम करने के तरीके हैं. 2017-2018 से 2023.-2024 तक श्रम बल की भागेदारी 59.3 प्रतिशत से बढ़कर 72.7 प्रतिशत हुई है. यह हमारी सरकार का काम करने का तरीका है और यह भी उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय औसत 64.3 है. हम राष्ट्रीय औसत से भी ऊपर चल रहे हैं. यह हमारी सरकार का काम करने का तरीका है और जिस प्रकार से हमने बजट रखा है आपके आशीर्वाद से विधायक मंत्री और सभी मिलकर और हम तो आपका भी सहयोग चाहेंगे. आप सभी के माध्यम से आज यह जो हमारे बजट को पांच साल में डबल करने का जो संकल्प है इस संकल्प के बलबूते पर हम वर्ष 2047 तक पच्चीस साल के आधार पर यह 7 लाख करोड़ रुपए से बढ़ाकर 250 लाख करोड़ रुपए तक करने का संकल्प ले रहे हैं. अब यह कुछ आंकड़े अटपटे लगेंगे लेकिन मैं बताना चाहूंगा कि आज जब हम 4 लाख 21 हजार करोड़ के आंकड़े की बात कर रहे हैं तो आप सन् 1956 से सरकार चला रहे थे. वर्ष 2003 में आपका बजट 23 हजार 161 करोड़ रुपए का बजट था. आप अंदाज लगा लो क्योंकि हमारा पूरा बजट मार्च में नहीं आया था हमारा पूरा बजट तो जून के बाद आया लेकिन उसके बाद भी हमने 65 हजार करोड़ रुपए की वृद्धि इन 8 महीनों में की है. आपका यह 56 साल का केवल 23 हजार करोड़ रुपए का आपका रिकार्ड रहा है. यह आपके विकास की गति बता रही है कि आपने राज्य की जनता के साथ कितना अन्याय किया है. कांग्रेस के काम करने के तरीके क्या थे यह अपने आप में बता रहा है. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि जब हम डबल आंकड़े के साथ बजट पर जाना चाहते हैं और खासकर के राजकोषीय सूचकांक के आधार पर मध्यप्रदेश की स्थिति अगर देश में प्रथम बनी है तो हम हमारे साथ आपको भी धन्यवाद देते हैं. कोई बात नहीं आप विरोध करते रहो हम आपकी बात सकारात्मक रूप से लेंगे, लेकिन इस बात के लिए तो गौरव आपको भी मिलेगा कि बजटीय व्यवस्थाओं के आधार पर सूचकांक में मध्यप्रदेश देश में नंबर 1 आया हमें इस बात की प्रसन्नता है.
अध्यक्ष महोदय, जब मैं वर्ष 2019-2020 से 2024-2025 तक की राजस्व प्राप्तियों की प्रदेश की सकल घरेलू राज्य उत्पाद की बात करता हूं तो यह अधिक रही है और यह आज भी यह 16, 17 प्रतिशत से ज्यादा चल रही है. हमें इस बात की प्रसन्नता है. यह अपने लिए एक स्वस्थ आंकड़ा भी है. और अहसास भी करा रहा है. मैं मानकर चलता हूं कि नीति आयोग ने मध्यप्रदेश को राजस्व संगह श्रेणी में परफार्मर राज्यों में उल्लेखित रूप से इसका अपना विशेष स्थान बताया है यह सभी लोगों के लिए बधाई की बात है. माननीय विधायक यादवेन्द्र सिंह जी ने बजट के बारे में कुछ प्रश्न खड़े किये हैं मैं उनको क्रमश: थोड़ा जवाब देना चाहूंगा. आपने कहा कि किसी भी विभाग ने 10 प्रतिशत से ज्यादा अचीवमेंट नहीं किया है. कृपया करके आप देख लीजिए, मैं अभी आंकड़े बोल रहा हूं दोबारा दोहरा रहा हूं. आप नोट करना मैं आपसे निवेदन कर रहा हूं. वर्ष 2023-24 तक क्योंकि दिसम्बर 2023 में हमारी सरकार बनी है. वर्ष 2023-24 के 3.14 लाख करोड़ रुपये के विरूद्ध विभागों के अंदर 3.4 लाख करोड़ रुपये का खर्च किया गया है, यह आंकड़ा आपके सामने है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका प्रतिशत में यदि हिसाब लगायें तो 97 प्रतिशत है. हमारा खर्च करने का हिसाब है, आप 10 प्रतिशत की बात कर रहे हैं, उससे और आगे बढ़कर बात करता हूं. वर्ष 2024-25 में कुल बजट के 3.65 लाख करोड़ रुपये के विरूद्ध, अभी फरवरी 2025 तक, 10 दिन पहले तक, 76 प्रतिशत सभी विभागों ने अपने बजट का खर्च किया है. यह हमारा अपना काम करने का तरीका है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, बताना चाहूंगा कि सुशासन के लिए यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने सभी प्रकार के विभागों के आधार पर चार वर्गों की बेहतरी की जो कल्पना की है, वे चारों मिशन हमारे यहां गरीब कल्याण, युवा कल्याण, किसान कल्याण और महिला सशक्तिकरण की दिशा में नारी सशक्तिकरण के नाम से जाने जा रहे हैं. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि जब हम अपने निवेश की बात कर रहे हैं, विकास की बात कर रहे हैं तो विकास के विषय में नेता प्रतिपक्ष जी को बताना चाहूंगा कि आपने कुछ विषय उठाये, आपने कहा बिजली का बिल, अरे महाराज, आप वर्ष 2003 के पहले का अपना मध्यप्रदेश देख लें, आपकी औद्योगिक विकास दर त्रणात्मक थी, माइनस में थी. यह मध्यप्रदेश का दुर्भाग्य रहा, आजादी के पूर्व तक यहां जितनी मिलें चल रही थीं, उज्जैन की हीरा मिल, विनोद मिल, इंदौर टेक्सटाईल मिल, हुकुमचंद मिल, सारी मिल बंद करने का पाप यदि किसी के सिर पर है तो वह कांग्रेस के सिर पर है, यह किसी से छुपा नहीं है. हम आपके वे पाप धोने का काम कर रहे हैं. आपके समय के बकाया मजदूरों के भुगतान भी, अगर किसी ने करने की हिम्मत की है तो हमारी सरकार ने की है. (मेजों की थपथपाहट)
क्योंकि हम उस भरोसे से बंधे हुए हैं कि सरकार आपकी हो या हमारी, सरकार मध्यप्रदेश की है, मजदूर आपके समय काम करें या हमारे, आपने उनका भुगतान किया नहीं लेकिन एक-एक रुपया उन मजदूरों को दिलाकर, उनके साथ न्याय करने का काम हमारी सरकार ने किया है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार के बनने के 8 दिन के अंदर हुकुमचंद मिल, इंदौर के सारे भुगतान का मामला हमारी सरकार ने प्रधानमंत्री जी के माध्यम से किया है. उन 7 हजार लोगों में से, 2 हजार लोग आपकी सरकार से उम्मीद में ही मर गए कि अब तो पैसे मिलेंगे, आधे परिवार बर्बाद हो गए, आधे बीमार हो गए लेकिन इसके बावजूद उनको पैसा नहीं मिला, उनकी बद्दुआ आपको मिली इसलिए आप लोग एक के बाद एक, सरकार से पूरे देश भर से बाहर हो रहे हैं. ये आपका भाग्य है, कृपा करके ऐसा काम मत करो कि आपको इतनी बद्दुआ सहन करनी पड़े.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि जब मैं आगे बढ़कर विकास के मामले में बात करता हूं तो नए निवेश के लिए अच्छी बात यह है कि कांग्रेस-बीजेपी इस बात को लेकर चले कि "बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि लेइ" हो गई बात पुरानी. आज प्रदेश में नए उद्योगों का माहौल बन रहा है, सकारात्मक माहौल बन रहा है, हमारे पास कई निवेशक आ रहे हैं, आपके पास भी आयेंगे, आपके क्षेत्र में भी आना चाहिए. सभी माननीय विधायकों से निवेदन करना चाहता हूं कि निवेश आपके क्षेत्र में भी आये इसलिए 18 प्रकार की निवेश पॉलिसियां हमने बनाई हैं. इन निवेश पॉलिसियों का आप भी अध्ययन करें. हमने कौन सा क्षेत्र छोड़ा है- स्टार्टअप नीति, MSME नीति, विकास नीति, इलेक्ट्रिक नीति, ड्रोन संवर्धन उपयोग नीति, सेमीकंडक्टर नीति, पर्यटन नीति, पूंजीगत सहायता से लेकर सभी प्रकार की नीतियां बनी हैं. हम उन्हें क्या-क्या लाभ दे रहे हैं, कृपा करके इस सत्र के बाद एक प्रस्ताव आप लायें कि हम वर्तमान में GIS के लिए जो प्रयास बाकी लोगों के साथ कर रहे हैं, उस पर हम सामूहिक रूप से चर्चा करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, सदन को एक और जानकारी देना चाहूंगा कि इसी बजट के माध्यम से न केवल पक्ष-विपक्ष, हमने एक और प्रावधान किया है कि आमतौर पर हमारे जिला स्तर पर जिला पंचायत, नगर निगम, नगरीय निकाय, ये संस्थायें 74वें संविधान संशोधन के बाद अपना काम करती हैं लेकिन आम समाज के अंदर डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, सी.ए. ऐसे कई संभ्रांत होते हैं. आमतौर पर हमारे यहां दंगों के कारण समाज में शांति समिति तो जरूर बुलाई जाती है लेकिन कभी जिला स्तर पर विकास समिति नहीं बुलाई जाती है. हमने यह भी प्रावधान किया कि जिला स्तर पर विकास समितियों का गठन किया जायेगा ताकि प्रदेश के विकास में जिले से ही कहानी आगे बढ़े इसलिए उस प्रावधान को हमने बजट को माध्यम से घोषित करने का प्रयास किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने सिंगल विंडो के माध्यम से जनता, उपभोक्ता और उद्योगपतियों के लिए उनकी व्यवस्थाओं के साथ, वे निवेश के लिए आगे बढ़ें इसलिए हमने 14 से ज्यादा विभागों की, कई ऐसी बेवजह की जो परमिशन लगती थीं. उन परमिशनों को कम करके हमने उसका सरलीकरण करने का प्रयास किया है, ताकि अधिक से अधिक उद्योग हमारे प्रदेश के अन्दर लग सकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम ई-पंजीयन, ई-स्टाम्पिंग की बात करते हैं, सम्पदा रजिस्ट्री के माध्यम से. यह महत्व की बात है कि साइबर तहसील के माध्यम से पहली बार हमारी सरकार प्रयास कर रही है, नामान्तरण, बंटवारा, रजिस्ट्रीकरण, आप जो भी करवाएंगे, वह तुरन्त राजस्व रिकॉर्ड में भी नाम चढ़ जायेगा तो बाद की परेशानियों से मुक्ति मिलेगी. हमारी सरकार द्वारा यह महत्वपूर्ण काम किया गया है. स्वामित्व योजना में 39 लाख लोगों को भू-अधिकार पत्र देकर सरकार ने देश के अन्दर प्रदेश को नम्बर वन पर पहुँचाया है. (मेजों की थपथपाहट) यह बड़ी उल्लेखनीय उपलब्धि है, इसकी भी जानकारी आपको होना चाहिए. मुझे इस बात की प्रसन्नता है. राजस्व अभियान के बारे में भी हमारे कई मित्रों ने प्रश्न खड़े किए थे. मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि राजस्व महाअभियान के माध्यम से 3 चरण में अभियान चलाये गये. जिनके माध्यम से 80 लाख से अधिक लम्बित प्रकरणों का, जिसमें नामान्तरण, बंटवारा, अभिलेख दुरुस्तीकरण यह गरीब से गरीब आदमी के जीवन में भी उनकी कठिनाई को हल करने का काम हमारी सरकार ने किया है. थानों की पुनर्सीमा, थानों की आबादी ज्यादा बढ़ गई थी, वह दूर-दूर गांव तक चले गए हैं. यह जो विसंगति थी. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि एक वर्ष के अन्दर थानों की सीमाओं का पुनर्निर्धारण करते हुए 627 थानों की सीमाओं का युक्तियुक्तकरण करके जनता को सुविधा दिलाने का काम हमारी सरकार द्वारा किया गया है. इसके साथ ही, जिला, संभाग, तहसील की सीमाओं के लिए भी परिसीमन आयोग का गठन किया गया है, हमारे माननीय सदस्यगण उसमें भी काम कर रहे हैं. यह जिला, संभाग, प्रदेश आपका और हमारा है. मैं इस मामले में माननीय सदस्यों को जानकारी देना चाहूँगा कि कई सारे गांव, कई सारे जिले, कई सारी तहसीलों की सीमाओं में सुधार की जरूरत है. यह समस्या आपके क्षेत्रों में भी होगी. हमने कहा कि इसमें बजाय कोई दलगत भावना के मन को बड़ा करके, जैसे अच्छे सकारात्मक सुझाव बड़े पैमाने पर आएं, वह सब कुछ कन्सिडर करने के लिए सरकार तैयार है. इसकी जानकारी भी हम आपको देना चाहेंगे. (मेजों की थपथपाहट) यह हमारी सरकार का एक वर्ष में काम करने का तरीका है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे पूर्व माननीय मंत्री, जिनके पिताजी मुख्यमंत्री रहे हैं. श्री जयवर्द्धन सिंह जी, गुना से आते हैं. अभी शायद श्री जयवर्द्धन सिंह जी सदन में उपस्थित नहीं हैं. अब वह सुनेंगे नहीं, यह उनके काम की बात है. उनके पिताजी 10 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे. श्री जयवर्द्धन सिंह जी, स्वयं मंत्री रहे थे. लेकिन कभी भी गुना में विश्वविद्यालय बनाने की उनकी इच्छा नहीं हुई. हमें इस बात की प्रसन्नता है. (श्री सोहनलाल बाल्मीक के खड़े होकर कुछ बोलने पर) माननीय बाल्मीक जी, मैं उनके प्रश्न का जवाब दे रहा हूँ. आप भी सुनिये, आपके लिए बाद में काम की बात आएगी. आप जितने माननीय सदस्यों ने बोला है, उनक सबका हिसाब मेरे पास है. श्री जयवर्द्धन सिंह ने कल कहा था कि पूरे वर्ष सरकार द्वारा एक भी योजना लागू नहीं की गई, कोई काम ही नहीं किया, सरकार सोती रही. मैं उनको बताना चाहूँगा कि वह आंखें खोलकर गुना में देख लें कि तात्या टोपे विश्वविद्यालय, गुना के अन्दर हमारी सरकार ने एक वर्ष के अन्दर बनाया और न केवल बनाया, बल्कि चालू करके भी दिखाया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे आदिवासी अंचल से टंट्या मामा बड़ा नाम है. आदिवासी वर्ग के हमारे माननीय नेता प्रतिपक्ष हैं, हमारे कई सारे मित्रों ने कहा कि आदिवासियों के लिए बात आती है कि आदिवासियों के लिए हम ही बात करते हैं. अरे भाई, आप लोग जोर से चिल्लाते हैं, हम अपना ठोस काम करके दिखाते हैं. उस काम का परिणाम यह है कि हमने खरगोन के अन्दर टंट्या मामा के नाम पर विश्वविद्यालय बनाया. टंट्या मामा पर कांग्रेस के साथ, अंग्रेजों के समय से एक गलत विश्लेषण चलता था, जिसके माध्यम से एक महापुरूष की पता नहीं कि किस प्रकार से पहचान बनती थी. हमने उनके योगदान को गौरान्वित करते हुए बच्चों के सामने नया इतिहास लाने का प्रयास किया है, यह हमारे काम करने का तरीका है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, पीएम श्री एंबुलेंस सेवा, पर्यटन सेवा में आपको जाना हो तो अभी सिंगरौली चले जाएं. पीएम श्री पर्यटन सेवा का जहाज रोज आ-जा रहा है. (नेता प्रतिपक्ष को देखकर) माननीय आप भी कभी-कभी जाते हैं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री राजेन्द्र शुक्ल जी, कभी हम लोगों को लेकर नहीं जाते हैं. (हंसी)
डॉ. मोहन यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप ऐसा प्रेम बनाए रखें, तो आपको हम ही भिजवा देंगे, इसमें ऐसी कोई बात नहीं. लेकिन जो उल्लेखनीय बात है. मैं आपको जानकारी दूँ कि भौगोलिक रूप से मध्यप्रदेश बड़ा प्रदेश है, और यह बात भी सही है कि भौगोलिक की तुलना में आबादी और आबादी के अन्दर सुविधाओं का विस्तार अब फिर मैं बोलूंगा तो आपको अटपटा लगेगा, 55 साल तो आपकी सरकार थी, हेल्थ के मामले में आपने कुछ किया नहीं, 55 साल तक केवल 5 मेडिकल कॉलेज वर्तमान के मध्यप्रदेश में थे, मुझे गर्व है कि हमारी सरकार ने 3 अभी लोकार्पित कर दिए और प्राइवेट तथा सरकारी मिलाकर 30 मेडिकल कॉलेज आज हमारे अपने प्रदेश के अंदर हैं. यह हमारी सरकार का काम करने का तरीका है. 30 मेडिकल कॉलेज हैं. इतना ही नहीं, अभी तो लगातार हम देखें, रानी दुर्गावती अन्न प्रोत्साहन योजना में कृषकों के खाते में 1,000 रुपये प्रति क्विंटल के माध्यम से देकर के हमने अपने आदिवासी भाई-बहनों के रागी और श्रीअन्न जिस प्रकार का होता है, यह अनुदान देने का प्रयास हमने किया है.
अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि हमने धार्मिक पर्यटन के लिए भी हेलीकॉप्टर सेवा का टेण्डर कराया है. अटल कृषि योजना के अंतर्गत 10 हॉर्सपॉवर तक के किसानों को ऊर्जा प्रभार में भी सब्सिडी दे रहे हैं और जैसा मैंने बताया कि संपदा की रजिस्ट्री तो हो रही है, अपने यहां संपदा-2 भी, पहले एक नंबर कोई सर्वे में होता था, उसी के आधार पर उसका नामांतरण होता था. अब संपदा-2 चालू करके बंटाकन के बाद भी उसका नामांतरण सीधे-सीधे करने की पद्धति हमारी सरकार के द्वारा चालू की गई है. कई मित्रों ने कृषि पर प्रश्न खड़े किए, अब मैं बताना चाहूँगा, कृषि विकास दर कांग्रेस के शासनकाल में, वर्ष 1956 से लगाकर के वर्ष 2002-03 तक 3 प्रतिशत थी, केवल 3 प्रतिशत और आज की स्थिति में 10.80 प्रतिशत की हमारी अपनी कृषि विकास दर है. समर्थन मूल्य की बात कर लें. धान उर्पाजन की बात कर लें, आपके समय 0.95 लाख मेट्रिक टन का धान उपार्जन होता था, हमारे समय 44 लाख मेट्रिक टन का धान उर्पाजन हो रहा है. यह हमारी सरकार के काम करने का तरीका है. फसल बीमा योजना के माध्यम से आपने केवल 15.23 लाख लोगों को लाभ दिया, हमारे माध्यम से 1 करोड़ 80 लाख लोगों को इस योजना का लाभ दिलाने का प्रयास किया गया है. ये डेटा नहीं है, यह भावना और विश्वास का आपके हमारे बीच आगे बढ़ने का मध्यप्रदेश का संकल्प है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहूँगा, आपने 5 रुपये कनेक्शन की बात की. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, आप व्यक्तिगत चर्चा में कुछ भी कहें तो चलेगा, लेकिन आप ऐसी बात तो न करें. 28 लाख कनेक्शन को फिट अस्थाई कनेक्शन 5 रुपये में लेकर क्यों उनको पहुँचा रहे हो, अरे भैया, एक बार किसी का स्कूल में एडमिशन हो गया, वह आगे तक पहुँच गया, फिर उसका एडमिशन कराओ, ऐसा तो मत कराओ, भैया, उसका कनेक्शन तो पक्का है. आप उसको क्यों करा रहे हो. आप किसकी बात कर रहे हैं. आपने कोट किया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं कहना चाहूँगा कि मुख्यमंत्री जी स्पष्ट कर दें.
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, जो बात है, मैं आपके सामने स्पष्ट कर रहा हूँ. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, जो हमारे 30 लाख तो पक्के कनेक्शन पहले से ही हैं, जिनके नहीं हैं, टेम्पोरेरी रहते हैं, वे केवल डेढ़ लाख हैं, तो डेढ़ लाख लोगों को हम 5 रुपये में देने के लिए तत्पर हैं, लेकिन हम उससे और आगे की बात कह रहे हैं, हम तो ये चाहते हैं जो अस्थाई कनेक्शन में 8-10 हजार रुपये लगते थे, उसको 5 रुपये कर रहे हैं. हमने तो उनके जीवन में बदलाव लाने का संकल्प लिया है. वह तार टांगकर काम चलाता था, उसके बजाय एक तरह से हम उसकी रिक्वायरमेंट के आधार पर उसका नामिनेशन कर रहे हैं. लेकिन हम और आगे बढ़ रहे हैं, आपकी मदद चाहिए होगी, मैं आपको फिर बताना चाहता हूँ. हमने तय किया है कि ऐसे किसान जो टेम्पोरेरी कनेक्शन चाहते हैं, उनको हर साल 10-20 हजार रुपये फालतू के लगते थे, हमारी सरकार सबसे पहले सोलर पम्प उनको देना चाहती है ताकि परमानेंट बिजली का झंझट ही खत्म हो जाए. 10 लाख बिजली के सोलर पम्प हम देना चाहते हैं. वह भी नाम मात्र के रेट पर, 3 हॉर्सपॉवर तक के लिए केवल 5 प्रतिशत और 10 हॉर्सपॉवर तक के लिए केवल 10 प्रतिशत उनकी मेचिंग ग्रांट लगेगी और उस आधार पर हम उनको सोलर पम्प देंगे. आगे चलकर के प्रयास तो यह कर रहे हैं कि वे बिजली तो अपनी फ्री चलाएं, लेकिन ज्यादा बिजली आ जाए तो वे हमको बेचें, हम उनके लिए भी अपनी आय का नया रास्ता खोलना चाहते हैं ताकि हमारे किसानों की जिंदगी में बेहतरी हो. यह हमारी सरकार का सोचना है. अब आप बताइये, आपने कहा कि एमएसपी पर सरकार नहीं खरीद रही है. मैं आपको आंकड़े बताना चाहता हूँ. सोयाबीन को पहली बार किसने एमएसपी पर खरीदा है, यह आजादी के बाद का पहला रिकॉर्ड है और सरकार के बजाय भी रेट इतने अच्छे मिल रहे हैं कि हमारे टारगेट से कम सोयाबीन मिला है. (मेजों की थपथपाहट) अभी उतने ही नहीं, ये आप बताइये कि जब से हमारी सरकार बनी, बोनस तो हम ही दे रहे हैं और बोनस भी कितना दे रहे हैं, कोई अंदाज तो लगा ले, आप एक साल का हिसाब तो लगाएं. हमारा अपना 2023-24 का गेहूं जो 2150 रुपये था आप बताओ अभी तो एक साल तीन महिने की सरकार है 2150 रुपये से लगाकर आज भारत सरकार के माध्यम से हमारे दोनों के रास्ते मिलाकर इसी साल 2600 रुपये कर दिया. यह अपनी सरकार है लगभग-लगभग आप अंदाज लगा लो,एक साल के अंदर जहां हम जितना कर सकते हैं लेकिन फिर भी यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के लिये कि आज गेहूं का बाजार का मूल्य भी उतना अच्छा है कि 2600 रुपये में भी बाजार में वह देने के लिये तैयार नहीं है लेकिन हमारी तैयारी पूरी चाहिये क्योंकि हम किसान को बिचौलियों से बचाना चाहते हैं. हम किसान की जिंदगी को बेहतर करना चाहते हैं इसीलिये पिछले साल हमने 125 रुपये बोनस दिया था इस साल 175 रुपये बोनस देकर हमने उस संकल्प की पूर्ति की है हमने 2700 रुपये प्रति क्विंटल 5 साल में देने की बात कही थी और अभी तो सवा साल ही हुआ लेकिन मैं आपको गारंटी के साथ कह सकता हूं कि अगले साल 2700 रुपये से बाहर चला जायेगा इसमें कोई डरने की बात नहीं. यह सरकार के काम करने का तरीका है. 4 हजार रुपये हेक्टेयर हमारे धान उपार्जन,हमारे धान उत्पादकों के साथ और उन्होंने जिसने 2024 में जिन्होंने उपार्जन किया है इस साल का तो अलग देंगे तो 2024 में जिन्होंने धान उपार्जन किया है ऐसे सभी किसानों के खातों में लगभग 480 करोड़ की राशि हम डालने जा रहे हैं जिसमें 6.70 लाख किसानों को इसका लाभ मिलेगा. गेहूं के बोनस की बात करें जहां 80 लाख मीट्रिक टन के उपार्जन का हमने लक्ष्य तय किया है और राज्य सरकार के माध्यम से 1400 करोड़ रुपये की हम राशि डालने वाली है. हमारी सरकार खर्च करेगी. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि जब हमने बिजली कनेक्शन की बात कही और इसके साथ-साथ जब किसान कल्याण के लिये 83 लाख से अधिक किसानों के प्रतिवर्ष 6 हजार रुपये की दर से, 6 हजार हमारे और 6 हजार माननीय प्रधानमंत्री जी के, पहले आपकी सरकार में किसान को लगान,तोजी,वसूली के चक्कर में वे जमीन नीलाम करते थे और यह हमारी सरकार है 1 हजार रुपये महिना,12 हजार रुपये साल, 6 हमारे और 6 माननीय प्रधानमंत्री जी के मिलाकर,यह सरकार का भाव है किसानों के प्रति कि किसान से बढ़कर वर्तमान के दौर में हमने देवी-देवताओं का आदर किया लेकिन उसके समान अगर कोई आदर का हकदार है तो किसान है,किसान भाईयों का सम्मान हमारी आंखों में हैं. मैं मानकर चलता हूं जब फसल बीमा की बात कर रहे हैं तो बीमा पर 25 लाख से अधिक किसानों को 750 करोड़ रुपये से अधिक की राशि के दावे का भुगतान हमने किया है. आप रिकार्ड देखियेगा. 2024-25 में प्राकृतिक आपदाओं के माध्यम से अगर राहत राशि देने की बात अगर कही है तो 710 करोड़ की राशि हमने उसमें भी व्यय की. एक बात आपकी जानकारी के लिये बता दूं. नेशनल डेयरी डेव्लहपमेंट बोर्ड के माध्यम से एक तो यह बात बिल्कुल साफ कर लें कि हमारे सांची ब्रांड पर कोई शंका नहीं है. सांची ब्रांड हमारा है,था,रहेगा. अमूल का ब्रांड नहीं सांची का ही रहेगा लेकिन नेशनल डेयरी डेव्लहपमेंट बोर्ड के माध्यम से हमने एक एमओयू किया है कि वर्तमान में किसान का दूध केवल प्रायवेट व्यक्ति या कोई इस प्रकार से छूटता है सरकार उसमें समर्थन नहीं देती है तो दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिये 5 रुपये प्रति लीटर जैसा हम फसल पर देते हैं यह बोनस भी हम देने जा रहे हैं यह व्यवस्था हमारी सरकार के द्वारा की गई है. दूध के अलग-अलग प्रकार के उत्पाद बनें और उनके माध्यम से किसानों की जिंदगी बेहतर से बेहतर हो.हम तो मानकर चलते हैं. आप उनका सम्मान नहीं करते हो. यह कांग्रेस के शासन काल के बड़े नेता सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सहकारिता का बड़ा मूवमेंट खड़ा किया था और उस मूवमेंट को फैलाते हुए हम यहां लेकर आए हैं. हमने तो आपके उन सरदार वल्लभ भाई पटेल की उस भावना के आधार पर बिना सहकार नहीं उद्धार,सहकार को बढ़ावा देने के लिये यह सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है और जिनको खेती,किसानी का लाभ मिलता है. खेती,किसानी की फसल के बजाय रोजमर्रा में दूध उत्पादन से भी उनकी आय बढ़ जाए इस दिशा में हमारी सरकार काम कर रही है जिसके माध्यम से 5 वर्षों में 25 हजार गांवों में दूध उत्पादन की समितियों का गठन करते हुए हम इस दिशा में काम करेंगे. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि प्रत्येक दूध उत्पादक को जो 5 रुपये लीटर बोनस देने की बात कही है उससे आगे बढ़कर भी हमने तो कहा है जिसके घर में गाय वह गोपाल और जिसके घर में गाय का कुल,वह घर-घर गोकुल. तो ऐसे में हमारी सरकार के माध्यम से 10 से ज्यादा जो गाय पालेगा उसको भी अनुदान दिया जायेगा उसकी भी आय बढ़ाने के लिये हमारी सरकार ने बजट में प्रावधान किया है और केवल 10 नहीं,अगर आप 100 पालो,200 पालो उसकी व्यवस्था भी सरकार करने को तैयार है क्योंकि हमने दूध उत्पादन को भी एक तरह से इस सकारात्मक भाव से लिया है कि वह आय का साधन भी बढ़ाता है. लेकिन ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका अदा करता है. मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है हमारी सरकार के माध्यम से माननीय अध्यक्ष महोदय, गौशाला चलाने वालों को भी प्रति गाय जो 20 रूपये देने का हमने निर्णय किया था उसको इसी सरकार के माध्यम से 40 रूपये का अनुदान देने का निर्णय हमारी सरकार के माध्यम से हुआ है. इसलिये गौशालाओं को, गाय माताओं को संभालने के लिये अब कोई कष्ट नहीं और न केवल यहां बल्कि हमने तो कहा कि बड़ी-बड़ी नगर निगम उज्जैन, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर 10-10 हजार से बड़ी गौशालायें खड़ी करके जो हमारी अपाहिज, लावारिश, बीमार गौमाता हैं उनकी भी सेवा करने के लिये गौशालाओं में उनका इंतजाम किया जायेगा. मुझे इस बात की प्रसन्नता है. एक आप के ही विधायक माननीय मधु भगत जी ने कहा कि गौशालाओं को अनुदान नहीं दे रहे. मधु भगत जी, आप भी आंकड़ा देख लेना 2 हजार 56 पंजीकृत पात्र गौशालाओं के लिये 3 लाख 98 हजार गौवंश के लिये इसी वित्त वर्ष में दिसम्बर 2024 तक 191.65 करोड़ का डीबीटी से राशि डाल दी गई है, आप जानकारी निकालना हमने इस दिशा में अपने उस संकल्प को पुन: दोहराया है. 20 से 40 तो कर ही रहे हैं और पुराना हिसाब भी चुक्ता कर रहे हैं, छोड़ेंगे किसी को भी नहीं. माननीय विधायकगण श्रीमान विजय रेवनाथ चौरे जी आपने कहा राहत राशि और मुआवजे के लिये आपने बात कही है तो मैं बताना चाहूंगा कि किसान कल्याण हमारी सरकार की प्राथमिकता है. ऐसे में विगत वर्ष के 710 करोड़ रूपये की राशि हमारी सरकार द्वारा व्यय की गई है, आपको केवल जानकारी के लिये बताना चाहूंगा. बोलने के लिये तो बहुत से माननीय विधायकों ने बात कही है, माननीय सुरेश जी ने बिजली की बात कही है, मैंने बिजली पर बहुत विस्तार से बात कर दी है कि बिजली की अधिकतम मांग हमको 18 हजार 913 मेगावाट की थी जो इतिहास में सर्वाधिक थी उसकी आपूर्ति भी हमने अपने राज्य के बलबूते पर की है. सिंचाई की क्षमता की बात अगर करें तो यह आपकी जानकारी में भी होगा, लेकिन मैं दोबारा दोहराना चाहूंगा सिंचाई क्षमता हेक्टेयर में वर्ष 2002-03 तक 7.68 हेक्टेयर थी जो आज 55 लाख हेक्टेयर हो गई है, यह हमारी सरकार का काम करने का तरीका है. एक आपने अच्छी बात कही केन वेतवा के लिये धन्यवाद देने वाली लेकिन आप अपने नेता जयराम रमेश जी को समझा लो, पता नहीं क्यों बुंदेलखंड से उनकी दुशमनी है. 20 साल अगर यह केन वेतवा पीछे रही है तो यह उनके कारण से रही है, यह योजना भारत रत्न माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय आ जाती, लेकिन उन्होंने बजाय मनुष्यों के पता नहीं क्या उनका चक्कर था वह पर्यावरण की आड़ में इस योजना का पलीता लगाते रहे. यह योजना शुरू में 20 हजार करोड़ की हो जाती, आज 20 साल में वह 1 लाख करोड़ की योजना बनी है. लेकिन उसके बावजूद भी जिस दिन यशस्वी प्रधानमंत्री भूमि पूजन करने आये, उस दिन भी उनके पेट में बल पड़ा, उस दिन भी उन्होंने उसके खिलाफ ट्वीट किया तो कम से आपके यहां कांग्रेस के नेताओं को यह समझाइये कि मध्यप्रदेश के लोगों ने क्या बिगाड़ा है, बुंदेलखंड के लोगों ने उनका कुछ नहीं बिगाड़ा है, वह तो विकास ही चाहते हैं, लेकिन पता नहीं कांग्रेस के क्यों पटिया उलाल करने पर तुले हैं आपके लोग, आप उन सारी बातों को समझकर करें तो अच्छा लगेगा. अब इस योजना से लाभ कितना मिलेगा आप बताइये इस परियोजना से मध्यप्रदेश के 10 जिलों में छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना, दमोह, सागर, शिवपुरी, दतिया, रायसेन, विदिशा मैं समझता हूं इन जिलों में कुछ कांग्रेस के भी विधायक होंगे, वह किस मुंह से जायेंगे अगर यह विरोध कर रहे हैं तो यह इतनी अच्छी योजना का विरोध कर रहे हैं बड़े दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ेगा 41 लाख लोगों को जो पेयजल की पूर्ति करेगी, विद्युत उत्पादन में 25 मेगावाट की बिजली इसमें मिलेगी, सोलर विद्युत 8 मेगावाट मिलेगा और इसके साथ मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है एक और नदी जोड़ो अभियान पार्वती, कालीसिंध चंबल परियोजना जिसको राष्ट्रीय परियोजना के माध्यम से इसमें 19 वृहद बांध बनाये जायेंगे, जिसके माध्यम से 6.14 लाख हेक्टेयर वार्षिक सिंचाई होगी और लाभाविंत होने वाले जिले मालवा चंबल के 13 जिले जिसमें गुना, शिवपुरी, मुरैना, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, देवास, आगर मालवा, शाजापुर, राजगढ़, भिंड, मुरैना, श्योपुर और लाभाविंत होने वाले गांव की संख्या 2 हजार 94 और सिंचाई होने वाला एरिया 6 लाख 14 हजार हेक्टेयर पेयजल जिनको मिलेगा वह 43 लाख अर्थात नर्मदा वेली के बाद यह हमारा पश्चिमी मालवा और चंबल का पूरा बेल्ट यह पूरा जल से एक तरह से उस दौर में पहुंचेगा जो पंजाब और हरियाणा को पीछे छोड़ेगा. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से इस बात की बधाई देना चाहूंगा.
हमारे यहां अभी सदन में श्रीमती अर्चना जी बैठी हैं, अभी हमारा निमाड़ से उधर वाला हिस्सा, सचिन भाई आप भी थोड़ा सा धन्यवाद मोदी जी को देना, एक बड़ा अभियान माननीय मोदी जी के माध्यम से हमारी ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना के माध्यम से चल रहा है. मैं कृपया करके इसको एक और भाव से बताना चाहूंगा, यह एक मात्र ऐसी परियोजना है, जिसके माध्यम से भू-गर्भ जल भण्डारण का बड़ा लाभ ताप्ती परियोजना के माध्यम से मिलेगा. यह डेम ऐसी जगह बनेगा, जिस डेम के माध्यम से हम अपने मध्यप्रदेश का ही नहीं, इस पृथ्वी माता का भी भला करेंगे, इस डेम के माध्यम से खेती की, किसानी की, बागवानी की, पीने की पानी की औद्योगिक रचनाओं की, जल की आपूर्ति तो होगी लेकिन पृथ्वी के अंदर भू-गर्भ जल भण्डारण का काम भी यह करेगी तो हमारा पूरा निमाड़ का या खासकर बुरहानपुर खण्डवा वाले बेल्ट से लगाकर के महाराष्ट्र और गुजरात का बेल्ट भी रहेगा.
श्रीमती अर्चना चिटनिस -- यह दुनिया की अपनी प्रकार की एकमात्र योजना होगी. यह एक ऐसी योजना बनने जा रही है. यह योजना भू-गर्भ जल भण्डार की ऐसी योजना है, जो विश्व में दुनिया में कहीं पर नहीं है. यह अपने आप में पायलट प्रोजेक्ट है (मेजों की थपथपाहट)
डॉ.मोहन यादव -- (हंसी) आप ताली बजाकर कम से कम इतना समर्थन तो कर ही दो (मेजों की थपथपाहट) उसमें क्या बिगड़ रहा है, आखिर हमारे लोगों को पानी मिल रहा है.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यान सिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं दो सैकेंड में अपनी बात कह दूंगी. माननीय मुख्यमंत्री जी मेरे जितने आदिवासी क्षेत्र ऊपर के जो हैं, अभी हमारी दीदी के ऊधर बुराहनपुर से ताप्ती को जोड़ने की बात हो रही है, तो पहाड़ी अंचल पूरे छूटे हुए हैं. बात करें नेपा की, बात करें भीकनगांव की, बात करें भगवानपुरा की तो यह हमारा पूरा बेल्ट छूटेगा, उसको भी जोड़ने की कृपा करें.
डॉ.मोहन यादव -- आप चिंता मत करो, आपके क्षेत्र में भी ले लेंगे.
हम आपसे यह कह रहे हैं कि हम आपके साथ सामने यहां इस विषय की बात कर रहे हैं, हम एक करोड़ हेक्टेयर की बात कर रहे हैं तो फिर मध्यप्रदेश का कौन सा अंचल बचेगा, हम आपका भी जोड़ेंगे, कोई क्षेत्र बचने वाला नहीं है, बल्कि और भी किसी का क्षेत्र बचा होगा तो इस मामले में कोई मना नहीं है(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय -- आज मुख्यमंत्री जी बहुत उदार हैं.
नेतप्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को यही कहना चाहता हूं कि आपका भाषण बहुत अच्छा है और गीता का सार है कि जो हो रहा है अच्छा होगा, जो अच्छा होगा, जो हुआ अच्छा हुआ(हंसी)
डॉ.मोहन यादव -- (हंसी) अब इस पर तो नेता प्रतिपक्ष जी को धन्यवाद देना पड़ेगा.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- यह तो ऐसा लग रहा है कि आपकी उम्र 80 साल की हो गई है और आपको गीता का सार समझ में आ गया है(हंसी)
डॉ.मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं आपको बताना चाहता हूं कि ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना के माध्यम से महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के माध्यम से 01 लाख 23 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रस्तावित है और खासकर के यह खण्डवा जिले की बुराहनपुर, नेपानगर, खगनार, खालवा तहसील में भी लाभांवित करेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं, अगर इस प्रकार से एक एक करके तीनों योजनाओं का आंकड़ा जोड़ें तो सच में हमारे अकेले की यह बस की बात नहीं थी, न पास के राज्य के बस की बात है, यह केवल यशस्वी प्रधानमंत्री के बस की बात है 90 प्रतिशत धनराशि वह उनके माध्यम से दे रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट) लगभग डेढ़ लाख करोड़ रूपये से ज्यादा की धनराशि यशस्वी प्रधानमंत्री जी दे रहे हैं. यह हमारा सौभाग्य है कि उनके नेतृत्व में इस प्रकार का हमारा अपना क्षेत्र पूरा बदलेगा, पिछले 14 माह में 2.69 लाख हेक्टेयर सिंचाई का नया रकबा बढ़ा है, मैं बधाई देना चाहूंगा(मेजों की थपथपाहट).
अध्यक्ष महोदय, माननीय सोहनलाल बाल्मीक जी ने कहा कि छोटी नदियों का भी संरक्षण होना चाहिए. माननीय विधायक जी मैं आपसे पूरी तौर पर सहमत हैं, पिछले समय से जब हमने पड़ोसी राज्य से संबंध सुधारने का नया अध्याय लिखा है, हमारे पहले बीस साल तक कांग्रेस के शासनकाल से राजस्थान से केवल जल बंटवारे पर झगड़ा चलता रहा, अरे जैसे कोई भारत पाकिस्तान का मामला हो गया. आज बदलते दौर में हमको यह नया अध्याय लिखना पड़ेगा. मैं धन्यवाद देना चाहूंगा कि प्रधानमंत्री जी स्वयं इस बात को लेकर की राज्यों के आसपास के हिस्सों पर, राज्य के नागरिकों की बेहतरी के लिये हमको ऐसे निर्णय करना चाहिए, जल का बिजली का, आवागमन के साधन का, कई और जरूरी चीजों का, आपस में सौहाद्रपूर्ण संबंध होना चाहिए तो न केवल हम राज्यों में अपनी नदियों के जल की बात कर रहे हैं, बल्कि राज्य के अंदर भी नदियों के जोड़ने पर काम कर रहे हैं. मुझे इस बात की प्रसन्नता है और आपका भी कोई प्रस्ताव हो तो बता देना, हम ऐसी सारी नदियों को जोड़ने पर हमारी सरकार के माध्यम से काम किया जायेगा.
(मेजों की थपथपाहट)
इतना ही नहीं, केवल नदी नहीं, तालाब, कुंआ, बावड़ी जो भी सरोवर पुराने से पुराना. हमने पिछले साल भी जल गंगा अभियान चलाया था. माननीय प्रहलाद जी पटेल और कैलाश विजयवर्गीय भाई साहब यहां मौजूद हैं, हमारी जितनी भी स्थानीय जल संरचनाएं और स्थानीय बॉडी हैं और प्रदेश स्तर पर भी हमने प्रयास किया कि पूरे प्रदेश के अंदर इसको भी इसी 30 मार्च से लगाकर तीन महीने फिर अभियान चलाएंगे. हम और आप मिलकर एक सकारात्मक संदेश दें. जितनी भी जल संरचनाएं बचेगी वह सभी के लिए बेहतर रहेगी. उद्योग की बात आपने छेड़ी तो मैं बतान चाहूंगा कि लगभग औद्योगिकीकरण से औद्योगिकी विकास दर 2002-03 तक तक का जरा दिल थाम कर सुनना कितना है, 0.06 प्रतिशत, ये वर्ष 2002-03 में थी और आज की स्थिति में 24 प्रतिशत है, ये हमारी सरकार काम कर रही है(..मेजों की थपथपाहट)
जीरों के बाद, दशमलव के बाद में भी जीरो लगा है, यह कांग्रेस सरकार काम कर रही थी और यह भाजपा सरकार कर रही है, ये जो काम करने का तरीका है, मैं कुछ नहीं कर सकता हूं यह आंकड़ा है, आपके सामने है. इतना ही नहीं औद्योगिक क्षेत्रों की संख्या यह भी बताना चाहूंगा. ऐसा नहीं कि नहीं थी, थी तो थी, लेकिन कितनी थी, यह बता देता हूं केवल 23 थी और उतना बड़ा प्रदेश था, लेकिन आज की स्थिति में हमारे 320 अलग अलग कारखाने काम कर रहे हैं, ये तो पुराने हैं. एमएसएमई और लघु कुटीर उद्योग तो गिने ही नहीं है, वह अगर मिलाए तो, लेकिन आज की स्थिति में जिस प्रकार से अब ये जो पूरा आंकड़ा आएगा, थोड़ा बताना चाहूंगा कि हमारे द्वारा तो पूरे वर्ष अलग अलग संभाग में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव करते हुए जब जीआईएस का समापन किया, तब पुन: हमने संकल्प किया कि बीती तांही बिसार दें, हो गई गलती, पुरानी छोड़ो, कोई बात नहीं, जब जागे, तब ही सवेरा, तो इस वर्ष को तो उद्योग, रोजगार वर्ष ही घोषित कर दिया है, पूरे तौर पर. पूरे वर्ष उद्योग रोजगार की बात होगी, यह हमारी सरकार द्वारा किया जा रहा है और जिस प्रकार से निवेश के प्रस्ताव मिले हैं, 30 लाख 77 हजार, आप तो इस बात के लिए भी कम से कम धन्यवाद दे सकते हैं कि जीआईएस तो हुई, लेकिन भोपाल भी गौरवान्वित हुआ, राजधानी का ये जो हाल बदला जो, आनंद आया कम से कम उस नाते से ..
श्री सोहनलाल बाल्मीक – जो प्रस्ताव मिले थे, उस पर क्या हुआ थोड़ा उसमें भी प्रकाश डाल देंगे.
डॉ. मोहन यादव – आईए न मैं बता देता हूं, आपके छिन्दवाड़ा के लिए भी अलग से हम अपना फूड क्लस्टर बनाने वाले हैं, आप चिन्ता मत करो, आपकी भी चिन्ता हम कर रहे हैं, लेकिन आप कभी मेज नहीं थपथपाओ.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह – माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने फरमाया कि आनंद आ गया, पर ये बजट मैं देख रहा था, आनंद विभाग में जो अलॉटमेंट है वह तो शून्य है, एक पैसा नहीं है.
डॉ. मोहन यादव – आपका भी नंबर आने वाला है, भाईसाहब.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह – मैंने अभी भाषण ही नहीं बोला है तो कहां से आ जाएगा.
डॉ. मोहन यादव – श्री फुन्देलाल मार्को जी और किसी अन्य सदस्य ने भी आनंद विभाग के बारे बोला है मैं उसका जवाब दूंगा, अभी मैं उद्योग पर बोल रहा हूं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह – माननीय आप उद्योग का जिक्र कर रहे हैं. मैं उद्योग मंत्री वर्ष 1993 से 98 तक रहा. आप आंकड़े उठाकर देख लीजिए आपके पास सारे आकड़े मौजूद हैं, 10 हजार करोड़ का पूंजी निवेश आया था, तब कीमतें क्या थी और आज कीमतें क्या है, खैर बहरहाल ..
रात गई, रात की बात न कर.. आई है सुबह.. रोशनी का हिसाब दे.. (..मेजों की थपथपाहट)
डॉ. मोहन यादव – मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है कि माननीय राजेन्द्र सिंह भाई साहब ने इस बात को धीरे से माना, लेकिन मान तो लिया. हमने ऐसा भी नहीं कि आपका जीरो बताया है, हमने आपका आंकड़ा 23 बताया है कि कुछ हुआ है लेकिन..
डॉ. अभिलाष पाण्डेय – अध्यक्ष जी, आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं कि मध्यप्रदेशा में महिलाओं के लिए ..
अध्यक्ष महोदय – अभिलाष जी, जब सीएम बोल रहे हो तो उस समय व्यवधान मत करो.
डॉ. मोहन यादव – अध्यक्ष महोदय हमने आगे चलकर के जितने भी निवेश के प्रस्ताव आए हैं, इनके लिए भी हमने कलेक्टर के यहां एक अलग से सेन्टर बनाते हुए एक इन्वेस्टमेंट फेसिलिटेशन सेंटर का यहां एक सिस्टम बनाया है, जिमसें नोडल अधिकारी बनाकर स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए एक सिंगल विंडो का प्रावधान किया है कि उद्योगपति जगह जगह बिजली कनेक्शन, नल कनेक्शन और बिल्डिंग परमिशन के लिए इधर उधर जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी. ये उद्योग संवर्द्धन को बढ़ावा के लिए आप लोगों को भी जानकारी में रहना चाहिए यह मैं बताना चाह रहा हूं.
लेकिन सकल राज्य घरेलू उत्पाद में उद्योग क्षेत्र में तीन गुना योगदान बढ़ा. 2010-11 में जो 9.98 था जो 2024 में बढ़कर के 2.86 लाख करोड़ का हो गया है. मैं मानकर के चलता हूं कि पांच साल में विदेशी निवेश 557.48 मिलियन यूएस डालर का इसका जोरदार अभिनन्दन करें यह हमारा विदेशी निवेश बढ़ रहा है. 2023-24 में 7.88 बिलियन यूएस डालर का रहा है. मैं पुराने अलग अलग प्रकार के मेरे मित्रों ने कुछ आंकड़े दिये थे उसकी बात भी करना चाहूंगा. हेल्थ के मामले में राजेन्द्र जी हमारे उप मुख्यमंत्री जी हैं मैं आपको बधाई देना चाहूंगा कि आपने सिविल हॉस्पीटल, जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र इनके आंकड़े दिखाऊंगा तो थोड़ी ज्यादती हो जायेगी. लेकिन मेडिकल कालेज की संख्याओं से बता दिया है. जिस ढंग से हर क्षेत्र में दो गुना, तीन गुना, चार गुना, आयुष्मान कार्ड में पूरे देश में मध्यप्रदेश नंबर वन आया है. चार करोड़ से ज्यादा लोगों को इसको जोड़ने का लाभ लिया है. आयुष्मान के माध्यम से 70 वर्ष की आयु के बुजुर्गों के लिये भी 1381 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है, यह अपनी सरकार का इनके प्रति भाव है. बी.बी.पी. मॉडल पर 12 शासकीय मेडिकल कॉलेज का आपने टेण्डर लगाया है. खास करके तीन मेडिकल कॉलेज नीमच, मंदसौर, सिवनी आपने प्रारंभ किये हैं. लेकिन 2 मेडिकल कॉलेज फिर बन गये हैं, जिनको इसी साल चालू कराने के लिये आपने प्रक्रिया प्रारंभ कर दी. सिंगरौली और शिवपुर का मेडिकल कॉलेज हमारा एक तरह से तैयारी की स्थिति में आया है. जो आज की स्थिति में 30 मेडिकल कॉलेज है. अब 2 मिलाकर के 32 हो जायेंगे. लेकिन 8 मेडिकल कॉलेज अभी पाईप लाईन में हैं. अगर इनको मिलायें तो 40 होते हैं और 12 पी.पी.पी मॉडल पर तो मुझे लगता है कि यह अपने प्रदेश में सबसे तेज गति से बढ़ने वाला प्रदेश हुआ है, जिसके आधार पर हम अपने सभी प्रकार से, केवल मेडिकल कॉलेज नहीं मरीजों की भी चिन्ता करने के लिये जिस प्रकार से सुदूर क्षेत्रों में गंभीर रोगियों को, दुर्घटना पीड़ितों को हमारी पीएमश्री एम्बूलेंस सेवा आप सब लोग भी कृपया ध्यान दीजियेगा कि माननीय विधायकगण माननीय मंत्रिगण, आप नेता प्रतिपक्ष तथा विपक्ष के मेरे साथीगण हमारे द्वारा हॉस्पीटल के अंदर सेवा का लाभ लें. माननीय अध्यक्ष महोदय, जब हम अपने स्टॉफ की बात कर रहे हैं, नये हॉस्पीटल खोलने के बात कर रहे हैं तो मुझे इस बात को बताने की भी प्रसन्नता है कि हमारी सरकार के द्वारा इसी साल 43 हजार पैरा मेडिकल स्टाफ के पद भी स्वीकृत किये गये हैं. यह पहली बार इतनी बड़ी संख्या में एक तरह से मदद की है. चलो नयी मिसाल हो, जलो नयी मिसाल हो, बढ़ो नया कमाल हो, झुको नहीं, रूको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो इसी ध्येय वाक्य के आधार पर हमारी सरकार के द्वारा महिला स्वयं सहायता समूह में भी लगातार वृद्धि करते हुए कहां 2002-03 में 705 महिला स्वयं सहायता समूह थे. आज की स्थिति में 5 लाख 4 हजार से ज्यादा महिला स्वयं सहायता समूह हो गये हैं. जिनकी संख्या आप देखेंगे तो 714 गुना यह संख्या हुई है. महिला स्वयं सहायता समूह को क्रेडिट लिंकेज के माध्यम से जहां आपके माध्यम से 6.4 करोड़ रूपये का लाभ मिलता था. आज हमारी सरकार के माध्यम से 11 हजार 46 करोड़ से अधिक की राशि का लाभ हम महिला बहनों को दिला रहे हैं. यह 1 हजार 7 सौ 90 गुना है. आंगनवाड़ियों की तो बात ही छोड़ दो वहां हमने इतनी बड़ी संख्या ली है मैं उसका उल्लेख नहीं करूंगा. आपने लाडली बहनों की बात कही है. मैं लाडली बहनों के बारे में भी बताना चाहूंगा. हमारी सरकार बनी तब एक हजार रूपया महीने हम देते थे. लेकिन बीते साल ही हमने उसको 1250 रूपये यानि कि ढाई सौ रूपया रक्षा बंधन पर प्रारंभ किया है यह पांच साल की बात की है. लेकिन एक जानकारी और देना चाहूंगा हमने अपने लिये लाडली बहनों के साथ साथ अभी आज की स्थिति में अपनी रेडिमेड गार्मेंट्स की यूनिट है. उसको अलग अलग क्षेत्र में चलाते हुए. प्रति बहन अगर रेडीमेड गारमेंट्स में काम करेगी, तो 5 हजार रूपया प्रति बहन के हिसाब से 3-3 हजार, 4-4 हजार इंटेंसिव देने का प्रयास, जितने बडे़ कारखाने होंगे, उसमें सरकार 10-10 साल का एमओयू कर रही है. हमारा प्रयास है कि हमारी बहनों को अब केवल 1000-1200 रूपए नहीं बल्कि 13 हजार रूपए महीने मिले. इसलिए उनको कारखाने में काम मिले, वह जो काम करना चाहें, उस तरह का काम मिले. इसलिए रोजगारपरक उद्योगों पर भी कई प्रकार से हम उनको एडवांटेजेस देते हुए इस दिशा में प्रोत्साहन देने का काम हमारी सरकार द्वारा किया जा रहा है. आज मैं आपको बताना चाहूंगा कि आज की स्थिति में 26 लाख लाड़ली बहनों के 450, जो हमने गैस सिलेण्डर देने की बात की है, इसके माध्यम से वर्ष 2024 में गैस सिलेण्डर की रिफलिंग के लिए 769 करोड़ रूपए की राशि अंतरित की है. हमने उनसे जो कमिटमेंट किया है, वह हम लगातार दे रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट) अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री उज्जवला गैस कनेक्शन के माध्यम से 89 लाख बहनों को सस्ते सिलेण्डर के माध्यम से धुंए से मुक्ति मिल रही है. मिशन वात्सल्य पोषण आहार-2 के माध्यम से 12.51 लाख बच्चों को कुपोषण से बाहर किया है, यह अपना आंकड़ा है. आप इसकी तस्दीक कर लीजिएगा.
अध्यक्ष महोदय, लाड़ली लक्ष्मी योजना के माध्यम से 3 लाख 35 हजार बहनों को 176 करोड़ की छात्रवृत्ति वर्ष 2023 में दी गई है. स्व-सहायता समूह के माध्यम से लखपति दीदी योजना के माध्यम से महिलाएं-बहनें सशक्त और आत्मनिर्भर बन रही हैं और 1 लाख दीदीयां लखपति बनी हैं यह अपनी सरकार का एक बड़ा रिकार्ड है. (मेजों की थपथपाथट) यह हम केवल खाली कह नहीं रहे हैं करके दिखा रहे हैं और इसी के माध्यम से जैसे मैंने रेडिमेड गारमेंट्स की बात कही है लेकिन हमारे यहां पर जब हम आरक्षण की बात करते हैं, बहनों के योगदान की बात करते हैं तो हमारी सरकार के माध्यम से ही 33 परसेंट के बजाय 35 परसेंट आरक्षण अपने प्रदेश में देने का निर्णय हमारे द्वारा किया गया है. श्री जयवर्द्धन सिंह जी ने कहा कि सरकार को 15 महीने हो गए हैं लेकिन अफसोस की बात है कि लाड़ली बहना योजना पर 1 रूपया नहीं बढ़ाया है. अब मैं यह समझ नहीं पा रहा हॅूं कि 1 करोड़ 29 लाख से ज्यादा बहनों को हमने ढाई सौ रूपया बढ़ाया है. उनको कोई क्यों नहीं बताता, पता नहीं क्या है या वे पढ़ते नहीं हैं. अपने क्षेत्र में रहते नहीं हैं. लगातार जिस प्रकार से हमने कहा है, इसी तरह से हम आगे बढ़कर के अपने बजट की दृष्टि से ही लगभग-लगभग सरकार ने वर्ष 2024-25 तक जनवरी 2024 से मार्च 2025 तक 23 हजार 700 करोड़ की राशि का अंतरण उनके खाते में किया है. यह सरकार के द्वारा किया गया है. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि धीरे-धीरे करके इसमें भी हम आगे बढ़ाएंगे. (मेजों की थपथपाहट)
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, इस बार बजट में 318 करोड़ कम कर दिया गया है, पिछले बार की अपेक्षा.
डॉ.मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष जी, इस बारे में ज्यादा अच्छा रहेगा कि बाल्मीक जी पढ़कर बोलें. अभी इस पर जवाब देने से कहीं और ध्यान जायेगा.
कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं एक मिनट का समय चाहूंगा कि आपके मुख्यमंत्री जी ने शादियां करायीं थीं. एक पैसा आज तक नहीं मिला, उनके बच्चे हो गए.
डॉ.मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष जी, अब मुझे इस बात की जानकारी देते हुए आनंद है कि हमारा स्टेट न केवल वन क्षेत्र में, बल्कि पर्यटन के क्षेत्र में भी जहां वर्ष 2023 तक 64 लाख पर्यटक आते थे, वहीं आज की स्थिति में अपने प्रदेश के अंदर 13 करोड़ से ज्यादा पर्यटक आ रहे हैं (मेजों की थपथपाहट) और यह लगभग 20.31 गुना ज्यादा बड़ा है. इसके माध्यम से हमने पीएम श्री पर्यटन सेवा को भी जोड़ा है. इससे आवागमन की दृष्टि से विमान की सहायता मिलेगी. इसी प्रकार से इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सिंगरौली, खजुराहो के मध्य इनका संचालन किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय, साथ ही साथ मध्यप्रदेश टाइगर स्टेट की बात करूंगा. अब आप बताइए कि एक साल के अंदर 2 टाइगर रिजर्व पार्क सराकर द्वारा प्रदेश में बनाए गए हैं. अभी-अभी माधव नेशनल पार्क और उसके पहले भोपाल में हमारा रातापानी अभ्यारण्य, जो डॉ.विष्णु श्रीधर वाकणकर के नाम पर किया गया है और साथ ही साथ टाइगर के पहले चीता प्रोजेक्ट में दूसरी पीढ़ी ने जन्म लेकर के अब वह खुले आसमान में घूमने के लिए स्वतंत्र हो गए. आपको कभी इच्छा हो, चीते से मिलने जाना हो, तो आप श्योपुर चले जाइए, आपको मिलवा देंगे. (मेजों की थपथपाहट) जहां हम अपने जीवन में अपना आनंद ले रहे हैं जिस प्रकार से जंगली-जानवर खुली जिंदगी में जीकर अपना आनंद ले रहे हैं, हमारी उस भावना को केवल चीता ही नहीं, केवल टाइगर ही नहीं, जिसमें हम देश में नंबर वन हैं, अब आज की स्थिति में गिद्ध, सियार, भेड़िए, भालू में सभी में नंबर वन की स्थिति बन गई है. इससे आगे बढ़कर के वन्य संपदा के बारे में इसलिए बताना चाहूंगा कि कांग्रेस के लोग याद रखें कि वही माधव नेशनल टाइगर पार्क था, जहां उसको वर्ष 1919 में खोला था. जहां 32 टाइगर थे. आपके टाइम सब शिकार में खा गए, तो जीरो हो गया. यह पाप भी कांग्रेस के माथे है. मुझे इस बात की प्रसन्नता है, आज की स्थिति में 6 तो पहले से ही थे, एक हम छोड़कर आ गये और 2-4 आपके साथ और छोड़ देंगे. हमारे पास में पर्याप्त टाइगर हैं, कोई दिक्कत नहीं है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - गधों का भी आंकड़ा बता दीजिए, उनकी संख्या क्या है? (हंसी)
डॉ. मोहन यादव - राजेन्द्र भैया, अब मुझे थोड़ा यह बोलने में संकोच लग रहा है, यही आपको क्यों याद आया, हमें तो ध्यान नहीं आया. (हंसी)
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय. आप इतनी प्रशंसा जंगली जानवरों की कर रहे हैं तो गधा भी तो बेचारा, जंगली गधे भी तो होते हैं.
डॉ. मोहन यादव -मुझे क्या मालूम, होते हैं कि नहीं होते हैं, आप बताओ कहां होते हैं? (हंसी) हमें नहीं मालूम है.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - आपको सदन की ओर से धन्यवाद, आपने कम से कम गधों की चिंता की. (हंसी)
श्री रामेश्वर शर्मा - घड़ियाल प्रोजेक्ट भी बता दें, बीच बीच में काम आता है.
डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष महोदय, जब मैं पर्यटन की बात करता हूं तो वर्ष 2029 तक हम स्थानीय समुदाय के ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना पर भी काम कर रहे हैं और इसी आधार पर देशी विदेशी पर्यटकों को भी जोड़ने का जब प्रयास कर रहे हैं तो आज बड़ी संख्या में जैसा मैंने पर्यटकों की संख्या के बारे में जो आंकड़ा आपको दिया, लेकिन होम स्टे को भी हम प्रोत्साहन दे रहे हैं. एक और जानकारी दे रहा हूं, हमारे मित्रों ने जब हमने बाबा महाकाल के महालोक का लोकार्पण प्रधानमंत्री जी से कराया था तो कई प्रकार के आरोप लगाये थे. आप धार्मिक, पता नहीं क्या-क्या मुझे तो बोलने में भी अच्छा नहीं लगता है, लेकिन यह आंकड़ें बता रहे हैं कि आज की स्थिति में जहां पहले हमारे अकेले उज्जैन के अंदर 29 लाख धार्मिक तीर्थ यात्री आते थे, आज 5 करोड़ से ज्यादा आए, एक साल में धार्मिक पर्यटन का यह आंकड़ा बढ़ा है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, इसने कई प्रकार से लोगों को रोजगार देने का काम किया है. इसी आधार पर हम अपने दूसरे ज्योतिर्लिंग को भी बाबा महाकाल की तर्ज पर ओंकारेश्वर महालोक बनाने जा रहे हैं. नर्मदा की परिक्रमा का पथ भी बहुत अच्छा करने जा रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि अब केवल आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, वन्य जीवन पर्यटन का काम तो बढ़ ही रहा है लेकिन फिल्म पर्यटन भी बढ़ रहा है. फिल्म में भी अलग प्रकार से जो हमने इंसेंटिव दिया है तो अब बड़े पैमाने पर बड़ी अच्छी अच्छी फिल्में स्त्री-2, पंचायत, लापता लेडी. आप नाम बताओ, मैं तो भूल ही जाता हूं, ज्यादा पिक्चर देखता नहीं हूं. लेकिन जिस प्रकार से यह समय चल रहा है यह वाकई मध्यप्रदेश को आगे बढ़ाने वाला समय है.
नेता प्रतिपक्ष जी से एक मामले में अटपटा लग रहा है. आपने कहा कि चंदेरी, बाघ प्रिंट, नेता प्रतिपक्ष महोदय, जैसा माननीय डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह जी ने पुराने समय का अफसोस जाहिर कर लिया, आप भी अफसोस जाहिर करें, चंदेरी को हमने थोड़े ही बनाया है. चंदेरी की साड़ी हमने नहीं बनाई. हां, हमें इस बात का गर्व है कि बहनों के लिए चंदेरी का कलस्टर हमने बनवाया, वहां बड़ी भव्य बिल्डिंग बनवाई. (मेजों की थपथपाहट) और आज बड़े पैमाने पर चंदेरी का पूरा टूरिज्म का ईको सिस्टम बदला है. यह गौरव हमारा है. जीआई टैग हमने दिलवाया. हर जिले में 'एक जिला, एक उत्पाद' का काम हम करवा रहे हैं. यह हर जिले की दृष्टि से है. अब तो मुझे बोलने में आज तो और आनंद आना चाहिए, अब आप बुरा मत मानना, यह भगौरिया भी और आज का उत्सव हम ही दे रहे हैं, इसका मान सम्मान बढ़ाने का काम है. (मेजों की थपथपाहट) हम यह कोशिश कर रहे हैं कि हमारी आदिवासी संस्कृति भी हमारी है. इसमें फर्क क्या है, आपने ढोल बजाया, अकेले अकेले बजाया, हमसे भी बजवा लेते. हम भी चलते बजाने. हमको भी आनंद आता.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय, हम बुरा कहां मान रहे हैं? अच्छी बात है. आपने सम्मान दिया. इसके लिए धन्यवाद.
डॉ. मोहन यादव - मैं भी आपकी बात मान रहा हूं. आप कभी कभी यहां भी ढोल बजवाओ बढ़िया, अच्छा लगेगा. जिस प्रकार से आदिवासी अंचल के सारे तीज त्योहार मनाने के लिए प्रोत्साहन दे रहे हैं बल्कि उनके अपने जो देवी-देवताओं को वह मानते हैं. माननीय श्री विजय जी ने पूरा आवास भर दिया था. क्या लोग आए थे, उस दिन क्या आनंद आया था, सारे पंडे पुजारी भक्त, उनको क्या बोलते हैं, वह सारे के सारे आनंद से डूबे कि पहली बार हमको यह आनंद आया कि हां, हमारी सरकार है, उनको सबको कहा कि आपको अपने सारे वाद्य यंत्र लाना हो तो वाद्य यंत्र की राशि देंगे, आपको अपने देवी स्थान को अच्छा करना हो तो उसकी भी चिंता करेंगे, सरकार के साथ हमारा इतना बड़ा समाज जुड़ता है, इससे अच्छी बात क्या हो सकती है. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि जब नगरीय विकास की बात कर रहे हैं तो मैं मंत्री जी को भी बधाई आपके माध्यम से देना चाहूंगा कि की पहली बार हमारे बड़े महानगरों की चरणबद्ध रूप से योजना बनायी गयी है. जिसमें इंदौर, भोपाल मेट्रोपोलिटन सिटी की कल्पना की है, आगे जाकर हम ग्वालियर और जबलपुर में भी बढ़ेंगे.( मेजों की थपथपाहट) जिसके माध्यम से आसपास के चार-पांच जिलों को जोड़कर के मेट्रोपोलिटन सिटी के माध्यम से जो कल्पना की गयी है, जिसके माध्यम से हमारे आने-आने के मार्ग, बिजली की लाइन, सीवर लाइन, पीने का पानी और भविष्य में 25 साल तक का अच्छा प्लान बनाने की अद्भूत योजना बनी है. मेरी अपनी ओर से बधाई देना चाहूंगा. प्रधान मंत्री आवास में भी लगातार 36 लाख से अधिक परिवारों को प्रधान मंत्री आवास और शहरी क्षेत्र में 8 लाख लोगों को और इंदौर, उज्जैन के बीच में मेट्रो ट्रेन का संचालन होगा. मुझे इस बात की चिंता है कि विकास का कौन सा पैमाना छूटेगा. जब हमारे यहां विकास की बात कर रहे हैं तो स्वच्छतम शहर और स्वच्छतम राज्य में भी भोपाल और इंदौर के साथ-साथ हमारे मध्यप्रदेश में भी हमको गर्व होना चाहिये. मध्यप्रदेश इसमें दूसरे नंबर है. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी हम और मिलकर के यह जो स्वच्छता का अभियान है इसको अच्छा करने के लिये यदि अध्यक्ष महोदय चाहेंगे तो हम हमारे प्रदेश के स्तर भी स्पर्धाएं करायेंगे. ताकि हमारे जिलों में भी आपस में स्पर्धा होकर के एक दूसरे के माध्यम से स्वच्छता के अभियान में सभी सहभागी हों. इस स्वस्थ्य वातावरण को बनाने की दृष्टि से यशस्वी प्रधान मंत्री की तरफ से जो अभियान चला, वह वाकई अद्भूत है. माननीय जयवर्द्धन जी फिर से कह रहे हैं कि एक भी नई कुटि नहीं आयी, वह अभी सदन में हैं नहीं तो कोई बात नहीं, मैं उनके उस आरोप का जवाब देना चाहूंगा. जब आज हम वर्ष 2021 में प्रधान मंत्री आवास के प्रथम चरण के बी.एल.सी घटक में 2 लाख, 3 हजार, 509 आवास स्वीकृत हुए थे और उसके माध्यम से आज की स्थिति तक 1 करोड़, 479 हितग्राहियों को सी.एल.एस.एस. घटक के माध्यम से लाभ प्रदान किया गया है और प्रधान मंत्री आवास टू योजना के माध्यम से, मंत्रिपरिषद के माध्यम से 4.2.2025 में स्वीकृती दी जा चुकी है और 10 लाख हितग्राहियों को इसमें लाभ दिलाना सुनिश्चित किया गया है तो प्रधान मंत्री आवास में भी हम लगातार मदद कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मख्य मंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से 8 हजार, 565 गांवों में 19 हजार, 388 किलोमीटर की सड़कों का, जो बारावासी सड़कों से जुडेंगी. हम इसका भी सुधार करने का काम हम कर रहे हैं. हर ग्राम पंचायत में प्रधान मंत्री किसान समृद्धि केन्द्र की स्थापना कर रहे हैं. मध्य प्रदेश में 1100 से अधिक पंचायतों में अटल ग्राम सेवा, आपको बधाई माननीय ग्रामीण मंत्री, श्रीमान प्रहलाद सिंह पटैल जी. अध्यक्ष महोदय, वाकई में यह बड़ा का काम हो रहा है. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, प्रधान मंत्री आवास के माध्यम से अब ग्रामीण क्षेत्र और शहरी क्षेत्र में, ग्रामीण क्षेत्र में भी अभी जो आवास निर्मित हुए हैं उनकी संख्या 36 लाख है. लेकिन नये सिरे से सर्वे प्रारंभ कर रहे हैं. ताकि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में और नये हितग्राहियों को भी इसमें लाभ दिलाया जा सके. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि मध्य प्रदेश ने इसमें भी लक्ष्य के विपरित हमारे अपने काम करने से 74 प्रतिशत की हमने उपलब्धि हासिल की है, यह एक तरह से हमारे बड़े अभियान का लाभ मिला है. पी.एम. जनमन योजना के माध्यम से 1 लाख, 74 हजार आवास निर्माण के विरूद्ध 1 लाख, 68 हजार, कितना बड़ा आंकड़ा प्राप्त किया है.
अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से बधाई देना चाहूंगा कि हमने 1 लाख, 68 हजार आवास स्वीकृत किये और उसमें 50 हजार आवास पूरे हो गये हैं. मध्य प्रदेश में वाटर शेड से लेकर के बहुत सारे काम हो रहे हैं. मैं मानकर चलता हूं कि विभिन्न विभागों के माध्यम से बहुत सारे काम हो रहे हैं. मैं मानकर चलता हूं कि विभिन्न विभागों के माध्यम से जो काम हुए हैं, लेकिन जल गंगा अभियान की मैंने प्रारंभ में बात कही है और भी बहुत सारी बात कह सकता हूं. लेकिन थोड़ा समय भी कम पड़ रहा है और मुझे लगता है कि होली का दिन भी है लेकिन फिर भी आप सबके माध्यम से जब बहुत सारी बात करूंगा तो यह भी बताना चाहूंगा..
अध्यक्ष महोदय- सदस्यों की भावना का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार के द्वारा सभी विकासपरख मामलों में सबको साथ लेकर चलने का जो प्रधान मंत्री जी का जो ध्येय वाक्य है, जो वह हमेशा कोड करते हैं कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास और हम सब मिलकर के ऐसे सारे कामों को करते रहेंगे. नागरिक सेवाएं, सामाजिक सुरक्षा, ऐसे कई सारे कामों में भी, जब हम अगस्त, 2024 से जनवरी, 2025 तक अंत्योदय योजना में 35 किलोग्राम प्राथमिकता वाले परिवारों को 5 किलो प्रति सदस्य के मान से निशुल्क खाद्यान्न उपलब्ध करा रहे हैं और इसी के साथ-साथ हमारी अपनी सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना में 56 लाख से अधिक हितग्राहियों को 4 हजार करोड़ रूपये से अधिक की राशि का हमने अंतरण किया है. 2012 से 2024 तक 3.5 लाख स्व सहायता समूह को 515 करोड़ से ज्यादा राशि का रिवॉल्विंग फ़ंड हमने दिया है. नगर पालिका के अन्दर 2029 तक खास करके सभी जल यंत्रों में जल शोधन यंत्रों का, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना भी हम करने वाले हैं. फुन्देलाल सिंह मार्कों जी बैठे हैं. आपने कहा कि सम्बल योजना में 6 माह में 41986 प्रकरणों में आपने कोई राशि नहीं डाली है, ऐसा आपने आरोप लगाया है. आपकी जानकारी लिये बता दूं कि 300 करोड़ रुपये की राशि डाली गई है. यह आप इसको लेकर देख लेना, मैं आपको बता दूंगा. (श्री फुन्देलाल सिंह मार्को, सदस्य के खड़े होने पर) आपको बता देंगे. मैं आंकड़ा बोल रहा हूं, मैं जवाबदारी से बोल रहा हूं, आप देख लीजियेगा.
अध्यक्ष महोदय, ऊर्जा के क्षेत्र में बात करुंगा. ऊर्जा में तो एकदम कमाल हो गया है. ऊर्जा में हमारा जो वर्तमान का योगदान है, जिस प्रकार से माहौल चल रहा है, मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि प्रति व्यक्ति ऊर्जा की राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा ऊर्जा में अगर कोई राज्य है, तो मध्यप्रदेश है, यह मुझे इस बात की प्रसन्नता है. राष्ट्रीय औसत है 1340 किलोवॉट और हमारा औसत है 1365 किलोवॉट का. इस बात के लिये यह हमारे ऊर्जा विभाग के लोगों को बधाई देना चाहूंगा. स्थापित क्षमता 27109 मेगावॉट, जो राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित क्षमता का 6.14 प्रतिशत है. नवकरणीय ऊर्जा में तो कमाल हो गया. नवकरणीय ऊर्जा में जिस प्रकार से माहौल बना है, हम अब लगातार सभी क्षेत्रों में जिस प्रकार से बढ़ रहे हैं, तो नवकरणीय ऊर्जा में पूरे देश में आठवां स्थान हमारा हो गया है. यह बधाई की बात है. 12 वर्षों में नवकरणीय ऊर्जा स्रोतों से बिजली का उत्पादन 14 गुना बढ़ा है. रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर पार्क विश्व की सबसे बड़ी एकल सोलर परियोजना बनी है और मजे की बात यह है कि सबसे कम दर पर पूरे देश में बिजली देने का भी अगर दर्जा किसी को मिला है, तो मध्यप्रदेश को मिला है. हमारी बिजली से दिल्ली की मेट्रो चल रही है. भारत सरकार के रेलवे चल रही है और भविष्य में शाजापुर में 450 मेगावॉट, मुरैना में 600 मेगावॉट, धार में 300 मेगावॉट, सागर में 300 मेगावॉट, मुरैना और यूपी में तो अद्भुत योजना चल रही है. माननीय राजेन्द्र सिंह जी भाई साहब, नेता प्रतिपक्ष जी, आपको भी बताना चाहूंगा कि पूरे देश का यह अनोखा एक प्रोजेक्ट बना है, सोलर एनर्जी का. जिसके माध्यम से दो राज्य मिलकर एक यूनिट खड़ा कर रहे हैं और उसमें प्रावधान यह कर रहे हैं कि जब हमको बिजली की जरुरत रहेगी और उनको बिजली की जरुरत है, तो दोनों में अंतर है समय का. तो 6 महीने उसी बिजली को हम वापरेंगे और 6 महीने उत्तर प्रदेश वापरेगा. तो भगवान जी की दया से सूर्य नारायण देवता तो सब पर कृपा करते हैं, लेकिन इसका सदुपयोग करने का संकल्प कहीं लिया है, तो हमारी सरकार के माध्यम से लिया है. यह दोनों क्षेत्रों के किसानों के लिये, राज्य की बेहतरी के लिये यह अद्भुत काम होने वाला है.हम माइनिंग की बात करें,तो यह हमारे लिये और गौरव की बात है कि प्रदेश में कोयला, चूना-पत्थर, ताम्र अयस्क, मैंगनीज, आयरन, बॉक्साइट एवं रॉक फास्फेट, ये सारी की सारी चीजें यहां मिलती हैं. नेता प्रतिपक्ष जी, यह आपने खनिज परिवहन टोल की बात कही है. टोल को हटाने का निर्णय भी सबसे पहले हमारी सरकार ने लिया है. हमें इस बात का आनन्द है. हम यह उसको सरलीकृत रुप से, यह इलेक्ट्रॉनिक चौकी लगेगी. आगे जाकर व्यक्ति भी हटायेंगे. जिसके पास योग्य परमिट होगा, वह अपने आप पार होगा. मनुष्य रहित संसाधन पर हम आगे बढ़ रहे हैं. बहुत जल्दी आपको इसके रिजल्ट देंगे. मैं मानकर चलता हूं कि नक्सलाइट मालमे में कानून व्यवस्था के आधार पर जिस प्रकार से पिछले 10 साल में एक साल के अन्दर 8 से ज्यादा नक्सलाइट्स को मारने का रिकार्ड अपनी सरकार के द्वारा किया गया है. यह मैं आपकी जानकारी में देना चाहूंगा. अध्यक्ष महोदय, वाकई में इतना सारा मसाला है कि समय लग रहा है, लेकिन फिर भी मैं आपकी जानकारी के लिये संक्षेप में कुछ बात बताना चाहूंगा. नेता प्रतिपक्ष जी, 5 वर्ष में पहली बार इन्वेस्टर समिट क्या होती है, सभी सदस्यों को बताना चाहूंगा. हमारे सत्ता पक्ष के लोग भी सुनेंगे. पहली बार भारत सरकार का भी कारपोरेशन मध्यप्रदेश सरकार के साथ मिल करके 1 लाख किलोमीटर सड़क बनाने का संकल्प कर रहा है.(मैजों की थपथपाहट) जिसके माध्यम से 4 हजार 10 किलोमीटर की सड़क बनेगी. यह केवल सड़क नहीं है विकास का दरवाजा खुलेगा, विकास की संभावनाओं के आधार पर मध्यप्रदेश आगे रन-वे की तरह उपयोग करेगा, मुझे इस बात को कहने में प्रसन्नता है कि एविएशन के मामले में छठवां रीवा का हवाई अड्डा चालू हो गया , बहुत जल्दी ही दतिया और सतना होगा सिंगरौली उसके बाद में आयेगा, पहले सतना है इसका केवल लोकार्पण बचा है, हम लोकार्पण करते हुये इस पर आगे बढ़ेंगे, हम उसकी लंबाई भी बढ़ा रहे हैं ताकि जेट भी उतरे. बाकी चीजें भी करें. अध्यक्ष जी माननीय प्रभारी मंत्री जी और हम वहां पर गये थे इस पर भी हम काम कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं देश के यशस्वी प्रधान मंत्री जी को आपको माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हूं और यह हम सबके लिये भी उल्लेखनीय रहेगा. इंदौर-मनमाड़ रेल लाइन, मध्यप्रदेश सरकार और रेल मंत्रालय भारत सरकार के माध्यम से 18 हजार 36 हजार करोड़ रूपये की यह रेल लाइन है. इसमें धार-बड़वानी-खरगौन यह नया रेलवे ट्रेक खुलेगा जिसके माध्यम से विकास की संभावनायें बढेंगी. इसके माध्यम से केवल यह इंदौर-मनमाड नहीं है, आने वाले समय में दिल्ली से आने वाला ट्राफिक जो मुरैना के रास्ते से आ रहा है, अब उसको ग्वालियर-इटारसी-खंडवा जाने की जरूरत नहीं है वह सीधा गुना-ग्वालियर-राजगढ़ के रास्ते उज्जैन के रास्ते से इंदौर निकल जायेगा, तो एक नया पूरा का पूरा औद्योगिक क्षेत्र डेवलेप होगा. जो अभी तक का सूखा क्षेत्र था. गुना क्षेत्र के मुख्यमंत्री 10 साल प्रदेश में रहे हैं उन्होंने तो कभी चिंता नहीं की लेकिन सारी चिंता हमारी सरकार कर रही है, क्योंकि आखिर प्रदेश हमारा है इस नाते से विकास का समग्र दृष्टिकोण है उस आधार पर मैं बात करना चाहूंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने कुछ पैरामीटर्स बनाये हैं, प्रत्येक 200 किलोमीटर में एक हवाई अड्डा बनाया जायेगा, 150 किलोमीटर में हवाई पट्टी बनाई जायेगी, एक बड़ी महत्व की बात कि प्रदेश की नई विमानन नीति के बारे में सदन को अवगत कराना चाहूंगा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक एक हेलीपेड बनेगा और उसको इस हिसाब से बनायेंगे कि वह एक छोटा सा स्टेडियम भी रहेगा जिसके आसपास में दीवार भी होगी, दो कक्ष भी होंगे, खेलने का मैदान भी होगा, एक तरह से वह मल्टीपरपज उपयोग में आयेगा साल में कभी उतरना हो तो हेलीकाफ्टर भी उतरे अन्यथा खेल के मैदान के रूप में भी वह काम में आयेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं मानकर के चलता हूं कि ऐसे कई विकास के काम खासकर प्रदेश में 6 एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जायेगा. नर्मदा प्रगतिपथ, विंध्य एक्सप्रेस-पथ, मालवा-निमाड़ एक्सप्रेस-पथ, बुंदेलखंड विकासपथ, मध्य भारत विकास पथ और अटल प्रगति पथ यह ऐसे बड़े बड़े संकल्प है जिसके माध्यम से मध्यप्रदेश की एक अलग पहचान बनेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मानकर के चलता हूं कि निर्णय करने में हमारी सरकार के द्वारा जिस प्रकार से बीआरटीएस के बारे में निर्णय लिया, इंदौर का हो या भोपाल का हो, विकास के मामले में यह सरकार इसी प्रकार के निर्णय लेने में पीछे नहीं हटती.
अध्यक्ष महोदय, मुझे सदन को बताने में इस बात की प्रसन्नता है कि मध्यप्रदेश भारत का चौथा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है, और सड़क की लंबाई लगभग 5.10 लाख किलोमीटर की है, सड़क का घनत्व भी 1 हजार वर्ग किलोमीटर पर आज की स्थिति में 1 हजार 184 किलोमीटर हुआ है. इसके लिये मैं आपको बधाई देना चाहूंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से देश के सबसे लंबे सड़क नेटवर्क में 90 हजार किलोमीटर से ज्यादा है . एक बात और कहना चाहूंगा मध्यप्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम बंद होने के बाद जब सड़कों का नेटवर्क बढ़ रहा है ऐसे में कई लोगों की यह मांग थी कि हमारे लिये सड़क मार्ग से यातायात की व्यवस्था बनना चाहिये. हमारी सरकार ने निर्णय लिया है एक साल के अंदर हम अपनी राज्य राज्य परिवहन की व्यवस्था का...
समय 1.54 बजे स्वागत उल्लेख
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष श्री विष्णुदत्त शर्मा एवं नर्मदापुरम के सांसद श्री दर्शन सिंह चौधरी का सदन की अध्यक्षीय दीर्घा में स्वागत
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)--माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष माननीय विष्णुदत्त शर्मा जी, सांसद महोदय और उनके साथ में कुछ विधायगण भी सदन की अध्यक्षीय दीर्घा में आये हैं.
अध्यक्ष महोदय-सदन की ओर से श्री विष्णुदत्त शर्मा जी का स्वागत है.
डॉ.मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी हमारे यशस्वी अध्यक्ष और शुभंकर हमारे नर्मदापुरम के सांसद और प्रदेशाध्यक्ष जिनके नेतृत्व में लगातार प्रदेश ने कई कीर्तिमान जीत के गढ़े हैं, मैं आपके माध्यम से सदन में उनका अभिनंदन करता हूं.
(सदन में मैजों की थपथपाहट कर आगंतुक का स्वागत किया गया)
डॉ.सीतासरन शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे क्षेत्र के सांसद माननीय दर्शन सिंह जी भी अध्यक्षीय दीर्घा में विराजमान हैं, उनका भी उल्लेख हो जाये.
अध्यक्ष महोदय-- दर्शन सिंह जी, सांसद नर्मदापुरम दीर्घा में उपस्थित हैं उनका भी सदन की ओर से स्वागत है.
(सदन में मैजों की थपथपाहट कर आगंतुक का स्वागत किया गया)
डॉ.मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय, माननीय दर्शन सिंह जी का भी अभिनंदन है. अध्यक्ष महोदय आपने प्रदेश की जनता की ओर से अभिनंदन किया है वास्तव में आप लोगों का यहां पर बैठना हमारे लिये गौरव की बात है. स्वागत है, अभिनंदन है.
(सदन में मैजों की थपथपाहट कर आगंतुक का स्वागत किया गया)
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी आपने नौकरियों की बात कही है. नौकरियों के अंदर 2-3 माननीय विधायकों ने भी पुलिस कांस्टेबल के बारे में कहा. आपकी जानकारी के लिये बताऊं उसका रिजल्ट भी ओपन हो गया और लगभग 6,000 से ज्यादा नये जवानों को पुलिस में भर्ती किया गया है. इस रिजल्ट के साथ ही सभी प्रकार के पीएससी के लिये भी बताना चाहता हूं.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि जो ओबीसी के पदों को रोका गया है, उन ओबीसी के पदों की पूर्ति की जाये और उनको भी आरक्षण का लाभ दिया जाए. करीब 1,000 पद होल्ड कर रखे हैं. उनका रिजल्ट भी डिक्लेयर किया जाए.
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहूंगा कि माननीय न्यायालय के समक्ष पूरा प्रकरण है. हर हालत में हमारा प्रयास है कि ओबीसी वर्ग को उसका हक मिले. हम उस दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- अध्यक्ष महोदय, माननीय न्यायालय की ओर से इस प्रकार की कोई भी रोक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, विषय नहीं. आपने विषय इंगित कर दिया और मुख्यमंत्री जी ने सुन लिया. बार-बार नहीं.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी को अधिकारी लोग भ्रमित कर रहे हैं. मेरा सिर्फ अनुरोध है कि ओबीसी के लोगों का जो हक है वह हक मिले.
अध्यक्ष महोदय -- सचिन जी, लगातार बोलने का समय पूरा हो गया है. सचिन जी, कृपया बैठ जाइये.
श्री रामेश्वर शर्मा -- यह गलत परम्परा है. यह गलत है. अपने से कुछ होता नहीं है.
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी की सरकार एससी, एसटी, ओबीसी सहित गरीब वर्ग, सामान्य वर्ग सबका ध्यान रखती है. जरा भी बाल बराबर किसी के हक के साथ कोई अन्याय नहीं करेगी. इसीलिये इन सारे मसलों पर अगर कोई बात कहनी हो तो व्यक्तिगत भी कह सकते हैं. मैं माननीय सदस्य से निवेदन करूंगा कि वह अपनी बात कहें लेकिन अभी मैं जो बात बताने जा रहा हूं हमारे यहां पीएससी की बात माननीय नेता प्रतिपक्ष जी, आपने कही. पहली बार ऐसा हो रहा है कि तीन साल की पेन्डिंग हो गई थी, हर साल की हमने इसी वर्ष परीक्षा कराई है. एक-दो-तीन कोई पद खाली नहीं रहने देंगे. हर प्रकार के पद, हर विभाग के और आप थोड़ी मदद करेंगे तो प्रमोशन पर भी हम ठीक रास्ते पर जा रहे हैं. हम आप मिलकर जो सभी वर्गों के प्रमोशन अटके हैं उसका भी हम समाधान खोज रहे हैं ताकि नीचे के पद और रिक्त हो जाएं उनको भी भरने का काम हमारी सरकार के माध्यम से किया जा सके. मैं आपके माध्यम से बताना चाहूंगा कि एक लाख सरकारी नौकरी तो हम दे ही रहे हैं, 5 साल में ढाई लाख भर्तियां हम करने वाले हैं. कुल मिलाकर वर्तमान में 268 शासकीय आईटीआई संचालित कर रहे हैं और 22 नये आईटीआई प्रारंभ करने का और 5,280 अतिरिक्त सीट की वृद्धि होगी. बहुत सारी बातें हैं अध्यक्ष महोदय, लेकिन जैसे हमने कहा कि जिनको नियुक्ति दे रहे हैं उनके नियुक्ति पत्र भी हम हाथों हाथ अलग-अलग विभागों के दे रहे हैं. वह अभी तक एक साल के अंदर 61,000 लोगों को हमने नौकरी के नियुक्ति पत्र दिये हैं. (मेजों की थपथपाहट). मैं आज के इस अवसर पर बताना चाहूंगा कि कई सारे विषयों पर लंबी बात होगी लेकिन आज जब हम बात कर रहे हैं तो इस लोकतंत्र की खूबसूरती और उसकी गहराई को भी समझें. मैं इस बात के लिये आपको धन्यवाद देता हूं.
1.58 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि किया जाना
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट माननीय मुख्यमंत्री जी, आज की कार्यसूची में जो बिज़नेस है वह थोड़ा ही बचा है, उसके पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाती है मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, हम जब कोई बात कर रहे हैं तो हमें हमारी पीछे की पूरी विरासत देखने की भी थोड़ी आदत होनी चाहिये. जब मैं बात कर रहा हूं तो जिस घर परिवार से हम लोग आते हैं, उस परिवार के अंदर कोई राजनीति में न पिताजी, न पिताजी के पहले, लेकिन यह वर्तमान के दौर में लोकतंत्र की खूबसूरती भी है लेकिन मैं अगर सामने देखता हूं कांग्रेस के इस स्थिति में पहुंचने के लिये थोड़ी मेरी सहानुभूति भी है कि कोई बुआ जी के कारण सामने आते हैं, कोई पिता जी के कारण सामने आते हैं. मैं तो यह मानकर चलता हूं कि ऐसे युवा और सुयोग्य लोगों को मौका मिले पार्टी से तो अपने बीच में नेता प्रतिपक्ष आपके माध्यम से (हंसी)..
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- अध्यक्ष महोदय, आप भी पर्ची वाले मुख्यमंत्री हैं भूलना मत.
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, हम तो परमात्मा की मर्जी वाले हैं. परमात्मा की मर्जी है और लोकतंत्र की खूबसूरती है. यह पिता से नहीं मिलती है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय मुख्यमंत्री जी, उधर भी देख लीजिये. उस तरफ भी देख लीजिये. बाकी सब ऐसे नहीं हैं जैसा आप चाहते हैं और जो कहना चाहते हैं उसका मतलब हम समझते हैं, लेकिन आपके दल में भी देख लीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- मुख्यमंत्री जी को बुआ जी के प्रति अत्यधिक सम्मान है इसलिये वह स्मरण करना चाहते थे इसलिये उन्होंने बोला.
अध्यक्ष महोदय -- मुख्यमंत्री जी का बुआजी के प्रति अत्यधिक सम्मान है इसलिए वे स्मरण करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बोला.
डॉ. मोहन यादव -- मैं मानकर चलता हूँ कि राज्यपाल जी के अभिभाषण पर जिस प्रकार से हमने अपनी बात रखने का प्रयास किया है हमने सभी ने संकल्प लिया है कि विकास के कार्यों को हम इसी प्रकार से लगातार आगे बढ़ाएंगे. मैं अंतिम दो शब्द बोलते हुए अपनी बात समाप्त करूंगा.
हर हाथ को काम मिले,
मेहनतकश को ईनाम मिले,
किसान को उचित दाम मिले,
व्यापारी को सही अंजाम मिले,
हर कलाकार को सम्मान मिले.
इसी भाव से हमारी सरकार काम करती रहेगी. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- बहुत बहुत धन्यवाद मुख्यमंत्री जी, नेता प्रतिपक्ष जी और सभी सदस्यगण. मुझे लगता है कि सामान्य तौर पर राज्यपाल जी के अभिभाषण पर चर्चा एक या दो दिन चलती है. वर्ष 1991 में एक बार 5 दिन चली थी लेकिन इस बार राज्यपाल जी के अभिभाषण पर 3 दिन चर्चा चली. लोगों ने साढ़े 11 घंटे से अधिक समय तक चर्चा की. लगभग 48 सदस्यों ने इस चर्चा में भाग लिया. मैं समझता हूँ यह बहुत अच्छा संकेत है.
मैं, समझता हूँ राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर जितने संशोधन प्रस्तुत हुए हैं उन पर एक साथ ही मत ले लिया जाए.
समस्त संशोधन अस्वीकृत हुए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि -
"राज्यपाल जी ने जो अभिभाषण दिया, उसके लिए मध्यप्रदेश की विधान सभा के इस सत्र में समवेत सदस्यगण अत्यंत कृतज्ञ हैं."
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
2.03 बजे
वर्ष 2025-2026 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा
अध्यक्ष महोदय -- अब, वर्ष 2025-2026 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा प्रारंभ होगी.
श्री गोपाल भार्गव (रहली) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय जगदीश देवड़ा जी द्वारा वर्ष 2025-2026 का जो बजट प्रस्तुत किया गया है उस पर आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया है उसके लिए आपको धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी के अभिभाषण में माननीय मुख्यमंत्री जी ने बजट से संबंधित कई विषयों को भी छुआ है. मुझे 40 वर्षों से अधिक का समय विधान सभा में बैठते हुए हो गया है, मिंटो हाल में भी बैठा हूँ और यहां भी बैठा हूँ. मैं आज अधिकार और दावे के साथ कह सकता हूँ कि जितने भी बजट अभी तक प्रस्तुत हुए हैं यह बजट पिछले बजटों से किसी प्रकार से कम नहीं है, बल्कि उनसे बेहतर है. यह सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी और सर्वस्वीकार्य बजट होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, संसद में जब बजट प्रस्तुत होता है तो वहां पर "हलुआ सेरेमनी" होती है, हलुआ सेरेमनी में मिठास होती है. यह एक परम्परा है. मध्यप्रदेश के बजट की रचना में यदि हलुआ सेरेमनी नहीं भी होती है, मुझे नहीं मालूम देवड़ा जी बताएंगे. लेकिन उससे भी ज्यादा यहां पर मिठास बजट के अंदर हमें देखने के लिए मिल रही है. बजट सामान्यत: आंकड़ों का पुलिंदा माना जाता है, लोग कहते हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, आप लोकसभा की बहुत सारी परम्पराएं यहां पर जारी कर रहे हैं, सबको हलुआ खिलाने की परम्परा भी चालू करवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- (हंसी के साथ) मुख्यमंत्री जी आगे से ध्यान रखेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय देवड़ा जी के प्रस्तुत बजट में और हमारी सरकार के इस बजट में जहां हम एक ओर देखते हैं दर्शन भी है, संस्कृति भी है, सनातन भी है, और इसके साथ में विकास भी असीमित है. सारे आंकड़ों के साथ में मुख्यमंत्री जी ने अभी दोनों बातों के बारे में उल्लेख किया है. सबसे पहले में शुभ कार्य को हाथ में लेता हूं. यह जो हमारे बजट में प्रावधान किये गये. श्री कृष्ण पाथेय योजना, गीत भवन की योजना और उसके साथ में गौ पालन और गौ संवर्धन के लिए मुख्यमंत्री डेयरी विकास योजना, मुख्यमंत्री वृंदावन ग्राम योजना.
अध्यक्ष महोदय-- यह कौन बोल रहा है, गोपाल बोल रहे हैं. गोपाल और मोहन की जोड़ी है आप संयोग देखिये.
श्री गोपाल भार्गव-- श्री कृष्ण पाथेय योजना बहुत पहले एक पिक्चर आई थी बलराम श्री कृष्ण एक धार्मिक पिक्चर थी उसमें गाना था. भारत की तूफान में है आज भी नैय्या और भारत में फिर से आ जाओ बलराम कन्हैया. मैं मानकर चलता हूं कि मोहन जी के पर्यायवाची नाम हो चाहे वह गोपाल का हो, गोविन्द का हो, कृष्ण का हो किसी का भी हो लेकिन परिलक्षित होता है कि जैसे समर्पण किया हो कृष्ण जी के प्रति मैं अपने मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दूंगा, अपनी सरकार को धन्यवाद दूंगा. श्री कृष्ण पाथेय योजना में जहां -जहां भगवान के चरण पड़े वहां-वहां एक प्रकार से तीर्थ स्थल बनाकर उसको तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है. हमारे सनातन धर्मियों के लिए, भाईयों के लिए इससे बेहतर सोच और कल्पना और कोई नहीं हो सकती है. मैं धन्यवाद दूंगा हमारे धर्म के वेद, पुराण कठिन तो हैं लेकिन हमारी धार्मिक गाथाओं के बारे में, हमारे धार्मिक गंथों के बारे में, धार्मिक प्रसंगों के बारे में भी आज की पीढ़ी के लिए बहुत कम ज्ञान है. हम धीरे-धीरे आधुनिक संस्कृति में टीव्ही, मोबाईल पर आधारित होते जा रहे हैं. धर्मग्रंथों को पढ़ने की हमारी आदत काफी कम होती जा रही है, हमारे समाज में भी कम होती जा रही है. उसको पुनर्जीवित करने के लिए, पुनर्स्थापित करने के लिए मैं मानकर चलता हूं कि इससे बेहतर और कोई योजना और कोई विचार नहीं हो सकता था. जहां-जहां भगवान कृष्ण के चरण पड़े उन स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा. इसके लिए भी राशि का प्रावधान किया गया है और इसके पीछे यह उद्देश्य है कि पौराणिक काल में वर्तमान समय तक भगवान श्री कृष्ण को जगतगुरू स्वरूप में स्थापित करने में अपना योगदान प्रदान करने वाले अनेक तेजस्वी नायकों और दार्शनिकों, मंत्रदृष्टा, ऋषियों, संतों, मनीषियों, चिंतकों, कवियों, साहित्यकारों, कलाकारों, वैज्ञानिकों को अवदान का रेखांकन एवं वाणियों का ध्वनांकन कर फिल्मांकन करना. मैं मानकर चलता हूं कि मुख्यमंत्री जी ने अभी बताया कि 8 करोड़ लोग महाकाल में इस वर्ष आये. हम चाहते हैं कि 80 करोड़ लोग यहां पर मध्यप्रदेश में भ्रमण के लिए आएं और उसके लिए जरूरी है कि हमारे पास में वैकल्पिक व्यवस्था हो. आपने 2 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान महाकाल का जो आने वाला सिंहस्थ है उसके लिए किया है और क्यों नहीं करना चाहिए. मैं तो यह मानकर चलता हूं कि हमारे द्वादश ज्योतिर्लिंग हैं सभी पवित्र हैं, पूज्य हैं लेकिन द्वादश ज्योतिर्लिंगों में जो प्रथक मान्यता हमारे महाकाल जी की है. वह हमारे अन्य आख्यानों में देखने के लिए नहीं मिलती है. वह कालों के काल महाकाल हैं. रुद्राष्टक में कहा गया है-
" करालं महाकाल कालं कृपालं,गुणागार संसारपारं नतोहं ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गंभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं ॥ "
ऐसे महाकाल भगवान को प्रणाम है शंकर जी को मेरा प्रणाम है.
"नमामि शमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपम्" मैं, कहता हूं कि ऐसे महाकाल के लिए केवल 2 हजार करोड़ रुपये नहीं लगाना चाहिए अपितु मुख्यमंत्री जी आगे आने वाले वर्षों में हमारा जो सिंहस्थ हो, कुंभ हो, वह प्रयागराज कुंभ से भी दुगुना होना चाहिए, इस बात के लिए हमें प्रयास करना चाहिए.
(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय- गोपाल जी, कृपया स्थान ग्रहण करें. होली का त्योहार है, बहुत सारे माननीय सदस्यों की ट्रेन है, इस पर हमारी कल बात हुई थी. स्वाभाविक रूप से यह त्योहार हमारे जीवन का महत्वपूर्ण त्योहार है. मैं, अपनी ओर से ह्दय से आप सभी को होली की बधाई और शुभकामनायें देता हूं और ईश्वर से कामना करता हूं कि होली का त्योहार आप सभी के लिए शुभ रहे. दिनांक 17 मार्च को बजट पर चर्चा जारी रखते हुए, उस दिन गोपाल जी का भाषण जारी रहेगा.
विधानसभा की कार्यवाही सोमवार, दिनाँक 17 मार्च, 2025 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 2.12 बजे विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनाँक 17 मार्च, 2025 (26 फाल्गुन, शक संवत् 1946) को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, ए.पी. सिंह,
दिनांक : 13 मार्च 2025 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा