मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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पंचदश विधान सभा                                                                                                    चतुर्दश सत्र

 

 

फरवरी-मार्च, 2023 सत्र

 

सोमवार, दिनांक 13 मार्च, 2023

 

(22 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1944)

 

 

[ खण्ड-  14 ]                                                                                                               [अंक- 6 ]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

सोमवार, दिनांक 13 मार्च, 2023

( 22 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1944 )

विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.

{ अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

मुख्यमंत्री कन्यादान योजना

[सामाजिक न्याय एवं दिव्‍यांगजन सशक्‍ति‍करण]

1. ( *क्र. 641 ) डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के लिये शासन के क्या मापदण्ड हैं? क्‍या ये खरगोन जिले में लागू हैं? यदि हाँ, तो महेश्‍वर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2020-21, 2021-22 एवं  2022-23 में योजनांतर्गत कितने आवेदन हितग्राहियों द्वारा दिये गये तथा कितने प्रकरण स्वीकृत किये? नामवार, पंचायतवार जानकारी देवें। (ख) स्वीकृत प्रकरणों के आधार पर कितने हितग्राहियों को कितनी राशि वितरित की गई तथा क्या-क्या सामग्री वितरित की गई थी? नामवार जानकारी देवें।                                                          (ग) क्या  सामग्री की गुणवत्ता संबंधी हितग्राहियों, जनप्रतिनिधियों द्वारा शिकायत जिला प्रशासन को की गई थी? (घ) यदि हाँ, तो उस पर क्या कार्यवाही की गई?

पशुपालन मंत्री ( श्री प्रेमसिंह पटेल ) : (क) मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना के मापदण्ड की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट‍ के प्रपत्र 'अनुसार। जी हाँ। जनपद पंचायत महेश्‍वर अंतर्गत वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 में कोई कन्या विवाह का आयोजन नहीं किया गया है। वर्ष 2022-23 (दिनांक 13.02.2023 तक) तक कुल 313 आवेदन प्राप्त किये गये थे, जिसमें से 127 जोड़े पात्र पाये गये, परंतु 126 जोड़ों को ही विवाह योजना का लाभ दिया गया है। 01 जोडा़ किसी कारणवश उपस्थित नहीं हो पाया था। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अनुसार है। (ख) 126 स्वीकृत प्रकरणों के आधार पर राशि रूपये 11,000/- के मान से राशि रूपये 13,86,000/- वधुओं को अकाउन्ट पेयी चेक के माध्यम से वितरण किये गये थे। वितरित की गई सामग्री की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अनुसार है। (ग) जी हाँ। (घ) शिकायत की जांच अनुभागीय अधिकारी (राजस्व) मण्डलेश्‍वर व मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत महेश्‍वर के संयुक्त जांच दल द्वारा की गई, जांच प्रतिवेदन अनुसार सामग्री का चयन जिला स्तरीय समिति द्वारा टेंडर के माध्यम से किया गया था। सभी वर-वधु को पूर्ण सामग्री प्रदाय की गई व वर-वधु द्वारा सामग्री के प्रति संतुष्टि प्रकट की गई थी। (जांच प्रतिवेदन) पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अनुसार। 

        डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- धन्‍यवाद माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना के बारे में पूछा था और जवाब में उन्‍होंने जो मुझे बताया कि कितना पैसा कन्‍यादान योजना में देते हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में कन्‍या विवाह का आयोजन किया गया था जिसमें मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में इन्‍होंने जो बताया है कि 13 लाख, 86 हजार रुपये वधुओं के अकाउण्‍ट में गया है 11 हजार रुपये के मान से और उनको कुछ सामग्री का वितरण किया गया है. मैं उस विवाह में शामिल थी और जिस तरह की सामग्री का वहां वितरण किया गया मैंने स्‍वयं ने देखा, एक तो सामग्री आधी-अधूरी थी, जो आलमारी, पलंग, टीवी यह सब देना था आधा सामान आया, लोग अपना-अपना व्‍हीकल लेकर आये, लोडिंग गाडि़यां और उनको यह कहा गया कि अभी सामान पूरा उपलब्‍ध नहीं है बाद में दे दिया जाएगा और जो सामान दिया गया था उसकी क्‍वालिटी ठीक नहीं थी. जैसे इन्‍होंने प्रश्‍न के उत्‍तर में जो बताया टीवी का कि कलर टीवी 32 इंच आईएसआई मार्क, क्राउन का 9,799 रुपये का, मैंने स्‍वयं में देखा. सिलाई मशीन का भी बताया इन्‍होंने, डिब्‍बा तो क्राउन का था लेकिन अंदर जो टीवी था उसका समझ में ही नहीं आ रहा था कि किस कंपनी का है क्‍या है. मैंने स्‍वयं ने देखा. जो स्‍टील के बर्तन दिये गये थे वह भी इतने से बॉक्‍स में दिये गये थे. जो 51 नग यह लोग जवाब में बता रहे हैं उसकी क्‍वालिटी भी ठीक नहीं थी और जितने गेज का स्‍टील होना चाहिये वह भी नहीं था. इतने-इतने से चम्‍मच थे, इतने-इतने से गिलास थे जो बच्‍चों के लिये होते हैं. वह क्‍वालिटी वाइज़ ठीक नहीं था और मैंने खुद ने शिकायत दर्ज की, लड़के-लड़कियों के माता-पिता ने शिकायत दर्ज की. जवाब में यह बताया है कि वहां पर समिति बनाई और समिति ने जांच को विलोपित कर दिया. अब मैं जानना चाहती हूं कि आपने समिति के किन-किन लोगों को उसमें रखा था.

          श्री प्रेमसिंह पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष जी, माननीय साधौ मैडम ने जो बात कही है, स्‍वीकृत थे 226, उसमें से 1100 और...

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वह तो जवाब में आ गया है, मैंने देख लिया है, मंत्री जी यह बता दें कि समिति में जांचकर्ता कौन-कौन लोग थे और समिति में यह किसने डिसाइड किया कि क्‍या-क्‍या सामग्री लानी है इन पैसों से, उस समिति में कौन लोग थे और जांचकर्ता कौन लोग थे ?

            श्री प्रेमसिंह पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष जी, वहां पर जिस प्रकार से कलेक्‍टर वगैरह की कमेटी बनती है, उनके द्वारा ही ये चीजें, जो-जो सामग्री देनी है...

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, वे यह पूछ रही हैं कि समिति में कौन-कौन थे, सीधा प्रश्‍न है.

          श्री प्रेमसिंह पटेल -- कलेक्‍टर वगैरह लोग रहते हैं समिति में, उन्‍हीं लोगों के द्वारा, जनपद से लगाकर सभी लोग समिति में रहते हैं, उनके द्वारा निर्णय लिया जाता है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- वे पूछ रही हैं कि समिति में कौन कौन थे ?

            श्री प्रेमसिंह पटेल -- अनुविभागीय अधिकारी हैं और जनपद और सभी लोग हैं. समिति के सदस्‍य जो लोग हैं, मतलब विभाग, जनपद वगैरह ये हैं और उसके बाद में भी जांच की गई, कोई जांच में ऐसा कहीं पाया नहीं गया और परिवार के लोगों ने कोई शिकायत नहीं की.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, उनके दो स्‍पेसिफिक प्रश्‍न हैं, समिति में कौन थे, जिन्‍होंने निर्णय लिया और जांच में कौन थे, जिन्‍होंने जांच की, सीधा प्रश्‍न पूछा है. वे बार-बार खड़ी हो जाएंगी, आप जानते हैं वह भी मंत्री रह चुकी हैं.

          श्री प्रेमसिंह पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष जी, कमेटी में वे लोग हैं जो जनपद के हैं, उसमें कलेक्‍टर भी होता है, मतलब एसडीएम भी होता है, ये सभी लोग समिति के सदस्‍य होते हैं.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय...

          अध्‍यक्ष महोदय -- आ जाने दीजिए, एक बार उत्‍तर आ तो जाने दीजिए.

          श्री प्रेमसिंह पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष जी, वे लोग ही रहते हैं. जनपद के लोग रहते हैं और कलेक्‍टर वगैरह, एसडीएम वगैरह भी समिति में रहते हैं. ...(व्‍यवधान)...

          श्री सुखदेव पांसे -- अध्‍यक्ष महोदय, ये लोग, वे लोग क्‍या है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बड़ा स्‍पष्‍ट कह रहे हैं..

          श्री प्रेमसिंह पटेल -- जनपद सीईओ और...       ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने तो स्‍पेसिफिक पूछा है, आपने कैसे अनुमति दे दी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, आप बैठ जाएं.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बड़ा स्‍पष्‍ट कह रहे हैं कि माननीय कलेक्‍टर की अध्‍यक्षता में समिति होती है और कलेक्‍टर इसके चेयरमैन होते हैं तो मुख्‍य रूप से कलेक्‍टर की अध्‍यक्षता में समिति होती है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री कांतिलाल भूरिया -- समिति में कौन कौन हैं, नाम तो बताएं...

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- अब उससे, नाम से आपको क्‍या काम है, आप चाहते क्‍या हैं ?

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय ने आपको अनुमति दी है क्‍या ?

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- ये बताएं कि आप चाहते क्‍या हैं ?

            डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- आपको अनुमति दी है क्‍या, (XXX) जवाब देने का... ...(व्‍यवधान)...

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- नाम भी बता रहे हैं. मंत्री जी नाम भी बता रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, (XXX) ...(व्‍यवधान)...

            श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- नाम भी बता रहे हैं, वे नाम बता रहे हैं, बता दो नाम.

          श्री प्रेमसिंह पटेल -- विकासखण्‍ड अधिकारी हैं, मेहसर के और मनीष जैन मतलब तहसीलदार टप्‍पा हैं और मोहन सिंह वास्‍कले, यह अधिकारी मेहसर के हैं, जिस प्रकार से कोषालय अधिकारी भी है प्रकाश गुप्‍ता, उपयंत्री, शिक्षा, मतलब ये भी कमेटी के सदस्‍य हैं और जांच जब हुई, कोई ऐसा सामने कहीं आया नहीं कि मतलब कार्यवाही की जाए.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो समिति के सदस्‍य हैं, जिन्‍होंने डिसाइड किया है कि क्‍या-क्‍या सामग्री आएगी, अगर वही जांचकर्ता हुए तो जांच की रिपोर्ट क्‍या आएगी, वह तो विलोपित होना ही है. यह तो जगजाहिर है, जांच करने से पहले ही हम समझ गए थे कि विलोपित होना ही है. नंबर एक, जो सामान खरीदने वाले हैं, वही जांचकर्ता हैं, नंबर दो, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, यह रिकार्ड में नहीं आएगा, यह बाहर का विषय है.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- (XXX)

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय -- जो आपकी मंशा है, उस मंशा के हिसाब से उत्‍तर आ रहा है, विवाद मत बढ़ाइये.

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- (XXX)

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- (XXX)

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष जी, बड़ा विस्‍तारित कार्यक्रम है पूरे प्रदेश में. समय-समय पर हर ब्‍लॉक में, हर तहसील में, हर नगरीय निकाय में कार्यक्रम होते रहते हैं...

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या आपने सारे मंत्रियों को बोलने की अनुमति दे दी है.

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय साधौ जी, मेरी बात तो सुन लें.

            डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह कोई बात होती है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- विजयलक्ष्‍मी साधौ जी, पूरा समय देंगे आपको. आपके प्रश्‍न का उत्‍तर आने दीजिए, पूरा समय देंगे.

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- मेरा अभी बचा है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है, आपको समय देंगे.

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष जी, जहां-जहां के जनप्रतिनिधियों ने स्‍वयं रूचि लेकर मामले का और वस्‍तुओं का परीक्षण किया है, मैं दावे के साथ कह सकता हॅूं कि एक प्रतिशत भी उसमें कहीं कोई गड़बड़ी नहीं पायी गई. जहां पर जिम्‍मेदारी नहीं समझ में आयी, वहां पर यह सारी शिकायतें होती हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- विजयलक्ष्‍मी जी, आप अपना प्रश्‍न करें.

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय गोपाल भार्गव जी ने जो बात कही, एक तो वह इस विभाग के मंत्री नहीं हैं. उन्‍होंने (XXX) कि पूरे प्रदेश में सही हुआ है. उनकी मंत्री जी बोल रही है..(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. यह एक जगह का नहीं, हर जगह का है न...(व्‍यवधान)..

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष जी, यह लगातार कहती हैं. मंत्रीमण्‍डल की सामूहिक जिम्‍मेदारी होती है...(व्‍यवधान)..

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- अध्‍यक्ष जी, यह मेरा प्रश्‍न है...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- अरे, मंत्रिपरिषद में आप भी थीं. सामूहिक जिम्‍मेदारी बनती है...(व्‍यवधान)...

          श्री गोपाल भार्गव -- क्‍या आपने लिखकर दिया. क्‍या उस समय, जब यह गुणवत्‍ता ठीक नहीं थी, क्‍या आपने कोई आपत्‍ति लिखकर दी ? आपने कोई प्रोटेस्‍ट किया ? आपने कुछ नहीं किया..(व्‍यवधान)..

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- अध्‍यक्ष जी, मैं धरने पर बैठी थी, उसी विवाह स्‍थल पर. क्‍या हम लोगों को आपको बताना पडे़गा हर चीज को...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप प्रश्‍न करिए.

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- अध्‍यक्ष जी, मैंने अनुमति लेकर, यह मेरा लैटर है. (पत्र दिखाते हुए) मैंने वहीं पर दिया और मैं धरने पर भी बैठी हुई थी. मैंने एक-एक सामान खोलकर देखा. अब इन लोगों को हर चीज बतानी पडे़गी...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, आप प्रश्‍न करिए न.

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विपक्ष का कोई विधायक अगर कोई बात कहता है तो हर मंत्री उठकर उससे यह भी सबूत मांगेगा. मैं जनप्रतिनिधि हॅूं. मुझे लोगों ने चुनकर भेजा है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. आप प्रश्‍न करिए न.

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का अगर यह कहना है कि वहां पर किसी ने शिकायत नहीं दी. मैं जनप्रतिनिधि हॅूं. सारे माता-पिताओं की तरफ से, वर-वधुओं की तरफ से इस विधायक ने अपने क्षेत्र में अगर शिकायत लिखकर दी है, तो मेरा गुनाह है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं.

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- अध्‍यक्ष जी, क्‍या मेरा राइट नहीं है. फिर कैसे मंत्री लोग जवाब दे रहे हैं...(व्‍यवधान)...         

          अध्‍यक्ष महोदय -- मेरा कहना यह है कि कोई कुछ भी कहे, आप चुनी हुईं प्रतिनिधि हैं, विधायक हैं, यहां की माननीय सदस्‍य हैं. कोई कुछ कहे, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तो ये उनको सिखाइए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. उन्‍होंने ऐसा कहां कहा.

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- अध्‍यक्ष जी, या तो उनका प्रशिक्षण ले लीजिए. हर कोई खड़ा होकर बोलने लग जाता है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- उन्‍होंने नहीं कहा.

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यह दूसरा प्रश्‍न है कि जिन्‍होंने यह सामग्री खरीदी. अब यह बैठे-बैठे जवाब दे रहे हैं. (किसी सदस्‍य के अपने आसन पर बैठे-बैठे कुछ कहने पर) यह बीच में ऑब्‍जेक्‍शन कर रहे हैं, या तो मैं बैठ जाऊं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. आप बैठिए मत. आप बोलिए. अभी हमने आपको समय दिया है.

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- अध्‍यक्ष जी, क्‍या हमें कोई अधिकार नहीं है पूछने का..(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय -- अरे भई, मैं दे रहा हॅूं न. अधिकार आपको उनसे लेना है कि हमारी तरफ से लेना है...(व्‍यवधान)..

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- भ्रष्‍टाचार करते रहें, करते रहें, करते रहें और हम बैठे चुपचाप सुनते रहें...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- अरे भई, अधिकार हमारी तरफ से लेना है, उनसे थोडी़ लेना है.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न पर आना चाहिए और सामूहिक जिम्‍मेदारी होती है. हर कोई खड़ा नहीं हो रहा है. मंत्रिमंडल के वरिष्‍ठ खडे़ हुए हैं...(व्‍यवधान)..

          श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,...

          अध्‍यक्ष महोदय -- अरे, अब आप खडे़ हो गए...(व्‍यवधान)..

          श्री तरूण भनोत -- अध्‍यक्ष जी, यह विधायक जी खडे़ हो गए....(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. अब आप बैठ जाइए...(व्‍यवधान)..

          श्री तरूण भनोत -- अध्‍यक्ष जी, मेरा आपसे निवेदन है कि जब एक कैबिनेट की मिनिस्‍टर खुद कह रही हैं कि उनके क्षेत्र में नकली जेवर बंट रहे थे, तो यह सामूहिक जिम्‍मेदारी नहीं है. यह पूरे मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्‍मेदारी है...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- अरे, तरूण भनोत जी, बैठ जाइए...(व्‍यवधान)..

          श्री तरूण भनोत -- यह मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्‍मेदारी है. केबिनेट मंत्री कह रही हैं...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप सब बैठ जाइए...(एक साथ कई सदस्‍यों के अपने आसन पर खडे़ होकर कुछ कहने पर)..(व्‍यवधान)..

          श्री तरूण भनोत -- अध्‍यक्ष जी, मंत्री के क्षेत्र में नकली जेवर बंटे हैं...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाइए, बैठ जाइए...(व्‍यवधान)..

          श्री तरूण भनोत -- मंत्री जी के क्षेत्र में नकली जेवर बंटे हैं. आप सामूहिक जिम्‍मेदारी लीजिए. माननीय गृहमंत्री जी, पूरा मंत्रिमंडल सामूहिक जिम्‍मेदारी ले कि माननीय कैबिनेट मंत्री महोदया के क्षेत्र में नकली जेवर बंट रहे थे...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- अरे, तरूण भनोत जी, बैठ जाइए न.

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे -- अध्‍यक्ष जी, अगर सामानों में क्‍वॉलिटी नहीं थी तो हमने बंटने नहीं दिया. आप होते, तो क्‍या आप बंटवाते...(व्‍यवधान)..

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- अध्‍यक्ष महोदय, बहुत बढ़िया..

          अध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाइए, बैठ जाइए न...(व्‍यवधान)..

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- अध्‍यक्ष जी, यह तो मान लिया कि नकली खरीदे गये. मंत्री जी स्‍वीकार कर रही हैं..(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाइए...(व्‍यवधान)..

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- मंत्री जी स्‍वीकार कर रही हैं कि बंटने नहीं दिया, लेकिन खरीदा गया...(व्‍यवधान)..

          श्री कांतिलाल भूरिया -- मंत्री महोदया ने स्‍वीकार किया कि क्‍वॉलिटी घटिया थी. नकली जेवर थे...(व्‍यवधान)..

          श्री तरूण भनोत -- मंत्री जी स्‍वीकार कर रही हैं...(व्‍यवधान)..

          सुश्री मीना सिंह मांडवे -- अध्‍यक्ष जी, हमने स्‍वीकार किया, हमने छिपाया तो नहीं....(व्‍यवधान)..अगर सामान में गड़बड़ी थी तो हमने कहा कि सामान वितरित नहीं होगा. हमने नहीं छिपाया. अगर यह होते, तो खुद छिपा देते....(व्‍यवधान)..

          श्री तरूण भनोत -- अध्‍यक्ष जी, सामान कहां से आया था...(व्‍यवधान)...

          सुश्री मीना सिंह मांडवे -- माननीय अध्‍यक्ष जी, इनकी सहमति से इनके विधानसभा क्षेत्र में बंटा है. यह खुद सहमत थीं, इसलिए बंटा है...(व्‍यवधान)..

          डॉ.विजयलक्ष्‍मी साधौ -- हां, बंटा है न...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- इनका गलत उत्‍तर नहीं है. पांसे जी, आप बैठ जाइए. उनका उत्‍तर गलत नहीं है. उन्‍होंने जनप्रतिनिधि के कर्तव्‍य का निर्वहन किया और कोई अधिकारियों ने गड़बड़ी की थी, तो उसको उन्‍होंने बदल दिया...(व्‍यवधान)..

            डॉ.अशोक मर्सकोले -- अध्‍यक्ष जी, मंत्री जी ने स्‍वीकार किया है..(व्‍यवधान)..

..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  तरुण जी, मैं आप से आग्रह करना चाहता हूँ, सुन तो लीजिए. वे खुद सक्षम हैं.

          श्री तरूण भनोत--  जब मंत्री के क्षेत्र में यह हो रहा है तो पूरे प्रदेश में क्या हो रहा होगा?...(व्यवधान)..अध्यक्ष महोदय, इतना गंभीर मामला है. मंत्री जी सदन में स्वीकार कर रही हैं कि मेरे क्षेत्र में गड़बड़ी हुई थी. ..(व्यवधान)..

          कुमारी मीना सिंह मांडवे--  हमने बँटने नहीं दिया...(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  विजय लक्ष्मी जी, हमको आगे बढ़ना पड़ेगा. प्रश्न करिए. हमारी बहन विजय लक्ष्मी इतनी खुद सक्षम हैं कि किसी को जरुरत नहीं है सपोर्ट करने की. ..(व्यवधान)..

          श्री तरुण भनोत--  मंत्री जी के क्षेत्र में चोरी हो रही है...(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  मैं उनकी मजबूती की बात कर रहा हूँ, आप खड़े होकर फिर से बोल रहे हैं. हमारे समर्थन पर शायद आप प्रश्न चिन्ह लगाने का प्रयास कर रहे हैं. मैं कह रहा हूँ कोई जरुरत नहीं है सपोर्ट करने की.

          डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  भाई लोग हैं सपोर्ट कर रहे हैं.....

          अध्यक्ष महोदय--  मैं यहाँ बड़ा भाई बैठा हुआ हूँ. कोई सपोर्ट नहीं करेगा, मैं हूँ ना.

          कुमारी मीना सिंह मांडवे--  माननीय अध्यक्ष जी, आदरणीय दीदी जी शादी में गई थी फिर अपने सामने क्यों बँटवाया सामान उसी टाइम बोलना चाहिए था.

          डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  बँटवाया नहीं, धरने पर बैठ गई थी.

अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न करिए. ..(व्यवधान)..

श्री कमलेश्वर पटेल--  माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो पूरी तरह से भ्रष्टाचार का अड्डा खोल दिया है.

अध्यक्ष महोदय--  विजय लक्ष्मी जी, एक प्रश्न में 22 मिनट हो गए हैं.

डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  मेरा जवाब तो आ जाए.

अध्यक्ष महोदय--  जवाब आप लेती नहीं हैं ना.(श्री सज्जन सिंह वर्मा जी के खड़े होने पर) नहीं सज्जन सिंह जी, उनको पूछने दीजिए. उनको मौका दे रहे हूँ. प्रश्न पूछने दीजिए. बोलिए.

श्री सज्जन सिंह वर्मा--- यह तो कोई बात ही नहीं हुई. प्रश्न का जवाब आया नहीं, आप आसन्दी से संरक्षण दो नहीं.

अध्यक्ष महोदय--  अंतिम प्रश्न कीजिए.

डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि जो खरीददार थे, खरीद की जो समिति थी, वही जाँचकर्ता है और जो जाँच रिपोर्ट आई है, उनके वर-वधुओं से दस्तख्त लिए हैं, वह आप भी देखेंगे.

अध्यक्ष महोदय-- आप जाँच से संतुष्ट नहीं हैं, यही कहना चाहती हैं ना?

डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  हाँ बिल्कुल नहीं. अध्यक्ष महोदय, आप सुनिए तो.

अध्यक्ष महोदय--  फिर मांग करिए ना, जो कुछ करना हो.

डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  अध्यक्ष महोदय, आप सुनिए तो.

अध्यक्ष महोदय--  हमने सुन लिया.

डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  अध्यक्ष महोदय, जाँच में सारे जो दस्तख्त हैं, वे सब एक ही कलम से, एक ही व्यक्ति द्वारा, किए गए हैं, मैं जाँच से संतुष्ट नहीं हूँ. जाँच पुनः की जाए और उस जाँच में, उस विधायक को भी, जो शिकायतकर्ता है, उसको शामिल किया जाए और उच्च स्तरीय जाँच हो. यह सब एस सी एस टी के गरीब बच्चों का मामला है. (शेम शेम की आवाज)

अध्यक्ष महोदय--  माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी.

संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)--  अध्यक्ष जी, सम्मानित सदस्य ने कहा है कि जाँच पुनः की जाए हम जाँच को पुनः करा लेंगे.

अध्यक्ष महोदय--  उच्च स्तरीय करा दीजिए.

डॉ. नरोत्तम मिश्र--  जी बिल्कुल.

अध्यक्ष महोदय--  और उनको भी बुला लीजिए.

डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  उच्च स्तरीय जाँच करें और विधायक को भी उसमें शामिल करें.

अध्यक्ष महोदय--  आ गया.

डॉ. नरोत्तम मिश्र--  उच्च स्तरीय करा लेंगे.

डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  विधायक को भी उसमें शामिल करे और जो उनकी रायटिंग है उसके एक्सपर्ट्स से आप सकी जाँच करवाएँ.

अध्यक्ष महोदय--  जाँच में पूरा आएगा.

डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  विधायक को भी शामिल करें.

अध्यक्ष महोदय--  जाँच में पूरा आएगा, जो आपने सवाल उठाए, सारा जाँच में आएगा.

डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  विधायक का कहाँ बोला....

अध्यक्ष महोदय--  अब उच्च अधिकारी भोपाल से जा रहे हैं तो अब जाँच हो जाएगी.

डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  विधायक का तो बोलिए अध्यक्ष महोदय.

श्री सज्जन सिंह वर्मा--  अधिकारी विधायक से ज्यादा विद्वान हैं क्या?

अध्यक्ष महोदय--  अधिकारी जा रहे हैं तो जाँच करेंगे.

डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  नहीं, नहीं, अध्यक्ष महोदय, अधिकारियों ने ही तो गड़बड़ घोटाला किया है...(व्यवधान)..

अध्यक्ष महोदय--  माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी....

डॉ.नरोत्तम मिश्र--  बहन को जिन बिन्दुओं की जाँच करवाना हो वे लिखित में दें वो भी विषय शामिल कर लेंगे.

अध्यक्ष महोदय--  हाँ ठीक है.

डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  संसदीय कार्य मंत्री जी, बहना, बहना, तो बोलते हों, तो बहन को रखने में क्या आपत्ति है?

श्री तरुण भनोत--  आपकी बहन भी रहे उसमें.

डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ--  क्या जाँच सही नहीं करवाना है? इसका मतलब तो यही है.

श्री सज्जन सिंह वर्मा--  आसन्दी से आ जाना चाहिए माननीय अध्यक्ष महोदय, आसन्दी से सदस्य को संरक्षण मिलना चाहिए. क्या अधिकारियों को आप एक विधायक से ज्यादा विद्वान मानते हों? जब विधायक बोल रही हैं कि मुझे रखा जाए....

अध्यक्ष महोदय--  इसमें विद्वान मानने न मानने का प्रश्न नहीं है सज्जन जी.

श्री सज्जन सिंह वर्मा--  क्या प्रश्न नहीं है माननीय अध्यक्ष महोदय. आसन्दी से संरक्षण मिलता ही नहीं है.

अध्यक्ष महोदय--  विद्वान मानने नहीं मानने का प्रश्न नहीं है. आप बैठ जाइये.

श्री सज्ज्न सिंह वर्मा--  जब एक विधायक बोल रही हैं कि मुझे रखा जाए.

अध्यक्ष महोदय--  आप बैठ जाइये.

श्री सज्जन सिंह वर्मा--  बैठने का क्या कारण है. (XXX)

अध्यक्ष महोदय--  संसदीय कार्य मंत्री जी....

डॉ विजय लक्ष्मी साधौ--  अध्यक्ष महोदय, अभी चार-पाँच दिन पहले ही महिला दिवस गया.

डॉ. नरोत्तम मिश्र--  माननीय सदस्य जो विषय देंगी. वो उस समय जाँच में हम ले लेंगे.

अध्यक्ष महोदय--  नहीं, नहीं, वो कह रही हैं कि...

श्री तरुण भनोत--  बहन को ले लीजिए अध्यक्ष जी की. 

अध्यक्ष महोदय--  नहीं, हो गया.

डॉ विजय लक्ष्मी साधौ--  4-5 दिन पहले ही महिला दिवस गया है.

अध्यक्ष महोदय--  उत्तर तो पूरा आ गया ना.

श्री सज्जन सिंह वर्मा--  एक महिला से सरकार डर रही है.

अध्यक्ष महोदय--  डरने का सवाल नहीं है. अधिकारी से जाँच करा रहे हैं. प्रश्न क्रमांक 2....

डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ--  अध्यक्ष जी, जवाब चाहिए.

श्री सज्जन सिंह वर्मा--  अध्यक्ष जी, आपका संरक्षण मिलता ही नहीं है किसी सदस्य को.

डॉ विजय लक्ष्मी साधौ--  अध्यक्ष जी, जवाब चाहिए.

अध्यक्ष महोदय--  आप लिख करके दे दीजिए. सारी जाँच हो जाएगी. दूसरे का प्रश्न आने दीजिए.

डॉ विजय लक्ष्मी साधौ--  सर, आसन्दी से बोलिए ना.

श्री सज्जन सिंह वर्मा--  आपको अधिकार है, आप बोल सकते हैं.

डॉ विजय लक्ष्मी साधौ-  सर, आपका संरक्षण चाहिए.

अध्यक्ष महोदय--  झूमा जी, बैठ जाइये. एक विषय यह है कि यदि जितनी जाँच की मांग होती है और जाँच का सरकार स्वीकार करती है और हर जाँच में विधायक को शामिल किया जाएगा तो फिर वह विधायक की समिति की कहलायेगी ना. इसलिये आपके विषय की जांच की जांच होगी. वैसे मैं, संसदीय कार्य मंत्र जी से यह आग्रह ही कर सकता हूं कि जब जांच हो तो उनकी भी उपस्थिति करवा दीजिये. उनको भी बुलवा लीजियेगा.

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी का जवाब नहीं आया है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- समिति बनेगी तो आपको बुला  लेंगे

हितग्राहियों को पट्टे का वितरण

[जनजातीय कार्य]

2. ( *क्र. 1047 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत योजना प्रारंभ से प्रश्‍न दिनांक तक कुल कितने पट्टों की स्वीकृति‍ प्रदाय की गई है? विकासखण्डवार, ग्रामवार हितग्राही के नाम सहित जानकारी उपलब्ध करावें। उक्त स्वीकृत पट्टों में से कितने पट्टों का वितरण हो गया है? क्या शत-प्रतिशत पट्टों का वितरण जनप्रतिनि‍धियों की उपस्थिति‍ में किया गया है? हाँ तो वितरित पट्टे की संख्या, स्थान एवं मुख्य जनप्रतिनिधि के नाम सहित जानकारी उपलब्ध करावें, नहीं तो क्या कारण है कि जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में पट्टों का वितरण नहीं किया गया है(ख) क्या वर्तमान में स्वीकृत वन अधिकार के पट्टों का वितरण शेष है? हाँ तो कितनी संख्या में है तथा किस ग्राम के हैं? जानकारी उपलब्ध करावें। (ग) स्वीकृत पट्टों का वितरण न होने का क्या कारण है? यह भी बतायें कि कितने हितग्राहियों के वन अधिकार पट्टे स्वीकृति‍ हेतु लंबित हैं? ग्रामवार लंबित प्रकरणों की जानकारी उपलब्ध करावें। लंबित रहने का क्या कारण है तथा कब तक लंबित प्रकरणों का निराकरण कर दिया जायेगा?

जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे ) : (क) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत योजना प्रारंभ से प्रश्‍न दिनांक तक कुल 7698 वन अधिकार पत्र स्‍वीकृत कर वितरित किये गये हैं। विकासखण्‍ड भीकनगांव अंतर्गत विभिन्‍न ग्रामों के 701 एवं विकासखण्‍ड झिरन्‍या अंतर्गत विभिन्‍न ग्रामों के 6997 वन अधिकार पत्र वितरित किये गये हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' एवं '' अनुसार है। (ख) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत स्‍वीकृत वन अधिकार पत्र वितरण हेतु पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार शेष नहीं है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) भीकनगांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत स्‍वीकृत वन अधिकार पत्रों का वितरण शेष नहीं है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अनुसार है।

          श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यानसिंह सोलंकी:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा बहुत महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न है. आदिवासी समाज को जो पट्टे वितरण होते हैं, वह सालों से इस लंबित समस्‍याओं से जूझ रहे हैं और माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मंत्री जी से पूछना चाह रही हूं कि भीकनगांव विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आज तक कितने पट्टे वितरित हुए, वह तो आंकड़ा उन्‍होंन मुझे दिया है. किन्‍तु प्रश्‍न के '''', '''' और '''' का जवाब सही नहीं है. हितग्राहियों के आवेदन देने के पश्‍चात् पीडीए के वन विभाग के पास कितने आवेदन पेडिंग हैं और पीडीए के सर्वे के पश्‍चात् जिला समितियां, जनजातीय विभाग के पास कितने आवेदन लंबित है, यह मैं, जानना चाहती हूं ?

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे:- माननीय अध्‍यक्ष जी, जब ये वन अधिकार कानून- 2006 में बना तो मध्‍यप्रदेश देश का इकलौता राज्‍य है, जहां सबसे पहले वन अधिकार कानून जनवरी, 2008 लागू हुआ और उसके बाद से लगातार जब भी दावा आपत्ति दिये जाते हैं, उसमें निराकरण करके लगातार देने का काम हो रहा है. माननीय सदस्‍य को यह लगता है कि उनके विधान सभा क्षेत्र में जो लोग पात्र हैं या नहीं है, वह जांच के बाद ही पता चलता है और जांच में सही पाये जाते हैं उनको दिया जाता है. अगर उनको ऐसा लगता है तो इसका परीक्षण करा लेंगे और जो पात्र पाये जायेंगे उनको अधिकार पत्र दिया जायेगा.

           श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यानसिंह सोलंकी:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बड़ी संख्‍या में दो-चार की बात नहीं है. बड़ी संख्‍या में आवेदन आये थे. वन विभाग ने उनका पीडीए का सर्वे करा कर देखा भी कि यह सही हैं. उसके बावजूद यह बनाकर नहीं दे रहे हैं और बार-बार यह लंबित हैं और एक प्रश्‍न का तो उन्‍होंने जवाब ही नहीं दिया. जन-प्रतिनिधियों की उपस्थिति में चाहे जनपद हो, विधायक हों या सासंद हों उनकी उपस्थिति में वहां बंटवायें जाये तो वह नहीं बंटवाये जाते हैं और कर्मचारी के द्वारा सीधे दिये जाते हैं. ताकि उनसे राशि वसूली की जाये तो इसमें बहुत भ्रष्‍टाचार हो रहा है, इसमें पूरी परीक्षण होना चाहिये और जितने भी आवेदन आये हैं उनके सही रूप से पट्टे वितरण हो और वितरण भी जन-प्रतिनिधियों के माध्‍यम से हो.

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे:- माननीय अध्‍यक्ष जी, जन-प्रतिनिधियों की मौजूदगी में ही वितरित किया जाता है. कभी जन-प्रतिनिधि व्‍यस्‍त हैं और समय नहीं दे पाते हैं तो अधिकारी लोग देते हैं, नहीं तो अधिकांशत: जन-प्रतिनिधियों के हाथ से ही बंटवाने का ही प्रावधान किया गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- उन्‍होंने कहा कि जो आवेदन लंबित हैं उनका परीक्षण करा लें.

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे:- अध्‍यक्ष जी, उनका परीक्षण करा लेंगे और जो व्‍यक्ति पात्र पाये जायेंगे उनको दिया जायेगा.

          श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यानसिंह सोलंकी:- कब तक करायेंगे, जितना जल्‍दी हो सके करवायें, ताकि हमारे आदिवासी भाईयों को कोई ऋण लेना, कई फायदें जो जन-कल्‍याणकारी के होते हैं वह नहीं ले पाते हैं, इसलिये आप जल्द से जल्‍द करायें ?

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे:- अध्‍यक्ष जी, अतिशीघ्र करवा लेंगे.

          श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यानसिंह सोलंकी:- अध्‍यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

पिछड़ा वर्ग हेतु संचालित योजनाएं

[पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण]

3. ( *क्र. 1598 ) श्रीमती कल्पना वर्मा : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. शासन पिछड़ा वर्ग की सूची में शामिल जातियों की जानकारी, शासनादेशों की प्रति, राजपत्र की प्रति सहित देवें एवं बतावें कि म.प्र. सरकार पिछड़ा वर्ग को वर्तमान में कितने प्रतिशत आरक्षण का लाभ प्रदान कर रही है? (ख) पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियों के कल्याणार्थ वर्तमान में कौन-कौन सी योजनायें विभाग द्वारा चलाई जा रही हैं? योजनाओं की जानकारी देवें। सतना जिले में पिछड़ा वर्ग के जिला स्‍तर के कार्यालयों में कौन-कौन अधिकारी कब से पदस्‍थ हैं? इनका मूल-पद, मूल-विभाग क्‍या है? (ग) प्रश्‍नांश (ख) अनुसार पिछड़ा वर्ग हेतु संचालित योजनाओं में विगत 3 वर्षों में किस-किस योजना में कितना-कितना आवंटन प्रदान किया गया, जिसमें से कितनी-कितनी राशि व्‍यय की गई? क्‍या राशि व्‍यय में नियमों का पालन किया गया? लक्ष्‍य के अनुरूप योजनाओं का क्रियान्‍वयन किया गया, पूर्ण जानकारी सतना जिले के संदर्भ में योजनावार दें। लक्ष्‍य के अनुरूप कार्यवाही पूर्ण नहीं पाए जाने पर उन अधिकारियों के विरूद्ध क्‍या कार्यवाही की गई? (घ) सतना जिले में योजनाओं के क्रियान्‍वयन, सामाग्री खरीदी में अनियमितता आदि के संबंध में विगत 3 वर्ष की अवधि में कब-कब, किन-किन स्‍तरों पर शिकायतें प्राप्‍त हुईं? शिकायतों पर क्‍या कार्यवाही की गई? जानकारी देते हुये बतायें कि दोषियों के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?

राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण ( श्री रामखेलावन पटेल ) : (क) म.प्र.राज्‍य पिछड़ा वर्ग आयोग की सूची में शामिल जातियों एवं राजपत्र सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। म.प्र. सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ प्रदान किया जा रहा है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है।(ग) प्रश्‍नांश (ख) अनुसार पिछड़ा वर्ग हेतु संचालित योजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है। (घ)

          श्रीमती कल्‍पना वर्मा:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न पिछड़ा वर्ग और अल्‍पसंख्‍यक वर्ग को लेकर है. जो प्रश्‍न क्रमांक-क है, उसके अनुसार 27 प्रतिशत आरक्षण की बात की गयी है. परन्‍तु अभी हाई कोर्ट से स्‍टे लगा हुआ है और उन्‍होंने मात्र 14 प्रतिशत आरक्षण की बात करी है तो मैं, माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि फिर कैसे आपने 27 प्रतिशत आरक्षण की बात कही ?

            श्री रामखेलावन पटेल:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. 27 प्रतिशत आरक्षण लगातार दिया जा रहा है, जिनमें हाई कोर्ट ने रोक लगा रखी है उनको छोड़कर. जैसे ही होई कोर्ट की रोक समाप्‍त हो जायेगी, उन तीन विभागों में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जायेगा. बाकी सभी विभागों में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है.

          श्रीमती कल्‍पना वर्मा:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो अभी भर्तियां निकल रही है तो क्‍या उनमें भी 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जायेगा ?

          अध्‍यक्ष महोदय:- उन्‍होंने बता दिया है कि हाई कोर्ट में तीन विभाग का लगा है, बाकी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है.

          श्री रामखेलावन पटेल:- जितनी भर्तियां निकल रही हैं, सबमें 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ मध्‍य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार और हमारे प्रदेश के यशस्‍वी मुख्‍य मंत्री जी 27 प्रतिशत आरक्षण देने का काम कर रहे हैं.                                                                                

          श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय,आप कह रहे हैं कि हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है और आप कह रहे हैं कि हम दे रहे हैं. दोनों में से सच क्या है ?         

            अध्यक्ष महोदय--आपने मंत्री जी का उत्तर सुना नहीं है.

          श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय,14 प्रतिशत आरक्षण मध्यप्रदेश में मिल रहा है ओ.बी.सी. का. आप सदन में कह रहे हैं कि 27 प्रतिशत आरक्षण दे रहे हैं. अभी मंत्री जी ने अपने जवाब में कहा.

          श्री राम खेलावन पटेल--आप जवाब सुन तो लो.

          श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय,आप जवाब फिर से कह दीजिये.

          श्री राम खेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी 27 प्रतिशत आरक्षण दे रहे हैं.

          श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय,अभी आपने कहा है कि उसमें हाईकोर्ट की रोक लगी है. दोनों में से सही बात कौन सी है. आप कह रहे हैं कि उसमें हाईकोर्ट की रोक लगी है. आप कह रहे हैं कि उसमें 27 प्रतिशत आरक्षण दे रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय--हाईकोर्ट की रोक सबमें नहीं लगी है, यह कह रहे हैं.

          श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय,माननीय विधायक जी ने पूछा है कि जो अभी भर्तियां हो रही हैं इनमें आप 27 प्रतिशत आरक्षण देंगे क्या ?

          अध्यक्ष महोदय--तीन विभाग छोड़कर बाकी सबमें 27 प्रतिशत आरक्षण दे रहे हैं.

          श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय,यह गंभीर विषय है. अभी जो भर्तियां हो रही हैं माननीय विधायक जी उसमें पूछ रही हैं कि इसमें क्या आप 27 प्रतिशत आरक्षण देंगे ?

            श्री राम खेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय, सभी विभागों में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है.

          श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय, इसमें आप देखिये. अभी आप कह रहे हैं कि हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है.

          अध्यक्ष महोदय--इसमें आपका आर्ग्यूमेंट गलत हो रहा है.

          श्री राम खेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय, इसमें हाईकोर्ट रोक लगाएगी तो हमको मानना ही पड़ेगा.

          अध्यक्ष महोदय--पहले आप मंत्री जी का सुन तो लीजिये कि वह कह क्या रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय--वह कह रहे हैं कि हाईकोर्ट की कुछ विभागों में रोक लगाई है.

          श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय, पूरा प्रदेश सच्चाई जानना चाहता है.

          अध्यक्ष महोदय--कह तो रहे हैं कि कुछ विभागों में प्रतिबंध है.

          श्री राम खेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय,हम कह तो रहे हैं कि 27 प्रतिशत आरक्षण दे रहे हैं.    

          श्री तरूण भनोत--अध्यक्ष महोदय,अभी आप कह रहे हैं कि हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है.

          श्री राम खेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय,हाईकोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग में पटवारी में तीन विभागों में रोक लगा रखी है.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय विधायिका जी के अलावा जो भी बोलेंगे उनका नहीं लिखा जायेगा.

          श्री तरूण भनोत--(xxx)

            श्री कमलेश्वर पटेल--(xxx)

            श्रीमती कल्पना वर्मा--अध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहती हूं कि मुझे यह संशोधन पत्र मिला है उसके अनुसार सतना जिले में योजनाओं के क्रियान्वयन सामग्री खरीदी में अनियमितता आदि के संबंध में शासन स्तर पर विगत् तीन वर्षों से दिनांक 1.6.2022 एवं 6.6.2022 को शिकायत समाप्त हुई. प्राप्त शिकायतों पर जांच कार्यवाही प्रचलन में है. शिकायतों की जांच कर गुण दोष के आधार पर निर्णय लिया जायेगा इसमें समय सीमा बताना संभव नहीं है. तो इसमें समय सीमा बताना क्यों संभव नहीं है ?

          श्री राम खेलावन पटेल--अध्यक्ष महोदय तीन वर्षों से जिनमें आपने शिकायत की है उसमें जांच चल रही है. जांच पूरी हो जाने के बाद गुण दोष के आधार पर उसमें कार्यवाही की जायेगी.

          श्रीमती कल्पना वर्मा--अध्यक्ष महोदय, अभी तीन वर्षों से उसका निराकरण नहीं हो पाया तो आगे उसका निराकरण कब तक हो पायेगा उसकी समय सीमा भी तो बताई जाये. अभी पांच साल में तो चुनाव ही जायेंगे तो क्या पांच साल बाद शिकायत दूर होगी क्या ?

            श्री राम खेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय, जैसे ही जांच पूरी हो जायेगी अतिशीघ्र उन पर कार्यवाही शुरू की जायेगी.

          श्रीमती कल्पना वर्मा--अध्यक्ष महोदय,अतिशीघ्र उसमें कुछ नहीं होता अभी बताईये कि कैसे और कब तक होगा ?

          श्री राम खेलावन पटेल-- अध्यक्ष महोदय, जैसे ही जांच पूरी होगी तब ही उनके खिलाफ कार्यवाही होगी. जांच पूरी हो जाने के बाद कार्यवाही हो जायेगी.

          श्रीमती कल्पना वर्मा--अध्यक्ष महोदय,मैं इतना जानना चाहती हूं कि--

          अध्यक्ष महोदय--माननीय कमलनाथ जी पूछना चाहते हैं आप बोलिये.

          श्री कमलनाथ--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बहुत साधारण बहुत सरल और बहुत छोटा है. प्रश्न है अभी मैं मंत्री जी का जवाब सुन रहा था. मैं केवल उसमें एक ही बात जानना चाहता हूं कि कौन से विभागों में 27 प्रतिशत आरक्षण लागू है और कौन से विभाग में यह लागू नहीं है. इसमें तीसरी चीज तो हो नहीं सकती है. मुझे इसमें दिलचस्पी इसलिये है कि मैंने ही जब मैं मुख्यमंत्री था 27 प्रतिशत आरक्षण किया था.

          अध्यक्ष महोदय--तीन विभागों का नाम मंत्री जी ने लिया है इसमें.

          श्री कमलनाथ--अध्यक्ष महोदय,यह जानकारी सदन को दे दें. प्रदेश को दे दें.

          अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी ने तीन विभागों का इसमें नाम लिया है.

          श्री कमलनाथ--अध्यक्ष महोदय,इन्होंने कभी यह कभी वो इसमें कोर्ट की भी बात कही. मेरा प्रश्न बड़ा ही सरल है कि कौन से विभागों में 27 प्रतिशत दे रहे हैं कौन से विभागों में आप नहीं दे रहे हैं. मामला खत्म.

          अध्यक्ष महोदय--इनका उत्तर है कि तीन विभागों को छोड़कर बाकी विभागों में दे रहे हैं. यही उत्तर है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, इसका जवाब माननीय मंत्री जी दे रहे हैं.

          श्री भूपेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय कमलनाथ जी ने बड़ा ही महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आदरणीय शिवराज सिंह जी का बहुत हृदय से अभिनंदन और स्‍वागत करता हूं, जिनके कारण इस मध्‍यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण नौकरियों में भी मिला और जिनके कारण माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश देश का पहला राज्‍य है, जहां पर पंचायत और नगरीय निकाय के चुनाव भी 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ हुए(...मेजों की थपथपाहट) देश का पहला राज्‍य है और माननीय कमलनाथ जी ने जो कहा, मध्‍यप्रदेश में आपके समय तीन विभागों पर रोक लगी थी, उस समय आपकी तरफ से एडवोकेट जनरल उच्‍च न्‍यायालय में उपस्थित नहीं हुए थे

          श्री कमलेश्‍वर पटेल - अध्‍यक्ष महोदय, अध्‍यक्ष महोदय ...(...व्‍यवधान)

        श्री भूपेन्‍द्र सिंह -  और अब सुन लें.. कमलेश्‍वर जी उत्‍तर तो सुन लें, उत्‍तर क्‍यों नहीं सुन रहे हो(...व्‍यवधान) माननीय कमलनाथ जी ने प्रश्‍न पूछा है, उत्‍तर तो सुन लें. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उस समय कांग्रेस सरकार में एडवोकेट जनरल न्‍यायालय में उपस्थित नहीं हुए और तीन विभागों पर रोक लगी, उसके बाद हमारी सरकार ने मध्‍यप्रदेश में सारे विभागों में 27 प्रतिशत आरक्षण नौकरियों दिया है.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस सरकार ने पिछड़ा वर्ग का आरक्षण छीनने का काम किया है.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जितने भी विभाग हैं, सारे विभागों में 27 प्रतिशत आरक्षण देने का काम माननीय शिवराज जी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है, जिन तीन विभागों में उच्‍च न्‍यायालय की रोक है, जिसको माननीय मंत्री जी ने स्‍पष्‍ट किया है. सभी विभागों में 27 प्रतिशत आरक्षण मध्‍यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार दे रही है.

          श्री कमल नाथ - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आभारी हूं मंत्री जी का कि उन्‍होंने स्‍वीकार किया कि हमारे कार्यकाल में हमने 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था, मैं आपको धन्‍यवाद देता हूं.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - भाई साहब आपने नहीं किया, आपने तो लिखा था कि मध्‍यप्रदेश में आबादी ओबीसी की 14 प्रतिशत है, आपने तो ये लिखा था, आपने तो किया ही नहीं, आपने तो 14 प्रतिशत लिखा था.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल - इन्‍होंने कूटरचित दस्‍तावेज तैयार किया था.

          श्री तरुण भनोत - आप मंत्री जी को नहीं रोकते.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप कमलनाथ जी को बोलने दीजिए.

          श्री कमल नाथ - मैंने तो यही कहा कि 15 साल आपकी सरकार रही. आपने 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया, ये तो सच्‍चाई है, उसके बाद हमारी सरकार आई जो 15 महीने के लिए थी और हमने आरक्षण 27 प्रतिशत किया और मैंने हमेशा कहा है कि इसको भी मैं न्‍याय नहीं मानता 27 प्रतिशत को, क्‍योंकि हमारी आबादी ओबीसी की 50 प्रतिशत से ज्‍यादा है और मुझे तो ये उम्‍मीद थी कि हमने जो 27 प्रतिशत आरक्षण किया था, इसमें कोर्ट-कचहरी की बात आ गई, आपने कहा कोर्ट-कचहरी में गए, इत्‍यादि. ये सब छोडि़ए, प्रश्‍न है दिया किसने, 15 साल आपने आरक्षण नहीं दिया, उसके बाद हमने दिया (..मेजों की थपथपाहट) और अगर मैंने 27 प्रतिशत दिया, हमारी सरकार ने 27 प्रतिशत आरक्षण दिया, बात तो तब बनती कि आप कहते कि हम 35 प्रतिशत आरक्षण देंगे.

          संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) - अध्‍यक्ष जी, अगर एक भी व्‍यक्ति को आरक्षण दिया हो तो बताएं कमलनाथ जी, एक भी व्‍यक्ति को दिया हो तो, दिया दिया बोल रहे, उसको दिया नहीं, किया बोलो, दिया बोल रहे, एक को भी दिया हो तो बताएं.(...व्‍यवधान)

          नेता प्रतिपक्ष(डॉ. गोविन्‍द सिंह) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सामान्‍य प्रशासन मंत्री होने के नाते विधान सभा में विधेयक लाया और विधेयक सर्वसम्‍मति से पारित हुआ और विधेयक कांग्रेस की सरकार में, कमल नाथ जी की सरकार में मैंने प्रस्‍तुत किया था और पास करवाया था.(...व्‍यवधान)

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय,(xxx) (...व्‍यवधान)

          श्री तरुण भनोत - अध्‍यक्ष महोदय, जो सदन में सदस्‍य नहीं है, उनका नाम ले रहे हैं मंत्री जी, अध्‍यक्ष जी इसको कार्यवाही से हटवाइए. (...व्‍यवधान)

            अध्‍यक्ष महोदय - यह रिकार्ड में नहीं आएगा.

          श्री रामखेलावन पटेल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 3 माह में जांच पूरी करवा लेंगे.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पिछड़ा वर्ग को 35 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए. सु्प्रीम कोर्ट में पिछड़ा वर्ग कल्‍याण आयोग की रिपोर्ट में यह हमने सबमिट किया.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, विधायिका जी का कहना है कि जांच जल्‍दी करवा लीजिये.

          श्री रामखेलावन पटेल - अध्‍यक्ष महोदय, 3 माह में जांच पूरी करा लेंगे.

          श्रीमती कल्‍पना वर्मा - माननीय अध्‍यक्ष महोदय.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपका आ गया है. मैंने कह दिया है कि मंत्री जी जल्‍दी जांच करा लेंगे. अब आपका प्रश्‍न हो गया है, अब आपका नहीं लिखा जायेगा. प्रश्‍न क्रमांक 4 श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह.

          श्रीमती कल्‍पना वर्मा - (XXX)

          शासकीय चिकित्‍सा महाविद्यालय में चिकित्‍सकों की पदस्‍थापना

[चिकित्सा शिक्षा]

        4. ( *क्र. 1739 ) श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय विदिशा में स्वीकृत पदों के विरुद्ध समस्त विभागों के विशेषज्ञ उपलब्ध हैं? यदि नहीं, तो रिक्त पदों पर विशेषज्ञ चिकित्सकों को कब तक पदस्थ किया जावेगा? (ख) क्या सागर एवं छिन्दवाड़ा के चिकित्सा महाविद्यालय की अपेक्षा विदिशा चिकित्सा महाविद्यालय में मेडिकल सीटों का कोटा अधिक है, परन्तु विदिशा में सागर एवं छिन्दवाड़ा की अपेक्षा कम पद स्वीकृत किये गये हैं? (ग) प्रश्‍नांश (ख) के क्रम में विदिशा चिकित्सा महाविद्यालय में सागर एवं छिन्दवाड़ा की भाँति पद स्वीकृत कर पदस्थापना की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक?

        चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जी नहीं। रिक्‍त पदों पर भर्ती संबंधी कार्यवाही एक सतत् प्रक्रिया है। निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) जी हाँ। शेष जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। (ग) एन.एम.सी. के मापदण्‍डानुसार पर्याप्‍त संख्‍या में पद उपलब्‍ध हैं। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

परिशिष्ट - "एक"

          श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न माननीय चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री जी से है कि क्‍या शासकीय चिकित्‍सा महाविद्यालय विदिशा में स्‍वीकृत पदों के विरुद्ध समस्‍त विभागों के विशेषज्ञ उपलब्‍ध हैं, परन्‍तु रिक्‍त पदों पर विशेषज्ञ चिकित्‍सकों को कब तक पदस्‍थ किया जायेगा ?  सागर एवं छिन्‍दवाड़ा के चिकित्‍सा महाविद्यालय की अपेक्षा विदिशा चिकित्‍सा महाविद्यालय में मेडिकल सीटों का कोटा अधिक है, परन्‍तु विदिशा में सागर एवं छिन्‍दवाड़ा की अपेक्षा कम पद स्‍वीकृत किए गए हैं. विदिशा चिकित्‍सा महाविद्यालय में सागर एवं छिन्‍दवाड़ा की भांति पद स्‍वीकृत कब तक किए जाएंगे ? उनकी पदस्‍थापना कब तक होगी ?

          श्री विश्‍वास सारंग - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विधायिका जी ने जो प्रश्‍न अभी पूछा है, उसका उत्‍तर लिखित में उनको दे दिया गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय - क्‍या आपके पास लिखित उत्‍तर है ?

          श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह - आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद मंत्री जी.   

जांच उपकरणों की मानक क्षमता

[चिकित्सा शिक्षा]

        5. ( *क्र. 1811 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत दो वर्षों में मानव शरीर की जांच संबंधी उपकरण प्रदेश में किन-किन चिकित्‍सा महाविद्यालयों तथा उनसे सम्‍बद्ध जिला चिकित्‍सालयों में दिये गये हैं? चिकित्‍सा महाविद्यालयों तथा जिला चिकित्‍सालय अनुसार उपकरण का नाम, सप्‍लायर का नाम, उपकरण की कीमत की जानकारी उपलब्‍ध करावें। (ख) सप्‍लाई किये गये उपकरण मानक क्षमता के अनुसार हैं या नहीं यह कैसे प्रमाणित किया जाता है? विभाग की ओर से समस्‍त चिकित्‍सा महाविद्यालयों तथा जिला चिकित्‍सालय में विभाग के किन अधिकारियों द्वारा मानक क्षमता की जांच की गयी है तथा उन अधिकारियों के पास क्षमता की जांच करने का क्‍या तकनीकी ज्ञान है, उसके संबंध में भी जानकारी दें। (ग) सप्‍लायर एजेंसियों द्वारा मानक क्षमता से कम क्षमता के उपकरण सप्‍लाई करने की आशंका के निराकरण के लिए क्‍या शासन उपकरणों, तकनी‍की विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाकर कम मानक क्षमता के उपकरण सप्‍लाई करके निर्धारित क्षमता के बिल निकाल लिये गये हैं, इसकी जांच करायेगा?

        चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उपकरणों के तकनीकी मापदण्‍डों का निर्धारण अधिष्‍ठाता द्वारा विभाग स्‍तर पर चयनित विषय विशेषज्ञों की समिति द्वारा किया जाता है एवं तय मापदण्‍डों अनुसार प्रदेश के चिकित्‍सा महाविद्यालयों एवं संबद्ध चिकित्‍सालयों में उपकरणों का क्रय मध्‍यप्रदेश पब्लिक हेल्‍थ सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (M.P.P.H.S.C.L.)/भारत सरकार के उपक्रम हाईट्स (H.I.T.E.S.) चिकित्‍सा महाविद्यालय स्‍तर से किया जाता है। M.P.P.H.S.C.L./H.I.T.E.S. संस्‍थाओं द्वारा ही तकनीकी/गुणवत्‍ता निर्धारण हेतु एजेन्‍सी की गठित कमेटी द्वारा निर्धारित मापदण्‍ड की क्षमता एवं भौतिक प्रदर्शन (Demonstration) द्वारा तथा प्रमाणीकरण कर दर अनुबंधित की जाती है। तदोपरांत चिकित्‍सा महाविद्यालयों एवं संबद्ध चिकित्‍सालयों द्वारा उपकरण क्रय किये जाते हैं तथा संबंधित विभागों को मानव शरीर की जांच करने के लिए उपकरण स्‍थापित करने हेतु प्रदान किये जाते हैं। तदोपरांत संबंधित विभाग के विभागाध्‍यक्षों/विषय विशेषज्ञों एवं चिकित्‍सा महाविद्यालयों में पदस्‍थ बायोमेडिकल इंजीनियर द्वारा उपकरणों का तकनीकी मापदण्‍डों के अनुसार भौतिक सत्‍यापन/प्रमाणीकरण किया जाता है। उपकरण क्रय के पश्‍चात विषय विशेषज्ञों द्वारा तय मापदण्‍ड अनुसार नहीं पाये जाने पर संबधित संस्‍था द्वारा M.P.P.H.S.C.L./H.I.T.E.S. को अवगत कराया जाता है। तद्नुसार इनके द्वारा प्रदायकर्ता फर्मों पर नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। विषय विशेषज्ञों/बायोमेडिकल इन्‍जीनियर्स का चयन चिकित्‍सा महाविद्यालयों में राष्‍ट्रीय चिकित्‍सा आयोग (N.M.C.) मापदण्‍डों अनुसार किया गया है। (ग) प्रश्‍नांश '''' के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने मेडिकल कॉलेज और जिला चिकित्‍सालय में जो जांच उपकरण हैं, उनकी मानक क्षमता को लेकर प्रश्‍न किया था. मैंने जो प्रश्‍न लिखित में किया था, उसका उत्‍तर नहीं आया है, अब तो पूरक प्रश्‍न भी मेरा यही रहेगा. जो मैंने इसमें लिखा है कि किन अधिकारियों द्वारा मानक क्षमता की जांच की गई. आपने मुझे पूरा प्रोसेस बता दिया है, यदि समिति ने भी किया है तो कम से कम समिति के सदस्‍यों के नाम, उनकी योग्‍यता, उनकी क्षमता, क्‍या वह आप मुझे उपलब्‍ध करवाएंगे ? यदि वह पहले दे देते तो शायद पूरक प्रश्‍न कुछ और होता, पर अभी इसी से शुरूआत कर दीजिये.

          श्री विश्‍वास सारंग - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विधायिका जी ने जो प्रश्‍न पूछा है, हमने उसका अक्षरश: जवाब दिया है. एक तो माननीय विधायिका जी ने पूछा है कि मध्‍यप्रदेश में 13 मेडिकल कॉलेज हैं. विगत दो वर्षों में कहां-कहां उपकरण खरीदे गए ? माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हर जगह की कमेटी अलग होती है. आप यदि स्‍पेसिफिक किसी मेडिकल कॉलेज का पूछते, किसी स्‍पेसिफिक इयर का पूछते ? तो हम नाम बता देते.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, गिनती के तो मेडिकल कॉलेज हैं, उसका भी नाम बताने में आपको इतनी दिक्‍कत हो रही है. आप कम से कम एकाध का ही बता देते, उदाहरणस्‍वरूप आपको हमने दो-चार का दिया है, लेकिन हमें एक का भी नहीं मिला है. पहले तो जवाब ही पूरा नहीं है, फिर आप बोल रहे हैं कि यह-यह पूछ लिया. गिनती के तो मेडिकल कॉलेज हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप जवाब ले लीजिये.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे - अध्‍यक्ष महोदय, आप तो मुझे लिखित में जवाब दिलवा दीजिये क्‍योंकि अभी तो आप दे नहीं पाएंगे, वह मुझे समझ में आ रहा है. 

श्री विश्‍वास सारंग - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किसी भी मेडिकल कॉलेज में जो इक्विपमेंट खरीदे जाते हैं, उसकी एक विस्‍तृत प्रक्रिया है, उस प्रक्रिया के अनुसार जहां भी इक्विपमेंट खरीदने हैं, उसमें या तो एनएमसी के नॉर्म्‍स के हिसाब से या वहां पर आवश्‍यकतानुसार इक्विपमेंट खरीदने की मांग होती है. उसके लिए स्‍पेसिफिकेशन बनाने के लिए एक कमेटी बनती है, वह स्‍पेसिफिकेशन जब डिसाइड हो जाता है तो दो एजेंसी हैं, प्रदेश सरकार का एक हेल्‍थ कॉर्पोरेशन है, केन्‍द्र सरकार की एचआईटीईएस है, ऐसी दो संस्‍थाएं हैं. उन दोनों के माध्‍यम से इक्विपमेंट खरीदे जाते हैं, जब मांग जाती है तो यह दोनों संस्‍थाएं अपनी एक टेक्निकल कमेटी बनाती हैं, जो कि इस प्रक्रिया को निर्धारित करती है, बिडिंग होती है, उसकी निविदा निकलती है, निविदा निकलने के बाद जो भी उसमें पात्र जो निविदाकार होते हैं, उसके लिये भी एक टेक्‍नीकल कमेटी होती है.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह सब आलरेडी जवाब में है, इसको बोलने की जरूरत क्‍या है?

श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं पूरा बता रहा हूं, आप प्रश्‍न पढि़ये, मैं पूरा एकदम अक्षरश: जवाब दे रहा हॅूं.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह सब तो मुझे लिखित में इन्‍होंने उत्‍तर दिया है.

श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब वह एक्‍यूपमेंट में जो निविदाकार उसकी सभी अर्हताएं पूरी करते हैं, डिमांस्‍ट्रेशन होता है, फिर उसकी सप्‍लाई होती है और सप्‍लाई के बाद भी माननीय अध्‍यक्ष महोदय, टेक्‍नीकल कमेटी उसका पूरा परीक्षण करती है और टेक्‍नीकल कमेटी में जिस विभाग का वह एक्‍यूपमेंट है, उसके चिकित्‍सक और हमारा जो बायोमेडिकल इंजीनियर है, वह रहता है. हर तरह की तकनीकी जांच उसकी होती है और उसी के बाद एक्‍यूपमेंट की खरीदी होती है.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह तो जवाब लिखित में है, सारंग जी से ऐसी तो मुझे उम्‍मीद नहीं थी कि लिखा हुआ ही पढ़ देंगे, आप तो केवल मुझे इतना बता दें कि कमेटी गठित है, आपसे मैंने स्‍पष्‍ट उत्‍तर मांगा है कि किन अधिकारियों द्वारा मानक क्षमता की जांच की गई है, यदि कमेटी ने किया है तो कमेटी के मेंबर्स का नाम देने में दिक्‍कत क्‍या है ? उनकी क्‍वालिफिकेशन्स देने में क्‍या दिक्‍कत है? आप बोल दीजिये कि हम जवाब दे देंगे मैं अभी तुंरत तो मांग भी नहीं रही हूं.

श्री विश्‍वास सारंग --   XXX

अध्‍यक्ष महोदय -- यह नहीं लिखा जायेगा. (व्‍यवधान..)

सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- ऐसा काम आप करते होंगे, यह काम हमसे नहीं बनता है. उत्‍तर देते बन नहीं रहा है (व्‍यवधान..)

श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे यह बताईये कि कौन सी कमेटी की बात कर रहे हैं. (व्‍यवधान..)

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस तरह से सदन चलेगा क्‍या, जवाब देना आ नहीं रहा. (व्‍यवधान..)

श्री विश्‍वास सारंग -- पूछ कुछ रहीं हैं. जो आपने पूछा है, उसका जवाब दिया है. (व्‍यवधान..)

सुश्री हिना लिखिराम कावरे -- आप नाम बताई न, कमेटी गठित है तो आपको जवाब देने में क्‍या दिक्‍कत है? (व्‍यवधान..)

श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जवाब दिया है. (व्‍यवधान..)

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- XXX (व्‍यवधान..)

अध्‍यक्ष महोदय -- यह नहीं आयेगा. (व्‍यवधान..)

सुश्री हिना लिखिराम कावरे --माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहली तो यह है कि आप माफी मंगवाई माननीय विश्‍वास सारंग जी से.  (व्‍यवधान..)

श्री सज्‍जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह इस तरीके से जवाब आयेगा. (व्‍यवधान..)

अध्‍यक्ष महोदय -- हो गया है (व्‍यवधान..)

सुश्री हिना लिखिराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे तो अधिकारियों के नाम समेत चाहिये, उनके क्‍वालिफिकेशन्स वह अध्‍यक्ष महोदय,आपकी जवाबदारी है, क्‍योंकि वह समझ रहे हैं, पर उत्‍तर दे नहीं रहे है और मैं कोई उत्‍तर अभी तो नहीं मांग रही हूं, आप लिखित में आराम से जवाब भिजवायें, किसने रोका है आपको और माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसके बाद भी मेरे दो प्रश्‍न है और हैं.

श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप प्रश्‍न पूछें, आप प्रश्‍न पढि़ये माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इन्‍होंने कहां पूछा है और कौन सी हम जानकारी छुपा रहे हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न में लिखा है कि सप्‍लायर एजेंसी द्वारा कम मानक क्षमता के उपकरण सप्‍लाई करने की आशंका के निराकरण के लिये क्‍या शासन के उपकरणों, तकनीकी विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाकर, अब कौन सी कमेटी कहां की कमेटी, आप बताईये न माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 13 मेडिकल कॉलेज हैं, 13 मेडिकल कॉलेज में लाखों की संख्‍या में उपकरण खरीदे गये हैं, कौन से उपकरण की बात कर रही हैं, कौन से मेडिकल कॉलेज की बात कर रही हैं, पढ़ा नहीं और जबरदस्‍ती मेरी बात कर रही हैं और हमने सही चीजों का जवाब माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लिखित में दिया है.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रश्‍न ही पढ़ रही हूं. यह मेरी किताब है और इसी से प्रश्‍न मैं पढ़ रही हूं. विश्‍वास सारंग जी तैयारी से आप नहीं आये हैं लग रहा है, तैयारी आपकी नहीं हुई है. पहली बात तो आपको उन अधिकारियों ने जो जवाब दिया है, उसी पर कार्यवाही कर दो. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं तो आपसे बोलना चाहती हूं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे माननीय मंत्री जी में क्‍या शालीनता है, वास्‍तव में देखने लायक है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके सामने प्रश्‍न लिखा हुआ है, यदि आप अधिकारियों के नाम नहीं बता पा रहे हैं तो कम से कम जिसने आपको उत्‍तर बनाकर दिया है, उन्‍हीं पर कार्यवाही कर दो. मेरा प्रश्‍न स्‍पष्‍ट लिखा हुआ है यहां पर, उसके बाद भी अलग से इनको मैं और क्‍या बताऊॅ. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसके अलावा भी मेरे प्रश्‍न हैं.

श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बहन जी आप प्रश्‍न पूछ लीजिये और मेरा उत्‍तर पढ़ लीजिये. आप दोनों पढ़ लो, मैं आपसे निवेदन कर रहा हूं.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे --आप ही पढ़ लीजिये, मैं तो पढ़कर ही बोल रही हूं. मेरे पास कोई चिट्ठी नहीं आई है, मैं तो प्रश्‍न देखकर ही पढ़ रही हूं.

श्री विश्‍वास सारंग -- आप पढ़ लो, नेताप्रतिपक्ष जी जरा पढ़वा लीजिये न, प्रश्‍न जो है, उसका जवाब मैंने दे दिया है, आपने स्‍पेसिफिक नहीं पूछा है मेरी बहन, आप पढ़ो न, एक मिनिट पढ़ लीजिये न.

नेताप्रतिपक्ष(डॉ.गोविन्‍द सिंह)-- आपने कहा कि स्‍पेसिफिक नहीं पूछा है, तो आप पूछ लो और आप जवाब दे दो.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, चलो मैं पूछ ही लेती हूं.

श्री विश्‍वास सारंग -- पूछिये, पूछिये बिल्‍कुल पूछिये.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दतिया मेडिकल कॉलेज, रीवा मेडिकल कॉलेज, ये दोनों के पिछले दो वर्षों की खरीदी, किस समिति ने किया है और कौन-कौन उसके मेंबर्स थे और  उसमें क्‍या- क्‍या क्‍वालिफिकेशन्‍स उनकी थी, वह मुझे चाहिये और उसके बाद इसमें माननीय मंत्री जी ने कहा है कि यदि उपकरण सही नहीं है, क्‍योंकि पहले खरीदी होती है, उपकरण लगते हैं और उपकरण लगने के बाद यदि वह मानक क्षमता के अनुसार नहीं है तो उनके ऊपर  शिकायत होती है और शिकायत के बाद फिर जांच होती है. मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहती हूं कि अभी तक ऐसे कितने मामले हुए हैं, जिसमें आपके पास शिकायत आई है और आपने उन पर क्‍या कार्यवाही की है?

श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो स्‍पेसिफिक यदि दतिया मेडिकल कॉलेज और रीवा मेडिकल कॉलेज का बोला है तो उपकरण का नाम बता दें क्‍योंकि हजारों की संख्‍या में माननीय अध्‍यक्ष महोदय उपकरण खरीदे गये हैं.

अध्‍यक्ष महोदय -- (एक माननीय सदस्‍य के अपने आसन पर खड़े होने पर) अरे आप बैठ जायें, वह सक्षम हैं.

श्री विश्‍वास सारंग -- (एक माननीय सदस्‍य के अपने आसन पर खड़े होने पर) अरे मुझे पूछने तो भाई, मुझे बताने तो दो, मैं तो हर चीज बताऊंगा. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जिस उपकरण की खरीदी के बारे में हमसे पूछेंगी, हम जवाब दे देंगे, कहीं कोई दिक्‍कत नहीं है, हम दे देंगे.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जितने उपकरण खरीदे गये हैं, क्‍योंकि मेरा मूल प्रश्‍न ही यह है कि जांच उपकरणों की मानक क्षमता के संबंध में मेरा प्रश्‍न है तो हर वो उपकरण जो आपने खरीदे हैं, आपकी समितियों ने खरीदे हैं, उन सब उपकरणों की बात मैं कर रही हूं और यह उत्‍तर तो मुझे माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपसे चाहिये क्‍योंकि यह प्रश्‍न चिह्न आपके ऊपर लगा है क्‍योंकि आपने मुझे कहा कि आपने जो प्रश्‍न यहां पर  पूछा है उसका उत्‍तर मुझे नहीं आ रहा है, वह जवाब तो मुझे फिर चाहिये.

अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं नहीं, उसको हटा दिया है, उसको रिपीट न करें.

श्री विश्‍वास सारंग -- मैं फिर बोल रहा हूं मेरी बहन आप जो पूछ रहीं है और जो लिखा हुआ है, उसमें बहुत अंतर है, पर तो भी एक तो जानकारी परिशिष्‍ट में पूरी दे हुई है.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- पूरी देख ली है.

श्री विश्‍वास सारंग -- आप उसको पढ़ लीजये.

सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- पूरा पढ़ लिया है.                                                         श्री विश्‍वास सारंग--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उसके बाद विधायक जी अगर कुछ पूछेंगी तो हमें दिखाने में, बताने में कहीं कोई दिक्‍कत नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप लिखकर के कुछ स्‍पेसिफिक पूछ लीजिये.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने पूछ लिया, उसके बाद मैंने कहा कि कितने ऐसे मामले आपके पास आये हैं जिसमें कि मानक क्षम‍ता के अनुसार उपकरण नहीं है उसकी क्‍या आपके पास कोई शिकायत आई है, कितनी शिकायतें आई हैं और उस पर क्‍या जांच हुई है, उस पर क्‍या कार्यवाही हुई है.

          श्री विश्‍वास सारंग--  अध्‍यक्ष महोदय, हम इसकी जानकारी भी उपलब्‍ध करा देंगे.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, समय-सीमा बता देंगे, प्‍लीज.

          अध्‍यक्ष महोदय--  समय-सीमा में क्‍या दिक्‍कत है, जल्‍दी हो जायेगा.

          श्री विश्‍वास सारंग--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इन्‍होंने लिखकर दिया नहीं, अरे लिखकर तो दे दो. पहले आप किसी से लिखवा तो लो, क्‍या पूछना है फिर मैं दे दूंगा.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--  माननीय मंत्री जी, आप लिखवा लिया करिये, क्‍योंकि आपको उत्‍तर सही नहीं मिलते, एकाध अधिकारी पर कार्यवाही करो तब जाकर सही बात बनेगी. आपको तो मैं यहां लिखकर दे रही हूं. दतिया का बोला, रीवा का बोला और भी मेडीकल कॉलेज हैं, ...(XXX)...

          अध्‍यक्ष महोदय--  यह नहीं आयेगा.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह प्रश्‍न ही इसलिये उपस्थित हो रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  दो का आपने कहा, दो का लिखकर दे दीजिये, जानकारी मिल जायेगी.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे एक बार और निवेदन कर रही हूं, मैंने जो बातें स्‍पष्‍ट रूप से पूछी हैं, कितने ऐसे मामले हुये हैं, आपके पास तो लिखित में शिकायत आई होगी, क्‍या वह भी मुझे ही बताना पड़ेगा. अगर आप मुझे बोलें तो मैं यहीं बताने तैयार हूं.

          श्री विश्‍वास सारंग--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहले यह लिखकर तो दें, हम जवाब दे देंगे.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, शिकायत तो आपके पास आई होगी या एक भी शिकायत नहीं आई, सारी मशीनरी, सारे उपकरण सही हैं. एकाध शिकायत भी आपके पास नहीं है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिये.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप यह कह रहे हैं कि लिखकर हमको दे दीजिये मैं जवाब दे दूंगा.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कितने प्रकरण आपके पास आये हैं इन शिकायतों के वह तो आप ही मुझे अवगत करायेंगे न.

          अध्‍यक्ष महोदय--  वह कह रहे हैं लिखकर हमको दे दीजिये हम बता देंगे और जल्‍दी बता देंगे.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसी प्रश्‍न से उद्भूत हो रहा है मैं डारेक्‍ट ही पूछ रही हूं. अब आप बता दीजिये कि आप उनका जवाब कब तक दे देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय--  वह कह तो रहे हैं कि उपलब्‍ध करा देंगे.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--  कब तक, समय-सीमा बता दें.

          श्री विश्‍वास सारंग--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहले यह लिखकर तो दें. इनको लिखकर देने में क्‍या दिक्‍कत है, क्‍योंकि इनके पास कोई जानकारी नहीं है. यह जबरदस्‍ती सदन का समय खराब कर रही हैं.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सदन में पूछने के बाद लिखकर अलग से देने की क्‍या जरूरत है. बहुत आदत है आपको अलग से मिलने की. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अलग से लिखकर देने की क्‍या जरूरत है.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप लिखकर दे दीजिये उसका जवाब दे देंगे.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सीधे-सीधे पूछ रहे हैं, बहुत अलग से मिलने की आदत है विश्‍वास सारंग जी को इसलिये उत्‍तर देने में यहां अभी दिक्‍कत हो रही है.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह-- अध्‍यक्ष जी, मेरा एक निवेदन है, माननीय सदस्‍य ने मंत्री जी पर आरोप लगाया है सब जगह भ्रष्‍टाचार करके रखा है, इसको विलोपित करा दें.

          अध्‍यक्ष महोदय-- उसको हटा दिया है.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भ्रष्‍टाचार नहीं होता तो प्रश्‍न ही उत्‍पन्‍न नहीं होता, जवाब देने में क्‍यों इतनी दिक्‍कत हो रही है, आप सीधे-सीधे उत्‍तर दे दीजिये. एक उत्‍तर तो आपने सही दिया नहीं है.

          श्री विश्‍वास सारंग--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न आपने पूछा नहीं है, जवाब मांग रही हैं, मुझे आश्‍चर्य हो रहा है. मैं तो इनको बहुत ही काबिल विधायक समझता था, बहन आप थोड़ा आराम से पढ़ लो, जो मैंने बोला है वह सब मैंने दिया है, पूरा जवाब मैंने दिया है.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे--  मेरी का‍बलियत पर मुझे आपका सर्टिफिकेट नहीं चाहिये, दूसरी बार जीतकर आई हूं अपने आप का‍बिल हो गई हूं.

         

शासकीय अस्‍पताल में कुप्रबंधन

[चिकित्सा शिक्षा]

6. ( *क्र. 234 ) श्री शरदेन्दु तिवारी : क्या चिकित्सा शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या श्‍यामशाह चिकित्‍सा महाविद्यालय रीवा में दिनांक 10.01.2021 या इसके आसपास श्रीमती अनिता (तिवारी) मिश्रा पति श्री हंसराज मिश्रा, आयु 24 वर्ष पता-ग्राम मझियार, जिला रीवा जो गायनी डिपार्टमेंट से संबंधित थीं, वह क्‍या भर्ती हुई थीं? यदि हाँ, तो इस मरीज को किस-किस चिकित्‍सक ने क्‍या-क्‍या उपचार एवं परामर्श दिया? तथ्‍यात्‍मक बतायें। (ख) क्‍या मरीज के संबंध में अस्‍पताल के अधीक्षक तथा डीन के संज्ञान में स्‍थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा लाया गया था कि उक्‍त मरीज का उपचार ठीक ढंग से किया जाये? (ग) प्रश्‍नांश (ख) अनुसार संबंधित अधिकारियों ने संबंधित चिकित्‍सक से एवं मरीज से परिजनों से संपर्क किया था? यदि हाँ, तो उस संबंध में क्‍या कार्यवाही की गई? (घ) क्‍या प्रश्‍नांश (क), (ख) एवं (ग) के अनुसार ही उक्‍त मरीज को देख रहे चिकित्‍सक द्वारा सलाह दी गई कि आपका उपचार निजी अस्‍पताल में ही हो सकता है और वहीं पर ही शल्‍यक्रिया (ऑपरेशन) किया जा सकता है? (ड.) क्‍या उक्‍त मरीज को मरीज के परिजन से जबर्दस्‍ती अभिमत लिखाकर निजी अस्‍पताल में जाने हेतु रेफर कर दिया गया था? इसके बाद निजी अस्‍पताल में तुरंत ऑपरेशन कर उपचार उसी चिकित्‍सक के द्वारा किया गया? (च) प्रश्‍नांश (क), (ख), (ग), (घ) एवं (ड.) के संबंध में राज्‍य शासन को किसी प्रकार की कोई शिकायत प्राप्‍त हुई है? यदि हाँ, तो उस शिकायत पर प्रश्‍न दिनांक तक क्‍या-क्‍या कार्यवाही की गई?

चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) श्रीमती अनीता (तिवारी) मिश्रा, दिनांक 10.01.2023 को श्याम शाह चिकित्सा महाविद्यालय से सम्बद्ध अस्पताल के इमरजेंसी ओ.पी.डी. में दोपहर 02 : 12 बजे पहुंची जहां से उन्हें गायनी डिपार्टमेंट में भेजा गया। गायनी डिपार्टमेंट के ट्राएज एरिया में प्रारंभिक जांच एवं परीक्षण उपरांत न्यू मेटरनिटी विंग के प्रीनेटल वार्ड में सायं 05 : 00 बजे यूनिट क्रमांक 2 में भर्ती हुई थी। यूनिट क्रमांक 2 में चिकित्सक डॉ. बीनू सिंह, डॉ. क्षमा विश्‍वकर्मा एवं सीनियर रेजिडेंट डॉ. प्रतिभा सिंह की ड्यूटी निर्धारित थी। मरीज को डयूटी पर उपस्थित सीनियर रेसीडेन्‍ट डॉ. प्रतिभा सिंह द्वारा परीक्षण किया गया। (ख) जी हाँ, अस्‍पताल अधीक्षक को उक्‍त मरीज के संबंध में स्‍थानीय जनप्रतिनिधि द्वारा दिनांक 11.01.2023 को प्रात: लगभग 09 : 00 बजे मरीज का उपचार ठीक ढंग से किये जाने का अनुरोध किया गया था। (ग) जी नहीं। (घ) इस संबंध में प्राप्त शिकायत की जांच हेतु शासन द्वारा उच्च स्तरीय जांच समिति दिनांक 07.02.2023 को गठित की गई हैजानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। समिति का जांच प्रतिवेदन अपेक्षित है। (ड.) एवं (च) उत्तरांश "घ" अनुसार।

परिशिष्ट - "दो"

           श्री शरदेन्‍दु तिवारी--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न मुख्‍यत: श्‍यामशाह मेडीकल कॉलेज में अव्‍यवस्‍थाओं को लेकर के है. श्रीमती अनिता मिश्रा जी 10 जनवरी को एडमिट होती हैं उनको अस्‍पताल में गायनी वार्ड में शिफ्ट किया जाता है और वहां के जो ड्यूटी डॉक्‍टर्स हैं वह उनको निजी अस्‍पताल में जाने को कहते हैं और वहां पर आपरेशन न करके निजी अस्‍पताल में आपरेशन करते हैं. इसमें जो जवाब आया है उसमें मुझे यह जानकारी है कि बहुत सारे जनप्रतिनिधियों ने भी इसके संबंध में डीन को फोन किया था कि इनकी जांच होनी चाहिये, इस पर ठीक से कार्यवाही हो जाये, उनका उपचार ठीक से हो जाये, उसके बाद भी उनको पेशेंट को अनिता मिश्रा जी को निजी अस्‍पताल में जाना होता है और वही डॉक्‍टर जो वहां उस दिन ड्यूटी पर रहती हैं वह उनका निजी अस्‍पताल में इलाज करती हैं, उनका आपरेशन करती हैं और बहुत सारा पैसा उनसे वसूल किया जाता है. यह जो डीन का उसमें भाग है, जनप्रतिनिधियों के फोन जाने के बाद, जनप्रतिनिधियों के बार-बार कहने के बाद भी संबंधित डॉक्‍टर्स को और उस गायनिक विभाग के जो अन्‍य लोग हैं उनको सूचना नहीं दी जाती है, इतनी बड़ी अव्‍यवस्‍था श्‍यामशाह मेडीकल कॉलेज में है और यह कोई पहली नहीं है इसके पहले भी मैं सदन में एक प्रश्‍न लेकर आया था, उसमें भी यहां लगातार दिक्‍कत थी. माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया है कहा है कि हमने जनप्रतिनिधियों के न तो उनके परिवार को न डॉक्‍टर्स को कोई मेसेज कनवे नहीं किया है. पहला प्रश्‍न तो यह है कि क्‍या जनप्रतिनिधियों की बात पर भी यदि डीन कार्यवाही नहीं कर रहे हैं और उपचार ठीक से नहीं मिल रहा है तो आम व्‍यक्ति के लिये क्‍या स्थिति होगी.

          श्री विश्‍वास सारंग--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विधायक जी ने जो प्रश्‍न लगाया....

          अध्‍यक्ष महोदय--  माननीय मंत्री जी इसमें मैं थोड़ा सा हस्‍तक्षेप कर दूं. क्‍योंकि इसमें मेरा भी पत्र था और मैं आपको इस बात के लिये धन्‍यवाद करता हूं कि मेरा पत्र जाते ही आपने तत्‍काल कमेटी बनाई, उसकी जांच कराई और तत्‍काल प्रतिक्रिया करने के लिये मैं आपको धन्‍यवाद करता हूं.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव--  XXX

          अध्‍यक्ष महोदय--  इनका नहीं लिखा जायेगा.

          श्री विश्वास सारंग -  माननीय अध्यक्ष महोदय,आपको धन्यवाद कि आपने हमारी कार्यवाही के लिये साधुवाद दिया. विधायक जी ने जो प्रश्न लगाया हमने उसकी जांच की और निश्चित रूप से जांच कमेटी ने यह माना है कि वहां चिकित्सकों ने कुछ लापरवाही की और यह प्रकरण सही था और जांच हमने बिल्कुल निष्पक्ष कराई. माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हमारी सरकार पूरी तन्मयता के साथ काम कर रही है और यदि कहीं कुछ गड़बड़ है तो निश्चित रूप से हम कार्यवाही करने में कहीं हिचक भी नहीं रखते. यहां से हमने कमेटी भेजी थी जिसमें हमारे एडीशनल सेक्रेट्री,डिप्टी सेक्रेट्री, हमारे डी.एम.ई. और गांधी मेडीकल कालेज की गायनिक डिपार्टमेंट की एच.ओ.डी. थीं और जांच कमेटी ने यह माना है कि वहां पर गड़बड़ हुई थी और इसीलिये क्योंकि यह स्वशासी संस्थान है रीवा मेडिकल कालेज तो सरकार की ओर से वहां के जो अध्यक्ष हैं रीवा के डिवीजनल कमिश्नर, उनको गायनिक डिपार्टमेंट की डाक्टर वीनू सिंह के खिलाफ कार्यवाही करने के लिये हमने रिकमंड किया है और उसके साथ ही वहां की सहायक प्राध्यापक डाक्टर सोनल अग्रवाल के खिलाफ भी कारण बताओ नोटिस दोनों को देकर यहां से कार्यवाही करने की अनुशंसा की है और निश्चित रूप से हम कार्यवाही करेंगे. इस तरह की लापरवाही कहीं भी बर्दाश्त नहीं की जायेगी.

          श्री शरदेन्दु तिवारी - इसमें एक प्रश्न और उद्भूत होता है कि जो डीन को खबर की गई और डीन ने वहां तक नहीं किया इतनी लापरवाही लगातार, श्याम शाह मेडिकल कालेज के डीन द्वारा की जा रही है. उस दिन एक घटना जो वहां हुई थी जिसमें उनकी लगातार अनुपस्थिति रही जब बस एक्सीडेंट के लोग वहां पहुंचे थे. उसके पहले भी मैंने सदन में एक बार प्रश्न किया था.

          श्री विश्वास सारंग -  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जिस विषय पर प्रकाश डाला है उस पर भी हम विचार करके जल्द से जल्द निर्णय करेंगे.

          श्री शरदेन्दु तिवारी - धन्यवाद अध्यक्ष महोदय.

 

नगरीय सीमा में शामिल राजस्‍व ग्राम

[जनजातीय कार्य]

7. ( *क्र. 365 ) डॉ. अशोक मर्सकोले : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्‍या बैतूल, मण्‍डला एवं अनूपपुर जिले के नगरीय निकायों में आने वाले राजस्‍व ग्रामों की वन भूमियों पर वन अधिकार कानून 2006 के अनुसार प्रश्‍नांकित दिनांक तक भी मोहल्‍ला समिति नहीं बनाई गई? (ख) नगरीय निकाय की सीमा में आने वाली वन भूमियों पर काबिजों के व्‍यक्तिगत वन अधिकार एवं सामुदायिक वन अधिकार हेतु भारत सरकार तथा राज्‍य सरकार ने किस-किस दिनांक को क्‍या-क्‍या पत्र परि‍पत्र जारी किया? (ग) बैतूल, मण्‍डला एवं अनूपपुर जिले के किस नगरीय निकाय की सीमा में कौन-कौन सा राजस्‍व ग्राम है, किस नगरीय सीमा में आरक्षित वन भूमि एवं संरक्षित वन भूमि है? उस नगरीय सीमा में मोहल्‍ला समिति किस आदेश दिनांक से बनाए जाकर किस-किस को सदस्‍य बनाया गया? (घ) नगरीय सीमा में आने वाले काबिजों से कब तक दावे आमंत्रित कर उन्‍हें मान्‍य किए जाने की प्रक्रिया अपनाई जावेगी?

जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे ) : (क) जिला बैतूल में मोहल्‍ला समिति गठित नहीं हुई है। जिला मण्‍डला में नगरीय निकाय में आने वाले राजस्‍व ग्रामों में वनभूमि न होने से मोहल्‍ला समिति का गठन नहीं किया गया। जिला अनूपपुर के नगर पालिका परिषद पसान में मोहल्‍ला समिति का गठन किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ख) नगरीय निकाय की सीमा में आने वाली वन भूमियों पर वन अधिकार पत्र दिये जाने हेतु भारत सरकार तथा राज्‍य सरकार द्वारा जारी किये गये पत्र पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (घ) पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार संचालनालय आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनायें भोपाल के पत्र क्रमांक/वन/586/15/293, दिनांक 27.04.2015 के द्वारा समस्‍त जिला कलेक्‍टर को नगरीय क्षेत्रों में वन अधिकार के दावे प्राप्‍त कर निराकरण की कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं।

          डॉ.अशोक मर्सकोले - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में मंत्री जी ने बैतूल में मोहल्ल कमेटी गठित न होने की बात कही है. जिला मण्डला में नगरीय निकाय में, राजस्व ग्राम में वन भूमि में मोहल्ला कमेटी गठित न किये जाने की बात कही गई है. मेरा यह कहना है कि मण्डला जिले के नगरीय निकाय क्षेत्र में जो बड़े झाड़,छोटे झाड़ के जो जंगल मद की दर्ज भूमियों को वन भूमि क्यों नहीं माना गया है.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे - माननीय अध्यक्ष महोदय,  माननीय सदस्य का कहना है कि मण्डला जिले में वन विभाग की जो सरकारी जमीन है तो उनको वन भूमि क्यों नहीं माना गया है. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि 13.12.2005 के पूर्व नगरीय क्षेत्र में जहां भी लोग वन विभाग की जमीन पर काबिज थे वहां पर देने का काम हुआ है परंतु मण्डला जिले में यह स्थिति नहीं है. नगरीय क्षेत्र में  कोई भी व्यक्ति काबिज नहीं है. वन भूमि है भी लेकिन वहां लोग काबिज नहीं हैं. जहां पर झुड़पी जंगल का उल्लेख आपने कहा तो झुड़पी जंगल में पट्टे दिये ही नहीं जाते हैं.

          डॉ.अशोक मर्सकोले - अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा एक और महत्वपूर्ण विषय आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि पेसा के 20 जिलों में जो इसमें समन्वयक की भर्ती की गई है 89 ब्लाक में और 20 जिलों में जो कि 890 अभ्यर्थियों का जो इंटरव्यू होना था 9 से 11 फरवरी,2022 के बीच में उनको निरस्त करके उनके हक को मारा गया है.

          अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.                                   

                                                                        (प्रश्नकाल समाप्त)

12.00 बजे                           नियम 267- क के अधीन विषय

 

        अध्यक्ष महोदय -निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी :-

          1.       डॉ.सीतासरन शर्मा

          2.       श्री सुनील सराफ

          3.       श्री बहादुर सिंह चौहान

          4.       डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय

          5.       श्री मनोज चावला

          6.       श्री प्रताप ग्रेवाल

          7.       श्रीमती कल्पना वर्मा

          8.       श्री सज्जन सिंह वर्मा

          9.       श्री पी.सी.शर्मा

          10.     श्री संजय सत्येन्द्र पाठक

 

12.00 बजे                                    शून्यकाल में मौखिक उल्लेख

                                   

        श्री संजय सत्येन्द्र पाठक(विजय राघवगढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, 2 मार्च को मैंने एक ध्यानाकर्षण लगाया था. ए.सी.सी. कंपनी द्वारा जो माननीय मुख्यमंत्री जी को जो आश्वासन दिया गया था कि 75 प्रतिशत स्थानीय मजदूरों को रोजगार दिया जायेगा उसके विरुद्ध ए.सी.सी. कंपनी ने न 75 प्रतिशत लोगों को न रोजगार दिया न मजदूरी दी बल्कि उल्टा  किसानों की जमीन पर कब्जे कर लिये  और  बाउण्ड्रीवॉल बना ली.  इस ध्यानाकर्षण के जवाब  में  आपके निर्देश पर  माननीय उद्योग मंत्री जी  ने  आश्वासन दिया था कि  13 तारीख के पहले  विभाग के सभी अधिकारी, जिला प्रशासन,  एसीसी और सेल  के  सभी अधिकारी  आपके साथ बैठकर,  आपके पास आकर उसका निराकरण करेंगे . लेकिन खेद की बात है कि  आपके निर्देशों का पालन  न उद्योग विभाग के अधिकारियों ने किया, न जिला प्रशासन  ने किया.  13 तारीख आज है, आज  तक  मेरे साथ  कोई अधिकारियों ने बैठक  नहीं की.  न एसीसी वाले आये,  न सेल वाले आये, न जिला प्रशासन आया, न कोई आया और सदन में गलत जानकारी दी कि  मेरे साथ बैठक हुई.  मेरे  साथ किसी प्रकार  की कोई बैठक नहीं  हुई. अध्यक्ष महोदय, यह  आपके निर्देशों का  उल्लंघन है.  मंत्री जी ने आश्वासन दिया,  उसका उल्लंघन है.  मेरा आपसे आग्रह है कि  यहां से आप निर्देशित करने का कष्ट करेंगे कि दोबारा बैठक आयोजित की जाये.

 

12.01 बजे                                     अशासकीय संकल्प

                            बी.बी.सी.द्वारा प्रसारित डॉक्यूमेंट्री विषयक

                   अध्यक्ष महोदय -- अब श्री शैलेन्द्र जैन, सदस्य  संकल्प प्रस्तुत करेंगे.  इसकी अनुज्ञा प्रदान की गई है.  श्री शैलन्द्र जैन जी.

                   श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं आज बी.बी.सी. द्वारा दिनांक 17 फरवरी, 2023 को प्रसारित की गई एक डॉक्यूमेंट्री, जिसमें गुजरात में वर्ष 2002  में हुई  घटनाओं को गलत तरीके से दिखाकर  भारत की न्यायिक संस्थाओं के ऊपर प्रश्न चिह्न लगाया गया था और  भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को अनदेखा करते हुये असत्य बातें की गई थीं. बी.बी.सी.का यह कृत्य अत्यंत आपत्तिजनक है, जिसकी सदन द्वारा निंदा करने और उसके विरुद्ध कार्यवाही करने के लिये वक्तव्य के  साथ एक  संकल्प प्रस्तुत  करना  चाहता हूं.  अतः अनुरोध है कि मुझे उक्त संकल्प प्रस्तुत करने की अनुमति  प्रदान करें.

                   संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष जी, अनुमति दें,  संकल्प प्रस्तुत करने की.

                   अध्यक्ष महोदय--  हां, अनुज्ञा  दे दी है ना.   आप संकल्प  प्रस्तुत करें.

 

 

 

                   श्री शैलेन्द्र जैन -- अध्यक्ष महोदय,

                  

                   अध्यक्ष महोदय-- संकल्प प्रस्तुत हुआ.

                   जो सदस्य इस  संकल्प  के पक्ष में हों,  वे कृपया हां कहें.

                   जो सदस्य  इस संकल्प के विपक्ष  में हों, वे कृपया ना कहें.

                   हां की जीत हुई,  हां की जीत हुई.

                                                                             संकल्प पारित हुआ.

                   श्री गोपाल भार्गव -- (xxx)

                        डॉ. गोविन्द सिंह -- (xxx)

                        श्री आरिफ मसूद -- (xxx)

                        अध्यक्ष महोदय -- यह  रिकार्ड में नहीं  आयेगा.

 

श्री सज्जन सिंह वर्मा - (XXX)

 

12.15 बजे                                       पत्रों का पटल पर रखा जाना

 

(क) (i) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का अनुपालन लेखापरीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च, 2021 को समाप्‍त वर्ष के लिए (राजस्‍व संबद्ध विभाग) मध्‍यप्रदेश शासन वर्ष 2023 का प्रतिवेदन संख्‍या-1, एवं

 

     (ii) भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक का मार्च, 2021 को समाप्‍त वर्ष हेतु विरासत स्‍थलों, अभिलेखागारों एवं संग्रहालयों के प्रबंधन पर निष्‍पादन लेखा परीक्षा प्रतिवेदन मध्‍यप्रदेश शासन वर्ष 2022 का प्रतिवेदन क्रमांक-7, तथा

 

        (ख) मध्‍यप्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 (क्रमांक 19 सन् 2017) की धारा 166, मध्‍यप्रदेश वेट कर अधिनियम, 2002 (क्रमांक 20 सन् 2002) की धारा 71 की उपधारा (5), मध्‍यप्रदेश स्पिरिट उपकर        अधिनियम, 2018 (क्रमांक 18 सन् 2018) की धारा 15 की उपधारा (3) तथा मध्‍यप्रदेश हाई स्‍पीड डीजल उपकर अधिनियम, 2018 (क्रमांक 12 सन् 2018) की धारा 15 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार आज की कार्यसूची के पद 2 उप पद (ख) में क्रमांक 1 से 276 तक उल्लिखित वाणिज्यिक कर विभाग की अधिसूचनाएं

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.16 बजे                                            ध्यान आकर्षण

 

(1) दमोह जिले के नौरादेही अभ्यारण्य के विस्थापितों का उचित व्यवस्थापन न होना

 

            श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया) - अध्यक्ष महोदय,

 

                                        


 

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) -- अध्‍यक्ष महोदय,

            श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारे मंत्री जी ने जो पढ़ा है यह सिर्फ दमोह जिले के अधिकारी-कर्मचारी हैं उन्‍होनें जो लिखकर भेजा है, उन्‍होंने वही पढ़ा है. आज भी यथार्थ में अगर चलकर वह देख लें, उस जगह पर आज भी लोग परेशान हैं बहुत ज्‍यादा विवश हैं और आज भी छोटे-छोटे बच्‍चे दूध के लिये रो रहे हैं. बहुत अच्‍छा काम किया है, शेर बुलाये, सब जानवर बुलाये, लेकिन जानवरों के चक्‍कर में इंसानों को बेघर कर दिया.

            अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न पूछिये.

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, जिनके पास जगह है. सरकार के पास हजारों एकड़ जगह है, इसके बाद भी उनका न पुनर्वास किया गया, न ही उनको जगह दी गई.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, प्रश्‍न पूछिये.

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, उनके लिए कोई भी रोजगार नहीं है. अध्‍यक्ष महोदय, मैं दिल्‍ली जा रही थी, यह दूसरी विधान सभा का मैटर है, मेरी विधान सभा का नहीं है, लेकिन जब मैं दिल्‍ली जा रही थी तो जबेरा विधान सभा के लोग स्‍टेशन पर पड़े हुए थे, उन्‍होंने यह बात मुझे बताई, तभी जाकर मैंने यह ध्‍यानाकर्षण लगाया. अध्‍यक्ष महोदय, हमारा बुंदेलखण्‍ड एक शांति का प्रतीक है और ऐसे लोग बेरोजगार हो गए, आदिवासी और सभी समाज के लोग हैं कि जो कहीं ऐसा न हो कि आगे जाकर कहीं नक्‍सलवादी बन जाएं, आतंकवादी बन जाएं और हमारे बुंदेलखण्‍ड की स्‍थिति कुछ दूसरी हो जाए. इसलिए अध्‍यक्ष महोदय, आपसे हमारा निवेदन है कि इनको जमीन मुहैया कराई जाए, इनको मकान मुहैया कराया जाए और इनको रोजगार भी दिया जाए और इनको अच्‍छी जगह बसाया जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, उत्‍तर आपने देखा नहीं, उत्‍तर में लिखा है.

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- उत्‍तर असत्‍य है. यह बिल्‍कुल असत्‍य उत्‍तर है. भैया, तुमने तो रामायण सा पढ़ दिया. ऐसा थोड़ी होता है. आप इस विभाग के मंत्री नहीं हैं, दूसरे मंत्री हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- मंत्री सब एक ही हैं, खाते में राशि गई है.

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- नहीं, नहीं, बिल्‍कुल असत्‍य उत्‍तर दिया गया है. हम तो चाहते हैं कि भैया, आप दमोह जिला गए भी नहीं हैं, अगर आपने उत्‍तर पढ़ा है तो मंत्री महोदय आप हमारे साथ चलें, अध्‍यक्ष महोदय, आपसे हमारा निवेदन है, आप उस जगह पर चलें, उन लोगों को देखें, आपके हृदय में बहुत दया है, धर्म है, मैं जानती हूँ आपको और आपकी सरकार की मंशा अच्‍छी है. अच्‍छे आपने काम किए हैं, मैं धन्‍यवाद देना चाहती हूँ. लेकिन इन गरीबों की ओर आप देख लें, मेरा आपसे बहुत विनम्र निवेदन है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री निलांशु चतुर्वेदी जी.

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, हमारा जवाब तो दिलवा दो.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आ गया. उसमें जो है, पैसे लिखे हुए हैं.

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- नहीं, अध्‍यक्ष महोदय, एक तो आप बोलने नहीं देते, और जब बोलने के लिए खड़े होते हैं तो आप जल्‍दी बैठा देते हैं. ऐसा मत कीजिए, हमारे सवाल का जवाब तो पहले दिलवा दीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- जवाब दिया है, उसमें पैसे भी लिखे हुए हैं.

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, आप कांग्रेस के लोगों को बोलने का मौका देते हैं, बीजेपी के लोगों को देते हैं, हम अकेले पड़ गए, हमको आप मौका ही नहीं देते.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, इसीलिए तो आपका ध्‍यानाकर्षण लिया है.

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- नहीं, अध्‍यक्ष महोदय, भैया से जवाब दिलवाएं. भैया, आपको चलना पड़ेगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- बहना, मैं चलने को मना नहीं कर रहा हूँ, पर आपके जीजाजी मेरे पीछे बैठे हुए हैं, जीजाजी कह रहे हैं कि मैं जाऊंगा. (हंसी)

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- नहीं, जवाब आपने दिया है, आप उत्‍तरदायी हैं, वे थोड़ी हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- बहन, मैं तेरे से मना ही नहीं कर रहा, पर जीजाजी मना कर रहे हैं.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- दोनों लोग चलेंगे.

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- देखिए, यह मजाक वाली बात नहीं है, यह गरीबों वाली बात है भैया, हंसी-मजाक तो चलता रहता है, विधान सभा में सब प्रकार की बातें होती हैं, लेकिन यह एक गरीब वाली बात है. बेरोजगार फिर रहे हैं, दूध के लिए बच्‍चे तड़प रहे हैं. हम आपसे निवेदन कर रहे हैं, आपकी सरकार अच्‍छा काम कर रही है, यदि यह भी काम आप करेंगे तो बड़ी खुशी होगी और देश के लिए एक अच्‍छा संदेश जाएगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष जी, जवाब में पूरी बात लिखी है. मैं सिर्फ इतना ध्‍यान आकर्षित करना चाहता हूँ. इसमें किसी को भी हटाया नहीं गया है, यह ऐच्‍छिक है, स्‍वैच्‍छिक है. जो व्‍यक्‍ति अपनी इच्‍छा से विस्‍थापित होना चाहते हैं, ये स्‍कीम, यह पुनर्वास की योजना इसी तरह की है. वहां अभी भी बहुत से गांवों में लोग रह रहे हैं, जो विस्‍थापित हुए हैं, उन्‍हें पूर्व की नीति में 10 लाख रुपये और नई नीति में 15-15 लाख रुपये मुआवजा मिला है. यह पूरा का पूरा स्‍वैच्‍छिक है, इसलिए किसी को हटाने का प्रश्‍न ही नहीं है.

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, फिर स्‍टेशन पर कैसे लोग पड़े हैं ? उनको जमीन के बदले जमीन नहीं दी गई है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप बैठ जाएं.

          श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय...

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये, मैं खड़ा हूँ. इसमें सरकार की तरफ से जवाब आया है इन लोगों को पैसा दिया गया, परिवार इकाई बताकर रुपये लिखे गए हैं. यदि आप कह रही हैं कि किसी को पैसे नहीं मिले तो उसका विधान सभा में नियम प्रक्रिया है, उसके भीतर आवेदन लगाएं, उसकी जांच हो जाएगी, उसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है.

          कुँवर विक्रम सिंह नातीराजा -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी पन्‍ना राष्‍ट्रीय उद्यान से लोगों का विस्‍थापन हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, उसका नहीं है, केवल एक विधान सभा का उन्‍होंने पूछा है.

          कुँवर विक्रम सिंह नातीराजा -- अध्‍यक्ष महोदय, कई बार मेरे द्वारा प्रश्‍न लगाया गया और उसमें जवाब भी दिया गया.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय विधायक जी, इसमें स्‍पेसिफिक विधान सभा का प्रश्‍न है. दमोह लिखा हुआ है. दमोह जिले का है और जगह भी स्‍पेसिफिक लिखी गई है.

          कुँवर विक्रम सिंह नातीराजा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी बात सुन लें. नेशनल पार्क वाला मामला है. यही विस्‍थापन का ही मामला है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, कैसे प्रश्‍न उद्भुत होगा. कहीं दूसरी जगह का पूछा जा रहा है. दूसरा नहीं आएगा.                                            

                                      

          कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा -- चौकन मोटा चौकन के मुआवजे तो दिये गये लेकिन आज तक उनको भू-स्‍वामी के पट्टे नहीं दिये गये विधानसभा में कई बार यह चीज आ चुकी है. धन्‍यवाद.

          श्री जालम सिंह पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय नौरादेही नरसिंहपुर में भी है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.20 बजे          

(2)               खाद कम्‍पनियों द्वारा किसानों को खाद के अलावा अन्‍य सामग्री                                          खरीदने को मजबूर किया जाना

 

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी (चित्रकूट) -- अध्‍यक्ष महोदय,

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

          सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन विभाग मंत्री (डॉ. अरविंद भदौरिया) -अध्‍यक्ष महोदय

 

 

 

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय माननीय मंत्री जी जो कहना है कि जो यह कंपनी है वह दबाव नहीं डालती हैं इसका 23 जनवरी को चंबल फर्टिलाईजर के डीलर गुप्‍ता जी ने गुढ़ के थाने में एफआईआर दर्ज कराई है और उन्‍होंने स्‍पष्‍ट अपनी शिकायत में यह लिखा था कि मैं हार्ट का पेशेंट हॅूं और 2-4 बार मुझे हार्ट अटैक भी आ चुका है. कंपनियां एक गाड़ी यूरिया में डीएपी सल्‍फर और पेस्‍टीसाइड जबरन देते हैं और जबरदस्‍ती यह दबाव बनाया जाता है कि किसान यूरिया के साथ उन चीजों को भी ले. इससे किसान भी आर्थिक रूप से परेशान हो रहा है. पहले एक माहौल बना दिया जाता है कि खाद की उपलब्‍धता नहीं है फिर खाद की उपलब्‍धता नहीं होती तो उसके बाद कहा जाता है कि अगर आपको खाद चाहिए तो उसके साथ में आपको यह जो अन्‍य चीजें हैं इन्‍हें लेना पडे़गा. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि जो आपको यह जानकारी दी गई है इसका उन्‍होंने गुढ़ थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई है और कई सारे ऐसे प्रमाण हैं जिनका इंद्रलाल गुप्‍ता जी ने 23 जनवरी को चंबल फर्टिलाईजर के ऊपर एफआईआर भी दर्ज कराई थी और एडमिट भी रहे थे. यह जो फर्टिलाईजर्स की प्राइवेट कंपनियां हैं यह किसानों के साथ भी अत्‍याचार कर रही हैं और जो डीलर्स हैं उनके साथ भी अत्‍याचार कर रही हैं. इसमें बहुत बड़ा एक रैकेट काम कर रहा है जो किसानों के साथ और डीलर्स के साथ बहुत बड़ा व्‍यापार करके घोटाला करने जैसी स्‍थिति है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न तो आपने पूछा ही नहीं.

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी--  अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से यह प्रश्न है कि क्या यह जो प्रायवेट कंपनीज़ हैं, चंबल फर्टिलायजर, आयपीएल फर्टिलायजर, जो सतना और रीवा में पूरे विन्ध्य क्षेत्र में दबाव बनाकर डीलर्स के माध्यम से किसानों को यूरिया के साथ अन्य जो चीजें खरीदने के लिए दबाव बनाती हैं. क्या उन लोगों के ऊपर आप पाबंदी लगाएंगे?

            अध्यक्ष महोदय--  यह तो जवाब आ गया है कि नहीं इस तरह का नहीं है.

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी--  इसमें जवाब नहीं आया. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के जवाब में आया है कि दबाव नहीं डाला जाता, ऐसी कोई बात नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय--  वही तो कह रहा हूँ.

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी--  जबकि इसके प्रमाण हैं दबाव डाला जाता है. जो गुप्ता जी हैं उन्होंने 23 जनवरी को एफआईआर भी दर्ज की है. आपके यहाँ चिट्ठी भी भेजी है कि मेरी जो सिक्योरिटी जमा है उसको वापस करके, मेरी डीलरशिप खत्म की जाए.

          डॉ अरविन्द सिंह भदौरिया--  माननीय अध्यक्ष महोदय, सतना जिले में ऐसी कोई शिकायत हमको प्राप्त नहीं हुई है. अगर आपके पास हो तो.....

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी--  मैं पूरे विन्ध्य की बात कर रहा हूँ माननीय मंत्री जी. गुढ़ थाने में एफआईआर दर्ज है कि डीलर एडमिट थे और उनके द्वारा, डीलर जो, यह कंपनी है उनके द्वारा उनके ऊपर दबाव बनाया गया, जिस कारण से एडमिट थे और पूरे सतना में भी विपणन केन्द्र में भी बहुत सारे प्रमाण हैं, पूरे फोटो सहित प्रमाण हैं कि उनको खाद के साथ साथ ये अन्य चीजें लेने  के लिए दबाव बनाया जाता है. मेरा अनुरोध यह है कि आप अभी बोलेंगे कि किसान हितैषी सरकार है. हमारे मुख्यमंत्री जी किसान के पुत्र हैं. लेकिन मेरा सिर्फ अनुरोध आप से इतना है कि किस प्रकार से हितैषी हैं आप? किसान को तो चारों तरफ से मार पड़ रही है.

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं, नहीं, नीलांशु जी,  ऐसा नहीं है.

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी--  अध्यक्ष जी, किसान को तो यूरिया के साथ वह जबर्दस्ती खरीदना पड़ता है. किसान को महंगा डीज़ल मिलता है. किसान को बिजली का जो 3 एचपी का कनेक्शन है, उसके 5 एचपी के हिसाब से उसको नोटिस दिया जा रहा है.

          अध्यक्ष महोदय--  उत्तर तो ले लो भाई. उसमें जो आपके पास प्रमाण हैं, एफआईआर की बात कर रहे हों, तमाम प्रमाण हैं, मंत्री जी को उपलब्ध कराओ कार्रवाई करेंगे, उसमें जाँच करा लेंगे.

          डॉ अरविन्द सिंह भदौरिया--  माननीय अध्यक्ष महोदय...(व्यवधान)..

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी--  अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि विन्ध्य में और मुझे लगता है पूरे प्रदेश के चंबल और ये इस तरह के जितने भी फर्टिलायजर हैं इन्होंने बहुत बड़ा एक रैकेट तैयार कर रखा है और इस रैकेट के माध्यम से ये किसानों को परेशान कर रहे हैं और किसान पूरी तरह से परेशान है. आपको इनके ऊपर कार्रवाई करनी चाहिए या तो इन फर्टिलायजर कंपनीज़ को प्रतिबंधित करना चाहिए कि आप इस तरह का यहाँ पर कोई भी बिज़नेस नहीं कर पाएँगे.

          डॉ अरविन्द सिंह भदौरिया--  अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो कहा ना कि मैं बार बार कहूँगा और एक हजार बार कहूँगा कि मध्यप्रदेश की जो माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान की सरकार है यह किसान हितैषी सरकार है, तथ्यों के आधार पर कहूँगा. (मेजों की थपथपाहट) 7 लाख हैक्टेयर में सिंचाई करते थे 45 लाख हैक्टेयर में सिंचाई करने का काम किया है. अब आपके विषय की मैं बात करता हूँ जो आपने बोला है, माननीय विधायक जी को मैं जो आप कह रहे हैं उससे आगे......

          श्री नीलांशु चतुर्वेदी--  अध्यक्ष महोदय, मैं तो सिर्फ आपको याद दिला रहा था कि...

          डॉ अरविन्द सिंह भदौरिया--   मैं भी आपको याद दिला रहा था...(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  उत्तर ले लीजिए.

श्री नीलांशु चतुर्वेदी--   आपके मुख्यमंत्री, हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री, किसान पुत्र हैं, किसान के हित की बात करते हैं. लेकिन किसानों का कर्जा माफ नहीं करते हैं. मैं तो सिर्फ आपको यह याद दिला रहा था, जो डीज़ल 60 रुपये का मिलता था वह 110 रुपये में किसान खरीद रहा है, मैं तो सिर्फ यह याद दिला रहा था...(व्यवधान)..यदि किसान के पुत्र हैं तो यह फर्टिलायजर कंपनी जो किसानों के साथ अवैध तरीके से लूट मचाकर रखी है. आप उनके ऊपर कार्रवाई करिए. मैं आपको धन्यवाद दूँगा.

डॉ अरविन्द सिंह भदौरिया--  अध्यक्ष महोदय, विधायक महोदय विषय पर कम बोल रहे हैं भाषण ज्यादा दे रहे हैं. मैं कहना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश में एक भी जगह, कहीं पर भी आप हमको लिखित में दीजिए आपने सतना का हमको एक बताया है एक विषय में जो प्वाईंटेड बताया इस ध्यानाकर्षण के माध्यम से. मैं एक तीन लोगों की कमेटी बनाता हूँ.

अध्यक्ष महोदय--  रीवा में गुढ़ का भी बताया है.

डॉ अरविन्द सिंह भदौरिया--  रीवा भी उसमें जोड़ देंगे और भी जगह का अगर देंगे, माननीय हमारे विधायक महोदय तो मैं तीन लोगों की एक जाँच कमेटी का, दल का, गठन करता हूँ जिसमें संयुक्त आयुक्त, सहकारिता, जबलपुर, संयुक्त संचालक, कृषि, जबलपुर और मण्डल प्रबंधक, विपणन संघ, जबलपुर, ऐसे तीनों लोगों की कमेटी बनाकर हंड्रेड परसेंट व्यवस्थित जाँच करा लेंगे और कोई भी दोषी होगा उसको छोड़ा नहीं जाएगा. यह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार है. आप निश्चिंत होकर रहिए.

श्री नीलांशु चतुर्वेदी--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि क्या वह जो जाँच कमेटी बनेगी, जब भी जाँच के अधिकारी आएँगे तो क्या सूचना रहेगी और उपस्थिति.....

अध्यक्ष महोदय--  कागज तो आप देंगे ना, जो प्रमाण आप कह रहे थे तो वह प्रमाण आप ही देंगे ना.

श्री नीलांशु चतुर्वेदी--  प्रमाण देंगे, लेकिन जाँच कमेटी कब आ रही है, एक्चुअली पूरा जो सिस्टम है वही शामिल है इसलिए जाँच कमेटियों से कुछ होना नहीं है. अगर सच में जाँच करानी है तो वहाँ के जो एमएलए हों, वहाँ के जो जनप्रतिनिधि हों, वहाँ के जो किसान नेता हों, उनको उस कमेटी में आप शामिल कराएँगे तो दूध का दूध और पानी का पानी होगा. धन्यवाद.

 

 

 

 

 

 

12.30 बजे

प्रतिवेदनों की प्रस्तुति

 

(1) आवेदन एवं अभ्यावेदन समिति का अभ्यावेदनों से संबंधित चौबीसवां प्रतिवेदन

 

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (सभापति)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आवेदन एवं अभ्यावेदन समिति का अभ्यावेदनों से संबंधित चौबीसवां प्रतिवेदन प्रस्‍तुत करता हूं.

            माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपका आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं, धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि आपने जिस मंशा के अनुरूप, जिम्‍मेदारियां विभिन्‍न समितियों को दे रखी हैं, इस समिति का आपने नाम ही परिवर्तित कर दिया, इस समिति का नाम पूर्व में याचिका समिति था, इस दिशा में हम आपके मार्गदर्शन में कार्य कर रहे हैं. मैं, विधान सभा के प्रमुख सचिव, हमारी समिति के सचिव, हमारी समिति के समस्‍त सदस्‍यों, समिति के अधिकारियों-कर्मचारियों का ह्दय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं.

 

(2) लोक लेखा समिति का चवालीसवां से अड़तालीसवां प्रतिवेदन

 

          श्री बाला बच्‍चन (सदस्‍य)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, लोक लेखा समिति का चवालीसवां से अड़तालीसवां प्रतिवेदन प्रस्‍तुत करता हूं.

 

 

(3) सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का चौंतीसवां से अड़तीसवां प्रतिवेदन

 

          श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन (सभापति)- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का चौंतीसवां से अड़तीसवां प्रतिवेदन सदन में प्रस्‍तुत करता हूं.

 

 

 

 

 

12.31 बजे

आवेदनों की प्रस्तुति

 

          अध्‍यक्ष महोदय-  आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी आवेदन प्रस्‍तुत किये गए माने जायेंगे.

 

12.32 बजे

वक्तव्य

 

दिनांक 11 अगस्त, 2021 को पूछे गये अतारांकित प्रश्न संख्या 90 (क्रमांक 728) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में सहकारिता मंत्री का वक्तव्य

 

          अध्‍यक्ष महोदय-  डॉ. अरविन्द सिंह भदौरिया, सहकारिता मंत्री, दिनांक 11 अगस्त, 2021 को पूछे गये अतारांकित प्रश्न संख्या 90 (क्रमांक 728) के उत्तर में संशोधन करने के संबंध में वक्तव्य देंगे.

          सहकारिता मंत्री (डॉ. अरविन्द सिंह भदौरिया)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दिनांक 11 अगस्त, 2021 को प्रश्‍नोत्‍तर सूची के पृष्‍ठ क्रमांक 144 में मुद्रित अतारांकित प्रश्न संख्या 90 (क्रमांक 728) के उत्तर में मैं, निम्‍नानुसार संशोधन करना चाहता हूं :-

 

 

 

 

 

 

12.33 बजे

शासकीय विधि विषयक कार्य

 

(1) मध्यप्रदेश नगरपालिक विधि (संशोधन) विधेयक, 2023 (क्रमांक 1 सन् 2023) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

(2) मध्यप्रदेश नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्ति (पट्टाधृति अधिकारों का प्रदान किया जाना)  संशोधन विधेयक, 2023 (क्रमांक 2 सन् 2023) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

(3) मध्यप्रदेश उद्योगों की स्थापना एवं परिचालन का सरलीकरण विधेयक, 2023 (क्रमांक 3 सन् 2023) का पुर:स्‍थापन

 

                                                                                                  

 


 

12.35 बजे

(4)   ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2023 (क्रमांक 4 सन् 2023) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

 

 

 

12.36 बजे

राज्‍यपाल के अभिभाषण पर श्री यशपाल सिंह सिसौदिया, सदस्‍य द्वारा दिनांक 27, फरवरी, 2023 को प्रस्‍तुत निम्‍नलिखित प्रस्‍ताव पर चर्चा का पुनर्ग्रहण..(क्रमश:)

          अध्‍यक्ष महोदय:- श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा, संक्ष्‍ोप में बोलेंगे.

          श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा (सिवनी-मालवा):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय महामहिम राज्‍यपाल जी के अभिभाषण पर चर्चा करना चाहता हूं. हमारे माननीय महामहिम राज्‍यपाल जी के अभिभाषण का समर्थन करता हूं और कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. महामहिम राज्‍यपाल जी का भाषण मध्‍यप्रदेश को आत्‍म निर्भर बनाने की ओर एक दिशा-दर्शन है और जैसा कि हमारे माननीय प्रधान मंत्री जी चाहते हैं कि आत्‍म निर्भर भारत. वह आत्म निर्भर भारत की ओर एक बढ़ता हुआ कदम है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, मध्‍यप्रदेश में विगत वर्षों में सभी क्षेत्रों में विकास हुआ है. चाहे कृषि का क्षेत्र हो, चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो, चाहे चिकित्‍सा का क्षेत्र हो और चाहे हितग्राही योजना में हमारे पात्र हितग्राहियों को लाभ पहुंचाने वाली बात हो, मध्‍य प्रदेश सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास की और बढ़ा है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यदि हम कृषि की ही बात करें तो कृषि के क्षेत्र में जो मध्‍य प्रदेश में विकास हुआ है वह किसी से छुपा नहीं है. हमारे मध्‍य प्रदेश में पहले जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी 2003 में तो मात्र 5 लाख हेक्‍टेयर जमीन में सिंचाई होती थी,लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद ही, हमारे मुख्‍य मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्‍व में कृषि के क्षेत्र में एक तेजी से विकास हुआ है. 5 लाख हेक्‍टेयर सिंचाई को बढ़ाकर उन्‍होंने 45 लाख हेक्‍टेयर तक पहुंचा दी.

          अध्‍यक्ष महोदय:- माननीय विधायक जी, प्रयास करें कि कई जो विधायक बोल चुके हैं, वह नहीं बोलना है. आप दूसरी बात बोलें, यह कई विधायक बोल चुके हैं. कृपय रिपीट नहीं करें तो ज्‍यादा बोल पायेंगे.

          श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा:-जी. कृषि के क्षेत्र में मध्‍य प्रदेश की सरकार के द्वारा, माननीय शिवराज सिंह जी के द्वारा एक हरित क्रांति ला दी है. आज मुझे यह कहते हुए बड़ा गर्व है कि सिंचाई के इतने साधन होने के कारण माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा विद्युत के उत्पादन में 6 हजार मेगावाट से बढ़ाकर 28 हजार मेगावाट विद्युत की सप्लाई की है. फीडर सप्रेशन का काम किया, अनुदान पर ट्रांसफार्मर लगाये गये, ऐसी सारी सुविधायें किसानों को देने के कारण ही मध्यप्रदेश में अनाज का उत्पादन बहुत तेजी से बढ़ा है. और तेजी से ही नहीं आज मुझे यह कहते हुए गर्व है कि माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में अनाज उत्पादन के क्षेत्र में देश का नंबर एक प्रदेश है. सबसे ज्यादा 3 लाख 53 हजार मीट्रिक टन गेहूं मध्यप्रदेश में होता है, जो कि पंजाब से भी ज्यादा सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश है. यही कारण है कि मध्यप्रदेश से देश में जो गेहूं का निर्यात होता है उसमें मध्यप्रदेश निर्यात के मामले में भी 46 प्रतिशत गेहूं अकेला मध्यप्रदेश निर्यात करता है. इस मामले में भी नंबर एक है. ऐसी हरितक्रांति के कारण ही मध्यप्रदेश कृषि विकास में बहुत तेजी से आगे बढ़ा है और कृषि विकास दर जो आज 19 प्रतिशत मध्यप्रदेश की है, यह देश के अन्य राज्यों से सबसे ज्यादा है. मध्यप्रदेश कृषि विकास दर के मामले में भी नंबर एक है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने तेजी से जो कृषि का विकास किया हरितक्रांति लाये, उत्पादन को बढ़ाया इसी कारण से उनको केन्द्र की सरकार के द्वारा, राष्ट्रपति जी के द्वारा एक नहीं, दो नहीं सात-सात बार कृषि कर्मण पुरूस्कार हमारे मुख्यमंत्री जी को मिला है. मैं तो यह कहूंगा कि ऐसी किसान हितैषी सरकार पहले कभी मध्यप्रदेश में कभी नहीं बनी. किसानों के लिये उन्होंने जो कुछ किया है आज तक कोई मुख्यमंत्री जी नहीं कर पाया है जब जब कभी हमारे किसानों पर प्राकृतिक प्रकोप हुआ उनकी फसल नष्ट हुई हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने उनके खातों में सीधे फसल का मुआवजे की राशि डाली, बीमा की राशि भी डाली गई. जब भी हमारे किसान भाईयों का अनाज कम दर पर बिका उन्होंने भावान्तर की राशि किसानों के खातों में डालने का काम किया. यही नहीं जरूरत पड़ने पर किसानों को बोनस भी दिया गया. मुझे कहना नहीं चाहिये लेकिन हमारे कांग्रेस के मित्र कभी कभी यह बात करते हैं तो यह जरूर पूछना पड़ता है कि वह बतायें कि आजादी के बाद से देश में, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भी रही कभी कांग्रेस के मुख्यमंत्री ने हमारे किसान भाईयों के खाते में कभी बीमा की राशि नहीं डाली, कभी फसल मुआवजे की राशि नहीं डाली, कभी भावान्तर का पैसा नहीं डाला गया. कभी नहीं जब कभी किसानों की फसल नष्ट होती थी और जब किसान मांग करते थे कि हमारी फसल नष्ट हुई है किसानों को मुआवजे की आवश्यकता है, उनको मुआवजा दिया जाये तो कांग्रेस के मुख्यमंत्री जी के द्वारा कहा जाता था कि आरबीसी के नियम में यह प्रावधान ही नहीं है मुआवजा हम तुमको कहां से देंगे. लेकिन अब में उन मित्रों से कहना चाहता हूं कि अब यह प्रावधान कहां से आ गया, आपने प्रावधान किए ही नहीं. हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने सारे आरबीसी के नियमों को बदले और किसानों के हित में मुआवजे को देने का काम किया.

          अध्‍यक्ष महोदय - विधायक जी, 10 मिनट हो गया, अब खत्‍म करो. सभी को बोलना है.

          श्री प्रेम शंकर कुंजीलाल वर्मा - अध्‍यक्ष महोदय, बस दो मिनट और, हमारी मध्‍यप्रदेश सरकार ने मुख्‍यमंत्री जी ने अनेको जनहितैषी योजनाएं लागू की हैं जिनसे उनका जीवन स्‍तर सुधरा है, उनकी आर्थिक दशा में सुधार हुआ है. अनेकों ऐसी योजनाएं हैं, लाड़ली लक्ष्‍मी योजना, मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना, संबल योजना, मुख्‍यमंत्री तीर्थदर्शन योजना और इससे भी बढ़कर अभी, उन्‍होंने एक नई योजना शुरू की है मध्‍यप्रदेश की बहनों के लिए जो गरीब हैं, असहाय हैं और उनकी भी आर्थिक दशा सुधरनी चाहिए, इसको ध्‍यान में रखकर उन्‍होंने लाड़ली बहना योजना लागू की है. ऐसी योजना जिससे हमारी बहनें भी आर्थिक रूप से मजबूत होंगी और उनके खाते में सीधे सीधे एक हजार रूपया हर महीने जाएगा और उनकी आर्थिक दशा में सुधार होगा.

          हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी मातृशक्ति के लिए, बहनों के लिए, महिलाओं के लिए जो कार्य कर रहे हैं, उनसे ऐसा लगता है कि महिला सशक्तिकरण के लिए जो काम हमारे मुख्‍यमंत्री जी कर रहे हैं, वह आज तक किसी ने नहीं किया. मैं बहुत सारी बातें नहीं करना चाहता. 50 प्रतिशत आरक्षण, लाड़ली लक्ष्‍मी योजना, मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना, मातृवंदना योजना, प्रसूति योजना ऐसी अनेकों योजनाओं से मुख्‍यमंत्री जी हमारे बहनों को सशक्‍त करना चाहते हैं. लाड़ली बहना योजना पर दो शब्‍द कहकर मैं आपनी बात समाप्‍त करुंगा.

 

12:48 बजे                {सभापति महोदय (श्री दिव्‍यराज सिंह) पीठासीन हुए}

          माननीय मुख्‍यमंत्री जी कहते हैं, लाडली बहना से.

          ''तेरे चेहरे पर न होंगे भाव उदास के.

          तेरे चेहरे पर न होंगे भाव उदास के.

          तेरे मन में न होंगे, विचार निराश के,

          तेरे बिना, कैसे पूरे होंगे सपने,

          हमारे मध्‍यप्रदेश के, स्‍वर्णिम विकास के, स्‍वर्णिम विकास के.''

          और ऐसी बहना के लिए लाड़ली लक्ष्‍मी योजना हमारे प्रदेश में माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने लाए हैं. इन्‍हीं शब्‍दों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं, धन्‍यवाद.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम(डिण्‍डोरी) - माननीय सभापति महोदय, आपको धन्‍यवाद. माननीय महामहिम राज्‍यपाल महोदय जी ने 27 फरवरी 2023 को जो अपनी बात सदन के अंदर रखी है, उसमें माननीय महामहिम राज्‍यपाल महोदय जी ने संवैधानिक मूल्‍यों के पद पर रहकर के सरकार के इशारे पर जो वक्‍तव्‍य दिए हैं, वह बिल्‍कुल निराशाजनक है. इसलिए निराशाजनक है, क्‍योंकि किसी भी देश के विकास का बुनियाद शिक्षा होती है और शिक्षा की नींव प्रारंभ होती है बाल्‍यवस्‍था में जब बच्‍चा केजी-1, केजी-2 क्‍लास में 1 में इस तरह से जब हम प्रारंभिक शिक्षा प्राप्‍त करते हैं तो हमारी नींव प्रांरभ होती है. प्रदेश के अंदर जो पोषण से संबंधित और बच्‍चों की शिक्षा से संबंधित जो आंगनवाड़ी व्‍यवस्‍था है. प्रदेश के अंदर आंगनवाड़ी भवनों में उपयुक्‍त भवन नहीं है, उपयुक्‍त पीने का पानी नहीं है, खेल के मैदान नहीं हैं और यहां तक जो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं वह निरंतर अपनी मांगों को लेकर के प्रदर्शन करते हैं, उसके विषय में महामहिम जी ने अपने भाषण पर कोई जानकारी नहीं दी. दूसरी तरफ प्राथमिक शाला के भवन पूरे प्रदेश के अंदर जर्जर हैं. शिक्षक वहां पर पर्याप्‍त नहीं हैं, अतिथि विद्वान लगातार अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, वहीं पर रसोइया अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं. प्राथमिक भवन शाला, माध्‍यमिक भवन शाला जर्जर हैं, साफ पानी के पीने की व्‍यवस्‍था नहीं है. हमारी नींव कैसे मजबूत होगी ? एक तरफ स्‍वर्णिम प्रदेश की बात माननीय मुख्‍यमंत्री जी की बातों पर, महामहिम जी अपनी पूरी सहमति देते हैं,

          सभापति महोदय, दूसरी तरफ सच्‍चाई यह है कि भोपाल मुख्‍यालय में माननीय मुख्‍यमंत्री जी या महामहिम राज्‍यपाल जी किसी भी प्रायमरी स्‍कूल में जाकर देखें कि क्‍या व्‍यवस्‍था है तो वहां पर कोई व्‍यवस्‍था नहीं है, इस पर कोई जिक्र नहीं किया गया है. वहीं हमारे जो हाई स्‍कूल हैं, हायर सकेण्‍डरी स्‍कूल हैं, उनके भवनों की व्‍यवस्‍था ठीक-ठाक नहीं है. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि मेरे यहां का उदाहरण है, हाई स्‍कूल सेनगुड़ा भवन विहीन है. माननीय मंत्री जी ने उसमें उत्‍तर दिया है कि वहां भवन है, सरकार की तरफ से कहा जा रहा है. वास्‍तव में वहां पर भवन नहीं है. ऐसे किसी विषय पर महामहिम जी का कोई जिक्र नहीं है. तीसरी तरफ, हम यह देखते हैं कि  जो हमारे नौजवान हैं, जो आने वाले देश के भविष्‍य हैं, प्रदेश के भविष्‍य हैं, उनके जो रोजगार से जुड़े हुए विषय हैं, अभी 3 लाख 14 हजार 25 करोड़ रुपये का जो भारी-भरकम राशि का बजट दिखाया गया है, जनजातीय, हमारे आदिवासी भाइयों के लिये मात्र 60 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. यह रिकॉर्ड में है. महामहिम जी ने इसमें कोई जिक्र नहीं किया है. 

        सभापति महोदय, पीने के पानी की व्‍यवस्‍था पर आज जल जीवन मिशन की बात की जा रही है. जल जीवन मिशन पर आज भी हमारे इधर कहीं पर उपयुक्‍त स्‍त्रोत नहीं मिल पा रहा है, पाईपलाइन बिछाकर टंकी बना दी जा रही है और पानी के स्‍त्रोत नहीं होने के कारण उपयुक्‍त जल नहीं दिया जा रहा है, उसका कहीं पर कोई जिक्र नहीं किया गया है, सच्‍चाई की बातें की गईं कि हम पेयजल उपलब्‍ध करवा रहे हैं, जहां स्‍त्रोत नहीं है, वहां पर आपने इस तरह से संरचना बनाकर, आज आपने सच्‍चाई को छिपाने का काम किया है.       सभापति महोदय, आज विद्युत व्‍यवस्‍था पर हमारे गांव में जहां पर डिमाण्‍ड 11 केव्‍ही की है, वहां पर 11 केव्‍ही ट्रांसफॉर्मर नहीं है, हमारी बिजली व्‍यवस्‍था सुदृढ़ नहीं है, कुछ लोग अगर बिजली का बिल जमा नहीं कर पाते हैं तो पूरे गांव की बिजली काट दी जाती है. लोग बहुत परेशान हैं. अगर चार ट्रांसफॉर्मर की आवश्‍यकता पड़ी, तो ऑन द स्‍पॉट एक ही ट्रांसफॉर्मर है, तो बहुत ज्‍यादा दिक्‍कत हो जाती है, परेशानी आ जाती है,  महामहिम जी ने इसका भी कोई जिक्र नहीं किया है. मैं तो ताज्‍जुब इस बात पर करता हूँ कि हमें उनसे बड़ी उम्‍मीद थी कि वह हमारे आदिवासी समाज से महामहिम हैं. वह हमारे दुख-दर्द के समझने की कोशिश करेंगे, हमारे दुख-दर्द पर खड़े होने की कोशिश करेंगे. हमारे बड़ी उम्‍मीद हमारे महामहिम जी पर थी, पर हमें दुख तब हुआ जब प्रदेश के करोड़ों आदिवासी 9 अगस्‍त के दिन एक साथ आदिवासी दिवस पर उत्‍सव मना रहे थे, तो वहीं विदिशा जिले के लटेरी के खट्यापुरा पर जंगल विभाग के द्वारा आदिवासियों के ऊपर निर्ममतापूर्वक गोली चलाई जाती है, मौके पर चैन सिंह वहीं शहीद हो जाते हैं और उसके साथ एक गाय माता भी शहीद हो गईं, 11 लोग घायल हो गए. ऐसी स्थिति पर महामहिम जी कोई संज्ञान नहीं लेते हैं और आदिवासियों के हित की बात सदन के अन्‍दर गुमराह करते हुए, अपना वक्‍तव्‍य देते हैं. हमें उम्‍मीद थी कि हमारे महामहिम जी इस दुख की घड़ी में आदिवासियों के साथ खड़े होंगे. आदिवासी दिवस के दिन ही आदिवासियों पर सरकार की गोली चली, सरकार का वक्‍तव्‍य आता है कि आदिवासी लोग लकड़ी की तस्‍करी कर रहे थे. मैं पूछना चाहता हूँ कि 18 वर्ष में शिवराज सिंह की यही उपलब्धि है कि आदिवासी मजबूर हैं और हमारा कहना है कि आदिवासियों का नारा है - जल, जंगल, जमीन हमारी है. अगर जंगल के अन्‍दर आतिदवासी थे तो वन विभाग की हिम्‍मत कैसे हुई ? हमारे आदिवासी दिवस के दिन ही गोली चलाकर आदिवासियों की हत्‍या करने का. उसमें महामहिम जी ने संज्ञान लेकर सरकार को कोई आवश्‍यक दिशा-निर्देश नहीं दिए, इसलिए आदिवासियों के विषय में जो महामहिम जी आज सदन के अन्‍दर कहते हैं कि प्रदेश की सरकार आदिवासियों की हितैषी है.  मैं पूछना चाहता हूं कि आदिवासियों के दिवस पर गोली चली, सरकार खामोश कैसे हैं?

श्री उमाकांत शर्मा-- कांग्रेस ने कितने राज्‍यपाल आदिवासी बनायें और कितने मुख्‍यमंत्री आदिवासी बनायें? इस पर भी बता दो.

श्री ओमकार सिंह मरकाम-- आप बैठ जाओ. सभापति महोदय,  आपको मैं  सदन के अंदर बताना चाहता हूं कि हमारे जो रोजगार से जुड़े हुए हैं, आज प्रदेश में नशाओं की हालत आप सब देख रहे हैं. हर जिले में मैं समझता हूं कि आप भी जब क्षेत्र के दौरे में जाते होंगे तो इस बात को देखते होंगे, जगह, जगह पर पाउच गुटखा तमाम तरह का नशा, मैं कहना चाहता हूं मेरे भाईयों राजनीतिक चश्‍में से इसको हम न देखें, यह आपके, हमारे भविष्‍य का मामला है, जिस तरह से हालात बन रहे हैं और जिस तरह से परिस्थितियां बन रहीं है और  आप तो बात करते हैं, आप 70 सालों की बात करते हैं. माननीय सभापति महोदय, सबको पता है कि वर्ष 1857 से देश की आजादी की लड़ाई प्रारंभ हुई, तमाम तरह की घटनाक्रम हुई, 90 साल के संघर्ष के बाद वर्ष 1947 में देश आजाद हुआ, देश की आजादी के बाद देश को चलाने की एक नई जिम्‍मेदारी के साथ देश के प्रथम राष्‍ट्रपति और देश के प्रथम प्रधानमंत्री जी के कंधों में भार था, उसको चलाने के लिये उनको जिम्‍मेदारी मिली, दो वर्ष ग्‍यारह माह अठारह दिन में डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर जी के नेतृत्‍व में देश का संविधान बनता है, देश के संविधान के बाद वर्ष 1952 में पहला चुनाव होता है, पहला चुनाव होने के बाद सभी लोगों को व्‍यापक अधिकार दिया गया, उस समय 21 साल के व्‍यस्‍क को मतदान का अधिकार दिया गया, उसके तहत आप हम निर्वाचित होकर आ रहे हैं, उस महत्‍वपूर्ण देश के सर्वोच्‍च हमारे संविधान के तहत आज हम आगे बढ़ रहे हैं. अब बात होती है कि आपने कुछ नहीं किया, हमने यह किया. मेरा यह कहना है जो आम का पौधा लगायेगा तो आम का पौधा तुरंत फल नहीं देता है, चार दिन, दस दिन में फल नहीं देता है. जब वह फल लगा तो तब पता चला लगाने वाले किन्‍हीं कारणों से दूर हो गये और जो नहीं लगाने वाले हैं, वह बैठकर उस फल को खा रहे हैं और कहते हैं देखें उसके समय में फल नहीं लग रहा था, मेरे समय में फल लगा. अरे वह लगाता नहीं तो आप कहां से पाते

श्री हरिसिंह सप्रे -- अरे भईया 62 साल में पेड़ नहीं हुआ, 62 साल केंद्र में आपने राज किया है. 42 साल मध्‍यप्रदेश में राज किया है. पेड़ फल देने लायक नहीं हुआ.

श्री ओमकार सिंह मरकाम -- सभापति महोदय, 62 सालों की जो उपलब्धि है, हमारी सरकार की जो उपलब्धि है, उसको आगे बढ़ाने की जिम्‍मेदारी जनता ने आपको दिया है, पर आप बता दीजिये विधायक जी, दिल से हाथ करके आप सदन में बोल रहे हैं. आप बता दीजिये कि क्‍या सभी सरकारी प्राथमिक शाला आपके क्षेत्र में ठीक है. मैं आपको धन्‍यवाद करूंगा, आप जितने हमारे सदस्‍य हैं, माननीय मंत्री जी हैं, हमारे माननीय खाद्यमंत्री जी हैं, आप बता दें कि आपके यहां सभी प्राथमिक शाला क्‍या उपयुक्‍त हैं, सभापति महोदय, इस दर्द से आपके यहां आप और हम सब पीडि़त हैं.

श्री हरिशंकर खटीक -- क्‍यों पेसा एक्‍ट आया वह ठीक आया कि नहीं आया, इसका जवाब आप लोग दीजिये?

श्री ओमकार सिंह मरकाम -- खटीक साहब अगर आपके यहां उपयुक्‍त है, तो आप बता दीजिये, हम आपका सम्‍मान करेंगे, दिल से बात करना पड़ेगा.

सभापति महोदय -- ओमकार जी, दो मिनिट और बोल लीजिये.

श्री ओमकार सिंह मरकाम -- सभापति महोदय, आज मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि हम लोग जरूर भाई, राजनीति में आप और हम अपनी-अपनी बात करते हैं, पर ईमानदारी को स्‍वीकार करें,अन्‍यथा भविष्‍य किधर जायेगा? आज जो मैं शिक्षा की बात कर रहा हूं, बिना शिक्षा की बुनियाद के प्रदेश के विकास की कल्‍पना करना, आज हम कहेंगे, अभी बात आयेगी सी.एम. राईज हमने दिया, उससे पहले उत्‍कृष्‍ट विद्यालय दिये, यह तमाम तरह के एक-एक योजनाओं का बड़े-बड़े अंतराल के बाद एक ब्रांडिंग किया जाता है. मेरा कहना है जितने प्राथमिक शाला हैं, वह सरकार के हैं, तो सबमें हमारी जिम्‍मेदारी है. एक एक बच्‍चे को पढ़ाने की जिम्‍मेदारी हमारी होनी चाहिए. हम एक-एक स्‍पेस जाकर के मॉडल देकर करके बाकी बच्‍चों के साथ क्‍या करना चाहते हैं, यह हमारे लिये अत्‍यंत चिंताजनक विषय है और माननीय सभापति महोदय जी, मैं तो आपके चेहरे से भी मुझे लग रहा है कि आप भी मेरी बातों से सहमत हैं, परिस्थितियां यह है कि आप नहीं कह पाते, हम नहीं कह पाते, पर खुलकर आना पड़ेगा, आज हमारे इस विषय पर हमारा अनुरोध है.

सभापति महोदय -- मैं अपना स्‍पष्‍टीकरण करना चाहता हूं, मैं खुश इसलिये हूं क्‍योंकि मेरा कहीं न कहीं राजनीतिक जीवन में आपकी और मेरी शुरूआत साथ में हुई थी और आपको सुनकर मुझे बहुत अच्‍छा लग रहा है, आप बहुत अच्‍छा बोल रहे हैं, निश्चित रूप से आपका वक्‍तव्‍य आज बहुत अच्‍छा है.

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय सभापति जी, सभापति तालिका घोषित होने के बाद आज आप आसंदी पर विराजित हैं, आपको बहुत-बहुत बधाई, शुभकामनाएं.

सभापति महोदय -- धन्‍यवाद, मुझे बहुत अच्‍छा लगा क्‍योंकि हम दोनों ने साथ में राजनीति शुरू की थी और आज मैं पहली बार यहां पर बैठा हूं और आपको भी पहली बार यहां पर बैठकर सुनने का मौका मिला है, इसलिये मैं अपनी खुशी जाहिर कर रहा हूं.

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- इसलिये मैं आपको बधाई भी दे रहा हूं और शुभकामनाएं भी दे रहा हूं.

                                                       

             श्री उमाकांत शर्मा--  माननीय सभापति महोदय, आप खुश हैं इसके लिये बहुत-बहुत धन्‍यवाद, लेकिन विधायक जी आपको अपने साथ जोड़ना चाह रहे हैं यह गलत बात है.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम--  पंडित जी, आप चिंता मत करो आप हमारी तरफ आने वाले हो, हम आपका स्‍वागत करेंगे और माननीय हमारे बड़े भाई को हम तो उम्‍मीद कर रहे थे कि आपको अच्‍छा मंत्रालय मिलेगा पर आपको मिला नहीं और आप खामोश हैं....

          श्री हरीशंकर खटीक--  आप दिन में सपने देख रहे हैं या रात में.

          सभापति महोदय--  आप बहुत अच्‍छा बोल रहे हैं लेकिन अपना कान्‍क्‍लूजन कर लें.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम--  माननीय सभापति महोदय, मैं अनुरोध करना चाहूंगा कि महामहिम जी निष्‍पक्षता की प्रतिमूर्ति होते हैं. हम उनके सानिध्‍य में विकास की तमाम तरह की, अगर सरकार कहीं पर कमी करती है तो महामहिम जी के पास हम अनुरोध करते हैं, पर महामहिम जी के द्वारा जिस तरह से सरकार के पक्ष में बात रखकर के, हमें उम्‍मीद थी पक्ष में बात रखिये पर कुछ आपका भी कर्तव्‍य है, आपकी भी जिम्‍मेदारियां हैं. हम चाहते हैं हमारी स्‍वास्‍थ व्‍यवस्‍था बेहतर हो, शिक्षा व्‍यवस्‍था बेहतर हो, रोजगार हमारे ठीक हों, पलायन करने के लिये मजदूर बाहर न जायें, हमारे नौजवानों का भविष्‍य बेहतर हो, सामाजिक समरसता के साथ हमारे लोगों को बेहतर जीवन जीने का अवसर मिले, इन उम्‍मीदों के साथ हम अनुरोध कर रहे थे पर महामहिम जी का इतना, फिर भी हम कहना चाहेंगे, महामहिम जी से हम अनुरोध करेंगे कि आप उपयुक्‍त विषयों में जरूर आप संज्ञान लेने के लिये कृपा करेंगे. महामहिम जी हमारे डिण्‍डोरी जिले में गये और जिस विशेष पिछड़ी जनजाति के बैगा भाई के घर में गये, उनकी धर्मपत्‍नी बड़ी उत्‍साहित थीं कि हमारे महामहिम जी हमारे घर में आये. माननीय सभापति महोदय जी, दुर्भाग्‍य के साथ बताना पड़ता है कि ...

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय सभापति जी आपकी दोस्‍ती जगजाहिर हो गई है, इनको बिठाने की कृपा भी करेंगे.

          श्री रामपाल सिंह--  सभापति महोदय, ओमकार जी की गाड़ी स्‍पीड में चल रही है, थोड़ा ब्रेक करें एक्‍सीडेंट हो जाता है, थोड़ा ब्रेक मारते रहे ओमकार जी को.

          सभापति महोदय--  कृपया समाप्‍त करें.

          श्री ओमकार सिंह मरकाम--  सभापति महोदय जी, महामहिम जी जिसके घर गये थे उसकी धर्मपत्‍नी का आकस्मिक निधन हो गया, उस समय हमने राजभवन में अपनी तरफ से सूचना भेजी कि इस तरह से घटना घटित हो गई है, उस दुखित परिवार में मदद नहीं पहुंच पाने से एक बहुत बड़ा विश्‍वास टूटता है कि हमारे घर में अगर महामहिम जी आये थे इस दुख की घड़ी में अगर एक शोक संदेश के साथ चूंकि वह हमारे विशेष पिछड़ी जनजाति के लोग थे ऐसे में हम महामहिम जी से अनुरोध करते हैं कि अगर जहां आप जाते हैं, जहां आपका परिवार से रिश्‍ता होता है अगर उसे आप निभायेंगे तो अच्‍छा होगा और सरकार की जितनी उपलब्धि महामहिम जी ने कहीं हैं वह सब निराशाजनक हैं उससे प्रदेश का हित नहीं हो पा रहा है. सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, हमारे साथी मित्रता का आरोप भी लगा रहे हैं तो मित्रता तो हमारी कायम रहेगी. सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)--  माननीय सभापति महोदय, मैं महामहिम राज्‍यपाल जी की कृतज्ञता पर अपनी बात रखना चाहता हूं. महामहिम राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण की कंडिका क्रमांक-7 में माननीय सभापति महोदय वर्ष 2003 में मध्‍यप्रदेश में 7 लाख 68 हजार हेक्‍टेयर पर सिंचाई होती थी. महामहिम राज्‍यपाल महोदय की कंडिका क्रमांक-7 में जो लिखा गया है, अब मध्‍यप्रदेश में 45 लाख हेक्‍टेयर पर सिंचाई हो रही है. माननीय सभापति महोदय, बुंदेलखंड बूंद-बूंद पानी के लिये तरसता था, केन वेतवा राष्‍ट्रीय लिंक परियोजना के कारण उस क्षेत्र में 8 लाख 11 हजार हेक्‍टेयर पर सिंचाई होगी और 10 जिले छतरपुर, पन्‍ना, दमोह, सागर, दतिया, शिवपुरी आदि मध्‍यप्रदेश के 10 जिलों में सिंचाई होगी और उत्‍तर प्रदेश के 4 जिले बांदा, ललितपुर आदि 4 जिले सिंचाई से भरपूर होंगे. माननीय सभापति महोदय, इस केन वेतवा लिंक परियोजना की लागत 44 हजार 600 करोड़ रूपये है और लगभग एक बहुत बड़ा क्षेत्रफल बुंदेलखण्ड का जो पानी के लिये तरसता था वह दूर हो जायेगा. नर्मदा न्यायाधिकरण द्वारा 18.25 एम.एफ. पानी मध्यप्रदेश के लिये दिया गया है यदि वह संपूर्ण पानी हम उपयोग कर लेंगे तो 28 लाख हेक्टेयर में और सिंचाई मध्यप्रदेश में बढ़ जायेगी. केन बेतवा लिंक परियोजना से 103 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जायेगा और 27 मेगावाट सोलर ऊर्जा भी इससे पैदा की जायेगी केन बेतवा लिंक परियोजना से बुंदेलखण्ड की जो पानी की समस्या थी वह दूर हो जायेगी और लाखों परिवारों को पीने का पानी भी इस परियोजना के तहत उपलब्ध कराया जायेगा. जब मैं 2003 में पहली बार इस सदन में विधायक बनकर आया था उस समय  मध्यप्रदेश में जो बिजली का उत्पादन था वह 5153 मेगावाट था और आज मध्यप्रदेश में 28 हजार मेगावाट से अधिक का उत्पादन बिजली का हो रहा है. 24 घंटे हम घरेलू बिजली दे रहे हैं और 10 घंटे पंप और सिंचाई के लिये बिजली दी जा रही है. एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना 25 जून,2015 को माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा घोषणा की गई थी प्रधानमंत्री ग्रामीण और शहरी आवास योजना. इसके तहत मध्यप्रदेश में 47 लाख 55 हजार मकान अभी तक स्वीकृत किये जा चुके हैं और शहरी और ग्रामीण मिलाकर अभी तक 39 लाख मकान बनाकर तैयार किये जा चुके हैं. जिनकी स्वीकृति प्रगति पर है. 15 अगस्त,2019 को  माननीय प्रधानमंत्री जी ने बहुत ही अच्छी घोषणा की. जल जीवन मिशन, यह बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है. 50 प्रतिशत राशि जल जीवन मिशन के अंतर्गत केन्द्र की होती है और  50 प्रतिशत राशि हमारे राज्य सरकार की होती है. यह योजना के तहत 2024 तक हिन्दुस्तान के प्रत्येक परिवार को शुद्ध पीने का जल देने की इस योजना में बाध्यता है. मुझे  प्रसन्नता है कि हमारे मध्यप्रदेश में 58800 करोड़ की भिन्न भिन्न योजनाएं तैयार की गई हैं. इन योजनाओं से 56 लाख 70 हजार परिवारों को अभी तक  पीने का शुद्ध जल उपलब्ध कराया जा चुका है. पीएचई के अंतर्गत हमारा जल निगम जो बनाया गया है. समूह के तहत  वह योजना बनाता है. हम जानते हैं कि बोर पर आधारित योजना जब बोरिंग में पानी समाप्त हो जाता है तो उस गांव की योजना भी बंद हो जाती है. समूह से जल जीवन निगम के द्वारा जो योजना बनाई जा रही है. समूह के आधार पर वह योजना हमेशा सफल रहती है. उसके तहत् मध्यप्रदेश में अभी 23 योजनाएं मंजूर की गई हैं. उसमें से 338 करोड़ की योजनाएं मेरे महिदपुर विधान सभा क्षेत्र में भी स्वीकृत की गई हैं जिनका काम प्रगति पर है. बहुत ही महत्वपूर्ण काम इसके तहत हुआ है. सार्वजनिक वितरण प्रणाली, गरीबों को गेहूं चावल मिले इसके लिये 5 करोड़ 18 लाख पात्र हितग्राहियों को पूरे मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री जी के द्वारा बहुत ही महत्वपूर्ण योजना कोरोना काल में केन्द्र के द्वारा,प्रदेश के द्वारा भी प्रत्येक परिवार को खाद्यान्न उपलब्ध करवाया गया है.लाड़ली बहना योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना की तर्ज पर  5 मार्च को माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा लागू की गई है.इस योजना की मध्यप्रदेश में बड़ी चर्चा है और गरीब बहनाएं इस योजना को लेकर बहुत उत्साहित हैं. अभी जो बजट माननीय देवड़ा जी ने सदन में रखा है उसमें लाड़ली बहना योजना के अंतर्गत 8 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है. मुझे एक बात बताने में अत्यंत प्रसन्नता है कि किसान होने के नाते भू-राजस्व संहिता 6(4) के अंतर्गत भू राजस्व  संहिता  की धारा 6(4)  के अंतर्गत  पहले जो है लोगों की  ओला पड़ने से,  अतिवृष्टि से,  अल्प  वर्षा से  और  शीत लहर से  जब फसलें खराब हो जाती थीं,  तो  क्षति की राशि बहुत ही कम दी जाती थी.  हमारी सरकार बनी और   उस समय तत्कालीन  राजस्व मंत्री,  श्री कमल पटेल जी के द्वारा  भू राजस्व   संहिता की धारा 6(4) में  आमूल-चूल परिवर्तन  किया गया.  उसके कारण  आज मध्यप्रदेश में  किसानों को जो है वर्ष 2003 में कोई जन हानि हो जाती थी,  आकाशीय बिजली गिरने से, पानी में डूबने से सर्प काटने से  किसी  व्यक्ति  की मृत्यु हो जाती थी,  तो पहले मात्र जो  50 हजार रुपये का प्रावधान था.  हमारी सरकार ने  उसमें  4 लाख रुपये  का प्रावधान किया है,  इसमें परिवर्तन  करके किया है.  पहले जब पशु हानि हो जाती थी,  तो  4125  रुपये मात्र  उस हितग्राही को  दिये जाते थे.  आज  16 हजार से 30 हजार  के बीच में  किसी की भी पशु हानि  हो जाती है,  तो यह राशि उस हितग्राही को  दी जाती है. यह भू राजस्व संहिता की धारा 6(4) के अंतर्गत  बड़ा आमूल-चूल परिवर्तन  किया गया है.  किसी गरीब का मकान  अतिवृष्टि होने से  या आंधी तूफान से  यदि  गिर जाता था,  तो वर्ष 2003 में  2 हजार   से 12 हजार रुपये  देने का ही प्रावधान  था.  हमारी सरकार ने  इसमें परिवर्तन करके  3 हजार से  लगाकर 1 लाख  1 हजार  900 रुपये तक  देने का प्रावधान  भू राजस्व संहिता की धारा 6(4)  के अंतर्गत किया है.  पहले एक हेक्टेयर में सरसों, गेहूं, चने की कोई फसल खराब हो जाती थी,  तो मात्र जो है,  1 हजार से  2 हजार देने का प्रावधान था.  भू राजस्व की धारा 6 (4)  में परिवर्तन करके  अब एक हेक्टेयर में  5 हजार से लेकर  30 हजार  पर हेक्टेयर  देने का प्रावधान  भाजपा की सरकार ने  किया है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण  भू राजस्व संहिता  में परिवर्तन किये हैं,  इससे किसानों को   बहुत लाभ मिलेगा.

          सभापति महोदय--  बहादुर सिंह जी, अब conclude  कर लीजिये.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--   सभापति महोदय, जी हां.  एक महत्वपूर्ण  योजना की राशि कम हो सकती है, लेकिन  उसका महत्व..

          श्री आशीष गोविन्द शर्मा--  बहादुर सिंह जी, महाकाल लोक  का उल्लेख आपने नहीं किया.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--    हां, महाकाल लोक  का  प्रथम चरण का लोकार्पण  हो गया है और द्वितीय चरण  का  1768 करोड़ की लागत से  उसका भी कार्य प्रगति पर है  और 2023 तक  वह भी पूर्ण करके  उसका भी उद्घाटन कर लिया जायेगा.  आप सब भूतभावन  महाकाल  की  नगरी उज्जैनी में  शिवराज सिंह  चौहान जी  की सरकार ने  बहुत ही सराहनीय काम किया  है और आपको पता ही होगा कि महाशिवरात्रि के दिन  18 लाख 82  हजार  दीप प्रज्जवलित करने का विश्व रिकार्ड  जो है,  वहां भूतभावन महाकाल  की  नगरी उज्जैनी में  बना है. इसका श्रेय भी  माननीय मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह चौहान जी और उनकी सरकार को  जाता है.

          श्री उमाकांत शर्मा -- सभापति महोदय,  कांग्रेस कुछ अस्वस्थ  सी लग रही है और उनकी अनुपस्थिति भी बहुत है. कोई विशेष चिंता का विषय है, कृपया दिखवायें.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--   सभापति महोदय, एक योजना का और बताकर  मैं  अपनी बात समाप्त कर लूंगा.  जैसा कि  आप जानते हैं कि  प्रधानमंत्री किसान   सम्मान निधि, यह राशि  वर्ष भर में  3 किश्तों में  6 हजार रुपये मिलती है और इसी तर्ज पर  मुख्यमंत्री  किसान  कल्याण योजना  के अंतर्गत वर्ष भर में  4 हजार रुपये  मिलते हैं.  इस प्रकार दोनों योजनाओं को मिलाकर  10 हजार रुपये होते हैं.  यह 10 हजार रुपये  छोटी राशि  जरुर हो सकती है, लेकिन  मध्यप्रदेश के  लघु  और सीमांत कृषक   लगभग 82 प्रतिशत  हैं छोटे किसान, उनके लिये  10 हजार रुपये  बड़े महत्वपूर्ण हैं.  इन 10 हजार रुपये से उन्नत किस्म का वह बीज लाते हैं,  उन्नत किस्म का फर्टीलाइजर, दवाई लाकर  बहुत अच्छी खेती  कर सकते हैं.  एक बीघा वाले, दो बीघा वाले  लोगों के लिये इन योजनाओं का लाभ  बहुत ही महत्वपूर्ण होता है.  हिन्दुस्तान का एकमात्र राज्य  सिर्फ मध्यप्रदेश है, जहां पर मुख्यमंत्री  किसान कल्याण योजना लागू करके  4 हजार रुपये  यहां पर दिये जाते हैं.  मैं विधान सभा की कृषि विकास समिति का चेयरमेन  होने के नाते  53 हजार  खाते ऐसे थे,  जिनको यह राशि नहीं दी जाती थी, उन खातों को सही करके  उन  लोगों  को भी यह राशि  पहुंचाने का हमने  प्रयास किया है.  बिजली के क्षेत्र में, कृषि के क्षेत्र में  2003 में  प्रति आय   13 हजार रुपये थी. आज  2003 से  2023  के 20 साल में  1 लाख 40 हजार   प्रति व्यक्ति की आय  हो गई है. सभापति महोदय, पहले जो कृषि की विकास दर -4.01 थी, आज वह 18.74 प्रतिशत हो गई है. एक बार नहीं, लगातार कृषि कर्मण अवार्ड भारतीय जनता पार्टी की सरकार को मध्यप्रदेश को मिल रहा है. हर क्षेत्र में यह कार्य जो सरकार ने किये हैं, विशेषकर कृषि के क्षेत्र में बहुत ही अच्छा कार्य हमारी सरकार ने किया है और मध्यप्रदेश में वर्ष 2025 तक 65 लाख हैक्टेयर में सिंचाई हो जाएगी.

          सभापति महोदय, अभी ट्रांसफार्मर की बातें हो रही थीं. आज पूरे मध्यप्रदेश में चाहे ट्रांसफार्मर 25 केवी का हो, 63 केवी का हो, 100 केवी, 200 केवी का हो, मेरा आग्रह है कि ट्रांसफार्मर के क्षेत्र में जितने भी ओवरलोड थे, हमारी सरकार ने अंडरलोड किया है. 11 केवी, 33 केवी, 132 केवी के स्टेशन पूरे मध्यप्रदेश में हर स्थान पर बनाये गये हैं. 33/11 केवी के नये ग्रिड बनाये गये हैं. 11 केवी की हजारों किलोमीटर की लाइनें डाली जा रही है. 24 घंटे बिजली दिये जाने की घोषणा माननीय मुख्यमंत्री जी ने की थी तो विपक्ष ने कहा था कि यह असंभव है, 24 घंटे बिजली मिलना असंभव है. परन्तु सभापति महोदय, आज पूरे मध्यप्रदेश में 24 घंटे अलग फीडर डालकर बिजली मिल रही है. यह असंभव काम था, जो संभव हुआ है. हमारे पड़ोस में राजस्थान लगा हुआ है. वहां बिजली की दरों में बहुत अंतर है. एक कनेक्शन लेना भी बहुत कठिन है. लेकिन यहां मध्यप्रदेश में बहुत ही सरलता के साथ हमको 3 एचपी, 5 एचपी का ट्रांसफार्मर लगवाना हो, वह आराम से उपलब्ध हो जाता है.

          सभापति महोदय, मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि बिजली के क्षेत्र में और सिंचाई के क्षेत्र में इन 2 क्षेत्रों में हमारी सरकार ने बहुत ही महत्वपूर्ण काम किये, इसी कारण से विकास की दृष्टि से, आगे एक बात कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि जी-20 की अध्यक्षता करने का सौभाग्य आज हिन्दुस्तान को मिला है और 8 बैठकें जी-20 की होना है. 8 बैठकों में से 3 बैठकें हुई हैं. भोपाल, इंदौर और छतरपुर तीनों स्थानों पर जो बैठकें हुई, वह मध्यप्रदेश में हुई है. इन बैठकों से पूरी दुनिया में मध्यप्रदेश की उज्ज्वल छवि बनी है. सभापति महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, बहुत बहुत धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)..

श्री नारायण सिंह पट्टा (बिछिया) - सभापति महोदय, महामहिम राज्यपाल महोदय का यह अभिभाषण और यह अंतिम बजट में पढ़ा हुआ.

श्री उमाकांत शर्मा - यह मध्यप्रदेश का अंतिम बजट अभिभाषण नहीं है, किसी भी कीमत पर नहीं है.

श्री नारायण सिंह पट्टा- सभापति महोदय, यह 5 साल पूरे होने जा रहे कार्यकाल का, पन्द्रहवीं विधान सभा का अंतिम बजट सत्र है और यह अभिभाषण में जो महिमामंडित किया गया है. सभापति महोदय, मैं एक सुझाव के तौर पर कहना चाहता हूं, जिस तरह से हमारे सत्तापक्ष के साथियों के द्वारा सरकार का गुणगान राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में कराया गया है. मैं कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की निर्माण की प्रतिबद्धता में जिस तरह से गुणगान किया गया है. अनेक ऐसे विषय हैं जिसे सरकार के द्वारा पूरा करने में अक्षमता जाहिर की गई है. जनता के सामने जो अभी सरकार की विकास यात्रा थी, इसकी वास्तविक स्थिति खुलकर सामने आई है, वह किसी से छिपा हुआ नहीं है.

          माननीय सभापति महोदय, बहुत ही जोर-शोर से अमृत महोत्‍सव और अमृतकाल की बात की गई. यह कौन सा ऐसा अमृतकाल है, जहां देश और प्रदेश में लगातार महंगाई, भ्रष्‍टाचार बढ़ रहा है. इस सदन के माध्‍यम से मैं कहना चाहता हूँ कि जिस दिन हमारे मध्‍यप्रदेश सरकार के द्वारा बजट पेश किया जा रहा था, उसी दिन 50 रुपये गैस सिलैण्‍डर के रेट बढ़ा दिए गए और सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. यह अमृतकाल है कि वसूली काल है.

          श्री उमाकांत शर्मा -- सभापति महोदय, यह आजादी का अमृतकाल है और मैं कांग्रेस के लिए विकराल देख रहा हूँ. अंत में चार की आवश्‍यकता पड़ती है और लगता है कि अगली बार चार ही बचेंगे.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- पंडित जी, यह तो हमारे, आपके, सबके ऊपर लागू होता है. यहां जितने भी लोग है, सबको आवश्‍यकता पड़ेगी. आप हम चिंता न करें. महाभारत का इतिहास याद होगा आपको, विनय सक्‍सेना जी कह रहे हैं कि पांच पाण्‍डवों का इतिहास अगर आप पढ़ लें तो आपको यह याद आ जाएगा कि पांच लोग ही बहुत काफी हैं.

          सभापति महोदय, अधोसरंचना विकास की बात की गई है. बहुत सी परियोजनाओं का जिक्र किया गया है, जिसमें 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि की बात की गई है. मैं इस सदन को अवगत कराना हूँ, मुझे लगता है कि ये देश का पहला ऐसा एनएच-30 होगा, जो जबलपुर से मण्‍डला और मण्‍डला से छत्‍तीसगढ़ को जोड़ने का काम करता है. मैं बताना चाहता हूँ कि केन्‍द्रीय मंत्री आदरणीय नितिन गडकरी जी जब मण्‍डला आते हैं, हम सब लोगों ने, यहां तक कि मैंने भी आदरणीय गडकरी साहब को पत्र लिखा, अनेक  सामाजिक संगठन के लोगों ने और पत्रकार साथियों ने भी आग्रह किया था कि ये मण्‍डला का सौभाग्‍य है, आप एक काबिल मंत्री हैं, मण्‍डला आपका आगमन हो रहा है, क्‍यों न आप सड़क मार्ग से आइये और उन्‍होंने इस बात को गंभीरता से लिया और हमारे मध्‍यप्रदेश के लोक निर्माण मंत्री आदरणीय भार्गव साहब को उन्‍होंने सड़क मार्ग से भेजा. जैसे ही उनको उस सड़क की दुर्दशा के बारे में पता चला, आदरणीय सभापति महोदय, सबसे पहले अपनी बात कहने से पहले, उन्‍होंने मंच से मण्‍डला की जनता से माफी मांगी, मैं आज इस सदन के माध्‍यम से कहना चाहता हूँ कि आज उस सड़क की दशा इतनी खराब है, इतनी दयनीय स्‍थिति है जिसकी यहां पर किसी तरह की चर्चा नहीं, किसी तरह का कोई उल्‍लेख नहीं, रोड पूरी बन नहीं पाई और आमजन से टैक्‍स वसूला जा रहा है. जिसका महामहिम के अभिभाषण में कोई उल्‍लेख न हो, सरकार की कोई प्रतिक्रिया न हो. यह हम सबके लिए बड़ा चिंता का विषय है.

          आदरणीय सभापति महोदय, यहां पर ऐसी अनेक परियोजनाओं का जिक्र किया गया है. मैं निवेदन करना चाहता हूँ, जल संसाधन मंत्री आदरणीय सिलावट जी हैं, हमेशा उनकी कृपा दृष्‍टि रहती है, वर्ष 2012-13 में मेरे विधान सभा क्षेत्र में हालोन परियोजना स्‍वीकृत हुई. आज भी वह अपूर्ण है. 14 हजार हैक्‍टेयर से ज्‍यादा जमीन की सिंचाई होनी थी. मैन जो कैनाल है, वह आज भी अस्‍त-व्‍यस्‍त है. किसानों के खेतों में रॉ-मटेरियल रख दिया गया है. किसान खेती नहीं कर पा रहे हैं. अनेक बार मेरे द्वारा सदन में भी और विभाग को पत्र लिखकर गुजारिश की गई लेकिन आज भी पूरा नहीं हो सका है. किसानों से जुड़े हुए इस तरह के अनेक ऐसे विषय हैं, जिनका उल्‍लेख अभिभाषण में होना चाहिए था.

          आदरणीय सभापति महोदय, अभी भी मण्‍डला जिला एक आदिवासी जिला है. वहां पर सिंचाई सुविधा हेतु परियोजनाओं की आवश्‍यकता है. अपर बुढ़नेर परियोजना स्‍वीकृत हुई है, जिसका टेण्‍डर भी हो चुका है. सभापति महोदय, मैं मंत्री महोदय जी का ध्‍यान आकर्षित कराना चाहता हूँ कि जिस तरह से हालोन परियोजना समय-सीमा से ज्‍यादा लेट हो चुकी है, इसी तरह से अपर बुढ़नेर परियोजना में विलंब न हो. इसका जल्‍दी से जल्‍दी सर्वे कराकर, क्‍योंकि सिंचाई का कोई भी साधन नहीं है, वहां का किसान सिर्फ प्रकृति के ऊपर आश्रित है. महामहिम राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण में इन परियोजनाओं का उल्‍लेख होना चाहिए था लेकिन नहीं किया गया है. जल-जीवन मिशन की बात बड़ी जोर-शोर से की गई है. वास्‍तव में धरातल पर अगर हम और आप देखते हैं तो कहीं न कहीं हमारी और आपकी पीड़ा एक ही है. हम उन क्षेत्रों से आते हैं. यहां प्रभारी मंत्री महोदय भी बैठे हैं. अनेक बार हम लोगों ने इस बात का जिक्र किया. आपने समीक्षा भी की लेकिन जल-जीवन मिशन की क्‍या स्‍थिति है, यह किसी से छुपी हुई नहीं है. आज भी हालात यह हैं कि मंडला जिले का एक भी ऐसा कोई गांव नहीं है, जहां पर जल-जीवन मिशन पूर्ण हो गया हो और हर घर को नल-जल देने की बात की जा रही है, वह कम्‍प्‍लीट हो. इस बात के लिए भी हम सबको एक चिंता के साथ इस ओर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है.

          सभापति महोदय, हमारे अभी बहुत ही विद्वान साथी माननीय चौहान जी, जो विद्युत के विषय पर चर्चा कर रहे थे, वे 32 केवी से लेकर 200 केवी तक पहुंच चुके थे. मैं आग्रह के साथ कहना चाहता हॅूं कि वर्ष 2019-20 में जब कांग्रेस की सरकार थी, इसी सदन में आप भी इस बात के साक्षी हैं कि सौभाग्‍य योजना का किस तरह से मंडला, डिण्‍डौरी और संपूर्ण मध्‍यप्रदेश के जिलों में इस योजना का बंदरबांट किया गया था. मैंने खुद इस विषय पर प्रश्‍न लगाया था. उसमें 50 करोड़ रूपए से अधिक राशि का भ्रष्‍टाचार उजागर हुआ था. अधिकारियों को सस्‍पेंड किया गया था. आज भी उन मजरों-टोलों में बिजली नहीं पहुंच पायी है. वर्ष 2019-20 में मेरी विधानसभा क्षेत्र के खलोड़ी गांव में एक 33 केवी की लाईन स्‍वीकृत हुई, लेकिन आज भी उसकी शुरूआत नहीं हो पायी. मैं इस बात को इसलिए भी कहना चाहता हॅूं कि आज भी हमें चाहे वह पेयजल के क्षेत्र में, विद्युत के क्षेत्र में हो, रोजगार के क्षेत्र में हो, सबसे ज्‍यादा बुनियादी ध्‍यान देकर के इस दिशा में काम करने की आवश्‍यकता है.

          सभापति महोदय, मैं निवेदन के साथ कहना चाहता हॅूं कि यहां खाद्य मंत्री महोदय बैठे हैं. माननीय ओमकार सिंह मरकाम जी जिक्र कर रहे थे. राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण में इस विषय का जिक्र भी है कि हमारा मध्‍यप्रदेश कृषि के मामले में अव्‍वल है. मध्‍यप्रदेश को अनेक कृषि कर्मण अवॉर्ड प्राप्‍त हो चुके हैं. सैकड़ों टन गेहूं का उत्‍पादन होता है. आज मैं इस सदन के माध्‍यम से कहना चाहता हॅूं कि पूरे प्रदेश में लगभग 9 से 10 महीने होने जा रहे हैं किसी भी सोसायटी में पीडीएस के माध्‍यम से गरीबों को गेहूं नहीं मिल पा रहा है और गेहूं न मिलने की वजह से हमारे गरीब चाहे वह कोई भी पर्व हो, त्‍यौहार हो, हम रोटी खाने से वंचित हो रहे हैं और विशेषकर इसका प्रतिकूल असर आदिवासी क्षेत्रों में पड़ रहा है, जिसका कोई भी उल्‍लेख नहीं है. मैं सभापति महोदय से आग्रह करना चाहता हॅूं कि महामहिम राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण में जब गरीबों की चिन्‍ता, नौजवानों की चिन्‍ता, किसानों की चिन्‍ता न हो, तो यह अभिभाषण किस तरह का है. इसको पढ़कर के सरकार के द्वारा महिमामंडन कराया गया है. सभापति महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, उसके लिए आपको धन्‍यवाद देता हूँ और मैं महामहिम राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण का विरोध करता हॅूं. धन्‍यवाद.

          सभापति महोदय -- सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिये स्‍थगित.

 

 

 

 

 

 

 

 

(1.30 बजे सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्‍थगित की गई.)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

          3.10 बजे          ( सभापति महोदय {श्री हरिशंकर खटीक}पीठासीन हुए)

                                             कार्य मंत्रणा समिति का प्रतिवेदन

 

 

 

 

 

 

 

 

3.17  बजे            राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा का            पुनर्ग्रहण (क्रमशः)

           देवीलाल धाकड़ (गरोठ)--सभापति महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के कृतज्ञता के समर्थन में विचार के लिये खड़ा हुआ हूं. विपक्ष के सभी सदस्य महानुभाव होते तो सुनते उधर शुक्ला जी बैठे हुए हैं और जवाब देने के लिये शर्मा जी हमारी तरफ हैं ही. देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो गये हैं लगभग 60 साल तक केन्द्र में तथा प्रदेश लगभग एक ही पार्टी की सरकार हुआ करती थी. परन्तु हम यह कहते हैं कि महात्मा गांधी ने कहा था कि हमारा भारत गांवों में बसता है. परन्तु केवल गांधी जी के विचारों को गांधी जी के नाम पर सत्ता में रहते हुए गांवों की तरफ किसी का ध्यान गया नहीं पहली बार माननीय अटल जी का ध्यान गया और गांवों को शहरों से जोड़ने की योजना माननीय अटल जी ने बनायी प्रधानमंत्री सड़क योजना और उसके कारण आज देश भर में गांवों को शहरों से जोड़ने के कारण गांवों का विकास होना शुरू हुआ. यह योजना पहले किसी के दिमाग में नहीं आयी केवल माननीय अटल जी के दिमाग में आयी और उसके कारण ग्रामीण क्षेत्र का विकास होना शुरू हुआ. सड़कों के क्षेत्र में केवल प्रधानमंत्री सड़क योजना की सड़कें ही नहीं और अभी हम देखें कि फोर लेन, सिक्स लेन, और एट लेन सड़कें दिल्ली मुम्बई की एट लेन सड़क मेरे क्षेत्र में निकल रही है. इतनी अच्छी सड़क और इतनी जल्दी बनकर के तैयार हुई है कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने उसके एक हिस्से का शुभारंभ भी कर दिया मैंने भी उस सड़क का उपयोग किया एक घंटे में लगभग सवा सौ किलोमीटर तक मेरी गाड़ी पहुंची है. तो सड़कों के क्षेत्र में इतने वर्षों तक आजादी के बाद और सरकारों का कभी ध्यान ही नहीं गया था. हम यह जानते हैं कि आज हमारी सरकार के माननीय मुख्यमंत्री जी ने खेत सड़क योजना बनायी, सुदूर सड़क योजना बनायी खेतों पर जाने के लिये भी सड़कें बन रही हैं तो सड़कों के क्षेत्र में इतना बड़ा काम हमारी सरकारों में हुआ है जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्र का परिदृश्य बदला है. दूसरी बात हमारा देश कृषि प्रधान है हम जानते हैं कि किसानों को भारत विधाता भी कहते हैं, परन्तु किसानों की सुध अभी तक नहीं ली थी किसान हमेशा कर्जे में डूबा हुआ रहता था. पहली बार माननीय अटल जी ने योजना बनायी केसीसी योजना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना उसके कारण किसान कर्जे से मुक्त हुआ और हम यह जानते हैं कि हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने जीरो प्रतिशत ब्याज पर पैसा देने की व्यवस्था की सोसाइटियों से उसके कारण किसानों की तकदीर बदलने का काम हमारी सरकार ने किया है. इसके अलावा अनेक योजनाएं हम यह जानते हैं कि हमारी सरकार ने की हैं. चिकित्सा के क्षेत्र में पहले डाक्टर्स अस्पतालों में थे नहीं और डाक्टर आते थे तो टिकते नहीं थे. हमारी चिकित्सा नीति के कारण अभी प्रत्येक पीएचसी सेण्टर पर एमबीबीएस डॉक्टर है. ऑक्सीजन प्लाण्ट लगे हैं. लेबोरेट्री प्रयोगशालाओं की स्थापना हुई है. चिकित्सा क्षेत्र में बहुत बड़ा काम हमारे क्षेत्र में हमारी सरकारों के कार्यकाल में हुआ है, नहीं तो हमारे यहाँ से पहले मरीज तुरन्त रेफर होता था, बाहर जाता था, राजस्थान जाता था परन्तु अब प्रत्येक पीएचसी सेण्टर पर डॉक्टर हैं, एंबुलेंस की व्यवस्था, मेरे विधान सभा क्षेत्र में इन दो सालों में 13 एंबुलेंस गाड़ियाँ आई हैं उसके कारण चिकित्सा क्षेत्र में भी जनता को बहुत बड़ा लाभ मिलने लगा है.

          सभापति महोदय, बिजली के क्षेत्र में मुझे कहने की जरुरत नहीं है. यह अल्कपनीय काम था, जो पहले दिग्विजय सिंह जी के समय में बिजली आती थी और जाती तो आती नहीं थी. मैं भी किसान का बेटा हूँ. लोगों ने खेत में ऑटो स्टार्टर लगा लिए थे क्योंकि बिजली लगातार नहीं आती थी, मोटर्स जलती थीं. अभी 10 घंटे फुल लोडेड बिजली किसानों को मिल रही है और उसके अलावा 24 घंटे बिजली घरों के लिए जनता को मिल रही है. इतना बड़ा परिवर्तन केवल हमारी सरकारों ने बिजली के क्षेत्र में किया है.

          सभापति महोदय, सिंचाई के क्षेत्र में हम सबको मालूम है, पहले पूर्व के वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए इसलिए मुझे और बताने की आवश्यकता नहीं है. कहाँ 7 लाख हैक्टेयर से 45 लाख हैक्टेयर जमीन पीवत हो रही है. इतनी सिंचाई की योजना हमारी सरकार ने बनाई. ये पहले भी कर सकते थे. पहले इतने वर्षों तक क्यों नहीं विचार में आया? यह जो परिवर्तन हुआ है. चंबल नदी,  जहाँ मेरा विधान सभा क्षेत्र है गरोठ, वहाँ पर एक एक इंच जमीन हर हाथ को काम और हर खेत को पानी देने का संकल्प हमारी सरकारों ने पूरा किया है. इतनी बड़ी नहर योजना निकली उसके कारण इतना गेहूँ और चना पैदा होता है अभी कि जब उपार्जन केन्द्र पर, तौल केन्द्र पर, लाइन लगती है, एक-एक किलोमीटर, दो-दो किलोमीटर ट्रैक्टर की और पिकअप की. आखिर इतना माल पैदा होना शुरू हुआ है. उसके कारण किसानों की आमदनी दुगनी करने का संकल्प हमारा हुआ है. ये भी योजना बना सकते थे. गाँधी सागर, चंबल का पानी भरा हुआ था, हर खेत तक पहुँचाने का काम केवल हमारी सरकार ने किया माननीय माननीय शिवराज सिंह जी ने उसके कारण किसानों की आमदनी दुगनी करने का काम हमारी सरकारों ने किया है.

          सभापति महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में हम यह जानते हैं कि उत्कृष्ट विद्यालय, मॉडल विद्यालय, ये पहले भी कर सकते थे. यह हमारी सरकारों ने शुरू किया है इसके कारण शिक्षा में काफी बड़ा परिवर्तन आया है. शिक्षा का स्तर ऊँचा हुआ है और अभी सीएम राइज़ स्कूल की जो कल्पना की और जो काम शुरू हुआ है, स्वीकृत हो गई, विद्यालय भवन बनने लग गए. उसके कारण जैसे प्रायवेट विद्यालयों में शिक्षा दी जाती थी, गरीबों के विद्यार्थी बच्चों को भी एक अच्छी शिक्षा देने की व्यवस्था हमारी सरकार ने की है. ये पहले भी कर सकते थे. अभी तक किसी के ध्यान में नहीं आया था.

          सभापति महोदय, अनेक योजनाएँ केन्द्र  सरकार ने, माननीय मोदी जी ने बनाई हैं. हम यह जानते हैं, मुझे कहने की जरुरत नहीं है कि जी 20 देशों की अध्यक्षता हमारे प्रधानमंत्री कर रहे हैं. हम पुराने गौरव की ओर लौट रहे हैं. गुलामी के प्रतीक चिन्ह बदले जा रहे हैं. आज पूरी दुनिया में हमारे देश की मान-प्रतिष्ठा बढ़ाने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार में हमारे प्रधानमंत्री जी ने किया है और प्रधानमंत्री जी ने केवल यही नहीं किया है. स्वच्छता मिशन का काम, प्रधानमंत्री आवास का काम, उज्ज्वला योजना का काम और उज्ज्जवला योजना के साथ में और सबसे बड़ा इलाज की व्यवस्था आयुष्यमान योजना का काम हमारे प्रधानमंत्री जी ने किया है. इतनी ढेर सारी योजना बनी उसके कारण गाँवों की और गरीबों की तकदीर बदलने का काम हमारी सरकार ने किया है.

          सभापति महोदय, अभी विकास यात्रा निकली थी, उस विकास यात्रा में और हम जब पूछते थे लोगों से हमारे देश के प्रधानमंत्री का नाम क्या है तो छोटे छोटे बच्चे भी बता देते थे नरेन्द्र मोदी, हम पूछते थे इसके पहले प्रधानमंत्री कौन थे तो कोई जवाब नहीं दे पाता था. यह इस बात का द्योतक है कि हमारे प्रधानमंत्री जी ने इतने बड़े काम किए और इतनी योजनाएँ बनाईं. उसके कारण देश की और प्रदेश की तकदीर और तस्वीर बदलने का काम किया है.

          सभापति महोदय--  आप बहुत अच्छा बोल रहे हैं कृपया अपनी बात थोड़ा जल्दी से बोलिए.

          श्री देवीलाल धाकड़--  सभापति महोदय, मैं केवल दो मिनट में अपनी बात समाप्त कर रहा हूँ. बाकी सब पूर्व वक्ताओं ने कहा है परन्तु यह एक चिन्तन का विषय है कि 60 साल तक गरीबों की गाढ़ी कमाई का पैसा गरीबी हटने में नहीं लगा है. आखिर वह पैसा गया कहाँ. यह एक चिन्तन का विषय है. 60 साल में तो जवानी ढल जाती है और बुढ़ापा शुरू हो जाता है पर 60 साल तक देश ने, प्रदेश ने, विकास नहीं किया था. आज भी गरीबी रेखा के कूपन बनाने वालों की संख्या बढ़ती है. यह आश्चर्य की बात है, 60 साल तक यदि इस प्रकार की योजना जब इन 10-15 सालों की भाजपा सरकार ने बनाई है यह योजना यदि बनती तो अभी देश और प्रदेश का नक्शा ही कुछ दूसरा होता इसलिए मेरा यह निवेदन है कि माननीय राज्यपाल महोदय ने जितनी भी योजनाएँ हमारी सरकार की योजनाएँ बताई हैं आगे जाकर हर क्षेत्र की योजनाएँ हमारी सरकार बना रही है. 65 लाख हैक्टेयर जमीन पीवत करने की सिंचित क्षेत्र में योजना बनने वाली है. हर हाथ को काम और हर खेत को पानी देने की योजना बनने वाली है. उसके कारण आज अनेक गाँव में सी सी रोड गलियों में, मोहल्लों में, सी सी रोड, कई गाँव तो ऐसे लगते हैं जैसे शहर हों. यह परिदृश्य बदला है,केवल भारतीय जनता पार्टी की सरकार की नीतियों के कारण. सभापति जी, आपने बोलने का अवसर दिया महामहिम राज्यपाल महोदय ने जो अपना अभिभाषण दिया मैं उसका समर्थन करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूँ. धन्यवाद.

            डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर) -- सभापति महोदय, पन्द्रहवीं विधान सभा के पांचवे और अंतिम बजट सत्र में आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.

          सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर बात रख रहा हूँ. राज्यपाल महोदय हमारे आदिवासी समाज से हैं. हमें बहुत उम्मीद थी कि पिछले 75 सालों में जो अधिकार इस देश और प्रदेश में आदिवासियों को मिले हैं उनका जिक्र राज्यपाल महोदय अपने अभिभाषण में करेंगे. मध्यप्रदेश आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है. इसी प्रदेश में सबसे ज्यादा शोषण आदिवासी समाज के भाइयों पर हो रहा है. मध्यप्रदेश की जेलों में सबसे ज्यादा आदिवासी लोग बंद हैं. हाल ही में नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो के आंकड़े जारी हुए हैं उनके अनुसार मध्यप्रदेश में 10 हजार से ज्यादा कैदी आदिवासी समाज से हैं. यह आदिवासी जेलों में इसलिए बंद नहीं हैं कि यह वास्तव में अपराधी हैं. कई ऐसे मामले हैं जमीन संबंधी, शराब संबंधी, छोटे-मोटे मामलों में भी आदिवासियों को जेल में बंद कर दिया जाता है. इनमें कई विचाराधीन कैदी हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी पिछले कई भाषणों में जिक्र कर चुके हैं कि आदिवासी समाज के ऐसे कैदी जो सामान्य मामलों में जेल में बंद हैं उन्हें हम बरी करेंगे. हमें राज्यपाल महोदय से आशा और अपेक्षा थी कि जो पांचवी और छटवी अनुसूची बनाई गई है उसी के अनुसार अधिसूचित क्षेत्रों में कानून बनाएंगे. लेकिन राज्यपाल महोदय ने अपने अभिभाषण में कहीं भी पांचवी और छटवी अनुसूची का जिक्र नहीं किया है. राज्यपाल महोदय से हमारा समाज आशा और अपेक्षा कर रहा था. बड़ी संख्या में आदिवासी समाज जंगलों में रहता है. जो कई वर्षों से जंगलों में काबिज हैं उन आदिवासी भाइयों को अतिक्रमणकारी घोषित करके जंगलों से बेदखल करने का अभियान चलाया जा रहा है. जबकि वर्ष 2006 में संसद में वन अधिकार कानून बना और वर्ष 2008 में मध्यप्रदेश में यह कानून लागू हुआ, लेकिन आज दिनांक तक इस कानून के तहत आदिवासी भाइयों को सामुदायिक वन अधिकार नहीं मिले हैं. इसके विपरीत जब आदिवासी जंगलों में प्रवेश करते हैं तो इल्लीगल इंट्री के नाम से इन पर वर्ष 2016 से 2022 तक 664 केस दर्ज किए गए हैं. मछली पकड़ने के नाम पर 133 आदिवासियों पर केस दर्ज किए गए हैं. इसी समयावधि में जंगली सुअर मारने के नाम पर 357 केस दर्ज किए गए हैं. जबकि जंगली सुअर कई बार फसलों को नष्ट करते हैं, कई बार इंसानों को भी हानि पहुंचाते हैं ऐसे में कई बार वे सुअर मारे जाते हैं.

          सभापति महोदय, देश में प्रधानमंत्री मोदी जी आजादी के इस अमृत काल में और इस अमृत महोत्सव में 5 ट्रिलीयन एकोनॉमी हासिल करने की योजना पर काम कर रहे हैं. लेकिन मध्यप्रदेश जैसे एक आदिवासी बाहुल्य प्रदेश में ज्यादातर आदिवासी गांवों को विस्थापित किया जा रहा है. मुझे जो जानकारी मिली है उसके अनुसार बसनिया बांध के नाम पर लगभग 60 गाँवों को, केन-बेतवा लिंक परियोजना में 25 गाँवों को, बाणदा बाँध के नाम पर 7 गाँवों को, कूनो नेशनल पार्क के नाम पर 25 गाँवों को, खरमौर अभ्यारण्य के नाम पर धार जिले में 51 गाँवों को, दामजीपुरा-बैतूल लिंक परियोजना में 8 पंचायतों को, चिल्लूर बाँध परियोजना में 40 से 45 गाँवों को, रातापानी अभ्यारण्य में 8 से 9 गाँवों को, नौरा देवी अभ्यारण्य में लगभग 85 गाँवों को और निवेश क्षेत्र के नाम पर रतलाम, धार में कई आदिवा‍सी गांवों को विस्‍थापित किया जा रहा है यह 5वीं अुनसूचित क्षेत्रों में, संविधान में मिले, आदिवासियों को विशेष अधिकारों का खुला उल्‍लंघन है. हम इस सदन से आशा और अपेक्षा करते हैं कि आदिवासियों के विस्‍थापन और जेलों में बढ़ती संख्‍या पर हमारी महामहिम राष्‍ट्रपति महोदया भी चिंता जाहिर कर चुकी है, तो क्‍या इस सदन और सरकार की जिम्‍मेदारी नहीं है कि जिन भोले-भाले आदिवासियों के ऊपर फर्जी और असत्‍य मुकदमे लगाये गए हैं, उनकी मदद के लिए फास्‍ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाये.

          सभापति महोदय, महामहिम राज्‍यपाल महोदय ने अपने अभिभाषण में आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य जैसी गंभीर चुनौतियों का कोई जिक्र नहीं किया है. धार जिले में लगभग-लगभग 600 स्‍कूल ऐसे हैं, जिनकी छतें टपक रही हैं. हमारे धार जिले में ज्‍यादातर सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों में एक भी विशेषज्ञ डॉक्‍टर नहीं है. यह बहुत ही गंभीर विषय है. आज आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य जैसी बुनियादी सुविधायें नहीं हैं. हमने मध्‍यप्रदेश सरकार से मेडिकल कॉलेज की मांग की थी, यदि हमारे जिले में एक मेडिकल कॉलेज मिलता तो हम इस मध्‍यप्रदेश सरकार के आभारी होते कि आदिवासी बाहुल्‍य जिले धार, कुक्षी, मनावर जैसे क्षेत्र में सरकार ने एक मेडिकल कॉलेज दिया.

          सभापति महोदय, आज हमारे आदिवासी बाहुल्‍य इलाकों में रोजगार के लिए पलायन हो रहा है. हमने सरकार से मांग की पलायन रोकने के लिए ऐसी योजनायें बननी चाहिए कि आदिवासी युवाओं को स्‍थानीय स्‍तर पर रोजगार मिले. हमारे क्षेत्रों में अतिथि शिक्षक, अतिथि विद्वान, संविदा स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और बेरोजगार युवा आंदोलन कर रहे हैं.

          सभापति महोदय, हम आज अनुसूचित क्षेत्रों में महामहिम राष्‍ट्रपति एवं राज्‍यपाल महोदय से अनुरोध करते हैं कि ऐसे अधिसूचित क्षेत्र, जो 5वीं अनुसूचित क्षेत्रों में आते हैं, वहां के आदिवासियों पर आईपीसी और सीआरपीसी की धारायें थोप दी जाती हैं और उनको बरसों जेलों में सड़ने के लिए छोड़ दिया जाता है. आदिवासियों के बचाव के लिए यदि यह सरकार कोई विशेष कानून नहीं बनाती है तो संविधान की 5वीं और 6वीं अनुसूची का कोई भी औचित्‍य नहीं रह जायेगा.

          सभापति महोदय, मैं, आपसे आशा और अपेक्षा करता हूं कि आदिवासी इलाकों के लिए जो उप-योजना क्षेत्र है, सब-प्‍लान के तहत केंद्र और राज्‍य सरकार से प्रतिवर्ष हजारों-करोड़ रुपये की राशि आ रही है लेकिन इस राशि को खर्च करने के लिए वर्ष 2016 तक जो केंद्र सरकार ने नियम बनाये थे, उसके बाद राज्‍य सरकारों को नियम बनाने के लिए आदेशित किया गया था, आज इस उप-योजना का हजारों-करोड़ रुपया बिना नियमों के ही मध्‍यप्रदेश में अन्‍य विभागों में खर्च कर दिया जा रहा है. वर्ष 2016 के बाद मध्‍यप्रदेश में सब-प्‍लान का पैसा कहां खर्च होना चाहिए, कैसे खर्च होना चाहिए, आदिवासी इलाकों में कौन-कौन से कामों पर खर्च होना चाहिए, इसका कोई नियम अभी तक नहीं बना है.

          सभापति महोदय, हमारा एक और महत्‍वपूर्ण मुद्दा है कि संविधान में जो अधिसूचित क्षेत्र हैं, हमारे संविधान में आदिवासियों के विकास के लिए अधिसूचित क्षेत्रों के गठन की प्रक्रिया पर जोर दिया गया. वर्ष 2008 से 2023 तक राज्‍यपाल महोदय ने नए अधिसूचित क्षेत्रों के गठन के लिए कोई प्रक्रिया नहीं की है. आज मध्‍यप्रदेश में कुण्‍डम जैसे कई आदिवासी बाहुल्‍य इलाके हैं, जहां नए अधिसूचित क्षेत्रों का गठन करने के साथ उनका विकास किया जा सकता था. हमारे प्रदेश में मांझी समुदाय, एक बाहुल्‍य का समुदाय है, जिनकी संस्‍कृति आदिवासी समाज से मिलती-जुलती है. वे लंबे समय से आदिवासी ST के दर्जे की मांग कर रहे हैं. मैं, सदन से मांग करता हूं कि ऐसे समुदाय जिनकी संस्‍कृति आदिवासियों के साथ मिलती-जुलती है, जिनकी भाषा, परंपरायें, जिनके धार्मिक रीति-रिवाज आदिवासियों के जैसे हैं, उन्‍हें नये सिरे से ST बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए.

          सभापति महोदय, अंत में मेरे विधान सभा क्षेत्र का मुद्दा है. जल जीवन मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की बड़ा सपना रहा है कि हर घर में नल से जल पहुंचे. हमारे विधान सभा क्षेत्र में जल जीवन मिशन के तहत मनावर ब्‍लॉक और उमरबन ब्‍लॉक में पानी की टंकियां तो बन गई लेकिन भ्रष्‍टाचार इस कदर हुआ कि एक भी पानी की टंकी में आज पानी नहीं आ रहा है. दूसरा हमारे आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्रों में हमारे आदिवासी भाई इतने सीधे-सादे होते हैं कि भ्रष्‍टाचार के खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते हैं. मेरी मनावर विधान सभा की नगर पालिका है, वहां पर नगर पालिका के स्‍वामित्‍व की, लीज़ की जमीन को, भ्रष्‍टाचारी अधिकारियों और वहां के व्‍यापारियों ने मिलकर एक ने दूसरे को, दूसरे ने तीसरे को, तीसरे ने चौथे को और चौथे ने पांचवे को बेच दिया. आज दिनांक तक उन भ्रष्‍टाचार अधिकारियों के ऊपर एफ.आई.आर नहीं हुई है. मैं सदन के माध्‍यम से और आपके माध्‍यम से मांग करता हूं कि ऐसे भ्रष्‍टाचारी जो सरकार की स्‍वामित्‍व की जमीन को बेचकर खा गये उनके ऊपर एफ.आई.आर होनी चाहिये और साथ में मेरी अंतिम मांग है कि हमारे मनावर और कुक्षी ऐसे क्षेत्र हैं मध्‍य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्‍य, जिनसे जिलों की दरी 40-50 किलोमीटर से ज्‍यादा है. हमने लंबे समय से सरकार से मनावर को जिला बनाने की मांग की है, लेकिन अभी मनावर को जिला नहीं बनाया है. हम चाहते है वह जल्‍दी से जल्दी जिला बने और जल्‍दी से जल्‍दा मनावर में मेडिकल कॉलेज आना चाहिये. धन्‍यवाद.

          श्री उमाकांत शर्मा(सिरोंज):- Respected honourable chairman sir. Pandit Deendayal said I code a party which had no economic policy can not sustain itself. यदि किसी पार्टी की कोई आर्थिक नीति नहीं है तो वह स्‍वयमेव कायम नहीं रह सकती.

          संसदीय कार्य मंत्री( डॉ. नरोत्‍तम मिश्र):- सभापति जी, यह तो पहली एक भाषा बोली है, फिर दूसरी हिन्‍दी पर आये. आप अनुमति देंगे तो संस्‍कृत में भी बोल सकते हैं.

          सभापति महोदय:- अभी उनका जो चल रहा है वही चलने दें, वह बहुत अच्‍छा बोल रहे हैं.

          श्री उमाकांत शर्मा:- और मैं कहना चाहता हूं माननीय संसदीय मंत्री ऐतिहासिक, प्रभावी और असरकारी संसदीय मंत्री महोदय से विनम्रतापूर्वक प्रणाम करते हुए आपने और हमारे शिवराज जी की सरकार ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय जी के एकात्‍म मानववाद की आर्थिक नीति को अन्‍त्‍योदय की नीति को मध्‍य प्रदेश की जमीन पर उतारकर दिखाया है. यह भारतीय जनता पार्टी की सफलता है और कांग्रेस को दिखाने के लिये आईना है.                 The centralization of political economic and social power in one individual or institution is a hindrance in the way of  democracy. राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक शक्तियों का केन्‍द्रीकरण कांग्रेस के माननीय सदस्‍य सावधानी सुनें. राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक शक्तियों का केन्‍द्रीयकरण एक व्‍यक्ति, एक संस्‍था एक परिवास में होना प्रजातंत्र की राह में बाधा है. हमारी और केन्‍द्र की सरकारों ने, भारतीय जनता पार्टी की सरकारों ने, माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार ने, माननीय नरेन्‍द्र मोदी जी की सरकार ने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्‍वास, सबका प्रयास के सिद्धांत को लेकर चल रही है.

          श्री आलोक चतुर्वेदी:- सभापति महोदय, असत्‍य तो ना बोलें, सभापति महोदय, समझा तो दीजिये.

          सभापति महोदय:- उनको अपनी बात रखने दीजिये.

          श्री उमाकांत शर्मा:- और सहभागिता समग्र विकास के आधार पर काम कर रही है और इसी का प्रतिबंब जनजाति समाज के महान नेता, आदिवासी समाज के नायक मध्‍य प्रदेश के महामहिम राज्‍यपाल महोदय ने अपने अभिभाषण में, समाहित किया है और इसलिये मैं, राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण के प्रति सम्‍पूर्ण अंत:स्‍थल की अनंत गहराहियों के साथ कृतज्ञता ज्ञापित कर कर सहमति व्‍यक्‍त करते हुए उनका अभिनंदन करता हूं. मध्‍य प्रदेश की विकास की रफ्तार सन 2004 से है बरकरार, वर्तमान दरों पर विगत वर्ष में प्रति व्‍यक्ति आय 15.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी से माननीय शिवराज जी के नेतृत्‍व में एक दशक में 256 फीसदी की प्रति के साथ आय अब 1 लाख 40 हजार 500 से हुई है. इसलिये मैं राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं और सुनें माननीय सभापति महोदय, माननीय संसदीय महोदय आपके आदेश का पालन करते हुए,

गुणैरुत्तमतां याति नोच्चैरासनसंस्थिताः।
प्रासादशिखरस्थोऽपि काकः किं गरुडावते।।

          काका माने कौआ, मनुष्‍य सर्वश्रेष्‍ठ या उत्‍तम् तभी बनता है, जब उसके गुण उत्‍तम होते हैं, आचरण अच्‍छा होता है, किसी भी व्‍यक्ति को उसके पद के आधार पर सर्वश्रेष्‍ठ नहीं माना जा सकता है. यह बिल्‍कुल वैसा ही है, जैसे कौआ महल के शिखर पर बैठकर गरुड़ नहीं बन सकता और कांग्रेस की 13 महीने की सरकार में जो मध्‍यप्रदेश में हुआ है वह काग के समान काम हुए हैं. इसलिए जो वर्तमान के महामहिम राज्‍यपाल महोदय ने अभिभाषण दिया है, उसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी जी का पांच ट्रिलियन डॉलर एकानॉमी का सपना पूरा हो रहा है. श्री शिवराज सिंह जी चौहान ने लिया है 550 मिलियन डॉलर के योगदान का संकल्‍प. आर्थिक उन्‍नति में देश के प्रथम राज्‍य मध्‍यप्रदेश होने के लिए अग्रणी राज्‍यों में मध्‍यप्रदेश है. इसलिए माननीय वित्‍तमंत्री की प्रशंसा करते हुए, माननीय मुख्‍यमंत्री जी की प्रशंसा करते हुए, अभिनंदन करते हुए, मैं राज्‍यपाल महोदय के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. आदरणीय सभापति महोदय, हमारे राज्‍यपाल महोदय, आदिवासी समाज के गौरव हैं, महामहिम हैं, संवैधानिक पद है और उनके विषय में क्‍या-क्‍या टिप्‍पणी की गई. मैं बताना चाहता हूं कांग्रेस की कार्यकाल की सरकारें, वित्‍तीय वर्ष 1993 से लेकर 1994 पहली सरकार दिग्विजय सिंह जी की, तत्‍कालीन राज्‍यपाल महोदय मोहम्‍मद शफी कुरैशी जी द्वारा अभिभाषण में मेरी सरकार का उल्‍लेख किया गया था और लगातार जब तक दिग्विजय सिंह जी रहे, आपकी सरकारें रहीं, मेरी और हमारी सरकार का प्रयोग होता रहा, मैं आपको कहता हूं, इसलिए आक्रोश है. समस्‍त राज्‍यपालों ने मेरी सरकार का उपयोग किया है और देखना है तो आप बजट के अभिभाषण की प्रतिलिपियां विधान सभा के द्वारा छपी हुई हैं, उनको देख लीजिए.

          माननीय सभापति महोदय, खुशहाल किसान, समृद्ध मध्‍यप्रदेश, बीते वर्षों में प्रायोरिटी सेक्‍टर लेंडिंग का बहुत विस्‍तार हुआ है, किसानों के ऋण में 13.41 प्रतिशत की, जबकि एमएएसआई में 30.22 प्रतिशत की बढ़ोत्‍तरी हुई है. इस प्रकार से निरंतर मध्‍यप्रदेश विकसित प्रदेश, आत्‍मनिर्भर प्रदेश, स्‍वर्णिम प्रदेश बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार काम कर रही है.

          सभापति महोदय - शर्मा जी आप अच्‍छा बोल रहे हैं, जल्‍दी बोलिए.

          श्री उमाकांत शर्मा - सभापति महोदय, आप देख लीजिये, जितना लोन लिया है, वह हमने अर्थव्‍यवस्‍था की मर्यादा के अनुरूप किया है. आत्‍मनिर्भर भारत बनाने में योगदान मध्‍यप्रदेश दे रहा है, आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश का रोडमैप लक्ष्‍यों को हासिल करने में सफल हुआ और हो रहा है. इसलिए मैं अभिभाषण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना जो लगातार नम्‍बर एक में रही, अब तक मध्‍यपदेश की 32.51 लाख गर्भवती महिलाओं को दी गई, 1370 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता दी गई. आपने तो अपने कार्यकाल में सब कुछ बन्‍द कर दिया था. पहली बार देश के इतिहास के, प्रदेश के इतिहास में मध्‍यप्रदेश की मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज जी की रूचि के कारण पहले चरण के तहत मध्‍यप्रदेश में योजनांतर्गत अब तक 5.25 लाख गरीब जमीन पर बैठकर काम करने वाले, स्‍ट्रीट वेंडर्स को, पारिश्रमिक बंधुओं को, मजदूर बंधुओं को  5.25 लाख शहरी स्‍ट्रीट वेंडर्स को 521 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण वितरित किया गया, इसलिए मैं माननीय राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ. हर घर पहुँच रहा है, नल से जल.

          सभापति महोदय - शर्मा जी, आपका समय समाप्‍त हो गया है. अभी और भी माननीय सदस्‍यों को बोलना है.

          श्री उमाकांत शर्मा - सभापति जी, मुझे 2-4 मिनट दीजिये. मध्‍यप्रदेश बना, सरप्‍लस स्‍टेट. अंधकार कायम रहेगा, कहने वाले विकास से कौन चुनाव जीतता है ? सेटिंग से चुनाव जीता जाता है. लोकतंत्र की मर्यादा को तार-तार करने वाले लोगों, मैं आपको माननीय सभापति महोदय के माध्‍यम से बताना चाहता हूँ सन् 2003 में हमारी ऊर्जा की क्षमता 5,173 मेगावाट थी और सन् 2022 में 28,000 मेगावाट हुई. इसलिए मैं अभिभाषण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ. जब से शिवराज जी मुख्‍यमंत्री बने हैं, तब से प्रदेश में चल रहा है स्‍वराज और महात्‍मा गांधी के राम राज्‍य की कल्‍पना को साकार किया, तो माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने किया है.

          सभापति महोदय - शर्मा जी, अपनी बात समाप्‍त कीजिये.

          श्री उमाकांत शर्मा - सभापति महोदय, 'जाके पांव न फटी बिवाई, वो क्‍या जाने पीर पराई' गांव गरीब किसान के पैरों के छालों को दूर करने वाले व्‍यक्ति का नाम है- शिवराज सिंह चौहान. आदिवासी, अनुसूचित जाति की बात करने वाले लोगों से निवेदन है कि शिवभानु सिंह सोलंकी को पीछे किसने किया ? अम्‍बेडकर जी का अपमान किसने किया ? बाबू जगजीवन राम का अपमान किसने किया ? मैं आपके माध्‍यम से निवेदन करना चाहता हूँ कि आप कर दो घोषणा. नेता प्रतिपक्ष महोदय से कि हम आदिवासी मुख्‍यमंत्री बनाएंगे, आप घोषणा कर दो.

          सभापति महोदय - शर्मा जी, आपका समय समाप्‍त हो गया है. आप समाप्‍त कीजिये.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव (विदिशा) - माननीय सभापति महोदय, आपके द्वारा राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण के विरोध में मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया गया. मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ.

सभापति महोदय, राज्‍यपाल महोदय ने अमृतकाल में अमृत महोत्‍सव की बात करके उनके भाषण में मुख्‍य रूप से यह इंगित किया गया है कि प्रदेश की सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में विकास यात्राएं निकाली गईं.

   मैं नहीं जानता हूं कि यह विकास यात्रा है या निकास यात्रा है, यह तो सत्‍ता पक्ष के हमारे विधायक जी उनके वीडियो देखकर बता पायेंगे.

श्री उमाकांत शर्मा -- कांग्रेस की वनवास यात्रा है.

श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- माननीय सभापति महोदय, मैं अपने विधानसभा क्षेत्र की इस मामले में बात करना चाहता हूं कि हमारे यहां भी विकास यात्रा निकाली गईं, उसमें [XXX]वह उस यात्रा का प्रतिनिधित्‍व कर रहे थे. भूत मतलब भूतपूर्व.

श्री दिलीप सिंह परिहार-- असंसदीय शब्‍दों का प्रयोग किया जा रहा है.

सभापति महोदय -- यह रिकार्ड में नहीं आयेगा. आप ऐसे शब्‍दों का प्रयोग नहीं कीजियेगा, जिसमें सामने वाले किसी को बुरा लगे. असंसदीय शब्‍दों का प्रयोग न किया जाये.

श्री दिलीप सिंह परिहार-- असंसदीय शब्‍द न बोलें.

डॉ.योगेश पंडाग्रे -- क्‍या आप अपने प्रतिनिधियों की बात कर रहे हैं?

श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- जब आप लोग बोले मैं बीच में नहीं बोला था.

श्री अनिरूद्ध(माधव)मारू -- यह आपत्तिजनक हैं, यहां कोई [XXX]नहीं है, सारे विधायक उस यात्रा का नेतृत्‍व कर रहे थे, कोई [XXX] नहीं था. सभापति महोदय, आप इसको विलोपित करवाईये.

सभापति महोदय -- उसको विलोपित करवा दिया है. उसको हटा दिया है

श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- माननीय मैं विदिशा विधानसभा की बात कर रहा हूं, आपके यहां की बात नहीं कर रहा हूं.

श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय शशांक जी से निवेदन है, आपका [XXX] से प्रत्‍यक्ष संबंध है, तो विधानसभा में भी दिखा दो, हमने आज तक नहीं देखे हैं.

सभापति महोदय -- उसको विलोपित करवा दिया है, उसको रिपीटशन न करें. आप अपनी बात बोलिये.

श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- कोई भी पात्र व्‍यक्ति उस यात्रा का नेतृत्‍व नहीं कर रहा था, चुने हुए छोटे मोटे जनप्रतिनिधि उस यात्रा में आते थे.

डॉ.योगेश पंडाग्रे -- आपको किसने मना किया था, उस विकास यात्रा में आने के लिये, आप भी निकाल सकते थे अपने यहां की विकास यात्रा.

शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- अभी हमारे पूरे सरपंचों ने एक हड़ताल करके यह कहा कि हमारे इस खर्चे का क्‍या होगा, जो विकास यात्रा में 25 से 75 हजार रूपये तक हमने खर्चा किया. खर्चे का कोई हिसाब किताब शासन से मांगा जाता है, प्रशासन से मांगा जाता है तो आज तक पत्र का जवाब नहीं आता है, यह विकास यात्रा है. विकास यात्रा का जो सच है, माननीय सभापति महोदय, मैं चार लाईने कहकर उन्‍हें पूरा करूंगा.

सभापति महोदय -- आप अपने राज्‍यपाल के अभिभाषण पर बोलियेगा.

     शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- विकास यात्रा उन्‍हीं का सब्‍जेक्‍ट है. चार लाईनों में कहकर समाप्‍त करूंगा कि '' शातिर तमाम शहर के धनवान हो गये, इनको नसीबोएश के सामान हो गये, दोस्‍तों ये दौर ए शियासत अजीब है, कल के लुटेरे आज के सुल्‍तान हो गये'' यह विकास यात्रा का सच है. मैंने कहा कि विकास यात्रा तो भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को एक दूसरे के घर में जाकर देखना चाहिये थी, कि किसका कितना विकास हुआ है, यह विकास यात्रा है. विकास यात्रा के बारे में जो हमारे यहां विदिशा विधानसभा में विकास हुआ है, उसके बारे में भी मैं निवेदन करना चाहूंगा माननीय सभापति महोदय, कि हाईवे पर सड़क बन गई, लेकिन उनमें पुलियाएं नहीं बनी जिसकी वजह से पूरा शहर पिछले तीन चार साल से लगातार बाढ़ में डूब रहा है, इसके लिये शासन प्रशासन को चेताया गया है, लेकिन आज तक उनका कोई निराकरण नहीं किया गया है. यह विकास की पराकाष्‍ठा है क्‍योंकि आप जानते हैं कि विदिशा विधानसभा में किसका हस्‍तक्षेप है. मुझे कहने की आवश्‍यकता नहीं है, वह अभी सदन में नहीं है, नहीं तो मैं इस बात को उनके सामने कहता. हमारे यहां सिंचाई का साधन नहीं है, एक मकोडि़या डेम हमारे यहां प्रस्‍तावित था, उसका राज्‍यपाल महोदय ने जिक्र नहीं किया. मकोडि़या डेम के लिये हमने नर्मदा जल लाने का पत्र लिखकर प्रयास किया, लेकिन नर्मदा जल लाने का, बेतवा में डालने का कोई जिक्र इस राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण में नहीं है. अटल ज्‍योति योजना की यह हालत है कि वह शटल ज्‍योति योजना हो गई, पूरे ट्रांसफार्मर और केबिल जले पड़े हैं, लेकिन कोई भी देखने वाला नहीं है. कहते हैं कि स्‍कीम आयेगी इसके बाद ही चैंज किये जायेंगे. अटल गृह ज्‍योति योजना की भी कमोवेश यही हालत है, पहले इंदिरा गृह ज्‍योति योजना का नाम बदलकर अटल ज्‍योति योजना किया गया, उसमें भी बड़े बड़े बिल हमारे हितग्राही भाईयों को आ रहे हैं. अभी किसान के बारे में मेरे पूर्ववक्‍ता बहुत बोल रहे थे कि हमने ब्‍याज माफ कर दिया, माननीय राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण में है कि सौ करोड़ रूपये हमने इसी के लिये रखे हैं कि ओवर ड्यू ब्‍याज नहीं रहेगा. ओवर ड्यू ब्‍याज किस चीज का लिया है, सरकार ने इस बात का खुलासा आज मेरा प्रश्‍न था,उसमें यह था लेकिन वह नहीं आया पाया. 11 से 14 प्रतिशत ब्‍याज लिया गया, जो किश्‍तें बनाई थीं, माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने वर्ष 2017 अप्राकृतिक आपदा को लेकर उन अगले 3 सालों में उसका भुगतान होना था और उस आदेश में यह कहीं नहीं लिखा कि 11 से 24 प्रतिशत ब्‍याज लिया जायेगा सहकारी संस्‍थाओं से कनवर्शन का, लेकिन पहली किश्‍त वगैर ब्‍याज के ले ली गई, दूसरी किश्‍त वगैर ब्‍याज के ले ली गई, जब मध्‍यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई और इसके बाद चली गई उसके बाद जो किश्‍त आई उस पर ओवरड्यू 14 प्रतिशत ब्‍याज जो किसान भर चुका उस पर भी ब्‍याज लिया गया और जो करेंट ईयर की थी उस पर भी 11 प्रतिशत ब्‍याज लिया गया, मेरे पास यह राज्‍य सरकार का पत्र है.

          सभापति महोदय--  अपनी बात जल्‍दी बोलियेगा, इस लिस्‍ट में काफी सदस्‍यों के नाम हैं.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव--  माननीय सभापति महोदय, 5 साल में पहली बार मौका मिला है, आपसे सहयोग और संरक्षण चाहता हूं. 

          श्री उमाकांश शर्मा--  माननीय सभापति महोदय, शशांक भाई साहब मैं एक रहस्‍य उजागर कर दूं, यह जल्‍दी नहीं बैठेंगे, क्‍योंकि यह भी पुराने सिरोंज के रहने वाले हैं.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव--  माननीय सभापति महोदय, हमारा और इनका जन्‍म स्‍थान एक ही है, बैठ जाओ यार. इस पत्र के माध्‍यम से जो ऋण माफी की सूचना दी गई उसमें यह कहीं भी नहीं लिखा है कि जीरो प्रतिशत ब्‍याज के ऊपर जो ऋण दिया गया था उसकी 3 किश्‍तें की हैं, उन तीनों किश्‍तों पर ब्‍याज लिया जायेगा इसलिये वह 100 करोड़ रूपया जो आपने कहा है वह बेमानी है. आपको ब्‍याज लेने का अधिकार ही नहीं था बैंकों को क्‍योंकि पूर्व में ही किसानों को जीरो प्रतिशत पर आपने ऋण दिया था, इस बात का मैं जवाब चाहूंगा माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय से जब वह अपने अभिभाषण में बोलें, इस बात को क्‍लीयर करें कि 100 करोड़ की राशि मध्‍यप्रदेश सरकार की बचाई जायेगी और जो अनियमिततापूर्ण ब्‍याज दर लगाई गई है उसको किसानों के खाते में पुन: जमा किया जायेगा. जल जीवन मिशन के मेरे कई साथियों ने बात की, पूरा का पूरा जल जीवन मिशन विदिशा से लेकर दिल्‍ली तक भ्रष्‍टाचार की भेंट चढ़ गया. एक भी गांव ऐसा नहीं है...

          सभापति महोदय--  आप अपनी बात जल्‍दी पूरी करें.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव--  सभापति महोदय, मेरी बात अभी शुरू हुई है.

          सभापति महोदय--  शुरू नहीं आप बोल चुके हैं.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव-- इसके बारे में मैं नहीं बोलता. अभी बात आई थी भावान्‍तर राशि माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने दी, उन्‍होंने बोनस की राशि दी. न तो वर्ष 2018 का बोनस दिया, न वर्ष 2017 के सोयाबीन की भावान्‍तर की राशि दी. यह तमाम बातें हमारे सत्‍तापक्ष के जो विधायकों ने कहीं वह सब बेमानी थीं. आज गरीबों की हालत यह है कि उनकी थाली से गेंहू गायब कर दिया मध्‍यप्रदेश की राज्‍य सरकार ने, गेंहू की जगह चावल दिया जा रहा है और प्रशासन को चेताने पर भी प्रशासन कहता है कि जो ऊपर से गाइड लाइन है उसके हिसाब से हमको चावल देना आवश्‍यक है. सभापति महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि गरीबों की थाली का गेंहू यह सरकार गायब न करे. नशामुक्ति के लिये आपने अभियान चलाया उस अभियान से यह हुआ कि जो लोग गलत काम करते थे उनके रिश्‍वत के रेट बढ़ गये, यह विकास यात्रा का नमूना है. शासकीय भूमि के पट्टे आपने देने का कहा, माननीय कमल नाथ जी स्‍कीम लेकर आये, उसका आपने अनुसरण किया, लेकिन आज शासकीय भूमि पर पट्टे नहीं दिये जा रहे हैं उसमें भी आप लोग प्रीमियम लेने के बाद अधिकारी गोलमाल कर रहे हैं, पट्टे किसी को भी नहीं मिले हैं.

          सभापति महोदय, मेडीकल कॉलेज की बात अभी आई थी कि हमने इतने मे‍डीकल कॉलेज बना दिये और माननीय सभापति महोदय, विदिशा में अटल बिहारी शासकीय महाविद्यालय है, वहां स्‍त्री रोग विभाग की यह हालत है कि न तो वहां मरीजों को भर्ती किया जाता है और भर्ती भी किया जाता है तो 100 में से 60 मरीज भोपाल रेफर किये जाते हैं, यह हालत है. आपरेशन अगर करना हो तो डॉक्‍टर कहते हैं कि हमारे निजी अस्‍पताल में आओ वहां पर कर देंगे, यहां से छुट्टी करा लो. हमारे यहां साढ़े सात सौ पलंग का अस्‍पताल है, आज तक उसमें 300 से ज्‍यादा पलंग कभी भी नहीं भरे गये, उसका कारण यह है कि वहां पर इतना मिस मेनेजमेंट है, हमारे माननीय मंत्री जी बैठे हैं उनको भी मैं अवगत कराना चाहूंगा आपके माध्‍यम से कि इतना मिस मेनेजमेंट है कि वहां पर कोई भी चीज नहीं है. कोई डाक्टर वहां एक्सपर्ट है तो उसके इक्यूपमेंट्स नहीं है कि आपरेशन किये जायें. आंखों का इलाज करने के लिये विशेषज्ञ हैं लेकिन इक्यूपमेंट्स नहीं हैं. आर्थोपेडिक का जो सामान लगता है वह लोग बाजार से लेकर आ रहे हैं. यह तमाम विसंगतियां हमारे मेडिकल कालेज में हैं.

          श्री उमाकांत शर्मा -     (xxx)

            सभापति महोदय -  उमाकांत शर्मा जी की  यह बात नहीं लिखी जायेगी.

          श्री शशांक  श्रीकृष्ण भार्गव - आप हमारे पायलट मंत्री भी हैं. आप कृपा करके  मेरे साथ मेडिकल कालेज की विजिट करें.  वहां एनेस्थीसिया के डाक्टर की कमी है. आपरेशनों की यह हालत है कि 16-16,18-18 दिनों में आपरेशन के नंबर आते हैं.

          सभापति महोदय -  आप कृपया समाप्त करें.

          श्री शशांक  श्रीकृष्ण भार्गव -  मैं  गौवंश की बात करूं. गौवंश के संरक्षण के लिये माननीय कमलनाथ जी ने 1 हजार गौशालाएं बनाईं. इसके बाद उनका मैनेजमेंट बिल्कुल फेल है. गौमाता के पानी,चारे की व्यवस्था नहीं है. मैं एक बात कहना चाहता हूं कि सतना में आपने अभी मेडिकल कालेज की मान्यता दी. सतना में मेडिकल कालेज में मान्यता इस हिसाब से दी. जैसे प्रायवेट कालेजों में लोग मरीजों को भर्ती करा देते हैं उसी तरह एक्सपर्टों को वहां भर्ती किया गया.

          सभापति महोदय -  आप कृपया समाप्त करें. आपको 12 मिनट हो गये हैं.

          श्री शशांक  श्रीकृष्ण भार्गव - सभापति महोदय, स्कालरशिप बच्चों का मूल अधिकार है.  ओबीसी के बच्चों को गवर्नमेंट कालेजों में 82100 रुपये स्कालरशिप मिलती है और जो प्रायवेट कालेज हैं  गवर्नमेंट से अनुदान प्राप्त, उनको 28500 रुपये दी जा रही है. वहां बच्चों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है.  यह कैसा न्याय इस सरकार में हो रहा है. और आप विकास की बात कर रहे हैं. शासकीय महाविद्यालय,गुलाबगंज जिसका कि उद्घाटन अभी 2 साल पहले हुआ. विकास यात्रा के दौरान मैंने पोल खोल यात्रा की. उसमें तमाम बिल्डिंगें टूटी पड़ी हुई है. उसके बारे में आपने पेपर में भी पढ़ा होगा. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा सिकरवार(जौरा) - माननीय सभापति महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने खड़ा हुआ हूं. जैसा इस सदन में चर्चा हुई है तो ऐसा लगता है कि विपक्ष का धर्म है कि कोई बात स्वीकार नहीं करना. मैं एक-एक जो बात माननीय राज्यपाल जी ने अपने अभिभाषण में कही हैं मैं उन्हीं पर चर्चा करूंगा. महामहिम राज्यपाल जी ने कहा मेरा सरकार तो मेरा सरकार का मतलब तो वे सरकार को शपथ दिलाते हैं वह तो चाहे किसी भी दल की सरकार हो वह मेरी सरकार कहेंगे और सरकार के अच्छे कामों की प्रशंसा करना हमारे राज्यपाल की परंपरा रही है. मैं अमृतकाल महोत्सव से लेकर अमृतकाल तक संसदीय विकसित एवं आत्म निर्भर भारत के निर्माण की महायात्रा का प्रारंभ माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा किया जा चुका है. उसमें मध्यप्रदेश  भी अपने कदम से कदम लगाकर कंधे से कंधा लगाकर हमारे प्रधानमंत्री की भावनाओं को पूरा करने का काम कर रहा है. प्रधानमंत्री जी के बारे में पहले नाम आता है उसके बाद में हमारे मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी का नाम आता है. जो विपक्ष ने बात कही है चाहे वह जनजाति समाज के लिये कही हों चाहे किसानों के लिये कही हों लेकिन मैं इन भाईयों से यह पूछता हूं कि हमारे देश में जब गांधी जी ने कहा था कि 75 प्रतिशत  भारत गांवों में निवास करता है और उसमें  65 प्रतिशत   हमारा किसान  निवास करता है  और वह खेती के माध्यम से  परिवार को चलता है.  उसी में से अपनी दवाई दारु  का खर्चा  चलाता है. उसी मैं से  शादी संबंध करता है.  दवाई दारु का मतलब दवाई है यह.  अपने इलाज की व्यवस्था करता है.

          श्री उमाकांत शर्मा-- (xxx)

            सभापति महोदय-- शर्मा जी, जो बोल रहे हैं, वह नहीं लिखा जायेगा.

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- सभापति महोदय,  उसी में से  वह किसान अपना  घर बनाने का काम करते हैं.  इन सब कामों को करते हुए  पूरे देश को अन्न खिलाने  का काम करता है,  लेकिन आपकी  निरन्तर  60 वर्षों तक सरकारें रहीं, चाहे वह प्रधानमंत्री के रुप  में  पंडित  जवाहरलाल नेहरु  रहे हों,  चाहे वह इन्दिरा  जी रही हों,  चाहे राजीव जी रहे हों,  चाहे उनके बनाये हुए  मनमोहन सिंह जी रहे हों और उनके बनाये हुए  अन्य प्रधानमंत्री रहे हों. लेकिन यह बात किसी ने नहीं सोची कि  किसान किस परिस्थिति में   अपने घर को चलाते  हुए देश को अन्न खिलाने का  काम करता है.  इस पर किसी ने चिंता नहीं की.  चिंता की तो  हमारे देश के  सम्मानीय प्रधानमंत्री,  नरेन्द्र मोदी जी  ने  किसानों का सम्मान किया.  जब उन्होंने किसान सम्मान  निधि के नाम से  6 हजार रुपये देने का काम किया, तो यह किसानों  के लिये बहुत गौरव की बात थी. यह किसानों का सम्मान था.  इसको आप भी कर सकते थे.  उन्होंने किसान को सम्मान भी दिया,  उन्होंने सोचा कि  किसान कैसे अपने  घर को चलाते हुए  आवास बनाता है.  मैं यह कह रहा हूं कि मेरे क्षेत्र   में  आदिवासी, जनजाति  के लोग रहते हैं.  उन बेचारों की  3-3,4-4 पीढ़ियां  उस झोपड़ी में  ही गुजारा करते हुए चली गई. लेकिन उनका आपकी योजना  चल रही थी इन्दिरा आवास  के अंतर्गत कोई भी  नेता यह कहे कि  100 आवास इस गांव में बने हैं, हम  यह गारंटी से  आपको साथ ले जाकर कह सकते हैं कि  जो आदिवासी भाई कभी भी मकान नहीं  बना सकता था,  उनके एक एक गांव में  500-500 मकान  प्रधानमंत्री  आवास योजना के तहत बने हैं  और सीसी  की छतें डली हैं. यह काम किया है तो  हमारे प्रधानमंत्री जी ने किया है.  उन्होंने किसान की यह भी चिंता की   कि किसान मकान बनाता है,  किसान अपनी दवाई का  काम करता है, तो उन्होंने आयुष्मान भारत  योजना को लागू करके  और पूरे किसान  और जनता को जो संरक्षण,मदद की है, 5 लाख रुपये  बड़ी राशि होती है.  पहले तो बीमारी 200-500 रुपये में ठीक होती थी.  आज लाखों रुपये में कुछ भी नहीं होता है.   हमारे प्रधानमंत्री जी ने  उन ग्रामीण क्षेत्र  में  और गरीबों के लिये  कहा कि  5 लाख रुपये का हर साल   आप प्रधानमंत्री   आयुष्मान भारत  योजना के तहत  उसका लाभ ले सकते हैं.  उन्होंने शौचालय, एक एक बात गरीब महिलाओं के लिये की, उनको  उज्जवला गैस देने का काम किया.  उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि जो जंगल में रहने वाले  गरीब लोग हैं, वह कभी गैस  पर  खाना बनायेंगे.  आज हम उस आवास में जब जाते हैं,  तो  उसमें गैस भी है,  शौचालय भी है, स्वच्छता भी है और उसमें उनका सम्मान भी है. यह काम हमारे  प्रधानमंत्री जी ने किया है.  मध्यप्रदेश एक ऐसा प्रान्त  है कि  जहां 4 हजार रुपये  किसानों को देकर के और  जो किसानों का सम्मान  किया है पूरे  देश में 6 हजार रुपये मिलते हैं.  एक मध्यप्रदेश सौभाग्यशाली प्रदेश है कि  यहां के यशसस्वी मुख्यमंत्री,  शिवराज सिंह चौहान साहब ने  4 हजार रुपये देने का काम  किया है.  जब हमारे मुख्यमंत्री  जी पहली बार मुख्यमंत्री बने, तो  ओला पड़ गये थे.  उस दौरे में मैं भी कार्यकर्ता के रुप में  मौजूद था. तो  उन्होंने एक गेहूं का खेत  बिलकुल ओलों से  खराब हो गया था.  उन्होंने कलेक्टर को कहा कि  इसका मुआवजा मिलना चाहिये. तो  उन्होंने कान में कहा कि  मुआवजा नहीं मिल सकता, आरबीसी में प्रावधान नहीं है.  अरे, तुम इतने सालों से  शासन कर रहे थे,  60 वर्षों से  निरन्तर  शासन कर रहे थे. अंग्रेजों की बनाई हुई, उस आरबीसी को नहीं बदल पाए, उसमें एक गांव में ओले पड़ते तो कुछ नहीं होता, उसमें कुछ भी मुआवजा नहीं मिलता तो वह गांव सोचता कि अब तो पूरे क्षेत्र में ओले पड़े, तब उसकी भरपाई हो सकती है. लेकिन हमारे मुख्यमंत्री जी ने आरबीसी में संशोधन करके अगर किसी गांव के एक खेत में भी ओले पड़ेंगे तो निश्चित रूप से उसका मुआवजा उसको मिलेगा, यह काम हमारी सरकार ने किया है. इसलिए हम माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं.

4.11 बजे                 {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

अध्यक्ष महोदय, विकास यात्रा पर बहुत बड़ी चर्चा हो रही है, इनको सब को पता है कि यह विकास यात्रा चाहे वह किसान हो, चाहे गांव में रहने वाला मजदूर हो, पूरे प्रशासन को साथ ले जाकर और उसका उसी जगह पर काम करने का जो कार्य किया है, जो मुख्यमंत्री जी ने इस योजना को, इस विकास यात्रा को किया है,  मैं तो यह कह सकता हूं कि यह मध्यप्रदेश में जनता के लिए महायज्ञ का काम किया है. हजारों आवेदन उनके मौके पर निपटाए गये. आप कहते हैं कि बेआबरू होकर लौटे? मैं कह रहा हूं कि मेरा क्षेत्र चंबल है. वहां स्वाभिमानी लोग रहते हैं. लेकिन मैंने 1 से 9 ग्राम पंचायतों में विकास यात्रा की है, पूरा सम्मान मिला है, हजारों लोगों के वहां काम हुए हैं.  विकास यात्रा ने बहुत ताकत दी है. विधायकों को भी दी है, जनता को भी दी है, मजदूरों, गरीबों को भी इससे ताकत मिली है. इसकी आपको पीड़ा हो रही है कि यह विकास यात्रा करके ताकत और दोगुनी कर दी है.

अध्यक्ष महोदय, इस सदन में मेरी निरंतर हाजरी रही है, निरंतर मैंने सुना है. कोई आदमी सच कहने को तैयार नहीं है. हमारे चंबल क्षेत्र के विधायक होकर आज डॉ. गोविन्द सिंह नेता प्रतिपक्ष हैं और वह बेबाक बात करने वाले हैं. मैंने कई बार उनको और माननीय श्री लक्ष्मण सिंह जी को मुख्यमंत्री जी के अच्छे कार्यों की प्रशंसा करते हुए सुना है. लेकिन कांग्रेस के लोगों को पीड़ा है कि चंबल क्षेत्र का आदमी नेता प्रतिपक्ष बन गया, उनको नीचा दिखाने के लिए उनका ग्राफ कम करने के लिए रोज इस सदन की परंपरा और नियमों की धज्जियां उड़ाकर यह इतिहास बनाना चाहते हैं कि जब माननीय डॉ. गोविन्द सिंह जी नेता प्रतिपक्ष थे, तब सदन नहीं चला. जो मध्यप्रदेश की विधानसभा में बात कही गई, वह कतई उचित नहीं थी. अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय श्री पांसे जी बोल रहे थे, लेकिन मैं यह कह रहा हूं कि जनजाति समाज की चिंता अगर किसी ने की है तो मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने की है. आप देख लीजिए कि उन्होंने जैसा आदिवासी महिलाओं को 1000 रुपये पोषण के रूप में देने का काम किया, उन्होंने जनजाति गौरव दिवस मनाने का काम किया. अध्यक्ष महोदय, आपने जो समय दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

श्री विनय सक्सेना (जबलपुर उत्तर) - अध्यक्ष महोदय, माननीय महामहिम ने अपने अभिभाषण में सभी सदस्यों के हार्दिक स्वागत के साथ जो शुरुआत की.  पन्द्रहवीं विधान सभा के पांचवें और अंतिम बजट, आज अंतिम बजट पर कोई आपत्ति ले रहा था. (श्री उमाकांत शर्मा, सदस्य की ओर देखते हुए) आप तो सभी पर लेते हैं, प्रणाम है आपको.

श्री उमाकांत शर्मा - हमारी आपत्ति कोई खारिज भी नहीं करता है.

श्री विनय सक्सेना - माननीय राज्यपाल महोदय ने कहा है. इसको पढ़ लीजिए, यह पहली लाइन में है. इसी में लिखा है कि अंतिम बजट. मैंने नहीं लिखा है. कृपा करके पढ़ने की आदत डालिए. इंग्लिश में नहीं है, आपको समझ में नहीं आया होगा. लेकिन अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात का आश्चर्य होता है, अमृत-काल समृद्ध, विकसित प्रदेश, आत्‍मनिर्भर भारत, आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश. मैंने माता-पिता से बचपन से सुना कि आत्‍मनिर्भर बनो. अपनी जेब में कमाओ, अपने आप खाओ, माता-पिता की सेवा करो. मगर मध्‍यप्रदेश ऐसा कैसा आत्‍मनिर्भर प्रदेश बन रहा है कि कर्ज के आधार पर पूरी नीतियां चल रही हैं. 3 लाख करोड़ रुपए का हम बजट तो पेश कर देते हैं, लेकिन 25-25 हजार करोड़ रुपये साल का हमको ब्‍याज देना पड़ता है. ऐसे कैसे प्रदेश आत्‍मनिर्भर बनेगा. कैसा आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश है, जहां लोगों को रोजगार नहीं है, किसान आत्‍महत्‍या करते हैं. 18 साल बाद महिलाओं को याद करके यह कहना पड़ रहा है कि लाडली बहना को एक हजार रुपये देंगे. आत्‍मनिर्भर का मतलब तो यह है कि सब आत्‍मनिर्भर हैं. किसी को कोई जरूरत नहीं है. अपने दम पर बहनें चल रही हैं, अपने दम पर जीजा चल रहे हैं, अपने दम पर अधिकारी चल रहे हैं, अपने दम पर किसान चल रहे हैं, अपने दम पर हमारे रोजगार पाने वाले युवा चल रहे हैं. माननीय राज्‍यपाल जी से आप कुछ भी कहलवा लें. मैंने देखा, इतना असत्‍य मैं इस विधान सभा में सुनता हूँ. जब हम लोग नगर निगम में होते थे तो लगता था कि विधान सभा एक बड़ा न्‍याय का मंदिर है. देश के प्रधानमंत्री जब लोकसभा में पहली बार पहुँचे तो उन्‍होंने वहां पर चरण वंदना की, प्रणाम करके अंदर प्रवेश किया. उनका नाम इसलिए ले रहा हूँ कि उनका उल्‍लेख है इसमें. लेकिन मैं जब सुनता हूँ मंत्री लोग यहां पर कहते हैं कि अभी प्रश्‍न विचाराधीन है. इसका जवाब दिया नहीं जा सकता. आदरणीय हिना कावरे जी के प्रश्‍न के जवाब में आज जिस तरह से सारंग जी कह रहे थे कि पारदर्शी मध्‍यप्रदेश है. सुशासन वाला प्रदेश है तो फिर प्रश्‍नों के जवाब देने में दिक्‍कत क्‍या है...(व्‍यवधान)...

          श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विनय जी ने कहा है कि राज्‍यपाल जी ने अंतिम बजट बोला है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, शर्मा जी, बैठ जाइये.

          श्री उमाकांत शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, यह नहीं है, पंद्रहवीं विधान सभा के पांचवें और अंतिम बजट सत्र में है, आप गलत बोल रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, बैठिए.

          श्री विनय सक्‍सेना -- अध्‍यक्ष महोदय, अंतिम बजट सत्र और हिंदी इंग्‍लिश इनको आप बताइये. मैं तो नहीं समझा पाऊँगा. मैं माननीय विधायक जी से यह भी कहना चाहता हूँ, आज उन्‍होंने इंग्‍लिश में शुरुआत की, मैंने नहीं, संसदीय कार्य मंत्री जी ने टोका, अभी इंग्‍लिश में हैं, अभी हिंदी में आ जाएंगे. आगे की इंग्‍लिश इनको नहीं आती. जब हिंदी नहीं समझ में आएगी तो संस्‍कृत में आ जाएंगे. यह माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने कहा आपको, मैंने नहीं कहा आपको, मैं हाथ जोड़कर आपको प्रणाम करता हूँ.

          श्री उमाकांत शर्मा -- हम बुंदेली भी बोलेंगे, मालवी भी बोलेंगे, लोकल बोली भी बोलेंगे.

          श्री विनय सक्‍सेना -- लेकिन देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी यह कहते हैं कि मेडिकल की शिक्षा भी हिंदी में होगी. अगर माननीय मुख्‍यमंत्री, जिनकी आप तारीफ करते हैं, कहते हैं कि हिंदी में मेडिकल की शिक्षा होगी तो फिर इस विधान सभा में इंग्‍लिश बोलने की आपको जरूरत क्‍यों पड़ रही. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जितने मिनट यह बीच में बोलेंगे, उतने मिनट मुझे देते जाना. यह जरूर आपसे आग्रह है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, उनकी बात का आप ध्‍यान मत करो. आप सीधे बोलते रहें.

          श्री विनय सक्‍सेना -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बड़ी भारी आवाज है इनकी, डरा देते हैं. (हंसी). सही बोल रहा हूँ. इनकी आवाज निकलती है तो हम लोग सोचते हैं कोई बाहर से आकर चिल्‍ला रहा है. अन्‍यथा नहीं लेंगे, उनकी आवाज भारी है. मतलब ईश्‍वर ने दी है, बड़ी अच्‍छी आवाज उनको. आज तो सर्दी है नहीं तो पता नहीं बाहर तक लोग सुनते आज.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेडिकल की शिक्षा हिंदी में होगी, यह बात और है कि मध्‍यप्रदेश में अभी तक एक प्रोफेसर नहीं मिला इनको जो मेडिकल की शिक्षा हिंदी में दे सके. कोई प्रोफेसर आज तक नहीं मिले. किताबें आज तक हिंदी में नहीं आई. हर चीज की घोषणा, वादे-इरादे, माननीय मुख्‍यमंत्री जी जब कहते हैं तो लगता है कि घोषणाओं के झरने बह रहे हैं. 22 हजार, 25 हजार, हमारे माननीय वित्‍तमंत्री जी ...(व्‍यवधान)...

          चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्‍वास सारंग) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वैसे तो मुझे बोलना नहीं चाहिए पर असत्‍य जानकारी यहां देना ठीक नहीं है. किताबें भी आ गई हैं और विधायक जी, मैं तो समझता था कि. ...(व्‍यवधान)...

          श्री विनय सक्‍सेना -- हम तो जबलपुर मेडिकल कॉलेज की बात कर रहे हैं सर, भोपाल में आ गई होंगी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- वे मेडिकल कॉलेज वाले भी मंत्री हैं ना.

          श्री शंशाक श्रीकृष्‍ण भार्गव -- हिंदी में जो स्‍टुडेंट पढ़ेंगे, उनको विशेषकर ...(व्‍यवधान)...

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मानता था कि सक्‍सेना जी कुछ पढ़ लिखकर आते होंगे. पर माननीय सक्‍सेना जी, अलग से हिंदी के प्रोफेसर नहीं होंगे. न उनकी जरूरत है. एक ही क्‍लास में दोनों लैंग्‍वेज में पढ़ाया जाएगा, इसलिए असत्‍य जानकारी यहां देना ठीक नहीं है. मैं आपकी जानकारी को पुख्‍ता कर रहा हूँ, बस.

          श्री विनय सक्‍सेना -- आपसे जानकारी मिल गई, अच्‍छा हुआ, पहली बार तो कोई मंत्री जानकारी दे रहा है. नहीं तो आज तक माननीय मुख्‍यमंत्री और किसी मंत्री ने क्‍या किसी विपक्ष के विधायक को बैठकर बताया कि हम अपने मंत्रालय में यह काम करने जा रहे हैं ? अखबार में हम लोग पढ़ते हैं बस. सबका साथ, सबका सम्‍मान, सबका विश्‍वास, आज तक माननीय मुख्‍यमंत्री जी या किसी मंत्री ने मध्‍यप्रदेश में पहल की क्‍या कि सभी विधायकों को बैठाकर कि हम नई पहल करने जा रहे हैं] नवाचार करने जा रहे हैं. आइए हम बता रहे हैं कि हम मेडिकल में क्‍या करने जा रहे हैं. अब जो हम लोग जबलपुर में अपने प्रोफेसर से सुनते हैं] मध्‍यप्रदेश के अन्‍य प्रोफेसर जो हमारे मित्र हैं] हमारे बुजुर्ग हैं उनसे सुनते हैं कि साहब बड़ा इस तरह का काम चल रहा है. उसको हम लोग यहां अपनी तकलीफ बयां कर रहे हैं. हमें आपसे आपत्‍ति नहीं है.

          चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्‍वास सारंग) -- विनय भाई] आपने उनकी गलत जानकारी को शेयर किया. मेरी सही जानकारी को भी जरा शेयर कर देते.

          श्री विनय सक्‍सेना -- आज आप पहली बार तो हमारे साथ कुछ शेयर कर रहे हो. कभी-कभी शेयर कर लिया करो.

          श्री विश्‍वास सारंग -- शेयर कर तो दिया.

          श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय] आपकी अनुमति हो] तो एक-दो लाईन कहना चाहता हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं नहीं. कोई अनुमति नहीं है.

          श्री विनय सक्‍सेना -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय] एक और पाइंट मैं देख रहा था. महामहिम राज्‍यपाल महोदय ने कहा कि प्रदेश में भारी सड़कें बन रही हैं. मैं कहना चाहता हॅूं कि मध्‍यप्रदेश में सड़कें बन रही हैं] हिन्‍दुस्‍तान में सड़कें बन रही हैं. हम लोग छोटे थे तब उस समय सुनते थे कि कारें खरीदो] तो जो उसका टैक्‍स देते हैं] उससे सड़कें बनती हैं. अब अगर महामहिम जी कह रहे हैं कि सरकार सड़कें बना रही हैं तो यह बात बिल्‍कुल असत्‍य है. मध्‍यप्रदेश में जो भी अच्‍छी सड़कें हैं] जिस पर हम चल रहे हैं वह बेयर टू बेसेस पर चल रही हैं. 80 किलोमीटर पर ढाई सौ रूपए तक टैक्‍स लग रहा है तो इसमें सरकार का पब्‍लिक के ऊपर ऐसा कौन-सा एहसान है.

          श्री दिव्‍यराज सिंह -- क्‍या विदेशों में टोल टैक्‍स नहीं लगते हैं ?

          श्री विनय सक्‍सेना -- अध्‍यक्ष जी, टोल टैक्‍स का मतलब है तो आत्‍मनिर्भर कैसे हो गया. आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश का मतलब यह है कि सरकार के पास इतनी कमाई हो. आपकी अपनी ताकत हो कि सरकार जनता के लिये सड़कें बनाकर दे. सरकार का मूलमंत्र तो यही है. आप स्‍वास्‍थ्‍य में प्राइवेटाइजेशन कर रहे हो.

          श्री आशीष गोविन्‍द शर्मा -- कांग्रेस ने यह नहीं करा, इसलिए उनके समय सड़कें खराब थीं.

          श्री विनय सक्‍सेना -- बिल्‍कुल, आपको बताना चाहता हॅूं. आप नाम ले रहे हो तो वर्ष 2004 में श्री दिग्‍विजय सिंह जी ने जो एडीबी के लोन की योजनाएं भेजी थीं वहीं योजनाएं बाद में आयीं. उसी में बिजली के प्रोजेक्‍ट आए, जिसके आधार पर आज आप लोग वाहवाही लूट रहे हो. रिकार्ड उठाकर देखना. चर्चा हो, तो कभी सार्वजनिक मंच पर कर लेना. आपको ऑन द रिकार्ड दूंगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में अभी आज चर्चा आयी. हमारे 5 विधायक, जिसमें मेरे साथ माननीय अजय विश्‍नोई जी भी थे, हमारे साथ माननीय शाह साहब थे और भाई भी हमारे साथ था, जिन्‍होंने अभी बीच में मुझे टोका. जबलपुर से मंडला की सड़क, जिस पर टोल टैक्‍स लगना है. ऐसा लगता है कि नवजात बच्‍चा पैदा हुआ और वृद्ध पोजीश़न पर आ गया. एक भी 25 मीटर की सड़क ऐसी नहीं है जिसमें सांप के आकार में पूरी रोड फटी न हो. ऐसी सड़कें भी आपके प्रदेश में बन रही हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय गडकरी जी का बहुत सम्‍मान करता हॅूं. उनको पिछली बार मैंने पत्र दिया. जबलपुर, लखनादौन, रीवा की सड़कें, जबलपुर, भोपाल की सड़कें जिस पर टोल लग रहा है, 2-2 साल पहले अभी बनी हैं और सबमें क्रेक हैं. लोग कहते हैं जो ठेकेदार हैं वे बडे़-बडे़ लोगों के मित्र हैं इसलिए कुछ कह नहीं सकते. सदन में उनका नाम लिया नहीं जा सकता. यह बहुत से ऐसे मामले हैं. पीठ थपथपाना अलग बात है लेकिन अगर आंखों से सच्‍चाई दिखती है. वहां 5-5 विधायक थे. जब माननीय अजय विश्‍नोई जी हम लोगों के साथ चले, तो आखिर में उन्‍होंने मंडला में कहा, विनय वाकई में बोलने लायक स्‍थिति नहीं है, बहुत बेकार हालत है. यह आपका आईना है जिसकी बात भाई लोग अभी कर रहे थे कि हम आईना दिखाएंगे.

          श्री दिव्‍यराज सिंह -- नाम लिया है, तो कुछ पेचेस ऐसे जरूर थे लेकिन कहीं न कहीं अगर हम देखें, ओवरऑल स्‍थिति पहले से बहुत बेहतर हो चुकी है. पहले तो चलने लायक नहीं था.

          श्री विनय सक्‍सेना -- माननीय अध्‍यक्ष जी, हां, यह बात सही है. आज से 5 साल पहले पूरी ऊबड़-खाबड़ सड़क थी लेकिन सरकार आप ही की थी. लेकिन जब टोल वसूली के चक्‍कर में प्राइवेट ठेकेदारों को दी, अब सड़क बन गई है लेकिन चलने लायक नहीं है.  सड़कें तो और भी प्रदेशों में, जहां टोल लगता है आप नागपुर चले जाइए, महाराष्‍ट्र चले जाइए, कर्नाटक चले जाइए. सड़कों में कार में आप पानी का ग्‍लास रख दीजिए, ग्‍लास हिलता नहीं है लेकिन अगर मंडला सड़क पर आप चले जाएं तो मैं तो चाहता हॅूं कि आप वहां एक समिति बनाकर भेजें. अगर वापसी में समिति दस्‍तखत करने से मना न कर दे, तो कहिएगा. क्‍योंकि इतना असत्‍य तो कोई भी बर्दाश्‍त नहीं कर सकता. बार-बार बात आती है कि मध्‍यप्रदेश बिजली में सरप्‍लस हो गया है.

          श्री दिव्‍यराज सिंह -- इतना असत्‍य तो हम बर्दाश्‍त नहीं कर पा रहे हैं इसलिए तो बार-बार उठ रहे हैं...(व्‍यवधान)..

          श्री विनय सक्‍सेना -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय गडकरी साहब ने इस बात को स्‍वीकारा...(व्‍यवधान)..

          श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय विधायक जी, राजस्‍थान और छत्‍तीसगढ़ की सड़कों पर हमारे साथ ग्‍लास में पानी भर कर चलो...(व्‍यवधान)..

          श्री विनय सक्‍सेना -- अरे, अपने हिन्‍दू मध्‍यप्रदेश को देख लो. काहे, छत्‍तीसगढ़ को अलग कर दिया. उसी के पीछे पड़े हो महाराज. एक बात और कहना चाहता हॅूं कि बार-बार यह बात आती है कि मध्‍यप्रदेश बिजली में सरप्‍लस हो गया. मध्‍यप्रदेश सरकार 21 हजार के आंकडे़ देती है. थोड़ी देर पहले विधायक जी 28 हजार मेगावाट कह रहे थे. आज तक 28 हजार मेगावाट क्‍या, कागजों में भी आपकी सरकार का यदि 22 हजार मेगावाट क्रॉस हुआ हो,  तो जो कहो, हार जाऊंगा.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- विनय भईया, मंडला-जबलपुर रोड आज से ब्रेक हो गया. एक महीने के लिये ब्रेक कर दिया गया.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. बिल्‍कुल नहीं. आपका नंबर आएगा, तब बोलिएगा.

            श्री विनय सक्सेना--  अध्यक्ष महोदय, बार बार यह बात आती है कि अगर मध्यप्रदेश सरप्लस स्टेट है तो गाँवों में बिजली 10 घंटे क्यों मिलती है? यह सरकार के रिकार्ड में है. अगर इतनी बिजली सरप्लस है और माननीय प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह जी खुद किसान के बेटे हैं तो किसानों को 24 घंटे बिजली देने में तकलीफ क्या है? अगर सरप्लस है तो बाँट दो बिजली मध्यप्रदेश को क्यों दूसरे राज्यों को बेच रहे हों? अध्यक्ष जी, इस प्रश्न का जवाब मुझे आज तक समझ में नहीं आया कि कागजों के आँकड़े अखबारों में आते हैं कि मध्यप्रदेश सरप्लस स्टेट है तो फिर जब सरप्लस है तो गाँवों की कटौती बन्द क्यों नहीं हो रही है? मैं खुद भी किसान हूँ. मेरे जो खेत में जो लाइट आती है वह 8 घंटे आती है और रात में जो कर्मचारी हैं, जो मेरे परिवार से जुड़े हुए हैं, वह कहते हैं रात में 6 बार उठना पड़ता है क्योंकि बिजली बार बार चली जाती है तो अध्यक्ष महोदय, महामहिम से बुलवाइये, तारीफ करवाना हक बनता है सरकार का, लेकिन ऐसी कैसी तारीफ कि आँखों में धूल झोंकी जा रही है. सरप्लस बिजली, तरह तरह के आँकड़े....

          डॉ. सीतासरन शर्मा--  गाँव में 24 घंटे दे रहे हैं...(व्यवधान)..सिंगल फेस 24 घंटे दे रहे हैं...(व्यवधान)..आपके समय नहीं देते थे. ..(व्यवधान)..

          श्री विनय सक्सेना--  आप से उम्मीद नहीं थी मुझे...(व्यवधान)..

          श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव--  24 घंटे सिंगल फेस नहीं आ रही है साहब...(व्यवधान)..

          डॉ.सीतासरन शर्मा--  खेती की 10 घंटे और पढ़ाई की 24 घंटे, आप तो 6 घंटे देते थे...(व्यवधान)..

          श्री विनय सक्सेना--  माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बड़ी और महत्वपूर्ण बात है. माननीय महामहिम के अभिभाषण में बार बार लिखा गया कि हम गरीबों को राशन बाँट रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की जो सच्चाई है कि पिछले कई महीनों से राशन में गेहूँ नहीं मिल रहा है. सिर्फ चाँवल दे रहे हैं.

          श्री दिलीप सिंह परिहार--  असत्य मत बोलो. सक्सेना जी, सबको मिल रहा है.

          श्री विनय सक्सेना--  कौन कह रहा है यह? आपके यहाँ मिल रहा होगा, आप भाजपा से हैं. आपके घर तो नहीं आता होगा, कभी खाया भी नहीं होगा राशन का आपने...(व्यवधान).. अध्यक्ष जी, मैं एक आग्रह आप से करना चाहता हूँ. हो सकता है आप निर्णय ले लें. लेकिन मध्यप्रदेश में हर साल लाखों टन गेहूँ वेयर हाउसों में सड़ जाता है और उसको सस्ते भावों में बेचा जाता है, दारू बनाने वालों को. शराब लीकर कांट्रेक्टर्स को. मेरा आप से आग्रह है कि सरकार जो बड़ी उदार नीति बनाती है सबको बाँटने की बात करती है. सब कुछ तेरा मेरा, तेरा सबको अर्पण, अक्सर हमारे मुख्यमंत्री जी भाषण में बोलते हैं यह बात, तो मैं यह नहीं समझ पाता हूँ कि गरीबों को वह गेहूँ क्यों नहीं बाँट देते? एक साल से गेहूँ राशन में क्यों नहीं बँट रहा है और अगर सड़ रहा है गेहूँ एक रुपये किलो बेचना पड़ता है तो वह गेहूँ गरीबों को बाँट क्यों नहीं दिया जाता है. यही तो माननीय प्रधानमंत्री जी की भी इच्छा है. अध्यक्ष महोदय,  एक और महत्वपूर्ण बात है, 18 साल बाद माननीय मुख्यमंत्री जी को याद आया कि हमको एक लाख नौकरी सरकारी देना है और पिछले 3 साल का रिकार्ड विधान सभा में आया है कि 3 साल में मात्र 21 लोगों को सरकारी नौकरी दी गई. अध्यक्ष महोदय, इतना असत्य कैसे चलेगा? अध्यक्ष महोदय, एक और महत्वपूर्ण बात, विकास यात्राओं पर चर्चा चल रही, गोपाल भार्गव जी नहीं हैं, मैं उनकी तारीफ करना चाहता हूँ. उनका एक उदाहरण देना चाहता हूँ. गोपाल भार्गव जी, मैं विधायक बनने के पहले नगर निगम में था तो अक्सर पढ़ता था कि गोपाल भार्गव जी चुनाव प्रचार करने नहीं जाते. मैंने कहा कितने बढ़िया नेता हैं क्यों नहीं जाते, बोले साहब, उन्होंने घर घर में इतनी पैठ बनाई है, उन्होंने इतना विकास किया है कि उनको वोट मांगने नहीं जाना पड़ता. लेकिन गोपाल भार्गव जी के उदाहरण के बाद मध्यप्रदेश सरकार को 18 साल बाद यह बताने गली गली जाना पड़ रहा है कि हमने कुछ विकास किया है देखो, ढोल नगाडे़ बजाकर(मेजों की थपथपाहट) इसका मतलब है कि 18 साल में विकास नहीं हुआ, हमको बोल बोल कर असत्य बोलो सौ बार बोलो, जोर जोर से बोलो, ढोल नगाड़े बजाकर बोलो और यह सिद्ध कर दो कि हमने विकास कर दिया. मैं गोपाल भार्गव जी को बहुत धन्यवाद और बधाई देना चाहता हूँ....

          अध्यक्ष महोदय--  16 मिनिट हो गए.

          श्री विनय सक्सेना--  हमारे 16 मिनिट में 10 मिनिट तो इन्होंने बोला है.

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं, नहीं 10 मिनिट नहीं बोला. 10 का हमने 16 कर दिया.

          श्री विनय  सक्सेना--  अध्यक्ष महोदय, आज हमारे काँग्रेस के कई विधायकों ने कहा विनय भाई आप बोल लेना....

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं, नहीं, किसी ने नहीं कहा. ऐसा मत कहिए.

          श्री विनय सक्सेना--  आप समय बता दीजिए मैं उससे पहले बैठ जाऊँगा. दो मिनिट और?

            अध्यक्ष महोदय--  एक मिनिट में बोलें क्योंकि 10 के बदले 16 कर दिया मैंने.

          श्री विनय सक्सेना--  अध्यक्ष महोदय, संबल योजना के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने कई बार यह आरोप लगाया कि माननीय कमलनाथ जी के समय यह योजना बंद हो गई. माननीय कमलनाथ जी के समय यह योजना बंद कर दी गई और खुद मध्यप्रदेश विधान सभा में कहा जा रहा है कि उनके कार्यकाल में संबल योजना का पैसा बंटता रहा, इसके प्रमाण यह कागज हैं. उद्यम क्रांति के बारे में कहा गया. सब चीजों के आंकड़े बता रहे हैं कि खुद सरकार कहती है कि कमलनाथ जी ने योजनाएं बंद कीं और खुद ही विधान सभा में जवाब देती जा रही है. चाहे वह किसान का मामला हो, चाहे मेधावी छात्रवृत्ति का मामला हो, सब मामलों में सरकार अपने असत्य पर घिरती है. उसके बाद राज्यपाल महोदय से कहलवाती है कि हम जो कर रहे हैं ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ है.

          अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ. आत्मनिर्भर वह होता है जो अपनी दम पर चले. मध्यप्रदेश के इतिहास पर एक बड़ा काला धब्बा लगा है जो आज तक नहीं लगा है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा मध्यप्रदेश सरकार की 10 हजार करोड़ रुपए की जमीन जिसका कर्ज मध्यप्रदेश सरकार नहीं चुका पाई, वह जमीन आरबीआई द्वारा 3 हजार करोड़ रुपए में बेच दी गई. (XXX) इससे बड़ा (XXX) और कुछ नहीं हो सकता है. लेकिन मेरी सरकार, मेरी सरकार और माननीय महामहिम जी को भी यह पता नहीं होगा.

          श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, कहां (XXX), यह कुछ तो भी बोल रहे हैं. आप यह डिलीट करवा दीजिए.

          अध्यक्ष महोदय -- इसको विलोपित करें.

          श्री विनय सक्सेना -- डिलीट तो करिएगा पहले सुन तो लें मैंने क्या कहा है. मैं फिर से कह देता हूँ सुनिए कान खोलकर. मेरा यह कहना है कि...

          श्री विश्वास सारंग -- आप एक तरफ डिलीट करवा रहे हैं और फिर इतना एरोगेंस, डिलीट करा रहे हैं और कह रहे हैं मैं फिर से बोलूंगा.

          अध्यक्ष महोदय -- आप लोग आपस में बात न करें, डिलीट हो गया है. खत्म करें.

          श्री विनय सक्सेना -- माननीय सारंग जी एरोगेंसी तो मैं आपसे ही सीख रहा हूँ. मुझे ऐसा लगा कि यहां ऐसा करने से कुछ फायदा होता है.

          श्री विश्वास सारंग -- गलत चीजें मत सीखो, अच्छी चीजें सीखो विनय भाई.

          श्री विनय सक्सेना -- मुझे लगता है नरोत्तम भैया और आप ही से यहां आकर यह सीखा है.

          श्री विश्वास सारंग -- गलत चीजें मत सीखो, अच्छी चीजें सीखो.

          श्री विनय सक्सेना -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. बोलने को तो बहुत कुछ था. मैँ आपके आदेश का पालन करता हूँ और अपनी जगह पर बैठता हूँ, धन्यवाद.

          श्री राजेश कुमार प्रजापति  (महाराजपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.

          अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने पूरे प्रदेश में काम किए हैं. वर्ष 2018 में कांग्रेस ने असत्य बोलकर सरकार बना ली थी. असत्य की सरकार असत्य पर चली गई. हमारे प्रदेश के मुखिया और प्रधान सेवक आदरणीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार जो दीन-दुखियों को लेकर चलने वाली सरकार है. यह सरकार वंचित, शोषित, आर्थिक रुप से पिछड़े हुए व्यक्ति हैं, अंतिम छोर पर जो खड़े हुए हैं उनको लेकर चलने वाली सरकार है. हमारी सरकार ने कभी भेदभाव नहीं किया. चाहे जिस समाज का व्यक्ति हो, चाहे जिस जाति का व्यक्ति हो, चाहे जिस धर्म का व्यक्ति हो, चाहे जिस पार्टी का व्यक्ति हो, सभी को हमारी सरकार ने दिया है. संबल योजना जिसे वर्ष 2018 में कांग्रेस की सरकार ने बंद कर दिया था. इससे गरीबों को सहायता राशि मिलती थी. जनता ने कांग्रेस सरकार इसके लिए नहीं बनाई थी कि जनता के बीच में चलने वाली योजनाओं को आप बंद कर दें. जनता ने जो कपड़े पहने हैं उनको उतारना चालू कर दें. इसके लिए वर्ष 2018 में कमलनाथ जी की सरकार नहीं आई थी. जनता ने इसलिए सरकार बनाई थी कि जो योजनाएं बनी हुई हैं उनके अतिरिक्त आपने जो वचन दिया था उसको पूरा करें. आपने कहा था कि हम बेरोजगारी भत्ता देंगे. 4 हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता चालू कर देंगे. एक भी बेरोजगार को वचन के तहत भत्ता नहीं दिया गया. एक ही रोना था कि सरकार के पास पैसे नहीं हैं, खजाना खाली है. जैसे ही हमारी सरकार बनी माननीय शिवराज सिंह चौहान सरकार के मुखिया बने वैसे ही 4 हजार रुपये किसान के खातों में देना चालू कर दिया. अब पैसे कहां से आ गए. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, बताना चाहता हूं कि यह मुखिया का धर्म होता है, चाहे परिवार का मुखिया हो, चाहे गांव का मुखिया हो, चाहे प्रदेश और देश का मुखिया हो, यदि हमें कर्ज लेकर भी आना पड़े तो अपने बच्‍चों को भूखा न सोने दें, यह मुखिया का धर्म है. यह मुखिया का धर्म नहीं होता कि हम रोते रहें पैसों के लिए, चाहे हमारे बच्‍चे भूखे मर जायें, यह धर्म नहीं है. ये मुखिया का धर्म नहीं निभा पा रहे थे और इस तरह की बातें करते रहे कि हमारे पास पैसा नहीं है लेकिन केवल एक जगह छिंदवाड़ा में देने के लिए, उनके पास पैसा था. वहां कर्जा माफ करने के लिए उनके पास पैसा था, पूरे प्रदेश ने उनको वोट दिया, पूरे प्रदेश ने सरकार बनाई लेकिन वह सरकार चलने योग्‍य नहीं थी. क्‍योंकि जो हमारे विधायक साथी थे, वे स्‍वयं गांव में जाते थे तो उन्‍हें लोगों के ताने सुनने पड़ते थे, इसलिए वह सरकार असत्‍य की सरकार असत्‍य में गई.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री आवास जैसी योजना को वर्ष 2018 में इन्‍होंने बंद कर दिया. एक प्रधानमंत्री आवास जारी नहीं किया. गरीब व्‍यक्ति जिनके पास घर नहीं था.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे साथी कृपया असत्‍य भाषण न करें कि एक भी प्रधानमंत्री आवास जारी नहीं किया. 1723 तो मैंने स्‍वयं नगर पालिका में स्‍वीकृ‍त करवाये.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आप बैठ जायें.

          श्री राजेश कुमार प्रजापति-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो हमारी सरकार ने सूची जारी की थी, केवल वही थी. इन्‍होंने एक सूची नहीं भेजी. मैं, यह कह रहा हूं कि हमारी सरकार के समय जो सूची आई, उस सूची में जो आवास हमारी सरकार ने जारी किए थे, केवल वही प्रधानमंत्री आवास, वही पैसा आया, उसके अलावा इनकी सरकार ने एक भी पैसा जारी नहीं किया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे कई साथी कहते थे कि ऐसे 2 लाख प्रधानमंत्री आवास इनके द्वारा रोके गए थे और अब बोल रहे हैं कि प्रधानमंत्री आवास स्‍वीकृत किए थे. इन्‍होंने किसान सम्‍मान राशि के लिए, किसानों के नाम प्रधानमंत्री कार्यालय को नहीं भेजे कि इससे प्रधानमंत्री का नाम होगा. इस तरह भेदभाव करने वाली इनकी सरकार थी. लेकिन हमारी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास बनाने में यह नहीं देखा कि कौन से वर्ग का आदमी है, कौन से समाज का आदमी है, किस धर्म का आदमी है, किस पार्टी का आदमी है. हमारी सरकार ने सभी को एक तरफ से, जिनके कच्‍चे आवास थे, उनको फायदा दिया. यह हमारी सरकार है, यह हमारी शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार है. हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने एक-एक व्‍यक्ति के लिए योजना बनाई है. उन्‍होंने किसान सम्‍मान राशि से लेकर, लाड़ली लक्ष्‍मी योजना से लेकर एक-एक व्‍यक्ति के योजना बनाई है. हमारी सरकार ने जन्‍म से लेकर मृत्‍यु तक की योजनायें बनाई हैं. उन योजनाओं को धीरे-धीरे बंद करने का काम उस 15 माह की सरकार ने किया था.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सी.एम. राईस स्‍कूल बनाये हैं. 370 सी.एम. राईस स्‍कूल पूरे प्रदेश में दिए गए हैं. जिसमें हमारे दूर के अंचल जैसे हमारा बुंदेलखण्‍ड है, वहां पढ़ाई की गुणवत्‍ता नहीं थी, पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं थे. सी.एम. राईस स्‍कूलों में गुणवत्‍ता वाले शिक्षकों को पढ़ाने के लिए पदस्‍थ किया गया. भोपाल, इंदौर और बड़े शहरों में जो प्राइवेट स्‍कूलों में पढ़ाई होती थी, वह पढ़ाई सी.एम. राईस स्‍कूल में आज गांव-गांव में होनी शुरू हो गई है. यह हमारी सरकार की देन है. यह हमारे मुख्‍यमंत्री जी की देन है कि हमारी सरकार जैसे ही कोई बच्‍ची पैदा होती है वैसे ही हमारी सरकार जबकि बच्‍ची के जन्‍म के पूर्व ही माताओं को 21 हजार रुपये प्रसूति के समय देती है और जैसे ही बच्‍ची जन्‍म लेती है उसको लखपति बनाने का काम हमारी सरकार करती है. माननीय मुख्‍य  मंत्री जी, माननीय शिवराज सिंह चौहान जी की हमारी सरकार और हमारे देश के प्रधान सेवक माननीय नरेन्‍द्र मोदी जी की सरकार ने जो गरीबों को, ऐसे व्‍यक्ति जो व्‍यक्ति सही में सफाईकर्मी थे उनके पैर धोकर के सम्‍मान करने का काम हमारे देश के प्रधान मंत्री जी ने किया और दिखा दिया, हमारे देश के प्रधान मंत्री जी ने कि जो सेवा करता है, उसका हमें सम्‍मान करना पड़ेगा. यह हमारे देश के प्रधान मंत्री जी ने दिखाया, यह राजा-महाराजाओं की सरकार नहीं है, यह गरीब जनता की सरकार है और गरीब के लिये सरकार है और सभी वर्गों के लिये सरकार है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपको बता दूं कि हमारे ऐसे मुख्‍य मंत्री आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी ने 181 डॉयल योजना चालू की और सीएम हेल्‍प लाईन योजना चालू की और जनता को अधिकार दिया की जनता सीधे उनसे शिकायत कर सकती है. ऐसा अधिकार देने वाला कौन ऐसा मुखिया है, जिन्‍होंने यह अधिकार दिया की आप हमारे यहां तक शिकायत भेजेंगे तो आपके पीछे अधिकारी, कर्मचारी घूमेंगे, जब तक उस शिकायत का समाधान नहीं होगा. यह हमारी सरकार है, शिवराज सिंह जी की सरकार है. हमारी सरकार ने अध्‍यात्‍म के क्षेत्र में, मैं, आपको बता दूं कि हमारे बगल से लगा हुआ चित्रकूट है. जहां पर हमारी सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जी ने चित्रकूट वनवासी ग्राम लोक बनाने का जो संकल्‍प लिया है और रामराजा सरकार में रामराजा लोक बनाने का जो संकल्‍प लिया है, उससे अध्‍यात्‍म के क्षेत्र में हमारे मध्‍य प्रदेश में बढ़ावा मिलेगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक बहुत ही महत्‍वपूर्ण योजना केन-बेतवा लिंक योजना जो हमारे बुन्‍देलखण्‍ड और मेरे क्षेत्र में, जहां पर गरीब किसान रहता है और कहीं न कहीं उनको पलायन करना पड़ता था, उनको दूसरे प्रदेशों में जाकर काम करना पड़ता था. हमारा पूरा क्षेत्र कृषि आधारित क्षेत्र है और एक ऐसी योजना, जिस योजना को हमारे माननीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने नदी जोड़ो अभियान के तहत माननीया सुश्री उमा भारती जी यह केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर आयी और उसको पूरा करने का काम हमारे प्रदेश के मुख्‍य मंत्री शिवराज सिंह जी चौहान और देश के मुखिया हमारे श्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने किया. मैं उनको धन्‍यवाद देता हूं. आपने बोलने का मौका दिया, उसके लिये धन्‍यवाद.

          श्री निलांशु चतुर्वेदी:- (अनुपस्थित)

          श्री पुरूषोत्‍तम लाल तंतुवाय(हटा):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्‍यपाल जी के अभिभाषण पर कृतज्ञता प्रकट करता हूं. हमारे महामहिम राज्‍यपाल जी का जो अभिभाषण है, हमारे देश के मुखिया प्रधान मंत्री जी ने आत्‍म निर्भर भारत, आत्‍म निर्भर मध्‍य प्रदेश बनाने की ओर अग्रसर हैं. इसी का परिणाम है कि जो हमारे प्रदेश की जीडीपी वर्ष 2011-2012 में  3 लाख, 15 हजार, 562 करोड़ रूपये थी, वह आज 6 लाख,43 हजार, 124 करोड़ होने का अनुमान है. प्रति व्‍यक्ति आय वर्ष 2011-2012 में 61 हजार, 534 रूपये थी, वर्तमान में 1 लाख, 40 हजार, 583 रूपये हो गयी है. यह हमारे आत्‍म निर्भर मध्‍य प्रदेश की तरफ इंगित करती है.

          आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारा मध्‍यप्रदेश अनाज उत्‍पादन में देश में दूसरे नंबर का राज्‍य बन गया है. वर्ष 2013-14 में हमारे प्रदेश में गेहूं 174 लाख टन, धान 53 टन था जो वर्ष 2022-23 में 352 लाख टन और धान 132 टन हो गया है. ये हमारे आत्‍मनिर्भर मध्‍यप्रदेश के बढ़ते हुए कदम है. अध्‍यक्ष महोदय हमारी कृषि वर्षा पर आधारित थी, कोई भी प्राकृतिक आपदा का भरण हमारे किसानों को नहीं मिल पाता था, पूर्ति नहीं हो पाती थी, इसके लिए फसल बीमा चालू की गई और 2021-22 में 45 लाख कृषकों को रबी सीजन के फसल बीमा का लाभ दिया गया. एवं खरीफ फसल का 2022 में 96 लाख कृषकों का बीमा किया गया. किसानों के हाथ में उनकी बीमा की पालिसी देने का काम हमारी सरकार ने किया है और मेरी पॉलिसी मेरे हाथ के द्वारा कृषकों के हाथ में उनको फसल बीमा की पॉलिसी दी गई है.

          अध्‍यक्ष महोदय, किसानों की जरुरत को, किसानों के दर्द को हमारे प्रधान मंत्री जी अटल बिहारी वाजपेयी ने समझा और किसान क्रेडिट कार्ड योजना लागू की, जिसके तहत हमारे किसानों को सेठ, साहूकारों से ऊंची ब्‍याज दर पर कर्ज लेने से मुक्ति मिली और उनको किसान क्रेडिट के माध्‍यम से 71 लाख 68 हजार क्रेडिट कार्ड बनाए गए और हमारे किसानों को आत्‍मनिर्भर बनाया गया. साहूकारों के चंगुल से मुक्‍त किया गया.

          आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी सरकार में बच्चियों को जन्‍म से लेकर उनके बुजुर्ग होने तक उनको संबल और सहायता प्रदान की जा रही है. आज हमारी बेटी जन्‍म लेने के बाद जब वयस्‍क होती है तो लखपति बनकर वयस्‍क होती है, उन्‍हीं की शिक्षा वृद्धि के लिए लाडली लक्ष्‍मी योजना 2 के तहत जो भी उनकी उच्‍च शिक्षा की फीस है, खर्च है, उसकी चिन्‍ता हमारी लाड़ली लक्ष्‍मी बिटिया को नहीं करनी पड़ती है. उसकी फीस की चिन्‍ता उनके माता पिता को नहीं करनी पड़ती है उनकी फीस की चिन्‍ता करने के लिए उनके अपने मामा, प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जी है जो हमारी लाडली लक्ष्‍मी योजना का समस्‍त फीस और उनके रहने खाने का समस्‍त खर्च वहन कर उनको उच्‍चशिक्षा प्रदान करवा रहे हैं. इसी प्रकार हमारे गांव की बेटियों के लिए सम्‍मान देने के लिए उनको शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए गांव की बेटी योजना प्रारंभ की गई है, जिसमें 2022-23 तक लगभग 27 हजार छात्राओं को लाभान्वित कर एक हजार एक सौ लाख रुपए व्‍यय कर उनको सहायता प्रदान की गई है. हमारी प्रधान मंत्री आवास योजना जिसके तहत देश के मुखिया आदरणीय मोदी जी ने 2024 तक देश के समक्ष 140 करोड़ देशवासियों के सिर पर पक्‍की छत देने का वादा किया है. उसी के तहत रोजगार के भी अवसर प्रदान किए गए हैं. आज हम देखते हैं कि हमारे शहरों के साथ, गांवों में भी रोजगार के अवसर इसी प्रधानमंत्री ग्रामीण योजना को आगे बढ़ाने के लिए चल रहे हैं, चाहे वह सीमेन्‍ट की दुकानें हों, चाहे हमारी लोहा बेचने की दुकानें हों, साथ ही, हमारे प्रदेश में 51,128 राजमिस्‍त्रियों को भी प्रशिक्षण देकर इस योजना से जोड़ा गया है, जिसमें हमारी 5,891 महिलाएं हैं. हमारे देश के मुखिया प्रधानमंत्री जी की सोच है कि सबका साथ, सबका विकास. जो भी हमारी भारतीय जनता पार्टी की योजनाएं चल रही हैं, इसी ध्‍येय को लेकर चल रही हैं, उसमें यह नहीं देखा जाता है कि कौन हमारी पार्टी का है, कौन हमारी पार्टी का नहीं है, कौन किस धर्म का है, कौन किस जाति का है ? बगैर किसी भेदभाव के एक समान रूप से देश और प्रदेश के समस्‍त निवासियों को योजनाओं का लाभ देने का प्रयास भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा किया जा रहा है.

          आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे समाज में बिटिया का विवाह परिवार पर एक दायित्‍व होता है. इस पीड़ा को हमारे मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने समझा और मुख्‍यमंत्री कन्‍या विवाह योजना शुरू की. आज हमने 51,000 रुपये का आश्‍वासन ही नहीं दिया, जो पिछली सरकार ने आश्‍वासन दिया था. आज हमने कन्‍या विवाह में 55,000 रुपये देकर उनका विवाह किया है, उनको संबल प्रदान किया है, जिसमें 38,000 रुपये का सामान, 11,000 रुपये नकद और 6,000 रुपये उनके शादी-विवाह में खर्च कर परिवार के दायित्‍वों की हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूर्ति कर रही है. हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने, जैसा कि अभी हमारे साथी बोल रहे थे, आदिवासियों के लिए, अनुसूचित जनजाति भाइयों के लिए कुछ नहीं किया है, उनके लिए हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार सम्‍मान निधि भी दे रही है और योजना भी बना रही है. शंकर शाह और रानी दुर्गावती पुरस्‍कार योजना के तहत 3 शीर्ष छात्रों को प्रथम 51,000 रुपये, द्वितीय 40,000 रुपये एवं तृतीय 30,000 रुपये का पुरस्‍कार देकर सम्‍मानित किया जा रहा है.

          आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने स्‍वच्‍छता अभियान के तहत प्रदेश का ओडीएफ 2018 में किया था. हम अपनी सरकार को धन्‍यवाद देना चाहते हैं. आपने मुझे बोलने का समय दिया, उसके लिए मैं आपको धन्‍यवाद देता हूँ. 

          श्री बापू सिंह तंवर (राजगढ़) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण के विरोध में खड़ा हुआ हूँ. राज्‍यपाल महोदय ने सरकार के असत्‍य के पुलिंदे को इस सदन में प्रस्‍तुत किया है.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यह अनुरोध है कि मध्‍यप्रदेश के अन्‍नदाता भाई खून के आंसू रो रहे हैं, प्राकृतिक आपदा आने के कारण किसानों की फसलें पूरी तरह चौपट हो चुकी हैं, नष्‍ट हो चुकी हैं. लेकिन मुख्‍यमंत्री जी ने जो पिछले साल सोयाबीन की फसल खराब हुई थी, न ही उसका मुआवजा दिया, न उसका मुआवजा अभी तक मिल पाया और अभी तक ऐसा कोई आदेश नहीं दिया है कि तत्‍काल सर्वे कराकर इनको मुआवजा दिया जाये. आज किसान चारों तरफ से दुखी हैं और किसान के साथ जो अन्‍याय हो रहा है.

जब किसान के घर में फसल नहीं आई थी, तब तो किसान के गेहूं की कीमत जब बाजार में व्‍यापारी के घर में थी तो 3162 रूपये बिक रहा था और आज किसान के घर में गेहूं आने लगा तो 1800-1900 रूपये हो गया, यह कौन सी नीति है. यह माननीय मुख्‍यमंत्री जी और देश के प्रधानमंत्री जी खेती को लाभ का धंधा बनाने की बार-बार बात करते हैं, हर मंच से बात करते हैं, लेकिन वह किस प्रकार से खेती को लाभ का धंधा बना रहे हैं? यह बतायें कि खेती लाभ का धंधा कैसे बनेगा ? मैंने विधानसभा में एक प्रश्‍न लगाया था और माननीय मंत्री जी से पूछा था कि आप यह बताने की कृपा करें‍ कि आप खेती को लाभ का धंधा बनाने की बार बार घोषणा करते हैं, तो माननीय मंत्री जी का जवाब आया कि हमारी इस प्रकार से खेती को लाभ का धंधा बनाने की ऐसी कोई योजना ही नहीं है. यह मध्‍यप्रदेश के जो मुख्‍यमंत्री जी हैं, जो किसान के बेटे हैं, वह मध्‍यप्रदेश की जनता और मध्‍यप्रदेश के किसानों के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं. यह पूरे प्रदेश के किसानों को धोखा दे रहे हैं. बार-बार खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात बताते हैं, लेकिन खेती को लाभ का धंधा बनाने की ऐसी कोई योजना सरकार की है ही नहीं और जब भी किसान के घर में फसल आती है, तो उस फसल का दाम कम कर दिया जाता है. चाहे वह गेहूं की फसल हो, चाहे वह सोयाबीन हो, चाहे वह उड़द हो, चाहे मूंग हो, चाहे लहसुन हो, चाहे प्‍याज हो, किसान सड़कों पर फेंकता है, नदियों में बहाता है, इस तरीके से किसान परेशान है.

 माननीय अध्‍यक्ष महोदय,आज के समय में सबसे बड़ी समस्‍या हमें यह दिखाई दे रही है कि ग्रामीण क्षेत्र में जो प्रधानमंत्री आवास की बात जो मेरे साथी लोग कर रहे हैं, प्रधानमंत्री आवास की जो विडंबना है. शहर के व्‍यक्ति को उतना ही प्‍लॉट साईज, उतना ही बड़ा मकान ढाई लाख रूपये में और गांव में व्‍यक्ति को आवास बनाने के लिये एक लाख बीस हजार रूपये, यह कैसी विडंबना है. परिवार एक जैसा है बल्कि गांव के व्‍यक्ति को बाजार से सामान ट्रांसपोर्ट करके जाना पड़ता है, लेकिन उसको आधे पैसे दिये जाते हैं, यह कैसी योजना है?

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- इंदिरा आवास में कितने देते थे?

श्री बापूसिंह तंवर -- यह योजना माननीय यशपाल सिंह जी, कांग्रेस की सरकार ने बनाई थी, वर्ष 2011 में सर्वे कराये थे. हम ढाई लाख रूपये देते. (व्‍यवधान.)

श्री मनोज चावला -- अभी कितने देते हैं? ग्रामीण क्षेत्रों में एक लाख बीस हजार रूपये में कुछ नहीं होता है. एक लाख बीस हजार रूपये ग्रामीण क्षेत्रों में देते हैं और शहर में ढाई लाख रूपये देते हैं, दोनों में अलग-अलग क्‍यों हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दोनों में एक जैसा होना चाहिये. (व्‍यवधान.)

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्‍यक्ष महोदय, एक साल में दो कुटीर. पांच साल में दस कुटीर बस. (व्‍यवधान.)

श्री बापूसिंह तंवर -- हमने ढाई लाख रूपये की योजना बनाई थी, आपने उसे एक लाख बीस हजार रूपये किया है. इसकी आवश्‍यकता कांग्रेस सरकार ने महसूस की थी और मनमोहन सिंह जी की सरकार ने इसकी योजना बनाई थी. आप यह बता दीजिये इसका सर्वे कब हुआ था, इसकी योजना कब बनी थी? (व्‍यवधान.)

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया --   एक साल में दो कुटीर. पांच साल में दस कुटीर बस. . (व्‍यवधान.)

श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसका सर्वे वर्ष 2011 में कराया था. प्रधानमंत्री आवास योजना लाने का काम यूपीए -2 सरकार ने किया था, उस वर्ष 2011 के सर्वे के आधार पर आप आवास दे रहे हैं, लेकिन उसमें समान दृष्टिकोण था और उसमें भेदभाव आप लोगों ने किया है. गांव की जनता के साथ कुठाराघात किया है. आपको वह देश की जनता अब कभी माफ नहीं करेगी. साथियों धर्मस्‍व विभाग की बात करते हैं, वह दीदी बैठी हैं. मुख्‍यमंत्री जी, बहना-बहना चिल्‍लाते रहते हैं, लेकिन धर्मस्‍व विभाग में बजट ही नहीं दिया है. हमारा प्राचीन मंदिर ओढ़ा माता जी के लिये 6 करोड़ 23 लाख रूपये सेंक्‍शन हुआ, उसमें काम शुरू हो गया था, लेकिन बजट के अभाव में आगे की किस्‍तें ही नहीं दी तो आज काम बंद पड़ा हुआ है. वह दो राज्‍यों के केंद्र बिंदु पर है, बार्डर पर है. राजमाता साहब वहां जाती थीं, उनकी कुल देवी हैं, जिसको आप भाजपा की फाउंडर कहते हैं. वह राजमाता साहब वसंधुरा जी वहां आती हैं और आज उस म‍ंदिर की जो दुर्दशा हो रही है,उसको आप देख नहीं सकते हैं. उस धर्मस्‍व विभाग का जो पैसा उसमें लगना था, लेकिन उसको पूरा खोद खादकर पटक दिया है जो भी श्रद्धालु आते हैं, वह सब परेशान होकर जाते हैं. पूरे कॉटन वॉल के लिये पूरी जमीन खोद दी गई है. मंदिर के आसपास का पूरा एरिया बिगाड़ दिया गया है, जो सौंदर्यीकरण होना था, वह काम आज भी अधूरा है. वह राशि जारी क्‍यों नहीं कर रहे हैं ? मेरी समझ नहीं आ रहा है. जब वर्ष 2020 में उसका भूमि पूजन किया और वर्ष 2019 में राशि जारी की थी, लेकिन उसके बाद एक किश्‍त 80 लाख रूपये की मिलने के बाद आगे का पैसा नहीं दिया जा रहा है. मैं बारबार माननीय मंत्री महोदय के पास जाता हूं तो दीदी बोलती है, भईया पैसा ही नहीं दे रहे हैं, तो मैंने कहा कि भईया से कहो की पूरे प्रदेश में बहना बहना करते रहते हैं.

  अभी लाडली बहना ले आये, अब लाडली बहना ले तो आये लेकिन जो लाडली बहना है जो मंत्रिपरिषद की सदस्‍य हैं, इस सदन की सदस्‍य हैं उनको तो फंड दो ताकि वह मंदिरों का जीर्णोद्धार करा सकें, उनको ही पैसा नहीं दे रहे. सबसे ज्‍यादा अगर दुखी मंत्री हैं तो हमारी ऊषा दीदी हैं, उनको फंड ही नहीं दे रहे तो उनको पैसा मिलना चाहिये.

          सुश्री ऊषा ठाकुर--  बंधू मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूं कि कांग्रेस के कार्यकाल से दोगुना बजट धर्म संस्‍कृति एवं पर्यटन दोनों के लिये हुआ है.

          श्री बापूसिंह तंवर--  दीदी अगर पैसा आता तो आप मंदिर का पैसा दे देतीं. अगर दोगुना पैसा आपके पास आता तो वह मंदिर जीर्णोद्धार की बाट नहीं देखता.

          सुश्री ऊषा ठाकुर--  माननीय विधायक जी, आप निश्चिंत रहें शासन संधारित मंदिरों को पैसा अवश्‍य मिलेगा.

          श्री बापूसिंह तंवर--  आप संधारण में जांच करा लें क्‍या स्थिति है, पूरा रास्‍ता ऊबड़-खाबड़ पड़ा है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  देखिये दीदी, मंत्री महोदय, अगर परिवर्तन है तो कम से कम मंदिरों की याद तो आने लगी. अब यह कितना बड़ा परिवर्तन है आप बताओ.

          श्री बापूसिंह तंवर--  मंदिरों में अगर पैसा दिया, मंदिरों को अगर याद किया तो कमल नाथ सरकार ने किया. अगर महाकाल कॉरीडोर के जीर्णोद्धार का पैसा दिया, अगर कार्ययोजना बनाई तो कमल नाथ की सरकार में बनी और कांग्रेस तो हमेशा मंदिरों के पक्ष में रहती है यह आपकी गलतफहमी है. ...(व्‍यवधान)....  आप लोगों का काम है इवेंट करना, दिखावा करना (XXX). ...(व्‍यवधान).... 

          श्री रामपाल सिंह--  अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या कार सेवा में गये थे, रामशिला की पूजन की थी आपने क्‍या बताओ आप. ...(व्‍यवधान)....

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  यह मीडिया पर आरोप लगा रहे हैं. ...(व्‍यवधान).... मीडिया को खरीदने का आरोप लगा रहे हैं, माफी मांगना चाहिये आपको. ...(व्‍यवधान)....

          श्री ओमकार सिंह मरकाम--  माननीय अध्‍यक्ष जी हम तो इंतजार कर रहे थे कि सिसौदिया जी को मंत्री बना दे, बना ही नहीं रहे हैं तो हम क्‍या करें. ...(व्‍यवधान)....

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव--  (XXX)….(व्‍यवधान)....

          श्री बापूसिंह तंवर--  देखिये आप लोग सुन नहीं सकते हैं क्‍योंकि सारे ठेके आपने ही ले रखे हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सबको समान अधिकार, सबको सर्वधर्म का अगर पालन किया और सबका सम्‍मान अगर किया तो वह इस देश में कांग्रेस पार्टी है जो सब धर्मों को साथ लेकर चलती है. ...(व्‍यवधान).... आप लोग भेदभाव फैलाते हैं, भाई से भाई को लड़ाने का काम करते हैं वह आप लोगों के अंदर कट्टरता है, जिसके कारण इस देश का नुकसान हो रहा है, देश पीछे जा रहा है. ...(व्‍यवधान)....

          डॉ. योगेश पंडाग्रे-- राम मंदिर बनाने से देश का नुकसान हो रहा है. 370 हटाने से देश का नुकसान हो गया, वाह यार.  ...(व्‍यवधान)....

          श्री बापूसिंह तंवर--  जो नुकसान हुआ वह तो पता चल जायेगा कितना नुकसान हुआ. 370  की बात कर करके पूरे देश को गुमराह कर रहे हैं. आपने देश के नौजवानों को भड़का दिया, देश के नौजवान आज बेरोजगार घूम रहे हैं उसकी चिंता नहीं है. आये दिन घोटाले हो रहे हैं ...(व्‍यवधान).... आज आप कश्‍मीर की बात करते हैं, आप महंगाई की बात करें महंगाई कितनी बढ़ गई. ...(व्‍यवधान).... आज बेरोजगारी की बात करें. देश के अंदर क्‍या हालत हो गई है. गरीब आदमी को दो टाइम की रोटी नहीं मिल रही है. ...(व्‍यवधान).... आपमें सही बात सुनने की क्षमता ही नहीं है. महंगाई की बात आप सुन नहीं सकते हैं. ...(व्‍यवधान)....

          अध्यक्ष महोदय -  बापू सिंह जी, कश्मीर भी भारत का हिस्सा है और उसके संबंध में कोई चर्चा की जाती है तो आपत्तिजनक नहीं होनी चाहिये. आप समाप्त करें.

          श्री बापू सिंह तंवर - हमें कहां आपत्ति है. हम तो बेरोजगारों की बात कर रहे हैं. हम बेरोजगारों की बात करते हैं आप 370 की बार-बार बात करते हैं.  आप महंगाई की बात करिये.

          अध्यक्ष महोदय - आप समाप्त करें.

          श्री बापू सिंह तंवर - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट, राजगढ़ जिला मुख्यालय है मेरे विधान सभा क्षेत्र राजगढ़ जिला मुख्यालय में मैं बार-बार  माननीय मंत्री जी, मुख्यमंत्री जी को सबको अवगत कराया कि शहर के बीचों बीच से हाईवे निकल रहा है. आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं. अभी परसों की घटना है एक हमारे टी.आई. मान सिंह जी वे ट्रक की चपेट में आ गए और उनकी दुर्घटना से मृत्यु हो गई.

          अध्यक्ष महोदय - आप बजट में बोलना.

          श्री बापू सिंह तंवर - मैं मांग करता हूं. मेरा अनुरोध है कि मेरे क्षेत्र के विकास के लिये उसे क्यों नहीं बजट में लिया जाता. उस हाईवे को बनाना जरूरी है.

          श्री राम दांगोरे (पंधाना) - माननीय अध्यक्ष महोदय,

          " मैं दीपक हूं. मेरी दुश्मनी सिर्फ अंधेरे से है

          मैं दीपक हूं मेरी दुश्मनी सिर्फ अंधेरे से है

           हवा तो बेवजह मेरे खिलाफ है

          हवा से कह दो कि खुद को आजमा कर दिखाए

          बहुत दीपक बुझाती है एक दीपक जलाकर दिखाए "

          आज बहुत लंबे अंतराल के बाद मुझे इस सदन में बोलने का अवसर मिला है और मैं महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण के लिये कृतज्ञता व्यक्त करता हूं और उनका समर्थन व्यक्त करता हूं. जिस प्रकार प्रदेश के विकास को लेकर और खासकर जनजातीय समुदाय से संबंधित योजनाएं,उनके शैक्षणिक विकास,उनके स्वास्थ्य के विकास, उनके आर्थिक विकास को लेकर अपना वक्तव्य रखा. जैसे राशन वितरण योजना, यह लोग कहते हैं कि राशन नहीं मिलता राशन नहीं मिलता. जरा 89 विकासखण्डों में जाकर देखिये. जो जनजातीय बाहुल्य हैं. अब कोई आदिवासी भाई बन्धु,बहन, राशन लेने के लिये राशन की दुकान पर नहीं जाते राशन उनके घर पर आता है और जब राशन लेकर उनके घर पर जाएंगे तो जितना राशन उनको मिलना चाहिये उतना राशन वह देकर आता है.

          (..व्यवधान..)

          अध्यक्ष महोदय - कृपया सभी बैठ जाईये. देखिये, मेरा आग्रह है कि जब दोनों पक्षों को बोलने का अवसर मिल रहा है. आवश्यक नहीं कि वह खड़े हुए तो आप खड़े हो जाओ. हर शब्द में खड़े हो जाओ. आपके दूसरे वक्ता आने वाले हैं. उनको बताईये कि उन्होंने गलत तथ्य बयान किया उसका वे खण्डन करेंगे. आप क्यों खड़े हो जाते हो. ऐसे तो बहस पूरी नहीं होगी. उनको कहने दीजिये. आपको कुछ लगता है. आप नोट करके आने वाले वक्ता को बताईये वह बोलेंगे.

          श्री राम दांगोरे - जो घर-घर राशन योजना निकली है. उस राशन योजनान्तर्गत जिन युवाओं को रोजगार दिया जायेगा. जो घर-घर जाकर राशन वितरित करेंगे वह सभी आदिवासी समुदाय के युवा हैं. उनको रोजगार देने का काम सरकार ने किया है. मेडिकल कालेज को लेकर बोल रहे थे. कई  मेडिकल  कालेज   नहीं हैं.  अरे भैया,  कितने सारे जिलों में  मेडिकल कालेज हमारे यहां  पर  खुलने के लिये जा रहे हैं.  छिंदवाड़ा है,  धार, बालाघाट, मंदसौर है और कई  सारे जिलों में  मेडिकल कालेज खोलने जा रहे हैं,  जिससे  जनजाति क्षेत्र में  न सिर्फ स्वास्थ्य को लेकर  के  सुधार होगा, बल्कि  नये डॉक्टर्स भी आयेंगे और युवाओं को  पढ़ने के लिये  कालेज की  व्यवस्था  भी मिलेगी.  सिकल सेल बीमारी को लेकर के देश  की  आजादी के बाद  में  इनके द्वारा किसी भी  प्रकार का कोई सार्थक कदम  नहीं उठाया गया.   जो जनजाति समुदाय में होने वाली  बहुत  जान लेवा बीमारी है और उससे  बहुत ही कम आयु में जान चली जाती है.  जिसको  भी सिकल सेल की बीमारी  होती है. तो सिकल सेल से निपटने  के लिये  शिवराज सरकार ने पूरे 89 ब्लॉक्स  में  और इसके अलावा  वहां वहां,  जहां जहां पर जनजाति  समुदाय  निवासरत् हैं,  उनके लिये अलग से  राशि का प्रावधान करके  सिकल सेल  की  जांच के लिये  और जागरुकता लाने के लिये  हमारे आदिवासी बंधुओं को  जगाने के लिये लगातार  युद्ध स्तर पर  अभियान चलाया जा रहा है  और इसके लिये करोड़ों रुपये की  राशि भी सरकार ने पारित की है.  आदर्श ग्राम योजनांतर्गत  एक गांव में  20 लाख रुपये की  राशि उसके लिये  जहां पर  भी जरुरी हो, उनको  विकास कार्यों में खर्च  करना हो,  ऐसी राशि हमारे राज्य के 7300  गांवों में  जारी की जा चुकी है,  ताकि आदिवासियों का  विकास किया  जा सके. कहते हैं कि आदिवासियों के लिये कुछ नहीं किया  और 827  वन ग्राम थे,  जिनको राजस्व ग्राम  करने का कार्य  हमारी  शिवराज सरकार ने  किया है,  ताकि उनको भी अन्य  मूलभूत सुविधाओं  का फायदा दिया जा सके. साथ  ही आहार योजनांतर्गत  बैगा, सहरिया,  भारिया और  जो विलुप्त होने वाली  जनजातियां थीं, जिन्हें   स्वास्थ्य को लेकर के जिनको  शारीरिक रुप से   हष्ट पुष्ट  करने की  आवश्यकता थी, ऐसे  जनजाति  समुदाय के लिये 285 करोड़ रुपये की राशि  शिवराज सरकार ने पास करने  का काम किया है. ये अभी भी चिल्ला रहे हैं कि  इनके लिये क्या कर रहे हैं,  क्या कर रहे हैं.  इन्होंने तो कुछ किया नहीं है.  जो हम कर रहे हैं,  उसको डायवर्ट कर देते हैं कि  चार बुरी चीजें ढूण्डकर लाओ  और बता दो, जनता एक तो मान ही लेगी.  इनके पास में इसके अलावा  और  कोई धंधा नहीं बचा है.  आकांक्षा योजना, इन्होंने कभी  आदिवासी विद्यार्थियों के  बारे में नहीं सोचा.  इन्होंने कभी  उनको  आगे बढ़ाने के लिये नहीं सोचा. उन्होंने कभी  नहीं सोचा कि यह अच्छी पढ़ाई करके बड़े अधिकारी, ऑफिसर बनें.  इन्होंने आदिवासी  विद्यार्थियों के लिये कोई नई योजना  लांच  करने का काम नहीं किया. हमारी सरकार ने नीट, क्लैट,  जेईई  जैसी परीक्षाओं  की  तैयारी के लिये हजारों आदिवासी  समुदाय के युवाओं को पढ़ाने का काम किया है और अभी भी युद्ध स्तर पर  जारी है और आवासीय योजना अंतर्गत  हमारी सरकार ने कई  छात्रावास  बनाये. लेकिन फिर भी कई विद्यार्थी  छात्रावासों  से वंचित रह गये.  इसके लिये, उनके लिये  आवासीय योजना निकाली  कि अगर कोई आदिवासी विद्यार्थी  छात्रावासों में  एडमिशन नहीं ले पाया हो, तो वह छात्र  आवास योजना का  पर्चा भरे,  उसको किराये से  जहां कमरा लेना हो शहर  में,  वह कमरा ले ले,  कमरे का किराया  शिवराज सरकार भरेगी और ऐसे  1  लाख 26 हजार  आदिवासी विद्यार्थियों को  आवासीय योजनाओं का फायदा पहुंचाने का काम   शिवराज सरकार  कर रही है.  कम्प्यूटर  कौशल के क्षेत्र में  30 करोड़ रुपये की लागत से  आदिवासी युवाओं के  लिये  कम्प्यूटर केन्द्र   खोले जा रहे हैं, उसका  काम भी  युद्ध स्तर पर चल रहा है.  हमारे जनजाति समुदाय  के  जो क्रांतिकारी पुरुष  रहे हैं,  उनको इन्होंने   कभी पूछने का काम  नहीं किया  और हमारी सरकार पूछती है, तो ये कहते हैं कि  नौटंकी करते हैं.  अरे भैया,  समय रहते  उनको  आपको पूछ लेना  चाहिये थे,  इतने साल आपकी सरकार रही.   आपने टंट्या मामा  की  फोटो के नीचे  tantya was a dacoit लिख दिया था.  क्या टंट्या मामा डाकू थे. अपने प्राणों की आहूति  दी  टंट्या मामा ने और आप उनके  लिये डाकू जैसे  शब्द का प्रयोग कर रहे थे. यह हमारी शिवराज सिंह चौहान   की  सरकार  है कि  जिन्होंने इस देश की आजादी के लिये  अंग्रेजों को लोहे के चने चबाने  का काम किया है,  आज उनके नाम से  इन्दौर  के भंवरकुआं का  नाम  क्रांति सूर्य जन नायक  टंट्या मामा के नाम से   है और छिन्दवाड़ा में विश्वविद्यालय का  नाम राजा शंकर शाह   के नाम से  रखने का  निर्णय लिया है. मेडीकल कॉलेज का नाम राजा हृदय शाह के नाम से रखने का काम किया है. और तो और मुगलों की निशानी मिटाकर भोपाल की गौंड रानी, रानी कमलापति के नाम से हबीबगंज स्टेशन का नाम करने का काम किया है. हमारी सरकार ने जनजाति क्रांतिकारियों को आगे लाने का काम किया है, उनको सम्मान देने का काम किया है, लेकिन पेट में तकलीफ होती है कि ऐसा क्या करे, ऐसा क्या बताएं कि आदिवासी समुदाय को भ्रमित कर सकें और शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ खड़ा करने का काम करें.

अरे, तुम अगर समय रहते जनजाति समुदाय के क्रांतिकारियों को सम्मान दे देते तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार को यह करने की जरूरत नहीं पड़ती. और तो और 15 नवम्बर को धरतीआबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के दिन शिवराज सिंह सरकार ने जनजाति गौरव दिवस मनाने की घोषणा की है. (मेजों की थपथपाहट) और भगवान बिरसा मुंडा को सम्मान देने का असली काम किया है और पूरे प्रदेश का, पूरे देश का जनजाति समुदाय इससे प्रफुल्लित है और सरकार के लिए आभार व्यक्त करने का काम किया है. साथ ही यह पांचवीं अनुसूची, छठवीं अनुसूची, पेसा कानून को लेकर जब  बीजेपी की सरकार होती है तो (XXX) और जब इनकी सरकार होती है तो (XXX). कोई इनको पांचवीं अनुसूची याद नहीं आती है. इनको छठवीं अनुसूची याद नहीं आती, इनको पेसा कानून याद नहीं आता. हमारी शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने पेसा कानून लागू करने का काम 15 नवम्बर जनजाति गौरव दिवस के दिन किया है.

          अध्यक्ष महोदय, पंधाना जहां पर टंट्या मामा का जन्म हुआ था. इनकी सरकार थी, इनके चक्कर लगाकर थक गया कि कॉलेज का नाम टंट्या मामा के नाम पर कर दो. इन्होंने टंट्या मामा के नाम पर कॉलेज का नाम नहीं किया. हमारी जब सरकार आई तो उस कॉलेज का नाम टंट्या मामा के नाम पर रखने का हमने काम किया है. इनकी सरकार में उस रोड के लिए दौड़-दौड़ कर थक गया कि भैया, 5 करोड़ रुपये ही दे दो, 10 करोड़ रुपये ही दे दो, टंट्या मामा का रोड तो बन जाएगा. जब हमारी सरकार आई तो 28.50 करोड़ रुपये की लागत से वह टंट्या मामा का रोड आज बनने के लिए जा रहा है. पेसा कानून में जल, जंगल, जमीन का अधिकार आदिवासी समुदाय को अगर किसी ने देने का काम किया है तो शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार ने देने का काम किया है. आपने सिर्फ आदिवासी समुदाय को बर्गलाने का काम किया है. आज आदिवासी बंधुओं को लघु वनोपज का अधिकार मिला है, बाजारों के प्रबंधन का अधिकार मिला है, आदिवासी बंधुओं को भूमि अलगाव को रोकने का अधिकार मिला है. जबकि यह कहते हैं कि आदिवासियों को कहां पट्टे मिले? आप जरा बजट की कापी उठाकर देख लो, सवा लाख से ज्यादा आदिवासी परिवारों को पट्टे देने का काम शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने किया है. नशीले पदार्थों पर नियंत्रण करने की पूरी शक्ति पेसा कानून के माध्यम से शिवराज सिंह चौहान ने जनजाति समुदाय के हाथ में दे दी है. तुम चाहोगे तो शराब बिकेगी और तुम चाहोगे तो शराब नहीं बिकेगी. अध्यक्ष महोदय, मैं अटल जी कविता कहकर अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं. हीरा,  कांग्रेस के पास में एक ही हीरा है, बाकी सब जीरा है.

बाधाएं आती हैं आएं,
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा.

          अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट).     

          अध्‍यक्ष महोदय -- महेश परमार जी, आप पांच मिनट में पूरा करें, कई वक्‍ता हैं.

          श्री महेश परमार (तराना) -- धन्‍यवाद अध्‍यक्ष महोदय. मैं महामहिम राज्‍यपाल जी के अभिभाषण के विरोध में खड़ा हुआ हूँ. इस कांग्रेस के हीरे को तरासने का काम कांग्रेस ने किया है. हमारे साथी भाई बोल रहे थे तो ये हीरा कांग्रेस का है और इसको तरासने का काम कांग्रेस ने किया है. अध्‍यक्ष महोदय, जय श्री महाकाल (श्री तुलसीराम सिलावट के अपने आसन पर बैठे-बैठे कुछ कहने पर) अब दादा आप जानो, आप तो वरिष्‍ठ हैं. नहीं, इधर सब हीरो हैं ना, जीरो तो आप सब उस तरफ चले गए. हमने आप सब लोगों को हीरो बनाकर के रखा था.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 15 महीने की कमलनाथ जी की सरकार जनता के द्वारा चुनी गई. 15 साल सिर्फ (XXX) और कागजों में काम हुआ. 15 महीने की कमलनाथ जी की सरकार से मध्‍यप्रदेश की जो वर्तमान पीछे के दरवाजे से आई हुई सरकार, ये कैसे जनता के काम होते हैं, इन लोगों ने सीखा. सिर्फ 1 साल में मध्‍यप्रदेश को जंगल राज के रूप में पूरे मध्‍यप्रदेश की जनता, मैं अभी सुन रहा था, जितने भी सीनियर हमारे वरिष्‍ठ मंत्री हैं, बड़े-बड़े नेता हैं, इनके भाषण देखने में और सुनने में अच्‍छे लगते हैं, लेकिन सिवाय असत्‍य के, सिर्फ आंकड़ों की जादूगरी, इसके सिवाय कुछ दिखा नहीं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र तराना, पूरे उज्‍जैन जिले और पूरे मध्‍यप्रदेश में विकास यात्रा हमने देखी. विकास यात्रा के पहले गांव के चौकीदार साहब, उसके बाद स्‍कूल के बच्‍चे और इन सबके पहले थाने के टीआई साहब वहां जाकर आजू-बाजू 10-15 जवानों को लेकर, गांव में 15 मिनट की स्‍पीच देते थे कि भैया, हमको आदेश मिले हैं कि आपको चुपचाप सुनना है. विकास यात्रा के नाम पर बच्‍चों और हमारी बेटियों को स्‍कूल से वहां लाकर बिठा दिया. हमारी आंगनवाड़ी की बहनों को लाकर बिठा दिया. हमारे स्‍कूल के शिक्षक, गुरु, जिनका हम सब सम्‍मान करते हैं और जिनके कारण आप और हम सब बैठे हैं, माता-पिता के बाद हमारे गुरु ने ही हमारे जीवन को तरासने का काम किया. उन सब लोगों को विकास यात्रा में बिठाया गया. विकास यात्रा के नाम पर सिर्फ और सिर्फ (XXX), एसडीएम डरा रही है सचिवों को, तहसीलदार डरा रहे हैं जीआरएस को, जनपद के सीईओ डरा रहे हैं पीसीओ को और अन्‍य अधिकारियों, कर्मचारियों को कि विकास यात्रा की उस बैठक में दिखना चाहिए कि विकास हुआ. सिर्फ कागजों और (XXX) का विकास मध्‍यप्रदेश में हुआ.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश का किसान और मेरे विधान सभा तराना का किसान, बड़ी-बड़ी बातें हो रही थीं, दो-दो बोरी खाद के लिए हमारी माताओं-बहनों को लाइन में लगना पड़ा. यह मध्‍यप्रदेश का विकास है ? माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हूँ कि पैसे देने के बाद भी दो-दो बोरी खाद के लिए 8-8 घण्‍टे, 10-10 घण्‍टे लाइन में लगना पड़ा, इससे (XXX) मध्‍यप्रदेश और हमारे अन्‍नदाता किसान के लिए हो नहीं सकती.

          अध्‍यक्ष महोदय, ये हमारे एक साथी जेल में गए हैं. इनके ऊपर झूठा प्रकरण लगा और एक महीने तक ये जेल में रहे हैं. ये कौन सा न्‍याय है. हमारे यहां असत्‍य बोलने का हमें प्रशिक्षण नहीं दिया जाता.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी वर्तमान समय में पूरे मालवा और पूरे मध्‍यप्रदेश में किसान भाइयों की फसलें नहीं आई हैं. तराना विधान सभा और पूरे मध्‍यप्रदेश और पूरे उज्‍जैन जिले में एक-एक किसान भाई के यहां से उनके ट्रैक्‍टर उठाए जा रहे हैं, उनकी मोटर साइकिलें उठाई जा रही हैं, उनके दैनिक उपयोग की चीजें उठाई जा रही हैं. यह मध्‍यप्रदेश का विकास है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी से पूछना चाहता हूँ और सत्‍ता में बैठे उन सभी साथियों से भी पूछना चाहता हूँ कि यह है मध्‍यप्रदेश में, आज इनके खुद के विधान सभा में आप जाकर देख लीजिए, पूरे एक-एक गांव में विद्युत मण्‍डल के अधिकारी, कर्मचारी पूरी दादागिरी के साथ यह काम कर रहे हैं. हम उनसे निवेदन कर रहे हैं, अनुरोध कर रहे हैं कि 15 दिन, 20 दिन आप रुकिए, किसान भाइयों की फसल आने वाली है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं धन्‍यवाद देता हूँ आदरणीय कमलनाथ जी को कि भगवान महाकाल के लिए, 15 साल में 15 रुपये भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने नहीं दिए, आदरणीय कमलनाथ जी की सरकार ने 300 करोड़ रुपये उज्‍जैन में दिए और ये लोग अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. देश के हमारे प्रधानमंत्री जी को बुलाया, 300 करोड़ रुपये के विकास के लिए वाहवाही लूटी. लगभग 300 करोड़ रुपये विकास के काम के लिए आदरणीय कमलनाथ जी की सरकार ने दिया, लेकिन उसके प्रचार-प्रसार के लिए माननीय अध्‍यक्ष महोदय, करोड़ों रुपये इन लोगों ने खर्च कर दिए. यह इनका विकास है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि उज्‍जैन में सिंहस्‍थ जैसा महापर्व होता है, पूरे विश्‍व के लोग वहां आस्‍था के साथ भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए आते हैं. आज उज्‍जैन के महाकाल भगवान को इन लोगों ने व्‍यवसायीकरण का पूरा अड्डा बना दिया है. रोज नए-नए परीक्षण होते हैं. आप आए दिन समाचार-पत्रों में देखते होंगे, अध्‍यक्ष महोदय, आप भी भगवान महाकाल के अनन्‍य भक्‍त हैं, आप दो बार वहां पधारे हैं. भगवान महाकाल का आशीर्वाद आपके ऊपर बना रहे. आप वहां आकर देखें कि क्‍या स्‍थिति है, श्रद्धालु बड़ी आस्‍था के साथ दर्शन करने के लिए आते हैं, लेकिन अपने मन में एक टीस लेकर जाते हैं. यह विकास आप उज्‍जैन आकर देखिए. लगभग 200 करोड़ रूपए खर्च करने के बाद भी पुण्य सलिला माँ क्षिप्रा में खान नदी का गंदा पानी आज भी मिल रहा है. मैं पूछना चाहता हॅूं कि मध्‍यप्रदेश का यह विकास हुआ है, उज्‍जैन का यह विकास हुआ है और एक तरफ धर्म की बात करने वाले, भगवान श्रीराम के नाम पर राजनीति करने वाले यह लोग मां क्षिप्रा मैया को नहीं छोड़ रहे हैं, (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हॅूं कि एक बार जब आप भगवान महाकाल के दर्शन करने पधारें, तो एक बार उस तरफ भी मां क्षिप्रा के दर्शन करने पधारें और जो 200 करोड़ रूपए का भ्रष्‍टाचार, खान डॉयवर्सन का बना, वह कहां है, मैं इनसे पूछना चाहता हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय, यह गौ-शाला की बात करते हैं. मैंने कहा कि 15 महीने की सरकार, माननीय कमलनाथ जी सरकार और 15 साल की भारतीय जनता पार्टी की सरकार का अंतर देख लीजिए. मेरी विधानसभा तराना में लगभग 40 गौ-शालाएं 40 लाख रूपए की लागत से बनीं और पूरे मध्‍यप्रदेश में हजारों की संख्‍याओं में गौ-शालाएं बनीं. मैं पूछना चाहता हॅूं कि 15 साल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने गौमाता के लिये क्‍या किया. सबसे बड़ा गौ-अभ्‍यारण्‍य सालरिया में है. उसको ठेके पर एक तरफ गौमाता के नाम पर पैसे नहीं देते हैं और करोड़ों रूपए का भ्रष्‍टाचार है. यह जांच का विषय है. कौन इनके चहेते लोगों को उसकी ठेकेदारी देते हैं. वह गौशाला जो अरबों रूपए खर्च करने के बाद उसका निर्माण हुआ और आज आप वहां जाकर देख लीजिए, उसे ठेके पर दे दिया गया है. यह स्‍थिति गौमाता की है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आदर्श गांव की बात हो रही थी. आदर्श गांवों में पीने का पानी नहीं है. यह स्‍थिति है. जल मिशन के अंतर्गत बात हो रही थी कि हमने प्रत्‍येक विधानसभा में करोड़ों के काम किए. मैं कहना चाहता हॅूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र तराना में और पूरे मध्‍यप्रदेश में सिर्फ कागजों में बड़ी-बड़ी टंकियां जरूर इन लोगों ने बना दिया लेकिन कहीं उनका उपयोग नहीं हो रहा है. सिर्फ कागजों की खानापूर्ति करने के लिये और (XXX) करने के लिये, आंकडे़ दिखाने के लिये हजारों-करोड़ों रूपए का खर्च जरूर बता रहे हैं लेकिन मैं दावे के साथ कह सकता हॅूं कि एक भी गांव में, यहां जितने भी मंत्रीगण बैठे हैं इनके खुद के विधानसभा क्षेत्र में जाकर आप देख सकते हैं कि अगर एक भी गांव में नल-जल के माध्‍यम से, टोटी के माध्‍यम से प्रत्‍येक परिवार को पानी मिलेगा लेकिन पूरे मध्‍यप्रदेश में एक भी गांव में नल-जल की कोई योजना नहीं चल रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय, बात अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग की बात हो रही थी. 2-2 साल से, 3-3 साल से उन होनहार छात्रों को अभी तक छात्रवृत्‍ति नहीं मिली है. सिर्फ असत्‍य बातें हैं. सिर्फ आंकड़ों की बातें हो रही हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, शुद्ध का युद्ध की बात है. आपके सामने अभी राजगढ़ में और पूरे मध्‍यप्रदेश में माननीय कमलनाथ जी ने चलाया. दूध का गोरखधंधा कौन कर रहा है. आदरणीय तुलसी भैया, यह माननीय कमलनाथ जी की देन थी. (XXX) मैं आपसे निवेदन करना चाहता हॅूं कि इसकी उच्‍च स्‍तरीय जांच होना चाहिए. पूरे मध्‍यप्रदेश में किसान परेशान हैं. युवा बेरोजगार हैं और महिला अपराध सबसे ज्‍यादा मध्‍यप्रदेश में होते हैं. हमारी बेटियों के साथ अपराध होते हैं. यह सरकार सिर्फ कागजों की हेराफेरी और आंकड़ों पर चल रही है. (XXX) कि मध्‍यप्रदेश में सिर्फ और सिर्फ वादों से बनी हुई सरकार है. मेरा यही कहना है कि पूरे मध्‍यप्रदेश का युवा परेशान है, किसान परेशान है. हर वर्ग में हताशा है और मेरा आपसे यही निवेदन है कि आज किसान भाई अपने आप को बड़ा ठगा हुआ महसूस कर रहा है और पूरे मध्‍यप्रदेश में मेरे विधानसभा क्षेत्र तराना में और पूरे उज्‍जैन जिले में ओलावृष्‍टि हुई है तो आपके माध्‍यम से कहना चाहता हॅूं कि आप सरकार को निर्देशित करें कि खेत-खेत जाकर सर्वे हो और हमारे किसान भाईयों को बीमा का लाभ मिले, यही मैं निवेदन करना चाहता हॅूं. एक और बात मैं आपके माध्‍यम से कहना चाहता हॅूं कि किसान भाइयों

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XXX :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

का जो गेहूं है उसे 3000 रूपए क्‍विंटल होना चाहिए, यह मेरी आपसे प्रार्थना है. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिये बहुत-बहुत धन्‍यवाद. जय श्री महाकाल.

          अध्‍यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, 14 मार्च, 2023 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्‍थगित.

          अपराह्न 5.29 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 14 मार्च, 2023 (22 फाल्‍गुन, शक संवत् 1944) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्‍थगित की गई.

 

                                                                                              अवधेश प्रताप सिंह,

भोपाल :                                                                                       प्रमुख सचिव,

दिनांक : 13 मार्च, 2023                                                             मध्‍यप्रदेश विधान सभा