मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

          ______________________________________________________________

 

चतुर्दश विधान सभा                                                                                                  षोडश सत्र

 

 

फरवरी-मार्च, 2018 सत्र

 

मंगलवार, दिनांक 13 मार्च, 2018

 

(22 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1939)

 

 

[खण्ड- 16 ]                                                                                                               [अंक- 8 ]

 

         ______________________________________________________________

 

 

 

 

 

 

 

मध्यप्रदेश विधान सभा

 

मंगलवार, दिनांक 13 मार्च, 2018

 

(22 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1939)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}

 

तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

 

छात्रावासों में कम्‍प्‍यूटर की व्‍यवस्‍था

[जनजातीय कार्य]

1. ( *क्र. 1852 ) श्री जतन उईके : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या प्रदेश के छिन्‍दवाड़ा के छात्रावासों में कम्‍प्‍यूटर की व्‍यवस्‍था की गई है? यदि हाँ, तो, कितने छात्रावासों में की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) अंतर्गत कितने कम्‍प्‍यूटर सेट किस कम्‍पनी के क्रय किये गये हैं? कम्‍प्‍यूटर सेट किसके द्वारा क्रय किये गये हैं? (ग) क्‍या शासन द्वारा कम्‍प्‍यूटर क्रय हेतु निर्धारित मापदण्‍ड तय किया गया है? यदि हाँ, तो प्रति सेट का मूल्‍य बतायें तथा विज्ञापन का दिनांक व समाचार पत्र का नाम बतावें? (घ) कितने छात्रावासों में कम्‍प्‍यूटर की व्‍यवस्‍था नहीं है? वंचित छात्रावासों में कब तक कम्‍प्‍यूटर की व्‍यवस्‍था की जावेगी?

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। छिन्‍दवाड़ा में 16 छात्रावासों में कम्‍प्‍यूटर की व्‍यवस्‍था की गई है। (ख) कम्‍प्‍यूटर सेट ''ACER'' कम्‍पनी के हैं, वर्ष 2015-16 में कुल 42 कम्‍प्‍यूटर सेट क्रय किये गये हैं। कम्‍प्‍यूटर सेट सहायक आयुक्‍त, आदिवासी विकास छिन्‍दवाड़ा द्वारा क्रय किये गये हैं। (ग) जी हाँ। रूपये 40,000/-, DGS &D से क्रय करने के कारण। शेषांश का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (घ) 76 छात्रावासों में कम्‍प्‍यूटर की व्‍यवस्‍था नहीं है। कम्‍प्‍यूटर हेतु 28.40 लाख राशि का आवंटन प्राप्‍त हो गया है, वर्तमान में क्रय पर प्रतिबंध है, क्रय पर प्रतिबंध से छूट मिलने पर शीघ्र ही क्रय की कार्यवाही पूर्ण हो सकेगी।

अध्‍यक्ष महोदय प्रश्‍न क्रमांक 1 श्री जतन उईके.

श्री जतन उईके माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न अनुसूचित जाति और जनजाति के बालक एवं बालिका छात्रावासों में क्रय किए गए कम्‍प्‍यूटर के संबंध में था, जिसमें कुछ बातों से मैं सतुष्‍ट हूं, लेकिन मध्‍यप्रदेश सरकार का स्‍पष्‍ट निर्देश है कि 2 लाख रूपए से अधिक की खरीदी ई-टेण्‍डरिंग से की जाए, लेकिन इसमें डी.जी.एस. एंड डी. से खरीदी की गई है जो कि अनुचित है.

राज्‍य मंत्री, जनजातीय कार्य (श्री लाल सिंह आर्य) माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य को मैं बताना चाहता हूं जब यह कम्‍प्‍यूटर खरीदे गए थे, तब अधिकार थे. लेकिन अब जिस प्रकार से निर्देश आए हैं, शासन उस प्रकार से कार्यवाही करेगा.

श्री जतन उईके माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसमें बताया गया है कि लगभग 42 कप्‍यूटर खरीदे गए हैं. मेरी पांढुर्णा विधान सभा क्षेत्र में कितने छात्रावास में कम्‍प्‍यूटर दिए गए हैं. कृपया बताने का कष्‍ट करें.

श्री लाल सिंह आर्य माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह उत्‍तर में शायद आया है. 42 कम्‍प्‍यूटर खरीदे गए हैं 16 छात्रावासों में, शेष 76 जगह रह गई है, अभी खरीदी पर चूंकि बंदिश है, जैसे ही मार्च के बाद खरीदी प्रारंभ होगी उसके बाद शेष जगह छात्रावासों में कम्‍प्‍यूटर खरीदने की प्रक्रिया पूरी होगी.

श्री जतन उईके माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने यह पूछा था कि मेरी विधान सभा क्ष्‍ोत्र में कौन से कौन से छात्रावास में कम्‍प्‍यूटर दिए गए हैं?

 श्री लाल सिंह आर्य आपकी विधान सभा पांढुर्णा के छात्रावासों को इसमें जोड़ लिया गया है, जिसमें आदिवासी बालक पाठई, रायवासा, नांदनवाड़ी, काराघाट कामठी, पांढुर्णा.

श्री जतन उईके अध्‍यक्ष महोदय, किन छात्रावासों को जोड़ा गया है, मैं यह नहीं पूछ रहा हूं, मैं केवल इतना पूछ रहा हूं कि पांढुर्णा विधान सभा क्षेत्र में किन किन छात्रावास में कम्‍प्‍यूटर प्रदाय किए गए हैं?

श्री लाल सिंह आर्य अध्‍यक्ष महोदय, इसमें कोई 2-4 साल नहीं लगना है, अभी मार्च में कुछ समय के लिए बेन लगा है, इसके बाद जैसे ही बेन खुलेगा तो पांढुर्णा विधान सभा के लिए कम्‍प्‍यूटर खरीदी की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

अध्‍यक्ष महोदय जल्‍दी ही कम्‍प्‍यूटर खरीद लेंगे.

श्री जतन उईके अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद.

 

 

तहसील मुख्यालय नागदा में उत्कृष्ट छात्रावास का संचालन

[अनुसूचित जाति कल्याण]

2. ( *क्र. 1115 ) श्री दिलीप सिंह शेखावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या म.प्र. में लगभग सभी तहसील मुख्यालयों पर अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के द्वारा उत्कृष्ट छात्रावास संचालित हैं? नागदा नगर तहसील मुख्यालय होते हुए भी यहां उत्कृष्ट छात्रावास नहीं होने से यहां पर रहने वाले बालक-बालिकाओं को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है। (ख) यहां के अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के द्वारा संचालि‍त बालक/बालिका छात्रावासों को कब तक उत्कृष्ट छात्रावास घोषित कर दिया जावेगा?

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। उत्‍कृष्‍ट छात्रावास योजनान्‍तर्गत विकासखण्‍ड मुख्‍यालय पर उत्‍कृष्‍ट छात्रावास संचालित किये जाने का प्रावधान है। नागदा तहसील मुख्‍यालय होने से उत्‍कृष्‍ट छात्रावास का संचालन नहीं किया जा रहा है। (ख) प्रश्‍नांश () के उत्‍तर के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

श्री दिलीप सिंह शेखावत माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में आया है कि केवल  ब्‍लाक स्‍तर पर ही उत्‍कृष्‍ट छात्रावास खोलते हैं, लेकिन कई योजनाओं में मैंने देखा है कि मानवीय आधार पर, आवश्‍यकताएं और जनभावना को देखते हुए भी नियमों को शिथिल करते हुए सुविधाएं देते हैं. नागदा उज्‍जैन के बाद सबसे बड़ा शहर है लगभग ढेड़ लाख की आबादी हैं उन्‍हेल और आसपास के 100 गांव और उसमें आते हैं. विशेषकर अनुसूचित जाति के हमारे भाई-बहनों को वह सुविधाएं नहीं मिलती हैं. माननीय मंत्री जी मेरा आपसे निवेदन है कि यदि नियमों को शिथिल करते हुए नागदा में जनभावना को देखते हुए यदि उत्‍कृष्‍ट छात्रावास देंगे तो ठीक होगा.

माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से दूसरा प्रश्‍न है कि नागदा में एक सीनियर बालक छात्रावास है उसमें केवल 20 सीट हैं. नागदा बहुत बड़ा शहर है यदि उस छात्रावास में सीटों की संख्‍या बढ़ा देंगे तो अच्‍छा होगा.

          श्री लाल सिंह आर्य --माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्री दिलीप सिंह जी की भावना से मैं, सहमत हूं कि जनहित में और अनुसूचित जाति के बच्चों के हित में उन्होंने बात रखी है . जहां तक सीनियर छात्रावास की सीट बढ़ाने की बात है उसको हम 20 सीट से 50 सीट का करने का आदेश दे देंगे. दूसरी बात उन्होंने 1.50 लाख की आबादी के शहर की बात की, लेकिन अभी शासन के आदेश विकासखण्ड स्तर के हैं. हम लोग बातचीत कर रहे है और आगामी दिनों में इसका परीक्षण करवाकर के और किस स्तर पर लाया जाये इसके लिये भी हम प्रयास कर रहे है.

          श्री दिलीप सिंह शेखावत- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.

बरगी परियोजना की दायीं तट मुख्‍य नहर से पेयजल व्‍यवस्‍था

[नर्मदा घाटी विकास]

3. ( *क्र. 3276 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या राज्‍यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या कटनी जिले में नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा बरगी व्‍यपवर्तन परियोजना की दायीं तट मुख्‍य नहर से बहोरीबंद एवं रीठी पठार क्षेत्र में पेयजल हेतु पानी उपलब्‍ध कराया जावेगा? (ख) यदि हाँ, तो विधान सभा क्षेत्र बहोरीबंद की किन-किन पंचायतों में किस-किस माध्‍यम से ग्रामीणों को पेयजल उपलब्‍ध कराये जाने हेतु पी.एच.ई. विभाग के समन्‍वय से सर्वे/योजना बनाई गई है? (ग) क्‍या रीठी विकासखण्‍ड में पेयजल स्‍त्रोतों की कमी को देखते हुये नर्मदा नहर के पानी को रीठी क्षेत्र तक पहुंचाये जाने हेतु प्रश्‍नकर्ता सदस्‍य द्वारा प्रेषित पत्र के तारतम्‍य में जिला भू-अर्जन अधिकारी, जिला कटनी के पृ.पत्र क्रमांक 2745, दिनांक 09.03.2016 पर विभाग द्वारा क्‍या कार्यवाही की गई? तिथिवार, कार्यवाहीवार, पृथक-पृथक विवरण दें। (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) अनुसार पठार क्षेत्र में पेयजल संकट के निदान हेतु कब तक पेयजल की व्‍यवस्‍था की जावेगी?

राज्‍यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) वर्तमान में ऐसी कोई योजना नहीं है। बरगी व्‍यपवर्तन योजना की डी.पी.आर. में वर्तमान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। (ख) उत्‍तरांश (क) के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) कार्यपालन यंत्री, नर्मदा विकास संभाग, कटनी के ज्ञाप क्रमांक 244/तक/57/2016, दिनांक 22.03.2016 के द्वारा कलेक्‍टर (भू-अर्जन शाखा) कटनी एवं ज्ञाप क्रमांक 222/कार्य/2018, कटनी दिनांक 22.02.2018 द्वारा माननीय विधायक को अवगत कराया गया है कि रीठी के भू-स्‍तर मुख्‍य नहर के पूर्ण प्रवाह जलस्‍तर से ऊँचे होने के कारण मुख्‍य नहर से रीठी विकासखण्‍ड को बहाव द्वारा जोड़ना संभव नहीं है। (घ) उत्तरांश (क) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          कुँवर सौरभ सिंह : माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि क्या मेरे विधानसभा क्षेत्र से टनल के माध्यम से, नहरों के माध्यम से एक दायीं तट नहर निकल रही है और क्या एक इंच भी पानी हमारे क्षेत्र को मिल रहा है ?

          श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य पेयजल की बात कर रहे हैं या सिंचाई की बात कर रहे हैं ?

          कुँवर सौरभ सिंह :  अध्यक्ष महोदय, मैं पेयजल और सिंचाई दोनों के बारे में बात कर रहा हूं.

          श्री लाल सिंह आर्य -- किंतु आपने प्रश्न पेयजल से संबंधित किया है ? अगर सिंचाई का प्रश्न करते तो मैं उसकी तैयारी करके आता.

          कुँवर सौरभ सिंह : ठीक है, आप पेयजल का ही बता दें .

          श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय,  उसकी ऊंचाई बहुत है इस कारण से वहां पेयजल की व्यवस्था करना नामुंकिन है. वैसे मैंने माननीय सदस्य के प्रश्न का उत्तर प्रश्नोत्तरी में भेजा भी है.

          कुँवर सौरभ सिंह : अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि कई जगह सरकार ने जहां पर ऊंचाई है वहां पर पेजयल की व्यवस्था की है. क्षिप्रा-लिंक इस बात का उदाहरण है तो मेरी विधानसभा क्षेत्र में जहां पर पानी की बहुत ज्यादा दिक्कत है, 600 फिट तक पानी नहीं मिल रहा है तो क्या सरकार नर्मदा घाटी की योजना पर विचार करेगी ताकि हमारे क्षेत्र की जनता को पीने का पानी उपलब्ध हो सके.

          श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, पेयजल की व्यवस्था नर्मदा घाटी विकास विभाग नहीं करता है. जहां विभिन्न साध्यता पानी की मिलती है, जहां पर लगता है कि यहां से पानी उपलब्ध कराया जा सकता है वहां नगरीय प्रशासन विभाग अथवा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग साध्यता के आधार पर परीक्षण के बाद यदि  विभाग को लगता है कि यहां पानी आसानी से आ सकता है तो संबंधित विभाग निर्णय करते हैं और शासन व्यवस्था करता है. लेकिन कुंवर सौरभ जी जिस क्षेत्र की बात कर रहे हैं मुझे नहीं लगता है कि इसकी व्यवस्था हो सकती है लेकिन फिर भी जनभावना को देखते हुये माननीय सदस्य का अनुरोध है तो मैं एक बार पुन: उसका परीक्षण करा लूंगा.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को स्मरण दिलाना चाहूंगा कि पूर्व के नर्मदा घाटी विकास मंत्री द्वारा 10 वर्ष पहले बरगी दायीं तट नहर से मैहर, सतना में पानी पहुंचाने की बात कही थी. नहरें बन गई हैं, माननीय सदस्य सौरभ सिंह जी जिस टनल की बात कर रहे हैं पता नहीं उस टनल में क्या दिक्कत आ गई है कि पानी जा नहीं रहा है. यदि आप प्रदेश के अन्य हिस्सों में ऊंचाई पर पानी दे सकते हैं तो यहां टनल बन गया है सिर्फ पानी नहीं जा रहा है तो इसके लिये व्यवस्था करें, इस अंचल की चिंता भी मंत्री जी कर लें क्योंकि 3-4 जिले पानी की गंभीर समस्या से ग्रस्त हैं. अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध है कि आप इस संबंध में मंत्री जी को उचित निर्देश देने का कष्ट करें. मंत्री जी बता दें कि कब तक पानी आयेगा.

          श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो प्रश्न से उद्भुद नहीं हो रहा है लेकिन माननीय नेता प्रतिपक्ष द्वारा जनहित की बात की है तो मैं उनको बताना चाहता हूं कि टनल का काम बहुत तेज गति से चल रहा है, बीच में कुछ तकनीकी परेशानी आई थी, मशीन बंद हो गई थी, मशीन इतनी बड़ी है जिसको सुधारने में बहुत समय लगता है. जर्मनी से मशीन पानी के जहाज से आई है और उसको लाने में 6 माह का समय लगा है, 6 माह उस मशीन को स्थापित करने में समय लगता है, इतनी बड़ी बड़ी मशीने हैं लेकिन रीवा, सतना और कटनी जिले के कुछ हिस्से के लोगों को पानी की व्यवस्था हो सके इसके लिये माननीय मुख्यमंत्री द्वारा लगातार इस बात के प्रयास कर रहे हैं कि कैसे भी करके वहां पानी पहुंचाना है. अब हमारी दोनों मशीनें दोनों छोर से काम कर रही हैं और हमने संकल्प व्यक्त किया है कि 2018 के अंत तक हम पानी उस टनल के माध्यम से भेजने का काम करेंगे, हमारी मंशा पानी पहुंचाने की है और मंशा अच्छी नहीं होती तो दोनों मशीनों को, दोनों छोर से टनल बनाने का काम क्यों कर रहे होते .

 

विद्युत समस्‍या के निराकरण हेतु शिविरों का आयोजन

[ऊर्जा]

4. ( *क्र. 259 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र पनागर के अंतर्गत गत 04 वर्षों में कहाँ-कहाँ विद्युत समस्‍या निवारण शिविर आयोजित किये गये? (ख) क्‍या शिविर में सक्षम अधिकारी उपस्थित नहीं रहते हैं? क्‍या यही कारण है कि मौके पर शिकायतों का निराकरण नहीं होता है एवं हितग्राही को विद्युत कार्यालयों के चक्‍कर लगाने पड़ते हैं? (ग) इन शिविरों में कितनी समस्‍यायें प्राप्‍त हुईं? मौके पर कितनी समस्‍याओं का निराकरण किया गया? शिविर समाप्ति उपरांत बाद में कार्यालय से कितनी शिकायतों का निराकरण किया गया? संख्‍यात्‍मक जानकारी देवें। (घ) प्रश्नांश (ग) के अंतर्गत मौके पर शिकायतों के निराकरण न होने का क्‍या कारण है?

ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) विधानसभा क्षेत्र पनागर के अंतर्गत विगत 4 वर्षों                           यथा-वर्ष 2014-15 से 2017-18 (जनवरी-18 तक) में आयोजित विद्युत समस्‍या निवारण शिविरों का स्‍थानवार विवरण पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट अनुसार है। (ख) शिविर सक्षम अधिकारियों की उपस्थिति में ही आयोजित किये जाते हैं तथा अधिकांश शिकायतों का निराकरण मौके पर ही किया जाता है। उल्‍लेखनीय है कि प्रश्‍नाधीन अवधि में आयोजित विद्युत समस्‍या निवारण शिविरों में प्राप्‍त कुल 1635 शिकायतों में से 1198 शिकायतों का निराकरण शिविर दिनांक को मौके पर ही किया गया है। (ग) प्रश्‍नाधीन अवधि में आयोजित विद्युत समस्‍या निवारण शिविरों में कुल 1635 शिकायतें प्राप्‍त हुईं, जिनमें से शिविर स्‍थल पर 1198 शिकायतों का निराकरण किया गया तथा शिविर उपरांत 436 शिकायतों का निराकरण किया गया। अतिरिक्‍त ट्रांसफार्मर लगाने से संबंधित एक शिकायत का कार्य प्रगति पर है। (घ) कुछ शिकायतों यथा-मीटर बदले जाने, ट्रांसफार्मर बदले जाने, विद्युत लाइनों संबंधी कार्य आदि में मैदानी जाँच आवश्‍यक होती है, अत: शिविर स्‍थल पर ही शिकायत की जाँच/निराकरण संभव नहीं हो पाता। ऐसे प्रकरणों में वितरण कंपनी द्वारा जाँच कराकर शिकायत का यथाशीघ्र निराकरण किया जाता है।

            श्री सुशील कुमार तिवारी--अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न करना चाहता हूं कि सक्षम अधिकारियों द्वारा विद्युत शिविर नहीं लगाये जा रहे हैं. सबसे पहले मंत्री जी बतायें कि मैंने 13.12.17 को बरेला शिविर में 14.12.17 को मैंने जानकारी दी थी कि सन् 1954 में एक स्कूल बना था उसके ऊपर से 11 के.व्ही.ए.लाईन लगा दी गई है. क्या मंत्री जी उसको हटाने की कार्यवाही करेंगे ? बहुत से बच्चे शिविर में शालीबाड़ा में भी गये थे इस विद्युत लाईन को हटाने के लिये.

          श्री पारस चन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, जहां स्कूल है, यदि स्कूल पहले है और लाईन बाद में डली है तो यह विषय अलग है और यदि लाईन बाद में डली है उसका हम परीक्षण करवा लेंगे और उसका निराकरण कर लेंगे. 

          श्री सुशील कुमार तिवारी--अध्यक्ष महोदय, हमारे पास में सूचना है. सूचनाओं के माध्यम से जानकारी मेरे पास आयी थी कि पनागर में 9 शिविर लगना हैं. परिशिष्ट में 175 शिविर लगाने का काम किया है. यह जो शिविर लगे हैं इसका कोई औचित्य नहीं था कि इतने बड़े परिशिष्ट में जानकारी देने का, लगभग इसके बहुत से निराकरण हो गये हैं, किन्तु 175 शिविर लगाये गये हैं तो यह जानकारी परिशिष्ट में आना चाहिये कि जो शेष 9 के अतिरिक्त शिविर लगे हैं वह चुपके-चुपके लगाये गये हैं. हालांकि इसमें पूरी कार्यवाही हो चुकी है, किन्तु यह चुपके-चुपके यह शिविर कैसे लगा दिये कि माननीय सदस्य को पता ही नहीं चला. यह शिविर कहां लगे और जिन गांवों के नाम दिये हैं इसका मैं परिशिष्ट में उदाहरण देना चाहता हूं कि परिशिष्ट के पृष्ठ तीन को देखें कि 6 तारीख में 7 शिविर इन्होंने लगाये हैं जिसकी दूरी आपस में 63 किलोमीटर है और यही मेरा प्रश्न है कि सक्षम अधिकारी इस शिविर को नहीं लगा रहे हैं. लाईनमेन वगैरह बैठालकर कार्यवाही को अंजाम दिया जा रहा है. 63 किलोमीटर में 7 शिविर लगाने का मतलब मैं समझता हूं कि यह केवल खानापूर्ति है. 9 हालांकि शिविर में जो बातें आयी थीं उनके निराकरण हो गये हैं. शिविर में जो संख्या 1600 दी है यह उन 9 शिविरों की संख्या है मंत्री जी कृपया बतायें  ?

            श्री पारस चन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, जो सदस्य महोदय ने जानकारी मांगी थी वह 4 वर्षों की जानकारी है. दूसरी बात माननीय विधायक जी यह भी कह रहे हैं कि शिविर लगे थे और सब काम निपट भी गये हैं. वहां पर जे.ई. लेवल का अधिकारी रहता है. कनिष्ठ यंत्री या ऊपर का अधिकारी होता है उसको उनके यहां पर भेजते हैं और उसका निराकरण करते हैं. उनकी समस्या का निदान हो गया है.

          अध्यक्ष महोदय--इनकी सूचना माननीय सदस्य जी को हो जाए.

          श्री पारस चन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य अपने तत्वाधान में यदि शिविर लगाना चाहते हैं तो उसके लिये तैयार हैं.

          अध्यक्ष महोदय--शिविर लगे तो उसकी सूचना माननीय सदस्य को हो जाए.

          श्री सुशील कुमार तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, 175 शिविरों की जानकारी देने का औचित्य था क्या ?

            श्री पारस चन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, 4 वर्षों के शिविर की जानकारी मांगी थी इसलिये चार वर्षों की जानकारी दे दी.

          श्री सुशील कुमार तिवारी--अध्यक्ष महोदय, परिशिष्ट में 17 की जानकारी को मंत्री जी देख लें.   

          प्रश्न संख्या-- 5     (अनुपस्थित)

देशी शराब दुकान का अन्‍यत्र स्‍थानांतरण

[वाणिज्यिक कर]

6. ( *क्र. 3064 ) श्री नीलेश अवस्‍थी : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                                (क) प्रदेश में देशी शराब दुकान स्‍थापित करने के क्‍या दिशा-निर्देश हैं? निर्देशों की छाया प्रति देवें। देशी शराब दुकान उड़ना (सड़क) तहसील पाटन जिला जबलपुर वर्तमान समय में कब से किस स्‍थल पर संचालित है? (ख) क्‍या शासकीय माध्‍यमिक शाला उड़ना (सड़क) के मुख्‍य द्वार से 50 मीटर दूर स्‍कूल पहुँच मार्ग के बाजू में एवं उप स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र उड़ना (सड़क) से 80 मीटर दूर तथा सेवा सहकारी समिति उड़ना सड़क से 30 मीटर दूर स्थित है? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) यदि हाँ, तो वित्‍त वर्ष 2017-18 से प्रश्‍न दिनांक तक उक्‍त शराब दुकान को अन्‍यत्र स्‍थानांतरण करने हेतु ग्रामीणजनों द्वारा धरना प्रदर्शन कब-कब किये गये तथा कब-कब, किस-किस को मांग पत्र प्रेषित किये गये? (घ) क्‍या प्रश्नांश (ग) में उल्‍लेखित धरना प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणजनों पर प्रकरण दर्ज कर उन्‍हें प्रताड़ि‍त किया गया? यदि हाँ, तो क्‍या शासन ग्रामीणजनों की न्‍यायोचित मांग को स्‍वीकार करते हुये देशी शराब दुकान उड़ना सड़क को अन्‍यत्र स्‍थानांतरित कर ग्रामीणजनों पर लगाये गये मुकदमों को वापिस लेगा? यदि हाँ, तो किस प्रकार से कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों नहीं?

वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) प्रदेश में देशी शराब दुकान स्‍थापित करने के लिए मध्‍यप्रदेश आबकारी अधिनियम के तहत सामान्‍य प्रयुक्ति नियम-1 में दिशा निर्देश प्रावधानित हैं, नियमों की छायाप्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। देशी शराब दुकान उड़ना दिनांक 23.04.2017 से श्री राघवेन्‍द्र सिंह ठाकुर के भवन उड़ना में संचालित है, जिसकी छायाप्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (ख) वर्तमान स्थिति में देशी शराब दुकान उड़ना से माध्‍यमिक शाला की दूरी 318 मीटर, उप स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र की दूरी 228 मीटर तथा देशी शराब दुकान से सहकारी समिति की उड़ना से दूरी 125 मीटर है, जिसकी जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र-तीन अनुसार है। (ग) थाना प्रभारी थाना पाटन जिला जबलपुर से प्राप्‍त जानकारी अनुसार वर्ष 2017-18 में ग्राम उड़ना सड़क में स्थिति देशी शराब दुकान को अन्‍यत्र स्‍थानांतरित करने हेतु ग्रामीणजनों द्वारा ग्राम उड़ना (सड़क) में कोई धरना प्रदर्शन आयोजित नहीं किया। कार्यालय थाना प्रभारी थाना पाटन, जिला जबलपुर के पत्र की छायाप्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र-चार अनुसार है, वर्ष 2017-18 में देशी शराब दुकान उड़ना को अन्‍यत्र स्‍थानांतरण करने हेतु अनुविभागीय अधिकारी राजस्‍व पाटन को समक्ष में ज्ञापन, दिनांक 13.04.2017 को दिया गया था, जिसकी जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र-पाँच अनुसार है। (घ) जी नहीं। देशी शराब दुकान उड़ना सड़क मध्‍यप्रदेश आबकारी अधिनियम के तहत बनाए गए सामान्‍य प्रयुक्ति नियम-1 में दिए गए दिशा निर्देशों के अंतर्गत स्‍थापित होने से मदिरा दुकान को स्‍थानांतरित नहीं किया जा रहा है। अतएव शेष प्रश्‍नांश उपस्थित नहीं होता।

          श्री नीलेश अवस्थी--अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्री जी का जवाब मुझे मिला है उसमें बताया है कि उड़ना सड़क पर देशी शराब की दुकान संचालित हो रही है. वह नियमानुसार है. मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि जहां पर शराब की दुकान है वहां पर एक रोड़ है. जहां पर माध्यमिक शाला भवन है, उप स्वास्थ्य केन्द्र है, उसके बगल में शराब की दुकान संचालित कर रहा है ? मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि कम से कम वहां से शराब की दुकान अलग हो, क्योंकि छोटे-छोटे बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है उनको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जो महिलाएं हैं स्वास्थ्य केन्द्र में जाती हैं उनको परेशानी हो रही है. क्या मंत्री जी दुकान को वहां से अलग करने का प्रावधान करेंगे ?

            श्री जयंत मलैया--अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 के अंतर्गत बने मदिरा दुकानों संबंधी नियमों में मदिरा उपभोग हेतु शराब की दुकान शैक्षणिक संस्था, अस्पताल, धार्मिक संस्था आदि से 50 या उससे अधिक दूर होना चाहिये. आपने इन तीनों का उल्लेख यहां पर किया है. माध्यमिक शाला उड़ना से दुकान की दूरी 318 मीटर है, उप स्वास्थ्य केन्द्र की दूरी 228 मीटर है. सहकारी समिति उड़ना से उसकी दूरी 125 मीटर है.

            श्री नीलेश अवस्थी - माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्री जी जो आपने बताया है जो आपको जानकारी शासन ने भेजी है बिल्कुल गलत भेजी है क्योंकि स्कूल का प्रांगण वह 8 से 10 मीटर की दूरी पर आता है. अगर इसकी जांच कराई जायेगी तो आपको तथ्य सामने आयेंगे और मेरे सामने यह जांच हो तो ज्यादा बेहतर रहेगा.

          श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी के साथ में जिनको यह कहेंगे भेज दूंगा और जो यह कह रहे हैं वह सही है तो मैं हटा दूंगा.

          श्री नीलेश अवस्थी - माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्री जी से मेरा एक और निवेदन है कि हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी का स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने का सपना है और वह तब होगा जब हमारे लोगों का स्वास्थ्य अच्छा होगा, हमारे बच्चों का भविष्य अच्छा होगा.    

          अध्यक्ष महोदय - भाषण नहीं चलेगा.

          श्री नीलेश अवस्थी - माननीय अध्यक्ष महोदय,पूर्ण शराब बंदी की जाये मेरा यह निवेदन है. इससे हमारे देश प्रदेश का  भविष्य अच्छा होगा.

          अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल में नहीं.

          श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष जी, शराब बंदी के खिलाफ हैं.

          श्री अजय सिंह - मंत्री जी, दिल पर हाथ रखकर कह दें.

          श्री नीलेश अवस्थी - माननीय अध्यक्ष महोदय,वहां इनलीगल तरीके से अहाता भी चल रहा है. मैं जानकारी देना चाहता हूं.

          अध्यक्ष महोदय - अब जांच हो रही है. आप बता देना.

नवीन विद्युत ग्रिड की स्‍थापना

[ऊर्जा]

7. ( *क्र. 1262 ) कुँवर हजारीलाल दांगी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर के अंतर्गत ग्राम दगल्‍या व ग्राम बाजरोन के मध्‍य तथा ग्राम रामगढ़ में 33/11 के.व्‍ही. विद्युत ग्रिड नहीं होने से क्रमश: ग्राम दगल्‍या-बाजरोन के मध्‍य 40 ग्रामों के कृषकों एवं ग्राम रामगढ़ अंतर्गत 25 ग्रामों के कृषकों को निरंतर अल्‍प वोल्‍टेज एवं लाईन के तार टूटने से विद्युत कटोत्री का दंश झेलना पड़ रहा है? यदि हाँ, तो उक्‍त समस्‍या के निराकरण हेतु प्रश्‍न दिनांक तक विभाग द्वारा क्‍या कार्यवाही की गई? (ख) उपरोक्‍तानुसार क्‍या ग्रामों के किसानों की पुरजोर मांग पर प्रश्‍नकर्ता द्वारा उक्‍त वर्णित स्‍थानों पर 33/11 के व्‍ही. विद्युत ग्रिड स्‍थापित कराने हेतु निरंतर शासन से मांग की गई है? यदि हाँ, तो क्‍या शासन उक्‍त वर्णित स्‍थानों पर 33/11 के.व्‍ही. विद्युत ग्रिड की स्‍थापना करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों?

ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) जी नहीं, विधानसभा क्षेत्र खिलचीपुर के अंतर्गत ग्राम बाजरोन व दगल्या एवं आस-पास के ग्रामों को 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र रनारा से नियमानुसार सुचारू रूप से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है, तथापि उक्त क्षेत्र में प्रणाली सुदृढ़ीकरण हेतु ग्राम बाजरोन व दगल्या के मध्य 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्थापना का कार्य वित्तीय उपलब्धतानुसार इसी प्रकार के अन्‍य कार्यों की प्राथमिकता के क्रम में अगामी योजनाओं में सम्मिलित किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। ग्राम रामगढ़ एवं आस-पास के क्षेत्र में स्थित ग्रामों को लगभग 4 कि.मी. की दूरी पर स्थित 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र लखोनी से नियमानुसार सुचारू रूप से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है, वर्तमान में ग्राम रामगढ़ में 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्थापना का कार्य तकनीकी रूप से साध्य नहीं है। (ख) जी हाँ। उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार कार्यवाही की जायेगी, जिस हेतु वर्तमान में समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

 

          कुंवर हजारीलाल दांगी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से यह निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र का जो मैंने प्रश्न लगाया है. मेरे क्षेत्र के 40-50 गांव को संडावता ग्रिड से कनेक्शन दे रखा है. वे वहां से संचालित होते हैं. अगर एक गांव में तार टूट जाता है तो पूरे 40-50 गांवों की लाईट प्रभावित होती है,बंद हो जाती है उससे क्षेत्र में तनाव रहता है. सीजन के समय में रोड जाम तक करते हैं. मैं काफी लंबे समय से मंत्री जी से अनुरोध कर रहा हूं.मंत्री जी मेरे क्षेत्र में आये थे लोगों ने भी इनसे मांग की थी. संडावता काफी दूर है इतने गांव के किसान परेशान हैं. किसानों की मांग के अनुसार ग्राम दगल्या और बाजरोन के बीच में नया  33/11 के.वी.ए.का नया ग्रिड स्थापित करने की मांग है. अभी तक उसकी डी.पी.आर.बनकर स्वीकृति के लिये गया था लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं हुई तो मंत्री जी उसको स्वीकृत करकर इसी साल काम कराएंगे क्या ?

          श्री पारस चन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं इनके क्षेत्र में जरूर गया था और वहां के गांव वालों की यह मांग थी. ग्राम बाजरोन-डागल्या में नवीन 33/11 के.वी.ए. उपकेन्द्र का प्रस्ताव शामिल किया गया है और रबी सीजन के पूर्व आपका काम हो जायेगा.

          कुंवर हजारीलाल दांगी - बहुत-बहुत धन्यवाद.मंत्री जी, दूसरी मांग एक और की थी. हमारा रामगढ़ बेल्ट है, राजस्थान से लगा हुआ और वह आखिरी सीमा में है चूंकि उसके पास एक ग्रिड और है उस क्षेत्र के किसानों की सुविधा को देखते हुए वहां के लिये भी मैंने मांग की है यदि आप उचित समझे आप सर्वे करा लें यदि उपयुक्त हो तो उस पर भी कृपा माननीय मंत्री जी कर दें.

          श्री पारस चन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्राम रामगढ़ में वर्तमान में 33/11 के.वी.ए. उपकेन्द्र लखोनी से विद्युत प्रदाय किया जा रहा है जो मात्र 4 कि.मी. दूर है. वर्तमान में ग्राम रामगढ़ में 33/11 के.वी.ए. उपकेन्द्र की स्थापना का कार्य तकनीकी रूप से साध्य नहीं है. इसलिये वहां उपकेन्द्र स्थापित होना संभव नहीं है.

          कुंवर हजारीलाल दांगी - माननीय मंत्री जी सर्वे तो करवा लें शायद वह साध्य हो जाये.

          श्री पारस चन्द्र जैन - माननीय सदस्य जो कह रहे हैं नियम में आयेगा तो हमें क्या दिक्कत है करवा लेंगे.

          श्री अमर सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, राजगढ़ विधान सभा क्षेत्र में एक झंझाड़पुर और एक सड़यागुआ ग्रिड का प्रस्ताव शासन को प्रस्तावित है और मैंने अभी प्रश्न भी लगाया था. उसकी साध्यता भी हो गई. मंत्री जी उसकी भी घोषणा हो जाये.

          अध्यक्ष महोदय - इससे उद्भूत नहीं हो रहा है फिर भी मंत्री जी जानकारी हो तो दे दीजिये.

          श्री पारस चन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय,जानकारी लेकर दे देंगे.

 

         

         

         

 

धोबी/रजक जाति को अनुसूचित जाति का दर्जा

[अनुसूचित जाति कल्याण]

8. ( *क्र. 1758 ) श्री रामनिवास रावत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                                        (क) प्रदेश के संपूर्ण जिलों में धोबी/रजक जाति को अनुसूचित जाति की सूची में सम्मिलित किये जाने हेतु पारित अशासकीय संकल्‍प पर प्रदेश के आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्‍थान द्वारा संकल्‍प के पक्ष में/विभागीय टीप में क्‍या-क्‍या उल्‍लेख किया गया था? पृथक-पृथक दिनांकवार भेजी गई टीप की प्रति संलग्‍न करें (ख) क्‍या संस्‍थान से शासन को प्राप्त अभिमत/टीप के आधार पर ही शासन द्वारा अशासकीय संकल्‍प पारित करने की सहमति प्रदान की गई थी ? (ग) यदि हाँ, तो विभाग के पत्र दिनांक 14 जुलाई, 2006 के साथ प्रदेश के आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्‍थान द्वारा धोबी जाति के संबंध में 45 जिलों की सर्वेक्षण रिपोर्ट निष्‍कर्ष के साथ विभाग के पत्र दिनांक 07 जुलाई, 2006 संलग्‍न कर भारत सरकार को भेजी गई थी? इस रिपोर्ट में संस्‍थान द्वारा प्रदेश के सभी जिलों में धोबी जाति की सामाजिक स्थिति एक समान तथा संदर्भित साहित्‍यों में दिये गये विवरणों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्‍तावित किया गया था कि धोबी जाति के क्षेत्रीय बंधन को समाप्‍त करते हुए, इन्‍हें संपूर्ण म.प्र. में अनुसूचित जाति में मान्‍य किये जाने की अनुशंसा की गई थी? (घ) यदि हाँ, तो आदिम जाति अनुसंधान के प्रतिवेदन दिनांक 24 जुलाई, 2007 में प्रदेश में धोबी जाति की सामाजिक स्थिति भिन्‍न-भिन्‍न क्‍यों एवं किस आधार पर बतलायी जाकर म.प्र. शासन के विभागीय अधिकारियों द्वारा विभागीय मंत्री जी के अनुमोदन लिये बिना ही विधान सभा से पारित प्रस्‍ताव के मामले/नीतिगत निर्णय में सदन की भावना के विरूद्ध भारत सरकार को यह प्रस्‍तावित किया गया कि प्रदेश में धोबी समुदाय की स्थिति भिन्‍न-भिन्‍न है, इसलिए अनुसूचित जाति में सम्मिलित करने का पर्याप्‍त आधार नहीं है? (ड.) उपरोक्‍त प्रश्‍नांश के परिप्रेक्ष्‍य में क्‍या संस्‍थान द्वारा वर्ष 2006 तक की स्थिति में धोबी जाति की सामाजिक स्थिति एक समान बतायी गई थी एवं वर्ष 2007 में उनकी स्थिति भिन्‍न-भिन्‍न लेख किया जाकर प्रकरण को समाप्‍त करने की अनुशंसा भारत सरकार से कर विधान सभा की अवमानना की गई है ? (च) यदि नहीं, तो क्‍या शासन द्वारा इसकी उच्‍चस्‍तरीय जाँच कराकर संबंधित दोषी के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए धोबी जाति के समर्थन में भारत सरकार द्वारा चाही गई अपेक्षित सर्वे रिपोर्ट भेजी जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों?

 

          मुख्यमंत्री(श्री शिवराज सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मुझे जहां तक जानकारी है, जो प्रश्न मैंने लगाया है, इसी प्रश्न के संदर्भ में कहना चाहता हूं कि आप अभी आसंदी पर विराजमान हैं, जब सदस्य हुआ करते थे तो दो बार यह प्रश्न आपने भी लगाया था और इसकी इतनी वकालत की कि आपने सदन को भी स्थगित कराया. अब आप चूंकि आसंदी पर बैठे हैं तो मैं समझता हूं कि इस भावना का आदर करते हुए आप इसमें पॉजिटिव निर्णय कराने की कृपा करेंगे.

श्री उमाशंकर गुप्ता  - अध्यक्ष महोदय, यह भावनात्मक ब्लैकमेलिंग है.

श्री रामनिवास रावत - नहीं-नहीं. आप रिकॉर्ड उठाकर देख लें.

श्री बाबूलाल गौर - इस पर अशासकीय संकल्प पारित हुआ है.

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, वह तो हुआ है. अशासकीय संकल्पों से क्या होता है आप भी जानते हो, हम भी जानते हैं. मैंने प्रश्न पूछा था कि मध्यप्रदेश में सम्पूर्ण धोबी रजक जाति को अनुसूचित जाति में सम्मिलित कराने के संबंध में जो अशासकीय संकल्प पारित हुए थे, शासन से कब-कब प्रतिवेदन भेजे गये और क्या-क्या कार्यवाही की गई? उन्होंने जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट में दी  है. इस परिशिष्ट में संकल्पों के पारित होने के बाद शासन ने जो कार्यवाही की है. वर्ष 2006 में एक बार आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान द्वारा यह सर्वेक्षण किया जाता है और रिपोर्ट भेजी जाती है. वर्ष 2006 में इस संकल्प के सहित शासन से कैबिनेट निर्णय भी पारित हुआ, उसके अंतर्गत आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान ने परीक्षण किया और प्रस्तावित किया कि धोबी जाति के सामाजिक  एवं आर्थिक स्तर को मद्देनजर रखते हुए प्रदेश के सभी जिलों में कराए गए अध्ययन तथा संदर्भ साहित्यों में दिये गये विवरणों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तावित है कि धोबी जाति के क्षेत्रीय बंधन को समाप्त करते हुए इन्हें सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति में मान्य किया जाय. यह आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान ने अपनी रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत की और शासन ने इस अनुशंसा के साथ भारत सरकार को इसको भेजा, फिर दोबारा वहां के रजिस्ट्रार जनरल ने पुनः परीक्षण के लिए भेजा तो वर्ष 2007 में आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान ने एक रिपोर्ट पुनः मध्यप्रदेश शासन को भेजी, प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, आदिम जाति कल्याण विभाग को कि हमने पूरा सर्वेक्षण किया है और सर्वेक्षण के उपरांत इस प्रकार मध्यप्रदेश के भिन्न- भिन्न क्षेत्रों में धोबी समुदाय की सामाजिक स्थिति सभी जिलों में भिन्न-भिन्न है. धोबी जाति को सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति के रूप में सम्मिलित करने के पर्याप्त आधार नहीं हैं. आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान एक ही है, प्रकरण एक ही है, वस्तुस्थितियां एक ही हैं, जबकि अलग-अलग प्रतिवेदन दो बार भेजे गये? और दूसरा प्रतिवेदन जब भेजा गया तो अधिकारियों ने सीधे जो मंत्री विभाग के हैं, मंत्री के अनुमोदन लिये बगैर ही इसको भेज दिया. अध्यक्ष महोदय, प्रथमतः तो मैं समझता हूं कि विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बिना इसको भेजा ही नहीं जाना चाहिए था. सरकार का अर्थ विभागीय मंत्री होता है. सरकार का अर्थ प्रमुख सचिव नहीं होता है, नहीं तो फिर प्रजातंत्र में इस सिस्टम की जरूरत नहीं होती. क्या प्रतिवेदन इस तरह से भेजा जा सकता है, माननीय मंत्री जी बताएंगे? अगर इस तरह से प्रतिवेदन भेजा गया है तो आप कार्यवाही करेंगे? इन प्रश्नों का उत्तर दे दें...आदिम जाति विभाग आपके पास है क्या?

श्री लाल सिंह आर्य - यस सर. अध्यक्ष महोदय, श्री रामनिवास जी बड़े विद्वान, वरिष्ठ विधायक हैं.

श्री रामनिवास रावत - इसमें विद्वान कहां से आ गया? आप प्रश्न का जवाब दें.

श्री लाल सिंह आर्य - मैं बता रहा हूं. आपकी विद्वत्ता को इसीलिए रेखांकित कर रहा हूं.

श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मुझे आपत्ति है कि यह पूछना किसी मंत्री से कि यह विभाग आपके पास ही है क्या. अध्यक्ष महोदय, यह उचित बात नहीं है.

श्री रामनिवास रावत - इसमें कौन-सा हनन हो गया? हमें जानकारी नहीं है तो इसमें पूछने में क्या बुराई है?

श्री गोपाल भार्गव - जब मंत्री खड़े हुए हैं तो इसका अर्थ ही है.

श्री रामनिवास रावत - आप बड़ी देर में खड़े हुए थे इसलिए शंका हुई?

नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - अध्यक्ष महोदय, श्री गोपाल भार्गव जी तो हर विभाग में खड़े हो जाते हैं तो पूछना ही पड़ेगा कि आप किस विभाग के मंत्री हो.

डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, दोनों अपने आपमें सही हैं, इन्होंने मंत्री से यह पूछा..

श्री अजय सिंह - ..अध्यक्ष महोदय, इस बेंच की जांच कराई जाय, ये दोनों मंत्री हर समय खड़े हो जाते हैं, चाहे श्री गोपाल भार्गव हों, चाहे डॉ. शेजवार जी हों. (XXX)

अध्यक्ष महोदय - (संकेत से) इसे विलोपित करें.

श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, हम लोगों को सिर्फ विधान आता है, व्यवधान आप लोगों को आता है. हमको सिर्फ विधान आता है.

          डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- आपने उनसे पूछा कि क्‍या यह विभाग आपके पास है, तो उन्‍होंने आपको विद्वान कह दिया इसमें क्‍या बुराई है ? मतलब विद्वान का अर्थ आप विद्वान मत समझिये ? आपके प्रश्‍न का उन्‍होंने उत्‍तर दिया है कि आप कितने विद्वान हैं. आपको यह नहीं मालूम कि मेरे पास यह विभाग है और यहां गलतफहमी बिलकुल मत पालिये रामनिवास जी, जरूरी नहीं है कि विद्वान को ही विद्वान कहा जाये.

          श्री रामनिवास रावत -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं उत्‍तर चाहता हूं डिस्‍टर्बेंस नहीं चाहता.

          श्री लालसिंह आर्य -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं देर से इसलिये खड़ा हुआ कि आपकी तरफ से इशारा होगा, लेकिन मैंने इसलिये रेखांकित किया कि राजनैतिक दृष्टि से कितना, कौन सा पक्ष पूछना चाहिये कौन सा नहीं पूछना चाहिये इसमें उन्‍होंने बहुत होशियारी बरती. यह बात सही है कि मध्‍यप्रदेश के इस लोकतांत्रिक मंदिर में अशासकीय संकल्‍प पारित हुआ था. मध्‍यप्रदेश की सरकार ने 2006 में केन्‍द्र में तत्‍कालीन कांग्रेस की सरकार रहते हुए प्रस्‍ताव को भेजा था कि धोबी समाज को मध्‍यप्रदेश की अनुसूचित जाति में सम्मिलित किया जाये. मध्‍यप्रदेश शासन ने पत्र क्रमांक 2300-96/97/4/25 दिनांक 14.07.2006 को धोबी समाज जाति को पूरे प्रदेश में अनुसूचित जाति के रूप में सम्मिलित करने का प्रस्‍ताव केन्‍द्र सरकार को भेजा था. अध्‍यक्ष महोदय, चूंकि उस समय केन्‍द्र में कांग्रेस की सरकार थी वह चाहती तो उस प्रस्‍ताव को स्‍वीकार कर लेती, परंतु केन्‍द्र सरकार ने अपने पत्र क्रमांक 08.03.2007 को संचालक अनुसूचित जाति विकास, मध्‍यप्रदेश शासन ने जो सामाजिक न्‍याय विभाग के रजिस्‍ट्रार जनरल ने उनके पत्र क्रमांक 8/1/2006 एसएस एमपी, दिनांक 05.03.2007 से मध्‍यप्रदेश के प्रस्‍ताव पर असहमति व्‍यक्‍त कर दी कि इसको हम मान्‍य नहीं करेंगे. अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश की सरकार की भावना है कि धोबी समाज अनुसूचित जाति में सम्मिलित हो इसलिये हमने रिपोर्ट वहां भेजी, लेकिन तत्‍कालीन केन्‍द्र सरकार ने मध्‍यप्रदेश की सरकार के इस प्रस्‍ताव को अमान्‍य कर दिया. दूसरी बार जब रिपोर्ट गई है उसमें उन्‍होंने केन्‍द्र सरकार की इस रिपोर्ट से शायद सहमति दी है, लेकिन यह बात सही है कि मंत्री से अनुमोदन लेना चाहिये. इसलिये मैं इस प्रस्‍ताव का दोबारा परीक्षण कराऊंगा, यह मैं आपको आश्‍वस्‍त करता हूं.

          श्री रामनिवास रावत -- अध्‍यक्ष महोदय, कितने बड़े दुर्भाग्‍य की बात है कि मैं एक प्रदेश की.. (व्‍यवधान)..         

          श्री वेलसिंह भूरिया --  (XXX) 

          अध्‍यक्ष महोदय -- वेलसिंह जी का कुछ भी रिकार्ड नहीं किया जाएगा. रामनिवास रावत जी का प्रश्‍न लिखा जाएगा. वेलसिंह जी, आप बैठ जाइये आपको अनुमति नहीं दी है.

          श्री रामनिवास रावत -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया. मैंने प्रश्‍न में एक बार भी नहीं कहा कि कौन सी पार्टी की सरकार ने प्रस्‍ताव भेजा, कौन सी पार्टी की सरकार ने उसे वापस किया या दोबारा परीक्षण के लिये भेजा. आपने कहा कांग्रेस पार्टी की सरकार, भारतीय जनता पार्टी की सरकार. अध्‍यक्ष महोदय, जब केन्‍द्र सरकार ने परीक्षण के लिये पुन: भेजा तो आपकी ही सरकार थी 2007 में आपने ही भेजा है. यह आपकी आदिम जाति अनुसंधान विकास संस्‍थान, मध्‍यप्रदेश शासन की रिपोर्ट है. मैंने जैसा बताया कि 2006 में तो उन्‍होंने अनुशंसा की है कि सभी जिलों में एक समान अनुसूचित जाति में सम्मिलित करने के लिये और 2007 में आपने यह अनुशंसा की है. इस प्रकार मध्‍यप्रदेश के भिन्‍न-भिन्‍न क्षेत्रों में धोबी समुदाय की सामाजिक स्थिति भिन्‍न-भिन्‍न है. धोबी जाति को संपूर्ण मध्‍यप्रदेश में अनुसूचित जाति के रूप में सम्मिलित करने के पर्याप्‍त आधार नहीं हैं और इस पत्र को आधार मानकर आपके विभागीय अधिकारियों ने विभागीय मंत्री का अनुमोदन लिये बगैर सीधे जानकारी भेज दी. अब मैं इसमें कहूं कि आपकी सरकार है और आप नहीं चाहते, तो इससे कोई हल होने वाला नहीं है. जो जाति तीन जिलों में एससी में आती है उस जाति के लगभग सभी बिंदु पूरे प्रदेश के सभी जिलों में समान हैं और इतना ही नहीं राजस्‍थान राज्‍य में पूरे में एससी में आती है, उत्‍तरप्रदेश में राज्‍य में पूरे में अनुसूचित जाति में आती है. तो यहां पर क्‍या आपत्ति  है ? आपके अधिकारियों ने क्‍यों भेज दिया ? अध्‍यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से सीधा-सीधा सवाल है कि आदिम जाति अनुसंधान संस्थान  की पुनः परीक्षण कराकर के  पोजीटिव्ह रिपोर्ट  2006  में जो भेजी थी, उसी  तरह से  आप केबिनेट  की  अनुशंसा सहित और आपकी  सररकारी  की तरफ से   इनको अनुसूचित जाति में सम्मिलित  करने का प्रस्ताव  भेजेंगे और जिस अधिकारी ने  विभागीय मंत्री का अनुमोदन लिये  बगैर  आपकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेज दी,  उसके  खिलाफ आप क्या कार्यवाही करेंगे.

                   श्री लालसिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले  ही उनकी भावना से  सहमति  व्यक्ति की है कि मैं पुनः  उसका परीक्षण करा लूंगा.  पुनः परीक्षण कराने के बाद   पोजीटिव्ह   जो भी रुख आयेगा, मैं केंद्र सरकार  को   पुनः भेज दूंगा.

                   श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, कब तक  करा लेंगे, ये कब तक  भेज देंगे. पहले परीक्षण हुआ 2006 में अनुशंसा  कर दी.  फिर  परीक्षण हुआ 2007 में, उन्होंने ही  जिन्होंने  पहले किया, उन्होंने डिसक्वालीफाई कर दिया कि  इनको नहीं सम्मिलित  किया जाये.  तो यह क्या स्थिति है.

                   श्री लालसिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, 2 महीने  में परीक्षण करा देंगे.

                   श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, मैंने विभागीय मंत्री की, जो आपने कहा, मैंने  मंत्री का इसलिये पूछा, हम चाहते हैं कि  मंत्री जी पूरा काम करें. (XXX).

                   अध्यक्ष महोदय --  नहीं, यह  निकाल दीजिये उसमें से.  पर उन्होंने यह  स्वीकार किया कि  गलत किया था उन्होंने.

                   श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, गलत किया था, तो मंत्री जी कार्यवाही क्यों नहीं करते. आपकी कोई सुनता ही नहीं है.  अब हम भी क्या विश्वास करें  कि  यह कर देंगे कि नहीं कर देंगे.

                   अध्यक्ष महोदय --   करेंगे,  दो महीने का कहा है.

                   श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, आप निर्देश दे  दें.

                   अध्यक्ष महोदय --    दो महीने का समय  उन्होंने  कहा है.

                   श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, आप निर्देश दे दें, आपने विधानसभा  स्थगित करवाई थी.

                   श्री लालसिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है.  अगर हम यह करेंगे, तो फिर हमको पीछे जाना पड़ेगा.  आप 57 साल केंद्र में रहे हैं और  मध्यप्रदेश में 43  साल रहे हैं.  आपको तब याद नहीं आई धोबी समाज की.  आज आप आपत्ति उठा रहे हैं.

                   श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, यह कोई बात हुई.

                   श्री लालसिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, लेकिन मेरा कहना यह है कि  जब मैंने  आपकी पोजीटिव्ह बात का जवाब दिया है.  मैं कह रहा हूं,   मैं आज  भी धोबी समाज के पक्ष में हूं  और इसलिये  मैंने कहा था कि  परीक्षण कराऊंगा.

                   श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, आप ही  की सरकार ने 2006  में  पोजीटिव्ह रिपोर्ट भेजी थी.

                   अध्यक्ष महोदय --  आपकी बात को उन्होंने करीब  करीब शब्दशः   स्वीकार किया.  आपने समय मांगा, तो उन्होंने अतिशीघ्र नहीं बोलकर  2 महीने कह दिया.   तो कृपा करके  अब तो आप संतुष्ट हों.

                   श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, संतुष्ट तो तब होंगे, जब  वह अनुसूचित जाति में सम्मिलित हो जायेंगे.

                   नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय  सिंह) --  अध्यक्ष महोदय, संतुष्ट सही  में, जैसा कि रावत जी ने कहा  तब हम होंगे. मान लीजिये हमसे गलती  हुई. हमारे समय में नहीं हुआ. लेकिन   आज आपकी सरकार यहां पर भी है और आपकी सरकार  वहां पर   भी है.  यदि आप सही में इच्छुक हैं, तो  अगले दो महीने   में यहां से भेजने की बात नहीं है.  अगले 3 महीने में आप ही केंद्र सरकार से जाकर  अनुमति ले लें,  तब तो  पता चलेगा कि आप  सही में रुचि  लेते हैं.

                   श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- अध्यक्ष महोदय,  इस प्रश्न को मेरे माध्यम से भी पिछली बार  ध्यान आकर्षण की  सूचना भी, तारांकित  प्रश्न  और अशासकीय संकल्प में भी  मैंने अपनी बात रखी थी.  आज पुनः यह  लाटरी में तारांकित प्रश्न के माध्यम से आया है. भोपाल, सीहोर और रायसेन  ये तीन जिले ऐसे हैं,  पूरे मध्यप्रदेश में जहां पर धोबी समाज  को अनुसूचित जाति में  शामिल  किया गया  है.  मेरा सीधा प्रश्न है. अध्यक्ष महोदय, आपने भी बहुत  विद्वता के  साथ 26 जुलाई,1984  का  केंद्र सरकार का वह सर्कुलर, सरकुलर क्रमांक 56/84,  जिसमें आपने  8  अगस्त,2003 को  विधान सभा में धोबी समाज को  सम्पूर्ण  मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति  में  शामिल करने की बात कही थी.  मेरा सीधा सीधा कहना है.  मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से अपेक्षा करुंगा कि  सही प्रारुप में सही जानकारी  नहीं भेजे जाने कारण  इसमें  कहीं न कहीं विलम्ब हो रहा है.

                   अध्यक्ष महोदय --   सही प्रारुप में सह जानकारी  भिजवा दें, जो आपने कहा है समय सीमा  में.

                   श्री लालसिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही कहा है कि मैं धोबी समाज  के इस अधिकार के प्रति  पक्ष में हूं और मैं पुनः परीक्षण  कराऊंगा, वह सारे हम बिन्दु  देखेंगे, जो कोई छूट गये हैं, रह गये हैं, कुछ भी है.

विद्युत खंभों की नीलामी

[ऊर्जा]

9. ( *क्र. 2502 ) श्री शैलेन्‍द्र पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                                    (क) क्‍या सीहोर शहर के विभिन्‍न क्षेत्रों में विद्युत खंभों को बदला गया है? यदि हाँ, तो विगत 3 वर्ष के दौरान कितने-कितने विद्युत खंभे किन कारणों से बदले गए? खंभों की संख्‍या का ब्‍यौरा दें। (ख) क्‍या प्रश्नांश (क) अनुसार पुराने खंभों को नीलाम किया गया है? यदि हाँ, तो ब्‍यौरा दें? यदि नहीं, तो विगत 3 वर्ष के दौरान निकाले गए विद्युत खंभे और तार केबल आदि कहाँ पर रखे गए हैं, वहां संधारित पंजी की छायाप्रति उपलब्‍ध कराएं। (ग) क्‍या सीहोर शहर में पदस्‍थ जूनियर इंजीनियर की निगरानी में शहर के विभिन्‍न स्‍थानों और कॉलोनियों में विद्युत खंभे लगाए गए हैं? यदि हाँ, तो किस-किस इंजीनियर की निगरानी में किस-किस कंपनी ठेकेदार द्वारा किन-किन स्‍थानों पर विद्युत खंभे लगाए गए हैं? प्रश्‍नांकित दिनांक से 03 वर्ष का ब्‍यौरा वर्षवार, स्‍थानवार, कंपनीवार ठेकेदारवार उपलब्‍ध कराएं।

ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) जी हाँ। सीहोर शहर के विभिन्न क्षेत्रों में विगत तीन वर्षों यथा-वर्ष 2015-16, 2016-17 एवं 2017-18 में बदले गये विद्युत खम्बों की संख्‍या सहित प्रश्नाधीन जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) में दर्शाये गये पुराने खंभों/तारों आदि को स्थानीय स्तर पर नीलाम नहीं किया जाता है, अपितु कार्यों के विरूद्ध निकाली गई पुरानी सामग्री को क्षेत्रीय भण्डार भोपाल में वापिस कर नीलामी आदि की कार्यवाही की जाती है, जिसका शहरवार विवरण संधारित नहीं किया जाता। सीहोर शहर में विगत 03 वर्षों के दौरान निकाले गये खंभों, तार, केबल आदि की क्षेत्रीय भण्डार, भोपाल में वापसी का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब-1', प्रपत्र 'ब-2' एवं प्रपत्र 'ब-3' अनुसार है। उक्‍त सामग्री की क्षेत्रीय भण्‍डार, भोपाल में प्राप्ति से संबंधित संधारित किये गये रिकार्ड/मटेरियल रिसिप्‍ट एडवाइस की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ग) सीहोर शहर में विभिन्न स्थानों और कॉलोनियों में विद्युत खंभे एस.टी.सी. संभाग सीहोर में पदस्थ इंजीनियरों एवं प्रोजेक्ट नोडल अधिकारी (सहायक यंत्री) की निगरानी (पर्यवेक्षण) में लगाये गये हैं। प्रश्‍नांकित दिनांक से विगत तीन वर्ष का वर्षवार, स्थानवार, कंपनीवार/ठेकेदार-वार एवं निगरानी (पर्यवेक्षण) अधिकारी की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब-1', प्रपत्र 'ब-2' एवं प्रपत्र 'ब-3' अनुसार है।

                   श्री शैलेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय,  मेरे प्रश्न  में  जो बिजली विभाग द्वारा पुराने खम्भों  को  निकाल कर नीलाम  किया जाता है,  उसके बारे में प्रश्न किया था  और उसमें यह उत्तर दिया गया है कि  स्थानीय स्तर पर नीलाम  न कर पुरानी सामग्री  को क्षेत्रीय  भण्डार भोपाल में वापस कर नीलामी  आदि की कार्यवाही की जाती है. मेरा मंत्री जी से प्रश्न यह है कि  पिछले 3 वर्षों में  कितनी राशि  वर्षवार नीलामी से  क्षेत्रीय  कार्यालय को प्राप्त हुई है,   उस राशि का हवाला दे दें.  दूसरा,  उस नीलामी की क्या प्रक्रिया अपनाई गई हैं,  क्योंकि वह सारा सामान  अलग अलग  जगह  से आता है  क्षेत्रीय भण्डार  में, वहां पर किस  प्रक्रिया के अंतर्गत  उसको  नीलामी की प्रक्रिया की गई है, मंत्री जी यह बता दें.

            श्री पारस चन्‍द्र जैन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नीलामी की प्रक्रिया यह है कि सामान भोपाल स्‍टोर में आता है और भोपाल स्‍टोर में जो काम लायक हैं, उनको ले लेते हैं और बाकी को नीलाम कर दिया जाता है. इन्‍होंने जो यह पूछा है कि 3 साल की जानकारी चाही है, वह जानकारी लेकर मैं इनको दे दूंगा.

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा उत्‍तर नहीं आया है. मैंने यह पूछा है कि नीलामी के लिए क्‍या प्रक्रिया अपनाई जाती है ? क्‍या टेंडर करते हैं ? ई-टेंडर होते हैं या क्‍या प्रक्रिया अपनाई जाती है ?

            अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, प्रक्रिया बता दें.

          श्री पारस चन्‍द्र जैन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो लोहा बचता है तो उसका टेंडर ही होता है.

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी भी क्‍लियर नहीं बता रहे हैं, कौन सा टेंडर होता है ? ई-टेंडरिंग होती है या डायरेक्‍ट टेंडरिंग ?

            अध्‍यक्ष महोदय -- जानकारी तो दे दी उन्‍होंने.

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, वे स्‍पष्‍ट कहां  बता रहे हैं ? स्‍पष्‍ट उत्‍तर आ ही नहीं रहा है ? मेरा एक प्रश्‍न और छुपा हुआ है, जिस बात को मैं सदन के माध्‍यम से लाना चाहता हूँ, जब तक क्‍लियर उत्‍तर नहीं मिलेगा, वह बात कैसे आएगी ?

            श्री पारस चन्‍द्र जैन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ऑक्‍शन के द्वारा भी उसकी नीलामी की जाती है.

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अब ऑक्‍शन आ गया, अभी तक टेंडर था ? ..(व्‍यवधान).. 

          श्री तरूण भनोत -- अध्‍यक्ष महोदय, दीर्घा से पर्ची आई तो ऑक्‍शन बोलने लगे. पहले टेंडर बोल रहे थे. इनको खुद ही जानकारी नहीं है. ..(व्‍यवधान)..

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न लाने का कारण यही है कि माननीय मंत्री जी को ही नहीं पता कि वहां क्‍या प्रक्रिया अपनाई जाती है ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- नीलामी होती है.

          श्री शैलेन्‍द्र पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, उन्‍हें पता ही नहीं है, वे टेंडर का कह रहे थे, अब ऑक्‍शन का कह रहे हैं. मुझे तो पता है कि ऑक्‍शन होता है. दूसरी बात मेरी यह है कि ऑक्‍शन के पहले क्‍या योग्‍य खंभों को निकाल लिया जाता है, क्‍योंकि कई बार एक-दो साल में भी खंभे उखाड़ दिए जाते हैं जिन्‍हें कि पुन: इस्‍तेमाल किया जा सकता है, क्‍या उनकी छंटाई होती है ताकि विभाग का पैसा बचे, कि सीधे सारे के सारों को भंगार मानकर नीलाम कर दिया जाता है ?

            अध्‍यक्ष महोदय -- वह तो उन्‍होंने बोल दिया था कि छंटाई होती है. यह कोई प्रश्‍न नहीं है. उन्‍होंने कहा है छांट के काम में ले लेते हैं, आप सुनते नहीं हैं. मंत्री जी, एक बार और बोल दीजिए. 

          श्री पारस चन्‍द्र जैन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने पहले भी बोला कि जो काम के लायक होते हैं उनको काम में ले लिया जाता है और बाकी जो बचते हैं, उनका ऑक्‍शन किया जाता है.

          कर्मचारियों/अधिकारि‍यों का स्‍थायीकरण

[सामान्य प्रशासन]

10. ( *क्र. 1232 ) श्री जितेन्‍द्र गेहलोत : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                      (क) प्रदेश के वन, स्‍वास्‍थ्‍य, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय विकास एवं आवास आदि विभागों में 10 वर्षों अथवा इससे अधिक समय से कार्यरत कुशल, अकुशल एवं अर्द्धकुशल अधिकारियों व कर्मचारियों को स्‍थाई होने की पात्रता है, या नहीं? (ख) उक्‍त संबंध में जी.ए.डी. का (निर्णय 2016) क्‍या निर्णय है? उक्‍त निर्णयों के पालन में प्रश्नांश (क) कर्मचारियों, अधिकारियों को कब तक स्‍थाई करेगें? यदि नहीं, तो क्‍यों नहीं? (ग) प्रश्नांश (क) अंतर्गत अधिकारियों एवं कर्मचारियों की संख्‍या लगभग कितनी है? इन्‍हें स्‍थाई करने पर शासन पर क्‍या भार पड़ेगा?

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) दिनांक 07 अक्‍टूबर, 2016 को जारी निर्देश दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को स्‍थायी कर्मी घोषित करने से संबंधित है। स्‍थाई के नहीं। अत: शेषांश प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) लगभग 48000। शेषांश उत्तरांश (क) एवं (ख) अनुसार।

          श्री जितेन्‍द्र गेहलोत -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से जो मैं पूछना चाहता हूँ, उससे पहले मैं माननीय मंत्री जी को और सरकार को धन्‍यवाद देना चाहता हूँ कि शिक्षाकर्मियों का शिक्षकों में संविलियन किया.

          अध्‍यक्ष महोदय, इसी प्रकार मैंने जो विभाग पूछे हैं - वन विभाग, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, आवास विभाग और निगम, मंडलों के कर्मचारियों के बारे में जिनको 10 वर्ष हुए हैं, जिनको कुशल, अर्द्धकुशल और अकुशल के रूप में देखा जाता है, पर उनके संविलियन में कई विभागों के अंदर आज भी 10 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी कर्मचारियों का स्‍थायीकरण नहीं किया गया है, माननीय मंत्री जी, कब तक यह करेंगे, यह जवाब दें, फिर मैं आगे प्रश्‍न पूछता हूँ ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- वैसे तो जवाब इसमें दिया हुआ है.

            राज्‍यमंत्री, सामान्‍य प्रशासन (श्री लालसिंह आर्य) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दिनांक 7 अक्‍टूबर, 2016 को सभी विभागाध्‍यक्षों को शासन ने एक पत्र जारी किया है, स्‍थायीकर्मी करने के लिए जो निर्णय कैबिनेट में हमने किया था, क्‍योंकि पिछले 70 सालों से दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी वास्‍तव में आहत थे. उनकी तरफ ध्‍यान नहीं दिया गया था, लेकिन मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी के नेतृत्‍व में कैबिनेट में हमने यह फैसला किया कि 48 हजार जो दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी हैं, उनको स्‍थाईकर्मी करने का काम हमने किया है. जो हमने पत्र बताया है, वह आदेश हमने जारी किए हैं और उसके तहत ही जितेन्‍द्र जी, 12695 लोगों को 10 वर्ष पूर्ण होने पर उनके स्‍थाईकर्मी के आदेश जारी कर दिए गए हैं.  अध्‍यक्ष महोदय, जो विभाग इन्‍होंने पूछे हैं, उनमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में 140, नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग में 7012, जनजातीय कार्य विभाग में 1468, लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकीय विभाग में 1186, इस तरह से कुल मिलाकर 12695 लोगों को स्‍थाई कर दिया है और यह प्रक्रिया अभी निरंतर चलेगी.

          श्री जितेन्‍द्र गेहलोत -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं यह पूछना चाहता हूँ कि जिनको स्‍थाई किया गया है, केन्‍द्र और राज्‍य शासन की जो योजनाएं हैं, क्‍या उन्‍हें इनका पूर्ण लाभ मिलेगा ?

            श्री लालसिंह आर्य -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश शासन ने स्‍थाईकर्मी का जो कैडर बनाया है, उसमें हम उनको अलग वेतनमान दे रहे हैं, जबकि पहले यह व्‍यवस्‍था नहीं थी. उनको स्‍थाईकर्मी हमने नाम दिया है. उनको हम महंगाई भत्‍ता देंगे और ग्रेच्‍युईटी देने का काम भी हम करेंगे.

          श्री जितेन्‍द्र गेहलोत -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को धन्‍यवाद.

                                                                                     

सौर ऊर्जा संयंत्र की स्‍थापना

[नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा]

11. ( *क्र. 2929 ) श्री रामपाल सिंह : क्या नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या किसानों के पंपों को चलाने के लिये सौर ऊर्जा संयंत्र स्‍थापित किये जाने की योजना संचालित की गई है? (ख) यदि हाँ, तो शहडोल जिले में कितने कृषकों द्वारा सौर ऊर्जा संयंत्र स्‍थापित किये जाने का आवेदन पत्र प्रस्‍तुत किया गया है? प्रश्‍नांकित जिले की विभिन्‍न तहसीलों में तहसीलवार आवेदन प्रस्‍तुतकर्ता एवं किसानवार जानकारी उपलब्‍ध करायी जावे। (ग) सौर ऊर्जा स्‍थापना हेतु आवेदनकर्ता किसानों में से कितने कृषकों के जल स्‍त्रोत स्‍थल पर सौर ऊर्जा स्‍थापित कर दी गई है तथा कितने कृषकों को उपलब्‍ध नहीं करायी गयी है? विलंब का कारण क्‍या है और कब तक उपलब्‍ध करा दी जावेगी?

नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री ( श्री नारायण सिंह कुशवाह ) : (क) जी हाँ। (ख) शहडोल जिले से प्रश्‍न दिनांक तक 181 किसानों से सोलर पम्‍प की स्‍थापना के आवेदन प्राप्‍त हुये हैं, जिसकी तहसीलवार एवं किसानवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट अनुसार है। (ग) शहडोल जिले के प्रथम चरण में 60 एवं द्वितीय चरण में 121 (कुल 181) किसानों से सोलर पम्‍पों की स्‍थापना हेतु आवेदन प्राप्‍त हुये हैं। जहां द्वितीय चरण के आवेदन प्रक्रियाधीन हैं, प्रथम चरण के 60 आवेदकों द्वारा निर्धारित राशि जमा की गई है और तदोपरान्‍त सभी प्रकरणों में सोलर पंपों की स्‍थापना हेतु कार्यादेश जारी किये जा चुके हैं। उक्‍त में से 16 नग सोलर पम्‍पों की स्‍थापना की जा चुकी है। शेष 44 सोलर पम्‍पों की स्‍थापना का कार्य प्रगति पर है और निर्धारित अवधि में कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। अत: प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न पूरे शहडोल जिले में नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा से संबंधित है. सौर ऊर्जा संयंत्र की स्‍थापना किसानों के जल स्‍त्रोत पर स्‍थापित किये जाने की यह योजना है और जैसा कि उत्‍तर में आया है कि शहडोल जिले में प्रथम चरण में 60 और द्वितीय चरण में 121 (कुल 181) आवेदन प्राप्‍त हुए हैं. इनमें आवेदन फॉर्म के साथ 5000 रूपए का ड्रॉफ्ट लिया जाता है और आवेदन किया जाता है. आवेदन होने के बाद इनको सूचना दी जाती है और 10 परसेंट निर्धारित जो राशि है वह जमा करवायी जाती है. मेरा प्रश्‍न यह है कि पूरे किसानों को आज तक 5000 रूपए का ड्रॉफ्ट जमा करवाने के बाद एक माह नहीं, दो माह नहीं बल्कि वर्षों से अधिक समय से यह प्रकरण लंबित है, ऐसा क्‍यों ? माननीय मंत्री जी कृपया बताएं कि प्रकरणों में इतना विलंब क्‍यों है, जहां किसानों के हित की बात है.

          श्री नारायण सिंह कुशवाह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रथम चरण के 60 किसानों के पंजीयन थे और इसमें 16 नग सोलर पंप स्‍थापित हो गए हैं. यह केन्‍द्र सरकार की योजना है और इसमें किसान से 3 हॉर्स पॉवर तक के 10 परसेंट हैं, 5 से 10 हॉर्सपॉवर तक के 15 परसेंट हैं. यह पूरी राशि हितग्राही से ली जाती है और केन्‍द्र सरकार से इसकी स्‍वीकृति मिलती है क्‍योंकि केन्‍द्र सरकार के अनुदान के द्वारा ही स्‍थापित हो रहे हैं. जैसे-जैसे इनके अनुदान केन्‍द्र सरकार से प्राप्‍त होते जाते हैं वैसे-वैसे हितग्राहियों के सोलर पंप स्‍थापित किए जाते हैं चूंकि अभी 16 सोलर पंप स्‍थापित हुए हैं. 44 में 14 का पैसा जमा हुआ है और अभी 30 किसानों के पैसे जमा नहीं हुए हैं, केवल पंजीयन फीस जमा हुई है. किसान को जो अपना अंशदान देना है वह अभी 60 में से 3 किसानों के नहीं हुए हैं. जैसे ही किसानों के अंशदान की राशि जमा हो जाएगी वैसे ही 60 में से 30 जो शेष हैं उन पर भी 15 मार्च तक सोलर पंप स्‍थापित करने की कार्यवाही पूरी हो जाएगी.

          श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जिन किसानों के आवेदन किया है निश्चित तौर पर आप यह कह सकते हैं कि अगर उन्‍होंने आवेदन के समय 5000 रूपए जमा किए हैं तो यह निश्चित है कि उस संयंत्र को लगवाने की उनकी मंशा है. तो आप यह बताइए कि 60 में से 44 में तो काम ही नहीं हो रहा है. सिर्फ शहडोल जिले में मात्र 16 सोलर संयंत्र लगाएं गए हैं मतलब पूरे शहडोल जिले की संख्‍या आप ले लें तो वह नगण्‍य है. इतना विलंब क्‍यों हो रहा है ? अगर अधिकारी विलंब कर रहे हैं कृषकों को सूचना नहीं दे रहे हैं तो उनके ऊपर आप क्‍या कार्यवाही करेंगे ? माननीय मंत्री जी आप कार्यवाही क्‍यों नहीं कर रहे हैं?

          श्री नारायण सिंह कुशवाह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि मैंने बताया है कि 16 सोलर पंप स्‍थापित हो गए हैं और 44 में से केवल 14 का ही पैसा जमा हुआ है और यह 15 मार्च तक उनके खेतों में सोलर पंप स्‍थापित हो जाएंगे.

          श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कौन-सी 15 मार्च है ? क्‍या यह 15 मार्च को चालू हो जाएंगे, क्‍योंकि 15 मार्च तो परसों ही है.

          श्री नारायण सिंह कुशवाह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कार्यवाही चालू है. यही 15 मार्च को 14 लोगों के यहां स्‍थापित हो जाएंगे. इससे कुल 30 लोगों के यहां सोलर पंप स्‍थापित हो जाएंगे. बाकी भी 31 मार्च तक हो जाएंगे.

          श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं केवल इतना चाहता हॅूं कि किसान आवेदन करता है और आवेदन फीस के साथ जमा करता है. फीस के साथ आवेदन जमा करने के पश्‍चात माननीय मंत्री जी या सरकार निर्धारित करेगी कि उसका अंशदान जमा कराके एक निश्चित समयावधि में उसके यहां सोलर पंप स्‍थापित कर दिए जाएं तो किसान लंबे समय तक इंतजार न करें. माननीय अध्‍यक्ष्‍ा महोदय, इसका उत्‍तर दिलवा दें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी ने इसका उत्‍तर दे दिया है.

          श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 1-1 साल पडे़ रहते हैं, 2-2 साल पडे़ रहते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- 30 और लगा रहे हैं.

          श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि हमारे वरिष्‍ठ सदस्‍य माननीय रावत जी ने जो बात कही है, उसका उत्‍तर आ जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आपका तो उत्‍तर आ गया. आप बैठ जाइए.

          श्री रामनिवास रावत-- आपके यहाँ तो सोलर पंप की आवश्यकता है नहीं लेकिन जिन जिन जगहों में आवश्यकता है वहाँ दे दें.

          अध्यक्ष महोदय-- वह प्रश्न का उत्तर दे चुके हैं.

          श्री रामपाल सिंह--  अध्यक्ष महोदय, इसकी समय सीमा बता दी जाये कि कब तक काम पूर्ण हो जाएगा?

          अध्यक्ष महोदय--उन्होंने समयावधि बता तो दी है.

          श्री रामपाल सिंह--   उन्होंने 15 मार्च 2018 बताया है लेकिन 15 मार्च अभी परसों ही हैं.

          अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने बताया है कि 15 मार्च को वह 14 संयंत्र लगा देंगे.

          श्री रामपाल सिंह--  मैं पूछना चाहता हूं कि क्या मंत्री जी, 15 मार्च 2019 बता रहे हैं?  मंत्री जी समय-सीमा तो बतायें आप?

          अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, फिर से बता दीजिये.

          श्री नारायण सिंह कुशवाह--- अध्यक्ष महोदय, जिन 14 संयंत्रों का पैसा जमा हो गया है उनके यहाँ कार्यवाही स्थापित होने का काम चल रहा है और यह 15 मार्च तक कंपलीट हो जाएगा बाकी 30 प्रकरणों में किसानों ने पैसे जमा नहीं किये हैं यदि किसान पैसे जमा कर देते हैं तो 31 मार्च तक बाकी के यहाँ भी संयंत्रों की  स्थापना हो जाएगी.

         

          अधिकारी के विरूद्ध प्राप्‍त शिकायत की जाँच

[जनजातीय कार्य]

12. ( *क्र. 1623 ) एडवोकेट सत्‍यप्रकाश सखवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2018 की स्थिति में जनजातीय कार्य विभाग अंतर्गत पदस्‍थ पी.एच.डी. उपाधि धारक अपर संचालक के सेवाकाल की संपूर्ण पदस्‍थापनाओं का विवरण दें? (ख) वर्ष 2009 से अद्यतन स्थिति तक में, आदिम जाति कल्‍याण और अनुसूचित जाति कल्‍याण विभाग एवं अधीनस्‍थ कार्यालयों में पदस्‍थापना के दौरान उक्‍त अधिकारी के विरूद्ध प्राप्‍त शिकायतों का ब्‍यौरा दें? शिकायतों पर शासन स्‍तर पर की जा रही कार्यवाहियों की फाइलवार अद्यतन स्थिति बतावें? (ग) उक्‍त अधिकारी द्वारा आदिम जाति कल्‍याण और अनुसूचित जाति कल्‍याण विभाग के विरूद्ध कितनी कौन सी न्‍यायालयीन याचिकाएं प्रस्‍तुत की गई हैं? प्रकरणों की अद्यतन स्थिति बतावें प्रकरणवार ओ.आई.सी. द्वारा शीघ्र निराकरण हेतु क्‍या प्रयास किये गये हैं?                                                  (घ) उक्‍त अधिकारी के खिलाफ कब-कब आपराधिक चालान पेश हुए हैं? चालानों पर कार्यवाही की अद्यतन स्थिति बतावें

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे गये परिशिष्ट के प्रपत्र "-1" अनुसार (ग)जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार।                                                (घ) अपराध क्रमांक 889/13 में चालान क्रमांक 206/14, दिनांक 10.04.2014 को पेश किया गया है। श्री भण्‍डारी द्वारा माननीय उच्‍च न्‍यायालय जबलपुर में एम.सी.आर.सी. 3667/2014 दायर की गई है, जिसमें माननीय उच्‍च न्‍यायालय द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही पर रोक लगा दी गई है।

परिशिष्ट - ''दो''

 

          एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्नांश (क) में पूछा था कि वर्ष 2018 की स्थिति में जनजातीय  कार्य विभाग अंतर्गत पदस्थ पीएचडी उपाधि धारक अपर संचालक के सेवाकाल की संपूर्ण पदस्थापना का विवरण दें उसका उत्तर दिया गया है कि जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है. माननीय अध्यक्ष महोदय, जनजातीय कार्य विभाग माननीय मुख्यमंत्री जी के अधीन है और ऐसी स्थिति में विभाग के अधिकारियों द्वारा भ्रष्ट आचरण कर अपराधी को बचाने के लिए सदन में सरेआम गुमराह किया जा रहा है. सदन की गरिमा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. इस मामले को विशेषाधिकार हनन के तहत् विचार में लाया जाये. मेरे पास इसके प्रामाणिक दस्तावेज भी हैं.

          अध्यक्ष महोदय-- आप उसका उत्तर तो पढ़ लीजिये उसमें दिया है कि हाईकोर्ट में रोक है इस प्रकरण में. आपको कोई और प्रश्न पूछना है तो सीधे पूछ लीजिये.

          एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर (ख) में जानकारी एकत्रित करना बताया गया है. इस अधिकारी के खिलाफ विभाग में सैंकड़ों शिकायतें दबाई जा रही हैं. अनुसूचित वर्ग की एक महिला अधिकारी को प्रताड़ित करने का मामला विभाग के वरिष्ठ अधिकारी दबा रहे हैं. दोषी की पदस्थापना भोपाल से बाहर कर उच्च स्तरीय जाँच इस मामले में कराई जाए.अध्यक्ष महोदय, उत्तर (घ) में भी वास्तविकता को छिपाते हुए गलत जानकारी दी जा रही है. इस अधिकारी के खिलाफ पत्रकारों के साथ मार-पीट करने और कैमरे तोड़ने के मामले में जहाँगीराबाद थाने में एफआईआर क्र 205 दिनाँक 28 मार्च 2012 पर, दिनाँक 17.12.2012 को पूर्व में भी चालान पेश किया जा चुका है.

          अध्यक्ष महोदय-- आप तो प्रश्न पूछ लें.

          एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि इस प्रकार का फर्जीवाड़ा करने वाले, फर्जी डिग्रीधारक ऐसे अधिकारियों को जिनका भ्रष्ट आचरण हैं, उनको विभाग में रखा जा रहा है. मेरा कहना है कि विभाग  उनके खिलाफ में पूर्ण जानकारी एकत्र करके कार्यवाही सुनिश्चित करे.

          श्री लालसिंह आर्य--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने कहा है, शासन की मंशा अगर खराब होती तो उनके खिलाफ चालान ही प्रस्तुत नहीं किया जाता, जाँच नही की जाती. माननीय अध्यक्ष महोदय,जो भी जाँच सरकार ने प्रचलित की उसके बाद उनका निलंबन किया और उसके बाद वह हाईकोर्ट में चले गये. हाईकोर्ट, जबलपुर ने उसमें उनको स्टे दे दिया और इस पर पुनः विचार करने की दृष्टि से बात की तो माननीय अध्यक्ष महोदय, विभागीय जाँच आयुक्त को उनकी जाँच करने के लिए आदेश शासन ने दिये और यह जाँच भी अंतिम चरण में है और बहुत जल्दी इस जाँच की रिपोर्ट आ जाएगी और जैसे ही वह जाँच रिपोर्ट आएगी एवं जाँच में जो तथ्य प्रकट किये जाएंगे उसके अनुसार कार्यवाही की जाएगी.

          एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय,बहुत-बहुत धन्यवाद.

 

बिजारिया/बिजौरिया जाति को जाति प्रमाण-पत्र का प्रदाय

[सामान्य प्रशासन]

13. ( *क्र. 3271 ) श्री विष्‍णु खत्री : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                   (क) क्‍या गुना, राजगढ़, अशोकनगर, शाजापुर आदि जिलों में बिजारिया/बिजौरिया जाति के व्‍यक्तियों को कंजर जाति अंतर्गत अनुसूचित जाति के जाति प्रमाण-पत्र जारी किये जा रहे हैं?                                                                       (ख) क्‍या बैरसिया विधानसभा क्षेत्र में निवासरत् बिजारिया/बिजौरिया जाति के व्‍यक्तियों को कंजर जाति अंतर्गत अनुसूचित जाति के जाति प्रमाण-पत्र जा‍री किये जा रहे हैं? यदि नहीं, तो इसके क्‍या कारण हैं। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के परिप्रेक्ष्‍य में क्‍या विभाग द्वारा बैरसिया विधानसभा क्षेत्र में निवासरत् इन जाति के व्‍यक्तियों को अनुसूचित जाति के जाति प्रमाण-पत्र जारी किये जाने के संबंध में कोई कार्ययोजना बनायी जा रही है? यदि नहीं, तो विभाग इस पर कब तक कार्यवाही करेगा?

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) से (ग) भारत सरकार द्वारा मध्‍यप्रदेश राज्‍य के लिए अधिसूचित अनुसूचित जाति की सूची में अनुक्रमांक 28 पर अंकित ''कंजर'' जाति के व्‍यक्तियों को अनुसूचित जाति के अंतर्गत जाति प्रमाण-पत्र जारी किए जा रहे हैं। इस सूची में बिजारिया/बिजौरिया जाति अंकित नहीं होने के कारण बिजारिया/बिजौरिया जाति के जाति प्रमाण-पत्र जारी नहीं किए जा रहे हैं। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          श्री विष्णु खत्री--  माननीय अध्यक्ष महोदय, बैरसिया विधान सभा में चार-पाँच गाँवों में कंजर जाति के लोग निवासरत् हैं. राजस्व रिकार्ड में उनकी बिजोरिया या बिजौरी इस प्रकार से जाति का उल्लेख है और इसके कारण उनका अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र नहीं बन पाता है और जबकि उनका रोटी व्यवहार, बेटी व्यवहार, पूरा कंजर जाति के लोगों में है और उनके राजगढ़, अशोकनगर, गुना, शाजापुर जिलों में उनके अनुसूचित जाति के जाति प्रमाणपत्र बनते हैं. उस समय तात्कालिक परिस्थिति जो भी रही हो, जैसे परसराम को कोई परसु, परसा, परसराम, ऐसे संबोधन करते हैं, इस प्रकार इन्हें बिजोरिया, ऐसा इनका संबोधन रहा होगा और ऐसे 400 बच्चे हैं, जो पढ़-लिख गए हैं, लेकिन उनको जाति प्रमाण-पत्रों के अभाव के कारण अनुसूचित जाति का लाभ नहीं मिल पा रहा है और उसके कारण वे बहुत सारे आपराधिक कृत्यों में, गाहे-ब-गाहे समाज में जो चर्चा का विषय रहता है कि ये लोग...

          अध्यक्ष महोदय--  आप सीधे प्रश्न कर दें.

          श्री विष्णु खत्री--  तो मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि एक बार इसकी व्यवस्थित जाँच कराकर और इन लोगों को जो बिजोरी, जिनको संबोधन किया गया, मूलतः ये कंजर जाति के लोग हैं....

          अध्यक्ष महोदय--  अब आप बैठ जाइये.

          श्री विष्णु खत्री--  इनको अनुसूचित जाति के प्रमाण-पत्र जारी हो जाएँ इस संबंध में उचित कार्यवाही करें.

          राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विष्णु खत्री जी का जो भाव है, वह वास्तव में संवेदनशील हैं, अध्यक्ष महोदय, यह जो बजोरिया और बिजौरिया है, यह शायद गोत्र है और गोत्रों का उल्लेख अनुसूची में कहीं होता नहीं है. लेकिन उन्होंने कहा है कि वे कंजर जाति के हैं और इसलिए उनको लाभ मिलना चाहिए. शासकीय दस्तावेज जो होते हैं, अभी मैंने एक जाँच गौंड की कराई थी और हमने उसमें पाया कि वास्तव में वे गौंड थे, गोडावे, हम इसकी भी एक महीने के अन्दर उप सचिव स्तर से जाँच करा लेंगे और यदि उनके जो शासकीय दस्तावेज हैं, खेती के दस्तावेज हैं, उन सब में अगर वे कंजर ही पाए जाते हैं तो उनको लाभ देने का हम काम करेंगे.

          श्री विष्णु खत्री--  माननीय अध्यक्ष महोदय, शासकीय दस्तावेजों में बिजौरी दर्ज है क्योंकि पटवारी.....

          अध्यक्ष महोदय--  उन्होंने एक महीने का बोल तो दिया है. अब क्या रह गया है

            श्री विष्णु खत्री--  उसमें मेरा आशय यह है कि उनके जो बेटी व्यवहार हैं, रोटी व्यवहार हैं...

          अध्यक्ष महोदय--  बस हो गया. उसी बात को फिर कह रहे हैं.

          श्री विष्णु खत्री--  उसको थोड़ा सा ध्यान में रख कर और जो जाँच समिति बने उसमें मुझे भी शामिल किया जाए...(व्यवधान)..

          श्री रामेश्वर शर्मा--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जो विष्णु जी का प्रश्न है, उस मूल प्रश्न को समझिए. अगर उनके पास दस्तावेज होते तो वे उसमें सम्मिलित हो जाते. अब उनके नाते, रिश्तेदारों के, दस्तावेज भी अगर उसमें सम्मिलित किए जाएँगे तब जाकर वे जुड़ेंगे. ऐसे ही मेरे यहाँ अनुसूचित जनजाति के गौड़, भील, भिलारे, के तीन गाँव हैं, झाबुआ जाओ तो वे सब अनुसूचित जाति में माने जाते हैं और यहाँ पर कोड़िया और भानपुर केकड़िया में रह रहे तो...(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  माननीय मंत्री जी, बताइये. आप बैठ जाएँ, अब हम आगे बढ़ जाएँगे.

          श्री रामेश्वर शर्मा--   उनके अनुसूचित जनजाति के हैं ही नहीं, राहुल भैय्या के पीछे जो बने हुए मकान हैं, तो आखिर उनको भी तो जोड़ा जाए और अगर आप इसको जाँच में डाल देंगे तो कोई प्रमाण नहीं मिलेंगे उनके.

          अध्यक्ष महोदय--  माननीय मंत्री जी, आप कुछ कह रहे हैं?

          श्री विष्णु खत्री--  अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है जो जाँच समिति बने उसमें मुझे भी सम्मिलित किया जाए. कृपया माननीय मंत्री जी आश्वस्त करें...(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय--  आप बैठ तो जाएँ माननीय मंत्री जी कुछ कह रहे है?प्रश्न क्रमांक 14....(व्यवधान)...

          श्री विष्णु खत्री--  अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी कुछ कह रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय--  मंत्री जी कहना चाह रहे हैं आप वही-वही बात बार बार बोल रहे हैं.

          श्री लाल सिंह आर्य--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विष्णु जी को भी उस जाँच में सम्मिलित करा दूँगा...(व्यवधान)..

          श्री रामेश्वर शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट.

          अध्यक्ष महोदय--  उससे कोई संबंध नहीं है उसका.

          श्री रामेश्वर शर्मा--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जनजाति का मामला है.

          अध्यक्ष महोदय--  उसका अलग से प्रश्न करिए.

          श्री रामेश्वर शर्मा--  अध्यक्ष महोदय, जनजाति का मामला है, केवल 3 गाँव हैं. उसको भी जाँच में ले लिया जाए. माननीय मंत्री जी, उसको भी जाँच में ले लें 3 गाँव हैं. बोल तो दो मैं लिख कर दे दूँगा. बोल दीजिए. माननीय अध्यक्ष जी, मंत्री जी कुछ बोल रहे हैं.

          श्री लाल सिंह आर्य--  उसको भी ले लेंगे, कोई दिक्कत नहीं.

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न उद्भूत होता नहीं, कुछ होता नहीं. प्रश्न कौनसा, बात कौनसी.

 राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना अंतर्गत लाभांवित हितग्राही

[ऊर्जा]

14. ( *क्र. 1076 ) श्रीमती चन्‍दा सुरेन्‍द्र सिंह गौर : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खरगापुर विधान सभा क्षेत्र में स्‍वीकृत 11 वीं, 12 वी पंचवर्षीय एवं ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत कितने ग्रामों के मजरे, टोले, मोहल्‍ले विद्युतीकरण हेतु स्‍वीकृत थे एवं कितने ग्रामों के शेष हैं, जिनमें विद्युतीकरण का कार्य नहीं किया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्‍लेखित योजनान्‍तर्गत कितने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले हितग्राहियों को नि:शुल्‍क बी.पी.एल. विद्युत कनेक्‍शन दिये हैं? वितरण केन्‍द्रवार हितग्राहियों की संख्‍या उपलब्‍ध करायें (ग) उक्‍त प्रश्‍न के उत्‍तर में बताया गया कि 188 ग्रामों को विद्युतीकरण योजना से जोड़ा गया, परन्‍तु वस्‍तुस्थिति यह है कि दऊवन का पुरा (भानपुरा) में ठेकेदार द्वारा लाईन खड़ी करके आज दिनांक तक ट्रांसफार्मर नहीं रखा गया, बिल दिये जा रहे हैं एवं राजनगर अमुसया में लाईन खड़ी कर दी है, तार नहीं हैं, बिल दिये जा रहे हैं एवं चौधरन खेरा, जंगलन खेरा में वुदौरा में मात्र खम्‍बे जमीन में पड़े हैं, बिल दिये जा रहे हैं। इसी तरह भरवा खेरा, बुयरा खेरा भानपुरा में अभी तक खम्‍बे भी नहीं लगाये गये, ऐसे इतने ग्रामीण क्षेत्र हैं, जो 100 से अधिक की आबादी वाले हैं, परन्‍तु उन स्‍थानों पर प्रश्‍न दिनांक तक बिजली नहीं लगाई गई है, क्‍या शीघ्र ही जाँच कराकर उक्‍त शेष ग्रामों में विद्युतीकरण करा दिया जावेगा? (घ) क्‍या वर्णित प्रश्‍न क्र. 1301 में 188 ग्रामों को विद्युतीकरण से जोड़ा गया बताया गया था, परन्‍तु प्रश्‍नकर्ता को जानकारी 175 ग्रामों की दी गई सदन में इस प्रकार की असत्‍य जानकारी देने वालों के विरूद्ध कार्यवाही प्रस्‍तावित करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों?

ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्‍द्र जैन ) : (क) विधानसभा क्षेत्र खरगापुर में 11 वीं पंचवर्षीय योजना में स्‍वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत सम्मिलित कार्य योग्‍य सभी 119 विद्युतीकृत ग्रामों के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरों/टोलों के विद्युतीकरण सहित सघन विद्युतीकरण का कार्य एवं 12 वीं पंचवर्षीय योजना में स्‍वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत सम्मिलित कार्य योग्‍य एक अविद्युतीकृत ग्राम के विद्युतीकरण एवं 69 विद्युतीकृत ग्रामों के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरों/टोलों के विद्युतीकरण सहित सघन विद्युतीकरण के कार्य पूर्ण कर योजनान्‍तर्गत समस्‍त कार्य पूर्ण किया जा चुका है। उक्‍त योजनाओं में प्रश्‍नाधीन क्षेत्र हेतु स्‍वीकृत किसी भी कार्य योग्‍य ग्राम के विद्युतीकरण/सघन विद्युतीकरण का कार्य किये जाने हेतु शेष नहीं है। (ख) 11 वीं एवं 12 वीं पंचवर्षीय योजना में स्‍वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में प्रश्‍नाधीन क्षेत्र के अंतर्गत वितरण केन्‍द्र खरगापुर में क्रमश: 3212 एवं 438 तथा वितरण केन्‍द्र बल्‍देवगढ़ में क्रमश: 2987 एवं 398 गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले सभी श्रेणी के हितग्राहियों को नि:शुल्‍क बी.पी.एल. कनेक्‍शन प्रदान किये गये हैं। (ग) जी हाँ, ग्राम भानपुरा के दऊवन कापुरा टोले का विद्युतीकरण 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्‍वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत माह फरवरी-17 में पूर्ण किया जा चुका है एवं वर्तमान में उक्‍त टोले में 17 घरेलू विद्युत कनेक्शन हैं, वर्तमान में ग्राम राजनगर के अमुसया टोला में 6 घरेलू विद्युत कनेक्शन, ग्राम बुदौरा के चौधरन खेरा में 12 एवं जंगलन खेरा में 10 घरेलू विद्युत कनेक्शन हैं। ग्राम बुदौरा के भरवा खेरा टोला की आबादी 100 से कम होने के कारण उक्त योजनांतर्गत इसके विद्युतीकरण का कार्य नहीं किया गया है। सौभाग्य योजनांतर्गत उक्त टोले के अविद्युतीकृत घरों को विद्युत कनेक्‍शन दिया जाना प्रस्तावित है। ग्राम भानपुरा के बुयराखेरा नहीं अपितु बोपरा खेरा में 25 के.व्ही.ए. क्षमता का ट्रांसफार्मर लगा हुआ है, जिस पर 2 घरेलू कनेक्‍शन हैं, जो वर्तमान में चालू हैं। उक्‍त सभी मजरों/टोलों में उपभोक्‍ताओं को नियमानुसार विद्युत बिल जारी किये जा रहे हैं, वर्तमान में विधानसभा क्षेत्र खरगापुर के अंतर्गत स्वीकृत कार्य योग्य 100 या 100 से अधिक आबादी वाला कोई मजरा/टोला विद्युतीकरण हेतु शेष नहीं है। (घ) विधानसभा प्रश्न क्रमांक 1301, दिनांक 28.11.2017 के उत्‍तर में 11 वीं पंचवर्षीय योजना में स्‍वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत 119 ग्रामों एवं 12 वीं पंचवर्षीय योजना में स्‍वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में 69 ग्रामों के 100 एवं 100 से अधिक आबादी वाले मजरों/टोलों इस प्रकार कुल 188 ग्रामों के मजरों/टोलों के विद्युतीकरण सहित सघन विद्युतीकरण का कार्य किये जाने की जानकारी दी गई थी, जो पूर्णत: सत्य है। अत: किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्‍न नहीं उठता।

          श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से अपने प्रश्न में माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूँ कि खरगापुर विधान सभा के जितने मजरे, टोले, मोहल्ले, विद्युतीकरण, योजना से छूट गए हैं, उन स्थानों पर विद्युतीकरण कराकर बिजली लगाए जाने का कार्य कब तक पूर्ण करा दिया जाएगा?

          श्री पारस चन्द्र जैन--  माननीय अध्यक्ष महोदय,  सौ से ज्यादा आबादी वाले जो रहते हैं, उनको तो हम दीनदयाल योजना में जोड़ते हैं और सौ से कम संख्या वाले जो रहते हैं, उनको अभी नई सौभाग्य योजना है, उसके माध्यम से हम करते हैं और इनका बल्देवगढ़, माननीय विधायक क्षेत्र का पूरा का पूरा सौभाग्य योजना में,  पूरी की पूरी तहसील हमने सौभाग्य योजना में कर दी है.

          अध्यक्ष महोदय--  और कुछ कहना है आपको? सब कर रहे हैं आपका काम पूरा.

          श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर--  धन्यवाद कर रहे हैं, बहुत अच्छी बात है, धन्यवाद.

बी.एल.ओ. के रूप में शिक्षकों का संलग्‍नीकरण

[सामान्य प्रशासन]

15. ( *क्र. 2531 ) श्री बाबूलाल गौर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                                    (क) निर्वाचन के कार्य में किन शासकीय सेवकों को बी.एल.ओ. का कार्य दिया जा सकता हैं? क्‍या निर्वाचन कार्यालय में एवं बी.एल.ओ. के कार्य में शिक्षकों को कार्य करने के लिये जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा कार्य आवंटित किया गया है? (ख) कुल कितने शिक्षक बी.एल.ओ. का कार्य एवं कितने शिक्षक निर्वाचन कार्यालय में संलग्‍न होकर कार्य कर रहे हैं? (ग) निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा के पश्‍चात् ही निर्वाचन प्रक्रिया प्रारंभ होती है, तो क्‍या निर्वाचन कार्यालय में शिक्षकों के संलग्‍नीकरण एवं बी.एल.ओ. के कार्य में संलग्‍न शिक्षकों को इस कार्य से पृथक रहने के लिये क्‍या निर्देश जारी किए गए हैं? (घ) प्रश्नांश (ग) के परिप्रेक्ष्‍य में किन-किन जिलों में                                    कितने-कितने शिक्षक निर्वाचन संबंधी कार्य हेतु संलग्‍न किये गये हैं? क्‍या निर्वाचन कार्य में लगे शिक्षकों के स्‍थान पर कोई वैकल्पिक व्‍यवस्‍था की गई है?

मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) बूथ लेवल अधिकारी, सरकार या स्‍थानीय निकायों के सेवारत अधिकारी होते हैं, उन्‍हें जिला निर्वाचन अधिकारी का अनुमोदन प्राप्‍त करने के बाद लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम 1950 की धारा 13ख (2) के आधीन निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारी द्वारा नियुक्त किया जाता है। निम्‍नलिखित श्रेणी के कर्मचारियों को बूथ लेवल अधिकारी के रूप में नियुक्‍त किया जा सकता है :- 1. शिक्षक, 2 .आंगनवाड़ी कार्यकर्ता,                             3 .पटवारी/अमीन/लेखपाल, 4. पंचायत सचिव, 5. ग्राम स्‍तरीय कार्यकर्ता, 6. बिजली बिल रीडर, 7. डाकिया, 8. सहायक नर्स एवं मिड वाईफ, 9. स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता, 10. दोपहर का भोजन कार्यकर्ता 11. संविदा शिक्षक, 12. निगम कर संग्रह, 13. शहरी क्षेत्र में लिपकीय स्‍टॉफ (अपर श्रेणी लिपिक/अवर श्रेणी लिपिक आदि) आयोग के निर्देशों के अंतर्गत उपरोक्‍तानुसार जिलों में निर्वाचक रजिस्‍ट्रीकरण अधिकारियों द्वारा शिक्षकों को बी.एल.ओ. नियुक्‍त किया जाता है। बी.एल.ओ. अपनी ड्यूटी के समय को छोड़कर अतिरिक्‍त समय में सुबह, शाम या अवकाश के दिन बी.एल.ओ. का कार्य करते हैं। इसके लिये इन्‍हें रूपये 6000/- अतिरिक्‍त मानदेय दिया जाता है। बी.एल.ओ. की ड्यूटी से विभाग का कार्य प्रभावित नहीं होता है। (ख) राज्‍य में 65200 मतदान केन्‍द्रों में 41340 शिक्षक फोटो निर्वाचक नामावली के कार्य हेतु बी.एल.ओ. नियुक्‍त हैं एवं जिला निर्वाचन कार्यालयों में 86 शिक्षक की ड्यूटी अस्‍थायी रूप से निर्वाचन कार्य हेतु लगायी गयी है। यह स्‍थायी स्‍वरूप की नहीं है। बी.एल.ओ. भी स्‍थायी स्‍थापना के नहीं है। ड्यूटी बदलती रहती है। प्राय: बी.एल.ओ. की ड्यूटी हेतु शिक्षक को छोड़कर अन्‍य संवर्ग के कर्मचारियों को बी.एल.ओ. नियुक्‍त किया जाता है। जब अन्‍य कर्मचारी नहीं मिलते तो शिक्षकों को लगाया जाता है। बी.एल.ओ. की ड्यूटी स्‍थायी स्‍वरूप की नहीं है। यह बदलती रहती है। अधिकतर मतदान केन्‍द्रों में वर्षभर में 2-3 बी.एल.ओ. बदल जाते हैं। (ग) लोक प्रतिनिधित्‍व अधिनियम 1950 के नियम 13गग मुख्‍य निर्वाचन ऑफिसरों, जिला निर्वाचन ऑफिसरों आदि का निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्‍त समझा जाना - इस भाग में निर्दिष्‍ट और सभी निर्वाचनों के लिये निर्वाचक नामावली की तैयारी, पुनरीक्षण और शुद्धि‍ करने और ऐसे निर्वाचनों का संचालन करने के संबंध में नियोजित कोई अन्‍य ऑफिसर या कर्मचारीवृन्‍द, उस अवधि में जिसके दौरान उन्‍हें इस प्रकार नियोजित किया जाता है, निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्‍त पर समझे जायेंगे और ऐसे ऑफिसर और कर्मचारीवृन्‍द उस अवधि के दौरान, निर्वाचन आयोग के नियंत्रण, अधीक्षण और अनुशासन के अध्‍यधीन होंगे, फोटो निर्वाचक नामावली का कार्य सतत् अद्यतन के तहत लगातार चलता है, जिसमें बी.एल.ओ. में कार्यरत संलग्‍न शिक्षक इस कार्य को अवकाश दिनों और गैर शिक्षण समय तथा गैर शिक्षण दिवसों के दौरान बूथ लेवल अधिकारी के कार्य को सम्‍पन्‍न करते हैं।                             (घ) अन्‍य कर्मचारी उपलब्‍ध नहीं होने से 86 शिक्षक निर्वाचन संबंधी कार्य के लिये जिला निर्वाचन कार्यालयों में आफिस कार्य के लिये लगाये हैं। चुनाव के लिये अन्‍य कर्मचारी उपलब्‍ध होने पर इन्‍हें मुक्‍त कर दिया जाता है। प्राय: शिक्षकों को तब ही लगाया जाता है, जब अन्‍य कर्मचारी उपलब्‍ध न हो।

            श्री बाबूलाल गौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है उसका विषय है "बीएलओ के रुप में शिक्षकों का संलग्नीकरण." इसके उत्तर के (ख) भाग में बताया है कि "राज्य में 65200 मतदान केन्द्रों में 41340 शिक्षक फोटो निर्वाचक नामावली के कार्य हेतु बी.एल.ओ. नियुक्त हैं एवं जिला निर्वाचन कार्यालयों में 86 शिक्षक की ड्यूटी अस्थायी रुप से निर्वाचन कार्य हेतु लगाई गयी है. यह स्थायी स्वरुप की नहीं है."

          अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि प्रदेश के अन्दर 45654 शिक्षकों के पद रिक्त हैं और उनको शिक्षण कार्य से हटाकर बी.एल.ओ. का काम ले रहे हैं. शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है. यह इनका उत्तर है. मेरा प्रश्न आप ध्यान से सुनिए आपकी मदद होगी तो बाद में ले लूंगा (विपक्ष की तरफ इशारा करते हुए)

          अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मंत्री जी ने कहा है कि अन्य विभागों के अधिकारियों को भी बी.एल.ओ. के कार्य के लिए लिया जाता है. मैं पूछना चाहता हूँ कि किन-किन विभाग के किस-किस अधिकारी को बी.एल.ओ. के काम में लगाया गया है.

          अध्यक्ष महोदय--उत्तर में यह लिखा हुआ है.

          राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन(श्री लालसिंह आर्य)--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ कि एक तो यह बात आई है कि मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है. किसी कीमत पर मध्यप्रदेश की शिक्षा व्यवस्था चौपट नहीं होगी. रिजल्ट बहुत अच्छे आ रहे हैं और अनुसूचित जाति, जनजाति के रिजल्ट तो ग्रामोदय में गुरुकुलम में 95 और 96 प्रतिशत आ रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात निर्वाचन आयोग का कोई केडर नहीं होता है और उसमें विभिन्न विभागों से अधिकारी कर्मचारी लगाए जाते हैं. यह आज से नहीं जब से निर्वाचन प्रक्रिया चल रही है तब से लगातार विभिन्न विभाग के कर्मचारियों को कहीं-न-कहीं अस्थायी रुप से संलग्न किया जाता है. एक चीज और बता दूं जिससे स्पष्ट हो जाएगा. जिस समय यह कर्मचारी शासकीय कार्य करते हैं उस समय इनसे निर्वाचन प्रक्रिया का काम नहीं लिया जाता है. सरकारी कार्य से अलग हटकर निर्वाचन प्रक्रिया का काम लिया जाता है और यह काम पूरे दिन नहीं लिया जाता है. यह साल भर का उन पर काम होता है वे शनिवार, रविवार छुट्टियों के समय यह काम करें ताकि शिक्षा व्यवस्था भी चौपट न हो और निर्वाचन प्रक्रिया का जो काम है, यह लोकतंत्र में एक बड़ा काम है जिससे हम लोग चुनकर आते हैं इस प्रक्रिया को बिना विघ्न के पूरा नहीं किया जाएगा तो फिर यह काम कौन करेगा. इसमें लगाए गए कर्मचारियों को मानदेय भी दिया जाता है. यह अस्थायी काम होता है.

          श्री बाबूलाल गौर--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के उत्तर से संतुष्ट नहीं हूं. मैं बताना चाहता हूँ कि जो ऑल इंडिया रिपोर्ट छपी है उसमें गणित में मध्यप्रदेश 29 वें स्थान पर है और भाषा में 26 वें स्थान पर है. यह आज स्थान है और आप कह रहे हैं कि हम बहुत आगे बढ़ रहे हैं. शिक्षा का कार्य तो चौपट हो गया है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करुंगा कि आप अन्य विभाग के अधिकारियों की ड्युटी क्यों नहीं लगाते हैं. केवल शिक्षक ही लगाए जाते हैं. मंत्री जी आपने उत्तर में बताया है कि :- 1. शिक्षक, 2 .आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, 3 .पटवारी/अमीन/लेखपाल, 4. पंचायत सचिव, 5. ग्राम स्‍तरीय कार्यकर्ता, 6. बिजली बिल रीडर, 7. डाकिया, 8. सहायक नर्स एवं मिड वाईफ, 9. स्‍वास्‍थ्‍य कार्यकर्ता, 10. दोपहर का भोजन कार्यकर्ता 11. संविदा शिक्षक, 12. निगम कर संग्रह, 13. शहरी क्षेत्र में लिपकीय स्‍टॉफ (अपर श्रेणी लिपिक/अवर श्रेणी लिपिक आदि). मैंने पूछा है कि किस किस विभाग के कितने कितने कर्मचारी आपके द्वारा लगाए गए यह बताएं.

          वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--गौर साहब जब बोलें तो विपक्ष के नेता का बोलना अनिवार्य है नहीं तो प्रोटोकॉल पूरा नहीं होता है.

          श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, क्या मंत्री जी जवाब नहीं देना चाहते हैं ?

          अध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्य किस विभाग के कितने कर्मचारी लगाए गए यह जानकारी मांग रहे हैं.

          श्री लालसिंह आर्य--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय गौर साहब ने जो प्रथम प्रश्न किया था उसका उत्तर भी स्वयं दे दिया है कि इन-इन विभागों के कर्मचारी लगाए गए हैं.

          श्री बाबूलाल गौर--आप संख्या बताइए न.

          श्री लालसिंह आर्य--गौर साहब पूरी डिटेल आपके पास पहुंचा दी जाएगी.

          श्री बाबूलाल गौर--अध्यक्ष महोदय, यह उत्तर नहीं है. आज ही उत्तर आना चाहिए और इसी समय आना चाहिए. यह विधान सभा की कार्यवाही होती है. (विपक्ष की ओर से शेम-शेम के नारे)

 

 

 

 

 

 

12.00 बजे

          श्री तरुण भनोत-- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने कहा 95 प्रतिशत नतीजे आए हैं. 95 प्रतिशत नतीजों की भी सूची दीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय- यह प्रश्‍न में कहां है.   

          श्री लालसिंह आर्य-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं सूची दे दूंगा.

          कॅुंवर विजय शाह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हर जिले के अलग-अलग विभाग के अलग-अलग कर्मचारी आवश्‍यकता पड़ने पर कलेक्‍टर को अधिकार है और इसीलिए अभी बताना संभव नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- यह प्रश्‍न में भी नहीं था. प्रश्‍नकाल समाप्‍त.

 

 

 

(प्रश्‍नकाल समाप्‍त)

         

 

 

 

 

 

12.01 बजे                                 अध्‍यक्षीय घोषणा

मध्‍यप्रदेश के विभिन्‍न उत्‍पादों से माननीय सदस्‍यों को अवगत कराने हेतु प्रदर्शन सह विक्रय केन्‍द्रों का संचालन

 

          अध्‍यक्ष महोदय-- मध्‍यप्रदेश के विभिन्‍न उत्‍पादों से माननीय सदस्‍यों को अवगत कराने तथा उनके प्रचार-प्रसार हेतु बजट सत्रावधि में दिनांक 13 से 28 मार्च, 2018 तक प्रात: 10.30 से सायं 06.00 बजे तक प्रदर्शन सह विक्रय केन्‍द्रों का संचालन विधान सभा परिसर में संबंधित संस्‍थाओं द्वारा किया जायेगा.

          माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि उक्‍त स्‍टालों पर उपलब्‍ध विभिन्‍न उत्‍पादों की क्रय सुविधा का लाभ लेने का कष्‍ट करें.

 

         

12.01 बजे                   नियम 267-क के अधीन विषय

 

        अध्‍यक्ष महोदय-- निम्‍नलिखित माननीय सदस्‍यों की शून्‍यकाल की सूचनाएं पढ़ी हुई मानी जाएंगी.

          1.       श्री बाला बच्‍चन

          2.       श्री सूबेदार सिंह रजौधा

          3.       श्री मधु भगत

          4.       डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय

          5.       श्री सुशील कुमार तिवारी

          6.       श्री नीलांशु चतुर्वेदी

          7.       श्री रणजीत सिंह गुणवान

          8.       श्री अजय सिंह

          9.       श्री रामनिवास रावत

          10.     श्री शैलेन्‍द्र जैन

 

 

 

 

 

12.02 बजे                    शून्‍यकाल में मौखिक उल्‍लेख

 

(1) देवास जिले के खातेगांव में बोरवेल में गिरा बच्‍चा सुरक्षित निकाला जाना

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, परसों की घटना थी. कल सदन में व्‍यवधान के कारण दो बार सदन की कार्यवाही स्‍थगित हुई जिसके कारण हम शून्‍यकाल में अपनी बात नहीं रख पाए. देवास जिले के खातेगांव का 4 वर्ष का बालक रोशन उसको नई जिंदगी दी गई. माननीय मुख्‍यमंत्री जी की चिन्‍ता  और प्रशासनिक अमले ने वहां पर जिस मुस्‍तैदी से काम किया फिर चाहे देवास जिले के कलेक्‍टर हों देवास जिले के एस.पी. हों और हमारे सदन के माननीय सदस्‍य भाई आशीष जी शर्मा लगातार 30 से 35 घण्‍टे तक उस पूरी घटना पर निगाह रखे हुए थे और सब की आंखे टी.वी. पर टकटकी लगाए  थीं कि इसका क्‍या होगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मुख्‍यमंत्री जी को प्रशासकीय अधिकारी को, आशीष भाई को साथ ही साथ सेना के जवानों ने जो काम किया मैं उनका अभिनंदन करते हुए तमाम चैनल जी एम.पी.सी.जी. आई.बी.सी 24, समय ई टी.वी. सबने जो कवरेज किया और जी एम.पी.सी.जी.ने तो लगातार घटनाक्रम को जोड़कर दुआएं देने का काम किया है. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

(2) ओपन ट्यूबवेल पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाईन का पालन न किया जाना.

           नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी इसी विषय पर शून्‍यकाल की सूचना थी. यह घटनाएं क्‍यों हो रही हैं. सुप्रीम कोर्ट की स्‍पष्‍ट गाइडलाईन है लेकिन उन गाइडलाईनों का मध्‍यप्रदेश सरकार पालन नहीं कर रही है. ओपन ट्यूबवेल बंद करना चाहिए और यदि आप बंद नहीं करते तो इस तरह की घटनाएं होंगी. पहली बात तो है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाईन के तह‍त इनको आप पालन कराइए.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- मैंने देखा था माननीय मंत्री जी ने इसके लिए कल ही निर्देश जारी किए हैं.

          श्री अजय सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी दूसरी बात यह है कि कुछ दिन पहले मुख्‍यमंत्री महोदय ने घोषणा की थी कि स्‍व-सहायता समूह के माध्‍यम से दलिया का उत्‍पादन होगा लेकिन उसके बाद भी (XXX).

          अध्‍यक्ष महोदय-- यह उचित नहीं है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है, घोर आपत्तिजनक है. (व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय-- मैंने भी यही कहा है कि यह उचित नहीं है. (व्‍यवधान)..

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है. इसे आप विलोपित कराइए. (व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय-- इसे कार्यवाही से निकाल दें. (व्‍यवधान)..

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 17 हजार यह किस आधार पर बच्‍चों की मौत का उल्‍लेख कर रहे हैं. किस आधार पर बच्‍चों की मौत का आंकड़ा दे रहे हैं. (व्‍यवधान)..

          श्री अजय सिंह-- माननीय हाई कोर्ट के निर्देश हुए. (व्‍यवधान)..

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- यह विषयांतर्गत नहीं है जो मुख्‍यमंत्री जी ने घोषणा की है उसका अक्षरश: पालन हो रहा है. (व्‍यवधान)..

 

          श्री अजय सिंह-- माननीय हाई कोर्ट के निर्देश के बाद तुरंत पालन हो जाना चाहिए. (व्‍यवधान)..

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  आज की केबिनेट में स्‍व-सहायता समूहों को दिया जा रहा है और पारदर्शी तरीके से दिया जा रहा है. हिन्‍दुस्‍तान के अंदर कोई नहीं कर रहा है जैसा मध्‍यप्रदेश करने जा रहा है. आपकी अपनी सरकार नहीं कर रही है यह सिर्फ शिवराज सिंह चौहान है. (व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय-  इसे नियमों के तहत उठाना चाहिए. (व्‍यवधान)..

          श्री अजय सिंह-  हजारों बच्‍चों की रोज मौत हो रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  इस तरह से विषय को उठाना ठीक नहीं है. 

(...व्‍यवधान...)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-  अध्‍यक्ष महोदय, आपने इन्‍हें किस बात की अनुमति दी. ये किस नियम प्रक्रिया के तहत ऐसा कर रहे हैं ?

             श्री रामनिवास रावत-  कुपोषण के कारण 92 बच्‍चे रोज मर रहे हैं.

(...व्‍यवधान...)

          श्री मुकेश नायक-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं विनम्रतापूर्वक आपसे कहना चाहता हूं कि (XXX).

          अध्‍यक्ष महोदय-  इसे कार्यवाही से निकाल दें.

(...व्‍यवधान...)

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ''इशारों पर चलाना'' यह भी आपत्तिजनक है.

          श्री जितू पटवारी-  संसदीय कार्य मंत्री, आसंदी की गरिमा नहीं रखते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आप मेरी गरिमा की चिंता मत करिये. मुझे मालूम है आप किस-किस की गरिमा की चिंता करते हैं. इसकी चिंता करने की आपको जरूरत नहीं है.  

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आसंदी की गरिमा नहीं रखी जाती है तो हमें यहां बैठकर, यह बुरा लगता है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  बुरा लगता है तो आप बाहर जाईये.

          श्री अजय सिंह-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हाईकोर्ट ने स्‍पष्‍ट निर्देश दिए थे कि अप्रैल 2017 से स्‍वसहायता समूह के माध्‍यम से कार्य किया जायेगा. हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को निर्देश दिए और उसकी अवमानना की गई.

          अध्‍यक्ष महोदय-  यह विषय किसी नियम के अंतर्गत आप उठाते तो मैं आपको बिल्‍कुल अनुमति देता परंतु शून्‍यकाल में इस तरह के विषय नहीं उठाने चाहिए. ऐसी कोई परंपरा नहीं है. आप इसे नियम के तहत उठायें.

(...व्‍यवधान...)

          श्री अजय सिंह-  लाखों की संख्‍या में बच्‍चों की मौत हो रही है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नियम के तहत विषय उठाने के बाद ही हम जवाब देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय- आप प्रतिपक्ष के नेता हैं परंतु कोई भी विषय आप नियम के तहत उठायेंगे. श्री जितू पटवारी.

           श्री जितू पटवारी-  आदणीय अध्‍यक्ष महोदय धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय-  मुझे पता है आप मेरी गरिमा की चिंता करते हैं.

 

(3) संविदाकर्मियों द्वारा अपनी मांगों की पूर्ति हेतु हड़ताल किया जाना

          श्री जितू पटवारी (राऊ)-  अध्‍यक्ष महोदय, पिछले 27 दिनों से संविदा कर्मचारी हड़ताल पर हैं और पूरे प्रदेश के कई विभागों का काम ठप्‍प पड़ा हुआ है. सरकार और मुख्‍यमंत्री जी ने कई बार अलग-अलग पंचायतें करके उन्‍हें आश्‍वासन दिए हैं. संविदाकर्मी के अध्‍यक्ष ने भोपाल में ऊपर चढ़कर आत्‍महत्‍या करने का प्रयास भी किया. आप और हम, पूरा सदन और पूरा मध्‍यप्रदेश इस बात को लेकर चिंतित है कि उन परिवारों को रोजगार दिया जाये जिससे कि उनका जीवनयापन सुनिश्चित किया जा सके. क्‍या कारण है कि सरकार उन पर ध्‍यान नहीं दे रही है ?

          अध्‍यक्ष महोदय- ज्‍यादा लंबा भाषण न दें. श्री रामनिवास रावत.

          श्री जितू पटवारी-  अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि संविदा शिक्षक, संविदा कर्मचारी, अलग-अलग विभागों के संविदाकर्मी दुखी हैं.

 

          अध्‍यक्ष महोदय-  श्री रामनिवास रावत. अब श्री जितू पटवारी का नहीं लिखा जायेगा. आप कृपया बैठ जायें.

          श्री जितू पटवारी- (XXX)

 

 

 

(4) भोपाल में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाओं का बढ़ता जाना

          श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भोपाल में 10 मार्च 2018 को गौतम नगर की बी.कॉम.‍ द्वितीय वर्ष की एक होनहार छात्रा, आरती राय ने छेड़खानी से तंग आकर आत्‍महत्‍या कर ली. इसी प्रकार मिसरोद थाने के अंतर्गत 35 वर्षीय युवक द्वारा 7 साल की बच्‍ची के साथ ज्‍यादती की गई. एम्‍स की डॉक्‍टर के साथ लगातार छेड़खानी की घटनायें हो रही हैं और उसने रिपोर्ट भी की लेकिन आरोपी गिरफ्तार नहीं किया गया. इंदौर के ट्रेज़र आइलैण्‍ड में एक 9 वर्षीय मासूम बच्‍ची के साथ ज्‍यादती की गई, उसके खिलाफ भी कोई कार्यवाही नहीं हुई.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सरकार ने महिला स्‍कवॉड बनाया हुआ है. प्रदेश में महिलायें लगातार असुरक्षित होती जा रही हैं. संरक्षण का माहौल नहीं है. मैंने इस संबंध में स्‍थगन दिया है. प्रदेश में महिलायें पूरी तरह से असुरक्षित हैं. प्रतिदिन 13 महिलाओं के साथ ज्‍यादती हो रही है. हम चाहते हैं कि यह चर्चा सदन में आ जाये. लोग अपनी बच्चियों को कॉलेज भेजने में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. प्रदेश के सभी गर्ल्‍स कॉलेजों में इस प्रकार की व्‍यवस्‍था की जाये कि छेड़खानी की घटनायें कम हों. अध्‍यक्ष महोदय, इस पर हमारा स्‍थगन दिया हुआ है. पूरा भोपाल आंदोलित है. पूरे भोपाल की बच्चियां आंदोलित हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि सदन चल रहा है तो उस पर चर्चा होनी चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आपकी बात पर विचार कर लिया जायेगा.

 

 

 

(5) आशा कार्यकर्ताओं का डिलेवरी मानदेय बढ़ाया जाना

          श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश की आशा कार्यकर्ता, यदि रात के दो बजे भी डिलेवरी का काम होता है तो वे करवाती हैं. उन्‍हें एक डिलवरी पर मात्र 600 रुपये मिलते हैं. मैं कहना चाहता हूं कि उन्‍हें सरकार की ओर से छोटा-मोटा मानदेय मिले और प्रति डिलेवरी के पैसों को भी बढ़ाया जाए. धन्‍यवाद.

 

(6)  भोपाल के गैस राहत अस्‍पतालों में दवाओं का उपलब्‍ध न होना

          श्री आरिफ अकील (भोपाल-उत्‍तर)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भोपाल के सभी गैस राहत अस्‍पतालों में दवायें नहीं मिल रही हैं. मैं आपके माध्‍यम से अनुरोध करना चाहता हूं कि दवाओं की व्‍यवस्‍था हो जाए जिससे की लोगों का भला हो सके.

(7) बेनगंगा नदी के उद्गगम का इतिहास परिवर्तित किया जाना

          श्री दिनेश राय (सिवनी)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसे मां नर्मदा और गंगा-यमुना हैं उसी प्रकार हमारे जिले की बेनगंगा नदी, जहां पर लोगों द्वारा अस्थि कलशों का विसर्जन किया जाता है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे जिले की बेनगंगा नदी, जिसमें पूरे जिले के लोगों की की श्रद्धा जुड़ी हुई है, जिसमें अस्थिकलश का भी विसर्जन किया जाता है. जिसमें हर त्‍यौहार मनाया जाता है, जिसका उद्गम स्‍थल मुंडारा, सिवनी जिले से है और व‍ह सिवनी जिले से निकलने के बाद बालाघाट जाती है, यहां पर मंत्री जी भी बैठें हैं, लेकिन यहां मध्‍यप्रदेश के इतिहासकारों ने उसका उद्गम छिन्‍दवाड़ा बताया गया है और उसका प्रस्‍थान जबलपुर बताया गया है. यह घोर निन्‍दनीय है, मेरे जिले में माहौल बहुत खराब है. मैं निवेदन करता हूं कि इसको तत्‍काल काटकर इतिहासकार इसकी सत्‍यता सामने लायें. इसका उद्गम स्‍थल सिवनी और इसका आगे जो प्रस्‍थान है वह बालाघाट है. यहां पर बालाघाट के मंत्री जी भी बैठे हैं और छिन्‍दवाड़ा के विधायक भी बैठे हैं, उनसे पूछ लीजिये वह छिन्‍दवाड़ा से नहीं निकलती है और न ही जबलपुर जाती है. उसका सिर्फ सिवनी से उद्गम होता है और बालाघाट जाती है, जिससे हमारे जिले में भारी आक्रोश है. हमारे जिले में कुछ मिला नहीं, यदि हमारी सिवनी जिले की जमीन को प्रकृति ने कुछ दिया है तो उसको भी छीनने का इतिहासकार काम कर रहे हैं.

(8)मध्‍यप्रदेश के थानों में चालान के नाम पर अवैध वसूली किया जाना.

            श्री के.पी.सिंह (पिछोर):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरे मध्‍यप्रदेश के थानों के इलाकों में रोजाना चेकिंग होती है और पिछले कई वर्षों से हो रही है. अब उस चेकिंग का रूप अवैध वसूली में परिवर्तित हो गया है. तमाम लोग परेशान है, रोजाना उनसे चालान के नाम से अवैध वसूली की जा रही है, माननीय गृह मंत्री भूपेन्‍द्र सिंह जी विराजमान हैं. अध्‍यक्ष महोदय, इस संबंध में मैंने ध्‍यानाकर्षण दिया है. अगर आप इसको ग्राह्य कर लेंगे तो चर्चा हो जायेगी और कुछ सार्थक उत्‍तर माननीय गृह मंत्री जी की और से आ जायेगा. मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप इसको ध्‍यानाकर्षण के रूप में ले लें.

(9) पोलियो की दवा शिक्षकों से न पिलवाया जाना.

          कुँवर सौरभ सिंह सिसोदिया(बहोरीबंद):-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, स्‍वास्‍थ्‍य  कर्मियों के हड़ताल में होने से शिक्षकों के द्वारा पोलियो की दवा पिलायी जा रही है, जिससे कोई बड़ी घटना हो सकती है. मेरा निवेदन है कि शासन इस विषय पर ध्‍यान दे, क्‍योंकि जो शिक्षक पोलियो की दवा पिला रहे हैं, वह इस लायक नहीं हैं, जहां पिलायी जा रही है.

(10)मेरे विधान सभा क्षेत्र मऊगंज में हनुमना-बहरी मार्ग पर बायपास बनाया जाना.

          श्री सुखेन्‍द्र सिंह (मऊगंज):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे विधान क्षेत्र मऊगंज में हनुमना- बहरी मार्ग है. वहां पर आये दिन एक्‍सीडेंट होते हैं और उसका कारण यह है कि वहां पर बहुत ज्‍यादा क्रेशर मशीनों की मंजूरी दे दी गयी है. वहां से बड़े वाहन निकलने से एक्‍सीडेंट होते हैं. अत: वहां पर एक बायपास की आवश्‍यकता है, इसलिये मैं आपके माध्‍यम से अनुरोध करना चाहता हूं कि शासन इस ओर ध्‍यान दें.

          श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा):- अध्‍यक्ष महोदय, मेरे द्वारा आज जो प्रश्‍न पूछा था वह 21 नंबर पर था. मेरा प्रश्‍न यह है कि मेरा प्रश्‍न ही आधा गायब कर दिया गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आप इस संबंध में मेरे से पहले ही कक्ष में कुछ  बात कर चुके हैं, यह ठीक बात नहीं है. आप उनके रास्‍ते पर मत चलिये.

          श्री हरदीप सिंह डंग:- ठीक है.

 

(11) परमार समाज के देवतुल्‍य सम्राट राजाभोज का अपमान किया जाना.

          श्री मधु भगत(परसवाड़ा):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी कुछ दिन पूर्व एक समाचार पत्र के माध्‍यम से दिनांक 28.2 को प्रकाशित भोपाल के सरोकार परिशिष्‍ट में पवार क्षत्रिय, परमार समाज जिनके देवतुल्‍य आराध्‍य चक्रवर्ती सम्राट राजाभोज के हाथ में, स्‍थल में इनके झाड़ू लगायी गयी है. (सदन में समाचार पत्र आसंदी की ओर दिखाते हुए)

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं, आप यह नहीं दिखा स‍कते हैं.     

          श्री मधु भगत:- यह सरकार के द्वारा स्‍वच्‍छता अभियान के चलते हम स्‍वच्‍छता का सम्‍मान करते हैं. पर यह राजाभोज जो हमारे देवतुल्‍य हैं, यह आराध्‍य का अपमान है, यह अखबार में प्रकाशित हुआ है. नगर-निगम इसका दोषी है, इसको चर्चा में लिया जाये.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आपकी बात सदन में आ गयी है.

(12) रामपुर विधान सभा क्षेत्र के ग्राम खरवाही ग्राम पंचायत में हुई हत्‍या की जांच सीबीआई से कराया जाना.

          श्रीमती ऊषा चौधरी(रैगांव):- अध्‍यक्ष महोदय, मैं सदन में आपसे अनुरोध करना चाहती हूं कि सतना जिले के रामपुर विधान सभा में खरवाही ग्राम पंचायत में एक स्‍वामीदीन कुशवाह को धारा 302 के मुकदमें और उसके लड़के को फर्जी 302 के मुकदमें में जेल भेजा गया है. अध्‍यक्ष महोदय यह प्रमाणित है कि जिसकी हत्‍या हुई है कि वह जिलाबदर था और उस पर कई मुकदमें कायम थे और उस गांव से हटकर दूसरी जगह उसकी हत्‍या हुई और जिस व्‍यक्ति पर हत्‍या का आरोप लगाकर जेल भेजा गया. वह व्‍यक्ति गांव में ही बरहवौं संस्‍कार में उपस्थित है, उनके बच्‍चे पर धारा 302 का आरोप लगाया गया है, वह इंदौर के कॉलेज में अध्‍ययनरत् था. वह सारे प्रमाण मैंने माननीय मंत्रीजी को दिये हैं और मैं चाहती हूं कि इस मामले की सीबीआई जांच करायी जाये और निरपराध को मुकदमे से मुक्‍त किया जाये. धन्‍यवाद्.         

 

(13) खाद्यान्‍न की दुकानों को पुन: सोसाटियों को दिया जाना.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह (नागौद):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में प्रभारी एसडीओ, उचेहरा कुछ दिन के लिये थे, उनके द्वारा कम से कम, जो सोसायटियों में खाद्यान्‍नों की दुकानें थीं, उन दुकानों को, जो प्रायवेट डीलर हैं, उनमें लेन-देन करके अटैच कर दिया गया है. उन्‍हें पुन: उन्‍हीं सोसायटियों में कलेक्‍टर द्वारा वापस किया जाये.

 

(14) पुष्‍पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कुपोषित बच्‍चों की संख्‍या बढ़ती जाना.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को (पुष्‍पराजगढ़) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी पुष्‍पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में कुपोषित बच्‍चों की संख्‍या बढ़ती जा रही है, जो कि पुष्‍पराजगढ़ में लगभग 7,000 हो गई है. मैं शासन का ध्‍यान आकृष्‍ट कर निवेदन करता हूँ कि वहां जनजातीय समुदाय के लोग निवास करते हैं और इस दिशा में सरकार तत्‍काल कार्यवाही करे.

 

 

(15) ग्राम पंचायत बिरौना के सरपंच के ट्रेक्‍टर पर रखी फसल को आग लगाने

की कोशिश की जाना.

          कुँवर विक्रम सिंह (राजनगर) - अध्‍यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत बिरौना के सरपंच जब अपने ट्रेक्‍टर पर चना कटवाकर लेकर आ रहे थे तो कुछ ग्राम के ही विपक्षी लोगों ने उनका ट्रेक्‍टर फसल को आग लगाने के लिए रोका, परन्‍तु उन लोगों ने उनका विरोध किया. वे आग नहीं लगा पाए परन्‍तु जो उन लोगों के विपक्षी लोग थे, उन्‍होंने वहां पर 6-7 हवाई फायर असलाहों से किए और उन्‍होंने थाने में जाकर रिपोर्ट डाली कि वे एक महिला को ले गए. उन्‍होंने थाने में फर्जी तरीके से रिपोर्ट डाली, एस.पी. को भी बताया कि उसको सरपंच और उनके लोगों ने गोली मारी है. यह मेरा शून्‍यकाल का प्रश्‍न है. 

 

 

12.16 बजे                         पत्रों का पटल पर रखा जाना

        1.     (क)    आयुक्‍त, नि:शक्‍तजन, मध्‍यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017

                (ख)    महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्‍कीम, म.प्र. की                                 वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2016-17.

       

        2.     मध्‍यप्रदेश राज्‍य वन विकास निगम लिमिटेड का 42 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं                  लेखे वर्ष 2016-2017.

 

 

 

        3.     राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्‍वविद्यालय, ग्‍वालियर (म.प्र.) की                      वैधानिक आडिट रिपोर्ट वर्ष 2015 - 2016.

12.18 बजे                             ध्‍यानाकर्षण

(1) प्रदेश में व्‍यावसायिक पट्टों के नवीनीकरण की दर में वृद्धि किया जाना.

                   श्री हेमन्‍त विजय खण्‍डेलवाल (बैतूल) अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है:-

 

 

 

 

              राजस्‍व मंत्री( श्री उमाशंकर गुप्‍ता) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, स्‍थायी पट्टों के नवीनीकरण तथा अस्‍थाई पट्टों की शर्त उल्‍लंघन/अपालन के मामलों के निराकरण के संबंध में विभागीय परिपत्र क्रमांक एफ 6-75/सात/नजूल/2001, दिनांक- 04/05/2002 एवं समय-समय पर तत्‍संबंधी जारी निर्देशों को अधिक्रमित करते हुए स्‍थायी पट्टों के नवीनीकरण तथा शर्त उल्‍लंघन के प्रकरणों के निराकरण के लिये परिपत्र क्रमांक एफ-48/2014/सात/नजूल, दिनांक 11/07/2014 द्वारा प्रक्रिया निर्धारित करते हुए निर्देश जारी किये गये थे, जो वर्तमान में अस्तित्‍व में है. शासन स्‍तर पर विभिन्‍न ज्ञापनों के माध्‍यम से यह जानकारी प्राप्‍त हुई है कि इस परिपत्र में विसंगति के कारण नजूल भूमि के पट्टे के नवीनीकरण की कार्यवाही नहीं हो पा रही है. शासन इस विषय पर गंभीर है तथा परिपत्र क्रमांक एफ 6-48/2014/सात/नजूल दिनांक-11/07/2014 में विसंगति पर विचार किया जा रहा है. शीघ्र ही निर्णय लिया जावेगा.

          श्री हेमंत विजय खण्‍डेलवाल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं लेकिन इसके साथ ही मैं उदाहरण बताना चाहता हूं कि उसमें कितनी विसंगति है. पहले जो आबादी को आधार माना था उसमें एक लाख से कम की आबादी थी, उसमें नौ रूपये प्रति स्‍क्‍वायर फिट का टैक्‍स था और 2009 और 2014 में गाईडलाइन को आधार मानकर बैतूल जैसे शहर में लगभग 430 स्‍क्‍वायर फिट की वृद्धि हो गई, जो 50 गुना ज्‍यादा है. इसी प्रकार अस्‍थाई पट्टों में वर्ष 1989-90 में पांच रूपये स्‍क्‍वायर फिट था, वह आज की तारीख में 1420 स्‍क्‍वायर फिट हो गया है. मैं अपने ही शहर का उदाहरण दे रहा हूं लेकिन पूरे प्रदेश में लगभग कमोवेश यही स्थिति है, कहीं दो सौ गुना, कहीं सौ गुना की वृद्धि हो गई है. यह सिर्फ इसलिए हुआ है कि आपने जनसंख्‍या का आधार खत्‍म करके गाइडलाईन का आधार कर दिया है और इसके कारण करोड़ों रूपये का राजस्‍व लोग भर ही ना पा रहे हैं. मैं इसलिए मंत्री जी को बताना चाहूंगा कि पिछले एक वर्ष से मैं और कई विधायक इस मामले में सक्रिय हैं लेकिन निर्णय अभी तक नहीं हुआ है. कृपया मंत्री जी बतायें कि क्‍या यह 31 मार्च तक होगा या हमारा कार्यकाल खत्‍म होने के पहले हो जायेगा, यह स्‍पष्‍ट करें और समय सीमा बतायें ?

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम चाहते हैं कि श्री हेमंत जी का कार्यकाल लंबा चले, इसलिए मैं कार्यकाल खत्‍म होने का इंतजार नहीं करूंगा. माननीय सदस्‍य ने जो बात बताई है, वह बहुत ही गंभीर है. हमारा भी ध्‍यान उस पर गया है और विभाग ने इसके लिये काफी तैयारी भी कर ली है. मुझे लगता है बहुत जल्‍दी ही हम इसको लागू करवा देंगे.

          श्री हेमंत विजय खण्‍डेलवाल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वित्‍त विभाग में यह मामला दो माह से अटका हुआ है. अगर मार्च के पहले हो जायेगा तो विभाग को भी राजस्‍व प्राप्‍त होगा और व्‍यापारियों को भी अपने टैक्‍स और जो दीगर छूटें होती हैं उनका लाभ होगा. मेरा अनुरोध है कि मार्च के ऊपर की समय सीमा न जाये. आपके द्वारा पूरा प्‍लान और पूरा प्रारूप बना लिया गया है. मैं एक साल से मंत्री जी के संपर्क में हूँ.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम बहुत जल्‍दी करेंगे, एकदम तारीख देना संभव नहीं है. मुझे लगता है, हम जल्‍दी कर देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी वह सही कह रहें हैं, यह पूरे प्रदेश की समस्‍या है

          श्री हेमंत विजय खण्‍डेलवाल - क्‍या हम मार्च तक मान लें ?

          अध्‍यक्ष महोदय - आप समय सीमा दे दें, यह सिर्फ बैतूल की ही समस्‍या नहीं है, यह सारे प्रदेश की समस्‍या है.

          श्री हेमंत विजय खण्‍डेलवाल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस संबंध में सारी चीजें हो चुकी है, सिर्फ निर्णय कैबिनेट में होना बाकी है.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं विश्‍वास करता हूं कि हम 31 मार्च तक कर देंगे.

          श्री हेमंत विजय खण्‍डेलवाल - मंत्री जी आपका धन्‍यवाद.

          श्री विजयपाल सिंह(सोहागपुर) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि जो गाईडलाइन बनती है, उस गाईडलाइन को भी देखा जाये. गांव की गाईडलाइन के रेट अधिक होते हैं और शहर के गाईडलाइन के रेट कुछ अलग होते हैं. इसके कारण नामांतरण की प्रक्रिया में कहीं न कहीं असुविधा हो रही हैं, इस पर भी कुछ सुधार किया जाये, जिससे कम से कम उपभोक्‍ता को जो अधिक राशि देना पड़ रही, उससे उन्‍हें लाभ मिल सके.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री यह सही कह रहे हैं.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पंजीयन विभाग के अंतर्गत गाईडलाइन तय होती है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपके कलेक्‍टर जो गाईडलाइन करते हैं, माननीय सदस्‍य उसकी बात कर रहे हैं.

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, गाईडलाइन का मामला पंजीयन विभाग के अंतर्गत आता है. हम भी उससे ही पीडि़त हैं. मैं जरूरत वाणिज्‍य कर मंत्री जी से कहूंगा.

          श्री विजयपाल सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, गाईडलाइन की स्थिति यह है कि जब किसी को नामांतरण कराना होता है, तो उसकी जमीन की उतनी कीमत नहीं होती है, उससे ज्‍यादा नामांतरण शुल्‍क लगा रहा है. इसमें कहीं न कहीं सुधार होना चाहिए जिससे आम उपभोक्‍ता को लाभ मिल सके.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी इसको आप कोआर्डिनेट करें. वह सही कह रहे हैं, यह बहुत जरूरी है.

          श्री उमांशकर गुप्‍ता - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, गाईडलाइन का निर्धारण कलेक्‍टर की अध्‍यक्षता में जिला मूल्‍यांकन समिति करती है और उसमें कई बार मामला उठाया गया है और कोशिश भी की जा रही है. इस संबंध में मुख्‍यमंत्री जी ने भी निर्देश दिये हैं कि यह अव्‍यावहारिक नहीं हो जो लोगों को तकलीफ दे.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, गाईडलाइन के संबंध में एक विषय पर पिछली बार इस सदन में चर्चा हुई थी कि कलेक्‍टर्स आखिरी समय पर बैठक बुलाते हैं, जबकि इसकी एक समिति होती है, उसमें उसकी कोई चर्चा नहीं होती है.आखिरी दिन सब होता है. दूसरी बात यह है कि उनके ऊपर दबाव रहता है कि इतने प्रतिशत बढ़ाया जाये, तीसरी बात यह है कि वह जनप्रतिनिधियों की बात को पूरा नोट में डालकर भोपाल तक भी भेजना उचित नहीं समझते हैं, इस पर भी अगर कुछ निर्देश हो जायें तो बड़ा उचित रहेगा और इसके संबंध में कम से कम दो माह पहले चर्चा अनिवार्य रूप से हो जाये. धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी कृपया इन सुधारों पर ध्‍यान दें और वैसा निर्णय कर लें. 

          श्री उमाशंकर गुप्‍ता - जी हम कर लेंगे.

                                                                                     

(2) प्रदेश में कृषि यंत्रों पर सब्सिडी प्राप्‍त करने हेतु ऑन लाइन पंजीयन प्रक्रिया दोषपूर्ण होना.

श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव) अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यानाकर्षण की सूचना इस प्रकार है :-

किसान कल्‍याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन) माननीय अध्‍यक्ष महोदय

 

            श्रीमती झूमा सोलंकी --माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जो जबाव दिया है वैसी स्थिति धरातल पर नहीं है. वास्तव में पोर्टल का न खुलना ही सबसे बड़ी समस्या है और एक माह में लगभग दो दिन वह पोर्टल खुलता है वह भी कुछ समय के लिये.यदि हम कृषि को लाभ का धंधा बनाने की बात करते हैं और किसानों को उसका फायदा नहीं मिल रहा है तो कृषि लाभ का धंधा बन पायेगा ? मंत्री जी से जानना चाहूंगी कि पोर्टल का समय बढ़ाया जाये, किसानों की इसकी जानकारी समयसीमा में पहुंचे विभाग इसके लिये क्या प्रयास करेगा.अध्यक्ष जी, दूसरा प्रश्न मेरा यह है कि कृषि यंत्र प्रदाय हेतु शासन ने जो लक्ष्य निर्धारित किया  है वह बहुत कम है इसलिये शासन के लक्ष्य को बढाया जाये ? तीसरा प्रश्न मेरा यह है कि प्रत्येक जिले में कृषि अभियांत्रिकी अधिकारियों की बेहद कमी है, तीन-चार जिलों में एक अधिकारी पदस्थ है तो कम से कम एक जिले में एक अधिकारी की पदस्थापना किये जाने हेतु क्या मंत्री जी व्यवस्था करेंगे ?

          श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आन लाइन पोर्टल पर प्रति घण्टा समयवार प्राप्त आवेदन पत्रों का 27 तारीख से आज दिनांक तक का मेरे पास में विवरण है. जिसमें एक भी ऐसा समय नहीं है जिसमें विभाग को आवेदन प्राप्त न हुये हों. 12 बजे से 1 बजे तक 36310 आवेदन आते है, वहीं रात के 1.00 बजे में 22 आवेदन भी आये हैं, 24 घण्टे पोर्टल ओपन रहता है. 11 बजे हमने देखा कि 1836 आवेदन आये हैं. इस तरह से 1,80,451 आवेदन 27 जून से लेकर के कल तक की स्थिति में थे. यह पोर्टल लाईव है, एक मिनट भी पोर्टल बंद नहीं रहता है. आज 11 बजकर 5 मिनट पर 28,565 कृषकों ने उपकरण के लिये और 1,51,924 कृषकों ने सिंचाई पंप और अन्य स्प्रिंकलर इत्यादि के लिये अपना पंजीयन कराया है. भारत सरकार भी चाहती है कि हम आन लाइन व्यवस्था को रखें.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्या को अवगत कराना चाहता हूं कि आज जो मनरेगा के पेमेन्ट होते हैं उसमें भी बॉयोमेट्रिक मशीन के द्वारा सारी व्यवस्थायें हो गई हैं और नेट लगभग सभी जगहों पर उपलब्ध है. 22 हजार कॉमन सर्विस सेन्टर मध्यप्रदेश में हैं. इसमें किसान चाहे तो अपने कम्प्यूटर के द्वारा भी आवेदन कर सकता है और फिंगर प्रिंट के द्वारा भी कर सकता है इसमें कहीं पर भी रजिस्ट्रेशन को बंद नहीं किया है इसीलिये भारत सरकार के द्वारा हमारे प्रदेश के मॉडल को देखने के लिये अन्य राज्य के लोग आ रहे हैं. बिहार राज्य के कृषि मंत्री जी आये थे उन्होंने प्रदेश के मॉडल के संबंध में कहा है कि आपका मॉडल अच्छा है, उड़ीसा राज्य के लोग भी आये हैं. भारत सरकार 1 अप्रैल, 2018 से इस मॉडल को पूरे देश में लागू कर रही है. मध्यप्रदेश प्रदेश देशा का पहला राज्य है जिसने 27 जून, 2017 से मध्यप्रदेश में इसको प्रारंभ किया है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके और भी बहुत से लाभ हैं. जब हमारे प्रदेश में पोर्टल की व्यवस्था नहीं थी तब मार्कफेड अथवा एमपी एग्रो के माध्यम से जो रेट थे उन रेट्स में और नये रेट्स में बहुत अंतर है. इसके लिये मैं एक उदाहरण सदन में प्रस्तुत करना चाहता हूं कि महेन्द्रा एंड महेन्द्रा का टेक्टर-470 का 6 लाख 1 हजार 504 रूपये का था जो कि आन लाइन में 5 लाख 68 हजार का आ रहा है. कुल मिलाकर के मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि आन लाइन व्यवस्था से रेट भी कम आये हैं. किसान अगर चाहे तो रजिस्ट्रेशन करने के बाद में निगोशियशन कर सकता है, मोल भाव करके भी कम रेट पर इसको प्राप्त कर सकता है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक सवाल है अमले की कमी का तो असिस्टेंट इंजीनियर के कार्यालय प्रदेश में 32 जगहों पर संचालित हो रहे हैं. अमले में वृद्धि हेतु प्रस्ताव विभाग के द्वारा वित्त विभाग को भेजा गया है. हमारा पूरा प्रयास है कि मध्यप्रदेश के सभी जिलों में असिस्टेंट इंजीनियर के कार्यालय खुल जायें. हम चाहते हैं कि किसानों को अधिकतम लाभ मिले और इसमें पूरी तरह से पारदर्शिता रहे, किसी तरह का कोई लेन देन न हो, इसलिये प्रदेश में आन लाइन व्यवस्था को सरकार ने चालू किया है.

          श्रीमती झूमा सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का जबाव मंत्री जी ने नहीं दिया है कि लक्ष्य बढायेंगे अथवा नहीं और पोर्टल का समय और जिलों का अमला कब तक बढायेंगे.

          अध्यक्ष महोदय- पोर्टल का तो कह दिया है कि 24 घण्टे खुला रहता है.

          श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेनः- अध्यक्ष महोदय, पोर्टल तो 24 घंटे चल रहा है.

          श्रीमती झूमा सोलंकी--अध्यक्ष महोदय, 24 घंटे बिल्कुल नहीं है.

          श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेनः- अध्यक्ष महोदय, मैं इसकी जानकारी पटल पर रख सकता हूं कि किस किस घंटे में कितने कितने घंटे में आवेदन प्राप्त हुए.

          श्रीमती झूमा सोलंकी--अध्यक्ष महोदय, मैं लक्ष्य बढ़ाने के बारे में कहना चाहती हूं.

          श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेनः- अध्यक्ष महोदय,जहां पर किसान ने आवेदन किया और वह पात्र नहीं हुआ तो उसके नीचे के किसान को उसका नंबर दिया जाता है. माननीय सदस्य के क्षेत्र में यदि ऐसा कुछ कहेंगे तो उस पर जरूर विचार करेंगे.

          सुश्री हिना लिखीराम कांवरे--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जो बात कही यदि पहला किसान उपकरण लेकर नहीं जाता है तो दूसरे किसान का नंबर लग जाता है. मैं उसी संबंध में निवेदन करना चाहती हूं कि उसका अंतर जो है मात्र 10 दिन का है. जो 10 दिन का अंतर है उसमें कल वीडियो कांफ्रेसिंग के दौरान प्रमुख सचिव जी ने भी इस बात को स्वीकार किया कि केवल 10 दिन में यदि उपकरण नहीं ले जाता है तो अगल किसान को उपकरण दे दिये जाते हैं उसमें दिक्कत होती है. उस 10 दिन के समय को कम से कम 1 महीने का समय किसान को मिलना चाहिये, क्योंकि किसान को तुरंत पैसे की व्यवस्था करने में दिक्कत होती है.

          अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी आप दोनों माननीय सदस्यों का इकट्ठा उत्तर दे देना.

          श्री अनिल फिरोजिया--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से बोलना चाहता हूं कि पहले भी यह बात सदन में बोली गई थी कि जो छोटे किसान हैं जिनकी एक-दो एकड़ जमीन है उनको भी आपने ऑन-लाईन, टीडीपी से जोड़ा है, पर उनके पास पैसों की व्यवस्था नहीं होती. पहले वे खरीदें फिर वह बिल लगायें वह पैसा कहां से लाएंगे. ऐसे छोटे किसानों को इससे मुक्त रखा जाए. जैसा माननीय विधायिका जी ने भी बोला कि 10 दिन का समय आपने दिया है. वास्तव में यह बात सही है कि 10 दिन में किसान पैसे की व्यवस्था नहीं कर पाता है और वह लाभ लेने से वंचित रह जाता है इसको ध्यान में रखते हुए मंत्री जी आप छोटे किसानों को टीडीपी से मुक्त किया जाए.

          श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेनः- अध्यक्ष महोदय, हमारे पास में जो लक्ष्य आते हैं उसको निश्चित अवधि के अंदर किसानों तक पहुंचाना होता है. इसमें बहुत ज्यादा समय बढ़ाने की गुंजाइश नहीं है, लेकिन फिर भी इसमें विचार करके जितना समय बढ़ सकता है, उतना बढ़ाएंगे. इसमें किसान को पैसा नहीं देना है. किसान को अपना अंश देना है जो अनुदान की राशि के अतिरिक्त है. यदि वह पूरा पैसा जमा करके लेना चाहता है तो सबसिडी का पैसा उसके खाते में आयेगा. यदि वह सबसिडी का पैसा नहीं देना चाहता है तो जो खाते का मैन्यूफेक्चर है उसके खाते में पैसा जाएगा. उसको सिर्फ अंश का पैसा देना है इसमें छोटे एवं बड़े दोनों किसानों के लिये एक ही नीति है.

                                               

     (  12. 38 बजे )                            याचिकाओं की प्रस्तुति

          अध्यक्ष महोदय--आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.

    (    12.39  बजे   )       वर्ष 2018-2019 की अनुदानों की मांगों पर मतदान

 

            मांग संख्या-1                   सामान्य प्रशासन

          मांग संख्या-2                   सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय

          मांग संख्या 65                 विमानन

          मांग संख्या 72                   आनंद

 

 

 

 

 

          अब मांगों एवं कटौती प्रस्ताव पर एक साथ चर्चा होगी.

          श्री कमलेश्वर पटेल ( सिंहावल  )--अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 1, 2, 65, 72 के प्रस्ताव के विरोध में चर्चा करने के लिये खड़ा हुआ हूं. आपका विशेष संरक्षण चाहेंगे कि जो कहूंगा सच कहूंगा. झूठ कुछ भी नहीं कहूंगा. आपका संरक्षण चाहिये. मैं समझता हूं कि आदरणीय सत्तापक्ष के साथी हैं उनको सच्चाई को कबूल करना चाहिये तथा विपक्ष की बातों को ध्यान से सुनना चाहिये और जो कमियां हैं उनमें सुधार करना चाहिये. सामान्य प्रशासन विभाग का सबसे महत्वपूर्ण काम है सुशासन की व्यवस्था करना. मध्यप्रदेश में इस दिशा में काम करने में सामान्य प्रशासन विभाग कितना नाकाम साबित हुआ है, इसके उदाहरण हर दिन देखने को मिल रहे हैं. कुशासन का सबसे बड़ा उदाहरण माननीय मुख्यमंत्री जी का सचिवालय है. जहां पर कई रिटायर्ड अधिकारी संविदा पर काम कर रहे हैं. इनकी संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है. मुख्यमंत्री जी के प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी भी संविदा पर काम कर रहे हैं जिनके लिये सामान्य प्रशासन विभाग ने आनन-फानन में संविदा के नियमों में बदलाव भी कर दिये हैं. देश के इतिहास की अनोखी घटना यह है कि संविदा के नियमों में बदलाव कर हर विभाग में प्रायवेट लोगों को सलाहकार बनाने का कौन सा सुशासन सरकार देना चाहती है. भर्ती के नियमों को भी बदल दिया गया है और यहां तक कि कई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जो जुड़े हुए लोग हैं वह प्रदेश शासन में सीधा दखल दे रहे हैं तथा उनकी भी नियुक्तियां हुई हैं.

          राज्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा (श्री शरद जैन)--अध्यक्ष महोदय, उनको राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का नाम लेने की क्या आवश्यकता है ?

            श्री के.पी.सिंह--अगर कोई संस्था का सदस्य है तो इसमें गलत क्या है ?

            श्री शरद जैन--संस्था का नाम लेने की जरूरत क्या है ?

            श्री कमलेश्वर पटेल--आप भी वहां से निकले हैं. आप क्यों आपत्ति ले रहे हैं.

          श्री वैलसिंह भूरिया--व्यक्तिगत किसी संस्था का नाम लेना गलत बात है.

            श्री कमलेश्वर पटेल--अध्यक्ष महोदय, सरकार तथा पूरा देश ही वह लोग चला रहे हैं इसका क्या दिक्कत है.

          श्री शरद जैन--इसको आपको अलग करना चाहिये.

          श्री कमलेश्वर पटेल--अध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग को इस दिशा में पहला करनी चाहिये, न कि रिटायर्ड हो चुके अधिकारियों को संविदा पर लाकर नये अधिकारियों के हक को छीनने का कोई अधिकार नहीं है. पदोन्नति के अवसर को समाप्त करने की कोशिश नहीं करना चाहिये. संविदा पर ऐसे अधिकारी हैं जिनको पूरे वित्तीय अधिकार दिये गये हैं.

(12.44  बजे)          उपाध्यक्ष महोदय  (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह)  पीठासीन हुए

          उपाध्यक्ष महोदय, यह एक प्रकार से आर्थिक अपराध जैसा है. जो सामान्य प्रशासन को बंद करना चाहिये. इस पर हम चाहेंगे कि मंत्री जी तथा प्रशासन की ओर से एक वक्तव्य आये. इसमें स्पष्ट भी होना चाहिये कि इस तरह से रिटायर्ड अधिकारी/कर्मचारियों को संविदा पर ले रहे हैं और हमारे नौजवान भटक रहे हैं. नये अधिकारी/कर्मचारी जो भर्ती हुए हैं उनको मौका नहीं मिल रहा है. एक तरफ हमारे देश के प्रधानमंत्री जी दो दिन पहले ही वक्तव्य आया था कि 40 साल की उम्र पार कर चुके आई.ए.एस. के ऊपर प्रश्नचिन्ह लगाया है. यह भी स्पष्ट करना चाहिये कि देश के प्रधानमंत्री जी ने जो वक्तव्य दिया है. क्या उससे मध्यप्रदेश की सरकार सहमत है ? क्या बाकी जो अधिकारी हैं क्या अपने पारिवारिक जीवन या पारिवारिक जो एक व्यवस्था है क्या उसका निर्वहन करते हुए इतने सालों से जो लोग  सेवा कर रहे हैं क्या वह अक्षम हैं. यह बातें आना चाहिये क्योंकि इस तरह से देश के प्रधानमंत्री ने संज्ञान में लिया है इस पर प्रदेश सरकार का रुख भी स्पष्ट होना चाहिये. एक गंभीर बात है पदोन्नति में आरक्षण का विषय है. आरक्षण सरकार देना चाहती है या नहीं यह भी स्पष्ट होना चाहिये.इस विषय पर  सामान्य प्रशासन विभाग को स्पष्ट मत सदन के सामने रखना चाहिये क्योंकि इसके कारण कई विभागों में पदोन्नतियां रुकी हुई हैं और हमारे कई अधिकारी,कर्मचारियों में अवसाद बढ़ता जा रहा है. कई ऐसे अधिकारी,कर्मचारी हैं जिनकी समय पर  पदोन्नति नहीं हुई.कई रिटायर हो गये और आज वह बीमारी की श्रेणी में है या परेशान है इस पर भी सामान्य प्रशासन विभाग को चिंतन करना चाहिये. यदि सामान्य प्रशासन विभाग यह स्पष्ट कर दे कि प्रमोशन में आरक्षण देना है या नहीं देना है तो कानून प्रक्रिया अपनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अगर सदन में माननीय मंत्री जी इसको स्पष्ट करेंगे. सरकार यह कह दे कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने जो निर्णय दिया है हम उसे अपनाएंगे तो फिर सरकार यह बताए कि सुप्रीम कोर्ट सरकार क्यों गई ?

          श्री शैलेन्द्र जैन - उपाध्यक्ष महोय, आप कांग्रेस पार्टी का स्टैंड बता दें कि वह क्या पदोन्नति में आरक्षण चाहते हैं ?

          श्री कमलेश्वर पटेल - कांग्रेस सरकार ने तो व्यवस्था ही बनाई थी. इस सरकार के द्वारा पहल नहीं हुई. हम अपना कोई व्यक्तिगत मामला होता है तो उसके लिये दस लाख का वकील खड़ा करते हैं. सरकार ने नया मंत्र सीख लिया है कि किसी भी विषय पर स्पष्टता रखो. यह कहने से काम नहीं चलेगा कि मामला कोर्ट में है. सरकार को अपना मत सदन के सामने रखना चाहिये. यदि सदन को याद हो तो सिंहस्थ,2016 का बड़ी भव्यता से आयोजन हुआ था और वहां पर सार्वभौमिक संदेश राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की मदद से तैयार किया गया था. प्रधानमंत्री जी ने इसका उद्घोष किया था. उसे देश के सभी राज्यों,अन्य देशों और संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में भेजने की जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग को दी गई थी.बड़े जोर-शोर से प्रचारित कर यह कहा गया था कि सिंहस्थ का यह सार्वभौमिक संदेश सुशासन का एक दस्तावेज है जो सभी राज्य सरकारों को अपनाया जाना अनिवार्य है. इसे सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से ओर से संयुक्त राष्ट्र संघ,केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों को भेजा जाना था. मजेदार बात यह है कि 2016 के बाद इसका कुछ अतापता नहीं है. कभी भी इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई न कभी सदन को जानकारी दी.

          वन मंत्री(डॉ.गौरीशंकर शेजवार) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में कई बार आपने बातचीत की है.  बहुत अच्छी बात है. आपकी रुचि को देखकर हम आपकी प्रशंसा करते हैं. अब आपसे हमारा निवेदन है कि  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघ शिक्षा वर्ग होते हैं. प्रथम वर्ष,द्वितीय वर्ष,तृतीय वर्ष तो आप इनमें अवश्य जाएं ताकि आपका जो अपूर्ण ज्ञान है वह आप पूरा कर सकें और आपकी जो रुचि  और आपका जो आकर्षण है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रति इसकी तुष्टि हो सके. यही मेरा आपसे निवेदन है.

          श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह प्रथम वर्ष,द्वितीय वर्ष और तृतीय वर्ष के पहले एक सप्ताह का वर्ग होता है. पहले वर्ग में इनको बैठना पड़ेगा. सीधे-सीधे प्रथम,द्वितीय,तृतीय वर्ष में नहीं भेजना है इनको. सब सीख जाओगे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ क्या है ?

          (..व्यवधान..)

          श्री रामनिवास रावत - ऐसी सलाह कोई देता है.

          श्री अजय सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, रावत जी कह रहे हैं कि वह प्रथम,द्वितीय,तृतीय वर्ष की बात विलोपित की जाये. कोई मतलब नहीं है.

          उपाध्यक्ष महोदय - अवमाननापूर्ण कोई ऐसी बात नहीं है.

          श्री रामनिवास रावत - इस तरह की सलाह देना क्या उचित है ?

          उपाध्यक्ष महोदय - वह अधिकतर दे देते हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, फिर तो वह आर.एस.एस. की पूरी बात ही विलोपित होगी.

          श्री रामनिवास रावत - डाक्टर साहब फर्स्ट्रेशन में हैं. अपने विभाग से संतुष्ट नहीं हैं.

          श्री शंकरलाल तिवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं नेता प्रतिपक्ष जी से विनती करूंगा कि आप भी जाकर देखें नजदीक से. महात्मा गांधी गये थे,सरदार वल्लभभाई पटेल गये थे. आप भी एक बार जाकर देखिये केवल आलोचना करने से भी शायद कुछ मिल जाये.

          श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय शेजवार जी ने बहुत सारगर्भित टिप्पणी की है.

          श्री अजय सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आलोचना नहीं की. कमलेश्वर पटेल जी ने बड़े व्यवस्थित रूप से कहा कि आर.एस.एस. के सामने,सब लोगों के सामने एक ब्लू्प्रिंट बनाया गया सुशासन का, उसका 2016 में पालन करने के लिये जी.ए.डी. विभाग को दिया गया और उस समय से लेकर 2018 तक क्या हुआ. यदि आप इस पर टिप्पणी करें तो फिर आप तृतीय श्रेणी में हैं या चतुर्थ श्रेणी में हैं तो पता चल जायेगा.

          श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने क्या कहा उस पर हमारे नेता प्रतिपक्ष जी ने अपनी बात कह दी. सबसे बड़ी बात तो यही है कि जब किसी चीज के लिये रणनीति बनाई गई जहां देश के प्रधानमंत्री और पूरे मंत्रिमण्डल के सदस्य और पूरी सरकार और सब लोगों को बैठाकर,पूरे देश भर के लोग एकत्रित हुए और कोई मंथन हुआ और सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपा गया था तो सरकार ने क्यों तत्परता नहीं दिखाई. सरकार ने क्या सिर्फ दिग्भ्रमित करने के लिये या सिर्फ मंत्री जी जिस चरित्र की बात कर रहे हैं. हम लोग उस पर नहीं जाना चाहते. असत्य बोलने का,इस सबसे यही तो साबित होता है. यही तो चरित्र है. इसके अलावा जो सबसे बड़ी चिंता का विषय है वह यह कि सामान्य प्रशासन विभाग मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामले में भी नोडल विभाग का काम करता है.  पिछले एक दशक में ऐसा कोई भी उदाहरण प्रस्तुत नहीं हुआ है जब सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से मानव अधिकार के संरक्षण की कोई पहल की गई हो. इसका कारण साफ है कि राज्य मानव अधिकार आयोग में कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष ही नहीं है तो मानव अधिकार आयोग की अनुशंसाओं को सामान्य प्रशासन विभाग गंभीरता से क्यों लेगा ? मानव अधिकार आयोग में अध्यक्ष न होने के कारण मानव अधिकार उल्लंघन के महत्वपूर्ण प्रकरणों का निराकरण नहीं हो पा रहा है. यह गंभीर स्थिति है जो यह दर्शाती है कि सरकार की शासन,प्रशासन कितना लचर,लापरवाह और असंवेदनशील हो गया है. सरकार अपने सुशासन का बहुत जोर शोर से बखान करती है लेकिन नैतिकता में निष्ठुर नजर आती है. (XXX)

          डॉ.गौरीशंकर शेजवार - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पूरा प्रकरण सबज्यूडिश है. निर्णय उसमें आना है. हमारी परंपराएं रही हैं कि जो प्रकरण सबज्यूडिश हैं. ऐसे प्रकरणों में हमें कटाक्ष,कमेंट और उसके बारे में यहां बुराई या अपनी राय जाहिर नहीं करना चाहिये. देखिये, कोर्ट ने जो निर्देश दिये हैं,कोर्ट ने जो आदेश दिये हैं और वैधानिक तरीके से नियम के अनुरूप मंत्री जी यहां मंत्री हैं और सदन के सदस्य भी हैं. मुझे उन्होंने आज अधिकृत किया है तो मैं दो हैसियत से बोल रहा हूं. एक तो नरोत्तम मिश्रा जी मुझे अधिकृत करके गये हैं. हम केवल यह कहकर बच नहीं सकते कि मैंने नाम नहीं लिया. भाव तो स्पष्ट हुआ है. मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि इन्होंने जो मंत्री जी के बारे में और चुनाव आयोग के बारे में और अयोग्यता के बारे में जो टिप्पणी की है इसे विलोपित किया जाये.

          उपाध्यक्ष महोदय - उसे विलोपित कर दें.

          श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, वैसे उसमें कोई असंसदीय नहीं था.

          उपाध्यक्ष महोदय - वह अभी ऊपर के न्यायालय में पेंडिंग है, अंतिम फैसला नहीं हुआ है.

श्री रामनिवास रावत - न्यायालय में निर्णय लंबित है, निरस्त तो नहीं किया है?

श्री कमलेश्वर पटेल - हमने न्यायालय की बात ही नहीं की है. हमने तो निर्वाचन आयोग की बात की है और निर्वाचन से संबंधित काम में लगाकर रखा है.

श्री रामनिवास रावत - न्यायालय में निर्णय लंबित है, निरस्त तो नहीं किया है, स्थगित ही तो किया है. स्थगित होने का मतलब यह तो नहीं है कि निरस्त हो गया?

उपाध्यक्ष महोदय - स्थगित तो है. आज वह कायम नहीं है अगर स्थगित है तो.

श्री रामनिवास रावत - स्थगित ही तो है, इसका मतलब अपराध से मुक्त नहीं हो जाता है, निर्दोष सिद्ध नहीं हो जाता है. दोष सिद्ध तो है.

डॉ. गौरीशंकर शेजवार - उपाध्यक्ष महोदय, यह नियम और परंपरा बनाने के पीछे यह भाव रहा है कि न्याय कहीं प्रभावित न हो. हमारे कमेंट करने से सदन में कोई बात करने से न्याय प्रभावित न हो, इसीलिए मैंने यह निवेदन किया है.

उपाध्यक्ष महोदय - आप तो बहुत विद्वान विधायक हैं श्री रामनिवास जी, आप कैसे गुमराह हो गये?

श्री रामनिवास रावत - उपाध्यक्ष महोदय, मैं गुमराह नहीं हो रहा हूं. स्थगन का मतलब निर्दोष साबित होना नहीं है.

उपाध्यक्ष महोदय - श्री रामनिवास जी, किसी अधिकारी का स्थानांतरण हो जाता है, उसको स्थगित कर दिया जाता है तो क्या मतलब हुआ कि वहीं रहेगा वह, यथास्थिति हुई.

श्री रामनिवास रावत - नहीं, निरस्त तो नहीं हुआ?

उपाध्यक्ष महोदय - वह अलग बात है. वह तो अंतिम फैसला फिर न्यायालय करेगा. इसको विलोपित कर दीजिए न्यायालय का जो उल्लेख है.

डॉ. गौरीशंकर शेजवार - आज विद्वान की संज्ञा दोबारा दी गई है और आसंदी से विद्वान कहा गया है, मैं आपको बधाई देना चाहता हूं.

उपाध्यक्ष महोदय - डॉक्टर साहब संसदीय कार्यमंत्री का भी काम देख रहे हैं, आज उनको अधिकृत किया गया है.

डॉ. गोविन्द सिंह - कई निर्णय में फैसला होने के बाद भी शासन न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाता है. फरार अपराधियों को भी मंत्रिमंडल में और विधान सभा में बैठे रहने देता है, इसका भी उल्लेख नहीं कर सकते हैं क्या? ..मैं कहां किसी का नाम ले रहा हूं?

उपाध्यक्ष महोदय - उसमें अंतिम निर्णय नहीं आया है. (संकेत से) इसे विलोपित करें. आप अपनी बात जारी रखें.

श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, सरकार ने सुशासन की बहुत सारी व्यवस्थाएं अपनाई हुई है, उसका जीता-जागता उदाहरण है, जिसका मैंने पहले भी उल्लेख किया था, सेवानिवृत्त अधिकारियों, कर्मचारियों को सेवा में रखा हुआ है, उनको बहुत सारे अधिकार भी देकर रखे हैं, जिसका लगातार दुरुपयोग हो रहा है. एक तरफ जहां देश के प्रधानमंत्री 40 वर्ष के कलेक्टर्स को बोल रहे हैं कि पिछड़े जिलों में या ऐसी जगह पदस्थ किया जाय और दूसरी तरफ जो जन-सुनवाई है अगर इसको आप देखें तो जन-सुनवाई उदाहरण के लिए ही रह गई है. जन-सुनवाई सिर्फ आवेदन लेने की व्यवस्था बनकर रह गई है, चाहे वह जिला स्तर पर हो..

उपाध्यक्ष महोदय - आप दो मिनट में समाप्त करेंगे.

श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, अभी तो शुरू किया है.

उपाध्यक्ष महोदय - आपको बोलते हुए 18 मिनट से ज्यादा हो गये हैं.

श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, समाधानकारक निराकरण नहीं हो रहा है, जो सरकार की व्यवस्था है. जिलों में जन-सुनवाई की व्यवस्था मात्र औपचारिकता बनकर रह गई है.

1.00 बजे                                       अध्यक्षीय घोषणा

                                   भोजनावकाश न होना

 

उपाध्यक्ष महोदय - आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.

श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, जन-सुनवाई व्यवस्था मात्र औपचारिकता बनकर रह गई है. जन-सुनवाई में न्याय नहीं मिलने से परेशान होकर लोग समाधान ऑन-लाइन में मुख्यमंत्री से गुहार लगाते हैं. जिले में अर्जियां लेकर हर मंगलवार को जन-सुनवाई में लोग जाते हैं. हर जिले में अलग-अलग व्यवस्था है. परन्तु समाधान नहीं होता है. हम लोगों के पास भी कई बार लोग आते हैं कि हमने जन-सुनवाई में आवेदन दिया है. दोबारा जाते हैं तिबारा जाते हैं. कलेक्टर साहब आवेदन तहसीलदार को, एसडीएम को मार्क कर देते हैं. परन्तु जन-सुनवाई उनकी तभी होती है जब तक वह शिष्टाचार जो इस सरकार में भ्रष्टाचार का चलन पड़ा हुआ है, तब तक उनका समाधान नहीं होता है. हम समझते हैं कि यह बहुत चिंता विषय है. सरकार ने व्यवस्थाएं तो बहुत बनाई है. परन्तु कहीं न कहीं सामान्य प्रशासन विभाग असामान्य हो गया है, यह हम कह सकते हैं क्योंकि विभागों में कंट्रोल नहीं बचा है. छोटे कर्मचारियों को कई बार सस्पेंड कर दिया जाता है. बड़े अधिकारियों, कर्मचारियों पर कोई कार्यवाही नहीं होती है. कहीं कोई गलती पकड़ में आती है, जन-सुनवाई में या समाधान ऑन-लाइन में तो छोटे कर्मचारियों को दंडित करते हैं. परन्तु जो असली दोषी होता है, उसके ऊपर कार्यवाही नहीं होती है. इस पर भी माननीय मंत्री जी को अपना मत स्पष्ट करना चाहिए. सामान्य प्रशासन विभाग की यह भी जिम्मेदारी है कि वह भ्रष्ट अधिकारियों को सजा दिलवाए. कई ऐसे अधिकारी हैं जिन पर लोकायुक्त के मामले दर्ज हैं  और उन्हें सजा दिलाने शासन से अनुमति की मांग करते हैं. सामान्य प्रशासन विभाग का कोई सहयोग लोकायुक्त को नहीं मिल रहा है. आज तक ऐसा कोई आंकड़ा नहीं आया है कि सामान्य प्रशासन विभाग के सहयोग से दोषी अधिकारियों को दंड मिला हो.

उपाध्यक्ष महोदय, लोकायुक्त संगठन बड़ा महत्वपूर्ण संगठन है. पूरे प्रदेश के जो अधिकारी, कर्मचारी हैं, उनके ऊपर कसावट आती है. यहां तक कि लोकायुक्त का इतना अधिकार है कि हम लोग भी यदि कोई व्याभिचार, भ्रष्टाचार करते हैं, चाहे मंत्री हों, चाहे विधायक हों, उनके ऊपर भी कसावट करने का लोकायुक्त को अधिकार है. लोकायुक्त संगठन जैसा काम करना चाहता है, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से या सरकार का हस्तक्षेप है या किसके हस्तक्षेप में इस तरह से कार्यवाही हो रही है, यह चिंता का विषय है. इस पर आपके माध्यम से हम चाहते हैं कि सरकार, माननीय मुख्यमंत्री जी ध्यान दें.

उपाध्यक्ष महोदय - कमलेश्वर जी, इसका नाम ही सिर्फ सामान्य प्रशासन है, इसको तो हम भी 38 साल की राजनीति में समझ नहीं पाए हैं.

श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, सरकार ने एक आनन्द मंत्रालय का भी गठन किया है, वह अजूबा ही है. आज तक उसको समझ नहीं पाए कि उसमें किसी भी मंत्री या विधायक को इसके कोई कानूनी स्वरूप का ज्ञान नहीं है. यह मंत्रालय विभाग है या संस्थान है.

श्री शंकरलाल तिवारी - मैं एक मिनट व्यवधान कर रहा हूं. आपने इतनी सुंदर और महत्वपूर्ण कमेंट दिया है सामान्य प्रशासन विभाग के मामले में कि हम दोनों विधायकों को लगा कि आपका जो अनुभव है वह आपने हम लोगों को दे दिया.

श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, यह सच्चाई है. जिस प्रयास की शुरुआत असत्य पर टिकी हो, उस  आनन्द मंत्रालय का  भविष्य क्या होगा, यह अंदाजा लगाया जा सकता है? माननीय मुख्यमंत्री के हवाले से कई बार कहा गया है कि केवल धन से आनन्द नहीं मिलता है. हमारे आदिवासी समुदाय का उदाहरण हमेशा दिया जाता है. आदिवासी बंधु अपनी मस्ती में नाचते-गाते खुश रहते हैं. उन्हें चिंता नहीं रहती है, बिना धन के भी वे आनन्द में रहते हैं. यदि वे प्रसन्न हैं ऐसा कहते हैं, ऐसा है तो इतना सारा बजट आदिवासी विकास विभाग किसके विकास पर खर्च कर रहा है? इस सोच के मुताबिक  उपाध्यक्ष महोदय, तो आदिवासी समुदायों को तो धन की बिल्कुल जरूरत नहीं पड़नी चाहिए, न ही उन्हें किसी प्रकार की आर्थिक गतिविधि की जरूरत है, वे तो नाच-गाकर ही खुश रह लेते हैं. उपाध्यक्ष महोदय, सीधी सच्ची बात तो यह है कि सरकार अच्छे काम करे तो जनता खुश हो जाय. लोगों को जबर्दस्ती आनन्द देने का सरकार जो काम कर रही है, जबर्दस्ती लोगों से कह रही है कि आप खुश रहो. प्रधानमंत्री जी कह रहे हैं कि अच्छे दिन आने वाले हैं और इधर जनता परेशान हो रही है. बैंकों को लुटते देख रहे हैं. एक तरफ किसान, गरीब है. बिजली के बिल में किसान ने अगर थोड़ा सा कर्जा लिया है उनकी कुर्कियां हो रही हैं. हजारों की संख्या में किसान हमारे क्षेत्र मे भी पीड़ित हैं. इस तरह के हालत है और आनन्द उत्सव ग्राम पंचायतों में मनाया गया.  लोगों की कोई रुचि नहीं थी. राशि भी खर्च की गई. परन्तु यह किस तरह का आनंदम है, यह समझ में नहीं आया. सरकार के माननीय मंत्री, हो सकता है मंत्रालय में बैठने वाले कुछ अधिकारी, कर्मचारी आनंद में हो. प्रदेश की जनता और गरीब तो नहीं है. एक और महत्वपूर्ण विभाग है विमानन.

उपाध्यक्ष महोदय - अब आप समाप्त करें.

            श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी जब कहीं दौर पर जाते हैं. सरकार  हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर कई कंपनियों से हायर करती है और किस प्रॉविजन से करती है, कितना उसमें खर्चा किया है, कौन-कौन लोग हैं, यह जानकारी हम भी चाहते हैं. हमें इसकी जानकारी हो. दूसरा हमने यह कई बार देखा है कि मुख्यमंत्री जी अगर सीधी के दौरे पर जा रहे हैं तो हेलीकॉप्टर भी साथ-साथ जाता है. यह हम समझते हैं कि अपव्यय है. कई जगह ऐसा है कि हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर भी साथ-साथ जाता है. सरकारी धन का दुरुपयोग नहीं होना चाहिये. एक तरफ सूखे का संकट है, गरीब, किसान, मजदूर परेशान है, नौजवान बेरोजगार है, रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - अब आप समाप्‍त करिये आपको काफी समय दे दिया है.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल - उपाध्‍यक्ष महोदय, बस दो मिनट में समाप्‍त कर रहा हूं. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने बहुत सारी घोषणाएं की हैं. कहीं हमारे सिंगरौली को सिंगापुर बनाने की बात की थी. ऐसे ही कई जगह स्‍मार्ट सिटी बनाने की बात जब चुनाव आता है, तो करते हैं, लेकिन घोषणाओं पर अमल नहीं होता है. हमारे विधानसभा क्षेत्र में ही माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने सोन नदी में पुल बनाने की बात की थी उसका कोई अता-पता नहीं है.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - उपाध्‍यक्ष महोदय, आपने 38 साल का अनुभव बताया. कुछ अनुभव हम भी बता दें. स्‍वर्गीय डी.पी. मिश्रा जी मुख्‍यमंत्री थे, उन्‍होंने कहा कि सरकार चलती है सामान्‍य प्रशासन विभाग से. मैं आपके माध्‍यम से पूछना चाहता हूं कि सामान्‍य प्रशासन विभाग का मंत्री कौन है ? किस तरह सरकार प्रदेश की जनता के लिये चिंता करती है यह प्रजातंत्र का सर्वोच्‍च मंदिर है और इस सर्वोच्‍च मंदिर में सामान्‍य प्रशासन विभाग के मंत्री हमारे आदरणीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी कम से कम अपने विभाग की अनुदान मांगों में उत्‍तर न दें, लेकिन बैठें तो. पता तो चले कि विभाग के बारे में हम लोगों की क्‍या राय है, आपकी क्‍या राय है. जब उपस्थित ही नहीं रहेंगे तो कैसे मालूम पड़ेगा ?

          उपाध्‍यक्ष महोदय - कभी-कभी आपको अपने छोटे भाई को क्षमा कर देना चाहिए.

          श्री अजय सिंह - उपाध्‍यक्ष महोदय, क्षमा तो कर ही रहा हूं, परंतु छोटे भाई को भी सोचना चाहिए कि उनको क्‍या करना चाहिए.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल - उपाध्‍यक्ष महोदय, बस दो मिनट मेरी बात सुनी जाए.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - नहीं, कमलेश्‍वर जी, आपको 26 मिनट दिये गये हैं अब आप बैठ जाइए.

          राज्‍यमंत्री (श्री लालसिंह आर्य) - उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी के साथ सामान्‍य प्रशासन विभाग का राज्‍यमंत्री हूं और उत्‍तर देने के लिये उन्‍होंने मुझे अधिकृत किया है. मैं आपके सुझाव भी लिखूंगा और जो जनहित में होंगे उनको संज्ञान में भी लेंगे.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) - उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं मांग संख्‍या 1, 2, 65 और 72 का समर्थन करने के लिये यहां उपस्थित हुआ हूं. सामान्‍य प्रशासन विभाग सरकार का, सरकार के संचालन का सबसे अहम और अभिन्‍न एक विभाग होता है. प्रशासन की डोर सुशासन की ओर, इस बात को इंगित करते हुए समन्‍वय की भूमिका में सामान्‍य प्रशासन विभाग सेतु का काम करता है. वे सारे विभाग के तंत्र, पूरे प्रदेश भर के कर्मचारी, अधिकारियों के माध्‍यम से चाहे जन कल्‍याणकारी योजना हो, चाहे हितग्राही मूलक योजना हो, चाहे विकास की अवधारणा को सुनिश्चित करने वाली योजना हो, इनमें गरीब सम्‍मेलन भी आ गये हैं, वे अंत्‍योदय मेले भी आ गये हैं जहां पर पूरा परिवार सामान्‍य प्रशासन विभाग से जुड़ने वाला है. वे अपने दायित्‍वों को निर्वहन करने में आपने आपको सुढृढ़ और सक्षमता तभी प्राप्‍त करते हैं जब सामान्‍य प्रशासन विभाग का मुखिया, मध्‍यप्रदेश की सरकार के मुख्‍यमंत्री, उनके दिशा निर्देश के अंतर्गत इस विभाग ने अहम भूमिका निभाई है. महत्‍वपूर्ण दायित्‍व की भूमिका में है. लोकायुक्‍त संगठन, मानवाधिकार आयोग, लोकसेवा आयोग, राज्‍य सूचना आयोग जैसी संवैधानिक संस्‍थाओं के साथ-साथ राज्‍य आर्थिक अपराध प्रकोष्‍ठ, मुख्‍य तकनीकी परीक्षक जांच आयुक्‍त जैसी संस्‍थाओं के अलावा आरसीव्‍हीपी नरोन्‍हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी जैसी राष्‍ट्रीय स्‍तर की प्रशिक्षण संस्‍था का सुचारू संचालन करने का दायित्‍व भी सामान्‍य प्रशासन विभाग के कंधों पर है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, नये नवाचार भी इस विभाग के माध्‍यम से पूरे प्रदेश के लिये, पूरे प्रदेश की जनता के लिये, और हम सभी जनप्रतिनिधियों के लिये और कभी-कभी तो जिला पंचायत के अध्‍यक्षों, माननीय सांसदों, नगर पालिका, नगर निगम के मेयर, अध्‍यक्ष, महापौरों को भी सीधे संवाद के साथ जो हमारा एनआईसी सिस्‍टम है, जब माननीय मुख्‍यमंत्री जी बैठते हैं तब हम सबको समय-समय पर आहूत करते हैं. समाधान ऑनलाईन 181, मुख्‍यमंत्री हैल्‍पलाइन, परख, जनसुनवाई जैसे अनेक नवाचार इसी विभाग के माध्‍यम से हुये हैं और उसके परिणाम भी साथ-साथ सामने आ रहे हैं. कर्मचारी-अधिकारी जो विभिन्‍न विभागों के माध्‍यम से अपने कर्तव्‍यों का निर्वाह करते हैं उसकी डोर अगर किसी के हाथ में है तो वह सामान्‍य प्रशासन विभाग के हाथ में है. सुशासन यही है कि हम पूरे मध्‍यप्रदेश की 7 करोड़, 50 लाख जनता के साथ न्‍याय कर सकें. उसमें अधिकारी, कर्मचारी भी हैं, उसमें गरीब भी हैं, उसमें उद्योगपति भी हैं. उपाध्‍यक्ष महोदय, भर्ती नियम में संशोधन समय की आवश्‍यकता होती है. इसमें पारदर्शिता की आवश्‍यकता है और जब ऑनलाईन का सिस्‍टम हो गया है फिर सारी प्रक्रियाएं बहुत पारदर्शिता के साथ होने लगी हैं. भर्ती नियमों में भी कहीं न कहीं परिवर्तन की संभावनाएं बनती हैं. अब वह जमाने गये कि नियमों को शिथिल करते हुये नियुक्ति दी जाती थी, सिगरेट का पैकेट अगर पास में है तो उसमें लिख दिया, यदि कोई छोटी सी पर्ची है तो उसमें लिख दिया, नोटशीट के पते ही नहीं चलते थे. मैं बहुत विस्‍तार में नहीं जाना चाहता, लेकिन तब भूल हुआ करती थी या यह कहें कि उस समय का सिस्‍टम हुआ करता था, लेकिन आज सामान्‍य प्रशासन विभाग ने अपनी अहम भूमिका का निर्वहन किया है. वर्ष 2018-19 के लिये 448.72 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है. यह वास्‍तव में अभिनंदन और स्‍वागत योग्‍य है. शासकीय सेवकों और शासकीय सेवा के बाद अधिकारी, कर्मचारी जो सेवा निवृत हो जाते हैं उनके लिये यूनिक इम्‍पलाई कोड द्वारा ई-भुगतान जैसा प्रशंसनीय कार्य विभाग के माध्‍यम से किया जा रहा है. वेंडर कोड अंतर्गत ई-भुगतान कार्य प्रचलन में है. मंत्रालय में कार्यरत अशासकीय व्‍यक्तियों तथा सामग्री का प्रदाय करने का काम भी ई-भुगतान के माध्‍यम से बखूबी किया जा रहा है. उपाध्‍यक्ष महोदय, सीधी भर्ती खुली प्रतियोगिता. मैं फिर कहूंगा कि स्‍पष्‍ट पारदर्शिता, उसके माध्‍यम से लोक सेवा आयोग से भरे जाने वाले पद 12 से 17 वर्ष एवं आयोग की परिधि के बाहर से भरे जाने वाले युवाओं के 15 से 20 वर्ष की आयु छूट प्रदान की गई है. 05 जून 2017 द्वारा लोक सेवा आयोग से भरे जाने वाले गृह, आबकारी, जेल, परिवहन, वन विभाग वर्दीधारी पदों के लिये 5 से 10 वर्ष आयु सीमा में छूट और परिधि के बाहर के युवाओं को 8 वर्ष से 13 वर्ष की छूट का प्रावधान इस विभाग के माध्‍यम से किया गया है. मध्‍यप्रदेश मूल अनारक्षित पुरुष सीमा छूट 33 वर्ष से अन्‍य के लिये 38 वर्ष तक नियत करने का एक महत्‍वपूर्ण काम किया गया है. उपाध्‍यक्ष महोदय, बीच में चर्चा बंद करवा दें.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - थोड़ा सा चर्चा बंद कर दें व्‍यवधान हो रहा है.

          श्री के.पी. सिंह - सिसोदिया जी, आप सरकार की तारीफ करके थके नहीं हैं ? आपको अभी तक मंत्रिमंडल में नहीं लिया गया. आगे भी उम्‍मीद नहीं दिख रही है.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - आप विरोध कर-करके नहीं थक रहे हैं हमको तारीफ तो करने दो.

          श्री बहादुर सिंह चौहान - के.पी. सिंह जी, एक विस्‍तार और होगा और उसमें यशपाल जी मंत्री बनेंगे.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय - उपाध्‍यक्ष महोदय, हमारे यशपाल सिंह जी को प्रदेश का सर्वश्रेष्‍ठ विधायक घोषित किया गया है, यह हम सबके लिये प्रसन्‍नता की बात है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - बहादुर सिंह जी, हमको मालूम है कि आप मुख्‍यमंत्री नहीं हैं तो क्‍या आप भविष्‍य वक्‍ता हैं ?

          श्री बहादुर सिंह चौहान - उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं जाति से ब्राह्मण भी नहीं हूं और पंचांग देखना भी नहीं जानता, लेकिन मेरी भविष्‍यवाणी कभी-कभी साकार हो जाती है.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल - उपाध्‍यक्ष महोदय, वह ठीक भविष्‍यवाणी कर रहे हैं कि अभी जिनको मंत्री बनना होगा वह बन जाएंगे क्‍योंकि आगे कोई भविष्‍य नहीं है और उन्‍होंने अगले साल की बात नहीं की है.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - उपाध्‍यक्ष महोदय, आरक्षण को लेकर राज्‍य शासन द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग इसके तहत कुल 59857,   अनुसूचित जाति  के 17575, अनुसूचित जनजाति   के 29778 एवं अन्य  पिछड़ा वर्ग के  12504   बैकलॉग पदों की पूर्ति प्रतिवेदित  हो चुकी है.  पिछड़ी जनजातियों  के लिये भी  विशेष  उपबंध इसमें किये गये हैं.  इसके अंतर्गत  यदि  कोई आवेदक  जिला श्योपुर, मुरैना, दतिया, ग्वालियर, भिण्ड , शिवपुरी,  गुना तथा  अशोक नगर की सहारिया  आदिम जनजाति,  जिला मण्डला, डिण्डौरी,  शहडोल, उमरिया,बालाघाट तथा अनूपपुर  की  बैगा  आदि जनजाति तथा जिला  छिंदवाड़ा के तामिया विकासखण्ड की भारिया जनजाति   का  है और  वह न्यूनतम अर्हरता रखता हो,  तो  उसके लिये भर्ती प्रक्रिया अपनाये बिना  उक्त पद पर नियुक्त किया जायेगा. ऐसा प्रावधानित किया गया है.  सहारिया जनजाति के साथ साथ सहरिया को भी विशेष   पिछड़ी जनजाति में  शामिल किया गया है. साथ ही गृह विभाग के अंतर्गत आरक्षक  एवं राजस्व विभाग के अंतर्गत पटवारी  जैसे पदों के लिये भी  कार्यपालक पद  से  उनको नवाजने का काम  किया गया है.  लोक सेवा गारंटी  अधिनियम के अंतर्गत ऑन लाइन  और डिजिटल  हस्ताक्षर के माध्यम से  अनेक उल्लेखनीय   काम इसमें किये जा रहे हैं.   1 करोड़ 26 लाख  68 हजार  712  जाति प्रमाण पत्र आवेदन पत्रों के माध्यम से   प्राप्त हुए, जिसमें से 1 करोड़ 26 लाख, 16 हजार  52 आवेदन  पत्रों का  निराकरण किया जा चुका है.  यह बड़ी उपलब्धि है.  लोक सेवा गारंटी  अधिनियम के अंतर्गत  अभूतपूर्व काम चल रहे हैं.  लोकायुक्त संगठन  के द्वारा सरकार    भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिये   भरसक प्रयास कर रही है. इस कड़ी में लोकायुक्त संगठन  द्वारा 254 ट्रेप प्रकरण  पंजीबद्ध किये गये हैं. कुल 12  छापे मारे गये हैं, जिसमें से  आनुपातिक  सम्पत्ति  25.10 करोड़ रुपये की राशि  उजागर हुई है  और पुलिस स्थापना द्वारा 238  प्रकरणों में माननीय विशेष न्यायालय में  चालान प्रस्तुत किये गये हैं.  आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ  के द्वारा भी  2017 में  64  आपराधिक प्रकरण  पंजीबद्ध  किये गये हैं, जिनमें  12 प्रकरणों में चालान एवं  पूरक चालान   प्रस्तुत किये जा चुके हैं.  मुख्य तकनीकी परीक्षक  (सतर्कता) संगठन,  सदस्यों को मैं जानकारी देना चाहता हूं कि  मध्यप्रदेश  में निर्माण कार्यों  की  गुणवत्ता की जांच के लिये कार्यरत्  एजेंसी मुख्य तकनीकी परीक्षक  (सतर्कता) संगठन की   विशेष कार्य प्रणाली के अंतर्गत  2017 में  आईएसओ 90012015 एवं  आईएसओ  140012015  का अवार्ड    इस विभाग को प्राप्त हुआ है.   मैं इसके लिये अभिनन्दन एवं बधाई देना चाहता हूं.  मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान  2002-2003  अगर आप देखेंगे   तो 5 करोड़  रुपये से प्रारंभ हुआ था और धीरे धीरे उसका  जिस प्रकार से प्रचार प्रसार  हुआ, लोगों को उसकी आवश्यकता होने लगी.  विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि  जिस प्रकार से  और मुख्यमंत्री जी  समय समय पर  जब सार्वजनिक कार्यक्रमों में जाते हैं,  तो वहां स्थिति देखते हैं कि इस गरीब को  तत्काल  उपचार की आवश्यकता है.  चिह्नित अस्पताल , चिह्नित बीमारियां और  उसको जिस प्रकार से  मुख्यमंत्री स्वेच्छा मद में  150  करोड़ रुपये का जो प्रावधान किया गया है,  इससे अनेक लोगों की जानें बची हैं.  गरीब को उपचार मिल जाये, उसका  इलाज हो जाये और  मध्यप्रदेश के तमाम उन चिह्नित अस्पतालों  में भी  यह व्यवस्था सुनिश्चित की गई है कि 2 लाख रुपये की राशि  सीधे  उनके खातों में, अस्पतालों में  जाने का  एक बहुत बढ़िया कार्य व्यवस्था  इसमें सुचारु रुप से  जारी हुई है.  जैसा मैंने पहले भी उल्लेख किया है कि जन सुनवाई का काम निरंतर  जारी है. परख वीडियो कांफ्रेंसिंग,  हिन्दी की अनिवार्य उपयोगिता, जन कल्याण यात्रा,  मंत्रालय में ई-ऑफिस   परियोजना का क्रियान्वयन.  कल जब मैं यहां से  दोपहर  में निकल रहा था अवकाश के बाद तो एक  विधायक  को एक पुलिस अधिकारी ने जो नीचे गेट पर हमारे अनाउंसमेंट  करने वाले होते हैं, उसमें से एक  पुलिस  अधिकारी का कमेंट था कि  इतनी पुस्तकें और इतनी किताबें  आप सब लेकर के जा रहे हैं, जाते हैं, किसी  एक विधायक को टोकते हुए कहा था . इतना वजन उठाना पड़ता है. आज कल तो  सारा पेपरलेस हो गया है  और उस एक पुलिस अधिकारी का यह कमेंट्स था, मैं ध्यान से सुन रहा था,  पास में खड़ा था. हमको भी अब   अगर छुट्टी का  आवेदन लेना पड़ता है, तो  हम ऑन लाइन कर देते हैं, पेपरलेस सिस्टम  सीधा सीधा हो रहा है. यह बहुत  बड़ी  उल्लेखनीय उपलब्धि प्राप्त हुई है, तो  मंत्रालय में ई-ऑफिस  परियोजना के क्रियान्वयन के माध्यम से  डिजीटल उसका उपयोग  करने को लेकर के   किया जा रहा है. जेण्डर बजट का क्रियान्वयन  का भी  इसमें उल्लेख कर रहा हूं.  गोपनीय प्रतिवेदनों  में   एक बड़ी उल्लेखनीय उपलब्धि  सामान्य प्रशासन विभाग को प्राप्त हुई है.  गोपनीय प्रतिवेदन  ऑन लाइन  किये जाने की व्यवस्था  शासकीय  संगठनों के द्वारा ही  इसकी जब मांग की  गई थी,  इसकी जब बात की गई थी, तो  उसको भी सुचारु रुप से  लागू किये जाने का काम  इसमें किया गया है. स्थानान्तरण  ऑन लाइन  आवेदन भी  एक महत्वपूर्ण कड़ी इस विभाग की  मानी जाती है, जो  वास्तव   में प्रशंसनीय है.  मध्यप्रदेश  भवन,  वाशी नवीं मुम्बई में  जनप्रतिनिधियों/अधिकारियों को शासकीय  प्रवास के  दौरान ठहरने की  सुविधा  का लाभ इस विभाग के माध्यम से  प्राप्त हो रहा है. नई दिल्ली में मध्यप्रदेश भवन को  विघटित कर नवीन मध्यप्रदेश भवन  का  निर्माण किया जा रहा है. साथ ही  मध्यालोक, मध्यांचल  जैसी अनेक सुविधायें इसमें प्राप्त हो रही हैं.

                   श्री के.पी. सिंह -- सिसोदिया जी, मध्यप्रदेश भवन नया कहां बन रहा है.

                   श्री यशपाल सिंह सिसोदिया --  मध्यप्रदेश भवन  को विघटित कर नवीन मध्यप्रदेश  भवन, नई दिल्ली का निर्माण किया जा रहा है.

                   श्री के.पी. सिंह -- कहां बन रहा है.

                   श्री यशपाल सिंह सिसोदिया --   दिल्ली में. अब दिल्ली कहां है, यह मत पूछ लीजियेगा.

                   श्री के.पी. सिंह -- आपने कहा कि  दिल्ली में मध्यप्रदेश भवन  विघटित करके नया बन रहा है.  आपने विघटित करके बोला है.

                   श्री यशपाल सिंह सिसोदिया --   आपको मालूम पड़ जायेगा.  काम उसका चालू है.

                   श्री लालसिंह आर्य --- उपाध्यक्ष महोदय, चाणक्यपुरी  में  दूसरी जगह ले ली है और उसके लिये बजट में प्रावधान हो गया है.  बड़ी जगह मिली है  और इसको हटाकर  वहां पर नया बनाने  की प्रक्रिया  शुरु हो रही है.

                   श्री के.पी. सिंह -- मंत्री जी, अगर ऐसा हो रहा है, तो धन्यवाद.

                   श्री यशपाल सिंह सिसोदिया --    उपाध्यक्ष महोदय, स्वतंत्रता संग्राम सैनानी परिवार, उनकी अनदेखी बहुत लम्बे समय से हुई.  लेकिन जिस प्रकार से मुख्यमंत्री जी ने  स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों को और उनके परिवारों को सम्मानित करते हुए  जो राशि में, जो उनका मानदेय है   या कहें कि सम्मान निधि है,  आशातीत  सफलता इसमें प्राप्त हुई है.  25 हजार  रुपये प्रति माह तक ले   जाने का इसमें अनुकर्णीय काम  मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हुआ है.  आनंदम् विभाग  को लेकर के  यहां थोड़ी सी हंसी  उड़ाई गई थी.  नेकी की दीवार   पूरे प्रदेश में  इतनी लोकप्रिय हुई..

                   उपाध्यक्ष महोदय --   सिसोदिया जी,  आनंदम्  का जिक्र हो, तो हंसी तो  आनी चाहिये  थोड़ी सी सबको.

                   श्री यशपाल सिंह सिसोदिया --   उपाध्यक्ष महोदय, लेकिन हंसी का पात्र बनाया गया.

                   उपाध्यक्ष महोदय -- हंसी का पात्र नहीं.

                   श्री यशपाल सिंह सिसोदिया --   आनंदम् विभाग में हंसी  तो है. लेकिन इसको हंसी का पात्र बनाया गया है.   नगरीय प्रशासन क्षेत्रों में, नगरपालिकाओं में, नगर पंचायतों  में..

                   उपाध्यक्ष महोदय -- आप योग तो करते होंगे ना.

                   श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- नहीं करता हूं.

                   उपाध्यक्ष महोदय -- आप  नहीं करते हैं.  जो करते होंगे, उनसे  पूछ लीजियेगा.  एक क्रिया यह भी होती है कि सब मिलकर हंसते हैं जोर जोर से.

                   श्री यशपालसिंह सिसोदिया -- उपाध्यक्ष महोदय,  इस आनंदम् विभाग के माध्यम से  जो लोगों का जुड़ाव और लगाव हुआ है.  दीवारों पर  वे पुरानी  वस्तुएं जो किसी बड़े  व्यक्ति, बड़े परिवार के यहां  अनुपयोगी  हो गई हों और  यदि  वह दीवाल पर टांग करके  और लोगों को उससे  जोड़ने का काम  किया जा रहा  है.  अभिनव घरेलू   सामान  जिसमें पुस्तकें ले  लें, शिक्षा की पुस्तकें लें,  स्वास्थ्य शिविर, निशुल्क दवाइयां आदि को लेकर के एक वतावरण  बनाने का काम इसमें हुआ है.  3 प्रमुख संस्थाओं ने   आर्ट ऑफ लिविंग बैंगलुरु,  एनिशिएटिव  ऑफ चेंज, पुणे तथा ईशा फाउण्डेशन, कोयम्बटूर   इन सबने भी  मध्यप्रदेश की सरकार की इस  अभिनव योजना की प्रशंसा करते हुए  इससे जुड़ने का काम किया है.  संस्थान की सामान्य सभा में सरकार के अलावा  देश  के सामाजिक क्षेत्रों में आनंद से जुड़े गणमान्य  लोग जैसे डॉ. एच.आर. नागेन्द्र  ये बड़ी बड़ी हस्तियां हैं. इनका  बड़ा नाम है.  डॉ. प्रणव पण्डया,  प्रसुन जोशी,  अनुपम खेर, सोनल मानसिंह,  डॉ. वीरेन्द्र हेगड़े आदि   है.  जिनसे  समय समय पर  संस्थान की कार्यक्रम एवं गतिविधियों के बारे में दिशा निर्देश  प्राप्त किये जाते हैं. इन्होंने समय समय पर अपनी सहभागिता  भी दी है .  इस आयोजन की भूरि भूरि  प्रशंसा की है.  सामान्य प्रशासन विभाग ने  अनेक  उल्लेखनीय काम  अपने  तय किये हैं, मैं जरुर उल्लेख करना चाहूंगा.   हवाई पट्टियों को लेकर के,  विमानन  भी इसमें है.  मध्यप्रदेश में 25 स्थानों पर  18 राज्य शासन द्वारा संचालित  हवाई पट्टियां, 4 भारत सरकार के आधिपत्य   से  संचालित हवाई पट्टियां और  3  निजी क्षेत्र  से स्थापित  होने वाली हवाई पट्टियां,  इनके माध्यम से पूरे  प्रदेश भर में  हवाई पट्टियों का जाल  बिछाया है.  मुझे बताते हुए अत्यन्त प्रसन्नता  हो रही है कि है कि सागर के  ढाना  में  एवं गुना  को पायलट  प्रशिक्षण तथा  उड्डयन  गतिविधियों को संचालित  करने के लिये वहां  पर  संस्थाओं को निर्धारित  शुल्क पर   आवंटित किया गया है.  अभ्यर्थी उड्डयन के क्षेत्र में   रोजगार  की संभावना को प्राप्त कर सकते हैं.  एयरो स्पोर्ट्स  गतिविधियों के लिये तीन तीन माह पर किराये पर   दिये जाने की नीति निर्धारित   इन शासकीय हवाई पट्टियों   पर की गई है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का ध्‍यान इस ओर आकर्षित करूंगा कि मेरे मंदसौर विधान सभा क्षेत्र में, मंदसौर शहर में एक हवाई-पट्टी का निर्माण हुआ है, उसमें जो नवलखा बीड़ का रास्‍ता है, फोरलेन सड़क मार्ग से हवाई-पट्टी की ओर जाने वाला, यह भालोट गांव तक भी जाता है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने अभी हाल ही में 20 जनवरी को 6 किलोमीटर सड़क डामरीकृत करने की घोषणा की है, वह निश्‍चित रूप से हो ही जाएगी, लेकिन मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि मंदसौर की उस हवाई-पट्टी पर अभी बाऊंड्रीवाल की कमी है, उसका प्रस्‍ताव, उसकी डीपीआर भी बनकर आपके विभाग तक पहुँची है. साथ ही वहां पर पाइलेट्स के लिए टायलेट्स और रेस्‍ट-रूम की व्‍यवस्‍था का भी उसमें प्राक्‍कलन है, मैं आपके माध्‍यम से मंत्री जी से अपेक्षा करूंगा कि इसको भी जोड़ लिया जाए.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का ध्‍यान विशेष रूप से चाहूँगा कि मध्‍यप्रदेश लोक सेवा आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर मेरे मन में थोड़ी सी जिज्ञासा है और मैं चाहूँगा कि इसे सुझावात्‍मक रूप से लेकर गंभीरता से कार्यवाही करें. मैं कहना चाहता हूँ कि प्रश्‍न-पत्रों में त्रुटियां हो रही हैं. इस लापरवाही के कारण अनेक छात्र-छात्राओं में निराशा का भाव है. 100 प्रश्‍नों के प्रश्‍न-पत्र में 4 से 6 प्रश्‍न गलत आ रहे हैं. आयोग उत्‍तरों की जो सूची जारी करता है, उसमें भी कभी-कभी गलत उत्‍तर आते हैं. उम्‍मीदवार के द्वारा आपत्‍ति करने पर प्रति प्रश्‍न 100 रुपये प्रश्‍न का सुधार या रि-ओपन करने को लेकर शुल्‍क मांगा जाता है. इससे पेपर सेटर तथा मॉडरेटर की योग्‍यता पर कहीं न कहीं प्रश्‍न-चिह्न लगा हुआ है. मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि आयोग के तथाकथित विद्वान पेपर सेटर यदि उत्‍तर के लिए गूगल को ही सर्च कर लें तो वे तमाम प्रकार के उत्‍तर जो गलत होकर आ रहे हैं, वह अपने आप स्‍व-मोटो सही उत्‍तर में आ जाएंगे, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- वहां पर सिफारिशी लोगों की पोस्‍टिंग हो गई होगी.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- कमलेश्‍वर जी, जब आप बोल रहे थे, मैं पूरे समय एक शब्‍द भी नहीं बोला.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- बैठ जाएं. बहुत महत्‍वपूर्ण बिंदु है जो आपने उठाया है, माननीय मंत्री जी जरूर संज्ञान में लें. इसमें सुधार होने चाहिए.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं इससे संबंधित दो उदाहरण दूंगा.

          श्री के.पी. सिंह -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैंने भी उदाहरण सहित इसी सदन में प्रस्‍तुत किए थे, उस समय शायद उमाशंकर गुप्‍ता जी चार्ज में थे. वर्ष 2006 में फुटबॉल का वर्ल्‍ड-कप जर्मनी में हुआ था, लड़के ने उत्‍तर सही दे दिया, लेकिन जो मॉडल आन्‍सर था, उसमें गलत बता दिया. जब गलत बताया तो उसकी निगेटिव मार्किंग हो गई. उस समय कुछ कर नहीं पाए तो ऐसी व्‍यवस्‍था की जाए कि अगर प्रश्‍न में ही आन्‍सर गलत लिखते हैं तो उनकी भी जवाबदारी तय हो. नुकसान परीक्षार्थी का होता है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई, आप बैठ जाएं.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं दो उदाहरण देकर अपनी बात समाप्‍त कर दूंगा. यह प्रश्‍न पूछा गया था कि वर्ष 2013 में विधान सभा में कितनी महिला निर्वाचित हुई हैं ? इसके चार उत्‍तर थे - 20, 22, 25 और 28. सभी उत्‍तर गलत थे क्‍योंकि उस समय 30 महिलाएं विधान सभा में प्रतिनिधित्‍व करती थीं. अब इस प्रकार का प्रश्‍न है, वेबसाइट पर देखा जा सकता था, यह कोई बहुत ज्‍यादा टेक्‍निकल वाला मामला नहीं था. दूसरा उदाहरण, नेशनल हाईवे - 3, यह मध्‍यप्रदेश के किस नगर में स्‍थित  नहीं है. इसमें मजेदार बात यह है कि नेशनल हाईवे - 3 मध्‍यप्रदेश से गुजरती ही नहीं है. यह प्रश्‍न ही अपने आपमें गलत था. नेशनल हाईवे - 3 पंजाब के अमृतसर से हिमाचल प्रदेश के मनाली तक जाता है. दरअसल, वर्ष 2010 में राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने मार्गों के क्रमाकों का पुनर्निर्धारण कर दिया है किंतु पेपर सेटर विद्वजन 8 वर्ष बाद भी पता नहीं लगा पाए कि यह सड़क कहां से होकर गुजर रही है.

          श्री रामनिवास रावत -- एनएच-3 आगरा मुंबई मार्ग है.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- रामनिवास जी, मैं बहुत जिम्‍मेदारी के साथ बोल रहा हूँ. वर्ष 2010 में भारत सरकार के राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इसमें संशोधन कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद वही प्रश्‍न आ रहा था कि मध्‍यप्रदेश के कौन से हिस्‍से से होकर नहीं गुजर रही है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इस प्रकार की त्रुटियों के कारण खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि पेपर सेटर का जो सिस्‍टम है और जो कि गूगल के माध्‍यम से भी सर्च किया जा सकता है, उसके आन्‍सर को लेकर जिस प्रकार से परेशानी और विसंगति होती है, उसमें छात्रों की मानसिक रूप से वेदना और प्रताड़ना होती है. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया. बहुत-बहुत धन्‍यवाद, आभार.

          श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी द्वारा प्रस्‍तुत मांग संख्‍या-1 सामान्‍य प्रशासन, मांग संख्‍या-2 सामान्‍य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्‍य व्‍यय, मांग संख्‍या-65 विमानन और मांग संख्‍या-72 आनंद विभाग से संबंधित मांगों पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि आप और हम सभी जानते हैं, आपने भी कहा कि इस विभाग को हम अभी तक नहीं समझ पाए हैं. हमारे नेता प्रतिपक्ष जी ने भी इसकी महत्‍ता को प्रतिपादित किया है कि सामान्‍य प्रशासन एक ऐसा विभाग है जिससे पूरे प्रदेश का प्रशासन संचालित होता है. सामान्‍य प्रशासन विभाग का चुस्‍त-दुरुस्‍त होना आवश्‍यक है क्‍योंकि सामान्‍य प्रशासन विभाग के माध्‍यम से ही पूरे प्रदेश में प्रशासन की कार्यवाही संचालित होती है.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, '' प्रशासन की डोर, सुशासन की ओर'' हमारे ओपनर श्री कमलेश्‍वर पटेल जी ने भी कहा था कि इसका वर्ष 2016 में रोडमैप तैयार करवाया गया था कि हम प्रशासन को कैसे सुशासन में बदले. लेकिन अभी तक क्‍या हुआ, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता. आज मुख्‍यमंत्री जी सदन में नहीं हैं, माननीय राज्‍यमंत्री, सामान्‍य प्रशासन इस विभाग की मांगों का उत्‍तर देंगे. ''प्रशासन की डोर, सुशासन की ओर'' आज किसके हाथ में है, हमारे माननीय मंत्री जी आर्य साहब के हाथ में है. लेकिन यह इस प्रदेश का सबसे बड़ा दुर्भाग्‍य है कि (XXX). कैसे प्रदेश में सुशासन रहेगा, इसके बारे में इससे ज्‍यादा कुछ नहीं कह सकते.

          श्री लालसिंह आर्य -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, यह तीसरी बार विद्वता का उदाहरण दिया जा रहा है.

          श्री रामनिवास रावत -- (XXX)

          श्री लालसिंह आर्य -- (XXX)

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- ऐसी चर्चा से बचें.

          श्री रामनिवास रावत -- (XXX)

          श्री लालसिंह आर्य -- (XXX)

          चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी -- (XXX)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- (XXX)

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- जो भी आपस में बातें हुई हैं, वह रिकॉर्ड न की जाए. रावत जी, विभाग पर चर्चा करिए, मंत्री जी पर क्‍यों कर रहे हैं.

          श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं विभाग पर ही चर्चा कर रहा हूँ. मध्‍यप्रदेश के किसी भी विभाग में जब भी कोई वेकेन्‍सी निकलती है, जिसके बाद कर्मचारी की नियुक्‍ति होती है, इसके बाद पुलिस व्‍हेरिफिकेशन मंगाया जाता है. पुलिस व्‍हेरिफिकेशन मंगाने के बाद अगर संबंधित पर कोई प्रकरण दर्ज है और अगर वह बरी भी हो गया है, केवल फार्म-16 में वह भरा नहीं, उस पर से वह पुलिस व्‍हेरिफिकेशन एडवर्स माना जाता है. ससम्‍मान, बाइज्‍जत बरी होने के बावजूद भी यह एडवर्स माना जाता है. यह सामान्‍य प्रशासन विभाग का ही नियम है और आज सामान्‍य प्रशासन विभाग के नियमों के अनुसार जो अभियुक्‍त है उसे मंत्री पद पर नहीं रहना चाहिए. वह सुशासन का जवाब देंगे, सुशासन की डोर इनके हाथ में है. यह किस तरह का संदेश देना चाहते हैं, यह मैंने कहा है. मैं यह मानता हॅूं कि रोक लगी हुई है. मध्‍यप्रदेश के जो बिजनेस रूल्‍स हैं इनका निर्माण मध्‍यप्रदेश का सामान्‍य प्रशासन विभाग करता है. स्‍वेच्‍छानुदान की जो राशि है माननीय मुख्‍यमंत्री जी सबको देते हैं लेकिन माननीय मंत्रिगणों को पचास लाख और राज्‍य मंत्रियों को भी पैंतीस लाख रूपए की राशि स्‍वेच्‍छानुदान के लिए दी जाती है. मंत्री पूरे मध्‍यप्रदेश का होता है. यह देखने में आता है कि ज्‍यादातर राशि अपने विधानसभा क्षेत्रों में वितरित कर दी जाती हैं. हम चाहते हैं कि जो-जो मंत्री और मुख्‍यमंत्री स्‍वेच्‍छानुदान निधि में जहां भी राशि वितरित करें, वह राशि किन-किन को वितरित की गई, यह जानकारी भी सदन के पटल पर आना चाहिए.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, सड़क दुर्घटना में मृतकों को सहायता देने का प्रावधान है. सड़क दुर्घटनाएं बहुत होती हैं. मैंने कई बार प्रश्‍न भी लगाया हैं और प्रश्‍न पूछते भी हैं. सड़क दुघर्टनाएं जितनी भी होती हैं उनमें से 2 परसेंट या 5 परसेंट लोगों को ही इसका लाभ मिल पाता है. सुशासन स्‍थापित करने के लिए निश्चित रूप से लोक सेवा गांरटी की स्‍थापना की गई लेकिन लोक सेवा गारंटी में भी अभी तक जो मामले पेंडिंग हैं, हम कहते कुछ भी रहें लेकिन सामान्‍य प्रशासन विभाग में 2,53461, राजस्‍व विभाग में 74573, श्रम विभाग में 9913, नगरीय प्रशासन विभाग में 8522, योजना आर्थिक में 3004, सामाजिक न्‍याय विभाग में 9577, खाद्य विभाग में 1392 पेंडिंग हैं. इस तरह से सभी विभागों में आज तक मामले पेंडिंग हैं. लोक सेवा गांरटी कानून जो बनाया गया है उसका उद्देश्‍य यह है कि नियत की गई समयावधि में उसका निर्णय नहीं हो पाता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाना चाहिए. लेकिन जुर्माना करने के बावजूद भी इतने मामले पेंडिंग हैं. इससे यह स्‍पष्‍ट होता है कि मध्‍यप्रदेश में किस तरह का सुशासन है और किस तरह का प्रशासन चल रहा है ?  

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, माननीय सिसोदिया जी अभी चले गए. अभी चुनाव आ गए तब ध्‍यान आया कि मध्‍यप्रदेश सामान्‍य प्रशासन विभाग के नियमों के अनुसार पीटीजी ग्रुप (प्रिमिट्रेब्‍स ट्राइब्‍स ग्रुप्‍स) विशेष पिछड़ी जनजाति सहरिया, बैगा, भारिया के लिए सीधे नियुक्ति का प्रावधान आज से नहीं, बल्कि बहुत पहले से किया गया है. जीएडी का सर्क्‍यूलर है. जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी तब से है. लेकिन वर्ष 2005 से जब से यह सरकार आयी है तब से आज तक एक्‍जीक्‍यूटिव पदों पर नियुक्ति बिल्‍कुल बंद कर दी गई. मेरे क्षेत्र के लड़के जब यहां पैदल चलकर आए तब मुख्‍यमंत्री जी की आंखें खुलीं और इन्‍होंने यह प्रावधान किए. हम यह चाहते हैं कि माननीय मंत्री जी यह बताएं कि अभी तक कितने लोगों की नियुक्तियां कर दी गई हैं. कर्मचारी कल्‍याण की इन्‍होंने स्‍थापना की है लेकिन अभी तक इसकी रिपोर्ट प्रस्‍तुत नहीं की गई. सूचना का अधिकार अधिनियम की स्थिति भी स्‍पष्‍ट नहीं है. सामान्‍य प्रशासन विभाग जो चलाया जाता है इसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा के 439 पद स्‍वीकृत होने के बाद केवल 291 पद ही भरे गए हैं. इसी तरह से पदोन्नित के भी 115 अधिकारी हैं इस प्रकार कुल 364 अधिकारी कार्यरत हैं. भारतीय प्रशासनिक सेवा के 75 पद अभी भी रिक्‍त हैं. इसी तरह से राज्‍य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं उनके 192 स्‍वीकृत पदों के विरूद्ध पद रिक्‍त हैं, यह किस तरह से आप चलाएंगे, यह समझ में नहीं आता.    

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मध्‍यप्रदेश मानव अधिकार आयोग का सामान्‍य प्रशासन विभाग ही नियमन करता है. मध्‍यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने अभी तक 76 प्रकरणों में राज्‍य सरकार को अनुशंसाएं भेजी हैं. विगत वर्षों में आयोग द्वारा की गई अनुशंसाओं में से केवल 23 अनुशंसाओं का निराकरण किया गया है. 223 अनुशंसाएं अभी लंबित हैं. यह मानव अधिकार आयोग की अनुशंसाएं हैं. जब मानव अधिकारों का हनन होता है जब सरकार नहीं सुनती तो लोग मानव अधिकार आयोग में जाते हैं और मानव अधिकार आयोग अनुशंसा करता है. अनुशंसा के बाद भी 223 अनुशंसाएं मानव अधिकार आयोग की लंबित हों, तो ऐसी स्थिति में हम क्‍या उम्‍मीद कर सकते हैं कि किस तरह से प्रशासन को चलाया जा रहा है. कई जगह घटनाएं, दुर्घटनाएं होती हैं. 9 जॉंच आयोग अभी भी कार्यशील हैं और जॉंच आयोग की जो रिपोर्ट्स प्राप्‍त हुई हैं भोपाल नगर निगम में अध्‍यक्ष के चुनाव की घटना की जांच आयोग की रिपोर्ट सरकार को प्राप्‍त हो गई है लेकिन गृह विभाग में कार्यवाही प्रचलन में है. सामाजिक सुरक्षा पेंशन एवं राष्‍ट्रीय वृद्धावस्‍था पेंशन योजना की अनियमितताओं की जांच हेतु आयोग का ग‍ठन किया गया था. न्‍यायमूर्ति श्री एन.के.जैन द्वारा जांच की गई और वर्ष 2008 में शासन को इसकी जांच रिपोर्ट प्रस्‍तुत कर दी गई. यह वही जांच आयोग था जो गरीबों को दी जाने वाली पेंशन में भारी अनियमितताएं और भारी भ्रष्‍टाचार किया गया था, उसकी जांच के लिए गठित किया गया था. दीनदयाल अन्‍त्‍योदय योजना के नाम से अंतिम पंक्ति के अंतिम गरीब व्‍यक्ति के उत्‍थान की बातें करते हैं जो अंतिम पंक्ति के अंतिम गरीब व्‍यक्ति, जिन्‍हें पेंशन प्राप्‍त होनी चाहिए थी उन पेंशनों में सामाजिक सुरक्षा पेंशन और राष्‍ट्रीय वृद्धावस्‍था पेंशन में घोटाला हुआ. जांच रिपोर्ट प्राप्‍त होने के बाद ऐसे क्‍या कारण हैं वर्ष 2008 से आज वर्ष 2018 आ गया, आप 10 साल में उसे प्रस्‍तुत नहीं करना चाह रहे हैं. कैसे आप सुशासन लाओगे, किस तरह से गरीबों की मदद करना चाहोगे. मध्‍यप्रदेश के शासन को किस तरह की दिशा देना चाहते हो. किस तरह का आप काम करना चाहते हो, यह बडे़ दुर्भाग्‍य की बात है. इसी तरह से पेटलावद जिला झाबुआ में जो घटना हुई उसमें भी जांच आयोग की स्‍थापना की गई. जांच रिपोर्ट आपको प्राप्‍त हो गई. आपने दिनांक 06.04.2016 को गृह विभाग को जांच रिपोर्ट भेजी, कार्यवाही प्रचलन में है. उस जांच आयोग की रिपोर्ट में जिन अधिकारियों को दोषी माना गया है उन अधिकारियों को फील्‍ड में पदस्‍थ किया गया है. आप क्‍यों छिपाना चाहते हैं ? किस तरह से आप प्रदेश के प्रशासन को चलाना चाहते हो.

          माननीय उपाध्‍यक्ष्‍ा महोदय, इसी तरह से भोपाल में केन्‍द्रीय जेल से 8 बंदियों को भगाने की घटना हुई, उसके लिए जांच आयोग गठित किया गया था. जांच रिपोर्ट प्राप्‍त हो गई, जेल में कार्यवाही प्रचलित है. इसी तरह से मंदसौर में किसानों को गोलियों से भून दिया गया, उसके लिए भी माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने बढ़-चढ़कर जांच आयोग की घोषणा की. विधानसभा का रिकॉर्ड निकालवा लें. उन्‍होंने यह घोषणा की कि मैं जांच आयोग गठित करने की घोषणा करता हॅूं, दोषियों को बख्‍शा नहीं जाएगा और मैं वादा करता हॅूं कि इस जांच आयोग की रिपोर्ट तीन महीने में प्राप्‍त हो जाएगी. आज तीन महीने से अधिक समय हो गया. दिनांक 12.06.2016 को जांच आयोग का गठन हुआ, इसकी अधिसूचना निकली लेकिन अभी तक जांच रिपोर्ट आयोग से अपेक्षित है. आयोग का कार्यकाल बढ़ाया गया है. किस तरह से आप प्रशासन को चलाना चाहते हो ? इस तरह से ऐसी कई बातें हैं. लोकायुक्‍त कार्यालयों से अभियोजन की स्‍वीकृति के मामले में मैंने विधानसभा में प्रश्‍न लगाया था और यह पूछा था कि लोकायुक्‍त में कितने लोगों के खिलाफ प्रकरण पंजीबद्ध हैं, कितने लोगों के खिलाफ अपराध में चालान प्रस्‍तुत करने के लिए आपके पास स्‍वीकृति के लिए भेजे गए हैं और कितनों में आपने स्‍वीकृति दी. एक भी उत्‍तर नहीं दिया गया. लगभग एक हजार से अधिक विभिन्‍न विभागों के कर्मचारी हैं, उनके विरूद्ध अभियोजन की स्‍वीकृति के आवेदन लंबित हैं जो विभाग ने भेजे हैं जो लोकायुक्‍त ने भेजे हैं. लोकायुक्‍त को आपकी सरकार की स्‍वीकृति नहीं मिलने के कारण इन लोगों के विरूद्ध चालान प्रस्‍तुत नहीं कर पा रहे हैं. यह दुर्भाग्‍य की बात है. राजस्‍व के 123 प्रकरण हैं, सहकारिता के 59 प्रकरण हैं, पुलिस के 9 प्रकरण हैं, पंचायत एवं ग्रामीण विकास के 32 प्रकरण हैं, वन विभाग के 25 प्रकरण हैं. ऐसे सभी विभागों के काफी प्रकरण हैं. 15 वर्ष हो गए हैं. लोकायुक्‍त की किसी रिपोर्ट में आपने चर्चा कराने की जहमत नहीं उठाई. जबकि लोकायुक्‍त की रिपोर्ट पर आवश्‍यक रूप से प्रतिवर्ष प्रस्‍तुत किए गए प्रतिवेदन पर प्रतिवर्ष चर्चा होना चाहिए था. कितने मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्‍टाचार के आवेदन पहुंचे, कितने आईएएस, आईपीएस के खिलाफ भ्रष्‍टाचार के आवेदन पहुंचे, कितनों के खिलाफ आपने  कार्यवाही की. मैंने यह भी जानकारी चाही थी. आर्थिक अपराध प्रकोष्‍ठ में 8 आईएएस के खिलाफ शिकायतें प्राप्‍त हुईं. 2 आईपीएस के खिलाफ शिकायतें प्राप्‍त हुईं और 11 आईएफएस के खिलाफ शिकायतें प्राप्‍त हुईं. आप क्या करना चाह रहे हो और आपके वही अधिकारी सारे के सारे फील्ड में पदस्थ हैं ऐसा नहीं है कि वह पदस्थ नहीं हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इनमें से कई लोग महत्वपूर्ण पदों पर बैठे हुए हैं और पदस्थ हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लोकायुक्त संगठन की शिकायत एवं जाँच शाखा में भारतीय प्रशासनिक सेवा के विरुद्ध पंजीबद्ध शिकायतों की जानकारी देना चाहता हूँ कि  लगभग 34 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें पंजीबद्ध हुईं और पंजीबद्ध होने के बाद प्रकरण विचाराधीन, विचाराधीन, विचाराधीन. यही सारी की सारी स्थिति है.  लोकायुक्त और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की रिपोर्ट हर वर्ष प्रस्तुत होना चाहिए अगर आप प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त बनाना चाहते हैं तो इन चीजों को देखना चाहिए. माननीय मुख्यमंत्री जी ने भ्रष्टाचार मिटाने हेतु जीरो टालरेंस की व्यवस्था करने की बात कही थी लेकिन प्रदेश में भ्रष्टाचार जबर्दस्त रूप से फल-फूल रहा है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विमानन विभाग की बात आई तो सरकार को विमानों में उड़ने की स्थिति चाहिए तो वह तो उसमें जाएंगे ही लेकिन उसमें भी फिजूलखर्ची नहीं होना चाहिए. आनंद विभाग, एक नया विभाग हमारे माननीय मुख्यमंत्री ने गठन किया है. नये विभाग का अर्थ है कि हम स्वर्णिम मध्यप्रदेश बना रहे हैं, हम किसी को परेशान नहीं रहने देंगे. हर व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कुराहट हो, कोई दीन-दुखी ना हो, हर व्यक्ति आनंद में रहे यह आनंद विभाग की स्थापना के उद्देश्य है, उसका बजट भी आपने बना दिया है, उसकी परिस्थितियाँ आपने बना दी हैं लेकिन आनंद उत्सव मनाने के लिए मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार आनंद में है कि प्रदेश की जनता आनंद  में है?

           माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहूँगा कि प्रदेश में लगभग 23 लाख 90 हजार से अधिक शिक्षित बेरोजगार हैं लेकिन सरकार आनंद में है, 8 हजार पदों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकलता है, 12 लाख लोग आवेदन करते हैं और सरकार आनंद में है. प्रतिदिन 6 किसान आत्महत्या कर रहे हैं लेकिन सरकार को कोई अंतर नहीं पड़ रहा है सरकार पूरी तरह से  आनंद में है, बातें चाहें जितनी करें लेकिन प्रतिदिन 14 महिलाओं के साथ बलात्संग की घटनायें हो रही हैं सरकार आनंद में है. प्रतिदिन 1 महिला के साथ सामूहिक बलात्संग हो रहा है और सरकार आनंद में है.माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इनमें से अव्यस्क महिलायें प्रतिदिन 8 हैं, इन्होंने कानून बना दिया कि अगर अव्यस्क महिलाओं के साथ अगर कोई दुष्कर्म होता है तो हम फाँसी की सजा देने का प्रावधान करेंगे लेकिन आप प्रशासन कैसा चलाना चाहते हो, आप इसको कैसे रोकना चाहते हो, आपकी दिशा और दशा क्या है? यह स्पष्ट नहीं है. इसी का परिणाम है कि अव्यस्क महिलाओं के प्रतिदिन होने वाले बलात्संग की घटनाओं की संख्या 8 है और सरकार आनंद में है. आप प्रतिदिन प्रदेश में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात तो करते हैं यह एक निश्चित रूप से अच्छी बात है. बेटियों की संख्या बढ़ना चाहिए, लिंगानुपात बराबर की संख्या में आना चाहिए लेकिन प्रतिदिन महिलाओं एवं मानव तस्करी की घटनायें प्रदेश में 52 हो रही हैं इसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है. प्रतिदिन प्रदेश में गायब होने वाली महिलाओं की संख्या 76 है. किसी भी प्रदेश की सरकार के लिए इससे बड़े दुर्भाग्य की बात नहीं हो सकती है और सरकार आनंद में है आनंदोत्सव मना रही है. प्रतिदिन 2 छात्र आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार आनंद मना रही है मैं इसके आगे क्या कहूँ.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रशासन के द्वारा ही कर्मचारियों का नियमन किया जाता है कि कर्मचारी किस व्यवस्था में रहे, किस व्यवस्था में काम करें. अगर प्रशासन ठीक होता, सुशासन होता तो मैं समझता हूं कि अध्यापक संवर्ग के कर्मचारियों ने जो मुंडन कराया, महिलाओं ने तक मुंडन  कराया फिर भी आप कहो कि प्रदेश में सुशासन है, प्रदेश में सरकार चल रही है, प्रदेश में आनंद है तो  सरकार आनंद में हो सकती है लेकिन सुशासन नहीं हो सकता है. कर्मचारी आनंद में नहीं हो सकते. अतिथि शिक्षकों ने अपनी माँगों को लेकर मुंडन कराया. मंत्री जी, मुंडन कब कराते हैं?  जब मरते हैं, जब जाते हैं, तब मुंडन कराते हैं. वही स्थिति आपकी सरकार की होती जा रही है कि आपके जाने से पहले ही लोग मुंडन कराने लगे कि जल्दी जाओ और आप कह रहे हों कि सरकार आनंद में है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दिव्यांगों ने अपनी माँगों को लेकर हड़ताल की. दिव्यांगो पर लाठीचार्ज इस प्रदेश की सरकार ने किया अब कौन आनंद में है मैं तो नहीं बता सकता लेकिन हाँ अभी मंत्री जी बोलेंगे कि हम आनंद में हैं. वह तो आनंद में होंगे ही 302 के अभियुक्त होते हुए भी, सरकार में मंत्री रहते हुए जवाब दे रहे हैं, वह तो आनंद में हैं, उनसे ज्यादा आनंद किसी को नहीं हो सकता है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आंगनवाड़ी की कार्यकर्ता और सहायिका हड़ताल पर हैं सरकार आनंद में है, संविदा स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल पर है सरकार आनंद में है, फार्मासिस्ट हड़ताल पर हैं सरकार आनंद में है, स्वास्थ्यरक्षक कर्मी  हड़ताल में है सरकार आनंद में है, स्टाफ नर्स हड़ताल पर हैं, महाविद्यालय में नियुक्त अतिथि विद्वान हड़ताल पर हैं सरकार आनंद में है, स्कूल खाली पड़े हैं सरकार आनंद में है, सहकारिता कर्मचारी हड़ताल पर हैं, सरकार आनंद में है.माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश का ऐसा कोई विभाग नहीं है जिसके कर्मचारी हड़ताल पर न हो और इनकी बार-बार, लंबी-लंबी घोषणायें, स्वर्णिम मध्यप्रदेश, सरकार आनंद में है. सुशासन चल रहा है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि आप विचार करें कि शासन, सुशासन कैसे स्थापित करें. कल ही एक हमारी महाविद्यालय की छात्रा जो बी.कॉम. द्वितीय वर्ष में थी, उसने केवल छेड़खानी करने की वजह से आत्महत्या कर ली. सरकार को ऐसी जगह तो चिन्हित कर लेना चाहिए कि जहाँ छेड़खानी की घटनायें ज्यादा होती हैं, लड़कियाँ कालेज पढ़ने जाती हैं, लड़कियाँ स्कूल पढ़ने जाती हैं उनकी सुरक्षा की व्यवस्था जरूर करें.बेटी बचाने की चिंता आप करते हैं तो उनकी सुरक्षा व्यवस्था भी जरूर करें.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अंतिम बात कहना चाहता हूं कि मेरे यहाँ भी आप सुशासन स्थापित करना चाहते हैं तो  मेरा जिला है श्योपुर और विजयपुर मेरा ब्लॉक हेडक्वार्टर है. विजयपुर से जिला मुख्यालय, श्योपुर की दूरी 160 किलोमीटर है अगर आप विजयपुर में ही एडीशनल कलेक्टर, एडीशनल एसपी की पदस्थापना कर दें और  राजस्व न्यायालय के अधिकार, जो कलेक्टर को रहते हैं,वह इनको डेलीगेट कर दें. पहले मुरैना जिला हुआ करता था ऐसे अधिकार कई जिलों में दिये हैं. दूसरी बात आप सबलगढ़ को नवीन जिला बना दें. इस संबंध में मैंने कई बार प्रश्न भी  लगाये हैं. सबलगढ़ को जिला बनाने की घोषणा मंत्री जी आप कर दें तो हम अपने जिले में भी थोड़ा बहुत सुशासन होने की कामना कर लेंगे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया मैं धन्यवाद देता हूं.

          श्री शंकरलाल तिवारी (सतना)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सामान्य प्रशासन विभाग की माँग संख्या पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. सच में इस विभाग पर बोलते समय इधर-उधर का कुछ भी कहना है तो भले कह  लिया जाये पर यह विभाग पूरी तरीके से आप जैसे लोगों को समझ में नहीं आया है. यह मन में हम सबके भी चलता रहता है.

          श्री रामनिवास रावत--  इस चीज को आप ना कहें. यह कहना कि आप जैसे लोगों के समझ में नहीं आया यह उचित नहीं है. आपने आसंदी की ओर यह बात कही है.

          श्री शंकरलाल तिवारी--  आप जैसे लोगों से मतलब सभी सीनियर विधायकों से है आप चाहे तो उसको ना लिखे कोई दिक्कत नहीं है मैं ऐसा कुछ नहीं चाहता हूं.

          उपाध्यक्ष महोदय--  मैं अपने आपको बहुत बुद्धिमान नहीं मानता हूं विद्यार्थी ही मानता हूँ.

          श्री  शंकरलाल तिवारी--  मैं भी ऐसा कुछ नहीं चाहता हूँ मैं आपको प्रणाम् करता हूँ.

          श्री जसवंत सिंह हाड़ा--  उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि इन दोनो आपस में आनंद को बिगाड़े नहीं. यह आनंद का विषय है इसलिए आपस में दोनों आनंदित रहे.

          उपाध्यक्ष महोदय--  आप तिवारी जी की जिम्मा लिया रहिये रावत जी को हम देखते रहेंगे.

          श्री शंकरलाल तिवारी--  आनंद मिले ना मिले मुस्कुराते रहे, दिल मिले ना मिले हाथ मिलाते रहिये..(हंसी).. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सच में सामान्य प्रशासन विभाग की बात आने के बाद मुझे लगा कि यदि अपन विचार करे तो जो एक नया मंत्र प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री ने प्रदेश में आम आवाम को दिया, मंत्रीमंडल को, विधायक को, सभी चुने हुए जन प्रतिनिधियों को, संस्थाओं को कि ""आओ बनाये मध्यप्रदेश."" यह जो एक भावना है उस समूची भावना का नियंत्रण, कार्यान्वयन, मानिटरिंग मुझे लगता है समूची सरकार की मानिटरिंग और उसका नियंत्रण, योजनाओं को जनता तक पहुंचाने की मानिटरिंग यह सामान्य प्रशासन विभाग करता है. यह विभाग सभी विभागों का समन्वय और राज्य शासन की नीति और नियम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और इसीलिए मैं यह कह रहा हूँ कि प्रदेश की समूची सरकार को चलाने का सूत्रधार विभाग अगर कोई है तो वह सामान्य प्रशासन विभाग है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि इस विभाग ने जो काम प्रदेश के अंदर किये हैं. यदि आम भावना की दृष्टि से देखा जाए तो अभी कर्मचारियों की बात हो रही थी. लगभग साढ़े बारह हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी,  अट्ठाईस हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी 2003 के पहले नौकरियों से अचानक निकाले गए थे. उन 28,000 को वापस लेने के बाद आज मैं जब चर्चा कर रहा हूँ, सामान्य प्रशासन विभाग की अनुदान मांगों पर, तो मैं कहना चाहता हूँ माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कि साढ़े बारह हजार, सबको वापस तो ले ही लिया था पर उसमें से साढ़े बारह हजार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी, वर्तमान में, आज जब मैं बोल रहा हूँ, तो वे शासकीय सेवा में नियमित किए जा चुके हैं. शेष 48,000 जो वर्तमान में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी हैं, जो भी नियमित होने की प्रक्रिया में हैं, भविष्य में उनमें से भी नियमित होंगे, जब साढ़े बारह हजार अभी तक हो चुके हैं तो, उपाध्यक्ष महोदय, शेष 48,000 जो दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी हैं, उनकी बड़ी लंबित मांग थी, पुरानी मांग थी, मांग का औचित्य भी था, समयमान वेतनमान. 48,000 दैनिक वेतनभोगियों को, सामान्य प्रशासन विभाग और माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रयासों से 48,000 दैनिक वेतनभोगी, जो थे, जो निकाल दिए गए थे, उनको समयमान वेतनमान देने का काम भी सरकार ने, माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया.

          श्री वेल सिंह भूरिया--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, काँग्रेस की सरकार ने निकाल दिया था. हमारी सरकार ने वापस रख लिया.

          श्री शंकरलाल तिवारी--  चलो तुमने क्लियर कर दिया, मैं 2003 बोल रहा था.माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी संदर्भ में मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि 60,000 कार्यभारित कर्मचारी भी प्रदेश में कार्यरत थे. इन 60,000 कार्यभारित प्रदेश के कर्मचारियों को भी मेरे यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने सच में जो देने की उदारता समुद्र की लहरों की तरह रखते हैं. ऐसे मुख्यमंत्री ने 60,000 जो ये कार्यभारित कर्मचारी थे, मान्यवर उपाध्यक्ष महोदय, उनको भी समयमान वेतनमान देने का काम इस सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से किया गया है. मैं इन दोनों बातों के लिए, साढ़े बारह हजार दैनिक वेतनभोगियों को नियमित करना, शेष बचे 48,000 को समयमान वेतनमान देना और कार्यभारित कर्मचारी जो 60,000 अलग से हैं, उनको भी समयमान वेतनमान देने के लिए हृदय से माननीय मुख्यमंत्री जी को इन कर्मचारियों की ओर से धन्यवाद देता हूँ और अभिनन्दन करता हूँ क्योंकि ये कर्मचारी बेसहारा थे. इनमें से 28,000 तो दैनिक वेतनभोगी तो निकाल दिए गए थे.

          उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूँ, कई बार और भी माध्यम से चर्चा आई है, जाति प्रमाण पत्र भी बनवाने का काम अन्यान्य प्रकार के प्रमाण पत्र, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, निःशक्त जन, इनके प्रमाण पत्र भी बनवाने का काम, सामान्य प्रशासन विभाग ही नियम और नीतियाँ बनाता है. जाति प्रमाण पत्र में सच में, अभी चर्चा भी हुई है पिछली विधान सभा में, कई पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने बोला भी है. जाति प्रमाण पत्र का माननीय मुख्यमंत्री जी ने ऐतिहासिक रूप से सरलीकरण किया है. अभी मेरे पूर्व के वक्ता ने,  एक करोड़ से अधिक जाति प्रमाण पत्र पिछले समय बने हैं, यह आँकड़े भी आपके समक्ष प्रस्तुत किए हैं. जाति प्रमाण पत्र चाहे अनुसूचित जाति के हों, जनजाति के हों, पिछड़ा वर्ग के हों, उनमें तो यह नियम दिया गया है कि यदि लड़का पहली से 12 वीं तक पढ़ रहा है, तो स्कूल में नाम लिखवाते समय, स्कूल के माध्यम से ही, उसका जाति प्रमाण पत्र बनेगा और अन्यान्य कार्यों के लिए, वह स्वयं अपना, आवेदन के साथ, अगर शपथ पत्र दे देता है एक सामान्य कागज में, कि मेरी यह जाति है, तो उसको भी सरकार मानेगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछले दिनों जाति प्रमाण पत्र पर यह बात आई थी कि 50 साल का रिकार्ड मांग रहे हैं, यह सच थी, मेरे पास भी कई इस तरह के प्रकरण आए थे और यह कठिनाई सबके सामने थी. पर उस दिन माननीय सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री जी ने स्पष्ट किया, आदरणीय लाल सिंह जी आर्य यहाँ उपस्थित हैं, कि यदि जहाँ के वे रहने वाले हैं या अपने माता पिता का जाति प्रमाण पत्र किसी के पास है तो यदि उसके पास कोई अचल संपत्ति नहीं भी है, 50 साल पुराना कोई दस्तावेज नहीं भी है, तो उन्होंने साफ कहा कि अचल संपत्ति की बाध्यता, जाति प्रमाण पत्र में नहीं है. जाति प्रमाण पत्रों के बनाने में सरलीकरण और अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोगों को यह सरलता से मिल सके, छात्रों को, युवकों को, बालकों को, इसका भी काम माननीय मुख्यमंत्री जी ने यशस्वी तरीके से, तरीका निकाल करके, सरल किया है और सुलभ किया है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि महिलाओं के आरक्षण का काम, समूचे आरक्षण का काम भी, यही विभाग देखता है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी, उनकी चिकित्सा सुविधा, उनके वेतन-भत्ते, साथ में लोकतंत्र सेनानियों को भी, सामान्य प्रशासन विभाग देखता है और सच में वह यह पुण्य कार्य कर रहा है. मैं यशस्वी मुख्यमंत्री जी को इसके लिए बधाई देता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, महिलाओं के आरक्षण के मामले में प्रदेश के अन्दर जब से मुख्यमंत्री का कार्य माननीय शिवराज सिंह जी ने संभाला, बेटी बचाओ, महिला सशक्तिकरण, कन्यादान योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, निकाह, इन तमाम तरीके से, फिर चाहे वह प्रसव योजना हो, मातृ मृत्यु दर घटाने की बात हो, भले ही वह स्वास्थ्य विभाग की रही हो, पर माननीय मुख्यमंत्री जी के माध्यम से जहाँ महिलाओं के आरक्षण की बात, उसमें 33 प्रतिशत आरक्षण करके, मैं सोचता हूँ कि भूतो न भविष्यति, की बात की है, यह किसी के मन में कल्पना नहीं थी कि मध्यप्रदेश की तमाम पंचायतों में 33 प्रतिशत महिलाएँ बैठेंगी. जिला पंचायत में, जनपद पंचायत में, ग्राम पंचायतों में, नगर निगमों में, नगरीय निकायों में और अभी शासकीय भर्तियों में, शायद देश के किसी अन्य राज्यों में यह चीज नहीं है. यह सिर्फ वन विभाग को छोड़कर के, पुलिस विभाग तक में 33 प्रतिशत आरक्षण बच्चियों को दिया गया है, बेटियों को दिया गया है, युवतियों को दिया गया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तमाम प्रकार के आरक्षण पहले से थे पर उन आरक्षणों को जिस तरह से समझ कर के उस कमजोर वर्ग को, जिस कमजोर वर्ग के लिए गाँधी जी ने, 1948 के पहले जो गाँधी जी की एक पुस्तक है, उसमें मैंने, इमर्जेंसी में, पढ़ा था, जब मैं जेल के भीतर था कि उन्होंने साफ कहा था कि देश की आधी आबादी, अगर चूल्हे और चौके तक सीमित रहेगी और देश की आधी भुजाएँ, आधा, देश की जनसंख्या का दिमाग, सिर्फ चूल्हे चौके, और बच्चे पालने तक लगेगा तो देश कभी भी सशक्त और पूरी ताकत से खड़ा नहीं हो पाएगा. मुख्यमंत्री जी ने इतने वर्षों बाद एकदम सीधे 33 प्रतिशत आरक्षण, फिर चाहे वह नौकरियाँ हो, चाहे वह स्थानीय संस्थाओं के चुनाव हो, चाहे वह ग्राम पंचायतों के चुनाव हो, यह करके, सच में उन्होंने आरक्षण, जो सामान्य प्रशासन विभाग की देखरेख में एक महत्वपूर्ण कार्य है, उसमें चार चाँद लगाए हैं. एक इतिहास लिखा है. एक पत्थर की लकीर खींची है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आप से कहना चाहता हूँ....

          श्री सोहनलाल बाल्मीक--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उन आरक्षित सीटों में क्या वह भरपाई हो पा रही है, जिनके आरक्षण की ये बात कर रहे हैं और जिन विभागों में, उन आरक्षण के तहत जो सीटें खाली हैं, क्या उनके भरने की व्यवस्था है?

          श्री शंकरलाल तिवारी--  पहले तो तारीफ कर दो आरक्षण की फिर अगर कहीं कोई कमी-बेसी है तो नॉलेज में लाकर हम दोनों मिलकर ठीक करेंगे.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं,  इस सामान्य प्रशासन विभाग ने जो एक काम किया, उसकी भी चर्चा अलग से करना चाहता हूँ. मध्यप्रदेश के बाहर दुर्घटनाएँ घटित हुईं. मान्यवर शिवराज सिंह जी के कार्यकाल में, इस सरकार के कार्यकाल में, 23.5.2017 को उत्तर काशी, उत्तराखण्ड में, बस दुर्घटना गंगोत्री यात्रा पर गए तीर्थ यात्रियों की हुई. उत्तर काशी क्षेत्र में यह बस थी, दुर्घटनाग्रस्त होकर के भागीरथी नदी में गिर गई. माननीय मुख्यमंत्री जी ने सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से उन तीर्थ यात्रियों को तुरन्त, अधिकारियों की एक टीम राज्य से भेजकर के, उत्तर काशी जाकर, वहाँ के स्थानीय प्रशासन से संपर्क स्थापित करके, 24 लाशें बरामद की थीं. यह मान्यवर मुख्यमंत्री जी का काम और इस सरकार का काम और सामान्य प्रशासन विभाग का काम जब भागीरथी नदी में बस पलटी तो मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर राज्य सरकार के अधिकारी गए. वहां पर स्थानीय प्रशासन से 24 शव बरामद किए. 22 शव उसमें जिला इंदौर एवं धार के थे. ऐसा पहली बार हुआ कि राज्य के बाहर दुर्घटना घटे और राज्य सरकार, मुख्यमंत्री जी इसकी चिंता करें और सामान्य प्रशासन विभाग इसकी चिंता करे. जिला इंदौर और धार के शव वहां सम्मान के साथ पहुंचाने का काम किया. ड्रायवर, कंडेक्टर स्थानीय थे उनके शव भी निकले वह वहां के स्थानीय शासन ने व्यवस्थित किए. इसी तरह से मुजफ्फर नगर की बात याद दिलाना चाहता हूँ. मुजफ्फर नगर, उत्तर प्रदेश में दिनांक 19.8.2017 को रेलगाड़ी दुर्घटना हुई थी जिससे पूरा देश दहल गया था. प्रदेश के लोग हर जिले में सोच रहे थे कि हमारा कौन था उस ट्रेन में उस समय रेल दुर्घटना स्थल खतौली, मुजफ्फर नगर जाकर विभिन्न अस्पतालों में जाकर मध्यप्रदेश के निवासियों से राज्य की सरकार के लोगों ने संपर्क स्थापित किया. संपर्क ही स्थापित नहीं किया स्थानीय प्रशासन के संपर्क से घायलों को समुचित सहायता प्रदान कराई गई जिससे उनकी चिकित्सा की व्यवस्था गंभीरता से ठीक-ठाक तरीके से हो जाए उसमें राशि की कोई कमी न आए यह बात राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने की.

          उपाध्यक्ष महोदय, आपको मुंबई रेलवे स्टेशन की घटना स्मरण होगी. दिनांक 29.9.2017 को जो भगदड़ हुई जिसमें लोग काल कवलित हुए. इस दुर्घटना में सतना का निवासी, मैं सतना से विधायक हूँ आप भी सतना से हैं. स्मरण करें मुम्बई की भगदड़ में चन्दन गणेश सिंह की मृत्यु हुई. उसी समय पीड़ित परिवार को सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा मुख्यमंत्री की नीतियों के द्वारा उनकी जनभावना के प्रति संवेदनशीलता के कारण तुरंत चन्दन गणेश सिंह जो सतना का रहने वाला था. उस पीड़ित परिवार को मध्यप्रदेश शासन की ओर से आवश्यक मदद और संवेदना दी गई.

          उपाध्यक्ष महोदय, अभी सदन में लोकायुक्त संगठन की बात चल रही थी. लोकायुक्त संगठन को मजबूती प्रदान करना. मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री का ऐलान है जीरो टालरेंस अगेंस्ट टू करप्शन. भ्रष्टाचार के विरुद्ध कोई मोहलत नहीं है. इस पर मुख्यमंत्री जी की तीखी नजर है. लोकायुक्त संगठन द्वारा प्रदेश के अन्दर भ्रष्टाचार को कम करने के लिए प्रभावी रुप से काम किया गया है. लोकायुक्त संगठन में जो विशेष पुलिस स्थापना है. दिनांक 1.1.2017 से 13.12.2017 तक 254 रिश्वती मामले पंजीबद्ध हुए हैं. इसी तरह 12 स्थानों पर इस संगठन ने छापे डाले हैं. इसके माध्यम से आय से अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ है. 28 प्रकरण पंजीबद्ध किए गए हैं तथा उक्त अवधि में लोकायुक्त संगठन द्वारा 294 आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किए गए. वर्ष 2017 में 10 छापों के कारण लगभग 25 करोड़ 9 लाख 71 हजार रुपए की राशि उजागर हुई है.

 

 

2.09 बजे     {सभापति महोदय (श्री ओमप्रकाश सखलेचा) पीठासीन हुए}

          सभापति महोदय, इसी तरह दिनांक 1.1.2017 से 31.12.2017 तक कुल 6267 शिकायतें लोकायुक्त संगठन को प्राप्त हुई हैं. इनमें से 1307 शिकायतें जांच हेतु पंजीबद्ध की गईं. संगठन ने 672 शिकायतें आवश्यक कार्यवाही हेतु विभागों को भेजीं.

          श्री सोहनलाल बाल्मीक--सभापति महोदय, लोकायुक्त में जिन मंत्रियों की शिकायत चल रही है उन पर कार्यवाही चल रही है उसके बारे में भी उल्लेख करना चाहिए कि लोकायुक्त में मध्यप्रदेश के जिन मंत्रियों पर कार्यवाही हो रही  है उसकी भी जानकारी दें.

          सभापति महोदय--आपका टर्न आए तब आप अपनी बात रखिएगा उन्हें उनकी बात रखने दीजिए.

          श्री शंकरलाल तिवारी--लोकायुक्त संगठन द्वारा निरन्तर अधिकारी, कर्मचारी और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वालों के विरुद्ध तेज कार्यवाही करने के कारण, अधिक जगह छापे मारे गए जिनके आंकड़े अभी मैंने बताए. आपराधिक प्रकरण दर्ज करवा करके जो वातावरण बनाया है उससे जो 60 साल से चल रहा भ्रष्टाचारी दानव अगर वह खत्म नहीं हुआ है, निर्जीव नहीं हुआ है तो अब वह धरा हुआ है बोलने चालने की शक्ति खो चुका है.

          सभापति महोदय, यहां पर मध्यप्रदेश भवन की बात चल रही थी. जिसमें आपका हमारा और विधायकों का आना-जाना होता रहता है. मध्यप्रदेश विधान सभा के सदस्य, अधिकारी, अतिथि जो भी मध्यप्रदेश के हैं वे जब दिल्ली जाते हैं तो आस भरी नजर से मध्यप्रदेश भवन और मध्यांचल की तरफ देखते हैं. वहां उनको सुविधा मिलती भी है. शासकीय काम से और अन्य कामों से जाएं तो वहां सुरक्षा व व्यवस्था भी अच्छी मिलती है. आप हम सब जानते हैं वहां संकीर्णता बहुत थी. बढ़े हुए परिवेश में आवश्यकता ज्यादा और कमरे भी कम, स्थान भी कम था. मध्यप्रदेश शासन को नई दिल्ली स्थित मध्यप्रदेश भवन के पुनर्निर्माण के निर्णय में 1.47 एकड़ क्षेत्रफल का प्लाट 29-सी एवं 29-डी जो कि जीसस सेंट मेरी मार्ग तथा डॉ. राधाकृष्णन मार्ग के टी-जंग्शन पर स्थित है का केन्द्रीय मंत्रिमंडल से अनुमोदन प्राप्त हो गया है. इस भूमि का आवंटन आदेश भी प्राप्त हो गया है. भविष्य में यहां नया भवन मध्यप्रदेश के आतिथ्य की दृष्टि से, कार्य की दृष्टि से बनने जा रहा है. यह भी सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 60 साल में सोचा गया और यह कार्य हो रहा है.

          सभापति महोदय, यह जो किताब हमें दी गई है इस किताब में दो बातें लिखी गई हैं. अधिकारी या मंत्री जी इसे नोट कर लें. एक बात यह है कि मीसाबंदियों को लोकतंत्र सेनानियों का नाम दिया जाएगा. जो बुकलेट छपी है इसमें पृष्ठ 5 क्रमांक 37 पर विषय-सूची में मीसाबंदी लिखा है. मैं सोचता हूँ कि इसे भी लोकतांत्रिक सेनानी ही लिखा जाए तो अच्छा है.

          सभापति महोदय, मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के बारे में बोलना चाहता हूँ. वैसे मुख्यमंत्री जी ने स्वास्थ्य विभाग में अपनी नीतियों के माध्यम से और इस सरकार की नीतियों के माध्यम से दीनदयाल की अंत्योदय की भावना के अनुसार जब यह सरकार शुरु शुरु में बनी थी जब खजाने में कुछ नहीं था. तब दीनदयाल उपचार योजना के कार्ड बनाने के लिए हमको मिले थे. जिसमें यह था कि गरीबों को 20 हजार रुपए की दवाई मिलेगी. मुख्यमंत्री जी ने उसे फ्री किया. मुख्यमंत्री जी का स्वेच्छानुदान 2 करोड़ रुपए है. यह स्वेच्छानुदान गरीब के लिए बेसहारा के लिए सच में मान लीजिए संजीवनी नहीं प्राण देने का एक अनुदान है. इससे लोगों को प्राण मिल रहे हैं. पिछले वर्ष 1 करोड़ 19 लाख. वर्ष 2017-18 में 52 हजार रुपए फरवरी तक उन गरीब बीमारों को जिनके प्राण संकट में थे. लाचारों को बच्चों को दिए गए हैं. 3617 लोगों को लाभान्वित किया गया है. इस स्वेच्छानुदान के माध्यम से प्रदेश के गरीबों, मजलूमों का इलाज कराया गया उसके लिए अपनी ओर से और उनकी ओर से कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ.

          सभापति महोदय, विमानन विभाग की एक बात कहना चाहता हूँ. माननीय मंत्री जी आप प्रदेश के हवाई अड्डों का पुनरुद्धार कर रहे हैं. दूसरे विश्व युद्ध के समय सतना को सबसे सुरक्षित स्थान मानकर वहां पर हवाई पट्टी बनाई गई थी. मैं विनती करुंगा कि सतना के एरोड्रम पर भी, सतना के हवाई अड्डे को भी विकसित किया जाए. साथ ही बीच में वहां से वेंचुरा का छोटा हवाई जहाज चलता था जो रीवा, सतना, भोपाल को जोड़ता था वह बंद हो गया है. सतना औद्योगिक क्षेत्र है यहां के हवाई अड्डे को विकसित करके हवाई जहाज की व्यवस्था की जाएगी तो व्यवसाय बढ़ेगा. आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद.

            सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) --  माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्‍या 1 पर बोलने के लिए खड़ी हुई हूं. आज के अखबार में पी.एस.सी. के बारे में काफी सारी बातें आपने और हम सबने पढ़ी हैं. हर युवा जब किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता है तो उसके लिए सबसे महत्‍वपूर्ण परीक्षा पी.एस.सी. की होती है और निश्चित रूप से आज जिस तरीके के हालात हमको दिखाई दे रहे हैं पहली बात तो जो प्रश्‍न आपकी प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए पांच प्रश्‍न के जो ऑप्‍शन आते हैं वह पूरे ऑप्‍शन गलत दिए गए. दूसरी बात यह है कि दस प्रश्‍न ऐसे थे जिसके मॉडल उत्‍तर गलत दिए गए और उन्‍हीं में से एक प्रश्‍न यह था कि वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कितनी महिला जनप्रतिनिधि चुनाव जीतकर आईं हैं उसकी संख्‍या भी जो उसमें दी गई है वह भी गलत दी गई है.

          सभापति महोदय-- बात आ चुकी है.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- सभापति महोदय, मुझे लगता है कि पी.एस.सी. संस्‍था को यदि ज्‍यादा कुछ न किया जाए तो कम से कम एक सरकारी डायरी तो सप्‍लाई कर दी जाए ताकि वह उसी में देख लें कि कितनी महिला जनप्रतिनिधि चुनाव जीतकर आईं हैं. मुझे लगता है कि ऐसी व्‍यवस्‍था करवानी पड़ेगी और कुछ चीजें जो जानकारी में आ गईं हैं लेकिन एक जानकारी जो मैं सदन के माध्‍यम से देना चाहती हूं कि उसमें एक प्रश्‍न आया है कि राज्‍यपाल द्वारा जो अध्‍यादेश जारी किए जाते हैं वह संविधान के किस आर्टिकल के द्वारा किये जाते हैं. उसका सही उत्‍तर 213 है चूंकि प्रश्‍न की जो शीट होती है वह चार सेट में आती है ए, बी, सी, डी, उसका जो उत्‍तर '''' सेट में दिया गया है 213 वह तो  सही दिया गया है लेकिन वही प्रश्‍न जो दूसरा सेट है उसमें दिया गया तो उसमें उसका उत्‍तर गलत दिया गया है. मुझे लगता है कि इस जानकारी को अभी तक पी.एस.सी. ने स्‍वीकार नहीं किया है, उसकी जानकारी में नहीं है. शायद जब यह बात इस सदन में उठेगी तो उनके संज्ञान में आएगी ऐसा मुझे विश्‍वास है. वहीं एक और बात मैं इसमें कहना चाहती हूं कि पी.एस.सी. से रिलेटेड जितनी बातें होंगी वह निश्चित रूप से उसकी जो वेबसाईट होती है उसी के आधार पर सामान्‍य व्‍यक्ति को पता चलती हैं. जो बच्‍चे परीक्षा देना चाहते हैं जिनके माता-पिता सभी लोगों को यदि कहीं से जानकारी मिलती है तो वेबसाइट पर मिलती है. जहां तक मेरी जानकारी है कि पी.एस.सी. की जो परीक्षा होती है उसके बाद परीक्षा के अंतिम परीक्षा परिणाम के आने के बाद पहले यह नियम थे कि अंतिम परीक्षा परिणाम घोषित होने के दो साल के बाद उत्‍तर पुस्तिकाओं को नष्‍ट किया जाएगा लेकिन दिनांक 27.9.2011 को आयोग द्वारा उत्‍तर पुस्तिकाओं को एक वर्ष के अंदर नष्‍ट करने का निर्णय लिया गया. यह निर्णय दिनांक 27.9.2011 को होता है और ठीक 22 दिन बाद दिनांक 19.10.2011 को इस एक वर्ष को बदलकर तीन माह कर दिया जाता है.

          सभापति महोदय, बहुत अच्‍छी बात है कि समय तीन माह कर दिया गया और आपने जो निर्णय किया मैं उस पर कोई उंगली नहीं उठाती हूं लेकिन वर्ष 2011 के निर्णय को आपने वेबसाइट पर कब डाला दिनांक 3.1.2017 को. अब मुझे बताइए कि वर्ष 2011 और वर्ष 2017 में कितना समय बीत चुका है. आपने उसको अभी अपडेट किया है. वर्ष 2011 वाले मामले में मैं यह बात इसीलिए बोलना चाहती हूं क्‍योंकि मैंने विधान सभा प्रश्‍न किया था कि वर्ष 2011 बैच में चयनित डिप्‍टी कलेक्‍टर्स की जो चयन सूची है उसमें रितू चौहान एक बहुत फेमस नाम है. मैंने प्रश्‍न भी किया था कि क्‍या रितू चौहान माननीय मुख्‍यमंत्री जी की भांजी हैं तो मुझे ऐसा जवाब आया कि ऐसा कोई दस्‍तावेज उनके पास नहीं है. कोई और जवाब देता तो मैं एक बार मान भी लेती लेकिन यह जवाब तो माननीय मुख्‍यमंत्री जी को देना है.

          श्री वेलसिंह भूरिया-- सभापति महोदय, हिना बहन महिला होकर महिलाओं का विरोध कर रही हैं. यह कांग्रेस की नीति है .

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- सभापति महोदय, भाई वेलसिंह जी की बात का जवाब तो मैं देना ही नहीं चाहती क्‍योंकि उनको बात ही समझ में नहीं आती तो मैं क्‍या करूं.

          सभापति महोदय-- आप अपनी बात जारी रखें.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- सवाल यह है कि वेलसिंह अपनी आदत नहीं छोड़ेंगे. जैसा नाम वैसा काम.

          श्री बहादुर सिंह चौहान--  वेलसिंह ऐसे बोलते हैं जिसका कि कभी कोई उत्‍तर ही नहीं मिलता है. वेलसिंह भूरिया जी ऐसे बुद्धिजीवी हैं.

           श्री वेलसिंह भूरिया--  माननीय गोविन्‍द सिंह जी दादा, आपको हमारे जैसे नये विधायकों का मार्गदर्शन करना चाहिए.

          सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- सभापति महोदय, वर्ष 2011 के जिस बैच की मैं बात कर रही हूं जब यह निर्णय लिया गया तो मैंने स्‍पष्‍ट रूप से प्रश्‍न किया था कि आपने जो यह उत्‍तर पुस्‍तिका नष्‍ट करने का निर्णय लिया है क्‍या यह प्रॉस्‍पेक्टिव है या रेट्रोस्‍प्रेक्टिव है? मुझे उत्‍तर में मिला कि यह प्रॉस्‍पेक्टिव है इसका मतलब है कि पहले जो एग्‍जाम हो गए उन पर यह नियम लागू नहीं होगा. आगे जो एग्‍जाम होगा उन पर यह नियम लागू होगा लेकिन वर्ष 2011 के बैच जिसमें कि रितु चौहान उस डिप्‍टी कलेक्‍टर की पोस्‍ट पर सिलेक्‍ट हुई थीं उनकी उत्‍तर पुस्तिकाओं को इस नियम से तहत नष्‍ट कर दिया गया. मैं यह नहीं कहती कि क्‍या हुआ क्‍या नहीं हुआ. मुख्‍यमंत्री जी ने बोला कि नहीं बोला, यह मैं नहीं जानती लेकिन मैं शासन से इतनी अपेक्षा जरूर करती हूं कि जिस अधिकारी ने इस तरह की लापरवाही की है उस अधिकारी के ऊपर निश्चित रूप से कार्यवाही होनी चाहिए. मुझे नहीं लगता कि अभी तक कार्यवाही हुई है. इस सरकार के चलते मुझे नहीं लगता कि कार्यवाही होगी भी. दूसरी बात जब भी कोई घटना घटती है और जब पब्लिक  में किसी घटना को लेकर कोई आक्रोश होता है तो मजिस्‍ट्रियल जांच का एक आदेश जारी हो जाता है. मेरी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम टेमनी में दो लोगों को शराब की दुकान के अंदर जिंदा जला दिया गया. बालाघाट जिले में केहरी फटाका विस्‍फोट का कांड हुआ उन दोनों की मजिस्‍ट्रियल जांच के आदेश दे दिए गए. आदेश दे  देना बहुत अच्‍छी बात है मैं उन आदेश को भी मानती हूं लेकिन आदेश दे देने के बाद जब मजिस्‍ट्रियल जांच हो जाती है और उसमें जो अनुशंसाएं की जाती हैं उस पर कार्यवाही क्‍यों नहीं होती है. यदि उनकी अनुशंसाओं पर कार्यवाही होगी तो मुझे विश्‍वास है कि जो मेरी विधान सभा क्षेत्र में शराब की दुकान के अंदर दो जिंदा लोगों को जला दिया गया मुझे अच्‍छे से पता है कि उस घटना के दौरान 100 नंबर को भी कॉल किया गया था और 100 नंबर वहां नहीं पहुंच पाई इसीलिए उन दो लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. जब हमने पता किया तो पता चला कि मेरी विधान सभा क्षेत्र में दो टेमनी हैं एक वह टेमनी है जो जंगल में आती है शायर संदूका टेमनी जो कि 100 जनसंख्‍या की बस्‍ती भी नहीं है और एक वह टेमनी है जो ग्राम पंचायत है जो शहर के बीचो बीच में है. आपके शासकीय रिकार्ड के आधार पर जो दुकान वहां खोली गई है निश्चित रूप से शासन के पास उसकी जानकारी है. उसके बावजूद केवल यह बोल देना कि हम यह नहीं समझ पाए कि हमको किस टेमनी की सूचना मिली है वह ग्राम पंचायत टेमनी है या वह जंगल वाली टेमनी है क्‍योंकि जंगल वाली जो टेमनी है उसके नियम भी मुझे अच्‍छे से पता हैं कि यदि किसी नक्‍सल प्रभावी क्षेत्र में 100 नंबर को बुलाया जाता है तो सीधे-सीधे 100 नंबर वहां नहीं जाता है क्‍योंकि उनको इस बात का डर होता है कि कहीं नक्‍सलवादियों ने उनको किसी साजिश के तहत तो नहीं बुलवाया है. आज मैं इस बात का जिक्र इसीलिए कर रही हूं कि मजिस्‍ट्रियल जांच का जो आपके अनुशंसाए आईं हैं उन पर यदि कार्यवाही हो जाएगी तो यह सारे प्रकरण सामने आ जाएंगे और उन दो लोगों को जिनको अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है उनको शायद उनके न रहने के बाद सही न्‍याय मिल पाए. मेरी विधान सभा लांजी के मुख्‍यालय में लगभग 20 सालों से एस.डी.एम. कार्यालय संचालित हो रहा है लेकिन आज दिनांक तक इसका गजट-नोटिफिकेशन नहीं हुआ है. इस बाबत् मैंने ध्‍यानाकर्षण और प्रश्‍न भी विधान सभा में लगाये हैं और तो और मैं सामान्‍य प्रशासन विभाग के तत्‍कालीन प्रमुख सचिव संभवत: तब सिंह जी थे, उनसे भी जाकर मिली थी. उन्‍होंने सारी बातें स्‍वीकार कीं और कहा कि गजट नोटिफिकेशन नहीं हुआ है. जब सारी बातें आप स्‍वीकार कर रहे हैं और सब कुछ है, फिर कार्यवाही तो अंतत: आपको ही करनी है. आखिर उसमें इतना विलंब क्‍यों हो रहा है ? आपके गजट-नोटिफिकेशन नहीं करने के कारण वहां स्‍टाफ नहीं है, बिल्डिंग भी नहीं है, कार्य सुनिश्चित रूप से संचालित नहीं हो पा रहे हैं और इसे न जाने कितने साल हो गए हैं.

          माननीय सभापति महोदय, ढीमर जाति से संबंधित मैं एक विषय रखना चाहती हूं. ढीमर, केवट, निषाद इन जातियों का पूरा प्रकरण भारत के महापंजीयक एवं राष्‍ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के बीच चल रहा है. इसमें यह बात कही गई है कि मध्‍यप्रदेश शासन की ओर स्‍पष्‍ट अनुशंसा नहीं आने के कारण महापंजीयक इस कार्य को कर पाने में असमर्थ हैं. मैं कहना चाहती हूं कि केवल सरकार की स्‍पष्‍ट अनुशंसा की देरी की वजह से आज ये लोग दर-दर भटक रहे हैं. इन्‍हें बहुत सी परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है. मैंने इस संबंध में विधान सभा में प्रश्‍न भी लगाया है. हमारे पिछले सत्र में भी यह बात आई थी कि गोवारी जाति वालों के साथ भी यही तकलीफ है और उन्‍हें भी यही दिक्‍कत है कि दो-दो सूचियों में उनका नाम है. पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति-जनजाति दोनों ही सूचियों में उनका नाम है और जब तक पिछड़ा वर्ग की सूची से उनका नाम विलोपित नहीं किया जायेगा तब तक उनको अनुसूचित जनजाति का लाभ नहीं मिल सकता है. ये सभी चीजें बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट हैं. इसमें कहीं कोई असमंजस्‍य नहीं है लेकिन उसके बावजूद न जाने क्‍यों शासन इस विषय को गंभीरता से नहीं ले रहा है.

          माननीय सभापति महोदय, आज इस सदन के माध्‍यम से मैं एक और विषय के संबंध में कहना चाहती हूं कि हमारे यहां एक आदेश सामान्‍य प्रशासन विभाग से जारी हुआ है. वह आदेश क्रमांक सी-3-20-2003-3 भोपाल, दिनांक 14.07.2000 है. इस आदेश में 26.01.2001 को आधार दिनांक माना गया है और इसमें कहा गया है कि तीसरे बच्‍चे के जन्‍म के बाद शासन की ओर से एक शासकीय अधिकारी-कर्मचारी को प्राप्‍त होने वाली सुविधायें नहीं मिलेंगी. यह आदेश बिल्‍कुल गलत है क्‍योंकि 14.07.2000 को आदेश जारी किया गया और उसमें दिनांक 26.01.2001 निर्धारित की गई है. सभापति महोदय, जुलाई 2000 में यदि किसी शासकीय कर्मचारी की पत्‍नी गर्भवती है तो 9 माह के पश्‍चात् ही वह बच्‍चे को जन्‍म देगी. जब से इस आदेश का पालन होगा त‍ब तक तीसरा बच्‍चा इस दुनिया में आ चुका होगा. ऐसी स्थिति में वर्तमान में हमारे जिला एवं सत्र न्‍यायालय के तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी जो कि मध्‍यप्रदेश शासन के अधीन कार्य करते हैं, उन पर अब इस नियम का डंडा चल पड़ा है और वे परेशान हो रहे हैं. माननीय सभापति महोदय, मैं इस सदन के माध्‍यम कहना चाहती हूं कि इस आदेश को वापस ले लिया जाये जिससे कि वे इस असमंजस्‍य की स्थिति से बच सकें क्‍योंकि ये बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट है और मुझे विश्‍वास है कि मेरी इस बात को आज की इस चर्चा के दौरान सरकार मान लेगी.

          माननीय सभापति महोदय, ''मुख्‍यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना'' का शुभारंभ किया गया है. यह बहुत ही शानदार योजना है और अब 75% को घटाकर 70% कर दिया गया है तो इस योजना का और भी अधिक विस्‍तार होगा परंतु आप देखिये कि आपके द्वारा प्रारंभ की गई योजना को जितने बच्‍चों ने स्‍वीकार किया उससे कहीं अधिक बच्‍चों ने इसे छोड़ने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी है. इसका एकमात्र कारण यह है कि जिन बच्‍चों को ''मुख्‍यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना'' का लाभ मिलेगा उन बच्‍चों को शासन की तरफ से मिलने वाली छात्रवृत्ति से वंचित रहना पड़ेगा. सभापति महोदय, यदि उन छात्रों को आप छात्रवृत्ति से वंचित कर देंगे तो यह उनके लिए घाटे का सौदा होगा. अनुसूचित जाति-जनजाति का ऐसा कौन-सा बच्‍चा होगा जो अपनी छात्रवृत्ति को छोड़कर इस योजना को ग्रहण करेगा. सरकार को यह बात स्‍पष्‍ट रूप से समझनी होगी कि उन्‍होंने ''मुख्‍यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना'' के तहत नि:शुल्‍क प्रवेश की सुविधा है और छात्रवृत्ति उन बच्‍चों को मिलती है जो शुल्‍क देकर शाला में प्रवेश लेते हैं और उसके बाद उन्‍हें छात्रवृत्ति दी जाती है. शासन सदैव यह कहकर बच जाता है कि हम बच्‍चों को सुविधायें दे रहे हैं, उन बच्‍चों को शासन की राशि मिल रही है और एक ही बच्‍चे को दो-दो राशियां क्‍यों मिलेगी. प्राय: ऐसे प्रकरणों में यही बात सामने आती है. सभापति महोदय, यह शासन की जवाबदारी है कि यदि आपने ''मुख्‍यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना'' के तहत इस बात का उल्‍लेख किया है कि उन बच्‍चों को नि:शुल्‍क शिक्षा दी जायेगी तो उनके एडमीशन से लेकर, उन्‍हें पूरी फीस दी जाये और पिछड़ा वर्ग एवं अनुसूचित जाति-जनजाति के बच्‍चों को छात्रवृत्ति का भी लाभ मिले. तब यह उनके लिए फायदे का सौदा है वरना यह योजना केवल और केवल सामान्‍य जाति वर्ग के बच्‍चों के लिए बनकर रह जायेगी. पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के बच्‍चे अपने-आप इस योजना को छोड़ देंगे क्‍योंकि मेरे पिछले विधान सभा प्रश्‍न के उत्‍तर में इसका जवाब आया है और मैं मानती हूं कि दिनों-दिन यह संख्‍या बढ़ती जायेगी. यह योजना बहुत अच्‍छी है इसमें कोई दो-राय नहीं है. माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, धन्‍यवाद.

          श्री मानवेन्‍द्र सिंह (महाराजपुर)-  माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्‍या 1, 2, 65 और 72 के पक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. सामान्‍य प्रशासन विभाग, राज्‍य शासन का एक बहुत ही मुख्‍य विभाग है और इसके तहत मुख्‍य रूप से नीति संबंधी, प्रदेश की प्रशासन व्‍यवस्‍था और अंतर्विभागीय समन्‍वय, जो शासकीय सेवकों की सेवाओं का है, उन सभी विभागों का एक सामंजस्‍य इस विभाग के अंतर्गत होता है. इसके अतिरिक्‍त प्रशासनिक अधिकारियों की पदस्‍थापना और राज्‍यपाल महोदय से संबंधित जो कार्य संपादित होते हैं, वे सभी इसी विभाग से संबंधित होते हैं. माननीय सभापति महोदय, राज्‍य शासन में कार्य आवंटन के नियमों के तहत पूर्व में 67 विभागों में विभक्‍त थे. इसमें से अभी 13 विभागों को विलोपित किया गया है. इन 13 विभागों को विलोपित करने के बाद अब वर्तमान में 54 विभाग इसमें क्रियाशील हैं.

          माननीय सभापति महोदय, हमारे पूर्व वक्‍ताओं ने मुख्‍यमंत्री जी के स्‍वेच्‍छानुदान के बारे में जिक्र किया है. निश्‍चय ही इससे हमारे पूरे प्रदेश के गरीब, जो चिकित्‍सा का लाभ लेना चाहते हैं उन्‍हें मदद मिलेगी. इसके साथ ही साथ माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने केबिनेट मंत्रियों के लिए 50 लाख रुपये और राज्‍य मंत्रियों के लिए 35 लाख रुपये की भी व्‍यवस्‍था की है, जिससे ये अनुदान दिए जाते हैं. केबिनेट और राज्‍य मंत्रियों के अनुदान, निश्चित रूप से उनके क्षेत्रों में और जो असहाय भोपाल तक नहीं पहुंच पाते हैं उनको लाभ पहुंचाने के लिए यह एक बहुत ही बड़ी मदद है क्‍योंकि जब मंत्री अपने क्षेत्र में जाते हैं तो लोग उनसे कुछ न कुछ अपेक्षा रखते ही हैं.

          माननीय सभापति महोदय, शासन के इस विभाग के द्वारा ऐसे सैनिक और असैनिक, जिन्‍होंने समाज के लिए अपने साहस और वीरता का परिचय दिया है उनको पारितोषित पुरस्‍कार और अलंकृत करने की चयन नीति के तहत 10 विभिन्‍न पुरस्‍कार देकर यह विभाग उन्‍हें सम्‍मानित करता है जिससे कि हमारे वीर सैनिकों और समाज में ही रह रहे ऐसे असैनिकों को पुरस्‍कृत किया जा सके.

          माननीय सभापति महोदय, प्रत्‍येक जिले में प्रतिदिन कोई न कोई समस्‍या रहती ही है और इसके लिए ''जन-सुनवाई'' का कार्यक्रम सरकार द्वारा निर्धारित किया गया है. प्रत्‍येक मंगलवार को जिले के उच्‍च अधिकारी कार्यालय में एकत्रित होते हैं और जनता को इधर-उधर न जाना पड़े इसलिए इस जन-सुनवाई के माध्‍यम से जिले की ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र की जनता के प्रकरणों का निराकरण प्रत्‍येक मंगलवार को जन-सुनवाई के माध्‍यम से किया जाता है. यह एक बहुत ही बड़ी सुविधा हमारे जिले के सभी ग्रामवासियों एवं शहरवासियों के लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी द्वारा दी गई है. माननीय सभापति महोदय, मैं प्रदेश की विमान सेवा के बारे में हमारे साथियों ने जो कहा, निश्‍चय ही खजुराहो, इंदौर और भोपाल को अंतरराष्‍ट्रीय विमानतल बनाने का जो लिया है और भारत सरकार से व्‍यवस्‍था के लिये मांग की है, मैं निश्चित ही इसके लिये मध्‍यप्रदेश शासन को, विभाग को बधाई देना चाहूंगा.

          मध्‍यांचल भवन का उन्‍नयन और नवीनीकरण जो विभाग के द्वारा किया जा रहा है और 1186 वर्ग मीटर मध्‍यांचल विस्‍तार के लिये जो भूमि का आवंटन, दिल्‍ली विकास निगम से किया गया है, जिससे कि आपके जो सुरक्षा बल के अधिकारी/ कर्मचारी वहां पर रहते हैं. अभी उनको टीन शेड में या टेंट्स में रहना पड़ता है, उसके लिये व्‍यवस्‍था की जा रही है कि जितने भी हमारे मध्‍यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी, जो दिल्‍ली में रहते होंगे, उनके लिये यह विस्‍तार करके यह व्‍यवस्‍था की जा रही है. मैं इसके लिये भी माननीय मंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा कि उन्‍होंने छोटे कर्मचारियों को यह सुविधा दिलाने की व्‍यवस्‍था की है, इसके लिये मैं माननीय मंत्रीजी को भी और माननीय मुख्‍यमंत्री जी को भी बधाई देना चाहूंगा.

          सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से लोक सेवा गांरटी के बारे में भी थोड़ा विस्‍तार से बताना चाहूंगा कि यह जो जाति प्रमाण-पत्र की व्‍यवस्‍था की गयी है कि छात्र-छात्राओं को स्‍कूलों के माध्‍यम से ही आवेदन पत्र देकर वहीं पर यह व्‍यवस्‍था मिलेगी और उनको लेमिनेटेड सर्टिफिकेट दिये जायेंगे, जिससे कि जाति प्रमाण-पत्र में जो बाधाएं आती हैं और लोगों को बहुत परेशानी होती है. इससे उनको बहुत ही मदद मिलेगी और इस व्‍यवस्‍था में और भी जो सुधार होने हैं, इसके लिये मैं माननीय मंत्री जी से मांग करूंगा कि उसको और भी थोड़ा आसान बनाया जाये.

          सभापति महोदय, मैं एक व्‍यवस्‍था के लिये और माननीय मंत्री जी से, वैसे तो यह राजस्‍व विभाग का मामला है. क्‍योंकि यह सामान्‍य प्रशासन विभाग से भी संबंधित रहेगा. हरपालपुर में जो कि तहसील की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है. पहले भी वहां पर एक नायब तहसीलदार का पद स्‍वीकृत करने का हम लोगों ने आवेदन किया था और मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि वह नगर पंचायत है, रेलवे स्‍टेशन है और लगभग 30-40 किलोमीटर की दूरी है. मैं मंत्रीजी से अनुरोध करूंगा कि वहां पर नायब तहसीलदार की नियुक्ति करने का कष्‍ट करें, जिससे नगर पंचायत का महत्‍व भी बढ़ेगा, रेलवे स्‍टेशन भी वहां पर है. सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से एक नायब तहसीलदार की नियुक्ति करने का अनुरोध करता हूं. आपने बोलने का समय दिया, उसके लिये बहुत-बहुत धन्‍यवाद्.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह (लहार):- माननीय सभापति महोदय, आनन्‍द विभाग और सामान्‍य विभाग के संबंध में बात करना चाहता हूं. आनन्‍द विभाग के गठन की कैसे उत्‍पत्ति हुई इसके बारे में, मैं आपको बता देना चाहता हूं. एक दिन माननीय मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह जी ने रात में सपना देखा कि हम हेलीकॉप्‍टर से उड़कर स्‍वर्ग पहुंच गये.

          डॉ. कैलाश जाटव:- माननीय सदस्‍य को सपने के बारे में कैसे पता चला ?

          डॉ. गोविन्‍द सिंह:- आप एक दिन चर्चा के दौरान साथ में बैठ लें बता देंगे. जब मुख्‍यमंत्री जी स्‍वर्ग में पहुंचे तो उन्‍हें सब आनन्‍द ही आनन्‍द ही दिखा. रात भर जब उन्‍होंने सपने में देखा तो सुबह जब उठे तो उन्‍होंने सोचा कि जब स्‍वर्ग में आनन्‍दमय हैं तो मध्‍यप्रदेश को भी आनन्‍दित करना चाहिये और उन्‍होंने 6 अगस्‍त, 2016 को आनन्‍द विभाग का गठन कर दिया और उसके बाद सोचा कि विभाग का गठन तो कर दिया, इसमें ऐसी कोई योजना बनाओ ताकि इस आनन्‍द विभाग का कब्‍जा भी हमारे ही हाथ में रहे, ताकि हम और हमारे लोग ही ज्‍यादा आनन्‍दित हों तो उन्‍होंने 12 अगस्‍त को उन्‍होंने हर संस्‍थाओं से एक समिति गठित करा दी और उस समिति का गठन होने के 12 अगस्‍त, 2016 को 6 दिन बाद पंजीयन हो गया और मुख्‍यमंत्री स्‍वयं उसके सर्वेसर्वा अध्‍यक्ष बन गये. अब पूरी तरह से उन्‍होंने देखा कि सब आनन्‍दमय है और उस विभाग का बजट उन्‍होंने करीब पौने सात करोड़ रूपये रख दिया. अब मैं पौने सात करोड़ रूपये बजट में पूछना चाहता हूं कि सामान्‍य प्रशासन के मुख्‍यमंत्री जी से कि यह पैसा कहां गया ? केवल 17 विभागों के कुछ अधिकारियों को, केवल एक संस्‍था आर्ट ऑफ लिविंग,बैंगलोर वहां पर कुछ लोग गये और वहां पर उन्‍होंने पूरा आनन्‍द लिया. उन्‍हें प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता का कुछ ध्‍यान नहीं है. वहां जाकर कुछ अधिकारी/कर्मचारी लोग आनन्‍दित हुए और केवल एक संस्‍था को 12 लाख 54 हजार 500 रूपये का भुगतान केवल कुछ लोगों के लिये किया. वल्‍लभ भवन में लंच के समय में बैठकर सब अधिकारियों के आनन्‍द के लिये योजनाएं बनीं. खूबसूरत मंत्रालय में एक भवन बन गया, जहां मुख्‍यमंत्री जी कभी-कभी बैठकर सब अधिकारियों से आनन्‍दित होते हैं. लेकिन उनको जनता का ध्‍यान नहीं है. मैं पूछना चाहता हूं कि आपने अपने आनन्‍द विभाग के प्रतिवेदन में दिया है कि 14 जनवरी से 28 जनवरी तक हर गांव में, पंचायत में, प्रदेश में आनन्‍द का उत्‍सव मनाया गया और तमाम् लोगों ने उत्‍सव मनाया. आप सच बताइये, आप सभापति की सीट पर बैठें हैं. मैं आपसे प्रश्‍न तो नहीं कर सकता, लेकिन यह कहना चाहता हूं कि आप अपने मन में अनुभव करें कि यह आनन्‍द आपके यहां पर कहीं पर हुआ था ?

            सभापति महोदय:- नहीं, सब जगह हुआ है, स्‍कूल विभाग ने तो शायद आपको भी बुलाया होगा.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह:- एकाध जगह कहीं स्‍कूल में हुआ हो, लेकिन हमने तो पूरे प्रदेश में कहीं नहीं देखा. नगर परिषदें , नगर पंचायत, जिला पंचायत सभी हमारे साथ ही हैं, लेकिन हमको कहीं देखने को नहीं मिला, जैसे हमारे क्षेत्र में चार नगर परिषदें हैं और चारों नगर परिषदों में हमारे ही मित्र लोग हैं वह हमें भी कहीं न कहीं कहते कि आप भी आनन्‍द मनायें. लेकिन वह सुनने को मिला, मनाने का सौभाग्‍य प्राप्‍त नहीं हुआ.

          सभापति महोदय, मैं पूछना चाहता हूं कि जब इस प्रदेश पर 1 लाख 76 हजार रूपये का कर्जा है तो एक व्‍यक्ति के ऊपर 15 हजार रूपये से ऊपर कर्जा हो गया है तो वह आनन्‍द कैसे मनायेगा. आपके सीपीए के फोर्थ क्‍लास के कर्मचारी हैं उनको तीन-तीन महीने से वेतन नहीं मिला है. आंगनवाड़ी कार्यकताओं को आठ-आठ महीने से वेतन नहीं मिला है. पेंशन जो विधवा महिलाएं है, निराश्रित महिलाएं हैं, उनकी जानकारी पोर्टल के माध्‍यम से भेज देते हैं, लेकिन उनको स्लिप ही ईश्‍यू नहीं हो रही है. गरीब, विधवा, निराश्रित और बेसहारा महिलाएं हैं, जो पेंशन प्राप्‍त कर रही थीं उनको भी आठ-दस महीने से पेंशन का भुगतान नहीं हो पा रहा है. मुख्‍यमंत्री जी आप उनसे जाकर पता करें कि आनन्‍द कैसे भोग रहे हैं.

          अब सामान्‍य प्रशासन विभाग के बारे में भी थोड़ा सा कहना चाहता हूं. सबसे

पहले तो मैं कहना चाहता हूं अनुकंपा नियुक्ति के बारे में. अनुकंपा नियुक्ति का मतलब ही होता है सरकार की कृपा. अनुकंपा कोई अधिकार नहीं है, लेकिन यह है सरकार की और सरकार किसकी है, जनता की चुनी हुई है. जैसे अचानक किसी कर्मचारी की मृत्‍यु हो जाती है तो उसके परिवार के सदस्‍य को अनुकम्‍पा नियुक्ति दी जाती है. मृतक का परिवार बेसहारा हो जाता है, पूरे परिवार के सामने अंधेरा छा जाता है, उस परिवार के सामने रोजी-रोटी का प्रश्‍न खड़ा हो जाता है. उसमें इतने कठिन नियम बना दिए हैं. पहले जब दिग्विजय सिंह की सरकार थी तब उसमें यह था कि लिपिक के लिए टायपिंग अनिवार्य है, लेकिन उसमें प्रावधान किया गया था कि उसे तत्‍काल सेवा में लिया जाये, उसे टायपिंग सीखने के लिए 3 वर्ष का मौका देते थे. अभी हमारे क्षेत्र में एक सहायक अध्‍यापक की मृत्‍यु हो गई, वह उसकी लड़की की शादी तय कर आया था. उसे अचानक कैंसर हुआ और 2 महीने में मृत्‍यु हो गई. अब उसके परिवार के सामने रोजी-रोटी की दिक्‍कत आ गई, उसकी जमीन-जायदाद नहीं है, उसकी खेती नहीं है, वह गरीब आदमी है. उसके परिवार के सामने अंधेरा छाया है, अब परिवार भूखों मरने की कगार पर है. हमने प्रयास किया तो बताया कि शिक्षा विभाग में जगह है तो वहां बताया गया कि पहले इनको बी.एड. करना चाहिए था. पहले बी.एड.करें, फिर व्‍यापमं परीक्षा दें या डी.एड. करें तब उसकी अनुकम्‍पा नियुक्ति की पात्रता आयेगी.

          श्री रामनिवास रावत - फिर टी.ई.टी. करें. यह टीचर एलीजिबिलिटी टेस्‍ट है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - यह एक और नया जोड़ दिया होगा. अब मैं पूछना चाहता हूँ कि क्‍या उस बेचारे को यह पता था कि हमारे सहायक अध्‍यापक पिताजी मरने वाले हैं तो पहले ही वह कर लेता. यह जादूगरी अगर मुख्‍यमंत्री को है तो है. यह ज्ञान और किसी को तो नहीं हो सकता है कि क्‍योंकि वे स्‍वर्ग में घूम आए हैं, आनन्‍द ले आए हैं. हमने कई बार यह मांग की है. मुख्‍यमंत्री जी से कहा था कि सदन में चर्चा के दौरान कि यदि दो वर्ष की डी.एड. है तो पांच वर्ष का अवसर दें. अगर पांच वर्ष में वह डी.एड. नहीं कर पाता या बी.एड. नहीं कर पाता है तो फिर आप उसके लिए ऐसी शर्त लागू करें ताकि उसकी रोजी रोटी चल सके. अभी तक विभागों में सैकड़ों पद खाली हैं और एक डाइंग केडर आ गया है. मैं समझता था कि यह होता क्‍या है ? अब जो लोग रिटायर हो रहे हैं, वे पद खत्‍म हो रहे हैं. आज मध्‍यप्रदेश के सभी विभागों में चार से साढ़े चार लाख पद खाली पड़े हुए हैं, 1,56,000 करीब प्रायमरी और मिडिल स्‍कूल में पद खाली पड़े हैं, डॉक्‍टरों के 13,000 पद खाली पड़े हुए हैं, एक-एक पटवारी नौ-नौ हलकों को चला रहा है. सामान्‍य प्रशासन विभाग का क्‍या नियंत्रण है ? जब सरकार ने पूरा सिस्‍टम ही को-लैप्‍स कर दिया है. आज पटवारी एवं  नायब तहसीलदार नहीं हैं. भिण्‍ड जिले में 13 नायब तहसीलदार के पद खाली हैं, उसमें से केवल 3 ही हैं. कलेक्‍टर से कहते हैं तो वे कहते हैं कि मैं अकेला क्‍या करूँगा ? डिप्‍टी कलेक्‍टर नहीं हैं. अब जब डिप्‍टी कलेक्‍टर ही नहीं हैं, जिस विभाग के सामान्‍य प्रशासन विभाग में माननीय मंत्री जी एवं मुख्‍यमंत्री जी बैठे हुए हैं तो यह आखिर क्‍या स्थिति है ? कैसे सिस्‍टम चलेगा ? कैसे प्रजातन्‍त्र चलेगा ? प्रजा तो रह गई है, सरकार ने तन्‍त्र खत्‍म कर दिया है. जब विभाग में तन्‍त्र है ही नहीं, आप किसी भी विभाग में चले जाएं.

          सभापति महोदय, भिण्‍ड जिले में 97 आयुर्वेदिक औषधालय हैं, केवल 2 रह गए हैं.वहां अधीक्षक के भी पद खाली हैं, वेटेनरी डॉक्‍टर्स के पद खाली हैं, गांव में मास्‍टर नहीं हैं, स्‍कूल में टेबल-कुर्सी नहीं हैं. व्‍यवस्‍था पूरी चौपट है. अब हम यह पूछना चाहते हैं कि आनन्‍द विभाग का मतलब क्‍या है. जब यह सब आप कर रहे हैं तो आनन्‍दमय क्‍यों हो रहा है ?

          सभापति महोदय - आप कितना समय लेंगे.

          डॉ डॉ. गोविन्‍द सिंह - सभापति महोदय, मैं थोड़ा समय लूँगा. आपने डंक कटा बिच्‍छू का किस्‍सा सुना है. यदि नहीं सुना है, तो मैं सुना देता हूँ. एक काला बिच्‍छू था, उसको गांव में छोड़ दिया गया. गांव के लोग बैठे थे, वह भागा. लोगों ने कहा कि बिच्‍छू डंक मारेगा, डंक जहर होता है, वह रात भर तड़पेगा तो कुछ लड़के दौड़कर आए तो उन्‍होंने बिच्‍छू को लकड़ी से दबा दिया और उसका डंक काट दिया तो थोड़ी देर में ही चार-पांच बच्‍चे हथेली की गद्दी पर लेकर उसे घूमने लगे. यह क्‍या है ? उसने बताया कि यह डंक कटा बिच्‍छू है. अब सरकार जनपद पंचायत, जिला पंचायत और नगरीय प्रशासन, मंडियों के जितने निर्वाचित पदाधिकारी हैं, जो जनता के द्वारा चुने हुए हैं, उन सब प‍दाधिकारियों के डंक काट रही है. अब अधिकार समाप्‍त कर दिए हैं. हमने जिला पंचायत से कहा कि हैंडपम्‍प ठीक करवा दो, तो वे कहते हैं कि हमारे तो शिवराज सिंह जी ने डंक काट दिया है. (हंसी) यह तो हालात है, हमें डंक कटे बिच्‍छू कर दिया. प्रजातंत्र में चुने हुए हैं, सत्‍ता हमारे हाथ में हो और किसी को नहीं, सत्‍ता का केन्‍द्रीयकरण करने का काम श्री शिवराज सिंह की सरकार ने किया है. अब क्‍या इसको सुशासन कहेंगे ?

          श्री वेलसिंह भूरिया - गोविन्‍द सिंह जी, मेरी इस पर आपत्ति है. आप इसे डंक कटा कहते हैं, पंचायत के जो पंच हैं, सरपंच हैं, जनप्रतिनिधि हैं, पंचायत राज संस्‍था के जो जन प्रतिनिधि हैं, उसको कांग्रेस का विधायक सदन के अन्‍दर डंक कटा कहता है, बिच्‍छू कहता है. मुझे इस पर घोर आपत्ति है. यह गलत बात है.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - सभापति महोदय, माननीय विधायक महोदय, आप ही के जिले के जिला पंचायत अध्‍यक्ष श्रीमती कलावती भूरिया को, जब वे भोपाल आईं थीं तो लट्ठ पड़ा था.

          सभापति महोदय - आप जल्‍दी समाप्‍त करें.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - मैं एक दो मिनट में अपनी बात कहूँगा. मैं इसके अलावा यह भी कहना चाहता हूँ कि आप सरकार को निर्देशित करें कि कई बार इस सदन में बात आ चुकी है कि माननीय सांसदों एवं विधायकों के पत्रों के जवाब देने की, सामान्‍य प्रशासन विभाग की एवं शिवराज जी की सरकार द्वारा 7 सर्कुलर जारी किए गए हैं. इन सर्कुलर्स में हर 6 महीने एवं साल भर में, माननीय विधायकों की आपत्ति पर माननीय अध्‍यक्ष महोदय ने निर्देशित भी किया है. हमारा भिण्‍ड जिला है, जहां सामान्‍य प्रशासन विभाग के राज्‍यमंत्री सत्‍ता पर काबिज हैं, उनके जिले में एक भी पत्र का जवाब कोई भी अधिकारी आज तक देने को तैयार नहीं है, पूरी निरंकुशता का वातावरण है, पूरी नौकरशाही हावी है और हावी क्‍यों है ? हमारी कहीं न कहीं कमजोरी होगी तभी हावी हैं. हमारे ऊपर कहीं न कहीं दाग होगा, तब अधिकारियों की हिम्‍मत पड़ पाएगी अन्‍यथा अधिकारियों की हिम्‍मत नहीं पड़ सकती कि शासन के निर्देशों की लगातार धज्जियां उड़ाए. विधायकों के स्‍वेच्‍छानुदान का, यहां से आदेश हुआ कि 6 दिन में दें, 4-4 और 6-6 महीने लग जाते हैं, आप किसी भी जिले का रिकॉर्ड उठाकर दिखवा लें, 6 महीने तक नहीं हो रही है, राशि लैप्‍स हो जाती है. विधायकों की जो स्‍वेच्‍छानुदान है.

          सभापति महोदय - यह आप ही के एरिये में हो रहे होंगे. हमारे नीमच, मंदसौर में तो नहीं हो रहे हैं.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - आप ताकतवर हो. आपका भय होगा. आप पूर्व मुख्‍यमंत्री जी के सुपुत्र हैं. आप बुद्धिमान हो, आप आंकड़ेबाजी जानते हो, सभापति हो. हम तो गांव के हैं, साधारण खेती-बाड़ी करने वाले गरीब आदमी हैं. इसलिए हमें कौन पूछ रहा है ? मैं अंतिम बात कहना चाहता हूँ. प्रशासन चलाना है तो सामान्‍य प्रशासन विभाग की जिम्‍मेदारी है कि यह सिस्‍टम क्‍यों लैप्‍स हो रहा है ? पद खाली पड़े हुए हैं और आऊटसोर्सेस से भर्तियां कर रहे हैं, जिनकी कोई जिम्‍मेदारी नहीं है. ये भ्रष्‍टाचार करके भाग जाएंगे. आप इन पर कन्‍ट्रोल नहीं कर पाएंगे क्‍योंकि ये आपके अधीनस्‍थ नहीं हैं. इसलिए हमारा कहना है कि सुशासन, सदाचार और नवाचार क्‍या है ? इसकी भी जवाब में व्‍याख्‍या हो जाए. मैं इतना ही कहना चाहता हूँ. आपने जो समय दिया, उसके लिए धन्‍यवाद.

          श्री हेमन्‍त विजय खण्‍डेलवाल (बैतूल) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्‍या 1 और 2 के पक्ष में अपनी बात कहना चाहता हूँ. मैं आपके माध्‍यम से आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी, मंत्रिपरिषद् के सदस्‍य, सभी जनप्रतिनिधि, अधिकारियों और कर्मचारियों को इस बात के लिए धन्‍यवाद देना चाहूँगा कि विधायिका और कार्यपालिका ने सरकार के दोनों अंगों ने मिलकर हमारे प्रदेश को बीमारू राज्‍य से निकालकर विकसित राज्‍य बनाने में प्रमुख भूमिका अदा की है.

          सभापति महोदय, हम मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में शीघ्र ही देश के अग्रणी राज्‍यों में शामिल हो जाएंगे. प्रशासनिक व्‍यवस्‍था चुस्‍त-दुरुस्‍त रहे, इसके लिए हमारे मुख्‍यमंत्री जी के निर्देश पर हमारा भोपाल में नया भवन बनकर तैयार है, जिला स्‍तर पर भी जिला कार्यालयों के काम चल रहे हैं. मेरे जिले में भी 10 करोड़ रुपये का कार्यालय कलेक्‍ट्रेट भवन बनकर तैयार है. मैं आपके माध्‍यम से मुख्‍यमंत्री जी से अनुरोध करना चाहूँगा कि जब हमारा वल्‍लभ भवन बन जाये तो हम दिल्‍ली की तरह,  केन्‍द्र सरकार की तरह और कई और राज्‍यों की तरह, सारे ऑफिस एक छत के नीचे लगाएं. मैं सांसद भी रहा हूँ. मैंने केन्‍द्र की वर्किंग को बड़े नजदीक से देखा है, अगर हम केन्‍द्र में कोयला मंत्री से मिलने जाते हैं या रेल मंत्री से मिलने जाते हैं. मंत्री से लेकर संत्री तक सब एक छत के नीचे मिलते हैं, इस कारण प्रशासनिक काम करने में उन्‍हें भी सुविधा होती है और हमें भी सुविधा होती है.  मैं  उदाहरण देना चाहता हूं कि जैसे हमारे पी.डब्‍ल्‍यू.डी. या पी.एच.ई. मंत्री और पी.एस. एक जगह बैठते हैं, आयुक्‍त कहीं ओर बैठता है और ईएनसी कहीं और बैठता है. जब हम    वहां जाकर पता करते हैं तो वह एक दूसरे से बैठकों में एक भवन से दूसरे भवन में व्‍यस्‍त रहते हैं.

          माननीय सभापति महोदय , मैंने पिछले सत्र में एक अनुरोध किया था कि फाइव डे वीक कर दिया जाये. पूरी दुनिया में केंद्र में कई राज्‍यों में फाइव डे वीक है. माह में शनिवार को कुल दो दिन आफिस लगता है और उस दिन भी छुट्टी जैसा महसूस होता है. हम दिन का समय बढ़ा दें. हम इसमें और भी बदलाव कर सकते हैं. हम फर्स्‍ट हाफ में कार्यालयीन कामों को करें और सेकंड हाफ में विभागीय बैठकों को करें. मैं सत्‍ता और विपक्ष के सभी जनप्रतिनिधियों की बात करना चाहता हूं कि जब हम कई बार मंत्रालय जाते हैं तो हम सब जनप्रतिनिधि देखते हैं कि हमारे मंत्री और प्रमुख सचिव बैठकों में मौजूद रहते हैं और उस कारण से उनसे हम लोगों को मिलने में दिक्‍कत आती है. इस कारण से यदि हफ्ते में एक दिन और निश्चित समय निर्धारित होने से सभापति जी आपको और हम सभी को सिर्फ एक दिन यहां आना पड़ेगा और छ: दिन हम अपने क्षेत्र में जनता की सेवा कर पायेंगे.

          सभापति महोदय - आप सही सुझाव दे रहे हैं.

          श्री हेमंत विजय खण्‍डेलवाल- माननीय सभापति महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से अनुरोध है कि हमारी मुख्‍यमंत्री जी ने कई ऐसी योजनाएं जनहितैषी लागू की हैं, सर्वहारा वर्ग के कल्‍याण के लिये कई योजनाएं लागू की हैं. डायल 100 जैसी योजना, जनसुनवाई जैसी योजना, 181 जैसी योजना. 181 के माध्‍यम से सामान्‍य व्‍यक्ति गांव का, शहर का कोई भी व्‍यक्ति मुख्‍यमंत्री से सीधे अपनी समस्‍या का समाधान करवा सकता है, लेकिन मेरा माननीय मंत्री श्री लाल सिंह आर्य के माध्‍यम से मुख्‍यमंत्री जी से अनुरोध है कि इस योजना का कुछ लोग दुरूपयोग कर रहे हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि न्‍यायालय में चल रहे प्रकरण, एस.डी.एम. कोर्ट में चल रहे प्रकरण, तहसीलदार कोर्ट में चल रहे प्रकरणों को 181 से दूर किया जाये. आदतन शिकायकर्ता की पहचान की जाये, क्‍यों‍कि कई लोग हर विषय में शिकायत करते हैं, कभी कचरे और कभी अतिक्रमण की शिकायत करते हैं, उन्‍हें हर क्षेत्र में शिकायत रहती है. ऐसे आदतन लोगों की पहचान की जाय. आपसी रंजिश के जो प्रकरण होते हैं, जिसमें दोनों पक्ष शामिल रहते हैं, उनकी भी बात सुनी जाये. मेरा इसमें एक ओर अनुरोध है कि कभी एक पक्ष शिकायत करता है तो दूसरे पक्ष की भी बात सुनी जाये ताकि दोनों पक्ष अपनी बात कह पायें. मैं समझता हूं अगर हमने इस नीति को अपना लिया और 181 में इन छोटी-मोटी चीजों को चेंज कर लिया तो शायद पूरे भारत में इससे कारगर कोई योजना नहीं होगी.       

          माननीय सभापति महोदय,  मैं आपके माध्‍यम से पुन: हमारे मुख्‍यमंत्री जी, लाल सिंह जी और पूरे मंत्रिमंडल को धन्‍यवाद देना चाहूंगा कि आपने सर्वोच्‍च प्रशासनिक नियंत्रण का उदाहरण दिया है. मध्‍यप्रदेश समन्‍वयक के मामले में एक अच्‍छा राज्‍य बनकर उभरा है. मैं उम्‍मीद करता हूं कि मैंने जो सुझाव दिये हैं, उस पर विचार करके, उस पर अमल करने का हमारे मुख्‍यमंत्री जी और मंत्री जी प्रयास करेंगे. माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिये आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - माननीय सभापति महोदय, मैं सामान्‍य प्रशासन की मांग संख्‍या 1, 2, 3, 65 और 72 का समर्थन करते हुए अपनी बात रखना चाहता हूं. सामान्‍य प्रशासन मध्‍यप्रदेश के जितने विभाग है उसमें सबसे महत्‍वपूर्ण विभाग है. समस्‍त विभागों से समन्‍वयन करने का कार्य सामान्‍य प्रशासन विभाग करता है. इसके अंतर्गत लोकायुक्‍त संगठन, मानवाधिकार आयोग, लोक सेवा आयोग, राज्‍य सूचना आयोग, इन संवैधानिक संस्‍थाओं की मानीटरिंग करने का कार्य सामान्‍य प्रशासन विभाग करता है.

          माननीय सभापति महोदय, मध्‍यप्रदेश के जितने भी अधिकारी और कर्मचारी हैं यदि वह मध्‍यप्रदेश में जो भी उत्‍कृष्‍ट कार्य करते हैं, तो उसके लिये मुख्‍यमंत्री उत्‍कृष्‍ट पुरस्‍कार की घोषणा की गई है. इस योजना के अंतर्गत जो व्‍यक्ति इसमें प्रथम आता है, या जो भी अधिकारी कर्मचारी प्रदेश में कार्य करने में प्रथम आता है उसको एक लाख रूपये का उत्‍कृष्‍टता पुरस्‍कार दिया जाता है, द्वितीय को 75 हजार दिये जाते हैं और तृतीय को 50 हजार रूपये उत्‍कृष्‍टता पुरस्‍कार दिया जाता है. साथ में सामूहिक रूप से जो कर्मचारी, अधिकारी कोई उत्‍कृष्‍ट कार्य प्रदेश में करते हैं तो उसके लिये भी तीन लाख रूपये का पुरस्‍कार मुख्‍यमंत्री उत्‍कृष्‍टता पुरस्‍कार योजना के अंतर्गत दिया जाता है. शासकीय संस्‍थाओं द्वारा सामूहिक  रूप से उत्‍कृष्‍ट कार्य करने के लिये यदि प्रदेश में वह संस्‍था प्रथम आती है तो उसके लिये भी पांच लाख रूपये का उत्‍कृष्‍टता पुरस्‍कार का प्रावधान किया गया है.

          माननीय सभापति महोदय, लोक नायक जयप्रकाश नारायण जो सम्‍मान निधि है उसमें वर्ष 2008 में संशोधन करते हुए ऐसे व्‍यक्ति जो मीसा में या डी.आई.आर. के अंतर्गत एक माह से कम निरूद्ध किये गये हों, उनको मध्‍यप्रदेश सरकार की ओर से आठ हजार रूपये और ऐेसे व्‍यक्ति जो मीसा और डी.आई.आर. कानून के अंतर्गत एक माह से अधिक निरूद्ध किये गये चाहे वह राजनीतिक कारण हों, चाहे सामाजिक कारण हों तो उन्‍हें 25 हजार रूपये की सम्‍मान निधि दी जाती है.

          माननीय सभापति महोदय, मुख्‍यमंत्री जी की ओर से हमारे राज्‍यमंत्री बैठे हैं. मैं आपके माध्‍यम से उनसे आग्रह करना चाहता हूं कि सड़क दुर्घटना में जो घायल हो जाता है उसको विभाग द्वारा 7500 रूपये और मृतक को 15 हजार रूपये दिये जाते हैं, यह राशि बहुत ही काम है. दुर्घटनाएं प्रति दिन, प्रति घंटे होती रहती हैं. मैं चाहता हूं कि इस पर आप गंभीरता से विचार करें क्‍योंकि कई ऐसे मृतक भी होते हैं जिनके परिवार में कोई भी संचालन या भरण पोषण करने वाला व्‍यक्ति नहीं होता है. उनके घर में गरीब बच्‍चे और छोटे बच्‍चे भी होते हैं. मेरा आग्रह है कि माननीय मंत्री जी आप माननीय मुख्‍यमंत्री जी से चर्चा करके दुर्घटना में मृतक और घायल को इस राशि से अधिक राशि देने का प्रयास करें.वह राशि अच्‍छी से अच्‍छी कैसे हो सकती है, वह निश्‍चित रूप से आप तय करें.

          माननीय सभापति महोदय, सुश्री हिना कावरे जी ने बहुत अच्‍छा सुझाव दिया था, इसको दलगत राजनीति से नहीं लें. इस संबंध में मैं यह कहना चाहता हूं कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग को जो छात्रवृत्ति मिलती है वह जाति के आधार पर मिलती है. यह एक बहुत बड़ा चर्चा का विषय है. लेकिन आज जो मुख्‍यमंत्री मेधावी छात्र योजना है, वह योग्‍यता के आधार पर मिल रही है. जो व्‍यक्ति 70 प्रतिशत या उससे अधिक नंबर लाता है तो उसको अपनी योग्‍यता के आधार पर 12 वीं कक्षा के बाद जो भी उच्‍च शिक्षा वह प्राप्‍त करना चाहता है, उसका पूरा खर्च मध्‍यप्रदेश की सरकार उठायेगी. आप पूरे मध्‍यप्रदेश का आंकड़ा उठाकर देख लें मुश्‍किल से 5 से 7 प्रतिशत ऐसे बच्‍चे पाये जायेंगे. मेरा आग्रह  माननीय मंत्री जी से यह है कि वह इस पर भी गंभीरता से विचार करें और उन्‍हें छात्रवृत्ति भी मिले और मेधावी छात्र योजना का प्रोत्‍साहन भी उनको मिले.

          माननीय सभापति महोदय, एक ओर महत्‍वपूर्ण सुझाव आपको  देना चाहता हूं. यह विभाग बहुत महत्‍वपूर्ण हैं. दिनांक- 23.05.17 को उत्‍तराखंड में उत्‍तर काशी में जो भागीरथी नदी पर घटना हुई. उस घटना में 24 लोग काल के मुंह में चले गये. सामान्‍य प्रशासन के निर्देश पर पूरी टीम ने उत्‍तर काशी जाकर वहां के स्‍थानीय कर्मचारियों से चर्चा करके उन शवों का दाह संस्‍कार किया और उनके शवों को परिवार तक सौंपने का कार्य इस विभाग द्वारा किया गया है. मध्‍यप्रदेश सरकार का यह बहुत ही महत्‍वपूर्ण विभाग है. समय की कमी है बाद में अन्‍य विभागों की चर्चा में मैं अपनी बात कहूंगा. माननीय सभापति महोदय, आपने इस विभाग पर बोलने के लिये समय दिया बहुत-बहुत धन्‍यवाद.                    

श्री वेल सिंह भूरिया (सरदारपुर) माननीय सभापति महोदय, जिस प्रकार से हमारी सरकार में सिस्‍टम है सामान्‍य प्रशासन का वाकई में इसमें सुचारू रूप से काम होता है. जिस प्रकार से मध्‍यप्रदेश के हमारे लाड़ले मुख्‍यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान का एक सपना है सुशासन का जो पूरा हो रहा है. यह सामान्‍य प्रशासन सभी विभागों के ऊपर कंट्रोल करने का काम कर रहा है, यह एक प्रकार से पावरग्रिड है. सबसे बड़ी बात है कि हमारे मुख्‍यमंत्री जी ने सामान्‍य प्रशासन विभाग का मंत्री एक आरक्षित वर्ग के व्‍यक्ति को बनाया है और महत्‍वपूर्ण दायित्‍व दिया है. हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति के विद्यार्थियों एवं समाज के दबे हुए लोगों को प्रमाण पत्र लेने के लिए कांग्रेस के राज में बहुत कठिनाई होती थी, लेकिन आज ऐसा नहीं होता है. हमारे सामान्‍य प्रशासन विभाग के माध्‍यम से आज सभी जिलो में आदिवासी जिला हो या सामान्‍य जिला हो अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के विद्याथियों को स्‍कूलों के माध्‍यम से घर बैठे प्रमाण पत्र दिए जाते हैं. सामान्‍य प्रशासन विभाग ने और हमारी सरकार ने इसमें बहुत सरलीकरण किया है. सामान्‍य प्रशासन विभाग ने अभी बहुत सारे ऐसे अधिकारी कर्मचारी जो अनुसूचित जाति, जनजाति के फर्जी प्रमाण पत्र लेकर नौकरी कर रहे थे, उनको भी पकड़ने का काम किया है और भ्रष्‍ट अधिकारी कर्मचारी को भी पकड़ने का काम किया है.

कुंवर विक्रम सिंह मतलब आप स्‍पष्‍ट कर रहे हैं कि भ्रष्‍टाचार हैं.

श्री वेल सिंह भूरिया मैं पुराने समय की बात कर रहा हूं. हमारे माननीय विपक्षी दल के नेता हमारे राहुल भैया का जो घर है उनके घर के पीछे तरफ हमारे शर्मा जी का जो विधान सभा क्षेत्र हैं वहां पर हमारे झाबुआ, अलीराजपुर और धार के बहुत सारे आदिवासी आकर बसे हुए हैं. मैं माननीय मंत्री जी से मांग करूंगा कि हमारे क्षेत्र से जो आदिवासी लोग आए हैं उनके प्रमाण पत्र भोपाल से नहीं बन रहे हैं, उनको बनाने की कृपा करें, क्‍योंकि वे लोग वास्‍तव में आदिवासी हैं हम उनको जानते हैं. राहुल भैया की विधान सभा क्षेत्र में भी बहुत सारे आदिवासी हैं उनका प्रमाण पत्र भी बनाने की कृपा करें तो अच्‍छा होगा, इससे आदिवासी समाज को फायदा होगा.

माननीय सभापति महोदय, जिस प्रकार से हमारे अटल बिहारी वाजपेयी जी ने एक नारा दिया था सूरज उगेगा, अंधेरा छंटेगा, कमल का फूल खिलेगा. जब अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार दिल्‍ली में थी तो हमारे परम सम्‍मानीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने आदिम जाति कल्‍याण विभाग जो मानव संसाधन विभाग के पास था उसको अलग किया यह बहुत बड़ी उपलब्धि है भारतीय जनता पार्टी सरकार की.

कुंवर विक्रम सिंह सभापति महोदय, माननीय सदस्‍य प्रदेश की बात कर रहे हैं या देश की बात कर रहे हैं?

डॉ. कैलाश जाटव माननीय सदस्‍य, सामान्‍य प्रशासन पर बोल रहे हैं.

श्री वेल सिंह भूरिया माननीय सभापति महोदय, मुझे रास्‍ता भटकाने का काम कर रहे हैं.

नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) माननीय सभापति महोदय, माननीय सदस्‍य कैसे कह सकते हैं कि बीच में रुकावट कर रहे हैं यह तो शैली सिर्फ इनमें ही है और किसी में नहीं हो सकती. (....हंसी)

श्री वेल सिंह भूरिया माननीय सभापति महोदय, मैं बहुत महत्‍वपूर्ण बात कह रहा हूं. हमारे परम पूज्‍यनीय संविधान निर्माता डॉक्‍टर भीमराव अंबेडकर जी की तस्‍वीर विधान सभा सदन के अंदर लगाने की कृपा करेंगे तो यह बहुत बढि़या होगा.

डॉ. कैलाश जाटव माननीय सभापति महोदय जी, मैं इस बात का समर्थन करता हूं, यह होना चाहिए.

श्री वेल सिंह भूरिया माननीय सभापति महोदय, आज हम लोकतंत्र के मंदिर में बैठे हैं और लोकतंत्र अम्‍बेडकर जी के माध्‍यम से बनाए हुए कानून के अधीनस्‍थ हम लोग काम कर रहे हैं, हमारी यह संस्‍था काम कर रही है, लेकिन हमारी विधान सभा सदन के अंदर हमारे संविधान निर्माता, संविधान को लिखने वाले की तस्‍वीर विधान सभा सदन के अंदर नहीं दिखती है तो हमारे मन को यह ठीक नहीं लगता है. इसलिए सामान्‍य प्रशासन मंत्री आज ही यह घोषणा करें कि सदन के अंदर डॉक्‍टर भीमराव अम्‍बेडकर जी की तस्‍वीर यहां पर लगाई जाए. दूसरा में बता रहा था कि इस देश को खंडित नहीं होने देने वाले, अखंड भारत की कल्‍पना करने वाले एवं 545 से अधिक रियासतों को लोकतंत्र में विलय कराने वाले, गुजरात के रहने वाले लौह पुरूष आदरणीय सरदार वल्‍लभ भाई पटेल जी की भी तस्‍वीर यहां लगाई जाए इसकी घोषणा आज ही की जाए तो एक संदेश भी अच्‍छा जाएगा कि धार-झाबुआ जिले के आदिवासी विधायक वेल सिंह भूरिया ने इसकी मांग रखी. देश आजाद होने के 70 साल हो गए जिसमें से 50 साल कांग्रेस ने राज किया लेकिन एक भी कांग्रेस के विधायक ने आज तक डाक्‍टर भीमराव अम्‍बेडकर जी की तस्‍वीर विधान सभा सदन के अंदर लगाने की बात नहीं की और हमारे लौह पुरूष सरदार वल्‍लभ भाई पटेल जी की तस्‍वीर लगाने के लिए विचार भी नहीं किया.

श्री कमलेश्‍वर पटेल कांग्रेस पार्टी की सरकार और कांग्रेस के नेता उनके सिद्धांतों पर चलते हैं, सिर्फ मूर्ति नहीं लगाते, मूर्ति लगाकर सिर्फ वोट नहीं मांगते.

श्री वेल सिंह भूरिया माननीय सभापति जी, अगर इसकी घोषणा की जाए तो बहुत बढि़या रहेगा. सामान्‍य प्रशासन मंत्री महोदय से मेरा एक निवेदन और है कि जिन ट्रायवल जिलों में आदिवासी क्रांतिकारी हुए हैं, वे चाहे किसी भी समाज, धर्म के क्रांतिकार हुए हों उस क्रांतिकारी की मूर्ति उसके निवास स्‍थान वाले जिले में मुख्‍य मार्ग, चौराहे पर या जिला स्‍तर पर उनकी मूर्ति लगायी जानी चाहिए तो देश के लिए कुर्बान होने वाले, देश के लिए अपनी जान की आहूति देने वाले स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानी की आत्‍मा को शांति मिलेगी और यह सच्‍ची श्रद्धांजलि भी होगी, यह मेरा निवेदन है.

          माननीय सभापति महोदय, एक बात और बता दूं जो बहुत महत्‍वपूर्ण है. मैं मांग इस बात की कर रहा हूं कि पूरे मध्‍यप्रदेश में जितने भी मंदिर है, मंदिर के नाम पर हजारो-लाखों एकड़ जमीन पूजा के नाम पर, पुजारियों के नाम से जबरन कर रखी है और उसका मालिक कलेक्‍टर को बनाया रखा गया है, कलेक्‍टर के अधीन वह जमीन कर दी जाएगी तो बहुत अच्‍छा होगा, वह हजारों एकड़ जमीन समाज की है वह नीलाम होनी चाहिए, नीलामी के माध्‍यम से किसान को वह जमीन दी जाए तो बहुत अच्‍छा होगा. अपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्रीमती शीला त्यागी(मनगवां) -- माननीय सभापति महोदय, मै मांग संख्या 1,2,65 और 72 पर अपने विचार व्यक्त करने के लिये खड़ी हुई हूं. सामान्य प्रशासन विभाग की एक पुस्तक मेरे हाथ में है उसके मुख्य पेज पर लिखा है कि "प्रशासन की डोर-सुशासन की ओर" लेकिन देखने में आ रहा है कि यह प्रशासन की डोर सुशासन की ओर तो नहीं खिंच रही है,हां कुशासन की ओर जरूर खिची चली जा रही है. सामान्य प्रशासन विभाग महत्वपूर्ण विभाग रहा है लेकिन विभाग का कार्य संतोषजनक नहीं रहा. 14 वर्षों में विभाग का कार्य-व्यवहार भी पक्षपातपूर्ण एवं विभागों की मानीटरिंग करने के मामले में अक्षम रहा है. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के साथ न्याय नहीं किया जा रहा है. इन वर्ग के लोगों के द्वारा जब किसी पर पुलिस प्रकरण दर्ज किया जाता है तो पुलिस द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के खिलाफ काउंटर कैस भी दर्ज किये जा रहे हैं. देखने में यह बात आ रही है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों पर जब जुल्म और ज्यादती होती है और वे जब थाने में जाते हैं रिपोर्ट करते है उसके तत्काल बाद पुलिस काउंटर कैस दर्ज करती है तो इस प्रथा पर सख्ती से पाबंदी लगाई जावे.पुलिस हस्ताक्षेप योग्य अपराधों पर पुलिस प्रशासन स्वयं कार्यवाही करे. ऐसी व्यवस्था सरकार को करनी चाहिये.संविधान में ऐसी कोई धारा नहीं है जिससे पुलिस कार्यवाही करने में मना किया जा सके. साथ ही ऐसी कोई धारा है जिसमे कार्यवाही के लिये अन्य संबंधित विभाग को प्रकरण भेजा जाना आवश्यक है तो प्रथम दृष्टिया पुलिस प्रकरण दर्ज कर संबंधित विभाग को भेजे. दूसरी बात मैं कहना चाहती हूं कि प्रदेश में जो भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रावास या आश्रम हैं वहां पर जो चौकीदार, रसोईया और अधीक्षक इत्यादि के पद हैं उस पर सवर्ण जाति के लोगों को पदस्थ किया गया है तत्काल उस पर रोक लगाई जाये और अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लोगों को ही वहां पर पदस्थ किया जाये. अनुसूचित जाति कल्याण तथा एट्रोसिटी एक्ट के विशेष न्यायालयों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाये.

          माननीय सभापति महोदय, वर्तमान में आरक्षित वर्ग के जितने भी अधिकारी और कर्मचारियों को लोकायुक्त पुलिस के द्वारा वैमनस्य तरीके से, उनके खिलाफ मनगढंत कहानी रचकर प्रकरण न्यायालयों में प्रस्तुत किये जा रहे हैं, वहां भी सवर्ण वर्ग के न्यायाधीन नियुक्त होने के कारण अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के खिलाफ वे कार्यवाही कर रहे हैं, उनको प्रताडित कर रहे है. मंत्री जी से आग्रह है कि इन वर्ग के जजों को ही वहां पर पदस्थ किया जाये ताकि इन वर्ग के लोगों को न्याय मिल सके. लोकायुक्त के बारे में भी कहना चाहती हूं कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को अभी तक लोकायुक्त नहीं बनाया गया है, अतएव मंत्री जी से अनुरोध है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के ही लोकायुक्त के पद पर पदस्थ किया जाये. इसी प्रकार से लोकायुक्त के प्रकरणों में शासन के द्वारा आरक्षित वर्ग के अधिकारी और कर्मचारियों को लंबे समय से निलंबित करके रखा हुआ है, जबकि सामान्य प्रशासन विभाग का नियम है कि एक वर्ष से अधिक समय से निलंबित शासकीय कर्मचारी को बहाल किया जाये . लोक निर्माण विभाग में तो किसी तरह से ले-देकर के विभाग के कर्मचारियों को बहाल कर दिया गया है लेकिन अन्य विभागों में आज भी लोग पांच वर्ष से निलंबित चल रहे है. जिनके प्रकरणों का न तो लोकायुक्त निराकरण कर रहा है न शासन कर रहा है. जिससे बिना काम किये ही अधिकारी और कर्मचारी करोड़ों रूपये वेतन के रूप में ले रहे हैं. इससे शासन अनावश्यक आर्थिक व्यय  पड़ रहा है. सरकार का कार्य भी प्रभावित हो रहा है.....

 

 

3.17 बजे       {उपाध्यक्ष महोदय(डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}

 

            माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग की जो स्थानांतरण नीति है वह बहुत पक्षपातपूर्ण है. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारियों का स्थानांतरण एक साल में 9 से 10 बार तक स्थानांतरित किया जा रहा है. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को लाइन अटैच करके ही रखा जा रहा है. जमीनी स्तर पर उनकी पद स्थापना नहीं की जाती है. बेकलॉग की भर्ती भी अभी तक पूरी तरह से नहीं की गई है. कई पद अभी भी खाली पड़े हुये हैं. इनकी पूर्ति आवश्यक रूप से की जाये. विधानसभा में प्रश्नों के माध्यम से जो विभाग के द्वारा असत्य जानकारी दी जा रही है, लंबे समय से असत्य जानकारी सदन में दी जा रही है लेकिन विभाग उन असत्य जानकारी देने वाले अधिकारियों के विरूद्ध में कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है. मंत्री जी से आग्रह है कि ऐसे प्रकरणों में जो विभाग के अधिकारी असत्य जानकारी दे रहे हैं उन पर कार्यवाही की जाये और संबंधित को दंडित किया जाये.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि रीवा जिले की मनगवां तहसील के गंगेव में अनुविभागीय अधिकारी का पद सृजित करते हुये एस.डी.एम. कार्यालय बनाया जाये. रीवा जिले में माननीय मुख्यमंत्री जी की जो घोषणायें हैं जिनका पालन विभाग के द्वारा नहीं किया जा रहा है. मुख्यमंत्री जी द्वारा 111 घोषणायें हैं जिनका आज तक क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है. प्रदेश में लगातार बेरोजगारों की समस्या बढ़ रही है विभाग रोजगार दिलाने के लिये कोई काम नहीं कर रहा है. अंत मै कहना चाहती हूं जैसा कि भाई वेल सिंह भूरिया ने कहा है कि भारतीय संविधान निर्माता जिनके द्वारा निर्मित कानून और संविधान के अंतर्गत हम सब संवैधानिक प्रक्रियाओॆं का संचालन कर रहे हैं, परमपूज्य बाबा साहब का छायाचित्र सदन के अंदर प्रतिष्ठापित किया जाये एवं विधानसभा परिसर में उनकी प्रतिमा को स्थापित किया जाये.

          उपाध्यक्ष महोदय, आनंद मंत्रालय के संबंध में कहना चाहती हूं कि प्रदेश की जनता और मनगवां विधानसभा की जनता तभी खुशहाल होगी जब इस प्रदेश से जल समस्या, बिजली की समस्या का समाधान होगा. किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या पर रोक लगेगी और महिलाओं की सुरक्षा अच्छे से होगी तभी इस प्रदेश में लोग खुश रह सकेंगे, लेकिन प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के दाब में लूट की संख्या बढ़ी है, महिलाओं से बलात्कार की संख्या बढ़ी है, बेरोजगारी की समस्या बढ़ी है. सरकार चाहती है कि प्रदेश की जनता खुश रहे , उनका जीवन आनंदमय रहे, बेरोजगार खुश रहें तो सबसे पहले सरकार को बेरोजगारी की समस्या को दूर करना चाहिये उसके बाद पेयजल की समस्या दूर करना चाहिये क्योंकि जल ही जीवन है. इस समय हमारे मनगवां में ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश में गंभीर पेयजल की समस्या है. आनंद मंत्रालय का जो हेप्पीनेस इंडेक्स है वह मात्र पन्नों में सिमटकर के रह गया है. जबकि प्रदेश की जनता में हेप्पीनेस इंडेक्स कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है. मंत्री जी से अनुरोध है कि बेकलाग की भर्ती शीघ्रता से करें अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्र छात्राओं को समय पर छात्रवृत्ति दिलायें, जो जनजातिय कल्याण विभाग है इसमें स्कूल और कालेज का स्टाफ है उसमें सामंजस्य स्थापित करके इस समस्या का निदान सरकार को करना चाहिये. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.

          श्रीमती उषा चौधरी (रेगांव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे एक मिनट में अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको धन्यवाद. उपाध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग और पिछड़ा वर्ग के लोग जो रसोइया के पद पर छात्रावास में कार्यरत हैं उनको मात्र 4 हजार रूपये वेतन के रूप में दिया जा रहा है. मजदूरों तक को प्रतिदिन के हिसाब से रूपये 300 की मजदूरी मिलती है लेकिन रसोईये को मात्र 4 हजार रूपये वेतन दिया जा रहा है तो मंत्री जी से अनुरोध है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रावासों में रसोईये का काम करने वाले को कलेक्टर दर पर भुगतान सुनिश्चित करने का कष्ट करें.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग के छात्र छात्राओं को जो छात्रवृत्ति दी जा रही है 144 रूपये है, 144 रूपये में उनकी शिक्षा कैसे पूर्ण हो सकती है. उन छात्र छात्राओ की मार्कशीट को भी स्कूल कालेज ने रोक कर के रखी है.तो मार्कशीट शीध्र दिलाने और इनकी छात्रवृत्ति तत्काल बढाये जाने का मैं अनुरोध करना चाहती हूं. उपाध्यक्ष महोदय, जिस तरह से हमारी बहन शीला त्यागा और भाई वेल सिंह भूरिया ने बाबा साहब भीमराम अंबेडकर की के बारे में जो मांग रखी है ,सदन में चर्चा तो कई बार हो चुकी है. पिछले सत्र में मैंने अपने लेटर पेड में 68 विधायकों के हस्ताक्षर करवाये थे, उस लेटर मे तीन मुद्दे थे, पहला बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा लगाई जाये, दूसरा मुद्दा था विधायकों का वेतन भत्ता बढाया जाये, तीसरा मुद्दा था विधायक निधि को बढ़ाया जाये. लेकिन विधायकों का वेतन भत्ता और विधायक निधि की मांग पूर्ण हो गई है और जो प्रथम मांग थी कि बाबा साहब अंबेडकर की सदन में छायाचित्र लगाया जाये और विधानसभा परिसर में प्रतिमा स्थापित की जाये उस मुद्दे पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है.

 

          उपाध्यक्ष जी, हम चाहते है कि बाबा साहब की प्रतिमा विधानसभा परिसर में लगाई जाये और सदन के अंदर बाबा साहब का छायाचित्र लगाया जाये. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद.

          राज्‍यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास एवं सामान्‍य प्रशासन  (श्री लालसिंह आर्य)--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, सामान्‍य प्रशासन विभाग की मांगों पर माननीय सदस्‍य सर्वश्री कमलेश्‍वर पटेल, यशपाल सिंह सिसौदिया जी, रामनिवास रावत जी, शंकरलाल तिवारी जी, बहन सुश्री हिना कावरे जी, मानवेन्‍द्र सिंह जी, डॉ. गोविंद सिंह जी, हेमंत खंडेलवाल जी, बहादुर सिंह जी, वेलसिंह भूरिया जी, बहन शीला त्‍यागी जी, बहन ऊषा जी आप सबने चर्चा में भाग लिया है और कुछ महत्‍वपूर्ण सुझाव भी दिये हैं, मैं सबसे पहले तो आपको धन्‍यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं कि आपने मेरे विभाग की मांगों पर चर्चा में भाग लिया.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, सुझाव के साथ-साथ कुछ इस प्रकार के विषय भी आये हैं जिसमें शंकायें, कुशंकायें भी कहीं न कहीं दिखाई दी हैं. मैं अपने भाषण के माध्‍यम से उन शंका, कुशंकाओं को समाप्‍त करने की कोशिश करूंगा. हमारे प्रारंभिक सदस्‍य ही इस प्रकार से चर्चा में बोले कि अब मंत्रालय में सुशासन नहीं है, कुशासन पैदा हो गया है. मध्‍यप्रदेश को बने हुये 61 साल हो गये और 61 साल में 43 साल आपकी सरकार रही, लेकिन वल्‍लभ भवन में आप न ई-फाईलिंग सिस्‍टम कर पाये, न फाइल ट्रेकिंग सिस्‍टम कर पाये. हमने यह तय कर लिया है.

          श्री कैलाश जाटव--  माननीय मंत्री जी, पुताई तक नहीं करवा पाये.

          श्री लालसिंह आर्य--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, न नई बिल्डिंग बनवा पाये, न यह तय कर पाये कि एक ही भवन में एक ही फ्लोर पर सारे विभाग काम कर पायें.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, जो भवन बना है, भवन का जो उद्देश्‍य होता था आम जनता को किसानों को, गरीबों को, मजदूरों को मदद पहुंचाने का वह काम हमारी सरकार करती थी, भवनों में पैसा खर्च नहीं करती थी.

          श्री लालसिंह आर्य--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, सुशासन पर भी कई बार लोगों ने टिप्‍पणियां कीं. सुशासन की दृष्टि से जो हमारा वल्‍लभ भवन है उसमें हम फाइल ट्रेकिंग सिस्‍टम बहुत जल्‍दी प्रारंभ करेंगे, हमारी प्रक्रिया अंतिम चरण में है, ताकि एक फाइल जो जगह-जगह धूल खाती थी, चक्‍कर लगाती थी वह प्रक्रिया बंद हो और नीचे से मंत्री तक की प्रक्रिया में पीएस हो चाहे कोई भी हो, फाइल कितने समय तक कहां रूकी हुई है वह सिस्‍टम न हो और समय पर फाइल बढ़ती जाये ताकि मध्‍यप्रदेश के जनसामान्‍य को उसका लाभ मिले और प्रक्रिया में तेजी आये. स्‍थानीय निवासी प्रमाण पत्र के लिये अब सुशासन समझ लीजिये कमलेश्‍वर जी. निवासी प्रमाण पत्र के लिये एसडीएम कार्यालय का चक्‍कर लगाना पड़ता था, शिवराज सिंह जी के नेतृत्‍व में इसी सरकार ने तय कर दिया कि अब जो भी स्‍थानीय निवासी है उसको जाति प्रमाण पत्र बनवाने की आवश्‍यकता नहीं है, अपने प्रमाण पत्र को खुद ही स्‍वप्रमाणित कर सकता है. सेल्‍फ अटेश्‍टेशन की कार्यवाही कर दी, यह सुशासन का अंग है ताकि लोगों को इधर-उधर नहीं भागना पड़े. स्‍थानीय निवासी प्रमाण पत्र जो 7 दिन में बनता था उसको भी अब 1 दिवस में बनाने की लोक सेवा गारंटी के तहत प्रावधान कर दिया.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, यह सिर्फ कहने के लिये है.

          श्री लालसिंह आर्य--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय,  मंत्रालय में ई-आफिस परियोजना का प्रारंभ भी शुरू कर दिया गया है और स्‍थानांतरण के लिये जगह-जगह हजारों लाखों लोग इधर-उधर भागते थे, हमने यह तय किया है कि ऑनलाइन स्‍थानांतरण के आवेदन भेजें, आपका किराया बचेगा, खाना बचेगा, होटल बचेगा, सब‍ कुछ बचेगा जिसके माध्‍यम से सभी विभागों में कहीं न कहीं स्‍थानांतरण करने की प्रक्रिया में जो सरलीकरण होना चाहिये था सुशासन की दृष्टि से वह काम भी मध्‍यप्रदेश की सरकार ने किया है. जन सुनवाई कभी नहीं होती थी, आज यह तय कर दिया गया कि मंगलवार को 2 घंटे लगातार सभी विभाग के अधिकारी जन सुनवाई के माध्‍यम से आम जनता की बात सुनेंगे. यह प्रश्‍न उठाया जा सकता है कि कितने प्रतिशत निराकरण हुआ, नहीं हुआ यह अलग विषय है, लेकिन आम आदमी वहां से संतुष्‍ट होकर आता है कि मेरी सुनवाई कहीं न कहीं हुई. वीडियो परख के माध्‍यम से भी माननीय मुख्‍यमंत्री जी और हमारे मुख्‍य सचिव वगैरह यह भी परख योजना के माध्‍यम से कहीं न कहीं लोगों की समस्‍याओं का निराकरण करने का काम करते हैं. पारदर्शिता की दृष्टि से, सुशासन की दृष्टि से अब मध्‍यप्रदेश की सरकार ने मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में यह भी कर दिया कि कर्मचारियों, अधिकारियों का गोपनीय प्रतिवेदन भी सम्मिलित होगा, यह पहले कभी नहीं हुआ, इसकी ऑनलाइन प्रक्रिया हमने की है, आपने 181 का कहा चूंकि यह मेरे विभाग का विषय नहीं है, लेकिन उन्‍होंने बात की है. यह सुशासन के अंग हैं चाहे 181 हो, चाहे 100 डायल हो, यह जो विषय हैं, चाहे ई-टेंडरिंग हो, चाहे ई-मेजरमेंट हों, चाहे ई-पेमेंट हो भ्रष्‍टाचार, घोटालों पर अंकुश लगाने के लिये मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्‍व में सुशासन के एक नहीं कई मापदण्‍ड तय किये गये हैं, जिनके कारण लोगों को लग रहा है कि मध्‍यप्रदेश में वास्‍तव में एक अच्‍छी सरकार चल रही है, उसका परिणाम यह है कि एक बार नहीं, तीन बार मध्‍यप्रदेश की जनता ने मुख्‍यमंत्री जी को आशीर्वाद दिया है. अगर मध्‍यप्रदेश में कुशासन होता तो 5 साल तक सरकारें चलती नहीं हैं. मध्‍यप्रदेश में15 साल से लगातार सरकार चल रही है. कुछ कर्मचारियों के बारे में बातचीत की गई कि कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं, कर्मचारियों के साथ प्रताड़ना हो रही है, लेकिन उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से कहना चाहता हूं यह सरकार डंडों और लाठियों की सरकार नहीं है, टेबल पर बैठकर कोई चीज अगर क्रमोन्‍नति विसंगति है, वेतन विसंगति है, पदोन्‍नति विसंगति है, किसी भी प्रकार की विसंगति है उसको ज्ञापन के माध्‍यम से भी मान लेती है, उसको चर्चा के माध्‍यम से भी मान लेती है और उसके परिणाम मैं बड़े दिखाना चाहता हूं. कार्यभारित कर्मचारी जो वर्षों से आपके समय से लगे हुये थे, बेचारे गड्डे भर रहे थे, कोई किसी अधिकारी के यहां काम कर रहा था, किसी नेता के यहां काम कर रहा था. लगातार वह कर्मचारी मेरे पास आते थे, चूंकि वह जिम्‍मेदारी मेरे पास थी कि मंत्री जी हमारे भाग्‍य का उदय कब होगा. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहता हूं मध्‍यप्रदेश में कार्यभारित कर्मचारी 60 हजार हैं, जिनके भाग्‍य का फैसला उनके पक्ष में कभी नहीं हुआ, लेकिन मैं आपके माध्‍यम से कहना चाहता हूं, उनको हमने अनुकम्‍पा नियुक्ति का प्रावधान कर दिया, स्‍थानांतरण नीति का प्रावधान कर दिया, शासकीय सेवकों के समान  10, 20 और 30 वर्ष की सेवा पूर्ण होने पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय समयमान वेतनमान का प्रावधान कर दिया. 60 हजार लोगों के साथ यह न्‍याय हुआ है. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का भी इसी प्रकार का हाल था, उनको लगता ही नहीं था कि हम सर्विस करेंगे तो इसके बाद हमारा भविष्‍य में होगा क्‍या. मध्‍यप्रदेश के 48 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी जो अपने भाग्‍य को कोस रहे थे, लेकिन शिवराज सिंह जी के नेतृत्‍व में हमने इनको स्‍थाईकर्मी केडर देकर और वेतनमान को इनसे भी जोड़ दिया और महंगाई भत्‍ता भी हम इनको देंगे, वेतनवृद्धि भी देंगे और अर्द्धवार्षिकी आयु पूर्ण होने पर ग्रेच्‍युटी भी देने का काम हम करेंगे, यह 48 हजार कर्मचारी यानि कि 1 लाख 8 हजार कर्मचारियों के पक्ष में एक बड़ा फैसला हमारी सरकार ने किया है. स्‍वाभाविक है कि लोगों की अपेक्षायें ज्‍यादा होती हैं, लेकिन मैं कभी-कभी समाचार चेनलों पर जाता हूं और मुझसे प्रश्‍न पूछते हैं कि भैया आपने यह मांग पूरी नहीं कि तब मैं कहता हूं कि मध्‍यप्रदेश का किसान 70 प्रतिशत गांव में रहता है और हम सब लोग कहीं न कहीं किसान पुत्र हैं, अगर वह संकट में आता है तो हमें कहीं न कहीं सरकार को उसके संकट पहले देखना पड़ते हैं, लेकिन आपकी व्‍यवस्‍थायें भी हैं, वह भी सरकार देख रही है इसलिये धैर्य रखिये यही वह सरकार है जो गुरूजी को सम्‍मान देती है, यही वह सरकार है जो शिक्षाकर्मी को सम्‍मान देने का काम करती है, यही वह सरकार है जो संविदाकर्मी को भी सम्‍मान देती है और हमने अनुकम्‍पा नियुक्ति का इतना सरलीकरण कर दिया कि 61 सालों में जो विद्युत मण्डल का कर्मचारी लाईनमेन का काम करता था उनको अनुकम्पा नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं था, लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार ने उनको भी अनुकम्पा नियुक्ति के दायरे में लाकर उनको भी सम्मान देने का काम किया है. अनुकम्पा नियुक्ति में बेटा बेटी के बारे में कोई प्रावधान नहीं था, तो आखिर किसको मिलेगी अनुकम्पा नियुक्ति अगर उसका मां-बाप बुजुर्ग है तो उनको कौन संभालेगा इसलिये मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में फैसला किया कि अगर वैधानिक दृष्टि से किसी ने किसी को गोदनामा लिया है तो उनको भी अनुकम्पा देने का काम मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है. जिनके बेटे नहीं हैं और बेटियों की शादी हो गई है, तो उनकी बेटी शादीशुदा है उसको भी अनुकम्पा नियुक्ति के दायरे में लाने का काम कर दिया है. लोकतंत्र सेनानी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मध्यप्रदेश में 750 है इनकी हेल्थ के मामले में बहुत सारी दिक्कतें थीं पिछले दिनों जब हम लोगों की बैठक हुई उसमें हम लोगों ने कलेक्टर को अधिकार दे दिये कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अगर कोई बीमार होता है आपको सरकार की तरफ नहीं देखना है, आपको इनका अधिकार दिया जाता है. उनका जो मानदेय था वह भी बढ़ाकर 25 हजार रूपये कर दिया है. लोकतंत्र सेनानी जो थे मध्यप्रदेश में 2604 उनके मानदेय को भी बढ़ाकर हमने 25 हजार रूपये कर दिया है, यानि समान कर दिया. उनकी बीमारी के लिये 50 हजार रूपये तक के अधिकार मध्यप्रदेश की सरकार के पास थे वह पॉवर भी हम लोगों ने कलेक्टरों को दे दिये ताकि उनको भोपाल की तरफ नहीं आना पड़े. बेकलॉग की बात चल रही थी मैं माननी सदस्यों को बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में विशेष भर्ती जो अभियान चलाया गया उसके तहत कुल 59857 भर्तियां कर दी गई हैं जिसमें अनुसूचित जाति के 70575, अनुसूचित जनजाति के 29778, अन्य पिछड़े वर्ग के 12504 बेकलाग के पदों की पूर्ति प्रतिवेदित हो चुकी है. 2017 में लगातार पदों की भर्ती की प्रक्रिया कर रही है. मध्यप्रदेश सरकार ने 2017 में ए.सी.3078 पद, एस.टी.3168 पद, ओ.बी.सी. के 2773 पद कुल-मिलाकर अनुसूचित जाति, जनजाति तथा पिछड़े वर्ग की बार बार राजनैतिक लाभ लेने की दृष्टि से विषय उठाये जाते हैं. मुझे लगता है कि आजकल पारदर्शी प्रक्रिया है उसको आप कम्प्यूटर से देख सकते हैं. कुल-मिलाकर 9019 पद भरने का काम कर दिया है और शेष जो बेकलॉग के पद हैं उनकी सीमा को बढ़ाने का काम कर दिया है. विभिन्न विभागों में यह भर्ती प्रक्रिया चालू रखी जाये, यह भी हमने काम किया है. एक बहुत बड़ी व्यथा मध्यप्रदेश में थी कि लगातार केंसर के मरीज बढ़ रहे हैं उसके कारण लोग काफी तकलीफ में आते हैं. एक समय मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान 1-2-3 करोड़ रूपये होता था एक संवेदनशील मुख्यमंत्री जी ने कोई भी विधायक अथवा कोई भी आदमी आये अगर गंभीर बीमार है वह इस्टीमेट लेकर आवेदन लेकर आता है तो उसको कहीं पर भटकने की आवश्यकता नहीं है इसीलिये मुख्यमंत्री जी ने लगातार अपने स्वेच्छानुदान में केबिनेट, विधान सभा के माध्यम से बजट को बढ़ाया. 2017-18 में 33 हजार 859 गंभीर बीमारी से परेशान लोग थे उनको मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से पैसा देने का काम किया है. वह देश में किसी भी हॉस्पीटल में जो मध्यप्रदेश से संबद्ध हैं, उनको देने का काम किया है. विशेष पिछड़ी जातियों की बात चल रही थी. मैं प्रभारी मंत्री श्योपुर में था, चूंकि रामनिवास जी हैं नहीं मैंने भाषाई शिक्षक जो 43 थे उनको हटा दिया था. 33 को मैंने प्रभारी मंत्री रहते हुये पुनः पदस्थ करने का काम श्योपुर के कराहल विधान सभा क्षेत्र के विजयपुर में किया है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चाहे भारिया हो,सहरिया हो,बैगा हो ये जो जिले हैं श्योपुर,मुरैना,दतिया,ग्वालियर,भिण्ड,शिवपुरी,गुना,अशोक नगर,मण्डला,डिण्डौरी,शहडोल,

उमरिया,बालाघाट,छिन्दवाड़ा में. इनमें हमने सीधी भर्ती की प्रक्रिया के तहत् 695 व्यक्तियों को नौकरी देने का काम कर दिया है और इसे बंद नहीं किया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने तो यहां तक कहा है कि कैम्प लगाकर इनकी भर्ती करने की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दीजिये. मध्यप्रदेश की सरकार ने तो यह भी निर्णय लिया है कि गृह विभाग के आरक्षक और राजस्व विभाग के पटवारी के जो पद हैं उनमें भी जनजाति के जो अति पिछड़े लोग हैं उनकी सहमति प्रदान करके उनको भी भर्ती प्रक्रिया में नियुक्त किया जाये. यह बहुत बड़ा निर्णय मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. मैं बचपन में अनुसूचित जाति का होने के नाते मैं जाति प्रमाणपत्र बनवाने जाता था मैं उसकी पीड़ा बताना चाहता हूं. जब भी हम पटवारी,तहसीलदार के पास,एस.डी.एम. के पास प्रमाणपत्र बनवाने जाते थे कहीं न कहीं अपमान झेलना पड़ता था. मैं आवेदन लेकर गया प्रमाणपत्र बनवा दीजिये लोगों ने कहा कोई और काम नहीं है इसके अलावा जाओ परसों आना और वहीं से तय हुआ कि हमको कहीं न कहीं जाति प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया सरल करनी चाहिये. आज से ढाई साल  पहले मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हमने जाति प्रमाणपत्र बनाने की प्रक्रिया सरल कर दी क्योंकि 1950 में सुप्रीम कोर्ट में जो निर्णय हुआ उसके अनुसार जाति प्रमाणित करने के लिये प्रमाण देना पड़ता है और इसलिये बार-बार विधान सभा में यह बात आई कि प्रक्रिया को सरल करना चाहिये तो हमने प्रक्रिया को सरलीकृत कर दिया और इसमें यह तय किया कि कक्षा एक से इण्टर तक स्कूलों में जो बच्चे एडमीशन लेते हैं तो एडमीशन के साथ ही उसको जाति प्रमाणपत्र का फार्म मिल जायेगा. उसमें फीस 300 रुपये लगनी थी. 100  रुपये का स्टाम्प,200 रुपये की नोटरी, इसको हमने समाप्त कर दिया और आनलाईन डिजिटल हस्ताक्षर युक्त दो प्रमाणपत्र हम दे रहे हैं. केन्द्र की नौकरी में काम आने वाला और प्रदेश की नौकरी में काम आने वाला. यह प्रमाणपत्र हम लेमीनेटेड करके दे रहे हैं और 1 करोड़ 26 लाख जाति प्रमाणपत्र एससी,एसटी,ओबीसी,घुमक्कड़,अर्द्धघुमक्कड़ जाति के बच्चों को उनके हाथ में सौंपने का काम किया है यह बड़ा फैसला है. इनके परिवारों को जोड़ दिया जाये तो 5 करोड़ लोग होते जिन्हें चक्कर काटना पड़ता लेकिन हमने माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में बच्चों के हित में और अनुसूचित जाति,जनजाति के हित में बहुत  बड़ा फैसला किया है. अस्थि बाधित,दृष्टि बाधित,श्रवण बाधित जो लोग हैं इनको भी 6 परसेंट आरक्षण देने का काम मध्यप्रदेश सरकार कर रही है और  अस्थि बाधित,दृष्टि बाधित और श्रवण बाधितों के लिये कुल मिलाकर जो रिक्त पद थे उनमें द्वितीय,तृतीय,चतुर्थ श्रेणी के मिलाकर कुल 655 लोगों को नियुक्ति देने का काम मध्यप्रदेश सरकार ने किया है. लोकायुक्त संगठन पर कई बार उंगली उठती है. विपक्ष उठा सकता है लेकिन मुझे लगता है ऐसी सेल्फ डिपेंड जो संस्था है मुझे लगता है उस पर उंगली नहीं उठाना चाहिये. 2017 में,1.1.2017 से 31.12.2017 तक 12 महीने के अंदर 254 ट्रेप के प्रकरण लोकायुक्त ने किये. 12 बड़े छापे मारे और 25.10 करोड़ रुपये की राशि जप्त की है. 238 प्रकरणों में विशेष न्यायालयों में चालान प्रस्तुत किये हैं और 112 प्रकरणों में दण्डादेश भी पारित किये हैं. इसी प्रकार से लोक सेवा आयोग परीक्षा के बारे में विषय उठे हैं. स्वाभाविक है कुछ प्रश्नों के बारे में विषय उठते हैं लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि उसके लिये भी मध्यप्रदेश सरकार ने और लोक सेवा आयोग ने निर्णय किये हैं. अगर किसी बच्चे के साथ त्रुटिपूर्ण या टंकण त्रुटि से कोई गलती हुई है. तो हमने उसको स्वीकार करते हुए और उन बच्चों को उन परीक्षाओं में पास करने का काम या पुनः बैठाने का काम किया है और लगातार भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए पीएससी काम कर रहा है. मध्यप्रदेश के सम्मानीय विधायकों ने एक बात की थी कि मध्यप्रदेश का भवन कहां पर बन रहा है? मैं यह बताना इसलिए आवश्यक समझता हूं, यह जो चाणक्यपुरी में जो जीसस एंड मेरी मार्ग और राधाकृष्ण मार्ग है यहां पर टी जंक्शन बनता है वहां पर विदेशों के मंत्रालयों के  कार्यालय भी नई दिल्ली में हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं 1.47 एकड़ का जो भू-खण्ड है, यह हमको मिल गया है. मैं आपको बताना चाहता हूं चूंकि मध्यप्रदेश भवन बहुत छोटा है और यह नया भवन बहुत बड़ा बनने वाला है. इसमें माननीय राज्यपाल महोदय, माननीय मुख्यमंत्री, माननीय मुख्य न्यायधीश महोदय के स्वीट होंगे. 36 सुपर डीलक्स कक्ष होंगे. 41 डीलक्स कक्ष होंगे..

उपाध्यक्ष महोदय - आप इसमें स्पीकर साहब का स्वीट नहीं रखेंगे?

श्री लाल सिंह आर्य - ..वह डीलक्स वाले हैं.

उपाध्यक्ष महोदय - संवैधानिक संस्थाएं तीन हैं, न्यायपालिका, मुख्यमंत्री जी और स्पीकर.

श्री लाल सिंह आर्य - 4 डॉरमिट्री होंगी.

उपाध्यक्ष महोदय - जो मैं कह रहा हूं वह आपने नोट कर लिया कि नहीं?

श्री लाल सिंह आर्य - उपाध्यक्ष महोदय, जी हां, दिमाग में कर लिया है, वह लिखूंगा बाद में.

उपाध्यक्ष महोदय - दिमाग में नहीं, कागज में कर लीजिए.

श्री लाल सिंह आर्य - उपाध्यक्ष महोदय, 3 कांफ्रेंस हॉल होंगे. विधायकों को सुविधाएं दिल्ली में ठीक ढंग से मिल जाय क्योंकि यह बहुत छोटा था. उसमें बहुत अच्छी पॉर्किंग की व्यवस्था भी करने वाले हैं और इसकी प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है. बहुत जल्दी उसका काम भी कहीं न कहीं प्रारंभ होने वाला है. इसी प्रकार से नवी मुम्बई में जो एक राज्य अतिथि गृह बन रहा है, उसमें भी इस प्रकार की व्यवस्था हो रही है. चूंकि आपने संकेत दिया है कि जल्दी करें. उपाध्यक्ष महोदय, मानवाधिकार के बारे में एक विषय आया था. उन्होंने कहा कि खाली डला है. ऐसा नहीं है. माननीय श्री मनोहर ममतानी जी, मानवाधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष हैं, वे मजिस्ट्रेट हैं. वे मानवाधिकार आयोग का काम देख रहे हैं और दिनांक 31.12.17 तक कुल 7777 शिकायतें प्राप्त हुईं, उसमें 6144 शिकायतों का निराकरण मानवाधिकार आयोग में हो चुका है. हमारा आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी मध्यप्रदेश जो है अभी तक उसमें आईएएस, आईपीएस, डिप्टी कलेक्टर, एडिशनल कलेक्टर, सीईओ का प्रशिक्षण होता था. मध्यप्रदेश की सरकार ने यह भी तय किया है कि हमारे जो तृतीय, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं, चाहे वे वल्लभ भवन के हों, चाहे दूसरी जगहों के हों, इनके कार्य-व्यवहार में परिवर्तन हो, इनका व्यवहार आम जनता के प्रति अच्छा हो, उनको भी हमने प्रशिक्षण देने का काम प्रारंभ कर दिया है ताकि आम जनता जो है उसको अपने काम में, उसका काम कराने में कभी अपमानित न होना पड़े. उसको लगे कि हैपीनेस इंडेक्स मध्यप्रदेश में आ चुका है. इस प्रकार का प्रशिक्षण भी हम लोग दे रहे हैं. हमारे वल्लभ भवन के कर्मचारियों ने भी प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है.

उपाध्यक्ष महोदय, आनन्दम् की बात है. आनन्दम् संतोष और संतुष्टि से होता है. अगर मन में संतोष नहीं है और संतुष्टि नहीं है तो फिर आनन्दम् का कोई मतलब नहीं है. अभी यह विभाग नया है, लेकिन नया विभाग होने के बावजूद भी इस आनन्दम् विभाग ने एक नहीं, कई नवाचार मध्यप्रदेश में किये हैं. मुझे कहते हुए खुशी है कि 4647 स्वयं सेवकों द्वारा अभी तक आनन्दम् का पंजीयन करा लिया गया है. जो अवैतनिक हैं, जिनको वेतन नहीं मिलना है. उन्होंने कहा कि हम सेल्फडिपेंड होकर जनता की सेवा करेंगे. इतने लोगों ने अभी  तक रजिस्ट्रेशन कराया है. आनन्द उत्सव जो वर्ष 2018 का हुआ, इसके अंतर्गत 8609 स्थानों पर खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियां हुई. आपने कहा कि यह करने का मतलब क्या है? उपाध्यक्ष महोदय, पंचायत मुख्यालय पर गांवों में हमारी खेल-कूद की प्रतिभाएं हैं. हमारे जो स्थानीय गायक हैं, वे लोग स्थानीय स्तर पर सम्मानीत हों, वहीं पर खेलकूद की गतिविधियां हों, वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम करें. पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से 3-3 पंचायतों का कलस्टर बनाकर हमने ये गतिविधियां आयोजित कराई हैं और उसका परिणाम यह निकला है, आम आदमी ने यह कहा है कि मध्यप्रदेश की सरकार ने ये कार्यक्रम बहुत अच्छे किये हैं. 23000 पंचायतों में ये कार्यक्रम हुए हैं और 386 नगरीय क्षेत्रों में भी ये कार्यक्रम हुए हैं. सरकार का काम केवल सत्‍ता चलाना नहीं है. सरकार का काम यह भी है कि आम जनता के मन में यह भावना पैदा करे कि अपने लिये नहीं, अपने पास जो कुछ है वह दूसरों को देने की आदत भी मन में आनी चाहिये और इस प्रकार से पूरे मध्‍यप्रदेश में लोग घरों से निकले हैं. कपड़े, खिलौने, पुस्‍तकें देने का काम किया है, स्‍वास्‍थ्‍य के लिये कैम्‍प लगाने का काम किया है. इसके अलावा आनंदम विभाग को और ज्‍यादा विस्‍तार देने की दृष्टि से मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में उसकी एक बैठक भी आयोजित हुई और उसमें श्री प्रणव पंड्या, अनुपम खेर जैसे लोगों के अनुभव का लाभ मिले. हमने बैंगलोर आर्ट ऑफ लिविंग से टाय-अप किया है, हमने एनिशिएटिव-पुणे, ईशा फाउण्‍डेशन-कोयम्‍बटूर से एमओयू हस्‍ताक्षर किया है. कुल मिलाकर माननीय मुख्‍यमंत्री जी का जो उद्देश्‍य इस विभाग को प्रारंभ करने का था वह हमारे जो बुजुर्ग हैं, हमारे उपयोग की सामग्री है, इन सबके प्रति लोगों का सेवा भाव पैदा हो और मुझे लगता है कि इतने विधायक बैठे हैं, कोई न कोई सेवा करता ही होगा, लेकिन यह सेवा भाव और बढ़े, इस कारण से इस विभाग को प्रारंभ किया गया है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, जहां तक विमानन की बात है दो मिनट में मैं यह बात भी समाप्‍त कर दूंगा. हमारी 25 हवाई पट्टियां हैं, उनके संधारण का काम लगातार हम लोग कर रहे हैं, लेकिन एक सूचना जरूर देना चाहता हूं कि इंदौर, भोपाल हमारे जो हवाई अड्डे हैं, हमने केन्‍द्र सरकार से आग्रह किया है कि इनको अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर का बनाने की प्रक्रिया आप संचालित करें. मुझे लगता है कि भविष्‍य में कहीं न कहीं यह काम होगा. हमने केन्‍द्र सरकार के विमानन विभाग से यह भी आग्रह किया है कि हमारे मुस्लिम समाज के लोग जो जद्दा में यात्रा करने जाते हैं वह हवाई यात्रा इंदौर और भोपाल से करें. मुझे लगता है कि इसमें भी आने वाले समय में हमको मदद मिलेगी. उपाध्‍यक्ष महोदय, दिल्‍ली-ग्‍वालियर, भोपाल-इंदौर और ग्‍वालियर-दिल्‍ली, यह भी विमान सेवा शुरू की है. कुल मिलाकर माननीय मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में सुशासन का काम हो रहा है. आम आदमी के जीवन में आनंद कैसे हो, इसके प्रति काम हो रहा है. मुझे लगता है कि यह सब नहीं हो रहा होता तो मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री के प्रति लोगों के मन में श्रद्धा और विश्‍वास पैदा नहीं होता और तीसरी बार सरकार बनाने का काम नहीं होता. इसलिये मैं माननीय विधायकगण से आग्रह करता हूं कि हमारे विभाग की मांगों को आप सर्व सम्‍मति से पारित करने का कष्‍ट करें.


 

3.55 बजे             (2) मांग संख्य- 6            वित्त

                             मांग संख्या-7            वाणिज्यिक कर

 

 

 

                  

 

          उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.

          अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.

          पूर्व परम्परा अनुसार वित्त विभाग से संबंधित मांग संख्या 6 पर चर्चा नहीं की जाती है.

                   श्री जितू पटवारी (राऊ) -- धन्यवाद उपाध्यक्ष महोदय.  मांग संख्या 7   पर  प्रस्तुत कटौती प्रस्तावों पर आपने चर्चा में  मुझे बोलने के लिये अवसर दिया.   वित्त मंत्री जी ने  बजट पेश करते हुए बहुत सी बातें कहीं थीं.  यह जीएसटी के बाद  मध्यप्रदेश  का  पहला बजट अभी हम सबके सौभाग्य में आया है कि  इसके बाद क्या क्या   कमियां  रहीं,  क्या  क्या इससे लाभ हुए  प्रदेश को.  जीएसटी के बाद प्रदेश को किन हानियों और लाभ से गुजरना पड़ा,  इस सबकी चर्चा के लिये आज हम यहां उपस्थित हैं.   बार-बार जब भारतीय जनता पार्टी सरकार  में थी,  जीएसटी की बात होती थी, केंद्र   में  यूपीए की सरकार थी, तब हमेशा एक बात   शायद वित्त मंत्री जी भी  इस पर जीएसटी में पेट्रोल और डीजल  को सम्मिलित करना चाहिये,  इस प्रकार की  कई बार मांग  कर चुके होंगे,  क्योंकि भारतीय जनता पार्टी  ऐसी मांग करती रहती थी.शराब को लेकर भी..

                   राज्यमंत्री,श्रम (श्री बालकृष्ण पाटीदार) -- पटवारी जी,  आपने कहा कि भारतीय जनता पार्टी  सत्ता में थी, ये थी नहीं  है.

                   श्री दिलीप सिंह परिहार --  जितू भाई, और रहेगी.

                   श्री जितू पटवारी --   उपाध्यक्ष महोदय, मैं अनुरोध यह कर रहा था कि  शराब और पंजीयन का जितना शुल्क होता है,   यह  तीन बड़ी आमदनी के, वाणिज्यिक  कर के भाव   से मध्यप्रदेश को आते हैं,  सरकार को  अर्थ व्यवस्था के अंतर्गत आते हैं.  चुनावी वर्ष है.  सबसे ज्यादा वेट लेने वाला हमारा प्रदेश है.  यह गौरव भी वित्त मंत्री जी ने हमें दिलाया है  और  उस पर भी सेस लगाना,  मुझे याद है जब  भी   वित्त मंत्री जी से  यह पूछा जाता है कि  आपने  1 लाख 71 हजार करोड़ रुपये  के कर्ज में  मध्यप्रदेश  को डुबो दिया, तो  वह कहते हैं कि हमें गर्व है,  विकास के लिये कर्ज लेना कोई बुरी बात नहीं है और विकास से कर्ज बैलेंस होता है.  हमने कर्ज लिया  है, तो  चुकायेंगे भी.  ऐसे भाव कई बार उन्होंने  प्रकट किये हैं. मैं  समझ नहीं पाता हूं कि  हमेशा  आपने कर्ज को बैलेंस  करने की बात की , विकास के लिये करने की बात की तो  फिर पेट्रोल एवं डीजल पर सेस लगाने की  आवश्यकता क्यों  पड़ी है. यह भार आप जनता पर क्यों डालते हैं.  आप पहले तो  कहते हैं कि  विकास  तो हमारा बैलेंसिंग मॉडल है.  कर्ज जो लेते हैं, वह  चुकाने  की हमारी क्षमता है. जैसे  ही आप उससे बाहर होते हैं,  जनता पर बोझ डाल देते हैं.  तो मैं समझता हूं कि वित्त मंत्री जी यह न्यायोचित नहीं है.  मैं आपसे  अनुरोध करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश 1 लाख 71  हजार के कर्ज में है . लगभग 7 करोड़ की जनसंख्या है,  उस हिसाब से लगभग 20 से  24  हजार रुपये प्रति व्यक्ति कर्जे में है.  आपका पोता  भी, आप भी और मैं भी हूं.  मेरे परिवार के मेरे माता पिता भी हैं. मध्‍यप्रदेश का एक-एक नागरिक इस कर्ज में है. मध्‍यप्रदेश की औसत आय 5400 रुपये है. प्रधानमंत्री जी कहते हैं कि सबका जीरो बेलेंस पर बैंक में एकाउंट खोल दो.  

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, आय 5400 रुपये नहीं, 75 हजार रुपये हो गई है. असत्‍य बोल रहे हैं.

          श्री जयंत मलैया -- बहादुर सिंह जी, आपने इनको सही पकड़ा, और ये जो आंकड़ा बता रहे थे, वह अपनी पुरानी सरकार का वर्ष 2003 का बता रहे थे.

          श्री आशीष गोविन्‍द शर्मा -- माननीय उपाध्‍यक्ष जी, बहादुर भाई की वित्‍त विभाग में भी बहुत अच्‍छी दखल है.         

          श्री जितू पटवारी -- मैं आंकड़े के साथ ही बोल रहा हूँ, जरा सुनें, मैं बताता हूँ. आप अपने उत्‍तर में जवाब देंगे, अच्‍छा लगेगा. उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं अनुरोध यह कर रहा था कि प्रधानमंत्री जी यह कहते हैं कि जीरो पर हमें खाते खोलने हैं. बैंक कहता है कि 3 हजार रुपये अगर आपने नहीं डाले तो आपके वे रुपये भी घुल जाएंगे और पैनल्‍टी अलग लगेगी. आप यह देखें, सरकार गरीबों को 150 रुपये की पेंशन देती है, मंत्री जी, आपकी कैसी अर्थव्‍यवस्‍था है, यह स्‍पष्‍ट नहीं हो पा रहा है. एक-एक व्‍यक्‍ति परेशान है. मुझे यह समझ नहीं आता है कि पूरे देश में महिलाओं के सशक्‍तिकरण की बात की जाती है. आप भी कई बार कहते हैं, बजट भाषण में भी आपने 3-4 बार पूरी ताकत से उल्‍लेख किया. अपना एक ही प्रदेश ऐसा है, जहां पर महिलाओं के किसी भी पंजीयन करवाने पर कोई किसी प्रकार की छूट नहीं है. आपने उनको भी नहीं छोड़ा, पर सशक्‍तिकरण होना चाहिए. मंत्री जी, मैं समझता हूँ कि इस पर आपको गौर करना चाहिए. एक बात और महत्‍वपूर्ण है कि जीएसटी और नोटबंदी के बाद रियल इस्‍टेट की जो कमर टूटी, वह किसी से छिपी नहीं है. सब लोग आपसे भी मिलने आते हैं. प्रधानमंत्री जी का सपना है कि सबको ..(व्‍यवधान)..

          श्री शंकरलाल तिवारी -- पटवारी जी, जरा ठीक-ठाक बोलें. यह पूरे प्रदेश में भ्रम जाएगा, पंजीकरण में महिलाओं को छूट है और आज से नहीं है, बहुत पहले से है.

          श्री जितू पटवारी -- पहले थी, अब समाप्‍त कर दी. यही तो है भाई साहब.

          श्री शंकरलाल तिवारी -- नहीं की.       

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इंदौर वालों ने हमारे क्षेत्र में आकर 2 हजार रुपये बीघे की जमीन को 10 लाख रुपये का रेट कर दिया. इतना रियल इस्‍टेट है. इंदौर वालों ने उज्‍जैन की जमीनें महंगी कर दी.

          श्री जितू पटवारी -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं अनुरोध यह कर रहा था कि माननीय प्रधानमंत्री जी का सपना है कि हर व्‍यक्‍ति को घर मिले. आपने ईडब्‍ल्‍यूएस और एलआईजी के जो मकान होते हैं, उन पर भी रजिस्‍ट्री का कोई प्रोविजन ऐसा नहीं रखा है कि उनको राहत मिले. इस पर यदि आप गौर करें तो आपकी मेहरबानी होगी. उपाध्‍यक्ष महोदय, वित्‍त मंत्री जी की एक बात अच्‍छी लगती है कि ये बड़े उद्योगों को बहुत साथ देते हैं. उनके फलने-फूलने, उनको बैंकों की छूट और गबन कर जाएं, केन्‍द्र सरकार, राज्‍य सरकार सब मदद करती है, खा जाओ, बैंक डूब जाएगी तो डूब जाएगी, पर हमारी मध्‍यप्रदेश की सरकार ने जो उद्योगों को मर्जर करने की व्‍यवस्‍था में पूरी छूट दे दी, उनके पंजीयन में, मैं समझता हूँ कि उन पर थोड़ा आप भार डालते और जनता पर छोड़ते तो मेहरबानी होती, मंत्री जी, यह ज्‍यादा अच्‍छा लगता.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं एक और अनुरोध करना चाहता हूँ कि डीजल और पेट्रोल की बात आई, सेस की बात आई, देश में जिस तरीके से पेट्रोल पर 28 प्रतिशत वेट आपका है. 4 रुपये प्रति लीटर उस पर अतिरिक्‍त कर और 1 रुपये का 1 प्रतिशत का उपकर, मध्‍यप्रदेश को यह गौरव आपने दिलाया है. हम जब धार से निकलते हैं, गुजरात की तरफ जाते हैं, झाबुआ की तरफ से महाराष्‍ट्र जाते हैं या प्रदेश के बाहर कहीं भी जाते हैं, पेट्रोल पंपों के पहले लिखा होता है गुजरात में मध्‍यप्रदेश से सस्‍ता है पेट्रोल, यह गौरव भी मध्‍यप्रदेश को आप ही ने दिलाया है कि यहां के लोग यहां डीजल, पेट्रोल न डलाएं, बाहर जाकर डलाएं, यह मेहरबानी तो आप ही कर सकते हैं, इसके लिए तो आदरणीय वित्‍त मंत्री जी, आपकी जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है. शराब की बात आई, और भी बहुत सी बातें हैं. वाणिज्‍यिक कर का एक बहुत बड़ा हिस्‍सा शराब से हम लोग प्राप्‍त करते हैं और हमने समय-समय पर कई बार मांग की, मुख्‍यमंत्री जी भी इस मुद्दे पर बहुत संवेदनशील हैं, उन्‍होंने नर्मदा सेवा यात्रा निकाली तो कहा कि हम नर्मदा जी के आसपास अब शराब की एक दुकान नहीं खुलने देंगे. हाईकोर्ट के निर्देश हुए कि हाईवे के आसपास कोई शराब की दुकान नहीं खुलेगी. अभी आपने अपने बजट भाषण में कहा और राज्‍यपाल जी के अभिभाषण के दौरान भी बात आई कि एक भी शराब की नई दुकान इस बार मध्‍यप्रदेश में नहीं खुली, यह हमारे लिए गौरव की बात है. वित्‍त मंत्री जी, आपके रिकार्ड के हिसाब से तीन साल में 25 प्रतिशत शराब की बिक्री बढ़ी, तो दुकान नहीं खुली, ठेले पर बिकवा दी आपने, यह गौरव भी आप ही ने मध्‍यप्रदेश को प्राप्‍त करवाया है. इसके लिए भी आपको मैं साधुवाद देना चाहता हूँ. आप देखेंगे कि इंदौर में एक कांड हुआ. आदरणीय नेता प्रतिपक्ष जी ने एक बार यह सवाल उठाया था. करीब 41 करोड़ रूपए का गबन हो गया और दोनों विभाग के मंत्री माननीय वित्‍त मंत्री जी थे और जो अधिकारी और कर्मचारी थे वे 13 दिन के लिए सस्‍पेंड हो गए फिर वापस आ गए और वह गबन यथावत है. 6-7 लोग जेल में हैं और छोटे-छोटे बच्‍चे, नौकर-चाकर जिनके नाम से काम हो रहा था बाकी सब गोलमोल है. यह गौरव भी आप ही के पास मिल सकता है. मध्‍यप्रदेश की सराहना तो करनी चाहिए क्‍योंकि अभी माननीय मंत्री जी  भ्रष्‍टाचार मुक्‍त प्रदेश कह रहे थे. माननीय मंत्री जी इतना सब होता है और यदि गलती से हम लोग भ्रष्‍टाचारी सरकार कह देते हैं तो हमारे ऊपर कार्यवाही होती है. यह गौरव भी आप ही दिलवा सकते हैं, दूसरा नहीं दिला सकता है. यह मेहरबानी भी आपकी है. आप देखिए कि आपने रिकॉर्ड कैसा कायम किया.

          आदरणीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं सभी सम्‍मानीय सदस्‍यों से अनुरोध करना चाहता हॅूं. यह बहुत गंभीर बात है. हमारे देश में प्रति व्‍यक्ति आय की बात हुई थी और उस पर टोकाटाकी हुई थी. यह तो मानेंगे कि आदिवासियों की प्रति व्‍यक्ति आय 36 हजार रूपए देश के नॉर्म्‍स के हिसाब से है. यहां पर मैं तीन आदिवासी जिलों का जिक्र कर रहा हॅूं. अलीराजपुर, झाबुआ और धार. अब इनकी आबादी पर जाना चाहें तो अलीराजपुर की आबादी 2 लाख 28 हजार है और यहां इस बार सरकार ने 109 करोड़ रूपए का ठेका किया है. इस हिसाब से 109 करोड़ रूपए की शराब वहां बिकनी है. यदि वह भार पूरा डिवाइड करें कि किस व्‍यक्ति ने कितनी शराब पी, तो 47 हजार रूपए साल की शराब अलीराजपुर जिले में आपकी सरकार पिलाती है और वहां प्रति व्‍यक्ति आय 36 हजार रूपए है. माननीय वित्‍त मंत्री जी, यह मैकेनिज्‍म क्‍या है, कृपया इसका उत्‍तर दे देंगे तो मेहरबानी होगी. एक व्‍यक्ति साल भर में 36 हजार रूपया कमाता है वह छोटा बच्‍चा हो या बूढ़ा आदमी हो. 109 करोड़ रूपए के ठेके के हिसाब से अगर पूरी जनसंख्‍या को आपस में गुणा-भाग करें तो एक व्‍यक्ति साल भर में 47 हजार रूपए की शराब पीता है. माननीय मंत्री जी यह क्‍या हो रहा है ? यह वह जिला है जहां पर आदिवासी ताड़ी पीता है कच्‍ची शराब खुद उकाल कर पीता है और यह सेवा आप ही कर सकते हैं और भ्रष्‍टाचारी नहीं कहना अन्‍यथा समझ लीजिए, कुछ भी हो सकता है. मैं समझता हॅूं कि यह विचारणीय प्रश्‍न है.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- जितू भाई, जैसे किसी ने दो लाख रूपए की शराब पी और किसी ने बिल्‍कुल नहीं पी, तो औसत तो वही आएगा. (हंसी)..

          श्री जितू पटवारी -- हां तो आपने भ्रष्‍टाचार नहीं किया, माननीय वित्‍त मंत्री जी ने कर लिया. यह हो गया होगा. (हंसी)..यह बात बिल्‍कुल सही है कि माननीय वित्‍त मंत्री जी बहुत अच्‍छे और भले इंसान हैं.

          श्री शंकर लाल तिवारी -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, इसमें मेरी आपत्ति है. अनुदान कटौती मांगों में और माननीय वित्‍त मंत्री जी को क्‍या सीधे ऐसा कहा जा सकता है? मैं विनती कर रहा हॅूं. इस तरह की बातें चर्चा में नहीं आनी चाहिए.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह -- आप बार-बार क्‍यों खडे़ हो जाते हैं. आप बहुत ज्‍यादा ना बोला करिए. आप फालतू की बात कर रहे हो, बोलने नहीं दे रहे हो. बिना मतलब की बात कर रहे हो.

          श्री शंकर लाल तिवारी -- यादवेन्‍द्र सिंह जी, पढे़-लिखे लोगों का काम है यहां.

          श्री जितू पटवारी -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, हो सकता है कि मेरे बोलने की शैली ऐसी है मैं सुधारने की कोशिश भी करता हॅूं. मुझमें विनम्रता आ रही है इसका प्रयास कर रहा हॅूं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- आप सरकार कह सकते हो, पर सीधे वित्‍त मंत्री जी को नहीं कह सकते. आपको पहले नोटिस देनी पडे़गी.

          श्री जितू पटवारी -- जी उपाध्‍यक्ष्‍ा महोदय, सरकार ही बोला है, ध्‍यान रखूंगा. मैं अनुरोध यह कर रहा था कि राहुल भैया ने अच्‍छा याद दिलाया. मैंने सरकार से इसी बार एक सवाल किया. परसों ही उसका उत्‍तर आया था. उसमें मैंने पूछा कि चूंकि माननीय वित्‍त मंत्री जी आबकारी मंत्री भी हैं तो बार-बार आएगा तो मैं माफी चाहता हॅूं कि कहीं गलती हो जाए तो, जो कल कार्यवाही हुई वह नहीं हो. ध्‍यान रख लें. नहीं तो कर दो.(हंसी..) आपका क्‍या भरोसा. उस प्रश्‍न में मैंने पूछा कि क्‍या शराब नीति के अंतर्गत मध्‍यप्रदेश में शराब मुक्‍त करने का कोई प्रोवीजन है ? इसके उत्‍तर में आपने वैज्ञानिक कारण गिनाए. उसका मेरे पास उत्‍तर है. प्रशासन ने सीधा कहा कि उसमें जहरीली शराब बिकने का डर है, उसमें अवैध शराब आने का डर है, स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से अन्‍य कारण गिनाए तो फिर गुजरात में आदरणीय मोदी जी ने क्‍यों शराब बंदी कर रखी है या तो वे गलत हैं या तो आप गलत हो, या सरकार गलत है. यह निर्णय आपको करना है. दूसरा धार जिला है. धार जिले में टोटल 20 लाख के आसपास आबादी है वहाँ 2 करोड़ 29 लाख रुपये का शराब का ठेका हुआ है. इसके हिसाब से वित्त मंत्री जी 10 हजार रुपये  प्रतिव्यक्ति ईयरली शराब आप पिलाते हो और फिर भी आनंद मंत्रालय की अभी बड़ी-बड़ी बातें हो रही थीं.

          उपाध्यक्ष महोदय--  जितू, आपको भार्गव जी का फार्मूला याद है कि नहीं कि बहुत से व्यक्ति शराब नहीं पीते हैं.

          जितू पटवारी--  लेकिन जो पीता है वह उसकी आय से ज्यादा की शराब पीता है यह मैकेनिज्म इसी प्रदेश में हो सकता है दूसरी जगह नहीं हो सकता है. यही सब सवाल है. मैं समझता हूं कि जिस तरीके से, इस आय-व्यय को लेकर वाणिज्यिक विभाग से पूर्ण शराबबंदी की माँग कांग्रेस पार्टी हमेशा करती रही है. मैं आदरणीय वित्त मंत्री जी से अनुरोध करता हूँ वह आबकारी मंत्री जी भी हैं कि  सरकार स्वास्थ्य विभाग में आप जितना बजट देती है और शराब से सरकार को जितनी आय होती है अगर उस मैकेनिज्म को हम सही तरीके से समझेंगे, आप समझते भी होंगे चूंकि आप पर कर का, ब्याज का, ऋण का इतना बोझ  है कि आप हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं, हम इस बात को समझते हैं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बड़ी-बड़ी, बातें की, जहाँ मन में आया, जैसा आया, जिस तरीके से भी आया वोट बैंक की पॉलिटिक्स करते हुए सब बोलते रहे और अब अर्थव्यवस्था गड़बड़ा गई है तो आप शराबबंदी करने की हिम्मत तो नहीं कर सकेंगे पर चूंकि आप इतने सीनियर हैं, सरकार के काबीना मंत्री हैं. मेरा आपसे आग्रह है कि पूर्ण शराबबंदी इस प्रदेश में होना चाहिए  और यह राजनीतिक द्वेष भाव या लाभ और इससे कुछ पा लें  इसके अलावा भी इस प्रदेश के भविष्य के लिए यह शराबबंदी होना चाहिए.

          उपाध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.

          श्री जितू पटवारी--  वित्तमंत्री जी मैं उपाध्यक्ष महोदय के माध्यम से आपको कहना चाहता हूँ कि आप पूर्ण शराबबंदी करो कांग्रेस पार्टी भोपाल के जंबूरी मैदान पर आपका नागरिक अभिनंदन करेगी. इस भाव के साथ मैं आपसे आग्रह करता हूं कि इसमें आप कुछ न कुछ निर्णय लें. नहीं तो मुख्यमंत्री जी की कोरी, असत्य, केवल वोट लेने वाली बातें और भाषण, केवल बातें ही बातें लगती हैं बाकी सब जीरो बटा सन्नाटा है. धन्यवाद आपने बोलने का मौका दिया और मैं इन माँगों का विरोध करता हूँ.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा(जावद)--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं वित्त मंत्री जी का अभिनंदन करते हुए इस बात से अपनी बात की शुरुआत करता हूं कि मध्यप्रदेश में वित्त का लगातार पांचवी बार बजट पेश करते हुए हितकारी कई योजनाओं के लिए आपने प्रावधान किया है. ऐसा पहली बार हुआ है कि रजिस्ट्रेशन, रजिस्ट्रीज सब डिजिटलाईज हो गई, बोर्ड पर हो गई. स्टाम्प ड्यूटी का कैश का कलेक्शन जीरो हो गया और बार-बार जैसे कई बार यह बातें आती हैं कि मध्यप्रदेश के हर व्यक्ति पर लोन कितना बढ़ गया. लोन जितना बढ़ा, जितना भी लोन लिया उससे बहुत ज्यादा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्चा हुआ अगर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्चे के लिए लोन लिया जाता है तो वह आगे की प्रगति का पूरा रास्ता तय करता है. आज इतनी सारी जो योजनायें चल रही हैं वह कहीं ना कहीं उपलब्ध फंड से ही चल रही हैं. अगर लोन और फंड का मैनेजमेंट नहीं होता तो 15 साल में 30 हजार करोड़ से लेकर 2 लाख करोड़ तक का बजट नहीं पहुँचता. यह जो लोन लिया गया है यह इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए लिया गया है और इसके लिए लोन लेना हमेशा भविष्य के लिए बहुत हितकारी होता है.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं ज्यादा लंबे विषयों पर बात नहीं करना चाहता हूँ. मैं वाणिज्यक कर में अपने क्षेत्र की दो महत्वपूर्ण समस्याओं के प्रति माननीय वित्त मंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहता हूँ. हमारा जो पूरा संसदीय क्षेत्र है, जो आठों विधानसभा क्षेत्र हैं, वह पूरे डोडा चूरा से प्रभावित है. डोडा चूरा में 2 प्रतिशत से कम अफीम का अंश होता है अतः उसको एनडीपीएस(Narcotic drugs and psychotropic substances act) एक्ट से मुक्त करा कर  कहीं न कहीं आबकारी नीति में लाना चाहिए क्योंकि जितनी बार भी यह टेस्ट हुआ है उसमें डोडा चूरा में अफीम का परसेंटेज 2 परसेंट से कम निकला है और दो प्रतिशत से कम निकला है तो वह एनडीपीएस एक्ट में नहीं आता है. मैं इस बात की भी बधाई दूँगा कि माननीय वित्त मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी ने,  किसानों का जलाने का जो सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया, उसमें राहत देते हुए यह घोषणा तो तुरन्त कर दी कि जितना रिजर्व प्राईस था, उतने का किसानों को तुरन्त मुआवजा देंगे, ताकि किसान नुकसान में न जाए. लेकिन मैं उससे एक विषय और कि इसकी आड़ में जो कई बार पुलिस और एनडीपीएस का जो संयुक्त रूप से किसानों पर मानसिक और पकड़ने का जो वातावरण बनता है, उससे भी अगर उसे मुक्त करा लें, तो वह जीवन भर आपका आभार मानेगा.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं भी सिर्फ एक मिनट लूँगा.

          डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं भी निवेदन करना चाहूँगा. हमारा कॉमन संसदीय क्षेत्र है.

          उपाध्यक्ष महोदय--  दोनों साथ ही बोलेंगे क्या?

          डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय-- हाँ जी.

          उपाध्यक्ष महोदय--  जुगलबंदी में?

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--  नहीं, सिर्फ बात के साथ बात कर रहे हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय--  एक एक मिनट दोनों.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--  जी.

          श्री हरदीप सिंह डंग--  उपाध्यक्ष महोदय, मैं भी करना चाहूंगा.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--  उपाध्यक्ष महोदय, अनुमति है?

            उपाध्यक्ष महोदय--  पहले सखलेचा जी को खतम कर लेने दीजिए.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा--  माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्त मंत्री जी का इस बात के लिए भी अभिनन्दन करना चाहूँगा कि 2018-19 की आबकारी व्यवस्था में 1.4.18 से गर्ल्स स्कूल, गर्ल्स कॉलेज, वैध गर्ल्स होस्टल, धार्मिक स्थलों से 50 मीटर दूरी तक जितनी भी मदिरा की दुकानें हैं उन्हें बन्द करने का निर्णय लिया, मैं उसके लिए उनका बहुत बहुत अभिनन्दन करता हूँ क्योंकि वहाँ के पवित्र वातावरण और हमारी बहन, बेटियों के साथ कहीं कोई नशे की उस दुकान के सामने कोई अभद्रता न करे, उसके लिए व्यवस्था की, उसके लिए मैं अभिनन्दन करता हूँ. मैं इस बात के लिए भी धन्यवाद देते हुए यह कहना चाहता हूँ कि नर्मदा नदी के किनारे के  5 किलोमीटर के क्षेत्र में, 66 मदिरा की दुकानों को बंद किए जाने का जो निर्णय लिया वह भी बहुत महत्वपूर्ण है. मैं इस बात के लिए भी कहीं न कहीं माननीय का अभिनन्दन करना चाहता हूँ कि एक भी नई दुकान, पिछले 5-7 वर्षों में, खोलने की परमीशन न देने के कारण और व्यवस्था में तकलीफ न आए, मैं 2014 से किसी भी नई आसवनी, बोहदी एवं बॉटलिंग यूनिट की भी स्थापना का आशय पत्र न जारी किया, कहीं न कहीं हर चीज को आगे बिगड़े न, उसकी चिन्ता कर रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, एक और बड़ा महत्वपूर्ण विषय मैं ध्यान में ला रहा हूँ. एक भी नई दुकान न खोलना, एक भी नया काउण्टर न खोलना, कई जगह बन्द करना, उसके बाद भी नीति पर ध्यान से निगरानी रखने के कारण हर साल रेवेन्यू भी बढ़ रहा है. कहीं न कहीं वह रेवेन्यू, नहीं तो इल्लीगल जो होती है, उसके माध्यम से या सब स्टेंडर्ड से, मैंने देखा है, मैं उत्तर प्रदेश कई वर्ष रहा, वहाँ कई बार जो लोकल जो बस्तियों में बिकती थी, अनएथोराइज्ड, उसमें इतनी मिलावट या उसकी क्वालिटी इतनी खराब होती थी कि सैकड़ों मौतें होती थीं. ऐसे कोई प्रकरण इन दिनों हमारे मध्यप्रदेश में नहीं आए. यह नीति का सफलता पूर्वक क्रियान्वयन करने का ही कारण है कि हमारे बीच में ऐसी कोई घटना की बात नहीं आई. हम बोतलों पर मार्किंग स्पष्ट, कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, अब किसकी क्या मजबूरी है, क्या आदत है वह अपनी जगह है. लेकिन यह सब चीजें डालने के बाद रेवेन्यू बढ़ाते हुए, न दुकान खोलते हुए, उन्होंने इस व्यवस्था को मैनेज किया इसके लिए मैं बहुत बहुत अभिनन्दन करता हूँ.

          उपाध्यक्ष महोदय, मैं पंजीयन में ई-पंजीयन के माध्यम से बहुत एडवांटेज हुआ. कुटुम्ब के सदस्य यदि किसी एक सदस्य के पक्ष में पंजीयन में अपना हक त्यागते हैं तो उसमें ढाई प्रतिशत की बजाए आधा प्रतिशत ही शुल्क लगेगा. यह बड़ा महत्वपूर्ण निर्णय है. कई बार परिवार में कुछ सदस्य ज्यादा सक्षम होते हैं और वे किसी दूसरे सदस्य के पक्ष में हक त्यागते हैं उस समय उस पर ढाई प्रतिशत टैक्स देना वे किसी सदस्य की मदद करने जा रहे हैं और उस समय उस मदद के लिए भी सरकार अथाह टैक्स वसूले इसे रोकना वास्तव में बहुत गंभीर सोच और बड़ी ही दयादृष्टि का भाव है.  मैं इस पर साधुवाद देता हूँ. विकास अधिकार अन्तरण की लिखत पर देय शुल्क भी दिनांक 22.8.2017 से एक प्रतिशत किया. यह भी एक बड़ा अभिनन्दनीय कार्य है. 25 करोड़ से कम की कम्पनियां अगर समामेलन एवं विलीनीकरण करती हैं तो स्टाम्प शुल्क की सीमा से उनको मुक्त किया है. यह भी एक बड़ा महत्वपूर्ण निर्णय है. पंजीयन की गाइड लाइन में यह बात तो सबको पता है कि नोटबंदी या आधार लिंक करने से प्रापर्टी के आसमान को छूते हुए जो भाव थे वह जमीन पर आ गए हैं और मध्यम वर्ग को भी अपने लिए जमीन खरीदने का मौका मिल रहा है. ऐसे समय पर स्टाम्प ड्यूटी के रेट कम नहीं हो रहे हैं. इस पर माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इस पर गंभीरता से चर्चा करके, विधायकों की हर जिले में बैठक करवाकर क्या व्यावहारिक रेट होना चाहिए, सर्किल रेट होना चाहिए उसको व्यावहारिक करने के शासन को निर्देश देंगे तो इससे जनता को बहुत फायदा होगा. क्योंकि प्रापर्टी के रेट गिर रहे हैं और गिरना भी चाहिए. यह सामान्य व्यक्ति की पहुंच में भी आना चाहिए. देश के प्रधान मंत्री जी का सपना है कि हर व्यक्ति का अपना घर हो और अपना घर अपने गांव में हो उसको पूरा करने में इससे सहयोग मिलेगा. गाइड लाइन के अलावा एक और बड़ा महत्वपूर्ण विषय है कि नगर पालिका के साथ जो सड़के हैं जो 2-3 किलोमीटर में, ग्राम पंचायत की खेती वाली जमीन है उसको बेचने में भी काफी समस्या आ रही है. स्टाम्प ड्यूटी में उसका जो रिजर्व रेट है उसमें भी बहुत कठिनाई है कुछ जगह तो 2 सालों से रजिस्ट्री होना ही बंद हो गई है वे खरीद-बिक्री को लीगलाइस ही नहीं कर पा रहे हैं. जिसकी मजबूरी होती है वह बेचता तो है लेकिन उसकी रजिस्ट्री कराने में स्टाम्प शुल्क बहुत ज्यादा है. मेरा आग्रह है इन दो विषयों पर माननीय मंत्री जी ध्यान देंगे तो उचित होगा. ऑटोमेशन जितनी भी अपील दर्ज होती हैं उसमें एसएमएस या मेल के द्वारा जानकारी देकर जितने भी वादी या जिनके केसेस लगे हैं उनको समय पर सूचना मिल जाए अन्यथा उन्हें तारीखों की जानकारी के लिए चक्कर लगाना पड़ता है. यह अपील भी ऑनलाइन की जा सकती है. जितने निर्णय समस्त न्यायपीठों के हैं वे ऑनलाइन कर दिए गए हैं. यह एक बहुत बड़ी समस्या होती थी. जब अपीलेंट ट्रिब्यूनल के आते थे तो उसकी कापी या सर्टिफाइड कॉपी लेने में बड़ा समय लगता था. इसका जो निर्णय लिया कि यह ऑनलाइन उपलब्ध होंगे इसके कारण सभी के समय की बचत होती है. ऐसे कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं.

          उपाध्यक्ष महोदय, मैंने मात्र दो चीजों में सुझाव दिया है इन सुझावों का ध्यान रखा जाए. मैं मांगों के पक्ष में खड़े होते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ. आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय (जावरा)-- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से सुझाव देना चाहता हूं. जहां तक डोडा चूरा की बात बार-बार आती है इस पर एन.डी.पी.एस. एक्‍ट लागू होता है. उसमें अफीम की औसत दो प्रतिशत से भी कम होती है. जब एक ओर शासन गांजा, भांग इनके ठेके देता है तो क्‍या ऐसी कोई नीति बनाई जा सके जिस पर विचार किया जा सके. केन्‍द्र सरकार कहती है कि इसको बेचा नहीं जा सकता. हम माननीय मुख्‍यमंत्री जी की घोषणा का स्‍वागत करते हैं उन्‍होंने कहा है कि राज्‍य सरकार इसको नष्‍ट करेगी और हम कृषकों को हानि नहीं होने देंगे. एक तरफ खेती और कृषकों के हित में ऐसे कोई मध्‍य मार्ग की नियमानुकूल चर्चा करते हुए कोई समिति बनाकर व्‍यवस्‍था निकाली जाए. चूंकि इसके कारण आपराधिक घटनाएं, घटनाक्रम, हत्‍या मारपीट से लेकर अवैध वसूली तक, अवैध प्रकरण तक हजारों की संख्‍या में बनाए जाते हैं. अज्ञात लोगों पर मुकदमें बना लिये जाते हैं. मामला थोड़ा गंभीर है अतएव इसको आबकारी विभाग में लिये जाने के लिए कोई योग्‍य कार्यवाही करें. धन्‍यवाद.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर)-- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, आज ओम प्रकाश सखलेचा जी ने जो एक नया विषय इस सदन में डोडा चूरा को लेकर उठाया और माननीय राजेन्‍द्र जी ने भी इसका सहयोग किया है. मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी को सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि डोडा का उपयोग और उसके बाद यह बात कहें कि अफीम तो मूल में है. भारत सरकार इसका लाइसेंस देती है. उसके बाद बोवनी होती है और उसके लिए एक निर्धारित औसत के आधार पर भारत सरकार को उसका समर्थन मूल्‍य देना पड़ता है. भारत सरकार का अमुक-अमुक जोडे़ के हिसाब से स्‍लेब 1, स्‍लेब 2, स्‍लेब 3, स्‍लेब  4 इसके आधार पर उसको पेमेंट भी होता है. अगर डोडा चूरा कहीं न कहीं अपराध की श्रेणी में आ रहा है तो पोश्‍ता (खसखस) उसका एक अंग है जिसको खसखस बोलते हैं. अफीम की हरी सब्‍जी भी हमारे यहां प्रचलन में है जो खाने के उपयोग में आती है जैसा कि राजेन्‍द्र जी ने कहा नार्कोटिक्‍स विभाग और पुलिस महकमा यह दोनों जब डोडा चूरा को पकड़ते हैं तो अनेक प्रकार के ऐसे लोगों के भी नाम शामिल कर लिए जाते हैं जिनका उन केसों से कोई लेना देना नहीं है. मंदसौर, नीमच और रतलाम जिले में सैकड़ों अपराधी इस डोडा  चूरा को लेकर निरुद्ध हैं और उनके ऊपर एन.डी.पी.एस. एक्‍ट लगता है. मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि डोडा चूरा अगर भारत सरकार की पॉलिसी का अंग नहीं है तो मध्‍यप्रदेश की सरकार आबकारी विभाग क्‍यों इसको सर माथे लेकर बैठा हुआ है. जिस प्रकार से गांजा, तम्‍बाकू और भांग की दुकानें जिस प्रकार से होती हैं डोडा  चूरा के मामले में मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि आप भारत सरकार को लिखिए कि इसको एन.डी.पी.एस. एक्‍ट से मुक्‍त करके आबकारी एक्‍ट के अंतर्गत शुमार कर लिया जाए तो शायद जिस प्रकार से लोग परेशान हो रहे हैं और किसानों को जिस प्रकार से तस्‍करी के नाम पर फंसाया जाता है और दो- दो विभाग नारकोटिक्‍स में.. अगर भारत सरकार का इसमें कोई लेना देना नहीं है तो फिर एन.डी.पी.एस. एक्‍ट  इसके ऊपर क्‍यों लागू हुआ था. मध्‍यप्रदेश की सरकार अपना आबकारी एक्‍ट बना ले और जिस प्रकार से शराब पकड़ी जाती है धारा (34) के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध होते हैं और जमानत हो जाती है. हमारे जिले के उन लोगों को दस दस साल हो गए हैं जो अपराधी बनकर सजा भोग रहे हैं. युवा इस काम में सबसे ज्‍यादा आ रहे हैं. मैं कुल मिलाकर कहूंगा इस नीति के बारे में पुनर्विचार करते हुए इए घटनाक्रम को कहीं न कहीं विराम देना चाहिए क्‍योंकि डोडा चूरा अगर मध्‍यप्रदेश की सरकार की जिम्‍मेदारी है तो एन.डी.पी.एस. एक्‍ट से मुक्‍त होना चाहिए.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  डॉ.गोविन्‍द सिंह जी, डॉ. साहब थोड़ा सीमित रखेंगे.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह-  हम तो सीमित रखेंगे परंतु ध्‍यानाकर्षण पर चर्चा के बाद यहां दुबारा चर्चा प्रारंभ हो गई. अभी ये लोग दुबारा किस नियम के तहत बोल रहे थे.  

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  उन्‍होंने मुझसे अनुमति मांगी और मैंने अनुमति दी है.

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-  डॉ. साहब हमने अनुमति मांगी थी और ध्‍यानाकर्षण एक अलग विषय था.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह-  उपाध्‍यक्ष महोदय, परंतु हमारा नंबर पहला था. उपाध्‍यक्ष महोदय, आप कह दीजिये कि नहीं बोलना है और आपको उनसे ही बुलवाना है तो आप उन्‍हें ही बुलवाईये. उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे अर्ज कर रहा हूं कि मैंने शुरूआत नहीं की. आपने कहा तब मैंने बोला है. जिस विषय पर इस सदन में लंबी चर्चा हो चुकी है, उस पर अभी दो लोगों ने बोला है. उपाध्‍यक्ष महोदय, तब आप भी मौजूद थे. दुबारा वही चर्चा चालू कर दी गई है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय- डॉ.साहब, यदि आपकी बात पूरी हो गई हो तो आप मेरी बात सुनें.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह-  उपाध्‍यक्ष महोदय, आप हमें घर बैठने का आदेश दे दीजिये, हम घर चले जायेंगे.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  डॉ.साहब, आप मेरी बात भी सुन लीजिये. मेरे पास उपलब्‍ध दस्‍तावेज में दलों को समय आवंटित किया गया है. 

          डॉ.गोविन्‍द सिंह-  क्‍या इसका कभी पालन हुआ है ?

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  मैं जानकारी के लिए बता रहा हूं. वैसे पालन तो नहीं हो पाता है.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह-  मैं अपनी बात की शुरूआत नहीं कर पाया और आपने कहा कि सीमित करो.

          श्री रामनिवास रावत-  दलों को समय आवंटित करने की क्‍या बात है. वे अपना नाम लिखवायें और चर्चा करें.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  क्‍या आप लोग मेरी बात नहीं सुनेंगे ? रावत जी, आप बैठ जाईये. ये नहीं होगा.  क्‍या आप लोग आसंदी पर दबाव बनाना चाहते हैं ?

           श्री रामनिवास रावत-  हम आसंदी पर कोई दबाव नहीं बनाना चाहते हैं. आप कहेंगे तो हम बैठ जायेंगे. मेरा कहना है कि पहले ही नाम लिखकर जाना चाहिए और फिर क्रम से बोलें.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  रावत जी, आप यहां आकर देखें. मेरे पास उपलब्‍ध लिस्‍ट से डॉ.साहब, का नाम कटा हुआ है. मैं यह सब बर्दाशत नहीं करूंगा.    

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है. सदन के वरिष्‍ठ सदस्‍यों के द्वारा इस तरह का आचरण स्‍वीकार्य नहीं है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय- मैं यह सब कतई बर्दाशत नहीं करूंगा. डॉ.साहब, आप देखिये आपके दल से आपका नाम कटवाया गया था. फिर भी मैं आपको अनुमति दे रहा हूं क्‍योंकि आपने इच्‍छा जाहिर की थी.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह-  उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं स्‍वयं गया था.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  डॉ.साहब, आप अपनी बात कह चुके हैं. आप बैठ जाईये और मेरी पूरी बात सुनिये. आपके दल को आवंटित कुल समय 7 मिनट है और भारतीय जनता पार्टी को आवंटित कुल समय 30 मिनट है. आपके दल से पहले ही जितू पटवारी 15 मिनट बोल चुके हैं. भारतीय जनता पार्टी से सखलेचा जी मात्र 13 मिनट बोले हैं, राजेन्‍द्र जी 2 मिनट बोले हैं और यशपाल जी ने 2 मिनट बोला है. अब आप बताईये. हमें दलों की स्थिति का संतुलन भी बनाना होता है. क्‍या मैं यह नहीं कह सकता हूं कि आप अपनी बात सीमित रखें क्‍योंकि पहले ही आपके एक सदस्‍य ने 15 मिनट ले लिए हैं. इसमें नाराज होने की क्‍या जरूरत है ? आप लोग आसंदी पर दबाव नहीं बना सकते हैं.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, आप कौन से दल के हैं ? आप हमें हमारा दल बता रहे हैं. आप नाराज क्‍यों हुए जा रहे हैं. डॉ.साहब, हमारे दल के वरिष्‍ठ सदस्‍य हैं, उन्‍हें बोलने दीजिये.

          श्री दिलीप सिंह परिहार-  इसमें दल की बात कहां से आ गई. दल की बात करते-करते दलदल में जा रहे हो. दल की कोई बात ही नहीं है.

(...व्‍यवधान...)

          श्री बहादुर सिंह चौहान-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, किसी दल के नहीं हैं.

(...व्‍यवधान...)

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा-  जो भी वहां बैठा है, वह पूर्णत: स्‍वतंत्र है.

          श्रीमती माया सिंह-  आसंदी किसी दल का नहीं होता है. उपाध्‍यक्ष महोदय, इन्‍हें पता नहीं है कि आसंदी किसी दल का नहीं होता है.

(...व्‍यवधान...)

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  आप सभी बैठ जाईये. यादवेन्‍द्र जी आप पहली बार चुन कर आये हैं. आपने शायद नियमावली भी नहीं पढ़ी है. आप नियमावली पढ़ लीजिये संविधान की 10वीं अनुसूची पढ़ लीजिये उसमें ''एंटी डिफेक्‍शन लॉ'' में यह वर्णित है कि अध्‍यक्ष और उपाध्‍यक्ष चाहें तो दल से इस्‍तीफा दे सकते हैं और पद समाप्‍त होने के बाद वह चाहें तो पुन: अपने दल में शामिल हो सकते हैं. (मेजों की थपथपाहट)

          प्रोफेसर मावलंकर, श्री सोमनाथ चटर्जी जी ने अपने दल से इस्‍तीफा दिया था. यह परंपरा सभी को डालनी चाहिए. निष्‍पक्ष न्‍याय होना ही नहीं चाहिए अपितु होते हुए दिखना भी चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)

          मैं जब इस आसंदी पर बैठता हूं तो मैं कोई दल नहीं देखता हूं. आप क्‍या पूछ रहे थे कि आपका दल कौन सा है ? आइंदा मैं इस तरह का आचरण स्‍वीकार नहीं करूंगा. मैं यहां से निंदा प्रस्‍ताव लाता हूं.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह-  आपको विधान सभा से अधिकार है. आप कहेंगे तो मैं बाहर जाने के लिए तैयार हूं और इस्‍तीफा कहेंगे तो इस्‍तीफा देने के लिए भी तैयार हूं.

          श्री शंकरलाल तिवारी-  उपाध्‍यक्ष महोदय, (XXX)     

          वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)-  उपाध्‍यक्ष महोदय, आपका तनाव बढ़ रहा है. मेहरबानी करके आप बैठें. मैं कुछ कहना चाहता हूं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  नहीं. मेरा तनाव शांत हो जाता है. आप कह लीजिये.        

          डॉ. गौरीशंकर शेजवार-  उपाध्‍यक्ष महोदय, मेरी आपसे एक ही प्रार्थना है कि आप उपदेश, समझ और कानून की बातें उनसे ही करें, जिनकी समझ में ये आये. ऐसा लग रहा वे गलत नंबर डायल कर रहे थे.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह-  (XXX)

          श्री सुखेन्‍द्र सिंह-  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, यह गलत बात है. मंत्री जी को यह बात शोभा नहीं देती है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय- डॉ.साहब, आप शुरू करेंगे ? आप देख लें यहां लिस्‍ट से आपका नाम कटवाया गया है.

          डॉ.गोविन्‍द सिंह-  उपाध्‍यक्ष महोदय, मैंने स्‍वयं अपना नाम कट किया था.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  डॉ.साहब, आप लोग दो-दो, तीन-तीन निर्णय करते हैं. आपका नाम कटा था लेकिन आपने खबर भिजवाई कि आप बोलना चाहते हैं इसलिए मैंने आपका नाम पुकारा और यह मेरा विशेषाधिकार है कि यदि कोई सदस्‍य हाथ उठाता है, एक मिनट में अपनी बात रखना चाहता है तो मैं उसे अनुमति दे सकता हूं. रावत जी, आप नियम-कानूनों के बड़े ज्ञाता हैं. नियमों में यह लिखा है कि नहीं ? क्‍या आसंदी को यह अधिकार नहीं है ?

          श्री रामनिवास रावत-  ऐसी कोई बात नहीं की गई कि आसंदी पर दबाव बनाया जाए. हमने केवल निवेदन किया था कि नाम क्रम से हों.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  अब आप बैठ जाईये. डॉ.साहब, आप अपनी बात रखें. आप लोग ही यह आपत्ति कर रहे थे कि मैंने उनको बोलने के लिए समय क्‍यों दिया. आपकी यही आपत्ति थी न

          डॉ.गोविन्‍द सिंह-  मेरा यह कहना था कि इस विषय पर चर्चा हो चुकी थी.

          श्री रामनिवास रावत-  उनको समय दिया इस बात पर आपत्ति नहीं थी.

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  तो फिर किस बात पर आपत्ति थी ?

          श्री रामनिवास रावत-  डॉ.साहब, खड़े हुए आपने खड़े होने से पहले ही कह दिया कि बैठ जाओ, जल्‍दी बोलो.

          श्री शंकरलाल तिवारी-  यह तो सभी से कहा जाता है आप समय के भीतर अपनी बात कहें. रहमो-करम पर समय दे रहे हैं, उस पर भी झगड़ा कर रहे हैं.

(...व्‍यवधान...)

          उपाध्‍यक्ष महोदय-  मैंने यह नहीं कहा था कि आप बोलने के पहले बैठ जाईये. उन्‍होंने बोलना शुरू किया मैंने कहा कि कम समय में बोलियेगा क्‍योंकि पहले ही इतना समय हो चुका है. आज दो विभाग और लेने हैं. आज दो और विभाग लेने है कि नहीं लेने हैं ? वहां तो आप चर्चा करते हैं कि सदन का समय कम हो जाता है और यहां लोग चर्चा में इस तरह से अव्‍यवस्‍था पैदा करते हैं. ऐसे थोड़े ही होता है ?

          श्री रामनिवास रावत:- हम बैठने के लिये मना कहां कर रहे हैं. आप दिन बढ़वा हो.

          उपाध्‍यक्ष महोदय:-यह आपके हाथ में है ? किसके हाथ में है ? मेरे हाथ में है ?  किस तरह दिन बढ़ता है, यह आप जानते हैं न.

          श्री रामनिवास रावत:- यह तो हम भी जानते हैं, तो कहो सरकार से कि दिन बढ़ाये, ज्‍यादा दिनों की मीटिंग बुलायें.

          उपाध्‍यक्ष महोदय :- चलिये, अच्‍छा आप बैठ जाइये, आप लोग बहुत बुद्धिमान हैं.

          पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव): - आज कैसी बातें हो रही हैं, हमें समझ में ही नहीं आ रहा है. नहीं, ऐसा तो कभी होता ही नहीं था, जैसा हो रहा है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय :- नहीं, मैं इतने आरोप बर्दाश्‍त नहीं कर सकता हूं.

          श्री शंकरलाल तिवारी:- नहीं, (XXX)

          श्री सुखेन्‍द्र सिंह:- आज शराब के ऊपर जो चर्चा चल रही है, वही दिक्‍कत है.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा:- थोड़ा सा सुरूर आ गया था, बात सुन-सुन कर.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह :- उपाध्‍यक्ष जी, हमारे यह आरोप नहीं है, हमारी भिण्‍ड, मुरैना की भाषा है, आपकी मीठी भाषा है, हमारी भाषा कठोर है. बस भाषा का ही अंतर है.

          श्री शंकरलाल तिवारी:- दादा, हमारे इते भी बांदा है, बांदा.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह :- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, माननीय वित्‍त मंत्री जी के जो वाणिज्यिक कर विभाग की मांग प्रस्‍तुत की गई है, उस पर पर ज्‍यादा लंबा नहीं बोलूंगा, लेकिन एक-दो बिंदु पर ध्‍यानाकर्षित करना चाहता हूं. मैं केवल इतना बताना चाहता हूं कि अभी पूरे मध्‍यप्रदेश में शराब के ठेके हुए. ले‍किन मैं इसलिये कहना चाहता हूं कि जब मैं वर्ष 1993 से 1998 तक पब्लिक अण्‍डर टेकिंग समिति का सदस्‍य था, उस समय एक सोम डिस्‍टलरी, सीहोर में गंदा पानी नदी में छोड़ रही थी और नदी प्रदूषित हो रही थी और उस समय भी समिति ने यह रिपोर्ट दी थी कि इस डिस्‍टलरी को बंद किया जाये. इसके बाद जब माननीय सांसद, प्रहलाद पटेल जी और उस समय पटवा जी मुख्‍यमंत्री थे, पटेल जी सिवनी से सांसद थे.

          वाणिज्यिक कर मंत्री(श्री जयंत मलैया):- मैं आपको करेक्‍ट करना चाह रहा हूं, मेरी जानकारी में है कि यह 1991 का मामला है और जब सोम डिस्‍टलरीज् की ब्‍लैक लीकर बारिश के दिनों में बह गयी थी और वह रायसेन के इंटेल वेल में पहुंच गयी थी. उसके बाद मैंने खुद जाकर, उस समय मैं आवास पर्यावरण, राज्‍य मंत्री था. वहां जाकर उस डिस्‍टलरीज् को बंद किया था. वह जो ध्‍यानाकर्षण है, उस समय शिवराज सिंह चौहान जी, विधायक थे उन्‍होंने लगाया था;

          डॉ. गोविन्‍द सिंह :- उन्‍होंने भी इस बात पर पटवा जी के समय उल्‍लेख किया था कि उन पर 45 करोड़ रूपये की राशि बकाया थी.

          उपाध्‍यक्ष महोदय:- मुख्‍यमंत्री तो पटवा जी ही थे.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह :- जी हां, उस समय पटवा जी ही मुख्‍यमंत्री थे. क्‍योंकि उस समय का उल्‍लेख है. उस समय उन्‍होंने उस पर ज्‍यादा प्रेशर बनाया तो कुछ पैसे जमा भी  हुए थे, कुछ बाद में हुए थे, लेकिन सोम डिस्‍टलरी इतनी ताकतवर है कि वह आज भी चल रही है. मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि मेरे हाथ में स्‍वदेश अखबार है. यह स्‍वदेश अखबार राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के द्वारा, जो इनकी संस्‍था है, उनके द्वारा प्रकाशित है. उसने लगातार एक महीने में सोम डिस्‍टलरी के बारे में लिखा है-''धार की काली सूची में सोम डिस्‍टलरी लाभ पहुंचाने के लिये अधिकारियों ने खूंटी पर टांगे सरकार के नियम.'' ''करोड़ों का बकाया फिर भी ठेका मिला. काली सूची निकाल दी फिर भी ठेका मिला'', ''डिस्‍टलरी के एकाधिकार को लगा रही सरकार को करोड़ों का चूना.'' इस प्रकार से लगातार एक महीने से स्‍वदेश अखबार ग्‍वालियर छाप रहा है. अब मैं आपसे कहना चाहता हूं कि 2004 के बाद, जब धार के कलेक्‍टर ने वसूली के लिये नोटिस दिया तो उन्‍होंने पैसा नहीं दिया तो धार के कलेक्‍टर ने 2007-08 में इसको ब्‍लैक लिस्‍ट घोषित किया था और इसके बाद इसने 2004-05 में करीब 12 करोड़ रूपये औद्योगिक विकास निगम से कर्जा लिया था, लेकिन वह जमा न करने के बाद, जब औद्योगिक विकास निगम ने नोटिस दिया तो यह कोर्ट में चले गये. कम्‍पनी कोर्ट से भी निर्णय हुआ कि इससे वसूली की जाये. इसके बाद वह दिल्‍ली,न्‍यायालय में गये. वहां पर भी निर्णय हो गया कि इनसे वसूली की जाये और उसके बाद वहां एक लिक्विडेटर नियुक्‍त कर दिया, लेकिन मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि लगातार इस निर्णय के बाद भी सरकार ने वसूली की कोई कार्यवाही क्‍यों नहीं की ? फिर लगातार उनको मौका दिया, वह इंदौर हाईकोर्ट गये. 95 ग्रुप में से, केवल दो ग्रुप को मिलाकर अगर आप 50 प्रतिशत वसूली जमा कर देंगे तो आप ठेका चालू करें. उसके बाद भी लगातार उसका ठेका चलता रहा. इंदौर में आपके शासकीय अधिवक्‍ता हैं उन्‍होंने भी राय दी, जब राय ली गयी तो कहा कि‍ इसके काली सूची में होने के कारण, इसमें दो-दो न्‍यायालयों के ऑर्डर हो चुके हैं तो मैं आपसे यह जानना चाहता हूँ इसके बाद लगातार कहने के बाद, पिछले सप्‍ताह मंत्रिमण्‍डल की उपसमिति की बैठक हुई और उपसमिति ने इस कम्‍पनी पर कौन से ऐसे कारण हैं ?  जिसके कारण समिति ने अनुशंसा की कि इसे ठेके पुन: दिए जाएं. मुख्‍यमंत्री जी ने भी 2018-19 की नीति बनाई. माननीय मुख्‍यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी ने भी कहा कि जो ब्‍लैक लिस्‍टेड कम्‍पनी है या कम्‍पनी के साथ जो भागीदार भी हैं, उन पर भी अगर रोक लगी है, दोषी हैं तो उसको भी ठेका नहीं दिया जायेगा. लेकिन इसके बाद भी न तो निरस्‍त किया गया है और न ही वसूली की गई है. वह करोड़ों रुपयों का चूना लगा रही है. फिर जब उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की तो सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम फैसला दे दिया कि कम्‍पनी को कोई ठेका नहीं दिया जायेगा. हो सकता है कि आप उसके बाद फिर रिवीजन लगा दें. आप कुछ करें. मेरा आपसे केवल इतना अनुरोध है कि केवल एक कम्‍पनी पर इतनी ज्‍यादा आपकी मेहरबानी क्‍यों है ? और भी तमाम कम्‍पनी हैं. हर वर्ष ठेके बढ़ रहे हैं, आप हर वर्ष 15 प्रतिशत ठेके बढ़ा देते हैं. आप कम्‍पनी पर कठोर कार्यवाही करें, उस पर ज्‍यादा मेहरबानी न करें. इसके अलावा मैं दो-तीन बातें कहना चाहता हूँ.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं केवल पंजीयन शुल्‍क के बारे में कहना चाहता हूँ. सन् 2003-04 में जो किसानों पर खेती का पंजीयन शुल्‍क था, उसमें आपने लगातार 10-12 प्रतिशत वृद्धि कर दी है और अगर छोटे-छोटे किसान हैं तो उनसे भी इतना पंजीयन शुल्‍क ले लेते हैं. कई जगह ऐसा है कि खेती की जमीन कम है, बीहड़ की जमीन है, वहां जाकर एक बीघा जमीन कोई 15-20 हजार रुपये में लेने को तैयार नहीं हैं लेकिन आपका पंजीयन शुल्‍क यदि एक बीघा का करवाएं तो उसमें 20-22 हजार रुपये लग रहा है, इससे न तो गरीब किसान उसे बेच पा रहा है. उसकी आर्थिक स्थिति अच्‍छी नहीं है, उसकी क्षमता नहीं है जिससे वह उसकी लेवलिंग करवा सके. इस प्रकार की जहां बीहड़ जमीनें हैं, वहां उस पर आपकी मेहरबानी होकर, उसे कम करना चाहिए. इसके साथ ही, खसरा-खतौनी का काम भी आपने लोक सेवा गारन्‍टी में कर दिया है. पहले गरीब किसान लोक सेवा गारन्‍टी में 10 रुपये में पटवारी को फॉर्म भरकर देते थे तो खसरा-खतौनी मिल जाती थी, अब आप लोक सेवा गारन्‍टी में 50 रुपये जमा करवाओगे और उसमें एक सप्‍ताह लगता है. फिर सबसे बड़ी बात आपने यह कर दी है कि अगर एक सर्वे क्रमांक है, अगर चार-पांच भाई हैं तो एक-एक, दो-दो बीघा तथा आधा-आधा बीघा के हिस्‍सेदार बन जाते हैं, अगर 10 सर्वे क्रमांक हैं तो आप 20 रुपये प्रति क्रमांक से उस पर फीस लेने लगे हो, वह 200 रुपये और 300 रुपये पड़ने लगी है, उस पर 100 रुपये लोक सेवा गारन्‍टी ले लेते हैं.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, इसी प्रकार जो न्‍यायालय तहसीलदार के कोर्ट हैं, उसमें अन्‍य कोर्टों से जो फैसले आते हैं, उसकी नकल के लिए आपने फीस 40 रुपये कर दी है. अब बंटवारे एवं नामान्‍तरण के जो प्रकरण आते हैं, उनमें यदि 10-12 पेज का कोई फैसला है तो वह 400-500 रुपये का पड़ता है. आपसे निवेदन है कि किसानों के प्रति जब आप संवेदनशील है तो कम से कम खेती-किसानी के मामले में आपने जो फीस बढ़ाई है, उसको कम कर दें. शस्‍त्र लाइसेंस के रिन्‍यूअल पर भी आपने रिवाल्‍वर पर 5,000 रुपये कर दिया है. टोपीदार बन्‍दूक कृषि रक्षार्थ हमारे नाम पर है, आपने उस पर भी 2,000 रुपये कर दिया है, हमने कलेक्‍टर से कहा कि जमा कर लो, कलेक्‍टर जमा नहीं करवा रहे हैं क्‍योंकि कोई दुकानदार नहीं ले रहा है. हम आपसे कहना चाहते हैं कि 2,000 रुपये उसकी फीस है, उसे 500 रुपये में उसे कोई लेने को तैयार नहीं है. आप मुफ्त में ले जाओ, मुफ्त में ले जाने के लिए भी कोई तैयार नहीं है. आपने 2,000 रुपये लगा दिए. अगर आप इसमें और कुछ नहीं कर सकते हो तो कृषि रक्षार्थ में तो कृपा करके, ऐसा आदेश जारी कर दें कि बन्‍दूकें हम आपके घर में जमा कर दें ताकि आप उन्‍हें सुरक्षित रख सकें क्‍योंकि अब हमारी क्षमता नहीं है कि टोपीदार बन्‍दूक पर हम 2,000 रुपये 3 वर्ष के रिन्‍युअल पर दें. आप नामान्‍तरण, बंटवारा, कोर्ट फीस हर जगह टैक्‍स लगा रहे हो, अगर आप टैक्‍स ही लगाना चाहते हैं फिर हमारा एक निवेदन स्‍वीकार कर लें. आप शौचालय पर 5 रुपये महीना लगा दो. शौचालय बहुत बन रहे हैं, इससे आमदनी ज्‍यादा हो जायेगी और फिर आपके इस तरह टैक्‍स से जनता इतनी खुश हो जायेगी कि सन् 2018 में आपको मुक्‍त कर बाहर भेज देगी. धन्‍यवाद.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - डॉ. साहब, आपने बड़ा रचनात्‍मक सुझाव दिया है. श्री बहादुर सिंह चौहान, आपने सुझाव के लिए समय मांगा था.  

          श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, डोडा चूरा को सरकार खरीदकर खुद नष्‍ट करेगी. इसका समर्थन मूल्‍य कम है और काला बाजारी में बहुत महँगा बिकता है इसलिए पुन: उसमें विवाद की स्थिति होती है, जैसा यशपाल जी ने बताया था. मेरा आपके माध्‍यम से आग्रह है कि समर्थन मूल्‍य, जैसे आपने भावांतर में दिया है, वैसा अधिक देकर सरकार उसे खरीदकर नष्‍ट कर देगी तो सुविधा जनक होगा.  

          श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा) - उपाध्‍यक्ष महोदय, सभी विधायकों ने जो डोडा-चूरा के बारे में कहा है, उसका मैं समर्थन करता हूं. जब कोई एक व्‍यक्ति डोडा-चूरा में पकड़ाता है तो नार्कोटिक्‍स और पुलिस दोनों अलग-अलग जाते हैं और उससे वसूली के लिये चिन्ह्ति करके कम से कम हजारों क्‍या, लाखों रूपये की वसूली करते हैं परंतु प्रकरण सिर्फ एक पर ही बनाते हैं.  इस प्रकार यह कहीं न कहीं किसानों के साथ बड़ा अत्‍याचार है, इसलिए इसको एन.डी.पी.एस. से बाहर निकालकर किसानों को राहत दी जाये.

          श्री सुंदरलाल तिवारी(गुढ़) - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं मांग संख्‍या पर अपनी बात रखते हुए कहना चाहता हूं और माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि अगर शहरों की वर्तमान स्थिति देखी जाये और जो शोध हो रहे हैं, जो आंकड़े बाहर आ रहे हैं, उनसे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पूरी गांव की आबादी शहर की ओर आगे बढ़ रही है. आज स्थिति यह है कि 32 प्रतिशत लोग शहर में निवास कर रहे हैं और 68 प्रतिशत लोग गांव में निवास कर रहे हैं. यह आबादी निरंतर बढ़ती चल जा रही है. इसके साथ ही यह अनुमान लगाया जा रहा है कि निकट भविष्‍य में 20, 25 एवं 30 वर्षों में लगभग 60-70 प्रतिशत आबादी शहर में निवास करने आ जायेगी और गांव में केवल 30 प्रतिशत लोग रह जायेंगे. हमारी सरकारें जिस ढंग से काम कर रही हैं और शहरों में जिन कानूनों से नियंत्रण करने का प्रयास कर रही हैं, उससे ऐसा लगता है कि शहर एक दिन नर्क साबित होंगे. शहर का जीवन दुश्‍वार हो जायेगा. शहरों में रहना मुश्किल हो जायेगा और आम आदमी को शहर में हवा और पानी भी नहीं मिल पायेगा.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय,  मेरा यह कहना है कि यह अकेली केवल मेरी चिंता नहीं है केंद्र सरकार ने भी इसकी चिंता की है. आम आदमी को भू-माफिया बिल्‍डर्स लूट रहे हैं और जमीन के साथ खिलवाड़ करके शासन के नियमों के बिना पालन किये जमीन बेच रहे हैं और उन पर लोग मकान बना रहे हैं. वहां पर गली नहीं रह जाती है, नाली रह जाती है, इसके कारण इन सब चीजों में आम आदमी घर खरीदने में लूटे न इसके लिये एक रेरा कानून बनाया गया है. भू-संपदा विनियम और विकास अधिनियम 2016  इसलिए बनाया है कि कुछ नियंत्रण होगा और शहर में  जो धड़ाधड़ रजिस्‍ट्री हो रही है और इस रजिस्‍ट्री के माध्‍यम से मनमाना पैसा लिया जा रहा है, इन पर नियंत्रण खत्‍म हो रहा है. जमीन खरीदने के बाद लोग मकान खड़ा कर लेते हैं और बिल्‍डर्स भी गैरकानूनी ढंग से जमीन बेच - बेच कर लोगों का घर बनवा देते हैं, इससे राहत के लिये रेरा कानून बना. जब यह कानून बना और मध्‍यप्रदेश में जब लागू हुआ तो एक पत्र क्रमांक- 119/रेरा/2017, दिनांक-23/05/2017 एवं पत्र क्रमांक-150/रेरा/2017, दिनांक-21 जून, 2017 को वाणिज्‍य कर विभाग द्वारा एक पत्र रजिस्‍ट्रेशन एक्‍ट 1908 के तहत रजिस्‍ट्री डिपार्टमेंट को लिखा है कि जिस तरह से वर्तमान में रजिस्‍ट्री हो रही हैं यह रजिस्‍ट्री रजिस्‍ट्री विभाग में अवैधानिक रूप से हो रही है, गैर कानूनी ढंग से हो रही है. जब उस पत्र का विश्‍लेषण किया तो अखबारों में यह खबर आई कि दोनों विभाग के सचिव, प्रमुख सचिव कुश्‍ती लड़ने लगे. प्रमुख सचिव और सचिव दोनों की फोटो आई और रेरा कानून में इनके बीच मतभेद उत्‍पन्‍न हो गया. अब रेरा की बात रजिस्‍ट्री डिपार्टमेंट मानने को तैयार नहीं है. वह कहता है तुम रेरा अपने पास रखो, हम तो अपनी रजिस्‍ट्री करेंगे. रजिस्‍ट्रार के यहां रजिस्‍ट्री के लिए सरकार दबाव देती है कि आप इसकी रजिस्‍ट्री करें, इसलिए करें क्‍योंकि सरकार को तो रेवेन्‍यु चाहिए, पैसा चाहिए. लोग मर जाए, नियम-कानून मर जाए, दफन हो जाए, लेकिन किसी तरह सरकार को तो पैसा चाहिए. यह दो भिन्‍न तरह के आदेश इसी मध्‍यप्रदेश में लागू हुए और आज तक यह सरकार निर्णय नहीं कर पाई कि रेरा सही है या रजिस्‍ट्री विभाग सही है, कौन सा एक्‍स सही है कौन सा एक्‍ट गलत है? अब अगर मैं इसका विश्‍लेषण करूंग तो बहुत समय लगेगा. इसमें दो कानून की बात आई, मैं यहां पर अधिकारी का नाम पढ़ दूं श्री मनोज श्रीवास्‍तव, प्रमुख सचिव ने जब उस कानून का विश्‍लेषण किया तो उन्‍होंने लबा-चौड़ा, पांच-सात पन्‍नों का विश्‍लेषण करते हुए दो धाराओं का उल्‍लेख कर दिया. वह दो धारा जो है वह रेरा में सेक्‍शन 88 एवं 89 है, अब इसको किस तरह विश्‍लेषण किया. धारा 88 में कहते हैं कि इस अधिनियम के उपबंध तत्‍समय प्रवृत्‍त किसी अन्‍य विधि के उपबंधों के अतिरिक्‍त होने, न कि उनके अल्‍पीकरण में,  यह लिखा है Application of the other laws not barred. दूसरी उसी में 89 में है अधिनियम का अध्‍यारोही प्रभाव नहीं होगा, मतलब यह एक्‍ट सुपरसीड करेगा और एक जगह लिखा हुआ है कि एक्‍ट सुपरसीड नहीं करेगा, दूसरे एक्‍ट भी लागू होंगे और यह उनके आदेश में भी है. मेरा कहना है कि क्‍या यह दोनों विभाग के अधिकारी या यह सरकार के दोनों मंत्री बैठकर क्‍या इस बात का फैसला नहीं कर सकते हैं कि रेरा सही है या रजिस्‍ट्रेशन एक्‍ट सही है, कौन सा कानून सही है प्रदेश के शहर के रहवासियों के हित में कौन सा कानून लागू होना चाहिए और रेरा की जो मंशा है, उस मंशा को नष्‍ट न किया जाए जिससे हमारे शहर बर्बाद न हो. कैसे हमें इस आदेश के बारे में मालूम पड़ा, जब हमारे शहर में गलत रजिस्‍ट्रीयां होने लगी तो हमने रजिस्‍ट्रार को फोन किया और कहा कि आप किस तरह से ये अनुमति दे रहे हों यह तो अवैधानिक है, नगर निगम से परमिशन नहीं, कहीं से परमिशन नहीं यह आप कैसे कर रहे हों, तो उन्‍होंने कहा कि मैं क्‍या करूं मेरे विभाग ने मुझे इस तरह का आदेश दिया और कहा कि रेरा को छोडि़ये और तुम सिर्फ रजिस्‍ट्री करो और पैसा वसूलों. जिससे सरकार के खजाने में पैसा जाए.

          माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्‍त मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि व्‍यापक दृष्टि से, जनहित में, शहर के हित में, प्रदेश के हित में इन दोनों विभाग के पी.एस. को बैठाकर यह विनिश्‍चय करवाएं कि मध्‍यप्रदेश में कौन सा कानून लागू होगा. इसके साथ साथ रेरा कानून इसलिए लागू करें ताकि हमारे शहर नर्क न हो जाए, यहां आने वाली पीढ़ी के लिए भविष्‍य में रहने लायक स्थिति बनी रहे.

          उपाध्‍यक्ष महोदय, मंत्री जी यदि हर शहर का इस बात का रिकार्ड इकट्ठा करें कि शराबबंदी को लेकर प्रदेश की कितनी महिलाओं ने आंदोलन किया, किन किन शहर में, किन किन मोहल्‍लों में आंदोलन किया. महिलाओं ने पूरी तरह से जिला प्रशासन को जगाने का प्रयास किया कि शराब की दुकान हमारे मोहल्‍ले से हट जाए, शराब की दुकान या शराब की बिक्री पर रोक लग जाए. इस बात का रिकार्ड माननीय मंत्री जी ने यहां नहीं रखा कि मध्‍यप्रदेश के अंदर शराबबंदी को लेकर कितने बार महिलाओं ने और पुरुषों ने कितना बड़ा आंदोलन किया, लेकिन यह सरकार की हठधर्मिता है कि सरकार उन महिलाओं और गरीब लोगों की आवाज जो शराबबंदी चाहते हैं, इस प्रदेश के अंदर शराब को लेकर एक नई नीति बने और गली गली जो शराब बिक रही है स्‍कूलों के बगल में, मंदिर के बगल में. अब आप टी.टी नगर में ही चले जाए वहीं रहवासी भी है फर्स्‍ट क्‍लास अंग्रेजी की दुकान दिखती है, जिस गली में चले जाओ. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा वित्त मंत्री जी से कहना है कि विज्ञापन देख लीजिये. आप किसी भी शहर में चले जाईये, शराब की दुकान का बारे में पूछ लीजिये सब लोग शराब की दुकान के बारे में बता देंगे, मंदिर पूछेंगे तो लोग भूल जायेंगे कि वह मंदिर कहां है. यह स्थिति मध्यप्रदेश में है.

          मंत्री,पंचायत एवं ग्रामीण विकास(श्री गोपाल भार्गव) -- हरिवंश राय बच्चन लिख गये हैं कि " मंदिर मस्जिद बैर बढ़ाते मेल कराती मधुशाला "

          श्री सुंदरलाल तिवारी- आपने जो कहा है यह बात बिल्कुल सही है. लेकिन मेरा कहना है कि सरकार कहती है कि हमने शराब के लिये नये लाईसेंस नहीं दिये हैं ? इतना बड़ा असत्य  सरकार कैसे बोल सकती है ? प्रदेश का बच्चा बच्चा जानता है कि मध्यप्रदेश में शराब के लिये लाईसेंस की कोई आवश्यकता नहीं है. शराब के लाईसेंस की यहां कोई जरूरत नहीं है, स्कूल के बगल में, मंदिर के बगल में तो दुकानें स्थापित हैं. वित्त मंत्री जी से अनुरोध है कि प्रदेश का आबकारी एक्ट बहुत पुराना है. जब न इतनी जनसंख्या थी, शराब की दुकान खोलने वाले लोग नहीं थे, लाईसेंस लेने वाले लोग ज्यादा नहीं थे तब का बना हुआ यह एक्ट है इसलिये वित्त मंत्री जी क्यों न आबकारी एक्ट को पुनरीक्षित किया जाये और विचार किया जाये कि यह जो वर्तमान का सभ्य समाज है, इस कानून में संशोधन करके हम यह देखें कि जो प्रदेश की महिलायें शराब बंदी के लिये आंदोलन कर रही हैं उनका भी सम्मान हो, आने वाली पीढ़ी का भी सम्मान हो.

          माननीय उपाध्यक्ष महोदय, क्या हम इस देश के नागरिक नहीं है, आखिर यह सरकार क्या कहना चाहती है. मध्यप्रदेश में यदि हम रह रहे हैं तो हमने कोई पाप कर दिया है क्या ? अगर हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा पेट्रोल और डीजल के दाम कहीं पर ज्यादा हैं तो वह मध्यप्रदेश में हैं, मध्यप्रदेश में पेट्रोल और डीजल में वेट क्यों लगता है, ऐसा लगता है कि पेट्रोल और डीजल की यह सरकार हो गई है. यह क्यो है ? अगर हम मध्यप्रदेश से बाहर 1 किलोमीटर चले जायें तो वही पेट्रोल और डीजल हमें 4 से 5 रूपये तक सस्ता मिल रहा है. वित्त मंत्री जी कहते हैं कि इस वेट को लगाने से हमारी बड़ी ग्रोत है, हमारी जीएसडीपी बढ़ी है, हमारे पास रेवेन्यू सरप्लस है, हमारा राजकोषीय घाटा घटता चला जा रहा है. यह कैसे आंकडे आप प्रस्तुत कर रहे हैं. बगल के ही राज्यो को ले लें, राजस्थान है, उत्तरप्रदेश है, दिल्ली है, अन्य राज्य हैं वहां पर पेट्रोल और डीजल पर 4 और 5 रूपये दाम कम क्यों हैं ? क्या मध्यप्रदेश के लोगों को इस बात का उत्तर देंगे ? यह ठीक है कि आप चुनाव जीत रहे हैं. आपकी बार बार सरकार बन रही है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि आप प्रदेश की जनता को लूट लें. दूसरे राज्यों से तुलना न करें.  दूसरे राज्यों की पेट्रोल और डीजल की कीमतों को दृष्टिगत न रखें, हम तो यहां तक कह सकते हैं कि जो मध्यप्रदेश की वॉडर से लगे हुये पेट्रोल और डीजल के पंप हैं उनके व्यापारी  बेचारे रोते हैं. प्रदेश के बाहर 1 किलोमीटर दूर लोग चले जाते हैं और वहां पर उनको पेट्रोल और डीजल 4 रूपये और 5 रूपये कम मिलता है. कई जगह तो पेट्रोल और डीजल पंप पर ताले लगे हैं. मेरा कहना है कि इस देश के अंदर कम से कम इतना वेट मत लगाईये यह बेरोजगारों की जेब से आप पैसा निकाल रहे हैं, गरीबों की जेब  में से पेट्रोल और डीजल का पैसा निकाल रहे हो और अमीरों के बीच में यह बांट रहे हो  और कहते हैं कि हमारी बड़ी अच्छी सरकार है, सुशासन चल रहा है. अब आनंद विभाग के मंत्री चले गये हैं इसलिये कुछ नहीं कहता हूं लेकिन सारा प्रदेश का बोझ चंद लोगों के ऊपर डालकर गरीबों से ज्यादा से ज्यादा वसूली करके अमीरों के पेट भरने का काम मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है, वित्त मंत्री जी कर रहे हैं. इसलिये मेरा कहना है कि दूसरे राज्यों की तुलना में पेट्रोल और डीजल के रेट समान कर दें, शराब की आबकारी नीति में परिवर्तन करें और रेरा कानून मध्यप्रदेश में लागू हो और जो आपके सचिव और प्रमुख सचिव आपस में लड़ रहे हैं इनको आप बैठाईये, समझाईये और प्रदेश के हित में यह निर्णय लें. आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.                                                              श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच)--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्‍यम से निवेदन करना चाहता हूं कि नीमच में जो डोडा, चूरा है इसको इस एक्‍ट से निकालने के बाद वहां की गाइड लाइन बहुत ज्‍यादा है. मुम्‍बई, दिल्‍ली में जो जमीन के भाव है वह नीमच में हैं तो कम से कम गाइडलाइन नहीं बढ़ाई जाये और कम करने के लिये इसमें क्‍या विचार हो सकता है, यह करना चाहिये. दूसरा हमारी आबकारी पर एक और प्रभाव पड़ रहा है कि राजस्‍थान नीमच जिले से लगा होने की वजह से वहां राजस्‍थान की शराब आकर बिकती है, यदि उनको आप रोकने में प्रतिबंध लगायेंगे तो जो आपकी आबकारी आना चाहिये उसमें भी वृद्धि होगी. मेरा बस इतना ही निवेदन था, माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, धन्‍यवाद.

          वित्‍त मंत्री (श्री जयंत मलैया)--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, वित्‍तीय वर्ष 2016-17 के प्रथम त्रेमास में कर राजस्‍व रूपये 5441 करोड़ की तुलना में वर्तमान वित्‍तीय वर्ष 2017-18 के प्रथम त्रैमास में विभाग ने अपनी कार्यक्षमता में वृद्धि कर अप्रैल 2017 से जून 2017 तक रूपये 6 हजार 226 करोड़ का राजस्‍व प्राप्‍त किया है जो पूर्व वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 14.42 प्रतिशत अधिक है. विभाग लगातार राज्‍य के राजस्‍व को बढ़ाने के लिये कार्य कर रहा है. दिनांक 1 जुलाई 2017 से अब प्रत्‍यक्ष करों को समाहित कर एक देश, एक कर व्‍यवस्‍था के अंतर्गत जीएसटी व्‍यवस्‍था लागू की गई है. विभाग ने नये कर विधान के संबंध में प्रदेशभर में छोटे से छोटे शहरों, कस्‍बों में 1116 से भी अधिक कार्यशालायें आयोजित कर प्रदेश के समस्‍त व्‍यवसायियों एवं आम जनता को जीएसटी की नई व्‍यवस्‍था के प्रति जागरूक बनाया है जिसके परिणाम जीएसटी के पूर्व पंजीयक व्‍यवसायियों की जीएसटी व्‍यवस्‍था में, माइग्रेशन में मध्‍यप्रदेश सभी राज्‍यों में सर्वाधिक 92 प्रतिशत हासिल कर सका है. विभाग के सभी अधिकारी एवं कर्मचारी जीएसटी को सफल बनाने में निरंतर लगे हुये हैं. पूरे प्रदेश में लगभग 100 हेल्‍पडेस्‍क के माध्‍यम से व्‍यावसायियों एवं अन्‍य लोगों की शंका का समाधान भी किया गया है. जीएसटी के सुव्‍यवस्थित एवं सफल क्रियान्‍वयन हेतु निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं. कर दाताओं एवं कर सलाहकारों को विभिन्‍न स्‍तर पर एवं आयुक्‍त कार्यालय में जीएसटी हेल्‍प डेस्‍क की स्‍थापना की गई है जिसके माध्‍यम से व्‍यावसायियों की समस्‍याओं का निराकरण किया जा रहा है. जीएसटी लागू होने के उपरांत वेट प्रणाली में पूर्व से पंजीकृत व्‍यावसायियों में से 2 लाख 66 हजार 746 व्‍यावसायियों का जीएसटी के अंतर्गत माइग्रेशन कराया गया है. जीएसटी प्रणाली लागू होने के उपरांत 1 लाख 10 हजार नये व्‍यावसायियों द्वारा पंजीयन प्राप्‍त किया गया है. इस प्रकार राज्‍य में अप्रत्‍यक्ष करदाता पंजीयन में 41.24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जीएसटी में मुख्‍य रूप से 5 दरें रखी गई है. शून्‍य प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशित, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत. शून्‍य प्रतिशत वाली श्रेणी में अनाज, दलहन, आटा, गुड़, पापड़, नमक, ब्रेड, मानव रक्‍त, काजल, बिंदी, सिंदूर, पुस्‍तकें, समाचार पत्र, खादी, नारियल, दूध, दही, पनीर, लस्‍सी मट्ठा, प्राकृतिक शहद, बीज, कृषि उपकरण, मांस, पेड़-पौधे, फूल, सब्जियां, फल इत्‍यादि रखे गये हैं. आम उपभोक्‍ताओं के उपयोग की वस्‍तुयें तथा फर्टीलाइजर आदि 5 प्रतिशत वाले स्‍लेब में रखी गई हैं. आम आदमी और किसानों के उपयोग में आने वाली अधिकांश वस्‍तुओं पर वेट प्रणाली की तुलना में जीएसटी व्‍यवस्‍था में कर भार में कमी आई है. आम उपभोक्‍ताओं के उपयोग में आने वाली वस्‍तुओं पर जीएसटी दर में कमी कराने के लिये राज्‍य सरकार ने जीएसटी काउंसिल में सतत् प्रयास किये हैं और अनेक वस्‍तुओं पर कर दर में भी कमी की गई है. व्‍यावसायियों को सुविधा प्रदान करने के उद्देश्‍य से कम्‍पो‍जीशन, व्‍यावसायियों हेतु टर्न ओवर की सीमा 50 लाख रूपये से बढ़ाई गई है साथ ही विवरण पत्र देरी से भरने पर लगने वाली फीस और शास्ति इसको भी माफ किया गया है. जीएसटी अधिनियम में कर की देयता माल एवं सेवाओं की आपूर्ति रूपये 20 लाख वार्षिक से अधिक होने पर आती है. वेट अधिनियम में व्‍यावसायियों पर कर दायित्‍व की यह सीमा रूपये 10 लाख थी. जीएसटी अधिनियम के तहत अब इसकी सीमा को बढ़ाकर 10 लाख से 20 लाख रूपया कर दिया गया है. जीएसटी लागू होने के पश्‍चात वन विकास उपकर भी समाप्‍त करने का निर्णय राज्‍य शासन ने लिया है.

          वनोपज पर प्रदेश के अंदर प्रदाय एवं विक्रय पर 3 प्रतिशत एवं प्रदेश के बाहर प्रदाय एवं विक्रय की जाने वाली वनोपज पर 5 प्रतिशत वन-विकास उपकर लगाया जाता था, जो अब समाप्त किया जा रहा है. ऐसा करने से प्रदेश में वनोपज के उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी. प्रदेश के प्रमुख नगरों में स्थान के अधिकतम उपयोग एवं व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बहुमंजिला व्यावसायिक काम्पलेक्स एवं मल्टीप्लेक्स भवनों को प्रोत्साहित करने हेतु इस वर्ष स्टाम्प ड्यूटी एवं पंजीयन शुल्क के उद्देश्य से मार्गदर्शी सिद्धांतों में परिवर्तन कर उन्हें अन्य बहुमंजिला भवनों में विभिन्न तलों की मूल्यांकन व्यवस्था के अनुरूप बनाया जाना प्रस्तावित है. सूचना प्रौद्योगिकी के नवीन मापदंडों के अनुरूप संपदा परियोजना साफ्टवेयर का माईग्रेशन संपदा वर्जन 2.0 के रूप में किया जाना प्रस्तावित है. नियमानुसार ई पंजीयन किये जाने वाले दस्तावेजों को स्वतः नामांतरण हेतु राजस्व विभाग के नवीन साफ्टवेयर रेवेन्यू केस मॉनिटरिंग सिस्टम से जोड़ा जाना प्रस्तावित है. वृत्ति कर, वर्तमान में नियोजन में ऐसे व्यक्ति जिनकी वार्षिक वेतन 1 लाख 80 हजार रूपये का है, उसके लिये वृत्ति कर देय नहीं है. तथा इससे अधिक वार्षिक वेतन या मजदूरी पर वृत्ति कर रूपये 2500 देय है. वृत्ति कर हेतु मुक्ति की सीमा को बढ़ाकर 2 लाख 25 हजार किया जा रहा है. इसी प्रकार रूपये 2 लाख 25 हजार 1 रूपये से 3 लाख तक वार्षिक वेतन के देय के लिये कर रूपये 2500 से घटाकर 1500 रूपये, 3 लाख 1 रूपये से 4 लाख रूपये तक वार्षक वेतन के लिये देय कर 2500 से घटाकर 2 हजार रूपये तथा 4 लाख 1 रूपये से अधिक वार्षिक वेतन पाने वालों के लिये देयता रूपये 2500 रहेगी. रूपये 20 लाख से कम टर्न ओवर वाले माल एवं सेवाओं की आपूर्ति को वृत्ति कर से मुक्त किया जा रहा है. रूपये 20 लाख से अधिक वार्षिक माल एवं सेवाओं की आपूर्ति पर वृत्ति कर रूपये 2500 देय होगा. आबकारी विभाग के अंतर्गत मद्य संयंम के साथ अधिकतम राजस्व प्राप्ति की दिशा में हमारी सरकार प्रयासरत् है. वर्ष 2018-19 की आबकारी व्यवस्था में गर्ल्स स्कूल, गर्ल्स कॉलेज, होस्टल, छात्रावास एवं धार्मिक स्थलों से 50 मीटर की दूरी तक अवस्थित मदिरा दुकानों तथा प्रदेश में संचालित 149 देशी-विदेशी मदिरा दुकानों को स्वीकृत आहात बार लायसेंस दिनांक 1.4.18 से बंद किया जाना है. 2017-18 में नर्मदा किनारे के शहरों में पांच किलोमीटर तक की दूरी में स्थित तथा नर्मदा किनारे के निर्दिष्ट गांवों में 66 मदिरा दुकानों का बंद किया जाना है. मध्यप्रदेश में मदिरा की कोई नवीन दुकान, उप दुकान नहीं खोली गई. इस प्रकार मध्यप्रदेश में मदिरा दुकानों की संख्या निरंतर कम की गई है. प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री के विरूद्ध विभाग द्वारा मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम 1915 के अंतर्गत प्रभावी कार्यवाही की जा रही है. 50 लीटर से अधिक अवैध शराब के परिवहन को अधिनियम में गैर जमानती अपराध बनाया गया है. ऐसे प्रकरणों में परिवहन हेतु लाये जाने वाले वाहन को राजसात किया जाता है. मध्यप्रदेश आबकारी अधिनियम की धारा 35 के इस प्रावधान में ऐसी मदिरा के उपयोग में जिसके उपरांत मृत्यु अथवा गंभीर शारीरिक क्षति हो. ऐसी स्थिति में अपराध के लिये 10 वर्ष तक का आजीवन कारावास तथा 1 लाख रूपये दण्ड से लेकर 10 लाख रूपये तक जुर्माने के रूप में दंडित किये जाने हेतु नियमों में प्रावधान किया जा रहा है. वर्तमान में प्रदेश में प्राप्त होने वाले राजस्व में एक बहुत बड़ा हिस्सा मदिरा पर लगने वाला कर है. प्रदेश सरकार की आबकारी मद में लगभग 8 हजार करोड़ रूपये का वार्षिक राजस्व प्राप्त होता है, जिसका उपयोग प्रदेश में जन-कल्याणकारी योजनाओं में किया जाता है. पंजीयन विभाग 1 अगस्त 2015 से पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत किया जा चुका है तथा विभाग की सभी गतिविधियां सफलतापूर्वक संपदा पोर्टल के तहत ऑन-लाईन की जाती हैं.

                   वित्तीय वर्ष 2017-18 में मार्च,2017 से 10 मार्च,2018 तक संपदा अंतर्गत 7 लाख 3 हजार 563 दस्तावेज ई पंजीकृत किये गये. सेवा प्रदाताओं द्वारा 22 लाख 61 हजार 334 ई स्टाम्प जनरेट किये गये. विभिन्न उपयोगकर्ताओं द्वारा आन लाईन सर्च के माध्यम से 7 लाख 27 हजार 702 ई पंजीकृत दस्तावेजियों की सर्च की गयी एवं 27554 सत्यापित प्रतिलिपि आनलाईन प्राप्त की गई. 2017-18 में अप्रैल,2017 से 10 मार्च,2018 तक की अवधि में कुल रुपये 4256.9 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया गया, जो वित्तीय वर्ष 2017-18 हेतु निर्धारित लक्ष्य रुपये 4300 करोड़ के विरुद्ध 98.99 प्रतिशत है, तथा गत वर्ष इसी अवधि में प्राप्त राजस्व रुपये 3436.42 करोड़ की तुलना में  23.88 प्रतिशत अधिक है. अमलगमेशन कमीशन और मर्जर के मामलों में गत वर्ष स्टाम्प ड्यूटी पर अधिकतम सीमा का अभिनिर्धारण किया गया था किन्तु इसके सहवर्ती पंजीयन शुल्क,स्टाम्प ड्यूटी से अधिक हो गया था. प्रदेश में अमलगमेशन कमीशन और मर्जर पर वर्तमान में पंजीयन शुल्क सम्पत्ति के मूल्य का 0.8 प्रतिशत है जो महाराष्ट्र और गुजरात आदि से बहुत अधिक है और प्रदेश में निवेश के वातावरण को हतोत्साहित करता है. अत: शुल्क घटाकर स्टाम्प ड्यूटी पर 0.8 प्रतिशत करना प्रस्तावित है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय जितू पटवारी जी,ओमप्रकाश सखलेचा जी, डॉ.गोविन्द सिंह जी,आदरणीय तिवारी जी और जिन्होंने भी इस चर्चा में हिस्सा लिया,सभी का धन्यवाद करना चाहता हूं. शराब के बारे में बहुत बात कर रहे थे श्रीमान जितू पटवारी जी. उपाध्यक्ष महोदय, ये किस मुंह से शराबबंदी की बात करते हैं. इनको तो कहते हुए शर्म आनी चाहिये. 50 साल सरकार में रहे हो. अगर करना थी शराबबंदी तो तब करते. तब तो की नहीं आपने की आपने,बिल्कुल नहीं की और आज यह शराबबंदी की बात कर रहे हैं. चुनाव का मौका आ गया है. कहीं किसी प्रदेश में आपने शराबबंदी की.

          श्री सुखेन्द्र सिंह - बिहार में की.

          श्री जयंत मलैया - आपने नहीं की वह नितीश कुमार जी ने की. डॉ.गोविन्द सिंह जी कहां गये ?

          कुंवर विक्रम सिंह - हरियाणा में की है.

          श्री जयंत मलैया - वहां चालू है. बंशीलाल जी ने बंद की थी उन्होंने ही चालू की है.

          श्री गोपाल भार्गव - आपके विधान सभा में खजुराहो भी आता है. सोच लो जरा.

          श्री जयंत मलैया -  जितू पटवारी जी और गोविन्द सिंह जी कह रहे थे कि बड़े ठेकेदारों को हमने प्रोटेक्ट किया. मैं यहां निवेदन करना चाहता हूं. जब आपकी सरकार थी, याद करो आप एक जिले को एक इकाई मानकर बड़े ठेकेदारों को आप पूरे के पूरे जिले दे देते थे. हमने छोटे-छोटे ग्रुप बनाये, जिससे ज्यादा से ज्याद लोग उसमें इनवाल्व हो सकें और इस काम को आगे बढ़ाया. आपने कहा, चालान में गड़बड़ियां करके 40 करोड़ रुपये लोगों ने हड़प लिये. हमने लोगों को पकड़ा. 27 करोड़ रुपये उनसे हमने वसूल किया. ऐसा नहीं कि वसूल नहीं किया. लोग जेल में हैं. लोगों को सस्पेंड किया. सस्पेंड आप किसी को जिंदगी भर नहीं कर सकते उसकी भी एक सीमा होती है. चूंकि लंबे समय तक उसकी जांच चलना थी तो चार माह के बाद हमने उनको रीस्टेट किया लेकिन कहीं फील्ड में पोस्टिंग नहीं की उनकी. आप अपने जमाने में याद रखो फर्जीवाड़े होते थे. कैसे फर्जीवाड़े होते थे. हर जगह शराब के ठेके ले लेते थे और फर्जी ड्राफ्ट लगा देते थे. याद है. जिसकी बाद गोविन्द सिंह जी कह रहे थे. वे चले गये यहां से. वह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के साथ विदेश यात्रा करते थे और एक मंच शेयर करते थे और क्या कहते थे, वह मैं नहीं कहना चाहता.मुझसे कहलवाना चाहते हो. अपने कामों को तो देखो.

 

श्री गोपाल भार्गव - उपाध्यक्ष महोदय, सेहतगंज की सभा में यह कहा था कि खूब कमाओ, खूब पिलाओ, खूब कमाओ और खर्च भी करो.

श्री जयंत मलैया - उपाध्यक्ष महोदय, ये सारी बातें हैं. यह बात भी मुझे लगती है कि ठीक है. मैं भी चाहता हूं शराब बंदी हो. परन्तु दबाव से या बंद करने से नहीं होगी मित्र. उपाध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि लोगों को एजुकेट करने पर, लोगों को शिक्षित करने पर कि शराब से आपकी आर्थिक दिक्त होती है, सामाजिक दिक्कत होती है, आपका स्वास्थ्य खराब होता है. ये बातें आप एजुकेट करेंगे तब तो पता चल जाएगा, बिना उसके नहीं हो पाएगा.

श्री सुन्दरलाल तिवारी - मान लिया हमने विधायक होने के नाते, मंत्री होने के नाते आपने पढ़ाया हमने मान लिया. अब हमारा कहना है कि आप ही क्यों नहीं बंद कर देते अगर हम लोग नहीं पढ़ना जानते. सरकार ही बंद कर दे तो हमको मिलेगी ही नहीं.

श्री जयंत मलैया - पता नहीं आप कहां से ले आओगे? अब हम इसका उत्तर यहां नहीं देंगे. जो श्री जितू भाई ने एक बात और कही थी झाबुआ, धार, अलीराजपुर, वहां के ठेके इतने महंगे क्यों जाते हैं? बाहर आना आपको हम बता देंगे. आपको भी पता है, परन्तु उसका मैं यहां पर जिक्र नहीं करूंगा. डीजल और पेट्रोल के बारे में एक बात और आपने कही. सरताज थे हम डीजल, पेट्रोल में एक जमाने में. सबसे ज्यादा टैक्स लेते थे, वह भी इसलिए कि हमारे पास में दूसरे रेवेन्यू के सोर्सेज़ नहीं थे. परन्तु मैं यहां पर निवेदन करना चाहता हूं कि अब आज 8 या 10 प्रदेश जो हैं हमसे डीजल और पेट्रोल में दाम में आगे हैं.  पेट्रोल के मामले में महाराष्ट्र, राजस्थान और आंध्रप्रदेश में करों की दरों में अधिक हैं, डीजल की दर हमारे राज्य की तुलना में छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, उड़ीसा, आंधप्रदेश में ज्यादा है. इस बारे में जो कर किये थे वह हमने बहुत कम किये थे और उसमें 2000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. अब जो हमने सेस लगाया है, सड़कों के निर्माण के लिए, रिपेमेंट के लिए, उससे मात्र हमें 250-300 करोड़ रुपया मिलेगा. उपाध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही मैं समझता हूं कि जो मैंने वर्ष 2018-19 का जो प्रावधानों का बजट प्रस्ताव रखा है, उसको प्रस्तुत करता हूं. धन्यवाद.

उपाध्यक्ष महोदय - मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.

प्रश्न यह है कि मांग संख्या 6 एवं 7 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.

कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.

अब, मैं, मांगों पर मत लूंगा.

प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2019 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को -

 

अनुदान संख्या - 6       वित्त के लिए तेरह हजार छह सौ छियासी करोड़, सत्रह                               लाख, छत्तीस हजार रुपये, तथा

अनुदान संख्या - 7       वाणिज्यिक कर के लिए दो हजार सात सौ तैंतीस करोड़,                                       पैंसठ लाख, चार हजार रुपये

 

          तक की राशि दी जाय.

 

 

                                                          मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

 

5.18 बजे

 

मांग संख्या 30

ग्रामीण विकास

मांग संख्या 34

सामाजिक न्‍याय एवं नि:शक्‍तजन कल्‍याण

मांग संख्या 53

त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय सहायता

मांग संख्या 59

ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप् परियोजनाएं

मांग संख्या 62

पंचायत.

 

पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि 31 मार्च, 2019 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को -

         

           

            उपाध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. अब इन मांगों पर कटौती प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत होंगे. कटौती प्रस्‍तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्‍तावक सदस्‍य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्‍य हाथ उठाकर कटौती प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत किये जाने हेतु सहमति देंगे उनके ही कटौती प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुए माने जाएंगे.         

          मांग संख्‍या- 30                                       ग्रामीण विकास

                                                                                 क्रमांक

          कुं. विक्रम सिंह                                                             3

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी                                                    5

          श्री सुखेन्‍द्र सिंह                                                 7

          श्रीमती चंदा सुरेन्‍द्र सिंह गौर                                           8

          श्री रामनिवास रावत                                                    9

 

          मांग संख्‍या- 34                                       सामाजिक न्‍याय एवं

                                                                             नि:शक्‍तजन कल्‍याण

                                                                                   क्रमांक

          श्री सुन्‍दरलाल तिवारी                                                    4

          श्री रामनिवास रावत                                                    5

 

          मांग संख्‍या- 53                                     त्रिस्‍तरीय पंचायती राज

                                                                       संस्‍थाओं को वित्‍तीय सहायता

                                                                                     क्रमांक

          श्री रामनिवास रावत                                                       5

         

 

          मांग संख्‍या- 62                                                 पंचायत

                                                                                         क्रमांक

          श्रीमती चंदा सुरेन्‍द्र सिंह गौर                                                9

          श्री रामनिवास रावत                                                         11

          उपस्थित सदस्‍यों के कटौती प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्‍तावों पर एक साथ चर्चा होगी.

          पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - उपाध्‍यक्ष महोदय, एक व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न है एक भी सदस्‍य ने हाथ नहीं उठाया और जिन्‍होंने कटौती प्रस्‍ताव दिये हैं, वे हैं नहीं, 25 नाम आपने पढ़े हैं. इसमें उपाध्‍यक्ष जी, व्‍यवस्‍था दें.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - जो परम्‍परा पहले से चली आ रही है उसी का हम पालन करें तो ज्‍यादा अच्‍छा रहेगा. आप जानते हैं कि हमेशा जब नाम पढ़े जाते हैं तो माननीय सदस्‍य हाथ नहीं उठाते या कम लोग उठाते हैं, सब उपस्थित नहीं रहते, लेकिन जो दल की तरफ से सूची आती है उसी को मानते हैं.

          श्री गोपाल भार्गव - उपाध्‍यक्ष महोदय, जिन लोगों ने कटौती प्रस्‍ताव दिये हैं  हाथ उठाने की परम्‍परा शुरू से रही है.

          उपाध्‍यक्ष महोदय - मुझे याद है जब आप लोग इधर बैठते थे तब भी ऐसे ही होता था. वह व्‍यवस्‍था पहले से है.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी) - उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं मांग संख्‍या 30, 34, 53, 59 और 62 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. भारत के राष्‍ट्रपिता पूज्‍य बापू महात्‍मा गांधी जी अक्‍सर कहा करते थे कि अगर भारत को देखना हो, भारत की संस्‍कृति को देखना हो, तो आपको गांव में जाकर देखना होगा. गांव में प्रकृति की अनुपम धरोहर कितनी है, प्रकृति का सौंदर्य कैसा है, प्रकृति कैसे निवास करती है, सूर्य की किरण निकलने से लेकर सूरज की शाम ढलने तक भारत के गांव की दिनचर्या क्‍या होती है ? यह पूज्‍य बापू महात्‍मा गांधी जी कहा करते थे. इसी उद्देश्‍य और इसी परिकल्‍पना से बापू के इसी सपने को साकार करने के लिए मध्‍यप्रदेश सरकार के तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री आदरणीय राजा दिग्विजय सिंह जी ने पंचायत राज अधिनियम लागू करने का विचार किया. उपाध्‍यक्ष महोदय, सदन में बैठे हमारे दल के सचेतक आदरणीय श्री रामनिवास रावत जी उस समय 1994 में पंचायत विभाग के राज्‍यमंत्री थे, उन्‍होंने इस प्रस्‍ताव को रखा और 1995 में आपके पुराने साथी सदन में वे सब लोग अधिकतर मौजूद हैं जो मेरे स्‍वर्गीय पिता जी के साथ में रहे, उस समय उनको भी इस प्रदेश के पंचायत मंत्री के रूप में काम करने का सौभाग्‍य मिला और उनके समय पर पंचायत मंत्री के रूप में यह पंचायत राज अधिनियम लागू हुआ और उसको आगे बढ़ाते हुए सदन में मौजूद सदन के नेता प्रतिपक्ष हमारे मार्गदर्शक आदरणीय अजय सिंह जी राहुल भैया ने उसकी गति को और आगे बढ़ाया और उपाध्‍यक्ष महोदय, सदन में ही बैठे हमारे पंचायत मंत्री आदरणीय श्री गोपाल भार्गव जी को एक लंबा अवसर इस पंचायत राज व्‍यवस्‍था के तहत काम करने का, इसकी नीति में संशोधन करने का, अगर हमारे दल के लोगों से कोई त्रुटि हो गई थी, तो मैं समझता हूं कि उसमें भी सुधार करने का मौका लगातार 9-10 वर्षों से आदरणीय मंत्री महोदय भार्गव जी के हाथों में है. उपाध्‍यक्ष महोदय, जो महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय रोजगार गारंटी योजना है. उस समय जो पंचायती राज के माध्यम से   लागू की गई केंद्र की मनमोहन सिंह जी, श्रीमती सोनिया गांधी जी की सरकार  में,  उसके पीछे उद्देश्य यह  छुपा हुआ था कि गांव  में रहने वाला  प्रत्येक जो  मजदूर व्यक्ति है,  उसको  गारंटी के साथ रोजगार मिले.  ऐसी महती योजना जब लागू हुई तो  गांव गांव में  पंचायती राज अधिनियम का, इस योजना का   स्वागत किया गया और  वह योजना सुचारु रुप से चली.  हमारे विरोधी दल के उस समय के संसद के नेताओं ने भी  उसका विरोध किया.   यहां भी उसका विरोध हुआ,  पर वह  निरन्तर चलती रही.  पर आज जो परिदृष्य देखने  को मिल रहा है, मुझे कहते  हुए अत्यन्त दुख हो रहा है कि  गांव में रहने वाले  लोगों के हाथ में सत्ता आये, उनको हक,अधिकार एवं हकूक मिले, वह  अपना निर्णय गांव की चौपाल  में, गांव  की पंचायत में बैठकर  अपने गांव के हित का निर्णय  ले सकें, यह अधिकार  पंचायती राज व्यवस्था में दिये गये थे.  पर आज उन अधिकारों का हनन  हो चुका है. आज सीधे  भोपाल से आदेश प्रसारित  होने लगे हैं और  गांव में बैठा हुआ पंचायत का व्यक्ति  चाहे वह पंच, उप  सरपंच, सरपंच, जनपद का सदस्य हो और चाहे जिला पंचायत का सदस्य हो, आज ये जनता के चुने हुए जन प्रतिनिधि अपने आपको ठगा महसूस कर रहे हैं.  इनकी कलम में, इनके  पेन में  इतनी स्याही इस सरकार ने नहीं बचने दी  कि वे  इस कलम को चलाकर  अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें, यह कटौती हुई. 

5.27 बजे             {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}

                   अध्यक्ष महोदय,  मैं आपके माध्यम से  मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा कि  आप भी गांव के व्यक्ति हैं.  आप भी मंत्री नहीं बने रहे होंगे,  जनप्रतिनिधि नहीं बने रहे होंगे, आपका बड़ा परिवार है, आप  गांव के रहने वाले हैं,  किसान हैं.  गांव के मुखिया के रुप में  आपने भी  उस समय में गांव की पंचायतों में   गांव के  निर्णय  किये होंगे.  गांव में पंचायतें होती थीं,  जो हक और अधिकार  पूर्ववर्ती सरकार के समय  में था,  वह आज नहीं है.  आज कितनी बड़ी विडम्बना है कि  पंचायत के चुने हुए जन प्रतिनिधि  अपना हक, अधिकार और हकूक   मांगने के लिये गांव से  निकलकर  प्रदेश की  राजधानी भोपाल में  प्रदर्शन करने के लिये  मजबूर हो रहे हैं और  सरकार उनको सुनना तो चाहती नहीं है,  पर उल्टा उनके  ऊपर डण्डे बरसाने का काम कर रही है.  उन्हें चोट पहुंचाने का काम कर रही है.  आज ऐसी पंचायती राज की व्यवस्था हो गई है. मैं अगर  आंकड़ों पर जाऊंगा तो मनरेगा में  जो प्रतिशत आया है,  वर्ष 2015 और 2016 में  पूरे  प्रदेश में 34.4 प्रतिशत परिवारों को ही  मनरेगा का लाभ उनको प्रदेश सरकार  दे पाई है.  वर्तमान में  इसका प्रतिशत  निरंतर घट रहा है और  धरातल में  इसकी जो स्थिति है, वह  बड़ी गंभीर है.  पंचायत के लोग आज छोटे से  छोटे काम  के लिये सीधे भोपाल  दौड़कर आते हैं और यहां पर  गुहार लगाते हैं. आज गांव    के  लोग पलायन करने की स्थिति में हैं,  क्योंकि मनरेगा से  उनको काम  नहीं मिल रहा है. नहीं तो 40 प्रतिशत  पक्के कामों के  लिये और 60 प्रतिशत मजदूरों के लिये, अभी तो कई कई गांवों में  प्रदेश के  मनरेगा का पुराना पैसा भी  अभी तक नहीं मिला है.  प्रधानमंत्री आवास की हम बात करें. योजना बहुत अच्छी थी कि  लोगों को सिर  छुपाने के लिये  एक मकान  की व्यवस्था प्रधानमंत्री जी  के द्वारा  उनके आवास के नाम से दी जा रही थी, पर  डेढ़ लाख रुपये की  शासन के द्वारा  उस प्रधानमंत्री  आवास योजना के लिये स्वीकृति होती है.  1 लाख 30 हजार रुपये उनको सामग्री के लिये मिलता है . 15 हजार रुपये मस्‍टर रोल मजदूरी के लिए मिलते हैं. कुल मिलाकर डेढ़ लाख में से 1 लाख 45 हजार रुपये होते हैं. 5 हजार रुपये का कोई लेखा-जोखा नहीं है कि वह 5 हजार रुपया किस मद में, किस व्‍यक्‍ति के पास में, कहां पर जमा है, डेढ़ लाख रुपये का 5 हजार रुपया कहां पर जमा है, यह भारी विसंगति इसमें है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि सरपंच को आपने नए अधिकार तो दिए नहीं, पर सरपंच को, गांव के मुखिया को गांव के लोगों से बुराई लेने का, उनके गुस्‍से का पात्र बनने की व्‍यवस्‍था जरूर कर दी. अगर वर्ष 2011 की सर्वे सूची के अनुसार पात्र हितग्राही की सूची में किसी हितग्राही का नाम नहीं है तो उस पात्र हितग्राही के नाम को जोड़ने का अधिकार सरपंच को नहीं है, पर उसके नाम को काटने का अधिकार सरपंच को आपने जरूर दे दिया है. मेरी आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से प्रार्थना है कि जब सरपंच को नाम जोड़ने का अधिकार नहीं है तो सरपंच को सूची से नाम काटने का अधिकार भी नहीं होना चाहिए. बल्‍कि यह ग्राम की व्‍यवस्‍था है. ग्राम का सरपंच अपने गांव के लोगों को भलीभांति जान सकता है, अधिकारियों से ज्‍यादा जान सकता है कि इस गांव में वह पात्रता रख रहा है कि नहीं रख रहा है, इसकी क्‍या स्‍थिति है, क्‍या परिस्‍थिति है, वह जनपद के सीईओ, जनपद के अधिकारियों से ज्‍यादा विवेक रखता है क्‍योंकि वह उसी गांव में जन्‍म लेता है, उन्‍हीं के बीच से ही वह निर्वाचित होकर सरपंच के रूप में जनप्रतिनिधि बना है. इसलिए यह नाम जोड़ने और नाम काटने का अधिकार सरपंच के ही हाथों में रहना चाहिए.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वृद्धावस्‍था पेंशन, निराश्रित पेंशन, विकलांग पेंशन, ऐसी और भी पेंशन योजनाएं जो सरकार के द्वारा चालू की गई हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपया समाप्‍त करें.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. आपके पीठासीन होने से तुरंत पहले ही मैंने अपना भाषण शुरू किया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आपको 10 मिनट हो गए हैं. 2-3 मिनट में समाप्‍त करें.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विधवा पेंशन हेतु माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि हम विधवाओं को पेंशन देंगे. यह बहुत अच्‍छी सोच थी, पर विधवा पेंशन की भी पात्रता में एक क्षेपक लगा दिया गया और वह क्षेपक यह कि विधवा हो, पर गरीबी रेखा में भी उसका नाम होना चाहिए. तभी उसको विधवा पेंशन का लाभ मिलेगा. अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि उनका गरीबी रेखा में नाम रहे अथवा न रहे, अगर कोई महिला विधवा है तो उसको विधवा पेंशन मिलनी चाहिए.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- क्‍या आपने बजट भाषण पढ़ा है, बजट भाषण में 1 अप्रैल से यह चालू होना है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, पिछली बार भी मुख्‍यमंत्री जी के भाषण में यह बात आई थी.

          श्री कमलेश्‍वर पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, इसी सदन में एक वर्ष पहले भी मुख्‍यमंत्री महोदय ने यह बात बोली थी.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- संतोष रखो, हो जाएगी.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- आदेश नहीं निकला.

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्‍यक्ष महोदय, उस समय बजट में नहीं आया था, इस साल के बजट में है. खैर, मैं अपने उत्‍तर में बता दूंगा.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, अगर वह बजट में होता और लागू हो गया होता तो मैं यह बात नहीं बोलता.

          कुँवर विक्रम सिंह -- एप्रिल फूल तो नहीं मनाओगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बैठिए, वे अपनी बात बोल रहे हैं.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरी अगली बात यह है कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की सहायता हेतु शिक्षित बेरोजगारों की परीक्षा कराई गई. केन्‍द्र से उन्‍हें प्रमाण-पत्र भी जारी किया गया और साथ ही उनका प्रशिक्षण भी कराया गया. ऐसे अभ्‍यर्थियों की नियुक्‍त मनरेगा योजना के तहत अभी तक विभाग द्वारा नहीं की गई है. इसलिए आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इनकी नियुक्‍ति कराएं. मैंने कुछ ही दिन पहले देखा था कि सारे के सारे ये लोग माननीय मंत्री जी के निवास पर इकट्ठा होकर माननीय मंत्री जी से भी उन्‍होंने निवेदन किया था.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अब मैं बहुत महत्‍वपूर्ण बात पर आ रहा हूँ और वह है - स्‍वच्‍छ भारत, जिसमें बापू जी का साफ चश्‍मा लगा हुआ है. ऐनक, दूरदृष्‍टि, नेक इरादा, पक्‍का इरादा, बहादुर सिंह जी, पीने को पानी नहीं है. गांव-गांव की नल-जल योजनाएं ठप्‍प पड़ी हुई हैं. पाइप-लाइन विस्‍तार करने के लिए टोले, मजरे में पीएचई डिपार्टमेंट के पास में पाइप नहीं हैं और एक मीटर बाइ एक मीटर का शौचालय कैसा बन रहा है, उसका उपयोग. मैं सत्‍य बोल रहा हॅूं आप जॉंच करवा लें. कम से कम 90 परसेंट जगह पर कंडा रख रहे हैं, लकड़ी रख रहे हैं, खरेटा रख रहे हैं और कहीं-कहीं तो...(व्‍यवधान)..

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- आप एक शौचालय नहीं बनवा पाए. (XXX)

          श्री बहादुर सिंह चौहान -- आप ईमानदारी से बोलना. वर्ष 2003 में कितने गांव सड़कों से जुडे़ हुए थे. केवल 5 परसेंट. अब 99 परसेंट गांव इस योजना से जुड़ चुके हैं...(व्‍यवधान)...

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय बहादुर सिंह जी ने बहुत अच्‍छी बात कही, पर एक चौपाई मुझे ध्‍यान आती है कि "बीती ताहिं बिसार दो, आगे की सुध लेउ" यह जरूरी है. हमने अगर कुछ नहीं किया या हमसे कोई त्रुटि हुई तो उस त्रुटि को आप भी दोहराएं. यही करेंगे क्‍या...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष्‍ा महोदय -- आप उनकी बात का उत्‍तर मत दीजिए. आप एक मिनट में बोल लीजिए.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं फिर अतीत में जाऊंगा तो आप यह कहेंगे. मेरा यह कहना है कि जब देश आजाद हुआ था तो इस कांग्रेस पार्टी को क्‍या मिला था. खाली खजाना मिला था.

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- आपको खाली खजाना नहीं, बल्कि पूरा देश मिला था. यह सोने की चिडि़या कहलाने वाला भारत मिला था...(व्‍यवधान)...और कह रहे हो कि क्‍या मिला था.

          अध्‍यक्ष्‍ा महोदय -- मनोज जी, आप बैठ जाइए.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भारत का सारा सोना, सारा कोहिनूर का हीरा तो अंग्रेज ले जा चुके थे. यहां तो खाली खजाना मिला था. इसमें जो त्रुटियां हुई हैं उसके लिए मैं माननीय मंत्री जी का ध्‍यान आकृष्‍ट करता हॅूं. फिर एक महत्‍वपूर्ण बात है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बस एक मिनट में समाप्‍त करें.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं पहले ही पंचायत के बारे में बोल रहा हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब 15 मिनट हो गए हैं.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पंचायतों को अधिकार मिला. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि इतना बड़ा अधिकार था कि ग्राम सभा में जो प्रस्‍ताव पारित हो जाता था चाहे खरंजा रोड हो, कांक्रीट रोड हो, स्‍टॉप डेम हो, छोटी-सी पुलिया हो, मेड़ बंधान का काम हो और चाहे खाते के बंटवारे का काम हो, नामांतरण का काम हो, फौती उठाने का काम हो, ये छोटे-छोटे काम हैं जो पटवारी लेबिल के हैं जो गांवों के मुकद्दम साहब किसी जमाने में ये काम किया करते थे. आज सरकार कर रही है. आज भोपाल से ये काम हो रहे हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे यह अनुरोध है कि ये खाता, नामांतरण बंटवारे के काम वही होना चाहिए.

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- माननीय रजनीश भैया, ये काम पहले सिर्फ कागजों पर ही होते थे. धरातल पर कभी काम नहीं हुआ है. यह बात भी बोलो आप. धरातल पर अब काम होने लगा है.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स हो, डिजिटल इंडिया चलाना नहीं आ रहा है. प्रशिक्षण की व्‍यवस्‍था नहीं है. खसरा, नक्‍शा, किस्‍तबंदी, खतौनी लेने जाते हैं एक बटा दो, दो बटा तीन रामकरण, रामकरण. एक हलन्‍त, एक मात्रा, एक बिन्‍दी गलत हो गई, वही चक्‍कर लगाते रहते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपया आप बैठ जाएं.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पटवारी आता था, बस्‍ता खोलता था, मुकद्दम घर में बैठता था, चाय पीता था, पिलाता था, चार बातें होती थीं और वह लिखकर अपनी सील लगाकर दे देते थे, यह व्‍यवस्‍था ग्रामीण राज की थी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपया अब समाप्‍त करें. बहुत टाइम हो गया.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सिर्फ दो मिनट में अपनी बात समाप्‍त करता हॅूं. यह पंचायत की परिकल्‍पना थी. यह व्‍यवस्‍था करनी चाहिए, जो अति महत्‍वपूर्ण है.

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इनके पिता इस विभाग में मंत्री रहे हैं और डीएनए में है.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक और निवेदन करना चाहता हॅूं और माननीय मंत्री जी से प्रार्थना भी करना चाहता हॅूं कि पीएचई डिपार्टमेंट में पेयजल व्‍यवस्‍था का बड़ा काम होता था. आज वह पंचायतों के हाथ में आ गया. फंड उनके पास नहीं है. वॉल्‍व बदल नहीं सकते, पाईपलाइन विस्‍तार नहीं कर सकते, बिजली का बिल बड़ी मुश्किल से दे रहे हैं. मेरा आपके माध्‍यम से पंचायत मंत्री जी से निवेदन है कि पेयजल व्‍यवस्‍था के लिए आप सरपंचों को मुहैया करवाएं. एक मिनट में प्रधानमंत्री सड़क के बारे में बात करना चाहता हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, अब हो गया. बहुत समय दे दिया.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की अभी दो-तीन बातें हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब दो-तीन बात कहने लगे. अब आप बैठ जाइए.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे गोपाल भार्गव जी बड़े उदार मंत्री हैं, पिछली बार 3 सामुदायिक भवन दिये अब भगवान जाने इस बार उसमें बढ़ोत्तरी होगी ही होगी, देश आगे बढ़ रहा है, प्रदेश आगे बढ़ रहा है 3 सामुदायिक भवन से हो सकता है अब 7 दे दें.

          श्री दिलीप सिंह परिहार--  अरे, जो दिये हैं उसको तो मानो.बिजली से गाँव चमाचम हो रहे हैं.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस बात को मान रहा हूं मैं उसके लिए धन्यवाद करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मेरे क्षेत्र की बात कर लूँ. मेरे केवलारी विधान सभा क्षेत्र में जो जरूरी सड़कें हैं उसमें ढेंका से सिंगोड़ी पहुंच मार्ग बहुत जरूरी है. नोनिया जटलापुर से चरगवाँ भीमगढ़ होते हुए मार्ग, सुनवारा से खिरखिरी, सुनवारा से अमोली और पांडिया छपारा से गोकलपुर डूटी मार्ग, जामुनपानी से कछारी मार्ग और जो पुल हैं जो दो जगह की सीमा हैं जो कि स्कूलों को, अस्पतालों को जोड़ने का काम करते हैं. ऐसे छोटे-छोटे पुल हैं धनई नदी पर पुल, पांडिया छपारा से गोकलपुर डूटी पर, चकरघटा घाट पर पुल निर्माण, तिलवारा एवं सुनवारा के मध्य बैनगंगा नदी पर पुल निर्माण, ग्राम रतनपुर एवं ग्राम कतोली के मध्य हिर्री नदी पर पुल निर्माण, बम्हनी और कान्हीवाड़ा के मध्य सागर नदी पर पुल निर्माण और पलारी और बिछुआ के मध्य सागर नदी पर एक पुल निर्माण जरूरी है यहाँ पर एक बच्चा पिछले वर्ष स्कूल जा रहा था उसकी साइकिल स्लिप हो गई वह गिर गया और उसकी मृत्यु  हो गई.

          अध्यक्ष महोदय-- रजनीश सिंह जी आप बैठ जाइए अब.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने मुझे बोलने का अवसर दिया.

          श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल(बैतूल)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माँग संख्या 30,34 और 53 के पक्ष में अपनी बात कहने के लिए खड़ा हुआ. मैं आपके माध्यम से आदरणीय मुख्यमंत्री जी और हमारे पंचायत मंत्री गोपाल भार्गव जी को इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने गाँव के विकास में उत्कृष्ट कार्य किया उन्होंने प्रधानमंत्री आवास में लगभग 5 लाख 92 हजार आवास अभी तक बनाये जो देश में अग्रणी है. स्वच्छ भारत मिशन में आपने 53 लाख शौचालय अभी तक बनाये और 14 लाख शौचालय आने वाले समय में शीघ्र ही बनकर तैयार हो जाएंगे. मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में आपने 51 जिलों में 8854 गांवों को जोड़ने का काम किया है और 19 हजार किलोमीटर से अधिक सड़क बनाई. आपने प्रधानमंत्री सड़क, मध्याह्न भोजन, निःशक्त और वृद्धजनों के लिए कई कल्याणकारी योजनायें चालू की. मानसिक और बहु विकलांग लोगों के लिए प्रदेश में पहली बार 500 रुपये की सहायता लगभग 70 हजार लोगों को दी है और यह बहुत ही अनुकरणीय काम है इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में 3 लाख 80 हजार कन्याओं का विवाह कराने का काम हमारे मुख्यमंत्री जी और मंत्री जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने किया. पंचायतीराज व्यवस्था सुदृढ़ हो और अच्छी हो इसके लिए हमें और कुछ सुझावों की जरूरत है और कुछ विचार करने की जरूरत है. हमारी जो छोटी-छोटी पंचायतें होती हैं उनमें बजट भी कम होता है. वह ना बड़ी पुल-पुलिया बना पाती हैं, ना कोई शॉपिंग कॉम्पलेक्स बना पाती हैं, ना ही उनके पास सफाईकर्मी रहते हैं, ना ही उनके पास में जो बड़े सामुदायिक भवन हैं  वह भी नहीं रहते हैं. कई सुविधाओं का अभाव रहता है और जिसके कारण रोजगार के लिए हमारा ग्रामीणजन शहरों की तरफ देखता है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछली विधान सभा में भी मैंने केरल राज्य का उदाहरण दिया था कि केरल की आबादी हमसे 50 परसेंट है लेकिन वहाँ मात्र 1 हजार पंचायतें हैं. 1 पंचायत 25 से 30 हजार आबादी की है और हमारे यहाँ 22 हजार पंचायतें हैं अगर केरल का फार्मूला अपनाते हैं तो 2 हजार पंचायतें होनी चाहिए. अगर बड़ी पंचायत बनती है तो  कुछ राज्यों से जो मैंने पढ़ा है उसका उदाहरण देना चाहूँगा कि आंतरिक सड़कें हमारे छोटे-छोटे गाँवों की मिलकर एक बड़े गाँव को जोड़ेगी जो एक बड़ा काम हो जाता है. हमारे मुख्यमंत्री जी का सपना है कि हर 10-15 पंचायत के बीच में एक मॉडल स्कूल हो जिसमें ट्रांसपोर्ट सुविधा भी हो, जो प्राइवेट स्कूल से भी अच्छा हो. अगर बड़ी पंचायत होगी तो इस तरह का काम भी आसान होगा. नगर पंचायतों की तरह हमारी पंचायतें काम कर पाएगी. अधिकारियों की संख्या भी ज्यादा होगी जिससे सुविधा होगी. स्कूल, हास्पिटल की सारी प्रापर्टी पंचायत की होगी जिसका मेंटनेंस आसान होगा. आज हम देखते हैं कि पानी 1 हजार फुट से भी नीचे कई जगह उतर गया है. हम पानी रोक कर उसे सफाई करके, फिल्टर करके अगर सामूहिक नल जल योजना बनाना चाहते हैं तो इसके लिए 25-50 गाँवों और 20-25 हजार की आबादी की जरूरत है.माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह है कि हमें पंचायतों को पूर्ण स्वतंत्रता देना चाहिए. पंचायतें कौनसा काम करे, इसका निर्धारण वल्लभ भवन से न हो, पंचायत से हो. पंचायत पानी में कितना खर्च करे. सड़क पर कितना करे. इसका अधिकार पंचायत को होना चाहिए.

          अध्यक्ष महोदय, मैं एक और बात कहना चाहता हूँ कि जो मनरेगा है, उसमें 60-40 का रेश्यो करके, कोई असेट क्रिएट हो, केन्द्र सरकार की गाइड लाइन है, उसमें कहीं नहीं लिखा कि सुदूर संपर्क की रिपेयर न कराओ और आप सिर्फ मोक्षधाम ही बनाओ. मेरा आग्रह है कि जिला कलेक्टर को यह अधिकार होना चाहिए कि 60-40 का रेश्यो मेंटेन करके वह जिले की जरुरत को देखते हुए, पंचायत की जरुरत को देखते हुए, वहाँ पर स्थानीय स्तर पर अपना निर्णय करे. हम यहाँ से उसके लिए पूरे प्रदेश का एक जैसा नोटिफिकेशन न करें, एक जैसा नियम न लागू करें.

          अध्यक्ष महोदय, सचिवों के अधिकार,  ट्रांसफर के पहले भी जिला कलेक्टर के पास थे, अभी भोपाल आ गए, माननीय मंत्री जी, मेरा अनुरोध है कि यह छोटे-छोटे काम, जिले को फिर से ट्रांसफर करें. एक और बड़ी बात कह कर मैं अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा कि हर जिले में प्याज की और कई योजनाओं की, जैसे पहले आरकेव्हीवाय की योजना चलती थी, ऐसी कई योजनाओं की राशि विभिन्न खातों में पड़ी हुई है, मेरे अपने जिले बैतूल में लगभग 50 करोड़ की राशि विभिन्न खातों में पड़ी हुई है, जिसके लिए कोई भी दिशा निर्देश नहीं हैं कि ये राशि किस काम में खर्च की जाए. मेरा आप से अनुरोध है कि सुदूर संपर्क की रोड, पंच परमेश्वर की रोड, सामुदायिक भवन, पुल-पुलिया, पेयजल के लिए, इस राशि का उपयोग करने के निर्देश जारी किए जाएँ. मैं अन्त में आपके माध्यम से मंत्री जी को इस बात के लिए धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने प्रधानमंत्री आवास में और स्वच्छता मिशन में पूरे देश में मध्यप्रदेश को अग्रणी किया. मैं गोपाल भार्गव जी को इस सदन की तरफ से बधाई देना चाहूँगा. (मेजों की थपथपाहट)  पूरे विधायकों की तरफ से मैं आपका इस बात के लिए धन्यवाद करूँगा, एक दिन मैं आप से मिला था तो आपने कहा था कि कोई धन्यवाद नहीं देता. आपने 3-3 सामुदायिक भवन दिए. हमने 10 के मांगे थे आपने 20 के दिए. हम आपको पूरे सदन की तरफ से धन्यवाद देते हैं. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--  अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद मंत्री जी,  तत्काल प्रभाव से गोपाल जी ने यह घोषणा की, व्यवस्था दी और हमको तत्काल सूचना आ गई कि तुरन्त 3-3 सामुदायिक भवन के नाम दीजिए.

          श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल--  अध्यक्ष महोदय, आपने हमारे 10 बड़े गाँव को स्ट्रीट लाइट देने का वादा किया है, इसके लिए हम आपको अग्रिम बधाई देना चाहते हैं. (मेजों की थपथपाहट)पुनः मैं पंचायत विभाग को धन्यवाद देते हुए मध्यप्रदेश में हर काम में अग्रणी भूमिका अपनाने के लिए आपको धन्यवाद देता हूँ.  अध्यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया मैं आपको धन्यवाद देते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा.

          श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बाद में धन्यवाद देता लेकिन धन्यवाद से ही शुरुआत कर देता हूँ कि आपने मांगलिक भवन दिया उसके लिए धन्यवाद और जो अभी स्ट्रीट लाइट के लिए जो घोषणा की उसके लिए भी धन्यवाद. लेकिन कुछ कमियाँ भी हैं.

          अध्यक्ष जी, मैं मांग संख्या 30, 34, 53, 59 और 62 के विरोध में अपनी बात रखना चाहता हूँ. पंचायती राज के बारे में जैसा रजनीश सिंह जी ने यहाँ पर जो बोला, जो महात्मा गाँधी जी ने जो सपना देखा था, उसको पूरा करने के लिए पंचायती राज प्रारंभ किया गया था. पंचायत राज की परिकल्पना यह थी कि चौपाल पर ही बैठ कर सब निर्णय किए जाएँ और वहाँ की जनता की भावनाओं के अनुरूप काम किए जाएँ. कहीं न कहीं उसको जो एक धक्का लगा है. उसके कारण कई काम प्रभावित हुए हैं. एक कूपन बनाने का जो काम सरपंच का होता था वह काम आज तहसीलदार और एसडीएम को करना पड़ता है. एक कूपन बनाने का पावर भी अगर सरपंच को न हो तो जनप्रतिनिधि बनने का उसका क्या मतलब? क्योंकि जनता उससे ही कहती है कि एक कूपन बनाने का पावर भी आपको नहीं है तो कम से कम कूपन बनाने का पावर पंचायतों को दें. यह एक प्रस्ताव अगर इसमें रखेंगे तो बहुत फायदा होगा. मेरा मानना है कि जो सुदूर सड़क योजना, खेत सड़क योजना, जो बनाई जा रही है, उसमें सबसे बड़ा काम यह हो रहा है कि एक किलोमीटर के लिए 14 से 15 लाख रुपये आप मनरेगा से देते हैं. अगर वहाँ पर फील्ड में जाकर उसको देखा जाए तो वह मात्र 5 से 7 लाख में बन जाती है और उसके 15 लाख रुपये निकल कर वह खर्च हो जाते हैं और उसकी क्वालिटी अगर हम देखें तो आप उसमें देखेंगे तो 4 से 5 लाख रुपये में जो मुरम डालते हैं, इतने का काम होता है, तो एक तो इस पर निगरानी रखी जाए. आपने 15 लाख तो दिए हैं, लेकिन उसका सदुपयोग नहीं हो रहा है. आपने खेत सड़क योजना बनाई. वह ठीक है पर उसमें भ्रष्टाचार हो रहा है और बड़ी बड़ी गाड़ियाँ उसमें आ गई हैं. मेरा कहना है कि खेत के लिए तो सड़क बन रही है. मंदिर जो गांव से 1-1 या 2-2 किलोमीटर दूर हैं कोई भोलेनाथ का है या माताजी का मंदिर है या किसी अन्य भगवान का मंदिर है. आप प्रस्ताव यह करें कि मंदिरों के लिए भी मनरेगा से आपके विभाग द्वारा योजना बनाई जाए. मंदिरों के लिए सड़क बनाने की मांग हमसे होती है. मैं मानता हूं कि सभी विधान सभा क्षेत्र में कुछ दूरी पर मंदिर हैं. अगर यह सड़क बनती है तो बहुत अच्छी बात होगी. जो आदर्श ग्राम घोषित किए गए थे उनके लिए जो राशि आती है उसका उपयोग आदर्श ग्राम बनाने में नहीं किया जा रहा है. हमें यह भी नहीं मालूम चला है कि आदर्श ग्राम में क्या-क्या काम किए गए हैं. अभी रजनीश सिंह जी ने ओडीएफ की योजना के बारे में कहा था. शौचालय बनाए जा रहे हैं उसमें पानी की व्यवस्था कैसे की जाए. पानी नहीं होने के कारण वे शौचालय बंद पड़े हैं इसके लिए पानी का प्लान बनाएं. अभी पीने का पानी भी कम है, पीने के पानी के लिए टेंकर की व्यवस्था की जाए. आप पीएचई विभाग से यह निवेदन करें कि पंचायतों में जो 6 इंच के होल होते हैं उसके स्थान पर 8 इंच के होल कराएं जिससे बड़ी मोटर में उसमें उतर सके.

          अध्यक्ष महोदय, प्रधान मंत्री आवास योजना में मेरे क्षेत्र के 15 गांवों में एक भी आवास स्वीकृत नहीं हुआ है. मध्यप्रदेश में 700-800 ऐसे गांव हैं  जिनमें एक भी प्रधान मंत्री आवास स्वीकृत नहीं हुआ है. इस हेतु आप केन्द्र सरकार को लिखें कि इन गांवों को भी इस योजना में सम्मिलित करें ताकि जो गरीब हैं उनको प्रधान मंत्री आवास मिल सके.

          अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री आवास में जिन लोगों को 50 हजार आपने दिया और 1 लाख लोन लिया उनका नाम प्रधान मंत्री आवास में होने के बाद भी उनको प्रधान मंत्री आवास का फायदा इसलिए नहीं मिल पा रहा है क्योंकि उनके मुख्यमंत्री और इंदिरा आवास बन गए हैं. मेरा मानना है चलो यह आवास न मिले परन्तु उन्होंने जो 1 लाख रुपए बैंक से लोन लिया है वह लोन सरकार भरेगी तो उनको भी लगेगा कि हमको भी प्रधान मंत्री आवास का फायदा मिल गया.

          अध्यक्ष महोदय, जो 300 रुपए वृद्धा पेंशन मिल रही है यह पेंशन जब वह निकालने के लिए जाती हैं तो उसे अपने आप में घृणा होती है कि 300 रुपए के लिए हमें इतनी देर खड़ा होना पड़ता है. मैं निवेदन करता हूँ कि वृद्धा पेंशन 1000 रुपए की जाए इससे बहुत दुआएं मिलेंगी. कपिलधारा कुओं के जो पट्टे दिए गए थे वे बहुत पास-पास में हैं जिनको ढाई और दो बीघा जमीन मिली है उनके पास में कुएं होने के कारण कपिलधारा में आपने जो दूरी रखी है. ढाई लाख रुपए में तालाब और कुआं दोनों खोदना है इसकी राशि थोड़ी बढ़ाई जाए और जो दूरी ज्यादा कर रखी है उसको कम करके कुएं खोदने की अनुमति दी जाए.

          अध्यक्ष महोदय, पंचायतों में जो वाटरशेड का काम हो रहा है. करोड़ों रुपए स्टाम डेम और इस पर खर्च किए जा रहे हैं. वहां जाकर देखें तो इनकी क्वालिटी बहुत ही घटिया है. वाटरशेड के जितने भी काम हुए हैं उनकी आप जांच कराएंगे तो आपको पता चलेगा कि उसमें कितना भ्रष्टाचार हुआ है. श्रमिक कार्ड जनपद पंचायत में बनाए जाते हैं बहुत से गरीब जिनके यह कार्ड बनने चाहिए वे नहीं बन पा रहे हैं. उनका भी हल निकाला जाए. सरपंच यदि टीप लगाकर दे दे तो श्रमिक कार्ड बनाए जाएं. अनुसूचित जाति बस्तियों में जो निर्माण कार्य होने थे उसमें 40 प्रतिशत का जो प्रतिबंध रखा गया है कि 40 प्रतिशत से ज्यादा जहां अनुसूचित जाति बस्ती होगी उसमें विकास कराए जाएंगे. मेरा मानना है कि बड़े गांव में अगर अनुसूचित जाति बस्ती अलग भी है तो उसको उसमें सम्मिलित न करके विकास की राशि नहीं दी जा रही है, उनको भी सम्मिलित करें ताकि उन बस्तियों का भी विकास हो सके. पंचायत को रेत के ठेके देने की बात कही गई थी आज तक उसका पालन नहीं हुआ है. रेत के ठेके पंचायत को देने का जो आदेश है उसका जल्दी से पालन करें. स्टेट कनेक्टिविटी की जो सड़कें आपने दी थीं उनको बंद करने का क्या कारण है ? यह सड़कें भी आप देंगे तो कहीं-न-कहीं फायदा होगा.

          अध्यक्ष महोदय, पंचायत द्वारा जो अन्त्योदय मेले लगाए जाते हैं उसमें जो आवेदन आते हैं इसमें 2-4 आवेदनों का निपटारा करके वापिस दे देते हैं. अधिकतर आवेदनों का मेले के बाद क्या होता है इस पर अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं न ही इन आवेदनों का कोई उत्तर मिलता है. अभी आपने 20-20 लाख रुपए दिए हैं इसमें मेरा निवेदन है कि आपने मांगलिक भवन दिए अच्छी बात है यदि आप 5 लाख रुपए का शेड तीन दीवार बनाकर देंगे तो उसमें पंगतें लग सकती हैं. शादियां होती हैं तो उसमें पंगत लगाकर भोजन कराया जा सकता है. छोटे-छोटे गांवों में तीनों तरफ दीवार बनाकर चादर का शेड बनाएंगे तो उसमें पंगत लगाकर कार्यक्रम किए जा सकते हैं और दुआएं भी मिलेंगी. आखिरी बात यह है कि आप जो राशि देते हैं उसमें कर्मचारी सरपंचों से अपने मनमाफिक जो नियम होते हैं कि यह-यह चीज खरीदी जाए उसमें अपने हिसाब से गाइड लाईन को दूर करते हुए उनसे खर्च करवा देते हैं तो जो गाइडलाईन है किस रुपए को किस मद में खर्च करना है वह भी आप ध्‍यान देंगे तो इनका सदुपयोग होगा और मेरा मानना है कि आप इन भावनाओं को ध्‍यान में रखते हुए आगे की कार्यवाही करेंगे. धन्‍यवाद.

          श्री गोविन्‍द सिंह पटेल (गाडरवारा) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,  मैं मांग संख्‍या 30, 34, 53, 59 और 62 का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं. सबसे पहले मैं पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री को धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि उन्‍होंने हम लोगों को हर पंचायत में 20-20 लाख के तीन मंगल भवन दिए हैं और दस बड़े गांव के लिए स्‍ट्रीट लाईट की जो घोषणा की है वह सराहनीय कदम है. पंचायत विभाग बहुत बड़ा विभाग है. उसका विस्‍तार भी बहुत व्‍यापक है और उसमें सुधार भी बहुत हुए हैं. विभाग के द्वारा कई नई योजनाएं केन्‍द्र के सहयोग से प्रदेश सरकार ने चालू की हैं. स‍बसे महत्‍वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना जो कि पहले इंदिरा आवास योजना के नाम से चलती थी और मुश्किल से पंचायत को एक दो भवन मिलते थे. वह भवन युग बीत जाते थे, कई सरकारें निकल जाती थीं लेकिन गांव के आवास कभी पूरे हो ही नहीं पाते थे. लोगों के आवास कच्‍चे ही रहते थे. लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी ने जो 60:40 का प्रतिशत, 60 प्रतिशत केन्‍द्र अंश से और 40 प्रतिशत प्रदेश के अंश से किया है उससे यह योजना चल रही है. आज गांव के नक्‍शे बदल चुके हैं. किसी गांव में 100, किसी गांव में 200, किसी गांव में 50 ऐसे मकान बन रहे हैं. सबसे पहले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के मकान बन रहे हैं क्‍योंकि पहले उन्‍हीं का लक्ष्‍य आता है. आज कई गांव की हालत बहुत सुधर गई है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक गांव है जिसमें 180 आवास मिले हैं. वह आदिम जाति बाहुल्‍य गांव है. पूरे गांव में पेयजल नहीं था वहां मैंने दो हैण्‍डपम्‍प खुदवाए जिससे कि अच्‍छे से उनके आवास बन जाएं. एक गांव का तो नक्‍शा ही बदल गया है. एक बहुत अच्‍छी योजना चली है क्‍योंकि दीनदयाल की जो यह सरकार चल रही है. दीनदयाल जी के विचार से ओतप्रोत सरकार चल रही है. दीनदयाल जी के बारे में जब हम भाषण देते थे. अन्‍त्‍योदय सरकार की मंशा तब पूरी होगी जब अंतिम छोर पर बैठे व्‍यक्ति का विकास होगा लेकिन हमारे पास दीनदयाल जी की थ्‍योरी थी हमारे पास प्रयोगशाला नहीं थी लेकिन अब समय आया है कि प्रयोगशाला भी  हमारे पास है. केन्‍द्र में भी है, प्रदेश में भी है इसीलिए अंतिम छोर के व्‍यक्ति का उद्धार होना चाहिए, उत्‍थान होना चाहिए, उसका विकास होना चाहिए और वह आज हमारी सरकार कर रही है. वह परिलक्षित भी हो रहा है और लोगों की भावनाएं भी बदल रही हैं. जहां जाते हैं जो मकान बन रहे हैं वह लगभग 95 प्रतिशत, केवल दो चार प्रतिशत में दिक्‍कत आ रही है, लोग बड़े शौक से बना रहे हैं. वह अपना जो एक लाख 20 हजार रुपया नगद देते हैं 18 हजार का जो रजनीश जी पूछ रहे थे 5 हजार रुपए का हिसाब क्‍या है एक लाख 20 हजार नगद 40-40 हजार तीन किश्‍तें 18 हजार हम मजदूरों को देते हैं मनरेगा के द्वारा और 12 हजार का शौचालय यदि कही नहीं बना है तो 12 हजार का शौचालय तो ऐसे डेढ़ लाख रुपया देते  हैं तो लोग अपनी तरफ से भी कोई 50 हजार रुपया कोई 25 हजार रुपया 1 लाख रुपया लगा रहे हैं और अच्‍छे भवन बना रहे हैं क्‍योंकि उनको एक चीज याद आ रही है कि ऐसी सरकार ने जो काम किया है शायद यह नहीं हो पाता. आज मध्‍यप्रदेश पहले नंबर पर है. जो लक्ष्‍य हमें मिले हैं. कुछ मित्रों ने याद दिलाया. वास्‍तव में हर विधान सभा में 10-15 गांव संभवत: पोर्टल की गलती से छूट गए हैं. कृपया मंत्री जी उसमें सुधार करवायें. जिन गांवों को यह लाभ नहीं मिला है यदि वे लोग उस गांव में जाते हैं तो बड़े दुखी होते हैं कि हम लोग वंचित क्‍यों हैं ? सरकार की प्रसादी बंट रही है और हम लोग इस प्रसादी से वंचित क्‍यों हैं ? उनको भी प्रसादी मिलनी चाहिए क्‍योंकि पिछली विधान सभा में मैंने अपनी विधान सभा क्षेत्र का प्रश्‍न लगाया था उसमें जवाब आया था कि हम लोग कर रहे हैं. उनमें से अभी-भी दो गांव शेष रह गए हैं. मैं कहना चाहता हूं कि वे दो गांव भी इस योजना से जुड़ जायें तो प्रधानमंत्री आवास योजना सबसे अच्‍छी योजना साबित होगी. इससे गरीब प्रसन्‍न भी है और वे खुले मन से मोदी जी, शिवराज सिंह जी और हमारे गोपाल भार्गव जी की तारीफ भी कर रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट)

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी एक और योजना है- स्‍वच्‍छ भारत मिशन. वास्‍तव में देश को स्‍व‍तंत्र हुए 70 वर्ष हो गए हैं. उसके बाद भी गांवों में शौचालय की व्‍यवस्‍था नहीं है. चारो ओर गंदगी फैली रहती थी. सरकार ने स्‍वच्‍छता के कार्य को एक मिशन के रूप में अपने हाथ में लिया है. इस मिशन के पहले हमारे यहां केवल 29 प्रतिशत लोगों के पास शौचालय थे लेकिन 2 अक्‍टूबर 2014 से सरकार ने इस कार्यक्रम को एक मिशन के रूप में लिया है तब से आज तक 85 प्रतिशत लोगों के घरों में शौचालय बन चुके हैं. पहले हम जाते थे तो गांव के बाहर गंदगी मिलती थी. आज गांव के बाहर गंदगी नहीं है और गंदगी के कारण फैलने वाली बीमारियों में भी कमी आई है. लोग बीमार कम हो रहे हैं. हमारे 17 जिले खुले में शौच मुक्‍त हो चुके हैं और 23 हजार 597 गांव खुले में शौच मुक्‍त हो चुके हैं. हमारा जिला भी इसमें शामिल है. मुख्‍यमंत्री जी वहां पधारे थे और उन्‍होंने हमारे जिले को खुले में शौच मुक्‍त की घोषणा की थी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री सड़क योजना एक बहुत ही महत्‍वपूर्ण योजना है. वास्‍तव में सरकारें आती और जाती हैं. नेता भी आते और जाते हैं लेकिन कुछ ऐसे व्‍यक्ति होते हैं जिन्‍हें सरकार में आने का अवसर मिलता है तो वे अपना नाम अमर कर जाते हैं. माननीय पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का नाम इतिहास में प्रधानमंत्री सड़क योजना के कारण अमर हो गया है. यदि अटल जी य‍ह योजना नहीं लाते तो आज गांव वैसे के वैसे ही पिछड़े रह जाते. प्रधानमंत्री सड़क योजना के कारण आज पूरे देश के 90 प्रतिशत गांव पक्‍की सड़कों से जुड़ चुके हैं. मुख्‍यमंत्री सड़क योजना के द्वारा भी कुछ गांव ग्रेवल एवं मिट्टी सड़क से जुड़े थे, सरकार द्वारा उनका भी लक्ष्‍य लिया गया है कि उनका डामरीकरण कर दिया जाये. उनके भी टेण्‍डर हो रहे हैं. मेरी विधान सभा के कुछ गांव छूट गए थे. मैंने मंत्री जी को पत्र लिखकर दिया है यदि वे 2-4 गांव भी डामरीकृत हो जायें तो बेहतर होगा. जिससे कि कोई भी शेष न रहे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि मेरी विधान सभा में एक गांव है- बड़ागांव. जिसकी मुझे बहुत चिंता है. यदि वह गांव पक्‍की सड़क से जुड़ जाये तो मैं मानूंगा कि मेरा जन-प्रतिनिधि होने का उद्देश्‍य पूरा हो गया. हमारे यहां का बड़ागांव नीचे धरातल के एक बड़े गांव गोटेटोरिया से 15 किलोमीटर की चढ़ाई पर ऊपर स्थित है. उस गांव में 6 प्राथमिक शालायें हैं, 1 माध्‍यमिक शाला है और 1 हाई स्‍कूल, अभी 2 वर्ष पूर्व ही सरकार द्वारा खोला गया है. 1 करोड़ की बिल्डिंग हाई स्‍कूल की, 1 करोड़ की बिल्डिंगें आंगनबाडि़यों, माध्‍यमिक शालाओं एवं अन्‍य की स्‍वीकृत पड़ी हैं परंतु पैदल के अलावा उस गांव के लिए कोई अन्‍य पहुंच मार्ग नहीं है इसलिए वे भवन नहीं बन पा रहे हैं. हम और हमारे साथी वहां पैदल चढ़कर गए थे. कलेक्‍टर महोदय भी हमारे साथ गए थे. इस साल भी कलेक्‍टर महोदय वहां गए थे. आज प्रसव के दौरान हमारी जननी सुरक्षा की गाड़ी फोन करने से आती है लेकिन वहां कैसे पहुंचा जाए ? वहां के लोग बड़ी नारकीय जिंदगी जी रहे हैं. यदि वहां सड़क बन जाये तो बहुत अच्‍छा होगा परंतु वहां वन विभाग की भूमि आती है और वहां दिक्‍कत वन विभाग के कंसर्न की आ रही है. आप प्रयास करवाकर उस सड़क को स्‍वीकृत करवा दें तो यह उस गांव के लोगों पर बड़ी कृपा होगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सामाजिक न्‍याय विभाग की मैं चर्चा करना चाहूंगा कि इस विभाग से बहुत सारी योजनायें सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं. इसमें मुख्‍य योजना कन्‍या विवाह योजना है. मुख्‍यमंत्री कन्‍या विवाह योजना में सरकार 27 हजार रुपये प्रति कन्‍या खर्च करती है. गरीब बाप जिन्‍हें अपनी कन्‍याओं की शादी की चिंता होती थी, सरकार एक सम्‍मेलन के द्वारा उनकी शादी करवा रही है. हमारे कर्मकार मंडल के द्वारा, मजदूर सुरक्षा कार्ड के द्वारा भी घर बैठकर जो शादी होती हैं उसमें भी सरकार मदद करती है. कई किस्‍म की पेंशन दी जाती है. जिसमें मुख्‍य सामाजिक सुरक्षा पेंशन, निराश्रित पेंशन, वृद्धावस्‍था पेंशन हैं. इनमें पहले कहीं 150-200 रुपये मिलते थे अब इन्‍हें बढ़ाकर सरकार द्वारा सभी में 300 रुपये कर दिए गए हैं और विधवा पेंशन में भी बी.पी.एल. की बाध्‍यता को 1 अप्रैल से सरकार खत्‍म करने जा रही है.यह बहुत ही सराहनीय कदम है. मेरा कहना है कि परिवार सहायता योजना में उस दिन मंत्री जी का आश्‍वासन तो हो गया है, लेकिन मेरा कहना है कि परिवार सहायता योजना में आश्रित को 20 हजार रूपये देते हैं और यह बहुत दिन से चल रहे हैं, करीब 10-12 साल हो गये हैं, इसलिये परिवार सहायता की राशि सरकार बढ़ाकर कम से कम 30 हजार रूपये कर दे. वास्‍तव में परिवार पर जो बोझ पड़ता है, इससे उनको राहत मिलती है. आपने बोलने का समय दिया, धन्‍यवाद.

          श्री गिरीश भण्‍डारी:- (अनुपस्थित)

          श्रीमती झूमा सोलंकी(भीकनगांव):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मांग संख्‍या 30, 34 , 53, 59 और 62 के बारे में, मैं अपनी बात रख रही हूं. अध्‍यक्ष महोदय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास में आज की जो स्थिति है, वर्तमान में इस विभाग के द्वारा और इसके अंतर्गत ग्रामीण यांत्रिकी विभाग में आवंटन के लिये कोई राशि नहीं है और ग्रामीण क्षेत्र में पुलिया, रपटा निर्माण या फिर ग्रेवल रोड जो 15 लाख रूपये से कुछ अधिक के होते हैं, उन पर एक भी काम आज पंचायतों में नहीं चल रहे हैं और यदि पहले निर्मित हुए हैं तो उनके मरम्‍मत के लिये भी कोई पैसा नहीं है, इसलिये मैं चाहती हूं कि इसमें अवश्‍य इस विभाग के द्वारा राशि दी जाना चाहिये.

          पंचायतों में अभी तक सीमेंट-कांक्रीट के रोडों का ही निर्माण किया जा रहा था. किन्‍तु जो पेयजल की व्‍यवस्‍था है, उसमें पहले जो पंचायतों को राशि दी जाती थी वह पशु हौज का निर्माण या फिर मोटरें खरीदना हों, के लिये दी जाती थीं. क्‍योंकि पीएचई विभाग के द्वारा पानी की व्‍यवस्‍था पूरी तरह से उनके द्वारा व्‍यवस्थित नहीं चलायी जा रही है. निश्चित ही पेयजल की व्‍यवस्‍था पंचायतों को दी जाये, वह इसकी व्‍यवस्‍था सुनिश्वित करने में सक्षम भी रहती हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, पंचायतों के आहरण की व्‍यवस्‍था ईपीओ के माध्‍यम से हो रही है, परंतु वर्तमान में ईपीओ में समयावधि के भीतर भुगतान नहीं हो पा रहा है और इसके लिये मजदूर, कारीगर और दुकानदार यह सभी परेशान हो रहे हैं. इसकी व्‍यवस्‍था सुनिश्चित की जाये. साथ ही प्रधानमंत्री आवास की बात सभी ने कही है. मैं भी इसके संबंध में अपनी बात रख रही हूं मेरी कई पंचायतें ऐसी हैं, जो छूटी हुई हैं, जिनमें एक भी आवास नहीं है और जो आवास बन रहे हैं उनकी सारी राशि निकालने के लिये मात्र सामने से प्‍लास्‍टर होता है, उस पर पिंक कलर का होता है, उसमें प्रधानमंत्री आवास लिखा होता है और हितग्राही का नाम होता है, किंतु अंदर जाकर देखें तो पूरी तरह से पूर्ण नहीं है और ऐसे 90 प्रतिशत आवास हैं, जिनका निर्माण पूरा नहीं हो पाया है. इस ओर ध्‍यान दिया जाये, विभाग इसकी पूरी जांच करे और आवास पूर्णत: बनना चाहिये, हितग्राही को इसका फायदा मिले, परंतु इस योजना का पूरी तरह से लाभ नहीं मिल पा रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना वास्‍तव में बहुत अच्‍छी योजना है, जिसमें गरीबों को इसका बहुत फायदा मिलता है और इसका प्रचार-प्रसार भी सामूहिक रूप से करते हैं तो इसका एक संदेश भी अच्‍छा जाता है. किन्‍तु कुछ गरीब परिवार ऐसे हैं, जो समय पर अपने रिश्‍ते नाते नहीं कर पाते हैं और सामूहिक विवाह में उसका लाभ नहीं ले पाते हैं तो मेरे विचार से उसमें एक पाईंट और होना चाहिये कि यदि कोई गरीब परिवार है और वह अपनी कन्‍याओं का अलग से विवाह करना चाहे तो उसमें उनको छूट देना चाहिये और उनको 25 हजार रूपये का जो फायदा है, उसमें भी मिलना चाहिये. सामाजिक न्‍याय विभाग के द्वारा जो वृद्धा पेंशन, विकलांग पेंशन, जो मिल रही है, उसमें गंभीर अनियमितताएं हैं. पहले उनको पोस्‍ट ऑफिस के माध्‍यम से मिलती थी वहां पर उनके खाते थे, वहां से उनको पैसा मिल जाता था. किन्‍तु वह खाते ट्रांसफर होकर बैंकों में गये तो पूरे खाते ट्रांसफर बैंकों में ट्रांसफर नहीं हुए हैं. कई ऐसे पेंशनधारी हैं जो वृद्ध हैं, परेशान हैं अपनी राशि नहीं ले पाते हैं. उनके खाते इधर से उधर ट्रांसफर होने में जो अनियमितता हुई है, उससे उन्‍हें 9-10 महीने के अंतर से पेंशन मिल रही है तो इस अनियमितता को भी दूर किया जाना चाहिेये. मनरेगा योजना नहीं, एक बहुत बड़े कानून के रूप में यूपीए सरकार के समय में बनायी गयी थी और पूरे गांव का विकास हुआ, किसानों और मजदूरों का भी विकास हुआ. किन्‍तु महती योजना को आगे बढ़ाने के लिये अभी एक भी रूपया सरकार के पास नहीं है और इससे जितने काम किसानों के लिए होते हैं. हम कपिलधारा के कूप कहें या अन्‍य कोई काम हों, वे सारे रुके पड़े हुए हैं तो पुन: इस योजना को चालू किया जाये, इसमें राशि दी जाये. यदि फिर से गांवों का विकास करना हो तो यह निश्चित ही होना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय - कृपया समाप्‍त करें.

          श्रीमती झूमा सोलंकी - अध्‍यक्ष महोदय, वैसे मैं ज्‍यादा नहीं बोलती हूँ क्‍योंकि आप रोक लेते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - समय की मर्यादा है.

          श्रीमती झूमा सोलंकी - बाकी लोग बहुत-बहुत समय खराब करते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - नहीं करते हैं. मैं सभी को बोल रहा हूँ. आप भी बहुत देर से बैठे हुए देख रही हैं.

          श्रीमती झूमा सोलंकी - अध्‍यक्ष महोदय, ग्रामीण क्षेत्रों में जो प्रधानमंत्री सड़क का निर्माण हो रहा है किन्‍तु उसमें भी रख-रखाव के नाम से अधिकारियों के द्वारा, ठेकेदारों पर नियंत्रण नहीं है और वे उसकी रिपेयरिंग नहीं कर पा रहे हैं और सड़कों की स्थिति बहुत दयनीय होती जा रही है तो बाकायदा अधिकारियों के द्वारा ठेकेदारों पर नियंत्रण करना आवश्‍यक है. पंचायतों में पंचायत सचिव के पद और ग्राम रोजगार सहायक के पदों को शासन स्‍तर पर डाइंग केडर घोषित कर नियुक्तियां बन्‍द कर दी गई हैं और कई पंचायतें खाली हैं, उन पंचायतों को संचालित करने में काफी परेशानियां आ रही हैं तो पुन: इनकी जो जगह खाली हैं, तो वहां पर इनकी नियुक्ति होना चाहिए ताकि पंचायतों की व्‍यवस्‍था अच्‍छे से संचालित हो सके. मैं मंत्री जी के उदार एवं संवेदनशील होने से जो तीन-तीन मांगलिक भवन हम लोगों को दिए हैं, निश्चित ही उससे ग्राम की व्‍यवस्‍था बहुत अच्‍छी सुधरी है और गांव में सुख या दु:ख के जो भी कार्यक्रम होते हैं, उन भवनों के उपयोग से ग्रामीणजन में भी बड़ी खुशी है और उसके बाद अभी जो आपने स्‍ट्रीट लाईट दी है, उसके लिए भी मैं आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद देती हूँ. जिस तरह से आपने मांगलिक भवन और स्‍ट्रीट लाईट दी हैं, मैं अपनी ओर से एक मांग रखना चाहती हूँ कि उसी तरह सभी हमारे माननीयों को 5-5 सड़कें भी दे दी जाएं तो निश्चित रूप हमारे एक-एक साल की 5-5 सड़कों से हमारे गांवों का विकास होगा और जो बड़ी समस्‍याएं हैं, वे भी दूर हो जाएंगी. 

          अध्‍यक्ष महोदय - आपकी मांग ठीक है.

          श्रीमती झूमा सोलंकी - सड़कें भी जरूरी हैं. यदि मांगलिक भवन और स्‍ट्रीट लाईट जरूरी हैं तो सड़कें भी महत्‍वपूर्ण हैं.

          श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वैसे तो मैं अपने उत्‍तर में बता ही देता, लेकिन मैं कहना चाहता हूँ कि प्रत्‍येक विधायक के विधानसभा क्षेत्र में उनके पास पत्र भी पहुँच रहे होंगे. आप दिखा सकते हैं अपने मतदाताओं के लिए, चाहे इस तरफ के हों या उस तरफ के हों कि आपने इतनी सड़कें हमारी सरकार के द्वारा मंजूर करवाईं हैं.

          श्रीमती झूमा सोलंकी - धन्‍यवाद, मंत्री जी.

          अध्‍यक्ष महोदय - सबकी तरफ से आपको धन्‍यवाद.

          श्रीमती झूमा सोलंकी - अध्‍यक्ष महोदय, यह जरूरी था क्‍योंकि प्रधानमंत्री सड़क में वन कनेक्टिविटी के नियम में है तो कई ऐसे गांव भी हैं, जो यदि वन कनेक्टिविटी को हटाकर डबल कनेक्टिविटी में ले लिया जाये और सड़कें विधायकों की अनुशंसा पर यदि होती हैं तो निश्चित ही गांव का विकास होगा.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का पत्र मिल गया है, उसके लिए धन्‍यवाद.

          श्रीमती झूमा सोलंकी - मुझे पत्र अभी नहीं मिला है, मैं पहले ही आपको धन्‍यवाद देती हूँ. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए धन्‍यवाद.

          श्री गोपाल भार्गव - यह अच्‍छी बात है कि कम से कम धन्‍यवाद देने की परम्‍परा शुरू तो हुई.

          श्री सुबेदार सिंह रजौधा (जौरा) - अध्‍यक्ष महोदय, मैं मांग संख्‍या 30, 34, 53, 59 एवं 62 के पक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. सबसे पहले भाषण रजनीश ने बड़ी बुलन्‍दी से दिया था. उनको राजनीति विरासत में मिली है. उन्‍हें पता है कि किसी असत्‍य बात को जोर से कहना चाहिए इसलिए लोग सही मानें. एक अच्‍छी बात और है.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह पाठ मैंने अपने दल से नहीं सीखा है पर भाइयों से मैं सदन में आकर सीख गया हूँ कि जोर-जोर से कहो, ज्‍यादा कहो, ज्‍यादा बोलो.

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा - अध्‍यक्ष महोदय, एक बात और अच्‍छी है, उन्‍होंने सबसे पहले महात्‍मा गांधी के नाम से शुरू किया है.

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - आपने कहीं से भी सीखी है, मतलब सीखी है. यह तो आप मानते हैं न. मतलब आप असत्‍य बोलते हो. यह इन्‍होंने अभी माना है.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, चलती उसकी है, जिसका संख्‍या बल रहता है और सत्‍ता पक्ष का संख्‍या बल ज्‍यादा है. हम कितना भी, कुछ भी कहें, छांव तो उन्‍हीं की है .         

          श्री सूबेदार सिंह रजौधा - अध्‍यक्ष महोदय, पहले राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी के नाम से भाषण शुरू किया. मैं माननीय अध्‍यक्ष महोदय आपके माध्‍यम से उनको जानकारी देना चाहता हूँ कि कांग्रेस के शासन में दो बार ग्राम पंचायत का सरपंच रहा हूँ, सील लगाने के अलावा पंचनामे पर कोई राशि नहीं जाती थी. आप महात्‍मा गांधी जी की बात करते हो. महात्‍मा गांधी जी की तीन कल्‍पनायें थी. सबसे बड़ी उनकी कल्‍पना पंचायती राज की थी, उनकी दूसरी कल्‍पना स्‍वच्‍छता की थी और तीसरी कल्‍पना कांग्रेस मुक्‍त भारत की थी.  तीनों बिंदुओं के हमारे सभी सामने बैठे वालों लोग भी साक्षी है, इन पर 80 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है.

          श्री फुंदेलाल सिंह मार्को - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसको विलोपित करवाया जाये. (व्‍यवधान)...       

          श्री रजनीश सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह तीसरा बिंदु विलोपित करवाया जाये. (व्‍यवधान)...    

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - कांग्रेस मुक्‍त करने का काम भारतीय जनता पार्टी ही कर रही है. (व्‍यवधान)...         

          श्री रजनीश सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमें बोलने का मौका मिलना चाहिए. मैं इनकी दोनों बातों से सहमत हूं. (व्‍यवधान)...         

          श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - आप तीनों बातों से सहमत रहें. हम तीनों को पूरा करेंगे. आप निश्चिंत रहें भारतीय जनता पार्टी तीनों बातों को पूरा करेगी. (व्‍यवधान)...   

          अध्‍यक्ष महोदय - आप सभी बहस न करें, कृपया बैठ जायें. (व्‍यवधान)...

          श्री रजनीश सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं तीसरी बात से सहमत नहीं हूं. वह असत्‍य ह, वह झूठी बात भी है, इसे आप विलोपित करवायें. (व्‍यवधान)..

          श्री  सूबेदार सिंह रजौधा- श्री रजनीश जी मैंने आपके भाषण पर कुछ नहीं बोला. (व्‍यवधान)..

          श्री प्रदीप अग्रवाल - श्री सूबेदार सिंह जी दो बातें गांधी जी ने पूरी कर दी थी तीसरी बात भाजपा पूरी करने जा रही है. (व्‍यवधान)..

          श्री  सूबेदार सिंह रजौधा- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दोनों बातें भाजपा ने ही पूरी की है फिर आपको तीसरी बात पर (XXX). (व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दें. (व्‍यवधान)..

          श्री  सूबेदार सिंह रजौधा- महात्‍मा गांधी ने देश को आजाद करवाने के लिये अन्‍य विचाराधाओं के लोगों को भी शामिल किया था. (व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय - आप अपनी बात करें समय हो रहा है. (व्‍यवधान)..

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह - यदि महात्‍मा गांधी न होते तो आप इस विधानसभा में खड़े न होते. आज आप गांधी जी की कृपा से ही सदन में खड़े हैं.

          श्री  सूबेदार सिंह रजौधा- मैं जनता की कृपा से और माननीय अध्‍यक्ष महोदय की कृपा से खड़ा हूं. पहले जब देश आजाद हुआ था तो सब लोगों ने उसमें ताकत लगाई थी, उस समय गांधी जी ने कहा था कि अब इस कांग्रेस को खत्‍म कर देना चाहिए और अब नये सिरे से राजनीति चलनी चाहिए. आंदोलन किया था अन्‍ना हजारे ने और श्री केजरीवाल जी मुख्‍यमंत्री बन गये वही हाल आप लोगों का भी है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पंचायत विभाग ने जो काम किये हैं, उनका वर्णन करूं तो शाम तक वर्णन नहीं कर पाऊंगा. गांव में कहीं पर भी सड़क नहीं होती थी गांव में कोई शौचालय नहीं था. गांव में कोई बिल्डिंग नहीं थी. गांव में कीचड़ ही कीचड़ पैरों में आती थी, उसको हमारी भाषा में खजौरा कहते थे, खजौरा हो जाते थे. आज गांव में जहां भी जायें तो पायेंगे कि मध्‍यप्रदेश में पंच परमेश्‍वर योजना के तहत 18 हजार किलोमीटर सड़कें बन गई हैं.(मेजों की थपथपाहट) कभी सोचा भी था कि मध्‍यप्रदेश में गांव में सी.सी. के खड़ंजा बनेंगे. आज गांव में हर घर में शौचालय है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने स्‍वच्‍छता अभियान को भी पूरा किया है और हमारे प्रधानमंत्री जी ओर मुख्‍यमंत्री जी ने उसमें कोई कमी नहीं छोड़ी है. मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि शौचालय बन गये हैं लेकिन वहां सफाई कर्मी नहीं है. सफाई कर्मी के लिये भी किसी मद में एक वेतन जोड़कर व्‍यवस्‍था की जाये क्‍यों‍कि सफाई कर्मी बहुत आवश्‍यक है. शौचालय नहीं थे तब तक नालियों में गंदगी नहीं होती थी, आज शौचालय हैं इसलिए

…………………………………………………………………………………………..

XXX :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया.

सफाई कर्मी होना चाहिए.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने मुख्‍यमंत्री सड़क योजना में बहुत अभूतपूर्व काम किया है. मैं जिस विधानसभा से हूं उसमें 33 रोड है. मुख्‍यमंत्री द्वारा डामर रोड बनने जा रही है और मैंने उसका भूमि पूजन किया है. कांग्रेस के शासन में हम एक-एक किलोमीटर रोड के लिये भटकते थे और आज मेरे यहां पांच-सात रोड प्रधानमंत्री की बन रही हैं. रोडों की कोई भी कमी नहीं है. यह एक रोड मांग रहे हैं इनके क्षेत्र में कई रोड मुख्‍यमंत्री की बन गई होंगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह आवास की बात कर रहे हैं कि आवास में इतना खा गये, इतना रूपया कहां गया. मैं सरपंच रहा हूं पहले इंदिरा आवास के नाम से पैसा आता था और उसमें 20 -25 हजार रूपये बीडीओ और दलाल खा जाते थे, और उसे दस हजार भी नहीं मिल पाता था और कहीं पर भी आवास नहीं बनता था. आज हम गर्व से कह सकते हैं कि हमारी विधानसभा में एक-एक गांव में 60-60 एवं 70-70 आवास बने हैं. आज जो लोग झोपड़ी में रहते थे वह प्रधानमंत्री आवास में निवास कर रहे हैं( मेजों की थपथपाहट). मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को रोड बनाने के लिये धन्‍यवाद देता हूं. मैं मंत्री जी को भी बहुत-बहुत धन्‍यवाद देता हूं. इस वर्ष का आपने गिन लिया कि तीन सामुदायिक भवन दिये हैं. मुझे तो पिछले साल भी सामुदायिक भवन मिले थे.

जहां तक मुझे याद है, अगले वर्ष भी मिले थे 10 हो गए. अब तो मैं माननीय मंत्री जी से बहुत बहुत धन्‍यवाद के साथ एक आग्रह करना चाहता हूं कि अब 25-25 लाख का एक मांगलिक भवन हर ग्राम पंचायत में हो, यह माननीय मुख्‍यमंत्री जी से और पंचायत मंत्री जी से मांग करता हूं. हमारे पंचायत मंत्री जी गांव के रहने वाले हैं गांवों में भी लाइट होना चाहिए, स्‍ट्रीट लाइट की परम्‍परा गांव में कहां थी? 30-30 प्रतिशत गांव की आबादी गांव छोड़कर शहरों में आ गई थी, क्‍योंकि गांवों में न तो सड़कें थीं, बिजली थी और न ही कोई संसाधन थे. अब हमारी सरकार ने जो ग्रामीण क्षेत्रों में काम किया है मैं सत्‍य कह रहा हूं, इस सदन में कह रहा हूं शहर का आदमी अब गांव में आने लगा है. इसके लिए मैं मंत्री जी को बहुत बहुत धन्‍यवाद देता हूं और आग्रह करता हूं कि इस बार स्‍ट्रीट लाइट के लिए 10-10 गांव दिए हैं, अगले बार 20-20 गांव दें ताकि जल्‍दी से पूरी विधान सभा स्‍ट्रीट लाइट के रूप में दिखे.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक संशोधन चाहता हूं नि:शक्‍तजों को जो ट्रायसाइकिल मिलती है कुछ नि:शक्‍तजन ट्रायसाइकिल हाथों से चलाते हैं, किसी के पैर नहीं होते हैं. यदि मंत्री जी इसकी राशि बढ़ा दें और बेटरी वाली साइकिल दे तो नि:शक्‍तजनों को बहुत लाभ होगा, वे भी सराहना करेंगे, उनकी भी दुआ मिलेगी. एक छोटी सी मांग हैं 33 सड़कें बनाई हैं, 33 सड़कों का भूमिपूजन किया है, लेकिन एक सड़क रह गई है वह मंडी की सड़क हैं, पंचायत विभाग ने वह सड़क इसलिए नहीं बनाई क्‍योंकि वह मंडी की सड़क है.मैंने कृषि मंत्री जी से इस बारे में बात की तो उन्‍होंने कहा कि वह सड़क तो बना सकता है, एक नहर से लगाकर बनरी तक एक दो किलोमीटर की सड़क है, अगर वह सड़क बन जाएगी तो आपसे सड़क की मांग नहीं करूंगा, अन्‍य कामों की मांग करूंगा. आपने मुझे बोलने का समय दिया बहुत बहुत धन्‍यवाद.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह (नागौद) माननीय अध्‍यक्ष महोदय, महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय रोजगार योजना यू.पी.ए. सरकार ने प्रारंभ की थी, कानून बनाए थे, उसी योजना के अंतर्गत काम ग्राम पंचायतों में चल रहे थे. इस समय लगभग एक साल पहले से आज जो काम पंचायतों में हो रहे हैं वह काम बढ़े स्‍तरहीन तरीके से हो रहे हैं, उसका कारण यह है कि बालू के रेट बढ़ गए हैं, जो पहले 1200-1300 प्रति मीटर पीसीसी सड़क बनती थी, आज वह 750-800 मीटर तक बन रही है. इस समय वर्तमान में पीसीसी का काम हो, चाहे नाली का काम हो बड़ा खराब चल रहा है, कपिलधारा योजना जब शुरू हुई थी तो इसका पहले सवा तीन लाख रूपए था आज उसमें 2 लाख 20 हजार मिल रहे हैं. सीमेंट 300 रूपए तक पहुंच गई है और इस कारण से न तो कोई कपिलधारा का काम ले रहा है, न ही कोई पीसीसी सड़क का काम ले रहा है. इसी तरह पंचायतों में पहले खेत-सड़क योजना शुरू हुई, फिर वह सुदूर सड़क में परिवर्तित हुई आज वह खेत-सड़क योजना अधूरी पड़ी हैं. एक साल से लगातार ग्राम पंचायतों में काम नहीं हो पाया, उसका कारण है कभी सरपंच, सचिव, कभी रोजगार सहायक तीनों साल भर आंदोलन करते रहे, पैसा गया नहीं और काम नहीं हो पाया और सुदूर सड़क योजना बंद हो गई. आज मेरी पंचायत में एक ऐसा गांव है जैसे इचोल. आज उसमें बाराटोला , अब बारा  टोलो, सब टोले उस गांव से मुख्य सड़क प्रधानमंत्री की जो है वह जाकर के गांव के दरवाजे में खड़ी हो जाती है.  उसके बाद 12-13  मजरे टोले हैं, पहले एक सुदूर सड़क की शुरूवात हुई, उसके बाद मंत्री जी ने 2 की, इसके बाद बाराटोला जरूरी है. प्रधानमंत्री सड़क से सब टोले एक से दो किलोमीटर की दूरी पर है.इसके लिये मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि जो काम बंद है उनको शुरू किया जाये और रेट बढाये जायें.

          अध्यक्ष महोदय, जहां तक मंगलभवन की बात है मैं मंत्री जी को व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद देता हूं. अपने गोपाल जी को. इनका स्वभाव बहुत अच्छा है, स्वभाव में बडप्पन है, बहुत अच्छे हैं, मैं उनकी तारीफ करूंगा भले ही मैं विपक्ष का सदस्य हूं. पर जहां तक सवाल आपके और मंत्रियों का है वह शिष्टाचार तक नहीं निभाते हैं. वो यह नहीं समझ पाते हैं कि हम भी विधायक से मंत्री बने हैं, यदि हमारी संख्या ज्यादा है तो हम सत्ता में हैं सदस्य संख्या कम है तो हम विपक्ष में हैं. अशिष्टता से बात करते हैं. हमारे डॉ शेजवार जी हैं मंत्री हैं, कह रहे थे कि हमें मूर्ख बना रहे थे. उदाहरण दे रहे थे. अरे आप बुजुर्ग आदमी हैं . आप हर बात में कटुता की बात करते हैं . मंत्री जी आपको तो जो आपके सचिव हैं लिखकर के दे देते हैं वह कागज पढ़ देते हैं.

          वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार) -- अरे भैया हमने कुछ नहीं कहा, अगर आपको हमारी बात बुरी लगी हो तो हम माफी चाहते है. भाई भूल जाईये.

          श्री यादवेन्द्र सिंह -- आप चाहें तो हम पूरा इतिहास पढ़ा दें. हम लोगों ने सरपंच से 1978 से की है. हम 45 वर्ष से राजनीति मे हैं कोई पद नहीं बचा है. काम अपनी जगह पर ठीक है लेकिन प्रेम और व्यवहार से भी व्यक्ति जीतता है. अभी नागेन्द्र सिंह हमारे यहां पर सांसद थे, भाजपा की सरकार में 10 साल मंत्री रहे हैं, क्यों भाग के चले गये क्षेत्र से. व्यवहार ठीक होना चाहिये, जैसे कि अपने मंत्री भार्गव जी का व्यवहार है तो इस तरह से काम करिये. और मतदाताओं से प्रेम से बोलें.

          श्री शंकरलाल तिवारी-- इसको विलोपित करिये. नागेन्द्र सिंह जी लोकसभा 2 लाख से जीते है.

          श्री यादवेन्द्र सिंह - जब सड़कें नहीं थी तब भी प्रजातंत्र लागू हुआ था. आप बिना रोड के भी विधायक बनकर के आया करते थे. आजादी के बाद भी देश  में धीरे धीरे विकास हुआ  है शंकरलाल तिवारी जी. जब  लड़का पैदा होता है तो चढ्ढी पहनकर के पैदा नहीं होता है. आप लोग पुरानी बात करते है. उस समय क्या था 1968 में हम लोगों ने देखा है जब यहां पर संविद शासन था तब माइलो ज्वार जो अमेरिका से आती थी, लाल रंग का गेहूं खाकर आये हैं, आप भूल गये होंगे आपकी आयु अभी 64 वर्ष की होगी. एक एक दाने के लिये पहले मोहताज थे, धीरे धीरे विकास होता है. मै इतिहास बता रहा हूं. वर्ष 1981 में ....

          श्री शंकरलाल तिवारी--  मेरी आयु 63 वर्ष है लेकिन दादाभाई को लगता था कि में 70 से ज्यादा हूं.

          श्री यादवेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब कुंवर अर्जुन सिंह मुख्यमंत्री बने तब इस प्रदेश के हर गांव में लाइट के खम्भे लगे थे, एक भी गांव नहीं छूटा था जहां लाईट के खम्भे न खड़े हों और उसी समय से विकास हुआ है, गेहूं का उत्पादन इस देश में हुआ है, चाहे धान का उत्पादन हो, नहीं तो इसके पहले विदेश से आता था. आज यह चीजें हमारे देश से निर्यात होता है, दूसरे देशों में जा रहा है. हम सब दिन देखे बैठे हैं भैया.

          अध्यक्ष महोदय- एक मिनट में समाप्त करें.

          श्री यादवेन्द्र सिंह -- मैने तो अभी शुरू भी नहीं किया है.

          अध्यक्ष महोदय- तो शुरू कर देना था अब तक (हंसी) आप इतिहास , शिष्टाचार, व्यवहार पर बोल रहे थे, ग्रामीण विकास पर तो आप बोले ही नही.

          श्री यादवेन्द्र सिंह - सब लोग तो बोल लिये हैं. मंगलभवन हम अपने लिये नहीं ले जा रहे हैं, मंत्री जी दे रहे हैं,. सरकार दे रही है, गांव की व्यवस्था कर रही है . हम तो इनको धन्यवाद दे रहे हैं कि आपकी सोच है. गांव में स्कूल बंद हैं, आज कहीं भी देखें आधे गांव में बाथरूम बन रहे हैं, आधा गांव पोर्टल में भरा है, कई लोगों से तो  सीईओ ने कह दिया कि आपके यहां पहले बन चुका है लेकिन पहले कभी बना नहीं. इस तरह से जो पिछली गड़बड़ियां हुई हैं उनको सुधारा जाये. पोर्टल में फिर से आधा गांव स्वच्छता में मिल गया और आधा गांव में बाथरूम बने हैं आधे में बने नहीं है इस व्यवस्था को मंत्री जी ठीक करे. पंच परमेश्वर योजना है उसमें सरपंच लोग काम करते हैं पैसे के लिये 10 दिन बैठे रहते हैं जो  पोर्टल और सर्वर है यह सब बंद रहते हैं, 10 दिन से लोग परेशान है. सुदूर सड़क आप शुरू करवायें क्योंकि यह बहुत आवश्यक है.

 

 

 

 

6.30 बजे                                     अध्‍यक्षीय घोषणा                   

                                       सदन के समय में वृद्धि किया जाना

       

          अध्‍यक्ष महोदय--  पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अनुदान की मांगों पर चर्चा जारी रहेगी, माननीय सदस्‍य यादवेन्‍द्र सिंह का भाषण पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.

सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.

 

6.31 बजे             वर्ष 2018-2019 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:)

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह--  अब सहमत क्‍या, आधी रोटी में पूरी रात बिठाकर रखोगे..(हंसी).. दोपहर को खिला दिया, डेढ़ घंटा भले लिये हैं, अभी साढ़े 6 बज रहे हैं, ऐसा थोड़ी है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- चलिये एक मिनट में समाप्‍त करिये.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पीएम आवास की परिभाषा, 13 बिंदु पहले शुरू हुये, 13 बिंदुओं में उनको पीएम आवास मिला, 10 हजार सचिव महोदय ने ले लिया.

          चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक अनुरोध है कि विधान सभा में रोज एक भाषण यादवेन्‍द्र सिंह जी का जरूर कराया जाये.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह--  हम सही बोल रहे हैं तो आप लोगों को गलत लग रहा है.

          चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- मैं इसीलिये तो आपकी प्रशंसा कर रहा हूं.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वर्ष 2011 में आर्थिक सर्वे हुआ था, वर्ष 2011 के बाद किसी ने मिट्टी, ईंट जोड़कर मकान खड़ा तो कर लिया मगर छत नहीं पड़ी. पीएम आवास का मतलब है छत डल जाये, तब तो आवास माना जायेगा, दीवालें खड़ी हैं और मेरे क्षेत्र में कम से कम पचासों ऐसे पीएम आवास अधूरे रह गये जिनकी छत नहीं डली, ईंट की दीवाल ही खड़ी हो पाईं, किसी की 3 फीट, किसी की 4 फीट, उसको निरस्‍त कर दिया गया, उनके साथ यह बहुत अन्‍याय हुआ. यह सब सुधार लें और एक चीज और मंत्री जी आपका गौण खनिज विभाग जो है उससे हर गांव में राशि स्‍वीकृत करें, यदि आप चाहते हैं कि गांव में स्‍वच्‍छता बनी रहे, गांवों में कभी 200 की संख्‍या में बारात आती है वहां मंगल भवन नहीं है, अगर बराती वहां रूकेंगे तो रात को क्‍या करेंगे, कहां जायेंगे, आपकी स्‍वच्‍छता कहां रही. इसलिये जरूरी है कि बाथरूम सहित मंगल भवन के लिये जो आप 20-20 लाख रूपये स्‍वीकृत कर रहे हैं, चाहे 10 लाख के बने, गौण, खनिज मद से हर गांव में आप सामुदायिक भवन, मंगल भवन के लिये राशि स्‍वीकृत करने का कष्‍ट करें. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद, आपने बोलने का मौका दिया.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)--  गौण, खनिज मेरे हाथ में नहीं है, आप तो वहां पर कलेक्‍टर से बात कर लें. प्रभारी मंत्री की अध्‍यक्षता में जो जिले की कमेटी है उसमें आप बात कर ले.

 

 

          अध्‍यक्ष महोदय--  विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 14 मार्च, 2018 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्‍थगित.

          अपराह्न 6.33 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 14 मार्च, 2018 (23 फाल्‍गुन, शक संवत् 1939) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्‍थगित की गई.

भोपाल:

दिनांक: 13 मार्च, 2018                                                                   ए.पी.सिंह

                                                                                               प्रमुख सचिव,

                                                                                             मध्‍यप्रदेश विधान सभा