मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा द्वितीय सत्र
फरवरी, 2024 सत्र
मंगलवार, दिनांक 13 फरवरी, 2024
(24 माघ, शक संवत् 1945)
[खण्ड- 2] [अंक- 5]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 13 फरवरी, 2024
(24 माघ, शक संवत् 1945)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
अध्यक्ष महोदय-- आज प्रश्नकाल हेतु प्रथम बार निर्वाचित माननीय सदस्यों एवं महिला सदस्यों के तारांकित प्रश्नों को ही सलाका के माध्यम से चयनित किया गया है. मैं महिलाओं को अपनी ओर से बधाई देता हूं और प्रश्नकाल प्रारंभ करते हैं.
रिंग रोड निर्माण का सर्वे
[लोक निर्माण]
1. ( *क्र. 1346 ) श्रीमती निर्मला सप्रे : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग के पास रिंग रोड बनाए जाने हेतु कोई कार्ययोजना है या नहीं? (ख) प्रश्नांश (क) का उत्तर हाँ है तो प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र बीना में रिंग रोड बनाए जाने हेतु किस-किस जनप्रतिनिधि व संगठनों ने बीना अनुभाग के अनुविभागीय अधिकारी/तहसीलदार/अन्य अधिकारी को किन-किन कारणों से व किन दिनांकों को रिंग रोड बनाए जाने हेतु ज्ञापन व मांग पत्र प्रस्तुत किए गए हैं? ज्ञापन व मांग पत्र की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित मांग के आधार पर जनहित की मांग को ध्यान रखते हुए प्रश्नकर्ता द्वारा बीना में रिंग रोड बनाए जाने हेतु प्रमुख सचिव, लोक निर्माण विभाग, मंत्रालय भोपाल को पत्र प्रेषित किया है या नहीं? यदि हाँ, तो पत्र में वर्णित कारणों को संज्ञान में लेकर विभाग बीना में रिंग रोड निर्माण हेतु सर्वे कराने पर विचार कर रहा है या नहीं, यदि नहीं, तो किस कारण से?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : (क) जी नहीं। (ख) प्रश्नांश 'क' के उत्तर के अनुसार शेष प्रश्नांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्नांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती निर्मला सप्रे-- सबसे पहले मैं उच्च आसंदी पर विराजमान हमारे धीर गंभीर, हसमुख, मिलनसार सम्माननीय अध्यक्ष जी को सादर प्रणाम करती हूं. मैं आज मेरा तारांकित प्रश्न पहली बार सदन में उठा रही हूं. मेरा तारांकित प्रश्न लोक निर्माण विभाग से संबंधित है और मेरे इस प्रश्न के जवाब में आदरणीय मंत्री जी ने मुझे जो उत्तर दिया है मैं उनके उत्तर से बिलकुल भी संतुष्ट नहीं हूं. मुझे जो जानकारी दी गई है वह गलत जानकारी है. मैं अपना प्रश्न एक बार सदन में पुन: दोहराना चाहूंगी.
अध्यक्ष महोदय-- निर्मला जी, यह जो प्रश्न है आपको इसे दोबारा पढ़ने की जरूरत नहीं है. अब जो जवाब आपको नहीं मिला है उसमें जो पूरक प्रश्न बनता है एक प्रश्न और उसके बाद दूसरा प्रश्न आप वह मंत्री जी से करिए.
श्रीमती निर्मला सप्रे-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहती हूं कि आपने मेरे (क) नंबर प्रश्न का यह जबाव दिया है कि किसी भी कार्य की कार्य योजना नहीं बनी है. रिंग रोड बनाये जाने की अभी तक कोई कार्य योजना नहीं बनी है. मैं यह कहना चाहती हूं कि अभी तक प्रदेश में जितनी भी नगर पालिकाएं बनाई गई हैं क्या उनमें बिना किसी कार्य योजना के नगर पालिकाओं के रूप में रिंग रोड बना दी गई हैं. आदरणीय मंत्री जी मुझे इसका जबाव दें कि बिना किसी कार्य योजना के क्या कोई निर्माण कार्य हो सकता है?
श्री राकेश सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने अपने विधान सभा क्षेत्र की चिंता की है कि वहां पर रिंग रोड बनना चाहिए. हम भी यह मानते हैं कि बीना एक महत्वपूर्ण स्थान है, वहां पर रिफायनरी भी है, वहां पर ट्रैफि़क का दबाव भी है और जो लंबे समय से ट्रैफि़क का दबाव वहां है उसका सबसे बड़ा कारण वहां का रेलवे जंक्शन है, चूंकि वहां का रेलवे जंक्शन बहुत बड़ा है और रेलवे क्रासिंग भी वहां पर है और सबसे बड़ा कारण वहां पर रेलवे क्रासिंग है जिसमें जाम लगने के कारण ट्रैफि़क जाम होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए वहां पर बीना शहर में पांच आरओबी प्रस्तावित किये गये थे जिनकी अनुमानित लागत राशि लगभग 188 करोड़ रुपए है जो कि स्वीकृत है जिनमें से तीन कार्य जल्द ही पूरे होने वाले हैं और बचे हुए दो कार्य जो हैं वह भी प्रगति पर हैं. उसकी जानकारी भी मैं दे देता हूँ. बीना कटनी रेल सेक्शन क्रासिंग है यह है क्रमांक 308 बी, यह 38.66 करोड़ रुपए से लगभग पूर्ण हो चुका है. बीना-कटनी क्रासिंग 307 बी यह 37 करोड़ रुपए से, सागर-खुरई-बीना नेशनल हाईवे 934 के 72 किलोमीटर, लगभग 29.11 करोड़ रुपए से और ऐसे ही बीना-आगासोद मार्ग के 3/2 में सेक्शन क्रासिंग पर लगभग 40.47 करोड़ रुपए से, यह अगले लगभग 16 माह में तैयार हो जाएगा. फिर एक है मालखेड़ी-करोद रेलखंड पर बीना-मालथौन मार्ग पर क्रासिंग नंबर 310ए पर है. यह 41 करोड़ रुपए का है. यह कार्य भी अगले 16 महीने में पूर्ण हो जाएगा. ऐसा माना जा रहा है कि यह कार्य पूर्ण होने के पश्चात् अभी जो ट्रेफिक का दबाव है वह कम होगा और उसके कारण से जो अभी असुविधा हो रही है वह नहीं होगी.
अध्यक्ष महोदय, जहां तक माननीय सदस्य ने अपनी बात की थी कि वहां पर इसके बारे में अभी तक विचार क्यों नहीं किया गया. ऐसा कोई प्रस्ताव उस समय तक भी उनका यहां पर नहीं आया था जब तक इसके लिखित उत्तर दिए गए. उनका एक पत्र कलेक्टर के माध्यम से बाद में आया है. जिसमें इस बात का उल्लेख है कि वहां पर रिंग रोड बनना चाहिए तो माननीय सदस्य की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मैं यह कहूंगा कि एक बार वहां पर फिजिबिलिटी रिपोर्ट बुलाई जाएगी और उसके आधार पर रिंग रोड के निर्माण की प्रक्रिया पर विचार किया जाएगा.
श्रीमती निर्मला सप्रे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने मुझे आश्वासन दिया है. मैं यह चाहती हूँ कि जल्दी कार्य योजना बनाएं.
अध्यक्ष महोदय -- निर्मला जी, आप मंत्री जी को धन्यवाद दे दीजिए.
श्रीमती निर्मला सप्रे -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी समय और बता दें. यह मांग बहुत ज्वलनशील है. मैं यह बताना चाहती हूँ कि 4 साल पहले ज्ञापन भी हो चुका है. मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है माननीय मंत्री जी आप आश्वासन दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- निर्मला जी अभी आपका जो प्रस्ताव है वह एकदम शैशव अवस्था में है, आज की स्थिति में किसी मंत्री से समय सीमा बताने के लिए कहेंगे तो कोई बताएगा ही नहीं. ठीक है न.
श्रीमती निर्मला सप्रे -- अध्यक्ष महोदय, मुझे आप पर भरोसा है कि आपके सानिध्य में रहकर मुझे रिंग रोड जरुर मिल जाएगा. अध्यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
नगरपालिका क्षेत्र अंतर्गत नल-जल योजना
[नगरीय विकास एवं आवास]
2. ( *क्र. 1364 ) श्रीमती अनुभा मुंजारे : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बालाघाट नगरपालिका क्षेत्र अंतर्गत 38 करोड़ की नल-जल योजना वर्ष 2016 में जल आवर्धन योजना के तहत प्रारंभ की गई थी, जिसे वर्ष 2018 में पूर्ण किया जाना था, परंतु आज दिनांक तक अपूर्ण है? (ख) यह योजना कब तक पूर्ण होगी बालाघाट नगर के वासियों को कब 24 घंटे पेयजल उपलब्ध होगा? (ग) इस योजना में हुए भ्रष्टाचार की जांच कर दोषी अधिकारी और ठेकेदार पर क्या कोई कार्यवाही की जायेगी और यदि की जायेगी तो कब तक और यदि नहीं, की जायेगी तो क्यों?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। कार्य दिनांक 28.06.2021 को पूर्ण किया जा चुका है। केवल घरेलू नल कनेक्शन का कार्य प्रगतिरत है। (ख) दिनांक 30.06.2024 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। वर्तमान में 24 घंटे जलप्रदाय का प्रावधान योजना में नहीं है। (ग) जांच समिति गठित की गई है। जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर निष्कर्षों के अनुसार कार्यवाही की जा सकेगी। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्रीमती अनुभा मुंजारे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय सदन. आज मुझे नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से सवाल करना है जो कि हमारे संसदीय कार्य मंत्री भी हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र बालाघाट की नगर पालिका में पिछले साढ़े छह साल से जल आवर्धन योजना का कार्य चल रहा है और इस जल आवर्धन योजना के लिए हमने भी सड़क पर उतरकर लंबी लड़ाई लड़ी है. इसका अनुबंध वर्ष 2016 में हो चुका था. जैन एरिगेशन कम्पनी, जलगांव, महाराष्ट्र को यह कार्य मिला था. 24 महीने के अन्दर उन्हें यह कार्य पूर्ण करके देना था, लेकिन आज बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है बालाघाट शहर जिला मुख्यालय है बड़ी नगर पालिका है इस शहर की बड़ी जनसंख्या है, लेकिन आज साढ़े छह साल हो जाने के बाद भी कार्य अपूर्ण है. घटिया स्तर का कार्य किया जा रहा है. बहुत ही घटिया स्तर की पाइप लाइन डाली गई है. तीन इंच पर उनको पाइप लाइन डालना थी लेकिन एक इंच पर उन्होंने पाइप लाइन डाल दी जिसके कारण लगातार पाइप लाइन टूट-फूट रही है. आम जनता को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण शहर में 33 वार्डों में बहुत भारी जनआक्रोश है. मैं माननीय मंत्री जी से सवाल करना चाहूँगी कि क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बालाघाट नगरपालिका क्षेत्र अंतर्गत 38 करोड़ की नल-जल योजना वर्ष 2016 में जल आवर्धन योजना के तहत प्रारंभ की गई थी, जिसे वर्ष 2018 में पूर्ण किया जाना था, परंतु आज दिनांक तक अपूर्ण है? (ख) यह योजना कब तक पूर्ण होगी बालाघाट नगर के वासियों को कब 24 घंटे पेयजल उपलब्ध होगा? अध्यक्ष महोदय -- अनुभा जी, प्रश्न आ गया है. माननीय मंत्री जी का जवाब आने दीजिये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक श्रीमती अनुभा मुंजारे जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने इस विषय पर सदन का ध्यान आकर्षित किया है. मैं सिर्फ आपकी जानकारी के लिये बताना चाहता हूं कि इस योजना के कुल 10 घटक थे, उसमें से 9 घटक का काम पूर्ण हो चुका है और एक जो सबसे महत्वपूर्ण है, वह है हाउस सर्विस कनेक्शन. 17,385 कनेक्शन करने थे, उसमें उपभोक्ता को कुछ राशि भी देनी है. इस विषय को लेकर कई उपभोक्ता उसमें राशि जमा नहीं कर रहे हैं इसलिये कनेक्शन नहीं दे पा रहे हैं, परंतु फिर भी 10 हजार कनेक्शन हो गये हैं और अभी आज तक जो जानकारी मुझे मिली है कि 10 हजार से भी ज्यादा काफी लोगों ने और कनेक्शन ले लिये हैं. यह कनेक्शन पूरे हो जाएंगे तो मुझे लगता है कि यह योजना पूर्ण हो जाएगी. जहां तक आपने कहा है कार्य की गुणवत्ता ठीक नहीं है, इसकी शिकायत पहले भी आई थी और पहले माननीय जिलाधीश ने वहां पर वार्ड वार जांच कराई थी. उनकी रिपोर्ट के अनुसार काम ठीक हुआ है, फिर भी अगर माननीय सदस्या चाहती हैं कि फिर से एक बार जांच हो तो मैं संचालनालय से एक टीम बनाकर भेज दूंगा.
श्रीमती अनुभा मुंजारे -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी जानकारी में लाना चाहूंगी कि आपको विभाग के द्वारा असत्य जानकारी दी गई है. अभी कुल मिलाकर 16 हजार कनेक्शन हो चुके हैं, इसमें से 6 हजार जो उपभोक्ता हैं वह बेहद परेशान हैं, प्रताडित हैं क्योंकि उन्होंने 2,500 रुपये जमा कराया हुआ है, लेकिन उन्हें बिल्कुल भी पानी नहीं मिल रहा है. वह रात-दिन नगर पालिका के चक्कर काटते रहते हैं और सबसे ज्यादा गंभीर बात मैं आपको बताना चाहूंगी कि इतना स्तरहीन और अपूर्ण काम होने के बाद, जनाक्रोश होने के बाद, लगातार पार्षदों की शिकायत होने के बावजूद भी अभी पिछले दिनों प्रभारी नगर पालिका अधिकारी सुश्री दिशा डेहरिया ने उस ठेकेदार का लगभग 38 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया है और 6 हजार जो कनेक्शनधारी हैं वह परेशान हैं. उनको किसी तरह से राहत नहीं दी जा रही है और नगर पालिका प्रशासन यह जवाब दे रहा है कि हम कुछ नहीं कर सकते हैं, आप ठेकेदार से बात करिये.
अध्यक्ष महोदय -- अनुभा जी, प्रश्न करिये.
श्रीमती अनुभा मुंजारे -- जी अध्यक्ष महोदय. माननीय मंत्री जी, मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगी, मेरा सवाल भी है और आग्रह भी है कि उपरोक्त ठेकेदार पर आप सख्त कार्यवाही करेंगे ? मैं ऐसी आपसे अपेक्षा करती हूं और सख्त कार्यवाही होगी यह आपसे पूरी उम्मीद है और मेरा निवेदन है कि उनके ऊपर आप क्या कार्यवाही करेंगे ? और नगर पालिका प्रशासन पर क्या कार्यवाही होगी ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, यदि लोगों ने पैसा जमा कर दिया है, कनेक्शन ले लिया है और पानी नहीं मिल रहा है, तो मैं यहां से तकनीकी टीम भेजूंगा कि उसमें कारण क्या हैं और यदि कहीं पर अनियमितता पाई गई तो निश्चित रूप से कार्यवाही की जाएगी, परंतु मैं माननीय विधायक को इतना विश्वास दिलाना चाहता हूं कि यह 40 करोड रुपये की योजना है और ऐसा नहीं है कि पूरा पेमेंट हो गया है. अभी लगभग 3 करोड रुपये ठेकेदार का बाकी भी है. जब तक काम पूर्ण नहीं होगा, जब तक लोगों को पानी नहीं पहुंचेगा, तब तक उनका पेमेंट नहीं किया जाएगा और गुणवत्तापूर्ण काम नहीं हुआ तो ठेकेदार के खिलाफ भी हम कार्यवाही करेंगे. हम संचालनालय से एक तकनीकी टीम भेज रहे हैं.
श्रीमती अनुभा मुंजारे -- अध्यक्ष महोदय, आदरणीय मंत्री जी का मैं हृदय से धन्यवाद देती हूं.
श्री मधु भगत -- अध्यक्ष महोदय, उनका ही प्रश्न है, उन्होंने कहा है.
अध्यक्ष महोदय -- आज महिलाओं का दिन है. मधु जी, प्लीज आप किसी दूसरे विषय पर बोल लेना. महिलाओं के 4-5 हो जाने दीजिये.
मार्गों का निर्माण कार्य
[लोक निर्माण]
3. ( *क्र. 770 ) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खरगापुर विधान सभा-47 के कई ग्रामों से मुख्य मार्गों तक आने हेतु सड़कों का अभाव होने के कारण आम जनता बरसात के समय विशेष रूप से परेशान होती रहती है, इसलिये देवपुर मुख्य मार्ग से वनपुरा' सॉपौन तक, लारौन मुख्य मार्ग से टपरियन तक, देरी मुख्य सड़क से खुड़ौ नज. देरी तक, पथरीगढ़ (मचौरा) से देवराहा तक, हृदयनगर तिगेला से कोटरा तक की सड़कों का निर्माण कराये जाने से आम जनता को आवागमन की सुविधा प्राप्त होगी? क्या आम जनता की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुये उक्त सड़कों का डामरीकरण कराकर निर्माण करायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) उक्त सड़कों के निर्माण किये जाने से लगभग 50 ग्रामों के ग्रामीणजनों को सुविधा प्राप्त होगी क्या विभाग द्वारा डी.पी.आर. तैयार कराये जाने के आदेश जारी किये जायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) क्या कुछ ग्रामों में बरसात के समय पहुंच पाना मुश्किल हो जाता है, बीमार व्यक्तियों को इलाज की मुसीबत खड़ी हो जाती है और ग्रामीणजनों की विशेष माँग भी है कि पक्की सड़क निर्माण कराये जाने से क्षेत्र की जनता आवागमन का लाभ लेकर मुख्य मार्गों से ग्रामवासियों का जुड़ना संभव हो जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) विवरण संलग्न परिशिष्ट के स्तम्भ-5 में दर्शाये अनुसार है। (ग) विवरण संलग्न परिशिष्ट के स्तम्भ-4 में उल्लेखित कार्यवाही का पूर्ण होना आवश्यक है।
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर -- अध्यक्ष महोदय, खरगापुर विधान सभा की आम जनता के हितों में सडकों का निर्माण किये जाने का मेरा प्रश्न है. लारौन से टपरियन तक सडक निर्माण, देरी मुख्य सडक से खुडौ नजदीक देरी तक, वनपुरा सोपौन से देवपुर तिगैला तक, पथरीगढ मचौरा से देवराहा तक, हृदयनगर तिगैला से कोटरा तक की सडकें निर्माण कराई जाएं जिससे आम जनता को आवागमन की सुविधा मिले और सडकों के निर्माण से कम से कम 50 गांवों के लोगों को लाभ मिलेगा.
श्री राकेश सिंह -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. माननीय विधायक जी ने 5 मार्गों की बात की है, उसमें से 4 मार्ग प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत बन चुके हैं. उनकी मैं विस्तार से जानकारी भी दे सकता हूं कि कहां से कहां तक है और माननीय महोदया ने उसमें दोहरी कनेक्टिविटी की बात की है. प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत जो सड़कें बनती हैं, उनमें दोहरी कनेक्टिविटी का प्रावधान नहीं होता और एक जो टपरियन गांव की बात की है, वहां तो अभी सड़क ही नहीं है. जितने भी अभी यह कार्य बताये हैं, यह विभाग की पुस्तिका में दर्ज नहीं हैं. विभाग की पुस्तिका में दर्ज नहीं हैं का मतलब होता है कि अभी तक उसको लेकर विभाग के पास में कोई भी इस तरह की प्रक्रिया प्रारम्भ नहीं हुई कि वहां पर सड़क निर्माण के बारे में कुछ विचार हो और उसका बड़ा कारण है, जब प्रधानमंत्री सड़क योजना से कोई सड़क बनती है, तो चूंकि सड़क तो वहां पर बनी, उन 5 मार्गों में 10 गांव पड़ते हैं. 10 में से 8 गांव सड़क से प्रत्यक्ष रुप से जुड़े हुए हैं. एक गांव जो टपरियन की बात उन्होंने की है, वहां पर कोई मार्ग अभी है ही नहीं. तो एक बार अगर उस मार्ग की बात है, तो उसका परीक्षण जरुर करायेंगे और परीक्षण कराकर देखेंगे कि उसमें क्या आता है और उसके आधार पर फिर निर्णय करेंगे.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर-- अध्यक्ष महोदय, मुझे जानकारी में दिया गया है कि विभाग की पुस्तिका में दर्ज नहीं है. फिर लिखा गया है कि विभाग में स्वीकृति हेतु बजटीय प्रक्रिया का पूर्ण होना आवश्यक है. फिर लिखा गया है कि डीपीआर बनाने की कार्रवाई संभव नहीं है. मंत्री जी बता दें कि क्या संभव है. क्या इन सड़कों के बिना वहां की आम जनता की तकलीफें कम हो सकती हैं, क्या इन गांवों को मुख्य सड़क से जोड़ेंगे. विभाग अगर डीपीआर नहीं बनवा सकता है, पुस्तक में नाम दर्ज नहीं कर सकता है, बजट प्रक्रिया में शामिल नहीं कर सकता है, तो आपका विभाग फिर क्या कर सकता है, यह मंत्री जी बता दें. ग्रामीण जनता की पीड़ा को ध्यान में रखते हुए पांचों सड़कों का डीपीआर तैयार करवायें. जिन सड़कों की बात मंत्री जी कर रहे हैं, उन सड़कों में मैं खुद जाती हूं, क्योंकि मैं वहां की विधायक हूं. वहां मुख्य सड़क तक कोई सड़क नहीं है. वहां के लोग बरसात में खटिया में आते हैं. अगर किसी की डिलेवरी होती है, तो महिलाओं को खटिया पर लेकर आना पड़ता है. अगर कोई बिलकुल चल नहीं पाता है, तो उनको भी खटिया पर ले जाना पड़ता है बरसात में. मैं वहां जाती हूं. आप जांच करवा लें कि कहां रोड है, कहां रोड नहीं है. नहीं तो डीपीआर बनवाने का हमें आश्वासन दे दें. आप डीपीआर बनवा दें. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि मैं अभी वहां सड़क डालने की बात नहीं कर रही हूं, आप डीपीआर भर बनवा दें.
अध्यक्ष महोदय-- आपका पूरक प्रश्न आ गया, अब आप कृपया बैठें. मंत्री जी, कुछ कहना है.
श्री राकेश सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य को पहले ही जानकारी दी थी, उसके अनुसार सड़कों की स्थिति है. उन्होंने प्रश्नों के अलग अलग उप खण्डों और खण्डों की बात की है. उसके अनुसार उनको उत्तर दिये गये थे. इसमें से एक सड़क जो है,यह है देवपुर मुख्य मार्ग से वनपुरा सापौन मार्ग. यह लगभग 2.2 किलोमीटर की लम्बाई है, यह भी पीएमजीएसवाई योजना से बनी थी. इसमें दूसरी तरफ से कनेक्टिविटी के लिये ये विभाग ने इसको स्वीकृत किया है और उसके टेण्डर की प्रक्रिया विचाराधीन है. बाकी के मामले में अभी किसी तरह की स्वीकृति नहीं है. लेकिन मैंने माननीय सदस्य को पहले ही कहा है कि विभाग इसका परीक्षण करेगा और परीक्षण में अगर यह लगेगा कि वह रोड बनना चाहिये, तो फर आगे की प्रक्रिया प्रारम्भ होगी.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर-- अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि डीपीआर बनाने की तो घोषणा कर दें. बहुत परेशानी में हैं वहां के लोग.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने परीक्षण कराने का बोल दिया है.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर-- अध्यक्ष महोदय, जी, धन्यवाद.
नगरीय विकास योजनाओं के तहत निर्माण कार्यों की गुणवत्ता
[नगरीय विकास एवं आवास]
4. ( *क्र. 391 ) सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर जिले की बड़ामलहरा विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत नगर पंचायतों में वर्ष 2021 से प्रश्न दिनांक तक योजनावार कौन-कौन से कार्यों पर कितना-कितना व्यय किया गया? सम्पूर्ण विवरण दें तथा शासन की गाइड लाइन उपलब्ध करावें। (ख) वर्ष 2021 से प्रश्न दिनांक तक नगर पंचायतों में कौन-कौन से कार्यों हेतु बैठकें आयोजित की गई, जिनका परिषद द्वारा अनुमोदन किया गया? (ग) निर्माण कार्यों की गुणवत्ता हेतु विभागीय अधिकारियों ने शासन की नीति के तहत कार्य किया? (घ) यदि हाँ, तो निर्माण कार्य जर्जर हो चुके हैं। वर्ष 2021 से किये गये निर्माण कार्यों के पूर्णता प्रमाण पत्र सहित सम्पूर्ण जानकारी प्रमाणित कर उपलब्ध करावें?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) से (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। गाइडलाइन्स की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, आज मुझे सदन में पहली बार बोलने का अवसर प्राप्त हुआ है. उच्च आसंदी पर आसीन अध्यक्ष महोदय जी को मेरी तरफ से बहुत बहुत जय श्रीराम. मेरा प्रश्न यह था कि खण्ड- ''क'' के उत्तर में शासन की जो गाईड लाइन परिशिष्ट ''अ'' में उपलब्ध करायी गयी है, उसमें मेरे मूल प्रश्न का जो उत्तर आया है वह सही नहीं है, उन्होंने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय:- मेरे प्रश्न खण्ड- '' क'' से ''घ'' तक जो मैंने प्रश्न पूछा था उसकी मुझे सम्पूण जानकारी नहीं दी गयी है और मैं इस उत्तर से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हूं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूरे प्रकरण में वर्ष 2021 से 2024 तक जो भी निर्माण कार्य हुए तथा क्रय सामग्री खरीदी गयी उसमें व्यापक स्तर पर करोड़ों का नगर बड़ा मलेहरा, घुवारा और बक्स्वाह में शासन की राशि का आय-व्यय हुआ है. यह जो मामला है यह केवल बड़ा मलेहरा का नहीं है. यह प्रदेश स्तरीय मामला है.
माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं चाहती हूं कि मेरे प्रश्न के संबंध में राज्य स्तर जांच कमेटी गठित की जाये और उसमें क्षेत्रीय विधायक को शामिल की जाये, ताकि उसकी जांच पारदर्शिता के साथ हो सके.
श्री कैलाश विजयवर्गीय:- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायिका ने जो कहा है, उन सारे प्रश्नों के उत्तर उनको दिये हुए हैं. शायद उन्होंने परिशिष्ट नहीं देखा होगा, काफी बड़ा उत्तर है. पहले तो मेरे विभाग ने शायद इसको अग्रहाय कर लिया जाये.कहा. मैंने कहा नहीं पहली महिला विधायक हैं उनके उत्तर को ग्राह्य करके उनको, उनको उनकी पूरी बात का जवाब भी देना चाहिये. हमने बहुत वृहद उत्तर दिया है. फिर भी विधाकिया जी किस प्रश्न से असंतुष्ट हैं, वह मुझे बता दें तो मैं बता दूंगा. यह एकदम जनरल हो गया है कि राज्य स्तरीय जांच कराना, यह तो बड़ा मुश्किल है और अगर वह कोई पर्टिक्यूर विषय में जांच चाहती हैं तो मैं, जांच के आदेश दे सकता हूं. परंतु पूरे प्रदेश की जांच कराना तो बड़ा मुश्किल होगा.
अध्यक्ष महोदय:- रामश्री जी आपको जिस जगह पर आपत्ति दिखती है तो वह पर्टिक्यूर प्रश्न करो तो मंत्री जी ठीक से उत्तर दे पायेंगे.
सुश्री रामश्री(बहिन रामसिया भारती) राजपूत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बस वर्ष 2021-2024 नगर पंचायतो बड़ा मलेहरा और बक्स्वाहा में जो नाली, सी.सी रोडों का का निर्माण किया गया है, उनके निर्माण करने की समयावधि क्या है ? अध्यक्ष महोदय, जी मैं आपके माध्यम से पूछना चाहती हूं कि माननीय मंत्री जी जो वार्ड वाइज़ रोड एवं नालियों का निर्माण किया गया है, तीन वर्ष पूर्व रोडों का निर्माण हुआ और उसी स्थान पर दोबारा निर्माण किये गये. इसके संबंध में शासन के क्या नियम हैं. नगर पंचायतों में जो खरीदी की गयी उसमें भण्डार क्रय नियम-2015 का पालन बिल्कुल नहीं किया गया है.
अध्यक्ष महोदय:- रामश्री जी आपका प्रश्न आ गया है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय:- माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, मैं समझता हूं कि माननीय विधायिका महोदय ने जो प्रश्न पूछे हैं उसके उत्तर इसमें सम्मिलित हैं. यदि पर्टिक्यूर यह चाहती हैं कि इस विषय पर जांच करा दें. यहां पर, इस नगर पालिका में कुछ गड़बड़ी हुई है तो मैं जांच करा सकता हूं.
सुश्री रामश्री(बहिन रामसिया भारती) राजपूत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय जी से निवेदन करना चाहूंगी कि ..
अध्यक्ष महोदय:- माननीय रामश्री जी, ऐसे रास्ता नहीं निकलेगा. मेरा आपसे अनुरोध है कि बहुत लम्बा उत्तर सरकार ने दिया है. आप उस उत्तर को पूरा देख लें और मंत्री जी से व्यक्तिगत रूप से उनके कक्ष में मिल लें.
सुश्री रामश्री(बहिन रामसिया भारती) राजपूत:- माननीय अध्यक्ष जी मैं आपका पूर्णरूपेण संरक्षण चाहती हूं और मैं चाहती हूं हमारे बड़ा मलेहरा विधान सभा की तीनों नगर पंचायतों में, मैं, माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगी कि इसमें राज्य स्तरीय समिति गठित हो और उस समिति में मुझे भी सम्मिलित किया जाये और उसकी पूरी जांच करायी जाये. ताकि इसकी जांच पारर्दिशिता के साथ हो सके.
अध्यक्ष महोदय:- कृपया आप बैठ जायें.
सुश्री रामश्री(बहिन रामसिया भारती) राजपूत:- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैंने सुना है कि उस दिन सदन में माननीय मंत्री महोदय जी ही कह रहे थे कि '' मोही कपट छिद्द न भावा, तो इसमें छल कपट और छिद्द कहां से आ गये हैं. मेरी विनती है कि आप आश्वासन दिलाने की कृपा करें.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य महोदया की केवल यही भावना है कि वर्ष 2021 से बड़ामलहरा क्षेत्र की नगर पंचायतों में जितने भी निर्माण कार्य कराये गये हैं, माननीय सदस्य महोदया की उपस्थिति में जांच करा लें, जांच के आदेश दे दें, यह उनकी भावना है. अगर मंत्री जी की तरफ से उत्तर आ जाय तो ठीक रहेगा.
अध्यक्ष महोदय - श्री रामनिवास रावत जी आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं. मैं समझता हूं कि मैंने तो पूरी कोशिश की है लेकिन अब जब तक ये लोग आपस में मिलेंगे नहीं, तब तक वह क्या पूछना चाहती हैं और सरकार क्या कर सकती है, यह समाधान नहीं होगा, इसलिए मैंने कहा कि वह मंत्री जी से मिलेंगी तो जरूर मंत्री जी मदद करेंगे.
प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि में गड़बड़ी की जांच पर कार्यवाही न होना
[नगरीय विकास एवं आवास]
5. ( *क्र. 961 ) श्रीमती ललिता यादव : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या छतरपुर नगर पालिका परिषद में अपात्र लोगों के खाते में प्रधानमंत्री आवास योजना की कितनी-कितनी राशि डाले जाने की पुष्टि जांच में सिद्ध हो चुकी है और विभाग द्वारा उस पर कार्यवाही के निर्देश दिए गए थे? निर्देश की प्रति सहित अपात्र लोगों की सूची दें। (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में प्रधानमंत्री आवास योजना के अपात्र लोगों को राशि देने वाले अधिकारी-कर्मचारी कौन-कौन हैं और उन पर क्या कार्यवाही हुई? (ग) विभाग द्वारा इस मामलें में सदन में जो आश्वासन दिया गया था, उस आश्वासन पर कार्यवाही न होने के लिए कौन-कौन अधिकारी जवाबदार है और अब दोषी अधिकारी, कर्मचारी व अपात्र लोगों के खिलाफ कब तक कार्यवाही होगी?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) नगर पालिका छतरपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के अंतर्गत गठित जांच समिति के प्रतिवेदन में उल्लेखित 372 हितग्राहियों में से 21 हितग्राही अपात्र पाये गये, जिनको राशि प्रदाय की गई थी। जिसकी वसूली की कार्यवाही प्रचलित है। अपात्रों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। विभाग द्वारा कार्यवाही के दिये गये निर्देश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। कार्यवाही प्रचलित है। (ग) आश्वासन कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने से जिम्मेदारी निर्धारित नहीं की जा सकती है, इसलिए शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, मैं आपको आज बधाई देना चाहती हूं कि आपने प्रश्नोत्तर में महिलाओं को प्राथमिकता दी है. मेरे प्रश्न के उत्तर में 372 हितग्राहियों में से 21 लोगों को अपात्र बताया गया और राशि निकाली गई, जबकि 90 लोग आज भी गायब हैं. माननीय प्रधानमंत्री जी की जनकल्याणकारी योजना का छतरपुर नगरपालिका ने मजाक उड़ाया. छतरपुर नगरपालिका ने ग्रामीण क्षेत्र के महाराजपुर विधानसभा के उजरा गांव के दो भाइयों प्रदीप पाठक और रामकुमार पाठक को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया. अध्यक्ष महोदय, इतना ही नहीं पति पत्नी को लाभ दिया.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न तो करें.
श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, मैं वही प्रश्न कर रही हूं. एक महिला जो छतरपुर में वार्ड क्रमांक 12 की मुन्नीबाई खटीक, ऐसी महिला है, जिसका आवास स्वीकृत हुआ और उसकी राशि निकाली गई, वह आज भी दर-दर भटक रही है. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं आपके माध्यम से जानना चाहती हूं कि छतरपुर कलेक्टर ने 10573 आवास की सूची अनुमोदित की, जिसमें से 5900 लोग लाभार्थी हुए और 3417 हितग्राहियों को सरेण्डर किया गया. बिना भूमि स्वामित्व के आवास का लाभ छतरपुर में दिया गया. मैं माननीय मंत्री जी से यही निवेदन करना चाहती हूं कि जो 5900 लाभार्थी हैं, उनकी जांच करा ली जाय और इसकी जांच उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर हो.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय विधायक महोदया ने कहा है. यह बात सही है कि 21 उसमें अपात्र लोग थे, जिनको चिह्नित किया गया था, उसमें पैसे का आहरण सिर्फ 1 के पास हुआ था, सावित्री पति किशन प्रजापत है, यह अपात्र हितग्राही थी, इनको राशि दी थी, परन्तु इनसे राशि वापस ले ली गई है. अभी ऐसे कोई भी मेरी जानकारी में नहीं है कि कोई अपात्र को दिया हो, यदि विधायक महोदया के पास कोई प्रमाण हों तो वह दे दें, मैं उसकी जांच करवा दूंगा.
श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, मैं यही कहना चाहती हूं कि छतरपुर नगरपालिका में वर्ष 2018 के बाद डीपीआर नहीं बनी, उससे हमारे यहां पर बहुत से पात्र हितग्राही प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित रह गये हैं. मैं माननीय मंत्री जी से यही चाहती हूं कि जो 5900 लाभार्थी हैं, उनकी जांच करा दें. आज भी 90 लोग गायब हैं तो उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर मैं निवेदन करती हूं कि जांच करा लें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैं दिखवा लूंगा, भोपाल से किसी अधिकारी को भेजकर उसकी जांच करवा दूंगा.
श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, उस जांच में जो भी दोषी होंगे, जिनके वाउचर पर साइन होंगे, उन पर माननीय मंत्री जी कार्यवाही करेंगे क्या?
अध्यक्ष महोदय - उसमें जांच तो होने दें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि अधिकारी भेज दूंगा, अगर कुछ ऐसा पाया गया तो निश्चित रूप से कार्यवाही होगी.
श्रीमती ललिता यादव - माननीय मंत्री जी, धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन -- धन्यवाद माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे मौका दिया. इस तरह का जो मामला है चूंकि यह हमारे सागर संभाग का विषय था, ललिता बहन ने जो विषय रखा है, सागर नगर पालिक निगम में भी कमोवेश स्थिति ऐसी ही है. मेरा इसमें इतना निवेदन है कि लगभग 1500 परिवार अभी ऐसे हैं जो सागर शहर में ट्रेस नहीं हो रहे हैं और सूची में उनके नाम हैं. वह सेंक्शन सूची है जो स्टेट गवर्नमेंट से सेंट्रल गवर्नमेंट से सेंक्शन होकर आयी है. ऐसे 1500 परिवार जो शहर में हैं ही नहीं, उनके नाम कैसे सूची में जुड़ गए हैं और अगर जुड़ गए हैं, अब वह ट्रेस नहीं हो रहे हैं, तो क्या उनके स्थान पर उन परिवारों को सम्मिलित करने पर विचार करेंगे, जो परिवार वास्तव में गरीब हैं या उनके मकान इस श्रेणी में आते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है शैलेन्द्र जी.
श्री शैलेन्द्र जैन -- जी अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तो मैं कुछ कहने की स्थिति में नहीं हॅूं, क्योंकि सागर के लिए मेरी तैयारी भी नहीं थी. माननीय सदस्य मुझे एक पत्र दे दें, तो मैं उसको देख लूंगा.
श्री शैलेन्द्र जैन -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
क्षतिग्रस्त मार्ग का निर्माण
[लोक निर्माण]
6. ( *क्र. 1297 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत जिला खरगोन अन्तर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग देशगांव से खरगोन की वर्तमान भौतिक स्थिति क्या है? क्या नर्मदा पुल क्षतिग्रस्त होने से इन्दौर-इच्छापुर हाईवे के भारी वाहनों का आवागमन इस मार्ग से हो रहा है? हाँ तो क्या इसी कारण से मार्ग वर्तमान में बहुत क्षतिग्रस्त हो गया है तथा यह भी बतायें कि पूर्व में इसकी मरम्मत कब और कितनी राशि से की गई थी? क्या उक्त क्षतिग्रस्त मार्ग निर्माण की मरम्मत की जायेगी? हाँ तो कब तक की जायेगी तथा नहीं तो क्या कारण है?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : मार्ग की बी.सी. की सतह अधिकांश लम्बाई में क्षतिग्रस्त है। जी हाँ। जी हाँ, मरम्मत कार्य जून 2022 के वर्षाकाल एवं उपरांत कराया गया, जिस पर राशि रू. 74.92 लाख व्यय हुई। जी हाँ, मार्ग नवीनीकरण कार्य हेतु भारत सरकार सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा दिनांक 21.06.2023 को राशि रू. 31.09 करोड़ की स्वीकृति जारी की गई है, जिसकी निविदा आमंत्रित की जाकर वित्तीय निविदा की स्वीकृति प्रचलन में है। शेष वर्तमान में निश्चित समय अवधि बताया जाना संभव नहीं है।
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आपको धन्यवाद कर रही हॅूं कि आपने आज की सभी महिला विधायकों को बोलने का अवसर दिया है और सभी के प्रश्न शामिल हुए हैं. अध्यक्ष जी, आपका संरक्षण भी चाहूंगी कि मेरे विधानसभा क्षेत्र भीकनगांव के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग देशगांव से खरगोन की वर्तमान स्थिति बहुत क्षतिग्रस्त है और नर्मदा जी के पुल के क्षतिग्रस्त होने की वजह से वहां से पूरे वाहन इस मार्ग की ओर से गुजर रहे हैं और इस बात को माननीय मंत्री जी ने भी माना है कि क्षतिग्रस्त है किन्तु आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से जी पूछना चाह रही हॅूं कि दूसरा प्रश्न का उत्तर जो उन्होंने दिया है, वह असत्य है कि इस क्षतिग्रस्त मार्ग का मरम्मत का कार्य जून 2022 को किया गया और 74.92 लाख रूपए राशि निकाली गई. उनका यह जवाब सही नहीं है. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूँ कि इस मार्ग के मरम्मत का कार्य कब किया जाएगा.
श्री राकेश सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय विधायक जी की चिन्ता स्वाभाविक है और हमने यह माना है कि वह सड़क क्षतिग्रस्त है, उसका कारण भी इन्होंने स्वीकार किया है कि पिछली बारिश के समय पर बांध का जो पानी मोरटक्का के पुल पर छोड़ा गया, उसके कारण से ट्रैफिक डॉयवर्ट हुआ और उस मार्ग से गया और काफी ट्रैफिक होने के कारण वह मार्ग क्षतिग्रस्त हुआ. उसके लिए 31 करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत होकर टेंडर प्रक्रिया भी पूरी हो गई है. दूसरे जिस कार्य के बारे में इन्होंने कहा है तो 74 लाख रूपए की राशि वहां उसके लिए स्वीकृत हुई थी और उससे वहां पर काम भी हुआ, किन्तु अगर माननीय सदस्य को यह लगता है कि वहां पर काम पूरा नहीं हुआ है तो एक बार उसका परीक्षण कर लेंगे और अगर कोई काम ऐसा है जो बाकी है, गड्ढे भरे नहीं गए हैं तो उसको भरने की दिशा में विभाग काम करेगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्यों को एक जानकारी भी देना चाहता हॅूं कि विभाग ने एक निर्णय किया है. हम पाठोल रिपोर्टिंग सिटीज़न मोबाइल एप बनाने जा रहे हैं. सरकार बनाने जा रही है और इसके अंतर्गत किसी सड़क पर जो राज्य सरकार के हिस्से की है, इसमें अभी क्या होता है कि कहीं कोई गड्ढा हुआ, उसकी जानकारी विभाग तक पहुंचते-पहुंचते समय लगता है. कई बार शायद कुछ अनदेखी भी होती होगी लेकिन अब कोई सामान्य नागरिक भी उस गड्ढे की फोटो खींचकर और जियो ट्रैक्ड फोटो खींचकर उसको उस मोबाइल पर अपलोड कर देगा, तो वह सीधे संबंधित प्रभारी कार्यपालन यंत्री तक पहुंचेगा और एक निश्चित समय-सीमा होगी और उस निश्चित समय-सीमा के भीतर उसको वह कार्य पूर्ण करके फिर वापस से जो कार्य पूर्ण किया है, उसकी फोटो अपलोड करेंगे ताकि नागरिकों को भी और बाकी सारे लोगों को भी पता चल सके कि वह गड्ढा भर दिया गया है. मुझे लगता है कि इससे आने वाले समय में इस तरह की जो शिकायतें हैं उनमें भी कमी आएगी और नागरिकों की और आम लोगों की भागीदारी सीधे तौर पर सरकार और विभाग के साथ होगी और सड़कें भी ज्यादा बेहतर स्थिति में हो पाएंगीं.
अध्यक्ष महोदय -- यह अच्छा निर्णय है. सरकार का निर्णय स्वागतयोग्य है.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरी सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे हैं. कहीं भी उसकी मरम्मत का कार्य नहीं हुआ. यह राशि भी निकली है तो इसको पुन: उसकी मरम्मत करना बहुत जरूरी है. तो इसकी पुनः मरम्मत करना बहुत जरूरी है. क्योंकि जिला मुख्यालय का रोड़ है. पूरे क्षेत्रवासी इसी रोड़ से चलते हैं. यह प्रश्न बहुत आवश्यक है, इसलिये प्रश्न लगाया है. कब इस रोड़ को पूरा करेंगे, पूरा रिन्यूवल चाहिये, क्योंकि कहीं पर रोड़ बचा ही नहीं है, ऐसा लगता ही नहीं है कि कार में जा रहे हैं, ऐसा लगता है कि ऊंट पर जा रहे हैं, इस तरह की स्थिति बन गई है.
श्री राकेश सिंह—अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या को आपके माध्यम से यह बताना चाहता हूं कि उसमें रिपेयरिंग का काम हुआ था. चूंकि उस रोड़ पर ट्रेफिक काफी था, हो सकता है, क्योंकि मैं यहां पर खड़े होकर कह भी नहीं सकता हूं. लेकिन माननीय जी यदि वहां पर फिर से ऐसी स्थिति बनी है कि रोड़ की फिर से रिपेयरिंग की आवश्यकता है. तो रिपेयरिंग का कार्य पूरा होगा.
श्रीमती झूमा सोलंकी--अध्यक्ष महोदय, इसके नवीनीकरण के कार्य को भारत सरकार सड़क परिवहन राज मार्ग मंत्रालय के पास प्रकरण भेजा गया था उसमें इसकी स्वीकृति भी मिली हुई है. तो उसमें यह कहा गया कि 21.6.23 को स्वीकृति जारी की गई, उसकी निविदा भी आमंत्रित की गई. पर इसमें वित्तीय निविदा की स्वीकृति कब मिलेगी ? इसको पुनः बनाने का भी आगे प्रावधान है. इस कार्य को कब करेंगे ?
श्री राकेश सिंह—अध्यक्ष महोदय,जिस रोड़ की बात की जिसके बारे में 31 करोड़ रूपये स्वीकृत हो गये हैं. आप उसी की बात कर रही हैं.
श्रीमती झूमा सोलंकी-- अध्यक्ष महोदय, जी उसी की बात कर रही हूं.
श्री राकेश सिंह—अध्यक्ष महोदय,उसकी टेन्डर की प्रक्रिया पूरी हो गई है, उसका एग्रीमेंट भी हो गया है. अगले चार महीने में कार्य को पूर्ण करने का समय भी दिया गया है. वह हो जायेगा.
श्रीमती झूमा सोलंकी-- अध्यक्ष महोदय, इसके लिये मंत्री जी को धन्यवाद. चार महीने में मंत्री जी मैं इसके लिये आश्वस्त हूं कि आप इसको पूर्ण करवाएंगे. धन्यवाद.
स्वीकृत नवीन योजनाओं हेतु बजट आवंटन
[नगरीय विकास एवं आवास]
7. ( *क्र. 373 ) श्रीमती रीती पाठक : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सीधी शहर को मिनी स्मार्ट सिटी का दर्जा दिया गया है? यदि हाँ, तो इस हेतु कब-कब कितनी राशि किन-किन कार्यों हेतु आवंटित की गई है और कितनी राशि जारी किया जाना शेष है और अगले चरण (द्वितीय) की राशि कब तक जिला प्रशासन को उपलब्ध कराई जायेगी? (ख) क्या सीधी में नवीन मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाने हेतु भू-अर्जन एवं भवन निर्माण हेतु बजट आवंटित किया जा चुका है? (ग) सीधी शहर में स्थापित किए जाने वाले रेलवे स्टेशन की भूमि के उत्तरी क्षेत्र जमोड़ी कला एवं जोगीपुर बायपास मार्ग निर्माण में भू-अर्जन एवं सड़क निर्माण हेतु उपलब्ध बजट की क्या स्थिति है?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी हाँ। स्वीकृत राशि रू. 25.00 करोड़ के विरूद्ध राशि रू. 25.36 करोड़ के कार्य संपादित कराये जा चुके हैं। स्वीकृत राशि अंतर्गत कार्य पूर्ण होने के कारण अब कोई भी राशि देय नहीं है। अगले चरण (द्वितीय) हेतु राशि स्वीकृत करने की कार्यवाही प्रचलित नहीं है। (ख) जिला कलेक्टर से प्राप्त जानकारी अनुसार सीधी जिले में नवीन मेडिकल कॉलेज के निर्माण हेतु 17.309 हेक्टेयर भूमि आरक्षित की गयी है। उपरोक्त कार्य हेतु संबंधित विभाग द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गयी है। (ग) जिला कलेक्टर से प्राप्त जानकारी अनुसार सीधी शहर में स्थापित किये जाने वाले रेलवे स्टेशन की भूमि के उत्तरी क्षेत्र जमोड़ी कला एवं जोगीपुर बायपास मार्ग निर्माण हेतु संबंधित विभाग द्वारा भू-अर्जन का प्रस्ताव एवं सड़क निर्माण हेतु बजट आवंटन उपलब्ध नहीं कराया गया है।
श्रीमती रीति पाठक-- अध्यक्ष महोदय,मैं आपका हृदय से धन्यवाद करती हूं. विधान सभा सदस्य के रूप में शपथग्रहण करने के बाद पहली बार बोल रही हूं. ईश्वर को भी धन्यवाद देती हूं. मैं पूर्णरूपेण आश्वस्त भी हूं कि वरिष्ठों के मार्गदर्शन, आपके संरक्षण और सदस्य साथियों के सहयोग के साथ मैं अपने सीधी विधान सभा का विकास कर पाऊंगी. आज का यह प्रश्न है, यह प्रश्न नगरीय आवास मंत्रालय के लिये है. इसमें दो विषय और भी जुड़े हुए हैं जो अन्य विभागों के हैं, उसके लिये भी आपसे संरक्षण चाहती हूं. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि जो नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय है. इसके माध्यम से तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने पिछले पंचवर्षीय में मेरे सीधी जिले में जो हमारी नगर-पालिका है उसको स्मार्ट सिटी बनाने के लिये कुछ राशि आवंटित की थी. उत्तर में विशेष रूप से पूर्णरूपेण इसका जवाब मिला है. इसमें यह भी जवाब में आया है कि राशि कितनी थी ? लेकिन उसके साथ मैं एक चीज और भी जोड़ना चाहती हूं कि दूसरा प्रश्न तो मेरा यह था जो मैंने जोड़ा था कि इसमें कहां कहां और क्या क्या चीजें बनायी गई हैं और इसमें कितनी राशि आवंटित हुई, लेकिन इस बात के लिये धन्यवाद देना चाहती हूं कि इस राशि के माध्यम से हमारे यहां पर पार्किंग की व्यवस्था, पार्क की व्यवस्था, रोड़ जो हमारे शहर में खराब हुआ करते थे. बस स्टेण्ड की व्यवस्था, यह सारी चीजें हो पाईं, लेकिन इसमें इतनी राशि पर्याप्त नहीं है. तो इस विषय को मैं जोड़ना चाहती हूं कि क्या दूसरा कोई स्टेप है कि नगर पालिका क्षेत्र को और विस्तार के साथ स्मार्ट सिटी में इसको दूसरे स्टेप में लें तथा और राशि आवंटित करें जिससे और भी चीजें विकास के लिये अग्रेषित हो सकें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं माननीय सदस्या को धन्यवाद देता हूं, क्योंकि इनके यहां सीधी में काफी अच्छे काम हुए हैं. मैं सीधी गया भी था, तो मुझे सीधी एकदम बदला हुआ दिखा. मैं माननीय सदस्या से निवेदन करना चाहता हूं कि आप वहां पर शहर में और क्या चाहते हैं, इस संदर्भ में यदि आप मुझे बता दें, तो उसके लिए हम एक कार्ययोजना बनकर बजट में प्रावधान कर देंगे और जब भी आवश्यकता होगी, हम राशि प्रदान कर देंगे.
श्रीमती रीती पाठक - अध्यक्ष जी, मेरा दूसरा मेडिकल कॉलेज से जुड़ा हुआ है. आदरणीय नरेन्द्र भाई मोदी जी को मैं हृदय से धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने हमारे सीधी जिले को ये सौगात दी है. इस विषय में मैं पूछना चाहती हूं कि क्या अभी तक मेडिकल कॉलेज में स्थापित किए जाने वाले भू-अर्जन का विषय क्या पूरा हो पाया और भू-अर्जन के विषय में अभी कितना समय लगना है, इसके लिए बजट कब तक उपलब्ध हो पाएगा, इसमें क्या प्रक्रिया है, जो अभी तक लंबित है और हम इसका कार्य पूर्णरुपेण आगे नहीं कर पा रहे, चूंकि जवाब में तो है, अभी तक इसमें अभी प्रशासकीय स्वीकृति नहीं मिली है, जमीन आवंटित नहीं है, लेकिन इस सदन में रखने का आशय सिर्फ इतना है, अध्यक्ष जी अगर आपका संरक्षण मिलेगा, माननीय मंत्री जी का निर्देश मिलेगा तो हमारे ये काम जो हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी का और डॉ. मोहन यादव जी जो हमारे मुख्यमंत्री हैं उनका सपना पूरा हो पाएगा.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न आ गया रीती जी, माननीय मंत्री जी.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न का मैं उत्तर दे रहा हूं. हालांकि ये प्रश्न मेरे विभाग का नहीं है, पर हमारी संयुक्त जवाबदारी है. मैंने चिकित्सा शिक्षा विभाग से जानकारी प्राप्त की है, उन्होंने कहा है कि नवीन मेडिकल कॉलेज की सैद्धांतिक स्वीकृति है, परन्तु प्रशासनिक स्वीकृति अभी तक नहीं आई है. जमीन भी चिन्हित कर ली गई है और वहां बाउंड्री वॉल बनाने की स्वीकृति प्राप्त हो गई है, भविष्य में जो भी आवश्यकता होगी, सरकार उसके लिए आवश्यक कदम उठाएगी और ये बात सही है कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि प्रत्येक जिले के अंदर एक मेडिकल कॉलेज होना चाहिए, उसी बात को ध्यान में रखते हुए सीधी में भी मेडिकल कॉलेज निश्चित रूप से खुलेगा. मैं मोदी जी को धन्यवाद देता हूं और राज्य सरकार इस काम को जवाबदारी से पूरा करेगी.
श्रीमती रीती पाठक - अध्यक्ष महोदय, एक छोटा सा अंतिम प्रश्न जो कि इस प्रश्न में ही समाहित है. हमारे यहां पिछली पंचवर्षीय योजना में जमोड़ीकला एवं जोगीपुर बायपास का एक विषय आया था, जिसमें यह था कि यह विषय स्वीकृत होगा चूंकि यह बहुप्रतीक्षित सड़क थी और इसकी मांग भी थी. मैं चाहती हूं आपके मार्गदर्शन और संरक्षण में माननीय मंत्री जी को यह कहा जाए कि इस परियोजना को प्रस्तावित करें और इसमें जो भी आवश्यक कार्यवाही है उसको पूर्ण करें.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी एक मिनट, श्री अजय सिंह जी का भी प्रश्न है, वे भी वहीं के हैं, दोनों का एक साथ उत्तर दे देना.
श्री अजय अर्जुन सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, मंत्री महोदय ने अभी विधायिका महोदय के प्रश्न पर उत्तर दिया था कि आवश्यक कार्य क्या है, वह बता दें. सबसे बड़ी जरुरत वहां पर, मंडी शिफ्ट हुई, लेकिन मंडी के लिए पैसे आवंटित नहीं हुए. यदि और जगहों के लिए मंडी के लिए पैसे आवंटित हो गए, रीवा में हो गए, सभी जगह हो गए, लेकिन सीधी की मंडी अभी भी अधर में लटकी हुई है. यदि उसके लिए राशि आवंटित कर दें तो सही में सीधी स्मार्ट सीटी हो जाएगी, धन्यवाद.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ा सौभाग्यशाली हूं कि प्रश्न एक है और तीन तीन विभाग के उत्तर दे रहा हूं(...हंसी) अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायिका महोदय ने जो कहा है ये पीडब्ल्यूडी का है और तीसरे विभाग का प्रश्न है, राकेश जी का. सैद्धांतिक रूप से ये भी स्वीकृत है, इसकी प्रशासकीय स्वीकृति नहीं है, ये बजट में अंकित है, आने वाले बजट के बाद इसमें राशि भी आवंटित कर दी जाएगी और ये बायपास निश्चित रूप से बनेगा, ये विभाग से मुझे जानकारी प्राप्त हुई है. जैसा कि माननीय राहुल भैया ने मंडी के बारे में कहा है तो मैं कृषि मंत्री जी से बात करुंगा वे उस समस्या का निराकर करेंगे.
श्रीमती रीती पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि दूसरे स्टेप की राशि आवंटित हो जाएगी तो यहां पर जो हमारे कांग्रेस के जो वरिष्ठ नेता हैं उनका विषय भी उसमें समाहित रहेगा.
विद्युत विहीन ग्रामों में विद्युत व्यवस्था
[ऊर्जा]
8. ( *क्र. 1270 ) श्रीमती सेना महेश पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अलीराजपुर जिले में कितने ग्राम विद्युत विहीन हैं? क्या शासन द्वारा विद्युत लाईन की व्यवस्था ग्राम में की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? (ख) किन-किन ग्रामों में विद्युत क्षमता कम होने के कारण किसानों को आये दिन परेशानी हो रही है? शासन द्वारा विद्युत क्षमता बढ़ाने की क्या कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक की जावेगी? (ग) विद्युत क्षमता बढ़ाने हेतु विद्युत ट्रांसफॉर्मर, ग्रिड लगाने की कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक की जावेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) अलीराजपुर जिले के समस्त 551 राजस्व ग्राम विद्युतीकृत हैं। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ख) प्रश्नाधीन क्षेत्र के समस्त ग्रामों में विद्युत उपभोक्ताओं की आवश्यकता अनुसार पर्याप्त क्षमता की विद्युत अधोसंरचना स्थापित है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में स्थापित विद्युत अधोसंरचना के पर्याप्त नहीं होने के कारण कृषकों के परेशान होने संबंधी कोई प्रकरण म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संज्ञान में नहीं है। अत: शेष प्रश्न नहीं उठता। (ग) प्रश्नाधीन क्षेत्र में वर्तमान में विद्युत उपभोक्ताओं की मांग के अनुरूप पर्याप्त क्षमता की विद्युत अधोसंरचना स्थापित है। तथापि भविष्य में होने वाली संभावित भार वृद्धि के दृष्टिगत सतत् गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित किये जाने हेतु प्रश्नाधीन क्षेत्र में टी.बी.सी.बी. योजनान्तर्गत सोण्डवा विकासखण्ड के ग्राम अंबाजा में नवीन 132/33 के.व्ही. उच्चदाब विद्युत उपकेन्द्र निर्माण की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है तथा यह कार्य कार्यादेश दिनांक 21.1.2023 से 18 माह की अवधि में पूर्ण किया जाना है। साथ ही प्रश्नाधीन क्षेत्र में आर.डी.एस.एस. योजनान्तर्गत ग्राम बड़ा गुड़ा में 5 एम.व्ही.ए. क्षमता का नवीन 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्र एवं कुल 334 अतिरिक्त वितरण ट्रासंफार्मरों की स्थापना के कार्य प्रगति पर हैं तथा उक्त कार्य वर्ष 2025 तक पूर्ण किया जाना प्रावधानित है।
श्रीमती सेना महेश पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह था कि चांदपुर से गुडा, ढोंगरपुर से वाउकरा, सेडा, गुजरात होकर मध्यप्रदेश के विकासखंड कट्ठीबाड़ा में जाने हेतु कच्चा रोड चालू था, जिसमें पुलिया निर्माण भी पहले हो चुका था, लेकिन वर्तमान समय में पुलिया पूरी तरह से छतिग्रस्त हो चुकी है और 15 से 20 किलोमीटर का जो पहुंच मार्ग है, वहां पर पहुंचने के लिये अभी ग्रामीणवासियों को बहुत दिक्कत हो रही है. अगर कोई बीमार भी होता है, तो वहां पर 108 भी नहीं पहुंच पाती है. यह बात मैंने कल भी रखी थी और आज भी बात रख रही हूं, लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग के द्वारा यहां पर यह बताया गया है कि उनके रिकार्ड में यह रोड कहीं नहीं बताया गया है. मैं उनके इस जवाब से असंतुष्ट हूं. यह रोड जो है, उसकी एक बार पुन: जांच की जाये क्योंकि यह एक बहुत गंभीर मुद्दा है और यह हमारे गुजरात जहां से स्टे है, जहां से 15 किलोमीटर हमको पहुंचने के लिये गुजरात से रास्ता क्रास करना पड़ता है, यह जो जवाब मिला है, इससे मैं असंतुष्ट हूं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, यह मेरे विभाग से संबंधित प्रश्न नहीं है. मेरे से संबंधित प्रश्न ऊर्जा विभाग का है, वह उन्होंने पूछा ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- श्रीमती सेना महेश पटेल जी आपका प्रश्न विद्युत विभाग का लगा था और आपका सप्लीमेंट्री कुछ रोड से संबंधित था.
श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्यक्ष महोदय, विद्युत विभाग का भी मेरा प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय -- आप विद्युत विभाग का ही प्रश्न पूछे, वही प्रश्न लगा है. विद्युत विभाग में ही प्रश्न लगा है, उसमें सप्लीमेंट्री पूछे आप.
श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्यक्ष महोदय, विद्युत विभाग का मेरा प्रश्न जिसमें ग्रिड लगाने की जो मांग मैंने उठाई थी और मेरे ग्रामीण क्षेत्र के किसान भाईयों की जो समस्या है, वहां पर ट्रांसफार्मर तो लगे हुए हैं, लेकिन मोटर पंप बहुत ज्यादा चलने से उनका वॉल्टेज कम हो जाता है और किसान भाईयों को फसल में पानी देने के लिये पर्याप्त लाईट नहीं मिल पा रही है. मैंने यह कहा था कि ग्रिड लगाने की जो मांग उठाई थी और मेरे विधानसभा में बहुत ज्यादा किसानों को समस्या है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्या महोदया को बताना चाहूंगा कि आपकी विधानसभा उदयगढ़ उपकेंद्र की ओवर रीडिंग कम करने हेतु एक नवीन उप केंद्र ग्राम कुडलवासा में ट्रिपल आर.डी.एस. फेस-2 में प्रस्तावित किया गया है, एक हम आपके यहां 132 के.व्ही. का अलीराजपुर जिले में सबस्टेशन भी लगा रहे हैं.
श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्यक्ष महोदय, लेकिन थोड़ा किसानों को ध्यान में रखते हुए इस काम को थोड़ा गंभीरता से लें तो ज्यादा अच्छा होगा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से माननीय सदस्या को बता दिया है और कोई भी शिकायत होगी तो हम उसको सुनेंगे. हमारा विभाग किसानों के हित में और हमारी सरकार पूरी तरह से सुनेगी, संवेदनशील है, यह विश्वास हम आपको दिलाते हैं.
श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्यक्ष महोदय, कहा तो यही जाता है लेकिन वास्तविकता तो यह है कि किसान आज भी हमारे यहां परेशान है.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें.
श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
टोल रोड में अवैध वसूली की जानकारी
[लोक निर्माण]
9. ( *क्र. 1467 ) श्री पंकज उपाध्याय : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिसम्बर 2023 तक सारी टोल रोड पर प्रारंभ से अभी तक कितनी टोल राशि वसूल चुके हैं तथा उनकी परियोजना लागत कितनी थी तथा ओ.एम.टी रोड पर दिसम्बर 2023 तक कितनी राशि वसूल चुके हैं? (ख) क्या इंडियन टोल एक्ट 1851 के अनुसार टोल अवधि 15 वर्ष से अधिक नहीं हो सकती? प्राकृतिक संसाधन अधिकार नहीं है। टोल का उपयोग किसी को अनावश्यक लाभ पहुंचाने के लिये नहीं किया जा सकता है। (ग) क्या प्रदेश की ट्रांसपोर्ट कास्ट 17.5 प्रतिशत है तथा 2025 तक लक्ष्य 7.5 प्रतिशत है? यदि हाँ, तो बताएं कि अनावश्यक टोल वसूली से प्रदेश में ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ने से महंगाई नहीं बढ़ेगी? (घ) टोल तथा ओ.एम.टी. रोड पर वर्ष 2020 से 2023 तक हुई सड़क दुर्घटना, मृत्यु तथा घायल की संख्या की जानकारी रोड अनुसार देवें तथा बतावें कि क्या गलत डी.पी.आर. तथा शासन स्तर पर तकनीकी खामी से टोल सड़कों पर ज्यादा दुर्घटना हो रही है? इसे कम करने के लिये किये गये प्रयासों की जानकारी देवें। (ड.) बतावें कि रतलाम से इन्दौर, भोपाल से इन्दौर, भोपाल से जबलपुर, भोपाल से रीवा आने और जाने में किस-किस केटेगरी के वाहन को कितना-कितना टोल दिनांक 01 जनवरी, 2024 की स्थिति में देना होगा? टेबल में जानकारी देवें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) :
श्री पंकज उपाध्याय -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रथम बार का विधायक हूं आपका संरक्षण चाहता हूं. एक व्यापक प्रश्न पूछा था, यह पूरे प्रदेश से संबंधित प्रश्न था, टोल टैक्स से संबंधित प्रश्न था, जिसमें मेरा प्रश्न यह था कि यह जो टोल टैक्स चल रहे हैं, इसमें कितनी राशि अभी तक वसूल चुके हैं, कितने समय तक के लिये टोल टैक्स दिये गये थे ? इसका मुझे जो उत्तर प्राप्त हुआ है, केवल तीन टोल टैक्स के बारे में मैंने अध्ययन किया तो, बड़ा व्यापक विस्तार रूप से समझ में आया कि कितना बड़ा है यह कि सरकार जनता के लिये है कि ठेकेदारों के लिये है. भोपाल, सीहोर, देवास टोल के बारे में मुझे जानकारी मिली की मात्र 426 करोड़ का टोल हुआ करता था और 1342 करोड़ रूपये अभी तक वसूल किये गये हैं जो लगभग सवा तीन गुना होते हैं. ऐसे ही लेबर जाबरा का जो टोल है वह भी अपनी लागत से सवा तीन गुना वह भी वसूली कर चुका है और जाबरा नया गांव का जो टोल है वह अपनी 425 करोड़ रूपये की लागत थी और अद्भुत रूप से 2069 करोड़ रूपये वसूल कर चुका है. अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि सरकार जनता के लिये है, एक तरफ हम कहते हैं कि हम लागत घटायेंगे, महंगाई को कम करेंगे और इससे यह प्रतीत होता है कि महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है और इतने होने के बावजूद भी हर वर्ष 10 प्रतिशत, 15 प्रतिशत राशि बढ़ोत्तरी की जा रही है तो यह किस तरह से की जा रही है, क्यों की जा रही है, समझ में नहीं आ रहा.
अध्यक्ष महोदय-- पंकज जी प्रश्न आ गया है. माननीय मंत्री जी.
श्री राकेश सिंह-- माननीय सदस्य ने बहुत विस्तृत प्रश्न पूछा था और जितना विस्तृत प्रश्न पूछा था उतना ही विस्तृत उत्तर उनको दिया भी गया है, लेकिन जहां तक उन्होंने बात टोल टेक्स की की है, माननीय अध्यक्ष जी सदन इस बात को जानता है कि किसी समय में इंफ्रास्ट्रक्चर का मतलब सिर्फ सड़क होता था, लेकिन आज सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर का पहला आधार है. पहले इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिये तो सड़क बन गई तो इंफ्रास्ट्रक्चर हो गया यह मान लिया जाता था. आज सड़क अच्छी बनने के बाद बाकी बहुत सारी चीजों की शुरूआत होती है, सामाजिक, औद्योगिक, भौगोलिक सभी जगह प्रगति चाहिये तो सड़क उसका आधार होती है और फिर वह सारी चीजें उसके साथ जुड़ती हैं, जो उन्होंने कहा है अगर कोई अनुबंध वर्ष 2005 में हुआ और 15 साल के लिये हुआ और उस समय उसकी लागत 300 करोड़ रूपये थी, अलग-अलग पीपीपी मोड पर अलग-अलग मॉडल हैं अनुबंध के, उनकी विस्तार से जानकारी देने में समय लगेगा, अध्यक्ष जी समय देंगे तो विस्तार से भी जानकारी दे सकता हूं, लेकिन उसके हर मॉडल के आधार पर उसका अनुबंध होता है और उस अनुबंध के आधार पर कुछ टोल जो है वह ग्रांट पर होते हैं, कुछ प्रीमियम पर होते हैं और उसके आधार पर उसके पैसे की वापसी होती है. मान लीजिये कोई टोल 300 करोड़ रूपये में बना, अब 15 साल तक ठेकेदार को उसका मेंटेनेन्स भी करना है, उसका रखरखाव भी करना है, उसको चलने लायक हमेशा बनाकर भी रखना है और उसके साथ जब वह सड़क बनना शुरू होती है, अलग-अलग अनुबंध के आधार पर अगर बैंक से लोन लिया गया है चाहे वह विभाग के द्वारा हो या ठेकेदार के द्वारा, ऐसा उसमें आमतौर पर ठेकेदार के द्वारा ही लिया जाता है, उस पर लगने वाला ब्याज भी....
श्री पंकज उपाध्याय-- माननीय मंत्री जी आप थोड़ी गलत जानकारी दे रहे हैं....
अध्यक्ष महोदय-- पंकज जी, पहले मंत्री जी का पूरा उत्तर आने दीजिये फिर आपको एक प्रश्न करने की और अनुमति मिलेगी.
श्री राकेश सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, सदस्य केवल लागत पर रूके हुये हैं, विभाग परियोजना मानकर चलता है और अगर वह पूरे 15 साल और 20 साल और 25 साल के लिये है तो वह पूरी परियोजना है और उसके आधार पर ऐसा नहीं होता है कि 300 करोड़ रूपये का कोई काम है और विभाग ने या सरकार ने कह दिया कि आप 2 हजार करोड़ रूपये की वसूली कर लो. उसकी बाकायदा फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनती है, उसके आधार पर यह तय होता है कि कितना टोल वह वसूलेंगे, उसके आधार पर निविदायें बुलाई जाती हैं और जब निविदायें बुलाई जाती हैं तो उसमें वह ग्रांट होगा या प्रीमियम होगा, प्रीमियम मतलब जो ठेकेदार सरकार को देगा, ग्रांट वह जो सरकार ठेकेदार को देगी, ठेकेदार वह शर्त डालकर उसमें अपनी निविदा को पूरा करते हैं फिर उसके सालों का तय होता है कि कितने सालों में इस राशि का भुगतान होगा और इसीलिये वह जो कह रहे हैं उसमें देखने में जरूर लगता है कि यह राशि 300 करोड़ रूपये थी जो बढ़कर 1500 करोड़ रूपये तक वसूली जा चुकी है, लेकिन अगर उसकी लागत, बैंक का इंट्रेस्ट, उस पर लगने वाला कम्पाउंड इंट्रेस्ट वह सारा का सारा देखा जाये जिसका भुगतान उस ठेकेदार को ही होता है तो वह राशि उसके आसपास की ही आती है, इसलिये या तो अवैध वसूली या जबरन वसूली जैसी इसमें कहीं कोई स्थिति नहीं है. माननीय सदस्य अगर चाहेंगे तो शायद यहां तो इतना विस्तार से समझाना संभव नहीं होगा, अगर वह चाहेंगे तो उनको बैठकर मैं स्वयं भी समझा दूंगा या अधिकारी बैठकर उनको पूरी जानकारी दे देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- श्री पंकज उपाध्याय जी, दूसरा पूरक प्रश्न पूछें.
श्री पंकज उपाध्याय -- माननीय अध्यक्ष जी, इसी में मैंने एक प्रश्न पूछा था कि ये जो टोल टैक्स की वसूली हो रही है, इसमें वाहन चालकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर टोल संचालक की जवाबदारी है कि नहीं है और है तो इन्होंने जो उत्तर दिया है, जिसमें 1500 करोड़ रुपये ज्यादा वसूल चुके हैं, उसमें 444 लोगों की मृत्यु हुई है. ऐसे ही लेबड़ जावरा में 323 लोगों की मृत्यु हुई है. मेरे पास मात्र 3 सालों का आंकड़ा है. माननीय अध्यक्ष जी, इन ठेकेदारों पर क्या कार्यवाही की गई, क्या पैनल्टी लगाई गई और क्या इन सड़कों पर आईआरसी एसपी 044 का पालन किया जा रहा है और अगर किया जा रहा है तो इन तीन सालों में जो मुझे आपने उत्तर दिया है कि 7 हजार लोगों की मृत्यु हुई है तो किसी एक ठेकेदार पर भी आपने कोई जवाबदारी तय करके क्या कोई कार्यवाही की है और जो मैंने पूछा आपको कि आईआरसी एसपी 044 का प्रावधान आपने कहीं भी एक जगह एप्लाई किया है क्या ?
अध्यक्ष महोदय -- पंकज जी, आपकी बात आ गई. मंत्री जी, कुछ कहना चाहेंगे.
श्री राकेश सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, वैसे तो उत्तर में बहुत सारी बातों का समावेश है. सरकार, केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार, और वैसे कोई भी सरकार हो, कोई भी सरकार यह कभी नहीं चाहती कि दुर्घटनाएं हों, और इसीलिए सड़कों का निर्माण इस तरह से किया जाता है कि उनमें कम से कम दुर्घटनाएं हों. लेकिन अच्छी सड़कों के कारण वाहनों की गति भी बढ़ती है और उसके कारण बहुत बार दुर्घटनाओं की स्थिति बनी रहती है, लेकिन कोई भी दुर्घटना होने पर घायल को या जो लोग भी उसमें प्रभावित हुए हैं, उनको तत्काल सहायता मिले, इसी के लिए एम्बुलेंस से लेकर सारे प्रावधान भी अलग-अलग किए गए हैं और अलग-अलग योजनाओं के साथ अलग-अलग तरह के प्रावधान हैं. अब मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने भी निर्णय कर लिया है कि अब 108 वाहनों के साथ उसको हम संबद्ध करने जा रहे हैं. 1099 एक टोल फ्री नंबर भी है, उस पर फोन करने पर सीधे तौर पर अगर कोई भी दुर्घटना हुई है, उस नंबर पर फोन करेंगे, उसका मुख्यालय भोपाल में मध्यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन के मुख्यालय में ही कॉल सेंटर बनाया गया है, और वहां से संचालित होता है और तत्काल उसको राहत पहुँचे, सहायता मिले, यह प्रयास भी अब किए जा रहे हैं. जहां तक जो मृत्यु हुई है, मृत्यु का सीधे तौर पर किसी भी ठेकेदार से कोई लेना-देना नहीं होता. उस सड़क का मेंटेनेंस वे बना रहे हैं, वहां गड्ढे न हों, वहां कोई ऐसी स्थिति न बने, जिसके कारण दुर्घटनाएं हों, इसकी जिम्मेदारी जरूर ठेकेदार की होती है.
अध्यक्ष महोदय -- श्री दिनेश गुर्जर जी.
श्री पंकज उपाध्याय -- आदरणीय अध्यक्ष जी...
अध्यक्ष महोदय -- पंकज जी, आपका पूरा हो गया.
श्री पंकज उपाध्याय -- आदरणीय अध्यक्ष जी, बड़ा व्यापक प्रश्न है. लोगों की सुरक्षा से है. रोज एक्सीडेंट हो रहे हैं, लोग खतम हो रहे हैं. मेरा केवल इतना आपसे निवेदन है कि ये जो इतनी मृत्यु हो रही हैं, इन्होंने ठेकेदारों की वकालत तो दुनिया भर की कर ली, लेकिन ये नहीं बताया कि ठेकेदारों की जवाबदारी क्या है ?
श्री दिनेश गुर्जर -- माननीय मंत्री जी, जब किसी भी ठेके की निविदा निकाली जाती है तो उसमें सारा खर्चा जोड़कर, लागत जोड़कर उसके बाद टेंडर निकाले जाते हैं. टोल टैक्स की जो आपने प्रक्रिया बताई है, उसके अंतर्गत पूरी आमदनी निकालने के बाद किया जाता है और उसके बाद अगर उसकी राशि पूरी हो जाती है, उसके बाद टोल टैक्स की समयावधि खत्म होने के बाद उसे हटा लिया जाता है. पर कई जगह बढ़ा दिए गए हैं. दूसरी बात, मेरे मुरैना टोल प्लाजा की हालत यह है कि सुआपुरा की रोड से भी टोल टैक्स वसूला जा रहा है, जो गरीब किसान, मजदूर उधर से निकलता है, उसके लिए कोई बूथ नहीं है, बैरियर और बैरिकेड लगाकर वहां बूथकर्मी बिठा दिए गए हैं, वहां डकैती कर रहे हैं. अगर आपको भरोसा नहीं है तो आप अभी किसी भी कर्मचारी को भेजें, मैं भी अपने परिवार के सदस्यों को भेजता हूँ, वहां वीडियोग्राफी करा लें, अभी आपको पता लग जाएगा कि टोल टैक्स बूथ के बगल से भी एक सड़क पर जो कि आम जनता के लिए रास्ता है, उस पर भी टोल टैक्स की वसूली की जा रही है. दूसरा, आए दिन वहां पर मुरैना टोल प्लाजा पर जाम लगता है..
अध्यक्ष महोदय -- दिनेश जी, आपका प्रश्न आ गया, माननीय मंत्री जी.
श्री राकेश सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, उनकी जो मूल चिंता थी, वह जो टोल नाका है, वह नगर निगम सीमा के भीतर है. जिस समय पर वह टोल नाका स्थापित हुआ, उस समय वह नगर निगम सीमा के भीतर नहीं था. बाद में वह नगर निगम सीमा के भीतर आ गया तो स्वाभाविक है कि वहां पर यातायात का दबाव भी बढ़ गया. उसके कारण कुछ कठिनाइयां निश्चित रूप से होती ही होंगी. एनएचएआई के द्वारा वह स्थापित किया गया है और एनएचएआई ने उसके बारे में उसकी एक फिजिबिलिटी रिपोर्ट मंगवाई है, और वह रिपोर्ट आने के बाद में एनएचएआई उसके बारे में निर्णय करेगा और जो निर्णय आएगा, उससे माननीय सदस्य को हम अवगत कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में कार्य पूर्ण होने के पश्चात् शून्यकाल की सूचनाएं ली जाएंगी.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा आपसे अनुरोध है कि जो यह शून्यकाल की व्यवस्था है, इसको प्रश्नकाल के बाद ही रहने दें, मेरा ऐसा आपसे अनुरोध है क्योंकि यह आखिरी में आता है, तब तक न कोई सदस्य रहता है और न सरकार की तरफ से कोई रहता है, इसके जवाब नहीं आते.
अध्यक्ष महोदय - अभी नये माननीय सदस्य ज्यादा थे, इसलिए मेरी कोशिश यह थी कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को बोलने का मौका मिल जाये. अगर आप सबकी इच्छा रहेगी तो अगली बार से जैसा चलता है, वैसा चलता रहेगा.
श्री उमंग सिंघार - जी. आप लोग सहमति कर लें. मेरा संसदीय कार्यमंत्री से निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय - आप और संसदीय कार्य मंत्री जी बात कर लें.
श्री उमंग सिंघार - जी, धन्यवाद.
12.01 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
(1) बेरोजगार युवाओं को नौकरी न मिलना
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से, सरकार से अनुरोध है कि प्रदेश के अन्दर युवा बेरोजगार हो रहे हैं, उनको नौकरियां नहीं मिल रही हैं ? सरकार जितनी परीक्षाओं के रिजल्ट हैं, तो कब तक उनके रिजल्ट आएंगे ? युवा धरने में बैठने के लिए मजबूर हैं. इस पर सरकार का वक्तव्य आना चाहिए, ताकि युवाओं को नौकरी मिल सके. यह हम चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय - (विपक्ष से कुछ सदस्यगण के खड़े होने पर) कृपया आप लोग बैठें. आगे अभी ध्यानाकर्षण भी हैं. (बिना माइक के एक माननीय सदस्य के बोलने पर) अन्त में शून्यकाल लिया जायेगा.
(2) विद्यालयों में पुस्तकों का आवंटन न होना
श्री फुन्देलाल मार्को - अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि विद्यालयों में पाठ्यपुस्तक नहीं बंटी है. यह मैं हाथ में रखा हुआ हूँ (एक पर्चा दिखाते हुए), इसमें बारकोड है. सरकार इसकी जांच कराए और दोषियों पर कार्यवाही करे. मेरा यह अनुरोध है.
12.02 बजे
पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) वाणिज्यिक कर विभाग की निम्नलिखित अधिसूचनाएं :-
1. क्रमांक एफ ए-3-42-2017-1-पांच-(22), दिनांक 27 जुलाई, 2023,
2. क्रमांक एफ ए 3-32/2017/1/पांच(23), दिनांक 27 जुलाई, 2023,
3. क्रमांक एफ ए 3-47-2017-1-पांच (24), दिनांक 27 जुलाई, 2023,
4. क्रमांक एफ ए 3-33/2017/1/पांच (25), दिनांक 27 जुलाई, 2023,
5. क्रमांक एफ ए-3-04/2019/1-पांच (26), दिनांक 27 जुलाई, 2023,
6. क्रमांक सीटी-8-0004-2023एसइसी-1-पांच (सीटी)(27), दिनांक 31 जुलाई, 2023,
7. क्रमांक एफ ए 3-93-2017-1-पांच (28), दिनांक 31 जुलाई, 2023,
8. क्रमांक सीटी-8-0001-2023-एसइसी-1-पांच(सीटी)(29),दिनांक 31 जुलाई, 2023,
9. क्रमांक सीटी-8-0002-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(30),दिनांक 31 जुलाई, 2023,
10. क्रमांक सीटी-8-0003-2023एसइसी-1-पांच (सीटी)(31),दिनांक 31 जुलाई, 2023,
11. क्रमांक सीटी-3-0001-2023-एसइसी-1-पांच-(सीटी)(19),दिनांक 18 अगस्त, 2023,
12. क्रमांक सीटी-3-0002-2023-एसइसी-1-पांच-(सीटी)(21),दिनांक 18 अगस्त, 2023,
13. क्रमांक सीटी-8-0007-2023-एसइसी-1-पांच-(सीटी)(32),दिनांक 18 अगस्त, 2023,
14. क्रमांक सीटी/8/0008/2023-एसइसी-1-05-(सीटी)(33),दिनांक 18 अगस्त, 2023,
15. क्रमांक सीटी/4/2/0001/2023-एसइसी-1-05-(सीटी)(38),दिनांक 29 अगस्त, 2023,
16. क्रमांक सीटी/8/0009/2023-एसइसी-1-05-(सीटी)(34),दिनांक 1 सितम्बर, 2023,
17. क्रमांक सीटी-8-0010-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(35),दिनांक 1 सितम्बर, 2023,
18. क्रमांक सीटी-8-0011-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(36),दिनांक 1 सितम्बर, 2023,
19. क्रमांक सीटी-8-0012-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(37),दिनांक 1 सितम्बर, 2023,
20. क्रमांक सीटी-8-0013-2023-एसइसी-1-पांच(सीटी)(39),दिनांक 6 सितम्बर, 2023,
21. क्रमांक सीटी/8/0014/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(40),दिनांक 6 सितम्बर, 2023,
22. क्रमांक सीटी/8/0016/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(41),दिनांक 20 सितम्बर, 2023,
23. क्रमांक एफ ए 3-02/2017/1/पांच (42), दिनांक 27 सितम्बर, 2023,
24. क्रमांक सीटी-8-0017-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(43),दिनांक 6 अक्टूबर, 2023,
25. क्रमांक सीटी-8-0018-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(44),दिनांक 6 अक्टूबर, 2023,
26. क्रमांक एफ ए-3-68-2017-1-पांच (45), दिनांक 06 अक्टूबर, 2023,
27. क्रमांक सीटी/8/0020/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(46),दिनांक 6 अक्टूबर, 2023,
28. क्रमांक एफ ए-3-33-2017/1/पांच (47), दिनांक 06 अक्टूबर, 2023,
29. क्रमांक एफ ए 3-32/2017/1/पांच(48), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
30. क्रमांक एफ ए-3-42/2017/1/पांच/(49), दिनांक 04 दिसमबर, 2023,
31. क्रमांक एफ ए-3-47/2017/1/पांच/(50), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
32. क्रमांक एफ ए-3-30/2017/1/पांच(51), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
33. क्रमांक एफ ए-3-43/2017/1/पांच(52), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
34. क्रमांक एफ ए-3-33/2017/1/पांच (53), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
35. क्रमांक एफ ए 3-35/2017/1/पांच (54), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
36. क्रमांक एफ ए-3-37/2017/1/पांच (55), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
37. क्रमांक एफ ए 3-36/2017/1/पांच (56), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
38. क्रमांक सीटी/8/0022/2023/एसइसी-1-05(सीटी)(57),दिनांक 8 दिसम्बर, 2023,
39. क्रमांक सीटी/8/2021/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(58),दिनांक 15 दिसंबर, 2023, एवं
40. क्रमांक सीटी-4-0002-2022-एसइसी-1-पांच(सीटी)(59),दिनांक 29 दिसंबर, 2023
उप मुख्यमंत्री, वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा)- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 166, मध्यप्रदेश वेट अधिनियम, 2002 की धारा 70-क की उपधारा (2), हाई स्पीड डीजल उपकर अधिनियम, 2018 की धारा 15 की उपधारा (3), एवं मोटर स्पिरिट उपकर अधिनियम, 2018 की धारा 15 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार वाणिज्यिक कर विभाग की निम्नलिखित अधिसूचनाएं पटल पर रखता हूँ :-
1. क्रमांक एफ ए-3-42-2017-1-पांच-(22), दिनांक 27 जुलाई, 2023,
2. क्रमांक एफ ए 3-32/2017/1/पांच(23), दिनांक 27 जुलाई, 2023,
3. क्रमांक एफ ए 3-47-2017-1-पांच (24), दिनांक 27 जुलाई, 2023,
4. क्रमांक एफ ए 3-33/2017/1/पांच (25), दिनांक 27 जुलाई, 2023,
5. क्रमांक एफ ए-3-04/2019/1-पांच (26), दिनांक 27 जुलाई, 2023,
6. क्रमांक सीटी-8-0004-2023एसइसी-1-पांच (सीटी)(27), दिनांक 31 जुलाई, 2023,
7. क्रमांक एफ ए 3-93-2017-1-पांच (28), दिनांक 31 जुलाई, 2023,
8. क्रमांक सीटी-8-0001-2023-एसइसी-1-पांच(सीटी)(29),दिनांक 31 जुलाई, 2023,
9. क्रमांक सीटी-8-0002-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(30),दिनांक 31 जुलाई, 2023,
10. क्रमांक सीटी-8-0003-2023एसइसी-1-पांच (सीटी)(31),दिनांक 31 जुलाई, 2023,
11. क्रमांक सीटी-3-0001-2023-एसइसी-1-पांच-(सीटी)(19),दिनांक 18 अगस्त, 2023,
12. क्रमांक सीटी-3-0002-2023-एसइसी-1-पांच-(सीटी)(21),दिनांक 18 अगस्त, 2023,
13. क्रमांक सीटी-8-0007-2023-एसइसी-1-पांच-(सीटी)(32),दिनांक 18 अगस्त, 2023,
14. क्रमांक सीटी/8/0008/2023-एसइसी-1-05-(सीटी)(33),दिनांक 18 अगस्त, 2023,
15. क्रमांक सीटी/4/2/0001/2023-एसइसी-1-05-(सीटी)(38),दिनांक 29 अगस्त, 2023,
16. क्रमांक सीटी/8/0009/2023-एसइसी-1-05-(सीटी)(34),दिनांक 1 सितम्बर, 2023,
17. क्रमांक सीटी-8-0010-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(35),दिनांक 1 सितम्बर, 2023,
18. क्रमांक सीटी-8-0011-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(36),दिनांक 1 सितम्बर, 2023,
19. क्रमांक सीटी-8-0012-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(37),दिनांक 1 सितम्बर, 2023,
20. क्रमांक सीटी-8-0013-2023-एसइसी-1-पांच(सीटी)(39),दिनांक 6 सितम्बर, 2023,
21. क्रमांक सीटी/8/0014/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(40),दिनांक 6 सितम्बर, 2023,
22. क्रमांक सीटी/8/0016/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(41),दिनांक 20 सितम्बर, 2023,
23. क्रमांक एफ ए 3-02/2017/1/पांच (42), दिनांक 27 सितम्बर, 2023,
24. क्रमांक सीटी-8-0017-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(43),दिनांक 6 अक्टूबर, 2023,
25. क्रमांक सीटी-8-0018-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(44),दिनांक 6 अक्टूबर, 2023,
26. क्रमांक एफ ए-3-68-2017-1-पांच (45), दिनांक 06 अक्टूबर, 2023,
27. क्रमांक सीटी/8/0020/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(46),दिनांक 6 अक्टूबर, 2023,
28. क्रमांक एफ ए-3-33-2017/1/पांच (47), दिनांक 06 अक्टूबर, 2023,
29. क्रमांक एफ ए 3-32/2017/1/पांच(48), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
30. क्रमांक एफ ए-3-42/2017/1/पांच/(49), दिनांक 04 दिसमबर, 2023,
31. क्रमांक एफ ए-3-47/2017/1/पांच/(50), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
32. क्रमांक एफ ए-3-30/2017/1/पांच(51), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
33. क्रमांक एफ ए-3-43/2017/1/पांच(52), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
34. क्रमांक एफ ए-3-33/2017/1/पांच (53), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
35. क्रमांक एफ ए 3-35/2017/1/पांच (54), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
36. क्रमांक एफ ए-3-37/2017/1/पांच (55), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
37. क्रमांक एफ ए 3-36/2017/1/पांच (56), दिनांक 04 दिसम्बर, 2023,
38. क्रमांक सीटी/8/0022/2023/एसइसी-1-05(सीटी)(57),दिनांक 8 दिसम्बर, 2023,
39. क्रमांक सीटी/8/2021/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(58),दिनांक 15 दिसंबर, 2023, एवं
40. क्रमांक सीटी-4-0002-2022-एसइसी-1-पांच(सीटी)(59),दिनांक 29 दिसंबर, 2023
(2) मध्यप्रदेश परिवहन विभाग की निम्नलिखित अधिसूचनाएं :-
(1) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-05/2022/आठ, दिनांक 28.12.2022,
(2) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-09/2019/आठ, दिनांक 27.12.2022,
(3) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-02/2019/आठ, दिनांक 22.12.2022,
(4) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-07/2022/आठ, दिनांक 25.01.2023,
(5) अधिसूचना क्रमांक 3-3-4-001-2022-एसइसी-1-आठ, दिनांक 25.01.2023,
(6) अधिसूचना क्रमांक 972-1065774-2023-आठ, दिनांक 22.02.2023,
(7) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-71/2021/आठ, दिनांक 06.03.2023,
(8) अधिसूचना क्रमांक 2078/1145217/2023/आठ, दिनांक 07.03.2023,
(9) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-71/2021/आठ, दिनांक 08.05.2023,
(10) अधिसूचना क्रमांक 3004/949664/2022/आठ, दिनांक 14.06.2023,
(11)अधिसूचना क्रमांक 4081/1353603/2023/आठ,दिनांक 27.06.2023,एवं
(12) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-17/2022/आठ, दिनांक 05.10.2023
परिवहन मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह) - अध्यक्ष महोदय, मैं, म.प्र. मोटर यान कराधान अधिनियम, 1991 की धारा 212 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश परिवहन विभाग की निम्नलिखित अधिसूचनाएं पटल पर रखता हूँ :-
(1) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-05/2022/आठ, दिनांक 28.12.2022,
(2) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-09/2019/आठ, दिनांक 27.12.2022,
(3) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-02/2019/आठ, दिनांक 22.12.2022,
(4) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-07/2022/आठ, दिनांक 25.01.2023,
(5) अधिसूचना क्रमांक 3-3-4-001-2022-एसइसी-1-आठ, दिनांक 25.01.2023,
(6) अधिसूचना क्रमांक 972-1065774-2023-आठ, दिनांक 22.02.2023,
(7) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-71/2021/आठ, दिनांक 06.03.2023,
(8) अधिसूचना क्रमांक 2078/1145217/2023/आठ, दिनांक 07.03.2023,
(9) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-71/2021/आठ, दिनांक 08.05.2023,
(10) अधिसूचना क्रमांक 3004/949664/2022/आठ, दिनांक 14.06.2023,
(11)अधिसूचना क्रमांक 4081/1353603/2023/आठ,दिनांक 27.06.2023,एवं
(12) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-17/2022/आठ, दिनांक 05.10.2023
(3) राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2020-2021
(4) मध्यप्रदेश प्रतिकरात्मक वन रोपण विधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021
(5) मध्यप्रदेश विद्युक नियामक आयोग की अधिसूचना क्रमांक 1846-मप्रविनिआ-2023, दिनांक 17 अगस्त, 2023
(6) (क) (i) राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छिन्दवाड़ा (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023
(ii) अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा (म.प्र.) का 55 वां वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023, एवं
(iii) महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, छतरपुर (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 (1 जुलाई 2022 से 30 जून 2023)
(ख) मध्यप्रदेश भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023
(7) मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम मर्यादित का 40वां वार्षिक
प्रतिवेदन वर्ष 2017-18
(8) संत रविदास म.प्र.हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम लिमिटेड,भोपाल
का 39वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा 31 मार्च,2020 को समाप्त वर्ष के लिए
(9) नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय,जबलपुर(म.प्र.) के वार्षिक लेखे वर्ष 2021-2022 एवं 2022-2023
(10) (क) मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड(मॉयल) की 61 वीं वार्षिक रिपोर्ट
वर्ष,2022-2023
(ख) जिला खनिज प्रतिष्ठान,जिला सिंगरौली,दमोह एवं नीमच के वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2022-2023
(ग) दि मध्यप्रदेश स्टेट माईनिंग कार्पोरेशन लिमिटेड,भोपाल का 59वां वार्षिक
प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2021-2022.
12.08 बजे ध्यान आकर्षण
(1) सतना जिले के चित्रकूट क्षेत्र में बाणसागर नहर सिंचाई योजना का लाभ
कृषकों को न मिलना
श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार(चित्रकूट) - (अनुपस्थित)
12.10 बजे
(1) रीवा जिले सहित पंचायत जनप्रतिनिधियों के मानदेय न बढ़ाया जाना
श्री अभय कुमार मिश्रा (सेमरिया)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना में पंचायती राज के प्रतिनिधियों के मानदेय में 20 गुना लिखा है लेकिन जबकि वास्तविकता यह है कि 30 गुना से भी ज्यादा की वृद्धि की गई है. पंचायती राज एक्ट 1994 की यह किताब है, जिसमें जो वर्णित है.
अध्यक्ष महोदय- अभय जी, पहले आप अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पूरी पढ़ लीजिये. फिर मंत्री जी का जवाब आने दीजिये, उसके बाद आप पूरक प्रश्न कर सकेंगे. आपने पहले ही भाषण शुरू कर दिया.
श्री अभय कुमार मिश्रा- जी, माननीय अध्यक्ष महोदय,
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटैल)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री अभय कुमार मिश्रा- माननीय अध्यक्ष महोदय, समानुपातिक रूप से मंत्री जी ने कहा लेकिन एक्ट में 100 रुपये है और 1800 रुपये वार्षिक है.
अध्यक्ष महोदय- इसका फैसला करना बहुत कठिन है, सदस्य कह रहे हैं कि रोष व्याप्त हैं लेकिन मंत्री जी कह रहे हैं कि कहीं कोई रोष व्याप्त नहीं है.
श्री अभय कुमार मिश्रा- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां एक तरफ 30 गुना वृद्धि की गई है वहां दूसरी तरफ 150 रुपये करना ठीक नहीं है. दूसरा मेरा यह कहना है कि सरकार अपने वायदे के प्रति संजीदा नहीं है अथवा आप जानकारी के अभाव में गलत जानकारी दे रहे हैं. मेरे पास यह दिनांक 25.07.2023 का पत्र है, जिसमें संचालक महोदय डॉ.केदार सिंह जी के हस्ताक्षर हैं. यह पत्र माननीय तत्कालीन मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुरूप निकला था. इसमें अध्यक्ष का वेतन 65 हजार है और आप यहां 35 हजार का उल्लेख कर रहे हैं. इसी तरह से और भी चीज़ें हैं. आपने गलत जानकारी सदन में प्रस्तुत की है.
अध्यक्ष महोदय- अभय जी, आप प्रश्न करें. आप जो बता रहें हैं वह तो आपके जवाब में लिखा ही हुआ है.
श्री अभय कुमार मिश्रा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी मांग है कि माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी ने चुनाव के पूर्व जो मानदेय घोषित किया था और पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों से बहुत वोट लिये और उन जनप्रतिनिधियों ने उनको बहुत समर्थन दिया था लेकिन उन्हें मिला कुछ नहीं. इसलिए आपने जो घोषणा की गई थी, उसके अनुरूप उन्हें मानदेय दिया जाये.
पंचायती राज में 50 प्रतिशत SC, ST, OBC का आरक्षण है, जो कमजोर एवं विकास से वंचित हैं, इनमें 50 प्रतिशत महिलाओं को भी आरक्षण है.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- अध्यक्ष महोदय, यह भाषण हो रहा है. मेरा निवेदन है कि कृपया सदस्य प्रश्न पूछें. आज कार्यसूची काफी लंबी है.
श्री अभय कुमार मिश्रा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, भाषण नहीं दे रहा हूं, मेरा यह बताना आवश्यक है.
अध्यक्ष महोदय- अभय जी, आप प्रश्न करें.
श्री अभय कुमार मिश्रा- माननीय अध्यक्ष महोदय, धारा 129 (5) में रोस्टर आरक्षण की व्यवस्था है. मेरा यह कहना है कि पंचों को मानदेय के रूप में आज दिनांक तक किसी भी प्रकार कर राशि नहीं दी गई है.
अध्यक्ष महोदय- आपका प्रश्न क्या है ?
श्री अभय कुमार मिश्रा--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि अन्य त्रिस्तरीय प्रतिनिधि जिला जनपद एवं सरपंचो को मानदेय दिया गया है किंतु पंचों को कोई भी मानदेय आज दिनांक तक दिया ही नहीं गया है.
अध्यक्ष महोदय-- अब आप बैठ जाइए और मंत्री जी से जवाब सुन लीजिए. आप एक प्रश्न का जवाब तो आ जाने दीजिए उसके बाद आप एक और पूरक प्रश्न कर लेना.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि माननीय सदस्य बहुत ही वरिष्ठ सदस्य हैं. वे पुस्तक लेकर आ रहे हैं, सर्क्यूलर है यह सर्क्यूलर पब्लिक सर्क्यूलर है जिसकी वह बात कर रहे हैं. उनको अगर हिन्दी में दिक्कत है तो वह अंग्रेजी में ले लें. इसमें लिखा है वृद्धि पश्चात् वाहन भत्ता 65 हजार रुपए है. वेतन तो 35 हजार रुपए ही है. गलत जानकारी सदन में आप दे रहे हो और सरकार को दोषी ठहरा रहे हो. मुझे लगता है कि तथ्यात्मक बातें करनी चाहिए.
अध्यक्ष जी, इसमें स्पष्ट लिखा है कि जो वेतन है वह 35 हजार रुपए है. वृद्धि पश्चात वाहन भत्ता 65 हजार रुपए है. वह कोट कर रहे हैं. मुझे लगता है कि यह या तो रिकार्ड से निकलना चाहिए या तो उनको इस बात के लिए मानना चाहिए. दूसरी बात जो वह कर रहे हैं कि किसी पंच को नहीं मिला है तो मैंने इस संबंध में जानकारी ली है और जानकारी केवल कागजों पर ही नहीं है सभी को मानदेय प्राप्त हुआ है. इसलिए मैंने उनको रीवा का भी स्पष्ट तौर पर कहा है.
अध्यक्ष महोदय-- अभय जी आप अपना दूसरा पूरक प्रश्न करें.
श्री अभय कुमार मिश्रा--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने जो अभी कहा है वह सही कहा है. मैं अपने वह शब्द वापस लेता हूं. यह बात सही है कि वाहन भत्ता जोड़कर के था.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- अध्यक्ष जी, पटवा जी एक बात कहते थे कि हिसाब किताब ज्यों का त्यों फिर भी कुनबा डूबा क्यों उसके शिकार हैं महाराज.
श्री अभय कुमार मिश्रा--अध्यक्ष महोदय, हमने भी जो पढ़ा उसे मान लिया.
अध्यक्ष महोदय-- अभय जी आप अपना दूसरा प्रश्न करें.
श्री अभय कुमार मिश्रा--अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि पंचों को साहब सही में नहीं मिला है, आज भी नहीं मिल रहा है. एक दिन की रोजगार गारंटी की मजदूरी होती है कम से कम उनको प्रतिमाह, प्रतिमाह मैं इसलिए कह रहा हूं, प्रति बैठक इसलिए नहीं कह रहा हूं क्योंकि आपकी बैठकें कागजों में होती हैं. अगर आप प्रतिमाह अनिवार्य कर देंगे तो प्रतिमाह कम से कम एक बैठक तो होने लगेगी और दूसरी बात सबसे ज्यादा जरूरी यह है कि अध्याय 5 धारा (44) का हम अध्ययन करें तो ग्राम पंचायतों में भी समितियां हैं. इसमें तीन समितियां सामान्य प्रशासन, निर्माण एवं शिक्षा, जो भी निर्माण कार्य होते हैं वह निर्माण कार्य निर्माण समिति के माध्यम से होते हैं. आज तक कागज में सिर्फ कागजी खानापूर्ति हो जाती है. अगर इसकी जांच कराना हो तो मैंने जिला पंचायत सीईओ को एक पत्र लिखा है. पत्र क्रमांक 176 दिनांक 12 फरवरी 2024 इसकी आप जांच करा लें. इसमें ज्यादा नहीं 25, 30 ग्राम पंचायतों को दिया है. इसकी जांच करा लेंगे तो वस्तुस्थिति आपके सामने आ जाएगी कि आपने दिया है या नहीं दिया है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि जनप्रतिनिधि के रूप में पंच, पंचायत की सबसे छोटी इकाई है. जब सबके भत्ते बढ़ सकते हैं चाहे अधिकारी हों, चाहे कर्मचारी हों, चाहे विधायक हों, सांसद हों, चाहे जिला पंचायत अध्यक्ष हो इतने सालों से माननीय सदस्य ने जो मांग उठाई है तो मेरा आपके माध्यम से आदरणीय मंत्री जी से अनुरोध है कि उस जनप्रतिनिधि जो पंच की एक छोटी सी इकाई है लेकिन महत्वपूर्ण इकाई है, अपने वार्ड में एक प्रभावशाली व्यक्ति तो क्या हमें उन लोगों के लिए नहीं सोचना चाहिए. मेरा अनुरोध है कि इस पर विचार किया जाए.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- अध्यक्ष जी, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से मैं यह अपेक्षा करता था कि वह भी पढ़ लें कि तीन गुना सबकी बढ़ी है चाहे वह पंच हो या जिला पंचायत अध्यक्ष. आप अगर अनुमति दें तो मैं इसे दोहरा देता हूं. जिला पंचायत अध्यक्ष का 11100 रुपए था अब 35000 रुपए है, उपाध्यक्ष का 9500 रुपए था अब 28500 रुपए है. जिला पंचायत सदस्य का 4500 रुपए था अब 13500 रुपए है. तीन गुना है. जनपद अध्यक्ष का 6500 रुपए था अब 19500 रुपए है. उपाध्यक्ष का 4500 रुपए था अब 13500 रुपए है. जनपद सदस्य का पहले 1500 रुपए था अब 4500 रुपए है. सरपंच का पहले 1750 रुपए था अब 4250 रुपए है, ग्राम पंचायत के पंच का 100 रुपए था अब 300 रुपए है. पहले 600 रुपए वार्षिक था मुझे लगता है कि यह पहली चीज तो दिमाग से निकाल देनी चाहिए कि सबका तीन गुना ही बढ़ा है इसमें कोई पक्षपात नहीं हुआ है. दूसरी बात जो माननीय सदस्य कह रहे हैं कि बैठक नहीं होती है तो आप केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे हैं. पांच बार की तो अनिवार्य तौर पर भारत सरकार की ग्राम सभा का प्रावधान है. आप जब कोई वित्त की बात लेकर आते हैं तो आपको बैठक करना अनिवार्य है आप कागज पर करें, लोग आए या न आएं वह अलग बात है परन्तु ऐसी बातें गैर जानकारी के करना, पंचायती राज में कुछ चीजें हैं. इसलिए मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि चूँकि आपके निर्देश हैं और हम लोग खुद जाया करते थे. यह कम्पलसरी है कि 5 ग्राम सभाएं तो भारत सरकार तय करती है इसलिए मुझे लगता है कि एक बार इस पर बिलकुल बहस होनी चाहिए, लेकिन गलत जानकारी मत दीजिए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने कहा है 5 बैठकें होती हैं लेकिन यह बात सच है कि आप भी देखते हैं कि पंच और सरपंचों की किस प्रकार से बैठकें होती हैं. क्या इन 5 बैठकों के लिए सरकार की तरफ से कोई मॉनिटरिंग सिस्टम नहीं होना चाहिए ताकि वहां की आम जनता को पंचायत में अधिकार मिल सके.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल -- अध्यक्ष महोदय, मैंने यह नहीं कहा, मैं तो भारत सरकार की कम्पलसरी बैठकें हैं उसके बारे में कह रहा हूँ और मैं अनिवार्य बैठकों का समर्थक हूँ और मुझे लगता है कि 6 महीने बाद हम इसी सदन में बात करेंगे.
श्री उमंग सिंघार -- धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार.
श्री अभय कुमार मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे सप्लीमेंट्री प्रश्न पूछने के लिए कहा था. मेरा ध्यानाकर्षण पूर्ण नहीं हुआ है.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी आपके दो सप्लीमेंट्री हो गए हैं.
श्री अभय कुमार मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, एक ही हुआ है.
श्री अभय कुमार मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा हूँ कि मंत्री जी जानकारी के अभाव में गलत चीज बोल रहे हैं. ग्राम सभा और ग्राम पंचायत..
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, हम सब मान रहे हैं कि आप जनपद अध्यक्ष रहे हैं आपको ज्यादा जानकारी है.
12.23 बजे
बहिर्गमन
श्री अभय कुमार मिश्रा, सदस्य द्वारा सदन से बहिर्गमन
श्री अभय कुमार मिश्रा (सेमरिया) -- अध्यक्ष महोदय, पंचों के मामले को लेकर मेरी बात नहीं सुनी जा रही है, पंचों के साथ अन्याय हो रहा है इसके विरोध में मैं सदन से बहिर्गमन करता हूँ.
(प्रदेश के पंचायती राज के निर्वाचित पंचों के मानदेय एवं अधिकारों में वृद्धि न किए जाने के विरोध में श्री अभय कुमार मिश्रा, सदस्य द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया)
(2) सतना जिले के चित्रकूट क्षेत्र में बाणसागर नहर सिंचाई योजना का लाभ कृषकों को न मिलना
श्री सुरेन्द्र गहरवार (चित्रकूट) -- अध्यक्ष महोदय,
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) --
श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का यह कहना कि 72 परसेंट सर्वे हो गया है, बिल्कुल असत्य है.
श्री तुलसीराम सिलावट -- सर्वे नहीं काम हो गया है. 72 परसेंट काम हो चुका है. शेष काम समयावधि में पूरा कर लिया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप सप्लीमेंट्री के जवाब में बोलना, माननीय सदस्य को अपनी बात रखने दें.
श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यह असत्य जानकारी है, 10 से 15 प्रतिशत से ज्यादा बिल्कुल नहरों का काम चित्रकूट क्षेत्र में नहीं हुआ है. उसकी जांच करा लें. दूसरा, मेरा एक और विषय है बहस ज्यादा न करके मैं इस काम को सुलझाना चाहता हूं कि चित्रकूट क्षेत्र में बरगी का पानी पहले मैहर जाएगा, फिर अमरपाटन जाएगा, फिर उचेहरा, फिर नागौद, फिर रैगांव, फिर चित्रकूट जाएगा. चित्रकूट पहले से ही टेल में है. अब यदि यह दो बांध नहीं बनते तो चित्रकूट सीमा पर पानी पहुंचने के पहले ही रुक जाएगा, खत्म हो जाएगा. मेरा निवेदन है कि माननीय मंत्री जी बताएं, एक तो 72 प्रतिशत जो नहर का काम होना बताया है वह बिल्कुल असत्य है, उसकी जांच करा लें, ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही करें. दूसरा, लगभग डेढ साल बसानिया और राघौपुर बांध के टेंडर हुए हो गए जिसकी शुरुआत अभी तक नहीं हुई.
अध्यक्ष महोदय -- सुरेन्द्र सिंह जी, आप प्रश्न तो करिये.
श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि एक तो माननीय मंत्री जी यह बता दें कि इन दोनों बांधों को बनाने की शुरुआत कब होगी और और कब तक बन जाएंगे ?
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, मैंने बहुत स्पष्ट कहा है कि वर्ष 2025 में कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा.
श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार -- इसकी जांच करा दी जाए जो 72 प्रतिशत नहरों का काम है ठेकेदार पैसा निकालकर चला गया है, टेंडर की पद्धति में जो काम होना बता रहे हैं. टेंडर की पद्धति का मतलब यह नहीं होता कि वह 10 साल बाद काम करे, जब तक सरकारी औपचारिकताएं पूरी नहीं की जाएंगी, जब तक न तो वन भूमि का, न तो नक्शे का, न तो विस्थापन का कोई काम शुरू नहीं हुआ तो बांध बनना कैसे शुरू हो जाएगा ? इसलिये मेरा निवेदन यह है कि एक तो यह काम करें और दूसरा, समय सीमा बता दें कि कब से बांध में काम चालू हो जाएगा और कब यह पूरा होगा, तभी चित्रकूट क्षेत्र को पानी मिल पाएगा.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय सदस्य ने जो बात कही है वह असत्य है. मैं किसी वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर पूरी योजना की जांच करा लूंगा. हर बिंदु पर जो तथ्य सामने आएंगे वह सम्मानित सदस्य को उपलब्ध करवा दूंगा.
श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कृपा चाहूंगा कि माननीय मंत्री जी यह तो बताएं कि बांध का काम शुरू कब होगा और उसके पूरे होने की समय सीमा क्या है ?
श्री तुलसीराम सिलावट-- अध्यक्ष महोदय, मैं तीन बार बोल चुका हूं कि 2025 में कार्य सम्पूर्ण कर लिया जायेगा.
श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार-- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन) -- अध्यक्ष महोदय, चूंकि यह बरगी तटवर्ती नहर सतना जिले की जीवन रेखा है, यह किसानों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है. यह जब शुरु में इसका डीपीआर बना था, तो उसमें बहुत से इलाके स्लीमनाबाद के बाद जब नहर आगे बढ़ती है, वह शामिल नहीं थे. शनय शनय कई और क्षेत्र जोड़े गये. विजयराघवगढ़ क्षेत्र का अंचल जोड़ा और एक दो जगह और भी टाई अप किया गया पानी का. तो वैसे भी जो उपलब्धता है जल की सतना जिले में, वह कम होती जा रही है. चूंकि पूर्व में भी टाई अप कर लिये गये हैं. जो टनल बन रही है ,आपकी स्लीमनाबाद में 2008 से शुरु हुआ था काम और 9600 मीटर शायद बन चुकी है और 1600 मीटर शेष है. अब यह 2008 से बन रही है, 2024 आ गया. मुझे तो नहीं लगता, जो मंत्री जी ने टाइम लाइन दी है कि 2025 में पानी आ जायेगा. जो टनल बाकी है 1600 मीटर, एक मशीन इनकी खराब है अभी, 4 महीने से मशीन वहां खराब है,दो मशीनें लगी हुई थीं, एक खराब है. उसको ये 4-5 महीने से सरकार नहीं सुधरवा पाई है. अब अगर वह सुधर जाती है, तो भी मुझे एक संशय है कि 1600 मीटर ये एक वर्ष के अन्दर कर लेंगे, जो गति है काम करने की, अभी तक जो देखी गई है, तो मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि इस काम में क्या तेजी लायेंगे एक और दूसरा, चूंकि पानी अगर उपलब्ध हो जाता है, टनल बन जाती है, सबसे बड़ी चुनौती टनल है. नहरों का काम इतना कठिन नहीं होता है, तो क्या नहरों का भी काम साइमल्टेनीअस्ली साथ ही साथ चलता रहे, ताकि जो डेड लाइन की बात कर रहे हैं, यह पूरी हो सकेगी. नहरों का भी काम शीघ्रातिशीघ्र चले और अगर कोशिश हो, चूंकि बजट का अभाव है, मैं जानता हूं. इसे केंद्र सरकार से बात करके वहां टाई अप करना चाहिये सेंट्रल वॉटर बोर्ड से और अगर इस पर राशि मिल सकती है, तो मैं समझता हूं कि क्या मंत्री जी यह प्रयास करेंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य वरिष्ठ सदस्य हैं. गति लाने का पूरा प्रयास किया जायेगा और विलम्ब का कारण आप भी जानते हैं भू संरचना जटिल होने के कारण मशीन का कटर बार-बार टूट रहा है, इसलिये इसके कारण तकलीफ हो रही है. इसकी मरम्मत में समय लग रहा है. कार्य के दौरान कार्बन में मोनोऑक्साइड गैस का आना कार्य में बाधा डाल रहा है. यह जो टनल है स्लीमनाबाद की. यह 11 किलोमीटर है कुल, जिसमें से 10 किलोमीटर पूर्ण हो गई है, जो शेष बची है, उसको गति के साथ काम करने की पूरी कोशिश की जायेगी यथासम्भव.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न और पूछना चाहता हूं. जब यह ओरिजनल डीपीआर बनी थी, तो टनल बनाने की कितनी समय सीमा रखी गई थी. मेरी जानकारी के अनुसार 4 या 5 साल, 4 साल थी. इसको 14 साल हो चुके हैं. वह जो आपका ओरिजनल सर्वे था उस पहाड़ी का, जहां से टनल आती है, वही त्रुटिपूर्ण था. वहां यह माना गया था कि हार्ड स्टेटा है, हार्ड स्टेटा में ये मशीनें ज्यादा तेज चलती हैं और जहां लूज स्टेटा होता है, बालू होती है, मुरम होती है, वहां मशीनों की गति बहुत धीमी हो जाती है. तो ये सर्वे किसने तय किया था, क्यों ऐसा प्रस्ताव रखा गया. मंत्री जी, क्या इसकी भी जांच करा लेंगे. 4 वर्ष में पूर्ण होना था, आज 14-15 साल हो गये हैं. तो यह तो बहुत बड़ी कमी है और कितना नुकसान किसानों का और सरकार का भी है. प्रदेश का, सरकार का नहीं, मैं प्रदेश का कहूंगा. क्या इसमें जांच करा लेंगे आप.
श्री तुलसी राम सिलावट-माननीय अध्यक्ष, सर्वे बहुत पहले का है और जहां भी ऐसी आवश्यकता पड़ेगी तो उसकी जांच भी करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय:- अब वैसे 10 किलोमीटर बना ली है तो अब एक 1 किलोमीटर ही बची है.
आवेदनों(याचिकाओं ) की प्रस्तुति
निम्नलिखित माननीय सदस्यों के आवेदन(याचिकाएं)प्रस्तुत की गयी मानी जाएगीं:-
(1) श्री फूलसिंह बरैया
(2) श्री मथुरालाल डामर
(3) श्री केशव देसाई
(4) डॉ. सतीश सिकरवार
(5) श्रीमती सेना महेश पटेल
(6) श्री हेमंत सत्यदेव कटारे
(7) श्री प्रदीप अग्रवाल
(8) श्री रामनिवास रावत
(9) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक
(10) श्री नारायण सिंह पट्टा
(11) श्री श्रीकांत चतुर्वेदी
(12) श्री नितेन्द्र बिजेन्द्र सिंह राठौर
(13) श्री विवेक विक्की पटेल
(14) श्री मधु भाऊ भगत
(15) श्री रमेश प्रसाद खटीक
(16) श्री भैरोसिंह बापू
(17) श्री साहब सिंह गुर्जर
(18) डॉ. हिरालाल अलावा
(19) श्री यादवेन्द्र सिंह
(20) श्री प्रहलाद लोधी
(21) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय
(22) श्री केदार चिड़ाभाई डावर
(23) श्री फुन्देलाल सिंह मार्को
(24) श्री प्रताप ग्रेवाल
(25) श्री रजनीश हरवंश सिंह
(26) श्रीमती अनुभा मुंजारे
(27) श्री कमलेश्वर डोडियार
(28) श्री दिनेश राय ‘मुनमुन’
(29) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर
(30) श्री राजन मण्डलोई,
(31) श्री अभय मिश्रा,
(32) सुश्री रामश्री राजपूत
(33) श्री बाला बच्चन
(34) श्री मोन्टू सोलंकी
(35) श्री सोहनलाल बाल्मीक
(36) श्री प्रणय प्रभात पांडे
(37) श्री विपिन जैन
(38) श्री माधव सिंह (मधु गेहलोत)
(39) इंजीनियर श्री गोपाल सिंह
(40) श्री अमरसिंह यादव,
(41) डॉ. रामकिशोर दोगने
(42) डॉ. अभिलाष पाण्डेय
शासकीय संकल्प
जल( प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1974 ( 1974 का 6)
पर्यावरण मंत्री (डॉ.कुंवर श्री विजय शाह):- जल( प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1974 में संशोधन करने के लिये जल( प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम संशोधन विधेयक संसद में लाने के पक्ष में, राज्य की विधान सभा द्वारा संकल्प पारित किये जाने के लिये, राज्य शासन से अनुरोध किया गया था.
माननीय अध्यक्ष जी, चूंकि 8 फरवरी को यह संसद में पारित हो चुका है. इसलिये मैं आपसे अनुमति चाहूंगा, वापस लेने की.
अध्यक्ष महोदय:- अनुमति दी गयी.
कुंवर श्री विजय शाह:- धन्यवाद्.
संकल्प वापस हुआ
शासकीय विधि विषयक कार्य
सहमति प्रदान की गयी.
प्रान्तीय लघुवाद न्यायालय (निरसन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 2 सन् 2024) का पुर:स्थापन
मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 8 सन् 2024)का पुर:स्थापन
12.40 बजे मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024
(क्रमांक 1 सन् 2024)
उप मुख्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा (श्री राजेन्द्र शुक्ल) - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
माननीय मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं?
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, यह मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 की आवश्यकता इसलिए महसूस की गई क्योंकि चिकित्सा, दन्त चिकित्सा, आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथी, योग, नेचुरोपैथी के साथ-साथ नर्सिंग और पैरामेडिकल सारी परिक्षाओं को आयोजित करना, समय से उनका इनरोलमेंट होना, समय से उनके रिजल्ट निकलना, यह एक बहुत बडा़ काम होता जा रहा था क्योंकि प्रदेश में हम देख रहे हैं कि बहुत बड़ी संख्या में प्राइवेट और शासकीय नर्सिंग कॉलेजेस की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. पैरामेडिकल कॉलेजेस की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है. हजारों की संख्या में एडमिशन होते हैं, उनके इनरोलमेंट से लेकर एग्जामिनेशन और मेडिकल कॉलेजेस की भी संख्या हम देख रहे हैं कि 14 मेडिकल कॉलेज तो संचालित हैं और वर्ष 2024-25 में हम 5 नये मेडिकल कॉलेज भी शुरू करने वाले हैं. आने वाले समय में हर जिले में हर लोकसभा क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज खुले, इसकी भी योजना पर हम लोग काम कर रहे हैं, इसलिए मेडिकल यूनिवर्सिटी में जो कार्य का बोझ है, वह आने वाले दिनों में बहुत बढ़ सकता है, इसलिए शासन ने यह निर्णय लिया कि इस विधेयक में संशोधन करके हम नर्सिंग और पैरामेडिकल को लोकल यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध करें और मेडिकल यूनिवर्सिटी को नर्सिंग और पैरामेडिकल को छोड़कर बाकी जो चिकित्सा, दन्त चिकित्सा, आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथी, नेचुरोपैथी से लेकर योग और अन्य प्रकार के जो स्वास्थ्य से जुड़ी हुई विधाएं हैं वह मेडिकल यूनिवर्सिटी उसको संचालित करे, इसलिए यह संशोधन आज समय की मांग है, इसलिए सदन के सामने विचार के लिए प्रस्तुत किया गया है. मेरा निवेदन है कि इस संशोधन को सदन अपनी अनुमति दे.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 प्रस्तुत किया है. इसमें विशेष कुछ नहीं है. थोड़ा बहुत संशोधन है. अध्यक्ष महोदय, इसमें धारा 2 में वृहद शीर्ष में, शब्द "नर्सिंग" तथा "सह-चिकित्सा" का लोप किया जाए. इसको हटा दिया गया है. 3. मूल अधिनियम की धारा 2 में - (क) खण्ड (ग) के पश्चात्, निम्नलिखित खण्ड अन्तःस्थापित किया जाए, अर्थात्:- "(ग क) "मण्डल" से अभिप्रेत है, कर्मचारी चयन मण्डल, मध्यप्रदेश भोपाल." व्यावसायिक परीक्षा मण्डल, मण्डल व्यावसायिक परीक्षा मण्डल ही है न? काफी देर से आपने संशोधन किया है. आपका कर्मचारी मण्डल कब का बना है? व्यायसायिक परीक्षा मण्डल, व्यापम आपने नाम बहुत पहले खत्म किया है. इसको बहुत लम्बा समय हो गया है. चलो देर आयद दुरुस्त आयद. कुछ धाराओं को हटा दिया गया है. 4. मूल अधिनियम की धारा 5 में, खण्ड (तैंतीस) में, शब्द "व्यापम" के स्थान पर शब्द "कर्मचारी चयन मण्डल" स्थापित किए जाएं. इसको पहले ही संशोधित किया जाना चाहिए था.
अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय मंत्री जी ने बताया है कि शब्द "नर्सिंग" तथा शब्द "सह-चिकित्सा" को इससे अलग किया गया है. इसका लोप किया गया है. अभी उन्होंने भाषण में तो कहा कि इनको किस यूनिवर्सिटी से या किन-किन मेडिकल कालेजों को जोड़ेंगे, या किस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आएगा. इसमें लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इनको यहां से तो हटा दिया है, लेकिन अब इनका नियमन, नर्सिंग और सह-चिकित्सा का कंट्रोल, इनको कहां रखा जाएगा, यह आपने व्यवस्था नहीं की है. मैं समझता हूं कि इसकी व्यवस्था भी अविलंब की जाना चाहिए. बाकी प्रशासनिक अमले के संबंध में है. इसमें कुछ अधिक नहीं है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए आप जितनी जल्दी हो सकता है, प्रशासनिक अमला मेडिकल कालेजों का चाहे वह मेडिकल डिपार्टमेंट के ही हो, वहां से पदस्थ करें और केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित जो विश्वविद्यालय हैं, केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित अपने यहां कितने विश्वविद्यालय है. प्रदेश के विश्वविद्यालयों पर तो यह लागू नहीं होगा. इसमें दिया गया है. बाकी मुख्य चीज तो नर्सिंग और सहचिकित्सा को इससे पृथक किया गया है. इसमें इनको कहां जोड़ा जाएगा ? सबसे पहले यह व्यवस्था करें और व्यापम की जगह पर कर्मचारी चयन मंडल जोड़ा गया है, इसमें इतना ही संशोधन है केवल मंत्री जी यह स्पष्ट कर दें कि नर्सिंग और सहचिकित्सा को कहां जोड़ा जाएगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो हमारे स्थानीय विश्वविद्यालय होते हैं उनका कार्यक्षेत्र नोटिफाईड होता है तो उस नोटिफाईड एरिया में जो भी नर्सिंग और पैरामेडिकल के कॉलेज होंगे, वह स्थानीय विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हो जाएंगे और वह मेडिकल यूनिवर्सिटी से अलग हो जाएंगे. जहां तक आप केन्द्रीय विश्वविद्यालय की बात कर रहे हैं, केन्द्रीय विश्वविद्यालय इससे अप्रभावित रहेंगे. यह जो संशोधन है उससे केन्द्रीय विश्वविद्यालय अप्रभावित रहेंगे और तीसरी बात व्यापम वाली आपने कही है चूंकि उस विधेयक में व्यापम शब्द था और आज वह कर्मचारी चयन मंडल हो गया है, तो उससे उसको विलोपित करके कर्मचारी चयन मंडल डाल दिया गया है वह एक छोटा-सा संशोधन है तो कुल मिलाकर आदरणीय रावत जी ने इस बात की प्रशंसा की है कि यदि नर्सिंग और पैरामेडिकल ही अलग हो रहा है तो शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर होनी चाहिए. इस संशोधन का उद्देश्य भी मेडिकल की जो शिक्षा है उसकी गुणवत्ता भी सुनिश्चित रहे. नर्सिंग और पैरामेडिकल बहुत ही महत्वपूर्ण है. उसके बिना पूरे मेडिकल का जो कार्य है, वह अधूरा रहता है. उसकी गुणवत्ता भी बेहतर हो सके. कार्य का जो बोझ मेडिकल यूनिवर्सिटी में जिसको कि अभी खुले हुए बहुत दिन नहीं हुए हैं, उसमें वह ऑफ लोड हो जाएगा. थोड़ा बोझ कम हो जाएगा, तो बेहतर तरीके से दोनों विधाएं ठीक से चलेंगी. इसलिए मैं निवेदन करता हॅूं कि इस संशोधन को पारित किया जाए.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, इसमें हमें आपत्ति नहीं है. नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता कौन देगा ? नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता के संबंध में जिस तरह से हाईकोर्ट का निर्णय अभी आया है कि कितने नर्सिंग कॉलेज मान्यता को फुलफिल नहीं करते, मान्यता प्राप्त करने के लिए योग्य नहीं हैं. यह निर्णय अभी आया है तो किस तरह के नर्सिंग कॉलेज चल रहे हैं. कम से कम प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज ठीक से चलें और जो फुलफिल नहीं करते हैं उनको मान्यता.....
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास जी, आप बैठ जाइए. मंत्री जी आपकी बात समझ गए.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मान्यता का जहां तक सवाल है तो जैसे मान्यता इंडियन नेशनल नर्सिंग काउंसिल देती थी और एमपी नर्सिंग काउंसिल और आने वाले दिनों में तो भारत सरकार उसको और ज्यादा अपग्रेड करते हुए सेंट्रल में एक ऐसा बोर्ड भी बनाने के लिये नये अधिनियम ला रही है जिसमें इनकी मान्यता सेन्ट्रलाइज्ड रहेगी, लेकिन अभी इनकी मान्यता उसी प्रकार से दी जाएगी, जिस प्रकार से हमारी परिषदें/काउंसिल दे रही हैं और पेरामेडिकल के लिए भी पेरामेडिकल काउंसिल है तो इस संशोधन से उस मान्यता का कोई संबंध नहीं है. मान्यता जिस प्रकार से दी जाती रही है, उसी प्रकार से दी जाती रहेगी.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, माननीय सदस्य संतुष्ट हैं.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय :- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, ना कहना अनिवार्य है क्या ?
अध्यक्ष महोदय—जरूरी नहीं है.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय,इसलिये हम ना नहीं बोल रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय,फिर तो सर्व सम्मति से हुआ.
अध्यक्ष महोदय—सामान्य तौर पर ऐसी प्रक्रिया बनी हुई है. कई बार कोई धीरे से ना बोल देते हैं. प्रोसीडिंग में सावधानी रहे, इसलिये यह बना हुआ है. सारे लोग खुलकर हां बोलें तो सर्वसम्मति से है.
(4) प्रान्तीय लघुवाद न्यायालय (निरसन) विधेयक,2024 (क्रमांक2 सन् 2024)
(5) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023 (क्रमांक 3 सन् 2024)
अध्यक्ष महोदय - इस विधेयक पर कोई बोलना चाहते हैं, पहले प्रतिपक्ष को अवसर मिलेगा.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने माल और सेवा कर संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया है. इसमें जो संशोधन किया है, इसमें ऑनलाइन गेम खेलना माननीय मंत्री जी प्रारंभ करवा रहे हैं और ऑनलाइन धनी गेम खेलना भी प्रारंभ करवा रहे हैं. अध्यक्ष जी, धारा 102 'क' में विनिर्दिष्ट अनुयोज्य दावे के तहत संशोधन किया है. दांव लगाने, केसिनो चलाने, द्यूत कीड़ा चलाने, घुड़दौड़ चलाने, लाटरी चलाने ऑनलाइन धनी गेम खेलना. माननीय अध्यक्ष महोदय इस संशोधन से क्या प्रदेश में पूरी तरह से सट्टा जुआं की खुली छूट देना चाहते हैं क्या, वैसे ही बच्चे शिक्षित बेरोजगार बैठे हुए हैं, वे इसमें लग जाएंगे क्रिकेट में सट्टा लगता है, उसकी भी मान्यता हो जाएगी. इसके लाइसेंस किस तरह से दिए जाएंगे लाइसेंस देने की प्रथा की व्यवस्था इसमें की गई है. इस तरह से अगर इनको प्रारंभ करवा दिया गया तो एक तरह प्रदेश में पूरी तरह से बेरोजगारी है, प्रदेश में काम नहीं है, बेरोजगार लोग बैठे हैं, प्रदेश में जो परीक्षाएं हो रही उनके रिजल्ट नहीं निकाले जा रहे. मेरा यह मानना है कि इस संशोधन पर पुनर्विचार करें इसे नहीं जोड़ जाए, इसे वापस लिया जाए और ये जुआ सट्टा खिलाने के लिए प्रदेश के युवाओं को न धकेला जाए, इसमें सुविधा न दिया जाए, क्योंकि इससे पूरे समाज में प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, वैसे ही तो लोग गरीब है, आत्महत्या रोज हो रही है, लोग बेकार बैठे हुए हैं, इस तरह से गेम खेलकर, धन कमाकर आत्महत्याओं के प्रकरण बढ़ेंगे, लोग कगार पर पहुंच जाएंगे, अध्यक्ष महोदय इस संशोधन को वापस सरकार ले, इस पर विचार करें कि इस तरह से राजस्व की व्यवस्था आप नहीं कर सकते.
अध्यक्ष महोदय - पूरा करिए रावत जी.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष जी, पास में बैठे अजय भैया कुछ कह रहे थे, इन गेमों के एक्सपर्ट भी उधर बैठे हुए हैं, जिन लोगों ने ये संशोधन करवाया है. (..हंसी) अध्यक्ष महोदय, इससे पूरी युवा पीढ़ी बिगड़ेगी और पूरे समाज पर दुष्प्रभाव पड़ेगा, मेरी मान्यता है, निवेदन करुंगा सरकार से.
श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, क्षमा करें, उनके सामने एक्सपर्ट बैठे हैं, ऐसा नहीं है, पूरा सदन इस बात का गवाह है कि इस सदन में लॉटरी किसने प्रारंभ की थी. मैं अगर इतिहास के पन्नों में जाऊंगा तो बात बहुत दूर तक जाएगी.
श्री रामनिवास रावत - पटवा जी के कार्यकाल में, ध्यान है.
अध्यक्ष महोदय - अभी कहीं नहीं जाना है, बिल तक ही रहना है.(...हंसी)
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, ये तो बड़ी पुरानी परम्परा है, महाभारत काल में भी द्यूत क्रीड़ा होती थी, कितने बड़े बड़े दांव लगाए गए, लेकिन ये ऑनलाइन गेमिंग के बजाये, ऑनलाइन खेला कर दें. आज कल खेला शब्द चला हुआ है, गेमिंग वैसे भी अंग्रेजी शब्द है, लेकिन ये बात रामनिवास जी सही कह रहे हैं, हमारी युवा पीढ़ी वैसे ही एंड्रॉइड मोबाइल पर लगी रहती है, इससे और ज्यादा समय जाया करेगी, लेकिन सत्ता पक्ष के लिए एक सकारात्मक पहलू हैं इसमें कि लोग रोजगार वगैरह मांगेंगे नहीं, समस्याओं की तरफ ध्यान नहीं जाएगा, इसी खेला में लगे रहेंगे.(..हंसी)
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, इस पर सरकार से निवेदन करुंगा कि पूरे प्रदेश के युवाओं को कम से कम ये ऑनलाइन गेम, दांव लगाने, कैसिनो चलाने, द्यूत क्रीड़ा खेलने, वे इसकी तरफ नहीं जाए, उनको नहीं धकेले, इसको कृपा करके वापस लें, जिससे पूरे प्रदेश का भविष्य सुरक्षित रहे सके.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - अध्यक्ष महोदय, इसके दो पहलू है. एक पहलू अभी रावत जी ने बोला. दूसरा पहलू यह भी है कि इसको सिस्टमाइज कर दें, हो वही रहा है, एक तो पहले से है. पहले से अभी है, उसका सिर्फ अधिनियम सदन से पास कराए. चल ये रहा है ऑलरेडी. आज नया कोई इसमें विषय नहीं आ रहा है. दूसरा इसमें जो महत्वपूर्ण बात है कि जो क्लैम है, जो कई बार अनैतिक तरीके से पैसा रखकर, आदमी भाग जाता है, उसको अकाउंटेबल करके उसका पूरा सिस्टमाईज हो जायेगा, तो जिसको जो पैसा वापस मिलना है, वह मिल पायेगा. वरना यह ऑलरेडी चल रहा है, यह कोई नया आज चालू नहीं हो रहा है. एक्ट ऑलरेडी एक्शन में है, सिर्फ इसको विधानसभा से पारित करवाना है. दूसरा जितना भी इसमें क्लेम दो हिस्सों में बंटा हुआ है, उसको समानांतर रिस्क और नॉनरिस्क मतलब दोनों को मिलाकर, इस पर जी.एस.टी. एक कर दिया है, ताकि मैक्जीमम जी.एस.टी. सरकार ले ले, प्रोत्साहन न करके टैक्स पूरा चार्ज कर ले. वरना हो आज भी यह रहा है और उसका पूरा क्लेम ऑफिशियल के जगह सब अनऑफिशियल है, उससे गलत एक्विटी बढ़ रही है, उसमें जो भी दूसरे लोग जो अनऑफिशियल इन्वॉल्व होते हैं, वह उसका बेनिफिट लेते हैं और पुलिस और यह सब भी ज्यादा लेते हैं. अगर यह पूरा ऑन रिकार्ड आ जायेगा तो क्लेम भी पूरा मिल जायेगा, जिसका पैसा लग रहा है और जो अनऑफिसियल पैसा जो मूव हो रहा है, वह रूकेगा और टैक्स पूरा सरकार को आयेगा, इसमें हाईएस्ट लेवल का है. इसमें डिफरेंसीयेशन यह भी है कि दूसरी करेंसी जो आजकल यूज हो रही है, उसमें अभी तक टैक्स नहीं लग रहा था, वह टैक्स भी लगना शुरू हो जायेगा. चूंकि यह जो भी है, उसको लीगलाईज प्रॉपर वे हो जाये और जितनी भी यूनिट है, उन सबका रजिस्ट्रेशन हो जायेगा, तो प्रशासन को भी पता है कि यहां पर कौन-कौन कर रहा है, तो वह जो उसकी आड़ में जो दुनिया भर के इललीगल काम हो रहे हैं, वह कम होकर लीगलाइज हो जायेगा. इसका उद्देश्य सिर्फ इतना ही है कि सरकार में जो अनऑथोराइज्ड वे से ही, चल रहे हैं, उसको हो जाये, ऑनलाईन गेमिंग के लिये अनिवार्य पंजीयन हो जाये क्योंकि अभी तक वह प्रापर हो नहीं रहा है. बिना पंजीयन के कई गुना ज्यादा हो रहा है, जो पंजीयन से उस सरकार में इललीगल वे से नौजवान ज्यादा भटक रहे हैं, उसका सिस्टम अडॉप्ट हो जाये, इसलिये मैं इस व्यवस्था को लीगलाईज करने के लिये समर्थन के पक्ष में खड़ा हुआ हूं, धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत -- इसमें मेरी आपत्ति भी है.
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास रावत जी, यह प्रश्नकाल जैसा नहीं है, आप बार-बार बोल रहे हैं, आप एक बार में पूरी अच्छे से बात रख लो. आपकी तरफ के दूसरे सदस्य भी हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, इसमें वित्तीय व्यवस्था है, इसमें वित्तीय ज्ञापन नहीं लगा हुआ है, यह अपने आपमें अधूरा है, इसमें वित्तीय ज्ञापन साथ में होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- क्या इसमें वित्तीय ज्ञापन नहीं है?
संसदीय कार्यमंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- इस बिल के आने बाद महादेव ऐप जैसे छत्तीसगढ़ में हुए न सरकार हिल गई, फिर नहीं होगा(हंसी).. क्रिप्टो करेंसी (हंसी)..
कुंवर अभिजीत शाह ''अंकित बाबा'' (टिमरनी ) -- अध्यक्ष महोदय, यह जो मुद्दा है, यह युवाओं से जुड़ा हुआ है और एक युवा विधायक होने के नाते अगर में इस पर चुप रहूंगा, तो यह क्षेत्र के लिये या फिर विधानसभा या पूरे मध्यप्रदेश के लिये ठीक नहीं होगा. मैं आपको बताना चाहता हूं कि यहां बैठे हर एक जो हमारे सम्माननीय विधायक हैं, उनसे पूछियेगा कि जब वह अपनी विधानसभा में जाते हैं तो ऐसे कई युवाओं की मृत्यु पर हमको जाना पड़ता है, जो जुंए सट्टे की लत में आकर आत्महत्या कर लेते हैं, अगर इसको हम लीगलाईज करते हैं, तो जितने भी युवा इस खेल में फंसकर आत्महत्या करेंगे तो उन सबके जिम्मेदार आज यहां मौजूद सभी लोग होंगे, इसलिये मैं इस पर विरोध दर्ज कराना चाहता हूं( मेजों की थपथपाहट) जैसे कि हमारे सम्माननीय ने कहा कि हो तो बहुत कुछ रहा है, तो हो तो रिश्वत भी रही है, ले तो लोग रिश्वत भी ले रहे हैं, तो क्या हम रिश्वत को लीगलाईज कर सकते हैं, वैसे ही हम जुंए सट्टे को लीगलाईज नहीं कर सकते हैं, मैं इस विधेयक के विरोध में यहां खड़ा होना चाहता हूं.
श्री अभय कुमार मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक निवेदन मेरा भी है कि जब अपना काम कर्जे से चल जाता है, वह अभी लगातार मिल ही रहा है तो फिर काहे के लिये अलग से कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी पहले से हाथ उठाना चाहिए, पीछे जिन्होंने हाथ उठाया है, मैंने उनको बोलने अनुमति दी है, अब मंत्री जी बोलेंगे.
उप मुख्यमंत्री (वाणिज्यिक कर), (श्री जगदीश देवड़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, समाज में पिछले कुछ वर्षों से इंटरनेट के माध्यम से खेले जाने वाले ऑनलाईन गेम जैसे बैटिंग अर्थात सट्टा, जुंआ, लॉटरी, हार्स रेसिंग, घुड़दौड़, केसीनो तथा ऑनलाईन मनी गैमिंग का प्रचलन बहुत बड़ा गया है, जो कि सामाजिक बुराई है, इसका समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, ड्रीम 11 खेलों इंडिया, इंडियन पोकर गेम, जंगली रमी आदि ऑनलाईन गेम में बड़ी मात्रा में राशि में लगाकर यह गेम खेले जा रहे हैं एवं ऐसी पूर्ण राशियों पर सरकार को टैक्स भी नहीं मिल पा रहा है, इन सब गतिविधियों को हतोत्साहित करने के लिये इनको जीएसटी के दायरे में लाया गया. केन्द्र सरकार द्वारा दिनांक 1 अक्टूबर 2023 से इन सब ऑन लाइन गतिविधियों पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लागू किया गया है. अध्यक्ष महोदय, यह केन्द्र से भी लागू है और यह 28 प्रतिशत जीएसटी इन सब पर पहले एंट्री लेते थे, अंदर करोड़ों का काम होता था, यह प्रचलन कोई आज से नहीं है, यह कब से चल रहा है, इसे मध्यप्रदेश में लागू करने हेतु विधान सभा सत्र चालू न होने के कारण पहली बार दिनांक 27 सितम्बर 2023 को अध्यादेश लाया गया था, तत्पश्चात विधान सभा सत्र में विधेयक प्रस्तुत नहीं हो पाने के कारण पुन: इसी विषय पर दिनांक 27 जनवरी 2024 को नवीन अध्यादेश लाया गया. अध्यक्ष महोदय, अध्यादेश के लागू होने से पूर्व ऑनलाइन गेम के आयोजक प्लेटफार्म द्वारा ली जा रही शुल्क एंट्री फीस पर जीएसटी लिया जाता था, परंतु संशोधन के पश्चात ऑनलाइन गेम में भाग लेने वालों द्वारा कुल जमा राशि के आधार पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी वसूल किया जायेगा. भारत के बाहर से भी यदि कोई ऑनलाइन प्लेटफार्म पर गेम खिलाता है तो ऐसे प्लेटफार्म को भी जीएसटी जमा करने हेतु पंजीयन प्राप्त करना अनिवार्य किया गया है. अध्यक्ष महोदय, यह भारत सरकार से भी आलरेडी यह व्यवस्था चालू है, 28 प्रतिशत का पूरे देश में जीएसटी इस पर लागू होगा, पहले केवल एंट्री फीस....
श्री रामनिवास रावत-- कितनी आय संभावित है, यह और बता दें जिससे पूरा प्रदेश चलेगा. जुए, सट्टे से प्रदेश चलेगा क्या.
श्री जगदीश देवड़ा-- मैं सदन के सभी सम्मानित सदस्यों से आग्रह करूंगा कि इस बिल को पारित करें.
श्री भंवर सिंह शेखावत-- समाज की सारी गंदगी को लीगलाइज कर देंगे तो काम कैसे चलेगा. ...(व्यवधान)...
1.07 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगणों का सदन से बहिर्गमन
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- अध्यक्ष महोदय, ...(व्यवधान).... क्या जुएं, सट्टे, ऑनलाइन से ही पूरी सरकार चलाना चाहते हैं. ...(व्यवधान).... यहां के युवाओं का क्या होगा. युवाओं के बारे में सरकार क्या सोच रही है. जितने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन हैं, इललीगल कितने चल रहे हैं इसको लेकर आपकी क्या पॉलिसी है वह आपने नहीं बताई, हम इसका विरोध करते हैं. इस प्रकार से युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा, कांग्रेस दल सदन से बहिर्गमन करता है.
(नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्व में शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगणों द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया).
...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- अब प्रस्ताव के खण्डों पर विचार होगा.
1.10 बजे (6) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय(संशोधन)विधेयक,2024(क्रमांक 8 सन् 2024)
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री इन्दर सिंह परमार ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय(संशोधन)विधेयक,2024 पर विचार किया जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक,2024 पर विचार किया जाय.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन(सागर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो संशोधन विधेयक है यह निश्चित रूप से आज समय की आवश्यकता है. जैसा कि आप सबको विदित होगा कि सागर में स्थित डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनने के पश्चात् वहां के हमारे बुन्देलखण्ड के जो विद्यार्थी थे उनको एडमीशन पाना एकदम कठिन हो गया था और एक राजकीय विश्वविद्यालय की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी और जब माननीय मुख्यमंत्री महोदय का सागर प्रवास हुआ तब इसकी घोषणा हुई थी तो मैं माननीय मुख्यमंत्री महोदय का, सम्माननीय उच्च शिक्षा मंत्री महोदय का बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं. साथ ही शहडोल में स्थित एकात्म विश्वविद्यालय केम्पस विश्वविद्यालय था. उसके कार्यक्षेत्र में परिवर्तन किया गया है यह भी स्वागत योग्य कदम है और इस संशोधन विधेयक के माध्यम से जो हमारे विश्वविद्यालय के कुलपति होते हैं उनके नाम में अब कुलपति के स्थान पर उनको कुलगुरु के नाम से जाना जाए,इसका इसमें प्रस्ताव किया गया है. मैं समझता हूं कि यह हमारी भारतीय संस्कृति और और भी ठीक ढंग से रेखांकित और परिभाषित करने वाला शब्द है. मैं इसका स्वागत करता हूं. समर्थन करता हूं.
स्वागत उल्लेख
इन्दौर प्रेस क्लब के पत्रकार गणों का स्वागत उल्लेख
अध्यक्ष महोदय - इन्दौर प्रेस क्लब के 35 पत्रकार मित्र विधान सभा भ्रमण पर आए हैं. यह सदन उन सबका स्वागत करता है.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज जो मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक में जो महत्वपूर्ण बिन्दु जोड़ रहे हैं. सबसे पहला यह कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति,2020 में विश्वविद्यालयों पर कम दबाव हो, विश्वविद्यालयों में सभी काम सुचारू रूप से चल सके इसका उसमें विशेष ध्यान दिया गया है और इसलिये अभी तक हमारे यहां जो शहडोल विश्वविद्यालय केवल एक महाविद्यालय बनाया गया था उसमें संभाग के अन्य महाविद्यालय संबद्धता नहीं ले सकते थे. एक प्रकार से एकात्म विश्वविद्यालय था. इसलिये इस विधेयक के माध्यम से हम पूरे संभाग के महाविद्यालयों को उससे संबद्धता आगे देने पर इस विश्वविद्यालय को सुविधा होगी. इसी प्रकार से सागर विश्वविद्यालय एक समय हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय वहां पर बहुत प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था लेकिन बीच में वह केन्द्रीय विश्वविद्यालय घोषित होने के बाद वहां किसी प्रकार का विश्वविद्यालय नहीं था और इसीलिये नया विश्वविद्यालय वहां पर रानी अवंतिबाई लोधी के नाम से वहां स्थापित किया जाना तय किया है. उसका भी कार्यक्षेत्र निर्धारण होना है इसलिये सागर और दमोह जिले को उसमें सम्मिलित किया है जिसमें 80 कालेज उसमें रहने वाले हैं क्योंकि हमने शहडोल के साथ में शहडोल,उमरिया तथा अनुपपुर को जोड़ा है इसलिये जो पहले अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय,रीवा के साथ संबद्ध थे. रीवा,सतना,सीधी,सिंगरौली,शहडोल,उमरिया तथा अनूपपुर. अब रीवा,सतना,सीधी,सिंगरौली,मैहर तथा मऊगंज यह अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के साथ इनकी संबद्धता हो जायेगी और 202 कालेज इनके साथ में जुड़ जाएंगे. यह एक प्रकार का सागर विश्वविद्यालय को और दूसरे विश्वविद्यालय को परिसीमन करने के लिये किया गया है. एक महत्वपूर्ण जो और हम निर्णय करने जा रहे हैं, अभी तक हमारे विश्वविद्यालयों में कुलपति शब्द का उपयोग होता था, अंग्रेजी शब्द वही वाइस चांसलर है, शब्दावली के रूप में कुलगुरु भी कहने की परंपरा कई राज्यों ने स्थापित की है, और इसलिए इस विधेयक के माध्यम से हम अब हिन्दी में कुलगुरु नाम से संशोधन कर रहे हैं. साथ ही अंग्रेजी में वाइस चांसलर ही रहेगा. एक प्रकार से अब कुलपति शब्द का उपयोग हमारे विश्वविद्यालयों में नहीं होगा. भारत की मान्य परंपराओं को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालयों में कुलगुरु की परंपरा है, जिसके कारण श्रृद्धा और विश्वास शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्य के प्रति एक भाव प्रकट होगा. पारिवारिक भाव प्रकट होगा. इस प्रकार के उद्देश्य के साथ में इस विधेयक में तीनों बातों का समावेश करने जा रहे हैं. मैं समझता हूँ सदन मेरी बात से सहमत होगा, सभी इसका सर्वसम्मति से समर्थन करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव सर्वानुमति से स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 4 इस विधेयक का अंग बने.
सर्वानुमति से खण्ड 2 से 4 इस विधेयक के अंग बने.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
सर्वानुमति से खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
सर्वानुमति से पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री इन्दर सिंह परमार) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाय.
प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
1.18 बजे 7. वर्ष 2013-2014 की अधिकाई अनुदानों की मांगों पर मतदान.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि ये 31 मार्च, 2014 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष की बात है. इसके बाद कार्यसूची के 9 नंबर पर भी यह आ रहा है कि 31 मार्च, 2017 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष की अनुदान संख्याओं पर अधिक मांग की गई है. एक तो मांग संख्या दोनों में रिपीट हो रही है कि दोनों में मांग संख्या 02 है और 31 मार्च, 2014 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में मांग संख्या 21 भी है, जिसमें लोक सेवा प्रबंधन आता है. मांग संख्या 02 विमानन से संबंधित है. आप अठारस करोड़, अठारह लाख, चालीस हजार रुपये अधिक की मांग कर रहे हैं तो आपने अभी जो द्वितीय अनुपूरक अनुमान बजट प्रस्तुत किया था, उसमें इसका डिटेल या फिर अभी इसका डिटेल कि कितने प्रतिशत अधिक आप ले रहे हैं और उस मांग संख्या में पहले कितना बजट रखा गया था, उसका कितना आधिक्य है, कितने प्रतिशत आधिक्य है, ये डिटेल और इसकी जानकारी हम लोगों की और सदन की जानकारी में आना चाहिए, नहीं तो फिर अभी हम लोगों ने अनुदान मांगों पर जो बोला है और उसके बाद आपका लेखानुदान आ रहा है, लगभग एक लाख उन्नीस हजार चार सौ तिरेपन करोड़, चार लाख, सत्तर हजार रुपये का और उसके पहले आपने अट्ठाईस हजार छ: सौ पचपन करोड़, पन्द्रह लाख, तेरह हजार, एक सौ बयालीस रुपये का द्वितीय अनुपूरक अनुदान, जो अभी हमसे स्वीकृत करवाया है, पास करवाया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आधिक्य बर्बादी है. यह मध्यप्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई की फिजूलखर्ची है, बर्बादी है. माननीय मंत्री जी, आपको इसका डिटेल हम लोगों को बताना चाहिए और सदन को विश्वास में लेना चाहिए. यह सदन का भी भरोसा तोड़ने वाला मामला है और मैं तो इससे सहमत नहीं हूँ. माननीय मंत्री महोदय को इस पर डिटेल जानकारी देना चाहिए और अधिक खर्च नहीं होना चाहिए.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि हर वर्ष बजट बनता है, हर वर्ष पारित होता है, हम लोग हाथ उठाते हैं, सर्वसम्मति या ''हां'' की जीत के साथ पारित होता है और एक वर्ष के लिए होता है. आप वर्ष 2013- 2014 के आधिक्य के लिए राशि मांग रहे हैं. यह स्पष्ट होना चाहिए, इसके साथ-साथ वर्ष 2013- 2014 में उक्त मांगों के अंतर्गत कितनी राशि का प्रावधान इन विभागों के लिए किया गया था ? जो आधिक्य व्यय हुआ है, वह क्यों हुआ ? किस कारण से हुआ और क्यों इतना विलंबित हुआ कि वर्ष 2013- 2014 का आधिक्य अब प्रस्तुत हुआ है ? यह 8 वर्ष के बाद प्रस्तुत हुआ है और इसमें लोक लेखा समिति ने आपत्ति भी ली है कि भविष्य में प्रशासकीय विभाग द्वारा व्यय के आंकड़ों का पुनर्मिलान समय-सीमा से किया जाना सुनिश्चित होगा. यह तो पुनर्मिलान की बात है. लेकिन वह राशि कहां पर व्यय हुई ? जैसा कि हमारे माननीय सदस्य श्री बाला बच्चन जी ने कहा कि विमान से अधिक यात्रा करने में खर्च की गई, किस कार्य के लिए राशि खर्च की गई, मीटिंग में टेंट का बिल अधिक प्रस्तुत करने में खर्च की गई, यह स्पष्ट होना चाहिए. प्रदेश की जनता की टैक्स की गाढ़ी कमाई को हम यहां आधिक्य व्यय को जोड़ने के लिए अनुमोदित कर रहे हैं, तो माननीय अध्यक्ष महोदय, यह स्पष्ट ब्यौरा माननीय मंत्री जी हमें दें, अब पारित तो होना ही है, बहुमत से पारित होगा. लेकिन ब्यौरा पटल पर प्रस्तुत करें, हमें जानकारी मिले, तो हम भी संतुष्ट रहें. सदन से पारित तो कराना होता ही है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि एक तरह से इसे वित्तीय अनियमितता कह सकते हैं.
श्री बाला बच्चन - नहीं, यह वित्तीय घोटाला है.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, नहीं, इसे घोटाला तो नहीं कहेंगे. इसे वित्तीय भूल कहेंगे, लेकिन यह वित्तीय अनियमितता के अंतर्गत तो आती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम माननीय मंत्री जी से यही अपेक्षा करेंगे कि चूँकि यह सदन से पारित होता है, तो सदन जानना भी चाहता है कि यह आधिक्य किस चीज में व्यय हुआ और कितना बजट प्रस्तावित किया गया था ? बजट के अंतर्गत व्यय होने के बाद यह आधिक्य किस चीज में व्यय हुआ ? इसकी पूरी डिटेल मंत्री जी प्रस्तुत करें.
उप मुख्यमंत्री, वित्त (श्री जगदीश देवड़ा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय अध्यक्ष महोदय, वित्तीय वर्ष 2013- 2014 के मतदत्त अनुदानों एवं पारित विनियोगों पर आधिक्य व्यय राशि रुपये अठारह करोड़, सैंतीस लाख, इक्यानवे हजार रुपये सामान्य प्रशासन विभाग में आधिक्य व्यय जिला स्तर पर बैंकों से स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भुगतान की गई मासिक पेंशन की राशि में हुआ. बैंकों से गई राशि के आंकड़े विभाग में नहीं पहुँचने एवं महालेखाकार कार्यालय से आंकड़ों का मिलान समय-सीमा में न होने के कारण आधिक्य की स्थिति निर्मित हुई. लोक लेखा समिति द्वारा इस व्यय को आवश्यक मानते हुए नियमन की अनुशंसा की गई. माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें वहां से विलम्ब हुआ.
अध्यक्ष महोदय :- प्रश्न यह है कि-
"दिनांक 31 मार्च, 2014 को समाप्त हुये वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 02 एवं 21 के लिए स्वीकृत राशि के अतिरिक्त किये गये समस्त आधिक्य व्यय की पूर्ति के निमित्त राज्यपाल महोदय को अठारह करोड़, अठारह लाख, चालीस हजार रुपये की राशि दिया जाना प्राधिकृत किया जाय."
आधिक्य मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
श्री बाला बच्चन- अध्यक्ष महोदय, इसमें दो अनुदान मांगें थीं. मंत्री जी ने केवल विमानन से संबंधी मांग क्रमांक 02 का ही उल्लेख किया है. लोक सेवा प्रबंधन से संबंधित 21 नंबर की अनुदान मांग है, इसमें उसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले मंत्री जी ने जो उल्लेख किया है, इसमें मांग 18 करोड़, 18 लाख, 40 हजार रुपये की मांग की गई है और इसमें खर्च बताया गया है, 18 करोड़ 37 लाख रुपये की, पुन: बताई जा रही है. इसमें फिर चक्कर पड़ेगा और इन्हें फिर 15-16 लाख रुपये के लिए, आना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, आपसे व्यक्तिगत रूप से मिल लेंगे.
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोक लेखा समिति के सभापति, विपक्ष के सदस्य ही होते हैं, लोक लेखा समिति ने इसे कर दिया है.
श्री बाला बच्चन- मंत्री जी, आपने इसमें 21 नंबर अनुदान मांग, लोक सेवा प्रबंधन का कोई उल्लेख नहीं किया है.
अध्यक्ष महोदय- बाला जी, मंत्री जी, का कहना है कि लोक लेखा समिति ने इसका रिव्यू कर लिया है. मेरे विचार से अब आगे बढ़ा जाये.
12.27 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्ष महोदय- सदन की कार्यवाही अपराह्न 03.00 बजे तक के लिए स्थगित.
(01.29 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
3.07 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
वर्ष 2016-2017 की अधिकाई अनुदानों की मांगों पर मतदान
3.08 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2024
उप मुख्यमंत्री (वित्त) (श्री जगदीश देवड़ा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
3.11 बजे
वर्ष 2024-2025 के वार्षिक वित्तीय विवरण पर चर्चा
अध्यक्ष महोदय -- अब, वर्ष 2024-2025 के वार्षिक वित्तीय विवरण पर चर्चा प्रारंभ होगी.
श्री अभय कुमार मिश्रा (सेमरिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट 28 हजार करोड़ से अधिक का आया था और अभी हम फिर से एक लाख उन्नीस हजार चार सौ तिरेपन करोड़, चार लाख, सतहत्तर हजार रुपए की धनराशि के लेखानुदान का पुर:स्थापन कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, इसमें भारित से मतलब है पूर्व से कमिटेड होना, अर्थात् हमको वह देना ही है. मतदेय का मतलब है कि आने वाले खर्चों के लिए मांग का स्थापन करना, राजस्व का मतलब है कि रेग्यूलर खर्च, पूंजी का मतलब है कि जो वर्तमान समय में अगले चार माह हेतु जरुरत है. इसमें मांग संख्या 045 पर आपका ध्यान ले जाना चाहते हैं. केवल इकलौती यह मांग संख्या है लोक परिसम्मत्ति प्रबंधन विभाग, हालांकि यह भी अपनी सम्पत्ति बेचकर है. परन्तु स्वावलम्बी मध्यप्रदेश की ओर कि हम बिना कर्ज के अपने पैरों पर खड़े हैं चाहे अपनी ही सम्पत्ति बेचकर खड़े हैं. इसमें जो पूंजी है वह 26 करोड़, 3 लाख, 22 हजार रुपए है. इसके अलावा बाकी किसी में भी देखो, जैसे पहले आ जाइए सबसे शुरु में जो लिखा है भारित विनियोग, ब्याज अदायगी और ऋण सेवा. इसकी अगर हम स्थिति देखते हैं तो 10 हजार 621 करोड़, 32 लाख रुपए हमको अभी इनका ब्याज देना है. इसके अलावा 13 लाख, 924 करोड़ रुपए अभी हमें फिर से कर्ज उठाना है. इसके बाद विमानन देख लेते हैं. इसमें रेग्यूलर खर्च में हमें ऐसा लगता है कि इस राशि को हम बचा सकते थे. पर्यावरण में रेग्यूलर खर्च नए काम शून्य हैं. रेग्यूलर खर्च के नाम पर हमारा इतना अधिक पैसा जा रहा है. दूसरी तरफ हम पर्यावरण पर एक भी नया मद नहीं ले रहे हैं. जबकि यह वर्तमान समय की आवश्यकता है. जेल में भी पूंजी की कोई जरुरत नहीं है. इसमें जो दर्शाया गया है उसमें भी हमें मानवता के नाम पर लोगों को थोडा सा बेहतरी की जिंदगी देने के हिसाब से हमें इसमें मद लेना चाहिये था. वाणिज्यिक कर विभाग तो कमाई करने के लिये है ना. सेल्स टैक्स, इस बात के लिये यह विभाग बना है कि यह मध्यप्रदेश के लिये कुछ पूंजी खडा करेगा फिर हमको इसमें क्यों इतनी जरूरत पड रही है ? जबकि मार्च आ रहा है, यह महीना तो कलेक्शन का होता है, हमें अधिक से अधिक पैसा कलेक्ट करके आ जाना चाहिये. 009 नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, आज से 10 वर्ष पहले उस टाइम में मुझे अच्छे से याद है, मैंने नेट पर देखा था बहुत सारे काम नवकरणीय ऊर्जा में, मैं सोलर लाईट और विंड एनर्जी की बात नहीं कर रहा हूं, हाईडल प्रोजेक्ट के काम पर उस समय सब्सिडी बहुत तेजी से आई थी कि सब्सिडी देना है. 600 करोड रुपये की सब्सिडी दी गई थी. आज एक भी हाईडल प्रोजेक्ट मध्यप्रदेश में स्टेबिलिश नहीं है. साऊथ के कॉन्ट्रेक्टर और साऊथ की कंपनियों के नाम पर वह प्रोजेक्ट मंजूर हुये और उनका आज भी कोई अता-पता नहीं है. पुन: हम इसमें 976 करोड रुपये देने जा रहे हैं. इसके अलावा औद्योगिक नीति एवं निवेश विस्तार इसमें केवल हम 578 करोड रुपये रेग्युलर मांग रहे हैं. मतलब जो एक तरह से राजस्व खर्च है हम इसके लिये अलग से नहीं मांग रहे हैं. हम कहते हैं कि हम निवेश करेंगे, प्रोत्साहित करेंगे, किसानों से जुडे उद्योग लाएंगे, एमएसएमई उद्योग लगाएंगे, जब हम बजट में उसका प्रावधान ही नहीं कर रहे हैं, हम वोट कबाडने वाली योजनाओं पर, लोगों को खुश करने वाली योजनाओं पर तो बहुत बजट ला रहे हैं लेकिन जिससे हमारे मध्यप्रदेश का मूलभूत किसान या मध्यप्रदेश संपन्न हो उसके लिये बजट का प्रावधान नहीं किया. ऊर्जा में भी पूंजी हमारी 382 करोड है, राजस्व 405 करोड रुपये मतलब राजस्व का खर्चा ज्यादा है. हम तनख्वाहों में ज्यादा दे रहे हैं. किसान कल्याण तथा कृषि विकास में अगर हम देखें तो रेग्युलर खर्च हमारा 958 करोड, 80 लाख है और इसमें जो हमने मांग की है 5 करोड, 79 लाख की मांग की है. कैसे मध्यप्रदेश चलेगा ? हमारी तनख्वाह और जो यह रेग्युलर हमने बना रखी है इन सबमें हमारा पैसा जा रहा है और हम लगातार कर्ज उठाते जा रहे हैं और नई चीजें जो करनी हैं, जो वास्तव में जनता को लाभान्वित करने वाली हैं उसमें तो हम कुछ खास ले नहीं रहे हैं. फिर हम आ जाते हैं मोटे-मोटे में, आगे बढ जाते हैं, लोक निर्माण विभाग यह सब विभाग जिनमें काम करना है, इनमें मैं क्रिटिसाइज नहीं करूंगा.
अध्यक्ष महोदय, खनिज साधन तो हमारे लिये आय कमाने का है. अवैध उत्खनन के नाम पर सदन में चिंघाड मची हुई है. पत्थर उत्खनन तमाम हो रहा है. कुल मिलाकर पैसे के लिये ही यह सब हो रहा है. फिर गवर्नमेंट माइनस में क्यों है ? इसके लिये भी हम क्यों मांग रहे हैं ? चाहे हम अनुपूरक बजट से मांग रहे हों, चाहे लेखानुदान से मांग रहे हों, विनियोग विधेयक में मतलब इसके लिये हमें 477 करोड रुपये की क्यों जरूरत पड रही है ? राजस्व में सैलरी बांटने में और पूंजी में 384 करोड, 60 लाख की जरूरत पड रही है. यह बात हमारे गले से नहीं उतर रही है. राज्य विधान मंडल में पढने में यह जरूर समझ में आया कि हमारी यह विधान सभा बहुत कीमती है, इसमें जनता का बहुत कीमती पैसा लगा होता है, इसका एक-एक मिनट कीमती है, इसका हम बेहतर उपयोग कर सकें. जनसंपर्क के लिये हम पुन: इतने पैसे का इंतजाम कर रहे हैं, जब हमारा काम अच्छा है, तो जनता खुद ही जानेगी, प्रचारित करने के लिये 289 करोड, 49 लाख, 58 हजार रुपये की 4 महीने के लिये फिर क्या जरूरत आ पडी ? परिवहन भी तो कमाई करने वाला विभाग है. परिवहन में आप हमारे रीवा में देख लीजिये 7-7 साल से एक ही व्यक्ति पदस्थ हैं. हमारे यहां के मनीष त्रिपाठी वहीं के रहने वाले हैं, रीवा में ही पढे हैं 7 साल से हैं. कोई ट्रक वाला, वहां से गुजरने वाले आदमी पर किस तरह से अत्याचार हो रहा है. फिर यह जो वसूली आ रही है इतनी बुरी तरह से जनता भी त्रस्त है और इधर हम कर्ज भी लेते जा रहे हैं. हम चार माह के लिये परिवहन में भी 62 करोड, 20 लाख, 63 हजार की रुपये की मांग कर रहे हैं ? पर्यटन के क्षेत्र से हमें कमाई होनी चाहिये, पर्यटन की हम बहुत दुहाई देते हैं, लेकिन आप देखिये, चाहे इसका राजस्व हो 48 करोड से अधिक की मांग की है और चाहे उसमें पूंजी हो, उसमें भी हम 60 करोड, 80 लाख, 11 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं. फिर पंचायतों में जो हमने पैसा मांगा है, इसमें पंचों के लिये कोई व्यवस्था नहीं की है. इसमें जो छोटे जन प्रतिनिधि हैं, अभी मैं उसको डिटेल में पढ़ रहा था, किसी को कुछ नहीं मिला है. पंचों को कम से कम जो एक्ट में दिया है 100 रुपये प्रति बैठक है, उतने तक का तो प्रोविजन कर दीजिये, जहां 4 लाख करोड़ का कर्ज है मध्यप्रदेश में, वह सवा 4 लाख करोड़ का हो जायेगा. कम से कम उनके साथ तो न्याय हो जाये. लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग के बारे में मैंने आपको बताया है कि यह हमारे प्लस में है. इससे हमें यह सीखने को मिलता है कि पुनर्घनत्वीकरण योजना के माध्यम से जो हम करोड़ों-अरबों रुपये की परिसम्पत्तियों को कौड़ियों के भाव कलेक्टर रेट पर मूल्यांकन करके पार्क विकसित कर रहे हैं. घास लगवा रहे हैं, पेवर ब्लॉक लगवा रहे हैं. एक तरह से खाना पूर्ति कर रहे हैं. तो जब लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग से उसी जमीन का ओपन ऑक्शन करने में अच्छा रेट मिल रहा है, तो क्या जरुरत है. हमारे यहां सिंचाई विभाग की एक जमीन बीच चौराहे में जिस रेट में बेची गई, उससे चार गुना,दस गुना ज्यादा कीमत में खरीदार वहीं प्लाट काट कर बेच रहा है. इस कान को ऐसे घुमाकर पकड़ रहे हैं. तो कम से कम वहां पर अगर यह सब करें, तो हमें कर्ज लेने में थोड़ी सी इतनी जरुरत नहीं पड़ेगी. उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण विभाग, इसमें आप देखिये कितना पैसा दिया है. 187 करोड़. ऊंट के मुंह में जीरा. किसान कैसे मजबूत होगा. हम सब्जियों में नवाचार कैसे करेंगे. खेती, हल्दी, मक्का इन सब में कैसे कर पायेंगे. किसान के लिये हम कितना कम सोच रहे हैं. इसमें कहीं और कटौती करके राशि को बढ़ाये जाने की जरुरत है.
अध्यक्ष महोदय-- अभय जी, कृपया समाप्त करें.
श्री अभय कुमार मिश्रा-- बस समाप्त ही कर रहा हूं. यह आनन्द विभाग का क्या मतलब है. बहुत आनन्द ले लिया गया, मध्यप्रदेश 4 लाख करोड़ के ऊपर के कर्ज पर आनन्द ले रहा है. कम से कम अब यह अंतिम लाइन काट दिया जाये, मेरा आपसे अनुरोध है. आपका आदेश हुआ है, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, धन्यवाद.
श्री यादवेन्द्र सिंह (टीकमगढ़)-- अध्यक्ष महोदय, जो अंतरिम बजट पेश किया गया है, मैं उसका विरोध करने के लिये खड़ा हुआ है और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करने के लिये खड़ा हुआ हूं.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय सदस्य, कुछ मांगना मत कि हमको सड़क दे दो, हमको नाली दे दो, हमको ड्रेनेज दे दो. कुछ मांगना मत. ..(हंसी)..
श्री यादवेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, कल शिक्षा मंत्री जी अपना भाषण दे रहे थे और कह रहे थे कि मैंने 66 लाख बच्चों को गणवेश दे दिया. उन्हें यह नहीं पता कि वे किस सन् की बात कर रहे हैं. अभी तक मध्यप्रदेश में हमारे पास एक पत्र है 3.3.2023 का, इनके संचालक, राज्य शिक्षा केंद्र का और वह अनुरोध कर रहे हैं सारे अधिकारियों से जिलेवार कि आप जो है, कम से कम गणवेश बांटने का काम प्रारम्भ करें और मंत्री जी कल कह रहे थे कि हमने 97 परसेंट जो है एचीवमेंट कर लिया है और अभी भी गणवेश बंटे नहीं हैं. वह उन्होंने एक साल पहले का बता दिया और अगले साल का उन्होंने बताया नहीं. प्रदेश में 6 लाख ओबीसी के छात्र हैं, उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. आपके पास 400 करोड़ का बजट था, लेकिन आपने ओबीसी छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं दी है. अब उनकी पढ़ाई कैसे चले, उसमें इंजीनियरिंग एवं डॉक्टर की पढ़ाई वाले बच्चे भी हैं. लेकिन उनको आप छात्रवृत्ति उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. वह कालेज की फीस जमा नहीं कर पा रहे हैं. उनकी कैसे पढ़ाई हो रही है, इसके ऊपर आप ध्यान नहीं दे रहे हैं. तो जो 400 करोड़ आपके पास उपलब्ध थे, कम से कम उनकी व्यवस्था पहले कर देते आप, तो मैं समझता हूं कि बेहतर होता. इसी तरीके से आप पर्यावरण सुधार की बातें बहुत करते हैं. हमेशा जो है पर्यावरण की बात होती है. दिल्ली परेशान है पर्यावरण के कारण. अन्य प्रदेश भी परेशान हैं पर्यावरण के कारण. लेकिन आप पर्यावरण की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं और हमारा आप सबसे निवेदन है कि पर्यावरण में सुधार के लिये इलेक्ट्रिक वाहन उपलब्ध कराने का काम चल रहा है. आप लोगों को बताना चाहता हूं 93 हजार वाहन हैं, लेकिन EV की चार्जिंग की व्यवस्था नहीं की है. अभी केवल 93 हजार वाहन हैं और केवल EV के 74 चार्जिंग पाइंट हैं. अगर आप इनकी व्यवस्था कर देते तो मैं समझता हूं कि इसको प्रोत्साहन मिलता और ज्यादा गाड़ी बिकती. साथ ही साथ आप प्रदूषण से बचते. आपको यह व्यवस्था करनी चाहिये थी. इसके लिये भी आपने बजट में प्रावीज़न नहीं किया है. इसी तरह से CNG के वाहनों को आपको प्रोत्साहन देना चाहिये था, लेकिन आपने CNG के वाहनों को प्रोत्साहन नहीं दिया और आपने उन्हें टैक्स में भी छूट प्रदान नहीं की. EV के लिये तो कर दी, लेकिन CNG के लिये भी आप कर देते तो मैं समझता हूं कि यह दोनों बातें पर्यावरण को बहुत फायदा करते और इसके लिये आपको प्रावीज़न करना चाहिये था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछली आपकी सरकार ने दीन दयाल रसोई की व्यवस्था की थी. आपने लाखों रूपये के बर्तन खरीदे, यह खरीदा वह खरीदा. लेकिन इस बार आपने बजट में प्रॉविजन नहीं किया. मतलब यह समझ लें की दीन दयाल रसोई बंद हो गयी. अब उनको आगे नहीं चला है. इसका मतलब सीधे-सीधे यह है कि आपने जो लाखों-करोड़ों रूपये रसोई के ऊपर व्यय किया था, वह समाप्त हो गये हैं और अब उनके लिये आपके पास धन नहीं बचा है और उसके बारे में आप कुछ सोचना भी नहीं चाहते हैं. वैसे हमें मालूम है कि अभी तक जो आपकी पुरानी सरकार थी, उसके सारे कामों को आप खत्म करना चाहते हैं उसको आगे नहीं बढ़ाना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय, इसी तरीके से वन विभाग में आपने मांग संख्या- 24(6) में जो राशि दी है. मैं समझता हूं कि आपको वन विभाग को राशि नहीं देना चाहिये थी. अभी आपने कुछ दिन पहले आम बजट में उनके लिये 364 करोड़ रूपये का प्रॉविजन किया था, केम्पा फंड से. वृक्षारोपण करने के लिये कार्यक्रम था, पर्यावरण बचाने के लिये कार्यक्रम था उसके लिये आपने 364 करोड़ रूपये की राशि वन विभाग को दी गयी थी. उस राशि से वन विभाग ने AC खरीदे , फर्नीचर खरीदा, कालीन खरीदे लेकिन वृक्षारोपण का काम नहीं किया. यदि इस तरीके से सरकार काम कर रही है तो मैं समझता हूं कि इनको बिल्कुल पैसे नहीं देना चाहिये. वृक्षारोरण की तरफ इनको ध्यान देना चाहिये, जिससे पर्यावरण में सुधार हो. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके ऊपर सीएजी ने भी आपत्ति ली है, लेकिन उसके ऊपर ध्यान नहीं दिया और आपने कह दिया कि वन विभाग को ओर पैसा दे दो. इनको अभी फर्नीचर और गाड़ी खरीदने के लिये और जरूरत है. इस पर ही कैसे आपकी सरकार कार्य कर रही है. इसके अलावा लेखा परीक्षण ने एक ओर रिपोर्ट दी है; हालांकि आज तो वित्त मंत्री जी ने पास करवा लिया वर्ष 2014 का वह 23 करोड़ रूपये है वह 23 करोड़ रूपये आपने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को नहीं दिये. वह आपने दिये हैं जो आपके लोकतंत्र प्रहरी थे. आपने अपने कार्यकर्ताओं को एक्सेस भुगतान कर दिया. भारतीय जनता पार्टी के जो जेल गये 20 साल में उनको आपने भुगतान कर दिया और आज आपने इस सदन से जो एक्सेस पेमेंट हुआ है उसका भुगतान वेरीफाई करा लिया, और आपने जो अपने कार्यकर्ताओं को ओब्लाइज किया था.
अध्यक्ष महोदय, जो 8236 अकाल राहत निधि है, उसमें आपने एक रूपये के बजट का प्राविजन किया है. उसमें आपको राशि बढ़ाना चाहिये थी. इस समय बुन्देलखण्ड मं ठंड की स्थिति है. ठण्ड की स्थिति के कारण फसलें खराब हो गयी हैं, पाला पड़ने के कारण फसलें खराब हो गयी हैं उसके लिये आप राहत राशि देने का प्रावधान नहीं कर रहे हैं और आपने बजट में एक रूपये का प्रॉविजन किया है,जबकि इसके लिये आपको पर्याप्त बजट की व्यवस्था करनी थी ताकि किसानों के हित में आप कोई निर्णय ले सकें और किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात आप करते हैं उसके लिये भी आप कुछ निर्णय ले सकें. हमारा यह मत है कि मध्यप्रदेश जिस तरीके से आवारा पशुओं की संख्या बढ़ रही है. आज सदन में आप एक-एक विधायक से पूछ कर देख लो, कोई विधायक चैन से नहीं है. अवैध पशुओं की जो संख्या बढ़ रही है उससे किसानी करना मुश्किल हो रहा है, खेती करना मुश्किल हो रहा है. आपको वन्य अभ्यारण बनाने की ओर जाना चाहिये. इसके अलावा कोई और उपाय नहीं है. कमल नाथ जी जो गौशालाएं खोली थी, उनसे थोड़ी राहत जरूर मिली लेकिन वहां की अगर मोटर खराब हो गयी तो तो पानी का साधन नहीं है. उनके खाने के लिए भूसे की कमी है. ऐसे में जानवर उन गौ-शालाओं में मर रहे हैं हजारों की संख्या में मर रहे हैं. आप उनकी तरफ ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, उनके लिए आप पर्याप्त व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए आपको गौ अभ्यारण्य बनाना चाहिए. मेरी राय है कि गौ अभ्यारण्य आपको वन विभाग की जमीन पर बनाना चाहिए क्योंकि उनसे पेड़ों को नुकसान नहीं होना है, उनमें और ज्यादा पेड़ जम जाएंगे अगर आप गौ अभ्यारण्य बनाएंगे. मैं समझता हूं कि आपको हर संभाग में कम से कम एक गौ अभ्यारण्य बनाकर यह देखना चाहिए कि हम किस तरीके से इन आवारा पशुओं को गौ अभ्यारण्य में डालकर खेतों में किसानी को बचा सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात, कृषि के मामले में बहुत सब्सिडी देते हैं. कई प्रकार की सब्सिडी दी जाती है, ट्यूबवेल के लिए, इक्विपमेंट के लिए सब्सिडी देते हैं, अन्य साधनों के लिए देते हैं तो क्यों नहीं आप जानवरों से बचाने के लिए उन्हें फेंसिंग करने के लिए सब्सिडी का प्राविजन करते हैं. अगर किसान खेत के चारों तरफ बाड़ लगा लेगा, फेंसिंग कर लेगा तो मैं समझता हूं कि कुछ तो वह बचत कर लेगा. इसकी तरफ भी हमें ध्यान देना चाहिए, यह मेरे दो सुझाव हैं. तीसरा सुझाव है कि श्री कैलाश जी कहेंगे कि कुछ भी मांग कर रहे हैं. श्री कैलाश जी, आपने टीकमगढ़ को अमृत 2.0 योजना टीकमगढ़ को दी है. हमें 7 एमसीएम पानी की आवश्यकता है. हमारे पास में पानी है केवल 1 से 1.5 एमसीएम और मेरा आपसे निवेदन है कि आप जहां पर पानी का सोर्स है, वहां अमृत 2.0 योजना में 35 या 38 करोड़ रुपये का आपने प्राविजन भी किया है. हमारा निवेदन है कि उससे काम नहीं चल रहा है. अभी हमारे यहां टीकमगढ़ में 4 दिन में एक बार पानी आता है तो हमारा निवेदन है कि आप कम से कम 7 एमसीएम वाटर की व्यवस्था करें और जो बान सुजारा बांध है उससे पानी उपलब्ध कराएं क्योंकि टीकमगढ़ की आबादी करीब 1 लाख के करीब होने जा रही है. अगर आपने 38 करोड़ रुपये व्यय कर दिये तो मैं समझता हूं कि जनता वर्षों तक गाली देगी. आपको देगी, हमें देगी और सबको देगी कि आपने इतनी बड़ी राशि खर्च कर दी और पानी हमें एक दिन भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है इसलिए अगर आप योजना बना रहे हैं. अमृत 2.0 उसका नाम रखा है तो मैं समझता हूं कि आप पर्याप्त पानी का सोर्स ढूंढे, जब तक पर्याप्त पानी का सोर्स नहीं हो, तब तक यह योजना चालू नहीं करे, नहीं तो वर्षों तक गाली खाते रहेंगे. जो वर्तमान में टीकमगढ़ की स्कीम है, उस समय जब टीकमगढ़ की स्कीम बनी थी तो 16 हजार की आबादी थी और आज 1 लाख आबादी हो रही है. आप आगे के 25 या 50 साल की स्कीम लेकर चल रहे हैं. 50 साल बाद तो कितनी आबादी हो जाएगी, यह आप सोच लें तो वर्षों तक गाली खाएं, इससे अच्छा है कि अभी से आप उपाय कर लें और पर्याप्त पानी की टीकमगढ़ के लिए व्यवस्था करें. कम से कम दिन में एक बार तो पानी आने लगे ऐसी व्यवस्था कर दें. मैं समझता हूं कि इससे जनता प्रसन्न होगी. अध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद, आपने जो बोलने का मौका दिया.
श्री हेमंत विजय खण्डेलवाल (बैतूल) - अध्यक्ष महोदय, मैं वित्तमंत्री जी द्वारा जो लेखानुदान मांग प्रस्तुत की गई है उसका समर्थन करता हूं. 1 लाख 19 हजार करोड़ रुपये की जो उन्होंने मांग की है, इस अंतरिम बजट में कोई टैक्स भी नहीं लगाया है. उसके लिए भी मैं उनका धन्यवाद करता हूं. दो लोकसभा के पहले दो अंतरिम बजट आए और उन बजट में कुल बजट की 30 प्रतिशत राशि का ही उपयोग किया गया, जबकि इस बजट में 40 प्रतिशत की राशि का उपयोग करके हमारे वित्तमंत्री जी ने तत्कालीन जो विषय है उसकी चिंता की. मैं नहीं भी याद दिलाऊं तो भी बताना पड़ेगा कि यह राशि इतनी ज्यादा है कि जब वर्ष 2003 में कांग्रेस का बजट आता था तो मात्र 23 हजार करोड़ रुपये का कुल बजट होता था. हमारा अंतरिम बजट ही उससे 4-5 गुना ज्यादा का है.
अध्यक्ष महोदय, शिक्षा विभाग के लिए मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने लगभग 13 हजार करोड़ रुपये का प्राविजन किया. शिक्षा विभाग में सीएम राईज स्कूल के रूप में एक नया प्रयोग हो रहा है. अभी हमारे विरोधी पक्ष के लोग कह रहे थे कि क्या सिर्फ सीएम राईज स्कूल ही बनेंगे बाकी स्कूल का क्या होगा? मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि सीएम राईज स्कूल न सिर्फ जिला मुख्यालय पर, ब्लॉक मुख्यालय पर बल्कि गांवों के समूह 4-4, 5-5 गांव के बीच में बनेंगे. 2-2, 3-3 हजार बच्चे उसमें शिक्षा प्राप्त करेंगे. उन्हें ट्रांसपोर्ट की भी सुविधा रहेगी. उन्हें अच्छा लैब भी मिलेगा. अच्छी लाइब्रेरी भी मिलेगी. उन्हें अच्छा खेल का मैदान भी मिलेगा. उन्हें वह सारा वातातरण मिलेगा, जिसकी उम्मीद एक गरीब का बच्चा सरकार से करता है. मैं समझता हॅूं आने वाले समय में सीएम राइज़ स्कूल लोगों को इस प्रदेश में एक ऐसा अनुभव देंगे, जिसकी कल्पना इस देश का हर बच्चा सरकार से करता है.
अध्यक्ष महोदय, मैं सरकार को इस बात के लिये भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि कृषि विभाग के लिए भी आपने 9 हजार 568 करोड़ रूपए की राशि रखी. सम्मान निधि के रूप में हमारी केन्द्र सरकार 6 हजार रूपए दे रही थी, उसमें 6 हजार रूपए आप भी मिला रहे हैं, तो कुल मिलाकर 12 हजार रूपए की राशि आप दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, पशुपालन के लिए भी आपने 653 करोड़ रूपए दिए. पशुपालन विभाग जितना आगे बढे़गा, जैविक खेती को उतना बढ़ावा मिलेगा. आज फसल बीमा के बारे में, जिसकी कल्पना भी कांग्रेस ने नहीं की थी, हमारी सरकार 20 हजार करोड़ रूपए का आज तक भुगतान कर चुकी है. मैं आपको बताना चाहूंगा कि गेहूं के मामले में हमारा प्रदेश देश का 46 परसेंट निर्यात करता है और यह मध्यप्रदेश सरकार की सफलता ही है जो हम देश में न सिर्फ गेहूं के निर्यात में अग्रणी हैं, बल्कि प्राकृतिक खेती में भी हमारा नंबर वन है. हम मिलेट्स की खेती में भी आने वाले समय में नंबर वन होने जा रहे हैं. ड्रोन का जो उपयोग है उसके लिए भी मध्यप्रदेश सरकार टेक्नीकल शिक्षा दे रही है. उसमें भी सरकार 50 परसेंट का खर्चा उठा रही है. मैं समझता हॅूं कि आने वाले समय में इस देश का अग्रणी राज्य कृषि के मामले में यदि कोई रहेगा, तो वह मध्यप्रदेश रहेगा.
अध्यक्ष महोदय, इन्फ्रॉस्ट्रक्चर के मामले में भी मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने 17 हजार करोड़ रूपए का प्रोवीज़न रखा. सिर्फ नगरीय निकाय को 6 हजार करोड़ रूपए दिया. मैं हमारे विपक्षी सदस्यों को बताना चाहूंगा कि जो हमारी लाड़ली बहना आवास योजना थी, उसके लिए भी प्रोवीज़न है. उसके लिए 1 लाख शहरी आवास बनेंगे. उसकी चिन्ता हमारे वित्त मंत्री जी ने की. पीएचई के लिए भी 4083 करोड़ रूपए का प्रोवीज़न रखा. इस देश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ही थे, जिन्होंने कल्पना की कि हर घर नल पहुंचना चाहिए. नहीं तो हमारे यहां के आदिवासी अंचलों में 5-7 किलोमीटर से लोग पानी पीने आते थे और पीने का पानी किसी के घर तक पहुंच जाए, यह सिर्फ कल्पना थी. उसे साकार करने का काम हमारे प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के सपनों को माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी की सरकार कर रही है. मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय, आपने लोक निर्माण विभाग में भी लगभग 4 हजार 97 करोड़ रूपए का प्रावधान किया. मैं बताना चाहूंगा कि वर्ष 2001 में मात्र 44 हजार किलोमीटर सड़कें ग्रामीण और शहर की मिलाकर थीं. आज 4 लाख 10 हजार किलोमीटर सड़कें हैं. 10 गुना सड़कें 50 साल की तुलना में 20 साल में बनी हैं.
अध्यक्ष महोदय, जल संसाधन विभाग को भी आपने 3 हजार 83 करोड़ दिए. वर्ष 2003 से रकबा साढे़ सात लाख हेक्टेयर से 45 लाख हेक्टेयर पहुंचा. उच्च शिक्षा में भी आपने ढाई हजार करोड़ रूपए दिए. अब तो मुख्यमंत्री जी चाहते हैं कि हर जिले में एक एक्सीलेंस स्कूल बने. उच्च शिक्षा का वातावरण ऐसा होना चाहिए कि उच्च शिक्षा लेने के बाद विद्यार्थी सीधे जॉब में लग सकें. उस दिशा में यह सरकार काम कर रही है.
अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य के लिये भी मैं हमारे वित्त मंत्री जी को इसलिए धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने 5 हजार करोड़ रूपए का प्रोवीजन किया. पहले 5 मेडीकल कॉलेज थे और 600 सीटें थीं. आज 24 मेडीकल कॉलेज हैं और 3 हजार सीटें हैं. हमारे चिकित्सा मंत्री जी ने घोषणा की है कि हर लोकसभा में कॉलेज होना चाहिए. माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपको बताना चाहूंगा कि भारत में 1400 लोगों पर 1 डॉक्टर है. यूरोप में ढाई सौ लोगों पर एक डॉक्टर है. अगर आजादी के बाद कांग्रेस की सरकार ने चिन्ता की होती, तो हमारे यहां भी डॉक्टरों की संख्या होती. आज हमें 40 से 50 लाख डॉक्टर्स चाहिए और पूरे देश में मात्र 10 लाख डॉक्टर हैं. अगर मेडीकल कॉलेज हर जगह, हर जिले में बनेंगे, हर लोकसभा में बनेंगे, तब जाकर अगले 10-15 साल में हम यह पूर्ति कर पाएंगे. माननीय नरेन्द्र मोदी जी और डॉ.मोहन यादव जी की सरकार इस ओर आगे है.
अध्यक्ष महोदय, मैं धार्मिक मामलों के लिए आपको इसलिए भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि चाहे महाकाल लोक की चिन्ता करे, चाहे सलकनपुर की, चाहे रविदास स्मारक की, चाहे ओरछा में रामलला की, चाहे महाकाल लोक की चिन्ता करें, चाहे सलकनपुर की, आपने हर चीज की चिन्ता की. ऊर्जा विभाग में भी आपने साढ़े चार हजार मेगावाट से 25 हजार मेगावाट तक किया. अब तो हम सोलर से हर घर को आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रहे हैं. महिला बाल विकास की चिन्ता हमारा विपक्ष हमेशा करता है. महिला बाल विकास में 9 हजार 4 सौ करोड़ का प्रावधान है. लाडली बहनों के लिये 64 सौ करोड़ का है. हर महीने 16 सौ करोड़ रूपये लाड़ली बहना योजना में अगले चार महीने का प्रावधान है. इसलिये इसकी चिन्ता हमारा विपक्ष छोड़ दे. अंत में आदिवासी कल्याण के लिये मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने 4 हजार 287 करोड़ रूपये का प्रावधान किया. आपने एक योजना इस बजट में रखी है कि आदिवासियों के जो मजरे-टोले हैं 100 तक की आबादी के भी उनको भी पक्की सड़क से जोड़ने का काम किया है. यह हमारे अटल जी का सपना था प्रधानमंत्री सड़क का उसको आप आगे बढ़ा रहे हैं. आने वाले समय में आदिवासी वर्ग चाहे प्रधानमंत्री आवास का मामला हो, चाहे सड़क का मामला हो, चाहे पीने के पानी का मामला हो, वह अपना जीवन स्तर ऊंचा करें. इसमें आप लगातार प्रयास कर रहे हैं, इसके लिये उनको धन्यवाद देना चाहूंगा. माननीय वित्तमंत्री जी को हर विभाग के लिये, हर वर्ग के लिये, चिन्ता की है इसके लिये भी उनको धन्यवाद देना चाहूंगा. आपकी सूझ-बूझ के कारण ही हमारा अंतरिम बजट में हर वर्ग तथा हर विभाग की चिन्ता हुई. अभी तो पूरा बजट नहीं आया जो लगभग साढ़े तीन लाख करोड़ से भी ज्यादा का हो सकता है. जब बजट आयेगा तो मैं समझता हूं कि हर वर्ग के चेहरे को खिलाने का काम आप करेंगे. आप हर वर्ग, हर विभाग की जो चिन्ता की है उसके कारण इस प्रदेश में हर व्यक्ति का चेहरा खिलेगा. धन्यवाद
3.41 बजे (माननीय सभापति {श्री अजय विश्नोई}पीठासीन हुए)
श्री केदार चिड़ाभाई डाबर(भगवानपुरा)--सभापति महोदय,मैं लेखानुदान 2024-25 का विरोध करते हुए मांग करता हूं कि मांग संख्या 12 ऊर्जा विभाग पर हम सब टिके हुए हैं, हमारा किसान भाई टिका हुआ है. गरीब लोग टिके हुए हैं, जिनके घर में एक बत्ती कनेक्शन जलता है. ऊर्जा विभाग द्वारा एक डी.पी.पर सौ-सौ कनेक्शन दे दिये जाते हैं, जिसके कारण लोगों को वोल्टेज नहीं मिल पाता है, वहां पर नयी डी.पी. नहीं लगाई जाती है. उनसे टेम्प्रेरी कनेक्शन के नाम पर शासन पैसा ले लेता है. उन क्षेत्रों में डी.पी.बदलनी चाहिये, उस पर खर्चा करना चाहिये. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 175 ऐसे मजरे-टोले हैं जहां पर एक बत्ती कनेक्शन नहीं दिया गया है. कुछ गांव तो ऐसे हैं, जैसे डोंगिल्यापानी, कालापानी, कलिया मुहाड़, रोजड़ा और मोजड़ा यह आजादी के बाद भी बिजली के एक बत्ती कनेक्शन से वंचित हैं. मेरा अनुरोध है कि आने वाले इस लेखानुदान में इसमें अतिरिक्त आवंटन करके इन क्षेत्रों में बिजली का एक बत्ती कनेक्शन उपलब्ध करवाया जाये. मांग संख्या 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जहां पर नल जल योजना जलजीवन निगम के माध्यम से आदिवासी क्षेत्रों में और अन्य क्षेत्रों में पेयजल की व्यवस्था की जाना है. लेकिन इसको पूरा होने में काफी समय लगेगा. मेरा क्षेत्र आदिवासी मजरों और टोलों और पहाड़ी इलाकों में बसा हुआ है, जहां पर आवागमन के साधन नहीं हैं. वहां नल-जल की कोई कल्पना नहीं कर सकते हैं. वहां पर पेयजल के लिये आने वाले सत्र में अतिरिक्त हैण्डपम्पों की स्वीकृति भी उसमें जोड़ी जाये.
जल संसाधन विभाग की बात करें, मांग संख्या 23 की, इसमें जो भी प्रावधान है, जल संसाधन विभाग जितना काम करें, किसानों के लिए वह कम है. मेरी विधान सभा क्षेत्र में देजलादेवाड़ा, बाणगंगा, गारगलतार तालाब वर्षों पुराने हैं, जिनकी कैनालें टूट चुकी हैं, खेतों में पानी नहीं जा पाता है, कैनालों को पक्का करने के लिए उसमें प्रावधान रखा जाए. हमारे यहां अपरवेदा तालाब भी बना हुआ है, जिसकी कैनालें पक्की नहीं है, जिससे किसानों के खेतों में पानी नहीं पहुंचता है, पानी रिसता है, जिससे किसानों की फसलें नुकसान होती है, इसमें अतिरिक्त प्रावधान किया जाए और आदिवासी क्षेत्र भगवानपुरा की इन तालाबों की कैनालों को पक्का करने का प्रावधान इसमें जोड़ा जाए. एक तालाब खारक तालाब योजना है, जिस ग्राम चोखंड में जो तालाब बना है, जिसकी जमीन डूब में आई है, उन लोगों को किसानों को, आदिवासियों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है. इस तालाब से एक उदवहन परियोजना तैयार की जाए जिससे चोखंड, कानयापानी, कावरी, भुलवानया और विलबा को पानी मिल सके. सभापति महोदय अनुरोध करुंगा कि इसको इसमें जोड़ा जाए.
लोक निर्माण विभाग मांग संख्या 24 के विषय में कहना चाहूंगा कि आदिवासी क्षेत्रों में अनेक गांव पहुंच विहीन है. प्रधानमंत्री सड़क से भी पहुंच विहीन है, इन गांवों में जहां प्रधानमंत्री सड़क योजना नहीं पहुंच पा रही, वहां लोक निर्माण विभाग अपने बजट में लें, आने वाले इस लेखानुदान में लें, अतिरिक्त आवंटन देकर ग्राम की एक जो मुख्य सड़क हैं, बड़हा से ठान जो नेशनल हाइवे को जोड़ती है, तीन किलोमीटर है. खोलगांव से लहकू, खामखेड़ा से लहकू, धुलकोट से कानयापानी सेंधवा को जोड़ने वाला मार्ग, ऐसे मार्गों को इस लेखानुदान में जोड़कर स्वीकृति प्रदान करें.
मांग संख्या 33 जनजातीय कार्य विभाग के अंतर्गत मेरा पूरा आदिवासी विधान सभा क्षेत्र हैं और सारी योजनाएं जनजातीय कार्य विभाग से संचालित है, इसमें जो भी आपने प्रावधान किया, वह अपनी जगह है. मैं मांग करुंगा कि जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति महंगाई के हिसाब से नहीं बढ़ाई गई, वह इसमें जोड़ा जाए और आज के हिसाब से जो जनजाति की छात्र-छात्राएं हैं, उनके लिए छात्रवृत्ति का प्रावधान रखा जाए. साथ ही क्षेत्र में जितने भी मिडिल स्कूल है, प्रायमरी स्कूल है, छात्रावास है, छात्रावासों की सीटें बढ़ाई जाए और उनका रेनोवेशन किया जाए, बिल्डिंग बढ़ाई जाए, ताकि छात्रों को रहने की सुविधाएं मिल सके वे अच्छे से पढ़ाई कर सके. क्षेत्र में स्कूल भवन जर्जर है, आज से 25 से 40 साल पहले बने हुए भवन हैं, जो जर्जर हो चुके हैं, वहां छात्र बैठ नहीं पाते हैं. ऐसे स्कूल भवनों को उसमें जोड़ा जाए और आदिवासी विधान सभा भगवानपुरा के क्षेत्र के ऐसे मिडिल स्कूल, प्रायमरी स्कूलों को जहां प्राथमिक शिक्षा जो मिलती है, उसको मजबूत करने के लिए इसमें प्रावधान रखा जाए. साथ ही मांग संख्या 48 नर्मदा घाटी विकास के माध्यम से क्षेत्र में अनेक उद्वहन परियोजनाएं चल रही हैं. मेरी विधान सभा क्षेत्र में नांगलवाड़ी उद्वहन परियोजना चल रही है जिसका काम चालू है, उसमें कुछ आदिवासी गांव छूट चुके हैं, वे इस लेखानुदान में सम्मिलित करके, राशि अतिरिक्त आवंटन करके चाहे चिजगढ़ हो, तिरी, केली, सांगवी, सिंनखेड़ी, भडवाली, या डालकी हो सिलोटिया हो ये गांव के ऊपरी भाग जहां बिलकुल गरीब लोग रहते हैं, इन गांव के किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है, वहां अतिरिक्त लाइन बढ़ाई जाए, उनको लाभ दिया जाए. अध्यक्ष जी आपने बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री गौरव सिंह पारधी(कटंगी) -- माननीय सभापति महोदय, सबसे पहले मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने प्रथम बार के लेखानुदान में ही मुझे बोलने का मौका दिया है. मैं पहली बार का सदस्य हूं और मुझे पूर्ण विश्वास है कि आपका आश्रय मुझे प्राप्त होगा.
माननीय सभापति महोदय, हमारे वित्तमंत्री जी ने एक ऐसा लेखानुदान बजट पेश किया है.
''मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक।
पालै पोसै सकल अंग, तुलसी सहित विवेक॥ ''
जिसको हम कहेंगे मुखिया मुख से चाहिये खान पान सौ एक पालै पोसै सकल अंग तुलसी सहित विवेक. हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की राह, हमारे मुखिया, इस प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी के संरक्षण में हमारे वित्तमंत्री जी ने ऐसा बजट दिया है, जो सबकी चिंता कर रहा है. एक मुख से खा रहे हैं, लेकिन चिंता हर अंग की कर रहे हैं. ऐसे बजट को पेश करने वाले मैं वित्तमंत्री जी को सबसे पहले बहुत सारी बधाई और बहुत सारा धन्यवाद देना चाहूंगा.
माननीय सभापति महोदय,अनेकों चीजें की गईं, जो मेरे पहले वक्ताओं के द्वारा बताई गई हैं, लेकिन जो विशेष बात जो मैं आपके ध्यान में लाना चाहूंगा कि इस लेखानुदान में लगभग 12 प्रतिशत राशि जो है, वह अधोसंरचना विकास के लिये रखी गई है, इससे हमारे मॉ नर्मदा के तट पर निवास करने वाले अनेकों लोग हैं और रीवा से लेकर मालवा तक का अंचल मां की पुकार से चिंता करता है तो मां नर्मदा का जितना हमको जल मिला है, उस जल का पूरा उपयोग करने में हमको सहयोग मिलेगा.
माननीय सभापति महोदय, हमारे अभी भाई बोल रहे थे, जनजाति क्षेत्र में हमारे प्रधानमंत्री जी की जन मन योजना के तहत, चाहे वह बिजली की समस्या हो, चाहे सड़क की समस्या हो, सारी समस्याओं का हल होगा. आप चिंता मत कीजिये थोड़ा-थोड़ा इंतजार कीजिये, साथ ही साथ स्वास्थ्य विभाग के लिये भी लगभग साढे़ पांच प्रतिशत राशि रखी गई है, जिसमें अनेकों व्यवस्थाएं होंगी और जिसमें मुझे पूर्ण विश्वास है कि मेरे क्षेत्र के सिविल अस्पताल की जो मेरी प्रार्थना है, वह भी मुझे लगता है कि जरूर पूरी होगी. किसानों के लिये लगभग साढ़े सात प्रतिशत राशि रखी गई है, इसमें सारी चीजें दी जायेंगी.
माननीय सभापति महोदय, बीच में एक विषय आया था कि किसानों की बिजली के लिये क्या किया जा रहा है, तो माननीय सभापति महोदय, मैं आपको बताना चाहूंगा कि पहले किसानों की बिजली के लिये एक योजना चलती थी, जो 15 महीने की कांग्रेस की सरकार में खत्म कर दी गई थी, पुन: हमारी सरकार स्थापित हुई है और अटल कृषि ज्योति जो योजना है, उसके माध्यम से किसानों को अनुदान पर बिजली प्रदान की जायेगी.
माननीय सभापति महोदय, हम विकसित भारत का संकल्प लेकर माननीय प्रधानमंत्री की राह में हम देखेंगे कि आने वाले समय में वर्तमान में भारत जो है एक पांचवें नंबर की अर्थव्यवस्था है, आने वाले समय में यह तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनेगी और यह हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कार्यकाल में ही बनेगी.
माननीय सभापति महोदय, 25 करोड़ लोगों को हमने गरीबी के ऊपर लाया और एक बात में और सबके ध्यान में लाना चाहूंगा कि जब-जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार रहती है, भगवान की अनुकंपा ऐसी रहती है कि हमारी इन्फ्लेशन जो है, वह कम हो जाती है. हमारी मंहगाई की दर कम हो जाती है. अगर मैं प्रदेश की बात करूं तो हमारा प्रदेश जो है, देश को प्रमुख 18 राज्यों में सबसे नीचे की मंहगाई दर में आता है, 3.9 की सी.पी.आई. दर से हमारे प्रदेश में मंहगाई की दर है.
माननीय सभापति महोदय, साथ ही साथ मैं एक बात और बताना चाहूंगा कि जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तभी मध्यप्रदेश जो है वह बीमारू राज्यों की श्रेणी से बाहर आया, इसके अलावा हमारी इस देश की जी.डी.पी. अर्थव्यवस्था में हमारी जो हिस्सेदारी थी, वर्ष 2003 तक साढ़े तीन प्रतिशत थी और आज हमारी इस देश में हिस्सेदारी 4.84 प्रतिशत हो गई है, जिससे यह लगातार बता रहे हैं कि हमारे वित्तमंत्री लोगों का हमें सही मार्गदर्शन मिल रहा है, सही दिशा मिल रही है.
माननीय सभापति महोदय, साथ ही साथ मैं एक बात और आपके ध्यान में लाना चाहूंगा कि हम जब बात करते हैं बेरोजगारी की तो मध्यप्रदेश की बेरोजगारी भी जो है, वह कम में है, वह 3.2 प्रतिशत है, जो कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में हमारी बेरोजगारी भी सबसे कम है और अभी हम बात कर रहे थे कि हम पूंजीगत निवेश नहीं कर रहे हैं. मैं ध्यान में लाना चाहूंगा कि जब पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकारें रहती थी, मात्र हमारी जी.एस.डी.पी. का 3 प्रतिशत जो है, वह पूंजीगत निवेश में जाता था, जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकारें बनी हैं. यह 4 प्रतिशत से ज्यादा है जो कि अपने आप में एक इतिहास है. एक बात और बताना चाहूंगा, बेरोजगारी के लिये भी अनेक काम हो रहे हैं, लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण बात है किसी भी प्रदेश में शिक्षा के लिये क्या किया जा रहा है तो शिक्षा के लिये आज हमारे प्रदेश का 3 प्रतिशत से ज्यादा, जीएसडीपी का 3 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षा में लगाया जा रहा है जो कि हमें दिख रहा है. आने वाले समय में मुझे उम्मीद है कि हमारे जिले में जो पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस बनेंगे उससे शिक्षा भी अच्छी होगी और शिक्षा ही नहीं स्वास्थ के लिये भी जब कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारें हुआ करती थीं तो एक प्रतिशत से भी कम जीएसडीपी का स्वास्थ में लगाया जाता था, लेकिन जबसे हमारी सरकारें आई हैं तब से यह सवा प्रतिशत से डेढ़ प्रतिशत तक चला गया है. माननीय सभापति महोदय, बार-बार सब बोलते हैं कर्जा ले लिया, कर्जा ले लिया अब मैं आपके सामने दूध का दूध और पानी का पानी करूंगा. वर्ष 2002 में हमारे जीएसडीपी का 32 प्रतिशत से ज्यादा कर्जा था और आज वह 30 प्रतिशत है, लेकिन इससे ज्यादा अच्छा पैमाना जो है वह टोटल लायबिलिटी टू जीएसडीपी होता है और वर्ष 2002 में वह 43 प्रतिशत था और आज वह 30 प्रतिशत है. कर्जा लेने की बात हम नहीं, कर्जा लेने का काम पूर्ववर्ती सरकारों ने किया और हमको उनके नुकसान की भरपाई भी करनी पड़ी और एक विषय में आपके ध्यान में लाना चाहूंगा Interest payment to revenue receipt एक बड़ा अच्छा पैमाना होता है समझने के लिये कि प्रदेश कितने कर्जे में है. वर्ष 2002 में यह 19 प्रतिशत था और आज 10.35 प्रतिशत है. माननीय सभापति महोदय, मैं एक बात आपके ध्यान में और लाना चाहूंगा, बीच में एक चर्चा चली थी कि जब से भाजपा की सरकार आई है फाइनेंस कमीशन हमारी हिस्सेदारी कम करता जा रहा है. मैं आज आपके ध्यान में लाना चाहूंगा कि वर्ष 2015 में फाइनेंस कमीशन ने 41 प्रतिशत किया है, वर्ष 2014 में 42 था, यह जो एक प्रतिशत कम हुआ है वह इसलिये हुआ है कि जम्मू एण्ड कश्मीर जो पहले राज्य होता था वह यूनियन टेरिटरी बन गया है तो उसी के हिस्से को कम करने के हिसाब से वह किया गया है. उसके पहले यूनियन टेरेटरी वर्ष 2013 फाइनेंस कमीशन तक वह सिर्फ 32 प्रतिशत तक होता था और इसमें सबसे बड़ा काम किया है वह हमारी अटल बिहारी जी की सरकार ने किया है. वर्ष 2000 में Eightieth Amendment of the constitution लाकर, उसके पहले जो राज्यों की हिस्सेदारी होती थी वह सिर्फ इनकम टेक्स का हिस्सा मिलता था, कारपोरेट टेक्स और बाकी एक्साइज ड्यूटी में से राज्यों को कुछ नहीं मिलता था. Eightieth Amendment of the constitution से आर्टिकल 270 और 272 को चेंज करते हुये अब राज्यों को केन्द्र के हर टेक्स में हिस्सेदारी दी गई है और यह सिर्फ हमारे अटल बिहारी जी की सरकार में किया गया और पूरा टेक्स रेग्यूलेशन जब-जब सुधारा गया तब-तब भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही, चाहे वह वेट लाने की शुरूआत हो वर्ष 2001 में या उसके बाद जीएसटी की हो. माननीय सभापति महोदय, भारतीय जनता पार्टी की हमारी सरकार इस देश के वित्त को सुधारते हुये इस देश को विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिये प्रयासरत है और इस प्रदेश को हम धीरे से बीमारू से अब 10वें नंबर पर देश के लाये हैं. आने वाले समय में हम इसको और आगे ले जायेंगे, इसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को, हमारे वित्त मंत्री जी को बहुत सारी बधाई देना चाहता हूं, बहुत सारा आभार करना चाहता हूं कि एक अच्छा लेखानुदान लाकर, एक अच्छा बजट लाकर इस दिशा में हमारे प्रदेश को लाये हैं. बहुत-बहुत आभार है.
श्री विजय रेवनाथ चौरे (सौंसर)-- माननीय सभापति महोदय, मैं लेखानुदान जो प्रस्तुत किया है उसके विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. बहुत सारी बातें दो-तीन दिन से हो रही हैं कि देश की सरकार 80 करोड़ लोगों को राशन दे रही है, प्रदेश की सरकार साढ़े तीन करोड़ लोगों को राशन दे रही है. जिस देश की जनता को, प्रदेश की जनता को 2 रूपये किलो चावल और 1 रूपये किलो गेहूं पर सरकार पर निर्भर रहना पड़ रहा है यह आप आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं. मैं इसलिये कहना चाह रहा हूं सभापति महोदय कि आज 80 करोड़ लोगों को जब राशन देना पड़ रहा है तो यह समझ में आता है कि गरीबी रेखा की दर में हम कहां जा रहे हैं. बहुत सारे साथी अभी कह रहे थे कि गरीबी रेखा से बहुत सारे लोगों को ऊपर उठा लिया. वर्ष 2010 में जितने गरीबी रेखा में नाम थे उससे दोगुने नाम आज जुड़ गये हैं, आप तहसील कार्यालय में रिकार्ड उठाकर देख लेना, यह स्थिति है. आज से 15 साल पहले राशन की दुकानों पर हम लोग भले ही छोटे-छोटे थे, 20 साल, 25 साल पहले की बात है, उस समय राशन की दुकानों में गेहूं मिलता था, चावल मिलता था, शक्कर मिलती थी, केरोसिन मिलता था, सारी वह चीजें मिलती थीं, उपलब्ध होती थीं और अब तो जब से भाजपा की सरकार आई है, शक्कर तो पता नहीं कहां चली गई, केरोसिन 90 रूपये लीटर,जो 3 रुपये लीटर कांग्रेस के राज में मिलता था आज वह 90 रुपये लीटर,डीजल और केरोसिन का दाम एक जैसा.यह स्थिति हो गई है. तो मैं इसलिये कहना चाह रहा हूं कि शक्कर गायब हो गई राशन की दुकानों से,मिट्टी का तेल गायब हो गया राशन की दुकानों से,गेहूं गायब हो गया मेरे विधान सभा क्षेत्र में गेहूं के बदले में चावल दिया जा रहा है और वह भी सड़ा हुआ,घुन लगा हुआ जिसको जानवर तक नहीं खा रहे. यह आपकी व्यवस्था है. आप कह रहे हैं कि 80 करोड़ लोगों को हम राशन दे रहे हैं. इतनी बड़ी बातें यह सब केवल कागजी बातें हैं जमीन पर चलकर देखिये आप सत्ता पक्ष के साथी कि वहां पर क्या स्थिति है. मैं यह कहना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री आवास की बात हुई, खूब सारी बातें कर रहे हैं कि हमने इतने लाख प्रधानमंत्री आवास दे दिये.शहरों में आप ढाई लाख रुपये दे रहे हैं और गांव में कितने दे रहे हैं एक लाख तीस हजार जबकि उसको सरिया,सीमेंट,गिट्टी,लोहा सब कहां से लाना पड़ता है शहरों से, उसको महंगा पड़ता है. यह सौतेला व्यवहार क्यों. क्यों न बजट में प्रावधान किया आपने जो कि आप नगरीय क्षेत्र में ढाई लाख रुपये दे रहे हो वह आप ग्रामीण क्षेत्र में भी दें. क्यों प्रावधान नहीं किया आपने इसका भी जवाब देना चाहिये तो जो गांधी जी ने कहा था कि हमारा देश देखना है इसकी वास्तविकता देखनी है इसकी तस्वीर देखना है तो गांव में जाकर देखना चाहिये पर मैं इसलिये कहना चाह रहा हूं कि एक लाख तीस हजार रुपये में एक बड़े नेता का बाथरूम नहीं बनता है. मैं गलत तो नहीं कह रहा हूं. मैं इसलिये कहना चाह रहा हूं कि आज एक गांव में पांच,सात,दस के टारगेट आ रहे हैं. कई मकानों के भाई,बहन ऐसे हैं जो पालिथीन डालकर अपने घर में रह रहे हैं. कई मकान ऐसे हैं जिनकी पहली बारिश में दीवारें ढह गईं. कोई मापदण्ड नहीं है. 2011 में जो सर्वे हुआ था उसी सर्वे के आधार पर जनगणना के आधार पर आप मकान आवंटित कर रहे हैं यह कितने बड़े दुर्भाग्य की बात है. आज विकलांग लोगों को कोई प्राथमिकता नहीं है. हमारी विधवा माताएं,.बहनों को कोई प्राथमिकता नहीं है. प्रधानमंत्री आवास में कोई क्राईटीरिया नहीं है. सरपंच सचिव थोड़े बहुत पैसे खा लेता है.जनपद के अधिकारी,जिला के अधिकारी से पीछे के रास्ते से प्रधानमंत्री आवास मिल जाता है. इन सब चीजों पर गौर करने की जरूरत है. हमको भी इस बात की प्रसन्नता है आप अच्छा काम करेंगे हम आपकी प्रशंसा भी करेंगे पर आप जहां गलत होंगे हम आईना भी दिखाएंगे. बहुत लंबी चौड़ी बात हो रही थी. गौशाला की बात बताना चाहता हूं. हमारे नेता आदरणीय कमलनाथ जी जब प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने पूरे प्रदेश में एक हजार गौशालाएं खोली थीं. आज क्या हालत है और कितनी संचालित है मुझे नहीं पता पर मैं कहना चाह रहा हूं कि बीस रुपये प्रति गाय के लिये गौशालाओं में चारा दिया जाता है. बीस रुपये के चारे में कुछ नहीं होता. आज एक हजार गौशालाएं संचालित हैं उसमें कई गायें मर रही हैं. गाय हमारी माता है. बीस रुपये में कुछ नहीं होता. एक अच्छे छोटे से आदमी, इंसान के छोटे से पेट के लिए 200 रुपये की थाली आती है राजहंस होटल में और गौमाता का 10 गुना पेट है उसको आप 20 रुपये दे रहे हैं. यह सोचने वाली बात है कि उस गाय को कम से कम जो चारा मांगती है भूसा मांगती है घास मांगती है उसको कम से कम बजट में 150 रुपये प्रति गाय के हिसाब से चारा तय होना चाहिये. बहुत सारी बातें हमारे साथियों ने कही कि हम विकसित भारत की बात कर रहे हैं. समृद्ध भारत की बात कर रहे हैं.मोदी जी का डंगा पूरे देश में बज रहा है लेकिन मैं कहना चाह रहा हूं कि आज हमारे देश की अर्थव्यवस्था कहां जा रही है. मनमोहन सिंह जी की देन है यह खाद्यान्न की बात जो मैंने यहां बोली. राशन,भोजन का अधिकार कांग्रेस की सरकार ने दिया है आपने कुछ नया नहीं किया है. यह कांग्रेस की सरकार की देन है आप तो सिर्फ राशन दिये जा रहे हो जो कि पुरानी परंपरा चल रही है. आज बेरोजगारी की क्या हालत है. आज हर नौजवान,पढ़े लिखे लड़के दर-दर भटक रहे हैं रोजगार के लिए. आज बेकलाग के पद खाली पड़े हुए हैं. आज हर विभाग की यह स्थिति है. 20 साल पहले एक समय ऐसा होता था कि जहां पर 5-5,10-10 लाईनमेन एक विद्युत मण्डल में होते थे. आज तो खम्भे पर 2 हजार रुपये देकर लाईनमेन रख लेता है और उसको खम्भे पर चढ़ाकर काम चला रहे हैं. लाईनमेन आज नहीं बचे हैं सारे रिटायर हो गए हैं. यह स्थिति है. हर विभाग की यह हालत है. शिक्षा विभाग में चले जाईये और कहीं भी चले जाईये.अभी नया पांढुर्ना जिला बना है. शिवराज जी ने नया जिला बनाया और आनन-फानन में घोषणा कर दी उसकी. उनको तो विधान सभा का चुनाव जीतना था. उन्होंने नया जिला बना दिया लेकिन वह सीट भी गंवा गए. वहां भी कांग्रेस की सीट आ गई. पांढुर्ना नया जिला बना दिया, अच्छी बात है, कोई बात नहीं, लेकिन केवल कलेक्टर और एसपी बैठा देने से जिला नहीं बनता माननीय सभापति महोदय, पांच हजार करोड़ रुपये का प्रावधान होना चाहिए. सारे दफ्तर, कृषि विभाग, पीएचई विभाग, पीडब्ल्यूडी विभाग, सारे विभागों के दफ्तर, अधिकारियों के निवास, उन सबके लिए सुविधाएं, इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. कलेक्टर और एसपी, जो वहां पर कृषि मण्डी बैठती है, उसमें टपरा लगाकर बैठे हैं. यह स्थिति है. फिर आप जिला बनाते क्यों हैं. जब आपको जिला बनाना है, नए-नए जिलों की घोषणा करना है तो सारे संसाधन भी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी सरकार की है.
माननीय सभापति महोदय, अभी हमारे एक साथी कह रहे थे कि वर्ष 2003 में 25 हजार करोड़ रुपयों का बजट होता था. अरे भैया, कर्जा भी तो कितना था, देखो. आज प्रदेश की सरकार 4 लाख करोड़ रुपये के कर्जे में है. जब 25 हजार करोड़ रुपये का बजट होता था, उस समय दिग्विजय सिंह जी के समय, तब सीमेंट की बोरी 80 रुपये में मिलती थी मेरे भाई और आज सीमेंट की बोरी का क्या भाव है, 300, 350 और 400 रुपये. रेत की ट्राली उस समय 150 रुपये में मिलती थी, आज रेत का ट्रैक्टर 5,000 रुपये में आ रहा है. ये आलम है. इसलिए मैं कहना चाह रहा हूँ कि पुरानी सरकार को, वर्ष 2003, दिग्विजय सिंह, दिग्विजय सिंह, कांग्रेस को बीमारू राज्य बोलकर कब तक कोसोगे भैया. अरे 20 साल हो गए आपको, 20 साल और 25 साल भी हो जाएंगे, आपको तो इस प्रकार की बातें करते हुए लज्जा आनी चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, मैं इसलिए कहना चाह रहा हूँ, बहुत सारी बातें हो रही हैं. लाड़ली बहनों की बात हो रही थी. अब लाड़ली बहनों के कारण तो आपने बहुमत ही हासिल कर लिया. ईश्वर ने आपको आशीर्वाद दे दिया, 163 आ गए. कोई बात नहीं, अच्छी बात है. पर लाड़ली बहना, जिन माताओं-बहनों की उम्र 60 साल के ऊपर हो गई, आज पैसों की उनको ज्यादा जरूरत है. वे बीमार होती हैं, उनको तकलीफ है, उनके पैर में दर्द है, हाथ में दर्द है, पीड़ा है और 60 साल की माताओं-बहनों को कोई पैसे नहीं, 1250 रुपये नहीं, यह कहां का न्याय है. आज उनके साथ अन्याय क्यों. आज 60 साल के ऊपर जो हमारी माताएं हैं, बहनें हैं, उनको भी 1250 रुपये मिलने चाहिए. संकल्प-पत्र में बात आती है कि हम लाड़ली बहनों को 3,000 रुपये देंगे. कोई बात नहीं, आपका 5 साल का संकल्प-पत्र है, हम 5 साल भी देखेंगे. मुझे तो पक्का पता है कि अप्रैल महीने में जहां चुनाव हुए, जहां मोदी जी का डंका बजा, वहां आपकी योजना बंद. यही होने वाला है. मैं इसलिए कहना चाह रहा हूँ कि बहुत सारी बातें हैं. बहुत सारे ऐसे हमारे धार्मिक स्थल हैं, जहां पर किसी का ध्यान नहीं है. बहुत सारे हमारे पुराने मंदिर हैं, जिनका जीर्णोद्धार करने की जरूरत है. बहुत सारे धार्मिक स्थल हैं, शिवजी के मंदिर हैं, गणेश जी के मंदिर हैं, रामजी के मंदिर हैं, जहां पर हमें जीर्णोद्धार करने की जरूरत है, उसके लिए कोई राशि नहीं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार तो धर्म के नाम पर खूब वाह-वाही लूटती है. राजनीतिक वोट बैंक बनाती है, फिर आप जहां-जहां हमारे पुराने छोटे-छोटे गांव में छोटे-छोटे मंदिर हैं, छोटे-छोटे स्थानों पर, छोटे-छोटे तहसील कार्यालयों में, जहां-जहां हमारे धार्मिक स्थल हैं, जो प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं, सौ-सौ, डेढ़-डेढ़ सौ साल पुराने हैं, क्या आपके पास उनके जीर्णोद्धार की कोई योजना नहीं है. माननीय सभापति महोदय, ये बजट में सारा प्रावधान करिए. मैं और अधिक समय न लेते हुए इतना जरूर कहना चाहता हूँ कि आप सब लोग हैं, हम आपकी सरकार को सहयोग करेंगे. हम आपके साथ खड़े भी रहेंगे, पर आप विधायकों के साथ सौतेला व्यवहार मत करिए. हमारी भी भावनाएं सुनिए. जैसे आप 4 लाख, 5 लाख लोगों के बीच में से जीतकर आए हैं ना, आप उनका नेतृत्व करते हैं. हम भी 4 लाख, 5 लाख लोगों के बीच में से जीतकर आए हैं और हम भी उनका नेतृत्व करते हैं. हम 65-66 लोग हैं. हम तो आपसे कह रहे हैं कि 15-15 करोड़ रुपये भाजपा के विधायकों को और 50 करोड़ रुपये सांसद जी को और विपक्ष के विधायक को...
श्री कमलेश्वर डोडियार -- चौरे जी, 67 हैं, 66 आप हैं और 1 मैं भी तो हूँ.
श्री विजय रेवनाथ चौर -- हां, ठीक है ना, आपका भी नाम ले लेता हूँ. आप भी हैं. कम से कम हम 67 लोगों को 5-7 करोड़ रुपये तो दे दो. हम भी तारीफ करेंगे. मैंने तो पिछले वक्तव्य में भी कहा है कि जिस दिन मंत्री जी भूमि-पूजन करने, उद्घाटन करने के लिए आएंगे, बहुत बड़ा हार लेकर के हम आपका स्वागत करेंगे और आपका आभार भी व्यक्त करेंगे. यही निवेदन करने आया हूँ. अपनी बात को यहीं समाप्त करता हूँ. आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद. माननीय सभापति महोदय का बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डोरी) -- माननीय सभापति महोदय जी, माननीय वित्त मंत्री जी ने जो वर्ष 2024-25 के लिए संभावित प्रावधान किया है, वह राशि है तीन लाख, चालीस हजार, छ: सौ बावन करोड़ रुपये और आपकी जो प्राप्ति है, वह है, दो लाख, बावन हजार, दो सौ अड़सठ करोड़ रुपये. 88 हजार 384 करोड़ रुपये आप कहां से लाएंगे ? इसका आपने उल्लेख नहीं किया है. आपने पूंजीगत प्राप्ति का कोई उल्लेख नहीं किया है. आपने पूंजीगत प्राप्ति का कोई उल्लेख नहीं किया है. आपने लोकसभा चुनाव की दृष्टि से एक लाख पैंतालीस हजार दो सौ उनतीस करोड़ रुपये की राशि, जो आपने चार महीने के लिए मांग की है. हमारे सभी सम्मानित साथी एवं माननीय सभापति महोदय जी, मध्यप्रदेश के मजदूर, आपको हर प्रदेश में मजदूरी करने के लिए जाते हुए मिल जाएंगे, खासतौर से महाकौशल से. हमारे यहां से आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक एवं सभी जगह मजदूर जा रहे हैं. मेरे ख्याल से रतलाम, नीमच एवं मन्दसौर से मजदूर राजस्थान और गुजरात मजदूरी के लिए जा रहे हैं, अलीराजपुर, धार, झाबुआ, बड़वानी के लोग भी मजदूरी के लिए जा रहे हैं.
माननीय सभापति महोदय, अभी झाबुआ में माननीय प्रधानमंत्री जी आए थे तो मुझे उम्मीद थी कि हमारे प्रदेश के मुखिया अपने इन विषयों को लेकर उनसे अनुरोध करेंगे. सब जगह से कम मजदूरी हमारे मध्यप्रदेश के मजदूरों को मिलती है. आपने इसमें कोई भी प्रावधान नहीं किया है, आपने मनरेगा में कोई राशि बढ़ाने में, यहां तक कि जो आप हमारे गरीबों को आवास के लिए राशि देते हैं, मैंने अभी विधान सभा में प्रश्न भी पूछा था, उसके उत्तर में भी आया है. अभी आप पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर और डब्ल्यूआरडी मिनिस्टर से पूछ लीजिये कि कितने एसओआर में क्या रेट आएगा ? 267 स्क्वायर फीट में उनको मकान निर्माण करना है, उसमें जो राशि है, उसका आप आकलन करा लीजिये. आप उसमें कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं. दूसरी तरफ आप आदिवासी क्षेत्रों में विकास की दुहाई देते हैं. हम तो बार-बार अनुरोध करते हैं कि आदिवासी क्षेत्रों की वास्तविक समीक्षा आपके ही लोग करके देख लें. आप जाकर वहां की परिस्थिति को देखकर आ जायें कि वहां किन-किन चीजों की वास्तविक आवश्यकता है.
माननीय सभापति महोदय जी, पूरी तरह से चाहे राज्य की सरकार की, चाहे केन्द्र की सरकार को हो. मल्टीनेशनल कंपनियों के इशारे पर बजट बना रही हैं, जो आने वाले भविष्य के लिए बहुत ही ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा. आज प्रदेश के अन्दर रसोइया जो खाना बनाने के काम करते हैं, आप उन्हें चार महीने से भुगतान नहीं कर पाये हैं. माननीय वित्त मंत्री जी आपको बड़ा धन्यवाद. मैं इसके लिए दे रहा हूँ कि आप चार महीने से भुगतान नहीं कर पाये हैं. आपकी कौन सी दुश्मनी है ? आपके खिलाफ कोई रसोइया चुनाव तो नहीं लड़ लिया था कि आपने उसका भुगतान नहीं किया. आपने 2,000/- रुपए चार महीने से नहीं दिए हैं. हमारे अंशकालिक कर्मचारी जिनके 4,000 रुपये से 5,000 रुपये, आपने भुगतान नहीं किये हैं. आप छात्रवृत्ति का भुगतान नहीं करा पा रहे हैं, यहां तक कि आपका जो जल जीवन मिशन है, आपके भी क्षेत्र में होगा, वहां निर्माण कराकर पंचायत को हैंडओवर कर दिए गए. पंचायत के पास बिल जमा कराने की राशि नहीं है, मोटर खराब हो गई है. उस मोटर को कौन चलायेगा ? अब आप कह रहे हैं कि 40 रुपये एवं 50 रुपये प्रति घर से आप लें. मेरा माननीय सभापति महोदय जी से निवेदन है कि गरीबी रेखा, अति गरीबी रेखा के जो लोग हैं. जिनके घर में जल के लिए कनेक्शन आपने दिए हैं, आप उनसे भी 50 रुपये मांग रहे हैं. आप लोक सेवा आयोग में जो आप आवेदन लेते हैं, उसमें भी शुल्क लगा दिया है. एक गरीब बीपीएल कृषक अगर अपनी जमीन का सीमांकन कराना चाहेगा, उसके सीमांकन के लिए भी आपने शुल्क लगा दिया है. आप तो कहीं भी शुल्क लगाने में पीछे नहीं हैं और आप भाषण देने में भी आगे हैं कि हम गरीबों के हित के लिए काम कर रहे हैं. आज माननीय वित्त मंत्री महोदय जी, एक लाख पैंतालीस हजार दो सौ उनतीस करोड़ रुपये की राशि चार महीने के लिए ले रहे हैं. आप यह बता दीजिये कि आपने किस गरीब के लिए इसमें प्रावधान किया है. आपकी यह जो धनराशि है, उससे अंतिम व्यक्ति का क्या सरोकार होने वाला है ? माननीय वित्त मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी का जो क्षेत्र है, रतलाम से लेकर नीमच और कुछ ऐसी जनजातियां हैं, जिनका आर्थिक जीवन संकट में है. आपको भी पता है कि किस तरह जीवन जीने के लिए वह कौन-कौन से रास्ते से अपना जीवन जीने की कोशिश करते हैं. आप कम से कम उन्हीं के लिए एकाध पैकेज ले आए होते. चाहे हमारे नट, पारधी या बेडि़या जनजाति के लोग हैं, आपने उनके लिए एक रुपये का प्रावधान नहीं किया है.
माननीय सभापति महोदय, हमने किसानों के लिए कहा कि छोटे-छोटे बांधों में जो पानी है, वह खेत तक पहुंच जाये. हमने उसकी DPR बनवाई, मंत्री जी से बात की तो मंत्री जी ने कहा कि पैसा ही नहीं है. आप 1 लाख 19 हजार 453 करोड़ रुपये चार माह के लिए ले रहे हैं लेकिन किसानों के खेत तक पानी पहुंचाने के लिए, आपके पास कोई प्रबंध नहीं है. आप मेहरबान जरूर हैं लेकिन किसके लिए हैं, Multi National Company. बरगी से सतना के बीच स्लीमनाबाद में टर्मिनल है, उसके लिए आप 11 हजार करोड़ रुपये खर्च कर लिये हैं और जो बरगी बांध में डूब क्षेत्र में मंडला-डिंडोरी के लोग प्रभावित हुए हैं, उनके पीने के पानी के लिए आपके पास पैसा नहीं है. अगर पैसा हो तो आप अभी अपने उत्तर में जरूर बतायें कि हम पीने के पानी के लिए दे रहे हैं. हमारे आदिवासी भाईयों को डूबा रहे हैं और वहां 11 हजार करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता है, लोक लेखा समिति में ऑडिट में भी जा चुका है परंतु आपने उसके लिए प्रावधान कर दिया है.
माननीय सभापति महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि जबलपुर से अमरकंटक तक जो सड़क बन रही है, आज से 7-8 वर्ष पूर्व वह सड़क बनी थी. अभी उसका चौड़ीकरण किया गया है और चौड़ीकरण करके जो 22 मीटर की सड़क है उसकी दोनों ओर 10 मीटर चौड़ी सड़क बनायेंगे, 2-2 मीटर की पटरी बनेगी और ठीक चार वर्ष बाद वह फोरलेन होनी है. वहां नर्मदाजी एक्सप्रेस-वे का प्लान है फिर उसको खोद दिया जायेगा. लाखों करोड़ रुपये का कर्ज Multi National Company को बढ़ावा देने के लिए लिया जाता है. उनके बड़े-बड़े उद्योगों के लिए, कार्पोरेट घरानों के लिए, जो भारतीय जनता पार्टी को बहुत बड़ी मदद करते हैं. उनको मदद करने के लिए पूरे प्रदेश की जनता को कर्ज में झोंका जा रहा है.
माननीय सभापति महोदय, इस प्रदेश के अंदर जनता के हित का बजट आना चाहिए न कि कार्पोरेट घरानों के लिए बजट होना चाहिए. हमारी नौकरशाही के अधिकारियों को जनता से क्या लेना-देना, ये मंत्रालय में बैठते हैं. कभी ए.सी. कक्षों से बाहर निकलें तो पता चले, धरातल में चले जायें यदि इन्हें एक दिन मजदूरी करने का अवसर दे दिया जाये तो इन्हें अक्ल आ जायेगी कि श्रम करने में कितनी दिक्कत होती है. ये यहां बैठकर सिर्फ ज्ञान बांटते रहते हैं. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय सभापति महोदय, इनसे ज्यादा बात करो तो अंग्रेजी में बोलने लगते हैं. इस देश की राजभाषा हिन्दी है. मेरा अनुरोध है कि वित्त मंत्री जी आप सभी अधिकारियों को, कम से कम अपने विभाग में तो निर्देशित करें कि ज्यादा अंग्रेजी में न बोलें. अंग्रेजी केवल एक अभिव्यक्ति का माध्यम है. किसी भी भाषा में अभिव्यक्ति की जा सकती है.
माननीय सभापति महोदय, मैं, वित्त मंत्री जी का ह्दय से सम्मान करता हूं परंतु आपके अधिकारी कहते हैं कि ये नॉन-ग्रेजुएट हैं, मंत्री बन गए तो क्या हुआ, लिखकर तो हम ही देते हैं. कुछ दिन मैं भी मंत्री था, मैं आई.ए.एस. अधिकारियों की क्लास लगाने लगा था कि ऐसे काम नहीं चलेगा, ध्यान रखना.
मंत्री जी, मैं, आपसे कहना चाहता हूं कि जब भी आप सदन में बोलते हैं तो वहां से पर्ची लिखकर आ जाती है. क्या हम लोग सिन्सीयर नहीं हैं, कोई भी मंत्री बोलेंगे तो अधिकार लिखकर दे देते हैं, क्या हम अधिकारियों के अधिकृत वक्ता हैं ? सरकार के मंत्री हैं तो आप अपने दिमाग से बोलिये.
माननीय सभापति महोदय, आपकी यहां 2 लाख 52 हजार करोड़ रुपये की कुल आय है और खर्च आपने बताया है 3 लाख 40 हजार करोड़ रुपये. अब आप 88 हजार करोड़ रुपये कहां से लायेंगे, इसका कोई उल्लेख नहीं है. बात यह है कि आपको सुनना ही नहीं है.
मैं तो यह कहना चाहता हूं कि मैंने अभी तक यह अनुभव किया है कि यहां जितना भी बोलो (XXX) है.
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- माननीय सभापति महोदय, मुझे इस पर आपत्ति है. यह सदन की मर्यादा के खिलाफ है. इस बात पर माननीय सदस्य को खेद भी प्रकट करना चाहिए. इस प्रकार की बात सदन में नहीं बोलनी चाहिए.
सभापति महोदय- ठीक है, इसे विलोपित करवा देते हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम- माननीय सभापति महोदय, माननीय वरिष्ठ सदस्य मैं, आपसे ही कहना चाहूंगा कि आपके विभाग की जो जिम्मेदारी है, आप उस पर ही हमारी सुन लीजियेगा. आप सही बात कभी नहीं सुनते हैं. मैंने नर्मदा जी के लिए, नर्मदा जयंती के लिए आपसे अनुरोध किया था, क्या आपने एक रुपया भी दिलवाया ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय- हमने 16 तारीख की छुट्टी करवा दी है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय सभापति महोदय, आप बड़े विद्वान हैं. सनातन धर्म में हम आपके आदर्शों के हिसाब से चलने वाले हैं तो ऐसे असत्य बुलवाओगे क्या? हमेशा आप असत्य बोल देते हो, कभी कहते हो कि हम नर्मदा जी के भक्त हैं. हम आदिवासी लोग हैं, ईमानदार हैं. मैं एक और बात बताना चाहूंगा कि आदिवासियों के पास धन की कमी हो सकती है पर ईमानदारी में आप हमसे अमीर नहीं हो सकते यह ध्यान रखिएगा. हम लोग यदि ईमानदारी का जीवन जीते हैं तो सही बात करने की कोशिश भी करते हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- सभापति महोदय, मरकाम जी बहुत अच्छे नेता हैं, बहुत अच्छे वक्ता हैं, जमीनी नेता हैं परंतु पिछली बार जब सरकार कमलनाथ जी की थी तो सहरिया जाति के लोगों को एक हजार रुपए मानदेय दिया जाता था जो कि कमलनाथ जी ने बंद कर दिया था और यह चुपचाप बैठे रहे. मैं पूछना चाहता हूं कि यह कैसे आदिवासी नेता हैं. इनके समाज के लोगों की आर्थिक सहायता कांग्रेस ने बंद कर दी है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय सभापति महोदय, मैं मंत्री जी को चुनौती देता हूं कि नर्मदा जी मैं आप खड़े हो जाएं और मैं खड़ा हो जाता हूं अगर मैंने बंद किया होगा तो राजनीति छोड़ दूंगा और अगर आप बोल रहे हैं. (व्यवधान)
श्री इन्दर सिंह परमार-- आपके मुख्यमंत्री ने बंद किया था. (व्यवधान)
सभापति महोदय-- मरकाम जी आपकी पर्याप्त बात आ गई है. आप अपनी बात को समाप्त करें. मैं अगले वक्ता को बुला रहा हूं. (व्यवधान)
श्री तुलसीराम सिलावट-- विभाग इनके पास था. (व्यवधान)
श्री सुरेश राजे--मंत्री जी आपके सदस्य बोलते हैं तो हम टोकाटाकी नहीं करते हैं. आप भी गंभीरता से सुनिए. (व्यवधान)
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय सभापति महोदय, मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं हम भी चाहते हैं कि सरकार के माध्यम से जनहित के विषयों पर सरकार आगे काम करे परंतु सच्चाई सामने होना चाहिए. असत्य बात करके जिस तरह से प्रदेश के आने वाले भविष्य के लिए यह चुनौती पैदा कर रहे हैं. आज हमें पता है कि जिस तरह से आर्थिक परिस्थितियों में सफर कर रहे हैं खासकर मैं आपको गरीबों के बारे में बताना चाहता हूं. आप किसी भी रेलवे स्टेशन पर चले जाएं, बस स्टेण्ड पर चले जाइए चौराहे पर आपको छोटे-छोटे बच्चे भीख मांगते हुए मिलते हैं उनका क्या अपराध है? मैं पूछना चाहता हूं कि आपकी नजर उन पर क्यों नहीं जाती है? दिल्ली में 7 रेस कोर्स रोड पर जहां प्रधानमंत्री जी रहते हैं उसके आगे के चौराहे पर अगर आप जाएंगे तो छोटे-छोटे बच्चे वहां पर कहीं पेन लेकर दौड़ रहे हैं, कहीं फूल लेकर बेच रहे हैं क्या उस पर आपकी नजर नहीं जा रही है? उसके लिए कोई प्रावधान नहीं है खासकर आदिवासी वर्ग के लोग आज भी प्रदेश से बाहर जाकर जीवनयापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. आप उसमें कोई प्रावधान नहीं करते हैं. मुझे एक उदाहरण याद आता है कि आम का पौधा लगाएं तो वह पहले दिन नहीं फलता है, दूसरे दिन नहीं फलता है, तीसरे दिन नहीं फलता है वह कुछ समय के बाद फलता है और जब लंबे समय के बाद ज्यादा फलता है तो पौधा लगाने वाले और पानी सींचने वाले तो दूर हो जाते हैं, लेकिन पता चलता है कि जिसने कुछ नहीं किया वह आकर मालिक बन जाता है और कहता है कि देखा उसके समय में तो नहीं फल रहा था, मेरे समय में फलने लगा. कांग्रेस ने देश को आजाद किया जो पौधा लगाया और वह फल रहा है तो आप अपनी पीठ थपथपा रहे हैं पौधा लगाया कांग्रेस ने, देश के लिए जीवन दिया कांग्रेस ने, आजादी के बाद श्रीमती इंदिरा जी की शहादत, राजीव जी की शहादत और आप कहते हैं कि कुछ नहीं किया. भाजपा वालों आपकी शहादत की लिस्ट दे दो कि कितने लोग शहीद हुए. यह कांग्रेस का लगाया हुआ पौधा है. पर उसके फल को दो अमीरों को मत दो, गरीबों को भी दे दो हमारा तो यही कहना है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- मरकाम जी हमारे लोग नेहरू जी, गांधी जी नहीं थे. टंट्या मामा, बिरसा मुण्डा यह सभी हमारे लोग थे.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- बहुत दुकान चला ली अब लोग समझने लगे हैं.
सभापति महोदय -- ओमकार जी आपकी पर्याप्त बात आ गई है, कृपया समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- सभापति महोदय, मैं एक बात के साथ अपने शब्दों को विराम दूंगा. माननीय वित्त मंत्री जी आपने अभी हमारे विधायकों को 15-15 करोड़ देने की बात कही है. मैंने भाजपा के साथियों से पूछा कि किस मद से यह राशि देंगे, क्या कलेक्टर के पास वह राशि पहुंच जाएगी जिसको विधायक रिकमंड करेगा तो वह राशि रिलीज होगी. कोई प्रावधान नहीं है, मतलब मूंगफली में दाना नहीं....लोकसभा चुनाव है तो 15 करोड़, 15 करोड़. माननीय वित्त मंत्री जी किस मद से देंगे. मैं तो हमारी राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर आपका स्वागत करुंगा यदि आप 15 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष विधायक निधि बढ़ा देंगे तो. हम इसका स्वागत करेंगे. आप आईएएस के इशारे पर हमको गुमराह कर रहे हैं, क्यों हमारा मजाक बना देते हैं. मेरा अनुरोध है आप इसमें सुधार लाइए. सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया, इसके लिए धन्यवाद.
राज्यमंत्री वन (श्री दिलीप अहिरवार) -- सभापति महोदय, मैं मरकाम साहब जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ. इन्होंने एससी और एसटी की बहुत अच्छी बात की है. यह बहुत अच्छी बात तब करते हैं जब यह विपक्ष में रहते हैं. जब यह सरकार में रहते हैं तब इन्हें गरीब की चिंता नहीं होती है न ही एससी और एसटी की चिंता होती है. मैं इन्हें शुभकामनाएँ देना चाहता हूँ कि विपक्ष में रहकर यह हमेशा ऐसे ही एससी एसटी की बात करते रहें. मैं भी एससी समाज से आता हूँ. जिस प्रकार की स्थिति कांग्रेस के समय एससी एसटी समाज की थी उसे पूरा देश जानता है और प्रदेश जानता है. आप मत करिए ऐसी बात.
सभापति महोदय -- आप बैठ जाएं.
श्री कमलेश्वर डोडियार (सैलाना) -- माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी तक अपनी बात पहुंचाना चाहता हूँ. आदिवासी इलाके के लिए चाहे बजट की बात करें चाहे किसी प्रकार की नीतियाँ बनाने की बात करें उसमें इन्हें पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है. अभी लेखानुदान तैयार किए जा रहे हैं और आवंटन किया जा रहा है. टीएसपी का 207 करोड़ रुपए आदिवासियों का था जो उन पर खर्च किया जाना था. आदिवासियों के विकास पर चाहे वह शिक्षा पर खर्च करते, स्वास्थ्य पर खर्च करते, सड़क बनाते है, अच्छे एजूकेशन वाले संस्थान बनाते. वह पैसे वापिस ले लिए गए और वह भी कानून का उल्लंघन करके. रतलाम जिले में सैलाना मेरा विधान सभा क्षेत्र आता है क्या वहां राशि का आवश्यकता नहीं है. रतलाम जिले के रतलाम विधान सभा क्षेत्र, आलोट विधान सभा क्षेत्र और जावरा विधान सभा क्षेत्र. इन तीन जगह पर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई करने के लिए विद्युत के सेपरेट फीडर हैं. रतलाम जिले की दो विधान सभा क्षेत्र हैं सैलाना और रतलाम ग्रामीण दोनों सीट्स आदिवासी हैं, एसटी के लिए रिजर्व हैं. यहां पर इलेक्ट्रिसिटी का सेपरेशन जो घरेलू के लिए अलग होता है और सिंचाई के लिए अलग होता है, इसके लिए यहां कई सालों से लोग परेशान हो रहे हैं. इस इलाके के लिए दिमाग क्यों नहीं चल रहा है कि हम बजट में व्यवस्था करके वहां पर भी कुछ करें. पूरे भारत को पता है कि आदिवासी लोगों के पास बहुत कम कम जमीनें हैं. इतनी जमीनें नहीं हैं जितनी मालवा इलाके में या देश के कई क्षेत्रों में जहां किसान के पास ज्यादा जमीन होती है. जैसे 5 एकड़, 10 एकड़, 50 एकड़. आदिवासी इलाके में हर किसान के पास औसतन 2 बीघा, 5 बीघा जमीन होती है और जीने से लेकर मरने तक पूरा परिवार खेती पर निर्भर होता है. लोग शासकीय सेवा में आना चाहते हैं परन्तु नौकरियां मिल कहां रही हैं. पढ़ाई कैसी कर दी है सबको पता है, स्कूलों में क्या हालत है. केवल कृषि पर इनकी आजीविका चलती है और कृषि को ठीक करने के लिए हम लोग बार-बार आवाज उठाते हैं कि आदिवासी इलाके में बहुत बड़े-बड़े डेम्स की जरुरत नहीं है. छोटे-छोटे डेम बना दिए जाएं ताकि लोगों की जमीनें डूब क्षेत्र में न जाएं और सिंचाई के लिए इलेक्ट्रिसिटी की पर्याप्त व्यवस्था की जाए. मेरी विधान सभा सीट सैलाना है जहां पर इलेक्ट्रिसिटी का विभक्तीकरण नहीं है. मैं सीनियर एमएलए का नाम लेना चाहता हूँ उनके पास समस्याओं की अच्छी समझ है. मेरा आदिवासी इलाका सैलाना विधान सभा क्षेत्र जहां ज्यादातर लोग निरक्षर हैं, अनपढ़ हैं. यह क्यों अनपढ़ हैं इस पर चर्चा करेंगे तो दोनों दलों पर कई सवाल खड़े होंगे. अनपढ लोगों के साथ ज्यादा ज्यादती होती है, ज्यादा अन्याय, अत्याचार होता है. एक तो इलेक्ट्रीसिटी सप्लाई नहीं दी जाती और दूसरा अगर दी भी जाती है तो चालू करते हैं और फिर मोटरें उठा-उठाकर ले जाते हैं, कहते हैं कि विद्युत चोरी हो रही है. इस प्रकार से अनपढ आदिवासियों के साथ चीजें हो रही हैं, तो जब यह बजट बनाते हैं, प्रावधान किये जाते हैं, तब आदिवासी इलाके को क्यों नजरंदाज किया जाता है ? पूरा राज्य चलाने के लिये सबसे ज्यादा अगर रेवेन्यू जनरेट होता है तो आदिवासी इलाके में जो कारोबार चलता है उस कारोबार के माध्यम से रेवेन्यू इकट्ठा किया जाता है. आदिवासी इलाकों में खनिज होता है. जो उद्योगपति लोग खनिज का कारोबार करते हैं वह शासन को रेवेन्यू देते हैं, लेकिन चलते कहां पर हैं ? यह पत्थर, गिट्टी की मशीनें कहां पर चलती हैं ? चाहे कोयला ले लो, कुछ और भी क्यों न ले लो, आदिवासी इलाका. शराब की सबसे ज्यादा बिक्री कहां होती है ? आदिवासी इलाके में. जब उस इलाके में आप लोग इस प्रकार के रेवेन्यू जनरेट करने वाले व्यापार, व्यवसाय करते हैं उसके बावजूद भी आदिवासी इलाके को नजरअंदाज किया जाता है, ऐसा क्यों करना चाहते हैं ?
सभापति महोदय, मैं यह सवाल आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री महोदय तक पहुंचाना चाहता हूं आखिर क्यों ऐसा हो रहा है ? अगर आपको यह लग रहा है कि मैं गलत कह रहा हूं तो मेरा आप सभी से निवेदन है कि मेरे सहित और माननीय अध्यक्ष महोदय सहित 230 सदस्य हैं, मैं, अध्यक्ष महोदय और 228 बाकी सारे के सारे एक बार चलते हैं, आदिवासी इलाकों में विजिट करते हैं, खासकर अनुसूचित इलाका. सर्वे करवाइये हालात कैसे हैं. भारत के संविधान के मुताबिक सरकार किसी की भी हो, आदिवासी लोगों के लिये विशेष नियम हैं. उन नियमों का पालन करके सरकार वहां प्रशासन चलाये तो आदिवासी लोगों में प्रगति आ सकती है. हर पांच साल तक लगातार सरकारें चलती हैं. चाहे किसी भी दल की, 20 साल से बीजेपी की सरकार है फिर भी आदिवासी लोगों की प्रगति नहीं हो पा रही है क्यों ? भारत के संविधान में आदिवासी इलाके के लिये 5 वीं अनुसूची के प्रावधानों को लागू करने की व्यवस्था है. 5 वीं अनुसूची को लागू करने के लिये एक इम्पॉर्टेंट कॉन्स्टीट्यूशनल बॉडी है. टी.ए.सी. उसको ट्राइब्स एडवाइजरी काउंसिल, हिन्दी में जनजातीय मंत्रणा परिषद कहते हैं.
सभापति महोदय, वर्ष 2018 से लेकर वर्ष 2024 तक केवल दो ही बार मीटिंग हुई है, जबकि भारत के संविधान में उसको बहुत अधिकार हैं. जब आप मीटिंग ही नहीं कर रहे हैं तब आपको वहां के लोगों की समस्याओं का पता कैसे चलेगा कि वहां क्या समस्याएं हैं ? भारत के संविधान में यह लिखा हुआ है कि टी.ए.सी. जो मंत्रणा परिषद है उसमें तीन चौथाई आदिवासी एमएलए लोगों को रखना ही रखना है, चाहे वह किसी भी पार्टी के हों. वह इसलिये रखना पडता है, भारत के संविधान में उसका मेंशन इसलिये हैं क्योंकि आदिवासी इलाकों में, आदिवासी लोगों की समस्याओं की समझ आदिवासी लोगों को ज्यादा है. अगर मैं असत्य बोलता हूं तो बहस करवा लीजिये सदन के अंदर मेरी और माननीय मुख्यमंत्री जी की, इसमें कौन ठीक से बोल पाएंगे. जब भाषा ही नहीं आती आप लोगों को माननीय, तो आप कैसे समझेंगे ? जो व्यवस्था भारत के संविधान में उस टाइम पर जब भारत का संविधान बना था, वह महानुभाव थे संविधान बनाने वाले, उस संविधान के हिसाब से सरकारें क्यों नहीं चलना चाहती हैं ? बात बजट के ऊपर हो रही है लेकिन जो मूल कारण है उसके ऊपर ही मैं बोल रहा हूं, हटकर नहीं बोल रहा हूं. अगर हम भारत के संविधान का पालन करेंगे, संविधान के हिसाब से चलेंगे तो सारी समस्याओं का समाधान फटाफट हो जाएगा और अगर भारत के संविधान के हिसाब से नहीं चलेंगे, आदिवासी लोगों के लिये क्या-क्या है, पेसा कानून हो, चाहे वनाधिकार अधिनियम हो, चाहे भारत के संविधान की 5 वीं अनुसूची हो, इनके आधार पर नहीं चलेंगे, इन आदिवासियों के लिये बने कानूनों को लागू नहीं करेंगे, तो कितने ही सालों तक यह सरकारें चलें, कितने ही दशक निकल जाएंगे, कितनी ही शताब्दियां निकल जाएंगी आदिवासी लोगों की प्रगति कैसे होगी ? इसलिये मेरा यह निवेदन है कि जब भी लेखानुदान तैयार किए जाएं, बजट बनाए जाएं तब आदिवासी लोगों का खासकर के अनुसूचित इलाके के आदिवासी लोगों का विशेष रूप से ध्यान दिया जाए.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी तक एक सूचना पहुंचाना चाहता हूं कि मंदसौर जिले और नीमच जिले के अंदर भी आदिवासी रहते हैं, बहुत बुरी हालत है वहां के आदिवासियों की जबकि वह शेड्यूल एरिया नहीं हैं. उनको इतना फायदा नहीं मिलता जितना अनुसूचित इलाके के आदिवासियों को मिलता है. पिछली बार वह जो एक घटना घटी थी सबको पता है कि गाडी से घसीटकर एक आदिवासी को मार दिया था. वह इसलिये मार दिया कि संख्या कम है वहां पर और वह अनुसूचित इलाका नहीं है. सुनवाई कोई करता नहीं है. पूरे मध्यप्रदेश की सारी जेलों को अगर आप टटोल लोगे, सब जानकारी निकाल लोगे, तो सबसे ज्यादा जेलों के अन्दर आदिवासी लोग भरे हुए हैं. भारत के अन्दर में बीजेपी की ही सरकार थी, पेसा कानून बना था, पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरियाज. अनुसूचित इलाकों में पंचायतों का विस्तार. बगैर ग्राम सभा के, बगैर गांव के लोगों की सूचना की सहमति के कोई भी पुलिस स्टेशन पर मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता है आदिवासी लोगों के खिलाफ में. लेकिन यहां बस पैसा कमाने के चक्कर में जो मर्जी पड़े कोई सी भी धारा लगा दो. आदिवासी इलाके में अभी हम एक बहुत बड़ा आंदोलन करेंगे. मैं यह सदन के अन्दर बोलकर जा रहा हूं. अगर मैं यह बोल रहा हूं और मेरे बोलने के बावजूद भी सदन के जो जिम्मेदार लोग है सत्ताधारी, मुख्यमंत्री जी और मंत्री मण्डल के लोग. अगर आप अलर्ट नहीं होंगे, तो फिर मैं आंदोलन करुंगा. मैं विधायक होने के बावजूद भी मेरी इस सदन के अन्दर अगर सुनवाई नहीं होगी, तो मैं सदन के बाहर सड़क पर विधान सभा का घेराव करने का काम करुंगा लोगों के साथ में.
सभापति महोदय-- आपकी बात आ गई है, आप विषय के बाहर जा रहे हैं. आप कृपया समाप्त कीजिये.
श्री कमलेश्वर डोडियार-- आपको पेसा कानून को लागू करना होगा. सबसे ज्यादा लोग मध्यप्रदेश के जेलों में आदिवासी लोग सड़ रहे हैं. अनावश्यक पैसा कमाने के चक्कर में पुलिस स्टेशन के थाना अधिकारी लोग आदिवासियों के खिलाफ सबसे ज्यादा 374 का मुकदमा दर्ज कर रहे हैं.
सभापति महोदय-- आपको जब अवसर मिलेगा,तब इस विषय पर बात कीजियेगा. अभी लेखानुदान पर चर्चा चल रही है, कृपया अपनी बात को वहीं तक सीमित रखें और अपनी बात को समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर डोडियार -- सभापति महोदय, आपने मौका दिया, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. योगेश पंडाग्रे (आमला)-- सभापति महोदय, धन्यवाद, जो आपने मुझे लेखानुदान 2024-2025 पर बोलने का अवसर प्रदान किया. मैं वित्त मंत्री जी को भी बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने लेखानुदान के माध्यम से हर गरीब, हर महिला, हर युवा की चिंता करते हुए सभी के लिये राशि उपलब्ध कराई. मैं हमारी सरकार को दो चीजों के लिये और धन्यवाद देना चाहता हूं कि हमारी राष्ट्र भाषा जो हिन्दी है, उसके सम्मान के लिये अब हमारे इंजीनियरिंग एवं मेडिकल कालेज में भी हिन्दी भाषा में हमारे छात्र पढ़ सकेंगे, उसके लिये भी सरकार का बहुत बहुत धन्यवाद. कई बार यह बात उठती है कि पेड़ किसी ने लगाया और फल कोई और खा रहा है. लेकिन 2012 से लेकर के 2014 तक इस पेड़ को ठीक से रख रखाव के अभाव में हमने सूखते भी देखा है, जिसके लिये एक टर्म उपयोग की जाती थी पॉलिसी पैरालिसिस. उस अर्थ व्यवस्था को 2014 से बेहतर गति देने के लिये और उस पेड़ का संरक्षण करने के लिये, जिस पर अब फल लग रहे हैं और वह सभी को खाने को मिल रहे हैं, उसके लिये भी मैं केन्द्र सरकार को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं कि आज उनकी योजनाओं और नीतियों के माध्यम से आज यह देश तीसरी सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है. मैं सरकार को धन्यवाद देता हूं कि आदिवासी कल्याण योजना के तहत अनुसूचित वर्ग के विकास के लिये 4287 करोड़ इस सरकार ने, हमारे वित्त मंत्री जी ने इस योजना के लिये आवंटित किये. हमारी सरकार ने पेसा एक्ट लागू करके हमारे जनजाति भाइयों को उनके अधिकार देने का काम भी किया और उनके किसी काम में रुकावट न बने फारेस्ट विभाग, उसके लिये 827 में से लगभग 450 वन ग्रामों का परिवर्तन राजस्व ग्रामों में करके हमारे आदिवासी भाइयों को मुख्यधार से जोड़ने का काम हमारी सरकार बखूबी कर रही है. साथ ही उनके स्वास्थ्य की चिंता करते हुए यह सरकार उनके सिकल सेल उन्मूलन के लिये उनके समाज में जो सिकल सेल की बीमारी काफी ज्यादा व्याप्त है, उसके उन्मूलन के लिये भी लगातार सरकार कार्य कर रही है. मैं एक और चीज की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि आदिवासी वर्ग के अलावा एससी समुदाय और यादव समुदाय में भी सिकल सेल की बीमारी बहुतायत में है. तो हम लोग आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में तो जरुर इस बीमारी के उन्मूलन के लिये कार्य कर रहे हैं. लेकिन मैं समझता हूं कि इस योजना का विस्तारीकरण करते हुए जो एससी एवं यादव बाहुल्य क्षेत्र हैं, उसमें भी इस योजना को लागू करके उन समाजों से भी इस बीमारी का उन्मूलन करने के लिये सरकार के द्वारा प्रयास किया जाये. स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सरकार बेहतर कार्य कर रही है. चिकित्सा शिक्षा और लोक स्वास्थ्य के लिये सरकार ने लगभग 7695 करोड़ की जो राशि आवंटित की है. उससे निश्चित ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी प्रगति होगी. महोदय जी, मैं स्वास्थ्य सेवाओं पर भी ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा कि वर्ष 2003 में एक वक्त ऐसा भी था कि मैं, मेडिकल कॉलेज प्रथम वर्ष में था तो इस पूरे प्रदेश में 2 या 3 वेंटिलेटर उपलब्ध थे, हमारे मेडिकल कॉलेज में. यह उस वक्त की स्वास्थ्य की सेवा थी. आज की आप स्थिति देखें, कल में हमीदिया अस्पताल पहुंचा था तो वहां के आईसीयू में कम से कम 20 से 25 वेंटिलेटर वर्किंग कंडीशन में काम कर रहे थे, जिसमें मरीजों का इलाज चल रहा था. आज यह स्थिति है कि हमारे बैतूल जैसी छोटी सी जगह पर हमारे शासन के जो जिला चिकित्सालय हैं, उसमें भी लगभग 15 के आसपास वेंटिलेटर कार्यरत हैं. आज स्वास्थ्य सेवा में बेहतरी करने का काम हमारी सरकार ने किया है, उसके लिये मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. पहले जहां प्रदेश में 5 मेडिकल कॉलेज प्रदेश हुआ करते थे, उनको 24 कॉलेज तक लाने का काम भी सरकार के द्वारा किया गया है, उसके लिये भी मैं सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. हमारे प्रधान मंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने एक आंदोलन स्वच्छता के लिये चलाया है उसके कारण आज इस प्रदेश से मलेरिया और फाइलेरिया जैसी बीमारियां लगभग खत्म होने की कगार पर हैं. साथ ही सरकार का लक्ष्य है कि मिजल्स, रूबेला, क्षय रोग, कुष्ट रोग के उन्मूलन को भी वर्ष 2025 तक इन बीमारियों को भी समाप्त किया जाये. महोदय जी, आज इस प्रदेश में लगभग 3 करोड़, 86 लाख लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाये गये हैं और इससे करीब 25 लाख गरीबों के उपचार की लगभग ढाई हजार करोड़ की राशि बचाने का कार्य भी इस सरकार के द्वारा किया गया है.
महोदय जी, स्टार्ट अप नीति के तहत मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना, एमएसएमई प्रोत्साहन योजना के तहत उद्योगों को बढ़ाने के लिये 297 करोड़ की राशि का जो आवंटन हमारे वित्त मंत्री जी के द्वारा किया गया है, उसके लिये भी मैं उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.
महोदय जी, एक ओर ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि वर्ष 2023-24 में एमएसएमई में प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत प्रथम सबसिडी की राशि का आवंटन अभी तक नहीं हुआ है तो उस राशि का भी आवंटन हो तो स्टार्ट अप जो हमारी योजना है, वह सुचारू रूप से चलती रहेगी.
महोदय जी, खनिज ब्लॉक आवंटन में भी हमारे प्रदेश ने इस देश में प्रथम स्थान प्राप्त करके, प्रदेश के सुशासन की जो संकल्पता है उसके अनुरूप कार्य किया. साथ ही मैं, एक ओर ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि जो मेरा बैतूल जिला है, इसका 80 प्रतिशत क्षेत्र पहाड़ी क्षेत्र है और पहाड़ी क्षेत्र में कृषि कार्य करना आसान नहीं है, लेकिन पूर्व में सरकारों के द्वारा सिंचाई के संसाधनों का जो विकास किया है और उससे कृषि तो आसान हुई है. लेकिन जो पास के जिले हैं नर्मदापुरम, हरदा उतनी अच्छी कृषि यहां पर नहीं हो पाती है. हमारा क्षेत्र पिछड़ा क्षेत्र है, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र भी है. महोदय जी, यहां पर सरकारों द्वारा पूर्व में जो सर्वेक्षण किया गया था उसमें कई जगह खनिज भण्डारों के हमको ब्लॉक्स मिले हैं. जिसमें से 7 बेसमेटल के तथा एक जिंक धातु का है, जो कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में आता है. बडगांव, डेहरी में बेसमेटल ब्लॉक, गांव देहलवाड़ा में बेसमेटल ब्लॉक है, ग्राम बांसखापा में बेसमेटल ब्लॉक है, बल ढाना, खारी, बिसखान में जिंक ब्लॉक है, ग्राम घीसी में बेसमेटल खनन ब्लॉक है, ग्राम मुवारिया, रिखड़ी, छिपन्या पिपरिया में बेसमेटल ब्लॉक है, ग्राम पस्तालाई माल, पस्तलाई रैयत, सोमलापुर में बेसमेटल ब्लॉक है और साथ ही वाइट क्ले का एक भीमपुर क्षेत्र में भी ब्लॉक है. मैं समझता हूं कि उसका कार्य जल्द से जल्द प्रारंभ किया जाना चाहिये और बैतूल जिले में भी मरामझरी के ग्रेफाइट का एक ब्लॉक प्राप्त हुआ है.
4.44 बजे
{ अध्यक्ष महोदय( श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
महोदय जी, अगर यहां पर खनिज का कार्य प्रारंभ होगा तो निश्चित ही इससे राजस्व की आय में भी सरकार की वृद्धि होगी और साथ ही मेरे क्षेत्र के लोगों को बेहतर रोजगार मिलेगा.
महोदय जी, मेरा यही निवेदन है कि इस क्षेत्र में भी यह कार्य प्रारंभ किया जाये और मैं पुन: एक बार हमारे वित्त मंत्री जी को और सरकार बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने वर्ष 2024-2025 का लेखानुदान प्रस्तुत किया है. निश्चित ही उससे सरकार के विकास कार्यों को एक नई गति मिलेगी. इसके लिये मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं और अपनी वाणी को विराम देता हूं.
उपमुख्यमंत्री, वित्त (श्री जगदीश देवड़ा) - अध्यक्ष महोदय, लेखानुदान के ऊपर जो चर्चा हमारे माननीय सदस्यों ने की है, उसमें माननीय श्री अभय कुमार मिश्रा जी, माननीय श्री यादवेन्द्र सिंह जी, माननीय श्री हेमंत विजय खण्डेलवाल जी, माननीय श्री केदार डाबर जी, माननीय श्री गौरव सिंह जी, माननीय श्री विजय रेवनाथ चौरे जी, माननीय श्री ओमकार सिंह मरकाम जी, माननीय श्री कमलेश्वर डोडियार जी और माननीय डॉ. योगेश पंडाग्रे जी. अध्यक्ष महोदय, हमारे विपक्ष के साथियों ने और हमारे सत्ता पक्ष के साथियों ने भी जो सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताया और हमारे विपक्ष के कई साथियों ने बहुत ही सारगर्भित सुझाव भी दिये. निश्चित रूप से अभी यह लेखानुदान पर चर्चा है और लेखानुदान में केवल 4 महीने अप्रैल, मई, जून और जुलाई तक के लिए यह प्रावधान किया है.
अध्यक्ष महोदय, जो योजनाएं सरकार की चल रही है, वह योजनाएं आगे लगातार जारी रहें, इसके लिए यह प्रावधान किया है क्योंकि मुख्य बजट अभी आया नहीं है, जुलाई में मुख्य बजट आएगा. चूंकि केन्द्र में भी अंतरिम बजट आया और अध्यक्ष महोदय, यह हमेशा ऐसा होता है कि केन्द्र से प्रदेश को मिलने वाली संभावित प्राप्तियों की स्थिति स्पष्ट होती है और वित्तीय संसाधनों का आंकलन करके केन्द्र सरकार से होने वाली संभावित प्राप्तियों को विचार में लिया जाता है, इसलिए मुख्य बजट जुलाई में जब मुख्य बजट आएगा तो हमारे जितने साथियों ने जो बात कही है, उन पर हम पूरा विचार करेंगे. हमारे साथियों ने भी कहा है. बहुत सारे हमारे अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, किसानों के लिए इसमें जिन जिन विभागों में बजट का प्रावधान किया गया है, 4 महीने के लिए यह प्रावधान किया गया है कि वह योजनाएं निरंतर जारी रहें.
अध्यक्ष महोदय, संविधान में भी प्रावधान है, अनुच्छेद 206 में यह प्रावधान है कि ऐसी परिस्थिति में लेखानुदान लाया जाता है. मैं कुछ बताना चाहूंगा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कुल राजस्व प्राप्तियां रुपये 252268 करोड़ तथा कुल राजस्व व्यय रुपये 251825 करोड़ रुपये अनुमानित है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में रुपये 442 करोड़ 90 लाख का राजस्व आधिक्य का अनुमान है. अध्यक्ष महोदय, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कुल पूंजीगत प्राप्तियां रुपये 59719 करोड़ रुपये अनुमानित है. वर्ष 2024-25 के बजट के अनुमान में पूंजीगत परिव्यय रुपये 59342 करोड़ 48 लाख का रखा गया है. जो कि वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान से 3085 करोड़ 99 लाख रुपये अधिक है. इन सभी बातों का इसमें समावेश किया है और उन्हीं बातों को ध्यान में रखकर यह लेखानुदान आया है. वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट के अनुमानित राशि रुपये 348987 करोड़ के सापेक्ष 1 अप्रैल, 2024 से 31 जुलाई, 2024 की अवधि के लिए कुल रुपये 145230 करोड़ का लेखानुदान प्रस्तावित है. जो कि कुल बजट राशि का लगभग 41.61 प्रतिशत है. लेखानुदान की राशि में 1 लाख 19 हजार 453 करोड़ मद में तथा 25 हजार 777 करोड़ भारी मद में है. मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि इसमें सभी बातों का समावेश किया है. लेखानुदान में सम्मिलित महत्वपूर्ण प्रावधान में ऐसा नहीं है कि प्रावधान नहीं रखा है. हमारे माननीय सदस्य श्री ओमकार सिंह मरकाम जी बोल रहे थे कि प्रावधान नहीं रखा है यह केवल 4 महीने का है, आप जो कह रहे हैं. जब मुख्य बजट आएगा, तो आपने जो सुझाव दिए हैं, निश्चित रूप से उसमें विस्तार से बात करेंगे. विभागों की मांगों पर चर्चा होगी और इन सब बातों की कोशिश करेंगे कि मुख्य बजट में आपकी इन बातों को समावेश करें.
अध्यक्ष महोदय, अब मैं यह मुख्य-मुख्य बता रहा हॅूं कि स्कूल शिक्षा में 13 हजार 3 करोड़ 96 लाख का प्रावधान है. अब उसमें बहुत सारी योजनाएं चल रही हैं जिनको निरंतर 4 माह तक जारी रखना है, जिसके लिए उसका प्रावधान किया. किसान कल्याण एवं कृषि में 9 हजार 593 करोड़ 88 लाख रूपए, महिला बाल विकास में प्रावधान है. इसमें सभी वर्ग की हमारी महिलाएं भी हैं. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए, सबके लिए जो योजनाएं चल रही हैं, उसके लिए प्रावधान है ताकि योजना के बीच में कहीं दिक्कत न हो. उसका व्यय पूरा रहे. वह योजना निरंतर चलती रहे. इतने में मुख्य बजट आ जाएगा. हमने ऊर्जा में 7 हजार 963 करोड़ 22 लाख रूपए का प्रावधान रखा. ग्रामीण विकास में 6 हजार 311 करोड़ 91लाख रूपए, नगरीय विकास एवं आवास में हमने 6 हजार 143 करोड़ 90 लाख रूपए, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण में 5 हजार 843 करोड़ 30 लाख रूपए, जनजातीय कार्य में 5 हजार 28 करोड़ 76 लाख रूपए, गृह में 4 हजार 560 करोड़ 95 लाख रूपए, पंचायत में 4 हजार 228 करोड़ 49 लाख रूपए, लोक निर्माण में 4 हजार 98 करोड़ 7 लाख रूपए, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी में 4 हजार 83 करोड़ 57 लाख रूपए, जल संसाधन में 3 हजार 74 करोड़ 10 लाख रूपए, चिकित्सा शिक्षा में 1 हजार 851 करोड़ 31 लाख, नर्मदा घाटी विकास में 1 हजार 529 करोड़ 95 लाख रूपए, उच्च शिक्षा में 1 हजार 520 करोड़ 46 लाख रूपए का प्रावधान है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्य विभागों में यह प्रावधान किया है, बाकी तो सभी विभागों में कुछ प्रावधान हमने लेखानुदान के लिए जरूर किया है क्योंकि यह सबको पता है कि यह 4 माह के लिए है. लेखानुदान प्रस्ताव में प्रदेश में वर्तमान में चल रही समस्त योजनाओं को निरंतर रखा है. इसमें द्वितीय अनुपूरक अनुमान में हमने सप्लीमेंट्री में जो योजनाएं प्रारंभ की थी, इसमें नई योजनाएं प्रारम्भ नहीं है जो द्वितीय सप्लीमेंट्री में हमने की थी, उसमें प्रमुख रूप से प्रदेश के किसानों के लिए स्थायी कृषि पंप संयोजन के लिए मुख्यमंत्री कृषक मित्र योजना है, अभी अब यह योजना जारी रहेगी. 4 माह इसका काम चलेगा. प्रदेश के नागरिकों को गंभीर बीमारी की स्थिति में तत्काल चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री एयर एम्बुलेंस सेवा प्रारम्भ रहेगी. प्रदेश के अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं के विस्तार तथा इस वर्ग के कल्याण के अधिक अवसर सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री जनमन योजना, दुग्ध उत्पादन के लिए मुख्यमंत्री सहकारी दुग्ध उत्पादन प्रोत्साहन योजना, उत्कृष्ट उच्च शिक्षा की उपलब्धता के लिए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस योजना, प्रदेश के धार्मिक स्थलों पर सुविधाजनक पहुंच के लिए मुख्यमंत्री हेली पर्यटन सेवाएं प्रस्ताव में सम्मिलित हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में निरंतर वित्तीय कुशल प्रबंधन आर्थिक गतिविधियों के विस्तार से प्रति व्यक्ति आय में निरंतर सुधार हुआ है. प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय लगभग 1 लाख 40 हजार तक पहुंच चुकी है. राज्य का सकल घरेलू उत्पाद भी निरंतर बढ़ रहा है. राज्य का सकल घरेलू उत्पाद, जो कि वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान में 13 लाख 87 हजार 117 करोड़ रखा गया था, वह पुनरीक्षित होकर रूपए 15 लाख 13 हजार 720 करोड़ हो चुका है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा वित्तमंत्री जी से अनुरोध है कि 1 लाख 19 हजार 453 करोड़ 4 लाख 70 हजार की धनराशि के बारे में इसमें से स्थापना पर कितना व्यय हो रहा है ? रीपेमेंट ऋण पर कितना खर्चा हो रहा है ? यह सदन के सदस्यों को बता दें तो अच्छा है.
श्री जगदीश देवड़ा-- माननीय अध्यक्ष महोदय,यह सारी बातें आ चुकी हैं. मुझे लगता है कि हर विभाग के लिये जो जो प्रावधान किया गया है. इसमें यह सब नहीं किया गया है.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय,अगर इतने स्पेसिफिक में से हर विभाग में स्थापना व्यय का मैं टोटल मांग रहा हूं. मैं तो विभागवार पूछ ही नहीं रहा हूं ?
श्री जगदीश देवड़ा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, लेखानुदान में केवल विभागों के लिये धनराशि का प्रावधान किया जाता है. विस्तार में इसमें लिखा हुआ है. लेखानुदान में विभागों से यह प्रस्ताव नहीं मांगे जाते हैं अध्यक्ष महोदय.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्थापना पर खर्च तो हो रहा है और ऋण पर खर्च हो रहा है ? चार महीने में स्थापना पर खर्च नहीं होगा, ऋण पर नहीं होगा, इसको बता दें सभी माननीय सदस्यों को.
श्री जगदीश देवड़ा-- माननीय अध्यक्ष महोदय,सारी बातें जब मुख्य बजट आयेगा तो सामने आयेंगी.
अध्यक्ष महोदय—विभाग के बजट में स्थापना व्यय शामिल है.
श्री उमंग सिंघार-- माननीय अध्यक्ष महोदय,चार महीने में बगैर पैसे के सरकार चलेगी क्या ? बगैर स्थापना व्यय के चलेगी क्या ? बगैर ऋण के चलेगी क्या ? अगर नहीं बताना चाहते हैं तो अलग बात है. बाद में बता दीजिये.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय,इसमें आपत्ति इसलिये नहीं होनी चाहिये कि जिस तरह से प्रदेश के लोगों की आय बढ़ाकर 1 लाख 40 हजार रूपये बतायी है, यह प्रतिव्यक्ति आय बताई है. हालांकि आय तो कुछ ही लोगों की होती है. लेकिन प्रतिव्यक्ति आय निकाली जाती है. जब प्रतिव्यक्ति आय निकाली है, आपने बतायी है. तो ऋण किश्त और मूलधन की जो राशि जाती है और स्थापना पर कितनी राशि व्यय होती है ? इसको और बता दें.
अध्यक्ष महोदय—चलिये मंत्री जी.
श्री जगदीश देवड़ा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे विपक्ष के साथी रोज ही एक विषय को जरूर लाते हैं. कर्जा तो पूरा बता चुके हैं. सबको बताया है, सबके सामने है. कर्जा यही सरकार है जो समय पर चुका रही है. यही सरकार है जो कर्जा लेकर के अधोसंरचना तथा विकास के काम करती है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय,कर्जे की परिभाषा को बदल दिया है. कर्जा यानि करते जाओ करते जाओ, ऐसा शायद है.
श्री जगदीश देवड़ा-- माननीय अध्यक्ष महोदय,ओमकार जी को क्या कहें यह तो फ्रीस्टाईल है.
अध्यक्ष महोदय—उनको कुछ मत कहो, अपनी बात पूरी करो.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऋषि चारवाहक थे उनके पदचिन्हों पर चलते हैं कर्ज लेकर के घी पीते हैं.
अध्यक्ष महोदय—कर्ज लेकर घी पीने की बात कल आ चुकी है.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह बतायेंगे आप इंतजार करिये इंतजार का अलग ही मजा है. यह बजट में बतायेंगे.
श्री जगदीश देवड़ा-- माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं सदन के समस्त माननीय सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि इस प्रस्ताव को सर्व-सम्मति से पारित करें.
4.54 बजे
वर्ष 2024-2025 के लेखानुदान की मांगों पर मतदान
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
वर्ष 2024-2025 के लेखानुदान की मांगों पर संशोधन.
अध्यक्ष महोदय - मध्यप्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 155(2) के तहत 2024-2025 की लेखानुदान की मांगों की एक सूचना प्राप्त हुई है.
संसदीय कार्य मंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि लेखानुदान पर कभी इस प्रकार कटौती प्रस्ताव आता नहीं है. अनुमति दे दी तो बात दूसरी है, नहीं तो इस प्रकार का कटौती प्रस्ताव आता नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - ये कटौती प्रस्ताव नहीं है. विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 155(2) के अंतर्गत लेखा अनुदान में राशि कम करने के लिए संशोधन दिए जा सकते हैं, उसी के तहत माननीय अध्यक्ष जी ने मुझे यहां बुलाया और उसी के तहत मैंने संशोधन दिया, मुझे अनुमति प्राप्त भी हो चुकी है.
अध्यक्ष महोदय - संसदीय कार्यमंत्री जी वापस लेने का अनुरोध कर सकते हैं, बाकी वह संशोधन नियम के अधीन है, इसलिए उनको स्वीकृति दी है.
प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ. माननीय सदस्य कुछ और कहना चाहते हैं.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने संशोधन दिया है, बातें लगभग माननीय मंत्री जी ने जो लेखानुदान के अंतर्गत राशि मांगी है 31 जुलाई तक, राशि तो मिलेगी, पारित भी होगा, सरकार चलेगी, व्यवस्थाएं बनेगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश की सरकार पर ऋण लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे व्यय जिन्हें हम कम कर सकते हैं, सरकार को कम करना चाहिए, मेरी ये मान्यता है. ऐसे व्यय जो आवश्यक है, उन्हें हमें करना चाहिए, उन पर ज्यादा व्यय करना चाहिए.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल - अध्यक्ष जी, अगर 155(2) सदस्य पढ़ेंगे तो उसमें घटाने की बात है, आप तो बढ़ाने की बात कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत - घटाने की बात कहीं है.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल - आपने तो कहा है कि तीन हजार यहां बढ़ा दो.
श्री रामनिवास रावत - मैंने कमी की बात कही है. मेरा संशोधन पढ़े.
अध्यक्ष महोदय - बात आ गई, रामनिवास जी, मंत्री जी का उत्तर आ जाने दो.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात तो पूरी समाप्त कर लूं.
अध्यक्ष महोदय -- डॉ.साहब कुछ कहना चाहते हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, 155(2) में कम करने की बात तो है, जोड़ने की बात नहीं है. आपने जोड़ने के लिये भी बोला है, बढ़ाने का भी बोला है, वह बात इसमें नहीं है.
श्री रामनिवास रावत -- वह तो वैसे भी आप नहीं जोड़ोगे.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- फिर कह काहे को रहे हो.
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास रावत जी आप पूरा करें.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री प्रहलाद पटैल) -- देखिये, यह प्वाइंट ऑफ आर्डर ही है, मुझे लगता है कि इसमें जो तीसरी बात कही गई है 155(3) में कि प्रस्ताव पर या उस प्रस्तावित किये गये संशोधन पर सामान्य प्रकार की चर्चा की अनुमति नहीं होगी, वह भी आप कर रहे हो.
श्री रामनिवास रावत -- चलो नहीं करेंगे, कम करने की बात करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आप कम करने की बात एक बार कह दो और मंत्री जी का उत्तर सुन लो.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विमानन पर यह व्यय कर रहे हैं, पूरी राशि मांग रहे हैं 1 लाख 35 हजार 229 करोड़ 55 लाख 56 हजार रूपये की राशि जुलाई तक मांगी है. विमानन पर व्यय कर रहे हैं 1 अरब 27 करोड़ 77 लाख 55 हजार. माननीय अध्यक्ष महोदय, विमानन पर इतना व्यय करना मैं समझता हूं और मैं मानता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी को विमानों से आना जाना रहता है, पर इस राशि को व्यय करने में करने की व्यवस्था की जा सकती है, इसको कम किया जा सकता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन में खूब आप इन्वेस्टर्स समिट कराते हो, लेकिन निवेश कितना आया प्रदेश में, कितने उद्योग लगे, मैं समझता हूं कि इस पर जो राशि व्यय होगी, इसमें भी कम किया जा सकता है.
अध्यक्ष महोदय-- रामनिवास जी आप इसको थोड़ा लंबा मत करो, जो आपका प्रश्न है, वह बता दो.
संसदीय कार्यमंत्री( श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- नियम 155(3) जैसा कि माननीय श्री प्रहलाद भाई ने कहा है, यह मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर है कि इसमें संशोधन दिया स्वीकार्य है, पर इस पर भाषण भी नहीं हो सकता है और मैं उनसे निवेदन भी करूंगा कि इस संशोधन को वापस ले लें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक विमानन का सवाल है तो एक बहुत बड़ी योजना एक तो एयर एंबुलेंस और दूसरा सारे हमारे जितने भी धार्मिक स्थल हैं, उनको हैलीकॉप्टर से जोड़ना है, यह एक बहुत बड़ा पर्यटन को आकर्षित करने का काम मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं, शायद वह समझ नहीं पाये और इसलिये वह कम करने की बात कर रहे हैं, बल्कि इसमें तो पैसे और बढ़ने भी चाहिए और निवेदन भी करता हूं कि संशोधन वापस ले लेंगे तो बड़ा अच्छा होगा.
श्री रामनिवास रावत -- अब मुझे बोल तो लेने दीजिये.
श्री प्रहलाद पटैल -- अध्यक्ष महोदय, नियम 155(3) में साफ लिखा है कि आप भाषण नहीं कर सकते हैं.
श्री रामनिवास रावत -- मैं भाषण नहीं कर रहा हूं, क्यों कम करना चाहिए यह तो कह सकता हूं.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, भाषण की मनाही है, आपने कह दिया तो वह भाषण देने लगे. यह अभी संबल योजना बंद करने की बात करने लगेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट शैलेन्द्र जी, मेरा आग्रह यह है कि संशोधन जो आपका था, वह संशोधन आपने पूरा पढ़ दिया, उसके बाद एक आध लाईन में कुछ और कहना है तो वह आप बोल दो, बाकी इसमें लम्बा भाषण नहीं दे सकते हैं.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- क्या है कि सर यह एक प्रोफेसर रहे हैं कभी, मुझे ऐसा लगता है, क्योंकि प्रोफेसर 45 मिनट से कम का भाषण देता ही नहीं है... (हंसी)
श्री रामनिवास रावत -- मैं भाषण दे कहां रहूं हूँ. मैं तो जनसंपर्क की सामान्य चर्चा कर रहा हूं. जनसंपर्क की राशि आपने रखी है 29 करोड़ 37 लाख 61 हजार, आप चार महीने में इतनी राशि खर्च कर रहे हो.
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास रावत जी यह दोहराव हो रहा है, चूंकि आपने मत संख्या आपने लिख दी है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह नियम के विपरीत भी है, इसमें भाषण नहीं दिया जा सकता है, संशोधन दिया है और वह संशोधन आप पढ़ लें, लेकिन आप उसमें भाषण नहीं दे सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- उसमें मत संख्या आपने पढ़ दी है.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पांच मिनट बोल लेने दीजिये.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो 155(3) नियम की बात कर रहे हैं, उसमें सामान्य चर्चा है, तो क्या सामान्य चर्चा भी नहीं करेंगे. वह भाषण तो नहीं दे रहे हैं, सामान्य चर्चा कर रहे हैं, तो उस नियम में सामान्य चर्चा का स्पष्ट लिखा है. सामान्य चर्चा की अनुमति आपसे ली है और वह सामान्य चर्चा कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत -- चलो मैं बहुत कम समय में अपनी बात कह देता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- संशोधन में आपको संशोधन तक ही सीमित रहना चाहिए. संशोधन प्रस्ताव आ गया, रामनिवास रावत जी ने मत संख्या के साथ उसको पूरा पढ़ दिया, अब उसमें आगे कुछ कहने को कायदे में है ही नहीं है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आगे तो यही है कि सी.एम.राईज स्कूल खोलने की बात आपने की है, बोले यह अच्छा है, इसमें कई-कई सी.एम.राईज स्कूल पांच-पांच किलोमीटर दूर शहर से है. अरे आप बच्चों के बसों की व्यवस्था करा देते तो हमें ज्यादा अच्छा लगता. कोई जरूरी है कि जनसंपर्क में आपके बड़े-बड़े होर्डिंग लगे, तभी उससे व्यवस्था हो. बच्चों के बसों की व्यवस्था स्कूल के आने जाने तक करा देते. विधानसभा विकास क्षेत्र निधि की सभी ने बात की, जिस तरह से 15-15 करोड़ रूपये की बात आ रही है, मुझे तो जानकारी नहीं है, आप विधानसभा विकास क्षेत्र निधि की राशि और स्वैच्छानुदान की राशि, इसमें तो आपका भी संरक्षण चाहिए कि इसके बढ़ाने की बात कर देते, तो अच्छा होता .
अध्यक्ष महोदय -- बढ़ाने की बात इस प्रस्ताव में नहीं हो सकती है(हंसी) घटाने की बात हो सकती है. (हंसी)
श्री रामनिवास रावत -- व्यवस्था कर सकते थे. (हंसी)
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- यह प्रोफेसर भी रहे हैं और बैंक बैंच वाले स्टूडेंट भी रहे हैं. (हंसी)
श्री शैलेन्द्र जैन-- यह घूम फिरकर फिर बढ़ाने पर आ गये.
श्री रामनिवास रावत-- चलिये मैं दो लाइन में बात करके समाप्त करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जनजाति की बात आई, बजट का आप किस तरह से उपयोग करते हैं जिस तरह से आपने ट्राइबल सब प्लान की राशि 702 करोड़ रूपये डायवर्ट करके महिला बाल विकास के वेतन में बांट दी और आपने अभी मैं सुन रहा था, हमारे विजययवर्गीय जी ने कहा था कि सहरिया जनजाति के लोगों को 1 हजार रूपये कमल नाथ जी की सरकार ने रोक दिये थे, ऐसा कहीं नहीं हुआ, कहीं नहीं रोके थे, लगातार राशि जा रही थी और सहरिया जनजाति, बैगा, भारिया पीटीजी ग्रुप तीनों के बच्चों को सीधे नियुक्ति देने का मिनीमम योग्यता धारण करने पर कुछ पदों पर सीधे नियुक्ति देने का प्रावधान है, सरकार ने आज तक नहीं दी. अगर आप जनजाति का हित चाहते हैं.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- जो जिले बाद में जुड़े उनमें नहीं है, बाकी जगह पर हैं.
श्री रामनिवास रावत-- नियुक्तियां नहीं दी हैं.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- नियुक्तियां दी हैं.
श्री रामनिवास रावत-- अब आप तो अभी बने हो, आप देंगे मुझे ऐसा विश्वास है और अभी 18 पद डीन के विज्ञापित किये हैं, शुक्ला जी से अनुरोध करूंगा कि यह विज्ञापन पहले भी निकला था उस समय रोस्टर लागू किया था, सीधी भरती के पद हैं, एससी, एसटी, ओबीसी तीनों के पद थे.
अध्यक्ष महोदय-- रामनिवास जी इसमें भरती का विषय नहीं है.
श्री रामनिवास रावत-- सारे विषय इसी से संबंधित हैं, बजट में ही तो इनके वेतन का प्रावधान करेंगे. चलो मैं मान लेता हूं, ओबीसी की बात आई तो सब चुप कराने की बात कर रहे हैं, यह बड़ा दुर्भाग्य है तो ओबीसी को आरक्षण देने के लिये आप देखें, यह ओबीसी के छात्रों के साथ अन्याय है. माननीय अध्यक्ष महोदय, और जितनी भी पुरानी सीएम की घोषणायें थीं लगभग सब गायब, पूरी घोषणायें गायब कर दीं जिनकी वजह से सरकार बनी आप ..(व्यवधान)...
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, मैंने निवेदन किया है माननीय सदस्य से कि जो संशोधन है उसको वापस ले लें और जो लेखानुदान प्रस्तुत हुआ है उसको मंजूरी प्रदान की जाये.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं वापस ले लेता हूं और सरकार से अनुरोध करूंगा वन रक्षक, जेल प्रहरी, उप जेल अधीक्षक, ग्रुप-5, 4 और संविदा वर्ग-1, पुलिस कांस्टेबल इनके परीक्षा परिणाम रूके हुये पड़े हैं, इनको जारी करायें. बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है. आपने जुआ, सट्टा चलवाने के लिये तो अधिनियम पारित करा लिया, इन वर्गों की तरफ भी देखें, ऐसा मेरा निवेदन है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो संशोधन दिये हैं (पक्ष के कई सदस्यों के एक साथ बोलने पर कि वापस लेता हूं) अरे कहें तो सही वापस लेने की, तब करूंगा.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, मैंने तो आपके माध्यम से निवेदन कर दिया माननीय सदस्य से कि संशोधन वापस लें और लेखानुदान को सर्वानुमति से पारित करायें.
श्री रामनिवास रावत-- पारित आपको कराना है कि वित्त मंत्री जी को कराना है.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- मैं इस मंत्रिमंडल का हिस्सा हूं, हम सबकी संयुक्त जवाबदारी है और इसलिये साधारणतया संसदीय कार्यमंत्री ही रिक्वेस्ट करता है कि संसद की प्रक्रिया के अंदर संसदीय कार्य मंत्री की भूमिका होती है कि वह निवेदन करता है कि आप संशोधन वापस ले लें.
श्री रामनिवास रावत-- मैं आपका सम्मान करता हूं, वैसे मंत्री जी की उपस्थिति अगर नहीं है तब संसदीय कार्यमंत्री अनुरोध करता है, फिर भी मैं आपका सम्मान करता हूं. मैं अपने संशोधन वापस लेता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- क्या सदन संशोधन वापस लेने की अनुमति देता है.
(सदन द्वारा अनुमति प्रदान की गई).
संशोधन वापस हुआ.
5.15 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग(लेखानुदान)विधेयक,2024(क्रमांक 7 सन् 2024)
5.19 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
विधान सभा क्षेत्र सुसनेर,जिला आगर मालवा अंतर्गत कंडलिया बांध परियोजना में
डूब क्षेत्र के मुआवजा वितरण में भारी अनियमितताएं होना
श्री भैरोसिंह बापू (सुसनेर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है -
(2) सौंसर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पठरा नाई में नहर का निर्माण किया जाना
श्री विजय रेवनाथ चौरे (सौंसर) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है:-
(3) महिदपुर विधान सभा में विद्युत वितरण कंपनी द्वारा बिजली बिल के नोटिस
दिया जाना
श्री दिनेश जैन बोस (महिदपुर) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है:-
(4) बीना विधान सभा क्षेत्र के खिमलासा टप्पा में राजस्व विभाग के अधिकारियों की नियुक्ति की जाना
एड. श्रीमती निर्मला सप्रे (बीना) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है:-
(5) विकासखण्ड वारासिवनी जिला बालाघाट के अंतर्गत ग्राम नांदगांव में डोकरिया जलाशय का निर्माण किया जाना
श्री विवेक विक्की पटेल (वारासिवनी) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है:-
(6) मंदसौर नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा दिया जाना
श्री विपिन जैन (मंदसौर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंदसौर नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा दिए जाने की मांग बहुप्रतीक्षित है. मंदसौर नगरपालिका क्षेत्र से लगे हुये ग्रामीण क्षेत्र को मिलाकर मंदसौर न.पा. को नगर निगम बनाया जा सकता है. वर्तमान में न.पा. का क्षेत्र व्यापक है. नगर निगम में उन्नयन होने से मंदसौर विकास प्राधिकरण लागू होकर विकास के नए आयाम स्थापित होंगे और सुविधाओं का विस्तार होगा. जनता और जनप्रतिनिधियों की मंशा अनुसार मंदसौर नगर पालिका को नगर निगम का दर्जा दिया जाकर क्षेत्र की जनभावना को पूरा किया जाए.
(7) संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुच्छेद 244(1) के तहत मध्यप्रदेश आदिवासी मंत्रणा परिषद की बैठकों में लिये गये निर्णयों का अक्षरश: पालन
नहीं किया जाना.
श्री कमलेश्वर डोडियार (सैलाना) - माननीय अध्यक्ष महोदय, भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची अनुच्छेद 244 (1) के तहत अधिसूचित क्षेत्रों में निवास करने वाले जनजातियों के संरक्षण, सुरक्षा, कल्याण उन्नति के लिये मध्यप्रदेश में आदिम जाति मंत्रणा परिषद का गठन किया गया, लेकिन उक्त आदिवासी मंत्रणा परिषद की अप्रैल 2017 के पश्चात् मात्र दो बैठकें दिनांक 21.3.2018 एवं दिनांक 9.1.2020 को आयोजित की गईं लेकिन उक्त बैठकों में लिये गये निर्णय एवं आदेश का अक्षरश: पालन आज तक नहीं किया गया है. इस संबंध में दिनांक 15.1.2024 को जनजाति कार्य विभाग मध्यप्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव से तीन बिन्दुओं में मेरे द्वारा जनहित में जानकारी चाही गई थी कि आदिवासी मंत्रणा परिषद के गठन के बाद से क्या कार्यवाही हुई एवं इस संबंध में क्या निर्णय लिये ? तथा महामहिम राज्यपाल महोदय एवं राष्ट्रपति महोदय को जो अनुशंसा है, अग्रेषित की गई, उसकी छायाप्रतियां मांगी गई थीं लेकिन मुझे आज तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है. जमीन स्तर पर आदिवासी मंत्रणा परिषद की कोई भी अनुशंसाओं एवं निर्णय का पालन नहीं किया जा रहा है.
(8) बड़वानी में शासकीय विद्यालयों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को
नियमित वेतन भुगतान किया जाना
श्री राजन मण्डलोई (बड़वानी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़वानी विधान सभा में शासकीय विद्यालयों में कार्यरत अतिथि शिक्षकों को वर्ष में एक या दो बार एकमुश्त वेतन दिया जाता है, जबकि इस सत्र का वेतन भुगतान अतिथि शिक्षकों को अभी तक नहीं किया गया है. बड़वानी के दुर्गम पहाड़ी के क्षेत्रों में ज्यादातर विद्यालय अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं. इनके नियमित वेतन भुगतान की व्यवस्था की जानी चाहिए.
डॉ. तेज बहादुर सिंह - (अनुपस्थित)
इंजीनियर प्रदीप लारिया - (अनुपस्थित)
9) प्रदेश में नर्मदा घाटी से प्राप्त अवशेषों को एकत्रित कर नर्मदा
संग्रहालय बनाया जाना
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी प्रदेश के जिन जिलों से होकर निकलती है, उन जिलों में नर्मदा नदी के आस-पास के अनेक ग्रामों में पुरातत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण जीवाश्म, शिलालेख एवं मूर्तियां पड़ी हैं. नर्मदा घाटी सभ्यता उसके इतिहास और ऐतिहासिकता को प्रमाणित करने वाले इन अवशेषों की पहचान एवं इनके संरक्षण हेतु प्रयास पर्याप्त नहीं हैं, जबकि इन्हें एकत्रित कर तथ्यों सहित संबंधित जिलों के जिला संग्रहालय में रखा जाना चाहिए और प्रदेश में नर्मदा घाटी से प्राप्त अवशेषों को एकत्रित कर नर्मदा संग्रहालय बनाया जाना चाहिए. जिसके लिए नर्मदा घाटी के इतिहास उसकी सभ्यता उसकी ऐतिहासिकता के प्रमाणों का संरक्षण आवश्यक है.
श्री संजय उइके - (अनुपस्थित)
5.28 बजे अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय - शून्यकाल की कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
5.29 बजे नियम 267-क के अधीन विषय (क्रमश:)
(10) हरसी बांध की मुख्य नहर और माइनर नहरों की मरम्मत की जाना
श्री सुरेश राजे (डबरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं आपको धन्यवाद देना चाहूँगा. पिछले सत्र में तीन वर्ष में कभी यह अवसर नहीं आया कि अपनी शून्यकाल की सूचना पढ़ने का असर मिला हो, इसलिए दिल से आपको धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय, डबरा विधान सभा के अंतर्गत हरसी बांध की मुख्य नहर और माइनर नहरों के क्षतिग्रस्त होने के कारण पानी बर्बाद हो रहा है और टेलपोर्शन तक पानी नहीं पहुंच रहा है. इस बांध में बेरूहेड से डी.15, डी.16, डी.17 और एस.आर. नहरों के क्षतिग्रस्त होने के कारण पानी नहीं मिल रहा है. इन नहरों की मरम्मत के लिये हर साल विभाग भारी धनराशि खर्च करता है, लेकिन सब खानापूर्ति कागज पर ही रहती है और वास्तविकता में नहरों की मरम्मत नहीं होती है. किसानों को जीर्णशीर्ण नहरों के होने के कारण पानी नहीं मिलता है और टेलपोर्शन तक पानी न आने के कारण किसान परेशान हैं. इन नहरों की तत्काल मरम्मत की आवश्यकता है ताकि किसान अपनी फसलों की समय पर सिंचाई कर सकें.
(11) विदिशा जिले की लटेरी में आदिवासियों की अधिग्रहित भूमि का मुआवज़ा न दिया जाना
श्री प्रताप ग्रेवाल (सरदारपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री दिनेश राय मुनमुन- अनुपस्थित
(12) बालाघाट जिले के विकासखंड परसवाड़ा के ग्राम पंचायत सचिव द्वारा अनियमितता किया जाना
श्री मधु भगत (परसवाड़ा)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
(13) मनावर विधान सभा के देवरा पंचायत स्थित शिव मंदिर का संरक्षण किया जाना
डॉ. हिरालाल अलावा (मनावर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो यह नवाचार किया है और इस नवाचार के माध्यम से मुझे लगता है कि सदन में इतने सदस्यों को शून्य-काल के माध्यम से अपने क्षेत्र के मुद्दों को उठाने का अवसर दिया, इसके लिए मैं, आपका ह्दय से आभारी हूं.
(14) राजपुर के ग्राम पंचायत अवली के ग्राम गोलाटा एवं तक्यापुर में जल संकट होना
श्री बाला बच्चन (राजपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
(15) अटेर जिला भिण्ड की ग्राम पंचायत निवारी एवं महेवा में विद्युत सब स्टेशन का निर्माण कराया जाना
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे (अटेर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है विधान सभा अटेर जिला भिण्ड की ग्राम पंचायत निवारी एवं महेवा में विद्युत मण्डल द्वारा विद्युत समस्या निराकरण हेतु 33/11 केव्ही के सबस्टेशन निर्माण की स्वीकृती दी गई थी. आज तक स्वीकृती विद्युत सबस्टेशन का कार्य प्रारंभ नहीं होने से क्षेत्र में विद्युत की समस्या से कृषि उत्पादन प्रभावित हो रहा है. उक्त स्वीकृत सबस्टेशन का निर्माण तत्काल कराया जावे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी जानकारी के लिए बताना चाहता हूं कि सदन में आज अभी तक शेखावत जी बैठे हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अभी सूर्यास्त नहीं हुआ है.
श्री भंवरसिंह शेखावत-- कैलाश जी, धन्यवाद कम से कम आप मेरा इतना ख्याल तो रखते हैं.
(16) प्रदेश के मंदिरों के पुजारियों को शासकीय मानदेय न दिया जाना
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन के इतने सदस्यों को यह अवसर देने के लिए मैं एक बार पुन: आपका धन्यवाद करता हूं. प्रदेश में वर्ष 1980 और 1982 में जो मंदिर हैं उनका सर्वे का कार्य हुआ था इसके बाद आज तक सर्वे का कार्य नहीं हुआ है जिसमें सर्वे अंतर्गत कुछ ही मंदिर रजिस्टर्ड शासन संधारित हैं जिनमें पुजारियों को शासकीय मानदेय दिया जाता है. सागर नगर अंतर्गत बड़े-बड़े मंदिरों का यह केन्द्र बने हुए हैं. यह न तो ट्रस्ट में रजिस्टर्ड हैं और न ही मंदिरों के नाम से इनकी कोई समिति रजिस्टर्ड है. चूंकि फर्म एवं सोसायटी के अंतर्गत मंदिरों के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान नहीं है मंदिर नियमानुसार ट्रस्ट तभी बना सकता है जब जिस जमीन पर मंदिर बना हुआ है वह जमीन मंदिर के नाम से हो. मंदिर के उचित रखरखाव एवं संरक्षण की दृष्टि से पुन: मंदिरों का सर्वे करवाकर उनका रजिस्ट्रेशन किया जाए. पुजारियों को शासकीय मानदेय भी दिया जाना आवश्यक है इसलिए इस विषय पर मंदिरों के पुजारियों में इस विषय को लेकर असंतोष है. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बार पुन: आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
(17) भोपाल और प्रदेश में गुमाश्ता कानून का समान रूप से पालन कराया जाना.
श्री आरिफ मसूद (भोपाल मध्य) -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मेरी सूचना सरकार के दोहरे मापदण्ड को लेकर है. मेरी सूचना यह है कि भोपाल और प्रदेश के तमाम जगहों पर जब हमने सवाल किया तो श्रम विभाग से पता चला कि सारे गुमाश्ता, जो मेरी सूचना है वह गुमाश्ता एक्ट के कानून से संबंधित है. उस गुमाश्ता एक्ट के कानून के तहत तमाम जगह के बाजार 12 बजे तक खुलने का नियम है. लेकिन अध्यक्ष महोदय, दोहरा मापदण्ड अपनाते हुए भोपाल के तमाम बाजार रात्रि 10 बजे से पुलिस बन्द कराना शुरु कर देती है. यह भेदभाव है, मैं आसंदी से संरक्षण भी चाहूंगा कि भविष्य में इस तरह का दोहरा मापदण्ड नहीं होना चाहिए. जब पूरे प्रदेश में श्रम का कानून है तो उस कानून का पूरे प्रदेश के साथ-साथ भोपाल में भी पालन होना चाहिए. जिला प्रशासन से जब-जब अनुरोध किया गया तो वह कोई जवाब नहीं देता है. मेरा प्रश्न भी लगा हुआ है. मैं चाहूंगा कि आसंदी इस पर जरुर संज्ञान लेगी.
(18) मध्यप्रदेश में आवारा कुत्तों के काटने से जानमाल का नुकसान होना.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया) -- अध्यक्ष महोदय, मेरे शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है. मध्यप्रदेश में आवारा कुत्तों की बढ़ती जनसंख्या के कारण जानमाल की निरन्तर हानि हो रही है. आप मध्यप्रदेश में आवारा कुत्तों के काटने के आंकड़े निकालेंगे तो प्रतिवर्ष आवारा कुत्तों के द्वारा काटने की अनेकों घटनाएं हुई हैं जिसमें कई लोगों की जानें चली गई हैं. हाल ही में भोपाल में आवारा कुत्तों के काटने के कारण एक बच्चे के जान चली गई. मेरा अनुरोध है कि मध्यप्रदेश सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नया नियम और कानून बनाए जिससे आमजन के जीवन की रक्षा की जा सके.
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 14 फरवरी, 2024 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की जाती है.
अपराह्न 5.41 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 14 फरवरी, 2024 (25 माघ, शक संवत 1945) के पूर्वाह्न तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह,
दिनांक 13 फरवरी, 2024 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा