मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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षोडश विधान सभा                                                                       द्वितीय सत्र

 

 

फरवरी, 2024 सत्र

 

मंगलवार, दिनांक 13 फरवरी, 2024

 

(24 माघ, शक संवत्‌ 1945)

 

 

[खण्ड- 2]                                                                                                     [अंक- 5]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

मंगलवार, दिनांक 13 फरवरी, 2024

 

(24 माघ, शक संवत्‌ 1945)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}

 

तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

 

          अध्‍यक्ष महोदय-- आज प्रश्‍नकाल हेतु प्रथम बार निर्वाचित माननीय सदस्‍यों एवं महिला सदस्‍यों के तारांकित प्रश्‍नों को ही सलाका के माध्‍यम से चयनित किया गया है. मैं महिलाओं को अपनी ओर से बधाई देता हूं और प्रश्‍नकाल प्रारंभ करते हैं.

 

रिंग रोड निर्माण का सर्वे

[लोक निर्माण]

1. ( *क्र. 1346 ) श्रीमती निर्मला सप्रे : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग के पास रिंग रोड बनाए जाने हेतु कोई कार्ययोजना है या नहीं? (ख) प्रश्‍नांश (क) का उत्तर हाँ है तो प्रश्‍नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र बीना में रिंग रोड बनाए जाने हेतु किस-किस जनप्रतिनिधि व संगठनों ने बीना अनुभाग के अनुविभागीय अधिकारी/तहसीलदार/अन्य अधिकारी को किन-किन कारणों से व किन दिनांकों को रिंग रोड बनाए जाने हेतु ज्ञापन व मांग पत्र प्रस्तुत किए गए हैं? ज्ञापन व मांग पत्र की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्‍नांश (ख) में उल्लेखित मांग के आधार पर जनहित की मांग को ध्यान रखते हुए प्रश्‍नकर्ता द्वारा बीना में रिंग रोड बनाए जाने हेतु प्रमुख सचिव, लोक निर्माण विभाग, मंत्रालय भोपाल को पत्र प्रेषित किया है या नहीं? यदि हाँ, तो पत्र में वर्णित कारणों को संज्ञान में लेकर विभाग बीना में रिंग रोड निर्माण हेतु सर्वे कराने पर विचार कर रहा है या नहीं, यदि नहीं, तो किस कारण से?

लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : (क) जी नहीं। (ख) प्रश्‍नांश 'के उत्तर के अनुसार शेष प्रश्‍नांश का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्‍नांश का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

        श्रीमती निर्मला सप्रे-- सबसे पहले मैं उच्‍च आसंदी पर विराजमान हमारे धीर गंभीर, हसमुख, मिलनसार सम्‍माननीय अध्‍यक्ष जी को सादर प्रणाम करती हूं. मैं आज मेरा तारांकित प्रश्‍न पहली बार सदन में उठा रही हूं. मेरा तारांकित प्रश्‍न लोक निर्माण विभाग से संबंधित है और मेरे इस प्रश्‍न के जवाब में आदरणीय मंत्री जी ने मुझे जो उत्‍तर दिया है मैं उनके उत्‍तर से बिलकुल भी संतुष्‍ट नहीं हूं. मुझे जो जानकारी दी गई है वह गलत जानकारी है. मैं अपना प्रश्‍न एक बार सदन में पुन: दोहराना चाहूंगी.

          अध्‍यक्ष महोदय-- निर्मला जी, यह जो प्रश्‍न है आपको इसे दोबारा पढ़ने की जरूरत नहीं है. अब जो जवाब आपको नहीं मिला है उसमें जो पूरक प्रश्‍न बनता है एक प्रश्‍न और उसके बाद दूसरा प्रश्‍न आप वह मंत्री जी से करिए.         

          श्रीमती निर्मला सप्रे-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहती हूं कि आपने मेरे (क) नंबर प्रश्‍न का यह जबाव दिया है कि किसी भी कार्य की कार्य योजना नहीं बनी है. रिंग रोड बनाये जाने की अभी तक कोई कार्य योजना नहीं बनी है. मैं यह कहना चाहती हूं कि अभी तक प्रदेश में जितनी भी नगर पालिकाएं बनाई गई हैं क्‍या उनमें बिना किसी कार्य योजना के नगर पालिकाओं के रूप में रिंग रोड बना दी गई हैं. आदरणीय मंत्री जी मुझे इसका जबाव दें कि बिना किसी कार्य योजना के क्‍या कोई निर्माण कार्य हो सकता है?

          श्री राकेश सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍या ने अपने विधान सभा क्षेत्र की चिंता की है कि वहां पर रिंग रोड बनना चाहिए. हम भी यह मानते हैं कि बीना एक महत्‍वपूर्ण स्‍थान है, वहां पर रिफायनरी भी है, वहां पर ट्रैफि़क का दबाव भी है और जो लंबे समय से ट्रैफि़क का दबाव वहां है उसका सबसे बड़ा कारण वहां का रेलवे जंक्‍शन है, चूंकि वहां का रेलवे जंक्‍शन बहुत बड़ा है और रेलवे क्रासिंग भी वहां पर है और सबसे बड़ा कारण वहां पर रेलवे क्रासिंग है जिसमें जाम लगने के कारण ट्रैफि़क जाम होता है. इसी को ध्‍यान में रखते हुए वहां पर बीना शहर में पांच आरओबी प्रस्‍तावित किये गये थे जिनकी अनुमानित लागत राशि लगभग 188 करोड़ रुपए है जो कि स्‍वीकृत है जिनमें से तीन कार्य जल्‍द ही पूरे होने वाले हैं और बचे हुए दो कार्य जो हैं वह भी प्रगति पर हैं. उसकी जानकारी भी मैं दे देता हूँ. बीना कटनी रेल सेक्शन क्रासिंग है यह है क्रमांक 308 बी, यह 38.66 करोड़ रुपए से लगभग पूर्ण हो चुका है. बीना-कटनी क्रासिंग 307 बी यह 37 करोड़ रुपए से, सागर-खुरई-बीना नेशनल हाईवे 934 के 72 किलोमीटर, लगभग 29.11 करोड़ रुपए से और ऐसे ही बीना-आगासोद मार्ग के 3/2 में सेक्शन क्रासिंग पर लगभग 40.47 करोड़ रुपए से, यह अगले लगभग 16 माह में तैयार हो जाएगा. फिर एक है मालखेड़ी-करोद रेलखंड पर बीना-मालथौन मार्ग पर क्रासिंग नंबर 310ए पर है. यह 41 करोड़ रुपए का है. यह कार्य भी अगले 16 महीने में पूर्ण हो जाएगा. ऐसा माना जा रहा है कि यह कार्य पूर्ण होने के पश्चात् अभी जो ट्रेफिक का दबाव है वह कम होगा और उसके कारण से जो अभी असुविधा हो रही है वह नहीं होगी.

          अध्यक्ष महोदय, जहां तक माननीय सदस्य ने अपनी बात की थी कि वहां पर इसके बारे में अभी तक विचार क्यों नहीं किया गया. ऐसा कोई प्रस्ताव उस समय तक भी उनका यहां पर नहीं आया था जब तक इसके लिखित उत्तर दिए गए. उनका एक पत्र कलेक्टर के माध्यम से बाद में आया है. जिसमें इस बात का उल्लेख है कि वहां पर रिंग रोड बनना चाहिए तो माननीय सदस्य की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मैं यह कहूंगा कि एक बार वहां पर फिजिबिलिटी रिपोर्ट बुलाई जाएगी और उसके आधार पर रिंग रोड के निर्माण की प्रक्रिया पर विचार किया जाएगा.

          श्रीमती निर्मला सप्रे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने मुझे आश्वासन दिया है. मैं यह चाहती हूँ कि जल्दी कार्य योजना बनाएं.

          अध्यक्ष महोदय -- निर्मला जी, आप मंत्री जी को धन्यवाद दे दीजिए.

          श्रीमती निर्मला सप्रे -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी समय और बता दें. यह मांग बहुत ज्वलनशील है. मैं यह बताना चाहती हूँ कि 4 साल पहले ज्ञापन भी हो चुका है. मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है माननीय मंत्री जी आप आश्वासन दीजिए.

          अध्यक्ष महोदय -- निर्मला जी अभी आपका जो प्रस्ताव है वह एकदम शैशव अवस्था में है, आज की स्थिति में किसी मंत्री से समय सीमा बताने के लिए कहेंगे तो कोई बताएगा ही नहीं. ठीक है न.

          श्रीमती निर्मला सप्रे -- अध्यक्ष महोदय, मुझे आप पर भरोसा है कि आपके सानिध्य में रहकर मुझे रिंग रोड जरुर मिल जाएगा. अध्यक्ष महोदय, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.

नगरपालिका क्षेत्र अंतर्गत नल-जल योजना

[नगरीय विकास एवं आवास]

2. ( *क्र. 1364 ) श्रीमती अनुभा मुंजारे : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या बालाघाट नगरपालिका क्षेत्र अंतर्गत 38 करोड़ की नल-जल योजना वर्ष 2016 में जल आवर्धन योजना के तहत प्रारंभ की गई थी, जिसे वर्ष 2018 में पूर्ण किया जाना था, परंतु आज दिनांक तक अपूर्ण है? (ख) यह योजना कब तक पूर्ण होगी बालाघाट नगर के वासियों को कब 24 घंटे पेयजल उपलब्ध होगा? (ग) इस योजना में हुए भ्रष्‍टाचार की जांच कर दोषी अधिकारी और ठेकेदार पर क्या कोई कार्यवाही की जायेगी और यदि की जायेगी तो कब तक और यदि नहीं, की जायेगी तो क्यों?

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। कार्य दिनांक 28.06.2021 को पूर्ण किया जा चुका है। केवल घरेलू नल कनेक्‍शन का कार्य प्रगतिरत है।                                   (ख) दिनांक 30.06.2024 तक पूर्ण किया जाना लक्षित है। वर्तमान में 24 घंटे जलप्रदाय का प्रावधान योजना में नहीं है। (ग) जांच समिति गठित की गई है। जांच प्रतिवेदन प्राप्‍त होने पर निष्‍कर्षों के अनुसार कार्यवाही की जा सकेगी। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

          श्रीमती अनुभा मुंजारे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय सदन. आज मुझे नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से सवाल करना है जो कि हमारे संसदीय कार्य मंत्री भी हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र बालाघाट की नगर पालिका में पिछले साढ़े छह साल से जल आवर्धन योजना का कार्य चल रहा है और इस जल आवर्धन योजना के लिए हमने भी सड़क पर उतरकर लंबी लड़ाई लड़ी है. इसका अनुबंध वर्ष 2016 में हो चुका था. जैन एरिगेशन कम्पनी, जलगांव, महाराष्ट्र को यह कार्य मिला था. 24 महीने के अन्दर उन्हें यह कार्य पूर्ण करके देना था, लेकिन आज बड़े दुख के साथ कहना पड़ता है बालाघाट शहर जिला मुख्यालय है बड़ी नगर पालिका है इस शहर की बड़ी जनसंख्या है, लेकिन आज साढ़े छह साल हो जाने के बाद भी कार्य अपूर्ण है. घटिया स्तर का कार्य किया जा रहा है. बहुत ही घटिया स्तर की पाइप लाइन डाली गई है. तीन इंच पर उनको पाइप लाइन डालना थी लेकिन एक इंच पर उन्होंने पाइप लाइन डाल दी जिसके कारण लगातार पाइप लाइन टूट-फूट रही है. आम जनता को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है. जिसके कारण शहर में 33 वार्डों में बहुत भारी जनआक्रोश है. मैं माननीय मंत्री जी से सवाल करना चाहूँगी कि क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या बालाघाट नगरपालिका क्षेत्र अंतर्गत 38 करोड़ की नल-जल योजना वर्ष 2016 में जल आवर्धन योजना के तहत प्रारंभ की गई थी, जिसे वर्ष 2018 में पूर्ण किया जाना था, परंतु आज दिनांक तक अपूर्ण है? (ख) यह योजना कब तक पूर्ण होगी बालाघाट नगर के वासियों को कब 24 घंटे पेयजल उपलब्ध होगा?           अध्‍यक्ष महोदय -- अनुभा जी, प्रश्‍न आ गया है. माननीय मंत्री जी का जवाब आने दीजिये.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक श्रीमती अनुभा मुंजारे जी को धन्‍यवाद देता हूं कि उन्‍होंने इस विषय पर सदन का ध्‍यान आकर्षित किया है. मैं सिर्फ आपकी जानकारी के लिये बताना चाहता हूं कि इस योजना के कुल 10 घटक थे, उसमें से 9 घटक का काम पूर्ण हो चुका है और एक जो सबसे महत्‍वपूर्ण है, वह है हाउस सर्विस कनेक्‍शन. 17,385 कनेक्‍शन करने थे, उसमें उपभोक्‍ता को कुछ राशि भी देनी है. इस विषय को लेकर कई उपभोक्‍ता उसमें राशि जमा नहीं कर रहे हैं इसलिये कनेक्‍शन नहीं दे पा रहे हैं, परंतु फिर भी 10 हजार कनेक्‍शन हो गये हैं और अभी आज तक जो जानकारी मुझे मिली है कि 10 हजार से भी ज्‍यादा काफी लोगों ने और कनेक्‍शन ले लिये हैं. यह कनेक्‍शन पूरे हो जाएंगे तो मुझे लगता है कि यह योजना पूर्ण हो जाएगी. जहां तक आपने कहा है कार्य की गुणवत्‍ता ठीक नहीं है, इसकी शिकायत पहले भी आई थी और पहले माननीय जिलाधीश ने वहां पर वार्ड वार जांच कराई थी. उनकी रिपोर्ट के अनुसार काम ठीक हुआ है, फिर भी अगर माननीय सदस्‍या चाहती हैं कि फिर से एक बार जांच हो तो मैं संचालनालय से एक टीम बनाकर भेज दूंगा.

          श्रीमती अनुभा मुंजारे -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपकी जानकारी में लाना चाहूंगी कि आपको विभाग के द्वारा असत्‍य जानकारी दी गई है. अभी कुल मिलाकर 16 हजार कनेक्‍शन हो चुके हैं, इसमें से 6 हजार जो उपभोक्‍ता हैं वह बेहद परेशान हैं, प्रताडित हैं क्‍योंकि उन्‍होंने 2,500 रुपये जमा कराया हुआ है, लेकिन उन्‍हें बिल्‍कुल भी पानी नहीं मिल रहा है. वह रात-दिन नगर पालिका के चक्‍कर काटते रहते हैं और सबसे ज्‍यादा गंभीर बात मैं आपको बताना चाहूंगी कि इतना स्‍तरहीन और अपूर्ण काम होने के बाद, जनाक्रोश होने के बाद, लगातार पार्षदों की शिकायत होने के बावजूद भी अभी पिछले दिनों प्रभारी नगर पालिका अधिकारी सुश्री दिशा डेहरिया ने उस ठेकेदार का लगभग 38 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया है और 6 हजार जो कनेक्‍शनधारी हैं वह परेशान हैं. उनको किसी तरह से राहत नहीं दी जा रही है और नगर पालिका प्रशासन यह जवाब दे रहा है कि हम कुछ नहीं कर सकते हैं, आप ठेकेदार से बात करिये.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अनुभा जी, प्रश्‍न करिये.

          श्रीमती अनुभा मुंजारे -- जी अध्‍यक्ष महोदय. माननीय मंत्री जी, मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगी, मेरा सवाल भी है और आग्रह भी है कि उपरोक्‍त ठेकेदार पर आप सख्‍त कार्यवाही करेंगे ? मैं ऐसी आपसे अपेक्षा करती हूं और सख्‍त कार्यवाही होगी यह आपसे पूरी उम्‍मीद है और मेरा निवेदन है कि उनके ऊपर आप क्‍या कार्यवाही करेंगे ? और नगर पालिका प्रशासन पर क्‍या कार्यवाही होगी ?

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्‍यक्ष महोदय, यदि लोगों ने पैसा जमा कर दिया है, कनेक्‍शन ले लिया है और पानी नहीं मिल रहा है, तो मैं यहां से तकनीकी टीम भेजूंगा कि उसमें कारण क्‍या हैं और यदि कहीं पर अनियमितता पाई गई तो निश्चित रूप से कार्यवाही की जाएगी, परंतु मैं माननीय विधायक को इतना विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि यह 40 करोड रुपये की योजना है और ऐसा नहीं है कि पूरा पेमेंट हो गया है. अभी लगभग 3 करोड रुपये ठेकेदार का बाकी भी है. जब तक काम पूर्ण नहीं होगा, जब तक लोगों को पानी नहीं पहुंचेगा, तब तक उनका पेमेंट नहीं किया जाएगा और गुणवत्‍तापूर्ण काम नहीं हुआ तो ठेकेदार के खिलाफ भी हम कार्यवाही करेंगे. हम संचालनालय से एक तकनीकी टीम भेज रहे हैं.

          श्रीमती अनुभा मुंजारे -- अध्‍यक्ष महोदय, आदरणीय मंत्री जी का मैं हृदय से धन्‍यवाद देती हूं.

          श्री मधु भगत -- अध्‍यक्ष महोदय, उनका ही प्रश्‍न है, उन्‍होंने कहा है. 

          अध्‍यक्ष महोदय -- आज महिलाओं का दिन है. मधु जी, प्‍लीज आप किसी दूसरे विषय पर बोल लेना. महिलाओं के 4-5 हो जाने दीजिये.

           

 

मार्गों का निर्माण कार्य

[लोक निर्माण]

3. ( *क्र. 770 ) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या खरगापुर विधान सभा-47 के कई ग्रामों से मुख्य मार्गों तक आने हेतु सड़कों का अभाव होने के कारण आम जनता बरसात के समय विशेष रूप से परेशान होती रहती है, इसलिये देवपुर मुख्य मार्ग से वनपुरा' सॉपौन तक, लारौन मुख्य मार्ग से टपरियन तकदेरी मुख्य सड़क से खुड़ौ नज. देरी तक, पथरीगढ़ (मचौरा) से देवराहा तक, हृदयनगर तिगेला से कोटरा तक की सड़कों का निर्माण कराये जाने से आम जनता को आवागमन की सुविधा प्राप्त होगी? क्या आम जनता की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुये उक्त सड़कों का डामरीकरण कराकर निर्माण करायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) उक्त सड़कों के निर्माण किये जाने से लगभग 50 ग्रामों के ग्रामीणजनों को सुविधा प्राप्त होगी क्या विभाग द्वारा डी.पी.आर. तैयार कराये जाने के आदेश जारी किये जायेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) क्‍या कुछ ग्रामों में बरसात के समय पहुंच पाना मुश्किल हो जाता है, बीमार व्यक्तियों को इलाज की मुसीबत खड़ी हो जाती है और ग्रामीणजनों की विशेष माँग भी है कि पक्की सड़क निर्माण कराये जाने से क्षेत्र की जनता आवागमन का लाभ लेकर मुख्य मार्गों से ग्रामवासियों का जुड़‌ना संभव हो जावेगा?

लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है।  (ख) विवरण संलग्‍न परिशिष्‍ट के स्‍तम्‍भ-5 में दर्शाये अनुसार है। (ग) विवरण  संलग्‍न परिशिष्‍ट के स्‍तम्‍भ-में उल्लेखित कार्यवाही का पूर्ण होना आवश्यक है।

परिशिष्ट - "एक"

          श्रीमती चंदा सुरेन्‍द्र सिंह गौर -- अध्‍यक्ष महोदय, खरगापुर विधान सभा की आम जनता के हितों में सडकों का निर्माण किये जाने का मेरा प्रश्‍न है. लारौन से टपरियन तक सडक निर्माण, देरी मुख्‍य सडक से खुडौ नजदीक देरी तक, वनपुरा सोपौन से देवपुर तिगैला तक, पथरीगढ मचौरा से देवराहा तक, हृदयनगर तिगैला से कोटरा तक की सडकें निर्माण कराई जाएं जिससे आम जनता को आवागमन की सुविधा मिले और सडकों के निर्माण से कम से कम 50 गांवों के लोगों को लाभ मिलेगा.

 

            श्री राकेश सिंह -- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. माननीय   विधायक जी ने 5 मार्गों की बात की है,  उसमें से 4 मार्ग  प्रधानमंत्री सड़क योजना  के अंतर्गत बन चुके हैं.  उनकी मैं विस्तार से जानकारी भी दे सकता हूं कि कहां से कहां तक है  और माननीय महोदया ने  उसमें दोहरी कनेक्टिविटी की बात  की है.  प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत  जो  सड़कें बनती हैं,  उनमें दोहरी कनेक्टिविटी  का प्रावधान नहीं होता और एक जो टपरियन  गांव  की बात की है, वहां तो अभी सड़क ही नहीं है.  जितने  भी अभी यह कार्य बताये हैं,  यह  विभाग की पुस्तिका  में दर्ज  नहीं हैं. विभाग की पुस्तिका में दर्ज   नहीं हैं का मतलब होता है कि  अभी तक उसको लेकर  विभाग के पास  में कोई भी   इस तरह की प्रक्रिया प्रारम्भ नहीं हुई कि  वहां पर सड़क  निर्माण के बारे में कुछ विचार हो और उसका बड़ा कारण  है,  जब प्रधानमंत्री सड़क योजना से कोई  सड़क बनती है, तो चूंकि सड़क तो वहां पर बनी,  उन 5 मार्गों में  10 गांव पड़ते हैं.  10 में से 8 गांव सड़क से प्रत्यक्ष रुप से  जुड़े हुए हैं.  एक गांव जो टपरियन  की बात   उन्होंने की है,  वहां पर कोई मार्ग अभी  है ही नहीं.  तो एक बार  अगर उस मार्ग की  बात है, तो उसका परीक्षण  जरुर करायेंगे और परीक्षण कराकर देखेंगे कि  उसमें क्या आता है और उसके आधार पर  फिर निर्णय करेंगे.

          श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर--  अध्यक्ष महोदय, मुझे जानकारी में दिया गया है कि   विभाग की पुस्तिका  में दर्ज नहीं है.   फिर लिखा गया है कि विभाग  में स्वीकृति हेतु   बजटीय प्रक्रिया  का पूर्ण होना आवश्यक है.  फिर लिखा गया है कि डीपीआर  बनाने की कार्रवाई संभव नहीं है.  मंत्री जी बता दें कि क्या संभव है. क्या इन सड़कों  के बिना  वहां की  आम जनता की तकलीफें कम हो सकती हैं,  क्या इन गांवों को मुख्य  सड़क से जोड़ेंगे.   विभाग  अगर डीपीआर  नहीं बनवा सकता है,  पुस्तक में नाम दर्ज नहीं कर सकता है,   बजट प्रक्रिया में  शामिल  नहीं कर सकता है, तो आपका विभाग  फिर क्या कर सकता है, यह मंत्री जी बता दें.  ग्रामीण  जनता की पीड़ा को ध्यान में रखते हुए  पांचों सड़कों का डीपीआर  तैयार करवायें. जिन सड़कों की बात  मंत्री जी कर रहे हैं,  उन सड़कों में मैं खुद जाती हूं,  क्योंकि मैं वहां की विधायक हूं.   वहां मुख्य सड़क तक कोई  सड़क नहीं है.  वहां के लोग बरसात  में  खटिया में आते हैं.  अगर किसी की डिलेवरी  होती है, तो महिलाओं को खटिया  पर लेकर आना पड़ता है.  अगर कोई  बिलकुल चल नहीं पाता है, तो  उनको भी खटिया पर  ले जाना पड़ता है बरसात में.  मैं वहां जाती हूं.  आप जांच करवा  लें कि कहां रोड है, कहां रोड नहीं है.  नहीं तो डीपीआर  बनवाने का हमें आश्वासन दे दें. आप डीपीआर  बनवा दें.  मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि  मैं अभी  वहां सड़क डालने की  बात नहीं कर रही हूं,   आप डीपीआर भर बनवा दें.

          अध्यक्ष महोदय-- आपका पूरक प्रश्न आ गया, अब आप कृपया बैठें. मंत्री जी, कुछ कहना है.

          श्री राकेश सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य  को  पहले ही जानकारी दी थी,  उसके अनुसार सड़कों  की स्थिति है.  उन्होंने प्रश्नों के अलग अलग  उप खण्डों और खण्डों की बात की है.  उसके अनुसार उनको उत्तर  दिये गये थे.  इसमें से एक सड़क जो है,यह है देवपुर मुख्य मार्ग से  वनपुरा सापौन मार्ग. यह  लगभग 2.2 किलोमीटर   की लम्बाई है, यह भी   पीएमजीएसवाई योजना से बनी थी.  इसमें दूसरी तरफ से  कनेक्टिविटी  के लिये  ये  विभाग ने इसको स्वीकृत किया है  और उसके टेण्डर की प्रक्रिया  विचाराधीन है.  बाकी के मामले में अभी  किसी तरह की स्वीकृति नहीं है.  लेकिन मैंने माननीय सदस्य  को पहले ही कहा है  कि विभाग इसका परीक्षण करेगा और परीक्षण  में  अगर यह लगेगा कि  वह रोड बनना चाहिये,  तो फर आगे की प्रक्रिया प्रारम्भ होगी.

          श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर--  अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि  डीपीआर बनाने की तो घोषणा कर दें. बहुत परेशानी में हैं वहां के लोग.

          अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने परीक्षण कराने का बोल दिया है.

          श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर--  अध्यक्ष महोदय, जी, धन्यवाद.

                  

 

 

 

नगरीय विकास योजनाओं के तहत निर्माण कार्यों की गुणवत्‍ता

[नगरीय विकास एवं आवास]

4. ( *क्र. 391 ) सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर जिले की बड़ामलहरा विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत नगर पंचायतों में वर्ष 2021 से प्रश्‍न दिनांक तक योज‌नावार कौन-कौन से कार्यों पर कितना-कितना व्‍यय किया गया? सम्पूर्ण विवरण दें तथा शासन की गाइड लाइन उपलब्ध करावें। (ख) वर्ष 2021 से प्रश्‍न दिनांक तक नगर पंचायतों में कौन-कौन से कार्यों हेतु बैठकें आयोजित की गई, जिनका परिषद द्वारा अनुमोदन किया गया? (ग) निर्माण कार्यों की गुणवत्ता हेतु विभागीय अधिकारियों ने शासन की नीति के तहत कार्य किया? (घ) यदि हाँ, तो निर्माण कार्य जर्जर हो चुके हैं। वर्ष 2021 से किये गये निर्माण कार्यों के पूर्णता प्रमाण पत्र सहित सम्पूर्ण जानकारी प्रमाणित कर उपलब्ध करावें?

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) से (घ) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। गाइडलाइन्‍स की प्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट अनुसार है।

 

          सुश्री रामश्री (बहिन रामसिया भारती) राजपूत--  अध्यक्ष महोदय,  आज मुझे सदन में पहली बार  बोलने का अवसर प्राप्त हुआ है.  उच्च आसंदी  पर आसीन  अध्यक्ष महोदय जी को  मेरी तरफ से  बहुत बहुत जय श्रीराम. मेरा प्रश्‍न यह था कि खण्‍ड- '''' के उत्‍तर में शासन की जो गाईड लाइन परिशिष्‍ट '''' में उपलब्‍ध करायी गयी है, उसमें मेरे मूल प्रश्‍न का जो उत्‍तर आया है वह सही नहीं है, उन्‍होंने संतोषजनक उत्‍तर नहीं दिया है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय:- मेरे प्रश्‍न खण्‍ड- '''' से '''' तक जो मैंने प्रश्‍न पूछा था उसकी मुझे सम्‍पूण जानकारी नहीं दी गयी है और मैं इस उत्‍तर से बिल्‍कुल भी संतुष्‍ट नहीं हूं. अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से पूरे प्रकरण में वर्ष 2021 से 2024 तक जो भी निर्माण कार्य हुए तथा क्रय सामग्री खरीदी गयी उसमें व्‍यापक स्‍तर पर करोड़ों का नगर बड़ा मलेहरा, घुवारा और बक्‍स्‍वाह में शासन की राशि का आय-व्‍यय हुआ है. यह जो मामला है यह केवल बड़ा मलेहरा का नहीं है. यह प्रदेश स्‍तरीय मामला है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, मैं चाहती हूं कि मेरे प्रश्‍न के संबंध में राज्‍य स्‍तर जांच कमेटी गठित की जाये और उसमें क्षेत्रीय विधायक को शामिल की जाये, ताकि उसकी जांच पारदर्शिता के साथ हो सके.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय:- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विधायिका ने जो कहा है, उन सारे प्रश्‍नों के उत्‍तर उनको दिये हुए हैं. शायद उन्‍होंने परिशिष्‍ट नहीं देखा होगा, काफी बड़ा उत्‍तर है. पहले तो मेरे विभाग ने शायद इसको अग्रहाय कर लिया जाये.कहा. मैंने कहा नहीं पहली महिला विधायक हैं उनके उत्‍तर को ग्राह्य करके उनको, उनको उनकी पूरी बात का जवाब भी देना चाहिये. हमने बहुत वृहद उत्‍तर दिया है. फिर भी विधाकिया जी किस प्रश्‍न से असंतुष्‍ट हैं, वह मुझे बता दें तो मैं बता दूंगा. यह एकदम जनरल हो गया है कि राज्‍य स्‍तरीय जांच कराना, यह तो बड़ा मुश्किल है और अगर वह कोई पर्टिक्‍यूर विषय में जांच चाहती हैं तो मैं, जांच के आदेश दे सकता हूं. परंतु पूरे प्रदेश की जांच कराना तो बड़ा मुश्किल होगा.

          अध्‍यक्ष महोदय:- रामश्री जी आपको जिस जगह पर आपत्ति दिखती है तो वह पर्टिक्‍यूर प्रश्‍न करो तो मंत्री जी ठीक से उत्‍तर दे पायेंगे.

          सुश्री रामश्री(बहिन रामसिया भारती) राजपूत:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं बस वर्ष 2021-2024 नगर पंचायतो बड़ा मलेहरा और बक्‍स्‍वाहा में जो नाली, सी.सी रोडों का का निर्माण किया गया है, उनके निर्माण करने की समयावधि क्‍या है अध्‍यक्ष महोदय, जी मैं आपके माध्‍यम से पूछना चाहती हूं कि माननीय मंत्री जी जो वार्ड वाइज़ रोड एवं नालियों का निर्माण किया गया है, तीन वर्ष पूर्व रोडों का निर्माण हुआ और उसी स्‍थान पर दोबारा निर्माण किये गये. इसके संबंध में शासन के क्‍या नियम हैं. नगर पंचायतों में जो खरीदी की गयी उसमें भण्‍डार क्रय नियम-2015 का पालन बिल्‍कुल नहीं किया गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- रामश्री जी आपका प्रश्‍न आ गया है.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय:- माननीय अध्‍यक्ष्‍ा महोदय, मैं समझता हूं कि माननीय विधायिका महोदय ने जो प्रश्‍न पूछे हैं उसके उत्‍तर इसमें सम्मिलित हैं. यदि पर्टिक्‍यूर यह चाहती हैं कि इस विषय पर जांच करा दें. यहां पर, इस नगर पालिका में कुछ गड़बड़ी हुई है तो मैं जांच करा सकता हूं.

          सुश्री रामश्री(बहिन रामसिया भारती) राजपूत:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय जी से निवेदन करना चाहूंगी कि ..

          अध्‍यक्ष महोदय:- माननीय रामश्री जी, ऐसे रास्‍ता नहीं निकलेगा. मेरा आपसे अनुरोध है कि बहुत लम्‍बा उत्‍तर सरकार ने दिया है. आप उस उत्‍तर को पूरा देख लें और मंत्री जी से व्‍यक्तिगत रूप से उनके कक्ष में मिल लें.

          सुश्री रामश्री(बहिन रामसिया भारती) राजपूत:- माननीय अध्‍यक्ष जी मैं आपका पूर्णरूपेण संरक्षण चाहती हूं और मैं चाहती हूं हमारे बड़ा मलेहरा विधान सभा की तीनों नगर पंचायतों में, मैं, माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगी कि इसमें राज्‍य स्‍तरीय समिति गठित हो और उस समिति में मुझे भी सम्मिलित किया जाये और उसकी पूरी जांच करायी जाये. ताकि इसकी जांच पारर्दिशिता के साथ हो सके.

          अध्‍यक्ष महोदय:- कृपया आप बैठ जायें.

          सुश्री रामश्री(बहिन रामसिया भारती) राजपूत:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी, मैंने सुना है कि उस दिन सदन में माननीय मंत्री महोदय जी ही कह रहे थे कि '' मोही कपट छिद्द न भावा, तो इसमें छल कपट और छिद्द कहां से  आ गये हैं. मेरी विनती है कि आप आश्‍वासन दिलाने की कृपा करें.                                                                                                       

श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य महोदया की केवल यही भावना है कि वर्ष 2021 से बड़ामलहरा क्षेत्र की नगर पंचायतों में जितने भी निर्माण कार्य कराये गये हैं, माननीय सदस्य महोदया की उपस्थिति में जांच करा लें, जांच के आदेश दे दें, यह उनकी भावना है. अगर मंत्री जी की तरफ से उत्तर आ जाय तो ठीक रहेगा.

अध्यक्ष महोदय - श्री रामनिवास रावत जी आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं. मैं समझता हूं कि मैंने तो पूरी कोशिश की है लेकिन अब जब तक ये लोग आपस में मिलेंगे नहीं, तब तक वह क्या पूछना चाहती हैं और सरकार क्या कर सकती है, यह समाधान नहीं होगा, इसलिए मैंने कहा कि वह मंत्री जी से मिलेंगी तो जरूर मंत्री जी मदद करेंगे.

प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि में गड़बड़ी की जांच पर कार्यवाही न होना

[नगरीय विकास एवं आवास]

5. ( *क्र. 961 ) श्रीमती ललिता यादव : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या छतरपुर नगर पालिका परिषद में अपात्र लोगों के खाते में प्रधानमंत्री आवास योजना की कितनी-कितनी राशि डाले जाने की पुष्टि जांच में सिद्ध हो चुकी है और विभाग द्वारा उस पर कार्यवाही के निर्देश दिए गए थे? निर्देश की प्रति सहित अपात्र लोगों की सूची दें।                     (ख) प्रश्‍नांश (क) के प्रकाश में प्रधानमंत्री आवास योजना के अपात्र लोगों को राशि देने वाले अधिकारी-कर्मचारी कौन-कौन हैं और उन पर क्या कार्यवाही हुई? (ग) विभाग द्वारा इस मामलें में सदन में जो आश्‍वासन दिया गया था, उस आश्‍वासन पर कार्यवाही न होने के लिए कौन-कौन अधिकारी जवाबदार है और अब दोषी अधिकारी, कर्मचारी व अपात्र लोगों के खिलाफ कब तक कार्यवाही होगी?

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) नगर पालिका छतरपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के अंतर्गत गठित जांच समिति के प्रतिवेदन में उल्लेखित 372 हितग्राहियों में से 21 हितग्राही अपात्र पाये गये, जिनको राशि प्रदाय की गई थी। जिसकी वसूली की कार्यवाही प्रचलित है। अपात्रों की सूची पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। विभाग द्वारा कार्यवाही के दिये गये निर्देश की प्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ख) सूची पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। कार्यवाही प्रचलित है। (ग) आश्वासन कार्यवाही प्रक्रियाधीन होने से जिम्मेदारी निर्धारित नहीं की जा सकती है, इसलिए शेषांश का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, मैं आपको आज बधाई देना चाहती हूं कि आपने प्रश्नोत्तर में महिलाओं को प्राथमिकता दी है. मेरे प्रश्न के उत्तर में 372 हितग्राहियों में से 21 लोगों को अपात्र बताया गया और राशि निकाली गई, जबकि 90 लोग आज भी गायब हैं. माननीय प्रधानमंत्री जी की जनकल्याणकारी योजना का छतरपुर नगरपालिका ने मजाक उड़ाया. छतरपुर नगरपालिका ने ग्रामीण क्षेत्र के महाराजपुर विधानसभा के उजरा गांव के दो भाइयों प्रदीप पाठक और रामकुमार पाठक को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिया. अध्यक्ष महोदय, इतना ही नहीं पति पत्नी को लाभ दिया.

अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न तो करें.

श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, मैं वही प्रश्न कर रही हूं. एक महिला जो छतरपुर में वार्ड क्रमांक 12 की मुन्नीबाई खटीक, ऐसी महिला है, जिसका आवास स्वीकृत हुआ और उसकी राशि निकाली गई, वह आज भी दर-दर भटक रही है. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैं आपके माध्यम से जानना चाहती हूं कि छतरपुर कलेक्टर ने 10573 आवास की सूची अनुमोदित की, जिसमें से 5900 लोग लाभार्थी हुए और 3417 हितग्राहियों को सरेण्डर किया गया. बिना भूमि स्वामित्व के आवास का लाभ छतरपुर में दिया गया. मैं माननीय मंत्री जी से यही निवेदन करना चाहती हूं कि जो 5900 लाभार्थी हैं, उनकी जांच करा ली जाय और इसकी जांच उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर हो.

श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय विधायक महोदया ने कहा है. यह बात सही है कि 21 उसमें अपात्र लोग थे, जिनको चिह्नित किया गया था, उसमें पैसे का आहरण सिर्फ 1 के पास हुआ था, सावित्री पति किशन प्रजापत है, यह अपात्र हितग्राही थी, इनको राशि दी थी, परन्तु इनसे राशि वापस ले ली गई है. अभी ऐसे कोई भी मेरी जानकारी में नहीं है कि कोई अपात्र को दिया हो, यदि विधायक महोदया के पास कोई प्रमाण हों तो वह दे दें, मैं उसकी जांच करवा दूंगा.

श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, मैं यही कहना चाहती हूं कि छतरपुर नगरपालिका में वर्ष 2018 के बाद डीपीआर नहीं बनी, उससे हमारे यहां पर बहुत से पात्र हितग्राही प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित रह गये हैं. मैं माननीय मंत्री जी से यही चाहती हूं कि जो 5900 लाभार्थी हैं, उनकी जांच करा दें. आज भी 90 लोग गायब हैं तो उच्चस्तरीय कमेटी बनाकर मैं निवेदन करती हूं कि जांच करा लें.

श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैं दिखवा लूंगा, भोपाल से किसी अधिकारी को भेजकर उसकी जांच करवा दूंगा.

श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, उस जांच में जो भी दोषी होंगे, जिनके वाउचर पर साइन होंगे, उन पर माननीय मंत्री जी कार्यवाही करेंगे क्या?

अध्यक्ष महोदय - उसमें जांच तो होने दें.

श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि अधिकारी भेज दूंगा, अगर कुछ ऐसा पाया गया तो निश्चित रूप से कार्यवाही होगी.

श्रीमती ललिता यादव - माननीय मंत्री जी, धन्यवाद.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- धन्‍यवाद माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे मौका दिया. इस तरह का जो मामला है चूंकि यह हमारे सागर संभाग का विषय था, ललिता बहन ने जो विषय रखा है, सागर नगर पालिक निगम में भी कमोवेश स्‍थिति ऐसी ही है. मेरा इसमें इतना निवेदन है कि लगभग 1500 परिवार अभी ऐसे हैं जो सागर शहर में ट्रेस नहीं हो रहे हैं और सूची में उनके नाम हैं. वह सेंक्‍शन सूची है जो स्‍टेट गवर्नमेंट से सेंट्रल गवर्नमेंट से सेंक्‍शन होकर आयी है. ऐसे 1500 परिवार जो शहर में हैं ही नहीं, उनके नाम कैसे सूची में जुड़ गए हैं और अगर जुड़ गए हैं, अब वह ट्रेस नहीं हो रहे हैं, तो क्‍या उनके स्‍थान पर उन परिवारों को सम्‍मिलित करने पर विचार करेंगे, जो परिवार वास्‍तव में गरीब हैं या उनके मकान इस श्रेणी में आते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है शैलेन्‍द्र जी.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- जी अध्‍यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी तो मैं कुछ कहने की स्‍थिति में नहीं हॅूं, क्‍योंकि सागर के लिए मेरी तैयारी भी नहीं थी. माननीय सदस्‍य मुझे एक पत्र दे दें, तो मैं उसको देख लूंगा.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

क्षतिग्रस्‍त मार्ग का निर्माण

[लोक निर्माण]

6. ( *क्र. 1297 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत जिला खरगोन अन्तर्गत राष्‍ट्रीय राजमार्ग देशगांव से खरगोन की वर्तमान भौतिक स्थिति क्या है? क्या नर्मदा पुल क्षतिग्रस्‍त होने से इन्दौर-इच्छापुर हाईवे के भारी वाहनों का आवागमन इस मार्ग से हो रहा है? हाँ तो क्या इसी कारण से मार्ग वर्तमान में बहुत क्षतिग्रस्‍त हो गया है तथा यह भी बतायें कि पूर्व में इसकी मरम्मत कब और कितनी राशि से की गई थी? क्या उक्त क्षतिग्रस्‍त मार्ग निर्माण की मरम्मत की जायेगी? हाँ तो कब तक की जायेगी तथा नहीं तो क्या कारण है?

लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) : मार्ग की बी.सी. की सतह अधिकांश लम्बाई में क्षतिग्रस्त है। जी हाँ। जी हाँमरम्मत कार्य जून 2022 के वर्षाकाल एवं उपरांत कराया गया, जिस पर राशि रू. 74.92 लाख व्‍यय हुई। जी हाँमार्ग नवीनीकरण कार्य हेतु भारत सरकार सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा दिनांक 21.06.2023 को राशि रू. 31.09 करोड़ की स्वीकृति जारी की गई हैजिसकी निविदा आमंत्रित की जाकर वित्तीय निविदा की स्वीकृति प्रचलन में है। शेष वर्तमान में निश्चित समय अवधि बताया जाना संभव नहीं है।

          श्रीमती झूमा डॉ.ध्‍यानसिंह सोलंकी -- अध्‍यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आपको धन्‍यवाद कर रही हॅूं कि आपने आज की सभी महिला विधायकों को बोलने का अवसर दिया है और सभी के प्रश्‍न शामिल हुए हैं. अध्‍यक्ष जी, आपका संरक्षण भी चाहूंगी कि मेरे विधानसभा क्षेत्र भीकनगांव के अंतर्गत राष्‍ट्रीय राजमार्ग देशगांव से खरगोन की वर्तमान स्‍थिति बहुत क्षतिग्रस्‍त है और नर्मदा जी के पुल के क्षतिग्रस्‍त होने की वजह से वहां से पूरे वाहन इस मार्ग की ओर से गुजर रहे हैं और इस बात को माननीय मंत्री जी ने भी माना है कि क्षतिग्रस्‍त है किन्‍तु आपके माध्‍यम से मैं मंत्री जी से जी पूछना चाह रही हॅूं कि दूसरा प्रश्‍न का उत्‍तर जो उन्‍होंने दिया है, वह असत्‍य है कि इस क्षतिग्रस्‍त मार्ग का मरम्‍मत का कार्य जून 2022 को किया गया और 74.92 लाख रूपए राशि निकाली गई. उनका यह जवाब सही नहीं है. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूँ कि  इस मार्ग के मरम्‍मत का कार्य कब किया जाएगा.

          श्री राकेश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष जी, माननीय विधायक जी की चिन्‍ता स्‍वाभाविक है और हमने यह माना है कि वह सड़क क्षतिग्रस्‍त है, उसका कारण भी इन्‍होंने स्‍वीकार किया है कि पिछली बारिश के समय पर बांध का जो पानी मोरटक्‍का के पुल पर छोड़ा गया, उसके कारण से ट्रैफिक डॉयवर्ट हुआ और उस मार्ग से गया और काफी ट्रैफिक होने के कारण वह मार्ग क्षतिग्रस्‍त हुआ. उसके लिए 31 करोड़ रूपए की राशि स्‍वीकृत होकर टेंडर प्रक्रिया भी पूरी हो गई है. दूसरे जिस कार्य के बारे में इन्‍होंने कहा है तो 74 लाख रूपए की राशि वहां उसके लिए स्‍वीकृत हुई थी और उससे वहां पर काम भी हुआ, किन्‍तु अगर माननीय सदस्‍य को यह लगता है कि वहां पर काम पूरा नहीं हुआ है तो एक बार उसका परीक्षण कर लेंगे और अगर कोई काम ऐसा है जो बाकी है, गड्ढे भरे नहीं गए हैं तो उसको भरने की दिशा में विभाग काम करेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍यों को एक जानकारी भी देना चाहता हॅूं कि विभाग ने एक निर्णय किया है. हम पाठोल रिपोर्टिंग सिटीज़न मोबाइल एप बनाने जा रहे हैं. सरकार बनाने जा रही है और इसके अंतर्गत किसी सड़क पर जो राज्‍य सरकार के हिस्‍से की है, इसमें अभी क्‍या होता है कि कहीं कोई गड्ढा हुआ, उसकी जानकारी विभाग तक पहुंचते-पहुंचते समय लगता है. कई बार शायद कुछ अनदेखी भी होती होगी लेकिन अब कोई सामान्‍य नागरिक भी उस गड्ढे की फोटो खींचकर और जियो ट्रैक्‍ड फोटो खींचकर उसको उस मोबाइल पर अपलोड कर देगा, तो वह सीधे संबंधित प्रभारी कार्यपालन यंत्री तक पहुंचेगा और एक निश्‍चित समय-सीमा होगी और उस निश्‍चित समय-सीमा के भीतर उसको वह कार्य पूर्ण करके फिर वापस से जो कार्य पूर्ण किया है, उसकी फोटो अपलोड करेंगे ताकि नागरिकों को भी और बाकी सारे लोगों को भी पता चल सके कि वह गड्ढा भर दिया गया है. मुझे लगता है कि इससे आने वाले समय में इस तरह की जो शिकायतें हैं उनमें भी कमी आएगी और नागरिकों की और आम लोगों की भागीदारी सीधे तौर पर  सरकार और विभाग के साथ होगी और सड़कें भी ज्‍यादा बेहतर स्‍थिति में हो पाएंगीं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह अच्‍छा निर्णय है. सरकार का निर्णय स्‍वागतयोग्‍य है.

          श्रीमती झूमा डॉ.ध्‍यानसिंह सोलंकी -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पूरी सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे हैं. कहीं भी उसकी मरम्‍मत का कार्य नहीं हुआ. यह राशि भी निकली है तो इसको पुन: उसकी मरम्‍मत करना बहुत जरूरी है. तो इसकी पुनः मरम्मत करना बहुत जरूरी है. क्योंकि जिला मुख्यालय का रोड़ है. पूरे क्षेत्रवासी इसी रोड़ से चलते हैं. यह प्रश्न बहुत आवश्यक है, इसलिये प्रश्न लगाया है. कब इस रोड़ को पूरा करेंगे, पूरा रिन्यूवल चाहिये, क्योंकि कहीं पर रोड़ बचा ही नहीं है, ऐसा लगता ही नहीं है कि कार में जा रहे हैं, ऐसा लगता है कि ऊंट पर जा रहे हैं, इस तरह की स्थिति बन गई है.

श्री राकेश सिंहअध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या को आपके माध्यम से यह बताना चाहता हूं कि उसमें रिपेयरिंग का काम हुआ था. चूंकि उस रोड़ पर ट्रेफिक काफी था, हो सकता है, क्योंकि मैं यहां पर खड़े होकर कह भी नहीं सकता हूं. लेकिन माननीय जी यदि वहां पर फिर से ऐसी स्थिति बनी है कि रोड़ की फिर से रिपेयरिंग की आवश्यकता है. तो रिपेयरिंग का कार्य पूरा होगा.

श्रीमती झूमा सोलंकी--अध्यक्ष महोदय, इसके नवीनीकरण के कार्य को भारत सरकार सड़क परिवहन राज मार्ग मंत्रालय के पास प्रकरण भेजा गया था उसमें इसकी स्वीकृति भी मिली हुई है. तो उसमें यह कहा गया कि 21.6.23 को स्वीकृति जारी की गई, उसकी निविदा भी आमंत्रित की गई. पर इसमें वित्तीय निविदा की स्वीकृति कब मिलेगी ? इसको पुनः बनाने का भी आगे प्रावधान है. इस कार्य को कब करेंगे ?

श्री राकेश सिंहअध्यक्ष महोदय,जिस रोड़ की बात की जिसके बारे में 31 करोड़ रूपये स्वीकृत हो गये हैं. आप उसी की बात कर रही हैं.

          श्रीमती झूमा सोलंकी-- अध्यक्ष महोदय, जी उसी की बात कर रही हूं.

          श्री राकेश सिंहअध्यक्ष महोदय,उसकी टेन्डर की प्रक्रिया पूरी हो गई है, उसका एग्रीमेंट भी हो गया है. अगले चार महीने में कार्य को पूर्ण करने का समय भी दिया गया है. वह हो जायेगा.

          श्रीमती झूमा सोलंकी-- अध्यक्ष महोदय, इसके लिये मंत्री जी को धन्यवाद. चार महीने में मंत्री जी मैं इसके लिये आश्वस्त हूं कि आप इसको पूर्ण करवाएंगे. धन्यवाद.

 

स्वीकृत नवीन योजनाओं हेतु बजट आवंटन

[नगरीय विकास एवं आवास]

7. ( *क्र. 373 ) श्रीमती रीती पाठक : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सीधी शहर को मिनी स्मार्ट सिटी का दर्जा दिया गया है? यदि हाँ, तो इस हेतु कब-कब कितनी राशि किन-किन कार्यों हेतु आवंटित की गई है और कितनी राशि जारी किया जाना शेष है और अगले चरण (द्वितीय) की राशि कब तक जिला प्रशासन को उपलब्ध कराई जायेगी? (ख) क्या सीधी में नवीन मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जाने हेतु भू-अर्जन एवं भवन निर्माण हेतु बजट आवंटित किया जा चुका है? (ग) सीधी शहर में स्थापित किए जाने वाले रेलवे स्टेशन की भूमि के उत्तरी क्षेत्र जमोड़ी कला एवं जोगीपुर बायपास मार्ग निर्माण में भू-अर्जन एवं सड़क निर्माण हेतु उपलब्ध बजट की क्या स्थिति है?

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री कैलाश विजयवर्गीय ) : (क) जी हाँ। स्‍वीकृत राशि रू. 25.00 करोड़ के विरूद्ध राशि रू. 25.36 करोड़ के कार्य संपादित कराये जा चुके हैं। स्‍वीकृत राशि अंतर्गत कार्य पूर्ण होने के कारण अब कोई भी राशि देय नहीं है। अगले चरण (द्वितीय) हेतु राशि स्वीकृत करने की कार्यवाही प्रचलित नहीं है। (ख) जिला कलेक्‍टर से प्राप्‍त जानकारी अनुसार सीधी जिले में नवीन मेडिकल कॉलेज के निर्माण हेतु 17.309 हेक्‍टेयर भूमि आरक्षित की गयी है। उपरोक्त कार्य हेतु संबंधित विभाग द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गयी है। (ग) जिला कलेक्‍टर से प्राप्‍त जानकारी अनुसार सीधी शहर में स्‍थापित किये जाने वाले रेलवे स्‍टेशन की भूमि के उत्तरी क्षेत्र जमोड़ी कला एवं जोगीपुर बायपास मार्ग निर्माण हेतु संबंधित विभाग द्वारा भू-अर्जन का प्रस्ताव एवं सड़क निर्माण हेतु बजट आवंटन उपलब्ध नहीं कराया गया है।

          श्रीमती रीति पाठक-- अध्यक्ष महोदय,मैं आपका हृदय से धन्यवाद करती हूं. विधान सभा सदस्य के रूप में शपथग्रहण करने के बाद पहली बार बोल रही हूं. ईश्वर को भी धन्यवाद देती हूं. मैं पूर्णरूपेण आश्वस्त भी हूं कि वरिष्ठों के मार्गदर्शन, आपके संरक्षण और सदस्य साथियों के सहयोग के साथ मैं अपने सीधी विधान सभा का विकास कर पाऊंगी. आज का यह प्रश्न है, यह प्रश्न नगरीय आवास मंत्रालय के लिये है. इसमें दो विषय और भी जुड़े हुए हैं जो अन्य विभागों के हैं, उसके लिये भी आपसे संरक्षण चाहती हूं. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि जो नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय है. इसके माध्यम से तत्कालीन मुख्यमंत्री जी ने पिछले पंचवर्षीय में मेरे सीधी जिले में जो हमारी नगर-पालिका है उसको स्मार्ट सिटी बनाने के लिये कुछ राशि आवंटित की थी. उत्तर में विशेष रूप से पूर्णरूपेण इसका जवाब मिला है. इसमें यह भी जवाब में आया है कि राशि कितनी थी ? लेकिन उसके साथ मैं एक चीज और भी जोड़ना चाहती हूं कि दूसरा प्रश्न तो मेरा यह था जो मैंने जोड़ा था कि इसमें कहां कहां और क्या क्या चीजें बनायी गई हैं और इसमें कितनी राशि आवंटित हुई, लेकिन इस बात के लिये धन्यवाद देना चाहती हूं कि इस राशि के माध्यम से हमारे यहां पर पार्किंग की व्यवस्था, पार्क की व्यवस्था, रोड़ जो हमारे शहर में खराब हुआ करते थे. बस स्टेण्ड की व्यवस्था, यह सारी चीजें हो पाईं, लेकिन इसमें इतनी राशि पर्याप्त नहीं है. तो इस विषय को मैं जोड़ना चाहती हूं कि क्या दूसरा कोई स्टेप है कि नगर पालिका क्षेत्र को और विस्तार के साथ स्मार्ट सिटी में इसको दूसरे स्टेप में लें तथा और राशि आवंटित करें जिससे और भी चीजें विकास के लिये अग्रेषित हो सकें.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं माननीय सदस्‍या को धन्‍यवाद देता हूं, क्‍योंकि इनके यहां सीधी में काफी अच्‍छे काम हुए हैं. मैं सीधी गया भी था, तो मुझे सीधी एकदम बदला हुआ दिखा. मैं माननीय सदस्‍या से निवेदन करना चाहता हूं कि आप वहां पर शहर में और क्‍या चाहते हैं, इस संदर्भ में यदि आप मुझे बता दें, तो उसके लिए हम एक कार्ययोजना बनकर बजट में प्रावधान कर देंगे और जब भी आवश्‍यकता होगी, हम राशि प्रदान कर देंगे.

          श्रीमती रीती पाठक - अध्‍यक्ष जी, मेरा दूसरा मेडिकल कॉलेज से जुड़ा हुआ है. आदरणीय नरेन्‍द्र भाई मोदी जी को मैं हृदय से धन्‍यवाद देती हूं कि उन्‍होंने हमारे सीधी जिले को ये सौगात दी है. इस विषय में मैं पूछना चाहती हूं कि क्‍या अभी तक मेडिकल कॉलेज में स्‍थापित किए जाने वाले भू-अर्जन का विषय क्‍या पूरा हो पाया और भू-अर्जन के विषय में अभी कितना समय लगना है, इसके लिए बजट कब तक उपलब्‍ध हो पाएगा, इसमें क्‍या प्रक्रिया है, जो अभी तक लंबित है और हम इसका कार्य पूर्णरुपेण आगे नहीं कर पा रहे, चूंकि जवाब में तो है, अभी तक इसमें अभी प्रशासकीय स्‍वीकृति नहीं मिली है, जमीन आवंटित नहीं है, लेकिन इस सदन में रखने का आशय सिर्फ इतना है, अध्‍यक्ष जी अगर आपका संरक्षण मिलेगा, माननीय मंत्री जी का निर्देश मिलेगा तो हमारे ये काम जो हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी का और डॉ. मोहन यादव जी जो हमारे मुख्‍यमंत्री हैं उनका सपना पूरा हो पाएगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रश्‍न आ गया रीती जी, माननीय मंत्री जी.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्‍यक्ष महोदय, इस प्रश्‍न का मैं उत्‍तर दे रहा हूं. हालांकि ये प्रश्‍न मेरे विभाग का नहीं है, पर हमारी संयुक्‍त जवाबदारी है. मैंने चिकित्‍सा शिक्षा विभाग से जानकारी प्राप्‍त की है, उन्‍होंने कहा है कि नवीन मेडिकल कॉलेज की सैद्धांतिक स्‍वीकृति है, परन्‍तु प्रशासनिक स्‍वीकृति अभी तक नहीं आई है. जमीन भी चिन्हित कर ली गई है और वहां बाउंड्री वॉल बनाने की स्‍वीकृति प्राप्‍त हो गई है, भविष्‍य में जो भी आवश्‍यकता होगी, सरकार उसके लिए आवश्‍यक कदम उठाएगी और ये बात सही है कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि प्रत्‍येक जिले के अंदर एक मेडिकल कॉलेज होना चाहिए, उसी बात को ध्‍यान में रखते हुए सीधी में भी मेडिकल कॉलेज निश्चित रूप से खुलेगा. मैं मोदी जी को धन्‍यवाद देता हूं और राज्‍य सरकार इस काम को जवाबदारी से पूरा करेगी.

          श्रीमती रीती पाठक - अध्‍यक्ष महोदय, एक छोटा सा अंतिम प्रश्‍न जो कि इस प्रश्‍न में ही समाहित है. हमारे यहां पिछली पंचवर्षीय योजना में  जमोड़ीकला एवं जोगीपुर बायपास का एक विषय आया था, जिसमें यह था कि यह विषय स्‍वीकृत होगा चूंकि यह बहुप्रतीक्षित सड़क थी और इसकी मांग भी थी. मैं चाहती हूं आपके मार्गदर्शन और संरक्षण में माननीय मंत्री जी को यह कहा जाए कि इस परियोजना को प्रस्‍तावित करें और इसमें जो भी आवश्‍यक कार्यवाही है उसको पूर्ण करें.

          अध्‍यक्ष महोदय - मंत्री जी एक मिनट, श्री अजय सिंह जी का भी प्रश्‍न है, वे भी वहीं के हैं, दोनों का एक साथ उत्‍तर दे देना.

          श्री अजय अर्जुन सिंह - माननीय अध्‍यक्ष जी, मंत्री महोदय ने अभी विधायिका महोदय के प्रश्‍न पर उत्‍तर दिया था कि आवश्‍यक कार्य क्‍या है, वह बता दें. सबसे बड़ी जरुरत वहां पर, मंडी शिफ्ट हुई, लेकिन मंडी के लिए पैसे आवंटित नहीं हुए. यदि और जगहों के लिए मंडी के लिए पैसे आवंटित हो गए, रीवा में हो गए, सभी जगह हो गए, लेकिन सीधी की मंडी अभी भी अधर में लटकी हुई है. यदि उसके लिए राशि आवंटित कर दें तो सही में सीधी स्‍मार्ट सीटी हो जाएगी, धन्‍यवाद.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्‍यक्ष महोदय, मैं बड़ा सौभाग्‍यशाली हूं कि प्रश्‍न एक है और तीन तीन विभाग के उत्‍तर दे रहा हूं(...हंसी) अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विधायिका महोदय ने जो कहा है ये पीडब्‍ल्‍यूडी का है और तीसरे विभाग का प्रश्‍न है, राकेश जी का. सैद्धांतिक रूप से ये भी स्‍वीकृत है, इसकी प्रशासकीय स्‍वीकृति नहीं है, ये बजट में अंकित है, आने वाले बजट के बाद इसमें राशि भी आवंटित कर दी जाएगी और ये बायपास निश्चित रूप से बनेगा, ये विभाग से मुझे जानकारी प्राप्‍त हुई है. जैसा कि माननीय राहुल भैया ने मंडी के बारे में कहा है तो मैं कृषि मंत्री जी से बात करुंगा वे उस समस्‍या का निराकर करेंगे.

          श्रीमती रीती पाठक - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यदि दूसरे स्‍टेप की राशि आवंटित हो जाएगी तो यहां पर जो हमारे कांग्रेस के जो वरिष्‍ठ नेता हैं उनका विषय भी उसमें समाहित रहेगा.

                                                                                    


 

                          विद्युत विहीन ग्रामों में विद्युत व्‍यवस्‍था

[ऊर्जा]

8. ( *क्र. 1270 ) श्रीमती सेना महेश पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अलीराजपुर जिले में कितने ग्राम विद्युत विहीन हैं? क्या शासन द्वारा विद्युत लाईन की व्यवस्था ग्राम में की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? (ख) किन-किन ग्रामों में विद्युत क्षमता कम होने के कारण किसानों को आये दिन परेशानी हो रही है? शासन द्वारा विद्युत क्षमता बढ़ाने की क्या कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक की जावेगी? (ग) विद्युत क्षमता बढ़ाने हेतु विद्युत ट्रांसफॉर्मर, ग्रिड लगाने की कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक की जावेगी?

ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर ) : (क) अलीराजपुर जिले के समस्‍त 551 राजस्‍व ग्राम विद्युतीकृत हैं। अत: प्रश्‍न नहीं उठता। (ख) प्रश्‍नाधीन क्षेत्र के समस्‍त ग्रामों में विद्युत उपभोक्‍ताओं की आवश्‍यकता अनुसार पर्याप्‍त क्षमता की विद्युत अधोसंरचना स्‍थापित है। प्रश्‍नाधीन क्षेत्र में स्‍थापित विद्युत अधोसंरचना के पर्याप्‍त नहीं होने के कारण कृषकों के परेशान होने संबंधी कोई प्रकरण म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संज्ञान में नहीं है। अत: शेष प्रश्‍न नहीं उठता। (ग) प्रश्‍नाधीन क्षेत्र में वर्तमान में विद्युत उपभोक्‍ताओं की मांग के अनुरूप पर्याप्‍त क्षमता की विद्युत अधोसंरचना स्‍थापित है। तथापि भविष्‍य में होने वाली संभावित भार वृद्धि के दृष्टिगत सतत् गुणवत्‍तापूर्ण विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित किये जाने हेतु प्रश्‍नाधीन क्षेत्र में टी.बी.सी.बी. योजनान्‍तर्गत सोण्‍डवा विकासखण्‍ड के ग्राम अंबाजा में नवीन 132/33 के.व्‍ही. उच्‍चदाब विद्युत उपकेन्‍द्र निर्माण की स्‍वी‍कृति प्रदान की जा चुकी है तथा यह कार्य कार्यादेश दिनांक 21.1.2023 से 18 माह की अवधि में पूर्ण किया जाना है। साथ ही प्रश्‍नाधीन क्षेत्र में आर.डी.एस.एस. योजनान्‍तर्गत ग्राम बड़ा गुड़ा में 5 एम.व्‍ही.ए. क्षमता का नवीन 33/11 के.व्‍ही. विद्युत उपकेन्‍द्र एवं कुल 334 अतिरिक्‍त वितरण ट्रासंफार्मरों की स्‍थापना के कार्य प्रगति पर हैं तथा उक्‍त कार्य वर्ष 2025 तक पूर्ण किया जाना प्रावधानित है।

          श्रीमती सेना महेश पटेल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह था कि चांदपुर से गुडा, ढोंगरपुर से वाउकरा, सेडा, गुजरात होकर मध्‍यप्रदेश के विकासखंड कट्ठीबाड़ा में जाने हेतु कच्‍चा रोड चालू था, जिसमें पुलिया निर्माण भी पहले हो चुका था, लेकिन वर्तमान समय में पुलिया पूरी तरह से छतिग्रस्‍त हो चुकी है और 15 से 20 किलोमीटर का जो पहुंच मार्ग है, वहां पर पहुंचने के लिये अभी ग्रामीणवासियों को बहुत दिक्‍कत हो रही है. अगर कोई बीमार भी होता है, तो वहां पर 108 भी नहीं पहुंच पाती है. यह बात मैंने कल भी रखी थी और आज भी बात रख रही हूं, लेकिन माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विभाग के द्वारा यहां पर यह बताया गया है कि उनके रिकार्ड में यह रोड कहीं नहीं बताया गया है. मैं उनके इस जवाब से असंतुष्‍ट हूं. यह रोड जो है, उसकी एक बार पुन: जांच की जाये क्‍योंकि यह एक बहुत गंभीर मुद्दा है और यह हमारे गुजरात जहां से स्‍टे है, जहां से 15 किलोमीटर हमको पहुंचने के लिये गुजरात से रास्‍ता क्रास करना पड़ता है, यह जो जवाब मिला है, इससे मैं असंतुष्‍ट हूं.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- अध्‍यक्ष महोदय, यह मेरे विभाग से संबंधित प्रश्‍न नहीं है. मेरे से संबंधित प्रश्‍न ऊर्जा विभाग का है, वह उन्‍होंने पूछा ही नहीं है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्रीमती सेना महेश पटेल जी आपका प्रश्‍न विद्युत विभाग का लगा था और आपका सप्‍लीमेंट्री कुछ रोड से संबंधित था.

          श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, विद्युत विभाग का भी मेरा प्रश्‍न है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप  विद्युत विभाग का ही प्रश्‍न पूछे, वही प्रश्‍न लगा है. विद्युत विभाग में ही प्रश्‍न लगा है, उसमें सप्‍लीमेंट्री पूछे आप.

          श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, विद्युत विभाग का मेरा प्रश्‍न जिसमें ग्रिड लगाने की जो मांग मैंने उठाई थी और मेरे ग्रामीण क्षेत्र के किसान भाईयों की जो समस्‍या है, वहां पर ट्रांसफार्मर तो लगे हुए हैं, लेकिन मोटर पंप बहुत ज्‍यादा चलने से उनका वॉल्‍टेज कम हो जाता है और किसान भाईयों को फसल में पानी देने के लिये पर्याप्‍त लाईट नहीं मिल पा रही है. मैंने यह कहा था कि ग्रिड लगाने की जो मांग उठाई थी और मेरे विधानसभा में बहुत ज्‍यादा किसानों को समस्‍या है.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍या महोदया को बताना चाहूंगा कि आपकी विधानसभा उदयगढ़ उपकेंद्र की ओवर रीडिंग कम करने हेतु एक नवीन उप केंद्र ग्राम कुडलवासा में ट्रिपल आर.डी.एस. फेस-2 में प्रस्‍तावित किया गया है, एक हम आपके यहां 132 के.व्‍ही. का अलीराजपुर जिले में सबस्‍टेशन भी लगा रहे हैं.

          श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, लेकिन थोड़ा किसानों को ध्‍यान में रखते हुए इस काम को थोड़ा गंभीरता से लें तो ज्‍यादा अच्‍छा होगा.

          श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर -- अध्‍यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्‍यम से माननीय सदस्‍या को बता दिया है और कोई भी शिकायत होगी तो हम उसको सुनेंगे. हमारा विभाग किसानों के हित में और हमारी सरकार पूरी तरह से सुनेगी, संवेदनशील है, यह विश्‍वास हम आपको दिलाते हैं.

          श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, कहा तो यही जाता है लेकिन वास्‍तविकता तो यह है कि किसान आज भी हमारे यहां परेशान है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें.

          श्रीमती सेना महेश पटेल -- अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद.

 

टोल रोड में अवैध वसूली की जानकारी

[लोक निर्माण]

9. ( *क्र. 1467 ) श्री पंकज उपाध्याय : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिसम्बर 2023 तक सारी टोल रोड पर प्रारंभ से अभी तक कितनी टोल राशि वसूल चुके हैं तथा उनकी परियोजना लागत कितनी थी तथा ओ.एम.टी रोड पर दिसम्बर 2023 तक कितनी राशि वसूल चुके हैं? (ख) क्या इंडियन टोल एक्ट 1851 के अनुसार टोल अवधि 15 वर्ष से अधिक नहीं हो सकती? प्राकृतिक संसाधन अधिकार नहीं है। टोल का उपयोग किसी को अनावश्यक लाभ पहुंचाने के लिये नहीं किया जा सकता है। (ग) क्या प्रदेश की ट्रांसपोर्ट कास्ट 17.5 प्रतिशत है तथा 2025 तक लक्ष्य 7.5 प्रतिशत है? यदि हाँ, तो बताएं कि अनावश्यक टोल वसूली से प्रदेश में ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ने से महंगाई नहीं बढ़ेगी? (घ) टोल तथा ओ.एम.टी. रोड पर वर्ष 2020 से 2023 तक हुई सड़क दुर्घटना, मृत्यु तथा घायल की संख्या की जानकारी रोड अनुसार देवें तथा बतावें कि क्या गलत डी.पी.आर. तथा शासन स्तर पर तकनीकी खामी से टोल सड़कों पर ज्यादा दुर्घटना हो रही है? इसे कम करने के लिये किये गये प्रयासों की जानकारी देवें। (ड.) बतावें कि रतलाम से इन्दौर, भोपाल से इन्दौर, भोपाल से जबलपुर, भोपाल से रीवा आने और जाने में    किस-किस केटेगरी के वाहन को कितना-कितना टोल दिनांक 01 जनवरी, 2024 की स्थिति में देना होगा? टेबल में जानकारी देवें।

 

 

लोक निर्माण मंत्री ( श्री राकेश सिंह ) :  

          श्री पंकज उपाध्‍याय -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रथम बार का विधायक हूं आपका संरक्षण चाहता हूं. एक व्‍यापक प्रश्‍न पूछा था, यह पूरे प्रदेश से संबंधित प्रश्‍न था, टोल टैक्‍स से संबंधित प्रश्‍न था, जिसमें मेरा प्रश्‍न यह था कि यह जो टोल टैक्‍स चल रहे हैं, इसमें कितनी राशि अभी तक वसूल चुके हैं, कितने समय तक के लिये टोल टैक्‍स दिये गये थे ? इसका मुझे जो उत्‍तर प्राप्‍त हुआ है, केवल तीन टोल टैक्‍स के बारे में मैंने अध्‍ययन किया तो, बड़ा व्‍यापक विस्‍तार रूप से समझ में आया कि कितना बड़ा है यह कि सरकार जनता के लिये है कि ठेकेदारों के लिये है. भोपाल, सीहोर, देवास टोल के बारे में मुझे जानकारी मिली की मात्र 426 करोड़ का टोल हुआ करता था और 1342 करोड़ रूपये अभी तक वसूल किये गये हैं जो लगभग सवा तीन गुना होते हैं. ऐसे ही लेबर जाबरा का जो टोल है वह भी अपनी लागत से सवा तीन गुना वह भी वसूली कर चुका है और जाबरा नया गांव का जो टोल है वह अपनी 425 करोड़ रूपये की लागत थी और अद्भुत रूप से 2069 करोड़ रूपये वसूल कर चुका है. अध्‍यक्ष जी, मैं आपके माध्‍यम से मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि सरकार जनता के लिये है, एक तरफ हम कहते हैं कि हम लागत घटायेंगे, महंगाई को कम करेंगे और इससे यह प्रतीत होता है कि महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है और इतने होने के बावजूद भी हर वर्ष 10 प्रतिशत, 15 प्रतिशत राशि बढ़ोत्‍तरी की जा रही है तो यह किस तरह से की जा रही है, क्‍यों की जा रही है, समझ में नहीं आ रहा.

          अध्‍यक्ष महोदय--  पंकज जी प्रश्‍न आ गया है. माननीय मंत्री जी.

          श्री राकेश सिंह--  माननीय सदस्‍य ने बहुत विस्‍तृत प्रश्‍न पूछा था और जितना विस्‍तृत प्रश्‍न पूछा था उतना ही विस्‍तृत उत्‍तर उनको दिया भी गया है, लेकिन जहां तक उन्‍होंने बात टोल टेक्‍स की की है, माननीय अध्‍यक्ष जी सदन इस बात को जानता है कि किसी समय में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का मतलब सिर्फ सड़क होता था, लेकिन आज सड़क इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का पहला आधार है. पहले  इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर चाहिये तो सड़क बन गई तो इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर हो गया यह मान लिया जाता था. आज सड़क अच्‍छी बनने के बाद बाकी बहुत सारी चीजों की शुरूआत होती है, सामाजिक, औद्योगिक, भौगोलिक सभी जगह प्रगति चाहिये तो सड़क उसका आधार होती है और फिर वह सारी चीजें उसके साथ जुड़ती हैं, जो उन्‍होंने कहा है अगर कोई अनुबंध वर्ष 2005 में हुआ और 15 साल के लिये हुआ और उस समय उसकी लागत 300 करोड़ रूपये थी, अलग-अलग पीपीपी मोड पर अलग-अलग मॉडल हैं अनुबंध के, उनकी विस्‍तार से जानकारी देने में समय लगेगा, अध्‍यक्ष जी समय देंगे तो विस्‍तार से भी जानकारी दे सकता हूं, लेकिन उसके हर मॉडल के आधार पर उसका अनुबंध होता है और उस अनुबंध के आधार पर कुछ टोल जो है वह ग्रांट पर होते हैं, कुछ प्रीमियम पर होते हैं और उसके आधार पर उसके पैसे की वापसी होती है. मान लीजिये कोई टोल 300 करोड़ रूपये में बना, अब 15 साल तक ठेकेदार को उसका मेंटेनेन्‍स भी करना है, उसका रखरखाव भी करना है, उसको चलने लायक हमेशा बनाकर भी रखना है और उसके साथ जब वह सड़क बनना शुरू होती है, अलग-अलग अनुबंध के आधार पर अगर बैंक से लोन लिया गया है चाहे वह विभाग के द्वारा हो या ठेकेदार के द्वारा, ऐसा उसमें आमतौर पर ठेकेदार के द्वारा ही लिया जाता है, उस पर लगने वाला ब्‍याज भी....

          श्री पंकज उपाध्‍याय--  माननीय मंत्री जी आप थोड़ी गलत जानकारी दे रहे हैं....

          अध्‍यक्ष महोदय-- पंकज जी, पहले मंत्री जी का पूरा उत्‍तर आने दीजिये फिर आपको एक प्रश्‍न करने की और अनुमति मिलेगी.

          श्री राकेश सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष जी, सदस्‍य केवल लागत पर रूके हुये हैं, विभाग परियोजना मानकर चलता है और अगर वह पूरे 15 साल और 20 साल और 25 साल के लिये है तो वह पूरी परियोजना है और उसके आधार पर ऐसा नहीं होता है कि 300 करोड़ रूपये का कोई काम है और विभाग ने या सरकार ने कह दिया कि आप 2 हजार करोड़ रूपये की वसूली कर लो. उसकी बाकायदा फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनती है, उसके आधार पर यह तय होता है कि कितना टोल वह वसूलेंगे, उसके आधार पर निविदायें बुलाई जाती हैं और जब निविदायें बुलाई जाती हैं तो उसमें वह ग्रांट होगा या प्रीमियम होगा, प्रीमियम मतलब जो ठेकेदार सरकार को देगा, ग्रांट वह जो सरकार ठेकेदार को देगी, ठेकेदार वह शर्त डालकर उसमें अपनी निविदा को पूरा करते हैं फिर उसके सालों का तय होता है कि कितने सालों में इस राशि का भुगतान होगा और इसीलिये वह जो कह रहे हैं उसमें देखने में जरूर लगता है कि यह राशि 300 करोड़ रूपये थी जो बढ़कर 1500 करोड़ रूपये तक वसूली जा चुकी है, लेकिन अगर उसकी लागत, बैंक का इंट्रेस्‍ट, उस पर लगने वाला कम्‍पाउंड इंट्रेस्‍ट वह सारा का सारा देखा जाये जिसका भुगतान उस ठेकेदार को ही होता है तो वह राशि उसके आसपास की ही आती है, इसलिये या तो अवैध वसूली या जबरन वसूली जैसी इसमें कहीं कोई स्थिति नहीं है. माननीय सदस्‍य अगर चाहेंगे तो शायद यहां तो इतना विस्‍तार से समझाना संभव नहीं होगा, अगर वह चाहेंगे तो उनको बैठकर मैं स्‍वयं भी समझा दूंगा या अधिकारी बैठकर उनको पूरी जानकारी दे देंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री पंकज उपाध्‍याय जी, दूसरा पूरक प्रश्‍न पूछें.

          श्री पंकज उपाध्‍याय -- माननीय अध्‍यक्ष जी, इसी में मैंने एक प्रश्‍न पूछा था कि ये जो टोल टैक्‍स की वसूली हो रही है, इसमें वाहन चालकों की सुरक्षा को ध्‍यान में रखकर टोल संचालक की जवाबदारी है कि नहीं है और है तो इन्‍होंने जो उत्‍तर दिया है, जिसमें 1500 करोड़ रुपये ज्‍यादा वसूल चुके हैं, उसमें 444 लोगों की मृत्‍यु हुई है. ऐसे ही लेबड़ जावरा में 323 लोगों की मृत्‍यु हुई है. मेरे पास मात्र 3 सालों का आंकड़ा है. माननीय अध्‍यक्ष जी, इन ठेकेदारों पर क्‍या कार्यवाही की गई, क्‍या पैनल्‍टी लगाई गई और क्‍या इन सड़कों पर आईआरसी एसपी 044 का पालन किया जा रहा है और अगर किया जा रहा है तो इन तीन सालों में जो मुझे आपने उत्‍तर दिया है कि 7 हजार लोगों की मृत्‍यु हुई है तो किसी एक ठेकेदार पर भी आपने कोई जवाबदारी तय करके क्‍या कोई कार्यवाही की है और जो मैंने पूछा आपको कि आईआरसी एसपी 044 का प्रावधान आपने कहीं भी एक जगह एप्‍लाई किया है क्‍या ?

            अध्‍यक्ष महोदय -- पंकज जी, आपकी बात आ गई. मंत्री जी, कुछ कहना चाहेंगे.

          श्री राकेश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष जी, वैसे तो उत्‍तर में बहुत सारी बातों का समावेश है. सरकार, केन्‍द्र सरकार हो या राज्‍य सरकार, और वैसे कोई भी सरकार हो, कोई भी सरकार यह कभी नहीं चाहती कि दुर्घटनाएं हों, और इसीलिए सड़कों का निर्माण इस तरह से किया जाता है कि उनमें कम से कम दुर्घटनाएं हों. लेकिन अच्‍छी सड़कों के कारण वाहनों की गति भी बढ़ती है और उसके कारण बहुत बार दुर्घटनाओं की स्‍थिति बनी रहती है, लेकिन कोई भी दुर्घटना होने पर घायल को या जो लोग भी उसमें प्रभावित हुए हैं, उनको तत्‍काल सहायता मिले, इसी के लिए एम्‍बुलेंस से लेकर सारे प्रावधान भी अलग-अलग किए गए हैं और अलग-अलग योजनाओं के साथ अलग-अलग तरह के प्रावधान हैं. अब मध्‍यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने भी निर्णय कर लिया है कि अब 108 वाहनों के साथ उसको हम संबद्ध करने जा रहे हैं. 1099 एक टोल फ्री नंबर भी है, उस पर फोन करने पर सीधे तौर पर अगर कोई भी दुर्घटना हुई है, उस नंबर पर फोन करेंगे, उसका मुख्‍यालय भोपाल में मध्‍यप्रदेश रोड डेवलपमेंट कार्पोरेशन के मुख्‍यालय में ही कॉल सेंटर बनाया गया है, और वहां से संचालित होता है और तत्‍काल उसको राहत पहुँचे, सहायता मिले, यह प्रयास भी अब किए जा रहे हैं. जहां तक जो मृत्‍यु हुई है, मृत्‍यु का सीधे तौर पर किसी भी ठेकेदार से कोई लेना-देना नहीं होता. उस सड़क का मेंटेनेंस वे बना रहे हैं, वहां गड्ढे न हों, वहां कोई ऐसी स्‍थिति न बने, जिसके कारण दुर्घटनाएं हों, इसकी जिम्‍मेदारी जरूर ठेकेदार की होती है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री दिनेश गुर्जर जी.

          श्री पंकज उपाध्‍याय -- आदरणीय अध्‍यक्ष जी...

          अध्‍यक्ष महोदय -- पंकज जी, आपका पूरा हो गया.

          श्री पंकज उपाध्‍याय -- आदरणीय अध्‍यक्ष जी, बड़ा व्‍यापक प्रश्‍न है. लोगों की सुरक्षा से है. रोज एक्‍सीडेंट हो रहे हैं, लोग खतम हो रहे हैं. मेरा केवल इतना आपसे निवेदन है कि ये जो इतनी मृत्‍यु हो रही हैं, इन्‍होंने ठेकेदारों की वकालत तो दुनिया भर की कर ली, लेकिन ये नहीं बताया कि ठेकेदारों की जवाबदारी क्‍या है ?

            श्री दिनेश गुर्जर -- माननीय मंत्री जी, जब किसी भी ठेके की निविदा निकाली जाती है तो उसमें सारा खर्चा जोड़कर, लागत जोड़कर उसके बाद टेंडर निकाले जाते हैं. टोल टैक्‍स की जो आपने प्रक्रिया बताई है, उसके अंतर्गत पूरी आमदनी निकालने के बाद किया जाता है और उसके बाद अगर उसकी राशि पूरी हो जाती है, उसके बाद टोल टैक्‍स की समयावधि खत्‍म होने के बाद उसे हटा लिया जाता है. पर कई जगह बढ़ा दिए गए हैं. दूसरी बात, मेरे मुरैना टोल प्‍लाजा की हालत यह है कि सुआपुरा की रोड से भी टोल टैक्‍स वसूला जा रहा है, जो गरीब किसान, मजदूर उधर से निकलता है, उसके लिए कोई बूथ नहीं है, बैरियर और बैरिकेड लगाकर वहां बूथकर्मी बिठा दिए गए हैं, वहां डकैती कर रहे हैं. अगर आपको भरोसा नहीं है तो आप अभी किसी भी कर्मचारी को भेजें, मैं भी अपने परिवार के सदस्‍यों को भेजता हूँ, वहां वीडियोग्राफी करा लें, अभी आपको पता लग जाएगा कि टोल टैक्‍स बूथ के बगल से भी एक सड़क पर जो कि आम जनता के लिए रास्‍ता है, उस पर भी टोल टैक्‍स की वसूली की जा रही है. दूसरा, आए दिन वहां पर मुरैना टोल प्‍लाजा पर जाम लगता है..

          अध्‍यक्ष महोदय -- दिनेश जी, आपका प्रश्‍न आ गया, माननीय मंत्री जी.

          श्री राकेश सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष जी, उनकी जो मूल चिंता थी, वह जो टोल नाका है, वह नगर निगम सीमा के भीतर है. जिस समय पर वह टोल नाका स्‍थापित हुआ, उस समय वह नगर निगम सीमा के भीतर नहीं था. बाद में वह नगर निगम सीमा के भीतर आ गया तो स्‍वाभाविक है कि वहां पर यातायात का दबाव भी बढ़ गया. उसके कारण कुछ कठिनाइयां निश्‍चित रूप से होती ही होंगी. एनएचएआई के द्वारा वह स्‍थापित किया गया है और एनएचएआई ने उसके बारे में उसकी एक फिजिबिलिटी रिपोर्ट मंगवाई है, और वह रिपोर्ट आने के बाद में एनएचएआई उसके बारे में निर्णय करेगा और जो निर्णय आएगा, उससे माननीय सदस्‍य को हम अवगत कराएंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍नकाल समाप्‍त.

 

(प्रश्‍नकाल समाप्‍त)

 

12.00 बजे                                    अध्‍यक्षीय घोषणा

          अध्‍यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में कार्य पूर्ण होने के पश्‍चात् शून्‍यकाल की सूचनाएं ली जाएंगी.

          श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्‍यक्ष जी, मेरा आपसे अनुरोध है कि जो यह शून्‍यकाल की व्‍यवस्‍था है, इसको प्रश्‍नकाल के बाद ही रहने दें, मेरा ऐसा आपसे अनुरोध है क्‍योंकि यह आखिरी में आता है, तब तक न कोई सदस्‍य रहता है और न सरकार की तरफ से कोई रहता है, इसके जवाब नहीं आते.

          अध्‍यक्ष महोदय - अभी नये माननीय सदस्‍य ज्‍यादा थे, इसलिए मेरी कोशिश यह थी कि ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को बोलने का मौका मिल जाये. अगर आप सबकी इच्‍छा रहेगी तो अगली बार से जैसा चलता है, वैसा चलता रहेगा.

          श्री उमंग सिंघार - जी. आप लोग सहमति कर लें. मेरा संसदीय कार्यमंत्री से निवेदन है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप और संसदीय कार्य मंत्री जी बात कर लें.

          श्री उमंग सिंघार - जी, धन्‍यवाद.

 

 

12.01 बजे                             शून्‍यकाल में मौखिक उल्‍लेख

(1) बेरोजगार युवाओं को नौकरी न मिलना

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से, सरकार से अनुरोध है कि प्रदेश के अन्‍दर युवा बेरोजगार हो रहे हैं, उनको नौकरियां नहीं मिल रही हैं ? सरकार जितनी परीक्षाओं के रिजल्‍ट हैं,  तो कब तक उनके रिजल्‍ट आएंगे ? युवा धरने में बैठने के लिए मजबूर हैं. इस पर सरकार का वक्‍तव्‍य आना चाहिए, ताकि युवाओं को नौकरी मिल सके. यह हम चाहते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - (विपक्ष से कुछ सदस्‍यगण के खड़े होने पर) कृपया आप लोग बैठें. आगे अभी ध्‍यानाकर्षण भी हैं. (बिना माइक के एक माननीय सदस्‍य के बोलने पर) अन्‍त में शून्‍यकाल लिया जायेगा.

 

          (2) विद्यालयों में पुस्‍तकों का आवंटन न होना

          श्री फुन्‍देलाल मार्को - अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि विद्यालयों में पाठ्यपुस्‍तक नहीं बंटी है. यह मैं हाथ में रखा हुआ हूँ (एक पर्चा दिखाते हुए), इसमें बारकोड है. सरकार इसकी जांच कराए और दोषियों पर कार्यवाही करे. मेरा यह अनुरोध है.

           

 

 

 

 

 

 

12.02 बजे

पत्रों का पटल पर रखा जाना

(1) वाणिज्यिक कर विभाग  की निम्‍नलिखित अधिसूचनाएं :-

1. क्रमांक एफ ए-3-42-2017-1-पांच-(22), दिनांक 27 जुलाई, 2023,

2. क्रमांक एफ ए 3-32/2017/1/पांच(23), दिनांक 27 जुलाई, 2023,

3. क्रमांक एफ ए 3-47-2017-1-पांच (24), दिनांक 27 जुलाई, 2023,

4. क्रमांक एफ ए 3-33/2017/1/पांच (25), दिनांक 27 जुलाई, 2023,

5. क्रमांक एफ ए-3-04/2019/1-पांच (26), दिनांक 27 जुलाई, 2023

6. क्रमांक सीटी-8-0004-2023एसइसी-1-पांच (सीटी)(27), दिनांक 31 जुलाई, 2023,

7. क्रमांक एफ ए 3-93-2017-1-पांच (28), दिनांक 31 जुलाई, 2023

8. क्रमांक सीटी-8-0001-2023-एसइसी-1-पांच(सीटी)(29),दिनांक 31 जुलाई, 2023

9. क्रमांक सीटी-8-0002-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(30),दिनांक 31 जुलाई, 2023

10. क्रमांक सीटी-8-0003-2023एसइसी-1-पांच (सीटी)(31),दिनांक 31 जुलाई, 2023

11. क्रमांक सीटी-3-0001-2023-एसइसी-1-पांच-(सीटी)(19),दिनांक 18 अगस्‍त, 2023,

12. क्रमांक सीटी-3-0002-2023-एसइसी-1-पांच-(सीटी)(21),दिनांक 18 अगस्‍त, 2023,

13. क्रमांक सीटी-8-0007-2023-एसइसी-1-पांच-(सीटी)(32),दिनांक 18 अगस्‍त, 2023,

14. क्रमांक सीटी/8/0008/2023-एसइसी-1-05-(सीटी)(33),दिनांक 18 अगस्‍त, 2023,

15. क्रमांक सीटी/4/2/0001/2023-एसइसी-1-05-(सीटी)(38),दिनांक 29 अगस्‍त, 2023,

16. क्रमांक सीटी/8/0009/2023-एसइसी-1-05-(सीटी)(34),दिनांक 1 सितम्‍बर, 2023,

17. क्रमांक सीटी-8-0010-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(35),दिनांक 1 सितम्‍बर, 2023,

18. क्रमांक सीटी-8-0011-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(36),दिनांक 1 सितम्‍बर, 2023,

19. क्रमांक सीटी-8-0012-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(37),दिनांक 1 सितम्‍बर, 2023,

20. क्रमांक सीटी-8-0013-2023-एसइसी-1-पांच(सीटी)(39),दिनांक 6 सितम्‍बर, 2023,

21. क्रमांक सीटी/8/0014/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(40),दिनांक 6 सितम्‍बर, 2023,

22. क्रमांक सीटी/8/0016/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(41),दिनांक 20 सितम्‍बर, 2023,

23. क्रमांक एफ ए 3-02/2017/1/पांच (42), दिनांक 27 सितम्‍बर, 2023,

24. क्रमांक सीटी-8-0017-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(43),दिनांक 6 अक्‍टूबर, 2023,

25. क्रमांक सीटी-8-0018-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(44),दिनांक 6 अक्‍टूबर, 2023,

26. क्रमांक एफ ए-3-68-2017-1-पांच (45), दिनांक 06 अक्‍टूबर, 2023,

27. क्रमांक सीटी/8/0020/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(46),दिनांक 6 अक्‍टूबर, 2023,

28. क्रमांक एफ ए-3-33-2017/1/पांच (47), दिनांक 06 अक्‍टूबर, 2023,

29. क्रमांक एफ ए 3-32/2017/1/पांच(48), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

30. क्रमांक एफ ए-3-42/2017/1/पांच/(49), दिनांक 04 दिसमबर, 2023,

31. क्रमांक एफ ए-3-47/2017/1/पांच/(50), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

32. क्रमांक एफ ए-3-30/2017/1/पांच(51), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

33. क्रमांक एफ ए-3-43/2017/1/पांच(52), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

34. क्रमांक एफ ए-3-33/2017/1/पांच (53), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

35. क्रमांक एफ ए 3-35/2017/1/पांच (54), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

36. क्रमांक एफ ए-3-37/2017/1/पांच (55), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

37. क्रमांक एफ ए 3-36/2017/1/पांच (56), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

38. क्रमांक सीटी/8/0022/2023/एसइसी-1-05(सीटी)(57),दिनांक 8 दिसम्‍बर, 2023,

39. क्रमांक सीटी/8/2021/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(58),दिनांक 15 दिसंबर, 2023, एवं

        40. क्रमांक सीटी-4-0002-2022-एसइसी-1-पांच(सीटी)(59),दिनांक 29 दिसंबर, 2023

 

          उप मुख्‍यमंत्री, वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा)- अध्‍यक्ष महोदय,  मैं, मध्‍यप्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम 2017 की धारा 166, मध्‍यप्रदेश वेट अधिनियम, 2002 की धारा 70-क की उपधारा (2), हाई स्‍पीड डीजल उपकर अधिनियम, 2018 की धारा 15 की उपधारा (3), एवं मोटर स्पिरिट उपकर अधिनियम, 2018 की धारा 15 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार वाणिज्यिक कर विभाग की निम्‍नलिखित अधिसूचनाएं पटल पर रखता हूँ :-

1. क्रमांक एफ ए-3-42-2017-1-पांच-(22), दिनांक 27 जुलाई, 2023,

2. क्रमांक एफ ए 3-32/2017/1/पांच(23), दिनांक 27 जुलाई, 2023,

3. क्रमांक एफ ए 3-47-2017-1-पांच (24), दिनांक 27 जुलाई, 2023,

4. क्रमांक एफ ए 3-33/2017/1/पांच (25), दिनांक 27 जुलाई, 2023,

5. क्रमांक एफ ए-3-04/2019/1-पांच (26), दिनांक 27 जुलाई, 2023

6. क्रमांक सीटी-8-0004-2023एसइसी-1-पांच (सीटी)(27), दिनांक 31 जुलाई, 2023,

7. क्रमांक एफ ए 3-93-2017-1-पांच (28), दिनांक 31 जुलाई, 2023

8. क्रमांक सीटी-8-0001-2023-एसइसी-1-पांच(सीटी)(29),दिनांक 31 जुलाई, 2023

9. क्रमांक सीटी-8-0002-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(30),दिनांक 31 जुलाई, 2023

10. क्रमांक सीटी-8-0003-2023एसइसी-1-पांच (सीटी)(31),दिनांक 31 जुलाई, 2023

11. क्रमांक सीटी-3-0001-2023-एसइसी-1-पांच-(सीटी)(19),दिनांक 18 अगस्‍त, 2023,

12. क्रमांक सीटी-3-0002-2023-एसइसी-1-पांच-(सीटी)(21),दिनांक 18 अगस्‍त, 2023,

13. क्रमांक सीटी-8-0007-2023-एसइसी-1-पांच-(सीटी)(32),दिनांक 18 अगस्‍त, 2023,

14. क्रमांक सीटी/8/0008/2023-एसइसी-1-05-(सीटी)(33),दिनांक 18 अगस्‍त, 2023,

15. क्रमांक सीटी/4/2/0001/2023-एसइसी-1-05-(सीटी)(38),दिनांक 29 अगस्‍त, 2023,

16. क्रमांक सीटी/8/0009/2023-एसइसी-1-05-(सीटी)(34),दिनांक 1 सितम्‍बर, 2023,

17. क्रमांक सीटी-8-0010-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(35),दिनांक 1 सितम्‍बर, 2023,

18. क्रमांक सीटी-8-0011-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(36),दिनांक 1 सितम्‍बर, 2023,

19. क्रमांक सीटी-8-0012-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(37),दिनांक 1 सितम्‍बर, 2023,

20. क्रमांक सीटी-8-0013-2023-एसइसी-1-पांच(सीटी)(39),दिनांक 6 सितम्‍बर, 2023,

21. क्रमांक सीटी/8/0014/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(40),दिनांक 6 सितम्‍बर, 2023,

22. क्रमांक सीटी/8/0016/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(41),दिनांक 20 सितम्‍बर, 2023,

23. क्रमांक एफ ए 3-02/2017/1/पांच (42), दिनांक 27 सितम्‍बर, 2023,

24. क्रमांक सीटी-8-0017-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(43),दिनांक 6 अक्‍टूबर, 2023,

25. क्रमांक सीटी-8-0018-2023-एसइसी-1-पांच (सीटी)(44),दिनांक 6 अक्‍टूबर, 2023,

26. क्रमांक एफ ए-3-68-2017-1-पांच (45), दिनांक 06 अक्‍टूबर, 2023,

27. क्रमांक सीटी/8/0020/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(46),दिनांक 6 अक्‍टूबर, 2023,

28. क्रमांक एफ ए-3-33-2017/1/पांच (47), दिनांक 06 अक्‍टूबर, 2023,

29. क्रमांक एफ ए 3-32/2017/1/पांच(48), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

30. क्रमांक एफ ए-3-42/2017/1/पांच/(49), दिनांक 04 दिसमबर, 2023,

31. क्रमांक एफ ए-3-47/2017/1/पांच/(50), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

32. क्रमांक एफ ए-3-30/2017/1/पांच(51), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

33. क्रमांक एफ ए-3-43/2017/1/पांच(52), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

34. क्रमांक एफ ए-3-33/2017/1/पांच (53), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

35. क्रमांक एफ ए 3-35/2017/1/पांच (54), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

36. क्रमांक एफ ए-3-37/2017/1/पांच (55), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

37. क्रमांक एफ ए 3-36/2017/1/पांच (56), दिनांक 04 दिसम्‍बर, 2023,

38. क्रमांक सीटी/8/0022/2023/एसइसी-1-05(सीटी)(57),दिनांक 8 दिसम्‍बर, 2023,

39. क्रमांक सीटी/8/2021/2023-एसइसी-1-05(सीटी)(58),दिनांक 15 दिसंबर, 2023, एवं

        40. क्रमांक सीटी-4-0002-2022-एसइसी-1-पांच(सीटी)(59),दिनांक 29 दिसंबर, 2023

 

 

 

(2) मध्‍यप्रदेश परिवहन विभाग की निम्‍नलिखित अधिसूचनाएं :-

(1) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-05/2022/आठ, दिनांक 28.12.2022,

(2) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-09/2019/आठ, दिनांक 27.12.2022,

(3) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-02/2019/आठ, दिनांक 22.12.2022,

(4) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-07/2022/आठ, दिनांक 25.01.2023,

(5) अधिसूचना क्रमांक 3-3-4-001-2022-एसइसी-1-आठ, दिनांक 25.01.2023,

(6) अधिसूचना क्रमांक 972-1065774-2023-आठ, दिनांक 22.02.2023,

(7) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-71/2021/आठ, दिनांक 06.03.2023,

(8) अधिसूचना क्रमांक 2078/1145217/2023/आठ, दिनांक 07.03.2023,

(9) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-71/2021/आठ, दिनांक 08.05.2023

(10) अधिसूचना क्रमांक 3004/949664/2022/आठ, दिनांक 14.06.2023,

(11)अधिसूचना क्रमांक 4081/1353603/2023/आठ,दिनांक 27.06.2023,एवं

(12) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-17/2022/आठ, दिनांक 05.10.2023

परिवहन मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह) - अध्‍यक्ष महोदय, मैं, म.प्र. मोटर यान कराधान अधिनियम, 1991 की धारा 212 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार मध्‍यप्रदेश परिवहन विभाग की निम्‍नलिखित अधिसूचनाएं पटल पर रखता हूँ :-

(1) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-05/2022/आठ, दिनांक 28.12.2022,

(2) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-09/2019/आठ, दिनांक 27.12.2022,

(3) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-02/2019/आठ, दिनांक 22.12.2022,

(4) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-07/2022/आठ, दिनांक 25.01.2023,

(5) अधिसूचना क्रमांक 3-3-4-001-2022-एसइसी-1-आठ, दिनांक 25.01.2023,

(6) अधिसूचना क्रमांक 972-1065774-2023-आठ, दिनांक 22.02.2023,

(7) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-71/2021/आठ, दिनांक 06.03.2023,

(8) अधिसूचना क्रमांक 2078/1145217/2023/आठ, दिनांक 07.03.2023,

(9) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-71/2021/आठ, दिनांक 08.05.2023

(10) अधिसूचना क्रमांक 3004/949664/2022/आठ, दिनांक 14.06.2023,

(11)अधिसूचना क्रमांक 4081/1353603/2023/आठ,दिनांक 27.06.2023,एवं

(12) अधिसूचना क्रमांक एफ 22-17/2022/आठ, दिनांक 05.10.2023

 

(3) राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्‍वविद्यालय, ग्‍वालियर (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2020-2021

 

(4) मध्‍यप्रदेश प्रतिकरात्‍मक वन रोपण विधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021

 

(5) मध्‍यप्रदेश विद्युक नियामक आयोग की अधिसूचना क्रमांक 1846-मप्रविनिआ-2023, दिनांक 17 अगस्‍त, 2023

 

 

 

 

(6) (क) (i)  राजा शंकर शाह विश्‍वविद्यालय, छिन्‍दवाड़ा (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023

        (ii)  अवधेश प्रताप सिंह विश्‍वविद्यालय, रीवा (म.प्र.) का 55 वां वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023, एवं

        (iii)  महाराजा छत्रसाल बुन्‍देलखण्‍ड विश्‍वविद्यालय, छतरपुर (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023 (1 जुलाई 2022 से 30 जून 2023)

      (ख)   मध्‍यप्रदेश भोज (मुक्‍त) विश्‍वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023

 

 


 

 

            (7) मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम मर्यादित का 40वां वार्षिक

                                            प्रतिवेदन वर्ष 2017-18

         

 

 

(8)     संत रविदास म.प्र.हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम लिमिटेड,भोपाल

        का 39वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा 31 मार्च,2020 को समाप्त वर्ष के लिए

         

 

 

 

 

              (9)   नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय,जबलपुर(म.प्र.)                          के वार्षिक लेखे वर्ष 2021-2022 एवं 2022-2023

  (10) (क) मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड(मॉयल) की 61 वीं वार्षिक रिपोर्ट 

                 वर्ष,2022-2023

        (ख) जिला खनिज प्रतिष्ठान,जिला सिंगरौली,दमोह एवं नीमच के वार्षिक प्रतिवेदन

               वर्ष 2022-2023

        (ग) दि मध्यप्रदेश स्टेट माईनिंग कार्पोरेशन लिमिटेड,भोपाल का 59वां वार्षिक

              प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2021-2022.

 

12.08 बजे                                  ध्यान आकर्षण

(1) सतना जिले के चित्रकूट क्षेत्र में बाणसागर नहर सिंचाई योजना का लाभ

कृषकों को न मिलना

          श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार(चित्रकूट) -      (अनुपस्थित)

 

12.10 बजे

(1) रीवा जिले सहित पंचायत जनप्रतिनिधियों के मानदेय न बढ़ाया जाना

          श्री अभय कुमार मिश्रा (सेमरिया)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने अपनी ध्‍यानाकर्षण की सूचना में पंचायती राज के प्रतिनिधियों के मानदेय में 20 गुना लिखा है लेकिन जबकि वास्‍तविकता यह है कि 30 गुना से भी ज्‍यादा की वृद्धि की गई है. पंचायती राज एक्‍ट 1994 की यह किताब है, जिसमें जो वर्णित है.    

          अध्‍यक्ष महोदय-  अभय जी, पहले आप अपनी ध्‍यानाकर्षण की सूचना पूरी पढ़ लीजिये. फिर मंत्री जी का जवाब आने दीजिये, उसके बाद आप पूरक प्रश्‍न कर सकेंगे. आपने पहले ही भाषण शुरू कर दिया.

          श्री अभय कुमार मिश्रा-  जी, माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटैल)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

          श्री अभय कुमार मिश्रा- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, समानुपातिक रूप से मंत्री जी ने कहा लेकिन एक्‍ट में 100 रुपये है और 1800 रुपये वार्षिक है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  इसका फैसला करना बहुत कठिन है, सदस्‍य कह रहे हैं कि रोष व्‍याप्‍त हैं लेकिन मंत्री जी कह रहे हैं कि कहीं कोई रोष व्‍याप्‍त नहीं है.

          श्री अभय कुमार मिश्रा-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जहां एक तरफ 30 गुना वृद्धि की गई है वहां दूसरी तरफ 150 रुपये करना ठीक नहीं है. दूसरा मेरा यह कहना है कि सरकार अपने वायदे के प्रति संजीदा नहीं है अथवा आप जानकारी के अभाव में गलत जानकारी दे रहे हैं. मेरे पास यह दिनांक 25.07.2023 का पत्र है, जिसमें संचालक महोदय डॉ.केदार सिंह जी के हस्‍ताक्षर हैं. यह पत्र माननीय तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री जी की घोषणा के अनुरूप निकला था. इसमें अध्‍यक्ष का वेतन 65 हजार है और आप यहां 35 हजार का उल्‍लेख कर रहे हैं. इसी तरह से और भी चीज़ें हैं. आपने गलत जानकारी सदन में प्रस्‍तुत की है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  अभय जी, आप प्रश्‍न करें. आप जो बता रहें हैं वह तो आपके जवाब में लिखा ही हुआ है.

          श्री अभय कुमार मिश्रा-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी मांग है कि माननीय पूर्व मुख्‍यमंत्री जी ने चुनाव के पूर्व जो मानदेय घोषित किया था और पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों से बहुत वोट लिये और उन जनप्रतिनिधियों ने उनको बहुत समर्थन दिया था लेकिन उन्‍हें मिला कुछ नहीं. इसलिए आपने जो घोषणा की गई थी, उसके अनुरूप उन्‍हें मानदेय दिया जाये.

          पंचायती राज में 50 प्रतिशत SC, ST, OBC का आरक्षण है, जो कमजोर एवं विकास से वंचित हैं, इनमें 50 प्रतिशत महिलाओं को भी आरक्षण है.

          संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-  अध्‍यक्ष महोदय, यह भाषण हो रहा है. मेरा निवेदन है कि कृपया सदस्‍य प्रश्‍न पूछें. आज कार्यसूची काफी लंबी है.

          श्री अभय कुमार मिश्रा-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, भाषण नहीं दे रहा हूं, मेरा यह बताना आवश्‍यक है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  अभय जी, आप प्रश्‍न करें.

          श्री अभय कुमार मिश्रा-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, धारा 129 (5) में रोस्‍टर आरक्षण की व्‍यवस्‍था है. मेरा यह कहना है कि पंचों को मानदेय के रूप में आज दिनांक तक किसी भी प्रकार कर राशि नहीं दी गई है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आपका प्रश्‍न क्‍या है ?   

          श्री अभय कुमार मिश्रा--अध्‍यक्ष महोदय, मेरा प्रश्‍न यह है कि अन्‍य त्रिस्‍तरीय प्रतिनिधि जिला जनपद एवं सरपंचो को मानदेय दिया गया है किंतु पंचों को कोई भी मानदेय आज दिनांक तक दिया ही नहीं गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- अब आप बैठ जाइए और मंत्री जी से जवाब सुन लीजिए. आप एक प्रश्‍न का जवाब तो आ जाने दीजिए उसके बाद आप एक और पूरक प्रश्‍न कर लेना.

          श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि माननीय सदस्‍य बहुत ही वरिष्‍ठ सदस्‍य हैं. वे पुस्‍तक लेकर आ रहे हैं, सर्क्‍यूलर है यह सर्क्‍यूलर पब्लिक सर्क्‍यूलर है जिसकी वह बात कर रहे हैं. उनको अगर हिन्‍दी में दिक्‍कत है तो वह अंग्रेजी में ले लें. इसमें लिखा है वृद्धि पश्‍चात् वाहन भत्‍ता 65 हजार रुपए है. वेतन तो 35 हजार रुपए ही है. गलत जानकारी सदन में आप दे रहे हो और सरकार को दोषी ठहरा रहे हो. मुझे लगता है कि तथ्‍यात्‍मक बातें करनी चाहिए.

          अध्‍यक्ष जी, इसमें स्‍पष्‍ट लिखा है कि जो वेतन है वह 35 हजार रुपए है. वृ‍द्धि पश्‍चात वाहन भत्‍ता 65 हजार रुपए है. वह कोट कर रहे हैं. मुझे लगता है कि यह या तो रिकार्ड से निकलना चाहिए या तो उनको इस बात के लिए मानना चाहिए. दूसरी बात जो वह कर रहे हैं कि किसी पंच को नहीं मिला है तो मैंने इस संबंध में जानकारी ली है और जानकारी केवल कागजों पर ही नहीं है सभी को मानदेय प्राप्‍त हुआ है. इसलिए मैंने उनको रीवा का भी स्‍पष्‍ट तौर पर कहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- अभय जी आप अपना दूसरा पूरक प्रश्‍न करें.

          श्री अभय कुमार मिश्रा--अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने जो अभी कहा है वह सही कहा है. मैं अपने वह शब्‍द वापस लेता हूं. यह बात सही है कि वाहन भत्‍ता जोड़कर के था.

          श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- अध्‍यक्ष जी, पटवा जी एक बात कहते थे कि हिसाब किताब ज्‍यों का त्‍यों फिर भी कुनबा डूबा क्‍यों उसके शिकार हैं महाराज.

          श्री अभय कुमार मिश्रा--अध्‍यक्ष महोदय, हमने भी जो पढ़ा उसे मान लिया.

          अध्‍यक्ष महोदय-- अभय जी आप अपना दूसरा प्रश्‍न करें.

          श्री अभय कुमार मिश्रा--अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि पंचों को  साहब सही में नहीं मिला है, आज भी नहीं मिल रहा है. एक दिन की रोजगार गारंटी की मजदूरी होती है कम से कम उनको प्रतिमाह, प्रतिमाह मैं इसलिए कह रहा हूं, प्रति बैठक इसलिए नहीं कह रहा हूं क्‍योंकि आपकी बैठकें कागजों में होती हैं. अगर आप प्रतिमाह अनिवार्य कर देंगे तो प्रतिमाह कम से कम एक बैठक तो होने लगेगी और दूसरी बात सबसे ज्‍यादा जरूरी यह है कि अध्‍याय 5 धारा (44) का हम अध्‍ययन करें तो ग्राम पंचायतों में भी समितियां हैं. इसमें तीन समितियां सामान्‍य प्रशासन, निर्माण एवं शिक्षा, जो भी निर्माण कार्य होते हैं वह निर्माण कार्य निर्माण समिति के माध्‍यम से होते हैं. आज तक कागज में सिर्फ कागजी खानापूर्ति हो जाती है. अगर इसकी जांच कराना हो तो मैंने जिला पंचायत सीईओ को एक पत्र लिखा है. पत्र क्रमांक 176 दिनांक 12 फरवरी 2024 इसकी आप जांच करा लें. इसमें ज्‍यादा नहीं 25, 30 ग्राम पंचायतों को दिया है. इसकी जांच करा लेंगे तो वस्‍तुस्थिति आपके सामने आ जाएगी कि आपने दिया है या नहीं दिया है.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से अनुरोध है कि जनप्रतिनिधि के रूप में पंच, पंचायत की सबसे छोटी इकाई है. जब सबके भत्‍ते बढ़ सकते हैं चाहे अधिकारी हों, चाहे कर्मचारी हों, चाहे विधायक हों, सांसद हों, चाहे जिला पंचायत अध्‍यक्ष हो इतने सालों से माननीय सदस्‍य ने जो मांग उठाई है तो मेरा आपके माध्‍यम से आदरणीय मंत्री जी से अनुरोध है कि उस जनप्रति‍निधि जो पंच की एक छोटी सी इकाई है लेकिन महत्‍वपूर्ण इकाई है, अपने वार्ड में एक प्रभावशाली व्‍यक्ति तो क्‍या हमें उन लोगों के लिए नहीं सोचना चाहिए. मेरा अनुरोध है कि इस पर विचार किया जाए.

          श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- अध्‍यक्ष जी, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी से मैं यह अपेक्षा करता था कि वह भी पढ़ लें कि तीन गुना सबकी बढ़ी है चाहे वह पंच हो या जिला पंचायत अध्‍यक्ष. आप अगर अनुमति दें तो मैं इसे दोहरा देता हूं. जिला पंचायत अध्‍यक्ष का 11100 रुपए था अब 35000 रुपए है, उपाध्‍यक्ष का 9500 रुपए था अब 28500 रुपए है. जिला पंचायत सदस्‍य का 4500 रुपए था अब 13500 रुपए है. तीन गुना है. जनपद अध्‍यक्ष का 6500 रुपए था अब 19500 रुपए है. उपाध्‍यक्ष का 4500 रुपए था अब 13500 रुपए है. जनपद सदस्‍य का पहले 1500 रुपए था अब 4500 रुपए है. सरपंच का पहले 1750 रुपए था अब 4250 रुपए है, ग्राम पंचायत के पंच का 100 रुपए था अब 300 रुपए  है. पहले 600 रुपए वार्षिक था मुझे लगता है कि यह पहली चीज तो दिमाग से निकाल देनी चाहिए कि सबका तीन गुना ही बढ़ा है इसमें कोई पक्षपात नहीं हुआ है. दूसरी बात जो माननीय सदस्‍य कह रहे हैं कि बैठक नहीं होती है तो आप केन्‍द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रहे हैं. पांच बार की तो अनिवार्य तौर पर भारत सरकार की ग्राम सभा का प्रावधान है. आप जब कोई वित्त की बात लेकर आते हैं तो आपको बैठक करना अनिवार्य है आप कागज पर करें, लोग आए या न आएं वह अलग बात है परन्तु ऐसी बातें गैर जानकारी के करना, पंचायती राज में कुछ चीजें हैं. इसलिए मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि चूँकि आपके निर्देश हैं और हम लोग खुद जाया करते थे. यह कम्पलसरी है कि 5 ग्राम सभाएं तो भारत सरकार तय करती है इसलिए मुझे लगता है कि एक बार इस पर बिलकुल बहस होनी चाहिए, लेकिन गलत जानकारी मत दीजिए.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने कहा है 5 बैठकें होती हैं लेकिन यह बात सच है कि आप भी देखते हैं कि पंच और सरपंचों की किस प्रकार से बैठकें होती हैं. क्या इन 5 बैठकों के लिए सरकार की तरफ से कोई मॉनिटरिंग सिस्टम नहीं होना चाहिए ताकि वहां की आम जनता को पंचायत में अधिकार मिल सके.

          श्री प्रहलाद सिंह पटैल -- अध्यक्ष महोदय, मैंने यह नहीं कहा, मैं तो भारत सरकार की कम्पलसरी बैठकें हैं उसके बारे में कह रहा हूँ और मैं अनिवार्य बैठकों का समर्थक हूँ और मुझे लगता है कि 6 महीने बाद हम इसी सदन में बात करेंगे.

          श्री उमंग सिंघार -- धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदय -- श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार.

          श्री अभय कुमार मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे सप्लीमेंट्री प्रश्न पूछने के लिए कहा था. मेरा ध्यानाकर्षण पूर्ण नहीं हुआ है.

          अध्यक्ष महोदय -- अभय जी आपके दो सप्लीमेंट्री हो गए हैं.

          श्री अभय कुमार मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, एक ही हुआ है.

          श्री अभय कुमार मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा हूँ कि मंत्री जी जानकारी के अभाव में गलत चीज बोल रहे हैं. ग्राम सभा और ग्राम पंचायत..

       अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, हम सब मान रहे हैं कि आप जनपद अध्यक्ष रहे हैं आपको ज्यादा जानकारी है.

12.23 बजे

बहिर्गमन

श्री अभय कुमार मिश्रा, सदस्य द्वारा सदन से बहिर्गमन

        श्री अभय कुमार मिश्रा (सेमरिया) -- अध्यक्ष महोदय, पंचों के मामले को लेकर मेरी बात नहीं सुनी जा रही है, पंचों के साथ अन्याय हो रहा है इसके विरोध में मैं सदन से बहिर्गमन करता हूँ.

        (प्रदेश के पंचायती राज के निर्वाचित पंचों के मानदेय एवं अधिकारों में वृद्धि न किए जाने के विरोध में श्री अभय कुमार मिश्रा, सदस्य द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया)

 

(2)     सतना जिले के चित्रकूट क्षेत्र में बाणसागर नहर सिंचाई योजना का लाभ कृषकों को न मिलना

          श्री सुरेन्द्र गहरवार (चित्रकूट) -- अध्यक्ष महोदय,

 

          जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट) --

                                                                                               

 

 

            श्री सुरेन्‍द्र सिंह गहरवार -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का यह कहना कि 72 परसेंट सर्वे हो गया है, बिल्‍कुल असत्‍य है.

          श्री तुलसीराम सिलावट -- सर्वे नहीं काम हो गया है. 72 परसेंट काम हो चुका है. शेष काम समयावधि में पूरा कर लिया जाएगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप सप्‍लीमेंट्री के जवाब में बोलना, माननीय सदस्‍य को अपनी बात रखने दें. 

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह गहरवार -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यह असत्‍य जानकारी है, 10 से 15 प्रतिशत से ज्‍यादा बिल्‍कुल नहरों का काम चित्रकूट क्षेत्र में नहीं हुआ है. उसकी जांच करा लें. दूसरा, मेरा एक और विषय है बहस ज्‍यादा न करके मैं इस काम को सुलझाना चाहता हूं कि चित्रकूट क्षेत्र में बरगी का पानी पहले मैहर जाएगा, फिर अमरपाटन जाएगा, फिर उचेहरा, फिर नागौद, फिर रैगांव, फिर चित्रकूट जाएगा. चित्रकूट पहले से ही टेल में है. अब यदि यह दो बांध नहीं बनते तो चित्रकूट सीमा पर पानी पहुंचने के पहले ही रुक जाएगा, खत्‍म हो जाएगा. मेरा निवेदन है कि माननीय मंत्री जी बताएं, एक तो 72 प्रतिशत जो नहर का काम होना बताया है वह बिल्‍कुल असत्‍य है, उसकी जांच करा लें, ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही करें. दूसरा, लगभग डेढ साल बसानिया और राघौपुर बांध के टेंडर हुए हो गए जिसकी शुरुआत अभी तक नहीं हुई.

          अध्‍यक्ष महोदय -- सुरेन्‍द्र सिंह जी, आप प्रश्‍न तो करिये.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह गहरवार -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि एक तो माननीय मंत्री जी यह बता दें कि इन दोनों बांधों को बनाने की शुरुआत कब होगी और और कब तक बन जाएंगे ?

          श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्‍यक्ष महोदय, मैंने बहुत स्‍पष्‍ट कहा है कि वर्ष 2025 में कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह गहरवार -- इसकी जांच करा दी जाए जो 72 प्रतिशत नहरों का काम है ठेकेदार पैसा निकालकर चला गया है, टेंडर की पद्धति में जो काम होना बता रहे हैं. टेंडर की पद्धति का मतलब यह नहीं होता कि वह 10 साल बाद काम करे, जब तक सरकारी औपचारिकताएं पूरी नहीं की जाएंगी, जब तक न तो वन भूमि का, न तो नक्‍शे का, न तो विस्‍थापन का कोई काम शुरू नहीं हुआ तो बांध बनना कैसे शुरू हो जाएगा ? इसलिये मेरा निवेदन यह है कि एक तो यह काम करें और दूसरा, समय सीमा बता दें कि कब से बांध में काम चालू हो जाएगा और कब यह पूरा होगा, तभी चित्रकूट क्षेत्र को पानी मिल पाएगा.

          श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्‍यक्ष महोदय, सम्‍माननीय सदस्‍य ने जो बात कही है वह असत्‍य है. मैं किसी वरिष्‍ठ अधिकारी को भेजकर पूरी योजना की जांच करा लूंगा. हर बिंदु पर जो तथ्‍य सामने आएंगे वह सम्‍मानित सदस्‍य को उपलब्‍ध करवा दूंगा.

          श्री सुरेन्‍द्र सिंह गहरवार -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से कृपा चाहूंगा कि माननीय मंत्री जी यह तो बताएं कि बांध का काम शुरू कब होगा और उसके पूरे होने की समय सीमा क्‍या है ?

            श्री तुलसीराम सिलावट-- अध्यक्ष महोदय,  मैं तीन बार बोल चुका हूं कि  2025  में  कार्य सम्पूर्ण कर लिया जायेगा.

          श्री सुरेन्द्र सिंह गहरवार-- अध्यक्ष  महोदय, धन्यवाद.

          डॉ. राजेन्द्र कुमार  सिंह (अमरपाटन) -- अध्यक्ष महोदय,  चूंकि  यह बरगी तटवर्ती नहर  सतना जिले की जीवन रेखा  है,  यह किसानों के लिये बहुत महत्वपूर्ण  है. यह जब  शुरु में  इसका  डीपीआर बना था, तो   उसमें बहुत से इलाके  स्लीमनाबाद  के बाद जब  नहर आगे बढ़ती है,  वह शामिल नहीं थे.  शनय शनय  कई और क्षेत्र जोड़े गये.  विजयराघवगढ़ क्षेत्र का अंचल  जोड़ा  और  एक दो जगह और भी  टाई अप किया गया पानी का. तो वैसे  भी जो उपलब्धता है जल की सतना जिले में, वह कम होती जा रही है.  चूंकि पूर्व  में भी  टाई अप कर लिये गये हैं.  जो टनल  बन रही है ,आपकी स्लीमनाबाद में  2008 से शुरु हुआ था काम और 9600 मीटर  शायद बन चुकी है और 1600 मीटर शेष है.  अब यह 2008 से  बन रही है, 2024 आ गया.  मुझे तो नहीं लगता,  जो मंत्री जी ने  टाइम लाइन दी है कि  2025  में पानी आ जायेगा.  जो टनल बाकी है 1600  मीटर,  एक मशीन इनकी खराब है अभी,  4 महीने से मशीन वहां खराब है,दो मशीनें लगी हुई थीं,  एक खराब है.  उसको ये 4-5  महीने से सरकार नहीं सुधरवा पाई है.  अब अगर वह सुधर जाती है,  तो भी मुझे  एक संशय है कि   1600 मीटर ये एक वर्ष के अन्दर कर लेंगे,  जो  गति है काम करने की, अभी तक जो देखी गई है,  तो मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि  इस काम में क्या तेजी लायेंगे एक और दूसरा, चूंकि पानी अगर उपलब्ध हो जाता है,  टनल बन जाती है,  सबसे बड़ी  चुनौती टनल  है. नहरों का काम इतना  कठिन नहीं होता है, तो क्या नहरों का भी काम साइमल्टेनीअस्ली साथ ही साथ चलता रहे,  ताकि जो डेड  लाइन की बात कर रहे हैं,  यह पूरी हो सकेगी.  नहरों का भी काम  शीघ्रातिशीघ्र   चले और  अगर कोशिश  हो,  चूंकि बजट का अभाव है, मैं जानता हूं.  इसे केंद्र सरकार से बात  करके   वहां टाई अप करना चाहिये सेंट्रल  वॉटर बोर्ड से  और  अगर इस पर राशि  मिल सकती है,  तो मैं समझता हूं कि  क्या मंत्री जी यह प्रयास करेंगे.

          श्री तुलसीराम सिलावट--  अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य वरिष्ठ सदस्य हैं.  गति लाने का पूरा प्रयास किया जायेगा और विलम्ब का कारण  आप भी जानते हैं भू संरचना  जटिल होने के कारण  मशीन का कटर  बार-बार  टूट रहा है,  इसलिये इसके कारण तकलीफ हो रही है.  इसकी मरम्मत में  समय लग रहा है.  कार्य के दौरान  कार्बन में  मोनोऑक्साइड गैस का  आना  कार्य में बाधा डाल रहा है.   यह जो टनल है स्लीमनाबाद की. यह 11 किलोमीटर है कुल, जिसमें से 10 किलोमीटर पूर्ण हो गई है,  जो शेष बची है,  उसको गति के साथ काम करने की पूरी कोशिश  की जायेगी  यथासम्भव.

          डॉ. राजेन्द्र कुमार  सिंह--  अध्यक्ष महोदय,  एक प्रश्न और पूछना चाहता हूं.  जब यह ओरिजनल डीपीआर बनी थी, तो टनल बनाने की कितनी समय सीमा रखी गई थी.  मेरी जानकारी के अनुसार  4 या 5 साल,  4 साल थी. इसको  14 साल हो चुके हैं.  वह जो आपका ओरिजनल सर्वे  था  उस पहाड़ी  का,  जहां से टनल आती है,  वही त्रुटिपूर्ण था.  वहां यह माना गया था कि हार्ड स्टेटा है, हार्ड स्टेटा में  ये  मशीनें ज्यादा तेज चलती हैं  और जहां लूज स्टेटा  होता है,  बालू होती है, मुरम होती है,  वहां मशीनों की गति बहुत धीमी हो जाती है. तो ये सर्वे किसने तय किया था, क्यों ऐसा प्रस्ताव रखा गया.  मंत्री जी, क्या  इसकी भी जांच करा लेंगे.  4 वर्ष में पूर्ण होना था, आज  14-15  साल हो गये हैं.  तो यह तो बहुत बड़ी कमी  है  और कितना नुकसान  किसानों का और सरकार का भी है.   प्रदेश का, सरकार का नहीं, मैं प्रदेश का कहूंगा. क्या इसमें जांच करा लेंगे आप.

          श्री तुलसी राम सिलावट-माननीय अध्‍यक्ष, सर्वे बहुत पहले का है और जहां भी ऐसी आवश्‍यकता पड़ेगी तो उसकी जांच भी करा लेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय:- अब वैसे 10 किलोमीटर बना ली है तो अब एक 1 किलोमीटर ही बची है.

आवेदनों(याचिकाओं ) की प्रस्‍तुति

          निम्‍नलिखित माननीय सदस्‍यों के आवेदन(याचिकाएं)प्रस्‍तुत की गयी मानी जाएगीं:-

(1) श्री फूलसिंह बरैया 

(2) श्री मथुरालाल डामर

(3) श्री केशव देसाई

(4) डॉ. सतीश सिकरवार

(5) श्रीमती सेना महेश पटेल

(6) श्री हेमंत सत्‍यदेव कटारे

(7) श्री प्रदीप अग्रवाल

(8) श्री रामनिवास रावत

(9) श्री संजय सत्‍येन्‍द्र पाठक

(10) श्री नारायण सिंह पट्टा

(11) श्री श्रीकांत चतुर्वेदी

(12) श्री नितेन्‍द्र बिजेन्‍द्र सिंह राठौर

(13) श्री विवेक विक्‍की पटेल

(14) श्री मधु भाऊ भगत

(15) श्री रमेश प्रसाद खटीक

(16) श्री भैरोसिंह बापू

(17) श्री साहब सिंह गुर्जर

(18) डॉ. हिरालाल अलावा

(19) श्री यादवेन्‍द्र सिंह

(20) श्री प्रहलाद लोधी

(21) डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय

(22) श्री केदार चिड़ाभाई डावर

(23) श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को

(24) श्री प्रताप ग्रेवाल

(25) श्री रजनीश हरवंश सिंह  

(26) श्रीमती अनुभा मुंजारे

(27) श्री कमलेश्‍वर डोडियार

(28) श्री दिनेश राय मुनमुन

(29) श्रीमती चंदा सुरेन्‍द्र सिंह गौर

(30) श्री राजन मण्‍डलोई,

(31) श्री अभय मिश्रा,

(32) सुश्री रामश्री राजपूत

(33) श्री बाला बच्‍चन

(34) श्री मोन्‍टू सोलंकी

(35) श्री सोहनलाल बाल्‍मीक

(36) श्री प्रणय प्रभात पांडे

(37) श्री विपिन जैन

(38) श्री माधव सिंह (मधु गेहलोत)

(39) इंजीनियर श्री गोपाल सिंह

(40) श्री अमरसिंह यादव,

(41) डॉ. रामकिशोर दोगने

(42) डॉ. अभिलाष पाण्‍डेय

 

 

 

 

शासकीय संकल्‍प

जल( प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1974 ( 1974 का  6)

पर्यावरण मंत्री (डॉ.कुंवर श्री विजय शाह):- जल( प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1974 में संशोधन करने के लिये  जल( प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम संशोधन विधेयक संसद में लाने के पक्ष में, राज्‍य की विधान सभा द्वारा संकल्‍प पारित किये जाने के लिये, राज्‍य शासन से अनुरोध किया गया था.

माननीय अध्‍यक्ष जी, चूंकि 8 फरवरी को यह संसद में पारित हो चुका है. इसलिये मैं आपसे अनुमति चाहूंगा, वापस लेने की.

अध्‍यक्ष महोदय:- अनुमति दी गयी.

          कुंवर श्री विजय शाह:- धन्‍यवाद्.

                                                                                      संकल्‍प वापस हुआ

 

शासकीय विधि विषयक कार्य

                                                                सहमति प्रदान की गयी.

 

 

 

 

प्रान्तीय लघुवाद न्यायालय (निरसन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 2 सन् 2024) का पुर:स्‍थापन

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 8 सन् 2024)का पुर:स्‍थापन

 


 

12.40 बजे      मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024

(क्रमांक 1 सन् 2024)

 

          उप मुख्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा (श्री राजेन्द्र शुक्ल) - अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.

          अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.

          माननीय मंत्री जी कुछ कहना चाहते हैं?

          श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, यह मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 की आवश्यकता इसलिए महसूस की गई क्योंकि चिकित्सा, दन्त चिकित्सा, आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथी, योग, नेचुरोपैथी के साथ-साथ नर्सिंग और पैरामेडिकल सारी परिक्षाओं को आयोजित करना, समय से उनका इनरोलमेंट होना, समय से उनके रिजल्ट निकलना, यह एक बहुत बडा़ काम होता जा रहा था क्योंकि प्रदेश में हम देख रहे हैं कि बहुत बड़ी संख्या में प्राइवेट और शासकीय नर्सिंग कॉलेजेस की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. पैरामेडिकल कॉलेजेस की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है. हजारों की संख्या में एडमिशन होते हैं, उनके इनरोलमेंट से लेकर एग्जामिनेशन और मेडिकल कॉलेजेस की भी संख्या हम देख रहे हैं कि 14 मेडिकल कॉलेज तो संचालित हैं और वर्ष 2024-25 में हम 5 नये मेडिकल कॉलेज भी शुरू करने वाले हैं. आने वाले समय में हर जिले में हर लोकसभा क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज खुले, इसकी भी योजना पर हम लोग काम कर रहे हैं, इसलिए मेडिकल यूनिवर्सिटी में जो कार्य का बोझ है, वह आने वाले दिनों में बहुत बढ़ सकता है, इसलिए शासन ने यह निर्णय लिया कि इस विधेयक में संशोधन करके हम नर्सिंग और पैरामेडिकल को लोकल यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध करें और मेडिकल यूनिवर्सिटी को नर्सिंग और पैरामेडिकल को छोड़कर बाकी जो चिकित्सा, दन्त चिकित्सा, आयुर्वेदिक, यूनानी, होम्योपैथी, नेचुरोपैथी से लेकर  योग और अन्य प्रकार के जो स्वास्थ्य से जुड़ी हुई विधाएं हैं वह मेडिकल यूनिवर्सिटी उसको संचालित करे, इसलिए यह संशोधन आज समय की मांग है, इसलिए सदन के सामने विचार के लिए प्रस्तुत किया गया है. मेरा निवेदन है कि इस संशोधन को सदन अपनी अनुमति दे.

          श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 प्रस्तुत किया है. इसमें विशेष कुछ नहीं है. थोड़ा बहुत संशोधन है. अध्यक्ष महोदय, इसमें धारा 2 में वृहद शीर्ष में, शब्द "नर्सिंग" तथा "सह-चिकित्सा" का लोप किया जाए. इसको हटा दिया गया है. 3. मूल अधिनियम की धारा 2 में - (क) खण्ड (ग) के पश्चात्, निम्नलिखित खण्ड अन्तःस्थापित किया जाए, अर्थात्:- "(ग क) "मण्डल" से अभिप्रेत है, कर्मचारी चयन मण्डल, मध्यप्रदेश भोपाल." व्यावसायिक परीक्षा मण्डल, मण्डल व्यावसायिक परीक्षा मण्डल ही है न? काफी देर से आपने संशोधन किया है. आपका कर्मचारी मण्डल कब का बना है? व्यायसायिक परीक्षा मण्डल, व्यापम आपने नाम बहुत पहले खत्म किया है. इसको बहुत लम्बा समय हो गया है. चलो देर आयद दुरुस्त आयद. कुछ धाराओं को हटा दिया गया है. 4. मूल  अधिनियम  की धारा 5 में, खण्ड (तैंतीस) में, शब्द "व्यापम" के स्थान पर शब्द "कर्मचारी चयन मण्डल" स्थापित किए जाएं. इसको पहले ही संशोधित किया जाना चाहिए था.

अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय मंत्री जी ने बताया है कि शब्द "नर्सिंग" तथा शब्द "सह-चिकित्सा" को इससे अलग किया  गया है. इसका लोप किया गया है. अभी उन्होंने भाषण में तो कहा कि इनको किस यूनिवर्सिटी से या किन-किन मेडिकल कालेजों को जोड़ेंगे, या किस यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आएगा. इसमें लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इनको यहां से तो हटा दिया है, लेकिन अब इनका नियमन, नर्सिंग और सह-चिकित्सा का कंट्रोल, इनको कहां रखा जाएगा, यह आपने व्यवस्था नहीं की है. मैं समझता हूं कि इसकी व्यवस्था भी अविलंब की जाना चाहिए. बाकी प्रशासनिक अमले के संबंध में है. इसमें कुछ अधिक नहीं है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए आप जितनी जल्दी हो सकता है, प्रशासनिक अमला मेडिकल कालेजों का चाहे वह मेडिकल डिपार्टमेंट के ही हो, वहां से पदस्थ करें और केन्‍द्र सरकार द्वारा स्‍थापित जो विश्‍वविद्यालय हैं, केन्‍द्र सरकार द्वारा स्‍थापित अपने यहां कितने विश्‍वविद्यालय है. प्रदेश के विश्‍वविद्यालयों पर तो यह लागू नहीं होगा. इसमें दिया गया है. बाकी मुख्‍य चीज तो नर्सिंग और सहचिकित्‍सा को इससे पृथक किया गया है. इसमें इनको कहां जोड़ा जाएगा ? सबसे पहले यह व्‍यवस्‍था करें और व्‍यापम की जगह पर कर्मचारी चयन मंडल जोड़ा गया है, इसमें इतना ही संशोधन है केवल मंत्री जी यह स्‍पष्‍ट कर दें कि नर्सिंग और सहचिकित्‍सा को कहां जोड़ा जाएगा.

           श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो हमारे स्‍थानीय विश्‍वविद्यालय होते हैं उनका कार्यक्षेत्र नोटिफाईड होता है तो उस नोटिफाईड एरिया में जो भी नर्सिंग और पैरामेडिकल के कॉलेज होंगे, वह स्‍थानीय विश्‍वविद्यालय से सम्‍बद्ध हो जाएंगे और वह मेडिकल यूनिवर्सिटी से अलग हो जाएंगे. जहां तक आप केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय की बात कर रहे हैं, केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय इससे अप्रभावित रहेंगे. यह जो संशोधन है उससे केन्‍द्रीय विश्‍वविद्यालय अप्रभावित रहेंगे और तीसरी बात व्‍यापम वाली आपने कही है चूंकि उस विधेयक में व्‍यापम शब्‍द था और आज वह कर्मचारी चयन मंडल हो गया है, तो उससे उसको विलोपित करके कर्मचारी चयन मंडल डाल दिया गया है वह एक छोटा-सा संशोधन है तो कुल मिलाकर आदरणीय रावत जी ने इस बात की प्रशंसा की है कि यदि नर्सिंग और पैरामेडिकल ही अलग हो रहा है तो शिक्षा की गुणवत्‍ता बेहतर होनी चाहिए. इस संशोधन का उद्देश्‍य भी मेडिकल की जो शिक्षा है उसकी गुणवत्‍ता भी सुनिश्‍चित रहे. नर्सिंग और पैरामेडिकल बहुत ही महत्‍वपूर्ण है. उसके बिना पूरे मेडिकल का जो कार्य है, वह अधूरा रहता है. उसकी गुणवत्‍ता भी बेहतर हो सके. कार्य का जो बोझ मेडिकल यूनिवर्सिटी में जिसको कि अभी खुले हुए बहुत दिन नहीं हुए हैं, उसमें वह ऑफ लोड हो जाएगा. थोड़ा बोझ कम हो जाएगा, तो बेहतर तरीके से दोनों विधाएं ठीक से चलेंगी. इसलिए मैं निवेदन करता हॅूं कि इस संशोधन को पारित किया जाए.

          श्री रामनिवास रावत -- अध्‍यक्ष महोदय, इसमें हमें आपत्‍ति नहीं है. नर्सिंग कॉलेजों को मान्‍यता कौन देगा ? नर्सिंग कॉलेजों की मान्‍यता के संबंध में जिस तरह से हाईकोर्ट का निर्णय अभी आया है कि कितने नर्सिंग कॉलेज मान्‍यता को फुलफिल नहीं करते, मान्‍यता प्राप्‍त करने के लिए योग्‍य नहीं हैं. यह निर्णय अभी आया है तो किस तरह के नर्सिंग कॉलेज चल रहे हैं. कम से कम प्रदेश में नर्सिंग कॉलेज ठीक से चलें और जो फुलफिल नहीं करते हैं उनको मान्‍यता.....

          अध्‍यक्ष महोदय -- रामनिवास जी, आप बैठ जाइए. मंत्री जी आपकी बात समझ गए.

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मान्‍यता का जहां तक सवाल है तो जैसे मान्‍यता इंडियन नेशनल नर्सिंग काउंसिल देती थी और एमपी नर्सिंग काउंसिल और आने वाले दिनों में तो भारत सरकार उसको और ज्‍यादा अपग्रेड करते हुए सेंट्रल में एक ऐसा बोर्ड भी बनाने के लिये नये अधिनियम ला रही है जिसमें इनकी मान्‍यता सेन्‍ट्रलाइज्‍ड रहेगी, लेकिन अभी इनकी मान्‍यता उसी प्रकार से दी जाएगी, जिस प्रकार से हमारी परिषदें/काउंसिल दे रही हैं और पेरामेडिकल के लिए भी पेरामेडिकल काउंसिल है तो इस संशोधन से उस मान्‍यता का कोई संबंध नहीं है. मान्‍यता जिस प्रकार से दी जाती रही है, उसी प्रकार से दी जाती रहेगी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है, माननीय सदस्‍य संतुष्‍ट हैं.

          प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.

 प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

          अध्‍यक्ष महोदय :- अब विधेयक के खण्‍डों पर विचार होगा.

           

 

 

 

 


 

डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, ना कहना अनिवार्य है क्या ?

अध्यक्ष महोदयजरूरी नहीं है.

डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय,इसलिये हम ना नहीं बोल रहे हैं.

माननीय अध्यक्ष महोदय,फिर तो सर्व सम्मति से हुआ.

अध्यक्ष महोदयसामान्य तौर पर ऐसी प्रक्रिया बनी हुई है. कई बार कोई धीरे से ना बोल देते हैं. प्रोसीडिंग में सावधानी रहे, इसलिये यह बना हुआ है. सारे लोग खुलकर हां बोलें तो सर्वसम्मति से है.

(4) प्रान्तीय लघुवाद न्यायालय (निरसन) विधेयक,2024 (क्रमांक2 सन् 2024)

 

          

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(5) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023 (क्रमांक 3 सन् 2024)

 

 

         

          अध्‍यक्ष महोदय - इस विधेयक पर कोई बोलना चाहते हैं, पहले प्रतिपक्ष को अवसर मिलेगा.

          श्री रामनिवास रावत(विजयपुर) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने माल और सेवा कर संशोधन विधेयक प्रस्‍तुत किया है. इसमें जो संशोधन किया है, इसमें ऑनलाइन गेम खेलना माननीय मंत्री जी प्रारंभ करवा रहे हैं और ऑनलाइन धनी गेम खेलना भी प्रारंभ करवा रहे हैं. अध्‍यक्ष जी, धारा 102 '' में विनिर्दिष्‍ट अनुयोज्‍य दावे के तहत संशोधन किया है. दांव लगाने, केसिनो चलाने, द्यूत कीड़ा चलाने, घुड़दौड़ चलाने, लाटरी चलाने ऑनलाइन धनी गेम खेलना. माननीय अध्‍यक्ष महोदय इस संशोधन से क्‍या प्रदेश में पूरी तरह से सट्टा जुआं की खुली छूट देना चाहते हैं क्‍या, वैसे ही बच्‍चे शिक्षित बेरोजगार बैठे हुए हैं, वे इसमें लग जाएंगे क्रिकेट में सट्टा लगता है, उसकी भी मान्‍यता हो जाएगी. इसके लाइसेंस किस तरह से दिए जाएंगे लाइसेंस देने की प्रथा की व्‍यवस्‍था इसमें की गई है. इस तरह से अगर इनको प्रारंभ करवा दिया गया तो एक तरह प्रदेश में पूरी तरह से बेरोजगारी है, प्रदेश में काम नहीं है, बेरोजगार लोग बैठे हैं, प्रदेश में जो परीक्षाएं हो रही उनके रिजल्‍ट नहीं निकाले जा रहे. मेरा यह मानना है कि इस संशोधन पर पुनर्विचार करें इसे नहीं जोड़ जाए, इसे वापस लिया जाए और ये जुआ सट्टा खिलाने के लिए प्रदेश के युवाओं को न धकेला जाए, इसमें सुविधा न दिया जाए, क्‍योंकि इससे पूरे समाज में प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, वैसे ही तो लोग गरीब है, आत्‍महत्‍या रोज हो रही है, लोग बेकार बैठे हुए हैं, इस तरह से गेम खेलकर, धन कमाकर आत्‍महत्‍याओं के प्रकरण बढ़ेंगे, लोग कगार पर पहुंच जाएंगे, अध्‍यक्ष महोदय इस संशोधन को वापस सरकार ले, इस पर विचार करें कि इस तरह से राजस्‍व की व्‍यवस्‍था आप नहीं कर सकते.

          अध्‍यक्ष महोदय - पूरा करिए रावत जी.

          श्री रामनिवास रावत - अध्‍यक्ष जी, पास में बैठे अजय भैया कुछ कह रहे थे, इन गेमों के एक्‍सपर्ट भी उधर बैठे हुए हैं, जिन लोगों ने ये संशोधन करवाया है. (..हंसी) अध्‍यक्ष महोदय, इससे पूरी युवा पीढ़ी बिगड़ेगी और पूरे समाज पर दुष्‍प्रभाव पड़ेगा, मेरी मान्‍यता है, निवेदन करुंगा सरकार से.

          श्री कैलाश विजयवर्गीय - अध्‍यक्ष महोदय, क्षमा करें, उनके सामने एक्‍सपर्ट बैठे हैं, ऐसा नहीं है, पूरा सदन इस बात का गवाह है कि इस सदन में लॉटरी किसने प्रारंभ की थी. मैं अगर इतिहास के पन्‍नों में जाऊंगा तो बात बहुत दूर तक जाएगी.

          श्री रामनिवास रावत - पटवा जी के कार्यकाल में, ध्‍यान है.

          अध्‍यक्ष महोदय - अभी कहीं नहीं जाना है, बिल तक ही रहना है.(...हंसी)

        डॉ. राजेन्‍द्र कुमार सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, ये तो बड़ी पुरानी परम्‍परा है, महाभारत काल में भी द्यूत क्रीड़ा होती थी, कितने बड़े बड़े दांव लगाए गए, लेकिन ये ऑनलाइन गेमिंग के बजाये, ऑनलाइन खेला कर दें. आज कल खेला शब्‍द चला हुआ है, गेमिंग वैसे भी अंग्रेजी शब्‍द है, लेकिन ये बात रामनिवास जी सही कह रहे हैं, हमारी युवा पीढ़ी वैसे ही एंड्रॉइड मोबाइल पर लगी रहती है, इससे और ज्‍यादा समय जाया करेगी, लेकिन सत्‍ता पक्ष के लिए एक सकारात्‍मक पहलू हैं इसमें कि लोग रोजगार वगैरह मांगेंगे नहीं, समस्‍याओं की तरफ ध्‍यान नहीं जाएगा, इसी खेला में लगे रहेंगे.(..हंसी)

          श्री रामनिवास रावत - अध्‍यक्ष महोदय, इस पर सरकार से निवेदन करुंगा कि पूरे प्रदेश के युवाओं को कम से कम ये ऑनलाइन गेम, दांव लगाने, कैसिनो चलाने, द्यूत क्रीड़ा खेलने, वे इसकी तरफ नहीं जाए, उनको नहीं धकेले, इसको कृपा करके वापस लें, जिससे पूरे प्रदेश का भविष्‍य सुरक्षित रहे सके.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा - अध्‍यक्ष महोदय, इसके दो पहलू है. एक पहलू अभी रावत जी ने बोला. दूसरा पहलू यह भी है कि इसको सिस्‍टमाइज कर दें, हो वही रहा है, एक तो पहले से है. पहले से अभी है, उसका सिर्फ अधिनियम सदन से पास कराए. चल ये रहा है ऑलरेडी. आज नया कोई इसमें विषय नहीं आ रहा है. दूसरा इसमें जो महत्‍वपूर्ण बात है कि जो क्‍लैम है, जो कई बार अनैतिक तरीके से पैसा रखकर, आदमी भाग जाता है, उसको अकाउंटेबल करके उसका पूरा सिस्‍टमाईज हो जायेगा, तो जिसको जो पैसा वापस मिलना है, वह मिल पायेगा. वरना यह ऑलरेडी चल रहा है, यह कोई नया आज चालू नहीं हो रहा है. एक्‍ट ऑलरेडी एक्‍शन में है, सिर्फ इसको विधानसभा से पारित करवाना है. दूसरा जितना भी इसमें क्‍लेम दो हिस्‍सों में बंटा हुआ है, उसको समानांतर रिस्‍क और नॉनरिस्‍क मतलब दोनों को मिलाकर, इस पर जी.एस.टी. एक कर दिया है, ताकि मैक्‍जीमम जी.एस.टी. सरकार ले ले, प्रोत्‍साहन न करके टैक्‍स पूरा चार्ज कर ले. वरना हो आज भी यह रहा है और उसका पूरा क्‍लेम ऑफिशियल के जगह सब अनऑफिशियल है, उससे गलत एक्विटी बढ़ रही है, उसमें जो भी दूसरे लोग जो अनऑफिशियल इन्‍वॉल्‍व होते हैं, वह उसका बेनिफिट लेते हैं और पुलिस और यह सब भी ज्‍यादा लेते हैं. अगर यह पूरा ऑन रिकार्ड आ जायेगा तो क्‍लेम भी पूरा मिल जायेगा, जिसका पैसा लग रहा है और जो अनऑफिसियल पैसा जो मूव हो रहा है, वह रूकेगा और टैक्‍स पूरा सरकार को आयेगा, इसमें हाईएस्‍ट लेवल का है. इसमें डिफरेंसीयेशन यह भी है कि दूसरी करेंसी जो आजकल यूज हो रही है, उसमें अभी तक टैक्‍स नहीं लग रहा था, वह टैक्‍स भी लगना शुरू हो जायेगा. चूंकि यह जो भी है, उसको लीगलाईज प्रॉपर वे हो जाये और जितनी भी यूनिट है, उन सबका रजिस्‍ट्रेशन हो जायेगा, तो प्रशासन को भी पता है कि यहां पर कौन-कौन कर रहा है, तो वह जो उसकी आड़ में जो दुनिया भर के इललीगल काम हो रहे हैं, वह कम होकर लीगलाइज हो जायेगा. इसका उद्देश्‍य सिर्फ इतना ही है कि सरकार में जो अनऑथोराइज्ड वे से ही, चल रहे हैं, उसको हो जाये, ऑनलाईन गेमिंग के लिये अनिवार्य पंजीयन हो जाये क्‍योंकि अभी तक वह प्रापर हो नहीं रहा है. बिना पंजीयन के कई गुना ज्‍यादा हो रहा है, जो पंजीयन से उस सरकार में इललीगल वे से नौजवान ज्‍यादा भटक रहे हैं, उसका सिस्‍टम अडॉप्‍ट हो जाये, इसलिये मैं इस व्‍यवस्‍था को लीगलाईज करने के लिये समर्थन के पक्ष में खड़ा हुआ हूं, धन्‍यवाद.

          श्री रामनिवास रावत -- इसमें मेरी आपत्ति भी है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- रामनिवास रावत जी, यह प्रश्‍नकाल जैसा नहीं है, आप बार-बार बोल रहे हैं, आप एक बार में पूरी अच्‍छे से बात रख लो. आपकी तरफ के दूसरे सदस्‍य भी हैं.

          श्री रामनिवास रावत -- अध्‍यक्ष महोदय, इसमें वित्‍तीय व्‍यवस्‍था है, इसमें वित्‍तीय ज्ञापन नहीं लगा हुआ है, यह अपने आपमें अधूरा है, इसमें वित्‍तीय ज्ञापन साथ में होना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- क्‍या इसमें वित्‍तीय ज्ञापन नहीं है?

          संसदीय कार्यमंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- इस बिल के आने बाद महादेव ऐप जैसे छत्‍तीसगढ़ में हुए न सरकार हिल गई, फिर नहीं होगा(हंसी).. क्रिप्‍टो करेंसी (हंसी)..

          कुंवर अभिजीत शाह ''अंकित बाबा'' (टिमरनी )  -- अध्‍यक्ष महोदय, यह जो मुद्दा है, यह युवाओं से जुड़ा हुआ है और एक युवा विधायक होने के नाते अगर में इस पर चुप रहूंगा, तो यह क्षेत्र के लिये या फिर विधानसभा या पूरे मध्‍यप्रदेश के लिये ठीक नहीं होगा. मैं आपको बताना चाहता हूं कि यहां बैठे हर एक जो हमारे सम्‍माननीय विधायक हैं, उनसे पूछियेगा कि जब वह अपनी विधानसभा में जाते हैं तो ऐसे कई युवाओं की मृत्‍यु पर हमको जाना पड़ता है, जो जुंए सट्टे की लत में आकर आत्‍महत्‍या कर लेते हैं, अगर इसको हम लीगलाईज करते हैं, तो जितने भी युवा इस खेल में फंसकर आत्‍महत्‍या करेंगे तो उन सबके जिम्‍मेदार आज यहां मौजूद सभी लोग होंगे, इसलिये मैं इस पर विरोध दर्ज कराना चाहता हूं( मेजों की थपथपाहट) जैसे कि हमारे सम्‍माननीय ने कहा कि हो तो बहुत कुछ रहा है, तो हो तो रिश्‍वत भी रही है, ले तो लोग रिश्‍वत भी ले रहे हैं, तो क्‍या हम रिश्‍वत को लीगलाईज कर सकते हैं, वैसे ही हम जुंए सट्टे को लीगलाईज नहीं कर सकते हैं, मैं इस विधेयक के विरोध में यहां खड़ा होना चाहता हूं. 

          श्री अभय कुमार मिश्रा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक निवेदन मेरा भी है कि जब अपना काम कर्जे से चल जाता है, वह अभी लगातार मिल ही रहा है तो फिर काहे के लिये अलग से कर रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अभय जी पहले से हाथ उठाना चाहिए, पीछे जिन्‍होंने हाथ उठाया है, मैंने उनको बोलने अनुमति दी है, अब मंत्री जी बोलेंगे.

          उप मुख्‍यमंत्री (वाणिज्यिक कर), (श्री जगदीश देवड़ा) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, समाज में पिछले कुछ वर्षों से इंटरनेट के माध्‍यम से खेले जाने वाले ऑनलाईन गेम जैसे बैटिंग अर्थात सट्टा, जुंआ, लॉटरी, हार्स रेसिंग, घुड़दौड़, केसीनो तथा ऑनलाईन मनी गैमिंग का प्रचलन बहुत बड़ा गया है, जो कि सामाजिक बुराई है, इसका समाज पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, ड्रीम 11 खेलों इंडिया, इंडियन पोकर गेम, जंगली रमी आदि ऑनलाईन गेम में बड़ी मात्रा में राशि में लगाकर यह गेम खेले जा रहे हैं एवं ऐसी पूर्ण राशियों पर सरकार को टैक्‍स भी नहीं मिल पा रहा है, इन सब गतिविधियों को हतोत्‍साहित करने के लिये इनको जीएसटी के दायरे में लाया गया. केन्‍द्र सरकार द्वारा दिनांक 1 अक्‍टूबर 2023 से इन सब ऑन लाइन गतिविधियों पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लागू किया गया है. अध्‍यक्ष महोदय, यह केन्‍द्र से भी लागू है और यह 28 प्रतिशत जीएसटी इन सब पर पहले एंट्री लेते थे, अंदर करोड़ों का काम होता था, यह प्रचलन कोई आज से नहीं है, यह कब से चल रहा है, इसे मध्‍यप्रदेश में लागू करने हेतु विधान सभा सत्र चालू न होने के कारण पहली बार दिनांक 27 सितम्‍बर 2023 को अध्‍यादेश लाया गया था, तत्‍पश्‍चात विधान सभा सत्र में विधेयक प्रस्‍तुत नहीं हो पाने के कारण पुन: इसी विषय पर दिनांक 27 जनवरी 2024 को नवीन अध्‍यादेश लाया गया. अध्‍यक्ष महोदय, अध्‍यादेश के लागू होने से पूर्व ऑनलाइन गेम के आयोजक प्‍लेटफार्म द्वारा ली जा रही शुल्‍क एंट्री फीस पर जीएसटी लिया जाता था, परंतु संशोधन के पश्‍चात ऑनलाइन गेम में भाग लेने वालों द्वारा कुल जमा राशि के आधार पर 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी वसूल किया जायेगा. भारत के बाहर से भी यदि कोई ऑनलाइन प्‍लेटफार्म पर गेम खिलाता है तो ऐसे प्‍लेटफार्म को भी जीएसटी जमा करने हेतु पंजीयन प्राप्‍त करना अनिवार्य किया गया है. अध्‍यक्ष महोदय, यह भारत सरकार से भी आलरेडी यह व्‍यवस्‍था चालू है, 28 प्रतिशत का पूरे देश में जीएसटी इस पर लागू होगा, पहले केवल एंट्री फीस....

          श्री रामनिवास रावत--  कितनी आय संभावित है, यह और बता दें जिससे पूरा प्रदेश चलेगा. जुए, सट्टे से प्रदेश चलेगा क्‍या.

          श्री जगदीश देवड़ा--  मैं सदन के सभी सम्‍मानित सदस्‍यों से आग्रह करूंगा कि इस बिल को पारित करें.

          श्री भंवर सिंह शेखावत--  समाज की सारी गंदगी को लीगलाइज कर देंगे तो काम कैसे चलेगा. ...(व्‍यवधान)...

1.07 बजे                                    बहिर्गमन

                   इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यगणों का सदन से बहिर्गमन

नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- अध्‍यक्ष महोदय, ...(व्‍यवधान).... क्‍या जुएं, सट्टे, ऑनलाइन से ही पूरी सरकार चलाना चाहते हैं. ...(व्‍यवधान).... यहां के युवाओं का क्‍या होगा. युवाओं के बारे में सरकार क्‍या सोच रही है. जितने ऑनलाइन रजिस्‍ट्रेशन हैं, इललीगल कितने चल रहे हैं इसको लेकर आपकी क्‍या पॉलिसी है वह आपने नहीं बताई, हम इसका विरोध करते हैं. इस प्रकार से युवाओं के भविष्‍य के साथ खिलवाड़ होगा, कांग्रेस दल सदन से बहिर्गमन करता है.

          (नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्‍व में शासन के उत्‍तर से असंतुष्‍ट होकर इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यगणों द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया).

...(व्‍यवधान)....

 

          अध्‍यक्ष महोदय--  प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाए.

          प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

          अध्‍यक्ष महोदय--  अब प्रस्‍ताव के खण्‍डों पर विचार होगा.

                                                           

 

        

 


 

1.10 बजे   (6) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय(संशोधन)विधेयक,2024(क्रमांक 8 सन् 2024)

       

          उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री इन्दर सिंह परमार ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय(संशोधन)विधेयक,2024 पर विचार किया जाय.

          अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक,2024 पर विचार किया जाय.

          श्री शैलेन्द्र  कुमार जैन(सागर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो संशोधन विधेयक है यह निश्चित रूप से आज समय की आवश्यकता है. जैसा कि आप सबको विदित होगा कि सागर में स्थित डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनने के पश्चात् वहां के हमारे बुन्देलखण्ड के जो विद्यार्थी थे उनको एडमीशन पाना एकदम कठिन हो गया था और एक राजकीय विश्वविद्यालय की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी और जब माननीय मुख्यमंत्री महोदय का सागर प्रवास हुआ तब इसकी घोषणा हुई थी तो मैं माननीय मुख्यमंत्री  महोदय का, सम्माननीय उच्च शिक्षा मंत्री महोदय का बहुत-बहुत धन्यवाद करना चाहता हूं. साथ ही शहडोल में स्थित एकात्म विश्वविद्यालय केम्पस विश्वविद्यालय था. उसके कार्यक्षेत्र में परिवर्तन किया गया है यह भी स्वागत योग्य कदम है और इस संशोधन विधेयक के माध्यम से जो हमारे विश्वविद्यालय के कुलपति होते हैं उनके नाम में अब कुलपति के स्थान पर उनको कुलगुरु के नाम से जाना जाए,इसका इसमें प्रस्ताव किया गया है. मैं समझता हूं कि यह हमारी भारतीय संस्कृति और और भी ठीक ढंग से रेखांकित और परिभाषित करने वाला शब्द है. मैं इसका स्वागत करता हूं. समर्थन करता हूं.

                                                स्वागत उल्लेख

                                    इन्दौर प्रेस क्लब के पत्रकार गणों का स्वागत उल्लेख

        अध्यक्ष महोदय - इन्दौर प्रेस क्लब के 35 पत्रकार मित्र विधान सभा भ्रमण पर आए हैं. यह सदन उन सबका स्वागत करता है.

          श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज जो मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक में जो महत्वपूर्ण बिन्दु जोड़ रहे हैं. सबसे पहला यह कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति,2020 में विश्वविद्यालयों पर कम दबाव हो, विश्वविद्यालयों में सभी काम सुचारू रूप से चल सके इसका उसमें विशेष ध्यान दिया गया है और इसलिये अभी तक हमारे यहां जो शहडोल विश्वविद्यालय केवल एक महाविद्यालय बनाया गया था उसमें संभाग के अन्य महाविद्यालय संबद्धता नहीं ले सकते थे. एक प्रकार से एकात्म विश्वविद्यालय था. इसलिये इस विधेयक के माध्यम से हम पूरे संभाग के महाविद्यालयों को उससे संबद्धता आगे देने पर  इस विश्वविद्यालय को सुविधा होगी. इसी प्रकार से सागर विश्वविद्यालय एक समय हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय वहां पर बहुत प्रसिद्ध विश्वविद्यालय था लेकिन बीच में वह केन्द्रीय विश्वविद्यालय घोषित होने के बाद वहां किसी प्रकार का विश्वविद्यालय नहीं था और इसीलिये नया विश्वविद्यालय वहां पर रानी अवंतिबाई लोधी के नाम से वहां स्थापित किया जाना तय किया है. उसका भी कार्यक्षेत्र निर्धारण होना है इसलिये सागर और दमोह जिले को उसमें सम्मिलित किया है जिसमें 80 कालेज उसमें रहने वाले हैं क्योंकि हमने शहडोल के साथ में शहडोल,उमरिया तथा अनुपपुर को जोड़ा है इसलिये जो पहले अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय,रीवा के साथ संबद्ध थे. रीवा,सतना,सीधी,सिंगरौली,शहडोल,उमरिया तथा अनूपपुर. अब रीवा,सतना,सीधी,सिंगरौली,मैहर तथा मऊगंज यह अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के साथ इनकी संबद्धता हो जायेगी और 202 कालेज इनके साथ में जुड़ जाएंगे. यह एक प्रकार का सागर विश्वविद्यालय को और दूसरे विश्वविद्यालय को परिसीमन करने के लिये किया गया है. एक महत्‍वपूर्ण जो और हम निर्णय करने जा रहे हैं, अभी तक हमारे विश्‍वविद्यालयों में कुलपति शब्‍द का उपयोग होता था, अंग्रेजी शब्‍द वही वाइस चांसलर है, शब्‍दावली के रूप में कुलगुरु भी कहने की परंपरा कई राज्‍यों ने स्‍थापित की है, और इसलिए इस विधेयक के माध्‍यम से हम अब हिन्‍दी में कुलगुरु नाम से संशोधन कर रहे हैं. साथ ही अंग्रेजी में वाइस चांसलर ही रहेगा. एक प्रकार से अब कुलपति शब्‍द का उपयोग हमारे विश्‍वविद्यालयों में नहीं होगा. भारत की मान्‍य परंपराओं को ध्‍यान में रखते हुए विश्‍वविद्यालयों में कुलगुरु की परंपरा है, जिसके कारण श्रृद्धा और विश्‍वास शिक्षा जैसे महत्‍वपूर्ण कार्य के प्रति एक भाव प्रकट होगा. पारिवारिक भाव प्रकट होगा. इस प्रकार के उद्देश्‍य के साथ में इस विधेयक में तीनों बातों का समावेश करने जा रहे हैं. मैं समझता हूँ सदन मेरी बात से सहमत होगा, सभी इसका सर्वसम्‍मति से समर्थन करेंगे.

            अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार किया जाय.

         

                                                                   प्रस्‍ताव सर्वानुमति से स्‍वीकृत हुआ.

 

          अध्‍यक्ष महोदय -- अब विधेयक के खण्‍डों पर विचार होगा.

 

          प्रश्‍न यह है कि खण्‍ड 2 से 4 इस विधेयक का अंग बने.

 

सर्वानुमति से खण्‍ड 2 से 4 इस विधेयक के अंग बने.

 

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न यह है कि खण्‍ड 1 इस विधेयक का अंग बने.

 

 

सर्वानुमति से खण्‍ड 1 इस विधेयक का अंग बना.

 

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

 

 

सर्वानुमति से पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.

 

          उच्‍च शिक्षा मंत्री (श्री इन्‍दर सिंह परमार) --  अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रस्‍ताव करता हूँ कि मध्‍यप्रदेश विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाय.

         

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ कि मध्‍यप्रदेश विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाय.

 

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न यह है कि मध्‍यप्रदेश विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया जाय.

 

प्रस्‍ताव सर्वसम्‍मति से स्‍वीकृत हुआ.

 

विधेयक पारित हुआ.

 

 

 

 

 

 

1.18 बजे        7. वर्ष 2013-2014 की अधिकाई अनुदानों की मांगों पर मतदान.

          श्री बाला बच्‍चन (राजपुर) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि ये 31 मार्च, 2014 को समाप्‍त होने वाले वित्‍तीय वर्ष की बात है. इसके बाद कार्यसूची के 9 नंबर पर भी यह आ रहा है कि 31 मार्च, 2017 को समाप्‍त होने वाले वित्‍तीय वर्ष की अनुदान संख्‍याओं पर अधिक मांग की गई है. एक तो मांग संख्‍या दोनों में रिपीट हो रही है कि दोनों में मांग संख्‍या 02 है और 31 मार्च, 2014 को समाप्‍त होने वाले वित्‍तीय वर्ष में मांग संख्‍या 21 भी है, जिसमें लोक सेवा प्रबंधन आता है. मांग संख्‍या 02 विमानन से संबंधित है. आप अठारस करोड़, अठारह लाख, चालीस हजार रुपये अधिक की मांग कर रहे हैं तो आपने अभी जो द्वितीय अनुपूरक अनुमान बजट प्रस्‍तुत किया था, उसमें इसका डिटेल या फिर अभी इसका डिटेल कि कितने प्रतिशत अधिक आप ले रहे हैं और उस मांग संख्‍या में पहले कितना बजट रखा गया था, उसका कितना आधिक्‍य है, कितने प्रतिशत आधिक्‍य है, ये डिटेल और इसकी जानकारी हम लोगों की और सदन की जानकारी में आना चाहिए, नहीं तो फिर अभी हम लोगों ने अनुदान मांगों पर जो बोला है और उसके बाद आपका लेखानुदान आ रहा है, लगभग एक लाख उन्‍नीस हजार चार सौ तिरेपन करोड़, चार लाख, सत्‍तर हजार रुपये का और उसके पहले आपने अट्ठाईस हजार छ: सौ पचपन करोड़, पन्‍द्रह लाख, तेरह हजार, एक सौ बयालीस रुपये का द्वितीय अनुपूरक अनुदान, जो अभी हमसे स्‍वीकृत करवाया है, पास करवाया है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह आधिक्‍य बर्बादी है. यह मध्‍यप्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई की फिजूलखर्ची है, बर्बादी है. माननीय मंत्री जी, आपको इसका डिटेल हम लोगों को बताना चाहिए और सदन को विश्‍वास में लेना चाहिए. यह सदन का भी भरोसा तोड़ने वाला मामला है और मैं तो इससे सहमत नहीं हूँ. माननीय मंत्री महोदय को इस पर डिटेल जानकारी देना चाहिए और अधिक खर्च नहीं होना चाहिए.

          श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि हर वर्ष बजट बनता है, हर वर्ष पारित होता है, हम लोग हाथ उठाते हैं, सर्वसम्‍मति या ''हां'' की जीत के साथ पारित होता है और एक वर्ष के लिए होता है. आप वर्ष 2013- 2014 के आधिक्‍य के लिए राशि मांग रहे हैं. यह स्‍पष्‍ट होना चाहिए, इसके साथ-साथ वर्ष 2013- 2014 में उक्‍त मांगों के अंतर्गत कितनी राशि का प्रावधान इन विभागों के लिए किया गया था ? जो आधिक्‍य व्‍यय हुआ है, वह क्‍यों हुआ ? किस कारण से हुआ और क्‍यों इतना विलंबित हुआ कि वर्ष 2013- 2014 का आधिक्‍य अब प्रस्‍तुत हुआ है ? यह 8 वर्ष के बाद प्रस्‍तुत हुआ है और इसमें लोक लेखा समिति ने आपत्ति भी ली है कि भविष्‍य में प्रशासकीय विभाग द्वारा व्‍यय के आंकड़ों का पुनर्मिलान समय-सीमा से किया जाना सुनिश्चित होगा. यह तो पुनर्मिलान की बात है. लेकिन वह राशि कहां पर व्‍यय हुई ? जैसा कि हमारे माननीय सदस्‍य श्री बाला बच्‍चन जी ने कहा कि विमान से अधिक यात्रा करने में खर्च की गई, किस कार्य के लिए राशि खर्च की गई, मीटिंग में टेंट का बिल अधिक प्रस्‍तुत करने में खर्च की गई, यह स्‍पष्‍ट होना चाहिए. प्रदेश की जनता की टैक्‍स की गाढ़ी कमाई को हम यहां आधिक्‍य व्‍यय को जोड़ने के लिए अनुमोदित कर रहे हैं, तो माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह स्‍पष्‍ट ब्‍यौरा माननीय मंत्री जी हमें दें, अब पारित तो होना ही है, बहुमत से पारित होगा. लेकिन ब्‍यौरा पटल पर प्रस्‍तुत करें, हमें जानकारी मिले, तो हम भी संतुष्‍ट रहें. सदन से पारित तो कराना होता ही है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि एक तरह से इसे वित्‍तीय अनियमितता कह सकते हैं.

          श्री बाला बच्‍चन - नहीं, यह वित्‍तीय घोटाला है.

          श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नहीं, इसे घोटाला तो नहीं कहेंगे. इसे वित्‍तीय भूल कहेंगे, लेकिन यह वित्‍तीय अनियमितता के अंतर्गत तो आती है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम माननीय मंत्री जी से यही अपेक्षा करेंगे कि चूँकि यह सदन से पारित होता है, तो सदन जानना भी चाहता है कि यह आधिक्‍य किस चीज में व्‍यय हुआ और कितना बजट प्रस्‍तावित किया गया था ? बजट के अंतर्गत व्‍यय होने के बाद यह आधिक्‍य किस चीज में व्‍यय हुआ ? इसकी पूरी डिटेल मंत्री जी प्रस्‍तुत करें.

          उप मुख्‍यमंत्री, वित्‍त (श्री जगदीश देवड़ा) - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वित्‍तीय वर्ष 2013- 2014 के मतदत्‍त अनुदानों एवं पारित विनियोगों पर आधिक्‍य व्‍यय राशि रुपये अठारह करोड़, सैंतीस लाख, इक्‍यानवे हजार रुपये सामान्‍य प्रशासन विभाग में आधिक्‍य व्‍यय जिला स्‍तर पर बैंकों से स्‍वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भुगतान की गई मासिक पेंशन की राशि में हुआ. बैंकों से गई राशि के आंकड़े विभाग में नहीं पहुँचने एवं महालेखाकार कार्यालय से आंकड़ों का मिलान समय-सीमा में न होने के कारण आधिक्‍य की स्थिति निर्मित हुई. लोक लेखा समिति द्वारा इस व्‍यय को आवश्‍यक मानते हुए नियमन की अनुशंसा की गई. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उसमें वहां से विलम्‍ब हुआ.                 

          अध्‍यक्ष महोदय :- प्रश्‍न यह है कि-

           "दिनांक 31 मार्च, 2014 को समाप्‍त हुये वित्‍तीय वर्ष में अनुदान संख्‍या 02 एवं 21 के लिए  स्‍वीकृत राशि के अतिरिक्‍त किये गये समस्‍त आधिक्‍य व्‍यय की पूर्ति के निमित्‍त राज्‍यपाल महोदय को अठारह करोड़, अठारह लाख, चालीस हजार रुपये की राशि दिया जाना प्राधिकृत किया जाय."

 

आधिक्‍य मांगों का प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.

 

          श्री बाला बच्‍चन-  अध्‍यक्ष महोदय, इसमें दो अनुदान मांगें थीं. मंत्री जी ने केवल विमानन से संबंधी मांग क्रमांक 02 का ही उल्‍लेख किया है. लोक सेवा प्रबंधन से संबंधित 21 नंबर की अनुदान मांग है, इसमें उसका कोई उल्‍लेख नहीं किया गया है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पहले मंत्री जी ने जो उल्‍लेख किया है, इसमें मांग 18 करोड़, 18 लाख, 40 हजार रुपये की मांग की गई है और इसमें खर्च बताया गया है,  18 करोड़ 37 लाख रुपये की, पुन: बताई जा रही है. इसमें फिर चक्‍कर पड़ेगा और इन्‍हें फिर 15-16 लाख रुपये के लिए, आना पड़ेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय-  मंत्री जी, आपसे व्‍यक्तिगत रूप से मिल लेंगे.

          वित्‍त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लोक लेखा समिति के सभापति, विपक्ष के सदस्‍य ही होते हैं, लोक लेखा समिति ने इसे कर दिया है.

          श्री बाला बच्‍चन-  मंत्री जी, आपने इसमें 21 नंबर अनुदान मांग, लोक सेवा प्रबंधन का कोई उल्‍लेख नहीं किया है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  बाला जी, मंत्री जी, का कहना है कि लोक लेखा समिति ने इसका रिव्‍यू कर लिया है. मेरे विचार से अब आगे बढ़ा जाये.  

 

 

12.27 बजे

 

शासकीय विधि विषयक कार्य

         

 

 

 

                                                                          प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ.

    विधेयक पारित हुआ.

 

                                                                                                     

           अध्‍यक्ष महोदय-  सदन की कार्यवाही अपराह्न 03.00 बजे तक के लिए स्‍थगित.

(01.29 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)

 

 

 

 

 

 

 

 

3.07 बजे                  {अध्‍यक्ष महोदय (श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}

                           वर्ष 2016-2017 की अधिकाई अनुदानों की मांगों पर मतदान

         

 

 

 

 

 

3.08 बजे                        शासकीय विधि विषयक कार्य

         मध्‍यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2024

 

 


 

            उप मुख्यमंत्री (वित्त) (श्री जगदीश देवड़ा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.

          अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.

          प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2024 पारित किया जाए.                

                                                                   प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.

          विधेयक पारित हुआ.

 

3.11 बजे 

वर्ष 2024-2025 के वार्षिक वित्तीय विवरण पर चर्चा

          अध्यक्ष महोदय -- अब, वर्ष 2024-2025 के वार्षिक वित्तीय विवरण पर चर्चा प्रारंभ होगी.

          श्री अभय कुमार मिश्रा (सेमरिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट 28 हजार करोड़ से अधिक का आया था और अभी हम फिर से एक लाख उन्नीस हजार चार सौ तिरेपन करोड़, चार लाख, सतहत्तर हजार रुपए की धनराशि के लेखानुदान का पुर:स्थापन कर रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय, इसमें भारित से मतलब है पूर्व से कमिटेड होना, अर्थात् हमको वह देना ही है. मतदेय का मतलब है कि आने वाले खर्चों के लिए मांग का स्थापन करना, राजस्व का मतलब है कि रेग्यूलर खर्च, पूंजी का मतलब है कि जो वर्तमान समय में अगले चार माह हेतु जरुरत है. इसमें मांग संख्या 045 पर आपका ध्यान ले जाना चाहते हैं. केवल इकलौती यह मांग संख्या है लोक परिसम्मत्ति प्रबंधन विभाग, हालांकि यह भी अपनी सम्पत्ति बेचकर है. परन्तु स्वावलम्बी मध्यप्रदेश की ओर कि हम बिना कर्ज के अपने पैरों पर खड़े हैं चाहे अपनी ही सम्पत्ति बेचकर खड़े हैं. इसमें जो पूंजी है वह 26 करोड़, 3 लाख, 22 हजार रुपए है. इसके अलावा बाकी किसी में भी देखो, जैसे पहले आ जाइए सबसे शुरु में जो लिखा है भारित विनियोग, ब्याज अदायगी और ऋण सेवा. इसकी अगर हम स्थिति देखते हैं तो 10 हजार 621 करोड़, 32 लाख रुपए हमको अभी इनका ब्याज देना है. इसके अलावा 13 लाख, 924 करोड़ रुपए अभी हमें फिर से कर्ज उठाना है. इसके बाद विमानन देख लेते हैं. इसमें रेग्यूलर खर्च में हमें ऐसा लगता है कि इस राशि को हम बचा सकते थे. पर्यावरण में रेग्यूलर खर्च नए काम शून्य हैं. रेग्यूलर खर्च के नाम पर हमारा इतना अधिक पैसा जा रहा है. दूसरी तरफ हम पर्यावरण पर एक भी नया मद नहीं ले रहे हैं. जबकि यह वर्तमान समय की आवश्यकता है. जेल में भी पूंजी की कोई जरुरत नहीं है. इसमें जो दर्शाया गया है उसमें भी हमें मानवता के नाम पर लोगों को थोडा सा बेहतरी की जिंदगी देने के हिसाब से हमें इसमें मद लेना चाहिये था. वाणिज्यिक कर विभाग तो कमाई करने के लिये है ना. सेल्‍स टैक्‍स, इस बात के लिये यह विभाग बना है कि यह मध्‍यप्रदेश के लिये कुछ पूंजी खडा करेगा फिर हमको इसमें क्‍यों इतनी जरूरत पड रही है ? जबकि मार्च आ रहा है, यह म‍हीना तो कलेक्‍शन का होता है, हमें अधिक से अधिक पैसा कलेक्‍ट करके आ जाना चाहिये. 009 नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, आज से 10 वर्ष पहले उस टाइम में मुझे अच्‍छे से याद है, मैंने नेट पर देखा था बहुत सारे काम नवकरणीय ऊर्जा में, मैं सोलर लाईट और विंड एनर्जी की बात नहीं कर रहा हूं, हाईडल प्रोजेक्‍ट के काम पर उस समय सब्सिडी बहुत तेजी से आई थी कि सब्सिडी देना है. 600 करोड रुपये की सब्सिडी दी गई थी. आज एक भी हाईडल प्रोजेक्‍ट मध्‍यप्रदेश में स्‍टेबिलिश नहीं है. साऊथ के कॉन्‍ट्रेक्‍टर और साऊथ की कंपनियों के नाम पर वह प्रोजेक्‍ट मंजूर हुये और उनका आज भी कोई अता-पता नहीं है. पुन: हम इसमें 976 करोड रुपये देने जा रहे हैं. इसके अलावा औद्योगिक नीति एवं निवेश विस्‍तार इसमें केवल हम 578 करोड रुपये रेग्‍युलर मांग रहे हैं. मतलब जो एक तरह से राजस्‍व खर्च है हम इसके लिये अलग से नहीं मांग रहे हैं. हम कहते हैं कि हम निवेश करेंगे, प्रोत्‍साहित करेंगे, किसानों से जुडे उद्योग लाएंगे, एमएसएमई उद्योग लगाएंगे, जब हम बजट में उसका प्रावधान ही नहीं कर रहे हैं, हम वोट कबाडने वाली योजनाओं पर, लोगों को खुश करने वाली योजनाओं पर तो बहुत बजट ला रहे हैं लेकिन जिससे हमारे मध्‍यप्रदेश का मूलभूत किसान या मध्‍यप्रदेश संपन्‍न हो उसके लिये बजट का प्रावधान नहीं किया. ऊर्जा में भी पूंजी हमारी 382 करोड है, राजस्‍व 405 करोड रुपये मतलब राजस्‍व का खर्चा ज्‍यादा है. हम तनख्‍वाहों में ज्‍यादा दे रहे हैं. किसान कल्‍याण तथा कृषि विकास में अगर हम देखें तो रेग्‍युलर खर्च हमारा 958 करोड, 80 लाख है और इसमें जो हमने मांग की है 5 करोड, 79 लाख की मांग की है. कैसे मध्‍यप्रदेश   चलेगा ? हमारी तनख्‍वाह और जो यह रेग्‍युलर हमने बना रखी है इन सबमें हमारा पैसा जा रहा है और हम लगातार कर्ज उठाते जा रहे हैं और नई चीजें जो करनी हैं,  जो वास्‍तव में जनता को लाभान्वित करने वाली हैं उसमें तो हम कुछ खास ले नहीं रहे हैं. फिर हम आ जाते हैं मोटे-मोटे में, आगे बढ जाते हैं, लोक निर्माण विभाग यह सब विभाग जिनमें काम करना है, इनमें मैं क्रिटिसाइज नहीं करूंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय, खनिज साधन तो हमारे लिये आय कमाने का है. अवैध उत्‍खनन के नाम पर सदन में चिंघाड मची हुई है. पत्‍थर उत्‍खनन तमाम हो रहा है. कुल मिलाकर पैसे के लिये ही यह सब हो रहा है. फिर गवर्नमेंट माइनस में क्‍यों है ? इसके लिये भी हम क्‍यों मांग रहे हैं ? चाहे हम अनुपूरक बजट से मांग रहे हों, चाहे लेखानुदान से मांग रहे हों, विनियोग विधेयक में मतलब इसके लिये हमें 477 करोड रुपये की क्‍यों जरूरत पड रही है ? राजस्‍व में सैलरी बांटने में और पूंजी में 384 करोड, 60 लाख की जरूरत पड रही है. यह बात हमारे गले से नहीं उतर रही है. राज्‍य विधान मंडल में पढने में यह जरूर समझ में आया कि हमारी यह विधान सभा बहुत कीमती है, इसमें जनता का बहुत कीमती पैसा लगा होता है, इसका एक-एक मिनट कीमती है, इसका हम बेहतर उपयोग कर सकें. जनसंपर्क के लिये हम पुन: इतने पैसे का इंतजाम कर रहे हैं, जब हमारा काम अच्‍छा है, तो जनता खुद ही जानेगी, प्रचारित करने के लिये 289 करोड, 49 लाख, 58 हजार रुपये की 4 महीने के लिये फिर क्‍या जरूरत आ पडी ? परिवहन भी तो कमाई करने वाला विभाग है. परिवहन में आप हमारे रीवा में देख लीजिये 7-7 साल से एक ही व्‍यक्ति पदस्‍थ हैं. हमारे यहां के मनीष त्रिपाठी वहीं के रहने वाले हैं, रीवा में ही पढे हैं 7 साल से हैं. कोई ट्रक वाला, वहां से गुजरने वाले आदमी पर किस तरह से अत्‍याचार हो रहा है. फिर यह जो वसूली आ रही है इतनी बुरी तरह से जनता भी त्रस्‍त है और इधर हम कर्ज भी लेते जा रहे हैं. हम चार माह के लिये परिवहन में भी 62 करोड, 20 लाख, 63 हजार की रुपये की मांग कर रहे हैं ? पर्यटन के क्षेत्र से हमें कमाई होनी चाहिये, पर्यटन की हम बहुत दुहाई देते हैं, लेकिन आप देखिये, चाहे इसका राजस्‍व हो 48 करोड से अधिक की मांग की है और चाहे उसमें पूंजी हो, उसमें भी हम 60 करोड, 80 लाख, 11 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं. फिर  पंचायतों में  जो हमने पैसा मांगा है,  इसमें  पंचों के लिये  कोई व्यवस्था नहीं की है.  इसमें जो छोटे जन प्रतिनिधि हैं,  अभी मैं उसको डिटेल में पढ़ रहा था,  किसी को कुछ नहीं ë