मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा पंचदश सत्र
जुलाई,2023 सत्र
बुधवार, दिनांक 12 जुलाई, 2023
(21 आषाढ़, शक संवत् 1945 )
[खण्ड- 15 ] [अंक- 2 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 12 जुलाई, 2023
(21 आषाढ़, शक संवत् 1945 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
सूरजपुरा वनखंड में शामिल निजी भूमि.
[वन]
1. ( *क्र. 878 ) श्री आलोक चतुर्वेदी : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनुविभागीय अधिकारी छतरपुर के समक्ष सूरजपुरा वनखंड में किस ग्राम की कितनी भूमियों से संबधित भा.व.अ. 1927 की धारा 5 से 19 तक की जांच का प्रकरण कब से लंबित है? लंबित प्रकरण में बताई गई भूमि में से किस खसरा नं. का कितना रकबा वर्तमान में किस किसान का नाम भू-स्वामी, पट्टाधारी, अहस्तांतरणीय दर्ज है? पृथक-पृथक बतावें। (ख) भू-स्वामी हक में दर्ज तथा अहस्तांतरणीय दर्ज किस खसरा नं. के कितने रकबे का वनखंड से पृथक किए जाने के संबंध में अनुविभागीय अधिकारी ने मुख्य सचिव, म.प्र. शासन के आदेश दिनांक 01 जून, 2015 से प्रश्नांकित दिनांक तक क्या कार्यवाही की है? कलेक्टर ने प्रमुख सचिव, वन विभाग के आदेश दिनांक 4 जून, 2015 के तहत क्या कार्यवाही की है? (ग) किस ग्राम की किस किसान के नाम पर दर्ज किस खसरा नं. के कितने रकबे को विधानसभा के प्रश्न क्र. 824, दिनांक 21.12.2022 में अतिक्रमणकारी दर्शाया गया है? भा.व.अ. 1927 एवं भू-राजस्व संहिता 1959 की किस धारा में भू-स्वामी किसानों या पट्टाधारियों को अतिक्रमणकारी दर्शाये जाने, प्रतिवेदित किए जाने का अधिकार दिया है? (घ) प्रश्न क्रमांक 824, दिनांक 21.12.2022 के उत्तर में किसानों को अतिक्रमणकारी दर्शाकर पटल पर जानकारी प्रस्तुत करने वालों के विरुद्ध शासन क्या कार्यवाही कर रहा है अथवा कब तक करेगा?
वन मंत्री (कुंवर विजय शाह) - अध्यक्ष महोदय,
श्री आलोक चतुर्वेदी - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में माननीय मंत्री महोदय का जो उत्तर मुझे मिला है. इस प्रश्न में मुझे अतिक्रमणकारी नहीं माना गया है. पिछली बार सदन में मेरा प्रश्न क्र.824 था 21 दिसम्बर,2022 को जिसमें मुझे और मेरे परिवार को अतिक्रमणकारी माना गया और आज मुझे सदन में यह जवाब मिल रहा है कि अतिक्रमणकारी नहीं हूं तो क्या सदन को गुमराह किया जा रहा है कि सदन में इस तरह की अधिकारियों के द्वारा जो भ्रामक जानकारी दी जा रही है और मुझे जानबूझकर बदनाम करने की साजिश और मेरे ऊपर दबाव बनाने की कोशिश की गई है. यह माननीय मंत्री महोदय ऐसे अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही होगी और इसके लिये जिम्मेदार व्यक्ति को आप कब तक क्या सजा देंगे एक बात.
श्री आलोक चतुर्वेदी--दूसरी बात यह ठीक है कि मेरा मामला सदन में आ गया मुझे अधिकारियों ने अतिक्रमण से मुक्त कर दिया. छतरपुर में लाखों हैक्टेयर जमीन में वन विभाग काबिज है. जबकि वह निजी भूमियां हैं या पूरे प्रदेश में ऐसी भूमियां हैं जिन पर विन विभाग आधिपत्य बता रहा है, जब कि वह निजी भूमियां हैं, किसानों की भूमियां हैं. यहां चीफ सेक्रेट्री जी के पत्र में उल्लेख है कि एक लाख एकड़ या हैक्टेयर जमीन ऐसे कृषकों की है जिन पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. वह आज भी परेशान घूमते हैं. आये दिन उनके ऊपर मुकदमें बनते हैं आये दिन उन्हें परेशान किया जाता है. मेरा इसमें यह कहना है कि क्या कार्यवाही होगी और साथ में यह मामला सूरजपुर वनखण्ड का है. प्रदेश में यह पूरी कार्यवाही चल रही है. 2015 में इसमें प्रमुख सचिव अथवा मुख्य सचिव जी का पत्र है उस पर क्या कार्यवाही हो रही है और अभी तक क्यों नहीं हुई है ?
11.06 बजे
स्वागत उल्लेख
श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, केन्द्रीय मंत्री जी का सदन में स्वागत
अध्यक्ष महोदय--आज सदन की दीर्घा में माननीय केन्द्रीय मंत्री श्री फग्गनसिंह कुलस्ते जी उपस्थित हैं. सदन की ओर से उनका स्वागत है.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमशः)
कुंवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति से माननीय विधायक जी को बतलाना चाहता हूं कि फारेस्ट और रेवेन्यू विभाग के बीच में जो जमीन के विवाद हैं. वह लगभग हर जिले में हैं उनको ओरेंज लेंड के नाम से चिन्हित किया गया है. वन व्यवस्थापन अधिकारी हमने हर जिले में जवाबदारी दी है. इसमें एसडीएम लेवल का अधिकारी होता है वह विभाग को जानकारी देता है. छतरपुर वन व्यवस्थापन की मैं बात करूं. सन् 1957 में व्यवस्थापन हुआ उसके बात 1977 में हुआ, फिर 1987 में हुआ. क्योंकि यह वनखण्ड माननीय विधायक जी जिनकी जानकारी दे रहे हैं, यह जंगल के अंदर है. जंगल के अंदर होने के कारण सन् 1957 में, 1977 में, 1987 में वन विभाग ने उनको पूरा वन घोषित करने के लिये शासन से निवेदन किया है. उसके बाद अभी जो जानकारी माननीय विधायक जी ने कही कि यह बात सच है कि पिछली बार की जानकारी अलग थी और इस बार की जानकारी अलग है. यह दो विभागों का मामला है. कई बार रेवेन्यू और फारेस्ट के अधिकारी से हमने जवाब भी मंगवाया था वह समय सीमा में जवाब रेवेन्यू विभाग से नहीं आया आपका जो दिसम्बर का प्रश्न था 21 तारीख का. मैं माननीय विधायक जी को संतुष्ट करना चाहता हूं कि उनको आप अन्यथा ना लें.
श्री आलोक चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय, यह पूरा मामला अखबारों में छप रहा है कि मेरा पूरा परिवार अतिक्रमणकारी है. यह स्थिति बनेगी माननीय मंत्री जी.
कुंवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी आप मेरा जवाब सुन लें. उसके बाद में जो भी शंका होगी उसका मैं जवाब दूंगा. 21 तारीख को आपका प्रश्न था, 2 तारीख को वन विभाग ने रेवेन्यू विभाग को लिखा कि यह जो वनखण्ड हैं जहां पर माननीय जी को अतिक्रमणकारी माना अथवा नहीं माना उसकी आप जानकारी दें. समय सीमा में रेवेन्यू विभाग से जवाब नहीं आया इसलिये वन विभाग ने वही जवाब दिया इसलिये मैं आपको दोषी नहीं मानता हूं. वन विभाग ने वही जवाब दिया जो उस समय डिमाण्ड की थी उस समय 1987 के आधार पर. जिन्होंने अपना पट्टा-वट्टा दिया उनको तो उन्होंने बता दिया. अभी यह अभिलेख अप्राप्त है. यह कहा गया कि 1980 के पहले से विधायक जी का कब्जा है. लेकिन कोई अभिलेख इसमें नहीं हैं. इसकी हम जांच करवा लेंगे एक वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर के ओरिजनल स्थिति क्या है ?
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी इसमें दो प्रश्न उद्भूत हो रहे हैं. नंबर एक हो रहा है कि एक बार विधायक को दो तरह की जानकारी दी रही है. नंबर दो विधान सभा के प्रश्नों को आपके अधिकारी गंभीरता से नहीं लेते. लगे हुए प्रश्नों का राजस्व विभाग यह कहकर टालने का प्रयास कर रहा है कि यह विधानसभा के लिये उसकी प्रतिष्ठा के लिये प्रश्न चिह्न हो सकता है इसलिए आपसे आग्रह है कि इस पर कार्यवाही करिये.
कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से जिन अधिकारियों ने भी लापरवाहीपूर्वक करके अगर जवाब ऊपर नीचे दिया है, हम 15 दिन के अंदर दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही करेंगे.
श्री आलोक चतुर्वेदी -- माननीय मंत्री जी, उन अधिकारियों को.
अध्यक्ष महोदय -- श्री आलोक जी आप बैठ जायें, मैं आपको फिर मौका दूंगा. डॉ.गोविन्द सिंह जी बोल रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अकेले छतरपुर जिले में, करीब 4 लाख हेक्टेयर किसानों की भूमि, जो विन विभाग में दिखाई गई है, जबकि वह राजस्व की है.
अध्यक्ष महोदय -- डॉ.गोविन्द सिंह जी, अभी तो यह उनका प्रश्न पूरा नहीं हुआ है, मैंने सोचा आप मेरे वाले में खड़े हो रहे हैं, अभी तो श्री आलोक जी का प्रश्न हो जाये, फिर आप बोलियेगा.
श्री आलोक चतुर्वेदी -- माननीय मंत्री जी आपने 15 दिन का समय इसमें कहा है, यह मामला ऐसा है, सदन से जुड़ा हुआ मामला है, इसमें उन अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्यवाही होना चाहिए(मेजों की थपथपाहट) जिससे उनको यह संदेश जाये कि हम सदन की अवमानना करेंगे, या सदन के खिलाफ या सदन के किसी सदस्य के खिलाफ हम इस तरह की कोई कार्यवाही सदन को भेजेंगे तो उनको यह सबक मिलना चाहिये, माननीय मंत्री महोदय उन पर तत्काल कार्यवाही होना चाहिये, मेरा आपसे अनुरोध है कि इसमें आप 15 दिन का समय न लेते हुए तत्काल कार्यवाही करने के लिये आप आश्वस्त करायें, यही मेरा आपसे अनुरोध है.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, सदन से निलंबित किया जाना चाहिए, यही सस्पेंड करिये. सस्पेंड करने की घोषणा सदन में करें(व्यवधान)
श्री आलोक चतुर्वेदी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में घोषणा होना चाहिये.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल ''हनी'' -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी विधायक चाहते हैं कि इस तरह की एक कार्यवाही दे दें, जिससे एक उदाहरण बन जाये कि इस तरह से किसी विधायक पर टारगेट बनाकर आगे कार्यवाही न हो. एक ऐसा आपकी तरफ, सभी विधायकों की तरफ से हो जाये. (व्यवधान) ....
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय मंत्री जी आज चमत्कारी आदेश दे दो. (व्यवधान)
श्री कांतिलाल भूरिया -- माननीय मंत्री जी 15 दिन के बजाय आज ही घोषणा करना चाहिए. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- श्री सज्जन सिंह जी, आलोक जी, कांतिलाल भूरिया, अरे वह ऐसे मंत्री हैं जो सीधे घोषणा करते हैं, आप सब जानते हैं, तो कम से कम उनके उत्तर पर आप प्रश्न चिह्न मत लगाओ. (व्यवधान)
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, आप घोषणा कर दें, यह गलत तरीका है, अगर हाउस में आप इंटरवीन कर रहे हैं, उसके बाद भी कार्यवाही नहीं होगी, आप ने खुद कहा कि गलत हुआ, एक गलत संदेश जाता है विधानसभा के बाहर, हम विधानसभा में बैठे क्यों हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- कार्यवाही करने का मैंने कह दिया है. मैंने इंटरवीन किया था. मेरे इंटरवीन करने के बाद उन्होंने कार्यवाही के लिये कह दिया है. (व्यवधान)
श्री कांतिलाल भूरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके निर्देश के बावजूद भी मंत्री जी आना कानी कर रहे हैं, 15 दिन का समय क्यों मांग रहे हैं, आज ही आप हाउस में घोषणा करें, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही होना चाहिये, आप बचाने में लगे हुए हैं यह क्या तरीका है.
अध्यक्ष महोदय -- अरे भूरिया जी बैठ जायें. डॉ. गोविन्द सिंह जी बोलेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अकेले छतरपुर में करीब 4 लाख हेक्टेयर भूमि है, पूरे प्रदेश में लाखों हेक्टेयर भूमि ऐसी हैं, जिनमें किसान के नाम राजस्व में है लेकिन वन विभाग के और फॉरेस्ट वाले अधिकारियों ने गलत तरीके से उनको खेती करने से वंचित किया है, लाखों परिवार इससे पीडि़त हैं, हम माननीय मंत्री जी से अनुरोध करते हैं कि क्या सरकार समय सीमा में जो भूमि विवाद है राजस्व का और आदिवासियों का, क्या उसको अतिशीघ्र निराकरण करके कर देंगे ताकि किसान अपनी भूमि को, करीब पूरे प्रदेश में लाखों किसान ऐसे हैं, जिनके पास भूमि होने के बाद भी खेती पर फॉरेस्ट वाले नहीं जाने दे रहे हैं, इसमें शायद आपके इलाके के सभी जिलों में यह हालत है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, पर क्या यह इस प्रश्न से उद्भूत हो रहा है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- मैं चाहता हूं कि मंत्री जी इसको कितनों दिनों में करा देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- क्या यह प्रश्न इससे उद्भूत हो रहा है.
डॉ.गोविन्द सिंह -- हां, इसी में है, इसमें उल्लेख है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, वह पर्टिकुलर उठा रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह -- आपके प्रश्न में इस बात का उल्लेख है, किसान खेती नहीं कर पा रहे है .
अध्यक्ष महोदय -- वह तो छतरपुर का है.
डॉ.गोविन्द सिंह -- हां तो पूरे प्रदेश में कर दें,ऐसी स्थ्िाति सब जगह है, यह किसानों के हित का मामला है, अगर सरकार किसानों की शुभचिंतक है तो आपको करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय -- (श्री सोहनलाल बाल्मीक,सदस्य के अपने आसन पर खड़े होने पर) आप बैठ जायें, कम से कम इनका तो ख्याल रखो, डॉ.नरोत्तम मिश्र जी खड़े हों, तब आप खड़े हो जाये तो ठीक है, लेकिन नेता प्रतिपक्ष खड़े हों, तब तो कम से कम मत खड़े हों.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा था कि डॉ.नरोत्तम मिश्र जी ने इशारा कर दिया था विजय शाह जी को कि आप शांत बैठ जाओ, इसलिये वह निर्णय नहीं ले रहे थे, वह निर्णय ले सकते हैं, परंतु इशारा वहां से हो गया है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप बैठ जायें. श्री कमलनाथ जी बोलेंगे.
श्री कमलनाथ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे जुड़ा हुआ एक मसला है जो फॉरेस्ट राईट एक्ट अधिकार अधिनियम है, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से आग्रह करूंगा कि इसके आंकड़े हैं कि कितने इनको आवेदन आये, कितने स्वीकार करे गये और कितने निरस्त करे गये, इसमें जब आप इसकी सूची मंगायेंगे तो आप देखेंगे कि करीब 50 प्रतिशत, 60 प्रतिशत, 70 प्रतिशत निरस्त करे गये हैं. जब मैं मुख्यमंत्री था. मैंने कलेक्टरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की थी, मैंने उन्हें कहा था कि निरस्त का कारण क्या है. ये निरस्त के कारण भी ऐसे ढीले-ढाले थे कि नंबर सही नहीं है, पटवारी का सिग्नेचर नहीं है, तो मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि जो भी ऐसे आवेदन आए. एक तो है, जहां आवेदन ही नहीं है ये एक केटेगरी हो गई, एक है कि आवेदन आए हैं, उन आवेदनों पर पूरी कार्यवाही करें, खास करके उन पर जो निरस्त किए गए, जो गलत तरीके से निरस्त किए गए. इन्होंने कहीं 25 प्रतिशत स्वीकार कर लिए, कहीं 30 प्रतिशत, बाकी इन्होंने पेंडिंग नहीं रखे, इन्होंने निरस्त कर दिए, जो मैंने देखा अधिकतक 80 प्रतिशत जो निरस्त किए गए वह गलत निरस्त किए गए.
कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्री जी को बतलाना चाहता हूं कि आदिवासियों के मामले में हमने पट्टों के मामले में गंभीरता से तीन तीन बार, उन चीजों को माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्वयं देखा है और जो निरस्त हुए.
श्री तरुण भनोत - पांव सही धोये या गलत धोये हैं, ये बता दीजिए.
कुंवर विजय शाह - आप ही बोल लो भैया. अध्यक्ष जी तीन तीन बार मुख्यमंत्री जी ने स्वयं, ये तो मेरा विभाग नहीं देखता है, ट्रायबल विभाग देखता है, लेकिन ये हमारी सामूहिक जवाबदारी है और पूर्व मुख्यमंत्री जी का सवाल है इसलिए मैं आपकी अनुमति से जवाब दे रहा हूं. तीन तीन बार शिवराज सिंह जी ने जो पट्टे निरस्त हुए हैं, उनकी गंभीरता से जांच की है और एक भी पट्टा हमने ऐसा नहीं छोड़ा है, जो लीगल था और उसको नहीं मिला है.
श्री तरुण भनोत - पांव सही धोये या गलत धोये हैं, ये भी बता दीजिए. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाइए लक्ष्मण सिंह जी के खड़े होने पर) मूल प्रश्नकर्ता के बाद आपको समय दिया जाएगा.
श्री आलोक चतुर्वेदी - माननीय मंत्री जी मुझे आपका जवाब नहीं मिला. अधिकारियों के विरुद्ध आप क्या कार्यवाही करेंगे, जिसमें आपने 15 दिन का कहा है, इसमें तत्काल कार्यवाही की मांग है. तत्काल कार्यवाही होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - कार्यवाही का तो मंत्री जी ने कह दिया है.
श्री आलोक चतुर्वेदी - दूसरा मामला ये है कि सूरजपुरा वन खंड जिसका मामला आया है, इसका निपटारा होना है वह वन व्यवस्थापन अधिकारी या अन्य माध्यम से होना है, इसकी क्या समय सीमा होगा. मंत्री महोदय, जैसे ये वर्ष 2007 से लेकर 2023 तक 84 बार इस विधान सभा में ये प्रश्न आए हैं, निजी भूमि और वन के लेकिन आज तक कोई निर्णय नहीं हुआ है और मात्र 62 वन मंडल है पूरे मध्यप्रदेश में 29 की जानकारी उपलब्ध हुई है, अभी तक वन विभाग को ये कब तक कार्यवाही चलेगी, किस चाल से चलेगी, कछुआ गति से चल रही है. मैं सूरजपुरा वन मंडल, वन खंड का निपटारा कब तक करेंगे, छतरपुर में जो ये विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है, मैं मंत्री महोदय से ये जानना चाहता हूं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - विजय भाई ताकत पहचानो अपनी, कर दो चमत्कार.
कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, जैसा की आपने निर्देश दिया कि मध्यप्रदेश की विधान सभा बहुत जवाबदारी और जिम्मेदारी से चलती है. यहां पर परम्पराएं और असलीयत है, यदि गलत जवाब दिया है तो मैंने निर्देश दिया अधिकारी को कि 15 दिन के अंदर कार्यवाही करेंगे. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, माननीय सदस्य ने कोई एक वन खंड की बात बताया है, जिसके बारे में जांच के लिए कहा है.
कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी पूरे मध्यप्रदेश में रेवनी और फारेस्ट लैंड के जो झगड़े हैं.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने छतरपुर का विशेष वन खंड का कहा है, तो उसकी जांच करवा लें.
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, छतरपुर का जो उन्होंने कहा है, एक महीने के अंदर कलेक्टर को हम निर्देश देंगे कि वह पर्टिकुलर वन खंड की आपित्तयां का आवेदन लें और एक महीने के अंदर इसका निराकरण करके आपको सूचित करें.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है. अब लक्ष्मण सिंह जी
श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय, बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है. वन क्षेत्र पूरे हिन्दुस्तान में कटता जा रहा है. मध्यप्रदेश में पिछले 15 सालों में बहुत वन क्षेत्र कट चुका है. एक अजीब-ओ-गरीब ऑर्डर सरकार ने किया था कि एसडीएम को, रेवेन्यू वालों को अधिकार दे दिया था वन क्षेत्र के पट्टे करने के लिये, अब उसमें क्या हुआ है कि आदिवासियों को आगे करके पट्टे दिलाकर पीछे से दादा लोग घुस जाते हैं. आदिवासी बाहर और जो बाहुबली हैं वह आ जाते हैं, तो इनको रोकने के लिये आप क्या प्रयास करने वाले हैं ? धन्यवाद. यह इसी से पट्टे से संबंधित है. लिखित में दे दीजिएगा, बाद में चर्चा कर लेंगे.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी से पूछना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- अरे ! क्वेश्चन उनका है. नहीं, पहले क्वेश्चन तो उन्होंने पूछा है.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -- एक मिनट सर. अवमानना सदन की है गलत उत्तर देने की. संसदीय कार्य मंत्री जी क्या इस मामले में जब विधान सभा की अवमानना हुई है, आप संसदीय कार्य मंत्री हैं, वर्तमान प्रश्न, पूर्व का प्रश्न अपने आप में परिलक्षित हो रहा है कि गड़बड़ी हुई है. अत: विधान सभा की अवमानना के ऊपर संसदीय कार्य मंत्री जी का क्या कहना है ?
अध्यक्ष महोदय -- आप भी जानते हैं इसी चेयर को आपने भी सुशोभित किया है. नियम प्रक्रिया की आपको ज्यादा जानकारी है. हमारे सारे सदस्यों को जानकारी है. यदि कोई असत्य कथन करता है या भ्रामक जानकारी देता है, उसके लिये प्रश्न एवं संदर्भ समिति बनी हुई है, परंतु उसके बाद भी आसंदी से निर्देश यह जारी किया गया है कि इसकी अलग से 15 दिन के भीतर कार्यवाही करें, उन्होंने आश्वासन दिया है, जबकि उसके नियम दूसरे हैं. विधान सभा में किसी तरह की कोई असत्य जानकारी दे, कोई भ्रामक जानकारी दे उसके लिये नियम बना हुआ है कार्यवाही के लिये. उस कार्यवाही के लिये ना भेजते हुये मंत्री जी को सीधे यह कहा गया है कि उसमें कार्यवाही करें. इसके बाद भी संसदीय कार्य मंत्री जी जवाब देना चाहते हैं तो मैं उनको हां करता हूं.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -- अध्यक्ष महोदय, मैं इसलिये संसदीय कार्य मंत्री जी से अनुरोध कर रहा हूं कि इस सदन में क्या संचालित होना है, क्या नहीं होना है वही प्रस्तावित करते हैं, तद्नुसार ऊपर से आसंदी निर्देश देती है.
अध्यक्ष महोदय -- मुझे ऐसा लगता है कि आज मेरे आते से ही संसदीय कार्य मंत्री जी ने अपना मुँह नहीं खोला है और आप उनका मुँह खुलवाना चाहते हैं.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, यह भी बहुत गंभीर मामला है कि संसदीय कार्यमंत्री जी मुँह क्यों नहीं खोल रहे हैं ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, गंभीर मामला नहीं है.
श्री तरुण भनोत -- अगर यहां नहीं खोलेंगे तो कहां खोलेंगे ?
अध्यक्ष महोदय – नहीं, मुँह इसलिये नहीं खोल रहे हैं कि कहीं आप लोग बाहर न चले जाएं उनके मुँह खोलते ही, इसलिये नहीं खोल रहे हैं.
श्री तरुण भनोत -- संसदीय कार्य मंत्री जी विधान सभा के अंदर अपना मुँह नहीं खोल रहे हैं इससे महत्वपूर्ण और क्या मामला हो सकता है ? माननीय इसकी भी जांच होनी चाहिये कि आपका मुँह क्यों नहीं खुल रहा है. उठिये बोलिये. संसदीय कार्यमंत्री जी का मुँह नहीं खुल रहा है यह बहुत गंभीर मामला है. क्या कर रहे हैं आप ?
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) -- अध्यक्ष महोदय, आज यह तो निश्चित हो गया कि संसदीय कार्य मंत्री जी सत्ता पक्ष में जितने पापुलर हैं उतने ही विपक्ष में भी पापुलर है. बधाई आपको नरोत्तम जी.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, यह तो गंभीर मामला है. आप कह रहे हैं कि वह मुँह नहीं खोल रहे हैं, संसदीय कार्यमंत्री जी अगर विधान सभा में मुँह नहीं खोलेंगे तो कहां बोलेंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- आप यह जानते हैं ना कि शेर हमेशा नहीं दहाड़ता, कभी-कभी दहाड़ता है जब लोग भागते हैं ना.
श्री तरुण भनोत -- जब दहाड़ना था तब तो दहाड़े नहीं. चूक गये चौहान.
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, अब क्या एक नंबर और दो नंबर को डराने में लगे हैं कि अब मंत्री जी का नंबर आ जाए ?
श्री आलोक चतुर्वेदी -- अध्यक्ष महोदय, नरोत्तम जी के मित्र हैं एन.पी. प्रजापति जी, उनका जवाब तो दे देना चाहिये उनको.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हो गया. आ गया पूरा. प्रश्न क्रमांक 2. हिरालाल अलावा जी. एक आग्रह है कि आपके अलावा भी अलावा हैं.
जमीनों का अधिग्रहण.
[जल संसाधन]
2. ( *क्र. 699 ) डॉ. हिरालाल अलावा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या यह सही है कि छिंदवाड़ा जिले में प्रस्तावित छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्पलेक्स योजना अंतर्गत संविधान के अनुच्छेद 244 (1) पांचवी अनुसूची से अधिसूचित तहसील जुन्नारदेव के आदिवासियों की जमीन अधिग्रहित की जा रही है? (ख) क्या उक्त पांचवी अनुसूची क्षेत्र में पेसा अधिनियम के कानून भी लागू होते हैं? (ग) क्या पांचवी अनुसूची से अधिसूचित आदिवासी विकासखंडों में, जहां पेसा अधिनियम भी लागू होता है, किसी भी परियोजना के लिए ग्रामसभा की अनुमति लिया जाना अनिवार्य है? (घ) प्रश्नांश (क) योजना अंतर्गत आने वाले सभी ग्रामों के ग्रामीणों ने जमीन अधिग्रहण नहीं करने का ग्रामसभा का प्रस्ताव पास किया है और कलेक्टर छिंदवाड़ा को भी 23.09.2020 को आपत्ति-पत्र देकर जमीन अधिग्रहण नहीं किए जाने का निवेदन किया है? (ड.) क्या शासन पांचवी अनुसूची और पेसा अधिनियम का उल्लंघन कर आदिवासियों की जमीन अधिग्रहित करेगी? (च) यदि नहीं, तो क्या प्रश्नांश (क), (ख), (ग) एवं (घ) के आलोक में संविधान और शासन के नियमों अनुसार नियमतः छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्पलेक्स योजना रद्द करने और जुन्नारदेव तहसील के आदिवासियों की जमीन अधिग्रहण को रद्द करने की कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो कब, यदि नहीं, तो विधिसम्मत कारण बताएं? (छ) पुनर्वास की क्या योजना है, विस्तृत ब्यौरा देवें?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) छिंदवाड़ा जिले में प्रस्तावित छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्पलेक्स परियोजना अन्तर्गत संविधान के अनुच्छेद 244 (1) पांचवी अनुसूची के अन्तर्गत तहसील जुन्नारदेव के कुछ आदिवासी कृषकों की जमीन जनहित में परियोजना निर्माण हेतु अधिग्रहित की जाना प्रस्तावित है। (ख) जी हाँ। (ग) पांचवी अनुसूची से अधिसूचित आदिवासी विकासखण्डों में जहां पेसा अधिनियम लागू होता है, वहां परियोजना निर्माण के लिए भू-अर्जन एवं पुनर्वास हेतु ग्राम सभा की सहमति/परामर्श लिया जाने का प्रावधान है। (घ) वस्तुस्थिति यह है कि दिनांक 23.09.2020 को ग्राम बेलगांव रैय्यत के कृषकों द्वारा जमीन अधिग्रहण न किये जाने के संबंध में कलेक्टर जिला छिंदवाड़ा को आपत्ति पत्र दिया जाना प्रतिवेदित है। ग्राम बेलगांव रैययत, छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्पलेक्स परियोजना अंतर्गत प्रस्तावित किसी भी बांध के डूब क्षेत्र में नहीं है और न ही उक्त ग्राम में किसी भी प्रकार की कोई जमीन अधिग्रहण की कार्यवाही की जा रही है। (ड.) पांचवी अनुसूची एवं पेसा अधिनियम के प्रावधानों का पालन करते हुए परियोजना निर्माण हेतु भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही की जावेगी। (च) छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्पलेक्स की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 02.03.2019 को राशि रूपये 5470.95 करोड़ की प्रदान की गई है, जिससे छिंदवाड़ा जिले की 1,90,500 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जाना प्रस्तावित है। जनहित की परियोजना होने के कारण समस्त नियमों एवं अधिनियमों का पालन कर परियोजना निर्माण हेतु भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही की जाना संभव होगा। निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (छ) परियोजना के निर्माण से विस्थापित होने वाले परिवारों को भूमि अर्जन, पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार चयनित स्थल पर सहमति के उपरांत पुनर्व्यवस्थापन की कार्यवाही की जाना संभव होगा।
डॉ. हिरालाल अलावा -- अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. मेरा प्रश्न आदिवासियों के जल, जंगल, जमीन से संबंधित है और जल, जंगल, जमीन आदिवासियों के अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा है. वैसे भी मध्यप्रदेश में आदिवासियों के ऊपर बर्बरता की हदें पार हो रही हैं. दूसरी तरफ आदिवासियों को जल, जगल, जमीन से विस्थापित किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- क्वेश्चन करेंगे. आप प्रश्न करें. सीधा प्रश्न पूछिये.
डॉ. हिरालाल अलावा -- अध्यक्ष महोदय, छिंदवाड़ा कॉम्प्लेक्स परियोजना से संबंधित था जिसमें विस्थापित होने वाले आदिवासियों का दर्द है. यह विभिन्न परियोजनाएं जिसमें बसनिया परियोजना, राघौपुर बहुउद्देशीय परियोजना, शोभापुर बांध, अंडई बांध, समनापुर, विठ्ठलदा, करंजिया बांध, अपर बुड़नेर परियोजना, दुधवा फांसिल्स पार्क और हमारे खरमौर अभ्यारण्य के नाम पर मध्यप्रदेश में लगभग 200 से 300 आदिवासी गांवों को विस्थापित करने की प्लानिंग चल रही है. आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि भू-अर्जन अधिनियम 2013 की धारा 30, 31 और 32 मध्यप्रदेश में अधिसूचित किये बिना, कोई एक्ट बनाये बिना. इतनी बड़ी संख्या में आदिवासी गांव का अगर विस्थापन होगा तो इनका अस्तित्व, इनकी अस्मिता और इनकी संस्कृति, रीति रिवाज सब कुछ खत्म हो जायेगा. क्या माननीय मंत्री जी आदिवासी गांव का विस्थापन रोकने के लिये आदिवासियों का पुनर्वास, पोषण और पुनर्व्यवस्थापन देने के लिये भू-अर्जन अधिनियम 2013 की धारा 30, 31 और 32 के लिये अधिसूचनायें जारी करने के लिये एक्ट बनायेंगे या अधिसूचनायें जारी करेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय-- पहले इसका जवाब आ जाये.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सदस्य ने हमारे समाज के उस वर्ग की पीड़ा को छुआ है. सबसे पहले मैं स्पष्ट कर दूं यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. ...(व्यवधान)...
डॉ. हिरालाल अलावा-- माननीय मंत्री जी भारतीय जनता पार्टी की सरकार में बर्बरता की हदें पार हो रही हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो पीड़ा सम्मानीय विधायक जी ने व्यक्त की है, जो भी व्यवस्थापन हमारे आदिवासी समाज का करना है, मैं उन्हें अवगत कराना चाहूंगा कि सिंचाई परियोजना के लिये जो भू-अधिग्रहण नियम पेसा कानून एक्ट है, संविधान की पांचवीं अनुसूची भू-अर्जन अधिनियम के तहत 2013 इनके प्रावधान का पूर्ण पालन किया जायेगा, उनके नियम के अनुरूप उनका व्यवस्थापन किया जायेगा.
डॉ. हिरालाल अलावा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी आपने कहा कि पेसा कानून के नियमों का पालन किया जायेगा, आपने कहा कि पांचवीं अनुसूची का अनुपालन किया जायेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, हाल ही में नवम्बर 2022 में पेसा नियम 2022 बनाये गये, लेकिन मध्यप्रदेश में आज भी आदिवासी इलाकों में आदिवासियों के ऊपर ग्रामसभाओं की अनुमति के बिना, ग्राम समितियों की अनुमति के बिना उनके ऊपर फर्जी एफआईआर दर्ज की जा रही है. दूसरा पेसा में आदिवासियों की रूढि़यों, आदिवासियों की परंपराओं के संरक्षण के लिये और संविधान के आर्टिकल 15(4) में भी आदिवासियों की रूढि़यों और परंपराओं का संरक्षण करने के लिये विशेष प्रावधान बनाने के लिये राज्य सरकार को निर्देशित किया गया है, लेकिन आज दिनांक तक मध्य प्रदेश में आदिवासियों की परंपराओं, रूढि़यों, नियम और कानून बनने के बाद भी आदिवासी इलाकों में संविधान का राज नहीं चल रहा है, आदिवासी इलाकों में लोकतांत्रिक व्यवस्था का राज नहीं चल रहा है, आदिवासियों के ऊपर वहां पर जबरन गलत मुकदमें दर्ज किये जा रहे हैं, आदिवासियों को जेल कस्टडी में मारा जा रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, कल धरमपुरी टीआई से मेरी बात हुई, धार एसपी से मेरी बात हुई.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करिये, क्या पूछना चाह रहे हैं.
डॉ. हिरालाल अलावा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह पूछना चाह रहा हूं कि पेसा नियम बन गया, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी एसपी और टीआई आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम सभाओं की अनुमति के बिना जबरन एफआईआर क्यों कर रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि क्या आपकी सरकार आदिवासियों को सुरक्षा और संरक्षण देने के लिये संवैधानिक प्रावधानों का खुला उल्लंघन कर रही है, अगर नहीं कर रही है तो धार एसपी और धरमपुरी टीआई के ऊपर कार्यवाही करेगी या नहीं करेगी, मुझे इस बात को स्पष्ट करिये ?
अध्यक्ष महोदय-- यह प्रश्न नही हुआ.
श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय विधायक को यह संज्ञान होना चाहिये कि पेसा कानून हमारी सरकार ने लागू किया है, यह आपके ध्यान में होना चाहिये.
डॉ. हिरालाल अलावा-- माननीय मंत्री जी कानून बना है, लेकिन पालन नहीं हो रहा है.
श्री तुलसीराम सिलावट-- जो प्रश्न आप कर रहे हैं वह इससे उद्भूत नहीं होता है उसके बाद भी मैं आपका उत्तर दे रहा हूं कि जो पेसा कानून हमने बनाया है उस समाज के लिये बनाया है, उसी के अंतर्गत.....
डॉ. गोविन्द सिंह-- यह कानून कांग्रेस की सरकार ने बनाया है, आपने नहीं बनाया, आप उसको लागू कर रहे हैं तो वह भी पूरा नहीं किया, आप जरा अपना ज्ञानवर्धन कर लें कि कानून कब बना है ?
श्री तुलसीराम सिलावट-- पेसा कानून बन गया है, यह आपको संज्ञान में होना चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय विधायक जी ने जो कहा कि ग्राम सभाओं की समिति के बाद ही हम भू-अर्जन की प्रक्रिया प्रारंभ करेंगे, अभी एक जगह आपत्ति आई है, उसकी भी पूरी जांच करना है, कानून और नियम के तहत हम आदिवासियों की योजनाओं को लागू करेंगे.
डॉ. हिरालाल अलावा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक बांध परियोजना के बारे में माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया है. मैं चाहता हूँ कि पूरे मध्यप्रदेश में जो 200 से 300 आदिवासी गांव विस्थापित होने वाले हैं, आदिवासी विस्थापन का सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि आदिवासी जिस भौगोलिक क्षेत्र में निवास करता है, उसकी अपनी भाषा, उसकी संस्कृति, रीति-रीवाज और परंपराएं सब कुछ होती हैं. एक जगह से दूसरी जगह तक विस्थापित किया जा रहा है. पिछले 40 साल, 50 साल पहले हमारे धार, झाबुआ, बड़वानी के आदिवासी भाई विस्थापित होकर रायसेन जिले में गए. बुंदेलखण्ड में गए. बघेलखण्ड में गए. आज उनके जाति प्रमाण-पत्र नहीं बनाए जा रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि विस्थापन हेतु भू-अर्जन अधिनियम, 2013 की धारा 30, 31 और 32 के लिए क्या आप एक्ट बनाएंगे ? क्या अधिसूचनाएं जारी करेंगे ? क्या इस प्रदेश के आदिवासियों को यह भरोसा दिलाएंगे कि हम किसी भी कीमत पर इस प्रदेश का विकास तो करना चाहते हैं पर आपकी कब्र खोदकर विकास नहीं करना चाहते ? यह भरोसा और विश्वास सदन के माध्यम से मुझे आपकी तरफ से चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न तो आप पूछ नहीं रहे हैं, आप भाषण में ज्यादा विश्वास कर रहे हैं. प्रश्न पूछो ना.
डॉ. हिरालाल अलावा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से मैं यही पूछना चाह रहा हूँ कि आज ये सिंचाई परियोजनाओं के नाम पर आदिवासी गांवों को विस्थापित करने की जो प्रस्तावित योजनाएं हैं, क्या आदिवासी गांवों को सुरक्षित करने के लिए आप मध्यप्रदेश विधान सभा के भीतर ऐसा एक्ट बनाएंगे या अधिसूचनाएं जारी करेंगे, जिससे प्रदेश के आदिवासी आज से ही यह महसूस करें कि हम सुरक्षित रहेंगे ? क्योंकि आदिवासियों का अस्तित्व उनके जल, जंगल और जमीन से है और जल, जंगल, जमीन से यदि उन्हें उजाड़ा जाएगा तो उनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- हो गया. उत्तर आने दीजिए.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये जिस परियोजना की बात कर रहे हैं, छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्पलेक्स योजना का इन्होंने प्रश्न में पूछा है, इनके संज्ञान में होना चाहिए. अब आप सुन लें, सिंचाई का रकबा 1,90,500 हैक्टेयर में हम वहां सिंचाई कर रहे हैं. यह बहुत बड़ी योजना है. इससे सभी समाजों के लगभग 1,26,500 किसान लाभान्वित होंगे. इसकी लागत 5,470 करोड़ रुपये है. 628 गांव इस योजना से लाभान्वित होंगे और डूब के क्षेत्र में मात्र 39 गांव हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं सम्मानित सदस्य को यह अवगत कराना चाहता हूँ कि नियम, कानून के साथ हमारी आदिवासी संस्कृतियों के लिए, उनके संस्कारों के लिए सरकार जो भी कर सकती है, नियम के तहत करेगी. उनके सम्मान और उनकी संस्कृति का पूरा रख-रखाव किया जाएगा. जिस बेहतर तरीके से सरकार उनका विस्थापन कर सकती है, वह करेगी.
डॉ. हिरालाल अलावा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आखिरी सवाल है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, हो गया. वही बार-बार आप पूछेंगे.
डॉ. हिरालाल अलावा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सवाल सिर्फ छिंदवाड़ा सिंचाई कॉम्प्लेक्स योजना के बारे में नहीं है, मेरा सवाल मध्यप्रदेश में जो 200, 300 आदिवासी गांव बांध परियोजनाओं के नाम पर विस्थापित होने की तैयारी कर रहे हैं, उनके लिए है कि क्या आप भू-अर्जन अधिनियम, 2013 की धारा 30, 31 और 32 के लिए एक्ट लाएंगे, संशोधन लाएंगे या अधिसूचनाएं जारी करेंगे ? क्योंकि इन अधिसूचनाओं के बिना आदिवासी गांवों का अच्छा विस्थापन नहीं हो सकता.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय विधायक विद्वान सदस्य हैं. मैं उनको आश्वस्त करना चाहूँगा कि मध्यप्रदेश में सभी सिंचाई परियोजनाओं में भू-अर्जन अधिनियम का पालन किया जाएगा और आदिवासियों का समुचित पुनर्वास किया जाएगा. आप निश्चिंत रहें. पूरे मध्यप्रदेश में सारी योजनाओं में लागू करेंगे.
श्री कमलनाथ -- यह प्रश्न छिंदवाड़ा से जुड़ा हुआ था. मैं इससे अच्छी तरह परिचित हूँ कि कहां यह जमीन है, कितने गांव डूबेंगे. किसी ऐसी परियोजना की शुरुआत भी मैं नहीं होने देता अगर मैं सोचता कि यह संभव नहीं है. पर वहां के लोगों ने इसका बहुत विरोध किया है. मेरा तो यह कहना है कि हम ये परियोजनाएं बना लेते हैं, मैं किसी को दोष नहीं दे रहा हूँ, मैं भी उसमें भागीदार था कि परियोजना बने, पर जब ये विरोध हुआ, जिस परियोजना का यहां पर अभी जिक्र हुआ है, जिस पर यह प्रश्न है, इसका इतना विरोध होना शुरू हुआ, मैंने उनको यह आश्वासन दिया कि कोई अधिग्रहण नहीं होगा, जब तक आपकी सहमति नहीं होगी और सहमति केवल मुआवजे से नहीं होती. आज जैसे सब स्वीकार करते हैं, उनकी संस्कृति की रक्षा हो और कहां उनका विस्थापन होगा, जब तक ये सब बातें तय न हों, तब तक उनके विस्थापन का प्रश्न नहीं उठता. वहां लोकल विवाद है. इसमें हजारों लोग हैं. प्रश्न केवल यह नहीं है कि कितने गांव हैं, इसमें प्रश्न यह भी है कि कितने हजार लोग इससे प्रभावित होते हैं. इस प्रकार की योजनाएं पूरे प्रदेश में आती हैं. हमें सैद्धांतिक रूप से यह तय करना पड़ेगा कि क्या हम इतनी बड़ी-बड़ी परियोजनाओं को प्राथमिकता दें या छोटी-छोटी, इसके दूसरे उपाय भी हैं, जो और महंगे पड़ सकते हैं. छोटे-छोटे तालाब या छोटी- छोटी योजनाएं बनायें, जिससे ये कठिनाई और मुसीबत नहीं आये.
डॉ. अशोक मर्सकोले-- अध्यक्ष महोदय, इसी से संबंधित मेरा एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं- नहीं, अब बहुत हो गया.
..(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी गुमराह कर रहे हैं. आप बताइये कि 2013 के अधिनियम की धारा 30,31,32 में जो माननीय सदस्य पूछ रहे हैं, उस पर आप उत्तर दीजिये. आप दुनिया भर की घुमा रहे हैं. मंत्री जी वही उत्तर दें, जो माननीय सदस्य जी पूछ रहे हैं. वे विद्वान मंत्री जी हैं, उनको कांग्रेस का पूरा अनुभव है, आप उधर जाकर गड़बड़ क्यों कर रहे हैं भाई.सही जवाब दीजिये, हमारा अनुरोध है.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- (श्री पांचीलाल मेड़ा, सदस्य के खड़े होने पर) पांचीलाल जी, आप बैठ जाइये. आप बैठ जाइये ना. आप मंत्री जी को जवाब तो देने दीजिये.
डॉ. अशोक मर्सकोले-- अध्यक्ष महोदय, बहुत महत्वपूर्ण इसी से संबंधित विषय है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, अब नहीं. कमल नाथ जी ने कह दिया, उसके बाद अब इसमें किसी का प्रश्न एलाऊ नहीं होगा.
डॉ. अशोक मर्सकोले-- अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न की अनुमति दें.
अध्यक्ष महोदय-- अब नहीं होगा. कमलनाथ जी ने सब कह दिया. उनके बाद एलाउ नहीं करुंगा किसी को. प्रश्न संख्या-3. श्री संजीव सिंह.
श्री पांचीलाल मेड़ा -- अध्यक्ष महोदय, आपने जवाब देने की बात की. उन्होंने जवाब नहीं दिया. कारम डेम से डूब प्रभावित लोग साल भर से भटक रहे हैं. बहुत गंभीर विषय है. कृपया करके आप एक सवाल का तो जवाब दीजिये. विस्थापितों के लिये वहां पर पानी, बिजली नहीं है. वे जंगलों में भटक रहे हैं. आज भी वे परेशान हैं.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न संख्या-3. संजीव सिंह जी, आप प्रश्न करिये.
भिण्ड में रेत भण्डारण में अनियमितताएं.
[खनिज साधन]
3. ( *क्र. 834 ) श्री संजीव सिंह : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले में किन-किन कंपनियों/व्यक्तियों को रेत भण्डारण की अनुमति है? रेत भण्डारण किन-किन स्थानों पर किया गया है? उक्त स्थानों पर कितना रेत भण्डारण करने की अनुमति है? कितना मौके पर है? क्या उक्त भण्डारण का भौतिक सत्यापन किया गया है? यदि हाँ, तो किन-किन अधिकारियों ने कब-कब, किस-किस स्थान का? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? कारण स्पष्ट करें। रेत भण्डारण का भौतिक सत्यापन कब तक कर लिया जावेगा? (ख) क्या भिण्ड जिले में रेत भण्डारण के संबंध में अनियमितताओं की शिकायतें प्राप्त हुई हैं? यदि हाँ, तो उन पर क्या कार्यवाही की गई?
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) :
श्री संजीव सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से रेत के भण्डारण के संबंध में खनिज मंत्री जी से प्रश्न किया था. उनका जवाब मुझे कल भी मिला और अभी टेबल पर भी मिला. मैं मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट हूं. उन्होंने जो जवाब मुझे दिया है, उसमें उन्होंने कहा है कि पूर्व में मौखिक शिकायत के आधार पर जिले में दिनांक 23.12.2021 एवं 29.12.2021 को स्वीकृत 5 भंडारण अनुज्ञप्तियों का सत्यापन किया गया था. इन 5 अनुज्ञप्ति क्षेत्रों में से 3 अनुज्ञप्ति क्षेत्रों में रेत का भंडारण नहीं पाया गया तथा 2 अनुज्ञप्ति क्षेत्रों में पोर्टल पर दर्शित मात्रा से मौके पर कम मात्रा में रेत भंडारित होना पाया गया. ऐसी स्थिति में अनियमितता के कारण 5 भंडारण अनुज्ञप्तियां निरस्त की गईं तथा भंडारित रेत मात्रा को राजसात किया गया है. मेरा मंत्री जी से सिर्फ इतना प्रश्न है कि आप मान रहे हैं कि इसमें अनियमितताएं हुई हैं, तो आपने उस भंडारण को निरस्त कर दिया. सिर्फ निरस्त करना ही इसका सॉल्यूशन था क्या. अगर एक ट्रेक्टर पकड़ा जाता है अवैध रेत खनन करता हुआ, तो उसके मालिक के ऊपर और उसके ड्रायवर के ऊपर 379,414 की कार्यवाही की जाती है, यह हाई कोर्ट का स्पष्ट निर्देश है. तो मंत्री जी से इसमें मेरा प्रश्न इतना है कि यह भंडारण जिनके नाम पर हैं, उनके नाम पर आपने 379 और 414 की कार्यवाही क्यों नहीं करवाई और 420 की कार्यवाही क्यों नहीं करवाई. उन्होंने कहीं का भंडारण ले रखा है और कहीं पर रेत चला रहे हैं. अवैध उत्खनन और अवैध परिवहन उन्हीं के द्वारा किया जा रहा है. तो उन पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई और अगर की गई, तो क्या कार्यवाही की गई, आप कृपया यह बता दें बस.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य ने बात रखी है, हमारे मूलतः इनके माध्यम से या किसी के भी माध्यम से कोई लिखित में शिकायत नहीं मिली थी. जो एक हमारी अनुज्ञप्तियां या जो वहां पर भंडारण हमारे लीगल वे में चल रहे थे, वहां पर दो आलरेडी स्वीकृत थे, जो वैधानिक रुप से आज भी चल रहे हैं. मौखिक रुप से एक शिकायत हमें मिली थी, कलेक्टर को बोला गया था, कलेक्टर ने उसकी जांच कराई थी, जिसमें से 5, जैसा कि हमारे सदस्य ने बताया, जिसमें से 5 हमारे भंडारण थे, जो कि नॉन एच वन थे, 50 किलोमीटर की दूरी के बाहर थे, वह ठेकेदार के नहीं थे. लेकिन वह 5 जो भण्डारण थे, उसमें से 2 भण्डारण में मात्रा कम पाई गई, जो पोर्टल में दर्शित होती है, उससे मात्रा कम मिली तो जो कम मात्रा मिली, उसको हमने वहां पर राजसात किया और जहां पर हमें मात्रा नहीं मिली, उनको हमने निरस्त भी किया है, इसलिए जो हम उन पर कार्यवाही कर रहे थे तो उसके अगेंस्ट में वह अपील में कमिश्नर कार्यालय गये और कमिश्नर कार्यालय से उन्होंने रिमाइंड केस कराया, आज भी उसकी जांच हमारे कलेक्टर महोदय के द्वारा की जा रही है, इसलिए उसमें वैधानिक रूप से जो भी संभव होगा, उस पर हम कार्यवाही करेंगे.
श्री संजीव सिंह - अध्यक्ष महोदय, जांच की बात उस वक्त आती है, जब उसमें कार्यवाही हो. आपने उसमें मुकदमा ही कायम नहीं कराया है. एक ट्रेक्टर वाले के ऊपर धारा 379 कायमी हो जाती है, ड्राइवर जेल जाता है, उसका मालिक जेल जाता है. यह जो इतना बड़ा घोटाला कर रहे हैं और साफ तौर पर कर रहे हैं. उन्होंने रायल्टी कटाई, उस भण्डारण के लिए रायल्टी कटाई. लेकिन वहां पर उन्होंने भण्डारण किया नहीं क्योंकि उन्होंने उस रायल्टी से सीधे रेत को बेच दिया. यह धारा 420, 471 की सीधी सीधी फोर्जरी है, आप उस पर धारा 379, 414 की भी कार्यवाही नहीं कर रहे हो. आप कार्यवाही तो करिए. आप जो बड़ी बड़ी मछलियां हैं, इन लोगों पर कार्यवाही क्यों नहीं करना चाह रहे हो? मैं आपसे कहना है कि इन पर कार्यवाही होना चाहिए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं स्पष्ट रूप से बता रहा हूं, यदि कार्यवाही नहीं करनी होती तो वह निरस्त नहीं किये जाते. उस पर कार्यवाही की गई और इसलिए उसकी अपील में वह कमिश्नर कार्यालय गये, कमिश्नर ने उस केसेस को रिमाइंड किया है, जो आज कलेक्टर के कार्यालय में प्रचलन में हैं और जैसे ही उसका निर्णय होगा, वही कार्यवाही है, जो उसके तहत उसमें कार्यवाही की जाएगी.
श्री संजीव सिंह - अध्यक्ष महोदय, उसमें कार्यवाही हुई ही नहीं है. निरस्ती कोई इसमें कार्यवाही नहीं है. उन पर आप कार्यवाही तो करिए. उन्होंने जो अनियमितताएं की हैं, उसके ऊपर उन पर कार्यवाही तो करिए. उन पर केस तो बनाइए.
अध्यक्ष महोदय - कार्यवाही नहीं हुई तो वह अपील में कैसे गये?
श्री संजीव सिंह - अध्यक्ष महोदय, उसमें कार्यवाही नहीं हुई है. धारा 379, 414 की कार्यवाही उन पर होना चाहिए. वह निरस्ती में गये हैं. आप अंतर देखिए, आप यह देखिए कि 2 लाख 24 हजार घन मीटर एक ने खदान से रेत उठाया. दूसरे ने 1 लाख 74 हजार घन मीटर रेत उठाया. जबकि एक का 21 हजार घन मीटर और दूसरे का 11 हजार घन मीटर रेत मौके पर पाया गया. मतलब 2 लाख 3 हजार घन मीटर की एक ने अनियमितता की है और दूसरे ने 1 लाख 63 हजार घन मीटर की अनियमितता की है. यह सीधी सीधी चोरी है. इसमें राजस्व का नुकसान हुआ है. मैंने सीधा सीधा उदाहरण दिया है. एक ट्रेक्टर वाला जब पकड़ा जाता है बगैर रायल्टी के पकड़ा जाता है, या चोरी करता हुआ पकड़ा जाता है तो ट्रेक्टर मालिक के ऊपर और ड्रायवर के ऊपर धारा 379, 414 की सीधी कायमी कर दी जाती है तो आप इनको क्यों बचा रहे हैं ? आप इन पर 379, 414 की कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे हैं? आप इतना उत्तर दे दीजिए?
अध्यक्ष महोदय - उनका सीधा प्रश्न है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरा भी सीधा जवाब है. जो कार्यालय में अभी प्रचलन में है, यदि अदालत में कोई भी कार्यवाही चल रही है, वह सदन में पहली बात उठनी ही नहीं चाहिए. ऑलरेडी यह रिमाइंड केस है जो कलेक्टर कार्यालय में चल रहा है. अभी वह डिसीजन पर नहीं आया है. जिस दिन कलेक्टर डिसीजन देगा तो उसके बाद हम इस बात को कहेंगे कि कौन-सी कार्यवाही हुई या नहीं हुई क्योंकि जो अवैधानिक लगा था, तुरन्त कार्यवाही की, निरस्ती की, राजसात किया और उस आर्डर के तहत जो और हमें कार्यवाही करनी थी, लेकिन उसके पहले वह अपील में चले गये और अपील में जो गये तो उधर से रिमाइंड केस हुआ, कलेक्टर कार्यालय में आया, जो आज भी प्रचलन में है और खनिज शाखा में प्रचलन में है, इसलिए जब उसका निर्णय आ जाएगा, तभी हम उसमें पूरी बात कह सकते हैं कि क्या कार्यवाही हुई या नहीं हुई, इसलिए आज वह केस प्रचलन में है.
श्री संजीव सिंह - अध्यक्ष महोदय, इसमें सीधा सीधा स्पष्ट है. मतलब इसमें कुछ भी गलत नहीं है, यह कलेक्टर के यहां का आर्डर है. यह 4.3 का आर्डर है. मैं इसको भी पढ़ देता हूं. "खनिज रेत भण्डारण अनुज्ञप्तियों की जांच में पाया गया कि उक्त पांचों के पोर्टल पर दर्ज मात्रा में, मौके की मात्रा में अंतर पाया गया है, जिससे आपके द्वारा बगैर पारपत्र के भण्डारण स्थल से रेत का निवर्तन, परिवहन किया जाना स्पष्ट होता है, जो कि मध्यप्रदेश रेत खनन, परिवहन, भण्डारण एवं व्यापार नियम 2019 के विरुद्ध 18-10 का स्पष्ट उल्लंघन है." जब उल्लंघन है तो आपने उस पर कार्यवाही क्यों नहीं की, उन पर मुकदमा दर्ज क्यों नहीं कराया? उनसे जप्ती और राजसात की कार्यवाही क्यों नहीं की? उनसे जो राजस्व की हानि हुई है, उसकी जप्ती क्यों नहीं की? मेरा सीधा सीधा प्रश्न है. एक प्रश्न और बता देता हूं. यह मेरे प्रश्न के जवाब में करीब 100 पेज आए हैं, इसलिए यह कनफ्यूजन करने के लिए कि कोई पढ़ ही नहीं पाए. लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि जो ट्रेक्टर जिस पर 30 हजार रुपया जुर्माना किया, उसने तो जुर्माना भर दिया. उसने अपना ट्रेक्टर छुड़ा लिया और जेल भी होकर आ गया. उसने जमानत भी करवा ली. लेकिन जिनके ऊपर 15-15 करोड़ रुपये जुर्माना है, वह आज तक लंबित हैं, आज तक न उनसे वसूली की गई और उन पर न कोई कार्यवाही की गई.
अध्यक्ष महोदय:- यह इसमें नहीं है.
श्री संजीव सिंह''संजू''- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न के उत्तर में है. वही मैं, कह रहा हूं कि जब आप इन पर कार्यवाही ही नहीं करना चाहते हैं. 15-15 करोड़ रूपये के सरकार को राजस्व की हानि हो रही है और उन पर प्रकरण लंबित हैं. सभी पर प्रकरण लंबित हैं, जितने भी बड़ी कंपनी वाले हैं. लेकिन जो बेचारे टैक्टर, ट्रक वाले हैं जिन पर 3-3,4-4 लाख का जुर्माना करके उनके ऊपर आप कार्यवाही करते हैं, उनको आप रोड से पकड़ लेते हैं. लेकिन जहां से उत्खनन हो रहा है, जो वहां की जननी है उन पर आप कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे हो ? मेरा सीधा-सीधा स्पष्ट प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय:- उन्होंने सीधा उत्तर दिया कि चूंकि न्यायालय में कलेक्टर के यहां विचाराधीन है. आप सुनिये संजीव जी.(व्यवधान) आप लोग अभी रूक जाइये. अभी संजीव जी के प्रश्न का स्पष्टीकरण हो जाये ना.
श्री सुरेश राजे- उन पर कार्यवाही नहीं होती और कार्यवाही किस पर होती है, अगर सरपंच आधी ट्राली भी ला रहा है तो उस पर कार्यवाही हो रही है. यह तो इस सरकार का आलम है. इतना बड़ा अवैध उत्खनन और परिवहन डबरा विधान सभा में हो रहा है. कितनी बार इसकी शिकायत की है. यदि आज तक मंत्री जी ने कोई कार्यवाही की हो तो बताएं ? उनसे निवेदन कर लिया सब कुछ कर लिया, राजस्व की हानि हो रही है. लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
श्री लक्ष्मण सिंह:- अध्यक्ष महोदय, यह बहुत सेंसेटिव मेटर है. बड़े-बड़े उद्योगपतियों को (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल:- अध्यक्ष महोदय, किसानों और गरीबों को परेशान कर रहे हैं. अगर वह व्यक्तिगत उपयोग के लिये बोरी दो बोरी भी कहीं निकाल लेता है तो कई ऐसे प्रकरण हमारे यहां बनाये हैं. (व्यवधान)
श्री सुरेश राजे:- अध्यक्ष महोदय, खाली ट्रैक्टर पकड़ लाते हैं. पंचायत से खाली ट्रैक्टर उठा लाते हैं. इससे बड़ा क्या अपराध होगा.
श्री कमलेश्वर पटेल:- सरकार ठेकेदारों को संरक्षण दे रही है.
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- आपकी बात आ गयी है. आप बैठ जाओ. प्रियव्रत सिंह जी आप भी बैठ जाओ. संजीव जी, अभी वह बार-बार वही उत्तर दे रहे हैं. एक उत्तर है कि कलेक्टर के यहां मामला चल रहा है. ऐसी स्थिति में एक यह कहा जा सकता है कि न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है तो उसमें वह अलग से निर्णय कैसे लें, वह यह कह रहे हैं.
श्री संजीव सिंह''संजू''- अध्यक्ष महोदय, मेरा स्पष्ट प्रश्न है कि जब कोई चोरी करता हुआ पकड़ा जाता है और जो चोरी की धाराएं लगती हैं. जब आपने पकड़ा मैं, यह वर्ष 2021 का प्रकरण बता रहा हूं. यह प्रकरण वर्ष 2021 का प्रकरण है, आज का नहीं है उसको दो साल हो गये हैं. आपने चोरी करता हुआ पकड़ा तो आपने चोरी की धाराएं क्यों नहीं लगायी उस पर ?
अध्यक्ष महोदय:- नहीं लगायी.
श्री संजीव सिंह''संजू''- उस पर लगाना चाहिये ना.
अध्यक्ष महोदय:- वह कह रहे हैं कि कलेक्टर का निर्णय आ जायेगा तो वह लगा लेंगे. वह यह कह रहे हैं कि कार्यवाही करेंगे. माननीय मंत्री जी, माननीय मंत्री जी आप बटन दबाइये.
श्री संजीव सिंह''संजू''- अधिकारी जो वहां से चिट लिखकर भेज देते हैं, वह पढ़ दी जाती है. हमें जवाब कैसे मिलेगा.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह:- मेरे पास कोई चिट नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा हूं कि भिण्ड जिले की जहां तक बात कही है. इन्होंने यह बोला की कोई भी कार्यवाही जिले में नहीं होती, चाहे वह अवैध भण्डारण हो, अवैध परिवहन हो या अवैध उत्खनन हो. मैं बताना चाहता हूं कि हमने इसमें 867 केसेस् पर कार्यवाही की है और जिसमें 1322 लाख रूपये की वसूली भी की है और इसलिये यह कहना सरासर गलत है, असत्य है कि कोई कार्यवाही माइनिंग डिपार्टमेंट के माध्यम से नहीं की जाती है. जहां तक माइनिंग डिपार्टमेंट की बात है तो आज माइनिंग डिपार्टमेंट निरंतर तरक्की कर रहा है. जब कांग्रेस की सरकार थी तो मात्र 4 हजार करोड़ रूपये रेवेन्यू था, आज 18 हजार करोड़ रूपये रेवेन्यू हो गया है. हमारी सरकार तरक्की कर रही है.
श्री संजीव सिंह''संजू''- अध्यक्ष महोदय, रोज एक हजार ट्रक रोज भरकर जाते हैं, वहां से चंबल के. एक हजार ट्रक रोज भरकर जाते हैं. इन्होंने कितने ट्रकों को पकड़ा है ?
श्री सुरेश राजे:- बड़ी-बड़ी हाइवे की रोडें इन्होंने खराब कर दी, ट्रक चला-चला कर के. 25-30 साल में रोड बनी, सारी रोडें खराब कर दी अवैध उत्खनन ने. कोई सुनवाई नहीं होती है. इस सरकार में कुछ भी कहते रहो, कुछ भी लिखते रहो. मंत्री जी सदन में जवाब नहीं देते हैं तो बाहर क्या देंगे.
अध्यक्ष महोदय:- एक प्रश्न 10 मिनट से चल रहा है. आगे के प्रश्न भी आने दो. प्रश्न क्रमांक -4 श्री नारायण सिंह पट्टा आप अपना प्रश्न करें.
श्री संजीव सिंह''संजू''- अध्यक्ष महोदय, इसमें कोई व्यवस्था तो दीजिये. इसमें कोई जवाब ही नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय:- उनका जवाब तो आ गया. सीधा जवाब आ गया है.
श्री संजीव सिंह''संजू''- इसका जवाब ही नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, उन्होंने जवाब तो दिया है.
श्री संजीव सिंह''संजू''- अध्यक्ष महोदय, मैं तो सिर्फ इतना कर रहा हूं कि उन्होंने चोरी की तो आपने चोरी की धाराएं क्यों नहीं लगायी, सिर्फ इतना प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय:- उन्होंने जवाब दे दिया ना.
श्री संजीव सिंह''संजू''- क्या दिया है ?
अध्यक्ष महोदय:- यह कि अदालत में प्रकरण चल रहा है और निर्णय हो जायेगा तो कार्यवाही करेंगे. यह शायद उनका जवाब है.
श्री संजीव सिंह''संजू''- अध्यक्ष महोदय, अदालत में कुछ चल ही नहीं रहा है. वह तो चोरी करके भाग गया. वह तो पैसे लेकर भाग गया.
श्री प्रियव्रत सिंह:- अध्यक्ष महोदय, खनिज के मामले में यह सदन गवाह है कि कभी भी खनिज के मामलों में कार्यवाही नहीं होती है. आज सत्ता पक्ष का एक विधायक कह रहा है कि कलेक्टर कोई निर्णय नहीं लेगा. यह सरकार के लिये बहुत शर्म की बात है. सरकार को अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिये कि किस प्रकार से भ्रष्टाचार हो रहा है. संजीव जी, आपके लिये तो एक ही चीज बची है कि आप वापस माफी मांगकर बीएसपी में चले जाओ. क्योंकि कोई आपकी नहीं सुनने वाला है. मैंने सुना है कि कालेज का भी खेल हो गया.
कान्हा टाइगर रिज़र्व के कर्मचारियों को सुविधाएं.
[वन]
4. ( *क्र. 990 ) श्री नारायण सिंह पट्टा : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कान्हा टाइगर रिज़र्व के कुछ वनक्षेत्र नक्सली गतिविधियों के चलते संवेदनशील हैं? क्या यहां कार्यरत कर्मचारी 24 घण्टे ड्यूटी पर सक्रिय रहते हैं? क्या नक्सल प्रभावित होने के कारण कान्हा पार्क के समस्त कर्मचारियों को पुलिस की तरह विशेष भत्ता मूल वेतन में जोड़कर दिए जाने पर विचार किया जा रहा है? क्या पुलिस के समान इन कर्मचारियों को 1 माह का अतिरिक्त वेतन देने पर विचार किया जा रहा है? क्या इन कर्मचारियों को वरीयता अनुसार पदोन्नति प्रदान की जायेगी? (ख) कान्हा पार्क में कार्यरत सुरक्षा श्रमिक, टी.पी.एफ. कर्मचारी, फायर श्रमिक को स्थायीकर्मी में समाहित किये जाने पर विचार किया जा रहा है? क्या इनके नियमितीकरण पर विचार किया जा रहा है? क्या इन कर्मचारियों की वरीयता सूची प्रकाशित की गई है? यदि नहीं, तो कब तक प्रकाशित की जायेगी? कर्मचारियों की ड्यूटी के लिए कितना समय निर्धारित है? क्या इनके मामले में श्रम कानून का पालन किया जा रहा है? यदि नहीं, तो क्यों? क्या इनकी स्वाभाविक मृत्यु या जंगली जानवरों द्वारा मारे जाने पर इनके परिवार को आर्थिक सहायता या अनुकंपा नियुक्ति का कोई प्रावधान है? यदि नहीं, तो क्या इस बारे में कोई विचार किया जा रहा है? क्या कान्हा पार्क में सीधी भर्ती किये जाने की बजाय उक्त कर्मचारी जो 10 साल या उससे अधिक सेवा दे चुके हैं, को नियुक्त करने पर कोई नीति बनाई जा रही है? यदि हाँ, तो इसे कब तक लागू किया जायेगा? यदि नहीं, तो क्या इस बारे में विचार किया जायेगा?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) कान्हा टाइगर रिजर्व का आंशिक क्षेत्र संवेदनशील है। मूलभूत नियम 11 सेवा की सामान्य शर्तों के अंतर्गत जब तक किसी भी मामले में इसे अन्यथा स्पष्ट रूप से प्रावधानित न हो शासकीय सेवक का सम्पूर्ण समय शासन के अधीन होता है, जो उसे भुगतान करता है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में विशेष भत्ता देने का कोई प्रस्ताव नहीं है। वन विभाग के कार्यपालिक कर्मचारियों को पुलिस के समान एक माह का अतिरिक्त वेतन देने के संबंध में प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है। कर्मचारियों को वरीयता अनुसार नियमों के तहत पदोन्नति दी जाती है। वर्तमान में पदोन्नति में आरक्षण के विषय पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय का स्थगन है। (ख) सुरक्षा श्रमिक, टी.पी.एफ. श्रमिक एवं फायर श्रमिक पूर्णत: आकस्मिक रूप से रखे जाते हैं, अत: इन्हें स्थायीकर्मी के रूप में समाहित अथवा इनके नियमितीकरण पर विचार नहीं किया जा रहा है और न ही इनकी वरीयता सूची तैयार की जाती है। इन श्रमिकों के लिये अधिकतम 8 घंटे कार्य लिया जाता है। सभी श्रमिकों के मामले में श्रम कानून का पालन किया जा रहा है। श्रमिकों की स्वभाविक मृत्यु या जंगली जानवरों से मारे जाने पर अनुकम्पा नियुक्ति का प्रावधान नहीं है। जंगली जानवरों द्वारा मारे जाने पर उनके परिवार को शासन के निर्देशानुसार रूपये 8.00 लाख आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है। कान्हा पार्क में कार्यरत उपरोक्त श्रेणी के कर्मी जो 10 साल या उससे अधिक सेवा दे चुके हैं, को किसी रिक्त पद के विरूद्ध कार्य पर नहीं लगाया गया है, अपितु पूर्णत: आकस्मिकता के आधार पर श्रमिक के रूप में रखा गया है, अत: नियमित पद पर शासकीय नियुक्ति देने का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। वर्तमान में कोई नीति नहीं बनाई जा रही है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री नारायण सिंह पट्टा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न कान्हा नेशनल पार्क से जुड़ा है. आज यहां हमारे मंत्री जी भी उपस्थित हैं. सेना के जवानों की तरह ही हमारे वनकर्मी भी जंगलों और जंगली जानवरों की रक्षा करते हैं. इसलिए उन्हें सम्मान के साथ, उनके हक और अधिकार मिलने चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय आपके संरक्षण के साथ, मंत्री जी से अपेक्षा करूंगा कि वे पिछली बार की तरह सदन में कोई असत्य आश्वासन न दें. बजट सत्र में उन्होंने 2 मार्च को सदन में सरही गेट की सभी टिकट प्रारंभ करने का आश्वासन दिया था लेकिन आज 5 माह बाद भी उनका आश्वासन पूरा नहीं हो पाया है.
माननीय मंत्री जी ने कहा कि कान्हा पार्क नक्सली गतिविधियों के लिए आंशिक संवेदनशील है लेकिन हाल ही में कान्हा पार्क की टेरिटोरी में ही दो अलग-अलग स्थानों पर एनकाउंटर हुए हैं. सारी घटनायें कान्हा पार्क के अंतर्गत हो रही हैं. ऐसे में जब यहां की पुलिस को विशेष भत्ता दिया जाता है तो कान्हा के कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है ? मैं, मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जिस तरह पुलिस कर्मचारियों को एक माह का अतिरिक्त भत्ता दिया जाता है, उन्हें भी यह मिलना चाहिए, क्या मंत्री जी यह दे पायेंगे ?
डॉ.(कुंवर) विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार चाहे वन्य प्राणी हों, चाहे आदिवासी हों, सभी के प्रति बहुत संवेदनशील है.
श्री सुनील सराफ- तो फिर इस पर चर्चा क्यों नहीं करवा रहे हो ?
श्री विजय रेवनाथ चौरे- आदिवासियों पर अत्याचार हो रहे हैं. आदिवासी हितैषी सरकार होती तो उन पर अत्याचार नहीं होते. आप आदिवासियों की बात मत करें, आपको कोई अधिकार ही नहीं है.
श्री दिलीप सिंह परिहार- हमने पेसा एक्ट लागू किया है इसलिए आदिवासियों की बात कर रहे हैं.
...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय- उत्तर आ जाने दीजिये, आपका ये तरीका गलत है. पट्टा जी के प्रश्न का उत्तर लेना है कि नहीं ? उनका उत्तर आने के पहले ही आप कैसे खड़े हो गए?
श्री ओमकार सिंह मरकाम- ये लोग आदिवासियों को इतनी हेय दृष्टि से क्यों देखते हैं ? ये आदिवासियों की बात ही क्यों कर रहे हैं ? मंत्री जी जानवरों से आदिवासियों की तुलना कर रहे हैं. ये गलत बात है, मंत्री जी अपने शब्द वापस लें. आप स्वयं आदिवासी हैं, आप मंत्री बन गए तो क्या आदिवासियों की जानवरों से तुलना करेंगे ?
...(व्यवधान)...
श्री पांचीलाल मेड़ा- दो आदिवासियों को गांव में इतना मारा-पीटा गया. उनकी किसी ने सुध नहीं ली, उसका किसी ने संज्ञान तक नहीं लिया. क्या सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करेगी ?
श्री नारायण सिंह पट्टा- पांची भाई, मेरा बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है. छोटे-छोटे कर्मचारियों से जुड़ा हुआ विषय है.
...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय- पट्टा जी का प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है. उसका उत्तर आप नहीं लेना चाहते है ?
डॉ. हिरालाल अलावा- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिवासियों पर बर्बरता हो रही है. सरकार इसे स्वीकार करे.
अध्यक्ष महोदय- अलावा जी, आप बैठ जायें. आपके अलावा भी और हैं. पहले उत्तर आ जाने दीजिये.
डॉ.(कुंवर) विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहला विषय जो विधायक जी द्वारा उठाया गया था कि जानवर के द्वारा कोई हानि पहुंचा दी जाती है, इसके लिए पहले 4 लाख रुपये मिलते थे. हालांकि पैसा किसी व्यक्ति की जान की कीमत नहीं हो सकता है.
श्री नारायण सिंह पट्टा- माननीय मंत्री जी, मैंने अभी जो प्रश्न किया पहले उसका जवाब दे दीजिये. ये तो मेरे प्रश्न में बाद में है. आप कहें तो मैं, अपने सारे प्रश्न रख देता हूं, फिर आप जवाब दीजियेगा. आप पहले मेरे प्रथम प्रश्न का जवाब दें.
डॉ.(कुंवर) विजय शाह- पट्टा जी, आपके सारे प्रश्नों का जवाब मिलेगा. आप चिंता न करें. आपके ही प्रश्न में है कि जो जानवर के द्वारा हानि हो जाती है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अभी केवल पहला प्रश्न पूछा है कि उस तरह से एक महीने का अतिरिक्त वेतन जो पुलिस कर्मियों को मिलता है वह वनकर्मियों को मिलेगा कि नहीं मिलेगा? नारायण सिंह जी, यही प्रश्न है ना?
श्री नारायण सिंह पट्टा-- जी माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न यही है, हमारे जो छोटे कर्मचारी हैं वे सब आदिवासी हैं.
अध्यक्ष महोदय-- यह तो अलग विषय हो गया. प्रश्न आपका यह है कि जिस तरह से पुलिस कर्मियों को एक माह का अतिरिक्त वेतन मिलता है उसी तरह से वन कर्मियों को मिलेगा कि नहीं मिलेगा?
श्री नारायण सिंह पट्टा-- जी.
डॉ. (कुँवर) विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, जो कान्हा के कर्मचारियों को लेकर के प्रश्न उठाया है, यह सही है कि वह एरिया आंशिक रूप से नक्सल प्रभावित हो रहा है. वन विभाग निश्चित रूप से शासन को लिखेगा कि आपका जो सुझाव है उसको ग्रहण करते हुए एक माह के वेतन के लिए, वन विभाग शासन को चिट्ठी लिखेगा.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- पहले मूल प्रश्नकर्ता का प्रश्न नहीं आया बीच में अपना सवाल जोड़ रहे हैं. नारायण सिंह जी, आप अपना प्रश्न पूछिए.
श्री नारायण सिंह पट्टा-- अध्यक्ष महोदय, मेरा इसी से जुड़ा हुआ प्रश्न है कि वहाँ के कर्मचारियों को वरीयता के आधार पर क्या आप पदोन्नति करेंगे या उनको अवसर देंगे कि नहीं क्योंकि नियम 11 सेवा शर्तें तो पुलिस विभाग में भी लागू हैं. लेकिन उन्हें भत्ता दिया जा रहा है जबकि उनके पास हथियार भी हैं लेकिन हमारे वन कर्मियों के पास तो केवल एक डण्डा रहता है जिससे वे जंगलों की भी सुरक्षा करते हैं और जंगली जीवों से भी सुरक्षा करते हैं तथा नक्सली घटनाओं को भी झेलते हैं. मेरा आग्रह है, मेरा ही नहीं बल्कि पूरा सदन इसमें सहमत होगा कि कान्हा पार्क के कर्मचारियों को विशेष भत्ता देने के लिए आप कब तक नियम बनाएँगे और कब तक दिया जाएगा?
डॉ. (कुँवर) विजय शाह-- अध्यक्ष जी, इसका जवाब तो मैं दे चुका हूँ कि वन विभाग शासन को चिट्ठी लिख रहा है कि आपकी बात से सहमत होते हुए, एक महीने का अतिरिक्त वेतन दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
श्री नारायण सिंह पट्टा-- अध्यक्ष महोदय....
अध्यक्ष महोदय-- आपकी सारी बातें आ गईं. आपकी सारी बात से वे सहमत हो गए. ..(व्यवधान)..
श्री नारायण सिंह पट्टा-- अध्यक्ष महोदय, मान लो वहाँ के जंगली जानवरों से कोई घटना हो गई, किसी की मृत्यु हो गई....
अध्यक्ष महोदय-- वह तो आ गया. वे तो कह रहे हैं कि हम दे रहे हैं.
श्री नारायण सिंह पट्टा-- आपने स्वीकार किया है कि हम उसको 8 लाख रुपये दे रहे हैं. श्रम विभाग के.....
अध्यक्ष महोदय-- हाँ दे रहे हैं.
डॉ. (कुँवर) विजय शाह-- अध्यक्ष जी, पहले 4 लाख रुपये था उसको बढ़ा करके हमारी सरकार ने 8 लाख रुपये कर दिया. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाओ ना भैय्या. उत्तर आ जाने दीजिए. अभी मूल प्रश्नकर्ता खड़े हैं.
श्री नारायण सिंह पट्टा-- अध्यक्ष महोदय, यह सामान्य नागरिक को भी 8 लाख रुपये का मुआवजा ऐसे ही दिया जाता है क्या कान्हा नेश्नल पार्क के अन्तर्गत, वन विभाग के अन्तर्गत, कोई अतिरिक्त सहायता उन कर्मचारियों को दिए जाने का प्रावधान है?
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात से सहमत होते हुए उन्होंने कहा कि वन विभाग सरकार को लिख करके कार्रवाई करेंगे, यह उन्होंने कह दिया. श्री लक्ष्मण सिंह जी, आप अपनी बात कहिए.
श्री लक्ष्मण सिंह-- अध्यक्ष महोदय, बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न नारायण सिंह जी ने उठाया है और यह कान्हा के साथ साथ मध्यप्रदेश में जितने अभ्यारण्य हैं सबकी समस्या है और मेरा एक सुझाव है...
श्री कमल नाथ-- लक्ष्मण सिंह जी, बिल्कुल सही. माननीय अध्यक्ष जी, आप यह भी निर्देश अगर देंगे कि जो उन्होंने कान्हा की बात की है. जैसे हमारा पेंच नेश्नल पार्क है, जो आप सब नेश्नल पार्क्स में कर रहे हैं. आप सामान्य रूप से बाकी में भी करिए.
डॉ. (कुँवर) विजय शाह-- अध्यक्ष जी, मैं पूर्व मुख्यमंत्री जी को बता देना चाहता हूँ, जो मेरी चिट्ठी गई है वह सभी के लिए गई है.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
श्री लक्ष्मण सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक सुझाव और है कि विधान सभा की एक समिति गठित हो, जिन विधायकों की इस विषय में रुचि है, वे जाएँ और सभी अभ्यारण्यों का दौरा करे और उसमें फिर एक रिपोर्ट पेश करें. उसके आधार पर शासन निर्णय ले. बहुत महत्वपूर्ण सवाल है.
श्री नारायण सिंह पट्टा-- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और प्रश्न है कि हमारे वन क्षेत्र में बहुत से ऐसे गाँव आते हैं उनमें हमारा कोटवार होता है, उस कोटवार को महज पाँच सौ या छःसौ रुपया मानदेय दिया जाता है. जबकि अध्यक्ष महोदय, आप भलीभांति समझ सकते हैं कि पाँच, छः सौ रुपये में, तीन चार किलो टमाटर ही आ रहे हैं. मेरा आप से आग्रह है कि क्या उन कोटवारों का मानदेय बढ़ाया जाएगा, दूसरा, अध्यक्ष महोदय, टाइगर रिजर्व में हमारी जो महिला कर्मियाँ हैं उनको महीने में 2-3 दिन तकलीफ होती है तो उन्हें छुट्टी दी जाना चाहिए क्योंकि टाइगर रिजर्व का काम....
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
..(व्यवधान)..
12.00 बजे
नियम 267-क के अन्तर्गत विषय
अध्यक्ष महोदय-- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएँ सदन में पढ़ी हुई मानी जाएँगी.
12.00 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा मध्यप्रदेश में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार के विरोध में गर्भगृह में प्रवेश किया गया)
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- यह सरकार आदिवासियों के मुद्दे से भाग रही है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आपसे आग्रह है कि कृपया कर आप सभी अपनी-अपनी सीट से जाकर बोलें. (व्यवधान)...
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--आदिवासियों के साथ पूरे मध्यप्रदेश में अन्याय हो रहा है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी कृपया कर अपनी सीट से बोलिए. (व्यवधान)...
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--आदिवासियों के मुद्दे पर सार्थक चर्चा होना चाहिए. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- कृपया कर आप सभी बैठ जाएं. आप सभी सीट पर जाइए. (व्यवधान)...
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- सरकार चर्चा से भाग रही है. हम अनुरोध करते हैं कि आप इस पर चर्चा कराएं और इस सदन में आदिवासियों के हित में चर्चा होनी चाहिए. हम सभी मांग करते रहेंगे. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी से आग्रह है कि आप सभी अपनी सीट पर जाइए और अपने सामने लगे हुए स्पीकर से बोलिए जिससे आपकी बात और आवाज समझ में आ जाए. आप सभी कृपया कर सीट पर जाइए और वहां से बोलिए. ..(व्यवधान)..
विधान सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(व्यवधान के कारण 12.02 बजे विधान सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
12.30 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरह से कांग्रेस का व्यवहार है. कांग्रेस के लोगों का इतना खेदपूर्ण व्यवहार है. (व्यवधान)
एक माननीय सदस्य -- यह व्यवहार नहीं दुर्व्यवहार है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग बैठ जाइए (व्यवधान)
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- आदिवासी भाई के साथ अत्याचार हुआ है. चर्चा नहीं कर रहे हैं. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- यह लोग कार्यवाही चलने नहीं दे रहे हैं. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, सदन चलाने का काम करें. सदन चलाएं और सरकार जवाब दे. जवाब से क्यों भाग रहे हैं आप. क्यों भाग रहे हो, जो किया है वह जनता को बताओ. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग बैठ जाएं. (व्यवधान)
श्री जगदीश देवड़ा -- हर बार बोलते हैं. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सरकार का जवाब आना चाहिए, इतना महत्वपूर्ण मुद्दा है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा चलेगी तभी तो जवाब आएगा. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग -- नाम बदनाम कर रहे हैं (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह -- यह महत्वपूर्ण मामला है. चर्चा क्यों नहीं कराना चाहते हैं.(व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- आदिवासियों पर हुए अत्याचार का जवाब दो. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग बैठ जाएं. अपनी सीट पर जाएं.(व्यवधान)
12.33 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण आदिवासियों पर अत्याचार और महाकाल मंदिर में मूर्तियों में हुए भ्रष्टाचार पर चर्चा की मांग करते हुए गर्भगृह में आए और धरने पर बैठे)
(व्यवधान)
12.34 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) खनिज प्रतिष्ठान जिला अनूपपुर का वर्ष 2019-2020, जिला शहडोल का वर्ष 2020-2021 एवं 2021-2022 तथा जिला सतना, सागर, धार, छिन्दवाड़ा, बालाघाट, रीवा एवं सीधी के वर्ष 2021-2022 के वार्षिक प्रतिवेदन.
(2) मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का 20 वां वार्षिक प्रतिवेदन वित्तीय वर्ष 2021-2022.
(3) (क) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा संपरीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023, तथा
(ख) रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
(4) (क) एमपी इण्डस्ट्रियल डेवलपमेन्ट कार्पोरेशन लिमिटेड का 43 वां वार्षिक प्रतिवेदन तथा लेखे वित्तीय वर्ष 2019-2020, तथा
(ख) डीएमआईसी विक्रम उद्योगपुरी लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021
....(व्यवधान)....
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है. महाकाल में मूर्तियां टूट गईं. भारतीय संस्कृति में टूटी हुई मूर्तियों का विसर्जन होता है....(व्यवधान)...
....(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, ये मध्यप्रदेश विधानसभा की गरिमा को तार-तार कर रहे हैं..(व्यवधान)...
12.36 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण आदिवासी समाज पर हुए अत्याचार का विरोध करते हुए गर्भगृह में आकर बैठ गए एवं नारे लगाए गए.)
12.37 बजे ध्यान आकर्षण
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित ध्यानाकर्षण की सूचनाएं पढ़ी हुईं मानी जाएंगी.
.....(व्यवधान)...
12.38 बजे अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 204-इन्दौर-1 से निर्वाचित सदस्य, श्री संजय शुक्ला को विधान सभा के जुलाई, 2023 सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा
12.39 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
1. आवेदन एवं अभ्यावेदन समिति का आवेदनों से संबंधित इक्कीसवां से पच्चीसवां तथा अभ्यावेदनों से संबंधित पच्चीसवां से तीसवां प्रतिवेदन
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (सभापति) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, आवेदन एवं अभ्यावेदन समिति का आवेदनों से संबंधित इक्कीसवां, बाईसवां, तेईसवां, चौबीसवां एवं पच्चीसवां तथा अभ्यावेदनों से संबंधित पच्चीसवां, छब्बीसवां, सत्ताईसवां, अठ्ठाईसवां, उनतीसवां एवं तीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हॅूं.
2. लोक लेखा समिति का उनचासवां से इक्यावनवां प्रतिवेदन
श्री पी.सी.शर्मा (सभापति) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, लोक लेखा समिति का उनचासवां, पचासवां एवं इक्यावनवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हॅूं.
.....(व्यवधान)...
आवेदनों की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी आवेदन प्रस्तुत किए गए माने जाएंगे.
......(व्यवधान).....
वर्ष 2023-2024 के प्रथम अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय के निर्देशानुसार वर्ष 2023-2024 के प्रथम अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन करता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय -- मैं, इस प्रथम अनुपूरक अनुमान पर चर्चा और मतदान के लिये दिनांक 13 जुलाई, 2023 को 2 घण्टे 30 मिनट का समय नियत करता हॅूं.
.....(व्यवधान)....
12.40 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
........(व्यवधान)....
अध्यक्षीय घोषणा
शासकीय विधेयकों को आज ही पुर:स्थापित कर विचार में लिये जाने की अनुमति विषयक
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
.......(व्यवधान)....
12.40 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)
(2) मध्यप्रदेश वृत्ति कर (संशोधन) विधेयक, 2023
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश वृत्ति कर(संशोधन) विधेयक,2023 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश वृत्ति कर(संशोधन) विधेयक,2023 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश वृत्ति कर(संशोधन) विधेयक,2023 का पुर:स्थापन करता हूं.
12.41 बजे
(3) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश माल और सेवा कर(संशोधन) विधेयक,2023 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश माल और सेवा कर(संशोधन) विधेयक,2023 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश माल और सेवा कर(संशोधन) विधेयक,2023 का पुर:स्थापन करता हूं.
12.42 बजे
(4) मध्यप्रदेश निवेश संवर्धन (संशोधन) विधेयक, 2023
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री(श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश निवेश संवर्धन(संशोधन) विधेयक,2023 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निवेश संवर्धन(संशोधन) विधेयक,2023 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाय.
अनुमति प्रदान की गई.
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री(श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश निवेश संवर्धन(संशोधन) विधेयक,2023 का पुर:स्थापन करता हूं.
12.43 बजे
(5) मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक,2023
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक,2023 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक,2023 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय(संशोधन) विधेयक,2023 का पुर:स्थापन करता हूं.
12.44 बजे
(6) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय(स्थापना एवं संचालन)(संशोधन)विधेयक,2023
उच्च शिक्षा मंत्री (डॉ.मोहन यादव) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय(स्थापना एवं संचालन)(संशोधन)विधेयक,2023 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय(स्थापना एवं संचालन)(संशोधन)विधेयक,2023 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.
अनुमति प्रदान की गई
उच्च शिक्षा मंत्री (डॉ.मोहन यादव) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय(स्थापना एवं संचालन)(संशोधन)विधेयक,2023 का पुर:स्थापन करता हूं.
(व्यवधान)
12.45 बजे
(7) मध्यप्रदेश वृत्ति कर (संशोधन) विधेयक, 2023(क्रमांक 8 सन् 2023)
(व्यवधान)
12.46 बजे
(8) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2023 (क्रमांक 9 सन् 2023)
(व्यवधान)
12.47 बजे
(9) मध्यप्रदेश निवेश संवर्धन (संशोधन) विधेयक, 2023(क्रमांक 10 सन् 2023)
(व्यवधान).......
(10) मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 पर विचार किया जाये. (व्यवधान).......
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 पर विचार किया जाये.
प्रश्न यह है कि कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 पर विचार किया जाये. (व्यवधान).......
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 4 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 से 4 इस विधेयक के अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया जाये. (व्यवधान)......
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया जाये. (व्यवधान).......
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(व्यवधान).......
(11) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2023
उच्च शिक्षा मंत्री (डॉ. मोहन यादव)-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2023 पर विचार किया जाय. (व्यवधान).......
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2023 पर विचार किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2023 पर विचार किया जाय. (व्यवधान).......
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
डॉ. मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2023 पारित किया जाय. (व्यवधान).......
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2023 पारित किया जाय.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन विधेयक, 2023 पारित किया जाय. (व्यवधान).......
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(व्यवधान)......
12.53 बजे
(व्यवधान).......
12:55 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य (क्रमश:)
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2023 (क्रमांक 12 सन् 2023)
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2023 का पुर: स्थापन करता हूं. ...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2023 पर विचार किया जाए. ...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2023 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2023 पर विचार किया जाए. ...(व्यवधान)....
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक के अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री जगदीश देवड़ा --- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2023 पारित किया जाए. ...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2023 पारित किया जाए. ...(व्यवधान)....
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-3) विधेयक, 2023 पारित किया जाए. ...(व्यवधान).... प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण गर्भगृह में नारे लगाते रहे)
(व्यवधान...)
12.56 बजे विधान सभा की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाना: प्रस्ताव
संसदीय कार्य मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश विधानसभा के वर्तमान सत्र के लिये निर्धारित समस्त शासकीय, वित्तीय एवं अन्य आवश्यक कार्य पूर्ण हो चुके हैं. अत: मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 12-ख के द्वितीय परंतुक के अंतर्गत, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि '' सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की जाये. ...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
प्रश्न यह है कि '' सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित की जाये.''...(व्यवधान)....
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
12.57 बजे राष्ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूहगान
अध्यक्ष महोदय- अब राष्ट्रगान होगा.
(सदन के माननीय सदस्यों द्वारा राष्ट्रगान ''जन-गण-मन'' का समूहगान किया गया.)
12.58 बजे
सदन की कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाना: घोषणा
अध्यक्ष महोदय- विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित.
अपराह्न 12.58 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित की गई.
भोपाल अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक: 12 जुलाई, 2023 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा