मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा षोडश सत्र
फरवरी-मार्च, 2018 सत्र
सोमवार, दिनांक 12 मार्च, 2018
(21 फाल्गुन, शक संवत् 1939 )
[खण्ड- 16 ] [अंक- 7 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 12 मार्च, 2018
(21 फाल्गुन, शक संवत् 1939 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
राष्ट्रकुल दिवस पर अध्यक्षीय संदेश
11.05 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
विभागीय योजनाओं से लाभांवित हितग्राहियों की संख्या
[उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण]
1. ( *क्र. 677 ) श्री विजय सिंह सोलंकी : क्या राज्यमंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2016-17 में खरगोन जिले के उद्यानिकी विभाग की समस्त योजनाओं से लाभांवित अ.जा. एवं अ.ज.जा. हितग्राहियों की संख्यात्मक जानकारी उपलब्ध कराएं। (ख) वर्ष 2016-17 तथा 2017-18 में खरगोन जिले के ड्रिप या स्प्रिंकलर अनुदान प्राप्त अ.जा. एवं अ.ज.जा. हितग्राहियों की संख्या बतावें? (ग) उद्यानिकी विभाग की अ.जा. एवं अ.ज.जा. हितग्राहियों के जाति प्रमाण-पत्र संबंधी विभागीय नीति/निर्देश की प्रति देवें। प्रश्नांश (ख) की सूची में किन-किन हितग्राहियों के जाति प्रमाण-पत्र विभागीय नीति/निर्देश अनुसार हैं?
राज्यमंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण ( श्री सूर्यप्रकाश मीना ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) वर्ष 2016-17 में अनुसूचित जाति वर्ग के 542 एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के 1473 कृषकों को तथा वर्ष 2017-18 में अनुसूचित जाति वर्ग के 32 एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के 26 कृषकों को ड्रिप का अनुदान दिया गया है। (ग) जाति प्रमाण संबंधी विभागीय नीति निर्देश जारी नहीं हुये हैं। उत्तरांश (ख) के सभी हितग्राहियों के जाति राजस्व रिकॉर्ड एवं ग्राम पंचायत से प्राप्त अनुमोदन अनुसार हैं।
श्री विजय सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, मैंने वर्ष 2016-17 के ड्रिप अनुदान में एसटी, एससी के हितग्राहियों के नाम की सूची मांगी थी और जाति प्रमाण-पत्र की फोटोकापी मांगी थी, यह नहीं देते हुए सिर्फ संख्या बताई है. यह संख्या तो हमें जिले से भी मिल जाती है. इसमें गड़बड़ी हुई है. ड्रिप लाइन के हितग्राहियों के नाम की सूची और जाति प्रमाण-पत्र की फोटोकापी चाहिए?
श्री सूर्यप्रकाश मीना - अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आपने प्रश्नोत्तरी में देखा होगा, इसमें नामवार सूची का कहीं उल्लेख नहीं है, संख्यात्मक जानकारी मांगी थी. वह माननीय सदस्य को उपलब्ध करा दी गई है.
श्री विजय सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न ऑन-लाइन किया गया, 6641 यह प्रश्न क्रमांक है, मैंने उसमें सूची और जाति प्रमाण-पत्र की फोटोकापी मांगी है.
श्री सूर्यप्रकाश मीना - अध्यक्ष महोदय, जो प्रश्नोत्तरी हमारे सामने है, इसमें माननीय सदस्य ने प्रश्नांश क में जो जानकारी मांगी है कि वर्ष 2017-17 में खरगौन जिले उद्यानिकी विभाग की समस्त योजनाओं से लाभांवित अ.जा. एवं अ.ज.जा. हितग्राहियों की संख्यात्मक जानकारी उपलब्ध कराएं. इसमें कहीं पर नाम और फोटोकापी का उल्लेख नहीं है.
श्री विजय सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, मेरे पास में यह सूची है, 6641 ऑन-लाइन प्रश्न क्रमांक है.
श्री सूर्यप्रकाश मीना - अध्यक्ष महोदय, आप अलग से जानकारी चाह रहे हैं तो वह हम उपलब्ध करा देंगे. लेकिन प्रश्न में वह यहां कहीं उद्भूत नहीं हो रहा है.
श्री विजय सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, मेरे पास में जानकारी है, मैं यह पटल पर रखता हूं, क्योंकि संख्या से हमें मतलब नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - उनको सूची उपलब्ध करा दें.
श्री सूर्यप्रकाश मीना - अध्यक्ष महोदय, नामवार उनको अलग से उपलब्ध करा देंगे.
अध्यक्ष महोदय - वह उपलब्ध करा देंगे.
श्री मुकेश नायक - अध्यक्ष महोदय, इस तरह से विधान सभा में जवाब आना, उन्होंने सूची इसलिए मांगी थी कि सूची में अपात्र लोगों को सुविधा दी गई है, इसलिए सूची मांगी थी.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने उपलब्ध कराने का बोल दिया है. अगला प्रश्न करिए.
श्री मुकेश नायक - और उन्होंने सूची इसलिए नहीं दी कि अगर सूची देंगे तो अपात्र आदमियों के नाम लिखना पड़ेंगे.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं. आपको सूची उपलब्ध करा देंगे.
श्री विजय सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, फोटोकापी भी चाहिए और सूची चाहिए.
श्री सूर्यप्रकाश मीना - अध्यक्ष महोदय, अलग से हम उपलब्ध करा देंगे. लेकिन प्रश्न में इसका कोई उल्लेख नहीं है.
श्री विजय सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा खरगौन जिले में अनुदान आया था, इसमें घपला हुआ है. आदिवासी, एससी को अनुदान न मिलते हुए अन्य को अनुदान ज्यादा मिला है, क्योंकि आदिवासियों को सब्सिडी ज्यादा है और अन्य को कम है, इन्होंने गड़बड़ी की है, उनकी सूची और फोटोकापी मुझे चाहिए और उसकी जांच होनी चाहिए?
श्री सूर्यप्रकाश मीना - अध्यक्ष महोदय, अलग से उनको हम उपलब्ध करवा देंगे.
श्री विजय सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, क्योंकि अनुदान आदिवासी हितग्राहियों को नहीं मिला है?
श्री सूर्यप्रकाश मीना - अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हितग्राहियों को जो हम लाभ देते हैं, उसमें सीधा नियम है कि हम बी-वन खतौनी, इसमें जाति का उल्लेख होता है, उन्हीं को हम लोग अनुदान की पात्रता देते हैं. ग्राम पंचायत का अनुमोदन भी उसमें आवश्यक होता है. पूरे प्रमाण लेने के बाद ही इस वर्ग के हितग्राहियों को हम लोग लाभ उपलब्ध कराते हैं.
अध्यक्ष महोदय - उनको आप सूची उपलब्ध करा दें.
श्री सूर्यप्रकाश मीना - अध्यक्ष महोदय, उनको सूची उपलब्ध करा देंगे.
श्री विजय सिंह सोलंकी - अध्यक्ष महोदय, सूची और फोटोकापी भी चाहिए.
श्री सूर्यप्रकाश मीना - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को उपलब्ध करवा देंगे.
श्री बाबूलाल गौर - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट दे दें.
अध्यक्ष महोदय - अनुपूरक प्रश्नों को ज्यादा एलाउ नहीं करेंगे, प्रश्न रह जाते हैं फिर माननीय सदस्य आपत्ति उठाते हैं कि 12 ही प्रश्न हुए.
श्री बाबूलाल गौर - अध्यक्ष महोदय, प्रश्न में यह पूछा है कि अ.जा. और अ.ज.जाति के संबंध में क्या हितग्राहियों के जाति प्रमाण पत्र संबंधी विभागीय नीति/निर्देश जारी किये गये हैं?
अध्यक्ष महोदय - नहीं किये हैं, उन्होंने कहा है कि जो रेग्यूलर है उसी पर करते हैं.
श्री बाबूलाल गौर - अध्यक्ष महोदय, नीति निर्देश परिपत्र जारी करना क्या आवश्यक नहीं है?
श्री सूर्यप्रकाश मीना - अध्यक्ष महोदय, जब हम जाति प्रमाण-पत्र लेने जाते हैं, उसमें राजस्व रिकॉर्ड, हर स्थानीय पंचायत की जानकारी के अनुसार ही जो प्रमाण-पत्र जारी होते हैं, इसलिए हमारे विभाग में जो नीति है, बी-वन और खसरा में जो जाति अंकित है या ग्राम पंचायत का प्रमाणीकरण, इसको हम लोग मानते हैं.
श्री बाबूलाल गौर - अध्यक्ष महोदय, यह महत्वपूर्ण प्रश्न है, हर विभाग की पॉलिसी होती है. इस विभाग की पॉलिसी नहीं है, इसलिए इसमें भ्रष्टाचार होता है. (शेम-शेम की आवाज)..
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - अध्यक्ष महोदय, आदरणीय गौर जी की बात का मैं समर्थन करता हूं और वही बात विधायक महोदय ने कहा कि भ्रष्टाचार है. मूल बात यह है कि हमारे विधायक साहब पूछ रहे हैं कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों को लाभ न मिलकर..
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) --..अध्यक्ष महोदय, इन्होंने कहा कि श्री बाबूलाल गौर जी का समर्थन करता हूं तो क्या बीजेपी में आ रहे हैं?
श्री अजय सिंह - उनकी बातों का समर्थन करता हूं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, आप अपनी नीति को स्पष्ट रखिये. एक बार आप भारतीय जनता पार्टी के सदस्य का आप समर्थन कर रहे हैं, फिर विपक्ष के नेता भी रहना चाहते हैं और बीजेपी का समर्थन भी करना चाहते हैं. यह हंसना और मॅुंह फुलाना दोनों एक साथ नहीं हो सकता.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, सरकार को लाईन में लाने के लिये गौर साहब का समर्थन कर रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, अभी तक का आप रिकार्ड देख लें जितनी बार गौर साहब खड़े हुए हैं उतनी बार नेता प्रतिपक्ष जरूर खड़े हुए हैं. इसलिये डॉक्टर साहब का जो कहना है मैं उसका समर्थन करता हँ.
श्री राम निवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, जो गौर साहब ने कहा है क्या आप उसका समर्थन नहीं करते ?
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, क्या आप संबंधों में भी बंदिश लगाओगे कि अगर संबंध हैं तो खड़े नहीं हो सकते ? गौर साहब को आप बीजेपी में नहीं मानते हैं ?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, आपका नेता भारतीय जनता पार्टी का सदन में खुले आम समर्थन कर रहा है और इसके बाद आप किस मुहं से बोल रहे हो ? ..व्यवधान..
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आदरणीय शेजवार जी ने पिछले दो-तीन दिन सदन में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाई थी, आपका स्वागत है. मैंने शुद्ध रूप से कहा था कि आदरणीय बाबूलाल गौर जी की बातों का मैं समर्थन करता हूं कि इसमें भ्रष्टाचार हुआ है. इसमें क्या गलत हो गया ? भ्रष्टाचार के खिलाफ जो लड़ेगा हम उसका समर्थन करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- आप क्या प्रश्न कर रहे थे ?
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक महोदय ने इस योजना के तहत अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को जो पात्र हैं उनको लाभ नहीं मिला अन्य लोगों को मिला, उसकी चिंता है. क्या इस पर माननीय मंत्री महोदय, खरगोन जिले में जांच करवा देंगे कि अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को मिला या नहीं मिला ? सही मिला कि गलत मिला ?
श्री सूर्यप्रकाश मीना -- अध्यक्ष महोदय, कोई पर्टिक्यूलर मामला यदि माननीय सदस्यगण, जिसमें बी-1 या खसरा में जाति का उल्लेख न हो या ग्राम पंचायत का प्रमाणीकरण न हो, उनके अनुसूचित जाति, जनजाति होने का कोई मामला बताएंगे तो जांच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- जब उनको सूची मिलेगी तब तो वह बताएंगे.
श्री सूर्यप्रकाश मीना -- अध्यक्ष महोदय, सूची उपलब्ध करा देंगे.
भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत पुलिया का निर्माण
[लोक निर्माण]
2. ( *क्र. 3175 ) श्रीमती झूमा सोलंकी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भीकनगांव जनपद क्षेत्रान्तर्गत ग्राम नुरियाखेड़ी से मेहत्याखेड़ी के मध्यम मार्ग का निर्माण, डामरीकरण कार्य विभाग द्वारा किया गया है? यदि हाँ, तो इस मार्ग के बीच नालों पर पुलिया निर्माण कार्य क्यों नहीं कराया गया है? (ख) क्या विभाग द्वारा डी.पी.आर. बनाकर शासन स्तर पर स्वीकृति हेतु भेजी गयी है? यदि हाँ, तो वर्तमान तक स्वीकृति प्राप्त क्यों नहीं हुई है? कहाँ पर लंबित है? यदि नहीं, भेजी तो क्या कारण है? (ग) क्या उपरोक्त मार्ग की पुलिया निर्माण की स्वीकृति हेतु विभाग द्वारा डी.पी.आर. बनवाने एवं सक्षम स्तर से स्वीकृति प्रदान करने हेतु कोई कार्यवाही की जावेगी, जिससे ग्रामीणजनों को सुविधा प्राप्त हो सके?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। वार्षिक संधारण के अंतर्गत नवीनीकरण का कार्य किया गया है, नवीनीकरण कार्य में पुलियाओं का निर्माण नहीं कराया जाता है। (ख) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता। प्राथमिकता सूची में सम्मिलित नहीं होने से कार्यवाही संभव नहीं है। (ग) प्रश्नांश (ख) के उत्तर अनुसार।
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, नुरियाखेड़ी और मेहत्याखेड़ी के मध्य लोक निर्माण विभाग के द्वारा सड़क निर्माण किया गया और उसमें पुलिया छोड़ दी गई है. वहां पर हायर सेकेण्डरी स्कूल के बच्चे भी जाते हैं और ग्रामीणजनों को भी पुलिया के बगैर बहुत ज्यादा असुविधा होती है. क्या आप पुलिया का निर्माण कराएंगे ?
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह कार्य 85-सी राहत कार्य में किया गया है. अभी 2011-12 में यह सड़क जो कि दो किलोमीटर है, डामरीकृत कराई गई है. इसमें पुलियों की जो मांग माननीय विधायक जी ने की है उसका प्रस्ताव मंगाकर हम परीक्षण करा लेंगे.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, जवाब क्लीयर नहीं हुआ. क्या माननीय मंत्री जी, पुल-पुलिया बनवाएंगे, क्योंकि यह बहुत आवश्यक है ?
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, उसको प्रक्रिया में लेकर प्रस्ताव बुलाकर देखेंगे. हर गांव को सड़क से जोड़ने की सरकार की योजना चल रही है उसमें हम लोग इसको शामिल करेंगे.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, मैं सड़क की बात नहीं कर रही पुलिया की बात कर रही हूं. आप सीधी बात बताएं कि आप पुलिया बनवाएंगे ?
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आप भी महसूस कर रहे हैं कि यह आखिरी बजट है और मैं अगर यहां कोई बात कह दूं और कल को नहीं होगी तो हमारे विपक्ष के साथी कहेंगे. इसका प्रस्ताव हम बुला रहे हैं और गंभीरता से लेंगे.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, इसका मतलब 100 परसेंट वह पुलिया नहीं बनेगी. अंतिम बजट है तो उसमें तो 100 परसेंट करना चाहिये और इससे क्लीयर हो गया कि सरकार की इच्छाशक्ति करने की नहीं है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आपने जो पुराने बजट में घोषणा की थी उसमें से एक भी पूरी नहीं हो रही है. मेरे क्षेत्र में ही एक रोड की घोषणा आपने की थी लेकिन वह आज भी पूरी नहीं हुई है.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, जवाब से लगता है कि नहीं बनवाएंगे.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी कह रहे हैं कि प्रस्ताव बुलाएंगे उसके बाद देखेंगे.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, प्रस्ताव तो आते रहेंगे. माननीय मंत्री जी घोषणा करें कि आप पुलिया बनवाएंगे क्योंकि पुलिया के बगैर रोड कोई महत्व नहीं रखता है.
लेबड से मुलथान फोरलेन मार्ग की मरम्मत
[लोक निर्माण]
3. ( *क्र. 1603 ) श्रीमती नीना विक्रम वर्मा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) एस.एच. 31 लेबड से मुलथान फोरलेन मार्ग का बी.ओ.टी. के आधार पर निर्माण किस वर्ष पूर्ण होकर वाहनों से टोल वसूली प्रारंभ हुई तथा किस समयावधि तक टोल वसूली की जावेगी? (ख) क्या टोल वसूली अवधि में उक्त मार्ग का संधारण टोल वसूली करने वाली कंपनी द्वारा किया जाना अनुबंध की शर्तानुसार अनिवार्य किया गया है? (ग) यदि हाँ, तो उक्त मार्ग के निर्माण के पश्चात् से कब-कब किस हिस्से का संधारण किया गया तथा कितनी बार मार्ग पर पूर्ण डामरीकरण किस दिनांक को किया गया? (घ) समय-समय पर समाचार पत्रों में इस मार्ग के टूट-फूट की खबर प्रमुखता से प्रकाशित होने तथा वर्तमान में भी कई स्थलों पर मार्ग के टूट-फूट की स्थिति में ही होने पर, विभाग द्वारा संबंधित कंपनी के विरूध्द क्या कार्यवाही की गई? (ड.) क्या मार्ग के पूर्णरूपेण मरम्मत नहीं किये जाने तक गड्ढों भरी सड़क से गुजरने वाले वाहनों को टोल शुल्क में रियायत दिये जाने हेतु विभाग पहल करेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) लेबड से जावरा फोरलेन मार्ग का बी.ओ.टी. के आधार पर वर्ष 2011 में पूर्ण होकर वाहनों से टोल वसूली प्रारंभ की गई है तथा मार्ग की कन्शेसन अवधि 25 वर्ष है। (ख) जी हाँ। (ग) मार्ग निर्माण के पश्चात् मार्ग को अनुबंध के विभिन्न प्रावधानों अनुसार निर्धारित समय-सीमा में संधारित किये जाने का उत्तरदायित्व निवेशकर्ता कंपनी का है। मार्ग के कुछ भाग में निवेशकर्ता कंपनी द्वारा रिन्यूअल कार्य किया गया है। पूर्ण डामरीकरण नहीं किया गया है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) मार्ग के विभिन्न स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण निवेशकर्ता कंपनी को मार्ग का संधारण अनुबंध के प्रावधान अनुसार किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। (ड.) जी नहीं। मार्ग पर गड्ढे नहीं हैं, अपितु कुछ स्थानों पर सतह असमतल हुई है। निवेशकर्ता कंपनी को टोल वसूलने के अधिकार सड़क निर्माण एवं अनुबंधानुसार मरम्मत के आधार पर दिये गये हैं, मात्र सड़क की मरम्मत के आधार पर नहीं। अत: टोल वसूलने के अधिकार को सीमित किये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्रीमती नीना विक्रमा वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न थोड़ा सेंसिटिव है मैं आपका फेवर चाहूंगी. मंत्री जी से मैं यह पूछना चाहती हूं कि आपने मेरे जवाब में यह बताया है कि फोरलेन जो लेबड़ से जावरा नया गांव होती हुई जाती है और कई विधान सभाओं को जोड़ती हुई सड़क है. इसका निर्माण हमने सुविधाओं के लिये किया था और इसमें मेंटेनेंस का जो काम कम्पनी कर रही है, आपका कहना है कि वह एग्रीमेंट के अकार्डिंग कर रही है. लेकिन मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहूंगी कि यदि मेंटेंनेस के जो अनुबंध हैं, उनके हिसाब से यदि मेंटेनेंस हो रहा है, तो जो लगातार होती हुई दुर्घटनाएं हैं, इसके बारे में मंत्री जी आप क्या कहना चाहेंगे और इसके बारे में आपने क्या उपाय किये हैं, क्योंकि मैंने जुलाई,2017 में भी इसके संबंध में मेरा प्रश्न क्रमांक 2067 था. उसमें मैंने पूछा था, तब भी यह बताया गया था कि जो स्पाट, जहां ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं, उनका चयन करके सुरक्षा के उपाय किये जायेंगे. लेकिन आज तक वहां कुछ भी नहीं हुआ है. वैसे ही लगातार गड्ढे हैं और इसके कारण बढ़ती हुई दुर्घटनाएं, जो कि आज करीब 2000 के पहुंच चुकी हैं. यह सड़क 2011 में हैंड-ओव्हर हुई थी और हैंडओव्हर होने के बाद आप यदि ग्रॉफ देंखेंगे, तो 2011 में 117, 2012 में 158, 2013 में 202, 2014 में 232, 2015 में 246, 2016 में 217 और 2017 में ठीक डबल होते हुए 254 ऑन रिकार्ड जो है, जो कि पुलिस के उसमें सूचीबद्ध है. इतनी सारी दुर्घटनाएं हैं और इनके बारे में सवाल में यही बताया गया है कि यहां पर कुछ नहीं है, ऐसा है, मेंटेन है, जबकि पूटी-फूटी सड़क, असंतुलित सड़क है.
अध्यक्ष महोदय -- इसमें दुर्घटना का प्रश्न नहीं है. इसमें यह है कि मरम्मत..
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- नहीं-नहीं, अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि जब तक इसके बारे में बताया नहीं जायेगा. तब तक हमारा जवाब नहीं मिलेगा. इसलिये कि जब तक यह डिटेल नहीं बताई जायेगी कि वहां पर जो घनी आबादी के बीच में सड़क जा रही है, वहां पर अंधेरा है. रेलिंग टूटी हुई है, सड़क टूटी-फूटी है, उसमें गड्ढे हैं. मतलब दरार चली हुई है. इसके कारण वहां पर इतना ज्यादा अंध विश्वास हो गया है कि वहां पर महिलाएं ..
अध्यक्ष महोदय -- आपका भाषण हो रहा है और भी प्रश्न हैं.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट. वहां पर महिलाओं में अंध विश्वास को बढ़ावा मिला है. वहां पर महिलाएं सड़क की पूजा कर रही हैं. नारियल चढ़ा रही हैं, अगरबत्ती लगा रही हैं. मैंने खुद देखा है. मैं वहां से क्रॉस हुई थी और मैं बढ़ते हुए अंधविश्वास को रोकने के लिये ही यहां आज सदन में खड़ी हुई हूं कि यह जो अंध विश्वास बढ़ रहा है, इसको हम रोकने के लिये क्या कर रहे हैं.
..(व्यवधान)..
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, अमेरिका, वाशिंगटन से अच्छी हैं सड़कें.
अध्यक्ष महोदय -- आप सब लोग बैठ जायें. उनको प्रश्न पूछने दें. उनका समाधान होने दें. (श्री तरुण भनोत, सदस्य के खड़े होने पर) यह क्या है. हर बार खड़े हो जाते हैं. मंत्री जी.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, यशपाल जी जब सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का दौरा लेकर के वहां पर गये थे...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं आपका प्रश्न बहुत लम्बा हो गया है. वे भूल ही जायेंगे.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, बताना तो पड़ेगा, तभी तो सही जवाब देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- फिर वे उत्तर ही भूल जायेंगे. आपने इतना लम्बा प्रश्न कर दिया है.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा सीधा प्रश्न यह है कि अभी तक वहां दुर्घटनाओं को रोकने के लिये क्या उपाय किये गये. कम्पनी के साथ जो एग्रीमेंट हुआ था, अगर वह कम्पनी शर्तों का उल्लंघन कर रही है, तो क्या उस पर कोई दण्ड का प्रावधान करेंगे.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या जी ने लेबड़ से मुलथान फोरलेन मार्ग के संबंध में जो प्रश्न किया है, यह पूर्व में भी इस विषय पर चर्चा एक बार हुई है. मैं माननीय सदस्या जी से निवेदन करुंगा कि पहले तो यह 54 किलोमीटर का नवीनीकरण कर दिया है. शेष 76 किलोमीटर है, उसका कार्य भी तुरन्त प्रारम्भ करा दिया जायेगा, जहां तक दुर्घटनाओं की बात है, तो दुर्घटनाओं के लिये, अगर वह हो रही हैं, तो उसके लिये भी हम एक चीफ इंजीनियर स्तर के अधिकारी से परीक्षण माननीय सदस्या के समक्ष करा देंगे और जो भी जरुरी होगा, वह करेंगे.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, परीक्षण हो चुका है. पहले भी यशपाल सिंह जी की समिति वहां जाकर के देख चुकी है. अभी 7 फरवरी को यहां के उच्च अधिकारी, एमपीआरडीसी के गये थे. उन्होंने भी परीक्षण किया और उन्होंने भी वहां पाया, नई दुनिया वगैरह सारे समाचार पत्रों में यह छपा है. कई पत्रकारों के परिवार वहां पर मर चुके हैं. तो मेरा मंत्री जी से एक ही निवेदन है कि वहां आप काम करवायें..
अध्यक्ष महोदय --परीक्षण में जो नोट आया है, उसके अनुसार कार्यवाही करा देंगे क्या.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, निश्चित रुप से जो माननीय सदस्या जी की चिंता है, उसको हम गंभीरता से लेते हुए काम भी शीघ्र प्रारंभ करायेंगे और साथ साथ में ये जो दुर्घटनाएं हो रही हैं, उसका भी परीक्षण होगा.
अध्यक्ष महोदय --परीक्षण का जो नोट है, वह भी उनको उपलब्ध करा दें, ताकि वह जान सकें कि परीक्षण में क्या रिजल्ट आये.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या के साथ अधिकारी जायेंगे, उनको पूरा अवगत करायेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- यशपाल सिंह जी गये थे जांच करने.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति में आप गये थे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- अध्यक्ष महोदय, आसंदी से मुझे इस पूरे मार्ग के लिये संयोजक बनाया था. 9 विधायकों ने हमने तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री, नागन्द्र सिंह जी के नेतृत्व में, उन्होंने पूरी सड़क को नापा 260 किलोमीटर. दो दिन लगे हमको. लेकिन यह बात सही है कि जहां डिजाइन की गई है, अगर कर्व है, तो उनको ठीक नहीं किया जा रहा है. अभी लगातार दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं. और उसमें जो मरम्मत का सवाल है. वास्तव में माननीय सदस्या ने ठीक कहा है.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, आपकी बात आ गई है, आपने उनका समर्थन कर दिया. माननीय मंत्री जी, जो जांच की रिपोर्ट आई है...
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जांच भी कराएंगे और अगर अनुबंधों का उल्लंघन किया है तो उस पर कार्यवाही करेंगे.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जांच बहुत बार हो चुकी है. काम कब शुरू कराएंगे, कृपया यह बता दें.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, शीघ्र कार्य प्रारंभ किया जाएगा.
श्री आरिफ अकील -- माननीय मंत्री जी, शीघ्र की परिभाषा बता दें, शीघ्र किसे कहते हैं, कितने दिन में कर दिया जाएगा ?
श्री रामपाल सिंह -- परिभाषा आपको हम बताएंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह गंभीर विषय है. इसमें एक आपत्ति यह भी है, जो यशपाल सिंह जी ने बात कही कि इसमें डिजाइन फ्लॉ है. इसमें दो प्रश्न हैं, जांच हो गई, रिपोर्ट आ गई, उसके बाद भी कह रहे हैं कि हम जांच कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं जांच नहीं करवाएंगे, अब रिपोर्ट पर कार्यवाही करेंगे.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यदि डिजाइन फ्लॉ है तो पहले उसको ठीक कराएं. अध्यक्ष महोदय, दूसरी मेरी मूल बात यह है कि जितनी इस तरह की सड़कें हैं, इनमें दुर्घटनाएं ज्यादा हो रही हैं, क्योंकि जो अनुबंध होता है उसका पालन नहीं होता है. मेन्टेनेन्स वाली जितनी सड़कें हैं, उनमें पालन नहीं होता है. इस तरह की सड़कें सभी माननीय सदस्यों के क्षेत्रों में हैं जो बीओटी में चली गईं, लेकिन उनका रख-रखाव ठीक नहीं है. उसके लिए भी माननीय मंत्री महोदय अपने विभाग का थोड़ा रिव्यू कर लें, यह ज्यादा अच्छा रहेगा.
श्री रामपाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इनका सुझाव अच्छा है, इसे हम गंभीरता से लेंगे.
मण्डी बोर्ड द्वारा स्वीकृत सड़कें
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
4. ( *क्र. 3194 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कृषि मण्डी बोर्ड से सड़क निर्माण कार्य स्वीकृत किया जाता है? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार यदि हाँ, तो सड़क किस मद से स्वीकृत की जाती है एवं इस योजना में किन ग्रामों को शामिल किये जाने का प्रावधान है? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार यदि हाँ, तो विधानसभा क्षेत्र गोटेगांव अंतर्गत कृषि मण्डी बोर्ड से कितनी सड़कें जनवरी 2014 से प्रश्न दिनांक तक स्वीकृत की गईं हैं? राशिवार, स्थानवार, वर्षवार, कार्य पूर्णता का समय, जनपदवार जानकारी देवें। (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार स्वीकृत सड़कों में से कितनी सड़कों का निर्माण पूर्ण किया जा चुका है एवं कितनी सड़कें अपूर्ण हैं, जिन सड़कों का निर्माण कार्य अपूर्ण है, वे कब तक पूर्ण हो जावेंगी?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) जी हाँ। विधानसभा क्षेत्रांतर्गत मण्डी क्षेत्रों में मण्डी बोर्ड द्वारा सड़क निर्माण कार्य स्वीकृत किया जाता है। (ख) सड़कों के निर्माण की स्वीकृति बोर्ड निधि तथा किसान सड़क निधि मद से आवश्यकता तथा राशि की उपलब्धता के आधार पर की जाती है, जो किसी योजना के तहत् नहीं होने से शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) विधान सभा क्षेत्र गोटेगांव अंतर्गत मण्डी क्षेत्र गोटेगांव (जनपद गोटेगांव) में बोर्ड निधि से प्रश्नाधीन अवधि के वर्ष 2015-16 में 01 सड़क कार्य मुगली से समनापुर, लंबाई 2.50 कि.मी., लागत राशि रू. 210.00 लाख की स्वीकृत की गई थी, जिसका निर्माण कार्य दिनांक 28.04.2017 को पूर्ण हो चुका है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
डॉ. कैलाश जाटव -- मेरे प्रश्न के उत्तर में जो जानकारी दी गई है, उसके संबंध में मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि वर्ष 2015-16 में जो मुगली से समनापुर एक सड़क स्वीकृत हुई है, यह किसकी अनुशंसा से स्वीकृत हुई है, इतना केवल मुझे बता दें ?
अध्यक्ष महोदय -- यह गौरीशंकर बिसेन जी से पूछा गया है. उत्तर पाटीदार जी दे रहे हैं.
डॉ. कैलाश जाटव -- राज्ममंत्री जी उपस्थित हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मंडी बोर्ड से संबंधित प्रश्न है, इसलिए किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री जी से पूछा गया है.
श्री रामनिवास रावत -- सरकार ऐसे चल रही है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, पाटीदार जी उत्तर दे रहे हैं.
राज्यमंत्री, किसान कल्याण तथा कृषि विकास (श्री बालकृष्ण पाटीदार) -- मैं पहले ही खड़ा हो गया हूँ भाई, आप थोड़ा तसल्ली रखें, सरकार जिम्मेवारी से काम करती है और करेगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. जाटव जी का जो प्रश्न है, यह सड़क जो गोटेगांव में स्वीकृत हुई थी, वह लगभग पूर्ण हो गई है. अब इसमें स्वाभाविक रूप से वहां के विधायक ने अनुशंसा की होगी. यह साधिकार समिति के अध्यक्ष द्वारा स्वीकृत की गई है. स्वाभाविक है कि वहां के विधायक ने मांग की होगी.
डॉ. कैलाश जाटव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सिम्पल सवाल था कि यह रोड किसकी अनुशंसा से स्वीकृत हुई है, माननीय मंत्री जी ने बोला है कि यह गोटेगांव विधायक की अनुशंसा से स्वीकृत हुई है तो मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि मेरी अनुशंसा का पत्र वे मुझे उपलब्ध करा दें, उसके लिए मैं उनको धन्यवाद दे दूंगा.
श्री बालकृष्ण पाटीदार -- अध्यक्ष जी, सड़क की वहां आवश्यकता होगी, विधायक जी ने नहीं भी रखी होगी, जनता की तरफ से मांग आई होगी, वहां पर सड़क बन गई है.
अध्यक्ष महोदय -- जाटव जी, सड़क निर्माण हुआ है ना, आपको क्या एतराज है.
डॉ. कैलाश जाटव -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा बहुत सिम्पल सवाल था कि अगर वहां रोड स्वीकृत हुई है, मंडी बोर्ड ने रोड स्वीकृत की है तो मुझे माननीय मंत्री जी यह बता दें कि यह स्वीकृति कौन करता है और किसकी अनुशंसा से होती है. अगर विधान सभा क्षेत्र के प्रतिनिधि को नहीं मालूम है तो यह उसे कौन बताएगा, अध्यक्ष महोदय, इसका मुझे जवाब दिलवा दें.
श्री बालकृष्ण पाटीदार -- अध्यक्ष महोदय, मैंने जैसा बताया कि जो साधिकार समिति होती है वह समिति स्वीकृत करती है. वहां पर जनता की मांग, विधायक की मांग, सांसद की मांग या तात्कालिक परिस्थिति, यदि लगता है कि वहां पर सड़क बनाने की आवश्यकता है तो सरकार सड़क बनाती है.
डॉ. कैलाश जाटव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर जनता की मांग हुई है तो उसका पत्र उपलब्ध करवा दें, अगर सांसद जी की तरफ से हुआ है तो उनका पत्र उपलब्ध करवा दें या अगर मेरा पत्र लगा है तो वह उपलब्ध करवा दें, इन तीनों में से जो भी पत्र उपलब्ध करवा देंगे तो बड़ी कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय -- यह तो ठीक है आपका प्रश्न आ गया, क्या आपको और कुछ पूछना है ?
डॉ. कैलाश जाटव -- अध्यक्ष महोदय, बस मुझे इतना ही पूछना है, उसी का जवाब आ जाए.
अध्यक्ष महोदय -- दे दिया उन्होंने.
डॉ. कैलाश जाटव -- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने नहीं दिया. आप सिर्फ इन तीनों में से कोई भी पत्र उपलब्ध करवा दें.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, जिस आधार पर जो प्रस्ताव वहां से आया होगा, वह उनको उपलब्ध करा देना.
श्री बालकृष्ण पाटीदार -- अध्यक्ष महोदय, जरूर करवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- और आपको कुछ पूछना है ?
डॉ. कैलाश जाटव -- अध्यक्ष महोदय, बस इतना ही सवाल था, धन्यवाद.
प्रश्न संख्या - 5 (अनुपस्थित)
6. ( *क्र. 3191 ) श्री सूबेदार सिंह रजौधा : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या वर्ष 2016-17 में कैलारस विकासखण्ड में किसानों को बन्डफार्मर अनुदान पर वितरण किये गये थे? यदि हाँ, तो अनुदान राशि की जानकारी देवें? (ख) विकासखण्ड के आर.ए.ई.ओ. समई, सुजर्मा, लाभकंद, दिपेरा, बुडसिरथरा में वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में किसानों को मिनीकिट, अन्नपूर्णा एवं बीजग्राम योजना अन्तर्गत कितना बीज वितरण किया गया है और बीज पर कितना अनुदान दिया गया है? योजनावार, संख्यावार जानकारी देवें। (ग) क्या प्रश्नांश (क) के संबंध में फर्जी तरीके से किसानों के नाम दर्शित कर लाखों रूपये की अनुदान राशि का एस.डी.ओ. कैलारस द्वारा भ्रष्टाचार किया गया है? यदि हाँ, तो क्या शासन की राशि के दुरूपयोग पर कार्यवाही की जावेगी?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) जी हाँ, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 अनुसार है। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 2 अनुसार है। (ग) विकासखण्ड कैलारस में एस.डी.ओ. का पद स्वीकृत नहीं है, एस.ए.डी.ओ. का पद स्वीकृत है। एस.ए.डी.ओ. विकासखण्ड कैलारस की भ्रष्टाचार से संबंधित कोई शिकायत प्राप्त होना प्रतिवेदित नहीं है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने किसान कल्याण मंत्री जी से प्रश्न किया था कि कैलारस विकासखण्ड में किसानों को बन्डफॉर्मर अनुदान पर दिए गए हैं, वह कितने लोगों को दिए गए हैं इसकी जानकारी मैंने माननीय मंत्री जी से चाही थी. किसानों को मिनीकिट, अन्नपूर्णा एवं बीजग्राम योजना के अंतर्गत कितना बीज वितरण किया गया ?
अध्यक्ष महोदय -- आपका प्रश्न तो आ गया, आप पूरक प्रश्न करें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बन्डफॉर्मर अलग है और बीजग्राम योजना अलग है.
अध्यक्ष महोदय -- आपने प्रश्न पूछा है आप इस प्रश्न का कुछ पूरक पूछना चाहते हैं तो इसकी सूची भी आ गई है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सूची आयी है इसके बारे में जवाब आया है. जैसा वहां से नीचे से भेजा है वैसा माननीय मंत्री जी ने सदन को भेज दिया है. इसमें मैं दावे से यह कह सकता हॅूं कि किसानों को 1520 बन्डफॉर्मर वितरित किए गए हैं और जो सूची बनायी है, वह बिल्कुल फर्जी है. इसमें किसानों को कतई बन्डफॉर्मर नहीं मिले. 720 की सूची भेजी है उसमें से ज्यादा से ज्यादा 50-60 किसानों को बन्डफॉर्मर बंटे हैं. अध्यक्ष महोदय, यह इतना प्रभावशाली व्यक्ति है कि इसका तीन बार ट्रांसफर हो गया और तीनों बार इस व्यक्ति ने अपना ट्रांसफर केंसिल करवा लिया. उसके नीचे आरआई भी बैठते हैं तो वह व्यक्ति आरआई से कहता है कि मैं जो कर रहा हॅूं वह ठीक कर रहा हॅूं. आप इस पर दस्तखत करिए. मेरा तो प्रभाव तुमने देखा ही है कि मेरा हर साल ट्रांसफर होता है और मैं ट्रांसफर निरस्त करवा लेता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय -- आपका प्रश्न क्या है ?
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि इसमें एस.डी.ओ. शब्द लिखा है वह गलत लिखा है. वह एस.ए.डी.ओ. है. इन्होंने इतना व्यापक भ्रष्टाचार किया है चाहे वह बन्डफॉर्मर हो...
अध्यक्ष महोदय -- आप चाहते क्या हैं ?
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हॅूं कि इस व्यक्ति को हटाकर निष्पक्ष जॉंच करवायी जाए. इसने कई लाख रूपए का घोटाला किया है.
राज्यमंत्री, किसान कल्याण तथा कृषि विकास (श्री बालकृष्ण पाटीदार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई भ्रष्टाचार यदि वहां हुआ है तो माननीय सदस्य उसके लिए लिखित में बताएं कि कैसे भ्रष्टाचार हुआ है तो निश्चित रूप से उसकी जॉंच करा ली जाएगी. अभी आपने जो जानकारी मांगी है, वह सब जानकारी दी गई है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सदस्य क्या भ्रष्टाचार का प्रमाण देते रहेंगे. जॉंच मांग रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आपके पास कोई स्पेसिफिक मामला है ?
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सब सदस्य ही करेंगे तो सरकार क्या करेगी ?
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाएं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय जी, उत्तर ठीक नहीं आ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ तो जाएं.
डॉ. कैलाश जाटव -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा एक निवेदन है कि हमारे नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष.....
अध्यक्ष महोदय -- आप इस झंझट में मत पडि़ए. आप तो उनका उत्तर आने दीजिए.
डॉ. कैलाश जाटव -- माननीय अध्यक्ष जी, झंझट तो यही लोग करते हैं हर प्रश्न पर बोलते हैं.
श्री बाला बच्चन -- आपकी ही पार्टी के विधायकों के ऊपर आपका विश्वास और भरोसा नहीं है. अभी तो दोनों विधायकगण आपकी ही पार्टी के हैं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री बाला बच्चन जी बैठ जाइए. बैठ जाइए. माननीय सदस्यों के भी प्रश्न हैं.
डॉ. कैलाश जाटव -- हमारे सदस्य उसमें सक्षम हैं वह बात कर रहे हैं.
श्री बालकृष्ण पाटीदार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य कुछ प्रमाण देंगे या लिखित में देंगे कि वहां पर भ्रष्टाचार हुआ है और तथ्यात्मक देंगे तो हम उसकी जॉंच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य का सीधा प्रश्न है कि आप उनको हटाकर जॉंच कराएंगे ? आप उसका हॉं या ना में उत्तर दे दीजिए.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के जवाब से पहले आपसे अनुरोध करना चाहता हॅूं कि माननीय मंत्री जी कृषि विभाग के लिए नए हैं जो वहां से पर्ची आती है....
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप बैठ जाइए, यह कोई बात नहीं हुई.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह उनका विभाग नहीं है. मैं आपका संरक्षण चाहता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय -- आप माननीय मंत्री जी का उत्तर तो सुन लीजिए.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप सुन तो लीजिए. माननीय मंत्री जी कह रहे हैं कि शिकायत करें तो मैं जॉंच करवा लूंगा. इसमें कई बार शिकायतों के बाद उस व्यक्ति का ट्रांसफर हुआ है. पूरी तरह से घोटाले में लिप्त है और माननीय मंत्री जी, यह एक-दो लाख रूपए का नहीं है, दसों लाख रूपए का घोटाला है. एक आदमी ने भ्रष्टाचार किया है और उसका तीन बार ट्रांसफर होने के बाद भी उसका ट्रांसफर बार-बार निरस्त हो जाता है.
श्री बालकृष्ण पाटीदार-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य उसको हटाना चाहते हैं कि जाँच कराना चाहते हैं?
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, मैं उसको हटाकर जाँच कराना चाहता हूँ.
श्री बालकृष्ण पाटीदार-- उसको हटाकर जाँच करा लेंगे.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अध्यक्ष महोदय, उसको कब हटा देंगे उसकी समय सीमा बता दीजिये.
श्री बालकृष्ण पाटीदार-- अध्यक्ष महोदय, उसको तत्काल हटाकर जाँच करा लेंगे.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- मंत्री जी, धन्यवाद.
इंदौर-अहमदाबाद मार्ग पर फ्लाई ओव्हर का निर्माण
[लोक निर्माण]
7. ( *क्र. 1777 ) श्री वेलसिंह भूरिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या धार जिले के राजगढ़ कुक्षी रोड स्थित इंदौर-अहमदाबाद रोड फोर-लेन एवं सरदारपुर-भोपावर मार्ग पर इंदौर अहमदाबाद फोर-लेन क्रासिंग पर आये दिन हो रही दुर्घटनायें तथा इन दुर्घटनाओं में लगभग 100 से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है? इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिये शासन के पास क्या योजना है? (ख) फोर-लेन पर क्रासिंग होने के बावजूद भी उस पर फ्लाई ओवर ब्रिज के निर्माण का प्रस्ताव प्राक्कलन में निर्माण एजेंसी द्वारा क्यों नहीं किया गया? इस गंभीर लापरवाही के लिये कौन जिम्मेदार है? क्या जिम्मेदार लोगों के खिलाफ शासन कोई वैधानिक कार्यवाही करेगा? हाँ तो कब तक? नहीं तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) एवं (ख) उक्त प्रश्न भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से संबधित है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से प्राप्त उत्तर संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री वेलसिंह भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, मेरा विषय और प्रश्न बहुत गंभीर है मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. इन्दौर-अहमदाबाद रोड फोर-लेन एवं सरदारपुर-भोपावर रोड पर दुर्घटनायें हो रही हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न आ गया है आप इस पर पूरक प्रश्न पूछ लीजिये.
श्री वेलसिंह भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से सीधा प्रश्न पूछ लेता हूं कि भोपावर-सरदारपुर रोड में फ्लाई ओवर बनना था, विभाग के कर्मचारियों की गल्ती के कारण वह नहीं बन पाया और राजगढ़ कुक्षी रोड पर भी फ्लाई ओवर बनना था वह भी नहीं बना है तो मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे कि इन दोनों जगहों पर ब्रिज का निर्माण कब तक किया जाएगा?
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा है वह मुख्य रूप से भारत सरकार के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से संबंधित है. मैं माननीय सदस्य से निवेदन करूंगा कि जो बात लोकसभा के अंदर उठना था उसको आपने विधान सभा में उठाया है लेकिन आपने जो भावना व्यक्त की इसके लिए हम दिल्ली पत्र लिख कर आपकी भावना से अवगत कराँएगे.
श्री वेलसिंह भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, मामला बहुत गंभीर है सौ अधिक लोगों की मृत्यु उस रोड पर हो चुकी है. मेरा निवेदन है कि कितने दिन में आप ब्रिज निर्माण के लिए भारत शासन को प्रस्ताव भेजेंगे? समय सीमा बता दें.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी भावना को हम शीघ्र निवेदन कर देंगे.
श्री वेलसिंह भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, तब तक वहाँ संकेतक या डिवाइडर इस तरह की कुछ व्यवस्था करवा दें ताकि लोग वहाँ संभलकर चलें क्योंकि वहाँ दुर्घटना जोन है.
अध्यक्ष महोदय-- आपने प्रश्न डिवाईड कर दिया, बोल देंगे उनसे.
ग्रीन कार्डधारी अध्यापकों को वेतनवृद्धि का लाभ
[स्कूल शिक्षा]
8. ( *क्र. 1411 ) श्री प्रताप सिंह : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश में शिक्षा विभाग में कार्यरत अध्यापक संवर्ग के ग्रीन कार्डधारियों को इन्क्रीमेंट लगाये जाने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो आदेश की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) क्या अध्यापक संवर्ग को 6 वें वेतनमान के आदेश के पश्चात् से ग्रीन कार्डधारी अध्यापकों को इन्क्रीमेंट बंद कर दिये गये हैं? यदि हाँ, तो शासन के किस आदेश से? उस आदेश की प्रति उपलब्ध करावें।
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। अत: शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न अध्यापक संवर्ग से संबंधित है मैंने प्रश्न किया है कि क्या ग्रीन कार्डधारी अध्यापकों को इंक्रीमेंट बंद कर दिया गया है. इसका जवाब आया है कि जी नहीं. लेकिन 22 दिसंबर 2017 को छठवें वेतन के गणना पत्रक में ग्रीनकार्ड की वेतनवृद्धि का जिक्र ना होने के कारण 1 फरवरी 2017 के पूर्व के पात्र कर्मचारियों को जिनको एक इंक्रीमेंट मिलना था उनको नहीं दिया जा रहा है अतः अध्यापक संवर्ग को छठवें वेतन के गणना पत्रक में ग्रीनकार्ड वेतनवृद्धि का लाभ देने का शासन अलग-से निर्देश जारी करेगा? यह मेरा प्रश्न है.
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, जो माननीय विधायक जी की मंशा है, तो पहली बात तो बंद नहीं किया गया है. जो एक बच्चे पर नसबंदी कराते हैं उन्हें दो वेतनवृद्धि दिए जाने का प्रावधान है और जो दो बच्चों के बाद अगर नसबंदी कराते हैं, उन्हें एक वेतनवृद्धि दी जाएगी. छठे वेतन आयोग के गणना पत्रक के साथ यह सारा मामला क्लियर हो जाएगा, कोई रोक नहीं लगाई.
श्री प्रताप सिंह-- लेकिन अध्यक्ष महोदय, इसमें कोई निर्देश तो जारी हों, जो छठे वेतनमान में अभी तक इन कर्मचारियों को, पात्र कर्मचारियों के इन्क्रीमेंट बंद कर दिए गए हैं. आपने, "जी हाँ" जरूर लिखा है लेकिन अभी भी इन लोगों की मांग है कि ग्रीन कार्डधारियों को वेतनवृद्धि का लाभ देने के लिए शासन अलग से निर्देश जारी करे.
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, अभी सारे अध्यापकों को हम शिक्षक संवर्ग में मिला रहे हैं इसलिए जब छठा वेतनमान का जो आएगा उसके बाद जैसे ही पोर्टल पर आएगा. यह शिकायतें अपने आप दूर हो जाएँगी.
अध्यक्ष महोदय-- जब गणना होगी, तब हो जाएगा.
प्राचार्य शा.उ.मा.वि. ईशानगर के विरूद्ध जाँच/कार्यवाही
[स्कूल शिक्षा]
9. ( *क्र. 527 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय म.प्र. भोपाल द्वारा पत्र क्रमांक/स्था.-1/सत/सी/वि.स./ छतरपुर/2017/2558, दिनांक 29.11.2017 के अनुसार संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग सागर को जाँच कर दोषी व्यक्ति को चिन्हित कर जाँच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का कार्य सौंपा गया था? (ख) क्या संयुक्त संचालक लोक शिक्षण संभाग सागर द्वारा पत्र क्रमांक/वि.स./शिक्षा/2017/5027, दिनांक 30.11.2017 द्वारा तीन सदस्यीय जाँच कमेटी का निर्माण कर जाँच करवायी गयी थी? (ग) क्या जाँच कमेटी द्वारा राशि 14,09,022/- के अनाधिकृत आहरण एवं गलत भुगतान के लिये तत्कालीन प्राचार्य शास. उच्च. माध्य. विद्यालय ईशानगर जिला छतरपुर म.प्र. श्री हरीश कुमार रैकवार को उत्तरदायी पाते हुये पत्र क्रमांक/जाँच/वि.स./2017/6779, दिनांक 05.12.2017 संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सागर संभाग सागर के समक्ष प्रस्तुत किया गया? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार संयुक्त संचालक ने प्रकरण आयुक्त लोक शिक्षण भोपाल को भेजा, किन्तु आज दिनांक तक दोषी प्राचार्य श्री हरीश कुमार रैकवार के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई। उक्त संबंध में दोषी के विरूद्ध क्या कार्यवाही कब तक की जावेगी?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) से (ग) जी हाँ। (घ) लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश क्रमांक 340, दिनांक 28.02.2018 द्वारा श्री हरीश कुमार रैकवार, प्राचार्य के विरूद्ध विभागीय जाँच संस्थित की गई है। जाँच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर गुण-दोष के आधार पर कार्यवाही की जा सकेगी। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री आर.डी.प्रजापति-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्न था, क से ग तक, माननीय मंत्री जी ने बताया है कि अधिकारी दोषी पाए गए हैं और उसकी कमेटी द्वारा जाँच भी करा ली गई है और जब कमेटी द्वारा जाँच करा ली गई और दोषी भी पाए गए, तो फिर विभागीय जाँच का क्या मतलब निकलता है? अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि यह भी कहा जा रहा है कि समय सीमा नहीं बताई जाएगी, तो जब तक वे सेवानिवृत्त नहीं होंगे तब तक उसकी जाँच नहीं होगी. अब आपने दल गठित किया, मेरा निवेदन है कि जब आपने दल गठित कर दिया है और जाँच में दोषी पाया गया है तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है? मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इसमें तत्काल कार्यवाही की जाए और आज ही की जाए.
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, आज शाम तक सस्पेण्ड कर दिया जाएगा.
श्री आर.डी.प्रजापति-- थैंक यू, थैंक यू.
प्रश्न संख्या-- 10 (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या-- 11 (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या-- 12(अनुपस्थित)
प्रश्नकर्ता के पत्र पर कार्यवाही
[उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण]
13. ( *क्र. 3224 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या राज्यमंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा दिनांक 04.01.2018 को रीवा जिले में उद्यानिकी तथा खाद्य प्रसंस्करण द्वारा संचालित योजनाओं के द्वारा किसानों को देने वाले लाभ व अन्य की जानकारी चाही गई है? (ख) प्रश्नांश (क) यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक जानकारी क्यों नहीं दी गई है, जानकारी कब तक प्रदान की जावेगी? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में जानकारी न देने के लिये कौन अधिकारी दोषी है, उसके विरूद्ध कौन सी दण्डात्मक कार्यवाही कब तक की जावेगी? (घ) प्रश्नांश (क) एवं (ख) में दी गई जानकारी में हुए भ्रष्टाचार के लिये कौन दोषी है, भ्रष्ट अधिकारी के विरूद्ध कौन सी दण्डात्मक कार्यवाही कब तक की जावेगी?
राज्यमंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण ( श्री सूर्यप्रकाश मीना ) : (क) जी हाँ। (ख) प्रश्नकर्ता को जानकारी कार्यालय सहायक संचालक उद्यान, जिला रीवा के पत्र क्रमांक 1105, दिनांक 22.02.2018 द्वारा पंजीकृत पत्र के माध्यम से भेजी गई है, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) उत्तरांश (ख) के अनुक्रम में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) प्रश्नकर्ता को दी गई जानकारी में अनियमितता प्रकाश में नहीं आई है, अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्रीमती शीला त्यागी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न क में मैंने जो जानकारी मांगी थी, वह देर से प्राप्त हुई, खैर कोई बात नहीं, अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी देर से भी आए और दुरुस्त भी नहीं आए हैं. मैंने अपने प्रश्न में जो अकुशल और कुशल मजदूर या श्रमिक नियुक्त किए हैं उनकी जन्म दिनाँक और उनकी नियुक्ति दिनाँक का पूछा था, तो आज तक जानकारी प्राप्त नहीं हुई. क्या माननीय मंत्री जी इसकी जानकारी समय पर देंगे?
श्री सूर्यप्रकाश मीना-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो विधान सभा की प्रश्नावली है उसमें इस तरह का कोई उल्लेख नहीं है, यदि अलग से आप कहेंगे, नाम सहित, तो वह हम उपलब्ध करा देंगे.
श्रीमती शीला त्यागी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि माननीय मंत्री जी खुद उस कैटेगरी से आते हैं और जनता ने आपको अपना प्रतिनिधि बनाकर भेजा है तो उस संबंध में मेरा यह प्रश्न है कि क्या एसटी, एससी, ओबीसी, के आरक्षण का और उनकी जो योजनाएँ हैं उनका आप लाभ देंगे?
अध्यक्ष महोदय-- इसमें कहाँ है?
श्रीमती शीला त्यागी-- अध्यक्ष महोदय, है.
श्री सूर्यप्रकाश मीना-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न में इस तरह का कोई उल्लेख नहीं है.
श्रीमती शीला त्यागी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मैंने अपना पत्र लिखा था उसमें मैंने यही पूछा था. लेकिन माननीय मंत्री जी ने देर से जवाब दिया इसलिए मैं उसको अच्छे से देख नहीं पाई. अभी जाकर पहुँचा है. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूँ कि आप रिजर्व कैटेगरी से हैं और खास कर एसटी, एससी, ओबीसी, के जो भी पद हैं, क्या आप अपने मंत्रित्व कार्यकाल में उनको भरवाएँगे?
अध्यक्ष महोदय-- यह इसमें नहीं है.
श्री सूर्यप्रकाश मीना-- माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर भी मैं जवाब दे देता हूँ. समय समय पर विभाग में रिक्त स्थानों की पूर्ति के लिए नियमानुसार हम लोग भर्ती प्रक्रिया जारी रखे हुए हैं और जो खाली स्थान है उनको हम बहुत शीघ्र भरने का प्रयास करेंगे.
श्रीमती शीला त्यागी-- माननीय मंत्री जी धन्यवाद.
जुन्नारदेव के व्यवहार न्यायालय में न्यायाधीशों की पदस्थापना
[विधि और विधायी कार्य]
14. ( *क्र. 1635 ) श्री नथनशाह कवरेती : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या उच्च न्यायालय, मध्यप्रदेश जबलपुर की अधिसूचना क्रमांक सी 4666-तीन-10-47/78 सात दिनांक 18.11.2016 के द्वारा सारणी के बिन्दु 11 में जुन्नारदेव के व्यवहार न्यायालय में अपर जिला न्यायाधीश, सिविल न्यायाधीश प्रथम एवं द्वितीय वर्ग को बैठने के निर्णय हुये थे? (ख) यदि हाँ, तो इस अधिसूचना को किस कारण निरस्त किया गया है? (ग) आदिवासी/ग्रामीणों को न्याय हेतु दूरस्थ न जाना पड़े इस हेतु प्रश्नांश (क) पुन: बहाल किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? नहीं तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) उक्त अधिसूचना निरस्त नहीं की गई। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के उत्तर के आलोक में प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है।
श्री नथनशाह कवरेती-- माननीय अध्यक्ष जी, छिन्दवाड़ा जिले के जुन्नारदेव विधान सभा में व्यवहार न्यायालय 2013 में बन चुका है और उस व्यवहार न्यायालय में जो एडीजे कोर्ट की व्यवस्था है वह पूरी है और भवन भी बन कर तैयार है, जिससे हमारे ग्रामीण आदिवासी भाइयों को जो बहुत दूर छिन्दवाड़ा जाना पड़ता है, मेरा निवेदन है कि हमारे जुन्नारदेव विधान सभा में एडीजे कोर्ट का भवन बनकर तैयार है एडीजे कोर्ट जल्दी से जल्दी खुले यही मेरा निवेदन है.
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, सक्षम स्थायी वित्तीय समिति की बैठक में यह प्रस्ताव आ चुका है यहां से इसको जल्दी ही शुरु करने का आग्रह करेंगे.
अध्यक्ष महोदय--जल्दी कर देंगे.
श्री नथनशाह कवरेती--माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी समय-सीमा बता दें.
श्री रामपाल सिंह--अध्यक्ष महोदय, एक माह में सक्षम स्थायी वित्तीय समिति की बैठक हो जाएगी.
अध्यक्ष महोदय--एक माह में बैठक हो जाएगी उसके बाद निर्णय हो जाएगा.
श्री रामपाल सिंह--अध्यक्ष महोदय, उसके बाद माननीय विधायक जी को अवगत करा दिया जाएगा.
श्री नथनशाह कवरेती--अध्यक्ष महोदय, बैठक तो एक माह में हो जाएगी, चालू कब होगा यह बता दीजिए.
श्री रामपाल सिंह--जल्दी ही चालू होगा.
श्री नथनशाह कवरेती--अध्यक्ष महोदय, क्योंकि हमारे जो आदिवासी भाई हैं वे बहुत दूर हैं. पहाड़ी क्षेत्र है, उनको छिन्दवाड़ा में रुकना पड़ता है. मेरा निवेदन है कि जुन्नानदेव पास में पड़ता है.
अध्यक्ष महोदय--बैठक होने के बाद जितना जल्दी हो सकता है किया जाएगा.
श्री रामपाल सिंह--जल्दी ही चालू होगा.
शाजापुर मुख्यालय अंतर्गत मार्ग का दोहरीकरण
[लोक निर्माण]
15. ( *क्र. 975 ) श्री अरूण भीमावद : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्न क्रमांक 1595, दिनांक 04.12.2017 में बताया गया है कि जिला मुख्यालय शाजापुर व्हाया सतगाँव-बिजाना से चौमा मार्ग कुल लम्बाई 29.1 कि.मी. के दोहरीकरण का प्रस्ताव प्राक्कलन राशि रु. 2950.08 लाख का मण्डल कार्यालय उज्जैन में परीक्षणाधीन है? (ख) क्या उक्त मार्ग का दोहरीकरण/उन्नयन हेतु सर्वे के निर्देश दिये गये हैं? (ग) क्या वित्तीय वर्ष 2018-19 में उक्त मार्ग के दोहरीकरण की प्रशासकीय स्वीकृत प्रदान होगी? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) अनुसार उक्त मार्ग के दोहरीकरण की स्वीकृति की समयावधि बतलाएं।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) वित्तीय संसाधनों की उपलब्धतानुसार स्वीकृति हेतु विचार किया जा सकेगा। (घ) समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री अरुण भीमावद--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने बहुत सहानुभूतिपूर्वक उत्तर दिया है. यह सड़क स्वीकृति की ओर है लेकिन समय-सीमा नहीं बता रहे हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि वे इस सड़क को इसी समय स्वीकृत कर देंगे तो कृपा होगी. यह शाजापुर जिला मुख्यालय को आगर से जोड़ने वाला मार्ग है. इससे 22 गांव जुड़ते हैं. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि इसे स्वीकृत करें.
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी के क्षेत्र में अच्छे कार्य हो रहे हैं. लगभग 140 करोड़ रुपए के कार्य स्वीकृत हैं, कार्य चल भी रहे हैं. यह जो आपने प्रस्ताव दिया है इस सड़क की लंबाई 30 किलोमीटर है. इस प्रस्ताव को भी हम गंभीरता से लेंगे और इस पर शीघ्र कार्यवाही करेंगे.
श्री अरुण भीमावद--माननीय अध्यक्ष महोदय, आज दिन भी अच्छा है, प्रश्न बड़ी मुश्किल से लगा है आप स्वीकृति प्रदान कर देंगे तो मेहरबानी होगी.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी आज अच्छा दिन है. (हंसी)
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रक्रियाओं का पालन करना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय--प्रक्रिया का पालन करके कर देंगे.
श्री अरुण भीमावद--माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रक्रिया का पालन हो चुका है. केवल मंत्री जी के हाँ की देर है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--मंत्री जी, हाँ भर तो करना है कर दीजिए. बने या न बने. (हंसी)
श्री रामपाल सिंह--अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी का धन्यवाद है. झूमा सोलंकी जी के प्रश्न में भी आपने बात रखी थी. उनके क्षेत्र में भी हमने बहुत काम कराए हैं. मध्यप्रदेश में सभी चीजों का ध्यान रखते हुए हमने सड़कों का जो काम किया है उससे हम विपक्ष के साथियों को भी अवगत कराते हैं. प्रदेश में हम अच्छा काम कर रहे हैं. माननीय विधायक जी की भावना को देखते हुए. जिस सड़क के निर्माण की उन्होंने मांग रखी है इसको हम गंभीरता से लेते हुए जल्दी परीक्षण कराकर कार्यवाही करेंगे.
श्री अरुण भीमावद--माननीय अध्यक्ष महोदय, परीक्षण हो चुका है. सारा परीक्षण हो चुका है.
अध्यक्ष महोदय--यह प्रश्न में आ गया है. वही वही बात कहां तक करेंगे. फिर वही उत्तर आएगा.
श्री अरुण भीमावद--माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
शाला भवन के निर्माण की स्वीकृति
[स्कूल शिक्षा]
16. ( *क्र. 1267 ) कुँवर हजारीलाल दांगी : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विधान सभा क्षेत्र खिलचीपुर के अंतर्गत शासकीय हाई स्कूल भाटखेड़ा, दिलावरी, भानपुरा एवं गोघटपुर ऐसे हाई स्कूल हैं, जिनका हाईस्कूल में उन्नयन हुए काफी वर्ष हो चुके हैं, लेकिन उक्त हाई स्कूल शालाओं का स्वयं का भवन नहीं है। यदि हाँ, तो क्या उक्त हाईस्कूलों के छात्र-छात्राओं का अध्यापन कार्य माध्यमिक एवं प्राथमिक शाला के भवनों में कराया जा रहा है, जिसमें निरंतर अध्ययन कार्य बाधित होकर बच्चों की बैठक व्यवस्था भी प्रभावित हो रही है? यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक उक्त हाई स्कूल शालाओं के भवन निर्माण हेतु शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में क्या शासन छात्र-छात्राओं के भविष्य को दृष्टिगत रखते हुये उक्त हाईस्कूल शालाओं के भवन निर्माण की स्वीकृति मुख्य बजट वर्ष 2018-19 में प्रदान करेगा? यदि नहीं, तो उक्त समस्या के निराकरण के लिये शासन द्वारा क्या कार्यवाही की जावेगी?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जी हाँ। उक्त हाई स्कूल माध्यमिक एवं प्राथमिक शाला के भवनों में संचालित हो रहे हैं। (ख) उक्त भवनों का निर्माण बजट उपलब्धता पर निर्भर करता है।
कुँवर हजारीलाल दांगी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने मेरे प्रश्न के उत्तर में एक बात तो स्वीकार कर ली है कि हाई-स्कूल, प्रायमरी स्कूल की बिल्डिंग में लगता है. मैं मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ कि 15 साल पहले जो हाई स्कूल खुले हैं और प्रायमरी स्कूल की बिल्डिंग में लग रहे हैं. बारिश में प्रायमरी, मिडिल और हाई स्कूल एक ही बिल्डिंग में लगाना पड़ता है. उस समय जब छत टपकती है तो स्कूल के बच्चों की बारिश के मौसम में छुट्टी करना पड़ती है. ऐसी स्थिति में इतने पुराने स्कूल भवन निर्माण की मैंने मांग की थी परन्तु वर्तमान बजट में उसको शरीक नहीं किया गया है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करुंगा कि क्या वर्तमान विभागीय कार्य योजना में इन भवनों को इसी साल सम्मिलित करेंगे ?
कुँवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष जी, शिक्षा विभाग में पहली बार मैं आपके माध्यम से इस सदन को बताना चाहता हूँ कि बहुत पहले से स्कूल खुलते रहे लेकिन भवन बनाने का गंभीरता से कोई प्रयास नहीं किया गया. यह पहली बार है कि हमने इस बार केबिनेट में 900 करोड़ रुपए तीन साल के लिए हायर सेकेण्डरी और हाई स्कूल भवनों के लिए स्वीकृत किए हैं. इस वर्ष 200 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि हायर सेकेण्डरी स्कूल के लिए जारी कर रहे हैं और 573 हायर सेकेण्डरी स्कूल के भवन इस साल बन जाएंगे और लगभग 125 हाई स्कूल के भवन जो इस साल बनेंगे जिसमें 200 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि मंजूर कर रहे हैं. एक-एक भवन डेढ़-डेढ़ करोड़ रुपए का है. इस बार मैंने आपके यहां पर भी एक-एक करोड़ रुपए की और डेढ़-डेढ़ करोड़ रुपए की चार स्कूल बिल्डिंग मंजूर की हैं. हायर सेकेण्डरी स्कूल बमन गांव, हायर सेकेण्डरी स्कूल मोहन, हायर सेकेण्डरी स्कूल भाटखेड़ा, हायर सेकेण्डरी स्कूल जैतपुरा, हायर सेकेण्डरी स्कूल मंडावर जहां पर लगभग चार साढे़ चार करोड़ रुपया हमने मंजूर किया है. जो सवाल गंभीरता से माननीय विधायक जी ने उठाया है कि जो जीर्ण-शीर्ण स्कूल हैं जहां पर पानी टपकता है उसकी जांच करवा कर बरसात के पहले रिपेयरिंग करवा दी जाएगी.
कॅुंवर हजारीलाल दांगी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि स्कूल के लिए शिक्षा विभाग को जमीन आवंटित कर दी गई है. बिल्डिंग नहीं है परंतु अभी बिल्डिंग बनाने के लिए जमीन आवंटित कर दी गई है. उस जमीन पर भी लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है प्राइमरी स्कूल की बिल्डिंग में और मिडिल स्कूल की बिल्डिंग में लग रही है. मंत्री जी ने जो हायर सेकेण्डरी के लिए बात की है मैं उसके लिए आपको धन्यवाद देता हूं कि मेरे क्षेत्र में नए हायर सेकेण्डरी स्कूल खुले हैं उसके लिए आपने बिल्डिंग स्वीकृत की है लेकिन यह इतने पुराने स्कूल हैं जिनमे बच्चों का भविष्य बिलकुल अंधकार में है. बारिश में स्कूल ही नहीं लगता है. मैं इन स्कूल के लिए मांग कर रहा हूं. क्या उन बच्चों के भविष्य के लिए इस साल विभागीय मद में स्वीकृत करके कार्य प्रारंभ कर देगें ? मुझे समय सीमा चाहिए.
कॅुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी ने दो बात कही हैं. एक तो यह बात कही है कि स्कूलों की जमीन पर अतिक्रमण है मैं आपके माध्यम से कहना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश के खेल मैदान और मध्यप्रदेश की स्कूल बिल्डिंग में जहां-जहां जिस-जिस भी दबंग ने अतिक्रमण किया है हम एक माह के अंदर निर्देश जारी कर रहे हैं कि सारे अतिक्रमण हटा दिए जाएंगे. दूसरी बात यह कि आप जिन जीर्ण-शीर्ण बिल्डिंग की बात कर रहे हैं उसकी जांच करवाकर पात्रता तय कर लेंगे.
कॅुंवर हजारीलाल दांगी-- माननीय मंत्री महोदय, पूरे मध्यप्रदेश में इतनी कृपा कर रहे हो तो क्या फर्क पड़ता है मेरे विधान सभा क्षेत्र में और कर दीजिए. हजारों करोड़ रुपया स्वीकृत कर रहे हैं. मेरा पहली बार प्रश्न लगा है और पहली बार ही मेरी बात नहीं मानी जा रही है तो फिर क्या फायदा.
अध्यक्ष महोदय-- कोई पूरक प्रश्न नहीं.
कॅुंवर हजारीलाल दांगी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पहली बार प्रश्न लगा है और पहली बार ही मेरी बात नहीं मानी जा रही है तो फिर क्या फायदा.
अध्यक्ष महोदय-- आप एक प्रश्न और पूछ लीजिए.
कॅुंवर हजारीलाल दांगी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यही अनुरोध करूंगा कि क्या विभागीय योजना में इसको शरीक करके इस साल कार्य प्रारंभ करा देंगे ? समय सीमा बता दें.
कॅुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो जो विधायक जी ने कही है कि जहां जमीन स्वीकृत हुई है वहां अतिक्रमण है तो सबसे पहले जहां जमीन स्वीकृत हुई है वहां अतिक्रमण हटाना पड़ेगा. मैं अधिकारियों को निर्देश दे रहा हूं. एक माह में पूरे प्रदेश से अतिक्रमण हट जाएगा.
कॅुंवर हजारीलाल दांगी-- वो तो बिल्डिंग का काम ही चालू कर दिया. चार बिल्डिंग की बात है आप चार बिल्डिंग कर दो.
श्री के.पी. सिंह-- माननीय मंत्री जी लंबी मत दो एक माह में कुछ नहीं होने वाला यह अतिक्रमण आपको हटाने का अधिकार है क्या?
कॅुंवर विजय शाह-- देखिए, सरकार हम हमारे हिसाब से चलाते हैं.
श्री के.पी. सिंह-- 14 साल मे हटा नहीं पाए और एक महीने की बात कर रहे हो. आप 14 साल से क्या कर रहे थे?
कॅुंवर हजारीलाल दांगी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी से एक निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी विधायक जी का निवेदन सुन लें. संक्षेप में कहें.
कॅुंवर हजारीलाल दांगी-- मेरा निवेदन है कि चार बिल्डिंग का मामला है आप जांच करा लीजिए मंत्री जी अगर भाटखेड़ा में चलकर आप जांच करा लो अगर बैठने की भी जगह हो तो आप जो कहेंगे मैं करूगा.
अध्यक्ष महोदय-- वह जांच करवा रहे हैं.
कॅुंवर हजारीलाल दांगी-- जांच नहीं मैं तो स्वीकृत करने की बात कह रहा हूं. दुनिया की स्वीकृत कर रहे हैं मेरे क्षेत्र में कुछ तो कर दीजिए.
कॅुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, भाटखेड़ा की स्थिति के लिए अधिकारी भिजवा दिए जाएंगे और सात-आठ दिन में जांच करके संभव हुआ तो बिल्डिंग को मंजूर.... (व्यवधान)
कॅुंवर हजारीलाल दांगी-- आप यह आश्वासन तो दे दीजिए कि बिल्डिंग तो मंजूर कर देंगे. इतना तो करिए. मेरा तो निराकरण ही नहीं हुआ क्या फायदा इतनी बहस करने से. एक, दो बिल्डिंग तो मंजूर कर देते.
श्री हरदीपसिंह डंग-- अध्यक्ष महोदय, खजूरी मांडा में बच्चे बिना कक्ष के बैठै हुए हैं. उनके पास कक्ष नहीं है खुली हवा में बैठे हैं. (व्यवधान) ...
अध्यक्ष महोदय-- मैंने आपको बहुत समय दिया.
कॅुंवर हजारीलाल दांगी-- अध्यक्ष महोदय, समय दिया तो नतीजा क्या निकला?
अध्यक्ष महोदय-- उसका हम कुछ नहीं कर सकते.
कॅुंवर हजारीलाल दांगी-- मैं अपना प्रश्न ही नहीं रखूंगा क्या फायदा यहां पर बात करने से. मंत्री जी इतने नाराज हैं दुनिया का 200 करोड़ का सेंग्शन..(व्यवधान)
कॅुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी के विधान सभा क्षेत्र में मैंने 4 बिल्डिंग दी हैं मैं एक बिल्डिंग काट कर जहां बता रहे हैं भाटखेड़ा वहां मंजूर कर देता हूं.
कुँवर हजारीलाल दांगी- मंत्री जी आप मेरी बात सुन लें. मैं आज के बाद आपसे कोई बात ही नहीं करूंगा. (XXX)
अध्यक्ष महोदय- इसे कार्यवाही से निकाल दें.
कुँवर हजारीलाल दांगी- यदि आप मेरे क्षेत्र की एक बिल्डिंग निरस्त करके दूसरी मंजूर करेंगे तो क्या मतलब होगा ? क्या आप एक और बिल्डिंग मंजूर नहीं कर सकते हैं ?
(....व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय- दांगी जी आप बैठ जाईये.
कुँवर हजारीलाल दांगी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आज के बाद इनसे बात भी नहीं करूंगा. (XXX)
(....व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय- ये कार्यवाही से निकाल दें.
श्री अजय सिंह- (XXX)
अध्यक्ष महोदय- ये नहीं लिखा जायेगा.
प्रश्न संख्या 17 (अनुपस्थित)
जिला शिक्षा अधिकारी रीवा के विरूद्ध जाँच/कार्यवाही
[स्कूल शिक्षा]
18. ( *क्र. 1516 ) श्री शंकर लाल तिवारी : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला शिक्षा अधिकारी रीवा के पद पर दिनांक 04.08.2005 से 15.05.2006 एवं 11.04.2010 से 28.04.2010 तक तथा 07.01.2015 से 05.03.2015 तक वर्तमान अवधि में कार्यरत जिला शिक्षा अधिकारी की कुल कितनी शिकायतें हुईं तथा उक्त अवधि में कितनी बार निलंबित हुआ? निलंबन आदेश एवं शासन विभाग को प्राप्त शिकायतों और उन पर की गयी कार्यवाही की प्रति के साथ जानकारी देवें। (ख) क्या प्रश्नांश (क) की अवधि एवं अधिकारी को कक्षा 5 वीं, 8 वीं के परीक्षा में व्यापक गड़बड़ी करने पर निलंबित किया गया था? यदि हाँ, तो क्या निलंबन उपरांत आरोप पत्र जारी कर विभागीय जाँच पूरी होने के उपरांत बहाल किया गया था? सहपत्रों के साथ जानकारी देवें। यदि समय पर आरोप पत्र जारी न होने के कारण स्वमेव बहाल होकर कार्य में उपस्थित हो गया था तो उक्त प्रकरण में पुन: निलंबित कर उस प्रकरण की जाँच करायेंगे? यदि नहीं, तो क्या कारण है तथा ऐसे प्रकरणों में कार्यवाही के क्या नियम हैं? नियम की प्रति के साथ जानकारी दें। (ग) प्रश्नांश (क) के अवधि के अधिकारी का उक्त अवधि में मूल पद क्या था तथा उसका कितनी बार रीवा जिले एवं जिले से बाहर स्थानांतरण किया गया है? किन-किन आदेशों का पालन किया, किन किन का नहीं? आदेश प्रति के साथ जानकारी देवें। क्या उक्त भ्रष्ट अधिकारी की नियुक्ति रीवा जिले के लिए ही की गयी है? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) के वर्तमान अधिकारी स्थानांतरण में हैं तो इसे भारमुक्त क्यों नहीं किया जा रहा है? जिला पंचायत की उपाध्यक्ष एवं शिक्षा समिति के अध्यक्ष से कई बार अभद्र व्यवहार किये जाने तथा जिला शिक्षा समिति में उपस्थित नहीं होने वाले ऐसे अधिकारी को प्रशासनिक पद भार में रखने का क्या औचित्य है? इन्हें कब तक हटा देंगे? इस संबंध में शिक्षा समिति में पारित निंदा प्रस्तावों एवं उपाध्यक्ष जिला पंचायत द्वारा लिखे गये पत्रों की प्रति एवं उस पर की गयी कार्यवाही की प्रति देवें?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) प्रश्नांकित अवधि में संबंधित को निलंबित नहीं किया गया है. बल्कि संबंधित को दिनांक 15.05.2016 को निलंबित किया गया. शेष जानकारी एकत्रित की जा रही है। (ख) जी नहीं, अपितु विभागीय जाँच संस्थित की गई थी, संचालनालय के आदेश दिनांक 07.07.2012 द्वारा विभागीय जाँच में आरोप प्रमाणित नहीं पाये जाने से प्रकरण समाप्त किया गया। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। आदेश संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'एक' अनुसार है। (ग) प्रश्नांश (क) की अवधि 04.08.2005 से 15.05.2006 एवं 11.04.2010 से 28.04.2010 में मूल पद प्राचार्य, उमावि. था। प्राचार्य पद पर रहने के दौरान ही संचालनालय के आदेश क्रमांक 1076- 77 दिनांक 13.07.2012 द्वारा श्री बृजेश मिश्रा, कार्यालय संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण, रीवा संभाग का स्थानान्तरण प्राचार्य, शास.उमा.वि. पिण्डरा जिला सतना (जिले से बाहर) किया गया तथा इस आदेश का पालन श्री मिश्रा द्वारा किया गया। दिनांक 07.01.2015 से 05.03.2015 की अवधि में मूल पद उप संचालक था। जी नहीं। आदेश संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'दो' अनुसार है। (घ) म.प्र.शासन, स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश दिनांक 09.02. 2018 द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी जिला रीवा के पद पर श्री अंजनी कुमार त्रिपाठी, को पदस्थ किये जाने से उनके द्वारा कार्यभार ग्रहण दिनांक 15.2.2018 से श्री मिश्रा,को जिला शिक्षा अधिकारी जिला रीवा के सौपें गये अतिक्ति प्रभार से मुक्त किया गया है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री शंकर लाल तिवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न क्रमांक 1516 में रीवा के जिला शिक्षा अधिकारी के विषय में प्रश्न किया गया था. जिसमें मुझे उत्तर में बताया गया है कि उनको पूर्व में निलंबित भी किया जा चुका है और प्रश्न लगने के बाद 09.02.2018 के आस-पास उनको हटाकर श्री अंजनी कुमार त्रिपाठी जी को रीवा जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर पदस्थ किया गया है एवं शेष जानकारी एकत्रित की जा रही है. उनको हटा देने के बाद और पूर्व में उनका निलंबन भी हो चुका है इसलिए मैं समझता हूं कि यह पर्याप्त है. इसके लिए मैं मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं.
मेन केनाल से दीवानचन्द का डेरा तक मार्ग निर्माण की स्वीकृति
[लोक निर्माण]
19. ( *क्र. 441 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माननीय मुख्यमंत्री जी ने दिनांक 25.06.2017 को श्योपुर जिले में प्रवास के दौरान मेन केनाल से ग्राम दीवानचन्द का डेरा तक वर्तमान तक आवागमन में आ रही कठिनाइयों के निवारण हेतु इस मार्ग का निर्माण कराने की मांग ग्रामीणों द्वारा की गई थी। ग्रामीणों की मांग को गंभीरता से लेते हुए इस मार्ग का निर्माण कराने की घोषणा माननीय मुख्यमंत्री जी ने की थी। (ख) यदि हाँ, तो उक्त घोषणा के क्रियान्वयन हेतु क्या ई.ई. लो.नि.वि. श्योपुर ने उक्त मार्ग की डी.पी.आर. तैयार कर शासन को स्वीकृति हेतु भेज दी है व कब? यदि नहीं, तो कब तक भेजी जावेगी? इसकी लागत भी बतावें। (ग) क्या उक्त डी.पी.आर. भेजने में विलंब के कारण उक्त घोषणा के क्रियान्वयन में विलम्ब की स्थिति निर्मित हो रही है? (घ) यदि हाँ, तो क्या शासन उक्त घोषणा का प्राथमिकता से क्रियान्वयन कराने हेतु उक्त मार्ग की डी.पी.आर. शीघ्र मंगवाएगा तथा इसे वर्ष 2018-19 के बजट में शामिल करके शीघ्र स्वीकृति प्रदान करेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। (ख) जी नहीं, अपितु मुख्य अभियंता ग्वालियर द्वारा दिनांक 11.01.2018 को प्रमुख अभियंता कार्यालय को डी.पी.आर. प्रस्तुत। प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। रू. 130.73 लाख। (ग) जी नहीं। (घ) विभाग की स्थायी वित्तीय समिति की 171 वीं बैठक के एजेण्डा में सम्मिलित। अनुपूरक बजट वर्ष 2018-19 में सम्मिलित होने के उपरांत स्वीकृति की कार्यवाही की जा सकेगी। प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
श्री निशंक कुमार जैन- दादा, इसमें भी केवल धन्यवाद ही दे दो. क्यों कुछ कह रहे हो ?
श्री शंकर लाल तिवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न हेतु श्री दुर्गालाल जी द्वारा मुझे अधिकृत किया गया है. मेरा प्रश्न केवल इतना है कि जवाब में कहा गया है कि डी.पी.आर. विभाग की स्थायी वित्तीय समिति की 171 वीं बैठक में एजेण्डा में सम्मिलित की गई है. क्या समिति से तत्काल अनुमोदन करवाकर मंत्री जी द्वारा वर्ष 2018-19 के अनुपूरक बजट में उक्त मार्ग की डी.पी.आर. को निश्चित रूप से शामिल किया जायेगा ? इसके अतिरिक्त क्या मार्ग निर्माण के स्वीकृत आदेश जारी किए जावेगें ? माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मुख्यमंत्री जी की स्वयं की घोषणा है और मंत्री जी भी वहां गए थे. उन्होंने भी इस आशय की घोषणा की थी. विधायक जी की ओर से मेरा निवेदन है कि इस पर ठोस आश्वासन दिया जाए कि वर्ष 2018-19 के अनुपूरक बजट में इसकी राशि स्वीकृत हो जायेगी और तत्काल काम शुरू हो जायेगा.
श्री रामपाल सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, तिवारी जी ने स्वयं बता दिया है कि स्थायी वित्तीय समिति से यह प्रस्ताव पारित किया जा चुका है और इसे हम तुरंत स्वीकृत कर रहे हैं और अनुपूरक बजट में इसे शामिल करने की प्रक्रिया हो गई है.
श्री शंकर लाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के आश्वासन से संतुष्ट हूं परंतु जब सब कुछ हो गया है, अनुपूरक बजट में भी आ गया है तो बस काम भी जल्दी शुरू हो जाए. मैं उम्मीद करता हूं कि इस मार्ग पर मंत्री जी शीघ्र काम लगवाने का प्रयास करेंगे.
कसरावद विधानसभा क्षेत्रांतर्गत सड़कों का निर्माण
[लोक निर्माण]
20. ( *क्र. 3045 ) श्री सचिन यादव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कसरावद विधानसभा क्षेत्रांतर्गत कसरावद मुख्य मार्ग औझरा से औझरा टाण्डा मार्ग, अदलपुरा बिटनेरा से सहेजला व्हाया बडिया मार्ग, मछलगांव से सहेजला मार्ग, बामखल आवरकच्छ से रामपुरा 3.20 कि.मी. मार्ग, कोडापुरा (लोहारी) से सोनखेड़ी 3.82 कि.मी. मार्ग, सिपटान मुख्य मार्ग से भुलगांव 1.50 कि.मी., भनगांव से कवडी 3.50 कि.मी. मार्ग, रसवा से डाबरी 6.50 कि.मी. मार्ग, टेमरनी से सिनगुन मार्ग एवं कसरावद खरगोन मार्ग (जायसवाल ढाबे) से नवलपुरा तक के उक्त मार्गों के निर्माण कार्य किये जाने हेतु वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक लोक निर्माण विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ख) उक्त निर्माण कार्यों के प्रस्ताव किस-किस दिनांक को प्राप्त हुए तथा वर्तमान में उनकी अद्यतन स्थिति क्या है? उक्त मार्गों के निर्माण कार्य आज दिनांक तक नहीं किये जाने के क्या कारण हैं? (ग) प्रश्नांश (क) में दर्शित मार्गों की वस्तुस्थिति प्रश्नांकित दिनांक तक में क्या है? मार्गवार जानकारी दें। (घ) उक्त निर्माण कार्यों के संबंध में विगत 3 वर्षों में प्रश्नकर्ता के कितने पत्र विभाग को प्राप्त हुए तथा तत्संबंध में प्रश्नांकित दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? कार्यवाही की अद्यतन स्थिति से अवगत करावें। (ड.) उक्त मार्गों के निर्माण कार्यों की कब तक स्वीकृति जारी कर निर्माण कार्य पूर्ण करा लिए जायेंगे?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) से (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री सचिन यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सीधा और सटीक प्रश्न मंत्री जी से करना चाहता हूं कि मैं जब से निर्वाचित हुआ हूं मैं अपने क्षेत्र की कुछ महत्वपूर्ण सड़कों की चर्चा विधान सभा में प्रश्नों के माध्यम से उठाने का प्रयास कर रहा हूं. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि वे कृपया इन महत्वपूर्ण सड़कों की स्वीकृत की घोषणा इस सदन में करें.
श्री रामपाल सिंह- अध्यक्ष महोदय, विधायक जी ने हमें 17 नई सड़कों के प्रस्ताव दिए हैं. एक सड़क अदलपुरा बिटनेरा से बडिया का कार्य वर्ष 2018-19 के मुख्य बजट में हमने शामिल कर लिया है. इसी तरह 3 करोड़ 14 लाख रूपये की 9 सड़कों के मजबूतीकरण का कार्य हमने आपके पत्र पर स्वीकृत किया है. माननीय विधायक के क्षेत्र में 10 करोड़ की लागत से 4 सड़कों के कार्य प्रगतिरत् हैं. विधायक जी द्वारा दिए गए पत्र में जो सुझाव दिए गए हैं हम उन्हें गंभीरता से लेकर उनका परीक्षण कर रहे हैं.
श्री सचिन यादव- धन्यवाद मंत्री जी. मेरे यहां मात्र 9 सौ मीटर-एक किलोमीटर की छोटी-छोटी सड़कें हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार आप अपने क्षेत्र की सड़कों को लेकर चिंतित हैं उसी प्रकार हम भी अपने क्षेत्र की सड़कों को लेकर चिंतित हैं. इसलिए मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि कृपया इन सड़कों को भी इस बजट में शामिल करें.
सागर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत भवन एवं बाउण्ड्रीवॉल विहीन विद्यालय
[स्कूल शिक्षा]
21. ( *क्र. 370 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कुल कितने हायर सेकेण्डरी एवं हाई स्कूल संचालित हैं? इन विद्यालयों में से कितनों के स्वयं के भवन हैं एवं कितने भवन विहीन हैं, जिन विद्यालयों के स्वयं के भवन हैं, उनमें से कितने बाउण्ड्रीवॉल विहीन हैं? (ख) भवन विहीन हायर सेकेण्डरी एवं हाई स्कूल किन वैकल्पिक भवनों में संचालित हो रहे हैं? शासन सागर विधान सभा क्षेत्रांतर्गत भवन विहीन एवं बॉउण्ड्रीवॉल विहीन विद्यालयों को कब तक उक्त सुविधा उपलब्ध करा देगा? (ग) क्या अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्र में स्थापित हाई स्कूल काकागंज एवं हाई स्कूल बिट्ठलनगर में स्वयं के भवन एवं बाउण्ड्रीवॉल न होने के कारण विद्यार्थियों के मध्य सदैव ही असुरक्षा का वातावरण बन रहा है? यदि हाँ, तो शासन कब तक प्राथमिकता से इन विद्यालय में भवन एवं बाउण्ड्रीवॉल स्वीकृत करेगा ?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) सागर विधानसभा क्षेत्रांतर्गत कुल 13 (06 हाई स्कूल एवं 07 हायर सेकेण्डरी स्कूल) संचालित हैं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' अनुसार है। भवन विहीन तथा बाउण्ड्रीवॉल विहीन शालाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' अनुसार है। (ख) भवन विहीन हाई स्कूल शा. माध्यमिक शालाओं के भवनों में संचालित हो रही है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''तीन'' अनुसार है। भवन विहीन स्कूलों के लिए भवन एवं बाउण्ड्रीवॉल निर्माण बजट की उपलब्धता पर निर्भर करेगा। (ग) विद्यालय के प्राचार्य एवं स्टॉफ द्वारा विद्यार्थियों की सुरक्षा हेतु विशेष सजगता बरती जाती है। भवन निर्माण एवं बाउण्ड्रीवॉल निर्माण बजट उपलब्धता पर निर्भर करेगा।
श्री शैलेन्द्र जैन:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री महोदय ने जो मेरे प्रश्न का जवाब दिया है, उसमें उन्होंने वहां हाई स्कूल के तीन भवन, भवन विहीन बतायें हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि लगभग इन विद्यालयों को संचालित होते हुए 20-20 वर्ष हो गये हैं और जहां पर यह भवन संचालित हैं, उनकी स्थिति अच्छी नहीं है. वहां पर कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है. मैं उनसे आग्रह करना चाहता हूं कि हमारे जो तीन स्कूल हैं, उसमें से कम से दो भवन बहुत ही आवश्यक हैं, माननीय मंत्री क्या आप उनको बनाने की घोषणा करेंगे ?
कुँवर विजय शाह:- माननीय अध्यक्ष जी, विधायक जी ने जिन भवनों को उल्लेख किया है, यह बात सच है कि बहुत दिनों से, क्योंकि पहले तो भवन जीरो बजट से खुलते थे. यह तो हम पहली बार, इस बार 900 करोड़ रूपये लेकर आये हैं और 200 करोड़ रूपये दे भी रहे हैं. शहरी क्षेत्र के जो हाई स्कूल हैं, हायर सेकेण्डरी स्कूल हैं और भी जो स्कूल हैं, उनकी हर निगम की शिक्षा उपकर की जो राशि होती है, वह स्कूलों में ही हमने खर्च करने के निर्देश जारी किये हैं. हर नगर-निगम में दो-तीन करोड़ रूपये साल की शिक्षा उपकर की राशि आती है और इसलिये हमने पहले भी निर्देश जारी किये हैं और आज फिर एक निर्देश जारी कर रहे हैं कि जिला शिक्षा अधिकारी से सलाह करने के उपरांत ही शिक्षा उपकर की राशि जो करोड़ों की होती है, वह स्कूल शिक्षा विभाग में ही खर्च की जायेगी. नगर निगम,कमिश्नर और कलेक्टर, सागर को हम आज ही निर्देश जारी कर देंगे कि वह विधायक जी के साथ बैठें और उनके क्षेत्र की जो दो-तीन करोड़ रूपये की उपकर राशि रखी हुई है, उससे क्या रिपेयरिंग हो सकती है, क्या नयी बिल्डिंग बन सकती है, वह मंजूर करवायेंगे और सभी नगर-निगमों को आज यह निर्देश जारी करवायेंगे कि हमारे शिक्षा अधिकारी के अनुमोदन उपरांत ही शिक्षा उपकर की राशि नगर-निगम क्षेत्र में शिक्षा के अलावा कहीं खर्च नहीं होगी और एक बिल्डिंग जहां आप बोलेंगे, जो महत्वपूर्ण होगी, उसको इस बजट में हम शामिल करेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन:- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद्. एक विषय और था कि आपने जो बताया कि विद्यालय के प्राचार्य और स्टॉफ के द्वारा विद्यार्थियों की सुरक्षा हेतु विशेष सजगता बरती जा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बाऊँडी-विहीन विद्यालय हैं, नेशनल हाईवे से लगे हुए विद्यालय हैं,कुछ विद्यालय हमारी रिंग रोड से लगे हुए हैं, ऐसे भवन चिन्हृत कर लें, वह चार-पांच भवन हैं, उन भवनों की बाऊँडीवाल बनाना नितांत आवश्यक है. वहां पर आये दिन दुर्घटना होती है, वहां के कम से कम आज चार भवनों की बाऊँडीवाल की घोषणा कर देंगे तो बहुत बड़ी कृपा होगी.
कुँवर विजय शाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें बाऊँडीवाल का प्रश्न तो इसमें नहीं है. चूंकि जनहित और स्कूल का मामला है. सीमित संसाधनों में हम लोग बाऊँडीवाल के अलावा चेनिंग फेंसिंग भी कर रहे हैं. नगर पालिका निगम, सागर के साथ, कमिश्नर के साथ ,कलेक्टर के साथ और हमारे जिला शिक्षा अधिकारी के साथ माननीय विधायक की मीटिंग के उपरांत, जहां पर जरूरी होगा वहां पर चेनिंग फेंसिंग मंजूर करेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन:- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद्.
प्रश्न संख्या 22- अनुपस्थित.
प्रश्न संख्या 23- अनुपस्थित.
भावांतर योजना में न्यूनतम खरीदी भाव का निर्धारण
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
24. ( *क्र. 2890 ) श्री दिनेश राय (मुनमुन) : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले के अंतर्गत भावांतर योजना में प्रश्न दिनांक तक कितने किसानों के पंजीकरण हुये? (ख) भावांतर योजना से प्रश्न दिनांक तक लाभांवित होने वाले किसानों की संख्या तथा उन्हें कुल प्राप्त अंतर राशि बतावें। (ग) भावांतर योजना के तहत कौन-कौन सी फसल है तथा उस फसल पर मिलने वाले भावांतर का सूत्र (फार्मूला) क्या है? (घ) खरीफ 2017 हेतु फसलों के मॉडल रेट की जानकारी देवें?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) सिवनी जिले के अंतर्गत खरीफ 2017 की भावांतर भुगतान योजना में 41880 किसानों के पंजीयन हुए हैं। (ख) भावांतर भुगतान योजना अंतर्गत 16 अक्टूबर, 2017 से 31 दिसम्बर, 2017 तक चयनित फसलों को मण्डी प्रांगण में विक्रय करने वाले सिवनी जिले के 18551 किसानों को दिनांक 20.02.2018 की स्थिति में भावांतर की राशि रूपए 45,97,54,732/- जिला कलेक्टर द्वारा उनके बैंक खाते में अंतरित की गई है। (ग) खरीफ 2017 की भावांतर भुगतान योजना अंतर्गत मक्का, मूंग, उड़द, सोयाबीन, मूंगफली, तुअर, तिल एवं रामतिल फसलें शामिल हैं। इन फसलों पर मिलने वाली भावांतर राशि की गणना का सूत्र (फॉर्मूला) इस प्रकार है, योजना अंतर्गंत निर्धारित शर्तों के अध्याधीन पंजीकृत किसान द्वारा बेची गयी फसल की विक्रय दर समर्थन मूल्य से कम, किन्तु राज्य शासन द्वारा घोषित मॉडल (होल-सेल) विक्रय दर से अधिक हुई तो समर्थन मूल्य तथा किसान द्वारा विक्रय दर के अंतर की राशि भावांतर के रूप में भुगतान योग्य होगी। पंजीकृत किसान द्वारा बेची गई फसल की विक्रय दर राज्य शासन द्वारा घोषित मॉडल (होल-सेल) विक्रय दर से कम हुई तो समर्थन मूल्य तथा मॉडल विक्रय दर के अंतर की राशि का लाभ भावांतर के रूप में देय होगा, परंतु किसी उत्पाद का मॉडल (होल-सेल) विक्रय दर (तीन राज्यों का औसत) यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर रहे तो उक्त फसल उत्पाद के लिए भावांतर भुगतान योजना लागू नहीं मानी जावेगी। यदि किसान द्वारा विक्रय दर, न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक या बराबर हुई तो भी योजना का लाभ देय नहीं होगा। (घ) खरीफ 2017 की भावांतर भुगतान योजना अंतर्गत प्रश्न दिनांक तक चार बार मॉडल रेट घोषित किये गये हैं, जिसकी जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री दिनेश राय :-माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद् कि आपने मेरा प्रश्न ला दिया. मैं मंत्री जी से सीधा प्रश्न पूछूंगा कि भावांतर योजना में, सिवनी में आपने जो भावांतर योजना के मॉडल रेट तय किये हैं, उस अंतर की राशि को आपने सिवनी में वाकई में आपने दिया है या नहीं ? वहां पर क्या दर थी, कृपया यह बतायें. वहां पर मक्का 800-900 रूपये बिका है और आपने भावांतर में 235 रूपये दिये हैं. इसके बाकी अंतर की राशि कैसे मिलेगी ?
अध्यक्ष महोदय:- आप ठीक-ठाक प्रश्न पूछिये.
राज्य मंत्री, किसान कल्याण तथा कृषि विभाग (श्री बालकृष्ण पाटीदार):- मक्का जो बाजार में बिकती है, उस आधार पर भावांतर नहीं दिया जाता है, उसके मॉडल रेट तय होते हैं, उसके आधार पर भावांतर दिया जाता है और वह दिया गया है.
श्री दिनेश राय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने मॉडल रेट का अन्तर पूछा है.
श्री कमलेश्वर पटेल - जो अन्तर की राशि है, वह सरकार के भाषण में मिल जायेगी.
अध्यक्ष महोदय - (श्री निशंक कुमार जैन द्वारा बिना माइक के लगातार बोलते रहने पर) आप समझदार सदस्य नहीं हैं. आप हर बात पर खड़े हो जाते हैं. नहीं, यह बात ठीक नहीं है, जिनका प्रश्न है उनको आप क्यों नहीं पूछने देते हैं ? उनको आपकी जरूरत नहीं है. निशंक जी, आप बैठ जाइये. हर प्रश्न पर खड़े हो जाते हो. (....व्यवधान....) यह ठीक बात नहीं है. निशंक कुमार जैन का कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री निशंक कुमार जैन - (XXX)
श्री दिनेश राय - जैन साहब, बैठ जाओ. हम एम.कॉल एवं एलएलबी हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जो अन्तर की राशि है, आपने मान लो, जो भी रेट तय किया है या आपका जो भी फॉर्मूला है, उस आधार पर मेरी विधानसभा में नहीं दिया गया है. क्या आप जांच कराएंगे ?
श्री बालकृष्ण पाटीदार - निश्चित रूप से. जो शासकीय मापदण्ड हैं, जिसके आधार पर, मॉडल रेट के आधार पर मक्के की भावांतर राशि, यदि नहीं दी गई है तो आप उसका तथ्यात्मक लिखकर देंगे तो जांच करवा लेंगे.
श्री दिनेश राय - मंत्री जी, मैंने प्रश्न लगाया है, उसके आधार पर जांच करा लें.
श्री बालकृष्ण पाटीदार - लेकिन ऐसा होता नहीं है कि मंडी के पास जो बिकता है, वह तो सब (........व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, बैठ जाइये.
श्री दिनेश राय - व्यापारी 800-900 रुपये में खरीद रहे हैं, 1,435 रुपये का रेट है. ठीक है, धन्यवाद. अध्यक्ष जी, आपने एक मौका दे दिया.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.01 बजे विशेषाधिकार भंग की सूचना
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया एवं अन्य माननीय सदस्यों द्वारा श्री जितू पटवारी, सदस्य
के विरुद्ध विशेषाधिकार भंग की सूचना
अध्यक्ष महोदय - मुझे श्री यशपाल सिंह सिसोदिया एवं अन्य माननीय सदस्यों की ओर से मध्यप्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 165 के अंतर्गत सदस्य श्री जितू पटवारी के विरुद्ध विशेषाधिकार भंग की सूचना प्राप्त हुई है.
श्री सिसोदिया एवं अन्य माननीय सदस्यों द्वारा प्रस्तावित विषय नियमानुकूल हैं.
अत: मैं नियमावली के नियम 167 (1) के अंतर्गत श्री सिसोदिया को विशेषाधिकार प्रश्न उठाने की अनुमति देता हूँ.
(....व्यवधान...)
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) - मैं बोलूंगा तो आपको मालूम पड़ जायेगा कि क्या हो गया है ?
अध्यक्ष महोदय - कृपया संक्षिप्त में बोलें.
(....व्यवधान...)
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - मुझे पहले बोलने तो दें, तब स्वमोटो मालूम पड़ जायेगा कि क्या हुआ ? माननीय अध्यक्ष महोदय, निरन्तर देखा जा रहा है कि मध्यप्रदेश की सरकार के जनकल्याणकारी, लोक कल्याणकारी, हितग्राहीमूलक योजनाओं को जब प्रचार-प्रसार के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक्स मीडिया या प्रिन्ट मीडिया इसको लेकर यदि, अध्यक्ष जी, अध्यक्ष जी, मैं विशेषाधिकार क्यों लाया ?
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके पहले मैंने विशेषाधिकार भंग की सूचना दी है, आपकी नियमावली में पहले विशेषाधिकार भंग की चर्चा होनी चाहिए, उसके बाद कोई दूसरी विशेषाधिकार सूचना और नियमावली में स्थगन की चर्चा होना चाहिए और उसके बाद विशेषाधिकार भंग की सूचना लें.
अध्यक्ष महोदय - अभी स्थगन ग्राह्य नहीं किया है.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आसन्दी क्या लेगी ? क्या नहीं लेगी ? अब ये तय करेंगे.
(....व्यवधान...)
श्री रामनिवास रावत - मैंने स्थगन दिया हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - मैंने अभी ग्राह्य नहीं किया है.
श्री रामनिवास रावत - मैंने भी दिया हुआ है.
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) - माननीय अध्यक्ष महोदय, ये फिर विशेषाधिकार हनन कर रहे हैं. वे एक सदस्य को बोलने नहीं दे रहे हैं, जिसने विशेषाधिकार हनन की सूचना दी है.
(....व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - रावत जी, यदि आपकी सूचना हम स्वीकार करते तब जरूर उसको पहले पढ़ते.
श्री विश्वास सारंग - रामनिवास जी, आप भी विशेषाधिकार हनन ही कर रहे हो.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - मुझे सदस्यों को अपनी भावनाओं से अवगत कराना है.
अध्यक्ष महोदय - रावत जी, आपकी सूचना आई है, अभी उस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है इसलिए उसको नहीं पढ़ा है. पहले उसकी ही वरीयता थी, मैं मानता हूँ. किन्तु चूँकि उसका अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है इसलिए इस विशेषाधिकार को लिया.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, महत्वपूर्ण विषय है ....(व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - रामनिवास जी, यह गलत परम्परा है.
अध्यक्ष महोदय - यशपाल जी 2 मिनट में बोलें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - अध्यक्ष महोदय, उस दिन माननीय डॉ. नरोत्तम मिश्र जी, संसदीय कार्यमंत्री ने जितू पटवारी दिए गए वक्तव्य को इस उम्मीद और इस अपेक्षा के साथ कि इस घटनाक्रम को विलोपित नहीं किया जाना चाहिए. मैं बार-बार सुन रहा था, नरोत्तम जी ने इसलिए कहा था कि सदन के एक सदस्य इस प्रकार से गैर जिम्मेदाराना वक्तव्य देते हैं. (XXX) की मंडली क्या अध्यक्ष जी, शासन की कार्ययोजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने के लिए होर्डिंग, बोर्डिंग, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिन्ट मीडिया एवं प्रचार-प्रसार पर खर्च होना एक प्रश्न है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - (बैठे-बैठे) तो क्या साहूकारों की मंडली कहें.
(....व्यवधान...)
गृह मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) - माननीय अध्यक्ष जी, बार-बार व्यवधान करना, आपकी आसन्दी के निर्देशों के बावजूद भी यह हो रहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, यह आपत्तिजनक नहीं है. आपने यशपाल जी को अनुमति दी है. यह क्या है ? विषय तो आने दें. आप इनको भी अनुमति दें. यशपाल का विषय तो आने दें.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष जी, यह क्या है ?विषय तो आने दें.
(....व्यवधान...)
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह नियमों में है और मैंने नियम का उल्लेख करते हुए आपसे आग्रह किया है.
(....व्यवधान...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, आपने उन्हें अनुमति दी है. पहले उनका विषय तो आने दें.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट आफ आर्डर है.. ...(व्यवधान)....
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, विशेषाधिकार भंग की सूचना को ग्राह्य करना या अग्राह्य करना आपका अधिकार है, लेकिन पहले विषय तो आ जाये. ...(व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने श्री यशपाल सिंह जी को बोलने की अनुमति दी है. श्री यशपाल सिंह जी के विषय को आने दीजिये और फिर आप इनको भी अनुमति दे दीजिये..(व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, बाहर प्रेस को दबाने की कोशिश हो रही और इधर सदन के अंदर सदस्य को न बोलने देने का काम हो रहा है. ...(व्यवधान)....
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने इसे प्रस्तुत करने का आसंदी से आदेश दिया है. ...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय - आप सभी बैठ जायें. पहले इनका विषय हो जाने दे. ...(व्यवधान)....
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अकेला मेरा सवाल नहीं है. ...(व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय सदस्य को नहीं बोलने दिया जा रहा है यह घोर आपत्तिजनक है. ...(व्यवधान)....
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, दो दिन से वाट्सअप पर एवं अन्य चैनलों पर इस प्रकार के दिये गये वक्तव्यों की आलोचना हो रही है, अगर सदन में इस प्रकार की टीका टिप्पणी की जायेगी. ( शेम शेम की आवाज). माननीय अध्यक्ष महोदय यह अकेला मेरा सवाल नहीं है. सर्व श्री राजेन्द्र पांडे जी, रामेश्वर शर्मा जी, शंकरलाल तिवारी जी, जसवंत सिंह हाड़ा, प्रदीप लारिया जी और अन्य सारे दस सदस्यों ने मिलकर इस प्रकार के वक्तव्य की आलोचना करते हुए आपसे आग्रह किया है इसे विशेषाधिकार समिति को सौंपा जाये( शेम शेम की आवाज). ...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय - श्री रामनिवास रावत आप बोलें. ...(व्यवधान)....
श्री सुदंरलाल तिवारी - यह एक दल के दस लोगों द्वारा षड़यंत्र करके किया गया है. ...(व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कोई तरीका नहीं है आपने श्री रावत जी को अनुमति दी है वह बोले समझ में आता हैं लेकिन यह कोई तरीका नहीं है. ...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय - श्री रामनिवास रावत जी आप बोलें. आप सभी बैठ जायें. ...(व्यवधान)....
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी आपसे विनम्रतापूर्वक प्रार्थना है कि जो चीज सदन की प्रापर्टी नहीं है और जो भी चर्चा हुई है उस चर्चा को आप विलोपित करा चुके हैं. इस संबंध में मैंने आपसे भी निवेदन किया था और आपने भी यह कहा था कि हम उसको विलोपित करा चुके हैं. इस प्रकार जो चर्चा सदन की कार्यवाही में नहीं है, जो विलोपित हो चुकी है, उस पर विशेषाधिकार भंग की सूचना कैसे आ सकती है? ...(व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन को गुमराह करने की कोशिश हो रही है. यह विषयांतर करने की कोशिश हो रही है. ...(व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी भी यही आपत्ति है कि उस चर्चा को विलोपित करने के बावजूद, उसको ट्विटर पर और सोशल साइट्स पर चलवाया गया है, तमाम प्रचार साधनों से चलवाया गया है, यह घोर आपत्तिजनक है और यह अपराध है कि अध्यक्ष महोदय जिसको आपने सदन की कार्यवाही से निकाल दिया है उसे बाद में अनाधिकृत रूप से चलवाया गया है. ...(व्यवधान)....
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, लगातार ट्विटर पर जिस तरह से प्रेस का अपमान किया जा रहा है मध्यप्रदेश के इतिहास में इससे ज्यादा आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ है. ...(व्यवधान)....
श्री रामनिवास रावत - पहले मेरी बात तो हो जाने दीजिये,आप मुझे बोलने नहीं देंगे क्या . ...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय - श्री रावत जी कुछ कह रहे हैं. ...(व्यवधान)....
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आपने बोलने का समय दिया है. ...(व्यवधान)....
श्री शंकरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्वाइंट आफ आर्डर है. ...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय - अब कोई प्वाइंट ऑफ आर्डर नहीं है बैठ जायें. श्री रावत जी आप बोलें. ...(व्यवधान)....
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने व्यक्तिगत रूप से अनुरोध किया था और जो विषय कार्यवाही से विलोपित किया गया है उसके संबंध में मैंने यह भी कहा था कि ऐसा कहा नहीं गया है, यह चर्चा भी उस समय हुई थी. माननीय अध्यक्ष महोदय फिर भी जो विषय सदन की कार्यवाही से विलोपित किया जा चुका है क्या उस पर विशेषाधिकार भंग की सूचना लाई जा सकती है, नहीं लाई जा सकती है और अगर इस तरह की कोई बात कही भी गई है तो हम पूरी तरह से मीडिया का पूरा सम्मान करते हैं. मीडिया प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ है अगर ऐसी कोई बात है तो हम खेद व्यक्त करते हैं, हम माफी चाहते हैं. ...व्यवधान
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह माफी का प्रश्न नहीं है अब सदस्यता समाप्ति की बात करेंगे. सदस्यता समाप्ति की बात होना चाहिए. ...व्यवधान
श्री गोपाल भार्गव - यह मीडिया के लिये लज्जित करने, लांछना, अपमानित करने वाली बात है. यह घोर आपत्तिजनक है. ...व्यवधान
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जानबूझकर कहा गया है. यह सदन के अंदर और सदन के बाहर जानबूझकर किया गया है.
अध्यक्षमहोदय - सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिये स्थगित.
(अपराह्न 12.09 बजे विधानसभा की कार्यवाही 15 मिनट के लिये स्थगित)
12.30 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
अध्यक्ष महोदय – पहले यशपाल सिंह जी ने प्रस्ताव दिया था, उनकी बात आने दीजिए.
वन मत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) – अध्यक्ष महोदय, मुझे आपने समय दिया था.
श्री यशपाल सिह सिसोदिया – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विशेषाधिकार पर आप व्यवस्था देते हुए उसको ग्राह्य करने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय – देंगे व्यवस्था. तिवारी जी बैठ जाइए.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – माननीय अध्यक्ष महोदय,आपने जो विशेषाधिकारी भंग का मामला यहां पढ़ा है. उसमें मैं कुछ कहना चाहता हूं, जितू पटवारी जी, माननीय सदस्य का जो प्रश्न है, लिखित प्रश्न है और चर्चा है, इसमें इन्होंने दो बार सदन की अवमानना की है. सबसे पहले तो आपने जो लिखित प्रश्न दिया है यह अपने आपमें आपके विधायक के पद का निजी उपयोग करते हुए और मीडिया को दबाने की आपने कोशिश की है और पत्रकारों के खिलाफ आपने व्यक्तिगत प्रश्न उठाए हैं ऐसा आज तक सदन में नहीं हुआ.
श्री रामनिवास रावत – यह कौन सा प्रश्न है, यह विशेषाधिकार से संबंधित ही नहीं है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – मैं अपनी बात कर रहा हूं, कोई असंसदीय नहीं बोल रहा हूं, सदन का कहीं विशेषाधिकार भंग नहीं कर रहा हूं. आप व्यवधान नहीं कर सकते. आप जितू पटवारी और कांग्रेस के कृत्यों पर पर्दा नहीं डाल सकते. आप गलती पर फंस गए हैं.
श्री रामनिवास रावत – सदन में जो विशेषाधिकार प्रस्तुत किया है उस विषय से यह संबंधित ही नहीं है. यह जबरदस्ती की बातें कर रहे हैं, यह बात विषय से संबंधित ही नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – अध्यक्ष महोदय, मेरा पांइट और आर्डर है कि अध्यक्ष के विशेषाधिकार का हनन सरकार के पक्ष के द्वारा हो रहा है. अध्यक्ष महोदय, यह विशेषाधिकार आपका है. आपके विशेषाधिकार का हनन हो रहा है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – अध्यक्ष महोदय, इन्होंने पत्रकारों के खिलाफ प्रश्न पूछे हैं, लेपटाप कितने दिये हैं. पत्रकारों के नाम इन्होंने पूछे हैं, कभी मीडिया के बारे में या किसी के बारे में व्यक्तिगत प्रश्न सदन में पूछे नहीं जाते हैं. (...व्यवधान)
श्री भूपेन्द्र सिंह – अध्यक्ष महोदय, डाक्टर साहब फैक्ट रख रहे हैं. विपक्ष सुनना क्यों नहीं चाहता है. (...व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत – अध्यक्ष जी ने समय दिया है बोलने दीजिए, यह क्या तरीका है. (...व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष जी, डाक्टर साहब जो पढ़ रहे हैं यह हाउस की प्रापर्टी हैं. यह हाउस की सम्पत्ति है, डाक्टर साहब जो जवाब आया है वह पढ़ रहे हैं, उसको पढ़ने नहीं दिया जा रहा है.
श्री भूपेन्द्र सिंह – एक तरफ कांग्रेस पार्टी मीडिया को (XXX) कहती हैं और एक तरफ जब फैक्ट आया है उसको पढ़ने नहीं दिया जा रहा है. (...व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष जी, जो जवाब आया है उसे नहीं पढ़ने दिया जा रहा है. (...व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत – आप विशेषाधिकार से संबधित बोल रहे हो क्या. (...व्यवधान)
श्री भूपेन्द्र सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, मीडिया के लिए सदस्य द्वारा जो बोला गया है वह विधायक के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव भी हैं और यह सीधा आरोप कांग्रेस पार्टी के ऊपर है. (...व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी –माननीय अध्यक्ष महोदय का विशेषाधिकार है उस पर कोई टीका-टिप्पणी कोई पक्ष नहीं कर सकता. यह अध्यक्ष के विशेषाधिकार का हनन है. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय – एक मिनट तिवारी जी को बोलने दीजिए, उनका पाइंट आफ आर्डर है. (...व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – अध्यक्ष महोदय, मेरी बात पूरी नहीं हुई. मैं निवेदन कर रहा था कि दो प्रश्नों में जितू पटवारी जी ने मीडिया को दबाने की कोशिश की है और अपने पक्ष में और अपने कृत्यों पर काले कारनामे जो इनके हैं, उनको छिपाने की कोशिश की है. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय – जिस प्रश्न के संबंध में बात उठी है उसकी चर्चा करें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) – माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई भी मीडिया को दबाने की बात नहीं हुई. शेजवार जी संबंधित बाते करें. प्रश्न के उत्तर में जो सही चीज है उसकी जानकारी चाह रहे थे, इसमें किसी को दबाने की बात नहीं हो रही थी.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – पहला प्रश्न यह है इन्होंने लेपटाप के बारे में पूछा है, पत्रकारों के नाम पूछे हैं, उनके पते पूछे हैं. यह बात दबा रहे हैं (XXX) उजागर कर रहे हैं. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय – काले कारनामे को निकाल दे.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, पत्रकार कांग्रेस पार्टी के जितू पटवारी के (XXX) को उजागर कर रहे हैं, इसलिये यह विधानसभा का दुरूपयोग करके मीडिया को दबाना चाहते हैं.
...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र- कांग्रेस की मानसिकता इस तरह की है.
अध्यक्ष महोदय- (श्री रामनिवास रावत, सदस्य द्वारा बैठे बैठे यह कहने पर) रावत जी, उसको मैंने कार्यवाही से निकाल दिया है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष जी, क्या डॉक्टर साहब विशेषाधिकार भंग से संबंधित विषय पर बोल रहे हैं.
...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- काहे के लिये निकाला अध्यक्ष जी, आप तो कुछ मत निकालो, एक एक चीज पर चर्चा कराओ. अध्यक्ष जी इसको निकालने की जरूरत ही नहीं है. गंभीर विषय है लोकतंत्र के चौथे खम्भे पर हमला हुआ है.
...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- सभी से अनुरोध है कि संयमित भाषा का उपयोग करें.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- मीडिया को कुचलने का काम किया जा रहा है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, गंभीर विषय है यह कोई साधारण विषय नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- कृपया सभी लोग बैठ जायें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय,चौथे स्तंभ को दबाने का पूरा पूरा प्रयास है और इसके लिये इनको माफ नहीं किया जा सकता है.
...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- हर्ष यादव जी, बैठें, जयवर्द्धन सिंह बैठें, सचिन जी बैठें, कृपया सभी बैठें, आऱिफ भाई भी बैठें. डॉक्टर साहब अपनी बात कंपलीट करें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन यह कर रहा था कि विधानसभा की कार्यवाही का निजी रूप में उपयोग करके लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को दबाने का यह प्रयास है. अपने काले कारनामों पर पर्दा डालने का यह प्रयास है और कोई भी सदस्य विधानसभा का निजी उपयोग नहीं कर सकता और जो निजी उपयोग करेगा तो सदन की अवमानना है और सदन का विशेषाधिकार भंग है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर साहब को बैठाये, यह विशेषाधिकार भंग की सूचना से संबंधित बात नहीं है. कुछ भी बोले जा रहे हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस पार्टी के हित में विधानसभा कार्यवाही का दुरूपयोग किया है..
...(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर साहब विषय पर बोलें, विशेषाधिकार भंग की जो सूचना दी है उस पर बोलें, यह विषय से हटकर के बात कर रहे हैं. जबरदस्ती बोले जा रहे हैं.
श्री सचिन यादव-- मीडिया सब जानती है. आपके काले चिट्ठे जल्दी ही जनता के सामने आने वाले हैं,आपका काला चिट्ठा बहुत जल्दी खुलने वाला है.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया है.
अध्यक्ष महोदय--शैजवार साहब की बात पूरी हो गई ? आपकी बात पूरी हो गई तो श्री तिवारी जी..
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, आपने विशेषाधिकार भंग की सूचना से संबंधित विषय पर बोलने की अनुमति प्रदान की है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - और पाईंट आफ आर्डर पर हरेक को बोलने की अनुमति है ? अध्यक्ष जी, मेरा पाईंट आफ आर्डर है.
श्री रामनिवास रावत- कुछ भी बोले जाओ.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, पहले मेरे पाईंट आफ आर्डर को सुना जाये, आपने मुझे अनुमति दी है.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, मैंने पहले तिवारी जी को अनुमति दी है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- ठीक है अध्यक्ष जी आप पहले उनको सुने फिर मुझे बुलवायें.
श्री शंकरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विशेषाधिकार की सूचना में मेरे भी हस्ताक्षर हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, (श्री शंकरलाल तिवारी ती तरफ इंगत करते हुये) यह तिवारी जी कहां से खड़े हो गये, अध्यक्ष महोदय, आप इन्हें बैठायें.आपने मुझे बोलने की अनुमति दी है.
अध्यक्ष महोदय -- (हंसी) हम बैठाल रहे हैं.तिवारी जी आप तो अपनी बात बोलें.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अरे, शंकरलाल जी बैठो, अध्यक्ष जी ने हमको बोला है. अध्यक्ष महोदय ने हमें बोलेने की अनुमति दी है.हम हैं असली तिवारी..(हंसी)
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, रावत जी ने मेरे ऊपर आक्षेप लगाया है.
अध्यक्ष महोदय- रिकार्ड देख लेंगे.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि विधानसभा की कार्यवाही की निजी हितों के लिये उपयोग करना और ऐसे प्रश्न पूछना जिसमें विधानसभा का कार्यालय और लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया इसको यदि दबाया जाये तो यह निजी हितों के लिये काम किया गया है, सदन की अवमानना है सदन का विशेषाधिकार भंग किया है.
श्री सचिन यादव-- अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर साहब बार बार सदन को गुमराह कर रहे हैं. आपके निर्देशों की बार बार अवहेलना कर रहे हैं. बार बार सदन को गुमराह कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी.....
श्री शंकरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय,जी मेरा निवेदन है. मेरे विशेषाधिकार की सूचना पर दस्तखत हैं. आपने तिवारी करके बुलाया तब मैं खड़ा हुआ हूं.
अध्यक्ष महोदय- अरे सुंदरलाल तिवारी जी ने पाईंट आफ आर्डर उठाया था उनको मैंने अनुमति दी है भाई. तिवारी जी बोलिये...
श्री शंकरलाल तिवारी-- अरे तिवारी तो मैं भी हूं. और बोल रहा हूं.(हंसी)
अध्यक्ष महोदय-- (श्री सुंदरलाल तिवारी जी की तरफ ईशारा करते हुये) ये वाले तिवारी जी को अनुमति दी है.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- असली तिवारी बोलेगा.. आप बैठ जाईये.
श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्यक्ष जी, आपने कहा कि तिवारी जी तो मैं खड़ा हो गया. मेरे विशेषाधिकर सूचना में हस्ताक्षर भी हैं.
अध्यक्ष महोदय- अच्छा चलिये श्री सुंदरलाल तिवारी जी अपनी बात कहें शंकरलाल तिवारी जी बैठ जायें.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी विनम्रतापूर्वक निवेदन कर रहा हूं कि हमारे मित्र श्री यशपाल सिंह सिसोदिया जी या सत्ता पक्ष के लोगों ने क्या माननीय अध्यक्ष महोदय के खिलाफ सदन में विशेषाधिकार प्रस्तुत किया है ?
...(व्यवधान)...
(सत्ता पक्ष के कई सदस्य एक साथ खड़े होकर के अपनी बात कहने पर )
अध्यक्ष महोदय- कृपया बैठ जायें.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मुझे अपनी बात कहने दें..........(व्यवधान).... माननीय अध्यक्ष महोदय, इनको बिठाईये ....(व्यवधान).... एक मिनट मुझे बात करने दीजिये. ....(व्यवधान).... बैठो, मेरी बात कहने दो. ....(व्यवधान)....
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हर कुछ कहने दें. ....(व्यवधान)....
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है इस सदन को नियंत्रित करने का, सुचारू रूप से चलाने का और व्यवस्थित यह सदन चले, यह अधिकार माननीय अध्यक्ष महोदय के पास सुरक्षित है ....(व्यवधान).... यदि कोई भी सदस्य ....(व्यवधान).... सुन लो, हम बात कर रहे हैं ....(व्यवधान).... माननीय अध्यक्ष महोदय, इस पक्ष ने या उस पक्ष ने ....(व्यवधान)....
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) -- चोरों की मंडली, सही कहा है या गलत कहा है. ....(व्यवधान).... चोरों की मंडली, मंत्रियों को, पत्रकारों को ....(व्यवधान).... चोरों की मंडली ....(व्यवधान)....
श्री सुंदरलाल तिवारी-- नियम देखो. ....(व्यवधान).... (डॉ. गौरीशंकर शेजवार की ओर गुस्से के साथ, जोरों से इशारा करते हुये) बैठो.., बैठो.., बैठो........(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, आपका यह क्या तरीका है. ....(व्यवधान)....
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष जी, मैं निंदा करता हूं, यह झगड़े की स्थिति निर्मित हो रही है ....(व्यवधान).... यहां झगड़े की स्थिति निर्मित हो जायेगी, मैं आपको बता रहा हूं. ....(व्यवधान).... यह बदतमीजी की हद है. ....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिये स्थगित.
(अपराह्न 12.42 बजे सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिये स्थगित की गई)
1.01 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई
(अध्यक्ष महोदय {डॉ.सीतासरन शर्मा} पीठासीन हुए.)
गृहमंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह)--अध्यक्ष महोदय, तिवारी जी ने अपनी बात कह दी है. हमारा रह गया है.(व्यवधान)
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय,मेरा रह गया है. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, जैसा मैने निवेदन किया---.(व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग‑--अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि तिवारी जी का डॉ.शेजवार जी के प्रति क्या व्यवहार था. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--अध्यक्ष महोदय, इन्होंने बात रख दी है. (व्यवधान)
श्री सुंदरलाल तिवारी--मुझे बोलने नहीं दिया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय--आप बोलते क्यों नहीं हैं. मैंने आपको बोलने की चार बार अनुमति दी है.
श्री भूपेन्द्र सिंह--पूरे मीडिया के लिये असंसदीय शब्दों का सदन में उपयोग किया गया है. यह कदाचरण की श्रेणी में आता है. (व्यवधान)
श्री सुंदरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, मुझे बोलने नहीं दिया गया. मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. मुझे यह लोग बोलने ही नहीं दे रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--मैंने आते ही आपको बुलाया था, आप सामने बहस में उलझ जाते हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, यह लोग बोलने देंगे, तब तो बोलेंगे. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आपको बोलने के लिये क्या निमंत्रण दें. आप अपनी बात बोलिये.
श्री सुंदरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है, कि जैसा मैंने कहा था कि सदन को संचालित करने का अधिकार माननीय अध्यक्ष महोदय का है. अगर हमने कोई गलत शब्द बोले हैं या गलत शब्दों का हमने उपयोग किया है. हमने पार्लियामेन्ट्री लेंग्वेज का यूज किया है.(व्यवधान)
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--अध्यक्ष महोदय, तिवारी जी को अपनी गलती के लिये माननीय मंत्री जी से माफी मांगनी पड़ेगी. (व्यवधान)
श्री सुंदरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, गलत शब्दों का उपयोग किया है, तो उन शब्दों को तुरंत विलोपित करने का अध्यक्ष महोदय को अधिकार है.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--यह बार बार सदन की अवमानना करते हैं इसलिये इनको मंत्री जी से माफी मांगनी पड़ेगी (व्यवधान)
श्री अनिल फिरोजिया--अध्यक्ष महोदय, इनको माफी मांगनी चाहिये.
श्री सुंदरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन संबंधी नियम 164 में '' इन नियमों के उपबंधों के अधीन रहते हुए कोई भी सदस्य, अध्यक्ष की सम्मति से, किसी सदस्य के, या सभा के या उसकी किसी समिति के विशेषाधिकार के उल्लंघन से संबंधित प्रश्न उठा सकेगा." इन्होंने नियम 164 के तहत नोटिस दिया है. इन्होंने किसी सदस्य के विशेषाधिकार की बात ही नहीं कही है. (व्यवधान)
श्री अनिल फिरोजिया--अध्यक्ष महोदय, यह बात बोली ही नहीं है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, मैं भी एक बात कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय--आपकी बात सदन में आ गई है. इनके व्यवस्था के प्रश्न पर मंत्री जी आपको कुछ कहना है क्या ?
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, मेरी प्रार्थना सिर्फ इतनी सी है कि माननीय तिवारी जी ने प्रश्न रखा. यह विषय अकेले एक से जुड़ा हुआ नहीं है. आप यह देखें कि जब भाई जितू पटवारी जी ने अपना प्रश्न पूछा था तो पहली बार आसन्दी की ओर मुखातिब हुए. आसन्दी से प्रश्न पूछा. ऐसा आज तक नहीं हुआ जैसा हुआ. मैं आपको आखिरी तक ले जाऊंगा क्योंकि यह घटना जिसकी अभी चर्चा हो रही है यह सिर्फ प्रश्नकाल की हो रही है. मेरे साथ में,यहां पर लंच के बाद में जितू पटवारी जी हाऊस के अंदर आये और हाऊस के अंदर आने के बाद, माने अपने कृत्य का जितना ज्यादा अहंकार होगा और कितना ज्यादा गुरूर होगा.यहां आकर पर बोले कि संसदीय कार्य मंत्री माफी मांगेगा मैं माफी नहीं मांगूंगा मीडिया से. यह हाऊस के अन्दर रिकार्ड में है.माननीय अध्यक्ष महोदय, आप रिकार्ड निकलवाकर देख लें. एक लम्बे समय से सदन की गरिमा को गिराने का काम किया जा रहा है. सिर्फ छपने के लिये कभी साईकल यात्रा,कभी कमण्डल लेकर आना,कभी एप्रिन पहनकर आना,लगातार है माननीय अध्यक्ष महोदय,कभी अन्न के ऊपर चलना, पैरों से प्याज को कुचलना,कभी आलू को कुचलना,कभी गेहूं को कुचलना, यह एक प्रक्रिया बन गई है. इस सदन में हमें ताकत अध्यक्ष महोदय, आपसे मिलती है. हमें सारी शक्तियां आपसे मिलती हैं, अगर हम इस हाऊस को कमजोर करेंगे, आसन्दी को कमजोर करेंगे तो माननीय अध्यक्ष महोदय, हम लोग न्याय के लिये जाएंगे कहां, और हमारी ताकत कहां रहेगी. यशपाल भाई, ने जो बात उठाई है माननीय अध्यक्ष महोदय, उस पर आपकी व्यवस्था आना लाजमी है, अगर आपकी व्यवस्था नहीं आयेगी तो यह हठधर्मिता, यह अहंकार,यह प्रवृत्ति,यह अवमानना की आदत लगातार बढ़ती जायेगी और हम कमजोर होते चले जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय - श्री रामनिवास रावत और श्री सुन्दरलाल तिवारी जी की बात मैंने सुन ली है. मैंने नियमों के अन्तर्गत ही उनको लिया है. रावत जी जो आपने कहा था कि जब वह विलोपित हो गये तो कैसे ले सकते हैं. सारे नियम और व्याख्याएं मैंने पढ़ी हैं और उसके बाद ही यह निर्णय किया है कि इसको यहां उठाने की अनुमति दी जाय और जो आप कह रहे हैं तो विधिवत् नियम-165 में उन्होंने बात उठायी.नियम-164 भी उसी से संबंधित है.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरा प्वाइंट आफ आर्डर है. गोपाल भार्गव जी पहले बोल लें.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों ने जो विशेषाधिकार भंग की सूचना दी.इसमें स्पष्ट रूप से उल्लेखित है -
" कोई भी कार्य या लोग जिससे सदन की कार्यवाही या उसके कृत्यों में बाधा पहुंचती है या अड़चन आती है या सदन के सदस्य या अधिकारी को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में बाधा पहुंचती है,अड़चन आती है अथवा जिसका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष ऐसा परिणाम उत्पन्न होता है जिसे अवमानना समझा जा सकता है, चाहे ऐसे अपराध के लिये कोई पूर्व दृष्टांत न हो " पार्लियामेंट्री प्रेक्टिस का 15 वां संशोधन देख लें. अध्यक्ष महोदय, हमारे विधान सभा की प्रेस रिपोर्टिंग की शानदार परंपरा रही है. चाहे वह इलेक्ट्रानिक मीडिया हो,प्रिंट मीडिया हो,अन्य कोई सोशल मीडिया हो. अध्यक्ष महोदय, यही कहना चाहता हूं कि माननीय सदस्य ने जिस उद्देश्य से यह कहा हो लेकिन इससे हमारी विधान सभा की रिपोर्टिंग भी,सदन के अन्दर की रिपोर्टिंग और सदन के बाहर की रिपोर्टिंग,राज्य स्तर की और राष्ट्रीय स्तर की, इससे प्रभावित हुई. लोक तंत्र की रक्षा करने के लिये और लोकतंत्र को सुगठित करने के लिये हमारी विधायिका,हमारी न्यायपालिका,कार्यपालिका, उसके साथ में हमारा प्रेस भी है चौथा स्तम्भ. इसको यदि इस तरह से प्रभावित करने की कोशिश की जायेगी कि आप विज्ञापन दे रहे हैं. सारी की सारी बातें पूछकर,यह प्रत्यक्ष रूप से कुछ दिख रहा है और इसके पीछे जो भावना छिपी हुई है यह सिर्फ इस बात को प्रतिध्वनित करती है कि यह विज्ञापन क्यों दिये गये ? अब राज्य की उन्नति के लिये,तरक्की के लिये,विकास के लिये हमने जो काम किये विकास के लिये,जो हम योजनाएं चला रहे हैं उनको लोगों तक पहुंचाने के लिये विज्ञापनों की आवश्यकता होती है. हर राज्य में ऐसा होता है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, हम लोगों को बोलने नहीं दिया जाता. एक मिनट अपनी बात नहीं कहने दी और यह भाषण शुरू किये हुए हैं.हम तो अपनी बात भी नहीं कह पाये.
श्री गोपाल भार्गव - तिवारी जी, मेरी बात हो जाये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, हमें भी अवसर दिया जाये अपनी बात कहने का.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्वाइंट आफ आर्डर था उसमें संक्षेप रहता है,वे विषय पर बोल रहे हैं. दोनों में फर्क है कि नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, इस तरह से प्रश्न पूछना,ठीक है,प्रश्न पूछने का, जब मैं बीस साल यहां अपोजीशन में बैठा, मेरा अधिकार था. मैं भी पूछता था. आज मैं सरकार में हूं. मैं उत्तर देता हूं. उत्तर देने का मेरा जो कुछ भी कर्तव्य है, मैं उसका निर्वहन करता हूं. इस प्रकार के प्रश्न पहले कभी नहीं पूछे गये. जिस प्रकार से लांछित करने की कोशिश हुई यह राज्य के, मध्यप्रदेश के, विधायी इतिहास में अभूतपूर्व घटना है और इस कारण से मैं यह कहना चाहता हूं कि माननीय सदस्य ने जो कृत्य किया है, इसकी चर्चा मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि दिल्ली में भी हुई है, हमारे पास में सारे अखबारों की कतरन हैं. इंग्लिश के सारे अखबार हैं, हिन्दी के भी अखबार हैं. एक ऐसा विषय जिसके लिए आपने विधान सभा की कार्यवाही से विलोपित कर दिया था, उस विषय के लिए ट्विटर के माध्यम से, सोशल साइट के माध्यम से और अन्य मीडिया के माध्यम से..
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - वह विलोपित नहीं हुआ है गोपाल जी, हमारे पास में रिकॉर्ड है. हमारे पास रिकॉर्ड है अध्यक्ष जी.
श्री गोपाल भार्गव - फिर तो प्रामाणिक है अध्यक्ष महोदय.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मैं गोपाल जी की हां में हां मिलाकर अब तो सदस्यता समाप्ति की बात करूंगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - विलोपित नहीं हुआ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - हां, नहीं हुआ.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - इसका मतलब अध्यक्ष महोदय के अनुमति से वह रिकॉर्ड पर है? (व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय की अनुमति है उसमें कि वह रिकॉर्ड पर रहे?(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -वह विलोपित हुआ ही नहीं है. हमारे पास में रिकॉर्ड है. इसका हमारे पास में रिकॉर्ड है. (व्यवधान).. मैंने मीडिया के सामने रखा है वह रिकॉर्ड.
(व्यवधान)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी - विलोपित करने का, विलोपित नहीं करने का अधिकार आपके पास है. (व्यवधान)..
गृह मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) -अध्यक्ष महोदय, रिकॉर्ड के आधार पर प्रिविलेज लाए हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, रिकॉर्ड के आधार पर यह प्रिविलेज आया है. यह प्रिविलेज रिकॉर्ड के आधार पर आया है. (व्यवधान)..यह स्वीकार होता है कि अस्वीकार, यह अभी पता चल जाएगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - कुछ नहीं पता चलेगा, क्या पता चलेगा?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह रिकॉर्ड पर है कि नहीं, यह पता चलेगा. (व्यवधान)..मीडिया को ले जाकर रिकॉर्ड दिखाया.
(व्यवधान)..
श्री यादवेन्द्र सिंह - सरकार घबड़ा गई जितू पटवारी से, भार्गव जी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - किसी से नहीं घबड़ाए. इस गलतफहमी में मत रहिए.
(व्यवधान)..
श्री यादवेन्द्र सिंह - कहां गुम हो गये थे लाल सिंह और आप दोनों.
(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र - पिछले 27 साल से यही सोच रहे हो आप. 27 साल से ही बैठे हैं.
(व्यवधान)..
श्री यादवेन्द्र सिंह - आप इतने महीने कहां रुके रहे? अध्यक्ष महोदय, (XXX). इस सदन से, मंत्रिमंडल से नहीं हटाए गए.
(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - इसे विलोपित करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप बीच में गेप ले लेकर आते हो.
श्री यादवेन्द्र सिंह -जितू पटवारी राष्ट्रीय नेता बन रहा है. आप पर भारी पड़ेगा. और क्या करेंगे आप? (व्यवधान).. निकलवा दोगे उससे क्या होता है? सदस्यता से हट जाएगा तो क्या फर्क पड़ता है जितू, सरकार उससे नीचे हो गई है. प्रदेश का नेता बन जाएगा सोच लो आप.
श्री गोपाल भार्गव - यादवेन्द्र जी, आप नौनिहाल हो, आप अभी राजनीति के, सदन के नौनिहाल हो. अभी आप पल्ला में से बाहर नहीं निकले और जितू भाई को भी सलाह देता हूं इतने कम अनुभव के आधार पर, इतनी कम वरिष्ठता के आधार पर बहुत हाई जंप लेने की कोशिश नहीं करें, इसमें यही घटनाएं होती हैं. ये घटनाएं इस कारण से होती हैं. ये सारी की सारी बातें आपको इसलिए करना पड़ती हैं क्योंकि आप कम समय में बहुत ज्यादा कुछ हासिल करना चाहते हैं. राजनीति में कोई शॉर्ट-कट नहीं होता है. अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि प्रश्न पूछने के अधिकार का परोक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस प्रकार से दुष्प्रयास करना सारे सदस्यों के विशेषाधिकार भंग का हनन है. सदन के विशेषाधिकार भंग का हनन है और अध्यक्ष महोदय, आपकी आसंदी का अपमान भी है, इस कारण से इसे स्वीकार करके अध्यक्ष महोदय, विशेषाधिकार समिति के सामने इसको भेजना चाहिए.
गृह मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) - अध्यक्ष महोदय, जो प्रिविलेज मोशन का विषय है इसमें रिकॉर्ड के आधार पर ही यह प्रिविलेज मोशन सदस्यों के द्वारा यहां पर लाया गया है. रिकॉर्ड में यह स्पष्ट है, जिसमें माननीय विधायक श्री जितू पटवारी जी ने कहा है कि चोरों की मंडली है, चोरों को विज्ञापन देते हैं. पूरे मीडिया तंत्र के लिए असंसदीय और अपमानजनक है. (शेम-शेम की आवाज)..अध्यक्ष महोदय, चूंकि मीडिया, सदन के सदस्य नहीं होते हैं, वे अपनी बात सदन में कह नहीं सकते हैं, इसलिए अगर कोई सदन का सदस्य नहीं है, जिसके बारे में कहा जा रहा है तो निश्चित रूप से यह कदाचरण की श्रेणी में आता है और इसलिए भी प्रिविलेज मोशन स्वीकार करने का आग्रह आपसे इस आधार पर करेंगे. अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे यह भी कहना चाहूंगा कि इससे पूरा देश का पत्रकार जगत आहत हुआ है, अकेले मध्यप्रदेश का नहीं, पूरे देश का पत्रकार जगत, पूरे देश में ऑर्टिकल छप रहे हैं, पूरे देश के सारे समाचार-पत्रों में यह खबरें छप रही हैं कि मध्यप्रदेश की विधान सभा में कांग्रेस पार्टी के एक राष्ट्रीय सचिव जो माननीय विधायक हैं. उनके द्वारा इस तरह से मीडिया पर आरोप लगाया गया है इसी तरह से यह विषय केवल यहां तक नहीं था सदन के बाहर जाकर भी इस बात को कहा गया कि जो हमने सदन के अंदर कहा है वह सही कहा है. इस तरह से बाहर जाकर भी अपमान किया गया. बात वहां तक समाप्त नहीं हुई, उस दिन से लेकर आज तक लगातार ट्विटर पर पत्रकारों के विरुद्ध असम्मान जनक टिप्पिणयां जारी हैं. इससे बड़ा अपमान पत्रकार जगत का क्या हो सकता है ? इसलिये अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे विनम्र प्रार्थना करूंगा कि यह हमारे संसदीय लोकतंत्र के लिये इससे ज्यादा अपमानजनक क्षण नहीं हो सकते और उस दिन का प्रश्नकाल हमारे लोकतंत्र के लिये माननीय विधायक जी ने काला दिवस बना दिया है. लोकतंत्र के लिये काले दिन के रूप में स्थापित कर दिया है. कभी भी सदन में इस तरह से बात नहीं हुई. हमने पूरे तथ्यों के साथ प्रिविलेज मोशन आपके समक्ष प्रस्तुत किया है, आपसे आग्रह है कि आप इसको स्वीकार करें और इसमें जल्दी निर्णय होकर न्याय मिले.
अध्यक्ष महोदय -- मेरा ख्याल है कि इस विषय पर बहुत चर्चा हो चुकी है. अब कोई कारण नहीं है कि इस पर और अधिक बात की जाय.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- प्वाइंट ऑफ आर्डर तिवारी जी ने उठाया था उसका उत्तर दे दिया. आपको विषय पर कुछ बोलना हो तो बोलिए.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, विषय पर ही बोलूंगा. प्रजातंत्र में जनता सरकार बनाती है. आपकी सरकार है हमें कोई आपत्ति नहीं है. आप अपने कार्यों का विज्ञापन देते हैं हमें इसमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इस विधानसभा के किसी भी सम्मानित सदस्य को जानकारी प्राप्त करने का, प्रश्न लगाने का अधिकार है, अगर किसी सदस्य ने जानकारी प्राप्त करने के लिये प्रश्न लगाया है तो इसमें कोई विशेषाधिकार भंग जैसी सूचना नहीं है. इस घटना के संबंध में उस दिन भी यह बात आई थी. आप सारे तथ्यों को विलोपित कर चुके थे और विलोपित की गई कार्यवाही पर कोई विशेषाधिकार भंग की सूचना नहीं लगाई जाती. अध्यक्ष महोदय, मैं कॉल एण्ड शकधर पुस्तक की तरफ आपका ध्यान दिलाना चाहूंगा. मामले जो सभा का विशेषाधिकार ..(व्यवधान)..
श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, यह किसी किताब में नहीं लिखा है कि मीडिया को (XXX) कहो.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, हम मीडिया का सम्मान आपसे ज्यादा करते हैं. मीडिया चौथा स्तम्भ है उसका पूरा सम्मान है. इस मीडिया ने ही देश को आजादी दिलाने में सहयोग प्रदान किया है.
श्री शंकरलाल तिवारी -- आप सम्मान करते हैं लेकिन वह नहीं करते हैं, वह लगातार अपमान कर रहे हैं. ...(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, कॉल शकधर की पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 335 में ..(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, उस समय हमने कहा था कि आपने मीडिया के बारे में जो शब्द कहे हैं आप माफी मांगिए. आज जितनी सफाई से आप पेश कर रहे हैं उस दिन अगर आप मीडिया से माफी मांग लेते तो यह होता कि आपने लोकतंत्र की रक्षा की. आज दिनांक तक आपने माफी नहीं मांगी है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, आज दिनांक तक माफी नहीं मांगी, यह कांग्रेस की हठधर्मिता है. यह पूरी की पूरी कांग्रेस की मानसिकता है. लगातार अपमान हो रहा है. ..(व्यवधान)..
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, पूरी पार्टी लगातार सदन का अपमान कर रही है. ..(व्यवधान).. लगातार मीडिया का अपमान कर रहे हैं. ..(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, अभी भी लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से मीडिया का अपमान किया जा रहा है. आप कृपया आसंदी से व्यवस्था दें. हमारे प्रदेश की मीडिया को क्या इस तरह से बदनाम किया जायेगा. क्या मध्यप्रदेश की मीडिया के बारे में .. .(व्यवधान).. लगातार यह चल रहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, यह हठधर्मिता है.
अध्यक्ष महोदय -- रावत जी की बात होने दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, चार बार रावत जी बोल चुके हैं. आपने उनको चार बार समय दिया है.
..(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, लगातार मीडिया का अपमान हो रहा है.
..(व्यवधान)..
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, क्या ये सदन चला रहे हैं. ..(व्यवधान).. आप ऐसे बोलेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही बोलेंगे.
श्री अजय सिंह -- बिलकुल नहीं बोलेंगे.
..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- ऐसे ही बोलेंगे. ..(व्यवधान).. ऐसे ही बोलेंगे.
..(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह -- .. अध्यक्ष महोदय, यह लगातार अभी भी आज भी अपमान हो रहा है. कृपया आप व्यवस्था दीजिये.
..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था दीजिये. ..(व्यवधान).. यह कोई बात हुई क्या.
..(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था दीजिये.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- रावत जी को बोलने के लिये कहा है. आप दो मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, यह गलत बात है. ..(व्यवधान).. यह तो गलत कर रहे हैं माननीय अध्यक्ष महोदय. आप चार बार अवसर दे चुके हैं.
श्री अजय सिंह -- नरोत्तम जी, आपके मन की बात नहीं हो रही है, तो गलत हो गया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, उनको चार बार अवसर दे दिया.
श्री अजय सिंह -- इनकी मन की बात नहीं हो रही है, तो गलत हो गया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- काहे की मन की बात नहीं हो गई.
..(व्यवधान)..
श्री अजय सिंह -- ..यदि आपको सुनना भी नहीं है.....(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, वे चार-चार बार बोल रहे हैं. हमें एक बार बोलने का मौका नहीं मिल रहा है.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मैं सिर्फ रामनिवास रावत जी को अनुमति दे रहा हूं, उसके बाद में विश्वास जी दो मिनट बोलेंगे और बस इस तरफ से कोई चर्चा नहीं होगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, अब कोई नहीं बोलेगा. आप व्यवस्था देने की कृपा तो करें.
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास रावत जी, बोलें. ..(व्यवधान).. रामनिवास रावत जी को मैंने बुला लिया है, उनको बोलने दीजिये.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, ये कैसे तय कर सकते हैं कि कोई नहीं बोलेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- ये अध्यक्ष जी तय करेंगे कि कोई नहीं बोलेगा. अपने दल का मैं तय करुंगा कि कोई नहीं बोलेगा. उन्होंने विश्वास जी का नाम लिया था, उसके बारे में मैं तय करुंगा. मैं संसदीय कार्य मंत्री हूं. ..(व्यवधान)..
श्री अजय सिंह -- आप सुन तो लें.
..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, आपने उनको चार बार समय दे दिया.
..(व्यवधान)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- मंत्री जी, बैठिये, सदन चलने दीजिये.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- गृह जी, मेरा अनुरोध है कि रामनिवास रावत जी के सुनने के बाद मैं अपना निर्णय दूंगा. श्री रामनिवास रावत.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, आप बार-बार समय दे देते हैं. हम आप पर आपत्ति नहीं कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, विषयान्तर होता है कई बार. आपने चार बार समय दिया है. इन्होंने एक बार भी माफी या खेद व्यक्त नहीं किया है. ..
श्री रामनिवास रावत -- किया है, मैंने किया है.
..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, यह मीडिया आपकी ओर मुखातिब है. पूरे देश का मीडिया आपकी ओर मुखातिब है. ..(व्यवधान).. आपने उनको चार बार समय दिया है.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मेरा दोनों तरफ के सदस्यों से अनुरोध है कि एक मिनट मेरी बात सुन लें. माननीय आरिफ भाई बैठ जायें. रावत जी, सब कृपया बेठ जायें. एक मिनट सुन लें. गृह मंत्री जी एवं राजस्व मंत्री जी, एक मिनट सुन लें.
श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- हां मैं दे रहा हूं. आप सुन तो लें. तिवारी जी, बैठ जायें. नरेन्द्र सिंह जी, के.के.श्रीवास्तव जी, रामेश्वर जी बैठ जायें.
श्री के.के.श्रीवास्तव -- अध्यक्ष महोदय, इसमें कोई बोलने की जरुरत नहीं है. आप तो पत्रकारों का सम्मान बचा रहे, इतना न्याय कर दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- सारे सदस्यों की बात सुन ली, माननीय मंत्रियों की बात सुन ली. श्री रामनिवास रावत 3 मिनट बोलेंगे, इसके बाद किसी को कहीं से एलाऊ नहीं किया जायेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, आप उनको चार बार बोलवा चुके हैं. आपने उनको चार बार अवसर दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- उनका पाइंट ऑफ आर्डर था...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- ..अध्यक्ष महोदय, उनको चार बार अवसर हो गया. वे चार बार बोल चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय -- .. .उनको बोलने नहीं दिया गया. वे विषय पर नहीं बोलें. रावत जी, अब आप बोलिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, वे चार बार बोल चुकें हैं. वे विषय पर नहीं बोले हैं, तो उनकी गलती है. आप उनको चार बार अवसर दे चुके हैं. उधर विश्वास हमारा समय मांग रहा है, एक घंटे से समय मांग रहा है.
अध्यक्ष महोदय, विश्वास सारंग जी को भी समय दीजिए..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे भी बोलने का मौका दीजिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, हमारा मंत्री समय मांग रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया उन्हें बोल लेने दीजिए. ..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, हम थोड़ी रोक सकते हैं, आपका अधिकार है.. ..(व्यवधान)..हमारा कहना है कि वे चार बार बोल चुके हैं. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, एक बार उन्हें बोलने दीजिए. इस बार आखिरी बार है. ..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, एक शब्द खेद का नहीं आया है ..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे भी तो आपने बोला था, ..(व्यवधान).. इसके बाद भी मुझे..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- उनको तो बोलने दें. ..(व्यवधान)..
श्री लालसिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, मैं भी बहुत देर से हाथ उठा रहा हूँ. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष माहेदय -- कृपया सब बैठ जाएं. पहले उनको तो बोलने दें, फिर निर्णय करूंगा मैं. ..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसी कि बात की गई थी, कौल-शकधर की पुस्तक के पृष्ठ क्रमांक 290 - मामले जो सभा का विशेषाधिकार भंग या अवमानना नहीं कहे जा सकते, इसके दूसरे पैरे में लिखा है कि, '' यदि कोई सदस्य या मंत्री सभा में कोई ऐसा वक्तव्य देता है जो किसी अन्य सदस्य के विचार में असत्य, अपूर्ण या गलत है तो वह विशेषाधिकार भंग नहीं है. यदि कोई गलत वक्तव्य दिया जाता है तो उस मामले का निपटारा करने के दूसरे उपाय हैं.''
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से पृष्ठ क्रमांक 299 - सदस्यों के विरुद्ध शिकायतें - इसमें लिखा हुआ है कि, '' जब किसी सदस्य द्वारा कथित विशेषाधिकार भंग या सभा की अवमानना की शिकायत की जाती है तो शिकायत के संबंध में सभा की कार्यवाही एक जैसी नहीं होती. वह इस बात पर निर्भर करती है कि शिकायत किसी सदस्य के विरुद्ध है या किसी अजनबी के विरुद्ध. दोनों मामलों के संबंध में मुख्य अंतर यह है कि यदि शिकायत किसी सदस्य के विरुद्ध हो, तो शिष्टाचार के नाते उसे इस मामले के उठाये जाने की सूचना पहले से दे दी जाती है. इसके अतिरिक्त, जब कोई सदस्य किसी अन्य सदस्य के विरुद्ध विशेषाधिकार प्रश्न उठाना चाहता है, तो जैसा कि पहले कहा जा चुका है, अध्यक्ष उसे सभा में वह मामला उठाने की अनुमति देने से पहले जिस सदस्य के विरुद्ध शिकायत की गई हो, उसे इस मामले से संबंधित तथ्य जो उसके पास हों अध्यक्ष या सभा के समक्ष रखने का अवसर देता है. जब सभा के कथित विशेषाधिकार भंग या उसकी अवमानना की शिकायत किसी सदस्य द्वारा सभा से बाहर दिए गए और समाचार पत्र में प्रकाशित हुए कथित वक्तव्य पर आधारित हो, '' इस तरह से इसमें विशेषाधिकार नहीं बनता है. ..(व्यवधान)..
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अपमान और अपशब्दों के लिए इसमें कहीं भी एग्जेम्प्शन नहीं है. ..(व्यवधान)..
श्री उमाशंकर गुप्ता -- ये कौन सी नई बात पढ़ी गई ? ..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र – (XXX) शब्द आता है क्या ? ..(व्यवधान)..
श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, इस किताब में कहीं यह नहीं लिखा कि (XXX) शब्द बोला जाए. (XXX) शब्द कहीं नहीं लिखा है. ..(व्यवधान)..ये भ्रम पैदा कर रहे हैं. ..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर दें कि (XXX) शब्द आता है क्या, हां या ना ? ..(व्यवधान).. ..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, इनके पास जो विधान सभा की कार्यवाही की नकल है, क्या यह प्रमाणित नकल है, जिस नकल को वे बार-बार उठा रहे हैं?
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- कृपया सभी बैठ जाएं. सभी सदस्यों के विचार सुनने के पश्चात् मैं उक्त सूचना को जांच, अनुसंधान और प्रतिवेदन के लिए विशेषाधिकार समिति को सौंपता हूँ. (सत्ता पक्ष द्वारा मेजों की थपथपाहट) ..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- मेरा उत्तर नहीं आया है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मैंने जो अभी कार्यवाही की है, उत्तर उसमें सम्मिलित है. ..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्न उठाया है, उसका निराकरण ? ..(व्यवधान).. (कौल एवं शकधर पुस्तक दिखाते हुए) क्या आप इसे भी अवॉइड करेंगे ? ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मैंने आपकी बात सुनने के बाद ही यह निर्णय किया है. ..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- क्या आप इसे भी अवॉइड करेंगे ? ..(व्यवधान)..
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय.. ..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- ये कौल और शकधर का उल्लेख अब प्रिविलेज कमेटी के सामने करना. ..(व्यवधान)..
श्री उमाशंकर गुप्ता -- आप मीडिया को (XXX) कहते रहेंगे. ..(व्यवधान)..
1.30 बजे नियम 267 (क) के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में उल्लिखित सभी सदस्यों की शून्यकाल की सभी सूचनाएं पढ़ी हुई मानी जाएंगी. अब मैं उनके नाम पढ़ रहा हूँ :-
1. इंजी प्रदीप लारिया
2. डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय
3. श्री सुखेन्द्र सिंह
4. पं. रमेश दुबे
5. श्री कमलेश्वर पटेल
6. श्री सूबेदार सिंह रजौधा
7. श्री इन्दर सिंह परमार
8. श्री गोवर्धन उपाध्याय
9. श्रीमती झूमा सोलंकी
10. श्री निलांशु चतुर्वेदी
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, गुजरात विधान सभा में पत्रकारों के ऊपर .. ..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आसंदी के निर्णय के ऊपर उंगली उठाई जा रही है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्थगित.
(1.31 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
3.07 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित, भोपाल का चतुर्थ वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-16
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले) -- अध्यक्ष महोदय, मैं कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित, भोपाल का चतुर्थ वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-16 पटल पर रखती हॅूं.
(2) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण
प्रतिवेदन वर्ष 2016-17
पर्यावरण मंत्री (श्री अंतर सिंह आर्य) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 40 की उपधारा (7) एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 36 की उपधारा (7) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2016-17 पटल पर रखता हॅूं.
(3) अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय का पंचम् वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2016-17
उच्च शिक्षा, मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2011 (क्रमांक 34 सन् 2011) की धारा 44 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय का पंचम् वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-17 पटल पर रखता हॅूं.
(4) एन.एच.डी.सी. लिमिटेड की 17 वीं वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2016-17
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार एन.एच.डी.सी. लिमिटेड की 17 वीं वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2016-17 पटल पर रखता हॅूं.
3.09 बजे कार्यमंत्रणा समिति का प्रतिवेदन
3.14 बजे ध्यान आकर्षण
1. राज्य शासन द्वारा परिवार की परिभाषा बदले जाने से राज्य बीमारी सहायता का लाभ पात्र व्यक्तियों को न मिलना
श्री सुन्दर लाल तिवारी (गुढ़),(श्री आरिफ अकील)--- माननीय अध्यक्ष महोदय,
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री रुस्तम सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, शासन के द्वारा पूरे प्रदेश में गरीबों को चिह्नित करके उनके नाम गरीबी रेखा में लिखे गए हैं. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने गरीबी रेखा की एक अपनी अलग परिभाषा बना दी, मतलब, इस प्रदेश में गरीबों की दो परिभाषा हो गई. एक जनरल परिभाषा, जो शासन, गरीबों के गरीबी के राशन कार्ड में नाम रखता है. उससे भिन्न एक परिभाषा स्वास्थ्य विभाग ने बना ली और एक आदेश जारी कर दिया और उस आदेश में यह उल्लेख है, आपने यह स्वीकार किया है कि हमने आदेश जारी किया है. इसमें सबसे बड़ा जो चिन्ता का विषय है, आश्रित बच्चे, अविवाहित एवं जिनकी आयु 25 वर्ष से कम हो, यह जो आश्रित जो 25 वर्ष से ज्यादा हो गए, मतलब 25 वर्ष से कम वालों को तो ये देंगे. लेकिन गरीबी रेखा में, जिनका राशन कार्ड में नाम है, लेकिन उम्र उनकी 25 वर्ष से ऊपर हो गई है तो उनके परिवारों को यह स्वास्थ्य सेवा का जो लाभ देते हैं, जो राशि उपलब्ध कराते हैं, वह उनको इन्होंने बन्द कर दिया है तो मेरा यह कहना है कि सर्वे तो बहुत पहले वर्ष 2011 में हो गया था. उसके बाद दोबारा अभी कोई सर्वे नहीं हुआ है. सर्वे में उस परिवार की सूची में उस आदमी का नाम है तो जब तक अब नया सर्वे नहीं होता है और यदि उम्र का आपने बंधन लगा दिया है उससे कुछ लोगों को आपने अलग कर दिया है तो गरीबी रेखा में रहते हुए भी उनको गरीबी का लाभ नहीं मिल रहा है. यह स्थिति प्रदेश के अन्दर है.
अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि क्या एक गरीब और दूसरे गरीब के बीच में भेद किया जा सकता है. मेरा प्रश्न यह है कि जिन गरीब लोगों को आपने इसमें छोड़ दिया है और गरीबी रेखा में उनका नाम है. राशन कार्ड में उनका नाम है. जो स्वास्थ्य सेवाएं सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं क्या उन्हें भी उपलब्ध कराएंगे ? किसी गरीब को इन सुविधाओं से वंचित नहीं करेंगे क्या ऐसी व्यवस्था आप करेंगे ?
श्री रुस्तम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो माननीय विधायक बहुत विद्वान हैं लेकिन उन्होंने मेरा जवाब नहीं सुना. जबाव सुनते और उस पर ध्यान देते तो यह नहीं कहते कि स्वास्थ्य विभाग ने अलग से परिभाषा बना दी है. स्वास्थ्य विभाग परिवार की परिभाषा नहीं बनाता है. गरीबी रेखा के अन्तर्गत जो भी हैं उनकी परिभाषा पूरे प्रदेश के हर विभाग के लिए एक ही होती है और वह परिभाषा सामाजिक न्याय विभाग नियत करता है. हमारे विभाग ने जो आदेश जारी किया है वह है परिपत्र क्रमांक एफ 1007/1739/15/26-2 भोपाल दिनांक 25.7.2015 के संदर्भ में जो सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग, मध्यप्रदेश शासन से जारी हुआ है उसकी डिक्टो कॉपी हमने इस विभाग में की है. अब माननीय सदस्य नहीं समझ पा रहे हैं तो माननीय अध्यक्ष महोदय आप समझा दीजिए.
अध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्य समझदार हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मैं पढ़ रहा हूँ क्या यह इनके विभाग का आदेश नहीं है. विभागीय सम संख्यक आदेश के अनुक्रमांक में राज्य बीमारी सहायता योजना के अन्तर्गत सेवा की प्रदायगी हेतु परिवार की परिभाषा निम्न अनुसार परिभाषित की जाती है. इसमें आश्रित बच्चे, अविवाहित जिनकी आयु 25 वर्ष से कम हो उनको छोड़ दिया गया है. यह जानकारी बिंदु क्रमांक 4 पर है. मेरा इसमें यह कहना है कि 25 वर्ष से कम आयु वालों को लाभ देंगे लेकिन 25 वर्ष से ऊपर के जो गरीबी रेखा के कार्ड में नाम हैं उनको लाभ नहीं देंगे. मैं ऐसे सैंकड़ों मामले बता सकता हूँ जो सीएमएचओ कार्यालय से यह कहकर लौटा दिये गये कि यह गरीबी रेखा की परिभाषा में नहीं आते हैं, इनकी उम्र 25 वर्ष से ज्यादा हो गई है इसलिए इनको स्वास्थ्य के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं कराई जाएगी मेरा यह सवाल है.
श्री रुस्तम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने फिर से वही बात रिपीट कर दी है.
अध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्य का सीधा प्रश्न यह है कि ...
श्री रुस्तम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का सीधा प्रश्न है और मेरा उत्तर उससे भी ज्यादा सीधा और साफ है. स्वास्थ्य विभाग परिवार की परिभाषा तय नहीं करता है.
अध्यक्ष महोदय--वह तो उन्होंने मान लिया है.
श्री रुस्तम सिंह--दूसरी बात मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ कि जो बीपीएल में हैं, राज्य बीमारी सहायता में यह भी संवर्ग शामिल हो गए हैं यह मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ. शासकीय वृद्धाश्रम एवं अनाथालय के रहवासी, श्रमिक संवर्ग के निम्नांकित योजनाओं के हितग्राही--मुख्यमंत्री मजदूर सुरक्षा योजना, मुख्यमंत्री शहरी घरेलू कामकाजी महिला कल्याण योजना, मुख्यमंत्री हाथ-ठेला एवं साईकिल-रिक्शा चालक योजना, मुख्यमंत्री पथ पर विक्रय करने वाले गरीबों की कल्याण योजना, केश शिल्पी कल्याण योजना, मुख्यमंत्री मण्डी हम्माल एवं तुलावटी कल्याण योजना, मध्यप्रदेश भवन एवं संनिर्माण कर्मकार मण्डल के समस्त परिवार के लोगों को भी राज्य बीमारी सहायता मिलती है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं 25 साल से ऊपर की आयु वालों के बारे में पूछ रहा हूँ क्या आप उनको यह लाभ देंगे या नहीं ? गरीबी रेखा के कार्ड में जिन गरीबों का नाम है और वे 25 वर्ष से ऊपर की आयु के हो गए हैं और आश्रितों में उनका नाम लिखा हुआ है, उनको सहायता देंगे या नहीं देंगे ? यह मेरा प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी ने इस बात का उत्तर दे दिया है.
श्री रुस्तम सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं बार-बार जवाब दे रहा हूँ. आप चाहते हैं क्या मैं वैसा जवाब दे दूं. जैसा आप चाहेंगे वैसा बोल दूं क्या ?
श्री सुन्दरलाल तिवारी--नहीं.
श्री रुस्तम सिंह--वही तो मैं कह रहा हूँ.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, जिनकी आयु 25 वर्ष से कम नहीं है हम उनकी बात कर रहे हैं. यह आई.पी.एस. अधिकारी रहे हैं . क्या जवाब दे रहे हैं सदन में?
श्री रुस्तम सिंह-- मुझे तो आश्चर्य है कि आप वकील कैसे बन गए. यह वकील हैं? मैं कह रहा हूं कि 25 साल और 26 साल की परिभाषा स्वास्थ्य विभाग तय नहीं करता है. सरकार का एक डिपार्टमेंट है वह तय करता है.
अध्यक्ष महोदय-- सामाजिक न्याय विभाग तय करता है. आप बैठ जाएं. आरिफ जी अपना प्रश्न करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, अगर सामाजिक न्याय विभाग भी तय करता है तो मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह निवेदन है कि इसको रिलेक्स करा दें जिससे सभी गरीबों को लाभ मिलने लगे.
श्री रुस्तम सिंह-- अब आप सही जगह पर आए.
अध्यक्ष महोदय-- अब सही जगह आ गए.
श्री के.पी. सिंह-- दोनों के एक दूसरे के होने पर शक हो रहा है कि यह वो है कि नहीं है. समझ में आ गई दोनों की बात.
श्री रुस्तम सिंह-- कब की समझ में आ गई. आपकी तो चम्बल वाले हो समझ में आ ही जाती है. रामनिवास जी की और जल्दी समझ में आती है. मैं यह कहना चाहता हूं कि एक दूसरा है 25 साल के सामान्यत: शादी होने के बाद अपना बी.पी.एल. अलग बनवा लेते हैं. वह गरीबी रेखा में रहते हुए वह गरीब तो हैं हीं उसमें उनका परिवार अलग हो जाता है. 90 प्रतिशत यह कर सकते हैं और यह होते ही हैं. इन्होंने जो सुझाव दिया है उसको सरकार के संज्ञान में जरूर लाएंगे इसके अलावा एक और बात बता देता हूं वैसे वह बात इस प्रश्न का हिस्सा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी अब आप पूछेंगे नहीं. आप हाथ मत उठाइए. अब आपको बिलकुल अलाऊ नहीं करेंगे. (श्री सुन्दरलाल तिवारी जी, सदस्य द्वारा बैठे-बैठे प्रश्न पूछने के लिए हाथ उठाने पर) यह वाद विवाद नहीं है. वह 15 मिनट से वही-वही बोल रहे हैं.
श्री रुस्तम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि यह अच्छी बात है कि राज्य बीमारी सहायता योजना इतनी मशहूर हो गई इतने लोगों का भला हो रहा है कि यह उस पर चर्चा करने लगे और यह मानने लगे कि मध्यप्रदेश की सरकार ऐसे कार्य कर रही है जो पहले हुए ही नहीं. मैं यह कहना चाहता हूं कि विभाग द्वारा चार...
श्री बाला बच्चन-- माननीय मंत्री जी आपके पहले हमने कार्य किए हैं. राज्य बीमारी सहायता निधि की राशि हमारे हस्ताक्षर से जाती थी.
श्री रुस्तम सिंह-- अरे श्रीमान, आपका बजट पांच करोड़ रुपए का होता था. काहे को मेरे से कहलवाते हो.
श्री बाला बच्चन-- हम स्वास्थ्य मंत्री थे और हमारे हस्ताक्षर से राशि निकलती थी.
श्री रुस्तम सिंह-- पांच करोड़ का बजट था.
श्री बाला बच्चन-- समय के मुताबिक बजट जरूर छोटा-बड़ा हो सकता है. लेकिन हमने किए हैं.
श्री रुस्तम सिंह-- पांच करोड़ में क्या करते.
श्री बाला बच्चन-- जितना भी था हमने हस्ताक्षर किए हैं. शुरुआत हमने की है.
श्री रुस्तम सिंह--यह कोई बात होती है हमने एक रुपया किया पर हमने किया. अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि यह सुन लें कि अब विभाग द्वारा शिल्पकार और हस्त्ाशिल्प कारोबारी, सामाजिक सुरक्षा योजना के पेंशनर, वनाधार प्राप्त पट्टाधारी और बीड़ी बनाने वाले मजदूर को भी इस सहायता के लिए जोड़ा जा रहा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, यह क्या बोल रहे हैं. हमारा जिस बात का प्रश्न ही नहीं है उसका जवाब दे रहे हैं. हमारे प्रश्न का जवाब नहीं दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने एक्सटेंड कर दिया.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी इसीलिए आपके विषय नहीं लेते. आप बैठते नहीं हो.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, आपने बी.पी.एल....
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, आप बैठने की आदत डालिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, आपने बी.पी.एल सूची के बाद किया है. वर्ष 2011 में सर्वे हुआ है.
अध्यक्ष महोदय-- अब तिवारी जी का कुछ नहीं लिखा जाएगा. जो आरिफ अकील साहब पूछेंगे वही लिखा जाएगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- अब हो गया निवेदन.
श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी परेशानी यह है कि बहुत लंबे भाषण के बाद नंबर आता है और उसके बाद भी जवाब जैसा सरकार चाहती है वैसा जवाब देती है और हमें सुनकर चुपचाप बैठना पड़ता है. मैं आपके माध्यम से माननीय काबिल मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि पहले आप लोगों ने समग्र आई.डी. बनवाई उस आई.डी. में लोगों ने जद्दोज़हद करके अपने परिवार के लोगों के नाम लिखवाए अब तुगलकी आदेश जारी हो गए हैं कि जिनकी आयु 25 वर्ष से ऊपर है उनका नाम उसमें नहीं आएगा. एक बात यह हो गई. दूसरी बात यह है कि जिन लोगों के पास आज भी गरीबी रेखा के राशनकार्ड नहीं हैं उन 25 साल वालों को तो आप काटने की बात कर रहे हो. लेकिन जो लोग आज तक कोशिश करने के बाद अपना नाम गरीबी रेखा में नहीं लिखवा पाए हैं. पहला सवाल यह है कि क्या उन पर कृपा करेंगे और दूसरा यह कि जिन 25 वर्ष की आयु से ऊपर के लोगों के नाम आप हटा रहे हैं क्या उनको दूसरा राशन कार्ड जारी करेंगे?
श्री रुस्तम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत रीजनल बात करते हैं. माननीय विधायक जी आपने कायदे की बात की है मैंने पहले भी कहा जहां तक 25 वर्ष की आयु का सवाल है और बी.पी.एल. में है तो आवेदन करें उसकी व्यवस्था है वह की जाएगी. मेरा इसमें एक और आग्रह यह है कि यह इनको बता दें कि पर्टिक्यूलर यह तो मानते हैं तिवारी जी तो मानते ही नहीं हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- आपको किसने अलाऊ किया.
श्री रुस्तम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि बच्चा पैदा होने से लेकर 18 वर्ष तक किसी भी वर्ग का हो, गरीब हो, अमीर हो सभी का इलाज सरकार मुफ्त में करवाती है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- ऐसे गरीब जो 25 वर्ष से ऊपर हैं और उनका नाम गरीब रेखा में है, उनको दे दो.
अध्यक्ष महोदय- तिवारी जी, आप बैठ जाईये. आरिफ जी का जवाब आ रहा है.
श्री रूस्तम सिंह- तिवारी जी, मैं आपकी बात का जवाब दे चुका हूं. आप दिन भी यही बात कहेंगे तो भी मेरा जवाब यही होगा.
(...व्यवधान...)
श्री सुन्दरलाल तिवारी- आप कहिये कि हम देंगे. 25 वर्ष से ऊपर के जो गरीब, बीमार हैं, उनको भी हम सहायता देंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप यह व्यवस्था करवा दीजिये कि 25 वर्ष के ऊपर वालों को यह सहायता मिलनी चाहिए या उनके नए राशन कार्ड बनने चाहिए. यह एक संवेदनशील विषय है.
अध्यक्ष महोदय- आरिफ अकील जी, ने यही पूछा है.
श्री आरिफ अकील- माननीय अध्यक्ष महोदय, सीधी बात है कि जिनके नाम राशन कार्ड में थे और वे 25 वर्ष के ऊपर के हो गए हैं, वे आवेदन करें और आप विचार करेंगे इससे तो अच्छा आप राशन कार्ड देखिये जो 25 वर्ष के ऊपर हो गए हैं और उनका नाम आप कार्ड से निकाल रहे हैं, तो उन्हें वहीं दूसरा राशन कार्ड बनाकर दे दें. दूसरी बात यह है कि जिन गरीबों के राशन कार्ड आज तक नहीं बने हैं, उनके लिए कुछ करें. जिनके नाम राशन कार्ड में हैं उनके नाम काटने पर सरकार आमादा है लेकिन अगर सरकार नाम जोड़ने पर आमादा हो जाए तो कुछ व्यवस्था बने.
श्री रूस्तम सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो आरिफ जी कह रहे हैं वह हम संज्ञान में लायेंगे क्योंकि अलग-अलग विभाग इसका काम करते हैं. मैं स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी देखता हूं. मैं यह कैसे कह सकता हूं कि मैं यह करवा दूंगा. मैं यह संज्ञान में जरूर लाऊंगा कि माननीय सदस्यों ने यह आग्रह किया है.
श्री रामनिवास रावत- गरीबों का इलाज तो करवा देंगे ?
श्री सुन्दरलाल तिवारी- जैन जी ने जो बात कही है, जो पीड़ा व्यक्त की है वही पीड़ा हमारी भी है.
श्री आरिफ अकील- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी है. अध्यक्ष महोदय, गरीबों के भले के लिए हम आपसे गुहार लगाते हैं कि जिन 25 वर्ष के ऊपर के गरीब लोगों के नाम राशन कार्ड से काटे जा रहे हैं, यदि वे अपना पुराना राशन कार्ड दिखाते हैं तो उनका दूसरा राशन कार्ड बना दिया जाये और जिनका नाम नहीं भी आया है, उनके लिए भी करवा दें. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप ये आदेश देंगे तभी मंत्री जी को समझ में आयेगा. हमारे समझाने से वे नहीं समझ पायेंगे. आप हमारी मदद करेंगे तो शायद हम उन्हें समझा पायें.
अध्यक्ष महोदय- यह सरकार की सामूहिक जिम्मेदारी है और मंत्री जी ने कहा है कि वे संज्ञान में लायेंगे.
श्री रूस्तम सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो भी चर्चा यहां हुई है, वह आपके भी संज्ञान में आ गई है. मैं यह कहना चाहता हूं कि ये बातें हम संज्ञान में ले आयेंगे. मेरे पास जो जानकारी आई है उसमें यह है कि यह काम स्वास्थ्य विभाग का नहीं है इसलिए वह बोलने का कोई मतलब नहीं है.
श्री आरिफ अकील- तो क्या नाम कटवाने की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की है ? जब हम नाम जुड़वाने की बात कर रहें हैं तो आप कह रहे हैं कि यह स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं है. मैं पुन: कह रहा हूं कि यह सामूहिक जिम्मेदारी है और आप इस सामूहिक जिम्मेदारी का पालन करें.
श्री बाला बच्चन- मंत्री जी, यह स्वास्थ्य विभाग को चलाने का मामला है.
श्री रूस्तम सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि आदरणीय तिवारी जी एवं आरिफ जी को मुख्यमंत्री के पास जाने में दिक्कत है. वहां कोई भी जाता है और पैसे लेकर आता है.
श्री आरिफ अकील- अरे भाई हम क्यों जायें ? मुख्यमंत्री जी पैसे दे या न दें ये उनकी जवाबदारी है. अध्यक्ष महोदय, ये नियमानुसार कार्य क्यों नही कर रहे हैं ? आप इन्हें आदेश दें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- क्यों हम किसी के पास पैसे लेने जायें ? माननीय अध्यक्ष महोदय, नियम-कानून के तहत ये पैसे दें. क्या हम किसी के पास हाथ जोड़कर खड़े रहेंगे कि हमें पैसा दो ?
श्री के.के.श्रीवास्तव- तिवारी जी, जनता के हित में खड़े रहना पड़ेगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- हम किसी के सामने हाथ नहीं जोड़ेगे. इसी सदन में नियम-कानून बनेंगे और हम यहीं से पैसा लेंगे.
श्री आरिफ अकील- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज आप आदेश दें. हम इन्हें नहीं समझा सकते हैं. हम आपसे अनुरोध कर सकते हैं कि कृपया गरीबों के हित में, बेसहारों के हित में आप न्याय करें.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, आपने पहले भी यह कहा है कि संबंधित विभाग के संज्ञान में यह बात लायेंगे. आप विधिवत् इसे संबंधित विभाग के संज्ञान में लायें ताकि माननीय सदस्यों की इच्छा का ध्यान रखा जा सके.
श्री रूस्तम सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके निर्देशों का पालन होगा.
श्री अजय सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार यह भी तय कर लें कि मंत्री महोदय और मंत्रिमंडल के सदस्य मध्यप्रदेश के गरीबों के लिए चिंतित हैं या नहीं ? क्या हर गरीब मुख्यमंत्री के पास आवेदन लेकर जाये ? माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही संवेदनशील मामला है. इस पर गंभीरता से विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय- हमने बोल दिया है.
श्री आरिफ अकील- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेहरबानी करके कोई समय-सीमा दे दें.
अध्यक्ष महोदय- समय-सीमा नहीं दे सकते हैं.
श्री आरिफ अकील- अध्यक्ष महोदय, आप पूरे मध्यप्रदेश की विधान सभा को चला रहे हैं. आप जो चाहें वह कर सकते हैं.
(...व्यवधान...)
श्री सुन्दरलाल तिवारी- गरीब के लिए समय नहीं है. बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं. क्या पूरे प्रदेश का हर गरीब आदमी मुख्यमंत्री के द्वार पर खड़ा रहेगा ?
श्री कमलेश्वर पटेल- यह सरकार सिर्फ ''गरीब कल्याण वर्ष'' मनायेगी, गरीबों का कल्याण नहीं करेगी.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने आसंदी से जो निर्देश दिए, संबंधित मंत्री ने स्पष्ट कहा है कि आसंदी के निर्देश का अक्षरश: पालन किया जायेगा. अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात कहने के बहाने यह भी बताना चाहता हूं कि यही शिवराज सिंह जी की सरकार है जिसने ऐसी योजनायें बनाई हैं जो गरीबों के कल्याण की जितनी योजनाएं इस प्रदेश के अंदर बनी हैं, जो नेता प्रतिपक्ष जी कह रहे थे कि मंत्रि-मण्डल पूरा उन्होंने एक प्रश्न के अंदर समाहित किया. आप कल्पना करेंगे कि हिन्दुस्तान की जितनी सरकारें हैं, उन्होंने भी शिवराज सिंह जी से प्रेरणा लेकर नवाचार किया है. कोई भी सरकार नहीं कर पायी हिन्दुस्तान की, जो शिवराज सिंह जी ने किया है.(व्यवधान)
श्री सुन्दर लाल तिवारी:- स्वीकार क्यों नहीं करवा लेते, इन गरीबों के बारे में भी सरकार बोले.(व्यवधान) यह सरकार गरीबों के बारे में भी बोले.(व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल:- विकलांगता पेंशन बंद करने का काम भी इसी सरकार ने किया है. यदि कोई विकलांग है और वह गरीबी रेखा में नहीं है तो उसको पेंशन नहीं मिलती है ? यह इसी सरकार ने किया है, इसी सरकार ने यह नवाचार बनाया है.(व्यवधान)
श्री आरिफ अकील:- अगर तुम्हीं कमजोर हो जाओगे, वह तो सख्त नहीं हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह):- सभी प्रदेशों ने शिवराज सिंह जी की योजना का पालन किया है, लेकिन हम चाहते हैं कि हम उस योजना का पालन..
श्री रामनिवास रावत :- यह जो राज्य बीमारी सहायता निधि तो आप लोगों ने शुरू की थी.
श्री अजय सिंह:- नहीं ये जो बता रहे हैं, नरोत्तम मिश्र जी की बात से मैं कह रहा हूं कि यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने ऐसी योजना बनायी कि पूरे हिन्दुस्तान की सरकारों ने शुरू कर दी,लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार को गरीबों की चिंता नहीं है. गरीबों का कल्याण वर्ष जरूर बनायेंगे,लेकिन गरीबों का नाम नहीं जोडे़ंगे,यही आप कहना चाहते हैं ना ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- माननीय अध्यक्ष महोदय, वो बोले इनसे और इनने हां कर दिया.जहां दस हजार मिलते थे वहां दस लाख रूपये तक कि सहायता देने वाला यह मुख्यमंत्री है. ऐसा कोई इलाज देश का छोड़ा ही नहीं है.
श्री गोविन्द सिंह पटेल:- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का आदेश कुछ भी हो इसमें मुखिया के अलावा किसी को भी नहीं दिया जाता है. जिसको लेना है, उसका नाम जुड़वाना पड़ता है. (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, विकलांगता पेंशन से कम से कम गरीबी रेखा की पात्रता तो कम से कम खत्म करवा दीजिये. विधवा पेंशन और विकलांगता पेंशन से गरीबी रेखा की पात्रता खत्म करवा दीजिये.
श्री गोविन्द सिंह पटेल:- मुखिया के अलावा किसी को मिलता नहीं है. उसकी जांच करवा लें और यह सामूहिक जिम्मेवारी है, जिसका कार्ड में नाम शामिल है और परिवार के कोई व्यक्ति को बीमारी होती है तो परिवार सहायता सबको नहीं मिलती है, केवल मुखिया को मिलती है. अलग से कोर्ड बनवाना पड़ता है,इसीलिये आप इसको दिखवा लें.
डॉ. रामकिशोर दोगने:- देखिये, मंत्री जी सामने सरकार की सफलता दिख रही है.
अध्यक्ष महोदय:- श्री के.के.श्रीवास्तव अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें. (व्यवधान) आप ध्यानाकर्षण पढि़ये. श्री सुन्दर लाल तिवारी जी का कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री सुन्दर लाल तिवारी:-(xxx)
3.35 बजे
2. टीकमगढ़ जिले की समूह जल प्रदाय योजना बानसुजारा से पेयजल व्यवस्था न होना.
श्री के.के.श्रीवास्तव(टीकमगढ़):- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना इस प्रकार है-
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री के. के. श्रीवास्तव - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने बानसुजारा बांध से समूह जल प्रदाय योजना की राशि के लिए बात की है. हैण्डपम्प एवं नल जल योजनाओं के बारे में जो बात आई है, हम धरातल पर जाते हैं, धरातल पर कितनी योजनाएं संचालित हैं, 10-20 प्रतिशत मात्र योजनाएं संचालित हैं, पानी के सोर्स गायब हैं. बुन्देलखण्ड में पानी जमीन में 3 मीटर और अन्दर चला गया है. सन् 2007 से लेकर बीच में एकाध साल पानी गिरा था, बाकी वहां पानी नहीं गिरा है तो मैं यह कह रहा हूँ कि आपने यह कहा कि बांध निर्माणाधीन है. यह बिल्कुल सही बात है कि बांध निर्माणाधीन है. लेकिन जब तक आपकी यह योजना संचालित होगी, निर्माण होगा तब तक बांध का काम पूरा हो चुका होगा तो अभी से इस काम को भी हम प्रारंभ कर लें और इस काम का हम अभी से अगर बजट का आवंटन कर दें. पहले 526 गांवों की योजना थी, 526 गांवों में 974.50 करोड़ रुपये इसमें स्वीकृति के लिए बात आई थी. पानी 29 एम.सी.एम. हमें नहीं मिल रहा था, मात्र 10 एम.सी.एम. पानी जब जल संसाधन से दिया जा रहा था तो 10 एम.सी.एम. के आधार पर जल निगम ने इसको दो टुकड़ों में किया. इसके 2 चरण बनाए कि जितना पानी है, हम कम से कम उतने पानी का उपयोग तो कर पाएं, उतने पानी में 165 टीकमगढ़ विधानसभा और 36 गांव खरगापुरा विधानसभा क्षेत्र के 201 गांव में 272 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है. 974.5 करोड़ रुपये की नहीं होगी तो कम से कम 272 करोड़ रुपये की तो व्यवस्था हो जाये.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न कीजिये.
श्री के. के. श्रीवास्तव - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि इसको पैसा कब तक आवंटित करेंगे ? और कब से इस योजना का कार्य प्रारंभ करेंगे ? जब मंत्रिपरिषद् की स्वीकृति हो गई है तो यह क्यों अधर में लटकी है ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, यथाशीघ्र प्रयास करेंगे.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर - अध्यक्ष महोदय, मेरा इसी से जुड़ा हुआ मामला है. 2 मिनट मेरी भी सुनें.
अध्यक्ष महोदय - क्या वहां आपका क्षेत्र है ?
श्री के. के. श्रीवास्तव - अध्यक्ष महोदय, आप बुन्देलखण्ड की हैं, हमारी अपने जिले की हैं, जिले की प्रभारी मंत्री रही हैं. पन्ना, टीकमगढ़ का एक-एक गांव आपने घूमा हुआ है. इनकी कई रिश्तेदारियां हमारे क्षेत्र में हैं. हम सब इनके छोटे भाई हैं, आप हमारी नेता हैं. अध्यक्ष महोदय, सब परिस्थितियां इनको पता हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल - लेकिन यहां मत सुनना इनकी, ये किसी की नहीं सुनती हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न कीजिए.
श्री के. के. श्रीवास्तव - कमलेश्वर जी, जनहित की बात हो रही है, पेयजल पर बात हो रही है. मजाक मत करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह - राज्यपाल के अभिभाषण पर तो ऐसा बोल रहे थे जैसे लग रहा था कि सारा मध्यप्रदेश स्वर्ग बन गया है.
श्री के. के. श्रीवास्तव - श्रीमान् जी, मजाक में मत ले जाओ. यही कांग्रेस की स्थिति है. वह केवल गरीबी हटाओ के नारे देती है, हम योजना बनाते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधा प्रश्न कीजिए.
श्री के. के. श्रीवास्तव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि इस योजना को प्रारंभ करने के लिए, भले ही एक वर्ष अगर राशि नहीं है तो एक साथ नहीं तो इसे दो चरणों में कर लें. ये बड़ी-बड़ी योजनाएं हैं, चाहे गंभीर लिंक परियोजना हो, चाहे आपकी नर्मदा सिंध परियोजना हो, चार-चार हजार करोड़ रुपये, तीन-तीन हजार करोड़ रुपये उनको जब दो-दो चरणों में किया जा सकता है तो 270- 272 करोड़ रुपये को दो चरणों में कर दें. सम्पवेल, इन्टेकबेल, ट्रीटमेन्ट प्लान्ट एवं फिल्टर प्लान्ट यह सब चीजें प्रारंभ हो जाएं, आपके ओवरहैड टैंक, राइजिंग मैन और डिस्ट्रीब्यूशन लाईन बाद में हो जाएंगी लेकिन काम जब अभी प्रारंभ होगा तो दो वर्ष लग जाएंगे.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहले ही निवेदन कर चुकी हूँ कि 2052.40 लाख रुपये की तैयार योजना की जाकर राहत आयुक्त को भेज दी गई है. जैसे ही हमें मंजूरी मिल जायेगी, हम काम शुरू कर देंगे.
श्री के. के. श्रीवास्तव - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आप उस योजना पर बात नहीं कर रहे हो, यह वह योजना नहीं है.
श्री सुखेन्द्र सिंह - बस अब हो गया आप बैठ जायें. (हंसी)
श्री के.के.श्रीवास्तव - आप कब से सदन संचालित करने लग गये.(हंसी) माननीय अध्यक्ष महोदय, बानसुजारा में 270-272 करोड़ रूपये की जो भी राशि लगनी है उसे दो चरणों में कर दें, जिससे ट्रीटमेंट प्लांट, वाटर फिल्टर प्लांट का पहला काम शुरू हो जायेगा, जो डेम पर प्रारंभ होना है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी जो कह रहे हैं, उस पर विचार कर लेंगे.
श्री के.के.श्रीवास्तव - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी विचार करें न कहें सीधे कह दें कि कर देंगे. (हंसी)
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी खरगापुर विधानसभा क्षेत्र में दो नल जल योजना स्वीकृत हुई थीं लेकिन उन पर अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - क्या मंत्री जी आपको इस काल अटेंशन के अलावा खरगापुर क्षेत्र की कुछ जानकारी है?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- आप ध्यानाकर्षण या प्रश्न लगा दीजिये मैं जवाब दे दॅूंगी.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर - मैंने प्रश्न लगाया था, लेकिन मेरा प्रश्न आया नहीं है. हमारे क्षेत्र का यह बहुत छोटा सा काम है, करवा दें. (व्यवधान)
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि लॉटरी में प्रश्न नहीं फंसा तो मैं क्या कर सकती हूँ. (हंसी)
श्री के.के. श्रीवास्तव - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहूंगा आप बस मंत्री जी शुरूआत करवाने का कह दें.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर - माननीय मंत्री से अनुरोध है कि यह काम करवा दें.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जायें एक ही बात बार-बार आ रही है.
03.46 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
प्रत्यायुक्त विधान समिति का ग्यारहवां एवं बारहवां प्रतिवेदन
श्री जयसिंह मरावी (सभापति) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रत्यायुक्त विधान समिति का ग्यारहवां एवं बारहवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
03.46बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकायें प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
03.47 बजे अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यगण हेतु योग प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जाना
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्यों हेतु कल मंगलवार, दिनांक 13 से 15 मार्च 2018 तक प्रतिदिन प्रात: 07:00 बजे से 09.00 बजे तक एवं सांयकाल 07.30 बजे से विधायक विश्राम गृह खण्ड-2 स्थित सभा भवन में योग प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसमें ''हितयोग प्रशिक्षण संस्थान गुरूग्राम'' की योग प्रशिक्षिका सुश्री हितांशी जैन द्वारा योग प्रशिक्षण दिया जायेगा. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कार्यक्रम में सपरिवार सम्मिलित होकर लाभ लेने का कष्ट करें.
03.48 बजे वर्ष 2018-19 के आय व्ययक पर सामान्य चर्चा .......(क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय - अब, वर्ष 2018-19 के आय व्ययक पर सामान्य चर्चा प्रारंभ होगी.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, विधानसभा में महत्वपूर्ण चर्चा दो बार होती है. एक बार चर्चा राज्यपाल के अभिभाषण पर और दूसरी बार बजट पर चर्चा होती है. अध्यक्ष महोदय, आप अपनी कुछ निगाह दाहिने तरफ भी देख लें और यदि इसी तरह चर्चा कराना चाहते हैं तो हमें कोई दिक्कत नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय वित्तमंत्री जी बैठे हैं.
श्री अजय सिंह - हां वह तो बैठे हैं.
श्री के.पी.सिंह (पिछोर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री जयंत मलैया जी और सरकार का यह आखिरी बजट है और इस बजट से पूरे प्रदेश के लोगों ने बड़ी उम्मीद लगाकर रखी थी, लेकिन कुल मिलाकर जो आंकलन हमारे विशेषज्ञों द्वारा आता है तो उस आंकलन के अनुसार इस सरकार का 82 प्रतिशत पैसा वेतन,पेंशन और ब्याज चुकाने पर खर्च हो जाना है, इसके बाद बचा 18 प्रतिशत पैसा इनके पास बचता है, जिसका सदुपयोग पूरे मध्यप्रदेश की जनता के हित में होना है. कुल मिलाकर जो आंकलन आया है, उसमें पूरा का पूरा बजट का जो प्रावधान है अगर केंद्र सरकार ने कहीं कोई कमी कर दी और पर्याप्त धन की व्यवस्था सरकार को नहीं मिल पाई तो जितने भी विकास की बातें इन्होंने कहीं हैं, वह सारी की सारी अधूरी नजर आयेंगी. मैंने पहली बार ऐसा महसूस किया जब श्री जयंत मलैया जी ने बजट भाषण प्रस्तुत कर रहे थे, अब उनका कुछ आंतरिक मामला है या नहीं मुझे अंदाज नहीं है. लेकिन जिस दिन वह बजट भाषण पढ़ रहे थे उस दिन ऐसा लग रहा था कि जैसे वह हतोत्साहित हो चुके हैं और कुछ ज्यादा करने की स्थिति में नहीं हैं.
03.49 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बजट में किसानों के लिये बहुत सारी बातें कहीं गई हैं और दो तीन पेज में तमाम चीजों का बखान भी हुआ है. अगर माननीय वित्तमंत्री जी का भाषण होता है तो मैं दो तीन बातें उनसे पूछना चाहता हूं कि किसानों के लिए पिछले 14 साल से लगातार आपका प्रयास हो रहा है. किसानों की भलाई के लिए नई नई योजनाएं आती हैं, लेकिन जब हम धरातल पर देखते हैं तो इस साल कई जिलों में सूखा पड़ा और इस सरकार ने बड़े जोर-शोर से जिन जिन जिलों में सूखा पड़ा वहां यह घोषणा भी की कि उन जिलों के किसानों को हम सूखे की वजह से मुआवजा राशि देंगे. बाकी जिलों की स्थिति मलैया जी जान सकते हैं और अन्य सदस्य भी जान सकते हैं. लेकिन मैं अपने जिले की बात करूं. अभी तक यह मार्च का महीना है और अक्टूबर के महीने तक फसल आ जाती है और किसान को अक्टूबर के बाद जो फसल बेचता है उसके बाद उसके घर में पैसा आता है उसी की भरपाई आप सूखाग्रस्त इलाकों में करना चाहते हैं, लेकिन अभी तक ऐसी बहुत सारी तहसीलें हैं जहां जितना पैसा जाना चाहिए था तो वह पैसा अभी तक जिला मुख्यालय तक ही नहीं पहुंचा है. अब जब मार्च तक आपका पैसा नहीं पहुंचा और नई फसल आना शुरू हो गई है अब यह पैसा आपका कब जाएगा इस बारे में कोई समय अवधि है या नहीं है और किसान आज तक इसकी बांट जोह रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, गरीब किसान जो सूखा से पीडि़त हुआ है वह आज भी इंतजार कर रहा है कि आखिर उसको मुआवजे की राशि कब तक मिलेगी? माननीय मलैया जी अगर आपको उचित लगे तो कृपया इस बारे में कोई समय सीमा बताएंगे कि क्या कारण है अभी तक किसानों को मुआवजे की राशि प्राप्त नहीं हुई? उसी तरह से मुख्यमंत्री ऊर्जा के क्षेत्र में आपने स्थायी कृषि पम्पों की बात कहीं है, इसमें लाखों की संख्या आपने बताया है लेकिन धरातल में जब हम देखते हैं तो हकीकत यह है कि सालों इतजार करना पड़ता है किसी भी किसान को अस्थायी से स्थायी कनेक्शन प्राप्त करने के लिए. कई किसान तो निराश हो चुके हैं और जिनकी स्थिति अच्छी है वह प्रायवेट तौर पर काम करवाकर अपने कनेक्शन की सुविधा प्राप्त करते हैं. मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प की जो योजना है इसमें आप किसानों के लिए क्या करना चाहते हैं, न तो उसमें कोई आवंटन की स्थिति दिखती है, आपने सिर्फ इतना कह दिया कि हमने इतने लाख किसानों के कनेक्शन को अस्थायी से स्थायी में बदल दिया. आपने अपने बजट भाषण में इसको लेकर राशि का कहीं कोई उल्लेख नहीं किया है. मैं चाहूंगा कि इसमें आप क्या करना चाहते हैं? आपकी क्या योजना है? क्यों किसानों को वर्षों तक इंतजार करना पड़ रहा है? इस बारे में आपकी स्पष्ट नीति हमारे सामने आना चाहिए. उसी तरह से मुख्यमंत्री पेयजल ग्रामीण योजना भी है. मुख्यमंत्री पेयजल योजना से संबंधित तमाम योजना तो स्वीकृत कर दी है, लेकिन जो पिछली योजनाएं स्वीकृत हुई हैं वह भी नहीं चल रही है और वर्तमान में जो स्वीकृतियां मिली हैं उन पर भी काम नहीं हो रहा है. एक तरफ आपने कलेक्टरों को 20 लाख तक की स्वीकृति के अधिकार भी दे दिए है, लेकिन जब जिला स्तर पर हम बात करते हैं तो कलेक्टर्स कहते हैं कि हमारे पास पैसा नहीं है, विभाग कहता है हमारे पास पैसा नहीं है और पंचायत के सरपंचों पर दबाव डाला जाता है कि आप पाइप खरीदकर लाओ तब आपका काम होगा. आपके लिखित भाषणों में और धरातल पर जो कथनी करनी का अंतर दिखाई देता है, उसको हम लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर आप करना क्या चाहते हों? इस साल चूंकि सूखा है और सूखाग्रस्त जो जिले हैं उनमें पेयजल का भारी संकट है, इसमें अगर आपने जिक्र किया है तो उसका प्रावधान करके भेज दीजिए, यह मार्च का महीना चल रहा है, अप्रैल, मई और जून तीन महीने का भारी संकट है तो इसमें आपकी कथनी करनी का अंतर दिखाई न दें. मैं चाहूंगा कि इसके बारे में आपने जो प्रावधान किये हैं वह तत्काल जिलों में पहुंच जायें तो बड़ी मेहरबानी होगी.
उपाध्यक्ष महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में भी वित्त मंत्री जी द्वारा अपने भाषण में बहुत सारी बातों का जिक्र किया है. प्रदेश में शिक्षा की हालत क्या है, जब शिक्षा विभाग की मांगों पर सदन में चर्चा होगी तब विस्तार से उस पर चर्चा होगी लेकिन हकीकत यह है कि आपने जो आई.टी.आई. के बारे में बात कही है, तो आई.टी.आई. में विभाग के पास में ट्रेनर नहीं है, बच्चे किससे सीखें, किससे ट्रेनिंग लें, जब विभाग से इस बारे में पूछते हैं कि विभागीय अधिकारी कहते हैं कि हमारे पास में बजट ही नहीं है, हम कैसे भर्ती करें , यह बिडम्बना शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में है चाहे उच्च शिक्षा की बात हो, चाहे स्कूल शिक्षा की बात हो या तकनीकी शिक्षा की बात हो. वहां पर जितने स्टाफ की आवश्यकता है, वह उपलब्ध नहीं है. मलैया जी, हमारे यहां पर एक महाविद्यालय है उसमें एक चपरासी है और एक प्रिंसिपल है जो कि शिवपुरी से आकर के चार्ज सम्हाले हुये है. यह तो महाविद्यालयों की स्थिति है. आखिरकार ऐसी स्थिति में बच्चों का भविष्य कैसा होगा. आप क्या करना चाहते हैं यह मैं समझ नहीं पा रहा हूं. हम विपक्ष के साथियों की तो और भी बुरी हालत है. नवीन हायर सेकेन्डरी और हाइस्कूल की आपने बात की है, संख्या भी दी है. पिछले 10 साल में मेरे क्षेत्र में एक भी हायर सेकेन्डरी स्कूल नहीं खुला है. एक तरफ आप सबका साथ- सबका विकास की बात करते हैं, दूसरी तरफ यह स्थिति है तो आपको सीधे सीधे कहना चाहिये कि अपना साथ- अपना विकास. क्यों लिखते हैं सबका साथ-सबका विकास. क्या हमारे यहां पढ़ने के लिये बच्चे नहीं हैं , या फिर हैं तो उनको स्कूलों की जरूरत नहीं है ? मेहरबानी करके यह जो कथनी और करनी का अंतर है इसको पाटिये. कुछ ऐसी व्यवस्था करिये जिससे कि लगे कि आप जो लिख रहे हो, कह रहे हो, वह करना भी चाह रहे हो.
उपाध्यक्ष महोदय, मलैया जी, को मैं भलीभांति जानता हूं कि ये किस प्रकार के व्यक्ति हैं, ज्यादा कुछ बोलेंगे नहीं, इनसे उम्मीद भी हमें नहीं है लेकिन अगर हो सके तो यह जो सवाल मैंने आपके सामने रखे हैं अगर उचित समझें तो उनका उत्तर देना. एक बात और विशेष रूप से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि सारे विधानसभा क्षेत्रों में जनपद अध्यक्षों से और विधायकों से, 1 नवम्बर को मध्यप्रदेश की स्थापना दिवस के अवसर का डाक्यूमेंट है, एक किताब छपी थी उसमें आपने जिक्र किया था कि प्रदेश की सारी विधवाओं को चाहे वह आई.आर.डी में हों या न हों आई.आर.डी. की बाध्यता को हम समाप्त कर रहे हैं और प्रदेश की सारी विधवाओं को 1 नवम्बर से पेंशन देगे. 1 नवम्बर से आज 12 मार्च हो गई, इस योजना में जितने लोगों ने पेंशन के लिये फार्म भरे हैं उनका कुछ नहीं हो रहा है, जब मैंने सी.ई.ओ. से पूछा कि इसकी स्वीकृति क्यों नहीं मिल रही है, सी.ई.ओ. का कहना था कि सरकार ने ऐसे कोई निर्देश ही जारी नहीं किये हैं. जब आपने 1 नवम्बर की बात की थी तो उसी दिनांक से उन विधवाओॆ को पेंशन जारी हो जानी थी, अब आपने लिखा है कि 1 अप्रैल,2018 से चालू करेंगे, यही बात आप उस समय भी लिख सकते थे. ऐसा आप क्यों कर रहे हैं मैं नहीं समझ पा रहा हूं लेकिन बड़ी विचित्र व्यवस्था देखने को मिल रही है. उन विधवाओं को सरकार से आशा बंधी थी कि गुजर बसर के लिये सरकार कुछ कर रही है, उसको भी 1 अप्रैल से आप लागू करने जा रहे हैं. क्या सरकार नवम्बर से लेकर के अभी तक का 6 माह एरियर्स का भुगतान विधवाओं को करेगी ? अगर सरकार ऐसी करती है तो उन विधवाओं को आर्थिक मदद हो सकेगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक बिचित्र व्यवस्था की तरफ आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा. हालांकि गृह मंत्री जी सदन में उपस्थित नहीं हैं. पिछले पांच साल से कहीं 5 से 7 बजे तक कहीं 6 बजे से 8 बजे तक हर थाने के सामने पुलिस द्वारा चेकिंग होती है. चेकिंग में क्षेत्र में रोज फोन आते हैं कि साहब हमारी मोटर सायकिल पुलिस ने रख ली है. इस तरह की चेकिंग को चलाते चलाते 5 वर्ष तो हो गये हैं और कितने दिनों तक यह चेकिंग चलेगी. इस व्यवस्था में आम आदमी पिस रहा है, रोजाना 250 रूपये 500 रूपये , 1,000 रूपये ले रहे हैं यह उचित नहीं है. कभी कभी ऐसा होता है कि व्यक्ति शादी में व्यवहार लेकर के जा रहा होता है वह व्यवहार का पैसा पुलिस चेकिंग में, चालान की रसीद काटने में ही चला जाता है. और अन्यथा वसूली का भी यह एक माध्यम बन गया है. मेहरबानी करके इन समस्या पर अगर आप कुछ ध्यान दे सकें तो बेहतर होगा. चूंकि इस समय मुख्यमंत्री जी सदन में नहीं है, आप ही इस समय हैं. अगर आप इन समस्याओं पर ध्यान दे सकेंगे तो बेहतर होगा. मुख्यमंत्री जी तो सदन में नहीं है आदरणीय मलैया जी को हमने डिप्टी सीएम मान लिया है अगर समस्याओं पर चिंता करेंगे तो प्रदेश का भला हो सकता है हालांकि समय तो आपका अब बीतता जा रहा है, समय बहुत कम बचा है और कोलारस और बाकी 3 चुनाव जो और हुये मुंगावली अभी हुआ, 4 चुनाव में जो एक छाया विशेषकर माननीय नरोत्तम मिश्रा जी जो इंचार्ज रहे.
श्री अजय सिंह-- (बैठे-बैठे) जहां-जहां संतों के पैर पड़े.
श्री के.पी. सिंह-- उसका प्रभाव भी कहीं न कहीं पूरी सरकार पर नजर आ रहा है. जो कुछ करना है अभी कर दीजिये, नहीं तो फिर देखते रह जायेंगे, करेंगे, धरेंगे, कुछ होना नहीं है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री के.के. श्रीवास्तव (टीकमगढ़)-- मन बहलाने के लिये गालिब यह ख्याल अच्छा है. 4 चुनाव अपनी खुद की कांग्रेस की सीटें कम मार्जिन से जीत लीं, (श्री यादवेन्द्र सिंह के बैठे-बैठे कुछ बोलने पर) (XXX). माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश विधान सभा में प्रस्तुत बजट पर अपनी बात रखने के लिये यहां उपस्थित हुआ हूं.
श्री यादवेन्द्र सिंह (नागौद)-- अरे अभी आपने मंत्री महोदया से बात की तो खुद नर्वस हो गये, बजट की बात करोगे.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- बैठ जाओ (XXX).
श्री यादवेन्द्र सिंह-- तुम्हारी योजना के लिये वह अभी क्या बोली हैं. आप कृषक हैं, आपको दिया. सतना जिले के एसडीओ कार्यालयों में एक भी राइजर पाइप नहीं है.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- बैठ जाइये यादवेन्द्र सिंह जी.
श्री यादवेन्द्र सिंह-- बजट पढ़ रहे हो, पाइप तो भिजवा दो यार कहीं मिल जायें, जनता चिल्ला रही है, आप बजट पढ़ रहे हो, काहे का बजट. जब कुछ है ही नहीं, न राइजर पाइप हैं कह रहे हैं परिवहन कराओ, 2 साल बाद किसी तरह पैसा मिला है.
उपाध्यक्ष महोदय-- यादवेन्द्र जी आप भी बोलिये न, जब आपका नंबर आयेगा.
श्री यादवेन्द्र सिंह-- मेरा बोलने का काम ही नहीं है, जब कुछ होता ही नहीं है तो क्या बोलूं.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- वहां की जनता बेचारी बहुत दुखी होगी, जहां से आप चुनकर आये. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2003 की चर्चा इसलिये करनी पड़ेगी जब अपने सिक्के को हमें खरा दिखाना पड़ेगा तो खोटे को भी सामने रखना पड़ेगा. सड़क की चर्चा करें तो उस तरफ वाले कहते हैं कि यह 14 साल का भूत कब छोड़ोगे, भैया इससे पीछा छुड़ाओ, अब पुराना हो गया. गड्ढों ही गड्ढों की सड़कें थीं, मात्र 40 हजार किलोमीटर की सड़के मध्यप्रदेश में थीं. उसमें मुगलों की, यमनों की, तुर्कों की, अंग्रेजों की, राजे-रजवाड़ों की, नवाबों की, कांग्रेस की और ढाई-ढाई साल करके साहब 2 बार हमारी, ऐसी सड़कें कुल मिलाकर 40 हजार किलोमीटर. वर्ष 2018 तक मध्यप्रदेश के अंदर सड़कों की जो लंबाई बढ़ी है, 1 लाख 20-25 हजार किलोमीटर तक हमने सड़कें बना लीं. इतने वर्षों में केवल इतना, हमने 12-14 सालों में तीन गुना. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह हालत मध्यप्रदेश की थी, लोग उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा में आते थे फर्क करना प्रारंभ कर देते थे, शायद मध्यप्रदेश आ गया. झटके लगते थे, किसी की गर्दन, किसी की कमर, किसी की पसली, यह हालत मध्यप्रदेश में घुसने पर हो जाती थी, आज सड़कों के मामले में हम निरंतर प्रगति की ओर बढ़े हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2018-19 में 3 हजार किलोमीटर सड़कें तथा 150 नग वृहद पुलों के निर्माण और 3300 किलोमीटर मार्गों के नवीनीकरण का लक्ष्य हमारे इस बजट में रखा गया है. हमने जितना किया है उससे और आगे बढ़ने की हमारी इच्छा है, हमारा संकल्प है, हम लक्ष्य लेकर के चले हैं और आगे हम करें, हम सिंहावलोकन भी करते हैं तो हम आगे और दूरदृष्टि रखते हैं, मिशन लेकर के चलते हैं. इस बजट में 532 सड़क निर्माण और 38 पुलों के निर्माण की भी हमने योजना बनाई है, उसके लिये नवीन मद के रूप में हमने उसको प्रस्तावित किया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2018-19 में लगभग 2 हजार किलोमीटर लंबाई के राष्ट्रीय राजमार्गों के भी उन्नयन की योजना इस प्रस्तावित बजट में रखी गई है. हमने भारत सरकार की भारत माता योजना के अंतर्गत प्रथम चरण में 5 हजार 987 किलोमीटर राष्ट्रीय राज मार्गों के निर्माण की सैद्धांतिक स्वीकृति हमें प्राप्त हुई है, यह हमारी सरकार की जागरूकता है कि हम भारत सरकार से ज्यादा से ज्यादा मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय राज मार्गों के लिये राशि ला सके तथा उसकी स्वीकृति करा सके. इसमें जबलपुर बायपास, सागर बायपास, ग्वालियर बायपास तथा मेरे टीकमगढ़ जिले का ओरछा बायपास का निर्माण भी सम्मिलित है. भोपाल-इन्दौर जो अभी चार लाईन मार्ग है उसको छः लाईन की सैद्धांतिक स्वीकृति जिसकी अनुमानित लागत 5 हजार करोड़ रूपये है, हमें प्राप्त हुई है. अब प्रधानमंत्री सड़क योजना की बात करें. कभी कल्पना नहीं थी, कभी गांव के लोग डामर के बारे में जानते नहीं थे, हमारे यहां भी कभी मिट्टी डल गई तो डल गई , डामरीकरण कभी हो गया तो हो गया. पंडित अटलबिहारी बाजपेयी जी ने वह सपना गांव की सड़कों को शहरों से कैसे जोड़े उस सपने को साकार करने के लिये उन्होंने जो संकल्प लिया उस पर काम प्रारंभ किया, उसको द्रुत गति से आगे बढ़ाने का काम मध्यप्रदेश में किया है. आज प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में 75 हजार किलोमीटर और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत 15 हजार 584 किलोमीटर सड़कों का निर्माण मध्यप्रदेश में किया जा चुका है. 2018-19 के बजट में भी हम पीछे रहने वाले नहीं हैं. प्रधानमंत्री सड़क योजना में 4 हजार किलोमीटर की नवीन सड़कें तथा 7 हजार 500 किलोमीटर का पुनर्डामरीकरण और 65 हजार किलोमीटर सड़कों का सामान्य संधारण करने का लक्ष्य भी हमने इस बजट में प्रस्तावित किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह ने जब 24 घंटे बिजली देने का संकल्प लिया हम उस दिशा में आगे बढ़े और काम किया. अगर कभी घंटे 2 घंटे बिजली चली भी गई तो कांग्रेस मित्र कहते हैं कि बिजली तो 2 घंटे चली गई. मैंने उनको हाथ जोड़कर कहा कि दादा जितनी दिग्विजय सिंह जी की सरकार में बिजली आती थी उतनी हमारी बिजली जाती है. यह हालत हमारे मध्यप्रदेश में सबको पता है और यह बात मैं कर चुका हूं. 2003 में 5 हजार 173 मेगावाट क्षमता की बिजली हमारे यहां पर बनाई जाती थी आज 2018 में हम 18 हजार 364 मेगावाट क्षमता की पैदावार मध्यप्रदेश में की है. काम करने की प्रबल इच्छा होनी चाहिये मध्यप्रदेश की सरकार ने उन लक्ष्यों को पाने के लिये जीतोड़ प्रयास किया है जिसका परिणाम है कि गांव गांव तक हम 24 घंटे बिजली देने का काम हमने किया है तथा किसानों को सिंचाई के लिये 10 घंटे बिजली देने का काम भी हमारी सरकार ने किया है. 2003 में जहां 162 उच्च दाब के केन्द्र स्थापित थे. आज हम 340 अति उच्च दाब के केन्द्र हमने स्थापित किये हैं. 2003 में 33.के.बी. के 1802 उप केन्द्र थे आज हम 3 हजार 553 यानि हम हिसाब लगायें तो दो गुना से भी ज्यादा वृद्धि की है. 2003 में 1 लाख 68 हजार वितरण ट्रांसफार्मर थे आज हम 6 लाख 31 हजार से भी ज्यादा ट्रांसफार्मर स्थापित किये हैं. मध्यप्रदेश में बिजली के क्षेत्र में काम किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, हम 2018 में सौभाग्य योजना के अंतर्गत गरीब के घर बिजली देने का काम तथा उसके घर में एक बल्ब देने का काम किया है. इन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी. 25 सितम्बर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म शताब्दी वर्ष को हमने गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाया है. केवल मनाया ही नहीं है उस पर अमल करके उसको धरातल पर लाने का काम किया है. हमने गरीब हटाओ जैसे नारे नहीं दिये हैं. हम नारों के ऊपर सरकार चलाने वाले लोग नहीं हैं हम जो कहते हैं, वह करते हैं.
श्री यादवेन्द्र सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, यह तो कुछ भी बोले जा रहा है. सबसे महंगी बिजली मध्यप्रदेश के अंदर है.
श्री के.के.श्रीवास्तव--अब आपका बल्ब बुझ गया है तो हम क्या करें?
श्री यादवेन्द्र सिंह--24 घन्टे बिजली की बात कर रहे हैं. सदन के बाहर की बात करो भाई.
श्री के.के.श्रीवास्तव--हमारे यहां तो बल्ब जल रहे हैं. आपके यहां का बल्ब क्यों नहीं जल रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय--यादवेन्द्र सिंह जी कृपया बैठ जाएं.
श्री यादवेन्द्र सिंह--कांग्रेस की सरकार 5 हार्स पावर की बिजली फ्री में देती थी.
श्री के.के.श्रीवास्तव--उपाध्यक्ष महोदय, आपका बल्ब क्यों बुझा रहता है. पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर, गरीब कल्याण वर्ष में, 25 सितम्बर को हमने सौभाग्य योजना के रूप में मनाने का लक्ष्य रखा और 43 लाख घरों को विद्युत कनेक्शन देने का लक्ष्य है. दिनांक 31 मार्च,2018 तक हम मध्यप्रदेश के पांच जिलों में पूरा सौभाग्य योजना के अंतर्गत काम करेंगे. शेष घरों में शतप्रतिशत विद्युत पहुंचाने का काम अक्टूबर,2018 के आखिरी तक कर लेंगे. हम पानी के मामले में बात करें तो यमनों,तुर्कों,मुगलों,अंग्रेजों और सारी बात वही है. कुल साढ़े सात लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती थी जिसमें सब योजनाएं थीं.राजे रजवाड़े थे,हम आप थे. तब साढ़े सात लाख हेक्टेयर सिंचाई होती थी, आज 40 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन मध्यप्रदेश की सिंचित हुई है. आगे हमारा लक्ष्य 60 लाख हेक्टेयर सिंचित करने का है और हम उसे प्राप्त करेंगे भी. आज वर्षा की कमी है. पानी की अस्थिरता है. किसी क्षेत्र में कभी गिरता है, किसी क्षेत्र में कभी गिरता है. हमने मध्यप्रदेश के अंदर वर्ष,2018 में जो लक्ष्य रखा है वह है 2.5 लाख हेक्टेयर नदी सिंचाई क्षमता और सृजित करने का. मैं कहना चाहता हूं कि नहरों के माध्यम से जो सिंचाई की जाती है उसमें पानी का क्षरण होता है. वाष्प बनकर पानी उड़ जाता है. तो हमने माईक्रो सिस्टम,माईक्रो मैनेजमेंट कैसे करें इसके लिये हमने पाईपों के माध्यम से किसान के खेत तक हम पानी पहुंचा सकें. वहीं पर पानी खुले और पानी बरबाद न हो. इस दिशा में भी हमारी सरकार काम कर रही है. हमारे टीकमगढ़ जिले में बानसुजारा बांध जो बनाया जा रहा है, जो निर्माणाधीन है. उसके पाईप पहले से ही किसानों के खेतों तक पहुंचना प्रारंभ हो गये हैं. नहरें बनना प्रारंभ हो गई है. किसान के खेत में ही सीधा वाल्व होगा और वहीं पानी निकलकर खेतों में सिंचित होगा और वहीं उसका मीटर होगा वहीं भुगतान.ये सारी योजनाएं हैं. वन ड्राप मोर क्राप, एक-एक बूंद को कैसे हम सहेज सकें. यह कल्पना मध्यप्रदेश की सरकार ने की है. यह सरकार पानी के मामले में चिंतित है. सिंचाई की क्षमता बढ़ाने के लिये चिंतित है.
श्री यादवेन्द्र सिंह - (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय - इसे कार्यवाही से निकाल दें. यादवेन्द्र सिंह जी, आपकी इनसे कोई व्यक्तिगत रूप से कुछ है.
श्री के.के.श्रीवास्तव - यादवेन्द्र जी, हमारा समय क्यों कम कर रहे हो.
उपाध्यक्ष महोदय - श्रीवास्तव जी अब आप समाप्त करें.
श्री के.के.श्रीवास्तव - उपाध्यक्ष महोदय, पेयजल की दिशा में भी समूह जल प्रदाय योजनाएं बनाई हैं. अभी हमारे ध्यानाकर्षण पर मंत्री महोदय चर्चा कर रहे थे. निश्चित रूप से हमने काम करने का प्रयास किया है. हमारी सरकार काम कर रही है लेकिन सूखे की स्थिति,अवर्षा की स्थिति है. पानी नहीं बरसा. भूजल पर ज्यादा हमें निर्भर नहीं रहना है. सतही जल को संधारित करना पड़ेगा. सतही जल की दिशा में हमें आगे बढ़ना पड़ेगा. मैं बानसुजारा बांध की बात और कहना चाहूंगा. यहां पी.एच.ई. मंत्री जी और वित्त मंत्री जी बैठे हुए हैं. दोनों बुंदेलखण्ड से ही हैं. जो बानसुजारा बांध समूह जल योजना की राशि की दिक्कत है तो उसमें दोनों बैठकर हमारी समूह जल प्रदाय योजना के लिये बजट का आवंटन कर दें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, असत्य असत्य सुनकर,असत्य से शर्मा गया. ऐसे हमारे भाई ने जो पूरा वृतांत बताया उस पर से मुझे किसी की 4 लाईन याद आ गईं.जो मैंने सोचा कि सुना दूं.
उपाध्यक्ष महोदय - और कुछ है कि इतना ही है.पूरी हो गई.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बराबर सुना नहीं. असत्य,असत्य सुनकर,असत्य से शर्मा गया.
उपाध्यक्ष महोदय - एक ही लाईन हुई ना.
श्री के.के.श्रीवास्तव - लाईनें तो गिनो रजनीश जी.
उपाध्यक्ष महोदय - आप ही चार लाईनें दे दीजिये.
श्री बाला बच्चन(राजपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस सरकार का 2 लाख 4 हजार 464 करोड़ का यह बजट शब्दों का मायाजाल और आंकड़ों की बाजीगरी बनकर रह गई है. वह कैसे उसको मैं सिद्ध करना चाहता हूं. मैं बताना चाहता हूं कि वित्त मंत्री जी ने जनता की आवाज को इस बजट में नहीं सुना है. जनता की डिमांड,जनता की आवश्यकताओं को मुझे नहीं लगता कि उनकी बाद का ध्यान रखा गया है तो आपका यह बजट केवल शब्दों का मायाजाल और आंकड़ों की बाजीगरी बन कर रह गया है.
उपाध्यक्ष महोदय, जनता की आवाज कुछ और है जबकि आपने बजट में प्रावधान कुछ और किया है. इस सदन का मैं चौथी बार का सदस्य हूं. मैंने बजट में ऐसा कभी नहीं देखा है कि प्रस्तावों का उल्लेख किया गया है कि प्रस्ताव विचाराधीन है. प्रस्ताव विचाराधीन नहीं होते हैं, प्रस्ताव प्रावधानित किये जाते हैं. योजनाओं के लिए प्रावधान किया जाता है, लेकिन आपने ऐसा किया है. आपके बजट भाषण की कंडिका 134 में माननीय वित्तमंत्री जी जो कर्मचारी कल्याण से संबंधित है. इसमें आपने कहा है कि महाविद्यालयों, शालाओं में कार्यरत् अतिथि शिक्षकों के मानदेय व अंशकालिक सफाई कर्मचारियों, भृत्यों, लिपिकों के पारिश्रमिक में वृद्धि विचाराधीन है. यदि आप इनके सच्चे हितैषी हैं तो यह विचाराधीन नहीं, ये प्रावधानित होना चाहिए और उनके लिए बजट में प्रॉविजन करना चाहिए. यह पहली बार मैंने यह बजट बुक में देखा है और मैं इससे सर्प्राइज्ड हूं. माननीय वित्त मंत्री जी, आपने पिछली बार बजट सत्र में ही यह बात कही थी कि हम 36000 संविदा शिक्षकों की भर्ती करेंगे. मैं समझता हूं कि अभी तक आपने इसकी प्रक्रिया भी शुरू नहीं की है. अभी तक किसी प्रक्रिया की शुरुआत भी नहीं हुई है तो आप ऐसा क्यों कर रहे हैं? उनके साथ आप ऐसा धोखा क्यों कर रहे हैं? आपने मेरे प्रश्न के जवाब में यह भी कहा है कि जब हम संविदा शिक्षकों की भर्ती करेंगे तो जो अतिथि शिक्षक हैं, उनको भी हम बोनस अंक देंगे. यह मेरा प्रश्न क्रमांक 3905 उसमें सरकार ने यह उत्तर दिया है. अब दूसरे प्रश्न में सरकार यह जवाब दे रही है प्रश्न क्रमांक 3313 में कि अब हम इन अतिथि शिक्षकों को संविदा शिक्षक की भर्ती में बोनस अंक नहीं देंगे. माननीय वित्त मंत्री जी मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि आप कंफ्यूज्ड क्यों हैं? सरकार कंफ्यूज्ड क्यों है? एक बात पर सरकार तैयार क्यों नहीं रहती है. हमेशा कंन्फ्यूजन की बात करती है. मध्यप्रदेश के चाहे वे किसान हों, विद्यार्थी हों, बेरोजगार हों या कर्मचारी हों, इस तरह का आए-दिन सरकार उनको धोखा देती रहती है, उनकी अनदेखी करती रहती है. माननीय वित्तमंत्री जी इस बात की ओर भी आप ध्यान दें.
उपाध्यक्ष महोदय, यह बहुत बड़ी बात है, एक सदन के वरिष्ठ सदस्य, जो विधायक रहे हैं, सांसद रहे हैं, मंत्री रहे हैं, उन्होंने खुले-आम इस बात को कहा है कि मेरी बीमारी के इलाज के जो बिल हैं, उसका क्लेम पास कराने के लिए मुझसे रिश्वत मांगी गई है. यह कितनी बड़ी बात है और वह कितने सदन के वरिष्ठ सदस्य हैं और वे आपकी ही पार्टी के हैं. आदरणीय श्री सरताज सिंह जी ने इस बात को कहा है. उपाध्यक्ष महोदय, इसकी जांच होना चाहिए. जो भी इसमें दोषी हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होना चाहिए, जिससे कि इस तरह की पुनरावृत्तियां भविष्य में न हो सके.
उपाध्यक्ष महोदय, चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में कंडिका 50 से 54 तक मैंने जो आपके बजट भाषण में पढ़ा है. पिछले 3 साल से मैं प्रश्न लगा रहा हूं और बहुत सारे हमारे विधायक साथी इस सदन में इससे संबंधित प्रश्न लगा रहे हैं कि एनआरआई कोटे में जो चिकित्सा से संबंधित एडमिशन होते हैं, उन प्रश्नों का जवाब अभी तक सरकार नहीं दे पा रही है, ऐसा क्यों? दूसरी बात है कि चिकित्सा शिक्षा से संबंधित जो एडमिशन अभी तक एनआरआई कोटे से होते थे, वह रक्त से संबंधित या रक्त से संबंध रखने वालों के होते थे, ऐसा प्रॉविजन था, उसको आप शिथिल करके अब जो आश्रित है, उनको भी एडमिशन देने जा रहे हैं तो उपाध्यक्ष महोदय, इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार की निजी मेडिकल कॉलेजों के साथ कितनी बड़ी सांठ-गांठ होने जा रही है और ऐसा अगर होगा तो मैं समझता हूं कि हमारे जो विद्यार्थी हैं उनका भविष्य भी अंधकारमय हो जाएगा और यह अनर्थ हो जाएगा. आज आपको इस पर विचार करना पड़ेगा और अगर आपकी इन कॉलेजों के साथ में सांठ-गांठ नहीं हैं तो हमारे प्रश्न वर्ष 2012 से 2017 तक अभी तक जो लगाए हैं, उसके जवाब नहीं दिये हैं. अगर कुछ समय में इस सदन में उनके जवाब दे देते हैं तो हमको यह लग जाएगा कि सरकार की इन कॉलेजों के साथ में किसी भी तरह की कोई सांठ-गांठ नहीं है और माननीय वित्तमंत्री जी, ऐसा होना नहीं चाहिये. यह प्रदेश के हित में नहीं होगा, यह गलत होगा. इस ओर ध्यान दें. बात यहीं समाप्त नहीं होती है. बजट भाषण की कंडिका 23 और 24 में नर्मदा जल का जिक्र हुआ है और नमामि देवी नर्मदे, नर्मदा सेवा यात्रा का भी उल्लेख हुआ है. बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ता है कि आपने गुजरात को पानी देने के लिये नर्मदा जी को सुखा दिया है. क्या सरकार की मजबूरी थी कि मध्यप्रदेश की जनता, मध्यप्रदेश की खेती, मध्यप्रदेश के मवेशी और मध्यप्रदेश के लोगों का ध्यान सरकार ने क्यों नहीं रखा है ?
उपाध्यक्ष महोदय, हम बड़वानी, खरगोन, अलीराजपुर जिले वालों को जो काफी संख्या में लोग हैं उनको सरकार ने सरदार सरोवर बांध की उंचाई बढ़ाकर डुबाया है और पानी देने की अगर कोई बात आई है तो गुजरात में यह सरकार पानी दे रही है. अभी-अभी आपने सरदार सरोवर बांध का पानी दो बार इस सरकार ने साबरमती नदी जो अहमदाबाद में है, वहां के लिये दिया है. एक बार तो सितम्बर में जब जापान के प्रधानमंत्री आये थे उस समय पानी छोड़ा था और दूसरी बार हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने जब सी-प्लेन उतारा था तब यह पानी छोड़ा गया था. यह पानी की बर्बादी है और यह पानी मध्यप्रदेश के लोगों को मिलना चाहिये. उपाध्यक्ष महोदय, सरकार इस ओर ध्यान दे. उपाध्यक्ष महोदय, जब वित्तमंत्री जी ने बजट भाषण पढ़ा था उस समय भी मैंने इस ओर इशारा किया था और आपको रोका था. बात यहीं समाप्त नहीं होती है, डैड स्टोरेज का जो पानी है उसको भी गुजरात को देते हैं, वह रोकना चाहिये, जो कि नहर के नीचे का जलाशय है वह पानी भी सरकार गुजरात को देती है और यह यात्रा के दौरान जो कार्यक्रम हुआ था क्या जमकर परिवहन में भ्रष्टाचार हुआ है इस बात को माननीय वित्तमंत्री जी और संसदीय कार्यमंत्री जी सुन लें. भोपाल से अमरकंटक और उसके बाद अनूपपुर से अमरकंटक तक जो बसें चलीं दोनों बसों का रेंट 50-50 हजार रुपये दिया गया. जबकि दूरी में कितना अंतर है ? दोनों जगह के लिये जो बसें चली हैं और अशोक नगर से अगर अमरकंटक तक कोई बस गई है तो उनका डेढ़-डेढ़ लाख रुपये रेंट दिया है. उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से वित्तमंत्री जी, मैं आपसे जानना चाहता हूं कि यह मध्यप्रदेश की जनता की जो गाढ़ी कमाई थी और मध्यप्रदेश के सरकारी खजाने को आपने चूना लगाने का जो काम किया है नमामि देवी नर्मदे, नर्मदा सेवा यात्रा का मकसद यही था ? इसी कारण से क्या माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह यात्रा निकाली है ? और अपनी पार्टी के लोगों और कार्यकर्ताओं को अगर लाभ पहुंचाना था, तो और सैकड़ों तरीके आप लोगों के पास में हैं, लेकिन आपने इस यात्रा में जमकर भ्रष्टाचार किया है और मुझे लगता है कि इस यात्रा के पीछे यह मकसद था कि आप अपनी पार्टी के लोगों को (XXX) करवायें और उनको इनसे कमाई करवायें.
डॉ. कैलाश जाटव -- उपाध्यक्ष महोदय, किसको कमीशन बांटा गया यह स्पष्ट करें बाला बच्चन जी. यह शब्द कार्यवाही से अलग किया जाये. जिसका स्पष्टीकरण न हो उस शब्द का इस्तेमाल सदन में न हो.
उपाध्यक्ष महोदय -- कमीशनखोरी शब्द कार्यवाही से निकाल दें.
श्री बाला बच्चन -- उपाध्यक्ष महोदय, आप सुन लें प्रश्न क्रमांक 1093 दिनांक 29.11.2017 का यह जवाब आया है कि अनूपपुर से अमरकंटक की दूरी 70 किलोमीटर है और भोपाल से अमरकंटक की दूरी 551 किलोमीटर है और इनके 50-50 हजार रुपये सरकार ने दिये हैं. यह सदन की प्रापर्टी है. ..(व्यवधान).. यह विधानसभा प्रश्न का जवाब आया है. जो राशि जवाब में दी गई है मैं वही बोल रहा हूं. मैं जो भी यहां बोल रहा हूं वह अथेंटिक चीज है और प्रूव्ड है, तब मैं इस बात को कोड कर रहा हूं. मैंने प्रश्न क्रमांक और दिनांक बताया है. वित्तमंत्री जी, जब आप बोलें तो इस बात को स्पष्ट भी करें.
उपाध्यक्ष महोदय -- बाला जी, आप दो मिनट में समाप्त करें.
श्री बाला बच्चन -- उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी के अभिभाषण की कंडिका क्रमांक 99 में सरकार पौधारोपण बताती है 6 करोड़ और माननीय वित्तमंत्री जी अपना भाषण पढ़ते हैं उसकी कंडिका 121 में 7 करोड़ पौधे लगाने की बात करते हैं. तो माननीय वित्तमंत्री जी, पहले पौधे रोपण का सहीं आंकड़ा आप दें कि 6 करोड़ है या 7 करोड़ ? दूसरी बात इसमें भी हमने प्रश्न पूछा है.लगातार हम प्रश्न पूछते आ रहे हैं कि यह आपने जो पौधे लिये कहां से और आंकड़ों में अंतर है. दूसरी चीज वर्ष 2014, 2015 एवं 2016 में हरियाली महोत्सव के अंतर्गत 10 करोड़ पैधे लगाना सरकार बताती है, लेकिन हम विधायक साथियों के प्रश्नों का जवाब अभी तक सरकार नहीं दे रही है कि यह पौधे कहां से लिये हैं. आपने पौधे लगाने में गिनीज बुक में वर्ल्ड रिकार्ड नहीं बनाया है. इस सरकार ने पौधों की हत्याएं करने में, क्योंकि मैं इस बात को जानता हूं कि 1917 में बड़े वैज्ञानिक जगदीशचन्द बसु जी ने इस बात को कहा था कि पेड़ और पौधों में जान होती है. तो पेड़ पौधे लगाने में आपने गिनीज बुक में वर्ल्ड रिकार्ड नहीं बनाया है. वित्त मंत्री जी,आपने इनकी हत्या करने में गिनीज बुक में वर्ल्ड रिकार्ड बनाया है. यह आपके मुख्यमंत्री जी और सरकार ने किया है. ये आपने चार साल में जो 17 करोड़ पौधों की बात की है, यह कहां से पौधे खरीदे, इनमें कितना भ्रष्टाचार हुआ है, जमीन पर वे पौधे कितने फलीभूत हुए हैं. आज तक वित्त मंत्री जी ने, इस सरकार के किसी भी मंत्री ने और संबंधित विभागों ने इसका जवाब हम लोगों को नहीं दिया है, इसलिये मैं यह जानना चाहता हूं कि वित्त मंत्री जी इसका जवाब दें.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं भावान्तर योजना की बात कर रहा हूं. आपने भावान्तर योजना के संबंध में कंडिका क्रमांक 6 में यह कहा है कि हमने 1500 करोड़ रुपये भावांतर की राशि किसानों के खाते में डाली है. मेरे ही प्रश्न के जवाब में बताया गया है कि 212 करोड़ रुपये किसानों के भावान्तर योजना के अभी भी बाकी हैं. वह सरकार दोहरी बात कर रही है. वित्त मंत्री जी, इसलिये इन बातों का आपको जवाब देना चाहिये. वर्ष 2016 की प्याज खरीदी संदेह के घेरे में है. यह भी हम प्रश्न लगाकर सरकार से पूछ रहे हैं, लेकिन सरकार ने आज तक इसका भी जवाब नहीं दिया है कि आपने भण्डारण एक तो कहां किया भण्डारणकर्ताओं को आपने कितना बिल दिया है, उसके बाद हम्माली,तुलाई,छटाई,भण्डारण इसका आज तक सरकार जवाब नहीं दे रही है. एक क्विंटल प्याज की तुलाई 220 रुपये, एक क्विंटल प्याज की रखाई ,भण्डारण में 140 रुपये हमने पूछा कि किनको दिया, तो सरकार आज तक जवाब नहीं दे रही है. सरकार क्यों इस तरह की, मैं समझता हूं कि क्या शब्द कहूं, मेरे हिसाब से सरकार डण्डाई कर रही है, सरकार को इससे बचना नहीं चाहिये और मैं समझता हूं कि हमने पिछले दो, तीन साल से प्रश्न लगाये हैं, वित्त मंत्री जी आपको इस पर जवाब देना चाहिये. ऐसे ही सुसनेर गौ-अभ्यारण्य में 4 से 5 माह में सैकड़ों गायों की हत्या हुई है और यह कैसे हुई है कि भूसे में रेत मिलाई जाती है. वह गायों को खिलाई जाती है और इससे सैकड़ों गायों की हत्या हो चुकी है. तो गायों की हत्या करने वाली सरकार, पौधों की हत्या करने वाली सरकार और लगभग 14 साल के कार्यकाल में करीब 15 हजार किसान और खेती से जुड़े हुए मजदूरों ने आत्महत्याएं की हैं, तो यह सरकार इन सब का जवाब दे.
उपाध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र की बात करके समाप्त करता हूं. मेरे यहां नर्मदा नदी की जो नहर गई है, इंदिरा सागर परियोजना की, किसानों को जो नहर का मुआवजा मिलना चाहिये, इसकी राशि खातों में डल गई है, लेकिन खातों को लॉक कर दिया गया है. तो वित्त मंत्री जी, बड़वानी जिले के चेनपुरा और महीपुरा ऐसे गांव हैं, किसान महीनों से परेशान हो रहे हैं. बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही है. वित्त मंत्री जी, आप इस ओर भी ध्यान दें. वह लॉक उनके खुलवायें और राशि उनको मिले, क्योंकि पहले ही किसान परेशानी में है. ऐसे ही बड़वानी जिले के सैकड़ों गांव विद्युत विहीन हैं, लेकिन वहां सरकार बिजली नहीं लगा पा रही है और जवाब कुछ और दे रही है. उपाध्यक्ष महोदय, एक भूमि विकास बैंक की बात है. सैकड़ों जो हमारे कर्मचारी हैं, उनकी एफडी फंसी है, लेकिन न सरकार उन कर्मचारियों का विलय कर रही है, न उनकी एफडी को क्लीयर कर रही है. तो यह भी ध्यान दें. इसके अलावा भी बहुत सारी बातें हैं. वित्त मंत्री जी, मैंने आपको अथेंटिक चीजें और प्रूफ्ड चीजें जो हाउस में रेज़ हो चुकी हैं, जो हम लोगों के प्रश्नों,ध्यान आकर्षण के माध्यम से वह मैंने बताई हैं. मैं समझता हूं कि इसके संबंध में व्यवस्था देंगे और इसका निराकरण करायेंगे. तो हम सबके और प्रदेश हित में होगा, मैं यह आपसे उम्मीद करता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, धन्यवाद.
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बजट के समर्थन में बोलने के लिए मैं खड़ा हुआ हूँ. हम सदन के सभी माननीय सदस्य इस सदन में बैठकर लोकतंत्र की परम्परा के अनुसार प्रतिवर्ष आय-व्यय लेखा-जोखा पर गरिमापूर्ण विचार-विमर्श करके चर्चा करते हैं. लेकिन वर्तमान में यह देखने में आ रहा है, चर्चा में आ रहा है कि चूँकि हम विपक्ष में हैं इसलिए सरकार की योजनाओं के बारे में कटाक्ष करना है. उन योजनाओं की समीक्षा नहीं करना है. वास्तव में मैं माननीय सदस्यों से निवेदन करूंगा कि जब भी किसी भी प्रदेश का बजट आता है, वह बजट प्रदेश के भविष्य का निर्धारण करता है, और बजट में हमारे वित्त मंत्री जी जो योजनाएं लाते हैं या जो योजनाएं बनाते हैं, उन योजनाओं को हमें कैसे सुदृढ़ बनाना है, उन्हें कैसे मजबूत बनाना है, इस पर चर्चा होनी चाहिए. लेकिन मैंने देखा है कि माननीय सदस्य कहीं नर्मदा जी यात्रा पर कटाक्ष कर रहे हैं, कहीं वृक्षों के ऊपर कटाक्ष कर रहे हैं, कहीं गरीबी के ऊपर कटाक्ष कर रहे हैं, लेकिन मेरा अपना यह मानना है, मैं किसी के विचारों को दोष नहीं दे रहा हूँ, मेरा अपना यह मानना है कि इस सदन में कम से कम हम सब लोग उन विषयों की चर्चा करें जो वास्तव में 14 वर्ष की सरकार में भाजपा ने किया है. अगर उन योजनाओं को सफल करने में कहीं न कहीं कोई कमी आई है तो हम सब सदस्य बैठकर माननीय मंत्री जी से बात करें, माननीय मुख्यमंत्री जी से बात करें. लेकिन देखने में आता है कि हम किसी मंत्री की हंसी उड़ा रहे हैं, किसी माननीय सदस्य की हंसी उड़ा रहे हैं, एक-दूसरे पर कटाक्ष कर रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहूँगा कि यह सरकार मध्यप्रदेश में नवाचार के लिए जानी जाती है. आपने देखा होगा कि शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश ने अभी एक बहुत बड़ा नवाचार किया - ''आओ मिल बांचें''. कई शिक्षक रिटायर होकर घर चले गए थे, कई बुद्धिजीवी लोग घर पर बैठे हुए थे, लेकिन उनको सरकार ने स्कूल में पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया, और उसका फायदा कहीं न कहीं बच्चों को मिला है. मेरे अपने विधान सभा क्षेत्र में कई शिक्षक ऐसे निकलकर आए हैं कि जो कि आज फ्री में बच्चों के लिए कोचिंग क्लासेस चला रहे हैं और उनको पढ़ाने का काम कर रहे हैं. मैं मध्यप्रदेश सरकार को इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहूँगा जिसने ''आओ मिल बांचे'' कार्यक्रम के माध्यम से नवाचार शुरू किया.
उपाध्यक्ष महोदय, आप देखेंगे कि वर्तमान में विश्व में दो बड़ी बीमारियां ऐसी हैं जो सबसे अधिक बढ़ी हैं, एक है कैन्सर और दूसरी डाइबिटीज. इनके बारे में मध्यप्रदेश सरकार ने जो बजट की व्यवस्था की है, आज हमारे लगभग सभी संभागीय अस्पतालों में कीमोथैरेपी की व्यवस्था है. किसी गरीब को कैन्सर हो जाए, उसके घर जाकर आप देखें, उसके परिवार के सदस्यों की स्थिति देखें, उसके बच्चों के स्कूल जाने की व्यवस्था गड़बड़ हो जाती है. घर का अन्न-धन खराब हो जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने उनकी चिंता की है. मध्यप्रदेश की सरकार ने डाइबिटीज की बहुत चिंता की है, बजट में इसके लिए व्यवस्था है.
उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी जो बीमारी में आर्थिक सहायता देते हैं, उसकी तारीफ आज तक विपक्ष ने कभी नहीं की. मैं अपने माननीय मुख्यमंत्री जी का उदार दिल देखता हूँ तो सबसे ज्यादा कांग्रेस के सदस्यों ने अपने क्षेत्र में जाकर बीमारी के लिए माननीय मुख्यमंत्री की आर्थिक सहायता का लाभ उठाया है, लेकिन एक भी सदस्य ने इस सदन में यह नहीं बोला कि माननीय मुख्यमंत्री जी की आर्थिक सहायता योजना बहुत सराहनीय है और हम उनको धन्यवाद देते हैं.
श्री बाला बच्चन -- हम जब सरकार में थे, तब आप तारीफ करते थे ?
डॉ. कैलाश जाटव -- बच्चन जी, आपके पास पैसे ही नहीं थे, आपके पास ऐसी योजनाएं ही नहीं थीं.
श्री बाला बच्चन -- सब हमारे पास था.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप लोग सीधे बात क्यों कर रहे हैं ? बच्चन जी, बैठ जाएं.
श्री रणजीत सिंह गुणवान -- इस प्रकार की कोई योजना ही नहीं बनी तो कहां से तारीफ करते.
डॉ. कैलाश जाटव -- माननीय उपाध्यक्ष जी, मेरा निवेदन है कि अगर इस तरह का वार्तालाप होगा तो मेरे समय में कटौती नहीं होनी चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय -- गुणवान जी भी तो कर रहे हैं.
डॉ. कैलाश जाटव -- उपाध्यक्ष महोदय, जहां तक विपक्ष बोलता है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में डॉक्टर्स की कमी है. आज विपक्ष को यह मालूम होना चाहिए कि डॉक्टर मां के पेट से पैदा नहीं होते, उनको कॉलेजेस में पढ़ाना चाहिए. इन्होंने वर्ष 2004 के पहले कितने मेडिकल कॉलेज खोले. आज मध्यप्रदेश में मेडिकल कॉलेजेस की संख्या बढ़ रही है. आने वाले समय में इस प्रदेश के नौजवानों को, इस देश की जनता को यह पता चलेगा कि कॉलेजों से डॉक्टर निकलते हैं, नेतागिरी से डॉक्टर नहीं निकलते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार का एक और महत्वपूर्ण फैसला मैं बताना चाहता हूँ, जो कि इस बजट में आया है लेकिन चर्चा नहीं हुई.
4.35 बजे {सभापति महोदय (श्री कैलाश चावला) पीठासीन हुए}
डॉ. कैलाश जाटव-- माननीय सभापति महोदय, पहले टेक होम राशन शासन के द्वारा किसी न किसी ठेकेदार के माध्यम से बनवाने का काम किया जाता था. पूरे प्रदेश में चार हजार के लगभग पंचायतें हैं. इन पंचायतों में टेक होम राशन की जो व्यवस्था है वह महिलाओं के हाथों में जाने वाली है और महिला सशक्तिकरण में हम आगे बढे़ंगे, ऐसा मेरा मानना है इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा. आजादी से लेकर आज तक वर्ष 2004 से हमारी सरकार यहां पर है लेकिन आप देखेंगे कि स्वच्छता के लिये केन्द्र की सरकारों ने कौन-सा अभियान चलाया. आज मुझे खुशी इस बात की है कि कई ग्रामों से श्री बाला बच्चन जी भी निकलते होंगे तो आज उनको रोड के किनारे पर गंदगी नहीं मिलती होगी. इस काम के लिए माननीय मोदी जी को और हमारे प्रदेश की सरकार को धन्यवाद देना चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, हम 70 सालों से शौचालय नहीं बना पाए, कितना दुर्भाग्य है. केन्द्र में हमारी सरकार आती है और माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार आती है तो हम शौचालय बनवाते हैं, मकान बनवाते हैं, नालियां बनवाते हैं, नहरें बनवाते हैं, पानी खेतों-खेतों तक पहुंचाते हैं उसके बाद भी कटाक्ष करते हैं. आप उसमें कमी बताइए न, उसमें क्या कमी रह गई है, हम उसको सुधारेंगे. बजट का यह मतलब नहीं है कि हमको सिर्फ कटाक्ष करना है. आज जिस तरीके से गांवों में समाज बंटा हुआ रहता है आपने देखा होगा कि गांवों में सामाजिक ब्याह सम्मेलन के लिए समाज के गरीब अनसूचित जाति वर्गों के लिए भवन की व्यवस्था नहीं हुआ करती थी. आज हमारी सरकार ने उसकी चिन्ता की है. मेरी अपनी विधानसभा में 4 साल के कार्यकाल में 45 सामुदायिक भवनों का निर्माण हुआ है बाकी और सदस्यों के क्षेत्रों में कितना हुआ है मुझे मालूम नहीं है लेकिन जो मैंने अपने विधानसभा क्षेत्र में देखा है वह मैं बता रहा हॅूं. क्या यह व्यवस्था पहले के बजटों में नहीं हो सकती थी, क्या हम यह प्रावधान पहले के बजटों में नहीं कर सकते थे लेकिन उस विसंगति को हम दूर नहीं कर पाए. जब हम वर्ष 2004, वर्ष 2017-18 की बात करते हैं तो कांग्रेस के बंधु बोलते हैं कि वर्ष 2004 से तुलना मत करिए. आज उस परिवार से पूछिए जिसके यहां सामुदायिक भवन बना है, उस समाज से पूछिए जिसकी बिटिया की शादी वहां होगी उसको उस सामुदायिक भवन में बैठने की कितनी खुशी होती होगी. आज उस समाज से पूछिए जिसके सामने सी.सी.रोड बनी होगी, उसको कितनी खुशी होती होगी. लेकिन हम इस बजट को कटाक्ष बनाएंगे, क्योंकिे हम विपक्ष में हैं इसलिए हम इसके ऊपर उंगली उठाएंगे. ऐसी राजनीति सदन में नहीं करना चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपसे एक और निवेदन करना चाहूंगा कि सरकार की पूरी योजनाएं पंचायत भवनों से चलती हैं. आप वर्ष 2004 से वर्ष 2017-18 तक का बजट उठाकर देखें. मेरे विधानसभा क्षेत्र में अधिकांश गांवों में पंचायत भवन हो गए. आज पंचायत भवनों में ई-कक्ष की व्यवस्थाएं भी हो गयीं, इसके लिए कौन बात करेगा. हमारी सरकारों का अधिकांश काम पंचायत के सचिव, पंचायत के सह-सचिव और पंचायत के सरपंच करते हैं.
सभापति महोदय -- अब आप समाप्त करें.
डॉ. कैलाश जाटव -- माननीय सभापति महोदय, सिर्फ एक मिनट बोलूंगा. मैं अपनी यही बात कहने के लिए खड़ा हुआ था कि आज ग्राम भी बदल रहे हैं, प्रदेश भी बदल रहा है और देश भी बदल रहा है. खुशी इस बात की है कि वर्ष 2017-18 में 7.3 परसेंट घरेलू उत्पादन अग्रिम वृद्धि हुई, उसके लिए मैं माननीय वित्त मंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई दूंगा और साथ ही मैं कांग्रेस के बंधुओं से भी निवेदन करूंगा कि वे बहुत ही आशा और विश्वास के साथ खडे़ होते हैं और कोलारस और मुंगावली की बात करते हैं. मैं किसी के ऊपर कटाक्ष करना नहीं चाहता लेकिन आज भी गरीबों के दिलों में भाजपा सरकार की चौदह साल की योजनाएं जिन्दा हैं. आने वाला समय आपको यह बताएगा कि कोलारस और मुंगावली के जनप्रतिनिधियों ने वहां पर क्या काम किया था उसका परिणाम आपके सामने आएगा. आप देख लीजिए. आने वाला समय हम लोगों का ही रहेगा. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुन्दर लाल तिवारी(गुढ़)-- माननीय सभापति महोदय, सरकार ने जो आगामी वर्ष का बजट प्रस्तुत किया है उसमें बड़ी-बड़ी बातें की गई हैं और वह चुनावी बजट है और चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए सरकार ने और माननीय वित्त मंत्री जी ने यह बजट प्रस्तुत किया है जिस तरह की बड़ी-बड़ी इसमें बातें की गई हैं उस दिशा में चल पाना संभव नहीं है. माननीय सभापति महोदय, अभी हमारे लायक मित्र गरीबों की बात कर रहे थे कि हमारी सरकार गरीबों को संतुष्ट कर रही है गरीबी दूर कर रही है. अभी-अभी हमने एक ध्यानाकर्षण में यह चाहा था कि 25 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले जिनका नाम गरीबी रेखा के नीचे राशन कार्ड में है उन्हें चिकित्सा सुविधा यह सरकार उपलब्ध करा दें, कई मंत्री यहाँ पर बैठे सुनते रहे और आधे घंटे तक जद्दोजहद यहाँ चलती रही लेकिन सरकार इस बात के लिए तैयार नहीं हुई कि जिनका गरीबी रेखा में नाम हैं उन गरीबों को भी चिकित्सयीय लाभ दें. माननीय सभापति महोदय, हिंदुस्तान में मेरा ऐसा मानना है और शायद माननीय वित्त मंत्री जी यह प्रमाण प्रस्तुत करेंगे कि ऐसा बजट जिस तरीके से मध्यप्रदेश में प्रस्तुत किया जाता है, हिंदुस्तान के अन्य राज्यों में भी कहीं किया गया हो. मुझे तो इसमें डाउट है, शंका है.
माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2003 में केंद्र सरकार ने एक एफआरबीएम (Fiscal reponsibility And budget management Act) एक्ट बनाया था ताकि राज्यों की वित्तीय स्थिति, केंद्र की वित्तीय स्थिति संतुलित रहे और एक सीमा के अंदर ही कर्ज का बोझ उस राज्य पर हो और राजकोषीय घाटे की भी एक सीमा हो इसके लिए एक एक्ट तैयार किया गया था और उसके पालन में यह केंद्र सरकार ने निर्देश दिया कि दीगर राज्य भी उसी से प्रेरित होकर उसके मार्गदर्शन पर अपने-अपने राज्यों में एफआरबीएम एक्ट का निर्माण करें और मध्यप्रदेश में भी इसका निर्माण हुआ और उसका जो उद्देश्य मध्यप्रदेश सरकार ने लिखा है कि ""A Act to provide for the responsibility of the State Government to ensure prudence in fiscal management and fiscal stability by progressive elimination of revenue deficit, reduction in fiscal deficit."" तो राजकोषीय घाटे और राजस्व घाटे को नियंत्रण करने के लिए यह प्रावधान बनाया गया. पिछली बार मैंने इस पर एक आपत्ति उठाई थी जिस पर माननीय वित्तमंत्री जी ने इसी सदन में जवाब दिया था कि हमने टेलिफोन से परमीशन ली है. यह बात रिकार्ड में है कि हमने टेलिफोन से परमीशन ले ली है. यह राज्य उस समय भी, पिछले साल भी मध्यप्रदेश, एक पहला राज्य था जिसने टेलिफोन से, केंद्र से परमीशन लेकर बजट बनाया था. हिंदुस्तान के अंदर ऐसा कोई राज्य नहीं है जिनका बजट केंद्र से टेलिफोन से परमीशन लेकर बना हो लेकिन जो नियम और कानून उल्लेखित है बजट उसी से बनना चाहिए. चूंकि एफआरबीएम एक्ट की मंशा के विपरीत एक कानून इसी सदन में बनाया गया और कानून का उल्लेख इस सदन के अंदर कर दिया गया और केंद्र सरकार ने परमीशन नहीं दी थी. केंद्र सरकार की इजाजत के बिना वह कानून बन गया इसीलिए माननीय वित्त मंत्री जी ने बाध्य होकर कहा था कि हमने टेलिफोन से परमीशन ले ली है. माननीय सभापति महोदय, इस बार भी मैं यह ध्यानाकृष्ट कर रहा हूँ कि जो बजट प्रस्तुत किया गया है उसमें वित्त सचिव का जो स्मृति पत्र है वर्ष 2016-17, इसमें घाटे की सीमा जो बताई गई है 4.32 प्रतिशत है जबकि इनके एफआरबीएम एक्ट में घाटे की जो सीमा बताई गई है वह 3.5 परसेंट है और यह 3.5 प्रतिशत से ऊपर चले गये. यहाँ पर इन्होंने अपने ही बनाये हुए कानून का उल्लंघन कर दिया लेकिन 4.32 प्रतिशत को 3.5 प्रतिशत की सीमा के अंदर लाने के लिए इन्होंने क्या किया उधर भी हम आपका ध्यानाकर्षित करेंगे.
सभापति महोदय, ऋण उदय योजना अंतर्गत शामिल 7,361 करोड़, इस राशि को एफआरबीएम एक्ट के माध्यम से बजट से इन्होंने इसको बाहर कर दिया. यह संशोधन पेश किया, सभापति महोदय, मैं यह कहना चाहता हूँ कि अभी तक एफआरबीएम एक्ट जो बना था, वह फिस्कल डिफिशिट को कितने प्रतिशत में कंट्रोल में रखा जाए, इसके लिए बनाया गया था. लेकिन पहली बार, इस देश की पहली सरकार, हमारी मध्यप्रदेश की सरकार है, जिसने मध्यप्रदेश राज्यकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रावधान संशोधन अधिनियम 2017 सदन में पेश किया और उसमें उन्होंने यह प्रावधान बनाया, सेक्शन थ्री उपधारा 2 के खण्ड ख में अंतर्विनिष्ट किसी सीमा के होते हुए भी 31 मार्च 2017 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए ऊर्जा विभाग की कंपनियों के वित्तीय पुनर्निर्माण के लिए उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना, उदय, के अधीन उधारों को राज्य की शुद्ध उधार लेने की सामान्य अनुज्ञेय अधिकतम सीमा के विरुद्ध संगणित नहीं किया जाएगा, मतलब अधिकतम जो इनकी सीमा है.
सभापति महोदय-- माननीय तिवारी जी, बहुत से सदस्यों को बोलना है इसलिए कृपया संक्षिप्त करें. मैं आपको टोकना नहीं चाह रहा था पर समय सीमा है. कृपया एक मिनट में अपनी बात समाप्त करिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- सभापति जी, मेरा यह कहना है कि जो ये अपने बजट को संतुलित करने के लिए एक राशि, अब मुझे टेक्नीकली यह नहीं मालूम है कि आपने अपने बजट में रखा है, यह कंसोलिडेटेड फण्ड जो आप बाद में ले आएँगे, उसके अंदर इसको रखेंगे कि यह बाहर चला गया. राज्य की अब यह राशि रह नहीं गई. आप यह भी कह सकते हों कि हमने केन्द्र से परमीशन ले आए. हालाँकि केन्द्र की परमीशन का जिक्र आपने अपने बजट भाषण में किया नहीं है, तो मेरा यह कहना है कि यह जो एफआरबीएम एक्ट को हमारी मध्यप्रदेश की सरकार ने फुटबॉल बना दिया है. जब मन आता है, जैसा मन आता है, उसमें संशोधन कर, करके और यह प्रदेश के लोगों को और केन्द्र की सरकार को भी यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि हमारा जो बजट है वह नियंत्रित है और केन्द्र सरकार एवं सामान्य मापदण्डों के अन्दर ही हमने अपना बजट बनाया है. सभापति जी, मेरा यह भी कहना है कि रेवेन्यू सरप्लस की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं. यह देखिए कि हमारे राज्य की वास्तविक स्थिति है क्या, आज हमारा रेवेन्यू सरप्लस जो है 262.55 करोड़ रुपया रह गया है, यह हमारे राज्य की स्थिति है, जो 2016 और 2017 में 3,769 करोड़ रुपये था, इस राज्य का, 3,769 करोड़ रुपये जो था वह आज रह गया 262, आगे भी मेरा कहना है, सभापति महोदय, इसके बाद आया 2017-18 तब आ गया यह 4,596 करोड़, फिर इसके आगे बढ़ा जाए, गत वर्ष यह आ गया, 575 करोड़ और आज हमारे पास सरप्लस केवल 262 करोड़, हम किस दिशा में बजट ले जा रहे हैं. सभापति जी, मेरा एक और कहना यह है कि किसानों की बढ़चढ़ कर बात की गई है. इसमें यह कहा गया है कि 5 साल में हम किसानों की आय को दोगुना कर देंगे.
"राज्य सरकार किसानों की आय 5 वर्षों में दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है" यह 5 वर्ष कौन से हैं ? 14 वर्ष से आपकी सरकार है. आप और आपके मंत्रीगण, सत्तापक्ष के विधायक 14 वर्ष की बात करते हैं और बजट भाषण में आप 5 वर्ष ले रहे हैं. यह कौन से 5 वर्ष हैं जो बीत गए या जो आने वाले हैं ? बजट में जो स्वर्ग दिखाया गया है यह मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री जी ने किसानों को पागल बनाने का काम किया है. पिछले 14 वर्ष की गिनती नहीं है किसानों के हित दोगुना करने के लिए आगामी 5 वर्ष की गिनती कर रहे हैं. किसान की बात की जा रही है यह बड़ा गंभीर मसला है मैंने विधान सभा में इसे आधे घंटे की चर्चा में भी उठाया था.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--माननीय तिवारी जी इसमें जो 200 रुपए बोनस दिया है वह पिछले वर्ष के गेहूं का दिया गया है. यह लगता है आपने ध्यान पढ़ा या देखा नहीं है.
सभापति महोदय--उनको अपनी बात कहने दीजिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--बोनस की बात नहीं आई है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी---- तिवारी जी, वह भी तो बजट का ही हिस्सा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--नहर के लिए किसानों की जमीन ली जा रही है, रोड बनाने के लिए किसानों की जमीन ली जा रही है, नेशनल हाई-वे बनाने के लिए किसानों की जमीन ली जा रही है. नया लेंड एक्वीजीशन एक्ट बना उसमें जमीन की कीमत चार गुना देने का प्रावधान है. राज्य सरकार दोगुना देने के लिए भी तैयार नहीं है. लंबी-लंबी छू-मंतर योजना की बात करते हैं. भावान्तर योजना की बात करते हैं. अगर यह किसान हितैषी सरकार है तो यह स्वीकार करे कि चाहे नेशनल हाइ-वे के लिए किसानों की जमीन ली जाए, चाहे नहर के लिए जमीन ली जाए. अन्य राज्यों की तरह और केन्द्र सरकार के मार्गदर्शन पर मध्यप्रदेश के किसानों को भी वह राशि उपलब्ध कराई जाएगी. यहां माननीय वित्त मंत्री जी घोषणा करें. वित्त मंत्री जी सिर हिला रहे हैं कि हम नहीं देंगे किसानों को..(व्यवधान)
सभापति महोदय--तिवारी जी आपकी बात आ गई है, बैठ जाइए.
डॉ. कैलाश जाटव--सभापति महोदय, आपकी आज्ञा का पालन नहीं हो रहा है.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)-- सभापति महोदय, वर्ष 2018-19 के आय व्ययक के लिए 2 लाख 4 हजार 464 करोड़ रुपए का बजट माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत किया गया है. इस बजट में समस्त विभागों के लिए अलग-अलग फण्ड प्रस्तावित किया गया है परन्तु कृषि के लिए माननीय वित्त मंत्री जी ने इस बजट में 37,498 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है. यह गत वर्ष की तुलना में कई गुना अधिक है. 3650 करोड़ रुपए मुख्यमंत्री कृषक योजना के लिए आवंटित किए गए हैं. 2 हजार करोड़ रुपए प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए कृषि विभाग में दिए गए हैं. विपक्ष भावान्तर योजना को छू-मंतर योजना बता रहा है उस भावान्तर योजना के लिए 1 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान वित्त मंत्री जी द्वारा कृषि विभाग के तहत ही किया गया है. मैं कह सकता हूँ कि मध्यप्रदेश सरकार के जितने भी विभाग हैं उसमें कृषि विभाग बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी जयंत मलैया जी को बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूँ कि सबसे अधिक प्रावधान कृषि के लिए, किसानों के लिए आपने किया है. कृषक होने के नाते मैं आपको धन्यवाद देता हूँ.
सभापति महोदय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग भी गांव से जुड़ा हुआ विभाग है. इसमें 18164 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. जिसमें से 6600 करोड़ रुपए का प्रावधान प्रधानमंत्री आवास बनाने के लिए किया गया है जिसमें से वर्ष 2017-2018 तक हमारी सरकार द्वारा 7 लाख 56 हजार आवास स्वीकृत कर दिए गए हैं. 2 हजार 5 सौ करोड़ रुपए का प्रावधान प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा किया गया है साथ में 2 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए किया गया है. 622 करोड़ रुपए का प्रावधान प्रधानमंत्री सड़क योजना से निर्मित सड़कों का नवीनीकरण और उन्नयन के लिए किया गया है. 5 सौ करोड़ रुपए मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए प्रावधानित किया गया है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के लिए. ऊर्जा विभाग मध्यप्रदेश शासन का बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है इसमें 17 हजार 7 सौ 97 करोड़ रुपए का प्रावधान इस बजट में माननीय वित्त मंत्री द्वारा किया गया है. 6 हजार 25 करोड़ रुपए का प्रावधान सब्सिडी योजना के लिए किया गया है. 4 हजार 622 करोड़ रुपया जो अभी उदय योजना अंतर्गत बिजली वितरण कंपनियों के लिए किया गया है. 3 हजार 186 करोड़ रुपए 5 एच.पी. के नि:शुल्क गरीबों के कनेक्शन के लिए और एकबत्ती कनेक्शन के लिए 3 हजार 186 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. ऊर्जा विभाग के अंतर्गत 6 सौ 53 करोड़ रुपए मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना के लिए प्रावधान किया है. सभापति महोदय, हम जानते हैं कि इसके पहले यदि किसी कृषक को ट्रांसफार्मर स्थापित करवाना पड़ता था तो 3 लाख, 4 लाख रुपए स्वयं की जेब से देने के बाद वह ट्रांसफार्मर स्थापित होता था लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा मुख्यमंत्री स्थाई कृषि पम्प कनेक्शन योजना के अंतर्गत यदि 1 हेक्टेयर या उससे कम भूमि है तो मात्र 27 हजार 5 सौ रुपए जमा करने के बाद अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के व्यक्ति का उसमें ट्रांसफार्मर स्थापित हो जाएगा. पिछड़े वर्ग के लिए भी 1 हेक्टेयर में प्रावधान है. ऐसे कृषक जिनकी जमीन 1 हेक्टेयर से अधिक है उनको 37 हजार 5 सौ रुपए जमा करने पर उनका ट्रांसफार्मर 25 एच.पी. का स्थापित हो जाएगा और 2 लाख 50 हजार रुपए प्रत्येक ट्रांसफार्मर सरकार की ओर से उस किसान को दिए जाते हैं ताकि पूरे पोल खड़े करके, तार खडे़ करके उसका 25 एच.पी. का ट्रांसफार्मर स्थापित किया जाता है. मुख्यमंत्री कृषि स्थाई पम्प कनेक्शन योजना कृषकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है.
माननीय सभापति महोदय, शिक्षा विभाग, 21 हजार 724 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है जिसमें से सर्वशिक्षा अभियान के लिए 31 हजार 9 करोड़ रुपए का प्रावधान इस बजट में किया गया है. 3 हजार 89 करोड़ रुपए जो हमारे ग्रामीण अंचल में प्राथमिक शालाए हैं उनके रख रखाव के लिए, उनके भवन बनाने के लिए अन्य कार्यों के लिए प्रावधान किया गया है. 19 हजार 13 करोड़ रुपए माध्यमिक शिक्षा भवन और अन्य कार्यों के लिए भी इस बजट में शिक्षा के लिए प्रावधान किया गया है. 1402 करोड़ रुपए हायर सेकेण्डरी शालाओं के लिए प्रावधान किया गया है. 750 करोड़ रुपए मुख्यमंत्री शिक्षा अभियान के लिए प्रावधान किया गया है. 5 सौ करोड़ रुपए अशासकीय शालाओं को जो अशासकीय शालाएं हैं जो पूरे मध्यप्रदेश में टीचिंग का कार्य करते हैं उनको अनुदान के लिए इस शिक्षा के लिए 5 सौ करोड़ रुपए का प्रावधान माननीय वित्त मंत्री महोदय द्वारा किया गया है. 121 करोड़ रुपए नि:शुल्क पाठ्य सामग्री को वितरण करने के लिए भी शिक्षा विभाग के लिए किया है. लोक निर्माण विभाग यह शासन का बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है इसमें 8 हजार 779 करोड़ रुपए का प्रावधान इस बजट में वित्तमंत्री जी द्वारा किया गया है. सभापति महोदय, हमने देखा है कि पहली बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने शिवराज सिंह जी की सरकार ने जिला मार्ग बनाने के लिए 5 हजार 139 किलोमीटर सड़कों के निर्माण के लिए एम.डी.आर. घोषित किया गया जो तहसील से सीधे जिलों को जोड़ने वाली रोड हैं जिसको हम एम.डी.आर. रोड कहते हैं. राज्य के जो स्टेट हाई-वे होते हैं उसके लिए 3 हजार 7 सौ 78 करोड़ को सैद्धांतिक स्वीकृति सरकार की ओर से दी जा चुकी है. साथ में सभापति महोदय, इस बजट में एक हजार करोड़ रूपये MPRDC को दिए गए है. प्राय: MPRDC की चर्चा सड़कों को नार्म्स के तहत नहीं बनाने के लिए होती है. नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग में कुल बजट 11 हजार 9 सौ 32 है उसमें से 17 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान ''Housing For All'' के लिए किया गया है. 9 सौ 35 करोड़ रूपये का प्रावधान ''अमृत योजना'' के लिए किया गया है और 7 सौ करोड़ रूपये का प्रावधान Small City के लिए किया गया है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए 5 हजार 689 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. जल संसाधन विभाग के लिए 7 हजार 30 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, सिंचाई और बिजली के कारण हमारा प्रदेश बहुत आगे गया है. जब वर्ष 2003 में मैं पहली बार विधायक चुन कर आया था तब 7 हजार 5 सौ लाख हेक्टेयर पर सिंचाई की व्यवस्था थी और आज 40 लाख हेक्टेयर से अधिक पर सिंचाई हो रही है. बिजली के क्षेत्र में कहूंगा कि उस समय 6 हजार मेगावॉट बिजली थी और आज 18 हजार मेगावॉट से अधिक है. बिजली और सिंचाई में बहुत ही बड़ा कार्य इस सरकार द्वारा किया गया है. मैं आपके माध्यम से एक बार पुन: वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने कृषि के लिए बहुत ही अच्छा बजट दिया है. धन्यवाद.
कुँवर सौरभ सिंह सिसोदिया (बहोरीबंद)- माननीय सभापति महोदय, मैं बजट पर अपनी बात रखने के लिए खड़ा हुआ हूं. लगभग 5 हजार प्रश्न इस विधान सभा में लगे हैं और ये साबित करते हैं कि हमारा बजट और व्यवस्था कहां जा रही है? माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2004-05 में 3.48 प्रतिशत, हमारा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में हिस्सा था. तब हमारे पास लगभग 20 हजार करोड़ रूपये का कर्ज था. आज वर्ष 2017-18 में 3.84 प्रतिशत हो गया है और हम पर लगभग 1 लाख 70 हजार करोड़ का कर्ज है.
माननीय सभापति महोदय, बजट और स्कूल लगभग एक सा होता है. यदि एक कक्षा में 45 बच्चे पढ़ रहे हों और स्कूल का अध्यापक कक्षा के टॉपर के हिसाब से पढ़ाये तो शेष औसत 44 बच्चों के हिसाब से पढ़ाई नहीं हो पायेगी. यही हमारे बजट का सबसे बड़ा दुष्परिणाम है कि हमारा बजट कुछ खास लोगों के लिए बन रहा है और कुछ खास लोगों के उपयोग में ही आ रहा है अर्थात् जिस तरह कक्षा में 44 बच्चे बिना फायदे के रह रहे हैं उसी तरह हमारे बजट से इस सदन के बाहर की जनता को लाभ नहीं मिल पा रहा है.
माननीय सभापति महोदय, हम पांच बार ''कृषि कर्मण पुरस्कार'' प्राप्त कर चुके हैं और लगभग पांच किसान मंदसौर में मारे गए हैं. वहां जलियांवाला बाग हत्याकांड की तरह ही हुआ. वर्ष 2016 की खरीफ की फसल-बीमा का लाभ हमारे कटनी जिले तक नहीं पहुंचा है. हम लोग ''Soil Health Card'' की बात कर रहे हैं लेकिन हमारे पास न लैब है और न ही प्रॉपर टेक्नीशियन हैं. हम Green Manure पर जोर न देकर रासायनिक खादों को बढ़ावा दे रहे हैं. हम प्रति हेक्टेयर खाद को बढ़ाते जा रहे हैं. भविष्य में इसके दुष्परिणाम पंजाब और हरियाणा की तरह हमें भी देखने पड़ेंगे.
माननीय सभापति महोदय, यदि हम खेती की बात करे तो इस बार हमने 3 हजार 6 सौ 50 करोड़, 2 हजार करोड़, 9 हजार 2 सौ 78 करोड़ इस तरह लगभग 14 हजार 9 सौ 28 करोड़ का कृषि के लिए प्रावधान किया है और बजट के बिंदु क्रमांक 67 में नगरीय विकास के लिए हमने 11 हजार 9 सौ 32 करोड़ का प्रावधान किया है. मैं यह जानना चाहूंगा कि बार-बार हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी, किसान पुत्र होने की बात करते हैं लेकिन केवल 14 हजार 9 सौ 28 करोड़ रूपये किसानों के लिए और 11 हजार 9 सौ 32 करोड़ रूपये शहरों के उत्थान के लिए. मैं जानना चाहता हूं कि हम किस तरह किसानों का सहयोग करने वाले हैं ?
माननीय सभापति महोदय, ''शून्य प्रतिशत का ब्याज''. लगातार सत्तापक्ष का हर विधायक कह रहा है कि शून्य प्रतिशत का ब्याज मिला है लेकिन मुझे, मेरे जिले में एक भी ऐसा किसान नहीं मिला जिसे शून्य प्रतिशत का ब्याज मिला हो और एक लाख रूपये लेकर 90 हजार रूपये लौटाये हों. अगर किसी के पास ऐसा कोई एक नाम हो तो मैं जानना चाहूंगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान- यह खेती के लिए खाद और दवाइयों पर है.
कुँवर सौरभ सिंह सिसोदिया- माननीय सभापति महोदय, दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में हम देश में तीसरे स्थान पर हैं. हमें इस क्षेत्र में गुजरात से सीखना चाहिए लेकिन हम नहीं सीख रहे हैं. गुजरात में दुग्ध के क्षेत्र में को-ऑपरेटिव्ह में काम हो रहा है. माननीय सभापति महोदय, सिंचाई के क्षेत्र में यहां बात की जा रही है. मैं बताना चाहूंगा कि हमारे यहां एन.वी.डी.ए. की एक टनल जा रही है लेकिन पता नहीं कब सुरंग खुदेगी, कब पानी आयेगा ? पूरे रीवा संभाग के लिए वहां से पानी जाना है. हर बार मूल्य वृद्धि के साथ हम समय वृद्धि कर रहे हैं परंतु अभी तक जहां का तहां काम पड़ा हुआ है. हमारे यहां सिंचाई का कोई साधन नहीं है. आप मध्यप्रदेश के किसानों की तुलना महाकौशल और मालवा के किसानों से कर रहे हैं. हमारे यहां का 20 एकड़ का किसान अगर 6 महीने मजदूरी न करे तो उसका पेट नहीं चले और मालवा के जमीन से हमारे किसानों की तुलना की जा रही है. माननीय यह बजट के हिसाब से बिल्कुल भी बराबर नहीं है.
सभापति महोदय, आपने अटल ज्योति योजना तो चालू कर दी, जिसमें कहा गया है कि राजस्व ग्रामों में 24 घरेलू और 10 घंटे कृषि में बिजली दी जायेगी.परन्तु आधे से ज्यादा जगहों में फीडर सेपरेशन नहीं हुआ है और योजना चालू करने का उद्देश्य वास्तव में किसानों के लिये, गांवों के लिये कितना हो पा रहा है. बजट का तो हम प्रावधान कर दे रहे हैं. माननीय एक छोटी से कहानी है- '' एक लखनऊ के नवाब थे, उनकी आदत थी वह रोज दो किलो दूध पीते थे और अफीम खाकर सो जाते थे, तो उनका नौकर रात को दूध में आधा पाव पानी मिला देता था और आधा पाव दूध निकालकर खुद पी जाया करता था. उनको एक दिन ऐसा महसूस हुआ कि उनके दूध में कुछ पानी मिल रहा है तो उन्होंने उसके ऊपर एक और आदमी रखा, जब वह आदमी आया तो उसने कहा कि भाई मेरा भी हिस्सा चाहिये, उसने भी एक किलो अपना पानी मिला लिया. अब नवाब साहब एक किलो दूध और एक किलो पानी पीकर सोने लगे तो उन्होंने बाहर से एक बड़ा सीए बुलाया और बोला कि यह कम से कम इस दूध पर नजर रखेगा कि हमारे पास दूध पहुंचे तो सीए ने बोला कि मेरा हिस्सा क्या रहेगा ? इन लोगों ने बोला कि अब इसमें पानी मिलाया जायेगा तो नवाब को पता चल जायेगा तो सीए ने बोला की इसकी मूछ में मलाई लगा दो, सुबह उठेगा तो अफीम खाकर तो वैसे ही सोता है. इसलिये आप हमारे देश की जनता को नवाब बनाकर रखे हुए हैं. हर जगह हिस्सा कटता-कटता जा रहा है.
माननीय सभापति महोदय, बहादुर सिंह जी का वर्ष 8 दिसम्बर, 2017 को एक फुड पाइजनिंग का प्रश्न आया था, प्रश्न क्रमांक था-3175, जिसमें यह कहा जा रहा था कि फुड पाइजनिंग के बारे में जानकारी एकत्रित की जा रही है.मतलब हमारी सरकार कितनी संवेदनशील है कि कितने कड़े निर्णय जहां पर लेने चाहिये वहां पर भी, जानकारी एकत्रित की जा रही है. हमारा पूरा पठार का क्षेत्र है पेयजल की व्यवस्था रायजर पाईप, जैसा यादवेन्द्र भाई साहब कह रहे थे कि पीने की समस्या है, वहां लगभग 4-5 किलोमीटर दूर से पानी लाया जा रहा है.
माननीय ऐसा कहा जा रहा है कि 2 अक्टूबर, 2018 तक पूरे शौचालय बन जायेंगे और शौचमुक्त किया जाना है. 12 हजार रूपये में कलेक्टर दबाव बनाकर शौचालय बनवा रहे हैं नहीं तो उनके फूड कूपन में उनको खाना नहीं मिल रहा है. शौचालय में एक फीट का गड्डा होता है, वह सिर्फ कंडा रखने के काम में आ रहा है. रिकार्डस् में हमारे यहां पर शौचालय बन रहे हैं. परन्तु वास्तविकता में कहीं उपयोग नहीं हो रहा है.
सभापति महोदय:- सौरभ सिंह जी, आप समाप्त करिये.बहुत से सदस्य बोलने वाले हैं, समय-सीमा है. कृपया समाप्त करिये. दो मिनट में अपनी बात समाप्त करिये.
कुंवर सौरभ सिंह सिसोदिया:- आप कह रहे हैं कि पूरे शहरों को शौच मुक्त कर दिया है. जबकि आप हमारे कटनी या अन्य शहरों को देख सकते हैं. सभापति महोदय, छात्रवृत्ति घोटाला हो, रोजगार के आंकड़ें बता रहे हैं कि कहीं पर रोजगार नहीं मिल रहा है. आपकी फार्म की फीस इतनी है कि आप पांच भर्तियां करते हैं, पांच हजार आवेदन आते हैं. आप उन बेरोजगारों से इतना पैसा ले रहे हैं, जबकि केन्द्र की स्कीम है, जहां पर कुछ नहीं ले रहे हैं. लोगों को मनरेगा का काम नहीं मिल रहा है, लोग पलायन कर रहे हैं. लोगों को फुड कूपन नहीं मिल रहे हैं. पुलिस में पुलिस का ग्रेड पे-1900 रूपये का है और अन्य राज्यों में 2000 रूपये का है.
सभापति महोदय:- सौरभ सिंह जी, समाप्त करें. समय का अभाव है, काफी सदस्यों को बोलना है.
श्री अजय सिंह:- सभापति महोदय, बोलने दें, बोलने के लिये सदस्य कम हैं.
सभापति महोदय:- नहीं, सभी सदस्य हैं, जिनको बोलना है.
कुंवर सौरभ सिंह सिसोदिया:- सभापति महोदय, धन्यवाद्.
श्री गोविन्द सिंह पटेल(गाडरवारा):- माननीय सभापति महोदय, मैं वर्ष 2018-19 का जो बजट माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत किया गया है, मैं उसकी प्रशंसा करता हूं.इस बजट में हर वर्ग का ध्यान रखा है और हर क्षेत्र का ध्यान रखा है. लगातार 2003 से प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार में है, प्रतिवर्ष प्रदेश के विकास के लिये काम किया है और इन वर्षों और ज्यादा किसानों के लिये, हर वर्ग के लिये ध्यान दिया है. अभी जो इस बजट में और जो व्यवस्थाएं की हैं, मैं कृषि क्षेत्र की बात करना चाहता हूं, कृषि क्षेत्र में सिंचाई सुविधा में विस्तार, पंपों में आवश्यकता अनुसार बिजली और उपज के वाजिब मूल्य किसानों को मिलना, उससे किसानों की कृषि विकास दर में वृद्धि हुई है, उसके फलस्वरूप लगातार प्रदेश को पांच वर्षों से कृषि कर्मण पुरस्कार मिल रहा है. सरकार का किसान की आय आगामी वर्षों में पांच गुना करने का लक्ष्य है, उसके लिये सरकार प्रतिबद्ध है और उसके लिए काम भी कर रही है. आज हर क्षेत्र में एवं कृषि क्षेत्र में जो सरकार ने प्रगति की है, उसके लिए कुछ दिक्कतें भी आईं कि अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में जो कृषि उपज के रेटों में गिरावट आई, उससे हमारे बाजार भी अछूते नहीं रहे और हमारे यहां भी बाजारों में कृषि उपज के रेटों में कमी आई, उसके लिए सरकार ने व्यवस्था की है. पहले तो हमने पिछले वर्ष मूल्य स्थिरीकरण कोष स्थापित किया, उसके तहत हमने कुछ उपजों को खरीदा. 1,000 करोड़ रुपये के मूल्य स्थिरीकरण की व्यवस्था की और हमने मूंग 5,225 रुपये और तुअर 5,050 रुपये में खरीदी और प्रदेश में पूरी व्यवस्था करके तथा प्रशासनिक मशीनरी ने मेहनत करके एक-एक दाना तुअर और मूँग का एक-एक दाना खरीदा. इसके बाद अभी खरीफ की फसलों में सरकार ने भावांतर योजना लागू की एवं समर्थन मूल्य और तीन प्रदेशों के मॉडल रेट लिए, उसका जो अन्तर होगा, वह किसान के खाते में देने की व्यवस्था की. जिसमें खरीफ की मूँग, उड़द, सोयाबीन, तुअर और मक्का इन फसलों को रखा गया और अब रबी की फसल में चना, मसूर और सरसों इन फसलों को रखा गया है, जिनका रजिस्ट्रेशन हो रहा है, उनकी खरीदी भी सरकार करेगी तो भावांतर योजना के तहत 15 लाख किसानों को जो पिछले वर्ष सम्मिलित हुए थे, 28 लाख मीट्रिक टन उपज का इसमें क्रय किया गया और 10.50 लाख किसानों के खाते में 1,500 करोड़ रुपये की राशि सन् 2018-19 में जमा की और 1,000 करोड़ रुपये का और प्रावधान किया है. प्याज उत्पादक किसानों के लिए भी सरकार ने उद्यानिकी भावांतर योजना लागू की है, उसके लिए 250 करोड़ रुपये का प्रावधान सरकार ने किया है.
सभापति महोदय, सन् 2003-2004 में खाद का उपयोग हमारे यहां 49.44 किलोग्राम था, जो आज सन् 2017-2018 में 70.35 किलोग्राम हो गया है. सन् 2017 में डीटीपी के उपयोग में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो कृषि में उत्पादन वृद्धि का कारण है और पोटाश में भी 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. किसान कल्याण विभाग के लिए सरकार ने इस वर्ष 9,278 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो पुनरीक्षण अनुमान से 87 प्रतिशत अधिक है, उद्यानिकी का विस्तार हो, खाद्यान्न के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों का विस्तार हो, इसके लिए भी सरकार ने उद्यानिकी फसलों में खासकर भण्डारण की दिक्कत होती थी, भण्डारण की उपज सही नहीं मिल पाती थी. भण्डारण हेतु 5 लाख मैट्रिक टन की क्षमता के शीतगृहों के निर्माण का सरकार के पास लक्ष्य है, उसके विरुद्ध 3.32 लाख मैट्रिक टन क्षमता विकसित हो चुकी है और विगत 2 वर्षों में प्याज भण्डारण का 5 लाख मैट्रिक टन बढ़ाने के लक्ष्य के विरुद्ध 1.70 लाख मैट्रिक टन के भण्डार गृह का निर्माण हो चुका है और 2.75 लाख मैट्रिक टन क्षमता की जो योजना है, वह निर्माणाधीन है. उद्यानिकी विभाग की योजनाओं के लिए सरकार द्वारा 1,198 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो कि सन् 2017-18 की पुनरीक्षण अनुमान से 46 प्रतिशत अधिक है.
सभापति महोदय, सहकारिता के क्षेत्र में, जो हमें अल्पकालीन ऋण मिलते थे, उनकी 28 मार्च को ड्यू डेट होती थी लेकिन 28 मार्च में किसानों की उपज नहीं आ पाती थी और वे ड्यू डेट पर उसका भुगतान नहीं कर पाते थे, जिससे वे डिफाल्टर की स्थिति में आ जाते थे. उस ड्यू डेट को बढ़ाकर 27 अप्रैल किया गया है, जो सरकार का एक बहुत अच्छा कदम है क्योंकि 27 अप्रैल तक किसान के पास अपनी उपज की धनराशि आ जायेगी तो वह उससे जमा कर देगा, उससे वह डिफाल्टर होने की स्थिति से बच जायेगा. सरकार इस बजट से जो समाधान योजना लाना चाह रही है, इसमें उसके लिए प्रावधान किया गया है. समाधान योजना में जो किसान डिफाल्टर हो चुके हैं, उनका ब्याज सरकार माफ करके उसके मूलधन को आसान किश्तों में वसूल करेगी और उन किसानों को नये ऋण की पात्रता 'जीरो प्रतिशत' के नये ऋण की पात्रता से मिलेगी क्योंकि वे डिफाल्टर नहीं कहलाएंगे, उस योजना के लिए भी सरकार ने इसमें व्यवस्था की है. उन किसानों को समाधान योजना में रेग्यूलर कैसे किया जाये ? उसके लिए 350 करोड़ रुपये का प्रावधान है. सहकारिता विभाग की पूरी योजनाओं के लिए इस बजट में हमारे वित्त मंत्री जी ने 1,627 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो एक सराहनीय कदम है.
माननीय सभापति महोदय, हमारा प्रदेश में पशुपालन विभाग दुग्ध उत्पादन में पूरे देश में तीसरे नंबर पर है. इस प्रकार पशुपालन विभाग भी एक महत्वपूर्ण विभाग है और इसमें भी सरकार की कई ऐसी प्रोत्साहन योजनायें हैं. इसी प्रकार उत्तम नस्ल के पशुओं के प्रति रूझान बढ़े इसके लिये ब्लॉक स्तर पर भी एक प्रतियोगिता आयोजित की जाती है, जिला स्तर पर भी प्रतियोगिता आयोजित की जाती है, प्रदेश पर भी एक प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. इस प्रतियोगिता में प्रथम,द्वितीय और तृतीय स्थान पर जो पशु दुग्ध उत्पादन में आते हैं, उनको एक पुरस्कार दिया जाता है, इस प्रकार तीनों स्तर पर यह योजना चलाई जाती है. सरकार ने पशुपालन विभाग की योजनाओं के लिये 01 हजार 38 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है.
माननीय सभापति महोदय, ऊर्जा क्षेत्र का भी एक बहुत बड़ा महत्व कृषि विकास के क्षेत्र में या कृषि आगे अच्छी स्थिति में आई है उसमें ऊर्जा क्षेत्र का बहुत बड़ा योगदान है. 2003-04 में हमारे पास सिर्फ 5173 मेगावाट बिजली थी, जबकि उस समय बिजली का बहुत हाहाकार था, मात्र दो तीन घंटे बिजली ही कहीं मिल पाती थी और गांवों को मुश्किल से आठ घंटे बिजली मिलती थी. आज हमारे पास 18364 मेगावाट बिजली है, यह बिजली का रिकार्ड उत्पादन है. आज हम गांवों को 24 घण्टे बिजली दे रहे हैं और खेतों को दस घण्टा बिजली दे रहे हैं, जिससे हमारा कृषि उत्पादन बढ़ा है.
माननीय सभापति महोदय, नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में एक व्यवस्था 3823 मेगावाट बिजली की हुई है एवं 10 हजार 9 सौ मेगावाट क्षमता निमार्णाधीन है. सरकार ने नवकरणीय ऊर्जा में भी काम किया है. 2003 में हमारे पास उच्च दाब के सिर्फ 162 सब स्टेशन थे, आज 339 सब स्टेशन उच्च दाब के हैं, 33 के.वी. के हमारे पास 1800 केंद्र थे, आज हमारे 3553 केंद्र हैं. हमारे पास वितरण ट्रांसफार्मर जो किसानों के खेतों में लगते थे, वह 1 लाख 68 हजार 346 थे. आज हमारे यहां हैं 6 लाख से ऊपर वितरण ट्रांसफार्मर हैं. सरकार ने विद्युत अधोसंरचना हेतु 83 हजार 816 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है.
माननीय सभापति महोदय, हमारे यहां 2003 में 10 लाख सिंचाई पंप थे, किंतु उनकी संख्या बढ़ी है और आज हमारे यहां पर 27 लाख सिंचाई पंप हैं. अस्थाई कनेक्शनों को स्थाई करने के लिये मुख्यमंत्री स्थाई पंप कनेक्शन योजना सरकार ने चलाई है, जिससे एक वोल्टेज की समस्या का समाधान मिलेगा. इस योजना की किसानों ने बहुत सराहना की है. इस प्रकार सरकार सभी के खेतों तक बिजली की व्यवस्था कर रही है. माननीय सभापति महोदय, आपने बोलने का मौका दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री गिरीश भण्डारी(नरसिंहगढ़) - माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बजट पर बोलने का मौका दिया उसके लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. हमारा प्रदेश कृषि प्रधान है और ज्यादातर हमारी पूरी अर्थव्यवस्था खेती पर निर्भर होती है. अभी जैसा कि भावांतर के बारे में बहुत सारी चर्चाएं हो रही थीं और हमने जैसा सुना था कि मुख्यमंत्री ने भावांतर भुगतान योजना के लिये किसानों का एक सम्मेलन भोपाल में बुलाया और उनके एक क्लिक द्वारा सभी किसानों के खातों में पैसा पहुंच गया, लेकिन दिसंबर की जो फसल किसानों ने बेचीं थी, मार्च बीत जाने के बाद भी अधिकांश किसानों के खातों में आज तक भावांतर भुगतान योजना का पैसा नहीं पहुंचा है. मेरे एक विधानसभा के प्रश्न के जवाब भी में भी यह बताया गया है कि मेरे यहां की खुद दो तीन मण्डियां हैं, उनमें अभी तक 50 प्रतिशत से अधिक किसानों के खातों में अभी तक भावांतर भुगतान योजना का पैसा नहीं पहुंचा है.
माननीय सभापति महोदय, आज चूंकि ग्रामों में पीने की पानी की समस्या काफी आ रही है. मुझे नहीं लगता है कि पेयजल के लिये जो लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में बजट प्रावधान किया गया है, वह पर्याप्त होगा क्योंकि आज पूरे प्रदेश में पानी का जो वॉटर लेविल है, वह काफी नीचे चला गया है. मेरा इसमें एक सुझाव भी है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जो बोर करता है, जो पानी और पेयजल के लिये मशीनों से बोर किये जाते हैं, वह साढ़े चार, पांच इंच के किये जाते हैं, लेकिन वॉटर लेविल नीचे चला गया है. इसलिए जरूरत इस बात की है कि जो बोर साढ़े चार, पांच इंच के किये जाते हैं, वह आठ इंच के बोर किये जायें. अगर उन बोरों में 150 से 200 फीट तक पानी नहीं निकले और इसकी बजाये 400 से 500 फीट तक पानी निकलता है तो हम उसमें अच्छी मोटर डालकर पेयजल की व्यवस्था कर सकते हैं. अभी मेरे क्षेत्र में 2-4 बोर में 450 फीट में पानी निकला और वे बोर साढ़े चार-पांच इंच के बोर हैं, अब उसमें छोटी मोटरें जो पीएचई विभाग द्वारा दी जाती हैं उन मोटरों से पानी नहीं निकल पाता है इसलिए वे बोर बेकार हो जाते हैं. मेरा सुझाव है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग इस पर ध्यान दें, क्योंकि हमारे यहां का जल स्तर काफी नीचे चला गया है. पंचायत ग्रामीण विकास विभाग ने भी एक आदेश निकाल दिया है कि 14 वें वित्त आयोग या अन्य किसी मद से वे पेयजल की व्यवस्था नहीं कर सकते हैं, जहां कुओं और हैण्डपम्पों में पानी नहीं हैं वहां कहीं दूर से पेयजल परिवहन कर व्यवस्था करनी चाहिए थी, लेकिन एक आदेश के तहत चाहे वे जनपद पंचायत के हो या जिला पंचायत के अधिकारी हो उन्होंने साफ कह दिया कि हमारे पास आदेश है कि हम पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से पेयजल की व्यवस्था के लिए कोई खर्च नहीं कर सकते हैं. इसके कारण भी गांवों में पेयजल की काफी समस्या आ रही है.
सभापति महोदय, युवा उद्यमी रोजगार योजना के तहत उद्योग विभाग द्वारा प्रकरण बनाए जाते हैं और प्रकरणों को जब बैंकों में भेजा जाता है तो बैंकों के द्वारा लोन देने में बहुत समय लगाया जाता है. शायद यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बैंकों के चक्कर लगाने में चप्पलें तक घिस जाती हैं, लेकिन बैंकों द्वारा लोन पास नहीं किया जाता. अगर लोन पास भी कर देते हैं तो अनऑथोराइज्ड रूप से बैंक इसके लिए गारंटी मांगते हैं और मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि इसकी गारंटी सरकार दे रही है, लेकिन धरातल पर यह स्थिति है कि बैंक बगैर गारंटी के युवा उद्यमी को कोई लोन पास नहीं करते हैं. हालत यह हो जाती है कि सब्सिडी के लिए भी हमें भोपाल के चक्कर लगाने पड़ते हैं. इस तरीके की व्यवस्था उद्योग विभाग में जो युवा उद्यमी रोजगार योजना के नाम पर चल रही है, उसमें काफी दिक्कत आ रही हैं. मैं प्रदेश की बात कर रहा हूं आज यहां पर युवा बेरोजगार के रूप में घूम रहे हैं, रोजगार के ऐसे कहीं कोई साधन उपलब्ध नहीं करवा पाए कि वहां युवा रोजगार कर सकें. मेरे क्षेत्र में एक इण्डस्ट्रीयल एरिया है पीलूखेड़ी वहां पर दो बड़ी यूनिट है एक हिंद सिनटैक्स और एक है ओसवाल डेनिम है, ओसवाल डेनिम की हालत यह है कि 6 महीने पहले से उनकी 6 यूनिट में से 2 यूनिट बंद पड़ी है. जब भी उनसे इसका कारण पूछा जाता है कि आपने 500-1000 लोगों को काम से निकाल दिया है, उनको वापस काम पर कब रखेंगे तो वे कहते हैं कि जी.एस.टी. और नोटबंदी के बाद हमारी फैक्ट्रियों में ताला लगाने जैसी स्थिति हो गई है, जिसके कारण आज पूरे प्रदेश में जो पढ़ा-लिखा युवा है उसको कहीं रोजगार नहीं मिलता. हमारे युवा को जो कि हमारे देश का भविष्य है उसको अगर रोजगार नहीं दे पाएंगे तो कहीं न कहीं बेरोजगार युवा गलत दिशा या गलत रास्ता अपनाने को मजबूर होता है. हमने अभी बजट में देखा सिंचाई विभाग में बड़े डेमों की तो बात की गई है, लेकिन मेरा यह मानना है कि अगर गांवों में जो छोटे नाले हैं, वे जिस स्थिति में हैं उनमें अगर छोटे चैक डेम, स्टाप डेम बनाएंगे तो गांवों में जल स्तर की जो समस्या आ रही है उसमें कहीं न कहीं फायदा मिल सकता है. मैं मानता हूं कि बड़े डेमो से बहुत बड़े क्षेत्र को फायदा मिलता है लेकिन बहुत सी जगह ऐसी होती है जहां कोई नदी नहीं होती है चूंकि सिंचाई विभाग ने साध्यता का एक पैमाना बना रखा है कि उसमें 200 हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी या इतना क्यूसेक पानी होगा तो ही स्टाप डेम बनाये जायेंगे लेकिन आवश्यकता इस बात की है कि वहां की परिस्थितियों को देखते हुये अगर चेक डेम और छोटे स्टाप डेम भी बनाये तो निश्चित रूप से पूरा प्रदेश जो पानी की समस्या से जूझ रहा है, कहीं न कहीं इस समस्या से निजात पा सकेगा.
माननीय सभापति महोदय, बिजली के बारे में कहना चाहूंगा कि अभी हमारे साथी आदरणीय पटेल साहब बता रहे थे कि बिजली की उपलब्धता प्रदेश में बढ़ी है लेकिन स्थिति यह है कि अभी भी जो 10 घण्टे और 24 घण्टे बिजली देने की बात सरकार की तरफ से की जा रही है वह सत्य नहीं है. मैं अपने ही विधानसभा क्षेत्र के बहुत सारे गांव का उदाहरण दे सकता हूं जहां पर आज भी 10 घण्टे से ज्यादा बिजली उपलब्ध नहीं हो पा रही है. अभी बच्चों की परीक्षा का समय है, बच्चों को परीक्षा की तैयारी करनी है लेकिन अभी भी कई गांव ऐसे हैं जहां पर 24 घण्टे सरकार बिजली उपलब्ध नहीं करवा पा रही है.
सभापति महोदय, अंतिम बात कहकर मैं अपनी बात समाप्त करूंगा कि गेहूं खरीदी का जो पंजीयन हुआ है उसमे गेहूं की खरीदी शुरू नहीं हो पाई है. किसान इतने दिनों तक इंतजार नहीं कर सकता है इसलिये वह अपना गेहूं खुली मंडी में, बाजार में 1500 -1600 रूपये में बेच रहा है. सरकार की तरफ से मंडी में तत्काल गेहूं की खरीदी शुरू कर दी जाये तो किसान को इससे फायदा हो सकेगा. सभापति जी आपने मुझे अपने बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री पन्नालाल शाक्य(गुना) -- माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2018-19 के आय व्ययक पत्रक पर अपने विचार प्रस्तुत करने के लिये मैं खड़ा हुआ हूं. मेरा सभी सदस्यों से निवेदन है कि जब मैं बोलूं तो कोई सदस्य बीच में टोका टाकी न करे. क्योंकि मैंने किसी के भी भाषण के बीच में एक शब्द भी नहीं बोला है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- सभापति महोदय आप इसके लिये आसंदी से निर्देश जारी दें .(हंसी)
सभापति महोदय- सभी समझदार हैं निर्देश जारी करने की आवश्यकता नहीं है. शाक्य जी आप अपनी बात रखें.
श्री पन्नालाल शाक्य -- सभापति महोदय, मैं शुरू कर ही रहा हूं. सभापति महोदय, इस सृष्टि में दो सत्ता हैं. एक को परमात्मा कहते हैं दूसरी को सरकार कहते हैं. यह दोनों अदृष्य हैं, दिखती नहीं हैं. लेकिन प्रदेश में सरकार शिवराज सिंह चौहान के रूप में दिख रही है. सरकार ने जो काम किये हैं वह लोकहितैषी, जनहितैषी और सर्वहितैषी हैं.
सभापति महोदय जी, विपक्ष का काम है आरोप लगाने का, इनकी संख्या तो सदन में पूरी रहती नहीं है, और आरोप लगा देते हैं. सबसे पहले तो विपक्ष को इस बात को सीखना चाहिये कि सदन में सबके सब उपस्थित रहें. अभी हमारे एक भाई अपने भाषण में कह रहे थे कि शिवराज सिंह जी की सरकार ने नर्मदा का पानी गुजरात में दे दिया. अरे आप से पूर्व के लोगों को भी यह मालूम था कि नर्मदा कोई ग्लेशियर से नहीं निकलती तो अपने पूर्वजों को आपने क्यों नहीं समझाया कि सतपुड़ा और विंध्याचल पर्वत के पेड़ मत काटो. क्यों नहीं रोका आपने ? अब आरोप लगा रहे हैं कि यह जंगल शिवराज जी ने कटवा दिया. शिवराज सिंह जी ने तो नर्मदा जी की यात्रा भर की है . नर्मदा मां की परिक्रमा की है. हम पेड़ लगा रहे हैं क्या ? नहीं लगा रहे हैं ? नर्मदा की यात्रा कैसी होती है लोग दाढ़ी नहीं बनवाते हैं, कटिंग नहीं बनवाते हैं , शिवराज सिंह जी का अनुसरण कर रहे है आपकी पार्टी के बड़े बड़े नेता.
सभापति महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि प्रदेश में कृषि के क्षेत्र में भी उपलब्धि हुई है. प्रदेश को पांच वर्ष तक लगातार कृषि कर्मण्य एवार्ड मिलने का गौरव भी मिला है.
सभापति महोदय, इसी तरह से मैं शिक्षा के बारे में कहना चाहता हूं कि कभी हमारे प्रदेश में शिक्षा के लिये विदेश से लोग पढ़ने के लिये आते थे तो वह किसी अंगूठा टेक के पास में पढ़ने नहीं आते थे, इन्होंने अंगूठा टेक शिक्षक निर्मित कर दिये.
2.27 बजे
सदन के समय में वृद्धि विषयक
सभापति महोदय-- आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 6 का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
2.28 बजे
वर्ष 2018-2019 के आय व्ययक पर सामान्य चर्चा (क्रमश:)
श्री पन्नालाल शाक्य -- सभापति महोदय, मैं अनुरोध कर रहा था कि इनकी सरकार ने संविदा शिक्षक, अतिथि शिक्षक तय कर दिये आप कल्पना करे कि उन स्कूलों में आप और हम अपने बालकों को शिक्षा के लिये भेजते हैं क्या ? नहीं भेजते ? तो फिर विपक्ष को यहां पर आलोचना नहीं करना चाहिये. माननीय शिवराज जी ने सभी अतिथि शिक्षकों को, संविदा शिक्षकों को अध्यापक घोषित कर दिया है. खेल के विषय में मुस्कान किरार ने राष्ट्रीय स्तर का अवार्ड प्राप्त किया है. सिंचाई में हम सुन ही रहे हैं कि इस-इस स्तर पर हमारी सिंचाई योजना प्रभावित हो गई है या विस्तार हो गया है. सड़कों की हालत तो कभी गड्डे में सड़क तो कभी सड़क में गड्डा ये देखते थे और प्रधानमंत्री जी ने जो सड़क योजना चालू की तो अब हम गुना से जब चलते हैं तो हमारी गाड़ी कहीं रूकती नहीं है, बिलकुल 3 घंटे में सनसनाती हुई भोपाल चली आती है, पहले 12-12 घंटे लग जाते थे, 18-18 घंटे, तो सड़कों का भी विस्तार हुआ है. नर्मदा सेवा यात्रा का तो मैं बता ही चुका हूं. अब प्रश्न एक आता है आदि शंकराचार्य जी की प्रतिमा, तो इस राष्ट्र को एकता के सूत्र में पिरोने के लिये माननीय शिवराज जी ने आदि शंकराचार्य जी की प्रतिमा स्थापित की, इसके पहले किसी ने की क्या ? नहीं की. राष्ट्र को एक सूत्र में लाने के लिये और ऐसे महापुरूष को आने वाले समय में लोग याद करें वह भी आवश्यक था. आवास व्यवस्था प्रदेश में चल रही है, शौचालय की व्यवस्था हुई है, स्वच्छता का क्रम भी चल रहा है. अब प्रश्न उठता है कि हम सरकार के ऊपर कितने प्रश्न खड़े करेंगे, सरकार कभी गलती नहीं करती है. उसके विषय में एक निवेदन करूंगा कि ''सांई जग में दो बड़े, एक दामोदर एक दाम, और दामोदर बैठे रहे, दाम करेगा सब काम'' तो भैया बजट का विरोध मत करो, अच्छी-अच्छी बातें करो. दूसरा एक और बता देता हूं कि हमसे अगर कोई गलती हो रही हो न तो उसको सुधार लेना और गलती यह हो रही है कि- ''कर्मस्थका, धर्मस्थका टका ही परम पदम और यस्य गृह नाश्ति टका टक टकाये दे''. हमारी हालत तो टका-टका में अटक रही है. उसको छोड़ दो और प्रदेश को आगे बढ़ाने की बात सोचो. डॉक्टर जो हमारे परिवार के हैं कहीं हमारा लड़का होगा, कहीं हमारी लड़की होगी, कहीं दामाद होगा, अस्पतालों में भेजना प्रारंभ तो करो, यह प्रश्न खड़ा मत करो कि यहां डॉक्टर नहीं है और वहां मशीन नहीं है और यहां पर एक्सरे मशीन नहीं है. हम मध्यप्रदेश की चिंता ही नहीं कर रहे, हम केवल अपनी चिंता कर रहे हैं कि हमारा लड़का डॉक्टर है, चल-चल तेरा यहीं ट्रांसफर करवा देते हैं, तुम प्राइवेट अस्पताल खोल लो, वह छोड़ो, वह उनसे छुड़वाओ और प्रदेश की सेवा करने का व्रत लो. माननीय सभापति जी, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, मैं आपका बहुत आभारी हूं.
श्री बाला बच्चन-- आपको सभापति जी ने बैठने का बोला ही नहीं. आप बिना बोले ही बैठ गये.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- बच्चन जी, उन्होंने अनुशासन का पालन किया है.
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी)-- माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय वित्तमंत्री जी के बजट भाषण पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र के संबंध में मैं यह कहना चाहूंगा कि मुख्यमंत्री भावांतर योजना में चना, मसूर तथा सरसों को सम्मिलित किया गया है, अन्य फसलें जिनकी प्रदेश में अधिकता है उसे शामिल न कर प्रदेश के किसानों के साथ छलावा किया गया है. किसानों के उत्पाद को सुरक्षित रखने के लिये किसानों के भण्डारण इत्यादि के लिये प्रोत्साहित करने की योजना के संबंध में बजट में प्रावधान नहीं है जिसका परिणाम यह होगा कि किसान अपनी उपज को मंडियों में तत्काल बेचने के लिये मजबूर होंगे. माननीय सभापति महोदय, सहकारिता में मैं कहना चाहूंगा कि इस प्रदेश के किसान प्राकृतिक आपदा से ग्रसित हैं और कर्ज के बोझ से दबे हैं, यही कारण है कि प्रदेश में किसान लगातार आत्महत्या करने को मजबूर है. कभी भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में आने के लिये लुभावना नारा दिया था कि भाजपा जब राज करेगी, सारे कर्जे माफ करेगी. आज प्रदेश और देश में भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण बहुमत की सरकारें हैं किंतु बजट में किसानों के ऋण माफी पर सरकार मौन साधे हुये हैं जिससे किसानों की भावनाओं पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है.
माननीय सभापति महोदय, ऊर्जा के क्षेत्र में बिजली प्रदायता के संबंध में प्रदेश में नियम बनाये गये हैं. जिस ट्रांसफार्मर से सामूहिक उपभोक्ताओं के बिजली के बिल बकाया होंगे तो सामूहिक बिजली सप्लाई बंद कर दी जायेगी. बिजली के बिल चुकता करने वाले उपभोक्ता भी बिजली से वंचित हो जाते हैं उनके कृषि तथा अन्य उत्पाद प्रभावित होते हैं. बजट में उपरोक्त विसंगति से उपभोक्ताओं को निजात दिलाना का प्रावधान नहीं किया गया है. बिगड़े ट्रांसफार्मरों को तत्काल बदलने संबंधी प्रावधान बजट में नहीं किये गये हैं. सड़कों के निर्माण के लिये लोक निर्माण विभाग को 6 हजार 208 करोड़ एवं ग्रामीण सड़कों के निर्माण हेतु पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के लिये 3 हजार 530 करोड़ रूपया प्रावधानित है, जो कि अत्यन्त कम है. क्योंकि क्षेत्रफल की दृष्टि से यह बहुत कम है. इसी तरह से पूर्व से निर्मित सड़कें अत्यंत खराब हैं. उनके सुधार हेतु बजट में स्पष्ट प्रावधान नहीं है, जिससे आवागमन बाधित होगा, जनता परेशान होगी. प्रदेश में विशेषज्ञों एवं चिकित्सकों की अत्यंत कमी है इनकी भर्ती करने के लिये बजट में ठोस कदम उठाये जाने की जानकारी प्रदान नहीं की गई है, जिससे प्रदेश में समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना आसान नहीं होता है.
माननीय सभापति महोदय पेयजल अधोसंरचना हेतु आवश्यकतानुसार बजट में प्रावधान नहीं है. पूर्व में संचालित अधिकांश नल-जल योजनाएं आज भी बंद पड़ी हैं जिनको संचालित करने का आंकलन कर बजट में प्रावधान नहीं रखा गया है.
माननीय सभापति महोदय, शिक्षा की बात इस प्रदेश में किसी से छिपी नहीं है. ग्रामीण अंचलों में आज शिक्षा की दशा देख लें तो समझ में आता है. प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों को बढ़ाने का जो बजट भाषण में उल्लेख किया गया है. प्रदेश में लगभग 10 हजार विद्यालय शिक्षकविहीन हैं. शिक्षकों की भर्ती किये जाने का बजट में प्रावधान नहीं रखा गया है. इस तरह से प्रभावी शिक्षा कैसे प्रदान की जा सकेगी.
माननीय सभापति महोदय, मैं स्वरोजगार की बात करना चाहूंगा. मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना के क्रियान्वयन की जानकारी दी गई है. मार्जिन मनी सहायता राशि बी.पी.एल. परिवारों के लिये 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत की दर से की गई है. युवा बेरोजगारों को रोजगार सहायता प्राप्त करने में दूरियां बढ़ाई गईं हैं.
माननीय सभापति महोदय, कर्मचारी कल्याण की बात करना चाहूंगा. महाविद्यालयों में सेवाएं दे रहे अति विद्वानों, शालाओं में कार्यरत् अति शिक्षकों का मानदेह तथा अंशकालिक सफाई कर्मचारियों, भृत्यों एवं लिपिकों के मासिक पारिश्रमिक में वृद्धि विचाराधीन है. जबकि यह महत्वपूर्ण कर्मचारी हैं इनके पारिश्रमिक में घोषणा के उपरांत भी बजट में प्रावधान न कर इस वर्ग के साथ कुठाराघात किया गया है. इसके अतिरिक्त शासन द्वारा पेंशनर्स कर्मचारियों को सातवें वेतनमान लाभ दिये जाने के संबंध में बजट में प्रावधान नहीं किया गया है. जबकि इन्हें नियमतः प्राप्त होना चाहिये. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी ( मनगवां )--माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश का यह बजट आम जनता के हित को ध्यान में रखकर तो बनाया गया है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से यह बजट पूंजीपति व धन्ना सेठों को लाभ देने वाला ही साबित होगा. गरीबों का कल्याण और उन सबका साथ व उन सबका विकास के लिये नारा देने वाली कृतसंकल्पित मध्यप्रदेश की सरकार का विकास सभी दिशाओं में अवरूद्ध हो गया है. चाहे उच्च शिक्षा विभाग हो, चाहे स्कूल शिक्षा विभाग हो, चाहे लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग हो, चाहे महिला बाल विकास विभाग हो, चाहे बिजली विभाग हो, चाहे फिर अनुसूचित जाति कल्याण विभाग हो. योजनाओं के क्रियान्वयन से ही विकास होता है, न कि आंकड़ेबाजी यशगान करने से. यह सरकार हड़तालों के लिये जाने जायेगी. मध्यप्रदेश सरकार के नेतृत्व में इस समय जो सरकार है.
अगर किसी सरकार में सबसे ज्यादा हड़तालें हुई हैं तो सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश की भा.ज.पा. सरकार में हुई हैं. चाहे संविदा इंजीनियरों की हड़ताल हो,चाहे शिक्षा कर्मियों की हड़ताल हो,चाहे आशा,ऊषा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की हड़ताल हो,चाहे हैंडपंप मैकेनिकों की हड़ताल हो,चाहे नगर पालिका में संविदा कर्मचारियों की हड़ताल हो और कोई भी विभाग के अधिकारी,कर्मचारी इस सरकार से संतुष्ट नहीं हैं. यह सरकार की उपलब्धि है.बेरोजगारी चरम सीमा पर है. युवा हमारे शिक्षित बेरोजगार होकर नशे की हालत में इधर-उधर भटक रहे हैं.चोरी,नशाखोरी और बहुत सी कुरीतियां,कुसंगतियां हैं जिनमें पड़कर समाज की स्थिति और भयावह हो रही है. मैं पेयजल समस्या के संबंध में कहना चाहती हूं. सरकार भारी भरकम बजट पी.एच.ई. विभाग को हर वर्ष देती है. हम लोग प्रश्न लगाते हैं. प्रश्न का जवाब भी सही नहीं आता है. अभी सबसे बड़ी विकराल समस्या अगर मध्यप्रदेश में है तो पेयजल की समस्या है. गांव में जाकर देखिये जितने भी पी.एच.ई.विभाग के हैंडपंप थे सारे सूखे पड़े हुए हैं और जो ग्रामीणजन हैं.एस.सी.,एस.टी.,ओ.बी.सी. की बस्तियां हैं वहां तो बिल्कुल ही पेयजल की भयंकर स्थिति है. लोग वहां पर प्यासे मर रहे हैं और तीन से चार कि.मी. दूरी पर पानी भरने जाते हैं. गांव में अगर किसी संभ्रांत व्यक्ति अपने बोर से पानी नहीं दे तो गांव के लोग प्यासे मर जायेंगे. राईजर पाईप बड़े पैमाने पर विभाग के द्वारा खरीदे जाते हैं पता नहीं वह कहां चले जाते हैं और पेयजल की समस्या निरंतर बनी रहती है. सरकार को चाहिये जो नलजल योजनाएं बंद पड़ी हुई हैं सरकार ने जो इसके लिये बजट रखा है उससे उनको तत्काल यदि सुधारा नहीं गया तो समाज में भयंकर आंदोलन हो सकते हैं. इसी तरह बिजली विभाग का आलम है. सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार बिजली विभाग में है. बिजली विभाग में काम करने वाले जितने अधिकारी,कर्मचारी हैं. इस देश को चूना लगाकर अरबों,खरबों रुपये इस देश से ले जाकर,चोरी करके चले जाते हैं धन्ना सेठ,पूंजीपति लोग उनके ऊपर कुर्की का आदेश नहीं होता है और बेचारे किसान जिनका कर्ज माफ करन चाहिये,जिनका बिजली का बिल माफ करना चाहिये. जले ट्रांसफार्मरों को बदलना चाहिये यह सरकार वह नहीं करके उनकी कुर्की का आदेश देती है. ऐसी सरकार को बर्खास्त करेगी मध्यप्रदेश की जनता. इसी तरह स्वास्थ्य विभाग का भी आलम है. सरकारी अस्पतालों में डाक्टर नहीं हैं.जो दवाईयां आती हैं वह नकली होती हैं. अलिराजपुर मध्यप्रदेश का एक उदाहरण है जिसमें तीस-चालीस लोगों की आंखें चली गई थीं. इससे शर्मनाक बात क्या हो सकती है. ग्रामीण अंचलों में जो चिकित्सक पदस्थ हैं. सी.एस.सी.,पी.एच.सी.प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में वह अपने कार्यक्षेत्र में नहीं रहते जो रहते भी हैं वे शहरों में रहते हैं ऐसे चिकित्सकों को सबक सिखाने के लिये सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. न नये चिकित्सकों की पदस्थापना की और खासकर विश्व का इतना बड़ा घोटाला व्यापम इस सरकार की देन है. अपने प्रदेश में 23 लाख 90 हजार शिक्षित बेरोजगार हैं. बेरोजगारी के लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. पहले तो सरकार कहती थी कि केन्द्र में हमारी सरकार नहीं है लेकिन अब तो आप केन्द्र में भी हो,राज्य में भी हो,क्यों शिक्षित बेरोजगारों को नौकरी नहीं दे रहे. नये रोजगार के आयाम स्थापित नहीं कर रहे.
सभापति महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्रीमती शीला त्यागी - मुख्यमंत्री जी की घोषणाओं से जनता का विकास नहीं होने वाला बल्कि योजनाओं के क्रियान्वयन से ही होगा. माननीय सभापति महोदय, प्रदेश में एस.सी.,एस.टी.,ओ.बी.सी. के कल्याण की बात करने वाली सरकार दिन रात यह ढिंढोरा पीटने वाली सरकार कि हम एस.सी.,एस.टी. के बच्चों को स्कालरशिप देते हैं लेकिन मैं बताना चाहती हूं कि कालेज की फीस को लेकर एस.सी.,एस.टी. के छात्र जितने इस सरकार में हुए हैं शायद इसके पहले कभी परेशान नहीं हुए. उनकी पढ़ाई बाधित हुई है.समाधान के लिये जो जिला संयोजक,आदिम जाति कल्याण विभाग और कालेज प्रबंधन में कोई भी समन्वय नहीं बना इसलिये कालेज के बच्चे और स्कूल के बच्चे परेशान हुए हैं. साथ ही साथ बेकलाग की भर्ती में एस.सी.,एस.टी. के विभिन्न विभागों में जो खाली पड़े पद हैं उनको तत्काल भरने की कार्यवाही इस सरकार में नहीं की गई और एस.सी.,एस.टी.के कल्याण की बात सरकार कहती है लेकिन आज तक भला नहीं हुआ. उच्च शिक्षा का भी यही आलम है. उच्च शिक्षा विभाग में एस.सी.,एस.टी. का प्रतिनिधित्व न के बराबर है.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार से यही कहना चाहती हूं कि बैक लॉग के खाली पडे़ पदों को तत्काल भरे जाने का काम करना चाहिए था. माननीय मुख्यमंत्री और माननीय मंत्रीगण अपने भाषणों में सिर्फ सरकार का यशगान करते हैं और आंकड़ेबाजी प्रस्तुत करते हैं. सभापति महोदय, एक मिनट में मैं यही कहना चाहती हूं कि सामान्य भर्ती और बैक लॉग की भर्तियां अलग-अलग काल, समय से क्यों नहीं की जाती हैं, जिससे कि भर्ती निरस्त होने की संभावना और विसंगतियां समाप्त हो जाए और भर्ती विज्ञापन वर्ष 2014, 2016 का जो निरस्त कर दिया गया है उसमें पुनः भर्ती की जाय. सभापति महोदय, रोस्टर की भी यही स्थिति है.
सभापति महोदय - अब आप समाप्त करें. श्री देवेन्द्र वर्मा, कृपया समय का ध्यान रखें.
श्रीमती शीला त्यागी - सभापति महोदय, एक मिनट में मैं अपनी बात कह दूंगी. अगर आप समय नहीं देना चाहते हैं तो मैं बैठ जाती हूं.
सभापति महोदय - आपको बहुत समय दिया है.
श्रीमती शीला त्यागी - हमारे 3 और भी सदस्य हैं वे भी नहीं हैं.
सभापति महोदय - आपने जो समय मांगा वह हमने दिया है.
श्रीमती शीला त्यागी - कोई बात नहीं. सभापति महोदय, आपने इतना बोलने का मुझे समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र वर्मा (खण्डवा) - सभापति महोदय, वर्ष 2018-19 का जो आय-व्ययक माननीय वित्त मंत्री जी ने प्रस्तुत किया है, मैं उसके समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मैं इन पंक्तियों के साथ अपनी बात शुरू करूंगा.
"कदम निरंतर चलते जिनके, श्रम जिनका अविराम है,
जीत सुनिश्चित होती उनकी, घोषित यह परिणाम है."
इन पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह जी चौहान, हमारे प्रदेश के विकास को एक नई गति देने का काम कर रहे हैं. सभापति महोदय, हमारे सभी विपक्षी भाई कहीं न कहीं हमारे प्रदेश की सरकार की नित्य नई अच्छी-अच्छी योजनाओं में कुछ न कुछ कमियां निकालने का कार्य करते हैं और इस प्रकार के आंकड़े प्रस्तुत करते हैं कि सरकार किसी प्रकार का कोई कार्य नहीं कर रही है, लेकिन जब हम इसका पक्ष देखते हैं तो हम देखते हैं कि गांव और शहर का भेद मिटाने का काम हमारी सरकार ने किया है. वहीं दूसरी ओर अमीरी और गरीबी की खाई पाटने का काम हमारी सरकार ने किया है. एक आम व्यक्ति का जीवनस्तर किस प्रकार से ऊपर उठे, यह काम भी हमारी सरकार ने किया है.
सभापति महोदय, जब हम इस कड़ी में बात करते हैं तो ध्यान में आता है कि एक समय था, ग्रामीण क्षेत्र में मिट्टी के कच्चे मकान हुआ करते थे और गांव में एक आम नागरिक की जिंदगी दूभर हुआ करती थी, लेकिन वर्तमान में हम बात करें तो चाहे हमारी केन्द्र सरकार की योजना हो, उसके अंतर्गत चाहे प्रधानमंत्री आवास योजना हो, चाहे मुख्यमंत्री आवास योजना हो, इस प्रकार अनेक गांव हैं जिन्हें हम कह सकते हैं कि जहां पर शत-प्रतिशत प्रत्येक व्यक्ति के मकान बन चुके हैं. इसी कड़ी में एक आम व्यक्ति का जीवनस्तर किस प्रकार ऊपर उठे उसके लिए अगर हम कहें कि जहां एक रुपए किलो अनाज की योजना हो, उज्जवला योजना के माध्यम से प्रत्येक घर-घर गैस के कनेक्शन पहुंचे हैं. इसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति का स्वयं का मकान हो, उसके लिए आवास की गारंटी योजना के अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति को पट्टे की योजना के माध्यम से हमारी सरकार पक्के मकान देने का काम कर रही है. किस प्रकार से ग्रामीण क्षेत्र में शहरी सुविधाएं हों, इसके लिए जहां एक ओर प्रत्येक गांव पक्की सड़क से जोड़े गये हैं. चाहे पंच परमेश्वर योजना हो, चाहे प्रधानमंत्री सड़क योजना हो, इनके माध्यम से प्रत्येक गांव आज पक्की सड़क से जुड़ गये हैं. चाहे अंदरुनी सड़कें हो, चाहे बाहरी सड़क हो, मेरे विधान सभा क्षेत्र के प्रत्येक गांव राजस्व ग्राम आज पक्की सड़क से जुड़ गये हैं. इसी प्रकार की स्थिति सड़कों के क्षेत्र में पूरे मध्यप्रदेश में है. निश्चित रूप से हम कह सकते हैं सड़कों के माध्यम से आज हम आत्मनिर्भर है. प्रत्येक गांव पक्की सड़क से जुड़ा है. इसी कड़ी में अगर हम बात करते हैं तो ऐसा कहते हैं कि एक समय था कि जब हमारा मध्यप्रदेश तीन टर जिसे कहते थे कि तीन टर से हमारा प्रदेश गुजरता था, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति के घर में होता था इन्वर्टर, प्रत्येक किसान के पास होता था जनरेटर और खेत में होता था कंडेंसर, अर्थात् इस प्रकार से तीन टर के माध्यम से मध्यप्रदेश की जिंदगी आगे बढ़ रही थी. मध्यप्रदेश का आम व्यक्ति जूझ रहा था लेकिन इन तीनों टर से मुक्ति दिलाने का काम हमारी सरकार ने किया है. इन्वर्टर प्रत्येक व्यक्ति के घर से गायब हुए हैं, जनरेटर आज हमको देखने को नहीं मिलते हैं और कंडेंसर तो दूर-दूर तक दिखाई नहीं देते हैं अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति के घर तक बिजली पहुंच रही है. किसान के खेत तक 12 घंटे बिजली पहुंच रही है. इसी कड़ी को हमारी सरकार ने और चार कदम आगे बढ़ाया है और सोलर पंप जैसी योजना जो मात्र 10-12 प्रतिशत की कीमत पर आज हमारी सरकार उपलब्ध करा रही है, जिसको हम कह सकते हैं कि निश्चित रूप से इन योजनाओं के माध्यम से आम व्यक्ति का जीवन सरल हुआ है. इसी प्रकार से हमारे कई साथियों ने बात रखी कि स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत खराब है. शिक्षा की हालत खराब है. हमारे कई साथियों ने बात रखी कि स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत खराब है, शिक्षा की हालत खराब है, लेकिन सभापति महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि शिक्षा की स्थिति एक समय ऐसी होती थी कि गांव में अगर स्कूल है तो पटेल के बाड़े में या झाड़ के नीचे लगती थी. आज मध्यप्रदेश में ऐसी कोई स्कूल नहीं है जो झाड़ के नीचे या पटेल के बाड़े में लगती हो. आज प्रत्येक स्कूल का एक भवन है और ऐसा कहते थे कि अगर पूर्व में बच्चे स्कूल आते थे और मास्टर जी ने बोल दिया कि कापी-किताब लेकर आना तो बच्चे गायब हो जाते थे. आज नि:शुल्क कापी-किताब, नि:शुल्क गणवेश, नि:शुल्क साईकिल, नि:शुल्क लैपटॉप, इस प्रकार की शिक्षा की अच्छी-अच्छी योजनाओं के माध्यम से सौ प्रतिशत हमारे बच्चे मध्यप्रदेश के स्कूलों में शिक्षा के लिये जा रहे हैं. शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार करने का काम हमारी सरकार ने किया है और प्रत्येक तीन किलोमीटर पर हाईस्कूल खोलने का काम हमारी सरकार कर रही है. स्कूल के साथ-साथ पूरे सेट-अप के साथ स्कूल खोलने का काम सरकार ने किया है.
सभापति महोदय -- अब आप समाप्त करिये.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- सभापति महोदय, बस दो विषयों के साथ समाप्त करूंगा. इसी प्रकार अगर हम स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो हमारे साथीगण एक ही बात उठाते हैं कि अस्पतालों में डॉक्टर्स नहीं हैं, तो डॉक्टर निश्चित रूप से एक या दो-चार महीने में नहीं बनते हैं. इन्होंने पूर्व में मेडिकल कॉलेज ही नहीं खोले, लेकिन हमारी सरकार प्रत्येक जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने का काम कर रही है. उसी कड़ी में हमारे खंडवा शहर में मेडिकल कॉलेज बनकर तैयार हो गया है और इसी वर्ष हमारी सरकार इसकी शुरुआत करने जा रही है. सभापति महोदय, मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि जहां मेडिकल कॉलेज खोलने का काम हमारी सरकार कर रही है वहीं प्रत्येक जिला मुख्यालय पर चाहे कीमोथैरेपी हो, डायलिसिस हो, सीटी स्कैन हो, इस प्रकार की सभी सुविधाएं आज हमारी सरकार देने का काम कर रही है जिसके माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हुआ है.
सभापति महोदय -- अब आप समाप्त करें, सबको बोलना है.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी) -- सभापति महोदय, वर्तमान आय व्ययक बजट पेश हुआ है वह काफी स्तर पर बहुत बढि़या और बहुत अच्छा हुआ है, लेकिन मैं कह सकता हूं कि ऐसी करीब 30 विधानसभाओं के लिये बहुत अच्छा है और हमारी विधानसभा के लिये बहुत खराब है. 30 विधानसभा क्षेत्र के मंत्रियों को जीतना होगा इसलिये पूरे बजट में उस तरफ ज्यादा ध्यान दिया गया है, बाकी 200 विधायकों के क्षेत्र को काट दिया गया है. हमारे क्षेत्र को सूखा घोषित नहीं किया गया. अभी ओला गिरा. मुख्यमंत्री जी गये, उन्होंने कहा कि हम सबको मुआवजा देंगे, लेकिन 60 हजार से अधिक बड़े रकबे वाले को मुआवजा नहीं मिला. सरपंच और पंच के लिये कहा गया कि वह समिति में रहेंगे, लेकिन शासन ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया कि सरपंच और पंच का उसमें कोई योगदान होगा. मनमर्जी से पटवारी अपना मुआवजा बना रहे हैं. पेट्रोल, डीजल इतना महंगा है, मैं खुद चार पेट्रोल पम्पों का मालिक हूं, हमारी बिक्री समाप्त हो गई दूसरे स्टेट्स में गाडि़यां भरवाने जा रही हैं. आपके सभी विभागों में कर्मचारी कम हैं. संविदा कर्मचारी हों, चाहे अतिथि शिक्षक हों, चाहे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका कोई भी हों, सभी हड़ताल पर बैठे हुये हैं. आपने सिंचाई का रकबा बढ़ाया, निश्चित ही काम आपने किया, लेकिन आपने सिंचित भूमि को सिंचित करने में ज्यादा काम किया है.
सभापति महोदय -- अभी शिक्षा के क्षेत्र में हमारे कई भाई बात कर रहे थे. हमारे यहां बिल्डिंग नहीं है, शिक्षक नहीं हैं और तो और बच्चों को बैठने के लिये टेबल, कुर्सी नहीं हैं. आप कैसे स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाएंगे यह समझ में नहीं आता ? स्वास्थ्य के क्षेत्र में आप कह रहे हैं डॉक्टर पैदा कर रहे हैं. तो कहां से पैदा करेंगे ? अभी महानुभाव बात कर रहे थे कि घरों से पहुंचा दो. अब हमारे धंधा-पानी वाले लड़के हैं कहां हम डॉक्टरी के लिये पहुंचा दें ? सब बिजनेसमैन, शराब ठेकेदार हैं, डॉक्टरी करने कहां चले जाएंगे ? अभी खेल ग्राउण्ड नहीं हैं. सामग्री नहीं है.
श्री वेलसिंह भूरिया -- सभापति महोदय, आने वाले समय में दारू की सारी दुकानें बंद होने वाली हैं.
श्री बाला बच्चन -- मुनमुन जी की दारू की दुकानें बंद कराकर बताओ वेलसिंह जी.
श्री वेलसिंह भूरिया -- पूरे मध्यप्रदेश में बंद होने वाली हैं. हमने मुहिम चला दी है.
श्री दिनेश राय -- उपाध्यक्ष महोदय, प्रशिक्षण की व्यवस्था आप नहीं कर रहे हैं. वृक्षारोपण में इतना भ्रष्टाचार हो रहा है. अभी सिवनी नगर पालिका की इतनी दुर्दशा है कि वहां पर शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है. वहां पर नलजल योजना चल रही है. समय निकल गया है, अधूरा काम पड़ा हुआ है. वहां एलम, ब्लीचिंग की जांच कराई, किंतु आज तक उसमें कोई कार्यवाही नहीं हुई. सभापति महोदय, हमारे क्षेत्र में फुटपाथ पर बैठे हुये दुकानदार परेशान हैं. अवैध कालोनी कहकर उस क्षेत्र का डेव्हलपमेंट नहीं हो पा रहा है. पर्याप्त कर्मचारी नहीं हैं. अभी नगर पालिका के एक अधिकारी ने ट्रांसफर चाहा था, मैंने उसको पत्र लिख दिया, ऊपर से जवाब आ गया कि यह ट्रांसफर करना संभव नहीं है. मैं भ्रष्टाचार की बात कर रहा हूं. 10 दिन के बाद उसने बोला मैं जा रहा हूं कुछ जुगाड़ कर लूं. मैंने कहा कि कर लो. जुगाड़ हो गया, उसका ट्रांसफर हो गया. फिर उस अधिकारी को मैंने लेटर लिखा कि साहब मुझे जानकारी दे दें कि यह संभव कैसे हो गया. यह संभव कैसे हुआ, इसकी जानकारी मेरे पास नहीं आई है. मंत्री जी, मैं चाहूंगा कि आप पता करें कि यह संभव कैसे कर दिया 10 दिन के अंदर उन्होंने. उस ट्रांसफर को खारिज करने के बाद और फिर ट्रांसफर कर दिया. सभापति महोदय, हमारा मध्यप्रदेश गौंडी लैंड था, लेकिन हमारे मध्यप्रदेश में गौंडी भाषा को प्राथमिकता दें, ऐसा मैं आग्रह करता हूं. बेनगंगा मेरे जिले से निकली है, मेरी विधान सभा से निकली है, लेकिन इतिहास में संस्कृति विभाग ने उसको छिंदवाड़ा में उदगम बताकर जबलपुर तरफ तक उसका प्रस्थान बता रहे हैं. दोनों जिलों में वह बेनगंगा नदी नहीं जाती है. ऐसा तो मध्यप्रदेश के इतिहास में बता दिया गया है. मैं चाहूंगा कि इस पर आप विशेष ध्यान दें, सुधरवायें. महिला पुलिस कर्मियों को आप दूसरे जिलों में पहुंचा रहे हैं, उनको अपने जिले में रखें, तो अच्छी नौकरी कर पायेंगी. अभी पुलिस कर्मचारियों को 25 से 30 साल हो गये, उनके आपने भत्ते नहीं बढ़ाये हैं, क्योंकि वह डिसीप्लीन में रहते हैं. पुलिस विभाग हड़ताल नहीं कर सकता है, अनुशासन में है, तो उसकी सजा उनको मिल रही है. अभी नगरपालिका, सिवनी ने 42 स्वीपरों की भर्ती कर दी है. उन्हीं की पार्टी का, उन्हीं का पार्षद बोलता है कि 40-40 हजार रुपये लेकर के भर्ती की है. इसकी आप जांच करवा लें. सभापति महोदय, मैं प्रायवेट स्कूलों की बात कर रहा हूं. आप कहते हैं कि सरकारी स्कूलों में बच्चे नहीं पढ़ाते हैं. हम कहते हैं कि गांव गांव में प्रायवेट स्कूल खुल रहे हैं, उनमें यह क्यों संख्या बढ़ रही है. उनमें क्यों बच्चे पढ़ाना चाहता है गरीब व्यक्ति भी. कोई न कोई कारण तो है कि हम सरकारी स्कूलों में शिक्षा, दीक्षा की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं. प्रायवेट स्कूल्स में आपने इतने कानून, नियम लागू कर दिये हैं, आपका साइबर काम नहीं कर रहा है. 2017 तक में आप 25 प्रतिशत बच्चों को वहां पर बोलते हैं कि फ्री में पढ़ाओ. आप 2018 से उनको मेनुअल दें. कम से कम प्रायवेट स्कूलों को तो खत्म न करें आप. आप अगर सरकारी स्कूलों में शिक्षा, दीक्षा नहीं दे पा रहे हैं, तो कम से कम प्रायवेट स्कूल में बच्चे पढ़ पायें. आप लाइट के बारे में कहते हैं. आज लाइट कितनी महंगी हो गई. 5 एचपी का बिल आता है, बाद में चूना लगाकर 3 एचपी कर दिया जाता है और 5 एचपी के बिल की सबसिडी कम्पनी को सरकार दे रही है. सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार कम्पनी कर रही है. बीमा कम्पनी आपकी हण्ड्रेड परसेंट फेल है. मंत्री जी, टमाटर पर ध्यान दें. मैंने टमाटर लगाया है, एक रुपये, दो रुपये किलो बिक रहा है. किसानों की बड़ी दुर्दशा है. सभापति महोदय, आपने बोलने के लिये अवसर दिया, इसके लिये धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा) -- सभापति महोदय, यहां पर आपने बजट पर बोलने के लिये मौका दिया, धन्यवाद. यहां पर पंचायत मंत्री जी एवं वित्त मंत्री जी भी बैठे हैं, प्रधानमंत्री आवास जो अभी ग्रामीण क्षेत्र और शहरी क्षेत्र में बनाये जा रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास के लिये डेढ़ लाख रुपये का प्रावधान और शहरी क्षेत्र में ढाई लाख रुपये का प्रावधान रखा गया है, जबकि अगर कोई गांव वाले सरिया लाते हैं, तो शहर से लाते हैं. सीमेंट अगर लाते हैं, तो गांव वाले शहर से लाते हैं. ईंटें भाड़ा करके लेकर आते हैं. तो जो भाड़ा लगता है, वह गांव वालों का लगता है और गांव वालों को तो दिये जा रहे हैं डेढ़ लाख रुपये और शहर वालों को दिये जा रहे हैं ढाई लाख रुपये. ढाई लाख रुपये उनको दें, कोई दिक्कत नहीं है, परंतु गांव वालों को भी प्रधानमंत्री आवास योजना में ढाई लाख रुपये कर दिये जायें, तो वह उनको जो भाड़ा लगता है, उससे उनको सहायता मिलेगी और अच्छे मकान का निर्माण हो सकेगा. यहां पर जो देखा गया है, प्रधानमंत्री आवास योजना जो आई है, उसमें कई गरीब व्यक्ति, जिनके नाम बच गये हैं, उनको भी जोड़ने का जो काम किया जा रहा है, वह उसको तुरन्त घोषित किया जाये कि उस लिस्ट में वह जुड़ रहा है कि नहीं जुड़ रहा है. वह व्यक्ति गांव- गांव और पंचायत में चक्कर काट रहे हैं, उसकी कोई व्यवस्था की जाये कि इनके नाम जुड़ रहे हैं और जुड़ेंगे तो कब तक उनके नाम लिस्ट में आ जायेंगे. मेरे विधान सभा में 15 गांव ऐसे हैं, जिसमें पूरे पूरे गांव में एक भी प्रधानमंत्री आवास नहीं आया है. एक मेरियाखेड़ी जो पूरी मुख्यालय पंचायत है, उसमें 4-5 गांव सम्मिलित हैं, उस पंचायत के एक भी गांव में प्रधानमंत्री आवास नहीं आया है. मैं मानता हूं कि पूरे मध्यप्रदेश में जो जानकारी मिली है, 700-800 गांव ऐसे हैं, जिसमें प्रधानमंत्री आवास के अंतर्गत एक भी घर नहीं आये हैं, उनको भी जोड़कर गरीबों को लाभ दिया जाये, तो उनको फायदा मिलेगा. पंचायत में जो पेंशन मिलती है. पहले यहां पर इसी सदन में कहा गया था कि विधवा पेंशन, जो विधवाएं हैं, जिनको पेंशन मिलेगी, उसमें बीपीएल की अनिवार्यता समाप्त कर दी जायेगी. यहां पर घोषणा हुई, लेकिन आज तक उसका पालन नहीं हुआ है. विधवा बहनों को आज भी बीपीएल के बिना पेंशन नहीं मिल रही है और जिनको वृद्धावस्था पेंशन मिल रही है, उनको मात्र 300 रुपये और 500 रुपये. जो 80 साल से ऊपर हो गए हैं, उनको 500 रुपये और जो उसके नीचे हैं, उनको 300 रुपये मिल रहे हैं. मेरा निवेदन है कि राजस्थान सरकार जब पेंशन के 1 हजार रुपये कर सकती है तो मध्यप्रदेश क्यों नहीं. मध्यप्रदेश अगर इतना विकास कर रहा है, सबका भला चाहता है तो गरीबों को 1500 रुपये से 2 हजार रुपये के बीच में पेंशन दी जाए ताकि गरीबों का भी कुछ भला हो सके.
माननीय सभापति महोदय, कृषि की बात करें तो जो भावांतर योजना की बात यहां पर की गई है. मेरा मानना है कि समर्थन मूल्य जो सरकार घोषित करती है, उसमें एक मॉडल रेट बीच में न लाएं. अगर जो समर्थन मूल्य घोषित कर दिया है और आप किसानों का भला चाहते हैं तो यह मॉडल रेट को बीच में से हटा दें और जो किसान जो कृषि उपज मंडी में फसल बेचकर आता है, उसका अंतर मिलना चाहिए. यदि 2400 रुपये में सोयाबीन बेचता है और यदि 3050 रुपये समर्थन मूल्य घोषित किया गया है तो राजस्थान, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र का रेट न लागू करते हुए जो अंतर है, समर्थन मूल्य और जो वह बेचकर आया है, उस अंतर को ही किसान के खाते में डलवाएं तो किसानों का कुछ न कुछ भला हो सकेगा.
माननीय सभापति महोदय, कहा जाता है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के फायदे के लिए है, लेकिन आज भी किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में कोई जानकारी नहीं है. एक नजर जरूर रखें कि क्या कारण है कि हाऊस में यह बोला जाता है कि किसी को 20 रुपये, किसी को 200 रुपये, किसी को 500 रुपये मिलते हैं, तो क्या कारण है कि उनको 500, 300, 200 या 25, 35 रुपये मिलते हैं, इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, किसानों को 10 घंटे जो खेतों में कुओं के लिए, सिंचाई के लिए बिजली दी जा रही है, मेरा मानना है कि वे सिंचाई तो कर लेते हैं, पर वहां पर 10 घंटे चलने के बाद जो लाइट बंद हो जाती है, वहां पर अंधेरे में उनको सांप-बिच्छू का डर रहता है, अत: 10 घंटे के बाद भी उनको सिंगल फेज की बिजली उपलब्ध कराई जानी चाहिए, जिससे खेतों में रोशनी हो सके और सांप-बिच्छू तथा जहरीले जानवरों से उनकी रक्षा हो सके. बजट में यह भी प्रावधान किया जाना चाहिए.
सभापति महोदय -- हरदीप जी, अब समाप्त करें.
श्री हरदीप सिंह डंग -- सभापति महोदय, मेरे दो-तीन अच्छे प्वॉइंट हैं, डोडा-चूरा की खरीदी के लिए मुख्यमंत्री जी ने यहां पर घोषणा की है, इसके लिए मैं पूरे क्षेत्र की तरफ से धन्यवाद देता हूँ कि यह अच्छा निर्णय लिया गया है. बहुत देर से निर्णय किया लेकिन अच्छा निर्णय किया. मेरा वित्त मंत्री जी से निवेदन है कि उनको मात्र 100-200 रुपये में न खरीदा जाए. अगर उनको खरीदा जाए तो 1000-1500 रुपये के रेट में खरीदा जाए, जिससे किसानों का भला हो सके.
माननीय सभापति महोदय, अभी हमारे यहां एक सिंचाई योजना पास हुई है, इसके टेंडर लगने वाले हैं, इसके लिए भी मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ. परंतु दूसरे क्षेत्र क्यामपुर-सीतामऊ में जहां अधिक किसान रहते हैं, उनके लिए योजना अभी तक नहीं बनी है, उनके लिए योजना तुरंत बनाई जाए और तुरंत लागू की जाए. अगर सिंचाई योजना बन जाती है, सिंचाई योजनाएं अलग हैं लेकिन जो डैम बनेंगे, उससे जमीन का पानी जमीन में ही जाएगा, अत: डैम की भी मंजूरी दी जाए, जिससे क्षेत्र में अच्छी सिंचाई हो सके.
माननीय सभापति महोदय, पीएचई के बारे में जो कहना है, यहां पर पानी की समस्या होने वाली है, टैंकर की अनुमति पंचायतों में शीघ्र प्रारंभ कर दी जाए, टैंकर आवश्यक हैं, क्योंकि हैण्डपंप और ट्यूबवेल में पानी खत्म हो चुका है. अभी हमारे एक मित्र भी कह रहे थे कि 8 इंच के होल की अनुमति दी जाए, जिसमें बड़ी मोटर लगाकर भी पानी निकाला जा सके.
सभापति महोदय -- आपका समय समाप्त हो गया है. डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय, श्री दिलीप सिंह परिहार.
श्री हरदीप सिंह डंग -- माननीय सभापति महोदय, स्वास्थ्य के क्षेत्र में मंदसौर में मेडिकल कॉलेज खोला जाए. यहां पर कई दिनों से मेडिकल कॉलेज की मांग की जा रही है, यही निवेदन है. शिक्षा के क्षेत्र में मैं कहना चाहता हूँ.
सभापति महोदय -- समय सीमा है. मैं क्षमा चाहता हूँ. अब समय नहीं दिया जा सकता. आपको बहुत समय दे दिया.
श्री हरदीप सिंह डंग -- सभापति महोदय, धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय सभापति महोदय, मैं आय-व्ययक के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मध्यप्रदेश की सरकार ने वर्ष 2018-19 का 2 लाख 4 हजार 464 करोड़ रुपये का जो बजट प्रस्तुत किया है, मैं उसका समर्थन करता हूँ. इसमें कृषि के लिए बहुत पर्याप्त बजट रखा गया है, जिसके कारण हम सब लोग मिलकर कृषि को लाभ का धंधा बना पाएंगे. सिंचाई का जो रकबा 7 लाख हेक्टेयर से आज 40 लाख हेक्टेयर हुआ है, और जिसे 80 लाख हेक्टेयर करने का हमने लक्ष्य रखा है, निश्चित ही हम उस लक्ष्य तक पहुँचेंगे. हम सब जानते हैं कि, '' मालव माटी गहन गंभीर, पग-पग रोटी डग-डग नीर'' की जो कहावत है, उस मालवा में भी पानी के संचय का काम माननीय सिंचाई मंत्री जी के माध्यम से हो रहा है और अभी जैसा कि आपने बताया कि 1 लाख 10 हजार करोड़ की सिंचाई परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं. वित्त मंत्री जी से मेरा यह निवेदन है कि आपने गांधीसागर बांध का पानी जो लगातार मंदसौर की ओर जा रहा है.
6.05 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
श्री दिलीप सिंह परिहार-- उसको नीमच और मनासा की ओर भी ले जाने के लिए पहले सुविधाएं उपलब्ध करा दें जिससे कि नीमच जिले की जो जमीन डूब में आ गई है उससे नीमच के किसानों को भी गांधी सागर का पानी पर्याप्त मिल सके और जिस प्रकार टनल बनाकर मंदसौर की ओर पानी जा रहा है अब उसका मुंह मनासा और नीमच की ओर मोड़ने की कृपा करें. साथ ही मेरा आपसे यह निवेदन है कि हमारे यहां छोटे-छोटे डेम बनाएं गए हैं इसके लिए आपको धन्यवाद देता हॅूं. एक हरवा तालाब है उसके डेम की ऊंचाई बढ़ाने के लिए बजट में भी माननीय वित्त मंत्री जी और माननीय जल संसाधन मंत्री जी के पास भी बनकर तैयार हुआ है. चीताखेड़ा के डेम की भी स्वीकृति साध्यता में आ गई है यदि वह आप करेंगे तो हमारे क्षेत्र के लोग आपको दुआएं देंगे. मालवा में कृषि के लिए आपने जो डेम बनाएं हैं उसकी वजह से कृषि लगातार बढ़ रही है. हम सब जानते हैं कि पशुपालन के लिए 138 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है. जैसे अन्न उत्पादन करने में कृषि कर्मण पुरस्कार पांच बार प्राप्त हुआ है उसी प्रकार विद्यासागर योजना के माध्यम से पशुधन को, दूध उत्पादन करने में भी हम नंबर वन आएं. खेती के साथ-साथ यदि विद्यासागर योजना के माध्यम से जो लोग पशुओं को पालने के लिए, गौमाता को पालने के लिए आगे आ रहे हैं तो हम देखते हैं कि जो गौमाता हिन्दू को दूध पिलाती है, मुसलमान को दूध पिलाती है, वृद्ध को दूध पिलाती है, बच्चे को दूध पिलाती है वह हमारी विद्यासागर योजना के माध्यम से कटने के लिए न जाते हुए किसान के खेत पर रहेगी और जिससे कि दूध उत्पादन में भी मध्यप्रदेश को नंबर एक पर ला पांएगे. मैं जब गांवों में जाता हॅूं वहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास बने हुए हैं और मैं जब प्रधानमंत्री आवास का फीता काटता हॅूं तो वे गरीब लगातार दुआएं दे रहे हैं जिनके पास रहने के लिए छत नहीं थी. आज ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 1.50 हजार रूपए का और शहरी क्षेत्रों के लिए 2.50 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है तो निश्चित ही हजारों की संख्या में हमारे यहां प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास बन रहे हैं. 5.37 हजार आवास निर्माण किए गए हैं. लोगों की दुआएं मिल रही हैं. 6,600 करोड़ रूपए का प्रावधान प्रधानमंत्री आवास योजना हेतु आपने किया है. निश्चित ही आने वाले समय में कृषि लाभ का धंधा बनेगी. हम जो दो गुना आय करना चाहते हैं वह आय भी बढे़गी. स्मार्ट सिटी के माध्यम से 700 करोड़ रूपए का प्रावधान इस बजट में किया गया है जिनमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर और सतना शहर हैं. नागरिकों को आप मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं. उसके अलावा अमृत सिटी योजना के माध्यम से भी हमारा नीमच जिला अमृत सिटी योजना में शामिल है इसमें भी आप और बजट देंगे तो हमारे क्षेत्र में और लाभ होगा. चिकित्सा के क्षेत्र में आपने 7 नये कॉलेज खोलकर एक अभिनव प्रयोग किया है. हम देखते हैं कि पहले कांग्रेस के राज में कोई कॉलेज नहीं खुलते थे तो आज डॉक्टरों की कमी पड़ रही है. सब जगह ट्रॉमा सेंटर बन गए हैं और जब ये मेडिकल कॉलेज प्रारम्भ हो जाएंगे. हमारे यहां भी पास में रतलाम का मेडिकल कॉलेज है. आपने शिवपुरी, रतलाम, छिंदवाड़ा, शहडोल, खंडवा में महाविद्यालय खोलने का जो निर्णय लिया है, वह बहुत ही स्वागत योग्य है. गर्मी का समय आने वाला है. पीने के पानी की व्यवस्था के लिए भी सरकार ने पर्याप्त बजट में इसकी चिन्ता की है. 1.38 हजार ग्रामीण बसाहटों में, 84 प्रतिशत बसाहटों में आपने 55 लीटर पानी देने के लिए संकल्प लिया है. आज हम देखते हैं कि गर्मी के मौसम में लोग प्याऊ लगाते हैं सरकार ने इन बसाहटों में मुख्यमंत्री पेयजल योजना के माध्यम से नलों में टोटी लगाकर पानी पहुंचाने की व्यवस्था वर्ष 2018-19 में की है. 1650 बसाहटों में मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल योजना का कार्य प्रारम्भ हो रहा है. एक करोड़ से अधिक लागत वाली 255 नवीन योजनाएं इस बजट में सम्मिलित की गई हैं. मैं इसका भी बहुत-बहुत स्वागत करता हॅूं, अभिनन्दन करता हॅूं.
माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, हम देख रहे हैं कि सरकार लगातार जो बजट लाती है उसमें गरीबों के लिए, शिक्षा के लिए, चिकित्सा के लिए, बिजली के लिए, सड़कों का जाल फैल रहा है तहसील स्तर पर टू-लेन और जिलों को फोरलेन से जोड़ने का जो काम किया जा रहा है. आपने अभी बजट में नीमच जिले को भी सड़कें दी हैं, इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हॅूं.एक जीरन के मेडीकल कॉलेज की घोषणा मान्यवर मुख्यमंत्री जी ने की थी उसको आप बजट में ले लें तो मैं आपको बहुत धन्यवाद दूंगा क्योंकि वहाँ तहसील के लोग इसकी हमेशा से माँग करते रहे हैं. अधिक कुछ बोलने की आवश्यकता नहीं है. उपाध्यक्ष महोदय, इस बजट में आपने बोलने के लिए अवसर दिया इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ यह बजट सर्वहारा वर्ग के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बजट है और आय-व्यय का जो संतुलन वित्त मंत्री जी ने बिठाया है इसके लिए भी बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ. भारत माता की जय.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव(मुंगावली)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं पहली बार विधान सभा में नव निर्वाचित सदस्य चुनकर आया हूँ और पहली बार मैं इस सदन में अपनी बात रख रहा हूँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय के माध्यम से मैं माननीय मंत्रीगणों को, माननीय मुख्यमंत्री महोदय को कहना चाहता हूँ कि हम सबका चुनाव होने तक भले ही विरोध हो लेकिन चुनाव के बाद जब हम इस सदन में बैठते हैं तो हमको किसी पार्टी से या व्यक्ति विशेष से विरोध ना रख कर जनसेवा का कार्य करना चाहिए एवं एक जुट होकर क्षेत्र का विकास करना चाहिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं कहना चाहता हूं कि मेरा क्षेत्र मुंगावली विधान सभा है, जिला अशोकनगर है. जिला अशोकनगर में सबसे पहली जो समस्या है वह पेयजल की है. अशोकनगर जिले का जल स्तर प्रतिवर्ष नीचे जा रहा है और हैंडपंप इस समय 50 परसेंट से ज्यादा बंद हो जाते हैं. मैं तीन-चार वर्षों से देख रहा हूँ कि नवीन हैंडपंपों का खनन हमारे क्षेत्र में नहीं किया गया है. मैं कहना चाहता हूं कि अधिक-से-अधिक जितने ज्यादा हो सके उतने हैंडपंप खनन हमारे क्षेत्र में किये जायें क्योंकि कहीं-कहीं छोटे मजरे-टोले भी हैं जहाँ पर लगभग दो-दो, चार-चार किलोमीटर दूर से पानी भरकर लाना पड़ता है और वहाँ पर पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, हैंडपंप नहीं हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र मुंगावली और जिला अशोकनगर में हैंडपंप खनन किये जायें. मेरी दूसरी बात यह है कि अभी मार्च का महीना चल रहा है और गर्मी के मौसम में अधिकतर मैंने बिजली विभाग का रवैया यह देखा है कि जब हैंडपंप का जलस्तर नीचे चला जाता है तो ग्रामीण क्षेत्र के हम सभी लोग ट्यूबवैल से पीने के लिए पानी लाते हैं तो इस टाइम पर बिजली विभाग की जो बिल की उगाही चलती है उससे परेशानी होती है. उपाध्यक्ष महोदय, आप भी जानते हैं कि किसानों की फसल की कटाई मार्च के महीने में होती है और अप्रैल में फसल आती है और बिकती है . मार्च के महीने की वजह से जब बिजली विभाग के लोग बिजली का बिल वसूलते हैं और किसान के पास देने के लिए पैसा नहीं होता है तो यह ग्रामीण क्षेत्र की लाइट काट देते हैं उससे सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि गरीब जनता को, आमजन को, सभी को पीने का पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है. मैंने अपनी आँखों से देखा है कि गाँव में अगर एक हैंडपंप चलता है तो सौ-सौ लोग उस पर 24 घंटे लाइन लगा कर पानी भरते हैं इसलिए मेरे क्षेत्र में इस समय पर लाइट ना काटी जाये और बिजली का बिल मार्च की बजाय अप्रैल माह में कर दिया जाये तो ठीक होगा क्योंकि मार्च में किसान की फसल बिकती नहीं है इसलिए किसी भी कीमत पर किसान बिजली का बिल मार्च में नहीं भर सकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि जिस जिले को सूखा घोषित किया जाता है उस जिले में किसानों को क्या-क्या सुविधा दी जाती हैं, क्या उस जिले के किसानों को सूखा राहत की राशि दी जाती है, क्या उस जिले के किसानों का बिजली का बिल माफ किया जाता है और भी अन्य जो सरकारी कर्ज है, वह माफ किया जाता है या उनका ब्याज माफ किया जाता है? यह सारी बातें कम से कम किसान को जानकारी में होना चाहिए. किसान सोचता है कि जिले को सूखा घोषित कर दिया है तो जिले में किसानों को राहत राशि जरूर मिलेगी. लेकिन अशोकनगर जिले को दो साल से सूखा घोषित किया गया है लेकिन आज तक एक भी किसान को सूखे के नाम पर एक भी रुपया दो साल से नहीं दिया गया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अशोकनगर जिले की बात कर रहा हूँ, पाँच साल से किसान की इतनी दयनीय हालत है अशोकनगर जिले में कि ओलावृष्टि, अतिवृष्टि, सूखा और कहीं पर पाला, लेकिन आज तक वह सुविधाएँ, जो किसान को मिलना चाहिए, वह नहीं मिलती हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं भावान्तर के बारे में कहना चाहता हूँ कि जो अभी सरकार ने नई भावान्तर योजना चालू की है. इस भावान्तर योजना से, जो सरकार कहना चाहती है कि भावान्तर योजना से जो ऊपर की हम राशि जो मंडियों का भाव निकालते हैं. लेकिन मैं कहना चाहता हूँ जैसे उड़द की बात करें हम तो दो हजार रुपये बिका था, अठारह सौ रुपये बिका था और चौबीस सौ रुपये सरकार ने दिए, जबकि समर्थन मूल्य 5400 रुपये है, तो किसान को कम से कम एक हजार रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान हुआ था, तो कम से कम किसान को समर्थन मूल्य का पूरा दाम तो मिलना चाहिए. मैं तो कहना चाहता हूँ कि भावान्तर योजना बन्द करके, समर्थन मूल्य में ही किसान के अनाज की खरीदी होना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं राशन की दुकान के बारे में कहना चाहता हूँ, मैंने स्वयं, अपनी आँखों से देखा है, मैंने अपने कानों से सुना है, राशन की दुकान एक ऐसी होती है, जहाँ पर गरीब को, सरकार के द्वारा हर महीने, बीपीएल का कूपन है, उसमें जितने व्यक्ति हैं, उस माध्यम से 5 किलो के हिसाब से दिया जाता है. लेकिन जो पीला राशन कार्ड होता है उसमें 35 किलो प्रति परिवार को दिया जाता है. लेकिन मैंने स्वयं यह देखा है और मैंने सुना है कि 35 किलो की जगह कहीं-कहीं तो 25 किलो और 20 किलो अनाज दिया जाता है. चाँवल दिया नहीं जाता. शक्कर तो मेरे ख्याल से छःमहीने और साल भर से किसी को मिली नहीं है और मैंने यह भी देखा है, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दुकानों के माध्यम से जो मैंने देखा है, इसमें बहुत भेदभाव देखा है, जितने भी राशन की दुकानों पर, अगर कोई भी बाँट रहा है, तो माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं क्षमा चाहूँगा, मैंने जितने भी देखे वहाँ पर, प्रायवेट एजेन्सी के द्वारा बँटवाया जाता है, (XXX), तो मैं कहना चाहता हूँ....
श्री दिलीप सिंह परिहार-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह तो सोसायटियाँ बाँटती हैं.इसमें भारतीय जनता पार्टी कहाँ आ गई?
उपाध्यक्ष महोदय-- इसको निकाल दें.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- 5 करोड़ लोगों को एक रुपये किलो गेहूँ, चाँवल मिल रहा है.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूँ कि सोसायटियों के माध्यम से प्रायवेट एजेन्सी बाँटती है. सोसायटियों के माध्यम से प्रायवेट लोग बाँटते हैं, सोसायटी नहीं. मैं कहना चाहता हूँ कि अगर आप बँटवाना चाहते हैं तो सरकारी कर्मचारी और जो....
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करें.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं पहली बार बोल रहा हूँ. दो प्वाईंट और रख रहा हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- एक मिनट और ले लीजिए.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कीटनाशक के बारे में कहना चाह रहा हूँ कि कीटनाशक की दवाई पर हमारी सरकार जो सब्सिडी देती है, अब वह सब्सिडी, सबसे ज्यादा किसान दवाई खरीदता है और सबसे ज्यादा अगर पैसे खर्च होते हैं तो जो खरपतवार नाशक दवाई है, उसमें किसान का सबसे ज्यादा खर्च होता है. किसान अब खरपतवार नाशक दवाई दोनों फसलों में डालने लगे हैं तो दोनों फसलों में जब किसान खरपतवार में दवाई डालता है वह सबसे महँगी आती है तो उसमें किसान को कम से कम 50 प्रतिशत सब्सिडी सरकार को देना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करिए.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक बात माननीय मुख्यमंत्री महोदय से कहना चाहूँगा कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय, जहाँ भी, जो भी घोषणा करते हैं, उन घोषणाओं को वे पूरा जरूर किया करें. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद, बृजेन्द्र सिंह जी. आपका भाषण अच्छा रहा.
श्री बाला बच्चन-- माननीय विधायक जी, फर्स्ट टाइम आपका स्पीच हुआ है, आपको बहुत बहुत बधाई. अच्छा स्पीच दिया.
श्री वेल सिंह भूरिया-- (अनुपस्थित)
उपाध्यक्ष महोदय-- वेल सिंह जी भूरिया गैर हाजिर हैं, लगता है उनका कोटा उन्होंने पहले ही पूरा कर लिया है.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज)-- उपाध्यक्ष महोदय, मऊगंज की जनता जनार्दन पिछले 15-20 वर्षों से मऊगंज को जिला बनाने के लिए संघर्ष कर रही है. मुझे पत्रकार साथियों और मीडिया के द्वारा जानकारी मिली है कि निवाड़ी को जिला बनाया जा रहा है. जिला बनने की स्थिति में कई तहसीलें होंगी जो जिला बन सकती हैं. सदन में वित्त मंत्री जी और संसदीय कार्य मंत्री जी भी उपस्थित हैं उनसे मैं कहना चाहूंगा कि प्रदेश में जिला बनने के लिए मऊगंज प्रथम पात्रता रखता है. यह मुझे जानकारी है शायद सभी को इस बात की जानकारी होगी. अगर कोई जिला बनता है तो मेरे मऊगंज का भी नाम उसमें शामिल होना चाहिए ऐसा मैं माननीय वित्त मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय, बिजली के मुद्दे पर अभी सत्तापक्ष के साथियों ने सरकार की वाहवाही की है. मैं एक छोटा सा उदाहरण देना चाहता हूँ विगत शनिवार, रविवार को मैं भी क्षेत्र में गया हुआ था. मेरे क्षेत्र में रामकिशोर केवट है जो कि गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करता है. उसके घर एक रिश्तेदार मोटर साईकिल से आए थे अचानक उसके घर पर कुछ लोग गए उससे यह कहा कि तुम्हारे बिजली के बिल बकाया हैं. तुमने बिल नहीं भरा है इसलिए यह मोटर साईकिल दो और यह कहकर उसके रिश्तेदार की मोटर साईकिल लेकर चले गए. वह मेरे पास आया और घटना बताई. हमने उन लोगों के खिलाफ थाने में रिपोर्ट कराई. बाद में पुलिस ने जानकारी लेना चाही तो पता चला कि इसका 10 या 12 हजार रुपए का बिजली का बिल बकाया है. इस पर मैंने अधिकारियों से बात की कि यह व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करता है, मोटर साईकिल उसके रिश्तेदारों की थी उसके रिश्तेदार की मोटर साईकिल उठाने की क्या जरुरत थी. उन्होंने बताया कि शासन के निर्देश हैं वसूली के लिए उसके तहत वसूली हो रही है. हम लोगों की नौकरी चली जाएगी, हम क्या करें हम मजबूर हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि इस समय बिजली काटी जा रही है. जहां एस.सी., एस.टी. के निवासी हैं उनके थोड़े बहुत बिजली के बिल बकाया हैं उनके भी बच्चे स्कूलों में पढ़ते हैं उनको भी परीक्षा देना है लेकिन सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं है. सरकार के सख्त निर्देश हैं जिसके तहत बिजली काटी जा रही है और लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है. उपाध्यक्ष महोदय, चाहे सत्तापक्ष के विधायक हों या विपक्ष के विधायक हों मैं दावे के साथ कहता हूँ हर व्यक्ति इस मुद्दे पर परेशान है लेकिन जब सत्तापक्ष के विधायक बोलने के लिए खड़े होते हैं तो मुख्यमंत्री जी और सरकार का इस तरह से स्तुति गायन शुरु कर देते हैं लगता है जैसे उन पर कोई दबाव है.
उपाध्यक्ष महोदय, उस दिन मुख्यमंत्री जी भाषण दे रहे थे कि सिंचाई का रकबा बढ़ा है. बताइए गिरीश गौतम जी क्या आपके क्षेत्र में बढ़ा है ? गिरीश गौतम जी मेरे क्षेत्र के बगल के विधायक हैं. पेयजल से पूरा क्षेत्र प्रभावित है जो सरकार पानी नहीं पिला सकती है वह सरकार सिंचाई का रकबा कितना बढ़ाएगी. रीवा जिले में मेरे विधान सभा क्षेत्र में यह स्थिति है कि लोग पेयजल के कारण पलायन की स्थिति में आ गए हैं. 600-700-1000 फीट तक खनन किया जा रहा है लेकिन पानी नहीं निकल रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह जी ने पिछले बजट सत्र में भाषण दिया था और कई विधायकों को ओब्लाइज किया था और कहा था कि हमने आपके क्षेत्र में सिविल अस्पताल स्वीकृत कर दिया है. आपके यहां हमने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्वीकृत कर दिया है. मऊगंज के लिए भी उन्होंने सिविल अस्पताल की घोषणा की थी. जब हमने विधान सभा से जानकारी चाही प्रश्न लगाया तो उनके माध्यम से जवाब आया है कि ऐसी कोई प्रक्रिया अभी नहीं चल रही है, प्रक्रिया प्रचलित है देखा जाएगा. मुख्यमंत्री जी ने मऊगंज को जिला बनाने की घोषणा की थी इसलिए यह बात आज मैंने उठाई है. इसी तरह से जो सदन में घोषणाएं की जाती हैं उसका जब हम प्रश्न लगाते हैं तो दूसरा जवाब आता है. यह सरकार की और बजट की स्थिति है. हमारे रामपाल भाई ने एक बहुत महत्वपूर्ण बात की थी उन्होंने कहा था कि अगर किसानों की इतनी चिन्ता है तो आप कर्ज माफी की बात क्यों नहीं करते हैं. एक बार कर्ज माफ हो जाए तो किसान मुक्त हो जाएगा. अभी कुछ विधायक साथियों ने कहा कि बोनस मिल रहा है, सरकार बोनस दे रही है, दो साल पहले का बोनस मिल रहा है. दो साल पहले बोनस बंद क्यों हुआ था ? जब डॉक्टर मनमोहन सिंह जी की सरकार थी तब बोनस की प्रक्रिया थी कोई आज की बात नहीं है. बोनस पहले भी बंद नहीं होना चाहिए था. यह सब सरकार की स्थिति है.
उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री वेलसिंह भूरिया (सरदारपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार से हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश में विगत 14 साल से गरीब कल्याण की योजना चला रही है. सबका साथ सबका विकास के साथ में बहुत ही अच्छा काम कर रही है. जब वर्ष 2003 में इस देश की जनता ने, मध्यप्रदेश की जनता ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाई तो मध्यप्रदेश एक बीमार राज्य के रूप में हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार के हाथों में दिया था. कांग्रेस के राज में कोई भी ऐसी बड़ी योजना नहीं बनी देश के हित में, प्रदेश के हित में इस मध्यप्रदेश के किसानों के लिए, गरीबों के लिए, दीन-दुखी, दरिद्रों के लिए ताकि अंतिम पंक्ति में बैठे व्यक्ति का विकास हो लेकिन मध्यप्रदेश के लाड़ले मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने गरीबों का मसीहा, दीन-दुखी, दरिद्रों का मसीहा, आदिवासी भाइयों का मसीहा गरीब के हित में गरीब कल्याण योजनाएं बनाईं. गरीब कल्याण योजना में कई प्रकार की योजनाएं हैं. मैं यदि आपको गिनाने जाउंगा तो 259 से अधिक योजनाएं मध्यप्रदेश के लाड़ले मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने गरीबों के लिए बनाई. मैं गिनाने जाउंगा तो मुझे लगभग डेढ़ से दो घण्टे लगेंगे. मैं कुछ मुख्य बातें बताउंगा. भारतीय जनता पार्टी की सरकार, गरीबों के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जिस व्यक्ति के पास मकान नहीं है, जिस व्यक्ति के पास छत नहीं है उसने मध्यप्रदेश की धरती के ऊपर जन्म लिया है तो उसको हमारे मध्यप्रदेश के लाड़ले मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी और माननीय जयंत मलैया जी उनको मकान बनाकर दे रहे हैं. हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी गरीब को छत बनाकर दे रहे हैं. हमारी सरकार ने गरीब को एक रुपए किलो गेहूं, एक रुपए किलो चावल की योजना दी है. मैं आपको बताना चाहता हूं देश को आजाद हुए 70 साल हो गए हैं. 70 साल में 50 साल तक कांग्रेस ने राज किया लेकिन गरीब का मकान नहीं बनाया, गरीब को पट्टा नहीं दिया. हमारी सरकार ने गरीब जो वर्ष 1980 से लगाकर वर्ष 2006 तक जो आदिवासी जंगल में निवास करता है उसको पट्टे देने का काम किया है.
श्री बाला बच्चन-- वेलसिंह जी यह वनाधिकार अधिनियम कब बना था?
श्री वेलसिंह भूरिया-- वनाधिकार अधिनियम वर्ष 2006 में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने बनाया और मैं आदिवासी मंत्रणा परिषद् का मेंबर हूं. बाला जी आप बैठे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- बाला जी आप उनका जनरल नॉलेज का टेस्ट मत लीजिए.
श्री वेलसिंह भूरिया-- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने आदिवासी मंत्रणा परिषद् का सदस्य इस गरीब आदिवासी भील को बनाया जो झाबुआ और धार से आता है. आज तक भी आदिवासी समाज के लोगों का सम्मान कांग्रेस ने नहीं किया. मैं एक बात पर बात बोलना चाहता हूं कि यदि आदिवासी समाज का सम्मान कांग्रेस पार्टी करना चाहती तो यह बाला बच्चन भईया गरीबों का मसीहा इनको विपक्ष का नेता बनाते अवाइड कर दिया,(XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- इसे कार्यवाही से निकाल दीजिए.
श्री वेलसिंह भूरिया-- मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी आदिवासी विरोधी पार्टी है. एक भी योजना आदिवासी के हित में कांग्रेस पार्टी ने इन 70 साल में नहीं की. 50 साल तक कांग्रेस पार्टी ने राज किया.50 साल में एक भी योजना यदि आदिवासियों के हित में कांग्रेस पार्टी ने बनाई हो तो मैं अपनी मूंछ कटवा लूंगा.
श्रीमती सरस्वती सिंह- आपकी मूंछ कट ही जायेगी.
श्री वेलसिंह भूरिया- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सीना ठोककर कहना चाहता हूं कि गरीबों के हितैषी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने आदिवासियों के लिए मकान बनवाये. उन्होंने न केवल आदिवासियों के लिए मकान बनवाये अपितु
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
आदिवासी को डिप्टी कलेक्टर, डी.एस.पी. बनाया. हमारे मध्यप्रदेश के लाड़ले मुख्यमंत्री जी ने आदिवासी को विदेश पढ़ने जाने की योजना बनाई.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में दो करोड़ आदिवासी रहते हैं. वाकई में सहरिया, बैगा और भील आदिवासी भाइयों को छोड़ दें तो सभी आदिवासियों का चेहरा कमल के फूल की तरह खिल रहा है. इन दो करोड़ आदिवासियों में पिछड़ी जातियां बहुत हैं और 14 साल में सभी का विकास होना संभव नहीं है लेकिन फिर भी हमारे मुख्यमंत्री जी ने योजना बनाई. आज हमारे वित्त मंत्री जी भी यहां बैठे हुए हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी का ध्यान इस बात की ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि सहरिया और भील आदिवासी विकास प्राधिकरण बनाने के लिए इस बजट में कुछ जोड़ा जाए तो यह बहुत ही अच्छा रहेगा. वैसे तो हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने समाज के हर वर्ग के लिए बहुत ही अच्छी योजनायें लागू की हैं और बहुत काम किया है. मैं कहना चाहूंगा कि उन्होंने इतना काम किया है कि आजादी के बाद यदि गरीब की सेवा करने वाला कोई मुख्यमंत्री हुआ तो वह भारतीय जनता पार्टी का मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
जिसके मन में मैल नहीं, वह कभी फेल नहीं,
चलती है गाड़ी उड़ती है धूल, अरे कांग्रेस उड़ाती है कीचड़,
कीचड़ के अंदर खिलते हैं फूल
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए धन्यवाद.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बजट अनुमान वर्ष 2018-19 , वित्तीय वर्ष 2018-19 में कुल विनियोग की राशि रुपये 2 लाख 4 हजार 642 करोड़ रुपये है. शुद्ध व्यय की कुल राशि रुपये 1 लाख 86 हजार 685 करोड़ रुपये अनुमानित है. इस राशि में राज्य शासन द्वारा राजस्व और पूंजीगत व्यय, राज्य सरकार द्वारा लिए गए ऋणों का मूलधन एवं शासन द्वारा विभिन्न प्रकार के दायित्वों की व्यय करने की राशि शामिल है. उक्त राशि राज्य की संचित निधि से व्यय की जायेगी.
कुल प्राप्तियां
राज्य की कुल प्राप्तियां 1 लाख 86 हजार 699 करोड़ रुपये अनुमानित है. जिसमें राजस्व प्राप्तियां रुपये 1 लाख 55 हजार 866 करोड़ एवं पूंजीगत प्राप्तियां 30 हजार 812 करोड़ रुपये है.
कुल व्यय
राज्य का शुद्ध व्यय रुपये 1 लाख 86 हजार 685 करोड़ अनुमानित है. जिसमें राजस्व व्यय रुपये 1 लाख 55 हजार 624 करोड़ है तथा पूंजीगत व्यय रुपये 31 हजार 61 करोड़ है.
राजकोषीय स्थिति
वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट के अनुमान अनुसार सकल राज्य घरेलू उत्पाद से राजकोषीय घाटे का प्रतिशत 3.24% है. ब्याज भुगतान का कुल राजस्व प्राप्तियों से प्रतिशत 8.25% है. सकल राज्य घरेलू उत्पाद से राजस्व आधिक्य का प्रतिशत 0.03% है. वर्ष 2004-05 से राज्य निरंतर राजस्व आधिक्य में रहा है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में भी राजस्व आधिक्य रहना अनुमानित है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में राज्य का कुल परादेय ऋण, सकल राज्य घरेलू उत्पाद की तुलना में 22.71% प्रतिशत अनुमानित है.
कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्र
कृषि बजट में वर्ष 2018-19 के लिए 37 हजार 498 करोड़ रुपये का प्रावधान है जो वर्ष 2017-18 के पुनरीक्षित अनुमान से 17 प्रतिशत अधिक है. किसान कल्याण विभाग की योजनाओं के लिए रुपये 9 हजार 278 करोड़ का प्रावधान है जो वर्ष 2017-18 के पुनरीक्षित अनुमान से 87 प्रतिशत अधिक है. गेहूं तथा धान उत्पादक किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ''कृषि समृद्धि योजना'' प्रारंभ की जा रही है. योजना के अंतर्गत लगभग 9 लाख किसानों को प्रति क्विंटल 200 रुपये के मान से प्रोत्साहन राशि प्रदान की जायेगी. योजना के अंर्तगत लगभग किसानों को 9 लाख किसानों को रूपये 200 के मान से प्रोत्साहन राशि प्रदान की जायेगी. योजना हेतु बजट में रूपये 3 हजार 650 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.
प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना हेतु बजट में रूपये 2 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है.
उद्यानिकी विभाग की योजनाओं के लिये रूपये 1 हजार 158 करोड़ का प्रावधान है, जो वर्ष 2017-18 के पुनरीक्षित अनुमान से 46 प्रतिशत अधिक है.
उद्यानिकी भावांतर भुगतान योजना के लिये रूपये 250 करोड़ का भुगतान किया गया है.
सहकारिता विभाग की योजना के लिये 1 हजार 627 करोड़ रूपये का प्रावधान है. प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के ऐसे सदस्य जो फसल ऋण सदस्य समय पर न चुकाने से डिफाल्टर होने से संस्थागत ऋण सुविधा प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं. उन्हें संस्थागत ऋण सुविधा से जोड़ने हेतु मुख्यमंत्री ऋण समाधान योजना प्रारंभ की जा रही है. इस योजना के रूपये 350 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
पशुपालन एवं मत्स्य पालन विभाग की योजनाओं के लिये क्रमश: रूपये 1 हजार 38 करोड़ और 91 करोड़ 89 लाख का प्रावधान किया गया है. अधोसंरचना मद अंतर्गत विभिन्न विभागों के लिये 23 हजार 506 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय, अधोसंरचना मद के तहत जो-जो भी सड़कें, पुलिया प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की हैं. मेरे पक्ष के विधायकों ने इस बारे में विस्तार से चर्चा की है. मैं सोचता हूं कि अगर फिर से यह बात करूंगा तो फिर से रिपीटेशन हो जायेगा. इसलिये मैं इसको छोड़ता हूं, समय भी हो रहा है.
ऊर्जा के बारे में चर्चा करना चाहता हूं- ऊर्चा क्षेत्र की योजनाओं के लिये रूपये 18 हजार 72 करोड़ का बजट प्रावधान है. इसमें विद्युत सबसिडी की राशि रूपये 9 हजार 212 करोड़ एवं उदय योजना अंतर्गत योजना अंतर्गत 4 हजार 622 करोड़ का प्रावधान सम्मिलित है.
दिनांक 25 सितम्बर, 2017 से प्रारंभ की गई सौभाग्य योजना अंतर्गत 43 लाख घरों को विद्युत कनेक्शन देने का लक्ष्य है. मार्च, 2018 तक प्रदेश के 5 जिलों में, अगस्त, 2018 तक 20 जिलों में तथा अक्टूबर, 2018 तक शेष 26 जिलों में शत-प्रतिशत घरों को विद्युत कनेक्शन देने का लक्ष्य है.
स्वास्थ्य क्षेत्र के विभिन्न विभागों के लिये 12 हजार 542 करोड़ का प्रावधान है. जिसमें से लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण के लिये 5 हजार 689 करोड़ का है. यह हमारे पुनरीक्षित 2017-18 के अनुमान से 21 प्रतिशत अधिक है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिये 1हजार 975 करोड़ की राशि है.
उपाध्यक्ष महोदय, पिछली बार माननीय सदस्य चर्चा कर रहे थे, अभी तो वह सदन में नहीं हैं कि हमारे यहां विषय विशेषज्ञ चिकित्सकों का बहुत अभाव है, यह नहीं है, यह नहीं है. मैं निवेदन करना चाहता हूं श्री दिग्विजय सिंह की सरकार थी और 10 साल रही है. तब सिर्फ 5 ही मेडिकल कॉलेज थे, छठवां मेडिकल कॉलेज नहीं खुल पाया है तो कहां से इतने स्पेशलिस्ट आ जायेंगे और सीटें भी नहीं बढ़ायीं. हमने सागर में मेडिकल कॉलेज खोला है और 7 मेडिकल कॉलेज अगले वर्ष और खुल रहे हैं. हमने मेडिकल एजुकेशन के लिये 2100 करोड़ रूपये की राशि भी रखी है.
इसके अलावा 8 निजी मेडिकल कॉलेज प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद खुले हैं. इसके साथ-साथ हमने एमबीबीएस की 450 सीट्स भी बढ़ायी हैं. उसका एप्रुवल हमको एमसीआई ने दिया है.
श्री सुखेन्द्र सिंह :- 14 साल हो गये हैं.
श्री जयंत मलैया :- हां-हां 14 साल हो गये हैं, कृपया आप बैठ जायें. आपको मालूम है कि 12 वीं कक्षा पास करने के बाद अगर आपको एम एस और एमडी करना है तो 12 -13 साल लगते हैं.
शिक्षा क्षेत्र के अंतर्गत विभिन्न विभागों के हेतु रूपये 25 हजार 470 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. इसमें स्कूल शिक्षा के लिये 21 हजार 724 करोड़ रूपये का प्रावधान है. उच्च शिक्षा के लिये 2 हजार 244 करोड़ रूपये का प्रावधान प्रस्तावित है, जो वर्ष 2017-18 के पुनरीक्षित अनुमान से 21 प्रतिशत अधिक है. तकनीकी शिक्षा एवं कौशल संवर्धन के लिये रूपये 1 हजार 501 करोड़ का बजट प्रावधान है, जो बजट वर्ष 2017-18 के पुनरीक्षित अनुमान से 61 प्रतिशत अधिक है.
उपाध्यक्ष महोदय, यहां मैं निवेदन करना चाहता हूं स्व-रोजगार के बारे में कि एक हमारे प्रधान मंत्री जी की बड़ी सफल योजना है, मुद्रा योजना. भारत सरकार द्वारा बैंकों के माध्यम से संचालित मुद्रा योजना में मध्यप्रदेश में हो रही प्रगति प्रशंसनीय है. चालू वित्तीय वर्ष में बैंकों के द्वारा और एनबीएफसी के द्वारा 24.14 लाख व्यक्तियों के लिए कुल मिलाकर 11,256 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया है और 10,771 करोड़ रुपये का ऋण निर्गमित किया जा चुका है. इस प्रकार लक्ष्य की राशि 9,710 करोड़ रुपये के विरुद्ध अब तक 111 प्रतिशत की उपलब्धि रही. इसी प्रकार से मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना एवं मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना हेतु 774 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान प्रस्तावित है. विभिन्न समाजिक वर्गों हेतु 9,543 करोड़ रुपये का प्रावधान है, जनजाति विकास के चारों संभाग इन्दौर, जबलपुर, भोपाल एवं ग्वालियर में प्रतिवर्ष 'आकांक्षा योजना' के अंतर्गत 1,600 आदिवासी विद्यार्थियों को राष्ट्रीय स्तर के इंजीनियरिंग, मेडीकल तथा लॉ कॉलेजों में बढ़ावा देने हेतु उत्कृष्ट कोचिंग संस्थाओं के माध्यम से नि:शुल्क कोचिंग दिये जाने का प्रस्ताव है. समग्र रूप से जनजातीय कार्य विभाग के लिए 6,861 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, इसी प्रकार विमुक्त, घुमक्कड़ तथा अर्धघुमक्कड़ जाति कल्याण हेतु 54 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. अनुसूचित जाति कल्याण प्रत्येक ज्ञानोदय विद्यालय की सीटों की क्षमता बढ़ाकर 280 से आगामी शैक्षणिक सत्र में 640 की जा रही हैं, 43 भवनविहीन छात्रावासों के लिए 108 करोड़ रुपये की लागत से भवन निर्माण की स्वीकृति अतिशीघ्र जारी की जा रही है. इसके अतिरिक्त बाबू जगजीवनराम छात्रावास योजना के अंतर्गत 10 कन्या छात्रावास एवं 10 बालक छात्रावास का निर्माण प्रस्तावित हैं. छात्रावासों के भवन निर्माण हेतु 122 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान प्रस्तावित है. अनुसूचित जाति कल्याण विभाग हेतु 1,636 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान है, जो वर्ष 2017-18 के पुनरीक्षित अनुमान से 20 प्रतिशत अधिक है. पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण इसके लिए 962 करोड़ रुपये का प्रावधानित प्रस्ताव है, ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं के लिए 18,165 करोड़ रुपये का प्रावधान है, प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए 6,600 करोड़ रुपये का प्रावधान है. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत 2,500 करोड़ रुपये, निर्मल भारत अभियान योजना के लिए रुपये 2,234 करोड़ रुपये का प्रावधान है, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के लिए 2,000 करोड़ रुपये का प्रावधान है, मध्याह्न भोजन कार्यक्रम योजना के लिए 1,100 करोड़ रुपये का प्रावधान है, नगरीय विकास एवं आवास इनकी योजनाओं के लिए 11,932 करोड़ रुपये का प्रावधान है, हाउसिंग फॉर ऑल योजना के अंतर्गत 1,700 करोड़ रुपये का प्रावधान है, अटल मिशन फॉर रिनोवेशन एण्ड अर्बन ट्रांसफार्मेशन योजना के अंतर्गत 935 करोड़ रुपये का प्रावधान है, स्मार्ट सिटी के लिए 700 करोड़ रुपये का प्रावधान है, एमपी अर्बन सर्विसेस इम्प्रूवमेंट प्रोग्राम अंतर्गत 400 करोड़ रुपये का प्रावधान है और स्वच्छ भारत अभियान के लिए 315 करोड़ रुपये का प्रावधान है, श्रम, राज्य सरकार द्वारा असंगठित क्षेत्र के कर्मकारों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने का विनिश्चय किया गया है, इस हेतु वर्ष 2018-19 में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान है. श्रम कल्याण की गतिविधियों को संचालित करने हेतु 321 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रस्तावित है. अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत सन् 2018-19 के बजट अनुमान 1278.53 करोड़ रुपये के अलावा 234.40 करोड़ रुपये शिक्षा विभाग तथा 120 करोड़ रुपये लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत किया गया है, इस प्रकार कुल बजट अनुमान 1,636.93 करोड़ रुपये है, जो कि पुनरीक्षित अनुमान वर्ष 2017-18 से 27 प्रतिशत अधिक है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यहां निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे सभी सदस्यों ने अपने-अपने विचार रखे, उनमें से दो विधायकों द्वारा वित्त के बारे में अपनी चर्चा या आशंका को रखा गया है. जिसमें से एक माननीय श्री सुंदरलाल तिवारी जी राजकोषीय घाटे की बात कर रहे थे और उनका यह कहना था कि भारत सरकार द्वारा वर्ष 2016-17 में जब राजकोषीय सीमा 3.5 तय की गई थी तो आपने कैसे 4.32 खर्च किया ? मैं यहां यह निवेदन करना चाहता हूं कि भारत सरकार ने उदय योजना के तहत हमारी जीएसडीपी की सीमा में 1.14 प्रतिशत वृद्धि दी थी और इसी के कारण हम उसको 4.64 तक खर्च कर सकते थे, परंतु हमने 4.32 खर्च किया जो निर्धारित सीमा के भीतर था.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि इसी प्रकार श्री के.पी.सिंह जी ने जब बात की तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ, जब हमारे प्रदेश के एक बहुत बड़े समाचार पत्र ने मुख्य पृष्ठ में हेडिंग में छापा कि वेतन, पेंशन और ब्याज पर 82 प्रतिशत का व्यय हुआ है और उसी को इन्होंने पढ़ दिया. यह ठीक भी है क्योंकि एक अखबार में जब कुछ आता है तो उस पर भरोसा होता है कि बड़ा अखबार है, मुख्य पृष्ठ पर ऊपर की हेडलाइन में लिखा है, तो सही ही होगा. लेकिन मैं यहां निवेदन करना चाहता हूं कि वेतन, पेंशन और ब्याज मिलाकर जो हमारी राजस्व की प्राप्तियां हैं इसका हमने 35.89 प्रतिशत ही खर्च किया है और एक तरफ मैं यह भी बताना चाहता हूं कि आप लोग भी बहुत बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे कि वेतन पेंशन और ब्याज पर आपकी सरकार जब थी, तब 64.21 प्रतिशत खर्चा करते थे, तो मैं बताना चाहता हूं कि हमने काम भी बढ़ाया और ब्याज भी घटाया है. जहां साढ़े 22 प्रतिशत ब्याज लगता था, वहां अब हम सवा 8 प्रतिशत ब्याज दे रहे हैं. हमने हर चीज को उसकी सीमाओं के भीतर लाने का काम किया है. आप सभी लोगों ने जितने भी माननीय सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया, उनका मैं आभार व्यक्त करता हूं और धन्यवाद करता हूं. इसके अलावा हमारे और भी जिन माननीय सदस्यों ने बातें उठाई हैं, उसका हमारे विभागीय मंत्री जी उनको उत्तर देंगे. मैं समझता हूं कि हमने 2018-19 के बजट में जो प्रावधान किये हैं, इससे निश्चित तौर पर हमारे प्रदेश को चहुंमुखी विकास में मदद मिलेगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं पुन: सभी माननीय सदस्यों का धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने इस चर्चा में भाग लिया और इसके साथ ही मैं अपनी बात समाप्त करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय--विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 13 मार्च, 2018 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपरान्ह्न 06.48 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 13 मार्च, 2018 (22 फाल्गुन, शक संवत् 1939) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : ए.पी.सिंह
दिनांक : 12 मार्च, 2018 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा