मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा द्वितीय सत्र
फरवरी, 2024 सत्र
सोमवार, दिनांक 12 फरवरी, 2024
( 23 माघ, शक संवत् 1945)
[खण्ड- 2 ] [अंक- 4 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 12 फरवरी, 2024
(23 माघ, शक संवत् 1945)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
मेडिकल कॉलेज का भवन निर्माण
[चिकित्सा शिक्षा]
1. ( *क्र. 1293 ) श्री हरिशंकर खटीक : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा टीकमगढ़ जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की स्वीकृति दी जा चुकी है? कृपया ऐसे आदेशों की छायाप्रतियां प्रदान करें। (ख) प्रश्नांश (क) के आधार पर यह भी बताएं कि मेडिकल कॉलेज भवन निर्माण हेतु कितनी-कितनी राशि स्वीकृत हुई है? प्रश्न दिनांक तक भवन निर्माण हेतु शासन द्वारा एवं जिले से भूमि आवंटन हेतु क्या-क्या कार्यवाही की जा चुकी है? कृपया अद्यतन स्थिति से अवगत कराएं एवं संपूर्ण कार्यवाही का विवरण प्रदान करें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के आधार पर बताएं कि प्रश्न दिनांक तक भूमि आवंटन न होने के क्या-क्या कारण हैं? मवई के पास की भूमि पर मेडिकल कॉलेज भवन बनेगा तो किस स्थान पर भवन बनने से जिले की जनता को अधिक लाभ होगा? कृपया कारण सहित संपूर्ण जानकारी दें। (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के आधार पर निश्चित समय-सीमा सहित बताएं कब तक मेडिकल कॉलेज का भवन निर्माण कार्य स्वीकृत राशि से प्रारंभ हो जायेगा?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। टीकमगढ़ जिले में चिकित्सा महाविद्यालय खोले जाने की सैद्धांतिक सहमति दी गई है, जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) उत्तरांश 'क' अनुसार। मेडिकल कॉलेज हेतु आवंटित भूमि पर माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर में रिट याचिका क्रमांक 29472/2023 विचाराधीन है। माननीय उच्च न्यायालय के पारित आदेश दिनांक 05.12.2023 द्वारा कलेक्टर के आदेश दिनांक 08.09.2023 को स्थगित रखा है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ग) उत्तरांश 'क' एवं 'ख' के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री हरिशंकर खटीक- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा टीकमगढ़ जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई थी. इसकी स्वीकृति के पूर्व जिला प्रशासन ने तैयारी की थी और ग्राम मवई के पास जमीन आवंटित करने की कार्यवाही की गई थी, उसमें 18 हैक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी लेकिन शासन द्वारा तय मापदण्ड के अनुसार 5 किलोमीटर दूर मेडिकल कॉलेज नहीं बनाया जा सकता है, ऐसा शासन का आदेश है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम मैं, अपनी सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं कि हमारी सरकार ने मेडिकल कॉलेज खोलने की जो सैद्धांतिक स्वीकृति दी है, उसके लिए मैं, पूरे टीकमगढ़ जिले की ओर से धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके बाद टीकमगढ़-कुण्डेश्वर रोड पर दूसरी जमीन आवंटित की गई थी, जो कि कृषि विभाग की भूमि है. कृषि विभाग के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा उस भूमि पर स्थगन दे दिया गया है. मैं, माननीय मंत्री जी से प्रार्थना करना चाहता हूं कि एक अन्य भूमि जो टीकमगढ़ से धजरई रोड पर लगभग 5 किलोमीटर दूरी पर है और 25 एकड़ से अधिक भूमि है.
मेरा निवेदन है कि मंत्री जी आदेश करें कि वह भूमि जो किलोमीटर की सीमा में है, उस भूमि को आवंटित करने की कार्यवाही की जाये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि सदस्य महोदय ने बताया कि जो भूमि आवंटित थी उसमें माननीय उच्च न्यायालय से स्टे लगे होने के कारण काम आगे नहीं बढ़ा है, दूसरी भूमि का जो भी विकल्प उपलब्ध है, उसके लिए विभाग जरूर शासन को लिखेगा और दूसरी भूमि मेडिकल कॉलेज के लिए आरक्षित हो जाये, इसके लिए हम जरूर निर्देशित करेंगे.
श्री हरिशंकर खटीक- अध्यक्ष महोदय, टीकमगढ़ से धजरई रोड पर भूमि है. क्योंकि पूर्व में टीकमगढ़ से कुण्डेश्वर रोड की भूमि पर स्टे लगा हुआ है और दूर जाने से भूमि मिलेगी नहीं. टीकमगढ़ से जतारा रोड है, वहां पहले मवई की भूमि आवंटित हुई थी लेकिन मवई दूर पड़ता है परंतु धजरई टीकमगढ़ से पास पड़ता है, यह 5 किलोमीटर की सीमा में भी आयेगा. यह भूमि आवंटित करने के लिए कार्यवाही की जाये.
तत्कालीन मुख्यमंत्री जी द्वारा वर्चुअली, बाउंड्री वॉल के लिए स्वीकृति राशि का भूमि पूजन भी कर दिया गया था. इसलिए क्षेत्र में जनता हमसे पूछती हैं कि यह कार्य कब तक प्रारंभ होगा. हमारी प्रार्थना है कि मंत्री जी निर्देश जारी करें और विनम्र प्रार्थना है कि आज ही जारी करें, जिससे भूमि समय-सीमा में आवंटित हो जाये और जो वर्चुअली भूमि पूजन किया गया था, उसका कार्य प्रारंभ हो जाये.
श्री राजेन्द्र शुक्ल- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि सदस्य ने बताया परंतु वहां बाउंड्री वॉल तो तब बनेगी जब भूमि, न्यायालय के स्टे से बाहर आयेगी. चूंकि स्टे लगा हुआ है इसलिए बाउंड्री वॉल बनाना संभव नहीं है. नई भूमि जिसके लिए आपने सुझाव दिया है उसके लिए हम जरूर जिला प्रशासन को लिखेंगे. गुण दोष के आधार पर, मापदंडों के आधार पर यदि वह उपयुक्त पाई जायेगी तो उसके आरक्षण की कार्यवाही करेंगे.
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको भी धन्यवाद और माननीय मंत्री जी को भी धन्यवाद.
परिशिष्ट - "दो" ओला पीड़ित किसानों को राहत राशि का वितरण
[राजस्व]
2. ( *क्र. 289 ) श्री दिव्यराज सिंह : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला रीवा के जनपद पंचायत जवा राजस्व तहसील जवा वृत्त अतरैला के अधीन ग्रामों में वर्ष 2023 के माह मार्च-अप्रैल में प्राकृतिक आपदा ओलावृष्टि के द्वारा कृषकों की फसल चौपट होने के उपरांत सर्वे कार्य कराया गया था? यदि हाँ, तो क्या कारण है कि लगभग 10 माह व्यतीत हो जाने के पश्चात भी किसानों को राहत राशि प्रदाय नहीं की जा सकी? (ख) प्रश्नांक (क) के अनुक्रम में जनपद पंचायत जवा के अधीन कुल कितने ग्रामों का ओलावृष्टि राहत राशि का सर्वे कराकर क्षतिपूर्ति राहत राशि का प्रकरण तैयार किया गया था? कुल कितने कृषकों के बैंक खातों में राहत राशि ट्रांसफर कर दी गई है तथा कुल ऐसे कितने कृषक शेष हैं, जिनके खातों में अभी तक राहत राशि ट्रांसफर नहीं की जा सकी है? (ग) कब तक ऐसे वंचित किसानों के बैंक खातों में ओला पाला क्षतिपूर्ति राहत राशि ट्रांसफर की जावेगी?
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) जी हाँ। वृत्त अतरैला अंतर्गत कुल 1313 कृषक प्रभावित पाये गये थे, जिनमें से 678 कृषकों का सहखाते में भूमि दर्ज होने से एवं सहखातेदारों के मध्य सहमति न बनने एवं बैंक खाता आधार लिंक न होने के कारण राहत राशि प्रदाय नहीं की जा सकी है। (ख) उत्तरांश (क) के अनुक्रम में जनपद पंचायत जवा अन्तर्गत कुल 28 ग्रामों में ओलावृष्टि से हुई क्षति का हल्का पटवारियों से सर्वे कराया गया था, जिसमें से राजस्व वृत्त अतरैला अन्तर्गत कुल 24 ग्रामों में 1313 प्रभावित कृषक एवं राजस्व वृत्त जवा के 4 ग्रामों में 376 प्रभावित कृषक पाये गये थे। कुल 1689 कृषकों का क्षतिपूर्ति राशि का प्रकरण तैयार किया गया था, जिसमें से 907 कृषकों के बैंक खातों में राहत राशि ट्रान्सफर कर दी गई है। शेष 782 प्रभावित कृषकों की भूमि सहखाते में होने व सहखातेदारों के मध्य सहमति न बनने एवं बैंक खाता आधार लिंक न होने के कारण राहत राशि ट्रान्सफर नहीं की जा सकी है। (ग) कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।
श्री दिव्यराज सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र सिरमौर अंतर्गत हमारा जो जवा क्षेत्र है वहां पिछले साल मार्च में ओलावृष्टि हुई थी जिसका मैंने और तत्कालीन कलेक्टर ने स्थल निरीक्षण भी किया था, लेकिन लगभग एक वर्ष होने को आया है वहां के राजस्व अमले ने इसका मुआवजा बांटने का काम बहुत ही धीमा किया है. मैं मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि मेरे प्रश्न लगाने के बाद कम से कम दो दिन पहले से इन्होंने मुआवजा देना शुरू कर दिया है, लेकिन अभी भी कई सारे लोग छूट रहे हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि अगर पटवारी के पास लोगों ने आवेदन किये थे क्योंकि लगभग 100 लोग उसमें अभी भी छूट रहे हैं जिनकी मुआवजा राशि अभी भी नहीं बनी है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि पटवारी के पास उनके आवेदन पड़े हुए हैं तो उन आवेदनों को निकलवाकर और उन आवेदनों का परीक्षण करके उनका नाम भी इसमें जोड़ा जाए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय विधायक जी ने बताया है कि कुल 1689 प्रभावित कृषक हैं और वितरण योग्य राहत राशि 88 लाख 37 हजार है. निश्चित रूप से इसमें चुनाव के कारण, पटवारियों की हड़ताल के कारण थोड़ा सा विलंब हुआ है. जैसे ही माननीय विधायक जी ने प्रश्न पूछा वैसे ही एकदम वितरण का कार्य चालू हो गया है, लेकिन लगभग 175 खाते ऐसे हैं जो कि आधार से लिंक नहीं हैं. मैंने कलेक्टर को निर्देश दिये हैं कि उनसे बात करके, उनके खातों को आधार से लिंक करके उनकी मुआवजा राशि भी वितरित की जाए. जहां तक आपने कहा है कि नए कुछ लोग छूट गए हैं तो मुझे लगता है कि उस समय जिनका सर्वे किया था उन सभी के नाम इसमें आ गए हैं और अभी मेरी जानकारी के अनुसार वहां कोई भी एप्लीकेशन विलंबित नहीं है और यदि माननीय विधायक जी बताएंगे तो हम एक बार उसका परीक्षण करा लेंगे.
श्री दिव्यराज सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा ऐसा मानना है कि जो जानकारी है मैंने अपने क्षेत्र से कार्यकर्ताओं के माध्यम से निकलवाई है इसमें लगभग 60 से 100 लोगों के नाम छूटे हुए हैं जिनकी सूची मैं माननीय मंत्री जी को दे दूंगा. उसमें कुछ नाम हैं जैसे रघुवीर प्रसाद साहू, उर्मिला साहू और कुछ लोगों के नाम उसमें छूटे हुए हैं उनका भी एक बार परीक्षण कर लें. इसमें रामरति पाण्डे नाम का एक पटवारी है जिसने इस कार्य में बहुत लापरवाही की है अगर हम उसके पास से दस्तावेज निकलवा लें, क्योंकि उसने उन दस्तावेजों को दबाकर रखा है, अगर वह दस्तावेज एसडीएम के माध्यम से प्राप्त हो जाएंगे तो उन आवेदकों के नाम भी जोड़ दिये जाएंगे. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि जो छूटे हुए नाम हैं और अगर पटवारी के पास उनके आवेदन पड़े हुए हैं तो उन नामों को भी जोड़ने का कष्ट करें. मैं दोबारा सर्वे की बात नहीं कह रहा हूं मेरा निवेदन केवल इतना सा ही है कि पटवारी के पास जो छूटे हुए आवेदन हैं उनको भी उसमें जुड़वा दिया जाए.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष जी, इसे देख लेंगे. मेरी जानकारी अनुसार जितने सर्वे हुए थे सभी नाम आ गए हैं परंतु यदि माननीय विधायक जी कह रहे हैं तो मैं कलेक्टर को निर्देशित कर दूंगा कि इस प्रकार के कोई आवेदन बाकी हैं जिनका सर्वे हो चुका है और उनका मुआवजा नहीं बना है तो तत्काल बनाने के निर्देश दे देंगे.
श्री दिव्यराज सिंह -- धन्यवाद मंत्री जी.
सिविल हॉस्पिटल निर्माण की जानकारी
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
3. ( *क्र. 1039 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीतामऊ सिविल हॉस्पिटल की स्वीकृति दिनांक एवं हॉस्पिटल हेतु आरक्षित चिन्हित भूमि सर्वे क्र. की जानकारी देवें तथा आरक्षित भूमि में निर्माणाधीन भवन का सर्वे क्र. एवं रिक्त पडे़ सर्वे क्र. की जानकारी पृथक-पृथक देवें? (ख) जनप्रतिनिधि एवं राजस्व तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा किए गए भूमि पूजन के सर्वे क्र. एवं स्थान की जानकारी देवें? (ग) जन भावना को दृष्टिगत रखते हुए भूमि पूजन जिस स्थान पर हुआ था, उस ही स्थान पर निर्माण कार्य किया जा रहा या अन्य स्थान पर निर्माण हो रहा है? यदि अन्य स्थान पर निर्माण हो रहा है, तो कारण की जानकारी देवें। (घ) क्या राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा उक्त निर्माण कार्य जो कि भूमि पूजन स्थान को छोड़ अन्य स्थान पर हो रहा है, उसे बंद कराने के आदेश दिए थे? यदि हाँ, तो वर्तमान निर्माण की स्थिति से अवगत करावें।
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) सीतामऊ में 30 बिस्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का 50 बिस्तरीय सिविल हॉस्पिटल में उन्नयन/निर्माण कार्य हेतु मध्यप्रदेश शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के आदेश क्रमांक PHFW-234/2022/सत्रह/मेडि-3, दिनांक 22.04.2023 द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गयी एवं जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट में समाहित है। (ख) जनप्रतिनिधि एवं राजस्व तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा सर्वे क्रमांक 338/1/1 कस्बा सीतामऊ तहसील सीतामऊ में भूमिपूजन किया गया। (ग) भूमिपूजन जिस स्थान पर हुआ था, उसी स्थान पर भवन निर्माण किया जा रहा है, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रश्नांश ''ग'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री हरदीप सिंह डंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई विधायक प्रश्न तभी पूछता है जहां पर उसको कुछ कमी नजर आती है. मेरा प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण है और इसमें मैंने तीन बातें पूछी हैं एक तो आवंटित भूमि में से जो निर्माण कार्य चल रहा है उसके अतिरिक्त उस आवंटित भूमि में से कितनी भूमि रिक्त पड़ी है. इसमें उत्तर आया है कि शासकीय भूमि में से कितनी भूमि आवंटित की गई है मैंने वह नहीं पूछा है मैंने यह पूछा है कि आवंटित भूमि में से कितनी भूमि रिक्त पड़ी है एक तो मेरे पास उसका उत्तर आ जाए और दूसरा प्रश्न यह था कि जब भूमिपूजन हुआ उसमें कौन-कौन से अधिकारी उपस्थित थे वह इसलिए पूछा गया उसमें आपने उत्तर दे दिया कि उसमें राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग के जनप्रतिनिधि थे बिलकुल सही है वह इसलिए पूछा गया कि तीसरे नंबर पर जो प्रश्न पूछा गया है कि जहां पर भूमि पूजन हुआ था उसी स्थान पर निर्माण कार्य चल रहा है यह बिलकुल असत्य जानकारी सदन में दी जा रही है. इसीलिए नाम पूछा गया है कि वहां पर कौन-कौन उपस्थित थे. बात छोटी है परन्तु सदन में गलत जानकारी देने की है कि जहां पर भूमि पूजन हुआ था वहीं निर्माण कार्य चल रहा है यह गलत जानकारी दी गई है. इसकी जांच आप तत्काल करें. वहां पर एसडीएम, तहसीलदार, स्वास्थ्य विभाग से बीएमओ उपस्थित थे और ठेकेदार उपस्थित थे. इन लोगों ने स्थान बदलकर दूसरे स्थान पर निर्माण प्रारंभ कर दिया है. सर्वे नंबर एक ही है परन्तु जहां पर भूमि पूजन हुआ था वहां निर्माण नहीं किया जा रहा है. एक भू-माफिया को लाभ पहुंचाने के लिए पीछे की तरफ निर्माण किया जा रहा है. यह हास्पिटल जनहित में रोड पर बनना था इसे इन्होंने पीछे बनाना शुरु किया है. इस निर्माण कार्य को तत्काल रोका जाए. आप यहां से एक आदेश दें, एसडीएम को, तहसीलदार को, बीएमओ को टेलीफोन करें और उनसे पूछें कि जहां पर भूमि पूजन किया गया था क्या वहां पर निर्माण कार्य हो रहा है. वे इसकी जानकारी दें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सीतामऊ सिविल अस्पताल में लगभग 19 करोड़, 32 लाख रुपए के उन्नयन की आपके विशेष प्रयास से मंजूरी मिली है.
श्री हरदीप सिंह डंग-- उसके लिए पूरे शासन को बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके लिए मैं आपको बधाई देता हूँ. जहां तक भूमि पूजन का सवाल है. एक पीस ऑफ लेंड है जिसमें 25 प्रतिशत ओपन एरिया था उसके बाद एक हेरिटेज बिल्डिंग है और 75 प्रतिशत एरिया उस हेरिटेज बिल्डिंग के पीछे है जो कि एक ही जमीन का खसरा नंबर है. भूमि पूजन माननीय सदस्य ने किया था. भूमि पूजन वहां पर हुआ था जहां खुला क्षेत्र था, साफ सुथरा था. भूमि पूजन तो वहीं होता है जहां साफ सुथरा रहता है, पीछे झाड़ झंगाड़ था. लेकिन जब 17 हजार स्क्वायर फिट में 19 करोड़ रुपए की बिल्डिंग बनाने की बात आई तो उसके लिए वह जमीन छोटी थी तो पीछे जो बड़ी जमीन थी, जो कि आवंटित है उस पर निर्माण कार्य शुरु हुआ है. कहीं कोई एप्रोच की भी समस्या नहीं है. सामने कृषि विभाग का ऑफिस है. बीच में हेरिटेज बिल्डिंग है. उन दोनों के बीच में माननीय सदस्य ने भूमि पूजन किया था और उसके पीछे एक बहुत बड़ी जमीन है, जहां पर यह बिल्डिंग बनेगी. इससे सामने का जो एरिया है वह पार्किंग में और अन्य कामों में उपयोग होगा क्योंकि सिविल अस्पताल में काफी फुटफाल रहता है. सामने ओपन एरिया रहेगा तो आपके लिए ज्यादा सुविधाजनक रहेगा. चूंकि जहां पर आपने भूमि पूजन किया है वहां पर लोगों के बैठने की बहुत बड़ी जगह रहेगी. आप यह मानकर चलें कि आपका भूमि पूजन बहुत सार्थक है.
श्री हरदीप सिंह डंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन्होंने आपको यह जानकारी दी है उनको धन्यवाद. मैं वहां पर रहता हूँ. मेरा जन्म वहां पर हुआ है. वहां पर पार्किंग के लिए कौन सी जमीन उपयुक्त होगी, कहां पर बिल्डिंग बनना चाहिए. तीन जगह कैंसिल करके मऊखेड़ा रोड पर कैंसिल की, लदूना रोड पर कैंसिल की और जहां पर भूमि पूजन किया वहां पर पूरी जनता को बुलाकर वहां के नगर पालिका के अध्यक्ष, मैं, एसडीएम, पूरे अधिकारी पूरे जनप्रतिनिधि उपस्थित थे. सबने तय किया था कि बिल्डिंग यहां पर बनेगी जो जनता की सुविधा के लिए रहेगी. परन्तु जहां पीछे बिल्डिंग बना रहे हैं वहां पर मरीज को ले जाने के लिए एक्सट्रा टाइम बर्बाद होगा. वहां पर वाहनों के जाने के लिए उचित जगह नहीं है. इसलिए तत्काल इस निर्माण कार्य को रोका जाए. जहां पर भूमि पूजन हुआ था वहां पर ही इसका निर्माण कार्य किया जाए. मंत्री जी आप खुद कह रहे हैं कि जहां पर भूमि पूजन हुआ था उसके पीछे बिल्डिंग बनाई जा रही है. उत्तर में दिया जा रहा है कि जहां पर भूमि पूजन हुआ था वहीं पर निर्माण कार्य चल रहा है. सर्वे नंबर एक है परन्तु स्थान एक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- हरदीप जी प्रश्न आ गया है अब मंत्री जी को बोलने दीजिए.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर में तो यह दिया गया है कि जिस भूमि पर भूमि पूजन हुआ था उसी भूमि पर निर्माण कार्य हो रहा है. भूमि कोई एक पाइंट तो है नहीं पूरा रकबा है. उसी रकबे पर ही निर्माण हो रहा है, रकबा चेंज नहीं हुआ है. जहां पर ज्यादा फैला हुआ क्षेत्र है वहां पर बिल्डिंग बनाने से फायदा होगा यह सोचकर बनाया जा रहा है. चूंकि आप वहां के स्थानीय जनप्रतिनिधि हैं और यदि आपकी कुछ बात है तो उसके पीछे जरुर कुछ न कुछ कारण होगा. आपके साथ बैठकर चर्चा करके जब तक आपको संतुष्ट नहीं कर लेंगे तब तक आगे नहीं बढ़ेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय, एक तो तत्काल निर्माण कार्य रोका जाए.
अध्यक्ष महोदय -- हरदीप सिंह जी, मैं समझता हूँ पर्याप्त है.
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय, यह सीरियस मेटर है, यह जनता के हित का मामला है. मंत्री जी जो कहेंगे मैं उनकी बात को मानूंगा. अभी तत्काल बंद कराया जाए और यह जिसने उत्तर दिया, जहां से आया है क्या वहां पर ही निर्माण कार्य ? इसका मतलब है कि हम गलत, हम असत्य और वह सत्य हैं ? इस पर तत्काल कार्यवाही की जाए जिसने भी गलत उत्तर दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी ने आपको कहा है कि व्यक्तिगत रूप से आप बात कर लें. आपको संतुष्ट करेंगे तभी आगे बढेंगे. इससे ज्यादा और क्या हो सकता है ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर बिल्कुल गलत नहीं है. भूमि वही है, आगे-पीछे का मामला है. उत्तर सही है. आपकी यदि उसमें कोई आपत्ति है तो बात करकें हम लोग देखेंगे, क्योंकि उसमें करीब 70-75 लाख रुपये खर्च भी हो गये हैं.
श्री हरदीप सिंह डंग -- मात्र 15 परसेंट है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- 76 लाख रुपये खर्च हो गया है.
अध्यक्ष महोदय -- चलिये, संपर्क से समाधान करें. प्रश्न क्रमांक 4 वीरेन्द्र सिंह लोधी जी.
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हूं कि 15 परसेंट मात्र काम हुआ है और वह जनता के हित का मामला है, तो खाली वह काम रोक दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- हरदीप जी, आपकी बात आ गई है.
श्री हरदीप सिंह डंग -- इतना आश्वासन आ जाए कि अभी काम रुक जाएगा. तब तक अगला काम नहीं चलेगा. उस काम को रोक दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब कार्यसूची आगे बढ गई.
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय, प्लीज मेरा निवेदन है वह जनहित का मामला है, आपका संरक्षण चाहता हूं कि उस काम को रोक दिया जाए. बहुत महत्वपूर्ण है नहीं तो मैं इतनी जिद नहीं करता है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं समझता हूं कि चर्चा पर्याप्त हो गई है.
श्री हरदीप सिंह डंग -- खाली निर्माण कार्य को अभी तत्काल बंद कर दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- आप चर्चा करेंगे तो समाधान निकल आएगा. प्रश्न क्रमांक 4 श्री वीरेन्द्र सिंह लोधी जी.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- आप अभी आकर मिल लेना.
श्री हरदीप सिंह डंग -- जी. धन्यवाद.
पेयजल उपयोग हेतु पगराडैम से 2 एम.सी.एम. पानी का आवंटन
[जल संसाधन]
4. ( *क्र. 614 ) श्री वीरेन्द्र सिंह लोधी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बंडा नगर के पेयजल उपयोग हेतु पगराडैम से 2 एम.सी.एम. पानी नगर परिषद बंडा को आवंटित हो जायेगा? (ख) आवंटन में कितना समय लगेगा? (ग) क्या आवंटन की कार्यवाही एक माह में होना संभव है?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) से (ग) वस्तुस्थिति यह है कि बेवस नदी पर निर्मित पगरा बांध में अनुपयोगी जल क्षमता (Dead Storage including Water below LSL + Evaporation Losses + Drinking Water use + Industrial Water use) 20.93 मि.घ.मी. है, जिसमें से वाष्पीकरण को घटाते हुए पगरा बांध से संलग्न परिशिष्ट अनुसार जल पूर्व से ही आवंटित किया जाना प्रतिवेदित है। अतः नगर परिषद् बण्डा को वर्तमान में पगरा डैम से 02 एम.सी.एम. जल आवंटित किया जाना संभव नहीं है, क्योंकि नगर परिषद बंडा की मांग अनुसार बेवस नदी से 2.00 मि.घ.मी. वार्षिक जल वृहद परियोजना नियंत्रण मंडल भोपाल के आदेश दिनांक 13.03.2023 द्वारा आवंटित किया जा चुका है। शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
श्री वीरेन्द्र सिंह लोधी -- अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे इस लोकतंत्र के मंदिर में बोलने का पहला अवसर दिया आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं. आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि मेरी बंडा विधान सभा क्षेत्र में जो बंडा नगर है वहां कई वर्षों में 6 से 8 दिन में पीने का पानी उपलब्ध होता है. बेवस नदी से जहां 2.00 मि.घ.मी. पानी आवंटित हुआ है वहां से कई वर्षों से हम लोग पानी उठाते हैं, मगर उससे हर दिन नगर को पानी मिलना संभव नहीं है तो मैं चाहता हूं कि जो उसके नीचे पगरा डैम बंधा है उससे नगर के लिये हमको पानी आवंटित करवाने की कृपा करें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, सदस्य ने जो भावना व्यक्त की है मैं भी मानता हूं कि पानी की कमी है. जिस डैम से आप बात कर रहे हैं वहां से पानी देना संभव नहीं है. हमने इनको बेवस नदी से 2.00 एमसीएम पानी आवंटित कर दिया है. कोई वैकल्पिक व्यवस्था बताएं तो उस डैम से पानी देने की कोशिश करेंगे.
श्री वीरेन्द्र सिंह लोधी -- अध्यक्ष महोदय, जहां से अभी पानी आवंटित हुआ है वहां से कई वर्षों से पानी की लिफ्टिंग की जाती है मगर उससे 6-8 दिन में ही हमें पानी उपलब्ध हो पाता है.
श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे पहले ही अनुरोध किया है कि कोई अन्य विकल्प बता दें जिस प्रकार से पंचम नगर परियोजना है वह 26 किलोमीटर दूर है, उसी के बाद उल्दर बांध बंडा 21 किलोमीटर है, क्योंकि वहां से जल मिशन की भी पाइपलाइन जा रही है, तो हमारी कोशिश होगी कि उसमें उसको सम्मिलित करके आपके पानी का समाधान करने की हम कोशिश करेंगे.
श्री वीरेन्द्र सिंह लोधी -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, जो बेवस का बंडा डैम है उसकी दूरी ज्यादा है तो मुझे लगता है कि यह संभव नहीं है कि वहां से हम बंडा नगर के लिये पानी ला सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- वीरेन्द्र जी, हो गया. कृपया बैठ जाएं. धन्यवाद.
चिकित्सकों एवं पैरा मेडिकल स्टॉफ के रिक्त पदों की पूर्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
5. ( *क्र. 686 ) श्री संजय उइके : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बालाघाट जिले की बैहर विधानसभा क्षेत्र में उप स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं सिविल अस्पताल में चिकित्सकों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ के कितने पद स्वीकृत हैं, स्वीकृत पद के विरूद्ध कितने कार्यरत हैं, कितने रिक्त हैं? (ख) बैहर विधानसभा क्षेत्र के स्वास्थ्य केन्द्रों में रिक्त चिकित्सकों के पद कब तक भरे जायेंगे?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) विभाग रिक्त पदों की पूर्ति लोक सेवा आयोग तथा संविदा आधार पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से निरंतर की जाती है। पदपूर्ति हेतु निश्चित समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है।
श्री संजय उइके -- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह प्रश्न पिछले पंचवर्षीय कार्यकाल में मैं बार-बार लगाता रहा हूं डॉक्टरों की पद पूर्ति के लिये, लेकिन आज पहली बार चर्चा में आ पाया है, तो मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मेरे यहां एक सिविल अस्पताल, एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और 9 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं, जिसमें लगभग 38 डॉक्टरों के पद हैं जिनमें से 22 पद रिक्त हैं और इसमें 7 पद विषय विशेषज्ञों के हैं जिसमें एक भी पद पूर्ति नहीं हो पाई है, तो यह 22 पद और विशेषज्ञों के पदों की कब तक पद पूर्ति की जाएगी ? मैं यह माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अध्यक्ष महोदय, इन अस्पतालों में जो रिक्त पद हैं, उसके लिये अभी तात्कालिक रुप से 21 पद के विरुद्ध 7 पद में चिकित्सा अधिकारी हैं और बाकी में 8 बांड एमबीबीएस की पोस्टिंग करके उसकी प्रति पूर्ति की गई है और 2 एनएचएम के डॉक्टर्स भी पदस्थ किये गये हैं. इसका मतलब यह है कि 7 और 8+2=17 भरे गये हैं. लेकिन पीएससी में हमारे नियमित पदों की भर्ती के लिये आवेदन वहां पर कार्यवाही में हैं और पूरे प्रदेश के लिये लगभग 406 स्पेशलिस्ट और 690 मेडिकल ऑफिसर, इनके पदों की भर्ती आने वाले 3-4 महीनों के अन्दर जब होगी, तो यह जो संविदा और बांड पोस्टिंग के डॉक्टर्स हैं, उनकी जगह हम नियमित डॉक्टर्स की भर्ती करने में सक्षम हो पायेंगे.
श्री संजय उइके-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि ये विशेषज्ञ डॉक्टर्स के 7 पद रिक्त हैं. इसके एक भी डॉक्टर्स की पद स्थापना नहीं हो पाई है. तो मैं चाहता हूं कि कम से कम स्त्री रोग विशेषज्ञ की पदस्थापना सिविल अस्पताल बैहर में हो. यह मैं चाहता हूं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अध्यक्ष महोदय, अभी एनएचएम के थ्रू हम कोशिश करेंगे कि उन पदों की प्रति पूर्ति हो जाये. लेकिन जो रेगुलर स्पेशलिस्ट चाहिये और मेडिकल ऑफिसर चाहिये. जैसा मैंने आपको बताया कि उसकी शासन के स्वीकृत पदों के विरुद्ध जो पीएससी से भर्ती होती है, उसमें 3-4 महीने का समय लगता है. तो अभी तक जिस प्रकार की स्थिति रही है, आने वाले दिनों में उससे बेहतर स्थिति आपको मिलेगी.
श्री संजय उइके-- अध्यक्ष महोदय, जब तक रेगुलर पदस्थापना न हो, तब तक कम से कम कोई महिला डॉक्टर की पदस्थापना सप्ताह में दो दिन जिला चिकित्सालय से करने की व्यवस्था करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी कुछ कहना चाहेंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अध्यक्ष महोदय, ठीक है, वह तो बात हो ही गई है. जो भी बेहतर हो सकेगा, क्योंकि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टर होना बहुत जरुरी है और हम लोग सारी एक्सरसाइज कर रहे हैं कि जहां कहीं से भी डॉक्टर को वहां पर पहुंचाया जा सके, पहुंचायें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, मेरा भी प्रश्न लगा हुआ है इसी से है, अनुमति हो जाये.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन-- अध्यक्ष महोदय, क्योंकि नये पदों का सृजन करना, नये डॉक्टर्स, फैकल्टी आने में टाइम लग रहा है, तो पूरे प्रदेश की यह स्थिति है. तो मैं यह सलाह जरुर देना चाहता हूं कि जो डॉक्टर्स, फैकल्टी, विशेषज्ञ हमारे रिटायर हो गये हैं, उनको अगर किसी पैकेज के तहत उनकी सेवायें ले ली जायें, तो मैं समझता हूं कि वह एक बेहतर विकल्प होगा और पूरे प्रदेश को इसका लाभ मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय-- यह तो सुझाव है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, चूंकि मेरा भी प्रश्न इसमें लगा हुआ था, लेकिन वह नहीं आ पाया है. मैंने मंत्री जी जी को पत्र दिया है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 100 बिस्तर के अस्पताल की बिल्डिंग बन चुकी है, वह कम्पलीट हो चुका है. शिफ्ट भी हो गया है हास्पीटल. मगर उसमें वर्ष 2019 में 1 करोड़ 77 लाख रुपये का प्रावधान था उपकरणों का. उन उपकरणों के बारे में कई पत्र लिख चुका हूं, विभाग से मुझे जवाब नहीं मिल पा रहा है. यदि उस व्यवस्था को आप बना देंगे, तो जो हमारा 100 बिस्तर का अस्पताल है, वह सुचारु रुप से संचालित हो जायेगा और जो उसका एक स्टैण्डर्ड होता है कि डॉक्टर्स का, पैरामेडिकल स्टाफ का, वह भी यदि व्यवस्था बन जायेगी, तो उस बिल्डिंग बनने का कोई औचित्य होगा और वह सुचारु रुप से संचालित होगा. यह परासिया का है, मैंने आपको पत्र भी दिया है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अध्यक्ष महोदय, ठीक है, मैं माननीय सदस्य के साथ बैठकर देख लूंगा कि क्या हो सकता है, क्योंकि आज कर्मचारी चयन मण्डल से भी हमें पर्याप्त पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती की जो प्रक्रिया थी, आज उसके परिणाम निकलेंगे, तो उससे हमें काफी पैरा मेडिकल का स्टाफ मिलेगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, मैं कब आऊं, मुझे समय बता दीजियेगा. कब मिलूं आपसे मैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- अध्यक्ष महोदय, आप तो आज ही मिल सकते हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, चलिये ठीक है.
अध्यक्ष महोदय-- कभी भी मिलो, सरकार पूरी तरह आपकी सेवा के लिये तैयार है. सही है ना.
माननीय मुख्यमंत्रीजी की गई घोषणा का क्रियान्वयन
[जल संसाधन]
6. ( *क्र. 1136 ) डॉ. प्रभुराम चौधरी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सांची विधानसभा क्षेत्रांतर्गत ब्लॉक गैरतगंज में डैम बनाने की घोषणा माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा की गयी थी? यदि हाँ, तो डैम की स्वीकृति कब तक की जावेगी? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित डैम का सर्वे विभाग द्वारा कराया जा चुका है? यदि हाँ, तो कितने किसानों की भूमि सिंचित करने का लक्ष्य रखा गया है? पंचायतवार जानकारी देवें।
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "अ" अनुसार है। मदनपुर तालाब, बेलनागढ़ी तालाब एवं सईदपुर तालाब की डी.पी.आर. परीक्षणाधीन होने से स्वीकृति दिए जाने की स्थिति नहीं है। स्वीकृति हेतु निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ख) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र "ब" अनुसार है।
डॉ. प्रभुराम चौधरी--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जो मैंने प्रश्न किया था, उसमें मैंने पूछा था कि मुख्यमंत्री जी के द्वारा कितने तालाब की घोषणा की गई. तो मंत्री जी ने जवाब तो दिया है कि कहुला, मदनपुर, बेलनागढ़ी और सईदपुर तालाब की घोषणा की गई थी. मैंने दूसरा इसमें साथ में यह भी प्रश्न किया था कि इसकी स्वीकृति कब तक की जायेगी. तो मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है, उसमें कहुला डैम का तो बताया है कि इसकी प्रशासकीय स्वीकृति हो गई है, लेकिन 3 डैम के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि यह डैम कब तक स्वीकृत किये जायेंगे. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि बाकी तीनों डेम मदनपुर तालाब, बेलनागढ़ी तालाब एवं सईदपुर तालाब कब तक स्वीकृत कर देंगे?
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, हमारे यह वरिष्ठ सदस्य हैं, जो मुख्यमंत्री जी ने घोषणाएं की थी, उनको पूरा करने का हमारी सरकार का दायित्व है.
अध्यक्ष महोदय - आप दोनों के बीच आत्मीयता काफी है तो दूरी दिखनी नहीं चाहिए.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय, जो इन्होंने कहुला डेम की बात की है, वह 11 करोड़ 98 लाख रुपये की है. इसमें सिंचाई का रकबा 406 हैक्टेयर है, इनको मध्यप्रदेश सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं, उसकी प्रशासकीय हमने दे दी है. मदनपुर तालाब की लागत 23 करोड़ 7 लाख रुपये है, सिंचाई का रकबा 825 है, इसका परीक्षण कराकर कार्यवाही की जाएगी. सईदपुरा तालाब, इसकी लागत 9826 लाख रुपये है, इससे 3177 हैक्टेयर में सिंचाई होगी. इसमें परीक्षण कराकर कार्यवाही कर रहे हैं. एक जो गंभीर मामला बेलनागढ़ी का है, इसकी लागत 16 करोड़ 28 लाख रुपये है इसमें प्रति हैक्टेयर लागत एवं डूब सिंचित क्षेत्र का जो मापदण्ड है वह बढ़कर 37 प्रतिशत आ रहा है, जबकि हमारा मापदण्ड 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, यह बाधा आ रही है, यह दिक्कत है.
डॉ. प्रभुराम चौधरी- अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहा था, यह तो मैंने ही बता दिया था कि 4 की घोषणा की गई, आपने जवाब में यह दे दिया है. एक की स्वीकृति हुई है, 3 कब तक स्वीकृत करेंगे और जहां तक परीक्षण की बात है तो उत्तर में आपने बताया है कि इनका परीक्षण हो चुका है और जो बेलनागढ़ी की बात कर रहे हैं कि उसमें अधिक दिक्कत है तो मैं चाहता हूं कि बेलनागढ़ी का आप दोबारा परीक्षण करा लें और बाकी सईदपुर और मदनपुर का तो परीक्षण पहले ही हो चुका है और साथ में रायसेन तहसील में भादनेर डेम भी है जिसका का परीक्षण हो चुका है और वह इंजीनियर इन चीफ लेवल पर भी लंबित है तो मैं माननीय मंत्री जी से यही निवेदन कर रहा हूं, मूल प्रश्न ही यह है कि मैंने जो प्रश्न पूछा था कि घोषणा की गई तो घोषणा 4 की गई, अब कब तक उनको स्वीकृत कर देंगे, एक जो स्वीकृति हुई है उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि कहुला का आपने पहले ही स्वीकृत कर दिया है, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- प्रभुराम जी का प्रश्न है कि कब तक स्वीकृत कर देंगे? हां या न में जवाब दे दें.
श्री तुलसीराम सिलावट - अध्यक्ष महोदय. अतिशीघ्र.
प्रश्न संख्या 7 - (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या 8 - (अनुपस्थित)
शासकीय भूमि पर किये गये अतिक्रमण को हटाया जाना
[राजस्व]
9. ( *क्र. 967 ) श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मुरैना जिले की अम्बाह विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत शासकीय/नजूल भूमियों पर कहां-कहां पर किस-किस खसरा क्रमांक पर किस-किस का अवैध कब्जा/अतिक्रमण है? (ख) उक्त अतिक्रमण को हटाने की क्या-क्या कार्यवाही की गई? यदि कार्यवाही नहीं की तो क्यों? (ग) क्या उक्त अतिक्रमण राजस्व अधिकारियों/कर्मचारियों की मिली-भगत से किया गया है? यदि नहीं, तो क्या इसकी जांच करायेंगे? (घ) उपरोक्तानुसार क्या अम्बाह विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत शमशान घाट की भूमियों पर अवैध रूप से अतिक्रमण किया हुआ है? यदि हाँ, तो अतिक्रमण हटाने के लिये जिला प्रशासन ने क्या कार्यवाही की और कब तक उक्त अतिक्रमण हटा लिया जायेगा?
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) मुरैना जिले की विधानसभा अम्बाह अन्तर्गत तहसील अम्बाह एवं पोरसा की शासकीय/नजूल भूमियों पर न्यायालय तहसीलदार में दर्ज अतिक्रमण/अतिक्रमणकर्ता की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ख) तहसील अम्बाह एवं पोरसा की शासकीय/नजूल भूमियों पर अतिक्रमणों को हटाने के लिये प्रकरण दर्ज कर संबंधित न्यायालय में विधिवत कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ग) तहसील अम्बाह एवं पोरसा की शासकीय/नजूल भूमियों पर अतिक्रमण में राजस्व अधिकारी/कर्मचारियों की मिली-भगत संबंधी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। अतः जांच का प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता है। (घ) अम्बाह विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत तहसील अम्बाह एवं पोरसा में श्मशान घाट की भूमि पर कोई अतिक्रमण नहीं किया गया है।
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार - अध्यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्न था, उसका जवाब माननीय मंत्री जी के द्वारा मुझे मिला है. मैं उससे संतुष्ट हूं.
अध्यक्ष महोदय - बहुत बहुत धन्यवाद.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - माननीय विधायक जी बहुत बहुत धन्यवाद.
हाई स्कूल भवन निर्माण
[स्कूल शिक्षा]
10. ( *क्र. 26 ) श्री कुँवर सिंह टेकाम : क्या परिवहन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीधी जिले के अन्तर्गत शासकीय हाईस्कूल सिकरा, जमुआ नं. 1, छुही एवं घरभरा का उन्नयन किस वर्ष में किया गया था? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उन्नयित हाईस्कूलों में भवन के लिये राशि स्वीकृत की गई है? यदि हाँ, तो राशि सहित जानकारी उपलब्ध करायें। (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में उन्नयित हाईस्कूलों में भवन के लिये राशि स्वीकृत नहीं की गयी है तो कब तक स्वीकृत कर दी जावेगी? (घ) क्या प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उन्नयित हाईस्कूल भवन विहीन हैं? यदि हाँ, तो बच्चों को अध्ययन अध्यापन के लिये भवन के निर्माण के लिये विभाग की क्या कार्ययोजना प्रस्तावित है?
परिवहन मंत्री ( श्री उदय प्रताप सिंह ) : (क) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान अंतर्गत शासकीय माध्यमिक शाला शिकरा एवं जमुआ नं-1 का हाईस्कूल में उन्नयन वर्ष 2016 में एवं राज्य बजट अंतर्गत शासकीय माध्यमिक शाला छुही एवं घरभरा का उन्नयन वर्ष 2018 में किया गया। (ख) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान अंतर्गत उन्नयित हाईस्कूल शिकरा एवं जमुआ नं. 1 के लिए भवन निर्माण हेतु प्रति भवन राशि रू. 100.00 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति संचालनालय के पत्र दिनांक 09.05.2017 द्वारा प्रदान की गई थी, जमीन के अभाव में उक्त कार्य प्रारंभ नहीं हो सके, अतः प्रशासकीय स्वीकृति आदेश को संचालनालय के पत्र दिनांक 12.08.2021 द्वारा निरस्त किया गया है। उन्नत हाई स्कूल छुही एवं घरभरा के भवन निर्माण की प्रशासकीय स्वीकृति बजट अभाव में जारी नहीं की गई है। (ग) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान अंतर्गत उन्नत स्कूलों की प्रशासकीय स्वीकृति भूमि के अभाव में निरस्त की जा चुकी है। राज्य योजना अंतर्गत उन्नत स्कूलों में नवीन भवन निर्माण बजट की उपलब्धता तथा सक्षम समिति की स्वीकृति पर निर्भर है। निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) जी नहीं। शेष उत्तरांश ''ग'' अनुसार।
श्री कुंवर सिंह टेकाम - अध्यक्ष महोदय, हमारे शासकीय हाई स्कूल सिकरा, जमुआ नं. 1, छुही एवं घरभरा का उन्नयन हुआ था, जिसमें से जमुआ नं. 1 और सिकरा का पैसा भवन निर्माण के लिए जारी हुई था, जमीन के अभाव में कार्य नहीं हो पाया, लेकिन अभी इन चारों स्थानों सिकरा, जमुआ नं. 1, छुही एवं घरभरा में जमीन उपलब्ध है. मेरा निवेदन है कि माननीय मंत्री महोदय अगर राशि स्वीकृत कर देंगे, जिससे वह भवनविहीन हाईस्कूल विद्यालय बन जाय.
अध्यक्ष महोदय - श्री केवर सिंह टेकाम जी, थोड़ा जोर से बोलें.
श्री कुंवर सिंह टेकाम - आवाज नहीं आ रही है और तेज करें.
अध्यक्ष महोदय - हां.
श्री कुंवर सिंह टेकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, शासकीय हाई स्कूल सिकरा, जमुआ नं. 1, छुही और घरभरा का पिछले दिनों में इनका उन्नयन हुआ था. इसमें जमुआ नं.1 और सिकरा के लिये राशि जारी हुई थी लेकिन जमीन के अभाव में भवन की राशि वापिस हो गई. अब जमीन सिकरा, जमुआ नं.1, छुही और घरभरा के लिये उपलब्ध है. मेरा माननीय मंत्री जी निवेदन है कि क्या राशि स्वीकृत करेंगे, जिससे भवनविहीन शासकीय स्कूलों के लिए भवन का निर्माण कर सकेंगे.
श्री उदय प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय वरिष्ठ सदस्य ने 4 स्कूलों के बारे में जानकारी मांगी है. एक इनका सिकरा स्कूल का है कि इसका कार्य प्रारम्भ क्यों नहीं हुआ है और जमुआ नं. 1 है. यह 4 स्कूल हैं इन चारों की अलग-अलग परिस्थितियां हैं. जो सिकरा स्कूल है आपने कहा है कि इनका कार्य क्यों प्रारम्भ नहीं हुआ है और कब राशि मिलेगी. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हॅूं कि प्रथम स्थान जो माध्यमिक शाला से 500 मीटर दूर था, वहां ग्रामीणों ने स्थल परिवर्तिन कराकर हाईवे में बनवाना चाहा, किन्तु जब विभाग इस पर तैयार हुआ, तो ग्रामीणों ने फिर स्थल को परिवर्तित कराना चाहा. पुन: नवीन स्थल चिन्हिृत किया गया, जिसका ले-आउट हुआ और इस प्रक्रिया में लगभग 2 वर्ष से अधिक का समय लग गया, जिसके कारण यह कार्य निरस्त कर दिया गया क्योंकि यह एक वित्तीय सिस्टम है उससे ज्यादा देर तक हम उसको डिले नहीं कर सकते. उसकी अपनी एक सीमा होती है. जमुआ नं.1 का जिस तरह से आपने जानना चाहा है वहां जमीन का आवंटन जितनी आवश्यकता है उससे कम जमीन उपलब्ध कराई गई है और इस पर भी जो जमीन उपलब्ध कराई, वहां पर उसमें भी एक आगंनवाड़ी भवन का निर्माण करा लिया गया है. अब नवीन भूमि प्राप्त नहीं होने के कारण उस पर भी हम काम नहीं कर सके. स्थानीय स्तर पर जब तक जमीन नहीं मिलेगी, तब तक हम वह काम चालू नहीं कर सकते और जो छुही और घरभरा का निर्माण का है उसमें भी यह राज्य योजनान्तर्गत स्वीकृत कार्यों में शाला उन्नयन के साथ भवन निर्माण करने की अनिवार्यता चूंकि नहीं है इसलिए इन कारणों से स्कूल भवनों की स्वीकृति नहीं हो सकी है और बहुत विस्तार से पहले भी आपको बताया गया है और यह टेक्नीकल फेल्योर के कारण जमीन की उपलब्धता न होना और जहां पर उन्नयन के समय यह अनिवार्यता नहीं है कि हम भवन उसके साथ में दें, इसलिए इन चीजों की हम पूर्ति नहीं कर सके.
श्री कॅुंवर सिंह टेकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी की बात से सहमत हॅूं बहुत प्रयास करके अब जमीन जमुआ नं.1 और सिकरा में तय हो चुकी है और छुही और घरभरा में जमीन ऑलरेडी विद्यालय के पास उपलब्ध है तो मेरा निवेदन था कि इसमें कब तक राशि स्वीकृत कर देंगे, जिससे भवन के अभाव में बच्चों को पढ़नें में असुविधा होती है तो वह असुविधा समाप्त हो.
श्री उदय प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को आग्रहपूर्वक एक प्रार्थना करना चाहता हॅूं कि मैंने पूर्व में भी कहा है कि इस योजना में जिन शालाओं का उन्नयन होना है उसमें नये भवन की बाध्यता नहीं है चूंकि सरकार सीएम राइज़ स्कूलों पर फोकस कर रही है और भविष्य में हमारी प्राथमिकता है कि इस प्रदेश में लगभग 9 हजार के आसपास सीएम राइज़ स्कूल खोले जाने हैं तो उस पर हम फोकस कर रहे हैं. उस पर प्राथमिकता दे रहे हैं और शीघ्र ही उस पर सरकार काम भी कर रही है. फिर भी मैं आपके साथ एक बार बैठ जाऊंगा, कि उसमें क्या बेहतर हो सकता है, एक बार बात कर लेंगे.
श्री कॅुंवर सिंह टेकाम -- ठीक है, धन्यवाद.
श्री सोहन लाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, मुझे जवाब जो मिला था कि प्राथमिक और माध्यमिक शाला भवनहीन नहीं हैं. मैं यह बताना चाहता हॅूं कि भवनहीन नहीं हैं यह बात सही है परन्तु जो भवन 20-25 साल पुराने हो गए हैं वे पूरे तरीके से जर्जर स्थिति में हैं और टूट चुके हैं. वहां स्कूल नहीं लग पा रहा है तो ऐसे भवनों को चिन्हिृत कराकर नये भवनों की स्वीकृति प्रदान करने की कृपा करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, सोहनलाल बाल्मीक जी का प्रश्न है. आपका सप्लीमेंट्री चल रहा है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, मेरा भी प्रश्न लगा हुआ था. उसमें माध्यमिक शाला और प्राथमिक शाला भवनहीन नहीं हैं. इसका मुझे जवाब चाहिए था.
श्री उदय प्रताप सिंह -- मैं जानकारी लेकर व्यक्तिगत रूप से आपको उपलब्ध करा दूंगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय मंत्री जी, मेरी बात सुन लीजिए. यह बात सही है कि भवनहीन नहीं हैं लेकिन स्कूल की जो हालत है वह पूरी तरह से डिस्मेंटल की स्थिति है. प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. ऐसी सूची मैं आपको दे दूंगा, तो नये भवन की स्वीकृति मिल जाएगी.
अध्यक्ष महोदय -- सोहनलाल जी, आपका प्रश्न आ गया. माननीय मंत्री, आप कुछ कहना चाहेंगे ?
श्री उदय प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं माननीय विधायक जी से चर्चा कर लूंगा.
श्री मधु भगत - अध्यक्ष महोदय, आपने इस पूरक प्रश्न पर बोलने का समय दिया इसके लिए धन्यवाद, मैं माननीय मंत्री जी से परसवाड़ा विधान सभा के विषय में कहना चाहता हूं, वहां एक घुनाड़ी पंचायत है, जिसमें बच्चियां 12-12 किलोमीटर तक बारहवीं की कक्षा पढ़ने के लिए जाती है, जंगल अंचलों में, अगर हम घुनाड़ी पंचायत में बारहवीं की शिक्षा को उन्नयन कर दें, वहां इस शिक्षा को संचालित कर दें तो हम मानकर चलते हैं कि बच्चियों का भविष्य उज्ज्वल होगा और वे सुरक्षित महसूस करेंगी, इसी प्रकार से परसवाड़ा के आदिवासी अंचल होने के कारण ऐसी सूची मंगा लिया जाए जहां बच्चियों को बारहवीं की कक्षा पढ़ने के लिए 12 से 15 किलोमीटर अन्य स्थान पर न जाना पड़े, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री उदय प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं, चूंकि हम सी.एम. राइज स्कूल पर काम कर रहे हैं, फिर भी हम देखते हैं, चूंकि आदिवासी अंचल आपने बताया है तो, आदिम जाति कल्याण विभाग भी शिक्षा के क्षेत्र में जुड़ा रहता है, तो इसमें क्या हो सकता है, इस बारे में आपसे बात कर लेंगे.
श्री सूर्यप्रकाश मीणा - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रारंभ में जब हाईस्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल स्वीकृत हुए तो उनमें भवन का प्रावधान नहीं था. बाद में सरकार ने योजना बनाई कि हम जहां हाईस्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल स्वीकृत करेंगे भवन के सहित करेंगे, तो प्रारंभ में जो स्वीकृत हुए वहां बहुत सारी शालाएं ऐसी हैं, जहां भवन अभी तक नहीं बने हुए हैं. मेरा आपसे आग्रह है कि समसाबाद विधान सभा क्षेत्र में जो भवन विहीन शालाएं हैं, उनमें भवन बनाने की स्वीकृति शीघ्र प्रदान की जाए.
श्री उदय प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में भी कहा है कि जैसे राज्य योजना के अंतर्गत स्वीकृत स्कूलों में भवन स्वीकृति की अनिवार्यता नहीं है. अत: भवन स्वीकृत नहीं हो सके और समग्र शिक्षा में अभियान के अंतर्गत उन्नत होने वाले भवन स्वीकृति भी की जाती है, किन्तु भूमि के अभाव में कई जगह भवन निर्माण नहीं हो पाए हैं. मैं एक बार आपसे इस बारे में बात करुंगा.
प्रश्न संख्या 11. डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - (अनुपस्थित)
प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला भवन, शौचालय, खेल मैदान आदि की व्यवस्था
[स्कूल शिक्षा]
12. ( *क्र. 785 ) श्री ओमकार सिंह मरकाम : क्या परिवहन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) डिण्डौरी जिले में सभी प्रा.शाला एवं मा.शालाओं के भवन, शौचालय, खेल मैदान, स्वच्छ पेयजल, बाउंड्रीवाल है, अगर हाँ तो प्रा.शाला पाटनगढ़ बड़ेटोला सेनगूड़ा, बड़े टोला, बिलाईखार, खिरिया, बहेराटोला, किमारिया, करेगिटोला आदि में भवन, शौचालय खेल मैदान बाउंड्रीवाल आदि क्यों नहीं हैं? अगर नहीं तो आदिवासी जिले के प्रा.शाला मा.शाला में भवन आदि की व्यवस्था क्यों नहीं है? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? कौन कौन से संस्थाओं में उपरोक्त व्यवस्था नहीं है, कब से नहीं है? कब तक उपरोक्त व्यवस्था होगी? संस्थावार जानकारी दें। (ख) वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 का गणवेश वितरण क्यों नहीं हुआ है? कब तक वितरण होगा?
परिवहन मंत्री ( श्री उदय प्रताप सिंह ) : (क) डिण्डौरी जिले की 1816 प्रा.शाला एवं मा.शालाओं में से 1679 में शाला भवन, 1766 में बालक शौचालय, 1742 में बालिका शौचालय, 1733 में खेल मैदान, 1816 में स्वच्छ पेयजल, 608 में शालाओं में बाउण्ड्रीवाल उपलब्ध है। प्रा.शाला पाटनगढ़ (करंजिया) में शाला भवन मरम्मत योग्य है, शौचालय उपलब्ध है एवं क्रियाशील है, खेल मैदान हेतु भूमि शाला से समीपस्थ 200 मीटर दूरी पर माध्यमिक शाला का उपयोग किया जा रहा है। प्रा.शाला बड़ेटोला सेनगूड़ा में नवीन भवन निर्माण हेतु जिला स्तर से राशि 9.31 लाख स्वीकृत की गई है, कार्य प्रगतिरत है, शौचालय उपलब्ध एवं क्रियाशील है, स्वच्छ पेयजल एवं खेल मैदान उपलब्ध है, बाउण्ड्रीवाल उपलब्ध नहीं है। प्राथमिक शाला बडेटोला बिलाईखार के भवन एवं शौचालय मरम्मत हेतु शाला प्रबंधन समिति को आकस्मिक निधि से आवश्यक मरम्मत कार्य हेतु निर्देशित किया गया है, स्वच्छ पेयजल एवं खेल मैदान उपलब्ध है, बाउण्ड्रीवाल उपलब्ध नहीं है। प्राथमिक शाला खिरिया बहेराटोला, किमारिया, करेनिटोला नाम की शाला जिले के किसी भी विकासखण्ड में संचालित नहीं है। समग्र शिक्षा अभियान की वार्षिक कार्ययोजना वर्ष 2024-25 में उक्तानुसार अधोसंरचनाओं की पूर्ति हेतु मांग की जा रही है, भारत सरकार से स्वीकृति एवं बजट उपलब्धता अनुसार निर्माण कार्य कराये जाना निर्भर है। वर्तमान में खेल मैदान एवं बाउण्ड्रीवाल निर्माण पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किये जाते हैं। उक्त व्यवस्था विहिन शालाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) सत्र 2022-23 में कक्षा-1 से 4 एवं 6 से 7 के 1,34,988 गणवेश का वितरण किया जाना था. स्व-सहायता समूह के माध्यम से 133110 गणवेश वितरण किया गया है। शेष गणवेश वितरण की कार्यवाही जारी है. सत्र 2023-24 में स्व-सहायता समूह के माध्यम से गणवेश प्रदाय की कार्यवाही जारी है।
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मंत्री जी ने जो उत्तर दिए हैं, उसमें असत्य जानकारी आंकड़े पर दिए गए हैं, जिस तरह से मैंने डिण्डौरी जिले के प्राथमिक शाला और माध्यमिक शाला के भवनों की उपलब्धता, शौचालय, पीने के पानी की उपलब्धता के विषय में पूछा. मुझे उम्मीद थी कि आप सही जानकारी देंगे, पर आपने आंकड़े ही पूरी तरह से जिस तरह से 1816 प्राथमिक शाला एवं माध्यमिक शालाओं में से आपने कहा है कि 1679 भवन अच्छे हैं. अगर आप इस आंकड़े से सहमत है तो मैं चाहूंगा कि आप इसके भौतिक सत्यापन के लिए एक विधान सभा स्तर की कमेटी बनाकर के भेज दी जाए और अगर आपके आंकड़े सही है तो मैं दलगत नीति से ऊपर उठकर आपका सार्वजनिक सम्मान करने के लिए तैयार हूं, अगर आंकड़े सही नहीं तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा, इसकी जानकारी आप मुझे देने की कृपा करेंगे. दूसरा आप ने ही स्पष्ट किया है कि 137 प्राथमिक शाला, माध्यमिक शाला भवन नहीं है, दूसरे में बालक के शौचालय 50 नहीं है. बालिकाओं के शौचालय, एक तरफ समग्र स्वच्छता से जुड़े हुए प्रत्येक व्यक्ति को आप व्यवस्थित शौचालय देने की बात करते हैं, ये आपके आंकड़े हैं, इसमें 78 बालिकाओं के शौचालय नहीं है और वहीं पर, अध्यक्ष महोदय जी मैं आपको धन्यवाद भी दूंगा कि आपने कहा है कि भारत सरकार पैसा नहीं दे रही इसलिए आप ये काम नहीं कर पा रहे हैं तो मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि क्या आपके प्रदेश सरकार की कोई धनराशि इसमें नहीं है, क्या भारत सरकार पर ही है? अगर भारत सरकार पर ही है तो माननीय मोदी जी पूरी दुनिया में बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए बात कर रहे हैं तो हमारे डिण्डौरी आदिवासी जिले के लिए क्या पैसे नहीं है? क्या आप मुझे इसमें जानकारी देंगे कि क्या आपके पास पैसे नहीं है या भारत सरकार के पास नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - ओमकार सिंह जी जवाब आने दीजिए.
श्री उदय प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि डिण्डौरी विधान सभा में 859 शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाएं संचालित हैं, जिसमें 67 शालाओं के भवन जर्जर होने के कारण नवीन भवन की आवश्यकता है, यह विभाग ने स्वयं स्वीकार किया है. 627 शाला भवन मरम्मत योग्य है, 24 शालाओं में बालक एवं 39 शालाओं में बालिका शौचालय जर्जर होकर अनुपयुक्त हो चुके हैं, इस हेतु नवीन शौचालय निर्माण की आवश्यकता है. वार्षिक कार्य योजना वर्ष 2024-25 में जिलों से प्राप्त प्रस्ताव अनुसार नवीन निर्माण हेतु नियमानुसार राशि की आवश्यकता है, जिस पर हम काम भी कर रहे हैं. दूसरा एक आग्रह मैं और करना चाह रहा था कि जो जर्जर भवन जो आपने बताया है, उसमें लगभग अनुमानित लागत 33 करोड़ रूपये की आना है, मरम्मत योग्य में 5 करोड़, बालक शौचालय में 67 लाख रूपये, बालिका शौचालय में 1 करोड़ 14 लाख रूपये, ऐसे कुल लगभग 40 करोड़ रूपये की राशि इसमें लगना है, जिसके लिये हम इसमें देखते हैं कि किस स्तर पर इसका उपयोग हो सकता है, बाकी आदिवासी अंचल में बेहतर शिक्षण व्यवस्था हो और भवनों की प्रापर उपलब्धता हो और साथ ही सी.एम.राईज हमारे जो हैं, जिस पर हम लोग काम कर रहे हैं, हमारा फोकस उस पर है कि बेहतर से बेहतर और निर्धारित दूरी पर सी.एम.राईज आपको आगे आने वाले समय में मिले, जिससे यह जो विसंगतियां हैं, उन विसंगतियों को हम दूर कर सकें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जी मैं आपका संरक्षण चाहूंगा, एक तरफ तो आप कहते हैं कि आदिवासी जिले में आप पूरी तरह से ध्यान दे रहे हैं, दूसरी तरफ आप 40 करोड़ की बात कर रहे हैं और यहां 3 हजार 200 करोड़ रूपये आप ब्याज में पैसा दे रहे हो. हमारे आदिवासी जिले की आप शैक्षणिक व्यवस्था के लिये पैसा नहीं दे रहे हो. माननीय मंत्री जी आप दिलदारी से घोषणा करिये कि 40 करोड़ रूपये हम स्वीकृति दे रहे हैं. एक तरफ चुनाव में जाकर अभी कल मोदी जी कह रहे थे कि जनजाति विकास के लिये हमने खजाना खोला है तो आपको क्यों नहीं मिल रहा है भाई, कौन सा अंतर है. आप इस पर घोषणा करिये, माननीय अध्यक्ष महोदय जी, यह जो राशि के लिये बोल रहे हैं कि आपके पास स्कूल के लिये पैसा नहीं है और आप जनजाति विकास के लिये बात कर रहे हैं. मेरा अनुरोध माननीय मंत्री जी से है कि आप घोषणा करिये. आप दिलेरी से करिये, आप दमदारी से संसद में भी बात करते थे, यहां काहे कमजोर होने लगे हैं, आप घोषणा करिये की 40 करोड़ रूपये की राशि आप दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- मरकाम जी, प्रश्न पूछिये निर्देशित मत करिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक ही प्रश्न है कि क्या आप यह जो राशि का आपने प्रपोजल किया है, इसकी क्या आप घोषणा करेंगे कि इसकी राशि हम स्वीकृत करते हैं? तो हम पर बड़ी कृपा होगी.
श्री उदयप्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूर्व में ही विस्तार से माननीय सदस्य को जवाब दे चुका हूं. मुझे लगता है कि इसके आगे और जवाब देने की आवश्यकता महसूस नहीं हो रही है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पैसा नहीं दे रहे हैं, यह घुमा रहे हैं. हम भी चार बार के विधायक हैं, माननीय मंत्री जी आप घुमाओ मत, आप घोषणा कर दो और छोटी सी राशि 40 करोड़, 50 करोड़ कौन सी बड़ी बात है. अध्यक्ष महोदय, आप इनसे घोषणा करने का आदेश कर दीजिये, आपसे बड़ी उम्मीद है, आपके आदेश मानेंगे, आपसे डरते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक-13.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न और मेरा महत्वपूर्ण है.
अध्यक्ष महोदय -- अब उसके बाद पूछ लेना, मैं आगे बढ़ गया हूं. आप प्रश्न नहीं कर रहे थे, इसीलिये मैं आगे बढ़ा हूं, मैंने सोचा आप तीसरा प्रश्न करोगे, इसका अवसर भी आपको दिया था, अब प्लीज आगे बढ़ने दीजिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जी एक प्रश्न गणवेश से जुड़ा हुआ है. एक प्रश्न पूछने की आप कृपा करे दें.
अध्यक्ष महोदय -- चलिये आप प्रश्न करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि आपने वर्ष 2022-23 की गणवेश का वितरण नहीं किया है. यह आपने अपने ही उत्तर में दिया है. 1878 बच्चों को वर्ष 2022-23 का नहीं मिला है तो वर्ष 2023-24 की आप कल्पना ही मत कीजिये, तो मेरा निवेदन है कि क्या इसी तरह से आप गणवेश वितरण नहीं कर पायेंगे? तो आप कृपा कर सदन में जानकारी दे दें.
श्री उदयप्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि वर्ष 2022-23 की जो हमारी गणवेश है, वह पूरी तरह से उपलब्ध करा दी गई है और वर्ष 2023-24 की जो गणवेश की स्थिति है, उसकी जानकारी मैं आपको देना चाहता हूं कि 98 लाख 12 हजार 930 गणवेश हमको प्रदाय करने का लक्ष्य था, जिसमें 95 लाख 22 हजार 90 गणवेश हम विद्यालय को उपलब्ध करा चुके हैं, जो लक्ष्य का 97 प्रतिशत है, शेष जो है उसको जिले वार हम शीघ्र उपलब्ध करवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक-13 श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर जी आप अपना प्रश्न करें. (श्री ओमकार सिंह मरकाम द्वारा लगातार अपने आसन से कहने पर) श्री मरकाम जी आप कृपा करके बैठिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि आंकड़े सही नहीं आयेंगे तो फिर कैसे काम चलेगा, जनता क्या देखेगी.
अध्यक्ष महोदय -- उसकी भी व्यवस्था अपनी प्रक्रिया में है, आप मुझे बताईयेगा.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, आप निर्देशित कर दें. आप चाहें तो पी.एस. से पढ़वा लें, हायर एज्यूकेशन वाले से पढ़वा लें कि यह आंकड़े सही है या नहीं. अध्यक्ष महोदय, यह असत्य आंकड़े पढ़ेंगे तो कैसे काम चलेगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप कृपा करके बैठ जायें श्री नितेन्द्र जी को प्रश्न करने दें.
धारा 115 के तहत लंबित प्रकरण
[राजस्व]
13. ( *क्र. 6 ) श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में धारा 115 के तहत रिकॉर्ड दुरस्ती एवं पोथी में नाम परिवर्तन के कितने प्रकरण लंबित हैं? (ख) कब तक उक्त लंबित प्रकरणों का निराकरण किया जावेगा? कृपया प्रकरण लंबित रहने के कारण बतावें।
राजस्व मंत्री ( श्री करण सिंह वर्मा ) : (क) प्रदेश में धारा 115 के तहत राजस्व न्यायालयों में कुल 36435 प्रकरण लंबित हैं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) न्यायालयीन प्रक्रिया के अध्यधीन है।
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से प्रश्न के माध्यम से जो आग्रह किया था उसके जवाब से तो मैं सहमत हूं, किंतु दूसरा जवाब मुझे उतना संतोष जनक नहीं लगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की सरकार रही हो, दोनों ने अच्छे कानून बनाये, लेकिन मेरा मानना है कि उनका पालन जमीन पर सही से नहीं हो रहा. आज तहसील में आम आदमी सबसे ज्यादा परेशान है, चाहे पैतृक संपत्ति का ट्रांसफर हो या बंटवारा हो, या क्रय विक्रय हो और मुझे लगता है मेरी बात से सदन में हर व्यक्ति सहमत होगा कि कई जनप्रतिनिधियों के पास फोन आते होंगे कि अधिकारियों से कह दो कि लोग परेशान हो रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने पिताजी के समय से देखता आ रहा हूं कि कई वृद्धजन आकर परेशान होते हैं कि उनके काम नहीं हो रहे हैं, सुनवाई नहीं हो रही है. मैं कहना चाहता हूं कि समस्या यह है कि सही काम के लिये व्यक्ति को सिफारिश की जरूरत क्यों पड़ रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, जो चिंता का विषय है और मुझे लगता है कि इसके लिये हमें सोचना होगा जिससे प्रदेश के नागरिकों को ट्रांसफर, बंटवारे, क्रय विक्रय के लिये दर-दर नहीं भटकना पड़े. धन्यवाद अध्यक्ष जी.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद देता हूं माननीय सदस्य महोदय को. मुझे कहते हुये बहुत प्रसन्नता है कि हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद राजस्व महाअभियान 15 जनवरी से 29 जनवरी तक प्रारंभ किया है और मुझे सदन को अवगत कराते हुये बहुत प्रसन्नता है कि इस दौरान अभी यह प्रक्रिया प्रचलित है पर इस दौरान नामांतरण में प्रदेश में लगभग 153960 प्रकरण लंबित थे जिसमें से 115574 का निराकरण हो गया. बंटवारे में 30876 लंबित थे, उसमें 20719 का निराकरण हो चुका है. सीमांकन में भी लगभग 32005 लंबित थे जिसमें से 19774 का निर्णय हो चुका है. अध्यक्ष महोदय, सिर्फ अभिलेख दुरूस्ती जिसके 26834 प्रकरण थे उसमें सिर्फ 7722 का ही निराकरण हुआ है, मैंने फिर विभाग से पूछा कि इसमें इतना धीमा क्यों है तो बाकी नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन में तो समय सीमा है किंतु अभिलेख दुरूस्ती में अभी समय-सीमा नहीं है. मैंने विभाग को निर्देश दिये हैं कि इसमें भी समय-सीमा निर्धारित की जाये. कम से कम 3 महीने और 6 महीने के बीच में अभिलेख दुरूस्ती के जितने भी निर्णय हैं वह हो जाना चाहिये, ऐसे निर्णय मैंने दिये हैं.
अध्यक्ष महोदय-- पूरक प्रश्न.
श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि कृपया प्रकरण लंबित रहने के कारण बता दें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, मैंने बताया कि समय सीमा के तो सब हो रहे हैं पर जिसमें अभिलेख दुरूस्ती में समय-सीमा नहीं थी तो अब समय-सीमा उसकी निर्धारित कर दी जायेगी, उसमें भी विलंब नहीं होगा.
सिंचाई परियोजनाओं की जानकारी
[जल संसाधन]
14. ( *क्र. 1007 ) श्री उमाकांत शर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिले में विभाग द्वारा कौन-कौन सी लघु, मध्यम, वृहद सिंचाई परियोजनाएं, नदी, तालाब, बैराज आदि स्वीकृत हैं तथा प्रगतिशील हैं? विकासखण्डवार लघु, मध्यम, वृहद् सिंचाई परियोजनावार, जानकारी उपलब्ध करावें। कितनी परियोजनाओं की डी.पी.आर. बन चुकी है? कितनी परियोजनाओं की साध्यता हो चुकी है? कितनी परियोजनाओं की साध्यता होना शेष है? विस्तृत जानकारी परियोजनावार, विकासखण्डवार उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में उक्त सिंचाई परियोजनाओं का कार्य कब से प्रारंभ है? कार्यादेश की छायाप्रति, तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति, कार्यपूर्णता की दिनांक सहित अभी तक हुये कार्य का विवरण एवं ठेकेदार को विगत 05 वर्ष से प्रश्नांकित अवधि तक सिंचाई परियोजनाओं की अद्यतन स्थिति, भुगतान की जानकारी, शेष भुगतान की जानकारी का विवरण माहवार, परियोजनावार बतावें। यदि इन योजनाओं का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है, तो कार्य प्रारंभ कब-तक कर दिया जावेगा? समय-सीमा बतावें एवं विलंब के लिए दोषी कौन है? दोषी पर क्या कार्यवाही की गई? कृत कार्यवाही की छायाप्रति तथा कार्य प्रारंभ कब से कर दिया जावेगा? (ग) टेम मध्यम सिंचाई परियोजना लटेरी का क्या भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास हेतु भोपाल एवं विदिशा जिले में कितनी राशि का अंतर है, यदि अंतर है तो अंतर होने के क्या कारण हैं? कारण सहित बतावें। क्या प्रश्नकर्ता द्वारा इस संदर्भ में शिकायती आवेदन एवं विशेष पैकेज हेतु पत्र कब-कब मान. मुख्यमंत्री महोदय, मान. जल संसाधन मंत्री महोदय, श्रीमान अपर मुख्य सचिव, श्रीमान प्रमुख अभियंता, श्रीमान अधीक्षण यंत्री आदि को पत्र प्रेषित कर निवेदन किया गया है? यदि हाँ, तो पत्रों की छायाप्रति तथा कृत कार्यवाही की छायाप्रति उपलब्ध करावें, कार्यवाही उपरांत क्या-क्या निर्णय लिये गये? कृत कार्यवाही से प्रश्नकर्ता को कब-कब अवगत कराया गया? क्या पुनः निरीक्षण/परीक्षण किया जाकर विशेष पैकेज की स्वीकृति की जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) विदिशा जिले में निर्माणाधीन वृहद, मध्यम एवं लघु सिंचाई परियोजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। डी.पी.आर. तैयार परियोजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "ब" एवं साध्यता स्वीकृति तथा चिन्हित परियोजनाओं की जानकारी क्रमश: पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' एवं ''द'' अनुसार है। वर्तमान में साध्यता स्वीकृति का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। (ख) प्रशासकीय स्वीकृति का विवरण एवं कार्य प्रारंभ परियोजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "अ" में दर्शित है। अप्रारंभ परियोजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "इ" एवं विगत 05 वर्षों में प्रगतिरत कार्यों पर हुए व्यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''फ'' अनुसार है। कार्यादेशों की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 (पृष्ठ 1 से 15), उपलब्ध तकनीकी स्वीकृति की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 2 (पृष्ठ 1 से 4) अनुसार है। कार्य प्रारंभ करने हेतु निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है। किसी अधिकारी के दोषी होने की स्थिति नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) वस्तुस्थिति यह है कि टेम सिंचाई परियोजना तहसील लटेरी जिला विदिशा के डूब क्षेत्र में ग्रामों के कृषकों की प्रभावित निजी भूमि का भू-अर्जन एवं मुआवजा राशि का निर्धारण भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम-2013 के अंतर्गत कलेक्टर विदिशा एवं कलेक्टर भोपाल द्वारा की गई है। कलेक्टर जिला विदिशा एवं कलेक्टर जिला भोपाल की औसत गाईड लाईन अनुसार भोपाल जिले की असिंचित भूमि की दर राशि रू. 2,59,241/- प्रति हेक्टे. एवं सिंचित भूमि की दर राशि रू. 3,72,075/- प्रति हेक्टे. विदिशा जिले की दर से अधिक होना प्रतिवेदित है। विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "च" अनुसार है। पत्रों की छायाप्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 3 (पृष्ठ 1 से 45) अनुसार है। कृत कार्यवाही की जानकारी परिशिष्ट के प्रपत्र "छ" अनुसार है। वर्तमान में विशेष पैकेज स्वीकृति का कोई प्रस्ताव शासन स्तर पर विचाराधीन नहीं है।
श्री उमाकांत शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से जल संसाधन मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूं कि. ...(व्यवधान)....
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है, किसानों से जुड़ा हुआ मामला है.
अध्यक्ष महोदय-- रामनिवास जी, आप बैठ जायें, अब आगे बढ़ गये हैं, उमाकांत जी ने अपनी बात शुरू कर दी. ...(व्यवधान)....
श्री उमाकांत शर्मा-- मेरी विधान सभा क्षेत्र 147, सिरोंज, ग्राम ढक्कन, तहसील लटेरी, जिला विदिशा टेम नदी मध्यम सिंचाई परियोजना में सूक्ष्म सिंचाई प्रेशर पाइप ...(व्यवधान).... पद्धति से लगभग 25 लाख हेक्टेयर भूमि में क्या सिंचाई की योजना प्रस्तावित है और यदि विचाराधीन है और नहीं है तो कृपया मानवीय दृष्टि से सूखे पठार क्षेत्र में वह योजना की स्वीकृति प्रदान करने की कृपा करेंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट—माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सदस्य ने जो इच्छा व्यक्त की थी विदिशा जिले में इनकी विधान सभा में कौन कौन सी योजनाएं प्रारंभ हैं. विस्तृत रूप से मैंने इनको जानकारी दे दी है.
श्री उमाकांत शर्मा—अध्यक्ष महोदय, मैं हाथ जोड़कर बड़े प्रेम-प्यार से निवेदन कर रहा हूं, गिड़गिड़ा रहा हूं, पांच साल से गिड़गिड़ा रहा हूं. पांच सिंचाई योजनाओं में से एक भी योजना भी प्रदान नहीं की. कृपया मैं आज सदन के सहयोग से निवेदन करता हूं इन योजनाओं का पर्यवेक्षण कराकर, इस पर विचार करके इसका परीक्षण करवाकर कृपया मुझको इतना आश्वासन देने की कृपा करें, बड़ी दया होगी.
श्री तुलसीराम सिलावट—माननीय अध्यक्ष महोदय,यह सजग एवं जागरूक हमारे सम्मानीय सदस्य हैं, जब भी यह सदन में बोलते हैं सबका ध्यान आपकी तरफ आकर्षित होता है. इन्होंने जो बात कही है. विदिशा जिले की टहरी तहसील के लटेरी के अंतर्गत आज गांवों की 1800 सौ हैक्टेयर भूमि में सिंचाई हेतु प्रकरण 19.1.24 को तैयार करा लिया गया है. उक्त प्रकरण परीक्षणाधीन है. तकनीकी साध्यता उपयुक्त आ जाने पर निर्णय लिया जाना संभव है.
श्री उमाकांत शर्मा—अध्यक्ष महोदय,बड़े ही अंतहस्थल की अनंत गहराईयों से मंत्री जी का धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय—माननीय मंत्री जी ने दो पूरक प्रश्नों का उत्तर दे दिया है. आप बाकी के प्रश्न उनसे मिलकर पूरे करें. श्री लघन घनघोरिया जी. चलिये उमाकांत जी आप एक प्रश्न और करिये. चूंकि घनघोरिया जी खड़े हो गये थे.
श्री उमाकांत शर्मा—अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी मध्यप्रदेश में मध्यम- वृहद सिंचाई योजनाओं में जिनका कार्य प्रारंभ नहीं हुआ. कार्य प्रारंभ होने की समय सीमा निकल गई, कार्य समाप्त होने की भी समय सीमा निकल गई. इसके लिये कौन कौन सी परियोजनाएं हैं, कौन सी निर्माण एजेंसियां उत्तरदायी अधिकारी-कर्मचारी दोषी हैं ? यदि दोषी हैं तो उनके विरूद्ध कब कब, क्या-क्या कार्यवाही की गई. सभी वृहद एवं मध्यम सिंचाई परियोजनाओं की जिनकी समय सीमा निकल गई है. उन पर सूची सहित मुझे जानकारी प्रदान करें.
अध्यक्ष महोदय—सारी बातें प्रश्न में आ गई हैं. उमाकांत जी कृपया बैठ जायें. मंत्री जी कुछ कहना चाहेंगे.
श्री तुलसीराम सिलावट—माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से आसंदी से जो निर्देश दिये हैं. उसके एक एक शब्द का पालन किया जायेगा. व्यक्तिगत रूप से सम्मानित सदस्य जी से चर्चा कर लूंगा.
प्रश्न संख्या—15
शिकायतों पर कार्यवाही
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
15. ( *क्र. 91 ) श्री लखन घनघोरिया : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन म.प्र. भोपाल के तहत जिला कार्यक्रम प्रबंधन (इकाई) जबलपुर में जिला कार्यक्रम प्रबंधक का पद कब से रिक्त है? संभागीय मुख्यालय के जिलों में पदधारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक की अभी तक पदस्थी न करने का कारण क्या है? इसके प्रभार में कब से कब तक किसके आदेश से कौन-कौन पदस्थ रहा है? वर्तमान में पदस्थ प्रभारी डी.पी.एम. का मूल पद एवं शैक्षणिक योग्यता व अर्हताएं क्या है? आदेश की छायाप्रति के साथ वर्ष 2023-24 की स्थिति में जानकारी दें। (ख) प्रश्नांकित वर्तमान में पदस्थ प्रभारी डी.पी.एम. की अवैध पदस्थी के विरूद्ध माननीय म.प्र. उच्च न्यायालय जबलपुर में प्रस्तुत रिट याचिका क्र. 10150/2022, दिनांक 10.05.2022 के संदर्भ में प्रभारी डी.पी.एम. को प्रभारी पद से पृथक न करने का क्या कारण है? (ग) प्रश्नांकित प्रभारी डी.पी.एम. के विरूद्ध शासन से कब प्राप्त शिकायत की जांच संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं क्षेत्रीय कार्यालय जबलपुर संभाग जबलपुर ने कब किससे कराई है? जांच रिपोर्ट पर शासन ने कब क्या कार्यवाही की है? शिकायत एवं जांच रिपोर्ट की छायाप्रति दें। (घ) प्रश्नांकित के विरूद्ध प्रश्नकर्ता विधायक एवं अन्य किन-किन माननीय विधायकों एवं अन्य किस-किस स्तर से प्राप्त शिकायतों की जांच शासन ने कब किससे कराई है? यदि नहीं, तो क्यों? इन्हें प्रभारी डी.पी.एम. पद से पृथक न करने का क्या कारण है? वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 की शिकायतों की छायाप्रति दें।
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) फरवरी 2020 से। माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर तथा खण्डपीठ ग्वालियर एवं इंदौर में विभिन्न याचिकाएं विचाराधीन होने से नवीन भर्ती प्रक्रिया की कार्यवाही स्थगित होने के कारण। जिला कार्यक्रम प्रबंधक जबलपुर का प्रभार विभिन्न वरिष्ठ स्तर से प्राप्त निर्देशानुसार सौपा गया, जिसका विवरण निम्नानुसार है :-
क्र. |
प्रभारी डी.पी.एम. का नाम |
अवधि |
1. |
श्री सुभाष शुक्ला |
फरवरी 2020 से मई 2020 तक |
2. |
डॉ.शलभ अग्रवाल |
जून 2020 से अगस्त 2020 तक |
3. |
श्री विजय पाण्डेय |
सितंबर 2020 से दिसंबर 2020 तक |
4. |
श्री सुभाष शुक्ला |
जनवरी 2021 से दिसंबर 2021 तक |
5. |
श्री विजय पाण्डेय |
जनवरी 2022 से निरंतर.... |
श्री विजय पाण्डेय, प्रभारी डी.पी.एम. का मूल पद जिला डाटा प्रबंधक है एवं इनकी शैक्षणिक अर्हता एम.एस.डब्ल्यू. है। प्रभार आदेश की छायाप्रति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में संस्थित याचिका के खारिज होने के कारण कार्यवाही किए जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) दिनांक 28.03.2023 को प्राप्त शिकायत की जांच हेतु दिनांक 26.04.2023 को क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं जबलपुर संभाग, जबलपुर को निर्देशित किया गया। तत्पश्चात् स्मरण पत्र भी भेजे गये। जांच प्रतिवेदन आज दिनांक तक अपेक्षित है। (घ) प्रश्नकर्ता माननीय विधायक की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई, इनके अतिरिक्त निम्न स्तर से प्राप्त शिकायतों का विवरण निम्नानुसार है, छायाप्रति जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। 1. विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी, माननीय मंत्री जी लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के माध्यम से श्री विजय राघवेन्द्र सिंह, माननीय विधायक विधानसभा क्षेत्र क्र 01 बड़वारा, जिला कटनी की शिकायत। 2. श्री संजय यादव, माननीय विधायक विधानसभा क्षेत्र बरगी, जिला जबलपुर। 3. डॉ. जयराम तिवारी, विजयनगर उखरी चौक जबलपुर। 4. श्रीमती श्रद्धा ताम्रकार, तत्कालीन जिला लेखा प्रबंधक, जिला जबलपुर से। 5. अपर सचिव, मध्यप्रदेश शासन, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय, भोपाल से प्राप्त नोटशीट। उपरोक्तानुसार शिकायती प्रकरणों की जांच हेतु भी क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं जबलपुर संभाग, जबलपुर को निर्देशित किया गया है। जांच प्रतिवेदन आज दिनांक तक अपेक्षित है। जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।
श्री लखन घनघोरिया—अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी के द्वारा यह आया है कि फरवरी, 2020 से माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर की खण्डपीठ, ग्वालियर एवं इन्दौर में विभिन्न याचिकाएं विचाराधीन होनी थीं. नवीन भर्ती प्रक्रिया स्थगित होने के कारण क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक का पद रिक्त है. चार साल हो गये हैं. चार साल में कोर्ट में क्या स्टेटस है, कब तक यह पद रिक्त रहेगा ? यह प्रकरण लंबित है, यह विलंब है, इतना विलंब है कि चार साल में एक ही व्यक्ति को दो दो बार प्रभार दिया गया. इन पांच लोगों में से इनको दिया गया. इनको इतना लंबा समय दिया गया कि आज तक जितने 4 बाकी हैं, वह एक-एक दो दो महीनें रहें. बाकी पूरा समय इनको दिया गया. तो मेरा आपसे निवेदन है कि अध्यक्ष महोदय, चूंकि समय भी समाप्त हो रहा है. एक व्यवस्था आप यह दे दें कि मंत्री जी हमको इसमें सुन लें. दूसरा "ख" में आपने कहा है कि माननीय उच्च न्यायालय,जबलपुर में संदर्भित याचिका के खारिज होने के कारण कार्यवाही का प्रश्न नहीं उठता. माननीय मंत्री जी, यह याचिका का स्टेटस अभी भी पेंडिंग है यह मैं अभी पटल पर रख दूंगा और यह लिस्टेड हुई है दूसरी कोर्ट में तो एक तो आपको गलत जानकारी दी गई दूसरा तीन-तीन विधायकों ने इसकी शिकायत की और आपने उनकी जांच के आदेश दिये. क्षेत्रीय संचालक को जांच के लिये दिया क्षेत्रीय संचालक और प्रभारी सीएमएचओ एक ही व्यक्ति है. एक साल में वह अभी तक जांच नहीं कर पाए. माननीय 2-2 विधायक और क्षेत्रीय लोग कह रहे हैं. प्रश्न यह है कि एक ही व्यक्ति जिसके ऊपर इतने गंभीर आरोप हैं जांच भी लंबित है और एक साल तक लंबित है और वह व्यक्ति जांच कर रहा है और वह दो पदों पर है और जबलपुर में ही. एक साल तक वह जांच नहीं कर पाए. 2 जिम्मेदार व्यक्तियों की शिकायत है. हमारी खुद की शिकायत थी जिसमें उल्लेख किया गया है कि आपके द्वारा कोई शिकायत नहीं की गई. एक निवेदन आपसे है कि इसके बाद भी आप अलग से हमको सुन लेंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने कहा कि कोर्ट में मामला लंबित है तो आपके लिये खुशखबरी है कि कोर्ट में जो स्टे था वह वेकेट हो गया है. अब नये पद की प्रक्रिया शुरू हो गई है. विज्ञापन निकल गया है. 19 पदों पर हम नये डी.पी.एम. की भर्ती करने जा रहे हैं और यह इतना महत्वपूर्ण पद है और भारत सरकार के 33 कार्यक्रमों की यह लोग मानीटरिंग करते हैं और कई प्रकार का उसमें सुपरवीजन होता है तो प्रभारी बनाए जाते हैं. चयन प्रक्रिया चूंकि स्टे हो गई तो हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था कि हम प्रभार दें और प्रभार जिन लोगों को समय-समय पर दिया गया जैसा आपने बताया उसमें एक व्यक्ति के खिलाफ जो दो शिकायत की गई थी उसकी जांच के बाद एक शिकायत तो पूर्णत: असत्य पाई गई. आधारहीन थी और दूसरी शिकायत की जैसे ही जांच रिपोर्ट आएगी. यदि वह भी आधारहीन होगी तो कार्यवाही का कोई सवाल ही नहीं और यदि उसमें कोई तथ्य होंगे तो कार्यवाही हो जायेगी लेकिन नये डी.पी.एम. की भर्ती जैसा आप चाहते हैं तो आपके साथ-साथ 19 जिलों में नये डी.पी.एम. की भर्ती हो जायेगी.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय मंत्री महोदय, यदि जनप्रतिनिधि किसी बात की शिकायत कर रहे हैं और एक ही व्यक्ति उसकी जांच कर रहा है और वह वहीं बैठता है. या तो आप बाहर से अपने विभाग के किसी वरिष्ठ अधिकारी से जांच करवा लें क्योंकि वहीं का व्यक्ति जांच कर रहा है और वहीं का मामला है तो सभी चीजें मेनुपुलेट हो रही हैं. मेरा आपसे आग्रह यह है कि एक तो आप जांच की घोषणा कर दें दूसरे जब तक जांच हो आपके पास पर्याप्त लोग हैं आप किसी को भी प्रभार दे सकते हैं. जांच प्रभावित न हो इसीलिये तत्काल प्रभाव से आप उसको हटा दें.
श्री गोपाल भार्गव - लखन भाई, मुझे बीस साल बाद प्रश्न पूछने का अवसर मिल रहा है. इसके बाद मेरा प्रश्न लगा है.
श्री लखन घनघोरिया - एक आग्रह यह है मंत्री जी, कि आप उसको हटाकर किसी और को नियुक्त कर दें. उसमें क्या ऐसा सब कुछ है और जांच आप भोपाल के किसी अधिकारी से करा लें और पद रिक्त है तो उस पर जल्दी से जल्दी नियुक्ति करा दें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - आपकी मंशा है तो हमारे विभाग के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा जांच करा ली जायेगी.
श्री लखन घनघोरिया - उनको वहां से हटाकर जांच कराएं धन्यवाद.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के नवीन भवन की स्वीकृति
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
16. ( *क्र. 978 ) श्री सतीश मालवीय : क्या उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) घट्टिया विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र घट्टिया का भवन जो कि जीर्ण-शीर्ण हो चुका है, उक्त सामुदायिक भवन हेतु नवीन भवन कब तक स्वीकृत किया जावेगा एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र उन्हेल को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन कब-तक किया जावेगा? (ख) घट्टिया सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं उन्हेल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में कितने पद स्वीकृत हैं? पद के विरूद्ध डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ कार्यरत हैं एवं कितने पद रिक्त हैं? रिक्त पदों की पूर्ति कब तक की जावेगी। (ग) घट्टिया विधानसभा में कितने उप स्वास्थ्य केन्द्र संचालित हो रहे हैं? कितने उप स्वास्थ्य केन्द्र के भवन का निर्माण किस-किस एजेन्सी द्वारा किया जा रहा है? निर्माणाधीन सामुदायिक भवनों की वर्तमान भौतिक स्थिति बतावें। (घ) ऐसे कितने सामुदायिक भवन हैं, जिनका स्वीकृत होने के बाद भी निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है?
उप मुख्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) घट्टिया विधानसभा क्षेत्रातंर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र घट्टिया का नवीन भवन जीर्ण-शीर्ण नहीं है, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। उन्नयन हेतु निर्धारित जनसंख्या के मापदण्ड की पूर्ति न होने के कारण उन्नयन की पात्रता नहीं आती है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' में समाहित है। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग एवं कर्मचारी चयन मण्डल के माध्यम से नियमित प्रक्रिया के तहत डॉक्टर एवं पैरामेडिकल संवर्ग के कर्मचारियों की भर्ती की जाती है, समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) घट्टिया विधानसभा में कुल 49 उप स्वास्थ्य केन्द्र संचालित हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। घट्टिया विधानसभा में वर्तमान में कोई भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन निर्माणाधीन नहीं है। (घ) घट्टिया विधानसभा में वर्तमान में कोई भी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन निर्माणाधीन नहीं है।
श्री सतीश मालवीय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र घट्टिया के मुख्यालय पर जो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है वह काफी जीर्ण-शीर्ण हो चुका है. मुझे जवाब आया है कि उसकी स्थिति ठीक है लेकिन 1984 में वह निर्माण हुआ था तो आज करीब 30-40 साल हो चुके हैं तो वहां नवीन भवन स्वीकृत हो जाए. यह मेरा मंत्री जी से आग्रह है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि बैतूल में इतनी बड़ी घटना हुई, एक आदिवासी युवा के साथ जिस प्रकार से उसका अपहरण किया गया, दंड बैठक लगवाई गई, मेरा आपसे अनुरोध है कि सरकार का उस पर वक्तव्य आना चाहिए. इसी प्रकार की घटनाएं प्रदेश में हो रही हैं. इस बारे में सरकार अपना वक्तव्य दे.
12.01 बजे अध्यक्षीय घोषणा
शून्यकाल की सूचनाएं माननीय मुख्यमंत्री जी के जवाब के पश्चात् ली जाना
अध्यक्ष महोदय -- आज शून्यकाल की सूचनाएं माननीय मुख्यमंत्री जी के जवाब के पश्चात् ली जाएंगी. जिन माननीय सदस्यों ने सूचनाएं दी हैं और आज लगी हैं, वे कृपया शाम को उपस्थित रहें.
12.02 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) (क) वित्तीय वर्ष 2022-2023 की द्वितीय छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण एवं वित्तीय वर्ष 2023-2024 की प्रथम छ: माही के दौरान बजट से संबंधित आय और व्यय की प्रवृत्तियों का छ: माही समीक्षा विवरण, तथा
(ख) मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन नियम, 2006 के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2017-2018 एवं 2018-2019 की अनुपालन एवं पुनर्विलोकन रिपोर्ट
(2) (क) मध्यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कम्पनी लिमिटेड का द्वितीय वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017 एवं तृतीय वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2017-2018, तथा
(ख) मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड का 8 वां वार्षिक
प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023
(3) जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) की वैधानिक
ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2021-2022
(4) (क) (i) देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023 (30 जून, 2023 को समाप्त अकादमिक वर्ष), एवं
(ii) बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.) का 51 वां
वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023, तथा
(ख) महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, करौंदी जिला-कटनी (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023, एवं
(ग) महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय, चित्रकूट,
जिला-सतना (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023
5. मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022
6. नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स कंपनी लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-21
12.07 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सूचना कार्यालय जाकर खानेदार अलमारी से माननीय सदस्यों द्वारा
प्रत्येक दिवस का साहित्य प्राप्त करने विषयक
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्यों को सत्र से संबंधित साहित्य का वितरण सूचना कार्यालय स्थित खानेदार अलमारी से किया जाता है. यह देखा गया है कि कतिपय माननीय सदस्यों द्वारा अपनी खानेदार अलमारी से साहित्य नहीं उठाया जा रहा है, जिससे अलमारियां भर गई हैं और साहित्य रखने की जगह नहीं है.
अत: माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया सूचना कार्यालय में जाकर खानेदार अलमारी से प्रत्येक दिवस साहित्य प्राप्त करने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय - रामनिवास रावत जी. अपनी ध्यानाकर्षण सूचना पढि़ये.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, (मंत्री जी के न दिखने पर) इसका जवाब कौन देगा ? यह काफी गंभीर बात है. माननीय मुख्यमंत्री जी, मंत्रियों को निर्देश देकर रखें कि कम से कम हाउस में तो समय से आएं.
12.08 बजे ध्यान आकर्षण सूचना
(1) श्योपुर जिले के विजयपुर क्षेत्र में पदस्थ विद्युत कर्मियों द्वारा कृषि उपभोक्ताओं पर नियम विरुद्ध विद्युत चोरी के प्रकरण बनाये जाना.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)-
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने कुछ चीजें स्वीकार की हैं, कुछ चीजें अस्वीकार की हैं बड़े आश्चर्य की बात है उन्होंने अपने जवाब में यह तो स्वीकार किया है कि जनवेद जाटव पुत्र मंगला जाटव निवासी विजयपुर विद्युत पंप कनेक्शन अनुदान प्राप्त उपभोक्ता था. इसका मेरे पास पत्र भी है उसको 1 लाख 69 हजार का बिल भेजा गया है. आपने जवाब में कहा है कि पांच हॉर्सपॉवर का पंप कनेक्शन था उसने 8 हॉर्सपॉवर का पंप लगा लिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने भी बड़ी जिम्मेदारी से प्रश्न लगाया है. जिस सहायक प्रबंधक की आप बात कर रहे हैं उससे तीन दिन पहले मैंने कहा कि आप देखकर आएं 8 एचपी का नहीं है यह लोग मुझसे कह रहे हैं. वह देखकर आया और उसने मुझे जवाब दिया कि हाँ 8 एचपी का तो नहीं लेकिन थोड़ा सा भार ज्यादा बता रहा है. मैं आज माननीय मंत्री जी से कह रहा हूँ कि यहां से किसी को भेज दें और चाहें तो कोई प्रायवेट व्यक्ति ले लें अगर 5 एचपी के पम्प से एक हॉर्स पॉवर भी अधिक हुआ, अगर 8 हॉर्स पॉवर का हुआ तो मैं इस सदन से रिजाइन करके घर बैठ जाऊंगा. आप गलत बयानी करके नहीं बैठे हो, आप जाकर वहां पर दिखवाएं. जो बिल भेज दें वही सही है क्या. इस सहायक के द्वारा ही जांच की गई थी और मुझे उसने खुद कहा था फोन पर और बाद में मैंने कहा तो कहने लगे कि वे जमा कर गए. मैंने तो कहा नहीं था.
अध्यक्ष महोदय -- आपका प्रश्न पूरा हो गया क्या.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूँ कि अनुदान प्राप्त उपभोक्ता जनवेद जाटव पुत्र मंगला जाटव के पम्प का हॉर्स पॉवर चेक कराकर संबंधितों को दण्ड देंगे क्या और जो अभी तक पैसे जमा हुए हैं वह राशि वापिस कराएंगे क्या. एक प्रश्न तो मेरा यह है इसका उत्तर माननीय मंत्री जी दे दें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं स्पष्ट कर दूं कि हमारी सरकार उपभोक्ताओं के प्रति इस मेटर में बहुत संवेदनशील है, गंभीर है. आपको मैं स्पष्ट कर दूं, आज की डेट में भी वह पम्प चेक कराया गया है वह 8 एचपी का है. मैं यह कहना चाहता हूँ कि अगर इनको कोई शंका-कुशंका थी मैं भी वहीं का था, यह भी वहीं के थे मुझे बता देते मैं अधिकारी भेजकर वहीं चेक करवा देता. वैसे तो इस प्रश्न का औचित्य भी नहीं बनता, परन्तु मैं आपको इस मेटर में यह कहना चाहता हूँ कि आज भी यह 8 एचपी का पम्प लगा हुआ है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, यहां से जांच के लिए कोई टीम भेज दें और मेरे सामने जाँच करवा लें. मैं भी प्रायवेट लोगों को बुलवा लूंगा. अगर 8 एचपी का होगा तो कोई बात नहीं है आप जाँच करा लें, जाँच कराने के आदेश दे दें. मेरा मानना है कि 5 एचपी का है.
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास जी, मंत्री जी, खुद कह रहे हैं कि 8 एचपी का है, आज ही चेक कराया है. मैं समझता हूँ जिम्मेदारीपूर्ण तरीके से कह रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं भी तो कह रहा हूँ कि 5 एचपी का है. अब इसका निराकरण कैसे हो. मंत्री जी तो वह बात कह रहे हैं जो बिजली वालों ने कही है. मेरे तो गांव में है मेरे विजयपुर में है वह कनेक्शन.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय सदस्य की भावना को जो हमसे वरिष्ठ हैं मैंने उसको गंभीरता से लिया है. मैं जब सदन में आया एक मिनट मैं लेट भी हुआ परन्तु मैं पूरी तथ्यात्मक जानकारी के बाद ही यह जानकारी सदन को दे रहा हूँ. इस बात में कोई भी त्रुटि, गलती नहीं है.
श्री रामनिवास रावत -- आपको भरोसा है तो मेरे समक्ष जाँच कराने में क्या बुराई है. आपको विश्वास है तो मेरे समक्ष जाँच कराने में क्या बुराई है. मैं जब पहुंचूंगा तब आप भी किसी को भेज दें.
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास जी इसके अलावा आपका कोई और प्रश्न है क्या.
श्री रामनिवास रावत -- जी बिलकुल है. अभी तो बहुत प्रश्न हैं.
अध्यक्ष महोदय -- वह वाला प्रश्न करें इसका तो मंत्री जी ने जवाब दे ही दिया है.
श्री रामनिवास रावत -- आप इस तरह से एचपी बढ़ा बढा़कर प्रदेश के अनुदान प्राप्त समस्त उपभोक्ताओं को लूटने का काम कर रहे हैं. 5 एचपी का आप अनुदान प्राप्त उपभोक्ता बता रहे हैं और आपने अपनी मर्जी से 8 एचपी कर दिया, उस पर बिल वसूल कर रहे हैं. यह कौन सा तरीका है. मैं जब कह रहा हूँ कि आपने जाँच करवा ली है आप विश्वस्त हैं. आपको भरोसा है तो मेरे समक्ष जाँच कराने में क्या बुराई है. अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को आपत्ति तो नहीं होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठें तो मंत्री जी कुछ कहेंगे.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप स्वयं उस क्षेत्र से आते हैं. मैं पूरी गंभीरता के साथ यह बात कहना चाहता हूँ कि सिर्फ इसमें जाँच का इश्यू नहीं है. हमारी सरकार वैसे ही संवेदनशील है और जो छूट वाले लोग हैं जिनकी एक एकड़ से कम जमीन है अगर ऐसा होगा तो हम इसके लिए समग्र रुप से भी जरुरत पड़ेगी तो कैम्प लगाकर हम जाँच करवा लेंगे. हमारी भावना में कोई बुराई नहीं है.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पर्टिकुलर मामले में कह रहा हूँ कि मेरे समक्ष जाँच करवा लें. इसमें चलकर जाँच करवा लें अगर 8 एचपी का है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है. या तो वह स्वीकार कर लें कि गलत रूप से बढाया है.
श्री गोपाल भार्गव -- तोमर जी, आप मान लो नहीं तो रावत जी बंदूक लेकर उतर जाएंगे.
श्री रामनिवास रावत -- नहीं बंदूक लेकर नहीं उतरेंगे. अब आप ही बता दो भार्गव जी, इसका उत्तर क्या होगा ? या तो आप मान लो. माननीय मंत्री जी, हंसने वाली बात नहीं है, गरीब का सवाल है, गरीब को लूटने का काम कर रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- एक बार आप उतरे थे कि नहीं ?
श्री रामनिवास रावत -- हां उतरे थे.
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास जी, मैं कह रहा हूं कि इस प्रश्न को आप यहां छोड दें कोई दूसरा प्रश्न कर लें.
श्री रामनिवास रावत -- नहीं, आसंदी से अनुरोध करूंगा कि आसंदी से निर्देश आ जाए, एक गरीब का संरक्षण देने के लिये.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, निर्देश की स्थिति तब आएगी जब आपके सारे प्रश्न पूरे हो जाएंगे. आप 10 प्रश्न करेंगे तो 10 प्रश्नों पर निर्देश थोडे ही होगा. इसलिये मैं दो बार पूछ चुका हूं कि क्या आपका और कोई प्रश्न है.
श्री रामनिवास रावत -- जी ठीक है. एक प्रश्न तो यह पेंडिंग रहा जिसका मुझे उत्तर नहीं मिला है. दूसरा, मेरा प्रश्न है कि एक उपभोक्ता कोमल प्रसाद के बारे में इन्होंने कहा, अब आप जो कहेंगे वह सही है, लेकिन विद्या देवी पत्नी राम स्वरूप गुप्ता इसकी 7,128 रुपये की रसीद कटी और यह रसीद की कॉपी मेरे पास भी है. यह कह रहे हैं कि बिजली विभाग के पास नहीं थी, यह रसीद की कॉपी है. आप कहें तो मैं पटल पर रख देता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- 7 हजार की ?
श्री रामनिवास रावत -- जी हां. 7,128 रुपये की है. अब विभाग को रसीद की कॉपी नहीं मिली, वह दूसरी जगह जाकर चेक करने चला गया, रसीद आज कटी है और चोरी का प्रकरण 5 दिन बाद बना रहे हैं. इसके लिये कौन दोषी है ? क्या आपने कारण बताओ नोटिस दे दिया यह पर्याप्त है और अपील समिति कौन सी है ? अपील समिति का मेरे किसी सदस्य को मालूम भी नहीं होगा कि चोरी के प्रकरण में अपील कौन सी समिति के यहां होती है. उस अपील समिति में कौन-कौन हैं ? अपील समिति में यह कब गए ? यह प्रश्न आ गया तो आपने अपील समिति भी बना दी. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी थोडा सा गंभीरता से इसका उत्तर दें. मैं आपका संरक्षण चाहूंगा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय सदस्य ने जो चिंता व्यक्त की है हम इतने संवेदनशील थे कि सामने वहां जांच के लिये जो इंजीनियर गया उसके द्वारा उनसे रिकॉर्ड मांगा, वह रसीद वहां प्रस्तुत नहीं किया क्योंकि अस्थाई कनेक्शन था, स्थाई कनेक्शन होता तो रिकॉर्ड में रहता है. अस्थाई कनेक्श्ान दूसरे संभाग से हुआ. हमारा इंजीनियर गया, उसने पूछा तो वहां संबंधित व्यक्ति रसीद पेश नहीं कर पाया. जब रसीद पेश नहीं कर पाया..
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- एक मिनट मंत्री जी का पूरा हो जाने दीजिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- संबंधित इंजीनियर द्वारा चोरी का प्रकरण बनाया गया. जब यह बात संज्ञान में आई कि उसकी दूसरे संभाग से रसीद काटी गई है तो इसका शायद आप यह कह रहे हैं कि हमें नहीं मालूम है, यह सबको विदित है कि अगर चोरी का कोई प्रकरण बना है तो उसके ऊपर के अधिकारी के यहां अपील की जाती है. अपील करने के बाद उसमें अगर कोई त्रुटि या गलती होती है तो ऐसे कई प्रकरणों में मैं आपको सूची दे दूंगा जिसमें हमने सुधार किया है. यह विधान सभा प्रश्न आ गया इसलिये यह चीज इनके संज्ञान में जो आई.
श्री रामनिवास रावत -- मेरे प्रश्न का केवल उत्तर चाहिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- मेरी पूरी बात तो सुन लें फिर आप अपनी बात कहेंगे. मैं बहुत शांति से आपकी बात को सुनूंगा, आपकी प्रत्येक बात का जवाब दूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास जी, मंत्री जी की बात तो पूरी होने दें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष महोदय, हमने संबंधित का बिल सुधार किया, उसकों संशोधित बिल जारी किया गया और संबंधित इंजीनियर को हमने नोटिश दिया है. यह मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो मात्र इतना ही कहना चाहता हूं कि माननीय रावत साहब बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं और माननीय मंत्री जी बहुत जुझारू और अत्यंत संवेदनशील हैं, यह तो खंभे में ही चढ जाते हैं. अपने विभाग के प्रति इतनी जिम्मेदारीपूर्ण इनका कार्य रहता है रवैया कि काम को पूर्ण करने के लिये या अंजाम देने के लिये खंभे पर चढ जाते हैं, नाली में भी उतर जाते हैं सफाई के लिये, दूसरों को मंत्री जी प्रेरणा देते हैं. बात सही है, तो वहां टहलते-टहलते क्यों नहीं चले जाते हैं ? रामनिवास जी को भी बुला लेते और अधिकारी रहें, जो उपभोक्ता हैं वह रहें, मामला सुलझ जाएगा. इसमें कौन सी दिक्कत है, मानना चाहिये ?
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आपने कहा कि जो शाक्य, सहायक प्रबंधक है जिसके द्वारा यह प्रकडा गया है, यह रसीद कटी है क्षेत्र 2 में, 2 में ही इसका खेत स्थित है, वहीं रसीद कटवाएगा, जो लाइन होगी या जो उनका विभाग होगा. जो उनके बंटे रहते हैं क्षेत्र, क्षेत्र क्रमांक 2 में ही इसने रसीद कटवाई है. उसी में उसका खेत है. ये जब एक में पदस्थ है, तो वह 2 में गया क्यों. क्यों उसकी चोरी पकड़ने के लिये गया. यह सब मनमाना कार्य चल रहा है. मैं यह चाहता हूं कि मंत्री जी थोड़ा सा गंभीरता से उत्तर दें और इस तरह के अधिकारी को जिसने चोरी पकड़ी है, रसीद कटने के बाद भी चोरी का प्रकरण बनाया है, उसको तुरन्त निलंबित करें. यह मेरा मंत्री जी से अनुरोध है. अध्यक्ष महोदय, मैं आगे के भी प्रश्न कर लूं या इसके बाद करुं.
अध्यक्ष महोदय-- हां-हां, कर लो आप. टाइम तो पूरा हो गया है, इसलिये कह रहा हूं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय--हां, महत्वपूर्ण है, करो ना.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, अब यह तो आपको भी पता होगा कि पूरे क्षेत्र में आपको भी शिकायत मिली होगी कि बिजली कितनी जा रही है. कितनी नहीं जा रही है.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करिये, मंत्री जी बैठे हैं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, लेकिन मंत्री जी को वह जवाब देना है, जो अधिकारियों ने लिखकर दे दिया. लेकिन अधिकारी कभी खम्भे पर चढ़ने की नहीं कहते. इन्होंने पूर्व से स्थापित 33/11 के.व्ही. विद्युत उपकेन्द्रों का रघुनाथपुर,टर्राकला का अतिरिक्त पावर ट्रांसफार्मर की स्थापना का कार्य स्वीकृत होकर प्रगतिरत् है. मैं इसमें यह जानना चाहता हूं कि किस दिनांक को स्वीकृत हुआ, स्वीकृति के बाद कौन सी एजेंसी को दिया और एजेंसी द्वारा कब पूर्ण किया जाना था. इसी तरह से गसवानी का तो पूर्ण कर दिया. वीरपुर में 132/33केव्ही उच्चताप विद्युत उप केन्द्र निर्माणाधीन है. ये इसके कब टेण्डर हुए प्रथम टेण्डर , ये आप कह रहे हैं कि मध्यप्रदेश शासन की टीबीसीबी योजना के अंतर्गत मेसर्स म.प्र. पावर ट्रांसमिशन पैकेज-2 लिमिटेड, अहमदाबाद के द्वारा किया जा रहा है. इससे पहले भी किसी को टेण्डर हुए हैं, किस कम्पनी को टेण्डर हुए और उसको कब तक पूर्ण किया जाना था. उसने क्यों पूर्ण नहीं किया. क्या ये टेण्डर निरस्त किये और फिर दोबारा टेण्डर किये. इसकी पूरी स्थिति मंत्री जी बता दें. पूरे क्षेत्र में लाइट नहीं मिल पा रही है. कार्य स्वीकृत होने के बाद स्वीकृत काम नहीं किये जा रहे हैं. तो इन चीजों को मंत्री जरुर बता दें. मगरदेह और अकोरिया के कार्य स्वीकृत हैं एवं उक्त कार्यों हेतु निविदा की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. वीरपुर के बारे में और इनके बारे में बता दें कब स्वीकृत हुए, कब टेण्डर हुए और किस किस कम्पनी को गये और कब तक पूर्ण किये जाने थे.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सदस्य ने यह बात वीरपुर के बारे में पूछा है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, पहले सहायक प्रबंधक के बारे में पूछा है. क्या उनको निलंबित किया जा चुका है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, उसका जवाब मैं आपको दे चुका हूं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, उसका आप जवाब दे नहीं रहे हैं. क्या वह कुछ भी करें, कहीं पर भी चोरी का प्रकरण बनायें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, उसके लिये हमने नोटिस जारी किया है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, वह किसी पर भी बिल बनायें. मैं यह चाहता हूं ..
अध्यक्ष महोदय-- रावत जी, आप प्रक्रिया को समझते हैं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, मैं पूरा समझता हूं, पूरा ध्यानाकर्षण एक गरीब ऐसा आदमी जो अपने जेवर गिरवी रख करके 20 हजार रुपये लाया है. वह रो रोकर कह रहा है कि मेरा पांच हार्स पावर का कनेक्शन है. इसके लिये ध्यानाकर्षण लगाया है. इसका ही उत्तर नहीं आयेगा, तो क्या करेंगे विधान सभा में.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं. वे खड़े हैं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, या तो मंत्री जी कह दें कि मैं असमर्थ हूं. बिजली विभाग के कर्मचारी जो करेंगे, वही होगा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे यह कहूं कि मैं बहुत आपका सम्मान करता हूं, जोर से आवाज में प्रत्युत्तर देने की क्षमता यह सिपाही रखता है. मैं आपको वह दिन याद दिलाना चाहता हूं कि जब हम और आप एक साथ थे, जब विजयपुर और श्योपुर अंधेरे में छाया रहता था. इस बात का उल्लेख आपको करना चाहिये .
..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, मैंने जो बातें कही हैं, उसका मैं जवाब चाहता हूं. आप गरीबों को लूट रहे हैं. आप उत्तर देने से भाग रहे हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, आप मेरी बात तो सुनिये. मैं संवेदनशील हूं. हमारी सरकार संवेदनशील है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय जो व्यक्ति गहने गिरवी रखकर पैसे लाया, पैसे जमा किये. उसका कनेक्शन काट दिया.
..(व्यवधान)..
श्री सुरेश राजे-- ये पूरे प्रदेश में ऐसा कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- बैठिये सुरेश जी. रामनिवास जी की जो समस्या है, उनको समाधान तक पहुंचने में मदद करें. मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं, हमको थोड़ा उत्तर को विस्तार से सुनना चाहिये. हो सकता है कि समाधान उससे हो सके. मंत्री जी बताये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, एक तो माननीय सदस्य ने हमसे यह चाहा है कि वीरपुर का उप केंद्र 132/33 के.व्ही जनवरी 2023 में स्वीकृत हुआ है. और यह जून, 2024 में पूर्ण होना संभावित है कि हो जाएगा और इसके लिए मैं आज ही माननीय सदस्य की जो चिंता है इसके लिए मैं वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाकर बात करूंगा, जरूरत पड़ेगी तो सम्मानित सदस्य को बुलाकर भी उनके सामने जो उन्होंने प्रस्ताव दिये हैं, उन पर हम समीक्षा करके और उस काम को समय-सीमा में कराएंगे, यह बात मैं सदन में कहना चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय - रामनिवास रावत जी, एक मिनट प्लीज. एक तरफ मंत्री जी का वक्तव्य है, दूसरी तरफ सदस्य का प्रश्न है. हार्स पॉवर में अटक रहा है, वह जिम्मेवारी से कह रहे हैं वह 5 हार्स पावर की है और मंत्री जी जिम्मेवारी से कह रहे हैं कि 8 हार्स पावर की है. श्री रामनिवास जी ने कहा है कि यह आज ही चलकर देख लो तो आज तो कोई फैसला होगा नहीं.
श्री भंवर सिंह शेखावत - 30 बीघा जमीन है तो वह 8 हार्स पावर का कनेक्शन लेगा क्यों?
अध्यक्ष महोदय - एक मिनट. मेरा मंत्री जी को आग्रह यह है कि कभी ही औचक निरीक्षण करें तो उस समय श्री रामनिवास रावत जी को अचानक आप बुला लें और उस पाइंट पर जाकर देखें तो श्री रामनिवास रावत जी को भी समाधान हो सकेगा और हमको भी समाधान हो सकेगा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- अध्यक्ष महोदय, आपकी भावनाओं का सम्मान किया जाएगा. धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, वीरपुर सबस्टेशन 132/33 केवी यह आपने कहा है कि वर्ष 2023 में स्वीकृत हुआ, यह पहले किस कंपनी के पास था, अब कौन बना रहा है?
अध्यक्ष महोदय - अभी मंत्री जी ने कह दिया कि आपसे मिलकर बात करेंगे और सारी चीजों पर डिस्कस करेंगे.
श्री रामनिवास रावत - यह वर्ष 2023 में कब स्वीकृत हुआ, किस दिनांक को हुआ? यह पहले स्वीकृत हुआ है, पहले यह अडानी कंपनी के पास था, वह छोड़कर भाग गई.
अध्यक्ष महोदय - आप मंत्री जी को व्यक्तिगत रूप से बता दें. श्री अनिल जैन. मुझे भी बताइएगा, मंत्री जी को भी बताइएगा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- अध्यक्ष महोदय, आप जैसा उचित समझेंगे, मैं आपके पास आसंदी पर आ जाऊंगा, वहां आ जाऊंगा.
श्री रामनिवास रावत - आप आसंदी पर बैठोगे क्या?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - नहीं, नहीं. मैंने ऐसा नहीं बोला. अध्यक्ष जी आएंगे, मुझे बुलाएंगे, मैं चला जाऊंगा, यह कहा है.
श्री रामनिवास रावत - बिजली का खम्भा ही बहुत है. अध्यक्ष महोदय, वह सहायक प्रबंधक है.
अध्यक्ष महोदय - श्री अनिल जी आपसे जूनियर हैं वह ध्यानाकर्षण पढ़ने के लिए खड़े हैं.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मैं बैठ जाता हूं. मेरा एक प्रश्न बीच में रह गया, आपने एक पर तो निर्देश दे दिया है. वह सहायक प्रबंधक जिसने चोरी का प्रकरण बनाया, हार्स पावर बढ़ाने की बात तो इसलिए नहीं कर रहा कि यह जांच कराएंगे और औचक आएं . मैं चलूंगा और सामने जांच करेंगे. सहायक प्रबंधक जिसने रसीद कटाई, उसी का चोरी का प्रकरण बना दिया, क्या उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे, उसे वहां से हटाएंगे, निलंबित करेंगे?
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी ने अभी कहा कि समाधान करेंगे.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, समाधान कोई कार्यवाही नहीं होती.
अध्यक्ष महोदय - आप दोनों बात कर लें.
श्री रामनिवास रावत -क्या आप उसे निलंबित करेंगे, वह रोज चोरी के प्रकरण बना रहा है. अध्यक्ष महोदय, इसका उत्तर तो आ जाए. आपसे संरक्षण चाहिए. आपसे तो अध्यक्ष महोदय, बहुत उम्मीद करते हैं. आपका भी क्षेत्र रहा है. आपकी भी जनता रही है जो आपको मत देती थी.
अध्यक्ष महोदय - मेरी जनता भी है.
श्री रामनिवास रावत - आगे भी रहेगी हो सकता है.
अध्यक्ष महोदय - मैं तो जनता का हमेशा ऋणी रहूंगा.
श्री गोपाल भार्गव - आप अध्यक्ष जी से तो उम्मीद कर रहे हैं, आधा घंटा हो गया, एक भी आपके सदस्य ने आपका सहयोग नहीं किया.
श्री रामनिवास रावत - आप खड़े हुए, आप खड़े हुए, सभी तो खड़े हुए. आपकी भी सहयोग करने की इच्छा है लेकिन आप खड़े नहीं हो पा रहे हैं.
श्री महेश परमार - हमारे श्री रामनिवास रावत जी सक्षम हैं. पंडित जी को आवश्यकता है इस तरफ के लोगों की.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, आप अलग से बुलाकर निर्देश दे देना.
अध्यक्ष महोदय - वह बात करेंगे, आपसे भी बात करेंगे, हमसे भी बात करेंगे.
श्री रामनिवास रावत - ठीक है.
12.40 बजे
2. निवाड़ी जिला प्रारंभ होने से लंबी अवधि के बाद भी विभागों को डी.डी.ओ.कोड प्रदाय न किया जाना
श्री अनिल जैन (निवाड़ी) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
निवाड़ी जिला घोषित हुए लगभग 6 वर्ष पूर्ण होने के पश्चात् अधिकांश विभागों के डी.डी.ओ.कोड शुरू नहीं हो पाए हैं. इस संबंध में संबंधित विभागों के विभाग प्रमुखों द्वारा कई बार पत्राचार किया गया है, परन्तु इसके बाद भी वित्त विभाग की स्वीकृति एवं डी.डी.ओ. कोड प्रदाय नहीं किए गए हैं. साथ ही अनेक विभागों के विभाग प्रमुख एवं सेटअप भी स्वीकृत नहीं हुआ है. इसके कारण विभागीय कर्मचारियों एवं आम जनमानस को प्रतिदिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तथा शासन की योजनाओं का त्वरित लाभ भी हितग्राहियों को नहीं मिल पाने से उनमें असंतोष व्याप्त है.
उपमुख्यमंत्री (वित्त) (श्री जगदीश देवड़ा ) -- अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय -- अनिल जी, विशेष जो सरकार का जवाब है, उसमें जो आपकी क्वेरीज़ हैं पूरक प्रश्न है वह करो, तो हम समाधान की तरफ बढे़ंगे.
श्री अनिल जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हॅूं कि जब सदन के माध्यम से ध्यान आकर्षित कराया गया तो संबंधित विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये गये और कहीं न कही सार्थक पहल हुई, मैं उसके लिए आपको धन्यवाद देता हॅूं लेकिन उसके बाद भी कई ऐसे विभाग हैं जिनके डी.डी.ओ. कोड आज भी जारी नहीं हो पाए. उनके विभाग प्रमुख नहीं हैं, उनकी मैपिंग नहीं है. जिस कारण से आम जनमानस को वह सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं जिनके लिए निवाड़ी जिले से होना चाहिए. आज भी पूर्व के जिले से ही कई विभाग संचालित हो रहे हैं. मेरा आपसे सिर्फ इतना ही अनुरोध है कि कई ऐसे विभाग हैं जिनका डी.डी.ओ. कोड वगैरह सब निवाड़ी से ही जारी हो जाएं. संबंधित विभाग के अधिकारियों को यहां से निर्देश हो जाएं. 27 विभाग जो आपके द्वारा बताएं गए, उनके निश्चित रूप से डी.डी.ओ. कोड हुए, लेकिन 3 जो आपने अपने जवाब में और मौखिक रूप से भी मुझे बताया, उनकी सार्थक पहल हुई है तो एक-दो दिन में जैसे आपके निर्देश हैं कि उनके डी.डी.ओ. कोड वगैरह जारी हो जाएंगे, लेकिन कई विभाग ऐेसे हैं जैसे खनिज विभाग हो, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय हो, लोक निर्माण विभाग हो, जिला परियोजना समन्वय विभाग हो, खाद्य विभाग हो, जिला पंचायत विभाग हो, सामाजिक न्याय विभाग हो, जिला योजना मंडल हो, जिला निर्वाचन कार्यालय हो, जिला पंजीयक कार्यालय हो, परिवहन विभाग हो, अल्पसंख्यक हो, कार्यपालन यंत्री, ग्रामीण यांत्रिकीय सेवा हो, खेल एवं कल्याण विभाग हो, ऐसे कई विभाग हैं जो पूर्व के जिलों से आज भी संचालित हैं तो मेरा उपमुख्यमंत्री (वित्त मंत्री) से इतना ही अनुरोध है कि मेरे जिले को इंडिपेंडेंट पूर्ण रूप से पूरे जिले को भौगोलिक दृष्टि से उसको पूर्ण रूप से कर दें. मेरा यही आग्रह है.
उपमुख्यमंत्री (वित्त मंत्री) (श्री जगदीश देवड़ा ) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने उनके जिले की ओर से बहुत ही ध्यान आकर्षित किया है. दो विभाग पीएचई विभाग और लोक निर्माण विभाग इनके प्रस्ताव आए हैं लेकिन उनकी जो पूर्ति होना चाहिए, जो मापदण्ड है उस पू्र्ति को पूरा नहीं किया है इसलिए वह अटक गए. बाकी हमने निर्देश जारी कर दिए हैं कि उनकी जल्दी पूर्ति कर दें तो डी.डी.ओ.कोड उनको आवंटित हो जाएंगे और बाकी 27 विभाग में डी.डी.ओ.कोड आवंटित कर दिए गए हैं और शेष अगर हैं तो मैं माननीय विधायक जी को आश्वस्त कर रहा हॅूं कि जैसे-जैसे उनके प्रस्ताव आएंगे, क्योंकि प्रस्ताव विभाग की ओर से आते हैं और हम यहां से चर्चा भी कर लेंगे. जैसे-जैसे विभाग के प्रस्ताव आएंगे, क्योंकि हम भी चाहते हैं कि डी.डी.ओ.कोड उनको आवंटित हो जाएं, तो यह जो परेशानी है यह भी जनता को न हो और मुझे लगता है कि उनको इन सुविधाओं का लाभ भी मिले, तो माननीय विधायक जी की भावना का सम्मान करते हुए हम चाहेंगे कि जल्दी से जल्दी उनका समाधान हो जाए.
अध्यक्ष महोदय -- अनिल जी, एक प्रश्न और करें.
श्री अनिल जैन —अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि जो विभाग इसमें रूचि नहीं ले रहे हैं. उनको आसंदी से ऐसे निर्देश पहुंच जायें ताकि वह विभाग रूचि भी ले लें. निश्चित रूप से इसमें समय-सीमा शायद संभव न हो, फिर भी इसमें कार्य अतिशीघ्र हो जाये. ताकि निवाड़ी जिला कार्य पूर्ण रूप से निवाड़ी से ही हो, ऐसी व्यवस्था आसंदी के माध्यम से मिल जायेगी तो मेरा आश्वासन भी पूरा हो जायेगा और यह कार्य भी पूरा हो जायेगा.
श्री जगदीश देवड़ा—करेंगे माननीय अध्यक्ष महोदय. वहां से प्रस्ताव जल्दी आ जाये. आपकी भावनाओं का पूरा सम्मान होगा.
12.47 बजे
आवेदनों (याचिकाओं) की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय– आज की कार्य सूची में जिन याचिकाओं का उल्लेख किया है. वह सभी प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी. क्योंकि आज राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा है. इसलिये अलग से इस पर चर्चा करना संभव नहीं है. इसलिये निम्नलिखित माननीय सदस्यों की याचिकाएं पढ़ी हुई मानी जायेंगी.
1. श्री फूलसिंह बरैया
2. श्री मथुरालाल डामर
3. श्री केशव देसाई
4. श्री श्रीकांत चतुर्वेदी
5. श्री भैरोसिंह बापू
6. श्री रमेश प्रसाद खटीक
7. श्री रामनिवास रावत
8. श्री प्रदीप अग्रवाल
9. श्री मोन्टू सोलंकी
10. श्री प्रहलाद लोधी
11. डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय
12.श्री सोहनलाल वाल्मीक
13. श्री यादवेन्द्र सिंह
14. श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर
15. इंजी. प्रदीप लारिया
16.श्री बिसाहूलाल सिंह
17. श्री प्रताप ग्रेवाल
18. डॉ. सतीश सिकरवार
19. श्री विपिन जैन
20. श्री दिनेश राय मुनमुन
21. श्री शरद जुगलाल कोल
22. श्री साहब सिंह गुर्जर
23. श्री संजय सत्येन्द्र पाठक
24. सुश्री रामश्री राजपूत
25.डॉ.हिरालाल अलावा
26. श्री केदार चिड़ाभाई डाबर
27. श्री अनिल जैन
28. श्रीमती सेना महेश पटेल
29. श्री कालूसिंह ठाकुर
30. श्री मधु भाऊ भगत
31. श्री अभय कुमार मिश्रा
32. श्री राजन मण्डलोई
33. श्रीमती अनुभा मुंजारे
34. श्री विवेक विक्की पटेल
35. श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी
36.श्री हेमंत सत्यदेव कटारे
12.49 बजे
अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 38-देवरी से निर्वाचित सदस्य, श्री बृजबिहारी पटेरिया को विधान सभा के फरवरी, 2024 सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा.
अध्यक्ष महोदय :- निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-38-देवरी के सदस्य, श्री बृजबिहारी पटैरिया की ओर से मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 277 (1) के अधीन आवेदन पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें उन्होंने फरवरी, 2024 सत्र में सभा की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा चाही है.
श्री बृजबिहारी पटैरिया, सदस्य की ओर से प्राप्त निवेदन इस प्रकार है :-
"मैं स्वास्थ्यगत कारणों से विगत एक माह से मेदांता हॉस्पिटल, गुड़गांव में उपचार करा रहा हूं, जिसके कारण मैं फरवरी, 2024 सत्र की संपूर्ण बैठकों में उपस्थित नहीं हो सकूंगा."
क्या सदन सहमत है कि निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-38-देवरी के सदस्य, श्री बृजबिहारी पटैरिया को इस सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा प्रदान की जाये ?
अनुज्ञा प्रदान की गई.
12.44 बजे
वर्ष 2013-2014 एवं वर्ष 2016-2017 के आधिक्य व्यय के विवरणों का उपस्थापन
उप मुख्यमंत्री, वित्त (श्री जगदीश देवड़ा) :- अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय के निर्देशानुसार वर्ष 2013-2014 एवं वर्ष 2016-2017 के मतदत्त अनुदानों और भारित विनियोगों पर आधिक्य के विवरणों का उपस्थापन करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय - आपकी चिन्ता वाजिब है.
श्री रामनिवास रावत - हमें अभी तक मिला नहीं हम मांग रहे हैं. अभी तक पटल पर रखा नहीं तो फिर मीडिया में कैसे लीक हुआ.
अध्यक्ष महोदय - आपकी चिन्ता से सरकार भी संज्ञान ले रही है.
12:51 बजे वर्ष 2024-2025 के वार्षिक वित्तीय विवरण का उपस्थापन.
वर्ष 2024-2025 के आय-व्ययक(लेखानुदान) का उपस्थापन.
12:52 बजे 9. शासकीय विधि विषयक कार्य.
(1) मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 1 सन् 2024) का पुर:स्थापन
श्री रामनिवास रावत - सरकार ही हाउस को गंभीरता से नहीं ले रही. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप निर्देश दीजिए. ये पहले से सूचित होना चाहिए कि मेरी जगह कौन पुर:स्थापन करेगा.
अध्यक्ष महोदय - नहीं वे शायद अभी यहीं बैठे थे. यहीं थे.
श्री रामनिवास रावत - संसदीय मंत्री भी नहीं है, कैसे हाउस चल रहा है.
(2) श्री गौतम टेटवाल, राज्यमंत्री - अनुपस्थित.
(3) मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2024 (क्रमांक 3 सन् 2024) का पुर:स्थापन
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, एक जिज्ञासा है.
अध्यक्ष महोदय - हां जिज्ञासा शांत करो भाई इनकी .
श्री रामनिवास रावत - ये तो गौतम टेटवाल वाला पुर: स्थापित नहीं हुआ है न.
अध्यक्ष महोदय - नहीं हुआ है न, जब वे आएंगे तो होगा, हम ये थोड़ी कह रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत - आपकी तरफ से निर्देश जाना चाहिए. सरकार थोड़ी सी गंभीर रहे.
अध्यक्ष महोदय - मैं संसदीय कार्यमंत्री से बात करूंगा, बिल्कुल आपकी बात ठीक है, वित्तमंत्री जी थोड़ा अवगत कराएंगे, संसदीय कार्यमंत्री जी को कि जब मंत्रियों का बिजनेस हो तो उनको गंभीरता से उपस्थित होना चाहिए. आज ही लगभग दो बार ये बात ध्यान में आ गई.
श्री जगदीश देवड़ा - जी अध्यक्ष महोदय, बात करेंगे.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मेरी जिज्ञासा ये है कि जो सीरियल क्रमांक 6 पर जो आधिक्य व्यय के विवरण 2013-14 एवं 2016-17 का है इस विवरण की व्यवस्था प्रस्तुत करने का नियमों में कहीं है नहीं, तो इस तरह की व्यवस्था किन नियमों के तहत है, जरा दिखवा दें.
अध्यक्ष महोदय - सामान्य तौर पर लोख लेखा समिति परीक्षण कर लेती है, ऐसी पहले से परम्परा रही है.
12:55 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य द्वारा दिनांक 7 फरवरी, 2024 को प्रस्तुत निम्नलिखित प्रस्ताव पर चर्चा का
..... पुनर्ग्रहण (क्रमश:)
डॉ. अभिलाष पाण्डेय (जबलपुर उत्तर)- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे सदन में पहली बार बोलने का अवसर दिया है. मैं जबलपुर संस्कार धानी के मां नर्मदा के तट से आता हूं और जब इस सदन के अंदर मैं आ रहा था, इस सदन की सीढि़यों पर माथा टेक कर जब मैं प्रवेश कर रहा था, उस समय की बात याद आ रही थी कि छात्र राजनीति के समय से बहुत सारे ऐसे नौजवान हैं, जिन्होंने अपना सहयोग मुझे प्रदान किया है, साथ ही जबलपुर उत्तर मध्य विधानसभा की वह जनता जनार्धन, जिसने अपने आर्शीवाद के माध्यम से मुझे इस सदन के अंदर प्रवेश करने का यह अवसर प्रदान किया है. इसलिये जब सदन के अंदर प्रवेश कर रहा था, तब अपने अधिकारों से ज्यादा अपने कर्तव्यबोध के साथ और साथ ही जिम्मेदारियों के साथ मैंने इस सदन के अंदर प्रवेश किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण के दौरान जो उन्होंने बातें कहीं हैं कि यह जो सत्र है, यह हम सब लोगों के लिये अमृतकाल का है. चाहे वह स्वतंत्रता का विषय हो, चाहे गणतंत्र का विषय हो, यह अमृतकाल का महोत्सव हम सब लोगों ने मनाया है और हम जैसे नौजवान पीढ़ी तो इस बात की साक्षी बनी है और यह हम सब लोगों के लिये बड़े गौरव का विषय है, इसके लिये भी मैं देश के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी को बहुत-बहुत धन्यवाद और साधुवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, हम सब राम मंदिर के विषय पर इस अभिभाषण के माध्यम से आदरणीय राज्यपाल जी का जो उल्लेख हमने सुना है, मैं आज इस सदन के माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हूं उन पुरखों को, उन पूर्वजों को जिनकी यह दृष्टि थी कि आने वाले समय में हम भव्य राम मंदिर बनाने वाले हैं, जो 500 साल से भगवान श्रीराम जब टेंट में रह रहे थे. लेकिन इस दृष्टि के साथ उन्होंने इस विचार को कहा कि राम लला हम आयेंगे, मंदिर वहीं बनायेंगे और आदरणीय अध्यक्ष महोदय, कुछ लोग हम लोगों पर आरोप भी लगाते थे कि राम लला हम आयेंगे, मंदिर वहीं बनायेंगे पर यह डेट नहीं बतायेंगे, तो आज सदन के माध्यम से यह कहते हुए खुशी भी हो रही है कि 22 जनवरी के दिन इस देश ने ही नहीं समूचे विश्व के सामने यदि हम बात करें तो भगवान श्री रामलाल का भव्य मंदिर भी बनाया गया और मेरे जैसे छोटी विधानसभा, उत्तर मध्य विधानसभा के अंदर भी एक हजार से ज्यादा स्थानों पर इस तरह के आयोजन करके पूरी राममय हमारी विधानसभा बनाई गई और मेरे पास तो उस दौरान अमेरिका से भी मेरे कई मित्रों का फोन आया कि न सिर्फ भारत के अंदर समूचे विश्व के सामने भव्य रामलाल मंदिर का जब निर्माण हुआ और जब उनकी स्थापना हुई तो एक उत्सव के रूप से पूरे देश भर ओर पूरे विश्व के सामने इस उत्सव को मानने का काम हम सब लोगों ने किया है और हम सबने सुना है, जब हम हनुमान चालिसा पढ़ते हैं तो उसमें एक विषय आता है कि '' विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥'' आदरणीय अध्यक्ष जी विद्यावान तो बहुत लोग हुए, गुणी भी लोकतंत्र के अंदर बहुत सारे लोग हुए, लेकिन आज सदन को मुझे यह कहते हुए यह खुशी हो रही है कि रामकाज करने को कोई आतुर यदि कोई हुआ तो उनका नाम देश के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी हैं और भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. (मेजों की थपथपाहट)
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं अभी कल अभिभाषण में सुन रहा था कि डॉ. भीमराव अंबेडर जी के विषय में भी कुछ हमारे विपक्षी दल के नेता कह रहे थे तो मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हम उस राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप से आये हैं और इस सदन के अंदर पूरी जिम्मेदारी के साथ इस बात को कहता हूं कि डॉ. भीमराव अंबेडकर जी के यदि सम्मान की किसी ने चिंता की है, यदि पंचतीर्थों की किसी ने चिंता की हो, चाहे वह उनकी शिक्षा भूमि हो, चाहे वह उनकी दीक्षा भूमि हो, चाहे वह उनका लंदन का स्थान हो या महानिर्वाण का जो स्थान है, उन सारे पंचतीर्थों को डेव्हल्प करने का किसी ने काम किया है तो वह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. इसीलिये हमारे इस अभिभाषण के दौरान माननीय राज्यपाल महोदय, ने अर्थशास्त्र के विषय की भी बात की थी, हम सभी यह मानते हैं कि एवरी पॉलिसी डिपेंड ऑन इकोनॉमी पॉलिसी, अर्थ के बिना सब व्यर्थ है और आर्थिक दृष्टि से आज भारत विश्व के ऐसी पांचवीं महाशक्ति के रूप से उभर कर आया है और मुझे तो यह कहते हुए खुशी भी हो रही है और मुझे लगता है कि यह पूरा सदन इस बात के लिये समर्थन भी करेगा कि जिस ब्रिटेन ने भारत के ऊपर वर्षों तक अपना राज करने का काम किया है उस ब्रिटेन को भी पीछे छोड़कर आज भारत उससे ज्यादा बड़ी इकोनॉमी बनकर पूरे विश्व के सामने उभरा है, यह भी हम सब लोगों के लिये गर्व की बात है.
अध्यक्ष महोदय, आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने कहा है कि आने वाले समय में हम यदि वर्ष 2018 की बात करें तो हम सातवें स्थान पर थे, अब हम पांचवें स्थान पर हैं. अब आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने आगामी समय का संकल्प लिया है कि हम देश की तीसरी अर्थव्यवस्था के रूप से इस पूरे विश्व के सामने उभरकर आने वाले हैं. बहुत सारे ऐसे देश हैं जो 3 प्रतिशत से ज्यादा विकास दर पाने के लिये परेशान हो रहे हैं, लेकिन हम पिछले 3 वर्षों से लगातार 7 प्रतिशत से अधिक विकास दर के रूप से काम कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आज इस सदन के माध्यम से आदरणीय मुख्यमंत्री जी के प्रति भी आभार प्रकट करता हूं कि जिस दिन राम मंदिर का भव्य पूजन हो रहा था, भगवान रामलला विराजमान हो रहे थे उस दिन मध्यप्रदेश की सरकार ने भी ड्रायडे मनाकर पूरे मध्यप्रदेश को ड्रायडे के रूप से मनाकर और भगवान श्री राम का स्वागत करने का काम किया है. हम सिंचाई सुविधा को इस अभिभाषण के अंदर पढ़ रहे थे, सिंचाई सुविधा के माध्यम से कृषि को आज लाभ का धंधा बनाने का काम मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है. हमने सुना था कि साढ़े सात लाख हेक्टेयर चाहे वह नवाब हों, चाहे पुराने राजा हों, चाहे पूरी कांग्रेस ने मिलकर साढ़े सात लाख हेक्टेयर सिंचाई की भूमि दी थी, लेकिन आज मध्यप्रदेश में सिंचाई की भूमि जिस तरह से बढ़ रही है उससे मध्यप्रदेश के किसानों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हो रही है और आगामी समय में कृषि लाभ का धन्धा भी बन रही है, उस दृष्टि से भी मध्यप्रदेश की सरकार ने जो काम किया है उसके लिये भी हम सब लोग बधाई देते हैं. रोड कनेक्टिविटी के विषय में भी इस पूरे अभिभाषण के अंदर बात कही गई है. 24 नई सड़कें मध्यप्रदेश के अंदर मिल रही हैं और आज मुझे कहते हुये खुशी है कि देश के हमारे रोड के जो मंत्री हैं आदरणीय नितिन गडकरी साहब उन्होंने लगातार देश के अंदर हम अपने रोड कनेक्टिविटी के नाम पर मध्यप्रदेश सहित पूरे देश के अंदर उन्होंने यह काम किया है जिसमें मध्यप्रदेश की रोड कनेक्टिविटी के बारे में यदि बात कही जाये तो मध्यप्रदेश के अंदर भी नई सड़कें निर्माण हो रही हैं और मुझे लगता है कि यहां बैठे हुये सभी सदस्यगण मिलकर यदि इस बात को सोचेंगे तो मध्यप्रदेश आज सड़क कनेक्टिविटी के नाम पर भी बहुत तेजी से विकास कर रहा है. जॉन ग्रेनेडी एक बात कहते थे, उन्होंने कहा कि अमेरिका सम्पन्न है इसीलिये वहां की सड़कें अच्छी हैं, ऐसा नहीं है, अमेरिका के अंदर सड़कें अच्छी हैं इसलिये अमेरिका आज तरक्की की ओर अग्रसर हो रहा है. मुझे लगता है कि देश के प्रधान मंत्री जी के नेतृत्व में उनके कुशल मार्गदर्शन में जितनी भी इस बात की सराहना की जाये वह कम है. गरीबी हटाने को लेकर भी काम देश की सरकार कर रही है. साथ ही हर घर नल, हर घर जल देने का काम कर रहे हैं. मैं बहुत सामान्य और छोटे परिवार से आता हूं, मुझे ध्यान है जब हम गांव में रहते थे तब साइकिल से जाते थे और साइकिल में बाल्टी टांगकर और डब्बों को टांगकर पानी लेकर आते थे, लेकिन अभी बीच में जब मैं अपने गांव गया तब मैंने देखा कि उस गांव में उस घर के अंदर भी नल की टोटी से पानी आने का काम भी हो रहा है, ऐसे गरीबों के उत्थान और उस गरीब के घर तक पानी पहुंचाने का काम हमारी सरकार लगभग 12 हजार घरों के अंदर यह काम कर रही है. महिला सशक्तिकरण में हम काम करते हैं, पिछड़े एवं अल्पसंख्यकों को भी आगे बढ़ाने का अभिभाषण में उल्लेख किया गया है, उसके लिये भी हमारी मध्यप्रदेश की सरकार को मैं इस बात के लिये भी बधाई देता हूं. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, हम शहीदों के आदरणीय शिक्षा मंत्री जी और बाकी हमारे जो शिक्षा विभाग के अंदर जो हमारे ऐसे शहीद हुये चाहे वह रानी अवंतिबाई हो, चाहे रानी दुर्गावती जी हों, इन सारे विषयों को यदि स्कूल के अंदर शामिल किया गया है तो इस बात के लिये भी मैं धन्यवाद देता हूं. क्योंकि किसी ने कहा है कि वह देश कभी तरक्की नहीं कर सकता जिस देश में रहने वाले युवाओं में अतीत का गौरव, वर्तमान की चिंता और भविष्य के सपने जिनकी आंखों में नहीं होते, वह देश कभी तरक्की नहीं कर सकता, लेकिन इस प्रकार के महामनाओं के विचार और उनकी बातों को यदि शिक्षा नीति में शामिल किया गया है, उसके लिये भी मैं सरकार को धन्यवाद और बधाई देता हूं. ऐसे ही आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में युवा भारत संगठन बनाया गया है, उसमें अभी तक लगभग 2 करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है, मुझे लगता है यह युवा भारत संगठन आने वाले भविष्य की दृष्टि से एक मील का पत्थर साबित होगा और इस देश के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा.
अध्यक्ष महोदय-- अभिलाष जी समाप्त करिये.
डॉ. अभिलाष पाण्डेय-- बस थोड़ी सी बात करके अपने विषय को समाप्त करूंगा. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, रोजगार की दृष्टि से भी मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी के विषय में जो बात कही गई है, सरकार के विषय में जो कहा गया है.
आपके मार्गदर्शन में मैंने मध्यप्रदेश में भारतीय जनता युवा मोर्चे का नेतृत्व करने का भी काम किया है. मैं जब देखता था कि रोजगार की जब बात होती थी आज मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की इस सरकार ने एक दिन में 7 लाख से ज्यादा स्वरोजगार प्रदान करके युवाओं को नयी दिशा में काम करने का प्रयास किया है और मैं जब युवा मोर्चे में काम करता था तब मैं जब युवाओं से मिलता था और हमने लगभग 50 लाख नौजवानों को जोड़ा था तब नौजवान इस बात की अपेक्षा के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार की तरफ देखते थे कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार वह सरकार है जो युवाओं को आने वाले समय में भविष्य की दिशा भी देगी और आने वाले समय में उनको स्वरोजगार के माध्यम भी उपलब्ध कराएगी. इस विषय को भी इसमें समाहित किया गया है. मैं जब आदरणीय राज्यपाल महोदय का अभिभाषण चल रहा था चूंकि हम नये सदस्य हैं तो हम सीखने के लिए आए हैं तो मैं देख रहा था कि उनके अभिभाषण के दौरान जब सदन में हमारे विपक्ष के सभी वरिष्ठजन और युवा साथियों ने जब वाकआउट किया तो मुझे लगा कि शायद इस प्रदेश और देश के विकास की रफ्तार जो भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है जो नरेन्द्र मोदी और डॉ.मोहन यादव के नेतृत्व में जो सरकार चल रही है मुझे लगता है कि उसकी विकास की रफ्तार शायद आप सबको पसंद नहीं आई है इसीलिये आपने वाकआउट किया हो. मैं आपके माध्यम से हमारे विपक्षी सदस्यगणों से निवेदन करना चाहता हूं कि " यशस्वी सूर्य अंबर चढ़ रहा है आपको सूचित हो, विजय का पथ सुपथ पर बढ़ रहा है आपको सूचित हो, मेरे अवांछित पत्र जो आपने अब तक नहीं खोले लेकिन अब समूचा विश्व उसको पढ़ रहा है आपको सूचित हो और पूरे विश्व के सामने भारत का मान बढ़ रहा है इसलिये भी मैं इसका समर्थन करते हुए आपके प्रति आभार व्यक्त करता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी(भीकनगांव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर अपनी बात मैं रख रही हूं. अनुपूरक के संबंध में हमने काफी कुछ अपनी बात रखी है किन्तु जो महामहिम के द्वारा भी हमेशा काम किया जाता है जो प्रदेश भर में हम देख रहे हैं. सिकल सेल एनीमिया, जिसकी बात इसमें कही गई है पर उसके संबंध में मैं विस्तृत रूप से कहना चाहूंगी क्योंकि यह बीमारी बहुत बड़ी है और ज्यादातर यह आदिवासी क्षेत्रों में होती है. इसकी जांचें होती हैं. ईलाज होता है किन्तु उसकी भी पूरी सुविधा उन तक नहीं पहुंच पाती है तो मेरा विचार है कि उनके लिये महाराष्ट्र की तर्ज पर महाराष्ट्र में इसके अलग-अलग अस्पताल खोले गये हैं. वहां पर उनकी समूची व्यवस्थाएं,उनकी जांच भी होती है. दवाएं भी दी जाती हैं और पूरी उम्र उनको दवाएं लेते रहना पड़ती है तो इस तरह के अस्पताल पूरे मध्यप्रदेश में नहीं तो कम से कम 89 ब्लाक के जितने जिले आते हैं वहां पर खोले जाएं जिससे इसकी सुविधाएं उनको मिल जाएं और इसी तरह से जो प्रधानमंत्री जी की जनमन योजना,जो केन्द्र की योजना है. बहुत अच्छी बात है कि अति पिछड़ी जनजाति वर्ग के लिये यह योजना है और उनके समुचित विकास के लिये राशि आएगी और उन क्षेत्रों का विकास भी होगा किन्तु इसमें एक लाईन और जोड़ना चाहूंगी कि अति पिछड़ी जनजाति, जो अन्य आदिवासी क्षेत्र बचे हुए हैं उनको भी इसमें शामिल किया जाए क्योंकि वहां भी का फी पिछड़पन है तो उनका भी विकास हो सकेगा तो यह योजना में वह भी सम्मिलित रहें तो ज्यादा अच्छा रहेगा और अर्द्धघुमक्कड़ समुदाय के लोग पूरे मध्यप्रदेश में विभिन्न जिलों में यह हैं. मेरे भी विधान सभा क्षेत्र में हैं.उनके छात्रावास खोले तो गये हैं लेकिन उनके भवन आज तक नहीं बने हैं तो बच्चों को इधर उधर शिफ्ट करके यह संचालित हो रहे हैं. इस कमी को भी दूर किया जाए और मध्यप्रदेश में जहां-जहां अर्द्धघुमक्कड़ जाति के लोग रहते हैं उनके बच्चों को पढ़ाने के लिये उनके भवन भी दिये जाएं.मेरे विधान सभा क्षेत्र में पिछली बार मैंने छात्रावास तो खुलवाया था किन्तु उनके रहने की व्यवस्था नहीं है तो वहां भवन जरूर दिया जाए और इसी तरह से एक जो बड़ी योजना महिलाओं से संबंधित है प्रसव सहायता योजना,क्योंकि उसमें जिक्र भी है कि बहनों को काफी उसमें मदद देते हैं. जननी की गाड़ी भी देते हैं और प्रसव सहायता योजना का भी लाभ देते हैं तो मैं आपसे कहना चाह रही हूं कि महिलाओं को प्रसव के तुरंत बाद इस योजना का लाभ मिलना चाहिये. वह एक-एक,दो-दो साल बाद राशि आती है तो उस राशि का उपयोग वे जिस समय अतिआवश्यक है वह नहीं कर पाती है वह राशि उनको तुरंत मिले ऐसी व्यवस्था हो. खरगौन जिले में आदिवासी क्रांतिसूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय खोला गया है, इसके लिए मैं बहुत-बहुत धन्यवाद भी करती हूँ कि हमारे पिछड़े आदिवासी क्षेत्रों में यूनिवर्सिटी खुलेगी तो निश्चित ही उच्च शिक्षा के लिए विद्यार्थियों को इधर-उधर न जाते हुए वहीं स्थानीय शिक्षा मिलेगी, उसके लिए मैं बहुत-बहुत धन्यवाद भी कर रही हूँ.
अध्यक्ष महोदय, एक और, आयुष्मान कार्ड, चूँकि हेल्थ से संबंधित यह भी है, बहुत अच्छी बात है कि गरीब लोगों को इसकी सुविधा तो मिलती है, किंतु बड़े अस्पताल इसकी सुविधा देने से नकार देते हैं. वजह है उनको समय पर राशि न मिलना. चूँकि आयुष्मान कार्ड से 5 लाख रुपये तक की सहायता से बड़ी बीमारियों का इलाज होता है. हम भी तत्पर रहते हैं और हम भी हर अस्पताल को चिट्ठियां लिखते हैं कि इनको सुविधा दें. किंतु कई बड़े अस्पताल सुविधा देने से मना करने लगे हैं. वजह यही है कि राशि नहीं मिलती है तो इस ओर भी विशेष तौर से ध्यान रखा जाए और उनको समय पर राशि दी जाए ताकि आमजन को इसकी सुविधा मिल सके.
अध्यक्ष महोदय, मेरा आधा क्षेत्र वन ग्रामों में है. वहां पर सिंचाई का भी अभाव है. सिंचाई के लिए यदि तालाब बनते हैं तो उनको लाभ होगा और निश्चित ही उनके परिवार पालन में बहुत मदद होगी. बगैर पानी के लोग पलायन कर जाते हैं और अन्य राज्यों में रोजगार के लिए भटकते रहते हैं. पट्टेधारी भी हैं जो कई सालों से जमीन पर काबिज तो हैं, किंतु उनको आज तक पट्टे नहीं दिए गए हैं, जो छूटे हैं, उनको पट्टे दिए जाएं ताकि उस पट्टे के आधार पर सोसाइटियों से और अन्य संस्थाओं से ऋण लेकर वे अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें. इसलिए पट्टे जो छूटे हुए हैं, उनको पट्टे दिए जाएं और सिंचाई के साधन भी उपलब्ध हों, ये बातें अभिभाषण में नहीं आ पाईं, राज्यपाल महोदय ने कई बातें कहीं, पर ये बातें जो जरूरी थीं, जो अभिभाषण में छूटी हुई हैं, उनको भी शामिल किया जाए तो निश्चित ही आमजन का विकास होगा. पिछड़े लोगों को आगे आने का अवसर मिलेगा. आपने मेरी बात सुनी, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. योगेश पंडाग्रे (आमला) -- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे राज्यपाल के अभिभाषण के समर्थन में बोलने का अवसर दिया. महोदय जी, मैं सभी देशवासियों को, सभी प्रदेशवासियों को धन्यवाद और बधाई देना चाहूँगा कि हमारे आस्था के प्रतीक भगवान राम के मंदिर का भव्य निर्माण हुआ. ये पूरे देशवासियों के लिए आस्था और गर्व की बात है और मैं समझता हूँ कि यह देश के लिए ऐतिहासिक घटना है और पूरा सदन इसका समर्थन करता है. चाहे इस ओर के सदस्य हों, चाहे उस ओर के सदस्य हों, सभी सदस्य इस ऐतिहासिक घटना पर और भव्य राम मंदिर के निर्माण पर खुश हैं.
महोदय जी, सरकार के पक्ष और विपक्ष में काफी कुछ इस सदन में कहा गया, लेकिन मैं एक वाकये से अपनी बात चालू करना चाहूँगा.
01.13 बजे {सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
माननीय सभापति महोदय, यह लगभग वर्ष 2001 या 2002 के आसपास की बात होगी. बैतूल, चूँकि भोपाल और नागपुर के बीच में स्थित है, एक ट्रक से कोई कंटेनर जा रहा था, कंटेनर भोपाल से आया हुआ था, बारिश का मौसम था, ड्राईवर ने मुझसे पूछा कि यहां से नागपुर लगभग कितना दूर है. मैंने उसे बताया कि लगभग 180 किलोमीटर है, जितना कि यहां से भोपाल है. तो वह लगभग रुआंसा सा हो गया. कहता है कि मुझे भोपाल से आने में लगभग 10 घण्टे लगे हैं और कितना समय लगने वाला है. मैंने कहा कि यहां से फिर शायद 8 से 10 घण्टे लगने वाले हैं. एक वह स्थिति थी और मैं समझता हूँ कि कई बार इतिहास के पन्नों को पलटना भी आवश्यक है और हमको पीछे देखना भी आवश्यक होता है. क्योंकि जब तक हम दो बिंदुओं का तुलनात्मक अध्ययन नहीं करें, हमें ये समझ नहीं आएगा कि हमने कहां से चालू किया था और हम कहां पहुँचे हैं. कई बार तुलनात्मक अध्ययन भी होता है. पर आज की स्थिति ऐसी है कि भोपाल से नागपुर की दूरी जो तब 17 से 18 घण्टे थी, वर्ष 2002-03 में आज वह दूरी घटकर लगभग 5-6 घण्टे रह चुकी है. आज पूरे प्रदेश में सड़कों का जाल बिछा हुआ है और लगभग 10,000 करोड़ रुपये की, 724 किलोमीटर की 24 सड़कों की अभिस्वीकृति हमारे माननीय केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी जी के द्वारा दी गई है. अभी 2-3 दिन पहले मेरे मित्र अपने उद्बोधन में कह रहे थे कि लगभग इस प्रदेश में 50 हजार किलोमीटर सड़कों की और आवश्ययकता है, बिल्कुल मैं समझता हूँ कि कई काम करने अभी बाकी हैं. लेकिन काम जिस तेज गति से अभी चल रहे हैं. निश्चित रूप से यह कार्य पूरे होंगे. लेकिन एक चीज को जरूर याद करना चाहूँगा कि पूर्व में जब कोई मुख्यमंत्री थे, उन्होंने कहा था कि चुनाव विकास से नहीं, मैनेजमेंट से जीते जाते हैं. आज मेरे मित्र जिन कमियों की बात कर थे, अगर चुनाव उस वक्त मैनेजमेंट से नहीं, अगर विकास से जीते जाते तो हो सकता है कि आज उतनी कमियां नहीं होती, जो वह गिना रहे थे.
सभापति महोदय, आज किसी भी प्रदेश की उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि वहां पर भरपूर ऊर्जा की उपलब्धता हो. आज प्रदेश सरकार, प्रदेश में लगभग 25,000 मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रही है, जो सन् 2003 में लगभग 4,500 मेगावाट था. आज हम लोग रिन्यूएबल एनर्जी पर भी लगभग 3,000 मेगावाट का उत्पादन कर रहे हैं और लक्ष्य है कि प्रतिवर्ष 1,300 मेगावाट बिजली का उत्पादन बढ़ाते हुए, इस प्रदेश को जिस ऊर्जा की आवश्यकता है, उसको हम पूरी करें. मैं हमारी सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ और माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी को, जिन्होंने साढ़ेछेद्र की भी, जो मेरी विधान सभा में आता है. उसकी चिन्ता करते हुए वहां पर एक 660 मेगावाट यूनिट का भूमिपूजन किया और इससे ऊर्जा की उपलब्धता तो बढ़ेगी, साथ ही मेरे क्षेत्र में रोजगार की नई संभावनाएं भी उपलब्ध होंगी, उसके लिए मैं सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ.
सभापति महोदय - अब आप कन्क्लूड करें.
डॉ. योगेश पंडाग्रे - सभापति महोदय, मुझे 5 मिनट और दीजिये.
सभापति महोदय - यह समय ज्यादा हो जाएगा, आप केवल 2 मिनट में समाप्त करें.
डॉ. योगेश पंडाग्रे - सभापति महोदय, मैं समझता हूँ कि किसी देश और प्रदेश के उत्पादों को ब्रांडिंग का काम भी किसी सरकार का होता है, लेकिन पूर्व में अगर हम बात करें तो किसी प्रोडक्ट पर अगर 'मेड इन इंडिया' या 'मेड इन देहली' लिखा जाता था तो हम लोग उस प्रोडक्ट को कई बार हीन भावना से देखते थे, लेकिन मैं धन्यवाद देता हूँ मोदी सरकार को, जिन्होंने आज देश में स्वदेशी की भावना का संचार किया और आज हमारे देश में तेजस जैसे विमान, मिसाइलें तथा बड़े-बड़े उत्पाद बन रहे हैं. हम हमारे देश में बने हुए उत्पादों को सम्मान की दृष्टि से देख रहे हैं, इस पर भी मैं समझता हूँ कि हमारी सरकार और हमारे प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी का बहुत बड़ा योगदान है. सभापति महोदय, हम स्वच्छता के क्षेत्र में भी देश को लगातार आगे ले जा रहे हैं एवं मध्यप्रदेश उसके साथ कदम से कदम मिलाते हुए, आज देश में स्वच्छता के क्रम में दूसरे नम्बर पर है और हमारा इन्दौर शहर लगातार सातवीं बार स्वच्छता के क्षेत्र में प्रथम प्राप्त कर एक इतिहास रच चुका है.
सभापति महोदय, हमारे युवाओं को बेहतर रोजगार मिल सके, इसलिए उनमें फ्यूचर जॉब स्किल्स डेवलपमेंट करके एआई जैसी टेक्नोलॉजी का उनको कम्प्यूटर प्रशिक्षण देकर, हम आगे के रोजगार की संभावनाओं पर भी कार्य कर रहे हैं.
सभापति महोदय - अब आप समाप्त करें.
डॉ. योगेश पंडाग्रे - केवल दो मिनट दीजिये.
सभापति महोदय - आपको दो मिनट ही तो दिया था.
डॉ. योगेश पंडाग्रे - आप मुझे केवल दो मिनट और दीजिये.
सभापति महोदय - नहीं, दो मिनट नहीं मिलेंगे. अब आप समाप्त कीजिये. बहुत सारे माननीय सदस्यों को बोलना है.
डॉ. योगेश पंडाग्रे - सभापति महोदय, जी जिस तरह से सरकार कार्य कर रही है. चाहे वह महिलाओं के लिए हो, चाहे किसान भाइयों के लिए हो, युवाओं के स्वरोजगार के लिए बात हो, सरकार हर क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रही है. मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का पुरजोर समर्थन करता हूँ. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय - धन्यवाद, डॉक्टर साहब.
श्री प्रताप ग्रेवाल (सरदारपुर)- माननीय सभापति महोदय, मुझे इस सत्र में पहली बार बोलने का मौका मिल रहा है. राज्यपाल महोदय का अभिभाषण सुना, पढ़ा और लगातार ढूंढने की कोशिश भी की कि जनजातीय युवा कल्याण के लिए क्या लिखा गया है, पिछड़ा वर्ग के साथियों के लिए क्या लिखा गया है, हमारे बेरोजगार युवा साथियों के लिए क्या लिखा गया है. परंतु जब मैंने 16 पढ़ा तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं कि 1 करोड़ 39 लाख रुपये से अधिक डिजिटल हस्ताक्षरित रंगीन फोटोयुक्त प्रमाण-पत्र दे दिये गए हैं.
माननीय सभापति महोदय, छात्रवृत्ति का उल्लेख है शिष्यवृत्ति का उल्लेख है, यह तो संवैधानिक अधिकार है. आप यह बतायें कि जो अनुसूचित जनजातीय युवा वर्ग के बैकलॉग पद हैं, डेढ़ लाख- दो लाख पद हैं, वे अब तक क्यों नहीं भरे गये. आज सरकार बड़े-बड़े उद्योगों को तो छूट देती है, उन्हें बिजली की छूट मिलती है, अन्य छूटें मिलती है लेकिन आज एक तरह से सरकार मजाक उड़ा रही है. 6 लाख ओबीसी के पोस्टमैट्रिक छात्रों की करीब 4 सौ 82 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति रोक दी गई है. अभी तक उन्हें छात्रवृत्ति नहीं मिली है.
माननीय सभापति महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के पैरा 31 में "मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना" जिसमें 22 हजार 500 से अधिक अनुबंध किये जा चुके हैं लेकिन 8 फरवरी, 2024 को मेरे प्रश्न क्रमांक 457 में, विकास और रोजगार के प्रश्न पर जवाब दिया गया कि- जानकारी एकत्रित की जा रही है, राज्यपाल महोदय से भी अभिभाषण पढ़वा दिया गया. 20 वर्षों से प्रदेश के युवाओं के साथ एक के बाद, एक भर्ती घोटाले करके बेरोजगार युवाओं की जिंदगी को बेरंग कर दिया गया है.
माननीय सभापति महोदय, हमेशा से सरकार कमजोर वर्ग के कल्याण की बात करती है लेकिन 3 फरवरी, 2024 को आदिवासी उपयोजना का जो पैसा, 207 करोड़ रुपये था. उसे अन्य योजनाओं पर, सामान्य श्रेणी में खर्च करने की अनुमति दे दी गई. साथियों जब भी किसी प्रदेश के अंदर, देश के अंदर विकास की बात होती है तो सबसे पहले कुर्बानी हमेशा हमारे आदिवासियों भाईयों की होती है. चाहे सड़क की बात हो, बड़े तालाब-डैम की बात हो या किसी भी विकास योजना की बात हो, सरकार अभी हमारे धार जिले के भैंसोला में पीएम मित्र पार्क की बात कर रही है. सरकार ने कारखाने खोलने के लिए, हमारे आदिवासी भाईयों के गांव के गांव तो ले लिये.
सभापति महोदय- माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वे कृपया सदन के भीतर बातचीत थोड़ा धीमे स्वर में करें, सदन में व्यवधान होता है.
श्री प्रताप ग्रेवाल- माननीय सभापति महोदय, धार के भैंसोला में करीब 2000 गरीब आदिवासी लोग प्रभावित होंगे. आज कंपनी के लोग जेसीबी और पोकलेन लेकर उनके घर, मकान और खेतों में से रास्ता निकालने के लिए पहुंच जाते हैं. पुनर्वास के संबंध में माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश हैं. पहले उन्हें बसाओ तो सही उनका पुनर्वास तो करें. सभापति महोदय, आदिवासी विकास के नाम पर सरकार बड़े-बड़े ढोल पीटती है, लेकिन 20 सालों के अंदर 30 हजार हेक्टेयर से भी अधिक जमीन औने-पौने दामों पर बेचने की अनुमति दे दी गई है. यह अनुमति सिर्फ कलेक्टर को होती है, लेकिन एसडीएम महोदय के द्वारा अनुमति दे दी गई. आज हालत यह है कि जो गरीब आदिवासी किसान है वह खेतिहर मजदूर बनता जा रहा है और पलायन के लिए मजबूर होता जा रहा है. संबल योजना की बात कही गई. सभापति महोदय, संबल योजना में 5 लाख 25 हजार से अधिक हितग्राहियों को लाभ वितरित किया गया, लेकिन मेरे विधान सभा क्षेत्र में 278 संबल योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है साथ ही साथ पूरे धार जिले में भी 1 हजार 670 लोगों को संबल योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. यह वर्ष 2022 की स्थिति है. ऊर्जा क्षमता की बात की जा रही है और सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 24 घंटे बिजली देने की बात की जा रही है, लेकिन मेरे विधान सभा क्षेत्र में 112 मजरे टोलों में 24 घंटे विद्युत वितरण व्यवस्था की आज भी कोई सुविधा नहीं है. किसानों की आय दोगुना करने बात कही जाती है, उसे वाजिब दाम देने की बात की जाती है, गेंहू का भाव 2700 रुपए प्रति क्विंटल की उपज से देने की बात की जा रही थी, लेकिन अभी गेहूं की उपज का जो भाव 2275 रूपए किसानों को दिया जा रहा है यहीं आज मेरे मालवा, निमाड़ क्षेत्र में विशेषकर की धार, रतलाम, बड़वानी, मंदसौर जिले में भी किसान नीलगाय से काफी परेशान हैं. यही नहीं नीलगाय के साथ-साथ रात को जो लोग जाते हैं सड़क दुर्घटना से जनहानि भी चुकी है.
सभापति महोदय, सरकार द्वारा तीर्थ स्थान विकसित किये जा रहे हैं. निश्चित प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण के कदम जहां-जहां भी पड़े उन तीर्थ क्षेत्रों का विकास किया जाएगा. निश्चित तौर पर मेरे विधान सभा क्षेत्र अमझेरा में भी प्रभु श्री राम के चरण पड़े हैं तो अमझेरा का विकास तो होगा ही, लेकिन मेरे ही विधान सभा क्षेत्र अमझेरा में सन् 1857 की लड़ाई में अपना अहम योगदान देने वाले 28 वीर योद्धाओं के साथ में महाराजा राणा वक्तावर सिंह जी ने जो अपनी शहादत दी है उस महल का भी जीर्णोद्धार हो, उस शहीद की गैलरी के रूप में उसका विकास किया जाए. साथ ही साथ जो लालगढ़ किला है उसका भी जीर्णोद्धार किया जाए. आपने मुझे बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री प्रेम शंकर कुंजीलाल वर्मा (सिवनी मालवा) -- माननीय सभापति महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का समर्थन करते हुए कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ.
सभापति महोदय, आजादी के अमृतकाल और गणतंत्र-स्वतंत्र के अमृतकाल में हमारे प्रदेश में जो विकास हो रहा है, प्रदेश जिस गति से आगे बढ़ रहा है वह हमारे राज्यपाल महोदय के अभिभाषण से परिलक्षित होता है. राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में राममंदिर का उल्लेख किया गया है. हमारे कांग्रेस के मित्र बार-बार इस बात को कहते हैं कि यह मध्यप्रदेश की विधान सभा और यहां पर प्रधानमंत्री जी का जिक्र करना क्या उचित है. मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि आखिर में नरेन्द्र मोदी जी इस देश के प्रधानमंत्री हैं और ऐसी कौन सी योजना है जो केन्द्र के पैसे के बगैर, केन्द्र की योजनाओं के बगैर मध्यप्रदेश या अन्य राज्यों में संचालित की जाती है. ऐसी अनेकों योजनाएं जो देश में गरीबों का जीवन स्तर सुधारने के लिए उन्होंने पूरे देश के लिए बनाई हैं. राम मंदिर की बात भी बहुत जरुरी है. राम मंदिर का यह संघर्ष, राम जन्म भूमि अयोध्या में प्रभु श्रीराम जी का मंदिर बने, यह भारत के करोड़ों लोगों की अभिलाषा थी, उनकी इच्छा थी, उनकी मनोकामना थी. दिनांक 22 जनवरी, 2024 को जब अयोध्या रामजन्म भूमि पर प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा का अवसर आया तो सचमुच में वह दृश्य पूरे भारत में देखने लायक था. जब प्रभु श्रीराम लंका विजय करके अयोध्या आए थे, यह त्रेता युग की बात है. वह दृश्य हमने अपनी आँखों से नहीं देखा कि किस प्रकार का हर्षोल्लास, दीपोत्सव उस समय मनाया गया था. लेकिन सचमुच हम 22 जनवरी, 2024 का वह दृश्य देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि हिन्दुस्तान के इतिहास में वह दिन कैसा दिन रहा होगा, कैसी खुशियों का दिन रहा होगा. एक-एक घर में दीपोत्सव मनाया गया. एक एक मंदिर को सीरीज और रोशनी से सजाया गया, एक एक मंदिर में भजन कीर्तन का आयोजन किया गया. यह अवसर हमारे नरेन्द्र मोदी जी पूरे देश के लिए लाए हैं. नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा यह महान काम किया गया है. कुछ पंक्तियों में मैं यह बात बयां करता हूँ. अयोध्या में राम जी का मंदिर न बनता, गर मोदी न होते, गर मोदी न होते. कश्मीर से धारा 370 न हटती, गर मोदी न होते, गर मोदी न होते. राम राज्य भारत में फिर से न आता, गर मोदी न होते, गर मोदी न होते.
सभापति महोदय -- यह मूल रचना आप की है क्या.
श्री प्रेम शंकर कुंजीलाल वर्मा -- सभापति महोदय, मैंने तो कांग्रेस के जो आचार्य हैं, संत हैं उन्होंने इंटरव्यू में यह बातें कही हैं. उन्होंने इंटरव्यू में यह बातें कहीं हैं कि यह काम तो सिर्फ मोदी जी ही कर सकते थे किसी दूसरे के वश की बात नहीं है. देश की आजादी के बाद, 50-60 साल बाद तक कांग्रेस कभी प्रदेश में..
सभापति महोदय -- आऊट सोर्स्ड है आपकी रचना नहीं है.
श्री दिनेश गुर्जर -- सभापति जी, कांग्रेस के कार्यकाल में राजीव जी ने उसके द्वार खोले थे और मोदी जी ने कोई अहसान नहीं किया है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया है और देश की जनता के चंदे से मंदिर बना है. मोदी जी ने अपना घर बेचकर नहीं बनाया है.
श्री मनोज नारायण चौधरी -- आपकी सरकार इतने समय तक रही तब तो कुछ नहीं हुआ था ना.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- सभापति जी, अच्छा हुआ कि मैंने गाकर नहीं सुनाया. इस सदन में ऐसी बातें भी होती हैं जिनको विलोपित करना पडता है लेकिन लोगों की इच्छा है तो दो लाइन गाना चाहूंगा.
सभापति महोदय -- इसमें भाषण की परम्परा है गाने की तो नहीं रही है.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- सभापति जी, क्या शेर ओ शायरी की परम्परा है ?
सभापति महोदय -- जी हां है. कविता की है, शेर ओ शायरी की है.
श्री बालकृष्ण पाटीदार -- कवितात्मक अंदाज में तो कहा जा सकता है.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- उसी अंदाज में मैं अपनी दो लाइन गाता हूं ''अयोध्या में रामजी का मंदिर न बनता, गर मोदी न होते, मोदी न होते. कश्मीर से धारा 370 न हटती, गर मोदी न होते, मोदी न होते.''
श्री दिनेश गुर्जर -- इन्होंने वहां जाकर जम्मू कश्मीर में प्लाट खरीद लिया है, जम्मू कश्मीर में 370 खत्म होने के बाद माननीय सदस्य ने शायद वहां प्लाट खरीद लिया है, वहां अब फैक्ट्री खुल रही है.
सभापति महोदय -- आप जारी रखें अपना भाषण. आप कितना समय लेंगे ? भाषण समाप्त करें.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- ज्यादा नहीं, जो समय मुझे मिला है उसी में अपनी बात करूंगा. ऐसे जो मध्यप्रदेश में विकास हो रहा है, राज्यपाल जी के अभिभाषण में सारी चीजें हैं, हर वर्ग के लिये मध्यप्रदेश की सरकार काम कर रही है. आप हमारे केन्द्र की नरेन्द्र मोदी जी की सरकार की बात करें तो कभी इस देश के गरीब ने यह सोचा भी नहीं होगा कि मेरा भी पक्की छत का मकान होगा, मेरा भी पक्का लेट्रीन-बाथरुम होगा. इस देश के गरीब ने कभी यह सोचा भी नहीं होगा, उन बहनों ने कभी यह सोचा भी नहीं होगा जो लकडी और कंडे के धुएं में अपना खाना बनाती हैं कि मेरे घर में भी गैस की टंकी और गैस का चूल्हा आएगा. इस देश के गरीब व्यक्ति ने ..
श्री दिनेश गुर्जर -- साढे बारह सौ रुपये में आज सिलेंडर आएगा यह उन्होंने नहीं सोचा था.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- सभापति महोदय, आप अपडेट कर लें साढे चार सौ रुपये हो गया है.
श्री दिनेश गुर्जर -- किसी को नहीं मिल रहा है. हम रोज परेशान हैं.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- इस देश के गरीब ने कभी सोचा नहीं होगा कि शहर की तरह हिन्दुस्तान के एक-एक घर में नल के द्वारा जल पहुंचाया जाएगा. कभी किसान भाई ने सोचा नहीं होगा कि उसके खाते में 12 हजार रुपये की राशि सीधे आएगी. हमारे किसान भाई ने कभी सोचा नहीं होगा कि जब उनकी फसल नष्ट होती है तो मध्यप्रदेश की सरकार मुआवजा और बोनस देने का काम भी करती है. यह सिर्फ भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर सकती है.
श्री दिनेश गुर्जर -- हमने सौ रुपये, सवा सौ रुपये फसल बीमा का देते हुये आपको देखा है. चूंकि हमने लडाई लडी है. श्योपुर में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकताओं को मुआवजा मिला था. उसमें शिकायत हुई फिर जांच हुई तो दोषी पाए गए. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को दे दिया.
श्री मनोज नारायण चौधरी -- आप इस बात को समझ लें कि उसमें न्यूनतम राशि होती है. यह बहुत अच्छी तरह से समझ लें उसमें सरकार के द्वारा न्यूनतम राशि दी गई है.
श्री दिनेश गुर्जर -- नहीं, 135-135 रुपये फसल बीमा के दिये हैं.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- सभापति जी, जब इनकी बारी आए तब यह बोलें कि क्या बोलना चाहते हैं.
सभापति महोदय -- माननीय दिनेश गुर्जर जी, देखिये यह सदन के कार्य संचालन की जो परम्परा है उसके तहत चेयर को एड्रेस किया जाता है आपस में बात नहीं की जाती है. कृपा करके अब आप समाप्त करेंगे.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- सभापति महोदय, हमारे मध्यप्रदेश की सरकार ने जो महिला सशक्तिकरण के लिये काम किया है, यह पहली मध्यप्रदेश की सरकार है जिसने इस प्रदेश की महिलाओं के लिये 50 प्रतिशत का आरक्षण राजनैतिक पदों के लिये चाहे वह सरपंच हो, जनपद अध्यक्ष हो, जिला पंचायत अध्यक्ष हो, नगर पालिका, नगर निगम के अध्यक्ष हो, यह अभूतपूर्व काम सिर्फ मध्यप्रदेश की सरकार कर सकती है. हमारी बहनों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो. आर्थिक स्थिति मजबूत हो.
सभापति महोदय --कृपया बैठ जायें.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- मुझे बहुत कम समय दिया है. बीच बीच में लोगों ने व्यवधान किया है, इसकी वजह से मैं जो अपनी बात कहना चाहता था, वह कह नहीं पाया.
सभापति महोदय-- वह तो सबके साथ होता है.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- लेकिन आप जो समझ रहे हैं कि जो विकास देश और प्रदेश में हो रहा है, यह तो एक छोटी सी झांकी है.
सभापति महोदय--वर्मा जी बैठ जायें. श्री कमलेश्वर डोडियार.
श्री कमलेश्वर डोडियार (सैलाना)-- सभापति महोदय, आपने जो पहली बार बोलने के लिये मौका दिया. मौका देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद, पूरे भील प्रदेश की ओर से. राज्यपाल महोदय का भाषण सुना और जो लिखा हुआ हमें दिया, वह भी पढ़ा. मैं सोच रहा था कि मेरा जो विधान सभा क्षेत्र है रतलाम जिले की सैलाना आदिवासी इलाका है. हमारे ही पास में झाबुआ जिला भी पड़ता है, अलीराजपुर और धार भी पड़ता है. पूरी तरीके से यह मानकर चलो मोटा मोटा आइडिया 80 प्रतिशत आदिवासी लोग रहते हैं. मैं यह सोच रहा था कि यह राज्यपाल जी के अभिभाषण में होगा, आदिवासी समाज के लिये, हमारे समाज के, हमारे इलाके के जो लोग हैं, वहां गरीब हालात होने की वजह से और पढ़ाई लिखाई ठीक नहीं होने की वजह से ज्यादातर लोग दूसरे इलाकों में जाते हैं मजदूरी करने के लिये . देश आजाद हुए लगभग 75 साल से ज्यादा का समय हो चुका है. आज भी रतलाम जिले के, झाबुआ जिले के मध्यप्रदेश के अलीराजपुर, धार जिले से आदिवासी लोग पलायन पर जाते हैं और पलायन पर लोग जब जाते हैं, तो उनको क्या समस्याएं होती हैं, क्या परिस्थितियां बनती हैं, महिलाएं छोटे छोटे बच्चे लेकर के जाती हैं, वहां पर मजदूर भी सुरक्षित नहीं होता. काम करते हैं कहीं फैक्ट्री में या किसी ठेकेदार के पास तो वहां पैसा भी नहीं दिया जाता है. मैं यह सोच रहा था कि राज्यपाल जी के अभिभाषण में होगा, जो आदिवासी इलाके में लोग हैं, पढ़ने के बाद नौकरी की तलाश होती है. मैं यह सोच रहा था कि नौकरी की व्यवस्था होगी. कहीं से कहीं तक आदिासी इलाके में विशेष तौर पर नौकरी के लिये कोई व्यवस्था नहीं है. मेरे सैलाना विधान सभा क्षेत्र में मैं यह सोच रहा था कि अभिभाषण में होगा कि आदिवासी पढ़े लिखे युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिये कोई ट्रेनिंग सेंटर खुलेगा. या मेरे इलाके में छोटे छोटे उद्योग खुलेंगे. जिसमें लोगों को रोजगार मिलेगा. इस प्रकार की कोई भी चीज अभिभाषण में नहीं है. मेरा जो आदिवासी इलाका है, वहां पर लोगों के पास थोड़ी बहुत खेती बाड़ी है. खेती बाड़ी तभी ठीक हो सकती है, जब किसान को खेती करने में थोड़ी सहुलियत मिले. एक तो किसान को जब बीज खरीदना होता है, तो बीज महंगा दिया जाता है और नकली बीज दिया जाता है. दूसरा उसको बीज बोने के बाद में खाद की जरुरत पड़ती है किसान को, तो खाद समय पर नहीं मिलता. तीसरा, बिजली की कैसी स्थिति होती है किसान को सिंचाई करने के लिये वरिष्ठ सदस्य रावत साहब ने बता ही दिया है आपको. इस बुरे दौर से किसान गुजरता है, मैं सोच रहा था कि अभिभाषण में किसानों के फायदे के लिये कुछ होगा. लेकिन अभिभाषण में कुच्छ ऐसा नहीं मिला. एक सवाल है राज्यपाल महोदय जी को कि भारत के संविधान में पांचवीं अनुसूची लागू करने के लिये राज्यापल जी को हर साल राष्ट्रपति जी को एक रिपोर्ट पेश किया जाना चाहिये. भारत का संविधान कहता है, यह मैं नहीं कह रहा हूं मेरी ओर से कि हर साल आदिवासी इलाके में अनुसूचित इलाके में कैसा प्रशासन चल रहा है और आदिवासी लोगों की कैसी प्रगति हो रही है, यह रिपोर्ट राज्यपाल जी को हर साल राष्ट्रपति जी को सौंपने की है. यह भारत के संविधान में इसकी व्यवस्था है.सभापति महोदय, तो मैं अभिभाषण के ऊपर यही बात कहना चाहता हूं, यह सवाल है उन तक, यह जाना चाहिये. राज्यपाल साहब भी उसी उलाके से आते हैं,भील प्रदेश से और मैं भी उसी इलाके से आता हूं. तो आदिवासियों की इतनी समस्याएं हैं, तो ध्यान क्यों नहीं जा रहा है.परसों के दिन लोकसभा का सत्र समाप्त हुआ और कल इतनी देर से माननीय सदस्य कह रहे थे, मोदी जी, मोदी जी कह रहे थे. ठीक है हम भी मानते हैं कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री हैं, इतनी बुरी स्थिति आदिवासियों की है, आप लोगों को सूझ क्यों नहीं पड़ रही है. मैं सोच रहा था कि अभिभाषण में होगा कि मेरा जो इलाका आदिवासी बहुलता वाला है, वहां एम्स की स्थापना करके जायेंगे मोदी जी. एम्स का लोकार्पण करके जायेंगे. उसकी घोषणा करके जायेंगे. आईआईटी की घोषणा करके जायेंगे मोदी जी, मैं ऐसा सोच रहा था. आपके मोदी जी भी फेल हो गये. अब यह बात हो रही है राज्यपाल जी के अभिभाषण की. इसमें भी मैं यह सोच रहा था कि वहां एजूकेशन के सिस्टम को ठीक करने की बात कही जायेगी. आदिवासी इलाके के स्कूल में आप लोग देखेंगे वहां जाकर के कि क्या स्थिति है. मेरे क्षेत्र सैलाना में रावटी नाम का एक कस्बा है,अभी करीब 5-7 साल पहले कालेज खुला. केवल वहां पर 2 टीचर्स हैं और हम सब पढ़े-लिखे लोग हैं. माननीय विधायक हैं, पढ़े-लिखे हैं. कॉलेज को चलाने के लिए कितने प्रोफेसर्स की जरूरत पड़ती है, कितने फेकल्टी होना चाहिए? और वह भी एक स्कूल है, उसका जर्जर भवन है, उसको पीडब्ल्यूडी ने जर्जर घोषित कर रखा है कि वह स्कूल पुराना है और वह कभी भी गिर सकता है, उसी स्कूल के अंदर कॉलेज चल रहा है. मैं यह सोच रहा था कि राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में मेरा राउटी में कॉलेज चल रहा है, उस कॉलेज के लिए कोई बिल्डिंग बनेगी या नई फेकल्टी की जो हम मांग कर रहे हैं, वह मिलेगी. ऐसा कुछ भी जिक्र नहीं है. पैसा कानून वर्ष 1996 में बना और उसके नियम वर्ष 2022 में बने, जितने आपने नियम बनाए, उन सबका भी उल्लंघन हो रहा है. अभी हमारे विपक्ष के एमएलए साहब डॉ. हीरालाल अलावा जी ने कहा था. अभी धार जिले में डही में एक आदिवासी नौजवान के बारे में कहा, जो अवैध तरीके से शराब की बिक्री आदिवासी इलाके में होती है, घर घर उस प्रकार से दारू की बिक्री होती है, जैसे गर्मी के समय में आइस्क्रीम बेची जाती है, उस तरीके से दारू बेची जाती है. आदिवासी इलाके में दारू का इस प्रकार से वितरण होता है, जिस प्रकार से दूध बांटने वाला व्यक्ति सवेरे सवेरे उठकर मोटरसाईकिल पर डब्बे में दूध भरकर बांटता है, उस प्रकार से दारू बेची जा रही है. क्या अवैध तरीके से शराब की बिक्री करने से सरकार को राजस्व में कुछ फायदा हो रहा है? हमारे इलाके के अंदर लोगों को जबर्दस्ती अवैध तरीके से दारू बिकवाकर, शराब बिकवाकर लोगों की हत्याएं हो रही हैं. अर्जुन कनस्या करके नौजवान साथी था, शराब माफियाओं ने उसकी हत्या कर दी. मेरा रतलाम जिला पड़ता है, वहां बिलपांग थाना क्षेत्र है, 5.97 करोड़ रुपये की शराब अवैध रूप से ट्रांसपोर्ट हो रही थी. 2 कंटेनर में भरकर जा रही थी, शराब पकड़ भी ली.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से मैं सरकार को कहना चाह रहा हूं. 6 करोड़ रुपये की शराब पकड़ी, पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारियों ने मिलकर उस पूरे मामले को दबा दिया. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार से सवाल पूछ रहा हूं, क्या इसी प्रकार से सरकारें चलती हैं? अवैध तरीके से शराब की बिक्री हो रही है और लोग मारे जा रहे हैं. मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में यह भी सोच रहा था कि पैसा कानून ठीक से लागू होगा. लाखों की तादाद में आदिवासी लोग जंगलों में रहते हैं, कई सालों से कई सदियों से रहते हैं. वह लोग जंगल से अपनी जीविका जी रहे हैं. मैं यह सोच रहा था कि जिन लोगों ने फारेस्ट के वन अधिकार पत्र लेने के लिए जिन लोगों ने आवेदन कर रखे हैं, उन आवेदनों की दोबारा से पड़ताल होगी और उनको वन अधिकार पत्र दिये जाएंगे. महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में इस प्रकार की कोई भी बात नहीं कही गई. आपको पता होगा कि 5 जनवरी, 2011 सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट यह कहता है कि सबसे पुराना समाज आदिवासी इस देश में है. इस मुल्क का मालिक आदिवासी है और हम सभी समाज के लोगों के साथ मिलकर रहना चाहते हैं. 22 तारीख को उत्तरप्रदेश के अंदर अयोध्या में इतने सारे माननीय सदस्य बोल रहे हैं, 4-5 दिन से मैं देख रहा हूं. आप पहले यह बताइए कि भगवान श्री राम जब जंगल में गये थे, तब कोई महल का व्यक्ति उनके साथ में सपोर्ट में नहीं आया था. माता शबरी जो भील समाज की थी, उन्होंने झूठे बेर टेस्ट करके खिलाए थे कि कड़वा बेर या सड़ा हुआ बेर रामजी के मुख में न चला जाय. उस दिन 22 तारीख को अयोध्या में इतना बड़ा कार्यक्रम किया, राष्ट्रपति महोदय को आपने नहीं बुलाया, जो आदिवासी समाज की थी. तमाम प्रकार के पूरे देश में इतने सारे विधायक हैं आदिवासी, उन सबको बुलाना चाहिए था, यह विधायक लोग सभी राज्यों के सांसद लोग, आदिवासी समाज के यह इस भारत देश के लिए देवता के समान हैं. इन लोगों को आपने क्यों नहीं बुलाया है और जिस प्रकार से राम जी का कार्यक्रम हुआ, ऐसा का ऐसा कार्यक्रम माता शबरी का भी होना चाहिए. जहां जहां भगवान के पैर पड़े, वहां तो आप लोग कह रहे हो कि हम लोग इसको तीर्थ स्थल बनाएंगे. शबरी माता किस काम से आती थी, वह कहां रहती थीं, इसको भी आपको ढूंढना पडे़गा, वहां तीर्थ स्थल बनाओ. जिस प्रकार से रामजी का कार्यक्रम हुआ, हमारे लिए वह देवता के समान है, हैं देवता, हम लोग तो पूजा करते हैं आदिवासी. आदिवासी समाज का आदमी, सवेरे उठने से लेकर शाम को सोने तक हजारों बार जिन-जिन लोगों से मिलता है, दो बार राम-राम बोलता है. एक बार जय श्रीराम नहीं बोलता है तो जिस प्रकार से शबरी माता को आप लोगों ने छोड़ दिया 22 तारीख वाले कार्यक्रम में, ऐसा का ऐसा राज्यपाल साहब के अभिभाषण में आदिवासी लोगों को बिल्कुल छोड़ दिया. सिर्फ जंगल में तेंदूपत्ता, उसको 4000 रुपया, कितना रुपया देने की बात की? आदिवासी इलाके में कौन खोलेगा, क्या हमको नहीं पढ़ना है? आदिवासी इलाके में आईआईटी कौन खोलेगा?
सभापति महोदय - श्री कमलेश्वर जी अब आप समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर डोडियार - मैं अभी समाप्त ही कर रहा हूं. मैं पहली दफा बोल रहा हूं. मैं बहुत गरीब आदमी हूं, मैं जीतकर आया हूं. इसी प्रदेश के लोगों ने मुझे वोट देकर जिताया है. मुझे कहीं दूसरे राज्य के लोगों ने नहीं जिताया, पाकिस्तान के लोगों ने मुझे वोट नहीं दिया है. बोलने के लिए मुझे बोलना पडे़गा न. मैं खुद भी कानून का पालन करता हॅूं. हमारे आदिवासी इलाके में बच्चा पैदा होने से लेकर के बूढ़ा होने के बाद मरने तक जितनी भी आपकी योजनाएं चल रही हैं, एक भी योजना ठीक से नहीं चल रही है. माननीय नरेन्द्र मोदी जी आपके और हमारे सब के माननीय हैं उनकी तमाम प्रकार की योजनाएं इस भारत को आगे बढ़ाने के लिए होंगी. नल-जल योजना में कितना बड़ा घोटाला हुआ, आप पूरे मध्यप्रदेश में तय करो. मैं तो कह रहा हॅूं कि हमारा जो इलाका है उसमें ढाई हजार करोड़ के आसपास काम हुआ. आप लोग सर्वे करो. अभी रावत जी कह रहे थे कि बिजली वाले मामले में आप मेरी उपस्थिति में वेरिफाई करो. मैं भी विधायक हॅूं, मैं भी चुनकर आया हॅूं. कितनें घरों तक आपने नल-जल योजना के माध्यम से पानी पहुंचाने का इंतेजाम किया है. हम खुद खडे़ रहकर वेरिफाई कर लेते हैं. 90 प्रतिशत काम फर्जी हुआ है. कागज में कह दिया कि नल चल रहा है, नल में पानी आ रहा है. वहां जाकर देखेंगे, तो कोई नल नहीं बिछाया और पानी का कोई स्रोत तैयार नहीं किया है. हमारे इलाके की ऐसी स्थिति हो गई है तो दूसरे जिलों में और दूसरे विधानसभाओं में भी मेरे ख्याल से यही हालात होंगे. मैं अपेक्षा करता हॅूं कि आगे जो भी काम होगा, उसमें आदिवासियों के हितों का ध्यान रखा जाएगा. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद, शुक्रिया. जय भील प्रदेश.
सभापति महोदय -- धन्यवाद कमलेश्वर जी. सदन में आपका यह पहला भाषण था. बहुत ही सारगर्भित था. बहुत अच्छी प्रस्तुति थी. आपको मैं उसके लिए बधाई देता हॅूं.
श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी) -- माननीय सभापति महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हॅूं. मैं अपने क्षेत्र की जनता का इस पवित्र लोकतंत्र के पवित्र मंदिर से उनका आभार व्यक्त करता हॅूं कि मुझे उन्होंने पुन: आशीर्वाद देकर इस सदन में पहुंचाया और माननीय सभापति महोदय, यह सदन जो बैठा है निश्चित रूप से हमारे जैसे नौजवानों के लिए बड़ी प्रेरणा और बहुत कुछ सीखने का सदन है. जहां एक ओर माननीय सभापति महोदय आप आसंदी पर विराजमान हैं जहां माननीय अध्यक्ष जी हैं वहीं दूसरी ओर सदन में ऐसे-ऐसे वरिष्ठ सदस्य यहां पर चुनकर आए हैं जिनका बहुत लंबा राजनीतिक जीवन और बहुत ज्यादा अनुभव है जो न केवल मध्यप्रदेश, बल्कि भारत सरकार में भी मंत्री के रूप में रहे हैं निश्चित रूप से हमारे जैसे नौजवानों को सदन में बैठकर उनकी बात सुनने का जो अवसर मिलेगा, तो उससे निश्चित रूप से हमारे सार्वजनिक जीवन में लाभ मिलेगा लेकिन यह तब ही संभव होगा, जब यह विधानसभा लंबे समय तक चलेगी. इसकी समय-सीमा बढ़ायी जाएगी, यह हफ्ता 12-15 दिन तक बिल्कुल चले और हर विषय पर विस्तृत चर्चा हो, तब जाकर आने वाली पीढ़ी को हमारे वरिष्ठ सदस्यों से ज्ञानवर्धन हो पाएगा. मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि इस सदन में हमारे संसदीय कार्यमंत्री के रूप में आदरणीय श्री कैलाश विजयवर्गीय जी बैठे हैं. भारत सरकार में और देश में इनको कार्य करने का अनुभव है. आदरणीय प्रहलाद पटैल जी, आदरणीय राव उदय प्रताप सिंह जी हैं. अभी-अभी माननीय गोपाल भार्गव जी बैठै थे. लगातार 9-9, 10-10 बार से चुनकर आए हैं, यह हम लोगों के लिए तो शोध का विषय है और हम अपने आपको बहुत सौभाग्यशाली मानते हैं. सम्माननीय सीतासरन शर्मा जी, आदरणीय राहुल भैया जी, आदरणीय कमल नाथ जी, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी और वर्तमान हमारे मुख्यमंत्री आदरणीय डॉ.मोहन यादव जी, जिनके साथ हम यह कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि वर्ष 2013 में सब हम लोग साथ चुनकर आए हुए थे, तो निश्चित रूप से यह सदन बड़ा गरिमामयीपूर्ण है. मैं तो इस सदन में अपनी बात रखने के पूर्व यह कहूंगा कि "सियाराम मय सब जग जानी और करहूं प्रणाम जो रिजु पानी. " यथायोग्य सदन में बैठे हुए चाहे सदन के अंदर, चाहे आप स्वयं आसंदी पर विराजित हैं चाहे अधिकारी दीर्घा में, दर्शक दीर्घा में, चाहे पत्रकार बंधु, जो भी इस सदन में यहां मौजूद हैं, मैं सभी को यथायोग्य प्रणाम करकर मैं अपने क्षेत्र की बात को प्रारम्भ करता हॅूं.अन्नदाता किसान भाईयों के लिए रवि की फसल में दो चीजों की महत्वपूर्ण आवश्यकता है अंतिम चरण में किसानों के काम चल रहे हैं एक सिंचाई में और दूसरे बिजली की जहां जहां बांधों से नहरों से और कैनालों से सिंचाई होती है वहां पर रवि की फसल में अंतिम पानी की जरूरत है
माननीय सभापति महोदय, मेरे जिले और विशेषकर मेरी विधानसभा में एशिया का सबसे बडा बांध संजय सरोवर है जिसमें लगभग ढाई लाख एकड. जमीन सिंचित होती है, एलबीसी आरबीसी टीएलबीसी ऐसी नहरों का विस्तारीकरण है माननीय सभापति महोदय, मैं भारत सरकार के पूर्व केन्द्रीय मंत्री जिनका हमारे सिवनी जिले से नाता था सम्मानीय श्री प्रहलाद पटेल जी जो कि किसी समय में हमारे सांसद भी रहे हैं जब वो मंत्री थे तब उन्होंने सीमेंट कांक्रीटीकरण का पैसा भी स्वीकृत कराया था मुझे प्रसन्नता है कि प्रदेश के सिंचाई मंत्री श्री तुलसी सिलावट जी ने माननीय मुख्यमंत्री जी ने उसको एजेंडें में भी लिया है पर उसके अभी टेंडर नहीं लगे हैं पर उसकी नहर जो चालीस साल की है जीर्ण क्षीर्ण की हालत में हो गई है मैं इस स्वीकृति के लिए उनका आभार व्यक्त करता हूं और यह अपेक्षा रखता हूँ कि जल्द से जल्द उसके टेंडर लग जाएं ताकि यही डेढ महीने के बाद अप्रैल मई और जून दो तीन महीने का अवसर मिलेगा उसमें जितना भी कैनालों का काम हो जाए लंबी योजनाहहै समय ज्यादा लगेगा क्योंकि हर साल किसानों को उसी नहरों से पानी देना है माननीय सभापति महोदय आज यह स्थिति है कि तालाब में पानी है पर सरकारी अमला बराबर नहीं है आज एक सब इंजीनियर है उसकी मूल पदस्थापना सब इंजीनियर में है वह सब इंजीनियर का काम भी देख रहा है एसडीओ का काम भी देख रहा है वो अतिरिक्त कई अन्य जगहों का प्रभार भी देख रहा है सीई भी वही है और एसई भी वहीं है आज एक एक अधिकारी पर चार चार विभागों का अतिरिक्त प्रभार है और एक ब्लाक का नहीं और वह सीईओ है अनुविभागीय अधिकारी है तो वह एक ब्लाक का नहीं है पता चलता है कि वो तीन तीन ब्लाकों का सीईओ है ऐसे में हम कैसे विकास की ओर जाएंगे कैसे हम सरकार की मंशा के अनुरूप काम कर पाएंगे कैसे हम अपनी विधानसभा में जनमानस को हम न्याय दिला पाएंगे हम कैसे उनके काम कर पाएंगे सरकार नियुक्ति करे सरकार भर्तियां खोले आज आउट सोर्स का विषय है आउट सोर्स से भर्ती की जा रही है पर लाईन मेन तो लाईन मेन का काम ही करेगा उसका अपना एक अनुभव है आज बिजली की स्थिति देखें तो वहां पर भी पच्चीस पच्चीस गांव में जिसमें एक ही लाईन मेन है आउट सोर्स से नए लड्कों को रखा गया है पर उनका इतना भारी अनुभव नहीं है जिससे कि आए दिन दुर्घटनाएं घटित होते रहती हैं या तो सरकार आउट सोर्स अलग करके उन्हीं को नियमित कर दे ताकि उनको भी लगे कि उनका भविष्य सुरक्षित रहे और उनको अच्छा प्रशिक्षण देकर और उनको काम की जिम्मेदारी सौंपी जाए
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज एक एक अधिकारी को जा चार चार प्रभार दिए गए हैं मध्यप्रदेश के और जिलों में हो न हों इसकी तो मैं पुष्टि नहीं करता पर मेरे जिले में आप जो भी पटल में मांगेंगे मैं बताने के लिए तैयार हूं कि आज सिवनी जिले में अगर सबसे ज्यादा अमले की कमी है तो वो सिवनी जिले में है और मैं एक विभाग की बात नहीं कर रहा हूं मैं हरेक विभाग की बात कर रहा हूं मैंने सिंचाई विभाग की बात की कि एसई और ईई एक ही व्यक्ति है न केवल संजय सरोवर इतनी बडी वहद परियोजना में बल्कि जो पेंच प्रकल्प है जो प्रदेश का अच्छे बडे सिंचाई में आता है उसमें भी वही इंचार्ज है उसमें भी बराबर काम नहीं हो रहा है
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से प्रदेश के और इस सदन के नेता सम्मानीय मुख्यमंत्री जी से भी प्रार्थना करता हूं, संबंधित विभाग के मंत्री जी से भी प्रार्थना करता हूं कि वो इस ओर ध्यान दें और अविलम्ब हमारे जिले में सरकारी अमला की पूर्ति कराने का काम करें ताकि जनता ने जिस विश्वास और भरोसे के साथ हमें सदन में अपनी बात रखने को भेजा है हम उसमें खरे उतरने का प्रयास कर सकें दूसरी बात मैं बिजली की करूंगा माननीय सभापति महोदय बिजली की आज स्थिति यह है कि अधिकारियों के पास ए.ई. जे.ई. के पास चले जाएं, टेम्पररी कनेक्शन देने के लिए कभी मना नहीं करते, तुरंत तत्काल देंगे. पर माननीय सभापति महोदय, हम जिस ट्रांसफार्मर से बिजली लेने का प्रयास कर रहे हैं, जिस गांव के ट्रांसफार्मर से हम प्रयास कर रहे हैं, सरकारी अमले को उस विभाग को ये तो पता रहना चाहिए कि उस ट्रांसफार्मर में क्षमता कितनी है. एक व्यक्ति पूरा नौजवान जब एक क्विंटल का भार उठा सकता है, वहां तक तो ठीक है पर अगर उसके ऊपर आप पांच क्विंटल का भार रख देंगे तो उसकी रीढ़ की हड्डी सुरक्षित नहीं रहेगी, उसका शरीर उतना बोझा नहीं ढो पाएगा आज वही स्थिति मध्यप्रदेश में बिजली विभाग की बनी हुई है. मनाही किसी को नहीं और व्यवस्थाएं किसी को नहीं मिल रही है. ट्रांसफार्मर जल रहे हैं, 12 से 15 दिन तक सुधारने के लिए कोई नहीं आ रहा है, जब जनप्रतिनिधि चाहे सरंपच हो चाहे जिला पंचायत के सदस्य हो, चाहे निर्वाचित प्रक्रिया में कोई भी जनप्रतिनिधि हो, सांसद हो, विधायक हो, जब बार बार अधिकारियों का इस ओर ध्यान आकर्षित करते हैं तब 12-15 दिन बाद वहीं का वहीं ट्रांसफर फिर से आ जाता है, गांव के उपभोक्ताओं और अन्नदाता किसानों को बड़ा उत्साह रहता है कि एमपीईबी की गाड़ी आई, जिसमें सीढ़ी लगी है चार लोग है, अब हमारा ट्रांसफार्मर बदल जाएगा, अब हमारी गेहूं की जो फसल बोए हैं, चना, सरसों, दलहन की फसल बोये हैं ये तो बहुत अच्छी रहेगी, लेकिन जैसे ही गाड़ी आफिस की ओर रवाना होती है, बस समय दिया जाता है कि चालान जैसे ही वहां पहुंचता है उसके बाद चालू हो जाएगा, यहां अन्नदाता अपने खेत में मोटर के सामने टकटकी लगाकर बैठा रहता है. बिजली आती है, लेकिन वह मोटर चालू नहीं हो पाती है, वोल्टेज कम रहता है, कहां 440 वोल्ट और कहां गांव में 170 वोल्ट, इसका मैं प्रमाण दे सकता हूं. माननीय सभापति जी आपसे और माननीय अध्यक्ष महोदय जी से बड़ी अपेक्षा है और उसका कारण ये है कि जिस उम्र में हम आज बोलने की ताकत इस सदन में जनता के आशीर्वाद से रख रहे हैं, इतनी उम्र तो आपको सियायत और हुकूमत करते हो गई, इन सब चीजों से आप बड़े बारीकी से दोनों लोग गुजरे हैं तो बड़ा साहस रहता है कि जब आप लोग आसंदी पर बैठे रहे तो हमारे वेदना को बड़ी नजदीकी से आप सुनने का प्रयास करेंगे. मैं इस सदन में बड़े बड़े विद्वानों के समक्ष पहली बार बोलने का अवसर मिल रहा है, इसके पहले वर्ष 2013 में चुनकर आया था, तब माननीय सभापति महोदय, इतने बड़े बड़े विद्वान सदस्य नहीं आए थे. हमारे पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल जी, कैलाश विजय वर्गीय, तुलसी सिलावट जी का जिक्र किया था ये ऐसे लोग हैं, जब ये बोलते हैं तो हम सुनते हैं कि कहां से प्रारंभ करेंगे और कहां से जाते और इस सदन में ऐसे भी लोग हैं.
सभापति महोदय - आप भूमिका में गहराई से चले गए, तीन मिनट तो आपने इसमें बर्बाद कर दिए.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - माननीय सभापति जी जो जितने अच्छी भूमिका बनाएगा वह उतना अच्छा प्रस्तुतिकरण कर पाएगा. हमने यह भी देखा है कि जब गोपाल भार्गव जी बोलते है, गौरीशंकर शेजवार जी बोलते थे, सम्माननीय स्व. सुन्दरलाल पटवा प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जी बोलते थे तो सदन कहीं चलता था. अगर सदन को मोड़ना हो, विषय से किसी को विषयांकित करना हो, धारा के विपरीत नदी के प्रवाह को करना हो तो बखूबी बड़ी होशियारी से इस सदन को कैसे गुमराह करके विषय से विषयांकित किया जाता था, हम उस समय दर्शक दीर्घा में देखते और सुनते थे कि विषय कहीं चल रहा है और बातें कहीं की हो रहीं.
मैं आपके समक्ष सभापति महोदय, माननीय प्रहलाद पटेल जी बैठे हुए हैं, मैं माननीय मंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं कि आपने मेरे विधान सभा क्षेत्र की जीवन दायिनी योजना जो नहरों की जीर्ण शीर्ण हालत थी, आप केन्द्र सरकार में मंत्री रहते हुए करोड़ों रुपए आपने स्वीकृति करवाए, मैं इस सदन में केवलारी विधान सभा क्षेत्र की जनमानस की ओर से आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं.
सभापति महोदय - बजट पर तो आप बोलेंगे उसके लिए अपनी बात संभालकर रखिए.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय सभापति महोदय, बस मैं एक मिनिट में अपनी बात को समाप्त कर दूंगा. आपको बहुत-बहुत साधुवाद, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, आपकी कृपा ऐसे ही बनी रही, यही मेरी आपसे प्रार्थना है, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय सभापति महोदय, यह सदन को गुमराह करने का आपने जो उल्लेख किया है, मुझे लगता है, वह उन महापुरूषों के साथ उचित नहीं होगा, मेरे ख्याल से उसको कार्यवाही से निकालना उचित होगा.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय सभापति महोदय, मेरा गुमराह करने का आशय मेरा इतना बड़ा नहीं था. मेरा आशय गुमराह करने का यह था कि जब कोई लंबा समय, जैसे आज रामनिवास रावत जी बोल रहे थे और गोपाल भार्गव जी ने उस विषय को बदलने का प्रयास किया. मेरा आशय यह था कि बड़ी होशियारी से संवैधानिक शब्दों का चयन करते हुए, भाषा, अपने विवेक का उपयोग करते हुए, इस सदन की धारा को मोड़ने का काम करते थे, मेरा आशय यही था.
सभापति महोदय -- अब आप तो बैठ गये थे, फिर क्यों उठ गये.
श्री विजय रैवनाथ चौरे (सौंसर) -- माननीय सभापति महोदय, धन्यवाद. बहुत लंबी चौड़ी बातें हो रही थीं, राज्यपाल जी के अभिभाषण पर , मैं सुन रहा था उस दिन और काफी कुछ मैंने पढ़ा कि प्रभु श्री राम जी के मंदिर को लेकर मोदी जी की खूब पीठ थपथपाई जा रही थी, ऐसा लग रहा था कि 22 जनवरी के पहले कोई प्रभू श्री राम को पूजता ही नहीं था, कोई हमारे आराध्य देव ही नहीं थे(मेजों की थपथपाहट). खूब पूरे प्रदेश में महिमा मंडन, पूरे देश में ऐसा व्यतीत कर रहे थे कि राज्यपाल महोदय कि पूरा बखान मोदी जी की पीठ थपथपाई जा रही थी, पर मैं इतना जरूर बताना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अगर मंदिर बनाया, तो मोदी जी तो वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बन गये थे, फिर वर्ष 2015 में मंदिर क्यों नहीं बनाया, वर्ष 2016 में मंदिर क्यों नहीं बनाया, वर्ष 2017 में मंदिर क्यों नहीं बनाया? जब न्यायालय का फैसला हुआ उसके बाद बनाया.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू -- अरे सब आपसे पूछके करते क्या, आपको अवसर मिला तो आपने करा क्या, आपको कोई अधिकार नहीं है मोदी जी पर अंगूली उठाने का.
श्री विजय रैवनाथ चौरे -- आपका समय आयेगा, तो आप बोल लेना. टोका टाकी मत कीजिये, थोड़ा सुन लीजिये.
सभापति महोदय -- अब आप बैठ जायें. श्री विजय जी आप जारी रखें
श्री विजय रैवनाथ चौरे -- सभापति महोदय, तो खूब बखान हो रहा था, जब न्यायालय का फैसला हुआ, तब देश में करोड़ों लोगों की भावनाओं की आस्थाओं को प्रचंड बल मिला. हम मानते हैं कि 500 साल बाद हमारे प्रभु श्री राम का मंदिर बना, हमें इस बात का अभिमान है, हमें इस बात का स्वाभिमान है.
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू -- आपने मना क्यों किया वहां जाने से, आपके नेताओं को आप कहे न कि वहां जाओ, आपने क्यों नहीं बोला?
श्री अमर सिंह यादव -- आप उनसे बोलते न कि श्रीराम के वहां जाते, आयोध्या तो चले जाते निमंत्रण नहीं ठुकराते.
श्री विजय रैवनाथ चौरे -- सभापति जी मुझे बोलने दें, हमने किसी को नहीं टोका, भाजपा के जितने सदस्यों ने बोला हमने किसी को नहीं टोका है.
सभापति महोदय -- आप जारी रखें अपना भाषण .
श्री विजय रैवनाथ चौरे -- हम यह बताना चाह रहे हैं कि 22 जनवरी के पहले भी करोड़ों लोगों की भावनाएं प्रभु श्री राम से जुड़ी थीं, इंदिरा गांधी जी गले में तुलसी की माला पहनती थीं, जब गांधी जी की हत्या हुई, तो उनके मुंह से तीन बार हे राम, हे राम, हे राम निकला है(मेजों की थपथपाहट) यह करोड़ों हिंदुओं की भवना है, पर मैं इसलिये कहना चाहता हूं कि बहुत ज्यादा कोई श्रेय लूटने की जरूरत नहीं है. जनता सब समझ रही है, मैं इसलिये यह कहना चाह रहा हूं कि रामनवमीं तो दो महीने बाद थी, उससे अच्छा तो मुहूर्त ही नहीं था, 22 जनवरी को ही क्यों मुहूर्त ? दो महीने बाद प्रभु श्री राम का जन्मोत्सव मनाने जा रहे थे, हम अप्रैल महीने में तब क्यों नहीं, यह सारी जनता जानती है कि चुनाव होने वाले और मोदी जी सर्जिकल स्ट्राइक की तरह इसको भी राजनीति का अखाड़ा बनाना चाहते हैं, पर यह सब चलने वाला नहीं है.
राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में बहुत सारी बाते हुईं, हम कह रहे हैं कि हिंदु केवल आप भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने कोई ठेका लेकर नहीं रखा है, सारे लोग जानते हैं करोड़ों लोगों की भावनाएं जुड़ी हैं, इस देश के असंख्य लोग प्रभु श्री राम हमारे आराध्य हैं, भगवान श्री कृष्ण हमारे आराध्य हैं.
श्री अनिरूद्ध (माधव)मारू -- आपका स्वागत है, कम से कम यह परिवर्तन आप कांग्रेसियों में आया है.
श्री महेश परमार -- सभापति महोदय, यह बीच बीच में टोक रहे हैं.
श्री विजय रैवनाथ चौरे -- मैंने बताया न कि इंदिरा गांधी जी गले में तुलसी की माला पहनती थी और राजीव गांधी जी ने अयोध्या मंदिर के ताले खुलवाये थे, इस बात का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह कांग्रेस को जाता है, अच्छी बात है जो प्रधानमंत्री रहेगा, वह तो उद्घाटन करेगा, कोई भी रहता प्रधानमंत्री वह तो उद्घाटन करता, चलो बहुत अच्छी बात है, धन्यवाद आपको भी की हमारी 500 साल बाद तपस्या पूरी हुई है.
सभापति महोदय -- अब आप दूसरे विषय पर आ जाईये, आप ओर दूसरा विषय ले लीजिये.
श्री विजय रैवनाथ चौरे -- हम यह कहना चाह रहे हैं कि संबल योजना की बात करते हैं प्रदेश के मुख्यमंत्री जी, शिवराज सिंह जी ने लागू की है, बहुत अच्छी बात है बधाई आपको, पर मेरी विधानसभा क्षेत्र में 250 परिवार ऐसे हैं, जिनको डेढ़-डेढ़, दो-दो साल से दो लाख और चार लाख रूपये की राशि नहीं मिली, क्या आप अमृतकाल की बात करते हैं? क्या आप स्वर्णिम मध्यप्रदेश की कल्पना कर रहे हैं, मैं पूछना चाह रहा हूं इसलिये कहना चाह रहा हूं कि हमारा बजट कहां गया. हमारे राज्यपाल जी के अभिभाषण में यह बात क्यों नहीं आई. आज मजदूर का बेटा मुख्यमंत्री बना है, मैंने पिछले भाषण में भी कहा था, बहुत अच्छी बात है, मुझे प्रसन्नता है कि कोई गरीब परिवार से आकर आज प्रदेश का मुख्यमंत्री बना है, पर मैं पूछना चाहता हूं कि मेरी विधान सभा क्षेत्र में 100 से अधिक कंपनियां हैं, छोटी-बड़ी फेक्ट्रियां, उद्योग हैं. सौंसर विधान सभा में जहां मजदूरों के लिये 200 रूपये 250 रूपये रोजी मिलती है, 12-12 घंटे तक काम कराया जाता है माननीय मुख्यमंत्री जी, आज मिनिमम वेज किसी भी मजदूर को नहीं दिया जा रहा है इस बात पर राज्यपाल जी के अभिभाषण पर कोई चर्चा नहीं है, कोई किसी प्रकार का उल्लेख नहीं है किसानों की बात हम करते हैं. आज मैं मानता हूं कि समर्थन मूल्य तय करना केन्द्र सरकार का मामला है, पर मैं पूछना चाहता हूं कि क्या राज्य सरकार यहां से प्रस्ताव नहीं भेज सकती. मेरी विधान सभा क्षेत्र में माननीय सभापति महोदय कपास बहुत ज्यादा होता है, संतरा बहुत ज्यादा होता है, कपास का मूल्य साढ़े 6 हजार रूपये क्विंटल है, आज किसान को 10 हजार रूपये क्विंटल में भी कपास नहीं पुराता, आज इतनी बद्तर हालत है किसानों की जिसको लेकर एक प्रस्ताव प्रदेश सरकार से पास होना चाहिये कि केन्द्र में जो भी समर्थन मूल्य तय होता है वह राज्य शासन से जाये कि यहां के किसानों की हालत देखिये कि किसान किस स्थिति में हैं. आज दुगुना करने की बात करती है सरकार, हम बोलते हैं कि आय दोगनी नहीं हो रही है. रासायनिक खाद, दवा, कीटनाशक चीजों के इतने दाम बढ़ गये हैं जिससे किसान आत्महत्या कर रहे हैं. बिजली की बात करते हैं, ट्रांसफार्मर में इतना भारी भ्रष्टाचार तो मैंने 20 सालों में नहीं देखा, जैसा रजनीश सिंह जी ने कहा एक दिन ट्रांसफार्मर लगता है दूसरे दिन भड़ाम से उड़ जाता है, पूरे प्रदेश में यह हालत है, पर इतना बड़ा घोटाला, इतना भारी भ्रष्टाचार ट्रांसफार्मर की कंपनियों में जैसा आज तक 20 सालों में कभी नहीं हुआ. मैं यही कहना चाह रहा हूं माननीय सभापति महोदय कि एक सदस्य अभी सारणी के विधायक जी कह रहे थे कि हमारे मोदी जी ने सड़क बनाई, नागपुर से लेकर छिंदवाड़ा तक और नागपुर से लेकर बैतूल तक नेशनल हाइवे की सड़क अगर किसी ने बनाई तो वह नेता कमल नाथ जी ने बनाई है, आप पुराना रिकार्ड खंगाल लीजिये, वह सड़क वर्ष 2014 के पहले बनी है जब केन्द्र में माननीय कमल नाथ जी सड़क मंत्री हुआ करते थे, आप इतना असत्य तो मत बोलिये, असत्य बोलने की सीमा होती है. अब मोदी जी को आदत लग गई असत्य बोलने की तो आप सभी लोगों को असत्य बोलने की आदत लग गई. माननीय सभापति महोदय, मैं यह कहना चाह रहा हूं कि पूरे प्रदेश में आज यह स्थिति है हमारा किसान पीडि़त है, बेरोजगार युवा परेशान है, आज हर कोई व्यक्ति दुखी और परेशान है, हम स्वर्णिम मध्यप्रदेश की बात करते हैं, अमृतकाल की बात करते हैं, बहनों पर अत्याचार हो रहे हैं, बलात्कार हो रहे हैं, आज हमारी मातायें, बहनें सुरक्षित नहीं हैं. इस बात को लेकर हम इसलिये कहना चाह रहे हैं कि प्रदेश की सरकार से कि कांग्रेस और भाजपा के विधायकों में सौतेला व्यवहार मत करिये माननीय मुख्यमंत्री जी, यह मां और मौसी का व्यवहार मत करिये, आपका भी हम स्वागत और सत्कार करेंगे, कांग्रेस के विधायकों का भी आप समर्थन कीजिये. बहुत-बहुत धन्यवाद सभापति महोदय.
सभापति महोदय-- धन्यवाद विजय जी.
श्री राजेश कुमार वर्मा (गुन्नौर)-- माननीय सभापति महोदय, 16वीं विधान सभा के वर्तमान सत्र में सदन को सम्बोधित करते हुये माननीय राज्यपाल के अभिभाषण का मैं हार्दिक स्वागत वंदन अभिनंदन करता हूं. आजादी के अमृतकाल भारतीय स्वतंत्रता एवं भारतीय गणतंत्र दोनों के अमृत महोत्सव का साक्षी बनने का अवसर हमें प्राप्त हुआ. आज पूरे भारत के अंदर माननीय सभापति महोदय भगवान श्री राम 500 वर्ष तक एक कांस की झोपड़ी में थे, सम्मानीय भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हम सब 22 तारीख को पूरे विश्व में हम सब साक्षी बने और हम सब लोगों ने यह कार्यक्रम टेलीविजन के माध्यम से छोटे-छोटे गांवों में भी हम सब लोगों ने देखा कि कंठ सूख रहा है, आंखें गीली हो गईं और मन में यह लगा कि भगवान प्रभु रामलला साढ़े 500 साल एक कांस की झोपड़ी में विराजमान थे. आज जो सम्मानीय सदस्य बात कर रहे थे मैं उनसे इस सदन के माध्यम से कहना चाहता हूं कि उनकी भी सरकारें रहीं हैं, भारत जब आजाद हुआ विरासत में हमें जितनी भी समस्यायें मिलीं उनमें से एक समस्या भगवान प्रभु रामलला कांस की झोपड़ी में जो विराजमान थे उनकी प्राण प्रतिष्ठा भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री सम्मानीय नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा आज सब लोगों ने लाइव और पूरे विश्व ने दर्शन किये और आज पूरे भारत के अंदर एक उत्साह का वातावरण है. आज सम्मानीय प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन वेतवा लिंक परियोजना को सम्मिलित किया.मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी आज इसका लाभ मिलेगा जिसमें करीब 85 प्रतिशत से ऊपर की जमीन गुन्नौर विधान सभा क्षेत्र की पन्ना जिले में आयेगी जिसके लिये मैं मुख्यमंत्री जी का स्वागत,वंदन, अभिनंदन करना चाहता हूं. पर्यटन स्थलों और तीर्थ स्थलों की मजबूती,कनेक्टिविटी और सीमावर्ती राज्य के बीच में यातायात सुगम होने के प्रयासों से आजाद देश के साथ-साथ प्रदेश की विकसित नई ऊँचाईयों को छू रहा है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने अभी जो संत श्री रविदास जी की पावन स्मृति में 30 अनुसूचित जाति बाहुल्य जिलों में संत रविदास स्मारक सह सामुदायिक भवन का निर्माण कराया साथ ही इसमें अनुसूचित जाति वर्ग के 5 हजार युवाओं को प्रशिक्षण देकर 3 हजार से अधिक युवाओं को विभिन्न संस्थानों में रोजगार उपलब्ध कराया. इसका मैं स्वागत करता हूं. साथ ही आयुष्मान कार्य जैसी योजना,हमने वह समय भी देखा है कि जब कांग्रेस की सरकारें हुआ करती थीं तो दीन,दुखी,गरीब आदमी जो अपना बेचारा जेवर गिरवी रखता था. थोड़ी सी जो जमीन होती थी उसको भी गिरवी रख देता था और जब ईलाज कराने बाहर किसी बड़े जिले में जाता था और पैसा जब खत्म हो जाता था तो लौटकर उन बुजुर्ग को हम अपने घर में लेकर आते थे,चारपाई पर लिटा देते थे और यह कहते थे कि अब तो भगवान ही जाने कि वह जीते हैं या नहीं जाते हैं. सब भगवान पर छोड़ देते थे लेकिन आज आयुष्मान कार्ड के माध्यम से हम जो पात्र व्यक्ति हैं वह कहीं न कहीं अपनी जेब में आयुष्मान का कार्य लेकर अस्पतालों में जा रहे हैं और 5 लाख तक की मोदी जी की गारंटी है कि अगर 5 लाख तक का ईलाज होना है तो हम अपने अस्पताल में कार्ड दे सकते हैं कि जो बीमारी है उसका ईलाज करें ताकि हम अपने दीन-दुखी परिवार के व्यक्ति को हम बचा सकें. प्रदेश के सभी जिलों में थाना सीमा और अधिकार क्षेत्र के युक्तियुक्तरण की जो अभी प्रदेश ने शुरुआत की है उसका मैं स्वागत करता हूं. दस्तावेजों के ई पंजीयन के लिये साफ्टवेअर को लागू किया जा रहा है जिससे चिह्नित दस्तावेजों का घर बैठे पंजीयन किया जाएगा. माननीय नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने एक पल भी गंवाए बिना प्रदेश की जनता की जिंदगी बदलने को ईश्वर की आराधना माना है. मध्यप्रदेश में जो आज बजट प्रस्तुत हुआ उसका मैं स्वागत वंदन अभिनंदन करता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश जैन "बोस"(महिदपुर) - माननीय सभापति महोदय, मैं पहली बार विधान सभा में आया हूं. मैंने राज्यपाल महोदय का अभिभाषण सुना भी और पढ़ा. जब विधान सभा अध्यक्ष जी ने,कुछ स्कूली बच्चे यहां पर आकर बैठे थे तो उन्होंने बोला भारत का भविष्य यहां पर बैठा है और यह बात हम सबको उन्होंने बताई. तो मैं सबसे पहले इसी बात पर चर्चा करूंगा कि जब 26 जनवरी के दिन मैं एक स्कूल में गया. प्रोग्राम खत्म हुआ मैंने प्राचार्य से बैठकर बात की तो उन्होंने मुझे बताया कि हमारे स्कूल में 12 शिक्षकों की जरूरत है और यहां पर केवल 6 शिक्षक हैं और उसमें से 4 अतिथि शिक्षक हैं तो मैं पूछना चाहता हूं कि यह कैसा भारत का भविष्य बन रहा है. उन्होंने बताया कि इन 4 अतिथि शिक्षकों को 4 महिने से पैसा भी नहीं मिला है और पैसा भी कितना 6 हजार और 7 हजार रुपये,जबकि आपकी शिवराज जी की सरकार ने घोषणा की थी कि इनको डबल पैसा दे दिया जायेगा. कुछ जगह दे दिया गया लेकिन मेरे महिदपुर विधान सभा क्षेत्र में वह पैसा नहीं दिया गया. यह आंकड़े भी गलत दिये गये. कुछ लोगों ने प्रश्न पूछे थे मंत्री जी ने जवाब दिया कि हमारे यहां 1100 शिक्षक हैं. 600 अभी हैं 600 की कमी है. 600 शिक्षक हैं उसमें से भी 400 अतिथि शिक्षक हैं. केवल 200 शिक्षक हैं, कैसे भारत का भविष्य बनेगा. खुद अध्यक्ष जी बोल रहे थे कि भारत का भविष्य यहां पर बैठा हुआ है. तो मैं पूछना चाहता हूँ कि इस अभिभाषण में यह कहीं भी उल्लेख नहीं है. मैंने खुद ने मेरी विधान सभा में देखा है, हमारे क्षेत्र के, जो ग्रामीण क्षेत्र हैं, उन क्षेत्रों के बच्चों ने बड़े सपने ही देखना छोड़ दिए. हमारे क्षेत्र के बच्चे सपने क्या देखते हैं, चपरासी बन जाएं, कांस्टेबल बन जाएं, ज्यादा से ज्यादा बैंक में नौकरी मिल जाए. तहसीलदार और पटवारी उनका सबसे बड़ा सपना होता है. उसका कारण है यहां की शिक्षा, उसका कारण है शिक्षा देने वाले लोग. जो अतिथि शिक्षक हैं, उनका एजुकेशन क्या है, 10वीं पास, 12वीं पास, बीएससी, केवल भर्ती कर दी गई है. मैंने ऐसा सुना था कि मैं जहां जाऊंगा, महिदपुर का प्रतिनिधित्व करूंगा, तो मैं सबसे पहला प्रश्न यही आपको बताता हूँ और इसके लिए कोई विधान बनाएं कि जो शिक्षा मिले, वह अच्छी मिले और जिनके द्वारा भी मिले, वे लोग भी शिक्षित हों, वरना भारत का भविष्य नहीं बनेगा. ऐसे बहुत सारे प्वॉइंट्स हैं, मुझे समय कम मिला है. मैं दूसरी बात पर आता हूँ जो मेरे यहां की सबसे बड़ी समस्या है, बिजली की समस्या. बहुत सारे विधायक लोगों ने अभी प्रश्न...
सभापति महोदय -- आपको किसने कहा कि आपको समय कम मिला. सब लोग सुन रहे हैं, आप बोलिए.
श्री दिनेश जैन 'बोस' -- मेरा दूसरा प्रश्न है, अभी सबसे ज्यादा समस्या हमारे तहसील में जो चलती है, वह है बिजली की. मैंने मेरी समीक्षा मीटिंग में पूछा कि 25 हॉर्सपॉवर का ट्रांसफार्मर बार-बार क्यों जल रहा है. 63 हॉर्सपॉवर का ट्रांसफार्मर क्यों जल रहा है. 100 का क्यों जल रहा है, 200 का क्यों जल रहा है, तो डीई साहब बोलते हैं कि इसके ऊपर हमने 10-15 कनेक्शन ज्यादा दे दिए हैं. मतलब 25 हॉर्सपॉवर का ट्रांसफार्मर और उस पर 45, 50 और 60 हॉर्सपॉवर का उन्होंने कनेक्शन दे रखा है तो वह बार-बार जल जाता है. ये बार-बार रिपेयर करवाते हैं. पूरी तहसील में 6 से 7 महीने, चुनाव से पहले भी और आज भी आए दिन लाइन लगी रहती है और हमारे पास सबसे बड़ी समस्या यही आती है. जब इनके पास 25 हॉर्सपॉवर का कनेक्शन है तो उस पर 25 हॉर्सपॉवर का ही भार दिया जाए, 45, 50 और 60 का भार क्यों दिया जाए. ये इस तरीके से पूरी अव्यवस्था फैला रखी है तो मैं दूसरा यही चाहूँगा कि जो भी ट्रांसफार्मर जितने हॉर्सपॉवर का है, उस पर उतने ही हॉर्सपॉवर का लोड दिया जाए और अगर ज्यादा भार दिया जाएगा तो वह जवाबदारी उनकी होती है, या तो उनका हॉर्सपॉवर बढ़ाया जाए. यह जवाबदारी उनकी होती है. आज चारों तरफ हा-हाकार मचा हुआ है. दूसरा, ठेकेदारों के द्वारा वे हॉर्सपॉवर दिए जाते हैं, बोलते हैं कि हमने प्राइवेट में दे दिए. मैंने भाव पूछा, 1 लाख 10 हजार रुपये का 25 हॉर्सपॉवर का ट्रांसफार्मर आता है और उसका 1 लाख 10 हजार रुपये का एस्टीमेट बनता है. मैंने पूछा चुनाव में कि अगर मैं अपने घर से दे दूँ तो कितने में आएगा तो मालूम पड़ता है कि 50,000 रुपये का है. इतना बड़ा भ्रष्टाचार, इसके ऊपर भी सोचा जाए.
सभापति महोदय, तीसरी बात, अभी बड़ी-बड़ी परियोजना की बात की गई. मेरा ऐसा मानना है कि मालवा के अंदर 15 से 16 इंच बारिश में ही हम दोनों फसल ले सकते हैं. अगर राज्य सरकार भी इसमें कुछ करें. मैंने अभिभाषण में देखा है कि ये लिंक परियोजना है और लिखा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में निर्णय और कौशल की बदौलत केन-बेतवा परियोजना की भांति पार्वती, काली सिंध, चंबल लिंक परियोजना की स्वीकृति प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित होगी. लगभग 35 हजार करोड़ रुपये की लागत की इस परियोजना में प्रदेश के 10 जिलों शिवपुरी, ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना, श्योपुर, गुना, शाजापुर, उज्जैन, इंदौर और देवास को फायदा मिलेगा. सभापति जी, मेरा ऐसा मानना है कि यह बड़ी योजना हो गई. लेकिन जहां तक मालवा की बात है, जहां से हमारे मुख्यमंत्री जी भी आते हैं और मैं भी आता हूँ, और साइंटिफिक भी है. मैं खुद भी जियोलॉजी का स्टुडेंट रहा हूँ. मालवा का पठार 32 वालकेनो ब्लास्ट हुए और बना है और मालवा के पठार में बहुत सारे ऐसे स्ट्रक्चर्स और संरचनाएं हैं, एंटीक्लाइन, इनक्लाइन स्ट्रक्चर्स हैं और हमारे यहां 30 से 35 इंच बारिश होती है. सब सरफेस फ्लो होता है और पूरा पानी बहकर के नदी में चला जाता है. लेकिन जो एंटीक्लाइन, इनक्लाइन स्ट्रक्चर्स हैं और छोटे-छोटे नाले हैं, नालियां हैं, और बहुत सारे ऐसे स्ट्रक्चर्स हैं, उनके ऊपर अगर, एक कहावत भी है, डग-डग रोटी, पग-पग नीर, यह मालवा के बारे में कहावत है. वह कोई न कोई कारण हुआ होगा. आज भी अगर हम देखें तो इजरायल की तर्ज पर 15 से 20 इंच बारिश में हम दोनों फसलें ले सकते हैं, इसमें केन्द्र सरकार की परियोजना देखी गई है पर स्टेट गवर्नमेंट का आज तक कुछ काम जल पर हुआ हो, यह मैंने नहीं देखा. मैं यह चाहूँगा कि हर क्षेत्र में, विधानसभावाइस 20 से 30 छोटे-छोटे स्टाप डेम दे दिए जाएं, जहां 25 से 30 बीघा जमीन सिंचित हो जाए और कुछ ऐसे स्टाप डेम दे दिए जाएं जिससे 100 एकड़ के आसपास की जमीन सिंचित हो जाए, उनकी लागत 10 से 20 लाख रुपये और 20 से 30 लाख रुपये तक आती है, किसी भी फण्ड से यह व्यवस्था कर दी जाये. अगर यह काम हो जाता है तो मैंने मेरी विधान सभा में यह आश्वासन दिया है कि अगर मैं विधायक बनाकर विधान सभा गया, तो मैं जरूर आपका यह प्रश्न उठाऊँगा. हमें उम्मीद है कि हम इसमें सफल होंगे, मेरा ऐसा मानना है. मंत्री महोदय, आप भी मालवा के ही हैं, ज्योलॉजी की टीम से पूछ लें, एरिगेशन डिपार्टमेंट से पूछ लें, अगर मैं सत्य हूँ, यह काम हो जाता है तो मालवा के किसानों को 15 से 20 इंच बारिश में दोनों फसलें लेने का फायदा मिल जायेगा और इसी तर्ज पर इजरायल में होता है. वहां पर छत से जो पानी गिरा तो वह पानी जमीन में और हमारे यहां तो पानी सब सरफेस फ्लो होकर नदी में चला जाता है. उसके लिए छोटे-छोटे स्ट्रक्चर्स बनाने की जरूरत है, लेकिन वह स्ट्रक्चर्स ईमानदारी से बनाये जायें, सरपंच के माध्यम से बनें, आरईएस के माध्यम से बनें लेकिन अगर उसको तरीके से बना दिया जाये तो विधान सभा के अन्दर, पूरी मालवा के अन्दर हम काफी रिचार्जिंग जोन भी बन जाएंगे और अच्छा पानी लेकर हम दोनों फसलें ले सकते हैं.
सभापति महोदय, इसके बाद मेरा प्रश्न रोजगार पर आता है. रोजगार के ऊपर बहुत बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, मैं बहुत सारे नेताओं को सुनता हूँ, टीव्ही में सुना और संसद में सुना. पहले मैं गवर्नमेंट ऑफिस की बात कर लूँ, मैं सबसे पहले एमपीईबी ऑफिस में गया, तो मैं वहां पर कम्प्यूटर ऑपरेटर से मिला. मैंने पूछा कि तुम्हारी तनख्वाह कितनी है ? वह बोला कि मैं आउटसोर्स कर्मचारी हूँ, 10,000 रुपये है. मैं लाईनमैन से मिला, उसने कहा मैं तो परमानेंट हूँ. यह कुशल या अकुशल श्रमिक हैं. मैंने कहा कि आपको कितना मिलता है, उसने कहा 8,000 रुपये, तथा 10,000 रुपये. मैं मण्डी कमेटी में गया, मैंने तुलावटी से पूछा कि तुमको कितना मिलता है तो उसने कहा कि 8,000 रुपये, 10,000 रुपये. मैं ग्राम पंचायत में जाता हूँ, मैंने सफाईकर्मी से पूछा कि कितना मिलता है तो उसने कहा कि 1,200 रुपये महीना. हम बीस-पच्चीस लोग हैं, सबको 1,200 -1,200 रुपये मिल जाते हैं, एक-एक, हम दो-दो बार नाली साफ कर देते हैं. जो नल कनेक्शन करता है, मैंने उससे पूछा कि कितनी तनख्वाह मिल जाती है, उसने कहा कि 4,000 रुपये महीना. नगर निगम की गाड़ी चलाने वाले ने कहा कि 5,000 रुपये मिलते हैं. मैं नगरपालिका में गया, वहां पर पूछा कि आपको कितनी तनख्वाह मिलती है, उसने कहा कि 7,000 रुपये तथा 8,000 रुपये. पेट्रोल पम्प पर गया और पूछा कि कितनी तनख्वाह में काम करते हो तो उसने बताया कि 7,000 रुपये एवं 8,000 रुपये. गैस एजेंसी में गया और पूछा कि कितनी तनख्वाह में काम करते हो, 3,000 रुपये, 5,000 रुपये 8,000 रुपये एवं 10,000 रुपये. आप किराने की दुकान पर जाएं. युवाओं को रोजगार कहां है ? और जिनको रोजगार मिला है, उनको कितनी तनख्वाह मिल रही है ? वह दो टाईम की रोटी भी नहीं कमा सकते हैं, अगर उनको उनके मां-बाप सपोर्ट नहीं करें तो. इस देश में रोजगार की बात करना बिल्कुल गलत है. यह हकीकत है, इससे पूरा सदन भी वाकिफ है. आप भी वाकिफ हैं, मैं भी वाकिफ हूँ. अगर उसके मां-बाप सपोर्ट न करें तो वह दो टाईम की रोटी भी परिवार को नहीं खिला सकता है, ऐसे लोग हजारों की संख्या में हैं. उसमें अतिथि शिक्षक भी आते हैं, उन्हें मासिक 5,000 रुपये, 6,000 रुपये और 7,000 रुपये मिलते हैं और देश के भविष्य की बात की जाती है. मैं मेरी विधान सभा में पहली बार चुनकर आया हूँ. मैं यह सब बातें, जो वास्तविक हैं, जो हकीकत है, मैं वह बता रहा हूँ. मैंने बीमे की स्थिति देखी. बीमा कम्पनियां 20,000 करोड़ रुपये, 30,000 करोड़ रुपये एवं 25,000 करोड़ रुपये कमा रही हैं और अभी बहस हो रही थी कि किसान को 180 रुपये मिला नहीं, वह तो न्यूनतम है. हमारे एक पूर्व मंत्री जी बोले कि मिनिमम 180 रुपये है. 180 रुपये बीमा कम्पनी दे रही है और बोला कि मिनिमम है, मैक्सिमम नहीं है. बीमा कम्पनी 20,000 करोड़ रुपये कमा रही है और किसान को 80, 100 और 500 रुपये मिल रहे हैं. 8-10 हजार रुपये में ही किसान बहुत खुश हो जाता है. अभी सुनने में आया है कि सैटेलाइट इमेज से सर्वे हो जाता है और बात खत्म हो जाती है. मैंने अपनी विधान सभा में आश्वासन दिया है कि जिस दिन फसल खराब हुई, मैं, सबसे पहले बीमा कंपनी को साथ लेकर, जो भी बीमा कंपनी का अधिकारी आयेगा, SDM को साथ लेकर, गांव के पटेल और सरपंच को साथ लेकर, सर्वे करवाऊंगा. सर्वे रिपोर्ट हमारे सामने बनवायेंगे. हमें यह जानने का बराबर हक है कि हमें बीमा कैसे मिलेगा, कितना मिलेगा यह आवश्यक नहीं है. लेकिन हमें सरल तरीके से समझा दिया जाये कि बीमा की राशि कैसे मिलेगी. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय सभापति महोदय, यदि हमारे किसानों को बीमा की राशि मिल गई तो हमारे किसानों को किसी चीज़ की जरूरत नहीं पड़ेगी. बीमा कंपनियां हजारों-करोड़ रुपये कमा रही हैं लेकिन किसान बीमा की राशि के लिए भटकता रहता है. मेरी तहसील के अंदर 254 करोड़ रुपये का बीमा, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने कहा था कि मैं, यहां से क्लिक कर रहा हूं और आपके यहां राशि आ जायेगी. हमारे विधायक जी ने भी कहा कि बीमा की राशि आचार संहिता समाप्त होने के बाद आयेगी, अखबारों में खबर छप गई, उन्होंने सर्टिफिकेट भी बांट दिये. लेकिन मैंने अभी यहां प्रश्न लगाया तो मुझे जवाब दिया गया कि केवल 70 लोगों को बीमा की राशि दी गई है और बाकी का जवाब इस तरीके से दिया गया है कि मुझे ही समझ नहीं आया कि हुआ क्या ?
(मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय- दिनेश जी, अब आप समाप्त करें.
श्री दिनेश जैन बोस- धन्यवाद, सभापति महोदय.
सभापति महोदय- धन्यवाद, आपका भाषण बहुत अच्छा था और आपने समस्याओं के साथ-साथ, समाधान भी बताया है कि किस तरीके से कार्य हो सकता है, यह प्रशंसनीय है.
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)- सभापति महोदय, दिनेश भाई पहली बार के विधायक हैं. उन्हें बधाई, आप बहुत अच्छा बोले. मैं आपके संज्ञान के लिए आपको यह जानकारी दे रहा हूं कि आपकी विधान सभा क्षेत्र में जितनी भी सिंचाई की योजनायें चल रही हैं, मैं, उसकी लिस्ट आपको उपलब्ध करवा दूंगा.
श्री दिनेश जैन बोस- धन्यवाद, मंत्री जी.
श्री महेश परमार (तराना)- माननीय सभापति महोदय, मैं, बाबा महाकाल की नगरी से, मेरी तराना विधान सभा की जनता, युवा साथियों, माताओं-बहनों के आशीर्वाद से दूसरी बार विधान सभा में आया हूं. मैं, महाकाल की कृपा और जनता-जनार्दन के आशीर्वाद के लिए उनको धन्यवाद देता हूं. सौभाग्य से हमारे मुख्यमंत्री जी भी बाबा महाकाल और उज्जैन की नगर से ही हैं. यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है. मैं, एक शेर के माध्यम से अपनी बात प्रारंभ करूंगा-
सिर्फ हंगामा खड़ा करना, मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश है कि यह सूरत बदलनी चाहिए,
मेरे सीने में न सही, तेरे सीने में ही सहीं,
हो कहीं भी पर, यह आग जलनी चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, जब रामेश्वर शर्मा जी ने राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर चर्चा प्रारंभ की तो मुझे लगा कि वे इस सदन के वरिष्ठ सदस्य हैं और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी है, भाजपा का जो संकल्प-पत्र 2023 था, जिसके कारण उन्हें, प्रदेश की जनता का आशीर्वाद मिला और उनकी सरकार बनी. उनसे जुड़े मुद्दे और जनता से किये गये जो वायदे थे, वे पूरे होंगे लेकिन जिस तरह अभिभाषण पर चर्चा प्रारंभ हुई तो मुझे लगा कि व्यक्ति विशेष का महिमामंडन हो रहा है. जब हम लोकतंत्र से राजतंत्र में जाते हैं तो हमने देखा है कि जिस तरह से राजा-महाराजा का महिमामंडन होता था, चारण-भाट करते थे, लगा कि ये विधान सभा नहीं है और हम कहीं 300-400 वर्ष पीछे चले गए हैं.
माननीय सभापति महोदय, मैं, ग्रामीण परिवेश से आता हूं और किसान का बेटा हूं. किसानों के आशीर्वाद से ही सदन में पहुंचा हूं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल)- माननीय सभापति महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण को भाटों और चारणों जैसे शब्दों से जोड़ना, मुझे लगता है कि यह ठीक नहीं है. इसे विलोपित किया जाना उचित होगा.
श्री महेश परमार-- मैं क्षमा चाहूंगा. हमारे वरिष्ठ मंत्री साहब हैं.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- आप हमारे भाषण को कहिए हमें कोई आपत्ती नहीं है.
श्री महेश परमार-- मैं राज्यपाल जी के अभिभाषण पर नहीं कह रहा हूं. सदन में जो वक्तव्य आया, जिन लोगों ने राज्यपाल के भाषण के ऊपर कृतज्ञता व्यक्त की उन माननीय सदस्यों के बारे में कह रहा हूं. सभापति महोदय, हम सभी अभी समाचार पत्रों में देख रहे थे कि एक तरफ किसानों की बात कहने वाले देश के आदरणीय प्रधानमंत्री जी और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी इस सदन में नहीं हैं. स्वाभाविक है कि वह एक नंबर पर बैठे थे और उन्हें 44 नंबर की सीट अलॉट की तो उनका आना अनुचित है. इतना सम्माननीय वरिष्ठ सदस्य जो 19 साल तक मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री रहे हैं तो वह यहां कैसे आएंगे. वह कहते थे कि किसान मेरा भगवान और मैं किसान का बेटा. जिस तरह से पंजाब और हरियाणा के किसानों को देश की राजधानी में हमने समाचार पत्रों में, इलेक्ट्रानिक मीडिया, प्रिंट मीडिया में देखा कि जो किसान अपनी उचित मांग लेकर देश को बताना चाहते हैं. सभापति महोदय, चार-चार फीट लोहे की कीलें गाड़ दी जाती हैं. 64-64 पैरामिलेट्री फोर्स, बीएसएफ, सीआरपीएफ, और सीमेंट के बड़े-बड़े बेरीकेड लगा दिये जाते हैं क्या यह देश का अमृतकाल है? मैं आदरणीय प्रधानमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं क्योंकि यहां राज्यपाल जी के अभिभाषण के ऊपर मध्यप्रदेश के किसी किसानों की बात हो आप इतने वरिष्ठतम सदस्य हैं. हमारे आदरणीय अध्यक्ष जी देश के कृषि मंत्री रहे हैं. हमारे सम्माननीय हैं, हमारे आशीर्वाद दाता हैं. आदरणीय प्रहलाद पटैल जी हों, कैलाश विजयवर्गीय जी हों और भी कई वरिष्ठतम सदस्य जो 8-8, 9-9 बार विधान सभा और लोकसभा में चुनकर गए हैं बड़ी लज्जा आती है जब वे सदन में मेज थपथपाते हैं, कूनों के चीता की चिंता करते हैं तो लज्जा आती है अगर इस सदन में चिंता हो तो किसानों की, बेरोजगार युवाओं की, गरीब लाचार बहन जिनके साथ रोज अत्याचार हो रहा है उनकी चिंता हो.
सभापति महोदय, जब वादा किया आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी ने और देश के प्रधानमंत्री जी ने गारंटी दी कि यह मोदी जी की गारंटी है और यह देश गारंटी से चलता है यह हमारे प्रधानमंत्री जी ने कहा तो प्रधानमंत्री जी की इस गारंटी का राज्यपाल जी के अभिभाषण में कहीं भी जिक्र नहीं है. हमारे मालवा के किसान भाइयों का, उज्जैन के किसान भाइयों का, बड़नगर, नागदा, खाचरौद, या समूचे मध्यप्रदेश के किसान भाइयों का गेंहू 2700 रुपए प्रति क्विंटल खरीदा जाएगा, 3100 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदा जाएगा. इस पुस्तक में कहीं जिक्र नहीं है कि लाड़ली बहनों को जिनके आशीर्वाद से सरकार बनी उनके खातों में 3000 रुपए कब तक आएंगे तो हम विपक्ष के लोग भी मेज को थपथपाकर सरकार का समर्थन करते. अभी गुरुवार को हमारे आदरणीय वित्त मंत्री जी ने कैग की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी. मैं भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन से आता हूं और आदरणीय मुख्यमंत्री जी भी हमारे यहां से हैं. करोड़ो रुपए खर्च करने के बाद भी इंदौर की कान्हा नदी का गंदा दूषित पानी क्षिप्रा में मिल रहा है. सिंहस्थ की बात करते हैं. जिस क्षिप्रा में सिंहस्थ का स्नान होना है वह आज तक दूषित है इसलिए आज तक उज्जैन नगर निगम का गंदा पानी क्षिप्रा मां में मिल रहा है. आज से दस दिन हो गए हैं पीने का स्वच्छ पेयजल नहीं मिला है.
माननीय सभापति महोदय, 300-300 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद 19 साल से मध्यप्रदेश में आपकी सरकार है. उज्जैन जिले से मुख्यमंत्री जी हैं. सवाल जो सत्ता में हैं उनसे पूछेंगे. जब 15 महीने के लिए हमारी सरकार थी, हमारे नेता कमलनाथ जी थे उस समय अमावस्या का स्नान होना था. तुलसी सिलावट जी, माननीय मंत्री जी बैठे हैं. जब दूषित जल में स्नान करना पड़ा तो मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी कार्यवाही हमारे नेता कमलनाथ जी ने की थी. यह हमारी कांग्रेस की सरकार ने किया था. आदरणीय अनिल जैन जी हमारे बड़े भाई हैं, वरिष्ठतम् नेता हैं.
सभापति महोदय, बात उज्जैन की है भगवान महाकाल की है. भगवान महाकाल की कृपा से प्रभु श्रीराम जी का मंदिर बना, धन्यवाद देता हूँ माननीय सुप्रीम कोर्ट को, देश की सरकार को भी धन्यवाद देता हूँ, कोई हिचक नहीं कि देश के लाखों, करोड़ों लोगों के चन्दे के कारण इस मंदिर का निर्माण हुआ. धन्यवाद देता हूँ लेकिन माननीय सभापति महोदय, भगवान महाकाल के आशीर्वाद से 5 लाख लड्डू रामलला के चरणों में अर्पित किए. हजारों, करोड़ों प्रदेशवासियों के पैसे से वे लड्डू पहुंचाए गए. महाकाल प्रबंध समिति के द्वारा लड्डू भेजे गए थे. इस बात का उल्लेख भी सदन में होना चाहिए.
सभापति महोदय -- भगवान महाकाल, रामलला जी का स्वागत कर रहे थे उसके लिए लड्डू भेजे गए थे.
श्री महेश परमार -- माननीय सभापति जी, इस बात का भी उल्लेख होना चाहिए कि वह पैसा देश, प्रदेश और पूरे विश्व से लाखों की संख्या में जो लोग आते हैं उनके चढ़ावे के द्वारा भेजा गया.
सभापति महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी यहां नहीं हैं. वरिष्ठतम मंत्री यहां बैठे हुए हैं मैं उनसे निवेदन करना चाहता हूँ कि उज्जैन में 250 रुपए शुल्क लगता है. अनिल जैन जी भी उत्तर विधान सभा के विधायक हैं. 250 रुपए शुल्क तत्काल बंद होना चाहिए. पूरे देश प्रदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान के दर्शन के लिए आते हैं. भगवान के नाम पर राजनीति करने वाली यह सरकार किस बात का शुल्क उन श्रद्धालुओं से लेती है.
सभापति महोदय, अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी के उत्थान के लिए जो योजना चलाई जा रही है उनका पैसा उन लोगों पर खर्च नहीं हो रहा है. इस बात की चिंता करने की आवश्यकता है. इस बात का उल्लेख इस पुस्तिका में होना चाहिए था. गरीब, किसान, महिला, युवा इनका उत्थान कैसे हो, इनका विकास कैसे हो, कैसे यह मुख्यधारा में आएं. राज्यपाल जी के अभिभाषण में इसकी कहीं चर्चा नहीं है. लाड़ली बहना के बारे में मैं पहले ही अनुरोध कर चुका हूँ. बिजली की बात करें तो आज ग्रामीण क्षेत्र में 24 घंटे बिजली की बात हो या किसानों को देने वाली बिजली की बात हो. जब किसान ट्यूबवेल से, कुएं से या नदी से अपने खेत में सिंचाई करता है. हमारे मालवा क्षेत्र में जब किसान पम्प चालू करके वापस खेत में पहुंचता है तब तक कहीं बिजली का तार टूट जाता है, कहीं ट्रांसफार्मर जल जाता है. 18-19 साल से मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. आज मध्यप्रदेश में बिजली की स्थिति बद से बदतर हो गई है. जले हुए ट्रांसफार्मर किसानों को दे दिए जाते हैं. 3-3, 4-4 दिन किसान खेती का काम छोड़कर विद्युत मंडल के चक्कर लगाता है. राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में इस बात का जिक्र होता तो हम इसका जरुर समर्थन करते. आदरणीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री यहां बैठे हुए हैं. मैं पूछना चाहता हूँ कि मनरेगा के माध्यम से क्या छोटे कुएं खोदने की योजना है. मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण योजना सिर्फ कागजों तक सिमटकर रह गई है. अभिभाषण में इस बात का जिक्र होना चाहिए था तब हम इसका समर्थन करते. आयुष्मान कार्ड की बात करें. उज्जैन जिले की बात करें हमारे साथी अनिल जैन जी बैठे हैं, मुख्यमंत्री जी का जिला है हमारे यहां आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज और एक चेरिटेबल हास्पिटल जहां निशुल्क इलाज होता है, वह आपने आयुष्मान कार्ड में चिह्नित कर रखे हैं. आंकड़ों में आप कुछ भी कह सकते हैं लेकिन इस योजना की संभागवार, जिलावार समीक्षा होना चाहिए. आयुष्मान कार्ड के नाम पर जो पात्र हैं जो गंभीर बीमार हैं उन लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. सभापति महोदय, सीएम राइज स्कूल या पीएम श्री स्कूल की बात की गई, 369 सीएम राइज स्कूल खोलेंगे, 300-400 पीएम श्री स्कूल खोलेंगे, एक-एक विधान सभा में हजारों हायर सेकेंड्री, हाई स्कूल, मिडिल स्कूल, प्राथमिक विद्यालय पूरे मध्यप्रदेश में हजारों, लाखों की संख्या में उन स्कूलों के भवनों के लिये जहां अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति गरीब किसान का बेटा पढता है, आदिवासी का बेटा पढता है, पिछडा वर्ग का बेटा पढता है, उन लाखों स्कूलों के लिये कोई योजना इस राज्यपाल जी के अभिभाषण में नहीं है. मध्यप्रदेश की कानून व्यवस्था आपके सामने है. चारों तरफ अत्याचार, अन्याय चल रहा है. रोज अपराध हो रहे हैं. गृह मंत्री सौभाग्य से हमारे मुख्यमंत्री जी हैं, लेकिन रोज हम सुबह उठते हैं, समाचार पत्रों में देखते हैं कि कहीं बडे-बडे अपराध हो रहे हैं, लूट हो रही है. पूरा मध्यप्रदेश नशे की हालत में शराबखोरी का अड्डा बन चुका है. आज पान की दुकान चले जाएं, गांव-गांव, चौराहे पर आबकारी विभाग की दुकानें डायरी के माध्यम से अवैध शराबखोरी चल रही है. राज्यपाल जी के अभिभाषण में इस बात का उल्लेख होना था. सम्बल योजना के नाम पर...
सभापति महोदय -- अब आप समाप्त करें.
श्री महेश परमार -- सभापति महोदय, एक मिनट का समय और लेना चाहूंगा.
सभापति महोदय -- यह आखिरी बात करके अब आप समाप्त करें.
श्री महेश परमार -- सभापति महोदय, पूरे मध्यप्रदेश में अवैध उत्खनन आप देख रहे हैं किस तरह से पटवारियों के ऊपर ट्रेक्टर चढा दिये जाते हैं. तहसीलदार, एसडीएम के ऊपर वाहन चढा दिये जाते हैं. इस बात का जिक्र, इस पर रोकथाम कैसे हो राज्यपाल जी के अभिभाषण पर इस बात का उल्लेखन होना था. जल मिशन की बात करें.
सभापति महोदय -- महेश जी, कुछ चीजें जब आप बजट पर बोलेंगे उसके लिये भी रख लीजिये.
श्री महेश परमार -- सभापति महोदय, 30 सेकेंड में समाप्त करूंगा. राज्यपाल जी के अभिभाषण का मैं विरोध करता हूं और इसमें सिर्फ व्यक्ति विशेष का महिमा मंडन किया गया है. मेरे विधान सभा क्षेत्र तराना में नर्मदा लिंक योजना में लगभग 60 गांव छूटे हुये हैं तो उन 60 गांवों को जोडा जाए. आदरणीय मंत्री जी बैठे हैं. काली सिंध के पाठ में बडा ब्रिज बनाया जाए. वहां से लगभग सैकडों हजारों हैक्टेयर भूमि सिंचित होगी. डाबरा राजपुर में बैराज बनाया जाए. हमारे मुलडावन गांव में, बंजारी में इन सब चीजों पर ध्यान दिया जाए. मुझे काफी कुछ बोलना था, आपने बोलने का समय दिया उसके लिये धन्यवाद.
सभापति महोदय -- अब आप बजट पर बोल लीजिएगा. आपका बडा अच्छा भाषण था. धन्यवाद.
एडव्होकेट श्रीमती निर्मला सप्रे (बीना) -- सभापति महोदय, आपका मैं सबसे पहले बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं कि आपने मुझे बोलने का मौका दिया. मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर अपना खेद व्यक्त करती हूं क्योंकि महामहिम राज्यपाल महोदय के पूरे अभिभाषण को मैंने पढा है और मैने देखा कि बीना की करीब 30-35 साल पुरानी मांग कि बीना को जिला बनाया जाए इसका उल्लेख कहीं से कहीं तक नहीं है. इसलिये मैं इस पर खेद व्यक्त करती हूं. मैं आपको यह बताना चाहती हूं कि बीना को जिला बनाने की मांग विगत 35 वर्षों से चलती आ रही है. बीना के सभी चाहे सामाजिक संगठन हों, या पार्टी के सारे संगठनों हों सबने मिलकर करीब 30 वर्षों से लगातार हम सभी लोग आंदोलन के माध्यम से, ज्ञापन के माध्यम से अपनी मांग उठाते आये हैं, लेकिन अभी तक बीना को जिला नहीं बनाया गया है. इसका बहुत ही दु:ख होता है कि महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण में इसका जिक्र भी नहीं हुआ है.
सभापति महोदय, मैंने इसके लिये आज तारांकित प्रश्न भी लगाया था. राजस्व विभाग के माननीय मंत्री द्वारा मेरे प्रश्न ''ख'' का उत्तर आता है जो कि बिल्कुल ही गलत है. मैंने प्रश्न किया था कि जिला सागर की तहसील अनुविभागीय बीना को जिला बनाने हेतु क्षेत्रीय माननीय विधायकगण, संगठनों एवं जनप्रतिनिधि द्वारा मांग कब-कब की गई, मांग पत्रों की प्रतियां उपलब्ध करावें. भौगोलिक क्षेत्र की दृष्टि से सर्वसुविधा युक्त, क्षेत्रीय दृष्टि एवं सबसे अधिक राजस्व देने वाला बीना अनुविभागीय तहसील को जिला घोषित किया जावेगा या नहीं, मेरा प्रश्न यह था. माननीय राजस्व मंत्री द्वारा सिर्फ आधी लाइन में मेरा उत्तर दिया गया है जो कि पूरा का पूरा गलत है. उत्तर में यह बात आती है कि विगत दो वर्षों में इस संबंध में मांगपत्र या ज्ञापन नहीं पाया गया है. शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होते हैं. कितनी बड़ी दुख की बात है कि हम सभी बीना वासी लगातार 35 वर्षों से ज्ञापन के माध्यम से, आंदोलनों के माध्यम से, भूख हड़ताल के माध्यम से बीना को जिला बनाने की मांग रखते हैं और राजस्व मंत्री जी आधी लाइन में इस बात को समाप्त कर देते हैं. बड़ी दुख की बात है. मैं राजस्व मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि बीना की जनता ने ऐसा क्या किया है कि आपने उनकी 35 साल पुरानी मांग को यूं ठुकरा दिया है. क्या बीना की जनता जब सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली है, आप सभी को, सरकार को राजस्व देती है, लेकिन उसकी मांग को आपने एक ही, आधी लाइन में आपने खत्म कर दिया है. मैं यह भी बात बताना चाहता हूं कि सिर्फ बीना की जनता ही इस बात को नहीं उठा रही थी, इससे पहले यह जो भी हमारी मांग है, चूंकि बीना जिला बनाने का इतिहास काफी लम्बा है. इस मांग की शुरुआत होती है 1982 से लेकर आज दिनांक तक. सन् 1984 में नवीन जिले के रुप में बीना का नाम मध्यप्रदेश शासन के राजस्व विभाग की सूची में सम्मिलित हो जाता है, लेकिन किसी कारण फिर नहीं बनता है. समय समय पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गण, श्री सुन्दरलाल पटवा जी, सुश्री उमा भारती जी, श्री बाबूलाल गौर जी और जो कि 25.11.2017 को श्री शिवराज सिंह जी ने बीना आगमन पर बीना को जिला बनाने की घोषणा की थी. राजस्व मंत्री जी कहते हैं कि कोई ज्ञापन नहीं आया. इतने 4-4 मुख्यमंत्रियों द्वारा मंचों पर आकर घोषणा की जाती है कि बीना को जिला बनाया जायेगा. लेकिन राजस्व मंत्री जी कहते हैं कि बीना के लिये कोई प्रस्ताव नहीं आया जिला बनाने का. बड़ी दुखदायी बात है. आज कई फोनों के माध्यम से, आज मेरा तारांकित प्रश्न लगा हुआ था, लेकिन जब उत्तर पढ़ा तो बड़ा अचम्भा हुआ, बीना के कई लोगों के फोन मेरे पास आये कि दीदी इतनी बड़ी लज्जा की बात कैसे हो सकती है कि हमारी 35 साल की मेहनत को और इतनी मांगों को सिर्फ आधी लाइन में रखा जाता है. मैं यह भी बात बताना चाहती हूं कि 4-4 मुख्यमंत्री जो कि अभी पार्टी मध्यप्रदेश के शासन में हैं, उनके मुख्यमंत्री घोषणाएं कर जाते हैं, मंत्रियों को पता भी नहीं पड़ता है. ये कैसी बड़ी विडम्बना की बात है. इन चारों मुख्यमंत्री के शासनकाल में कई जिले बनाये, जिनकी मांग बीना के बाद रखी गई और जिनकी जनसंख्या की दृष्टि से वे कम जन संख्या में थे, लेकिन बीना को जिला नहीं बनाया गया, इतना बड़ी भेदभाव हमारे बीना वासियों के साथ क्यों हुआ. मुझे यह पता नहीं है. मैं आपको एक बात और बताना चाहता हूं कि बीना को जिला क्यों बनाया जाये.
सभापति महोदय--उप मुख्यमंत्री जी, राजेन्द्र जी आप उपस्थित हैं. बहन निर्मला जी जो बात कह रही हैं, उसको संज्ञान में अवश्य लें. चूंकि मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है, जैसा कि वे कह रही हैं. जब मुख्यमंत्री जी घोषणा करते हैं, तो जिला प्रशासन, कलेक्टर उसको राज्य शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजता है. यह कहना तो उचित नहीं है कि प्रस्ताव नहीं आया. इसका आप ध्यान जरुर दीजियेगा, ठीक है, आप जारी रखिये.
एड. श्रीमती निर्मला सप्रे -- सभापति महोदय, मैं यह भी बताना चाहती हूं कि बीना को क्यों जिला बनाया जाये. हो सकता है कि भौगोलिक दृष्टि से आपको पता न हो, लेकिन मैं बताना चाहती हूं कि भौगोलिक दृष्टि से बीना सागर के मध्य में स्थित है और सागर के बाद बीना सबसे बड़ा शहर है. मतलब पहला सागर शहर दूसरा हमारा बीना शहर. दूसरा, मैं यह कहना चाहती हूं कि बीना में दो बड़े जंक्शन हैं एक मालखेड़ी और दूसरा बीना. तो बीना सबसे बड़ा जंक्शन होने के नाते यहां से सारे आवागमन, यात्रियों की सारी ट्रेन्स भी मिलती हैं, तो यह जनसंख्या की दृष्टिसे भी बहुत बड़ा जंक्शन है. बीना में मध्यप्रदेश और केंद्र ने कई यहां पर बड़ी बड़ी संस्थाएं खोली हैं. जैसे कि बीना में बीपीसीएल, जेपी पावर प्लांट, पावर ग्रिड कारपोरेशन जैसे बड़े प्लांट तो स्थापित किये हैं. साथ ही बीना में एक बहुत बड़ी कृषि मंडी भी है. कृषि अनुसंधान केन्द्र भी है. रेलवे चिकित्सालय है. शासकीय चिकित्सालय भी है. ऐसी बड़ी बड़ी सुविधाएं तो हमारे यहां उच्च स्तर की हैं, लेकिन हम लोग सिर्फ जिला बनाने के मेटर पर अछूते रह जाते हैं. यह बहुत बड़ी हम लोगों की या शासन की कमी कहें कि इतनी बड़ी मांग हम लोग लगातार करते रहे हैं, लेकिन बीना को अभी तक जिला नहीं बनाया गया है. माननीय राजस्व मंत्री जी यहां पर हैं तो मुझे बिल्कुल आश्वासन दे दीजिए क्योंकि आज बीना के कम से कम 100 लोगों के फोन आए हैं और मैंने उनसे यह कहा कि हम आपकी लड़ाई जरूर सदन में लड़ेंगे क्योंकि बीना को आप जिला बना देते हैं तो यह बहुत बड़ा काम हम बीनावासियों का हो जाएगा, क्योंकि जनसंख्या की दृष्टि से बीना में लगभग 3 लाख जनसंख्या है और आजू-बाजू में पूरा का पूरा क्षेत्र तैयार है, इससे पहले भी जो केन्द्रीय मंत्री थे, डॉ. वीरेन्द्र खटीक जी, उन्होंने इसके लिए नोटशीट चलाई थी, लेकिन पता नहीं क्या राजनीति हुई कि बीना फिर भी अछूता रह गया तो मेरा माननीय सभापति महोदय आपसे आग्रह है, माननीय राजस्व मंत्री जी से मुझे आश्वासन जरूर दिला दीजिए, इसमें हमारे बीनावासियों के लिए बड़ी कृपा होगी.
माननीय राजस्व मंत्री जी आप मुझे इतना कह दें कि अभी तक जो कि बीना को सिर्फ घोषणाएं मिली हैं तो सदन में आप मुझे आश्वासन देंगे तो मैं इस आश्वासन के साथ बीना जब पहुंचूंगी तो बीना की जनता इतनी अधिक प्रसन्न होगी, इतनी ज्यादा आपको दुआएं देगी कि आपका राजस्व विभाग आगे बढ़ेगा, चूंकि बीना राजस्व देने वाला है और आप सिर्फ बीना को जिला दे दीजिए, यह मेरा आपसे विशेष अनुरोध है, विनम्र निवेदन है. सभापति महोदय, मेरी आपसे बड़ी विनम्रता से प्रार्थना है कि माननीय राजस्व मंत्री जी से सिर्फ आश्वासन दे दीजिए.
सभापति महोदय - यह प्रश्नकाल नहीं है निर्मला जी. जब माननीय मुख्यमंत्री जी बोलेंगे तो जो उनको बोलना होगा, वह अपनी बात रखेंगे.
एडव्होकेट श्रीमती निर्मला स्प्रे - चूंकि सदन में मैं अपनी बात रख चुकी हूं. यह हमारा बहुत बड़ा मुद्दा है. करीब 35 सालों से लगातार हम लोग बीना को जिला बनाने की मांग करते आए हैं. सारी चीजें होने के बावजूद भी बीना जिला नहीं बन पाया है. लेकिन मुझे भरोसा है कि माननीय राजस्व मंत्री जी पर कि निश्चित रूप से अभी जो बजट होगा और उसमें बीना के लिए कुछ बड़ी सौगात मिलेगी.
सभापति महोदय - आपकी वकालत तो मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से कर रहा हूं.
एडव्होकेट श्रीमती निर्मला स्प्रे - धन्यवाद, सभापति महोदय. निश्चित रूप से मैं आपके संरक्षण में रहकर अपनी बीना के लिए एक बहुत बड़ी सौगात दूंगी. इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. इसी के साथ जय हिन्द. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास शाह ( सिंगरौली ) - सभापति महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद. महामहिम राज्यपाल महोदय के कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए खड़ा हुआ हूं. पहली बार का मैं विधायक हूं और आज सदन में पहली बार ही बोलने का आपने अवसर दिया, इसके लिए आप सभी को धन्यवाद. जहां से हम निर्वाचित होकर आए हैं, सिंगरौली विधान सभा की जनता और वहां के मतदाताओं का बहुत बहुत आभार.
सभापति महोदय, महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान सभी सदस्यों द्वारा अलग-अलग प्रकार की चर्चाएं सदन में आ रही है. मुझे भी सीखने का अवसर प्राप्त हो रहा है. सभापति महोदय, मेरा भी नाम रामनिवास शाह है और बार बार नाम श्री रामनिवास रावत जी का आता था तो मुझे लगता था कि रामनिवास के नाम से आ रहा है तो क्षेत्र की जनता क्या बोलेगी? कहीं तो हमें चर्चा करने का अवसर मिले, इसलिए आपने जो अवसर दिया, बहुत बहुत धन्यवाद. सभापति महोदय, वर्ष 2024-25 का आंतरिक बजट, अमृतकाल बजट यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के विकसित भारत, संकल्प यात्रा जो प्रारंभ हुई है वर्ष 2047 का जो जिक्र महामहिम जी के अभिभाषण में हुआ है, यह बहुत ही तथ्यपूर्वक बात है. जब हम विकसित भारत संकल्पना की बात करते हैं तो विकास की गति और कुछ हमारे कांग्रेस मित्र विधायकगणों की चर्चा के दौरान हमने जो देखा, यहां बिजली के संबंध में चर्चा हो रही थी, शिक्षा के संबंध में चर्चा हो रही थी, तो हमें लगता है कि विगत वर्ष 2003 के पूर्व जो राज्य बीमारू राज्य की श्रेणी में चला गया था, उस समय आज की दशा में और कल की दशा में आज बहुत ही अच्छी बिजली हमारी सरकार दे पा रही है. वर्ष 1998 में एक बत्ती कनेक्शन उस सरकार में लागू किया गया था, जिसकी बीमारी आज तक ग्रामीण क्षेत्रों में पड़ी हुई है. एक बत्ती कनेक्शन तो सरकार ने दिया, लेकिन उस एक बत्ती कनेक्शन के बाद इतना भारी बिल आया, जिसके कारण लोग परेशान हुए, जनता परेशानी हुई. इन मुद्दों पर जब हम चर्चा करते हैं तो कल के समय और आज के समय में बहुत ही सुदृढ़ व्यवस्था बिजली की हुई है और बिल पर भी हुई है. राज्य में जब हम कई मुद्दों पर चर्चा करते हैं तो देश की सरकार और प्रदेश की सरकार महिला सशक्तिकरण पर, महिला स्वसहायता समूह, सिलाई-कढ़ाई-बुनाई को लेकर समूहों के माध्यम से हमारी सरकार काम करा रही है. इसमें देश की सरकार पीएम विश्वकर्मा योजना के माध्यम से उन समूहों को आगे बढ़ाने के लिए और समूहों को प्रोत्साहित करने के लिए जो काम कर रही है, वह बहुत ही सराहनीय है.
सभापति महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश की सरकार सीएम राइज़ स्कूल और केन्द्र की सरकार पीएम श्री विद्यालय के माध्यम से शिक्षा को बढ़ावा दे रही है. हम कल के समय से आज के समय में आगे बढ़ते हुए इस बात की ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं कि जिस विधानसभा से मैं आता हॅूं, यहां हमारे वरिष्ठ सभी माननीय मंत्रीगण, माननीय विधायकगण उपस्थित हैं, हमें सीखने का अवसर प्राप्त हो रहा है, मैं इसके लिए धन्यवाद देना चाहता हॅूं लेकिन हमारे सिंगरौली में, माननीय सभापति महोदय हो सकता है आप उस समय मंत्री रहे होंगे, वर्ष 1984-85 में एक बोर्ड लगा हुआ था. सिंगरौली में अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के शिलान्यास का बोर्ड लगा हुआ था और वह बोर्ड विगत कई वर्षों के बाद भी पूर्ण नहीं हो सका, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में जब सरकार बनी, तो हमारे यहां अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा तो नहीं बन सका, लेकिन हवाई पट्टी का निर्माण विगत हमारी भारतीय जनता पार्टी की नेतृत्व वाली, माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व वाली सरकार के द्वारा कराया गया, वह संचालित भी हो गया. हम सदन के माध्यम से चाहेंगे कि यह जो कार्य प्रगति की ओर है और आगे बढ़कर प्रगति की ओर जाए और हवाई अड्डे में यह उन्नयन हो जाए तो बहुत ही अच्छा होगा, सौभाग्य होगा.
सभापति महोदय, बहुत-सी चर्चाएं आयीं लेकिन रामराज्य की स्थापना, राम की स्थापना, राम का उन्नयन, राम की प्राण-प्रतिष्ठा की चर्चाएं बहुत हुईं हैं. इस विषय पर मैं भी अपनी बात आपके बीच रखना चाहता हॅूं. बहुत से हमारे मित्र यहां चर्चा कर रहे थे. चर्चा करते-करते राम के बारे में और राम के सुशासन, राम का अनुशासन और राम की समरसता को छोड़कर चर्चाएं करते हैं तो हमको लगता है कि इस सदन में मैं पहली बार आया हॅूं और राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर ऐसी चर्चा करते हैं, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का बहिष्कार करते हैं तो हम नये सदस्य कैसे सीखेंगे, इसका अनुसरण हम कैसे करेंगे. इसके बारे में हम क्या सोच सकेंगे. इसलिए सदन से हम चाहेंगे कि राम जैसा राजा, राम जैसा अनुशासन, राम जैसा पालन, राम जैसी जो समरसता है , वह पूरे मध्यप्रदेश को मिले, यह सदन आगे जाए, यह हमारा अनुभव आप सबको अच्छा लगे और हमको भी अच्छा लगे.
सभापति महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में हमारे मित्र कह रहे थे. मैं भी वर्ष 2000 में जनपद पंचायत का उपाध्यक्ष रहा हॅूं. वर्ष 1998 के समय में शिक्षा गारंटी शाला के माध्यम से आज शिक्षा के क्षेत्र में पैसों की बात की जाती है, वेतन की बात की जाती है. यह पहले से आज सुदृढ़ हुआ है. पहले 500 रूपये में शालाएं खोली जाती थीं. जब तक उनका प्रशिक्षण नहीं होता था, तब तक मान्य नहीं होता था. आज हमारी सरकार कहीं शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही आगे जाकर के काम कर रही है. हमको लगता है कि और भी अच्छा होगा. हम कहने के लिये भूल गये थे. हमारे माननीय अभय मिश्रा जी उपस्थित हैं. उन्होंने हमारे माननीय उप मुख्यमंत्री जी को कहा था कि बार बार आप सिंगरौली क्यों जाते हैं ? बार बार सिंगरौली इसलिये जाते हैं 1985 में कांग्रेस के शासन में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का बोर्ड लगा था, वह भी 20-25 साल तक नहीं बन सका. आपके नेतृत्व में कम से कम हवाई अड्डा बन गया है.
श्री अभय कुमार मिश्रा—चूंकि माननीय विधायक जी ने मेरा नाम लिया है. मैंने यह नहीं कहा था कि तीन पंचवर्षीय लगातार माननीय शिवराज सिंह जी थे. तीन पंचवर्षीय से लगातार माननीय शुक्ला जी वहां के प्रभारी मंत्री थे. ऐसा क्या कारण था कि तीन पंचवर्षीय में वही प्रभारी मंत्री थे. सिंगरौली में ऐसा क्या बदल गया कि वहां पर स्वर्ण वर्षा हो गई. आज भी लोग उसी तरह से त्राहिमाम् त्राहिमाम् कर रहे हैं.
3.07 बजे (अध्यक्ष महोदय {श्री नरेन्द्र सिंह तोमर}पीठासीन हुए)
श्री रामनिवास शाह—अध्यक्ष महोदय, सिंगरौली बदल गया है. पहले जिला नहीं था, अब जिला बन गया है. 1984 में हवाई अड्डे का आपने जब शिलान्यास किया था वह आज के समय में कम से कम हवाई पट्टी बन गई है. आज हमारी सरकार वहां पर हवाई अड्डा बनाने के लिये अग्रसर है इसके लिये हमारे मुख्यमंत्री एवं उप मुख्यमंत्री जी बधाई के पात्र है. आज इन चीजों की चर्चा करते हुए मैं निवेदन करना चाहता हूं कि आने वाले समय में जब पुनः राज्यपाल महोदय का अभिभाषण हो तो इसको जोड़ा जाये कि सिंगरौली हवाई पट्टी का निर्माण हो चुका है, हवाई अड्डे का निर्माण कराया जाये. यह मांग रखते हुए सिंगरौली जिला बना है माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में आज पुनः जिला प्रगति की ओर है. इसलिये विकास की गति 2003 के पहले और उसके बाद जो निर्माण कार्य हुए हैं उस दिशा की ओर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा का यह प्रारूप है, जिसके कारण देश में सड़कें बन गईं, देश में बिजली की समस्या हल हुई, देश में शिक्षा का प्रसार हुआ, देश में महिला सशक्तिकरण हुआ. आने वाले समय में माननीय डॉ.मोहन यादव जी के तथा माननीय नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश और प्रदेश सरकार प्रगति के पथ पर बढ़ती जा रही है. धन्यवाद.
श्रीमती अनुभा मुंजारे (बालाघाट)—अध्यक्ष महोदय, इस सदन में मैं पहली बार चुनकर आयी हूं. मैं आपको धन्यवाद देती हूं कि आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया. महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण पर मैं खेद व्यक्त करना चाहूंगी. अभिभाषण में बहुत सारी बातें नहीं आयी हैं. जिन बातों को लेकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार विधान सभा के चुनाव में उतरी थी. उसमें प्रमुख रूप से बालाघाट जिले में पूरे मध्यप्रदेश का धान उत्पादक जिला है. सबसे बड़ी तादाद में हमारे किसान भाई धान का उत्पादन करते हैं. 3100 रूपये धान का समर्थन मूल्य देने की बात घोषणा पत्र में कही गई थी. यह बात राज्यपाल जी के अभिभाषण में नहीं आयी है. उसी तरह से लाड़ली बहना योजना जिसके अंतर्गत तीन हजार रूपये बहनों को देने की बात कही गई थी. लेकिन आज पूरे प्रदेश और जिले की महिलाएं उदास और निराश महसूस कर रही हैं. यह आशा कर रही हैं कि कब हमारे मुख्यमंत्री जी इस बात की घोषणा करेंगे और उनको विधिवत् पैसा मिलेगा.
उसी के साथ हम गैस सिलेण्डर की बातें करें, अभी माननीय सदस्यगण सत्तापक्ष के कह रहे थे कि उज्ज्वला गैस योजना के अंतर्गत हमारी बहनों को गैस सिलेण्डर दिये जा रहे हैं. मैं अपने क्षेत्र की बात रखना चाहती हूं, मेरे क्षेत्र में 87 ग्राम पंचायतें आती हैं और मेरा विधान सभा क्षेत्र शहरी क्षेत्र भी है, जिसमें नगर पालिका क्षेत्र बालाघाट भी लगता है, जिला मुख्यालय, वहां पर कहीं पर भी किसी भी ग्राम पंचायत में उज्ज्वला गैस योजना का लाभ किसी भी गरीब महिलाओं को नहीं दिया जा रहा है, यह बिल्कुल प्रमाणिक बात है. इस बात पर मैं सरकार को कहना चाहूंगी कि इस वादे को पूरा करें, राज्यपाल जी के अभिभाषण में यह बात आनी चाहिए थी. मैं यह भी बताना चाहूंगी कि मेरी विधान सभा क्षेत्र में अंग्रेजों के शासनकाल में टेकाड़ी जलाशय बना था और वहां से लगभग 45 ग्राम पंचायतों में किसानों को सिंचाई का पानी उपलब्ध होता है, लेकिन जल संसाधन विभाग की मनमानी और लापरवाही के चलते वहां न सफाई हुई है, न नहरों का लाइनीकरण हुआ है जिसके कारण बहुत दुख के साथ कहना चाहती हूं, उन किसान भाईयों के आंसुओं को मैंने देखा है, उनके लिए आंदोलन करने के लिए मैं सड़क पर कई बार उतरी हूं. हर बार उनकी धान की फसल सूख जाती है, वे रोते चिल्लाते रह जाते हैं, न कलेक्टर सुनते हैं, न जल संसाधन विभाग के अधिकारी सुनते हैं तो मैं यह कहना चाहती हूं कि टेकाड़ी जलाशय का सुधार कार्य किया जाए, गहरीकरण किया जाए, जिससे हमारे 45 ग्राम पंचायतों के किसानों की धान न सूखे. हमारा बालाघाट जिला सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में सबसे बड़ा धान उत्पादक जिला है और आज दिनांक तक मैं आपको बताना चाहूंगी कि हमारे जिले में धान की फसल बहुत अच्छी हुई है यह हम सबके लिए बहुत खुशी की बात है. लेकिन हमारे उन अन्न दाताओं को समर्थन मूल्य समय पर नहीं मिल रहा है. धान का इतना उत्पादन और उपार्जन होने के बाद भी भंडारण की कोई व्यवस्था नहीं की गई है, कई बार कलेक्टर का ध्यान आकर्षण कराया, खाद्य अधिकारी का ध्याना आकृष्ट कराया. हजारों क्विंटल धान आज भी खुले आकाश के नीचे पड़ी हुई है, कोई रखरखाव की व्यवस्था नहीं है. थोड़ी सी बारिश आती है फिर धान अंकुरित हो जाती है. यह बहुत गंभीर मसला है. दूसरा मेरा बालाघाट विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत दो विकासखंड आते हैं, एक बालाघाट और दूसरा लालबर्रा आता है, लालबर्रा विकास खंड को हमारे यहां राजनैतिक राजधानी के रूप में जाना जाता है, जहां से स्व. पंडित नंदकिशोर शर्मा जी यहां माननीय मंत्री रहे हैं और यहां पर माननीय आसंदी पर भी माननीय अध्यक्ष रहे विधान सभा के. लालबर्रा में बड़े दुख के साथ मुझे कहना पड़ता है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तो है लेकिन डाक्टर नहीं है, सबसे दुखद बात यह है कि मैं महिला जनप्रतिनिधि हूं तो महिलाओं की पीड़ा को, मैंने करीब से न सिर्फ देखा है, बल्कि कई बार महिलाओं को प्रसव के लिए मैंने खुद अपनी गाड़ी में जिला चिकित्सालय बालाघाट तक छोड़ने का काम किया है. वहां पर स्थिति यह है कि महिला चिकित्सक पूरे समय के लिए नहीं है, हफ्ते में एक या दो दिन लालबर्रा स्वास्थ्य केन्द्र में महिला चिकित्सक आती हैं और मुश्किल से दो या तीन घंटे सेवाएं देकर चली जाती है, जबकि 77 ग्राम पंचायतों की महिलाओं को महिला चिकित्सक से उपचार कराना है या प्रसव का कोई मामला है तो लालबर्रा से बालाघाट जिला मुख्यालय की दूरी 25 किलोमीटर है, बहुत सारे गरीब लोग साधनों के अभाव में वहां तक नहीं पहुंच पाते जिसके कारण प्रसव की गंभीर पीड़ा से जूझती हुई हमारी महिलाओं बहनों को बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और कई बार वे काल के गाल में समा जाती हैं.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी आसंदी को हृदय से आभार व्यक्त करुंगी और यही कहना चाहती हूं कि महामहिम राज्यपाल जी इन सारी पीड़ाओं को समझें, ग्रामीण जन की समस्याओं को हमें देखना पड़ेगा, जब तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहते थे कि अगर भारत की असली तस्वीर देखना है तो गांवों में जाकर देखो, खेतों में जाकर देखो,खलिहानों में जाकर देखो क्योंकि असली भारत गांव में बस्ता है और एक बात मैं और कहना चाहता हूं अंत में बस दो मिनिट का समय आपका और लूंगी. मैं बस इतना ही कहना चाहती हूं कि हम सब भगवान श्री राम जी के भक्त हैं, हमने बचपन से जब आंखे खोली जब होश संभाला और जब बचपन में जब हम सोकर उठते थे, तो हमारी दादी मां हम लोगों को रामायण की चौपाई सुनाती थी, दोहे सुनाती थी, तो इसलिये मैं माननीय हमारे सत्ता पक्ष के सभी सदस्यों से यही कहना चाहूंगी कि आप राम भक्त हैं, तो हमारी रामभक्ति पर भी आप अंगुली न उठायें, हम सब धर्म परायण भारत देश के नागरिक हैं और भारतीय सभ्यता और संस्कृति का सम्मान करना, हमारी दादी ने, नानी ने, हमारे बुजुर्गों ने हमारे पुरखों ने हमें सिखाया है और उस सभ्यता और संस्कृति को लेकर हमें चलना है और अपने भारत देश को दुनिया में नंबर एक पर लाने का हम सब को मिलकर प्रयास करना है. आरोप प्रत्यारोप लगाने से कुछ नहीं होगा, अगर हम मिलकर काम करेंगे तो बेहतर काम करेंगे. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया,इसके लिये हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं, और सदन के सभी सम्मानीय सदस्यों को सादर नमन करती हूं प्रणाम करती हूं, जय हिन्द, जय भारत, जय लोकतंत्र, जय सीताराम.
श्री ओमप्रकाश ध्रुर्वे -- आप आयोध्या गई की नहीं गईं.
श्रीमती अनुभा मुंजारे -- जी आदरणीय मैं अयोध्या आज से पांच साल पहले गई थी और भगवान राम जी की कृपा होगी तो बहुत जल्दी जाउंगी.
डॉ. तेजबहादुर सिंह चौहान (नागदा-खाचरौद) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन में महामहिम राज्यपाल महोदय जी के अभिभाषण पर अपना धन्यवाद, कृतज्ञता व्यक्त करने के लिये खड़ा हुआ हूं. सरकार ने केन बेतबा परियोजना के समान ही अभी जो चंबल, पार्वती, कालीसिंध लिंक योजना की स्वीकृति प्रदेश में दी है, इससे विकास के एक नये आयाम लिखे जायेंगे, मालवांचल के किसानों को जहां उन्नत होने का अवसर मिलेगा, 35 हजार करोड़ रूपये की लागत से यह परियोजना लागू होगी, जिसमें लगभग 35 हजार से ज्यादा 3 लाख 37 हजार हैक्टेयर भूमि से ज्यादा सिंचित होगी. यह प्रदेश के विकास में एक महत्वपूर्ण स्थान बनेगा, इसी तरह से मध्यप्रदेश की सरकार भारत सरकार के सहयोग से 10 हजार करोड़ रूपये से अधिक लागत की 724 किलोमीटर सड़कों को बनाने का काम करने वाली है, जिससे मध्यप्रदेश में उद्योग व्यापार और पर्यटन के क्षेत्र को भी बढ़ावा मिलेगा, वहीं रोजगार के संसाधन भी आगे बढ़ेंगे, इसी तरह मध्यप्रदेश की सरकार ने संत शिरोमणि पूज्य संत रविदास जी की पावन स्मृति में प्रदेश के 30 अनुसूचित जाति बाहुल्य जिलों में संत रविदास स्मारक बनाने का और स्मारक के साथ ही सह सामुदायिक भवन बनाने का जो निर्णय लिया है, सरकार का सामाजिक समरसता में यह एक महत्वपूर्ण फैसला है. इसी तरह सरकार प्रदेश के 55 जिलों में, 55 शासकीय महाविद्यालयों को एक जिले में एक जो पी.एम.उत्कृष्टता महाविद्यालय उन्नयन का काम करने वाली है, इससे जहां हमारी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में संसाधनों के विकास को गति मिलेगी, वहीं प्रदेश में 22 नये आई.टी.आई कॉलेज खोलकर मध्यप्रदेश की सरकार एक महत्वपूर्ण काम करने जा रही है. इसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश की सरकार ने संभाग में हर संभागीय मुख्यालय पर संभाग में एक स्थान पर आयुर्वेदिक चिकित्सा महाविद्यालय खोलने का जो निर्णय लिया है, यह भी अपने आपमें सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है, प्रदेश में जहां हम देखा करते थे कि केवल मात्र 5 मेडीकल कॉलेज हुआ करते थे, वहीं सरकार के 14 मेडीकल कॉलेज चल रहे हैं, 10 नये मेडीकल कॉलेजों की स्थापना के लक्ष्य को सरकार आगे बढ़ा रही है, उज्जैन में विक्रम उत्सव और भव्य व्यापार मेले के आयोजन का सरकार का जो अपना निर्णय है, निश्चित रूप से यह विकास की दृष्टि से, व्यापार की दृष्टि से प्रदेश को एक नया बढ़ावा देने वाला काम होगा. मध्यप्रदेश की सरकार ने थानों के परिसीमन में एक जो नया संशोधन प्रस्तुत किया है. हम सब लोगों की राय से मैं समझता हूं कि यह भी सरकार का एक अनुकरणीय कार्य है, रीवा और उज्जैन में अत्याधुनिक एयरपोर्ट की स्थापना करने का लक्ष्य सरकार ने तय किया है. मैं सरकार को इस बात के लिये भी बधाई देना चाहता हूं. प्रदेश में एयर एबुंलेंस प्रारंभ करने का निर्णय भी सरकार का स्वागत योग्य है, इसके लिये भी मैं सरकार के लिये अपनी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं. और इन सबके साथ में, मैं चूंकि उज्जैन के नागदा से निर्वाचित होकर आता हूं इसलिये आईटीआई जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के माध्यम से फ्यूचर जॉब स्किल कोर्सेस में 7 हजार युवाओं को प्रशिक्षण दिलाने की जो योजना सरकार ने बनाई है वह अनुकरणीय कार्य है और इन सबके साथ में आईआईटी इंदौर के द्वारा देश में शोध आधारित प्रथम आईआईटी डीप डेक रिसर्च और डिस्कबरी केम्पस की स्थापना जो उज्जैन में की जा रही है, लगभग 474 करोड़ रूपये की लागत से स्थापित होने वाला यह देश का अपनी तरह का एक अनूठा संस्थान होगा जो भविष्य की प्रौद्योगिकी में विश्वस्तरीय अनुसंधान केन्द्र बनेगा. मैं मध्यप्रदेश की सरकार को इस बात के लिये भी धन्यवाद ज्ञापित करते हुये अपनी बात को यहीं पर समाप्त करता हूं. धन्यवाद.
श्रीमती सेना महेश पटेल (जोवट)-- सम्मानीय अध्यक्ष महोदय, आज सदन में पहली बार बोलने का मुझे अवसर प्राप्त हुआ है. मैं सदन को, अध्यक्ष महोदय को धन्यवाद देना चाहूंगी, साथ ही अभिभाषण में जिस तरह से उल्लेख किया गया है. मैं मेरे विधान सभा क्षेत्र के जो अति आवश्यक कार्य हैं उनका उल्लेख करना चाहूंगी. अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले ऊर्जा विभाग विद्युत जो कि ग्रामीण क्षेत्र में हमारे अभी फसल उत्पादन का समय चल रहा है, खेत खलिहानों में मोटर पम्प के द्वारा पानी देने का समय चल रहा है और ऐसे समय में बिजली कटौती होना, बिजली नहीं मिलना हम किसानों के लिये एक बहुत बड़ी समस्या है. अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहूंगी की वहां पर हमारे जिले में ग्रिड लगाने की व्यवस्था की जाये ताकि किसानों को समय पर पर्याप्त पानी प्राप्त हो सके. अध्यक्ष महोदय, मैं आपको यह अवगत कराना चाहती हूं कि जोबट में खेल विभाग की तरफ से खेल स्टेडियम की पूर्व मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने घोषणा की थी उसका काम अभी स्टार्ट नहीं हुआ है, मैं आपके संज्ञान में लाना चाहती हूं कि खेल स्टेडियम जल्दी से जल्दी चालू किया जाये. उसके बाद हमारे अलीराजपुर जिले में मुख्यमंत्री महोदय जी का भाषण गणतंत्र दिवस के संदेश वाचन में उल्लेख किया गया था कि हर जिला मुख्यालय पर एक मेडिकल कॉलेज खोला जायेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपको अवगत कराना चाहते हैं कि हमारे जिले में एक मेडिकल कॉलेज और एक इंजीनियरिंग कॉलेज खोला जाये. हमारे जोबट विधान सभा में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के द्वारा 100 बिस्तर का अस्पताल खोलने की एक घोषणा की गई थी लेकिन हमारे पूर्व मुख्यमंत्री जी के द्वारा जो घोषणा की गई वह भी अभी तक अमल में नहीं आई है, 100 बिस्तर का अस्पताल खुलने से अलीराजपुर जिले के जितने भी स्वास्थ संबंधी मरीज हैं उनका स्वास्थ खराब होने के कारण उनको तत्काल गुजरात रेफर कर दिया जाता है तो निश्चित ही यह अस्पताल बनने से हमारे लिये एक अच्छा साबित होगा. इस तरह से माननीय अध्यक्ष महोदय, आज तक हम शुरू से सुनते आ रहे हैं कि हर वर्ष 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने की बातें होती हैं, लेकिन अध्यक्ष महोदय हमारे युवाओं का भविष्य किस तरह से अंधकारमय होता जा रहा है. मैं पूछना चाहूंगी कि क्या युवाओं को रोजगार मिलेगा या नहीं, युवाओं की ऐज बढ़ती जा रही है. और हमारे देश के युवा पलायन करने के लिये मजबूर हो रहे हैं. मैं चाहूंगी अध्यक्ष महोदय कि युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार दिया जाए क्योंकि बैकलाग के पद पहले से खाली पड़े हुए हैं इनकी भर्ती की जाए. इसी तरह से आज हमारा किसान परेशान है उनको खाद,बीज समय पर नहीं मिल रहा है. हमारे किसान खेती पर निर्भर रहते हैं उनको समय पर खाद और बीज उपलब्ध होना चाहिये. मैं निवेदन करूंगी कि संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का आदेश हो चुका है लेकिन उसके ऊपर अमल नहीं हुआ है. हमारा एक यह भी मुद्दा है कि खाद्यान्न विभाग ग्रामीण क्षेत्र में समूह के माध्यम से राशि देता है. अध्यक्ष महोदय, आपको अवगत कराना चाहूंगी कि ग्रामीण क्षेत्रों में कहीं 5 महिने से,कहीं 3 महिने से खाद्यान्न नहीं मिलता. ग्रामीणों को बिल्कुल भी खाद्यान्न नहीं मिल रहा है. इसको गंभीरता से संज्ञान में लें ताकि ग्रामीण लोगों को समय-समय पर खाद्यान्न मिलता रहे. इसी तालमेल के साथ मैं आगे बढ़ती हूं. हमारे जिले में नलजल योजना जो चालू हुई थी वह पूरी तरह से फेल हो चुकी है. ग्रामीण जिस तरह से परेशान हो रहे हैं ग्रामीण क्षेत्र में आज मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मेरे अलिराजपुर जिले का विधान सभा क्षेत्र जोबट जो कि गुजरात से लगा हुआ क्षेत्र है. गुजरात से लगी हुई बार्डर पर आज भी ग्रामीण क्षेत्र के लोग कुंए का पानी भी नहीं बल्कि नाले का पानी पीने को मजबूर हो रहे हैं. आप इस बात को संज्ञान में लें कि वहां न तो हैंडपंप मिल रहा है न ही वहां नलजल योजना सफल हुई है. इसीलिये जमीन पर ग्रामीणों की जिस तरह से हमको पीड़ा देखने को मिलती है मुझे बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि अगर नाले का पानी और झिरी का पानी ग्रामीण पिएंगे तो उनके बहुत जल्दी बीमार होने की संभावना है. इसके ऊपर विशेष ध्यान दिया जाए. अध्यक्ष महोदय, हमारे अलिराजपुर का कठियावाड़ ब्लाक, जिसे हम मिनी कश्मीर के नाम से हम पहचानते हैं. वहां पर जाने के लिये कई वर्षों से रोड नहीं है. पहुंच मार्ग 15 से 20 कि.मी. का जो है जिला मुख्यालय पहुंचने के लिये,कठियावाड़ पहुंचने के लिये, अगर कोई बीमार हो जाता है. कोई डिलेवरी केस आता है. कोई अचानक बीमार होता है. 108 बिल्कुल वहां नहीं पहुंच पाती है. ग्रामीण क्षेत्र के लोग पगडंडी से चारपाई पर उठाकर लाते हैं और समय पर नहीं पहुंचने से उस व्यक्ति की मृत्यु तक हो जाती है और एक केस ऐसा आया कि जो डिलेवरी केस था.108 नहीं पहुंची तो आधे रास्ते में डिलेवरी हो जाती है और वह बच्चा मर जाता है. ऐसी स्थिति में आपको इस विषय को गंभीरता से लेना चाहिये. मेरे यहां ब्लाक वाईज कई जगह पर रोड की व्यवस्था नहीं है और न तालाबों की व्यवस्था है, न डैम की व्यवस्था है, न पाईप की व्यवस्था है. इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. एक मेरा प्रश्न यह है कि शिक्षा विभाग में जिस तरह से एक-एक व्यक्ति एक ही जगह पर दस-दस साल से स्थापित है. हमारा नियम यह कहता है कि तीन-तीन साल में उसे बदल देना चाहिये लेकिन कोई उन्हें बदल नहीं रहा है और शिक्षा विभाग का स्तर पूरी तरह से नीचे गिर रहा है. इसको संज्ञान में लिया जाए और जिस तरह से शराब माफियाओं का बोलबाला चल रहा है उसको भी आपको संज्ञान में लेना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, यह मेरा आपसे अनुरोध है. आपने मुझे इस सदन में बोलने का अवसर दिया.आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. जय हिन्द.
श्री प्रीतम लोधी (पिछोर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय जी को प्रणाम और यहां सदन में बैठे हुए सारे बुद्धिजीवी नेतागण, मेरा प्रणाम स्वीकार करें. अभी जो राज्यपाल जी का अभिभाषण हुआ था, कुछ लोग विरोध में बोले, कुल लोग समर्थन में बोले. जो मोदी जी का भाषण हुआ था, मोदी जी की योजनाओं के बारे में बताया था, उन योजनाओं में से मैं एक योजना के बारे में आपको बताना चाहता हूँ. जो मोदी जी ने किया. जो हमारी माताओं-बहनों का सम्मान भारतवर्ष के अंदर लौटाया. जो अपमान होता था, वह मैं आपको बता रहा हूँ, जो हमारे मोदी जी ने शौचालय के रूप में गांव-गांव में हमारी माताएं-बहनें जो अपमान सहन करती थीं, घर-घर पर शौचालय देकर हमारी माताओं-बहनों को सम्मान के रूप में दिया. हमारे कांग्रेसी लोग इसको बहुत उठाते थे, मैं उनसे भी आग्रह करना चाहता हूँ कि आपकी माताओं और बहनों को भी मोदी जी ने सम्मान दिलाया है. इसमें दो-तीन चीजें हैं, इसके बारे में मैं आपको बताना चाहता हूँ. हमारी माताएं-बहनें भारतवर्ष के अंदर सड़कों पर शौच के लिए जाती थीं, कितना अपमान सहती थीं. आज मोदी ने इस पर विचार करके एक भी घर हिन्दुस्तान में नहीं छोड़ा, जहां शौचालय बनाकर हमारी माताओं-बहनों को सम्मान न दिलाया हो...(व्यवधान)...
श्री दिनेश गुर्जर -- शौचालयों में पानी नहीं है. पानी की टंकी नहीं है. बीमारी का घर हो रहा है. ...(व्यवधान)...
श्री दिलीप सिंह परिहार -- पहली बार बोल रहे हैं, बोलने दो, जब आपका समय आए तब बोलना, उनको बोलने दो. ...(व्यवधान)...
श्री प्रीतम लोधी -- दिनेश भैया, हमने टैंकर भी लगवा दिए हैं. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- दिनेश जी, अभी आपका नाम है. आप अभी बोलोगे, दूसरे लोग बाद में बोलेंगे.
श्री प्रीतम लोधी -- हमारी माताएं-बहनें लकड़ी लेने के लिए जंगल में जाती थीं, हमारे मोदी जी ने गैस सिलेण्डर देकर उनका सम्मान बढ़ाया. हमारी माताएं-बहनें, दिनेश जी, आपने गांव में देखा होगा कि एक किलोमीटर, दो किलोमीटर दूर कुएं से पानी लेकर आती थीं. रात को, दिन में पानी लेने जाती थी, तो सोचिए माताएं-बहनें घर से निकल कर जाती थीं, तो इनके संग में क्या-क्या होता था. जंगल में लकड़ी बीनने के लिए, कण्डे बीनने के लिए जाती थीं तो क्या-क्या होता था. सोचिए, रात को शौच को जाती थीं हमारी माताएं-बहनें, लोटा लेकर जब जाती थीं तो वह लोटा एक परमिट के रूप में होता था. रात को एक बजे हमारी जवान माताएं-बहनें जाती थीं, हमारे नवजवान साथी अगर एक बजे लोटा लेकर बाहर निकलते थे, तो वह लोटा उनका परमिट होता था, तो हम उनसे बोल नहीं पाते थे कि आप कहां जा रहे हो. ये हमारे मोदी जी इस लोटे के परमिट को निरस्त करके गांव-गांव में, घर-घर में शौचालय बनाकर हमारे सम्मान के रूप में यह चीज दी है. यह सबसे चीज जो हमारे हिन्दुस्तान को, माताओं-बहनों को, वह शौचालय बनाकर दी है मेरे भाइयों. तुमको भी इस चीज पर गर्व करना चाहिए. तुम्हारे भी माताओं को और बहनों को हमारे मोदी जी ने, हमारे मुख्यमंत्री जी ने लाड़ली बहना योजना के तहत साढ़े बारह सौ रुपये देकर कितना बड़ा सम्मान किया है. इस पर भी आपको गर्व करना चाहिए. वह मैं आपसे कहने जा रहा हूँ मेरे भाइयों, एक समय वह भी था, गांव के अंदर एक जमींदार हुआ करते थे. उसके लड़के की शादी थी. जब डोली में बैठकर बहू आई तो पूरा गांव देखने आ गया कि भई जमींदार जी की बहू आई है. पूरा गांव चेहरा देखने के लिए तरस रहा था. अब चेहरा कैसे दिखे. वो सो साड़ी पहने हुए थी, ऊपर से शॉल पहने थी, ऊपर से डोली पर पर्दा डला हुआ था. हमारे सम्माननीय बुजुर्गगण बैठे हुए थे. वे गांव वालों से पूछने लगे, बेटा, क्या देख रहे हो, कहने लगे कि हम गांव के जमींदार की बहू को देखने आए हैं. बोला आप लोगों को अगर देखना ही है तो सवेरे पांच बजे जल्दी चले जाना, क्या देखना है, वह देख लेना. दोस्तों, ये समय देखा हुआ है. ये समय हमारे मोदी जी ने दिया है कि आज हमारे घर के अंदर शौचालय बनाकर के हमारी माताओं-बहनों को...
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, आपत्तिजनक शब्द सदन में बोले जा रहे हैं. मुझे आपत्ति है, यहां महिला विधायक भी बैठी हुई हैं.
श्री प्रीतम लोधी -- मैं सम्मान की बात कर रहा हूँ बहन जी.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी -- इस तरह की बात आपको शोभा नहीं देती. अध्यक्ष जी, इन्होंने आपत्तिजनक बात कही है. मुझे आपत्ति है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, ये सीधे बात न करें. आपसे अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय -- हां, बताइये, बताइये.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, आप इसमें से ये सारे शब्द हटाइये. जिस तरह से इन्होंने बोला है, वह सही नहीं है. माताओं बहनों का यह अपमान है.
अध्यक्ष महोदय - कोई शब्द ऐसा होगा, तो मैं देख लूँगा.
श्री अभय कुमार मिश्रा - अध्यक्ष महोदय, इन्होंने यह बोला है कि सुबह 5 बजे जो देखना है, वह देख लेना. यह शब्द अच्छा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - प्रीतम जी, आप आगे बढ़ो.
श्री प्रीतम लोधी - यह देन किसकी है, नेताजी यह मोदी जी की देन है. जो सम्मान दिया है, मैं उसकी बात कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय - प्रीतम जी, आप अगले विषय पर आइये.
श्री रामनिवास रावत - आपको यह पता है कि यह योजना कब से चालू है ?
अध्यक्ष महोदय - रामनिवास जी, यह पहली बार के विधायक हैं.
श्री प्रीतम लोधी - आप मेरी बातों में ऊंगली मत करो. मैं जो बोल रहा हूँ, वह मुझे बोलने दीजिये. आप जब बोलते हो, तो मैं नहीं बोलता हूँ, आप यह ध्यान रख लेना.
अध्यक्ष महोदय - प्रीतम जी, आप विषय पर आओ. आपके पास समय कम है, आपका एक मिनट पूरा हो गया है.
श्री प्रीतम लोधी - अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी बात को सम्मान देता हूँ. मैं नहीं बोल रहा हूँ. आप जब बोलेंगे तो मैं ऊंगली करूंगा तो इनको समझ में आएगी. धन्यवाद.
श्री साहब सिंह गुर्जर - प्रीतम भाई साहब, आपने नीली पगड़ी बांधी थी, वह कहां है ?
श्री प्रीतम लोधी - आपको नीली पगड़ी भी बता देंगे.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग टोका-टाकी मत करो.
श्री चैन सिंह बरकड़े (निवास) - अध्यक्ष महोदय, अभी राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के पक्ष और विपक्ष में बहुत सारे माननीय सदस्यों ने अपनी बातें रखीं. सत्ता पक्ष के लोगों ने कहा कि देश के साथ मोदी जी के आने के बाद, पूरे प्रदेश का सम्पूर्ण विकास हो गया, पर मैं बड़े खेद के साथ कहना चाहता हूँ कि मैं मण्डला जिले के निवास विधान सभा क्षेत्र से आता हूँ, जो आदिवासी जिला है. क्या उस विकास की मुख्यधारा से आदिवासी जिलों को छोड़ दिया गया है ? आप सभी उस जिले के बारे में मीडिया के माध्यम से सभी तक बात पहुँचती है कि मण्डला जिला जो आदिवासी जिला है, जिसमें निवास विधान सभा भी है, पूरे जिले में बेरोजगारी की बहुत बड़ी समस्या है, हमारे जिलों के लोग दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं और वहां जाकर अपना जीवन-यापन करते हैं, पर कहने को बरगी बांध जबलपुर जिले में बना है, पर पूरा डूब क्षेत्र मण्डला जिले में है. ऐसी क्या मजबूरी है कि मण्डला जिले में बरगी बांध का भराव है, पर मण्डला जिले का किसान उसका उपयोग नहीं कर सकता. अभी दिनांक 7 जून, 2023 को, हम विगत कई वर्षों से लिफ्ट एरिगेशन की निवास क्षेत्र के लोग मांग कर रहे हैं. मण्डला जिले के बबलिया में पूर्व मुख्यमंत्री जी का कार्यक्रम था, वहां भी हम सबने उनसे निवेदन किया था और लिफ्ट एरिगेशन की घोषणा हुई थी. लेकिन आज तक वह सिर्फ घोषणा ही है, उसकी पूर्ति नहीं हो पाई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सारे हमारे माननीय सदस्यों ने बार-बार इस बात को सदन में दोहराया कि एक समय था कि इस प्रदेश में पांच मेडिकल कॉलेज थे, आज 24 मेडिकल कॉलेज हैं. मैं उसके लिए धन्यवाद देता हूँ. परंतु मैं, मंडला जिले की बात यहां कर रहा हूं कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सिविल अस्पताल का बोर्ड परिवर्तित हो गया, मैं, निवास विधान सभा क्षेत्र की बात कर रहा हूं लेकिन वहां के अस्पताल में लगभग 15-20 वर्षों में बाद, आज भी केवल 3 डॉक्टर पदस्थ हैं. यह बड़े दुर्भाग्यपूर्ण का विषय है कि निवास के सिविल अस्पताल में आज भी माताओं-बहनों का प्रसव एक पुरूष डॉक्टर द्वारा करवाया जाता है. हम विकास की बहुत बातें करते हैं लेकिन मेरा निवेदन है कि यहां के हमारे माननीय वरिष्ठ सदस्यों की एक टीम बनायें और आदिवासी जिले का भ्रमण करवायें कि कागजी आंकड़े क्या कहते हैं और जमीन में हकीकत क्या है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां स्कूल खुले हैं. शासकीय स्कूल था, उत्कृष्ट स्कूल का बोर्ड बदल गया, अब वहां सी.एम.राईज़ स्कूल का बोर्ड लग गया है, नाम देखकर पालक वहां अपने बच्चों का एडमिशन करवाते हैं लेकिन वहां 700 बच्चे हैं और केवल 15 शिक्षक हैं, वहां पढ़ाई कैसे संभव होगी ? केवल स्कूल का बोर्ड बदलने से जिले और प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था नहीं बदलेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हर विभाग में यही कहानी है. हल्के हैं, पटवारी नहीं हैं. किसान परेशान है, नामांतरण और बंटवारे का काम नहीं हो पा रहा है. कहते हैं भारत कृषि प्रधान देश है, कृषि विभाग की बात करें तो ग्रामीण क्षेत्रों में कोई अमला नहीं है. केवल 2-4 लोग ऑफिस में बैठकर विभाग को चला रहे हैं. किसानों को उससे कोई लाभ नहीं हो पा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जल जीवन मिशन के माध्यम से घर-घर पानी पहुंचाने की बात की जा रही है. हमारे PHE मंत्री जी मंडला से ही हैं. मेरे विचार से यदि मैं पूरे मंडला जिले की बात करूं तो आज तक केवल 5 प्रतिशत गांवों को भी पानी नहीं मिल पा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यही हाल विद्युत विभाग का है, उनके पास कर्मचारी नहीं है. अटल योजना के तहत गांव-गांव के, घर-घर में बिजली पहुंचाने की बात होती है और यहां सदन में भी यही चर्चा होती है लेकिन विद्युत विभाग में भी यही हाल है, गांव के 4 घरों तक बिजली पहुंचाकर, गांव में संपूर्ण विद्युतीकरण हुआ मान लिया जाता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, यही कहना चाहता हूं कि प्रत्येक विभाग की यदि आदिवासी क्षेत्रों में बात करें तो चाहे PMGSY की बात हो, गांव के बाहर स्कूल है, स्कूल तक सड़क पहुंचा दी और गांव पक्की सड़क से जुड़ गया. आज भी गांव के लोग सड़क से अछूते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्यम से यही कहना चाहता हूं कि इन सभी चीजों को देखने के लिए, जिनकी यहां सदन में बात होती है, एक समिति बने और जिलों में जाकर, ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर, हम देखें कि सत्यता क्या है, वास्तविक आंकड़े आप सभी को मिल जायेंगे. आपने मुझे यहां बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- मरकाम जी, थोड़ा संक्षिप्त में अपनी बात रखियेगा, अभी और लोग बोलने के लिए हैं. इसके पश्चात् नेता प्रतिपक्ष को भी बोलना है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (डिण्डोरी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत ही गंभीर परिस्थिति से हमारा प्रदेश और देश गुजर रहा है. ऐसी स्थिति में जब लोकतंत्र के पवित्र मंदिर में, सरकार अपनी नीति और नीयत स्पष्ट करती है तो राज्यपाल महोदय अपने अभिभाषण के दौरान, उन नीति और नीयत के विषय में अपना पक्ष रखते हैं. मेरा उद्देश्य यह नहीं है कि मैं, टिप्पणी करूं या नकारात्मक बात करूं. परंतु मैं, इस बात को विश्वास के साथ कहना चाहूंगा कि सदन में पहली बार भारत सरकार के जिम्मेदार बड़े-बड़े लोग, आप हो गया, प्रहलाद जी, कैलाश विजयवर्गीय जी, उदय प्रताप सिंह जी हैं, आप सभी जब इस सदन में हैं तो हमें भी उम्मीद है कि पक्ष-विपक्ष की आलोचनाओं के साथ, एक सकारात्मक चर्चा होनी चाहिए. आज प्रदेश के युवाओं का भविष्य, जब हम बेरोजगारी की बात करते हैं तो स्व-रोजगार से जुड़ा हुआ विषय आता है. लेकिन जब हम दैनिक दिनचर्या पर बात करते हैं तो जिस तरह से युवाओं का भविष्य नशे की चपेट में पूरी तरह से फंसते जा रहा है चाहे पक्ष के हों, चाहे विपक्ष के हों, चाहे ब्यूरोक्रेट हों या ज्यूडीशरी के हों, सभी लोग इस बात के लेकर के चिंतित हैं कि आखिर उनके बच्चों का भविष्य क्या होगा. एक तरफ जो हालात जनमानस के बीच में बनते जा रहे हैं और जो परिस्थिति निर्मित होती जा रही है यह गंभीर विषय है और इस पर एक गंभीर चर्चा होने की आवश्यकता है. आज मैं आपके बीच में इस बात को लेकर चिंतित हूं कि हम लोगों ने पूर्वजों के शब्दों से जो परिकल्पना की थी कि किस तरह से सच्चाई का वातावरण निर्मित होता है परंतु आज हम देख रहे हैं कि असत्यता पर असत्यता, असत्यता पर असत्यता चाहे जल की उपलब्धता पर हो, चाहे स्वास्थ्य की उपलब्धता हो, चाहे शिक्षा की उपलब्धता हो, चाहे सांस्कृतिक विरासत को सहेजने की बात हो या हमारे भविष्य के निर्माण की बात हो आज पक्ष और विपक्ष सत्ता प्राप्ति की दौड़ में इस तरह से अपने आचरणों का प्रदर्शन करते रहेंगे तो आखिर भविष्य किधर जायेगा. आज हमारे विधायक साथी जो निर्वाचित होकर आए हैं कुछ दिनों के बाद लोकसभा की आचार संहिता लगने वाली है, चुनाव में जा रहे हैं, आज विधायक साथियों के बीच में कितनी उनकी उपलब्धता, आर्थिक संपन्नता के साथ है कि कहां पर किस गरीब को वह क्या दे पा रहे हैं, कहां पर उनके अधिकारी सुन रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही गंभीर विषय है और मैं कहना चाहूंगा कि सत्ता प्राप्ति की दौड़ में हम इस तरह से निर्णय न लेते जाएं कि आने वाला भविष्य हमें माफ न करे. आज मैं आपको नशे के बारे में बताना चाहता हूं. मां नर्मदा जी मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी मां हैं. मां नर्मदा की अमृत धारा को शुद्ध बनाए रखने के लिए मां नर्मदा जी के किनारे नशा मुक्ति का सरकार ने प्रयास किया. हमने हृदय से स्वागत किया परंतु आज मैं आपको बताना चाहता हूं कि नर्मदा जी के किनारे बसे हुए जो शहर हैं चाहे मंडला हो, चाहे डिंडौरी हो, चाहे अमरकंटक हो मोबाइल से यदि मिस्ड कॉल मार देते हैं तो उनके घर में शराब पहुंच जाती है. अगर मैं यह बात कहूंगा तो आप कहेंगे कि विपक्ष का विधायक है सुनना ही नहीं है. मैं आपसे यह अनुरोध करना चाहता हूं कि राज्यपाल ने जितने विषयों पर बात की है चाहे अमृतकाल की बात की है हमारा अनुरोध है कि अमृतकाल की जो बात है वह धरातल पर भी दिखे. आज हमारे स्कूल शिक्षा मंत्री जी एक स्कूल के लिए दस लाख रुपए नहीं दे पा रहे हैं और प्रगति की बुनियाद पर अमृतकाल है. दूसरे प्रदेशों में मनरेगा की दर क्या है. आप हिमाचल में जाकर देख लीजिए, आप पंजाब में जाकर देख लीजिए और हमारे मध्यप्रदेश में आपने कभी इस विषय पर पहल नहीं की कि हमारी मजदूरी की दर भी सभी प्रदेशों की मजदूरी की दर के समतुल्य हो जाए. हमारे यहां यह 221 रुपए है और वहीं दूसरे प्रदेश में 480 रुपए तक की मजदूरी मनरेगा में डिक्लेयर है. क्या इस पर प्रयास नहीं होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- मरकाम जी आप अपना भाषण समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 16 तारीख को मां नर्मदा जी की जयंती है मेरा मानना है कि साढ़े आठ करोड़ मध्यप्रदेशवासी सौभाग्यशाली हैं कि मां नर्मदा का उद्गम हमारे यहां है मां नर्मदा जयंती पर आपने हमारी क्लास लगा दी है. हम यहां रहें कि वहां जायें. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप हमारे गार्जियन हैं. मध्यप्रदेश में मां नर्मदा जी की जयंती पर हम मां नर्मदा जी का उत्सव न मना पाएं आपने हमारी यहां क्लास लगा दी तो मेरा अनुरोध है कि आप विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए 16 तारीख को नर्मदा जयंती के लिए हम लोगों को इजाजत़ दें. मैं चाहूंगा कि इसमें सत्ता पक्ष की भी कृपा हो जाये.
श्री सोहनालाल बाल्मीक-- अध्यक्ष महोदय, आप सदन 15 तारीख को ही समाप्त कर देना.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- मैं आप सभी से निवेदन करना चाहूंगा माननीय राव साहब, माननीय विजयवर्गीय जी, माननीय राकेश सिंह जी..
अध्यक्ष महोदय-- यह सभी नर्मदा पुत्र हैं. आपकी बात सुन रहे हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- मेरा अनुरोध है कि इतनी कृपा हो जाए क्योंकि मैं सच्चे सनातन की बात कर रहा हूं. मैं राजनीति के लिए धार्मिक अवसर अपने लिये नहीं लाना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- अब यह दोहराव हो रहा है. नेता प्रतिपक्ष का भी ध्यान रखा जाए.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, एक अनुरोध के साथ एक बात करना चाहता हूँ. प्रदेश का खजाना सभी जगह के लिए खुला है तो माँ नर्मदा जन्मोत्सव के लिए भी कम से कम 100 करोड़ रुपए की राशि नर्मदा उत्सव मनाने के लिए आज मुख्यमंत्री जी यदि घोषित करेंगे तो हम हृदय से स्वागत करेंगे. 100 करोड़ रुपए की राशि जिसमें अमरकंटक से शुरु होकर हमारी सीमा तक उसका उत्सव मनाएं ऐसी में प्रार्थना करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूँ.
श्री दिनेश गुर्जर (मुरैना) -- अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय ने अभिभाषण में शिक्षा और स्वास्थ्य, रोजगार और किसानों के बारे में कोई महत्वपूर्ण चिंतन नहीं किया जिससे कि किसानों को, नौजवानों को, युवाओं को यह लगे कि यह सरकार हमारे प्रति गंभीर है. हमें रोजगार देना चाहती है, किसानों के फसलों के दाम देना चाहती है. आगामी फसल गेहूं की आने वाली है. जब किसान फसल के समय पर अपनी फसल लेकर तुलाई केन्द्रों पर, मंडियों पर जाता है तब उसको तुलाई के लिए 7-7, 8-8 दिन लाइन में लगे रहना पड़ता है. किसान का समय बचे इसलिए तुलाई केन्द्र बढ़ाए जाएं. फसलों की न्यूनतम राशि तय की जाए अन्यथा व्यापारी मनमाने ढंग से फसलों की बोली लगाते हैं और कम दामों में किसानों की फसलें खरीद लेते हैं. किसानों की फसलों की न्यूनतम राशि तय की जाए. जो 50 किलो की बोरी होती है उसका वजन 450 ग्राम होता है और सभी तुलाई केन्द्रों पर 800 ग्राम से 1 किलो बोरी का वजन लिया जाता है. इससे किसान का एक ट्राली पर करीब 1 से 2 क्विंटल का नुकसान होता है. यह बातें छोटी हैं परन्तु किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. जो 15 करोड़ वाली बात है उसमें मैं अपने कांग्रेस के साथियों से कहना चाहता हूँ कि मैं तो दो छायादार वृक्षों के बगल में हूँ. एक तरफ माननीय अध्यक्ष जी का क्षेत्र है दूसरी तरफ माननीय कृषि मंत्री जी का क्षेत्र है. मुझे तो इन वृक्षों का लाभ मिल जाएगा, नहीं मिलेगा तो मैं भी आपके साथ संघर्ष करूंगा यह भरोसा रखना.
अध्यक्ष महोदय -- पूरी छाया मिलेगी, कृपया समाप्त करें.
श्री दिनेश गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई है. ट्रांसफार्मर आए दिन जल रहे हैं. हम लोग कई बार अधिकारियों से चर्चा करते हैं, अधिकारी कहते हैं कि अभी ट्रांसफार्मर नहीं हैं. ऐसी स्थिति में ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ा दें. जो 25 केवी का है उसे 40 केवी का कर दें, 40 वाले को 65 का कर दें, 65 वाले को 100 केवी का कर दें. जिससे किसानों और आम जनता को बिजली की परेशानी न हो. मुरैना शहर में जिस तरह से नालियाँ खुदी पड़ी हैं, सड़क खुदी पड़ी हुई हैं, शहर की जनता परेशान है. मेरी प्रार्थना है कि इसमें नगर निगम और प्रशासन को निर्देश जाएं कि जो भी ठेकेदार काम कर रहा है जो पाइप लाइनों के लिए सड़कों की खुदाई कर रहा है वो पुन: सड़कों की ठीक करे और शहर को साफ-सुथरा बनाए.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे (अटेर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात शुरु करने के पहले 2 अनुरोध करना चाहूंगा. एक तो हमारे सभी सम्माननीय भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं जब वे अपना उद्बोधन देते हैं तो उन्होंने हमारे पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय शिवराज सिंह चौहान साहब का नाम बिलकुल गायब कर दिया है. मुझे सुनकर बड़ा कष्ट होता है क्योंकि उन्होंने इस सदन को 18-19 साल लीड किया है.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- आप तो कमलनाथ जी की चिंता करो.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- बिलकुल, मैं तो आपकी भी चिंता करूंगा.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- यहां की चिंता मत करो.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, मौका देंगे तो मैं आपकी भी चिंता करूंगा.
श्री बाला बच्चन -- राजपूत जी, कमलनाथ जी अपने आप में सक्षम हैं.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- शिवराज सिंह जी भी अपने आप में सक्षम हैं.
श्री बाला बच्चन -- कमलनाथ जी नौंवी बार के सांसद हैं, क्या अपने पास ऐसा कोई है.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- यह 20 साल मुख्यमंत्री रहे हैं.
श्री महेश परमार -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, फिर उनको पश्चिम बंगाल, कलकत्ता क्यों भेज दिया.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी -- इस तरफ ऐसे बहुत से लोग हैं.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- अध्यक्ष महोदय, मुझे आरणीय गोविंद सिंह राजपूत जी के वर्ष 2020 के पूर्व के भी भाषण याद हैं, अगर आप भूल गए होंगे तो कभी आपको यूट्यूब पर पेन ड्राइव के थ्रू दूंगा आप सुनना आप क्या कहते थे. आपको याद दिलाउंगा. जिस तरीके से आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी का नाम गायब हुआ है,16 वें सत्र का जो पहला सेशन था उसमें मुख्यमंत्री जी की जो क्लोजिंग स्पीच थी उसमें उन्होंने लगभग आधे-पौन घंटे का भाषण दिया और एक भी बार माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी का जिक्र तक नहीं किया. मुझे लगा कि शायद मैंने ही गलत सुना होगा, मैंने पूरा भाषण घर पर बुलवाया, उसको पूरा एक-एक बिंदु पढा, कहीं मैंने कहा मामा ही मिल जाए नाम नहीं मिला, लेकिन कुछ भी नहीं मिला, एक भी बार नाम नहीं मिला. अब या तो कोई बहुत बडा अन्याय जब वह उच्च शिक्षा मंत्री थे तब माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी ने किया हो, यह तो वही बता पाएंगे, लेकिन मैं समझता हूं कि इतना अन्याय किसी के साथ नहीं होना चाहिये वह चाहे बीजेपी में हो या कांग्रेस में हों. दूसरा, अनुरोध यह है कि जब सभी सम्मानित सदस्य अपनी स्पीच देते हैं तो बिल्कुल ऐसा अनुभव होता है कि जैसे हम एमएलए बनकर नहीं आये मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट बनकर आये हैं. इतनी बार मोदी जी का जिक्र होता है मानो कि वह यहीं कहीं पर बैठे हुये हैं. ढूंढना भी पडता है, फिर याद आता है कि नहीं हम तो एमएलए हैं और अगर वास्तविकता में संसद का इतना अच्छा अनुभव देना चाह रहे हैं.
श्री अमर सिंह यादव -- तभी तो मोदी-मोदी का नारा लगता है पूरे विश्व में, भारत तो छोडो विश्व में भी मोदी-मोदी का नारा लगता है.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- धन्यवाद. अगर हमको वास्तव में संसद का अनुभव देना चाहते हैं सभी लोग मिलकर ऐसा लग रहा है पांच साल सबने सोच ही लिया है, क्योंकि मुख्यमंत्री जी का तो कोई नाम लेता नहीं है न वर्तमान का, न पूर्व का, तो हमारे जो वेतन-भत्ते हैं, जो सुख सुविधाएं हैं, वह भी पूरे सांसद जैसी कर दीजिएगा तो पूरे तरीके से मजा आएगा. एक एमएलए बनकर आएंगे और मेम्बर ऑफ पार्लियामेंट का भी मजा ले लेंगे, तो मुझे लगता है कि इसके लिये मैं तो आप सबको धन्यवाद दूंगा.
अध्यक्ष महोदय, हमारे मुख्यमंत्री जी ने जो एक पहल की जिसमें चिकित्सा शिक्षा विभाग और स्वास्थ विभाग को मर्ज किया है मैं उसके लिये मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा और वास्तविकता में यह अच्छी पहल है. मैं चाहूंगा और मैं लिखकर भी उनको दूंगा चूंकि अभी मुख्यमंत्री जी नहीं हैं, मैं उनको एक पत्र लिखकर सुझाव भी दूंगा कि इसी प्रकार से एमएसएमई और इंडस्ट्री को भी मर्ज करना चाहिये. एकेव्हीएम और एमपीएसआईडीसी और डीआईसी को भी मर्ज किया जा सकता है. महिला बाल विकास और महिला सशक्तिकरण को भी मर्ज किया जा सकता है क्योंकि इनमें कई सारे रिसोर्सेज अनावश्यक यूज हो रहे हैं. एक मंत्रालय और है आनंद मंत्रालय, जिन्होंने बनाया उनका आनंद ही छीन लिया तो इसको तो बंद ही कर दिया जाए तो ज्यादा उचित होगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं जिस विषय पर बोलने के लिये खडा हुआ हूं उस पर आ जाता हूं. आदरणीय महामहिम राज्यपाल जी का जो अभिभाषण है मैं पूरे अभिभाषण का बिंदुवार विरोध करता हूं, लेकिन मैं एक बिंदु से सहमत हूं और वह है पहला बिंदु. पहले बिंदु में महामहिम राज्यपाल जी ने कहा कि सभी सम्मानित सदस्यों का हार्दिक स्वागत है, मैं इस बिंदु से सहमत हूं. इसके अलावा सारे 58 बिंदुओं का विरोध करता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- सारे बिंदुओं पर मत बोलिये. नेता प्रतिपक्ष जी को भी बोलना है.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- कम कर दूंगा आपका जैसा आदेश होगा. आपके आदेश का पालन तो करना ही पडेगा. 10-12 पर तो बोलने दीजिएगा. थोडा सा उनके समय से भी एडजस्ट कर लूंगा. बडे भैया हैं उनसे रिक्वेस्ट कर लूंगा. माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण का जो दूसरा बिंदु है उसकी अंतिम लाइन में उन्होंने लिखा है यदि भारत लोकतंत्र की माता है तो यह सदन लोकतंत्र का मंदिर है. निश्चित ही हम भी मानते हैं इस बात को लेकिन सिर्फ छाप देने से यह प्रतीत नहीं होता है. जितने भी सही आंकडे विपक्ष प्रस्तुत करता है उसको दबाने का प्रयास करता है और गलत तथ्य भी इस सदन में दिये जा रहे हैं. जब मैं पिछले अनुपूरक बजट पर बोल रहा था तब मेरे सभी सम्मानित सदस्य माननीय उप मुख्यमंत्री जी भी सुन रहे थे, हमारे आदरणीय विश्वास सारंग जी भी सुन रहे थे और सबने मुझे भरपूर टोंका और मैंने कहा था कि मैं आपको अपने आंकडे उपलब्ध करवाउंगा तो मैंने जो आंकडे उस दिन दिये थे उनको पहले आपको उपलब्ध करवा देता हूं. मैं समझता हूं कि यह विनियोग लेखे वर्ष 2022-23 की जो किताब पटल पर रखी गई इस किताब के आंकडों से शायद अध्यक्ष जी, आप भी, विश्वास सारंग जी और माननीय उप मुख्यमंत्री जी भी सहमत होंगे और यदि इसको डिसऑन करते हैं तो फिर मैं आगे नहीं बढूंगा. मैं समझता हूं कि आप इसको ऑन करते होंगे. इस विनियोग लेखे वर्ष 2022-23 में मैंने एक उदाहरण दिया था, मैंने कहा था कि कितना पैसा पिछले वर्ष लैप्स हुआ, मैंने यह बताया था जिसको सब लोग चैलेंज कर रहे थे. मैंने कहा कि राजस्व मद में लगभग 35,593 करोड रुपये लैप्स हुआ. वैसे ही कैपिटल एक्सपेंडिचर पूंजीगत मद में 14,980 करोड रुपये लैप्स हुआ. अब यदि कोई मेरी बात को चैलेंज करना चाहे तो मैं उनको कहूंगा रोमन लेटर्स में इसमें पेज नंबर 15 का आप अवलोकन कर लीजिएगा. कहें तो मैं खोलकर भी दिखा दूं. यह पेज नम्बर 15 यह अण्डर लाइन किया हुआ है, आप इसका अवलोकन कर लीजियेगा कि मेरे आंकड़े सही हैं कि नहीं, यह आपको खुद आपके द्वारा प्रस्तुत किताब बता देगी. मैंने 3 उदाहरण भी दिये थे. एक मैंने उदाहरण दिया था पीएचई विभाग का, जिसमें मैंने कहा था कि विभागीय सम्पत्तियों के संधारण में 667 लाख के विरुद्ध मात्र 140 लाख रुपये व्यय हुआ. पेज नम्बर 96 इसी किताब का आप चेक कर लीजियेगा कि यह गलत है कि सही है. एक और उदाहरण दिया था पशुपालन विभाग का कि पशुपालन विभाग के मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना में 53 करोड़ के विरुद्ध मात्र 21 करोड़ रुपये व्यय हुआ. पेज नम्बर 73 इसी किताब का, आप अवलोकन कर लीजियेगा. एक और आंकड़ा मैंने दिया था कि कोविड 19 महामारी के समय भी 61 करोड़ के विरुद्ध मात्र 16 करोड़ रुपये व्यय हुआ पेज नम्बर 89.कृपया विश्वास भैया एवं उप मुख्यमंत्री जी आप लोग इसका अवलोकन कर लीजियेगा कि ये आंकड़ा सही है कि गलत है और गलत हैं तो फिर आपके आंकड़े गलत हैं, मेरे नहीं. इसी प्रकार मैंने कहा था कि जब मेरे भाषण के उत्तर में वित्त उप मुख्यमंत्री जी अपना जवाब दे रहे थे, तो उन्होंने मेरा नाम लेकर के कहा और उन्होंने जो शब्द कहे थे, वह मुझे थोड़े याद हैं, मैं एक बार रिपीट कर दूं, आपकी अनुमति हो तो माननीय उप मुख्यमंत्री, वित्त ने कहा कि पता नहीं हेमंत कटारे जी कहां से आंकड़े लाते हैं. कौन से अभिलेख से लाते हैं, भगवान ही जानें, तो मैंने सोचा कि भगवान क्यों जाने, हम सदन के सदस्य हैं, सदन के सभी लोग जानें. तो मैं इसीलिये वह आंकड़े लेकर के आया हूं. मै कहां से लाया हूं, मैंने यह कहा था कि लगभग 57.6 परसेंट करेंट वित्तीय वर्ष का जो टोटल अनुदान था, जो टोटल आपका बजट एलोकेशन था, उसमें से सिर्फ 57.6 परसेंट खर्च हुआ है. अब यह मैं आंकड़ा कहां से लाया, वह भी बताना चाहूंगा. अध्यक्ष महोदय, मैं बजट पर इसलिये बोल रहा हूं, यह भी बता दूं, अभी शायद आप टोकना चाहेंगे, क्योंकि आपने कहा था कि कोई बात छूट गई हो तो राज्यपाल जी के अभिभाषण में ले लीजियेगा. आपने ही अनुमति दे दी थी. तो यह फायनेंस डिपार्टमेंट के आंकड़े हैं, इसमें लिखा हुआ है फायनेंस डिपार्टमेंट गवर्नमेंट ऑफ मध्यप्रदेश और मैं समझता हूं कि उप मुख्यमंत्री जी, वित्त सहमत होंगे. 11 तारीख का डेटा है यानि कल का. और जब मैंने 8 तारीख को डेटा निकाला था, उसके बाद 9 तारीख को यह एक बार अपडेट हुआ, इसमें लिखा है. यह रीअल टाइम डेटा है. प्रत्येक दिन अपग्रेड होता है और 11 तारीख का डेटा यह कह रहा है कि जो टोटल व्यय हुआ, जो टोटल एक्सपेंडिचर है, इसकी कॉलम दी हुई है, वह है 58.51 परसेंट.तो अब एक प्रश्न उठता है, क्योंकि उप मुख्यमंत्री जी ने अपने उद्बोधन में यह कहा कि टोटल व्यय 64 परसेंट हुआ है. यदि 64 परसेंट हुआ है, तो फिर यह आपकी खुद की वेबसाइट आप अभी बोलेंगे, तो मैं अभी आपको चेक करवा दूंगा. कैसे चेक करना है, उसको भी मैं आपके लिये आसान कर देता हूं. क्योंकि ढूण्डने में दिक्कत आयेगी. तो आप अपने अधिकारियों को आदेशित कीजियेगा कि गूगल पर जायें, साइबर ट्रेजरी लिखे, रिपोर्ट्स लिखें. रिपोर्ट्स में फायनेंस डिपार्टमेंट ट्रेजरी डेश बोर्ड को क्लिक करेंगे और उसमें अलाटमेंट एंड एक्सपेंडिचर एनॉलिसिस जायेंगे. आपके सामने यह खाता खुल जायेगा, जिसका मैं जिक्र कर रहा हूं और किसी को दिक्कत आये, तो आप मुझे बुला लेंगे, तो मैं दो मिनट में हेल्प आउट कर दूंगा. मैं इस रिपोर्ट को पटल पर भी रखना चाहूंगा. मैं आपके अवलोकन के लिये भी और माननीय उप मुख्यमंत्री जी एवं विश्वास सारंग जी के लिये भी जरुर रखना चाहूंगा, यहां से लेकर कोई इसको प्लीज पटल पर रख दें. एक जना ले लो ना क्या दिक्कत है. (विधान सभा के अधिकारी द्वारा उक्त रिपोर्ट श्री हेमंत सत्यदेव कटारे,माननीय सदस्य से लेकर पटल पर रखी गई.) (कुंवर विजय शाह, जनजातीय कार्य मंत्री द्वारा इसके लिये पूर्व अनुमति लेनी पड़ती है, कहने पर) हां ले ली अनुमति. मौन स्वीकृति अनुमति है. अध्यक्ष महोदय, मैं कहना सिर्फ इतना चाह रहा हूं कि मेरे आंकड़े सही हैं. ठीक है हमारे सम्मानीय सदस्यों ने खूब मजाक उड़ाया, कोई दिक्कत नहीं है. मुझे उपहास उड़ाने से कोई दिक्कत नहीं है. क्योंकि मेरे स्वर्गीय पिताजी कहते थे कि जब आप तरक्की करेंगे, तो पहली स्टेज यही होगी कि सब आपका उपहास उड़ायेंगे. तो मैंने उसको स्वीकार किया. लेकिन अब मैं जो डेटा दे रहा हूं, यह आपके फायनेंस डिपार्टमेंट का डेटा है, यदि यह गलत है तो आप बताइये, तो आप यह जनता को असत्य क्यों परोस रहे हैं. यदि आपने सदन में गलत जानकारी दी है, तो यह तो लोकतंत्र का का मंदिर है, यहां असत्य बोलना तो और भी बड़ा पाप है और दोनों डेटा सही नहीं हो सकते हैं. या तो वह 64 परसेंट है या तो वह 58 परसेंट है. कौन सा सही है कृपया वित्त उप मुख्यमंत्री जी आप बताइये. मेरा डेटा आपके समक्ष है. इससे आगे बढ़कर अब मैं आगे राज्यपाल जी के अभिभाषण पर आ जाता हूं..
अध्यक्ष महोदय- हेमंत जी, 4.00 बज गये हैं नेता प्रतिपक्ष को भी बोलना है.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष महोदय, 4-6 बिन्दुओं पर बोल देता हूं. माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण में ग्यारहवें बिन्दु में यह लिखा हुआ है कि मेरी सरकार घरेलू औद्योगिक एवं गैर कृषि उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली देगी, यह बहुत लम्बी लाइन है. मैं बस यहीं रुक जाता हूं. 24 घंटे बिजली देगी पर मैं पॉज़ कर रहा हूं. मुझे माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने एक कागज लेने जाने के लिए आदेशित किया, जब श्री रामनिवास रावत जी का ध्यानाकर्षण चल रहा था तो मैं ऑफिस तक गया और जितनी देर में मैं कागज लेकर आता, तब तक दो बार बिजली गई. आप यहीं चेक कर लीजिएगा. अब मैं भिण्ड और मुरैना की बात करूंगा तो आप मुझसे बेहतर जानते हैं तो यह सफेद असत्य है, कम से कम कुछ घंटे कम कर देते. चौबीस के चौबीस ही कर दिये. थोड़ी तो गुंजाईश, जब असत्य बोलें तो गुंजाईश रखनी चाहिए कि एकदम सफेद न हो. ऐसे ही इसके बिन्दु 13 में कहना चाहता हूं. जो असत्य कथन इसमें दिया गया है, उस पर माननीयों को विचार करना चाहिए कि इस तरीके से न आए. इसमें लिखा हुआ है कि 2 करोड़ 30 लाख लोग बहुगामी गरीबी से बाहर आए हैं. 2 करोड़ 30 लाख लोग लगभग एक चौथाई पॉल्युलेशन होती है. मध्यप्रदेश की अनुमानित करंट पॉप्युलेशन देखेंगे तो 8 करोड़ 70 लाख के आसपास है तो इसका मतलब 25 परसेंट लोग गरीब थे, अचानक से जैसे ही राज्यपाल जी का यह अभिभाषण वह अचानक से गरीब नहीं बचे, उस दिन के बाद से, यह लोग जो अचानक अमीर हो गये, अचानक से इस अभिभाषण के बाद से मैं जानना चाहता हूं कि सरकार इनकी सूची तो उपलब्ध करवाएं कि अब यह लोग कितना इनकम टैक्स भर रहे हैं, इनके नीचे लोग कितना रोजगार पा रहे हैं और एक बिन्दु और है जिससे मैं इसको कनेक्ट करना चाहूंगा, बिन्दु 36, इसमें लिखा हुआ है कि 3.86 करोड़ लोगों को आयुष्मान कार्ड बनाए. एक तरफ आप कह रहे हैं कि सब गरीबी से मुक्त हो रहे हैं, दूसरी तरफ आप उनको आयुष्मान कार्ड देकर फ्री इलाज करवा रहे हैं. दोनों में कॉंट्राडिक्शन है. आप आयुष्मान कार्ड बनाते जा रहे हो, और बोल रहे हैं कि गरीबी बची नहीं है. जब मैं गरीबी को देखता हूं तो मेरा गरीबी के आंकड़ों को देखने का नजरिया यह किताब नहीं है. मैं ऐसे देखता हूं कि जब मैं वर्ष 2017 में एमएलए चुना गया था, तब मैं यहां आता था और जितने रास्ते में स्ट्रीट लाइट्स पड़ते थे और ज्यादा दूर नहीं जाना अध्यक्ष जी, यहां से बिल्कुल ही नजदीकी बिरला मंदिर है, जब मैं वहां जाता था थोड़ा भोजन वितरण करने के लिए तो एक या दो लोग ही भूखे गरीब मिलते थे, आज मैं जाता हूं तो 20-20 लोग खड़े हुए हैं. वर्ष 2017 और यह वर्ष 2024 का अंतर है? किसी भी रेड लाइट सिंग्नल से क्रॉस होता हूं तब एक भी आदमी नहीं मिलता था, आज वहां पर कोई गुब्बारा लेकर आ जाएगा, कोई गाड़ी के सफाई के इक्विपमेंट्स लेकर आ जाएगा और जब उससे बोलेंगे, नहीं है जरूरत, तो वह बोलता है कि हमें भूख लग रही है, कुछ पैसे ही दे जाओ. यह गरीबी है. मैं इस किताब की गरीबी को नहीं मानता हूं और यदि ऐसे गरीबी दूर हो रही हो, सबने ताली बजा दी, राज्यपाल अभिभाषण पर पूरे सदन ने, लेकिन वास्तविकता में कोई गरीबी दूर हुई है? आप किसी एक जिले का, एक क्षेत्र का, एक ब्लॉक का आंकड़ा ले लीजिए. प्रैक्टिकल आंकड़ा उसका अवलोकन करेंगे. कहीं गरीबी दूर नहीं हो रही है, गरीबी बढ़ रही है मध्यप्रदेश में.
अध्यक्ष महोदय - हेमंत जी, कृपया समाप्त करेंगे.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष महोदय, 2-4 बिन्दुओं पर और बोलूंगा. अभी मैंने सिर्फ एक ही बिन्दु पर बोला है.
अध्यक्ष महोदय - नेता प्रतिपक्ष को बोलना है.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे - नेता प्रतिपक्ष का भी संरक्षण ले लेता हूं. थोड़ा-सा आपके समय में से समय ले सकता हूं?
अध्यक्ष महोदय - नहीं, 4 बज गये हैं, 4 बजे रिप्लाई आना था. अभी नेता प्रतिपक्ष को बोलना है.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे - 10 मिनट का समय और माननीय अध्यक्ष जी, आपका संरक्षण चाहूंगा.
अध्यक्ष महोदय - एक मिनट में अब समाप्त करें.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष महोदय, इसका चौदहवां बिन्दु है, इंदौर स्थित हुकुमचंद मिल के 4800 श्रमिक परिवारों को उनके हक की राशि 224 करोड़ रुपये के भुगतान की पहल कर लम्बे समय से संघर्ष कर रहे मजदूरों को यदि किसी ने न्याय दिलाया है तो वह माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में मेरी सरकार ने दिलाया है. इसमें माननीय प्रधानमंत्री जी का मार्गदर्शन क्या था, यह बताना चाहेंगे, कोई बता सकता हो? इसमें क्या मार्गदर्शन था? वह मजदूर 23 साल से कोर्ट के चक्कर खा रहे थे. हाईकोर्ट ने इंटरप्ट किया, हाईकोर्ट की इंदौर बैंच ने इंटरप्ट किया और ऐतिहासिक फैसला लिया, वह भी एक कंप्रोमाइज हुआ. उन्होंने बोला कि यह जो लैंड है, इस लैंड को सेल आऊट करेंगे और जो भी पैसा आएगा, वह इन मजदूरों को दिया जाएगा. इसमें माननीय प्रधानमंत्री जी का मार्गदर्शन. मतलब कोई टारगेट है क्या, इस किताब में उनका नाम 25 बार छापना ही है. अनिवार्य है तो फिर कह नहीं सकते?
अध्यक्ष महोदय - अब मैं नेता प्रतिपक्षजी को आंमत्रित कर रहा हूं. एक मिनट में समाप्त करें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिघार) - माननीय सदस्य बोल रहे हैं तो दो मिनट का समय और दे दें. आपसे अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय - एक मिनट मैंने पूरा दिया.
श्री उमंग सिघार - एक मिनट और दे दीजिए, मेरा अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है, एक मिनट नेता प्रतिपक्ष की ओर से.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे - अध्यक्ष महोदय, बिन्दु 15 में जल जीवन मिशन का जिक्र किया है. जल जीवन मिशन प्रधानमंत्री जी के नाम पर एक प्रोजेक्ट चल रहा है. मैं इसमें कहना चाहूंगा कि भिण्ड जिले में चंबल की रेत का उपयोग हो रहा है, अभी एक मीटिंग हुई थी, उसमें आदरणीय श्री राकेश शुक्ला जी भी अध्यक्षता कर रहे थे, मैंने वहां पर भी बोला. मैंने कलेक्टर को भी बोला कि तुम सब लोगों के संरक्षण में हो रहा है. थोड़ा गर्मा-गर्मी भी हुई, लेकिन सच बोलने में कोई दिक्कत नहीं, मैं अपनी पार्टी के अंदर भी सच बोलने के लिए जाना जाता हूं. मैं कहीं सच बोलने से चूकता नहीं हूं. इसमें एक और रमता रिदौली गांव में जल-जीवन मिशन का एक टेण्डर था. उसमें लोएस्ट बिड क्वॉलीफाई हो गई लेकिन इस आधार पर उसको निरस्त कर दिया गया कि वरिष्ठ अधिकारी डेढ़ परसेंट का कमीशन मांग रहे थे. मैं इस चीज का प्रूफ भी दे दूंगा यदि कोई चाहेंगे, माननीय मंत्री जी जानना चाहेंगे, तो डेढ़ परसेंट का कमीशन नहीं दिया, तो लोएस्ट बिड को बिना किसी बडे़ आधार के कैंसल कर दिया, यह चल रहा है मध्यप्रदेश में. बिन्दु 19 में लिखा है कि 280 लोगों को स्वरोजगार योजना के तहत 15 करोड़ राशि प्रदान की. अब 280 लोगों के लिए वाहवाही मान रहे हैं. यह विफलता है या सफलता है. 280 लोग प्रति जिला मानेंगे तो 5 लोग होते हैं. पूरे ओबीसी, मायनोरिटी के लिए एक जिले में 5 लोगों को ये लोग पैसा दे रहे हैं और वाहवाही बोल रहे हैं. मुझे तो लगता है कि महामहिम जी विफलता बताकर गए हैं सफलता नहीं बताकर गए हैं.
अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से बिन्दु 26 में लाड़ली लक्ष्मी योजना के अंतर्गत छात्रवृत्ति है. उसमें बोला गया है कि 14 लाख लोगों को 388 करोड़ की छात्रवृत्ति दी. जब मैंने दोनों का भाग किया, तो एक व्यक्ति को 2771 रूपए आया. 2771 रूपए में क्या आता है. मोबाइल का बिल, इंटरनेट का बिल, बिजली का बिल भरकर ही निकल जाते हैं. इस स्कॉलरशिप की क्या वाहवाही है. बिन्दु-27 यह मुरैना से जुड़ा हुआ है. मैं इसको एक बार जरूर बोल दूं. बिन्दु 27 में कहा गया कि रिकार्ड 7 लाख युवाओं को मुरैना जिले में 5 हजार करोड़ के स्वरोजगार ऋण वितरित किए गए हैं, बहुत अच्छी बात है. अब मैंने इसको डिवाइड किया. 5 हजार करोड़ को 7 लाख से डिवाइड किया, तो एक व्यक्ति को लगभग-लगभग 70 हजार रूपए मिला. 70 हजार रूपए में अब यह कह रहे हैं कि वह अब अपना रोजगार स्थापित कर लेगा. 70 हजार रूपए में अगर वह एक कम्प्यूटर भी अपने आफिस की टेबल भी खरीदना चाहेगा, तो नहीं आएगी. मुझे लगता है कि 70 हजार रूपए में वही हो सकता है जो इनके नेशनल लीडर्स ने बोला. पकोड़ा तलने वाली जो स्कीम है 70 हजार रूपए में उससे ज्यादा....
अध्यक्ष महोदय -- कृपया, समाप्त करें. अब जल्दी एक-दो सेकेंड में कन्क्लूड कर दो.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- जी माननीय अध्यक्ष महोदय. मैं अपनी बात को सिर्फ यही कहकर कन्क्लूड करना चाहूंगा कि इसके बिन्दु 53 में माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि वह हेली पर्यटन योजना की शुरूआत करेंगे, बहुत अच्छी योजना है, इसके लिए मैं उनको धन्यवाद दूंगा लेकिन जब इस योजना की शुरूआत हो जाएगी, तब धन्यवाद दूंगा. पीताम्बरा पीठ मॉं पीताम्बरा माई का मैं, मेरा पूरा परिवार भक्त है ओरछा, चित्रकूट, उज्जैन सबसे जोड़ा जाएगा, बहुत अच्छी पहल है. एक बात और कहूंगा कि बिन्दु 55 में कहा गया है कि मुख्यमंत्री अधिवक्ता योजना के अंतर्गत अधिवक्ताओं को राशि दी गई है. अधिवक्ता राशि नहीं मांग रहे हैं. उन्होंने दो मांग रखी है. एक मांग उन्होंने एडवोकेट्स प्रोटेक्शन एक्ट रखी है तो मैं आपके माध्यम से सरकार से मांग करता हॅूं कि उसको लागू करना चाहिए और दूसरी मांग है कि भोपाल में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित होना चाहिए. इन दोनों मांगों पर मैं आपके माध्यम से चाहूंगा कि सरकार का ध्यान आकर्षित हो. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. बहुत-बहुत धन्यवाद.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका थोड़ा-सा ध्यान आकर्षित करना चाहता हॅूं कि मध्यप्रदेश में जिला पंचायत के चार जगह चुनाव हुए और चारों जगह भारतीय जनता पार्टी जीती है, यह सरकार की उपलब्धता है. (मेजों की थपथपाहट) दूसरा अध्यक्ष महोदय, माननीय कटारे साहब, अब वरिष्ठ सदस्य हो गए हैं. इनके भाषण को आप एक बार देख लीजिएगा. उसमें से कुछ बातें ऐसी हैं जो रिकॉर्ड में नहीं होना चाहिए. मैंने बीच में टोका नहीं है तो इसलिए मैंने यह बात आपके ध्यान में लायी है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं दिखवा लूंगा, अगर कोई ऐसी बात होगी.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चाहे राज्यपाल का अभिभाषण हो, चाहे माननीय मुख्यमंत्री जी का भाषण हो, पूर्व में चाहे वित्त मंत्री जी ने अपनी बात रखी, इतने सालों से जादुई आंकडे़ देख रहे हैं जो सत्य से परे होते हैं कि आज यह भी पता चला कि सरकार किस प्रकार से कांग्रेस-बीजेपी के विधायकों में भेदभाव कर रही है. प्रस्ताव बुलाए जा रहे हैं विधायको से 15-15 करोड़ रूपए के. सांसदों से 50 करोड़ के प्रस्ताव बुलाए जा रहे हैं और मुख्यमंत्री जी ने शपथ ली कि सबके प्रति न्याय करेंगे. यह 66 विधायक इनके क्षेत्र की जनता क्या इनके प्रदेश की जनता नहीं है ? (मेजों की थपथपाहट)
श्री कमलेश्वर डोडियार -- मुझ से भी नहीं बुलवाएं. मैं भी 67 वां विधायक हॅूं.
श्री उमंग सिंघार -- आप भी बाद में आने वाले हैं, यह मान लीजिए. अध्यक्ष महोदय, पीडब्ल्यूडी की बजट संख्या 2457 में 530 कार्यों को अपरीक्षित रूप से मद में जोड़ा गया है. जिनकी लागत 3700 करोड़ रूपये है और पी.डब्ल्यू.डी का बजट 600 करोड़ है. तो आप यह किस प्रकार से भेदभाव कर रहे हैं, किस प्रकार से फिर यह सदन न्याय का मंदिर है ? किस प्रकार से हम लोग जनता की बात करेंगे ? किस प्रकार से उनके लिये तालाब लायेंगे, सड़कें लायेंगे, बिजली लायेंगे, अस्पताल लायेंगे, स्कूल लायेंगे ? क्या इन विधायकों के क्षेत्र में नहीं हैं ? वह क्या इस प्रदेश की जनता नहीं है ? इस बारे में हमने राज्यपाल जी से भी अनुरोध किया और आपसे भी अनुरोध करेंगे कि इसकी निष्पक्ष बात होनी चाहिये. कई बार मुझे अच्छी तरह से याद है कि जब कांग्रेस की सरकार थी हमारे मुख्यमंत्री पूर्व के थे वह आपसे प्रस्ताव पूछते थे कि कौन सा प्रस्ताव इसमें जोड़ना है ? यह काम निष्पक्ष रूप से होता था. लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार इस बार खुले रूप से भेदभाव कर रही है. मैं चाहता हूं कि इस बारे में सदस्यों को आपका संरक्षण प्राप्त हो. बजट के आंकड़े तो इन्होंने बता दिये कि 64 प्रतिशत जो भी आपकी वेबसाइट है. लेकिन मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि चाहे फायनेंस की वेबसाइट हो, या ट्राईबल की वेबसाइट हो, या किसी भी विभाग की वेबसाइड हो, कभी भी अपग्रेड नहीं रहती. सरकार यह बताये जो वेबसाइड है आप ई शासन की तरफ जाना चाहते हैं. वहां पर आंकड़े कुछ होते हैं और विधान सभा में आंकड़े कुछ होते हैं, ऐसा क्यों ? क्या आम जनता यह नहीं जानना चाहती है कि प्रदेश में क्या हो रहा है ? क्या उनका अधिकार नहीं है ? आप ई प्रशासन चाहते हैं तो इस बात पर गंभीरता के साथ विचार करना चाहिये. राज्यपाल के अभिभाषण में 20 दिसम्बर को राज्यपाल जी ने अभिभाषण दिया बिन्दु क्रमांक 25 में जिसमें मोदी जी की उज्जवला योजना की बात कही गई है. 22 लाख से अधिक उज्जवला योजना में लोगों को 220 करोड़ रूपये अनुदान दिया है. 7 फरवरी, 2024 के भाषण में बिन्दु क्रमांक में आता है कि 45लाख 90 हजार गैस कनेक्शन की हमने 118 करोड़ रूपये सबसिडी दी है. एक महीने पहले आप 220 करोड़ रूपये बांट रहे थे 22 लाख लोगों को अब 45 लाख लोग हो गये हैं तो आपकी सबसिडी 118 करोड़ रूपये हो गई है, यह क्या असत्य आंकड़े हैं ? सरकार ने आम जनता के साथ मजाक बनाकर रखा है. बड़े लज्जा की बात है कि इस प्रकार से असत्य रूप से राज्यपाल जी से अभिभाषण पढ़ाया जाता है. इस प्रदेश की महिलाओं को आपने सपने दिखाए थे कि मोदी जी की गारंटी के, आज वह ठगा- सा महसूस कर रही हैं. साढ़े चार सौ रूपये किसी को भी नहीं मिल रहे हैं. यह बात आपके बैनर व कागजों पर है, लेकिन उस बहन को नहीं मिल रहे हैं, यह सच है. जो किसान की बात कही किसानों का धान कट गया लेकिन उनको 3100 रूपये उनको धान का मूल्य नहीं मिल रहा है. आपकी गारंटी, आपकी सरकार की गारंटी, मोदी जी की गारंटी, डबल इंजन की गारंटी, यह डबल इंजन कैसा है ? जो बगैर डीजल के चल रहा है. आप पैसा किसान को नहीं देना चाहते हैं, आज किसान हड़ताल करके दिल्ली के अंदर नाकेबंदी कर दी, सड़कों पर कीलें गाढ़ दी गईं. ताकि किसान समर्थन मूल्य की बात ना करें.
मुख्यमंत्री जी आप प्रदेश का दौरा करेंगे तो आपको किसानों को जवाब देना पड़ेगा कि कहां है आपने जो वादा किया था 3100 रुपए धान का और अभी गेहूं की फसल आ गई है, होली का समय आ गया. 2700 रुपए गेहूं का, न आपके राज्यपाल के अभिभाषण में दिख रहा है, न कहीं परिलक्षित हो रहा है, न आपके अनुदान में दिख रहा है, न अनुपूरक बजट में दिख रहा है, आप चाहते क्या है? कब देना चाहते हैं ये बता दें कि अगला चुनाव जब आएगा तब देंगे. इस प्रकार कैग की रिपोर्ट और सीएजी की रिपोर्ट में आया कि पीएसी के अंदर घोटाले हुए, लगभग 250 करोड़ के, लेकिन ये घोटाला बड़ा है. मैं सदन में जवाबदारी से कहना चाहता हूं, जल जीवन मिशन, एक बार हमारे मंत्री जी करेक्शन करवा रहे थे, तो अभी मैं छिंदवाड़ा के सोहन बाल्मीक जी और हेमंत कटारे जी से पूछ रहा था कि तुम्हारे यहां क्या स्थिति है. मैं कहना चाहता हूं कि चुनाव के पहले ठेके हुए, क्या चुनाव के पैसे इकट्ठे करने के लिए ठेके हुए? आम जनता के लिए पानी नहीं मिल रहा था, हमारे लखन भाई ने लास्ट टाइम कहा था कि नल लग गए, टोंटी लग गई, हवा आ रही, पानी नहीं आ रहा. तो इस बारे में क्या सरकार हजारों करोड़ के घोटाले को क्यों छिपाना चाहती है. उसके अंदर 40 प्रतिशत कमीशनबाजी हुई है. हमारे इधर तो गुजरात के ठेकेदारों ने काम किया, गुजरात के लोग ही मध्यप्रदेश में काम करना चाहते हैं, यहां के लोग नहीं है ठेकेदार? अब क्या आप क्या वसूल करेंगे, जब सीएजी में आपत्ति आ गई तो पैसों की वसूली की जाएगी? क्या नया वापस से टेण्डर मिलेगा. सिर्फ सरपंचों से एनओसी ली जा रही है, 2-2, 5-5 लाख रुपए देकर, एक-एक, दो-दो करोड़ के काम की कि काम पूरा हो गया, हैंडओवर करने के. इस प्रकार जिस घोटाले को छिपाने की बात की जा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री आवास, भू अधिकार योजना की इन्होंने बात की 2 लाख 30 हजार से अधिक लाभार्थियों को नि:शुल्क भुखंड आवंटित किये गए, लेकिन प्रदेश में ऐसे कई गरीब परिवार है, जो आज अपने घर के लिए एक छत के लिए परेशान है, उनको प्रशासन, जिला प्रशासन कई बार जरुरत पड़ती है, तहसीलदार उनको परेशान करते हैं, उनको हटाने की बात करते हैं. माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करुंगा कि ऐसी जमीनें चिन्हित की जाए, जिनमें गरीब परिवार रह रहे हैं, उनको भी आवासीय योजना में लिया जाए ताकि उन सबको भी पट्टे मिले, ऐसा मेरा सरकार से अनुरोध है.
एक और गारंटी दी, खेल प्रतिभाओं की रोजगार की गारंटी दी मोदी जी ने, पांच साल में 96 प्लेयर्स ने मध्यप्रदेश को छोड़ा, 24 खिलाडि़यों ने 24 अकादमी छोड़ दी, ये है मोदी की गारंटी. आप वातावरण ही नहीं बनाना चाह रहे खिलाडि़यों का मध्यप्रदेश में, उसके नाम से जो पैसा आ रहा खर्च हो रहा, कहां हो रहा है, क्यों आज इतने खिलाड़ी छोड़कर जा रहे हैं, इस पर भी सरकार को सोचना चाहिए. बड़े अधिकारियों को तो डीए मिल गया, लेकिन छोटे कर्मचारियों को भूल गए, आज 4 प्रतिशत उनको मिलता तो छोटा कर्मचारी भी प्रदेश का याद रखता, मैं यह कहना चाहता हूं. सूचना आयोग में कब से पद रिक्त है, हर आम जनता, सोशल एक्टिविस्ट, आरटीआई एक्टिविस्ट, चाहते हैं कि जल्द से जल्द इस पर भी कार्यवाही हो. मैं चाहूंगा कि ऐसे कई हजारों लंबित प्रकरण है, ताकि लोगों को, प्रदेश की जनता को इसका लाभ मिल सके. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना दो हजार से अधिक ग्रामों के विकास हेतु चार सौ करोड़ रुपए खर्च किए गए भारत सरकार द्वारा. लेकिन वर्ष 2023 और 2024 की राशि अभी तक आवंटित नहीं हुई तो विकास कहां से होगा ? इस पर सोचना चाहिए. अभी हमारे साथी विधायक ने हुकुमचंद मिल की बात कही, मुख्यमंत्री जी ने भी पहले आदेश किया था, लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी उन श्रमिकों को यह तो बतायें कि सभी 5 हजार श्रमिकों को भुगतान हो गया कि सिर्फ 450 श्रमिकों को भुगतान हुआ है. मेरी जानकारी में सिर्फ 450 श्रमिकों को भुगतान हुआ है. आज भी हुकुमचंद मिल के 5 हजार श्रमिकों को भुगतान नहीं हुआ है. यह सरकार हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रही है. साथ में ऐसी ही स्थिति जे.सी.मिल आपके क्षेत्र ग्वालियर की है, वहां पर 8 हजार मिल के मजदूरों को हक नहीं मिल रहा है, क्या वह मजदूर जब कोर्ट में जायेंगे, जब कोर्ट आदेश करेगी, जब आप देंगे. ब्राडिंग, पोस्टर तो आप लगाना चाहते हो, लेकिन आपको उन गरीब, मजदूरों के परिवारों के बारे में भी माननीय मुख्यमंत्री जी सोचना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय, धान की जो खरीदी हुई थी जबलपुर के अंदर घोटाले हुए थे, अधिकारी हटाये गये, उसमें जानकारी हमें मिली की उत्तरप्रदेश से धान यहां आ रहा था और यहां बिक रहा था, इस पर भी माननीय मुख्यमंत्री जी आपको विशेष रूप से गौर करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, प्रमुख नदियां, सिंध, बेतवा और नर्मदा में खुलेआम रेत का अवैध उत्खनन चल रहा है, रेत का नेक्सेस काम कर रहा है, अवैध व्यापार हो रहा है. एन.जी.टी. की कोई गाइडलाईन को फॉलो नहीं किया जा रहा है और न ही सुप्रीमकोर्ट की गाइडलाईन को फॉलो किया जा रहा है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आप दोहन तो करना चाहते हो लेकिन सरकार के बजट में पैसा आना चाहिए, न की बड़े ताकतवर लोगों की जेब में पैसा आना चाहिए, इस बारे में सोचना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, लाड़ली बहना के लिये 1250 रूपये चार महीने के लिये दे दिये, लेकिन चुनाव में तीन हजार की बात हुई थी, तीन हजार रूपये के पिंक पोस्टर लगे थे. मोदी जी की गारंटी थी, मुख्यमंत्री जी की गारंटी थी, भाजपा की गारंटी थी, सिर्फ पोस्टर पर तीन हजार रूपये है, बहनों को मालूम पड़ जाये कि तीन हजार कब मिलेंगे, ऐसा नहीं की उनके भी पांच साल निकल जाये.
अध्यक्ष महोदय, आयुष्मान योजना में कई घोटाले हो रहे हैं, अस्पताल किस प्रकार से चल रहे हैं, इस आयुष्मान योजना पर, इस पर भी विचार करना चाहिए, इसमें भी सरकार का काफी बड़ा पैसा कुछ लोगों की जेब में जा रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश का ई-नगर पालिका का पोर्टल हुआ, पहले मालूम पड़ा कि कुछ विदेशी हैकरों ने इसको हैक कर लिया, लेकिन मालूम पड़ा और अंदर की जानकारी यह है कि कुछ ठेकेदार जो इस ई पोर्टल के पीछे थे, सरकार से पैसे लेकर बात नहीं बनी, कोई भाजपा के लोग, मैं अभी बोलना नहीं चाहता हूं मेरे पास नाम भी है, लेकिन इस पर भी जांच होना चाहिए कि 4 सौ करोड़, 6 सौ करोड़, 7 सौ करोड़ यह कितना बड़ा एमाउंट दिया जा रहा है, किसको जा रहा है, क्योंकि अभी सुनने में आ रहा है कि फिर वाले-वाले किसी को दे दिया है, कितने करोड़ में गया यह भी एक विचार का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे ओ.बी.सी. वर्ग की छात्र- छात्राओं को, छ: लाख ओ.बी.सी. वर्ग की छात्र छात्राएं हैं. 482 करोड़ रूपये स्कॉलरशिप आपकी इतने समय से रूकी हुई है, उन्हें समय पर क्यों नहीं मिल रही है, तत्काल इस पर भी माननीय आपको सोचना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, पदोन्नति के आरक्षण को लेकर माननीय कोर्ट द्वारा कई बार निर्देश दिये गये, मार्ग प्रशस्त किये गये, लेकिन शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के आज भी इस बारे में सरकार द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया. कई ऐसी रिपोर्टस हैं, जांच आयोग गठित हैं, जो आज सदन के पटल पर नहीं आ रहे है, उनको भी सरकार छिपाना चाहती है, इस पर भी सरकार को जवाब देना चाहिए. लोक परिसंपत्ति एक बड़ा डिपार्टमेंट बनाया, सौ करोड़ की गाइडलाईन के हिसाब से जमीन है और बाजार मूल्य उसका पांच सौ करोड़ रूपये है. 100 करोड़ की वजाय उसको 110 करोड़ में दे दी और बता दिया कि हमने तो गाइड लाइन से ऊपर दिया, लेकिन 400 करोड़ की जो जमीन है बाजार मूल्य से वह किसको दी जा रही है, कौन लोग हैं, इसकी सूची भी समय आने पर मैं आपको दूंगा, यह भी सरकार में अपने लोगों के द्वारा एक बड़ा घोटाला किया जा रहा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, जनसेवा मित्र चुनाव के समय, 4 महीने पहले भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें बनाया कि इनको रोजगार देंगे, साढ़े चार हजार, पांच हजार जो भी नौ हजार देने का, चुनाव हुये, पेड वर्कर हर बूथ पर बीजेपी ने बनाये, चार महीने के बाद उनको बाहर कर दिया. मेरे पास पूरे प्रदेश का प्रतिनिधिमंडल मिलने आया था, क्या उन युवाओं के साथ हम खिलवाड़ नहीं कर रहे, उसके बारे में भी सरकार को सोचना चाहिये. विषय बहुत सारे हैं, आपसे मैं यही कहना चाहूंगा राज्यपाल जी के अभिभाषण में फूड सब्सिडी की बात हुई है, प्रतिमाह बैगा, भारिया, सहरिया को 1 हजार रूपये, मैं बार-बार कहता हूं कि सरकार जो आपको लगता है जो ऐसी जातियां हैं उनके बारे में अनुदान तो देना चाहती है, सहयोग तो करना चाहती है, लेकिन गारंटी नहीं देना चाहती यह मैं कहना चाहता हूं. गारंटी दे, आप कुछ ऐसी योजना बनायें 1 हजार रूपया आप उनको एक सहयोग राशि दे रहे हैं, 1 हजार में आज कुछ नहीं होता, 1 हजार में तो आदमी यहां से दिल्ली तक नहीं पहुंच पाता, उस परिवार के साथ मजाक किया जा रहा है, उस सहरिया के साथ, उस बैगा के साथ तो इस प्रकार की राज्यपाल जी के अभिभाषण में बातें कही गई हैं. मेरा माननीय निवेदन है कि इसमें उनका बजट बढ़ना चाहिये, उनके रोजगार की बात होना चाहिये. स्किल डेव्हलपमेंट की बात की गई कि हमने हजारों युवाओं के साथ किया, लाखों की बात की, जब रोजगार के पोर्टल पर जायेंगे तो मालूम पड़ा कि वहां पर भर्तियां ही नहीं हुई हैं. माननीय मैं आपसे कहना चाहता हूं कि स्किल डेव्हलपमेंट तो आप हर युवाओं को सिखाना चाहते हो, ट्रेनिंग देना चाहते हैं, लेकिन इसमें मोदी की गारंटी नहीं आती, इसमें सरकार की गारंटी नहीं आती, इसमें आप क्यों गारंटी नहीं देना चाहते हो. जब आप प्रदेश की बात करते हो तो आप जाते हो बिहार, बिहार में जाकर वहां के लोगों को बुलाना चाहते हो यादव जी, यहां के वह भी यादव हैं, यहां की जनता है, लेकिन मैं चाहता हूं कि जितनी भी फेक्ट्री प्रदेश के अंदर हैं उसके अंदर आपकी गारंटी होना चाहिये कि यहां के प्रदेश के युवाओं को काम मिलेगा, इसकी गारंटी सरकार नहीं दे रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक नई मुख्यमंत्री बालिका स्कूटी योजना की बात कही कि हायर सेकेण्डरी में जो पहले आयेगा उसको देंगे. आप जो साइकिल बांटते हो वह साइकिल ही पूरी बांट दो और अच्छी बांट दो, स्कूटी तो न जाने कब आयेगी, लेकिन साइकिलें तो बांटो, वह भी प्रापर नहीं बंट रहीं. मैं जब क्षेत्र में जाता हूं और बच्चों से पूछता हूं कि साइकिल कैसी चली वह कहते हैं भैया 6 महीने चली और टूट गई, ऐसी आपकी स्कूटी न हो तो यह ध्यान रखें. मैन्यूफेक्चर सेक्टर के बारे में मैं कहना चाहता हूं कि प्रदेश में कई इंडस्ट्रीज हैं, कई सेक्टर हैं, उदाहरण के लिये फार्मा कंपनी आज हमारे इंदौर, उज्जैन आसपास सब दूर है. आप आयुष्यमान आप जेनेरिक की बात करते हैं, मोदी की गारंटी देते हैं कि जेनेरिक में हमने पूरे देश में 1 लाख केन्द्र खोल दिये, विदेशी कंपनियां आती हैं फाइजर जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां, डॉक्टर उनके नाम से लिखते हैं, दवाई के नाम से, कंपनी के नाम से जेनेरिक के नाम से नहीं लिखते मुख्यमंत्री जी, अगर आप चाहते हैं कि अगर शुरूआत हो तो सबसे पहले मध्यप्रदेश से जेनेरिक की शुरूआत करें ताकि जो 100 रूपये की दवा है वह गरीबों को 10 रूपये में मिले यह मैं आपसे अनुरोध करना चाहूंगा, अगर आप ऐसा करेंगे. तो निश्चित तौर से बाहर की कंपनियों को बिजनेस कम मिलेगा हमारे यहां की कंपनियों को बिजनेस ज्यादा मिलेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछली बार मैंने एक बात कही थी उस पर लगता है हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी संज्ञान नहीं लेना चाहते. एस.सी.,एस.टी. के बच्चों को छात्रवृत्ति की बात कही गई. पांचवीं,छठवीं के बच्चों को दो सौ,ढाई सौ रुपये. 2700 रुपये आप दसवीं,ग्यारहवीं,बारहवीं के बच्चों को दे रहे हो. साल के 25 रुपये महिना. सरकार या तो छात्रवृत्ति ऐसे भीख के रूप में देना चाहती है तो यह छात्रवृत्ति बंद कर दे,अगर आप उन एस.सी.,एस.टी. के बच्चों के लिये,युवाओं के लिये सम्मान देखते हैं तो इनकी छात्रवृत्ति क्यों नहीं बढ़ाते. आपने यह अभी तक नहीं किया. यह बड़े दुख की बात है कि सरकार वोट तो लेना चाहती है उन एस.सी.,एस.टी. के, लेकिन उनके लिये नहीं सोचती. कई बातें हैं. अभी थोड़ी देर पहले ओला,पाला को लेकर बात चल रही थी. उसे लेकर हमारे कैलाश जी ने भी कहा. अप्रैल,2023 से पहले के जो लोग हैं उनको तो मुआवजा नहीं मिल पा रहा. मैं आपके क्षेत्र में भी गया था. वहां भी देखा कई सरसों के खेत पूरी तरह खत्म हो गये. मैंने उसके वीडिये भी आपको दिखाए थे लेकिन आज तक सरकार ने उस पर संज्ञान नहीं लिया. अभी जबलपुर,डिंडौरी पूरे क्षेत्र में ओला,पाला हुआ. मेरा कहना है कि सरकार को त्वरित कार्यवाही करना चाहिये ताकि उन किसानों को फायदा हो सके. पेट्रोल,डीजल पर मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा टैक्स है. अभी निवाड़ी गया था मैं तो वहां के लोग बोलते हैं कि भईया,हम तो पेट्रोल,डीजल तो हम उत्तर प्रदेश से भरवाते हैं. पांच से सात रुपये का फर्क लगभग आ जाता है. आप जनता से टैक्स लेना चाहते हो लेकिन जनता को पैसा नहीं देना चाहते हो. किसान को पैसा नहीं देना चाहते हो. उन महिलाओं को साढ़े चार सौ रुपये नहीं देना चाहते हो. शराब की बिक्री पर सबसे कम टैक्स मध्यप्रदेश में है पेट्रोल डीजल पर ज्यादा है. मैं चाहूंगा कि पेट्रोल,डीजल पर टैक्स कम होना चाहिये.क्यों आपने शराब पर टैक्स कम कर रखा है. क्या शराब के व्यापारियों को पाल रही है भाजपा सरकार इस बात पर विचार होना चाहिये. अभी सुबह प्रश्नकाल में एक बात चल रही थी डाक्टरों की नियुक्ति को लेकर,इतने सालों से मैं देख रहा हूं कि हमारे प्रदेश में डाक्टर क्यों नहीं हैं और जो डाक्टर्स हैं वह शहरों में नौकरी करना चाहते हैं वह ग्रामीण क्षेत्र में नहीं जाना चाहते हैं. इस पर सरकार को एक पालिसी बनाना चाहिये. किसी सदस्य ने सुझाव दिया कि जो डाक्टर्स रिटायर हैं उनको भी हमें संविदा पर लेना चाहिये. मेरा कहना है कि आज वास्तव में एक गरीब आदमी संघर्ष करता है. उसके पास पैसा है लेकिन उसके पास ईलाज के लिये डाक्टर नहीं है. रातों को परेशान होता है. तो इस बारे में सरकार को सोचना चाहिये. पी.एस.सी. के नाम पर आप बैठे रहोगे कि जब भर्ती आयेगी तब करेंगे. आज हर चीज प्रायवेट सेक्टर में होती है. 108 की गाड़ी तो आप प्रायवेट सेक्टर में किसी एन.जी.ओ. को दे देते हो लेकिन डाक्टरों,नर्सों के पद भरने के लिये क्यों नहीं कुछ करना चाहते. यह भी सरकार कर सकती है. आदिवासियों,दलितों पर घटनाएं घट रही हैं. 2004 से लेकर 2021 तक प्रदेश का गौरव बढ़ाने का आंकड़ा आया है. मेरा आंकड़ा नहीं है. यह केन्द्र का अपराध का आंकड़ा है तो क्यों आज मध्यप्रदेश में इतनी घटनाएं घट रही हैं. गृह विभाग आपके पास है अभी कल ही हरदा में घटना घटी. हरदा काण्ड हुआ, कान में सुनने की क्षमता डेसिबल में होती है. 300 डेसिबल से ज्यादा का वहां पर धमाका था, सामान्य आदमी की सुनने की क्षमता 20 से 70 डेसिबल होती है. सरकार को सुनाई आता ही नहीं है और आई तो जेसीबी चला दी, बगैर फोरेन्सिक के. यह स्थिति है. दिव्यांग कल्याण को लेकर उत्कृष्ठ पुरस्कार के लिए मध्यप्रदेश को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. जब आप उच्च शिक्षा मंत्री थे, आपके पास ही डिपार्टमेंट था. सभी वर्गों के आरक्षण तो हुए, अटल बिहारी वाजपेई हिन्दी विश्वविद्यालय में, पुरस्कार लेने आप जा रहे हैं, लेकिन 6 प्रतिशत वहां दिव्यांगों के लिए आरक्षण था, माननीय, वह भूल गए. बडे़ लज्जा की बात है. पुरस्कार लेने के पहले सोचना था कि हमने 6 प्रतिशत आरक्षण उन दिव्यांगों को दिया है कि नहीं. माननीय, ये इनके समय की बात है. इसमें मैं चाहूँगा कि आप इस पर ध्यान दें. मैं चाहूँगा कि विशेष रूप से कई लोग मंदिर की, राम की, सबकी बात करते हैं. आप सब अगर राम के भक्त हैं, आप अपनी भावना की बात करते हैं, अगर आप सनातन धर्म की बात करते हैं तो मध्यप्रदेश से चालू करो, हर मंदिर को सनातन धर्म के अनुसार जो अखाड़ा देखता था, उसको आप दें. क्यों प्रशासन सम्भाले. इसलिए कि प्रशासन के पीछे, उसकी आड़ में करोड़ों रुपयों का मंदिरों के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है. अगर मुख्यमंत्री चाहते, उज्जैन की बात करते हैं, महाकाल की बात करते हैं, क्यों नहीं वहां आप देना चाहते हैं सनातन धर्म के अखाड़े को, मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि आप, मैं सभी माननीय सदस्यों से कहना चाहूँगा कि आप अगर धर्म की बात करते हैं तो धर्म के जो लोग संरक्षक हैं, उनको आप मंदिर क्यों नहीं देना चाहते हैं. यहां से मैं आपसे कहना चाहता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसी कई बातें हैं, लेकिन आपको जाना है, समय कम है. मैं राज्यपाल के इस अभिभाषण का विरोध करता हूँ, जो जनता के हित के हिसाब से उसमें आम बातें उनके अधिकार की नहीं थी. आपने मौका दिया, इसके लिए धन्यवाद. जय हिन्द.
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज के खासकर के लेखानुदान के ऊपर चली हुई बहस के आधार पर लोकतंत्र के इस मंदिर में माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के ऊपर मैं सभी को शत्-शत् नमन भी करता हूँ और खासकर सदस्यों ने जो दिल से बात कही, चाहे पक्ष में कही, चाहे विपक्ष में कही, सभी मित्रों को बधाई देना चाहता हूँ. लोकतंत्र इसी से जिंदा रहता है. हमारे मन के भाव को व्यक्त करते हुए अपनी-अपनी भूमिका का हम ठीक से निर्वहन करें. अभी-अभी नेता प्रतिपक्ष जी ने अपनी बात कही, मैं विस्तार से उनकी बात का भी जवाब दूंगा. मैं सभी मित्रों के कुछ नाम पढ़ना चाहूँगा, नेता प्रतिपक्ष के अलावा कांग्रेस के ही विधायक माननीय श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी जी, श्री प्रताप ग्रेवाल जी, श्री सुनील उईके जी, श्री संजय उईके जी, श्री विजय रेवनाथ चौरे जी, श्री पंकज उपाध्याय जी, श्री दिनेश जैन बोस, एड. श्रीमती निर्मला सप्रे जी, श्री महेश परमार जी, श्री रजनीश हरवंश सिंह जी, श्रीमती अनुभा मुंजारे जी, श्रीमती सेना महेश पटेल जी, श्री हेमंत सत्यदेव कटारे जी, श्री उमंग सिंघार जी, इनका नाम पहले ले ही चुका हूँ, श्री चैनसिंह वरकड़े जी, श्री ओमकार सिंह मरकाम जी, भारत आदिवासी पार्टी के श्री कमलेश्वर डोडियार जी, भाजपा के श्री अभिलाष पाण्डे जी, डॉ. योगेश पंडाग्रे जी, श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा जी, डॉ. तेजबहादुर सिंह चौहान जी, श्री प्रीतम लोधी जी, श्री रामनिवास शाह जी, इन सबने अपनी-अपनी बात कही है, मेरी जानकारी में भी आई है और हम सब चाहे नेता पक्ष हो, जिस नाते से मैं बोल रहा हूँ, चाहे नेता प्रतिपक्ष हो, एक बात जरूर मेरे पल्ले नहीं पड़ रही है, वह हो सकता है, क्या हुआ है मालूम नहीं, ये उप नेता प्रतिपक्ष कहां से आता है, मेरे विधान में तो कहीं दिखाई नहीं दिया. हो सकता है, यदि मिल जाए तो बता देना या आपने नया कोई आविष्कार किया है.
श्री हेमंत सत्यदेव कटारे -- वर्ष 2009 का पत्रक है, जब राकेश चौधरी जी पहली बार बने थे. इस विधान सभा में पारित हुआ है. वह पत्रक यदि आपकी अनुमति हो तो वह पत्रक मैं पटल पर रखकर आप तक पहुँचा दूंगा.
डॉ. मोहन यादव -- अभी मैंने आपसे नहीं पूछा, अध्यक्ष जी, अभी तो मैं अपनी बात करूं.
अध्यक्ष महोदय -- टोका-टोकी मत करो.
डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष जी, अभी मैंने आपकी बात पूरे ध्यान से सुनी, अगर आपको उचित लगेगा तो मैं बैठ जाऊँगा, तब आप बता देना. (हंसी) मैंने कहा कि यह आपकी बात सही है, तो नेता प्रतिपक्ष के बाद उप नेता को बैठना चाहिए, उप नेता की सीट पर कोई और बैठा है, यह तो इनके दल की व्यवस्था है. मैं उस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं करूँगा. लेकिन मुझे अच्छा लगा कि आपने बहुत अच्छे से बात विस्तार से रखी और फिर मैं वापस वहीं आता हूँ. यह मेरा सौभाग्य है और मध्यप्रदेश का प्रथम सेवक होने के नाते, मैं अपनी बात कह रहा हूँ. मुझे जनता का सेवक होकर बात करने का मौका मिला, मैं आप सबका आभार मानता हूँ और खासकर इस सदन में, मैं तीन बड़ी उपलब्धियों का यशोगान भी करना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, लोकतंत्र के मंदिर में सबसे पहले तो मैं अयोध्या में भगवान श्री राम की प्राण-प्रतिष्ठा हुई, यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है.(मेजों की थपथपाहट) काल के प्रवाह में परमात्मा ने हमारी कई परीक्षाएं लीं और अयोध्या का मध्यप्रदेश से तो खास रिश्ता है, मध्यप्रदेश के उज्जैन से. लगभग दो हजार वर्ष पहले हमारे सम्राट विक्रमादित्य ने उज्जैन से जाकर अयोध्या को पुनर्स्थापित कराया था और वर्तमान में जहां पर मंदिर की बात की जा रही है, ऐसा कहा जाता है कि पुरातत्ववेत्ताओं ने जो बताया है कि 'चौरासी काले कसौटी का खंभे वाला मंदिर' जो भगवान राम का था, जिसको बाबर ने तोड़ा था, वह सम्राट विक्रमादित्य ने बनवाया था. यह इस बात के प्रमाण पुरातत्व विभाग की तरफ से आए हैं और सुप्रीम कोर्ट में उनका नाम कोट किया गया था. यह हम सबके लिए, आज के इस अवसर पर ज्यादा आनन्द की बात है, न केवल उच्चतम न्यायालय ने हमारे उस निर्णय का परिपालन करते हुए, यह सौभाग्य की बात है कि गर्भ गृह में भगवान राम मुस्कुरा रहे हैं और उनकी प्राण-प्रतिष्ठा हुई. हम सबके लिए वह सौभाग्य का क्षण था.
अध्यक्ष महोदय, इस अवसर पर एक और बड़ा घटनाक्रम हम सबके सामने हुआ है कि पांच भारत रत्न दिए गए. इसमें बिहार के सर्वहारा वर्ग के बहुत बड़े नेता कर्पूरी ठाकुर जी. (मेजों की थपथपाहट) राजनीति के विविध पड़ाव से गुजरते हुए आज भी हमारे बीच लम्बे संघर्ष के प्रतीक और सुशासन के भी प्रतीक, उन्होंने कई दायित्वों का निर्वहन किया, ऐसे ही लालकृष्ण आडवाणी जी हैं. (मेजों की थपथपाहट) यह अत्यन्त सम्मान और किसानों के नाते अलग ढंग से जाने जाने वाले चौधरी चरण सिंह जी, जिनका पूरे देश में नाम है. (मेजों की थपथपाहट) डॉ. स्वामीनाथन जी, जिन्होंने हरित क्रांति में हमारे लिए एक बड़ा आदर्श उदाहरण पेश किया है और अपनी बड़ी सरकारी नौकरी छोड़कर किसानों की सेवा के नाते से उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई. माननीय आडवाणी जी के साथ ही माननीय चौधरी चरण सिंह जी का भी माननीय प्रधानमंत्री जी ने जो स्मरण किया. मैं प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूँगा और एक और धन्यवाद जिसके लिए कांग्रेस से तो उनके पोते और उनके बेटे सब तरस गए, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया. पी.वी.नरसिम्हा राव जी का योगदान कोई नहीं छोड़ सकता है. (मेजों की थपथपाहट) (नेता प्रतिपक्ष जी के कुछ कहने पर) यह बड़े दुर्भाग्य की बात है. जो दिवंगत हो गए हैं, वह हम सबके लिए सम्मान के पात्र होते हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से कहना चाहूँगा कि भारत रत्न एक बड़ा गौरवशाली रत्न होता है, सम्मान होता है और भारत के संविधान में है कि यह एक वर्ष में सिर्फ तीन को देते हैं. आप पांच-पांच, छ:-छ: बांट रहे हैं. (XX) मेरा आपसे कहना है कि अगर आपको सम्मान देना है. (..व्यवधान..)
श्री अजय विश्नोई - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है. (XX) यह सबको अपमानित कर रहे हैं. इनको अपने शब्द वापस लेने चाहिए. (..व्यवधान..)
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाएं.
श्री अजय विश्नोई - अध्यक्ष महोदय, इनको अपने शब्दों को वापस लेना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - मैं व्यवस्था दे रहा हूँ. भारत रत्न, भारतवर्ष का सर्वोच्च सम्मान है. इस पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती. जो शब्द आएं हैं, उनको विलोपित किया जाये.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर जो मुख्यमंत्री जी ने कहा पोता-बेटा ये भी विलोपित होना चाहिए.
डॉ.मोहन यादव- उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा है.
अध्यक्ष महोदय- मुख्यमंत्री जी ने भारत-रत्न के बारे में नहीं कहा है.
श्री उमंग सिंघार- अध्यक्ष जी, उसी से संबंधित बात हो रही है. आप सदन की कार्यवाही दिखवा लें, उसे भी विलोपित करवायें.
अध्यक्ष महोदय- ठीक है, मैं दिखवा लूंगा.
डॉ.मोहन यादव- नेता प्रतिपक्ष जी, आप इस चक्कर में न पड़े, बात निकलेगी तो दूर तक जायेगी.
श्री उमंग सिंघार- दूर तक जाने के लिए हम यहां तैयार खड़े हैं.
डॉ.मोहन यादव- उमंग जी, हमारी बात तो पूरी हो जाने दीजिये. भारत-रत्न का इतिहास है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू जी ने स्वयं के लिए अनुशंसित करवाकर, स्वयं के जीते जी, स्वयं को भारत-रत्न दिलवा लिया था. इंदिरा गांधी जी ने सन् 1971 में स्वयं के लिए भारत-रत्न अनुशंसित करवा लिया था. यह तो हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी हैं, जो ढूंढ-ढूंढकर योग्य लोगों को भारत-रत्न दे रहे हैं.
(मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि इतने उदार मन और भाव से, वास्तव में भारत-रत्न होता ही इसलिए है, क्या इस दल का, क्या उस दल का, जिस-जिस ने देश के लिए योगदान दिया है, सबका-साथ, सबका विकास, जो बात कही गई है, वह हमने सार्थक करके दिखाई है.
(श्री अभय कुमार मिश्रा जी के अपने आसान से कुछ कहने पर) मिश्रा जी, मैं, अपने विषय से भटकना नहीं चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- आप विषय से भटकें नहीं. सभी को जवाब देने की आवश्यकता नहीं है, आप विषय पर बने रहें.
डॉ.मोहन यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रधानमंत्री जी को एक और धन्यवाद देना चाहता हूं कि हमारे मध्यप्रदेश को इस बार चार-चार पद्म-श्री प्राप्त हुए हैं. यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है. मैं, यहां एक-एक का नाम लूंगा और उनके योगदान का यहां उल्लेख करूंगा. कभी कोई सोच नहीं सकता था कि इन्हें पद्म-श्री प्राप्त होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित जी, इतिहास विभाग के 20 वर्ष पूर्व HOD रहे हैं. उन्होंने काफी किताबें लिखीं हैं. बहुत रिसर्च किया है लेकिन 20 वर्ष पश्चात् विक्रमादित्य शोधपीठ के माध्यम से जब उन्हें कार्य करने का मौका दिया गया तो उन्होंने एक, दो हजार वर्ष पुराने, अलिखित इतिहास को तथ्यात्कम रूप से, सामने लाकर, क्या साहित्यिक, क्या पुरातात्विक, सारे प्रमाण और साक्ष्य जुटाकर, एक अत्यंत साधारण से दिखने वाले व्यक्तित्व ने इतना बड़ा असाधारण काम किया है कि पूरे देश में यह मिसाल बनेगा, यह डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित जी के कारण संभव हुआ है. सेवानिवृत्ति के बाद कोई व्यक्ति कितना बड़ा काम कर सकता है, यह उन्हें देखकर पता चलता है. अन्यथा सेवानिवृत्ति के बाद लोग यह मानते हैं कि अब अपना समय पूरा हो गया लेकिन डॉ. राजपुरोहित जी को मुझे लगता है कि प्रदेश स्तर पर भी अलग से सम्मान देने की जरूरत है, इतना बड़ा उनका योगदान है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में माच की परंपरा है. राजा विक्रमादित्य और भर्तृहरि का माच, अलग-अलग तरह का माच, एक पुरानी और अद्भुत नाट्य-विधा है. माच के माध्यम से हमारा पुरूषार्थ जगाना, पौरूष जगाना, गर्व और गौरव देने का मौका भी है. हमारी प्राचीन संस्कृति को जीवित रखने का मौका माच परंपरा के जरिये श्री ओमप्रकाश शर्मा जी ने किया है. 80 वर्ष की आयु में वे, आज भी इससे जुड़े हुए हैं. उन्हें भी पद्म-श्री मिला है, मैं, उन्हें भी बधाई देना चाहता हूं और प्रधानमंत्री जी का इस हेतु आभार व्यक्त करना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री सतेंद्र सिंह लोहिया जी, चंबल अंचल से आते हैं. दिव्यांग हैं लेकिन उनका हौंसला हिमालय से भी ऊंचा है. ऐसे लोहिया जी को दिव्यांग होने के बावजूद जिस प्रकार से पुरस्कार मिला, उनको पद्म-श्री दिया गया है, उन्हें भी बधाई देना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री कालूराम बामनिया जी, लोकगीत के बहुत अच्छे गायक हैं और ऐसे चुपचाप काम करने वाले हैं कि उन्हें ढूंढना पड़ा कि वे कहां के हैं. कालूराम जी देवास जिले के हैं. उन्हें पद्म-श्री दिया गया. मैं यशोगान गाना चाहता हूं और यशस्वी प्रधानमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं कि आज के इस समय में, पुराना जमाना गया, जब पद्म-श्री कैसे दी जाती थी ? लेकिन अब सुयोग्य लोगों को पुरस्कार दिये जाते हैं. वास्तव में लोकतंत्र में इसी प्रकार के दौर की आवश्यकता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे कई मित्रों ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी के विषय में इतनी बार क्यों बताते हो, क्यों बोलते हो, उनकी बात क्यों रखते हो ? हम इसलिए उनकी बात रखते हैं क्योंकि प्रधानमंत्री जी ने वर्तमान दौर में जिस प्रकार से शासन व्यवस्थाओं के सूत्र संचालन किये हैं, वे हमारे सभी के सम्मुख आदर्श उदाहरण हैं. ये हमारे लिए गर्व का विषय है और केवल हमारे लिए ही नहीं, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के, सबसे बड़े पद को गौरवांवित करने वाला, जो उनका व्यक्तित्व निकलकर आया है, जिससे हमारे पूरे देश को, दुनिया में अलग ढंग से देखा जाने लगा है. हम इसलिए उन्हें याद करते हैं, जिनके समय को यदि हम देंखे तो 21वीं सदी में पूरी दुनिया दो धारा में जा रही है. ऐसे समय में एक धारा अलग प्रकार से जा रही है, जिसमें विभिन्न प्रकार की चुनौतियां हैं, इसमें कोविड की चुनौती है. दोनों देशों के बीच में चलने वाले अलग-अलग प्रकार के युद्धों की स्थिति हो सकती है जो सामने दिखाई दे रही है और दुनिया डर रही है कि यह जो क्रम जारी हो रहा है यह आगे जाकर कहां टिकेगा. आतंकवाद और आर्थिक मंदी का दौर हम अभी वर्तमान में चीन जैसे इतने बड़े देश की हालत भी देख रहे हैं कि वह आर्थिक व्यवस्था में किधर जा रहा है और दूसरी तरफ औद्योगिक क्रांति, टेक्नोलॉजी क्रांति जी-20 ने दुनिया में आगे बढ़ने का एक नया मंच तैयार किया है जिन्होंने दूसरा मोर्चा लेकर के भारत का मान और सम्मान बढ़ाने का मार्ग पकड़ा है. उसके लिए मैं निश्चित रूप से उनको बधाई देना चाहता हूं और खासकर के जिस जगह मैं बात कर रहा हूं भारत के अंदर मध्यप्रदेश में तो भारत के अंदर खुद की स्थिति क्या है. भारत अर्थात् दुनिया का विश्व मित्र की भारत की पहचान, भारत मतलब वसुधैव कुटुम्बकम की बात करने वाला भारत अर्थात् सबका साथ सबका विकास की बात करने वाला और मोदी जी के नेतृत्व में पिछले दस साल में भारत ने जिस प्रकार से अपने कदम बढ़ाये हैं मुझे इस बात का गर्व है कि भारत के विकास ने सोने की चिडि़या बनने की तरफ अपने कदम बढ़ाये हैं. यह हम सभी का सौभाग्य है. हजारों साल से भारत की जो पहचान थी भारत उसी रूप में स्थापित होता आया है और मुझे इस बात की खुशी है कि हमारी विरासत हमको विश्वगुरू की तरफ निश्चित रूप से बुला रही है आज नहीं तो कल यह अमृतकाल हमको विश्वगुरू की तरफ ले जा कर सार्थक दिशा में कदम बढ़ाने के लिए मजबूर कर रहा है और हम चमत्कारिक रूप से आगे बढ़ रहे हैं. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि वर्तमान समय में जब हमने अपने स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे किये, सौभाग्य की बात है कि गणतंत्र के 75 वर्ष पूरे हुए, सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75 वर्ष पूर्ण हुए, ऐसे में विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, मीडिया सभी के साथ प्रथम राष्ट्र की यह जो दृष्टि माननीय मोदी जी के नेतृत्व में है यह हम सभी को निश्चित रूप से अपने लोकतंत्र में आस्था को बढ़ाने के लिए हमारे मन में विश्वास को मजबूत करती है. हर भाषा के पर्याय हो सकते हैं, लेकिन मोदी जी का कोई पर्याय नहीं है. अटक से घटक तक लोकतंत्र को गौरवान्वित करने वाला एकमात्र शख्स कोई भी पार्टी का नेता हो कोई भी पार्टी का व्यक्तित्व हो मोदी जी के बराबर आज कोई नहीं है. मुझे गर्व है कि हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में भारत उन्नति करते हुए लोकतंत्र को मजबूत कर रहा है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक--आपको कल बोलने का मौका क्यों नहीं मिला आपको कल बोलना था क्योंकि हम अपने आपको अपमानित महसूस कर रहे हैं कि हमारे मुख्यमंत्री जी को प्रधानमंत्री जी ने झाबुआ में बोलने ही नहीं दिया. इससे बड़ा दुर्भाग्य हम लोगों के लिए क्या हो सकता है.
डॉ. मोहन यादव--सोहन जी आप कल होते तो आप भी ताली बजाते कल इतना आनंद आया है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- अध्यक्ष महोदय, जब नेता प्रतिपक्ष बोल रहे थे तो हम सभी ध्यान से सुन रहे थे. अब आप सभी शांत बैठें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- मुख्यमंत्री जी बाजू में बैठे हैं और उन्हें प्रधानमंत्री जी बोलने नहीं दे रहे हैं इसीलिए मैं बोल रहा हूं. मेरा बोलने का कोई कारण नहीं था.
अध्यक्ष महोदय-- अभी मुख्यमंत्री जी बोल रहे हैं, उनको सुनिए.
डॉ. मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय, अभी मैं इस बात का जवाब नहीं देना चाहता हूं, लेकिन आप यह बात जानना कि माननीय प्रधानमंत्री जी की मौजूदगी में जो खास करके मुझे किसी का जवाब देने की बजाय आपसे ही बात करना चाहिए, यह सदन की मर्यादा भी है. कल प्रधानमंत्री जी की मौजूदगी में जो इतिहास बना है इसी दो माह से कम समय की सरकार ने टंट्या मामा के माध्यम से आदिवासी अंचल को जो विश्वविद्यालय देने का काम किया है यह गौरव हमें प्रधानमंत्री जी की मौजूदगी में मिला. मैंने छोटा सा निवेदन किया था कि हमको समय कम मिला है और मुझे इस बात की खुशी है कि उन्होंने एक बार नहीं दो बार मौका दिया. एक हुकुमचंद मिल का आपने विषय निकाला है मैं आगे उसका भी जवाब दूंगा लेकिन कल उनका आना और टंट्या मामा के माध्यम से संक्षिप्त समय में विश्वविद्यालय का बनना और बनके इसी सत्र से चालू करना यह वाकई सौभाग्य की बात है. मैं माननीय प्रधानमंत्री जी का आभार मानता हूं कि बहुत भारी व्यस्तताओं के बाद भी उन्होंने यह मौका हमको दिया.
श्री राजन मण्डलोई-- विश्वविद्यालय आदिवासी क्षेत्र में नहीं मिला है खरगोन में मिला है. आदिवासी बाहुल्य बड़वानी जिला, झाबुआ जिला और धार जिला था.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे-- आदिवासियों के लिए जन धन योजना में करोड़ों रुपया उन्होंने दिया यह आदिवासियों के लिए सम्मान की बात है.
अध्यक्ष महोदय-- ओमप्रकाश जी, मुख्यमंत्री जी बोल रहे हैं आप बैठ जाएं.
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व के माध्यम से पूरा देश लाभांवित हो रहा है. मैं बताना चाहूँगा पूरी दुनिया के अच्छे से अच्छे बड़े-बड़े देश जिनकी अर्थव्यवस्था 3 प्रतिशत के लिए हाँफ रही है, चल नहीं पा रहे हैं उसके उल्टे लगातार 3 साल से अपने इस देश की अर्थव्यवस्था 7 परसेंट की तेजी से जा रही है. यह हमारे नेतृत्वकर्ता का नेतृत्व बताने का उदाहरण आपके सामने है. मैं इस बात का उल्लेख इसलिए करना चाहता हूँ कि माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा कितने प्रकार के क्षेत्रों में काम किया जा रहा है. आपकी पार्टी के प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी उन्होंने सार्वजनिक रुप से कहा था कि मैं एक रुपया भेजता हूँ 15 पैसे नीचे तक पहुंचता है. यह बात झाबुआ में ही उन्होंने कही थी. हमने इस बात पर ध्यान दिया डीबीटी के माध्यम से पूरा का पूरा पैसा हितग्राही तक पहुंचता है. शत-प्रतिशत पैसा पहुंचता है यह इस बात का जवाब है. आज 10 साल के माननीय मोदी जी के रिकार्ड कार्यकाल के अन्दर कोई भी घोटाला, कोई भी भ्रष्टाचार, कोई घटनाक्रम उसके उलटे हम सबने देखा है, माननीय मनमोहन सिंह जी जब प्रधानमंत्री थे, कितने मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा था. उनको क्यों जाना पड़ा. यह दोनों कार्यकाल की तुलना का समय है. 10 साल उनका और 10 साल इनका. आज हमको माननीय मोदी जी का गुणगान तो करना ही पड़ेगा. मोदी जी का गुणगान करने के लिए एक नहीं दो नहीं लगातार कितने प्रकार के, कोई ऐसे निर्णय ले सकता था क्या. आज बताइए धारा 370 जम्मू कश्मीर के अन्दर हटना, यह असंभव था. आप नहीं हमारे कई सारे बड़े-बड़े नेताओं ने कहा था कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटते ही पूरे देश में बवाल आ जाएगा, दंगे हो जाएंगे. क्या क्या नहीं बोला गया था, खून की नदियां बहेंगी, क्या हो गया, एक मच्छर नहीं मरा. आज कश्मीर के अन्दर पर्यटन, तीर्थाटन की किस प्रकार से बाढ़ आई है, आप अंदाज तो लगा लें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके द्वारा अनुरोध करना चाहता हूँ. आप कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री जी के कार्यकाल में कोई भ्रष्टाचार नहीं हो रहा है अगर नहीं हो रहा है तो फिर सीएजी क्यों आब्जेक्शन ले रहा है. सीएजी इतने विभागों के अन्दर घोटाले क्यों बता रहा है. यह तो आपकी रिपोर्ट है.
डॉ. मोहन यादव -- नेता प्रतिपक्ष जी, आप कहां से कहां जोड़ रहे हैं.
श्री उमंग सिंघार -- कहां से कहां जोड़ा, मैं यहीं मध्यप्रदेश से जोड़ रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- अभी मुख्यमंत्री जी राष्ट्रीय विषय ले रहे हैं.
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया था.
श्री अभय कुमार मिश्रा -- अध्यक्ष महोदय, भ्रष्टाचार चल रहा है कि नहीं, टेंडर फिक्सिंग चल रही है कि नहीं.
डॉ. मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, तीन तलाक गलत है मुस्लिम बहनों के जीवन में यह काला पक्ष है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय किया था लेकिन उस निर्णय को लागू कराने में तत्कालीन कांग्रेस की सरकार सक्षम नहीं थी. 35 साल बाद यशस्वी प्रधानमंत्री सक्षम हुए उस पुराने निर्णय को भी लागू करके बताया कि हमारे लिए हिन्दू मुस्लिम में अन्तर नहीं है. हम सभी का सम्मान करना जानते हैं. इसीलिए उस निर्णय को भी लागू करवाया. राम मंदिर को लेकर भी इसी प्रकार का एक निर्णय हुआ और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू करवाकर पूरे देश में संदेश दिया कि भगवान राम के मामले में सुप्रीम कोर्ट जो निर्णय दे रही है उसे पूरा देश मानेगा. जब नीयत साफ हो, नीति साफ हो , मन साफ हो और काम करने का यश अच्छा हो तो ऐसा निर्णय आता है जो भगवान राम के मामले में हुआ. परमात्मा की दया से हिन्दू और मुस्लिम सभी ने स्वागत किया. पूरे देश में कहीं कोई दंगा नहीं हुआ. सारे धर्म के लोग मिलकर के भगवान राम की जय-जयकार में शामिल हुए. मुझे इस बात की प्रसन्नता है, हमारे 56 इंच के सीने वाले प्रधानमंत्री जी के कारण यह मौका हमारे सामने आया.
अध्यक्ष महोदय, नई शिक्षा नीति 1835 में लार्ड मैकाले द्वारा लागू की गई थी. उस नई शिक्षा नीति के मामले में भी देश तो आजाद हुआ, कांग्रेस ने सरकार चलाना चालू कर दिया लेकिन हमारी सांस्कृतिक धारा से विमुख ही रहे. लार्ड मैकाले ने जो शिक्षा नीति लागू की थी उसको हटाने का यश अगर किसी को मिलता है तो केवल यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी को मिलता है.
अध्यक्ष महोदय, बताने के लिए काफी सारी बातें बता सकता हूँ लेकिन अभी अभी इस संसद में भी जो फैसले हुए हैं कि पहले कानून के मामले में दण्ड संहिता हुआ करती थी, अब न्याय संहिता है. आँखों पर पट्टी बांधकर प्रतिमा बनाकर उसे न्याय की मूर्ति बताते थे, उस आंखों की पट्टी खोलने का काम भी किसी ने किया है तो हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री की सरकार ने किया है जिन्होंने कहा है कि न्याय खुली आंखों से होना चाहिए, बंद आंखों से कभी न्याय नहीं हो सकता है. ऐसे कई प्रतिमान बदलने का काम अगर नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने किया है तो क्यों हम उनका गुणगान नहीं करेंगे ? करेंगे, 10 बार करेंगे, 100 बार करेंगे. आपकी इच्छा होगी तो करेंगे, आपकी इच्छा नहीं होगी तब भी करेंगे.
श्री उमंग सिंघार -- आप अमित शाह जी की जगह तो नहीं आने वाले हैं प्रधान मंत्री जी की इतनी तारीफ कर रहे हैं ?
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, अभी मैं तारीफ नहीं कर रहा हूं उनके काम ही बता रहा हूं और यह काम इसलिये भी बताना चाहिये..
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो थोडी सी बात करना चाहूंगा. माननीय मुख्यमंत्री जी का भाषण हम सब लोग सुन रहे हैं, हमें कोई आपत्ति नहीं है ध्यान से सुन रहे हैं. सबसे ज्यादा ध्यान से सुनने की बात उनके लिये जरूरी है जो आगे की बेंच पर बैठे हैं. इस बात को अगर आप लोग कहते रहते तो ऐसी स्थिति नहीं होती. यहां नहीं आते.
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, आप कुछ भी कहो, लेकिन मैं तो यह बताना चाहूंगा कि मोदी जी का पहला कार्यकाल देश को समृद्ध भारत बनाने का कार्यकाल रहा है. मोदी जी का दूसरा कार्यकाल आत्मनिर्भर बनाने का और हमारे पूरे मध्यप्रदेश की साढे आठ करोड जनता के माध्यम से यह सरकार डबल इंजन के साथ बैठकर के उनके तीसरे कार्यकाल के लिये भी हम अपने पूरे प्राण प्रण से एकसाथ जुटेंगे और भारत को विकसित भारत बनाते हुये पूरी दुनिया का सिरमौर बनाने के लिये लगातार कटिबद्ध हैं. मैं बहुत देर से सुन भी रहा था, मेरे काफी मित्रों ने बोला और इनको बोलना भी चाहिये. विचारों में भिन्नता हो सकती है लेकिन विचारों की भिन्नता मन के विकार में नहीं बदल जाए इसकी चिंता भी थोडी सी करने की जरूरत है. इसलिये बात करते-करते हमने अपने तथ्यात्मक आंकडों की अगर बात कही तो मैं भी आंकडों से ही आपको थोडा सा अहसास कराना चाहूंगा कि आप अंदाज लगा लीजिये, जितनी सारी बातों की डिमांड आपने हमारी सरकार के माध्यम से की हैं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, यह चर्चा राज्यपाल जी के अभिभाषण पर 8 तारीख से चल रही है. 8, 9 और आज 12. आपने जो नामों की स्टार्टिंग की है वह केवल आज के नामों की चर्चा की, शुरुआत तो हम लोगों ने भी की है. हमने भी सुझाव और भी मुद्दे दिये हैं.
डॉ. मोहन यादव -- बाला बच्चन जी, अगर ऐसा हुआ है तो मैं आप सबके भी नाम जिनके अभी नहीं बोले हैं..
श्री बाला बच्चन -- आपने केवल आज के नामों को बोला है. आपके पास लिस्ट नहीं है, क्योंकि 8 तारीख से चर्चा चल रही है. ओपनिंग हम लोगों ने की थी. आपके पास वह लिस्ट ही नहीं है.
डॉ. मोहन यादव -- मैं सहमत हूं ना.
अध्यक्ष महोदय -- बाला बच्चन जी, मुख्यमंत्री जी जिनके नाम नहीं ले पाये उनके भी पढे हुये माने जाएंगे. ..(हंसी)..
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन -- बहुत देर से आपको याद आयी. हम पहले बोल सकते थे.
अध्यक्ष महोदय -- अब बाला भाई, आगे बढने दें. आज समापन का दिन है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी, शुरुआत 8 तारीख से हम लोगों ने की है, जब आपके पास वह मुद्दे ही नहीं हों, सुझाव हम लोगों ने रखे हैं, सुझाये हैं, आपको आधी अधूरी जानकारी दी गई है, आपने वहीं से शुरुआत कर दी है.
डॉ. मोहन यादव -- मैं बाला बच्चन जी का नाम भी उल्लेख करता हूं. आपने भी अच्छे विचार व्यक्त किये और जिन-जिन ने भी किये हैं मैं सारे मित्रों के नाम लेना चाहता हूं.
श्री बाला बच्चन -- मेरा निवेदन है माननीय मुख्यमंत्री जी, प्रदेश में आप क्या करने जा रहे हैं आप उस पर स्पीचेस दें, आप उस पर बताएं. माननीय मुख्यमंत्री जी, हम यह चाहते हैं.
डॉ. मोहन यादव -- अभी आप हमको बोलने तो दो.
श्री अभय कुमार मिश्रा -- अभी केवल प्रस्तावना चल रही है इसके बाद राज्यपाल जी का अभिभाषण आएगा ना, उस पर चर्चा होगी.
अध्यक्ष महोदय -- अभय मिश्रा जी, अभी रुको. आप बैठो.
डॉ. मोहन यादव -- मुद्दा यह है कि हमारे अपने राज्य की बात करेंगे, तो मैं तो यह आपके हित की बात कर रहा था कि मोदी जी की तारीफ करके कांग्रेस की बुराई कम करूं. अब नहीं मानते हैं तो सुनना चालू करो. अब आपको तो शुरू करता हूं. अभी हमारे सामने आंकडे हैं कि पिछले 10 साल के माननीय दिग्विजय सिंह के कांग्रेस शासन काल के शासन में एक राज्य की पहचान क्या थी. क्या बिजली थी ? नहीं. क्या पानी था ? नहीं. क्या सडक थी ? नहीं. कहां-कहां गड्ढे थे, कहां-कहां घोटाले थे, किस- किस के झगडे थे.
श्री उमंग सिंघार -- अभी भी बिजली नहीं है. 18 साल में अभी भी बिजली नहीं है.
डॉ. मोहन यादव -- आप अंदाज तो लगा लो मैं कहां ले जाकर खडा करूंगा. आपको अच्छा भी सुनने में नहीं आ रहा है तो मैं आपकी बात सुनाता हूं. बाला जी, मैं तो चाह रहा था कि आपने इस पूरे सदन के अंदर यह अच्छी बात है कि कोई ऐसा विषय आये जिन विषयों के आधार पर हम अपनी बात भी रखें और आपने कोई कमी बताई, तो मैं उसको भी लाना चाहता हूं. मुझे इसमें कोई गुरेज नहीं है कि कोई कमी अगर हमारी रही होगी तो मैं निश्चित रूप से उसमें संशोधन करना चाहूंगा क्योंकि यह हम और आप मिलकर के बस मुझे इतना ही कहना है कि आप दो महीने में मेरी इतनी परीक्षा लेने को तैयार हो, 15 महीने की सरकार में आपका क्या हाल हुआ ? जितने आपने आश्वासन दिये, जो-जो घोषणा करके सरकार बनाई, आप 15 महीने में नहीं कर पाए और आप दो महीने वाली सरकार से सारी अपेक्षा करें ?
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, आप कह रहे हैं कि संशोधन करना चाहें, तो यह 15-15 करोड रुपये जो बंदरबाट हो रही है, 50 करोड की क्या यह करेंगे ? सबका साथ, सबका विकास की बात कर रहे हैं, तो कहां कर रहे हैं ? बोलने से क्या होगा. निष्पक्ष बात करें. अध्यक्ष महोदय-- (श्री अभय कुमार मिश्रा के खड़े होने पर) अब कृपा करके अभय जी, यह टोका टाकी बंद करें. मुख्यमंत्री जी का रिप्लाय चल रहा है. बाकी सारे लोगों ने अपनी अपनी बात ठीक से रखी है, अब चूंकि मुख्यमंत्री जी का रिप्लाय हो रहा है, तो हमें चुप रहकर सुनना चाहिये अभी.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट. मैं नेता प्रतिपक्ष उमंग सिघार जी का इस बात के लिये धन्यवाद करना चाहता हूं कि जब सवा साल कांग्रेस की सरकार थी, तो उमंग सिंघार जी ने उस समय अपने नेताओं के खिलाफ खनन माफिया, शराब माफिया, भू माफिया, इनके खिलाफ जो आपने लड़ाई लड़ी थी, उसके लिये आपका धन्यवाद.
..(हंसी)..
अध्यक्ष महोदय-- चलिये, मुख्यमंत्री जी.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, ये राज्यपाल जी के अभिभाषण पर था क्या.
अध्यक्ष महोदय-- निष्पक्ष रुप से तारीफों के पूल बांधे जा रहे हैं, इधर से भी, उधर से भी.
..(हंसी)..
डॉ. मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय, मैं अब मध्यप्रदेश की बात करना चाहूंगा. लगभग प्रदेश में खास करके मध्यप्रदेश की विकास दर आज की स्थिति में 16 प्रतिशत से अधिक है. ऊर्जा क्षमता आपकी सरकार के समय में 4 हजार मेगावाट थी, आज की स्थिति में 29 हजार मेगावाट है. अगर यह आगे बढ़ी है, तो यह केवल भारतीय जनता पार्टी की सरकार की कार्यकुशलता के कारण से बढ़ी है. आज 47 लाख हेक्टेयर से अधिक सिंचाई की सुविधा मिली है, तो मैं बधाई देना चाहूंगा भारतीय जनता पार्टी के सभी सदस्यों को और सरकार के सभी अंगों को, जिनके माध्यम से आज सिंचाई की सुविधा मिली है. लगभग साढ़े 5 लाख किलोमीटर से अधिक चम-चमाती सड़कें अगर मिली हैं, तो इसका श्रेय भी केवल भारतीय जनता पार्टी की सरकार को देना चाहूंगा. स्वच्छता के मामले में आप बताइये पूरे देश में लगातार सातवीं बार इन्दौर अगर प्रथम आ रहा है, तो निश्चित रुप से यह हमारे अपने काम करने की क्षमता की वजहरसे और इसी के साथ साथ अभी मध्यप्रदेश सेकण्ड है स्वचछता के मामले में भी पूरा प्रदेश. इसी के साथ साथ खनिज ब्लॉक आवंटन में नीलामी के अन्दर पहला अगर पुरस्कार किसी को मिला है, तो मध्यप्रदेश को मिला है. साफ सुथरे ढंग से अपने खनिज खदानों का निवर्तन अगर किसी ने किया है, तो हमारी सरकार ने किया है. लगतार ऐसे कई सारे प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वनिधि योजना, आयुष भारत योजना, किसान सम्मान निधि योजना, मातृ वंदन योजना , सभी योजना में हम अग्रहणी बने हुए हैं. यह निश्चित रुप से हमारे लिये गर्व और गौरव की बात है. मुझे तो इतना आनन्द आ रहा है कि आपकी इसी प्रकार की व्यवस्थाओं के आधार पर आपने तो सारे प्रबंध कर लिये कि एनटी इनकम्बेंसी होगी, लेकिन कमबेक तो हमारा ही हुआ है. 163 सीट लाकर के यह जनता का विश्वास है. यह अपने आप में प्रमाण है कि जनता भाजपा पर विश्वास करती है,हमारी सरकार का काम और कार्य प्रणाली पर विश्वास करती है. हाथ कंगन को आरसी क्या, पढ़े लिखे को फारसी क्या. यह आंकड़े बात रहे हैं, यह आंकड़े आप खुली आंखों से देखोगे, तो आपको सब कुछ मिल जायेंगे. लेकिन देखना नहीं चाहोगे तो मैं कुछ नहीं कर सकता. हमको सत्य को तो स्वीकरना पड़ेगा. आज के इस सुअवसर पर निश्चित रुप से मैं गारंटी से कह सकता हूं कि अभी तो 163 सीट लेकर आये हैं, निश्चित रुप से 400 सीट के बाहर जाने वाला है एनडीए और भाजपा अपनी सभी सीटें लोकसभा की यहां भी जीतने वाली है. आज इस संकल्प पत्र की चर्चा में अपने कई सारे मित्रों ने उल्लेख किया है कि संकल्प पत्र में यह बोला गया था, वह बोला गया था. निश्चित रुप से संकल्प पत्र में बोला गया, वह तो हम करेंगे, लेकिन संकल्प पत्र हमने 5 साल के लिये रखा था, दो महीने के अन्दर नहीं. आपने कौन सा वचन पत्र बनाया था, उस वचन पत्र के बिन्दु आप 15 माह में भी पूरे नहीं कर पाये और हमने दो माह से भी कम समय में 40 से ज्यादा बिन्दुओं को लागू करके दिखाया है. और टंट्या मामा के नाम से यूनिवर्सिटी बनाना उसमें नहीं था. तात्या टोपे के नाम से यूनिवर्सिटी बनाना उसमें नहीं था. ऐसे 11 आयुर्वेदिक कालेज खोलना यह भी हमने संकल्प पत्र में नहीं कहा था. हमने कहा कि यह यह भी सब जरुरी है, तो जरुरी नहीं है कि हम वही करें. जब जब लगेगा प्रदेश की बेहतरी के लिये जो जरुरी है, वह सारे के सारे काम हम करने के लिये तत्पर हैं. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि पूरी सरकार एक जुटता के साथ इन विकास के मामलों में लगातार आगे बढ़ रही है. मैं बताना चाहता हूं कि हमारा यह संकल्प पत्र केवल कागज का टुकड़ा नहीं है. यह हमारे लिए पवित्र धर्मग्रंथ की तरह है. यह गीता, रामायण की तरह है. निश्चित रूप से पूरे 5 साल में अक्षरशः इसको लागू करना यह संकल्प भी हमारा है और इसी आधार पर यह सरकार बनाई गई है.
अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि हमने 2 माह से भी कम समय में तेंदूपत्ता संग्राहकों को 4000 रुपये प्रति बोरा देने की बात की है. श्री अन्न प्रोत्साहन योजना लागू की है, जिसके आधार पर 1000 रुपये प्रति क्विंटल हमारे अपने जो ट्राइबल के अति पिछड़े लोगों की उस फसल कोदो कुटकी इत्यादि को श्री अन्न प्रोत्साहन योजना में देने के लिए सरकार ने पहली कैबिनेट में फैसला किया है. अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि हितग्राहीमूलक कोई भी योजना, कई सारे मित्रों ने कहा कि यह योजना बंद हो जाएगी, अब कहां से राशि लाओगे, अब पैसा नहीं है, यह नहीं है, वह नहीं है. आप कहते रहिए. हमारी सारी योजनाएं जारी रहेंगी. कोई योजना जनहितैषी बंद होने वाली नहीं है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि 5 साल में लगातार आप तो अंदाजा लगा नहीं सकते हैं, लेकिन मैं यह समझ सकता हूं कि जो बातें आपने की थी कि कांग्रेस के लोगों ने जहां नदी नहीं थी वहां पुल बनाकर बताए थे? लेकिन हमने तो अपनी बात को जितने अच्छे ढंग से जो लागू कर सकते हैं, उन्हीं बातों को संकल्प पत्र में लाया है. अब मैं कांग्रेस की कुछ बात अगर याद दिलाना चाहूंगा, आपने किसानों की कर्ज माफी का वायदा किया था, आपने मादक पदार्थ मुक्त प्रदेश बनाने की बात कही थी. आपने संविदा कर्मियों को नियमित करने की बात कही थी. आपने लिपिकों से वेतन विसंगति को दूर करने का वायदा किया था. आपने आउट सोर्स कर्मचारियों की सुरक्षा का वायदा किया था. लगातार इतनी लम्बी लाइन है. कन्यादान में भी आपने कहा था कि 51000 रुपया देंगे. एक बहन को नहीं दिया. एक सामूहिक विवाह आपके माध्यम से नहीं हुआ है. आईटी में एक लाख लोगों को रोजगार देने की बात कही थी. फसलों पर बोनस देने की बात कही थी.
श्री लखन घनघोरिया - माननीय मुख्यमंत्री जी, 15 महीने में 71000 शादियां की थी.
श्री बाला बच्चन - हम लाड़ली बहनाओं को 51000 रुपये देते थे. आप सदन में असत्य बयान कर रहे हैं. मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में हमने राशि दी थी.
श्री लखन घनघोरिया - 15 महीने में 71000 शादियां हुई थीं. 316 करोड़ रुपया दिया था.
डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष महोदय, एक निवेदन है कि जब मैं सबका भाषण सुन रहा था तो आप भी इस अनुशासन का पालन कराएं.
अध्यक्ष महोदय - आप कंटिन्यू करें.
डॉ. मोहन यादव - आपने लगातार मेधावी विद्यार्थियों से लेकर महिलाओं को निःशुल्क स्मार्ट फोन देने का वायदा किया था. मंडी शुल्क को एक फीसदी करने का वायदा किया था. दूध उत्पादन में 5 रुपये लीटर बोनस देने का वायदा किया था. पेट्रोल डीजल कीमत में राहत देने का वायदा किया था, वह कहां हुए वायदे? बेरोजगारी भत्ता.
श्री अभिलाष पाण्डेय - 4000 रुपये बेरोजगारी भत्ता का भी कांग्रेस ने वायदा किया था.
डॉ. मोहन यादव - जो मेले में भटक जाय अध्यक्ष जी, वह तो घर आ सकता है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - अध्यक्ष महोदय, संकल्प पत्र और वचन पत्र, दोनों 5 साल के लिए बनते हैं. दो महीने में आपने संकल्प पत्र को पूरा कर दिया क्या? कैसा आप बोल रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय - आप मुख्यमंत्री जी को बोलने दें.
डॉ. मोहन यादव - यह जो बात आप रख रहे हैं. यह बात वही वाली है कि जब बारिश खत्म हो जाय तो छतरी भी बोझ लगती है. अब इनको संकल्प पत्र भी भारी लग रहा है. बारिश खत्म हो तो छतरी भी भारी लगती है. थोड़ा अहसास तो करो कि क्या कह रहे हैं? किसको कह रहे हैं? न मुद्दा बचा, न बात बची, न वचन बचा, न नीति बची, न नीयत बची, न नेता बचे, कोई यहां, कोई वहां, कोई कहां, पता नहीं कहां-कहां ढूंढते फिर रहे हैं, लेकिन मैं नेता प्रतिपक्ष के साथ में शुभकामना देता हूं कि कम से कम आपने इस बिखरी हुई पूरी जमात को इकट्ठा लाने का तो प्रयास किया है. मैं इस मामले में आपके लिए धन्यवाद भी देना चाहता हूं. अभी अभी श्री हेमंत जी ने कहा लेकिन जवाब देने के पहले मैं एक बात जोड़ना चाहता हूं कि आपने जो महाकाल मंदिर में ओरछा में जो हेलिकॉप्टर सुविधा देने की बात कही है, केदारनाथ या अन्यान्य धार्मिक स्थानों पर जो हवाई यात्रा सुविधा देने की बात कही है कि हेलिकॉप्टर के माध्यम से जिनके पास में समय की कमी है, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लोगों को रोजगार देने के लिए मध्यप्रदेश में बार-बार बुलाने के लिए यह हमारी सरकार ने निर्णय किया है कि हम बहुत जल्दी और मानकर चलें, इसी लेखानुदान में भी इसके लिए कुछ राशि रखी है, कोशिश तो यह कर रहे हैं कि टेण्डर ठीक टाइम पर डल जाय तो लोकसभा चुनाव के पहले-पहले इंदौर से महाकालेश्वर, इंदौर से ओंकारेश्वर और इंदौर से बाकी धार्मिक स्थानों की यात्रा करा सकें. उसी प्रकार से ग्वालियर से ओरछा, ग्वालियर से दतिया, पीताम्बरा पीठ के दर्शन करने का मौका मिल जाय. ऐसी कई सारी योजनाओं को लेकर हमने इस लेखानुदान में रास्ता बनाया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहूंगा कि जिस प्रकार से इस लेखानुदान के माध्यम से खासकर के माननीय प्रधानमंत्री जी ने जो हमारे लिए मदद की है, वह चंबल के लोगों के लिए तो वाकई वरदान है. हमारे पास पार्वती, कालीसिंध और चंबल तीनों नदियों को जोड़ने का यह जो पीकेसी योजना है, मैं बधाई देना चाहूंगा कि 75 हजार करोड़ की योजना में केवल 10 परसेंट अंश हमारा रहेगा और 90 परसेंट पूरा अंश भारत सरकार का रहने वाला है (मेजों की थपथपाहट) उसमें 10 जिले से ज्यादा यह जो खासकर के हमारे ग्वालियर, मुरैना, शिवपुरी, भिण्ड, गुना जो किसी न किसी कारण से पिछडे़ हुए थे, यहां पीने के पानी का भी और सिंचाई का भी पर्याप्त प्रबंधन होगा. इसी के साथ-साथ मालवा के जिले उज्जैन, इंदौर, देवास, शाजापुर, आगर इन जिलों में भी इसी का लाभ मिलने वाला है. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि आपने सरकार के मामले में कई बार कहा कि केन्द्र सरकार की तारीफ क्यों करते हो. अरे, केन्द्र सरकार की तारीफ इसलिए करते हैं कि केन्द्रीय करों में जिन 3 राज्यों को सर्वाधिक हिस्सा मिल रहा है उसमें मध्यप्रदेश भी एक राज्य है जो अपना सर्वाधिक अंश ले रहा है.(मेजों की थपथपाहट) जीडीपी में हमारी हिस्सेदारी तो केवल चार परसेंट है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- मध्यप्रदेश फिर भी कर्जा ले रहा है. टैक्स मिल रहा है फिर भी कर्जा ले रहा है. अपना हिस्सा मिल रहा है फिर भी मध्यप्रदेश कर्जा ले रहा है.
डॉ.मोहन यादव -- आप बोलने की जल्दी-जल्दी कर रहे हैं. आप सुनोगे, तो फिर आपके लिए बहुत अटपटा लगेगा.
श्री उमंग सिंघार -- हम सब तरह से तैयार हैं.
डॉ.मोहन यादव -- जीडीपी में यद्यपि हमारी हिस्सेदारी 4.6 प्रतिशत की है और जो केन्द्र हमको 7.85 प्रतिशत की हिस्सेदारी दे रहा है (मेजों की थपथपाहट) यह हमारे अपने यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी की सरकार है. आज भी अंदाज लगा लीजिए कि इस 2023-24 में जो 80 हजार करोड़ की धनराशि दिये थे लेकिन आज इसी 2024-25 के बजट में 95 हजार करोड़ से भी ज्यादा की धनराशि राज्य को दी गई, जो राज्य के विकास के लिए हम सबके काम आएगी. आप अंदाज लगा लीजिए कि कभी कहीं 60 परसेंट से ज्यादा सभी योजनाओं के लिए केन्द्रांश उपलब्ध हो रहा है. सरकार के माध्यम से हम सब जानते हैं बल्कि केन्द्रीय कर के माध्यम से पूंजीगत कार्यों के लिए 50 साल के आधार पर हमको बगैर ब्याज का पैसा दे रहे हैं. विकास के मामले में आज यह जो बड़ी मदद मिल रही है क्या यह पुरानी सरकार में हो सकता था कि 50 साल की लंबी अवधि के लिए बगैर ब्याज का पैसा प्रदेश के विकास के लिए मिले, यह केवल एकमात्र व्यक्ति कर सकते हैं जिनका नाम नरेन्द्र मोदी है, यह उनकी सरकार का लाभ है. 10 हजार करोड़ की लागत से 724 किलोमीटर की 24 सड़क परियोजना, 3 हजार करोड़ से अधिक की रेल परियोजना यह सारी की सारी सौगात अगर मध्यप्रदेश को मिल रही है तो यह मध्यप्रदेश का सौभाग्य है.
अध्यक्ष महोदय, हमने आदिवासियों के लिये खासकर उनको केवल वोट बैंक के कारण से बात नहीं की है. इतिहास रचने वाले सारे जननायक, जिनके लिए हम सब जानते हैं माननीय प्रधानमंत्री जी ने उन सबका खोया सम्मान वापस लौटाया है. हम सब जानते हैं कि आज टंट्या मामा के नाम से जो यूनिवर्सिटी बना रहे हैं हम सब जानते हैं कि टंट्या मामा को वर्षों तक शिक्षा नीति में किस नाम से जाना गया था. उनका अपमान हुआ था. इस अपमान का कोई हकदार है तो आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी है, जिन्होंने टंट्या मामा का सम्मान भी उनको देने का प्रयास नहीं किया. हमने अपने पाठ्यक्रम में उनको हिस्सा दिया. रानी दुर्गावती, टंट्या मामा, भीमा नायक, रघुनाथ शाह, शंकरशाह लंबीमालिका है जिनको सम्मान देने का अगर किसी ने काम किया है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार के माध्यम से किया है.
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयर्गीय) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हॅूं. इसलिए कि कांग्रेस ने गुरू गोविन्द सिंह जी को भी लुटेरा कहा था, शिवाजी को भी लुटेरा कहा था और इतिहास के पन्नों में और इतिहास के पन्नों में टंट्या भील को भी लुटेरा कहा. जितना महापुरूषों का असम्मान कांग्रेस ने किया, कांग्रेस को लज्जा आना चाहिए...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- कैलाश जी..
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, यह लुटेरा शब्द...(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- जिन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग नहीं लिया हो...(व्यवधान)...
श्री इंदर सिंह परमार -- जो इतिहास की किताबों में पढा़या गया है वही उल्लेख माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी ने किया है...(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- कौन से इतिहास में है, किसने कहा है. कौन से पेज में है. इतिहास मैंने पढ़ा है...(व्यवधान)..
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, सीबीएसई के कोर्स में है..(व्यवधान)..
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- अध्यक्ष महोदय, यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार देश को गुमराह करने का काम रही है..(व्यवधान).. .. यह लोग बेरोजगारी पर बात नहीं करते हैं, शिक्षा पर बात नहीं करते हैं. (व्यवधान))
श्री कैलाश विजयवर्गीय—यह एन.सी.ई.आर.टी.सी की पुस्तक में है. (व्यवधान)
श्री इंदर सिंह परमार—हम तो देश का गौरव बढ़ाने की बातें करते हैं. यह लोग इस तरह से चिल्ला चिल्ला कर बोलते हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—आप मरकाम जी बैठिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम—यह धर्म के नाम पर देश को तोड़ने का काम कर रहे हैं. (व्यवधान) धर्म के नाम पर इस तरह से राजनीति नहीं करनी चाहिये. क्या इनके इतिहास पर हम चलेंगे. यह लज्जा की बात है कि इस तरह से लोकतंत्र की रक्षा कैसे होगी ?(व्यवधान) प्रधानमंत्री जी से लेकर छोटे से कार्यकर्ता तक यह लोग असत्य बातें करते हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—आप मरकाम जी बैठिये. अभय जी आप भी बैठिये.
श्री अभय कुमार मिश्रा—कभी कभी सत्य को भी स्वीकारो भईया. सत्य को स्वीकारने में आपका भी कल्याण होगा.(व्यवधान)
इंदर सिंह परमार—इन लोगों ने रामलला का अयोध्या का न्यौता तक ठुकरा दिया. इनसे क्या उम्मीद करेंगे ?(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—बाकी लोग चुप रहेंगे तो मैं इस बारे में कुछ सोचूंगा नहीं तो आप भी बोलो और यह भी बोलें. सब बोलो. अब कुल मिलाकर के जो बात चल रही है, वह इतिहास से जुड़ी हुई है. मैं तथ्यों को देखकर उसको दिखवाऊंगा.
श्री रामनिवास रावत—आप इसको विलोपित करवाईये. (व्यवधान)
श्री कैलाश विजयवर्गीय—मैंने तथ्यात्मक बात कही है. आप चाहें तो इस सदन में तथ्य प्रस्तुत कर सकता हूं. (व्यवधान)
श्री दिलीप जायसवाल—एन.सी.ई.आर.टी के पन्नों पर साफ तौर पर लिखा हुआ लुटेरा शब्द है. उसको बदलने का काम डॉ.मुरली मनोहर जोशी जी ने किया है. इसमें जितनी दुराव्यवस्था थी उसको सुधारने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है. आप तो महानायकों को भी झूठा साबित करने के लिये लगे थे. (व्यवधान)
श्री इंदर सिंह परमार—इसकी जांच हो जाने दीजिये एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी यह नहीं चलेगी. (व्यवस्था)
श्री रामनिवास रावत—इसको आप अध्यक्ष जी विलोपित कराईये. (व्यवधान)
श्री ओमकार सिंह मरकाम—बाबा साहब अंबेडकर जी को स्कूल में कौन अनुमति नहीं देता था, यह किस विचारधार के लोग हैं ? (व्यवधान) जो बाबा साहब को स्कूल में घुसने नहीं देते थे. (व्यवधान)
श्री इंदर सिंह परमार—इन लोगों को भारत का इतिहास पढ़ने की सख्त जरूरत है ?(व्यवधान) आप लोग गलती भी करें और आप लोगों को इस बात को सुनना भी नहीं है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—कृपया सब लोग बैठिये मैं खड़ा हुआ हूं. मेरा सदन के सभी सदस्यों से आग्रह है कि राज्यपाल जी के अभिभाषण पर चर्चा चल रही है. सभी ने इस पर विस्तार से चर्चा की है. सबको चर्चा में भाग लेने का पूरा समय मिला है. जितना समय निश्चित था उससे ज्यादा लोगों ने बोला है. और मैं समझता हूं कि चर्चा ठीक दिशा में जा रही है. एक विषय कैलाश जी ने उठाया, उस पर कांग्रेस पक्ष के लोगों को आपत्ति है. आपकी मान्यता यह है कि उसको विलोपित किया जाए, लेकिन बहुत सारे सदस्यों ने एनसीईआरटी की पुस्तकों का हवाला दिया है, अभी एनसीईआरटी की पुस्तक मेरे सामने उपलब्ध नहीं है, इसलिए इस समय मैं कोई व्यवस्था दूं, यह उपयुक्त नहीं है, दोनों की बात आ गई है, मैं तथ्यों की जांच करवाकर कार्यवाही करुंगा.
श्री रामनिवास रावत - इतिहास में कौन से इतिहासकार ने ये कहा है, कौन से इतिहासकार ने ये कहा है, हम कुछ भी कहे, माननीय अध्यक्ष महोदय बहुमत का अर्थ यह नहीं होता कि आप कुछ भी बोलें.
अध्यक्ष महोदय - रामनिवास जी, एनसीईआरटी की पुस्तक (...व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत - विपक्ष के बारे में कुछ भी बोले, ये उचित नहीं है. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - रामनिवास जी एनसीईआरटी की पुस्तक नहीं है यहां पर उसे विलोपित नहीं कर सकते अभी (...व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत - उसे विलोपित कीजिए. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - ओमकार जी, शैलेन्द्र जी, उषा जी बैठ जाए, मुख्यमंत्री जी का रिप्लाई हो रहा है. (...व्यवधान)
सुश्री उषा ठाकुर - मैं इनका सर्टिफाइड कॉपी उपलब्ध करवाती हूं. (...व्यवधान)
5:31 बजे. अध्यक्षीय घोषणा.
सदन के समय में वृद्धि विषयक.
अध्यक्ष महोदय - राज्यपाल के अभिभाषण पर मुख्यमंत्री जी के जवाब और शून्यकाल की कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाती है. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई )
राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य द्वारा दिनांक 7 फरवरी, 2024 को प्रस्तुत कृतद्यता प्रस्ताव पर चर्चा का ..... पुनर्ग्रहण(क्रमश:)
श्री रामनिवास रावत - आपकी सहृदयता से हम आपका आभार व्यक्त करते हैं कि आपने पूरा समय दिया. माननीय मुख्यमंत्री जी के भाषण हम शांतिपूर्वक सुन रहे थे. कैलाश जी नहीं चाहते कि मुख्यमंत्री का भाषण पूरा हो, इसलिए इन्होंने इन्ट्रप्ट किया और (...व्यवधान)माननीय अध्यक्ष महोदय बहुमत का मतलब ये नहीं होता.
अध्यक्ष महोदय - उमाकांत जी बैठ जाइए. (...व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर इसी तरह से चलेगा तो फिर हमारे बैठने का कोई मतलब नहीं है, कोई कुछ भी हमारे बारे में. (...व्यवधान)
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - बैठ जाइए. (...व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत - कौन कह रहा बैठने के लिए, अध्यक्ष महोदय कम पड़ रहे हैं क्या.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - मुख्यमंत्री जी बोल रहे आप बैठ जाए न. (...व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत - आप कौन हो. (...व्यवधान)
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - आप व्यवधान क्यों कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय - आपस में एक दूसरे को मत बोलिए, नरेन्द्र सिंह जी बैठ जाइए, आप लोग बैठ जाइए, कृपया बैठ जाइए(...व्यवधान) मर्यादाओं का ख्याल रखिए ऐसा नहीं होता.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, उसे विलोपित करवाएं मेरा विनम्रतापूर्वक निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय - रामनिवास जी, मैंने बहुत साफ कहा है, एनसीईआरटी की किताब नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - एनसीईआरटी की बुक निकलवा लें, तब छपवा देना लेकिन अभी निकलवाओ, अभी प्रस्तुत करो, अभी ले आओ, एनसीआरटी की किताबें कोई इतिहास नहीं है. (...व्यवधान)
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय - तुलसी भाई प्लीज बैठ जाएं. मुख्यमंत्री जी को बोलने दीजिए.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, न मुख्यमंत्री जी प्रदेश के बारे में राज्यपाल के अभिभाषण के बारे में चर्चा कर रहे हैं और माननीय कैलाश जी विषय को अलग ले जा रहे हैं. चर्चा हो रही तो किस बात पर हो रही, प्रदेश के विषयों पर बात हो रही है?
अध्यक्ष महोदय - थोड़ा विषयांतर हो गया, नेता प्रतिपक्ष जी बैठ जाइए.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष जी, बात ही नहीं हो रही है.
अध्यक्ष महोदय - मुख्यमंत्री जी अपनी बात पूरी करें.
मुख्यमंत्री(डॉ. मोहन यादव) - अध्यक्ष महोदय, भारत वर्ष में सुशासन की लंबी परम्परा है. भगवान राम के काल से लगाकर के सम्राट विक्रमादित्य, राजभोज सबने सुशासन के उच्चतम मापदंड स्थापित किए हैं.
श्री उमंग सिंघार - अध्यक्ष जी, एनसीईआरटी की बुक कोई इतिहास का आधार थोड़े ही है.
डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष जी मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि शासन के अंदर, जब तक हमारे आदर्श इस प्रकार से नहीं होंगे, शासन चलाने में कहीं न कहीं इस बात की कमी रहती है, मुझे इस बात की प्रसन्नता है.
श्री उमंग सिंघार - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था बनाएं, आप व्यवस्था दें, छोटी सी बात है आप उसको विलोपित करवाएं. हमारे रावत जी ने बोला बाद में जुड़वा लेना, लेकिन अभी तो उसको विलोपित करवाएं.
अध्यक्ष महोदय - प्लीज बैठ जाए.
डॉ. मोहन यादव - ऐसे कई सारे शासकों को सामने रख कर सरकार चलाने का प्रयास किया और सरकार के गठन के पहले दिन से लगाकर के हमने सुशासन को आदर्श माना, उस दिशा में बढ़ने का प्रयास किया. जनता के प्रति जवाबदेही, पारदर्शिता, निष्पक्षता और सेवाभाव, यह सभी मूल तत्वों को आगे रखकर हमने चलने का संकल्प किया और इसी की शुरूआत में हमने अपने काम के आधार पर मंत्रिमण्डल के सदस्यों के साथ स्वयं मैं भी बैठा और दो दिन तक हमारी गुड गवर्नेंस की लीडरशिप समिट का आयोजन किया गया, जिसमें मैं स्वयं सम्मिलित हुआ (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, विधायकों से भी हमने कहा कि आप योग्य प्रकार के प्रशिक्षण जो आपने प्रबंधन किये थे, उसमें बैठें क्योंकि लोकतंत्र के इस पावन मंदिर में ऐसे सभी तरह से नये आये विधायक भी और बाकी मित्रों के साथ निश्चित रूप से हमको इन सब बातों की जानकारी होगी, तो यह हमारी सदन की कार्यवाही चलाने के लिये हमारे दायित्व का निर्वहन करने के लिये काफी मदद होगी.
अध्यक्ष महोदय -- (नेता प्रतिपक्ष, श्री उमंग सिंघार द्वारा अपने आसन से कहने पर) नहीं-नहीं, अभी मुख्यमंत्री जी का रिप्लाई हो रहा है, रिप्लाई को सुन लें.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था दें, हमारा आपसे अनुरोध है.
श्री रामनिवास रावत-- मैं इस पक्षपात से...(व्यवधान) ..
अध्यक्ष महोदय -- मैं व्यवस्था दे चुका हूं.
श्री उमंग सिंघार -- आपसे अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं आपके आग्रह पर ही व्यवस्था दे चुका हूं, मुख्यमंत्री जी आप कंटीन्यू करें.
श्री रामनिवास रावत -- (व्यवधान) .. अगर उसके बारे में ऐसा कहेंगे तो यह बहुत आपत्तिजनक है. (व्यवधान) ..
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि हमने विधानसभा के गठन होने के बाद तीन संभागों के अंदर, संभाग स्तर पर हमारे सारे के सारे (व्यवधान) .
5.36 बजे बर्हिगमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बर्हिगमन
श्री उमंग सिंघार -- अध्यक्ष महोदय, विधानसभा में प्रदेश के मुद्दों पर बात ही नहीं हो रही है, किसान की बात नहीं हो रही है. अध्यक्ष महोदय अगर ऐसा ही रहेगा और प्रदेश के मुद्दों पर बात नहीं होगी तो हम बर्हिगमन करते हैं. (व्यवधान)
( नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा मुख्यमंत्री के उत्तर का विरोध करते हुए सदन से बर्हिगमन किया गया)
(व्यवधान).....
राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य द्वारा दिनांक 7 फरवरी, 2024 को प्रस्तुत कृतज्ञता प्रस्ताव पर चर्चा का ..... पुनर्ग्रहण(क्रमश:)
डॉ.मोहन यादव -- (व्यवधान).. उन व्यवस्थाओं के आधार पर हमने करने का प्रयास किया है और यही कारण है कि हमारी समिट के बाद और इसी आधार पर मैं अपने मित्रों को बताना चाहूंगा कि हमारे द्वारा पूर्ववत सरकार के द्वारा भी लिये गये निर्णय और उस निर्णय में अगर कोई कमी पेशी लगती है, समय के साथ व्यवस्था बदलती है, तो हमने उस निर्णय को बदलने में भी देरी नहीं की है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे अपने भोपाल का बी.आर.टी.एस. का उदाहरण सबके सामने है, जब हमने कहा कि इस बी.आर.टी.एस. के बनने से और बनने के बाद अनुभवों में कहीं हमको थोड़ी कठिनाई दिखाई दी, तो बगैर संकोच हमने बी.आर.टी.एस. को भी वापस लेने का जनता के हित में फैसला किया(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि अब सभी संभागों जिलों, तहसीलों, जनपदों में ऐसी प्रशासनिक इकाई में भी चूंकि अब नये जिले बने हैं, नये संभागों की दृष्टि से, जिले की दृष्टि से, तहसीलों की दृष्टि से, कहीं युक्तियुक्तकरण की आवश्यकता लगेगी, तो हम उस दिशा में भी निर्णय कर रहे हैं कि आने वाले एक साल के अंदर जिस प्रकार से हमने थानों की सीमाओं को बदलते हुए, जनता के हित में उनकी सीमाओं का पुनर्सीमन कराया था, उसी प्रकार से प्रशासनिक रूप से हम इस पर पुर्नविचार कर रहे हैं, ताकि इस संबंध में आयोग बनाने की कार्यवाही की जा रही है, बहुत जल्दी युक्तियुक्तकरण को लेकर एक निर्णय हम इसमें करने जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार राजस्व महाअभियान चलाकर मेरे यहां साथी मित्र हमारे अपने श्री करन सिंह वर्मा जी बैठे हैं, जिनके माध्यम से लगभग पूरे प्रदेश के अंदर 95 हजार से ज्यादा ऐसे प्रकरणों के अंदर सफलतापूर्वक अभियान चलाकर नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, ऐसे सारे मसलों के निराकरण करने का प्रयास किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, अभी-अभी मेरे मित्रों ने हुकुमचंद मिल की बात कही थी और हमारे श्रेय से उन्होंने अपने ढंग से बात कही, हाईकोर्ट ने निर्णय किया, मित्रों को शायद जानकारी नहीं है, लेकिन अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि यह हमने निश्चय किया है कि कोई भी मिल अगर बंद हो जाती है और सालों साल तक उससे जुड़े हुए पक्ष अर्थात हमारे श्रमिक भाई अगर उम्मीद में बैठे रहते कि हमको हमारा हक मिलना चाहिए, तो शासन का उत्तरदायित्व होता है कि वह निर्वहन करें, बीच में खड़ होकर के इसीलिये हमने उनके 2 सौ करोड़ रूपये के आसपास के आधार पर न केवल उनके पैसे चुकाये, बल्कि वह 2 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा की कीमत की जो भूमि थी, वह शासन के हित में लेकर एक उत्कृष्ट उदाहरण बनाया और माननीय हाईकोर्ट ने यह माना कि हां आप यह कर सकते हो और इसी आधार पर हमने पहले विनोद विमल मिल के श्रमिकों का भुगतान कराया था और जैसे आपकी जानकारी में है और सरकार ने कहा कि प्रदेश में जैसे जे.सी.मिल ग्वालियर की बात नेता प्रतिपक्ष ने कही है, उसके साथ-साथ प्रदेश की कोई भी रतलाम की सज्जन मिल हो, या कोई भी फैक्ट्री हो, किसी भी मजदूर का एक रूपया भी अगर बकाया है, तो सरकार उसको पूरा चुकाकर के उनके हक में खड़ी होगी, यह सरकार का अपना निर्णय है( मेजों की थपथपाहट).
अध्यक्ष महोदय, मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि शिक्षा मंत्री बनकर के मैंने पहले जो कार्यकाल पूरा किया था, उसमें हमारे लगभग चार प्रतिशत से आगे बढ़ते हुए राष्ट्रीय औसत से अब हमारा जी.ई.आर. आगे बढ़ा है. 29.4 के औसत से हम 29.9 पर पहॅुचे हैं, जो राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है, यह हमारी अपनी शिक्षा और उच्च शिक्षा में खासकर के जो हमारी सरकार काम कर रही है, यह उसके प्रमाण है. मुझे इस बात की खुशी है कि सरकार की पहली कैबिनेट में हमने 55 एक्सीलेंस कॉलेज बनाने का निर्णय किया जिसके बलबूते पर नई शिक्षा नीति के आधार पर हमारे अपने नौनिहाल के लिये उच्च शिक्षा में नया मार्ग खोलने जा रहे हैं. मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि इसी सत्र के बाद हमारी 3-3 नई यूनिवर्सिटियां आ रही हैं जिसमें पहली यूनिवर्सिटी खरगोन में क्रांतिसूर्य टंट्या मामा विश्वविद्यालय की जो मैंने पूर्व में चर्चा की, सागर में रानी अवंतिबाई लोधी के माध्यम से एक विश्वविद्यालय हम बनाने वाले हैं, हमारे शैलेन्द्र जी और उधर अपने बुंदेलखंड के सारे लोगों की मांग थी और उसको हमने लागू की, माननीय गोपाल जी, माननीय भूपेन्द्र सिंह जी यहां मौजूद हैं. इसी के साथ-साथ तीसरा विश्वविद्यालय गुना में तात्या टोपे के नाम से भी हम बनाने वाले हैं यह बड़ी सौगात भी हमारी सरकार ने दी है. मैं इसी के साथ-साथ प्रदेश में विकास और जनकल्याण के नये दौर की शुरूआत हुई है, नये दौर के विकास में लगातार जो हमनें सरकार का जो विजन रखा है यह वैसे तो 5 साल का बहुत सुस्पष्ट विजन है जिसके आधार पर हम काम करने वाले हैं, 5 साल के विजन के आधार पर जब हम आगे काम कर रहे हैं तो जिसमें हमने निर्णय लिया है कि सरकार भविष्य में कुछ बड़ी परियोजनाओं का क्रियान्वयन करने का निर्णय भी हमने किया है, जैसा मैंने उल्लेख किया है कि 20 साल से पहले उलझी हुई हमारी नदी जोड़ो अभियान स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी के समय यह जुड़ जाना चाहिये थी, अगर तब जुड़ जाती तो 20 साल में हमारा पूरा चंबल का और मालवा का बेल्ट एक अलग रूप में होता, हमने उसका निर्णय किया और उसे लागू करने की इसी माह में कोशिश करेंगे कि हम उसका भूमि पूजन करके यह सौगात दें ताकि जनता को इसका लाभ मिले, पीने के पानी का लाभ और सिंचाई का लाभ मिले. इसी के साथ-साथ हमको मालूम है कि अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बन गया है उसका आनंद हम सबने उठाया भी है और देखा भी है, लेकिन अब तुरंत हमको चित्रकूट की तरफ मुंह करने की जरूरत है, चित्रकूट में अब हम उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर कामतानाथ की परिक्रमा से लेकर क्योंकि दोनों राज्यों की बाउंड्री पर यह क्षेत्र है और केवल चित्रकूट नहीं भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण के जहां-जहां चरण पड़े उस-उस स्थान को तीर्थ बनाने का निर्णय भी हमारी सरकार ने किया है और उन सारे स्थानों को धार्मिक दृष्टि से तो है ही, लेकिन बाकी कारण से भी हम अब कोशिश करेंगे कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने के लिये वह केन्द्र के रूप में विकसित हो. मुझे इस बात की प्रसन्नता है भगवान राम का वन गमन पथ सर्वांगीण विकास की योजना भी हमने बनाई है और निश्चित रूप से हम उसमें काफी आगे बढ़े हैं और उसकी स्कीम बनाकर के हो सकता है लोक सभा चुनाव के तुरंत बाद उसका भूमि पूजन का मौका आये. हमारे यहां आगामी 2028 में कुंभ मेला जिसको सिंहस्थ कहते हैं क्योंकि जब सिंहस्थ का आयोजन होता है तो पूरे देश नहीं दुनिया के तीर्थयात्री उज्जैन आते हैं, ऐसे में उनके लिये सभी प्रकार की व्यवस्था, सुव्यवस्था में बदले इसलिये केवल उज्जैन नहीं, उज्जैन और इंदौर के सभी धार्मिक दृष्टि से महत्व रखने वाले स्थानों के विकास की पूरी योजना हमारी सरकार ने बनाई है जिसके माध्यम से आगामी वर्ष 2028 का सिंहस्थ हम बहुत सफलता के साथ आयोजित करेंगे. वीरभारत संग्रहालय हम सबको जानकारी है, जैसा मैंने बार-बार कोड करता हूं हमको मालूम है कि हमारा अतीत बहुत गौरवशाली है और अतीत के गौरवशाली पृष्ठ को अब संग्रहालय के माध्यम से दिखाने की और उसके माध्यम से हमारी सांस्कृतिक धारा को जनता के सामने लाने का प्रयास भी यह सरकार ने करने का निर्णय किया है.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने राम मंदिर की चर्चा की, उत्तर प्रदेश की सरकार ने विधायक और मंत्रियों के लिये अयोध्या भेजने का प्रबंध किया है, इस बारे में आप भी विचार करेंगे क्या ?
डॉ. मोहन यादव-- निश्चित रूप से सरकार के सारे मंत्रिगण भी जायेंगे और सारे विधायक भी जायेंगे और आम जनता भी जायेगी, हम सब पलक पांवड़े बिछाकर, पिछली 22 जनवरी को हमने घोषणा की थी कि जिस दिन भगवान का गर्भगृह में प्रवेश होगा उस दिन को हम एक ऐतिहासिक दिन मनायेंगे और आपकी बात गोपाल जी भाई साहब बिलकुल निश्चित रूप से हम सब चलेंगे और सामूहिक रूप से भगवान राम से आशीर्वाद लेंगे ताकि सुशासन के पथ पर हम लगातार बढ़ते रहें. मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि अब पर्यटन केन्द्रों की दृष्टि से केवल एक टूरिज्म धार्मिक पर्यटन नहीं हमारे यहां वनों की भी बहुत संभावना है खासकर के हमारे अभ्यारण्य और उसके साथ-साथ मेडिकल टूरिज्म ऐसे कई क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिये खासकर वनांचल के क्षेत्र में हमने लगभग 11 नये आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज की घोषणा की है जिसके भरोसे से हमारे अपने धार, झाबुआ, मंडला, बालाघाट, डिण्डोरी ऐसे पूरे वनांचल के क्षेत्र में जब फारेस्ट के टूरिज्म को बढ़ावा देंगे. लेकिन उसमें आने वाले समय में आयुर्वेदिक दृष्टि से भी लोग अपना ईलाज भी करा सकेंगे और चिकित्सक के साथ-साथ विद्यार्थी भी वहां नये चिकित्सा महाविद्यालय में प्रवेश लेकर अपने मध्यप्रदेश का लाभ लेंगे. एक और खास बात अभी हमने हरदा में आपने सबने महसूस किया था लेकिन चूंकि हरदा की स्थिति अलग टाईप की थी लेकिन उससे हमने संकल्प लिया कि अब हम एयर एंबुलेंस लाने वाले हैं. एयर एंबुलेंस के माध्यम से कोई भी गरीब आदमी अस्पताल में अगर उसको योग्य ईलाज की जरूरत होगी तो एयर एंबुलेंस के माध्यम से उसको जहां जरूरत होगी उसको शिफ्ट करने का काम हमारी सरकार करेगी यह निर्णय भी हमने किया है. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि हमारे यहां खासकर अग्निवीर योजना के माध्यम से बड़े पैमाने पर सेना में भर्ती के लिये बहुत युवाओं ने आवेदन किये थे लेकिन योग्य ट्रेनिंग की कमी के कारण,कहीं न कहीं उसमें कमी रही है तो हमने निर्णय किया है कि 360 घंटे की ट्रेनिंग कराकर जो-जो युवा अग्निवीर योजना का लाभ लेना चाहते हैं उन सबके लिए हम यह उपलब्ध कराएंगे. एक कष्ट आप,हम सबने देखा होगा कि जब बीमार अस्पताल में आना चाहता है तो एंबुलेंस से तो ला सकते हैं लेकिन किसी कारण से उसका शरीर छूट गया और जब वह वापस अपने गांव जाना चाहता है तो हमारे यहां कोई प्रबंधन नहीं था अस्पताल से कि कोई शव वाहन उसको उसके गांव तक,उसके घर तक,उसके मुकाम तक छोड़कर आए. हमारी सरकार ने यह निर्णय किया है. यह मानवीय दृष्टि से बड़ा जरूरी फैसला है. कोई भी अस्पताल में किसी का प्राणांत होता है और अगर उसको घर जाना है उसकी व्यवस्था नहीं है तो वहीं से सरकार उसको उसके घर तक पहुंचाने का काम करेगी. जननी एक्सप्रेस वाहनों की संख्या में भी हम पर्याप्त वृद्धि करने वाले हैं. इसी प्रकार से बड़ी औद्योगिक इकाईयों में भी निवेश के लिए हम अभियान चला रहे हैं और न केवल औद्योगिक इकाई,औद्योगिक इकाई में भी यह श्रेणी ला रहे हैं कि वह मशीन आधारित न हो. वह रोजगार परक हो जिसमें अधिकांश लोगों को रोजगार मिल सके ऐसे उद्योग लाने के लिये हम लगातार कृतसंकल्पित हैं जिसके माध्यम से सभी प्रकार से हमारे यहां रोजगार के अवसर उपलब्ध हों. खासकर महाशिवरात्रि से गुड़ी पड़वा के बीच जैसे अभी तक ग्वालियर में हमारा व्यापार मेला होता था. अध्यक्ष जी आप तो वहीं से आते हैं अब हमने उसका दायरा बढ़ाकर उज्जैन को भी उसका केंद्र बनाया है कि मालवा अंचल में भी यह उद्योग व्यापार मेला लगेगा जिसके माध्यम से नये प्रकार से हम निवेश के लिये भी और खासकर आटोमोबाईल सेक्टर में लोगों को प्रोत्साहन देना चाहते हैं जिनका मध्यप्रदेश से संबंध हो. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि सुशासन का प्रतीक भगवान राम को तो शरीर छोड़े सत्रह लाख साल हुए हैं लेकिन 17 लाख साल के बाद दो हजार साल पहले सम्राट विक्रमादित्य वह शासक रहे हैं जिन्होंने राम राज्य की उस कल्पना को अपनी आंखों के सामने साकार करके दिखाने का प्रयास किया और मुझे इस बात की प्रसन्नता है. हमारी सरकार ने निर्णय किया है कि इस वर्ष गुड़ी पड़वा क्योंकि जिन्होंने संवत् प्रारंभ करने का संकल्प लिया. यह हमारे लिये वह सनातनी संस्कृति पर गौरव करने का क्षण है क्योंकि संवत् हमारे यहां किसी के शरीर छोड़ने से या शरीर धारण करने से शुरू नहीं होते. हमारे यहां पुरुषार्थ के बल पर संवत् प्रारंभ करने की परंपरा है. सम्राट विक्रमादित्य ने दो हजार साल पहले जब संवत् प्रवर्तन की घोषणा की थी तो उन्होंने अपने पूरे साम्राज्य से सभी लोगों का कर्जा माफ किया था और न केवल कर्जा माफ किया बल्कि और भी उतना ही धन देकर कोई भी अपना बड़ा उद्योग धंधा,कामकाज करे तो किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े. इतना सामर्थ्य किसी शासक में हो तो वह संवत् प्रारंभ कर सकता है. ऐसे संवत् प्रवर्तक के उस दिन को हमने एतिहासिक बनाने के लिए पूरे प्रदेश में विक्रमादित्य की उस महान घोषणा के आधार पर जिन्होंने संवत् प्रारंभ कराया था गुड़ी पड़वा पूरे प्रदेश में मनाई जाएगी. पूरे प्रदेश में हम इसके आयोजन करेंगे. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि ऐसे कई कामों को लेकर यह सरकार आगे बढ़ रही है. जिसमें एक के बाद गरीबों का मान,महिलाओं का सम्मान,युवाओं के चेहरे की मुस्कान,किसानों का कल्याण यह मध्यप्रदेश की पहचान बनेगी. इस प्रकार के तमाम कामों को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं. पढ़ाई से लेकर सफाई तक,उद्योग से लेकर आद्यात्म तक,कला से लेकर विज्ञान तक,पर्यटन से लेकर पर्यावरण तक, विकास से लेकर जनकल्याण तक,सुशासन से लेकर सशक्तीकरण तक मध्यप्रदेश के भाल पर विकास की नई इबारत लिखने के लिये कृतसंकल्पित हैं. यह सरकार हम सबकी सरकार है. सबके सहयोग से चलेगी. विकास के मामलों में मित्रों ने कुछ बातें कही हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने खुला दरवाजा रखा था. दो महिनों से कम समय में लेखानुदान देना था.जिन-जिन लोगों ने अपने-अपने प्रस्ताव दिये वह सब जोड़े और आने वाले समय में यह क्रम जारी रखेंगे, कोई पक्ष और विपक्ष में पक्षपात नहीं करेंगे. सबको लेकर चलने का निर्णय हमारी सरकार का है. निश्चित रूप से मैं आज इस बात को दोबारा दोहराना चाहता हूँ, लेकिन यदि विपक्ष की मानसिकता केवल विरोध करने की है तो मैं कुछ नहीं कर सकता हूँ. हमारा तो सबका साथ, सबका विकास, ये माननीय मोदी जी का गुरुमंत्र है और निश्चित रूप से सरकार इस पर आगे चलेगी. मुझे इस बात का ध्यान है क्योंकि मुझे याद आता है कि नेता प्रतिपक्ष ने कहा था कि जिंदा अगर हो तो जिंदा नजर आना चाहिए. अब मुझे लगता है कि ये हमारे लिए है कि उनके लिए है. (हंसी). ये विषय किसके लिए है. अगर नेता प्रतिपक्ष और उनके मित्रगण विरोध में सामने बैठकर के मेरी बात सुनते तो मुझे लगता है कि उनकी बात ज्यादा सार्थक होती. आज के इस अवसर पर मैं आपके सामने दो, तीन बातें और कहते हुए, खासकर हमारी सरकार ने जो संकल्प लिया है, वह बताते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहूँगा. माननीय अध्यक्ष जी, हमारी सरकार ने कुल चार संकल्प लिए हैं, सुशासन, संस्कृति, सतत् विकास और सेवा, इन चारों बिंदुओं पर हमारी सरकार लगातार चलती रहेगी. बहुत-बहुत धन्यवाद. भारत माता की जय.
05.52 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
(1) विदिशा जिले में जल जीवन मिशन कार्य में अनियमितता
श्री हरीसिंह सप्रे (कुरवाई) -- सभापति महोदय,
05.53 बजे {सभापति महोदय (श्री अजय विश्नोई) पीठासीन हुए.}
(2) सेल मैनु फैक्चुरिंग कंपनी लिमिटेड मेहतवाड़ा जिला सिहोर में कर्मचारियों
एवं मजदूरों का वेतन का भुगतान नहीं होना
श्री गोपाल सिंह इंजीनियर (आष्टा) -- सभापति महोदय,
श्री भैरोसिंह बापू (अनुपस्थित)
श्री विजय रेवनाथ चौरे (अनुपस्थित)
(3) नरसिंहपुर में ओवरलोडिंग वाहनों से सड़कों एवं पुलों को बचाना
श्री महेश नागेश (गोटेगांव) - माननीय सभापति महोदय, जिला नरसिंहपुर में ओवरलोडिंग वाहनों के चलने से स्टेट हाइवे एवं पीएमएसवाय सड़कें एवं पुल क्षतिग्रस्त हो रहे हैं, जिस कारण आगामी समय में सड़कें एवं पुल टूटने से आवागमन में परेशानियां होंगी. एनटीपीसी गाडरवारा से फ्लाई एस बड़े ट्रालों से ओवरलोडिंग की जा रही है. स्टेट हाइवे में 50 टन से अधिक भार क्षमता वाले वाहन एवं पीएमएसवाय सड़कों से 15 से 25 टन भार क्षमता वाले वाहन ही निकल सकते हैं, जबकि गाडरवारा से करेली, दूल्हादेव से गोटेगांव, चरगुंवा से जबलपुर स्टेट हाइवे से भार से अधिक क्षमता लगभग 65 से 80 टन तक ट्रालों पर अतिरिक्त ऊपर सपोर्ट लगाकर ट्रालों में फ्लाई एस भरकर गाडरवारा से जबलपुर ले जाई जा रही है. जिस कारण गाडरवारा से जबलपुर तक की स्टेट हाईवे की सड़कें, पुलिया एवं पुल टूट रहे हैं, धसक रहे हैं, किसी भी दिन पुराने पुल-पुलिया धसक सकते हैं, टूट सकने से किसी भी दिन ओवरलोडिंग से बड़ा हादसा हो सकता है. सड़कों एवं पुलों को बचाने के लिये ओवरलोडिंग वाले वाहनों को रोका जावे. ओवरलोडिंग वाले वाहनों के कारण चलने से क्षेत्रीय जनता में भारी आक्रोश व्याप्त है.
(4) नागदा में स्थित ग्रेसिम उद्योग में कार्यरत् मजदूरों के वेतनमान एवं अन्य
हितलाभ दिया जाना
डॉ. तेज बहादुर चौहान (नागदा-खाचरोद) - माननीय सभापति महोदय, नागदा में स्थित ग्रेसिम उद्योग में कार्यरत् मजदूरों के वेतनमान एवं अन्य हितलाभ के समझौते की अवधि समाप्त हो चुकी है. वर्ष 2024 से लागू होने वाले समझौते के लिये अभी तक इन्दौर कमिश्नर महोदय द्वारा कोई कार्यवाही प्रारंभ नहीं की गई है. जो समझौता मार्च तक हो जाना चाहिए, वह नवंबर तक नहीं हो पाते हैं. इस कारण मजदूर त्यौहार पर्व व पारिवारिक परेशानियों के कारण मजबूर होता है. अत: समझौता मजबूरी से प्रभावित होता है.
श्री दिनेश जैन - (अनुपस्थित)
श्रीमती निर्मला सप्रे - (अनुपस्थित)
(5) बड़नगर विधान सभा क्षेत्र को नर्मदा गंभीर समूह जलप्रदाय योजना से जोड़ना
श्री जितेन्द्र उदयसिंह पण्ड्या (बड़नगर)- माननीय सभापति महोदय,
श्री विवेक विक्की पटेल- अनुपस्थित
(6) जबलपुर जिले की आधारताल तहसील में राजस्व अभिलेख उपलब्ध न होना
श्री सुशील कुमार तिवारी (इंदु भैया) (पनागर)- माननीय सभापति महोदय,
श्री संजय उइके- अनुपस्थित
श्री सुरेश राजे- अनुपस्थित
श्री प्रताप ग्रेवाल- अनुपस्थित
श्री दिनेश राय मुनमुन- अनुपस्थित
सभापति महोदय- विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनाँक 13 फरवरी, 2024 के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 06.02 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनाँक 13 फरवरी, 2024 (24 माघ, शक संवत् 1945) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह,
दिनांक : 12 फरवरी, 2024 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा