मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा नवम् सत्र
दिसम्बर, 2015 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 11 दिसम्बर, 2015
( 20 अग्रहायण, शक संवत् 1937 )
[खण्ड- 9 ] [अंक- 5 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 11 दिसम्बर, 2015
( 20 अग्रहायण, शक संवत् 1937 )
विधान सभा पूर्वाह्न 10.34 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
निधन का उल्लेख
सर्वश्री हरिनारायण डहेरिया एवं डॉ. रामजी मस्तकार, भूतपूर्व सदस्य
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)—माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री हरिनारायण डहेरिया कुशल संगठक थे और छिन्दवाड़ा जिले में कांग्रेस का संगठन खड़ा करने में पहले युवक कांग्रेस फिर कांग्रेस का संगठन करने में उनकी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका थी वे प्रतिभाशाली थे इसलिये भारतीय साहित्य अकादमी के द्वारा उनको डॉ. अम्बेडकर फेलोशिप प्रदान की गई थी. वे लोकप्रिय जननेता भी थे और दसवीं विधान सभा में उन्होंने कांग्रेस की ओर से अपने क्षेत्र का प्रतिनिधिनत्व किया था उनके निधन से एक लोकप्रिय जननेता, कुशल संगठक और एक समाजसेवी को हमने खोया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ.रामजी मस्तकार फक्कड़ थे स्वभाव से भी मस्त थे गरीबों के लिये विशेषकर मजदूरों के कल्याण के लिये उन्होंने अपने सारे जीवन में लगातार प्रयास किया. मजदूरों के भी बहुत लोकप्रिय नेता थे और विशेषकर समाज का जो सबसे पीछे और सबसे नीचे वाला जो वर्ग है गरीब है दलित हैं, दीन हैं, दुखी हैं उनके कल्याण के लिये जीवन भर काम करते रहे मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समाज कल्याण संघ के वे अध्यक्ष भी रहे और पहले जनता पार्टी फिर भारतीय जनता पार्टी के माध्यम से उन्होंने जनता की सेवा में अपने आपको समर्पित किया था. आठवीं और नौवीं विधानसभा में उन्होंने परासिया विधान सभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. वे विधायक के नाते भी बहुत सक्रिय और जुझारू विधायक थे सदन में भी हमेशा अपने क्षेत्र की जनता की समस्याओं को प्रभावी ढंग से उठाने का काम करते थे उनके निधन से भी हमने एक अत्यंत लोकप्रिय नेता जो गरीबों के लिये जिंदगी भर काम करते रहे और समाजसेवी को खोया है. मैं परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ कि वह दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करे और उनके परिजनों को, उनके सहयोगियों को, अनुयायियों को और क्षेत्रवासियों को यह गहन दुख सहन करने की क्षमता दे. ऊं शांति.
श्री सुन्दरलाल तिवारी ( गुढ़ )—माननीय अध्यक्ष महोदय, यह दुख का विषय है कि श्री हरिनारायण डहेरिया जी जो इस सदन के सम्मानित सदस्य रहे आज हमारे बीच में नहीं हैं. बहुत कम ऐसे व्यक्तित्व होते हैं जो कुछ नाम इस धरती पर करके जाते हैं उनमें से एक डहेरिया जी रहे. समाजसेवा की भावना जवानी से उनके हृदय में रही उसका परिणाम रहा कि उन्हें डॉ. अम्बेडकर भारतीय साहित्य अकादमी का पुरस्कार उन्हें मिला. इसी तरह डॉ. रामजी मस्तकार भी इस सदन के सदस्य रहे हैं और निचले और दबे कुचले तबके के लोगों के लिए उन्होंने काम किया, उनकी सेवा की. यह दोनों व्यक्तित्व आज हमारे बीच में नहीं हैं यह हम सब के लिये दुख का विषय है ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे व उनके परिवार को इस दुख को सहन करने की शक्ति दे. हम उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
अध्यक्ष महोदय—मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूँ. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
( सदन द्वारा मौन खड़े रहकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई )
ऊं शांति. दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(विधान सभा की कार्यवाही 10.40 बजे से 10 मिनट के लिए स्थगित की गई)
10.47 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा)पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 1 श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा....
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी आज सदन में मौजूद हैं...
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा-- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न बहुत महत्वपूर्ण है और उस व्यक्ति के लिए है जो समाज में सबसे पीछे और सबसे नीचे है….
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- आँख फूटने वालों की संख्या 43 से 63 तक पहुँच गई है. मुख्यमंत्री जी सदन में मौजूद हैं.
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा-- एक्स-रे मशीन का प्रश्न है. मेरा आप से आग्रह है कि माननीय अध्यक्ष जी.......
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, आप कृपया बैठ जाएँ. मामला हमेशा प्रश्नकाल में ही क्यों उठाते हों?
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप नहीं चाहते कि प्रश्नकाल हो?
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- 43 से 63 संख्या हो गई है.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्नकाल में ही क्यों उठाते हैं? एक घंटे बाद नहीं उठा सकते? इतनी धीरज नहीं है आपको? उनके प्रश्न महत्वपूर्ण हैं.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक्स-रे मशीन की व्यवस्था
1. ( *क्र. 701 ) श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सोनकच्छ नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक्स-रे मशीन, सोनोग्राफी मशीन की व्यवस्था है? (ख) यदि हाँ, तो क्या उक्त मशीनों का लाभ मरीजों को मिल रहा है? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) भविष्य में कब तक मरीजों को उक्त मशीनों की सुविधा मिल सकेगी?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी नहीं। (ख) प्रश्न उपस्थित नहीं होता। मशीन उपलब्ध न होने के कारण। (ग) देवास मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा आदेश क्रमांक 51 दिनाँक 09/06/2015 से एक्स-रे मशीन के क्रय आदेश दिये गये हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सोनोग्राफी मशीन दिये जाने का प्रावधान नहीं है। मशीन स्थापित होने पर एक्स-रे मशीन की सुविधा रोगियों को शीघ्र उपलब्ध हो सकेगी। निश्चित समयावधि बताना संभव नहीं है।
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा-- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न जो है वह समाज में जो व्यक्ति सबसे पीछे और सबसे नीचे है उसके लिए है और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा हुआ प्रश्न है और बार बार यह परंपरा कहाँ की हो गई कि प्रश्नकाल शुरू हो और सुन्दरलाल तिवारी जी खड़े हो जाएँ? एक विधायक को प्रश्न लगाने में कितनी कठिनाई का अनुभव होता है, अध्यक्ष जी, आप से ज्यादा कोई नहीं जानता होगा. अध्यक्ष जी, मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि 7.8.2015 को सोनकच्छ की रोगी कल्याण समिति की बैठक हुई थी. उसके बाद 9 तारीख को माननीय नरोत्तम मिश्र जी का शुभागमन मेरे विधान सभा क्षेत्र में हुआ था.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया प्रश्न करें.
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा-- उन्होंने उसी समय एक्स-रे मशीन को क्रय करने के आदेश दिए, उसके लिए मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूँ और इस बात के लिए भी धन्यवाद अदा करना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार, माननीय मुख्यमंत्री जी केवल इस बात के लिए 18-18 घंटे काम कर रहे हैं...
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया सीधे प्रश्न कर लें.
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं प्रश्न पर ही आ रहा हूँ. उसके लिए मैं माननीय नरोत्तम मिश्र जी का धन्यवाद करना चाहता हूँ. उस समय उन्होंने एक्स-रे मशीन क्रय करने के माननीय नरोत्तम मिश्र जी ने गंधर्वपुरी में आदेश दिए थे, मशीन क्रय हो गई, क्रय होकर सोनकच्छ के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में आ गई. लेकिन 9 तारीख से लेकर आज की 9 तारीख तक वह मशीन केवल इंस्टाल होना है, वह इंस्टाल नहीं हो पाई, जिसके कारण लोगों को एक्स-रे कराने के लिए या तो प्रायवेट हॉस्पिटल्स में जाना पड़ रहा है या सोनकच्छ से जो 30 किलोमीटर की देवास की दूरी है, वहाँ जाना पड़ता है, तो एक तो मेरा मंत्री जी से स्पेसिफिक प्रश्न यह है कि वह मशीन कब तक चालू हो जाएगी, उसके बारे में बता दें.
राज्य मंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण(श्री शरद जैन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो प्रश्न माननीय विधायक जी ने किया है, एक्स-रे मशीन हम 15 दिन के अन्दर चालू कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- 15 दिन में हो जाएगी.
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा-- माननीय अध्यक्ष जी, आपका संरक्षण चाहते हुए
यह कहना चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी ने अपने उत्तर में यह कहा है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सोनोग्राफी मशीन दिए जाने का प्रावधान नहीं है. लेकिन मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ और चूँकि माननीय मुख्यमंत्री जी भी यहाँ सदन में विराजमान हैं, मैं उनकी उपस्थिति का लाभ लेते हुए, मैं मंत्री जी से इस बात का आग्रह करूँगा कि क्या वे इस बात पर विचार करेंगे कि सोनोग्राफी की मशीन, पेट की कोई भी जाँच हो....
अध्यक्ष महोदय -- वह तो ठीक है मालूम है सबको, आप तो सीधा प्रश्न कर दीजिये.
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा—अध्यक्ष महोदय, प्रदेश का हर तीसरा व्यक्ति पेट की बीमारी से ग्रस्त है और सोनोग्राफी मशीन के बगैर वह जांच कभी संभव नहीं हो पाती मैं माननीय मुख्यमंत्री जी की उपस्थिति का लाभ लेते हुए इस बात का आग्रह करूंगा कि सरकार कोई ऐसी नीति पर विचार करेगी कि हम लोग आगे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध कराने का विचार करेंगे.
अध्यक्ष महोदय--- मंत्री जी, क्या सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध कराने पर विचार करेंगे.
श्री शरद जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सोनोग्राफी मशीन देने का प्रावधान नहीं है. मैं माननीय विधायक के विचारों का सम्मान करते हुए प्रावधान अनुसार जो उन्होंने मांग की है उस मांग पर हम विचार करेंगे.
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा--- अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
ग्रेसिम उद्योग के लंबित प्रकरण
2. ( *क्र. 257 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला उज्जैन नागदा जं. स्थित ग्रेसिम उद्योग के कितने अधिकारियों/कर्मचारियों पर श्रम कानूनों के उल्लंघन, सेवानिवृत्ति, कार्यस्थल पर कर्मचारी के घायल/मृत्यु होने से संबंधित कितने मामलों के प्रकरण कहां-कहां चल रहे हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार उपरोक्त प्रकरणों में अधिकारी/कर्मचारी के नाम, पदनाम सहित प्रत्येक प्रकरण की अद्यतन स्थिति से अवगत करावें।
श्रम मंत्री ( श्री अंतरसिंह आर्य ) : (क) ग्रेसिम इण्डस्ट्रीज लि. (केमिकल डिवीजन) ग्रेसिम इण्डस्ट्रीज लि. (एस.एफ.डी.) तथा ग्रेसिम इण्डस्ट्रीज लि. (ई.डी.) नागदा से संबंधित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न ग्रेसिम उद्योग नागदा से जुड़ा हुआ है और श्रमिकों से जुड़ा हुआ है. 167 व्यक्तियों को जबरन सेवानिवृत्ति ग्रेसिम उद्योग द्वारा दी गई साथ में 65 लोग ऐसे हैं जो दुर्घटनाग्रस्त हैं जो गंभीर स्थिति में हैं इस प्रकार कुल मिलाकर 232 श्रमिक हैं, जिनकों सहयोग मिलना चाहिए था लेकिन ग्रेसिम द्वारा जबरिया सेवानिवृत्ति करने के कारण श्रम विभाग का जो कंट्रोल होना चाहिए, वह नहीं हुआ है और उन लोगों ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ इंदौर में जाकर याचिका लगाई है, याचिका क्रमांक 1417 है, उसमें विभाग कह रहा है कि हमारे द्वारा 25.6.2015 को प्रत्यावर्तन दे दिया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको दिये हुए छह माह हो गये हैं और वह लोग बहुत गंभीर हैं. मेरा प्रश्न है कि जो 232 लोग न्यायालय में गये हैं, क्या विभाग त्वरित अपने लॉयर से मिलकर लीगल एडवाईजर लेकर इन न्यायालयों से अतिशीघ्र न्याय दिलायेगा और इन श्रमिकों को जो 58 वर्ष में ही सेवानिवृत्ति दे दी है उनको दो वर्ष का शासन के नियमानुसार लाभ दिया जाएगा.
श्री अंतरसिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी 11 तारीख को ग्रेसिम उद्योग के विषय को लेकर माननीय दिलीप सिंह शेखावत, विधायक जी ने यहाँ ध्यानाकर्षण भी लगाया था, हमने 30 दिसम्बर के पहले विभिन्न समस्याओं को लेकर शासन स्तर पर त्रिस्तरीय बैठक बुलाने की सदन में घोषणा की थी, हमने 22 दिसम्बर को 12 बजे यह त्रिस्तरीय बैठक बुलाने का निर्णय लिया है. इन विभिन्न समस्याओं को लेकर हम त्रिस्तरीय बैठक करने जा रहे हैं . मैं समझता हूं कि उस बैठक में इसका समाधान हो जाएगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान—यह त्रिस्तरीय बैठक जो 22 तारीख को माननीय मंत्री जी ने बुलाई है मैं आपके माध्यम से यह आश्वासन चाहता हूं कि क्या उस बैठक में यह तय हो जाएगा कि जो दो वर्ष पूर्व इनको सेवानिवृत्ति दी गई है क्या उस 2 वर्ष का उनको लाभ दिया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय--- वह निर्णय एडवांस में कैसे बता सकते हैं और कुछ पूछ लीजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- मेरा दूसरा प्रश्न इससे जुड़ा हुआ है लेकिन माननीय मंत्री जी कहेंगे कि इससे उद्भूत नहीं होता है लेकिन मेरा कहना है कि यह प्रश्न उद्भूत होता है, उद्भूत इसलिए होता है कि ग्रेसिम्स को जो लाभ होता है उसकी दो प्रतिशत राशि आसपास के गरीब,दलित ,शोषित ,पीड़ित जो 25-50 किलोमीटर के इलाके में आते हैं, उनके स्वास्थ्य के लिए, शिक्षा के लिए , जल के लिए अभी तक ग्रेसिम ने कहीं खर्च नहीं करी है क्या मंत्री जी उसकी जांच करके वह 2 प्रतिशत राशि उन गरीबों के लिए खर्च करवा लेंगे.
श्री अंतर सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि जो जांच की मांग की है उसकी जांच हम करा लेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान--- आपको बहुत धन्यवाद.
प्रश्न संख्या- 3 (अनुपस्थित)
चिकित्सकों के स्वीकृत पद
4. ( *क्र. 389 ) श्रीमती पारूल साहू केशरी : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिला मुख्यालय एवं विकासखण्ड मुख्यालय पर चिकित्सकों के कितने-कितने पद स्वीकृत हैं और कितने चिकित्सक कार्यरत हैं तथा कितने पद कब से रिक्त हैं और कहां अतिशेष के रूप में कार्यरत हैं? (ख) क्या अनेक चिकित्सक अपने मूल पदांकित स्थल पर कार्यरत नहीं हैं, अन्य दूसरे स्थान पर व्यवस्था के अंतर्गत अथवा अन्य किसी कारण से अन्यत्र दूसरे स्थान पर पदस्थ हैं? उनके नाम, मूल पदस्थापना सहित अन्य दूसरे स्थान पर पदस्थ रहने के दिनाँक के साथ इस दूसरे स्थान पर आसंजित रखे जाने की उपयोगिता संबंधी जानकारी देवें। (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में रिक्त पदों की पूर्ति कब तक की जावेगी?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी नहीं, अनेक चिकित्सक नहीं, सिर्फ 4 चिकित्सक प्रशासनिक आवश्यकता के दृष्टिगत अन्य संस्थाओं में सेवायें प्रदान कर रहे हैं, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) विभाग रिक्त पदों की पूर्ति हेतु निरंतर प्रयासरत है, हाल ही में लोक सेवा आयोग से चयन पश्चात कुल 26 चिकित्सकों की पदस्थापना सागर जिले के अंतर्गत विभिन्न संस्थाओं में की गई है। विशेषज्ञों, चिकित्सकों की अत्यधिक कमी के कारण शतप्रतिशत रिक्त पदों की पूर्ति नहीं की जा सकी है।
श्रीमती पारुल साहू केशरी—माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरा प्रश्न स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा हुआ है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहूंगी कि मेरी विधानसभा में राहतगढ़ ब्लॉक के अंतर्गत सीहोरा स्वास्थ्य केन्द्र पर डाक्टर की पोस्टिंग, जो कि कमी है, वह कब तक पूरी कर देंगे?
राज्य मंत्री,लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण(श्री शरद जैन)—अध्यक्ष महोदय, यह बात जरुर है कि प्रदेश में डाक्टरों की कुछ कमी है लेकिन माननीया विधायक जी ने जो मांग की है, मैंने तत्काल प्रभाव से सीहोरा जिला सागर में 2 डाक्टरों के आदेश कर दिये हैं.माननीया विधायक जी चाहें तो प्राप्त कर सकती हैं.
श्रीमती पारुल साहू केशरी—अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगी कि एक की जगह दो-दो डाक्टर वहां पर दिये हैं.
रोगी कल्याण समिति की बैठक
5. ( *क्र. 497 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रोगी कल्याण समिति बनाने के उद्देश्य, कार्य, एवं क्या-क्या अधिकार हैं? (ख) रोगी कल्याण समिति की अध्यक्षता कौन कर सकता है? कितने माह में बैठक बुलाई जा सकती है? (ग) विभाग द्वारा जनहित में लिए गए प्रस्ताव का पालन नहीं होने पर क्या कार्यवाही की जा सकती है? (घ) सुवासरा विधान सभा क्षेत्र में किन-किन स्वास्थ्य केन्द्रों पर रोगी कल्याण समिति की बैठक ली गई थी? दिनाँक, वर्ष बतावें एवं बैठक में जनहित में लिए गए प्रस्तावों एवं इन प्रस्तावों पर की गई कार्यवाही की प्रतिलिपि उपलब्ध करावें।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) रोगी कल्याण समिति बनाने के उद्देश्य, कार्य, एवं अधिकार पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र/सिविल अस्पताल तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र रोगी कल्याण समिति की साधारण सभा की अध्यक्षता क्रमश: जिले के प्रभारी मंत्री, क्षेत्रीय विधायक एवं जनपद अध्यक्ष अध्यक्षता करते हैं। जिला स्तरीय कार्यकारणी सभा की बैठक की अध्यक्षता जिला कलेक्टर करते हैं, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र/सिविल अस्पताल स्तरीय सभा की जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अध्यक्षता करते हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तरीय सभा की अध्यक्षता ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर द्वारा की जाती है। साधारण सभा की बैठक वर्ष में कम से कम एक बार तथा साधारण सभा के एक तिहाई सदस्यों के अनुरोध पर कभी भी आयोजित की जा सकती है। कार्यकारणी सभा की बैठक प्रति 02 माह में एक बार आयोजित की जानी चाहिये। (ग) विभाग द्वारा जनहित में लिये गये प्रस्ताव का पालन नहीं होने पर संबंधित अधिकारियों को नियमानुसार पालनार्थ निर्देश दिये जा सकते हैं। (घ) विधानसभा क्षेत्र सुवासरा के अन्तर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सीतामउँ, प्राथमिक दीपाखेड़ा कयामपुर, लदुमा, शामगढ़, पर गठित रोगी कल्याण समिति की बैठकें आयोजित की गई। दिनाँक एवं जनहित में लिये गये प्रस्तावों की प्रतिलिपि पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’ब’’ अनुसार है।
श्री हरदीप सिंह डंग—अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्न के माध्यम से जानकारी चाही थी वह जानकारी जानबूझकर छिपायी गयी है यह जो मीटिंगों की जानकारी, आपके पास जो एक फोल्डर है उसमें सीतामऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की जो मीटिंग 22.12.14, 23.5.15, 10.9.15, यह तीन मीटिंग हुई लेकिन इसकी जानकारी नहीं आ गयी है और जो मेरी शंका थी वह सत्य निकली कि वे जानबूझकर के जानकारी इसलिए नहीं देना चाहते क्योंकि उस मीटिंग में मैं खुद गया था और कहीं न कहीं गलत जानकारी मेरे सामने पेश की थी और मैं वह जानकारी यहां विधानसभा में मंगाना चाहता था, वह मीटिंग की जानकारी यहां पर नहीं दी गयी है. सुवासरा में 22.8.15 को एक मीटिंग रखी गयी थी उसकी भी जानकारी नहीं दी गयी और शामगढ़ में 20.2.14, 16.9.14, 17.7.15 को जो मीटिंग जनहितैषी कार्यों के लिए और रोगी कल्याण के लिए रखी गयी थी उसमें पहली मीटिंग 20.2.14 में 14 प्रस्ताव किये गये लेकिन 12 में कुछ भी एक्शन नहीं लिया गया. 16.9.14 को 10 प्रस्ताव किये गये जिसमें से 8 अभी भी पेंडिंग पड़े हैं, कोई उस पर कार्यवाही नहीं की गयी. 17.7.15 को 26 प्रस्ताव किये और 23 पर कोई निर्णय नहीं लिया गया. मेरा निवेदन है कि रोगी कल्याण समिति के माध्यम से शामगढ़ में करोड़ों रुपये की दुकानें नीलाम करके हम वहां पर सरकारी बिल्डिंग में रुपये लगा रहे हैं, वहां पर डाक्टर प्रायवेट रख रखे हैं. मेरा कहना है कि जनहितैषी जो प्रस्ताव किये गये हैं उस पर अभी तक कोई कार्यवाही क्यों नहीं की गयी और जो मीटिंगे रखी गयी थी उसकी जानकारी क्यों नहीं दी गयी? क्योंकि अभी हमने 90 लाख की दुकानें नीलाम कीं वह रोगी कल्याण समिति के पास है, करोड़ों रुपया हमारे पास है. हम रुपये खर्च कर रहे हैं तो मुझे इसका जवाब दें कि जानकारी क्यों छिपायी गयी और जो प्रस्ताव किये उन पर कार्यवाही अभी तक क्यों नहीं की गयी?
राज्य मंत्री,लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण(श्री शरद जैन)— माननीय अध्यक्ष महोदय, जो भी कार्यवाही रोगी कल्याण समिति की हुई है वह सब जानकारी प्रश्न के साथ संलग्न है. माननीय विधायक जी ने स्पेसीफिक कोई प्रश्न नहीं किया है कि वे क्या चाहते हैं, कौन से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का उन्नयन करना चाहते हैं, यह वह स्पष्ट करें तो हम जवाब दे दें.
श्री हरदीप सिंह डंग—बहुत बढ़िया मंत्री जी, सिर्फ सीतामऊ की मीटिंगों की जानकारी उसमें नहीं है,एक तो वह जानकारी मेरे को उपलब्ध करा दें.
श्री शरद जैन—उपलब्ध करा देंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग—एक 30 बिस्तर का हॉस्पीटल कयामपुर में आदरणीय स्वास्थ्य मंत्री जी ने घोषणा कर रखी है उसकी अगर पूर्ति हो जाए तो हमारे क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी.
श्री शरद जैन—माननीय विधायक जी की भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्होंने जो कयामपुर की बात की है, वहां 6 बिस्तार का अभी हॉस्पीटल है उसको 6 से 10 बिस्तर का हॉस्पीटल कर देंगे, एक डाक्टर अतिरिक्त दे देंगे और जो अन्य स्टॉफ है उसकी भी पूर्ति बहुत शीघ्र कर देंगे.अब तो धन्यवाद दो.
श्री हरदीप सिंह डंग— आधा धन्यवाद(हंसी)
अध्यक्ष महोदय—चलो आधा ही सही(हंसी)
श्री हरदीप सिंह डंग—अध्यक्ष जी, मैं तो पूरा पूरा धन्यवाद देना चाहता हूँ, मुख्यमंत्री जी भी बैठे हैं, स्वास्थ्य मंत्री जी भी बैठे हैं और कयामपुर वह धरती है जहां पर बहुत बड़े वेदांत जी महाराज रहते थे और वहां आदरणीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा जी की घोषणा है तो मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है कि वहां 30 बिस्तर का हास्पीटल कर दें.
श्री शरद जैन – उन्नयन करने का भी एक सिलसिला होता है, आज उनकी भावनाओं का हमने सम्मान किया, 6 से 10 बिस्तर वाला कर दिया, एक अतिरिक्त डॉक्टर की भी घोषणा कर दी. बच्चन साहब, आप खुद इस विभाग के मंत्री थे आप जानते हैं कि क्या प्रावधान होते हैं और कौन-कौन से नियम तथा प्रक्रियाएं होती हैं.
श्री हरदीप सिंह डंग – एक बात पूछनी है कि जिन्होंने जानकारी नहीं दी है क्या उन पर कार्यवाही करेंगे.
इंजी. प्रदीप लारिया (नरयावली) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्रश्न है कि मकरोनिया नगर पालिका में 30 बिस्तर का अस्पताल माननीय मंत्री जी खोलेंगे.
श्री शरद जैन – यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं होता.
इंजी. प्रदीप लारिया – कर दो, आपको करना ही है.
अध्यक्ष महोदय – बैठ जाएं आप.
श्री हरदीप सिंह डंग – क्या उन पर कार्यवाही करेंगे आप.
श्री शरद जैन – सब जानकारी आपको उपलब्ध कराई जाएगी और हमारा आपसे कहना है कि जो आपने 50 प्रतिशत धन्यवाद दिया उसे 100 प्रतिशत कर दें.
इंजी. प्रदीप लारिया – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को 100 प्रतिशत धन्यवाद दूंगा यदि मकरोनिया में 30 बिस्तर वाला अस्पताल बनवा दें. मेरा 25 नंबर पर प्रश्न है वह आ नहीं पाएगा इसलिए मैं माननीय मंत्री जी से अभी निवेदन कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय – आप दूसरों को प्रश्न पूछने दीजिए, यह बात ठीक नहीं है. इंजीनियर साहब, आप बैठ जाइये.
इंजी. प्रदीप लारिया – माननीय अध्यक्ष महोदय, यह उसी से संबंधित है.
अध्यक्ष महोदय – यह उससे संबंधित नहीं है आप बैठ जाएं.
अनु. जाति, अनु. जनजाति बसाहटों में विद्युतीकरण
6. ( *क्र. 544 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिले में अनु. जाति, अनु.जनजाति की बसाहट में वर्ष 2010-11 से प्रश्न प्रस्तुति दिनाँक तक विद्युतीकरण हेतु कितनी-कितनी राशि कब कब प्राप्त हुई? वर्षवार विवरण सहित बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में विधानसभा क्षेत्रवार ग्राम एवं ग्राम पंचायतवार प्रतिवर्ष स्वीकृत कार्यों की जानकारी एवं उनकी वर्तमान स्थिति पृथक-पृथक देवें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में विद्युतीकरण हेतु किसे एजेंसी बनाया गया था? कार्यवार नाम एवं आज की स्थिति में कार्य की भौतिक स्थिति की जानकारी प्रश्न दिनाँक तक की देवें। (घ) क्या प्रश्नकर्ता की उपस्थिति में कराये गये कार्यों का सत्यापन कराया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक,? यदि नहीं, तो क्यों? कारण स्पष्ट बतावें।
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट क्रमांक 1 पर है. (ख) एवं (ग) अनुसूचित जाति बस्तियों में विद्युतीकरण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 2 पर तथा अनुसूचित जनजाति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट 3 पर है. (घ) मा. प्रश्नकर्ता विधायक अपनी सुविधानुसार कार्यों का सत्यापन कभी भी कर सकते हैं।
श्री सुखेन्द्र सिंह बन्ना – माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति जनजाति और आदिम जाति कल्याण विभाग से जुड़ा हुआ मामला है. इसमें हमने रीवा जिले और साथ-साथ मऊगंज क्षेत्र में वर्ष 2010 और 2011 में विद्युतीकरण के लिए कितनी राशि दी गई, कहां-कहां खर्च हुई, इसकी जानकारी चाही थी जिसके जवाब में आया है कि जितनी राशि दी गई थी सभी काम पूर्ण हो चुके हैं, कुछ जगह यह भी कहा गया है कि राशि समर्पित कर दी गई है और मेरे विधान सभा क्षेत्र में 2-3 जगह ऐसी बताई जा रही है कि जहां पर काम अधूरे हैं. इससे यह प्रतीत हो रहा है कि हर जगह कार्य पूर्ण है और अब विद्युतीकरण की कोई जरूरत नहीं है. लेकिन आपके माध्यम से मंत्री जी से मुझे ये पूछना है कि क्या पूर्ण कर लिए कार्यों की जांच हमारी उपस्थिति में या हमारे प्रतिनिधि की उपस्थिति में कराएंगे ? यह पूरी तरह से झूठी जानकारी दी गई है और मौके पर कहीं कुछ काम नहीं हुआ है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार, वन मंत्री – विधायक तक तो ठीक है लेकिन अब प्रतिनिधि की बात भी की गई तो बचा क्या है फिर.
श्री सुखेन्द्र सिंह बन्ना – मैंने यह कहा कि या तो मैं रहूंगा या मेरा प्रतिनिधि उपस्थित रहेगा.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – देखिए हम सबने सुना. विधायक की उपस्थिति तो बहुत अच्छी बात है हम इससे सहमत हैं, अब आप कहने लगे कि मेरा प्रतिनिधि रहेगा, इसका मतलब आपको स्वयं को इतनी चिंता नहीं है कि आप खड़े होकर वहां काम को देख सकें. आप अपना प्रतिनिधि भेजेंगे और हमारा पूरा अमला जाकर जांच करेगा.
श्री सुखेन्द्र सिंह बन्ना – माननीय मंत्री शेजवार जी, आप सीनियर नेता हैं, हमने मंत्री जी को तो बोला नहीं कि मंत्री जी जाकर जांच करें, हमने तो यह कहा कि विभाग के कर्मचारी जब पहुँचे तो हम अगर कतिपय कारणों से उपस्थित नहीं हैं तो हमारे प्रतिनिधि रहेंगे क्योंकि मौके पर एक भी कार्य नहीं हुआ है इसमें सिर्फ बंदरबांट हुई है इसकी जांच की बात हमने की है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – यदि उस कार्य की जांच को आप महत्वपूर्ण समझते हैं और सदन में जांच की मांग कर रहे हैं तो प्रतिनिधि शब्द का उपयोग नहीं करना चाहिए. आपको जांच को गंभीरता से लेना चाहिए. अगर आप गंभीरता से नहीं लेंगे तो हमारे अधिकारी कैसे उसे गंभीरता से लेंगे, आप गंभीरता को स्वयं समाप्त कर रहे हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह बन्ना – मैं क्षमा चाहता हूँ. मैं स्वयं उपस्थित रहूंगा.
श्री आरिफ अकील – अध्यक्ष जी, मंत्री जी तो कुछ कह नहीं रहे हैं यह उनके प्रतिनिधि बात कर रहे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्रि-परिषद् की जिम्मेदारियां संयुक्त होती हैं, हम एक-दूसरे के पूरक हैं और यहां सभी मंत्री बैठे हैं जो बात आएगी उसे हम कहेंगे, हम किसी के प्रतिनिधि नहीं हैं. हम स्वयं मंत्री हैं.
अध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी और माननीय सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि यह बहस का विषय नहीं है.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहता हूं कि माननीय शेजवार जी इस मंत्रिमण्डल के वरिष्ठ मंत्री हैं और सदन के वरिष्ठ सदस्य भी हैं. आपने प्रतिनिधि की बात को इतनी गंभीरता से लिया है लेकिन विधायक ने जो मांग की है कि क्या मेरी उपस्थिति में जांच करायेंगे तो वह जवाब आप सरकार से दिलवा दें.
श्री ज्ञान सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय विधायक जी ने प्रश्न के माध्यम से जो जानकारी चाही गई थी वह उनको उपलब्ध करा दी गई है. राशि की जानकारी मांगी थी वह उनको उपलब्ध करा दी गई है. गांवों की संख्या और आंकड़े मांगे गये थे वह भी उनको उपलब्ध करा दिये गये हैं. मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी से बड़े हर्ष के साथ में गुजारिश करूंगा कि अगर इस तरह की अनियमितता कहीं पर हुई हैं और वह उनके संज्ञान में हैं जिन कार्यों की पूर्णता बताई गई है और वह अधूरे हैं, तो बेशक प्रशासन आपकी उपस्थिति में जांच करायेगा.
अनुसूचित जाति, जनजाति बाहुल्य ग्रामों में विद्युतीकरण
7. ( *क्र. 519 ) श्रीमती ललिता यादव : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर विधानसभा क्षेत्र के कौन-कौन से गावों के अनुसूचित जाति, जनजाति बाहुल्य इलाकों में प्रश्न दिनाँक तक विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में ऐसे कौन-कौन से गांव हैं, जहां विद्युत खम्बे हैं, मगर उनमें लाईन न होने के कारण विद्युत का कार्य अपूर्ण है? (ग) विधानसभा क्षेत्र के शेष गांवों में कब तक विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण हो जायेगा? (घ) छतरपुर विधानसभा क्षेत्र के किन-किन ग्रामों में विभाग द्वारा 1 जनवरी 2013 से प्रश्न दिनाँक तक विद्युतीकरण के लिये कितनी-कितनी राशि खर्च की गई है?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-एक अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-दो अनुसार है। (ग) समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-चार अनुसार है।
श्रीमती ललिता यादव – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को बताना चाहती हूं कि मेरे प्रश्न का जो उत्तर है वह पूर्णतया असत्य है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में जिन ग्रामों और मजरे टोलों में लाइट का काम पूरा होना बताया गया है. वहां पर काम पूरा नहीं हुआ है. सलैया ग्राम पंचायत के डामरपुरवा में अभी भी लाइट के खंबे पड़े हैं जहां पर लाइट के खंबे खड़े हैं वहां पर लाइन नहीं डाली गई है, जहां पर लाइन डाल दी गई है वहां पर बिजली चालू नहीं हुई है और वहां पर बिजली के बिल आना शुरू हो गये हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि जो विद्युत कार्य में विलंब हुआ है और जो प्रश्न में असत्य उत्तर दिया है उसके लिए क्या मंत्री जी एक समिति बनाकर जांच करा लेंगे.
श्री ज्ञान सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य ने प्रश्न के माध्यम से जो अपनी बात कही है विद्युत के निर्माण कार्य निरंतर जारी हैं . आदिवासी विभाग का काम है, राशि उपलब्ध कराने का उस कार्य को पूरा करने का काम विद्युत विभाग का होता है, देरी के बारे में कुछ बताना उचित नहीं समझूंगा इसलिए कि कई प्रक्रियाएं विद्युत विभाग को पूरा करना होती हैं, लेकिन जिन ग्रामों के बारे में आपने बात कही है कि विद्युत के पोल वहां पर पड़े हैं गडे़ नहीं हैं और जहां पर गड़ गये हैं वहां पर विद्युत की लाइन नहीं बिछी हैं . मैं उनको आश्वस्त कराना चाहूंगा कि समय रहते वहां पर बिजली के पोल गाड़ दिये जायेंगे और लाइन बिछा दी जायेगी.
श्रीमती ललिता यादव – माननीय अध्यक्ष महोदय हमारी थरा पंचायत के खेरापुरवा में लाइन बिछ गई है लेकिन बिजली चालू नहीं हुई है वहां पर ग्रामीणों के बिल आना शुरू हो गये हैं और हमारी पडरिया पंचायत में लाइन डल गई है लेकिन विद्युत चालू नहीं हुई है वहां पर ग्रामीणों के 6 माह से बिल आ रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि जिनके बिल आ रहे हैं उनके बिजली के बिल माफ करायेंगे और जब विद्युत चालू हो जायेगी उनके वास्तविक बिल आयेंगे. एक बात और मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि जिन ग्रामों में अनुसूचित जाति जनजाति के लिए विद्युतिकरण का काम किया गया है. उन लोगों के लिए क्या सरकार स्थायी कनेक्शन देगी.
श्री ज्ञान सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय जहां पर बिना बिजली चालू किये बिजली के बिल आ रहे हैं तो उसके लिए तो हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है मैं प्रयास करूंगा जहां पर लाइन नहीं बिछी हैं उन ग्रामीणों से वसूली न हो. दूसरी बात जो माननीय सदस्य ने जो उदगार व्यक्त किये हैं कि जहां पर लाईन है, कनेक्शन है,वहां मेरे एस .सी.एस.टी. के परिवारों के जहां पर ट्यूब वेल और विद्युत पंप के जो कनेक्शन हैं , आप तो जानती हैं कि माननीय मुख्यमंत्री जी के जिस तरह के निर्देश विभाग को प्राप्त हुए हैं उन परिवार वालों को टेम्पररी नहीं परमानेन्ट कनेक्शन दिये जाने की हमारी तैयारी है. और वह कार्य भी शुरू हो गया है.
श्रीमती ललिता यादव—अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को,माननीय मंत्री जी को और पूरी सरकार को धन्यवाद देना चाहती हूं.
प्रश्न संख्या (8)-
फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर कार्यवाही
8. ( *क्र. 176 ) श्री संजय पाठक : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परिवर्तित तारांकित प्रश्न क्रं. 203, दिनाँक 24.07.2015 में मुद्रित प्रश्नांश (ख) का उत्तर कार्यालयीन पत्र क्रं. जा.प्र.स./1025/2012/7146 दिनाँक 31.03.2015 से वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस महानिरीक्षक भोपाल को प्रकरण क्रं. 5854/1994 दिनाँक 02.09.1994 में दिये गये निर्देशों के अनुरूप पायी गई कमियों की पूर्ति पूर्ण कर जाँच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने हेतु लिखा गया है। जाँच प्रतिवेदन अप्राप्त है। जाँच कार्यवाही पुलिस स्तर पर लंबित है। प्रश्नांश (ग) का उत्तर म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन के ज्ञापन क्रं. एफ-7-1-96/अप्रा-1 दिनाँक 08.09.1997 में दिये निर्देशों के अनुरूप पुलिस जाँच उपरांत समिति द्वारा कार्यवाही की जावेगी, दिया गया था तो पुलिस अधीक्षक/पुलिस उपमहानिरीक्षक भोपाल को कब-कब पत्र लिखे गये तथा क्या-क्या जानकारी प्राप्त हुई? (ख) यदि प्रश्नांश (क) में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस महानिरीक्षक भोपाल द्वारा संबंधितों का सही जाँच प्रतिवेदन विगत दो वर्षों से प्राप्त नहीं हुआ तो संबंधितों के विरूद्ध किस पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी को पत्र लिखा गया? यदि पत्र नहीं लिखा गया, तो विलंब के लिये कौन-कौन अधिकारी दोषी हैं? दोषियों के ऊपर क्या कार्यवाही की जावेगी? (घ) क्या फर्जी निवास एवं जाति प्रमाण पत्रों के प्रकरणों की जाँच में छान-बीन समिति को छ: माह के अंदर निर्णय लेने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो जानबूझकर विलंब करने के लिये कौन-कौन अधिकारी दोषी हैं? दोषियों पर क्या कार्यवाही की जायेगी?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जी हाँ। पुलिस अधीक्षक/पुलिस उप महानिरीक्षक को लिखे गये पत्रों की प्रति तथा प्राप्त प्रतिवेदनों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) छानबीन समिति द्वारा संदेहास्पद जाति प्रमाण पत्रों की जाँच अर्द्धन्यायिक प्रक्रिया के तहत की जाती है। पुलिस जाँच हेतु लिखे पत्रों की प्रतियाँ पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। जाँच प्रक्रिया सतत् प्रचलित है। अत: कोई दोषी नहीं है। (ग) प्रश्नांश अन्तर्गत प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर क्रमश: दिनाँक 24/09/2015 तथा 27/11/2015 को जारी सूचना पत्र अनुसार कार्यवाही प्रचलन में है। कोई दोषी नहीं है। (घ) अनावेदक श्री जानराव हेड़ाउ को कारण बताओ सूचना पत्र दिनाँक 27/11/2015 एवं नामदेव हेड़ाउ को पत्र दिनाँक 24/09/2015 को जारी किया गया है। निर्धारित प्रक्रिया अनुसार कार्यवाही की जायेगी। जबाव प्राप्त होने पर आगे की कार्यवाही की जायेगी। कार्यवाही सतत् प्रचलित है। कोई दोषी नहीं है।
श्री संजय पाठक—अध्यक्ष महोदय, मैने जो प्रश्न किया है इसके तो अ,ब,स,क,ख,ग सबमें गोलमाल जवाब आ ही गया है. क्या माननीय मंत्री जी सीधे सीधे जवाब देंगे कि अगर कोई व्यक्ति फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर शासकीय नौकरी में नियुक्त हो जाता है और उसके प्रमाण पत्र की शिकायत होती है तो उस शिकायत की जांच और उसके निराकरण की कोई समय सीमा होती है या नहीं. और अगर होती है तो शिकायत प्राप्त होने के कितने दिन बाद वह जांच हुई और जांच होने के बाद वह शिकायत सत्य पायी गई और उसके बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई तो क्या माननीय मंत्री जी यह जानकारी सदन को उपलब्ध करायेंगे कि कब शिकायत प्राप्त हुई , जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया या नहीं और समय सीमा क्या थी.
श्री ज्ञान सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय जी,माननीय विधायकजी ने जांच से संबंधित जो चिन्ता व्यक्त की है. जांच की एक प्रक्रिया है और यह अर्धन्यायिक प्रक्रिया के अन्तर्गत आता है. जांच पूरी होने के बाद जैसे ही शासन को जानकारी प्राप्त होगी ,उसमें निर्णय लेने में कोई देरी नहीं की जाएगी.
श्री संजय पाठक—अध्यक्ष महोदय, मेरा तो बड़ा स्पेसिफिक प्रश्न था कि उप संचालक, कृषि के पद पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर जे.आर.हेडाऊ की नियुक्ति हो जाती है और उसकी शिकायत भी हो जाती है. तो यह शिकायत कब प्राप्त हुई थी,उसकी जांच हुई या नहीं हुई. और जांच अगर हुई तो उस पर से क्या कार्यवाही हुई ,इसका तो जवाब ही नहीं आया.
श्री ज्ञान सिंह—अध्यक्ष महोदय जी, यह प्रकरण दो जिलों से संबंधित है , प्रथम दृष्ट्या में भोपाल मुख्यालय से पुलिस अधीक्षक ने जांच शुरू की और यह पाया गया कि हेडाऊ छिन्दवाड़ा का निवासी है. पत्राचार हुआ, हमारी जांच की छानबीन समिति बैठी है. संज्ञान में लेकर के ,छिन्दवाड़ा पुलिस अधीक्षक की ओर से भोपाल के पुलिस अधीक्षक को जो तथ्य उपलब्ध कराये गये थे उसमें जांच अधूरी थी. खसरा जो उनके मूल निवास का एक प्रमुख विषय होता है ,राजस्व रिकार्ड ,अभी तक उनका जमा न कराने से , चूंकि यह पुलिस विभाग के संज्ञान का मामला है और जैसे ही पूरी रिपोर्ट यहां पर आ जाएगी ,मैं पुनः माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहूंगा कि विभाग की ओर से कोई देरी नहीं की जाएगी.
श्री संजय पाठक—अध्यक्ष महोदय, प्रश्न का उत्तर तो आ ही नहीं रहा है ,अब मैं इसको और ज्यादा लंबा नहीं खींचना चाहता .मैं मंत्री जी से सदन में यह आश्वासन चाहता हूं ,यह जांच होते हुए सालों हो गए , जे.आर.हेडाऊ की कई शिकायते मैं इस विधान सभा में कर चुका हूं. कई प्रश्न लगा चुके हैं, शिकायत सत्य पायी गई .ये महा भ्रष्ट अधिकारी हैं और कृषि विभाग में ये करोड़ो का घोटाला कर चुके हैं . मुख्यमंत्री जी की घोषणा किसानों के हित की है, किसानों के हित में जो पैसा सरकार नीचे भेजती है उसको ये अधिकारी नीचे मिल कर निपटा देते हैं.
अध्यक्ष महोदय—आप तो सीधा प्रश्न कर लें.
श्री संजय पाठक—अध्यक्ष महोदय, मैं तो सीधा ही प्रश्न कर रहा हूं मैं तो एक ही बात कहना चाहता हूं कि प्रदेश में प्रमुख सचिव जी के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय जांच समिति होती है ,छान-बीन समिति. तो क्या माननीय मंत्री जी उच्चस्तरीय जांच, छानबीन समिति में उपरोक्त प्रकरण को भेज कर ,वे बता दें कि कितनी समय सीमा में जांच करा लेंगे ,सिर्फ इतना ही जवाब दे दें.
श्री ज्ञान सिंह—अध्यक्ष महोदय, यह आदिवासियों के हित चिन्तन का विषय है.
श्री संजय पाठक—वह आदिवासी नहीं है.
श्री ज्ञान सिंह—इसकी जो मूल धारणा है कि फर्जी लोग आदिवासी बनकर नौकरी पा रहे हैं. मैं पाठकजी आपकी चिन्ता पर, आपकी सोच पर धन्यवाद देना चाहूंगा. चूंकि प्रथम दृष्टया यह प्रकरण मेरे सामने आया है. मैं आपको आश्वस्त कराना चाहूंगा कि समय रहते जांच पूरी हो और नियमानुसार उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी.
अध्यक्ष महोदय—अतिशीघ्र कर देंगे.
श्री संजय पाठक—अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का कोई उत्तर ही नहीं आया. यह प्रकरण उच्चस्तरीय छानबीन जांच समिति को भेजेंगे या नहीं? मेरे 4 प्रश्नों में से एक का भी उत्तर नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय—मंत्रीजी, प्रकरण उच्चस्तरीय छानबीन समिति को भेजेंगे क्या?
श्री ओमप्रकाश धुर्वे—अध्यक्ष महोदय, यह गंभीर प्रश्न है. समय सीमा निश्चित होना चाहिए.
श्री ज्ञान सिंह—अध्यक्ष महोदय, छानबीन समिति गठित है. उनसे आग्रह किया जायेगा कि आगामी बैठक में इसका निर्णय कर दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय—अब नहीं. आगामी बैठक में निर्णय कर देंगे.
श्री संजय पाठक—अध्यक्ष महोदय, समय सीमा तय करा दीजिए. इस प्रकरण को सालों हो गये हैं.
अध्यक्ष महोदय—उन्होंने आगामी बैठक का बोला है.
श्री संजय पाठक—अध्यक्ष महोदय, एक माह की समय सीमा में हो जाये. 6 माह की समय सीमा होती है. और इसको 6 साल हो गये.
श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल—अध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी को स्पेसिफिक जवाब देना चाहिए. आदिवासियों के पदों पर सामान्य वर्ग के लोग नौकरी कर रहे हैं. उसकी जांच क्यों नहीं करवा रहे. (व्यवधान)
शासकीय स्कूलों में बाहरी विद्युतीकरण एवं पहुंच मार्ग व्यवस्था
9. ( *क्र. 487 ) श्री निशंक कुमार जैन : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विदिशा जिले अन्तर्गत कितने शासकीय हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल संचालित हैं? संचालित स्कूलों के स्वयं के कितने भवन हैं, कितनों के नहीं, कितने भवन निर्माणाधीन हैं? स्कूल भवन से गांव की दूरी बताते हुये सूची उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित स्कूलों में से कितने स्कूल हैं, जहां बाहरी विद्युतीकरण की व्यवस्था एवं शाला पहुंच मार्ग नहीं हैं? इसके लिए कौन अधिकारी दोषी है? (ग) क्या स्कूल विद्युत व्यवस्था का संचालन न होने से छात्रों को कक्षों में बैठने में असुविधा हो रही है एवं पहुंच मार्ग न होने से छात्रों को बारिश के दौरान आने-जाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है? (घ) प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र अन्तर्गत स्कूलों में बाहरी विद्युतीकरण की व्यवस्था एवं पहुँच मार्ग का निर्माण कब तक कराया जावेगा?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार। (ख) 27 स्कूलों में बाहरी विद्युतीकरण तथा 5 स्कूलों में पक्का पहुँच मार्ग नहीं है। बाह्य विद्युतीकरण एवं पहुँच मार्ग हेतु विभाग के बजट में प्रावधान नहीं होने से कोई अधिकारी दोषी नहीं है। (ग) असुविधा तो होती है स्कूल तक पहुँच मार्ग की वैकल्पिक व्यवस्था है। (घ) बाह्य विद्युतीकरण एवं पहुँच मार्ग का निरंतर कार्य होने से समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री निशंक कुमार जैन—अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी से पूछा था कि विदिशा जिले के और गंजबासौदा विधानसभा क्षेत्र के कौन कौन से स्कूलों में पहुंच मार्ग नहीं है और कौन कौन से स्कूलों में विद्युत की व्यवस्था नहीं है. उस संबंध में शासन का जवाब आया है, उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं. अधिकारियों ने गुमराह किया है. ऐसे कई स्कूलों के नाम है जहां पहुंच मार्ग नहीं है. जैसे पिपराहा, तेऊंदा, सतपाडा,सुमेरदांगी में कोई पहुंच मार्ग नहीं है. यहां पर उत्तर आ गया कि पहुंच मार्ग है. बिजली के मामले में भी ऐसे ही जवाब आया है. मैं मंत्रीजी से अनुरोध करना चाहूंगा कि क्या वे सदन में घोषणा करेंगे कि जिन स्कूलों में पहुंच मार्ग नहीं है, उनमें किसी न किसी निधि से पहुंच मार्ग बना देंगे. अध्यक्ष महोदय, एक तरफ प्रदेश सरकार कम्प्यूटर दे रही है, दूसरी तरफ बिजली नहीं होगी तो कम्प्यूटर काहे से चलेगा मंत्रीजी. क्या बिजली और पहुंच मार्ग की व्यवस्था करेंगे?
राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक जोशी)—अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय विधायक जी को अवगत कराना चाहता हूं कि दीनदयाल ग्रामीण विद्युतीकरण मिशन, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना, मुख्यमंत्री खेत-सड़क योजना के माध्यम से प्राथमिकता के आधार पर पहुंच मार्ग का निर्माण और विद्युतीकरण की व्यवस्था के लिए शासन से अनुरोध करेंगे.
श्री निशंक कुमार जैन— मंत्रीजी अनुरोध नहीं आप तो समय सीमा बता दें कि आप 2 महीने, 4 महीने, 6 महीने कितने महीने में कर देंगे. अनुरोध करने में आप पत्र भेज देंगे.
श्री दीपक जोशी—अध्यक्ष महोदय, जितनी जल्दी योजनाओं के दायरे में आ जायेंगे उतनी जल्दी हम कर देंगे.
श्री निशंक कुमार जैन—अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा पूरक प्रश्न है कि जिन अधिकारियों ने गलत जानकारी दी है क्या उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई करेंगे?
श्री दीपक जोशी—यदि कोई गलत जानकारी होगी तो उसकी जांच करायी जायेगी और जांच के बाद जो भी कार्रवाई हो सकती है, वह करेंगे.
अध्यक्ष महोदय—आपके 3 प्रश्न हो गये हैं.
श्री निशंक कुमार जैन—अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्रीजी मौजूद हैं. ग्यारसपुर विकासखंड में एक गांव ऐलछा और ऐलछा से गुन्नोठा वहां अभी भी बच्चियां लकड़ी(बांस) के पुल पर से स्कूल जाती हैं. जब माननीय मुख्यमंत्रीजी वहां से सांसद थे, तो आप वहां पर भूमिपूजन करके आये थे. मैं आपसे अनुरोध करना चाहूंगा कि आप वहां पर एक छोटे से पुल की घोषणा कर दें. बच्चियां डेढ़ किलोमीटर पैदल जा रही हैं. बारिश में 10 किलोमीटर तक जाना पड़ता है. माननीय मुख्यमंत्रीजी, सांसद के बतौर आपके नाम का वहां पत्थर लगा है.
अध्यक्ष महोदय—इसके बाद अब इनका कुछ नहीं लिखा जायेगा. कृपया बैठ जायें.
श्री निशंक कुमार जैन—XXX
अध्यक्ष महोदय—आपके बोलने का कोई फायदा नहीं. कहीं कुछ नहीं लिखा जा रहा है. बैठ जायें.
बाउण्ड्रीवाल एवं आवासीय भवनों की स्वीकृति
10. ( *क्र. 114 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के प्रश्न संख्या 75, (क्रमांक 2058) दिनाँक 31 जुलाई 2015 के उत्तर की कंडिका (ख) में बताया गया था कि लोक निर्माण विभाग (पीआईयू) द्वारा नवनिर्मित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सुठालिया की बाउण्ड्रीवाल एवं आवासीय भवनों का प्राक्कलन राशि रूपये 260.86 लाख तैयार कर सक्षम स्तर से तकनीकी स्वीकृति जारी करने की कार्यवाही प्रचलन में है? यदि हाँ, तो क्या तकनीकी स्वीकृति जारी कर दी गई है? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) क्या शासन व्यापक लोकहित में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सुठालिया की बाउण्ड्रीवाल एवं आवासीय भवनों के प्राक्कलन अनुसार तकनीकी स्वीकृति जारी कर निर्माण स्वीकृति एवं आवश्यक धनराशि प्रदान करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी हाँ। लोक निर्माण विभाग, पी.आई.यू द्वारा तकनीकी स्वीकृति जारी न करने के फलस्वरुप विभागीय स्तर पर प्राक्कलन तैयार किया गया। (ख) सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सुठालिया की बाउण्ड्रीवाल निर्माण हेतु शासन द्वारा राशि रुपये 27.68 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति दिनाँक 19.11.2015 को जारी की गई है, आवासीय भवनों के निर्माण हेतु प्रशासकीय स्वीकृति की कार्यवाही प्रचलन में है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री नारायण सिंह पंवार-- आदरणीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से स्वास्थ्य मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मेरी विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सुठालिया में जो नवीन भवन बना है, लगभग डेढ़ साल से बना पड़ा है, लगभग सवा करोड़ की लागत का, लेकिन वह शहर से 2 किलोमीटर की दूरी पर है, इसके कारण न तो वहां बाउंड्रीवाल स्वीकृत हुई है, न उसमें बिजली कनेक्शन है और न ही आवास के भवन हैं. शहर के अंदर एक पुराना स्वास्थ्य भवन बना हुआ है, अभी उसी से उस केन्द्र का काम चल रहा है. मैंने मांग की थी कि इसमें एक बाउंड्रीवाल बनाया जाये, शासन ने एक तिहाई 260.68 लाख रूपये का प्रस्ताव....
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न करें कृपया अपना.
श्री नारायण सिंह पंवार—मेरा प्रश्न यह है कि जो स्वास्थ्य केन्द्र भवन बना है, उसमें बाउंड्रीवाल बनाई जावे और आवास भवन बनाया जाये, शासन ने एक बाउंड्रीवाल का 27.68 लाख रूपये स्वीकृत किया है, उसके लिये में माननीय मंत्री जी का धन्यवाद करता हूं, लेकिन मूल समस्या यथावत बनी हुई है, अभी प्रशासन के अधिकारी जिद कर रहे हैं कि पुराने जो भवन है अस्पताल का उसी में आवास भवन बनाया जायें.
अध्यक्ष महोदय-- सीधे प्रश्न करें अपना.
श्री नारायण सिंह पंवार-- मेरा प्रश्न यह है कि फिर यह नवीन भवन बनाने का औचित्य क्या है. यदि आवासीय नवीन भवन नहीं बनते हैं तो पुराने अस्पताल और नवीन अस्पताल में 2 किलोमीटर का फर्क है, और वह जंगल में है.
राज्य मंत्री, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (श्री शरद जैन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं व्यक्तिगत तौर पर ब्यावरा और राजगढ़ गया था, जो माननीय विधायक जी ने चिंता जाहिर की है, वह जायज है. मैं उनको जानकारी देना चाहता हूं कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की जो बाउंड्रीवाल की उन्होंने मांग की है, उस बाउंड्रीवाल की प्रशासकीय स्वीकृति हो गई है, टेण्डर हो गया है, जनवरी में काम चालू हो जायेगा और माननीय विधायक जी उचित समझें तो भूमि पूजन के लिये मैं स्वयं वहां चला जाउंगा. ....(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय-- क्या बात है.
श्री नारायण सिंह पंवार-- स्वागत है.
श्री शरद जैन-- दूसरा प्रश्न जो उनका है, उन्होंने बात की कि भवन के निर्माण की, उसकी प्रशासकीय स्वीकृति की कार्यवाही प्रचलन में है, बहुत शीघ्र ही यह कार्य उनका हम कर देंगे.
श्री नारायण सिंह पंवार-- मैं निवेदन करना चाहता हूं कि नवीन परिसर में आवास भवन बनाये जाने का...
अध्यक्ष महोदय-- बात कर ली उन्होंने.
एक माननीय सदस्य-- माननीय अध्यक्ष जी धन्यवाद नहीं आया अभी.
श्री नारायण सिंह पंवार-- बहुत-बहुत धन्यवाद माननीय मंत्री जी.
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा खरीदी में अनियमितता
11. ( *क्र. 851 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला शिक्षा अधिकारी छतरपुर में कार्यालय द्वारा आवश्यक वस्तुओं की खरीदी के लिए जो आदेश दिये गये थे, वे उनकी अधिकारिता की सीमा में थे? यदि हाँ, तो वर्ष 2012 से सितंबर 2014 तक की समस्त खरीदी आदेशों की उक्त सीमा का विवरण प्रदाय किया जावे। (ख) यदि नहीं, तो जिला शिक्षा अधिकारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या उक्त समय में की गई समस्त खरीदी लघु उद्योग निगम के माध्यम से की गई है? यदि हाँ, तो विवरण दिया जावे? (घ) यदि नहीं, तो जिला शिक्षा अधिकारी छतरपुर के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जाएगी?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। जिला शिक्षा अधिकारी एवं पदेन जिला समन्वयक, जिला छतरपुर को राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान अंतर्गत अधिकारिता होने से खरीदी के आदेश दिये गये हैं, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) के प्रकाश में शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) उत्तरांश (क) एवं (ग) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री आर.डी. प्रजापति-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह था माननीय मंत्री जी से कि जो खरीदी शिक्षा अधिकारी ने की है मैंने यह कहा था कि क्या यह लघु उद्योग निगम से खरीदी की गई है तो जवाब में मिला है कि नहीं. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि हमारी सरकार लघु उद्योग निगम से खरीदी करके उसे बढ़ावा दे रही है, लेकिन मुझे जो जवाब मिला है कि हमने इससे नहीं खरीदा.
दूसरा प्रश्न यह था कि क्या इनके लिये आदेश दिये गये थे कि ये खरीदी की जाये, तो आदेश तो दिये नहीं गये थे, उसमें (?) लगाकर के जो हम लोग एक प्रश्न वाचक चिन्ह लगाते हैं, यह लगाकर दिया गया है कि हमने दिनांक 04.08.2012 को खरीदी की है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि क्या जो यह खरीदी की गई है वह पूरे फर्जी तरीके से, कोटेशन बुलाकर के अपने घर में बैठकर की गई है और किसी भी समाचार पत्रों में कहीं भी यह नहीं बताया गया कि खरीदी कहां से की गई है. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि क्या माननीय मंत्री महोदय, इस खरीदी की जांच मेरे समक्ष करवायेंगे और करवायेंगे तो कब तक और जो दोषी पाया जायेगा उसमें क्या कार्यवाही की जायेगी.
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा(श्री दीपक जोशी) – माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश शासन के भण्डार गृह क्रय नियमों के तहत सामग्री क्रय किये जाने का हमारे यहां प्रावधान है उसी के तहत यह सब सामग्री क्रय की जाती है लेकिन यदि माननीय सदस्य किसी स्पेसिफिक बात पर ऐतराज है तो हमको अवगत करा दें अगर उसको विभागीय जांच के अनुसार हम कोशिश करेंगे कि उसकी जांच करवाकर अगर उसमें कहीं गलती होगी तो निश्चित रूप से उस पर कार्यवाही भी करेंगे.
श्री आर.डी.प्रजापति – अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी जांच कब तक करवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय- आप लिखकर के तो दीजिये. मंत्री जी ने कहा है कि यदि कोई स्पेसिफिक बात हो तो उनको लिखकर के तो दें.
श्री दीपक जोशी- अध्यक्ष महोदय, कोई बात बतायेंगे तो हम बिल्कुल जांच करवायेंगे.
अध्यक्ष महोदय—पहले आप लिखकर के उनको जानकारी दे दें, फिर जांच करायेंगे.
श्री आर.डी.प्रजापति – धन्यवाद.
विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्ध घुमक्कड़ जाति के विकास हेतु कार्य योजना
12. ( *क्र. 759 ) श्री विष्णु खत्री : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 हेतु विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जाति के विकास के लिये कितनी राशि का प्रावधान रखा गया था? (ख) बैरसिया विधानसभा क्षेत्र के विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जातियों के बस्ती विकास हेतु बनायी गयी कार्ययोजना की स्वीकृति में विलंब का क्या कारण है एवं यह योजना कब तक स्वीकृत हो जावेगी?
श्रम मंत्री ( श्री अंतरसिंह आर्य ) : (क) बस्ती विकास योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2014-15 में राशि रूपये 330 लाख एवं वर्ष 2015-16 में राशि रूपये 400 लाख का प्रावधान रखा गया है। (ख) बैरसिया विधानसभा क्षेत्र के विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्धघुमक्कड़ जनजातियों के बस्ती विकास योजनांतर्गत निर्माण कार्यों के प्रस्ताव प्राप्त हुये थे किन्तु वर्तमान में बजट उपलब्ध न होने के कारण राशि उपलब्ध नहीं कराई जा सकी, बजट उपलब्ध होने पर कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
श्री विष्णु खत्री- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न में विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्ध घुमक्कड़ जातियों की बस्ती विकास के संबंध में था . मैंने मंत्री जी से जानना चाहा था कि वित्तीय वर्ष 2014-15, एवं 2015-16 में विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्ध घुमक्कड़ जातियों के बस्ती विकास हेतु कितनी राशि का प्रावधान किया गया था. इस प्रश्न की माननीय मंत्री जी ने मुझे जानकारी दे दी है लेकिन इसके साथ में मैंने यह भी जानकारी चाही थी कि जो आवंटित राशि है वह कहां कहां और कितनी कितनी व्यय की गई ? इसका उत्तर मुझे प्राप्त नहीं हुआ है. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि वित्तीय वर्ष 2014-15 और 2015-16 में यह राशि कितनी और कहां कहां व्यय की गई है.
श्री अंतरसिंह आर्य—माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी के विधानसभा क्षेत्र का यह मामला है. उन्होंने अपनी विधानसभा क्षेत्र के बस्ती विकास योजना के अंतर्गत. और विधायक जी मेरे निवास पर स्वयं भी आये, चर्चा की, पत्र भी दिया था. जो प्रथम त्रेमासिक बजट था वो हम दो-तीन जिलों में दे चुके हैं, जैसे ही यह द्वितीय त्रेमासिक बजट हमें प्राप्त होगा, मध्यप्रदेश में अगर पहला कोई काम स्वीकृत होगा तो माननीय विधायक जी का हम करेंगे.
श्री विष्णु खत्री – मंत्री जी इसके लिये धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय इसमें मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि यह समाज के अति पिछड़े वर्ग के लोगों के लिये उन्होंने यह योजना संचालित की है. लेकिन जो इस विभाग के अंदर सरकारी अधिकारी हैं उनकी असंवेदनशीलता के कारण डेढ़ वर्ष से मेरे प्रस्ताव फुटबाल बने हुये हैं.
अध्यक्ष महोदय—आप धन्यवाद दे दीजिये. दूसरों को भी प्रश्न पूछने का मौका दीजिये.
चिकित्सकों व कर्मियों की पदपूर्ति
13. ( *क्र. 158 ) श्री दिनेश राय : क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला सिवनी के किन सामुदायिक चिकित्सालयों, स्वास्थ्य केन्द्रों, उपस्वास्थ्य केन्द्रों में किन चिकित्सकों, विशेषज्ञों और कर्मियों की पदस्थी की गई है? (ख) प्रश्नांश (क) में स्वीकृत और रिक्त पदों की स्थितियां कब से क्या हैं? (ग) प्रश्नांश (क) के किन चिकित्सकों व कर्मियों को विगत 3 वर्षों में रिक्त पदों के रहते स्थानांतरित किया गया है और उनके रिक्त पदों के विरूद्ध कब किनकी पदस्थी कर पदपूर्ति की गई है? (घ) प्रश्नांश (क) के किन केन्द्रों में पदस्थ किन चिकित्सक व कर्मियों द्वारा पदस्थीकाल में किन-किन तिथियों में उपस्थिति दी है और अनुपस्थित रहने के कारण क्या हैं और क्या इनके विरूद्ध कभी कोई कार्यवाही की गई है? (ड.) प्रश्नांश (ख) के रिक्त पदों की पूर्ति कब तक कर ली जावेगी?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) सिवनी जिले अंतर्गत पदस्थ 02 चिकित्सकों की पदस्थापना अन्यत्र जिले में की गई है एवं लोक सेवा आयोग से चयन उपरांत कुल 17 चिकित्सकों की पदस्थापना सिवनी जिले अंतर्गत जिला चिकित्सालय/सिविल अस्पताल/सा.स्वा.के. स्तर की संस्थाओं में की गई है। (घ) प्रश्नांश ''क'' में उल्लेखित संस्थाओं में से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र धनौरा में 02 चिकित्सा अधिकारियों की पदस्थापना की गई है एवं उक्त चिकित्सकों द्वारा दिनाँक 29.07.2015 एवं 31.07.2015 को उपस्थिति प्रस्तुत की गई एवं उक्त चिकित्सक कार्यरत हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) प्रदेश में विशेषज्ञ/चिकित्सकों की अत्यधिक कमी के कारण शतप्रतिशत पदपूर्ति संभव नहीं हो पाई है। प्रदेश में पैरामेडिकल स्टॉफ के 900 पदों की पूर्ति हेतु म. प्र. व्यवसायिक परीक्षा मण्डल से चयन सूची प्राप्त हो चुकी है, परन्तु संविदा कर्मचारियों द्वारा दायर याचिका में मा. उच्च न्यायालय द्वारा दिये गये स्थगन के कारण पदस्थापना संबंधी कार्यवाही प्रारंभ नहीं की जा सकी थी। दिनाँक 30.11.2015 को माननीय न्यायालय द्वारा स्थगन हटाया गया है, शीघ्र पदस्थापना संबंधी कार्यवाही प्रारंभ की जा रही है।
श्री दिनेश राय – माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जो जानकारी मुझे दी है उससे मैं संतुष्ट हूं. किंतु मेरा निवेदन है कि जो जानकारी मुझे मिली है उसे देखने से अभिभूत हो रहा है कि 5 साल, 10 साल और 15 सालों से हमारे क्षेत्र में डॉक्टरों के रिक्त पड़े पदों की पूर्ति नहीं की गई है. 15-15 साल तक मेरे ग्रामीण क्षेत्र में डॉक्टर पदस्थ नहीं होंगे तो स्वास्थ्य केन्द्रों का क्या होगा. मंत्री जी से यह मैं जानना चाहता हूं कि जिसमें डॉक्टर इफ्तिखार अहमद अंसारी और डॉक्टर शरद जैन कई दिनों से अनुपस्थित हैं, क्या विभाग इन पर कोई कार्यवाही करेगा. ?
राज्य मंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण(श्री शरद जैन) – माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी पहले से ही संतुष्ट हैं. और हर जनप्रतिनिधि का काम होता है अपने क्षेत्र की चिंता करना. लगातार माननीय विधायक जी इस बात की चिंता भी करते हैं . लेकिन संतोष नहीं होता हैं. मैं आपकी जानकारी में यह बात लाना चाहता हूं कि गत वर्ष सिर्फ सिवनी जिले में 28 डॉक्टर पदस्थ किये गये हैं. हो सकता है कि यह जानकारी देने से बाकी विधायक हमसे नाराज हो जायें कि एक जिले में 28 डॉक्टर क्यों दिये फिर भी मैं उनको आश्वस्त करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से 1896 डॉक्टरों के रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया प्रचलन में है, उसकी सूची प्राप्त होने पर माननीय विधायक जी से चर्चा करके जो यथासंभव होगा तो पदस्थीकरण किया जायेगा.
श्री दिनेश राय – पूरा उत्तर अभी नहीं आया है .मैं कह रहा हूं कि हमारे यहां पर डायलेसिस मशीनें आ गई हैं लेकिन वहां टेक्निशियन नहीं दिया, ट्रामा सेंटर वहां बन गया है वहां डॉक्टर नहीं दिये हैं . आप 28 डॉक्टर सिवनी में पदस्थी की बात कर रहे हैं लेकिन ज्वाइन कितने डॉक्टरों ने किया है वह बता दें.
श्री शरद जैन – अध्यक्ष महोदय, पहले जानकारी तो ले लें. मेरी बात तो सुन लें.
श्री दिनेश राय – कम से कम आयुष के डॉक्टरों की पदस्थापना हमारे यहां पर आप कर दें.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
11.25 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
श्री तरुण भनोत (जबलपुर-पश्चिम) – अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के हजारों लोग न्याय से वंचित हो रहे हैं. लगातार तीन दिनों से माननीय महाधिवक्ता कार्यालय का, न माननीय महाधिवक्ता जी, न उनका कोई सरकारी वकील हाईकोर्ट में उपस्थित हो रहे हैं. यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है. हम चाहते हैं कि कृपया इस विषय पर यहां चर्चा करने का मौका दें. हजारों लोग न्याय से वंचित हो रहे हैं. क्या सरकार ने ऐसा कोई निर्णय लिया है कि माननीय महाधिवक्ता और उनके सरकारी वकील कोर्ट में उपस्थित न हों.
अध्यक्ष महोदय – ठीक है, आपका विषय आ गया.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़) -- अध्यक्ष महोदय, हमारे मित्र ने एक बड़ा गंभीर मसला उठाया है. सत्ता पक्ष, सरकार हाई कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रख रही है. वहां के महाधिवक्ता भी हड़ताल पर है. क्या स्थिति है. सरकार स्पष्ट करेगी कि क्या सरकार के कहने पर महाधिवक्ता हड़ताल में है...
अध्यक्ष महोदय – इसकी जानकारी बुलाई है. उसके बाद में फिर जैसा निर्णय होगा, वैसा करेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, दूसरा हमारा कहना है, जो कि बहुत महत्वपूर्ण है.
अध्यक्ष महोदय – एक बार में एक विषय. शून्यकाल में एक माननीय सदस्य के दस विषय नहीं लिये जा सकते हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, हमने प्रश्नकाल में उठाया था, आपने कहा था कि बाद में बोल लें.
अध्यक्ष महोदय – अच्छा बोलिये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, बड़वानी में 43 लोगों की आंख फूंटी थी. अब इसकी 63 संख्या पहुंच चुकी है.
अध्यक्ष महोदय – इस पर स्थगन आ चुका है. उस पर पूरी चर्चा हो चुकी है, सारी घोषणा हो चुकी है. आप कृपया बैठ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, उसकी 63 संख्या हो गयी है...
अध्यक्ष महोदय – नहीं आप बैठ जाइये. उस पर हम स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा करा चुके हैं. आप लोगों ने भी उस पर बात की थी. इस तरह से आपको सदन को बाधित नहीं करने देंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनिट के लिये हमारी बात सुन लीजिये.
अध्यक्ष महोदय – नहीं, एक व्यक्ति से बाधित नहीं होने देंगे सदन को. आप कृपा करके बैठ जायें. मैं आपको एलाऊ नहीं कर रहा हूं. जिस विषय पर स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा हो चुकी है, कृपा करके नियम वगैरह पढ़ लिया करें आप लोग. कृपया बैठ जाइये. श्री आरिफ अकील बोलें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय – श्री सुन्दरलाल तिवारी का नहीं लिखा जायेगा. सिर्फ आरिफ अकील जी जो बोलेंगे, वह रिकार्ड में आयेगा. सुन्दरलाल तिवारी जी, बैठ जायें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय – श्री सुन्दरलाल तिवारी का कोई भी कथन, किसी भी प्रकार का अभी रिकार्ड में नहीं लिया जायेगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय – आपकी बात सुन ली है. श्री आरिफ अकील. (श्री सचिन यादव के खड़े होने पर) सचिन यादव जी, आप बैठ जायें. आप तो उनको सपोर्ट मत करो. वह विधान सभा नहीं चलाने दे रहे हैं और आप भी खड़े होकर उनको सपोर्ट कर रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय – उस पर स्थगन प्रस्ताव आ चुका है. मेहरबानी करके आप लोग कुछ पढ़कर आया करिये. एक ही विषय पर पूरा सत्र चला देंगे क्या. कृपया बैठ जायें. श्री आरिफ अकील.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय – क्या आप दूसरों को बोलने नहीं देंगे. ऐसी स्थिति में कोई आपको बाधित करेगा तो आपको कैसा लगेगा. वरिष्ठ सदस्य श्री आरिफ अकील जी बोलेंगे. बैठ जाइये.
श्री सुन्दर लाल तिवारी – ( XXX )
अध्यक्ष महोदय – आप वही विषय कितनी बार उठायेंगे. आप 100 बार भी लिखकर दे देंगे तो कुछ लिखा नहीं जायेगा.
अध्यक्ष महोदय – श्री आरिफ अकील.
श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर) - अध्यक्ष महोदय, स्मार्ट सिटी बनाने के लिए कल मीटिंग हुई थी. मीटिंग में जो पूरे भोपाल को स्मार्ट बनाना चाहिये, उस पर गौर नहीं हुआ. एक छोटे से वार्ड को स्मार्ट बनाने की बात की जा रही है. सबसे बुरी बात तो यह लगी कि जिन लोगों ने हमें मीटिंग में बुलाया, वे ही मीटिंग से नदारद थे. वहां भोपाल के सारे जन-प्रतिनिधि थे. हमें मीटिंग में बुलाने वाले गायब थे.
श्री विश्वास सारंग (नरेला) – माननीय अध्यक्ष महोदय, जो आरिफ भाई ने मामला उठाया है, वह बहुत गम्भीर है. कल नगर निगम कमिश्नर ने हम सब जन-प्रतिनिधियों को स्मार्ट सिटी के विचार-विमर्श के लिये बुलाया था. माननीय गृह मंत्री जी थे, सभी विधायक थे परन्तु स्वयं कमिश्नर वहां नहीं पहुँचे थे. केवल यही मामला नहीं है, नगर निगम कमिश्नर किसी जन-प्रतिनिधि के फोन नहीं उठाते हैं. माननीय उपाध्यक्ष जी, विधानसभा ने भी यह मामला उठाया था. यह पूरी समस्या भोपाल नगर निगम से जुड़े हुए किसी भी मुद्दे पर आती है. मैं आपसे संरक्षण चाहता हूँ. यह नियम में भी है, नियम 232 में यदि शासकीय अधिकारी द्वारा सदस्यों के साथ किये जाने वाले अपमानजनक व्यवहार से संबंधित सभी विषयों पर विचार-विमर्श, मन्त्रणा देने एवं अपमानजनक व्यवहार से संबंधित शिकायतों की जांच कर सभा को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे, सदस्य सुविधा समिति में.
श्री मुकेश नायक (पवई) – विधानसभा की कार्यवाही चल रही है और विधानसभा की कार्यवाही के दौरान, विधायकों को अपने संसदीय कार्यों के संपादन का, जानकारी लेने का, अधिकारियों से मीटिंग करने का, उनसे संवाद करने का पूरा अधिकार होता है क्योंकि इस समय हमें अपने संसदीय कार्यों एवं कर्त्तव्यों का संपादन करना होता है. ऐसे समय में अधिकारियों का फोन न उठाना, मीटिंग बुलाकर स्वयं अनुपस्थित हो जाना, बहुत गम्भीर मामला है. इसलिए मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि विशेषाधिकार समिति के सदस्य होने के नाते, मैं सम्माननीय सदस्य से कहता हूँ कि विशेषाधिकार हनन की कार्यवाही करें और अधिकारियों को बुलाकर विधानसभा में प्रताडि़त करें.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) – माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल प्रार्थना इतनी है कि लोकतंत्र के इस मंदिर की बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुतियां तो होती हैं. लेकिन जन-प्रतिनिधियों द्वारा जो विषय उठाये जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय – आपका विषय आ गया है.
श्री रामेश्वर शर्मा – जन-प्रतिनिधियों को जिस विषय पर बुलाया जाता है. आखिरी उस विषय के सक्षम अधिकारी, जब वहां पर उपस्थित नहीं होगा तो उसमें नीतिगत निर्णय क्या होगा.
अध्यक्ष महोदय – विषय आ गया है.
श्री रामेश्वर शर्मा – अध्यक्ष महोदय, विषय तो सबके आ ही रहे हैं. विषय किस माननीय सदस्य का रूक रहा है. लेकिन विषय पर आखिर निर्णय, ऐसी स्थिति पैदा क्यों होती है ? या हमें बुलाना नहीं चाहिये था. इनमें से कौन से विधायक ने उनसे निमंत्रण किया था कि मुझे बुलाइये. क्या आरिफ भाई ने कहा था कि आप स्मार्ट सिटी के लिये मुझे बुलाइये ? मैं अपना मत दूँगा. क्या विश्वास जी ने कहा था? हमको बुलाया गया तो अधिकारी वहां पर उपस्थित क्यों नहीं था ? आखिर बुलाया क्यों गया ? क्या हमने आग्रह किया कि आप हमसे सुझाव लीजिये.
अध्यक्ष महोदय – आपकी बात आ गई है.
श्री विष्णु खत्री (बैरसिया) – माननीय श्री विश्वास सारंग जी, माननीय श्री आरिफ अकील जी तथा माननीय श्री रामेश्वर शर्मा जी की बात के समर्थन के साथ, माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे निजी स्टॉफ में एक कर्मचारी को 6 माह से वेतन नहीं मिला है. इसके लिये, मैं आज आपको पत्र भी लिख रहा हूँ. यदि प्रदेश में, आपकी ओर से यह निर्देशित किया जाये कि जो माननीय सदस्यों के विशेषाधिकार हैं, इनकी रक्षा हो. माननीय अध्यक्ष महोदय, यही मेरा निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय – आप बैठ जाएं.
श्री रामेश्वर शर्मा – अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और है. मेरे क्षेत्र में मध्यप्रदेश पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन में एक छात्रावास और अस्पताल का निर्माण हो रहा है. आखिर वहां पर उदघाटन हो जाता है, उसमें क्षेत्रीय विधायक का नाम ही नहीं होता. आखिर यह क्या स्थिति है ? यह कौन तय करेगा ? यह कौन सुनिश्चित करेगा?
अध्यक्ष महोदय – कृप्या, आप बैठ जाइये.
श्री विश्वास सारंग – माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे सरंक्षण इसलिए चाहिये. तीन महीने पहले भी माननीय अध्यक्ष महोदय हुआ. माननीय रामेश्वर शर्मा जी के फोन की रिकार्डिंग किसी अधिकारी ने कर ली, यह आई.टी. एक्ट में अपराध है कि आप बिना सूचना के किसी की रिकार्डिंग करें. मेरा कहना है कि सदन में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सम्माननीय सदस्य, जो भी बात उठाता है, वह जनता की बात उठाता है. मेरा आपसे निवेदन है कि हमें आपका संरक्षण चाहिये.
अध्यक्ष महोदय – सभी बातें आ गई हैं. घनश्याम जी आप बैठ जाएं. अब आप कुछ करने देंगे कि सब बातें ही करते रहेंगे.
श्री मुकेश नायक – अगर आप अनुमति देंगे तो मुझे एक वाक्य कहना है.
अध्यक्ष महोदय - अब अनुमति नहीं है,सारी बातें आ गई हैं, नीलेश जी, आप बैठ जाइए, आरिफ साहब बोलने तो दें, यह चर्चा का विषय नहीं है, माननीय सदस्यगण ने यह विषय मेरे संज्ञान में लाए हैं और आपने स्वयं ही एक नियम पढ़ दिया है, आप कृपया उसको विधिवत् दें दें, तो हम उसको सदस्य सुविधा समिति को भेजकर, उसकी जांच करा लेंगे और उसके बाद कार्यवाही करेंगे ।
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, विशेषाधिकार समिति में भी देंगे ।
अध्यक्ष महोदय - आपको जिस विषय में भी देना है ।
श्री विश्वास सारंग - धन्यवाद अध्यक्ष जी.
11:41 पत्रों का पटल पर रखा जाना
(क) देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 (क्रमांक-22 सन् 1973) की धारा- 47 की अपेक्षानुसार देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर का (30 जून 2014 को समाप्त हुए अकादमिक वर्ष का) वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ ।
(ख) महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, करौंदी जिला कटनी(म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-2014
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, अधिनियम,1995 (क्रमांक-37 सन् 1995) की धारा 28 की उपधारा(3) की अपेक्षानुसार महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, करौंदी जिला कटनी(म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-2014 (1 जुलाई,2013 से 30 जून,2014 को समाप्त होने वाले वर्ष का) पटल पर रखता हूँ ।
11:42 ध्यानाकर्षण
1. कटनी जिले में गरीबी रेखा के नीचे के हितग्राहियों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ न दिया जाना .
श्री संजय पाठक(विजयराघवगढ़)- मानननीय अध्यक्ष महोदय,
स्वास्थ्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री संजय पाठक—माननीय अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आश्वासन चाहता हूं कि जितने हितग्राही पात्र पाये गये थे उनमें चाहे सामाजिक सुरक्षा पेंशन के हों, चाहे विधवा पेंशन के हों, चाहे विकलांग पेंशन के प्रकरण हों, चाहे गरीबी रेखा के कार्ड हों, पिछले एक वर्ष से जिनके कार्ड वितरित नहीं किये गये थे, जिनको पेंशन का लाभ नहीं दिया जा रहा है, उसमें एक समय-सीमा 8-10 दिन की तय कर दें इसमें माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा थी और सरकार भी चाहती है कि विधवा महिलाओं को पेंशन मिले और गरीबों को उनका अधिकार मिले, उनको गरीबी रेखा के कार्ड मिलें. इस कार्य को एक वर्ष से ऊपर हो गया है, ऐसे में सरकार की छबि खराब होती है माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा दिया गया आश्वासन भी गड़बड़ाता है तथा इससे जनता में गलत संदेश जाता है. मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि 8-10 दिन के अंदर कार्य हो जाए, एक वर्ष कार्य की जांच हुए भी हो गया है इसमें कुछ अधिकारियों/कर्मचारियों की निचले स्तर पर गड़बड़ियों के कारण कार्डों का वितरण सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है. आने वाले अगले शनिवार को उन पात्र हितग्राहियों के कार्ड बांट दिये जाएंगे. खतौली का जो शिविर था जिसकी जानकारी माननीय मंत्री जी ने दी उस शिविर में मैं भी उपस्थित था भारी बारिश होने के कारण शिविर शुरू होते ही पांच मिनट के बाद समाप्त हो गया था माननीय मंत्री जी से आने वाले अगले शनिवार को उन पात्र हितग्राहियों के कार्ड बांट दिये जाएंगे, यह आश्वासन चाहता हूं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र—माननीय अध्यक्ष महोदय, दो बातें सम्मानित सदस्य ने कहीं हैं उनके दोनों काम एक महीने के अंदर कर दिये जाएंगे.
श्री संजय पाठक—जी धन्यवाद.
11.37 बजे {उपाध्यक्ष महोदय(डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
(2) रतलाम जिले के सैलाना क्षेत्र में रेल्वे लाईन हेतु अधिग्रहीत भूमि का कम मुआवजा दिया जाना.
श्री जयवर्द्धन सिंह (राघोगढ़)—माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
राजस्व मंत्री(श्री रामपाल सिंह) – माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के उत्तर से इसलिये सहमत नहीं हूं क्योंकि यह जो 35 गांव आ रहे हैं और विशेषकर पूरा रतलाम जिला जो है वह शेड्यूल के अनुसार आता है. जिसमें आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के कारण जो आदिवासी समाज वहां पर उपस्थित है. वह वैसे भी जमीन नहीं बेच पाते इसीलिये वैसे भी जमीन की कीमत वहां कम है. उसके साथ-साथ मेरे पास राजस्थान सरकार का आर्डर भी यहां पर है जो बांसवाड़ा कलेक्टर ने किया है उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि प्रत्येक हितग्राही को चार गुना मुआवजा दिया जायेगा विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में तो ऐसे समय में जो हमारे पड़ोस के प्रदेश हैं रतलाम के बिल्कुल बगल में अगर वहां पर किसानों को चार गुना मुआवजा मिल रहा है तो क्यों न हमारे भी राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी वहां किसानों को चार गुना मुआवजा नहीं दे सकते. अगर आपकी अनुमति हो तो मैं जो आर्डर राजस्थान गवर्नमेंट का है वह मैं पटल पर रख भी सकता हूं. कोई आश्वासन मिल जाये माननीय मंत्री महोदय की तरफ से कि इसमें कुछ कार्यवाही आगे हो सकती है आगे तो फिर मैं इस पर सहमति चाहूंगा.
श्री रामपाल सिंह – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नये अधिनियम के हिसाब से मध्यप्रदेश में जो हमने निर्णय लिया है उस हिसाब से जो राशि कृषकों को दी गई है. एक नियम,प्रक्रिया के तहत हमने यहां राशि दी है मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य से आग्रह करूंगा कि हमारा निर्णय मध्यप्रदेश शासन का राजपत्र में प्रकाशित हुआ है वह आपके ध्यान में लाये हैं और जो राशि है तो डबल राशि यहां पर दी जाती है. सांत्वना राशि मध्यप्रदेश में सौ प्रतिशत मध्यप्रदेश में बढ़ाई है और किसानों के हित में फैसला लेकर दोगुनी राशि हम दे रहे हैं जहां तक दूसरे प्रांत का सवाल है तो वहां की जानकारी, वहां की चर्चा मेरे द्वारा करना उचित नहीं होगा लेकिन इतना जरूर है किसानों के हित में जो निर्णय मध्यप्रदेश शासन ने लिया है और जो पूरा नया अधिग्रहण कानून है उसका हम पालन कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी, माननीय सदस्य का यह कहना है कि राजस्थान में चार गुना दिया गया है और यह केंद्रीय अधिनियम है 2013 का तो वह दोनों राज्यों में अलग-अलग कैसे होगा इसका परीक्षण कराएं.
श्री रामपाल सिंह – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो 2013 का नया अधिनियम है उसमें राज्य सरकारों को अधिकार दिया गया है कि वे चर्चा करके वहां की लोकल स्टाम्प और क्या परिस्थितियां हैं उस हिसाब से राज्य सरकार उसको दोगुना से लेकर और भी आगे कर सकती है यह अधिकार अधिनियम के तहत् दिया गया है उसके तहत हमने मध्यप्रदेश में यह निर्णय लिया है.
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसीलिये मेरा प्रश्न यह है कि क्या इस नियम के संशोधन की क्षमता है या नहीं है ? क्योंकि अगर राजस्थान में चार गुना मुआवजा मिल रहा है और मध्यप्रदेश शासन भी संवेदनशीलता दिखाये और इसी नियम को थोड़ा संशोधन करके जो भी 35 गांवों में हितग्राही आ रहे हैं अगर उनको भी चार गुना मुआवजा मिलेगा तो उसमें उन लोगों से आपको ही फायदा मिलेगा.
उपाध्यक्ष महोदय – मंत्री जी, जब एक ही अधिनियम के तहत् कार्यवाही हो रही है और राजस्थान में चार गुना मिल रहा है तो मध्यप्रदेश के किसानों में स्वाभाविक रूप से रोष तो होगा. इसका परीक्षण करा लें अगर संभव हो तो इसमें कार्यवाही करें.
श्री रामपाल सिंह :-माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपका निर्देश है , निश्चित रूप से हम लोगों ने पूरा अध्ययन करके पूरा नियमों का पालन करते हुए मध्यप्रदेश में यह नियम बनाये हैं और मध्यप्रदेश की जो परिस्थिति है उन सब चीजों पर बड़ी गंभीरता से विचार किया, इसके बाद ही हम लोगों ने निर्णय लिया है. इसके बाद भी आपके जो आदेश हैं उनको अक्षरश: पालन करेंगे.
श्री जयवर्द्धन सिंह :- उपाध्यक्ष महोदय, कम से कम इतनी घोषणा हो जाये कि एक बार फिर संशोधन का विचार करें. इस संबंध में कोई समिति बनायी जाये.
रतलाम जिले में जहां पर इसका निराकरण हो जाये.
उपाध्यक्ष महोदय :- माननीय मंत्री जी ने कहा है, अब उनका लुक आऊट है कि किस तरह से मॉडेलिटिस वर्क आऊट करते हैं. उनको करने दीजिये.
श्री जयवर्द्धन सिंह:- उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से कुछ आश्वासन मिल जाये.
दतिया जिले के सेवढ़ा में बायपास मार्ग के निर्माण में अनियमितता
श्री प्रदीपअग्रवाल:-उपाध्यक्षमहोदय,
राज्य मंत्री, संस्कृति एवं पर्यटन (श्री सुरेन्द्र पटवा):- उपाध्यक्ष महोदय,
श्री प्रदीप अग्रवाल:- उपाध्यक्ष महोदय,25-25 फुट गहरे गड्डे हैं और सड़क से बिल्कुल लगे हुए हैं, यदि बरसात होती है और 2 फुट की सड़क की साइडे बनाते हैं, तो वह कट कर खाई में चली जाएगी. निश्चित रूप से आने वाले दिनों में यह सड़क दुर्घटनाओं की सड़क बनकर रह जायेगी. इसलिये इसकी उच्चस्तरीय जांच करायी जाये और जांच कराने के बाद जो गहरे-गहरे गड्डे हैं, उन गड्डों को भरवाया जाये.
श्री सुरेन्द्र पटवा :- उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि विधायक जी ने बताया है कि साईड के गड्डों के कारण दुर्घटना हो रही है तो साईड के गड्डों के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं तो ऐसी कोई शिकायत संज्ञान में नहीं है. कार्य पूर्ण होने के पश्चात गड्डों को भर दिया जायेगा. जैसा विधायक जी कर रहे हैं उसका निरीक्षण करा लिया जायेगा.
श्री प्रदीप अग्रवाल :- उपाध्यक्ष महोदय, अभी तो दुर्घनाएं चालू ही नहीं हुई है, दुर्घटनाएं होने की संभावना है.
श्री सुरेन्द्र पटवा:- उपाध्यक्ष महोदय, बीहड़ का क्षेत्र होने के कारण वहां गड्डे हैं और उनको तुरन्त भरवा दिया जायेगा और आप चाहेंगे तो उसका निरीक्षण करवा लेंगे.
श्री प्रदीप अग्रवाल :- धन्यवाद्, माननीय उपाध्यक्ष जी और मंत्री जी.
डॉ. गोविन्द सिंह—उपाध्यक्ष महोदय, यह हमारे क्षेत्र से लगा हुआ मामला है एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय—माननीय अध्यक्ष महोदय पहले ही व्यवस्था दे गये हैं कि एक प्रश्न ही पूछा जायेगा संबंधित व्यक्ति द्वारा इसीलिए आज छह ध्यानाकर्षण लिए गए हैं.
श्री घनश्याम पिरोनियां—उपाध्यक्ष महोदय, हम लोग अगल बगल के ही सदस्य हैं भांडेर में भी यही हालत है, भांडेर विधान सभा में भी सड़कों की यही हालत है पूरी भांडेर विधान सभा भी त्रस्त है कल डाक्टर साहब ने भी विषय उठाया था. डॉक्टर साहब मेरी बात भी कह देना.
उपाध्यक्ष महोदय— गोविन्द सिंह जी आप बिना भूमिका के एक प्रश्न पूछ लीजिये.
डॉ. गोविन्द सिंह—उपाध्यक्ष महोदय, जो बाय-पास सड़क बन रही है उसमें आपसे अनुरोध है कि आपकी क्या पता क्या मजबूरी है, जवाब आ जाता है आपने देखा नहीं है. अभी शुरुआत है और शुरुआत में गड्ढे होना अच्छा नहीं है ठेकेदार को जरा प्रताड़ित करें कि वह ठीक से काम कराये यह हमारा अनुरोध है क्या आप उनको निर्देश देंगे.
श्री सुरेन्द्र पटवा—उपाध्यक्ष महोदय, निश्चित रुप से जो माननीय विधायक जी ने चिंता व्यक्त की है हम यहां से निर्देश देंगे और आवश्यकतानुसार किसी को भेजकर कार्यवाही करवा लेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय—चलिये गुणवत्तापूर्ण कार्य होगा आपकी सड़क का.
4. सिवनी जिले में धान की फसल की बीमा राशि न मिलना
श्री रजनीश सिंह (केवलारी)--उपाध्यक्ष महोदय—
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन)—उपाध्यक्ष महोदय,
श्री रजनीश सिंह—उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी ने जो बातें कहीं उनमें से अधिकांश बातों से मैं संतुष्ट हूं. यह बिलकुल सही है कि जब हम लोग दलगत राजनीति से ऊपर उठकर माननीय मंत्रीजी से मिले तो उन्होंने हमारे जिले के लिए राशि स्वीकृत की पर विकासखण्ड धनौरा, विकासखण्ड छपारा में अलग-अलग राशि स्वीकृत की गई. सोयाबीन हेतु 4 करोड़ 30, धान हेतु 9 करोड़ रुपये पर केवलारी ब्लाक जो मेरी विधान सभा का मुख्य ब्लाक है माननीय मंत्रीजी भी जानते हैं कि उनकी विधान सभा से लगा हुआ मेरा इलाका है यह पूरा धान का कटोरा कहलाता है और केवलारी विकासखण्ड में लगभग 64 ग्राम ऐसे हैं जहां सिर्फ एक ही फसल होती है और वह धान की फसल होती है और उस विकासखंड में धान के लिए कोई भी राशि स्वीकृत नहीं की गई है और न आज दिनाँक तक वहाँ पर सर्वे का काम चल रहा है 13 हजार हैक्टेयर जमीन में धान की बोनी होती है....
उपाध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न पूछ लीजिए.
श्री रजनीश सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री महोदय से यह निवेदन है कि धान के लिए इसका तुरन्त सर्वे करवाएँ और तुरन्त इसके मुआवजे की राशि निश्चित करें.
श्री गौरीशंकर बिसेन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सिवनी जिले में 1 लाख 1 हजार 918 हैक्टेयर प्रभावित क्षेत्र को हम लाभ दे रहे हैं जिसमें कि 1 लाख 30 हजार 696 प्रभावित किसान हैं. माननीय के क्षेत्र छपारा में 16640, धनोरा में 14600 एवं केवलारी में 9959, हमारे किसानों की संख्या आई है. जिसमें छपारा में 16223, धनोरा में 11892 और केवलारी में 10409 हैक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. उपाध्यक्ष महोदय, पहले जो सर्वे हुआ था चूँकि धान कटाई के, क्रॉप कटिंग एक्सपेरीमेंट के बाद में ही हम इस नतीजे पर पहुँच सकते हैं कि नुकसान कितना हुआ. मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूँ कि आज की स्थिति में हमने पूरे केवलारी क्षेत्र का सर्वे करा लिया और जिसमें से, आप ही ने कहा कि लगभग 13000 हैक्टेयर में बोया गया क्षेत्र है, उसमें से साढ़े दस हजार हैक्टेयर का हमारा प्रभावित क्षेत्र आया है और इनसे भी किसानों को भू राजस्व संहिता 6 (4) के जो मानदंड हैं उनके अनुसार मुआवजा दिया जाएगा. मैं दूसरी एक बात और कहना चाहता हूँ कि मैं सिवनी का प्रभारी मंत्री हूँ, माननीय सदस्य हमारी जिला योजना समिति की बैठक में उपस्थित रहते हैं. हम और विस्तृत समीक्षा कर लेंगे. सिवनी को सर्वाधिक पैसा, मैंने जैसा पूर्व में ही कहा, 109 करोड़ रुपया दिया गया है और कहीं पर भी कोई....
उपाध्यक्ष महोदय-- जी, जो राशि आपने दी है उससे लगता है कि आप प्रभारी मंत्री हैं, यह आपका जिला है.
श्री गौरीशंकर बिसेन-- एक बात और कहना चाहता हूँ कई बार यहाँ सदन में पक्षपात की बात आती है, बीजेपी के विधायक कमल मर्सकोले जी हैं, उनका बरघाट सूखाग्रस्त घोषित नहीं हुआ है और बाकी 7 तहसीलों को हमने सूखाग्रस्त घोषित किया है तो इससे सरकार की पारदर्शिता दर्शित होती है कि हम कहीं पर भी भेदभाव नहीं करते हैं. आज मध्यप्रदेश में आप देखें तो हमने...
उपाध्यक्ष महोदय-- आपके खिलाफ किसी ने पक्षपात का आरोप नहीं लगाया.
श्री गौरीशंकर बिसेन-- उपाध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने, माननीय राजस्व मंत्री जी ने 367 में से 268 तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है तो जो प्रभावित क्षेत्र हैं उसको हमने जरूर मानदंड में लिया है और मैं समझता हूँ इतनी बड़ी राशि सूखा प्रभावित क्षेत्र को मध्यप्रदेश में पहली बार दी जा रही है.
श्री रजनीश सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूँ और उनको धन्यवाद देता हूँ कि निश्चित रूप से प्रभारी मंत्री हमारे जिले के हैं, पड़ोस के हैं, तो उपाध्यक्ष महोदय, इतना तो हक हमारा बनता है कि माननीय मंत्री जी से हम यह ले लें और किसान भी हैं ऊपर से और खूब दिया, दिल खोलकर दिया पर माननीय मंत्री महोदय, 32500 एकड़ जमीन जो धान की है उसमें थोड़ी त्रुटियाँ हैं, मैं मंत्री महोदय से एक ही विनम्र प्रार्थना करता हूँ कि इसमें तेजी ला दें ताकि वहाँ के किसानों को यह तो एहसास हो जाए कि हमें भी इसका पैसा मिलने वाला है क्योंकि अन्य विकासखंडों में स्पष्ट धान और सोयाबीन के लिए राशि को लिखा गया है इसलिए वहाँ पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. मैं मंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूँ. निश्चित रूप से उन्होंने अधिक राशि हमारे यहाँ पर स्वीकृत की है.
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी प्रभारी भी हैं और प्रभावी भी हैं.
श्री रजनीश सिंह-- प्रभावी भी हैं बिल्कुल सही.
श्री गौरीशंकर बिसेन-- उपाध्यक्ष महोदय, जो सर्वे हुए हैं उनकी ग्राम पंचायत के नोटिस बोर्ड पर उनका इन्द्राज भी किया गया है और यह भी कहा गया है कि इस सर्वे से किसी किसान की असहमति हो तो पुनः वह अपना आवेदन दे सकता है और हमने कलेक्टर, सिवनी को और प्रदेश के सभी कलेक्टर्स को निर्देशित किया है कि जहाँ पर पुनः आवेदन आते हैं तो उन क्षेत्रों का पुनः परीक्षण किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब पूरा धन्यवाद है ना?
श्री रजनीश सिंह-- जी हाँ.
उपाध्यक्ष महोदय-- पूरा धन्यवाद है आपको.
श्री रजनीश सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद माननीय मंत्री महोदय.
श्री दिनेश राय(सिवनी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा लगी हुई है.
उपाध्यक्ष महोदय-- एक ही प्रश्न का होता है. बैठ जाएँ. अच्छा आप बिना भूमिका बनाए सीधा प्रश्न पूछ लें.
श्री दिनेश राय-- उपाध्यक्ष महोदय, बहुत लोगों ने शिकायत की है माननीय कलेक्टर महोदय को लेकिन उसमें जाँच में कोई कार्यवाही नहीं हो रही. जिनको बोनस कम मिल रहा है, मुआवजा कम मिल रहा है और मैं कहता हूँ पानी तो आठों ब्लाकों में ही नहीं गिरा फिर बरघाट क्यों छूट रहा है?
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी कार्यवाही करवा देंगे आपके यहाँ बताइये.
श्री दिनेश राय-- पानी तो बरघाट में भी नहीं गिरा.
उपाध्यक्ष महोदय-- बैठ जाएँ.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन--- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बरघाट में माइनस 23 प्रतिशत पानी गिरा था और बाकी तहसीलों में माइनस 25 गिरा चूंकि मानदंड 25 प्रतिशत से कम आने पर ही इसका प्रावधान होता है इसलिए बरघाट नहीं आ सका लेकिन दूसरा एक और मानदंड है कि दस गांवों के समूहों में यदि कम फसल आती है तो उसको हम लाभ देते हैं तो हम उस क्षेत्र को उसका लाभ देंगे और जो भी शिकायत हैं माननीय विधायक जी मुझे बता दें हम इस सत्र के बाद में बैठकर फिर से इसका परीक्षण कर लेंगे.
श्री दिनेश राय--- उपाध्यक्ष महोदय आपको और मंत्री जी को धन्यवाद.
श्री मधु भगत(परसवाड़ा)—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा भी एक छोटा सा प्रश्न है परसवाड़ा मंत्री जी क्षेत्र से ही लगा हुआ है उनके निवास क्षेत्र का मैं विधायक हूं . मैं भी जानना चाहता हूं कि परसवाड़ा क्षेत्र को सूखा घोषित क्यों नहीं किया गया, जबकि वहाँ पानी के संसाधन परसवाड़ा में हैं ही नहीं वहाँ बहुत बुरी स्थिति है वहाँ भी ध्यान दें.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन--- उपाध्यक्ष महोदय, यह ध्यानाकर्षण से संबंधित नहीं है इसलिए यह उद्भूत नहीं होता है लेकिन हमने अलग से सर्वे कराया है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक(परासिया)—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा भी इससे जुड़ा हुआ मामला है . मेरा यह कहना है कि आदरणीय बिसेन साहब हमारे जिले के प्रभारी हैं और मेरा तहसील क्षेत्र उमरेठ है वह भी सूखा घोषित नहीं किया गया उसको भी सूखा घोषित किया जावे.
उपाध्यक्ष महोदय--- इसका जवाब आ चुका है. श्री वेलसिंह भूरिया अपनी ध्यानाकर्षण सूचना पढ़ें.
5.धार जिले के ग्राम राजागढ़ में एक आदिवासी युवक की हत्या किया जाना
श्री वेलसिंह भूरिया(सरदारपुर) – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण का विषय इस प्रकार है.—
गृहमंत्री( श्री बाबूलाल गौर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
श्री वेलसिंह भूरिया—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज भी चारों आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है, वे खुले में घूम रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट नहीं हूँ. आगामी दिनों में वाकई में कोई विस्फोट स्थिति बनने की संभावना है उसकी जवाबदारी माननीय मंत्री जी की होगी.मैं लगभग एक साल से वहां के थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी को हटाने की मांग भी कर रहा हूँ.
श्री बाबूलाल गौर—(हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय— वेलसिंह जी,इसको संशोधित कर दीजिए, जवाबदारी मंत्री जी के बजाय विभाग की कर दीजिए भाई उसमें.
श्री वेलसिंह भूरिया—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक बात बता देना चाह रहा हूँ कि वाकई में बहुत गंभीर मामला है, आदिवासियों से जुड़ा हुआ है और राजागढ़ थाने के अंतर्गत मेरे विधानसभा में एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति को अपहरण करके हत्या कर के उसको डेम में डाल दिया गया और इसको दौड़ा दौड़ा के मारा. मेरे पास फोन आया. मैने फोन किया, चौकी प्रभारी को फोन किया, चौकी प्रभारी ने फोन नहीं उठाया. टी.आई को फोन किया, टी.आई ने फोन नहीं उठाया. राजागढ़ चौकी और सरदारपुर थाने के बीच में 4 किलोमीटर की दूरी है, यदि टी.आई और चौकी प्रभारी फोन उठा लेते तो पुलिस वहां पहुंच जाती तो इस व्यक्ति की हत्या नहीं होती. उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का सम्मान करता हूँ, बुजुर्ग हैं. हमको बच्चा विधायक नहीं समझें (हंसी) मैं आपको एक बात बता देना चाहता हूँ, हम भी कानून जानते हैं, ऐसी कोई बात नहीं है, (XXX).
उपाध्यक्ष महोदय—इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री वेलसिंह भूरिया—आप अपने विभाग के अधिकारियों को थोड़ा टाइट करें. मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि सरदारपुर थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी को आप बदलेंगे क्या और शेष आरोपियों की गिरफ्तारी आप कब करायेंगे.? (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय—प्रभारी नेता प्रतिपक्ष खड़े हैं,इनको बोल लेने दें. जब माननीय सदन के नेता बोलते हैं, नेता प्रतिपक्ष बोलते हैं तो सब को बैठ जाना चाहिए, उनको सुन लेना चाहिए.
उप नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वेलसिंह भूरिया जी जिस पार्टी के गृह मंत्री हैं बाबूलाल गौर साहब, उन्हीं की पार्टी के वे एम.एल.ए. हैं,उनकी यह पीड़ा है तो पूरे प्रदेश में जो बिगड़ती कानून व्यवस्था है उसका आप अनुमान लगा सकते हैं.
श्री विश्वास सारंग—उपाध्यक्ष महोदय, मेरी आपत्ति है.
श्री बाला बच्चन—आपत्ति क्या है, बिगड़ती कानून व्यवस्था का आप अनुमान लगा सकते हो, इस संदर्भ मैं हमने चर्चा के लिए सूचना दी है, इस पर चर्चा लेनी चाहिए ताकि सभी विधायकों की बात उसमें आ सकती है.
श्री वेलसिंह भूरिया—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है कि धार जिले में सरदारपुर ही नहीं, पूरे धार जिले में आज दिन तक अत्याचार निवारण अधिनियम की बैठक धार के कलेक्टर ने नहीं बुलायी है, न एस.पी. ने बुलायी है.
उपाध्यक्ष महोदय – यह आपका प्रश्न है क्या, आप सीधे प्रश्न पूछें.
श्री वेलसिंह भूरिया – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं धार जिले का एक आदिवासी नेता हूँ, मेरे आदिवासी भाइयों के लिए मुझे बोलने का अधिकार है.
उपाध्यक्ष महोदय – यह बात ठीक है लेकिन आप माननीय मंत्री जी सीधे प्रश्न पूछिये कि क्या बैठक बुलाई है या नहीं बुलाई.
श्री वेलसिंह भूरिया – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ठीक है मैं अपनी बात कर लेता हूँ मैं अपने सरदारपुर की बात कर लेता हूँ. मेरा एक निवेदन है कि बार-बार माननीय मंत्री जी को बोला गया, मैंने 7 बार माननीय मंत्री जी चिट्ठी दे दी, डीजीपी साहब को भी 3 से 4 बार अवगत करा दिया गया है. टीआई और थानेदार अपराधियों के साथ मिलकर दो नंबर के काम करते हैं, इसके पहले भी सरदारपुर में हत्या की दो-तीन घटनाएं हो चुकी हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – श्रीमान जी आप प्रश्न क्यों नहीं पूछ रहे हैं, सीधा प्रश्न पूछें ना कि आप क्या चाहते हैं.
श्री वेलसिंह भूरिया – माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं सीधा यह कहना चाहता हूँ कि कितने दिन में टीआई और थानेदार को हटा दिया जाएगा और आदिवासियों की केस डायरी कितने दिनों में जिले में भेज दी जाएगी ताकि आदिवासी की रक्षा हो सके. (व्यवधान...) क्या माननीय मंत्री जी अभी टीआई और थानेदार को हटाने की घोषणा करेंगे. (व्यवधान ...)
(पक्ष और विपक्ष के सदस्य अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर अपनी-अपनी बात कहने लगे)
उपाध्यक्ष महोदय – किस बात के लिए खड़े हुए हैं, उनका प्रश्न आया है कि टीआई को हटाएंगे या नहीं तो माननीय मंत्री जी इस बात का जवाब देंगे.
(व्यवधान ...)
श्री बाबूलाल गौर – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ध्यान आकर्षण से यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता. (व्यवधान...)
श्री वेलसिंह भूरिया – उपाध्यक्ष महोदय, उद्भूत क्यों नहीं होता, यह मामला एक आदिवासी से जुड़ा हुआ है. यह बहुत गंभीर मामला है. अभी तक 4 आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है. अभी तक एसडीओपी जाकर उस पीड़ित परिवार से मिला भी नहीं है. (व्यवधान...)
श्री मुकेश नायक – (XXX)
श्री सचिन यादव – (XXX)
श्री ओमकार सिंह मरकाम – (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय – अनुमति के बिना जो भी बोल रहे हैं उनका भाषण लिखा नहीं जाएगा. (व्यवधान...)
श्री वेलसिंह भूरिया – बहुत गंभीर मामला है मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. एक आदिवासी की हत्या की गई है, दौड़ा-दौड़ा कर मारा गया है और फोन करने के बाद भी टीआई, थानेदार फोन नहीं उठाते हैं, यदि टीआई, थानेदार फोन उठा लेते तो हो सकता है कि एक आदिवासी भाई की हत्या नहीं हुई होती. (व्यवधान...)
उपाध्यक्ष महोदय – बैठ जाइये. (व्यवधान...) कृपा करके बैठ जाइये, बहुत सीनियर नेता हैं, पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं इस तरह से असम्मानजकन तरीके से बात नहीं होगी. (व्यवधान...) मैं मंत्री जी से आपकी तरफ से पूछ रहा हूँ कि क्या दोबारा जांच करवा लेंगे ? (व्यवधान...)
श्री बाबूलाल गौर – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सभी अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और सभी जेल में बंद हैं. वे 4 नाम हमें बता दें कि किनके बारे में वे बात कर रहे हैं हम जांच करवा लेंगे. (व्यवधान...)
उपाध्यक्ष महोदय – वेलसिंह जी, वे 4 नाम जो आपके अनुसार गिरफ्तार नहीं हुए हैं, उन्हें लिखकर आप माननीय गृह मंत्री जी को दे दें. (व्यवधान...) श्री कमलेश्वर पटेल जी, आप अपना ध्यान आकर्षण पूछना चाहते हैं कि नहीं, हम आगे बढ़े फिर. (व्यवधान...)
श्री वेलसिंह भूरिया – उपाध्यक्ष महोदय, मेरे कहने का मतलब यह है कि 4 अपराधी बाकी हैं उनकी गिरफ्तारी कितने दिनों में हो जाएगी और टीआई, थानेदार को आप हटाएंगे कि नहीं हटाएंगे कि उन्हें वहीं रहने दिया जाएगा और अपराध होने दिया जाएगा. क्या ऐसा होता रहेगा. (व्यवधान...)
उपाध्यक्ष महोदय – आप लिखकर दे दीजिए 4 लोग कौन हैं वे जो खुले घूम रहे हैं वे उनकी जांच करवाएंगे. (व्यवधान...)
उपाध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी को माननीय सदस्यों की भावना के अनुरूप उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है नियमों के तहत. यह मेरी व्यवस्था है. इसलिए मैं अगला ध्यानाकर्षण ले रहा हूं...(व्यवधान)—
श्री वैलसिंह भूरिया – माननीय उपाध्यक्ष महोदय टीआई थानेदार को हटायेंगे या नहीं. लगातार आपराधिक घटनाएं घटित हो रही हैं मेरे विधान सभा क्षेत्र में, लगातार चोरी डकैती और लूट पाट हो रही हैं, हत्याएं हो रहीहैं मैं बारबार निवेदन कर रहा हूं माननीय मंत्री जी से मेरे विधान सभा क्षेत्र सरदारपुर के टीआई को हटायेंगे या नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय –गलत बात है….(व्यवधान).. यह नहीं लिखा जाय. आप बाध्य नहीं कर सकते हैं मंत्री जी को...( व्यवधान ).. कमलेश्वर पटेल जी अपना ध्यानाकर्षण नहीं करना चाहते हैं हम आगे बढ़ें...(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन – उपाध्यक्ष महोदय एक युवक को दौड़ा दौड़ा कर मारा गया है....(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय – देखिये 8 नामजद आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है. सभी बंद हैं. कार्यवाही प्रचलित है. धाराएं भी अनुसूचित जाति जनजाति निवारण वाली लगा दी गई हैं जो भी माननीय सदस्य ने मांग की है वह सारी चीजें आ गई हैं.अब उनका कहना है कि 4 आरोपी और खुले घूम रहे हैं....(व्यवधान).. (लाखन सिंह जी द्वारा व्यवधान में कुछ कहने पर ) लाखन सिंह जी आप बैठ जायें गलत बात है...(व्यवधान).. सभी सदस्यों के अनुरोध है कि बैठ जायें...(व्यवधान)..
श्री मुकेश नायक – एक टी आई विधायक का फोन नहीं उठा रहा है. विधायक गृह मंत्री जी से कह रहे हैं इस पर व्यवस्था दे दें..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय – मुकेश जी आप वरिष्ठ सदस्य हैं. अब इसमें मुद्दा क्या है सदस्य ने कहा कि गिरफ्तारी नहीं हो रही है वह खुले घूम रहे हैं जबकि 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. फोन नहीं उठाना अलग मुद्दा है...(व्यवधान)..
श्री मुकेश नायक – उपाध्यक्ष महोदय मुद्दा है एक विधायक के सम्मान का, उसके संसदीय कर्तव्यों के निर्वहन का..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय – यह बात माननीय गृह मंत्री जी के संज्ञान में आ गई है वह उस पर उचित कार्यवाही करेंगे...(व्यवधान)..
श्री मुकेश नायक – अगर वह सदन में बोल दें...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय – नहीं आप उनको बाध्य नहीं कर सकते हैं इस तरह से...(व्यवधान)..आप गलत बात कर रहे हैं. क्या आप बेवजह जिद्द कर रहे हैं..(व्यवधान)..
श्री मुकेश नायक – एक विधायक का एक टीआई फोन न उठाये. क्या गृहमंत्री जी इस बात को प्रोत्साहन देंगे...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय – क्या कह रहे हैं आप ..(व्यवधान).. सभी सदस्य कृपया बैठ जायें ..(व्यवधान).. मैं खड़ा हूं आप सभी बैठ जायें...(व्यवधान)..
श्री मुकेश नायक –भाजपा और कांग्रेस के सभी सदस्य कह रहे हैं..(व्यवधान)..
(सत्तापक्ष एवं विपक्ष के अनेक माननीय सदस्यों द्वारा खड़े होकर बोलने पर )..व्यवधान..
उपाध्यक्ष महोदय – क्या आप सदन को गिरवी रख देना चाहते हैं. क्या करना चाहते हैं..(व्यवधान)...आप लोग बैठें.
श्री पन्नालाल शाक्य – उपाध्यक्ष महोदय एक छोटा सा टीआई है वह विधायक की बात नहीं सुन रहाहै...(व्यवधान).. क्या टीआई राज चलेगा क्या..(व्यवधान)..यह पूरे मध्यप्रदेश का मामला है केवल एक माननीय सदस्य की ही बात नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय –यह आपका कहना है. यह बात गृह मंत्री जी नहीं कह रहे हैं. आप गृह मंत्री जी को बाध्य नहीं कर सकते हैं. आप बैठ जायें.
श्री मुकेश नायक – क्या गृह मंत्री जी ने टीआई को निर्देश दे रखे हैं क्या कि विधायकों के फोन नहीं सुनना है. एसपी को यह संदेश दिया है कि विधायकों के फोन नहीं सुनना है. यह मामला केवल एक जिले का नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय – गृह मंत्री जी आप विधायक जी को बुलाकर चर्चा कर लीजियेगा. जो उचित होगा वह कार्यवाही करियेगा...(व्यवधान)..
(भाजपा और कांग्रेस के कई माननीय सदस्य एक साथ खड़े होकर जोर जोर से बोलने लगे)
श्री बाबूलाल गौर—उपाध्यक्ष महोदय, आपने निर्देश दिया है मैं माननीय सदस्य से अनुरोध करूंगा कि वे मुझसे आकर मिल लें और मैं उस पर कार्यवाही करूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय—ठीक है. ( व्यवधान ) अब कार्यवाही का आश्वासन दे दिया है. कमलेश्वर पटेल जी पढ़िये...
श्री कमलेश्वर पटेल—उपाध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना इस प्रकार है.( व्यवधान ),सीधी जिले के वनमंडल परिक्षेत्र बहरी एवं अन्य वन परिक्षेत्रों में भ्रष्टाचार व्याप्त हो गया है. मजदूरों की...
( श्री लाखन सिंह यादव द्वारा बैठे बैठे श्री कमलेश्वर पटेल को ध्यानाकर्षण न पढ़ने के लिए कहने पर )
उपाध्यक्ष महोदय- क्यों लाखन सिंह जी, यह गलत बात है, आप उनको प्राम्प्ट कर रहे हैं कि बैठ जाईये पढ़िये मत. आप सदन चला रहे हैं क्या? कौन सदन चला रहा है. देखिये मुझे कार्यवाही करनी पड़ेगी.
श्री लाखन सिंह यादव- सदन तो आसंदी चला रही है. लेकिन सदन की मर्यादा का भी आसंदी को ख्याल रखना चाहिए ( व्यवधान )
उपाध्यक्ष महोदय- मैं देख रहा हूं कि आप माननीय सदस्य को कह रहे हैं कि आप पढ़िये मत. आप सदन चलने दीजीए.
श्री लाखन सिंह यादव—मैं इसलिए कह रहा हूं कि वह बात पूरी नहीं आ पायी. एक व्यक्ति की मौत हो गई और आप उस पर मौन है. समूचा सदन सहमत है. और आप आसंदी से.(.व्यवधान )
उपाध्यक्ष महोदय—आप सदन चलाने में सहयोग करें. आप ही चलायेंगे क्या? आप ही आ जाईए, बैठ जाईए यहां पर आसंदी पर आकर. वैल सिंह जी माननीय गृह मंत्री जी ने कहा है आप उनसे मिल लें. जो उचित कार्यवाही होगी वह करेंगे.
( व्यवधान )वैल सिंह जी आप बैठ क्यों नहीं रहे हैं. जनहित का मुद्दा आपने लगाया ठीक किया. आप गौर साहब से मिल लीजिएगा.
वित्त मंत्री ( श्री जयन्त मलैया )—उपाध्यक्ष महोदय, मेरा भूरिया जी से निवेदन है कि वे कृपया बैठें और आकर गृह मंत्री जी से मिल लें. उचित कार्यवाही होगी. ( व्यवधान )
श्री पन्नालाल शाक्य—क्या टी.आई. राज है. वे भी एक विधायक हैं, सदस्य हैं..
उपाध्यक्ष महोदय-- देखिये आपका ध्यानाकर्षण नहीं है, अध्यक्ष जी ने इसी शर्त पर 6 ध्यानाकर्षण लिए थे कि ध्यानाकर्षण लागाने वाला व्यक्ति एक प्रश्न पूछेगा. आप लोगों को अनुमति नहीं है. उनको अनुमति थी उन्होंने पूछ लिया. आप लोग बैठ जाईए, गलत है. ( व्यवधान ) यादवेन्द्र सिंह जी आप आरोप नहीं लगा सकते. यह आपका मुद्दा नहीं है, आप नियम कानून पढ़ लीजिए. जब सभापति,अध्यक्ष,उपाध्यक्ष खड़ें हों तो आपको बैठ जाना चाहिए. बाला बच्चन जी आप इनको सिखाईए. चर्चा हो गई, वे मंत्री जी से मिलेंगे उनके क्षेत्र का विषय है. आपका कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री बाला बच्चन- ( x x x )
उपाध्यक्ष महोदय- यह कुछ लिखा नहीं जा रहा है. बाला बच्चन जी आपको इसमें भाषण देने की अनुमति नहीं है.
डॉ.गोविन्द सिंह—आप उनसे दबाव में काम कराना चाहते हैं क्या? वे कृष्ण के वंशज हैं, अकेले में जाओ, हाथ पावं जोड़ों आपका काम हो जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय—नये नये सदस्य खड़े हो रहे हैं, यह बीमारी तो फैल रही है. ( व्यवधान )
(xxx) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
6. सीधी वन मण्डल परिक्षेत्र में किये गये कार्यों में अनियमितता होने.
श्री कमलेश्वर पटेल(सिहावल)—उपाध्यक्ष महोदय,
वन मंत्री ( डॉ गौरीशंकर शेजवार)—उपाध्यक्ष महोदय,
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो माननीय मंत्री जी की तरफ से जो जवाब आया है, शासन की तरफ से जो जवाब आया है, वह पूरी तरह से असत्य है और हम बिलकुल संतुष्ट नहीं हैं. 2-2 साल से मजदूरी का भुगतान बाकी है. क्या ई-पेमेंट से मजदूरी भुगतान 2-2 साल से हो रही है, कितना टाइम लगेगा ? माननीय उपाध्यक्ष महोदय, गरीबों की मजदूरी में इतना भ्रष्टाचार. यह मेरे विधानसभा क्षेत्र का मामला है और हमने खुद विजिट किया है, कोई भी कार्य नहीं हुआ है, जो पौधे लगे थे वह सारे पौधे पता नहीं कहां हैं, पैसे बस निकले हैं, पौधों का अता-पता नहीं है, और किसने जांच कराई, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जिन वनमंडलाधिकारी ने जांच टीम गठित की उनके ऊपर भी आरोप है, जिनसे वह जांच कराई होगी, हम कैसे उन पर विश्वास कर लें, माननीय मंत्री जी यह व्यवस्था करें, और दूसरा भ्रष्टाचार की बात हो रही है.
उपाध्यक्ष महोदय—कलेश्वर जी अपना प्रश्न करें, यह बातें आ गई हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल—माननीय उपाध्यक्ष जी क्या यह सच नहीं हैं कि श्री अखिलेश द्विवेदी आंचलिक पत्रकार बहरी, नवभारत जो आरटीआई कार्यकर्ता थे और लगातार वन विभाग का भ्रष्टाचार उजागर कर रहे थे. कमिश्नर की विजिट थी वहां भी शिकायत की थी, बहरी रेंज में ही और कई बार पेपरों में भी आया. क्या यह सच नहीं है कि उनको वन विभाग के कार्यालय में चाय पर बुलाया, उनकी मोटर सायकिल की डिग्गी में, भ्रष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकार की डिग्गी में, चिंकारा की खाल रखकर, और जितनी धारायें लगती हैं, सारी धारायें लगाकर उनको जेल के अंदर कर दिया गया. 3 दिन बाद जिला न्यायालय ने जमानत दी और जिला न्यायालय ने भी जमानत इसलिये दी क्योंकि लगातार भ्रष्टाचार उजागर कर रहे थे, सीधी जिले के पूरे पत्रकार आज भी आंदोलनरत हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय अगर आप इजाजत देंगे तो हम पूरा पटल पर रखने के लिये तैयार हैं, पूरे पत्रकारों ने आत्मदाह तक की चेतावनी दी है, अगर इन अधिकारियों के खिलाफ चाहे वनमंडलाधिकारी हों, चाहे एसडीओ हों जितने भी अधिकारी पदस्थ हैं आप अगर जांच करायेंगे तो, सिर्फ 2 साल की जांच करा लें माननीय मंत्री महोदय पूरे जिले में तो जितना भी प्लांटेशन हुआ था, कहीं भी देखने को नहीं मिलेगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- चलिये आपका प्रश्न आ गया. दो साल की जांच चाहते हैं आप.
श्री कमलेश्वर पटेल-- एक तो दो साल की जांच करा लें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि कोई भी .....
उपाध्यक्ष महोदय-- भाषण नहीं.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कोई भी पत्रकार हो या कोई भी मुजरिम क्या मोटर साइकिल की डिग्गी में लेकर उसी कार्यालय में वह जायेगा. ऐसा संभव है क्या. किस तरह से मनगढ़ंत कहानी बनाकर षड़यंत्रपूर्वक फंसाया गया, एक गरीब ब्राम्हण को. एक नीलकंड धाम है माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बहुत प्रसिद्ध शिवजी का मंदिर है, वहां के पुजारी हैं, वह पुजारी परिवार से है. इस तरह की घिनौनी हरकत वन विभाग द्वारा की गई है. सिर्फ इसलिये क्योंकि वह लगातार वन विभाग के भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे थे और आज भी लगातार ...
उपाध्यक्ष महोदय-- आपके दो प्रश्न हैं दो वर्ष की जांच और पत्रकार के मामले की जांच.
श्री कमलेश्वर पटेल-- उच्च स्तरीय जांच करालें और पत्रकार श्री अखिलेश द्विवेदी जो आंचलिक पत्रकार हैं, आरटीआई कार्यकर्ता हैं, जिनको गलत ढंग से फसाया गया है, उनकी न्यायिक जांच करा के जो दोष लगाया है, उससे बरी कर दें और मजदूरी का भुगतान जल्दी से जल्दी करा दें.
श्री गौरीशंकर शेजवार-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वैसे तो मैंने अपने उत्तर में लगभग सभी बिंदुओं पर बिंदूवार जानकारी दे दी है, बात केवल उच्च स्तरीय जांच की आई है, तो ध्यानाकर्षण में जो विषय उठाये गये हैं मैं उनकी मुख्य वन संरक्षक रीवा से जांच करवा लूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- दूसरा पत्रकार के मामले में जांच करायेंगे आप.
श्री गौरीशंकर शेजवार-- पत्रकार वाला विषय ध्यानाकर्षण में आया नहीं है. श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय प्रश्न पूछने का तो अधिकार है.
श्री सुखेन्द्र सिंह –माननीय उपाध्यक्ष महोदय विषय ठीक है और मेरे क्षेत्र से लगा हुआ मामला है. मैं इसको अच्छी तरह से जानता हूं इस पत्रकार के साथ में सरे आम अन्याय हुआ है और उसके खिलाफ जो कार्यवाही वन विभाग द्वारा उसको फंसाकर के जेल भेजने हेतु की गई है, जिन लोगों ने उस पत्रकार के ऊपर जबरदस्ती अपराधिक प्रकरण कायम किया है उनके खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिये.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार –उपाध्यक्ष महोदय, प्लान्टेशन, सीपीटी, मजदूरी का भुगतान यह विषय ध्यानाकर्षण में है और इसकी जानकारी हमने विभाग से प्राप्त की है. विभाग की जानकारी और माननीय सदस्य की आपत्ति दोनों मान ले कि मेल नहीं खा रही हैं इसलिये हम उच्च स्तरीय जांच के लिये तैयार हैं . लेकिन पत्रकार के विषय में चूंकि अभी हमने विभाग से कोई जानकारी नहीं ली है, और विभाग से कोई दस्तावेज नहीं मंगवाये इसलिये इस विषय पर हम कुछ कह नहीं पायेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय- जांच का आश्वासन तो दे सकते हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार—नहीं, उपाध्यक्ष जी यह गलत परम्परा हो जायेगी.
उपाध्यक्ष महोदय—माननीय विधायक आपको लिखकर के दे देते हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल – पूरक प्रश्न की व्यवस्था है और हमने उसी के तहत यहां पर यह बात की है.
उपाध्यक्ष महोदय—यह पत्रकार वाला विषय ध्यानाकर्षण में नहीं आया था. कमलेश्वर जी जो मंत्री जी कह रहे हैं पत्रकार वाला मामला इसमें नहीं आया था आप पत्र लिखकर के दे दें .माननीय मंत्री जी यह पत्र आपको लिखकर के दे देते हैं आप उस पर जांच करा लें.
श्री कमलेश्वर पटेल—उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को हमने पहले ही पेपर की कटिंग और सारी चीजें दे दी हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार – उपाध्यक्ष महोदय, दो विषय अलग अलग हैं . यह अलग से विधानसभा की कार्यवाही से हटकर के हमें कोई पत्र दें तो निश्चित रूप से हम उस पर कार्यवाही करवायेंगे. देखिये विधान सभा का आश्वासन बनेगा कौन सा, इस विधानसभा के बिंदुओं पर जो जांच का आश्वासन दे रहा हूं मैं और उसके लिये बाध्यता से और विधानसभा की आश्वासन समिति में भी वह विषय आयेगा , अब जो विषय इसमें नहीं है उसको विधानसभा का आश्वासन न बने मेरी यह अपेक्षा है.
उपाध्यक्ष महोदय—ठीक है, हम समझ गये. पर माननीय मंत्री जी आसंदी से यह आग्रह किया जा रहा है कि वह आपको पत्र लिखकर के दे देंगे आप उसमें जांच करा लीजियेगा.
श्री कमलेश्वर पटेल – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जांच कराने से पहले क्या उन भ्रष्ट अधिकारियों को माननीय मंत्री जी वहां से हटायेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय- आपने जांच की मांग की थी, सीसीएफ से वह जांच करायेंगे उच्च स्तरीय जांच के बारे में उन्होंने कहा है.
श्री कमलेश्वर पटेल – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उनके रहते सही जांच हो नहीं सकती. उनके रहते जांच निश्चित रूप से प्रभावित होगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक पत्रकार के साथ में अन्याय हुआ है . मैं सारे कागज पटल पर रखने की आपसे अनुमति चाहूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय—आपकी ही बात तो हम मंत्री जी से कह रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अगर आप इजाजत देंगे तो सारी जानकारी हम पटल पर रखेंगे . 48 घंटे के अंदर पत्रकार ने आत्मदाह की चेतावनी दी है. अगर उसको न्याय नहीं मिला तो 48 घंटे के अंदर एक और पत्रकार साथी हमारे बीच से जा सकता है. जिस तरह से व्यापम घोटाले में हमारे एक पत्रकार साथी अपने जीवन से हाथ धो चुके हैं कहीं ऐसा न हो कि यह पत्रकार साथी जो सही खबरें और सरकार और विपक्ष को जो सही रास्ता दिखाते हैं ,सही चीजें जनता के सामने लाते हैं कहीं ऐसा न हो कि यह पत्रकार साथी असुरक्षित हो जायें और यह तो मामले को दबाने की कोशिश हो रही है. सरकार द्वारा भ्रष्टाचार को दबाने की कोशिश की जा रही है. उपाध्यक्ष महोदय मेरे ध्यानाकर्षण में भ्रष्टाचार शब्द मेंशन है जो माननीय मंत्री जी कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार का उसमें उल्लेख नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय—कमलेश्वर जी, मंत्री जी ने उस संबंध में उच्च अधिकारियों से जांच की बात की है. वो उन्होंने कह दिया है. मैंने आसंदी से माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध किया है कि आप पत्र लिखकर के दे दें, सारे डाक्यूमेन्ट्स उनको दे दें, पत्रकार के संबंध में वह त्वरित कार्यवाही करेंगे जो भी उचित होगी.
श्री सुखेन्द्र सिंह – अध्यक्ष महोदय, जब यहां पर हमारी बात नहीं सुनी जायेगी तो फिर कहां पर सुनी जायेगी. (श्री बाला बच्चन के खड़े होने पर) बैठ जायें. अब आपके नेता खडें हुये हैं. आप खड़े हो गये. बैठ जाईये.
श्री बाला बच्चन – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी की जानकारी में लाना चाहता हूं कि कमलेश्वर जी ने जो ध्यानाकर्षण लगाया है उससे रिलिवेंट ही बात उठाई है और वही काम वह आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार कर रहा था और उसको फंसाने का काम डिप्टी रेंजर सर्वेश्वर चौहान ने किया है और इस पूरे घटनाक्रम की जांच सीसीएफ से करायेंगे तो मैं नहीं समझता हूं कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो पायेगी. इसलिये उच्च स्तरीय जांच होना चाहिये नहीं तो फिर आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकारों का भी औचित्य खतम होता जायेगा और फिर इस हाउस से जो व्यवस्थायें चलती हैं उस पर भी हम लोगों का विश्वास खतम होगा.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भगवान करे बाला बच्चन जी के आगे से यह प्रभारी शब्द जल्दी से हटे.ताकि वह और निर्भिकता से बात कर सकें.(कांग्रेस पक्ष के कुछ सदस्यों के खड़े होने पर ) देखिये आप लोग आपत्ति कर रहे हैं क्या मेरे विषय पर. मैंने जो बात कही है कि यह प्रभारी शब्द जल्दी हटे तो एकदम से खड़े होकर के नाराज होने लगे मतलब आपको आपत्ति है कि वह नेता प्रतिपक्ष न बनें.
12.49 बजे
अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुये
डॉ.गौरीशंकर शेजवार – अध्यक्ष महोदय, देखिये फिर से आपत्ति करने लगे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल – अध्यक्ष महोदय, इतने गंभीर विषय पर कैसी बातें कर रहे हैं. आपसे अनुरोध है कि व्यवस्था बना दें.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – अध्यक्ष महोदय, मैं विधान सभा में आश्वासन तो उसका ही दूंगा, जो ध्यान आकर्षण का विषय वस्तु है. अतिरिक्त आप जो भी देंगे, उस पर कार्यवाही करुंगा. लेकिन वह विधान सभा का आश्वासन नहीं बनेगा.
श्री बाला बच्चन -- शेजवार जी, जब आप इधर नेता प्रतिपक्ष बने थे, तो आप ऐसे कितने अनुपूरक प्रश्न करते थे. देखिये, सीट का कितना असर होता है, यह आपके जवाब से पता चलता है और मैंने कोई इसलिये प्रश्न नहीं किया है कि जो आपने जवाब दिया है कि प्रभारी हटे. मंत्री जी, आप जिस तरह से गौर साहब सीनियर मोस्ट मेम्बर हैं. ऐसे आप भी हैं और वित्त मंत्री जी भी हैं. कम से कम आपके द्वारा तो ऐसे जवाब आना चाहिये. नहीं तो इस प्रकार की घटनायें घटित होती चली जायेंगी. हमारा आग्रह है कि आप विधायकों को संतुष्ट भी करिये.
अध्यक्ष महोदय – अब आप कृपया बैठ जायें.
12.51 बजे बहिर्गमन
शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों का सदन से बहिर्गमन.
श्री कमलेश्वर पटेल – अध्यक्ष महोदय, हम मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं, इसलिये हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय, हम मंत्री जी के उत्तर से संतुष्ट नहीं हैं, इसलिये सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(श्री बाला बच्चन, उप नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों के द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
12.52 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय – आज की कार्यसूची में उल्लेखित सभी याचिकायें पढ़ी हुई मानी जायेंगी.
नियमावली के नियम 23 के अनुसार शुक्रवार की बैठक के अंतिम ढाई घण्टे अशासकीय कार्य हेतु नियत हैं, परन्तु कार्य सूची में उल्लिखित कार्य पूर्ण हो जाने पर आज पूर्वाह्न में ही कार्य सूची में अंकित याचिकाओं की प्रस्तुति के उपरांत अशासकीय संकल्प लिये जायेंगे. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
12.53 बजे अशासकीय संकल्प
राष्ट्रीय तीर्थ अण्डमान निकोबार (पोर्ट ब्लेयर) क्रांतिकारियों की तपस्थली होने के कारण नागरिकों में राष्ट्र चरित्र निर्माण हेतु वहां की यात्रा पर जाने वाले देशभक्त तीर्थ यात्रियों की यात्रा पर आने वाले व्यय का 50 प्रतिशत अनुदान के रुप में मध्यप्रदेश शासन प्रदान करे
सुश्री उषा ठाकुर ( इन्दौर-3) – अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करती हूं कि - “सदन का यह मत है कि राष्ट्रीय तीर्थ अण्डमान निकोबार (पोर्ट ब्लेयर) क्रांतिकारियों की तपस्थली है. नागरिकों में राष्ट्र चरित्र निर्माण हेतु वहां की यात्रा पर जाने वाले देशभक्त तीर्थ यात्रियों की यात्रा पर आने वाले व्यय का 50 प्रतिशत अनुदान के रुप में मध्यप्रदेश शासन प्रदान करे.”
अध्यक्ष महोदय – संकल्प प्रस्तुत हुआ.
सुश्री उषा ठाकुर – अध्यक्ष महोदय, किसी भी राष्ट्र की अस्मिता के लिये यह नितांत आवश्यक है कि उस देश के जन जन में देश भक्ति अनुप्राणित हो. हमने हमारे आजादी के इतिहास को देखा है. हमारे क्रांतिकारियों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया. उनके सामने एक ही लक्ष्य था कि गुलामी की जंजीरों में जकड़ी मां भारती को आजाद कराने का. उनका एक ही महामंत्र था, वे वंदे मातरम् को वेद मंत्रों से भी अधिक पूज्यनीय मानते थे. वे कहते थे कि-
कौम के खा़दिम की है जागीर वन्दे मातरम्,
हे वतन के वास्ते अक्सीर वन्दे मातरम्,
जुल्म से गर कर दिया खामोश मुझको देखना,
कह उठेगी मेरी तस्वीर वंदे मातरम्.
अध्यक्ष महोदय, इस उत्कृष्ट राष्ट्र भक्ति से उनका रोम रोम अनुप्राणित था. अण्डमान निकोबार वीर तपो भूमि है, सृष्टि का अनूठा वरदान है. यहां का असीम सौंदर्य परमात्मा ने खुद अपनी कृपा से इसे सृजित किया है. यह अण्डमान निकोबार द्वीप अद्भूत प्राकृतिक सुन्दरता और बहुत ही वनस्पति फल- फूल से आच्छादित, 86 प्रतिशत वन यहां पर मौजूद हैं. विशिष्ट प्रकार की वनस्पतियां फल-फूल यहां पर देखने को मिलते हैं. यह अण्डमान द्वीप बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में हिन्द महासागर में स्थित है. भोगोलिक दृष्टि से यदि हम देखें, तो दक्षिण पूर्व एशिया का यह हिस्सा है. यह भारत का केन्द्र शासित प्रदेश है. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की आबादी लगभग चार लाख के आस पास है और 825 वर्ग किलोमीटर में यह क्षेत्र फैला हुआ है. अधिकारिक तौर पर जो भाषायें यहां बोली जाती हैं, वह मल्यालम,तमिल तेलगु, अंग्रेजी, हिन्दी अण्डमानी,निकोबारी,सेन्टलीज आदि हैं. मलय भाषा के हादूमन से लिया गया यह अण्डमान शब्द हिन्दू देवता श्री हनुमान जी के नाम पर आधारित है. निकोबार नग्न लोगों की भूमि को कहा जाता है. यह जनजाति आज भी यहां बड़ी संख्या में मौजूद है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत की भूमि से हजारों किलोमीटर दूर और सागर तट से भी हजारों किलोमीटर दूर होने की वजह से, यह काले पानी के नाम से कुख्यात हुआ. अंग्रेजों ने इस निर्जन, दुरूह स्थान को इसलिए चुना कि वो क्रान्तिकारियों को तड़पा तड़पा कर, असीम यातनाएं देकर, अमानवीय व्यवहार करके उन्हें परास्त कर दें और उनके दिल-दिमाग में भारत की आजादी के लिये जो जज्ब़ा, जो जुनून है- उसे तिरोहित करवा दें. हमारे क्रान्तिकारी भी कब मानने वाले थे. उन्होंने हर दुख सहा, हर कष्ट सहा लेकिन अंग्रेजों के सामने वे नत-मस्तक नहीं हुए. अंग्रेजों ने यह जेल, जो सेल्यूलर नाम से जानी जाती है, काले पानी की. सन् 1894 में इसका निर्माण कराया. 694 कोठरियां इसमें स्थित हैं, वे इतनी छोटी, संकरी और कम ऊँचाई की है कि न उनमें ठीक प्रकार से उठा-बैठा जा सकता है और न ही सोया जा सकता है. इतना तंग स्थान रहने के लिये और खाने के लिये क्रान्तिकारियों को मिलता था, सिर्फ एक मुट्ठी अनाज. उसमें लगभग उतने ही कीड़े और घासलेट मिलाकर, ये दुष्ट अंग्रेज उन क्रान्तिकारियों को देते थे कि या तो ये शारीरिक, मानसिक यातनाओं से प्रताडि़त होकर अपने प्राण छोड़ दें और यदि किसी प्रकार बच भी जायें तो ये भोजन उन्हें आन्त्रशोथ से पीडि़त करके, उनका अन्तकाल करवा दे.
माननीय अध्यक्ष जी, स्वातंत्र्य वीर सावरकर ने इन कोठरियों में अपने जीवन के लगभग 27 वर्ष गुजारे. भारी-भरकम बेड़ी हथकडि़यों में बँधे, वे खड़े ही रहे और असहनीय शारीरिक, मानसिक यातनाएं उन्हें दी जाती थीं. कोल्हू में बैल की जगह उन्हें जोता जाता था, दलदल वाली मिट्टी को समतल करने का असाध्य कष्टकारी कार्य भी उन्हें दिया, कंटीले पर्वतों, पहाड़ों को काटकर समतल जमीन भी इन क्रान्तिकारियों ने बनाईं. हम सब जानते हैं कि स्वातंत्र्य वीर सावरकर प्रखर वक्ता, चिन्तक, लेखक और श्रेष्ठ इतिहासकार थे. उनका एक लेख, एक कविता पूरे राष्ट्र को आन्दोलित कर देती थी. अंग्रेज उनसे इतने भयभीत थे कि नासिक के कलेक्टर जैक्सन की झूठी हत्याकांड में उन्हें षड्यन्त्र करके, उन्हें अण्डमान भेज दिया. माननीय अध्यक्ष जी, उनके भय से इन अंग्रेजों ने उनसे कागज और कलम भी छीन ली पर वे आत्मबलि कब मानने वाले थे. उन्होंने हथकड़ी के कीले से जेल में जो पत्थर की दीवारें थी, उस पर मां दुर्गा की वो स्तुति, जो बाल्यावस्था से, वो अपनी मां राधा रानी के साथ किया करते थे ‘नमोस्तुते श्री महामंगले शिवास्पदें शुभदे’ अंकित कर दी. इतना ही नहीं, भारत के गौरवशाली स्वर्णिम इतिहास की 3000 पंक्तियां उस पत्थर की दीवार पर अंकित कर दीं. मैं उनके सम्मान में कहना चाहती हूँ कि -
‘जिनमें वीरों का वास रहा, वे जेल नहीं वृन्दावन है.
उसकी हर काल कोठरी भी, मंदिर से ज्यादा पावन है.
हम आभारी सावरकर के, जो गदर शब्द को काट दिया.
स्वातंत्र्य समर के माथे से, टीका कलंक का मिटा दिया.
आओ, हम सब मिलकर के, उनका सबका गौरव गान करें.
उन वीर शहीदों के खाते में, यह पूरा हिन्दुस्तान करें.’
हम जानते हैं कि साधारणत: काला रंग सामाजिक स्तर पर विरोध और नकारात्मकता के लिये जाना जाता है. पर अण्डमान के इस काले पानी को क्रान्तिकारियों के बलिदान ने विविध वर्णिय सौंदर्य से सजा दिया. इस काले पानी ने उन क्रान्तिकारियों की आंखों में आजादी की रश्मियों के स्वप्न सजा दिये. यह काला पानी ही उनकी आंखों में तिरंगा बनकर, उनके चेतन-अचेतन, मन-मस्तिष्क पर राज करता रहा. उन्होंने असाध्य कष्ट सहा लेकिन आजादी के प्रकाश का निर्झर, हम सबके लिये बहा दिया. ऑक्टोपस के आकार में, ये जो जेल बनी हुई है. उसकी रचना इतनी क्लिष्ट है कि एक कैदी, दूसरे कैदी को देख भी न पाये और यही वजह है कि दो सगे भाई, दो वर्ष तक इस काले पानी की जेल में रहे, बाबा राव सावरकर और विनायक दामोदर सावरकर. लेकिन एक दूसरे को देख भी नहीं सके.
12.59
सदन के समय में वृद्धि
अध्यक्ष महोदय – एक मिनिट. आज की कार्यसूची में उल्लेखित कार्य पूर्ण हो जाने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूँ, सदन इससे सहमत है.
सुश्री ऊषा ठाकुर- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनके साथ हजारों-हजार क्रांतिकारी भाई परमानंद जी, बटुकेश्वर दत्त, दीवान सिह कालेपानी, वीरेन्द्र चन्द्र चटर्जी, वीरेन्द्र चन्द्र सेन, सदन चटर्जी, सोहन सिंह जी, मौलवी लियाकत अली और मौलवी अहमद रहीम भी वहां पर इन काल कोठरियों में थे । आजादी का संघर्ष सब ने मिलकर यहां पर किया है ।
माननीय अध्यक्ष जी, मैं जानती हूँ कि हमारे मुख्यमंत्री भाई शिवराज जी की प्रावीण्य सूची में राष्ट्र चरित्र निर्माण का स्थान है और उनकी प्रे पंक्ति सरल जी के शब्दों में ही उन्हें याद दिलाना चाहती हूँ कि,
है अमर शहीदों की पूजा,
हर एक राष्ट्र की परंपरा।
इनसे है मां की कोख धन्य धरा,
गिरता है इनका रक्त जहां,
वह ठौर तीर्थ कहलाते हैं,
वह रक्तबीज अपने जैसों की,
नई फसल दे जाते हैं । ।
इसलिए राष्ट्र कर्त्तव्य शहीदों का समुचित सम्मान करे, मस्तक देने वाली जमात पर, वह युग-युग अभिमान करे,
होता है ऐसा नहीं जहां- वो राष्ट्र नहीं टिक पाता है,
आजादी खण्डित हो जाती- सम्मान सभी बिक जाता है ।
यह धर्म कर्म यह मर्म -सभी को मैं समझाया करती हूँ,
मैं अमर शहीदों की चारण -उनके यश गाया करती हूँ
जो कर्ज राष्ट्र ने खाया है, मैं उसे चुकाया करती हॅूं ।
माननीय अध्यक्ष जी, मेरी व्यक्तिगत मान्यता है, कि आजादी के बाद से इन 68 वर्षों में राष्ट्र चरित्र निर्माण की कोई विशेष चिन्ता कभी नहीं की गई पाठ्यक्रम से भी क्रांतिकारियों के पाठों का गायब होना सचमुच बहुत अधिक चिन्ता का विषय है । हम अपनी आने वाली पीढ़ी को यदि इन क्रांतिकारियों से परिचित नहीं करा पाए, यदि उनमें भी देश भक्ति का भाव नहीं भर पाए, तो कहीं न कहीं हमसे बहुत गंभीर त्रुटि हो जाएगी ।
माननीय अध्यक्ष जी, हम देख रहे हैं कि भारतीय सेना में 15 हजार पद खाली पड़े हुए हैं ,हमें इस बात की चिन्ता करनी होगी कि वह कौनसी बजह है कि हमारा युवा फौज में जाने से कतरा रहा है, यदि देश भक्ति के भाव से हमने उसे नहीं भरा तो कहीं न कहीं भीषण संकट हम सब को कालान्तर में देखने को मिल सकता है।
माननीय अध्यक्ष जी, जब मध्यप्रदेश की सरकार बड़ी उदारता से जीवन के हर क्षेत्र में अनुदान दे रही है, तो यह राष्ट्र चरित्र निर्माण का पावन विषय है इस पर भी अनुदान मिले, आपके माध्यम से यह प्रार्थना मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से करना चाहती हूँ, सम्पूर्ण सदन की भी मैं सहमति चाहती हूँ, मैं जानती हूँ, माननीय अध्यक्ष महोदय, कि हमारे मुख्यमंत्री जी ने युग धारा बदली है, अभी जब धर्म सम्मेलन इंदौर में हुआ, माननीय अध्यक्ष जी, स्वामी अवधेशानंद जी ने उनके जीवन को तपोनिष्ट जीवन की संज्ञा दी, वह बहुत उदारमना संवेदनशील और समाज के हर वर्ग, तबके की चिन्ता करने वाले मुख्यमंत्री हैं । माननीय अध्यक्ष जी, हम सबने देखा कि वह मातृत्व के रक्षक बनकर खड़े हो गए और लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजना बना दी । मानवता को गंभीर बेटियों के जघन्य अपराध से बचा लिया । वहीं जब हम दृष्टि डालते हैं तो देखते हैं कि युग परिवर्तनकारी कार्य उनके कार्यकाल में हुआ । मां क्षिप्रा और मां नर्मदा का मिलन यह युग धारा को बदलने वाला कार्य है । माननीय अध्यक्ष जी, इन सबसे भी बढ़ -चढ़कर उनके सम्मान में कहना चाहती हूँ कि वह नर से नारायण बनने की ओर प्रवृत्त हैं । यह कोई अतिश्योक्तिपूर्ण वाक्य नहीं है, बाबा गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण में कहा मूक होई वाचाल,पंगु चढ़े गिरवरधान । अध्यक्ष जी, इस घटना को व्यावहारिक धरातल पर सफल होते हुए मैंने देखा है । 27 नवम्बर माननीय मुख्यमंत्री जी की इंदौर यात्रा को, मुझे लगता है इंदौर का कोई भी वासी विस्मृत नहीं कर पाएगा,योजना क्रमांक 71 में, जब माननीय मुख्यमंत्री जी पहुंचे तो उस मूक बधिर विद्यालय संस्थान में एक सात वर्षीय बेटी जो जन्म से गूंगी थी, उसका मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के अंतर्गत ईको-किलयर इन प्लाइंट आपरेशन हुआ । माननीय अध्यक्ष जी, वह बच्ची पूर्वी मेहता सात साल बाद बोल पड़ी ,उसके अभिभावक की आंखों से अविरल अश्रुधारा बह रही थी । आंखों से अविरल अश्रुधारा वहां बह रही थी वहां पर सम्पूर्ण सभागृह की आंखें नम थी. जब हमारी सरकार हर क्षेत्र में इतनी उदारता से सोचती है तो मेरी प्रार्थना है कि राष्ट्रीय चरित्र निर्माण भी हमारा अनिवार्य विषय होना ही चाहिये और है भी तभी तो उन्होंने शहीदों का स्मारक भोपाल में बनवा दिया. उन्हीं से प्रेरणा लेकर इन्दौर विकास प्राधिकरण ने इन्दौर में अमर जवान ज्योति के निर्माण का संकल्प लिया है. आप सबके माध्यम से मैं सदन से आपकी उदारता एवं देशभक्ति को प्रणाम करती हूं कि आपने इस अशासकीय संकल्प को ग्राह्य करके इस विषय पर हम सबको बोलने का मौका दिया है. इन पंक्तियों के बाद मैं अपनी बात समाप्त कर दूंगी.
राष्ट्र आज उनकी जय बोल,
कलम आज उनकी जय बोल,
जो चढ़ गये पुण्य वेदी पर लिये बिना गर्दन का मोल,
साक्षी हैं जिनकी महिमा के सूर्य-चन्द्र-भूगोल-खगोल,
राष्ट्र आज उनकी जय बोल.
आपकी उदारता का बहुत बहुत धन्यवाद. विभाग के मंत्री जी से, माननीय मुख्यमंत्री जी तथा सम्पूर्ण सदन से मेरा आग्रह है कि इसमें अपनी सहमति प्रदान करें. भारत माता की जय.
श्रीमती रंजना बघेल(मनावर)—माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सुश्री उषा ठाकुर जी सदस्या ने क्रांतिकारी कार्यों की तपस्थली अंडमान निकोबार के लिये जो अशासकीय संकल्प लायी हैं मैं उनका समर्थन करती हूं. माननीय सदस्या उषा दीदी ने बहुत ही विस्तारपूर्वक हमारे क्रांतिकारियों के विषय में बताया है. मैं भी उस संबंध में कहना चाहूंगी कि आज क्रांतिकारियों की गाथाओं में विरसा-मुण्डा, रानी दुर्गावती, भीमानायक जी क्रांतिकारियों के नाम पर स्मारक बनाकर के एक गौरवशाली इतिहास रचाकर के माननीय प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने पूरे देश में उनको याद दिलाया है. इस अखण्ड भारत एवं भारत माती की सरजमी पर निवासरत् सम्पूर्ण मानव समाज की प्रजा की रक्षा के लिये अपनी मातृ-भूमि के लिये अंग्रेजों से अपने शौर्य से भारत मां के लिये प्राण त्याग कर भारत मां की उन अमर शहीदों ने भारत माता का मान तथा शोभा को बढ़ाया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, क्षत्रिय-क्षत्रिय कहने से क्षत्रिय होय न कोइ शीष चढ़ाये खड़क पर सोई क्षतिय होवे. क्षत्रिय-क्षत्रिय कहने से कोई क्षत्रिय नहीं होता जो युद्ध में वीरतापूर्वक लड़ता-लड़ता प्राण दे देता है वही तो असली क्षत्रिय है. ऐसे वीर योद्धा मातृ-भूमि के लिये शहीदों को मैं इस पवित्र सदन में, मैं प्रणाम करती हूं और नमन करती हूं. मैं इस सदन के माध्यम से कहना चाहती हूं कि मेरा जो निवास है जहां पर अलीराजपुर जिले के ग्राम सोरवा विकासखंड कट्ठीवाड़ा के एक ऐसे क्रांतिकारी सपूत ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी मुझे दुःख होता है कि वीर नायक भीमा शंकर, शंकर शाह, रानी दुर्गावती जी के नाम का इतिहास के पन्नों पर उल्लेख नहीं किया जाता है. जब आदिवासी भाषा में कहा जाता है कि यह तो क्षीतुन मामला-क्षीतुन मामला और क्षीतुन मामला के नाम से वहां पर उनकी चर्चाएं होती हैं, लेकिन मुझे खुशी होती है कि सदन के माध्यम से कहने में तथा मैं गौरव महसूस करती हूं कि उनका नाम आज भी आदिवासी समाज में अलीराजपुर क्षेत्र में क्षीतु किरण के मामले के नाम से जाना जाता है, लेकिन इतिहास के उन पन्नों पर उनका नाम आज भी नहीं आता है मैं इस सदन के माध्यम से जो अलीराजपुर के सोरवा ग्राम-पंचायत में जो एक घड़ी है.जो अलिराजपुर क्षेत्र के सोरबा ग्राम पंचायत में एक घड़ी है. आज भी जीतू किराड़ जी की काले पानी की सजा की वह घड़ी याद दिलाती है और मेरे पूर्वजों ने ऐशिया में जब सबसे ज्यादा मर्डर हुआ करते थे तो सत्तर और अस्सी के दशक में मेरे पूर्वजों ने वहां थाना स्थापित करवाया था और वहां पर वह घड़ी वाली जगह खाली पड़ी हुई है. तो मैं कहना चाहती हूं कि उस घड़ी को मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से स्मारक घोषित किया जाये. दूसरा इतिहास के पन्नों में उस समय के कागजातों की जांच करके क्योंकि मध्यप्रदेश के इतिहास में उनका गौरवशाली इतिहास था उनका उल्लेख हो तो मुझे खुशी और प्रसन्नता होगी. निश्चित रूप से मैं उनकी पूर्वज होने के नाते यह मांग करती हूं कि उनको आदिवासी समाज के लोग आज भी याद करते हैं और हमारे पूर्वजों ने उस पीड़ा को भोगा है. जब अंडमान,निकोबार की जेल को टी.वी. के माध्यम से दिखाया जाता है तो जब वहां के आदिवासी लोग उन क्रांतिकारी जीतू किराड़ को याद करते हैं तो उनका नाम भी जांच करके इतिहास के पन्नों में जोड़ा जाये और मैं इस संकल्प का समर्थन करती हूं.
श्री मुकेश नायक(पवई) – माननीय अध्यक्ष महोदय, एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार से होने के नाते मुझे प्रेरणा मिली कि हमारी सम्मानित विधायिका जी ने जो यह अशासकीय संकल्प रखा है मुझे उस पर बात करनी चाहिये. जब पहली बार मैंने अंडमान निकोबार देखा. वहां का अतुलनीय,अप्रतिम सौंदर्य वहां की मनोरम पर्वत श्रंखलाएं, वहां के फूल और फलों से लदे हुए वृक्ष जो अनुग्रह भाव से जमीन की तरफ झुके हुए थे. भौंरों का गुंजान, पक्षियों की चहक, अचल भाव से शांत सरोवर, ऐसा अनुपम और दिव्य स्थान जब तितलियां उड़ती थीं तब ऐसा लगता है परा की चेतना साकार होकर नृत्य कर रही हो और वह स्थान हमारी केवल हनुमान जी से संबंधित नहीं है. उस स्थान का महत्व बहुत अतुलनीय और बढ़ जाता है लेकिन वह स्थान हमारे देश की आजादी की लड़ाई, हमारे देश के गौरव, भारत के लोगों की अस्मिता, उनके संघर्ष, उनके योगदान से जुड़ी हुई है जिनके कारण हम भारतवर्ष में स्वतंत्र और उन्मुक्त सांस ले रहे हैं. मैंने एक जगह एक संस्मरण पढ़ा था जो बहुत कम प्रकाश में आया है बहुत पुराने इतिहासकार ने मुझे बताया था कि जिस बैरक में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर सावरकर जेल में जिस कोठरी में बंद थे उन्हें भोजन देता था एक प्रहरी उसने देखा कि वीर सावरकर जी एक मिट्टी का ढेर सामने रखकर घंटों आंख बंद करके बैठे रहते थे. एक दिन उसने पूछा कि आप इस मिट्टी का ढेर आंख बंद करके अपने सामने रखे रहते हैं. आप यह क्या करते हैं क्या सोचते हैं तो वीर सावरकर जी ने उस प्रहरी से कहा कि मैं इस देश की आजादी का सपना देखता हूं. अपने देश की जवानी, अपने जीवन की पूरी जवानी जिन्होंने देश की आजादी का सपना देखते-देखते पूरी जवानी को हिन्दुस्तान की नौजवान पीढ़ी, हम लोगों के लिये दे दिया ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तपोभूमि है अंडमान,निकोबार. कम्ब रामायण में लिखा है अध्यक्ष महोदय, आप रामचरित्रमानस के परम विद्वान हैं. इसीलिये मैं यह प्रसंग आपके सम्मुख जरूर बोलना चाहूंगा. कम्ब रामायण में लिखा है कि भगवान जब अयोध्या से पुष्पक विमान से अयोध्या वापस आने लगे लंका की रणभूमि से तो हनुमान जी विमान में नहीं बैठे.तो हनुमान जी विमान में बैठे. जब विमान के अन्दर जाकर प्रभु राम ने देखा कि हनुमान जी कहां हैं तो सब ने बताया कि वो तो नीचे खड़े हैं तो विमान उतरकर नीचे आये और कहने लगे कि आप अयोध्या नहीं चलोगे तो हनुमान जी ने कहा कि मुझे अपनी माता अंजना से मिलने जाना है, बहुत दिन हुए मैंने उनके दर्शन नहीं किये तो प्रभुराम ने कहा कि मैं अयोध्या बाद में जाऊंगा पहले तुम्हारी माता अंजना के दर्शन करूंगा. भगवान राम पुष्पक विमान लेकर पहले अंजना माता से मिलने इस द्वीप समूह में गये और जब वहां भगवान की उपस्थिति में माता अंजना ने समुद्र कैसे पार किया इसका प्रसंग सुना तो हनुमान जी सुरसा की चर्चा कि तो अंजना माता ने पूछा कि यह सुरसा कौन है तो हनुमान जी ने कहा कि लोकेष्णा है. उन्होंने कहा कि कैसी लोकेशणा है तो उन्होंने कहा कि जब मैं इस पर्वत को पार करने लगा तो यह मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी और मुझसे कहने लगी कि तुम जा नहीं सकते तो हनुमान जी ने पूछा की तुम कौन हो तो कहने लगी कि मेरा नाम सुरसा है. मुझे देवताओं ने भेजा है- ‘’ सुरसा नाम अहिनकै माता’’ हनुमान जी ने कहा कि यह कैसी समस्या आ गयी. मुझे तो लगता था कि समुद्र को पार करते समय रावण की तरफ से बाधाएं आयेगी, पर यह कैसी समस्या आ गयी कि देवताओं की तरफ से समस्या आ गयी, तो फिर वह सोच में पड़ गये फिर कहने लगे कि तुम क्या चाहती हो तो सुरसा ने कहा कि मुझे तुम्हारा आहार करना है, तुम्हें खाना है. हनुमान जी ने कहा मैं तो इतने पुनित और पावन काम से जा रहा हूं अपने आराध्य का आदेश मानकर जा रहा हूं. उनका काम करे बगैर मुझे कोई खा नहीं सकता. मैं लौट कर आ जाऊंगा मेरा आहार कर लेना. सुरसा ने कहा कि नहीं-नहीं अभी मुझे खाना है. हनुमान जी ने कहा खाओ, सुरसा ने अपना मुंह खोला तो हनुमान जी ने अपना मुंह और आगे बढ़ाया
‘’ सत जोजन तेहि आनन कीन्हा’’
अति लघु रूप पवन सुत लीना’’
सौ योजन का सुरसा ने अपना मुख बनाया और पूरे समुद्र में केवल सुरसा का मुख दिखाई देने लगा, दूसरी कोई चीज दिखाई देना बंद हो गयी. हनुमान जी ने उतना ही बड़ा अपना रूप बनाया और उन्होंने कहा अरे-अरे यह तो लोकेषणा है, यह तो यश और कीर्ति की कामना है, इससे स्पर्धा नहीं हो सकती तब हनुमान जी ने पूरा अपना दृष्टिकोण बदला-
‘’अति लघु रूप पवन सुत लीना’’
बदन ऐठि पुनि बाहरी आवा,
मांगा विदा ताहि सिरू नावा’’
हनुमान जी ने सुरसा के मुख में अति लघु रूप बनाकर प्रवेश किया और परीक्षा उत्तीर्ण करके उनके श्री मुख से बाहर आ गयी और उन्होंने कहा कि आपने तो हमें आहार नहीं किया, सुरसा ने कहा कि देवताओं ने परीक्षा के लिये भेजा था, उस परीक्षा में आप उत्तीर्ण हो गये अब आप अपने आराध्य के काम से चले जाओ. तो माता अंजना ने पूछा कि कैसे यह यश और कीर्ती की कामना क्या है तो हनुमान जी ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में कामना एक ऐसी चीज है लोकेषणा एक ऐसी चीज है जो कभी जाती नहीं है. उन्होंने कहा कि फिर इसका क्या करें, जब जाती नहीं है. अभी हमने यह फुल पेंट और शर्ट उतारकर यह कुर्ता और पजामा पहन लिया और लोगों से कहा कि हमने तो महात्मा गांधी की खादी पहन जी और हमारी यश और कीर्ती की कामना का तिरोधान हो गया और वह चली गयी. परन्तु थोड़े समय बाद चलता कि वह गयी नहीं है, थोड़े दिन बाद पता चलता है कि उसने अपना आब्जेक्ट चेंज कर दिया और अपना रूप बदल लिया और वह खादी के कुर्ते पजामें में दोड़ने लगी. उसके बाद हमने कहा कि अरे यह तो इसमें भी आ गयी तो हमने भगवा कपड़े पहन लिये, थोड़े दिन बाद पता चला और लोगों से कहा कि अरे यह तो चली गयी और हमने तो संन्यास ले लिया, हमने तो पूरा जीवन समर्पित कर दिया, हमने भगवा कपड़े पहन लिये, थोड़े दिन बाद पता लगा कि यह इतनी चालाक है कि यह भगवा कपड़ों में दौड़ने लगी यह गयी नहीं है. हनुमान जी ने माता अंजना से कहा कि व्यक्ति के जीवन में जो कामना है यह कभी जाती नहीं है और जिस जमीन पर मनुष्य खडा है, उस जमीन से उसका परिचय नहीं होने देती इसलिये मनुष्य को अपने जीवन में सदैव लगता है कि जहां दूसरा व्यक्ति खड़ा है, वहां पर ज्यादा आनंद है. जब तक व्यक्ति इसको समझने की कोशिश करता है, जब समझ लेता है तत्क्षण ये अपना आब्जेक्ट बदल लेती है लेकिन जाती नहीं है. तो कहा कि क्या करें कैसे जायेगी तो उन्होंने कहा कि ऐसे जायेगी, भजन करो स्वाध्याय करो, सत्संग करो, भजन करो, ध्यान करो, जप करो, योग करो, तप करो,वैराग्य का अभ्यास करो और निरंतर इसका अभ्यास करो तब ये जायेगी. ऐसा अद्भूद संवाद अंजना को हमारे हनुमान जी को कम्भ रामायण में लिखा है कि अण्डमान निकोबार में सुनाया और यह रामचरित मानस का ऐसा अदभूत संदेश है तो फिर उनसे प्रश्न किया गया कि आपने लंकनी को मार दिया, आपने लंकनी पर प्रहार किया, सिघिंका का वध कर दिया लेकिन आपने सुरसा को मारा क्यों नहीं तो वह कहने लगे कि लोकेष्णा का कभी वध नहीं करना चाहिये लोकेष्णा के कारण, अभिमान के कारण, दंभ के कारण, दिखावे के कारण व्यक्ति कभी-कभी जीवन में अच्छे काम भी करता है. दिखावे के कारण कभी कभी कोई अस्पताल में जाकर फल बांटने लगता, कोई बहुत बड़ा पंडाल लगाकर कथायें कराने लगता. दो कथाओं में ऐसी प्रतियोगिता हुई कि एक ने अपनी कथा में हलुआ बांटा तो दूसरे ने अपनी कथा में चायनीज प्रसाद बांट दिया. व्यक्ति के जीवन में जो लोकेष्णा है इसका वध नहीं करना चाहिये लोकेष्णा से व्यक्ति अपने जीवन में कभी कभी अच्छे काम भी करता है ऐसा महान संदेश हनुमान जी ने अंडमान और निकोबार में दिया.
अध्यक्ष महोदय, अंत में मैं यह कहना चाहता हूँ कि यह संकल्प उन तमाम शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि है उनका पुण्य स्मरण है जिन्होंने देश की आजादी के लिए हम लोगों को शानदार भारत देने के लिए अपनी जवानी गंवायी, संघर्ष किया अपने सुन्दर दिन तपस्या में संघर्ष में समर्पित कर दिए इसलिए मैं सदन से यह अपील करूंगा और माननीय मुख्यमंत्रीजी से भी यह कहना चाहूंगा कि अंडमान निकोबार को भारत का तीर्थ मानते हुए वहां के यात्रियों के लिए 50 प्रतिशत के अनुदान की जो मांग की गई है मैं इसका समर्थन करता हूँ और बहन उषा जी को धन्यवाद देता हूँ कि ऐसा अच्छा और पावन प्रस्ताव और अशासकीय संकल्प उन्होंने सदन के पटल पर रखा.
श्री शंकरलाल तिवारी (सतना)– माननीय अध्यक्ष महोदय, सच में विधान सभा में यह अशासकीय संकल्प जहां एक ओर जैसा कि अभी विद्वान वक्ता आदरणीय नायक जी ने कहा उन वीर सपूतों का पुण्य स्मरण है, उनकी याद है, उनके प्रति समर्पण है वहीं सच में जो उषा जी ने कहा कि यह चरित्र निर्माण के लिए भावी पीढ़ी के लिए आने वाली युवा पीढ़ी के लिए भी अंडमान निकोबार जैसे स्थान की यात्रा दुनिया की किसी भी तीर्थ यात्रा से किसी भी मजहब की तीर्थ यात्रा से कम नहीं है और इसलिए मैं विनतीपूर्वक कहूंगा कि उषा जी का संकल्प यथावत् पास किया जाए और यह भी कहा जाए कि अंडमान निकोबार देश का राष्ट्रीय तीर्थ है और उसको राष्ट्रीय तीर्थ की मान्यता दिलाई जाए. देशप्रेम का मूल्य प्राण है देखें कौन चुकाता है ऐसे लोगों की तपोभूमि है अंडमान निकोबार अभी इसका वर्णन यहां हुआ है. देशप्रेम का मूल्य प्राण है जनसेवक बहुत हैं, समाजसेवक भी बहुत हैं और आजादी की उस लड़ाई में—
कष्ट कंटकों में पड़कर के जीवन पट झीने होंगे,
एक ओर संगीनें होंगी एक ओर सीने होंगे.
वही वीर अब बढ़े जिसे हंस हंसकर मरना आता है,
देशप्रेम का मूल्य प्राण है देखें कौन चुकाता है.
अंडमान निकोबार की तपोभूमि में और जिसे सेल्यूलर जेल कहा जाता है उस साधना केन्द्र में उस मंदिर में भारत माता की आजादी के जो सपने संजोए गए तिल-तिलकर अपने प्राणों का उत्सर्ग हमारे बलिदानियों ने किया वीर सपूतों ने किया. सच में अंडमान की यात्रा और उसमें सरकार की तरफ से अनुदान प्रदेश की भावी नौजवान पीढ़ी को और उन तमाम दीवानों को जो आज उस तीर्थ में जाकर अपने अमर सपूतों के बलिदान अपनी तपस्या जो उन्होंने अपने जीवन में की उससे प्रेरणा लेने का काम निरन्तर होगा. मैं अधिक न बोलते हुए इतना ही कहूंगा कि फैसला इस पूरे सदन का हो सरकार का भी फैसला हो और अंडमान निकोबार जेल के नाम और कालापानी के नाम से प्रसिद्ध था हम सब की आत्माओं का समर्पण इस सदन का समर्पण प्रभु कृपा से इतना प्रभावी हो कि भविष्य में वह राष्ट्रीय तीर्थ के नाम से ही प्रतिष्ठापित हो इतना ही कहना चाहता हूँ. वन्दे मातरम्.
श्री राजेश सोनकर(साँवेर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में आदरणीय सदस्या उषा ठाकुर जी द्वारा जो अशासकीय संकल्प के माध्यम से अण्डमान-निकोबार की यात्रा पर आने वाले व्यय में 50 प्रतिशत अनुदान देने की बात कही गई है, मैं उसका समर्थन करता हूँ. निश्चित रूप से सदन में बैठे हुए सभी माननीय सदस्य इस बात से पूर्ण रूप से सहमत होंगे 1857 से लेकर 1947 तक की स्वाधीनता की लड़ाई की जीवंत गाथा अण्डमान-निकोबार, घोर यातनाओं और कठोर दण्ड, जहाँ पर इस देश के महान सपूतों ने भोगा, जिस यातना की कल्पना मात्र से रुह काँप जाए, उसका नाम अण्डमान-निकोबार, वह काला पानी है. आदरणीय अध्यक्ष जी, जहाँ की कठोर यातनाओं को भोगने के बाद भी इस देश के महान सपूतों के मन में देश की आजादी का अलख जगता रहा, जिसने कठोर यातना और दण्ड के बाद भी इस देश को आजादी दिलाई. आज आदरणीय उषा जी ने इस देश के युवाओं के जो राष्ट्र चरित्र निर्माण हेतु वहाँ पर यात्रा करने वाले राष्ट्र भक्तों के लिए अनुदान की बात कही है. मैं आग्रह करता हूँ कि आदरणीय उषा जी द्वारा जो यह संकल्प लाया गया है इसका समर्थन करता हूँ. निश्चित रूप से देश के युवाओं को अण्डमान-निकोबार के इस गौरवशाली इतिहास की आवश्यकता है हमारे युवाओं के सामने जिस प्रकार से अण्डमान-निकोबार में राष्ट्रभक्तों के साथ में, उन्हें जो दण्ड दिया गया था, जिस संघर्ष के साथ में उन्होंने इस देश को आजादी दिलाई. उसकी जानकारी हर युवा को होना चाहिए. आज इंग्लैण्ड से धुलकर आने वाली शेरवानी और बकरी को बाँधने वाली रस्सी की जानकारी की आवश्यकता नहीं है इसलिए मैं आदरणीय उषा जी के इस संकल्प का समर्थन करता हूँ निश्चित रूप से अगर 50 प्रतिशत अनुदान स्वीकृत किया गया तो वहाँ जाने वाले युवाओं को निश्चित ही वहाँ प्रेरणा मिलेगी और यह राष्ट्र की प्रगति के निर्माण में बहुत सार्थक होगा. अतः मैं उनका बहुत समर्थन करता हूँ.
श्री विश्वास सारंग(नरेला)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहन उषा ठाकुर जी द्वारा प्रस्तुत अशासकीय संकल्प का समर्थन करता हूँ. माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपको भी बधाई देना चाहता हूँ और आज जिस ढंग से इस विधान सभा में इस अशासकीय संकल्प पर जो इंटलएक्चुअल बहस हुई, मैं बहन उषा जी को बहुत बधाई देता हूँ उन्होंने बहुत अच्छे से अपनी बात रखी. उसका उतने ही अच्छे ढंग से समर्थन मुकेश नायक जी ने किया. रंजना बघेल जी ने किया और बाकी हमारे राजेश सोनकर जी ने, हमारे शंकरलाल तिवारी जी ने और सभी विधायकों ने किया. मुझे लगता है कोई कोई ऐसे इवेंट हो जाते हैं जिससे गाहे-ब-गाहे, जाने-अनजाने में, हमें कहीं न कहीं क्रांतिकारियों की शहादत पर कृतज्ञता ज्ञापित करने का अवसर मिल जाता है. मैं बहन उषा ठाकुर जी को बधाई दूँगा, उनका कल मेरे पास फोन आया कि मैंने ये एक संकल्प रखा है, मैंने कहा यह मेरा सौभाग्य होगा कि मैं इसके समर्थन में कुछ बात कर सकूँ. अध्यक्ष जी, यह इतिहास साक्षी है दामोदर जी ने, वीर सावरकर जी ने, जो इस देश के लिए, जो इस देश की आजादी के लिए, जो कुछ किया, शायद इस देश के इतिहास में और बहुत कम उदाहरण ऐसे देखने को मिलते हैं. उषा ठाकुर जी ने पूरे विस्तृत रूप से बताया, क्या हम विचार कर सकते हैं कि एक परिवार के दो-दो सदस्य एक ही जेल में बंद रहें और उनको इस बात का भान भी न हो कि मेरा भाई दूसरे बैरक में बंद है. अध्यक्ष जी, सही मायने में इस देश के इतिहास में ऐसी शहादत हमें बहुत कम देखने को मिलती है. यह देश का दुर्भाग्य है कि 68 वर्ष की आजादी के बाद उन क्रांतिकारियों को वह स्थान इस देश में नहीं मिल पाया जो मिलना था और मुझे लगता है कि अभी भी हम नहीं संभले तो इस देश का भविष्य और भविष्य की पीढ़ी उन क्रांतिकारियों , उन देशभक्तों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने में उतनी आगे नहीं बढ़ पाएगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय , शायर इकबाल कहकर गये थे कि-- “वतन की फिक्र कर नादां , मुसीबत आने वाली है, तेरी बरबादियों के मशवरे हैं आसमानों में , न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिंदुस्तां वालों , तुम्हारी दास्तां भी न रहेगी, दास्तानों में.” यदि हमने अपने इतिहास को नहीं सहेजा. यदि ऐसे क्रांतिकारी, जिन्होंने इस देश की शहादत के लिए अपनी जवानी लगा दी, उनके मन में यह बात नहीं आई कि मेरे जाने के बाद मेरी माँ का क्या होगा. उनके मन में यह बात नहीं आई कि मेरे जाने के बाद मेरा परिवार चलेगा या नहीं चलेगा, उनके दिलो-दिमाग में यह बात नहीं आई कि मेरे जाने के बाद मेरे वंशजों का क्या होगा. उनके दिलो-दिमाग में तो केवल यह बात थी कि यदि मेरी भारत माँ के पैरों में गुलामी की बेड़ियाँ पड़ी हैं तो मेरे जीने का कोई मतलब नहीं है. भगतसिंह हो, चंद्रशेखर आजाद हो, राजगुरू हो, सुखदेव हो , अशफाक उल्ला खां हो, वीर सावरकर हो, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई हों , ऐसी हजारों हजार परंपरायें रही हैं, जिन्होंने इस देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व लगाया . कोई कहकर गया है- “शहीदों की चिंताओं पर हर बरस लगेंगे मेले, वतन पर मरने मिटने वालों का बस यही निशां बाकी रहेगा” सही मायने में वह वीर सावरकर जी की तपोभूमि है. हम सबके लिए कृतज्ञता ज्ञापित करने का वह स्थान है. बहन उषा ठाकुर जी ने जो कहा है मैं उसका अक्षरशः समर्थन करता हूं. निश्चित रूप से मध्यप्रदेश सरकार को चाहिए और मैं मुख्यमंत्री जी को बधाई देता हूं उन्होंने हर जाति के, हर धर्म के तीर्थ स्थानों पर बुजुर्गों को तीर्थस्थान की यात्रा करने की तीर्थदर्शन योजना को मध्यप्रदेश में लागू किया. देश के इतिहास में पहली बार यह योजना आई. मुझे लगता है कि हम भी देश में शायद अव्वल राज्य बनेंगे जो ऐसी राष्ट्रभूमि को, उन राष्ठ्रभक्तों की तपोभूमि को नमन करने के लिए सरकार के अनुदान के रूप में इस योजना को आरंभ करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहन उषा ठाकुर जी के इस संकल्प का समर्थन करता हूं. निश्चित रूप से मध्यप्रदेश की सरकार को ऐसी योजना बनानी चाहिए कि जो भी अंडमान निकोबार जाए उसकी यात्रा का 50 प्रतिशत अऩुदान मध्यप्रदेश की सरकार दे बल्कि मैं उससे और दो कदम आगे की बात करता हूं कि सरकार को यह भी चाहिए , खासकर शिक्षामंत्री जी को मैं निवेदन करना चाहता हूं कि शिक्षा विभाग द्वारा ऐसे बच्चे ज्यादा से ज्यादा इस क्षेत्र में जाएं, अंडमान निकोबार की यात्रा करे . इस बात की भी व्यवस्था होनी चाहिए,स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए ऐसा केरीकुलम बनाना चाहिए, उनके पाठ्यक्रम में साल में एक बार ऐसा जरूर होना चाहिए कि 5वीं से लेकर 12 वीं तक के बच्चे अंडमान निकोबार की यात्रा करें, इसकी योजना भी मध्यप्रदेश सरकार को बनाना चाहिए ताकि आगे आने वाली पीढ़ी को पता लगना चाहिए कि किसके कारण हमें आजादी मिली, किसके कारण हम आजाद हिंदुस्तानी के रूप में सांस ले रहे हैं. जब तक यह परंपरा को आगे आने वाली भावी पीढ़ी को नहीं बताएंगे तब तक इस देश में वह व्यवस्था नहीं बन पाएगी जिसकी आकांक्षा, जिसकी आशा, जिसके बारे में सोच-सोचकर , जैसा अभी नायक जी ने बताया कि वीर सावरकर मिट्टी का ढेर रख-रखकर आजादी का सपना देखते थे, इस देश की आजादी के लिए वह प्रार्थना करते थे उन पर जो यातनायें दी गई, सोचकर रोंगटे खड़ें हो जाते हैं, सोचकर कभी कभी लगता है कि वह कितनी पुण्यात्मा थी. यदि उनकी जीवनी को लेकर, उनके व्यक्तित्व को लेकर आगे आने वाली पीढ़ी को बताया जाएगा तब ही विवेकानंद जी का वह सपना साकार होगा,जिसमें वह कहकर गये थे कि हिंदुस्तान 21वीं सदी में इस विश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनेगा. किसी भी राष्ट्र की, किसी भी संस्कृति की, किसी भी समाज के भविष्य का निर्धारण उसके वर्तमान से नहीं होता.जब तक वह अपने भविष्य के निर्धारण के लिए , अपने इतिहास की अच्छी चीजों का अनुसरण नहीं करता तब तक किसी भी समाज का भविष्य अच्छा नहीं हो सकता और मुझे लगता है कि इस संपूर्ण सदन को एकमत से यह ध्वनि जानी चाहिए, पूरे देश में, समाज में यह संदेश जाना चाहिए कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हम सबने एक क्रांतिकारी की शहादत के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए इस संकल्प को सर्वानुमति से स्वीकार किया. मैं उषा बहन को भी बहुत बधाई देता हूं. जितने सदस्य इसके समर्थन में बोले हैं उन सबको भी बधाई देता हूं औऱ वीर सावरकर के जीवन के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए आपको भी धन्यवाद देता हूं कि आपने इस विषय पर हम सबको बोलने का मौका दिया . मैं एक बार पुनः इस अशासकीय संकल्प का समर्थन करता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
राज्यमंत्री,संस्कृति एवं पर्यटन(श्री सुरेन्द्र पटवा)—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं वास्तव में अपने आपको गौरवांवित महसूस कर रहा हूँ कि इस विषय पर जो सदन में यह प्रस्ताव आया है, मैं माननीय सदस्या को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ, शुभकामना देता हूँ, उनको धन्यवाद देता हूँ कि उऩ्होंने देशभक्ति से जुड़ा हुआ विषय यहां पर उठाया. माननीय अन्य सदस्यों ने मुकेश नायक जी ने, विश्वास सारंग जी ने और भी अन्य सदस्यों ने इस विषय को उठाया और सब ने अपनी बात को यहां रखा है. वास्तव में आप और हम सब का कर्तव्य यह है कि जो हमें विरासत में मिला है उसको हम किस तरह से सृजित करें. हमारी संस्कृति, हमारे रीति रिवाज, हमारी परम्परा इसको किस तरह से हमारी आने वाली पीढ़ी को हम बतायें. जैसा कि सभी ने कहा कि देशभक्ति के बारे में पाठ्यक्रम भी होना चाहिए. हमारे माननीय शिक्षा मंत्री जी के लिए भी यह कहा गया. वैसे भी देखा जाय तो अभी मध्यप्रदेश की सरकार तीर्थदर्शन योजना लेकर आयी है. नागरिकों में राष्ट्र चरित्र निर्माण एक सामयिक विषय है जिस पर समग्रता से विचार करने की आवश्यकता है. मैं माननीय सदस्य को कहना चाहूंगा कि वर्तमान में किसी भी स्थान विशेष के लिए राष्ट्रीय तीर्थ घोषित करने की अभी कोई ऐसी योजना सरकार की नहीं है फिर भी जो यहां, जिस विषय पर, हम सब लोगों ने बात की है, माननीय मुख्यमंत्री जी को सदस्य की भावना से अवगत करा दिया जाएगा और मैं आने वाले समय में इस पर एक योजना बनाकर क्या हो सकता है, उस पर माननीय मुख्यमंत्री जी और शासन की तरफ से जो भी योजना बनेगी वह लेकर आयेंगे. मेरा माननीय सदस्या से अनुरोध है कि कृपया इस संकल्प को वापस लें.
अध्यक्ष महोदय—क्या माननीय सदस्या अपना संकल्प वापस लेने के पक्ष में हैं?
सुश्री उषा ठाकुर—माननीय अध्यक्ष जी, राष्ट्र चरित्र निर्माण का यह पावन विषय इस अशासकीय संकल्प को वापस लेना सचमुच मुझे बहुत कष्ट भी हो रहा है..
वन मंत्री( डॉ.गौरीशंकर शेजवार)—अध्यक्ष महोदय, अभी न तो किसी ने कहा नहीं और देशभक्ति और धार्मिक महत्व से जुड़े हुए जो विषय इसमें थे, कहीं किसी ने न नहीं कहा, मंत्री जी ने भी न नहीं कहा तो मेरे ख्याल से कष्ट वाली बात है नहीं, आपके विचारों से सब सहमत हैं और आपने इतने अच्छे विचार रखे और आपके विचार विधानसभा और सदन के माध्यम से पूरे प्रदेश और पूरे देश में गये और उससे लोग निश्चित रुप से प्रेरणा लेंगे. बात केवल वहां तक जाने की और अनुदान की है तो मंत्री जी ने यह भी कहा है कि किसी न किसी रुप में हम इसको लागू करेंगे. हमारा यह कहना है कि आप तो सफल हैं और आपकी भावनाओं का लोगों ने, सरकार ने, मंत्री जी ने सम्मान किया है तो आपके मन में कहीं कोई कष्ट नहीं होना चाहिए, मेरी आपसे प्रार्थना है.
अध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी का वक्तव्य आ गया है, क्या माननीय सदस्या अपना संकल्प वापस लेने के पक्ष में हैं.
श्री विश्वास सारंग – माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को भी मैं धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने सरकार की भावना से सदन को अवगत कराया और निश्चित रूप से हमारा यह विश्वास है क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी का जो कार्यकाल रहा है उसमें हर ऐसे मुद्दे जिससे कि इस देश में क्रांतिकारियों को और ज्यादा सम्मान देने की यदि योजना है तो उसे बनाने का काम मध्यप्रदेश सरकार ने किया ही है. इसलिए हमें मालूम है कि सरकार और मुख्यमंत्री जी निश्चित रूप से इस बात को स्वीकार करेंगे, केवल व्यवस्था वाला मामला है क्योंकि माननीय मंत्री जी ने कहा है कि अशासकीय संकल्प यदि वापस भी होता है तो सरकार इस योजना को अमली जामा पहनाएगी. मैं केवल मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूँ कि यह आश्वासन जरूर दे दें कि यह योजना सरकार बनाएगी.
श्री सुरेन्द्र पटवा – अध्यक्ष महोदय, मैंने इस बात को पहले ही कहा है कि वास्तव में यह विषय मेरे लिए भी गौरवान्वित करने वाला विषय है और जो बात सभी सदस्यों ने कही है, इसमें मेरी भावना भी आई है. मैंने कहा कि हमारी जो संस्कृति है हमारे जो विचार हैं इन सबको हमें सृजित करने का काम करना चाहिए. मैं एक बार फिर से सभी माननीय सदस्यों से यह कहना चाहूंगा कि इस विषय पर एक योजनाबद्ध तरीके से काम होना चाहिए, चाहे वह क्रांतिकारी विषय हो, चाहे कहीं के भी तीर्थ दर्शन करने की बात हो, समग्र रूप से, जिस तरह से तीर्थदर्शन योजना पहले से बनी हुई है, सरकार ने लगातार बहुत सारी ऐसी योजनाएं बनाई हैं जो सामाजिक समग्रता के लिए काम कर रही है, मैं सभी माननीय सदस्यों से यह अनुरोध करूंगा कि इसको एक योजनाबद्ध तरीके से हम लोग बनाकर सामने लेकर आएंगे.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) – माननीय अध्यक्ष महोदय, आज यहां बहन उषा जी ने बहुत अच्छी चर्चा कराई, हम सुनते थे कि मुकेश नायक जी अच्छा प्रवचन देते हैं आज समझ में आ गया, हमारे युवा साथी भाई विश्वास सारंग जी ने और सभी माननीय सदस्यों ने बहुत अच्छे से अपने विचार व्यक्त किए और इश्यू भी बहुत अच्छा है परंतु 50 प्रतिशत की राशि के अनुदान के बारे में मैं यहां घोषणा करना चाहता हूँ कि अब अण्डमान निकोबार को हम तीर्थ दर्शन योजना के साथ जोड़ेंगे और पूरी की पूरी राशि राज्य सरकार देगी.
श्री विश्वास सारंग – बहन उषा जी आपको बहुत-बहुत बधाई, 50 प्रतिशत छोड़िए, आपके प्रयास से मंत्री जी ने 100 प्रतिशत ही कर दी.
श्री जयंत मलैया – बहन उषा जी, क्या मैं आपसे अनुरोध कर सकता हूँ कि आप अपना संकल्प वापस लेंगी.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा – अध्यक्ष महोदय, मैं बहन उषा जी को इसलिए बधाई देना चाहता हूँ कि उन्होंने इस अशासकीय संकल्प को राष्ट्रीय भावना में ओत-पोत होकर इस प्रकार से प्रस्तुत किया कि पूरा सदन एक सूत्र में बंध गया और ऐसा लग रहा था कि किसी अशासकीय संकल्प पर चर्चा नहीं हो रही है बल्कि किसी राम राज्य की चर्चा इस सदन में हो रही है.
सुश्री उषा ठाकुर – माननीय अध्यक्ष जी, मैं माननीय वित्त मंत्री श्री जयंत मलैया जी को कोटि-कोटि धन्यवाद देती हूँ कि उदार मन से उन्होंने इस योजना पर स्वीकृति प्रदान की है और भाई सुरेन्द्र पटवा जी से यह अपेक्षा करती हूँ कि शीघ्रातिशीघ्र इसको अमली जामा पहनाकर व्यावहारिक धरातल पर उतार दें और विभाग की व्यावहारिक दिक्कत को समझते हुए मैं अपने इस अशासकीय संकल्प को वापस लेती हूँ.
अध्यक्ष महोदय – क्या सदन संकल्प वापस लेने की अनुमति प्रदान करता है.
अनुमति प्रदान की गई.
संकल्प वापस हुआ.
अध्यक्ष महोदय – अशासकीय संकल्प क्रमांक 2 के प्रस्तावक सदस्य द्वारा इसे आगामी शुक्रवार को लिए जाने का अनुरोध किया गया है जिसे मेरे द्वारा स्वीकार किया गया है, अत: यह संकल्प आगामी तिथि को लिया जाएगा.
2. 13025 अप हावड़ा भोपाल एवं 13026 डाउन भोपाल हावड़ा तथा
19607 अप अजमेर कोलकाता व 19608 डाउन अजमेर रोलगाड़ियों का पश्चिम मध्य रेल्वे खन्ना बंजारी स्टेशन पर स्टापेज
श्री संजय पाठक ( विजयराघवगढ़ ) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि – यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि 13025 अप हावड़ा भोपाल एवं 13026 डाउन भोपाल हावड़ा तथा 19607 अप अजमेर कोलकाता व 19608 डाउन कोलकाता अजमेर रेलगाड़ियों का पश्चिम मध्य रेल्वे के खन्ना बंजारी स्टेशन पर स्टापेज किया जाय.
अध्यक्ष महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री संजय पाठक—माननीय अध्यक्ष महोदय अगर इन ट्रेनों का यहां पर स्टापेज हो जायेगा तो मेरे विधान सभा क्षेत्र सहित आसपास के जिले के लोगों को भी उसका लाभ मिलेगा जो मरीज आते हैं और जो छात्र दूर दूर जाकर पढ़ाई करते हैं उनको लाभ मिलेगा इसलिए मेरा सदन से आग्रह है कि यह उपरोक्त स्टापेज के लिए अपनी सहमति व्यक्त करे. धन्यवाद्.
राज्यमंत्री, पर्यटन ( श्री सुरेन्द्र पटवा ) – माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय संजय पाठक जी ने जो अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया है आवागमन के लिए व औद्योगिक व पर्यटन की दृष्टि से हावड़ा भोपाल अप एवं भोपाल हावड़ा डाउन तथा अजमेर कोलकाता एवं कोलकाता अजमेर डाउन रेलगाड़ियों का खन्ना बंजारी स्टेशन पर स्टापेज किया जाय परिवहन विभाग माननीय सदस्य की भावना से अवगत है तथा इसको भारत शासन की ओर अग्रेषित किया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि –
यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि 13025 अप हावड़ा भोपाल एवं 13026 डाउन भोपाल हावड़ा तथा 19607 अप अजमेर कोलकाता व 19608 डाउन कोलकाता अजमेर रेलगाड़ियों का पश्चिम मध्य रेल्वे के खन्ना बंजारी स्टेशन पर स्टापेज किया जाय. संकल्प स्वीकृत हुआ.
3. रेल्वे स्टेशन भदौरा से जिला मुख्यालय सीधी तक नई रेल्वे लाइन बनाई जाय
श्री केदारनाथ शुक्ल ( सीधी ) – अध्यक्ष महोदय मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि – यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि रेल्वे स्टेशन भदौरा से जिला मुख्यालय सीधी तक नई रेल्वे लाइन बनाई जाय.
अध्यक्ष महोदय – संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री केदारनाथ शुक्ल – माननीय अध्यक्ष महोदय सीधी जिला मुख्यालय रेल्वे से वंचित है. सीधी जिला मुख्यालय से 30 – 35 किलोमीटर की दूरी पर यह भदौरा रेल्वे स्टेशन है. अगर इसे सीधी से जोड़ दिया जाय तो सीधी जिले का विकास हो सकता है यह कृषि प्रधान जिला है यहां पर कोई उद्योग नहीं है अगर रेल्वे लाइन सीधी में पहुंच जायेगी तो वहां के लोगों को बाहर आने जाने में व्यापारिक क्षेत्रों में भी प्रोत्साहन मिलेगा, उद्योग भी यहां पर आने के लिए आकर्षित होंगे. वहां से औद्योगिक नगरी सिंगरौली और कटनी से सीधी जिला जुड़ जायेगा. आसपास के नौजवान भी बाकी की दुनिया से जुड़ सकेंगे. हमारे यहां पर एक कहावत है कि न सौ पड़ा न एक लढ़ा, मतलब एक बाहर निकला हुआ आदमी सौ पढ़े लिखे लोगों के बराबर होता है. हमारे यहां पर हम शिक्षा के क्षेत्र में भी पीछे हैं उद्योग के क्षेत्र में भी हम पीछे हैं आवागमन के क्षेत्र में भी हम पीछे हैं. ऐसी स्थिति में सीधी जिला मुख्यालय को रेल्वे से जोड़ा जाना बहुत जरूरी है जब रेल्वे स्टेशन हो जायेगा तो व्यापारिक केन्द्र भी आकर्षित होंगे. सीधी के आसपास औद्योगिक विकास के लिए भारी संभावनाएं हैं. इ सलिए सीधी जिला मुख्यालय को भदौरा रेल्वे स्टेशन से जोड़ा जाना जरूरी है यहां पर नई रेल्वे लाइन बनाई जाय ऐसा मेरा संकल्प है कृपया इसे पारित करें.
श्री कमलेश्वर पटेल – अध्यक्ष महोदय इस संकल्प का सम्मान करते हुए हम भी इसके समर्थन में हैं कि यह रेल्वे लाइन बहुत जरूरी है. रीवा से सिंगरौली रेल लाइन का काम चल रहा है वह भी बहुत धीरे धीरे चल रहा है उसको भी इसमें रिमाइंडर के लिए इसमें शामिल करा लें. धन्यवाद्.
राज्यमंत्री, पर्यटन ( श्री सुरेन्द्र पटवा ) – आदरणीय अध्यक्ष महोदय जो प्रस्ताव आया है कि रेल्वे स्टेशन भदौरा से जिला मुख्यालय सीधी तक रेल्वे लाइन बनाई जाय जो प्रस्ताव आया है उ सके लिए परिवहन विभाग माननीय विधायक जी की भावना से सहमत है. इसको हम भारत शासन को भेजने के लिए अग्रेषित किया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि --– यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि रेल्वे स्टेशन भदौरा से जिला मुख्यालय सीधी तक नई रेल्वे लाइन बनाई जाय.
संकल्प स्वीकृत हुआ.
विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 14 दिसम्बर, 2015 को प्रात: 10.30 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 01.50 बजे विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनाँक 14 दिसम्बर, 2015( 23 अग्रहायण, शक संवत् 1937) के प्रात: 10.30 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, भगवानदेव ईसरानी
दिनांक :- 11 दिसम्बर,2015 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा