मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा पंचदश सत्र
जुलाई, 2023 सत्र
मंगलवार, दिनांक 11 जुलाई, 2023
(20 आषाढ़, शक संवत् 1945)
[ खण्ड- 15 ] [अंक- 1 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 11 जुलाई, 2023
( 20 आषाढ़, शक संवत् 1945 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11. 07 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
प्रश्नकाल में उल्लेख
प्रदेश में आदिवासियों पर अत्याचार होना
श्री कांतिलाल भूरिया--माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के आदिवासियों पर भयंकर अत्याचार हो रहे हैं.आदिवासी भाई के ऊपर भाजपा के नेता उनके ऊपर पेशाब कर रहे हैं. उनको भेड़-बकरी समझ रहे हैं इससे मध्यप्रदेश के पूरे आदिवासियों में रोष व आक्रोष व्याप्त है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)--अध्यक्ष महोदय आसंदी पर बैठ भी नहीं पाये हैं और इनकी मानसिकता समझ में आ रही है.
अध्यक्ष महोदय--पहले वंदे मातरम् तो हो जाने दीजिये.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--यह क्या है ? यह कांग्रेस का चरित्र देखिये.
अध्यक्ष महोदय--अब सदन में वंदे मातरम् राष्ट्रगीत होगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, पहले सदन में वंदे मातरम् होता है. यह सीनियर विधायक हैं. नेता प्रतिपक्ष जी बैठें हैं, तब यह स्थिति है. नेता प्रतिपक्ष जी वंदे मातरम् के लिये खड़े हुए हैं.
11.08 बजे
राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्'' का समूह गान
अध्यक्ष महोदय--नेता प्रतिपक्ष जी, आप सुन रहे हैं क्या, पहले वंदे मातरम् हो जाने दीजिये. अब राष्ट्रगीत वंदे मातरम् होगा. सदस्यों से अनुरोध है कि वह अपने स्थान पर खड़े हो जायें.
(सदन में राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्'' का समूह गान किया गया.)
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस ने जिस तरह से वंदे मातरम् का अपमान किया है. इसके लिये मैं कांग्रेस की इस बात के लिये निन्दा करता हूं. कांग्रेस ने जिस तरह से वंदे-मातरम् गीत का अपमान किया तथा सदन में इस परम्परा को तोड़ने की कोशिश की मैं इस बात के लिये कांग्रेस की निन्दा करता हूं.
(व्यवधान)....
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्यमंत्री असत्य बोल रहे हैं, वंदे मातरम गीत आरंभ नहीं हुआ था, तब गीत आरंभ नहीं हुआ था. (व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, यह कांग्रेस की मानसिकता है.(व्यवधान)....
चिकित्सा शिक्षा मंत्री(श्री विश्वास सारंग) -- यह देश का अपमान करते हैं. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय --(एक साथ कई माननीय सदस्यों द्वारा अपने आसन पर खड़े होने पर)आप सभी बैठ जाईये, अभी आपको काफी अवसर मिलेगा. (व्यवधान)....
श्री कांतिलाल भूरिया --माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार को माफी मांगना चाहिए. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- अभी आपको बातचीत करने का काफी अवसर मिलेगा. (व्यवधान)....
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह निंदनीय कृत्य है, नेता प्रतिपक्ष को खड़े होकर माफी मांगना चाहिए, कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष को खड़े होकर (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय --(एक साथ कई माननीय सदस्यों द्वारा अपने आसन पर खड़े होने पर)आप सभी बैठ जायें, अभी आपको बातचीत का काफी अवसर मिलेगा. कृपा करके आप सभी बैठ जायें. (व्यवधान)....
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिवासीयों के ऊपर अत्याचार हो रहा है, अन्याय हो रहा है, अपराध हो रहे हैं. (व्यवधान).... अध्यक्ष महोदय, आदिवासी समाज सुरक्षित नहीं है. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- श्री बाला बच्चन जी बैठ जायें. (व्यवधान)....
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गलत है. (व्यवधान)....
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिवासियों व्यक्तियों को संरक्षण दीजिये. (व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था दीजिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय.... (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय --(श्री ओमकार सिंह मरकाम,सदस्य द्वारा अपने आसन पर खड़े होने पर) मरकाम जी आप बैठ जायें.(एक साथ कई माननीय सदस्यों द्वारा अपने आसन पर खड़े होने पर) थोड़ा सा, आप सभी बैठ जायें. मुझे कह तो लेने दीजिये. (श्री कमल पटेल, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री जी द्वारा अपने आसन पर खड़े होने पर) श्री कमल पटेल जी, आप भी बैठ जायें. आप मुझे बोलने दीजिये. विधानसभा की अब तक परंपरा के अनुसार अभी तक जब वंदे मातरम का गीत होता था, तो सब चुपचाप खड़े हो जाते थे और आते से ही जब मैंने आप सभी से कहा कि अब वंदे मातरम का गीत होना है, आप कम से कम अब शांत हो जाईये, तब भी आप शांत नहीं हो रहे थे, यह हमारे लिये दु:खद है (शेम-शेम की आवाज) नंबर दो अभी हमारे साथी जो हमसे दूर चले गये, उनके निधन का उल्लेख करना है, यह हो जाने दीजिये फिर तो आपके पास में बहुत समय है, इसलिये इस बार शनिवार को भी समय ले लिया है, शनिवार को करना हमारे ऊपर था, इसलिये हमने शनिवार की तारीख ले ली है, आप चिंता मत करना, पहले निधन का उल्लेख तो हो जाने दीजिये.
11.12 बजे निधन का उल्लेख
(1) श्री मधुकर हर्णे, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(2) श्री रमेश शर्मा (गुट्टू भैया), भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(3) श्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(4) श्री रतन लाल कटारिया, पूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(5) श्रीमती निर्मला बुच, पूर्व मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन,
(6) दिनांक 30 मार्च, 2023 को इन्दौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में बावड़ी की छत धसने से मृत श्रद्धालु,
(7) दिनांक 9 मई, 2023 को खरगौन जिले के डोंगरगांव में बोराड़ नदी पुल से यात्री बस के नीचे गिरने से मृत यात्री, तथा
(8) दिनांक 2 जून, 2023 को ओड़िसा के बालासोर जिले के बहानागा रेल्वे स्टेशन के पास हुए भीषण रेल हादसे में हुई जन-हानि.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) -- अध्यक्ष महोदय, आदरणीय मधु दादा अब इस दुनिया में नहीं हैं. उनकी हंसी आज भी हम सबके कानों में गूंजती है. वह ऐसी हंसी थी जो सबका मन मोह लेती थी. उनके ठहाके सदैव उनकी याद दिलाते रहेंगे. संपूर्ण जीवन, बचपन से वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक थे और तब से लेकर भारतीय जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के संगठन को पूरे नर्मदापुरम संभाग में खड़ा करने में उनका अतुलनीय योगदान था. वह सहज थे, सरल थे, सात्विक थे, शालीन थे और शिष्टाचार उनका देखते ही बनता था. भारतीय जनसंघ की आम की जड़ें जमाने में उन्होंने बहुत परिश्रम किया था और छात्र जीवन के समय ही सामाजिक गतिविधियों में जुड़ गये थे.
अध्यक्ष महोदय, वह नर्मदापुरम में रहते थे और नर्मदा जी के उस पार लगभग मेरा गांव था. वर्षों तक उनसे पारिवारिक संबंध रहे. उनके परिवार में कई बार जाना हुआ. शाम के समय, सीतासरन जी भी यहां बैठे हैं, पूरा परिवार जिस भाव से भगवान की आरती करता था वह अपने आप में अद्भुत था. पूरा परिवार साथ भोजन करना, संयुक्त परिवार में और साथ बैठकर पूजा, आरती करना यह उस परिवार का नियम आज भी बना हुआ है. कई बार एक संयुक्त परिवार को किस तरह रहना चाहिये यह हमें सिखाता है. उन्होंने संघर्ष भी खूब किया. मीसाबंदी रहे. बाद में जनपद अध्यक्ष और नर्मदापुरम से तीन बार उन्होंने होशंगाबाद विधान सभा तब हम कहते थे, उन्होंने सदन का प्रतिनिधित्व किया. राजस्व मंत्री के रूप में भी स्वर्गीय सुन्दर लाल पटवा जी के मंत्रिमंडल के वह सदस्य थे. उन्होंने अपनी प्रशासनिक दक्षता का परिचय दिया था. बीज निगम के अध्यक्ष के रूप में भी बीज निगम के काम को ठीक करने में उनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान था. एक ही चीज उनकी जो सबको प्रभावित करती है जितना सहजता और शालीनता से वह लोगों के साथ एक राजनेता व्यवहार करता था, वह सचमुच में बहुत दुर्लभ है. हमेशा उनके होठों पर हँसी थिरकती रहती थी. मैंने कभी उनको तनाव में, गुस्से में, चिड़चिड़ाते हुये या परेशान नहीं देखा. वह व्यक्तित्व कौशल की चलती-फिरती पाठशाला थे. दादा हर्णे का जीवन त्याग, तपस्या और संघर्षों का पर्याय था. भौतिक रूप से वह भले आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके राष्ट्रवादी विचार और उनकी जनसेवा हम सब जनसेवकों को प्रेरणा देती रहेगी. मैं उनके चरणों में श्रद्धा सहित प्रणाम करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, माननीय रमेश शर्मा गुट्टू भैया जो भोपाल से संबंधित और छात्र राजनीति से संबंधित रहे हैं, हरेक उनको जानता होगा. हर दिल अजीज थे, आज आरिफ भाई इस सदन में उपस्थित नहीं हैं. हम लोगों ने जब छात्र राजनीति में काम करना शुरू किया था, तो वह हमारे सीनियर थे और चाहे विद्यार्थी परिषद् के छात्र नेता हों, चाहे एनएसयूआई के छात्र नेता हों, जिस ढंग से हम छात्र राजनीति में काम करते थे, तो कई बार हमें रात्रि में भोजन की जुगाड़ भी करनी पड़ती थी, तो कहां भोजन करें ? चाहे एबीव्हीपी हो, चाहे एनएसयूआई हो, चाहे कोई छात्र नेता हो, अगर उसे भूख लगती थी तो वह गुट्टू भैया के होटल पर जाता था और गुट्टू भैया उसको बड़े प्रेम से भोजन कराते थे. आरिफ भाई यह बात अच्छी तरह से जानते हैं. गुट्टू भैया के मन में कोई भेद नहीं था कि यह कांग्रेस का है, यह बीजेपी का है, यह एनएसयूआई का है या यह एबीव्हीपी का है, वह अपने आप में एक अनूठा व्यक्तित्व था और उनकी लोकप्रियता ऐसी थी कि भोपाल उत्तर सीट एक ही बार, अगर भारतीय जनता पार्टी जीती थी, तो रमेश शर्मा (गुट्टू भैया) के रूप में वहां से जीती थी. अंतिम सांस लेने तक वह कोई भी शादी-विवाह नहीं छोड़ते थे, चाहे वह किसी के यहां भी हो. यह नहीं है कि वह जिस पार्टी से आते हैं, केवल वहीं पर जाना है. कांग्रेस का हो, भाजपा का हो, समाजसेवी हो, गुट्टू भैया की उपस्थिति आपको हमेशा मिलेगी, केवल शादी-विवाह पर ही नहीं, भोपाल के श्मशान घाटों (मुक्तिधामों) को ठीक करने में उन्होंने अतुलनीय योगदान दिया था और मैंने यह देखा कि जितना वह किसी की गमी में जाते थे, अंतिम यात्रा में भाग लेते थे, वह भी सचमुच में बहुत प्रेरणादायी है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हर एक के सुख में, हर एक के दु:ख में गुट्टू भैया सदैव शरीक रहते थे. वह एक राजनेता के रूप में तो निश्चित रूप से याद किए जाएंगे, उनकी भोपाल में एक अलग पहचान थी. मैं मानता हूँ कि भाई पंडित उद्धव दास मेहता जी के बाद, अगर किसी ने अपनी पहचान भोपाल में बनाई है, तो वह रमेश शर्मा जी (गुट्टू भैया) थे, वह छोटे-बड़े सबका सम्मान करते थे, यह उनके जीवन का अंग था. वह आज हमारे बीच नहीं हैं, वह उस दिन भी रात्रि में 12 बजे किसी शादी में थे, उसके बाद उनकी तबियत खराब हुई और अस्पताल ले जाते हुए वह इस दुनिया को छोड़ गए. ऐसे मेरे बड़े भाई और परम मित्र जिनसे हमने छात्र राजनीति सीखी. मैं, उनके चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूँ.
स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल जी, भारतीय राजनीति का एक ऐसा नाम है, जिन्होंने देश की एकता, भारत माता की अखण्डता के लिए सदैव जितनी भी कठिनाइयां आईं. लेकिन वह कभी पीछे नहीं हटे. यह स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल थे. पंजाब में आतंकवादी गतिविधियां न बढ़ें, सद्भाव, स्नेह, भाई-चारा, हिन्दू-सिख एकता बनी रहे, उसके लिए उन्होंने बड़े से बड़ा बलिदान देने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. वह ऐसे दिग्गज नेता थे कि जिन्होंने पंजाब के विकास में अद्वितीय योगदान दिया था, वह प्रखर व्यक्तित्व के धनी थे और राष्ट्र के हितों के लिए हमेशा समर्पित थे. माननीय अध्यक्ष महोदय, उनको सन् 2015 में देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. वह 20 वर्ष की उम्र में सरपंच का चुनाव लड़े थे, सन् 1947 से राजनीतिक कैरियर शुरू किया था. वहां से शुरूआत करके वह पंजाब के पांच बार मुख्यमंत्री बने, सबसे कम उम्र में भी वह सीएम बने. सबसे कम उम्र में सीएम बनने का रिकॉर्ड अगर किसी के नाम है, तो वह स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल के नाम है और सबसे ज्यादा उम्र में भी सीएम बनने का रिकॉर्ड अगर किसी के नाम हैं तो स्वर्गीय प्रकाश सिंह बादल के नाम है. वह हिन्दू-सिख एकता के प्रतीक थे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वह 10 बार पंजाब विधान सभा में चुने गए. सन् 1957 में पहली बार पंजाब विधान सभा के लिए चुने गए, तब अकाली दल को उन्होंने खड़ा किया ही था, लेकिन जनता के बीच दिन और रात्रि बने रहना और सबकी सेवा करना यह उनके जीवन का अभिन्न अंग था. उनके योगदान को यह देश कभी भूल नहीं सकता. मैं, उनके श्रीचरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री, श्री रतन लाल कटारिया जी मेरे परम मित्र थे. लोक सभा में मैं उनके साथ था. वे कवि भी थे. वे बहुत अच्छे राष्ट्रीय गीत गाते थे. शायर भी थे. पुस्तकें पढ़ने के शौकीन भी थे. उन्होंने हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी को खड़ा करने में अंबाला में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. अनेक पदों पर रहते हुए उन्होंने पार्टी के नाते भी देश भी सेवा की, प्रदेश के प्रवक्ता, प्रदेश मंत्री, अलग-अलग पदों पर रहकर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री तक रहे और हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. बाद में वे संसदीय सचिव और अनुसूचित जाति कल्याण निगम के चेयरमैन भी रहे. वे हर दिल अजीज थे. मैं उनके चरणों में भी श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में कई प्रशासनिक अधिकारी इस मध्यप्रदेश ने देखे हैं. लेकिन जब भी स्वर्गीय श्रीमती निर्मला बुच जी का नाम आएगा तो मैं यह मानता हूँ कि मध्यप्रदेश विकास में और जनकल्याण में उनके योगदान को सदैव याद करेगा. वह 'आयरन लेडी' के रूप में भी विख्यात हुईं. उन्होंने अलग-अलग विभागों में, चाहे वह ग्रामीण विकास विभाग हो, शिक्षा विभाग हो, समाज कल्याण से संबंधित विभाग हों, उन्होंने जिस प्रभावशाली ढंग से काम किया और नीचे तक सब चीजें जाएं, इसका प्रयत्न किया, वह सचमुच में अतुलनीय है. एकमात्र महिला मुख्य सचिव मध्यप्रदेश में जो हुई हैं, उनमें श्रीमती निर्मला बुच जी थीं. प्रशासनिक सेवा में आने के बाद जिस ढंग से अपने नेतृत्व की क्षमता और उसके साथ-साथ संवेदनशीलता, उनमें दोनों का अनूठा मिश्रण था. उन्होंने जो काम किया, यह मध्यप्रदेश और केवल मध्यप्रदेश ही नहीं, भारत सरकार में भी सचिव के रूप में, विशेषकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय में उन्होंने काम किया, उनके योगदान को सदैव याद किया जाएगा. रिटायरमेंट के बाद भी वे समाज सेवा के काम में लगी रहीं, विशेषकर महिला कल्याण, पर्यावरण, शहरों का ठीक से विकास हो, नागरिक मंचों से भी इस तरह के मुद्दे सदैव उन्होंने उठाए हैं. मैं उनके श्रीचरणों में भी प्रणाम करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्दौर के बेलेश्वर महादेव की घटना हम सबको व्यथित कर गई थी. बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में बावड़ी की छत धंसकने से जो श्रद्धालु नहीं रहे, मैं उनके चरणों में भी श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, ऐसी ही एक दु:खद घटना 9 मई, 2023 को खरगौन जिले के डोंगरगांव में बोराड़ नदी के पुल से बस गिर जाने के कारण हुई. इसमें जिन यात्रियों ने अपना जीवन खो दिया, उनके चरणों में भी मैं श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, ओड़िसा के बालासोर की रेल दुर्घटना में हमारे जो भाई-बहन नहीं रहे, उनके चरणों में भी श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूँ. मैं परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ कि वह दिवंगत आत्मा को शांति दे और उनके परिजनों को, मित्रों को, अनुयायियों को यह गहन दु:ख सहन करने की क्षमता दे. ओम शांति.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय -- पहले माननीय गोविन्द सिंह जी का हो जाए.
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, राजनीति में और समाज में कार्य करने वाले राजनेता हमारे बीच नहीं रहे. श्री मधुकर हर्णे जी, जब मैं पहली बार विधान सभा में 1990 में विधायक बनकर आया था, उस समय वे भी विधायक थे. वे जैसा कि मुख्यमंत्री जी ने उल्लेख किया, बहुत सहृदय, सरल और व्यवहार निभाने में बहुत अच्छे व्यक्ति थे. हर आदमी के साथ मिलना, बैठना, भाईचारा निभाना और समय-समय पर विधान सभा सत्र के बाद कभी मिल जाते थे तो बोलते थे कि चलिए घर, चाय पिएंगे, खाना खाएंगे, इतने सहृदय, पार्टी से हटकर सभी साथियों के साथ, जो नए विधायक थे, उनको भी अपना मार्गदर्शन देना, उनको बताना, यह काम आदरणीय हर्णे जी करते रहे. मुझे भी उनका बड़ा सहयोग और आशीर्वाद मिलता रहा. इसके बाद दोबारा फिर बारहवीं विधान सभा बनी. दो सत्र लगातार वे मेरे साथ रहे और लगातार हमारे और उनके पारिवारिक संबंध भी रहे. एक बार वे हमारे क्षेत्र में भी हमारे आग्रह पर गये थे, जब राज्यमंत्री थे और हम उनके यहां भी एक कार्यक्रम में, उन्होंने हमसे अनुरोध किया था, मैं उनके यहां गया था. वे आज हमारे बीच में नहीं हैं, मैं उनको अपनी तरफ से, अपने दल की तरफ से श्रद्धांजलि देता हूं और उनके चरणों में नमन करता हूं.
आदरणीय गुट्टू भैया जी, उनके साथ भी हमको एक बार विधायक रहने का अवसर मिला. गुट्टू भैया जी के बारे में तो वास्तव में भोपाल में हर व्यक्ति, इतना आपस में संबंध निभाने वाले व्यक्ति बहुत ढूण्ढे जायें, तो लाखों में एक गुट्टू भैया जी थे. उनका होटल का व्यवसाय था, उसके साथ साथ हर आदमी के यहां जाने की परम्परा जैसा कि मैंने देखा, दो तीन बार मैं श्मशान घाट में गया, तो गुट्टू भैया जी सबसे पहले मिले. हर व्यक्ति के साथ पार्टी से हटकर जो भी भोपाल का निवासी हो, उनकी जानकारी मिली,वे वहां पहुंचते थे और उनके सुख-दुख, दुख-दर्द में शामिल होते थे. अभी कुछ समय पहले विधान सभा सत्र के समय में उन्होंने अपने होटल का विधान सभा के परिसर में ही यहां प्रारम्भ किया. माननीय विधायकों के लिये सस्ते दर पर. उस समय जब उन्होंने बुलाया, तो मैं उस समय नहीं था. तो वह हमारे घर आये, बोले आप उस समय नहीं थे. आपको चलना है. मेरे और मेरे सब साथियों को लेकर के गये और उन्होंने होटल पर भोजन कराया, भाई चारे के साथ. भाई चारा निभाने में उनका कोई सानी नहीं था. हमें बड़ा दुख है, वे इतनी कम उम्र में हमारे बीच नहीं रहे, हमें छोड़कर चले गये. में उनके चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं.
श्री प्रकाश सिंह बादल जी, जो 5 बार मुख्यमंत्री और 10 बार लगातार विधायक रहे. बहुत कम लोग देश की राजनीति में ऐसे होंगे, जो लगातार इतने समय तक राजनीति में रहे. उन्होंने पंजाब को कई आंदोलनों से टूटने से बचाया. कई बार आतंकवादी घटनाओं के समय भी उनका जो योगदान, उनकी प्रशासनिक क्षमता बड़ी सराहनीय रही. वे आज हमारे बीच में नहीं हैं, उनको भी मैं अपने एवं अपने दल की ओर से श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं.
श्री रतन लाल कटारिया जी, लोक सभा में सदस्य रहे. एक बार विधायक भी रहे, हरियाणा की विधान सभा में और मई,2019 से जुलाई, 2021 तक केंद्र सरकार में जल शक्ति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री भी रहे. हालांकि हमारा उनसे कोई ज्यादा सम्पर्क नहीं हुआ, लेकिन भारतीय राजनीति में जन सेवा के माध्यम से वे इस पद तक पहुंचे. आज वे हमारे बीच नहीं हैं, मैं उनको श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
आदरणीय निर्मला बुच जी, जब मैं पहली बार विधायक बना था, तो उस समय माननीय पटवा जी मुख्यमंत्री थे. वास्तव में प्रशासनिक क्षमता, दृढ़ता और अपने नियम कायदे के लिये, आदेश का पालन कराने के लिये वे जानी जाती थीं. जितनी कठोरता से वे निर्णय लेती थीं, पूरे प्रशासनिक अमले को उनके आदेश और उनके निर्णय का पालन न करने की हिम्मत नहीं पड़ती थी कि वे ज्यादा समय लगायें. एक तरह से वे लोहे की महिला थी, आयरन लेडीज के नाम से उनकी प्रसिद्धि थी और पूरे देश में पहली मुख्य सचिव थीं. मध्यप्रदेश के साथ साथ पहली महिला मुख्य सचिव सम्पूर्ण भारत वर्ष में रही हैं और अंतिम समय में भी, जब सेवा निवृत्त होने के बाद भी तमाम सामाजिक संगठनों से जुड़ी रहीं. तमाम महिलाओं के उद्धार के लिये, कई गैस पीड़ित उनसे जाकर मिलते थे, उनकी मदद करती थीं. आज जब्बार भाई हमारे साथ नहीं हैं. एक बार सेवा निवृत्त होने के बाद जब्बार भाई,जो गैस पीड़ितों की लड़ाई लड़ते थे, हम उनके साथ उनसे मिले गये. उन्होंने तमाम जो सुविधाएं देने के लिये आदेश किये थे, वह भी बताये और न्यायालय में क्या मदद हो सकती है, उसके भी उन्होंने पूरा अपना मार्गदर्शन दिया.
अध्यक्ष महोदय, इंदौर में दिनांक 30 मार्च, 2023 को जो घटना हुई, बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में मध्यप्रदेश के 30 साथियों की मृत्यु हुई. इसके साथ ही दिनांक 9 मई, 2023 को खरगौन जिले में डोंगरगांव में बोराड़ नदी पुल से यात्री बस के नीचे गिरने से हमारे प्रदेश के अनेक भाइयों की मृत्यु हुई. दिनांक 2 जून, 2023 को ओड़िसा जिले के बालासोर जिले के बहानागा रेल्वे स्टेशन के पास जो रेल दुर्घटना हुई है, तमाम रेल यात्री इस घटना में स्वर्गवासी हुए और बहुत से लोग घायल हुए, वे सब जो आज हमारे बीच में नहीं हैं, उन सभी के चरणों में श्रद्धानमन करता हूं, अपनी ओर से और अपने दल की ओर से ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर उनकी आत्मा को शांति पहुंचाए और परिवारों को इस गहन दुख को सहने की क्षमता प्रदान करे.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) - अध्यक्ष महोदय, स्वर्गीय दादा श्री मधुकर राव जी हर्णे, जिनको हमारा समूचा क्षेत्र सम्मान से मधु दादा से संबोधित करता था, उनके निधन से सिर्फ हमारे जिले को या प्रदेश की राजनीति को ही क्षति नहीं हुई है, हमारे परिवार को और मुझे निजी क्षति भी हुई है. मैंने वास्तव में राजनीति का क, ख, ग, घ उनसे ही सीखा है. यह मेरा सौभाग्य है कि उनके साथ मैं 3 वर्ष विधायक भी रहा, जब वह राजस्व मंत्री थे. जैसा सम्माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उनकी कार्यशैली, उनका स्वभाव, उनकी सहजता सारे गुण अनुकरणीय हैं.
अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय मुख्यमंत्री जी ने उनके कीर्तन की याद की, मैं वर्षों उनके शाम को 7 बजे होने वाले कीर्तन में शामिल रहा. वह परम्परा उनकी निरंतर चलती रही, वह खुद वाद्य यंत्र बजाते थे, उनका खुद का गला इतना अच्छा था कि हमारे संघ के गीत सब वही गाते थे. जब हमारे कार्यक्रम होते थे तो उन्हीं से हम गीत सुनते थे. वह अंग्रेजी में, संस्कृत में एम.ए. थे, वह एल.एल.बी. थे. वह मराठी और बंगाली भी जानते थे. सब मिलाकर वह एक अद्भुत और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. आपातकाल में 19 महीने वे जेल में रहे और जब देश में सत्ता परिवर्तन हुआ, तभी वे छूटे. तब उनके दोनों बच्चे 10 वर्ष से कम उम्र के थे. वास्तव में जीवन का संघर्ष, जीवन की सहजता, सरलता और राजनीति में काम करने का तरीका हमने उन्हीं से सीखा है. मैं उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय - मैं, सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)
दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(11.39 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
11.51 बजे
{ अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रदेश के कर्मचारियों को आर्थिक लाभ प्रदान करने विषयक.
[वित्त]
1. ( *क्र. 487 ) श्रीमती कल्पना वर्मा : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या यह सत्य है कि प्रदेश के कर्मचारियों को 01.1.2016 से प्रदान किये गये 7वें वेतनमान के अनुरूप अभी तक गृह भाड़ा भत्ते का पुनरीक्षण नहीं किया गया है? पुनरीक्षण/संशोधन अभी तक क्यों नहीं किया गया है? कब तक किया जायेगा? (ख) क्या प्रदेश के जो शासकीय सेवक 30 जून को सेवानिवृत्त होते हैं, सेवानिवृत्त होने पर वेतनवृद्धि प्रदान नहीं की जाती है? जबकि शासकीय सेवक का 30 जून को 365 दिवस का कार्यकाल पूर्ण हो जाता है, नियम एवं आदेश की प्रति दें। (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार नियमित वार्षिक वेतनवृद्धि संबंधी क्या नियम है, क्या 365 दिवस की सेवा पूर्ण होने पर वेतनवृद्धि प्रदान करने के आदेश हैं, या नहीं? नियम एवं आदेश की प्रति देवें। 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले शासकीय सेवकों को वेतनवृद्धि देकर सेवानिवृत्त स्वत्वों के निराकरण हेतु कब तक आदेश जारी किये जायेंगे? यदि नहीं, तो क्यों?
वित्त मंत्री ( श्री जगदीश देवड़ा ) : (क) जी हाँ। राज्य शासन अपने वित्तीय संसाधनों एवं अन्य प्राथमिकताओं के आधार पर निर्णय लेता है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) जी हाँ। वर्तमान प्रावधानों के अनुसार दिनांक 01 जुलाई को शासकीय सेवा में नहीं होने के कारण वार्षिक वेतनवृद्धि की पात्रता निर्मित नहीं होती। (ग) प्रश्नांश (ख) के अनुक्रम में वार्षिक वेतनवृद्धि संबंधी नियम मध्यप्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम 2009 की कंडिका-9 एवं मध्यप्रदेश वेतन पुनरीक्षण नियम 2017 की कंडिका-10 में उल्लेख अनुसार है। नियमों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्रीमती कल्पना वर्मा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके अनुमति से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि जो मेरा पहला प्रश्न था, उसमें क्या वित्तीय संसाधनों की कमी है, जिसके कारण अधिकारियों/कर्मचारियों की जो मांगे उसकी पूर्ति राज्य सरकार की प्राथमिकता में नहीं की जा सकती है ? कृपया माननीय मंत्री जी बताने की कृपा करें.
श्री जगदीश देवड़ा:- अध्यक्ष महोदय, जो माननीय सदस्या ने प्रश्न किया है गृह भाड़ा भत्ते का और इसके पुनरीक्षण का, तो राज्य शासन अपने वित्तीय संसाधन एवं अन्य प्राथमिताओं के आधार पर निर्णय लेता है और यह हमेशा वित्तीय संसाधन देखते हुए ही निर्णय लिये जाते हैं.
श्रीमती कल्पना वर्मा:- माननीय मंत्री मैं आपसे पूछना चाहती हूं कि अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा 365 दिन की सेवा पूरी करने पर भूतलक्षी प्रभाव से वेतन वृद्धि क्यों नहीं दी जा सकती है, यह जानना चाहता हूं ?
अध्यक्ष महोदय:- वह तो बता दिया है. आप क्या चाहती हैं, वह पूछिये. यह तो बता दिया है कि क्यों नहीं किया जा सकता.
श्रीमती कल्पना वर्मा:- अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी अनुमति से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि जिन कर्मचारियों का रिटायरमेंट हो जाता है तो उसके बाद उनको जो पेंशन मिलती है, वह बहुत लेट मिलती है तो उसको तत्काल लागू किया जाये. इसके लिये माननीय मंत्री जी बतायें कि क्या आप इसको लागू करेंगे ?
श्री जगदीश देवड़ा:-माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके लिये एक राज्य शासन की ओर से एक समिति भी बनी हुई है. 25 जनवरी,2023 को सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समिति गठित की गयी है. वह समय-समय पर निर्णय लेती है, उसका अभी कोई निर्णय नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय:- ठीक है ?
श्रीमती कल्पना वर्मा:- माननीय मंत्री जी, मेरा आपसे आखिरी प्रश्न है जो शासकीय सेवक 30 जून को सेवानिवृत हो रहे हैं उन्हें वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं दी जा रही है और इस प्रकार के मामले जो प्रभावित होकर न्यायालय में चले जाते हैं तो उनको न्यायालय के निर्णय अनुसार लाभ दिया जाता है, लेकिन एक ही देश में दो विधान कैसे लागू हो सकते हैं ? मैं यह माननीय मंत्री जी आपसे पूछना चाहती हूं.
अध्यक्ष्ा महोदय:- शर्मा जी, पहले उनका प्रश्न हो जाने दे. वह पहली बार की विधायक हैं और महिला विधायक हैं, उनको आप इंटरप्ट नहीं करिये. उनको मैंने वैसे ही छूट देकर रखी है. आप बैठ जायें.
श्री जगदीश देवड़ा:- अध्यक्ष महोदय, 1 जुलाई को जो शासकीय अधिकारी/कर्मचारी सेवा में रहते हैं. वेतन वृद्धि उन्हीं को मिलती है, यह ऐसा नियम है.
अध्यक्ष महोदय:- वह 30 जून वाला पूछ रही हैं कि जो 30 जून को जो रिटायर हो रहे हैं क्या उनको वेतनवृद्धि का लाभ मिलेगा ?
श्री जगदीश देवड़ा:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने 30 जून वाला ही बताया है और यह मामला, वैसे न्यायालय में विचाराधीन भी है.
अध्यक्ष महोदय:- अच्छा न्यायालय में है.
श्रीमती कल्पना वर्मा:- माननीय मंत्री जी मैं यह पूछना चाहती हूं कि एक ही उसके दो..
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, न्यायालय में विचारणीय है.
श्रीमती कल्पना वर्मा:- एक ही देश में दो विधान कैसे हो सकते हैं ? मैं यह पूछना चाह रही हूं.
श्री पी.सी.शर्मा:- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी निर्णय ले लें. शासकीय कर्मचारी ने 365 दिन जिसने काम कर लिया है और उसमें यह है कि 1 जुलाई को अगर काम नहीं किया है तो उसका उससे कोई लेना-देना नहीं है उसको वेतनवृद्धि नहीं मिलेगी. आप संशोधन कर लें कि जिसने 365 दिन काम कर लिया है उसको वेतनवृद्धि मिलेगी. यह बड़ा सिम्पल मामला है.
श्री जगदीश देवड़ा:- इसमें न्यायालय में गये हैं और जो शासकीय कर्मचारियों को वेतनवृद्धि दी जाती है और इस बाबत जबलपुर की लार्जर बैंच में प्रकरण विचाराधीन है.
अध्यक्ष महोदय-- भाई, आप भी मंत्री रहे हैं, यदि न्यायालय में विचाराधीन है तो कैसे कोई सरकार निर्णय करेगी. आप तो स्वयं मंत्री रहे हैं.
श्री पी.सी.शर्मा-- पर ये निर्णय ले लेंगे तो वह वापस हो जाएगा. कोर्ट में पेश कर देंगे कि हमने निर्णय ले लिया. इसमें क्या दिक्कत है.
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय, कोर्ट में यह है कि किसी ने अपील प्रस्तुत की है, अगर सरकार नियम में संशोधन कर देगी तो अपील की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी.
अध्यक्ष महोदय-- यह तो अलग विषय हो गया.
श्री पी.सी.शर्मा-- वही है. जिसको 365 दिन पूरे हो गए हैं उसको मिले.
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय, यह वही मामला है.
अध्यक्ष महोदय-- अभी यह विषय नहीं है....
श्री पी.सी. शर्मा-- अभी यह मान्यता है कि 1 जुलाई होना चाहिए. तब मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय-- शर्मा जी, अभी विषय यह है कि जो कर्मचारियों की डिमांड है उसके लिए इन्होंने कोई समिति बनाई है, उसके खिलाफ वे लोग हाईकोर्ट गए हैं. यदि हाईकोर्ट में उसी विषय को लेकर पैंडेंसी है तो ये निर्णय कैसे करेंगे?
श्री पी.सी.शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, 365 दिन हो गए हैं, 1 जुलाई को जो रिटायर हो रहा है, उसको तो मिल रहा है. लेकिन जो 30 जून को रिटायर हो रहा है, उसको नहीं मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- यही तो हाईकोर्ट में पैंडिंग है.
श्री पी.सी.शर्मा-- तो ये निर्णय लेकर हाईकोर्ट में पेश कर दें कि हम, 365 दिन जिसने पूरे कर लिए हैं, उसको देंगे.
श्री जगदीश देवड़ा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने इसीलिए कहा कि यह मामला इन्दौर व जबलपुर की एकल पीठ द्वारा इस विषय पर दिए गए निर्णय में विरोधाभास था इसलिए यह विषय माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर की लॉर्जर बैंच के समक्ष विचाराधीन है. मैं बता तो रहा हूँ कि दोनों कोर्ट में जब यह विरोधाभास हुआ तब यह लॉर्जर बैंच में गया.
श्री पी.सी.शर्मा-- विरोधाभास खत्म हो जाएगा, जब आप यह निर्णय ले लेंगे कि 365 दिन पूरे हो गए हैं, तो यह अपने आप खत्म हो जाएगा.
श्री प्रियव्रत सिंह-- न्यायालयीन मामला भी समाप्त हो जाएगा. भाई, न्यायालयीन मामला तो इसलिए बन रहा है क्योंकि आप लोग निर्णय नहीं ले रहे हों. आपने गलत निर्णय लिया है. कर्मचारी आपके निर्णय से असंतुष्ट हैं. अगर आप सही निर्णय ले लोगे तो न्यायालय का कोई सवाल ही नहीं उठेगा. अध्यक्ष महोदय, न्यायालय में जाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी. न्यायालय का नाम लेकर आप सदन को क्यों गुमराह कर रहे हों?
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, सदन को गुमराह करने का सवाल नहीं है. जिस बात को लेकर के हाईकोर्ट में मामला है, हाईकोर्ट के निर्देश की प्रतीक्षा में है, उसी निर्देश पर ये निर्णय कैसे लेंगे? इसीलिए उनका कहना है कि हाईकोर्ट में जो मामला पैंडिंग है, उस पैंडिंग मामले में हम कोई हस्तक्षेप नहीं करेंगे. वे शायद यह कह रहे हैं.
श्री पी.सी.शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, ये निर्णय ले लेंगे तो कोर्ट में वह मामला खत्म हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय-- मामला तो अभी कोर्ट में ही है.
श्री पी.सी.शर्मा-- अगर कर्मचारियों के हित में हम लोग यहाँ पर विधान सभा में निर्णय ले सकते तो कहाँ लेंगे? 365 दिन पूरे कर लिए 30 जून को और 1 जुलाई वाले को मिल रहा है. 12 घंटे का अन्तर है.
अध्यक्ष महोदय-- शर्मा जी, समझिए, यह तो फैक्ट की बात हो गई 365 दिन, सवाल कानूनी पेंच इसमें है कि हाईकोर्ट के अन्दर अगर मामला है तो ये कैसे निर्णय करेंगे? कानूनी पेंच है, फैक्ट में मत जाइये, अपने को फैक्ट में नहीं जाना है.
श्री पी.सी.शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, फैक्ट में तो गए हैं.
अध्यक्ष महोदय-- हाईकोर्ट वाला विषय हो गया.
श्री पी.सी.शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, 30 जून को जो रिटायर हुए हैं उनको वेतनवृद्धि मिलना चाहिए इसी के लिए कोर्ट गए हैं.
अध्यक्ष महोदय-- यह तो फैक्ट हो गया. कानूनी चीज यह है कि यदि हाई कोर्ट में पैंडिंग है तो सरकार निर्णय कैसे लेगी, यह है कानूनी पेंच. इस पर बताइये...(व्यवधान)..स्टे न भी हो, पैंडेंसी है तो फिर अपने को विचार नहीं करना है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या जी ने जो पूछा कि जो कर्मचारी मांग कर रहे हैं, जो प्रकरण न्यायालय में पैंडिंग है, वह एक प्रकरण है. जो कर्मचारी मांग कर रहे हैं उसमें आप नहीं दे पा रहे हैं, क्या सरकार का वित्तीय प्रबंधन ठीक नहीं है? पहले प्रश्न का आपने उत्तर नहीं दिया.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, उत्तर सबका दिया.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- नहीं, वित्तीय प्रबंधन अगर है तो जितने कर्मचारी, आशा कार्यकर्ता, ए.एन.एम., संविदा कर्मचारी, जो मांग कर रहे हैं, उसके लिए आप बताइये कि वित्तीय प्रबंधन है कि नहीं? आप बता दीजिए खजाना खाली कर दिया क्या?
अध्यक्ष महोदय-- मरकाम जी, आप रेल को पटरी से मत उतारो. जो विषय आए उसको लो और रुक जाओ.
श्री प्रियव्रत सिंह-- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने स्पष्ट उल्लेख किया कि विरोधाभासी फैसला एकल बैंच का, उसका आप परीक्षण कर लें.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- वित्तीय प्रबंधन आपकी सरकार का फेल था.
श्री प्रियव्रत सिंह-- आप तो बैठो. यह आपका मामला थोड़े ही है.
अध्यक्ष महोदय-- बहादुर सिंह जी, बैठ जाइये.
श्री प्रियव्रत सिंह-- बैठ जाओ, लोगों का भला हो जाएगा. आप खड़े होने से नुकसान हो रहा है. अध्यक्ष जी, जब एकल पीठ का निर्णय विरोधाभासी है....
श्री बहादुर सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, जब न्यायालय में विचाराधीन है, जब न्यायालय का निर्णय आ जाएगा उसके बाद सरकार उस पर निर्णय लेगी.
श्री प्रियव्रत सिंह-- तो आप उस पर निर्णय ले लो. आपको डबल बैंच में भेजने की क्या आवश्यकता है? आप निर्णय ले सकते हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- न्यायालय में विचाराधीन है, न्यायालय की जो फाइंडिंग आएगी, न्यायालय का जो निर्णय आएगा, उस पर सरकार निर्णय करेगी.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ तो जाइये.
श्री प्रियव्रत सिंह-- उस पर क्यों निर्णय करेगी, जो निर्णय आ गया, उस पर कर दो निर्णय.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- तो इसमें वित्तीय प्रबंधन कहाँ से जुड़ गया?..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ तो जाइये...(व्यवधान)..
श्री पी.सी.शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, इस पर निर्णय हो जाए, विधान सभा कोर्ट से बड़ी है...
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त. शून्यकाल की सूचनाएँ.....
(प्रश्नकाल समाप्त)
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविन्द सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय....
अध्यक्ष महोदय-- अब प्रश्नकाल समाप्त हो गया.
डॉ.गोविन्द सिंह-- जी सर.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त हो गया.
डॉ.गोविन्द सिंह-- नहीं, शून्यकाल में बोल रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- जो आई हैं उनको पढ़ दूँ उसके बाद बोलें ना. मैं समय देता हूँ.
12.00 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय-- निम्निलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी.
1. श्री दिलीप सिंह गुर्जर
2. डॉ. सीतासरन शर्मा
3. श्री पी.सी. शर्मा
4. श्री बहादुर सिंह चौहान
5. श्री कमलेश्वर पटेल
6. श्री सुनील सराफ
7. डॉ. गोविन्द सिंह
8. श्री सज्जन सिंह वर्मा
9. इंजी प्रदीप लारिया
10. डॉ. हिरालाल अलावा
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
सीधी जिले में आदिवासी पर हुए अत्याचार की घटना पर चर्चा कराए जाने की मांग की जाना
नेता प्रतिपक्ष (डॉ. गोविन्द सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सीधी की घटना है जिसमें हमारे आदिवासी भाई दशमत आदिवासी को भारतीय जनता पार्टी के विधायक प्रतिनिधि ने बुरी तरह से अपमानित किया. इसकी निंदा समूचे देश और विदेश में हुई. यदि कोई व्यक्ति यह आपराधिक घटना इतने निचले स्तर पर करता है तो मैं इस संबंध में विस्तार से चर्चा के लिए अनुरोध करता हूं. यह एक महत्वपूर्ण घटना है. इससे हमारे सभी आदिवासी भाइयों और देश के सभी नागरिकों की आस्था को ठेस पहुंची है. हमने उस पर चर्चा कराने के लिए स्थगन प्रस्ताव दिया है. हमारी आपसे प्रार्थना है कि कृपया आप इस विषय पर चर्चा कराने का कष्ट करें.
श्री कमलनाथ-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश में दो करोड़ आदिवासी हैं इस घटना से हमारा प्रदेश पूरे देश में कलंकित हुआ है और यह बहुत ही चिंता का विषय है. यह मामला तो सामने आ गया है, लेकिन 90 प्रतिशत आदिवासी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के मामले तो सामने भी नहीं आते हैं. छोटे-छोटे जिलों में जो हो रहा है वह छोटे-छोटे अखबारों में छप जाता है. यह मैं नहीं कह रहा हूं यह केन्द्र सरकार के आंकड़े कहते हैं कि अपना मध्यप्रदेश आदिवासी अत्याचार में नंबर एक है. मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आप इस स्थगन प्रस्ताव को स्वीकृत करें. (व्यवधान) ...
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वॉइंट ऑफ आर्डर है कि जो विषय नेता प्रतिपक्ष जी ने रख दिया है, आपने अनुमति दे दी है. जो विषय नेता प्रतिपक्ष जी ने रख दिया है और जो विषय रिकार्ड में आ गया है उस पर आपकी व्यवस्था आना है उस पर इन्होंने भाषण शुरू कर दिया. (व्यवधान) ...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- सर्वदलीय बैठक में यह तय हुआ, कार्यमंत्रणा समिति में तय हुआ. (व्यवधान) ...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- इस विषय पर पटाक्षेप हो गया. यह बिलकुल गलत है, यह असत्य भाषण है. यह असत्य बात कह रहे हैं. अध्यक्ष महोदय कार्यमंत्रणा समिति में तो आप भी थे. आप स्वयं वहां थे यह असत्य बात करते हैं. उस बैठक में नेता प्रतिपक्ष जी भी थे. यह असत्य बात करते हैं. मुख्यमंत्री जी थे, भूपेन्द्र सिंह जी थे. ऐसा कोई विषय उसमें तय नहीं हुआ है. (व्यवधान) ...
डॉ. गोविन्द सिंह-- मैंने आपकी बात को मान लिया. (व्यवधान) ...
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी लोग बैठ जाइए. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह-- इसमें अध्यक्ष महोदय का निर्णय अपेक्षित है. मैं अध्यक्ष महोदय से निवेदन करता हूं कि कृपया हमारे मामले में आदेश दें. (व्यवधान) ...
अध्यक्ष महोदय-- शून्यकाल के दरम्यान जैसे ही नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा कि मैं बोलना चाहता हूं तो मैंने उन्हें अनुमति दे दी. संसदीय कार्यमंत्री जी खड़े नहीं हुए केवल उनकी बात आ गई. एक ही विषय को लेकर के यदि हर व्यक्ति खड़ा होगा तो शायद यह ठीक नहीं होगा. उन्होंने चर्चा के लिए अपनी बात कह दी है अब उस विषय में हमें विचार करने के लिए छोड़ दीजिए कि क्या होगा. क्या उसमें हर आदमी बोलेगा. हम बहस तो करवा नहीं रहे हैं कि हम कोई बहस करवा रहे हों. यह कोई बहस के लिए नहीं है, दूसरी बात यह है कि कार्यमंत्रणा समिति में इस विषय पर कोई निर्णय नहीं हुआ है, मैं आपको यह कह रहा हूं क्योंकि उस कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में मैं भी था इसलिए मैं कह रहा हूं और अथॉरिटी के साथ कह रहा हूं कि कोई इस तरह का निर्णय नहीं हुआ है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- गोविन्द सिंह जी आपके लोग आपकी नहीं मानते हैं यह बड़ी दिक्कत है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा--कार्यमंत्रणा समिति का औचित्य क्या है जब कार्यमंत्रणा समिति निर्णय ही नहीं ले पाती है? (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं यह एक अलग विषय है. कार्यमंत्रणा समिति का औचित्य क्या है यह एक अलग विषय है. कार्यमंत्रणा समिति में जो तय किया उसका उल्लेख करना यह ठीक नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उस समय निर्णय नहीं हुआ, लेकिन मैं अब आपसे निर्णय चाहता हूं, अब आपसे अनुरोध है कि अब मैंने विषय रखा है आप इसका निर्णय देने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय -- दोनों बातें अलग-अलग हैं. एक बात यह है कि..
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी बात सुन लीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रजापति जी एक सेकंड.
डॉ. गोविन्द सिंह -- सदन में चर्चा हो ऐसा निर्णय नहीं हुआ था लेकिन आपसे अनुरोध है कि अब हमने प्रश्न रखा है.
अध्यक्ष महोदय -- इसीलिए आपसे कह रहा हूँ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आप अगर यह मान रहे हैं कि वहां यह निर्णय नहीं हुआ था तो सज्जन सिंह वर्मा को बेंच पर खड़ा करो.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपसे निर्णय की अपेक्षा करते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अभी यह काम निपट जाए.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सज्जन भाई एक मिनट.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- संसदीय कार्य मंत्री जी आप बड़े विद्वान हैं, मैं आपसे असत्य की उम्मीद कर ही नहीं सकता हूँ कि आप असत्य बोलेंगे. कार्य मंत्रणा समिति में चर्चा हुई थी.
अध्यक्ष महोदय -- निर्णय नहीं हुआ.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा -- नेता प्रतिपक्ष ने बोला है, आप असत्य बोल रहे हो यह उन्होंने बोला है, मैं नहीं बोल रहा हूं. आपको बेंच पर खड़ा होना चाहिए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- नहीं, वो बिलकुल नहीं बोल सकते हैं. उनके शब्द आप समझ नहीं पाते हो, आजकल उनके शब्द आप समझ नहीं पा रहे हो. बड़े अलग ढंग के शब्द आ रहे हैं. मेरा यह कहना है कि सर्वदलीय बैठक में भी तय हुआ कि हाँ, इस विषय पर चर्चा कराई जाना चाहिए, आदिवासी भाई-बहनों पर. कार्य मंत्रणा में भी हमने अपनी बात रखी कि इस पर चर्चा कराई जाए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दोनों बातें गलत हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- हमने बात रखी कि इस पर चर्चा कराई जाए. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाएं, प्रजापति जी आप भी बैठ जाएं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रस्ताव रखा है उस पर मैं निर्णय चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- अभी दो विषय आए. माननीय सज्जन सिंह जी ने एक तो यह कहा कि वहां निर्णय हुआ, नंबर दो उन्होंने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति का औचित्य क्या है. वहां कोई निर्णय नहीं हुआ है, मैंने यह कह दिया तो प्रमाणीकरण हो गया. वहां कोई निर्णय इस विषय पर नहीं हुआ है. जहां तक कार्य मंत्रणा समिति के औचित्य का सवाल है कम से कम इस विधान सभा में बैठे हुए किसी भी माननीय सदस्य को यह नहीं कहना चाहिए क्योंकि उसी कार्य मंत्रणा समिति के माध्यम से हम सब तय करते हैं. कम से कम उसके सदस्य को तो नहीं कहना चाहिए. मेरा आग्रह है कि गोविन्द सिंह जी की बात आ गई है. उन्होंने अपनी बात को रख दिया है उस पर क्या हो सकता है बातचीत में हम देखेंगे. पत्रों का पटल पर रखा जाना.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- टालने वाली बात तो कह रहा हूँ कि हर गंभीर विषय को टाला जाएगा कि देखा जाएगा. (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार इससे घबरा क्यों रही है. (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल -- एक आदिवासी के साथ अन्याय हुआ है. प्रदेश को शर्मसार करने वाली घटना घटी है..(व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यक्ति जेल में है. (व्यवधान)
श्री कमलेश्वर पटेल -- यह महत्वपूर्ण विषय है, इस पर चर्चा कराई जाना चाहिए (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- यह घोर आपत्तिजनक है..(व्यवधान)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिवासियों वाला मामला है. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सरकार निर्णय ले इस विषय पर आदिवासी भाई-बहनों के साथ अत्याचार हो रहा है. शिवराज सिंह चौहान की सरकार में आदिवासियों के साथ अत्याचार हो रहा है..(व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- कांग्रेस ढोंग कर रही है, यह क्या है माननीय अध्यक्ष महोदय.
डॉ. गोविन्द सिंह -- सरकार क्यों भयभीत है..(व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, केस लगाया, एनएसए लगाया, गिरफ्तारी की, बुलडोजर चलाया, जेल में भेजा. इसके बाद माननीय मुख्यमंत्री ने स्वयं ने चरण पखारे. वह व्यक्ति संतुष्ट हो गया लेकिन कांग्रेस को वोटों की राजनीति करनी है, यह लोग यहां वोटों की राजनीति करने आए है. इनको आदिवासियों से कोई मतलब नहीं है..(व्यवधान)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्य मंत्रणा में चर्चा हुई थी..(व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- संसदीय कार्य मंत्री असत्य बोल रहे हैं. सदन में असत्य बोलना बड़ा अपराध है. आदिवासी भाई-बहनों के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार... (व्यवधान)
12.09 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश.
(श्री बाला बच्चन, सदस्य के नेतृत्व में इंडियन नेशनल काँग्रेस के सदस्यगण द्वारा आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार के विरोध में गर्भगृह में प्रवेश किया गया)
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(12 बजकर 09 मिनट पर विधान सभा की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
12.22 बजे { अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय .....
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय....
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बार-बार व्यवधान ठीक नहीं है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि निर्णय हो गया होगा. आदिवासी भाई-बहनों के भविष्य पर शायद आपने निर्णय ले लिया होगा...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- हर समय हंगामा करना...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- यह अपने नेता प्रतिपक्ष जी हैं. सत्र चलने नहीं देना है. हाउस चलाना है या नहीं चलाना है..(व्यवधान)...
नेता प्रतिपक्ष (डॉ.गोविंद सिंह) -- माननीय अध्यक्ष जी, ...(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- संसदीय कार्य मंत्री जी, मुझे लगता है कि चेम्बर में निर्णय हो गया होगा....(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- हंगामा क्यों कर रहे हो...(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, आदिवासियों के भविष्य पर...(व्यवधान)....
डॉ.गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, सरकार भयभीत क्यों है....(व्यवधान)...
12.23 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश
(श्री बाला बच्चन, सदस्य के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा आदिवासियों पर अत्याचार बंद किये जाने संबंधी नारे लगाते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया गया.)
...(व्यवधान)....
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिवासी सुरक्षित नहीं हैं. आदिवासियों को मध्यप्रदेश में डराया गया है और सरकार की यह दादागिरी नहीं चलेगी...(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, आदिवासी भाई-बहनों पर रहम करो. रोज अत्याचार हो रहे हैं...(व्यवधान)...मैं आसंदी पर आरोप लगाता हॅूं कि सरकार के दबाव में आसंदी इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा नहीं कराना चाहती है. आदिवासियों पर चर्चा कराने से यह सरकार भाग रही है....(व्यवधान)...
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा लगातार गर्भगृह में नारे लगाए जाते रहे.)
श्री विजय रेवनाथ चौरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी सौंसर विधानसभा में 12 वर्ष की आदिवासी बच्ची के साथ दुष्कर्म हुआ है. आदिवासियों पर अत्याचार हो रहे हैं....(व्यवधान)...
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में लगातार अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों के साथ अन्याय, अत्याचार भारतीय जनता पार्टी की सरकार में बढ़ा है और इसके लिए पूरी तरह से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री और पूरी सरकार जिम्मेदार है...(व्यवधान)...सीधी जिले में एक व्यक्ति दशमत आदिवासी परिवार से गोंड समाज से है...(व्यवधान).. भारतीय जनता पार्टी के नेता द्वारा उनके ऊपर पेशाब किया गया. यह बहुत ही निन्दनीय और शर्मनाक घटना है. इस घटना ने पूरे मानव समाज को शर्मसार करने का काम किया है और कांग्रेस पार्टी के नेता प्रतिपक्ष और सारे सदस्य यह मांग करते हैं कि इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा कराई जाए और भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपने बचाव में, भाजपा नेताओं के बचाव में चर्चा कराने से बच रही है. यह बहुत ही गंभीर मामला है. यह पूरे मानव समाज को शर्मसार करने वाला मामला है. यह जो हुआ है, यह घोर निन्दनीय है. यह क्षमायोग्य नहीं होना चाहिए. मेरा आपसे विशेष आग्रह है कि सारी कार्यवाही रोककर इस पर चर्चा कराई जाए. आदिवासी समाज को कलंकित करने का काम किया है. पूरे मानव समाज को कलंकित करने का काम किया है...(व्यवधान)..
...(व्यवधान)...
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा लगातार नारे लगाए जाते रहे)
12.14 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
2. मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023
3. मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2021-2022
4. 1.(क) शहपुरा थर्मल पॉवर कंपनी लिमिटेड का 16वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
(ख) बाणसागर थर्मल पॉवर कंपनी लिमिटेड का 11 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
(गर्भगृह में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा नारेबाजी की जाती रही)
12.25 बजे
(5) विक्रम विश्वविद्यालय,उज्जैन का 65 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
मंत्री,सहकारिता,डॉ.अरविन्द सिंह भदौरिया - अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम,1973 की धारा 47 की अपेक्षानुसार विक्रम विश्वविद्यालय,उज्जैन का 65 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022 पटल पर रखता हूं.
(6)(क) डीएमआईसी विक्रम उद्योगपुरी,उज्जैन लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020, एवं
(ख) मध्यप्रदेश प्लास्टिक सिटी डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन ग्वालियर,लिमिटेड का
दिनांक 31 मार्च,2022 को समाप्त वर्ष के लिए वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा
मंत्री,औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन,श्री राजवर्धन सिंह प्रेम सिंह दत्तीगांव -
अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम,2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार -
(क) डीएमआईसी विक्रम उद्योगपुरी,उज्जैन लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020, एवं
(ख) मध्यप्रदेश प्लास्टिक सिटी डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन ग्वालियर,लिमिटेड का
दिनांक 31 मार्च,2022 को समाप्त वर्ष के लिए वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा
पटल पर रखता हूं.
12.26 बजे
(7) मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
राज्यमंत्री,नर्मदा घाटी विकास, श्री भारत सिंह कुशवाह, - अध्यक्ष महोदय, मैं, बाल संरक्षण आयोग अधिनियम,2005(क्रमांक 4 सन् 2006) के अधीन बनाये गये मध्यप्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022 पटल पर रखता हूं.
12.26 बजे
(8) समग्र शिक्षा अभियान मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
राज्यमंत्री,स्कूल शिक्षा,श्री इन्दर सिंह परमार,- अध्यक्ष महोदय, मैं, भारत सरकार की गाइडलाइन्स के बिन्दु क्रमांक-2 के उप बिन्दु(7) की अपेक्षानुसार समग्र शिक्षा अभियान मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022 पटल पर रखता हूं.
12.27 बजे
फरवरी-मार्च,2023 सत्र की स्थगित बैठक दिनांक 27 मार्च,2023 की प्रश्नोत्तर सूची तथा प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खण्ड-13 पटल पर रखा जाना
अध्यक्ष महोदय - फरवरी-मार्च,2023 सत्र की स्थगित बैठक दिनांक 27 मार्च,2023 की प्रश्नोत्तर सूची तथा प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खण्ड-13 पटल पर रखा गया.
12.27 बजे
नियम 267-क के अधीन फरवरी-मार्च,2023 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना
अध्यक्ष महोदय - नियम 267-क के अधीन फरवरी-मार्च,2023 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा गया.
12.28 बजे कार्य मंत्रणा समिति का प्रतिवेदन
12.29 बजे राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना
12.29 बजे ध्यानाकर्षण
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
(..व्यवधान..)
(गर्भगृह में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा नारेबाजी की जाती रही.)
अध्यक्ष महोदय - डॉ.गोविन्द सिंह, इंजी.प्रदीप लारिया जी,सर्वश्री पी.सी.शर्मा,ओमकार सिंह मरकाम जी,श्री चैतन्य कुमार काश्यप सभी ध्यानाकर्षण की सूचनाएं पढ़ी हुई मानी जावेंगी.
(..व्यवधान..)
(गर्भगृह में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा नारेबाजी की जाती रही.)
12.31 बजे
अनुपस्थिति की अनुज्ञा
निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 182 बड़वाह से निर्वाचित सदस्य, श्री सचिन बिरला को विधान सभा के जुलाई, 2023 सत्र की बैठकों से अनुपस्थित रहने की अनुज्ञा
(व्यवधान)
12.32 बजे
सभापति तालिका
(व्यवधान)
12.33 बजे
प्रतिवेदन की प्रस्तुति
(व्यवधान)
12.34 बजे
वक्तव्य
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री इन्दर सिंह परमार)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आज दिनांक 27.3.2023 परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या-39 (क्रमांक 3010) में निम्नानुसार संशोधन चाहता हूं:-
प्रश्नोत्तर सूची में मुद्रित उत्तर भाग-"ग'' में वर्तमान में दिनांक 31 जनवरी 2023 की स्थिति में 304.00 करोड़ की सावधि जमा है.'' के स्थान पर कृपया निम्नानुसार संशोधित उत्तर पढ़ा जावेः-
वर्तमान में दिनांक 31 जनवरी 2023 की स्थिति में 340.51 करोड़ की सावधि जमा है.
(व्यवधान)
12.35 बजे
शासकीय विधि विषयक कार्य
(व्यवधान)
अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय--विधान सभा परिसर में दुर्गा शिव मंदिर प्रांगण में कल से प्रारंभ अखण्ड रामायण पाठ का आज सम्मापन है. इस अवसर पर विधान सभा परिसर में भंडारे का आयोजन किया गया है. मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि अपनी सुविधानुसार भंडारे में सम्मिलित होकर प्रसाद ग्रहण करने का कष्ट करें. मेरा आग्रह है कि अभी वहां पर चलें.
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही अपराह्न 12.35 बजे बुधवार, दिनांक 12 जुलाई, 2023 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 12.35 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 12 जुलाई, 2023 (आषाढ़ 21, 1945) को प्रातः 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 11 जुलाई, 2023 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा