मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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पंचदश विधान सभा                                                                                    तृतीय सत्र

 

 

जुलाई, 2019 सत्र

 

गुरुवार, दिनांक  11 जुलाई, 2019

 

(  20 आषाढ़, शक संवत्‌ 1941 )

 

 

[खण्ड- 3 ]                                                                                                                   [अंक- 4 ]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

गुरुवार, दिनांक 11 जुलाई, 2019

 

(20 आषाढ़, शक संवत्‌ 1941 )

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.

{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष महोदय, आरिफ भाई कल आपके कहने के बाद भी आज तक नहीं मुस्‍कुराए. इनको मुस्‍कुराए हुये एक युग हो गया, एक अरसा हो गया. मेरी आपसे प्रार्थना है कि कुछ तो ऐसा करें कि यह थोड़ा-बहुत तो मुस्‍कुराएं.

          अध्‍यक्ष महोदय - ईद का चॉंद हैं.

          पिछड़ा वर्ग एवं अल्‍प संख्‍यक कल्‍याण मंत्री (श्री आरिफ अक़ील) - अध्‍यक्ष महोदय, हमारे एवं आपके बीच यह दखल दे रहे हैं. यह गलत बात है न.

          अध्‍यक्ष महोदय - हां, जबरन में. भाइयों के बीच में मत आओ भाई.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्‍यक्ष महोदय, पहले यह गौर जी की ड्यूटी थी, आज-कल हमारे नरोत्‍तम भाई निभा रहे हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - अध्‍यक्ष जी, ईद के चॉंद पर मुझे याद आया कि ईद के चॉंद का क्‍या है दिखा, न दिखा. तुम्‍हीं नकाब उठा दो तो ईद हो जाये. (माननीय सदस्‍यों द्वारा वाह...वाह...)

          लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्‍जन सिंह वर्मा) - ईद का चॉंद इसलिये नहीं दिखा कि तुम बादल बन गये.

          श्री गोपाल भार्गव - यह व्‍यंग्‍य है या वास्‍तविकता है ?

तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

कटनी में एन.डी.बी. योजनांतर्गत सड़कों का निर्माण

[लोक निर्माण]

1. ( *क्र. 830 ) श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की  कृपा  करेंगे  कि (क)  क्‍या  प्रश्नकर्ता  सदस्य  द्वारा  एन.डी.बी. योजना  की सड़कों की जानकारी विषयक कार्यपालन यंत्री संभाग-कटनी को दिनांक 09/03/2019 को लिखित पत्र का सामान्य प्रशासन विभाग म.प्र. शासन के निर्देशानुसार निराकरण नहीं करने और जानकारी प्रदान न करने पर कार्यवाही की जाएगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) एन.डी.बी. योजनांतर्गत मुड़वारा विधान सभा में झिंझरी गुलवारा से बिलहरी की ओर एवं केलवारा खुर्द से खरखरी की ओर सड़क कितनी-कितनी लागत से किस ठेकेदार कंपनी द्वारा किन शर्तों के अध्याधीन बनाई जा रही है और किन शर्तों पर कंसल्टेंसी एजेंसी की किस आदेश से नियुक्ति की गयी है? डी.पी.आर. की प्रति भी प्रदान करें। (ग) प्रश्नांश (ख) के तहत सड़कों के निर्माण में ठेकेदार कंपनी को किस-किस खनिज की कितनी मात्रा में उत्खनन के कौन-कौन खनि पट्टे की स्वीकृति किस सक्षम अधिकारी द्वारा कब प्रदान की गयी? (घ) क्या प्रश्नांश (ख) के तहत निर्माणाधीन दोनों सड़कों में फर्जी प्राक्कलन, की जा रही अनियमितताओं एवं गुणवत्ताविहीन निर्माण के कारण शासन स्तर पर तकनीकी जाँच कराई जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?

लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) कार्यपालन यंत्री, लोक निर्माण विभाग संभाग कटनी द्वारा वांछित जानकारी दिनांक 22.06.2019 को माननीय विधायक जी को उपलब्‍ध कराई गई है। शेष का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ख) विस्‍तृत जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। डी.पी.आर. की प्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (घ) जी नहीं, कोई अनियमितता नहीं की जा रही है। अत: जाँच कराने का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में माननीय मंत्री महोदय के माध्‍यम से यह जवाब दिया गया है बिन्‍दु क्रमांक '''' में कि सारा कार्य ठीक हो रहा है, एस्‍टीमेट ठीक बना था, गुणवत्‍ता ठीक है. इस संबंध में मैं माननीय मंत्री महोदय को बताना चाहूंगा कि डी.पी.आर. एजेंसी के माध्‍यम से बनवाया गया और हवा में बनवाया गया. उसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि चेक लिस्‍ट के बिन्‍दु क्रमांक 10 एवं 11 में जो मुझे कागज़ दिये गये उसी के अनुसार बता रहा हूं, लिखा गया कि भू-अर्जन की आवश्‍यकता नहीं है और  स्‍पॉट पर स्थिति यह है कि  किसानों की जमीन आने के कारण जगह-जगह सड़क की चौड़ाई कम कर दी गई है. दूसरी बात, पी.डब्‍ल्‍यू.डी. के ही मापदण्‍ड के अनुसार बसाहट के क्षेत्रों में सी.सी. रोड बननी थी उसका कोई प्रावधान नहीं किया गया है. टेण्‍डर आयटम रेड पर है, जबकि पी.डब्‍ल्‍यू.डी. के टेण्‍डर एस.ओ.आर. पर किये जा रहे थे. नाबार्ड के अंतर्गत् बनी सड़क पूर्व में बन चुकी थी, उसमें पुन: अर्थ वर्क को शामिल करके उसमें भी भ्रष्‍टाचार किया गया है.                                                        

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न करिए.

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल--  प्रश्न यह है कि क्या इसके एस्टीमेट की, जो एजेन्सी द्वारा बनाया गया है, जो मैंने यह बिन्दु उठाए उसकी जाँच कराई जाएगी?

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य का यह कहना कि एस्टीमेट हवा में बनाया गया है, असत्य है. एस्टीमेट जमीन पर ही बनाया जाता है और माननीय सदस्य, यह पूर्व सरकार, जो आपकी थी, नेश्नल डेवलपमेंट बैंक के साथ आपकी सरकार ने एम.ओ.यू. साइन किया था, उन प्रावधानों के अनुसार ही डी.पी.आर. बनी है, इसमें हमारा कहीं कोई लेनादेना नहीं है. पूर्ववर्ती सरकार को हम फॉलो कर रहे हैं क्योंकि पूर्ववर्ती सरकार बोलती है कि हमने बड़े अच्छे-अच्छे काम किए. जब उन्होंने एम.ओ.यू. साइन किए तो हम उसको फॉलो कर रहे हैं. इसमें हमारी कहीं कोई गलती नहीं है.

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल--  माननीय अध्यक्ष महोदय, अब तो सरकार को भी,  मंत्री जी हमारे और आप में बाँटने लगे, सरकार तो सबकी होती है.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  काश, आप यह बात मान लेते कि यह सरकार आपकी है.

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल--  विधान सभा में बहुमत आपका हो सकता है. सरकार तो सबकी है. लेकिन अध्यक्ष महोदय, एस्टीमेट हवा में कहने का मेरा कारण सिर्फ यह है कि अगर एस्टीमेट एक निजी एजेन्सी द्वारा इस ढंग से बनाया गया होता, तो मैंने कहा कि चेक लिस्ट में क्रमांक 10 और 11 में स्पष्ट लेख है कि भू-अर्जन की आवश्यकता नहीं और वहाँ पर सड़क सँकरी बन रही है उसकी जाँच करा लें. दूसरी बात, आपका डामरीकरण कार्य 15 जून से 15 अक्टूबर तक प्रतिबंधित है. बारिश हो जाने के बाद वहाँ स्पॉट पर डामरीकरण कार्य चल रहा है. आपका एन.डी.बी. एक कंसलटेंसी रखता है वह अपने पैसे की देखरेख के लिए, सरकार किसी की भी हो, जनता के टैक्स से चलती है.

          अध्यक्ष महोदय--  आपका प्रश्न आ गया?

            श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल--  नहीं, एन.डी.बी. के प्रोजेक्ट डायरेक्टर से लेकर एन.डी.बी. तो अपनी देख रहा है कंसलटेंसी से देखरेख, लेकिन यहाँ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और उनकी टीम ने आज तक स्पॉट पर जाकर निर्माण कार्य का निरीक्षण नहीं किया. ये दोनों बातें हैं. इस पर मैं चाहूँगा कि इसकी जाँच करा लें.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी बात करने से चूक गया था, कंसलेटेंसी संस्था जो है, जो कंसलटेंट है, डी.पी.आर. उसी ने बनाई, सारा का सारा काम उसकी जवाबदारी पर होता है. हमारे अधिकारी निश्चित रूप से समय-समय पर उन कार्यों की जाँच करते हैं. आप कह रहे हैं कि भू-अर्जन की जरुरत नहीं है, सीमेण्ट, कांक्रीट वहाँ नहीं हो रहा है. जो कंसलटेंट ने डी.पी.आर. बनाई है हमें उसको फॉलो करना है क्योंकि ये, अब मैं फिर कहूँगा कि आपकी सरकार ने इस तरह का अनुबन्ध कर लिया कंसलटेंट से, नेश्नल डेवलपमेंट बैंक से अनुबन्ध कर लिया है कि कंसलटेंट ही डी.पी.आर. बनाएगा, कंसलटेंट ही मुख्य जवाबदार रहेगा, तो इसमें हम दोषी कहाँ हैं? फिर भी हमारे अधिकारी बराबर जाकर चेकिंग करते हैं, देखरेख करते हैं और रिपोर्ट देते हैं, उसके बाद ही उनका बिल बनता है.

          अध्यक्ष महोदय--  जायसवाल जी, अब आप आखरी प्रश्न करिए.

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल--  आपके प्रोजेक्ट डायरेक्टर अभी तक कोई भी कार्य की जाँच करने नहीं गए. दूसरी बात, डी.पी.आर. किसी अन्य एजेन्सी ने बनाया है, कंसलटेंसी जो एजेन्सी है, वह एन.डी.बी. ने अपनी राशि के लिए अपनी ओर से नियुक्त किया है, तो क्या शासन की ओर से नियुक्त अधिकारी फील्ड पर नहीं जाएँगे? हम शासन की ओर से उसकी देखरेख नहीं करेंगे?

          श्री सज्जन सिंह वर्मा--  अध्यक्ष महोदय, ऋण लेकर बनाई हुई सड़कें हैं. ऋण लेते हैं इसलिए पूरा का पूरा जो कंसलटेंट है वही डी.पी.आर. बनाता है. अब माननीय सदस्य का यह कहना कि हमारे अधिकारी उसकी देखरेख नहीं करते, यह गलत है. समय-समय पर हमारे अधिकारी जाते हैं.

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- अध्यक्ष महोदय, प्रोजेक्ट डायरेक्टर आपने बनाए. मंत्री जी गलत कथन कर रहे हैं, प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाए गए.

          अध्यक्ष महोदय--  जायसवाल जी, 3 प्रश्न हो गए.

          श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल--  अध्यक्ष महोदय, प्रोजेक्ट डायरेक्टर इस पर क्या कर रहे हैं? मंत्री जी गलत कथन कर रहे हैं.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय यह बात कह रहे हैं, सरकार बने सात माह हो गए. बार-बार जब यह बात कही जाएगी कि 15 साल, 15 साल तो मैं यह कहना चाहता हूं कि यदि डी.पी.आर. ठीक नहीं है या कंसलटेंसी ठीक नहीं है तो पेरेंट डिपार्टमेंट आपका है, सुपरविजन आपका है.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूं मैं पिछली सरकार का उल्‍लेख इसलिए कर रहा हूं कि केबिनेट डिसीजन हुआ था उसके अनुसार इन्‍होंने नेंश्‍नल डेव्‍हलपमेंट बैंक से एम.ओ.यू. साइन किया. वह हमें फॉलो करना पड़ता है.  हम अभी उसमें कोई चेंज करने की स्थिति में नहीं हैं.

          श्री गोपाल भार्गव-- यह जो मूल विभाग है वह लोक निर्माण विभाग है आपका काम सुपरविजन करना है. एग्रीमेंट कभी का भी हो, फायनेंस किसी ने भी किया हो, किसी ने भी उसके लिए ऋण स्‍वीकृत किया हो, कुछ भी किया हो लेकिन आज के समय में आपकी ड्यूटी है कि आपको लगातार इसका सुपरविजन करना है, बेहतर से बेहतर सड़क बनवाएं इसके लिए आप इसको किसी दूसरे पर नहीं टाल सकते हैं.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा-- यह आरोप लगाना गलत है कि हमारे अधिकारी चैकिंग नहीं कर रहे हैं. बिलकुल चैंकिंग होती है, रिपोर्ट आती है. एक बात समझ लीजिए कि जब रिपोर्ट पुख्‍ता आ जाती है उसके बाद ही उनका पेमेंट होता है.

          श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक अनुरोध है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- जायसवाल जी आप बैठ जाइए.

          श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि माननीय सदस्‍य का उत्‍तर नहीं आया है.        

          अध्‍यक्ष महोदय-- उत्‍तर आ गया है. विराजिए.

          श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय सिर्फ एक सवाल करना है. एन.डी.बी. ने प्रोजेक्‍ट डायरेक्‍टर क्‍यों बनाएं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- जायसवाल जी तीन प्रश्‍न दे दिए. आप घड़ी का कांटा भी देखिए. मुझे आगे के प्रश्‍न भी देखने है.

          श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल-- वह ऋण लेने के लिए अपनी कन्‍सलटेंसी नियुक्‍त कर रहे हैं. जनता के पैसे को हम नहीं देख रहे हैं. हम खर्च कर रहे हैं.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव--माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका ध्‍यानाकर्षित करना चाहता हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय-- भार्गव जी आप रुक जाइए. बीच में नहीं बोलिए. जब मैं अनुमति दूं तब आप लोग आज्ञा लेकर खडे़ हों.

11:12 बजे                                 स्‍वागत उल्‍लेख

पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री श्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया का अध्‍यक्षीय दीर्घा में उपस्थित होने पर स्‍वागत उल्‍लेख

         

          अध्‍यक्ष महोदय-- आज सदन की दीर्घा में पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री माननीय श्री ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया जी उपस्थित हैं सदन की ओर से उनका स्‍वागत है. (मेजों की थपथपाहट)

तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर (क्रमश:)

 

                   इच्‍छावर विधान सभा क्षेत्रांतर्गत नहरों का निर्माण 

[जल संसाधन]

2. ( *क्र. 1017 ) श्री करण सिंह वर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीहोर जिले के इच्‍छावर विधान सभा क्षेत्र के काकरखेड़ा ग्राम के अंतर्गत शासन द्वारा नहर का निर्माण कब किया गया है? (ख) वर्तमान में उक्‍त कार्य की क्‍या स्थिति है तथा इसको कितनी समय अवधि में पूरा कर लिया जावेगा?

जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ख) काकरखेड़ा तालाब की आर.बी.सी. नहर का निर्माण कार्य वर्ष 1981-82 में पूर्ण किया जाना प्रतिवेदित है। कार्य पूर्ण एवं अच्‍छी स्थिति में होने से शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।

          श्री करण सिंह वर्मा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री महोदय से सीधा-सीध प्रश्‍न पूछा था कि काकरखेड़ा जलाश्‍य में दोबारा कांक्रीट नहर कब बनी. आपने उत्‍तर दे दिया कि सन् 1981-1982 में बनी. मैंने प्रश्‍न में सिर्फ यह स्‍पष्‍ट पूछा है कि दोबार नहर कब बनी. आप उसका उत्‍तर मुझे बता दीजिए कि दोबारा नहर  कब बनी?

          श्री हुकुम सिंह कराड़ा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्‍य ने कहा कि दोबारा नहर कब बनी. पहले यह सन् 1981-1982 में पूर्ण हुई थी और  उसके बाद इसमें दो नहरें हैं एल.बी.सी. और आर.बी.सी. इन दोनों को मिलाकर सन् 1983-1984 में नहर बनी.

          श्री करण सिंह वर्मा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी का भी उत्‍तर दे देता हूं. वर्ष 2015-2016 में नहर बनी. अभी वर्ष 2017-2018 में दो करोड़ रुपए की नहर बनी. उसको सीमेंट और गिट्टी से बनना था लेकिन दोनों नहरें आपके विभाग ने मुरम से बना दी और दोनों नहरें समाप्‍त हो गईं. वहां पानी आने जाने की जगह ही नहीं बची है तो क्‍या आप उच्‍च अधिकारी से इसकी जांच करवाकर अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे?

          श्री हुकुम सिंह कराड़ा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह नहर जो वर्ष 2012-2013 में बनी थी और इसमें मुरम की कहीं कोई शिकायत नहीं है और इससे बराबर सिंचाई हो रही है और पांच गांवों की सिंचाई हो रही है.

          श्री करण सिंह वर्मा-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैंने स्‍पष्‍ट पूछा है कि गत वर्ष 2018 में जो नहर बननी थी वह सीमेंट और गिट्टी से बनना थी उसमें कांक्रीट होना था लेकिन वह मुरम से बनी हुई है और टूट फूट के कारण बेकार हो गई है. मंत्री जी, मैं आपके सामने इतना बड़ा प्रमाण खड़ा हूं.

          लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा)-  क्‍या आप टूट-फूट गए हैं ?

            श्री करण सिंह वर्मा-  मैं कहां टूटा हूं, आप तो जानते ही हैं. अगर टूटा-फूटा हूं भी तो बस एक बार अयोध्‍या में कारसेवा में टूटा हूं. बाकी आज तक कभी नहीं टूटा हूं. (मेजों की थपथपाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय-  वर्मा जी, जहां तक मैं समझा हूं दुबारा जो नहर बनी है उसमें कोई न कोई खामी है. माननीय मंत्री जी आप कृपया जो प्रश्‍न यहां उद्भूत हुए हैं उनके लिए एक अधिकारी को वहां पहुंचाकर जांच करवा लीजिये. आप भी संतुष्‍ट हो जायेंगे, विधायक जी भी संतुष्‍ट हो जायेंगे. वर्मा जी आप बैठ जाइये. मैंने आपकी पैरवी कर दी. सब बोल दिया है. रिपोर्ट आ जाने दीजिये हम दोनों मिलकर देख लेंगे.

          श्री करण सिंह वर्मा-  आपने पैरवी की, उसके लिए धन्‍यवाद.

किसानों को थ्री-फेज विद्युत की आपूर्ति

[ऊर्जा]

3. ( *क्र. 901 ) श्री भूपेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में किसानों को थ्री-फेज की विद्युत प्रतिदिन प्रदाय करने के संबंध में सरकार की वर्तमान में क्‍या नीति है? (ख) 1 जनवरी, 2019 से प्रश्‍न दिनांक तक किसानों को थ्री-फेज की विद्युत प्रतिदिन कितने घण्‍टे प्रदान की जा रही है? क्‍या घोषणा अनुरूप दिन के समय कम से कम 8 घण्‍टे विद्युत प्रदाय की जा रही है? यदि नहीं, तो क्‍या कारण है?

ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) प्रदेश में वर्तमान में पूर्व, मध्‍य एवं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा किसानों को कृषि फीडरों के माध्‍यम से थ्री फेज पर प्रतिदिन 10 घंटे (दिन के समय 6 घंटे एवं रात्रि के समय 4 घंटे) विद्युत प्रदाय उपलब्‍ध कराने की नीति है। (ख) 1 जनवरी, 2019 से प्रश्‍न दिनांक तक प्रदेश में किसानों को कृषि फीडरों के माध्‍यम से थ्री फेज पर औसतन 9 घंटे 54 मिनट प्रतिदिन विद्युत प्रदाय किया गया है। वर्तमान में विद्युत प्रणाली के भार प्रबंधन एवं तकनीकी बाध्‍यता को दृष्टिगत रखते हुए कृषि फीडरों को दो समूहों में विभक्‍त कर पाक्षिक रूप से किसानों को बारी-बारी से दिन के समय में 08 घंटे थ्री फेज पर विद्युत प्रदाय करने का प्रस्‍ताव विचाराधीन है।

          श्री भूपेन्‍द्र सिंहमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि सरकार ने चुनाव के समय अपने वचन-पत्र में यह कहा था कि हम प्रदेश में अपने किसानों को दिन में 8 घण्‍टे और रात्रि में 4 घण्‍टे थ्री-फेज़ बिजली की सप्‍लाई करेंगे. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि इस संबंध में सरकार के स्‍तर पर अभी तक क्‍या-क्‍या प्रयास हुए हैं ? जैसा कि आपने अपने वचन-पत्र में कहा है कि आप दिन में किसानों को 8 घण्‍टे थ्री-फेज़ सप्‍लाई देंगे इस संबंध में विभाग की क्‍या कार्य योजना है और आप कब तक किसानों को 8 घण्‍टे थ्री-फेज़ सप्‍लाई देंगे ?

          श्री प्रियव्रत सिंह-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य ने जो जानकारी चाही है उस पर मैं कहना चाहूंगा कि यह बात सही है कि हमारे वचन-पत्र में बिंदु 1.4 पर किसानों को 12 घण्‍टे बिजली देना, सुनिश्चित करने का वचन दिया गया है. इस हेतु सरकार अभी परीक्षण करवा रही है और जल्‍द ही सरकार इसमें नीतिगत निर्णय लेगी.        

          श्री भूपेन्‍द्र सिंहमाननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस सरकार को लगभग 6 माह का समय हो गया है और 6 माह के बाद भी यदि सरकार यह कह रही है कि हम परीक्षण करवा रहे हैं तो आप एक समय-सीमा बता दें कि आपने अपने वचन-पत्र में जो कहा है, उसके अनुसार आप कब तक मध्‍यप्रदेश में किसानों को दिन में 8 घण्‍टे थ्री-फेज़ सप्‍लाई देने का काम करेंगे और दूसरा इसी के साथ यह भी बता दें कि इस संबंध में पिछले 6 माह में विभाग के स्‍तर पर या सरकार के स्‍तर पर क्‍या-क्‍या प्रयास हुए हैं और वर्तमान में हमारा जो ट्रांसमिशन सिस्‍टम है, उसमें जो लाइन लॉस हैं, उसकी क्‍या स्थिति है क्‍योंकि यह पूरा नीतिगत प्रश्‍न है और पूरे प्रदेश के किसानों से जुड़ा हुआ प्रश्‍न है. इसलिए सदन में आपकी ओर से स्‍पष्‍ट रूप से सारी बातें आ जायें जिससे सदन को जानने का अवसर मिलेगा और प्रदेश के किसानों को भी इस संबंध में आपकी क्‍या योजना है, यह जानने का अवसर मिलेगा.

          श्री प्रियव्रत सिंह-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे यहां पूर्व, मध्‍य और पश्चिम क्षेत्र इस प्रकार कुल तीन वितरण कंपनियां हैं. इन तीनों वितरण कंपनियों में हमने परीक्षण करवाया है. पूर्ववर्ती सरकार के समय से जो व्‍यवस्‍था थी, 6+4 अर्थात् 10 घण्‍टे बिजली ज्‍यादातर स्‍थानों पर दी जा रही है. हमने पूर्व क्षेत्र के बालाघाट में वहां के किसानों की मांग को ध्‍यान में रखते हुए लगातार 10 घण्‍टे बिजली सप्‍लाई करने का प्रयोग किया है और यह एक सफल प्रयोग है. 15 दिवस के अंतराल में हम इसे स्विच करते हैं. इसमें हमने दो समूह तैयार किए हैं. जिसमें एक समूह में रात्रि 10 से सुबह 8 बजे तक और एक समूह में सुबह 8 बजे से शाम को 6 बजे तक विद्युत सप्‍लाई कर रहे हैं. ऐसा ही मध्‍य क्षेत्र ने भी 10 घण्‍टे तक विद्युत सप्‍लाई करने का,  हमने विद्युत सप्‍लाई करने का हरदा और होशंगाबाद में परीक्षण करवाया है. यहां पर भी दो समूह बनाकर 7 दिवस के अंतराल में यह प्रयोग कर रहे हैं. इसकी वॉयबिलिटी की स्‍टडी में हम लोग प्रयासरत् हैं. पश्चिम क्षेत्र में ज्‍यादातर जितने किसान हैं, वह भूजल स्‍तर पर आधारित हैं, जो नलकूप खनन के माध्‍यम से अपने खेतों की सिंचाई करते हैं. वहां हम बिजली की सप्‍लाई लगातार  करें तो भूजल सूख जाता है, इसलिये हम भूजल स्‍तर मेंटेन करने के लिये दो शिफ्ट में ही बिजली की सप्‍लाई करेंगे. यदि हम लगातार सप्‍लाई करेंगे तो भूजल सूख जाता है.(माननीय मंत्री जी का माईक बंद होने पर) लाईट तो है, लाईट आपको नहीं दिख रही  है,

          अध्‍यक्ष महोदय:- मंत्री जी आपके शरीर में वोल्‍टेज ज्‍यादा है.

          श्री प्रियव्रत सिंह:-अध्‍यक्ष महोदय, वोल्‍टेज पूरे प्रदेश में दिखायेंगे और पूरी ताकत के साथ दिखायेंगे.

          श्री विश्‍वास सारंग:- वोल्‍टेज ज्‍यादा होता है तो ट्रांसफार्मर फट जाता है.

          श्री प्रियव्रत सिंह:- विश्‍वास भाई, कभी-कभी सावन के अंधे को हरा-हरा ही दिखता है, इसलिये हमें तो लाईट दिख रही है.आपको नहीं दिख रही है;

        श्री विश्‍वास सारंग:- मंत्री जी, मैं तो आपको सचेत कर रहा हूं कि वोल्‍टेज ज्‍यादा होगा तो ट्रांसफार्मर फट जायेगा.

          अध्‍यक्ष्‍ा महोदय:- अरे, विश्‍वास भाई ऐसा नहीं है.       

          श्री विश्‍वास सारंग:- विश्‍वास जी, ट्रांसफार्मर नहीं फटेगा, थोड़ा करंट आपके यहां पर पहुंचा देंगे, ट्रांसफार्मर नहीं फटने देंगे.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह :- मेरा प्रश्‍न नीतिगत है, आपका संरक्षण चाहिये. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने यह स्‍वीकार किया है कि वर्तमान में जो स्थिति है. उस स्थिति के अनुसार हम वर्तमान में किसानों को दिन में 8 घण्‍टे थ्री फेज बिजली की सप्‍लाई दे सकते हैं. मैं बड़े स्‍पष्‍ट रूप से मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जब यह स्थिति है और विशेष रूप से पिछले पांच वर्षों में हम लोगों ने अटल ज्‍योति योजना के माध्‍यम से, जो हम लोगों ने काम किया है, उसके बाद आज यह स्थिति है कि आप दिन में किसानों को 8 घण्‍टे बिजली दे सकते हैं तो मेरा प्रश्‍न है कि क्‍या इस संबंध में विभाग यह निर्णय करेगा कि किसानों को दिन में 8 घण्‍टे बिजली मिले, यह आपका ही वचन पत्र है, यह मैं नहीं कह रहा हूं.

          श्री प्रियव्रत सिंह:- अध्‍यक्ष महोदय,सरकार वचन-पत्र के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित है और यह नीतिगत प्रश्‍न है. कल ही बजट प्रस्‍तुत हुआ है, हम आने वाले समय में पूरा वचन-पत्र लागू करेंगे.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह:- मंत्री जी, एक मिनट. कल जो आपका बजट प्रस्‍तुत हुआ है, उसमें भी आपने 10 घण्‍टे ही लिखा है, उसमें भी आपने कहीं भी 12 घण्‍टे नहीं लिखा है. इसलिये आप अपने वचन-पत्र को ही बजट में स्‍वीकार नहीं कर रहे हैं तो जरा इसके बारे में या तो वित्‍त विभाग से बात करें, यहां पर वित्‍त मंत्री भी बैठे हैं. उसमें 10 घण्‍टे ही लिखा हुआ है या तो बजट आपके वचन-पत्र के अनुसार बना नहीं है.

          श्री तरूण भनोत:- अपना वचन-पत्र पार्टी ने रखा था और सरकार के पास वचन-पत्र है. इनको इतनी अधीरता क्‍यों हैं. हम पूरा वचन-पत्र लागू करेंगे.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह:- वित्‍त मंत्री जी, यह आप अधीरता की बात कर रहे हैं. अभी आपको मंत्री बने ज्‍यादा समय नहीं हुआ है, अभी 6 या 8 महीने ही हुए हैं.  माननीय अध्‍यक्ष जी, पहली चीज तो वित्‍त मंत्री जी ने पहले बीच में इंटरप्‍ट किया. अब इनका जो बजट है, यह कह रहे हैं कि अधीरता क्‍यों हैं. फिर आपने क्‍यों कहा था कि हम 8 घण्‍टे बिजली सप्‍लाई देंगे आपके बजट में आप लिख रहे हो कि हम 10 घण्‍टे कुल सप्‍लाई देंगे. यह आखिर कंट्राडिक्‍ट्री क्‍यों है ? वित्‍त मंत्री जी ने आपकी बिना अनुमति के बोल रहे थे, आपसे बोलने की अनुमति नहीं ली. यह कोई तरीका है क्‍या कि आप बीच में खड़े होकर कुछ भी बोलेंगे. आप दो प्रश्‍न का जवाब.

            अध्‍यक्ष महोदय:- अनुमति नहीं ली, चलिये हो जाता है, बीच में. मंत्री जी, जवाब दे रहे हैं.

          राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)--अध्यक्ष महोदय, यह लोग हम लोगों को अनुमति लेना सिखा रहे हैं. 15 सालों में आप लोगों ने जो संस्कार दिये हैं. वही संस्कार ले रहे हैं. आप लोग भी बिना अनुमति लिये उठ जाते थे.

          श्री भूपेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, हमें इसी सागर में ही रहना है. यह व्यवस्था तो कर दें कि आपकी अनुमति लेकर के खड़े हों.

          अध्यक्ष महोदय--मेरा दोनों पक्षों से अनुरोध है कि कृपया सीधे वार्तालाप न करें. जब अच्छी स्वस्थ चर्चा चल रही है प्रश्न पूछा जा रहा है, मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं. बीच में उत्साहीलाल बनकर अगर हम यह सब चीजें छिन्न-भिन्न करेंगे तो अव्यवस्था होगी. भूपेन्द्र सिंह जी आप सीधा सीधा प्रश्न करिये आप मंत्री जी उत्तर दीजिये.

          श्री भूपेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत धन्यवाद करता हूं कि आपने अच्छी व्यवस्था दी है. मंत्री जी बहुत शालीनता के साथ उत्तर दे रहे हैं इसलिये उनका भी धन्यवाद करता हूं.

          वाणिज्यक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर)--अध्यक्ष महोदय, लाइन लॉस आपके कार्यकाल का है.

          श्री भूपेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि वर्तमान में यह स्थिति है सरकार 8 घंटे थ्री फेस बिजली की सप्लाई दिन में दे सकती है. क्या माननीय मंत्री जी इस संबंध में निर्णय लेंगे जिससे कि प्रदेश में किसानों को दिन में भी सिंचाई के लिये 8 घंटे बिजली मिल सके.

          श्री प्रियव्रत सिंह--अध्यक्ष महोदय, वचन-पत्र के प्रति हम वचनबद्ध हैं. वचन-पत्र में जो एक एक बिन्दु दिया गया है उसको हम लागू करेंगे, यह सरकार की प्राथमिकता है. हमने इन्दिरा किसान ज्योति के माध्यम से समूचे प्रदेश के 19 लाख किसानों का जो 10 हार्स-पावर के पम्प का उपयोग करते हैं उनके बिजली के बिल को आधा किया है. किसानों के प्रति हमारी पूर्ण रूप से सजगता है जिस प्रकार से किसानों को कर्ज माफी योजना का लाभ अभी मिल रहा है. मेरा इसमें माननीय सदस्य से अनुरोध है कि थोड़ा धैर्य रखें. हमें आपने जो व्यवस्था दी है. यह हम नहीं कहते कि 15 वें वित्त-आयोग ने यह प्वाईंट ऑऊट किया है कि 36 प्रतिशत लॉसेस हमारे प्रदेश में है. यह हमें पुरानी सरकार से विरासत में मिले हैं. वर्ष 2005 में तीनों डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनियों का गठन किया गया था तब माननीय आप ही लोगों की सरकार थी हम लोग विपक्ष में बैठे थे. क्लीन बैलेंस पर इन कम्पनियों का गठन किया गया था. यह कम्पनियां वर्ष 2003 में आयीं.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, कम्पनियां इसके पहले बनी थीं.

          अध्यक्ष महोदय--नेता प्रतिपक्ष जी तथा भूपेन्द्र भाई मेरा आपसे अनुरोध है कि आप लोग विराजें.

          श्री गोपाल भार्गव--आपके समय में तो बिजली ही नहीं आती थी अब लॉस क्या होता यह हैं. क्या लाइन लॉस होता है ?

          श्री प्रियव्रत सिंह--अध्यक्ष महोदय, आज के समय में हमारा घाटा जो पुरानी सरकार हमें विरासत में सौंपकर गई है वह वर्ष 2017-18 का तीन डिस्कोम्स का मिलाकर 42 हजार करोड़ के घाटे में बिजली विभाग विरासत में मिला है. इस लॉसेस को कंट्रोल करना हमारी प्राथमिकता है, हम उस पर काम कर रहे हैं. इन कम्पनियों को घाटे से बाहर लाना भी हमारी प्राथमिकता है, प्लस जनरेशन बढ़ाना भी हमारी प्राथमिकता है, उस पर भी हम काम कर रहे हैं. वचन-पत्र का यह बिन्दु--

          अध्यक्ष महोदय--प्रश्न क्रमांक 4 श्री यशपाल सिंह सिसौदिया

          श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय जब घाटे की बात होती रही है.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय गोपाल भाई, भूपेन्द्र भाई अब यह उद्भूत हो रहा है, यह व्यापकता की ओर जा रहा है.

          श्री गोपाल भार्गव--इस प्रश्न को व्यापक बनाया गया है. इसमें सीधा सीधा प्रश्न था और इसमें सीधा सीधा उत्तर आना चाहिये.

          अध्यक्ष महोदय--आप लोग चर्चा कर रहे हैं मैं भी इसमें चर्चा करना चाहता हूं.

          श्री गोपाल भार्गव--एग्रीकल्चर सेक्टर में सब्सिडी के रूप में यह बता रहे हैं कि इतना घाटा हो रहा है.

          अध्यक्ष महोदय--आप लोग विराजेंगे मैं इसमें बता देता हूं. लाइन लॉस, यह लाइन  नहीं हो रहा है लाइन लॉस के बारे में बताना चाहता हूं कि जब बिजली तारों से दौड़ती है उसके ट्रांसफार्मर और बिजली के तार उपयुक्त नहीं होते हैं या जहां पर बिजली की चोरी होती है वह लाइन लॉस की परिधि में आता है. गोपाल भाई आप कृपया विराजिये.

          श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्‍यक्ष जी बिजली मंत्री रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय  - गोपाल भाई प्‍लीज एक मिनट रूक जाइए. मैं आपसे अनुरोध करता हूं अब दोबारा बिजली विभाग का प्रश्‍न आ रहा है. माननीय यशपाल सिंह सिसौदिया जी.

          प्रदेश में विद्युत कटौती

[ऊर्जा]

4. ( *क्र. 825 ) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या प्रदेश में पर्याप्‍त बिजली होने के बावजूद भी लगातार बिजली कट रही है, इस अनियमितता के क्‍या कारण हैं? ऊर्जा विभाग द्वारा प्रतिवर्ष विद्युत लाईनों के रख-रखाव हेतु किस-किस माह में मेन्‍टेनेंस किया जाता है? क्‍या प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी सही समय पर मेन्‍टेनेंस का कार्य पूरे प्रदेश में समय पर पूरा हुआ है? यदि हाँ, तो लगातार बिजली कटने के क्‍या कारण हैं? यदि नहीं, तो इसके लिये कौन जिम्‍मेदार हैं? (ख) क्‍या "मध्‍यप्रदेश युनाईटेड फोरम फॉर पावर इंप्‍लाईज एवं इंजीनियर्स" ने विभाग को लगातार बिजली कटौती की असली वजह इस वर्ष आउटसोर्स अधिकारी एवं कर्मचारियों की भारी कमी तथा समय पर मेन्‍टेनेंस नहीं होना बताया है? यदि हाँ, तो ऐसा क्‍यों? (ग) प्रदेश में अघोषित विद्युत कटौती हेतु गत 6 माह में प्रश्‍न दिनांक तक कितने अधिकारी एवं कर्मचारियों को निलंबित किया गया? क्‍या निलंबन के पश्‍चात् निलंबित कर्मचारियों के क्षेत्र में विद्युत प्रदाय सुचारू रूप से चल रहा है? यदि नहीं, तो निलंबन के क्‍या कारण हैं? (घ) प्रदेश में विद्युत कर्मचारियों की पूर्ति हेतु इंदौर एवं उज्‍जैन संभाग में किस-किस आउटसोर्स कर्मियों के ठे‍केदारों को कहाँ-कहाँ पर क्‍या-क्‍या कार्य सौंपा? क्‍या ठेकेदार के सभी कर्मचारी प्रशिक्षित हैं? इसकी जाँच गत 6 माह में कब-कब की गई?

ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) प्रदेश में मांग के अनुरूप पर्याप्त विद्युत उपलब्धता है। राज्‍य शासन की मंशानुसार अपरिहार्य स्थितियों यथा-प्राकृतिक आपदा एवं अन्‍य तकनीकी कारणों से उत्‍पन्‍न आकस्मिक अवरोधों के कारण हुए विद्युत व्यवधानों एवं सुनियोजित ढंग से शटडाउन लेकर किये जा रहे मेन्‍टेनेंस कार्यों को छोड़कर गैर कृषि उपभोक्ताओं को औसतन 24 घंटे एवं कृषि उपभोक्ताओं को औसतन 10 घंटे प्रतिदिन विद्युत आपूर्ति की जा रही है। प्रदेश में कोई भी अघोषित विद्युत कटौती नहीं की गई है, अतः अनियमितता का प्रश्न नहीं उठता। प्रदेश में प्रतिवर्ष निर्बाध विद्युत प्रदाय करने हेतु 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों, विद्युत लाईनों एवं अन्य विद्युत उपकरणों के रख-रखाव का कार्य मानसून के पूर्व (माह अप्रैल से माह जून अथवा मानसून आने तक) एवं मानसून समाप्त होने के उपरांत माह अक्टूबर-नवम्बर (त्यौहारों के पूर्व तक) में किया जाता है। इस वर्ष लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान एवं अन्य प्रशासनिक व्यवस्थाओं को सुचारु रुप से चलाने हेतु प्री-मानसून मेन्‍टेनेंस का कार्य निर्धारित समयावधि में अतिआवश्यक होने पर ही किया गया है एवं आवश्‍यकतानुसार वर्तमान में भी उक्‍त मेन्‍टेनेंस का कार्य चल रहा है। प्रदेश में कहीं भी अघोषित बिजली कटौती नहीं की गई है, तथापि कतिपय प्रकरणों में असामाजिक तत्‍वों द्वारा विद्युत लाईनों से छेड़छाड़ करने के कारण विद्युत प्रदाय प्रभावित हुआ है तथा ऐसे प्रकरणों में एफ.आई.आर. दर्ज कराई गई है। अत: प्रश्‍न नहीं उठता। (ख) ''मध्‍यप्रदेश युनाईटेड फोरम फॉर पावर इंप्‍लाईज एवं इंजीनियर्सद्वारा राज्‍य शासन से विद्युत व्‍यवस्‍था के संबंध में कई पत्राचार किये गए हैं। उक्‍त पत्राचार में सारत: यह उल्‍लेख किया गया है कि ''विद्युत की कटौती की न तो कोई राज्‍य शासन की योजना है एवं न ही विद्युत कंपनियों द्वारा कहीं पर विद्युत कटौती की जा रही है, लेकिन सामान्‍य ट्रिपिंग, तकनीकी ब्रेकडाउन/फाल्‍ट एवं पूर्व निर्धारित शटडाउन होने पर विद्युत सप्‍लाई बंद होने को कटौती कहकर प्रचारित किया जा रहा है, जो दुर्भाग्‍यपूर्ण है।'' (ग) प्रदेश में अघोषित विद्युत कटौती हेतु विगत 6 माह से प्रश्न दिनांक तक किसी भी अधिकारी एवं कर्मचारी को निलंबित नहीं किया गया है, अपितु प्रदेश में निर्बाध विद्युत प्रदाय बनाये रखने में बरती गई लापरवाही एवं कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही बरतने के कारण कतिपय अधिकारियों/ कर्मचारियों का निलंबन किया गया है। उक्‍त निलंबन पश्चात निलंबित अधिकारियों/कर्मचारियों के क्षेत्र में अपरिहार्य स्थितियों से उत्‍पन्‍न आकस्मिक अवरोधों को छोड़कर विद्युत प्रदाय सुचारू रुप से किया जा रहा है। अत: प्रश्‍न नहीं उठता। (घ) मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड इंदौर क्षेत्रान्तर्गत राजस्व संभाग इंदौर एवं उज्जैन में विद्युत कर्मचारियों की पूर्ति हेतु ऑउटसोर्स कर्मियों के निविदाकारों (ठेकेदारों) से उपलब्ध कराये गये मेनपॉवर (अकुशल, अर्द्धकुशल, कुशल एवं उच्च कुशल) से विद्युत आपूर्ति हेतु विभिन्न कार्य यथा-कार्यालयीन कार्य, तकनीकी कार्य आदि विभिन्न स्थानों पर सम्पादित कराये जा रहे हैं, जिसकी प्रश्‍नाधीन चाही गई जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' एवं '''' अनुसार है। निविदा अनुबंध की शर्तों में उल्‍लेखित अर्हताओं/शैक्षणिक योग्यता के अनुसार ही निविदाकारों द्वारा मेनपॉवर उपलब्ध करवाया गया है, अत: जाँच का प्रश्‍न नहीं उठता।

        श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्‍यक्ष जी  जब प्रबंधन में कमी हो, लक्ष्‍य तय न हो तो कोई भी समस्‍या जो जनहित से जुड़ी होती है, उसको सीधा-सीधा टाल दिया जाता है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लोकसभा के चुनाव के संन्निकट व्‍यापक पैमाने पर विद्युत का कटौती होना प्रारंभ हुई. सरकार के एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन मंत्री, स्‍वयं माननीय मुख्‍यमंत्री जी प्रेस से रूबरू हुए हैं और लगभग 700 कर्मचारी विद्युत की कटौती को लेकर, प्रबंधन की कमी को लेकर के निलंबन किए गए बर्खास्‍त किए गए, स्‍थानांतरित किए गए. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न के संदर्भ में माननीय मंत्री जी आपने और आपके विभाग ने लोकसभा के चुनाव को और आचार संहिता को लेकर के, राज्‍य निर्वाचन आयोग को लेकर के आपने उत्‍तर दिया है कि आयोग ने लोकसभा के चुनाव को देखते हुए मेंटेनेंस न करने को लेकर के कुछ निर्देश दिए हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मतदान दल जब जाता है तो दो दिन के लिए मतगणना होता है, हेडक्‍वार्टर पर एक दिन के लिए होती है. अब निर्वाचन का बहाना कर करके, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा. माननीय मंत्री जी आपसे मेरा सीधा सीधा प्रश्‍न है कि क्‍या राज्‍य निर्वाचन आयोग का कोई पत्राचार हुआ, क्‍या आपको कोई मौखिक निर्देश दिए गए. मेंटेनेंस तो एक प्रक्रिया थी, लेकिन लोकसभा के चुनाव के दौरान आपने मेंटेनेंस नहीं किया नतीजतन सारे प्रदेश में हाहाकार मची. एक तो आपने निर्वाचन को लेकर के जो वक्‍तव्‍य दिया है, उसके बारे में मुझे स्‍पष्‍टीकरण दे दीजिएगा, मुझे जवाब मिल जाएगा. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, प्रश्‍न के जवाब में माननीय अध्‍यक्ष जी मैं संरक्षण चाहूंगा, असामाजिक तत्‍वों के द्वारा छेड़छाड़ करने पर विद्युत प्रदाय अवरूद्ध हुआ. माननीय मंत्री जी मैं जानना चाहूंगा कि जब फीडर सेप्रेशन की व्‍यवस्‍था पिछले 15 सालों से चल रही थी और फीडर सेप्रेशन में कंपनियों ने भी आश्‍वस्‍त किया था कि फीडर सेप्रेशन के कारण विद्युत की चोरियां नहीं होगी, छेड़छाड़ नहीं होगी, लॉसेस नहीं होगा. माननीय मंत्री जी मैं जानना चाहूंगा कि ये क्‍या 6 महीने में असामाजिक तत्‍व प्रकट हो गए. आपने कहा कि एफआईआर हुई है, मैं आपने जानना चाहता हूं कि किस प्रकार से कौन से तत्‍वों के खिलाफ कितनी एफआईआर दर्ज हुई है, यह भी कृपया कर बताने का कष्‍ट करें.

          अध्‍यक्ष महोदय - यशपाल जी, दो प्रश्‍न हो गए.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - एक और प्रश्‍न बताने दो साथ में.

          अध्‍यक्ष महोदय - गोपाल भाई, रूक तो जाओ, लंबी किताब हो जाएगी.

          श्री गोपाल भार्गव - चमगादड़ों के कारण कितनी ट्रिपिंग हुई और कितनी चमगादड़ें थीं. चमगादड़ों की संख्‍या भी बता दें, क्‍योंकि आपके बयान में यह आया है कि चमगादड़ों के कारण ट्रिपिंग हुई. (...व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - मंत्री जी उत्‍तर दीजिए. 

          ऊर्जा मंत्री(श्री प्रियव्रत सिंह) - मैं यशपाल जी के प्रश्‍न का उत्‍तर देने से शुरू करता हूं.

          वित्‍त मंत्री(श्री तरूण भनोत) - अध्‍यक्ष जी, (xx)

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष जी, ये आपत्ति जनक है. इन्‍हें माफी मांगनी चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय - चलिए हो गया विलोपित किया जाए.

          श्री हरिशंकर खटीक - माननीय अध्‍यक्ष जी, ऐसा नहीं बोलना चाहिए ये वित्‍त मंत्री है, जिम्‍मेवार मंत्री हैं, ऐसा नहीं बोलना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय - विराजिए.

          श्री तरूण भनोत - इसमें क्‍या आपत्तिजनक है, चलिए आप गिनकर बता दो. (..व्‍यवधान)        

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - आपको माफी मांगनी चाहिए, यह कोई तरीका नहीं है. (..व्‍यवधान) ये हाउस में चमगादड़ कह रहे हैं, हाउस को मजाक बना रहे हैं. ये वित्‍त मंत्री हैं, मध्‍यप्रदेश सरकार के. (..व्‍यवधान)

          श्री हरिशंकर खटीक - माननीय अध्‍यक्ष जी, ये वित्‍त मंत्री है. (..व्‍यवधान)


 

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रश्‍न का उत्‍तर ले लीजिए.

(...व्‍यवधान...)

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - माफी मांगना चाहिए.

          श्री हरिशंकर खटीक - यह आपत्तिजनक है.(व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय - बैठ जाएं. 

          श्री तरुण भनोत - (XXX)

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रश्‍न का उत्‍तर ले लीजिए.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - (XXX)(व्‍यवधान)

          श्री तरुण भनोत - यह किसने कहा ? यह तो आप कह रहे हैं.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - यह आपने कहा है.

          श्री तरुण भनोत - मैंने नहीं कहा.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, इन्‍होंने अपनी सीट पर खड़े होकर कहा है.

          (...व्‍यवधान...)

          अध्‍यक्ष महोदय - तरुण जी, बैठें. आप लोग विराजिए. (व्‍यवधान)

          श्री हरिशंकर खटीक - अध्‍यक्ष महोदय, यह व्‍यवहार आपत्तिजनक है.

          अध्‍यक्ष महोदय - उसको मैंने विलोपित कर दिया है.

          श्री गोपाल भार्गव - विलोपित होने से नहीं होगा.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - यह बात इन्‍होंने खड़े होकर कही है.

          अध्‍यक्ष महोदय - इस बात की कितनी प्रतिक्रिया हो गई है.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - (XXX)       

            श्री तरुण भनोत - आप रिकॉर्ड चैक कर लीजिये.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - (XXX)

          श्री तरुण भनोत - यह तो आप कह रहे हैं.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष जी, आप रिकॉर्ड चैक करवा लीजिए.

          श्री तरुण भनोत - आप रिकॉर्ड चैक करवा लीजिये.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - इन्‍होंने रिकॉर्ड में इस बात को कहा है कि (XXX) आप रिकॉर्ड चैक करवा लें, माननीय अध्‍यक्ष महोदय.

          संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. गोविन्‍द सिंह) - माननीय अध्‍यक्ष जी, नेताजी आप एक मिनट सुनें.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - (XXX) आप रिकॉर्ड दिखवा लो, माननीय अध्‍यक्ष महोदय. क्‍या मंत्री इस तरह की भाषा का उपयोग करेंगे ?

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - (श्री भूपेन्‍द्र सिंह को देखकर) आप बैठ जाइये. एक मिनट सुन लें.  

          श्री तरुण भनोत - आप रिकॉर्ड चैक करा लीजिये.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - आप रिकॉर्ड चैक करा लो. अध्‍यक्ष महोदय, इन्‍होंने रिकॉर्ड में इस बात को कहा है. अध्‍यक्ष जी, आप व्‍यवस्‍था दे दें.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप रिकॉर्ड चैक करवा लें.

          अध्‍यक्ष महोदय - अब आप लोगों से प्रार्थना है कि कृपया बैठ जाएं. बहुमूल्‍य प्रश्‍न के 4 मिनट और साढ़े 27 सेकेण्‍ड जाया हो गए हैं.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, लेकिन मंत्री को अपनी जुबान पर नियंत्रण रखना चाहिए. यह गलत बात है.

          अध्‍यक्ष महोदय - यह विषय पैदा कैसे हुआ ?

(...व्‍यवधान...)

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, तो क्‍या आप इस तरह (XXX) कहेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय - यशपाल जी, आप अपना प्रश्‍न कीजिये.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - अध्‍यक्ष जी, आप व्‍यवस्‍था दे दें. जो व्‍यवस्‍था आप देंगे, वह स्‍वीकार कर लेंगे. आप व्‍यवस्‍था दे दें.

          अध्‍यक्ष महोदय - मैंने व्‍यवस्‍था दे दी औरउसको विलोपित करा दिया है. मंत्री जी, अपना उत्‍तर दें.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - क्‍या व्‍यवस्‍था दी है ?

          अध्‍यक्ष महोदय - मंत्री जी, उत्‍तर दें. आप माइक चालू रखिये, कोई सुने या न सुने.

(...व्‍यवधान...)

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, विद्युत का अनवरत प्रवाह क्‍यों नहीं हो रहा है ? यह विषय चल रहा था. ट्रिपिंग क्‍यों हो रही है, इसके पीछे शासन की ओर से अनेकों कारण बताए गए. उसमें एक विषय यह भी था, इसके बारे में तो क्‍या प्रतिउत्‍तर में ट्रेजरी बैंच के द्वारा यह कहा जाएगा (XXX)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, एक मिनट सुन लें.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप रिकॉर्ड पढ़कर देख लें.

          श्री तरुण भनोत - (XXX)

          श्री हरिशंकर खटीक - आपने गलत शब्‍दों का प्रयोग किया है. हम लोग जब बोलेंगे तो अच्‍छा लगेगा.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, क्‍या यह कहना संसदीय परम्‍परा है ? क्‍या यह संसदीय शब्‍द है ?

(...व्‍यवधान...)

          श्री तरुण भनोत - अध्‍यक्ष महोदय, यह शब्‍द संसदीय शब्‍द नहीं है तो माननीय नेता प्रतिपक्ष ने इस शब्‍द का उपयोग क्‍यों किया ?

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह - यह तो आपके जवाब में है.

          अध्‍यक्ष महोदय - प्रश्‍न-उत्‍तर चलने देना है या नहीं. आप प्रश्‍न-उत्‍तर चलने दें.

          खेल एवं युवा कल्‍याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) - अध्‍यक्ष महोदय, मेरा ऐसा अनुरोध है कि यह विषय ऐसा नहीं था और न मंशा ऐसी थी.

          अध्‍यक्ष महोदय - माननीय मंत्रीगण, माननीय सदस्‍यगण, क्‍या हमें प्रश्‍न-उत्‍तर चलने देना है या नहीं.

          श्री गोपाल भार्गव - हम लोगों के सम्‍मान की रक्षा नहीं होगी.

          अध्‍यक्ष महोदय - आपके सम्‍मान की रक्षा है, मैंने बात कर ली है. मैं बात देखूंगा, बात इतनी आती है कि आवश्‍यकता शब्‍दावली मेरे द्वारा विलोपित की जा चुकी है. दोनों पक्षों के माननीय सदस्‍यगण से निवेदन है कि वे गरिमा बनाए रखें तथा विषय तक सीमित रहें. माननीय मंत्री जी, जवाब दीजिये. नेता प्रतिपक्ष जी, कृपया प्रश्‍नोत्‍तर चलने दें.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, थप्‍पड़ मारकर फिर यह कहा जाये कि गलती हो गई और आप कहें कि गलती की माफी दें तो ऐसा नहीं चलेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - अब आप लोग शान्‍त रहें. प्रश्‍न-उत्‍तर चलने दीजिये.

          श्री गोपाल भार्गव - यह गलत बात है.  

            श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, जहां तक मेन्‍टेनेंस के कार्य का प्रश्‍न है.

                                      ....(व्‍यवधान)....

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस सदन को चमगादड़ कह दिया जाये.

                                      .....(व्‍यवधान)....

          श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक प्री मानसून मेन्‍टेनेंस  मई-जून महीने में कराया जाता है और दूसरा मेन्‍टेनेंस का कार्य अक्‍टूबर और नंवबर में त्‍यौहार के समय में त्‍यौहार से पहले कराया जाता है. वर्ष 2018 में पूर्व सरकार द्वारा न तो मई जून में मेन्‍टेनेंस कराया गया और विधानसभा चुनाव का बहाना लेकर  अक्‍टूबर, नंवबर में जो मेन्‍टेनेंस कराया जाना था, उसको भी नहीं कराया गया है. यह पूर्ववर्ती सरकार के समय में हुआ है.(शेम-शेम की आवाज)

                                      .....(व्‍यवधान)....

          श्री इंदर सिंह परमार -- बार- बार पूर्ववर्ती सरकार के बारे में बोला जा रहा है. आठ महीने से इनकी सरकार है, आठ महीने में इन्‍होंने क्‍या-क्‍या किया है ? क्‍या केवल इन्‍होंने 50-50 हजार रूपये के बिल घरों में देने का काम किया है ? लोगों को दो सौ रूपये बिल के 40-40, 50-50 हजार रूपये बिल आ रहे हैं. मैं अपने साथ दो गावों के पूरे रिकार्ड लेकर आया हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह जो बीच-बीच में बोल रहे हैं, इनका कुछ नहीं लिखा जायेगा.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लोकसभा चुनाव के दौरान व्‍यवस्‍था स्‍थापित करने के लिये मेन्‍टेनेंस का कार्य रोका गया और अति आवश्‍यक होने पर कहीं पर कोई मेजर फाल्‍ट क्रिेयेट न हो, वहां पर उस समय में भी मेन्‍टेनेंस का कार्य कराया गया है, इसलिये यह कहना बिल्‍कुल अनुचित है कि सरकार के द्वारा मेन्‍टेनेंस के कार्य में कोई कोताही बरती गई. पिछले तीन-चार साल से यह मेन्‍टेनेंस का कार्य केवल खाना पूर्ति करके होता था और एलटी लाईन का मेन्‍टेनेंस होता ही नहीं था, ट्रांसफार्मर का मेन्‍टेनेंस होता ही नहीं था. आज जो ट्रिपिंग हो रही है वह मात्र पहले जो उपकरण खरीदे गये थे, उन उपकरणों की गुणवत्‍ता कम होने के कारण भी नुकसान हो रहा है. (शेम-शेम की आवाज)

                                      ....(व्‍यवधान)....

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय. (व्‍यवधान)...

          इंजी. प्रदीप लारिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय. (व्‍यवधान)....

          अध्‍यक्ष महोदय -- मूल प्रश्‍नकर्ता का एक प्रश्‍न आ जाने दें फिर आप बोलें. आप सभी बैठ जायें.मूल प्रश्‍नकर्ता का एक प्रश्‍न आ जाने दीजिये फिर आप बोलें.                                         ...(व्‍यवधान)...

          श्री यशपाल सिंह सिंसौदिया -- माननीय अध्‍यक्ष्‍ा महोदय, मेरे प्रश्‍न का तो जवाब ही नहीं आ रहा है ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- आपने दो प्रश्‍न कर लिये हैं, तीसरा प्रश्‍न पूछ लें.

          श्री यशपाल सिंह सिंसौदिया -- दूसरे प्रश्‍न का जवाब ही नहीं आया है और मूझे तीसरा प्रश्‍न भी पूछना है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आपका जवाब आ गया है.

          श्री यशपाल सिंह सिंसौदिया -- दूसरे प्रश्‍न का जवाब नहीं आया है. तीसरा प्रश्‍न अभी मैं पूछुंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आपका दूसरा प्रश्‍न क्‍या था ?

            श्री यशपाल सिंह सिंसौदिया -- मेरा दूसरा प्रश्‍न यह था कि जो एफआईआर में छेड़छाड़ की है, क्‍या इन छ: महीने में असामाजिक तत्‍व पैदा हो गये ? आप ऐसे असामाजिक तत्‍वों की संख्‍या बता दें और उनके नाम भी बता दें कि वह कौन-कौन से असामाजिक तत्‍व हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री यशपाल जी मैं आपके प्रश्‍न का जवाब पुछवा रहा हूं आप बैठ जायें, क्‍या मंत्री जी आपको छेड़छाड की कोई जानकारी है  ?

          श्री प्रियव्रत सिंह -- पश्चिम क्षेत्र से संबंधित माननीय सदस्‍य का सवाल है. पश्चिम क्षेत्र विद्युत कंपनी द्वारा कुल प्रकरणों की संख्‍या 18 हैं, जहां छेड़छाड़ की शिकायतें प्राप्‍त हुई हैं, इनमें से पांच में एफआईआर दर्ज हुई है और 13 में पुलिस में आवेदन दिये गये हैं परंतु एफआईआर अभी दर्ज नहीं हो पाई है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बता दें कि फीडर सेपरेशन के अंतर्गत लाईन लासेस नहीं होते हैं, छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है?  फीडर सेपरेशन में कंपनियां स्‍वयं बताती है कि  चोरी नहीं हो सकती है , छेड़खानी नहीं हो सकती है. मैं फिर कहना चाहता हूं कि बचने के लिये सरकार इन एफआईआर का प्रपंच खेल रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- (श्री शशांक भार्गव के अपने आसन से कुछ कहने पर) श्री भार्गव जी मूल प्रश्‍नकर्ता अपना प्रश्‍न कर रहे हैं, अभी आपको समय नहीं मिल पायेगा. पहले मूल प्रश्‍नकर्ता को प्रश्‍न कर लेने दें.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से एक प्रश्‍न और है जो अति महत्‍वपूर्ण भी है कि आउट सोर्स के अंतर्गत ठेकेदारों द्वारा अप्रशिक्षित लोगों को, युवा बेरोजगारों को जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम है, उनसे का कराया जाता है. जमाना किसी का नहीं है जमाना व्‍यवस्‍था का है. मेरे प्रश्‍न के अंतर्गत इंदौर और उज्‍जैन संभाग में 386 लोगों की मूत्‍यु हो चुकी है. (शेम शेम की आवाज) आपने मंत्री जी कहा और उत्‍तर में बताया है मैं उस संबंध में जानना चाहूंगा क्‍या आपके विभाग ने और आपकी कंपनी के सभी अधिकारियों ने इस बात की ताकीद की है कि वह जो काम करने वाला व्‍यक्ति है जिसको आप खंबे पर चढ़ा रहे हैं वह प्रशिक्षित है या नहीं हैं, उनने आईटीआई की है कि नहीं की है. महिलायें विधवा हो गई है, छोटे-छोटे बच्‍चे अनाथ हो गये हैं उसके बारे में आप थोड़ा स्‍पष्‍टीकरण कर दें.

          श्री प्रियव्रत सिंह -- चार स्‍वरूप के कर्मचारियों की आउट सोर्स में नियुक्ति की जाती है. एक अकुशल एक अर्धकुशल, एक कुशल और उच्‍च कुशल, इन्‍हीं हेड्स में पश्चिमी डिस्‍कोम द्वारा नियुक्तियां की गई हैं. माननीय सदस्‍य महोदय का प्रश्‍न पश्चिमी डिस्‍कोम से संबंधित हैं, इसलिये मैं पश्चिम डिस्‍कोम का ही उत्‍तर दे रहा हूं.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने जो 386 ....

          अध्‍यक्ष महोदय--  धैर्य रखें यशपाल जी.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जो नियुक्तियां हुई हैं, यह हमारी सरकार के कार्यकाल की नियुक्तियां नहीं है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय मंत्री जी मैं आपसे जांच चाहता हूं.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  माननीय आप विराजें, मैं आपके प्रश्‍न का उत्‍तर दे रहा हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  यशपाल जी, जैसा मंत्री जी ने धैर्यपूर्वक आपका प्रश्‍न सुना, आप भी कृपया मंत्री जी का जवाब धैर्यपूर्वक सुनें.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो बात माननीय सदस्‍य महोदय ने कही है, मैं इसका परीक्षण कराऊंगा और इसकी जांच भी कराऊंगा और व्‍यवस्थित रूप से जो प्रशिक्षित लाइन स्‍टॉफ है, जो आई.टी.आई. है या उच्‍च प्रशिक्षित की श्रेणी में आता है उन्‍हीं से हम लाइन वर्क करायेंगे.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री विश्‍वास सारंग-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से मंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूं, आपने भी कहा कि धैर्यपूर्वक सुना और इरीटेड नहीं हुये और यही बात माननीय अध्‍यक्ष महोदय विगत दिनों जब इंदौर गये थे और इनकी बैठक में ही चार बार लाइट चली गई जब भी यह इरीटेड नहीं हुये. इनको मैं बधाई देता हूं और अगर जब इरीटेड हो जाते तो शायद व्‍यवस्‍थायें ठीक हो जातीं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  प्रश्‍न करिये, कृपया प्रश्‍न करिये.

          श्री विश्‍वास सारंग-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने कहा है कि प्रदेश में कोई भी कर्मचारी कटौती के कारण निलंबित नहीं हुआ है पर कर्तव्‍य निर्वहन में लापरवाही के कारण निलंबित किये गये हैं, तो वह कर्तव्‍य निर्वहन में लापरवाही क्‍या थी, क्‍या यह बताने का कष्‍ट करेंगे ?

          श्री प्रियव्रत सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, फीडरों की व्‍यवस्‍था सुचारू रूप से चले और अधिकारियों के कर्तव्‍य नियत हैं. यह मैं नियत नहीं करता, यह पूर्व से ही नियत हैं. जो नियत कर्तव्‍य थे, उनमें जो लापरवाही बरत रहा था उसके खिलाफ कार्यवाही हुई और जहां तक कि भाई साहब ने कहा, बात सुन लें भाई साहब यह सुनने में ही तो कमी आ जाती है. आपने खूब सुनाया हमें, हम बैठे-बैठे सुनते थे, अब 15 साल बाद हमारा मौका आया है तो आप हमारी सुन लो.

          श्री विश्‍वास सारंग-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह 15 साल का भूत तो उतरवा दीजिये.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वक्‍त है बदलाव का या वक्‍त है बदला लेने का.

          अध्‍यक्ष महोदय--  यशपाल जी, आप वरिष्‍ठ हैं.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, विश्‍वास भाई ने कहा कि 4 बार इंदौर में लाइट गई, यह बरसात का समय था, आंधी चल रही थी, एक डाल टूटकर मेरी गाड़ी पर भी गिर गई थी जहां पर मैं खड़ा था वहां और पेड़ भी टूटकर गिरे, उस समय लाइट गई पर मैं धन्‍यवाद देता हूं पश्चिम डिस्‍कॉम में हमारे जुझारू अधिकारियों का कि उन्‍होंने तत्‍काल इंदौर की विद्युत व्‍यवस्‍था एक घंटे के अंदर व्‍यवस्थित की. यहां ऐसा समय भी आया था जुलाई महीना था 2018 का, पूरा भोपाल शहर रातभर अंधकार में डूबा रहा, हाहाकार मच रहा था, समाचार पत्रों में छपा पर उस समय किसी के कान में जूं नहीं रेंगा.

          श्री विश्‍वास सारंग-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह अच्‍छी बात है अभी तक यह कह रहे थे कि अधिकारी कर्मचारी हमसे मिलें. लेकिन इन्‍होंने अधिकारियों, कर्मचारियों को बधाई दी है इसके लिये धन्‍यवाद.

          श्री गोपाल भार्गव जी--  माननीय अध्‍यक्ष जी, माननीय मंत्री जी ने अपने उत्‍तर में यह कहा कि उपकरण खराब थे, सब स्‍टेंडर्ड थे, ट्रांसफार्मर, तार इत्‍यादि जो है वह ठीक नहीं थे इस कारण से हमें विद्युत आपूर्ति में बाधा आ रही है. पिछले 12-15 वर्षों से यही उपकरण ठीक से काम कर रहे थे और आपूर्ति पूरी थी. मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि उस समय कौन से हमारे साथ में भगवान हो गये थे या हमारे साथ में व्‍यवस्‍था हो गयी थी. आपके साथ में कौन सी ऐसी कुदरती कयामत हो गई कि जिसमें यह सारा का सारा होने लगा जिसमें मुख्‍यमंत्री के लिये आप सबको कहना पड़ा, हिदायत देना पड़ी, कर्मचारियों के निलंबन की स्थिति भी आई. अनेकों प्रकार की आपने वीडियो कांफ्रेंसिंग करके पूरे प्रदेश के लोगों के लिये हड़काया, कर्मचारियों को हड़काया. मैं जानना चाहता हूं कि 6 महीने में, 8 महीनें में यह सारे के सारे उपकरण कैसे खराब हो गये. यह दोष देना, मैं मानकर चलता हूं बहुत उत्‍तरदायित्‍व का बोध नहीं कराता.

          श्री प्रियव्रत सिंह--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह कहना बिलकुल अनुचित है कि अभी ट्रिपिंग ज्‍यादा हो रही है. अगर ट्रिपिंग के आप आंकड़े देखें तो 2018 से बहुत कम आउटेज इस बार हुआ है, परंतु हमारी सरकार और हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जनता की मांग के प्रति सजग हैं, इसलिये हम एक्‍शन मोड में दिखे, पहले लाइट जाती थी, किसी को जूं नहीं रेंगती थी. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, दूसरी चीज जो उपकरणों का मामला आया. अभी सिरोंज में हमारे पास माननीय विधायक की चिट्ठी आई कि बिजली की समस्या है  तो हमने वहां जांच की तो वहां इंसुलेटर के संबंध में दिक्कतें आ रही थीं. मैंने जांच के आदेश दिये हैं. जांच पूर्ण होने पर वह तथ्य भी मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष को उपलब्ध कराऊंगा. दूसरी चीज जो यहां पर जो मामला नेता प्रतिपक्ष महोदय ने पूछा. अभी कुछ देर पहले जिक्र किया था चमगादड़ों के बारे में. चमगादड़ों का मामला सिर्फ उत्तर भोपाल जोन का ही है और चमगादड़ों के मामले से हम पूरे मध्यप्रदेश को रिलेट नहीं करते हैं. यह सिर्फ उत्तर भोपाल जोन में शिकायत आई थी. जो तालाब के किनारे, अगर बड़े भाई साहब कहेंगे तो आज शाम को ही हम चलेंगे टहलते हुए और तालाब के किनारे आप टहलेंगे तो मैं आपको चमगादड़े भी दिखा दूंगा  माननीय बड़े भाई साहब को और, रिकार्ड मैं मेंटेन कर लूंगा परन्तु हमने उसमें भी इंसुलेशन के आदेश दिये हैं कि जो तालाब के किनारों की लाईनें हैं उसमें इंसुलेशन किया जाए ताकि वहां फाल्ट क्रियेट न हो.

          श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी,चमगादड़ें अभी 6-8 महीने में बढ़ गई हैं क्या. यह तो पहले भी हुआ करती थीं.

ग्रेसिम उद्योग पर कार्यवाही

[श्रम]

5. ( *क्र. 1061 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्र.क्र. 3990 दिनांक 14.03.18 के पुस्‍तकालय परिशिष्‍ट-1 में वर्णित प्रकरण क्र. 977/1/एवं 5436/12 में कारखाना अधिभोगी एवं प्रबंधक को मा. सी.जे.एम. न्‍यायालय द्वारा फरार घोषित किए जाने पर विभाग ने इनकी गिरफ्तारी के लिए क्‍या व कब कार्यवाही की? समस्‍त कार्यवाही की छायाप्रति देवें। (ख) यदि कार्यवाही नहीं की गई तो कारण बताएं। इसके उत्‍तरदायी अधि‍कारियों के नाम, पदनाम भी देवें। इस अवधि के समस्‍त अधिकारियों के नाम देवें। (ग) उपरोक्‍तानुसार इन अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?

          श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया) -

            (क) प्रश्न में वर्णित प्रकरण क्रमांक 977/11, एवं 5436/12 में कारखाना अधिभोगी एवं प्रबंधक को माननीय सी.जे.एम. न्यायालय,उज्जैन द्वारा फरार घोषित किया गया. प्रश्नांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट "" "" "" एवं "" अनुसार है.

          (ख) विभाग द्वारा कारखाना अधिभोगी एवं प्रबंधक के विरुद्ध माननीय सी.जे.एम. न्यायालय,उज्जैन में प्रकरण दर्ज किया गया था, जो कि वर्तमान में न्यायालय में लंबित है. श्रम विभाग स्तर पर उपरोक्त प्रकरणों में कोई कार्यवाही लंबित नहीं है. चार आरोपियों में से दो कि गिरफ्तार किया जाकर दो पर ईनाम उद्घोषणा की जाकर गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं.

          (ग) प्रश्न उपस्थित नहीं होता.

         

          श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न ग्रेसिम उद्योग से संबंधित है. ग्रेसिम उद्योग हिन्दुस्तान का नहीं, एशिया महाद्वीप का  जाना-पहचाना बहुत बड़ा उद्योग है और उसमें हजारों श्रमिक अपनी आजीविका चलाने के लिये कार्य करते हैं. इस ग्रेसिम उद्योग में आए दिन गैस के रिसाव से बड़े-बड़े टैंकों की सफाई करने के कारण उसका जो वेस्ट मटेरियल हटाने के लिये वहां पर कई दुर्घटनाएं होती रहती हैं और श्रमिकों की मृत्यु होती रहती है. यह प्रश्न श्रम विभाग और गृह विभाग दोनों से जुड़ा हुआ है. मैं प्वाइंटेड प्रश्न माननीय मंत्री जी से करना चाहता हूं कि प्रकरण क्रमांक 977/11 और प्रकरण क्रमांक 5436/12 में जो भी दोषी अधिकारी थे. प्रश्न लगने के बाद माननीय सी.जे.एम. न्यायालय उज्जैन द्वारा उनको फरार घोषित कर दिया गया था. प्रश्न के बाद पुलिस हरकत में आई. उसमें से कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी हो गई. यह प्रश्न का प्रभाव के कारण हुआ. अब चूंकि कारखाना अधिभोगी व्यक्ति की गिरफ्तारी हो गई है तो जो बचे हुए डाक्टर राजीव नयन और वीरेन्द्र महापात्रा की गिरफ्तारी शेष है. आज जो मुझे संशोधित उत्तर मिला है वह पुलिस अधीक्षक के हस्ताक्षर से मिला है कि उन पर 5-5 हजार रुपये का ईनाम घोषित कर दिया है. उनकी गिरफ्तारी होना तय है इसमें कोई शंका नहीं लेकिन मैं श्रम विभाग से सीधा प्रश्न कर रहा हूं. श्रम विभाग ने कहा कि उपरोक्त प्रकरणों में कोई कार्यवाही लंबित नहीं है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि इन दोनों प्रकरणों में मृतक श्रमिक को श्रम विभाग ने क्या उनके परिवारों को अनुकम्पा नियुक्ति दिलवाई गई है, क्या उनके परिवारों को मासिक पेंशन ग्रेसिम उद्योग से दिलवाई जा रही है ?

          श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, निश्चित रूप से  ग्रेसिम उद्योग में सन् 2010 में हुई यह घटना बहुत दुखद थी. 2 घटनाएं इस प्रकार की घटनाएं ग्रेसिम,नागदा में हुईं कि हमारे 2 श्रमिक, जिसमें से एक की एक्सीडेंट में मृत्यु हुई और दूसरा बीमार हुआ, उसको चोटें लगीं किन्तु वह दोबारा अपनी सर्विस पर पहुंच गया.    माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है, उसका जवाब तो परिशिष्ट में स्पष्ट रूप से अंकित है, जहां तक श्रम विभाग की बात है, श्रम विभाग का काम है कि कारखाना अधिनियम के तहत जो प्रॉसिक्युशन सीजेएम कोर्ट के यहां होना चाहिए, वह नीयत समय में श्रम विभाग के अधिकारियों ने सीजेएम कोर्ट में प्रस्तुत किया. आज मामला सबज्युडिस है, न्यायालय में विचाराधीन है. जहां तक गिरफ्तारी की बात है, गिरफ्तारी का कार्यक्षेत्र श्रम विभाग का नहीं, बल्कि गृह विभाग और पुलिस का बनता है.

जहां तक आपने बच्चों की बात की है, नौकरी की बात की है तो मैं आपको सदन के माध्यम से बताना चाहता हूं कि मृतक के बच्चे नाबालिग हैं, इसलिए उनको अनुकंपा नियुक्ति नहीं दे पाये किन्तु श्रम विभाग के अधिकारियों के परिश्रम से फेक्ट्री के मालिकों द्वारा तुरन्त ढ़ाई लाख रुपए का मुआवजा श्रमिक को दिया गया चूंकि इएसआई में पंजीकृत हैं, इसलिए उनको पेंशन की व्यवस्था भी है, एक को 1800 रुपये और दूसरे को 2000 रुपये पेंशन उनके बच्चों एवं पत्नी को प्राप्त हो रही है.

श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसी घटनाएं उस ग्रेसिम में कई होती हैं, जिनको सामान्य मृत्यु बता दिया जाता है. यहां तो वहां के जनप्रतिनिधि के सक्रिय होने के कारण प्रकरण बना है. मेरा प्रश्न यह है कि पुलिस विभाग में या किसी विभाग में छोटा बच्चा भी  होता है तो उसको अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है. माननीय मंत्री जी उसके बच्चे को अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रयास करें?

श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, दो प्रकरणों में, एक में चूंकि नाबालिग बच्चे थे, इसलिए अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी है, किन्तु जो मृतक था, उसके भतीजे को अनुकंपा नियुक्ति दी गई है.

श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो बचे हुए व्यक्ति हैं गृह विभाग से इन्होंने कोई पत्राचार किया है कि नहीं किया है, मेरे पास में यह जानकारी नहीं आई है, लेकिन बाकी लोगों की जो गिरफ्तारी नहीं हुई है. मैं चाहता हूं कि गृह विभाग से इसमें गिरफ्तारी कब तक करवा लेंगे?

अध्यक्ष महोदय - आप बैठिए, मैं बता रहा हूं. माननीय गृह मंत्री जी, जो विषय चल रहा है, माननीय मंत्री श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया जी से पूछकर जो विधायक की मंशा है कृपया गृह विभाग उस पर वैसी कार्यवाही करे.

श्री बहादुर सिंह चौहान - धन्यवाद, माननीय अध्यक्ष महोदय.

बाजना फोरलेन निर्माण में अनियमितता की जाँच 

[लोक निर्माण]

6. ( *क्र. 962 ) श्री हर्ष विजय गेहलोत : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्‍नकर्ता के प्रश्‍न क्र. 544 दिनांक 21.2.19 के संदर्भ में बतावें कि उत्‍तर दिनांक तक अनुबंध की शर्तों अनुसार कितने दिन का विलंब अभी तक हुआ? पेनाल्‍टी किस अनुसार वसूली जाना है? अभी तक ठेकेदार को किस-किस दिनांक को कितना भुगतान किया गया। (ख) क्‍या उपरोक्‍त प्रश्‍न के साथ दी गई D.P.R. तथा सूचना के अधिकार के तहत अजय कुमार चत्‍तर को पत्र क्र.42/सूअधि/स/2017-18 दिनांक 15.1.18 को दी गई D.P.R. भिन्‍न-भिन्‍न है। विधान सभा प्रश्‍नों के माध्‍यम से प्राप्‍त D.P.R. में कुल लागत रूपये 1004.75 लाख तथा दूसरी D.P.R. में रूपये 1747.06 लाख है। यदि हाँ, तो प्रश्‍न 544 के उत्‍तर में इसका उल्‍लेख क्‍यों नहीं है? (ग) क्‍या एक D.P.R. में सड़क की चौड़ाई 20.3 मीटर तथा दूसरी D.P.R. में 31.7 मीटर है, यदि यह सही है तो भ्रामक D.P.R. बनाना क्‍या अपराध की श्रेणी में नहीं है? क्‍या 18 करोड़ का भ्रष्‍टाचार किया जा रहा है? क्‍या विभाग किसी अधिकारी को जाँच हेतु नियुक्‍त करेगा? (घ) क्‍या फोरलेन के प्रारंभिक बिन्‍दु बाजना बस स्‍टैण्‍ड से 1/2 कि.मी. पर रेल्‍वे ओव्‍हर ब्रिज है? यदि हाँ, तो इसका D.P.R. में उल्‍लेख न कर असत्‍य रूप से उस बस स्‍टैण्‍ड का उल्‍लेख किया गया जो 16 साल पहले ही अन्‍य स्‍थान पर चला गया? यदि हाँ, तो इस सड़क के निर्माण में हो रही अनियमितता की जाँच कराई जायेगी?

लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) अद्यतन 11 माह 02 दिवस का विलंब हुआ है। अनुबंध की कंडिका 15 के अनुसार कॉन्‍ट्रेक्‍ट डाटा शीट के अनुलग्‍नक पी अनुसार 0.05 प्रतिशत प्रतिदिन एवं अधिकतम 10 प्रतिशत शास्ति का प्रावधान है। शेष जानकारी संलग्‍न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। जी हाँ। रूपये 1747.06 लाख की डी.पी.आर. स्‍वीकृति हेतु प्रेषित नहीं की गई थी, अत: विधान सभा प्रश्‍न क्रमांक-544 में इसका उल्‍लेख नहीं किया गया। (ग) जी नहीं। प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। किसी प्रकार का भ्रष्‍टाचार नहीं हुआ है, अत: जाँच की आवश्‍यकता नहीं है।   (घ) जी हाँ, रेल्‍वे ओव्‍हर ब्रिज मार्ग के कि.मी. 1/6 में स्थित है। जिसका निर्माण सेतु परिक्षेत्र से किया जाना था, इसलिए रतलाम संभाग (भवन/पथ) द्वारा बनाई गई डी.पी.आर. में आर.ओ.बी. का उल्‍लेख नहीं किया गया। मार्ग के प्रारंभिक भाग में पूर्व में बाजना बस स्‍टैण्‍ड स्थित था, जो कालान्‍तर में अन्‍यत्र स्‍थानांतरित हो गया है, किन्‍तु उस स्‍थान का नाम वर्तमान में भी बोलचाल में बाजना बस स्‍टैण्‍ड के नाम से प्रचलन में है। जाँच की आवश्‍यकता नहीं है।

परिशिष्ट -''एक''

 

श्री हर्ष विजय गेहलोत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पूज्य पिताजी श्री प्रभुदयाल जी गेहलोत, कई बार सदन के सदस्य रहे, उनकी स्मृति को प्रणाम करते हुए मैं आपका आभार मानता हूं  कि आपने मुझे, नये सदस्य को बोलने का मौका दिया. सम्माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी  और सदन को मैं बताना चाहता हूं कि जो डीपीआर बाजना फोरलेन के बारे में बताई गई और जो मुझे सूचना के अधिकार में जानकारी दी गई, उसमें जिम्मेदार अधिकारियों के हस्ताक्षर थे तथा राशि पत्र भी संलग्न है. जो दूसरी डीपीआर दी गई उसमें जो विधान सभा में जानकारी दी गई, वह अलग डीपीआर दी गई और उसमें मात्र दो अधिकारियों के हस्ताक्षर दिये गये. पहली डीपीआर में फोरलेन में 104 फीट रोड का बनना बताया गया तथा 70 मकानों को 10 से 20 फीट तक तोड़ दिया गया, यह विध्वंस होने के बाद यह कहना कि उसे स्वीकृति हेतु नहीं भेजा गया, बिल्कुल असत्य है.

मेरा पहला प्रश्न माननीय मंत्री जी से है कि सूचना के अधिकार में ली गई डीपीआर में किस-किस अधिकारी के हस्ताक्षर हैं और उसे किस दिनांक, किस पत्र क्रमांक से उज्जैन, भोपाल स्वीकृति हेतु भेजा गया तथा स्वीकृति होने पर विधानसभा को दी गई डीपीआर में हस्ताक्षर क्यों नहीं हैं?

            श्री सज्जन सिंह वर्मा --  माननीय अध्यक्ष महोदय डीपीआर के बारे में पिछले सत्र में प्रश्न किया गया था वह डीपीआर 4 लेन की थी. इन्होंने श्री चतर जी के माध्यम से एक आरटीआई लगवाई थी उसके माध्यम से 4 लेन की जानकारी दे दी थी. अब जो इनका प्रश्न है हमारे जो अधिकारी हैं एसई, ईई के माध्यम से जो डीपीआर बनती है, असल में यह डीपीआर नहीं है यह ड्राफ्ट डीपीआर है. क्योंकि जब एक सड़क बनने की तैयारी में होती है तब उसकी दो तीन तरह की डीपीआर बनती हैं, डीपीआर की तकनीकी स्वीकृति हो जाय तब वह डीपीआर कहलाती है वरना वह ड्राफ्ट डीपीआर कहलाती है. माननीय सदस्य ने जो मांगी है उस ड्राफ्ट की प्रति हमने हमारे ईई के हस्ताक्षर के माध्यम से दे दी है.

          श्री हर्ष विजय गेहलोत --माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा कहना है कि दो डीपीआर क्यों बनी हैं और दोनों में राशि अलग अलग क्यों खोली गई है.

          अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.

 

                                                ( प्रश्नकाल समाप्त )

 

 

 

 

 

वक्तव्य

तारांकित प्रश्न संख्या 9 क्र.(449) के संबंध में श्री तुलसी सिलावट,

लोकस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री का वक्तव्य

          लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसी सिलावट ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय दिनांक 9 जुलाई, 2019 को तारांकित प्रश्न संख्या 9 क्रमांक (449) के संदर्भ में आसंदी के निर्देशानुसार प्रकरण की जांच  प्रतिवेदन प्राप्त किया जाकर कार्यवाही की गई, परंतु सदन स्थगित हो जाने के कारण तथा दिनांक 10 जुलाई, 2019 को बजट प्रस्तुति के कारण मैं आज यह जांच प्रतिवेदन सदन के पटल पर प्रस्तुत करता हूं.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय एक व्यवस्था का प्रश्न है कि  आज की कार्यसूची में शून्यकाल की सूचनाओं का उल्लेख नहीं है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.01                              नियम 267-क के अधीन विषय

          अध्यक्ष महोदय -- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनाएं  सदन में पढी हुई मानी जायेंगी.

          1. डॉ सीतासरन शर्मा                      2. श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया

          3. श्री के पी त्रिपाठी                        4. श्री इंदर सिंह परमार

          5. इंजी. प्रदीप लारिया                     6. श्री श्याम लाल द्विवेदी

          7. डॉ हीरालाल अलावा                   8. श्री मनोहर ऊंटवाल

          9. श्री बहादुर सिंह चौहान                10. श्री आशीष गोविन्द शर्मा

 

          डॉ सीतासरण शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय --( अनेक माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होने पर) --(व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय -- मेरी बात सुन लीजिए, मैं अभी केवल नेता प्रतिपक्ष को अनुमति दे रहा हूं. बाकी सब कृपया बैठ जायें.

          डॉ सीतासरण शर्मा -- मैं कोई टिप्पणी नहीं कर रहा हूं. आज विश्व जनसंख्या दिवस है. हम संकल्प लें कि देश की जनसंख्या न बढे. मैंने उस पर कुछ विषय भी दिया है यदि आप उसको ग्राह्य कर लेंगे तो उस पर चर्चा भी हो जायेगी.

          अध्यक्ष महोदय -- जी. (माननीय सदस्य श्री हरदीप सिंह डंग जी के बोलने के लिए खड़े होने पर ) माननीय गोपाल जी यह डंग जी इतना लेट हो गये हैं स्वास्थ्य मंत्री जी ने विषय से संबंधित रिपोर्ट पटल पर रख दी है. यह अभी जाग रहे हैं.--(व्यवधान)

          डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय जब स्वास्थ्य मंत्री जी ने रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी है उस समय घड़ी में समय ऐसा समय हो रहा था कि वे खड़े नहीं हो सकते थे...(व्यवधान)..

          श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय जो रिपोर्ट सदन के पटल पर आयी है उसके बारे में जानकारी दे दें.

          अध्यक्ष महोदय -- आप मंत्री जी से मिल लें.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्यक्ष महोदय नेता प्रतिपक्ष बोलने के लिए खड़े हुए हैं और मंत्रीगणों के आसन की तरफ देखें क्या स्थिति है.

          अध्यक्ष महोदय -- माननीय विधायकगण अपने आसन पर जाएं. माननीय विधायक गण.  परसों   विधायक, श्री हरदीपसिंह डंग जी ने  एक प्रश्न  किया था,  जिसके बारे में आसंदी  से  कुछ निर्देश दिये गये थे.  जैसा सदस्य जी ने बोला,  वैसा रिपोर्ट में पाया  गया, वही चीज आज माननीय स्वास्थ्य  मंत्री जी ने  पढ़कर सुनाई है.  गंभीरता रखिये,  विधायकों का सम्मान   विधायकों के द्वारा लाई गई रिपोर्ट  सही है, तो  निश्चित तौर पर  आसंदी   इस पर ध्यान देगी.

                   श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्यक्ष महोदय,  आपने तत्काल निर्देश दिये,  उसके लिये आपको धन्यवाद.. 

                   नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष जी,  उसके लिये आपको धन्यवाद. अध्यक्ष जी, आज ऊर्जा विभाग का प्रश्न दिवस था.  मंत्री जी ने  दो प्रश्नों में..

                   श्री हरदीपसिंह  डंग -- अध्यक्ष महोदय,  मंत्री जी ओपन करके सदन में बता दें, तो और अच्छा रहेगा.

                   श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय,  मंत्री जी ने दो प्रश्नों के माध्यम से उत्तर  दिये.  बहुत से हमारे सदस्यों ने  इस बारे में  स्थगन और ध्यान आकर्षण सूचनाएं दी हैं.  राज्य में व्यापक स्तर पर  ग्रामीण  और शहरी क्षेत्रों में  विद्युत  कटौती हो रही है.  सभी लोग भलीभांति इससे परिचित हैं. दैनंदिन अखबारों  में रोज बातें छप रही हैं.  पूरा प्रदेश विद्युत कटौती  से हाहाकार कर रहा है. पुरानी लालटेनें  और पुरानी चिमनियां निकल आई हैं.  झाड़-पोछ करके उनको निकाल लिया है.  कई पुराने  जनरेटर,इनवर्टर  भी निकल आये हैं, इस पर स्थगन सूचनाएं जो मिली हैं सचिवालय में,  हम चाहते हैं कि किसी  माध्यम से  इस पर  चर्चा करवा ली जाए,  ताकि अभी  किसी स्थान विशेष के बारे में  यह उल्लेख हुआ है  और उसके बारे  में उत्तर  शासन की तरफ से आया है.  अध्यक्ष महोदय, यह व्यापक विषय है और इस कारण से मैं आपसे आग्रह  करता हूं कि  किसी माध्यम से स्थगन या ध्यान आकर्षण के माध्यम से, जो भी आप उचित समझें,  इस  पर  चर्चा करवा लें.

                   अध्यक्ष महोदय -- जरुर-जरुर.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.07

पत्रों का पटल पर रखा जाना

(1) दिनांक 12.10.2016 को पेटलावद जिला झाबुआ में मोहर्रम के जुलूस को रोकने की घटना की न्‍यायिक जांच आयोग का प्रतिवेदन दिनांक 17 नवम्‍बर, 2017.

 

 

(2)      मध्‍यप्रदेश लघु उद्योग निगम मर्यादित, भोपाल का 54 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016.

 

 

 

(3)  दि मध्‍यप्रदेश स्‍टेट माईनिंग कारपोरेशन लिमिटेड, भोपाल का 54 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017.

 

(4)     (क) मध्‍यप्रदेश मध्‍य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्‍पनी लिमिटेड, भोपाल का 15 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-  2017 तथा

            (ख) मध्‍यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्‍पनी लिमिटेड, जबलपुर का 15 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष        2016-2017

 

 

 

(5)  (क) बरकतउल्‍ला विश्‍वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.) का 46 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 तथा

       (ख) महाराजा छत्रसाल बुन्‍देलखण्‍ड विश्‍वविद्यालय, छतरपुर (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018.

 

 

(6) (क) राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्‍वविद्यालय, ग्‍वालियर                       (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2016-2017 तथा

     (ख) मध्‍यप्रदेश स्‍टेट एग्रो इण्‍डस्‍ट्रीज डेव्‍हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का                 48 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2016-2017.


 

12.10 बजे                                  ध्‍यान आकर्षण

 

          1. नागदा-खाचरौद क्षेत्र के आंगनबाड़ी केन्‍द्रों एवं विद्यालयों में घटिया मध्‍याह्न           भोजन का वितरण किया जाना

 

          श्री दिलीप सिंह गुर्जर (नागदा-खाचरौद) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी ध्‍यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-

 

         

          स्‍कूल शिक्षा मंत्री (डॉ. प्रभुराम चौधरी) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य ने स्‍कूल एवं आंगनबाड़ियों में मध्‍याह्न भोजन और पोषण आहार के संबंध में चिंता व्‍यक्‍त की है. अध्‍यक्ष महोदय, वैसे तो मध्‍याह्न भोजन और पोषण आहार के वितरण की व्‍यवस्‍था ग्रामीण विकास विभाग के माध्‍यम से की जाती है लेकिन फिर भी माननीय सदस्‍य द्वारा चिंता व्‍यक्‍त की गई है तो मैं आपके समक्ष उनके ध्‍यान आकर्षण की सूचना का जवाब देना चाहता हूँ.

 

          श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- माननीय अध्‍यक्ष जी, शासन द्वारा निर्धारित मेनू के अनुसार मध्‍याह्न भोजन आंगनवाड़ियों एवं स्‍कूलों में नहीं दिया जा रहा है, जिससे बच्‍चों को पर्याप्‍त कैलोरी की मात्रा उपलब्‍ध नहीं हो रही है. इससे कुपोषण बढ़ रहा है. नाश्‍ता और भोजन अलग-अलग समय पर दिया जाना चाहिए, लेकिन एक ही समय पर दिया जा रहा है. एक समूह में 50 से ज्‍यादा केन्‍द्र नहीं होना चाहिए और आपके माध्‍यम से ही आपने स्‍वयं स्‍वीकार किया है कि दिनांक 10.09.2018 को अंतिम चेतावनी दी गई है. इससे यह स्‍पष्‍ट होता है कि मध्‍याह्न भोजन आंगनवाडि़यों में पर्याप्‍त नहीं दिया जा रहा है. मैं माननीय मंत्री महोदय से यह मांग करता हॅूं कि क्‍या आप उसकी संपूर्ण जॉंच कराकर 15 दिन में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराएंगे ?

          स्‍कूल शिक्षा मंत्री (डॉ.प्रभुराम चौधरी) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य ने चिन्‍ता व्‍यक्‍त की है. जिला पंचायत, जनपद पंचायत के माध्‍यम से हमारे जो ऐसे एसएचजी (स्‍वसहायता समूह) हैं हमारे शिक्षक पालक संघ के अध्‍यक्ष, ग्राम पंचायत के सरपंच के द्वारा जनपद पंचायत को जो रिपोर्ट दी जाती है उसके आधार पर समूह तय होता है और वह भोजन स्‍कूलों और आंगनवाडि़यों में वितरण करते हैं और यह सांझा चूल्‍हा व्‍यवस्‍था है जिसके अंतर्गत स्‍कूलों और आंगनवाडि़यों में दोनों को समूह के द्वारा भोजन व्‍यवस्‍था और पूरक पोषण आहार वितरण किया जाता है. इसके बावजूद भी माननीय सदस्‍य महोदय ने जो चिन्‍ता व्‍यक्‍त की है कि उसकी जॉंच की जाएगी. इसके पूर्व में भी मैंने आपको बताया कि शिकायत में विकासखण्‍ड स्रोत समन्‍वयक एवं जनपद पंचायत खाचरौद द्वारा फिर से जॉंच प्रतिवेदन के आधार पर चेतावनी दी गई थी लेकिन इसके बाद भी माननीय सदस्‍य दोबारा जॉंच की मांग कर रहे हैं तो मैं आपके माध्‍यम से यह कहना चाहता हॅूं कि कलेक्‍टर के द्वारा संपूर्ण जॉच करा ली जाएगी और जो भी समूह लिप्‍त पाया जाता है तो उसके विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी.

          श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपको अवगत कराना चाहता हॅूं कि रात को ही भोजन बन जाता है और कच्‍ची बासी रोटियां दी जाती हैं. आपने जांच का आदेश दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद. यदि इसकी 15 दिन के अंदर जॉंच हो जाए, तो अच्‍छा होगा.

          डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष जी, शीघ्र जॉंच करा ली जाएगी और उस पर कार्यवाही की जाएगी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय गुर्जर जी, आप 15 दिन बोल रहे हैं और माननीय मंत्री जी शीघ्र बोल रहे हैं.

          श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- बच्‍चों के कुपोषण का मामला है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है.

          डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्‍यक्ष जी, माननीय सदस्‍य चाहते हैं कि 15 दिन में जॉंच करा ली जाए तो मैं कलेक्‍टर के माध्‍यम से 15 दिन के अंदर जॉच करा लूंगा.

          श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह तो पूरे प्रदेश में ही होना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- जहां विषयवस्‍तु है वहीं मैं कुछ कर सकता हॅूं. श्री आशीष गोविन्‍द शर्मा

 

 

 

12.16 बजे           (2) देवास जिले की कन्‍नौद पुलिस द्वारा एक व्‍यक्ति पर अवैध                                            शराब का झूठा प्रकरण कायम किया जाना

 

 

          श्री आशीष गोविंद शर्मा (खातेगांव) --  अध्‍यक्ष महोदय,

 

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

गृह मंत्री (श्री बाला बच्‍चन) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

 


 

          श्री आशीष गोविन्‍द शर्मा - माननीय अध्‍यक्ष जी, मंत्री जी ने जो जवाब दिया है वह पूरी तरह असत्‍य इसलिये है क्‍योंकि घटना जिस 14 तारीख की बताई जा रही है, जिस व्‍यक्ति के साथ मारपीट करना बताया गया है, उसके बाद जब वह आरोपी रिंकू थाने पर पहुंचा, उसकी पुष्टि कई स्‍वतंत्र साक्षी भी करते हैं, साथ ही साथ जब उसको अगले दिन जिस भी दिनांक को न्‍यायालय में पेश किया गया, उस समय उसके परिजनों को जानकारी मिली कि उसके ऊपर आबकारी का एक असत्‍य मुकदमा दर्ज कर दिया गया है. जहां तक बात है कि एक महीने तक का सी.सी.टी.व्‍ही. फुटेज थाने पर उपलब्‍ध रहता है, लेकिन जब उसका जुलूस निकाला गया तो उसके जुलूस निकालने की पुष्टि भी नगर के अन्‍य नागरिक भी कर सकते हैं. उसकी पत्‍नी ने एक आवेदन मानवाधिकार आयोग को और संबंधित पुलिस अधिकारियों को भी दिया है. मेरा माननीय से यह कहना है कि हमें मारपीट की घटना की एफ.आई.आर. से कोई दिक्‍कत नहीं है. वह स्‍वयं भी थाने गया था कि उसकी तरफ से भी रिपोर्ट लिखी जाये, लेकिन उसकी तरफ से कार्यवाही नहीं करते हुये जब 6 बजे वह स्‍वयं थाने पर गिरफ्तार हो गया, उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि के लिये बहुत सारे स्‍वतंत्र साक्षी आपको वहां मिल जायेंगे क्‍योंकि पुलिस थाना महत्‍वपूर्ण जगह पर है. जब वह 6 बजे थाने पर पहुंचकर स्‍वयं अरेस्‍ट हो गया और 7 बजकर कुछ मिनट पर उसके ऊपर मारपीट की विभिन्‍न धाराओं पर मुकदमा दर्ज किया गया, उस समय वह थाने के लॉकअप में था. रात के 11-11.15 बजे उसके खिलाफ आबकारी का एक असत्‍य मुकदमा दर्ज किया गया. यह आबकारी का मुकदमा दर्ज करने की घटना पूरी तरह असत्‍य है. इसलिये माननीय मंत्री जी, मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि मैं इस विषय को यहां तक इसीलिये लेकर आया हूं कि पीडि़त परिवार जो है उसकी छोटी बच्‍ची, उसकी पत्‍नी, उसके माता-पिता, लगभग दो माह से वह व्‍यक्ति जेल में निरुद्ध है, जिस मारपीट की घटना के मामले में उसके खिलाफ एफ.आई.आर. हुई, उसमें उसकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है और उसमें समय आने पर जो कानूनी कार्यवाही होनी होगी, वह होगी. हमें उस मामले में कुछ नहीं कहना है. वह मारपीट की एक सामान्‍य घटना थी. लेकिन अगर पुलिस किसी व्यक्ति को इस तरह इतने बड़े मामले में फँसा दे जिसमें उसको 2-3 महीने तक जेल में निरुद्ध रहना पड़े तो यह कहीं न कहीं उसके नागरिक अधिकारों का तो उल्लंघन है ही साथ ही साथ पुलिस की प्रताड़ना का भी एक तरह का मामला है इसलिए मैं यह चाहता हूँ कि इस मामले की निष्पक्ष जाँच देवास जिले से बाहर के किसी पुलिस अधिकारी से कराई जाए और तब तक जिस निरीक्षक के दौरान यह रिपोर्ट वहाँ पर दर्ज की गई है, जो वहाँ का थाना प्रभारी है, उसे अन्यत्र भेजकर इस मामले की निष्पक्ष जाँच कराई जाए.

          श्री बाला बच्चन--  माननीय अध्यक्ष महोदय, आरोपी ने दोनों अपराध किए हैं और ये अपराध करने के कारण ही हमने कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत गिरफ्तार किया है और अब यह पूरा का पूरा प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन है. बाकी यह कहीं भी नहीं है कि कहीं किसी तरीके से कोई पक्षपात की गई है. दोनों अपराध किए हैं और दोनों अपराध के अंतर्गत ही आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेजा है.

          श्री आशीष गोविन्द शर्मा--  अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि जब आरोपी थाने पर 6-7 बजे लॉकअप में हो गया था. फिर उसके बाद 11 बजे उसकी गिरफ्तारी किस तरह से अन्यत्र स्थान पर बताई जा रही है. हम यह भी नहीं कहना चाहते कि उस पर जो मामला दर्ज हुआ है उस पर न्यायालय संज्ञान लेगा और न्यायालय कार्यवाही करेगा लेकिन जिस व्यक्ति ने भी यह शराब की असत्य एफ.आई.आर.दर्ज की है, उसकी आप निष्पक्ष जाँच करा दें. इतना मेरा आप से इस प्रश्न के माध्यम से आग्रह है और जिस थाना प्रभारी की चूँकि जिम्मेदारी होती है, अगर आप कहें तो इस हाउस के बाहर आप से व्यक्तिगत रूप से मिलकर भी मैं आपको ऐसे साक्ष्य दे सकता हूँ जिससे इस बात की पुष्टि हो कि 7 बजे वह व्यक्ति थाने में निरुद्ध किया जा चुका था. उसके बाद 11 बजे उसकी अन्य एक मामले में गिरफ्तारी बताई गई. यह पूरी तरह से एक व्यक्ति को असत्य फँसाने का मामला है और इसीलिए मैं यह मामला यहाँ तक लेकर आया हूँ क्योंकि मुझे वहाँ से इस मामले में न्याय नहीं मिला इसलिए मैं आप से चाहता हूँ कि आप केवल इतना भर आदेश इसमें करें कि इस मामले की निष्पक्ष जाँच जिले के बाहर के पुलिस अधिकारी से करा दें और संबंधित निरीक्षक, क्योंकि उसके रहते यह जाँच निष्पक्ष होने की संभावना वहाँ पर नहीं है. आप इतनी कार्यवाही भर कर दें.

          श्री बाला बच्चन--  माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने जो कार्यवाही की है वह सोच समझ कर की है और पूरा समझने के बाद ही किया है. मैंने जिस तरह से पूर्व में भी उत्तर में बताया है कि आरोपी ने अपराध किए हैं और दोनों अपराध किए हैं और दोनों अपराध करने के कारण ही हमने दोनों में गिरफ्तारी की है और गिरफ्तार करके हमने जेल पहुँचाया है. बाकी पूरी की पूरी प्रक्रिया अभी कोर्ट में है अब जो भी कोर्ट के संज्ञान में है, जो भी कार्यवाही करना है कोर्ट को करना है. बाकी जैसा माननीय विधायक जी बोल रहे हैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. हमने सही कार्यवाही की है और दोनों केसेस में वह आरोपी था इस कारण से हमने यह कार्यवाही की है.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--  माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने जो तथ्य बताए हैं कि एक बार गिरफ्तार व्यक्ति के लिए फिर दुबारा फिर गिरफ्तार किया गया और उस आदमी के लिए मेलाफाइड इंटेशन से उस आदमी को प्रताड़ित करने के लिए किया गया. यह मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है और जैसा कि माननीय सदस्य की इच्छा है कि किसी वरिष्ठ अधिकारी को भेज कर इसकी जाँच करवा लें तो मैं चाहता हूँ कि यहाँ पी.एच.क्यू. से एक वरिष्ठ को अधिकारी को भेजकर उसकी निष्पक्ष जाँच करवा लें क्योंकि हमारे राज्य के हर नागरिक के लिए न्याय पाने का तो कम से कम अधिकार है. मैं माननीय गृह मंत्री जी से अपेक्षा करूँगा कि न्याय हित में और मानवाधिकार के हित में वे इस व्यवस्था के लिए करेंगे.

          श्री बाला बच्चन--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे निवेदन किया है और सदन को अवगत भी कराया है कि पूरा-पूरा जो प्रकरण है, वह कोर्ट में है. अब मैं समझता हूँ कि जो भी कार्यवाही करना है वह कोर्ट को करना है. बाकी हमको और कानून को जो करना था, विभाग को जो कानूनी कार्यवाही करनी थी,  वह कार्यवाही हम कर चुके. फिर जैसा आपका आदेश, मार्गदर्शन.

          श्री गोपाल भार्गव--  अध्यक्ष महोदय, इसमें क्या चार्जशीट दाखिल कर दी है? क्या सब ज्यूडिश हो गया है? आपने किसी को भी बन्द कर दिया फिर कोर्ट में मामला कैसे हो गया?

          अध्यक्ष महोदय--  माननीय, मैं बोल रहा हूँ. माननीय मंत्री जी, जो विधायक की चिन्ता है उस परिवार के बच्चों को लेकर भी है. आप एक बार विधायक जी को अलग से बुला लीजिए, सुन लीजिए और अगर आपको लगता है कि इसमें जाँच की जरुरत है तो फिर वैसी कार्यवाही कर दीजिए.

          श्री विश्वास सारंग--  माननीय अध्यक्ष महोदय, जाँच करवा दें.

          अध्यक्ष महोदय--  विश्वास, विश्वास भी रखा करो.

          श्री विश्वास सारंग--  माननीय अध्यक्ष महोदय, विश्वास तो पूरा है, अति विश्वास चल रहा है लेकिन आप आसन्दी से यह निर्देश दे दें कि जाँच करवा दें.

            अध्यक्ष महोदय--मैं करवाउंगा, मैंने माननीय मंत्री जी को इशारा कर दिया है.

          श्री आशीष गोविन्द शर्मा--अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट लेना चाहूँगा. माननीय गृह मंत्री जी का जो जवाब है उससे स्पष्ट होता है कि वे अपने महकमे और अपने अधिकारियों को रत्ती मात्र भी दोषी नहीं मानते हैं. मैं आपसे कहना चाहता हूँ, पूरी प्रामाणिकता के साथ इस सदन में कहना चाहता हूँ कि शराब का पूरा प्रकरण उसके प्रति असत्य बनाया गया है. मैं आपसे कुछ नहीं चाहता हूँ अगर आपको भरोसा है कि उस अधिकारी ने और संबंधित थाना प्रभारी ने गलत कार्यवाही नहीं की है तो वह जांच में सिद्ध हो जाएगा. आप जांच तो करा दीजिए.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्य विराजिए. मंत्री जी विधायक जी जो कह रहे हैं उनके प्रमाण भी ले लें एक बार जांच करवा लें कि क्या स्थिति है जिससे सही बात निकलकर आ जाए.

          श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी और मैं रोज मिल रहे हैं. वे कल भी मुझसे मिले और परसों भी मुझसे मिले हैं. उन्होंने इस बारे में मुझे बिलकुल नहीं बताया था. मैं भी इस बात को जानता और मानता भी हूँ कि अगर कोई माननीय विधायक जी के द्वारा सदन में कोई बात आई है तो उस पर विचार करना उस पर ध्यान देना हमारा काम है. आप और हम पहले विधायक हैं, सरकार को इस पर जो विचार करना है वह अलग है. अध्यक्ष महोदय ने जो व्यवस्था दी है. ऐसा कोई मामला आप मेरे संज्ञान में ला दें जैसा आप चाहते हैं और माननीय आसंदी ने जो कहा है उस पर विचार करके जो व्यवस्था बन सकती है वह जरुर देंगे.

          श्री कमल पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह कहना चाहता हूँ कि वे जांच...

          अध्यक्ष महोदय--आप बाल की खाल क्यों निकाल रहे हैं. पूरी बात का पटाक्षेप हो गया है.

          श्री कमल पटेल--मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि जांच के आदेश करवा दें.

          अध्यक्ष महोदय--मैंने आपको परमिट नहीं किया है. प्लीज बैठ जाएं.

          श्री कमल पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूँ कि..

          अध्यक्ष महोदय--इनका कुछ नहीं लिखा जाएगा.

          श्री कमल पटेल--(XXX)

          अध्यक्ष महोदय--आप भी मंत्री रहे हैं, कोई व्यवस्था समझना चाहिए.

          श्री कमल पटेल--(XXX)

          अध्यक्ष महोदय--क्या आप मेरी आज्ञा से बोल रहे हैं.

          श्री कमल पटेल--(XXX)

          अध्यक्ष महोदय--क्या आप मेरी आज्ञा से बोल रहे हैं.

          श्री कमल पटेल--(XXX)

          अध्यक्ष महोदय--यह गलत परम्परा है. कमल जी यह कौन-सा तरीका है. मैंने पहले बार के विधायक को पूरा संरक्षण दिया, सुना और तद्नुसार मैंने यहां पर कार्यवाही की. आपकी पैरवी की आवश्यकता नहीं है. आप विराजिए.

          श्री कमल पटेल--(XXX)

          अध्यक्ष महोदय--आप बाध्य करने वाले कौन होते हैं. यह क्या बात हुई.

         

12.34 बजे                  प्रतिवेदनों की प्रस्तुति एवं स्वीकृति

(1) गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति के प्रथम प्रतिवेदन की प्रस्तुति एवं स्वीकृति

 

          सभापति (श्री हरदीप सिंह डंग)--मैं, गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति का प्रथम प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.

 

 

 

 

(2) सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का प्रथम से चौदहवां प्रतिवेदन

          श्री ग्यारसीलाल रावत (सेंधवा) --अध्यक्ष महोदय, मैं,  सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का प्रथम से चौदहवां प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत करता हूँ.

         

12.35 बजे                              याचिकाओं की प्रस्तुति

 

          अध्यक्ष महोदय--आज की कार्यसूची में उल्लेखित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की गई मानी जाएंगी.

                                                                                     

11:35 बजे                           अध्‍यक्षीय घोषणा

भोजनावकाश न होने एवं आम के वितरण संबंधी

          अध्‍यक्ष महोदय- आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्‍यवस्‍था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि वह सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्‍ट करें. माननीय सदस्‍य श्री गौरीशंकर बिसेन द्वारा अपने बगीचे में जैविक रूप से उत्‍पादित आम माननीय सदस्‍यों को भेंट किए जा रहे हैं. माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि वह आम की पेटी सूचना कार्यालय से प्राप्‍त करने का कष्‍ट करें. भाऊ की बात ही कुछ और है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- अध्‍यक्ष महोदय, जैसे आम फलों का राजा है ऐसे ही हमारे भाऊ हमारे दिलों के राजा हैं.

          श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- अध्‍यक्ष जी, आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

 

11:36 बजे              वर्ष 2019-2020 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा

          अध्‍यक्ष महोदय-- अब वर्ष 2019-2020 के आय-व्‍ययक पर सामान्‍य चर्चा प्रारंभ होगी.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र (दतिया)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपकी बड़ी कृपा है सामान्‍य बजट पर आपने मुझे बोलने का अवसर दिया है. (सदन के बाहर से आवाज आने पर) अध्‍यक्ष महोदय, यह तीसरा पक्ष कौन सा आ गया?

          अध्‍यक्ष महोदय-- ऐसा तो नहीं है कि आम की बात सुनकर आ गए .

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूं. विरोध भी इसीलिए कि वित्‍त मंत्री जी ने बजट की पुस्‍तक रखी है असत्‍य का पुलिंदा है, जिसे असत्‍य का पुलिंदा कहते हैं. संस्‍कृत में एक कहावत है.

          ''यावज्‍जीवेत्‍सुखं जीवेत् ऋणं कृत्‍वा घृतं पिबेत्'

          भस्‍मीभूतस्‍य देहस्‍य पुनरागमनं कुत:''

         

          अर्थात् जब तक जियो सुख से जियो चाहे कर्ज लेकर घी पियो. कंबल ओढ़कर घी पी रहे हैं.

 

          ''नजर आती नहीं मुफलिसी

        कि आंखों में तो खुशहाली''  

        ''कहां तुम रात-दिन इन्‍हें

        झूठे सपने दिखाते हो''

 

          अध्‍यक्ष महोदय, आप आज के अखबार पढ़ें, आप समाचार सुनें. एक ही बात कर रहे हैं कि कोई नया कर नहीं लगाया इतना बढि़या बजट लाए. कोई नया टैक्‍स नहीं लगाया. इससे बड़ा कोई असत्‍य हो ही नहीं सकता है. इन्‍हें टैक्‍स लगाने का अधिकार ही नहीं है.

           

          ''रकीबों ने रपट लिखवाई है

        जा-जा कर थाने में''

        ''कि अकबर नाम लेता है

        खुदा का इस जमाने में''

       

          अध्‍यक्ष महोदय, यह किसी पर टैक्‍स लगा ही नहीं सकते हैं जब से जी.एस.टी. आ गया है उसके बाद से और वाह-वाई लूट रहे हैं. उस पर सितम यह कि यह सिर्फ दो चीजों पर टैक्‍स लगा सकते थे एक पैट्रोल पर और दूसरा शराब पर. कल नेता प्रतिपक्ष जी ने आपके सामने दोनों पर आपत्ति दर्ज की थी .आप आसंदी पर विराजमान थे. सिर्फ असत्‍य वाह-वाही लूटने के लिए इन्‍होंने सदन के पहले ही दोनों पर टैक्‍स लगा दिया. शराब पर भी टैक्‍स लगा दिया. हमारी सरकार के समय में हमने एक भी नई दुकान नहीं खोली थी. इनके वचन पत्र पर क्रमांक (53) पर अपने दृष्टि पत्र में इन्‍होंने शराबबंदी की बात कही थी, घोषणा की थी, लेकिन शराब की होम डिलेवरी करने की तैयारी है. घर पर शराब पहुंचा रहे हैं. यह वित्‍त मंत्री हैं. देसी को अंग्रेजी, अंग्रेजी को देसी अहाते, नई दुकाने खोलना. सिर्फ दो जगह टैक्‍स लगाया है और आप दोनों की हालत देख लें क्‍या कर दी है. और कहीं टैक्‍स लगा ही नहीं सकते थे. पेट्रोल पर टैक्‍स लगा दिया. सदन की जब अधिसूचना जारी हो गई थी उसके बाद पेट्रोल की कीमत बढ़ा दी जबकि इनके वचन-पत्र में इन्‍होंने कहा था कि हम पेट्रोल और रसोई गैस की कीमत कम करेंगे. 5 रूपये प्रति लीटर कीमत कम की जायेगी उसे 2-2 रूपया बढ़ा दिया गया. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, ये कीमतें क्‍यों बढ़ा दी गई, इसका जवाब नहीं है इनके पास. क्‍या यह प्रदेश की जनता के साथ धोखा नहीं है ? आपने वोट लेने के लिए कुछ और कहा, और फिर वोट लेने के बाद कुछ और. माननीय अध्‍यक्ष महोदय रहीम जी का दोहा है-

काज परै कछु और है, काज सरै कछु और I

रहिमन भँवरी के भए नदी सिरावत मौर II

 

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह कांग्रेस की संस्‍कृति है जो मैं आपके सामने रख रहा हूं. खजाना खाली था इसलिए टैक्‍स लगा दिया, 128 दिन मिले इसलिए टैक्‍स लगा दिया. जब खजाना खाली था तो फिर 50-50 करोड़ रूपये मंत्रियों के बंगलों पर मरम्‍मत के लिए कैसे खर्च हो गए ?

          भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री (श्री आरिफ अक़ील)-  कहां खर्च हुए हैं ? आप चलकर देख लो.

            डॉ.नरोत्‍तम मिश्र- आरिफ भाई, आपके बंगले पर भी खर्च हुए हैं. मुझे आज ही मेरे प्रश्‍न का उत्‍तर प्राप्‍त हुआ है. उसे पढ़कर सुना सकता हूं. चल कर नहीं देख सकता.

          सामान्य प्रशासन मंत्री (डॉगोविन्द सिंह)-  क्‍या सुनाओगे ?

            डॉ.नरोत्‍तम मिश्र-  गोविंद सिंह जी, आरिफ भाई को तो सुना ही सकता हूं आप दोनों ही वरिष्‍ठ मेरे साथ के हैं. आपका और हमारा लंबा साथ है और आप जब तक नहीं छेड़ो तो मज़ा भी नहीं आता है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  आरिफ भाई के यहां सेवइयां खाने चला जाना.

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र-  बिल्‍कुल चले जायेंगे. अध्‍यक्ष जी, एक शायरी है कि

माशुक का बुढ़ापा लज्‍जत दिला रहा है,

अंगूर का मज़ा अब किशमिश में आ रहा है.

(....हंसी....)

          दोनों बुजुर्ग मेरे मित्र हैं. अध्‍यक्ष जी, आप ऐसे हंसेंगे तो मजा खराब हो जाएगा.

          वित्‍त मंत्री (श्री तरूण भनोत)-  नरोत्‍तम जी, ये बताइये कि अंगूर कौन है और किशमिश कौन है ?

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र-  भनोत जी, दोनों ही आपकी पार्टी के हैं. वैसे भी आपके यहां अंगूर और किशमिश के हिसाब से नहीं, गुटों के हिसाब से तुलना होती है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  भनोत जी, कृपया अंगूर को न टोकें. नरोत्‍तम जी आप बोलिये.

          श्री जालम सिंह पटेल (मुन्‍ना भैया)-  अंगूर का नाम सुनकर भनोत जी प्रसन्‍न हो गए.

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, 50 करोड़ रूपये इन 28 बंगलों पर खर्च हो गए. मुख्‍यमंत्री जी तो अभी निवास में नहीं पहुंच पाए हैं और इसका कारण है कि उनके बंगले पर मरम्‍मत का काम चल रहा है. मैं यह आज तक नहीं समझ पाया हूं कि हमारे मुख्‍यमंत्री जी उसमें 15 साल तक रहे और 15 दिनों में उस बंगले में ऐसी क्‍या खराबी आ गई, ऐसा कौन-सा वास्‍तुदोष आ गया, निर्माण में ऐसी कौन-सी त्रुटि रह गई कि 7 माह से उस मकान की मरम्‍मत चल रही है लेकिन अगर गरीब की 5 रूपये की थाली बंद करने की बात आये और उसके लिए पैसा देने की बात आये तो खजाना खाली है. (मेजों की थपथपाहट)

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि मंत्रियों के बंगलों पर खर्चा किया जा रहा है और अगर संबल योजना में दफन-कफन के लिए पैसा मांगा जाए तो खजाना खाली है. (मेजों की थपथपाहट)

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इन्‍होंने किसानों का कर्जा माफ नहीं किया. यहां तो मतभेद है मेरे काबिल दोस्‍त गोविंद सिंह जी यहां बैठे हुए हैं. इन्‍होंने दिनांक 20.2.2019 को आदेश जारी किया है. अपर आयुक्‍त सहकारिता के उस आदेश में हस्‍ताक्षर हैं. इन्‍होंने आदेश जारी किया है कि किसानों की जो धारता है, जो अंशपूंजी है, जो कि बैंकों में जमा है. उस राशि को बैंक से इसमें कन्‍वर्ट करके, फिर किसान का कर्ज माफ किया जाये. इसका मतलब यह हुआ कि किसान का पैसा, किसान से लेकर उसे ही देने का यह काम है. इस प्रदेश में इससे बड़ा कोई असत्‍य नहीं हो सकता है. देश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है.

गोविंद जी की मखनि, गोविंद जी को घिव I

गोविंद जी से लेव, गोविंद जी को देव II

          (मेजों की थपथपाहट)

          डॉ. गोविन्‍द सिंह:- 8 हजार करोड़ रूपये यह किस लिये हैं, ऐसा नहीं है, यह आपकी समझ के बाहर है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र:- कुछ ऐसी बातें हैं, जो मैं गोविन्‍द सिंह जी से समझ लूंगा, मेरे मित्र हैं.        

            डॉ. गोविन्‍द सिंह:- आप पत्र का पूरा आशय नहीं समझ पाये.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र:- बात निकलेगी तो दूर तलक तक जायेगी, मेरे भाई.

          अध्‍यक्ष महोदय:- (श्री गोपाल भार्गव के उठने पर) गोपाल जी आप मत उठो, क्‍योंकि नरोत्‍तम बोल रहे हैं, गोविन्‍द पर टिप्‍पणी हो रही है, गोपाल मत उठो. (हंसी)

         

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र:- साहब, जय गोविन्‍दम्, जय गोपालम्  है.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव):- अध्‍यक्ष महोदय, मैंने उस समय भी कहा था कि यह जो आपका पत्र है, जो भी हमारे नरोत्‍तम जी पढ़ रहे थे, आपका पत्र था और आप किसानों का ही पैसा काटकर, उन्‍हीं की ही ऋण-मुक्ति कर रहे थे. आपने स्‍वीकार भी किया था.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह:- जो पत्र है, वह हमारे विभाग के द्वारा यह पत्र गया था, लेकिन जब जानकारी प्राप्‍त हुई तो उसको उसी समय रोक दिया गया और किसी भी किसान का पैसा नहीं काटा गया है. अब यह जरूर है कि किसान का अभी तक पूरा कर्जा माफ  नहीं हो पाया है, लेकिन अब हो रहा है. अभी 8 हजार करोड़ रूपये रखे हैं और किसान का कर्जा माफ करने में जितनी देर होगी तो उस किसान का पैसा मय ब्‍याज सरकार जमा करेगी. सरकार ही जमा करेगी, किसानों का पैसा.

          डॉ.नरोत्‍तम मिश्र:- अध्‍यक्ष जी, जैसा गोविन्‍द सिंह जी ने कहा, मैं नहीं कह रहा कि हम कर रहे हैं. वास्‍तव में एक तो आप अपने मुख्‍यमंत्री जी को आप मेरी प्रणाम भिजवा देना और वित्‍त मंत्री आप भी.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह:- क्‍यों आप डायरेक्‍ट प्रणाम नहीं दे पा रहे हैं ?

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र:- नहीं, अभी वह यहां पर नहीं हैं, सदन में कम बैठते हैं. जब सदन में आपके नेता दिग्विजय सिंह थे, तब यहां आसंदी में तकिया रखा रहता था. अब वह तकिया भी गायब हो गया है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह:- आपके नेता तो हवा में उड़ते रहते थे.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इनकी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जी मध्‍यप्रदेश में आये, (XXX)

          कुंवर विजय शाह:- माननीय अध्‍यक्ष जी, हमारी तरफ से बजट पर सामान्‍य चर्चा पर शुरूआत है और प्रथम वक्‍ता बोल रहे हैं और उस समय बजट की चर्चा पर आपके मुख्‍यमंत्री का सदन में ना होना, मैं समझता हूं कि चिन्‍ता का विषय है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- अब, आप एक चीज बतायें कि इतने वरिष्‍ठ,अनुभवी सदस्‍य को आप लोग टोक रहे हो, मुझे तो अच्‍छा नहीं लग रहा है.

          कुंवर विजय शाह:- अध्‍यक्ष जी, मध्‍यप्रदेश विधान सभा की यह परम्‍परा रही है कि जब भी प्रतिपक्ष का जब प्रथम वक्‍ता बोलता है तो उस समय माननीय मुख्‍यमंत्री जी उपस्थित रहते हैं.

            अध्‍यक्ष महोदय:- विजय शाह जी, नरोत्‍तम जी को बोल लेने दीजिये.

          श्री गोपाल भार्गव:- माननीय अध्‍यक्ष जी, आपको यह व्‍यवस्‍था देना चाहिये और माननीय मुख्‍यमंत्री जी को निवेदन करें या आग्रह करें कि जब मुख्‍य वक्‍ता बोले, ठीक है यदि वह पूरा समय नहीं दे सकते, लेकिन जब प्रथम वक्‍ता बोलें या फिर जब समापन हो तो उस समय अवश्‍य सदन में उपस्थित हों. इससे सदन की गरिमा बढ़ती है और आप सदन संरक्षक हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय:- जी.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र:- अध्‍यक्ष महोदय, दरअसल कर्जा माफी में एक भ्रम है. वह भ्रम आपके माध्‍यम से, सदन के माध्‍यम से मैं, प्रदेश की जनता का दूर करने की कोशिश करता हूं. (XXX) अच्‍छी बात थी. लोगों ने इसी बात को सुनकर इनको वोट भी किया, लेकिन इन्‍होंने 2 लाख रूपये की जगह 2, 4, 6, 8 और कभी 10 हजार रूपये का कर्जा माफ किया और गट्ठर बना-बनाकर कभी मेरे बंगले पर, कभी माननीय शिवराज जी के बंगले पर और कभी नेता प्रतिपक्ष जी के बंगले पर भेजे. कभी भी एक आदमी का इन्‍होंने 2 लाख रूपये का कर्जा माफ नहीं किया, इस मध्‍यप्रदेश के अन्‍दर. उसके बाद इन्‍होंने विज्ञापन देना चालू किया.

          लोक स्‍वास्‍थ्‍य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी के शिवराज सिंह जी ने 2008 के घोषणा पत्र में घोषणा की थी कि किसानों का 50 हजार रूपये कर्जा माफ किया जायेगा, 2008 का भी चुनाव चला गया, 2013 का भी चला गया और 2018 का चुनाव चला गया. इन्‍होंने एक कौड़ी भी किसानों का माफ नहीं किया. हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने शुरूआत तो की है, जिसके कारण किसानों की आत्‍महत्‍या रूकी है. हिन्‍दुस्‍तान में मध्‍यप्रदेश ऐसा राज्‍य रहा है, आपके राज में जिसको आपने सबसे ज्‍यादा कलंकित करके रखा था, आत्‍म-हत्‍या के लिये.  यह भी आप लोगों को याद रखना चाहिये.

          कुंवर विजय शाह:- आप 30 हजार से चुनाव हारे हो.

          अध्‍यक्ष महोदय:- सुखदेव पांसे जी,बैठ जायें. यह परंपरा ठीक नहीं है.

          श्री सुखदेव पांसे--आग लग गई क्या ?

            अध्यक्ष महोदय--पांसे जी आप बैठिये. यह परम्परा ठीक नहीं है.

            श्री विजय शाह--आप लोगों ने अगर कर्जा माफ किया होता तो आप लोक सभा चुनाव में 30 हजार से नहीं हारते और मैं 50 हजार से नहीं जीतता.

          श्री सुखदेव पांसे--हम जीतकर आये हैं तब यहां पर खड़े हैं.

          श्री विजय शाह--मैं लोक सभा चुनाव की बात कर रहा हूं.

          श्री सुखदेव पांसे--आप लड़ते तो समझ में आता.

          अध्यक्ष महोदय--सुखदेव जी आपसे तथा विजय भाई आप दोनों से अनुरोध है कि सीधे सीधे क्यों बात कर रहे हैं. मेरे को यहां क्यों बिठाला है?

            डॉ.नरोत्तम मिश्र--  अध्यक्ष महोदय, आप बैठे रहें हमें कोई दिक्कत नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय--नरोत्तम जी की गाड़ी एकदम टॉप गियर में आती है और यह लोग एकदम से ब्रेक मार देते हैं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--आप आ गये हैं तो थोड़ी आस है. अध्यक्ष महोदय पी.एच.ई मंत्री हैं पानीदार विजय शाह ने दुःखदी रग पर हाथ रखा, उनको नहीं रखना था. अब हार जाते हैं तो हार जीत तो लगी रहती है. दिक्कत सिर्फ इतनी रहती है पांसे जी कि आपके जो सदन के नेता हैं उन्होंने इस बार ऐसी गाड़ी चलायी इसके लिये उनको सलाम भेजना है.(XXX)

          ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह)-- (XXX)

          डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (XXX)

          श्री प्रियव्रत सिंह--यह गाड़ी ऐसी चलती है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--आपने जिनके नाम लिये हैं ये चुनाव नहीं लड़े. जिनके नाम मैं ले रहा हूं वह सब चुनाव लड़े हैं. सब साफ हो गये.

          वित्तमंत्री (श्री तरूण भानोत)--आपका बल्ला बहुत तेज चलता है. हम चक्की धीमी चलाते हैं.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (XXX) 

           उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी)-- अध्यक्ष जी मेरा अनुरोध है कि आप 15-15 लाख का हिसाब दीजिये.

          श्री मोहन यादव--जितु भाई आप सरकार के मंत्री हैं आप तो सुने आपकी जवाबदारी ज्यादा है. विपक्ष का काम तो बोलना है. आप सुनने की आदत डाले.

          श्री विश्वास सारंग--मंत्री जी जरा आप गंभीरता रखें.

          अध्यक्ष महोदय--नरोत्तम जी क्या आप कौने तक गाड़ी ले जाकर छोड़ते हो.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष जी आपकी कृपा है. आपकी कृपा बनी रहे ताकत आपसे मिलती है. मैं इतनी बात कर रहा था कि स्थिति पहले से ही डगमगा रही थी जब से सरकार बनी है तब से. एक सुपर मुख्यमंत्री थे, एक मुख्यमंत्री थे, (XXX)

          श्री सोहनलाल वाल्मीक--अध्यक्ष महोदय, क्या बजट पर बोलने के लिये कुछ भी नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय--आप भी बोलना जब आपकी बारी आये.

          श्री सोहनलाल वाल्मीक--अध्यक्ष महोदय, सदन को विषय से भटकाकर सदन को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है. इसमें (XXX) कहां से आ गये. यह क्या बजट का पहलू है क्या ? इस पर बहस करना है तो बाहर बहस करें. यह सदन में गलत परम्परा डल रही है. इसमें (XXX) शब्द भी आया है, यह उचित नहीं है. वह इस सदन में पूर्व संसदीय मंत्री भी रहे हैं.

          अध्यक्ष महोदय-- यह सारी चर्चाएं विलोपित की जाती हैं.       

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--मैं बजट पर ही बोल रहा था.

          अध्‍यक्ष महोदय - मेरी बात सुनिए, नरोत्‍तम जी बोल रहे हैं, रामेश्‍वर जी चुप रहे. मेरी भाषा भी समझ लिया करिए, नरोत्‍तम बोल रहे हैं, रामेश्‍वर चुप रहिए.

          श्री नरोत्‍तम मिश्रा -  अध्‍यक्ष महोदय, अभी सहकारिता मंत्री खड़े हुए और उन्‍होंने कहा कि हमने अभी 8 हजार करोड़ रूपए  बजट में प्रावधान किया, मैं सहमत हूं, किया है, वित्‍त मंत्री जी ने किया है. इसके पहले 5 हजार करोड़ किया था. अध्‍यक्ष जी मैं सिर्फ यह कह रहा था 48 हजार करोड़ रूपए का कर्जा किसानों पर इस मध्‍यप्रदेश के अंदर हैं. सहकारिता मंत्री जी थोड़ी सी नजरें इनायत हो जाएं, कर्जा है 48 हजार करोड़ रूपए का, बजट में प्रावधान है 8 हजार करोड़ का, आप कैसे माफ करोगे?

          खेल एवं युवा कल्‍याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) - बताएंगे.

          श्री नरोत्‍तम मिश्रा -  आपने अपने ही नेता को असत्‍य साबित करने के लिए यह स‍ब किया है, क्‍योंकि वह दस दिन के अंदर मुख्‍यमंत्री बदलने का कह गए थे, दो लाख तक का कर्जा माफ करने का कह गए थे. आपने इस प्रदेश के किसान के साथ तो धोखा किया ही किया, अपने नेता राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राहुल गांधी के साथ भी धोखा किया.(...शेम शेम की आवाज) जिसका परिणाम यह हुआ, कि लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 29 में से 28 सीटें कांग्रेस हार गई, सूपड़ा साफ हो गया. एक बचे हैं, अब वह कैसे बचे उनसे ही पूछ लेना कभी, आप दोनों ही सीनियर लोग हो, बाकी तो दूसरी बार के हैं. आप दोनों की पीड़ा भी मैं समझता हूं कि आपको ठीक-ठाक विभाग नहीं मिल पाये. (XXX) माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं नहीं कह रहा हूं अखवार में लिखा है. मैंने तो गुटका को आगे फ्रेम में किया है.

12:58 बजे       {उपाध्‍यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}

 

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्‍वर पटेल) - अध्‍यक्ष जी, यह आपत्तिजनक है. विषय पर बात करें.

          श्री नरोत्‍तम मिश्रा - मंत्री जी,  मैं विषय पर ही तो बोल रहा हूं कि इसके कारण से बजट प्रभावित हो रहा मेरे भाई. ये सारी चीजों के कारण से बजट प्रभावित हो रहा है.

          ऊर्जा मंत्री(श्री प्रियव्रत सिंह) - गुटका स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक होता है. आप उस पर ज्‍यादा ध्‍यान न दें.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - कांग्रेस में यही तो हानि का कारण बन रहा है.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अभी तो हमारे सलामी बल्‍लेबाज उतरे हैं, मैदान में, बहुत बल्‍लेबाज है हमारे यहां. (..हंसी)

          श्री नरोत्‍तम मिश्रा - उपाध्‍यक्ष जी, आपका स्‍वागत है. मेरी प्रार्थना सिर्फ इतनी सी थी कि जो कर्जा माफी की घोषणा की गई इनके दृष्टिपत्र में और जो तीन-तीन आदेश निकाले गए, वह एकदम भिन्‍न थे और उसका दुष्‍परिणाम यह हुआ कि जिस दिन इन्‍होंने आदेश बदलकर छोटे और सीमांत किसान किया, तो सबसे पहले किसान ने खंडवा में आत्‍म हत्‍या की और आज दिनांक तक 71 किसान इस प्रदेश के अंदर आत्‍महत्‍या कर चुके हैं(...शेम शेम) इससे ज्‍यादा दु:खद बात कोई नहीं हो सकती है, माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय कि इस प्रदेश के अंदर 71  किसानों ने आत्‍महत्‍या कर ली. मैं जिस इलाके से आता हूं वह इलाका धान का कटोरा कहा जाता है, हमारा डबरा, दतिया, गोहद. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, उस इलाके में किसान धान की पौध नहीं बो पाया इसलिए कि बिजली की सप्‍लाई बाधित हो गई. आसंदी के सामने अगर मैं असत्‍य बोल रहा हूं तो आप उसका परीक्षण करा लें. धान की फसल लेट हो गई ट्रांसफार्मर फुंके थे, क्‍योंकि ट्रांसफार्मर की जितनी ताकत थी, वह पूरी ट्रांसफर में लगा दी. (..मेजों की थपथपाहट..) जितने भी वाट और जितने भी मेगावाट थे, वे सब लग गए. क्‍या हालत हो गई है ? उपाध्‍यक्ष महोदया. वल्‍लभ भवन का पांचवां फ्लोर, वहां जब भी चले जाओ तो वह खचाखच भरा मिलता है, जितने पास वल्‍लभ भवन के हमारी सरकार में 15 वर्षों में बने हैं, 5 महीने में बना दिए गए. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया जी, मैं जो भी बात कर रहा हूँ, रिकॉर्डेड बातें कर रहा हूँ. मैं ऐसे ही नहीं कह रहा हूँ इसलिए जो भी बोलें, तथ्‍यात्‍मक बोलें. मैं अपनी बात सप्रमाण प्रस्‍तुत करूँगा और आप भी कोई भी बात प्रमाण के साथ कहिए.

          उपाध्‍यक्ष महोदया, इसका आलम क्‍या हुआ कि एक दिन ऐसा नहीं आया, वे 128 दिन जो इन्‍हें काम के लिए मिले थे. कल वित्‍त मंत्री जी कह रहे थे कि आचार संहिता लग गई और हमें कुल 128 दिन मिले हैं. 128 सूचियां इस प्रदेश के अन्‍दर ट्रांसफर की जारी हो गईं. एक-एक थाने की बोली लगती है, मेरे क्षेत्र के थाने में 6 महीने में 3 टीआई बदल गए हैं, दतिया में 6 महीने में 3 कलेक्‍टर बदल गए, हमारे ग्‍वालियर में 6 महीने में 3 कलेक्‍टर बदल गए, डबरा में 6 महीने में 3 टीआई बदल गए. आप ट्रांसफर कर रहे हैं. यह अच्‍छी बात है, आप ट्रांसफर करें फिर उन्‍हें निरस्‍त कैसे कर रहे हैं ? मैंने आज तक एक ट्रांसफर निरस्‍त की कोई दरख्‍वास्‍त दी हो तो वह बताए. संसदीय कार्यमंत्री जी, आप मेरे मित्र हैं, आपसे क्‍या कहना ?

          खेल एवं युवा कल्‍याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) - आपने आज तक मेरा घर नहीं छोड़ा है, जो मुझे अलॉट हुआ है और आप बातें इतनी करते हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - उपाध्‍यक्ष महोदया, यह मेरे घर में रह रहा है, जो मुझे अलॉट हुआ है. आप देखें तो सही. यह मेरे घर में रह रहा है, मेरा भाई सक्षम है, 'समर्थ को नहीं दोष गुसांई' समर्थ व्‍यक्ति है, मुझे अलॉट हुआ है, भाई बैठा हुआ है, उसको कौन खाली करा सकता है ? हम तो विपक्ष के हैं, हमसे कोई भी खाली करा ले, जेई कहे तो खाली करके रोड पर आ जाएं. मैं सिर्फ आपका इतना ध्‍यान आकर्षण कराना चाहता था कि यह जो खाली खजाने की बात कही है. वित्‍त मंत्री जी, जब आप इसे समाप्‍त करोगे तो बताना कि प्रशासनिक व्‍यय में 50 करोड़ रुपये से ज्‍यादा आपने इस 6 महीने के अन्‍दर ट्रांसफरों में व्‍यय कर दिया. आप कह रहे थे कि खजाना खाली है. आप जब जवाब दें तो आंकड़ा दें. मैं तब मानूँगा कि व्‍यय कितना हुआ ? वह बताएं कि बंगलों पर कुल कितना खर्च हुआ ?  मेरी आज की प्रश्‍नोत्‍तरी के प्रश्‍न पर एक विभाग पी.डब्‍ल्‍यू.डी. ने 38 करोड़ 47 लाख 756 रुपये व्‍यय कर दिये और ये कहते हैं कि खजाना खाली है (शेम, शेम की आवाजें)

          श्री रामेश्‍वर शर्मा - इतने में तो नए बन जाते.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - नये बन जाते हैं, बनवाए तो नए हैं, वे मरम्‍मत दिखा रहे हैं. यह तो लगाने का कुछ और और दिखाने का कुछ और है. इनको पता ही नहीं है.

          श्री जितु पटवारी - अध्‍यक्ष जी, आपने बताने का कुछ तथा यह‍ आंकड़ा बोलने से नहीं होगा. आप आंकड़ा लिखा हुआ कहां से लाए ? जबरर्दस्‍ती, आप हवा में लट्ठ मार रहे हो.

          श्री विश्‍वास सारंग - माननीय उपाध्‍यक्ष जी, एक निवेदन है कि डॉ. नरोत्‍तम मिश्र जी बोल रहे हैं, इस इन्‍ट्रप्‍शन को रोकिए.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - उपाध्‍यक्ष जी, मैं यह आंकड़ा दे रहा हूँ. आज की प्रश्‍नोत्‍तरी दिनांक 3/7/2019 उत्‍तर भेजने की तारीख, सदन के अन्‍दर जवाब देने की दिनांक 11/7/2019 डॉ. नरोत्‍तम मिश्र प्रश्‍नकर्ता, उत्‍तरकर्ता लोक निर्माण मंत्री, श्री सज्‍जन सिंह वर्मा. मैंने इसमें पूछा है कि भोपाल मुख्‍यमंत्री और मंत्रियों के शासकीय आवास आवंटित किए हैं, आवास की नामवार जानकारी देवें, यदि हां तो क्‍या आवंटित शासकीय आवासों में नवनिर्माण, मरम्‍मत, साज-सज्‍जा से कराए गए हैं, प्रश्‍नांश-ग, ख के अनुसार यदि हां, तो कौन-कौन से आवासों में कितनी-कितनी राशि से कार्य कराए गए हैं ? मुख्‍यमंत्री आवास, शेष कार्य का नाम और कुल राशि स्‍पष्‍ट करें, यह जवाब है और उपाध्‍यक्ष जी. मैं इसमें जिस मंत्री का कहें, मैं नाम लेकर बताता हूँ. जितु भाई बालें कि कौन से मंत्री का बोलना है ?

          श्री हरिशंकर खटीक - आपके बंगले का बताएं.

          श्री जितु पटवार - आपका बताओ, आप जिस घर में रहते हैं, उसका बताओ.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र - शून्‍य है, शून्‍य है. मैं बोल रहा हूँ, शून्‍य है.   

                                                 ....(व्‍यवधान)....                 

          श्री सुखदेव पांसे -- आप 15 साल का बताओ. आपसे बंगले का मोह छूट नहीं रहा है और आप शून्‍य की बात कर रहे हो. आप 15 साल का आपके बंगले का पहले हिसाब बताओ ?....(व्‍यवधान)....

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- उपाध्‍यक्ष महोदया, यह आंकड़े नहीं मांगे क्‍योंकि मैंने पहले जब आप आसंदी पर विराजमान हुई तो यह कहा था कि मैं जो भी बात बोलूंगा मैं प्रमाण के साथ बोलूंगा इसलिये मुझसे सवाल करते वक्‍त कोई भी व्‍यक्ति प्रमाण के साथ बात करे इतनी सी बात मैंने कही है. ....(व्‍यवधान)....                     

          श्री सुखदेव पांसे -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मेरा एक प्रश्‍न है नेता प्रतिपक्ष के बंगले पर कितना पैसा खर्च हुआ यह बता दीजिये ? ....(व्‍यवधान)....

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- उपाध्‍यक्ष महोदया, मेरा व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न है क्‍या कोई मंत्री प्रश्‍न पूछ सकता है ? ....(व्‍यवधान).... उपाध्‍यक्ष महोदया, मुझे बोलने नहीं दिया जा रहा है.

          श्री विश्‍वास सारंग -- उपाध्‍यक्ष महोदया, मेरा व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न है कि यह ठीक नहीं है क्‍या कोई मंत्री प्रश्‍न पूछ सकता है ? आपको शौक है तो फिक्र मत करो विपक्ष में आओ तब प्रश्‍न पूछ लेना और जल्‍दी आप विपक्ष में आने वाले हो.            

          श्री सुखदेव पांसे -- दस साल नहीं आने वाले. ....(व्‍यवधान)....

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- मेरा माननीय सदस्‍यों से निवेदन है कि कृपया करके सदन चलने दें, बैठ जायें. ....(व्‍यवधान)....                                               

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, चूंकि मेरे बारे में कहा गया है इसलिये मैं यह बताना चाहता हूं कि आपका पद, हमारे स्‍पीकर साहब का पद  और मेरा पद विधानसभा सचिवालय और विधानसभा के अंतर्गत ही आने वाला पद है इसके बावजूद मैं आपको चुनौती देता हूं कि एक भी पत्र मेरा ऐसा निकाल लेना जिसमें मैंने आग्रह किया हो या सरकार को लिखा हो कि पांच रूपये का काम भी मेरे बंगले पर कर दिया जाये, अगर ऐसा होगा तो मैं राजनीति से सन्‍यास लेने के लिये तैयार हूं. (मेजों की थपथपाहट)

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय डॉ.नरोत्‍तम मिश्र जी आप बोलें.  ....(व्‍यवधान)....

          श्री जितू पटवारी -- एक मिनट उपाध्‍यक्ष महोदया आपकी अनुमति हो तो एक बात कहना चाहता हूं‍ कि किसी विधायक ने, किसी मंत्री ने एक भी पत्र लिखा हो कि बंगला ठीक किया जाये.....(व्‍यवधान)....

          श्री विश्‍वास सांरग -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया जी कृपया आप व्‍यवस्‍था दें. ....(व्‍यवधान)....

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- आप सभी बैठ जायें, डॉ. नरोत्‍तम मिश्र जी आप बोलें. 

          श्री शशांक भार्गव -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, मेरा एक प्रश्‍न है. ....(व्‍यवधान)....

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- अभी नहीं आप बैठ जायें, ....(व्‍यवधान)....                  

          श्री तरूण भनोत -- मैं वरिष्‍ठ सदस्‍य आदरणीय डॉ. नरोत्‍तम मिश्र जी का सम्‍मान करता हूं.

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया जी इस तरह से इंटरप्‍शन से भाषण नहीं हो पायेंगे.

          श्री तरूण भनोत -- मैं इंटरप्‍शन नहीं कर रहा हूं, आप सुने श्री विश्‍वास जी. आदरणीय उपाध्‍यक्ष महोदया, जिस मुद्दे पर यहां चर्चा हो रही है. ....(व्‍यवधान)....

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, माननीय मंत्री जी जब भाषण करेंगे, तब बोलें. ....(व्‍यवधान)....

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय मंत्री जब आप जवाब देंगे, तब आप सारे जवाब दे दीजियेगा. डॉ. नरोत्‍तम मिश्र जी आप अपनी बात पूरी करें. ....(व्‍यवधान)....

          श्री तरूण भनोत -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, यह बड़ा दुर्भाग्‍यपूर्ण है कि नेता प्रतिपक्ष के बारे में सवाल उठ रहे हैं, मुख्‍यमंत्री के बारे में सवाल उठ रहे हैं. ....(व्‍यवधान)....                            

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- माननीय मंत्री जी जब आपका समय आये, तब आप उत्‍तर दीजिये, आपको मौका मिलेगा. ....(व्‍यवधान)....                                    

          श्री तरूण भनोत -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, यह बड़ी दुर्भाग्‍यपूर्ण बात है यह मुद्दा नहीं उठना चाहिये, यह हमारे नेता प्रतिपक्ष की गरिमा के खिलाफ है. ....(व्‍यवधान)....                                               

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- क्‍यों इंटरप्‍शन कर रहे हैं, जनाब आपको मौका मिलेगा पूरे सदन की ओर से मौका मिलेगा. आप डॉ. नरोत्‍तम मिश्र जी को बोलने दें. ....(व्‍यवधान)....

          श्री तरूण भनोत -- मैं उनका समर्थन करने के लिये खड़ा हुआ हूं.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- यह उचित नहीं है. यह सर्वथा अनुचित है. ....(व्‍यवधान)..

          श्री तरूण भनोत -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, यह जिसका भी बंगला है, जिसमें माननीय मुख्‍यमंत्री जी निवास कर रहे हैं या नेता प्रतिपक्ष निवास कर रहे हैं चाहे माननीय मंत्री जी निवास कर रहे हैं, पूर्व में भी बोल रहे थे ....(व्‍यवधान)....

          उपाध्‍यक्ष महोदया -- मेरा माननीय सदस्‍यों से निवेदन है कि विषय के आधार पर ही बोलें, आप सभी बैठ जायें. ....(व्‍यवधान)....

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, इन लोगों ने टैक्‍स के पैसे का दुरूपयोग किया है और मंत्रियों के कपड़ों पर जो खर्च किया है, संसाधनों पर जो खर्च किया है उसका उल्‍लेख किया है. ....(व्‍यवधान)....                               

          उपाध्‍यक्ष महोदया - मेरा माननीय सदस्‍यों से निवेदन है कि काफी नाम दोनों पक्षों से आये हैं, इसलिये मेरा इस सदन के माननीय सदस्‍यों से निवेदन है कि कृपया विषय के आधार पर ही बोलें.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, दरसल इसमें कई जगह ऐसा उल्‍लेख आया था कि विकास में हमें कुल 128 दिन मिले हैं. मैं उन्‍हीं 128 दिन की बात कर रहा हूं. उन 128 दिनों में ट्रांसफार्मर की ताकत कहां चली गई, मैं यह वित्‍त मंत्री जी को दृष्टिगोचर कर रहा था, सरकार उनकी है वह सुधार करना चाहेंगे करें न करना चाहे न करें. आज वह पावर में हैं.

          मेरा माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया से इतना कहना था कि बड़ी आशा से इन्‍होंने अपने दृष्टिपत्र में उल्‍लेख किया है कि यह सरकार जनता का ध्‍यान रखेगी, अपने वचन पत्र में ऐसा कहा. अब जनता परेशान है कि कांग्रेस का कार्यकर्ता हमारी नहीं सुन रहा है, कांग्रेस का कार्यकर्ता परेशान है कि विधायक नहीं सुन रहा है, विधायक परेशान है कि मंत्री नहीं सुन रहा है, मंत्री परेशान है कि मुख्‍यमंत्री नहीं सुन रहा है, मुख्‍यमंत्री परेशान है कि अधिकारी नहीं सुने रहे हैं और अधिकारी परेशान है कि हमें पता ही नहीं है कि कब तक यहां रहना है (हंसी), यह स्थिति प्रदेश की हुई है. इसलिये नीचे तक धरातल तक कोई काम उतर ही नहीं रहा है, ऐसे थोड़े ही बिजली चली गई और कांग्रेस के लोग बोले कि भारतीय जनता पार्टी के लोग तो कुछ तो भी बयानबाजी कर रहे हैं

          भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने बिजली काट दी, बिजली की ट्रिपिंग भारतीय जनता पार्टी के लोग कर रहे हैं. आप अक्षम हो, आप अकर्मण्‍य हो, आप व्‍यवस्‍था नहीं संभाल पा रहे इस कारण से बिजली जा रही है और आप कभी कहते हो कि हमने खरीदे थे खराब उपकरण और पार्ट्स इसलिये बिजली जा रही है. कभी कहते हो कि चमगादड़ उल्‍टे कि सीधे, सीधे कि उल्‍टे लटक गये, इसलिये बिजली जा रही है. ये चमगादड़ आरिफ भाई तुम्‍हारे क्षेत्र के हैं, ..(हंसी).. हैं कि नहीं, हां कि न. अब यह उल्‍टे लटकते हैं कि सीधे, मैं क्‍या जानू इसको. आप तो यह बताओ आपके क्षेत्र के हैं तो हमने पाल लिये क्‍या. 6 महीने पहले तो यह उल्‍टे और सीधे कैसे भी लटकते थे लाइट नहीं जाती थी, अब 6 महीने में ही लाइट जाने लगी. यह हमारे कहने से चल रहे हैं क्‍या ? बिजली के कर्मचारी हमारे कहने से चल रहे हैं. उपकरण खरीदकर लाये तो भारतीय जनता पार्टी, अब उपकरण भी यह जानते थे कि कांग्रेस की सरकार आ गई है. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, 15 साल में कभी बिजली नहीं गई (सत्‍ता पक्ष के कई विधायकों ने बैठे-बैठे बोला, खूब गई-खूब गई). अगर खूब गई थी तो आप लोग क्‍या कर रहे थे. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, नेचुरल सी बात थी आज ऊर्जा मंत्री ने जवाब दिया.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव (विदिशा)-- विदिशा के पावर हाउस में ताला बंद करके 3-3 दिन हड़ताल की, वहां लाइट की इतनी तकलीफ थी यह हमारे पूर्व मुख्‍यमंत्री से आप पूछ सकते हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  इसीलिये पंडित जी आप यहां आ गये. पंडित जी महाराज, इसीलिये तो उधर हो.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव--  आप आदेश दें तो एक सवाल और करना चाहता हूं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  सवाल, जवाब. मैं मंत्री थोड़ी हूं जवाब कैसे दूंगा.

          श्री शशांक श्रीकृष्‍ण भार्गव--  उपाध्‍यक्ष महोदय, बंगलों के ऊपर लड़ाई हो रही थी कि किसके बंगले पर कितना पैसा खर्च किया. मैं आपके माध्‍यम से पूछना चाहता हूं कि हमारे यहां विदिशा में एक सुंदर डेयरी है, उसका रोड बनाने में और पुल बनाने के लिये कितने हजार करोड़ रूपया खर्च करके सिर्फ एक आदमी को जाने के लिये व्‍यवस्‍था दी गई, मैं यह पूछना चाहता हूं, आप कह रहे हैं उपकरण खराब हैं, पिछले 4 सालों में मेरे जिले में 4 हजार ट्रांसफार्मर 25 केवीए के लगे, यह पूछें कि पिछले तीन सालों में वह कितनी बार खराब हुये.

          उपाध्‍यक्ष महोदया--  आप बैठ जाईये.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  माननीया उपाध्‍यक्ष जी, हम आज गर्व के साथ कह सकते हैं कि इस प्रदेश को फीडर सेपरेशन का काम अगर कोई देने वाली है तो वह भारतीय जनता पार्टी है. देश के अंदर वह बिरला दूसरा प्रदेश था गुजरात के बाद जहां फीडर सेपरेशन किया गया. आजादी के बाद से जितने ट्रांसफार्मर नहीं लगे थे उतने 5 साल के अंदर लगाकर दिये. आजादी के बाद से जितने खंबे नहीं लगे थे उतने हमने खंबे लगाकर किसान को गांव की लाइट अलग और खेत की लाइट अलग यह व्‍यवस्‍था करके दी थी. उसका परिणाम यह हुआ कि इनकी सरकार थी तब मनमोहन सिंह जी प्रधान मंत्री थे तब भी कृषि कर्मण पुरूस्‍कार इस प्रदेश को दिया गया और उसके बाद भी कृषि कर्मण पुरूस्‍कार इस मध्‍यप्रदेश को भारतीय जनता पार्टी में मिला. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, हमने काम करके दिखाया था.

          गृह मंत्री (श्री बाला बच्‍चन)-- उपाध्‍यक्ष महोदया, आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े देखें 1.66 लाख हेक्‍टेयर जमीन का रकबा कम हो गया है, यह परसों की रिपोर्ट में है. किसानों की संख्‍या बढ़ी है, लेकिन यह रकबा इतना बड़ा क्‍यों घट गया है. पौने दो लाख हेक्‍टेयर.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  बाला भैया, आपने 6 महीने के गृह विभाग के आंकड़े देखे. बताओं कितनी हत्‍यायें हो गयीं.

          श्री बाला बच्‍चन--  देखे हैं, सब देखे हैं. सुनो किसी में 2 प्रतिशत, किसी में 4 प्रतिशत.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  कितनी हत्‍या हो गईं इस प्रदेश में 6 महीने के अंदर एक जवाब दो अगर जवाब देना है तो.

          श्री बाला बच्‍चन--  बता दूंगा.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, 1 हजार लोग इस प्रदेश के अंदर मर गये, हत्‍या कर दी गई, लूट की गई. प्रश्‍नोत्‍तरी में इसका उत्‍तर है. वह आंकड़े नहीं देखे. माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, 5455 लूट की घटनायें इस प्रदेश के अंदर हो गईं, वह गृहमंत्री जी ने नहीं देखा. ... (व्‍यवधान)... इस प्रदेश के अंदर 38 डकैतियां पड़ गईं, वह गृह मंत्री नहीं देख रहे. ... (व्‍यवधान)... माननीय उपाध्‍यक्ष महोदया, 140 अपहरण ऐसे हुये जिसमें फिरौती देकर लोग छूटे.

गृह मंत्री का ध्यान इस पर नहीं है. गृह मंत्री का ध्यान किस पर है कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को कैसे असत्य केस में जेल में बंद किया जाए. व्यापम और ई- टेंडरिंग में 7 महीने हो गये सरकार में आए, क्या कर रहे हो. कुछ करना है तो करो. आपने अपने घोषणापत्र में कहा था कि व्यापम की जांच कराएंगे. ई- टेंडरिंग की जांच कराएंगे. दोषियों को जेल में भिजवाएंगे. किसने रोका है आपको. अगर मर्द हो तो करो और दूध का दूध और पानी का पानी करो.  यह मर्दानगी के बात होती है. अरे, पीठ पीछे बैक फाईटिंग करना छोड़ो और चरित्र हत्या की राजनीति करना, यह तुम्हें कांग्रेस वालों रसातल पर ले जायेगा. ध्यान रखना जितने आये हो, जैसे लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष नहीं है. यहां भी नहीं मिलेगा.

          " जलते घर को देखने वालों, फूस का छप्पर आपका है,

          और आपके पीछे तेज हवा है, आगे मुकद्दर आपका है.

          उनके कत्ल पर मैं भी चुप था, मेरा नंबर तब आया,

          और मेरे बाद में आपका नंबर, आगे मुकद्दर आपका है "

            श्री तरुण भनोत - नरोत्तम जी, बहुत सीनियर हैं,  बड़े भाई हैं

          श्री विश्वास सारंग -  शेर का जवाब शेर से दो भईया.

          श्री तरुण भनोत - मैं इतना अच्छा शेर नहीं पढ़ सकता. जितना वह पढ़ते हैं. मैंने मान लिया.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -  तरुण भाई,  ये बब्बर शेर हैं, आप शेर ही बन जाओ.

          (..व्यवधान..)

          श्री तरुण भनोत -  अगर नरोत्तम भाई से अच्छा मुकद्दर गोपाल जी का है तो हमारा क्या दोष  है ?

            डॉ.नरोत्तम मिश्र - आपका दोष नहीं है हमारा दोष है. हमारा वह नेता है सदन के अंदर. हम मान रहे हैं. आप अपने मुंह से बोलो कि सिंधिया जी आए थे तो वो आपके नेता हैं कि नहीं. बोलो जोर से. हम तो कह रहे हैं कि गोपाल भार्गव हमारा नेता हैं.(..व्यवधान..) ये पार्टी पूरी गोपाल भाई के पीछे खड़ी है. गोपाल भार्गव के नेतृत्व में पूरी पार्टी खड़ी है.

          श्री तरुण भनोत - यह मैंने सदन में कहलवा दिया जो आप इतने दिन से नहीं कहलवा पाए.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - अरे, मेरा भाई है.

          उपाध्यक्ष महोदया - कृपया आसंदी को संबोधित करके बात कहें.

          श्री गोपाल भार्गव - यह मेरा छोटा भाई है. आप हम लोगों के बीच में भेद नहीं करवा सकते.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, मैं सिर्फ इतना कह रहा था. माननीय गृह मंत्री जी उठ गये. मैं सिर्फ प्रार्थना कर रहा था कि ये जो प्रक्रिया थी. लोगों पर राजनीतिक आधार पर असत्य केस लगाना, इससे पहले इस प्रदेश में ऐसा नहीं होता था. राजनीतिक आधार पर असत्य मुकदमे नहीं लगते थे. कार्यकर्ताओं को बिठाकर 4-5 दिन बिठाकर लोक सभा के चुनाव में प्रताड़ित किया गया. इन्होंने पुलिस का दुरुपयोग किया इस प्रदेश के अंदर. बांड भरवाए गए. यह स्थिति प्रदेश की थी. ऐसा नहीं होना चाहिये. जिन पर 20-20 मुकदमे थे. उन पर ईनाम नहीं था लेकिन एक नेता का,विधायक का बेटा है तो उस पर ईनाम घोषित कर दिया. ऐसे राजनीति नहीं होती है. यह गलत परंपरा है और इस का बाला बच्चन जी को ध्यान रखना चाहिये. वह क्या ध्यान रख रहे थे कि कल जो आर्थिक सर्वेक्षण के, वह आंकड़े आपने देखे क्या. अरे भईया, अगर वह आंकड़े गलत थे हमारे कृषि कर्मण पुरस्कार के, तो डॉ.मनमोहन सिंह की सरकार ने दो बार पुरस्कार दिया, आप उन्हें बता सकते हो. हमने सिंचाई के लिये बिजली दी थी इसलिये मैंने पहले अपनी बात कहते समय कि वित्त मंत्री जी हमारे यहां बिजली नहीं मिली और आप चाहते हो हम बिजली के लिये  बजट पास कर दें. आप चाहते हो पुलिस के लिये हम पैसा दे दें जो राजनीतिक विद्वेष से काम करती है. जो किसानों को मारने के लिये पूरा का पूरा सहकारिता विभाग,कृषि विभाग दो लाख तक का कर्जा माफ नहीं कर रहा उसके लिये हम पैसा दे दें इससे हम सहमत नहीं है कि हम इसपर कांग्रेस की सरकार का समर्थन कर दें. हम किसान के लिये लड़ेंगे, हम मजदूर के लिये लड़ेंगे, हम मजदूर के लिये लड़ेंगे, हम गरीब के लिये लड़ेंगे. यह गरीब विरोधी सरकार हो सकती है. यह  गरीब की थाली मार सकती है. 5 रुपये की रोटी की थाली मार सकते हैं. यह कफन और दफन का पैसा खा सकते हैं. यह मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना बंद कर सकते हैं. हम ऐसा नहीं होने देंगे यह फ्लोर हमें हमारी ताकत से मिला है और हम यहां पूरी ताकत से इस बात को उठाएंगे. हमने इस प्रदेश को कहां से कहां पहुंचाया होगा कल्पना करो. इनकी जब सरकार गई तो कुल 7 हजार एकड़ भूमि सिंचित रकबा था और जब हम गये तो 40 लाख हेक्टेयर सिंचाई का रकबा इनको छोड़कर गये. मैंने बिजली का आपको बताया, मैंने पानी का आपको बताया, सतही नल-जल योजना का बताया, ऐसा एक काम यह नहीं कर पा रहे हैं और इसलिये माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह सरकार और वित्त मंत्री जी जो बजट लेकर आए हैं हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं. बहुत-बहुत धन्यवाद.

          श्री शशांक कृष्ण भार्गव -  मैं निवेदन करना चाहता हूं कि आप यह बात भूल गये कि मंदसौर में क्या हुआ था, टीकमगढ़ में पुलिस ने किसानों के कपड़े उतरवाकर क्या किया था किसानों के साथ ?  आप किसानों की बात कर रहे हैं.

            (..व्यवधान..)

          उपाध्यक्ष महोदया - मेरा सभी सदस्यों से निवेदन है कि कृपया बैठ जाईये.

 

1.25 बजे                          

 

1.26 बजे

 

            दिनांक 15 एवं 16 जुलाई, 2019 को होने वाली प्रश्नकाल सहित अन्य समस्त कार्यवाही शनिवार, दिनांक 20 जुलाई, 2019 एवं रविवार, दिनांक 21 जुलाई, 2019 को संपादित की जाय.

 

                           

उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी)- उपाध्यक्ष महोदया, आज सदन में दो नजारे बहुत अच्छे और सकारात्मक मिले. एक तो प्रतिपक्ष के हमारे दल ने यह कहा कि हमारे नेता श्री गोपाल भार्गव जी हैं, श्री शिवराज सिंह चौहान नहीं हैं. मैं उनको बधाई देता हूं. दूसरा, एक नजारा और सामने आया कि दोनों तरफ से लगभग 90 नये विधायक आए हैं. डॉ. नरोत्तम मिश्र जी ने पहला..

डॉ. नरोत्तम मिश्र- हम उसका पूरा जवाब देंगे. हम भी बाकी के कागज हाथ में लिये हैं.

श्री जितू पटवारी - डॉ. नरोत्तम मिश्र ने पहली स्पीच दी जो मैं समझता हूं कि पिछले सत्र में सीखने को मिला कि जो पहला ओपनिंग वक्ता होता है वह आखिर तक बैठता भी है और सबकी सुनता भी है, ऐसा मैंने सुना है. यह सही है कि गलत है, मैं समझता हूं कि सीनियर,  सदन समझेंगे. उनको जाना है, आप एक मिनट धैर्य रखो. आपने मेहफिल लूट ली आप बैठो तो सही, क्या हो गया? आपने यह कहा कि मय दस्तावेज मैं बात करता हूं. एक एक आंकड़ें मेरे पास हैं. इन्होंने जो आंकड़ा दिया घर की मरम्मत साज-सज्जा और रख-रखाव का, वह 38 करोड़ रुपये. आप बैठें जरा.

डॉ. नरोत्तम मिश्र - 38 ही है.

श्री जितू पटवारी - यह 10 प्रतिशत सही था और 90 प्रतिशत असत्य था, यानि आपने जितना भाषण दिया वह 90 प्रतिशत असत्य दिया. यह आपसे अपेक्षा नहीं थी.

डॉ. नरोत्तम मिश्र -एक-एक विभाग का आंकड़ा है हमारे पास, यह देखो ऊर्जा का, हाउसिंग का सारे आंकड़े हैं. आपके विभाग ने कितना खर्चा किया है, यह भी मेरे पास में है. मंत्रियों के विभागों ने जो किया है वह भी है.

श्री जितू पटवारी - आप धैर्य रखो, आपने मेहफिल लूट ली. यह मैं हिसाब लाया हूं, इसे पटल पर रखूं? उपाध्यक्ष महोदय, क्या यह पटल पर रखूं?

उपाध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी आप अपनी बात पूरी कीजिए.               (व्यवधान)

          डॉ नरोत्तम मिश्र -- मंत्री जी आप पटल पर रख दें हम यहां पर एक एक चीज का हिसाब देंगे...(व्यवधान)..

          श्री जितू पटवारी -- पूरी जांच होगी और जेल जाना पड़ेगा..(व्यवधान).. कितने दिन आप बाहर घूम रहे हैं, देखते हैं..(व्यवधान).. आपको  अब कोई नहीं बचा सकता है यह कमलनाथ की सरकार है..(व्यवधान)..

          श्री गोपाल भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदय मेरा व्यवस्था का प्रश्न है...(व्यवधान).

          उपाध्यक्ष महोदया -- विपक्ष के नेता खड़े हैं आप सभी कृपया बैठ जायें..(व्यवधान)..

          डॉ नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदया यह मंत्रियों की स्थिति है इनके पास में आंकड़े नहीं हैं. यह मेरे ही कागज से बोल रहे हैं...(व्यवधान)..

          उपाध्यक्ष महोदया -- जितू पटवारी जी आपको बहुत समय मिला है अब आप बैठ जायें...(व्यवधान)..

          श्री गोपाल भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदया माननीय मंत्री जितू पटवारी जी ने अभी जिस बात का उल्लेख किया है. इस पर मैं व्यवस्था चाहता हूं कि वह किस नियम में बोल रहे थे. क्या आप शासन की तरफ से भाषण दे रहे हैं, क्या आप उत्तर दे रहे हैं. मैं आपसे जानना चाहता हूं कि यह इस तरह से बीच में इंट्रप्ट करना ठीक नहीं है.आपके जो भी वक्ता हैं उनको बोलने दें. आप इस तरह से जद्दोजहद कर रहे हैं मैं यह मानकर चलता हूं कि आप मामले को डायलूट करने की कोशिश कर रहे हैं.( श्री जितू पटवारी जी के कुछ कहने पर ) यह तो कव्वाली जैसा मुकाबला हो गया है, इससे क्या होना है, यह ठीक बात नहीं है.

          श्री राजवर्द्धन सिंह दत्तीगांव (बदनावर )-- उपाध्यक्ष महोदय यहां से नरोत्तम मिश्र जी तो चले गये हैं उनकी तारीफ तो करना पडेगी. क्या लच्छेदार भाषण, क्या अंदाजे बयां, क्या गालों की सुरखी लेकिन उपाध्याक्ष महोदय पूरा सदन सुन रहा है, इरादे अभी जाहिर होंगे सुनिये, पता लगेगा, गर्मी भी आयेगी, ठंडक भी पहुंचेगी, दिल को सुकून भी मिलेगा. अब यह नजर नजर की बात है, नजर नजर का फासला, तेरी नजर भी देख ली, मेरी नजर भी है गवाह. मैं यह इसलिए कह रहा हूं कि विचारधारा भिन्न हो सकती है, और है. संविधान अधिकार देता है इतनी जद्दोजहद हो रही थी. यह जो प्रोपेगंडा भ्रमजाल मर्गतृष्णा, इनमें डॉक्टरेट हासिल है हमारे डॉक्टर साहब को , वह पधार गये हैं.उनके इस पूरे मामले से हमारे यहां के एक इरशाद जी हैं बहुत वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हैं, इनके शासन काल का मुझे एक वाक्या बताया था और उस समय इसलिए कि मेरे क्षेत्र में हिन्दू मुस्लिम दंगे हो गये थे, बिना कारण एक त्यौहार था एक समुदाय अपना त्यौहार मना रहा था दूसरे उनको कुछ कार्यकर्ता थे उन्होंने जानबूझकर  प्री प्लानिंग करके  ऐसा रूट बनाया  कि वह यात्रा उसी मोहल्ले से उसी समय, उसी दिन निकले और कुछ न कुछ छेड़खानी हुई कुछ उपद्रव हुआ. वहां पर धारा 144 लगी और वहां पर एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या हो गई, जो एक समुदाय का था लेकिन सबसे उसके संबंध थे, जब मैं वहां पर गया और उसके घर में कदम रखा तो आज भी मुझे याद है खून भरा हुआ था. इरशाद साहब ने उस समय मुझे कहा था कि उनको इनके एक नेता मिले और उनसे कहने लगे कि काम मुझसे कुछ भी करा लीजिये थाने का यह भी जरिया  है एक पैसा कमाने का आपकी दुआं से अब तो नेता हूं पहले काम किया करता था मुर्गियां चुराने का. यह आम बात थी इनके शासन काल की यह उद्योग रचा था इन्होंने, मेरी बात पर विश्वास नहीं हो सदन को तो आज से उस दिन पर जायें जब उस दिन उनकी सरकार नहीं थी और आज जब इनकी सरकार फिर नहीं है, उस वक्त उस बूथ के कार्यकर्ता की क्या आर्थिक स्थिति थी और आज उसकी क्या आर्थिक स्थिति है न सिर्फ उसकी, धरा से लेकर शीश तक कितना जनता का धन इन्होंने लूटा है, करवा लीजिए जांच, मैं दावे के साथ कहता हूं अगर मैं गलत साबित हो जाऊ तो मेरा इस्तीफा आज मंजूर कर लीजिए और क्या रहा इनके शासनकाल में,  मेरे अग्रज विराजमान है विजय  शाही जी बहुत ध्यान से देख रहे हैं, मेरे पिताजी  के साथ भी विधायक थे.  आपको पता है कि   मांस व्यापार बढ़ा इनके शासनकाल में.  अरे, मुस्लिम जन्नत को जायें,  हिन्दु जायें  स्वर्ग में. उपाध्यक्ष जी, बताइये कि जानवर मरे तो  कहां जायें.  गौवंश की चिंता नहीं.  क्या गौवंश  के प्रति यही प्रतिबद्धता है हमारी.  क्या आपने, आपकी  तमाम  सरकारों के दौरान  एक भी ऐसा मुख्यमंत्री था, जिसने गौशालाओं की चिंता की.  की हो तो बताइये.  क्या आपने गौवध प्रतिबंधित किया इस मध्यप्रदेश में.  किया तो बता दीजिये.  प्रथम गौ सेवा  आयोग दिग्विजय सिंह जी ने बनवाया था. नरोत्तम जी जिस तकिये की  बात कर रहे  थे, हमारे अग्रज नरोत्तम जी पधार गये.  उनकी नीति साफ थी, नीयत साफ थी.  जो कहा, वह किया. खैर,  मैं वापस उस पर आऊंगा,  पहले मैं बजट के कुछ आंकड़े बता दूं.  वह मैं नहीं बताऊंगा, मैं तो हमारे  सदन के सभी साथियों  से कहूंगा कि आंखें हों, तो  देख लो, जनता  क्या कह रही है  और जनता जो कहती है, वह परिलक्षित  किस माध्यम से होता है मीडिया के साथी बैठे हैं.  तमाम अखबार आपने पढ़े ही होंगे.  टाइम्स ऑफ इंडिया Nath Govt. Budget for all, in tune with poll promises. 66% spike in Farm Funds, 43 % in Social Welfare.  मैं नहीं कह रहा हूं,  इस देश का प्रख्यात, विख्यात  विश्वसनीय अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया   कह रहा है.  और  बाकी क्या कह रहे हैं.  जनता कह रही है इनके माध्यम से, बाकी कही रहे हैं  कि  2,33,605  करोड़ रुपये का बजट पेश. दो बड़ी बातें. कोई नया टैक्स नहीं. ( सत्तपक्ष की तरफ से मैजों की थपथपाहट) जनहित की योजनाओं का बजट. 11 से लेकर 40  फीसदी तक बढ़ा.  और क्या कह रहे हैं.  किसानों के लिये खुली मुट्ठी.  ढाई गुना बढ़ा बजट, ढाई गुना. बजट की कॉपी है सभी माननीय सदस्यों के पास, पढ़ लीजिये.  नरोत्तम जी ने शायद पढ़ी नहीं होगी.  मोहनी तो  है उनके पास, माधुरी मुस्कान भी है,  माता पिता जी   ने  उनका नाम नरों में उत्तम रखा है,  तो वे  कला में पारंगत हैं.  लेकिन आंकड़े मेरे मित्रों असत्य नहीं बोल रहे हैं, स्पष्ट हैं और यह जनता की आवाज जो  अखबारों के माध्यम से आ रही है और  क्या कह रहे हैं,  9728  करोड़  रुपये कृषि बजट  था पिछले साल, इस बार   22 हजार करोड़ रुपये है.  उनको यह तो याद रह गया कि  71 किसानों की आत्महत्या हुई,  उनको यह याद नहीं रहा,  उनके शासन में जो 20 हजार किसानों ने आत्महत्या की, जिनकी जान की बोली  मंसदौर में लगा गई.  और तो और  वे एक बात और बड़े दावे के साथ  ताल ठोक कर कह गये कि  क्या कर रहे थे, 7  महीने में कार्यवाही क्यों नहीं की. व्यापम पर, ई टेण्डर पर उस पर भी आऊंगा. लेकिन मैं  सदन के माध्यम से आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या  मंदसौर में वे 6 किसान  हार्ट अटैक से मरे. क्या आपने आज तक कोई जांच आयोग  बिठाया.  एक एक आदमी आप मध्यप्रदेश में आप बता दें, जिस पर 302  लगाकर  दोषी पाया उनकी हत्या का.  नाम है, बताइये.  मेरे संज्ञान में नहीं है.  मुझे उड़ती उड़ती खबर लगी थी,  एक दिन मैं भी मंदसौर गया था,  इस चुनाव से पहले  और उस दिन धरने पर  थे भाई लोग  सब साथ में,  मैंने पूछा कि ऐसा क्या हुआ भाई, उन्होंने मुझे भी बिठा दिया.  तो उन्होंने कहा कि हमें पता लगा है  कि  तब की सरकार ने सब को क्लीन चिट दे दी थी.  यानी कि  वह दोषी ही नहीं.  अब आप बताइये, इस बारे में  वह क्या समझते हैं, क्या चाहते हैं,  क्या कहते हैं, लेकिन मेरा  सदन में  अनुरोध है कि  उन 6 किसानों की हत्या  का दोषी जो भी हो, उस पर 302 लगाई जाये, सजा दी जाये,  तभी उनकी आत्मा को शांति मिलेगी, इस मध्यप्रदेश के किसानों को शांति मिलेगी.  तो 71 किसान दिखे,  20 हजार नहीं दिखे.  6 किसानों को   मुआवजे में एक करोड़ दे गये मुख्यमंत्री जी, बाकी किसानों को कितने दिये तत्‍कालीन सरकार ने, जिन्‍होंने आत्‍महत्‍या की. केवल उन 6 किसानों को दिए क्‍योंकि उस वक्‍त वह मुद्दा बन रहा था, चुप कराना था. दे आए. नीति नीयत की मैं बात कर रहा था तो मैंने आपसे साफ कहा है, हम और आप इस सदन में कुछ भी कहें, मीडिया है, जनता है, ये आंकड़े हैं, यह बजट है, यह इस सदन का रिकार्ड आदिकाल तक रहेगा. मैं असत्‍य नहीं बोल रहा हूँ, जो हमने बजट में बढ़ाकर पैसा दिया है, जो मीडिया ने उस बजट की पूरी रिपोर्टिंग की है, अक्षरश: सही है. मांगों पर चर्चा होगी, हमारे सभी साथी हैं, सभी को मौका मिलेगा. उपाध्‍यक्ष जी, मैं नेता प्रतिपक्ष की एक बात से जरूर सहमत हॅूं और मैं भी आपसे निवेदन करना चाहता हूँ, मैं तो गैप के बाद यहां पर आया हूँ, पिछला चुनाव मैं नहीं जीत पाया था, लेकिन यह सही परम्‍परा नहीं है कि कोई बोले तो बीच में कोई भी खड़ा हो जाए, चाहे वह कोई भी हो, पक्ष के हों या प्रतिपक्ष के हों, आपके और अध्‍यक्ष जी के होते हुए यह होता है तो थोड़ा सा दु:ख तो होता है. इसको जरूर आप सुधारें.

          उपाध्‍यक्ष महोदया, बजट के मैं कुछ स्‍टेटिस्‍टिक्‍स दूंगा, मेरे बहुत से साथी और भी हैं. ओपनिंग मैं जरूर कर रहा हूँ, लेकिन खत्‍म हमारे वेटेरन फिनिशर हैं लक्ष्‍मण सिंह जी, वे अभी यहां नहीं हैं, उनको भी हम सुनेंगे. बड़े साफ तौर से हमने स्‍टेटिस्‍टिक्‍स दिए हैं. जो 2 लाख 33 हजार 605 करोड़ रुपये का बजट है, उसमें सभी वर्गों के लिए हमने प्रोविजंस रखे हैं. राजस्‍व आधिक्‍य इसमें करीब 632 करोड़ रुपये हमने दिया है और हमने यह भी बताया है कि जो हम अर्जित करेंगे, वह करीब 23.69 प्रतिशत आएगा, हमें प्राप्‍तियां होंगी. हमारे विपक्ष के भाई सकलेचा जी पता नहीं विराजमान है कि नहीं, मुझे विश्‍वास है कि वे इस बात को गौर से, माइक्रोस्‍कोप से देखकर पूछेंगे कि कहां से आप पैसा लाएंगे, पैसा कहां से आएगा. हमने अपने बजट के ब्रेक-अप में यह भी बताया है कि हम 2 जगह से विशेष तौर से इसको अर्जित करेंगे, राजस्‍व खनिज से आएगा, दूसरा राजस्‍व आबकारी से आएगा. तमाम दूसरी चीजें भी हमने बताईं. मैं सारे आंकड़ों को विस्‍तार से आपको समझाऊँ, बताऊँ, उससे पहले मैं दो-तीन बातें आपसे जरूर कहना चाहूँगा. जब हम इस बजट का अध्‍ययन कर रहे हैं तो मैं अपने सभी सम्‍मानित मित्रों से जो विपक्ष में विराजमान हैं, उनसे भी मैं निवेदन करूंगा कि आप इससे पिछले साल के बजट को भी देखें. उसको इस बजट से कम्‍पेयर करें. जब आप कम्‍पेयर करें तो आप यह भी देखें कि जब पूरे देश में पिछले वर्ष बजट पेश किया गया था और जब इस वर्ष बजट पेश किया गया है तो हमारे मध्‍यप्रदेश का बजट इस देश के दूसरे प्रदेशों के बजटों से तुलना में कहां है. आपको पता है पिछले वर्ष जब आप लोगों का बजट पेश हुआ था, माननीय जयंत मलैया जी इस सदन में नहीं हैं, बड़े विद्वान हैं. उसमें जो कोर की सेक्‍टर्स थे अधोसरंचना के, जिन पर विशेष रूप से ध्‍यान दिया जाना था, उनका बजट हमारे नेशनल दूसरे बजट्स के एवरेज में, उस सेक्‍टर का आपने आवंटन घटाया. हां, आपने कृषि में जरूर करीब 80 फीसदी बढ़ाकर दिया था, लेकिन उसके कारण थे क्‍योंकि चुनाव आ रहा था. इसलिए कि किसान आंदोलन हो गया था. किसान नाराज था तो आपने कहा कहीं न कहीं, किसी न किसी प्रकार से कुछ न कुछ जादू करके इसको वापस करेंगे, लेकिन वह तब तक बहुत दूर जा चुका था.

          उपाध्‍यक्ष महोदया, अभी तमाम बातें हमारे मित्र श्री विजय शाह जी भी कह रहे थे पांसे जी से कि यह हुआ, वह चुनाव हारा. चुनाव हार जीत चलती रहती है, कभी कोई हारता है, कभी कोई जीतता है. कभी कोई आता है, कभी कोई जाता है. विषय वह नहीं है. विषय यह है कि जब आप और हम आज बजट पर चर्चा कर रहे हैं तो हम सिर्फ राजनीतिक बातें न करें, इसलिए मैं पिछले बजट का जिक्र करके इसको कम्‍पेरिजन कर रहा हूँ. इसको आप देखें, इसमें सभी फैक्‍ट्स हैं, हमारे विनियोग में हमने 20 फीसदी की वृद्धि की है, हमारे पूंजीगत व्‍यय में हमने 21 फीसदी की वृद्धि की है. किसान कल्‍याण के मामले में हमने 66 फीसदी की वृद्धि की है. नरोत्‍तम जी और बात कह रहे थे कि भाई वह तो करीब 40-50 करोड़ का मामला है, आपने तो 8 ही दिए हैं, नहीं, पहले 5 भी दिए थे, 5 और 8 हो गए 13, हां, मैं मानता हूँ फिर भी उसमें कमी है, लेकिन आप यह क्‍यों भूल जाते हैं कि 20, 22 हजार किसानों की आत्‍महत्‍या के बाद आपमें से किसी विद्वान सदस्‍य की इतनी हिम्‍मत नहीं हुई कि सदन में खड़े होकर अपने मुख्‍यमंत्री को कहता कि साहब, कर्ज माफी पर विचार करके आप ही घोषणा कर दीजिए (मेजों की थपथपाहट). वह पैसा किसी भ्रष्‍ट, बेईमान अधिकारी या नेता की जेब में नहीं जा रहा है. आप बताइये कि अगर हमने कर्जमाफी की घोषणा करने का साहस किया तो क्‍या हमने गलत किया. अगर 20-22 हजार किसानों की आत्‍महत्‍या के उपरांत हमारे राष्‍ट्रीय नेता ने यह तय किया कि राहत उनको मिलनी चाहिए तो क्‍या हमने गलत किया. आप जो सरकार छोड़कर गए थे 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में, उसके बावजूद हमने हिम्‍मत दिखाई इसको क्रियान्‍वित करने की. नरोत्‍तम जी कोई बंगले की बात कर रहे थे कि 40-50 करोड़ रुपये खर्च हो गए, अरे भाई, आपको पता है माननीय पूर्व मुख्‍यमंत्री जी ने तो नर्मदा परिक्रमा हेलीकॉप्‍टर से की, उसके तामझाम में ही 40-50 करोड़ रुपये खर्च हो गए. यदि मैं गलत हॅू् तो कोई मुझे करेक्‍ट कर दे. अगर मेरा आंकड़ा कहीं गलत है तो मेरे काबिल मित्र करेक्‍ट कर दें. तमाम भूतपूर्व मंत्रीगण यहां विराजमान हैं. माननीय रामपाल जी हैं शुक्‍ला जी है, डॉ. नरोत्‍तम जी चले गए हैं. माननीय विजय शाह जी बैठे हैं. अभी बैठिए, मजा आएगा. आप कहेंगे, हम सुनेंगे. हम कहेंगे, आप सुनेंगे. अगर इन चीजों में जाएंगे तो बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी. बाल की खाल निकालेंगे तो सर्जरी के मास्‍टर हमारे भी कई डॉक्‍टर्स विराजमान हैं. आपके डॉक्‍टर चले गए. ये सब फैक्‍ट्स और फिगर्स हमारे समक्ष हैं और दूसरे कुछ सेक्‍टर्स के फैक्‍ट्स और फिगर्स मैं आपको बता दूं. इंदिरा किसान ज्‍योति पंप में भी हमने करीब 7000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. गेहॅूं बोनस जो हम दे रहे हैं उस पर हमने बहुत स्‍पष्‍ट प्रावधान किया है. यहां तक कि जो आपके पुराने भावांतर के पेमेंट्स जो आप छोड़ गए थे, पेमेंट नहीं किया था, वह भी हम कर रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट) मेरे जिले की ही बात बता दूं. मेरे काबिल मित्र माननीय सिसौदिया जी पधारिए मेरे साथ, मिलिए उन 1700 किसानों से, वे आज भी विलाप कर रहे हैं. उनका पेमेंट आज तक नहीं हुआ...(व्‍यवधान)...

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- गेहूं का बोनस 265 की जगह 160 कर दिया. ...(व्‍यवधान)...

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह "दत्‍तीगांव" -- उसका कारण यह है कि आपके कुछ नेताओं ने भावांतर की कागज में खरीदी-बिक्री कर ली थी. प्‍याज खरीदा और कागज पे प्‍याज खरीदा और प्‍याज खरीदा तो खरीदा, उसको गाड़ने के भी पैसे लिए. (शेम-शेम) छोटा-मोटा प्‍याज घोटाला है. बाकी और बड़ें बहुत सारे घोटाले हैं तो ऐसी तमाम व्‍यवस्‍थाएं थीं और चल रही थीं और मेरे ख्‍याल से उसी कारण से यह हुआ है कि जनता ने निर्णय दिया. हां उसके पश्‍चात लोक सभा चुनाव भी हुए लेकिन वह केन्‍द्र सरकार का चुनाव था. हम जानते हैं.

          श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, ऐसे योग्‍य व्‍यक्ति को कांग्रेस ने मंत्री क्‍यों नहीं बनाया.

          उपाध्‍यक्ष महोदय -- कृपया, आप बैठ जाएं.

          श्री हरिशंकर खटीक -- इतने योग्‍य व्‍यक्ति को आपने मौका नहीं दिया...(व्‍यवधान)...

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह "दत्‍तीगांव" -- हमारे मतदाताओं के प्रति हम कर्तव्‍यबद्ध हैं हम उनकी सेवा करें. मंत्री बनें न बनें, क्‍या फर्क पड़ता है. हारे या जीतें क्‍या फर्क पड़ता है. हमने किसी उद्देश्‍य से कभी अपने जीवन में निर्णय लिया था कि हम जनसेवा करेंगे. क्‍या अब उसके लिए पद आवश्‍यक है. (मेजों की थपथपाहट) क्‍या मैं मंत्री बनूंगा तो ही काम कर सकता हॅूं. क्‍या मैं विधायक बनूंगा तो ही मैं काम कर सकता हॅूं.

          श्री हरिशंकर खटीक -- हम ऐसी बात नहीं बोल रहे हैं. आप यह बात हृदय से नहीं बोल रहे हैं. ...(व्‍यवधान)...

          श्री  राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह "दत्‍तीगांव" -- शायद आप मुझे जानते नहीं हैं. ...(व्‍यवधान)...

जिसके साथ रहता हॅूं पूरी वफादारी से रहता हॅूं. जब तक रहता हॅूं पूरे दम से रहता हॅूं और जब जाता हॅूं तो हाथ जोड़कर निवेदन, धन्‍यवाद करके जाता हॅूं कोई एहसान बाकी नहीं रखता. तो आप मेरी चिन्‍ता न करें.

          श्री विश्‍वास सारंग -- उपाध्‍यक्ष जी, इतना हैंडसम व्‍यक्ति तो मंत्रिमंडल में रहता है.

           श्री  राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह "दत्‍तीगांव" -- उपाध्‍यक्ष महोदय, माननीय विश्‍वास सारंग जी हमारे अनुज हैं.

          वित्‍त मंत्री (श्री तरुण भनोत) -- आपसे ज्‍यादा हैंडसम कोई नहीं है आप देखिए तो. (श्री विश्‍वास सारंग की ओर देखकर)

          श्री  राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह "दत्‍तीगांव" -- मैं सहानुभूति के लिए कृतज्ञ हॅूं. उपाध्‍यक्ष महोदय, मैं कुछ और प्‍वाइंटेड बातें कर लूं. बोलने के लिए बहुत सारे लोग हैं. मैं अपने माननीय साथियों को कहना चाहता हूँ कि अगर हम राजकोषीय स्थिति पर एक नजर डालें तो केन्‍द्र परिवर्तित योजनाओं में केन्‍द्रांश की राशि पूर्व में 90 फीसदी तक हुआ करती थी और उसको घटाकर 50 या 60 फीसदी कर दिया गया तो यहां हमारे प्रतिपक्ष के सदस्‍य क्‍या इनका यह कर्तव्‍य नहीं बनता है कि मध्‍यप्रदेश के होने के नाते वे सब हमारे साथ केन्‍द्र की सरकार के पास जाएं और ये कहें कि हमारा हक हमें दीजिए. मैं तो तब मानूंगा इनका राष्‍ट्रप्रेम.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय उपाध्‍यक्ष महोदय, चूंकि इस बात को कहा गया है कि केन्‍द्र सरकार के पास जाकर एप्रोच करें. मैं बड़ी देर से सुन रहा था. मैं बीच में इन्‍ट्रेप्‍ट नहीं करना चाहता था. इस बजट का आकार बड़ा है. यह बजट 2 लाख 33 हजार 605 करोड़ रुपए का है. कागजी जो जमा खर्च है जब मैं इस बात को बोलूंगा तो इस बात को रखूंगा कि आपकी प्राप्तियां कितनी होती हैं कहां से होती हैं, क्‍या हैं. आपने कौन-सी जादू की छड़ी से सारा का सारा खाली खजाना भर लिया है. खाली खजाना हम भर लेंगे और किसानों को इतना दे देंगे, उस बारे में नहीं जाना चाहता. माननीय राजवर्द्धन सिंह जी कह रहे थे. 32 हजार करोड़ रुपया हमने किसानों के लिये पिछले साल बोनस में, भावांतर में, बिजली की सब्सिडी में, तमाम चीजों में  दिया है इन दस्‍तावेजों में यह सारी बात हैं. जहां तक केन्‍द्र के पास जाने का सवाल है, केन्‍द्र के पास एक निश्चित फार्मूला रहता है. किसी भी पार्टी की सरकार हो, कोई भी सरकार हो, उसका एक निश्चित जनसंख्‍या के और राज्‍य के आकार के आधार पर उनकी राशि का आवंटन होता है. इसमें कहीं कोई कमी किसी राज्‍य में नहीं की जाती है. हमारे, आपके जाने से न वह राशि बढ़ेगी, कोई स्‍पेशल पैकेज कभी मिल जाये कभी किसी घटना के कारण से, तो ही संभव है और नहीं तो यह बात मैंने कई बार कही. सी.एम. साहब भी कह रहे थे 2,000 करोड़ से ज्‍यादा हमको कम मिला है, तो मैं यह कहना चाहता हूं कि इसके लिये कोई डिस्क्रिशनरी कुछ नहीं है, बल्कि सीधा-सीधा एक फार्मूला है. आप भी यह बात जानते हैं. अब बार-बार यह बात आप दोहरायेंगे तो मैं मानकर चलता है कि वाजि़ब नहीं होगी.

          श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप - उपाध्‍यक्ष महोदया, मैं राजवर्द्धन सिंह जी को कहना चाहूंगा कि मोदी सरकार ने जो राज्‍यांश को 32 परसेंट से 40 परसेंट किया है और वन क्षेत्र का साढ़े सात परसेंट लाभ मिला है.

          श्री राजवर्द्धन सिंह प्रेम सिंह ''दत्‍तीगांव'' - उपाध्‍यक्ष महोदया, मेरा प्रतिपक्ष के नेता जी से निवेदन है कि माननीय को बोलने का समय दिया जाये. हमारे पड़ोस के सदस्‍य हैं और मेरे अच्‍छे मित्र भी हैं. इनका उद्योग व्‍यवसाय भी हमारे क्षेत्र में चलता है. हमें लाभ भी इनसे होता है. मेरा आपके माध्‍यम से आग्रह है कि माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी इनको बोलने का कुछ समय दें. लेकिन अभी बड़ी सारगर्भित बात नेता प्रतिपक्ष जी कह रहे थे. मैं सुन भी रहा था. मैं उनसे सीखता रहता हूं. मैं इनको किसी न किसी दृष्टिकोण से अपना प्रोफेसर भी मानता हूं, सभी के हैं. 8 बार जो व्‍यक्ति जीते उसका तो नमन ही करना चाहिये.

          उपाध्‍यक्ष महोदया, लेकिन मुझे यह नहीं पता कि कब मध्‍यप्रदेश का आकार घटा. कब मध्‍यप्रदेश की आबादी घटी जो हमारा केन्‍द्रांश कम हो गया ? अनुपात, आपने बिलकुल सही  फरमाया. हां, क्षेत्र से, आबादी से होना चाहिये, लेकिन क्‍या मध्‍यप्रदेश की आबादी घट गई हमारी सरकार बनने के बाद ? क्‍या मध्‍यप्रदेश का आकार घट गया हमारी सरकार बनने के बाद ? तो क्‍यों 90 फीसदी से 50-60 फीसदी कर दिया गया ? यह अर्थशास्‍त्री कौन हैं ? मैं उनसे मिलना जरूर चाहूंगा.

          श्री गोपाल भार्गव - उपाध्‍यक्ष महोदया, जैसे जी.एस.टी. में कम कलेक्‍शन होता है. किसी दूसरी चीज में, इनकम टैक्‍स में कम होता है, कस्‍टम, एक्‍साइज़ ड्यूटी में कम होता है, तो स्‍वाभाविक रूप से राज्‍य का अंश कम होगा ही. मतलब आप कुछ भी कहेंगे ? सी.एम. साहब भी कहेंगे कि ढाई हजार करोड़ कम हो गया. मैं मानकर चलता हूं कि हमें थोड़ी सी बौद्धिक चर्चा करनी चाहिये. यदि आप कर रहे हैं, बहुत अच्‍छी चर्चा कर रहे हैं, तथ्‍यात्‍मक चर्चा कर रहे हैं, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि कुछ बातें ऐसी हैं जिनकी हमें जानबूझकर अनदेखी नहीं करनी चाहिये.

          श्री राजवर्द्धन सिंह प्रेम सिंह ''दत्‍तीगांव'' - उपाध्‍यक्ष महोदया, मेरे ख्‍याल से मेरे सभी विद्वान मित्र जानते हैं कि मेरे बोलने की मंशा क्‍या है. मैं एक बहुत सरल तरीके से इनको समझा देता हूं. शायद आंकड़ों में कहीं पेचीदगी समझ में आई होगी. मेरा सदन में कहने का उद्देश्‍य यह है कि मध्‍यप्रदेश को प्राथमिकता मानते हुये हमारे सभी मित्रों को जाकर अधिक से अधिक राशि मध्‍यप्रदेश के लिये लानी चाहिये. मेरे ख्‍याल से इससे तो वह निश्चित तौर पर सहमत होंगे. उसमें कुछ गलत नहीं है क्‍योंकि यह फैक्‍ट आया, फिगर्स में है. टेक्निकल है इसलिये मैंने कहा है. मैंने अगर कुछ गलत कोड किया हो तो आप करेक्‍शन करवा सकते हैं. लेकिन इसके अलावा आप देखिये जो इन्‍होंने दूसरा प्‍वाइंट कहा कि गलत है, इतना कम हुआ, लेकिन आप देखें वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में राज्‍य के करों का हिस्‍सा 59,489 था और वापस अनुमानित किया गया पुनरीक्षित अनुमान में तो वह 57,486 जो आप अंतर कह रहे थे कि वह अंतर क्‍यों आया, जब हमने एस्‍टीमेटेड पहले लिया था, वह लिया था 63,750 और बाद में जब केन्‍द्र का बजट आया तो वह फिगर आया 61,073 और इसलिये जो फिगर आया है यह करीब 2,700 करोड़ का करीब 2,677 का वह इसलिये आया है गोपाल भार्गव जी और इसीलिये बार-बार इसका जिक्र हमारे माननीय वित्‍तमंत्री जी ने किया और हम भी कर रहे हैं. अगर आपको लगता है कि यह सही नहीं है, गलत है, तो आपके पास बहुत विशेषज्ञ हैं मेरे ख्‍याल से आप इसका परीक्षण करवा लें, पर मूलत: मेरे कहने की जो मंशा है और जो प्रदेश के नागरिकों के हित में है, वह यह है कि जो हमारा हक है, जो अधिकार है मध्‍यप्रदेश की जनता का है, वह उसे मिलना चाहिये और वह राजनैतिक भेंट या बलि न चढ़े. यह हम सब मिलकर सुनिश्चित करें. यह हमारा कर्तव्‍य भी है.

          उपाध्‍यक्ष महोदया, अब जी.डी.पी. की बात तमाम समय होती रहती है और जी.डी.पी. की चर्चा जब होती है तो, अगर इस बार भी आप जी.एस.डी.पी. को ठीक से देखेंगे तो इसमें भी 14.2 फीसदी का इजाफा है. अगर इसको पिछली बार से आप इंडेक्‍स को चेक करें. जो कुछ हाई लाइट्स हैं, जो अच्छी चीजें, हमारे बजट में हैं, उनकी आपको भी सराहना करनी चाहिए. जो नदियों के पुनरर्क्षण का काम है, जो उनको फिर से जिन्दा करने का काम है, उसको प्राथमिकता पर हमारे मुख्यमंत्री जी ने लिया है और एक बहुत ही अनुकरणीय पहल जो उन्होंने की है और मेरे दिल के बहुत करीब है, राइट टू वॉटर आज तक इस देश में किसी भी सरकार ने राइट टू वॉटर की बात नहीं की, अब आप कहेंगे कैसे होगा, क्या होगा, क्यों होगा, कहाँ से आएगा, पैसा नहीं है. बात उन सब चीजों की नहीं है. जहाँ इच्छा शक्ति दृढ़ होती है और संकल्प होता है, वहाँ सब संभव है.  भागीरथ ने गंगा लाई. कमलनाथ जी राइट टू वॉटर लाए हैं. मैं उनकी सराहना करता हूँ. सदन से निवेदन करता हूँ कि करतल ध्वनि से इस बात का स्वागत किया जाए. (मेजों की थपथपाहट) कम से कम बहस तो छिड़ी. राष्ट्र की व्यवस्था में ऐसा कहा जाता है कि अगर थर्ड वर्ल्ड वॉर होगा तो किस चीज पर होगा? अधिकांशतः तो हम यही सुनते आए हैं आमतौर पर गाँवों से लेकर शहरों में जो विवाद होते हैं वे तीन ही चीजों पर होते हैं, ज़र, जोरू और जमीन. लेकिन अब जो भयावह परिस्थिति हमारे देश में, राज्य में और हमारे गाँव में बनी हुई है, उसके लिए हम कहीं न कहीं जिम्मेदार तो हैं. पर अगर उन्होंने राइट टू वॉटर की बात की है तो मेरे ख्याल से समूचे सदन को उसका समर्थन करना चाहिए. बहुत अनुकरणीय पहल है. (मेजों की थपथपाहट) आज चर्चा तो छिड़ी, आज बात तो हुई, एक प्रयास तो है, एक उम्मीद तो बंधी, कम से कम हम आने वाली पीढ़ी को यह तो कह पाएँगे कि हाँ भाई हमने कुछ प्रयास किया था और उसके तहत आपको आज पानी मिल रहा है और स्वास्थ्य का अधिकार, कितनी बड़ी बात है. ऐसा नहीं कि इससे पहले हमने नहीं दिया. हमने आपको रोजगार गारंटी अधिनियम दिया. हमने आपको राइट टू एजुकेशन दिया. हमने वन अधिकार अधिनियम दिया. हमने राइट टू इन्फर्मेशन दिया. हमने खाद्यान्न सुरक्षा अधिनियम दिया और दो कदम आगे बढ़कर कमलनाथ जी की सरकार ने आपको दो चीजें और अगर मध्यप्रदेश को दी हैं तो मेरे ख्याल से पूरे सदन को उसका स्वागत करना चाहिए क्योंकि राइट टू वॉटर बहुत बड़ा कदम है. स्वास्थ्य का अधिकार बहुत बड़ा कदम है और मैं समझता हूँ कि इसमें न तो किसी को दिक्कत होगी न किसी को आपत्ति होगी.

          श्री नागेन्द्र सिंह(नागौद)--  उपाध्यक्ष महोदया, मैं एक मिनट इंट्रप्ट करना चाहूँगा.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव--  उपाध्यक्ष महोदया अनुमति दे दें तो...

          उपाध्यक्ष महोदया--  उनका कंप्लीट हो जाने दीजिए.

          श्री नागेन्द्र सिंह(नागौद)--  उपाध्यक्ष जी, राइट टू वॉटर सही शब्द नहीं है वॉटर यूटिलाइजेशन पॉलिसी होना चाहिए. इट इज एन इनकंप्लीट असेसमेंट है जो आप कर रहे हैं.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव--  नागेन्द्र सिंह जी मेरे बहुत वरिष्ठ हैं. मेरे पितृ पुरुष भी हैं, मैं इनका बहुत आदर करता हूँ. लेकिन मेरा जो कथन था, अगर आप वापिस से रिमाइण्ड करके अपने मानस में उस शब्द तक पहुँचें जो मैंने पहले कहा. बात यह है कि आपने एक संकल्प लिया. बात यह नहीं है कि यज्ञ हो रहा है तो पंडित जी को आप एक रुपया दे रहे हैं, एक हजार दे रहे हैं. बात यह है कि आप हाथ में संकल्प ले रहे हैं, सुपारी छोड़ रहे हैं, जल छोड़ रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट) आप एक उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्धता दर्शा रहे हैं और जब आप प्रतिबद्धता दर्शा रहे हैं, आपके कदम आगे बढ़ा रहे हैं....

          श्री विष्णु खत्री--  माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं यह कहना चाहता हूँ कि....

          उपाध्यक्ष महोदया--  उनकी बात कंप्लीट हो जाने दीजिए.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव--  यह काम आज से 6 महीने पहले भी तो हो सकता था.

          श्री विष्णु खत्री--  हुआ है. उपाध्यक्ष महोदया, इस प्रदेश के अन्दर हुआ है. यदि सिंहस्थ के अन्दर संकल्प की बात आती है, जल प्रबंधन की बात आ रही है....

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव--  उपाध्यक्ष महोदया, मैं आप से निवेदन करूँगा कि क्या आप माननीय सदस्य को अनुमति दे रही हैं?

          उपाध्यक्ष महोदया--  आप अपनी बात जारी रखिए. खत्री जी, आपको जब अवसर मिलेगा तब बोलिएगा कृपया बैठ जाएँ.  ..(व्यवधान)..

          श्री विष्णु खत्री--  उपाध्यक्ष महोदया, यदि प्रदेश में जल प्रबंधन की बात आ रही है तो सिंहस्थ के अन्दर क्षिप्रा जी में माँ नर्मदा का जल पहुँचा कर इस प्रदेश के पूर्व मुखिया ने....  ..(व्यवधान)..

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव--  उपाध्यक्ष महोदया, अब इन्होंने माँ नर्मदा जी पर बात कर ही दी है तो मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ कि नर्मदा जी की क्या स्थिति है, आप हमारे क्षेत्र में आकर देखते, बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे नर्मदा बेसिन में. पानी की एक बून्द नहीं बची थी. आपके मित्र लोग सारी रेत खींच कर ले गए. इन लोगों ने यह हालत की थी माँ नर्मदा की और नर्मदा जी की बात आप पर सदस्य सुनना चाहते हैं तो मैं ..(व्यवधान).. 

          उपाध्यक्ष महोदया--  विष्णु जी और महेश जी कृपया बैठ जाइये. राजवर्धन जी, आप अपनी बात पूरी करिए.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव--  उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय सदस्य से निवेदन करना चाहता हूँ कि एक बार नर्मदा यात्रा सब मिलकर कर लें तो धरातल पर पता लग जाएगा. (मेजों की थपथपाहट) इनके नेता ने तो हेलिकॉप्टर से की हमारे नेता ने तो पैर पैर की. पग, पग, डग, डग, (मेजों की थपथपाहट) 72 साल की उम्र में इनके नेता पाँव पाँव वाले भैय्या कहलाते थे, बनकर उड़न खटौले वाले भैय्या. (XXX) मुद्दा यह है...(व्यवधान)..

            उपाध्यक्ष महोदया-- (इशारे से) विलोपित करें.

श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव--  भाव नहीं तो जीवन क्या. जीवन का भाव क्या.

            श्री गिरीश गौतम--नर्मदा परिक्रमा की गई परन्तु नर्मदा जी ने भाव नहीं दिया. (व्यवधान)

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव--वे स्वयं जाने खुद के मन की कि कैसे सोए कैसे उठे, मुंह देखा तो क्या महसूस किया. हम तो भाव प्रधान देश के भाव प्रधान भावुक नागरिक हैं ऐसे ही जिए और ऐसे ही मरेंगे. आपत्ति जिसको हो वह उसका हक है. खैर, मुद्दा यह है कि हम बजट पर चर्चा कर रहे हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--वे नाराज हो जाएंगे.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव--नाराज होकर क्या करेंगे. ईश्वर प्रसन्न हो तो सब खुश. मालिक का मालिक कौन ?

          कुंवर विजय शाह--अभी मालूम पड़ा कि आपका भाषण इतना अच्छा क्यों है, अभी सिंधिया जी यही हैं.

          डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय--भाव तो कभी दूर नहीं होता है.

          श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव--मेरे संबंध सभी से इतने ही अच्छे हैं, कमलनाथ जी का मुझे संरक्षण है. शायद आप यह नहीं जानते हैं कि अर्जुन सिंह जी ने मेरा पहला विधान सभा का टिकट दिलवाया था, यह मैं सदन में कह रहा हूँ. मेरा पहला टिकट अर्जुन सिंह जी ने करवाया था, सिंधिया जी ने नहीं करवाया था. आप भ्रमित हैं. मैं बजट की चर्चा पर वापिस आता हूँ. आप इस बात की प्रशंसा कीजिए कि हमने वाटर सप्लाई सेनिटेशन में पिछली बार से 28 फीसदी बजट बढ़ाया है, यह कोर सेक्टर है. अभी पॉवर सेक्टर की बात नरोत्तम मिश्र जी कर रहे थे वे कह रहे थे कि पहले बिजली रहती थी अब यह कहां चली जाती है, कैसे चली जाती है. इसका कारण टेक्निकल है. इतने वर्षों तक केन्द्र सरकार ने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी बड़ी योजना से पूरा इन्फास्ट्रक्चर इस प्रदेश का मजबूत किया, बहुत पैसा दिया. यह योजना पूरे देश में थी. पूरे प्रदेश का इन्फास्ट्रक्चर मजबूत किया लेकिन टेंडरिंग आदि की प्रक्रिया यहां से हुई, कांट्रेक्ट यहां से हुए. पिछले इतने वर्षों में मेंटेनेंस की क्या स्थिति रही, पॉवर प्लांट्स की क्या स्थिति रही. थर्मल प्रोजेक्ट्स की क्या स्थिति रही, इरीगेशन प्रोजेक्ट्स की क्या स्थिति रही. कितना निवेश, कितना ध्यान आपने इनके मेंटेनेंस पर दिया, कितना इनको चलाया. जब रेस्ट देना था