मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2019 सत्र
गुरुवार, दिनांक 11 जुलाई, 2019
( 20 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
[खण्ड- 3 ] [अंक- 4 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 11 जुलाई, 2019
(20 आषाढ़, शक संवत् 1941 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, आरिफ भाई कल आपके कहने के बाद भी आज तक नहीं मुस्कुराए. इनको मुस्कुराए हुये एक युग हो गया, एक अरसा हो गया. मेरी आपसे प्रार्थना है कि कुछ तो ऐसा करें कि यह थोड़ा-बहुत तो मुस्कुराएं.
अध्यक्ष महोदय - ईद का चॉंद हैं.
पिछड़ा वर्ग एवं अल्प संख्यक कल्याण मंत्री (श्री आरिफ अक़ील) - अध्यक्ष महोदय, हमारे एवं आपके बीच यह दखल दे रहे हैं. यह गलत बात है न.
अध्यक्ष महोदय - हां, जबरन में. भाइयों के बीच में मत आओ भाई.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, पहले यह गौर जी की ड्यूटी थी, आज-कल हमारे नरोत्तम भाई निभा रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष जी, ईद के चॉंद पर मुझे याद आया कि ईद के चॉंद का क्या है दिखा, न दिखा. तुम्हीं नकाब उठा दो तो ईद हो जाये. (माननीय सदस्यों द्वारा वाह...वाह...)
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा) - ईद का चॉंद इसलिये नहीं दिखा कि तुम बादल बन गये.
श्री गोपाल भार्गव - यह व्यंग्य है या वास्तविकता है ?
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
कटनी में एन.डी.बी. योजनांतर्गत सड़कों का निर्माण
[लोक निर्माण]
1. ( *क्र. 830 ) श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा एन.डी.बी. योजना की सड़कों की जानकारी विषयक कार्यपालन यंत्री संभाग-कटनी को दिनांक 09/03/2019 को लिखित पत्र का सामान्य प्रशासन विभाग म.प्र. शासन के निर्देशानुसार निराकरण नहीं करने और जानकारी प्रदान न करने पर कार्यवाही की जाएगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) एन.डी.बी. योजनांतर्गत मुड़वारा विधान सभा में झिंझरी गुलवारा से बिलहरी की ओर एवं केलवारा खुर्द से खरखरी की ओर सड़क कितनी-कितनी लागत से किस ठेकेदार कंपनी द्वारा किन शर्तों के अध्याधीन बनाई जा रही है और किन शर्तों पर कंसल्टेंसी एजेंसी की किस आदेश से नियुक्ति की गयी है? डी.पी.आर. की प्रति भी प्रदान करें। (ग) प्रश्नांश (ख) के तहत सड़कों के निर्माण में ठेकेदार कंपनी को किस-किस खनिज की कितनी मात्रा में उत्खनन के कौन-कौन खनि पट्टे की स्वीकृति किस सक्षम अधिकारी द्वारा कब प्रदान की गयी? (घ) क्या प्रश्नांश (ख) के तहत निर्माणाधीन दोनों सड़कों में फर्जी प्राक्कलन, की जा रही अनियमितताओं एवं गुणवत्ताविहीन निर्माण के कारण शासन स्तर पर तकनीकी जाँच कराई जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) कार्यपालन यंत्री, लोक निर्माण विभाग संभाग कटनी द्वारा वांछित जानकारी दिनांक 22.06.2019 को माननीय विधायक जी को उपलब्ध कराई गई है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। डी.पी.आर. की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (घ) जी नहीं, कोई अनियमितता नहीं की जा रही है। अत: जाँच कराने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री महोदय के माध्यम से यह जवाब दिया गया है बिन्दु क्रमांक ''घ'' में कि सारा कार्य ठीक हो रहा है, एस्टीमेट ठीक बना था, गुणवत्ता ठीक है. इस संबंध में मैं माननीय मंत्री महोदय को बताना चाहूंगा कि डी.पी.आर. एजेंसी के माध्यम से बनवाया गया और हवा में बनवाया गया. उसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि चेक लिस्ट के बिन्दु क्रमांक 10 एवं 11 में जो मुझे कागज़ दिये गये उसी के अनुसार बता रहा हूं, लिखा गया कि भू-अर्जन की आवश्यकता नहीं है और स्पॉट पर स्थिति यह है कि किसानों की जमीन आने के कारण जगह-जगह सड़क की चौड़ाई कम कर दी गई है. दूसरी बात, पी.डब्ल्यू.डी. के ही मापदण्ड के अनुसार बसाहट के क्षेत्रों में सी.सी. रोड बननी थी उसका कोई प्रावधान नहीं किया गया है. टेण्डर आयटम रेड पर है, जबकि पी.डब्ल्यू.डी. के टेण्डर एस.ओ.आर. पर किये जा रहे थे. नाबार्ड के अंतर्गत् बनी सड़क पूर्व में बन चुकी थी, उसमें पुन: अर्थ वर्क को शामिल करके उसमें भी भ्रष्टाचार किया गया है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न करिए.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- प्रश्न यह है कि क्या इसके एस्टीमेट की, जो एजेन्सी द्वारा बनाया गया है, जो मैंने यह बिन्दु उठाए उसकी जाँच कराई जाएगी?
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य का यह कहना कि एस्टीमेट हवा में बनाया गया है, असत्य है. एस्टीमेट जमीन पर ही बनाया जाता है और माननीय सदस्य, यह पूर्व सरकार, जो आपकी थी, नेश्नल डेवलपमेंट बैंक के साथ आपकी सरकार ने एम.ओ.यू. साइन किया था, उन प्रावधानों के अनुसार ही डी.पी.आर. बनी है, इसमें हमारा कहीं कोई लेनादेना नहीं है. पूर्ववर्ती सरकार को हम फॉलो कर रहे हैं क्योंकि पूर्ववर्ती सरकार बोलती है कि हमने बड़े अच्छे-अच्छे काम किए. जब उन्होंने एम.ओ.यू. साइन किए तो हम उसको फॉलो कर रहे हैं. इसमें हमारी कहीं कोई गलती नहीं है.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब तो सरकार को भी, मंत्री जी हमारे और आप में बाँटने लगे, सरकार तो सबकी होती है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- काश, आप यह बात मान लेते कि यह सरकार आपकी है.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- विधान सभा में बहुमत आपका हो सकता है. सरकार तो सबकी है. लेकिन अध्यक्ष महोदय, एस्टीमेट हवा में कहने का मेरा कारण सिर्फ यह है कि अगर एस्टीमेट एक निजी एजेन्सी द्वारा इस ढंग से बनाया गया होता, तो मैंने कहा कि चेक लिस्ट में क्रमांक 10 और 11 में स्पष्ट लेख है कि भू-अर्जन की आवश्यकता नहीं और वहाँ पर सड़क सँकरी बन रही है उसकी जाँच करा लें. दूसरी बात, आपका डामरीकरण कार्य 15 जून से 15 अक्टूबर तक प्रतिबंधित है. बारिश हो जाने के बाद वहाँ स्पॉट पर डामरीकरण कार्य चल रहा है. आपका एन.डी.बी. एक कंसलटेंसी रखता है वह अपने पैसे की देखरेख के लिए, सरकार किसी की भी हो, जनता के टैक्स से चलती है.
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न आ गया?
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- नहीं, एन.डी.बी. के प्रोजेक्ट डायरेक्टर से लेकर एन.डी.बी. तो अपनी देख रहा है कंसलटेंसी से देखरेख, लेकिन यहाँ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और उनकी टीम ने आज तक स्पॉट पर जाकर निर्माण कार्य का निरीक्षण नहीं किया. ये दोनों बातें हैं. इस पर मैं चाहूँगा कि इसकी जाँच करा लें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मैं पूरी बात करने से चूक गया था, कंसलेटेंसी संस्था जो है, जो कंसलटेंट है, डी.पी.आर. उसी ने बनाई, सारा का सारा काम उसकी जवाबदारी पर होता है. हमारे अधिकारी निश्चित रूप से समय-समय पर उन कार्यों की जाँच करते हैं. आप कह रहे हैं कि भू-अर्जन की जरुरत नहीं है, सीमेण्ट, कांक्रीट वहाँ नहीं हो रहा है. जो कंसलटेंट ने डी.पी.आर. बनाई है हमें उसको फॉलो करना है क्योंकि ये, अब मैं फिर कहूँगा कि आपकी सरकार ने इस तरह का अनुबन्ध कर लिया कंसलटेंट से, नेश्नल डेवलपमेंट बैंक से अनुबन्ध कर लिया है कि कंसलटेंट ही डी.पी.आर. बनाएगा, कंसलटेंट ही मुख्य जवाबदार रहेगा, तो इसमें हम दोषी कहाँ हैं? फिर भी हमारे अधिकारी बराबर जाकर चेकिंग करते हैं, देखरेख करते हैं और रिपोर्ट देते हैं, उसके बाद ही उनका बिल बनता है.
अध्यक्ष महोदय-- जायसवाल जी, अब आप आखरी प्रश्न करिए.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- आपके प्रोजेक्ट डायरेक्टर अभी तक कोई भी कार्य की जाँच करने नहीं गए. दूसरी बात, डी.पी.आर. किसी अन्य एजेन्सी ने बनाया है, कंसलटेंसी जो एजेन्सी है, वह एन.डी.बी. ने अपनी राशि के लिए अपनी ओर से नियुक्त किया है, तो क्या शासन की ओर से नियुक्त अधिकारी फील्ड पर नहीं जाएँगे? हम शासन की ओर से उसकी देखरेख नहीं करेंगे?
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, ऋण लेकर बनाई हुई सड़कें हैं. ऋण लेते हैं इसलिए पूरा का पूरा जो कंसलटेंट है वही डी.पी.आर. बनाता है. अब माननीय सदस्य का यह कहना कि हमारे अधिकारी उसकी देखरेख नहीं करते, यह गलत है. समय-समय पर हमारे अधिकारी जाते हैं.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- अध्यक्ष महोदय, प्रोजेक्ट डायरेक्टर आपने बनाए. मंत्री जी गलत कथन कर रहे हैं, प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाए गए.
अध्यक्ष महोदय-- जायसवाल जी, 3 प्रश्न हो गए.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- अध्यक्ष महोदय, प्रोजेक्ट डायरेक्टर इस पर क्या कर रहे हैं? मंत्री जी गलत कथन कर रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय यह बात कह रहे हैं, सरकार बने सात माह हो गए. बार-बार जब यह बात कही जाएगी कि 15 साल, 15 साल तो मैं यह कहना चाहता हूं कि यदि डी.पी.आर. ठीक नहीं है या कंसलटेंसी ठीक नहीं है तो पेरेंट डिपार्टमेंट आपका है, सुपरविजन आपका है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूं मैं पिछली सरकार का उल्लेख इसलिए कर रहा हूं कि केबिनेट डिसीजन हुआ था उसके अनुसार इन्होंने नेंश्नल डेव्हलपमेंट बैंक से एम.ओ.यू. साइन किया. वह हमें फॉलो करना पड़ता है. हम अभी उसमें कोई चेंज करने की स्थिति में नहीं हैं.
श्री गोपाल भार्गव-- यह जो मूल विभाग है वह लोक निर्माण विभाग है आपका काम सुपरविजन करना है. एग्रीमेंट कभी का भी हो, फायनेंस किसी ने भी किया हो, किसी ने भी उसके लिए ऋण स्वीकृत किया हो, कुछ भी किया हो लेकिन आज के समय में आपकी ड्यूटी है कि आपको लगातार इसका सुपरविजन करना है, बेहतर से बेहतर सड़क बनवाएं इसके लिए आप इसको किसी दूसरे पर नहीं टाल सकते हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- यह आरोप लगाना गलत है कि हमारे अधिकारी चैकिंग नहीं कर रहे हैं. बिलकुल चैंकिंग होती है, रिपोर्ट आती है. एक बात समझ लीजिए कि जब रिपोर्ट पुख्ता आ जाती है उसके बाद ही उनका पेमेंट होता है.
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय-- जायसवाल जी आप बैठ जाइए.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि माननीय सदस्य का उत्तर नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय-- उत्तर आ गया है. विराजिए.
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय सिर्फ एक सवाल करना है. एन.डी.बी. ने प्रोजेक्ट डायरेक्टर क्यों बनाएं.
अध्यक्ष महोदय-- जायसवाल जी तीन प्रश्न दे दिए. आप घड़ी का कांटा भी देखिए. मुझे आगे के प्रश्न भी देखने है.
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल-- वह ऋण लेने के लिए अपनी कन्सलटेंसी नियुक्त कर रहे हैं. जनता के पैसे को हम नहीं देख रहे हैं. हम खर्च कर रहे हैं.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- भार्गव जी आप रुक जाइए. बीच में नहीं बोलिए. जब मैं अनुमति दूं तब आप लोग आज्ञा लेकर खडे़ हों.
11:12 बजे स्वागत उल्लेख
पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का अध्यक्षीय दीर्घा में उपस्थित होने पर स्वागत उल्लेख
अध्यक्ष महोदय-- आज सदन की दीर्घा में पूर्व केन्द्रीय मंत्री माननीय श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी उपस्थित हैं सदन की ओर से उनका स्वागत है. (मेजों की थपथपाहट)
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
इच्छावर विधान सभा क्षेत्रांतर्गत नहरों का निर्माण
[जल संसाधन]
2. ( *क्र. 1017 ) श्री करण सिंह वर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सीहोर जिले के इच्छावर विधान सभा क्षेत्र के काकरखेड़ा ग्राम के अंतर्गत शासन द्वारा नहर का निर्माण कब किया गया है? (ख) वर्तमान में उक्त कार्य की क्या स्थिति है तथा इसको कितनी समय अवधि में पूरा कर लिया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री हुकुम सिंह कराड़ा ) : (क) एवं (ख) काकरखेड़ा तालाब की आर.बी.सी. नहर का निर्माण कार्य वर्ष 1981-82 में पूर्ण किया जाना प्रतिवेदित है। कार्य पूर्ण एवं अच्छी स्थिति में होने से शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
श्री करण सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री महोदय से सीधा-सीध प्रश्न पूछा था कि काकरखेड़ा जलाश्य में दोबारा कांक्रीट नहर कब बनी. आपने उत्तर दे दिया कि सन् 1981-1982 में बनी. मैंने प्रश्न में सिर्फ यह स्पष्ट पूछा है कि दोबार नहर कब बनी. आप उसका उत्तर मुझे बता दीजिए कि दोबारा नहर कब बनी?
श्री हुकुम सिंह कराड़ा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य ने कहा कि दोबारा नहर कब बनी. पहले यह सन् 1981-1982 में पूर्ण हुई थी और उसके बाद इसमें दो नहरें हैं एल.बी.सी. और आर.बी.सी. इन दोनों को मिलाकर सन् 1983-1984 में नहर बनी.
श्री करण सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी का भी उत्तर दे देता हूं. वर्ष 2015-2016 में नहर बनी. अभी वर्ष 2017-2018 में दो करोड़ रुपए की नहर बनी. उसको सीमेंट और गिट्टी से बनना था लेकिन दोनों नहरें आपके विभाग ने मुरम से बना दी और दोनों नहरें समाप्त हो गईं. वहां पानी आने जाने की जगह ही नहीं बची है तो क्या आप उच्च अधिकारी से इसकी जांच करवाकर अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करेंगे?
श्री हुकुम सिंह कराड़ा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह नहर जो वर्ष 2012-2013 में बनी थी और इसमें मुरम की कहीं कोई शिकायत नहीं है और इससे बराबर सिंचाई हो रही है और पांच गांवों की सिंचाई हो रही है.
श्री करण सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मैंने स्पष्ट पूछा है कि गत वर्ष 2018 में जो नहर बननी थी वह सीमेंट और गिट्टी से बनना थी उसमें कांक्रीट होना था लेकिन वह मुरम से बनी हुई है और टूट फूट के कारण बेकार हो गई है. मंत्री जी, मैं आपके सामने इतना बड़ा प्रमाण खड़ा हूं.
लोक निर्माण मंत्री (श्री सज्जन सिंह वर्मा)- क्या आप टूट-फूट गए हैं ?
श्री करण सिंह वर्मा- मैं कहां टूटा हूं, आप तो जानते ही हैं. अगर टूटा-फूटा हूं भी तो बस एक बार अयोध्या में कारसेवा में टूटा हूं. बाकी आज तक कभी नहीं टूटा हूं. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय- वर्मा जी, जहां तक मैं समझा हूं दुबारा जो नहर बनी है उसमें कोई न कोई खामी है. माननीय मंत्री जी आप कृपया जो प्रश्न यहां उद्भूत हुए हैं उनके लिए एक अधिकारी को वहां पहुंचाकर जांच करवा लीजिये. आप भी संतुष्ट हो जायेंगे, विधायक जी भी संतुष्ट हो जायेंगे. वर्मा जी आप बैठ जाइये. मैंने आपकी पैरवी कर दी. सब बोल दिया है. रिपोर्ट आ जाने दीजिये हम दोनों मिलकर देख लेंगे.
श्री करण सिंह वर्मा- आपने पैरवी की, उसके लिए धन्यवाद.
किसानों को थ्री-फेज विद्युत की आपूर्ति
[ऊर्जा]
3. ( *क्र. 901 ) श्री भूपेन्द्र सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में किसानों को थ्री-फेज की विद्युत प्रतिदिन प्रदाय करने के संबंध में सरकार की वर्तमान में क्या नीति है? (ख) 1 जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक तक किसानों को थ्री-फेज की विद्युत प्रतिदिन कितने घण्टे प्रदान की जा रही है? क्या घोषणा अनुरूप दिन के समय कम से कम 8 घण्टे विद्युत प्रदाय की जा रही है? यदि नहीं, तो क्या कारण है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) प्रदेश में वर्तमान में पूर्व, मध्य एवं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा किसानों को कृषि फीडरों के माध्यम से थ्री फेज पर प्रतिदिन 10 घंटे (दिन के समय 6 घंटे एवं रात्रि के समय 4 घंटे) विद्युत प्रदाय उपलब्ध कराने की नीति है। (ख) 1 जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक तक प्रदेश में किसानों को कृषि फीडरों के माध्यम से थ्री फेज पर औसतन 9 घंटे 54 मिनट प्रतिदिन विद्युत प्रदाय किया गया है। वर्तमान में विद्युत प्रणाली के भार प्रबंधन एवं तकनीकी बाध्यता को दृष्टिगत रखते हुए कृषि फीडरों को दो समूहों में विभक्त कर पाक्षिक रूप से किसानों को बारी-बारी से दिन के समय में 08 घंटे थ्री फेज पर विद्युत प्रदाय करने का प्रस्ताव विचाराधीन है।
श्री भूपेन्द्र सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि सरकार ने चुनाव के समय अपने वचन-पत्र में यह कहा था कि हम प्रदेश में अपने किसानों को दिन में 8 घण्टे और रात्रि में 4 घण्टे थ्री-फेज़ बिजली की सप्लाई करेंगे. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि इस संबंध में सरकार के स्तर पर अभी तक क्या-क्या प्रयास हुए हैं ? जैसा कि आपने अपने वचन-पत्र में कहा है कि आप दिन में किसानों को 8 घण्टे थ्री-फेज़ सप्लाई देंगे इस संबंध में विभाग की क्या कार्य योजना है और आप कब तक किसानों को 8 घण्टे थ्री-फेज़ सप्लाई देंगे ?
श्री प्रियव्रत सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो जानकारी चाही है उस पर मैं कहना चाहूंगा कि यह बात सही है कि हमारे वचन-पत्र में बिंदु 1.4 पर किसानों को 12 घण्टे बिजली देना, सुनिश्चित करने का वचन दिया गया है. इस हेतु सरकार अभी परीक्षण करवा रही है और जल्द ही सरकार इसमें नीतिगत निर्णय लेगी.
श्री भूपेन्द्र सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सरकार को लगभग 6 माह का समय हो गया है और 6 माह के बाद भी यदि सरकार यह कह रही है कि हम परीक्षण करवा रहे हैं तो आप एक समय-सीमा बता दें कि आपने अपने वचन-पत्र में जो कहा है, उसके अनुसार आप कब तक मध्यप्रदेश में किसानों को दिन में 8 घण्टे थ्री-फेज़ सप्लाई देने का काम करेंगे और दूसरा इसी के साथ यह भी बता दें कि इस संबंध में पिछले 6 माह में विभाग के स्तर पर या सरकार के स्तर पर क्या-क्या प्रयास हुए हैं और वर्तमान में हमारा जो ट्रांसमिशन सिस्टम है, उसमें जो लाइन लॉस हैं, उसकी क्या स्थिति है क्योंकि यह पूरा नीतिगत प्रश्न है और पूरे प्रदेश के किसानों से जुड़ा हुआ प्रश्न है. इसलिए सदन में आपकी ओर से स्पष्ट रूप से सारी बातें आ जायें जिससे सदन को जानने का अवसर मिलेगा और प्रदेश के किसानों को भी इस संबंध में आपकी क्या योजना है, यह जानने का अवसर मिलेगा.
श्री प्रियव्रत सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां पूर्व, मध्य और पश्चिम क्षेत्र इस प्रकार कुल तीन वितरण कंपनियां हैं. इन तीनों वितरण कंपनियों में हमने परीक्षण करवाया है. पूर्ववर्ती सरकार के समय से जो व्यवस्था थी, 6+4 अर्थात् 10 घण्टे बिजली ज्यादातर स्थानों पर दी जा रही है. हमने पूर्व क्षेत्र के बालाघाट में वहां के किसानों की मांग को ध्यान में रखते हुए लगातार 10 घण्टे बिजली सप्लाई करने का प्रयोग किया है और यह एक सफल प्रयोग है. 15 दिवस के अंतराल में हम इसे स्विच करते हैं. इसमें हमने दो समूह तैयार किए हैं. जिसमें एक समूह में रात्रि 10 से सुबह 8 बजे तक और एक समूह में सुबह 8 बजे से शाम को 6 बजे तक विद्युत सप्लाई कर रहे हैं. ऐसा ही मध्य क्षेत्र ने भी 10 घण्टे तक विद्युत सप्लाई करने का, हमने विद्युत सप्लाई करने का हरदा और होशंगाबाद में परीक्षण करवाया है. यहां पर भी दो समूह बनाकर 7 दिवस के अंतराल में यह प्रयोग कर रहे हैं. इसकी वॉयबिलिटी की स्टडी में हम लोग प्रयासरत् हैं. पश्चिम क्षेत्र में ज्यादातर जितने किसान हैं, वह भूजल स्तर पर आधारित हैं, जो नलकूप खनन के माध्यम से अपने खेतों की सिंचाई करते हैं. वहां हम बिजली की सप्लाई लगातार करें तो भूजल सूख जाता है, इसलिये हम भूजल स्तर मेंटेन करने के लिये दो शिफ्ट में ही बिजली की सप्लाई करेंगे. यदि हम लगातार सप्लाई करेंगे तो भूजल सूख जाता है.(माननीय मंत्री जी का माईक बंद होने पर) लाईट तो है, लाईट आपको नहीं दिख रही है,
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी आपके शरीर में वोल्टेज ज्यादा है.
श्री प्रियव्रत सिंह:-अध्यक्ष महोदय, वोल्टेज पूरे प्रदेश में दिखायेंगे और पूरी ताकत के साथ दिखायेंगे.
श्री विश्वास सारंग:- वोल्टेज ज्यादा होता है तो ट्रांसफार्मर फट जाता है.
श्री प्रियव्रत सिंह:- विश्वास भाई, कभी-कभी सावन के अंधे को हरा-हरा ही दिखता है, इसलिये हमें तो लाईट दिख रही है.आपको नहीं दिख रही है;
श्री विश्वास सारंग:- मंत्री जी, मैं तो आपको सचेत कर रहा हूं कि वोल्टेज ज्यादा होगा तो ट्रांसफार्मर फट जायेगा.
अध्यक्ष्ा महोदय:- अरे, विश्वास भाई ऐसा नहीं है.
श्री विश्वास सारंग:- विश्वास जी, ट्रांसफार्मर नहीं फटेगा, थोड़ा करंट आपके यहां पर पहुंचा देंगे, ट्रांसफार्मर नहीं फटने देंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह :- मेरा प्रश्न नीतिगत है, आपका संरक्षण चाहिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने यह स्वीकार किया है कि वर्तमान में जो स्थिति है. उस स्थिति के अनुसार हम वर्तमान में किसानों को दिन में 8 घण्टे थ्री फेज बिजली की सप्लाई दे सकते हैं. मैं बड़े स्पष्ट रूप से मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जब यह स्थिति है और विशेष रूप से पिछले पांच वर्षों में हम लोगों ने अटल ज्योति योजना के माध्यम से, जो हम लोगों ने काम किया है, उसके बाद आज यह स्थिति है कि आप दिन में किसानों को 8 घण्टे बिजली दे सकते हैं तो मेरा प्रश्न है कि क्या इस संबंध में विभाग यह निर्णय करेगा कि किसानों को दिन में 8 घण्टे बिजली मिले, यह आपका ही वचन पत्र है, यह मैं नहीं कह रहा हूं.
श्री प्रियव्रत सिंह:- अध्यक्ष महोदय,सरकार वचन-पत्र के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित है और यह नीतिगत प्रश्न है. कल ही बजट प्रस्तुत हुआ है, हम आने वाले समय में पूरा वचन-पत्र लागू करेंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह:- मंत्री जी, एक मिनट. कल जो आपका बजट प्रस्तुत हुआ है, उसमें भी आपने 10 घण्टे ही लिखा है, उसमें भी आपने कहीं भी 12 घण्टे नहीं लिखा है. इसलिये आप अपने वचन-पत्र को ही बजट में स्वीकार नहीं कर रहे हैं तो जरा इसके बारे में या तो वित्त विभाग से बात करें, यहां पर वित्त मंत्री भी बैठे हैं. उसमें 10 घण्टे ही लिखा हुआ है या तो बजट आपके वचन-पत्र के अनुसार बना नहीं है.
श्री तरूण भनोत:- अपना वचन-पत्र पार्टी ने रखा था और सरकार के पास वचन-पत्र है. इनको इतनी अधीरता क्यों हैं. हम पूरा वचन-पत्र लागू करेंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह:- वित्त मंत्री जी, यह आप अधीरता की बात कर रहे हैं. अभी आपको मंत्री बने ज्यादा समय नहीं हुआ है, अभी 6 या 8 महीने ही हुए हैं. माननीय अध्यक्ष जी, पहली चीज तो वित्त मंत्री जी ने पहले बीच में इंटरप्ट किया. अब इनका जो बजट है, यह कह रहे हैं कि अधीरता क्यों हैं. फिर आपने क्यों कहा था कि हम 8 घण्टे बिजली सप्लाई देंगे आपके बजट में आप लिख रहे हो कि हम 10 घण्टे कुल सप्लाई देंगे. यह आखिर कंट्राडिक्ट्री क्यों है ? वित्त मंत्री जी ने आपकी बिना अनुमति के बोल रहे थे, आपसे बोलने की अनुमति नहीं ली. यह कोई तरीका है क्या कि आप बीच में खड़े होकर कुछ भी बोलेंगे. आप दो प्रश्न का जवाब.
अध्यक्ष महोदय:- अनुमति नहीं ली, चलिये हो जाता है, बीच में. मंत्री जी, जवाब दे रहे हैं.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)--अध्यक्ष महोदय, यह लोग हम लोगों को अनुमति लेना सिखा रहे हैं. 15 सालों में आप लोगों ने जो संस्कार दिये हैं. वही संस्कार ले रहे हैं. आप लोग भी बिना अनुमति लिये उठ जाते थे.
श्री भूपेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, हमें इसी सागर में ही रहना है. यह व्यवस्था तो कर दें कि आपकी अनुमति लेकर के खड़े हों.
अध्यक्ष महोदय--मेरा दोनों पक्षों से अनुरोध है कि कृपया सीधे वार्तालाप न करें. जब अच्छी स्वस्थ चर्चा चल रही है प्रश्न पूछा जा रहा है, मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं. बीच में उत्साहीलाल बनकर अगर हम यह सब चीजें छिन्न-भिन्न करेंगे तो अव्यवस्था होगी. भूपेन्द्र सिंह जी आप सीधा सीधा प्रश्न करिये आप मंत्री जी उत्तर दीजिये.
श्री भूपेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, आपका बहुत धन्यवाद करता हूं कि आपने अच्छी व्यवस्था दी है. मंत्री जी बहुत शालीनता के साथ उत्तर दे रहे हैं इसलिये उनका भी धन्यवाद करता हूं.
वाणिज्यक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर)--अध्यक्ष महोदय, लाइन लॉस आपके कार्यकाल का है.
श्री भूपेन्द्र सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि वर्तमान में यह स्थिति है सरकार 8 घंटे थ्री फेस बिजली की सप्लाई दिन में दे सकती है. क्या माननीय मंत्री जी इस संबंध में निर्णय लेंगे जिससे कि प्रदेश में किसानों को दिन में भी सिंचाई के लिये 8 घंटे बिजली मिल सके.
श्री प्रियव्रत सिंह--अध्यक्ष महोदय, वचन-पत्र के प्रति हम वचनबद्ध हैं. वचन-पत्र में जो एक एक बिन्दु दिया गया है उसको हम लागू करेंगे, यह सरकार की प्राथमिकता है. हमने इन्दिरा किसान ज्योति के माध्यम से समूचे प्रदेश के 19 लाख किसानों का जो 10 हार्स-पावर के पम्प का उपयोग करते हैं उनके बिजली के बिल को आधा किया है. किसानों के प्रति हमारी पूर्ण रूप से सजगता है जिस प्रकार से किसानों को कर्ज माफी योजना का लाभ अभी मिल रहा है. मेरा इसमें माननीय सदस्य से अनुरोध है कि थोड़ा धैर्य रखें. हमें आपने जो व्यवस्था दी है. यह हम नहीं कहते कि 15 वें वित्त-आयोग ने यह प्वाईंट ऑऊट किया है कि 36 प्रतिशत लॉसेस हमारे प्रदेश में है. यह हमें पुरानी सरकार से विरासत में मिले हैं. वर्ष 2005 में तीनों डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनियों का गठन किया गया था तब माननीय आप ही लोगों की सरकार थी हम लोग विपक्ष में बैठे थे. क्लीन बैलेंस पर इन कम्पनियों का गठन किया गया था. यह कम्पनियां वर्ष 2003 में आयीं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, कम्पनियां इसके पहले बनी थीं.
अध्यक्ष महोदय--नेता प्रतिपक्ष जी तथा भूपेन्द्र भाई मेरा आपसे अनुरोध है कि आप लोग विराजें.
श्री गोपाल भार्गव--आपके समय में तो बिजली ही नहीं आती थी अब लॉस क्या होता यह हैं. क्या लाइन लॉस होता है ?
श्री प्रियव्रत सिंह--अध्यक्ष महोदय, आज के समय में हमारा घाटा जो पुरानी सरकार हमें विरासत में सौंपकर गई है वह वर्ष 2017-18 का तीन डिस्कोम्स का मिलाकर 42 हजार करोड़ के घाटे में बिजली विभाग विरासत में मिला है. इस लॉसेस को कंट्रोल करना हमारी प्राथमिकता है, हम उस पर काम कर रहे हैं. इन कम्पनियों को घाटे से बाहर लाना भी हमारी प्राथमिकता है, प्लस जनरेशन बढ़ाना भी हमारी प्राथमिकता है, उस पर भी हम काम कर रहे हैं. वचन-पत्र का यह बिन्दु--
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न क्रमांक 4 श्री यशपाल सिंह सिसौदिया
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय जब घाटे की बात होती रही है.
अध्यक्ष महोदय--माननीय गोपाल भाई, भूपेन्द्र भाई अब यह उद्भूत हो रहा है, यह व्यापकता की ओर जा रहा है.
श्री गोपाल भार्गव--इस प्रश्न को व्यापक बनाया गया है. इसमें सीधा सीधा प्रश्न था और इसमें सीधा सीधा उत्तर आना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय--आप लोग चर्चा कर रहे हैं मैं भी इसमें चर्चा करना चाहता हूं.
श्री गोपाल भार्गव--एग्रीकल्चर सेक्टर में सब्सिडी के रूप में यह बता रहे हैं कि इतना घाटा हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय--आप लोग विराजेंगे मैं इसमें बता देता हूं. लाइन लॉस, यह लाइन नहीं हो रहा है लाइन लॉस के बारे में बताना चाहता हूं कि जब बिजली तारों से दौड़ती है उसके ट्रांसफार्मर और बिजली के तार उपयुक्त नहीं होते हैं या जहां पर बिजली की चोरी होती है वह लाइन लॉस की परिधि में आता है. गोपाल भाई आप कृपया विराजिये.
श्री गोविंद सिंह राजपूत - अध्यक्ष जी बिजली मंत्री रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - गोपाल भाई प्लीज एक मिनट रूक जाइए. मैं आपसे अनुरोध करता हूं अब दोबारा बिजली विभाग का प्रश्न आ रहा है. माननीय यशपाल सिंह सिसौदिया जी.
प्रदेश में विद्युत कटौती
[ऊर्जा]
4. ( *क्र. 825 ) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में पर्याप्त बिजली होने के बावजूद भी लगातार बिजली कट रही है, इस अनियमितता के क्या कारण हैं? ऊर्जा विभाग द्वारा प्रतिवर्ष विद्युत लाईनों के रख-रखाव हेतु किस-किस माह में मेन्टेनेंस किया जाता है? क्या प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी सही समय पर मेन्टेनेंस का कार्य पूरे प्रदेश में समय पर पूरा हुआ है? यदि हाँ, तो लगातार बिजली कटने के क्या कारण हैं? यदि नहीं, तो इसके लिये कौन जिम्मेदार हैं? (ख) क्या "मध्यप्रदेश युनाईटेड फोरम फॉर पावर इंप्लाईज एवं इंजीनियर्स" ने विभाग को लगातार बिजली कटौती की असली वजह इस वर्ष आउटसोर्स अधिकारी एवं कर्मचारियों की भारी कमी तथा समय पर मेन्टेनेंस नहीं होना बताया है? यदि हाँ, तो ऐसा क्यों? (ग) प्रदेश में अघोषित विद्युत कटौती हेतु गत 6 माह में प्रश्न दिनांक तक कितने अधिकारी एवं कर्मचारियों को निलंबित किया गया? क्या निलंबन के पश्चात् निलंबित कर्मचारियों के क्षेत्र में विद्युत प्रदाय सुचारू रूप से चल रहा है? यदि नहीं, तो निलंबन के क्या कारण हैं? (घ) प्रदेश में विद्युत कर्मचारियों की पूर्ति हेतु इंदौर एवं उज्जैन संभाग में किस-किस आउटसोर्स कर्मियों के ठेकेदारों को कहाँ-कहाँ पर क्या-क्या कार्य सौंपा? क्या ठेकेदार के सभी कर्मचारी प्रशिक्षित हैं? इसकी जाँच गत 6 माह में कब-कब की गई?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रियव्रत सिंह ) : (क) प्रदेश में मांग के अनुरूप पर्याप्त विद्युत उपलब्धता है। राज्य शासन की मंशानुसार अपरिहार्य स्थितियों यथा-प्राकृतिक आपदा एवं अन्य तकनीकी कारणों से उत्पन्न आकस्मिक अवरोधों के कारण हुए विद्युत व्यवधानों एवं सुनियोजित ढंग से शटडाउन लेकर किये जा रहे मेन्टेनेंस कार्यों को छोड़कर गैर कृषि उपभोक्ताओं को औसतन 24 घंटे एवं कृषि उपभोक्ताओं को औसतन 10 घंटे प्रतिदिन विद्युत आपूर्ति की जा रही है। प्रदेश में कोई भी अघोषित विद्युत कटौती नहीं की गई है, अतः अनियमितता का प्रश्न नहीं उठता। प्रदेश में प्रतिवर्ष निर्बाध विद्युत प्रदाय करने हेतु 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्रों, विद्युत लाईनों एवं अन्य विद्युत उपकरणों के रख-रखाव का कार्य मानसून के पूर्व (माह अप्रैल से माह जून अथवा मानसून आने तक) एवं मानसून समाप्त होने के उपरांत माह अक्टूबर-नवम्बर (त्यौहारों के पूर्व तक) में किया जाता है। इस वर्ष लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान एवं अन्य प्रशासनिक व्यवस्थाओं को सुचारु रुप से चलाने हेतु प्री-मानसून मेन्टेनेंस का कार्य निर्धारित समयावधि में अतिआवश्यक होने पर ही किया गया है एवं आवश्यकतानुसार वर्तमान में भी उक्त मेन्टेनेंस का कार्य चल रहा है। प्रदेश में कहीं भी अघोषित बिजली कटौती नहीं की गई है, तथापि कतिपय प्रकरणों में असामाजिक तत्वों द्वारा विद्युत लाईनों से छेड़छाड़ करने के कारण विद्युत प्रदाय प्रभावित हुआ है तथा ऐसे प्रकरणों में एफ.आई.आर. दर्ज कराई गई है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (ख) ''मध्यप्रदेश युनाईटेड फोरम फॉर पावर इंप्लाईज एवं इंजीनियर्स” द्वारा राज्य शासन से विद्युत व्यवस्था के संबंध में कई पत्राचार किये गए हैं। उक्त पत्राचार में सारत: यह उल्लेख किया गया है कि ''विद्युत की कटौती की न तो कोई राज्य शासन की योजना है एवं न ही विद्युत कंपनियों द्वारा कहीं पर विद्युत कटौती की जा रही है, लेकिन सामान्य ट्रिपिंग, तकनीकी ब्रेकडाउन/फाल्ट एवं पूर्व निर्धारित शटडाउन होने पर विद्युत सप्लाई बंद होने को कटौती कहकर प्रचारित किया जा रहा है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।'' (ग) प्रदेश में अघोषित विद्युत कटौती हेतु विगत 6 माह से प्रश्न दिनांक तक किसी भी अधिकारी एवं कर्मचारी को निलंबित नहीं किया गया है, अपितु प्रदेश में निर्बाध विद्युत प्रदाय बनाये रखने में बरती गई लापरवाही एवं कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही बरतने के कारण कतिपय अधिकारियों/ कर्मचारियों का निलंबन किया गया है। उक्त निलंबन पश्चात निलंबित अधिकारियों/कर्मचारियों के क्षेत्र में अपरिहार्य स्थितियों से उत्पन्न आकस्मिक अवरोधों को छोड़कर विद्युत प्रदाय सुचारू रुप से किया जा रहा है। अत: प्रश्न नहीं उठता। (घ) मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड इंदौर क्षेत्रान्तर्गत राजस्व संभाग इंदौर एवं उज्जैन में विद्युत कर्मचारियों की पूर्ति हेतु ऑउटसोर्स कर्मियों के निविदाकारों (ठेकेदारों) से उपलब्ध कराये गये मेनपॉवर (अकुशल, अर्द्धकुशल, कुशल एवं उच्च कुशल) से विद्युत आपूर्ति हेतु विभिन्न कार्य यथा-कार्यालयीन कार्य, तकनीकी कार्य आदि विभिन्न स्थानों पर सम्पादित कराये जा रहे हैं, जिसकी प्रश्नाधीन चाही गई जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। निविदा अनुबंध की शर्तों में उल्लेखित अर्हताओं/शैक्षणिक योग्यता के अनुसार ही निविदाकारों द्वारा मेनपॉवर उपलब्ध करवाया गया है, अत: जाँच का प्रश्न नहीं उठता।
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी जब प्रबंधन में कमी हो, लक्ष्य तय न हो तो कोई भी समस्या जो जनहित से जुड़ी होती है, उसको सीधा-सीधा टाल दिया जाता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकसभा के चुनाव के संन्निकट व्यापक पैमाने पर विद्युत का कटौती होना प्रारंभ हुई. सरकार के एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन मंत्री, स्वयं माननीय मुख्यमंत्री जी प्रेस से रूबरू हुए हैं और लगभग 700 कर्मचारी विद्युत की कटौती को लेकर, प्रबंधन की कमी को लेकर के निलंबन किए गए बर्खास्त किए गए, स्थानांतरित किए गए. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न के संदर्भ में माननीय मंत्री जी आपने और आपके विभाग ने लोकसभा के चुनाव को और आचार संहिता को लेकर के, राज्य निर्वाचन आयोग को लेकर के आपने उत्तर दिया है कि आयोग ने लोकसभा के चुनाव को देखते हुए मेंटेनेंस न करने को लेकर के कुछ निर्देश दिए हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मतदान दल जब जाता है तो दो दिन के लिए मतगणना होता है, हेडक्वार्टर पर एक दिन के लिए होती है. अब निर्वाचन का बहाना कर करके, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा. माननीय मंत्री जी आपसे मेरा सीधा सीधा प्रश्न है कि क्या राज्य निर्वाचन आयोग का कोई पत्राचार हुआ, क्या आपको कोई मौखिक निर्देश दिए गए. मेंटेनेंस तो एक प्रक्रिया थी, लेकिन लोकसभा के चुनाव के दौरान आपने मेंटेनेंस नहीं किया नतीजतन सारे प्रदेश में हाहाकार मची. एक तो आपने निर्वाचन को लेकर के जो वक्तव्य दिया है, उसके बारे में मुझे स्पष्टीकरण दे दीजिएगा, मुझे जवाब मिल जाएगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न के जवाब में माननीय अध्यक्ष जी मैं संरक्षण चाहूंगा, असामाजिक तत्वों के द्वारा छेड़छाड़ करने पर विद्युत प्रदाय अवरूद्ध हुआ. माननीय मंत्री जी मैं जानना चाहूंगा कि जब फीडर सेप्रेशन की व्यवस्था पिछले 15 सालों से चल रही थी और फीडर सेप्रेशन में कंपनियों ने भी आश्वस्त किया था कि फीडर सेप्रेशन के कारण विद्युत की चोरियां नहीं होगी, छेड़छाड़ नहीं होगी, लॉसेस नहीं होगा. माननीय मंत्री जी मैं जानना चाहूंगा कि ये क्या 6 महीने में असामाजिक तत्व प्रकट हो गए. आपने कहा कि एफआईआर हुई है, मैं आपने जानना चाहता हूं कि किस प्रकार से कौन से तत्वों के खिलाफ कितनी एफआईआर दर्ज हुई है, यह भी कृपया कर बताने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय - यशपाल जी, दो प्रश्न हो गए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - एक और प्रश्न बताने दो साथ में.
अध्यक्ष महोदय - गोपाल भाई, रूक तो जाओ, लंबी किताब हो जाएगी.
श्री गोपाल भार्गव - चमगादड़ों के कारण कितनी ट्रिपिंग हुई और कितनी चमगादड़ें थीं. चमगादड़ों की संख्या भी बता दें, क्योंकि आपके बयान में यह आया है कि चमगादड़ों के कारण ट्रिपिंग हुई. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी उत्तर दीजिए.
ऊर्जा मंत्री(श्री प्रियव्रत सिंह) - मैं यशपाल जी के प्रश्न का उत्तर देने से शुरू करता हूं.
वित्त मंत्री(श्री तरूण भनोत) - अध्यक्ष जी, (xx)
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, ये आपत्ति जनक है. इन्हें माफी मांगनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - चलिए हो गया विलोपित किया जाए.
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय अध्यक्ष जी, ऐसा नहीं बोलना चाहिए ये वित्त मंत्री है, जिम्मेवार मंत्री हैं, ऐसा नहीं बोलना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - विराजिए.
श्री तरूण भनोत - इसमें क्या आपत्तिजनक है, चलिए आप गिनकर बता दो. (..व्यवधान)
श्री भूपेन्द्र सिंह - आपको माफी मांगनी चाहिए, यह कोई तरीका नहीं है. (..व्यवधान) ये हाउस में चमगादड़ कह रहे हैं, हाउस को मजाक बना रहे हैं. ये वित्त मंत्री हैं, मध्यप्रदेश सरकार के. (..व्यवधान)
श्री हरिशंकर खटीक - माननीय अध्यक्ष जी, ये वित्त मंत्री है. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न का उत्तर ले लीजिए.
(...व्यवधान...)
श्री भूपेन्द्र सिंह - माफी मांगना चाहिए.
श्री हरिशंकर खटीक - यह आपत्तिजनक है.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाएं.
श्री तरुण भनोत - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न का उत्तर ले लीजिए.
श्री भूपेन्द्र सिंह - (XXX)(व्यवधान)
श्री तरुण भनोत - यह किसने कहा ? यह तो आप कह रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह - यह आपने कहा है.
श्री तरुण भनोत - मैंने नहीं कहा.
श्री भूपेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, इन्होंने अपनी सीट पर खड़े होकर कहा है.
(...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय - तरुण जी, बैठें. आप लोग विराजिए. (व्यवधान)
श्री हरिशंकर खटीक - अध्यक्ष महोदय, यह व्यवहार आपत्तिजनक है.
अध्यक्ष महोदय - उसको मैंने विलोपित कर दिया है.
श्री गोपाल भार्गव - विलोपित होने से नहीं होगा.
श्री भूपेन्द्र सिंह - यह बात इन्होंने खड़े होकर कही है.
अध्यक्ष महोदय - इस बात की कितनी प्रतिक्रिया हो गई है.
श्री भूपेन्द्र सिंह - (XXX)
श्री तरुण भनोत - आप रिकॉर्ड चैक कर लीजिये.
श्री भूपेन्द्र सिंह - (XXX)
श्री तरुण भनोत - यह तो आप कह रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, आप रिकॉर्ड चैक करवा लीजिए.
श्री तरुण भनोत - आप रिकॉर्ड चैक करवा लीजिये.
श्री भूपेन्द्र सिंह - इन्होंने रिकॉर्ड में इस बात को कहा है कि (XXX) आप रिकॉर्ड चैक करवा लें, माननीय अध्यक्ष महोदय.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष जी, नेताजी आप एक मिनट सुनें.
श्री भूपेन्द्र सिंह - (XXX) आप रिकॉर्ड दिखवा लो, माननीय अध्यक्ष महोदय. क्या मंत्री इस तरह की भाषा का उपयोग करेंगे ?
डॉ. गोविन्द सिंह - (श्री भूपेन्द्र सिंह को देखकर) आप बैठ जाइये. एक मिनट सुन लें.
श्री तरुण भनोत - आप रिकॉर्ड चैक करा लीजिये.
श्री भूपेन्द्र सिंह - आप रिकॉर्ड चैक करा लो. अध्यक्ष महोदय, इन्होंने रिकॉर्ड में इस बात को कहा है. अध्यक्ष जी, आप व्यवस्था दे दें.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप रिकॉर्ड चैक करवा लें.
अध्यक्ष महोदय - अब आप लोगों से प्रार्थना है कि कृपया बैठ जाएं. बहुमूल्य प्रश्न के 4 मिनट और साढ़े 27 सेकेण्ड जाया हो गए हैं.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, लेकिन मंत्री को अपनी जुबान पर नियंत्रण रखना चाहिए. यह गलत बात है.
अध्यक्ष महोदय - यह विषय पैदा कैसे हुआ ?
(...व्यवधान...)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, तो क्या आप इस तरह (XXX) कहेंगे.
अध्यक्ष महोदय - यशपाल जी, आप अपना प्रश्न कीजिये.
श्री भूपेन्द्र सिंह - अध्यक्ष जी, आप व्यवस्था दे दें. जो व्यवस्था आप देंगे, वह स्वीकार कर लेंगे. आप व्यवस्था दे दें.
अध्यक्ष महोदय - मैंने व्यवस्था दे दी औरउसको विलोपित करा दिया है. मंत्री जी, अपना उत्तर दें.
श्री भूपेन्द्र सिंह - क्या व्यवस्था दी है ?
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, उत्तर दें. आप माइक चालू रखिये, कोई सुने या न सुने.
(...व्यवधान...)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, विद्युत का अनवरत प्रवाह क्यों नहीं हो रहा है ? यह विषय चल रहा था. ट्रिपिंग क्यों हो रही है, इसके पीछे शासन की ओर से अनेकों कारण बताए गए. उसमें एक विषय यह भी था, इसके बारे में तो क्या प्रतिउत्तर में ट्रेजरी बैंच के द्वारा यह कहा जाएगा (XXX)
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट सुन लें.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप रिकॉर्ड पढ़कर देख लें.
श्री तरुण भनोत - (XXX)
श्री हरिशंकर खटीक - आपने गलत शब्दों का प्रयोग किया है. हम लोग जब बोलेंगे तो अच्छा लगेगा.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह कहना संसदीय परम्परा है ? क्या यह संसदीय शब्द है ?
(...व्यवधान...)
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, यह शब्द संसदीय शब्द नहीं है तो माननीय नेता प्रतिपक्ष ने इस शब्द का उपयोग क्यों किया ?
श्री भूपेन्द्र सिंह - यह तो आपके जवाब में है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न-उत्तर चलने देना है या नहीं. आप प्रश्न-उत्तर चलने दें.
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) - अध्यक्ष महोदय, मेरा ऐसा अनुरोध है कि यह विषय ऐसा नहीं था और न मंशा ऐसी थी.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्रीगण, माननीय सदस्यगण, क्या हमें प्रश्न-उत्तर चलने देना है या नहीं.
श्री गोपाल भार्गव - हम लोगों के सम्मान की रक्षा नहीं होगी.
अध्यक्ष महोदय - आपके सम्मान की रक्षा है, मैंने बात कर ली है. मैं बात देखूंगा, बात इतनी आती है कि आवश्यकता शब्दावली मेरे द्वारा विलोपित की जा चुकी है. दोनों पक्षों के माननीय सदस्यगण से निवेदन है कि वे गरिमा बनाए रखें तथा विषय तक सीमित रहें. माननीय मंत्री जी, जवाब दीजिये. नेता प्रतिपक्ष जी, कृपया प्रश्नोत्तर चलने दें.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, थप्पड़ मारकर फिर यह कहा जाये कि गलती हो गई और आप कहें कि गलती की माफी दें तो ऐसा नहीं चलेगा.
अध्यक्ष महोदय - अब आप लोग शान्त रहें. प्रश्न-उत्तर चलने दीजिये.
श्री गोपाल भार्गव - यह गलत बात है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जहां तक मेन्टेनेंस के कार्य का प्रश्न है.
....(व्यवधान)....
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सदन को चमगादड़ कह दिया जाये.
.....(व्यवधान)....
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक प्री मानसून मेन्टेनेंस मई-जून महीने में कराया जाता है और दूसरा मेन्टेनेंस का कार्य अक्टूबर और नंवबर में त्यौहार के समय में त्यौहार से पहले कराया जाता है. वर्ष 2018 में पूर्व सरकार द्वारा न तो मई जून में मेन्टेनेंस कराया गया और विधानसभा चुनाव का बहाना लेकर अक्टूबर, नंवबर में जो मेन्टेनेंस कराया जाना था, उसको भी नहीं कराया गया है. यह पूर्ववर्ती सरकार के समय में हुआ है.(शेम-शेम की आवाज)
.....(व्यवधान)....
श्री इंदर सिंह परमार -- बार- बार पूर्ववर्ती सरकार के बारे में बोला जा रहा है. आठ महीने से इनकी सरकार है, आठ महीने में इन्होंने क्या-क्या किया है ? क्या केवल इन्होंने 50-50 हजार रूपये के बिल घरों में देने का काम किया है ? लोगों को दो सौ रूपये बिल के 40-40, 50-50 हजार रूपये बिल आ रहे हैं. मैं अपने साथ दो गावों के पूरे रिकार्ड लेकर आया हूं.
अध्यक्ष महोदय -- यह जो बीच-बीच में बोल रहे हैं, इनका कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकसभा चुनाव के दौरान व्यवस्था स्थापित करने के लिये मेन्टेनेंस का कार्य रोका गया और अति आवश्यक होने पर कहीं पर कोई मेजर फाल्ट क्रिेयेट न हो, वहां पर उस समय में भी मेन्टेनेंस का कार्य कराया गया है, इसलिये यह कहना बिल्कुल अनुचित है कि सरकार के द्वारा मेन्टेनेंस के कार्य में कोई कोताही बरती गई. पिछले तीन-चार साल से यह मेन्टेनेंस का कार्य केवल खाना पूर्ति करके होता था और एलटी लाईन का मेन्टेनेंस होता ही नहीं था, ट्रांसफार्मर का मेन्टेनेंस होता ही नहीं था. आज जो ट्रिपिंग हो रही है वह मात्र पहले जो उपकरण खरीदे गये थे, उन उपकरणों की गुणवत्ता कम होने के कारण भी नुकसान हो रहा है. (शेम-शेम की आवाज)
....(व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय. (व्यवधान)...
इंजी. प्रदीप लारिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय. (व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- मूल प्रश्नकर्ता का एक प्रश्न आ जाने दें फिर आप बोलें. आप सभी बैठ जायें.मूल प्रश्नकर्ता का एक प्रश्न आ जाने दीजिये फिर आप बोलें. ...(व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिंसौदिया -- माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, मेरे प्रश्न का तो जवाब ही नहीं आ रहा है ?
अध्यक्ष महोदय -- आपने दो प्रश्न कर लिये हैं, तीसरा प्रश्न पूछ लें.
श्री यशपाल सिंह सिंसौदिया -- दूसरे प्रश्न का जवाब ही नहीं आया है और मूझे तीसरा प्रश्न भी पूछना है.
अध्यक्ष महोदय -- आपका जवाब आ गया है.
श्री यशपाल सिंह सिंसौदिया -- दूसरे प्रश्न का जवाब नहीं आया है. तीसरा प्रश्न अभी मैं पूछुंगा.
अध्यक्ष महोदय -- आपका दूसरा प्रश्न क्या था ?
श्री यशपाल सिंह सिंसौदिया -- मेरा दूसरा प्रश्न यह था कि जो एफआईआर में छेड़छाड़ की है, क्या इन छ: महीने में असामाजिक तत्व पैदा हो गये ? आप ऐसे असामाजिक तत्वों की संख्या बता दें और उनके नाम भी बता दें कि वह कौन-कौन से असामाजिक तत्व हैं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री यशपाल जी मैं आपके प्रश्न का जवाब पुछवा रहा हूं आप बैठ जायें, क्या मंत्री जी आपको छेड़छाड की कोई जानकारी है ?
श्री प्रियव्रत सिंह -- पश्चिम क्षेत्र से संबंधित माननीय सदस्य का सवाल है. पश्चिम क्षेत्र विद्युत कंपनी द्वारा कुल प्रकरणों की संख्या 18 हैं, जहां छेड़छाड़ की शिकायतें प्राप्त हुई हैं, इनमें से पांच में एफआईआर दर्ज हुई है और 13 में पुलिस में आवेदन दिये गये हैं परंतु एफआईआर अभी दर्ज नहीं हो पाई है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बता दें कि फीडर सेपरेशन के अंतर्गत लाईन लासेस नहीं होते हैं, छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है? फीडर सेपरेशन में कंपनियां स्वयं बताती है कि चोरी नहीं हो सकती है , छेड़खानी नहीं हो सकती है. मैं फिर कहना चाहता हूं कि बचने के लिये सरकार इन एफआईआर का प्रपंच खेल रही है.
अध्यक्ष महोदय -- (श्री शशांक भार्गव के अपने आसन से कुछ कहने पर) श्री भार्गव जी मूल प्रश्नकर्ता अपना प्रश्न कर रहे हैं, अभी आपको समय नहीं मिल पायेगा. पहले मूल प्रश्नकर्ता को प्रश्न कर लेने दें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से एक प्रश्न और है जो अति महत्वपूर्ण भी है कि आउट सोर्स के अंतर्गत ठेकेदारों द्वारा अप्रशिक्षित लोगों को, युवा बेरोजगारों को जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम है, उनसे का कराया जाता है. जमाना किसी का नहीं है जमाना व्यवस्था का है. मेरे प्रश्न के अंतर्गत इंदौर और उज्जैन संभाग में 386 लोगों की मूत्यु हो चुकी है. (शेम शेम की आवाज) आपने मंत्री जी कहा और उत्तर में बताया है मैं उस संबंध में जानना चाहूंगा क्या आपके विभाग ने और आपकी कंपनी के सभी अधिकारियों ने इस बात की ताकीद की है कि वह जो काम करने वाला व्यक्ति है जिसको आप खंबे पर चढ़ा रहे हैं वह प्रशिक्षित है या नहीं हैं, उनने आईटीआई की है कि नहीं की है. महिलायें विधवा हो गई है, छोटे-छोटे बच्चे अनाथ हो गये हैं उसके बारे में आप थोड़ा स्पष्टीकरण कर दें.
श्री प्रियव्रत सिंह -- चार स्वरूप के कर्मचारियों की आउट सोर्स में नियुक्ति की जाती है. एक अकुशल एक अर्धकुशल, एक कुशल और उच्च कुशल, इन्हीं हेड्स में पश्चिमी डिस्कोम द्वारा नियुक्तियां की गई हैं. माननीय सदस्य महोदय का प्रश्न पश्चिमी डिस्कोम से संबंधित हैं, इसलिये मैं पश्चिम डिस्कोम का ही उत्तर दे रहा हूं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो 386 ....
अध्यक्ष महोदय-- धैर्य रखें यशपाल जी.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो नियुक्तियां हुई हैं, यह हमारी सरकार के कार्यकाल की नियुक्तियां नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय मंत्री जी मैं आपसे जांच चाहता हूं.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय आप विराजें, मैं आपके प्रश्न का उत्तर दे रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- यशपाल जी, जैसा मंत्री जी ने धैर्यपूर्वक आपका प्रश्न सुना, आप भी कृपया मंत्री जी का जवाब धैर्यपूर्वक सुनें.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो बात माननीय सदस्य महोदय ने कही है, मैं इसका परीक्षण कराऊंगा और इसकी जांच भी कराऊंगा और व्यवस्थित रूप से जो प्रशिक्षित लाइन स्टॉफ है, जो आई.टी.आई. है या उच्च प्रशिक्षित की श्रेणी में आता है उन्हीं से हम लाइन वर्क करायेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं, आपने भी कहा कि धैर्यपूर्वक सुना और इरीटेड नहीं हुये और यही बात माननीय अध्यक्ष महोदय विगत दिनों जब इंदौर गये थे और इनकी बैठक में ही चार बार लाइट चली गई जब भी यह इरीटेड नहीं हुये. इनको मैं बधाई देता हूं और अगर जब इरीटेड हो जाते तो शायद व्यवस्थायें ठीक हो जातीं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न करिये, कृपया प्रश्न करिये.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कहा है कि प्रदेश में कोई भी कर्मचारी कटौती के कारण निलंबित नहीं हुआ है पर कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही के कारण निलंबित किये गये हैं, तो वह कर्तव्य निर्वहन में लापरवाही क्या थी, क्या यह बताने का कष्ट करेंगे ?
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, फीडरों की व्यवस्था सुचारू रूप से चले और अधिकारियों के कर्तव्य नियत हैं. यह मैं नियत नहीं करता, यह पूर्व से ही नियत हैं. जो नियत कर्तव्य थे, उनमें जो लापरवाही बरत रहा था उसके खिलाफ कार्यवाही हुई और जहां तक कि भाई साहब ने कहा, बात सुन लें भाई साहब यह सुनने में ही तो कमी आ जाती है. आपने खूब सुनाया हमें, हम बैठे-बैठे सुनते थे, अब 15 साल बाद हमारा मौका आया है तो आप हमारी सुन लो.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 15 साल का भूत तो उतरवा दीजिये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वक्त है बदलाव का या वक्त है बदला लेने का.
अध्यक्ष महोदय-- यशपाल जी, आप वरिष्ठ हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विश्वास भाई ने कहा कि 4 बार इंदौर में लाइट गई, यह बरसात का समय था, आंधी चल रही थी, एक डाल टूटकर मेरी गाड़ी पर भी गिर गई थी जहां पर मैं खड़ा था वहां और पेड़ भी टूटकर गिरे, उस समय लाइट गई पर मैं धन्यवाद देता हूं पश्चिम डिस्कॉम में हमारे जुझारू अधिकारियों का कि उन्होंने तत्काल इंदौर की विद्युत व्यवस्था एक घंटे के अंदर व्यवस्थित की. यहां ऐसा समय भी आया था जुलाई महीना था 2018 का, पूरा भोपाल शहर रातभर अंधकार में डूबा रहा, हाहाकार मच रहा था, समाचार पत्रों में छपा पर उस समय किसी के कान में जूं नहीं रेंगा.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अच्छी बात है अभी तक यह कह रहे थे कि अधिकारी कर्मचारी हमसे मिलें. लेकिन इन्होंने अधिकारियों, कर्मचारियों को बधाई दी है इसके लिये धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव जी-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी ने अपने उत्तर में यह कहा कि उपकरण खराब थे, सब स्टेंडर्ड थे, ट्रांसफार्मर, तार इत्यादि जो है वह ठीक नहीं थे इस कारण से हमें विद्युत आपूर्ति में बाधा आ रही है. पिछले 12-15 वर्षों से यही उपकरण ठीक से काम कर रहे थे और आपूर्ति पूरी थी. मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि उस समय कौन से हमारे साथ में भगवान हो गये थे या हमारे साथ में व्यवस्था हो गयी थी. आपके साथ में कौन सी ऐसी कुदरती कयामत हो गई कि जिसमें यह सारा का सारा होने लगा जिसमें मुख्यमंत्री के लिये आप सबको कहना पड़ा, हिदायत देना पड़ी, कर्मचारियों के निलंबन की स्थिति भी आई. अनेकों प्रकार की आपने वीडियो कांफ्रेंसिंग करके पूरे प्रदेश के लोगों के लिये हड़काया, कर्मचारियों को हड़काया. मैं जानना चाहता हूं कि 6 महीने में, 8 महीनें में यह सारे के सारे उपकरण कैसे खराब हो गये. यह दोष देना, मैं मानकर चलता हूं बहुत उत्तरदायित्व का बोध नहीं कराता.
श्री प्रियव्रत सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कहना बिलकुल अनुचित है कि अभी ट्रिपिंग ज्यादा हो रही है. अगर ट्रिपिंग के आप आंकड़े देखें तो 2018 से बहुत कम आउटेज इस बार हुआ है, परंतु हमारी सरकार और हमारे माननीय मुख्यमंत्री जनता की मांग के प्रति सजग हैं, इसलिये हम एक्शन मोड में दिखे, पहले लाइट जाती थी, किसी को जूं नहीं रेंगती थी. माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी चीज जो उपकरणों का मामला आया. अभी सिरोंज में हमारे पास माननीय विधायक की चिट्ठी आई कि बिजली की समस्या है तो हमने वहां जांच की तो वहां इंसुलेटर के संबंध में दिक्कतें आ रही थीं. मैंने जांच के आदेश दिये हैं. जांच पूर्ण होने पर वह तथ्य भी मैं माननीय नेता प्रतिपक्ष को उपलब्ध कराऊंगा. दूसरी चीज जो यहां पर जो मामला नेता प्रतिपक्ष महोदय ने पूछा. अभी कुछ देर पहले जिक्र किया था चमगादड़ों के बारे में. चमगादड़ों का मामला सिर्फ उत्तर भोपाल जोन का ही है और चमगादड़ों के मामले से हम पूरे मध्यप्रदेश को रिलेट नहीं करते हैं. यह सिर्फ उत्तर भोपाल जोन में शिकायत आई थी. जो तालाब के किनारे, अगर बड़े भाई साहब कहेंगे तो आज शाम को ही हम चलेंगे टहलते हुए और तालाब के किनारे आप टहलेंगे तो मैं आपको चमगादड़े भी दिखा दूंगा माननीय बड़े भाई साहब को और, रिकार्ड मैं मेंटेन कर लूंगा परन्तु हमने उसमें भी इंसुलेशन के आदेश दिये हैं कि जो तालाब के किनारों की लाईनें हैं उसमें इंसुलेशन किया जाए ताकि वहां फाल्ट क्रियेट न हो.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी,चमगादड़ें अभी 6-8 महीने में बढ़ गई हैं क्या. यह तो पहले भी हुआ करती थीं.
ग्रेसिम उद्योग पर कार्यवाही
[श्रम]
5. ( *क्र. 1061 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्र.क्र. 3990 दिनांक 14.03.18 के पुस्तकालय परिशिष्ट-1 में वर्णित प्रकरण क्र. 977/1/एवं 5436/12 में कारखाना अधिभोगी एवं प्रबंधक को मा. सी.जे.एम. न्यायालय द्वारा फरार घोषित किए जाने पर विभाग ने इनकी गिरफ्तारी के लिए क्या व कब कार्यवाही की? समस्त कार्यवाही की छायाप्रति देवें। (ख) यदि कार्यवाही नहीं की गई तो कारण बताएं। इसके उत्तरदायी अधिकारियों के नाम, पदनाम भी देवें। इस अवधि के समस्त अधिकारियों के नाम देवें। (ग) उपरोक्तानुसार इन अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
श्रम मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया) -
(क) प्रश्न में वर्णित प्रकरण क्रमांक 977/11, एवं 5436/12 में कारखाना अधिभोगी एवं प्रबंधक को माननीय सी.जे.एम. न्यायालय,उज्जैन द्वारा फरार घोषित किया गया. प्रश्नांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट "अ" "ब" "स" एवं "द" अनुसार है.
(ख) विभाग द्वारा कारखाना अधिभोगी एवं प्रबंधक के विरुद्ध माननीय सी.जे.एम. न्यायालय,उज्जैन में प्रकरण दर्ज किया गया था, जो कि वर्तमान में न्यायालय में लंबित है. श्रम विभाग स्तर पर उपरोक्त प्रकरणों में कोई कार्यवाही लंबित नहीं है. चार आरोपियों में से दो कि गिरफ्तार किया जाकर दो पर ईनाम उद्घोषणा की जाकर गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं.
(ग) प्रश्न उपस्थित नहीं होता.
श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न ग्रेसिम उद्योग से संबंधित है. ग्रेसिम उद्योग हिन्दुस्तान का नहीं, एशिया महाद्वीप का जाना-पहचाना बहुत बड़ा उद्योग है और उसमें हजारों श्रमिक अपनी आजीविका चलाने के लिये कार्य करते हैं. इस ग्रेसिम उद्योग में आए दिन गैस के रिसाव से बड़े-बड़े टैंकों की सफाई करने के कारण उसका जो वेस्ट मटेरियल हटाने के लिये वहां पर कई दुर्घटनाएं होती रहती हैं और श्रमिकों की मृत्यु होती रहती है. यह प्रश्न श्रम विभाग और गृह विभाग दोनों से जुड़ा हुआ है. मैं प्वाइंटेड प्रश्न माननीय मंत्री जी से करना चाहता हूं कि प्रकरण क्रमांक 977/11 और प्रकरण क्रमांक 5436/12 में जो भी दोषी अधिकारी थे. प्रश्न लगने के बाद माननीय सी.जे.एम. न्यायालय उज्जैन द्वारा उनको फरार घोषित कर दिया गया था. प्रश्न के बाद पुलिस हरकत में आई. उसमें से कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी हो गई. यह प्रश्न का प्रभाव के कारण हुआ. अब चूंकि कारखाना अधिभोगी व्यक्ति की गिरफ्तारी हो गई है तो जो बचे हुए डाक्टर राजीव नयन और वीरेन्द्र महापात्रा की गिरफ्तारी शेष है. आज जो मुझे संशोधित उत्तर मिला है वह पुलिस अधीक्षक के हस्ताक्षर से मिला है कि उन पर 5-5 हजार रुपये का ईनाम घोषित कर दिया है. उनकी गिरफ्तारी होना तय है इसमें कोई शंका नहीं लेकिन मैं श्रम विभाग से सीधा प्रश्न कर रहा हूं. श्रम विभाग ने कहा कि उपरोक्त प्रकरणों में कोई कार्यवाही लंबित नहीं है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि इन दोनों प्रकरणों में मृतक श्रमिक को श्रम विभाग ने क्या उनके परिवारों को अनुकम्पा नियुक्ति दिलवाई गई है, क्या उनके परिवारों को मासिक पेंशन ग्रेसिम उद्योग से दिलवाई जा रही है ?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, निश्चित रूप से ग्रेसिम उद्योग में सन् 2010 में हुई यह घटना बहुत दुखद थी. 2 घटनाएं इस प्रकार की घटनाएं ग्रेसिम,नागदा में हुईं कि हमारे 2 श्रमिक, जिसमें से एक की एक्सीडेंट में मृत्यु हुई और दूसरा बीमार हुआ, उसको चोटें लगीं किन्तु वह दोबारा अपनी सर्विस पर पहुंच गया. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है, उसका जवाब तो परिशिष्ट में स्पष्ट रूप से अंकित है, जहां तक श्रम विभाग की बात है, श्रम विभाग का काम है कि कारखाना अधिनियम के तहत जो प्रॉसिक्युशन सीजेएम कोर्ट के यहां होना चाहिए, वह नीयत समय में श्रम विभाग के अधिकारियों ने सीजेएम कोर्ट में प्रस्तुत किया. आज मामला सबज्युडिस है, न्यायालय में विचाराधीन है. जहां तक गिरफ्तारी की बात है, गिरफ्तारी का कार्यक्षेत्र श्रम विभाग का नहीं, बल्कि गृह विभाग और पुलिस का बनता है.
जहां तक आपने बच्चों की बात की है, नौकरी की बात की है तो मैं आपको सदन के माध्यम से बताना चाहता हूं कि मृतक के बच्चे नाबालिग हैं, इसलिए उनको अनुकंपा नियुक्ति नहीं दे पाये किन्तु श्रम विभाग के अधिकारियों के परिश्रम से फेक्ट्री के मालिकों द्वारा तुरन्त ढ़ाई लाख रुपए का मुआवजा श्रमिक को दिया गया चूंकि इएसआई में पंजीकृत हैं, इसलिए उनको पेंशन की व्यवस्था भी है, एक को 1800 रुपये और दूसरे को 2000 रुपये पेंशन उनके बच्चों एवं पत्नी को प्राप्त हो रही है.
श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसी घटनाएं उस ग्रेसिम में कई होती हैं, जिनको सामान्य मृत्यु बता दिया जाता है. यहां तो वहां के जनप्रतिनिधि के सक्रिय होने के कारण प्रकरण बना है. मेरा प्रश्न यह है कि पुलिस विभाग में या किसी विभाग में छोटा बच्चा भी होता है तो उसको अनुकंपा नियुक्ति दी जाती है. माननीय मंत्री जी उसके बच्चे को अनुकंपा नियुक्ति देने का प्रयास करें?
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, दो प्रकरणों में, एक में चूंकि नाबालिग बच्चे थे, इसलिए अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी है, किन्तु जो मृतक था, उसके भतीजे को अनुकंपा नियुक्ति दी गई है.
श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो बचे हुए व्यक्ति हैं गृह विभाग से इन्होंने कोई पत्राचार किया है कि नहीं किया है, मेरे पास में यह जानकारी नहीं आई है, लेकिन बाकी लोगों की जो गिरफ्तारी नहीं हुई है. मैं चाहता हूं कि गृह विभाग से इसमें गिरफ्तारी कब तक करवा लेंगे?
अध्यक्ष महोदय - आप बैठिए, मैं बता रहा हूं. माननीय गृह मंत्री जी, जो विषय चल रहा है, माननीय मंत्री श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया जी से पूछकर जो विधायक की मंशा है कृपया गृह विभाग उस पर वैसी कार्यवाही करे.
श्री बहादुर सिंह चौहान - धन्यवाद, माननीय अध्यक्ष महोदय.
बाजना फोरलेन निर्माण में अनियमितता की जाँच
[लोक निर्माण]
6. ( *क्र. 962 ) श्री हर्ष विजय गेहलोत : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्र. 544 दिनांक 21.2.19 के संदर्भ में बतावें कि उत्तर दिनांक तक अनुबंध की शर्तों अनुसार कितने दिन का विलंब अभी तक हुआ? पेनाल्टी किस अनुसार वसूली जाना है? अभी तक ठेकेदार को किस-किस दिनांक को कितना भुगतान किया गया। (ख) क्या उपरोक्त प्रश्न के साथ दी गई D.P.R. तथा सूचना के अधिकार के तहत अजय कुमार चत्तर को पत्र क्र.42/सूअधि/स/2017-18 दिनांक 15.1.18 को दी गई D.P.R. भिन्न-भिन्न है। विधान सभा प्रश्नों के माध्यम से प्राप्त D.P.R. में कुल लागत रूपये 1004.75 लाख तथा दूसरी D.P.R. में रूपये 1747.06 लाख है। यदि हाँ, तो प्रश्न 544 के उत्तर में इसका उल्लेख क्यों नहीं है? (ग) क्या एक D.P.R. में सड़क की चौड़ाई 20.3 मीटर तथा दूसरी D.P.R. में 31.7 मीटर है, यदि यह सही है तो भ्रामक D.P.R. बनाना क्या अपराध की श्रेणी में नहीं है? क्या 18 करोड़ का भ्रष्टाचार किया जा रहा है? क्या विभाग किसी अधिकारी को जाँच हेतु नियुक्त करेगा? (घ) क्या फोरलेन के प्रारंभिक बिन्दु बाजना बस स्टैण्ड से 1/2 कि.मी. पर रेल्वे ओव्हर ब्रिज है? यदि हाँ, तो इसका D.P.R. में उल्लेख न कर असत्य रूप से उस बस स्टैण्ड का उल्लेख किया गया जो 16 साल पहले ही अन्य स्थान पर चला गया? यदि हाँ, तो इस सड़क के निर्माण में हो रही अनियमितता की जाँच कराई जायेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सज्जन सिंह वर्मा ) : (क) अद्यतन 11 माह 02 दिवस का विलंब हुआ है। अनुबंध की कंडिका 15 के अनुसार कॉन्ट्रेक्ट डाटा शीट के अनुलग्नक पी अनुसार 0.05 प्रतिशत प्रतिदिन एवं अधिकतम 10 प्रतिशत शास्ति का प्रावधान है। शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। जी हाँ। रूपये 1747.06 लाख की डी.पी.आर. स्वीकृति हेतु प्रेषित नहीं की गई थी, अत: विधान सभा प्रश्न क्रमांक-544 में इसका उल्लेख नहीं किया गया। (ग) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता। किसी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, अत: जाँच की आवश्यकता नहीं है। (घ) जी हाँ, रेल्वे ओव्हर ब्रिज मार्ग के कि.मी. 1/6 में स्थित है। जिसका निर्माण सेतु परिक्षेत्र से किया जाना था, इसलिए रतलाम संभाग (भवन/पथ) द्वारा बनाई गई डी.पी.आर. में आर.ओ.बी. का उल्लेख नहीं किया गया। मार्ग के प्रारंभिक भाग में पूर्व में बाजना बस स्टैण्ड स्थित था, जो कालान्तर में अन्यत्र स्थानांतरित हो गया है, किन्तु उस स्थान का नाम वर्तमान में भी बोलचाल में बाजना बस स्टैण्ड के नाम से प्रचलन में है। जाँच की आवश्यकता नहीं है।
श्री हर्ष विजय गेहलोत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पूज्य पिताजी श्री प्रभुदयाल जी गेहलोत, कई बार सदन के सदस्य रहे, उनकी स्मृति को प्रणाम करते हुए मैं आपका आभार मानता हूं कि आपने मुझे, नये सदस्य को बोलने का मौका दिया. सम्माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी और सदन को मैं बताना चाहता हूं कि जो डीपीआर बाजना फोरलेन के बारे में बताई गई और जो मुझे सूचना के अधिकार में जानकारी दी गई, उसमें जिम्मेदार अधिकारियों के हस्ताक्षर थे तथा राशि पत्र भी संलग्न है. जो दूसरी डीपीआर दी गई उसमें जो विधान सभा में जानकारी दी गई, वह अलग डीपीआर दी गई और उसमें मात्र दो अधिकारियों के हस्ताक्षर दिये गये. पहली डीपीआर में फोरलेन में 104 फीट रोड का बनना बताया गया तथा 70 मकानों को 10 से 20 फीट तक तोड़ दिया गया, यह विध्वंस होने के बाद यह कहना कि उसे स्वीकृति हेतु नहीं भेजा गया, बिल्कुल असत्य है.
मेरा पहला प्रश्न माननीय मंत्री जी से है कि सूचना के अधिकार में ली गई डीपीआर में किस-किस अधिकारी के हस्ताक्षर हैं और उसे किस दिनांक, किस पत्र क्रमांक से उज्जैन, भोपाल स्वीकृति हेतु भेजा गया तथा स्वीकृति होने पर विधानसभा को दी गई डीपीआर में हस्ताक्षर क्यों नहीं हैं?
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय डीपीआर के बारे में पिछले सत्र में प्रश्न किया गया था वह डीपीआर 4 लेन की थी. इन्होंने श्री चतर जी के माध्यम से एक आरटीआई लगवाई थी उसके माध्यम से 4 लेन की जानकारी दे दी थी. अब जो इनका प्रश्न है हमारे जो अधिकारी हैं एसई, ईई के माध्यम से जो डीपीआर बनती है, असल में यह डीपीआर नहीं है यह ड्राफ्ट डीपीआर है. क्योंकि जब एक सड़क बनने की तैयारी में होती है तब उसकी दो तीन तरह की डीपीआर बनती हैं, डीपीआर की तकनीकी स्वीकृति हो जाय तब वह डीपीआर कहलाती है वरना वह ड्राफ्ट डीपीआर कहलाती है. माननीय सदस्य ने जो मांगी है उस ड्राफ्ट की प्रति हमने हमारे ईई के हस्ताक्षर के माध्यम से दे दी है.
श्री हर्ष विजय गेहलोत --माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा कहना है कि दो डीपीआर क्यों बनी हैं और दोनों में राशि अलग अलग क्यों खोली गई है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
( प्रश्नकाल समाप्त )
वक्तव्य
तारांकित प्रश्न संख्या 9 क्र.(449) के संबंध में श्री तुलसी सिलावट,
लोकस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री का वक्तव्य
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसी सिलावट ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय दिनांक 9 जुलाई, 2019 को तारांकित प्रश्न संख्या 9 क्रमांक (449) के संदर्भ में आसंदी के निर्देशानुसार प्रकरण की जांच प्रतिवेदन प्राप्त किया जाकर कार्यवाही की गई, परंतु सदन स्थगित हो जाने के कारण तथा दिनांक 10 जुलाई, 2019 को बजट प्रस्तुति के कारण मैं आज यह जांच प्रतिवेदन सदन के पटल पर प्रस्तुत करता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय एक व्यवस्था का प्रश्न है कि आज की कार्यसूची में शून्यकाल की सूचनाओं का उल्लेख नहीं है.
12.01 नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय -- निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनाएं सदन में पढी हुई मानी जायेंगी.
1. डॉ सीतासरन शर्मा 2. श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया
3. श्री के पी त्रिपाठी 4. श्री इंदर सिंह परमार
5. इंजी. प्रदीप लारिया 6. श्री श्याम लाल द्विवेदी
7. डॉ हीरालाल अलावा 8. श्री मनोहर ऊंटवाल
9. श्री बहादुर सिंह चौहान 10. श्री आशीष गोविन्द शर्मा
डॉ सीतासरण शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय --( अनेक माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होने पर) --(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- मेरी बात सुन लीजिए, मैं अभी केवल नेता प्रतिपक्ष को अनुमति दे रहा हूं. बाकी सब कृपया बैठ जायें.
डॉ सीतासरण शर्मा -- मैं कोई टिप्पणी नहीं कर रहा हूं. आज विश्व जनसंख्या दिवस है. हम संकल्प लें कि देश की जनसंख्या न बढे. मैंने उस पर कुछ विषय भी दिया है यदि आप उसको ग्राह्य कर लेंगे तो उस पर चर्चा भी हो जायेगी.
अध्यक्ष महोदय -- जी. (माननीय सदस्य श्री हरदीप सिंह डंग जी के बोलने के लिए खड़े होने पर ) माननीय गोपाल जी यह डंग जी इतना लेट हो गये हैं स्वास्थ्य मंत्री जी ने विषय से संबंधित रिपोर्ट पटल पर रख दी है. यह अभी जाग रहे हैं.--(व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय जब स्वास्थ्य मंत्री जी ने रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी है उस समय घड़ी में समय ऐसा समय हो रहा था कि वे खड़े नहीं हो सकते थे...(व्यवधान)..
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय जो रिपोर्ट सदन के पटल पर आयी है उसके बारे में जानकारी दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- आप मंत्री जी से मिल लें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्यक्ष महोदय नेता प्रतिपक्ष बोलने के लिए खड़े हुए हैं और मंत्रीगणों के आसन की तरफ देखें क्या स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय विधायकगण अपने आसन पर जाएं. माननीय विधायक गण. परसों विधायक, श्री हरदीपसिंह डंग जी ने एक प्रश्न किया था, जिसके बारे में आसंदी से कुछ निर्देश दिये गये थे. जैसा सदस्य जी ने बोला, वैसा रिपोर्ट में पाया गया, वही चीज आज माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी ने पढ़कर सुनाई है. गंभीरता रखिये, विधायकों का सम्मान विधायकों के द्वारा लाई गई रिपोर्ट सही है, तो निश्चित तौर पर आसंदी इस पर ध्यान देगी.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्यक्ष महोदय, आपने तत्काल निर्देश दिये, उसके लिये आपको धन्यवाद..
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष जी, उसके लिये आपको धन्यवाद. अध्यक्ष जी, आज ऊर्जा विभाग का प्रश्न दिवस था. मंत्री जी ने दो प्रश्नों में..
श्री हरदीपसिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ओपन करके सदन में बता दें, तो और अच्छा रहेगा.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने दो प्रश्नों के माध्यम से उत्तर दिये. बहुत से हमारे सदस्यों ने इस बारे में स्थगन और ध्यान आकर्षण सूचनाएं दी हैं. राज्य में व्यापक स्तर पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विद्युत कटौती हो रही है. सभी लोग भलीभांति इससे परिचित हैं. दैनंदिन अखबारों में रोज बातें छप रही हैं. पूरा प्रदेश विद्युत कटौती से हाहाकार कर रहा है. पुरानी लालटेनें और पुरानी चिमनियां निकल आई हैं. झाड़-पोछ करके उनको निकाल लिया है. कई पुराने जनरेटर,इनवर्टर भी निकल आये हैं, इस पर स्थगन सूचनाएं जो मिली हैं सचिवालय में, हम चाहते हैं कि किसी माध्यम से इस पर चर्चा करवा ली जाए, ताकि अभी किसी स्थान विशेष के बारे में यह उल्लेख हुआ है और उसके बारे में उत्तर शासन की तरफ से आया है. अध्यक्ष महोदय, यह व्यापक विषय है और इस कारण से मैं आपसे आग्रह करता हूं कि किसी माध्यम से स्थगन या ध्यान आकर्षण के माध्यम से, जो भी आप उचित समझें, इस पर चर्चा करवा लें.
अध्यक्ष महोदय -- जरुर-जरुर.
12.07
पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) दिनांक 12.10.2016 को पेटलावद जिला झाबुआ में मोहर्रम के जुलूस को रोकने की घटना की न्यायिक जांच आयोग का प्रतिवेदन दिनांक 17 नवम्बर, 2017.
(2) मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम मर्यादित, भोपाल का 54 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016.
(3) दि मध्यप्रदेश स्टेट माईनिंग कारपोरेशन लिमिटेड, भोपाल का 54 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017.
(4) (क) मध्यप्रदेश मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड, भोपाल का 15 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016- 2017 तथा
(ख) मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी लिमिटेड, जबलपुर का 15 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017
(5) (क) बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.) का 46 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018 तथा
(ख) महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, छतरपुर (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018.
(6) (क) राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2016-2017 तथा
(ख) मध्यप्रदेश स्टेट एग्रो इण्डस्ट्रीज डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 48 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2016-2017.
12.10 बजे ध्यान आकर्षण
1. नागदा-खाचरौद क्षेत्र के आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं विद्यालयों में घटिया मध्याह्न भोजन का वितरण किया जाना
श्री दिलीप सिंह गुर्जर (नागदा-खाचरौद) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
स्कूल शिक्षा मंत्री (डॉ. प्रभुराम चौधरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने स्कूल एवं आंगनबाड़ियों में मध्याह्न भोजन और पोषण आहार के संबंध में चिंता व्यक्त की है. अध्यक्ष महोदय, वैसे तो मध्याह्न भोजन और पोषण आहार के वितरण की व्यवस्था ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से की जाती है लेकिन फिर भी माननीय सदस्य द्वारा चिंता व्यक्त की गई है तो मैं आपके समक्ष उनके ध्यान आकर्षण की सूचना का जवाब देना चाहता हूँ.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- माननीय अध्यक्ष जी, शासन द्वारा निर्धारित मेनू के अनुसार मध्याह्न भोजन आंगनवाड़ियों एवं स्कूलों में नहीं दिया जा रहा है, जिससे बच्चों को पर्याप्त कैलोरी की मात्रा उपलब्ध नहीं हो रही है. इससे कुपोषण बढ़ रहा है. नाश्ता और भोजन अलग-अलग समय पर दिया जाना चाहिए, लेकिन एक ही समय पर दिया जा रहा है. एक समूह में 50 से ज्यादा केन्द्र नहीं होना चाहिए और आपके माध्यम से ही आपने स्वयं स्वीकार किया है कि दिनांक 10.09.2018 को अंतिम चेतावनी दी गई है. इससे यह स्पष्ट होता है कि मध्याह्न भोजन आंगनवाडि़यों में पर्याप्त नहीं दिया जा रहा है. मैं माननीय मंत्री महोदय से यह मांग करता हॅूं कि क्या आप उसकी संपूर्ण जॉंच कराकर 15 दिन में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराएंगे ?
स्कूल शिक्षा मंत्री (डॉ.प्रभुराम चौधरी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने चिन्ता व्यक्त की है. जिला पंचायत, जनपद पंचायत के माध्यम से हमारे जो ऐसे एसएचजी (स्वसहायता समूह) हैं हमारे शिक्षक पालक संघ के अध्यक्ष, ग्राम पंचायत के सरपंच के द्वारा जनपद पंचायत को जो रिपोर्ट दी जाती है उसके आधार पर समूह तय होता है और वह भोजन स्कूलों और आंगनवाडि़यों में वितरण करते हैं और यह सांझा चूल्हा व्यवस्था है जिसके अंतर्गत स्कूलों और आंगनवाडि़यों में दोनों को समूह के द्वारा भोजन व्यवस्था और पूरक पोषण आहार वितरण किया जाता है. इसके बावजूद भी माननीय सदस्य महोदय ने जो चिन्ता व्यक्त की है कि उसकी जॉंच की जाएगी. इसके पूर्व में भी मैंने आपको बताया कि शिकायत में विकासखण्ड स्रोत समन्वयक एवं जनपद पंचायत खाचरौद द्वारा फिर से जॉंच प्रतिवेदन के आधार पर चेतावनी दी गई थी लेकिन इसके बाद भी माननीय सदस्य दोबारा जॉंच की मांग कर रहे हैं तो मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहता हॅूं कि कलेक्टर के द्वारा संपूर्ण जॉच करा ली जाएगी और जो भी समूह लिप्त पाया जाता है तो उसके विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको अवगत कराना चाहता हॅूं कि रात को ही भोजन बन जाता है और कच्ची बासी रोटियां दी जाती हैं. आपने जांच का आदेश दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. यदि इसकी 15 दिन के अंदर जॉंच हो जाए, तो अच्छा होगा.
डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष जी, शीघ्र जॉंच करा ली जाएगी और उस पर कार्यवाही की जाएगी.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय गुर्जर जी, आप 15 दिन बोल रहे हैं और माननीय मंत्री जी शीघ्र बोल रहे हैं.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- बच्चों के कुपोषण का मामला है.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
डॉ.प्रभुराम चौधरी -- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य चाहते हैं कि 15 दिन में जॉंच करा ली जाए तो मैं कलेक्टर के माध्यम से 15 दिन के अंदर जॉच करा लूंगा.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो पूरे प्रदेश में ही होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- जहां विषयवस्तु है वहीं मैं कुछ कर सकता हॅूं. श्री आशीष गोविन्द शर्मा
12.16 बजे (2) देवास जिले की कन्नौद पुलिस द्वारा एक व्यक्ति पर अवैध शराब का झूठा प्रकरण कायम किया जाना
श्री आशीष गोविंद शर्मा (खातेगांव) -- अध्यक्ष महोदय,
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - माननीय अध्यक्ष जी, मंत्री जी ने जो जवाब दिया है वह पूरी तरह असत्य इसलिये है क्योंकि घटना जिस 14 तारीख की बताई जा रही है, जिस व्यक्ति के साथ मारपीट करना बताया गया है, उसके बाद जब वह आरोपी रिंकू थाने पर पहुंचा, उसकी पुष्टि कई स्वतंत्र साक्षी भी करते हैं, साथ ही साथ जब उसको अगले दिन जिस भी दिनांक को न्यायालय में पेश किया गया, उस समय उसके परिजनों को जानकारी मिली कि उसके ऊपर आबकारी का एक असत्य मुकदमा दर्ज कर दिया गया है. जहां तक बात है कि एक महीने तक का सी.सी.टी.व्ही. फुटेज थाने पर उपलब्ध रहता है, लेकिन जब उसका जुलूस निकाला गया तो उसके जुलूस निकालने की पुष्टि भी नगर के अन्य नागरिक भी कर सकते हैं. उसकी पत्नी ने एक आवेदन मानवाधिकार आयोग को और संबंधित पुलिस अधिकारियों को भी दिया है. मेरा माननीय से यह कहना है कि हमें मारपीट की घटना की एफ.आई.आर. से कोई दिक्कत नहीं है. वह स्वयं भी थाने गया था कि उसकी तरफ से भी रिपोर्ट लिखी जाये, लेकिन उसकी तरफ से कार्यवाही नहीं करते हुये जब 6 बजे वह स्वयं थाने पर गिरफ्तार हो गया, उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि के लिये बहुत सारे स्वतंत्र साक्षी आपको वहां मिल जायेंगे क्योंकि पुलिस थाना महत्वपूर्ण जगह पर है. जब वह 6 बजे थाने पर पहुंचकर स्वयं अरेस्ट हो गया और 7 बजकर कुछ मिनट पर उसके ऊपर मारपीट की विभिन्न धाराओं पर मुकदमा दर्ज किया गया, उस समय वह थाने के लॉकअप में था. रात के 11-11.15 बजे उसके खिलाफ आबकारी का एक असत्य मुकदमा दर्ज किया गया. यह आबकारी का मुकदमा दर्ज करने की घटना पूरी तरह असत्य है. इसलिये माननीय मंत्री जी, मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि मैं इस विषय को यहां तक इसीलिये लेकर आया हूं कि पीडि़त परिवार जो है उसकी छोटी बच्ची, उसकी पत्नी, उसके माता-पिता, लगभग दो माह से वह व्यक्ति जेल में निरुद्ध है, जिस मारपीट की घटना के मामले में उसके खिलाफ एफ.आई.आर. हुई, उसमें उसकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है और उसमें समय आने पर जो कानूनी कार्यवाही होनी होगी, वह होगी. हमें उस मामले में कुछ नहीं कहना है. वह मारपीट की एक सामान्य घटना थी. लेकिन अगर पुलिस किसी व्यक्ति को इस तरह इतने बड़े मामले में फँसा दे जिसमें उसको 2-3 महीने तक जेल में निरुद्ध रहना पड़े तो यह कहीं न कहीं उसके नागरिक अधिकारों का तो उल्लंघन है ही साथ ही साथ पुलिस की प्रताड़ना का भी एक तरह का मामला है इसलिए मैं यह चाहता हूँ कि इस मामले की निष्पक्ष जाँच देवास जिले से बाहर के किसी पुलिस अधिकारी से कराई जाए और तब तक जिस निरीक्षक के दौरान यह रिपोर्ट वहाँ पर दर्ज की गई है, जो वहाँ का थाना प्रभारी है, उसे अन्यत्र भेजकर इस मामले की निष्पक्ष जाँच कराई जाए.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आरोपी ने दोनों अपराध किए हैं और ये अपराध करने के कारण ही हमने कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत गिरफ्तार किया है और अब यह पूरा का पूरा प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन है. बाकी यह कहीं भी नहीं है कि कहीं किसी तरीके से कोई पक्षपात की गई है. दोनों अपराध किए हैं और दोनों अपराध के अंतर्गत ही आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेजा है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि जब आरोपी थाने पर 6-7 बजे लॉकअप में हो गया था. फिर उसके बाद 11 बजे उसकी गिरफ्तारी किस तरह से अन्यत्र स्थान पर बताई जा रही है. हम यह भी नहीं कहना चाहते कि उस पर जो मामला दर्ज हुआ है उस पर न्यायालय संज्ञान लेगा और न्यायालय कार्यवाही करेगा लेकिन जिस व्यक्ति ने भी यह शराब की असत्य एफ.आई.आर.दर्ज की है, उसकी आप निष्पक्ष जाँच करा दें. इतना मेरा आप से इस प्रश्न के माध्यम से आग्रह है और जिस थाना प्रभारी की चूँकि जिम्मेदारी होती है, अगर आप कहें तो इस हाउस के बाहर आप से व्यक्तिगत रूप से मिलकर भी मैं आपको ऐसे साक्ष्य दे सकता हूँ जिससे इस बात की पुष्टि हो कि 7 बजे वह व्यक्ति थाने में निरुद्ध किया जा चुका था. उसके बाद 11 बजे उसकी अन्य एक मामले में गिरफ्तारी बताई गई. यह पूरी तरह से एक व्यक्ति को असत्य फँसाने का मामला है और इसीलिए मैं यह मामला यहाँ तक लेकर आया हूँ क्योंकि मुझे वहाँ से इस मामले में न्याय नहीं मिला इसलिए मैं आप से चाहता हूँ कि आप केवल इतना भर आदेश इसमें करें कि इस मामले की निष्पक्ष जाँच जिले के बाहर के पुलिस अधिकारी से करा दें और संबंधित निरीक्षक, क्योंकि उसके रहते यह जाँच निष्पक्ष होने की संभावना वहाँ पर नहीं है. आप इतनी कार्यवाही भर कर दें.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने जो कार्यवाही की है वह सोच समझ कर की है और पूरा समझने के बाद ही किया है. मैंने जिस तरह से पूर्व में भी उत्तर में बताया है कि आरोपी ने अपराध किए हैं और दोनों अपराध किए हैं और दोनों अपराध करने के कारण ही हमने दोनों में गिरफ्तारी की है और गिरफ्तार करके हमने जेल पहुँचाया है. बाकी पूरी की पूरी प्रक्रिया अभी कोर्ट में है अब जो भी कोर्ट के संज्ञान में है, जो भी कार्यवाही करना है कोर्ट को करना है. बाकी जैसा माननीय विधायक जी बोल रहे हैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. हमने सही कार्यवाही की है और दोनों केसेस में वह आरोपी था इस कारण से हमने यह कार्यवाही की है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने जो तथ्य बताए हैं कि एक बार गिरफ्तार व्यक्ति के लिए फिर दुबारा फिर गिरफ्तार किया गया और उस आदमी के लिए मेलाफाइड इंटेशन से उस आदमी को प्रताड़ित करने के लिए किया गया. यह मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है और जैसा कि माननीय सदस्य की इच्छा है कि किसी वरिष्ठ अधिकारी को भेज कर इसकी जाँच करवा लें तो मैं चाहता हूँ कि यहाँ पी.एच.क्यू. से एक वरिष्ठ को अधिकारी को भेजकर उसकी निष्पक्ष जाँच करवा लें क्योंकि हमारे राज्य के हर नागरिक के लिए न्याय पाने का तो कम से कम अधिकार है. मैं माननीय गृह मंत्री जी से अपेक्षा करूँगा कि न्याय हित में और मानवाधिकार के हित में वे इस व्यवस्था के लिए करेंगे.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे निवेदन किया है और सदन को अवगत भी कराया है कि पूरा-पूरा जो प्रकरण है, वह कोर्ट में है. अब मैं समझता हूँ कि जो भी कार्यवाही करना है वह कोर्ट को करना है. बाकी हमको और कानून को जो करना था, विभाग को जो कानूनी कार्यवाही करनी थी, वह कार्यवाही हम कर चुके. फिर जैसा आपका आदेश, मार्गदर्शन.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, इसमें क्या चार्जशीट दाखिल कर दी है? क्या सब ज्यूडिश हो गया है? आपने किसी को भी बन्द कर दिया फिर कोर्ट में मामला कैसे हो गया?
अध्यक्ष महोदय-- माननीय, मैं बोल रहा हूँ. माननीय मंत्री जी, जो विधायक की चिन्ता है उस परिवार के बच्चों को लेकर भी है. आप एक बार विधायक जी को अलग से बुला लीजिए, सुन लीजिए और अगर आपको लगता है कि इसमें जाँच की जरुरत है तो फिर वैसी कार्यवाही कर दीजिए.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जाँच करवा दें.
अध्यक्ष महोदय-- विश्वास, विश्वास भी रखा करो.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विश्वास तो पूरा है, अति विश्वास चल रहा है लेकिन आप आसन्दी से यह निर्देश दे दें कि जाँच करवा दें.
अध्यक्ष महोदय--मैं करवाउंगा, मैंने माननीय मंत्री जी को इशारा कर दिया है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा--अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट लेना चाहूँगा. माननीय गृह मंत्री जी का जो जवाब है उससे स्पष्ट होता है कि वे अपने महकमे और अपने अधिकारियों को रत्ती मात्र भी दोषी नहीं मानते हैं. मैं आपसे कहना चाहता हूँ, पूरी प्रामाणिकता के साथ इस सदन में कहना चाहता हूँ कि शराब का पूरा प्रकरण उसके प्रति असत्य बनाया गया है. मैं आपसे कुछ नहीं चाहता हूँ अगर आपको भरोसा है कि उस अधिकारी ने और संबंधित थाना प्रभारी ने गलत कार्यवाही नहीं की है तो वह जांच में सिद्ध हो जाएगा. आप जांच तो करा दीजिए.
अध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्य विराजिए. मंत्री जी विधायक जी जो कह रहे हैं उनके प्रमाण भी ले लें एक बार जांच करवा लें कि क्या स्थिति है जिससे सही बात निकलकर आ जाए.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी और मैं रोज मिल रहे हैं. वे कल भी मुझसे मिले और परसों भी मुझसे मिले हैं. उन्होंने इस बारे में मुझे बिलकुल नहीं बताया था. मैं भी इस बात को जानता और मानता भी हूँ कि अगर कोई माननीय विधायक जी के द्वारा सदन में कोई बात आई है तो उस पर विचार करना उस पर ध्यान देना हमारा काम है. आप और हम पहले विधायक हैं, सरकार को इस पर जो विचार करना है वह अलग है. अध्यक्ष महोदय ने जो व्यवस्था दी है. ऐसा कोई मामला आप मेरे संज्ञान में ला दें जैसा आप चाहते हैं और माननीय आसंदी ने जो कहा है उस पर विचार करके जो व्यवस्था बन सकती है वह जरुर देंगे.
श्री कमल पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह कहना चाहता हूँ कि वे जांच...
अध्यक्ष महोदय--आप बाल की खाल क्यों निकाल रहे हैं. पूरी बात का पटाक्षेप हो गया है.
श्री कमल पटेल--मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि जांच के आदेश करवा दें.
अध्यक्ष महोदय--मैंने आपको परमिट नहीं किया है. प्लीज बैठ जाएं.
श्री कमल पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूँ कि..
अध्यक्ष महोदय--इनका कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री कमल पटेल--(XXX)
अध्यक्ष महोदय--आप भी मंत्री रहे हैं, कोई व्यवस्था समझना चाहिए.
श्री कमल पटेल--(XXX)
अध्यक्ष महोदय--क्या आप मेरी आज्ञा से बोल रहे हैं.
श्री कमल पटेल--(XXX)
अध्यक्ष महोदय--क्या आप मेरी आज्ञा से बोल रहे हैं.
श्री कमल पटेल--(XXX)
अध्यक्ष महोदय--यह गलत परम्परा है. कमल जी यह कौन-सा तरीका है. मैंने पहले बार के विधायक को पूरा संरक्षण दिया, सुना और तद्नुसार मैंने यहां पर कार्यवाही की. आपकी पैरवी की आवश्यकता नहीं है. आप विराजिए.
श्री कमल पटेल--(XXX)
अध्यक्ष महोदय--आप बाध्य करने वाले कौन होते हैं. यह क्या बात हुई.
12.34 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति एवं स्वीकृति
(1) गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति के प्रथम प्रतिवेदन की प्रस्तुति एवं स्वीकृति
सभापति (श्री हरदीप सिंह डंग)--मैं, गैर-सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति का प्रथम प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.
(2) सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का प्रथम से चौदहवां प्रतिवेदन
श्री ग्यारसीलाल रावत (सेंधवा) --अध्यक्ष महोदय, मैं, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का प्रथम से चौदहवां प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत करता हूँ.
12.35 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय--आज की कार्यसूची में उल्लेखित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की गई मानी जाएंगी.
11:35 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने एवं आम के वितरण संबंधी
अध्यक्ष महोदय- आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वह सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें. माननीय सदस्य श्री गौरीशंकर बिसेन द्वारा अपने बगीचे में जैविक रूप से उत्पादित आम माननीय सदस्यों को भेंट किए जा रहे हैं. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वह आम की पेटी सूचना कार्यालय से प्राप्त करने का कष्ट करें. भाऊ की बात ही कुछ और है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, जैसे आम फलों का राजा है ऐसे ही हमारे भाऊ हमारे दिलों के राजा हैं.
श्री गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन-- अध्यक्ष जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
11:36 बजे वर्ष 2019-2020 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा
अध्यक्ष महोदय-- अब वर्ष 2019-2020 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा प्रारंभ होगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र (दतिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी बड़ी कृपा है सामान्य बजट पर आपने मुझे बोलने का अवसर दिया है. (सदन के बाहर से आवाज आने पर) अध्यक्ष महोदय, यह तीसरा पक्ष कौन सा आ गया?
अध्यक्ष महोदय-- ऐसा तो नहीं है कि आम की बात सुनकर आ गए .
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, मैं विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूं. विरोध भी इसीलिए कि वित्त मंत्री जी ने बजट की पुस्तक रखी है असत्य का पुलिंदा है, जिसे असत्य का पुलिंदा कहते हैं. संस्कृत में एक कहावत है.
''यावज्जीवेत्सुखं जीवेत् ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत्'
भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुत:''
अर्थात् जब तक जियो सुख से जियो चाहे कर्ज लेकर घी पियो. कंबल ओढ़कर घी पी रहे हैं.
''नजर आती नहीं मुफलिसी
कि आंखों में तो खुशहाली''
''कहां तुम रात-दिन इन्हें
झूठे सपने दिखाते हो''
अध्यक्ष महोदय, आप आज के अखबार पढ़ें, आप समाचार सुनें. एक ही बात कर रहे हैं कि कोई नया कर नहीं लगाया इतना बढि़या बजट लाए. कोई नया टैक्स नहीं लगाया. इससे बड़ा कोई असत्य हो ही नहीं सकता है. इन्हें टैक्स लगाने का अधिकार ही नहीं है.
''रकीबों ने रपट लिखवाई है
जा-जा कर थाने में''
''कि अकबर नाम लेता है
खुदा का इस जमाने में''
अध्यक्ष महोदय, यह किसी पर टैक्स लगा ही नहीं सकते हैं जब से जी.एस.टी. आ गया है उसके बाद से और वाह-वाई लूट रहे हैं. उस पर सितम यह कि यह सिर्फ दो चीजों पर टैक्स लगा सकते थे एक पैट्रोल पर और दूसरा शराब पर. कल नेता प्रतिपक्ष जी ने आपके सामने दोनों पर आपत्ति दर्ज की थी .आप आसंदी पर विराजमान थे. सिर्फ असत्य वाह-वाही लूटने के लिए इन्होंने सदन के पहले ही दोनों पर टैक्स लगा दिया. शराब पर भी टैक्स लगा दिया. हमारी सरकार के समय में हमने एक भी नई दुकान नहीं खोली थी. इनके वचन पत्र पर क्रमांक (53) पर अपने दृष्टि पत्र में इन्होंने शराबबंदी की बात कही थी, घोषणा की थी, लेकिन शराब की होम डिलेवरी करने की तैयारी है. घर पर शराब पहुंचा रहे हैं. यह वित्त मंत्री हैं. देसी को अंग्रेजी, अंग्रेजी को देसी अहाते, नई दुकाने खोलना. सिर्फ दो जगह टैक्स लगाया है और आप दोनों की हालत देख लें क्या कर दी है. और कहीं टैक्स लगा ही नहीं सकते थे. पेट्रोल पर टैक्स लगा दिया. सदन की जब अधिसूचना जारी हो गई थी उसके बाद पेट्रोल की कीमत बढ़ा दी जबकि इनके वचन-पत्र में इन्होंने कहा था कि हम पेट्रोल और रसोई गैस की कीमत कम करेंगे. 5 रूपये प्रति लीटर कीमत कम की जायेगी उसे 2-2 रूपया बढ़ा दिया गया. माननीय अध्यक्ष महोदय, ये कीमतें क्यों बढ़ा दी गई, इसका जवाब नहीं है इनके पास. क्या यह प्रदेश की जनता के साथ धोखा नहीं है ? आपने वोट लेने के लिए कुछ और कहा, और फिर वोट लेने के बाद कुछ और. माननीय अध्यक्ष महोदय रहीम जी का दोहा है-
काज परै कछु और है, काज सरै कछु और I
रहिमन भँवरी के भए नदी सिरावत मौर II
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कांग्रेस की संस्कृति है जो मैं आपके सामने रख रहा हूं. खजाना खाली था इसलिए टैक्स लगा दिया, 128 दिन मिले इसलिए टैक्स लगा दिया. जब खजाना खाली था तो फिर 50-50 करोड़ रूपये मंत्रियों के बंगलों पर मरम्मत के लिए कैसे खर्च हो गए ?
भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री (श्री आरिफ अक़ील)- कहां खर्च हुए हैं ? आप चलकर देख लो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- आरिफ भाई, आपके बंगले पर भी खर्च हुए हैं. मुझे आज ही मेरे प्रश्न का उत्तर प्राप्त हुआ है. उसे पढ़कर सुना सकता हूं. चल कर नहीं देख सकता.
सामान्य प्रशासन मंत्री (डॉ. गोविन्द सिंह)- क्या सुनाओगे ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र- गोविंद सिंह जी, आरिफ भाई को तो सुना ही सकता हूं आप दोनों ही वरिष्ठ मेरे साथ के हैं. आपका और हमारा लंबा साथ है और आप जब तक नहीं छेड़ो तो मज़ा भी नहीं आता है.
अध्यक्ष महोदय- आरिफ भाई के यहां सेवइयां खाने चला जाना.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- बिल्कुल चले जायेंगे. अध्यक्ष जी, एक शायरी है कि
माशुक का बुढ़ापा लज्जत दिला रहा है,
अंगूर का मज़ा अब किशमिश में आ रहा है.
(....हंसी....)
दोनों बुजुर्ग मेरे मित्र हैं. अध्यक्ष जी, आप ऐसे हंसेंगे तो मजा खराब हो जाएगा.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत)- नरोत्तम जी, ये बताइये कि अंगूर कौन है और किशमिश कौन है ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र- भनोत जी, दोनों ही आपकी पार्टी के हैं. वैसे भी आपके यहां अंगूर और किशमिश के हिसाब से नहीं, गुटों के हिसाब से तुलना होती है.
अध्यक्ष महोदय- भनोत जी, कृपया अंगूर को न टोकें. नरोत्तम जी आप बोलिये.
श्री जालम सिंह पटेल (मुन्ना भैया)- अंगूर का नाम सुनकर भनोत जी प्रसन्न हो गए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, 50 करोड़ रूपये इन 28 बंगलों पर खर्च हो गए. मुख्यमंत्री जी तो अभी निवास में नहीं पहुंच पाए हैं और इसका कारण है कि उनके बंगले पर मरम्मत का काम चल रहा है. मैं यह आज तक नहीं समझ पाया हूं कि हमारे मुख्यमंत्री जी उसमें 15 साल तक रहे और 15 दिनों में उस बंगले में ऐसी क्या खराबी आ गई, ऐसा कौन-सा वास्तुदोष आ गया, निर्माण में ऐसी कौन-सी त्रुटि रह गई कि 7 माह से उस मकान की मरम्मत चल रही है लेकिन अगर गरीब की 5 रूपये की थाली बंद करने की बात आये और उसके लिए पैसा देने की बात आये तो खजाना खाली है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि मंत्रियों के बंगलों पर खर्चा किया जा रहा है और अगर संबल योजना में दफन-कफन के लिए पैसा मांगा जाए तो खजाना खाली है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने किसानों का कर्जा माफ नहीं किया. यहां तो मतभेद है मेरे काबिल दोस्त गोविंद सिंह जी यहां बैठे हुए हैं. इन्होंने दिनांक 20.2.2019 को आदेश जारी किया है. अपर आयुक्त सहकारिता के उस आदेश में हस्ताक्षर हैं. इन्होंने आदेश जारी किया है कि किसानों की जो धारता है, जो अंशपूंजी है, जो कि बैंकों में जमा है. उस राशि को बैंक से इसमें कन्वर्ट करके, फिर किसान का कर्ज माफ किया जाये. इसका मतलब यह हुआ कि किसान का पैसा, किसान से लेकर उसे ही देने का यह काम है. इस प्रदेश में इससे बड़ा कोई असत्य नहीं हो सकता है. देश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है.
गोविंद जी की मखनि, गोविंद जी को घिव I
गोविंद जी से लेव, गोविंद जी को देव II
(मेजों की थपथपाहट)
डॉ. गोविन्द सिंह:- 8 हजार करोड़ रूपये यह किस लिये हैं, ऐसा नहीं है, यह आपकी समझ के बाहर है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- कुछ ऐसी बातें हैं, जो मैं गोविन्द सिंह जी से समझ लूंगा, मेरे मित्र हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह:- आप पत्र का पूरा आशय नहीं समझ पाये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- बात निकलेगी तो दूर तलक तक जायेगी, मेरे भाई.
अध्यक्ष महोदय:- (श्री गोपाल भार्गव के उठने पर) गोपाल जी आप मत उठो, क्योंकि नरोत्तम बोल रहे हैं, गोविन्द पर टिप्पणी हो रही है, गोपाल मत उठो. (हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- साहब, जय गोविन्दम्, जय गोपालम् है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव):- अध्यक्ष महोदय, मैंने उस समय भी कहा था कि यह जो आपका पत्र है, जो भी हमारे नरोत्तम जी पढ़ रहे थे, आपका पत्र था और आप किसानों का ही पैसा काटकर, उन्हीं की ही ऋण-मुक्ति कर रहे थे. आपने स्वीकार भी किया था.
डॉ. गोविन्द सिंह:- जो पत्र है, वह हमारे विभाग के द्वारा यह पत्र गया था, लेकिन जब जानकारी प्राप्त हुई तो उसको उसी समय रोक दिया गया और किसी भी किसान का पैसा नहीं काटा गया है. अब यह जरूर है कि किसान का अभी तक पूरा कर्जा माफ नहीं हो पाया है, लेकिन अब हो रहा है. अभी 8 हजार करोड़ रूपये रखे हैं और किसान का कर्जा माफ करने में जितनी देर होगी तो उस किसान का पैसा मय ब्याज सरकार जमा करेगी. सरकार ही जमा करेगी, किसानों का पैसा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र:- अध्यक्ष जी, जैसा गोविन्द सिंह जी ने कहा, मैं नहीं कह रहा कि हम कर रहे हैं. वास्तव में एक तो आप अपने मुख्यमंत्री जी को आप मेरी प्रणाम भिजवा देना और वित्त मंत्री आप भी.
डॉ. गोविन्द सिंह:- क्यों आप डायरेक्ट प्रणाम नहीं दे पा रहे हैं ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- नहीं, अभी वह यहां पर नहीं हैं, सदन में कम बैठते हैं. जब सदन में आपके नेता दिग्विजय सिंह थे, तब यहां आसंदी में तकिया रखा रहता था. अब वह तकिया भी गायब हो गया है.
डॉ. गोविन्द सिंह:- आपके नेता तो हवा में उड़ते रहते थे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनकी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी मध्यप्रदेश में आये, (XXX)
कुंवर विजय शाह:- माननीय अध्यक्ष जी, हमारी तरफ से बजट पर सामान्य चर्चा पर शुरूआत है और प्रथम वक्ता बोल रहे हैं और उस समय बजट की चर्चा पर आपके मुख्यमंत्री का सदन में ना होना, मैं समझता हूं कि चिन्ता का विषय है.
अध्यक्ष महोदय:- अब, आप एक चीज बतायें कि इतने वरिष्ठ,अनुभवी सदस्य को आप लोग टोक रहे हो, मुझे तो अच्छा नहीं लग रहा है.
कुंवर विजय शाह:- अध्यक्ष जी, मध्यप्रदेश विधान सभा की यह परम्परा रही है कि जब भी प्रतिपक्ष का जब प्रथम वक्ता बोलता है तो उस समय माननीय मुख्यमंत्री जी उपस्थित रहते हैं.
अध्यक्ष महोदय:- विजय शाह जी, नरोत्तम जी को बोल लेने दीजिये.
श्री गोपाल भार्गव:- माननीय अध्यक्ष जी, आपको यह व्यवस्था देना चाहिये और माननीय मुख्यमंत्री जी को निवेदन करें या आग्रह करें कि जब मुख्य वक्ता बोले, ठीक है यदि वह पूरा समय नहीं दे सकते, लेकिन जब प्रथम वक्ता बोलें या फिर जब समापन हो तो उस समय अवश्य सदन में उपस्थित हों. इससे सदन की गरिमा बढ़ती है और आप सदन संरक्षक हैं.
अध्यक्ष महोदय:- जी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- अध्यक्ष महोदय, दरअसल कर्जा माफी में एक भ्रम है. वह भ्रम आपके माध्यम से, सदन के माध्यम से मैं, प्रदेश की जनता का दूर करने की कोशिश करता हूं. (XXX) अच्छी बात थी. लोगों ने इसी बात को सुनकर इनको वोट भी किया, लेकिन इन्होंने 2 लाख रूपये की जगह 2, 4, 6, 8 और कभी 10 हजार रूपये का कर्जा माफ किया और गट्ठर बना-बनाकर कभी मेरे बंगले पर, कभी माननीय शिवराज जी के बंगले पर और कभी नेता प्रतिपक्ष जी के बंगले पर भेजे. कभी भी एक आदमी का इन्होंने 2 लाख रूपये का कर्जा माफ नहीं किया, इस मध्यप्रदेश के अन्दर. उसके बाद इन्होंने विज्ञापन देना चालू किया.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (श्री सुखदेव पांसे):- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी के शिवराज सिंह जी ने 2008 के घोषणा पत्र में घोषणा की थी कि किसानों का 50 हजार रूपये कर्जा माफ किया जायेगा, 2008 का भी चुनाव चला गया, 2013 का भी चला गया और 2018 का चुनाव चला गया. इन्होंने एक कौड़ी भी किसानों का माफ नहीं किया. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने शुरूआत तो की है, जिसके कारण किसानों की आत्महत्या रूकी है. हिन्दुस्तान में मध्यप्रदेश ऐसा राज्य रहा है, आपके राज में जिसको आपने सबसे ज्यादा कलंकित करके रखा था, आत्म-हत्या के लिये. यह भी आप लोगों को याद रखना चाहिये.
कुंवर विजय शाह:- आप 30 हजार से चुनाव हारे हो.
अध्यक्ष महोदय:- सुखदेव पांसे जी,बैठ जायें. यह परंपरा ठीक नहीं है.
श्री सुखदेव पांसे--आग लग गई क्या ?
अध्यक्ष महोदय--पांसे जी आप बैठिये. यह परम्परा ठीक नहीं है.
श्री विजय शाह--आप लोगों ने अगर कर्जा माफ किया होता तो आप लोक सभा चुनाव में 30 हजार से नहीं हारते और मैं 50 हजार से नहीं जीतता.
श्री सुखदेव पांसे--हम जीतकर आये हैं तब यहां पर खड़े हैं.
श्री विजय शाह--मैं लोक सभा चुनाव की बात कर रहा हूं.
श्री सुखदेव पांसे--आप लड़ते तो समझ में आता.
अध्यक्ष महोदय--सुखदेव जी आपसे तथा विजय भाई आप दोनों से अनुरोध है कि सीधे सीधे क्यों बात कर रहे हैं. मेरे को यहां क्यों बिठाला है?
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, आप बैठे रहें हमें कोई दिक्कत नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--नरोत्तम जी की गाड़ी एकदम टॉप गियर में आती है और यह लोग एकदम से ब्रेक मार देते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--आप आ गये हैं तो थोड़ी आस है. अध्यक्ष महोदय पी.एच.ई मंत्री हैं पानीदार विजय शाह ने दुःखदी रग पर हाथ रखा, उनको नहीं रखना था. अब हार जाते हैं तो हार जीत तो लगी रहती है. दिक्कत सिर्फ इतनी रहती है पांसे जी कि आपके जो सदन के नेता हैं उन्होंने इस बार ऐसी गाड़ी चलायी इसके लिये उनको सलाम भेजना है.(XXX)
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह)-- (XXX)
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (XXX)
श्री प्रियव्रत सिंह--यह गाड़ी ऐसी चलती है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--आपने जिनके नाम लिये हैं ये चुनाव नहीं लड़े. जिनके नाम मैं ले रहा हूं वह सब चुनाव लड़े हैं. सब साफ हो गये.
वित्तमंत्री (श्री तरूण भानोत)--आपका बल्ला बहुत तेज चलता है. हम चक्की धीमी चलाते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- (XXX)
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी)-- अध्यक्ष जी मेरा अनुरोध है कि आप 15-15 लाख का हिसाब दीजिये.
श्री मोहन यादव--जितु भाई आप सरकार के मंत्री हैं आप तो सुने आपकी जवाबदारी ज्यादा है. विपक्ष का काम तो बोलना है. आप सुनने की आदत डाले.
श्री विश्वास सारंग--मंत्री जी जरा आप गंभीरता रखें.
अध्यक्ष महोदय--नरोत्तम जी क्या आप कौने तक गाड़ी ले जाकर छोड़ते हो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष जी आपकी कृपा है. आपकी कृपा बनी रहे ताकत आपसे मिलती है. मैं इतनी बात कर रहा था कि स्थिति पहले से ही डगमगा रही थी जब से सरकार बनी है तब से. एक सुपर मुख्यमंत्री थे, एक मुख्यमंत्री थे, (XXX)
श्री सोहनलाल वाल्मीक--अध्यक्ष महोदय, क्या बजट पर बोलने के लिये कुछ भी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--आप भी बोलना जब आपकी बारी आये.
श्री सोहनलाल वाल्मीक--अध्यक्ष महोदय, सदन को विषय से भटकाकर सदन को भटकाने का प्रयास किया जा रहा है. इसमें (XXX) कहां से आ गये. यह क्या बजट का पहलू है क्या ? इस पर बहस करना है तो बाहर बहस करें. यह सदन में गलत परम्परा डल रही है. इसमें (XXX) शब्द भी आया है, यह उचित नहीं है. वह इस सदन में पूर्व संसदीय मंत्री भी रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- यह सारी चर्चाएं विलोपित की जाती हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--मैं बजट पर ही बोल रहा था.
अध्यक्ष महोदय - मेरी बात सुनिए, नरोत्तम जी बोल रहे हैं, रामेश्वर जी चुप रहे. मेरी भाषा भी समझ लिया करिए, नरोत्तम बोल रहे हैं, रामेश्वर चुप रहिए.
श्री नरोत्तम मिश्रा - अध्यक्ष महोदय, अभी सहकारिता मंत्री खड़े हुए और उन्होंने कहा कि हमने अभी 8 हजार करोड़ रूपए बजट में प्रावधान किया, मैं सहमत हूं, किया है, वित्त मंत्री जी ने किया है. इसके पहले 5 हजार करोड़ किया था. अध्यक्ष जी मैं सिर्फ यह कह रहा था 48 हजार करोड़ रूपए का कर्जा किसानों पर इस मध्यप्रदेश के अंदर हैं. सहकारिता मंत्री जी थोड़ी सी नजरें इनायत हो जाएं, कर्जा है 48 हजार करोड़ रूपए का, बजट में प्रावधान है 8 हजार करोड़ का, आप कैसे माफ करोगे?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) - बताएंगे.
श्री नरोत्तम मिश्रा - आपने अपने ही नेता को असत्य साबित करने के लिए यह सब किया है, क्योंकि वह दस दिन के अंदर मुख्यमंत्री बदलने का कह गए थे, दो लाख तक का कर्जा माफ करने का कह गए थे. आपने इस प्रदेश के किसान के साथ तो धोखा किया ही किया, अपने नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ भी धोखा किया.(...शेम शेम की आवाज) जिसका परिणाम यह हुआ, कि लोकसभा चुनाव में प्रदेश में 29 में से 28 सीटें कांग्रेस हार गई, सूपड़ा साफ हो गया. एक बचे हैं, अब वह कैसे बचे उनसे ही पूछ लेना कभी, आप दोनों ही सीनियर लोग हो, बाकी तो दूसरी बार के हैं. आप दोनों की पीड़ा भी मैं समझता हूं कि आपको ठीक-ठाक विभाग नहीं मिल पाये. (XXX) माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं नहीं कह रहा हूं अखवार में लिखा है. मैंने तो गुटका को आगे फ्रेम में किया है.
12:58 बजे {उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.}
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री कमलेश्वर पटेल) - अध्यक्ष जी, यह आपत्तिजनक है. विषय पर बात करें.
श्री नरोत्तम मिश्रा - मंत्री जी, मैं विषय पर ही तो बोल रहा हूं कि इसके कारण से बजट प्रभावित हो रहा मेरे भाई. ये सारी चीजों के कारण से बजट प्रभावित हो रहा है.
ऊर्जा मंत्री(श्री प्रियव्रत सिंह) - गुटका स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. आप उस पर ज्यादा ध्यान न दें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - कांग्रेस में यही तो हानि का कारण बन रहा है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अभी तो हमारे सलामी बल्लेबाज उतरे हैं, मैदान में, बहुत बल्लेबाज है हमारे यहां. (..हंसी)
श्री नरोत्तम मिश्रा - उपाध्यक्ष जी, आपका स्वागत है. मेरी प्रार्थना सिर्फ इतनी सी थी कि जो कर्जा माफी की घोषणा की गई इनके दृष्टिपत्र में और जो तीन-तीन आदेश निकाले गए, वह एकदम भिन्न थे और उसका दुष्परिणाम यह हुआ कि जिस दिन इन्होंने आदेश बदलकर छोटे और सीमांत किसान किया, तो सबसे पहले किसान ने खंडवा में आत्म हत्या की और आज दिनांक तक 71 किसान इस प्रदेश के अंदर आत्महत्या कर चुके हैं(...शेम शेम) इससे ज्यादा दु:खद बात कोई नहीं हो सकती है, माननीय उपाध्यक्ष महोदय कि इस प्रदेश के अंदर 71 किसानों ने आत्महत्या कर ली. मैं जिस इलाके से आता हूं वह इलाका धान का कटोरा कहा जाता है, हमारा डबरा, दतिया, गोहद. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उस इलाके में किसान धान की पौध नहीं बो पाया इसलिए कि बिजली की सप्लाई बाधित हो गई. आसंदी के सामने अगर मैं असत्य बोल रहा हूं तो आप उसका परीक्षण करा लें. धान की फसल लेट हो गई ट्रांसफार्मर फुंके थे, क्योंकि ट्रांसफार्मर की जितनी ताकत थी, वह पूरी ट्रांसफर में लगा दी. (..मेजों की थपथपाहट..) जितने भी वाट और जितने भी मेगावाट थे, वे सब लग गए. क्या हालत हो गई है ? उपाध्यक्ष महोदया. वल्लभ भवन का पांचवां फ्लोर, वहां जब भी चले जाओ तो वह खचाखच भरा मिलता है, जितने पास वल्लभ भवन के हमारी सरकार में 15 वर्षों में बने हैं, 5 महीने में बना दिए गए. माननीय उपाध्यक्ष महोदया जी, मैं जो भी बात कर रहा हूँ, रिकॉर्डेड बातें कर रहा हूँ. मैं ऐसे ही नहीं कह रहा हूँ इसलिए जो भी बोलें, तथ्यात्मक बोलें. मैं अपनी बात सप्रमाण प्रस्तुत करूँगा और आप भी कोई भी बात प्रमाण के साथ कहिए.
उपाध्यक्ष महोदया, इसका आलम क्या हुआ कि एक दिन ऐसा नहीं आया, वे 128 दिन जो इन्हें काम के लिए मिले थे. कल वित्त मंत्री जी कह रहे थे कि आचार संहिता लग गई और हमें कुल 128 दिन मिले हैं. 128 सूचियां इस प्रदेश के अन्दर ट्रांसफर की जारी हो गईं. एक-एक थाने की बोली लगती है, मेरे क्षेत्र के थाने में 6 महीने में 3 टीआई बदल गए हैं, दतिया में 6 महीने में 3 कलेक्टर बदल गए, हमारे ग्वालियर में 6 महीने में 3 कलेक्टर बदल गए, डबरा में 6 महीने में 3 टीआई बदल गए. आप ट्रांसफर कर रहे हैं. यह अच्छी बात है, आप ट्रांसफर करें फिर उन्हें निरस्त कैसे कर रहे हैं ? मैंने आज तक एक ट्रांसफर निरस्त की कोई दरख्वास्त दी हो तो वह बताए. संसदीय कार्यमंत्री जी, आप मेरे मित्र हैं, आपसे क्या कहना ?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री (श्री जितु पटवारी) - आपने आज तक मेरा घर नहीं छोड़ा है, जो मुझे अलॉट हुआ है और आप बातें इतनी करते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदया, यह मेरे घर में रह रहा है, जो मुझे अलॉट हुआ है. आप देखें तो सही. यह मेरे घर में रह रहा है, मेरा भाई सक्षम है, 'समर्थ को नहीं दोष गुसांई' समर्थ व्यक्ति है, मुझे अलॉट हुआ है, भाई बैठा हुआ है, उसको कौन खाली करा सकता है ? हम तो विपक्ष के हैं, हमसे कोई भी खाली करा ले, जेई कहे तो खाली करके रोड पर आ जाएं. मैं सिर्फ आपका इतना ध्यान आकर्षण कराना चाहता था कि यह जो खाली खजाने की बात कही है. वित्त मंत्री जी, जब आप इसे समाप्त करोगे तो बताना कि प्रशासनिक व्यय में 50 करोड़ रुपये से ज्यादा आपने इस 6 महीने के अन्दर ट्रांसफरों में व्यय कर दिया. आप कह रहे थे कि खजाना खाली है. आप जब जवाब दें तो आंकड़ा दें. मैं तब मानूँगा कि व्यय कितना हुआ ? वह बताएं कि बंगलों पर कुल कितना खर्च हुआ ? मेरी आज की प्रश्नोत्तरी के प्रश्न पर एक विभाग पी.डब्ल्यू.डी. ने 38 करोड़ 47 लाख 756 रुपये व्यय कर दिये और ये कहते हैं कि खजाना खाली है (शेम, शेम की आवाजें)
श्री रामेश्वर शर्मा - इतने में तो नए बन जाते.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - नये बन जाते हैं, बनवाए तो नए हैं, वे मरम्मत दिखा रहे हैं. यह तो लगाने का कुछ और और दिखाने का कुछ और है. इनको पता ही नहीं है.
श्री जितु पटवारी - अध्यक्ष जी, आपने बताने का कुछ तथा यह आंकड़ा बोलने से नहीं होगा. आप आंकड़ा लिखा हुआ कहां से लाए ? जबरर्दस्ती, आप हवा में लट्ठ मार रहे हो.
श्री विश्वास सारंग - माननीय उपाध्यक्ष जी, एक निवेदन है कि डॉ. नरोत्तम मिश्र जी बोल रहे हैं, इस इन्ट्रप्शन को रोकिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, मैं यह आंकड़ा दे रहा हूँ. आज की प्रश्नोत्तरी दिनांक 3/7/2019 उत्तर भेजने की तारीख, सदन के अन्दर जवाब देने की दिनांक 11/7/2019 डॉ. नरोत्तम मिश्र प्रश्नकर्ता, उत्तरकर्ता लोक निर्माण मंत्री, श्री सज्जन सिंह वर्मा. मैंने इसमें पूछा है कि भोपाल मुख्यमंत्री और मंत्रियों के शासकीय आवास आवंटित किए हैं, आवास की नामवार जानकारी देवें, यदि हां तो क्या आवंटित शासकीय आवासों में नवनिर्माण, मरम्मत, साज-सज्जा से कराए गए हैं, प्रश्नांश-ग, ख के अनुसार यदि हां, तो कौन-कौन से आवासों में कितनी-कितनी राशि से कार्य कराए गए हैं ? मुख्यमंत्री आवास, शेष कार्य का नाम और कुल राशि स्पष्ट करें, यह जवाब है और उपाध्यक्ष जी. मैं इसमें जिस मंत्री का कहें, मैं नाम लेकर बताता हूँ. जितु भाई बालें कि कौन से मंत्री का बोलना है ?
श्री हरिशंकर खटीक - आपके बंगले का बताएं.
श्री जितु पटवार - आपका बताओ, आप जिस घर में रहते हैं, उसका बताओ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - शून्य है, शून्य है. मैं बोल रहा हूँ, शून्य है.
....(व्यवधान)....
श्री सुखदेव पांसे -- आप 15 साल का बताओ. आपसे बंगले का मोह छूट नहीं रहा है और आप शून्य की बात कर रहे हो. आप 15 साल का आपके बंगले का पहले हिसाब बताओ ?....(व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदया, यह आंकड़े नहीं मांगे क्योंकि मैंने पहले जब आप आसंदी पर विराजमान हुई तो यह कहा था कि मैं जो भी बात बोलूंगा मैं प्रमाण के साथ बोलूंगा इसलिये मुझसे सवाल करते वक्त कोई भी व्यक्ति प्रमाण के साथ बात करे इतनी सी बात मैंने कही है. ....(व्यवधान)....
श्री सुखदेव पांसे -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा एक प्रश्न है नेता प्रतिपक्ष के बंगले पर कितना पैसा खर्च हुआ यह बता दीजिये ? ....(व्यवधान)....
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदया, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है क्या कोई मंत्री प्रश्न पूछ सकता है ? ....(व्यवधान).... उपाध्यक्ष महोदया, मुझे बोलने नहीं दिया जा रहा है.
श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष महोदया, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है कि यह ठीक नहीं है क्या कोई मंत्री प्रश्न पूछ सकता है ? आपको शौक है तो फिक्र मत करो विपक्ष में आओ तब प्रश्न पूछ लेना और जल्दी आप विपक्ष में आने वाले हो.
श्री सुखदेव पांसे -- दस साल नहीं आने वाले. ....(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- मेरा माननीय सदस्यों से निवेदन है कि कृपया करके सदन चलने दें, बैठ जायें. ....(व्यवधान)....
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, चूंकि मेरे बारे में कहा गया है इसलिये मैं यह बताना चाहता हूं कि आपका पद, हमारे स्पीकर साहब का पद और मेरा पद विधानसभा सचिवालय और विधानसभा के अंतर्गत ही आने वाला पद है इसके बावजूद मैं आपको चुनौती देता हूं कि एक भी पत्र मेरा ऐसा निकाल लेना जिसमें मैंने आग्रह किया हो या सरकार को लिखा हो कि पांच रूपये का काम भी मेरे बंगले पर कर दिया जाये, अगर ऐसा होगा तो मैं राजनीति से सन्यास लेने के लिये तैयार हूं. (मेजों की थपथपाहट)
उपाध्यक्ष महोदया -- माननीय डॉ.नरोत्तम मिश्र जी आप बोलें. ....(व्यवधान)....
श्री जितू पटवारी -- एक मिनट उपाध्यक्ष महोदया आपकी अनुमति हो तो एक बात कहना चाहता हूं कि किसी विधायक ने, किसी मंत्री ने एक भी पत्र लिखा हो कि बंगला ठीक किया जाये.....(व्यवधान)....
श्री विश्वास सांरग -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया जी कृपया आप व्यवस्था दें. ....(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- आप सभी बैठ जायें, डॉ. नरोत्तम मिश्र जी आप बोलें.
श्री शशांक भार्गव -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मेरा एक प्रश्न है. ....(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- अभी नहीं आप बैठ जायें, ....(व्यवधान)....
श्री तरूण भनोत -- मैं वरिष्ठ सदस्य आदरणीय डॉ. नरोत्तम मिश्र जी का सम्मान करता हूं.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया जी इस तरह से इंटरप्शन से भाषण नहीं हो पायेंगे.
श्री तरूण भनोत -- मैं इंटरप्शन नहीं कर रहा हूं, आप सुने श्री विश्वास जी. आदरणीय उपाध्यक्ष महोदया, जिस मुद्दे पर यहां चर्चा हो रही है. ....(व्यवधान)....
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, माननीय मंत्री जी जब भाषण करेंगे, तब बोलें. ....(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- माननीय मंत्री जब आप जवाब देंगे, तब आप सारे जवाब दे दीजियेगा. डॉ. नरोत्तम मिश्र जी आप अपनी बात पूरी करें. ....(व्यवधान)....
श्री तरूण भनोत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेता प्रतिपक्ष के बारे में सवाल उठ रहे हैं, मुख्यमंत्री के बारे में सवाल उठ रहे हैं. ....(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- माननीय मंत्री जी जब आपका समय आये, तब आप उत्तर दीजिये, आपको मौका मिलेगा. ....(व्यवधान)....
श्री तरूण भनोत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है यह मुद्दा नहीं उठना चाहिये, यह हमारे नेता प्रतिपक्ष की गरिमा के खिलाफ है. ....(व्यवधान)....
श्री शैलेन्द्र जैन -- क्यों इंटरप्शन कर रहे हैं, जनाब आपको मौका मिलेगा पूरे सदन की ओर से मौका मिलेगा. आप डॉ. नरोत्तम मिश्र जी को बोलने दें. ....(व्यवधान)....
श्री तरूण भनोत -- मैं उनका समर्थन करने के लिये खड़ा हुआ हूं.
श्री शैलेन्द्र जैन -- यह उचित नहीं है. यह सर्वथा अनुचित है. ....(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यह जिसका भी बंगला है, जिसमें माननीय मुख्यमंत्री जी निवास कर रहे हैं या नेता प्रतिपक्ष निवास कर रहे हैं चाहे माननीय मंत्री जी निवास कर रहे हैं, पूर्व में भी बोल रहे थे ....(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- मेरा माननीय सदस्यों से निवेदन है कि विषय के आधार पर ही बोलें, आप सभी बैठ जायें. ....(व्यवधान)....
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इन लोगों ने टैक्स के पैसे का दुरूपयोग किया है और मंत्रियों के कपड़ों पर जो खर्च किया है, संसाधनों पर जो खर्च किया है उसका उल्लेख किया है. ....(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया - मेरा माननीय सदस्यों से निवेदन है कि काफी नाम दोनों पक्षों से आये हैं, इसलिये मेरा इस सदन के माननीय सदस्यों से निवेदन है कि कृपया विषय के आधार पर ही बोलें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, दरसल इसमें कई जगह ऐसा उल्लेख आया था कि विकास में हमें कुल 128 दिन मिले हैं. मैं उन्हीं 128 दिन की बात कर रहा हूं. उन 128 दिनों में ट्रांसफार्मर की ताकत कहां चली गई, मैं यह वित्त मंत्री जी को दृष्टिगोचर कर रहा था, सरकार उनकी है वह सुधार करना चाहेंगे करें न करना चाहे न करें. आज वह पावर में हैं.
मेरा माननीय उपाध्यक्ष महोदया से इतना कहना था कि बड़ी आशा से इन्होंने अपने दृष्टिपत्र में उल्लेख किया है कि यह सरकार जनता का ध्यान रखेगी, अपने वचन पत्र में ऐसा कहा. अब जनता परेशान है कि कांग्रेस का कार्यकर्ता हमारी नहीं सुन रहा है, कांग्रेस का कार्यकर्ता परेशान है कि विधायक नहीं सुन रहा है, विधायक परेशान है कि मंत्री नहीं सुन रहा है, मंत्री परेशान है कि मुख्यमंत्री नहीं सुन रहा है, मुख्यमंत्री परेशान है कि अधिकारी नहीं सुने रहे हैं और अधिकारी परेशान है कि हमें पता ही नहीं है कि कब तक यहां रहना है (हंसी), यह स्थिति प्रदेश की हुई है. इसलिये नीचे तक धरातल तक कोई काम उतर ही नहीं रहा है, ऐसे थोड़े ही बिजली चली गई और कांग्रेस के लोग बोले कि भारतीय जनता पार्टी के लोग तो कुछ तो भी बयानबाजी कर रहे हैं
भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने बिजली काट दी, बिजली की ट्रिपिंग भारतीय जनता पार्टी के लोग कर रहे हैं. आप अक्षम हो, आप अकर्मण्य हो, आप व्यवस्था नहीं संभाल पा रहे इस कारण से बिजली जा रही है और आप कभी कहते हो कि हमने खरीदे थे खराब उपकरण और पार्ट्स इसलिये बिजली जा रही है. कभी कहते हो कि चमगादड़ उल्टे कि सीधे, सीधे कि उल्टे लटक गये, इसलिये बिजली जा रही है. ये चमगादड़ आरिफ भाई तुम्हारे क्षेत्र के हैं, ..(हंसी).. हैं कि नहीं, हां कि न. अब यह उल्टे लटकते हैं कि सीधे, मैं क्या जानू इसको. आप तो यह बताओ आपके क्षेत्र के हैं तो हमने पाल लिये क्या. 6 महीने पहले तो यह उल्टे और सीधे कैसे भी लटकते थे लाइट नहीं जाती थी, अब 6 महीने में ही लाइट जाने लगी. यह हमारे कहने से चल रहे हैं क्या ? बिजली के कर्मचारी हमारे कहने से चल रहे हैं. उपकरण खरीदकर लाये तो भारतीय जनता पार्टी, अब उपकरण भी यह जानते थे कि कांग्रेस की सरकार आ गई है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, 15 साल में कभी बिजली नहीं गई (सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने बैठे-बैठे बोला, खूब गई-खूब गई). अगर खूब गई थी तो आप लोग क्या कर रहे थे. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, नेचुरल सी बात थी आज ऊर्जा मंत्री ने जवाब दिया.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव (विदिशा)-- विदिशा के पावर हाउस में ताला बंद करके 3-3 दिन हड़ताल की, वहां लाइट की इतनी तकलीफ थी यह हमारे पूर्व मुख्यमंत्री से आप पूछ सकते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- इसीलिये पंडित जी आप यहां आ गये. पंडित जी महाराज, इसीलिये तो उधर हो.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव-- आप आदेश दें तो एक सवाल और करना चाहता हूं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- सवाल, जवाब. मैं मंत्री थोड़ी हूं जवाब कैसे दूंगा.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव-- उपाध्यक्ष महोदय, बंगलों के ऊपर लड़ाई हो रही थी कि किसके बंगले पर कितना पैसा खर्च किया. मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि हमारे यहां विदिशा में एक सुंदर डेयरी है, उसका रोड बनाने में और पुल बनाने के लिये कितने हजार करोड़ रूपया खर्च करके सिर्फ एक आदमी को जाने के लिये व्यवस्था दी गई, मैं यह पूछना चाहता हूं, आप कह रहे हैं उपकरण खराब हैं, पिछले 4 सालों में मेरे जिले में 4 हजार ट्रांसफार्मर 25 केवीए के लगे, यह पूछें कि पिछले तीन सालों में वह कितनी बार खराब हुये.
उपाध्यक्ष महोदया-- आप बैठ जाईये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीया उपाध्यक्ष जी, हम आज गर्व के साथ कह सकते हैं कि इस प्रदेश को फीडर सेपरेशन का काम अगर कोई देने वाली है तो वह भारतीय जनता पार्टी है. देश के अंदर वह बिरला दूसरा प्रदेश था गुजरात के बाद जहां फीडर सेपरेशन किया गया. आजादी के बाद से जितने ट्रांसफार्मर नहीं लगे थे उतने 5 साल के अंदर लगाकर दिये. आजादी के बाद से जितने खंबे नहीं लगे थे उतने हमने खंबे लगाकर किसान को गांव की लाइट अलग और खेत की लाइट अलग यह व्यवस्था करके दी थी. उसका परिणाम यह हुआ कि इनकी सरकार थी तब मनमोहन सिंह जी प्रधान मंत्री थे तब भी कृषि कर्मण पुरूस्कार इस प्रदेश को दिया गया और उसके बाद भी कृषि कर्मण पुरूस्कार इस मध्यप्रदेश को भारतीय जनता पार्टी में मिला. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमने काम करके दिखाया था.
गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन)-- उपाध्यक्ष महोदया, आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े देखें 1.66 लाख हेक्टेयर जमीन का रकबा कम हो गया है, यह परसों की रिपोर्ट में है. किसानों की संख्या बढ़ी है, लेकिन यह रकबा इतना बड़ा क्यों घट गया है. पौने दो लाख हेक्टेयर.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- बाला भैया, आपने 6 महीने के गृह विभाग के आंकड़े देखे. बताओं कितनी हत्यायें हो गयीं.
श्री बाला बच्चन-- देखे हैं, सब देखे हैं. सुनो किसी में 2 प्रतिशत, किसी में 4 प्रतिशत.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- कितनी हत्या हो गईं इस प्रदेश में 6 महीने के अंदर एक जवाब दो अगर जवाब देना है तो.
श्री बाला बच्चन-- बता दूंगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, 1 हजार लोग इस प्रदेश के अंदर मर गये, हत्या कर दी गई, लूट की गई. प्रश्नोत्तरी में इसका उत्तर है. वह आंकड़े नहीं देखे. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, 5455 लूट की घटनायें इस प्रदेश के अंदर हो गईं, वह गृहमंत्री जी ने नहीं देखा. ... (व्यवधान)... इस प्रदेश के अंदर 38 डकैतियां पड़ गईं, वह गृह मंत्री नहीं देख रहे. ... (व्यवधान)... माननीय उपाध्यक्ष महोदया, 140 अपहरण ऐसे हुये जिसमें फिरौती देकर लोग छूटे.
गृह मंत्री का ध्यान इस पर नहीं है. गृह मंत्री का ध्यान किस पर है कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को कैसे असत्य केस में जेल में बंद किया जाए. व्यापम और ई- टेंडरिंग में 7 महीने हो गये सरकार में आए, क्या कर रहे हो. कुछ करना है तो करो. आपने अपने घोषणापत्र में कहा था कि व्यापम की जांच कराएंगे. ई- टेंडरिंग की जांच कराएंगे. दोषियों को जेल में भिजवाएंगे. किसने रोका है आपको. अगर मर्द हो तो करो और दूध का दूध और पानी का पानी करो. यह मर्दानगी के बात होती है. अरे, पीठ पीछे बैक फाईटिंग करना छोड़ो और चरित्र हत्या की राजनीति करना, यह तुम्हें कांग्रेस वालों रसातल पर ले जायेगा. ध्यान रखना जितने आये हो, जैसे लोक सभा में नेता प्रतिपक्ष नहीं है. यहां भी नहीं मिलेगा.
" जलते घर को देखने वालों, फूस का छप्पर आपका है,
और आपके पीछे तेज हवा है, आगे मुकद्दर आपका है.
उनके कत्ल पर मैं भी चुप था, मेरा नंबर तब आया,
और मेरे बाद में आपका नंबर, आगे मुकद्दर आपका है "
श्री तरुण भनोत - नरोत्तम जी, बहुत सीनियर हैं, बड़े भाई हैं
श्री विश्वास सारंग - शेर का जवाब शेर से दो भईया.
श्री तरुण भनोत - मैं इतना अच्छा शेर नहीं पढ़ सकता. जितना वह पढ़ते हैं. मैंने मान लिया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - तरुण भाई, ये बब्बर शेर हैं, आप शेर ही बन जाओ.
(..व्यवधान..)
श्री तरुण भनोत - अगर नरोत्तम भाई से अच्छा मुकद्दर गोपाल जी का है तो हमारा क्या दोष है ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र - आपका दोष नहीं है हमारा दोष है. हमारा वह नेता है सदन के अंदर. हम मान रहे हैं. आप अपने मुंह से बोलो कि सिंधिया जी आए थे तो वो आपके नेता हैं कि नहीं. बोलो जोर से. हम तो कह रहे हैं कि गोपाल भार्गव हमारा नेता हैं.(..व्यवधान..) ये पार्टी पूरी गोपाल भाई के पीछे खड़ी है. गोपाल भार्गव के नेतृत्व में पूरी पार्टी खड़ी है.
श्री तरुण भनोत - यह मैंने सदन में कहलवा दिया जो आप इतने दिन से नहीं कहलवा पाए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अरे, मेरा भाई है.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया आसंदी को संबोधित करके बात कहें.
श्री गोपाल भार्गव - यह मेरा छोटा भाई है. आप हम लोगों के बीच में भेद नहीं करवा सकते.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष जी, मैं सिर्फ इतना कह रहा था. माननीय गृह मंत्री जी उठ गये. मैं सिर्फ प्रार्थना कर रहा था कि ये जो प्रक्रिया थी. लोगों पर राजनीतिक आधार पर असत्य केस लगाना, इससे पहले इस प्रदेश में ऐसा नहीं होता था. राजनीतिक आधार पर असत्य मुकदमे नहीं लगते थे. कार्यकर्ताओं को बिठाकर 4-5 दिन बिठाकर लोक सभा के चुनाव में प्रताड़ित किया गया. इन्होंने पुलिस का दुरुपयोग किया इस प्रदेश के अंदर. बांड भरवाए गए. यह स्थिति प्रदेश की थी. ऐसा नहीं होना चाहिये. जिन पर 20-20 मुकदमे थे. उन पर ईनाम नहीं था लेकिन एक नेता का,विधायक का बेटा है तो उस पर ईनाम घोषित कर दिया. ऐसे राजनीति नहीं होती है. यह गलत परंपरा है और इस का बाला बच्चन जी को ध्यान रखना चाहिये. वह क्या ध्यान रख रहे थे कि कल जो आर्थिक सर्वेक्षण के, वह आंकड़े आपने देखे क्या. अरे भईया, अगर वह आंकड़े गलत थे हमारे कृषि कर्मण पुरस्कार के, तो डॉ.मनमोहन सिंह की सरकार ने दो बार पुरस्कार दिया, आप उन्हें बता सकते हो. हमने सिंचाई के लिये बिजली दी थी इसलिये मैंने पहले अपनी बात कहते समय कि वित्त मंत्री जी हमारे यहां बिजली नहीं मिली और आप चाहते हो हम बिजली के लिये बजट पास कर दें. आप चाहते हो पुलिस के लिये हम पैसा दे दें जो राजनीतिक विद्वेष से काम करती है. जो किसानों को मारने के लिये पूरा का पूरा सहकारिता विभाग,कृषि विभाग दो लाख तक का कर्जा माफ नहीं कर रहा उसके लिये हम पैसा दे दें इससे हम सहमत नहीं है कि हम इसपर कांग्रेस की सरकार का समर्थन कर दें. हम किसान के लिये लड़ेंगे, हम मजदूर के लिये लड़ेंगे, हम मजदूर के लिये लड़ेंगे, हम गरीब के लिये लड़ेंगे. यह गरीब विरोधी सरकार हो सकती है. यह गरीब की थाली मार सकती है. 5 रुपये की रोटी की थाली मार सकते हैं. यह कफन और दफन का पैसा खा सकते हैं. यह मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना बंद कर सकते हैं. हम ऐसा नहीं होने देंगे यह फ्लोर हमें हमारी ताकत से मिला है और हम यहां पूरी ताकत से इस बात को उठाएंगे. हमने इस प्रदेश को कहां से कहां पहुंचाया होगा कल्पना करो. इनकी जब सरकार गई तो कुल 7 हजार एकड़ भूमि सिंचित रकबा था और जब हम गये तो 40 लाख हेक्टेयर सिंचाई का रकबा इनको छोड़कर गये. मैंने बिजली का आपको बताया, मैंने पानी का आपको बताया, सतही नल-जल योजना का बताया, ऐसा एक काम यह नहीं कर पा रहे हैं और इसलिये माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह सरकार और वित्त मंत्री जी जो बजट लेकर आए हैं हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शशांक कृष्ण भार्गव - मैं निवेदन करना चाहता हूं कि आप यह बात भूल गये कि मंदसौर में क्या हुआ था, टीकमगढ़ में पुलिस ने किसानों के कपड़े उतरवाकर क्या किया था किसानों के साथ ? आप किसानों की बात कर रहे हैं.
(..व्यवधान..)
उपाध्यक्ष महोदया - मेरा सभी सदस्यों से निवेदन है कि कृपया बैठ जाईये.
1.25 बजे
1.26 बजे
दिनांक 15 एवं 16 जुलाई, 2019 को होने वाली प्रश्नकाल सहित अन्य समस्त कार्यवाही शनिवार, दिनांक 20 जुलाई, 2019 एवं रविवार, दिनांक 21 जुलाई, 2019 को संपादित की जाय.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी)- उपाध्यक्ष महोदया, आज सदन में दो नजारे बहुत अच्छे और सकारात्मक मिले. एक तो प्रतिपक्ष के हमारे दल ने यह कहा कि हमारे नेता श्री गोपाल भार्गव जी हैं, श्री शिवराज सिंह चौहान नहीं हैं. मैं उनको बधाई देता हूं. दूसरा, एक नजारा और सामने आया कि दोनों तरफ से लगभग 90 नये विधायक आए हैं. डॉ. नरोत्तम मिश्र जी ने पहला..
डॉ. नरोत्तम मिश्र- हम उसका पूरा जवाब देंगे. हम भी बाकी के कागज हाथ में लिये हैं.
श्री जितू पटवारी - डॉ. नरोत्तम मिश्र ने पहली स्पीच दी जो मैं समझता हूं कि पिछले सत्र में सीखने को मिला कि जो पहला ओपनिंग वक्ता होता है वह आखिर तक बैठता भी है और सबकी सुनता भी है, ऐसा मैंने सुना है. यह सही है कि गलत है, मैं समझता हूं कि सीनियर, सदन समझेंगे. उनको जाना है, आप एक मिनट धैर्य रखो. आपने मेहफिल लूट ली आप बैठो तो सही, क्या हो गया? आपने यह कहा कि मय दस्तावेज मैं बात करता हूं. एक एक आंकड़ें मेरे पास हैं. इन्होंने जो आंकड़ा दिया घर की मरम्मत साज-सज्जा और रख-रखाव का, वह 38 करोड़ रुपये. आप बैठें जरा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - 38 ही है.
श्री जितू पटवारी - यह 10 प्रतिशत सही था और 90 प्रतिशत असत्य था, यानि आपने जितना भाषण दिया वह 90 प्रतिशत असत्य दिया. यह आपसे अपेक्षा नहीं थी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -एक-एक विभाग का आंकड़ा है हमारे पास, यह देखो ऊर्जा का, हाउसिंग का सारे आंकड़े हैं. आपके विभाग ने कितना खर्चा किया है, यह भी मेरे पास में है. मंत्रियों के विभागों ने जो किया है वह भी है.
श्री जितू पटवारी - आप धैर्य रखो, आपने मेहफिल लूट ली. यह मैं हिसाब लाया हूं, इसे पटल पर रखूं? उपाध्यक्ष महोदय, क्या यह पटल पर रखूं?
उपाध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी आप अपनी बात पूरी कीजिए. (व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र -- मंत्री जी आप पटल पर रख दें हम यहां पर एक एक चीज का हिसाब देंगे...(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी -- पूरी जांच होगी और जेल जाना पड़ेगा..(व्यवधान).. कितने दिन आप बाहर घूम रहे हैं, देखते हैं..(व्यवधान).. आपको अब कोई नहीं बचा सकता है यह कमलनाथ की सरकार है..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदय मेरा व्यवस्था का प्रश्न है...(व्यवधान).
उपाध्यक्ष महोदया -- विपक्ष के नेता खड़े हैं आप सभी कृपया बैठ जायें..(व्यवधान)..
डॉ नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदया यह मंत्रियों की स्थिति है इनके पास में आंकड़े नहीं हैं. यह मेरे ही कागज से बोल रहे हैं...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया -- जितू पटवारी जी आपको बहुत समय मिला है अब आप बैठ जायें...(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदया माननीय मंत्री जितू पटवारी जी ने अभी जिस बात का उल्लेख किया है. इस पर मैं व्यवस्था चाहता हूं कि वह किस नियम में बोल रहे थे. क्या आप शासन की तरफ से भाषण दे रहे हैं, क्या आप उत्तर दे रहे हैं. मैं आपसे जानना चाहता हूं कि यह इस तरह से बीच में इंट्रप्ट करना ठीक नहीं है.आपके जो भी वक्ता हैं उनको बोलने दें. आप इस तरह से जद्दोजहद कर रहे हैं मैं यह मानकर चलता हूं कि आप मामले को डायलूट करने की कोशिश कर रहे हैं.( श्री जितू पटवारी जी के कुछ कहने पर ) यह तो कव्वाली जैसा मुकाबला हो गया है, इससे क्या होना है, यह ठीक बात नहीं है.
श्री राजवर्द्धन सिंह दत्तीगांव (बदनावर )-- उपाध्यक्ष महोदय यहां से नरोत्तम मिश्र जी तो चले गये हैं उनकी तारीफ तो करना पडेगी. क्या लच्छेदार भाषण, क्या अंदाजे बयां, क्या गालों की सुरखी लेकिन उपाध्याक्ष महोदय पूरा सदन सुन रहा है, इरादे अभी जाहिर होंगे सुनिये, पता लगेगा, गर्मी भी आयेगी, ठंडक भी पहुंचेगी, दिल को सुकून भी मिलेगा. अब यह नजर नजर की बात है, नजर नजर का फासला, तेरी नजर भी देख ली, मेरी नजर भी है गवाह. मैं यह इसलिए कह रहा हूं कि विचारधारा भिन्न हो सकती है, और है. संविधान अधिकार देता है इतनी जद्दोजहद हो रही थी. यह जो प्रोपेगंडा भ्रमजाल मर्गतृष्णा, इनमें डॉक्टरेट हासिल है हमारे डॉक्टर साहब को , वह पधार गये हैं.उनके इस पूरे मामले से हमारे यहां के एक इरशाद जी हैं बहुत वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हैं, इनके शासन काल का मुझे एक वाक्या बताया था और उस समय इसलिए कि मेरे क्षेत्र में हिन्दू मुस्लिम दंगे हो गये थे, बिना कारण एक त्यौहार था एक समुदाय अपना त्यौहार मना रहा था दूसरे उनको कुछ कार्यकर्ता थे उन्होंने जानबूझकर प्री प्लानिंग करके ऐसा रूट बनाया कि वह यात्रा उसी मोहल्ले से उसी समय, उसी दिन निकले और कुछ न कुछ छेड़खानी हुई कुछ उपद्रव हुआ. वहां पर धारा 144 लगी और वहां पर एक निर्दोष व्यक्ति की हत्या हो गई, जो एक समुदाय का था लेकिन सबसे उसके संबंध थे, जब मैं वहां पर गया और उसके घर में कदम रखा तो आज भी मुझे याद है खून भरा हुआ था. इरशाद साहब ने उस समय मुझे कहा था कि उनको इनके एक नेता मिले और उनसे कहने लगे कि काम मुझसे कुछ भी करा लीजिये थाने का यह भी जरिया है एक पैसा कमाने का आपकी दुआं से अब तो नेता हूं पहले काम किया करता था मुर्गियां चुराने का. यह आम बात थी इनके शासन काल की यह उद्योग रचा था इन्होंने, मेरी बात पर विश्वास नहीं हो सदन को तो आज से उस दिन पर जायें जब उस दिन उनकी सरकार नहीं थी और आज जब इनकी सरकार फिर नहीं है, उस वक्त उस बूथ के कार्यकर्ता की क्या आर्थिक स्थिति थी और आज उसकी क्या आर्थिक स्थिति है न सिर्फ उसकी, धरा से लेकर शीश तक कितना जनता का धन इन्होंने लूटा है, करवा लीजिए जांच, मैं दावे के साथ कहता हूं अगर मैं गलत साबित हो जाऊ तो मेरा इस्तीफा आज मंजूर कर लीजिए और क्या रहा इनके शासनकाल में, मेरे अग्रज विराजमान है विजय शाही जी बहुत ध्यान से देख रहे हैं, मेरे पिताजी के साथ भी विधायक थे. आपको पता है कि मांस व्यापार बढ़ा इनके शासनकाल में. अरे, मुस्लिम जन्नत को जायें, हिन्दु जायें स्वर्ग में. उपाध्यक्ष जी, बताइये कि जानवर मरे तो कहां जायें. गौवंश की चिंता नहीं. क्या गौवंश के प्रति यही प्रतिबद्धता है हमारी. क्या आपने, आपकी तमाम सरकारों के दौरान एक भी ऐसा मुख्यमंत्री था, जिसने गौशालाओं की चिंता की. की हो तो बताइये. क्या आपने गौवध प्रतिबंधित किया इस मध्यप्रदेश में. किया तो बता दीजिये. प्रथम गौ सेवा आयोग दिग्विजय सिंह जी ने बनवाया था. नरोत्तम जी जिस तकिये की बात कर रहे थे, हमारे अग्रज नरोत्तम जी पधार गये. उनकी नीति साफ थी, नीयत साफ थी. जो कहा, वह किया. खैर, मैं वापस उस पर आऊंगा, पहले मैं बजट के कुछ आंकड़े बता दूं. वह मैं नहीं बताऊंगा, मैं तो हमारे सदन के सभी साथियों से कहूंगा कि आंखें हों, तो देख लो, जनता क्या कह रही है और जनता जो कहती है, वह परिलक्षित किस माध्यम से होता है मीडिया के साथी बैठे हैं. तमाम अखबार आपने पढ़े ही होंगे. टाइम्स ऑफ इंडिया Nath Govt. Budget for all, in tune with poll promises. 66% spike in Farm Funds, 43 % in Social Welfare. मैं नहीं कह रहा हूं, इस देश का प्रख्यात, विख्यात विश्वसनीय अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया कह रहा है. और बाकी क्या कह रहे हैं. जनता कह रही है इनके माध्यम से, बाकी कही रहे हैं कि 2,33,605 करोड़ रुपये का बजट पेश. दो बड़ी बातें. कोई नया टैक्स नहीं. ( सत्तपक्ष की तरफ से मैजों की थपथपाहट) जनहित की योजनाओं का बजट. 11 से लेकर 40 फीसदी तक बढ़ा. और क्या कह रहे हैं. किसानों के लिये खुली मुट्ठी. ढाई गुना बढ़ा बजट, ढाई गुना. बजट की कॉपी है सभी माननीय सदस्यों के पास, पढ़ लीजिये. नरोत्तम जी ने शायद पढ़ी नहीं होगी. मोहनी तो है उनके पास, माधुरी मुस्कान भी है, माता पिता जी ने उनका नाम नरों में उत्तम रखा है, तो वे कला में पारंगत हैं. लेकिन आंकड़े मेरे मित्रों असत्य नहीं बोल रहे हैं, स्पष्ट हैं और यह जनता की आवाज जो अखबारों के माध्यम से आ रही है और क्या कह रहे हैं, 9728 करोड़ रुपये कृषि बजट था पिछले साल, इस बार 22 हजार करोड़ रुपये है. उनको यह तो याद रह गया कि 71 किसानों की आत्महत्या हुई, उनको यह याद नहीं रहा, उनके शासन में जो 20 हजार किसानों ने आत्महत्या की, जिनकी जान की बोली मंसदौर में लगा गई. और तो और वे एक बात और बड़े दावे के साथ ताल ठोक कर कह गये कि क्या कर रहे थे, 7 महीने में कार्यवाही क्यों नहीं की. व्यापम पर, ई टेण्डर पर उस पर भी आऊंगा. लेकिन मैं सदन के माध्यम से आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या मंदसौर में वे 6 किसान हार्ट अटैक से मरे. क्या आपने आज तक कोई जांच आयोग बिठाया. एक एक आदमी आप मध्यप्रदेश में आप बता दें, जिस पर 302 लगाकर दोषी पाया उनकी हत्या का. नाम है, बताइये. मेरे संज्ञान में नहीं है. मुझे उड़ती उड़ती खबर लगी थी, एक दिन मैं भी मंदसौर गया था, इस चुनाव से पहले और उस दिन धरने पर थे भाई लोग सब साथ में, मैंने पूछा कि ऐसा क्या हुआ भाई, उन्होंने मुझे भी बिठा दिया. तो उन्होंने कहा कि हमें पता लगा है कि तब की सरकार ने सब को क्लीन चिट दे दी थी. यानी कि वह दोषी ही नहीं. अब आप बताइये, इस बारे में वह क्या समझते हैं, क्या चाहते हैं, क्या कहते हैं, लेकिन मेरा सदन में अनुरोध है कि उन 6 किसानों की हत्या का दोषी जो भी हो, उस पर 302 लगाई जाये, सजा दी जाये, तभी उनकी आत्मा को शांति मिलेगी, इस मध्यप्रदेश के किसानों को शांति मिलेगी. तो 71 किसान दिखे, 20 हजार नहीं दिखे. 6 किसानों को मुआवजे में एक करोड़ दे गये मुख्यमंत्री जी, बाकी किसानों को कितने दिये तत्कालीन सरकार ने, जिन्होंने आत्महत्या की. केवल उन 6 किसानों को दिए क्योंकि उस वक्त वह मुद्दा बन रहा था, चुप कराना था. दे आए. नीति नीयत की मैं बात कर रहा था तो मैंने आपसे साफ कहा है, हम और आप इस सदन में कुछ भी कहें, मीडिया है, जनता है, ये आंकड़े हैं, यह बजट है, यह इस सदन का रिकार्ड आदिकाल तक रहेगा. मैं असत्य नहीं बोल रहा हूँ, जो हमने बजट में बढ़ाकर पैसा दिया है, जो मीडिया ने उस बजट की पूरी रिपोर्टिंग की है, अक्षरश: सही है. मांगों पर चर्चा होगी, हमारे सभी साथी हैं, सभी को मौका मिलेगा. उपाध्यक्ष जी, मैं नेता प्रतिपक्ष की एक बात से जरूर सहमत हॅूं और मैं भी आपसे निवेदन करना चाहता हूँ, मैं तो गैप के बाद यहां पर आया हूँ, पिछला चुनाव मैं नहीं जीत पाया था, लेकिन यह सही परम्परा नहीं है कि कोई बोले तो बीच में कोई भी खड़ा हो जाए, चाहे वह कोई भी हो, पक्ष के हों या प्रतिपक्ष के हों, आपके और अध्यक्ष जी के होते हुए यह होता है तो थोड़ा सा दु:ख तो होता है. इसको जरूर आप सुधारें.
उपाध्यक्ष महोदया, बजट के मैं कुछ स्टेटिस्टिक्स दूंगा, मेरे बहुत से साथी और भी हैं. ओपनिंग मैं जरूर कर रहा हूँ, लेकिन खत्म हमारे वेटेरन फिनिशर हैं लक्ष्मण सिंह जी, वे अभी यहां नहीं हैं, उनको भी हम सुनेंगे. बड़े साफ तौर से हमने स्टेटिस्टिक्स दिए हैं. जो 2 लाख 33 हजार 605 करोड़ रुपये का बजट है, उसमें सभी वर्गों के लिए हमने प्रोविजंस रखे हैं. राजस्व आधिक्य इसमें करीब 632 करोड़ रुपये हमने दिया है और हमने यह भी बताया है कि जो हम अर्जित करेंगे, वह करीब 23.69 प्रतिशत आएगा, हमें प्राप्तियां होंगी. हमारे विपक्ष के भाई सकलेचा जी पता नहीं विराजमान है कि नहीं, मुझे विश्वास है कि वे इस बात को गौर से, माइक्रोस्कोप से देखकर पूछेंगे कि कहां से आप पैसा लाएंगे, पैसा कहां से आएगा. हमने अपने बजट के ब्रेक-अप में यह भी बताया है कि हम 2 जगह से विशेष तौर से इसको अर्जित करेंगे, राजस्व खनिज से आएगा, दूसरा राजस्व आबकारी से आएगा. तमाम दूसरी चीजें भी हमने बताईं. मैं सारे आंकड़ों को विस्तार से आपको समझाऊँ, बताऊँ, उससे पहले मैं दो-तीन बातें आपसे जरूर कहना चाहूँगा. जब हम इस बजट का अध्ययन कर रहे हैं तो मैं अपने सभी सम्मानित मित्रों से जो विपक्ष में विराजमान हैं, उनसे भी मैं निवेदन करूंगा कि आप इससे पिछले साल के बजट को भी देखें. उसको इस बजट से कम्पेयर करें. जब आप कम्पेयर करें तो आप यह भी देखें कि जब पूरे देश में पिछले वर्ष बजट पेश किया गया था और जब इस वर्ष बजट पेश किया गया है तो हमारे मध्यप्रदेश का बजट इस देश के दूसरे प्रदेशों के बजटों से तुलना में कहां है. आपको पता है पिछले वर्ष जब आप लोगों का बजट पेश हुआ था, माननीय जयंत मलैया जी इस सदन में नहीं हैं, बड़े विद्वान हैं. उसमें जो कोर की सेक्टर्स थे अधोसरंचना के, जिन पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना था, उनका बजट हमारे नेशनल दूसरे बजट्स के एवरेज में, उस सेक्टर का आपने आवंटन घटाया. हां, आपने कृषि में जरूर करीब 80 फीसदी बढ़ाकर दिया था, लेकिन उसके कारण थे क्योंकि चुनाव आ रहा था. इसलिए कि किसान आंदोलन हो गया था. किसान नाराज था तो आपने कहा कहीं न कहीं, किसी न किसी प्रकार से कुछ न कुछ जादू करके इसको वापस करेंगे, लेकिन वह तब तक बहुत दूर जा चुका था.
उपाध्यक्ष महोदया, अभी तमाम बातें हमारे मित्र श्री विजय शाह जी भी कह रहे थे पांसे जी से कि यह हुआ, वह चुनाव हारा. चुनाव हार जीत चलती रहती है, कभी कोई हारता है, कभी कोई जीतता है. कभी कोई आता है, कभी कोई जाता है. विषय वह नहीं है. विषय यह है कि जब आप और हम आज बजट पर चर्चा कर रहे हैं तो हम सिर्फ राजनीतिक बातें न करें, इसलिए मैं पिछले बजट का जिक्र करके इसको कम्पेरिजन कर रहा हूँ. इसको आप देखें, इसमें सभी फैक्ट्स हैं, हमारे विनियोग में हमने 20 फीसदी की वृद्धि की है, हमारे पूंजीगत व्यय में हमने 21 फीसदी की वृद्धि की है. किसान कल्याण के मामले में हमने 66 फीसदी की वृद्धि की है. नरोत्तम जी और बात कह रहे थे कि भाई वह तो करीब 40-50 करोड़ का मामला है, आपने तो 8 ही दिए हैं, नहीं, पहले 5 भी दिए थे, 5 और 8 हो गए 13, हां, मैं मानता हूँ फिर भी उसमें कमी है, लेकिन आप यह क्यों भूल जाते हैं कि 20, 22 हजार किसानों की आत्महत्या के बाद आपमें से किसी विद्वान सदस्य की इतनी हिम्मत नहीं हुई कि सदन में खड़े होकर अपने मुख्यमंत्री को कहता कि साहब, कर्ज माफी पर विचार करके आप ही घोषणा कर दीजिए (मेजों की थपथपाहट). वह पैसा किसी भ्रष्ट, बेईमान अधिकारी या नेता की जेब में नहीं जा रहा है. आप बताइये कि अगर हमने कर्जमाफी की घोषणा करने का साहस किया तो क्या हमने गलत किया. अगर 20-22 हजार किसानों की आत्महत्या के उपरांत हमारे राष्ट्रीय नेता ने यह तय किया कि राहत उनको मिलनी चाहिए तो क्या हमने गलत किया. आप जो सरकार छोड़कर गए थे 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपये के कर्ज में, उसके बावजूद हमने हिम्मत दिखाई इसको क्रियान्वित करने की. नरोत्तम जी कोई बंगले की बात कर रहे थे कि 40-50 करोड़ रुपये खर्च हो गए, अरे भाई, आपको पता है माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी ने तो नर्मदा परिक्रमा हेलीकॉप्टर से की, उसके तामझाम में ही 40-50 करोड़ रुपये खर्च हो गए. यदि मैं गलत हॅू् तो कोई मुझे करेक्ट कर दे. अगर मेरा आंकड़ा कहीं गलत है तो मेरे काबिल मित्र करेक्ट कर दें. तमाम भूतपूर्व मंत्रीगण यहां विराजमान हैं. माननीय रामपाल जी हैं शुक्ला जी हैं, डॉ. नरोत्तम जी चले गए हैं. माननीय विजय शाह जी बैठे हैं. अभी बैठिए, मजा आएगा. आप कहेंगे, हम सुनेंगे. हम कहेंगे, आप सुनेंगे. अगर इन चीजों में जाएंगे तो बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी. बाल की खाल निकालेंगे तो सर्जरी के मास्टर हमारे भी कई डॉक्टर्स विराजमान हैं. आपके डॉक्टर चले गए. ये सब फैक्ट्स और फिगर्स हमारे समक्ष हैं और दूसरे कुछ सेक्टर्स के फैक्ट्स और फिगर्स मैं आपको बता दूं. इंदिरा किसान ज्योति पंप में भी हमने करीब 7000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. गेहॅूं बोनस जो हम दे रहे हैं उस पर हमने बहुत स्पष्ट प्रावधान किया है. यहां तक कि जो आपके पुराने भावांतर के पेमेंट्स जो आप छोड़ गए थे, पेमेंट नहीं किया था, वह भी हम कर रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट) मेरे जिले की ही बात बता दूं. मेरे काबिल मित्र माननीय सिसौदिया जी पधारिए मेरे साथ, मिलिए उन 1700 किसानों से, वे आज भी विलाप कर रहे हैं. उनका पेमेंट आज तक नहीं हुआ...(व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- गेहूं का बोनस 265 की जगह 160 कर दिया. ...(व्यवधान)...
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह "दत्तीगांव" -- उसका कारण यह है कि आपके कुछ नेताओं ने भावांतर की कागज में खरीदी-बिक्री कर ली थी. प्याज खरीदा और कागज पे प्याज खरीदा और प्याज खरीदा तो खरीदा, उसको गाड़ने के भी पैसे लिए. (शेम-शेम) छोटा-मोटा प्याज घोटाला है. बाकी और बड़ें बहुत सारे घोटाले हैं तो ऐसी तमाम व्यवस्थाएं थीं और चल रही थीं और मेरे ख्याल से उसी कारण से यह हुआ है कि जनता ने निर्णय दिया. हां उसके पश्चात लोक सभा चुनाव भी हुए लेकिन वह केन्द्र सरकार का चुनाव था. हम जानते हैं.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ऐसे योग्य व्यक्ति को कांग्रेस ने मंत्री क्यों नहीं बनाया.
उपाध्यक्ष महोदय -- कृपया, आप बैठ जाएं.
श्री हरिशंकर खटीक -- इतने योग्य व्यक्ति को आपने मौका नहीं दिया...(व्यवधान)...
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह "दत्तीगांव" -- हमारे मतदाताओं के प्रति हम कर्तव्यबद्ध हैं हम उनकी सेवा करें. मंत्री बनें न बनें, क्या फर्क पड़ता है. हारे या जीतें क्या फर्क पड़ता है. हमने किसी उद्देश्य से कभी अपने जीवन में निर्णय लिया था कि हम जनसेवा करेंगे. क्या अब उसके लिए पद आवश्यक है. (मेजों की थपथपाहट) क्या मैं मंत्री बनूंगा तो ही काम कर सकता हॅूं. क्या मैं विधायक बनूंगा तो ही मैं काम कर सकता हॅूं.
श्री हरिशंकर खटीक -- हम ऐसी बात नहीं बोल रहे हैं. आप यह बात हृदय से नहीं बोल रहे हैं. ...(व्यवधान)...
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह "दत्तीगांव" -- शायद आप मुझे जानते नहीं हैं. ...(व्यवधान)...
जिसके साथ रहता हॅूं पूरी वफादारी से रहता हॅूं. जब तक रहता हॅूं पूरे दम से रहता हॅूं और जब जाता हॅूं तो हाथ जोड़कर निवेदन, धन्यवाद करके जाता हॅूं कोई एहसान बाकी नहीं रखता. तो आप मेरी चिन्ता न करें.
श्री विश्वास सारंग -- उपाध्यक्ष जी, इतना हैंडसम व्यक्ति तो मंत्रिमंडल में रहता है.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह "दत्तीगांव" -- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय विश्वास सारंग जी हमारे अनुज हैं.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) -- आपसे ज्यादा हैंडसम कोई नहीं है आप देखिए तो. (श्री विश्वास सारंग की ओर देखकर)
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह "दत्तीगांव" -- मैं सहानुभूति के लिए कृतज्ञ हॅूं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं कुछ और प्वाइंटेड बातें कर लूं. बोलने के लिए बहुत सारे लोग हैं. मैं अपने माननीय साथियों को कहना चाहता हूँ कि अगर हम राजकोषीय स्थिति पर एक नजर डालें तो केन्द्र परिवर्तित योजनाओं में केन्द्रांश की राशि पूर्व में 90 फीसदी तक हुआ करती थी और उसको घटाकर 50 या 60 फीसदी कर दिया गया तो यहां हमारे प्रतिपक्ष के सदस्य क्या इनका यह कर्तव्य नहीं बनता है कि मध्यप्रदेश के होने के नाते वे सब हमारे साथ केन्द्र की सरकार के पास जाएं और ये कहें कि हमारा हक हमें दीजिए. मैं तो तब मानूंगा इनका राष्ट्रप्रेम.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चूंकि इस बात को कहा गया है कि केन्द्र सरकार के पास जाकर एप्रोच करें. मैं बड़ी देर से सुन रहा था. मैं बीच में इन्ट्रेप्ट नहीं करना चाहता था. इस बजट का आकार बड़ा है. यह बजट 2 लाख 33 हजार 605 करोड़ रुपए का है. कागजी जो जमा खर्च है जब मैं इस बात को बोलूंगा तो इस बात को रखूंगा कि आपकी प्राप्तियां कितनी होती हैं कहां से होती हैं, क्या हैं. आपने कौन-सी जादू की छड़ी से सारा का सारा खाली खजाना भर लिया है. खाली खजाना हम भर लेंगे और किसानों को इतना दे देंगे, उस बारे में नहीं जाना चाहता. माननीय राजवर्द्धन सिंह जी कह रहे थे. 32 हजार करोड़ रुपया हमने किसानों के लिये पिछले साल बोनस में, भावांतर में, बिजली की सब्सिडी में, तमाम चीजों में दिया है इन दस्तावेजों में यह सारी बात हैं. जहां तक केन्द्र के पास जाने का सवाल है, केन्द्र के पास एक निश्चित फार्मूला रहता है. किसी भी पार्टी की सरकार हो, कोई भी सरकार हो, उसका एक निश्चित जनसंख्या के और राज्य के आकार के आधार पर उनकी राशि का आवंटन होता है. इसमें कहीं कोई कमी किसी राज्य में नहीं की जाती है. हमारे, आपके जाने से न वह राशि बढ़ेगी, कोई स्पेशल पैकेज कभी मिल जाये कभी किसी घटना के कारण से, तो ही संभव है और नहीं तो यह बात मैंने कई बार कही. सी.एम. साहब भी कह रहे थे 2,000 करोड़ से ज्यादा हमको कम मिला है, तो मैं यह कहना चाहता हूं कि इसके लिये कोई डिस्क्रिशनरी कुछ नहीं है, बल्कि सीधा-सीधा एक फार्मूला है. आप भी यह बात जानते हैं. अब बार-बार यह बात आप दोहरायेंगे तो मैं मानकर चलता है कि वाजि़ब नहीं होगी.
श्री चेतन्य कुमार काश्यप - उपाध्यक्ष महोदया, मैं राजवर्द्धन सिंह जी को कहना चाहूंगा कि मोदी सरकार ने जो राज्यांश को 32 परसेंट से 40 परसेंट किया है और वन क्षेत्र का साढ़े सात परसेंट लाभ मिला है.
श्री राजवर्द्धन सिंह प्रेम सिंह ''दत्तीगांव'' - उपाध्यक्ष महोदया, मेरा प्रतिपक्ष के नेता जी से निवेदन है कि माननीय को बोलने का समय दिया जाये. हमारे पड़ोस के सदस्य हैं और मेरे अच्छे मित्र भी हैं. इनका उद्योग व्यवसाय भी हमारे क्षेत्र में चलता है. हमें लाभ भी इनसे होता है. मेरा आपके माध्यम से आग्रह है कि माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी इनको बोलने का कुछ समय दें. लेकिन अभी बड़ी सारगर्भित बात नेता प्रतिपक्ष जी कह रहे थे. मैं सुन भी रहा था. मैं उनसे सीखता रहता हूं. मैं इनको किसी न किसी दृष्टिकोण से अपना प्रोफेसर भी मानता हूं, सभी के हैं. 8 बार जो व्यक्ति जीते उसका तो नमन ही करना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदया, लेकिन मुझे यह नहीं पता कि कब मध्यप्रदेश का आकार घटा. कब मध्यप्रदेश की आबादी घटी जो हमारा केन्द्रांश कम हो गया ? अनुपात, आपने बिलकुल सही फरमाया. हां, क्षेत्र से, आबादी से होना चाहिये, लेकिन क्या मध्यप्रदेश की आबादी घट गई हमारी सरकार बनने के बाद ? क्या मध्यप्रदेश का आकार घट गया हमारी सरकार बनने के बाद ? तो क्यों 90 फीसदी से 50-60 फीसदी कर दिया गया ? यह अर्थशास्त्री कौन हैं ? मैं उनसे मिलना जरूर चाहूंगा.
श्री गोपाल भार्गव - उपाध्यक्ष महोदया, जैसे जी.एस.टी. में कम कलेक्शन होता है. किसी दूसरी चीज में, इनकम टैक्स में कम होता है, कस्टम, एक्साइज़ ड्यूटी में कम होता है, तो स्वाभाविक रूप से राज्य का अंश कम होगा ही. मतलब आप कुछ भी कहेंगे ? सी.एम. साहब भी कहेंगे कि ढाई हजार करोड़ कम हो गया. मैं मानकर चलता हूं कि हमें थोड़ी सी बौद्धिक चर्चा करनी चाहिये. यदि आप कर रहे हैं, बहुत अच्छी चर्चा कर रहे हैं, तथ्यात्मक चर्चा कर रहे हैं, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि कुछ बातें ऐसी हैं जिनकी हमें जानबूझकर अनदेखी नहीं करनी चाहिये.
श्री राजवर्द्धन सिंह प्रेम सिंह ''दत्तीगांव'' - उपाध्यक्ष महोदया, मेरे ख्याल से मेरे सभी विद्वान मित्र जानते हैं कि मेरे बोलने की मंशा क्या है. मैं एक बहुत सरल तरीके से इनको समझा देता हूं. शायद आंकड़ों में कहीं पेचीदगी समझ में आई होगी. मेरा सदन में कहने का उद्देश्य यह है कि मध्यप्रदेश को प्राथमिकता मानते हुये हमारे सभी मित्रों को जाकर अधिक से अधिक राशि मध्यप्रदेश के लिये लानी चाहिये. मेरे ख्याल से इससे तो वह निश्चित तौर पर सहमत होंगे. उसमें कुछ गलत नहीं है क्योंकि यह फैक्ट आया, फिगर्स में है. टेक्निकल है इसलिये मैंने कहा है. मैंने अगर कुछ गलत कोड किया हो तो आप करेक्शन करवा सकते हैं. लेकिन इसके अलावा आप देखिये जो इन्होंने दूसरा प्वाइंट कहा कि गलत है, इतना कम हुआ, लेकिन आप देखें वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में राज्य के करों का हिस्सा 59,489 था और वापस अनुमानित किया गया पुनरीक्षित अनुमान में तो वह 57,486 जो आप अंतर कह रहे थे कि वह अंतर क्यों आया, जब हमने एस्टीमेटेड पहले लिया था, वह लिया था 63,750 और बाद में जब केन्द्र का बजट आया तो वह फिगर आया 61,073 और इसलिये जो फिगर आया है यह करीब 2,700 करोड़ का करीब 2,677 का वह इसलिये आया है गोपाल भार्गव जी और इसीलिये बार-बार इसका जिक्र हमारे माननीय वित्तमंत्री जी ने किया और हम भी कर रहे हैं. अगर आपको लगता है कि यह सही नहीं है, गलत है, तो आपके पास बहुत विशेषज्ञ हैं मेरे ख्याल से आप इसका परीक्षण करवा लें, पर मूलत: मेरे कहने की जो मंशा है और जो प्रदेश के नागरिकों के हित में है, वह यह है कि जो हमारा हक है, जो अधिकार है मध्यप्रदेश की जनता का है, वह उसे मिलना चाहिये और वह राजनैतिक भेंट या बलि न चढ़े. यह हम सब मिलकर सुनिश्चित करें. यह हमारा कर्तव्य भी है.
उपाध्यक्ष महोदया, अब जी.डी.पी. की बात तमाम समय होती रहती है और जी.डी.पी. की चर्चा जब होती है तो, अगर इस बार भी आप जी.एस.डी.पी. को ठीक से देखेंगे तो इसमें भी 14.2 फीसदी का इजाफा है. अगर इसको पिछली बार से आप इंडेक्स को चेक करें. जो कुछ हाई लाइट्स हैं, जो अच्छी चीजें, हमारे बजट में हैं, उनकी आपको भी सराहना करनी चाहिए. जो नदियों के पुनरर्क्षण का काम है, जो उनको फिर से जिन्दा करने का काम है, उसको प्राथमिकता पर हमारे मुख्यमंत्री जी ने लिया है और एक बहुत ही अनुकरणीय पहल जो उन्होंने की है और मेरे दिल के बहुत करीब है, “राइट टू वॉटर” आज तक इस देश में किसी भी सरकार ने “राइट टू वॉटर” की बात नहीं की, अब आप कहेंगे कैसे होगा, क्या होगा, क्यों होगा, कहाँ से आएगा, पैसा नहीं है. बात उन सब चीजों की नहीं है. जहाँ इच्छा शक्ति दृढ़ होती है और संकल्प होता है, वहाँ सब संभव है. भागीरथ ने गंगा लाई. कमलनाथ जी “राइट टू वॉटर” लाए हैं. मैं उनकी सराहना करता हूँ. सदन से निवेदन करता हूँ कि करतल ध्वनि से इस बात का स्वागत किया जाए. (मेजों की थपथपाहट) कम से कम बहस तो छिड़ी. राष्ट्र की व्यवस्था में ऐसा कहा जाता है कि अगर थर्ड वर्ल्ड वॉर होगा तो किस चीज पर होगा? अधिकांशतः तो हम यही सुनते आए हैं आमतौर पर गाँवों से लेकर शहरों में जो विवाद होते हैं वे तीन ही चीजों पर होते हैं, ज़र, जोरू और जमीन. लेकिन अब जो भयावह परिस्थिति हमारे देश में, राज्य में और हमारे गाँव में बनी हुई है, उसके लिए हम कहीं न कहीं जिम्मेदार तो हैं. पर अगर उन्होंने “राइट टू वॉटर” की बात की है तो मेरे ख्याल से समूचे सदन को उसका समर्थन करना चाहिए. बहुत अनुकरणीय पहल है. (मेजों की थपथपाहट) आज चर्चा तो छिड़ी, आज बात तो हुई, एक प्रयास तो है, एक उम्मीद तो बंधी, कम से कम हम आने वाली पीढ़ी को यह तो कह पाएँगे कि हाँ भाई हमने कुछ प्रयास किया था और उसके तहत आपको आज पानी मिल रहा है और स्वास्थ्य का अधिकार, कितनी बड़ी बात है. ऐसा नहीं कि इससे पहले हमने नहीं दिया. हमने आपको रोजगार गारंटी अधिनियम दिया. हमने आपको राइट टू एजुकेशन दिया. हमने वन अधिकार अधिनियम दिया. हमने राइट टू इन्फर्मेशन दिया. हमने खाद्यान्न सुरक्षा अधिनियम दिया और दो कदम आगे बढ़कर कमलनाथ जी की सरकार ने आपको दो चीजें और अगर मध्यप्रदेश को दी हैं तो मेरे ख्याल से पूरे सदन को उसका स्वागत करना चाहिए क्योंकि “राइट टू वॉटर” बहुत बड़ा कदम है. स्वास्थ्य का अधिकार बहुत बड़ा कदम है और मैं समझता हूँ कि इसमें न तो किसी को दिक्कत होगी न किसी को आपत्ति होगी.
श्री नागेन्द्र सिंह(नागौद)-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं एक मिनट इंट्रप्ट करना चाहूँगा.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव-- उपाध्यक्ष महोदया अनुमति दे दें तो...
उपाध्यक्ष महोदया-- उनका कंप्लीट हो जाने दीजिए.
श्री नागेन्द्र सिंह(नागौद)-- उपाध्यक्ष जी, राइट टू वॉटर सही शब्द नहीं है वॉटर यूटिलाइजेशन पॉलिसी होना चाहिए. इट इज एन इनकंप्लीट असेसमेंट है जो आप कर रहे हैं.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव-- नागेन्द्र सिंह जी मेरे बहुत वरिष्ठ हैं. मेरे पितृ पुरुष भी हैं, मैं इनका बहुत आदर करता हूँ. लेकिन मेरा जो कथन था, अगर आप वापिस से रिमाइण्ड करके अपने मानस में उस शब्द तक पहुँचें जो मैंने पहले कहा. बात यह है कि आपने एक संकल्प लिया. बात यह नहीं है कि यज्ञ हो रहा है तो पंडित जी को आप एक रुपया दे रहे हैं, एक हजार दे रहे हैं. बात यह है कि आप हाथ में संकल्प ले रहे हैं, सुपारी छोड़ रहे हैं, जल छोड़ रहे हैं. (मेजों की थपथपाहट) आप एक उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्धता दर्शा रहे हैं और जब आप प्रतिबद्धता दर्शा रहे हैं, आपके कदम आगे बढ़ा रहे हैं....
श्री विष्णु खत्री-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं यह कहना चाहता हूँ कि....
उपाध्यक्ष महोदया-- उनकी बात कंप्लीट हो जाने दीजिए.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव-- यह काम आज से 6 महीने पहले भी तो हो सकता था.
श्री विष्णु खत्री-- हुआ है. उपाध्यक्ष महोदया, इस प्रदेश के अन्दर हुआ है. यदि सिंहस्थ के अन्दर संकल्प की बात आती है, जल प्रबंधन की बात आ रही है....
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं आप से निवेदन करूँगा कि क्या आप माननीय सदस्य को अनुमति दे रही हैं?
उपाध्यक्ष महोदया-- आप अपनी बात जारी रखिए. खत्री जी, आपको जब अवसर मिलेगा तब बोलिएगा कृपया बैठ जाएँ. ..(व्यवधान)..
श्री विष्णु खत्री-- उपाध्यक्ष महोदया, यदि प्रदेश में जल प्रबंधन की बात आ रही है तो सिंहस्थ के अन्दर क्षिप्रा जी में माँ नर्मदा का जल पहुँचा कर इस प्रदेश के पूर्व मुखिया ने.... ..(व्यवधान)..
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव-- उपाध्यक्ष महोदया, अब इन्होंने माँ नर्मदा जी पर बात कर ही दी है तो मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ कि नर्मदा जी की क्या स्थिति है, आप हमारे क्षेत्र में आकर देखते, बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे नर्मदा बेसिन में. पानी की एक बून्द नहीं बची थी. आपके मित्र लोग सारी रेत खींच कर ले गए. इन लोगों ने यह हालत की थी माँ नर्मदा की और नर्मदा जी की बात आप पर सदस्य सुनना चाहते हैं तो मैं ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- विष्णु जी और महेश जी कृपया बैठ जाइये. राजवर्धन जी, आप अपनी बात पूरी करिए.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव-- उपाध्यक्ष महोदया, मैं माननीय सदस्य से निवेदन करना चाहता हूँ कि एक बार नर्मदा यात्रा सब मिलकर कर लें तो धरातल पर पता लग जाएगा. (मेजों की थपथपाहट) इनके नेता ने तो हेलिकॉप्टर से की हमारे नेता ने तो पैर पैर की. पग, पग, डग, डग, (मेजों की थपथपाहट) 72 साल की उम्र में इनके नेता पाँव पाँव वाले भैय्या कहलाते थे, बनकर उड़न खटौले वाले भैय्या. (XXX) मुद्दा यह है...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदया-- (इशारे से) विलोपित करें.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगाँव-- भाव नहीं तो जीवन क्या. जीवन का भाव क्या.
श्री गिरीश गौतम--नर्मदा परिक्रमा की गई परन्तु नर्मदा जी ने भाव नहीं दिया. (व्यवधान)
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव--वे स्वयं जाने खुद के मन की कि कैसे सोए कैसे उठे, मुंह देखा तो क्या महसूस किया. हम तो भाव प्रधान देश के भाव प्रधान भावुक नागरिक हैं ऐसे ही जिए और ऐसे ही मरेंगे. आपत्ति जिसको हो वह उसका हक है. खैर, मुद्दा यह है कि हम बजट पर चर्चा कर रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--वे नाराज हो जाएंगे.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव--नाराज होकर क्या करेंगे. ईश्वर प्रसन्न हो तो सब खुश. मालिक का मालिक कौन ?
कुंवर विजय शाह--अभी मालूम पड़ा कि आपका भाषण इतना अच्छा क्यों है, अभी सिंधिया जी यही हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय--भाव तो कभी दूर नहीं होता है.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव--मेरे संबंध सभी से इतने ही अच्छे हैं, कमलनाथ जी का मुझे संरक्षण है. शायद आप यह नहीं जानते हैं कि अर्जुन सिंह जी ने मेरा पहला विधान सभा का टिकट दिलवाया था, यह मैं सदन में कह रहा हूँ. मेरा पहला टिकट अर्जुन सिंह जी ने करवाया था, सिंधिया जी ने नहीं करवाया था. आप भ्रमित हैं. मैं बजट की चर्चा पर वापिस आता हूँ. आप इस बात की प्रशंसा कीजिए कि हमने वाटर सप्लाई सेनिटेशन में पिछली बार से 28 फीसदी बजट बढ़ाया है, यह कोर सेक्टर है. अभी पॉवर सेक्टर की बात नरोत्तम मिश्र जी कर रहे थे वे कह रहे थे कि पहले बिजली रहती थी अब यह कहां चली जाती है, कैसे चली जाती है. इसका कारण टेक्निकल है. इतने वर्षों तक केन्द्र सरकार ने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी बड़ी योजना से पूरा इन्फास्ट्रक्चर इस प्रदेश का मजबूत किया, बहुत पैसा दिया. यह योजना पूरे देश में थी. पूरे प्रदेश का इन्फास्ट्रक्चर मजबूत किया लेकिन टेंडरिंग आदि की प्रक्रिया यहां से हुई, कांट्रेक्ट यहां से हुए. पिछले इतने वर्षों में मेंटेनेंस की क्या स्थिति रही, पॉवर प्लांट्स की क्या स्थिति रही. थर्मल प्रोजेक्ट्स की क्या स्थिति रही, इरीगेशन प्रोजेक्ट्स की क्या स्थिति रही. कितना निवेश, कितना ध्यान आपने इनके मेंटेनेंस पर दिया, कितना इनको चलाया. जब रेस्ट देना था तो नहीं दिया. जैसे आप शरीर का भी ध्यान नहीं रखेंगे तो बीमार पड़ जाएंगे और आईसीयू में भर्ती होना पड़ेगा. यह तो मशीन है मेंटेनेंस मांगती है उसके रखरखाव की जरुरत है वह नहीं होगा तो अपने आप यह परिस्थिति बनेगी. आप अपनी जवाबदारी से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं कि आपको जितना मेंटेनेंस करना चाहिए था वह आपने नहीं किया. जिस क्वालिटी का स्ट्रक्चर होना था वह नहीं था. इसके बाद भी हम कोशिश कर रहे हैं कि किसानों और आमजन को विद्युत प्रदाय करें और उसके तहत आप बजट में देख रहे हैं कि 30 फीसदी एलोकेशन बढ़ाया गया है. यह हमारे संकल्प को परिलक्षित करता है. इनको आप झुठला नहीं सकते हैं. हेल्थ और फेमिली में 35 प्रतिशत बढ़ाया गया है. सोशल वेलफेयर में 25 प्रतिशत बढ़ाया गया है. ट्रांसपोर्ट में सहूलियत हो इसके लिए हमने ग्रामीण सड़कों की प्लानिंग करके फिर बजट बढ़ाकर दिया है. यह चीजें मैं इसलिए बता रहा हूँ कि यह इस बजट में हकीकत है. विपक्ष के सभी साथी इस बजट को पढ़ेंगे और जब वे इस बजट की आलोचना करने लगें तो मेरा उनसे एक निवेदन है कि आप पिछले साल का बजट भी साथ में रख लेना जो आपके वित्त मंत्री ने प्रस्तुत किया था और आप इन दोनों को एक बार कम्पेयर जरुर करना. आप यह भी देखना कि आपने चुनावी वर्ष में जो बजट पेश किया था उसमें आपने क्या प्रावधान रखे थे. आपने कितना एलोकेशन किसको दिया था, आपकी क्या प्राथमिकताएं थीं और प्राथमिकता के बाद आपका क्रियान्वयन कैसा था वह धरातल पर पहुंचा या नहीं. अभी कहा जा रहा था कि हमारा बजट धरातल पर नहीं पहुंच रहा है. रोज सुबह आइना देख लेना चाहिए. पिछले बजट में सर्विस सेक्टर का क्या हुआ था, 12 प्रतिशत का डिप्रेशन. जिससे एक बजट लॉस जुड़ा रहता है इसके बारे में कोई कुछ नहीं कहेगा. क्या आपको पता है कि आपकी डेड सर्विसिंग क्या थी 186 लाख रुपए के बजट के अन्दर 25 हजार करोड़ रुपए था. क्या आप बोझ छोड़कर नहीं गए हैं. उस वक्त कितना था, आज कितना है. क्या इस सब की जवाबदारी आप नहीं लेना चाहेंगे. जल की बात पर अभी एक विधायक थोड़े से भावुक हो गए और बोले कि हमने भी इस क्षेत्र में बहुत काम किया था. एक यथार्थ मैं सदन में रखना चाहता हूँ. शहरों की आप बात कर रहे हैं आपको पता है पानी एक संवैधानिक अधिकार है. अगर आज पाकिस्तान से भी कोई आ जाए और वह प्यासा मर रहा हो तो यह हमारे देश की सभ्यता है कि हम उसको पानी जरूर पिलाएंगे. आपको पता है कि आपकी सरकारों ने क्या किया था. पानी को कमर्शियालाइज़ कर दिया था, कॉलोनाईजर्स के ऊपर डाल दिया था, अपनी जवाबदारी से मुंह मोड़ लिया था. बल्क में वॉटर परचेसिंग हो रही थी. रिकार्ड उठाकर देखिए, आंकड़े उठाकर देखिए कि उस वक्त नाना जी, क्या कर रहे थे उस वक्त मामा जी क्या कर रहे थे? ठेकेदारों को क्यों अधिकार दे दिया गया? नागरिकता संवैधानिक अधिकार है. पानी की जवाबदारी सरकार की है किसी पब्लिक कॉन्ट्रैक्टर की नहीं है, किसी प्राईवेट ऑपरेटर की नहीं है. सरकार उससे मुंह कैसे मोड़ सकती है. अब इस गंभीर तथ्य को जानने के बाद मुझे नहीं पता कि आप इसके बारे में क्या कहेंगे बल्क परचेसिंग, बल्क बाइंग कमर्शियलाईज़ तरीके से पानी का लेन-देन चालू हो गया था. स्मार्ट सिटी में वायफाय चले न चले आपको इसकी ज्यादा चिंता थी, इस बात की चिंता नहीं थी कि बडे़ शहरों में पानी मिल रहा है कि नहीं मिल रहा है. कैसे हम पानी की सप्लाई को कमर्शियलाईज़ कर सकते हैं और आज जब मैंने राईट टू वॉटर की बात की, माननीय कमलनाथ जी बात कर रहे हैं तो उस पर हमारे कुछ सदस्यों को इस बात पर आपत्ति है कि ऐसा क्यों है, क्या हो रहा है, क्यों हो रहा है. विभागों के कोर सेक्टर मैंने आपको बता दिए हैं. लोक स्वास्थ्य विभाग, कृषि विभाग, ऊर्जा विभाग और एक बात जरूर मैं अंत में बताना चाहूंगा क्योंकि नरोत्तम जी कह गए. मैं कहता नहीं हूं लेकिन अब उन्होंने सिलसिला छेड़ ही दिया है और कमलनाथ सरकार को चुनौती दे ही दी है कि आप सात महीने से बैठे हैं आप क्या कर रहे हैं? मैं आपको यह कहने से पहले उपाध्यक्ष महोदया ,आपसे यह आश्वासन लेते हुए कहना चाहता हूं कि जो तथ्य मैं सदन में रखूंगा मुझे विश्वास है कि उनकी जांच सुनिश्चित होगी और अंतिम छोर तक आप उसमें कार्यवाही करेंगे तब तक जब तक उसमें जो असली गुनहगार है वह जेल के पीछे न हो. मेरे साथी बडे़ बैचेन होंगे. लुका-छुपी फिर चालू हो जाएगी. किसी को कुछ कहने को होगा, किसी को कुछ कहने को होगा कोई कहेगा--
''दिल जलाने की बात करते हो
लुटे हुए आशियाने की बात करते हो''
''गुजरा जमाना जो बीत गया
उसकी बात करते हो''
हमारे मित्र विजय शाह जी मुझे गौर से देखते हुए मंद-मंद मुस्करा रहे हैं, लेकिन बात तो करनी पड़ेगी जो कुपोषण आप जिस स्थिति में छोड़ गए हैं और काम क्या किया ''न भूतो न भविष्यति'' यह ऐसा काम कर गए हैं. आज तक मध्यप्रदेश में नहीं हुआ वैसा काम कर गए हैं. कुपोषण में नंबर एक, बलात्कार में नंबर एक, अत्याचार में नंबर एक, कुशासन में नंबर एक, भ्रष्टाचार के नए आयाम रचे गए और यह सब क्यों हुआ क्योंकि पांच, सात अधिकारी मध्यप्रदेश को चला रहे थे. जब जीरो गर्वनेंस नेता जी का नियंत्रण ही नहीं था कभी-कभी ऐसा लग रहा था कि कोई इतना मेहनती, इतना जमीन से जुड़ा व्यक्ति कठपुतली बनकर कैसे रह सकता है. दुख भी होता था, लेकिन यर्थाथ आज उन अधिकारियों ने जब सरकार चलाई यह जो बदहाली आप देख रहे हैं यह इसका नतीजा था अब हुआ क्या. पहले तो यह सत्ता की वजह से पर्दानशी थे, सत्ता का पर्दा था और जब मतदान से सरकार बदली तो आप बेपरदा हो गए हैं. जो बैचेनी है वह इसलिए है कि क्या होगा, कब होगा, कब हो जाए. आप देखिए रिकार्ड उठाकर लोकायुक्त के छापे कितने अधिकारियों पर कब-कब पड़े और उन छापों के पड़ने के बाद कितने अधिकारियों पर कार्यवाही हुई और कितनों पर नहीं हुई और नहीं हुई तो क्यों नहीं हुई? चालान पेश क्यों नहीं हुए? सक्षमता का संदेह नहीं है. यह सब जो बिंदु मैं कह रहा हूं
श्री विश्वास सारंग-- सभी तरह के जितने भी छापे पडे़ हैं उनका जिक्र कर दे.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव-- मेरे काबिल मित्र विश्वास सारंग जी ने कहा है, जिक्र कर दें तो मैं अगले सत्र में एक प्रश्न डाल दूंगा. मैं उपाध्यक्ष महोदया से निवेदन करूंगा संरक्षण देकर आप उसका सही जवाब दिलवाइएगा. क्योंकि सदन में इसमें आम सहमति बन गई है कि यह मध्यप्रदेश की जनता को बताया जाए. अगले सत्र में मेरा प्रश्न लीजिएगा कि मध्यप्रदेश में वर्ष 2004 से लेकर जब तक इनका शासन था कितने और कहां-कहां लोकायुक्त के छापे डाले गए, उन पर क्या कार्यवाही की गई? न की गई तो क्यों न की गई? उन पर चालान प्रस्तुत क्यों न हुए?
अब चाहे उसमें मंत्री हों, आई.ए.एस. अधिकारी हों, तहसीलदार हों, एस.डी.एम हों, कोई भी हो. सारंग जी, आपकी ऐसी बहुत इच्छा है कि ऐसा किया जाए इसलिए ऐसा किया जायेगा.
श्री विश्वास सारंग- मेरी इच्छा यह है कि अभी इस सरकार के समय जो आयकर के छापे पड़े हैं उसका भी जिक्र आप कर दें और मेरी इच्छा का परिपालन कर दें.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं कहना चाहूंगा कि
कर हकीकत बयां कि तेरे इरादे बुलंद हैं
न रूक, न डर और न ही झुक
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- एक ओ.एस.डी. ही काफी है. 2 अरब 81 करोड़ रूपये.
(...व्यवधान...)
उपाध्यक्ष महोदय- विश्वास जी, यशपाल जी आप कृपया बैठ जायें. राजवर्धन जी कृपया आप अपनी बात समाप्त करें.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारे विपक्ष के मित्र कितने व्याकुल हो जाते हैं. उनसे रहा नहीं जा रहा है. 7 माह में ही छटपटा रहे हैं. सरकार-सत्ता, सरकार-सत्ता. (मेजों की थपथपाहट)
क्यों भाई हम भी तो 15 साल सड़कों पर रहे. आपको क्या दिक्कत है.
श्री विश्वास सारंग- आप तो अभी-भी वहीं हैं. आपको गलतफहमी है. सत्ता का सुख ये लोग भोग रहे हैं.(माननीय मंत्रियों के आसन की ओर इशारा करते हुए) आपकी तरफ वाले तो अभी-भी वहीं हैं.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- विश्वास सांरग जी, आप शायद जानते नहीं है कि हमने तो आज से कई सालों पहले ही हमारा सब कुछ दे दिया था. सन् 1857 के गदर में हमारे परिवार के लोग फांसी पर चढ़ गए थे. हमें सत्ता का लोभ-लालच नहीं है. (मेजों की थपथपाहट)
इस देश को हमने अपने खून से सींचा है. आप हमसे सत्ता की बात कर रहे हैं?
श्री हरिशंकर खटीक- तभी तो आपका नंबर नहीं आ रहा है. ईमानदारी की यही सजा है.
(...व्यवधान...)
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- हमें इसका कोई गम-गिला नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदया- राजवर्धन जी, आप अपनी बात पूरी करें. बाकी सदस्यों का कुछ नहीं लिखा जायेगा. केवल राजवर्धन जी का लिखा जायेगा.
श्री राकेश गिरि- XXX
श्री विश्वास सारंग- XXX
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, दिल्ली हमारे देश की राजधानी है. क्या दिल्ली जाना कोई अपराध है ? यह अलग बात है कि सारंग जी हमें अपने घर नहीं बुलाते तो हम क्या करें ? सारंग जी, आप हमारे घर आइये आपका स्वागत है. यह तो आपसी व्यवहार है और होना भी चाहिए. मैंने पूर्व में ही बता दिया है कि उड़नखटोले में 50 लाख रूपये खर्च किए गए हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, तब की और अब की सरकार में एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंतर है और वह अंतर यह है कि आवंटन पूर्व सरकार द्वारा भी किया जाता था लेकिन वह क्रियान्वित कहां होता था ? आप अपना पिछला बजट उठाकर देखिये कि कितनी-कितनी राशि, आपने प्रति बजट की, प्रति मांग की, वित्तीय वर्ष के अंत में लौटाई है. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, ये लोग पैसा खर्च ही नहीं कर पाते थे. कोर सेक्टर का पैसा वापस किया गया है लेकिन दोनों सरकारों में फर्क यह है कि हमारा मुख्यमंत्री स्वयं गवर्नेंस करता है और इनकी सरकार में अधिकारी सरकार चलाते थे. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इस अंतर के साथ ही हमारे मुख्यमंत्री जी के असीम अनुभव का लाभ निश्चित रूप से मध्यप्रदेश को मिलेगा. ये लोग सोच रहे हैं, और सोचते ही रह जायेंगे कि पैसा कैसे आयेगा, कहां से आयेगा, कैसे काम पूरे होंगे, हम क्या करें, कैसा बजट आया है ? यही तो दोनों सरकारों में फर्क है. यह फर्क आपको आगमी वर्ष जब हमारा दूसरा बजट आयेगा तो अवश्य दिखेगा कि आज जो बात मैं आपसे कह रहा हूं उसमें सच्चाई है कि नहीं ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यहां फिजूलखर्ची की बात हो रही थी. मैं आपके माध्यम से सदन से अनुरोध करना चाहता हूं कि आप बतायें कि मुख्यमंत्री निवास पर कितनी पंचायतें हुई ? यह पंचायत, वह पंचायत, ऐसी पंचायत, वैसी पंचायत. मध्यप्रदेश की सरकार को इन लोगों ने इवेंट मैनेजमेंट कंपनी बना कर रख दिया था. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, क्या मुख्यमंत्री और सरकारें इसलिए बनती हैं ? यदि पंचायतों के लिए आपके मन में इतनी वेदना-संवेदना थी तो मध्यप्रदेश में जितनी पंचायतें हैं, सभी के ठहराव-प्रस्ताव मंगवाकर उसे 15 अगस्त, 26 जनवरी को सेंक्शन कर देते तो बात समाप्त हो जाती. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पंचायत बुलाने की आपको क्या आवश्यकता थी ? और वे पंचायतें क्या थीं ? हम और आप सभी जानते हैं कि वे केवल राजनैतिक कार्यक्रम मात्र थे. जिनका बिल मध्यप्रदेश शासन द्वारा चुकाया गया. उन पंचायतों को यहां बुलाने का उद्देश्य ही क्या था ? आज ये सारी बातें सदन में आ रही हैं. यदि वास्तव में ये कुछ करना चाहते तो ये आराम से काम कर सकते थे क्योंकि सभी ग्राम पंचायतों के ठहराव-प्रस्ताव रिकॉर्ड में हैं और आजकल तो ऑनलाइन भी हो गया है. आज कौन-सा काम आप कंप्यूटर के एक क्लिक ऑफ बटन पर नहीं ले सकते हैं. तमाम घोटालों की बात यहां हो रही थी. भ्रष्टाचार की बात हो रही थी.
श्री विश्वास सारंग- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, अभी महाराजा जी ने पंचायतों की बात कही. वे तो महाराजा हैं वे क्या जानें कि जब कोटवार, मुख्यमंत्री निवास में जाता है तो उसे कितनी खुशी मिलती है. महाराजा जी उस खुशी को कभी नहीं समझ सकते. जब एक गरीब किसान को मुख्यमंत्री निवास बुलाया जाता है तो उसके दिल में कैसी खुशी होती है, ये आप नहीं समझ सकते महाराज.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- सारंग जी ने कभी मेरा घर देखा नहीं है. कभी मेरा गांव देखा नहीं. कभी मुझे अपने क्षेत्र में देखा नहीं.
श्री विश्वास सारंग- अभी आप राजा-महाराजा की बात कर रहे थे. यदि मुख्यमंत्री निवास पर गरीबों को बुलाया गया है तो आप उस पर आपत्ति कर रहे हैं ?
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपत्ति नहीं कर रहा हूं. मैं गरीबों के हक के लिए आपत्ति नहीं कर रहा हूं. आज भी हमने जो दिया था, उसका मुआवज़ा हमें नहीं मिला है. जहां पर रोड बने हैं, जहां पर आश्रम हैं, जहां पर मंदिर है. आपने तो राम मंदिर नहीं बनाया है, हमने राम मंदिर बनवाया है. आप आइये दर्शन कराऊंगा, कथा भी करायेंगे और आपको प्रसाद भी देंगे. आप कुछ भी बात करते हो.
श्री विश्वास सांरग:-एक सत्र ऐसा बुलाइये, जिसमें हर सदस्य के परिवार ने क्या-क्या किया, उसका पता लग जाये.सभी के परिवार ने कुछ- कुछ किया है, ऐसा नहीं है. यहां पर जितने सदस्य बैठे हैं, सभी के परिवारों ने किया होगा, केवल आपके परिवार ने नहीं किया और वर्तमान ने किया है, हमारे चेतन काश्यप जी तो अभी बांट रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदया:- विश्वास जी, कृपया बैठ जाइये.
श्री शरदेन्दु तिवारी:- परिवारों के पास यह सम्पत्ति कहां से आयी थी, कैसे आयी थी, यह भी देखना जरूरी है.
उपाध्यक्ष महोदया:- माननीय सदस्यों से मेरा निवेदन है कि बोलने वाले सदस्यों की बहुत लम्बी लिस्ट है.कृपया आप लोग बैठ जायें.
श्री राजवर्धन सिंह:-मुझे यह समझ में आता कि हमारे सदस्य इतने व्याकुल क्यों हो जाते हैं; यदि मैंने कोई पाप किया है तो आप मुझे सजा दे दो, आप मुझ पर एफआईआर कर दो,क्या दिक्कत है.
श्री हरिशंकर खटीक:-आपने प्रयास किया था मंत्रिमण्डल में आने का. हमारे बड़े भाई बैठे हैं, राठौर साहब. वह आपका नम्बर ही नहीं लगने दे रहे हैं. आप भाईयों के ऊपर भी तो दया करिये.
उपाध्यक्ष महोदया:- हरिशंकर जी आप कृपया बैठ जायें.
श्री राजवर्धन सिंह:- उपाध्यक्ष महोदया, मैं विषय पर वापस आकर बताना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने वर्ष 2017 में अचल संपत्ति अधिनियम का उल्लंघन करते हुए करोड़ों रूपये की अचल संपत्ति खुर्द-बुर्द कर दी, इसका कोई हिसाब ही नहीं है. उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि इसकी भी जांच हो कि सरकारी जमीनों को कम मूल्य पर लोगों के नाम पर कर दिया गया है, इस समूचे प्रकरणों की जांच होनी चाहिये और इसमें जो दोषी हैं, उनको सजा होनी चाहिये. यह सम्पत्ति शासन की है, किसी को रेवडि़यां बांटने के लिये नहीं है कि आप किसी को व्यक्तिगत दे दो. आप यदि पूरा डिटेल देखेंगे तो इतनी सारी चीजें हैं और हरेक चीज के अंदर कहीं न कहीं, कुछ न कुछ है. अब दो चीजों पर हमारे मित्र बहुत व्याकुल हुए थे, जो अभी चले गये हैं. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि व्यापम और ई-टेंडरिंग, कह रहे कि आप व्यापक और ई-टेंडरिंग पर आप कुछ भी बता दीजिये, प्रमाणित कर दीजिये तो हम मान जायेंगे. आपके समय शिक्षा का क्या स्तर था आपको पता है ? उपाध्यक्ष जी,71 फीसदी स्कूलों में लाईट नहीं थी, टीचर नहीं थे, कम्प्यूटर एजुकेशन का क्या हाल था, मैं कहना नहीं चाहता. खनिज घोटले की बात तमाम लोग जानते हैं, जो अधिकारी वहां रोकना चाहता था, रोकने को आता था उसकी हत्या कर दी जाती थी. उन पर गाडि़यां चढ़ा दी जाती थीं, कोई जवाबदेही नहीं थी. इतनी उद्दण्डता थी, इतनी अराजकता थी, उस शासन के अंदर और यह भ्रष्टाचार की बात करते हैं. भ्रष्टाचार को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने जीरो टॉलरेंस की बात तो करी. लेकिन आप बतायें, बात तो सिर्फ बात ही रह गयी, जबकि भ्रष्टाचार के मामले में मध्यप्रदेश नंबर वन पर रहा. उपाध्यक्ष जी, तत्कालीन मुखिया सहित,18 मंत्रियों पर, पूर्व मंत्रियों पर, 32 से अधिक आईएएस, 8 आईपीएस और 8 आईएफएस के विरूद्ध लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज तो किये गये, लेकिन भाजपा के शासनकाल में चालान प्रस्तुत करने की अनुमति क्यों नहीं दी गयी ?
उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपसे निवेदन करता हूं कि उन सभी के विरूद्ध चालान पेश किया जाये. हम किस बात का इंतजार कर रहे हैं? क्यों नहीं किया जा रहा है, क्या हम सिर्फ पटवारियों, क्या सिर्फ ग्राम पंचायतों के सरपंचों पर, छोटे अधिकारियों पर चालान पेश करके सिर्फ खानापूर्ति कर देंगे ? क्या कोई आईएएस बन जाता है तो भगवान हो जाता है, कोई मंत्री बन जाता है तो ईश्वर रूप हो जाता है उन पर कार्यवाही क्यों नही हो रही है, चालान पेश क्यों नहीं हो रहा है, आप करिये, रिकार्ड में है. मैं कहना चाहता हूं कि यह होना चाहिये क्योंकि अगर यह नहीं होगा तो हम यह मैसेज देंगे कि सत्तासीन जो हैं, वह अलग हैं और एक देश में दो कानून, दो संविधान नहीं होना चाहिये. मेरा आपसे निवेदन है कि इस पर तत्काल कार्यवाही होना चाहिये और इनको यह बताया जाना चाहिये कि कमलनाथ जी सिर्फ बात कहते नहीं है, वह करते भी हैं.
यह विकास की बात कर रहे थे कि इतना काम किया. एक मूलभूत फर्क ही अगर आपको देखना है तो आप बुधनी देख लीजिये और छिंदवाड़ा देख लीजिये. सीहोर देख लीजिये और छिंदवाड़ा देख लीजिये, विदिशा देख लीजिये और छिंदवाड़ा देख लीजिये. वह विदिशा जहां सुषमा स्वराज सांसद रहीं, वह विदिशा जहां अटल बिहारी बाजपेयी सांसद रहे, वह विदिशा जहां शिवराज सिंह जी, सांसद रहे और वो छिन्दवाड़ा जहां कमलनाथ जी सांसद रहे आप तुलना करें. हाथ कंगन को आरसी क्या पढ़े लिखे को फारसी क्या ?
श्री जालम सिंह पटेल-- नरसिंहपुर जिले में 50 प्रतिशत लोग एक जिले से दूसरे जिले में रोजगार के लिये जाते हैं.
श्री राजवर्धन सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, सुनने की आदत तो होनी चाहिये. सहनशीलता भी एक गुण है, जैसा कि मैंने कहा कि सत्ता के बाहर थोड़ी बेचेनी आ रही है, कोई बात नहीं उसकी आदत हो जायेगी. मैं एक और निवेदन करना चाहता हूं कि यह बजट आते रहे पिछले कई सालों में चाहे केन्द्र के, चाहे राज्य के आते रहे. मैं तो कहता हूं कि यह आंकड़ों की बाजीगरी थी. नानाजी ने क्या किया, मामाजी जी ने क्या किया ? आपने क्या इतनी जी.डी.पी.बढ़ा दी, इतनी ग्रोथ, इतना खर्चा. आप बताईये कि प्रगति का वास्तविक मापदंड क्या होता है ? क्या जिस प्रतिशत में इन्होंने जी.डी.पी. का बढ़ना बताया उस प्रतिशत से ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स बढ़ा. जहां हम इस प्रदेश के वासी को छोड़ गये थे आज ही वह उसी मुकाम पर खड़ा है. देखिये बजट में आंकड़ा आया है. माननीय तरूण भनोत जी ने कहा आपको भी पता है कि 27 वे पायदान पर है मध्यप्रदेश 29 राज्यों में, यह कहानी ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स की ह्यूमन डेवलपमेंट की जिज्ञासा है हमारे मित्र को तो आप जॉग्रफी की कक्षा में चले जायें आपको टीचर बता देगा. शायद इन्होंने पढ़ी नहीं होगी तो कोई बात नहीं. लेकिन मुद्दा यह है कि यह फैक्ट है. यह मैं नहीं कह रहा हूं. आप बात जल की कर रहे हैं तो आपने किया क्या है ? विन्ध्य, सतपुड़ा के जंगल साफ कर दिये जहां पर घनघोर वृक्ष दिखाई देते थे, वह जंगल कट गये तो वर्षा कहां से होगी ? जिस तरीके से वनों की कटाई हुई है उसकी जवाबदारी यह लोग नहीं लेंगे, इसकी बात भी नहीं करेंगे. बात करेंगे लोक-लुभावन की, कुछ कहेंगे तो स्वाभाविक तौर पर दिक्कत होगी. यह सब चीजें हम लोगों को विरासत में मिली है उसके बावजूद हमारे मुख्यमंत्री, वित्तमंत्री जी कार्य कर रहे हैं मैं समझता हूं कि बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं. आप मध्यप्रदेश के नागरिक को किस दिशा में छोड़कर के गये हैं उस पर तो आपको अवलोकन करना चाहिये. मध्यप्रदेश के प्रत्येक नागरिक पर आज 25 हजार रूपये का कर्जा है इसकी जवाबदारी यह लोग नहीं लेना चाहेंगे ? क्यों चाहेंगे, जवाबदारी इसकी लेंगे नहीं ? यह सारी बातें अगर गलत समझ में आ रही है तो रिपोर्ट को देख लीजिये कि किस किस बात पर क्या क्या कहा गया है. तमाम चीजों में हर चीज आपको दिखेगी आपको स्वयं यह समझ में आ जायेगा कि जो मैं कह रहा हूं उसमें हकीकत है या मैं बात ही कर रहा हूं. ई टेंडरिंग में लगभग 50 हजार करोड़ रूपये की खरीदी. आप इस मामले का गहन अध्ययन करें तो ऐसा प्रतीत होता है कि करीब 15 हजार करोड़ रूपये का इसमें घोटाला है, एक झलक छोड़ जाता हूं. मैं आपको बताना चाहता हूं कि ई टेंडरिंग के अंदर पूरा टेक्निकल मेटर है इसमें पासवर्ड होते हैं. आप सदन को जरूर बताईयेगा कि इतनी ई टेंडरिंग 50-60 हजार करोड़ रूपये की हुई इसमें पासवर्ड किस-किस के पास थे जिसमें पोर्टल का एक्सेस था और उसमें कब कब रेड फ्लेगिंग हुई. जब जब रेड फ्लेगिंग हुई मेरे संज्ञान में 112 बार करीबन रेड फ्लेगिंग हुई इस पूरे ई टेंडरिंग के मेटर में. यह लोग इस मेटर में क्या कर रहे थे? इनकी बैठकें हुईं इनकी बैठकों में मिनट्स ऑफ मीट ई टेंडरिंग में वह सदन के पटल पर रखी जाएगी. उस वक्त के जो अधिकारी वहां पर थे उस पूरे मामले में जो जवाबदार थे. चाहे वह ए.पी. श्रीवास्तव जी हो, चाहे वह ऋषि शुक्ला जी हो, चाहे वह पंकज अग्रवाल जी हो, चाहे वह ईओडब्ल्यू के डीजीपी हो, क्या उनको सदन में बुलाकर उनके कथन लिए जाएंगे? क्या उनको प्रदेश की जनता के प्रति जवाबदेह मानते हुए उनसे पूछा जाएगा कि आपके पास पासवर्ड्स थे, रेड फलेगिंग हुई, मीटिंग हुई, मीटिंग में टीप लिखी गई, टिप्पणियां लिखी गईं. सभी ने अपनी शंकाएं वहां व्यक्त की, ऑन रिकार्ड उन पर आज तक कार्यवाही क्यों नहीं हुई. अगर हो जाती तो घोटाला ही नहीं होता. उपाध्यक्ष महोदया, मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि इस पर जांच कराई जाए. इन सभी लोगों को बुलाकर उनके कथन लिए जाएं, ऑन रिकार्ड स्टेट्मेंट लिए जाए, उस पर कार्यवाही की जाए. मुझे पूरा विश्वास है कि ये सभी लोग, चाहे वे आज यहां नहीं हैं, डीजीपी थे हमारे आज सीबीआई के डायरेक्टर होंगे, मुझे पूरा विश्वास है कि शासन और सदन तो सहमत है, आप सभी तो भ्रष्टाचार के विरोध में हो न, सर्वानुमति से यह आग्रह किया जाए, वे यहां पधारे और इस सदन में कथन दें.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - तो रोक कौन रहा है, सरकार अभी आपकी है, 7-8 महीने हो गए. हमारे नेता ने बहुत स्पष्ट शब्दों में बोला तो जांच करिए न.
श्री गिरीश गौतम - जब आप इस तरह की बात करते हैं तो बाला बच्चन साहब दूसरे तरफ देखने लगते हैं
श्री राजवर्धन प्रेमसिंह दत्तीगांव - मैं निवेदन कर रहा हूं कि जांच की जाए और उसकी सारी प्रोसीडिंग को सदन के पटल पर रखी जाए. अब बार बार व्यापम में यह कहकर पीछे हट जाते हैं कि न्यायालय का आदेश हो गया. अब क्या पुरानी बात बार बार करते हैं, यह क्या है, हम तो निर्दोष हो गए, क्लीन चिट मिल गई, लेकिन मेरा निवेदन है कि ये सदन की प्रोसीडिंग आपके पास है.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - आप रूलिंग पार्टी के विधायक है, आप याद रखिए आप जो बात बोल रहे हैं, आपके मंत्री एक्शन नहीं ले रहे हैं, कारण क्या है.
उपाध्यक्ष महोदय - सकलेचा जी आप बैठ जाइए.
श्री राजवर्धन प्रेमसिंह दत्तीगांव - व्यापम का एक्ट वर्ष 2007 से लेकर 2013 तक वेलेडेट नहीं था, आ गया था, हस्ताक्षर नहीं हुए थे और इस दौरान, इस दरमियान रेलवे की परीक्षाएं, पुलिस की, शिक्षा की, पटवारियों की परीक्षाएं हुईं. मेरा आपके माध्यम से निवेदन है व्यापम की जांच पुन: कराई जाए. 2007 से लेकर अभी तक कराई जाए और इस बीच में जब यह एक्ट वेलीडेट नहीं हुआ था, उस बीच में कितनी परीक्षाएं हुई, कौन सी कौन सी परीक्षाएं हुईं, कौन कौन भर्ती हुए, तो समस्त प्रकरण की जांच की जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी अपने आप सदन में हो जाएगा. जब आप पूरी जांच कराएंगे, रिकार्ड आएंगे तो इस चीज का अपने आप खुलासा हो जाएगा.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - आप मांग किससे कर रहे हैं, यह तो बताओ, आप अपने मुख्यमंत्री से मांग कर रहे हो तो वे एक्शन क्यों नहीं ले रहे?
श्री राजवर्धन सिंह - जब जांच से खुलासा हो जाएगा तो सभी को पता लग जाएगा. मेरे साथियों को भी पता लग जाएगा कि यह हो क्या रहा है, क्या सही है, क्या गलत है?
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू - जब सरकार आपकी है तो आप मांग क्यों कर रहे हो.
श्री राजवर्धन सिंह - हमारे मित्र नरोत्तम मिश्रा जी भी कह गए थे कि ऐसा होना चाहिए.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - ये तय कौन करेगा?
श्री राजवर्धन सिंह - आपने तो फाइल बंद कर दी थी, मेरा आपसे आग्रह है कि इसको पुन: देखा जाए. मुझे लग रहा है कि यशपाल जी मुझे और सुनना चाहते हैं तो मैं और बता देता हूं. एक नया घोटाला एंट्री टैक्स घोटाला भी हुआ.
डा. मोहन यादव - माननीय राजवर्धन जी ने शुरू में ही कह दिया था कि अगर हमें मंत्रीमंडल में नहीं रखा तो हमारी भूमिका इसी प्रकार की होगी.
उपाध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य से मेरा अनुरोध है कि बैठ जाएं.
श्री राजवर्धन सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जो गाड़ी मध्यप्रदेश की सीमा में प्रवेश करती थी, जिसको दो प्रतिशत एंट्री टैक्स देना होता था, वह गाड़ी महाराष्ट्र जा रही है, राजस्थान जा रही है, एंट्री टैक्स देती ही नहीं थी. होता यह था कि वह माल जो गाड़ी में होता था, मध्यप्रदेश में खाली हो जाता था, गाड़ी जब अगले पोस्ट से निकलती थी तो खाली होती थी, तो समूचे इस कार्यकाल में सभी गाडि़यों के रिकार्ड्स निकाले जाए, कौन सी गाड़ी किस पाइंट से एंट्री हुई जहां दूसरे राज्य में जाकर स्कैन हुई, उसमें माल था, या नहीं था. करोड़ों का घोटाला आपको उजागर होगा और आप समझ जाएंगे कि क्या हो रहा है. ऐसी बहुत सारी बाते हैं, बहुत सारे वाकये हैं, बहुत सारे घोटाले हैं और कहने को मेरे पास बहुत कुछ है, लेकिन अब बात यह है कि हमारे सदस्य ज्यादा व्याकुल हो गए हैं. यशपाल सिंह जी सोचते होंगे कि अब क्या हो रहा पता नहीं, कितना होगा क्या होगा, लेकिन अभी भी कह रहे है कि और कहिए.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - आपके पास भी कहने को कुछ बचा नहीं आप भी टाइम पास कर रहे हैं.
श्री राजवर्धन प्रेमसिंह दत्तीगांव - टाइम पास तो 15 साल इन्होंने किया, खेलते खाते रहे.
उपाध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य, आप अपनी बात पूरी कीजिए.
श्री राजवर्धन प्रेमसिंह दत्तीगांव - जी उपाध्यक्ष महोदय, जीवन पथ की पगडंडी पर चलना क्या, रुक जाना क्या, कांटे तो अब कांटे ठहरे, कांटों को समझाना क्या. देखिए जैसे ही मैंने कहा कांटे तो अब कांटे ठहरे, कांटों को समझाना क्या, तो बोलते हैं बैठ जाओ.
श्री रामेश्वर शर्मा - वे जो आपके रास्ते में हैं, हम थोड़े ही आपके रास्ते के कांटे हैं.
श्री हरिशंकर खटीक - आपके साथी मित्र जो मंत्री हैं, वे आपके ऊपर बयानी कर रहे हैं, आपका नम्बर नहीं आएगा.
उपाध्यक्ष महोदया - सदस्य आप बैठ जाइये.
श्री राजवर्धन प्रेम सिंह ''दत्तीगांव'' - ''पल भर का यह जीवन है, आना क्या और जाना क्या'' उपाध्यक्ष महोदया, आपने बोलने का मौका दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदया - धन्यवाद, श्री मनोहर ऊँटवाल जी.
श्री विश्वास सारंग - माननीय मुख्यमंत्री जी और श्री ज्योतिरादित्य जी का, जो समझौता लंच था उसका असर हमें महाराजा के भाषण में देखने को मिला.
विधि और विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा) - उपाध्यक्ष महोदया, मुझे एक महत्वपूर्ण सूचना देनी है. नेहरू नगर मांडवा बस्ती में जो बच्ची से दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या हुई थी, उसके आज एक महीने के अन्तराल में फैसला आ गया है और उसको फांसी की सजा हो गई है (मेजों की थपथपाहट). माननीय मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ. यह मुकदमा फास्ट ट्रेक कोर्ट में चला और एक महीने के अन्दर पुलिस विभाग, न्यायालय की जो माननीय जज कुमुद पटेल, एडीजे को भी हम बधाई देना चाहते हैं, उन्होंने महिलाओं को समझा और यह मध्यप्रदेश की कमलनाथ की सरकार है, बच्चियों के मामले में, महिलाओं के मामले में हमेशा इसी तरह से ठोस कदम उठाएगी. मैं माननीय गृह मंत्री जी को भी बधाई देना चाहता हूँ कि उन्होंने सही समय पर एक्शन लिया और 3 दिन के अन्दर अपराधी, विष्णु को पकड़ा गया और आज उसे फांसी की सजा हो गई. इसलिए मैं निश्चित तौर पर, न्यायालय का भी यहां स्वागत करता हूँ. (XXX) मैं यह भी यहां पर उल्लेख करना चाहता हूँ कि जिस तरह से यह फैसला फास्ट ट्रेक में हुआ, मैं न्यायालय और पुलिस विभाग को बधाई देना चाहता हूँ.
श्री विश्वास सारंग - माननीय उपाध्यक्ष जी, इस तरह से माननीय मंत्री जी यह बात ध्यान दें. मैं आपके संज्ञान में यह बात लाना चाहता हूँ कि गृह मंत्री जी यहां पर बैठे हैं. यदि यह वक्तव्य कोई मंत्री दे रहा है तो यह सरकार का वक्तव्य है. माननीय उपाध्यक्ष जी, जिस प्रकार से सदन में यह बात उठाई गई, पूरा सदन इस बात के लिए तारीफ करता है कि एक महीने में उस आरोपी को फांसी की सजा मिली, हम सब भी उसका समर्थन करते हैं. इसकी शुरूआत माननीय मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने की थी पर जिस प्रकार से इस पर राजनीति की जा रही है. (XXX)
श्री पी.सी.शर्मा - आपने भारतीय जनता पार्टी के राज में, श्री शिवराज सिंह चौहान के राज में कितनी झुग्गियां बनवाईं ? बच्चियां तक सेफ नहीं थीं, श्री कमलनाथ जी के राज में सेफ हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - श्री मनोहर ऊंटवाल जी, अपनी बात रखें.
श्री विश्वास सारंग - (XXX)
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इस पूरी घटना में पूरा भोपाल राजनीतिक मर्यादाओं को तोड़कर बेटी के साथ था, अपराधी को सजा मिले, इस बात के लिए शिवराज जी से लेकर सारे राजनीति दल एक थे लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि अपराधी को सजा दिलाने में हम भी आपके साथ थे.
उपाध्यक्ष महोदया - कृपया बैठ जाइये. माननीय मंत्री जी आप बैठ जाइये. मेरा सभी सदस्यों से निवेदन है कि कृपया बैठ जाइये.
(...व्यवधान...)
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू - पी.सी.शर्मा जी से कहें कि भोपाल में ऐसी घटनाएं न हों, इसका उल्लेख कर दें.
(...व्यवधान...)
वाणिज्यिक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) - सब इतना चिल्लाकर क्यों बात कर रहे हो ? आराम से बात कर लो.
उपाध्यक्ष महोदया - यह रिकॉर्ड में नहीं आएगा, कोई बात नोट नहीं होगी. श्री मनोहर ऊंटवाल जी की बात नोट होगी.
श्री विश्वास सारंग - (XXX)
डॉ. मोहन यादव - (XXX)
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू - (XXX)
डॉ. मोहन यादव - (XXX)
उपाध्यक्ष महोदया -- कोई बात नोट नहीं हो रही है, माननीय उंटवाल जी अपनी बात रखें. ....(व्यवधान)....
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, कानून क्यों बना, किसके हस्ताक्षर से हुआ, हम सब चीजों को भूलकर इस बात को कह रहें है कि चलो तुरंत कार्यवाही हुई, आपने ठीक कार्यवाही की, लेकिन कार्यवाही के बाद जो बोला जाता है क्या वह ठीक है ? हम मंत्री जी से यह उम्मीद नहीं कर सकते हैं. ....(व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग - थोड़ी गरिमा तो रखें. यह सरकार का पक्ष है. ....(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री रामेश्वर जी कृपया बैठ जाईये. माननीय मंत्री जी निवेदन है कि आपकी बात हो गई है, आप बैठ जायें. ....(व्यवधान)....
श्री अनिरूद्ध (माधव) मारू --घटना तो इन्हीं की सरकार के समय की है.आपकी सरकार में घटना हुई है. ....(व्यवधान)....
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय मंत्री जी आपको यह शब्द नहीं बोलने थे. ....(व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग - इनके क्षेत्र में घटना हुई है. ....(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- माननीय सदस्यों से मेरा निवेदन है कि बजट पर सामान्य चर्चा चल रही है कृपया उसको कंटिन्यू करें. माननीय ऊंटवाल जी आप बोलें.
....(व्यवधान)....
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय उपाध्यक्ष महोदया. ....(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- श्री रामेश्वर शर्मा, जी आप बैठ जायें कोई भी बात नोट नहीं हो रही है. श्री मनोहर उंटवाल जी को अपनी बात रखने दीजिये. ..(व्यवधान)..
श्री विश्वास सारंग -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आप उस बात को कार्यवाही से विलोपित करवा दीजिये. ....(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- (श्री जालम सिंह पटेल ''मुन्ना भैया'' के अपने आसन से कुछ कहने पर ) श्री जालम सिंह जी बात पूरी हो गई है, आप बैठ जायें.
श्री आरिफ अकील -- झुग्गियां जो हटाई जा रही है, उनको बचाने कौन आ रहा है. ....(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदया -- केवल माननीय मंत्री जी ने जो जानकारी दी है वही नोट हुई है, बाकी सारी बातें हटा दी गई. जिस जानकारी की परमीशन उनको दी गई थी, केवल वही जानकारी नोट हुई है. माननीय उंटवाल जी आप बोलें.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री मनोहर ऊंटवाल (आगर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे सामान्य बजट पर आपने बोलने का अवसर दिया है, मैं इसके लिये आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. मैं आपके माध्यम से मध्यप्रदेश सरकार के वित्तमंत्री तरूण भनोत जी से कुछ बजट की बातें करना चाहता हूं और उससे पहले मुझसे पहले जो पूर्ववक्ता थे, मैं उनका भाषण सुन रहा था. भाषण सुनकर मुझे घोर आश्चर्य हो रहा था कि वह भाषण वास्तव में मेरे पूर्व वक्ता राजवर्धन सिंह ने स्वयं ने तैयार किया है या उनको वित्तमंत्री जी ने लिखकर दिया है क्योंकि मुझे नहीं लगता कि अगर आपकी तैयारी का भाषण होता तो फिर वित्तमंत्री जी से यहां से उठकर नहीं जाते और वह आपकी बात को गंभीरता से लेते. जब आपका उद्बोधन शुरू हुआ आपके वित्तमंत्री यहां से उठकर चले गये, यह इस बात का प्रमाण है कि वह भाषण आपको अपने वित्तमंत्री जी ने लिखकर दिया था.
श्री तरूण भनोत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं पूरे भाषण में यहां उपस्थित था और मैं चेयर से अनुमति लेकर दो मिनट के लिये बाहर गया था, बाकी पूरे भाषण में उपस्थित था. पूरा भाषण उन्होंने स्वयं लिखा है आपका जरूर मैंने लिखकर दिया है. ....(व्यवधान)....
श्री विश्वास सारंग -- आपको समझ में ही नहीं आया होगा, आप सुना दो जो उन्होंने बोला. ..(व्यवधान)....
02.39 बजे
{सभापति महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
श्री मनोहर ऊंटवाल -- माननीय सभापति महोदय, मैं तर्कों के आधार पर बात करता हूं. हो सकता है कि आपसे अनुमति ली हो और अनुमति उसका आधार हो सकता है किंतु क्या आपको अपने ही प्रारंभिक वक्ता के भाषण से उठकर जाना चाहिये. इसका मतलब यह है कि आपने स्वयं ने वह भाषण लिखकर दिया है और सबसे बड़ी बात यह है कि मुझे तब आश्चर्य हो रहा था, जब आपने जो भाषण कल पढ़ा उसी को वह आज पढ़ रहे थे. मैंने तो इनके फादर माननीय श्री प्रेमसिंह दत्तीगांव को भी देखा है. हमने उनको भी विधानसभा में विधायक रहते हुये देखा है क्या जबरदस्त उनकी वाणी थी, वह किसी की नकल नहीं करता था उनको तो शेर कहा जाता था, मैं इस बात का गवाह हूं.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपसे यह निवेदन करना चाहता हूं कि प्रथम वक्ता आपकी पार्टी के और वह इस सदन में खड़े होकर यह बात कहें कि इसकी जांच करा लो, इसकी जांच करा लो, अरे भईया आपको रोका किसने, आप जांच क्यों नहीं कराते हो, क्यों सदन का इतना मंहगा समय समाप्त करते हो. आपको यह कहते क्या आश्चर्य नहीं लगता और क्या अंदर से दुख नहीं होता है? जिस सरकार में आप बैठे हो और उस सरकार के सदस्य होकर आप इस प्रकार की बातें करते हो कि इसकी जांच करा लो, उसकी जांच करा लो, अरे जांच की मांग तो कायदे से विपक्ष का अधिकार है. माननीय सदस्य महोदय. यह विपक्ष का अधिकार है.
वित्त मंत्री (श्री तरूण भनोत)-- अगर बजट में कहने को कुछ हो तो चर्चा करें. .. (व्यवधान)...
श्री मनोहर ऊंटवाल-- सभापति महोदय, मैंने अजय नारायण मुश्रान पूर्व वित्त मंत्री जी के साथ भी काम किया है, मुझको ज्ञान देने की जरूरत नहीं है. आपके प्रथम वक्ता कितनी देर अनावश्यक विषय पर बोलते रहे तब आप भोजन करते रहे, आपको इधर आने का टाइम नहीं था क्योंकि आपको पता है जो बोलना है आप लिखकर दे दोगे, हमको ज्ञान देते हो. अरे हमने तो हिन्दुस्तान की लोकसभा में भी वित्त मंत्री को सुना है. हमको पता है वित्त मंत्री अपनी जवाबदारी के प्रति कितने गंभीर रहते हैं, अपनी जवाबदारियों का कितना निर्वहन करते हैं वरना सदन पूरा खड़ा हो जाता. मुझे दुख होता है आपकी सरकार के माननीय सदस्यों पर आपके उठकर जाने पर उन्होंने क्यों नाराजगी व्यक्त नहीं की. सभापति महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं, माननीय सदस्य ने आज टाइम्स ऑफ इंडिया की बात कही, ये सदन में टाइम्स आफ इंडिया पढ़ रहे थे, चूंकि आज मुझे सदन के अंदर अपनी बात रखना है और इसलिये मैंने अपनी बात रखने के लिये सबेरे उठकर सरकार के उस बजट को उठाकर पढ़ा जो वर्ष 1966 के अंदर बजट की जो व्याख्या की गई थी और बजट पर माननीय हमारे वर्तमान विधान सभा के अध्यक्ष महोदय का लेख भी पढ़ा था जो मैं माननीय वित्त मंत्री जी को सुनाना चाहता हूं और जिसमें उन्होंने यह कहा है कि राज्य की उन्नति और समाज के विकास का आधार सुदृढ़ अर्थव्यवस्था है, किसी प्रदेश की आर्थिक एवं वित्तीय प्रणाली ऐसी होनी चाहिये जो धन के नियोजन के विकासकारी परिणामों को साकार करने में सक्षम हो. कृषि उद्योग एवं मानव संसाधनों के विकास के क्षेत्र में अपेक्षित विकास लक्ष्य प्राप्त करने के लिये आवश्यक एवं वित्तीय पारदर्शिता राजकोषीय उत्तरदायित्व के सिद्धांतों का क्रियान्वयन सूझबूझ और दृढ़ता के साथ किया जाये. आपने जो बजट कल पेश किया है उसमें माननीय अध्यक्ष महोदय की मंशा का भी कहीं कोई वर्णन नहीं है, कहीं कोई उल्लेख नहीं है. माननीय सभापति महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं, इस प्रदेश के साथ 2 खतरनाक छलावे मध्यप्रदेश की जनता और किसान बंधुओं के साथ किया है, उसे इतिहास कभी भूल नहीं सकता. पहला छलावा 2 लाख रूपये की कर्जमाफी का वादा करके आपने मध्यप्रदेश के किसान बंधुओं को अंधेरे में रखकर और फर्जी तरीके से मध्यप्रदेश में सरकार बनाकर आप आ गये. आपने उनको यह कहा कि 15 दिनों में कर्जा माफ करेंगे, आपने कर्जमाफी के आधार पर अपनी सरकार तो बना ली पर उसके बाद आपने उनके साथ जो घोर अन्याय किया है, अरे कर्जमाफी तो पता नहीं कहां गई, आप उनका समर्थन मूल्य खा गये, भावान्तर के अंतर को आपने समाप्त कर दिया. गेहूं, सोयाबीन सब प्रकार की चीजों में आपने किसान भाईयों को रूलाने का काम किया है. सभापति महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि आपने यहां तक कि गरीब व्यक्ति के मरने के बाद उसकी अंत्येष्टि के 5 हजार रूपये तक का भी कहीं कोई उल्लेख नहीं किया. मैं दूसरा छलावा बताना चाहता हूं, दूसरा छलावा मध्यप्रदेश के अंदर गौशाला के नाम पर हुआ है. गौशाला के नाम पर आपने दूसरा छलावा इस प्रदेश की जनता के साथ किया है. पहले आपने किसान को ठगा फिर किसान की मां, जननी, जिस गौमाता की हम कसम खाकर समाज की सेवा करते हैं आपने उस गौमता के साथ भी छलावा किया है. बजट में आपने प्रति गाय पर 20 रूपये रखा है, यह वर्षभर का एक गाय का 7200 रूपये हो गया और आपने बजट में मात्र 132 करोड़ रूपये रखे हैं. मध्यप्रदेश में यह जो आपने 132 करोड़ रूपये रखा है यह मात्र ढाई लाख गायों की पूर्ति करता है. इस 132 करोड़ में आपने निर्माण कार्य भी सम्मिलित कर रखा है. अगर इस हिसाब को हम जोड़े तो मध्यप्रदेश में 1 साल के अंदर मात्र 720 करोड़ रूपया केवल वर्तमान में संचालित गौशाला, मैं नई गौशाला खोलने की बात नहीं कर रहा, मैं जो वर्तमान में गौशालायें चल रही हैं जिसमें 10 लाख गौमातायें विचरण करती हैं. मैं बाजार के अंदर की बात नहीं करता हूं, मैं गौशाला के अंदर रहने वाली गौमाताओं की बात करता हूं और 10 लाख गायों पर वर्ष में 720 करोड़ रूपये खर्च होते हैं.
श्री अशोक मर्सकोले -- जो गौशाला में रहती हैं वह ही गौमाता हैं क्या.
श्री रामेश्वर शर्मा -- वह गौशाला की गाय की बात कर रहे हैं गौशाला के बाहर की गाय को क्या दे रहे हैं वह आप बतायें.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- हम अपनी बात कह रहे हैं. आपका समय आये तब आप अपने आंकड़े बताइयेगा. सभापति महोदय यह बहुत ही घोर निराशावादी बजट है. इस बजट में कहीं पर भी सरकार का आईक्यू देखने को नहीं मिला है. सरकार के द्वारा भविष्य में इस बजट के लिए कहां से पैसे की व्यवस्था की जायेगी इसका कोई उल्लेख बजट में नहीं किया गया है.
माननीय सभापति महोदय मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि इन्होंने पैट्रोल पर 2.75 रूपये प्रति लीटर पर बढ़ाने का काम किया है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि भारत में श्री अटलबिहारी बाजपेयी जी की सरकार थी उन्होंने भी 2 रूपये पैट्रोल पर टैक्स लगाया था लेकिन उसके बदले में उन्होंने एक बहुत ही महान निर्णय किया था. वह निर्णय यह था कि हम भारत में ग्रामीण सड़कों को बनाने का काम करेंगे. उसमें से एक रूपया दूसरे काम में आता था और एक रूपये से प्रधानमंत्री जी की सड़कों का निर्माण होता था आज हिन्दुस्तान में प्रधानमंत्री की सड़कें देखने लायक हैं. पहले गरीब इलाज के अभाव में मर जाते थे क्योंकि क्योंकि मरीज को बैलगाड़ी से ले जाते थे और समय पर वह अपने मरीज को अस्पताल में नहीं पहुंचा पाते थे. सड़कें आने के बाद में हमने किसानों को, गरीब नागरिकों को अच्छी व्यवस्था सुलभ कराने का काम किया है.
सभापति महोदय मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में आपने बिजली के मामले में क्या तमाशा किया है, अरे दुख होता है जब विद्यार्थी बिजली के अभाव में अपनी पढ़ाई से वंचित होता है, दुख होता है जब गरीब आदमी रात के अंधेरे में जमीन पर सोता है, रात में आकर उसे कोई जहरीला सांप डंस ले या उसे कोई जहरीला जानवर काट ले तब आपकी बिजली का कितना महत्व होता है यह आपको पता नहीं है, आप तो इंवर्टर में सोते हैं, आप तो बहुत महंगे कमरों में सोते हैं, आपको गरीबों का दर्द कैसे पता चलेगा इसलिए हमारे भाषण आपको माखौल लगेगा क्योंकि आपने तो गरीबी देखी नहीं है, यदि आप गरीबी को देखते गरीब की आत्मा को समझते, गरीब के दर्द को आप समझने का काम करते,इसलिए आपने बिजली की गंभीरता को नष्ट कर दिया है. आपने मध्यप्रदेश में इंवर्टर उद्योग खोलने का काम शुरू कर दिया है, आप देखें इंवर्टर की बड़ी बड़ी दुकानें खुल गई हैं. आप बड़े शहरों में चले जायें तो वहां पर आसान किश्तों में इंवर्टर उपलब्ध हैं. पेपरों में विज्ञापन आते हैं कि हम आसान किश्तों में आपको इंवर्टर उपलब्ध कराते हैं, वाह री सरकार आपने तो 15 साल पहले का वह कार्यकाल याद दिला दिया जिस समय मध्यप्रदेश में बिजली जाती थी तब बाप स्टार्टर के इस कोने पर खड़ा रहता था और कहता था कि बिजली आ गई और जब पानी इस कोने से उस कोने तक नहीं जाता था तो बेटा कहता था कि बिजली गई, अरे आपने तो वह 15 साल पुराना शासन यहां पर दोहराने का काम किया है.
माननीय सभापति महोदय मैंने जो तैयारी की है वह अपनी स्वयं ही की है किसी से आंकड़े उधार नहीं लिये हैं. मैं यहां पर अपने कर्मों के बल पर इस विधान सभा में आया हूं मैं कभी किसी की नकल नहीं करता हूं. जो कुछ भी दस्तावेज मेरे पास हैं वह अपनी मेहनत से तैयार किये हैं इसलिए मुझे आपसे और समय की आवश्यकता होगी. मेरा निवेदन है कि गरीब के प्रति दया का भाव हर सरकार के मन में होना चाहिए. क्योंकि गरीब की दया हर सरकार का प्रमुख आधार होता है. आपने यहां पर गरीबों के साथ में जो एक के बाद एक छलावे किये हैं, अरे आपने मरने वाले गरीब के अंत्येष्टि के 5 हजार समाप्त कर दिये हैं. मैं यहां पर आपको एक किस्सा बताता हूं. जब मैं अपने घर पर था रात को 3 बजे एक लड़का मेरे पास में आता है और कहता है कि सरपंच मुझे पांच हजार रूपये नहीं दे रहा है. मैंने उससे पूछा कि पांच हजार रूपये क्यों चाहिए तो वह बोला कि कल शाम को मेरे पिता की मृत्यु हो गई है उनके दाह संस्कार के लिए मैं सरपंच से पैसे मांगने के लिए गया था तो वह कहते हैं कि सरकार का पोर्टल बंद है, सरकार के पास में पैसे नहीं है इसलिए मैं आपको पांच हजार की मदद नहीं कर सकता हूं. मैंने सरपंच से बात की उससे पूछा कि क्या यह बात सही है कि आप पांच हजार की मदद नहीं कर सकते हैं तो उसने कहा कि सरकार ने देना ही बंद कर दिया है मैं कहां से मदद करूं तब हमने उस बच्चे के पिता का अंतिम संस्कार किसी और से मदद लेकर कराया. अरे, क्या ये आपकी मानवता है? क्या यह आपके मानवीय मूल्य है कि आपने उस गरीब को उसके पिता के दाह संस्कार का अधिकार भी नहीं दिया. आपने गरीब की तीर्थ दर्शन योजना बंद कर दी. वह गरीब पिता जवानी में जब यह सोचता था कि जब मैं बूढ़ा होउंगा, तो मैं तीर्थ दर्शन करूंगा. मैं भी परमात्मा का एकाध तीर्थ जाकर आऊंगा ताकि जब मैं मरूंगा तो मेरी सदगति हो जाएगी. मैं भगवान के घर जाऊंगा तो मुझे भी सुख शांति मिलेगी. श्री शिवराज सिंह चौहान जी जैसे महान संवेदनशील मुख्यमंत्री ने तीर्थ दर्शन योजना प्रारंभ करके मध्यप्रदेश में एक महान और ऐतिहासिक काम मध्यप्रदेश के गरीबों के लिए किया था.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं वह बुजुर्ग व्यक्ति आज भी आस लगाए बैठा है कि मुझे कोई तीर्थ कराएगा, फिर श्री शिवराज सिंह चौहान जैसा कोई मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश में आएगा जो मेरे बुढ़ापे को तीर्थ दर्शन से जोड़ने का काम करेगा. संबल योजना आपने मध्यप्रदेश से बंद कर दी. मध्यप्रदेश की सरकार ने श्रमिकों के लिए कार्ड जारी किये थे ताकि कम से कम जब वह श्रमिक बीमार होता था तो 15 दिन के इलाज का पैसा उसको मिल जाता था, उसकी पत्नी मान लो गर्भवती होती थी तो उसको उस अवधि में सरकारी सहायता मिलती थी. परन्तु आपने कभी भी उसके बारे में विचार नहीं किया.
आयुष्मान योजना के बारे में कहना चाहता हूं. यह भारत सरकार की ऐसी योजना, जो देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने प्रारंभ की. श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस नीयत से शुरू की, लेकिन मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री सहायता योजना आपने बंद कर दी. राज्य बीमारी सहायता योजना आपने समाप्त कर दी. अब गरीब का इलाज तो मध्यप्रदेश कराएगा नहीं. भारत सरकार आपको 60 प्रतिशत राशि उपलब्ध कराती है तो आप कम से कम 40 प्रतिशत तो उसमें दे दो साहब. आपने जो अस्पताल चिह्नित किये. वित्त मंत्री जी आप जांच कराओ, लिखो जरा पॉजिटिव तरीके से भी हम सदस्यों की बात और हमारी भावनाओं को समझो. आप नोट करो और जांच करवाओ कि जितने अस्पताल हैं जिनको आयुष्मान योजना में आपने अगर चिह्नित किया है तो क्या वे अस्पताल उन गरीबों से पैसे लेने का काम कर रहे हैं? अगर लेते हैं तो ऐसे अस्पतालों को चिह्नित करके तत्काल उनको बंद करना चाहिए ताकि गरीबों के साथ होने वाला अन्याय मध्यप्रदेश की इस पवित्र धरती पर रुक सके.
माननीय सभापति महोदय, यह वह धरती है जहां भगवान कृष्ण ने गाय चराने का काम किया है. यह वह पवित्र धरती है जिसने महाभारत में एक बड़ा संदेश दिया था कि यह धर्म की भूमि है और हम सब जानते हैं, माननीय सभापति महोदय इसलिए मेरा निवेदन है कि मैंने बहुत महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर सरकार का ध्यान आकर्षित किया है. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं माननीय मंत्री जी कि मां नर्मदा का गुण तो आपने बहुत गाया है. किसी ने कहा कि नर्मदा में फुटबाल खेलते थे, किसी ने कहा कि नर्मदा में मलिन पानी छोड़ने का काम करते थे. आपने नर्मदा मैया के बारे में इस बजट में क्या विचार किया ? इस बजट में आप नर्मदा मैया के लिए क्या करने वाले हैं जरा अपने भाषण में बता देना? शायद मध्यप्रदेश की नर्मदा मैया पर ही कृपा कर लोगे, यही बड़ा पुण्य का काम आप कर लोगे. वह कम्प्यूटर बाबा को आपने बैठा दिया, उसका एक साथी मिर्ची बाबा धरती पर पैदा हो गया था, कहता था कि इसी कुंड में कूदकर मर जाऊंगा, वह कुंड-वुंड में तो कूदा नहीं, कुंड तो उसको मिला नहीं, अब वही बाबा नहीं मिल रहा, वह बाबा कहां चला गया? अरे, वह मिर्ची बाबा ने कहा था कि 51 किलो की मिर्ची का यज्ञ कराता हूं और अगर मध्यप्रदेश के अंदर माननीय श्री दिग्विजय सिंह जी सांसद नहीं बनते हैं तो मैं उसी कुंड में डूबकर मर जाऊंगा. अब वह महाराज तो मिल नहीं रहे हैं.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) - सभापति महोदय, एकाध बात इस बजट पर भी हो जाय, यह मिर्ची, कम्प्यूटर इनको याद आ रहे हैं.
श्री मनोहर ऊंटवाल- सभापति महोदय, मैं आज के इस अवसर पर एक और गंभीर बात कहना चाहता हूं.
श्री तरुण भनोत - एक भी गंभीर बात नहीं है, इतना बड़ा हास्यास्पद बयान आज तक किसी ने इस विधान सभा के अंदर दिया ही नहीं है.
श्री मनोहर ऊंटवाल- माननीय सभापति महोदय, इन्होंने 17000 युवा बेरोजगारों को प्रशिक्षण देने की बात कही, इन्हीं के बजट में कही ना, तो मैं इनसे पूछना चाहता हूं कि जरा मुझे वह बता दें कि आप जो प्रशिक्षण दे रहे हैं , उसमें बाजे बजाने वाले के कितने आवेदन प्राप्त हुए, उसकी जानकारी भी आप अपने भाषण में जरूर देना.
श्री तरुण भनोत - मैं आपसे इतना प्रभावित हुआ हूं, उस सूची में आपका नाम भी लिखूंगा.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- वित्त मंत्री जी, मैं आपसे यह भी पूछना चाहता हूं कि 17 हजार प्रशिक्षणार्थियों को जो आपने बोला है, उसमें मवैशी चराने वाले कितने आवेदन सम्मिलत किये हैं, जरा यह भी आप बताने का काम कर दें. वित्त मंत्री जी, मेरा आज के इस अवसर पर बहुत विनम्र निवेदन है...( व्यवधान)..
सभापति महोदय -- माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि उनको समापन करने दें.
श्री जितु पटवारी -- सभापति महोदय, यह बात पूरे सदन के लिये जानकारी के लिये है, ये किनको हराकर आये हैं और किसकी टिकट काटकर आये हैं. जो पिछली बार वहां बैठते थे और ऐसे ही चिल्लाते थे, उनकी टिकट काटकर जीतकर आये हैं, तो असर तो उनका रहेगा.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य जी, और लोगों को भी बोलना है.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- सभापति महोदय, इनका एक और सफेद असत्य और भ्रामक चमत्कार आपको बताता हूं. रानी दुर्गावती प्रशिक्षण केंद्र संस्थान, पूर्व के गृह मंत्री जी चले गये. वर्तमान के गृह मंत्री जी भी चले गये. कोई बात नहीं, सभापति महोदय, आप तो आसंदी पर बैठे हैं. मंत्रीगण बैठे हैं, कृपया सुन लें. मैं आपको महत्वपूर्ण बात बताता हूं.
श्री तरुण भनोत -- (प्रतिपक्ष की ओर देखते हुए) ऐसे और दो-चार माननीय सदस्य खड़े कर दें.
श्री गोपाल भार्गव -- वे बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, सासंद भी रहे हैं, मंत्री भी रहे हैं. वे वरिष्ठ विधायक हैं.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- सभापति महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि इस बजट का एक और चमत्कार हम दिखाना चाहते हैं, देखिये, यह चमत्कार है..
सभापति महोदय -- आसंदी की ओर से लगाम नहीं लगाई जा रही है, पर मेराथन भी मत करिये, केवल यह निवेदन है.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में एक और चमत्कार आप इस वित्त विभाग, वित्त मंत्री जी का देखिये. महिला पुलस कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिये रानी दुर्गावती प्रशिक्षण संस्थान खोला जायेगा. मैंने पूर्व गृह मंत्री जी से पूछा था कि मुझे जहां तक ज्ञान है, यह तो पहले ही खुल चुका है. आप देख लीजिये जरा, खोला जायेगा. जो शिवराज सिंह जी खोल गये हैं, वह भी खोला जायेगा. ..(हंसी).. कम से कम उसकी बजाये एकाध नया तो कर दो. चलो आपने 100 करोड़ रुपये हार्टीकल्चर में रखे हैं ना, 52 जिलों में 100 करोड़ रुपये. ठीक है. मैं आगर का विधायक हूं, मेरे यहां टनों में संतरा होता है. शाजापुर में होता है. राजगढ़ के आधे जिले में होता है. उज्जैन के आधे जिले में होता है. रतलाम के आधे जिले में होता है. क्या मुझ पर कृपा करेंगे, क्या आप हार्टीकल्चर हब की आगर में आज घोषणा करेंगे, आपके बजट भाषण के उत्तर में..
श्री तरुण भनोत -- सभापति महोदय, अगर यही बात करनी थी, तो इतनी देर भूमिका क्यों बनाई, मुझसे बोल देते. मैं कर देता.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- देखिये, हम हैं विपक्ष. आप विपक्ष के विधायक को हमेशा, अगर जब तक विपक्ष जिन्दा नहीं रहता, तब तक पक्ष मजबूत नहीं रहता. हमारी भूमिका आपके, सरकार के लिये भाट और चारण जैसी होती है. हम आपको आपकी ताकत याद दिलाते हैं. हम वह अंगद हैं कि हनुमान अगर उसकी ताकत याद दिलाये, समुद्र लांघ सकता है, बशर्ते उसको हनुमान बनने की भावना मन में होना चाहिये. अगर यह भावना आपके मन में हुई, तो विपक्ष पूरी ताकत से आपके साथ खड़ा रहेगा. हम अच्छी चीज में आपका समर्थन करते हैं,पर बुरी चीजों में हम आपसे दूर जायेंगे, यह हमारा नैतिक धर्म बोलता है.
श्री तरुण भनोत -- आपकी बातें इस प्रकार की हैं, अगर आप सबके सामने नहीं बोलना चाहते, तो मुझे अगल से बता दीजिये क्षेत्र के बारे में, मैं जरुर करा दूंगा.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- सभापति महोदय, मैं जो कुछ बोलूंगा, सदन के बीच में बोलूंगा. ..
श्री तरुण भनोत -- आपको इतनी लम्बी भूमिका बताने की क्या जरुरत है. बता दीजिये.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- सबभापति महोदय, मेरा जो कुछ है समाज का है, मेरा कुछ नहीं है. हम जो कुछ मांगेंगे समाज के लिये मांगेंगे. मंत्री जी, मेरा आपसे एक और निवेदन है कि क्या आप जलेबी बैचेंगे, पेड़े बैचेंगे...
श्री तरुण भनोत -- सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में हम सब विभिन्न जिलों से आते हैं, हम सबकी कहीं न कहीं, कुछ न कुछ जिलों की खासियत है.
श्री मनोहर ऊंटवाल -- अच्छा चलिये मानते हैं.
श्री विश्वास सारंग -- सभापति महोदय, इस तरह इंट्रप्शन से तो उनका पूरा भाषण नहीं हो पायेगा.
सभापति महोदय -- माननीय मंत्री जी, हर प्रश्न का जवाब मत दीजिए, जब आप समापन करिएगा, तब सबका जवाब दे दीजिएगा. सबका नोट करते रहिए, एक तरफ से जवाब दीजिएगा.
श्री तरूण भनोत -- जब आप पकौड़े बिकवा सकते हैं तो क्या हम मध्यप्रदेश में जलेबी भी नहीं बिकवा सकते.
श्री मनोहर ऊँटवाल -- माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि ठीक है, अगर आप जलेबी भी बेचें, सेव भी बेचें, सब कुछ बेचें, चंदेरी की साड़ी भी बेचें, महेश्वर की भी बेचें, पर मुझे इतना जरूर बता दें कि इस सबको मिलाकर मध्यप्रदेश को कितनी आर्थिक आय प्राप्त करवाएंगे, ताकि हमको यह तो समझ में आए कि आपकी इस व्यापक सोच से राज्य को कितनी आर्थिक आय होने वाली है, जिससे हमारा मन आपको धन्यवाद दे, आपकी तारीफ करे.
माननीय सभापति महोदय, आज इस अवसर पर मैं माननीय वित्त मंत्री जी से यही निवेदन करूंगा कि बजट में आपने केवल सब्जबाग दिखाए हैं, कहीं कोई वास्तविकता उसमें नहीं है. क्या दो चीजों से आप मध्यप्रदेश का खजाना भरेंगे, 48 हजार करोड़ तो आपको किसानों को ही देना है. फिर आपने गौशाला खोलने में अरबों का फिर एक और बजट लेकर आ गए, अब इन सब चीजों के बारे में आप कैसे समायोजन करेंगे, प्रारंभ में नहीं तो अंत में, जब आप अंत में उद्बोधन देंगे तो इस सदन को इतना संतुष्ट कराना कि जब हम बाहर निकल कर जाएं तो आपकी तारीफ करें, भूरि-भूरि प्रशंसा करें. हम इस नीयत से मध्यप्रदेश की विधान सभा में चुनकर नहीं आते हैं कि केवल आपके बारे में बुरा बोलें. हम जो कुछ कहेंगे, वह आपके सुधार के लिए कहेंगे. आपका सुधार होगा तो सरकार का सुधार होगा, प्रदेश सुधरेगा. प्रदेश सुधरेगा तो देश और दुनिया में हमारे मध्यप्रदेश के नाम की वाहवाही होगी. अगर दुनिया के नक्शे में मध्यप्रदेश नंबर वन हो जाएगा तो उसका हिस्सेदार मनोहर ऊँटवाल भी होगा. वह भले ही विपक्ष में हो, पर वह दमखम से इस बात को रख सकता है कि मैं मध्यप्रदेश की उस विधान सभा का सदस्य हूँ जो राज्य आज उत्तरोत्तर वृद्धि कर रहा है. इस अवसर पर मैं आज वित्त मंत्री जी से यही निवेदन करूंगा. मेरे उद्बोधन में यदि आपको दु:ख हुआ हो, पर आप उसे सकारात्मक लेना. सकारात्मक सोच से काम करना. अंत में यही आपसे प्रार्थना है कि यह देश राम का है, राम जैसी गंभीरता आपमें रहे, यही मेरा आपसे निवेदन है. यह कह कर मैं अपनी बात को समाप्त करता हूँ.
3.03 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि अभी आप पधारे हैं तो मैंने अपने उद्बोधन में ....
अध्यक्ष महोदय -- माननीय ऊँटवाल जी, बिराजो.
श्री मनोहर ऊँटवाल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो आपके संज्ञान में यह लाना चाहता हूँ, हालांकि आप कक्ष में सुन रहे होंगे, पर आज मैंने अपने बजट भाषण में आपने जो 1966 के बजट पर अपना प्राक्कथन दिया है, उसी से इस उद्बोधन की शुरुआत की है और उससे मैंने सरकार के बजट को लिंकअप करके माननीय वित्त मंत्री से प्रार्थना की है कि सकारात्मक तरीके से, जैसा बड़ा मन हमारे माननीय विधान सभा अध्यक्ष जी का आज उस लेखनी में हमने देखा है, इनके एक माननीय सदस्य ने पेपर पढ़कर बजट की शुरुआत की, मैंने वित्त का आपका प्राक्कथन पढ़कर अपने उद्बोधन की शुरुआत की है. बहुत-बहुत धन्यवाद. जय हिंद जय भारत.
अध्यक्ष महोदय -- श्री घनश्याम सिंह जी. एक काम करें, अब जो वक्ता बोले, अपनी कलाई की घड़ी टेबल के सामने रख ले और 5 मिनट कितना उम्दा और पेचीदा बोलते हैं, यह देखना है, सिर्फ शर्मा जी को छूट रहेगी, क्योंकि मेरे पास 11-11 नाम हैं और मुझे 8 बजे तक यह पूरा करना है, तो मुझे सहयोग करने का कष्ट करें.
श्री घनश्याम सिंह (सेवढ़ा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्त मंत्री श्री तरुण भनोत द्वारा प्रस्तुत बजट प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हॅूं. वास्तव में हम देखें जैसा कि हमारे युवा साथी विधायक श्री राजवर्धन सिंह जी ने कहा था. आज के सारे अखबार की हेडलाईन है आप पढ़ लीजिए. इस बजट की हर जगह तारीफ हुई है. मैं तो कहूंगा कि यह ऐतिहासिक बजट है. 15 साल के अंधेरे के बाद मध्यप्रदेश में नया सवेरा आने वाला है यह उसको दर्शाता हुआ बजट है. ये बजट नहीं है बल्कि मैं तो यह कहूंगा कि माननीय कमलनाथ जी का एक दृष्टि पत्र है, विजन डॉक्यूमेंट है. मध्यप्रदेश भविष्य में कैसा होने जा रहा है उसके लिए प्रस्तुत किया है. सबसे पहले तो उद्योग नीति में जो हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने परिवर्तन किया है वे बधाई के पात्र हैं. हमारे वित्त मंत्री जी ने उल्लेख किया है कि उद्योग नीति में परिवर्तन करके प्रावधान किया जा रहा है कि जो भी निवेश बाहर से आएगा, उसमें उन उद्योगों में आवश्यक किया जाएगा कि 70 प्रतिशत रोजगार मध्यप्रदेश के निवासियों को मिले. यह बहुत सराहनीय कदम है. इससे बेरोजगारी दूर करने के लिए हम आगे बढे़ंगे.
माननीय वित्त मंत्री जी ने जो कहा है मैं उसका समर्थन करता हॅू कि औद्योगिक निवेश मांगने से नहीं आता, यह व्यवस्था में विश्वास से अर्जित होता है. हमारी सरकार व्यवस्था में विश्वास अर्जित करने के मार्ग पर चल पड़ी है और आने वाले दिनों में, आने वाले वर्षों में निश्चित रुप से बहुत बड़ा औद्योगिक निवेश आएगा, जिससे बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा. इसके लिए मैं बहुत-बहुत बधाई दूंगा. जो अभी माननीय सदस्य मनोहर ऊंटवाल जी चर्चा कर रहे थे, आलोचना कर रहे थे कि क्या सरकार जलेबी बेचेगी. लेकिन वास्तव में जो बात कही गई है वह बहुत सराहनीय है. मध्यप्रदेश के हर जिले कोई न कोई विशेषता है. कोई न कोई उत्पाद ऐसा होता है जिसकी चर्चा सब जगह होती है जो मशहूर होती है. उसका हम वैज्ञानिक ढंग से प्रचार-प्रसार करेंगे. मॉर्केटिंग करेंगे, ब्राँडिंग करेंगे तो निश्चित रुप से पूरे विश्व में उसकी मांग बढे़गी. जब मांग बढे़गी तो उद्योग बढे़ंगे, रोजगार बढे़ंगे. इसकी जितनी भी तारीफ की जाए, उतना कम है.
हमारे अन्य विषयों पर तो माननीय राजवर्धन सिंह जी ने काफी चर्चा की है इसलिए मैं शहरी विकास के संबंध में बताना चाहूंगा. शहरी विकास के लिए जो संकल्प लिया गया है वह सराहनीय है. इंदौर, भोपाल एक्सप्रेस-वे पर औद्योगिेक क्षेत्र विकसित करने की बात कही गई है. आधुनिक ढंग से विकास की बात कही गई है. भोपाल और इंदौर में मेट्रों रेल के लिए बजट में जो प्रावधान किया गया है उसके लिए भी मैं धन्यवाद दूंगा. छोटे और मध्यम शहरों को वायुसेवा से जोड़ने की जो बात कही गई है. खासतौर से धार्मिक क्षेत्रों से संबंधित जो शहर हैं उसके लिए ऑपरेटर्स को सब्सिडी दी जाएगी. वह भी एक बहुत सराहनीय कदम है. सतना, उज्जैन और दतिया जिले को भी उसमें शामिल किया गया है, मैं वित्त मंत्री जी को उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद दूंगा. इससे निश्चित रुप से पर्यटन के क्षेत्र में विकास होगा. पर्यटन का क्षेत्र ऐसा क्षेत्र है जिसमें सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर होते हैं. हमारा दतिया नगर बहुत प्राचीन है. दतिया में 350-400 साल पुराने स्मारक हैं. हमारे दतिया नगर का जो पुराना महल है उससे प्रेरित होकर नई दिल्ली के ऑकिटेक्ट सर एडवर्ड रिचर्ड्स ने उससे प्रेरणा लेकर नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में भारतीय परम्पराओं का समावेश किया. यह उन्होंने स्वीकार किया था. कल परसों के पेपर में खबर आयी थी कि जयपुर के परकोटा को वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शामिल किया गया है, यह बडे़ गर्व की बात है. हमारे दतिया नगर में भी और मध्यप्रदेश के कई नगरों में भी शहर कोट बने हुए हैं. मैं कहूंगा कि दतिया में तो बना हुआ था. लेकिन पिछली सरकार की ऐसी कृपा हुई कि एक व्यक्ति ने निर्णय किया कि 200 साल पुराना ये परकोटा पूरा तोड़ दिया जाए. वहां भव्य दरवाजे बने हुए थे. बिना किसी वैधानिक आदेश के, बिना किसी दृष्टिकोण के, बिना किसी सोच के परकोटा तोड़ दिया गया. लोग हाईकोर्ट गए, सुप्रीम कोर्ट गए, तब तक छ: किलोमीटर में से तीन किलोमीटर परकोटा टूट चुका था और उसमें जो ग्रेनाईट पत्थर और बोल्डर था उसमें घोटाला किया गया. हाईकोर्ट में याचिका लगी हुई है कि 25 करोड़ रुपयों का मटेरियल बेच दिया गया. प्रथम चरण में साढे़ तीन सौ मीटर परकोटा तोड़ा गया था. उसमें ठेकेदार ने मटेरियल एकत्रित करके नीलामी दर्शायी थी जबकि नीलामी वास्तव में नहीं हुयी थी. उसमें 70 लाख रुपये आय होना बताया था और शेष 3 किलोमीटर में एक पैसे की आय नहीं बताई. एक एफ.आई.आर. कर दी कि मटेरियल सब चोरी हो गया, ग्रेनाईट चोरी हो गया. कम से कम 25 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. वह तो अलग है, उसके अलावा हमारी जो धरोहर, विरासत है, उसके साथ खिलवाड़ किया गया. मैं धन्यवाद दूंगा माननीय तरुण भनोत जी का कि उन्होंने इच्छा व्यक्त की है कि ऐसे नगर जहां ऐतिहासिक विरासतें हैं उनको पर्यटन के क्षेत्र में विकसित किया जायेगा, उनका संरक्षण किया जायेगा. नदियों को पुनर्जीवित करने के लिये जो संकल्प व्यक्त किया गया है और जल को अधिकार बनाने की बात कही गई है वह भी बहुत सराहनीय है. नदियों को पुनर्जीवित करना आसान काम नहीं होता है. वह लॉंग टर्म प्लान है. उसके नतीजे पता नहीं कितने साल बाद आयेंगे, लेकिन उसमें निवेश अभी होगा और बहुत निवेश होगा. रिटर्न काफी साल बाद आयेंगे. ऐसी योजना को प्रारंभ करने की हिम्मत हमारी सरकार, हमारे मुख्यमंत्री जी ने दिखाई है. मैं, उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद दूंगा. हमारे मुख्यमंत्री जी का लंबा विज़न है. वह निश्चित रूप से मध्यप्रदेश को विकास के नये-नये सोपानों पर ले जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय, अभी जैसे बीच में कहा गया कि छिंदवाड़ा जिले को उन्होंने जिस तरह से विकास के आयाम दिये हैं जबकि वह राज्य सरकार में मुख्यमंत्री या मंत्री कभी नहीं थे, वह केन्द्र में थे, मात्र सांसद थे, उसके बाद भी उन्होंने छिंदवाड़ा को जिस तरह से विकास के सोपान पर पहुंचाया है वह उदाहरण है. मुझे विश्वास है कि आगामी वर्षों में छिंदवाड़ा मॉडल पूरे मध्यप्रदेश में लागू होगा और हम तीव्र गति से आगे बढ़ेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मैं, यह आखिरी बात कहना चाहता हूं कि पिछले कुछ वर्षों पूर्व हमारे पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, आदरणीय राहुल गांधी जी की हमारे क्षेत्र बुंदेलखंड के पिछड़ेपन की तरफ निगाह गई थी. उन्होंने दौरा किया. वह खेतों पर गये, आदिवासियों, अनुसूचित जाति के लोगों के घरों में ठहरे, उनके साथ भोजन किया और उन्होंने कहा कि ह्यूमन इंडेक्स के मामले में बुंदेलखंड का क्षेत्र पूरे भारत में सबसे पिछड़ा हुआ है. यह उन्होंने महसूस किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी के पास एक प्रतिनिधि मंडल ले जाकर विशेष पैकेज की मांग की थी. 7,000 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार ने विशेष पैकेज में दिये थे. जिसमें से लगभग 3,400 करोड़ रुपये मध्यप्रदेश के 6 जिलों को मिले थे. लेकिन तत्कालीन सरकार ने इस तरह की योजना बनाईं जो उपयोगी ही नहीं थी. शहर से, गांव से 2-2, 4-4, 6-6 किलोमीटर दूर हाट बाजार बना दिये. आज वह सारे अनुपयोगी पड़े हैं. इसी तरह से और योजनाओं में बंदरबॉंट किया गया. सिंचाई की योजनाओं में भयंकर भ्रष्टाचार हुआ. बुंदेलखंड के विकास के लिये एक बहुत अच्छा मौका मिला था. यह उस सरकार ने किया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं, आदरणीय मुख्यमंत्री जी का, वित्तमंत्री तरुण भनोत जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि बुंदेलखंड में विकास की बहुत संभावनायें हैं. हमारा क्षेत्र बहुत पिछड़ा हुआ है. खासतौर से ह्यूमन इंडेक्स के मामले में पिछड़ा है, लेकिन संभावनाएं बहुत हैं. सिंचाई की संभावनाएं हैं, उद्योग की संभावनाएं हैं, पर्यटन की बहुत संभावनाएं हैं, उनके ऊपर विशेष ध्यान दें. मैं, माननीय वित्तमंत्री जी को और भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि हमारे दतिया जिले में पी.डब्ल्यू.डी. के माध्यम से लगभग 40 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों की स्वीकृति दी है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी तमाम सड़कों की स्वीकृति दी है और तमाम विकास योजनाओं की स्वीकृति मिली है. आपसे उम्मीद करूंगा कि आगे भी ऐसा ही सहयोग हमारे जिले को, हमारे बुंदेलखंड क्षेत्र को और पूरे मध्यप्रदेश को आप देते रहेंगे. मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हम तेजी से आगे बढ़ेंगे. हमारे ऊपर जो कलंक है, एक बहुत बड़ा प्रोपेगेण्डा किया जाता था कि मध्यप्रदेश विकसित राज्य हो गया और बीमारू राज्य की श्रेणी से निकल गया, लेकिन वास्तविकता यह है कि सरकारी एजेंसियों, केन्द्र सरकार की सरकारी एजेंसियों की रिपोर्ट है कि गरीबी के मामले में 29 राज्यों में से 27 वें पायदान पर हम हैं. फिर कैसे हम बीमारू राज्य से मुक्त हुये ? मुझे पूरा विश्वास है कि हम निश्चित रूप से आगामी सालों में माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में बीमारू राज्य से मुक्त होंगे. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं इस बजट का समर्थन करता हूं.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) - अध्यक्ष जी, सबसे पहले तो मुझे इस बात का अफसोस है कि ऐसी सरकार बजट प्रस्तुत कर रही है जो अल्पमत की सरकार है. आपको बहुमत नहीं दिया है. जनता के टैक्स का पैसा ऐसी सरकार के हाथ में आ गया है जो बहुमत नहीं होते हुये भी. जनता चाहती नहीं थी. 01 लाख 29 हजार करोड़ तो जनता की जेब से निकलकर, कर राजस्व ही आना है श्रीमान जी और जिसको लोकसभा चुनाव में पूरी तरह से नकार दिया गया, ऐसी सरकार आज बजट पेश करने खड़ी हुई है, बड़ा अफसोस है कि इनको 2 लाख 33 हजार करोड़ रुपये देना पड़ेगा....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- भैय्या नो टोकाटाकी. इसके बाद श्रीमती झूमा सोलंकी आप तैयार रहेंगी.
डॉ.सीतासरन शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने कहा आगाज अच्छा है, नीयत अच्छी है, सोच अच्छी है. नीति तो आपकी सिर्फ ट्रांसफर की है, इन 7 महीनों में और कोई नीति तो हमें समझ में नहीं आई और नीयत क्या है. नीयत है जनता को गुमराह करके सत्ता में आने की. हुजूर आपने 4 हजार रुपये महीने बेरोजगारी भत्ते का बोला था. कहाँ गया? मैंने यह पूरी किताब पढ़ ली कि यह कहीं मिल जाए? आपने तो वादा किया था, 4 हजार रुपया महीना देंगे, नौजवानों के साथ छलावा करते हों. जरा नजरें नीची कर लेना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अपने भाषण में एक शेर बोला, क्योंकि इस वक्त पावर है, भले ही 230 सदस्यों में से 114 सदस्य ही हों,
शेर यह था, “अपनी लंबाई का गुरूर है रास्तों को, लेकिन,
वो मेरे कदमों के मिजाज नहीं जानता”
जानते हैं सरकार, एक शेर आपको भी समर्पित है—
जो पहुँच गए हैं मंजिल पर, ये पहुँच गए हैं 8-8 बार जीत कर आए हैं 15 साल
मंत्री रहे.
जो पहुँच गए हैं मंजिल पर, जिक्रे सफर न किया कभी,
दो चार कदम जो चले अभी रफ्तार की बातें करते हैं.
कितने दिन हुए आपको आए? आपको तो अपने कदमों पर ही नाज होने लगा. नहीं
साहब, अभी बहुत सी गलतियाँ की हैं आपने.
अध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साहब, यह वर्तमान मंत्री को समर्पित है या पूर्व मंत्री को समर्पित है? (हँसी)
डॉ.सीतासरन शर्मा-- साहब, पूर्व मंत्री तो....
अध्यक्ष महोदय-- पूर्व वित्त मंत्री को?
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- पूर्व वित्त मंत्री ने भी काफी लंबा सफर तय कर लिया था. आप तो जानते हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा-- बहुत सीनियर थे. अध्यक्ष महोदय, किसानों की बात सबने की इसलिए दोहराऊँगा नहीं. पर एक बात पूछना चाहता हूँ. आपने अनुपूरक बजट में 5 हजार करोड़ रुपये रखे, डेढ़ दो महीने आए हुआ था तो हमने कहा ठीक है. अभी अनुमान नहीं लगा पाए. इस बार 8 हजार करोड़ रुपये रखे. इस पूरी किताब में कहीं लिखा नहीं कि किसानों पर कुल कितना कर्जा है. यह तो बताओ प्रदेश की जनता को कि किसान पर कर्जा कितना है और आपने कितना रखा है. धोखे में क्यों रखते हों? आपने ये किताबें तो दुनिया भर की छाप छाप कर हमारे हाथ में दे दी. वित्त मंत्री जी, इस प्रदेश की जनता यह जानना चाहती है कि कुल किसानों के खाते में कितना रुपया जमा करेंगे, यह टुंगाटुंगा के मत दो, किश्तों में मत दो. ज्यादा समय नहीं है आपको. एक बात और आप एफ.आर.बी.एम.एक्ट की सीमा में रहे हैं और कारण बड़े गर्व से बताया कि हमारे पास राजस्व का आधिक्य है. आपको मालूम है सरकार में राजस्व का आधिक्य कब से आया है. तब आया जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आ गई. 2004-05 से राजस्व आधिक्य आया, अभी तक चल रहा है और आज गारंटी से इस सदन में कहता हूँ कि अगले साल यह घाटे में जाएगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- यदि इनकी सरकार रही तो. (हँसी)
डॉ.सीतासरन शर्मा-- इनकी सरकार रही तो, तो इस पर बहुत इतराने की जरुरत नहीं है और यह घाटे में जाएगा, पीछे जाएगा, उसका कारण है.....
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- मेरा निवेदन है शुभ शुभ बोलिए.
डॉ.सीतासरन शर्मा-- आप थे तब. यहाँ बैठते थे.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- हाँ. वही तो, अब उधर पहुँच गए हैं तो कैसे बोलने लगे हैं. वहाँ तो हम लोग बोला करते थे.
डॉ.सीतासरन शर्मा-- इसलिए आपको सब बात मालूम है. माननीय मंत्री जी भी बैठते थे.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- इसलिए निवेदन है कि अब आप उधर पहुँच गए हैं तो अच्छी अच्छी वाणी बोलिए.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- आपने एक बात बोली रोजगार के लिए, चलिए मत दीजिए 4000 रुपए, परन्तु रोजगार कैसे देंगे क्योंकि रोजगार की बात आपके राष्ट्रीय नेता ने भी बहुत की थी. तमाम आंकड़े ले लेकर बैठते थे. जब हमारे नेता प्रतिपक्ष ने मामला उठाया तो मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हम 70 प्रतिशत, हालांकि उन्होंने कहा था कि सात नाम बताएं तो वे बता नहीं पाए, यह हम नहीं पूछेंगे नेता जी पूछ चुके हैं. 70 प्रतिशत जो इंडस्ट्रीज आने वाली हैं उनको देंगे, परन्तु जो इंडस्ट्रीज पहले से हैं उनको क्यों नहीं देंगे. वर्तमान इंडस्ट्रीज में भी जो नई भर्तियां होंगी उनके लिए भी 70 प्रतिशत का नियम बनाइए ताकि यहां के नौजवानों को रोजगार मिल सके. 160 रुपए आपने नहीं दिए हैं और न ही देने का वादा किया है. उस पर कितना खर्च होने वाला था इसका उल्लेख बजट में नहीं किया गया है. इसका मतलब है कि आपने घोषणा तो कर दी और इसलिए कर दी कि शिवराज सिंह जी चौहान 2000 रुपए देते थे, दिया था लोगों के खाते में जमा किया था. आपने सोचा केन्द्र सरकार का 1840 रुपए है, 160 रुपए हम बोल देते हैं. असत्य बोलकर सरकार में आना बड़ी खराब बात है. इसीलिए जनता ने भरोसा नहीं किया.
श्री निलय विनोद डागा -- पिछले 14 साल में 21 हजार घोषणाएं हुई थीं.
डॉ. सीतासरन शर्मा--72000 रुपए का वादा आपके नेता ने भी कर दिया था परन्तु जनता ने कहा कि नहीं यह कहकर पटल गए, वोट लेकर पता नहीं कहां चले जाते हैं, बंगले सुधरवाने लगते है कि अब हम वहीं रहेंगे, अब तुम धक्के खाओ.
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री सुषेण संजीवनी योजना, एक बात के लिए तो आपको धन्यवाद है कि आपने इस योजना का नाम सुषेण रखा. कम से कम संस्कृति की ओर गए. अभी तक आप हम लोगों का मजाक उड़ाते थे. वैद्य सुषेण लंका से लक्ष्मण जी का इलाज करने के लिए आया था, इसके लिए धन्यवाद. किन्तु 1065 और 525 एमबीबीएस की भर्ती से कुछ होने वाला नहीं है. सर्विस कंडीशन्स अच्छी करिए. मुख्यमंत्री सुषेण संजीवनी योजना आपने अनुसूचित क्षेत्र के लिए बनाई है लेकिन डाक्टर्स वहां नहीं जाएंगे, इस्तीफा दे देंगे क्योंकि आपके पास वह सुविधाएं नहीं हैं जो दूसरे राज्यों में उन्हें मिल रही हैं. सरकार में आप हैं आपको यह व्यवस्था करना पड़ेगी. राजवर्धन सिंह जी ने भी ऐसा भाषण दिया जैसे कि हम लोग सरकार में हों. हमारी मत बोलें, एक डेढ़ साल बाद, दो साल बाद बोलना जो बोलना है, जो कुछ बोलना है इधर से ही आकर बोलना और तब आप 100 ही बचेंगे.
श्री निलय विनोद डागा--यह आपका सपना ही है 5 साल तो हम लोग ही हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा--कल गोवा के दस विधायक चले गए. जैसे लोग क्रिकेट का स्कोर देखते हैं वैसे ही इस घटना को भी देख रहे हैं.
श्री तरुण भनोत--अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी अनुमति से कुछ कहना चाहता हूँ. शर्मा जी सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से हैं, पूर्व में अध्यक्ष, विधान सभा रहे हैं. हमने आपसे बहुत कुछ सीखने का प्रयास भी किया है. आप जो भी आलोचना कर रहे हैं वह तो मंजूर है परन्तु आप इस बात को प्रोत्साहन दे रहे हैं कि गोवा में हुआ, कर्नाटक में हुआ यहां पर भी होगा यह आपके मुख से शोभा नहीं दे रहा है. आप सदन की सबसे ऊंची कुर्सी पर बैठ चुके हैं. इस बात को आप प्रोत्साहन देंगे ऐसी आपसे उम्मीद नहीं है. आदरणीय बाकी सब बोलें पर आपके मुख से शोभा नहीं देता है.
श्री विश्वास सारंग--टेंशन हो गया.
श्री निलय विनोद डागा--माननीय विधायक जी आप ब्राह्मण देवता हैं, आप आशीर्वाद देते हैं. हमारी संस्कृति में है हम बोलते हैं कि विश्व का कल्याण हो. मेरा आपसे निवेदन है कि आप कल्याण का आशीर्वाद दें, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री विश्वास सांरग--ठीक है, बजट पास करवा देंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा--अध्यक्ष महोदय, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, 1000 का आपने वादा किया था 600 का वादा नहीं किया था यह कोई गौरव की बात नहीं है. सामान्य वर्ग के आरक्षण के बारे में उल्लेख है यह बहुत देर से किया है, बहुत से नौजवान रह गए हैं. अभी भी मेरा अनुरोध है सामने सरकार बैठी है, अधिकारी प्रमाण-पत्रों पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं. कृपा करके नीचे निर्देश दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- कोई भी बीच में नहीं टोकेगा. डॉक्टर साहब आपको दस मिनट हो गए हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, अनेकों जगह से जानकारी आ रही है कि प्रमाण पत्र नहीं बन रहे हैं. मैं आपसे आग्रह करूंगा कि इसकी तिथि कुछ आगे बढ़ा दें ताकि जो आपने प्रावधान किया है, नियम बना दिया, कानून बना दिया सब कुछ है उस बात का लोगों को लाभ हो जाए क्योंकि उसमें बहुत ही कम केवल दो दिन का समय मिला था.
अध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साहब, सभी आपका समय जाया करते हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बिलकुल भी विषय के बाहर नहीं जा रहा हूं. आपने एक जल का अधिकार अधिनियम, माननीय नागेन्द्र सिंह जी ने सही बात कही थी कि पानी पिलाने को क्या कोई मना कर रहा है. कानून बना देंगे और किसी को प्यास लगेगी तो क्या वह कोर्ट में जाएगा. आप यह क्या कर रहे हैं? पानी पिलाने को किसने मना किया है कि उसको अधिकार दे रहे हैं. हमारे देश में तो प्याऊ खोल रहे हैं, हमारी संस्कृति है. अधिनियम के जाल में मत उलझाइए. पानी दीजिए. स्वास्थ्य का अधिकार, बीमार का इलाज तो करना ही पड़ेगा अधिकार दो चाहे न दो. क्या कोर्ट में जाएंगे. यह बड़ी अजीब बात है. यह आपने इसलिए बना दिया क्योंकि एक माननीय मनमोहन सिंह जी की सरकार ने दिल्ली वालों ने बना दिया था. अरे कोई मना कर रहा था क्या पढ़ाने को. इसका क्या अर्थ था और यह कानून आप क्यों बना रहे हैं. आप पेयजल की चिंता कर रहे हैं इसके लिए धन्यवाद किंतु कानून बनाकर नहीं. पानी की व्यवस्था ट्यूबवेल खोदकर, सरफेस वॉटर का संरक्षण करके, वॉटर हार्वेस्टिंग करके करिए. आपने तो कहा हुजूर हमने तो कानून बना दिया प्यास लगे तो वकील करके सिविल कोर्ट में एक दरख्वास्त लगा देना. माननीय मंत्री जी इसमें मेरा एक अनुरोध भी है कि चूंकि अभी बरसात का मौसम है वॉटर हार्वेस्टिंग की आवश्यकता है यदि आप विधायक निधि से इसकी अनुमति दे दें. सरकारी भवनों के लिए तो अनुमति है किंतु प्राईवेट भवनों के लिए पानी जमीन के नीचे जाता है तो सरकार के पास रहता है सब जगह वितरित होता है. उसके लिए इसकी अनुमति नहीं है. यदि आप ये अभी पहुंचा देंगे तो माननीय विधायकगण अपने-अपने क्षेत्रों में वॉटर हार्वेस्टिंग विधायक निधि से करवा सकेंगे और जल संरक्षण की व्यवस्था हो सकेगी. गर्मी में आपने पानी के अधिकार की बात तो की, लेकिन आपने पानी की क्या व्यवस्था की. कितने हैण्डपम्प खुदे, किसी के पास फिगर है, (बजट भाषण दिखाते हुए) इस किताब में लिखा है कि हमने यह व्यवस्था की थी इतना रुपया खर्च हुआ. आपने कितनी नगरपालिकाओं को टेंकर के लिए पैसा दिया. पूरा गर्मी का सीजन निकल गया आपने पानी की चिंता नहीं की. सभी विभागों में निर्माण कार्य रुके हुए हैं. मनरेगा के कुछ नियम बदले हैं कुछ छूट दें. ग्रामीण विकास मंत्री जी अभी सदन में नहीं हैं आप रिकार्ड उठाकर देख लीजिए. सरपंच मनरेगा का काम नहीं करते हैं. दूसरी राशि का सबका करते हैं परंतु मनरेगा का नहीं कर रहे हैं. सारा पैसा डेड पड़ा रहता है. इसके लिए कुछ करिए मध्याह्न भोजन के बारे में मेरा अनुरोध है कि मुझे मालूम है सब इसका विरोध कर सकते हैं. माननीय दिग्विजय सिंह जी के समय में सूखा अनाज अटेंडेंस के आधार पर दिया जाता था. सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया और कहा कि मध्याह्न भोजन बनाओ तो अब शिक्षकों को आपने एक तो अच्छा आदेश दिया कि सब अटेचमेंट खत्म करो और गैर शिक्षकीय काम नहीं करेंगे किंतु अब शिक्षक भोजन बनवा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट का आदेश है तो आंख बंद करके मानने की जरूरत नहीं हैं. वह तो वहां बैठे हैं उन्हें समझ नहीं आता कि कितने लोगों की बलि चढ़ गई. कुंभकोणम में इस मध्याह्न भोजन के कारण 97 बच्चे जलकर मरे थे, बैतूल में जहर दे दिया गया था, बिहार में जहर के कारण 40 लोग मर गए थे यह अनहाईजिनिक है इसकी कुछ व्यवस्था करिए. माननीय गृह मंत्री जी बैठे हैं. साइबर क्राइम पर आप ध्यान दें. सोशल मीडिया का बहुत दुरूपयोग हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने 66ए समाप्त कर दिया है. कृपया सरकार की ओर से उसमें रिट लगवायें ताकि 66ए संशोधित रूप में वापस आ सके. इसी वजह से साइबर क्राइम अधिक हो रहे हैं क्योंकि पुलिस के पास कोई अधिकार नहीं है. उन्हें आई.पी.सी. की धाराओं के अधीन केस रजिस्टर्ड करने पड़ रहे हैं. वैसे तो मुझे बहुत कुछ कहना था परंतु माननीय अध्यक्ष महोदय आपने एक मिनट का समय दिया है इसलिए एक शेर कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा. मंत्री जी ने कहा कि
''थोड़ा सुकून भी दीजिये जनाब, ये जरूरतें तो कभी खत्म नहीं होतीं''
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम इस संस्कृति के लोग नहीं हैं.
''राम काज कीन्हे बिनु मोहि कहां बिश्राम''
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपको सुकून नहीं लेने देंगे. हम एक-एक बात के लिए आपको कटघरे में खड़ा करेंगे और यदि आप सुकून के लिए जाना चाहते हैं तो अवश्य जायें. आपने बड़े-बड़े बंगले बना लिए हैं, आप वहां आराम करें शासन हम चला देते हैं. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- संजीव जी यहां दिख नहीं रहे हैं. कृपया उन्हें खबर पहुंचा दें अगला नंबर उनका ही है. श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी जी आप अपनी बात रखें.
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी (भीकनगांव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2019-20 की बजट चर्चा में, मैं अपनी बात रख रही हूं. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी एवं वित्त मंत्री जी द्वारा जो प्रस्ताव बजट के रूप में आए हैं, मैं मानती हूं कि वे प्रस्ताव भविष्य में मध्यप्रदेश की खुशहाली के लिए हैं. मैं अपनी बात किसानों के ऊपर रखना चाहूंगी. आज से 8 माह पूर्व प्रदेश में ''वक्त है बदलाव का'', यह ऐतिहासिक नारा हमारे मुख्यमंत्री जी ने इस प्रदेश की जनता को दिया था और यह नारा निरंतर 15 वर्षों के कुशासन, भ्रष्टाचार, अराजकता, महिलाओं पर बढ़ते अपराध, बेरोजगारी, इन सभी के विरूद्ध था और इसे लेकर प्रदेश की जनता ने हमारी सरकार को समर्थन दिया, जनाधार दिया, जिससे हमारी सरकार बनी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी के इस आह्वान के पश्चात् उनके नारे में जो सार्थकता दिखी, जो वादा किया गया था कि हमारे प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ किया जाए और इसलिए ''जय किसान ऋण मुक्ति योजना'' बनी. मुझे यह कहते हुए बहुत दु:ख हो रहा है कि सत्र के पहले ही दिन हमारे पूर्व मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसान साहूकारों के चंगुल में है. मैं आप सभी से पूछना चाहती हूं कि क्या 15 वर्षों तक किसान साहूकारों के चंगुल में नहीं था ? (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि किसान साहूकारों के चंगुल में था तो आपको ऐसे नियम-कानून बनाने चाहिए थे जिससे किसान साहूकारों के चंगुल से मुक्त हो सके. हमारी सरकार ने आते ही ''जय किसान ऋण मुक्ति योजना'' के माध्यम से किसान को कर्ज से मुक्त किया है. इसके लिए सदन के भीतर सर्वानुमति के साथ विपक्ष की ओर से भी धन्यवाद प्रस्ताव आना चाहिए था कि हमारे किसान कर्ज मुक्त हुए है और आने वाला समय उनके लिए उज्जवल होगा. किंतु नहीं, यहां तो उस योजना की आलोचना की जा रही है और आलोचना भी यहां तक की जा रही है कि विपक्ष यह पचा ही नहीं पा रहा है कि किसान कर्ज से मुक्त कैसे हो गया ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अनुरोध करना चाहूंगी कि हमारा किसान कर्ज मुक्त हुआ है, खुशहाल हुआ है परंतु इसके लिए आम सहमति भी जरूरी है. मैं सदन को बताना चाहूंगी कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के सबसे अधिक कर्ज माफ हुए हैं. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में मेरे पूर्व के वक्ताओं ने सभी आंकड़े प्रस्तुत किए ही हैं यदि आप मुझे आदेशित करें तो मैं सदन के समक्ष सारे आंकड़े पेश कर सकती हूं. हमारे कार्यकर्ता, हमारे ग्रामीण किसान हमें कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी ने कर्ज माफ किया है लेकिन हमारा रह गया और भारतीय जनता पार्टी के सभी लोगों के कर्ज माफ हो गए हैं और यह सत्य भी है. भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अपनी जेब में, पीछे कर्जमाफी का पत्र रखकर लोकसभा के चुनाव में जोर-जोर से चिल्लाकर कहा है कि कर्ज माफ नहीं किया. मैं कहना चाहूंगी कि इतनी असत्यता ठीक नहीं है. यह सदन हमारी विधायिका का मंदिर है. यहां पर चर्चायें होती हैं और निष्कर्ष भी निकाले जाते हैं लेकिन इतना भी असत्य कहना सही नहीं है. अध्यक्ष जी, हमारे कमलनाथ जी ने बहुत बड़ा काम किया है. हमारे किसान जिनके लिये हमेशा से परिभाषित था कि ''किसान कर्ज में पैदा होगा, कर्ज में जीयेगा और कर्ज में ही मर जायेगा.'' इस अभिशाप से किसानों को मुक्त किया है, मध्यप्रदेश की हमारी संस्कृति में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो अपने पिता के कर्ज को चुकायेगा तो उसकी मृत्यु के पश्चात उसके कर्ज का पिंडदान करने के लिये बिहार(गया) जायेगा, नासिक जायेगा और तमाम धार्मिक स्थलों पर जायेगा, किन्तु हमारे मुख्यमंत्री जी ने उन मृतक किसानों के माथे से उस कर्ज को हटा दिया है, उस रिकार्ड से हटा दिया है. यह इतना बड़ा काम करने वाली हमारी कांग्रेस पार्टी है. मैं इतने बड़े काम के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी को अपनी ओर से बहुत-बहुत धन्यवाद दूंगी. मैं आलोचना करने वालों से कहना चाहती हूं कि जो सरकार के कम से कम जो सार्थक काम हैं और जो सार्थक पहल है, उसके लिये एक साथ आयें. हमारे वित्त मंत्री जी, प्रस्ताव में मध्यप्रदेश को जो सौगातें देने वाले हैं, सरकार के पास खजाना खाली है, उसके बावजूद भी हमारे प्रदेश की खुशहाली के लिये जितने भी प्रस्ताव आये हैं, विशेष तौर से मेरे जिले में आयुष अस्पताल का प्रस्ताव आया तो उस अस्पताल से निश्चित ही हमारे जिले को फायदा होने वाला है.
अध्यक्ष महोदय, विधवा पेंशन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन जो बढ़ी है उससे पूरे मध्यप्रदेश में 48 हजार ऐसे विधवा और सामाजिक सुरक्षा पेंशनधारी हैं, उनको सीधा उसका लाभ मिल रहा है. यदि बेरोजगारों की बात करें तो निश्चित ही उनका प्रशिक्षण ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाला है और उन्हें रोजगार मिलेगा. यह सिर्फ वादा नहीं है, वादे को पूरा किया गया है. पहले भी दिल्ली में बहुत सारी घोषणाएं हुई की हम 2 करोड़ नौकरियां देंगे. लेकिन कभी भी किसी युवा को रोजगार नहीं मिला.
किन्तु हमारी सरकार माननीय मुख्यमंत्री के नेतृत्व में निश्चित ही बेरोजगारों को रोजगार मिलने वाला है. गौशाला और गौ-माता के नाम पर कितने फायदे लिये जा रहे हैं. जैसे ही हमारी सरकार बनी तो गौ-माता के संरक्षण के लिये हर ब्लाक में एक-एक गौ-शाला का निर्माण चूंकि पहले तो हो चुका है और नये सिरे से जिन-जिन पंचायतों में पानी और जमीन की व्यवस्था होगी, वहां पर गौ-शाला खोली जायेगी, वहां पर गौ-शाला खोली जायेंगी, जो चारे और पानी के अभाव में दर-दर भटकती थीं, वह व्यवस्था हमारी कांग्रेस पार्टी करने वाली है.
अध्यक्ष जी, चूंकि मेरा क्षेत्र आदिवासी क्षेत्र है और हमारे आदिवासी क्षेत्र की समस्या विकट होती है. मैं वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि हमारे जितने भी वनाधिकार के पट्टे वितरित होना बाकी हैं, पिछली सरकार ने मौखिक रूप से आदेशित किया था कि आदिवासियों को पट्टे नहीं दिये जायें, उनको उनके हक से वंचित किया गया. किन्तु वित्त मंत्री जी ने इसको बजट प्रस्ताव में शामिल किया है कि जितने भी वनाधिकार के पट्टे दिया जाना बाकी हैं, वह दिये जायेंगे, इसके लिये मैं आपको धन्यवाद देती हूं.
अध्यक्ष महोदय, शिक्षा की व्यवस्था सुधारने के लिये पिछली बार टीचरों की कमी पूरे मध्यप्रदेश में थी, जिसके कारण हमारे छात्र-छात्राओं को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा था. किन्तु इस बार बजट में 3 हजार, 322 करोड़ रूपये अधिक का प्रावधान किया है, तो निश्चित ही शिक्षा की व्यवस्था सुधरेगी, इसके लिये भी मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं. युवाओं को रोजगार के साथ-साथ, निजी क्षेत्र में भी 70 प्रतिशत प्रदेश के मूल निवासियों को रोजगार में प्राथमिकता दी जायेगी, इसके लिये भी आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
आप जो जनाधिकार का कानून बनाकर ला रहे हैं. हम ग्रामीण लोग हैं, तो हम समझते हैं कि पानी की कमी को, पानी की कमी से कितना जूझते हैं. पेयजल की भारी कमी से पिछली गर्मी में त्राहि-त्राहि मची हुई थी, जिसके कारण पिछली गर्मी में भारी दिक्कत गयी. मैं महिला होने के नाते भी यह बात इसलिये कह रही हूं कि पानी की जिम्मेदारी महिला के ऊपर आती है, आप या तो यह व्यवस्था पलट दें या फिर इस कानून को इतना मजबूत बनायें कि हमारे हर गांव में पेयजल की योजना, नलजल योजना के माध्यम से और हैंडपंप के माध्यम से आपने इस योजना को सभी गांवों को शामिल किया है, इसके लिये भी मैं आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करती हूं. आपने अनुसूचित जनजाति विभाग की ओर से जो प्रस्ताव इसमें शामिल किया है. उसमें जनजाति समाज की संस्कृति को संरक्षित करने के लिये आष्ठान योजना जिसमें उनके देवी-देवताओं के धार्मिक स्थलों पर उनका विकास किया जायेगा, यह बात आपने शामिल की इसके लिये धन्यवाद देती हूं. महिला विधायक होने ने नाते आपको धन्यवाद देती हूं कि चंदेरी, महेश्वरी साड़ी की मार्केटिंग तथा ब्रांडिंग के लिये विशेष तौर से इसका आपने बजट दिया है इसके लिये भी धन्यवाद. महेश्वर में कपड़ा बनता है वह वाघ प्रिन्ट के लिये धार जिले में वाघ में जाता है उसमें जितने भी कारीगर तथा व्यवसायी थे उन्होंने पिछले 15 सालों में बहुत तकलीफ उठाई है इसमें आपने प्राथमिकता दी इसके लिये धन्यवाद. 15 वर्षों से मगर‑मच्छ के आंसू रोने वाली सरकार किसानों के नाम पर घोषणाएं करने वाले मुख्यमंत्री ने कभी घोषणाओं को पूरा नहीं किया . आज के बजट में जितने प्रावधान हुए हैं उनके वचनों को मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी पूरा करेंगे तथा मध्यप्रदेश का विकास होगा आपने समय दिया इसके लिये धन्यवाद.
श्री संजीव सिंह संजू(भिण्ड)--अध्यक्ष महोदय, मैं आज यहां पर वर्ष 2019-20 के आय-व्यय पर सामान्य चर्चा में भाग लेने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं वित्तमंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने इस बजट में प्रदेश के सभी वर्गों का ख्याल रखा और प्रदेश को किस तरीके से आगे बढ़ाया जाये, यह व्यवस्था की. उन्होंने इस बजट में हमारे भिंड का जिक्र किया है, भले ही भिंड के पेड़े के बहाने. अध्यक्ष महोदय, भिंड को सिर्फ पेड़ों की वजह से नहीं जाता है जो हमारा सकारात्मक पहलू है उसको दबाया गया है और छुपाया गया है. पंजाब के बाद नौजवान इस देश की सेवा कर रहे हैं तो वह चंबल घाटी है, लेकिन इस बात का जिक्र कभी नहीं किया गया. अगर हमको जोड़ा गया है तो डकैतों के साथ तथा बिजली चोरी के साथ जोड़ा गया है, लेकिन कभी किसी ने यह जिक्र नहीं किया कि कभी इस देश को जरूरत पड़ी है सरहद पर जान की बाजी लगाने वाले भिंड के नौजवान ही रहते हैं. भिंड के लोग बहादुरी और वीरता के लिये जाने जाते हैं. मैंने पूर्व में भी जब चर्चा में भाग लिया था तो यह बात कही थी कि भिंड में एक सैनिक स्कूल की घोषणा एक लंबे समय से है. घोषणा तो आप लोगों ने की थी उसमें चर्चा हो और आपकी बात न हो तो, यह संभव ही नहीं है. 15 साल आप लोगों ने शासन किया है और इतनी घोषणाएं की हैं कि उसको हम लोग भी पूरा नहीं कर सकते हैं. मेरा निवेदन है कि अगर इस बजट में.
श्री तरूण भनोत--सरकार के साथ हैं हम. आप भी हमारे संजू हैं. तो संजू के बदले संजू.
श्री संजीव सिंह 'संजू' - अध्यक्ष महोदय, भोपाल में जो शौर्य स्मारक बना है और उसमें जो शहीदों के नाम अंकित हैं. मुझे बड़ा फक्र होता है मैं जब उसे देखता हूं तो उसमें भी सबसे ज्यादा नाम भिण्ड जिले के सैनिकों के ही अंकित हैं. मुझे दु:ख इस बात का होता है कि जब कोई अच्छी बात आती है, अच्छे कार्यक्रम की बात आती है तो भिण्ड को पीछे धकेल दिया जाता है. मैंने पिछली बार भी आग्रह किया था, अध्यक्ष महोदय मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि इस बजट के प्रावधान में सैनिक स्कूल के लिए भी अगर कुछ बजट आवंटित रहता तो अच्छा रहता.
अध्यक्ष महोदय - ठीक बात है.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ. गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय पूर्व सांसद जी और माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने घोषणा की थी कि अगर मध्यप्रदेश सरकार जगह उपलब्ध कराएगी तो हम भिण्ड में, भारत सरकार और उस समय शायद रक्षामंत्री भी साथ आए थे, उन्होंने भी कहा था सैनिक स्कूल के बारे में जो जगह मांगी गई थी, पहले माल्हनपुर दी तो उन्होंने रिजेक्ट कर दी कि वहां पाल्युशन है, इसके बाद भिण्ड में कृषि विज्ञान केन्द्र के पास पर्याप्त जगह दे दी गई है, तो हमारा आपसे अनुरोध है कि जो घोषणा आपने की है आपकी सरकार किस्मत से दोबारा बन गई है तो घोषणा पूरी करवा दो. (...हंसी)
श्री संजीव सिंह 'संजू' - माननीय अध्यक्ष जी, सही बात है जगह आरक्षित की जा चुकी है, भिण्ड के पास ढिडीह गांव में जगह आरक्षित की जा चुकी है, बस फंड की आवश्यकता है. अगर हमारे ये साथी भी साथ दे तो फंड मिल जाएगा और भिण्ड में एक सैनिक स्कूल की स्थापना हो जाएगा. माननीय अध्यक्ष जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने मुझे जो सीट दी है वह बहुत बेलेंसिंग जगह वाली दी है, इधर सत्ता पक्ष है, इधर विपक्ष है. (...हंसी)
अध्यक्ष महोदय - संजू, चिन्ता मत करो यहां नहीं, वहां नहीं, तुम बीच में और मैं भी यहां नहीं, वहां नहीं, बीच में हूं.
श्री संजीव सिंह 'संजू' - अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद. वित्त मंत्री जी ने कहा है आगाज अच्छा है, नीयत अच्छी है और सोच भी अच्छी है. मैं मानता हूं कि किसी नीति को निर्धारण करने से पूर्व अगर उसके पीछे नियत ठीक हो तो नीति भी ठीक बनती है. अब नियत ठीक है, नीति ठीक है उसके आगे का काम होता है, कियान्वयन का, अगर हम कार्य का कियान्वयन भी ठीक कर लेते हैं तो निश्वित तौर सफलता हमसे दूर नहीं जा सकती, प्रदेश की तस्वीर बदलने से कोई रोक नहीं सकता. नियत ठीक है, नीति भी ठीक और क्रियान्वयन भी ठीक करा लेंगे तो निश्चित तौर पर हम इस प्रदेश की तस्वीर बदलने में सफल होंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा थी कि प्रदेश की जो नई इकाईयां स्थापित होंगी उनमें प्रदेश के स्थानीय नौ-जवानों को 70 प्रतिशत का आरक्षण देंगे, रोजगार देंगे. मैं बहुत बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं और एक बात और जोड़ना चाहता हूं. हमारे पूर्व अध्यक्ष जी बैठे हैं, उन्होंने भी इस बात का जिक्र किया है कि जो इकाईयां पहले से स्थापित हैं अगर उनमें भी इस तरह का प्रावधान कर दें तो निश्चित तौर पर मध्यप्रदेश के नौजवानों को रोजगार प्राप्त होगा और मध्यप्रदेश के नौजवान आगे भी बढ़ेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित तौर पर हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री का नाम देश और विदेश के उद्योग जगत में आदर के साथ लिया जाता है. मध्यप्रदेश में 18 से 20 अक्टूबर के बीच में मेगनिफिसेंट मध्यप्रदेश का एक आयोजन किया जाना है. पहले भी इस प्रदेश में कई इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन होता रहा, जिस पर लाखों-करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए गए हैं. लेकिन आज तक यह बात निकलकर कभी सामने नहीं आई कि इन इन्वेस्टर्स मीट के द्वारा कितना निवेश इस प्रदेश में आया ? उस निवेश से कितना प्रदेश को राजस्व प्राप्त हुआ ? कितने नौजवानों को उसमें नौकरियां मिलीं ? कितने लोगों को इसका फायदा हुआ ? यह बात कभी निकलकर नहीं आई तो मैं निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप यह आयोजन करें. मैं मानता हूँ तथा मेरा दृढ़ विश्वास है चूँकि मुख्यमंत्री जी ने अपनी दूरदर्शी सोच की वजह से जो जिला सबसे पिछड़ा माना जाता था, बहुत दूर था, हम लोग जब कभी किसी अधिकारी के बारे में बात करते थे, कहते थे कि अब तुमको छिन्दवाड़ा भेज देंगे. आज वह छिन्दवाड़ा स्वर्ग बन गया है. यह उनकी दूरदर्शी सोच की बदौलत है.
अध्यक्ष महोदय, मुझे आशा ही नहीं वरन् पूर्ण विश्वास है कि निश्चित तौर पर जो मैग्निफिशिएन्ट मध्यप्रदेश का आयोजन किया जा रहा है, वह इस प्रदेश के लिए मील का पत्थर साबित होगा. बजट भाषण में माननीय मंत्री जी ने युवाओं के लिए भी व्यवस्था की है, किसी भी देश और प्रदेश के विकास में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है और कहते भी हैं कि जिस ओर जवानी चलती है, उस ओर जमाना चलता है. लेकिन युवाओं की स्थिति इस प्रदेश में बहुत खराब है. मैं विशेष तौर पर आपसे अनुरोध करना चाहता हूँ कि जो आपने युवा स्वाभिमान योजना लागू की है, इसको और गंभीरता से लेने की आवश्यकता है क्योंकि अगर हम तकनीकी शिक्षा की बात करें तो जो इंजीनियरिंग कॉलेज मध्यप्रदेश में थे, वे लगातार बंद होते जा रहे हैं, कॉलेज बंद होने का कारण, उन युवाओं को रोजगार न मिलना है. यह एक ग्लोबल प्रॉब्लम हो सकती है, अगर हमको मध्यप्रदेश के परिदृश्य में यह बात देखनी है तो यह भी देखना पड़ेगा कि हम उन कॉलेज को कैसे मदद कर सकते हैं ? जो खड़े हों और युवाओं को अलग तरह की ट्रेनिंग दे सकें, जो छोटे-छोटे से कोर्सेस हैं, उनकी ट्रेनिंग दें. जिससे वे अपना रोजगार कर सकें, काम कर सकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय जी, वित्त मंत्री जी ने अपने भाषण में कहा था कि भिण्ड के पेड़े और टीकमगढ़ और छतरपुर की पीतल बहुत प्रसिद्ध है, यह चर्चा बार-बार आती है. भिण्ड के पेड़े और छतरपुर और टीकमगढ़ की पीतल की जगह, आज के परिदृश्य में रेत ने ले ली है. लेकिन इसमें भी हम आपको शामिल करेंगे. इसके दोषी आप लोग भी हैं, आपकी पूर्ववर्ती सरकार के द्वारा जो नीतियां बनाई गईं, उससे अवैध उत्खनन और अवैध परिवहन को बल मिला, बढ़ावा मिला और आय भी निरन्तर जारी है इसीलिए सरकार ने नई रेत नीति बनाई है. मैं उसमें भी कहना चाहता हूँ कि आपने रेत नीति तो बना दी लेकिन बजट भाषण में रेत माफियाओं के वर्चस्व को खत्म करने के लिए लिखा है. अध्यक्ष महोदय, मैं यह जानना चाहता हूँ कि रेत किस नदी में है ? है कोई ऐसी नदी, जिसमें रेत है ? मैं नदी की धारा की बात कर रहा हूँ. एक ऐसी नदी नहीं है, जिसमें रेत हो लेकिन फिर भी उसकी नीति बन रही है एवं उसके ठेके किए जाएंगे. मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि नीति गलत है, लेकिन मैं कह रहा हूँ कि इसमें कुछ चेन्जेस होने चाहिए. एक सर्वे होना चाहिए कि कितनी क्वांटिटी है ?.
माननीय अध्यक्ष जी, रेत तो कहीं है ही नहीं. अब पनडुब्बी लगाकर रेत खींची जाती है, ऊपर से तो रेत पूरी ले ही ली गई है अब जमीन के नीचे की रेत को पनडुब्बी के माध्यम से खींचा जा रहा है, तो यह बहुत गंभीर विषय है. इससे पर्यावरण का नुकसान हो रहा है और जलीय जीव-जंतुओं का नुकसान हो रहा है और भविष्य में अगर हम देखेंगे तो नदियों का तो नामोनिशान खत्म हो जाएगा. इसमें रेत नीति बन रही है तो ठेके होने के पूर्व अच्छी तरह से उसका सर्वे होना चाहिए कि किस-किस नदी में कितनी रेत है ? और उसी क्वांटिटी के हिसाब से उसका ठेका होना चाहिए और किसी भी कीमत पर वह क्वांटिटी घटाई या बढ़ाई नहीं जानी चाहिए.
दूसरी महत्वपूर्ण बात पनडुब्बी हो या मशीन हो, या कोई भी गाड़ी हो अगर अवैध उत्खन्न करती हुई पकड़ी जाती है, इस संबंध में पहले यह प्रावधान किये थे कि उन्हें राजसात किया जाये, लेकिन वह राजसात होती नहीं है, सभी जुर्माना देकर छोड़ दी जाती है. एक और महत्वपूर्ण बात बताना चाहता हूं जो पिछले तीन साल से मैं देख रहा हूं कि माईनिंग का काम, माईनिंग डिपार्टमेंट छोड़कर सिर्फ पुलिस कर रही है. पुलिस अपनी पुलिसिंग छोड़कर सारे काम कर रही है. पुलिस रेवेन्यू का भी काम कर रही है. पुलिस आरटीओ का भी काम कर रही है और पुलिस माईनिंग का भी कर रही है. स्थिति यह कि अगर एक तरफ कोई धारा 302 भा.दं.सं. का आरोपी भाग रहा हो और एक तरफ रेत की गाड़ी जा रही हो तो पुलिस वाला रेत की गाड़ी की तरफ भागता है कि इसको पकड़ लो, यह बहुत ही गंभीर विषय है, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है. बात आती है कर्ज माफी की इसके लिये हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप अपनी बात समाप्त करें, आपको 15 मिनट हो गये हैं.
श्री संजीव सिंह ''संजू'' - हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी बहुत-बहुत बधाई के पात्र हैं.हमारे माननीय यशस्वी मुख्यमंत्री जी जिन्होंने इतना साहसिक कदम उठाया और मध्यप्रदेश के किसानों के दो लाख रूपये तक के ऋण माफ करने का काम किया है.शपथ लेने के दो घण्टे के अंदर उन्होंने उस ऋणमाफी की फाईल पर दस्तखत किये. मैं पहले भी बात कह चुका हूं और फिर बात कहता हूं कि यह ऋण माफी तो एक दिन में हो जाये, लेकिन वह ऋण माफी कैसे हो जाये जो किसान के पास पैसा पहुंचा ही नहीं और बीच में बिचौलियों ने दस्तखत करके पैसा निकाल लिये हैं, उसकी जांच की जायेगी की नहीं की जायेगी, उनको सलाखों के पीछे पहुंचाया जायेगा कि नहीं पहुंचाया जायेगा.जिन किसानों ने बैंक का चेहरा नहीं देखा उनके भी और जिन किसानों ने बैंक की सीढ़ी नहीं चढे़ उन किसानों के नाम दो लाख रूपये, ढाई लाख रूपये, डेढ़ लाख रूपये निकाले हुये थे लेकिन जब तक इनकी जांच नहीं होगी तो उनका ऋण माफ कैसे हो जायेगा. आपने ही कहा है कि आपने बहुत बुरी हालत में प्रदेश को छोड़ा है तो निश्चित तौर पर पिछली बार पांच हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया था और इस बार आठ हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया है और निश्चित तौर पर जो जांच रिपोर्ट पूरी होती जायेंगी और जो ऋण किसानों का माफ होता जायेगा, निश्चित तौर वह उसे आगे भी करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि गायों की स्थिति कोई पांच महीने में खराब नहीं हुई है और गायों की वजह से कोई किसान पांच महीने से परेशान नहीं है, वह पांच साल से परेशान है, लेकिन आपने उनकी चिंता नहीं की है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस बात की चिंता की और गौशालायें खोलने के लिये घोषणायें भी की और उसके क्रियान्वयन के लिये भी आगे काम किया है लेकिन जैसा कि मैंने कहा कि उनकी नीति अच्छी है और नियत भी अच्छी है, लेकिन क्रियान्वयन में थोड़ी सी गड़बड़ी हुई है. सात महीने हो गये हमने उद्घाटन तो कर दिया क्योंकि प्रेशर था कि उद्घाटन करना है. उस जमीन का निर्धारण हो गया और उद्घाटन भी हो गया लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय उसके लिये अभी यह तय नहीं हो पाया है कि पैसा किस डिपार्टमेंट से आयेगा, पैसा कौन देगा, बनायेगा कौन, मेन्टेनेंस कौन करेगा और मानिटरिंग कौन करेगा यह तय नहीं हो पाया है. किसान हमारा अन्नदाता बहुत परेशान है और अन्नदाता के साथ-साथ हमारा गौवंश भी बहुत परेशान है क्योंकि रात में किसान को लाठी लेकर खड़ा होना पड़ता है. हर खेत पर एक-एक किसान खड़ा हुआ है, कहीं गाय इधर जाती है तो इधर से लठ्ठ देता है, उधर जाती है तो उधर से लठ्ठ देता है. हमारी गाय माता बहुत परेशान है. मेरा आपसे विशेष अनुरोध है कि जितनी जल्दी हो सके इसकी नीति निर्धारण की जाये और पैसा गौशालाओं के लिये तत्काल दिया जाये, जिससे वहां काम शुरू हो सके और हमारे अन्नदाता के चेहरे पर खुशी आ सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वित्तमंत्री जी ने स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ोत्तरी के लिये बहुत सारी घोषणायें और प्रावधान इसमें किये हैं, अच्छी बात है, तारीफे काबिल है. काफी नये सिविल अस्पताल, उप स्वास्थ केन्द्र वगैरह की घोषणा की है. हमारे भिण्ड का जो जिला अस्पताल है वह प्रदेश में नंबर वन है, यह आपको पता नहीं होगा. मैंने पहले ही कहा न कि भिण्ड की अच्छी बातें पता नहीं हैं, वह नंबर वन है, लेकिन वह भी डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. हम बिल्डिंग बना सकते हैं, हम इक्यूपमेंट दे सकते हैं, हम डॉक्टर्स नहीं देंगे तो फिर अस्पताल कैसे चलेगा, मरीजों को सुविधायें कैसे मिलेंगी, अस्पताल का फायदा लोगों को कैसे मिलेगा. हमारे यहां 300 बेड का अस्पताल है और 400 बेड करने की घोषणा बहुत पुरानी थी, आप लोगों की थी महाराज लोग (भाजपा के सदस्यों की तरफ इशारा करते हुये) 400 बेड करने की, लेकिन आपने भिण्ड का तो नहीं किया, मुरैना का जरूर 600 बेड का कर दिया और उसका काम चालू है. भिण्ड को आपने इस मामले में पीछे छोड़ दिया. तो मैं माननीय अध्यक्ष जी आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि हमारा जो भिण्ड का सिविल अस्पताल है उसको 300 बेड से 600 बेड करने का इसमें प्रावधान जरूर जोड़ दें तो भिण्ड को फायदा होगा.
अध्यक्ष महोदय-- श्री संजय यादव जी, तैयार हो जायें.
श्री संजीव सिंह ''संजू''-- माननीय अध्यक्ष जी, शिक्षा के बजट में हमने देखा है विद्यालयों में बिजली, पानी और शौचालय की व्यवस्था के लिये बजट में प्रावधान किया गया है. मैं कई सालों से देखता आ रहा हूं कि विद्यालयों में जो फर्नीचर हैं वह लोग कहीं सांसद निधि से लेते हैं, कहीं विधायक निधि से लेते हैं. हम बिल्डिंग बनाने के लिये जब करोड़ों रूपये दे सकते हैं तो उसमें फर्नीचर की व्यवस्था क्यों नहीं करते. आप देख लीजिये फर्नीचर की व्यवस्था बिलकुल भी नहीं है. आप बिल्डिंग के लिये करोड़ो रूपये दे देते हैं, हाईस्कूल की बिल्डिंग के लिये करोड़ों दे देंगे, हायर सेकेण्डरी के लिये दे देंगे, लेकिन फर्नीचर की व्यवस्था के लिये पैसा नहीं देते हैं, तो यह विशेष तौर पर ध्यान रखें कि बिल्डिंग के साथ-साथ उसमें फर्नीचर डालने की व्यवस्था करें और यह बिल्डिंग के साथ में ही जोड़ें कि बिल्डिंग के साथ-साथ ठेकेदार को फर्नीचर भी प्रदान करना होगा, इस तरीके का एक प्रावधान बजट में करें.
आप बहुत-बहुत धन्यवाद के पात्र हैं कि जो विधवा पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन और दिव्यांग पेंशन 300 रूपये से 600 की है. सरकार की घोषणा 1 हजार रूपये करने की है और निश्चित तौर पर सरकार इस दिशा में आगे भी बढ़ रही है और कार्य भी कर रही है और जो 600 रूपये किये हैं वह भी बहुत स्वागत योग्य कदम है, इसके लिये आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब बात आती है बिजली की जिस पर बहुत चर्चा होती है. और वह विषय बहुत ही महत्वपूर्ण है.
अध्यक्ष महोदय-- संजू भाई, एक मिनट सिर्फ. आप बिजली विभाग पर बोलना न.
श्री संजीव सिंह ''संजू''-- अध्यक्ष महोदय, बस एक मिनट. संबल योजना लागू की गई श्रम कार्ड बनाकर श्रम विभाग के द्वारा लोगों के लाखों रूपये के बिल माफ किये गये, अच्छी बात है उसमें कुछ जो सही लोग हैं, पात्र लोग हैं उनके भी कुछ बिल माफ हुये और कई अपात्रों के भी माफ हो गये और माननीय 16-16, 17-17 लाख रूपये के बिल आपके मंडी अध्यक्षों ने माफ कराये और उसके बाद बेशर्मी की हद तब हो गई, 17 लाख रूपये तो बिल माफ करा ही लिये उसके बाद अगले महीने जब बिल आया, पता है कितना आया, 200 रूपये. 8 ए.सी. लगे हैं, डेढ़ करोड़ की गाडि़यां घर के दरवाजे पर खड़ी हैं और बिल आया 200 रूपये, आप कहते हैं बिजली की स्थिति खराब हुई है. आप ईमानदारी से बताईये इसका कारण क्या है, आपने बिल माफ कर दिये और आपने कहा कि 200 रूपये बिल आयेगा, बिलकुल हम सहमत हैं 200 रूपये बिल आयेगा, लेकिन यह करने से पहले आपको इंफ्रास्ट्रक्चर भी बढ़ाना चाहिये था. वहां पर 100 हार्स पॉवर की डी.पी. रखी हुई है, 200 रूपये के बिल हो गये, लोगों ने 2-2 ए.सी. लगा लिये, कहां से चलेगा, आपने उस दिशा में तो कार्य नहीं किया क्योंकि चुनाव आ रहा था, आपने तत्काल आनन-फानन में बिल माफ कर दिये और 200 रूपये कर दिये तो ऐसे लोगों पर भी कार्यवाही होना चाहिये जिन लोगों ने अपात्र होते हुये भी इस योजना का लाभ लिया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, गाइड लाइन में जो माननीय मुख्यमंत्री जी ने 20 प्रतिशत कम किये हैं यह बहुत ही स्वागत योग्य कदम है, निश्चित तौर पर प्रदेश के रियल स्टेट को इससे बहुत ज्यादा फायदा होगा और यह बजट बहुत अच्छा बजट है, हर विभाग में जो पब्लिक से जुड़े हुये मामले हैं, किसान कल्याण के मामले हैं सभी में कुछ न कुछ बढ़ोत्तरी की गई है, बहुत स्वागत योग्य बजट है और निश्चित तौर पर यह प्रदेश को आगे ले जाने में बहुत सहायक सिद्ध होगा. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री संजय यादव (बरगी) - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि जब सामने वाले बोलते हैं तो उनकी बत्ती लाल हो जाती है हम लोगों की हरी रहती है यह समझाने का कष्ट करेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - यह आपसे सुझाव चाह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - मेरे पास समय कम है बहुत कम समय में अपनी बात गागर में सागर की तरह करिये. जब और विभागों की मांगों पर चर्चा होगी जब अपनी बात करते रहना.
श्री संजय यादव - मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को इस बात के लिये धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने वित्त मंत्री जी को 15 वर्ष के कुशासन से उबारने के जो निर्देश दिये और तरुण का मतलब ही होता है युवा और इस युवा ने युगवाहिनी के लिये जो 17 हजार युवाओं को प्रशिक्षित कर, रोजगार के संसाधन उपलब्ध कराने के लिये, बजट में सम्मिलित कर दूरदर्शिता का परिचय दिया है. बरगी विधान सभा क्षेत्र को अग्रणी श्रेणी में लाने के लिये, जो बरगी विधान सभा विगत 15 वर्षों से कराह रही थी उसको अग्रणी श्रेणी में लाने के लिये, उच्च शिक्षा मंत्री और वित्त मंत्री जी को इसके लिये धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने दो-दो कालेज एक विधान सभा क्षेत्र में देने के लिये मैं माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. मैं सज्जन सिंह वर्मा,लोक निर्माण मंत्री को इस बरगी विधान सभा क्षेत्र में 30 कि.मी. की, 18 करोड़ की सड़कों को देने का काम किया है उसके लिये उन्हें धन्यवाद देता हूं. एक तरफ कर्मवीर मुख्यमंत्री और दूसरी तरफ घोषणावीर मुख्यमंत्री जिसने 12 वर्षों में 22 हजार घोषणाएं अधूरी छोड़ीं और खजाना खाली दिया. माननीय कमलनाथ जी, मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के साथ-साथ बरगी विधान सभा क्षेत्र में घर-घर नर्मदा, हर घर नर्मदा पहुंचाने का काम किया है. 194 गांवों में पाली प्रोजेक्ट के तहत् उन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में इन 15 वर्षों में, वह बरगी डैम, जो आधे प्रदेश को पानी देता है लेकिन वह पानी के लिये तरस रहा था. माननीय पी.एच.ई. मंत्री जी ने और माननीय मुख्यमंत्री जी ने इन गांवों में पानी पहुंचाने का काम प्रारंभ कर दिया गया है और इस योजना के तहत् 1 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में रखा गया है उसके तहत् 137 गांव जो नर्मदा के किनारे बसे हैं वह गांव नर्मदा के किनारे बसे होने के बावजूद भी नर्मदा का पानी पीने से वंचित हो रहे थे. बेलखेड़ा या शहपुरा क्षेत्र के गांवों में घर-घर नर्मदा,हर घर नर्मदा पहुंचाने का काम माननीय वित्त मंत्री और माननीय मुख्यमंत्री ने किया है उसके लिये मैं उन्हें साधुवाद और धन्यवाद देता हूं. आष्ठान योजना के अंतर्गत प्रदेश की संस्कृति और संरक्षण के लिये, देवी देवताओं के स्थानों के जीर्णोद्धार के लिये बरगी विधान सभा क्षेत्र में जो बड़ादेव पुराना पानी, पर्यटक केन्द्र के जीर्णोद्धार के लिये, आदिवासी कल्याण के लिये 100 सीटों वाले होस्टल के लिये जो आपने बजट में प्रावधान किया है उसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. नर्मदा रिवेयरा फ्रंट को विकसित करने के लिये प्रावधान कर, बरगी विधान सभा क्षेत्र चूंकि नर्मदा के किनारे बसा है आपने जो नर्मदा रिवेयरा फ्रंट बनाने की बात कही है. इन्होंने तो पेड़ पौधे लगाकर करोड़ों का घोटाला किया था. मैंने जब इनसे पूछा कि आप करोड़ों पेड़ कहां ले गये, कहां लगा दिये. नर्मदा किनारे पेड़ पौधे लगाने की बात तो की थी लेकिन आज एक पेड़ जीवित नहीं बचा. जब हम विपक्ष में थे तो हमने आंदोलन किया तो कहने लगे कि आपकी गईया खा गई. नर्मदा के किनारे कहां से गईया खा जायेगी ? वाह रे, पूर्व मुख्यमंत्री जी, चाहे लम्हेटा घाट हो, चाहे हमारा नर्मदा का किनारा हो, बरगी का डैम हो, मैं वहां पेड़ ढूंढता रह गया. मैंने सुझाव भी दिया कि जो नर्मदा सेवा यात्रा के लिये इन्होंने समिति बनाई थी. जो नकली सेवा यात्रा जिसमें करोड़ों रुपयों की होली खेली गई थी, उसके लिए मैंने कहा था कि जिस तरह से आपने नर्मदा सेवा यात्रा की समिति बनाई थी, उसी तरह से जो आपके द्वारा पेड़ लगाये गये थे, उस पेड़ के गिनने के लिए समिति को बनाया जाना चाहिए कि वह समिति जाकर पूर्व में जो पेड़ लगाये गये थे उनको गिनने का काम करे.
माननीय कमलनाथ जी का मैं धन्यवाद देना चाहता हूं कि बागवानी और खाद्य प्रसंस्करण योजना प्रारंभ करने के लिए जो 100 करोड़ रुपये का प्रावधान प्रस्तावित किया है, इससे बरगी विधानसभा क्षेत्र को सबसे अधिक लाभ होगा.
शिक्षा में 9 प्रतिशत का बजट बढ़ाया, जितने जर्जर स्कूल थे, इनके कार्यकाल में वर्ष 2016, 2014, 2012 में जितने भी स्कूल बने हैं आज मेरी बरगी विधानसभा के 10 स्कूलों में मैंने वहां क्लास लगवाना बंद कर दिया क्योंकि वहां इतना भ्रष्टाचार हुआ था, इतने जर्जर भवन बनाये गये थे कि आज बच्चे वहां पर बैठने की स्थिति में नहीं है. किसी की छत गिर रही, किसी की दीवाल गिर रही, कहीं छत से पानी गिर रहा है तो मेरा आपसे निवेदन है कि आपने जो शिक्षा में बजट बढ़ाया है. मैं वित्तमंत्री जी से निवेदन करूंगा कि जो सरकारी स्कूल इन 15 वर्षों में इन्होंने जर्जर अवस्था में पहुंचा दिये. शिक्षा की स्थिति इतनी खराब कर दी कि आज गांव से बच्चे, मेरे बरगी विधानसभा से ही हजारों बच्चे पढ़ाई से वंचित रह रहे हैं, जो पढ़ाई छोड़ रहे हैं क्योंकि इनकी नीति में खोट था, इनकी नीयत में खोट था. इन्होंने बिल्डिंग ऐसी बनाई हैं कि बच्चे आज वहां बैठ नहीं पा रहे हैं.
मेरा वित्तमंत्री जी से निवेदन है कि शिक्षा में जो सबसे अच्छा मुख्यमंत्री जी ने काम किया है और आपने स्कूलों की दशा सुधारने के लिए जो काम किया है कि शिक्षा में बजट बढ़ाया है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास के अंतर्गत माननीय वित्तमंत्री जी आपने 26 प्रतिशत राशि बढ़ाकर ग्रामीण पंचायतों को मजबूत बनाने का काम किया है. मैं माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी एवं वित्तमंत्री श्री तरुण भनोत जी का धन्यवाद करता हूं क्योंकि शहर का विकास या प्रदेश का विकास स्वाभाविक रूप से पंचायतों से होता है और ग्रामीण पंचायत में जो आपने बजट बढ़ाया है, उसके लिए मैं साधुवाद देता हूं. चूंकि हमारे साथी संजू भाई ने बात कह दी है.
अध्यक्ष महोदय, जो रेत नीति बनाई है, उसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और वित्तमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं क्योंकि पिछले 10 वर्षों से रेत माफियाओं का वर्चस्व समाप्त करने के लिए जो खनिज नीति बनाई है. मैं आपको बता दूं कि पिछली बार जो नीतिगत निर्णय हुआ था जिसमें कैबिनेट की स्वीकृति नहीं थी और जो पंचायत का नीतिगत निर्णय लिया जाता है उसमें कैबिनेट की स्वीकृति जरूरी रहती है लेकिन पूर्व की सरकार ने जब अचानक खदान बंद करने का आदेश दिया. वह भी कैसे दिया? वह मुझे याद है क्योंकि जब मैंने 17 मई, 2016 को आन्दोलन किया था, वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी जब अमरकंटक जा रहे थे, मैंने आन्दोलन किया था. मुख्यमंत्री जी ने झटपटाहट में, घबराहट में 22 मई, 2014-15 को निर्णय ले लिया कि रेत की खदानें बंद. इसके बाद एक नीति बनाई जिसमें लोगों का लाभ देने का काम किया लेकिन इन्होंने फिर नीति बदल दी जिसमें न कैबिनेट का डिसीजन था. मध्यप्रदेश के करोड़ों रुपयों के राजस्व का नुकसान पूर्व सरकार ने किया है उसमें घोटाला किया है. मैंने याचिका लगाई थी जब इनके बड़े बड़े डम्फर पकड़े गये थे. आज संजीव भाई कह रहे थे कि रेत कहां? अरे देख आओ, सबसे ज्यादा रेत तो सबसे ज्यादा तो रेत बुदनी और नसरुल्लागंज से निकली है, वहां किस तरह से मां नर्मदा का सीना छलनी किया गया और मां नर्मदा के साथ इन्होंने किस तरह की नीति की. मुझे याद है कि जब ये नर्मदा सेवा यात्रा निकाल रहे थे, दिनांक 11 दिसम्बर, 2018 को नर्मदा जी के साथ छल-कपट करने वाला, 2 साल में उसको सबक मिल गया, दिनांक 11 दिसम्बर, 2018 को वह नर्मदा मैया ने विदाई कर दी. श्री ऊंटवाल जी आप याद कर लो, आप नर्मदा जी की बात कर रहे थे, कहां चले गये? दो साल में नर्मदा जी ने आपको सबक सीखा दिया. पूर्व मुख्यमंत्री जी की विदाई कर दी.
श्री हरिशंकर खटीक - नयी नीति में आपको अब एक भी खदान नहीं मिलना है. कमलनाथ जी की सरकार में आपको एक भी खदान नहीं मिलना है. अभी तक तो मिलती रही, इस बात को वित्तमंत्री जी भी बता सकते हैं.
श्री जालमसिंह पटेल -- यह वित्त मंत्री जी पहाड़ पीसकर रेत बना रहे हैं पूरे पहाड़ ही खत्म किये दे रहे हैं.
श्री संजय यादव -- बिल्कुल पत्थर पीसकर ही रेत बनना चाहिए, हमारी सोच है कि मां नर्मदा का आंचल मैला नहीं होना चाहिए, मां नर्मदा के नाम पर मधुर और प्रसन्न..
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल -- संजू भैया पत्थर की ही रेत बनना चाहिए और नर्मदा जी की रेत बंद होना चाहिए.
श्री संजय यादव -- नर्मदा जी से रेत निकालना बंद है लेकिन आपकी नीति इतनी खराब थी कि नर्मदा सेवा यात्रा में वहां पर जा रहे थे जहां पर रेत के ढेर दिखते रहे उसके बाद में हेलिकाप्टर से घूमते रहे हैं. उन घाटों का दौरा करते रहे जहां पर रेत थी, इन्होंने ऐसा काम किया. प्रसन्न और मधुर व्यक्ति सदैव सफल होता है, यह क्षमता कमलनाथ जी में है. अपनी शक्ति योग्यता और समृद्धि बढ़ाने के लिए जो कष्ट सहन किये जाते हैं वह तप है, ज्ञान और तप मिलकर कमलनाथ जी को श्रेष्ठ पूंजी बनाते हैं, ज्ञान प्राप्ति के लिए तप की आवश्यकता होती है और तप के लिए कुछ भी असाध्य नहीं है. विपक्ष के साथियों से मेरा निवेदन है कि बुराई के अवसर तो दिन में सौ बार आते हैं लेकिन भलाई करने का अवसर वर्ष में एक बार आता है यह कमलनाथ जी की सरकार का बजट है, जनहितैषी बजट है, ईमानदारी से एक बार तो सच बोल दें. आप सौ बार तो असत्य बोलते हैं. मेरा आपसे निवेदन है कि जिस तरह से हमारे कमलनाथ जी ने सामाजिक न्याय मंत्री जी ने सामूहिक विवाह और निकाह के लिए 28 हजार से बढ़ाकर 51 हजार राशि की है पूर्व में जितनी 15 सालों में शादी नहीं हुई हैं उतनी अभी पिछली तारीख को मेरे अकेले बरगी विधान सभा क्षेत्र में 500 शादियां हो गई लेकिन इसके पहले शादी में नकली गिलहट की पायल या नकली सामान दिया जाता था, उसमें भी बहुत घोटाला होता था लेकिन अभी जो राशि है वह सीधे कन्या के खाते में जा रही है उसी का परिणाम है कि जितनी पिछले 15 साल में शादी नहीं हुई है उससे ज्यादा अभी एक साथ 500 शादियां हो गई हैं. इसके बाद में अभी भी एक हजार आवेदन लंबित हैं जिन पर बरसात के बाद काम होगा.
अभी हमारे माननीय सदस्य एक हजार गौशालाओं की बात कर रहे थे कि गौशाला के लिए प्रावधान कैसे होगा. मैं तो भैया गाय वाला हूं. मेरे से ज्यादा इस बात को कौन जान सकता है. मैं तो दूध लगाने वाला हूं, संजय भैया आपको तो मालूम है (श्री संजय पाठक जी को संबोधित करते हुए).
श्री संजय पाठक -- हमें तो पूरा मालूम है आपका थोड़ा तरूण जी से भी कन्फर्म कर लो ना.
श्री तरूण भनोत -- आप तो दूध लगाते हैं और यह तो वह प्रयास करते हैं रहने दो मैं कुछ नहीं कहूंगा.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- अध्यक्ष महोदय यह तीनों लोग सुबह गाय लगाते हैं और शाम को हमारे पास आते हैं...(हंसी)..
श्री संजय पाठक -- अरे महाराज ब्राम्हणों को तो बख्श दो.
श्री संजय यादव -- अध्यक्ष महोदय इनके स्वभाव में आ चुका है असत्य बोलना, इनकी संस्कृति में आ चुका है असत्य बोलना. जब यह गाय की बात करते थे तो मेरे बगल में संघ वालों का दफ्तर है तो मैं संघ वालों के दफ्तर गया मैंने कहा कि भैया बहुत गाय घूम रही हैं अगर एक एक गाय ईमानदारी से पाली होती.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय यह संघ के दफ्तर की बात क्या है यहां पर.
अध्यक्ष महोदय -- देखते हैं क्या कह रहे हैं बाद में विलोपित कर देंगे.
श्री संजय यादव -- संघ वाला अगर अपने घर में एक एक गाय बांध लेता ईमानदारी के साथ ..
श्री दिलीप सिंह परिहार -- संघ वालों की क्या बात है, हम सभी लोग गाय पालें ना.
श्री संजय यादव -- मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे ने बांट दिया भागवान को धरती बांटे सागर बांटे मत बांटो इंसान को, क्यों इंसान को बांटने का काम कर रहे हैं मेरे भाई. 15 साल यह ही किया है, 15 साल किस तरह से कुशासन का राज किया है. बीमारू प्रदेश की बात कर रहे थे पूर्व मुख्यमंत्री जी आपने हमें सिखाया है कि आपने 15 साल की सत्ता 10 साल की गाली दे दे कर निकाल दी. आपने 15 साल की सत्ता 10 साल की गाली दे देकर निकाल दी. 15 साल आपने 10 साल की गाली दे देकर निकाल दिये. कम से कम हम लोग भी तो 20 साल निकालेंगे, आपके 15 साल के कुशासन को गाली दे देकर. तो हमारा काम तो दोनों तरफ है. हम तो सत्ता पक्ष की तो बात करेंगे, लेकिन 15 साल का जो अहंकार, भ्रष्टाचार, कुशासन और 15 साल की जो नीतियां थीं, उन नीतियों के ऊपर बात तो होगी. विश्वास जी, दर्द सहने के लिये तैयार रहो. जनता को दर्द दिया है, अब आपको छट-पटाहट है, जैसे बगैर पानी के मछली तड़फती है, वह तड़फन आपमें देखने को मिल रही है. बगैर सत्ता के आप नहीं रह पायेंगे. इसलिये आपको कभी सत्ता मिलना नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि कम से कम इनकी ओर इस बात का ध्यान दिया जाये कि इनको जो बोलने की आदत खत्म हो गई थी, इनको मालूम नहीं था कि अभी जो बोलने वाले नौजवान आये हैं, वह हमसे बड़े आ गये हैं. अभी इनके यहां एक ही व्यक्ति था, जो पूरे प्रदेश में घूमकर असत्य बातें करते था, लेकिन अब घूम-घूमकर बात करने वाले बहुत सारे लोग आ गये हैं. यह कमलनाथ जी की सरकार है. यह विकास पुरुष की सरकार है, जिसके मन में विकास है, जिनका विजन ही विकास है. मध्यप्रदेश की समृद्धि है. आप सब को बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश राय "मुनमुन" (सिवनी) -- अध्यक्ष महोदय, कल मध्यप्रदेश सरकार का पहला बजट माननीय वित्त मंत्री, श्री तरुण भनोत जी ने प्रस्तुत किया. उस बजट को सुनने पर और देखने में पता नहीं क्यों मजाक सा लग रहा था. ऐसा प्रतीत नहीं हुआ कि कांग्रेस की सरकार अपना प्रथम बजट पेश कर रही है और इस बजट में ऐसी कौन सी विशेषता है, जिसकी वजह से हमारे सभी साथी आभार करें, मैजे थपथपाकर उसका स्वागत करें. वित्त मंत्री जी ने सबसे पहले बजट को बजट की तरह न लाकर सिर्फ एक बजट भाषण को अपने हाथ में, फाइल में लाकर जिस तरह से लटकाकर, घुमाकर ला रहे थे, उसको पूरे प्रदेश ने देखा है. मैं चाहता हूं, आप मेरे पड़ौस के जिले के रहने वाले हैं और आपकी सरकार के और हमारी सरकार के मुख्यमंत्री जी भी पड़ौसी जिले के हैं. इस बजट से ऐसा प्रतीत होता है कि जब हम बेटी या बेटे की शादी करने जायें किसी परिवार में, उस परिवार के बारे में पता करना होता है, तो सबसे पहले व्यक्ति पड़ौसी से पूछता है कि भैया इनका व्यवहार कैसा है. जब पता चलता है कि इनके पड़ौसी से व्यवहार ठीक नहीं हैं, निश्चित मान लीजिये उस लड़की, लड़के का उस घर परिवार में व्यवहार अच्छा नहीं होगा. इस बजट में वित्त मंत्री जी, मुख्यमंत्री जी ने जो साबित किया है,पड़ौस के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया है. सिवनी के साथ आपने अच्छा व्यवहार नहीं किया है. आपने सौतेला व्यवहार किया है. मंत्री जी, सिवनी के साथ सौतेला व्यवहार तो कर लिया, कम से कम घर से तिलक लगाकर भाभी जी के हाथ से निकले थे, कम से कम उनको भी दायें हाथ से आशीर्वाद दे आये होते. बायें हाथ से आप आशीर्वाद देकर आये हो. तो मेरा कहना यह है कि जो आपने हिसाब, लेखा-जोखा कल पेश किया है.. (श्री तरुण भनोत,वित्त मंत्री के खड़े होने पर).. यह मैं नहीं कह रहा हूं, आप खुद देख लें. आप जो मीडिया में बोल रहे हैं, वही देखकर हम मनोरंजन कर रहे हैं..
श्री तरुण भनोत -- आपको हमारा सिर्फ एक ही हाथ दिखता है, हम दूसरे का क्या करें.
श्री दिनेश राय "मुनमुन"-- आपने तो बायां हाथ उठाया, ब्राह्मण देवता, दायें हाथ से आशीर्वाद दिया जाता है घर की लक्ष्मी को. तो कम से कम प्रदेश की लक्ष्मी आपके हाथ में आई है, हम उम्मीद करते हैं कि पूरे जिलों में भी आप लक्ष्मी बांटेंगे. जब आप घर में हाथ से संकोच कर दिये तो ..
अध्यक्ष महोदय -- लक्ष्मीनारायण जी, आप बैठ जाइये. (हंसी)..
श्री दिनेश राय "मुनमुन" -- अध्यक्ष महोदय, कल वित्त मंत्री जी ने जो बजट पेश किया है, उससे ऐसा लग रहा था कि वे सिर्फ एक भाषण देकर अपना समय व्यतीत कर रहे हैं, खानापूर्ति कर रहे हैं. मैं कहना चाहता हूं कि मैं 5 साल निर्दलीय विधायक रहा, उसमें मैंने 5 बजट देखे हैं. लेकिन मेरे जिले की इतनी दुर्गति मैंने 5 साल में नहीं देखी, जितनी आपने अपने पहले बजट में मेरे सिवनी जिले के साथ विश्वासघात किया है. मेडिकल कालेज मिले मिलाये में आपने बजट में राशि नहीं दी, हमारे जिले, संभाग के लिये बजट में कोई ऐसी स्थिति नहीं है, ऐसा कुछ नहीं है. कुछ ही विभागों द्वारा थोड़ी थोड़ी राशि देकर सिवनी में खानापूर्ति की गई है. क्या आप सिवनी जिले से टैक्स नहीं लेंगे. आपने पहले ही पैट्रोल-डीजल में इतना टैक्स बढ़ा दिया है और आपने तो यह भी नहीं देखा टैक्स बढ़ाते समय कि जो किसान खेती करेगा, उस डीजल का पैसा कौन देगा, उस गरीब को नहीं देखा जो प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास बनाने वाला है. उसको भी उसी डीजल को खरीदना पड़ेगा तो आपकी नीति रीति, आपकी सोच में कहीं न कहीं अंतर है. मंत्री महोदय, आपसे आग्रह है डीजल पेट्रोल के रेट बड़े लोगों के लिए बढ़ाइये, गरीबों और किसानों के लिए तो कम से कम छूट दीजिए. मैं कहता हूँ हमने अगर गलती की है तो आज आपको मौका मिला है, आप भी क्या वही गलती करके सरकार चलाएंगे. हमने गलती की है तभी तो सरकार से बाहर है, अगर गलती नहीं किए होते, तो आपकी जगह में होते.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, आदरणीय सदस्य कह रहे हैं कि गलती की है इसलिए सरकार से बाहर हैं और जो इनके सीनियर सामने बैठे हैं, वे बार-बार यह कह रहे हैं कि हमने गलती नहीं की, जनता ने गलती की है, जो हमें बाहर किया है. दोनों में से सही क्या है ?
श्री दिनेश राय 'मुनमुन' -- अध्यक्ष महोदय, आज इनको इतना गुरूर है, वहां बैठकर..
श्री तरूण भनोत -- गलती आपसे हुई है कि जनता से हुई है ?
श्री शैलेन्द्र जैन -- उन किसान भाइयों से गलती हुई जो आपके छलावे में आ गए. उन बेरोजगारों ने गलती की जो आपके 4 हजार रुपये के छलावे में आ गए.
श्री दिनेश राय 'मुनमुन' -- अध्यक्ष महोदय, 2 लाख के झमेले में किसान हमारा आज भी पछता रहा है. आज भी हमारा किसान लाइट को लेकर रो रहा है, जब देखो तब लाइट कट रही है. आप कर्जमाफी की बात करते हैं, आज भी किसानों को राशि प्राप्त नहीं हुई है. आप कहते हैं कि किसानों का हमने बिल माफ कर दिया, हमारे यहां जनता चिल्लाती है कांग्रेस आई और लाइट गई. कांग्रेस आई और लाइट गई. अत: मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि आप बड़ी-बड़ी योजनाओं की बात कर रहे हैं, कम से कम मूलभूत सुविधाएं किसानों के हित में करें. कर्ज माफ करे, इसके लिए हम आपका स्वागत करते हैं, धन्यवाद देते हैं, बधाई देंगे यदि आप सभी किसानों का 2 लाख रुपये का कर्जा माफ कर दें. आप बधाई के पात्र हो जाएंगे. यदि नहीं करेंगे तो कोई किसान आने वाले समय में आप लोगों को दोबारा ऐसा मौका नहीं देगा कि आप दोबारा उनसे कोई वादा कर सकें.
अध्यक्ष महोदय, एक्साइज में भी कोई कसर नहीं छोड़ी गई है. उसमें भी इतनी राशि बढ़ा दी है, हमारे बहुत मित्र यहां बैठे हुए हैं, सामने भी बैठे हुए हैं, उनको भी काफी तकलीफ है, उस राशि से भी आप प्रदेश का कैसे भला करेंगे, भगवान जाने. हमारे यहां एक नहर पर व्यपवर्तन का काम चल रहा था, बड़ी तीव्र गति से चल रहा था, लेकिन इन 6 महीनों में पता नहीं क्यों ग्रहण लग गया, चलती हुई नहर का काम रोक दिया गया. 5 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित करने के लिए लिफ्ट एरिगेशन योजना की लगभग-लगभग सभी खानापूर्ति हो चुकी थी और उम्मीद थी नई सरकार जैसे ही आएगी, तत्काल यह काम शुरू हो जाएगा. अध्यक्ष महोदय, बड़े दु:ख के साथ कहना पड़ता है. कहते हैं कि किसान हितैषी सरकार, उस योजना को भी कैंसिल करके छिंदवाड़ा में ले गए. मैं कहना चाहता हूँ, पूरा मध्यप्रदेश आपका है, सिर्फ छिंदवाड़ा ही अकेला आपका मध्यप्रदेश नहीं है. आपका जो बजट है, अधिकांश राशि आप छिंदवाड़ा के लिए खर्च करना चाहते हैं. सच्चा जनप्रतिनिधि वह है जिसकी ड्यूटी, जिसका कर्तव्य बनता है कि प्रत्येक गांव, प्रत्येक शहर, प्रत्येक जिले का काम करे लेकिन आपने कहीं न कहीं यह मान लिया है हम सिर्फ अपने जिले का विकास करना चाहते हैं. मैं बताना चाहूंगा कि जो मेरी लालमाटी वाली नहर की बात है, जब माननीय मुख्यमंत्री जी चुनाव प्रचार के दौरान आए, मेरी विधान सभा में आए तो उन्होंने कहा कि हमारा विधायक जिताओ, लालमाटी का पानी देंगे. इसके बाद बरघाट गए, वहां भी उन्होंने यही कहा कि हमारा विधायक जिताओ, हम बरघाट में पानी देंगे. केवलारी गए, तो वहां भी वही कहा. लखनादौन गए तो लखनादौन को भी गोद ले लिया. मैं कहना चाहता हूँ कि जहां भाजपा के विधायक आ गए हैं, कांग्रेस के नहीं आए हैं, तो आप इस योजना को बताएं कि वहां पर कैसे देंगे. आखिर पानी तो मेरी विधान सभा के ऊपर से ही जाना है लेकिन कहीं न कहीं मैं कह सकता हूँ कि मेरी विधान सभा के साथ छलावा है. आप 4 विधान सभाओं के साथ भी छलावा कर रहे हैं. पॉलिटेक्निक कॉलेज के इंजीनियरिंग फेकल्टी के लिए भी आपने कोई राशि नहीं दी है. कन्यादान योजना की बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं, संजय भाई भी बोल रहे थे कि 500 बच्चियां, आप कहते हैं कि आने वाले समय में हम बरसात के बाद करेंगे, क्या वे गरीब परिवार के बच्चे-बच्चियां बैठे रहेंगे, इंतजार करेंगे कि आप कब करेंगे. आपने एक साथ मेरे जिले में 2000 कन्यादान योजनाओं का फायदा दे दिया लेकिन पहले वाली सरकारों द्वारा समय-समय पर ऐसी डेट निकाली जाती थी. 15 दिन, महीने भर में जिन गरीब परिवारों की बच्चियों की शादी तय होती थी उनको उन योजनाओं में लाभ मिलता था. सिर्फ शासकीय कार्यक्रम रखने के लिए आपने सिर्फ एक ऐसा माहौल बना दिया और एक अभी सबसे बड़ी बात तो यह है कि आप यह बता दीजिए कि 2000 कन्याओं का विवाह जो मेरे जिले में हुआ है आप रिकॉर्ड में बता दीजिए कि उन पूरी कन्याओं को आपने 51 हजार रुपए राशि दे दी है. आज भी उन परिवारों को राशि प्राप्त नहीं हुई है तो आप कैसे कह सकते हैं.
मैं कहना चाहूंगा कि इलाज के लिए पहले हम लोग पत्र लिखते थे. राज्य बीमारी कोष से इलाज होता था. आज पत्र लिखते हैं तो विभाग द्वारा पत्र लौटा दिया जाता है कि ऐसी कोई योजना नहीं चल रही है. मरने वाले व्यक्ति को भी 5 हजार रुपए नहीं मिल रहे हैं. माननीय मंत्री महोदय, कम से कम लोगों का इलाज कराइए, मरने वालों को बचाइए. बिजली, सड़क, रोजगार और विकास की बात करने वाले जो हैं वो भाड़ में जाए. कम से कम इंसानों की जान और पीने का पानी मुहैया कराइए. मैं आपसे उम्मीद करता हॅूं और आने वाले बजट के साथ-साथ आप कहीं न कहीं सिवनी जिले को भी नक्शे में रखें, ऐसी उम्मीद करता हॅूं. आप सच्चे पड़ोसी बनें और सच्चे जनसेवक बनें. जयहिन्द, जयभारत.
डॉ. अशोक मर्सकोले (निवास) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2019-20 के बजट की चर्चा में मुझे बोलने का मौका दिया गया, उसके लिए मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देता हॅूं और इसके समर्थन में मैं अपनी बात रखना चाह रहा हॅूं. कल के बजट भाषण के बाद जब मैं घर पहुंचा तब मेरी पत्नी ने पूछा कि बजट में क्या हुआ. मैंने उन्हें बताया कि 2 लाख 33 हजार करोड़ के बजट का प्रावधान है तो उन्होंने मुझसे पूछा जब इतना बड़ा बजट आता है तो अपने क्षेत्र का विकास अवरुद्ध क्यों है ? मैं वर्षों से सामाजिक गतिविधियों में भाग लेता आया हॅूं और इन्हीं छोटी-छोटी समस्याओं के साथ में मैं वहां की स्थानीय समस्याओं के साथ, वहां के विकास या सामाजिक विकास की बात के साथ लड़ते-लड़ते आगे बढ़ा. मैं ज्यादा कुछ नहीं बोल पाया. मैंने अपनी पत्नी को केवल यह कहा कि अब मुझे उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है. उस क्षेत्र से संबंधित पहले जो भी गलतियां हुयी हैं अब मैं उनके लिए लड़ाई लड़ूंगा और क्षेत्रवासियों के लिए, उनके विकास के लिए अपनी बात करुंगा.
अध्यक्ष महोदय, बजट में जिस प्रकार से युवाओं के लिए, किसानों के लिए, महिलाओं के लिए सामाजिक सुरक्षा की बात कही गई है हमारी मूलभूत सुविधाओं को प्राथमिकता से बजट में रखा गया है. चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, युवाओं के रोजगार की बात हो, उनके कौशल विकास के लिए तकनीकी शिक्षा को बजट में प्राथमिकता से रखा गया है, वह निश्चित रुप से स्वागत योग्य है. अध्यक्ष महोदय, यह सबसे पहले हमारी महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक था. जैसे ही सरकार का गठन हुआ, हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने सबसे पहले किसान कर्ज माफी की फाईल पर सिग्नेचर किया. हमारे विपक्ष के जो बहुत ही वरिष्ठ साथी हैं कर्ज माफी को छलावा कह रहे हैं. मैं आप लोगों के बीच में एक बात रखना चाह रहा हॅूं कि ये कर्ज माफी आपके समय की ही है. जिन किसानों ने] जिन अन्नदाताओं ने कर्ज लिया था और कर्ज के बोझ तले हजारों किसानों ने जहां आत्महत्याएं की हैं और कुछ को तो आपने गोली भी मरवायी है. हमारे अन्नदाता सुखी रहें, सम्पन्न रहें क्योंकि जब वे खुश रहेंगे तो शायद उस खुशहाली का फायदा हमें मिलेगा. उनकी इसी तकलीफ को ध्यान में रखते हुए हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने, कांग्रेस की सरकार ने किसानों के लिए दो लाख रुपए तक की कर्ज माफी की बात की है. अभी वह प्रोसेस में है कई तकनीकी समस्याएं भी हैं. लेकिन वह लगातार उसमें काम कर रहे हैं. दूसरी बात गौवंश जिनको हम माता कहते हैं, जब हम गौशाला की बात करते हैं, तो उसको भी आप छलावा बोल रहे हैं. अरे भाई, उससे पहले तो आप लोगों ने सोचा भी नहीं. जब हम गौशाला बनाने की बात कर रहे हैं तो उसको छलावा कैसे कह रहे हैं ? किस आधार पर कह रहे हैं ? बहुत सारी ऐसी बात हैं कि आप लोगों ने जो जुमले बांटे थे, 20-22 हजार घोषणाएं की थीं, अब हमारे यहां पर हमारे मुख्यमंत्री जी जब काम कर रहे हैं तो उनको आप छलावा कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं अष्टांग योजना की बात करना चाहूंगा कि पहली बार किसी ने आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिये बात कही है. उनके देवी-देवता, देवालय, उनके लिये स्नानागार, उनके लिये भवन की बात कही है, इसका मैं निश्चित रूप से स्वागत करता हूं. एक बात और मैं आप लोगों को बताना चाहूंगा कि भारतीय जनता पार्टी के शासन में, चूंकि मैं मण्डला से हूं और मण्डला में यह आदि उत्सव मनाया करते थे. आदि उत्सव आदिवासी संस्कृति के नाम पर मनाने की बात की है. उसमें से आदिवासी को कट करके आदि रख दिये और आदि के नाम पर करोड़ों रुपये उसमें खर्च होते थे. गोंडवाना वंश के जिस मोती महल पर उसका आयोजन होता था, हर दो-तीन बार में बहुत बड़ी-बड़ी घोषणाएं कीं, उसका सिर्फ एक बार रंग-रोगन किया उसके बाद छोड़कर चले गये. फिर अगली बार फिर आदि उत्सव की बात की, करोड़ों रुपये उसमें खर्च करने की बात कही, फिर उसमें सिंपल पुताई करके चले गये. हद तो तब हो गई कि जिस मोती महल से आदि उत्सव की शुरुआत किया था उसको हैरिटेज लिस्ट से हटा दिया. उसके बाद भी बिना किसी रुकावट के, उस हैरिटेज लिस्ट में शामिल करने की बात कहे बिना, फिर वही आदि उत्सव मनाने की बात कही, जिसका हमने बहुत विरोध किया. अंतत: उस कार्यक्रम में जिनमें प्रधानमंत्री जी को भी बुलाया था, करीब 100 करोड़ रुपये उस पर खर्च किये थे, लेकिन उसमें सिर्फ सर्टिफिकेट बांटकर चले गये. लेकिन उससे पहले जो करोड़ों की घोषणाएं की थीं वह आज भी वैसी की वैसी हैं. यह उस समय की बात है जब घोषणावीरों की सरकार थी. आज कम से कम एक अष्टांग योजना के माध्यम से कुछ करने की, कुछ बनाने की बात कही जा रही है, तो निश्चित रूप से पूरे आदिवासी समाज की तरफ से मैं, मुख्यमंत्री जी और वित्तमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा. वित्तमंत्री जी हमारे जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं. साथ ही कुछ और महत्वपूर्ण बाते हैं. जो नर्मदा घाटी परियोजना और जल संसाधन विभाग की तरफ से जिस प्रकार से बजट का प्रावधान हुआ, मैं बात रखना चाहूंगा कि हमारा मण्डला जिला चारों तरफ पानी से भरा पूरा है. नर्मदा घाटी के अंतर्गत् जो बरगी परियोजना का डूब का पूरा एरिया है, वह हमारे आधे क्षेत्र में आता है, लेकिन फिर भी ऐसी स्थिति है कि हमारे यहां पर हमारे कुएं, हमारे तालाब और हमारे खेत और खलिहान सूखे हुये हैं. पीने के पानी की बहुत तकलीफ रहती है. हमें एक बहुत बड़ी उम्मीद जागी है कि अगर जल का अधिकार मिल रहा है तो हम अपनी बात भी रख सकते हैं चूंकि वित्तमंत्री जी हमारे यहां के प्रभारी मंत्री हैं, उसके आधार पर हमारे खेत और खलिहान को पानी मिलेगा. नया सवेरा, एक बहुत उम्मीदों के साथ श्रमिकों के कल्याण के लिये जिस प्रकार से बात कही है, निश्चित रूप से इस वर्ग को जिसको हमेशा से सिर्फ एक कर्मचारी, एक मजदूर के रूप में लिया जाता था लेकिन कभी भी उसके अधिकार और उसकी व्यवस्था के लिये कभी कोई बातें नहीं होती थीं. निश्चित रूप से इसके तहत उनकी बातों को रखा जाएगा, उनको सुना जाएगा. ये बहुत सम्मान के लायक बातें हैं. अध्यक्ष महोदय, वनाधिकार पट्टों की बात कहूँगा. सबसे पहले जब बेदखली का एक ऑर्डर आया उसमें सबसे पहले हमने जब यह बात रखी तो मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने सबसे पहले इन दावे निरस्ती के लिए, इन बेदखली के लिए सबसे पहले माननीय सुप्रीम कोर्ट के सामने उसको रखा. अध्यक्ष महोदय, आज जो जल के अधिकार और स्वास्थ्य के अधिकार की बात कही है निश्चित रूप से जो सिविल हॉस्पिटल, सी.एच.सी., पी.एच.सी. और उप स्वास्थ्य केन्द्र खोलने की बातें कही हैं. 1065 डॉक्टर्स की जो भर्ती की बात कही है निश्चित रूप से हमारा जो स्वास्थ्य अमला है, स्वास्थ्य विभाग है, स्वास्थ्य सेवाएँ हैं, आम नागरिकों को बहुत अच्छे से मिल पाएँगी. कुल मिलाकर आज जो बजट हमारे बीच में है. उससे हम यह कह सकते हैं. साथ ही एक और बात कहना चाहूँगा कि आदिवासी उपयोजना में इस बार करीब 33 हजार 466 करोड़ रुपये जो आए हैं, हमेशा से पिछली सरकारों में इस ट्रायबल सब प्लान के पैसे को उन योजनाओं के लिए कभी यूज नहीं किया और उसके बदले इधर उधर कहीं भी उस पैसे को हमेशा उपयोग किया है तो एक बहुत बड़ी उम्मीद जागी है और निश्चित रूप से उसका काम अच्छे से होगा. धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर)-- माननीय अध्यक्ष जी, बजट वर्ष 2019-20 जो प्रस्तुत किया गया है, मैं इसका अक्षरशः विरोध करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- भैय्या, घड़ी सामने रख लेना.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष जी, बिन्दु क्रमांक 89, “रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाय पर वचन न जाय”. अध्यक्ष जी, घोषणा और आश्वासन ये एक बार टल सकते हैं, लेकिन वचन कभी टलता नहीं है और जो वचन किया है, जो वादा किया है, वह निभाना पड़ेगा. अध्यक्ष जी, अभी 3-4 महीनों में वचन पत्रों के माध्यम से प्रतीक्षा कर रहे हैं, जो मुझे बजट में कहीं नजर नहीं आ रहा है. संविदा शिक्षक, फिजियोथैरेपिस्ट, लिपिकीय संवर्ग, एवं कंप्यूटर ऑपरेटर, माननीय अध्यक्ष, इनकी उस वचन पत्र के माध्यम से इसी महीने, इसी हफ्ते, हड़तालें हो रही हैं, प्रदर्शन हो रहे हैं, ज्ञापन दिए जा रहे हैं. यहाँ तक कि भोपाल के नीलम पार्क में अभी इसी हफ्ते पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी को उन फिजियोथैरेपिस्ट को उठाने जाना पड़ा. कोई आश्वासन दिया होगा, लेकिन उनको वहाँ से तो उठा दिया.
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. वित्त मंत्री जी नहीं हैं....
अध्यक्ष महोदय-- वे बोल कर गए हैं.
श्री विश्वास सारंग-- तो किसी मंत्री को....
अध्यक्ष महोदय-- बाला बच्चन जी के लिए कह कर गए हैं.
श्री विश्वास सारंग-- बाला बच्चन जी कुछ लिख नहीं रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- ये इतने बड़े बैठे हैं.
श्री विश्वास सारंग-- दिख नहीं रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- देखो चार फुट साढ़े छः इंच के.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष जी, मांग छोटी सी थी, वे काउंसलिंग की मांग कर रहे थे. उनको वहाँ से उठा दिया. लेकिन बजट में कहीं नजर नहीं आ रहे हैं. पूरे वाट्सएप ग्रुप भरे पड़े हैं, समाचार पत्रों की लाइनें स्थानांतरणों की सूचियों से भरी पड़ी हैं. मैं जिस जिले से निर्वाचित होकर आता हूँ. 36-36 घंटे में आई.पी.एस. और आई.ए.एस. बदले जा रहे हैं. कौन आ रहा है, कौन जा रहा है, जनता को पता नहीं चल रहा है, जनप्रतिनिधियों को पता नहीं चल रहा है. अध्यक्ष जी, बजट में कर्मचारियों को, अधिकारियों को, जो वचन पत्रों में था, उसका कहीं अता-पता नहीं है. अध्यापक संवर्ग, सातवाँ वेतनमान, शिक्षा विभाग में संविलयन, माननीय अध्यक्ष जी, कोई उल्लेख नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बिन्दु क्रमांक 42, शिक्षा को यदि आप देखेंगे तो 70 प्रतिशत विद्यालयों में लाइट कनेक्शन नहीं है और बातें कर रहे हैं कंप्यूटर शिक्षा की. 62 हजार छात्र 10 वीं और 12 वीं के इस वर्ष के री-वेल्यूएशन में फार्म भरे 591 के नंबर बढ़े. माननीय अध्यक्ष जी, गलत मूल्यांकन हो रहा है, आर्थिक नुकसान हो रहा है, शारीरिक, मानसिक नुकसान हो रहा है. शिक्षा मंडल के कंप्यूटर ऑपरेटर ठेकों पर चल रहे हैं, मार्कशीट की त्रुटियों के कारण से, खामियाजा भुगतना पड़ा. लेपटाप के वितरण के नाम तक का उल्लेख नहीं है. युवा लेपटॉप की प्रतीक्षा कर रहे हैं. शिक्षा मण्डल 850 करोड़ रुपए के कमाऊ पूत की संज्ञा में है लेकिन कम्प्यूटर के वितरण का बजट में कहीं उल्लेख नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बिन्दु क्रमांक 90. गृह मंत्री जी विराजित हैं. डकैतियों का यह आलम हो गया है, बैंकों की वेनों को लूटा जा रहा है. लूट, हत्या, बलात्कार, अपहरण. उज्जैन के महामृत्युंजय द्वार पर स्कूल के कैशियर की लूट, ग्वालियर के कम्पू थाना क्षेत्र में बैंक से इसी हफ्ते लाखों रुपए लेकर वेन से आ रहे थे, गार्ड की हत्या कर दी गई, ड्रायवर जख्मी पड़ा हुआ है. मंदसौर के सोना-चांदी व्यापारी पवन उकावत को मोबाइल नंबर 882745865 से 10 लाख रुपए की फिरौती का धमकी भरा फोन आता है, शहर कोतवाली, मंदसौर में रिपोर्ट दर्ज है. सराफा व्यापारियों ने आक्रोशित होकर ज्ञापन दिया है. पुलिस प्रशासन अभी तक इस नंबर को ट्रेस नहीं कर पा रहा है. एक पूर्व पुलिस कांस्टेबल का एक वीडियो वायरल हुआ है, इसका संवाद हमको बड़ा अच्छा लगा. पुलिस प्रशासन की नाकामियों को लेकर उन्होंने इतनी अच्छी-अच्छी बातें कहीं, अव्यवस्थाओं को लेकर, शोषण को लेकर. मुझे पता नहीं आपने उस वायरल हुए वीडियो का क्या किया है या क्या करेंगे. जब आपके विभाग की डिमांड्स पर चर्चा होगी तब आप जरुर बताएंगे. मैं नीमच के कनाटवी जेल ब्रेक की बात कर रहा था. जबलपुर की जेल में मादक पदार्थ हथियार, तलवार. कलेक्टर भरत यादव का बयान जेलर और अधीक्षक पर कार्यवाही होगी. मैं प्रतीक्षा करुंगा, उम्मीद करुंगा कि जबलपुर की उस जेल से अगर मादक द्रव्य पकड़ाए जा रहे हैं, हथियार मिल रहे हैं. नीमच सिटी के एक प्रधान आरक्षक भरत धावरी, 30 वर्षीय विवाहित महिला के साथ दुष्कर्म का आरोप, दिलीप सिंह जी आपके क्षेत्र का मामला है, मामला दर्ज है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, लॉ एण्ड ऑर्डर की परिभाषा बदल गई है. ला और ऑर्डर ले जा हो गई है. डॉ. सीतासरन शर्मा जी ने अभी साइबर अपराध की बात की थी. मैं गृह मंत्री जी से निवेदन करुंगा, बजट में कहा गया है कि इसके नियंत्रण पर कारगर बात होगी. इसी सत्र में 8 जुलाई को मेरा प्रश्न क्रमांक 125 (तारांकित) में गृह मंत्री जी आपके विभाग ने उत्तर दिया है कि "साइबर अपराध को लेकर जानकारी एकत्रित की जा रही है". यह तारांकित लिखित जवाब है. मैंने सीधा-सीधा प्रश्न पूछा था कि मध्यप्रदेश में कितने साइबर क्राइम हुए हैं, कितनी एफआईआर दर्ज हुईं. जवाब आया है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है.
डॉ. गोविन्द सिंह--वीडियो वायरल की बात मत किया करो, आपके तमाम वीडियो वायरल हो रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--अध्यक्ष महोदय, जय किसान फसल ऋण के मामले में झाबुआ में 24 जून को माननीय मुख्यमंत्री जी ने ऋण माफी के प्रमाण-पत्र बांटे. इसी दिन मेरे विधान सभा क्षेत्र मंदसौर के दलौदा के पास धुंधड़ की एलएलएस सोसायटी में कृषक यशवंत से 22000 रुपए की राशि ब्याज सहित वसूल की गई. उसे नोटिस जारी किया गया और उसने रसीद से राशि जमा कराई है.
अध्यक्ष महोदय, ऋण माफी के पैसे किस्तों में दिए जा रहे हैं. वचन था एक साथ दस दिनों में दो लाख रुपए का ऋण माफ करने का. अभी 1 रुपए से लेकर 50,000 रुपए तक, फिर आएगा 50,000 रुपए से लेकर 1 लाख रुपए तक, फिर एक दौर आएगा 1 लाख से 2 लाख रुपए तक का. सोसायटियों का भविष्य दांव पर लग गया है. किसानों से कहा जा रहा है कि अभी आप जमा कर दें सरकार के पास जब प्रबंध होगा तो समायोजित कर लिया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय, बिंदु क्रमांक 26 में कृषि सलाहकार समिति की बात कही गई है. हरदीप सिंह जी डंग शायद यहां पर नहीं हैं उनका विधान सभा क्षेत्र सुवासरा, मंदसौर के पास में ही है कोचीरियाखेड़ी गांव और सुरखेड़ा के किसान मुआवजे के लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. आमरण अनशन चल रहा है. पटवारी की गलती को जिला प्रशासन ने स्वीकार किया है एक पटवारी को सस्पेंड भी किया गया है. क्योंकि उसने समय पर जिनको मुआवजा प्राप्त होना है उन किसानों का नाम नहीं भेजा है. माननीय अध्यक्ष जी, पटवारी का निलम्बन हो गया लेकिन भरपाई नहीं हुई है. बिंदु क्रमांक 56 उच्च शिक्षा झाबुआ में नवीन आदर्श महाविद्यालय का आपकी सरकार ने इस बजट में उल्लेख किया है. बिंदु क्रमांक 26 में 6 माह में भवन बनाकर इस सरकार ने तैयार कर दिया है. ऐसा चिराग जलाया अलादीन का, ऐसा हाथ रगड़ा कि झाबुआ के उच्च विद्यालय आदर्श स्नातक महाविद्यालय अपने आप लोकार्पित हो गया. पिछली सरकार का शिलान्यास, पिछली सरकार का बजट और आपकी सरकार के बजट में बिंदु क्रमांक 56 पर आप लिख रहे हैं कि हमने भवन बनाकर सौगात दी है. सड़क के किनारे शासकीय भूमि पर बिंदु क्रमांक 60 माननीय मंत्री जी यहां पर विराजित हैं आपके बजट में आपने उल्लेख किया है शासकीय भूमि पर व्यावसायिक प्रयोजन के लिए वित्त पोषक कॉम्प्लेक्स बनाए जाएंगे. सड़क के शोल्डर भविष्य की कल्पनाओं को लेकर छोड़े जाते हैं. टू लेन, फोर लेन, सिक्स लेन लेकिन गाडि़यों की पार्किंग कहां होगी. सिक्स लेन, फोर लेन पर गाडि़यां खड़ी कैसे रहेंगी और जहां तक मैं अध्ययन कर पाया हूं माननीय मंत्री जी मैं पी.डब्ल्यू.डी. की डिमाण्ड्स पर जरूर बोलूंगा लेकिन आपके लोक निमार्ण विभाग की जो डिमाण्ड्स आ रही हैं. मुख्यमंत्री जी के छिन्दवाड़ा जिले में 352 किलोमीटर की 60 सड़कें स्वीकृत हो चुकी हैं. बजट में आएगा. माननीय मंत्री सज्जन सिंह जी 38 सड़कें आपके विधान सभा क्षेत्र की आपके जिले की 117 स्वीकृत हुई हैं. हमारी नहीं हुई हैं अंधा बांटे रेवड़ी. प्रभु सबका भला करना लेकिन शुरूआत मुझसे करना. माननीय मंत्री जी मैं डिमाण्ड्स पर बोलूंगा. अगर आंकडे़ गलत हों.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- क्यों झूठ-मूठ बदनाम कर रहे हो.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- 36 जिलों में 40 नदियां हैं बजट प्रावधान नहीं रखा है. नदियों के संरक्षण को लेकर उल्लेख जरूर कर दिया है लेकिन प्रावधान में बजट कितना है इसका उल्लेख कहीं नहीं है. मैं ढू़ंढूंगा कि मेरे मंदसौर जिले की शिवना नदी भी हो. वहां के प्रभारी मंत्री जी श्री हुकुम सिंह कराड़ा जी मैं आपके ऊपर छोड़ देता हूं कि मंदसौर की शिवना नदी को भी इसमें सम्मिलित कर लिया जाए.
04:45 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदस्यों के लिए चाय की व्यवस्था एवं सदन की कार्यवाही 8.00 बजे तक जारी रहने विषयक
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यों के लिए चाय की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. अनुरोध है कि सुविधानुसार माननीय सदस्य चाय ग्रहण करने का कष्ट करें. सामान्य चर्चा में बोलने वाले माननीय सदस्यों की संख्या को दृष्टि में रखते हुए सदन की कार्यवाही आठ बजे तक जारी रहेगी. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है. (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- अध्यक्ष महोदय, भारत की सरकार से कुछ लेना चाहते नहीं हैं. पूरे बजट में कहीं भी किसान सम्मान निधि जो 3 कि तीन हजार रुपए है जो कि 60 वर्ष के किसानों को मिलना है वृद्धा पेंशन है. उसका कहीं उल्लेख नहीं किया है.
अध्यक्ष महोदय-- सिसौदिया जी आप बैठ जाइए.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- आयुष्मान योजना को लेकर बजट में कोई प्रावधान नहीं है. मांग की बात नहीं है. यहां तक कि फुटकर व्यापारी, छोटे व्यापार इनको लेकर भी माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने तीन हजार रुपए की जो वार्षिक पेंशन शुरू की उसका भी आपने कोई जिक्र न करते हुए कोई सूचियां मध्यप्रदेश की सरकार के माध्यम से आपकी सरकार को नहीं जा रही हैं. आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल)--माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं आपको धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने मुझे बजट पर बोलने का मौका दिया. मैं आभार व्यक्त करना चाहूंगा क्योंकि यह बजट भावना है मध्यप्रदेश के करोड़ों लोगों की और इस प्रदेश के बजट पर जब मैंने बोलने के लिए सोचा तो मैं कंफ्यूज़ हो गया कि किस बात से शुरूआत करूं. शुरू करूं उस महान व्यक्तित्व और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी से, जो कि एक ऐसे दूरदृष्टा हैं, जिनकी एक वैश्विक साख है, एक ऐसे मुख्यमंत्री जिन्होंने अपने भागीरथी प्रयास के द्वारा इस मध्यप्रदेश को खुशहाल बनाने के लिए एक सोच, एक संकल्प लिया और उस संकल्प के साथ काम करने का उन्होंने निर्णय लिया है तो मुझे एक शेर याद आया-
जो प्रदेश के गांव और गरीब किसान के साथ है,
वचन खाली न जाये कुछ ऐसी उनकी बात है,
हजारों कमल खिले और मुरझा गए हैं गुलशन में,
जो हर हालत में अटल-अडिग और अटूट है,
वह कमल नहीं माननीय कमलनाथ हैं, माननीय कमलनाथ हैं.
(मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात शुरू करूं उस 15 साल के कुशासन की, पिछली सरकार के मुख्यमंत्री जो घोषणावीर कहलाते थे. अभी यहां बात हो रही थी कि हमारी सरकार ने यह वायदा किया, वह वायदा किया. पिछले मुख्यमंत्री जी हर बार बस में निकलते-निकलते कहां, क्या बोल जाते थे यह तो उनके लोगों को भी नहीं मालूम होता था क्योंकि रोज घोषणा करके जाना उनकी आदत थी. जिस प्रकार से बर्बादी के कगार पर इस मध्यप्रदेश को ये लोग कंगाल छोड़कर गए, मैं उस शिवराज सरकार की बात करूं तो मुझे एक और शेर याद आता है-
कि रख लो आईने हजार, तसल्ली के लिए,
पर सच के लिए तो आंखें मिलानी ही पड़ेंगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने दिल्ली के बजट को बहीखाता बताया. माताओं-बहनों, किसानों और आमजन को खूब रूलाया है. मध्यप्रदेश की जनता पर प्रहार करते हुए, जिस प्रदेश से उन्हें 28 सांसद मिले, उस प्रदेश की जनता पर उन्होंने 2700 करोड़ की कटौती बजट में करके एक प्रहार किया है और मध्यप्रदेश की जनता का उपहास उड़ाया है. मोदी जी के निर्मला बजट में हताशा, निराशा और बेबसी छाई हुई है और वहीं कमलनाथ जी के बजट से रोशनी आयी है. कमलनाथ जी के बजट को मध्यप्रदेश की जनता ने सराहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह बताना चाहूंगा कि यह बजट कोई आसान बजट नहीं था क्योंकि इस बार खजाना खाली था. यह बात पूर्व वित्त मंत्री पूरे दम और मीडिया के सामने कहकर गये कि लूट-लूट कर हमने खजाना खाली करके छोड़ा है और हमें भी देखना है कि यह सरकार काम कैसे करती है, कैसे कर्ज माफ किया जायेगा, कैसे पेंशन दुगुनी की जायेगी, कैसे गरीबों के लिए काम किया जायेगा. हमारी सरकार ने उन्हीं उम्मीदों को पूरा करते हुए इस बजट को पेश किया है. मैं कहना चाहूंगा कि यह बजट, दूरदृष्टा कमलनाथ जी की सोच और संकल्प है कि कैसे गरीब किसान का भला किया जाये, कैसे मजदूर के साथ खड़ा हुआ जाए और यह बजट कपोल-कल्पनाओं का बजट नहीं है अपितु वास्तविकता के धरातल पर उम्मीदों को आकार देने वाला बजट है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस बजट पर जब चर्चा हो रही थी और किसानों के विषय में कोई बात मैं विपक्ष की ओर से सुनता हूं तो मुझे बड़ा आश्चर्य होता है कि जिनके पापों के कारण, जिनकी गलत नीतियों के कारण इस प्रदेश के किसान पर कर्ज चढ़ा, 20 हजार किसानों ने जिस सरकार के कार्यकाल में आत्महत्या की, जिनके राज में किसानों के पेट पर लात और छाती पर गोली मारी गई, जिनके राज में किसानों को नंगा करके मारा गया वे आज किसान हितैषी होने की बात करते हैं. इनका पाप ही किसानों के ऊपर कर्ज के रूप में चढ़ा था आज उसे खत्म करने का संकल्प कमलनाथ जी की सरकार ने लिया है. जब भी किसान की खुशहाली की बात की जाती है तो इनके पेट में दर्द होने लगता है. सिसौदिया जी, यहां किसानों की बात कर रहे हैं जब मंदसौर में किसानों की छाती पर गोलियां चली थीं तब यहां के पूर्व मुख्यमंत्री जी ए.सी. तंबू में बैठकर नौटंकी करते थे. तब कोई बोलने वाला नहीं था. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज जब किसान का कर्ज हमारी सरकार द्वारा माफ किया जा रहा है तो ये लोग इंदौर में ट्रैक्टर चला रहे हैं. जब किसान को नंगा करके टीकमगढ़ में मारा जा रहा था तब ये लोग दिल्ली में किसी ए.सी. कमरे में सोये हुए थे. भईया, किसान की बात पर आपके पेट में दर्द क्यों होता है ?
श्री हरिशंकर खटीक- माननीय अध्यक्ष महोदय, टीकमगढ़ की घटना असत्य है. ऐसी कोई घटना वहां नहीं हुई थी.
अध्यक्ष महोदय- जो कोई बीच में बोलेगा, उसका नहीं लिखा जायेगा.
श्री हरिशंकर खटीक- XXX
श्री कुणाल चौधरी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं स्वयं टीकमगढ़ में उस आंदोलन में था. किसानों को वहां नंगा करके मारा गया था. यह बात आप लोगों को याद रखनी चाहिए. मैं पूछना चाहता हूं कि क्या मंदसौर में किसानों पर गोलियां नहीं चलीं ? आप किसानों की हर बात का विरोध करते हैं. यह बजट किसानों के भविष्य का बजट है. यह, वह बजट है जिसमें किसानों को प्राथमिकता देते हुए 22 हजार 736 करोड़ का प्रावधान किया गया है जो कि विगत बजट से 145
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
प्रतिशत अधिक है. यह बात इस सरकार की है, यह दृढ़ता इस सरकार की है कि जबसे सरकार में आये हैं, सबसे पहले किसान के लिये चिन्ता करते हुए किसान की कर्ज माफी का काम किया है. पिछली सरकार थी तो मुझे याद है कि किसान के पेट पर लात के साथ, बिजली के बिल के नाम पर जेल में डाल दिया जाता था. किसान के ट्रेक्टरों को बंद कर दिया जाता था, किसान की मोटरें जप्त कर दी जाती थी, उसकी मोटर सायकिलें घर से उठा ली जाती थीं. आज यह कमलनाथ जी की सरकार है जिसने हमारी विधान सभा में ही, लगभग इनकी सरकार में ही पकड़े गये 15 ट्रेक्टर और 40 मोटर सायकिलें छूटी हैं, वह किसान की थीं. हमने किसान का कर्जा माफ किया, हमने किसान की बिजली के बिल हॉफ किये और इंदिरा गृह ज्योति योजना प्रारंभ कर 100 रूपये में 100 यूनिट देने का काम किया. इन्होंने पिछले 15 साल में जो पेंशन 300 रूपये पहुंची थी, गरीब का 300 रूपये पेंशन में क्या होता है हमारी सरकार ने उसे 600 रूपये पहुंचाने का काम किया. वचन की बात करते हैं तो यह वचन की पक्की सरकार है और यह पांच साल का वचन पत्र है, चिन्ता मत करो, एक-एक वचन पूर्ण होगा, एक-एक बात पूर्ण होगी. पिछली सरकार में बेटियों की शादी के सम्मेलनों में जाता था तो मैं कई जगह घटनाएं देखता था, तो बेटियों की शादियों के नकली बर्तन और नकली चांदियां देख के 28 हजार रूपये में से आधी नकली चांदी और आधे नकली बर्तन देते थे और 12-14 हजार रूपये देकर के बड़ी लाड़ली लक्ष्मी की बात करते थे. यह सोच कमलनाथ जी की है कि जिनकी सोच के माध्यम से इस मध्यप्रदेश की बेटी पर भरोसा करके सीधे 48 हजार रूपये नकद सीधे बेटी के खाते में डालने का काम किया और 3 हजार रूपये आयोजन समिति को देने का काम किया. इस हिसाब से 51 हजार रूपये एक-एक शादी में दिये जाते हैं. अभी बात कर रहे थे शादी के सम्मेलन की तो मैंने खुद मेरे विधान सभा में दो-दो सम्मेलन कराये हैं, तीसरे दिन खाते में पैसा आ गया है.
यह बड़े किसान की बात करते हैं, पिछली बार की गेहूं खरीदी में उस अकौदिया में किसान लाईन में लगे-लगे मर गया था और इस बार किसान को कहीं भी ट्रेक्टर-ट्राली लेकर लाईन नहीं लगानी पड़ी, जितने आते थे रोज तुल जाते थे.
इन्होंने मध्यप्रदेश के नौजवान के साथ धोखा किया था. आज मध्यप्रदेश के उस नौजवान के साथ इस प्रदेश का मुख्यमंत्री सदन का मुख्यमंत्री कहता है कि कहीं न कहीं 70 प्रतिशत रोजगार प्रदेश के नौजवान को दिया जायेगा. जिसे पिछली सरकार ने व्यापक के माध्यम से बेचने का काम, जिनके केबिनेट मंत्री, जेल के अंदर गये और जेल में जाकर बोले मैं तो छोटी सी मछली हूं, मेरे से बड़े-बड़े मगरमच्छ तो अभी बाहर घूम रहे हैं. जिन्होंने युवाओं की हत्या की, जिन्होंने कंस और शकुनी की तरह,जो मामा का केरेक्टर था, उस मामा की कहानी भी बहुत सुनी, पर इस प्रदेश का मामा तो कंस और शकुनी का वंशज निकला, यह तो कहीं न कहीं बात थी.
इस युवा स्वाभीमान के माध्यम से मध्यप्रदेश के नौजवान के अंदर एक सोच डेव्ह्लप हुई है कि मध्यप्रदेश के नौजवान को मध्यप्रदेश में रोजगार मिलेगा.पिछले 15 साल में लाखों पद खाली रहे, उन पदों को नहीं भरा गया.
श्री बहादुर सिंह चौहान:- अध्यक्ष जी, क्या यह आम सभा है, पूर्व मुख्यमंत्री जी की कंस से तुलना कर रहे हैं, यह बहुत ही निंदनीय है. इसमें बजट की एक लाईन नहीं है.
श्री कुणाल चौधरी :- यह बजट ही तो है. मैं बता रहा हूं कि 51 हजार रूपये बेटियों की शादी के लिये दिये जा रहे हैं. युवा स्वाभीमान का काम किया. अभी आप रूको तो सही, अभी तो शुरूआत है.
डॉ. सीतासरन शर्मा:- मगर आप सही भाषा तो अच्छी उपयोग में लाईये.
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग ध्यान से सुने तो वह बजट पर ही बोल रहे हैं.
श्री कुणाल चौधरी :- एक सरकार थी, जिसकी एक बात चल रही थी, जिसके एक राष्ट्रीय नेता आये और बोले हमारे बीजेपी का कहना साफ, हर किसान का पचास हजार का कर्जा माफ. 15 साल उस पर सरकार बनायी परन्तु उसकी याद कभी नहीं आयी और अब उसके बाद पूछते थे तो कहते थे कि हम तो जीते अपने आप, अब काहे का कर्जा माफ. यह किसान के कर्जे की बात करते हैं, यह किसान की बात करते हैं, गौ-शाला और गाय पर राजनीति करते हैं. इसके लिये गाय राजनीति का केन्द्र थी. हमारे लिये गाय माता का रूप है, हमने हजारों गौ-शालाओं का निर्माण किया. श्रमिकों के लिये नया सवेरा योजना की शुरूआत करी. मैं कहना चाहूंगा कि विकास के कार्यों में सहयोग करोगे तो जग में यश पाओगे और अहंकार में अटेर रहोगे तो एरावत के पत्तों की तरह बह जाओगे. जब केन्द्र में यू.पी.ए. की सरकार थी इस देश के हमारे प्रदेश के मुखिया उस सरकार में मंत्री थे. तब हमने राईट टू इन्फारमेशन दी, राईट टू एज्युकेशन दी, उसमें पेट में दर्द हो रहा है. गरीब का बच्चा किसी अच्छे स्कूल में पढ़ लिया तो उसमें पेट में दर्द होने की क्या बात है. आज हमारी सरकार अब राईट टू ड्रिंकिंग वॉटर दिया, पानी पीने का अधिकार दिया है. पानी पीने का अधिकार मध्यप्रदेश के हर नौजवान को हो. गांव में जाकर देखो आपने पीने के पानी की क्या हालत करके रखी है ? 15 साल की सरकार यह भलि-भांति जानती है कि रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून इसलिये यह अधिकार हम जनता को सौंपना चाहते हैं, क्योंकि साफ व स्वच्छ पेयजल जनता को मिलना चाहिये. लेकिन शायद विपक्ष की आंखों का पानी जरूर उतर गया है कि ऐसे जनहित के प्रावधान पर भी ओछी राजनीति करने का काम कर रहे हैं. लगातार यह लोग राम की बात करते हैं तो मैं भी मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है, उनकी चंद पंक्तियां कहना चाहूंगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--यह बजट भाषण है क्या ?
अध्यक्ष महोदय--बजट में पानी का उल्लेख है, उस पर बोल रहे हैं.
श्री कुणाल चौधरी--देहिक देविक भौतिक तापा राम राज्य कहु का ना व्यापा अर्थात् जिस राज्य में किसी को कोई शारीरिक आर्थिक, मानसिक संताप नहीं था वही राम राज्य था हमने इसी राम राज्य की परिकल्पना को ध्यान में रखते हुए राईट टू हेल्थ की बात की है. बात करते हैं हेल्थ के ऊपर जिनके राज में 60 लोगों की आंखें फूट गई हो बड़वानी के अंदर, जिनके राज में चींटियां बच्चों को खा जाती हैं. इनके राज में विदिशा में कैसी हॉस्पीटलों की चिंता थी. आज राईट टू हेल्थ की चिन्ता की है. इस प्रावधान को करके आम जनता को स्वास्थ्य का अधिकार मिले. यह राम के नाम पर राजनीति करते हैं और हम राम की नीतियों का अनुसरण करते हैं. यह राम को तो मानते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि राम की मानते होंगे. हम बोलेंगे तो बोलोगे कि बोलता है. लेकिन 15 वें वित्त आयोग के अध्यक्ष ने 15 साल की तथाकथित सरकार....
श्री विजय शाह--कौन सी सभा हो रही है.
अध्यक्ष महोदय--पन्द्रहवें वित्त आयोग की चर्चा कर रहे हैं.
श्री कुणाल चौधरी--अध्यक्ष महोदय, 15 वित्त आयोग के अध्यक्ष ने 15 साल की तथाकथित विकासशील सरकार पर तमाचा मारकर गये. स्थायी सरकार सुदृड़ अर्थ व्यवस्था का दावा लेकिन विकास कहीं भी क्यों नहीं नजर आ रहा है यह टिप्पणी मेरी नहीं है 15 वे वित्त आयोग की है. शर्मनाक स्तर की गरीबी. गुस्सा न होना साथियो मैं यह नहीं वित्त आयोग के अध्यक्ष कह रहे हैं. उनके सवालों की बात है. शिशु मृत्यु दर पर देश में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में भुखमरी पर इंडेक्स भी शर्मनाक, गरीबी में 29 राज्यों में 27 वें नंबर पर. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में देश में पीछे से दूसरे स्थान पर है. यह शिवराज की सरकार का काम था कि वह बुरे काम में आगे और अच्छे काम में पीछे से पहले और दूसरे नंबर पर रहे थे.
'डर, मुझे भी लगा फासला देखकर, पर मैं बढ़ता गया रास्ता देखकर'
खुद-ब-खुद मेरे नजदीक आती गईं मंजिलें, मेरी मंजिल मेरा हौसला देखकर.
अंत में यही कहना चाहूंगा कि -
'अपने पास फकत एक नजर तो है, क्यों देखे जिन्दगी को किसी भी नजर से हम.
आइए हम बेहतर मध्यप्रदेश को अपनी नजर से देखें. इस बजट ने उम्मीदें दीं हैं, आशाएं दी हैं, खुशहाल जीवन का विश्वास दिया है. चाहे मां नर्मदा पर हो, चाहे सड़कों पर हो, हर तरफ जिस प्रकार से विकास की बात कही है और कई बातें जो चलती थी कि इतने करोड़ इसमें खर्च हुए तो कल ही मेरे सवाल के जवाब में दिया कि एक बौद्धिक महाकुंभ सिंहस्थ में हुआ था, ढाई दिन के महाकुंभ में एक हजार लोगों को बुलाया और उस पर लगभग 40 से 50 करोड़ रूपए खर्च किए गए. यह फिजूलखर्ची सरकार ने बंद कर दी है और गरीब किसान मजदूर की यह सरकार है, जय मध्यप्रदेश, जय हिन्द, जय भारत.
अध्यक्ष महोदय - श्री ओमप्रकाश सकलेचा जी, देखिए सकलेचा जी अभी जनशताब्दी चल रही थी. विधानसभा में दो शताब्दियां चलती हैं, एक शब्दों की तेज से कौन कितने कम समय में वाक्या पूरा कर सकता है. एक शिवराज जी करते हैं और एक कुणाल जी करते है.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ. गोविन्द सिंह) - आज तो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को कुणाल ने मात् दे दी.
श्री मनोहर उँटवाल - माननीय अध्यक्ष जी, कहां राजा भोज और कहां गंगू तेली. आप कैसी तुलना कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - भाई, अपनी अपनी नजरों का फेर है, मेरी नजर में जो दिख रहा है मैं वह बोल रहा हूं.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - अध्यक्ष महोदय, नजरों की फेर की ही तो चर्चा करने के लिए आज हम एकत्रित हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय - देखिए पहली बार चुनकर आए सदस्य बोलें उनको अच्छे से बोलने दीजिए, उस बात को जहन में रखिए फिर सोचिए.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - धन्यवाद अध्यक्ष जी, आपकी बात उचित है कि नए विधायकों को मौका देना चाहिए, लेकिन साथ में शब्दों की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - सकलेचा जी अपनी बात रखिए.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा - अध्यक्ष जी, मैं इस बजट का घोर विरोध करता हूं. इसके कई कारण हैं. सबसे पहले मैं शुरूआत करता हूं, मैंने दो दिन पहले भी चर्चा में कहा था कि किसानों के ऋण माफी को लेकर जिस ऋण माफी की शुरूआत से यह सरकार आई और ऋण माफ नहीं होने के कारण उतनी ही तेजी से जनता ने कांग्रेस का साथ नहीं दिया. उसका मूल कारण था 50 हजार रूपए का भी जो कर्जा माफ किया उसमें से भी 50 प्रतिशत लोगों का नहीं किया. मैंने सिर्फ उस दिन इतना आग्रह किया था, माननीय मुख्यमंत्री जी भी चर्चा में थे, कि कम से कम आप लोन की सीमा बढ़ा कर के उन्हें खाद और बीज की उपलब्धता भर करवा दे तो वह सांस लेकर जीने लायक बच जाएगा, अगर वह नहीं होगा तो उसे व्यापारियों से पठानी ब्याज पर पैसा लेना पड़ेगा और उसका उतारा बहुत लंबा पड़ेगा और कहीं वह पूरा साफ न कर दें. मैं दो, तीन, चार विषयों पर पाइंटेड बात करूंगा. मेरे पास न तो लच्छेदार शब्द है न उनका उपयोग करना उचित मानकर समय बर्बाद करूंगा. अभी काफी लोगों ने चर्चा की राइट टू वाटर की. मैं सिर्फ यह बताना चाहता हूं कि स्वच्छता और जलपूर्ति, जलपूर्ति व सफाई का जो फंड था 3 हजार 82 करोड़ दो साल पहले था, आपने 1365 करोड़ कर दिया मतलब आपने तकरीबन 1700 करोड़ कम कर दिया और आप बोलते हों कि हम जल पर चिन्ता करेंगे. मैं सिर्फ आपके ध्यान में रखना चाहता हूं आप चाहे तो पेज क्रमांक 14 पर देख लें. आपने आज के जमाने में स्वच्छता रखना जरूरी है यह बात की, तो स्वच्छता रखना जरूरी है या नहीं, यह आप निर्णय करें. आपने बात की विज्ञान, प्रौद्योगिकी, पर्यावरण इसका बजट कम किया. आज के जमाने में विज्ञान की जरूरत नहीं है. यह आपके भाषण और बजट से उद्बोधित हो रहा है, यह मेरे वाक्य नहीं हैं, आप चाहें तो इसको देख लें. अब अगर मैं बजट की बात करूँ और ऊर्जा में पूंजीगत व्यय की बात करूँ तो वह मात्र 5 प्रतिशत से भी कम लिखा है, आपने 7,479 करोड़ रुपये में से भी 348 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय बताया है. मैं अगर बात करूँ कि बिजली की कमी से परेशान हैं और यह चर्चाएं जब वहां आईं तो हमारी जिला योजना समिति में भी बातें उठाई गईं तो सब पंचायतों के स्ट्रीट लाईट के कनेक्शन कटवा दिए गए. हमारे यहां दो बार जिला योजना समिति की बैठक भी हुई, हमने प्रभारी मंत्री से आग्रह किया कि उसकी चिंता करें और वास्तव में यह केवल एक जगह ही नहीं, यह सब जगह हो रहा होगा. आप थोड़ा सा जमीन की तरफ भी झांकें, बड़े-बड़े महलों से कुछ नहीं दिखेगा.
अध्यक्ष महोदय, छिन्दवाड़ा डेव्हलपमेंट मॉडल की बहुत चर्चाएं हुईं. मैं बड़ी गंभीरता से यह बात कर रहा हूँ कि यहां टॉप टेन प्लेसेस में से कुपोषण के सबसे ज्यादा केस होते हैं. आप उसे देखिए, क्या हम ऐसा मध्यप्रदेश बनाने की बात कर रहे हैं ? हम पानी की बात करें, उसका बजट कम करें, सफाई की बात करें, उसका बजट कम करें, विज्ञान की बात करें, उसका बजट कम करें, ऊर्जा की बात करें, केपीटल इन्वेस्टमेंट की बात नहीं करें केवल ऑपरेटिंग एक्सपेंसेस की बात करें. हम बात करें कि कटौती होगी और जो गांव में घरों के बिल आए हैं, जिस फॉर्मेट में आए हैं और जिस तरीके से आए हैं, आपको भी उत्तर देना उतना ही तकलीफदायी होगा, जितना आज हम यहां पर एक-दूसरे के भाषणों में कुछ भी बात बनाकर, कहकर निकल जाएंगे लेकिन हमको वापस वहीं जाना पड़ेगा. जो प्रजातंत्र में तीन व्यवस्थाएं बनाई हैं, जनप्रतिनिधि, ब्यूरोक्रेसी और ज्युडिशियरी है. इन तीनों का अपना अलग-अलग रोल है. जनप्रतिनिधि को बार-बार उसी जनता के पास जाना पड़ता है, उससे बात करनी पड़ती है. वह बोलता कुछ भी नहीं है. वह चुनाव के दिन जब अपना वोट डालता है, उस दिन अपना मत दिखाता है.
अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत शॉर्ट में कृषि की भी बात कर लेता हूँ. मैं आपकी निगाह को देख रहा हूँ. जहां तक मिट्टी के स्वाईल हेल्थ कार्ड की बात हुई तो बाद में 8-10 आइटम बताए जाते हैं, जो शुरूआत में या एक बार उसका आंकलन शुरू करने के लिए उचित है. जैसे ही आप थोड़ी सी एडवांस फार्मिंग में जाते हैं क्योंकि मैंने भी पिछले 5 वर्ष में खेती शुरू की है और सीख रहा हूँ. मैंने यह महसूस किया है कि हर वर्ष अगर उसकी माइक्रो एनालिसिस नहीं करेंगे तो वास्तव में वह बड़ा छलावा हो जाएगा, जो अपने ट्रेडिशनल तरीके से फसल बदल-बदल कर काम कर रहा था, वह उससे भी जा रहा है और स्वाईल हेल्थ में केवल 8-10 गुण बताकर और ज्यादा उसका प्रोडक्शन कम हो रहा है. उसकी माइक्रो एनालिसिस अगर प्रॉपर नहीं है तो प्रॉपर लैब की व्यवस्थाएं करना बहुत जरूरी है. उसके बारे में कहीं कोई कथन नहीं है, जहां तक चर्चा आई और कछ सदस्य बोल रहे थे कि उद्यानिकी विभाग में 100 करोड़ रुपये का बजट दिया है. पूरे प्रदेश में 100 करोड़ रुपये के बजट से क्या होता है ? एक जिले में अगर आप एक गांव की भी उद्यानिकी से सही विकास की बातें करें तो शायद एक जिला भी पूरा न हो पाए. खेती में नुकसान का सबसे बड़ा कारण उसका प्रोडक्शन नहीं है, मार्केटिंग है एवं मार्केटिंग तभी वाएबल होती है, जब उसका प्रॉपर वॉल्यूम होता है. जब तक आप एक जिले में किसी एक स्पेसिफिक चीज को स्टैर्न्डाइज नहीं करेंगे. मैं पिछले कुछ दिनों से जब से खेती का शौक रखने लगा तो मैं कई देश घूमकर आया हूँ. मैंने देखा कि हॉलैण्ड जैसा छोटा सा देश, पूरी दुनिया में टमाटर सप्लाई करता है.
क्यों नहीं हम किसी एक या दो चीज को फोकस करें क्योंकि अगर सिर्फ हम ऐसी ही बात करते रहेंगे तो समय निकल जायेगा. मैं अगर थोड़ी और गहराई से बात करूं तो नीमच जिले को तो बिल्कुल ब्लेक लिस्ट कर दिया है. वहां पर एक भी सड़क नहीं है, एक भी सिंचाई की नई योजना नहीं है, एक भी कॉलेज के भवन के बारे में चर्चा नहीं की गई है, कुछ भी चर्चा नहीं की गई है. मैंने कल श्री दिलीप सिंह जी से नीमच के बारे में पूछा, मैंने मनासा के विधायक जी से पूछा. ठीक है, आप तीनों जिले की तीनों विधानसभा हार गये, लेकिन आपको वहां से कुछ तो वोट मिले होंगे. क्या ऐसा करना न्यायोचित है, क्या इसलिये हम बजट में आ रहे हैं, क्या यह कमलनाथ जी का संदेश है कि जहां जरूरत नहीं हो वहां कुछ भी नहीं दे ? मुझे बड़े दुख के साथ यह बात कहना पड़ रही है. जब जिला योजना की चर्चा हुई प्रभारी मंत्री भी आये थे, पिछले पांच साल से जब भी कोई नई चीज बनती थी, वहां पर नई योजना आती थी, हम डेम के आगे से मिट्टी निकलवा देते थे. कम से कम पिछले साल तीन से चार हजार एकड़ वेस्ट लैंड से वेस्ट मिट्टी निकालते थे, जिससे सिंचाई की क्षमता और पानी की क्षमता भी बढ़ी, हम वह कर रहे थे, लेकिन सरकार के आते ही इस पर प्रतिबंध लग गया. प्रभारी मंत्री जी से हमने आग्रह किया और कलेक्टर को लिखकर तीन बार चिट्ठी भी दी कि यह दोहरा पैसा निकालने की नीति अभी यहां मत कीजिये कि एक तरफ तालाब को गहरीकरण का पैसा निकालिये, दूसरी तरफ भराई का पैसा दीजिये. यह काम अब संभव नहीं है, क्योंकि नीमच जिला राजनीतिक रूप से बहुत जागरूक है, पर उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई और पूरे छ: माह में एक किसान के खेत में भी कुछ नहीं हुआ और किसानों के अपने खेतों की मिट्टी निकालकर अगर दूसरे खेत में भी डाले तो भी एक-एक लाख रूपये उससे तहसीलदारों ने वसूला है. जहां तक ट्यूबवेल खनन की बात आई है, सालों से कोई तकलीफ नहीं थी लेकिन उस पर भी बंधन लगा दिया कि जब तक पांच हजार रूपया नहीं देंगे, ट्यूबवेल खनन नहीं होगा. यह प्रभारी मंत्री जी के नॉलेज में अक्षरश: है और यह बात मैंने उन्हें व्यक्तिगत रूप से बतायी है कि बहुत तकलीफ है. यह बातें भविष्य में बहुत गंभीर रूप लेगी. जहां तक बात आ रही थी, रेत खनन की उसके संबंध में मैं बहुत प्वाइंटेड बात कर रहा हूं और सबकी संतुष्टि की बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- श्री सकलेचा जी आप आखिरी बिंदु पर बोलें
श्री ओमप्रकाश सकलेचा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आखिरी छोर का हूं मुझे कमलनाथ जी से अपेक्षा है कि वह नीमच को काट देंगे, लेकिन अध्यक्ष महोदय आपसे यह अपेक्षा नहीं है. आपसे मुझे संरक्षण की जरूरत है.
अध्यक्ष महोदय -- आपको बोलते हुये पूरे 13 मिनट हो गये हैं, कृपया आखिरी बिंदु पर बोलें.
श्री ओमप्रकाश सकलेचा-- माननीय अध्यक्ष मैं आखिरी बिंदु पर यह कहना चाहता हूं. मैं रेत पर यह कहना चाहता हूं कि नीमच और मंदसौर में कोई रेत की खदाने नहीं है. राजस्थान से सालों से रेत आती थी, जैसे भी हो रहा था पर सरकारी काम भी और प्रायवेट काम भी हो रहे थे. शिकायत करने के बाद जिस डम्पर से पहले पांच हजार रूपये की वसूली होती उससे डबल दस हजार रूपये की वसूली हो रही है और थाने में बैठकर समझौता हो रहा है, यह माननीय प्रभारी मंत्री जी के ध्यान में है और जिला योजना की बैठकों में हमने यह सारी बातें रखीं भी हैं. मैं बहुत शार्ट में कुछ दो, तीन प्वाइंट और बताना चाहता हूं कि शिक्षा के मामले में बात हो रही थी. शिक्षा के मामले अगर हम सोच रहे हैं तो हमको डिजिटल शिक्षा के बारे में क्यों नहीं सोचना चाहिये. हम शिक्षकों की कमी की बात कर रहे हैं. हमने जावद में डिजिटल शिक्षा प्रारंभ की है. पूरे भारत में जावद के सभी सरकारी हायर सेकेण्डरी स्कूलों में डिजीटल शिक्षा से पढ़ाते हैं और अंतर सिर्फ यह आया है कि मेरी पूरी विधानसभा में छोटा सा गांव जहां पर बीस हजार से ज्यादा की जनसंख्या का एक भी गांव नहीं है. पूरे मध्यप्रदेश में सैकेण्ड बेस्ट हायर सेकेण्डरी स्कूल अगर जावद को नामिनेट होता है तो वह केवल डिजीटल शिक्षा और उतने ही शिक्षकों की कमी के बाद भी हुआ. हमने जब केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावेड़कर जी को बुलाकर उनसे उद्घाटन करवाया, तब दस हजार बच्चे तीन घण्टे साइलेंट बैठकर सुनते रहे और उन्होंने तब ट्वीट किया कि जिंदगी में मैंने कभी दस हजार बच्चों को दो और तीन घण्टे बैठकर सुनते हुये नहीं देखा है. यहां तक कि वोट ऑफ थैंक्स में कोई बच्चा नहीं हिला. यह अंतर है इससे आपका भविष्य बनने वाला है . जहां तक सवाल स्वास्थ्य के मामले का है. मैंने मध्यप्रदेश की पहली ऑटो एनालॉइजर की छोटी मशीने, जिसमें उसके हार्ट,लीवर, किडनी का स्टेटस दस रूपये में जावद में टेस्ट होता है वह मशीने लगवाकर दी हैं. मैंने प्रभारी मंत्री जी से आग्रह किया कि मशीनें हमने विधायक निधि से और इधर उधर से दे दीं, मात्र दो लेब टेक्निशियन दे दीजिये, वह भी मुझे नहीं मिल पाये इतना अन्याय जावद के साथ और नीमच जिले के साथ यह बर्दाश्त करने योग्य नहीं है इस कारण मैं आपके इस बजट का घोर विरोध करता हूं, आपने जितना समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रवि रमेश चन्द्र जोशी (खरगौन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. इस प्रदेश के अंदर, इस प्रदेश की जनता 15 वर्षों से इंतजार कर रही थी कि गरीब के लिये, किसान के लिये, मजदूरों के लिये, बेरोजगार के लिये बजट आये, ऐसा बजट माननीय कमल नाथ जी के नेतृत्व में वित्त मंत्री जी ने कल रखा. बहुत अच्छा, बहुत सुंदर बजट था, मैं उनको धन्यवाद देता हूं. जिसमें कृषि कल्याण के लिये 66 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. गौशालाओं की बात पिछली सरकार 15 वर्ष से करती रही है, लेकिन केवल बातें करती रही, गौमाता के काम के लिये कोई कदम उन्होंने इस प्रदेश में नहीं उठाया. अभी सामने की तरफ से पूर्व में जो लोग बात कर रहे थे वह गौमाता को आवारा की संज्ञा देकर बात कर रहे थे. गौमाता कभी आवारा नहीं हो सकती, आवारा उसका मालिक हो सकता है, इस बात पर गौर करने के लिये है मेरी बात कि गौमाता आवारा नहीं हो सकती, उसका मालिक आवारा होगा जो सड़कों पर गौमाता को छोड़ देता होगा. माननीय कमल नाथ जी ने गौमाता की बात रखी, गौशालाओं का पूरे प्रदेश के अंदर ग्राम पंचायत लेबिल तक गठन करेंगे, गौमाता को रखने की व्यवस्था देंगे. मैं आदरणीय कमल नाथ जी का इस प्रदेश की जनता की ओर से बहुत आभार व्यक्त करता हूं.
5.27 बजे उपाध्यक्ष महोदया (सुश्री हिना लिखीराम कावरे) पीठासीन हुईं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारे इस प्रदेश के अंदर ऐसे-ऐसे गौ-संत हैं जो प्रदेश के अंदर 300 से ज्यादा गौशालाओं का संचालन कर रहे हैं, उनसे भी हम लोगों को प्रेरणा लेकर गौमाताओं का व्यवस्थित प्लान बनाना चाहिये और जो सदस्य इस तरीके से बोले कि गौमाता आवारा है तो उस पर भी हमको विचार करना चाहिये. मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि जिन्होंने निमाड़ की साड़ी, चंदेरी की साड़ी की भी बात रखी, निमाड़ की पहचान बढ़ाई है इसके लिये धन्यवाद देता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं आयुष मंत्री जी का भी धन्यवाद देता हूं कि जिन्होंने इस बजट में 30 वेड का खरगौन जिले को एक आयुष का अस्पताल दिया है और मैं भूमिहीनों को बांस की खेती करने के लिये जो व्यवस्था इस बजट में दी उनके लिये भी धन्यवाद देता हूं. बेरोजगार लोगों के लिये जो नये उद्योग लगेंगे जिसमें 70 प्रतिशत मध्यप्रदेश के बेरोजगार साथियों को रोजगार के अवसर मिलेंगे. 3 नये मेडीकल कॉलेज का इस बजट में उल्लेख किया गया है जो केवल हम कई-कई सालों से सुनते थे कि गरीबों को इलाज की सुविधा दी जायेगी, लेकिन केवल हम सुनते भर थे लेकिन इस कमल नाथ जी की सरकार ने 3 मेडीकल कॉलेज की बात रखी है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, इस प्रदेश की जनता को पेयजल का अधिकार है, क्यों न स्वच्छ पानी पूरे प्रदेश के अंदर गांव-गांव तक पीने का पानी मिले इसके लिये पेयजल का जो एक अधिकार लाये हैं, मैं सुखदेव पांसे जी को भी धन्यवाद देता हूं. 40 नदियों का पुनर्जीवित अभियान भी चलेगा. शिक्षा में भी 9 प्रतिशत बजट में बढ़ोत्तरी हुई है, जो कमियां हैं उन कमियों को भी दूर करेंगे और इस प्रदेश के अंदर 20 प्रतिशत जो गाइड लाइन में कमी की है उसके लिये भी मैं माननीय कमल नाथ जी को बहुत धन्यवाद देता हूं कि इस प्रदेश में जो जमीनों की खरीद फरोख्त होती थी, जो कॉलोनियां कटती थी, जिन लोगों के लिये कठिन था कि वह इन कॉलोनियों में प्लाट नहीं ले सकते, लेकिन जो गाइड लाइन में 20 प्रतिशत की कमी की है, स्टाम्प ड्यूटी जिससे कम होगी उससे कई लोगों को अपना घर बनाने में सुविधा होगी. उपाध्यक्ष महोदया, प्रदेश की जनता जो 15 वर्षों से चाहती थी उस तरह का बजट आया है. मैं अपनी ओर से, खरगौन विधान सभा के लोगों की ओर से और इस प्रदेश की जनता की ओर से माननीय कमल नाथ जी और माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं.
श्री चेतन काश्यप ( रतलाम सिटी ) - अध्यक्ष महोदय, वर्ष,2019-20 के लिये कमलनाथ सरकार के वित्त मंत्री तरुण भनोत जी ने जो बजट रखा है मैं उस बजट का विरोध करता हूं. ऐसा लगता है यह बजट नहीं कोई घोषणापत्र है. बजट हमेशा आर्थिक आंकड़ों एवं वास्तविकता की धरातल पर होता है पर यह बजट केवल घोषणाओं का बजट है. सबसे बड़ा घोषणापत्र किसानों की ऋणमाफी का था वह बिन्दु बार-बार हमारे सदस्य बंधुओं ने उठाया है. सिर्फ 60 हजार करोड़ का प्रावधान पिछले वर्ष किया और 8 हजार करोड़ का प्रावधान वर्तमान में किया और सहकारी समितियों को सिर्फ 1 हजार करोड़ की अंशपूंजी दी गई और प्राथमिक सहकारी समितियां उनका पूरा रिजर्व समाप्त हो चुका है और जितनी सहकारी समितियों का हमारे प्रदेश के अंदर तानाबाना बना हुआ है उसे पिछले 15 सालों में एक बड़े स्तर पर लाया गया था. आज वह पूरा का पूरा सहकारिता का ढांचा ध्वस्त होने को है क्योंकि उन समितियों को यहां से कहा गया है कि 50 प्रतिशत का जो ऋण माफ होगा उसकी 50 प्रतिशत की क्षतिपूर्ति, किसान बंधुओं की राशि से उनके लाभांश को सहकारी समितियां वितरित न करके करें. इस तरह के जो प्रावधान हैं यह अपनी ही घोषणाओं से पीछे हटने के संकेत हैं. किसान की ऋण मुक्ति हो इसमें कोई आपत्ति नहीं है परन्तु वह ऋण मुक्ति प्रदेश के विकास को बाधित न करे. आज जब हम देखते हैं कि आंकड़ों की जुगलबंदी की गई है. 23 प्रतिशत के राजस्व में वृद्धि की गई है और स्वयं वित्त मंत्री जी ने अपने भाषण में कहा कि केन्द्र की आई.एम.एफ. की रिपोर्ट का उल्लेख किया है उस रिपोर्ट में उन्होंने कहा है कि जो 5.8 प्रतिशत की भारत सरकार की जी.डी.पी. में वृद्धि हुई है उसकी जगह पर जो खजाना खाली की बात हम कर र हे हैं. आज मध्यप्रदेश सरकार में पिछले 15 सालों के अंदर शिवराज सिंह जी की सरकार ने जो हमारी ग्रोथ रेट रही. जी.डी.पी. की ग्रोथ रेट दहाई के आंकड़ों से कम कभी नहीं रही और आज 9 लाख 62 हजार करोड़ का जो जी.डी.पी. का आँकड़ा लाया गया है, उसकी 12 परसेंट ग्रोथ रेट पिछले वर्षों में रही है. 12 परसेंट की ग्रोथ रेट जहां पर है, वह विकासशील राज्य है और विकसित राज्य की ओर अग्रसर है. बार-बार कई सदस्यों ने इस बात को उठाया और माननीय वित्त मंत्री जी ने जो केन्द्र की बात कही मैं उनको बताना चाहूंगा कि पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था में चीन जो सबसे आगे चल रहा था आज वह साढ़े तीन से चार परसेंट की ग्रोथ रेट पर है. माननीय नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आज भी देश 6 परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ कर रहा है. इन्होंने एक और बात का उल्लेख किया,केन्द्र की आमदनी के ऊपर, केन्द्र की व्यवस्थाओं पर इन्होंने प्रश्न उठाया है कि इनके आधार के ऊपर 9 परसेंट की ग्रोथ है और उसकी जगह पर केन्द्र ने 20 परसेंट का अतिरिक्त लाभांश बताया है. केन्द्र के 20 प्रतिशत के अतिरिक्त लाभांश के पीछे पूरा आधार है कि जी.एस.टी. की ग्रोथ रेट पिछले दो साल से लगातार 20 प्रतिशत रही है परन्तु मध्यप्रदेश के अन्दर जो 23 प्रतिशत का लाभांश बढ़ाया गया है कि 23 प्रतिशत करों की वसूली ज्यादा होगी. उसका न कोई आधार है न कोई तरीका है. सिर्फ आबकारी से साढ़े चार हजार करोड़ बढ़ेंगे किन्तु उल्लेख सिर्फ 2 हजार करोड़ का है इस तरह से बजट को आंकड़ों की जगलरी बनाकर, आंकड़ों के जंजाल में लाकर, पूरे प्रदेश को जिस तरह से किसानों को कर्जमाफी में मूर्ख बनाया है, इस बजट का अंजाम यही होना है कि 6 महीने बाद इनके सारे आँकड़े, सारे पूर्वानुमान गलत साबित होंगे. 2 लाख 33 हजार करोड़ की जो हम बात करते हैं. इसमें 32 हजार करोड़ रुपये की राशि लोन से ली जायेगी. 32 हजार करोड़ रुपये राशि अगर लोन से लेने की पात्रता बनी है तो यह 9 लाख 62 हजार करोड़ की जो जी.डी.पी. हमारी सरकार ने छोड़ी थी. जो ग्रोथ मध्यप्रदेश की आई है, उस ग्रोथ का भरपूर दोहन करके 3.4 परसेंट का लोन लेकर सिर्फ 32 हजार करोड़ का ही पूंजी निवेश इस बजट के अंदर है. पूरा हम देखें कि पूंजी निवेश का आंकड़ा 2017-18 में जो मध्यप्रदेश में 18 परसेंट था इस बजट के अंदर वह पूंजी निवेश 15 प्रतिशत कर दिया गया है. दूसरे खर्चों को ज्यादा बढ़ाया गया है और पूंजी निवेश को घटाया गया है. यह भविष्य के लिये संकेत है, जहां से हमें एक बड़े नुकसान की ओर जाना पड़ेगा और निश्चित तौर पर यह 23 परसेंट का आंकड़ा है, यह आंकड़ा ये कभी प्राप्त नहीं कर पाएंगे. अभी मैंने कहा कि यह घोषणा का पत्र दिखता है. मैं रतलाम से प्रतिनिधित्व करता हूं. इसमें रतलामी सेव की बात कही, भोपाल के बटुए की बात कही, मुरैना की गजक, भिण्ड के पेड़े की बात कही परन्तु उनकी ब्रॉडिंग और मार्केटिंग का कहीं कोई प्रावधान नहीं है. ब्रॉडिंग करना व मार्केटिंग करना यह अपने आप में बहुत बड़ा महत्वपूर्ण कार्य है, न तो कोई भिण्ड के पेड़े या कोई बाघ प्रिंट या चन्देरी की साड़ियों के लिए जियोग्रॉफिकल इंडसिस के लिए न कोई प्रावधान है, न कोई योजना है , न बजट में इनकी दिशा है. सिर्फ लोक-लुभावन बातें, उस क्षेत्र की जनता को मूर्ख बनाना , उन आंकड़ों के अंदर लेकर आना, जबकि इसके तहत हमने रतलाम नगर में पिछली सरकार के अंदर नमकीन कलस्टर बनाया. केन्द्र सरकार के अनुदान से 10 करोड़ रुपये लेकर आए. 105 उद्योगों के लिए हमने रतलामी सेव के लिए नमकीन कलस्टर बनाया और रतलामी सेव की ब्रॉडिंग के लिए जियोग्राफिकल इंडसिस चैन्नई के माध्यम से रतलाम को हमने निश्चित करवाया कि अब जो भी सेव रतलाम में बनेगी वही रतलामी सेव कहलाएगी लेकिन उसका कोई प्रावधान, उसका कोई उल्लेख नहीं है. सिर्फ लोक-लुभावन बातें करना, पेड़े, लड्डू की बातें करना और हमें मूर्ख बनाने की बातें हैं. इस तरीके के प्रावधानों के माध्यम से जब हम आगे बढ़ते हैं तो निश्चित तौर पर ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं यह सरकार अनिश्चितता के भंवर में है. यह बजट में जो सही आंकड़े आना चाहिए उसकी जगह इन्हें लगता है कि कहीं चुनाव न आ जाय यह अनिश्चितता के भंवर में फंसी हुई सरकार है. निश्चित तौर पर इस तरीके के गलत आंकड़ें देकर इन्होंने पूरा हमें भ्रमित करने का प्रयास किया है.
उपाध्यक्ष महोदया, अभी जो बात पूरे बजट में आ रही थी मैं आपका ध्यान आकृष्ट करूंगा कि गौशाल की बात, गौ माता की बात की गई. 1000 स्थानों पर भाषण में कहा गया कि हम गौ शाला का निर्माण कर रहे हैं और 132 करोड़ रुपये का प्रावधान है, 13 लाख रुपये प्रति गौ शाला? आज के समय में एक गौशाला की जमीन को समतल करने का खर्चा ही 13 लाख रुपये आता है. 1000 गौशाला के निर्माण की बात तो बहुत दूर की बात है. यह जो बात कही गई है प्रतिवर्ष गाय के एक गौ वंश के लिए 7200 रुपये दिये जाएंगे, आज 10 लाख से ज्यादा का गौ वंश है, सिर्फ उसके लिए ही 720 करोड़ रुपये की आवश्यकता हमें पूरे राज्य के अंदर चाहिए, उसका न तो कोई प्रावधान है. 132 करोड़ रुपये सिर्फ गांव में घूमेंगे. यह बजट में जो सारे प्रावधान किये गये हैं, इन सारे प्रावधानों की अगर हम वस्तु-स्थिति देखें तो निश्चित तौर पर हम यह निश्चित कह सकते हैं कि इसमें कहीं भी कोई दृष्टि नहीं है. यह जो दृष्टि का अभाव है, जो छिंदवाड़ा मॉडल की बात है. छिंदवाड़ा मॉडल हम सब जानते हैं छिंदवाड़ा के पास में महाराष्ट्र की सीमा से लगा हुआ सौंसर का औद्योगिक क्षेत्र है. आज 50 प्रतिशत से ज्यादा वहां उद्योग बंद पड़े हैं. छिंदवाड़ा से जो पलायन हो रहा है वह अपने आप में निश्चित है. अभी हमारे नरसिंहपुर के बंधु कह रहे थे कि छिंदवाड़ा के सारे कर्मचारी वहां पर आते हैं. सौंसर के अंदर जितने महाराष्ट्र के, नागपुर के प्लांट लगे थे, सारे प्लांट बंद होकर आज वह उद्योगों का श्मशान का केन्द्र बना हुआ है. आज औद्योगिक निवेश नीति 2019 की चर्चा की गई. औद्योगिक नीति के अंदर कोई नया प्रावधान नहीं है. औद्योगिक क्षेत्र में कोई निर्णय नहीं हुआ है कि जब लघु और मध्यम उद्योग औद्योगिक क्षेत्र में लगते हैं तो उन औद्योगिक क्षेत्रों का रख-रखाव का क्या होगा, चाहे इंदौर का औद्योगिक क्षेत्र हो, रतलाम का औद्योगिक क्षेत्र हो, नीमच में औद्योगिक क्षेत्र बना है. पूरे प्रदेश में मालनपुर से लेकर जितने औद्योगिक क्षेत्र हैं, उनकी सड़कों की हालत यह है कि कोई उनको देखने वाला नहीं है. आज तक यह निर्णय भी नहीं कर पाए कि इन औद्योगिक क्षेत्रों के अंदर पानी और बिजली की व्यवस्था क्या रहेगी, वहां की स्ट्रीट लाइट कौन जलाएगा? जबकि विकास शुल्क के रूप में उद्योग विभाग लगातार राशि लेता है. आज औद्योगिक क्षेत्रों के अंदर कोई मूलभूत सुविधाएं देने के लिए इस बजट में न कोई दिशा दी गई है, सिर्फ औद्योगिक निवेश नीति 2019 की बात करना या यह कहना कि विश्वास बढ़ने से उद्योग आएंगे तो अगर विश्वास बढ़ने से उद्योग आते हैं तो अक्टूबर में यह समिट करने की क्या आवश्यकता है? कोई आवश्यकता नहीं है अगर कमलनाथ जी का पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई औद्योगिक क्षेत्र में नाम है. मुझे तो नहीं लगता है कि उनके नाम से कोई बहुत बड़ा उद्योग या ऐसी कोई बड़ा जैसा हमारे कांग्रेस बंधु कहते रहे कि पूरे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उद्योगों में उनकी साख है. उनकी साख के बारे में हमें बड़ा स्पष्ट है. अभी हमारे भाई श्री विश्वास सारंग जी ने छापों की बात कही थी, कई तरीके की साख आगे चलती है और मुख्य रूप से मैं कहना चाहूंगा कि इसमें गरीबों के मकान के लिए शहरी क्षेत्रों में ढ़ाई लाख रुपये की राशि का प्रावधान है, जो प्रधानमंत्री आवास योजना का, शिवराज सिंह चौहान जी की आवास योजना का जो ढ़ाई लाख रुपये का प्रावधान था और उसमें भी रतलाम नगर में अक्टूबर 2018 में 3442 मकानों की स्वीकृति बेनिफिशरी लेड स्कीम में केन्द्र सरकार ने दी थी उसकी राशि राज्य सरकार को प्राप्त हो गई परंतु पिछले 8 माह से उन 3442 परिवारों को उस राशि का आवंटन यहां से नहीं दिया गया क्योंकि इसमें जो राज्यांश मिलना था वह राज्य का अंश नहीं मिला है.
मैं यहां पर अवैध कालोनी के बारे में भी अपनी बात को रखना चाहता हूं. पूरे प्रदेश में 6500 अवैध कालोनियों को शिवराज सिंह जी की सरकार ने वैध किया था उसमें राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रखा, हाई कोर्ट का फैसला विपरीत आया है. लेकिन आज तक राज्य सरकार के द्वारा कोई इस तरह का कदम नहीं उठाया गया है कि इसके माध्यम से 6500 अवैध कालोनियों के बंधू जो की तकलीफ में थे उनको मूल भूत सुविधाएं कैसे प्राप्त हों, गरीब बस्तियों के लिए जो मकानों की बात है उन गरीब बस्तियों में सड़क, पानी और बिजली किस तरह से प्रदान की जाय.
मैं यहां पर कुपोषण के बारे में भी कहना चाहता हूं कि यह एक महत्वपूर्ण बिन्दू है कुपोषण में राज्य के आंकड़े दिये गये कि कुपोषण में राज्य बहुत आगे है. रतलाम नगर में मेरे फाउण्डेशन के द्वारा पिछले वर्ष 2300 बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराया गया है. मेरे फाउण्डेशन के द्वारा अभियान चलाया गया और वहां पर 1100 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं. आज वहां पर केवल 1200 बच्चे कुपोषण से प्रभावित हैं अगर वहां पर अभियान बराबर से चलता तो निश्चित तौर पर पूरा रतलाम शहर कुपोषण से मुक्त होता. परंतु उस योजना को वर्तमान राज्य सरकार के द्वारा रोक दिया गया है. मैंने अभी जिलाधीश से जब यह कहा कि मैं फिर से यह अभियान चालू करना चाहता हूं तो जिलाधीश ने कहा कि राज्य सरकार से हमें नीति निर्देश लेना होगा. यह राजनीति का विषय नहीं होना चाहिए कुपोषित बच्चों को अगर मैं मेरे ट्रस्ट से मेरे परिवार के पैसे से भोजन देता हूं और भोजन देकर उनको कुपोषण से मुक्त करता हूं तो इस तरह की नीति रखना, इस तरह के कार्यक्रमों में अडंगे लगाना यह निश्चित दिखाता है कि कांग्रेस के अंदर सिर्फ राजनीति हैं.
मैं यहां पर यह भी कहना चाहता हूं कि खेल एवं युवा कल्याण में बजट देने की बात की गई है लेकिन बजट की राशि 224 करोड़ से 200 करोड़ हुई है और उद्यानिकी विभाग में भी बजट की राशि कम हुई है मैं यहां पर इस बजट का पूरजोर विरोध करता हूं. आपने समय दिया धन्यवाद्.
श्री विनय सक्सेना ( जबलपुर-उत्तर )-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. वर्ष 2019-20 के इस बजट का मैं स्वागत करता हूं जो मध्यप्रदेश के एक ऐसे ऊर्जावान व्यक्ति माननीय कमलनाथ जी और माननीय तरूण भनोत जी के द्वारा प्रस्तुत एक ऐसा बजट है जो कि प्रदेश के विकास में नित नये आयाम तय करने का काम करने जा रहे हैं. यह ऐसे सपने देख रहे हैं यह पिछली सरकार के जैसे सपने नहीं है, जो कि केवल सपने दिखाती भर है. माननीय कमलनाथ जी के लिए मैं कह सकता हूं कि वह ऐसे सपने देखते हैं जो कि नींद में नहीं आते हैं, बल्कि कमलनाथ जी चाहते हैं कि सपने वह हों नींद में न आये बल्कि सपने वह हैं जिनको पूरा किये बगैर नींद न आये.
मैं माननीय कमलनाथ जी और तरूण भनोत जी को यह भी कहना चाहता हूं कि बहुत कठिन परिस्थितियों में इस सरकार ने बजट पेश किया है, अभी बहुत अच्छी परिस्थितियां नहीं है. पूर्व वित्त मंत्री जी साफ कहकर गये थे कि हमने तो आपको खाली खजाना दिया है, बहुत बुरे हालात में आप लोग सरकार बनाने जा रहे हैं. मैं माननीय कमलनाथ जी की हिम्मत, जज्बे का स्वागत करता हूं कद्र करता हूं और उनका स्वागत इन शब्दों के साथ में करता हूं कि कश्ती चलाने वालों ने , जब हार कर दी पतवार हमें, लहर लहर तूफान मिले, और मौज मौज मझधार हमें, फिर भी दिखाया है हमने और फिर दिखा देंगे सबको इन हालातों में भी आता है करना दरिया पार हमें, यह केवल माननीय कमलनाथ जी की हिम्मत है.
उपाध्यक्ष महोदय मेरा मानना है कि कोई भी सरकार जो बजट पेश करती है वह जनता के हितों का बजट होना चाहिए और काम करने का तरीका ऐसा होना चाहिए जैसे कि भौरा होता है. भौरा जो है वह बहुत जिम्मेदारी के साथ अपना फूल से रस संचित करता है न फूल को तकलीफ होती है और न उसका स्वरूप बिगड़ता है उसी तर्ज पर मध्यप्रदेश की सरकार ने जनता पर कोई नया टैक्स नहीं लगाया है लेकिन बिना बढोतरी किये हुए भी सरकार ने बजट को संतुलित किया है,
विपक्ष का काम है अविश्वास करना. मैंने भी इनकी पिछली सरकारों को देखा है. मैंने खुद माननीय शिवराज सिंह जी को देखा है, जो हर शहर में एक नया वादा करते थे. जिस शहर में जाते थे, उस शहर में कहते थे कि यह मेरा सपनों का शहर है. एक बार हम लोग भी उनसे मिले, जबलपुर में. हम लोग एक ज्ञापन लेकर गये थे 300 करोड़ रुपये की योजना का. शिवराज सिंह जी इतने प्यार से बात करते थे, भरोसा ही नहीं होता कि वे बदल सकते हैं. इतने अपने पन से गले में हाथ डालते थे, बोले बस 300 करोड़ रुपये की योजना लेकर आये हो, मैं आपको 500 करोड़ रुपये दूंगा. हम लोग भी बड़े खुश. हम बोलकर आये कि क्या गजब के मुख्यमंत्री जी है. उस नगर निगम के हम लोग के वह 5 साल निकल गये, उन्होंने 5 करोड़ रुपये नहीं दिये. इस तरह के बढ़िया मुख्यमंत्री थे, जो बोलते बहुत थे, पर करते कुछ नहीं थे, लेकिन कम से कम जो मध्यप्रदेश को एक ऐसा मुख्यमंत्री मिला है, छिन्दवाड़ा हम जब जाते हैं, छिन्दवाड़ा की विपक्ष कितनी ही बुराई कर ले, लेकिन छिन्दवाड़ा की बुराई कितना भी विपक्ष कर लें, विपक्ष का धर्म है बुराई करना, लेकिन वास्तविकता उससे परे है. हम सब भी जब जाते हैं, तो हम सबको भी छिन्दवाड़ा से ईर्ष्या होती है. हमको लगता है कि क्यों नहीं हमको भी ऐसा नेता मिलता कि जो छिन्दवाड़ा जैसा विकास करा सके. लेकिन हम सबका सौभाग्य है कि अब पूरे प्रदेश को ऐसा नेतृत्व मिला है कि पूरा प्रदेश माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व से मध्यप्रदेश के जो हालात हैं, अब सुधरेंगे और मुझे लगता है कि एक नया मध्यप्रदेश हमको बहुत जल्दी देखने को मिलेगा, जहां विकास के रास्ते होंगे. मैं देख रहा हूं, जब विकास के बजट की बात आती है, तो विपक्ष बार-बार कहता है कि हम पहली शुरुआता करते हैं, हम विरोध करते हैं. मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूं कि आज सुबह जब नरोत्तम मिश्र जी बोल रहे थे, तब कुछ लोगों ने, सीसासरन शर्मा जी ने आपत्ति उठाई कि हमारे मुखिया नहीं हैं, लेकिन जब हमारे राजवर्धन सिंह जी ने शुरुआत की, तो मैंने देखा कि विपक्ष के नेता के रुप में भार्गव साहब भी नहीं हैं. जितने वरिष्ठ नेता उधर के हैं, जब विपक्ष के लोगों ने बोलना शुरु किया, तब वे भी नहीं थे. तो परम्परा तो दोनों तरफ से चलती है. मैं देख रहा हूं, यहां पर परम्परा की बात करें, तो सब वरिष्ठ गायब हो जाते हैं..
श्री गोपाल भार्गव -- उपाध्यक्ष महोदया, मैं पौन घण्टे के लिये गया था..
श्री विनय सक्सेना -- भाई साहब, आपसे निवेदन है, मैं आपसे कुछ नहीं कह रहा हूं. हम लोग तो पहली बार आये हैं, थोड़ा सा हमको आप संरक्षण दीजिये.
श्री गोपाल भार्गव -- मैं तो पौन घण्टे के लिये गया था, लेकिन यहां पर पौन घण्टे अपने मुख्यमंत्री जी साहब नहीं बैठे.
श्री विनय सक्सेना -- उपाध्यक्ष महोदया, आप लोग भी गये थे. मैं कह तो रहा हूं कि वे पौन घण्टे नहीं बैठे और आप आधा घण्टे चले जाते हैं, हर थोड़ी देर में. बात तो एक ही है और नरोत्तम भैया कहां गये, सुबह से ही गायब हैं और सबको सुनाकर गये हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- आज के दिन ये सबसे ज्यादा जिम्मेदारी मेरी, सदन के नेता की और वित्त मंत्री जी की है.
श्री विनय सक्सेना -- बिलकुल है. मैं तो उम्मीद करता हूं कि आप सबको सुनेंगे. मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि किसी राज्य की उन्नति के और समाज के स्वावलम्बी विकास का जो आधार है, वह सुदूर मजबूत अर्थव्यवस्था है. किसी भी प्रदेश के लिये आर्थिक एवं वित्तीय प्रबंध प्रणाली ऐसी होनी चाहिये, जो धन के नियोजन के साथ साथ विकासकारी योजनाओं को धन के नियोजन के साथ साकार करने में सक्षम हो. कृषि, उद्योग, मानव संसाधन के विकास को अघोषित विकास के लक्ष्य प्राप्त करने के लिये आवश्यक है कि वित्तीय पारदर्शिता और राजकोषीय उत्तरदायित्व के सिद्धांत का क्रियान्वयन बड़ी सूझबूझ के साथ हो एवं मजबूत इरादों से किया जाये, जैसा संकल्प माननीय कमलनाथ जी और माननीय तरुण भाई के इरादों से परिलक्षित हो रहा है. मैं कहना चाहता हूं इन शब्दों से कि माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में प्रदेश की असली उड़ान अभी बाकी है, माननीय कमलनाथ जी के अरमानों का आसमान अभी बाकी है, अभी तो नापी है मुट्ठी भर जमीं उन्होंने, अभी तो पूरा आसमान बाकी है. इस तरह से विपक्ष के लोग अभी से हेरान, हताश हो गये हैं. मेरा मानना है कि कुछ उम्मीद तो करिये. 15 सालों में जो कुछ आपने किया है, उसका परिणाम है कि आज हम लोग यहां से सुबह से सुन रहे हैं कि यह हालात बुरे हैं. यह जितने हालात बुरे की बात सुबह से आई हैं, कहीं लूट-पाट, रेत उत्खनन की बात आ रही है. लेनदेन की बात विश्वास जी करते रहे कल. मैं कहना चाहता हूं कि यह सब जो परिणाम हैं, यह 15 साल के ही तो हैं. जब आप इन सब बातों का उल्लेख करते हैं, तो जो हम लोग पहली बार आये हैं, तो हमें लगता है कि संस्कृति वहीं की है. 15 साल की लेन-देन की, लूटमार,भ्रष्टाचार की. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि हम लोगों ने जो बजट पेश किया है, उसमें राम वन गमन पथ का भी उल्लेख है, गौवंश का भी ध्यान रखा है. मैं वित्त मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जब आपने मेट्रो रेल प्रोजेक्ट इन्दौर और भोपाल के लिये रखा है, तो उसमें जबलपुर का भी स्थान होना चाहिये. इस बात को रिकार्ड में लेना चाहिये. जहां एक और आपने इसमें युवाओं को मौका दिया है, महिलाओं को मौका दिया है. युवा स्वाभिमान योजना को मौका मिला है. मुख्यमंत्री नया सवेरा योजना के लिए 642 करोड़ रुपये रखे गए हैं. युवा स्वाभिमान योजना में श्री जितू पटवारी जी ने अपने बजट के हिसाब से 150 करोड़ रुपये रखे हैं. राष्ट्रीय गांधी विधवा पेंशन योजना में 386 करोड़ रुपये का उल्लेख है. ''राइट टू वाटर'' में 1 हजार करोड़ रुपये हैं. जब सीतासरन जी कह रहे थे कि ''राइट टू वाटर'' की जरूरत क्या है तो मुनमुन भाई की बात को ध्यान में रखिए, वहां पानी पर रोक लग गई है, अब वे इसका फायदा उठा सकेंगे. आप ध्यान रखिएगा, उनको सलाह जरूर दीजिएगा. मुनमुन भाई अभी तकलीफें गिना रहे थे कि मेरे यहां की जो पेयजल योजनाएं हैं, वे सब बंद पड़ी हुई हैं. इसका फायदा वे अपने अधिकार से ले सकते हैं. ''जय किसान फसल ऋण माफी योजना'' में 8 हजार करोड़ रुपये रखे गए हैं. इंदिरा किसान योजना में 7 हजार 117 करोड़ रुपये और मुख्यमंत्री बागवानी एवं खाद्य प्रसंस्करण योजना में 100 करोड़ रुपये रखे गए हैं. इसके साथ-साथ मैं कहना चाहता हूँ कि हमारे सभी मंत्रियों ने अपनी-अपनी योजनाओं में कम से कम 40-40 प्रतिशत की बढ़ोतरी पिछले बजट से की है. चाहे वे हमारे आदरणीय बाला बच्चन जी हों, चाहे गोविन्द सिंह जी हों, आरिफ अकील जी हों, जितू पटवारी जी हों, प्रियव्रत सिंह जी हों, सभी इतने सक्रिय मंत्री हैं, चाहे हमारे प्रदीप जायसवाल जी हों, उमंग सिंघार जी हों, बृजेन्द्र सिंह राठौर जी हों, आदरणीय लखन घनघोरिया जी हों, चाहे तरूण भनोत जी हों, चाहे हुकुम सिंह कराड़ा जी हों, सबने बड़ी जिम्मेदारी के साथ अपने-अपने विभाग का यह बजट बनाया है. मेरा यह मानना है कि मध्यप्रदेश के इतिहास में यह पहला और ऐतिहासिक बजट होगा, जिसमें आम जनता पर कोई भी नया टैक्स नहीं लगाया गया है. चंद लाइनें माननीय कमलनाथ जी के लिए कहना चाहता हूँ, जिसके लिए 1 मिनट की अनुमति चाहिए कि-
हर दिल अजीज हैं, ये कमलनाथ हमारे हैं,
दु:खियों के मसीहा हैं, गरीबों के सहारे हैं,
इनकी नजर में दूर-दूर कोई भेदभाव नहीं,
हर कौम, हर समाज से इनको लगाव है,
रखा बजट में हर वर्ग का ध्यान है,
है मध्यप्रदेश में सबसे अलग इनकी शानो बान,
खाली खजाना कर गई थी पहले की जो सरकार,
जो जाते-जाते कर गई थी हम सबको कर्जदार,
वादा है कमलनाथ जी का, गरीबी मिटाएंगे,
हम मध्यप्रदेश को स्वर्ग सा सुंदर बनाएंगे.
जय हिंद, जय भारत, आप सबको भी धन्यवाद.
श्री गोपाल भार्गव -- तरूण जी ने जो शुरूआत की थी, उसका संक्रमण सारे सदन में देखने के लिए मिल रहा है, कविताएं और कव्वालियां पूरे सदन में देखने को मिल रही हैं.
श्री बाला बच्चन -- अभी अनुदान मांगों पर भी देखने और सुनने को मिलेगा.
श्री केदारनाथ शुक्ल (अनुपस्थित)
श्री गिरीश गौतम (देवतालाब) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, यदि यह बजट जनवरी में आया होता, आपको काम करने का अवसर नहीं मिला होता, तो शायद प्रदेश की जनता आपके द्वारा प्रस्तुत बजट पर कुछ विश्वास करती. परंतु 7 महीने बीत जाने के बाद जिस तरह से मध्यप्रदेश में किसानों को, नौजवानों को, खेतिहर मजदूरों को, सबको परेशानियों का सामना करना पड़ा है, इन्फ्रास्ट्रक्चर को पूरी तरह से ध्वस्त होते हुए देख रहे हैं. जिन सड़कों का पैसा बजट में जाकर खाते में चला गया, उनको रूकते हुए देख रहे हैं, इसलिए जनता आपके इस बजट को लोकलुभावन मान सकती है, लोकहित में यह बजट नहीं हो सकता. इसलिए मैं इस विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया, सत्ता पक्ष के लोगों से एक बात और कहना चाहता हूँ कि मैं विवाद के पक्ष में नहीं हूँ. विवाद में दो लोग बोलते हैं, दोनों एक-दूसरे की नहीं सुनते. मैं संवाद के पक्ष में हूँ. संवाद में एक पक्ष बोलता है, दूसरा सुनता है, फिर उसका कोई परिणाम निकलता है, इसलिए मैं संवाद के पक्ष में हूँ. आपने बजट भाषण में किसानों के लिए ऋण माफी योजना की शुरुआत की, बताया गया कि ये माफ कर दिया, वह माफ कर दिया. मैं लंबा चौड़ा भाषण नहीं करूंगा, कुछ रिकार्ड के साथ बात करूंगा. आपकी फसल ऋण योजना के भीतर से हाड़ी का एक चावल टटोलकर लाया हूँ. सैकड़ों इस तरह के प्रमाण हैं. अशोक कुमार मिश्रा, धारा विवागढ़ संधारित किसान क्रेडिट कार्ड ऋण खाते अल्पावधि कृषि परिवर्तित जय किसान फसल ऋण माफी योजना अंतर्गत जिला कलेक्टर द्वारा स्वीकृत राशि 22076 समायोजित कर दी गई है. यह क्रमांक है रीवा एपीएक्स 23436 दिनांक 11.4.2019. यह ऑर्डर कलेक्टर का है. जब किसान भाई अपना खाता लेकर जाते हैं उनको कुछ पता ही नहीं चलता. किसान भाई बैंक में जाकर शाखा प्रबंधक जी को एक आवेदन देते हैं बाकी डिटेल नहीं पढ़ूंगा क्योंकि समय कम है अत: राशि बचत खाता क्रमांक में पास बुक में दर्ज कर अद्यतन स्थिति की जानकारी हमें प्रदान करें. अब वह किसान भटक रहा है. एक -एक उदाहरण लेकर आया हॅूं. इस तरह से न जाने कितने किसान हैं. जिन किसानों ने धान बेचा. आप किसानों के हित की बात करते हैं जिसके आधार पर आप जीतकर आए हैं. आपका समिति प्रबंधक लिखता है जिला प्रबंधक महोदय धान खरीदी केन्द्र सेवा सहकारी समिति चुरहट मनगंवा में किसानों द्वारा धान बिक्री की गई थी. ईपीओ भी जनरेट हो गया. ईपीओ क्रमांक 215707 में दर्ज निम्न कृषकों का भुगतान कृषकों के खातों में आज तक नहीं आया जबकि ईपीओ में सफल भुगतान दिख रहा है. कृषकों में 4-5 का ही नाम है. क्या यह है किसानों की हितैषी सरकार ? इसलिए आप कह रहे हैं कि 22 हजार 736 करोड़ रुपए किसानों के हित के लिए बजट में प्रावधान है. आप चाहते हैं हम उसका सपोर्ट करें. कैसे सपोर्ट हो सकता है.
दूसरा है बिजली विभाग. बिजली विभाग में इस समय कटमनी चलती है. बिजली का बिल देंगे 40 हजार रुपए का. मैं वह भी लेकर आया हॅूं. माननीय बाला बच्चन जी, एक नहीं बल्कि सैकड़ों उदाहरण हैं. उदाहरण के लिए केवल एक मामला लेकर आया हॅूं. ये है रीवा जिले की डिवीजन मऊगंज वितरण केन्द्र नईगढ़ी कनेक्शन नंबर है 53470872-4-100274 रामबहोर हलवाई. अब इनका जून का बिल आया है. जनवरी का बिल है. दिसम्बर 2018 का है नवम्बर का है. जब से आपकी सरकार बनी है तब से मैं गिनती कर रहा हॅूं. फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून का बिल है. सबमें 100-100 यूनिट है. नवंबर, दिसम्बर, जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई में 100-100 यूनिट और जून में 4332 यूनिट हो गया और उसके घर में कनेक्शन है एलबी 1 डोमेस्टिक लाईट एंड फेन मीटर कनेक्शन. वर्ष 2018-19 हेतु विद्युत दरों में कोई वृद्धि भी नहीं की गई है और 37889 रुपए का बिल है. वह व्यक्ति तो बिल देखकर ही बेहोश हो गया. क्या यह नया सवेरा है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय मंत्री जी, यह नया सवेरा में भी आ रहा है.
श्री गिरीश गौतम -- यह बिल आपके विभाग का है. यह मेरा बिल नहीं है. मैं तो प्रमाण के साथ आया हॅूं.(श्री प्रियव्रत सिंह, ऊर्जा मंत्री की ओर देखकर)
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रियव्रत सिंह) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन कर रहा हॅूं आप दे दीजिए, हम जॉंच करवा देते हैं.
श्री गिरीश गौतम -- आप जॉंच मत करवाइए. अभी ये ठीक हो जाएगा.10 हजार पर 1 हजार, 20 हजार पर 2 हजार, 30 हजार पर 3 हजार रुपए हो जाएगा. कटमनी है. ये विभाग में लेकर जाएंगे और सीधे काटकर के 400 रुपए फिर कर देंगे.
श्री प्रियव्रत सिंह -- आप अगर उसे अपने आप ही ठीक कर लेंगे तो मैं नहीं कह सकता, पर मैं जो ठीक करवा सकता हॅूं वह मैं करवा देता हॅूं.
श्री गिरीश गौतम -- माननीय मंत्री जी आप सरकार में हो. मैं यह कह रहा हॅूं कि इसको चेक करवाओ.
श्री प्रियव्रत सिंह -- वही तो मैं भी कह रहा हॅूं कि इसको चेक करवाओ.
श्री गिरीश गौतम -- माननीय मंत्री जी, मैं कहना चाहता हॅूं.
श्री प्रियव्रत सिंह -- मैं यह निवेदन करना चाहता हॅूं कि इसे आपको मुझे देने की भी आवश्यकता नहीं है. डीसी स्तर पर बिलों के देयकों के निराकरण की समिति हमने प्रत्येक मंगलवार के लिए गठित कर दी है, आप करवा लीजिए.
श्री गिरीश गौतम -- वहीं तो गड़बड़ हो रहा है. ये बिल वहां जाकर सुधर जाएगा. कटमनी जाएगी तो वह बिल सुधर जाएगा, पर सवाल यह है कि जिन्होंने 37 हजार रुपए का बिल दिया बाद में काटकर यदि 400 रुपए का बिल हुआ तो उन अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्यवाही करेंगे ? क्योंकि इसमें सैकड़ों उपभोक्ताओं को इस तरह की परेशानियों का सामना कर पड़ रहा है.
श्री प्रियव्रत सिंह -- आप लिखित में देंगे, तो हम कार्यवाही भी कर देंगे.
श्री गिरीश गौतम -- माननीय मंत्री जी, मैं तो बोल ही रहा हॅूं. यह रिकॉर्ड हो रहा है. नंबर सहित बोल रहा हॅूं. आप जरा नोट कर लें.
श्री प्रियव्रत सिंह -- आप इसे ही दे दीजिए, सुधार करवा देंगे. आप मुझे दे दें. मैं करवा देता हॅूं.
श्री गिरीश गौतम -- ठीक है, मैं इसे आपको दे देता हॅूं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह जो विषय है यह हर जगह 80 प्रतिशत लोगों के पास लिखित में जाकर शिकायतें करवाना. प्रशासन अपने समूह में चर्चा कर ले कि किसी का अगर गलत बिल निकलेगा तो उसके लिये कोई भी सजा तय कर देंगे, तो भविष्य में ऐसी गल्तियां कम होंगी, नहीं तो प्रशासन कई बार अपने निजी बेनीफिट के लिये बोगस बिल भी बनाकर देता है. हमें उससे बचना बहुत जरूरी है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष महोदया, यह पॉलिटिकल समितियां बनाई गई हैं.
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय सदस्यों से मेरा निवेदन है चूंकि यह बजट पर सामान्य चर्चा हो रही है, किसी पर्टिकुलर विभाग की चर्चा जब विभाग का समय आये तब आप लोग करें, माननीय मंत्री जी उसका जवाब देंगे. मेरा निवेदन है क्योंकि हमारे बहुत सारे सदस्य पहली बार चुनकर आये हैं और आप जैसे सीनियर सदस्य से हम सबको यह अपेक्षा होती है कि हमारे नये सदस्य आपसे सीखें. आप सामान्य बजट पर चर्चा करें. आपका समय दो मिनट का शेष है.
श्री गिरीश गौतम - उपाध्यक्ष महोदया, अभी बीच में कटौती कर दी है, इसलिये मैंने कहा था कि मैं जब बोलूंगा तब मेरा समय अब शुरू करियेगा. वैसे भी मैं संक्षेप में कर रहा हूं. मैं ऐसा चाहता हूं कि आसंदी से मुझे हस्तक्षेप नहीं करना पड़े. मैं सामान्य बजट पर चर्चा कर रहा हूं, मैं अनुदान पर नहीं आया हूं. यह बिजली विभाग में किसानों का 1,400 का 700 किया है. माननीय मंत्री जी, मैं बजट का समर्थन कर सकता था, परंतु क्या इस बात की जांच करायेंगे कि किसान के 2 हार्सपावर के मोटर का बिल 7 हार्सपावर और 5 हार्सपावर का आ रहा है ? आपने एक तरफ 700 कर दिया और उधर 5 हार्सपावर कर दिया तो वह बराबर हो गया. इसको कोई देखने वाला नहीं है. यह करने की आवश्यकता है. तब शायद मैं इसका समर्थन कर सकता था.
दूसरा, स्वास्थ्य के बारे में है. स्वास्थ्य में एक बड़ा घपला हो रहा है. यदि स्वास्थ्य विभाग के मंत्री जी हों, तो जरा सुन लेंगे. एक तो डॉक्टर्स की नियुक्ति नहीं है. आपने कहा कि मैं इतने रुपये का इंतजाम कर रहा हूं, डॉक्टर लगाऊंगा, प्रायमरी हेल्थ सेंटर में, सामुदायिक में, जिला में, तमाम में, जो बड़ी बात हो रही है उसको ध्यान में रखने की आवश्यकता है और वह यह है कि हर गांव, हर मोहल्ले, चौराहे में जो दुकान लायसेंस की हैं या गैर लायसेंस की हैं, माननीय बाला बच्चन जी, उन दुकानों से कोरेक्स और एक टेबलेट बिकती है और चौराहे में करीब 20 लड़के खड़े हों तो उनकी एक नई जमात कही जाती है कि कोरेक्सी लड़के खड़े हैं. इसको बचाने की आवश्यकता है. इसका बजट में उल्लेख करना चाहिये था, यह व्यवस्था होनी चाहिये थी. उन दुकानों की जांच कौन करेगा ? कोई जांच करने वाला नहीं है. इसलिये मेरा यह आग्रह है कि बजट में, अनुदान में जब आयेगा तब आयेगा, मेरा आग्रह यह है कि उन दुकानों की जांच का जिम्मा हमारे पुलिस के अधिकारियों को, हमारे राजस्व के अधिकारियों को, और विभागों को जोड़कर उनको भी अधिकार दिया जाये कि उन दुकानों की जांच करें, छापा मारें. छापा मारने के लिये ड्रग इंस्पेक्टर है, संभाग का ड्रग इंस्पेक्टर है, वह कितनी दुकानों की जांच करेगा ? हर महीने प्रत्येक दुकान की जांच करके वह रिपोर्ट जिला कलेक्टर को सौंपे, यह व्यवस्था करने की आवश्यकता है. इन नौजवान लड़कों को बचाना है. आपने, पैरा नंबर 18 में युवाओं को सकारात्मक और इस तरफ ले जाने की बात कही है, दूसरी तरफ हम उनको कोरेक्सी बना रहे हैं ? यह करने की आवश्यकता है.
तीसरा, मैं, आपसे स्कूल शिक्षा के बारे में निवेदन कहरना चाहता हूं. आप स्कूल खोलेंगे. स्कूलों का युक्तियुक्तकरण भी कर रहे हैं. हमारी सरकार की तरफ से भी और इस सरकार में भी, हमारे स्कूल के भीतर मॉडल एक्सीलेंस स्कूल खोले गये. अब मॉडल में कौन लड़का पढ़कर आता है ? हम क्या मैरिट बनाकर देते हैं ? मॉडल स्कूल में जो लड़के एडमिशन के लिये आते हैं वह इंटरव्यू देकर आते हैं. 85 कटऑफ मार्क्स, 87 कटऑफ मार्क्स और वह फर्स्ट क्लास आ ही गया तो क्या फर्क पड़ता है और क्या आप सब नहीं जानते कि यह वास्तविकता है माननीय सरकार के साथियों से मैं निवेदन करना चाहता हूं कि गांव में सरकारी स्कूल में 8 वीं पास करने वाला लड़का ठीक से 'क, ख, ग, घ' लिखना नहीं जानता है. उससे कह दें कि एक आवेदन लिखकर दे दे, तो नहीं दे सकता है.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितु पटवारी) - उपाध्यक्ष महोदया, बिलकुल सही कथन है. 15 साल का आईना आपने दिखाया. मैं आपको धन्यवाद देता हूं. 15 साल का जो आईना आपने दिखाया, एक सच्चा गॉड भक्त क्या होता है, जनप्रतिनिधि क्या होता है, वह आज उदाहरण पेश किया जा रहा है. सम्मानित सदस्य का तालियों से स्वागत करिये.
श्री हरिशंकर खटीक - उपाध्यक्ष महोदया, आप स्कूल शिक्षा की बात कर रहे हैं. आप तो उच्च शिक्षा मंत्री हैं, स्कूल शिक्षा मंत्री से कहलवाइये न.
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय सदस्य आप जल्दी अपनी बात समाप्त करें. आपने दस मिनट से ज्यादा बोल लिया है.
श्री गिरीश गौतम - बीच में टोंका-टांकी कर रहे हैं. बस 5 मिनट में खत्म कर दूंगा.
उपाध्यक्ष महोदया - 5 मिनट नहीं, आपसे निवेदन है कि 2 मिनट में समाप्त करें. श्री गिरीश गौतम - उपाध्यक्ष महोदया, मैंने इसीलिये शुरू में ही कहा था कि विवाद नहीं चाहता मैं संवाद चाहता हूं. हमको करना क्या चाहिये कि एक छोटी सी व्यवस्था आप कर लीजिये . ऐसे मॉडल और एक्सीलेंस की तर्ज पर स्कूल खोलिये जिसमें थर्ड डिवीजन वाले लड़के हों, जो सबसे कमजोर लड़के हों, उनका एडमीशन करें और उनको पढ़ाकर जब फर्स्ट क्लास लायेंगे तब यह मानेंगे कि शिक्षा में हमने सुधार किया है. दूसरा एक काम यह करने की आवश्यकता है. उपाध्यक्ष जी, मेरा समय मत काटियेगा.
गृह मंत्री(श्री बाला बच्चन)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आर्थिक सर्वेक्षण की जो रिपोर्ट है, जिसमें प्रायमरी के स्टूडेंट्स, 79 लाख का नामांकन था, वह घटकर 77 लाख हो गए. मिडिल के 44 लाख में से 43 लाख हो गए हैं. यह परसों की रिपोर्ट के 2018-19 के आँकड़े हैं. यह आप लोगों की सरकार का है. हम इसमें कसावट और सुधार करेंगे और यह जो सरकारी स्कूलों से विश्वास हटा है और क्वालिटी आफ एजुकेशन जो कमजोर हुआ है, जैसे हमने भी देखा है, इस बात को उठाते थे, केमेस्ट्री, फिजिक्स, मैथेमेटिक्स, इंग्लिश, बॉटनी, बायलॉजी, इनके लेक्चरर ही नहीं हैं. अब यह सरकार सब पूरा करने जा रही है.
श्री गिरीश गौतम-- बहुत बहुत धन्यवाद. उसके लिए मेरा एक छोटा निवेदन और है. आप एक समिति बना लो.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)-- उपाध्यक्ष महोदया, 50 हजार संविदा शिक्षकों की व्यापम से परीक्षा हो चुकी है. पासिंग मार्क्स भी आ गए, सब कुछ हो गया. आज तक आपने उनके लिए नियुक्ति आदेश नहीं दिए. आपको अधिकार नहीं है यह सब बातें कहने का.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी)-- उपाध्यक्ष महोदया, इसमें दो हिस्से हैं एक तो 50 हजार संख्या का अगर आप कह रहे हैं, क्योंकि आप तो सीनियर सम्माननीय सदस्य हैं....
उपाध्यक्ष महोदया-- माननीय सदस्य को अपनी बात खत्म करने दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं कह रहा हूँ ना. आप स्कूल शिक्षा मंत्री से पूछ लें.
श्री जितू पटवारी-- दूसरा व्यापम तो इतना कलंकित कर दिया, मध्यप्रदेश की नई व्यवस्था....
श्री गोपाल भार्गव-- बेकार के तर्क मत दिया करिए. आपने परीक्षा ली है. आपके समय में परीक्षा हुई और रिजल्ट आया. आज की तारीख तक उनको नियुक्ति नहीं मिली. आप विषय को पूरा मालूम तो कर लिया करें.
जन जातीय कार्य मंत्री (श्री ओमकार सिंह मरकाम)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदया जी, हमारे नेता प्रतिपक्ष बहुत विद्वान हैं और चाहते हैं कि व्यापम में कार्यवाही हो ताकि पूर्व मुख्यमंत्री जी के, जो किनारे बैठे रहते हैं, आपकी विद्वता को प्रणाम करता हूँ. (हँसी)
उपाध्यक्ष महोदया-- माननीय सदस्य अपनी बात पूरी करें. काफी वक्ता हैं.
श्री गिरीश गौतम-- उपाध्यक्ष महोदया, इसलिए मेरा आग्रह यह है कि कोई समिति बनाइये, विशेषज्ञों की समिति बनाइये. दूसरे प्रदेशों में, खास तौर पर केरल का, बंगाल का, जहाँ सौ प्रतिशत शिक्षा है वहाँ का अध्ययन करके आएँ. उनकी रिपोर्ट पर अमल करिए यह मैं स्कूल के संबंध में यह कहना चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदया, एक ट्रांसफर उद्योग की बार बार चर्चा हो रही है और ट्रांसफर शायद पंचायत मंत्री बैठे होते तो सुन लेते. भाई अब तो ट्रांसफर किसके होने लगे. सरपंच का भी ट्रांसफर कर दिया. मध्यप्रदेश शासन प्रशासन विभाग, यह कलेक्टर का हमारे रीवा जिले का ऑर्डर है, 5.7.2019 का. इसके कॉलम नंबर 13 में श्री बिहारी लाल पटेल, शिवपुरवा पंचायत का, सचिव के बतौर रजगवां ट्रांसफर किया गया और यह बिहारी लाल पटेल उस ग्राम पंचायत का सरपंच है और....
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- वक्त है बदलाव का.
श्री गिरीश गौतम-- वहाँ की जे.आर.एस. है विभा द्विवेदी, जो प्रभारी सचिव है और यह बिहारी लाल सरपंच है. यह हो गया. आपकी जो ट्रांसफर नीति बनी, इसमें यह है कि जो खाली स्थान होगा वहीं होगा पर एक इसी में पंचायत में जो सूची आई, यह देवरी सिग्राम में अलरेडी जयप्रकाश सिंह वहाँ सचिव मौजूद हैं. वहाँ पर एक दूसरा सचिव भेज दिया गया, श्री दिग्विजय सिंह को. अब एक पंचायत में दो दो सचिव संभालेंगे. अब किसी का हो जाए हम लोगों का ट्रांसफर मत कर देना भैय्या, इसलिए मैं अंतिम बात करते हुए कहना चाहता हूँ कि जब यह बात आई कि भैय्या आप ईमानदारी से बोलें तो मैं तुलसीदास जी की एक चौपाई आपको सुनाना चाहता हूँ—
सचिव, बैद, गुरू तीन जन प्रिय बोलें भय आस,
राज, धर्म, तन, तीन के होय बैगेही नाश.
इसका अर्थ यह है कि सचिव, मतलब सहायक, बैद मतलब डॉक्टर, गुरू मतलब शिक्षा देने वाला. ये तीनों प्रिय, भय से बोलें, यदि कोई आशा से, तो राज, धर्म, तन, तीन के, राज का मतलब सरकार जाएगी, धर्म जाएगा, तन, शरीर, जाएगा. अभी तरुण भनोत जी नहीं हैं मेरे मित्र हैं मैं उनको भी एक बात बता देता क्योंकि उन्होंने चाणक्य की नीति से शुरू किया था तो एक बात हमेशा याद रखने की आवश्यकता है. धर्म की राजनीति मत करो. पर धर्म आधारित नीति का राज करो और हमेशा एक बात याद रखना. खास तौर पर बाला बच्चन जी से कहना चाहता हूँ.
"तुलसी संत सुअम्ब तरु फूलि फरहि पर हेत जितते ये पाहन हने उतते वे फल देत"
संत मतलब साधु, सुअम्ब मतलब आम का पेड़, इन दोनों की गति एक समान होती है. संत हमेशा आशीर्वाद ही देगा वह आपके खिलाफ नहीं जाएगा. उसी तरह से आम के पेड़ पर पत्थर मारेंगे तो वह भी आपको फल ही देगा. सरकार को इस भाव से काम करना चाहिए. मैं समझता हूँ इस मध्यप्रदेश के विकास में हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए.
मैं बजट का इसलिए विरोध करता हूँ कि आपका बजट रीवा विरोधी है. ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ कि रीवा की 8 विधान सभा सीट में से आपको एक भी नहीं मिली है, लोकसभा सीट भी नहीं मिली. शायद आप उस बैर का पालन कर रहे हैं. लेखा शीर्ष 5054 में 567 सड़कों के लिए प्रावधान है उसमें रीवा का नाम ही नहीं है. इसलिए मैं इसे रीवा विरोधी बजट साबित करते हुए इसका विरोध करना चाहता हूँ. धन्यवाद.
श्री प्रवीण पाठक (ग्वालियर दक्षिण)--माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपने 16 वें 17 वें नंबर पर अवसर दिया इसके लिए धन्यवाद.
आज तुलसीदास जी को भी सुन लिया. कौटिल्य की नीति को भी समझ लिया. उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपको विशेष रुप से धन्यवाद इसलिए देना चाहता हूँ कि 16 वें 17 वें नंबर पर जाने के बाद फर्स्ट टाइमर की दुकान में कुछ बचता नहीं है. जब विशेषकर सत्तापक्ष की तरफ से ओपनिंग बेटिंग कर रहे हों राजवर्धन सिंह दत्तीगांव जी और हमारे नेता कुणाल चौधरी जी. शेर-शायरी के अलावा कुछ बाकी नहीं रहता है.
मैं बचपन में मुंगेरीलाल को पढ़ा करता था. दो लाइनों के साथ मैं शुरु करना चाहता हूँ.
बड़ा गुरुर था छत को अपने छत होने पर,
एक मंजिल और बनी और छत फर्श हो गई.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं बता रहा था कि मैंने बचपन में मुंगेरीलाल को खूब पढ़ा. काल्पनिक तौर पर ऐसा लगता था कि मुंगेरीलाल ऐसा होगा, मुंगेरीलाल वैसा होगा. परन्तु मैं जब भी सत्र में आता हूँ तो कई मुंगेरीलाल मुझको दिख जाते हैं जो बार-बार यह कहते हैं कि आने वाले समय में हम लोग सरकार फिर गिराने वाले हैं. हम तो 120 ही रहे आप 109 से घटकर 108 हो गए हैं.
स्वप्न बहुत सुन्दर होते हैं लेकिन क्षण में मिट जाते हैं
जैसे क्षणभंगुर है जीवन वैसे ही सपने होते हैं
स्वप्न देखना है तो देखो लेकिन सोच-समझकर देखो
सपने बड़े क्रूर होते हैं, सपने सदा चूर होते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया,
वक्त की कैंचियां क्या कतरेंगी पर हमारे,
हम परों से नहीं हौंसलों से उड़ा करते हैं.
श्री गोपाल भार्गव--उपाध्यक्ष महोदया, मैं फिर कह रहा हूं कि ऐसा लग रहा है कि कव्वालियों, गीतों, शेरो-शायरियों का यह बजट है. पाठक जी अब तो पर्याप्त हो गईं अब आप बजट पर बोलना शुरु कीजिए.
श्री प्रवीण पाठक--उपाध्यक्ष महोदया, यह लाइनें सिर्फ कविता की लाइनें नहीं हैं. यह पंक्तियां हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री एवं उनके सामर्थ्यवान नेतृत्व में निरन्तर आगे बढ़ रहे मंत्रिपरिषद् की ओर मेरी कृतज्ञता है. यह माननीय मुख्यमंत्री जी के सुदीर्घ राजनीतिक अनुभव, उद्योग एवं व्यापार जगत में सक्रिय संबद्धता की उत्तम परिणीति ही है कि कल इस प्रदेश के खजाने को सम्हाल रहे, हमेशा मध्यप्रदेश के गौरवशाली स्वर्णिम भविष्य के सपने देखने वाले हमारे माननीय वित्त मंत्री जी ने जो बजट इस सदन के माध्यम से प्रस्तुत किया वह बजट प्रदेश सरकार की क्षमता, शक्ति, सेवा, संकल्प और समर्पण को दिखाता है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--विजय भाई आप वहां पर बैठे रहो. आप फर्स्ट हाफ में भी बैठे थे सेकेण्ड हाफ में भी बैठे हैं. आप वहां बिलकुल बैठिए हमारी शुभकामनाएं हैं.
श्री बाला बच्चन-- हम से ज्यादा मुख्यमंत्री जी की सीट की चिन्ता आप कर रहे हैं यह बड़ी खुशी की बात है. आपने दूसरी तीसरी बार टोका था तब भी वह वहीं बैठे थे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- हम चिंता नहीं कर रहे हैं. व्यवस्था की बात आ रही है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- यशपाल जी आपके साथ जो अन्याय हुआ है हम आपके साथ हैं. आप लोगों ने बहुत गलत किया कि चार बार के विधायक को मौका नहीं दिया.
श्री प्रवीण पाठक-- उपाध्यक्ष महोदया, बहुत तकलीफ होती है. जब सदन में हम बैठते हैं ऐसा लगता है कि पूरे 15 साल का सारा ठीकरा हमारी 6, 7 माह की सरकार के सर पर ही फोड दिया जाता है. गिरीश गौतम जी को सुनता हूं वह यहां सलाह देते हैं कि स्कूल खुलना चाहिए, चेतन्य काश्यप साहब को सुनता हूं वह पूछते हैं कि स्ट्रीट लाईट कौन जलाएगा तो मुझे आत्मिक तौर पर बहुत दुख होता है कि 15 साल से ऐसा क्या हो रहा था, आप लोग ऐसा क्या कर रहे थे कि आपको यह प्रश्न हम सब से पूछने की आवश्यकता पड़ी. यह सर्वविदित है कि पिछली सरकार ने हमारी सरकार को विरासत में एक लाख अस्सी हजार करोड़ रुपए का कर्ज दिया है. मात्र 6 माह के अल्प कार्यकाल में हमारी सरकार ने, हमारे वित्त मंत्री जी ने, हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने अपने वित्तीय प्रबंधन के फलस्वरूप अभी तक के सबसे बड़े बजट दो लाख तैंतीस हजार छ: सौ करोड़ रुपए का विनियोग प्रस्तुत किया है. राजस्व प्राप्तियों के लिए एक लाख उन्नयासी हजार तीन सौ त्रेपन करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया है. यह तथ्य तब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है जब राज्य सरकार द्वारा कोई भी जनता पर कोई भी नवीन कर न लगाया जाए और न ही वर्तमान कर ढांचे में सुदृढ़ और नॉन टैक्स राजस्व में वृद्धि के माध्यम को यह शासित कार्य करके दिखाया है. यह बजट मध्यप्रदेश का जलवा है. जे फॉर जल, ए फॉर अन्नदाता, एल फॉर लाभ, व्ही फॉर विकास और ए फॉर अध्यात्म. इन पांचों तत्वों को समेटकर सरकार इस प्रदेश के भविष्य को स्वर्णिम बनाकर ही दम लेगी, यह मेरा पूर्ण विश्वास है.
उपाध्यक्ष महोदया, आज जल की भयावह समस्या पूरे विश्व में है. दक्षिण अफ्रीका का एक शहर जोहान्सबर्ग में तो स्थिति यह है कि वहां पीने के लिए पूरे शहर में पानी ही नहीं है. मैं माननीय मुख्यमंत्री महोदय, माननीय वित्त मंत्री महोदय को हृदय से धन्यवाद देता हूं, साधुवाद देता हूं कि उन्होंने प्रदेश को जल अधिकार दिया. यह प्रारूप जो माननीय वित्त मंत्री जी ने प्रस्तुत किया है. मुझे लगता है कि मध्यप्रदेश में गरीब लोगो के लिए आम लोगों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा. एक हजार करोड़ रुपए के इस अमूल्य उपहार से न केवल पानी के सोर्स पुनर्जीवित होंगे बल्कि ग्रामीण जनता को भी चार हजार तीन सौ छियांसठ करोड़ रुपए के प्रस्तावित प्रावधान से इस मध्यप्रदेश को मुक्ति मिलेगी. मैं तो धन्यवाद करता हूं. मेरी इस प्रदेश सरकार को जो उन्होंने मां नर्मदा की पवित्रता को बनाए रखा साथ ही अन्य पतित पावन नदियों की भी चिन्ता की. वरना पुरानी सरकार ने तो मां नर्मदा का आंचल छलनी कर दिया था और बहुत दुख के साथ मुझे यह बोलना पड़ता है कि आप लोगों ने तो पौधों को लगाने के नाम पर भी घोटाले का विश्व कीर्तिमान पुरानी सरकार में रच दिया था. उपाध्यक्ष महोदया, प्रदेश को लाभ के पद पर आगे बढ़ाने के लिए बदहाल लुटे हुए खजाने को फिर से भरने और मध्यप्रदेश की जनता को पूरा करने के लिए एक हजार बारह करोड़ रुपए का जो औद्योगिक प्रावधान किया है वह इस राज्य के विकास के पहियों को इतनी तेज गति से दौडा़एगा कि हमारा मध्यप्रदेश जल्द ही भारत में नंबर एक पर आएगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मध्यप्रदेश की जनता के सपनों को पूरा करने के लिए निवेश, सिंगल खिड़की प्रणाली, करों में लचीलापन और स्वदेशी उत्पादों की ब्रांडिंग जैसे जो कदम इस बजट में उठाये गए हैं मुझे लगता है कि मुझ जैसे युवा विधायक को यह आशान्वित करता है कि 15 वर्षों से तड़पता, कराहता, बदहाल अर्थव्यवस्था को सहता मध्यप्रदेश अब खुशहाल सरकार के हाथ में है. मुझे तकलीफ तब होती है जब हमारे विपक्ष के साथियों को जलेबी बेचने पर भी तकलीफ होती है, भिण्ड के पेड़े के नाम पर भी तकलीफ है, जब महेश्वर की साड़ी का नाम आता है तो उसमें भी तकलीफ है. हम यह बचपन से देखते आ रहे हैं कि जब-जब इस देश में क्रांति आई है भारतीय जनता पार्टी ने उसका पुरज़ोर विरोध किया है. चाहे कंप्यूटर की क्रांति हो चाहे लिब्रलाइजे़शन (उदारीकरण) का जमाना हो या ग्लोबलाइजे़शन (भूमण्डलीयकरण) का जमाना हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, हमारी मध्यप्रदेश की यह सरकार दिक्कतों, कठिनाइयों और परेशानियों को चीर कर अल्प कार्यकाल में जिस गति से आगे बढ़ रही है उसकी बानगी मध्यप्रदेश सरकार का बजट साफ-साफ दिखाता है. हमारे विपक्ष के मित्र भी बजट की खूबियों से आश्चर्यचकित हैं, यह अलग बात है कि विपक्ष का काम होता है विरोध करना और यह सिर्फ दिखावे का विरोध है अन्यथा वे भी जानते हैं कि सरकार ने आदिवासी भाइयों, अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए, माताओं-बहनों-युवाओं के विकास के लिए, मजदूर भाइयों के रोजगार के लिए, जंगल-उद्यानों की संरचना और उत्थान के लिए, पंचायत एवं ग्रामीण विकास के लिए हजारों-करोड़ की राशि का खजाना खोल दिया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मध्यप्रदेश सरकार का यह बजट एक मजबूत, दमदार, ताकतवर, वचनबद्ध, जनता की अपेक्षाओं को, उनके सपनों को, उनकी उम्मीदों को पूरा करने वाला है. यह एक आहट है उस सूर्य की, तेजसमयी किरण की जो 15 वर्ष के ग्रहण को चीर कर अपनी रोशनी से मेरे महान मध्यप्रदेश को ऊर्जावान करेगी, प्रकाशवान करेगी, गतिशील करेगी, तेजस्वी करेगी और ओजस्वी करेगी.(मेजों की थपथपाहट)
माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैं पुन: विकास के पुरोधा, शांति व क्रांति के अग्रदूत, आदरणीय मुख्यमंत्री महोदय एवं अर्थशास्त्र की जटिलताओं को विकास, समृद्धि एवं तरक्की की सरलता में बदलने वाले माननीय वित्त मंत्री महोदय का आभार प्रकट करता हूं और यदि अंत में मैं ये दो पंक्तियां नहीं बोलूंगा तो मुझे लगता है कि मेरी बात अधूरी रह जायेगी जो कि वर्तमान में सबसे अधिक प्रासंगिक है. बार-बार माननीय मुख्यमंत्री जी एवं वित्त मंत्री जी के लिए यह बात उठती है तो मैं बहुत स्पष्ट तौर पर बोलना चाहूंगा कि-
''अपने हिस्से की रोशनी वो साथ लाता है,
जुगनू कभी चांद का मोहताज नहीं होता.''
(मेजों की थपथपाहट)
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदया, बजट पर पक्ष और विपक्ष की ओर से काफी चर्चा हो चुकी है. मैं इस बजट का विरोध करते हुए अपनी बात रखना चाहूंगा. पूर्व के वक्ताओं ने कहा कि इस बजट की तुलना पूर्व सरकार के बजट से की जाये. हम लोगों ने इस बजट का अध्ययन किया और पूर्व की सरकार के बजट का भी अध्ययन किया है. पूर्व सरकार की एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है- ''मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना'' इस योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश के वे छात्र और छात्रायें जो कक्षा बारहवीं में 70 प्रतिशत या उससे अधिक अंक लेकर आते हैं उनकी कक्षा बारहवीं के बाद की उच्च शिक्षा चाहे एम.बी.बी.एस. हो, चाहे इंजीनियरिंग हो उसका पूरा खर्च मध्यप्रदेश की सरकार उठाती है. पूर्व की सरकार ने इस योजना के लिए 1 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया था और इस बजट में इस सरकार ने मात्र 150 करोड़ का प्रावधान किया है. वित्त मंत्री जी यहां बैठे हुए हैं मध्यप्रदेश के युवा छात्र-छात्राओं के भविष्य पर यह कुठाराघात है. 850 करोड़ रूपये की कमी इस योजना के अंतर्गत, इस बजट में की गई है. मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना, इसमें चाहे अजमेर शरीफ हो या रामेश्वरम हो, इसमें हमारे प्रदेश के वृद्धजनों को तीर्थ करवाने के लिये पूर्व सरकार ने 200 करोड़ रूपये का प्रावधान किया था और इस सरकार ने इस बजट में मात्र इस योजना में 6 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान है, यह सरकार है.
स्वच्छ भारत अभियान में पूर्व सरकार के बजट से 100 करोड़ रूपये की कमी इस सरकार ने इस बजट में की है. सबसे बड़ी बात मैं कहना चाहता हूं कि जिस अनुसूचित जाति और जनजाति के वोटों के बल पर यह सरकार बनी हैं, उसमें अनुसूचित अनूसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को नि:शुल्क शिक्षा व्यवस्था के अंतर्गत 450 करोड़ रूपये का प्रावधान किया था, उसको इस सरकार ने खत्म कर दिया है. अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिये नि:शुल्क प्रावधान पूर्व की सरकार ने किया था, उसमें इस सरकार ने एक रूपये का प्रावधान नहीं किया है. यह सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विरोधी सरकार है.
मैं आगे कहना चाहता हूं कि इस मध्यप्रदेश में ऊर्जा विभाग, जल संसाधन विभाग और कृषि विभाग अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग हैं. अगर मध्यप्रदेश का विकास संभव है तो इन तीनों विभागों के को-ऑर्डिनेशन से ही संभव है. उपाध्यक्ष महोदया, मैं कहना चाहता हूं कि पूर्व की सरकार ने मुख्यमंत्री स्थायी पंप कनेक्शन योजना चालू की थी, वह बहुत महत्वपूर्ण योजना थी, जिसके अंतर्गत मध्यप्रदेश का कोई भी कृषक 5500 रूपये प्रति हार्स पॉवर में यदि किसी को पांच हार्स पॉवर का कनेक्शन लेना है तो उसको 5500 रूपये में से 2750 और 1000 और इस प्रकार 3750 रूपये में अपना निजी ट्रांसफार्मर 6 पोल लगवाकर ले सकता था. उसमें शासन के ढाई लाख रूपये खर्च होते थे और अब यह योजना इस सरकार ने पेंडिंग कर दी है. मध्यप्रदेश के किसानों के हजारों-लाखों आवेदन वितरण केन्द्रों पर और डी लेवल पर यह पैसा जमा है और या तो उस योजना को बंद कर रहे हैं, ना ही उन किसानों का ट्रांसफार्मर स्थापित करने के लिये कुछ किया जा रहा है.
उपाध्यक्ष महोदया, मैंने वित्त मंत्री जी का भाषण मैंने पढ़ा है और इन्होंने कंडिका क्रमांक- 2 में कहा है कि इस सरकार को काम करने के लिये मात्र 128 दिन मिले हैं. इस बात को हम स्वीकार करते हैं. उपाध्यक्ष महोदया, मैं आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी से जानना चाहता हूं क्योंकि इन्होंने कंडिका क्रमांक-59 में कहा है कि हमने 6-7 महीने में ही 27 उच्च स्तरीय ब्रिजों का निर्माण पूर्ण किया है. मैं पूछना चाहता हूं कि इनकी स्वीकृति किसकी थी ? मैं वित्त मंत्री जी कहना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र में मैंने 6 पुल बनाये हैं. महाकाल की नगरी उज्जयनी से जो मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी जो बहकर जाती है, वह महिदपुर में जाती है. हमने तीन ब्रिज क्षिप्रा नदी पर बनाये और छोटी कालीसिंध नदी पर हमने 3 पुल बनाये हैं. कम से कम एक ब्रिज को बनाने में कम से कम 18 माह का वक्त दिया जाता है, तो इस सरकार ने 27 ब्रिज कहां से बना दिये, यह तो भारतीय जनता पार्टी की के समय की स्वीकृति है. यह आपको स्वीकार करना चाहिये. यह आपके समय में स्वीकृत नहीं हुए हैं.
श्री रामपाल सिंह:- इनका कहना यह है कि जो कार्य पूर्व में स्वीकृत हुए हैं, उनको नहीं लेना था,वित्त मंत्री जी. हम अभी आपको पूरी सूची देंगे, कई विधायकों ने दी है, काम हो चुके हैं आप उनको प्रस्तावित कर रहे हैं, यह जरा आप लिख लीजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान:- माननीय कराड़ा जी बैठे हैं, इनका विभाग बहुत ही महत्वपूर्ण है और हमारे मालवा जिले बहुत अच्छे कृषक हैं और बहुत ही सीनियर व्यक्ति हैं. इन्होंने पैरा क्रमांक-67 में कहा है कि इस प्रदेश में 31 वृहद योजनाएं, 57 मध्यम योजनाएं और 441 लघु योजनाएं हैं इनका कार्य पूर्णता की ओर है. मैं इस बजट भाषण में पूछना चाहता हूं कि क्या इस सरकार की एक भी स्वीकृति है. क्या कभी साधिकार समिति की बैठक हुई है. यह पूरी की पूरी भारतीय जनता पार्टी की सरकार की योजनाएं हैं. यह जितने रोड़ को गिना रहे हैं यह रोड़ भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय के बनाये हैं तथा स्वीकृत हुए हैं. उस समय के बजट के हेड में भी हैं. आपने इस बजट को पूर्व की सरकार के आंकड़ों को लेकर किया है. पूर्व सरकार के स्वीकृत कार्यों का श्रेय आपकी सरकार को जाएगा, इसमें हमको आपत्ति नहीं है, लेकिन नये काम की एक भी योजना इस सिंचाई विभाग, लोक निर्माण विभाग में स्वीकृत नहीं की गई है. मैं जय किसान ऋण माफी के बारे में बताना चाहता हूं. मैं इसमें मध्यप्रदेश की बात न करते हुए सिर्फ मेरे उज्जैन जिले की बात सदन में करना चाहता हूं. जय किसान फसल ऋण माफी योजना जब प्रारंभ हुई तब हरे, सफेद, गुलाबी फार्म भरवाये गये थे. उपाध्यक्ष महोदया, इसमें नोडल अधिकारी पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को बनवाया गया था. उज्जैन जिले में हरे फार्म 1 लाख 44 हजार 225 आये, सफेद फार्म 36 हजार 383 आये, गुलाबी फार्म 1712 आये. कुल फार्म 1 लाख 97 हजार 620 उज्जैन जिले में आये. मैं एक ही जिले की बात कर रहा हूं तब आप पूरे प्रदेश की योजना को समझ जाएंगे. मैं प्रमाण के साथ हस्ताक्षर करवा के लाया हूं. इसमें 1 लाख 97 हजार 620 फार्म आये उज्जैन जिले में जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित द्वारा 783.40 करोड़ रूपये का कर्ज किसानों को दिया गया. नर्मदा-झाबुआ ग्रामीण बैंक से 295.53 करोड़ रूपये का ऋण दिया गया इसमें राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा 1806.14 करोड़ रूपये दिया गया. इस प्रकार उज्जैन जिले में कुल किसानों को 2 हजार 885.7 करोड़ रूपये का ऋण है. इसमें मेरा उत्तर आ ही गया है कि इन्होंने कुल ऋण माफ कितना किया है. 156 करोड़ का इस प्रकार से उज्जैन जिले में 2729 करोड़ रूपये का ऋण माफ करना बकाया है. मैं आंकड़ों के साथ बात कर रहा हूं. तो मध्यप्रदेश के कितने जिलों में कितने का ऋण माफ करना बकाया होगा, मेरा यह कहना है. जब यह योजना प्रारंभ हुई तो मध्यप्रदेश के 55 लाख किसानों के 54 हजार करोड़ रूपये तथा प्रत्येक किसान पर 2 लाख रूपये के ऋण माफ करने हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, अंत में यह बात कहना चाहता हूं कि यह सरकार यह बनकर आयी है मेरे पास में 85 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र है. मध्यप्रदेश में आपके 114 विधायक जीतकर के आये हैं. उसमें से 80 प्रतिशत इसी योजना के कारण आपको मध्यप्रदेश में किसानों ने वोट दिये हैं. मैं आपसे आग्रह कर रहा हूं कि महाकाल को साक्षी रखकर आप सब काम रोक दो जो किसानों के लिये घोषणा आपने की है वह पूर्ण कर दें नहीं तो अगले चुनाव के समय पूर्ण रूप से मध्यप्रदेश से साफ हो जाएंगे. यह सरकार किसान विरोधी सरकार है. किसानों को खाद, बीज नहीं मिल रहा है. यह जय किसान फसल माफी योजना से पूरे प्रदेश में अव्यवस्था हो गई है. यह बात आगे मांगों की चर्चा में भी रखूंगा. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री आरिफ मसूद(भोपाल मध्य) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. बहुत देर से हम सभी की बातें सुन रहे थे और विपक्ष सरकार की कमियां निकाल रहा है. मध्यप्रदेश सरकार का जो बजट आया है उस बजट के लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. पहली बार सदन में आने का अवसर मिला. वर्षों सड़कों पर आंदोलन करते समय हमने मांगों को उठाने का जब प्रयास करते थे तो सोचते थे कि सदन में क्या होता होगा. पिछले 15 साल की एक सरकार भी देखी, उसका कार्यकाल भी देखा. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा. जब अनुपूरक बजट आया उस बजट में जब वित्त मंत्री जी ने प्रस्ताव पढ़े तो उस समय अल्पसंख्यक विभाग के लिए बहुत सारी कम चीजें मुझे दिखी तो मैंने धन्यवाद देते हुए कहा था कि माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री जी इस ओर ध्यान देंगे और इन विभागों का ख्याल करेंगे. आज दिल की गहराइयों से धन्यवाद देता हूं, शुक्रिया अदा करता हूं इस सरकार का और बताना चाहता हूं सदन को, कि जब पहले क्योंकि बातें करना कि सबका साथ - सबका विकास यह कहना आसान है, करना बहुत कठिन है और यह करने का साहस कमलनाथ जी ने दिखाया और वित्तमंत्री जी ने दिखाया इसलिए उनको धन्यवाद कि वाकई में उन्होंने सबका साथ और सबका विकास कर दिया. जब हमारी पूर्व कांग्रेस सरकार थी तो भोपाल में हमारी मसाजिद कमेटी का जो बजट होता था वह मात्र 84 लाख रूपए था. 15 साल में मात्र 30 से 40 लाख की वृद्धि हुई होगी और यह बजट 1 करोड़ 33 लाख पर पहुंचा. मैं आज इस सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं कि जब मैंने आग्रह किया तो इस सरकार ने दरियादिली दिखाई और सबका साथ - सबका विकास को पूरा करते हुए 3 करोड़ 75 लाख रूपए बढ़ाए जो एक साहसिक कदम है. हज कमेटी का बजट 40 लाख होता था, जब पूर्व कांग्रेस की सरकार थी, मात्र 15 साल में यह 10 लाख बढ़ा था. मैं आज इस सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं कि यह बजट भी 1 करोड़ 80 लाख रूपए तक बढ़ा. अल्पसंख्यक आयोग का भी बजट बढ़ा. एक अल्पसंख्यक बच्चों को खेल का पुरस्कार मिलता था, सेवा पुरस्कार वह लगभग 20 लाख रूपए का था, पहली बार हमारी सरकार ने इसको उठाया और उसको 48 लाख रूपए किया उसके लिए भी मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. अभी बात हो रही थी एस.सी. एस.टी. की लगभग इस वर्ग के लोगों को भी 241 करोड़ की अधिक राशि इस बजट में दी है. यह बात सिर्फ कमलनाथ जी की सरकार ने करके दिखाया. बहुत सारे हमारे विपक्ष के साथी चले गए जो दिन में बात कर रहे थे. डा. शर्मा जी मौजूद हैं, उन्होंने बात कही थी शिक्षा के बारे में. प्रधानमंत्री जी का अक्सर भाषण सुनते हैं टी.वी. में और अल्पसंख्यक वर्ग के लिए भी सुनते है कि मैं चाहता हूं कि इस हिन्दुस्तान के अल्पसंख्यक वर्ग के एक हाथ में कम्प्यूटर हो और एक हाथ में कुरान. सुनने में बहुत अच्छा लगता है, लेकिन डॉ. साहब मैं आसंदी के माध्यम से आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि यह सुनने में ही अच्छा लगता है. मध्यप्रदेश के अंदर मदरसा बोर्ड कायम है और उस मदरसा बोर्ड को जो ग्रांट मिलती है, लगभग तीन साल से वह ग्रांट नहीं मिली. अफसोस की बात, मुझे हो सकता है कि कम अनुभव हो, लेकिन एक बात यह भी बताई गई है कि 30 मार्च को बजट का एप्रूवल का एक लेटर उस विभाग के पास आता है और कहा जाता है कि 31 मार्च तक इसको खत्म करें नहीं तो बजट लैप्स हो जाएगा. एक दिन के अंदर किस तरह से यह राशि वितरित होगी और एक दिन में वह बजट लैप्स हो जाता है, तब दु:ख होता है. मैं उम्मीद करूंगा कि सबका साथ - सबका विकास करने वाली सरकार बातें करती हैं, कर नहीं पाती लेकिन कमलनाथ जी ने यह काम मध्यप्रदेश में करके दिखाया और तमाम अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को जिस तरह से अपने आप में विश्वास में लिया वह काबिले तारीफ है. बात गौशालाओं की भी चल रही थी. मुझे भोपाल की एक गौशाला में जाने का मौका मिला तो पता चला कि एक वर्ष से भोपाल की गौशालाओं में उनको चैक वितरित नहीं हुए थे. पहले सरकार आपकी थी, आपको चुनाव से पहले वितरित करना था. गाय के नाम पर पूरे देश में हंगामा किया गया लेकिन अफसोस है कि आठ महीने से गौशालाएं चलाने वालों को उनका पैसा नहीं दिया गया. मैंने इस बैठक में कहा कि यह बैठक तब होगी जब गौशालाएं चलाने वालों को पैसा दिया जाएगा. मैं कमलनाथ सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि 53 लाख रुपये के चैक उसी दिन वितरित किए गए और गौशालाओं वालों को दिए गए. यह नीयत कमलनाथ सरकार की है, इस सरकार की है. मुझे अफसोस होता है, अभी एक भाई मौजूद नहीं है, मैं उनका भाषण सुन रहा था, जब श्री संजय यादव बोल रहे थे तो वे कह रहे थे कि हमारे पास भी गाय है, ले जाओ तो भाई सब लोग गाय ले जाओ. हम जैसा आदमी गाय नहीं ले जा पाएगा क्योंकि पहले हमारी जान की सुरक्षा की गारंटी हो जाए तो हम उस गाय को कहीं ले जाएंगे क्योंकि हम तो दिल से चाहते हैं, उस गाय का सम्मान करना, हम दिल से चाहते हैं कि उसको अच्छा खाना मिले, हम दिल से चाहते हैं कि उसकी पूरी खिदमत हो. लेकिन अगर हमारी जान ही सुरक्षित नहीं होगी तो हम क्या करेंगे ? यह निजाम देश में आप लोगों ने बिगाड़ा है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) - किस नीयत से गाय ले जाएंगे ? यह डिपेन्ड करेगा.
श्री आरिफ मसूद - नीयत बिल्कुल साफ है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - नीयत साफ होनी चाहिए, कोई विरोध नहीं करेगा.
श्री आरिफ मसूद - हम अपनी जान दे देंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष महोदया, वे कुछ भी बोल देंगे.
श्री आरिफ मसूद - हम अपनी जान दे देंगे. बिल्कुल, आप कुछ नहीं बोल सकते.
श्री विश्वास सारंग (नरेला) - इसमें आपत्ति क्या हो गई ?
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) - यह क्या आप तय करेंगे कि किसकी नीयत क्या है ?
श्री विश्वास सारंग - नीयत तो साफ होनी चाहिए न.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव) - वे बात कर रहे हैं गौ माता पर, मदरसा के अलावा क्या इस प्रदेश में स्कूल नहीं हैं ?
श्री राजवर्धन प्रेम सिंह ''दत्तीगांव'' - आप हमें किस नीयत से दे रहे हैं ?
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - आप किस भावना से कह रहे हैं कि गाय लेकर जाएंगे तो ऐसा हो जाएगा.
(..व्यवधान...)
श्री आरिफ मसूद - यशपाल जी, एक मिनट सुनें. बिल्कुल, आपने हमको देने को कहा था. आपकी नीयत में खोट होगा लेकिन हमारी नीयत में खोट नहीं है. हम अपनी जान दे देंगे. अगर हम आपसे लेकर जाएंगे तो उसके लिए जो बन सकेगा, वह करेंगे. आपने किस पर्पज से हमको देने को कहा था ?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - आप पालने के लिए ले जाएं तो कोई जान नहीं जाएगी.
श्री आरिफ मसूद - जो रोडों पर इतनी जानें चली गई हैं, उसका क्या होगा ?
उपाध्यक्ष महोदया - माननीय सदस्य आप अपनी बात पूरी कीजिए.
श्री आरिफ मसूद - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, मैंने शायद कुछ गलत नहीं कहा. यह देने का प्रस्ताव उधर से आया था, उन्होंने इसी हाउस में कहा था कि हम गाय सबको देना चाहते हैं तो मैंने उस पर अपनी बात कही.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - क्या आपको नाम लेकर कहा था ?
श्री आरिफ मसूद - उन्होंने पूरे हाउस का कहा था, सबका कहा था. अगर आप मुझे हाउस का सदस्य नहीं मान रहे हैं तो यह आपकी मर्जी है. उन्होंने सबका कहा था, मैंने उसी पर तो यह कहा.
श्री विजयपाल सिंह (सोहागपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदया, आपसे निवेदन है कि मैं यह कहना चाहता हूँ कि मेरे क्षेत्र में गायें इतनी अधिक थीं लेकिन 6 महीने से गायों का पता ही नहीं कहां चली गईं ?
श्री हरिशंकर खटीक - गायें तो सम्माननीय हैं, आपको चाहिए तो लेकर जाएं.
उपाध्यक्ष महोदया - आरिफ जी को अपनी बातें पूरी करने दीजिए. आप लोग कृपया बैठ जाइये.
श्री आरिफ मसूद - उपाध्यक्ष महोदया, मैं नहीं चाहूँगा कि आपको मुझे दोबारा टोकना पड़े. मैं प्रथम बार का विधायक हूँ और मैंने प्रबोधन कार्यक्रम को दो बार सुना है एवं यह सुना है कि आसन्दी का सम्मान करना है. जो आसन्दी से निर्देश मिले, उसका पूरा पालन करना है. मैं सदन का समय खराब नहीं करूँगा. मैं चाहूँगा कि यह सरकार जो नेक नीयत से काम कर रही है, इस सरकार के इस बजट का मैं समर्थन करता हूँ और धन्यवाद देना चाहता हूँ कि इस सरकार ने बहुत अच्छा बजट पेश किया है. यह कहना इस देश के अन्दर बहुत आसान है क्योंकि बात आई है एक बटुए की. तरुण भाई ने बहुत सारी चीजों का उल्लेख किया है.
6.44 बजे (अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.)) पीठासीन हुए.)
अध्यक्ष महोदय, इस मुल्क के अन्दर, जब यह मुल्क आजाद हुआ तो आजादी के बाद से ही, जब मध्यप्रदेश का गठन हुआ तो भोपाल की मसाजिद कमेटी बनी थी तो सरकारों ने भेदभाव रखा. इस सरकार ने बड़ा बजट दिया इसलिए धन्यवाद दिया. जब बात बटुए की आई थी तो वाकई में इस तरह जलेबी की बात चलेगी तो मैं तरुण भाई आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ, जो आपने भोपाल के बटुए को आपने याद रखा. मैं चाहूँगा कि इस मध्यप्रदेश और इस देश को, इस बटुए से यह पैगाम भी मिलना चाहिए कि जिस तरह बटुए को बन्द करते हैं, धागों से सबको मिलाकर एक जैसा जोड़ा जाता है, इस देश के अन्दर भी सभी समाज, सभी वर्ग के लोग मिल-जुलकर एक साथ रहें, खुशहाल रहें.
जिस तरह से नेक नियति से कमलनाथ सरकार ने दो कदम आगे बढ़ाकर यह पैगाम दिया है कि हम कथनी और करनी में भरोसा रखते हैं, जो कहेंगे वह हम करेंगे. यही काम हम उम्मीद करते हैं कि देश की सरकार भी करे. अगर देश की सरकार नहीं कर सकती है तो आप विपक्ष में बैठे हो तो आप को सुनने का साहस भी होना चाहिये, बहुत-बहुत धन्यवाद .
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय (जावरा) -- अनुपस्थित.
श्रीमती कृष्णा गौर (गोविन्दपुरा) -- अनुपस्थित.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय वित्तमंत्री जी ने जो कल बजट प्रस्तुत किया है, उसका मैं घोर विरोध करता हॅू. सभी पूर्व वक्ताओं ने अपनी बात रखी है, लेकिन फिर भी मैं आपके समक्ष यह बताना चाहता हूं कि किसानों की बात सभी ने की है और मैं भी किसान का बेटा हूं. किसानों का कर्जा टीकमगढ़ जिले में माफ नहीं हुआ है और जब टीकमगढ़ जिले में कर्जा माफ नहीं हुआ है तो पूरे प्रदेश में भी कर्जा माफ नहीं हुआ होगा, आप सुनते जायें.
वाणिज्यक कर मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर) -- हमने आपकी तहसील में खुद कर्जा जाकर बांटा है.
श्री हरिशंकर खटीक -- आपने नहीं बांटा है, अभी भी होल्ड है. बैंक के खातों में उनको खाद बीज नहीं दिया जा रहा है और इसके साथ ही एक बात और बताना चाहता हूं किसान की कर्जा माफी की बात के साथ-साथ खरीफ की फसल भी टीकमगढ़ जिले में खरीदी गई. खरीफ की फसल 25 जनवरी, 2019 को पांच बजे तक खरीदने का प्रावधान था, लेकिन खरीफ की फसल में उड़द और मूंगफली किसानों ने अपनी मेहनत के आधार पर निजी वेयर हाउसों में डालने का काम किया है. सेवा सहकारी समिति के समिति प्रबंधकों के माध्यम से वह खरीदा गया और उनको टोकन दिये गये और 25 तारीख निकल गई इसके बाद 26 तारीख को भी दोपहर तक वह खरीदा गया क्योंकि एनाउसमेंट किया गया था कि कोई भी किसान बाहर नहीं जायेगा और वहीं उसका माल खरीदा जायेगा. किसानों ने उड़द और मूंगफली टीकमगढ़ जिले की सोसायिटी, वेयर हाउसों में दी इसके बावजूद भी आज हजारों किसान टीकमगढ़ जिले के ऐसे हैं जिनकी खुद की मेहनत का परिणाम उनको नहीं मिल पा रहा है, उनको उनकी राशि भी नहीं मिल पा रही है. टीकमगढ़ जिले के किसानों में जबरदस्त तरीके से रोष व्याप्त है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों की बात के साथ ही साथ अभी एक बात आई कि न आपका आगाज अच्छा है, न आपकी नीयत अच्छी है और न आपकी सोच अच्छी है. मैं यह बताना चाहता हूं कि न आपका आगाज अच्छा है क्योंकि आपके कांग्रेस के नेता इस्तीफा देते हुए फिर रहे हैं, चाहे वह आपके मुखिया राष्ट्रीय अध्यक्ष क्यों न हो, इस प्रकार का आपका आगाज भी खराब हो गया है. न आपकी नीयत अच्छी है क्योंकि दस दिन में किसानों का कर्जा माफ करने की बात आपने कही थी और यह भी कहा था कि किसानों का कर्जा अगर माफ नहीं होगा तो हम अपने मुख्यमंत्री को बदल देंगे लेकिन आज तक आपने मुख्यमंत्री को नहीं बदला है, इसलिये आपके राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वयं आपसे इस्तीफा मांगते हुये फिर रहे हैं, और उन्होंने स्वयं भी इस्तीफा दे दिया है. न आपकी सोच अच्छी है क्योंकि हमने बजट को देखा है. हमने बजट की किताब को पढ़ने का काम भी किया है और उसको अच्छे से देखा भी है, बजट केवल छिंदवाड़ा तक सीमित रह गया है. बजट माननीय वित्तमंत्री जी के क्षेत्र जबलपुर तक के लिये सीमित रह गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बाकी टीकमगढ़ जिले के बारे में बताना चाहता हूं कि जहां 967 सड़के आपने देने का प्रावधान किया वहां मात्र 15 किलोमीटर की सड़क टीकमगढ़ और निमाड़ी जिले के लिये दी गई है. जब हमारी सरकार थी हम लोगों ने सभी को समानता के रूप में देखा कि चलो आपकी भी सड़के ले ली जायें लेकिन आपने हमारे क्षेत्र को नहीं लिया. मैंने आपका पूरा बजट देखा और उसके साथ ही साथ पढ़ा भी है. आपने जो बजट पेश किया है, यह बजट आपका ढकोसला है. मैं इस बजट का घोर विरोध करता हूं और इसके साथ -साथ यह बताना चाहता हूं कि हमने देखा है कानून व्यवस्था के तौर गृह विभाग का भी बजट पर्याप्त आया है लेकिन अभी चार दिन पहले माननीय अध्यक्ष महोदय आपने भी पढ़ा होगा, और आपने टी.वी. पर भी देखा होगा कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय के ठीक सामने कन्हैया अग्रवाल जैसे व्यक्ति ने जब उसकी बात नहीं सुनी गई तो उसने पेट्रोल डालकर आग लगा ली और वहीं पर उसकी मृत्यु हो गई. यह आपका गृह विभाग है, यह आपका पुलिस विभाग है, यह आपका कानून है. गृह विभाग में पर्याप्त पैसा दिया गया है लेकिन ऐसी आपकी व्यवस्था है. टीकमगढ़ जिला हो, चाहे छतरपुर हो या पूरा मध्यप्रदेश हो आज टीआई को कहीं पर रखा जाता है और कल उसको बदल दिया जाता है. पुलिस खुद बोल रही है कि हमें सरकार का साथ नहीं देना है. अधिकारी, कर्मचारी जो इस तरह से परेशान है, वह भी कहते हैं कि हमें इनका साथ नहीं देना है, इनके निर्णय अच्छे नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, 3 मेडीकल कॉलेज पूरे मध्यप्रदेश में खोले जाने हैं. बुंदेलखंड क्षेत्र में टीकमगढ़ जिला पिछड़ा हुआ क्षेत्र है. वैसे तो बाणसुजारा बांध जो हम लोगों ने सिंचाई के क्षेत्र में स्वीकृत कराया था, उसका भी काम लगभग बंद हो गया है, उसका भी काम पुन: चालू कराया जाये. हरपुरा सिंचाई परियोजना का काम हम लोगों ने स्वीकृत कराया था वह भी बंद कर दिया गया. पराई नदी में परेवा बांध बनवाने का काम हमने स्वीकृत कराया था वह भी बंद हो गया है, उसकी बात सिंचाई विभाग के उस बजट में कहीं भी नहीं आई है, हम चाहते हैं कि यह काम होना चाहिये. मध्यप्रदेश में 3 मेडीकल कॉलेज खुल रहे हैं, इसमें हमारा विनम्र अनुरोध है कि अगर समानता के रूप में हम लोगों को देखते हो तो टीकमगढ़ जिले में भी मेडीकल कॉलेज खोलने की हमारे वित्त मंत्री जी अपने बजट भाषण में घोषणा करेंगे, यह हमारा अनुरोध है. इसके साथ-साथ हम बताना चाहते हैं कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुष्मान भारत योजना चल रही है उसको भी एक सकारात्मक रूप दिया जाये, उसके लिये भी चिंता की जाये, पर्याप्त धनराशि केन्द्र से आयुष्मान भारत योजना में मिल रही है, लेकिन मध्यप्रदेश राज्य बीमारी सहायता योजना जो बंद कर दी गई है उसको पुन: चालू किया जाये, यह हमारा विनम्र अनुरोध है. गृह विभाग के साथ-साथ तकनीकी शिक्षा विभाग का काम भी हमारे बाला बच्चन जी कार्य देखते हैं, हम उनका सम्मान करते हैं, हमारे मित्र भी हैं, हम उनको बताना चाहते हैं कि 6 पॉलीटेक्निक पूरे मध्यप्रदेश में खुले थे जिसमें जतारा जिला टीकमगढ़ भी खोला गया था. सभी पॉलीटेक्निक 5-5 करोड़ की लागत से बन गये हैं, लेकिन जतारा जिला टीकमगढ़ का पॉलीटेक्निक 7 करोड़ 87 लाख खर्च होने के बावजूद भी आज तक नहीं बन पा रहा है. अध्यक्ष महोदय, आप ऐसे निर्देश जारी करें जिससे पॉलीटेक्निक का काम वहां पर पूरा हो सके, क्योंकि सभी पॉलीटेक्निक के बच्चे व्यवस्थित होकर अध्ययन करने लगे हैं, लेकिन जतारा में यह शुरू नहीं हो पाया है, उसके लिये या तो राशि दें और तत्काल बनवाने का काम पूरा करायें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति की बात हम आपसे कहें, इस बजट में जो किताब में हमने पढ़ा है, अनुसूचित जाति कल्याण के लिये जो हमारे छात्रावास बन रहे हैं, वह तो बन ही रहे हैं, लेकिन आपने अनुसूचित जाति कल्याण के लिये उस बजट में कोई प्रावधान नहीं किया. बजट की किताब खोलकर वित्तमंत्री जी आप देख सकते हैं जो आपने कल बोला है. अनुसूचित जाति वर्ग के लिये बजट में इसमें अलग से प्रावधान किया जाये जिससे अनुसूचित जाति कल्याण के बच्चों का और जनता का हित हो सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, खेलों के विकास के लिये, केवल दो लाइनों में खेल विभाग का बजट पूरा हो गया. माननीय जितू पटवारी जी यहां पर नहीं हैं, लेकिन हम उनसे अनुरोध करना चाहते हैं कि फुटबाल के लिये और मात्र स्वीमिंग पूल के लिये बजट दिया गया, बाकी अन्य खेलों के लिये कोई बजट प्रावधान नहीं किया गया, उसके लिये और बजट का प्रावधान किया जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, वृद्धवस्था पेंशन, विकलांग पेंशन में केन्द्र सरकार द्वारा 1 हजार रूपये देने का प्रावधान है, लेकिन यहां पर 600 रूपये का प्रावधान किया जा रहा है. एक हजार रूपये पेंशन देने का प्रावधान किया जाये तब हम मानेंगे कि आपका बजट अच्छा आया है. आप जल्दी से जल्दी इसमें आदेश जारी करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक जमाना वह था जब कोई व्यक्ति खत्म हो जाता था तो संबल योजना के माध्यम से उसे हम लोग लाभ देते थे, उसकी अन्त्येष्टि के लिये तत्काल सहायता राशि के रूप से 5 हजार रूपये देते थे. अब मध्यप्रदेश की सरकार से एक फरमान जारी हो गया कि ऑन लाइन जो व्यक्ति आवेदन देगा, कोई आदमी जब मृत हो गया तो उसकी अंत्येष्टि क्या 7 दिन बाद होगी, उसको 7 दिन तक अपने घर पर रखेंगे क्या. उस आदेश को निरस्त किया जाये और तत्काल जो 5 हजार रूपये देने का प्रावधान पहले से किया जा रहा था, हमारे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के द्वारा उस आदेश को फालो किया जाये. संबल योजना की जगह आप नया सबेरा लाये हैं तो नया सबेरा, सबेरा तो रोज होता है, लेकिन अन्त्येष्टि का काम जो तत्काल होता है, 7 दिन तक कोई डेथ वॉडी नहीं रख सकता. इसलिये हमारा अनुरोध है कि उस आदेश को निरस्त किया जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में 659 सड़क और पुल बनना है, इसमें से मात्र दो सड़कें टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले के लिये मिली हैं, मात्र दो सड़कें. या तो टीकमगढ़ जिले का सड़कों के नाम पर पूरा विकास हो गया या हम लोगों ने पूरे पुल बनवा दिये. हमारे दो पुल हैं जामनी और वेतवा के अगर उन्हीं का उल्लेख हो जाता तो हम लोग उसमें बहुत बड़ा सौभाग्य मानते. वैसे पहले से राशि स्वीकृत होने का उसमें प्रावधान है, लेकिन उसमें कुछ नहीं हुआ. इसके साथ-साथ जल संसाधन के संबंध में बताना चाहता हूं कि बाणसुजारा बांध का हमारा जो काम चल रहा है, जो पुराने गांव उसमें जुड़े हुए थे वह काट दिये गये हैं और बाणसुजारा बांध का काम अधूरा रह गया है. हमारे जतारा विधान सभा क्षेत्र में भी बाणसुजारा बांध का पानी भेजा जाये. मेरी विनम्र प्रार्थना है अध्यक्ष महोदय, जो भी बातें मैंने रखी हैं क्योंकि सभी वक्ताओं ने अपनी-अपनी बातें रख ली थीं तो हमने जो बातें रखी हैं तो माननीय वित्त मंत्री जी जब आप बोलेंगे तो मेरी एक-एक बात का उत्तर देंगे. धन्यवाद.
(6.56 बजे) अध्यक्षीय व्यवस्था
वर्ष 2019-20 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा में अधिकारी दीर्घा में अधिकारियों की
उपस्थिति विषयक
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय,सदन में वर्ष 2019-20 के मुख्य बजट पर चर्चा हो रही है. किसी विभाग की डिमांड पर चर्चा नहीं हो रही है. सामान्य बजट में सभी विभागों का समावेश है. मैं जहां तक मानता हूं और परंपरा भी रही है, व्यवस्था भी आसंदी से रही है. विभागीय चर्चा हो तो उस विभाग के अधिकारी उपस्थित रहें और बाकी नहीं रहे तो ठीक है लेकिन जब सामान्य बजट पर चर्चा होती है तो सदन के नेता के लिये, माननीय वित्त मंत्री जी हैं लेकिन उसके साथ सभी विभागों के विभागाध्यक्ष हैं, सेक्रेट्री हैं, एच.ओ.डी. हैं, क्योंकि जितने भी सदस्य बोल रहे हैं अलग-अलग विभागों पर जैसी जिसकी रुचि है जहां उसे आवश्यकता है. कोई गृह पर भी बोल रहा है, कोई जी.ए.डी. पर बोल रहा है, कोई पी.डब्लू.डी. पर बोल रहा है. अभी सदस्य सड़कों का बोल रहे थे. अध्यक्ष महोदय, यह धीरे-धीरे जो क्षरण हो रहा है. आप संरक्षक हैं. आप इस बात की व्यवस्था देने की कृपा करें कि जब सामान्य बजट पर चर्चा हो रही है तो ठीक है आज जैसा था हो गया लेकिन कल सभी विभागाध्यक्ष और विभागों के सचिव यहां उपस्थित रहें, सदन के नेता मुख्यमंत्री जी उपस्थित रहें तो सदन की गरिमा बढ़ेगी.
अध्यक्ष महोदय - माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी, हम भी 1985 में पहली बार विधान सभा में जब चुनकर आए थे तो मिंटो हाल में जब बजट प्रस्तुत होता था हम देखते थे और अमूमन तौर पर हमने देखा कि जब भी मुख्य बजट पेश हुआ. बजट से संबंधित समस्त अधिकारी अधिकारी दीर्घा में होते थे. यह हमारी विधान सभा की परंपरा रही है. मैं चाहता हूं कि जो इस सदन की गौरवशाली परंपराएं रही हैं वह अक्षुण्ण रहें इसलिये माननीय संसदीयकार्य मंत्री की ध्यान आकर्षित करता हूं अनुरोध करता हूं कि वे समुचित निर्देश जारी करने का कष्ट करें.
संसदीय कार्य मंत्री( डॉ.गोविन्द सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष ने जो प्रश्न उठाया है और आपका निर्देश मिला है. मैं आज ही समस्त अधिकारियों को,चीफ सेक्रेट्री महोदय को भी निर्देशित करूंगा कि कल से सभी अधिकारी उपस्थित रहें. मैं आज ही उनको अवगत करा दूंगा.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, आपकी व्यवस्था के लिये और माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी को मैं धन्यवाद देता हूं.
वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) - माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़ी महत्वपूर्ण बात माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने कही. बजट पर चर्चा हो रही है तो बजट से संबंधित हमारे ए.सी.एस.,सेक्रेट्री, और बजट डायरेक्टर सदन में लगातार मौजूद रहे हैं. वित्त विभाग के अधिकारी मौजूद रहे हैं लेकिन जैसा आपने निर्देश दिया है वैसा होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय - माननीय वित्त मंत्री जी, मैं देख चुका हूं कि आपके विभाग से संबंधित विभाग के अधिकारी बैठे हैं लेकिन जो विधिमान्य परंपराएं इस सदन की रही हैं उस ओर ध्यान आकर्षित किया गया था और माननीय संसदीय मंत्री जी ने निर्देश देने की बात भी कही है.
श्री तरुण भनोत - अध्यक्ष महोदय, आपकी व्यवस्था से बिल्कुल सहमत हैं ऐसा होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय - धन्यवाद. कल जरा यह सब चीज दिखती रहे तो लगे कि लोकतंत्र के मंदिर में व्यवस्थाएं सब ठीक चल रही हैं.
7.00 बजे वर्ष 2019-2020 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा (क्रमशः)
अध्यक्ष महोदय - श्री कमल पटेल जी...कुंवर विजय शाह..
कुंवर विजय शाह (हरसूद) - कल सुबह के लिए मैंने कहा था.
अध्यक्ष महोदय - कल नहीं हो पाएगा.
कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, मैंने कल के लिए निवेदन किया है.
अध्यक्ष महोदय - कल नहीं हो पाएगा. मैं आधे घंटे बाद बुला लूंगा, आप तैयारी कर लें.
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि सुबह 5 मिनट दे दें?
अध्यक्ष महोदय - कल समय नहीं दे पाऊंगा, माफी चाहता हूं.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जितू पटवारी) - आपकी 15-20 साल की तैयारी है, आपने कभी तात्कालिक भाषण प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया क्या?
अध्यक्ष महोदय - विजय शाह जी, मैं जानता हूं कि आप टेस्ट मैच के प्लेयर रहे हैं, 10-20 ओव्हर के मैच तो आप ऐसी ही खेल लेंगे.
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, कल सुबह का समय दे दें?
अध्यक्ष महोदय - कल सुबह समय नहीं दे पाऊंगा. मैं माफी चाहूंगा.
श्री जितू पटवारी - पूरा सदन मांग कर रहा है कि आप आज ही बोलो, यह पूरा सदन चाहता है. ताली बजाकर सब बुलवा दें.
कुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष जी, जो सरकार का बजट है उसकी तैयारी मैं अपने हिसाब से कर रहा हूं और एक सीनियर विधायक के नाते..
अध्यक्ष महोदय - विजय शाह जी, मैं माफी चाहूंगा, कल मैं समय नहीं दे पाऊंगा. डॉ. मोहन यादव जी..
डॉ. मोहन यादव (उज्जैन-दक्षिण) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आज के इस बजट के जो कुछ बिन्दु रहे हैं मैं सोच रहा था कि ऐसे विषय उठाए जायं जिन पर बात नहीं हुई हो तो ज्यादा बेहतर होगा. एक विषय जिसने मेरे मन को बड़ी पीड़ा दी है, मैं आपके समक्ष दोहराना चाहूंग. हो सकता है कि वह त्रुटि हुई है, उसको हम सुधार लें तो ज्यादा अच्छा होगा. हमारे इस बजट में बिन्दु क्रमांक 80 पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा 14 नवम्बर से 19 नवम्बर देशभक्ति के कार्यक्रम एक सप्ताह मनाने की बात कही है. अच्छी बात है कि आप नेहरू से जुड़े हैं. जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस के अवसर पर सप्ताह मनाने की बात की है. लेकिन कितना अच्छा होता कि हमारे अपने महात्मा गांधी जी को याद कर लिया जाता, 150वीं उनकी जयंती चल रही है. भारत सरकार पूरे देश में कार्यक्रम मनाने जा रही है. लेकिन हमारे इस बजट में महात्मा गांधी जी को भुला दिया गया है तो मैं आपके माध्यम से बजट में इस तरफ ध्यान दिलाना चाहूंगा कि इस प्रकार से बाकी भी और महापुरुष हैं, जिन-जिन की जयंती हैं. एक ही कांग्रेस के अध्यक्ष को याद करने से हमको लगता है कि कहीं न कहीं गलती होती है और जिस प्रकार से सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, इनके भी इसी प्रकार के कार्यक्रम इसमें जोड़े जाना चाहिए.
संस्कृति मंत्री (डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ) - अध्यक्ष महोदय, आप असत्य कथन कह रहे हैं. संस्कृति विभाग के माध्यम से महात्मा गांधी जी को लेकर पूरे प्रदेश में एक पूरा कार्यक्रम हम लोग जारी कर रहे हैं और पूरे कार्यक्रम प्रदेश में होंगे. आपका यह कथन असत्य है.
डॉ. मोहन यादव- माननीय मंत्री जी, आपने जो बजट में दिया है, मैं उसका उल्लेख कर रहा हूं. अगर वह भी जोड़ देते तो मुझे कोई तकलीफ नहीं है.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, आपकी जिज्ञासा जायज है. आदरणीय अध्यक्ष जी, उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत महात्मा गांधी जी और राजीव गांधी जी का 150 और 75 वर्ष को लेकर पूरे साल भव्य आयोजन भी किया जा रहा है और सभी जनप्रतिनिधियों को चाहे सरपंच हो, चाहे विधायक हो, चाहे सांसद हो, चाहे मुख्यमंत्री हो, चाहे किसी पद पर हो, सबको साथ लेकर पूरा मध्यप्रदेश गांधी जी की विचारधारा से प्रेरित हो और गोड़से की विचारधारा को समाप्त करें, इसके लिए हम ताकत से भिड़ेंगे. (मेजों की थपथपाहट)..
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - आपका बहुत बहुत धन्यवाद कि आप कम से कम गांधी जी को याद कर रहे हैं.
डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष महोदय, हम तो याद कर ही रहे हैं आप क्यों भूल रहे हैं? हम तो आपको याद दिला रहे हैं.
श्री राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव (बदनावर) - इसमें प्रज्ञा ठाकुर जी को भी अतिथि बनाकर आमंत्रित किया जाएगा, गांधी जी के समूचे कार्यक्रमों में, अच्छा रहेगा.
श्री दिलीप सिंह परिहार - अध्यक्ष महोदय, प्रज्ञा जी यहां पर है नहीं, आप प्रज्ञा जी का नाम ले रहे हैं?
डॉ. मोहन यादव - जिस प्रकार से बात चली है, मैं चाहता हूं कि इस बात को यहीं समाप्त करके आगे बढ़ें कि जिस प्रकार से आपने गोड़से को याद किया, वह कोर्ट ने अपना फैसला दिया है, लेकिन किसी को अगर याद दिलाना हो, उसके बारे में भी जवाब दिया जा सकता है. माननीय संस्कृति मंत्री जी को मैंने जो याद दिलाया, हो सकता है वह इस बजट में आता तो ज्यादा अच्छा रहता, कोई बात नहीं. आपके विभाग ने तैयारी की है वह भी अच्छी बात है. अब मैं इस पर आगे बढ़ा रहा हूं.
माननीय मंत्री जी आप ही से जुड़ा एक विषय और ले रहा हूं. हमने कहा है कि हमारे पास जो उपलब्ध संसाधन हैं उन संसाधनों का प्रदेश की जनता के लिए प्रदेश के विद्यार्थियों के लिए जितना बेहतर उपयोग किया जा सकता है, इस पर भी काम करने की आवश्यकता है. यह बिन्दु इस तरफ भी जा रहा है. जब हमने कहा कि हमारे व्यावसायिक परीक्षा मंडल के माध्यम से नीट के माध्यम से यूजी के जो बच्चे हैं उन बच्चों की दृष्टि से आपने 850 सीट का उल्लेख किया है जो सरकारी कॉलेज के लिए है. मैं आपको धन्यवाद देता हूं लेकिन एक जो तकलीफ रह गई कि आपके ही अपने प्रदेश के 7 मेडिकल कॉलेज हैं अगर उनकी भी इसी प्रकार से सीट बढ़ती तो यह बच्चों की संख्या ज्यादा हो सकती थी. वे अपने खुद के हक के लिए सुप्रीम कोर्ट तक दरवाजा खटखटा रहे हैं. बेहतर होता कि एमसीआई के संबंध में आपके माध्यम से अगर इस पर आगे बढ़ते हैं तो यह ज्यादा अच्छे से सुविधा रहती. मैंने इस बात को भी इसमें कोट करना उचित समझा, इसलिए मैं आपको याद दिला रहा हूं.
डॉ विजयलक्ष्मी साधौ -- मेडीकल काउंसिल आफ इण्डिया के कुछ नार्म्स होते हैं. आप मेरे ख्याल से प्राइवेट मेडीकल कालेज की बात कर रहे हैं. अगर वह फुल फिल कर देंगे तो एमसीआई उनको अनुमति दे देगी इसमें तो कोई समस्या नहीं है.
डॉ मोहन यादव -- मैंने आपसे निवेदन किया है कि जिस प्रकार से सरकारी मेडीकल कालेज को लाभ मिला है.
डॉ विजयलक्ष्मी साधौ -- उसी अनुरूप सरकारी मेडीकल कालेज भी मेडीकल काउंसिल आफ इण्डिया में गये थे उसी नार्म्स और क्राइटेरिया के अंतर्गत सरकारी मेडीकल कालेज को अनुमति मिली है उसी के अंतर्गत प्राइवेट भी आते हैं तो उऩको भी यह करना चाहिए ताकि उनकी भी सीट बढ़ जायें.
डॉ मोहन यादव -- जो आप अभी कह रहे हैं इस शब्द में ही दोनों बाते आ गई हैं. वह भी कालेज हमारे शासन के द्वारा ही मान्यता प्राप्त हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्नोत्तर काल नहीं है.
डॉ मोहन यादव -- अध्यक्ष जी मैं केवल यह बता रहा था कि मैं अलग से कोई बजट नहीं मांग रहा हूं लेकिन जो संसाधन हैं जिसका हम उपयोग कर सकते हैं. इसी तरह से हमारे बजट में जो 81 नम्बर का बिंदू है जिसमें आपने कहा है कि आप नदियों के लिए न्यास बनाने की बात कर रहे हैं. मैं माननीय वित्त मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित कराना चाहूंगा कि जो न्यास बनायेंगे तो न्यास बनाने से हमारी बात का समाधान होने वाला नहीं है, बेहतर होगा कि आप प्राधिकरण बना दें. जैसे मैं यहां पर बताना चाहता हूं कि 400 करोड़ की लागत से नर्मदा क्षिप्रा लिंक योजना बनाई गई. इस योजना के माध्यम से पानी की सप्लाई ओंकारेश्वर से उज्जैन को करना थी लेकिन चूंकि दो जिलों का आपस में विभागीय झंझट आ गया इधर का कलेक्टर कमिश्नर वह पानी छोड़े तब तो उज्जैन तक पहुंचे ऐसे में कोई एक अथारिटी नहीं है जो कि दोनों को बात कर सके तो, बेहतर यह होगा कि बाकी नदियों के लिए भी आप प्राधिकरण की तरफ बढ़ें. मुझे लगता है कि यह सबके लिए कामन बात है, मैं किसी की निंदा की बात नहीं कर रहा हूं लेकिन यह एक नीतिगत बात है जिस पर आगे बढ़ेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा.
अध्यक्ष महोदय इसी प्रकार से हम रिजनल कनेक्टिविटी की बात करें दतिया, उज्जैन, रीवा, छिंदवाड़ा को आपने जोड़ा है बहुत अच्छी बात है यह करना चाहिए लेकिन बेहतर यह होता कि जो हवाई पट्टियां हैं उन हवाई पट्टियों की हालत क्या है उऩ पर हम काम करने के लिए कुछ राशि दे दें जैसे मैं बताना चाहता हूं कि आपने उज्जैन को जोड़ा है. मैं जब पर्यटन में अध्यक्ष था तब मैंने 2013 में इसी प्रकार से हवाई पट्टी पर कनेक्टिविटी चालू की थी लेकिन 4 - 6 माह के बाद मे वह अपने आप ही बंद हो गई, इसका कारण क्या हुआ कि उज्जैन में सभी लोग भस्म आरती करने आते हैं, हमारे यहां पर नाइट लैंडिंग नहीं थी इस कारण हम अपनी हवाई पट्टी का उपयोग नहीं कर पाये. मुझे लगता है कि केवल उज्जैन ही नहीं बाकी और भी जो हवाई पट्टी हैं वहां पर जो मूलभूत सुविधाएं हैं उनको देखते हुए उन हवाई पट्टी का उपयोग करेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा.
अध्यक्ष महोदय अभी आपने 40 नदियों को साफ करने की बात की है यह बहुत अच्छी बात है. इसमें खान नदी ली है जिसका लाभ उज्जैन को मिलेगा. यह बात भी सही है कि क्षिप्रा नदी में अगर पानी दुषित होता है तो उसका एकमात्र कारण यह कान्हा नदी है जिसको कान्हा नदी या खान नदी जो भी नाम हम देना चाहें, उसमें आपने इसको जोड़ा है लेकिन इसके जोड़ने में यह केवल नगर निगम क्षेत्र से ही गंदी नहीं होती है इसको समग्र रूप से लेने की आवश्यकता है, इसमें सांवेर भी आता है इसमें पीथमपुर का पानी भी आता है तो रास्ते के सारे काम जब तक आप पूरे नहीं करेंगे, तो यह होने वाला नहीं है, नहीं तो, अधिकारियों ने हमें तो सिंहस्थ में भी समझाया था कि हम तो शुद्ध पानी ही भेजेंगे, और वह 400 करोड़ रूपये बेकार हुए और गंदा पानी हमें मिल रहा है. मुझे लगता है कि इस तरह से आपने जो 40 नदियों को जोड़ने की बात की है उस प्रकार से पानी पूरा शुद्ध होगा तो बेहतर होगा.
अध्यक्ष महोदय इसी प्रकार से आपने यह डोमना नेचर सफारी की बात की है बधाई है आपको अच्छी पहल की है. आपने यह एक अच्छी योजना ली है जबलपुर के लिए, लेकिन यह जो हमारी पहले से सेंच्यूरी चल रही हैं या इस दिशा में पर्यटन को बढ़ावा देने वाली योजनाएं चल रही हैं. जैसे उदाहरण के लिए देखें कि बाघों का कुनबा बढ़ा है. बाघों का कुनबा भोपाल में भी बढ़ा है और देवास जिले में भी 7 बाघ देखे गये हैं तो बेहतर होगा कि हम उनके लिए भी सुविधाएं जुटायें नहीं तो पूरा पैसा बड़े बड़े सफारी हैं वहां पर लग जाता है लेकिन इनके लिए पैसा नहीं रखा गया है. जैसे अगर देवास के लिए हम उनको कोई सफारी गाड़ी दें बाकी की और सुविधा दें तो यह पर्यटन को भी बढ़ावा देने वाला होगा और यह एक तरह से सबके लिए लाभदायी होगा. मुझे लगता है कि इस तरह से भी इसको देखना ज्यादा बेहतर होगा.
अध्यक्ष महोदय इसी तरह से आपने 10 प्रतिशत आरक्षण की बात में देरी कर दी यह बड़े दुर्भाग्य की बात है जिस प्रकार से मोदी सरकार ने तुरंत लागू किया था यहां पर करते तो अच्छा होता. लेकिन अभी भी जैसा कि मैंने कहा कि व्यावसायिक परीक्षा मण्डल से लेकर बाकी जगह भी जो जो इससे लाभार्थी हैं तो लाभार्थियों के लिए हमें मौके भी तो उपलब्ध कराना होंगे, वह मौके उपलब्ध कराने में क्या बीजेपी, क्या कांग्रेस, क्या मध्यप्रदेश क्या देश हम सब मिलकर के एमसीआई तक भी जाय तो उनको लाभ एमसीआई से भी मिलेगा और बाकी जगह भी मिलेगा. इसलिये मैं इसको दोहराना चाहता हूं. इसी प्रकार से आपने नवीन विश्वविद्यालय, छिन्दवाड़ा को देने की बात की है. यह मैं बड़ी जवाबदारी के साथ कहना चाहता हूं कि जब प्रदेश बना था, प्रदेश में बंटवारा हुआ. उन्होंने कहा कि एक काम करेंगे, सबको क्या क्या मिलेगा. भोपाल को राजधानी मिल गई. इन्दौर को हाई कोर्ट बैंच और जबलपुर को मुख्य हाई कोर्ट मिल गई. लेकिन उज्जैन को विक्रम विश्वविद्यालय दिया गया. तो विक्रम विश्वविद्यालय दिखाकर के बताया गया विक्रम विश्वविद्यालय दे दिया, तो यह सांदीबनी की नगरी है, इसलिये विश्वविद्यालय से काम चल जायेगा. लेकिन आज हालत देखते हैं कि कदम कदम पर विश्वविद्यालय खुलते जा रहे हैं और उन विश्वविद्यालयों को चलाने में भी जो विसंगतियां हैं, उसकी तरफ आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा. कोई भी विश्वविद्यालय अपनी फीस से और बाकी मूल इनफ्रास्ट्रक्चर से तालमेल करता है. लेकिन मेडिकल, इंजीनियरिंग कालेज की यूनिवर्सिटी अलग से खोल दी. तो विश्वविद्यालय जो चल रहा है आलरेडी, वही घाटे में हो गये. उनके मूलभूत इनफ्रास्ट्रक्चर पूरे नहीं कर पाने के कारण से सब खतरे में पड़े हैं. आप नया विश्वविद्यालय छिन्दवाड़ा में खोलेंगे, तो चलायेंगे कैसे. जैसे उदाहरण के लिये पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय आलरेडी उज्जैन में चल रहा है, लेकिन पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय की दिक्कत है कि सारा खर्चा स्टेट उठा रहा है , उसको यूजीसी से भी पैसा मिल सकता था, लेकिन उसमें बिल्डिंग कम है, उसका स्टाफ कम है, तो बेहतर यह होगा कि जो पहले विश्वविद्यालय खोले गये, उनकी कम से कम लिस्ट बनाकर के उनके लिये फण्ड दे दें और बाद में आप विश्वविद्यालय खोलें और ऐसे विश्वविद्यालय खोलें, जो अपने आप में ऑटोनॉमस हों. जो अपने आप सारे खर्चं वहन करने की ताकत रखें. अभी वह ताकत नहीं रखेंगे, केवल विश्वविद्यालय खुल जायेगा, लेकिन जितने 20 में से ऐसे 15 विश्वविद्यालय हैं, जो डूबने की कगार में हैं, यह 16वां-17वां हो जायेगा. मुझे इस पर थोड़ा इसी दृष्टि से बोलने की आवश्यकता लग रही है.
अध्यक्ष महोदय, दो-तीन चीजें छोटी छोटी हैं, जो महत्व की हैं, उनकी तरफ मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. जैसे उदाहरण के लिये हमारे रेल्वे ओव्हर ब्रिज, भारत सरकार और राज्य सरकार के तालमेल न होने के कारण से अकेले मेरे विधान सभा क्षेत्र में यह नहीं है, लेकिन मुझे दर्द इस बात का होता है कि जैसे ही हम दिल्ली से नागदा की तरफ से ट्रेन से आते हैं, कम से कम रास्ते की रेल पटरी पर 6 ब्रिज मिलते हैं, जिनमें सेंट्रल ने अपने पैसे से तो ब्रिज उसके हिस्से का पार करना तो बना लिया, लेकिन स्टेट कनेक्टिविटी हमारी स्टेट पीडब्ल्यूडी ने पैसा नहीं दिया, तो उसका एप्रोच ही नहीं बना. तो ऐसी जो बनी बनाई बिल्डिंग्स हैं या ऐसे स्ट्रक्चर हैं, जिनका भविष्य में उपयोग करना चाहिये. तो मुझे लगता है कि पहले इनको पैसा देना चाहिये, क्योंकि जब बनाने गये होंगे, तब तो कहीं न कहीं कमिटमेंट हुआ ही होगा. लेकिन बाद में कहां गलती हो गई, मालूम नहीं पड़ रहा है. तो यह तालमेल करने की आवश्यकता है, ताकि जिस सुविधा के आधार पर यह सारा पैसा लग रहा है, उसका बेहतर उपयोग हो पाये.
अध्यक्ष महोदय, माननीय गोपाल भार्गव जी को धन्यवाद, इनके माध्यम से सभी विधान सभाओं में खेल के स्टेडियम बनाये गये. अब स्टेडियम बनकर तैयार हो गये, लेकिन खेल विभाग उन स्टेडियमों का भविष्य की दृष्टि से न तो वह पंचायतों को दे रहा है, न तो वह खुद अपने पास रख रहा है. तो जितु पटवारी जी, मंत्री जी मौजूद हैं. मैं उनसे निवेदन करना चाहता हूं कि कोई ऐसी पालिसी बनायें कि जो स्टेडियम गांव गांव और अलग अलग विधान सभाओं में बने हैं या तो वह चलायें. मेरा निवेदन है कि जो स्टेडियम बने बनाये हैं, उनका उपयोग होने के लिये या तो पंचायत को दे दें या खेल विभाग चलायें. अगर ये दोनों नहीं चलाना चाहते हैं, तो या कोई संस्था चलाना चाहती है, जो ये इसमें चलाने के बाद उसका जो लगने वाला खर्चा है, वह मेंटेन कर लें. कोई एक पालिसी इसमें बन जाती, तो ज्यादा बेहतर होगा. मेरा इसमें एक इस प्रकार से सुझाव है. इसी प्रकार से नगरीय क्षेत्र के अंदर या बाकी जगह जैसे उदाहरण के लिये मैं आपको उज्जैन का उदाहरण देना चाहूंगा. मैं जब प्राधिकरण अध्यक्ष था, तब 15 साल पहले एक बहुत कीमती जमीन नानाखेड़ा स्टेडियम की, स्वर्गीय राजमाता सिंधिया के नाम से वह स्टेडियम की जमीन रिजर्व की है. बड़ी मुश्किल से. क्योंकि होता यह है कि जमीन कीमती होती है, उसका लैंड यूज बदलवाकर कोई भी उपयोग कर लेता है. ऐसे मैं जब वह जमीन मिल गयी, वह जमीन आपके पास है, लेकिन स्टेडियम न बन पाने के कारण से न तो उस जमीन का उपयोग हो पा रहा है , न स्टेडियम का उपयोग हो पा रहा है. तो कम से कम खेल विभाग के माध्यम से जहां जहां जमीन उपलब्ध है, आप पालिसी बनाकर वहां पर स्टेडियम बनाकर उसका उपयोग कर लें. तो ज्यादा बेहतर होगा, क्योंकि यह एक चीज इसमें छूटी हुई है. इसलिये मैं यह बताना चाह रहा हूं. अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मोहन यादव जी ने बहुत अच्छे सुझाव दिये, आपने तैयारी की है, अब तो बोलना ही पड़ेगा.
कुँवर प्रद्युम्न सिंह लोधी (मलहरा) -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपका संरक्षण चाहूँगा, पहली बार हम नए विधायक यहां जीतकर आए हैं और मुझे बोलने का मौका दिया गया है. मैं बजट के पक्ष में अपनी बात रखना चाहता हूँ और माननीय वित्त मंत्री जी को बधाई देना चाहता हॅूं कि उन्होंने पूरे प्रदेश के लिए बहुत ही शानदार और जनहितैषी बजट पेश किया है. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी भी बैठे हुए हैं और माननीय मिश्र जी ने जब बोलना शुरू किया था तो आपने कहा था कि अभी तो हमारे ओपनर बैट्समेन हैं और लंबी पारी खेलेंगे. उसके जवाब में हमारे सीनियर विधायक आदरणीय राजवर्धन सिंह जी ने फटाफट बैटिंग करके उसका जवाब भी दे दिया है. चूँकि सब कुछ बोल दिया गया है, परंतु मैं विपक्ष से कहना चाहूँगा कि आपने हमारे बजट की बहुत निंदा की. आप हमेशा गाय, गंगा, गरीब और राम की बात करते थे और लच्छेदार भाषण देकर हमेशा कहते थे कि ''गाय हमारी माता है, देश धर्म का नाता है, हम कसम राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे'' लेकिन तारीख नहीं बताएंगे और ....(व्यवधान).. हमेशा इस प्रकार की बातें करके 15 साल तक आप सत्ता में आते रहे. गाय माता का आपको पाप लगा और आप सत्ता से बाहर हो गए. माननीय मुख्यमंत्री जी ने वचन-पत्र में वादा किया था कि यदि हम सरकार में आए तो हम ग्राम-पंचायत में या प्रदेश में गौशाला बनाने का काम करेंगे. यह काम माननीय वित्त मंत्री जी आपने पूरा किया है. पूरा प्रदेश और हम किसान आपको हृदय से धन्यवाद देते हैं. आपने गाय की चिंता की, पर गाय के साथ-साथ आपने किसान की भी चिंता की. किसान की चिंता की तो साथ में सड़क पर चलने वाले उन नौजवानों के एक्सीडेंट्स को भी बचाया है, जो बेमौत एक्सीडेंट्स में मारे जाते थे. मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ जितनी जल्दी हो सके, हमारे गांव में गौशालाओं का निर्माण हो ताकि वहां गाय सुरक्षित हो, हमारा किसान सुरक्षित हो और रोड पर चलने वाला नौजवान भी सुरक्षित हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय लोक निर्माण मंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहूँगा कि उन्होंने पहले ही बजट में मेरे विधान सभा क्षेत्र बड़ा मलहरा, जो सबसे बड़ा क्षेत्र और जंगली क्षेत्र है, उसमें 30 करोड़ की सड़कें हमारे लिए दी हैं. मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ. मैं आभार व्यक्त करता हूँ जो आपने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग में कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए आपने मध्यप्रदेश के उत्पाद जैसे चंदेरी की साड़ियां, महेश्वर की साड़ियां, धार का बाघ प्रिंट कपड़ा, सागर की चिरौंजी बर्फी, बुंदेलखण्ड की मावा जलेबी, यदि वाकई लघु उद्योगों को इस प्रकार से आगे बढ़ने का मौका मिलता है और उनकी ब्रांडिंग पूरे प्रदेश और देश में होगी तो निश्चित रूप से कुटीर बढ़ेंगे और हमारे गांवों की आय भी बढ़ेगी. छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा तो निश्चित रूप से हमारे गांव, जिले और प्रदेश का नाम भी देश में रोशन होगा. चूँकि सब बोल चुके हैं, मैं बहुत ज्यादा बोलना तो नहीं चाहता, परंतु निश्चित रूप से लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग में पिछड़े आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए जो आपने 20 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है, साथ ही चिकित्सकों के 1065 पदों पर चयन एवं 525 एम.बी.बी.एस. चिकित्सकों की बंधपत्र के अनुक्रम मे पदस्थापना की कार्यवाही के लिए कहा है, निश्चित रूप से स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह बहुत ही प्रभावी कदम होगा. पिछड़े और निचले इलाकों में यदि स्वास्थ्य सेवाओं का बेहतर प्रबंधन हो जाएगा तो निश्चित रूप से स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह बहुत ही शानदार कदम होगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक बार पुन: आप सभी को, माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय वित्त मंत्री जी को बधाई देता हूँ. इतना शानदार जो बजट आपने पेश किया, मैं बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री राजेश शुक्ला (अनुपस्थित)
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं वर्ष 2019-20 के बजट का विरोध करता हॅू और इसलिए भी विरोध करता हॅूं कि यह बजट किसानों के साथ छलावा है, युवाओं को झुनझुना पकड़ाने वाला बजट है और तो और यह दिग्भ्रमित करने वाला बजट है जो आने वाले समय में मध्यप्रदेश को गड्ढे में ले जाएगा. वर्ष 2003 में जब हम आए थे उस समय बिना करंट के तार थे, हताश जनता थी, निराश कर्मचारी थे और करोड़ों रुपयों का कर्जा पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी छोड़ कर चले गए थे, जब हम लोग वापस आएंगे वही हालत तब इस मध्यप्रदेश की होने वाली है. इसलिए इस बजट का मैं विरोध करता हॅूं. अभी गौ-माता की बात चल रही थी. हम सब जानते हैं कि इस बजट में 132 करोड़ रुपए का बजट पशुधन के लिए रखा गया है. हम सब गौ-माता को पूजते हैं. गौ-माता हिन्दू को, मुसलमान को दूध पिलाती है, बच्चे को दूध पिलाती है, वृद्ध को दूध पिलाती है. वही गौ-माताएं मध्यप्रदेश की धरती पर कटती थीं.
मान्यवर, माननीय सुंदरलाल जी पटवा साहब ने इस पर प्रतिबंध लगाया था और उन्होंने एक अभिनव काम किया था. आपने जो गौ-शालाएं खोलने का निर्णय लिया है, उसका मैं स्वागत करता हॅूं. ये गौ-शालाएं खुलें. लेकिन गौ-शालाएं खुलने के लिए सरकारी जमीन जो खाली पड़ी हुई हैं जिन पर भू-माफियाओं ने कब्जा कर रखा है उन जमीनों पर खुलना चाहिए. जो हमारे पुजारी हैं जो भगवान की पूजा करते हैं उनकी जमीन पर ये गौ-शालाएं खुल जाएगीं तो हमारे जो अर्चक हैं उनका पेट कैसे पाला जाएगा. अभी राम पथ गमन की बात चल रही थी. यह राम और रहीम का देश है. "राम नाम की अद्भुत गरिमा, पानी पर पत्थर तैरे, झुका समुंदर सेतु बनाया ". यह हमारी अद्भुत संस्कृति है. ये संस्कृति लगातार आगे की ओर बढे़, इसके लिए हम चाहते हैं कि यह जो बजट रखा गया है यह बहुत ही कम है और यह ऊंट के मुंह में जीरा जैसा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम देखते हैं कि जब पूर्व में माननीय दिग्विजय सिंह जी मुख्यमंत्री थे उस समय उन्होंने चारागाह की भूमि को बेच दिया था. जगह-जगह झगड़े हुए थे. जो गौ-माता के मुंह का निवाला था, वह छीन लिया गया था. हम चाहते हैं कि गौ-माता की भूमि वापिस रिर्जव की जाए और गौ-शालाएं खोली जाएं. हम इसका स्वागत करेंगे. मगर इस बजट से कुछ काम चलने वाला नहीं है. इसके लिए हमें ज्यादा बजट रखने की आवश्यकता पडे़गी. हम चाहते हैं कि मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था भी सुचारु रुप से चले और अभी यह बारिश का सत्र चल रहा है. हम टीवी पर देखते हैं कई जगह बाढ़ आ रही है, कई जगह नदियों में लोग बह रहे हैं मगर मध्यप्रदेश में तो एक ट्रांसफर की बाढ़ आ रही है. हम जगह-जगह देखते हैं कि अधिकारियों के ट्रांसफर हो रहे हैं. छोटे-छोटे अधिकारियों के ट्रांसफर किये जा रहे हैं जो जनप्रतिनिधि हमसे मैदान में हार गए हैं उन जनप्रतिनिधियों के माध्यम से हमारे नीमच जिले में पटवारी, मास्टर, सचिव के ट्रांसफर हो रहे हैं. यदि उन्होंने विधायक से नमस्ते कर लिया तो उनके ट्रांसफर हो रहे हैं. जनप्रतिनिधि तो किसी भी पार्टी का हो सकता है.उसको समान दृष्टि से देखना चाहिए. वित्त मंत्री जी ने हमारे लिए भी बजट में कुछ न कुछ प्रावधान रखा है तो पूरे मध्यप्रदेश के लिए प्रावधान रखना चाहिए. हमारा नीमच जिला भोपाल से अंतिम छोर पर है. हमारे माननीय दीनदयाल जी कहते थे "चलो जलाएं दीप वहां जहां अभी भी अंधेरा है". नीमच जिले में आपने न सिंचाई की योजना दी, न कोई सड़कें दीं और न ही कोई चिकित्सालय के लिए व्यवस्था दी. यहां तक की हमारे प्रभारी मंत्री श्री हुकुम सिंह कराड़ा बैठे हैं जो जल संसाधन मंत्री है. एक साध्यता में मेरा चिटाखेड़ा का डेम आया हुआ है यदि वित्त मंत्री जी और हमारे प्रभारी मंत्री जी मंजूर करेंगे तो हम इसका स्वागत करेंगे.
हम यह चाहते हैं कि अच्छे काम होने चाहिए और अच्छे काम यदि हम करेंगे तो आपको दुआएं मिलेंगी और मैं अक्सर कहता हॅूं कि "क्या मार सकेगी मौत उसे, औरों के लिए जो जीता है. मिलता है जहां का प्यार उसे, जो किसान के आसूं पीता है". तो हम चाहते हैं कि किसानों के लिए आप डेम बनाएं. पहले हमने देखा है कि केवल साढे़ सात हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित होती थी. 40 लाख हेक्टेयर सिंचित भूमि हम छोड़कर गए हैं. यदि इस सिंचित भूमि को बढ़ाना है तो कहीं न कहीं हमें डेम की मंजूरी करनी होगी. नीमच जिले का हमने बायपास दे रखा था, वह भी मंजूर नहीं हुआ. एक सड़क मंजूर नहीं हुयी. नीमच जिले के साथ ऐसा दोहरा व्यवहार क्यों ? जब आपके राष्ट्रीय अध्यक्ष जी नीमच जिले में राजस्थान की भूमि से आए थे तब उन्होंने कहा था कि हम किसानों के 2 लाख रुपए तक के कर्जे माफ करेंगे. आज किसान कहीं न कहीं छला हुआ नजर आ रहा है. आपने वह 2 लाख रुपए तक के कर्जे माफ नहीं किए हैं. बजट में जो प्रावधान किया है वह भी बहुत कम है. मैं खुद एक खिलाड़ी रहा हॅूं. माननीय जितु भाई भी हैं. वित्त मंत्री जी भी हैं. मैंने भी फुटबाल में अन्तर विश्वविद्यालय तक रिप्रजेंट किया है. एथेलेटिक्स प्रतियोगिताओं में दौड़ने गया हॅूं. यदि फुटबाल एकेडमी आप चालू करें तो नीमच की धरती से चालू करें क्योंकि नीमच में ऑल इंडिया में खेलने वाले खिलाड़ी हुए हैं. नीमच की भूमि वह भूमि है जिसमें स्वतंत्रता की पहली गोली चली थी. नीमच में एक शहीद बगीचा है जहां हमारे पुरखों को फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया गया था. नीमच की धरती सीआरपीएफ की जन्म स्थली है. जिन सीआरपीएफ के जवानों ने हमारी सीमाओं पर रक्षा की है, वह नीमच जिला है. इसलिये नीमच के साथ सौतेला व्यवहार नहीं किया जाये और आपका यह जो बजट है यह ऊंट के मुंह में जीरा है. यह बजट कोई काम आने वाला नहीं है. अच्छे खिलाडि़यों को प्रोत्साहन देने के लिये आपको बजट में वृद्धि करना पड़ेगी जिससे कि हमारे मध्यप्रदेश का नाम खेल के क्षेत्र में पूरे देश में हो. आने वाले समय में हम यही चाहते हैं कि शिक्षा और स्वास्थ्य के संबंध में बजट में बहुत कम प्रावधान है. जो कि हमारी नींव है. स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि मेरे साहसी युवकों और युवतियों यह विश्वास रखो कि आप ही सब कुछ हो, महान कार्य करने के लिये इस धरती पर आये हो, चाहे ब्रिज़ भी गिरे तो भी निडर होकर खड़े हो जाना, सफलता आपके कदम चूमेगी. इसलिये हमें शिक्षा के क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन करने के लिये बजट में और अधिक प्रावधान की आवश्यकता है. हम नीमच में मेडिकल कॉलेज के लिये आप जमीन रिजर्व रखेंगे, कभी आप मेडिकल कॉलेज खोलें और वहां सीताराम जी जाजू जो हमारे संविधान सभा के मेम्बर थे, माननीय भीमराव अम्बेडकर जी के साथ संविधान सभा में थे, मान्यवर कराड़ा जी को धन्यवाद दूंगा कि आपने योजना समिति में गर्ल्स कॉलेज के लिये एक स्टेडियम बनाने की योजना बनाई है, यदि आप खेल एकेडमी, फुटबॉल की एकेडमी खोलें, तो नीमच जिले को चुनें.
मान्यवर, मुझे इस अवसर पर अधिक बोलने की आवश्यकता नहीं है. समय भी बहुत कम है. यह बजट दिग्भ्रमित करने वाला बजट है. सारी कल्याणकारी योजनायें जो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने चालाई थीं वह सारी आपने बंद कर दी हैं. आपने तो उस दीनदयाल के मुँह का निवाला भी छीन लिया जो 5 रुपये में हम गरीबों को दीन दयाल की थाली देते थे. नीमच के बस स्टेण्ड पर हमने उसे लगा रखा था और मैंने अपनी विधायक निधि से उसमें रोटी बनाने के लिये और अनेक प्रकार की मशीनें दी हैं, आज भी जाकर आप देख सकते हैं वहां जो लोग आते हैं 5 रुपये में भरपेट भोजन करके जाते हैं. वह दुआएं देते हैं. हम तो यही चाहते हैं कि आप चाहे नाम बदलकर रखें मगर वह योजना जरूर चालू रखें. आप उस योजना को यदि चालू रखेंगे तो आपको मन का सुख प्राप्त होगा. कहीं इधर-उधर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. हम यह चाहते हैं कि हम राजनीति के क्षेत्र में काम करते हैं. सबको अच्छा लगे, हम सेवा कर पायें. अध्यक्ष महोदय, इस अवसर पर आपने बजट पर मुझे बोलने का अवसर दिया, मैं आपको हृदय से धन्यवाद देता हूं. पक्ष और विपक्ष दोनों से यह निवेदन करूंगा कि कभी भी यदि सरकार बजट बांटे तो ''अंधा बांटे रेवड़ी, फिर-फिर अपने को नहीं दे'' क्योंकि नीमच जिला कहीं दूर है, मगर उसको कुछ न कुछ तो देना ही चाहिये था. इस बजट की मैं निंदा करता हूं, विरोध करता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद. भारत माता की जय.
श्री आशीष गोविंद शर्मा (खातेगांव) - माननीय अध्यक्ष जी, वित्तमंत्री श्री तरुण भनोत जी द्वारा पहली बार मध्यप्रदेश की विधानसभा में इस सरकार का प्रस्तुत किया गया है. इस बजट का मैं विरोध करता हूं. इसलिये नहीं कि मैं एक विपक्ष का विधायक हूं, अपितु इसलिये करता हूं कि इस बजट में कोई दीर्घकालिक योजना मुझे दिखाई नहीं देती. यह जो बजट है वह मुझे वचनपत्र के बोझ तले दबा हुआ दिखाई देता है. कांग्रेस ने जो वायदे चुनाव के समय मध्यप्रदेश की जनता से किये थे और कहीं न कहीं उनको जो समय लोकसभा चुनाव के पहले मिला था उसमें उन वादों को पूरा नहीं करने के कारण जिस तरह लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस को पराजय का मुँह देखना पड़ा, कहीं न कहीं इस बजट पर उसकी परछाई दिखाई देती है. इस बजट में उसका अंश मुझे दिखाई देता है. यह सही है कि हर सरकार अपने हिसाब से नीतियां बनाकर उनको लागू करना चाहती है, लेकिन पिछले 15 वर्षों में मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार की कई सारी योजनाएं ऐसी बनीं जिसमें मध्यप्रदेश की ख्याति को न सिर्फ भारत बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान दिलाई. इसलिये आप आगे आने वाले समय में व्यापम का नाम बदल लेंगें.
श्री कुणाल चौधरी - व्यापम का नाम तो आपने किया है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा - अध्यक्ष महोदय, आप फिर नौकरियां कहां से देंगे ? अभी तक नौकरियां क्यों नहीं दे पाये ? अभी हमारे माननीय सदस्य ने प्रश्न उठाया था.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, कभी कुणाल भाई वहां से बोलते हैं, कभी वहां से बोलते हैं. क्या कुणाल जी को कोई सीट आवंटित नहीं हुई ? फर्स्ट हाफ में वहां से बोलते हैं, थर्ड हाफ में वहां से बोलते हैं. माननीय अध्यक्ष जी, इनको सीट बता दीजिये, स्थाई सीट कौन सी है. सुबह वहां से बोले, दिन को वहां से बोले, शाम को यहां से बोले.
श्री आशीष गोविंद शर्मा - अध्यक्ष महोदय, मैं कांग्रेस के मित्रों से कहना चाहता हूं कि हमारे सदन के नेता ने कहा, विपक्ष के नेता ने कहा कि आपके जितने भी घोटाले हैं उनकी सबकी जांच कराने का अधिकार है. आप सरकार में हैं, जांच कराइये.
अध्यक्ष महोदय - ऐसा है, वह सर्वव्यापी हैं. आप जहां देखो वहीं दिखते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- जीतू भाई ने ऐसा कभी नहीं किया है.
अध्यक्ष महोदय-- उनको बोलने दो.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मुझे ऐसा लगता है कि कुणाल भाई अभी तक अपने आप में यह स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि वे सत्तापक्ष के विधायक हैं. अभी तक कुणाल भाई अपने आप में इस बात का विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि उनकी मध्यप्रदेश में सरकार है इसलिए विपक्ष के जैसा बर्ताव कभी कभी वे करते हैं. हर बात में टोकना, हर बात में बोलना, आप व्यापम को बन्द करना चाहते हैं तो अब आपकी सरकार है एक समय आपके नेताओं ने इस मध्यप्रदेश में कहा था कि नर्मदा जी से भी खनन बन्द होना चाहिए. हर तरह का खनन बन्द होना चाहिए. आप यह खनन बन्द करवा दीजिए हम आपके साथ हैं और रेत के जो अन्य वैकल्पिक उपाय हैं, उन पर आप काम कीजिए जैसा कि माननीय संजू भैय्या बता रहे थे कि पत्थरों को पीस कर रेत बनाना चाहिए. हम इस मामले में आपके साथ हैं. आप उन योजनाओं को बिल्कुल बन्द मत कीजिए, जिनका सरोकार आम नागरिकों के साथ है. दीनदयाल रसोई आपने बन्द की, आप जरा जाकर देखिए कितने सारे लोग जो पाँच रुपये में भरपेट भोजन करते थे, आज उनको भरपेट भोजन, भोपाल, इन्दौर, जैसे शहरों में नहीं मिल पा रहा है. योजनाओं के नाम बदल दीजिए, आपने इंदिरा जी के नाम पर, राजीव जी के नाम पर, बहुत सारी योजनाएँ बदल दीं, लेकिन जो अच्छी योजनाएँ हैं उनको चलाना एक अच्छी सरकार का कर्त्तव्य है. आप कर्जा लेकर कितने समय तक इस सरकार को चला पाएँगे. कितने समय तक इन योजनाओं को चला पाएँगे. मुझे इसमें संशय है इसलिए आने वाले 6 महीने बाद हम देखेंगे कि जो बजट माननीय तरुण भनोत जी ने दिया है, उसके क्या परिणाम इस प्रदेश के विकास में निकल कर आ रहे हैं इसलिए मैं ऐसा मानता हूँ कि वित्तीय प्रबंधन जो होना चाहिए वह दिखाई नहीं देता, हमारा जो राजकोषीय घाटा है वह बढ़ रहा है. जी.डी.पी. के 3.4 प्रतिशत के आसपास हमारे कर्ज की राशि पहुँच रही है. कहीं न कहीं 3 प्रतिशत से अधिक का कर्ज हमें नहीं लेना चाहिए लेकिन वह प्रतिशत बढ़ रहा है. आने वाले समय में इसको आप कैसे कम करोगे? बाजार से किस तरह कर्जा लेंगे. आपको कैसे कर्जा मिलेगा जब आपकी वित्तीय स्थिति इतनी खराब है. यह सब भी माननीय वित्त मंत्री जी को स्पष्ट करना चाहिए. विपक्ष का सकारात्मक सहयोग का आग्रह वित्त मंत्री जी ने अपने बजट भाषण में किया है. सहयोग तभी मिल पाता है जब आप समान रूप से व्यवहार करेंगे. अभी आपने जितनी सड़कें दी हैं, जितने पुल दिए हैं, जितने कॉलेजेस दिए हैं, जितनी सिंचाई योजनाएँ दी हैं, वह अधिकांश काँग्रेस के बड़े बड़े नेताओं और मंत्रियों के वहाँ दी हैं. अगर आप विकास के मामले में विपक्ष को भी साथ में लेकर चलेंगे तो हम भी आपको विश्वास दिलाते हैं कि मध्यप्रदेश के हिस्से का पैसा यदि केन्द्र से मिलने में कोई दिक्कत आएगी तो हम सब आपके साथ चलकर और माननीय प्रधानमंत्री और केन्द्रीय वित्त मंत्री से मध्यप्रदेश के हिस्से की राशि आपको दिला कर लाएँगे. लेकिन आपने जिस तरह अपने अपने बजट भाषण के आखिर में कहा है कि एक ताली का हाथ तुम्हारा और एक ताली का हाथ मेरा हो, मुझे आपके बजट भाषण से कहीं ऐसा दिखाई नहीं देता कि आप ताली में दूसरा हाथ हमारा शामिल करना चाहते हैं इसलिए माननीय वित्त मंत्री जी मेरा आप से आग्रह है कि आप विपक्ष की इस सलाह की ओर भी ध्यान दें. आज की तारीख में बहुत सारी चीजें इस बजट में आपने शामिल की हैं लेकिन उसमें क्या क्या सुधार होना चाहिए, इस विषय में मैं कहना चाहता हूँ कि नर्मदा जी आज की तारीख में मध्यप्रदेश के अधिकांश हिस्से को सिंचाई के लिए और पेयजल के लिए जल दे रही है. आपने जो नदी पुनर्जीवन का कार्यक्रम बनाया 40 नदियाँ ली हैं उसमें नर्मदा की समस्त सहायक नदियों को आप शामिल करेंगे तो कम से कम नर्मदा जी में 12 महीने एक जैसे जल की आपूर्ति हो पाएगी. आपने कहा कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत हम 51 हजार रुपये की राशि दे रहे हैं. लेकिन एक चीज मैं आपको कहना चाहता हूँ कि मैं जिन सम्मेलनों में गया हूँ, कुणाल जी ने कहा कि मेरे यहाँ हमने बड़े बड़े सम्मेलन कराए, उन सम्मेलनों में कितने लोगों की फर्जी शादियाँ हो रही हैं, इसका भी आप रिकार्ड ले लेना. बहुत सारी शिकायतें हुई हैं और शिकायतें सही भी पाई गई हैं. 51 हजार या 48 हजार रुपये की राशि लेने के लिए, जिनकी 2-3 साल पहले शादियाँ हुई हैं वह भी जोड़ों में बैठ रहे हैं. कुछ मामले मैंने स्वयं पकड़े हैं. आप व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे तो मैं आपको बता दूँगा इसलिए इस योजना का, आप अच्छी राशि दे रहे हैं हम इसको स्वीकार करते हैं आपने अच्छा किया लेकिन इसमें फर्जीवाड़ा हो रहा है उस पर रोक लगाने के लिए भी आपको कार्यवाही करना चाहिए. आज मूंग की खरीदी, जो ग्रीष्मकालीन मूंग मध्यप्रदेश के बड़े हिस्से में पैदा होता है, होशंगाबाद, जबलपुर, देवास जिले में, आज उसकी खरीदी नहीं हो पाई और पूरा ठीकरा नेफेड के माथे फोड़ रहे हैं, केन्द्र सरकार के माथे फोड़ रहे हैं, यह ठीक नहीं है. किसानों की मूंग मध्यप्रदेश की सरकार पहले खरीदती थी, लेकिन आप नहीं खरीद पा रहे हैं. जो साइकिलें अभी तक स्कूलों में पहुँची हैं, बँट नहीं पाई हैं, जबकि शैक्षणिक सत्र प्रारंभ हो गया है. मध्यप्रदेश की सरकार ने 12 वीं में 70 प्रतिशत से ज्यादा अंक लेकर आने वालों को पूर्ववर्ती सरकार ने लेपटाप कंप्यूटर देने के लिए कहा था, आप लेपटाप कंप्यूटर नहीं दे रहे हैं लेकिन कंप्यूटर बाबा जरूर मध्यप्रदेश के अन्दर ले आए हैं इसलिए मैं आप लोगों से कहना चाहता हूँ कि हमें बजट पर आपत्ति नहीं है लेकिन आप कैसे आने वाले समय में इस प्रबंधन को अच्छा कर पाएँगे. किस तरह इस प्रबंधन को अच्छा कर पाएँगे इसमें संशय है. मध्यप्रदेश में बालिकाओं के प्रति छोटी उम्र की बच्चियों के प्रति जिस तरह से अपराध बढ़ रहे हैं मध्यप्रदेश में गृह विभाग के माध्यम से माननीय गृह मंत्री जी भी बैठे हैं आप ऐसी कुछ व्यवस्था कीजिए, ऐसा कोई विशेष थाना बनाइये, ऐसी कोई टीम मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में बनाइये. जो छोटी बच्चियों के साथ इस तरह के अपराध होते हैं न सिर्फ उनकी विवेचना करें, त्वरित कार्यवाही करें बल्कि मेडिकल कराने से लेकर कोर्ट जाने तक उस बच्ची को कोई असुविधा न हो ऐसी व्यवस्था करें. आज अगर एक महीने में दुष्कृत्य के आरोपी को सजा मिली है तो इसमें किसी को भी अपनी कॉलर ऊपर उठाने की जरुरत नहीं है. पूरा समाज उस घटना पर उस बच्ची के साथ खड़ा था. ऐसी न्याय व्यवस्था मध्यप्रदेश में आगे भी देखने को मिले. जब विभागों की मांगों पर चर्चा होगी तब मैं अपने क्षेत्र की बात रखूंगा. माइक्रो इरीगेशन की परियोजनाएं नर्मदा जी से बन रही हैं. वर्ष 2024 तक मध्यप्रदेश को अपने हिस्से का जल उपयोग में लेना है. इसमें किसी क्षेत्र के साथ भेदभाव न हो. वर्ष 2024 तक नर्मदा जी के जल का अधिक से अधिक दोहन कर सकें उसके लिए आपको इस बजट में प्रावधान करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, एक बात कहकर मैं अपनी बात समाप्त करुंगा. आपने कहा है कि किसानों पर हमने बजट का बहुत बड़ा हिस्सा खर्च किया है. माननीय शिवराज सिंह चौहान जी नरेगा के माध्यम से खेत सड़क योजना लेकर आए थे जिसके द्वारा मध्यप्रदेश में बहुत अच्छा काम हुआ है. मैं कहना चाहता हूं कि आपके इस बजट में भी उस खेत सड़क योजना के लिए काम हो. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी (कोलारस)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे पहली बार सदन में बोलने का अवसर मिला है. मैं सदन में विराजित वरिष्ठजनों को चरण वंदन करता हूँ, आपको प्रणाम करता हूँ. युवा साथियों को नमस्कार.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्तमान सत्र में जो आम बजट आया है उस पर मैं अपना विरोध प्रकट करता हूँ. इसमें केवल वाहवाही लूटने के लिए कांग्रेस सरकार ने इसे आंकड़ों में समेटकर रखा है. सुबह से सत्ताधारी पक्ष और विपक्ष के साथियों द्वारा तमाम तरह के उदाहरण देकर बातें की गई हैं. पुनरावृत्ति की आवश्यकता नहीं है. 4-5 बिंदुओं पर समय सीमा में अपनी बात रखते हुए मैं निवेदन करता हूं कि कर्ज माफी के नाम पर आप सदन के अन्दर कुछ भी कहते रहें, कांग्रेस के लोग कमलनाथ जी की सरकार परन्तु कर्ज माफी के नाम पर अगर कुछ हुआ है तो यह मध्यप्रदेश के किसान ने प्रमाणित किया है कि उसके साथ छलावा हुआ है. हम 230 सदस्य मिलकर इस सदन में पक्ष और विपक्ष की बातें भले ही करते रहें लेकिन सदन से बाहर हम झांकेंगे तो मध्यप्रदेश का किसान पूरी तरह से ठगा हुआ महसूस कर रहा है. किसान को 2 लाख रुपए के कर्ज माफी के नाम पर कांग्रेस दल ने ठगने का काम किया है. प्रदेश के आठ करोड़ लोग इस बात से भलीभांति परिचित हैं. कांग्रेस के साथी अपनी पीठ भले ही थपथपाते रहें परन्तु इस बात को नकारा नहीं जा सकता है क्योंकि बजट में भी यह स्पष्ट रुप से नहीं आया है कि कुल कितने किसानों का कर्ज माफ करने की बात कांग्रेस सरकार ने की थी और कितना वे कर चुके हैं और कितना भविष्य में करने वाले हैं. पूर्व में भी 5000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया. अभी भी बजट में 8000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया. अपने हाथ से अपनी पीठ थपथपाने से प्रदेश का किसान आपसे खुश होने वाला नहीं है. किसान ने लोकसभा के चुनाव में यह प्रमाणित किया है कि आपने उसको छला है आपको और हमको कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है. किसान ने लोकसभा के चुनाव के समय मतदान करते समय 29 में से 28 सीट भारतीय जनता पार्टी को जिताकर यह प्रमाणित किया है.
अध्यक्ष महोदय, बिजली पर बहुत बात हुई है 3000 मेगावॉट बिजली कांग्रेस की सरकार के पास थी. स्वास्थ्य के नाम पर केवल भवन बनाए गए. हमारे प्रदेश का युवा विदेशी नशे की गिरफ्त में आ गया है, मेरे जिले में भी यह समस्या है. माननीय मंत्री जी से कहना चाहूँगा कि इस समस्या के लिए भी बजट में प्रावधान रखेंगे तो मैं आभारी रहूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करिए आपको धन्यवाद. बिना ब्रेक की सायकिल मत बनिए. विराजिए.
श्री बीरेन्द्र रघुवंशी-- अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि जिस तरह वर्तमान कांग्रेस सरकार ने किसानों को ठगने का काम किया है. हमारे नौजवान युवाओं को चार हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता देने के नाम पर वोट का लालच देकर, अल्पमत की सरकार में बैठकर युवाओं को भी ठगने का काम किया है. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि यह हमारे युवा जो स्मैक आदि के नशे से पूरे प्रदेश के अंदर पीडि़त हैं. मेरी विधान सभा और जिले में भी यह शिकायत है. मेरे ध्यानाकर्षण के लिए आपने आग्रह किया है. मैं अपनी बात को खत्म करते हुए यह कहना चाहता हूं कि मेरे शिवपुरी जिले में विदेशी स्मैक और दूसरे नशे से युवाओं को हमारे पड़ोसी देशों के द्वारा जो षड्यंत्र रचे जा रहे हैं उसके शिकंजे में मेरे विधान सभा क्षेत्र के युवा आ गए हैं. अभी पिछले ही हफ्ते मेरी एक बहन 20 वर्ष की युवती की अधिक स्मैक का नशा करने के कारण उसकी मृत्यु हो गई है. पूरे शहर और जिले के अंदर रैलियां, बाजार बंद, आंदोलन, धरने का क्रम बना हुआ है आज भी तमाम विपक्षी और सत्ता के लोगों ने भी उसमें सहयोग किया है और माननीय कलेक्टर और एस.पी. को यह आवेदन दिए हैं. माननीय गृह मंत्री जी यहां बैठे हुए हैं. पुलिस प्रशासन को मैं आग्रह करना चाहता हूं कि स्पेशल टास्क फोर्स बनाकर ऐसे विदेशी स्मैक आदि के नशों को बेचने वाले हमारे जो स्मगलर हैं उनकी धर-पकड़ की जाए. मैं ऐसी उम्मीद करता हूं कि आप इस पर ध्यान देंगे. वित्त मंत्री जी शिवपुरी जिले के लिए सिंचाई के लिए मेरा जिला खासकर मेरे विधान सभा क्षेत्र में सिंचाई के कोई साधन नहीं हैं. जो भी मेरी कोलारस विधान सभा की दो, तीन छोटी-मोटी योजनाएं लंबित हैं आप उसमें सम्मिलित करेंगे तो मैं आपका आभारी रहूंगा. आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया बहुत-बहुत धन्यवाद. जय हिन्द, जय भारत.
अध्यक्ष महोदय-- रघुवंशी जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री उमाकांत शर्मा (अनुपस्थित)
अध्यक्ष महोदय-- विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 12 जुलाई, 2019 को प्रात: 11:00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 07:42 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार दिनांक 12 जुलाई, 2019 (आषाढ़ 21, 1941) के प्रात: 11:00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल: अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक: 11 जुलाई, 2019 प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश विधान सभा