मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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षोडश विधान सभा                                                                                                        पंचम सत्र

 

 

मार्च, 2025 सत्र

 

मंगलवार, दिनांक 11 मार्च, 2025

 

(20 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1946)

 

 

[ खण्ड-5 ]                                                                                                                     [अंक- 2 ]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

मंगलवार, दिनांक 11 मार्च, 2025

 

( 20 फाल्‍गुन, शक संवत्‌ 1946 )

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11. 02 बजे समवेत् हुई.

{ अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}

 

बधाई

श्री अरूण भीमावद, सदस्‍य, शाजापुर के जन्‍मदिन पर बधाई.

 

          अध्‍यक्ष महोदय-- आज माननीय सदस्‍य श्री अरूण भीमावद जी, विधायक, शाजापुर का जन्‍मदिन है. सदन की ओर से उनको बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं.

 

11.03 बजे                    तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

 

शासकीय सेवकों की गोपनीय रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जाना

[पंचायत एवं ग्रामीण विकास]

1. ( *क्र. 128 ) श्रीमती अनुभा मुंजारे : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. पंचायत मुख्य कार्य पालन अधिकारी की शक्तियां तथा कृत्य नियम 1995 की प्रति देवें एवं क्या जिला पंचायत के सी.ई.ओ. के द्वारा उक्त नियमों का पालन किया जाता है? (ख) डी.आर.डी.ए. का जिला पंचायत बालाघाट में कुल कितना अमला कार्यरत है? उनके नियुक्ति आदेश की प्रति देवें तथा उक्त अमले को जिला पंचायत में किस आदेश से मर्ज किया गया है? उस आदेश की प्रति देवें (ग) प्रश्‍नांश (क) के नियम 4 (आठ) में क्या सी.ई.ओ. जिला पंचायत के द्वारा वर्ष 2022-23 से लेकर प्रश्‍न दिनांक तक में पंचायत के अधीन पद धारण करने वाले शासकीय सेवकों के कार्यों का प्रतिवर्ष निर्धारण किया गया है तथा अपनी गोपनीय राय दी है तथा उसे अध्यक्ष को अग्रेषित किया है? यदि हाँ, तो की गई कार्यवाही के संबंध में जिला पंचायत अध्यक्ष का इस आशय का प्रमाण पत्र देवें? यदि अग्रेषित नहीं की गई है तो इसके लिए दोषी अधिकारी का नाम बतावें और उसके विरुद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी और कब की जाएगी? (घ) क्या डी.आर.डी.ए. का पूरा अमला जिला पंचायत में विलीन हो चुका है? यदि हाँ, तो उक्त अधिकारी/कर्मचारी की गोपनीय चरित्रावाली आज दिनांक तक भी जिला पंचायत अध्यक्ष को अग्रेषित क्यों नहीं की गई?

पंचायत मंत्री ( श्री प्रहलाद सिंह पटैल ) : (क) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है, मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के द्वारा नियमों का पालन किया जा रहा है। (ख) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ग) सी.ई.ओ. जिला पंचायत के द्वारा वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 की अवधि में पदस्‍थ अधिकारी/कर्मचारियों के कार्यों का निर्धारण किया गया है। विभाग के अधीन राजपत्रित, अराजपत्रित शासकीय सेवकों के गोपनीय प्रतिवेदन लिखने की प्रणाली के संबंध में उप सचिव म.प्र. शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पत्र क्र./6831/22/वि-2/स्था./16 भोपाल दिनांक 14.06.2016 में जारी निर्देशानुसार गोपनीय प्रतिवेदन लिखने की कार्यवाही की गई है। उप सचिव म.प्र. शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पत्र क्र. 6831/22/वि-2/स्था./16 भोपाल दिनांक 14.06.2016 के अनुसार विभागांतर्गत जिला स्तरीय प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी स्तर अधिकारी/कर्मचारियों के गोपनीय प्रतिवेदन में प्रथम मत (प्रतिवेदक अधिकारी) समीक्षक अधिकारी, स्वीकृतकर्ता अधिकारी के रूप में नामित पदाधिकारी द्वारा ही गोपनीय प्रतिवेदन लिखने की कार्यवाही की जाती है। श्रेणीवार गोपनीय प्रतिवेदन लिखने, समीक्षा करने, स्वीकृत करने संबंधी जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। जिला पंचायत बालाघाट अंतर्गत कार्यरत कर्मचारियों की गोपनीय चरित्रावली तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी की गोपनीय राय उपरांत माननीय अध्यक्ष जिला पंचायत को प्रस्तुत नहीं किये जाने पर कार्यालयीन आदेश कमाक/1135/जि.पं./स्था./2025 बालाघाट दिनांक 11.02.2025 के तहत श्री प्रकाश महोबे, शीघ्रलेखक जिला पंचायत बालाघाट की एक वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकी गई है। (घ) जी हाँ। उप सचिव म.प्र.शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पत्र क्र. 6831/22/वि-2/स्था./16 भोपाल दिनांक 14.06.2016 में जारी निर्देश तथा संलग्न पत्रक में दर्शाई श्रेणी अनुसार विलनीकृत डी.आर.डी.ए. के अधिकारी/कर्मचारियों की गोपनीय चरित्रावली लिखने की कार्यवाही की जा रही है। प्रभारी कर्मचारी द्वारा तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के मतांकन उपरांत अध्यक्ष जिला पंचायत को कर्मचारियों की गोपनीय चरित्रावली त्रुटिवश नहीं भेजी गई। संबंधित दोषी कर्मचारी श्री प्रकाश महोबे, शीघ्रलेखक, जिला पंचायत बालाघाट की एक वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकी गई है। वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 की गोपनीय चरित्रावली अध्यक्ष महोदय को अवलोकन हेतु दिनांक 13.02.2025 को भेजी गई है।

          श्रीमती अनुभा मुंजारे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय...

          अध्‍यक्ष महोदय--  अनुभा जी, एक मिनट, माननीय मंत्री जी.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- माननीय अध्‍यक्ष जी, माननीय सदस्‍य प्रश्‍न नंबर बोल दें, बाकी उत्‍तर सभा पटल पर रख दिया गया है.

          श्रीमती अनुभा मुंजारे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपका हार्दिक आभार व्‍यक्‍त करती हूं, आज मंगलवार का दिन आपने हम महिला विधायकों के लिये सुरक्षित किया है, सुनिश्चित किया है, इसके लिये मैं आपको बहुत-बहुत हार्दिक धन्‍यवाद देना चाहूंगी. माननीय पंचायत मंत्री जी से मेरा यह सवाल है कि क्‍या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि मध्‍यप्रदेश पंचायत मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी की शक्तियां तथा कृत्‍य नियम 1995 की प्रति देवें एवं क्‍या जिला पंचायत के सी.ई.ओ. के द्वारा उक्‍त नियमों का पालन किया जाता है. डीआरडीए का जिला पंचायत में कुल कितना अमला कार्यरत है उनके नियुक्ति आदेश की प्रति देवें तथा उक्‍त अमले को जिला पंचायत में....

          अध्‍यक्ष महोदय--  अनुभा जी, मेरा इतना अनुरोध है कि जो जवाब में आया हुआ है या जो प्रश्‍न आपने दिया है उसके दोहराव में समय न जाये, आप जो प्रश्‍न पूछना चाहती हैं, वह प्रश्‍न पूछ लें.

          श्रीमती अनुभा मुंजारे--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह पूरा प्रश्‍न ही है, इसका उत्‍तर माननीय जी ने जो दिया है उसमें मैं इतना कहना चाहूंगी, मैं तो सबसे पहले यह कहना चाहूंगी कि जिला पंचायत के जो अध्‍यक्ष होते हैं वह जनता के द्वारा निर्वाचित होते हैं और हम सब भी जानते हैं कि लोकतंत्र में निर्वाचित जनप्रतिनिधि का क्‍या महत्‍व होता है और इस पूरे प्रकरण में मैं संक्षेप में कहना चाहूंगी कि एक श्री प्रकाश महोबे शीघ्रलेखक जिला पंचायत बालाघाट की एक वेतनवृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकी गई है और इतना ही करके मामले की इतिश्री कर दी गई है जबकि जिम्‍मेदार जो बड़े अधिकारी हैं उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है तो मैं माननीय मंत्री जी से यह उम्‍मीद करती हूं आग्रह करती हूं कि जो बड़े जिम्‍मेदार अधिकारी है जिला पंचायत सी.ई.ओ. से लेकर के जो इस मामले के जिम्‍मेदार हैं उन पर अतिशीघ्र कार्यवाही करें और मैं चाहूंगी कि वह हमारी बात का सम्‍मान जरूर रखेंगे, ऐसी मैं माननीय मंत्री जी से उम्‍मीद करती हूं. धन्‍यवाद.

  श्री प्रहलाद सिंह पटैल --   माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि माननीय विधायक महोदया जी ने जो प्रश्‍न पूछा है, उस पर कार्यवाही हुई है, लेकिन उनकी संतुष्टि इसलिए नहीं है क्‍योंकि उनका कहना है कि किसी लिपिक की देरी के कारण हो गया है. मैं उनकी बात से सहमत हूं कि अगर कोई जनपद के अधिकारियों की सी.आर. लिखने के बात आती है, तो पहले जिला पंचायत सी.ई.ओ. उस पर राय देकर अध्‍यक्ष के पास पहुंचाते हैं, मुझे लगता है कि पंचायती राज अधिनियम में जो अधिकार पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों को होने चाहिए, उसे देने में मैं यह जिम्‍मेदारी के साथ कह सकता हूं कि डॉ.मोहन यादव जी की सरकार उस पर प्रति दिन कदम उठा रही है.

अध्‍यक्ष महोदय, मैं तीन ही उदाहरण आपका दूंगा, जब मैं पंचायत मंत्री बना था तो मैंने तीन दिन की वर्कशॉप की थी, उसमें जिला पंचायत अध्‍यक्ष, जिला पंचायत सी.ई.ओ. और जो नगरीय क्षेत्र के आसपास के जनपद के सी.ई.ओ. को बुलाया था और उसमें अधिकारियों की बात हुई थी और उसका एक ओर उदाहरण मैं मनरेगा के बारे में कहना चाहता हूं कि जो रेश्‍यों होता था, वह जिले के स्‍तर पर तय होता था, उसमें भी हमने उसको जनपद पर ले जाकर तय किया और उसी का परिणाम है कि आज मनरेगा में वह गति आई भी है. मैं माननीय विधायक महोदया जी से एक ओर आग्रह करता हूं कि उसी सेमिनार में यह भी तय हुआ था कि हम जिला पंचायत अध्‍यक्षों को, जिला पंचायत सी.ई.ओ. और जो अधीनस्‍थ लोग हैं, उनकी सीआर लिखने का प्रावधान करने वाले हैं और यह आश्‍वासन आपके सामने है, यह आश्‍वासन नहीं है, यह सतत् चलने वाली कार्यवाही है, क्‍योंकि एक जिला पंचायत स्‍तर के जिला पंचायत सी.ई.ओ. आई.ए.एस. भी होते हैं और स्‍टेट सविर्सेज के भी होते हैं, तो मैंने खुद ने तय किया है कि अभी हम जो इसी बैठक में जिला पंचायत अध्‍यक्षों को और बी.सी. के माध्‍यम से जिला पंचायत सी.ई.ओ. को साफ निर्देशित करने वाले हैं. हमारे पांच बिंदू होंगे हर चार महीने में या तीन महीने में जिसमें जिला पंचायत अध्‍यक्ष  सहमत  होंगे.  दस नंबर होते हैं, ए.सी.आर. में दो नंबर या डेढ़ नंबर का जो वह ओपीनियन देंगे, उस पर चूंकि मंत्री को सी.आर. लिखनी पड़ती है, हमारे पास आधार नहीं है तो मैं सदन के माध्‍यम से कहना चाहता हूं कि मैं जिला पंचायत की अध्‍यक्ष की राय को शामिल करके ही उसमें सी.आर. का प्रावधान करूंगा और उसके बाद मुझे लगता है कि इस समस्‍या का समाधान निकल जायेगा.

श्रीमती अनुभा मुंजारे -- माननीय मंत्री महोदय, मैं तो बस इतना ही चाहती हूं कि मेरे सवाल पर आपने जो जवाब दिया है, वह संतोषप्रद जवाब है, मैं उसके लिये आपको धन्‍यवाद देना चाहूंगी और पुन: आपसे निवेदन करूंगी कि जिला पंचायत बालाघाट में जो परिस्थितियां हैं, वह काफी विपरीत हैं तो कृपया आपसे निवेदन है कि वह आपका पूर्व में जिला भी रहा है और आप वहां से भी सांसद रहे हैं, तो मेरा आपसे निवेदन है कि पुन: आप इस प्रकरण को दिखवा लीजिये और सी.ई.ओ.की जो जिम्‍मेदारी है, वह अपनी इस जिम्‍मेदारी को समझे और जनप्रतिनिधियों का और जिला पंचायत अध्‍यक्ष जी का भी सम्‍मान करें, बस मैं यही अपेक्षा करती हूं,धन्‍यवाद.

          जन आशीर्वाद यात्रा में की गई घोषणाओं की जानकारी

     [उच्च शिक्षा]

2. ( *क्र. 27 ) श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सन 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री की जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान दमोह जिले की विधानसभा क्षेत्र हटा 57 में कौन-कौन सी विभागीय घोषणाएं की गई थी? (ख) यदि हाँ, तो विभागीय घोषणाओं की सूची प्रदान करें। (ग) सन 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री की यात्रा के दौरान दमोह जिले की विधानसभा क्षेत्र हटा 57 के विकासखंड हटा एवं पटेरा में की गई घोषणाएं कब तक पूरी होगी? (घ) यदि नहीं, तो क्यों नहीं?

उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री इन्‍दर सिंह परमार ) : (क) जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है।(ख) उत्‍तरांश '''' अनुसार। (ग) विभागीय मापदण्‍डों की पूर्ति न होने के कारण पटेरा/कुण्‍डलपुर में शासकीय महाविद्यालय खोले जाने में कठिनाई होने के संबंध में विभागीय पत्र क्रमांक 481/1170255/2023/38-2, दिनांक 15.03.2023 द्वारा माननीय मुख्‍यमंत्री कार्यालय को अवगत कराया गया है। (घ) उत्‍तरांश '' के परिप्रेक्ष्‍य में प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

परिशिष्ट - "एक"

          श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,मेरा प्रश्‍न संख्‍या - 2 है.

          श्री इंदर सिंह परमार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य का उत्‍तर पटल पर रख दिया गया है.

          श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी निवेदन करती हूं कि हटा विधानसभा के अंतर्गत विकासखण्‍ड पटेरा में महाविद्यालय खोले जाने की सदन में घोषणा करें एवं बजट में जोड़ने की कृपा करें.

          श्री इंदर सिंह परमार-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हटा विधानसभा क्षेत्र में हटा में एक शासकीय महाविद्यालय संचालित है, जिसमें ढाई हजार से अधिक विद्यार्थी अभी अध्‍ययनरत है. हटा से पटेरा की जो दूरी है, वह बीस किलोमीटर है और जो प्रावधान है, उसमें बीस किलोमीटर से तीस किलोमीटर की दूरी कम से कम होना चाहिए, क्‍योंकि उतने कैचमेंट एरिये के सभी विद्यार्थी उस जगह पर आ जाते हैं, इसलिए इस पर पूरा विभाग परीक्षण कर रहा है और परीक्षण करने के बाद यदि छात्र संख्‍या और बढ़ती है, तो उस पर आगे विचार किया जायेगा.

श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन माननीय अध्‍यक्ष जी, आज उमादेवी जी का जन्‍म दिन भी हैं, उनको अच्‍छा सा जवाब दिलवा दीजिए.

अध्‍यक्ष महोदय माननीय सदस्‍या दूसरा पूरक प्रश्‍न करना हो तो कर लें.

श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक अध्‍यक्ष जी, मेरे विधान सभा क्षेत्र की जनता की यह बहुप्रतीक्षित मांग है. मंत्री जी से घोषणा करवा दीजिए, हमारे यहां महाविद्यालय होना बहुत जरुरी है. हमारा क्षेत्र बहुत पिछड़ा हुआ है.

अध्‍यक्ष महोदय माननीय मंत्री जी, कह तो रहे हैं कि विभाग परीक्षण करवा रहा है.

श्री इन्‍दर सिंह परमार अध्‍यक्ष महोदय, मैंने बताया है, हम परीक्षण करवा रहे हैं, क्‍योंकि दूरी और मापदंड में क्लियर नहीं हो रहा है. आगे विचार करके देखते हैं.

संसदीय कार्यमंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) अध्‍यक्ष जी, आज उमादेवी जी का बर्थ-डे है, बर्थ-डे गिफ्ट तो कुछ मिलना चाहिए.

मुख्‍यमंत्री(डॉ. मोहन यादव)  - जब सब की भावना है तो निश्चित रूप से बर्थ-डे गिफ्ट दिलवा देंगे (...हंसी)

श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब 2014 में हमारी सरकार केन्‍द्र में बनी थी.

अध्‍यक्ष महोदय उमादेवी जी, अब हो गया पूरक प्रश्‍न. आपको सदन की ओर से बहुत बहुत बधाई, बहुत बहुत शुभकामनाएं.

श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक अध्‍यक्ष जी, माननीय मुख्‍यमंत्री जी को और माननीय मंत्री जी को बहुत बहुत धन्‍यवाद देना चाहती हूं. एक बात और कहना चाहती हूं मैं उस समय विधायक थी वर्ष 2017 में. वर्ष 2014 में केन्‍द्र में हमारी सरकार बनी थी, उस समय हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेन्‍द्र मोदी जी थे और हमारे विधान सभा क्षेत्र में एक केन्‍द्रीय विद्यालय खोला गया था, उस समय हमारे सांसद प्रहलाद भाई भी थे, जब केन्‍द्रीय विद्यालय खोला गया था, तो जनमानस में बहुत हर्ष व्‍याप्‍त था. मैं सदन के माध्‍यम से माननीय प्रधानमंत्री जी को बहुत बहुत बधाई देती हूं.

अध्‍यक्ष महोदय उस दिन भी आपका जन्‍म दिन था क्‍या. (...हंसी)

श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन अध्‍यक्ष जी आज श्री दिव्‍यराज जी का भी जन्‍मदिन है.

बधाई

          माननीय सदस्‍य श्री दिव्‍यराज सिंह को जन्‍मदिन की बधाई.

अध्‍यक्ष महोदय दिव्‍यराज जी का भी आज जन्‍म दिन है, उनको भी सदन की ओर से बहुत बहुत बधाई, बहुत बहुत शुभकामनाएं

खरगापुर विधान सभा क्षेत्र में सड़क निर्माण

[किसान कल्याण एवं कृषि विकास]

3. ( *क्र. 408 ) श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर : क्या किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खरगापुर विधान सभा क्षेत्र क्र. 47 की कृषि उपज मण्डी पलेरा से एवं बल्देवगढ़ से तथा खरगापुर से जटेरा से सतरई बड़ेरा मुख्य सड़क तक तथा खरगापुर कुडीला मुरूम सड़क से मनपसार के आगे गर्रोली तक तथा पलेरा में खुमान गंज से कोटरा खेरा होते हुये बूदौर तथा टपरियन चौहान से घूरा तक किसानों के हित में सड़‌कों का निर्माण करा दिया जायेगा तो किसानों को आवागमन की सुविधा प्राप्त होकर मंडी तक किसानों को अपनी फसलों को बेचने जाने हेतु सुगमता प्राप्त होगी। क्या इन सड़कों को बनाये जाने का सर्वे कराकर बजट में शामिल करते हुये स्वीकृति प्रदान करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?                                             (ख) क्या बल्देवगढ़ एवं पलेरा कृषि उपज मंडी को और अच्छा हाईटेक किये जाने हेतु किसानों के हित में सुविधा के तहत कृषकों को विश्राम हेतु कोई भवन सुविधाजनक बनाकर किसानों को लाभान्वित करेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्‍यों? (ग) क्या खरगापुर में कृषि उपज मण्डी नवीनतम बनाई जा चुकी है? खरगापुर में एक और कृषि उपज मण्डी का भवन जो किसानों के विश्राम हेतु बना दिया जावेगा तो खरगापुर की इतनी बड़ी मण्डी से क्षेत्र के किसान लाभान्वित होंगे और खरगापुर एक विधान सभा होने से सेंटर भी पड़ता है, चारों तरफ के किसानों का भारी मात्रा में आवागमन होता रहता है और दो दिन हाट बाजार होने से व्यापक स्तर पर किसान अपनी कृषि उपज बेचने आते हैं। कभी रात्रि हो जाने पर कोई सुविधा विश्राम हेतु नहीं है, अस्तु खरगापुर कृषि उपजमण्डी में एक भवन बनाये जाने की योजना कब तक तैयार कर ली जावेगी?

किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री ( श्री ऐदल सिंह कंषाना ) : (क) यह सही है कि सड़कों के निर्माण से कृषकों सहित अन्य जनमानस को सुगमता प्राप्त होगी। प्रश्‍न अंतर्गत सड़कों की स्वीकृति के संबंध में म.प्र. राज्य कृषि विपणन बोर्ड अंतर्गत किसी भी प्रकार की कार्यवाही विचाराधीन नहीं है। अतः शेष का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है। (ख) कृषि उपज मंडी खरगापुर के क्षेत्रान्तर्गत स्थित हाटबाजार प्रांगण बल्देवगढ़ का रकबा 3.789 एकड़ होने के कारण हाई-टेक मंडी के रूप में विकसित नहीं किया जा सकता है। हाई-टेक मंडी के लिए न्यूनतम रकबा 5.00 एकड़ भूमि की आवश्यकता होती है। कृषि उपज मंडी समिति पलेरा में कृषकों के विश्राम हेतु कृषक विश्राम गृह उपलब्ध है।  (ग) हाँ, कृषि उपज मंडी समिति खरगापुर के नवीन मंडी प्रांगण खरगापुर में कृषकों के लिए कृषक विश्राम गृह उपलब्ध है।

श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के जवाब से सहमत हूं. फिर भी मंत्री जी से आग्रह करना चाहती हूं कि मैं अपनी कुछ पीड़ा किसानों के हित में रखना चाहती हूं. जटेरा से सतरई बढ़ेरा तक, मनपसार से गर्रोली तक, खुमानगंज से कटेरा हेरा तक होकर बुदोरभुरा तक सड़क निर्माण मंडी निधि से करवाई जाए. किसानों को आवागमन की अच्‍छी सुविधा प्राप्‍त हो जाएगी तथा पलेरा कृषि मंडी में व्‍यापारी नहीं बैठते हैं. किसानों की फसलों की जिंस अपने मनमाने दामों से घर बैठकर खरीदते हैं इसलिए पलेरा मंडी को विधिवत संचालित किया जाए.

श्री ऐदल सिंह कंषाना माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह सही है कि सड़कों के निर्माण से कृषकों सहित अन्‍य जनमानस को सुगमता प्राप्‍त होगी. प्रश्‍न अंतर्गत सड़कों की स्‍वीकृति के संबंध में मध्‍यप्रदेश राज्‍य कृषि विपणन बोर्ड अंतर्गत किसी भी प्रकार की कार्यवाही विचाराधीन नहीं है. अत: शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता.

अध्‍यक्ष महोदय माननीय सदस्‍या कोई दूसरा प्रश्‍न.

श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर अध्‍यक्ष जी, पलेरा मंडी का संचालन तो करवा दें. मंडी तो है, लेकिन वहां पर व्‍यापारी नहीं बैठते हैं. व्‍यापारी घर में बैठकर मनमाने दामों से किसानों से पैसा लेते हैं और उनकी फसल के ठीक दाम नहीं देते.

अध्‍यक्ष महोदय मंत्री जी कुछ बोलना चाहेंगे.

श्री ऐदल सिंह कंषाना माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसका परीक्षण करवा लेंगे.

अध्‍यक्ष महोदय माननीय सदस्‍या का कहना है कि मंडी तो है लेकिन व्‍यवहार में काम नहीं हो रहा है.

श्री ऐदल सिंह कंषाना माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंडी चालू है और उसके बावजूद भी कहीं कोई दिक्‍कत है माननीय सदस्‍या को तो आप मुझे बता दें, आपके प्रस्‍ताव अनुसार कार्य किया जाएगा.

श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप तो इतना निर्देशित करवा दें कि वहां व्‍यापारी बैठने लगे और किसानों की फसल अच्‍छे दामों में लेने लगे जो सभी जगह दाम है, वह दाम वहां के किसानों को मिले.

श्री ऐदल सिंह कंषाना माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मंडी चालू है और उसके बावजूद भी कहीं कोई दिक्‍कत है तो हम इसका परीक्षण करवा लेंगे.

श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर माननीय मंडी चालू तो नहीं है, इसलिए आपसे हमारा ऐसा अनुरोध है.

अध्‍यक्ष महोदय मंत्री जी  आप माननीय सदस्‍या को अपने चैम्‍बर में बुलवा लीजिए अधिकारियों को भी बुलवा कर एक बार चर्चा कर लीजिए.

श्री ऐदल सिंह कंषाना जी माननीय अध्‍यक्ष महोदय.

खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन पर व्‍यय

[खेल एवं युवा कल्याण]

4. ( *क्र. 583 ) श्रीमती कंचन मुकेश तनवे : क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर संभाग एवं खंडवा जिले में वर्ष 2018 से प्रश्‍न दिनांक तक विभाग द्वारा कितने खेल आयोजन, प्रतिस्पर्धाएं आयोजित की गई, इस हेतु प्रत्येक वितीय वर्ष में किस आयोजन पर कितना व्यय किया गया, की पृथक-पृथक जानकारी प्रदान करें। (ख) प्रश्‍नांश (क) के अनुसार उक्त आयोजनों में कितने खिलाड़ी राज्य, राष्‍ट्रीय स्तर पर चयनित हुए? विभाग द्वारा प्रोत्साहन या सहयोग प्रदान किया गया? खिलाड़ीवार जानकारी प्रदान करें। (ग) खंडवा जिले में विगत 5 वर्षों में कितने खिलाड़ी राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर चयनित हुये।

खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ( श्री विश्वास कैलाश सारंग ) : (क) इन्दौर संभाग एवं खंडवा जिले में वर्ष 2018 से प्रश्‍न दिनांक तक विभाग द्वारा आयोजित खेल प्रतिस्पर्धाएं एवं व्यय की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ख) प्रश्‍नांश (क) अनुसार राज्य स्तर पर विभाग द्वारा मुख्यमंत्री कप, गुरूनानक देवजी प्रांतीय ओलम्पिक खेल एवं खेलो एम.पी. यूथ गेम्स का आयोजन किया गया है, जिसमें राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं आयोजित नहीं की जाती है तथा विधायक कप का आयोजन विधानसभा क्षेत्र तक ही सीमित रहता है। विभाग द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में खिलाड़ि‍यों को प्रोत्साहन या सहयोग राशि प्रदान नहीं की जाती है, किन्तु 19 वर्ष से कम आयु वर्ग के खिलाड़ि‍यों को अधिकृत राज्य स्‍तरीय पदक अर्जित करने एवं सब जूनियर, जूनियर, सीनियर वर्ग के खिलाड़ि‍यों को अधिकृत राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक प्राप्त करने पर नियमानुसार प्रोत्साहन/पुरस्कार राशि प्रदान की जाती है। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिये चयनित खिलाड़ि‍यों की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। (ग) विभाग द्वारा राज्य स्तर तक ही खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, इसलिये खंडवा जिले से विगत 05 वर्षों में राज्य स्तर के लिये चयनित खिलाड़ि‍यों की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' अनुसार है। अतः शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता है।

 

श्रीमती कंचन मुकेश तनवेमाननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं उनका उत्तर भी आ गया है. विगत् दिनों हमारे देश में चेम्पियन ट्राफी जीती और देश में जीत को एक जश्न के रूप में मनाया गया. देश के मुखिया माननीय प्रधानमंत्री जी तथा हमारे प्रदेश के मुखिया माननीय मोहन यादव जी, देश के खेलों इंडिया कार्यक्रम के जरिये खेलो को बढ़ावा दे रहे हैं. राज्य सरकारें खेलों के बुनियादी ढांचे का विकास कर रही हैं. साथ ही प्रतिभाशाली युवाओं को अवसर प्रदान किये जा रहे हैं. खेलो इंडिया कार्यक्रम के तहत गांव गांव में खेल मैदानों का विकास तथा खेल उत्कृष्टता केन्द्रों का निर्माण एवं खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है. किन्तु महोदय जी मेरे विधान सभा क्षेत्र खण्डवा में विभाग द्वारा प्रतिभाओं को सुनिश्चित अवसर प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं. खेल विभाग में कोई भी आयोजन एवं खेल में रूचि रखने वाले युवाओं के लिये कोई अभियान कार्यक्रम आयोजित नहीं किये जा रहे हैं क्योंकि विगत् वर्षों में मेरे संज्ञान में नहीं आया इससे खेल विभाग की निष्क्रियता प्रदर्शित होती है जिसके कारण मेरे विधान सभा की प्रतिभा एवं युवाओं के हित में माननीय मंत्री जी के समक्ष अपने प्रश्न प्रस्तुत किये हैं, जिस जिले में खेल सुविधा उपलब्ध है, विभाग की सक्रियता है और सभी की सहभागिता हो, युवाओं को रूचि अनुसार खेल के अवसर मिले माननीय मंत्री जी जिला खण्डवा में खेल विभाग के आने वाले समय में क्या कार्य-योजना है इससे मुझे अवगत कराया जाये.

          श्री विश्वास सारंगअध्यक्ष महोदय,हमारी विधायक महोदया जी ने जो बात यहां पर रखी. पूरे प्रदेश में विभाग के माध्यम से खेल की गतिविधियां लगातार संचालित होती आयी है. हम राज्य स्तर पर मध्यप्रदेश यूथ गेम का आयोजन करते हैं. उसके अलावा हम राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर एसोसिएशन एवं फेडरेशन द्वारा जो प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं उसमें भी हमारे खिलाड़ियों की सहभागिता सुनिश्चित करते हैं. उसमें जो भी मेडल जीतते हैं उनको हम हमारी सरकार की विभाग की नीति के अनुसार पुरस्कार राशि भी देते हैं. माननीय विधायिका जी ने विधान सभा क्षेत्र तक की बात की है. मैं और भी परीक्षण करवा लूंगा. यदि कोई पर्टीक्यूलर विषय हो तो यहां पर उसका जवाब दे सकता हूं, पर खण्डवा जिले में हमने लगातार खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया है. क्योंकि विधान सभा वाईस तो आंकड़ा होता नहीं है. खण्डवा की यदि हम बात करें तो हमने 2021 से लेकर 2025 तक मेरे पास सभी आंकड़े हैं. राज्य स्तर पर हमने लगभग 46 खिलाड़ियों को पार्टीसिपेट करवाया जिसमें से 16 को मेडल मिला है तथा हमने 16 खिलाड़ियों को प्रोत्साहन राशि भी दी है. इसी तरह से 2022-23 में लगभग 15 खिलाड़ियों का चयन हुआ था जिसमें 6 खिलाड़ियों को मेडल मिला है उनको भी समय समय पर पुरस्कार राशि दी है. इसी तरह से 2023-24 में 28 खिलाड़ियों का चयन हुआ और उसमें 8 खिलाड़ियों को प्रोत्साहन राशि दी है. 2024-25 में भी 8 खिलाड़ियों का चयन हुआ उसमें से हमारे चयनित मेडल प्राप्त खिलाड़ी थे उनको हमने पुरस्कार राशि दी है. अभी सदन को यह बताना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी की पहल पर राष्ट्रीय स्तर पर जो नेशनल गेम्स हैं उसमें भी मध्यप्रदेश ने बहुत अच्छी सहभागिता दी है उसमें भी लगभग 84 मेडल प्राप्त कर हम देश में तीसरे स्थान पर आये हैं. हमारे खिलाड़ियों ने बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया है. हम गोल्ड, सिल्वर एवं कांस्य मेडल में लगातार इजाफा करते आये हैं. हम इस बात के लिये कटिबद्धता देना चाहते हैं सदन के माध्यम से कि आगे आने वाले समय में खेल के उन्नयन के लिये, खेल, खिलाड़ियों एवं खेल मैदान तीनों के लिये हम लगातार काम कर रहे हैं, यह मध्यप्रदेश है. वर्ष 2003 एवं 2004 में खेल का बजट केवल 6 करोड़ होता था आज 600 करोड़ से ज्यादा है यह हमारे खेलों के प्रति हमारी गंभीरता को प्रकट करता है. तो भी विधायक जी के विधान सभा का  विषय होगा तो मैं उनसे अलग से बात करके उसका निदान करूंगा धन्यवाद.

          श्रीमती कंचन मुकेश तनवेमाननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के उत्तर से संतुष्ट हूं. मंत्री जी मैं यही चाहती हूं कि खेलों को बढ़ावा मिले. मैं पहली बार की विधायक हूं मुझे सदन में बोलने का अवसर मिला इसके लिये धन्यवाद देती हूं.

            श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो बातें कहीं हैं, जो उल्‍लेख किया है या जितनी भी उपलब्‍धियां हैं, यह अपनी जगह बिल्‍कुल ठीक हैं उसमें कोई दो मत नहीं हैं, परन्‍तु आपके माध्‍यम से मेरा निवेदन है कि मध्‍यप्रदेश के संपूर्ण जिले में पूरे स्‍टेडियम के साथ में एक खेल अकादमी बननी चाहिए. साथ ही साथ जो इंडोर स्‍टेडियम हैं वह विधानसभावार इंडोर स्‍टेडियम बन जाएं, तो खिलाड़ियों को थोड़ा-सा बल मिलेगा और उनको खेलने का मौका मिलेगा.

          श्री विश्‍वास सारंग -- अध्‍यक्ष महोदय, हम प्रदेश में 11 खेल एकेडमी चलाते हैं और मुझे यहां सदन में बताते हुए बहुत खुशी है कि यह नवाचार भी मध्‍यप्रदेश ने ही किया है. दो दिन पहले देश भर के खेल मंत्रियों का एक चिंतन शिविर हैदराबाद में हुआ था और हमारी खेल एकेडमी की स्‍थापना, उसके संचालन और उसके जो परिणाम निकले, उसको लेकर पूरे देश में हमारी बहुत भूरि-भूरि प्रशंसा हुई है. माननीय विधायक जी ने जो कहा कि हर जिले में एक खेल एकेडमी बननी चाहिए, लेकिन यह संभव नहीं है, परन्‍तु इस बात में मैं जरूर सहमति व्‍यक्‍त करता हॅूं कि विधानसभा स्‍तर पर हम खेल की गतिविधियों को संचालित करने के लिए जल्‍द से जल्‍द हमारे स्‍पोटर्स के इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर बन सकें, उसके लिए हम पूरा प्रयास कर रहे हैं. माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने इस बात को लेकर सहमति व्‍यक्‍त की है. मुझे लगता है हम जल्‍द से जल्‍द विधानसभा स्‍तर पर हमारे खेल के नये परिसर बन सकें, इस पर हम प्रयास कर रहे हैं. विकासखण्‍ड स्‍तर पर हम लोग बल्‍कि विधानसभा से नीचे विकासखण्‍ड तक भी जाते हैं. इसके लिए हम विधानसभा को यूनिट बनाकर आगे हमारे खेल परिसर बन सकें, इस पर हम पूरा प्रयास कर रहे हैं.

          इंजी.प्रदीप लारिया -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,  निश्‍चित तौर पर मध्‍यप्रदेश खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, इसमें कोई संदेह नहीं है. मध्‍यप्रदेश की सरकार ने भी खेल के लिए 6 हजार गुना बजट बढ़ाया है. लेकिन मेरा आपसे निवेदन है कि ग्रामीण विकास विभाग ने गत 5-6 वर्षों में काफी स्‍टेडियम बनाए. लेकिन देखरेख के अभाव में वे स्‍टेडियम ऐसे ही पडे़ हैं. मेरा निवेदन है कि ग्रामीण क्षेत्र में स्‍टेडियम के लिए पहले कोई कल्‍पना नहीं कर सकता था. वह स्‍टेडियम बन गए हैं उनका उपयोग खेल के क्षेत्र में खेल विभाग उसको ले ले और दूसरा मेरा निवेदन है कि जो हमारे खिलाड़ी निकलते हैं वह ग्रामीण परिवेश से बहुत खिलाड़ी निकलते हैं. पहले स्‍कूलों में खेल के लिए एक अलग से स्‍पोटर्स टीचर होता था. वहीं से हमारे खिलाड़ी निकलते थे. लेकिन यह गतिविधियां अभी बीच में थोड़ी रूक गईं हैं. मेरा यह कहना है कि एजुकेशन के कैलेण्‍डर में भी खेल को शामिल करके वहां से खिलाड़ियों को निकालने की एक परम्‍परा बने, जिससे हमारे खिलाड़ी और आगे बढ़ सके.

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो बात कही है, यह बिल्‍कुल मौजूदा बात है और इसको लेकर खेल विभाग की ओर से हमने यह प्रयास किया और मुझे बताते हुए प्रसन्‍नता है कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने इस बात पर सहमति व्‍यक्‍त की है. आगे आने वाले समय में अलग-अलग विभागों में खेल की जो गतिविधियां होती हैं, उनको सिन्‍क्रोनाइज करके, उनका समन्‍वयन स्‍थापित करके खेल विभाग के माध्‍यम से उन गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने कहा है. माननीय मुख्‍यमंत्री जी से आग्रह है कि वे इसके बारे में अपनी बात रखेंगे.

          मुख्‍यमंत्री (डॉ.मोहन यादव) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह बात सही है कि हमारी सरकार द्वारा लगातार खेलों को, जब से माननीय श्री नरेन्‍द्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से एशिया में ओलंपिक में, राष्‍ट्रमंडल खेलों में हर जगह खिलाड़ियों ने पुरस्‍कार भी पाए हैं और पूरे देश में खेल का अनुकूल माहौल बना है. हमारी सरकार भी लगातार खेलों को प्रोत्‍साहन देने के लिए काम कर रही है. यह बात सही है कि हमारा भौगोलिक एरिया बहुत बड़ा है, तो पंचायत के नगरीय क्षेत्र के ऐसे जो पुराने स्‍टेडियम बने हैं, वह कल के बजट के बाद भी उसमें कुछ अच्‍छी चीजें संभावित हैं तो मैं यह मानकर चलता हॅूं कि ग्रामीण पंचायत विभाग, नगरीय विभाग और हमारा खेल विभाग इनका आपस में तालमेल करके ही जितने खेल के स्‍टेडियम बने हैं या इनकी रचनाएं बनी हैं, इनका सबका प्रॉपर उपयोग हो, इनका मेंटेंनेंस हो, इस पर ध्‍यान दिया जाएगा. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा एक प्रश्‍न है. खेल विभाग से संबंधित है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- कृपया, बैठ जाइए. प्रश्‍न क्रमांक-5. श्रीमती सेना महेश पटेल जी.

 

पेसा एक्ट का क्रियान्‍वयन

[पंचायत एवं ग्रामीण विकास]

5. ( *क्र. 987 ) श्रीमती सेना महेश पटेल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्य प्रदेश में अधिसूचित क्षेत्र में पेसा एक्ट लागू किया गया या नहीं? यदि लागू किया गया तो उसका पालन हो रहा है या नहीं? अधिसूचित क्षेत्र अलिराजपुर, झाबुआ, धार, बड़वानी तथा खरगोन जिले में पेसा कानून को लागू करने हेतु कितनी ग्रामसभाओं का गठन हुआ? उसकी जानकारी के साथ उसके प्रभावी क्रियान्वयन, ग्राम सभा गठन के संबंध में प्रशासन द्वारा जारी किये गये पत्र निदेश आदेश उपलब्ध करावें। (ख) ग्रामसभा का कार्यक्षेत्र उसके वैधानिक अधिकार क्या हैं और किन विषयों पर निर्णय लेने की शक्ति है? साथ ही वे विषय भी बताएं जिन पर ग्रामसभा कार्य नहीं कर सकती है। (ग) अधिसूचित क्षेत्र झाबुआ, धार, अलीराजपुर, बड़वानी में ग्राम सभा ने जैसे खनिज उत्खनन, रेत, गिट्टी, डोलोमाइट, बॉक्साइट आदि साथ ही शराब के ठेके, रोड निर्माण, पुलिया निर्माण आदि सभी विकासात्मक कार्य ग्रामसभा का प्रस्ताव पारित कर ही किये जा रहे हैं या नहीं? अभी तक ग्रामसभा के पारित प्रस्ताव के आधार पर खदानों जैसे रेत गिट्टी, बॉक्साइट, डोलोमाइट की नीलामी, हुई उसकी जानकारी देवें। (घ) अधिसूचित क्षेत्र झाबुआ, धार, अलीराजपुर, बड़वानी में शराब दुकानों की नीलामी में ग्रामसभा के प्रस्ताव के आधार नीलामी हुई या नहीं? दुकान के नाम सहित बताएं? अगर नहीं तो पेसा कानून की प्रासंगिकता क्या है? अगर पालन नहीं किया जा रहा तो जिम्मेदार अधिकारी पर कारवाई कब होगी?

पंचायत मंत्री ( श्री प्रहलाद सिंह पटैल ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। अलीराजपुर 537, झाबुआ 771, धार 1329, बड़वानी 683 एवं खरगोन 713 ग्राम सभाओं का गठन किया गया। निर्देश आदेश की प्रति पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ग) पेसा नियम के प्रावधान अनुसार ग्राम सभा का प्रस्‍ताव पारित कर ही किया जा रहा है। जिला झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी में रेत, गिटटी, बॉक्‍साईट, डोलामाईट की नीलामी नहीं हुई। धार की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (घ) जी नहीं। झाबुआ, धार, अलीराजपुर एवं बड़वानी जिले में पेसा कानून के प्रावधान लागू दिनांक के उपरांत कोई नई शराब दुकान नहीं खोली गई। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

श्रीमती सेना महेश पटेल - धन्यवाद अध्यक्ष महोदय. अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न क्रमांक 987 है.

श्री प्रहलाद सिंह पटैल - अध्यक्ष महोदय, इसका उत्तर सभा पटल पर रख दिया गया है.

श्रीमती सेना महेश पटेल - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश राजपत्र असाधारण प्रकाशित दिनांक 15 नवम्बर, 2022 में प्रावधित किया गया है. मेरे द्वारा पूछे गये प्रश्न के संदर्भ में माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा दिनांक 17 दिसम्बर 2024 में जवाब अनुसार बताया गया कि जिला अलीराजपुर के अंतर्गत छोटी  खट्टाली खनिज ब्लाक रकबा 599.76 हैक्टेयर में नीलामी की प्रक्रिया दिनांक 9.7.2024 को की गई है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड को 150.55 प्रतिशत ज्यादा बोली पर खदान दिनांक 20.7.2024 दी गई. इस नीलामी में ग्राम सभा की अनुमति क्यों नहीं ली गई? इसके पश्चात् पूर्व मुख्यमंत्री महोदय माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा वर्ष 2022 में पेसा एक्ट लागू किया गया था. मेरे द्वारा पूछे गये प्रश्न में माननीय मुख्यमंत्री जी बता रहे हैं कि पेसा एक्ट की अनुमति प्राप्त किया जाना अनिवार्य नहीं है एवं वर्तमान में पंचायत मंत्री जी आप बता रहे हैं कि पेसा एक्ट लागू है तो दोनों के उत्तर में इतना डिफरेंस, इतनी विसंगतियां क्यों हैं? इसके बाद जिसका भी जवाब माना जाय या पेसा एक्ट पूर्व मुख्यमंत्री महोदय द्वारा लागू किया गया या यह सही नहीं है, इस तरह से जवाब देकर हमें और हमारे आदिवासी किसान की जो जमीन छीनने का काम चल रहा है, मुझे इसका सही जवाब चाहिए, मुझे पूर्व मुख्यमंत्री जी का भी जवाब, मुझे वर्तमान मुख्यमंत्री जी का भी जवाब और मंत्री महोदय का भी जवाब चाहिए. (मेजों की थपथपाहट).. इन तीनों में जितना भी डिफरेंस आ रहा है उसमें मुझे एक बार क्लियर करके बताएं कि हमारी जमीन छीनने का जो अधिकार चल रहा है तो वह कौन-से नियम के तहत चल रहा है, क्या पेसा नियम लागू है या नहीं है, अगर लागू है तो ग्राम सभा में क्यों नहीं पास किया गया? मैं इसका जवाब जानना चाहती हूं.

श्री प्रहलाद सिंह पटैल - अध्यक्ष महोदय, कई बार जब हम पूरा पढ़ते नहीं हैं तो यह भ्रम पैदा होता है. माननीय मुख्यमंत्री वर्तमान के हों या पूर्व के हों, मुख्यमंत्री का बयान कभी गलत होता नहीं है. पेसा एक्ट की कापी मेरे पास में है और सभी माननीय सदस्यों से चाहूंगा कि इसको जरूर पढ़ना चाहिए. एक बहुत अच्छा प्रावधान है  जिसमें भारत सरकार ने और मध्यप्रदेश सरकार ने ऐतिहासिक काम किया है, लेकिन अध्याय 6 में खान और खनिज का प्रावधान है, जिसमें सिर्फ गौण खनिज को अधिकार है. यदि गौण खनिज का कोई भी प्रावधान है तो उसकी अनुमति ग्राम सभा के बगैर नहीं हो सकती, उनकी सहमति चाहिए. लेकिन उसकी भाषा भी अलग-अलग है. '' में है कि यदि आप पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति या उत्खनन पट्टा आवंटन की प्रक्रिया प्रारंभ करते हैं तो उसके पूर्व ग्राम सभा की अनुमति लेनी होगी और ग्राम सभा का मतलब गांव की, ग्राम पंचायत की नहीं, उसके नीचे जो यूनिट है, उसकी भी लेनी पड़ेगी. ठीक वैसे ही गौण खनिज नियम 1996, नियम 18 '' के अंतर्गत अनुसूची 5 में विनिर्दिष्ट गौण खनिजों के लिए अनुसूचित क्षेत्रों में खनिज के प्रारंभिक चयन उपरांत पूर्वेक्षण अनुज्ञप्ति, उत्खनन पट्टा, आवंटन की प्रक्रिया, ये तीनों चीजें बड़ी स्पष्ट है और सूची 5 अगर आप पढ़ेंगे, उससे संबंधित कोई भी माईनिंग का काम अगर बगैर अनुमति के होगा तो वह पेसा नियम का उल्लंघन है लेकिन ऐसा कोई भी  एक भी उदाहरण नहीं है. आपने कोल माइंस की बात की है, वह गौण खनिज में नहीं आता है.

अध्यक्ष महोदय - श्रीमती सेना जी, कोई दूसरा पूरक प्रश्न है?

          श्रीमती सेना महेश पटेल - अध्यक्ष महोदय, यही पूरा नहीं हुआ. मैं तो इसी बात करूंगी. यह इन्हीं का जवाब है, हम गौण खनिज की जानकारी भी अभी नहीं ले रहे.  माननीय महोदय यह आप ही का जवाब यहां पर आया है और जवाब में आपने कहा है कि विशिष्ट प्रपत्र के अनुसार पेसा नियम में प्रावधान के अनुसार ग्राम सभा का प्रस्‍ताव अभी पारित किया जा रहा है. जिसका झाबुआ, बड़वानी में रेत, गिट्टी, बाक्‍साइड और डोलोमाइट की नीलामी नहीं हुई है. हम डोलोमाइट के लिये नहीं पूछ रहे हैं. धार की जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' के अनुसार है, जी नहीं. झाबुआ, धार, बड़वानी और अलीराजपुर में पेसा एक्‍ट कानून का प्रावधान लागू दिनांक के उपरांत कोई नई शराब नहीं खोली गयी.

          माननीय मंत्री महोदय, मैं बताना चाहती हूं कि अलीराजपुर जिले में वर्ष 2023-2024 में 97 करोड़ रूपये में शराब के ठेके की नीलामी हुई है. आप यह गलत जानकारियां उपलब्‍ध ना करायें और दूसरी बात यह कि आप पेसा एक्‍ट को क्लियर कर दीजिये. हमारे किसान, हमारे गरीब हमारी जनता और हमारा आदिवासी समाज भयभीत है, मैं सच बता रही हूं. झाबुआ में आदेश हो गया है और बड़ी ज्‍वारी की प्रोसेस जारी है, जो मेरे विधान सभा में आती है खट्टाली कोल इंडिया में नीलामी हो चुकी है और उसका आदेश हो रहा है तो मंत्री जी यह जमीन अधिग्रहण वाले मुद्दे पर विशेष ध्‍यान दिया जाये, ताकि हमारे किसानों की जमीन बच सके. यह मैं बोलना चाहती हूं.

          श्री प्रहलाद सिंह पटैल- माननीय अध्‍यक्ष जी, माननीय सदस्‍या ने दो ही प्रश्‍न पूछे थे. एक तो पेसा कानून के उत्‍खनन को लेकर और दूसरा शराब के मामले में. इसमें भी अध्‍याय-7 में बड़ा स्‍पष्‍ट है पेसा कानून. पेसा कानून की इस पुस्तिका को अगर वह पढ़ेंगी तो शायद राजनीतिक भाषा बोल रही हैं तो अलग बात है. अन्‍यथा 14 बिन्‍दु हैं. इसमें पहले में जिसकी हम परिभाषा करते हैं और सभी को पेसा कानून की जानकारी होनी चाहिये. दूसरा है ग्राम सभा और पंचायती राज संस्‍थाएं. एक तरफ ग्राम पंचायत हैं लेकिन इसमें ग्राम सभा को अधिकार दिया गया है. अगर उसमें पांच गांव हैं तो उसकी भी ग्राम सभा होगी और उसके प्रस्‍ताव होंगे उनको वित्‍तीय अधिकार हैं और उनको निर्णय लेने के अधिकार हैं. यह बात आपको भी स्‍पष्‍ट करनी होगी. तीसरा है, शांति और सुरक्षा. इसमें अभी मध्‍यप्रदेश ऐसा राज्‍य है, जिसने लगभग 600 ऐसे मामले, जो न्‍यायालय में नहीं गये और पेसा की समितियों ने निपटायें हैं तो कुछ सफलताएं भी हैं, जिन चीजों की तरफ आगे बढ़ रहे हैं. भूमि प्रबंधन, जल संसाधन, खान, खनिज, मादक पदार्थ और नियंत्रण इसके लिये अलग से पैरा है,श्रम इसका अलग से पैरा है, गौण वनोपज इसके लिये अलग से पैरा है. बाजारों और मेलों का नियंत्रण इसके लिये अलग से प्रावधान है, साहूकारी का प्रावधान अलग से है और बारहवें नंबर पर सामाजिक क्षेत्रों की संस्‍थाएं और कार्यकर्ताओं पर नियंत्रण इसका विस्‍तार से उल्‍लेख हुआ है. बिन्‍दु- 13 में अधिनियम और नियमों में अगर कोई संशोधन करना चाहता है तो वह ग्राम सभाएं उसका भी प्रस्‍ताव भेज सकती हैं उसका भी प्रावधान हैं और बिन्‍दु -14 है शांति एवं विवाद निवारण समिति, मुझे लगता है कि जब तक हम इसको पढ़ेंगे नहीं तो हमको लगता है कि नहीं हमारे साथ तो अन्‍याय हो रहा है. मैं पेसा कानून को लेकर दो बातें बड़ी स्‍पष्‍ट और आपकी जानकारी के लिये और सदन की जानकारी के लिये कहना चाहता हूं कि पेसा कानून के तहत 20 जिले अनुसूचित हैं. इसमें 6 पूरी तरह से हैं और 14 आंशिक तौर पर हैं और उसमें 88 आदिवासी ब्‍लॉक उसमें शामिल हैं, लेकिन इन 88 आदिवासी ब्‍लॉक के बाहर अगर एक लाख से ज्‍यादा आदिवासियों की संख्‍या है तो भारत सरकार ने कहा है कि उसके लिये भी नया ब्‍लॉक बनाया जायेगा तो मुझे लगता है के पेसा मोबिलाइजरों की संख्‍या, इतनी बड़ी संख्‍या में पेसा मोबिलाइजर काम कर रहे हैं तो हमें उनकी तरफ से भी, जैसे हम चिंता कर रहे हैं, यह लोग भी चिंता कर रहे हैं और अभी तक 10 हजार, 951 ग्राम सभा बन गयी हैं, जबकि पंचायतों की संख्‍या 5 हजार 133 है. मुझे लगता है कि प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और तेज गति से काम कर रही है. जनजातीय क्षेत्रों के लिये इससे बेहतर और कोई दूसरा रास्‍ता नहीं हो सकता है. मैं भारत सरकार का तो अभिनंदन करता ही हूं और मध्‍य प्रदेश सरकार में स्‍वयं राज्‍यपाल महोदय हर 6 महीने में इसका रिव्‍यू करते हैं. इसलिये मुझे लगता है कि इसमें किसी को कोई भ्रम नहीं होना चाहिये.

          श्रीमती सेना महेश पटेल- अध्‍यक्ष महोदय, सिर्फ एक मिनट और लूंगी.

          अध्‍यक्ष महोदय- सेना जी बहुत विस्‍तार से आपका प्रश्‍न भी आ गया है और मंत्री जी ने बहुत विस्‍तार से उत्‍तर भी दिया है.

           श्रीमती सेना महेश पटेल- आप मुझे एक बात कर दीजिये कि पूर्व मुख्‍यमंत्री और वर्तमान मुख्‍यमंत्री और माननीय मंत्री महोदय. इन तीनों में जो नियम बताये गये उसमें हम कौन सा नियम मानें. आदिवासी किसान इसमें से कौन सा नियम मानना चाहता हैं, आप हमें यह क्लियर कर दीजिये. क्‍या हमारे किसान आदिवासियों की जमीन बचेगी या छीन ली जायेगी. मेरा यह प्रश्‍न है.                                                                                                    

          मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव)अध्यक्ष महोदय,  यह बहन  हमारी,मैं नेता प्रतिपक्ष से निवेदन करुंगा कि  वे पहली बार की विधायक हैं,  थोड़ी सी उनकी मदद करें. लेकिन यह बात  मैं सब सदस्यों को बताना चाहूंगा कि  किसी हालत में,  किसी  भी व्यक्ति की कोई भी प्रकार  की जो आप बात कह रही हैं,  न तो कोई किसी किसान  की जमीन  छीनी  जायेगी,  न कोई जमीन ली जायेगी.  नियम प्रक्रिया के अंतर्गत  जो व्यवस्था होगी, वह  होगी  और कोई स्पेसीफिक  वह  बात विधान सभा  की आये, तो आप बता देना, हम आपकी उसमें भी मदद करेंगे, जिसमें  कोई ऐसी बात  हो.

          श्रीमती  सेना महेश  पटेल--  धन्यवाद साहब.  जमीन नहीं  छिनेगी,  यह   हम मान  लेंगे.  धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदयसेना जी, आपकी बात  आ गई है. मुख्यमंत्री जी  ने  इन्टरवीन करके  आपको बताया है और कोई बात हो तो  मंत्री जी से सीधे बात  कर सकते हैं.  हम लोग चर्चा के माध्यम से भी  बहुत सारी चीजों को  हल कर सकते हैं. प्रश्न संख्या-6  श्री माधव  सिंह जी.

 

11.36                                                                                                                            बधाई

डॉ. महेन्द्र सिंह, उत्तर प्रदेश विधान  परिषद् के सदस्य  एवं  उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री का दर्शक दीर्घा में उपस्थिति पर सदन की ओर से बधाई, स्वागत एवं अभिनंदन.

 

मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव) अध्यक्ष महोदय, मैं बीच में थोड़ा सा  उल्लेख करना चाहूंगा, माधव जी के बोलने से पहले. हमारी आज की इस सदन  की कार्यवाही में  हमारे उत्तर प्रदेश सरकार के  पूर्व मंत्री, अभी उत्तर प्रदेश विधान परिषद्  के सदस्य, हमारे भाजपा  के प्रभारी, डॉ. महेन्द्र सिंह जी यहां दर्शक दीघा में  हमारी कार्यवाही देखने के लिये मौजूद हैं.  मैं आपके माध्यम से उनका स्वागत करता हूं और उम्मीद करता हूं कि हमारी स्वस्थ परम्परा में हमारी इन व्यवस्थाओं  के साथ उत्तर प्रदेश अपना एक बहुत बड़ा आबादी का क्षेत्र है.लेकिन सुशासन के लिये जिस प्रकार से ये लोकतांत्रिक व्यवस्था में आज वे हमारे बीच में  मौजूद हैं. मैं उनका स्वागत करता हूं.

अध्यक्ष महोदयडॉ. महेन्द्र सिंह जी, उत्तर प्रदेश विधान  परिषद् के सदस्य हैं.  राज्य सरकार में मंत्री भी रहे हैं.सदन की ओर से  उनका स्वागत, अभिनन्दन है.   (सदन में मेजों की थपथपाहट)

11.37 बजे                             तारांकित प्रशनों के मौखिक उत्तर (क्रमशः)

                   नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)--   अध्यक्ष महोदय,  पेसा कानून की बात हुई और परमिशन की  बात हुई, गौण खनिज की बात हुई.  कोई सी भी परमिशन है, बगैर ग्राम सभा  की एनओसी  के नहीं होती है.  चाहे सेंट्रल से हो,   चाहे राज्य की हो.  तो मेरा मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि  सेना जी का जो प्रश्न था कि  बगैर ग्राम सभा,  बगैर  उन आदिवासियों के परमिशन  के  वहां पर कोई खनन नहीं होना चाहिये.  वे गरीब आदिवासी हैं,  चार-पांच  बीघा जमीन पर  वे संघर्ष कर रहे हैं.  उनको न्याय मिलना चाहिये.  यह उनकी भावना थी.  दूसरा मैं  मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि  पेसा  कानून के आपने  आंकड़े गिना दिये, नियम गिना दिये.  ये कागज पर हैं.  आज भी सिर्फ   वहां पर रजिस्टर  भरा रहे हैं,  पेसा कानून  के अन्दर.  पुलिस वाले 10-10,20-20 हजार रुपये ले लेते हैं झगड़ों के. झगड़ों का निराकरण पेसा कानून  के अन्दर  वहां पर क्यों नहीं होता. क्या सरकार इसकी मानिटरिंग  करती है.  मैं आपसे कहना चाहता हूं कि अगर आपकी मंशा है, हमारी भी मंशा है कि उन आदिवासियों  को अधिकार मिले,  उस पेसा कानून में   आपने अच्छी  एक  योजना की है,  लेकिन मिलना चाहिये.  तो मुख्यमंत्री जी से मेरा  अनुरोध  है कि इसकी एक बार  मानिटरिंग करायें, सच्चाई क्या है.  तो  आप खुद उसको देखेंगे,तो उचित रहेगा, धन्यवाद.

                    प्रश्न संख्या-6  श्री माधव सिंह (मधु गेहलोत)   (अनुपस्थित)

                  

ग्राम पंचायतों द्वारा किये गये विकास कार्यों की जानकारी

[पंचायत एवं ग्रामीण विकास]

7. ( *क्र. 147 ) श्री कमलेश्‍वर डोडियार : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनवरी 2020 से प्रश्‍न दिनांक तक रतलाम जिला अंतर्गत विकासखंड सैलाना व बाजना की ग्राम पंचायतों में विभिन्न योजनाओं व मदों से ग्राम पंचायतों द्वारा कराए गए सी.सी. रोड निर्माण, सामुदायिक भवन निर्माण, स्टॉपडेम निर्माण, पुलिया निर्माण, चबूतरा निर्माण, खेल मैदान निर्माण, स्कूल भवन निर्माण, आंगनवाड़ी भवन निर्माण, बाउंड्रीवाल निर्माण, ग्रेवल रोड निर्माण, सुदूर सड़क निर्माण, शमशान घाट निर्माण, नाली निर्माण आदि की ग्राम पंचायतवार जानकारी कार्य का नाम, लागत राशि, स्वीकृति दिनांक, पूर्णता/अपूर्णता की स्थिति सहित जानकारी उपलब्ध करावें? उपरोक्त में से पूर्ण कार्यों में किन-किन कार्यों के पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं? जिन पूर्ण कार्यों के पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नहीं किये गए हैं, उसके क्या कारण हैं और कब तक पूर्णता प्रमाण पत्र जारी किए जायेंगे? (ख) जनवरी 2020 से प्रश्‍न दिनांक तक ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग जिला रतलाम अन्तर्गत विकासखंड सैलाना व बाजना में कौन-कौन से कार्यों की स्वीकृति दी गई? कार्य का नाम, लागत राशि, स्वीकृति दिनांक, पूर्णता/अपूर्णता की स्थिति सहित संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करावें? इनमें से अपूर्ण कार्य कब तक पूर्ण करा लिए जायेंगे? अप्रारंभ कार्य किन कारणों से अप्रारंभ हैं और कब तक प्रारंभ करा दिए जायेंगे?

पंचायत मंत्री ( श्री प्रहलाद सिंह पटैल ) : (क) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' (पृष्‍ठ क्रमांक 1 से 341 तक) अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '' (पृष्‍ठ क्रमांक 1 से 2 तक) अनुसार है।

          श्री कमलेश्वर डोडियार अध्यक्ष महोदय,  मेरा आपके माध्यम से  मंत्री जी से   प्रश्न है कि जनवरी,  2018 से प्रश्न दिनांक  तक रतलाम  जिला..

          अध्यक्ष महोदय कमलेश्वर  जी,  प्रश्न संख्या  बोलकर   आप बैठ  जायें, जिससे   आपकी उपस्थिति हो जाये.  फिर मंत्री जी  उत्तर  पटल  पर रखने की घोषणा  करेंगे,  उसके बाद आप  पूरक प्रश्न करें.

          श्री कमलेश्वर डोडियार अध्यक्ष महोदय,  मैं प्रश्न तो पूछ लूं. मेरा प्रश्न संख्या 7 (क्र.147) है.

          अध्यक्ष महोदय हां, ठीक है, अब आप बैठ जाइये.  मंत्री जी.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेलअध्यक्ष महोदय,  उत्तर सभा पटल पर रख दिया गया है.

          अध्यक्ष महोदय अब, आप पूरक प्रश्न करें.

          श्री कमलेश्वर डोडियार अध्यक्ष महोदय, जो मुझे उत्तर दिया गया है, उसके सरल क्र. 5353 पर लिखकर  दिया है, आमलीपारा ग्राम पंचायत बाजना  जनपद में आती है.  वहां अभी ग्राम पंचायत   भवन बन रहा है,  बल्कि अभी उनकी  केवल नींव खोदी गई है और मुझे लिखकर दिया है कि  पूरा पंचायत भवन  बन चुका है और  उसका  पूर्णतः प्रमाण पत्र भी दे दिया है.  मैं मंत्री जी को कहना चाहता हूं कि यह गलत जवाब मुझे मिला है.  यह तो मैंने केवल पीछे पीछे  लेटेस्ट ही देखा है.  मैंने 2018  से जानकारी मांगी है और मैं पूरा देखूंगा,  तो  कितनी गलत जानकारी मुझे मिलेगी.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेलअध्यक्ष महोदय,पहले तो मेरा आपसे निवेदन है कि ऑनलाइन  सारी चीजें हैं और  इसलिये  मैं सदन के सभी माननीय सदस्यों से  प्रार्थना करता हूं, आपसे  भी   निवेदन करता हूं कि  2018  से उन्होंने जानकारियां मांगी हैं, जो  ऑन लाइन भी हैं,  और वह बाकायदा रिकार्ड में मौजूद भी हैं.  जब मैं लोसकभा से आया हूं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं लोकसभा से आया हूं हमारे यहां तीन साल की जानकारियां ली जाती हैं लेकिन जो जानकारियां आन लाईन होती है वह तो कम से कम मुझे लगता है कि हमें देखना चाहिये, अगर उसमें गुणवत्ता हम चाहते हैं और वास्तव में अगर हम कार्यो की प्रगति चाहते हैं, सुधार चाहते हैं तो हम स्पेसिफिक चीजों को कहें, जैसा कि माननीय सदस्य ने पंचायत भवन का उल्लेख किया . पर अगर माननीय सदस्य कहें कि मंत्री जी ने असत्य जवाब दिया है तो माननीय सदस्य के पास में अधिकार है वह मेरे खिलाफ विशेषाधिकार आपके सामने ला सकते हैं. पर मुझे लगता है कि संसदीय परम्पराओं में इस तरह की भाषा से हमें बचना चाहिये. अगर माननीय सदस्य को जांच करानी है तो वह यह कह सकते थे कि इसमें मुझे संदेह है यह असत्य जानकारी दी गई है और अध्यक्ष महोदय, इसके बाद भी मैंने 350 पेज का माननीय सदस्य के प्रश्न का उत्तर है. मुझे लगता है कि कम से कम विधायक के कार्यालय में जब वह आन लाईन चीजें देख सकते हैं वह हम देखें, जो फील्ड में हमको चीजें दिखती हैं आप उनका उल्लेख कर सकते हैं, कई बार हम विधानसभा सचिवालय से आग्रह भी करते हैं कि ऐसे प्रश्नों को हम कैसे स्वीकार करते हैं . मुझे लगता है कि जानकारी देने में कठिनाई नहीं है लेकिन हम पूरे प्रशासन को और सरकार को सिर्फ इसी काम में लगा रहे हैं . मैं इस प्रश्न के पृष्ठों की संख्या बता रहा हूं 352 पृष्ठ का यह उत्तर है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि यह जो तरीके हैं इससे कहीं कोई फायदा नहीं है. अगर हम गुणवत्ता की दृष्टि से कोई चीज जानना चाहते हैं और सुधारना चाहते हैं तो निश्चित पूछना चाहिये और इसलिये मैं माननीय सदस्य से अनुरोध करूंगा कि यदि उनको लगता है कि कहीं कोई अधूरा काम है और जिसकी पूर्णता की बात कही गई है, बल्कि मैंने माननीय सदस्य को जब प्रश्न का उत्तर दिया था तब तक तीन काम पूर्ण होने के बाद भी उनके भुगतान नहीं हुये थे, जब मैं अभी ब्रीफिंग ले रहा था तब मुझे स्थिति पता चली कि उन तीन काम का भुगतान हो गया है, वह भी ठेकेदार और सप्लायर के बीच के विवाद थे, उसमें सरकार का कोई लेना देना नहीं था, लेकिन जब कोई माननीय सदस्य प्रश्न लगाता है तो मैं इस स्तर पर भी गया कि यह भुगतान कैसे रुके हुये हैं तो उन्होंने साफ कहा कि यह ठेकेदार और सप्लायर के बीच के विवाद के भुगतान थे और मेरे अभी प्रश्न का उत्तर देने के समय मैं कह रहा हूं जो मैंने अपने उत्तर में लिखकर के दिया था कि तीन भुगतान शेष थे वह भी पूर्ण हो गये हैं, जब मैं विधानसभा में खड़े होकर के उत्तर दे रहा हूं.

          अध्यक्ष महोदय- कमलेश्वर जी कोई सप्लीमेन्टरी स्पेसिफिक प्रश्न हो तो आप करें नहीं तो फिर 300 पेज का आप अध्ययन कर लो.

          श्री कमलेश्वर डोडियार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न लगाने का केवल एक ही कारण था. अभी माननीय मंत्री जी ने कहा है कि आन लाइन सारी चीजें उपलब्ध हैं. हम जब आन लाइन देखते हैं तो हमें आन लाइन रिकार्ड में दिखाई देता है कि कोई निर्माण काम बना हुआ है, चाहे वह तालाब हो, चाहे वह सड़क हो, कुछ भी हो लेकिन जब हमें शंका होती है और जब हम फिजिकली जाकर के देखते हैं तो वहां पर वह निर्माण बना हुआ नहीं होता है, इसलिये हम लोग प्रश्न लगाते हैं. अध्यक्ष महोदय, हम प्रश्न लगाने पर विधानसभा के अंदर भी हमें असत्य जानकारी मिली. मेरी सिर्फ नाराजगी इतनी है. माननीय अध्य़क्ष महोदय, दूसरा मेरा अनुपूरक प्रश्न था कि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के माध्यम से जितने भी तालाब राज्य में बनते हैं किसी भी इलाके में बनते हैं तो दो या तीन दिन के अंदर पूरे के पूरे तालाब बना दिये जाते हैं और तालाब बनाने का काम रात में चलता है, माननीय मंत्री जी ने जिन तालाबों की जानकारी दी है उममें भी अभी काम चल रहा है, निर्माणाधीन हैं जबकि वहां पर सारे काम पूरे हो चुके हैं. 75 लाख, 80 लाख, 90 लाख के आसपास के तालाब दो-दो, तीन तीन दिन में कंपलीट कर दिये जाते हैं, वह भी ठेकेदार और इंजीनियर रात में काम करते हैं, अध्यक्ष महोदय, मेरी सिर्फ नाराजगी इतनी है जनहित में कि तालाब जब बनते हैं तो वहां न काली मिट्टी डाली जाती है और न ही पानी डाला जाता है, तालाब की लागत का पैसा बचाने के लिये इस तरह की कार्य किया जाता है तो मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से गांव का डेव्हलेपमेंट किया जाता है लेकिन गांव के अंदर में बहुत लापरवाहीपूर्वक काम किये जाते हैं, विकास के काम किये जाते हैं.

          अध्यक्ष महोदय-कमलेश्वर जी आप प्रश्न तो करें. आप प्रश्न करेंगे तो मंत्री जी जवाब देंगे.

          श्री कमलेश्वर डोडियार --माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यही था कि एक तो मुझे असत्य जानकारी मिली दूसरी जो जानकारी मेरे पास में आई है उसमें काम पूरे हो गये हैं यदि हम फिजिकली जाकर के देखें और यहां पर मुझे जानकारी दे रहे हैं कि काम अभी निर्माणाधीन हैं, चल रहे हैं. एक तो असत्य जानकारी दूसरी बात काम में क्वालिटी नहीं है और जो काम हुये ही नहीं हैं मतलब सिर्फ कागज पर निर्माण काम हो चुके हैं और वास्तव में जब जमीन पर जाकर के देखें तो निर्माण कार्य नहीं हुये हैं. तो अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से इतना आग्रह है कि ठेकेदार और इंजीनियर जिस प्रकार से कार्य करते हैं, कार्य की लागत बचाने के लिये, सुदूर आदिवासी इलाका होता है,लोग अनपढ़ होते हैं वहां पर काम नहीं करते है और पैसा निकाल लेते हैं ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करें इतना ही निवेदन है.

          श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय सदस्य से इतना ही निवेदन है कि वह स्पेसिफिक लिखकर के देंगे तो मैं जांच कराने के लिये तैयार हूं. क्योंकि सरकार भी गुणवत्ता चाहती है अगर वह स्पेसिफिक लिखकर के देंगे कि इन इन वर्क की जांच करानी है तो अध्यक्ष महोदय मैं  आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि मैं जांच कराऊंगा.

 

प्रश्न संख्या -8            श्री विक्रांत भूरिया                 (अनुपस्थित)

 

          संसदीय कार्य मंत्री, श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष जी, मंच गिर गया था शायद उनको चोट लग गई है.(हंसी)

          श्री भंवर सिंह शेखावत-- मंच का ठेकेदार तो आपका ही पट्ठा है उस्ताद (हंसी)

 

प्रश्‍न संख्‍या 9 -- डॉ. तेजबहादुर सिंह चौहान  (अनुपस्थित)

10. ( *क्र. 444 ) श्री दिनेश गुर्जर : क्या सहकारिता मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्‍यप्रदेश राज्‍य सहकारी विपणन संघ मर्यादित अंतर्गत जिला मुरैना में संचालित सहकारी समितियां एवं जिला प्रबंधक विपणन संघ मुरैना द्वारा खाद वितरण में की जा रही अनियमितता एवं भ्रष्‍टाचार के संबंध में 6 माह में कितनी शिकायत प्राप्‍त हुई? उक्‍त शिकायतों पर क्‍या-क्‍या कार्यवाही की गई? शिकायत वार विवरण दें। जिला विपणन संघ मुरैना के प्रबंधक द्वारा स्‍थानीय जनप्रतिनिधियों से अभद्रता एवं अनुशासनहीनता की शिकायतों पर कार्रवाई क्‍यों नहीं की गई? इतनी शिकायतों के बाद भी प्रबंधक को हटाया क्‍यों नहीं गया? (ख) जिला प्रबंधक के संरक्षण में खाद वितरण में की जा रही कालाबाजारी पर कार्यवाही क्‍यों नहीं की जा रही? किसानों से खाद वितरण के नाम पर रू. 100-100 के टोकन किस नियम के तहत दिए जा रहे हैं? (ग) क्‍या किसानों को शासकीय दर से अधिक राशि पर खाद विक्रय किया जा रहा है? यदि हाँ, तो प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई क्‍यों नहीं की गई? यदि नहीं, तो फिर किसानों के पास महंगे दामों पर खाद खरीदी की पर्ची/रसीद कहां से आई? (घ) अनेक किसानों को खाद विक्रय की पर्ची/रसीद देकर राशि तो प्राप्‍त कर ली गई है, लेकिन उनको खाद क्‍यों नहीं दिया गया? जिला विपणन संघ मुरैना अंतर्गत समस्‍त समितियों को तीन माह में प्राप्‍त खाद की मात्रा एवं किसानों को खाद विक्रय की मात्रा की समीतिवार जानकारी देवें।

सहकारिता मंत्री ( श्री विश्वास कैलाश सारंग ) : (क) विपणन संघ से प्राप्‍त जानकारी अनुसार विगत 06 माह में खाद वितरण में की जा रही अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई, जिससे कार्यवाही का प्रश्‍न नहीं है। जिला विपणन संघ मुरैना के प्रबंधक के विरूद्ध स्थानीय जनप्रतिनिधियों से अभ्रदता एवं अनुशासनहीनता संबंधी कोई शिकायत विपणन संघ मुख्यालय को प्राप्‍त नहीं हुई है, यद्यपि कलेक्टर जिला मुरैना के पत्र क्र./स्‍टेनो/का.ब.सू.प./2025/06, दिनांक 29.01.2025 के द्वारा श्री विनोद कोटिया, जिला विपणन अधिकारी को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया था, जिसके परिप्रेक्ष्य में जिला विपणन अधिकारी द्वारा पत्र क्र./स्‍था./750, दिनांक 03.02.2025 के द्वारा कारण बताओ सूचना पत्र का उत्तर कलेक्टर जिला मुरैना को प्रस्तुत किया गया है। कलेक्टर मुरैना द्वारा जिला विपणन अधिकारी मुरैना के विरूद्ध कार्यवाही हेतु कोई प्रस्ताव विपणन संघ मुख्यालय को प्रेषित नहीं किया गया है, इसलिये कार्यवाही का प्रश्‍न नहीं है।  (ख) विपणन संघ से प्राप्त जानकारी अनुसार जिला प्रबंधक के संरक्षण में खाद वितरण में की जा रही कालाबाजारी जैसी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। उर्वरक वितरण व्यवस्था को बनाये रखने हेतु जिले में किसानों को टोकन वितरण का कार्य स्थानीय प्रशासन, सहकारिता एवं कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जाता है। टोकन वितरण के नाम पर कोई राशि नहीं ली जाती है और न ही कोई निर्देश जारी किये गये हैं तथा इस संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। (ग) जी नहीं। जिला मुरैना में शासकीय दर से अधिक राशि पर उर्वरक विक्रय के संबंध में कोई प्रकरण संज्ञान में नहीं आये हैं, अतएव कार्यवाही का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (घ) कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार प्रशासनिक व्यवस्था बनाये रखने के लिये कृषकों को पर्ची/रसीद देकर उर्वरक वितरण कराया गया है। राशि प्राप्त कर लेने के पश्चात भी खाद नहीं दिये जाने की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। विगत 03 माह में प्राप्त खाद की मात्रा एवं किसानों को विक्रय खाद की मात्रा की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 एवं 2 अनुसार है।

          श्री दिनेश गुर्जर -- अध्‍यक्ष महोदय, यह मंच नगरीय प्रशासन मंत्री जी के अंडर में आता था (हंसी). मेरा प्रश्‍न क्रमांक - 444 पटल पर है.

          श्री विश्‍वास कैलाश सारंग -- अध्‍यक्ष महोदय, उत्‍तर पटल पर रख दिया गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- दिनेश जी, पूरक प्रश्‍न करें.

          श्री दिनेश गुर्जर -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरे मुरैना विधान सभा और मुरैना जिले के अंदर जो खाद वितरण किया जा रहा था, उस समय विपणन संघ के कुछ अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा कुछ एजेंट तैयार किये जाते थे जो 100-100 रुपये में टोकन देते थे फिर उन लोगों को खाद दिया जाता था, नहीं तो 4-4 दिन तक किसान खाद की लाइनों में लगा रहता था. एक किसान जब अपनी मांग और व्‍यथा को लेकर विपणन संघ के अधिकारी के पास गया और कहा कि इस तरीके से हो रहा है, खाद नहीं मिल रहा है और टोकन के नाम पर पैसा मांगा जा रहा है, तो उन अधिकारी द्वारा उसको डराया-धमकाया गया, उसका मोबाइन फेंक दिया गया. उसके बाद जब मैंने बात करने का प्रयास किया तो मुझसे बात नहीं की. जब मेरे द्वारा वहां जाकर पूछा गया तो उनके पास कोई जवाब नहीं था. उसका वीडियो मेरे पास है. उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग मैंने कराई और जब मैंने मुरैना कलेक्‍टर को यह लिखकर दिया कि आपके मार्गदर्शन में जो व्‍यवस्‍था होती है उसमें गलत तरीके से काम किया जा रहा है, किसानों को पर्याप्‍त खाद नहीं मिल रहा है, टोकन के नाम पर 100-100 रुपये लिये जा रहे हैं तब कलेक्‍टर ने उसकी जांच नहीं कराई. उसको कारण बताओ नोटिस दिया. जिन किसानों ने मुझे शिकायत की थी, जिन्‍होंने मुझे आवेदन दिया मेरे पास उन किसानों के आवेदन हैं. उन किसानों से नहीं पूछा गया. अगर आप चोर से ही पूछेंगे कि आपने चोरी की है तो क्‍या वह मानेगा. जिनके संरक्षण में यह काम हो रहा है, तो क्‍या उसके खिलाफ वह कार्यवाही करेंगे. इसलिये मैंने माननीय मंत्री जी को आवेदन दिया था और माननीय मंत्री जी से मांग की है कि भविष्‍य में ऐसा काम न हो. मध्‍यप्रदेश में किसानों को लूटा और ठगा न जाये. इसलिये आप इसके संबंधित जो विपणन संघ के जिले के अधिकारी हैं उनकी आप जांच कराएं. हमने आपको भी पत्र लिखा है और मेरे पास किसानों के पत्र भी मौजूद हैं जिन किसानों ने शिकायत की है. कोई भी शिकायतकर्ता है, उससे तो पूछा जाता है कि आपने यह शिकायत की है, यह सही है कि गलत है.

          अध्‍यक्ष महोदय --  दिनेश जी, आप प्रश्‍न तो करें.

          श्री दिनेश गुर्जर -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा कहना यह है कि मुझे जो जवाब दिया गया है उसमें कहा गया है कि इस तरीके का कोई काम नहीं हुआ है. कलेक्‍टर ने उनसे जवाब मांग लिया है, कोई अधिकारी दोषी ही नहीं है. जब कलेक्‍टर के संरक्षण में ही गलत काम हो रहा है तो फिर कलेक्‍टर उसको क्‍यों दोषी बताएगा. मध्‍यप्रदेश के सहकारिता मंत्री जी से मेरी मांग है कि इसमें आप अपने यहां से अधिकारी भेजकर जांच कराएं और जिन किसानों ने शिकायत की है उन किसानों से भी पूछा जाए कि आपके साथ ऐसा हुआ है या नहीं हुआ है, तो आपको सच्‍चाई पता लग जाएगी. अगर आप जांच नहीं कराएंगे तो मेरा मानना है कि आप मध्‍यप्रदेश के किसानों के साथ न्‍याय नहीं करना चाहते हैं. आपके माध्‍यम से मेरी मांग है कि इसमें जांच हो और संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही हो.

          श्री विश्‍वास कैलाश सारंग -- अध्‍यक्ष महोदय,  माननीय विधायक जी ने जिस घटना का यहां पर जिक्र किया है उसका संज्ञान मुख्‍यालय लेबल पर कभी भी नहीं हुआ. जहां तक खाद वितरण की बात है, पूरे प्रदेश में हमने सुचारू व्‍यवस्‍था की है. पिछले सत्र में ही कांग्रेस के विधायकों द्वारा खाद वितरण को लेकर स्‍थगन प्रस्‍ताव आया था और उस समय विस्‍तारित रूप से मध्‍यप्रदेश में खाद वितरण को लेकर यहां पर समुचित जवाब दिया गया था और मैं इस सदन के संज्ञान में लाना चाहता हूं कि हमने हर साल खाद वितरण में हमारी जो आपूर्ति और डिमांड है, उसको पूरी तरह से मेन्‍टेन किया है. हमने लगातार उसमें प्रगति भी की है. माननीय विधायक जी मुरैना जिले से हैं, यदि हम मुरैना जिले की बात करें तो हमने इस बार भी ज्‍यादा मात्रा में खाद का वितरण किया है. हमने वर्ष 2024-25 में यूरिया 23.24 मेट्रिक टन का वितरण किया है. इस बार उसमें हमने लगभग 7 प्रतिशत् की बढ़ोत्‍तरी की है. इसी तरह डीएपी, एनपीके जो कॉम्‍प्‍लेक्‍स है, उसमें भी हमने बढ़ोत्‍तरी की है. उसके साथ यदि विधायक जी के विधान सभा क्षेत्र की बात करूं तो हमने पिछले साल से लगभग 18 प्रतिशत ज्यादा यूरिया का वितरण किया है. डीएपी और एनपीए 26 प्रतिशत ज्यादा वितरित किया है.  जो टोकन वाली बात है वह स्थानीय स्तर की बात है. किसानों में क्यू (पंक्ति) की पद्धति ठीक से लागू हो सके इसलिए टोकन बांटे जाते हैं. यह स्थानीय व्यवस्था रहती है. कलेक्टर के मार्गदर्शन में जिले का मार्कफेड अधिकारी होता है उसका वितरण करता है. टोकन को लेकर पैसे की मांग की गई हो ऐसी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है.  मुरैना जिले में जिस स्थान का माननीय सदस्य ने जिक्र किया है कलेक्टर ने उस स्थान की विस्तार से जांच की है. कलेक्टर ने जो जांच की है उसका प्रतिवेदन मेरे पास है.

          श्री दिनेश गुर्जर -- सिर्फ कारण बताओ नोटिस दिया है, आप गलत जानकारी दे रहे हैं.

          श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनेश गुर्जर जी इतने क्रांतिकारी नेता है क्या कोई इनसे अभद्रता कर सकता है ? दिनेश जी, क्या कोई अधिकारी आपसे गलत व्यवहार कर सकता है ? आप एक क्रांतिकारी नेता हो.

          अध्यक्ष महोदय -- यह तो हमको भी नहीं मालूम था कि यह इतने क्रांतिकारी नेता हैं.

          श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको तो मालूम है. इनकी क्रांति के चर्चे प्रदेश में ख्याति प्राप्त हैं. कलेक्टर ने जांच की जिसके दो विषय थे. पहला क्या टोकन को लेकर कोई पैसे का लेन देन किया गया. इसमें कहीं भी कोई सत्यता नहीं पाई गई. परन्तु विधायक जी ने यह भी कहा था कि उनके साथ अभद्रता हुई है. इस सदन का जो सदस्य है उसके प्रति इस सरकार की कटिबद्धता है उसका मान सम्मान पूरी तरह से रखा जाना चाहिए. सदन का कोई भी सदस्य जनता के हित की बात करता है. कलेक्टर ने उस अधिकारी को चेतावनी दी है कि यदि माननीय विधायक के मान सम्मान में कोई गलती हुई है तो आपका व्यवहार ठीक होना चाहिए.

          अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है यह जांच पूरी तरह से हुई है. मैं विधायक जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि कहीं कोई किसान विशेष की बात है तो हमें जांच करने में कहीं कोई  संकोच नहीं है. जांच भी की जा सकती है. इस विषय में बहुत ज्यादा सत्यता नहीं पाई गई है.

          श्री दिनेश गुर्जर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि क्या आपके द्वारा यह जांच की गई है. क्या आप स्वयं मुरैना गए थे, क्या आपने भोपाल से कोई जांच दल भेजा था. इस तरह से गुमराह करने की बातें न करें. इतने विश्वास के साथ मंत्री जी बोल रहे हैं कि ऐसा नहीं हुआ है तो यहां से एक जांच दल भेज दिया जाए. जिन किसानों ने मुझसे शिकायत की है उनके अलावा भी किसी गांव में चले जाएं तो किसान अपने आप बता देगा कि उसे यूरिया मिला या नहीं मिला. उससे टोकन के नाम पर 100 रुपए मांगे गए या नहीं मांगे गए. दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. जो गलती इस बार हुई है वह आने वाले समय में किसानों के साथ न हो इसलिए मैं यह कह रहा हूँ. इसकी गंभीरता से जांच कराएं. दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें. आप कहते हैं कि मध्यप्रदेश सरकार की मंशा है कि हम हर किसान को खाद देना चाहते हैं तो फिर यदि इसमें कालाबाजारी हो रही है तो इसे रोकने में आपको क्या आपत्ति है. हर किसान से टोकन के नाम पर  100 रुपए कर्मचारियों के दलाल ले रहे हैं उनको रोकने में आपको क्या दिक्कत है.

          अध्यक्ष महोदय, मेरी आपसे करबद्ध प्रार्थना है आपका भी जिला है, इस विषय पर जांच होना चाहिए. यदि कोई अधिकारी दोषी है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होना चाहिए, जिससे मुरैना जिले के किसानों को राहत मिल सके.

          श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जांच हो गई है. मुझे नहीं लगता है कि ऐसा कोई विषय है.

          श्री दिनेश गुर्जर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जांच हो गई है तो मंत्री जी वह जांच दिखा दें, आप पटल पर रख दें.

          श्री विश्वास सारंग -- हां जांच हुई है दिखा देंगे.

          श्री दिनेश गुर्जर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जांच नहीं हुई है. कलेक्टर ने सिर्फ कारण बताओ नोटिस दिया है. जांच उसको माना जाता है जिसमें शिकायतकर्ता से भी पूछा जाए कि आपको क्या दिक्कत है...

          अध्यक्ष महोदय -- दिनेश जी आप एक मिनट बैठ जाएं. माननीय मंत्री जी, दिनेश जी को आप बुला लें, वे सदन के सदस्य हैं. जो तथ्य यह दें उन पर एक बार विचार कर लें.

          श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनेश जी मेरे पास आते भी रहते हैं उन्होंने कभी बताया नहीं. मैं माननीय सदस्य को बिलकुल बुला लूंगा.

          अध्यक्ष महोदय --  मंत्री जी, आप दिनेश जी को बुला लें.

          श्री विश्‍वास सारंग-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपका जो आदेश है उसका पालन होगा. मैं दिनेश भाई को चाय पर निमंत्रित करूंगा और यदि कहीं भी किसी भी तरह की बात होगी तो करेंगे हम कटिबद्ध हैं. मैं इस सदन में आपके माध्‍यम से पूरे विश्‍वास के साथ कहना चाहता हूं कि किसानों के हित के लिए मोहन यादव जी की सरकार कटिबद्ध है. चाहे खाद का मामला हो, चाहे बीज का मामला हो,  चाहे ऋण का मामला हो हम पूरी तरह से कटिबद्ध हैं और उनके साथ हैं.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कई बार आपने कहा कि खाद को लेकर चर्चा हुई थी. बारिश में फिर सीजन आएगा. मेरा आपके माध्‍यम से सुझाव है उसमें माननीय मंत्री जी ने कहा नहीं था कि क्‍या पंचायत में टोकन देकर पंचायत में खाद की व्‍यवस्‍था नहीं दे सकते हैं ताकि कालाबाजारी जारी नहीं हो. इस पर मेरा माननीय मंत्री जी को अनुरोध था कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी इसको संज्ञान में लें ताकि यह जो कालाबाजारी होती है क्‍योंकि आप किसान को दे रहे हो, हर गांव में देना है, हर पंचायत में देना है तो आप उन्‍हें वहीं टोकन दे दो. मार्कफेड से वहीं खाद ले जाएं और वहीं से वितरण हो जाए. मेरा ऐसा सुझाव है

          अध्‍यक्ष महोदय-- आपका सुझाव सुन लिया गया है.

खेत सड़क योजना

[पंचायत एवं ग्रामीण विकास]

11. ( *क्र. 311 ) श्री मोहन सिंह राठौर : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में खेत सड़क योजना के संबंध में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पत्र क्रमांक 1503/एम.जी.एन.आर.ई.जी.एस.-एम.पी./एन.आर.3/2023 भोपाल दिनांक 16.05.2023 से जारी निर्देशों के अनुक्रम में उपयोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है? (ख) प्रश्‍नांश '''' अनुसार यदि हाँ, तो विधानसभा भितरवार, जिला ग्वालियर अंतर्गत कौन-कौन से ग्रामों में वर्ष 2023-24 एवं वर्ष 2024-25 में कौन-कौन से कार्य कितनी-कितनी राशि के स्वीकृत किये गये हैं? सूची उपलब्ध करायें। (ग) क्या प्रश्‍नांश '''' योजना अंतर्गत वर्ष 2025-26 में कार्य स्वीकृत किये जाना प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो भितरवार विधानसभा क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य कितनी-कितनी राशि के सम्मिलित किये जा रहे हैं? कार्यों की सूची उपलब्ध करायें। यदि नहीं, तो क्यों?

पंचायत मंत्री ( श्री प्रहलाद सिंह पटैल ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी निरंक है। (ग) जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है।

परिशिष्ट - "चार"

         

          श्री मोहन सिंह राठौर-- प्रश्‍न संख्‍या 11.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल--माननीय अध्‍यक्ष महोदय, उत्‍तर पटल पर रख दिया गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- मोहन सिंह जी आप पूरक प्रश्‍न करें.

          श्री मोहन सिंह राठौर-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में माननीय मंत्री ने अवगत कराया है कि मई 2023 से प्रदेश में खेत सड़क योजना लागू की गई है. यह किसानों कि हित में बहुत दिनों से प्रतीक्षित मांग को ध्‍यान में रखकर माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने माननीय मंत्री जी ने जो योजना शुरू की है उसके लिए मैं हृदय से किसानों की ओर से उन्‍हें धन्‍यवाद देता हूं. इसके साथ ही मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में यह बताया गया है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में 11 ऐसी खेत सड़क योजनाएं ली हैं जिनको इस बार स्‍वीकृत किया गया है.

          अध्‍यक्षय महोदय, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि यह कार्य कब त‍क प्रारंभ होंगे.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से सदन को यह सूचना देना चाहता हूं कि मनरेगा के... (व्‍यवधान)

          श्री भंवरसिंह शेखावत-- आप खेत सड़क के नाम से मत बोलिये खेत सड़क की तो दुकान ही बंद हो गई है.  (व्‍यवधान)

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, खेत सड़क योजना के मामले में बेहतरीन काम हुआ है और वह काम अभी भी जारी है, लेकिन भारत सरकार की एक ऑडिट रिपोर्ट के कारण.

          श्री भंवरसिंह शेखावत-- बैन लगा हुआ है. यह योजना शिवराज जी के समय में चालू हुई थी जो बंद हुई है और आज तक चालू नहीं हुई है.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- मुझे ऐसा लगता है कि आप पहले सुन लीजिए फिर बात करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय-- भंवरसिंह जी जवाब आ जाने दीजिए.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- माननीय अध्‍यक्ष जी इस विषय पर बोलने के लिए यदि मुझे थोड़ा समय मिल जाए तो अच्‍छा रहेगा. मनरेगा से पिछले जो कार्य हुए हैं उसको लेकर कैग की रिपोर्ट में कुछ चीजों पर घोर आपत्ति की गई थी उसमें मजदूरी और सामग्री को लेकर जो अनुपात था वह अनुपात मेनटेन होना चाहिए. दूसरा जिले के स्‍तर पर यह देखा जाता था कि मजदूरी में और सामग्री में अनुपात ठीक है या नहीं है. जबसे यह सरकार बनी है मैं उस अनुपात को ब्‍लॉक लेवल पर लाया हूं. अन्‍यथा कोई ब्‍लॉक अच्‍छा काम करता था परंतु जिले के कारण वह रेश्‍यो बिगड़ता था और वह काम नहीं होता था. आप कहते हैं कि काम नहीं हुआ जिनके रेश्‍यो ठीक नहीं थे उनको भी प्रत्‍येक जनपद को एक करोड़ रुपया पहुंचा है और जिनके रेश्‍यों ठीक थे उनको तीन करोड़ रुपया पहुंचा है. मुझे लगता है कि हम जानकारी के बगैर न बोलें तो अच्‍छा होगा. जो माननीय सदस्‍य ने कहा है उनके प्रश्‍न में भी मैंने कहा था कि इसमें मेरा तुम्‍हारा नहीं होता है. अगर हमारा रेश्‍यो ठीक नहीं है तो जो ठीक काम करेगा उसको पैसा मिलेगा. यह उसकी नीति का हिस्‍सा है. कृषि क्षेत्र में जो आनुपातिक दृष्टि से 60 प्रतिशत खर्च होना चाहिए वह ग्‍वालियर जैसी जगह पर नहीं हुआ. उसके कारण से यह काम वहीं पर रुके हैं. जहां पर रेश्‍यों ठीक नहीं है मैं आपके माध्‍यम से माननीय विधायकों से भी निवेदन करूंगा कि जो नीति है मनरेगा की उस नीति के अनुकूल हम सबको भी क्रियान्‍वयन करें तो मुझे लगता है कि काम में कोई कठिनाई नहीं है. पैसा आएगा तो पैसा मिलेगा अभी एक और चुनौती आएगी मध्‍यप्रदेश सरकार को 13 लाख से ज्‍यादा प्रधानमंत्री आवास मिले हैं और उसमें मनरेगा की मजदूरी भी है तो मुझे लगता है कई बार अगर हम समग्र रूप से देखेंगे तो मुझे नहीं लगता कि आपको कोई आपत्ति करनी पड़ेगी और मैं माननीय सदस्‍य को कहना चाहता हूं कि आपकी जनपद एक या दो होंगी उन दोनों में रेश्‍यो आपके यहां ठीक है तो आपके पास तीन करोड़ रुपया मौजूद है आप उस कार्य योजना के माध्‍यम से अपने प्रस्‍ताव दे सकते हैं लेकिन 6 माह पूर्व मैंने वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग में कहा था कि सरपंच एक बार में अपनी खेत सड़क की मैपिंग करवा लें क्‍योंकि बाद में संख्‍या कैसे बढ़ जाती है ? इसका आपको भी ध्‍यान रखना होगा कि एक बार कार्य योजना बनने के बाद, खेत सड़क की गिनती कैसे बढ़ जाती है, एक बार हमें इस पर भी विचार करना चाहिए.

          श्री मोहन सिंह राठौर-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्‍यम से मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मेरा विधान सभा क्षेत्र 150 किलोमीटर स्‍क्‍वायर का है. अध्‍यक्ष महोदय स्‍वयं वहां से सांसद रहे हैं, वहां की बड़ी सड़कों पर प्रधानमंत्री जी के नेतृत्‍व में बहुत काम हुआ है लेकिन छोटी-छोटी सड़कों का काम खेत सड़क के माध्‍यम से रह गया है. यदि मैं माननीय मंत्री जी को सूची उपलब्‍ध करवा दूं तो वे कुछ अतिरिक्‍त सड़कें वहां के लिए जोड़ लें क्‍योंकि वहां पिछले 15 वर्षों में विकास के बहुत से काम पिछड़ गए हैं.

          मेरा दूसरा अनुरोध है कि मेरे क्षेत्र में जनपद सीईओ, घाटीगांव, विगत ढाई वर्ष से नहीं हैं, जिसके कारण पंचायतों के माध्‍यम से होने वाले कार्यों में व्‍यवधान होता है. उनकी नियुक्ति कब तक हो जायेगी, मैं इसकी भी जानकारी आपके माध्‍यम से मिल जाये, इसके लिए माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपका आभारी रहूंगा.

          अध्‍यक्ष महोदय-  मोहन सिंह जी, प्रश्‍न काल समाप्‍त हो चुका है.

          श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यदि आपकी अनुमति हो तो मैं मंत्री जी को एक सुझाव देना चाहूंगा कि मंत्री जी खेत सड़क योजना पूर्व में आपके समय में प्रारंभ हुई थी. एक लाख रुपया हर पंचायत को एक किलोमीटर सड़क के लिए दिया जाता था, वह योजना बंद होने के बाद आज देशभर में खेतों के सिवाय क्‍या है ? खेत सड़क नहीं होने से गांव का विकास नहीं हो रहा है, वह एक लाख रुपया पंचायत में सरपंच को दिया जाता था कि वह कच्‍ची मुरम की एक किलोमीटर की सड़क बना ले, वह योजना आपने बंद कर दी इसलिए आपसे निवेदन है कि आप उस योजना को पुन: प्रारंभ कर दें, यदि वह योजना प्रारंभ हो गई तो खेत सड़क से संबंधित जितनी समस्‍यायें आ रही हैं, ये अपने-आप समाप्‍त हो जायेंगी.

          अध्‍यक्ष महोदय-  शेखावत जी, सदन में पुन: पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का प्रश्‍न आये तो उस समय आप अपना विषय रखें, अभी प्रश्‍न काल समाप्‍त हो गया है.

(प्रश्‍नकाल समाप्‍त)

 

12.02 बजे

अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था

सदन में पूछे जाने वाले प्रश्‍नों की सटीकता विषयक

          अध्‍यक्ष महोदय-  माननीय पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री जी का सुझाव विचारणीय है, माननीय सदस्‍य यदि अधिक लंबे प्रश्‍नों के स्‍थान पर क्षेत्रीय जनहित के विषयों पर, सटीक विषय-वस्‍तु पर प्रश्‍न लगायेंगे तो विभाग से उपयुक्‍त जानकारी आ पायेगी और उन पर प्रभावी कार्यवाही भी संभव हो सकेगी लेकिन शासन द्वारा माननीय सदस्‍यों के प्रश्‍नों का पूर्ण एवं तत्‍परता से उत्‍तर एवं जानकारी देना सुनिश्चित और अधिक करना चाहिए.

          आज प्रश्‍न काल में सबसे अधिक उत्‍तर प्रहलाद सिंह पटेल जी दे दिये हैं, मुझे लगता है कि उन्‍होंने अच्‍छे उत्‍तर दिये हैं, इसके लिए उनका स्‍वागत एवं अभिनंदन है.

 

 

12.03 बजे

 

      पत्रों का पटल पर रखा जाना

 

1.  वाणिज्‍य कर विभाग की विभिन्‍न अधिसूचनायें

 

(क) भारतीय स्‍टाम्‍प अधिनियम, 1899 (क्रमांक 2 सन् 1899) की धारा 75-क की अपेक्षानुसार F-3-3-0010-2024-Sec-02-पांच(CT)(08), दिनांक 30 सितम्‍बर, 2024 एवं

(ख) रजिस्‍ट्रीकरण अधिनियम, 1908 (क्रमांक 16 सन् 1908) की धारा 91 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार F-3-4-0011-2024-Sec-02-पांच(CT)(10), दिनांक 30 सितम्‍बर, 2024 तथा

(ग) मध्‍यप्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 166 की अपेक्षानुसार निम्नलिखित  अधिसूचनाएं :-

     (i)   क्रमांक CT-8-0009-2023-Sec-1-पांच (CT) (01), दिनांक 10 जनवरी, 2024,

     (ii)   क्रमांक CT-8-0005-2023-Sec-1-पांच (CT) (02), दिनांक 12 जनवरी, 2024,

     (iii)   क्रमांक CT-8-0009-2023-Sec-1-पांच (CT) (05), दिनांक 17 जनवरी, 2024,

     (iv)   क्रमांक CT/8-0002-2024-Sec-1-05 (CT) (03), दिनांक 19 जनवरी, 2024,

     (v)    क्रमांक एफ-ए-3-33-2017-1-पांच (04), दिनांक 19 जनवरी, 2024,

     (vi)   क्रमांक CT/8-0003-2024-Sec-1-05 (CT) (08), दिनांक 13 मार्च, 2024,

     (vii)  क्रमांक CT-8-0004-2024-Sec-1-पांच (CT) (11), दिनांक 13 मई, 2024,

     (viii) क्रमांक CT-8-0002-2024-Sec-1-पांच-(CT) (12), दिनांक 13 मई, 2024,

     (ix)   क्रमांक एफ ए-3-02-2017-1-पांच (13), दिनांक 02 अगस्‍त, 2024,

     (x)    क्रमांक एफ ए 3-42/2017/1/पांच(14), दिनांक 08 अगस्‍त, 2024,

     (xi)   क्रमांक एफ ए 3-36-2018-1-पांच (15), दिनांक 08 अगस्‍त, 2024,

     (xii)  क्रमांक एफ ए 3-33/2017/1/पांच (16), दिनांक 08 अगस्‍त, 2024,

     (xiii) क्रमांक एफ ए 3-35/2017/1/पांच(17), दिनांक 08 अगस्‍त, 2024,

     (xiv)   क्रमांक CT-8-0006-2024-Sec-1-पांच (CT) (18), दिनांक 08 अगस्‍त, 2024,         

     (xv)    क्रमांक CT/8-0007-2024-Sec-1-05 (CT) (19), दिनांक 08 अगस्‍त, 2024,

     (xvi)   क्रमांक CT-8-0008-2024-Sec-1-पांच (CT) (20), दिनांक 20 सितम्‍बर, 2024,

     (xvii)  क्रमांक CT-8-0007-2024-Sec-1-पांच (CT) (22), दिनांक 04 अक्‍टूबर, 2024,

     (xviii) क्रमांक एफ ए 3-32/2017/1/पांच(23), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

     (xix)   क्रमांक एफ ए 3-36/2017/1/पांच (24), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

     (xx)    क्रमांक एफ ए 3-37/2017/1/पांच (25), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

     (xxi)   क्रमांक एफ ए 3-42/2017/1/पांच (26), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

(xxii)    क्रमांक एफ ए 3-63/2017/1/पांच (27), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

     (xxiii) क्रमांक एफ ए 3-11/2021/1/पांच (28), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

     (xxiv) क्रमांक एफ ए 3-33/2017/1/पांच (29), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

     (xxv)  क्रमांक CT/8/0007-2024-Sec-1-05 (CT) (30), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024 एवं

     (xxvi) क्रमांक एफ ए 3-47/2017/1/पांच (31), दिनांक 28 नवम्‍बर 2024 तथा

(घ) मध्यप्रदेश वेट अधिनियम, 2002 की धारा 70-क की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार निम्नलिखित  अधिसूचनाएं :-

     (i)   क्रमांक CT/4/2/0001-2024-Sec-1-05 (CT) (06), दिनांक 07 फरवरी, 2024,

     (ii)  क्रमांक CT-4/2/0001/2023-Sec-1-05 (CT) (07), दिनांक 13 मार्च, 2024,

     (iii) क्रमांक CT-4-2-0001-2024-Sec-1-पांच (CT) (09), दिनांक 13 मार्च, 2024 एवं

             (iv) क्रमांक CT-4-0002-2022-Sec-1-05 (CT) (10), दिनांक 13 मार्च, 2024,

 

          उप मुख्‍यमंत्री, वाणिज्यिक कर (श्री जगदीश देवड़ा)-  अध्‍यक्ष महोदय, मैं,

 

(क) भारतीय स्‍टाम्‍प अधिनियम, 1899 (क्रमांक 2 सन् 1899) की धारा 75-क की अपेक्षानुसार F-3-3-0010-2024-Sec-02-पांच(CT)(08), दिनांक 30 सितम्‍बर, 2024 एवं

(ख) रजिस्‍ट्रीकरण अधिनियम, 1908 (क्रमांक 16 सन् 1908) की धारा 91 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार F-3-4-0011-2024-Sec-02-पांच(CT)(10), दिनांक 30 सितम्‍बर, 2024 तथा

(ग) मध्‍यप्रदेश माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 की धारा 166 की अपेक्षानुसार निम्नलिखित  अधिसूचनाएं :-

     (i)    क्रमांक CT-8-0009-2023-Sec-1-पांच (CT) (01), दिनांक 10 जनवरी, 2024,

     (ii)   क्रमांक CT-8-0005-2023-Sec-1-पांच (CT) (02), दिनांक 12 जनवरी, 2024,

     (iii)   क्रमांक CT-8-0009-2023-Sec-1-पांच (CT) (05), दिनांक 17 जनवरी, 2024,

     (iv)   क्रमांक CT/8-0002-2024-Sec-1-05 (CT) (03), दिनांक 19 जनवरी, 2024,

     (v)    क्रमांक एफ-ए-3-33-2017-1-पांच (04), दिनांक 19 जनवरी, 2024,

     (vi)   क्रमांक CT/8-0003-2024-Sec-1-05 (CT) (08), दिनांक 13 मार्च, 2024,

     (vii)  क्रमांक CT-8-0004-2024-Sec-1-पांच (CT) (11), दिनांक 13 मई, 2024,

     (viii) क्रमांक CT-8-0002-2024-Sec-1-पांच-(CT) (12), दिनांक 13 मई, 2024,

     (ix)   क्रमांक एफ ए-3-02-2017-1-पांच (13), दिनांक 02 अगस्‍त, 2024,

     (x)    क्रमांक एफ ए 3-42/2017/1/पांच(14), दिनांक 08 अगस्‍त, 2024,

     (xi)   क्रमांक एफ ए 3-36-2018-1-पांच (15), दिनांक 08 अगस्‍त, 2024,

     (xii)  क्रमांक एफ ए 3-33/2017/1/पांच (16), दिनांक 08 अगस्‍त, 2024,

     (xiii) क्रमांक एफ ए 3-35/2017/1/पांच(17), दिनांक 08 अगस्‍त, 2024,

     (xiv)   क्रमांक CT-8-0006-2024-Sec-1-पांच (CT) (18), दिनांक 08 अगस्‍त, 2024,         

     (xv)    क्रमांक CT/8-0007-2024-Sec-1-05 (CT) (19), दिनांक 08 अगस्‍त, 2024,

     (xvi)   क्रमांक CT-8-0008-2024-Sec-1-पांच (CT) (20), दिनांक 20 सितम्‍बर, 2024,

 (xvii)  क्रमांक CT-8-0007-2024-Sec-1-पांच (CT) (22), दिनांक 04                           अक्‍टूबर, 2024,

     (xviii) क्रमांक एफ ए 3-32/2017/1/पांच(23), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

     (xix)   क्रमांक एफ ए 3-36/2017/1/पांच (24), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

     (xx)    क्रमांक एफ ए 3-37/2017/1/पांच (25), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

     (xxi)   क्रमांक एफ ए 3-42/2017/1/पांच (26), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

(xxiii)  क्रमांक एफ ए 3-63/2017/1/पांच (27), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

     (xxiii) क्रमांक एफ ए 3-11/2021/1/पांच (28), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

     (xxiv) क्रमांक एफ ए 3-33/2017/1/पांच (29), दिनांक 20 नवम्‍बर, 2024,

     (xxv)  क्रमांक CT/8/0007-2024-Sec-1-05 (CT) (30), दिनांक 20                                नवम्‍बर, 2024 एवं

     (xxvi) क्रमांक एफ ए 3-47/2017/1/पांच (31), दिनांक 28 नवम्‍बर 2024                          तथा

(घ) मध्यप्रदेश वेट अधिनियम, 2002 की धारा 70-क की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार निम्नलिखित  अधिसूचनाएं :-

     (i) क्रमांक CT/4/2/0001-2024-Sec-1-05 (CT) (06), दिनांक 07                             फरवरी, 2024,

     (ii) क्रमांक CT-4/2/0001/2023-Sec-1-05 (CT) (07), दिनांक 13 मार्च,                      2024,

     (iii) क्रमांक CT-4-2-0001-2024-Sec-1-पांच (CT) (09), दिनांक 13                            मार्च, 2024 एवं

               (iv) क्रमांक CT-4-0002-2022-Sec-1-05 (CT) (10), दिनांक 13 मार्च,                         2024, पटल पर रखता हूँ.

 

 

 

        2.     मध्‍यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कम्‍पनी लिमिटेड का पंचम वार्षिक प्रतिवेदन

                वर्ष 2019-2020.

        नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्‍यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्‍यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कम्‍पनी लिमिटेड का पंचम वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020 पटल पर रखता हूँ.

        3.     मध्‍यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वित्‍तीय वर्ष                    2023-2024.

        ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्‍न सिंह तोमर) - अध्‍यक्ष महोदय, मैं, विद्युत अधिनियम, 2003 (क्रमांक 36 सन् 2003) की धारा 105 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार मध्‍यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वित्‍तीय वर्ष 2023-2024 पटल पर रखता हूँ.

 (4) (क) (i)  जीवाजी विश्‍वविद्यालय, ग्‍वालियर (मध्‍यप्रदेश) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024 तथा

 (ii) देवी अहिल्‍या विश्‍वविद्यालय, इन्‍दौर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2024 (अकादमिक वर्ष             30 जून, 2024 को समाप्‍त) एवं

(ख) महात्‍मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्‍वविद्यालय, चित्रकूट, जिला-सतना (म.प्र.) का वार्षिक

       प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024 तथा

(ग) मध्‍यप्रदेश भोज (मुक्‍त) विश्‍वविद्यालय, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024

 

 (5) एन एच डी सी लिमिटेड का 24 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024

 

 

 

 

 

(6) नानाजी देशमुख पशु चिकित्‍सा विज्ञान विश्‍वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र) का वार्षिक लेखा प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024

 

      (7) (क) (i) मैंगनीज ओर इंडिया लिमिटेड (मॉयल) की 62 वीं वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2023-2024 एवं

      (ii) म.प्र.प्‍लास्टिक पार्क डेव्‍हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड के अन्तिम लेखे वर्ष 2023-2024          

          (वर्ष समाप्ति 31 मार्च, 2024) तथा 

(ख) मध्‍यप्रदेश प्रतिकरात्‍मक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्‍पा) के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023-2024

 

 

12.11 बजे          फरवरी, 2024 से दिसम्बर, 2024 सत्र तक के प्रश्नों के अपूर्ण उत्‍तरों  के     

                    पूर्ण उत्‍तरों  का संकलन खण्ड-3 पटल पर रखा जाना.

 

 

 

 

 

 

 

     12.12 बजे          नियम 267-क  के अधीन दिसम्बर, 2024 सत्र में पढ़ी  गई सूचनाओं                                   तथा उनके उत्‍तरों का संकलन पटल पर रखा जाना.

 

    12.13 बजे                राज्यपाल की अनुमति प्राप्‍त विधेयकों की सूचना.

 

                                     

 

 

 

 

 

 

 

 

12.14 बजे

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.15 बजे                       नियम 267-क के अधीन विषय

        अध्यक्ष महोदय - आज शून्यकाल की निम्नलिखित सदस्यों की सूचनाएं प्राप्त हुई हैं:-

1.       श्री आतिफ आरिफ अकील

2.       श्री यादवेन्द्र सिंह

3.       श्री दिनेश राय "मुनमुन"

4.       श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह

5.       श्री अभय मिश्रा

6.       श्री विवेक विक्की पटेल

7.       श्री मधु भाऊ भगत

8.       डॉ.तेजबहादुर सिंह

9.       श्री राजेन्द्र भारती

10.     श्री महेश परमार

          यह सभी शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ी हई मानी जावेंगी.

 

12.16 बजे                                 याचिकाओं की प्रस्तुति

        अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में याचिकाओं निम्नलिखित सदस्यों की सूचनाओं का उल्लेख किया गया है:-

1.       श्री यादवेन्द्र सिंह

2.       श्री राजन मण्डलोई

3.       श्री अनुभा मुंजारे

4.       इंजी.हरिबाबू राय

5.       श्री राजेन्द्र भारती

6.       श्री कामाख्या प्रताप सिंह

7.       श्री हरिशंकर खटीक

8.       श्री अरविन्द पटैरिया

9.       श्री कैलाश कुशवाह

10.     श्री भगवानदास सबनानी

11.     श्री फूल सिंह बरैया

12.     श्री अभय मिश्रा

13.     श्री रजनीश हरवंश सिंह

14.     डॉ.सतीश सिकरवार

15.     श्री दिनेश राय "मुनमुन"

          यह सभी याचिकाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जावेंगी.

 

12.17 बजे                                ध्यानाकर्षण

                (1) जबलपुर जिले में धान उपार्जन में अनियमितता किये जाने

        श्री अजय विश्नोई (पाटन) - माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

 

 

 

          खाद्य  नागरिक  आपूर्ति  एवं  उपभोक्‍ता  संरक्षण  मंत्री  (श्री  गोविन्‍द  सिंह राजपूत)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,   

12.23 बजे                                  अध्‍यक्षीय घोषणा

भोजनावकाश न होने विषयक

          अध्‍यक्ष महोदय-- आज जैसा कि मैंने कार्यमंत्रणा समिति की सिफारिशों को भी पढ़कर सुनाया, भोजनावकाश नहीं होगा, भोजन लॉबी में उपलब्‍ध रहेगा, हम लोग अनुभवी हैं और अपना भोजन सुविधानुसार समय पर प्राप्‍त कर सकते हैं.

12.24 बजे                                  ध्‍यानाकर्षण (क्रमश:)        

          श्री अजय विश्‍नोई--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सबसे पहले आपके माध्‍यम से मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी का, मध्‍यप्रदेश की सरकार का धन्‍यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं जब मैंने उनको इस गंभीर घटनाक्रम की जानकारी दी त्‍वरित उन्‍होंने ईओडब्‍ल्‍यू की कार्यवाही प्रारंभ की और न सिर्फ जबलपुर अपितु आसपास के जिलों में भी ईओडब्‍ल्‍यू के त‍हत कार्यवाही हुई है जबलपुर जिले के 22 लोगों को जेल भी भेजा गया है और शायद अभी और भी लोग जेल जाने की राह पर हैं. इस त्‍वरित कार्यवाही के लिये मैं सरकार को धन्‍यवाद देना चाहता हूं, माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं और यहां एक छोटा सा प्रश्‍न मेरा यह भी इसमें शामिल है कि जब आसपास के जिलों में ईओडब्‍ल्‍यू कार्यवाही कर रही है तो जहां जबलपुर से यह प्रश्‍न पैदा हुआ, जबलपुर जिले को ईओडब्‍ल्‍यू को क्‍यों नहीं सौंपा गया है. ईओडब्‍ल्‍यू को जबलपुर भी सौंप देंगे तो सबके गुड़ के बाप कोलू वहीं हैं वहीं से सारी कार्यवाही निकलकर आयेगी. माननीय मंत्री जी ने जानकारी दी कि जो परिवहन हुआ है उसके कुछ देयक प्रस्‍तुत नहीं हुये हैं यह बात तो सही है क्‍योंकि शिकायत सामने आ गई इसलिये देयक प्रस्‍तुत नहीं हुये, परंतु यह जानकारी उनके नॉलेज में लाना चाह रहा था कि किस प्रकार से मिलिंग के लिये धान वह उठाते हैं, ले नहीं जाते हैं अपने जिलों में ट्रांसपोर्टेशन चार्ज वह ले लेते हैं, मिलिंग का चार्ज भी ले लेते हैं और प्रोत्‍साहन राशि भी ले लेते हैं और धान वहीं के वहीं बेच कर चले जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिये माननीय मंत्री जी क्‍या कोई ऐसी रीति नीति बनायेंगे ताकि ऐसा फार्जीवाड़ा भविष्‍य में न हो मेरा एक प्रश्‍न माननीय मंत्री जी से यह है.

          माननीय मंत्री जी से मेरी जो दूसरी चिंता यह है कि धान हो या दूसरी चीजें, उपार्जन के समय में जो  गड़बडि़यां होती हैं, उस पर एक बार संपूर्ण तरीके से रोक लगाने की आवश्‍यकता है, रोक लगाने के लिये मैंने इनको सुझाव भी दिये हैं और मेरे कुछ प्रश्‍न भी हैं, जैसे धान का उपार्जन होता है या कोई भी दूसरी जींस का उपार्जन होता है, तो सहकारी समितियों के माध्‍यम से होता है. सहकारी समितियां आज की तारीख में कम बचीं हैं, जो बचीं हैं, उनमें से कई डिफाल्‍टर हो गई हैं, डिफाल्‍टर जिन कर्मचारियों के कारण हुईं हैं, उन्‍हीं कर्मचारियों को फिर से खरीदी में दूसरी समिति के साथ में लगा दिया जाता है, तो दूसरा प्रश्‍न मेरा माननीय मंत्री से यह है कि क्‍या हम डिफाल्‍टर समितियों के उन कर्मचारियों को इस ड्यूटी से वंचित रखेंगे? उनको उसमें अलग रखेंगे? फिर जब कर्मचारियों को ड्यूटी दी जाती है तो, एक-एक व्‍यक्ति को तीन-तीन, चार-चार केंद्र की जवाबदारी दे दी जाती है, जिसका वह निर्वहन नहीं कर पाता है, तो क्‍या हम इसके बजाय स्‍वसहायता समूह की बहनों के जो सी.एल.एफ. क्‍लस्‍टर लेवल हेल्‍प ग्रुप हैं, अभी जबलपुर में क्‍लस्‍टर लेवल की महिलाओं ने बहुत अच्‍छा काम करके दिखाया है, तो क्‍या हम इन डिफाल्‍टर समितियों के कर्मचारियों की बजाय, उनसे उनका काम लेंगे? माननीय मंत्री जी से इन चीजों के बारे में कृपया जवाब चाहिए.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य बहुत ही सीनियर हैं और बहुत बुद्धिजीवी भी हैं, उन्‍होंने इतने प्रश्‍न पूछ लिये हैं कि मैं उनका उत्‍तर देना कहां से शुरू करूं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- मुझे लगता है कि अब वह दोबारा पूरक प्रश्‍न नहीं पूछेंगे, इसलिए उन्‍होंने एक बार में सारे प्रश्‍न कर दिये हैं(हंसी)

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- (हंसी) यह तो माननीय सदस्‍य महोदय की बड़ी कृपा है.

          श्री अजय विश्‍नोई -- (हंसी) अभी मैं रूक गया था, परंतु मैं दो प्रश्‍न अभी और करूंगा.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य का कहना है कि फर्जी मिलिंग रोकने के लिये व्‍यवस्‍था बनाई जाये. निश्चित रूप से संपूर्ण प्रक्रिया के लिये हम लोग केंद्र की कम्प्‍यूटराईजेशन करने का प्‍लान कर रहे हैं, ताकि उपार्जन, परिवहन भण्‍डारण का एक सॉफ्टवेयर बनाकर ऐसी व्‍यवस्‍था कर एकीकृत रूप में करेंगे, जिसकी निगरानी की जाये. मिलिंग और धान के चावल परिवहन हेतु हमारे विभाग का प्‍लान है कि वाहनों में जी.पी.एस. सिस्‍टम आवश्‍यक रूप से कर दिया जाये, इसके कंट्रोल कमांड सेंटर बनाकर जांच की जाये, ताकि इस प्रकार की अव्‍यवस्‍था न हो.

          अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य महोदय, ने डिफाल्‍टर की बात है, तो दोषी समिति, कर्मचारी के विरूद्ध कार्यवाही की गई है, यथासंभव लोकल व्‍यवस्‍था के आधार पर जो भी आवश्‍यक होगा, उन उपार्जन केंद्रों पर हम ऐसी कार्यवाही करेंगे चूंकि इसमें सहकारिता विभाग भी आता है, हम सहकारिता विभाग के सहयोग से कार्यवाही करेंगे.

          श्री अजय विश्‍नोई -- अध्‍यक्ष महोदय, जो फर्जी आर.ओ. दिये गये थे, उनके परिवहन के लिये हर आर.ओ. पर ट्रक का नंबर लिखा रहता है, ट्रक यहां से चलकर ग्‍वालियर उज्‍जैन, मुरैना जायेगा, तो कई टोल नाके पार करेगा, जांच करना मुश्किल काम नहीं है, पर एक महीने से ज्‍यादा समय हो गया है, अभी तक जांच कम्‍प्‍लीट नहीं हुई है, कृपया निर्देशित करें कि उसकी जांच जल्‍दी कर लें.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरा मूल एक प्रश्‍न जो है वह दो चीजों से जुड़ा है, एक तो किसान वंचित रह गये हैं, जिन्‍होंने धान दी है परंतु उनको भुगतान नहीं हुआ है, उनका भुगतान माननीय मंत्री जी कब तक करा देंगे? कृपया इसकी जानकारी दे दें, दूसरा इस पूरी कड़ी में एक कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर रहता है, कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर 89 दिन के ठेके पर रखा जाता है, वह भी एक ऑउटसोर्स एजेंसी रखती है, क्‍या उन कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर्स के कम्‍प्‍यूटर्स और आई.डी. की जांच कराकर पता करेंगे कि किस-किस कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर ने कहां-कहां किस प्रकार की गड़बडि़या की हैं.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, निश्चित रूप से कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर्स की गड़‍बडि़या जहां पर सामने आई हैं, उनकी जांच करवाई जायेगी, कठोर से कठोर कार्यवाही की जायेगी, किसी भी कम्‍प्‍यूटर ऑपरेटर को बख्‍शा नहीं जायेगा. जहां तक माननीय सदस्‍य ने भुगतान की बात की है तो 271 किसान हैं, जिनका भुगतान नहीं हो पाया है, हम जल्‍द से जल्‍द उनके भुगतान की व्‍यवस्‍था करेंगे.

          श्री अजय विश्‍नोई -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, धन्‍यवाद.

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा सुझाव है कि माननीय विश्‍नोई जी ने जो अभी ध्‍यानाकर्षण के माध्‍यम से प्रश्‍न उठाया है, यह एक आपराधिक घटना के परिप्रेक्ष्‍य में ई.ओ.डब्‍ल्‍यू जांच में था. मेरा एक सुझाव है कि चूंकि दो तीन विभाग इस उपार्जन के काम के लिये देखते हैं,खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग भी है, सहकारिता विभाग भी है.

          श्री गोविन्‍द सिंह राजपूत -- आपके पास तो दोनों विभाग रहे हैं.

श्री गोपाल भार्गव -- जी, मेरे पास तो दोनों रहे हैं, मेरे पास तो अनेकों विभाग रहे हैं, इसलिए पूछा है. मेरा सुझाव है और   मैंने उस समय भी कहा है था. जैसा अभी कहा कि चार-पांच समितियां एक समिति प्रबंधक के अंतर्गत है. अधिकांश लोग या तो डिफाल्‍टर हो चुके हैं, निलंबित हैं, कई के प्रकरण चल रहे हैं, कई को न्‍यायालय से स्‍टे भी हैं, अनेकों प्रकार की समस्‍या है. क्‍या सहकारिता विभाग इस बात के लिए सोचेगा कि हम हर समिति में एक समिति प्रबंधक की स्‍थाई रूप से नियुक्ति कर दें तो ये आपकी एक बहुत बड़ी समस्‍या दूर हो जाएगी. क्‍योंकि हम महिलाओं के समूहों के बारे में भी सोच सकते हैं या अन्‍य कोई दूसरी वैकल्पिक व्‍यवस्‍था के बारे में सोच सकते हैं. लेकिन उत्‍तरदायित्‍व जो है, वह सहकारिता के कर्मचारी और खाद्य नागरिक विभाग के कर्मचारी ही स‍टीक तरीके से उसका निर्वाहन कर पाएंगे, प्रमाणिक भी होगा, गबन कम से कम होंगे, अनियमितताएं कम से कम होगी. यदि आप एक स्‍थाई कर्मचारी की पूरे राज्‍य की सभी समितियों में नियुक्ति कर लें.

अध्‍यक्ष महोदय श्री रजनीश जी.

श्री गोपाल भार्गव अध्‍यक्ष जी, मेरे सुझाव पर कुछ हां या न तो हो जाए.

अध्‍यक्ष महोदय आपने सुझाव दिया, वे आपके सुझाव से अवगत हुए. आपने प्रश्‍न थोड़ी किया, आपने कहा सुझाव देना है, सुझाव तो मंत्री जी ने पूरा सुन लिया.

श्री गोपाल भार्गव यदि इसमें किसी प्रकार की विभागीय या वित्‍तीय कमी हो तो मैं यह कह रहा हूं कि आपका..

अध्‍यक्ष महोदय गोपाल जी आप बहुत वरिष्‍ठ सदस्‍य हैं प्‍लीज. रजनीश जी.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

(2) सिवनी जिले के भीमगढ़ जलाशय से सिंचाई हेतु पानी न मिलने से उत्‍पन्‍न स्थिति.

श्री रजनीश हरवंश सिंह(केवलारी)  - माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

 

 


जल संसाधन मंत्री(श्री तुलसीराम सिलावट) माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

श्री रजनीश हरवंश सिंह माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि जो जानकारी उनके पास आई है वह अपर्याप्‍त है, असत्‍य है, मिथ्‍या है. मैं खुद आज सदन में गेहूं की बालें आपके समझ पटल पर रखने के लिए आया आखिरी टेल तक पूरी फसलें सूख चुकी हैं और जो मंत्री जी बैठक का जिक्र कर रहे हैं मेरे साथी विधायक पेंय एरिया के दिनेश राय मुनमुन जी यहां सदन में मौजूद हैं. हमने संयुक्त रूप से जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में एक बैठक ली. जल उपभोक्ता संस्थान के सदस्यों के बीच बातचीत हुई. कलेक्टर महोदय ने कहा कि पर्याप्त पानी मिलेगा. पर आज दिनांक तक पर्याप्त पानी नहीं मिला है. जो जानकारी जल भराव की है, वह भी गलत है. 519 मीटर का स्केल है, पूरा पानी बांध में पर्याप्त भगवान की कृपा से भरा हुआ है. 105 आदमियों की आवश्यकता है जिसमें से 21 सब इंजीनियर्स, 42 टाईम कीपर, 42 चौकीदार, 5 एसडीओ, 1 एसई, 1 सीई, 1 ईई की सीई के पास में रीवा, छिन्दवाड़ा, सिवनी अतिरिक्त चार्ज हैं उनको 10 जिले देखने पड़ते हैं. कैसे देख पाएगा. एसई जबलपुर एवं सिवनी देख रहा है. अकेला ईई है पांच एसडीओ में अकेले 3 एसडीओ वह भी सब इंजीनियर से प्रमोटेड होकर एसडीओ बना दिये गये हैं. गेट खोलने वाले आदमी को 8 दिन पहले जब एक एसडीओ के द्वारा गाड़ी की डिक्की में एक किसान को भरा गया तो शासन ने उसको निलंबित किया  तो उसकी जगह पर एसडीओ किसको बना दिया गया तो मेन केनाल को खोलता और बंद करता था मस्कोले जी उसको एसडीओ बना दिया गया. पांच एसडीओ की जगह में सब इंजीनियर को प्रमोटेड कर कर 3 एसडीओ बनाये गये.

          अध्यक्ष महोदयआप पर्टीक्यूलर प्रश्न पूछिये तभी तो जवाब आयेगा.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का जवाब सदन में अनुकूल नहीं है. हमारे विधान सभा का अन्नदाता किसान आज की स्थिति में जो गेहूं है उनका उत्पादन नहीं हो पा रहा है. गेहूं सूख चुका है. मेरा आपसे निवेदन है कि उसमें एक जांच समिति गठित की जाये. खुद जांच समिति जाकर सर्वे कर ले. आर.बी.सी.6 (4) के तहत इस पर मुआवजा मिलना चाहिये. वहां पर अमला पूरा ना होने के कारण, प्रशासन की गलती के कारण मैंने समय समय पर जिले में बैठकें लीं. अन्नदाता किसानों ने आंदोलन किया, एसडीएम को ज्ञापन दिया. मंत्री जी से दूरभाष से चर्चा हुई उसके बाद भी सरकार नहीं चेती. मेरे क्षेत्र के किसानों के साथ न्याय होना चाहिये.

          अध्यक्ष महोदयआप सरकार से चाहते क्या हैं ?

          श्री रजनीश हरवंश सिंह अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं कि एक जांच दल गठित हो उस जांच दल जाकर के सर्वे करे तथा किसानों को मुआवजा मिले. अब तो फसल ही सूख चुकी है.

          श्री तुलसी सिलावट-- अध्यक्ष महोदय, माननीय रजनीश जी का बोलना बिल्कुल ही निराधार है यह मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. यह किसानों की सरकार है. आपको पता होगा कि 2003-04 में मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा 6 अथवा 7 लाख हैक्टेयर हुआ करता था.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह अध्यक्ष महोदय, आप यह उत्तर दें बांध में पानी होने के बावजूद भी सरकार किसानों को पानी क्यों नहीं पहुंचा पा रही है.

          श्री तुलसी सिलावट-- अध्यक्ष महोदय,माननीय सदस्य कर्मठ एवं जुझारू विधायक हैं. मैं इनको बोलता हूं जिस प्रकार से इन्होंने बोला है एक जांच समिति बनाकर पूरी जांच करा ली जायेगी.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि किसानों को मुआवजा मिले. मैं सदन में गलत नहीं कह रहा हूं.

          श्री तुलसी सिलावट-- अध्यक्ष महोदय, जांच जब होगी तो उसमें सारे बिन्दु आ जायेंगे.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह अध्यक्ष महोदय, उस जांच समिति में मुझको रखें मैं खेत खेत जाकर के सर्वे करवाऊंगा. किसानों को इसका मुआवजा मिलना चाहिये मैं आपको सत्य जानकारी दे रहा हूं. आप जिले के कलेक्टर से तत्काल बात करें. मेरे पास में बोलने के लिये यही सदन है कि मैं अपने क्षेत्र की पीड़ा आपके समक्ष रख सकूं.

          अध्यक्ष महोदयरजनीश जी, माननीय मंत्री जी ने मैं समझता हूं कि आपके प्रश्न का उत्तर दे दिया है. उन्होंने जांच की घोषणा कर दी है. जांच के लिये आप उनके सम्पर्क में रहो. जब जांच दल आये तो सारी जानकारियां उनको उपलब्ध करवाओ तो जो आप चाहते हैं, वह हो जायेगा. मंत्री जी उस मामले में सहयोग करेंगे, इससे ज्यादा और क्या कर सकते हैं.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि उस जांच समिति में मुझे रखेंगे कि नहीं रखेंगे. मैं ही तो जाकर के बताऊंगा कि जंगल में मोर नाचा किसने देखा माननीय अध्यक्ष महोदय.

          अध्यक्ष महोदयजांच समिति वैसे अधिकारियों की रहती है. जैसे ही जांच दल जाये जांच के लिये तब माननीय विधायक जी की जानकारी में रहे उसमें विधायक जी को भी आमंत्रित किया जाये.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.

                                                                                     

 

 

 

 

 


 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.44 बजे     

 

 

 

 

                  


 

श्री अभय मिश्रा - अध्यक्ष महोदय, अभी जो द्वितीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन किया गया है उसकी प्रति नहीं मिली है.

अध्यक्ष महोदय - किसकी प्रति नहीं मिली है?

श्री अभय मिश्रा - यह द्वितीय अनुपूरक अनुमान की.

अध्यक्ष महोदय - 17 तारीख है, यह सूचना कार्यालय से मिल जाएगी.

श्री अभय मिश्रा - इसमें नियम में लिखा है कि 2 दिन पहले उपलब्ध करा दी जावेगी.

अध्यक्ष महोदय - अब महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा प्रारंभ होगी. श्रीमती अर्चना चिटनीस जी.

 

12.46 बजे     राज्यपाल के अभिभाषण पर श्रीमती अर्चना चिटनीस, सदस्य द्वारा              दिनांक 10 मार्च, 2025 को प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा

 

 

श्रीमती अर्चना चिटनीस (बुरहानपुर) - अध्यक्ष महोदय, यह अवसर आपने मुझे दिया. मध्यप्रदेश के आदरणीय राज्यपाल जी के अभिभाषण पर चर्चा का शुभारंभ करने के लिए इसके लिए मैं आपकी और संसदीय कार्यमंत्री जी की बहुत बहुत आभारी हूं. अध्यक्ष महोदय, कल जब राज्यपाल जी अपना अभिभाषण बोल रहे थे तब ऐसा लग रहा था जैसे भारत माता के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित कर रहे हों. जब वह अपनी बात कह रहे थे तब सहसा मन में भाव आ रहे थे कि वह कह रहे हों मां भारती से-

तुमि विद्या, तुमि धर्म
          तुमि हृदि, तुमि मर्म
          त्वं हि प्राणा: शरीरे

बाहुते तुमि मा शक्ति,
          हृदये तुमि मा भक्ति,

तोमारई प्रतिमा गडि
          मन्दिरे-मन्दिरे मातरम् ।
          वन्दे मातरम् ।

तुम्हीं विद्या हो, तुम्हीं धर्म हो,  तुम्हीं हृदय, तुम्हीं मर्म हो, तुम्हीं शरीर में स्थित प्राण हो, हमारी भुजाओं में जो शक्ति है, वह तुम्हीं हो, हृदय में जो भक्ति है, वह तुम्हीं हो, तुम्हारी ही प्रतिमा मन में, मंदिर में स्थापित है और कमल पर आसीन लक्ष्मी तुम्हीं हो. (मेजों की थपथपाहट)

अध्यक्ष महोदय, आज जब 11 मार्च को आपसे बात कर रही हूं. आपके माध्यम से अपना विषय सदन तक और सरकार तक पहुंचा रही हूं. यह 11 मार्च का दिन कोई साधारण दिन नहीं है. 11 मार्च, 1689 के दिन छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े सुपुत्र छत्रपति संभाजी महाराज का आज के ही दिन 11 मार्च, 1689 के दिन बलिदान हुआ था और औरंगजेब ने टुकड़े कर करके उनके मृत शरीर को नदी में बहाया था. आज ही वह दिन है, जब हिन्दवी स्वराज को बनाए रखने, बचाए रखने के लिए तड़पा तड़पा कर उन्हें और कवि कैलाश को मारा गया था. मैं चाहती हूं कि सम्पूर्ण सदन छत्रपति शिवाजी महाराज को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करे. अध्यक्ष महोदय, कल कैसा अद्भुत दृश्य था! जब आदरणीय राज्यपाल जी बोल रहे थे, पक्ष तो पक्ष, विपक्ष भी एक-एक शब्द सुनने को व्याकुल था. विकास की हर फेहरिश्त सुनने की, जानने की, जो आपकी व्याकुलता थी, मैं उसका अभिनंदन करती हूं. मध्यप्रदेश की विकास की इस यात्रा में आप भी सहभागी बनना चाह रहे थे, सच में वह दृश्य देखकर मन प्रसन्न हो रहा था और वह प्रस्तुती माननीय राज्यपाल जी की थी ही ऐसी, आखिर इस सरकार को 16वीं विधान सभा को बनकर समय ही कितना हुआ है? मात्र एक साल का समय कितना समय होता है. मैं आज मात्र सवा साल के छोटे से समय में जिस प्रकार से शिवराज जी द्वारा जो योजनाएं प्रारंभ की गईं. जो विकास कार्य किये गये. न केवल उन्हें आगे बढ़ाया जा रहा है बल्कि नयी कल्पनाएं, नये सपने, नयी आकांक्षाएं और जो कुछ और होना चाहिए, बेहतर होना चाहिए, उस दिशा में यह सरकार तेज गति से आगे बढ़ रही है. मैं डॉ. मोहन यादव जी और उनकी कैबिनेट को बहुत बहुत बधाई देना चाहती हूं, मन से देना चाहती हूं, अंतर्मन से देना चाहती हूं. आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय, जब आदर्श राम राज्‍य का हो, प्रेरणा, मार्गदर्शन और आर्शीवाद प्रधान मंत्री माननीय मोदी जी का हो तो परिणाम तो आयेंगे ही.

          अध्‍यक्ष महोदय, कल अभिभाषण की पुस्‍तक को जब मैंने विस्‍तार से पढ़ा और मैंने देखा तो यह लगा कि एक साल में यह सब संभव कैसे हुआ. बड़ा काम कैसे होता है, पूछा मेरे मन ने, लक्ष्‍य बड़ा हो, बड़ी तपस्‍या,बड़ा हृदय मृदवाणी, किन्‍तु अहम् छोटा हो जिससे सहज मिले सहयोगी, दोष हमारा श्रेय राम का, यह वृत्ति कल्‍याणी.

          अध्‍यक्ष्‍ा महोदय, अब यदि 16 वें वित्‍त आयोग का जब मध्‍य प्रदेश में आना हुआ तो उनसे चर्चा का विषय है,  सभी दलों के सदस्‍यों को को उनसे चर्चा के लिये अवसर मिला. मैं आपको सच कहती हूं कि 16 वें वित्‍त आयोग के सामने बात करते हुए माथा गर्व से ऊंचा हो रहा था, यह कहने में कि आज मेरा मध्‍य प्रदेश देश की 10 वीं लार्जेस्‍ट इकोनॉमी है. आज मेरा मध्‍य प्रदेश जी.एस.डी.पी में 9.17 ट्रिलियन की अपनी भागीदारी कर रहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय, प्रधान मंत्री जी का विज़न हमारा मिशन है. पर देश प्रेम और कर्तव्‍यबोध से ओतप्रोत होकर यह सरकार अपने कर्तव्‍यों का निर्वहन कर रही है. कल के अभिभाषण में यह प्रमाणित हुआ है, पर ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स समिट के शुभारंभ के अवसर पर, उद्घाटन के अवसर पर स्‍वमेव प्रधान मंत्री जी अपने श्रीमुख से कह गये की यही समय है. यही समय है, यही समय है, भारत का अनमोल समय है और इस समय का अधिकतम सदुपयोग करना हम सभी का कर्तव्‍य है, क्‍योंकि ऐसा समय बहुत देवदुर्लभ समय है और यह वह समय है, जब देश में मोदी जी की सरकार है. ना केवल मध्‍य प्रदेश और मध्‍य प्रदेश चहुं ओर महाराष्‍ट्र, गुजरात, छत्‍तीसगढ़, राजस्‍थान और उत्‍तर प्रदेश. सारे प्रदेशों में सरकार भारतीय जनता पार्टी की है. हम डबल इंजन नहीं मल्टीपल इंजन की सरकार से तेज रफ्तार से मोदी जी के नेतृत्‍व में आगे बढ़ते जा रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, मात्र साल भर पहले बाबा महाकाल की नगरी उज्‍जैन से जो रिज़नल समिट की शुरूआत हुई और सालभर बाद मध्‍य प्रदेश की राजधानी में वर्ष 2024 से लेकर वर्ष 2025 तक, इस सालभर की अवधि में हमने देखा की ग्‍लोबल इन्‍वेर्स्‍टस समिट का भोपाल में एक कितना अहम पड़ाव रहा और सालभर में 30.77 लाख करोड़ के निवेश प्रस्‍ताव मिले, जिनका क्रियान्‍वयन प्रारंभ हो गया है. आज इस सदन को इस बारे में पुन: स्‍मरण कराने में मुझे आनंद हो रहा है कि देश और विदेश के निवेशक मध्‍य प्रदेश को औद्योगिक गंतव्‍य के रूप में देख रहे हैं और उद्योग की उड़ान का अवसर, समय, परिस्थिति बनाने में18 साल लग गये. क्‍योंकि जब सरकार भारतीय जनता पार्टी के हाथ में आयी तब घरों के लिये भी बिजली उपलब्‍ध नहीं थी, कृषि के लिये भी बिजली उपलब्‍ध नहीं थी और आज परिस्थिति हम जहां से चले थे और जहां पहुंचे हैं 5 हजार, 173 मेगावाट की बिजली हमारे पास थी. आज 22 हजार, 127 मेगावाट बिजली मध्‍य प्रदेश में है, अर्थात् अब हम एनर्जी सरप्‍लस स्‍टेट, इसीलिये अब बनी है औद्योगीकरण की, उड़ान भरने की. महत्‍वपूर्ण यह भी कि उस समय  जितनी कुल बिजली हम बना रहे थे,  आज  उससे दो हजार मेगावाट  अधिक बिजली  तो हम नवकरणीय ऊर्जा  से बना रहे हैं.  कुल बिजली का  30 प्रतिशत  नवकरणीय  ऊर्जा के  द्वारा  उत्पादन हो रहा है. अक्षय ऊर्जा  के  द्वारा उत्पादन हो रहा है.  भगवान सूर्य नारायण  का  आशीर्वाद  उनकी कृपा, वह ऊर्जा के रुप में  जन जन तक  पहुंचाने  वाली डॉ. मोहन यादव  जी की सरकार  का मैं अभिनन्दन करती हूं.  12 साल में  14 गुना  बढ़ा  है नवकरणीय  ऊर्जा का उत्पादन.  एक बहुत ही महत्वपूर्ण  योजना, जिसका उल्लेख कल आदरणीय राज्यपाल जी ने किया,  तो विश्वास हो  ही नहीं हो रहा था.  प्रधानमंत्री  कृषक  मित्र योजना के बारे में  उन्होंने हमें जानकारी दी और मैं वह आप सब के सामने  उसको थोड़ा सा विस्तार से  कहना चाहूंगी.

12.56 बजे               {सभापति महोदय (श्री अजय विश्नोई) पीठासीन हुए.}

            सभापति महोदय,  प्रधानमंत्री कृषक  मित्र योजना अर्थात् अब  सोलर पम्प किसानों को  सरकार देगी मात्र  5 प्रतिशत एवं  10 प्रतिशत के योगदान पर  और उन्होंने कल कहा कि  30 लाख सोलर पम्प  आगामी 3 वर्षों  में मध्यप्रदेश की सरकार किसानों को  उपलब्ध करायेगी. यह साधारण बात नहीं है 30 लाख सोलर पम्प और हम कई बार सुनते हैं कि  कहीं  कहीं तो विन-विन सिचुएशन है.  पर  यह सिचुएशन  मात्र  विन विन सिचुएशन नहीं,  यहां तो विन, विन  एंड अगेन  विन सिचुएशन है.  अब तक  किसान  40 प्रतिशत  योगदान पर  सोलर  पम्प ले रहे थे और  अब किसान  3 हार्स पावर तक 5 प्रतिशत  और 3 हार्स पावर   से ऊपर  10 प्रतिशत के योगदान पर  सोलर पम्प ले सकेंगे.  बिजली के बिल से भी मुक्ति और जो अधिक बिजली बनेगी,  उसका नगद पैसा  देकर सरकार किसानों से बिजली लेगी.  यह जो योजना  है, इस योजना से किसान को भी लाभ है, इस योजना के अंतर्गत  किसानों के साथ साथ  पर्यावरण को भी  carbon emission से  मुक्ति मिलेगी.  मतलब प्रकृति का भी सुख , किसानों का भी सुख  और प्रकृति एवं  किसानों  के सुख के साथ साथ  इस योजना में सरकार को भी पैसा खर्च करके भी  फायनेंशियली  रिलीफ मिलेगी, क्योंकि जो सरकार  18 हजार करोड़  की  सब्सिडी  विद्युत बिल पर प्रतिवर्ष देती है, वह सरकार को भी रिलीफ होगी.  अर्थात्  किसान, सरकार और प्रकृति  तीनों का सुख प्रधानमंत्री कृषक  मित्र  योजना के अंतर्गत हम होते हुए देख रहे हैं.

          सभापति महोदय,  2002 में मध्यप्रदेश  में  मात्र  60 हजार किलोमीटर की जर्जर हालत  की सड़कें थीं और आज  जब हम यहां पर बात कर रहे हैं, तो  हम देख रहे हैं कि आज मध्यप्रदेश में  5 लाख 10 हजार किलोमीटर की सड़कें बनाई जा चुकी हैं.  60 हजार से 5 लाख  10 हजार की सड़कें और  मध्यप्रदेश के बजट से बनने वाली सड़कें  वह तो  14 हजार करोड़  से अधिक की  हैं  ही, पर प्रसन्नता की बात  है, बहुत बड़ी बात  है कि  हर वर्ष केंद्र सरकार 12259 करोड़  रुपये नेशनल  हाईवेज के लिये  हमारे मध्यप्रदेश को  दे रही है.

          सभापति महोदय, हमारे पास मात्र 92 किलोमीटर की नेश्नल हाईवे सड़कें थीं वहीं आज 4 हजार 600 किसोमीटर की नेश्नल हाईवे की फोर लेन सड़कें मध्यप्रदेश में हैं. राज्य की फोरलेन सड़क तो कोई होती ही नहीं थी. आज हमारे पास में 607 किलोमीटर की स्टेट हाईवे के फोरलेन सड़कें हैं. मैं डॉ.मोहन यादव जी को और उनकी सरकार को बहुत बधाई देती हूं. मैं उन्हें बधाई देती हूं नर्मदा एक्सप्रेस-वे के लिये, बधाई देती हूं, विंध्य एक्सप्रेस-वे के लिये, मालवा-निमाड़ एक्सप्रेस-वे के लिये, अटल एक्सप्रेस-वे के लिये, बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस-वे के लिये ,मध्य भारत एक्सप्रेस-वे के लिये क्योंकि इस  कल्पना को योजना को करने के लिये माननीय सभापति महोदय, मैं इस सदन को और आदरणीय मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी को और उनकी सरकार का बहुत  बहुत आभार व्यक्त करती हूं.

          माननीय सभापति महोदय, चार नेश्नल स्टेट वे की बात, मतलब मात्र नेश्नल और स्टेट वे की बात नहीं है, चाहे प्रधान मंत्री सड़क योजना हो, चाहे मुख्यमंत्री सडक योजना हो, सड़कों का जाल बिछा है और आगे बेहतर करने के लिये यह सरकार प्रयासरत है. कल हमने माननीय राज्यपाल महोदय जी के अभिभाषण में भी यह बात सुनी है. अब औद्योगीकरण के लिये ऊर्जा चाहिये, औद्योगीकरण के लिये सड़कें चाहिये, कनेक्टिविटी चाहिये, और औद्योगीकरण के लिये पानी चाहिये. अभी जल संसाधन मंत्री जी जब सिंचित क्षेत्र पर थोड़ा ईशारा कर रहे थे तब पता नहीं हमारे विपक्ष के साथियों को किस बात की बैचेनी थी, वे उन्हें सुनकर के प्रसन्न क्यों नहीं होना चाह रहे थे. 7 हजार हेक्टेयर से बढ़कर के 50 हजार हेक्टेयर में सिंचाई की सुविधा उत्पन्न कराने वाली भारतीय जनता पार्टी की इस सरकार को और डॉ मोहन यादव जी की सरकार को मैं इस बात की बधाई देती हूं कि वह केवल 50 हजार हेक्टेयर से प्रसन्न होकर के आत्म-मुग्ध नहीं हो गये 50 हजार हेक्टेयर के बढ़ाकर 2028-29 तक 1 हजार हेक्टेयर तक ले जाने की माननीय मुख्यमंत्री जी की योजना है इसके लिये मैं उनको बहुत बहुत बधाई देना चाहती हूं. अच्छा हुआ मुख्यमंत्री जी आप सदन में आ गये, 1 करोड़ हेक्टेयर की सिंचाई क्षमता को प्राप्त करने की आपकी जो कल्पना है, जो योजना है , जो विजन है उसके लिये मैं आपको बहुत सारी बधाई देना चाहती हूं.

          माननीय सभापति महोदय, केन-बेतवा से जहां बुन्देलखण्ड के 10 जिलों की सिंचाई व पेयजल की सुविधा प्राप्त होगी, वहीं पार्वती-कालीसिंघ-चंबल लिंक परियोजना से 11 जिले लाभान्वित होंगे. इसलिये मैं कह रही थी कि यह मल्टीपल इंजल से होने वाला विकास है, मध्यप्रदेश भी आगे बढ़ रहा है, उत्तर प्रदेश भी आगे बढ़ रहा है, और राजस्थान की पानी की आपूर्ति भी की जा रही है.

          माननीय सभापति महोदय, एक बात के लिये विशेष और दिल की गहराईयों से माननीय मुख्यमंत्री जी और उनकी सरकार का आभार मानना चाहती हूं. हम विगत 25-30 साल से सपना देख रहे थे, एशिया का हाईएस्ट वाटर डिप्रेशन रेट का क्षेत्र हमारा बुरहानपुर, भुसावल और जलगांव है. सूर्य पुत्री मां ताप्ती के किनारे बसा हुआ हमारा यह जिला है ताप्ती बेसिन पर कोई योजना बने, कोई बड़ी योजना बने, यह तो एक बात थी पर इसको क्रियान्वयन करने की परिस्थिति नहीं बन रही थी. मैंने स्‍वयं जब केन्‍द्र में यूपीए की सरकार थी और श्री प्रियरंजन दास मुंशी जी केन्‍द्र के वॉटर रिसोर्स मिनिस्‍टर थे उनको पत्र लिखा, तो उनका जवाब आया यह बड़ी बात है, परंतु उन्‍होंने उस पत्र में लिखा कि यह विषय केन्‍द्र का नहीं यह स्‍टेट सब्‍जेक्‍ट है, आप अपने स्‍टेट के स्‍तर पर इसे देखिये. जब वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मोदी दी बने और फिर यही पत्राचार किया तब मध्‍यप्रदेश की पूर्व मुख्‍यमंत्री उस समय देश की जल संसाधन मंत्री थीं, तब यह पत्र नहीं आया कि स्‍टेट सब्‍जेक्‍ट है आप स्‍टेट में देख लो. केन्‍द्र की सरकार ने ताप्‍ती मेगा रीचार्ज के लिये एक टास्‍क फोर्स का गठन किया, जिस टास्‍क फोर्स से अपनी फेजे़बिलटी दी. परंतु तब से लेकर आज तक यह योजना पेंडिंग रही. मैं मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री और उनकी कैबिनेट का इस बात के लिये बहुत-बहुत आभार मानती हूं कि उन्‍होंने ताप्‍ती मेगा रीचार्ज को जो मध्‍यप्रदेश और महाराष्‍ट्र की एक अंतर्राज्‍यीय तीसरी परियोजना है उसका उन्‍होंने बजट में प्रावधान किया और यह भी एक सुंदर योग है कि कल मध्‍यप्रदेश की विधान सभा में राज्‍यपाल महोदय उसका उल्‍लेख कर रहे थे और तभी कल महाराष्‍ट्र की विधान सभा में वहां के वित्‍त मंत्री श्री अजीत पवार जी ने 19,300 करोड़ रुपये का अपने बजट में प्रॉवीजन करने की घोषणा कर दी. मतलब दोनों प्रदेश एक साथ इस योजना को आगे लेकर गति से बढ़ना चाहते हैं.

          सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से यह कहना चाहती हूं कि यह कोई साधारण बांध नहीं है. यह तो भाखड़ा नंगल बांध से और हमारे नर्मदा सागर बांध से भी विशेष है. यह सरफेस वॉटर पर डिपेन्‍डेंट नहीं है. यह मेगा रीचार्ज की योजना है और मैं तो यह चाहूंगी कि मुख्‍यमंत्री जी ऐसा कुछ अवसर प्रदान करें माननीय विधान सभा अध्‍यक्ष जी के माध्‍यम से कि इस योजना का प्रजेंटेशन हम सभी सदस्‍यों को दिखा सकें. हम भूमि रीचार्ज की लीटर्स में गणना करते हैं, परंतु इस योजना के अंतर्गत पानी के रीचार्ज की गणना टीएमसी में होगी. एक टीएमसी अर्थात् 2,831 लीटर. टीएमसी में भूमि के वॉटर रीचार्ज की गणना करने जा रहे हैं. यह अद्भुत योजना है. देश और दुनिया में ऐसी योजना कहीं नहीं बनी. माननीय मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में दुनिया का एक मेगा रीचार्ज का यह पायलट प्रोजेक्‍ट होगा. न भूतो न भविष्‍यति यह एक ऐसा प्रोजेक्‍ट होगा. (मेजों की थपथपाहट) मैं आपकी बहुत-बहुत आभारी हूं कि आप एक कीर्तिमान स्‍थापित करने वाला एक ऐसा पायलट प्रोजेक्‍ट देने जा रहे हैं जिससे मेरा अपना खंडवा जिला, भुसावल, धारणी अमरावती इन सारे क्षेत्रों जब तक मानवता रहेगी तब तक पानी की कभी कमी नहीं रहने वाली है. अब जब पानी भी है, बिजली भी है, सड़क भी है, तभी तो औद्योगिकरण की बात करना प्रासंगिक है.

          सभापति महोदय, शिक्षा को और बेहतर जितना किया जाए कम है, लेकिन प्रदेश में हमने देखा जीरो टीचर और जीरो बजट स्‍कूल्‍स थे. तब न स्‍कूल हैं, न बजट है, न टीचर हैं और वहीं आज यह सरकार 89,710 मतलब लगभग 90,000 मेधावी विद्यार्थियों को अधिक नंबर लाने के लिये लैपटॉप की राशि दे रही है. 89,710 विद्यार्थियों को लैपटॉप के लिये तो उनके अकाउंट में राशि मिली ही है साथ ही 7,832 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को नि:शुल्‍क ई-स्‍कूटी डॉ. मोहन यादव जी की सरकार के द्वारा प्रदान की गई है. कल हमने सुना गत वर्ष अनुसूचित जाति के ढाई लाख विद्यार्थियों को 275 करोड़ रुपए की पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति प्रदान की गई. साथ ही अनुसूचित जनजाति के 11 वीं, 12 वीं व महाविद्यालयीन 1 लाख 92 हजार विद्यार्थियों को पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति दी जा रही है.  यह बच्चे पोस्ट मेट्रिक की पढ़ाई कर रहे हैं और छात्रवृत्ति ले रहे हैं. प्री मेट्रिक छात्रवृत्ति की संख्या तो उल्लेखनीय है 14 लाख जनजातीय विद्यार्थियों को प्री मेट्रिक छात्रवृत्ति यह सरकार निरंतर दे रही है.

          सभापति महोदय,  हमने वे दिन देखे हैं जब ग्रामीण क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास आते थे, कितने आते थे. आप स्वयं बता दें या हम लोग उसको स्मरण कर लें. दो या तीन आवास आते थे उस समय उनको इंदिरा कुटीर कहते थे. उसके लिए पैसा भी इतना होता था कि उससे बकरी के रहने लायक भी जगह नहीं बन सकती थी वहां इंसान का बच्चा कैसे रहेगा. प्रधानमंत्री जी से कैसे छाती ठोंककर घोषणा की कि हर भारतवासी के सिर पर छत होगी. ऐसा संकल्प लेने वाले प्रधानमंत्री जी का मैं हृदय से बारम्बार आभार व्यक्त करना चाहती हूँ.

          सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन को यह स्मरण कराना चाहती हूँ कि प्रदेश में कुछ ही महीनों के लिए हमारी सरकार नहीं थी. तब तत्कालीन सरकार प्रधानमंत्री आवास लेने को राजी नहीं थी, मांगने को तैयार नहीं थी, अपने शेयर का पैसा देने को राजी नहीं थी. आए हुए आवास वापिस कर दिए गए थे.

          माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश की जनता भी इसको समझ चुकी थी. वो आवास वापिस करने वाली सरकार और यह आवास लाने वाली सरकार इसलिए पुन: सरकार बनाकर मध्यप्रदेश की जनता ने अपने विकास को और प्रधानमंत्री आवास को सुनिश्चित किया. जहां उंगलियों पर गिनने लायक आवास मिलते थे, मैं चाहती हूँ आप सब इसे बहुत ध्यान से सुनें,  36 लाख ग्रामीण आवास मध्यप्रदेश को प्राप्त हुए हैं. 13 लाख आवास बन चुके हैं. यह भाषणबाजी की बात नहीं है. शेष का कार्य प्रगति पर हैं. अभी प्रधानमंत्री आवास 02 के अन्तर्गत देश के हृदय मध्यप्रदेश को 11 लाख 89 हजार ग्रामीण आवास के निर्माण का लक्ष्य प्राप्त हुआ है. मैं सदन की ओर से प्रधानमंत्री जी को जितना आभार व्यक्त करुं उतना कम है. अब प्रधानमंत्री जनमन योजना के अन्तर्गत भी आवास प्राप्त हो रहे हैं. शहरी विकास मंत्री जी विशेष तौर पर मैं आपके माध्‍यम से यह कहना चाहती हूं कि कभी किसी ने सोचा था कि स्‍वतंत्र भारत में शहरी क्षेत्र में भी प्रधानमंत्री आवास मिलेंगे. कभी सोचा भी नहीं था, कल्‍पना भी नहीं की थी, कोई मांग भी नहीं थी और हमारे घोषणा पत्र में भी नहीं था. इस देश के प्रधानमंत्री जी ने शहरी क्षेत्र में, नगरीय क्षेत्र में प्रथम चरण में मध्‍यप्रदेश को आठ लाख तैंतीस हजार आवास बनाकर दिये हैं. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को बधाई देना चाहती हूं कि अपना मध्‍यप्रदेश, आपका मध्‍यप्रदेश, हम सभी का मध्‍यप्रदेश देश में शहरी आवास में अपनी जनता को आवास दिलाने में दूसरे स्‍थान पर है. जितनी योजनाओं की बात की जाए, स्‍मार्ट सिटी, अमृत योजना, स्‍वच्‍छता मिशन, पीएम स्‍वनिधि यह केन्‍द्र के साथ सहभागिता से चलने वाली योजनाएं अपनी जगह हैं परंतु माननीय मुख्‍यमंत्री जी मैं आपको मुख्‍यमंत्री शहरीय अधोसंरचना व कायाकल्‍प योजना के लिए विशेषकर आभार देना चाहती हूं.

          श्री भंवरसिंह शेखावत-- आपका भाषण सुनते ही कैलाश जी छोड़कर पीछे चले गये.

          श्रीमती अर्चना चिटनीस --अच्‍छा हुआ मैं एक बार फिर कह देती हूं क्‍योंकि आप तो हमारे पुराने नेता रहे हैं. आप तो समय-समय पर सही सलाह देते रहे हैं.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा-- वे यह देखने गये थे कि जो विधान सभा की हाईट है उससे बड़ी-बड़ी बिल्‍डिंग बनाकर लिफ्ट लगाकर गरीबों को आवास दे रहे हैं

          श्री कैलाश विजयवर्गीय-- मुझे एक शेर याद आ गया कि कुछ पत्‍थर इतने होशियार होते हैं कि कलाकार के पास पहुंच जाते हैं तो भगवान बन जाते हैं.

          श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन-- आप इन पत्‍थरों के विषय में क्‍या कहेंगे, समझ ही नहीं पाए.

          श्रीमती अर्चना चिटनीस -- पत्‍थर जो भी हैं लेकिन प्रधानमंत्री आवास में तो हम सभी के क्षेत्र में मकान मिल ही रहे हैं. पत्‍थर जैसे भी हैं भले ही स्‍वयं भगवान नहीं हैं परंतु प्रधानमंत्री आवास तो सभी के क्षेत्र में मिल रहे हैं. इसका आभार तो सभी को मानना चाहिए.

          सभापति महोदय-- माननीय अर्चना जी आप कृपया अपनी बात को आगे बढ़ाएं.

          श्रीमती अर्चना चिटनीस -- सभापति महोदय, आप कह रहे हैं कि काफी समय हो गया परंतु मैं यह महसूस कर रही हूं कि बात तो बहुत है और

          ''अभी तो कई जीत बाकी हैं कई हार बाकी हैं

           यह तो मात्र पन्‍ना है अभी तो सारी किताब बाकी है''

 

          मैं माननीय सभापति जी के माध्‍यम से यह कह रही थी कि केन्‍द्र के साथ उनके सहयोग से मिलने वाली अमृत सिटी और स्‍मार्ट सिटी स्‍वच्‍छता मिशन यह तो अपनी जगह है हमें इफरात पैसा मिल रहा है, लेकिन मैं आपको और शहरी विकास  मंत्री जी को जो आपने कहा कि एक बार फिर से बात हो जानी चाहिए. मैं मुख्‍यमंत्री अधोसंरचना और मुख्‍यमंत्री अधोसंरचना के साथ-साथ कायाकल्‍प योजना के माध्‍यम से शहरी सड़कों का पुनर्निर्माण करने के लिए हर शहर को पैसा देने के लिए आपका आभार मानती हूं और दिल की गहराइयों से आभार मानती हूं और माननीय मुख्‍यमंत्री जी की कल्‍पनाशीलता देखिये कि यही वह सरकार है जिसने 413 नगरों में गीता भवन बनाये जाना प्रस्‍तावित कर दिया और गीता भवन के साथ-साथ पुस्‍तकालय भी, संस्‍कृति, शिक्षा और तकनीक सबका विस्‍तार करने के लिए केन्‍द्र के तौर पर हमारे गीता भवन काम करेंगे. गांव में और शहरों में आज स्‍वसहायता समूहों के माध्‍यम से मध्‍यप्रदेश में हमारी तीन लाख से अधिक बहनें लखपति दीदी बनी हैं. माननीय सभापति जी, थोड़ा सा डेढ़-पौने दो साल पीछे जाकर अगर हम देखें, तब "मुख्‍यमंत्री लाड़ली बहना योजना" प्रारंभ हुई थी. लोगों का मुंह यह कहकर सूखा जा रहा था कि ये चुनाव के कारण है, यह योजना चलेगी नहीं, ये कैसे पैसा देंगे, ये कहां से पैसा देंगे, ये कहां से पैसा लायेंगे. एक ओर सतत् नवनिर्माण और दूसरी ओर मुख्‍यमंत्री लाड़ली बहना योजना की निरंतरता, साधारण बात नहीं है. मैं, सरकार को, उसकी केबिनेट और वित्‍त मंत्री जी को इसके लिए बहुत आभार देती हूं. आज प्रदेश की 1 करोड़ 27 लाख 21 हजार बहनों को, 1250 रुपये प्रतिमाह के मान से, डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने, 1 हजार 500 करोड़ रुपये की राशि हर माह खर्च कर रही है. मध्‍यप्रदेश की कोटि-कोटि बहनों की ओर से, आपका बार-बार आभार और अभिनंदन.

          माननीय सभापति जी, बहनों के लिए चलने वाली योजना "प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना" में हम देश में पहले स्‍थान पर हैं. आयुष्‍मान योजना, उज्‍जवला योजना, गांव की बेटी योजना, लाड़ली लक्ष्‍मी योजना, आज गांव-गांव में जहां हम जाते हैं, बच्चियां, गांव की बेटी योजना का लाभ ले रही हैं, लाड़ली लक्ष्‍मी योजना का लाभ ले रही हैं. कितनी कल्‍पनाशील सरकार है, जिसकी कल्‍पनाशीलता ग्रामीण और शहरी विकास, दोनों तरफ एक संतुलन के साथ चल रही है.

          माननीय मुख्‍यमंत्री जी और उनकी केबिनेट के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जी ने मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र बनाने की योजना बना दी. मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र बनाने के लिए, महानगर क्षेत्र बनाने के लिए किस रचनात्‍मकता से आपने सोचा कि इंदौर-उज्‍जैन-धार-देवास, इनको एकीकृत करके इंटीग्रेटेडली एक मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र का विकास, मध्‍यप्रदेश में होगा और साथ ही दूसरा महानगर क्षेत्र राजधानी भोपाल के साथ सिहोर-ब्‍यावरा-रायसेन-विदिशा-राजगढ़, इन्‍हें एकीकृत कर आप महानगर क्षेत्र का नवनिर्माण करने जा रहे हैं, अर्थात् ये शहर एक साथ एक इंटीग्रेशन के साथ, होलिस्टिकली (समग्र रूप से) आगे बढ़ने के लिए, एक योजना के अंतर्गत लाभांवित होंगे. मैं, कह रही थी कि एक तरफ शहरी विकास और दूसरी तरफ मध्‍यप्रदेश के 313 विकासखण्‍डों में, प्रत्‍येक विकासखण्‍ड में एक-एक वृंदावन ग्राम के रूप में, एक-एक पंचायत विकसित की जायेगी. एक तरफ महानगर क्षेत्र का विकास होगा और दूसरी तरफ वृंदावन ग्राम, 313 विकासखण्‍डों में तेज गति से आगे बढ़ेंगे.

          माननीय सभापति जी, अन्‍न उत्‍पादन हो, दुग्‍ध उत्‍पादन हो, उद्यानिकी का क्षेत्र हो, हमारा प्रदेश न केवल उत्‍पादन कर रहा और नए-नए कीर्तिमान बनाते हुए आगे बढ़ रहा है बल्कि उनका निर्यात भी कर रहा है.

          माननीय सभापति जी, मैंने अपनी बात के प्रारंभ में कहा था कि आज हमारा मध्‍यप्रदेश, देश की 10th- Largest Economy है. आज वित्‍त की दृष्टि से कहा जाये तो न केवल हम 10th- Largest Economy हैं बल्कि हमारे राज्‍य की विकास दर भी 9.37 प्रतिशत है, न केवल हम राज्‍य की विकास दर में बहुत आगे हैं बल्कि वर्ष 2002 में जहां प्रदेश में प्रति व्‍यक्ति आय 11 हजार 718 रुपये मात्र थी. वहीं आज मध्‍यप्रदेश की प्रति व्‍यक्ति आय 1,42,565 रुपये है. यह कितनी गुना बढ़ी ? जब आपके बोलने की बारी आये, तब आप इसका गुणांक में कैलकुलेशन कर बोलें. माननीय सभापति जी, हमारे प्रदेश के ऋण को लेकर हमारे भाई लोग बहुत चिन्तित रहते हैं, पर मैं यह आपके ध्‍यान में लाना चाहती हूँ कि राज्‍य के ऋण का जीएसडीपी वर्ष 2003 में 31.6 प्रतिशत था और आज राज्‍य के ऋण का जीएसडीपी 5 प्रतिशत से कम हुआ है और अब वह 27.95 प्रतिशत है अर्थात् हम ऋण तुलनात्‍मक तौर पर कम ले रहे हैं, हम ज्‍यादा नहीं ले रहे हैं, पर विकास ज्‍यादा कर रहे हैं. जीएसडीपी पर मैं फिर कहूँगी, मैं अण्‍डरलाइन करके कहूँगी, उस समय जीएसडीपी 31.6 प्रतिशत थी और आज जीएसडीपी 27.95 प्रतिशत है.

          सभापति जी, जैसे कि अभी विषय बहुत हैं. मैं फिर भी कोशिश करूँगी कि मैं शीघ्र अतिशीघ्र विषय को पूरा कर सकूँ.

          सभापति महोदय - माननीय सदस्‍या अभी बाकी सदस्‍य भी बोलने के लिए शेष हैं. 

          श्रीमती अर्चना चिटनीस - सभापति महोदय, मैं अपनी बात को बस समाप्‍त करने की ओर आगे बढ़ रही हूँ.

          श्री भंवर सिंह शेखावत - सभापति जी, बाकी सदस्‍यों का भी समय इनको दे दीजिये.

          श्रीमती अर्चना चिटनीस - सभापति जी, वैसे भी प्रजातंत्र के मंदिर में सच बोलने और सच सुनने का आनन्‍द ही कुछ और है.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा - (विपक्ष की ओर देखकर) वैसे भी अब सुनने के अतिरिक्‍त कुछ बचा भी नहीं है. अब तो सुनना ही सुनना है.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी) - सभापति महोदय, वह तो अच्‍छा है कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी सदन में बैठे हुए हैं, तो अभी इतनी सदस्‍य संख्‍या दिख भी रही है. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूँ कि वह आज सदन में लम्‍बा समय दे रहे हैं, तो इतनी उपस्थिति दिख भी रही है, नहीं तो हमारी ही उपस्थिति दिखती है, उधर तो संख्‍या कम ही दिखती है.

          सभापति महोदय - आप सभी सदस्‍यों का भी धन्‍यवाद है.

          खेल एवं युवा कल्‍याण मंत्री (श्री विश्‍वास सारंग) - सभापति जी, आपको सुनने की जिम्‍मेदारी दी गई है.

          श्री हरिशंकर खटीक -  (विपक्ष को देखकर) मेरे भाई, आप तो अपनी ही चिन्‍ता करो. आप बैठे हों, यह बढि़या है. जहां बैठे हों, वहीं बैठो और हमेशा बैठो.

          सभापति महोदय - अर्चना जी, कृपया चर्चा को समापन की ओर ले जाएं.

          श्रीमती अर्चना चिटनीस - सभापति जी, हम यहां बैठे हैं, हम वहां बैठे हैं, हम कहां बैठे हैं ? उससे महत्‍वपूर्ण यह है कि जो यहां बैठे हैं, वह जनता के लिए कर क्‍या रहे हैं ? जो हमारे आदरणीय राज्‍यपाल जी ने कल हमें बताया, यह तो मात्र एक वर्ष की कहानी थी, अभी तो 4 वर्ष की कहानी और लम्‍बी लिखना बाकी है, सुन्‍दर लिखना बाकी है, बेहतर काम करना बाकी है. हमारे पास अभी बहुत कुछ शेष है. स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में तो गजब का काम चल रहा है. मैं स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री जी एवं आदरणीय उप मुख्‍यमंत्री जी को मैं धन्‍यवाद देना चाहूँगी.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा - हमने वर्ष 2047 तक की योजना बनाई है.

          श्रीमती अर्चना चिटनीस - सभापति महोदय, स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में जिस प्रकार से हमारी सरकार काम कर रही है, वह अद्भुत एवं अद्वितीय है. मैं एकमात्र बात कहकर, इस विषय पर अगर प्रकाश डालना चाहूँ तो वर्ष 2002 में जब 579 करोड़ रुपये का बजट था, आज स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री जी का अपना बजट 16,807 करोड़ रुपये का तो पिछले वर्ष था, इस वर्ष क्‍या कमाल करते हैं, अभी पता लग जायेगा और यह आगे बढ़ने वाला है. हमारी मातृ मृत्‍यु दर जो 469 थी, वह कम होकर 173 हुई है, शिशु मृत्‍यु दर जो 82 थी, वह कम होकर 43 हुई है, संस्‍थागत प्रसव हमारी बहनें विधायकगण यहां पर बैठी हुई हैं, संस्‍थागत प्रसव अस्‍पताल में होने वाली डिलीवरी मात्र 35 प्रतिशत थी. मैं मुख्‍यमंत्री जी को, उनके कैबिनेट को, स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री जी को बधाई देना चाहती हूँ एवं महिला बाल विकास मंत्री जी को बधाई देना चाहती हूँ कि वह 35 प्रतिशत से बढ़कर आज 98 प्रतिशत संस्‍थागत प्रसव हमारी बहनों के हो रहे हैं(मेजों की थपथपाहट). मैं महिला बाल विकास पर बात करने का अवसर हमारे आने वाले सदस्‍यों के लिए छोड़ दूँ तो यह कहना तो पड़ेगा कि जहां 5 मेडिकल कॉलेज थे, आज 26 मेडिकल कॉलेज हमारी सरकार में चल रहे हैं. जहां पर 620 कॉलेज की सीटें थीं, वहां पर अब 6700 हो गई हैं.

          सभापति महोदय - अर्चना जी, आप मेडिकल कॉलेज की संख्‍या फिर से देख लीजिये. मेरे हिसाब से मेडिकल कॉलेज की संख्‍या संभवत: 30 हो गई है. (मेजों की थपथपाहट)          

          श्रीमती अर्चना चिटनीस -- माननीय सभापति जी, समस्‍या यह है कि..(व्‍यवधान)..

          श्री अभय कुमार मिश्रा -- सभापति जी, सिखाया ऊॅंट पहाड़ नहीं चढ़ता.. ..(व्‍यवधान)..

          श्रीमती अर्चना चिटनीस -- सभापति जी, परिस्‍थिति यह है कि कई चीजें तो ऐसी हैं कि जब मैंने बोलना शुरू किया, तब संख्‍या कम रही होगी, जब मैं आधे घण्‍टे में बोलकर खत्‍म करूंगी, तब तक बहुत चीजों के आंकड़े बढ़ जाएंगे, बहुत चीजों की संख्‍या बढ़ जाएगी. किस गति से, किस रीति से, किस नीति से, किस कल्‍पनाशीलता से सरकार काम कर रही है. उच्‍च शिक्षा के क्षेत्र में ..(व्‍यवधान)..

          सहकारिता मंत्री (श्री विश्‍वास सारंग) -- सभापति महोदय, इनके बोलते-बोलते माननीय मुख्‍यमंत्री जी आधे घण्‍टे के लिए गए थे, बात सही है, क्‍या-क्‍या विकास के काम हुए होंगे, यह हम सोच सकते हैं. ..(व्‍यवधान)..

          श्री भंवरसिंह शेखावत -- सभापति महोदय, आधे घण्‍टे में इतने मेडिकल कॉलेज खोल दिए, धन्‍यवाद. (हंसी).

          श्री विश्‍वास सारंग -- मेडिकल कॉलेज ही नहीं, बाकी भी.

          श्रीमती अर्चना चिटनीस -- सभापति महोदय, अब जिस प्रदेश में 30 मेडिकल कॉलेज हैं तो मुख्‍यमंत्री जी 26 कैसे सुनेंगे. मुख्‍यमंत्री जी इस पर अंडरलाइन तो करेंगे कि ठीक बात करो, 26 नहीं हैं, हमारे पास 30 मेडिकल कॉलेज हैं. सभापति जी, चाहे हमारे अनुसूचित जाति हों, अनुसूचित जनजाति हों, चाहे हमारे इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर का क्षेत्र हो, चाहे महिला एवं बाल विकास का क्षेत्र हो, चाहे हमारे किसानों का विषय हो, आप कीर्तिमान स्‍थापित कर रहे हैं. किसानों को पहली बार सोयाबीन पर भी, सोयाबीन की खरीददारी 4 हजार रुपये प्रति क्‍विंटल के ऊपर 4,892 रु. प्रति क्‍विंटल समर्थन मूल्‍य पर सोयाबीन की खरीदी करने का निर्णय इस सरकार ने किया है. सभापति जी, गेहूँ का समर्थन मूल्‍य 2,425 रुपये, हमारे मित्र एमएसपी के लिए चिंतित थे, गेहूँ का समर्थन मूल्‍य 2,425 है, पर माननीय मुख्‍यमंत्री जी 175 रुपये का बोनस देकर 2,600 रुपये प्रति क्‍विंटल में आप गेहूँ की खरीददारी कर रहे हैं. ..(व्‍यवधान)..

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय सभापति महोदय, 2,700 रुपये और 3,100 रुपये का जिक्र ही नहीं है. ..(व्‍यवधान)..

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय सभापति महोदय, इस तरह से टोका-टाकी ठीक नहीं है. हमारी ये ओपनर हैं, इनके पूरे विषय आने देने चाहिए. ऐसा बोल-बोल कर इंटरवीन करना ठीक नहीं है. ..(व्‍यवधान)..

          श्रीमती अर्चना चिटनीस -- नहीं माननीय मंत्री विश्‍वास सारंग जी, उन्‍हें ये तकलीफ नहीं है कि काम हो रहा है. उनकी बेचैनी इस बात की है कि हम कर नहीं पाए, ये कैसे कर रहे हैं, आप उनकी मन:स्‍थिति और उनकी मानसिक अवस्‍था को समझिए. आप उनसे सहानुभूति रखिए. ..(व्‍यवधान)..

          कुँवर अभिजीत शाह -- बात गेहूँ की है..(व्‍यवधान)..

          श्री रामेश्‍वर शर्मा -- हां, गेहूँ किसानों की भी खरीदेंगे और आपकी भी खरीदेंगे. इसके लिए कोई अलग से पॉलिसी नहीं बनाई है कि आपके नहीं खरीदेंगे, हर किसान का गेहूँ खरीदा जाएगा, रजनीश भाई, आप भी चिंता मत करो, सब तुलवा देंगे. ..(व्‍यवधान)..

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- हम आपको याद दिला रहे हैं. ..(व्‍यवधान)..

          श्रीमती अर्चना चिटनिस -- मैं अपनी बात को एक बात कहते हुए समाप्‍त करना चाहती हूँ कि प्रधानमंत्री जी ने हमें मंत्र दिया ज्ञान का और जो मंत्र प्रधानमंत्री जी ने दिया, सच में उनका विजन हमारा मिशन है. उन्‍होंने ज्ञान में कहा कि हम गरीब, युवा, अन्‍नदाता और नारी के हित को केन्‍द्रित रखकर सरकार बनाएं और मुख्‍यमंत्री जी, आपकी सरकार ने विवेकानंद युवा शक्‍ति मिशन के साथ-साथ में अहिल्‍या देवी नारी सशक्‍तिकरण मिशन और साथ में किसान कल्‍याण मिशन, इनको लेकर मिशन मोड में काम करने की कार्ययोजना ही नहीं बनाई, बल्‍कि कार्ययोजना का क्रियान्‍वयन भी प्रारंभ कर दिया. मुख्‍यमंत्री जनकल्‍याण योजना के अंतर्गत हम जिन तक योजना नहीं पहुँची, जहां तक हम नहीं पहुँच पाए, जिनको योजना परोस नहीं पाए, उन तक योजना परोसने का प्रयास करते हैं. सतत काम करते हैं. सतत मेहनत करते हैं और कमी को हम समझेंगे ही नहीं तो हम आगे काम करेंगे ही कैसे, हम काम करेंगे ही क्‍यों, कल का अभिभाषण सच में यह बताने वाला था कि हम कौन थे, क्‍या हो गए, क्‍या होंगे कभी, आओ चही विचारें, आज मिलकर सभी. हम कहां से चले थे, हम कहां पहुँचे, हमें कहां जाना है, अगर देश को दुनिया की पांचवीं बड़ी इकॉनॉमी से तीसरी बड़ी इकॉनॉमी पर पहुँचना है तो मध्‍यप्रदेश का सहयोग इसमें निश्‍चित होगा, बड़ा होगा, अभूतपूर्व होगा, इसका विश्‍वास कल के अभिभाषण में हुआ है.  इन शब्दों के साथ अपनी बात को पूरा करूंगी -

तुझको या तेरे नदीश, गिरि, वन को नमन करूँ मैं।
मेरे प्यारे देश! देह या मन को नमन करूत्र मैं?
किसको नमन करूँ मैं भारत, किसको नमन करूँ मैं?
भारत नहीं स्थान का वाचक, गुण विशेष नर का है,
एक देश का नहीं शील यह भूमंडल भर का है।
जहाँ कहीं एकता अखंडित, जहाँ प्रेम का स्वर है,
देश-देश में वहाँ खड़ा भारत जीवित भास्वर है!
निखिल विश्व की जन्म-भूमि-वंदन को नमन करूँ मैं?
किसको नमन करूँ मैं भारत! किसको नमन करूँ मैं?

 

 

        

            श्री जयवर्द्धन सिंह (राघौगढ़) - माननीय सभापति महोदय, मैं राज्यपाल जी के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. आपने मुझे बोलने  का मौका दिया है मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं. माननीय सभापति महोदय, राज्यपाल जी का अभिभाष वह  वक्तव्य होता है जो सरकार के पिछले एक वर्ष में कौन-कौन से विकास कार्य किये गये हैं. सरकार के पिछले एक वर्ष में कौन-कौन सी नई नीतियां स्थापित की गई हैं और उन विकास कार्यों का और उन नीतियों का जनता के बीच पूरे मध्यप्रदेश में क्या प्रभाव हुआ है वह वक्तव्य इन पूरे कामों की विस्तृत जानकारी माननीय राज्यपाल महोदय के द्वारा सदन को दी जाती है और इस साल का राज्यपाल का अभिभाषण इसलिये भी महत्वपूर्ण था क्योंकि पिछले बीस में से 18 साल सरकार भाजपा की होने के बावजूद 17 साल एक मुख्यमंत्री रहे माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के रूप में और 17 साल बाद भाजपा को एक मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी के रूप में मिले और हमें उम्मीद थी कि डॉ.मोहन यादव जी के मुख्यमंत्री के पहले वर्ष के कार्यकाल में ऐसी कोई नयी योजना प्रदेश को मिलेगी ऐसी कोई नई नीति मध्यप्रदेश में स्थापित होगी जिससे कि हर जिले में हर कस्बे में गरीबों का फायदा होगा लेकिन मुझे कहकर बहुत अफसोस हो रहा है कि मोहन यादव जी की सरकार का पहला वर्ष पूर्ण होने पर मध्यप्रदेश की जनता को एक भी नई योजना नहीं मिली है. यहां तक कि सभापति महोदय, मैं इसमें यह भी कहना चाहूंगा कि अगर हम जो पुरानी योजनाएं थीं मध्यप्रदेश शासन की, उनको भी वर्तमान सरकार आगे नहीं बढ़ा पाई है. मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का जो तीसरा पन्ना है उसमें उन्होंने ज्ञान का उल्लेख किया था.

 

            माननीय सभापति महोदय, नई योजनायें तो कोई नहीं थीं पूरे अभिभाषण में लेकिन तीसरे पन्‍ने पर ज्ञान का उल्‍लेख किया जाता है ज्ञान जरूर बहुत मिला, योजनायें कोई नई नहीं मिलीं. ज्ञान का वह प्रधानमंत्री जी के द्वारा अर्थ क्‍या बताया गया है मैं वह आपके सामने रखना चाहता हूं. गरीब, युवा, अन्‍नदाता और नारी, हम प्रारंभ करें नारी के संबंध में, महिलाओं के संबंध में जैसा अर्चना जी फरमा रही थीं कि पिछली सरकार ने शिवराज सिंह चौहान जी के माध्‍यम से मध्‍यप्रदेश में लाड़ली बहना योजना स्‍थापित की थी और मुझे याद है वर्ष 2023 के अंतिम महीनों में चुनाव के पहले शिवराज सिंह चौहान जी हर मंच पर एक रैम्‍प वॉक बनाकर चलते थे, मॉडल जैसे रैम्‍प पर चलकर जनता से वादा करते थे, महिलाओं को वादा करते थे कि कुछ म‍हीनों बाद अगर सरकार वापिस भाजपा की बनेगी तो 1250 नहीं 1500 मिलेंगे, 2000 मिलेंगे, ढाई हजार मिलेंगे, तीन हजार रूपये हर महीने मिलेंगे. 15 महीने भाजपा के पूरे हो चुके हैं लेकिन अफसोस की बात यह है कि डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने अभी तक लाड़ली बहना योजना की एक रूपये की वृद्धि नहीं कर पाये हैं, यह सच्‍चाई है माननीय सभापति महोदय. शिवराज सिंह चौहान जी ने यह भी वादा किया था एक-एक महिला से, प्रदेश के एक-एक निवासी से कि अगर उनकी सरकार वापिस बनेगी और जहां तक मुझे याद है वर्ष 2023 में रक्षाबंधन के दिन शिवराज सिंह चौहान जी ने पूरे प्रदेश की महिलाओं से वादा किया था कि वह हर परिवार को रसोई गैस की टंकी साढ़े चार सौ रूपये में देंगे, लेकिन किसी को नहीं मिल पा रही है, यह सत्‍य है. मैं सत्‍तापक्ष के जो विधायक है मैं आपसे भी अनुरोध करूंगा कि आप अपने क्षेत्र में जाईये, माता बहनों से पूछिये, सच्‍चाई यह है सभापति महोदय कि आज वर्ष 2025 में भी एक भी परिवार को रसोई गैस की टंकी भाजपा के राज में साढ़े चार सौ रूपये में नहीं मिल रही है, यह सत्‍य है. सभापति महोदय, मैं आपसे अर्ज करना चाहता हूं हम जब महिलाओं के हित की बात करते हैं तो सबसे पहले अगर हमें हमारे प्रदेश की माता, बहनों को आत्‍मनिर्भर बनाना है तो हमें शुरूआत करनी चाहिये आंगनबाडि़यों से और स्‍कूल शिक्षा की जो वास्‍तविकता है उसको समझना चाहिये. सभापति महोदय, मैं माननीय राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण के जो 16 नंबर पेज है उसका उल्‍लेख करना चाहता हूं जहां स्‍वयं राज्‍यपाल महोदय यह कहते हैं कि वर्ष 2024-25 में सिर्फ 355 नये आंगनबाड़ी केन्‍द्र बनाये गये. आज सच्‍चाई यह है मध्‍यप्रदेश की कि 60 से 70 प्रतिशत आंगनबाडि़यां किराये के भवन में चल रही हैं. सिर्फ यही नहीं सीएजी की रिपोर्ट में इस बात का उल्‍लेख किया गया है कि आंगनबाडि़यों के सामान में इतना बड़ा भ्रष्‍टाचार हुआ है कि सिंगरौली जिले के आंगनबाड़ी केन्‍द्र में एक चम्‍मच आठ सौ रूपये में खरीदी गई भाजपा सरकार के द्वारा, एक जग 1247 रूपये में क्रय किया गया, एक सर्विस स्‍पून एक बड़ा चम्‍मच (श्री रामेश्‍वर शर्मा जी के बैठे-बैठे कुछ कहने पर) रामेश्‍वर शर्मा जी आप सुनिये यह (XX) आप एक बार सुन लीजिये आपकी ही सरकार के द्वारा एक सर्विस स्‍पून बड़ा चम्‍मच 1348 रूपये में क्रय किया गया यह सच्‍चाई आपकी सरकार की है, (XX) कि आंगनबाड़ी केन्‍द्रों में भी (XX). सभापति महोदय बात सिर्फ आंगनबाड़ी केन्‍द्रों की नहीं है, मैं आना चाहता हूं स्‍कूल शिक्षा विभाग पर ...

          श्री रामेश्‍वर शर्मा-- (कांग्रेस पार्टी के किसी माननीय सदस्‍य के बैठे-बैठे बोलने पर) यह आप लोगों का षड़यंत्र है पर हम जयवर्द्धन जी के साथ हैं, खूब बोलो हम सब सुन रहे हैं. .... (व्‍यवधान)... वह तो दिल्‍ली की शीला दीक्षित जी के जमाने की सूची उनके हाथ लग गई इसलिये फिर भी बोल लेने दो.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह-- सभापति महोदय, हम यह चाहते हैं कि हमारे रामेश्‍वर शर्मा जी को भी कुछ मिलना चाहिये, मंत्री बनना चाहिये.

          श्री रामेश्‍वर शर्मा--  देखो भाई मैं तुम्‍हारा एमएलए हूं कि नहीं. इनको मंत्री बनना चाहिए, यह बहुत समय से इंतजार कर रहे हैं.

          श्री विश्‍वास सारंग --  अच्‍छा सुनो और शुभकामनाएं दिखाओ (हंसी)

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- हम तो यह कहते है कि इनको मंत्री बनाना चाहिए, हमारे पड़ोसी हैं(हंसी)

          सभापति महोदय -- श्री जयवर्द्धन सिंह जी अपनी बात को आप आगे बढ़ायें.

          श्री विश्‍वास सारंग -- हमें समझ में आ गया है कि आप कितना हमको प्‍यार करते हो, आप जिसको रिकमेंड करोगे,वहां  वाले भी  नहीं बन पायेंगे, यहां के तो छोड़ दो.

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- विश्‍वास जी आप भी उतना ही प्रेम करते हैं, आप चिंता न करें. माननीय सभापति महोदय, बात सिर्फ आंगनबाड़ी केंद्रों की नहीं है, मैं सदन को अवगत करवाना चाहता हूं कि अगर हम स्‍कूल शिक्षा की बात करें तो केंद्र सरकार के द्वारा, शिक्षा मंत्रालय के द्वारा यूनिफाईड डिस्ट्रिक्‍ट सिस्‍टम फोर एज्‍यूकेशन की रिपोर्ट 02 जनवरी, 2025 को रिलीज हुई, उस रिपोर्ट के द्वारा यह आंकड़ा दिया गया है कि आज भी हमारे प्रदेश के स्‍कूलों में, विद्यालयों में, सरकारी स्‍कूलों में 70 हजार शिक्षक की कमी है, आज के समय में, यह सच्‍चाई है. उसके साथ साथ यह भी उल्‍लेख किया गया है कि पिछले एक साल में हमारे सरकारी स्‍कूलों में साढ़े तीन लाख छात्राओं ने स्‍कूल से ड्रापआउट किया है, स्‍कूल को छोड़ा है, इस कार्यकाल में, यह बहुत चिंता का विषय है.

          श्री विश्‍वास सारंग -- माननीय सभापति महोदय, मेरा प्‍वाइंट ऑफ आर्डर है कि यह किस बेस को लेकर यह आंकडे़ प्रस्‍तुत कर रहे हैं, यह असत्‍य बोल रहे हैं. (व्‍यवधान) माननीय सभापति महोदय, कहां से साढ़े तीन लाख ड्रापआउट है? (व्‍यवधान)

          श्री सुरेश राजे -- अभी हम डेढ़ घण्‍टे से पूरी रामकथा सुन रहे थे, उसमें दिक्‍कत नहीं थी. हमने डेढ़ घण्‍टे सुना है, हमने बहुत ध्‍यान से आपकी बात सुनी है. (व्‍यवधान)

          श्री आशीष गोविन्‍द शर्मा -- सुरेश भईया सुनने की आदम भी डालो (व्‍यवधान)

          श्री विजय रैवनाथ चौरे -- हम तो डेढ़ घण्‍टे से भाषण सुन रहे हैं, हमने टोटा टाकी नहीं की थी (व्‍यवधान)

          सभापति महोदय -- श्री जयर्द्धन सिंह जी, आप अपनी बात जारी रखें. ( एक साथ अनेक माननीय सदस्‍यों द्वारा अपने आसन से कहने पर) बाकी सभी माननीय सदस्‍य बैठ जायें. (व्‍यवधान)

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय सभापति महोदय, सच्‍चाई सुनने में सत्‍ता पक्ष के विधायकों को इतनी चुभ रही है कि बार-बार उठ रहे हैं, लेकिन जैसा मैंने कहा और जिन आंकड़ों का मैंने उल्‍लेख किया है, स्‍वयं शिक्षा मंत्रालय के यूनिफाईड डिस्ट्रिक्‍ट सिस्‍टम फोर एज्‍यूकेशन की रिपोर्ट के ही यह आंकड़े हैं, यह कोई निजी आंकडे़ नहीं है, विश्‍वास सारंग जी यह शिक्षा मंत्रालय के आंकडे़ हैं. सच्‍चाई सुनने की क्षमता रखिये विश्‍वास भाई साहब.

          सभापति महोदय, स्‍कूल शिक्षा के साथ-साथ हमारे कुछ मित्रों का जो सबसे प्रिय विषय है, मैं हमारे प्रदेश की जो नर्सिंग कॉलेज की स्थिति है, उसके बारे में भी सदन के सामने आज कुछ बातें प्रस्‍तुत करना चाहता हूं. यह हमारा प्रदेश का कितना बड़ा दुर्भाग्‍य है कि पूरे देश में एकमात्र मध्‍यप्रदेश ही ऐसा है जहां वर्ष 2019 से लेकर आज तक एक भी नर्सिंग छात्र  ग्रेज्‍युएट नहीं कर पाया है ( शेम शेम की आवाज) विश्‍वास सारंग जी वर्ष 2019 से लेकर वर्ष 2025 तक एक भी नर्सिंग छात्र को छ: साल में डिग्री नहीं मिली है, यह सच्‍चाई मध्‍यप्रदेश की है और हम सबको इस बात का अहसास होना चाहिए कि जितना बड़ा महत्‍व डॉक्‍टर्स का होता है, उतना ही बड़ा महत्‍व एक-एक नर्सिंग स्‍टॉफ का होता है, कितने अफसोस की बात है कि जहां अलग अलग छात्रों को डिग्री मिल रही है, इन नर्सिंग छात्रों के बच्‍चों को पूरी फीस जमा करने के बाद भी छ: साल में एक भी डिग्री भाजपा के राज में नहीं मिली है. ( शेम शेम की आवाज)

          उपमुख्‍यमंत्री (श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल) -- माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से इनको एक जानकारी देना चाहता हूं, जो इनके लिये बहुत उपयोगी है. पिछले एक वर्ष में एक लाख बच्‍चों के नर्सिंग के फर्स्‍ट ईयर से लेकर फोर्थ ईयर तक का एग्‍जाम कराने का भी इतिहास मध्‍यप्रदेश की सरकार ने बनाया है( मेजों की थपथपाहट)

          श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय सभापति महोदय, यह परिस्थिति निर्मित क्‍यों हुई, बात कहीं की हो रही है और उत्‍तर कहीं का आ रहा है, बात एक साल में डिग्री लेने की है, क्‍या होने वाला है, वह नहीं है.

          श्री विश्‍वास सारंग -- श्री रजनीश जी, जिस बात का जिक्र माननीय विधायक जी कर रहे हैं, वह यदि रोक लगी थी, तो वह कोर्ट के कारण रोक लगी थी और मैं माननीय उप मुख्‍यमंत्री जी को बहुत बधाई देता हूं कि कोर्ट में सरकार का सही पक्ष रखकर और त्‍वरित रूप से परीक्षाएं भी करवाईं और उसका रिजल्‍ट भी मिला है.                                                                   

श्री ओमकार सिंह मरकाम गलती करोगे तो कोर्ट आपको निर्देश देगा. यह आपकी गलती के कारण है, कोर्ट ने निर्देश दिया, आपकी गलती के कारण परीक्षाएं नहीं हुई. सभापति महोदय ये गलती करके वाहवाही ले रहे है. 

श्री विश्‍वास सारंग माननीय सभापति महोदय मैं फिर कह रहा हूं कि गुमराह करने के लिये मंच का उपयोग हो रहा है, तो यह ठीक नहीं है, ये प्रदेश की इज्‍जत पूरे देश में बिगाड़ने का काम हो रहा है.

श्री अभय मिश्रा एक वर्ष की परीक्षा के लिए रोक लगी थी कोर्ट से, पूरे इतने वर्षों के लिए रोक नहीं लगी थी, ये गलत जानकारी देकर दिग्‍भ्रमित कर रहे हैं.

श्री विश्‍वास सारंग अभय जी, थोड़ा इनका ज्ञानवर्धन करो, आप बहुत ज्ञानी पुरुष हो.

सभापति महोदय सभी माननीय सदस्‍यों से अनुरोध है कि यह कोई विभागीय विषय पर चर्चा नहीं हो रही है, राज्‍यपाल जी के अभिभाषण पर चर्चा हो रही है. आप अपनी बात आगे बढ़ाईए.

श्री जयवर्द्धन सिंह अध्‍यक्ष महोदय, सत्‍य सुनकर इन सभी को चुभ रही है. सत्‍य यही है कि पिछले छह साल में एक भी नर्सिंग छात्र को डिग्री नहीं मिली है, जो बात माननीय सदस्‍य कह रहे थे, अगर कोर्ट ने रोका है तो इनकी गलती के कारण रोका है, इनके द्वारा जो भ्रष्‍टाचार किया गया, फर्जी मान्‍यताएं दी गईं, उसके कारण पूरे प्रदेश भर में दिक्‍कत आई है. माननीय सभापति महोदय, जिस बात के विषय में माननीय उप मुख्‍यमंत्री जी अभी खड़े हुए थे, मैं उनका बहुत सम्‍मान करता हूं. 2 जुलाई 2024 को इसी विषय को लेकर माननीय अध्‍यक्ष महोदय ने हमको चर्चा का समय दिय था, ध्‍यानाकर्षण के माध्‍यम से. सभापति जी, माननीय उप मुख्‍यमंत्री जी ने सदन में आश्‍वासन दिया था, कैलेण्‍डर के साथ कि पिछले एक साल में ..

सभापति महोदय माननीय सदस्‍य, मैं आपको ध्‍यान दिला दूं यह विभागीय विषय पर और स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के बजट पर चर्चा नहीं हो रही है. यहां पर राज्‍यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हो रही है. उसी पर अपनी बात रखे.

श्री जयवर्द्धन सिंह सभापति महोदय, आपके संरक्षण की आवश्‍यकता है. मैं इस विषय को एक मिनट में पूरा कर रहा हूं और उसके बाद अगले विषय पर आ जाऊंगा. सभापति जी सीधी बात है मंत्री जी ने यह कहा था कि उन्‍होंने अनेकों परीक्षा करवाई हैं लेकिन सच्‍चाई यह है कि वर्ष 2020-21 बैच की परीक्षा बीएससी सेकेण्‍ड ईयर की नवम्‍बर 2024 में की जाएगी वह नहीं हुई. आश्‍वासन दिया था कि बीएससी फोर्थ ईअर 2019-20 की परीक्षा, अक्‍टूबर 2024 में की जाएगी, क्‍या हुई नहीं हुई, आश्‍वासन दिया था कि एमएससी 2020-21 की परीक्षा नवंबर में की जाएगी क्‍या हुई, नहीं हुई. मंत्री जी ने आश्‍वासन दिया था कि 2021-22 की एमएससी बैच सेकेण्‍ड ईअर की परीक्षा जनवरी 2025 में की जाएगी, क्‍या हुई, नहीं हुई.सभापति महोदय मंत्री जी ने सदन के अंदर आश्‍वासन दिया था कि पीबी बीएससी सेकेण्‍ड ईयर की परीक्षा 2020-21 बैच की परीक्षा नवंबर 2024 में की जाएगी, क्‍या  परीक्षा हुई, नहीं हुई. मंत्री जी ने आश्‍वासन दिया था कि 2021-22 बैच पीबी बीएससी सेकेण्‍ड बैच की परीक्षा जनवरी 2025 में की जाएगी क्‍या परीक्षा हुई नहीं हुई. इतनी सारे आश्‍वासन देने के बाद ये सब परीक्षा मंत्री महोदय आज भी लंबित पड़ी है.

1:53 बजे                {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}

        उप मुख्‍यमंत्री (श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल) माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सदन के रिकार्ड में सारी बातें रहती हैं. मैंने यह बोला था कि एक लाख बच्‍चों के एग्‍जाम करने का एक इतिहास, क्‍योंकि हमने हाईकोर्ट से परीक्षा कराने की परमिशन ले ली है और वह सारे एक्‍जाम हो चुके हैं और सभी लोगों को उसके प्रमाण पत्र मिल चुके हैं और मिलने वाले भी है.

          श्री जयवर्द्धन सिंह बस डिग्री नहीं मिल पाई.

श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल ये जो आपने कहा कि ये आश्‍वासन दिया.

          श्री जयवर्द्धन सिंह ये आपका कलेक्‍ण्‍डर है. (कैलेण्‍डर दिखाते हुए)

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल ये कैलेण्‍डर है, आश्‍वासन नहीं है, ये यूनिवर्सिटी जो कैलेण्‍डर जारी करती है, उसके आधार पर कार्यक्रम हुआ है. (व्‍यवधान..;)

          श्री रजनीश हरवंश सिंह माननीय अध्‍यक्ष महोदय कैलेण्‍डर के हिसाब से तो कार्यक्रम होगा.

          श्री जयवर्द्धन सिंह अध्‍यक्ष जी, अगर कोई छात्र स्‍कूल में पढ़ रहा हो और स्‍कूल ने कैलेण्‍डर बना दिया और उसका पालन नहीं किया तो गलती स्‍कूल की है या छात्र की है. इसलिए यह कैलेण्‍डर कोई बच्‍चे ने नहीं बनाया ये कैलेण्‍डर मंत्री जी आपके विभाग ने बनाया था जिसका पालन नहीं हुआ है.

          अध्‍यक्ष महोदय जयवर्द्धन जी राजेन्‍द्र जी को अपनी पूरी बात कह लेने दीजिए.

          श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल अध्‍यक्ष जी सदन को इस प्रकार से गुमराह करना उचित नहीं है कि आप विश्‍वविद्यालय के कैलेण्‍डर को यह कहना कि यहां पर सदन में आश्‍वासन दिया गया था. सदन में एक लाख बच्‍चों के एग्‍जाम करवाने का आश्‍वासन दिया गया था जिसके आधार पर विश्‍वविद्यालय ने यह कैलेण्‍डर जारी किया और इस कैलेण्‍डर के आधार पर सारे एग्‍जाम हो गए हैं.

          श्री जयवर्द्धन सिंह नहीं हुए हैं. जैसा मैंने कहा जिन जिन एग्‍जामों का मैंने उल्‍लेख किया था, यह सब एग्‍जाम अक्‍टूबर 2024 से लेकर जनवरी के बीच में होने चाहिए थे एक भी एग्‍जाम मंत्री महोदय नहीं हुए हैं, आप पता कर लीजिए.

          श्री राजेन्द्र शुक्लसारे एग्जाम हुए हैं. हम आपको सारे डिटेल्स उपलब्ध करवा देंगे. जितने भी छात्र हैं जो छात्र आते थे कि हमारे पास कि एग्जाम नहीं हो रहे हैं उन सारे छात्रों ने संतोष व्यक्त किया है.

          श्री जयवर्द्धन सिंह अध्यक्ष महोदय, मुझसे स्वयं छात्र मिले हैं वैसे तो इस संबंध में मैं यह कहना चाहूंगा कि मैंने इसी विषय को लेकर एक ध्यानाकर्षण भी लगाया है. मुझे पूरी उम्मीद है कि आप इस विषय को लेकर विस्तृत चर्चा करने का एक और मौका देंगे. लेकिन जहां तक सवाल युवाओं का है. बात सिर्फ नर्सिंग कालेज तक सीमित नहीं है. हमारे मध्यप्रदेश के अंतर्गत पीएससी छात्र आंदोलित थे. माननीय मुख्यमंत्री जी से स्वयं एक डेलीगेशन मिलने गया था. माननीय मुख्यमंत्री जी ने उन बच्चों को आश्वासन दिया था कि उनकी मांगें सुनी जायेंगी. लेकिन आश्वासन के बाद जो बच्चे सीएम साहब से मिलने गये थे उनके ऊपर एफआईआर दर्ज हो गई. आज तक पीएससी छात्रों की मांगें थीं आज दिनांक तक वह मांगे पूरी नहीं हो पाई हैं. बात सिर्फ पीएससी छात्रों को नहीं है. अध्यक्ष महोदय,ए. एस.आई पुलिस की भर्ती 2017 से लंबित है. 2024 में इन भर्तियों को भरने का आश्वासन दिया गया था लेकिन अभी तक इस विभाग में भी कोई नयी भर्तियां नहीं हुई हैं. 2 लाख लोगों ने पुलिस कांस्टेबिल के लिये परीक्षा दी थी, लेकिन आज दिनांक तक एक भी पुलिस कांस्टेबिल की सालों से भर्ती नहीं हो पाई है. इस सरकार ने पहले सरकारी परीक्षाओं का नाम व्यापम होता था उसको पूरा प्रदेश और देश जानता है कि शिवराज सिंह चौहान जी के राज में इतना बड़ा कलंक जो व्यापम पर लगा था उसके बाद सरकार को मजबूर होकर इस व्यापम का नाम बदलकर मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मण्डल रखना पड़ा, लेकिन उसके बाद अगर हम देखें लगातार जब पटवारी भर्ती की परीक्षा हुई थी उसमें भी बड़ा घोटाला हुआ था. सिर्फ पटवारी भर्ती परीक्षाएं ही नहीं दिव्यांगजनों के लिये भी जो परीक्षाएं की गई थीं उनको भी इस सरकार ने नहीं छोड़ा और दिव्यांगजनों की भर्ती में भी घोटाला हुआ है, जिनका आज दिनांक तक नतीजा नहीं आ पाया है. सिर्फ यही नहीं हम वन रक्षक की बात करें, जेल प्रहरी की बात करें. यह सब सरकारी भर्ती परीक्षाएं हैं, वह भी लंबित पड़ी हैं. जो कलेण्डर 2024 में सरकारी भर्ती का बनाया गया था वह भी आज दिनांक तक उसका पालन नहीं किया गया है. लाखों शिक्षित युवा आज भी बेरोजगार घूम रहे हैं लेकिन उनको रोजगार नहीं मिल पाया. मैं इस विषय पर संयोग से मेरा आज इस विषय पर एक प्रश्न भी लगा था. यह प्रश्न भी सुनने लायक है, उसका उत्तर भी सुनने लायक है. मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश सरकार ने 1 हजार करोड़ रूपये के बजट की मांग की, इस योजना पर खर्च हुआ सिर्फ 30 करोड़. फिर 2024-25 में पिछले साल के बजट में सीखो कमाओ योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश शासन ने 301 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा, लेकिन इस योजना में 301 करोड़ के बदले में सिर्फ वापस 30 करोड़ रूपये खर्च हो पाये. 270 करोड़ रूपये ऐसे के ऐसे पड़े रहे. जबकि युवा आज भी न्याय की उम्मीद कर रहा है, नये रोजगार के पदों की उम्मीद कर रहा है. लेकिन इस सरकार ने कहीं न कहीं युवाओं के साथ बहुत बड़ा धोखा दिया है. बात सिर्फ सरकारी नौकरियों की नहीं है मैं सदन के अंदर जो सबसे प्रिय विषय है.

          श्री शैलेन्द्र जैनअध्यक्ष महोदय, 2024  41 करोड़ रूपये का पेमेंट दिया गया है.

          श्री जयवर्द्धन सिंह अध्यक्ष महोदय, आपको भी मंत्री बनना है आप बैठ जाईये दो मिनट के लिये. मैंने कभी भी आपको व्यवधान नहीं किया है. आप भी बहुत ही अच्छे वक्ता हैं.

          श्री भंवरसिंह शेखावतइस समय सागर वालों की तो सुनी ही नहीं जा रही है. शैलेन्द्र जी काहे को पड़े हो चक्कर में.

          श्री जयवर्द्धन सिंह अध्यक्ष महोदय, मैं आना चाहता हूं राज्यपाल महोदय जी के 20 वें नम्बर के पेज पर. जहां राज्‍यपाल महोदय ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स समिट के बारे में बात करते हैं. स्‍वयं माननीय प्रधानमंत्री जी भी इस समिट में पधारे थे. माननीय गृहमंत्री जी भी पधारे थे. हमारी पूर्व मंत्री महोदया और सदन की वरिष्‍ठ सदस्‍या श्रीमती अर्चना चिटनीस जी ने भी ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स समिट के बारे में बात की. अभिभाषण में लिखा है कि मध्‍यप्रदेश में कुल निवेश प्रस्‍ताव 30.77 लाख करोड़ के आए. जबकि मध्‍यप्रदेश का सकल घरेलू उत्‍पाद पूरे संपूर्ण मध्‍यप्रदेश की जीडीपी उससे आधी है. जहां पूरे मध्‍यप्रदेश के वर्तमान के पूरे उद्योगों को मिलाकर जो भी क्रय-विक्रय हो रहा है, सबकुछ मिलाकर के सकल घरेलू उत्‍पाद 15 लाख करोड़ है और यहां आप करार 30 लाख करोड़ का कर रहे हैं. यह सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा है. हम तो यह सुनना चाहते थे कि पिछले 1 साल में माननीय मुख्‍यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी की सरकार ने कितने उद्योग स्‍थापित किए हैं, कितने रोजगार के पद दिए हैं, उसके बारे में तो एक शब्‍द नहीं बोल पाए. लेकिन करार कितने हो गए. कितने एमओयू साइन हो गए. उसके बारे में जरूर यह फर्जी आंकडे़ इस अभिभाषण में प्रस्‍तुत किए हैं, जिससे कोई अंतर नहीं पड़ने वाला है लेकिन अगर हम पूरे प्रदेश के बारे में बात करें, तो आज दिनांक तक जो बडे़-बडे़ उद्योग मध्‍यप्रदेश में हैं जो भी बड़े-बडे़ औद्योगिक क्षेत्र मध्‍यप्रदेश में हैं, चाहे पीथमपुर का औद्योगिक क्षेत्र हो, चाहे मंडीदीप का औद्योगिक क्षेत्र हो, चाहे गेल एनएफएल औद्योगिक क्षेत्र हो, चाहे बीना रिफाइनरी हो, जो पहले मानपुर का क्षेत्र था, एक-एक बड़े उद्योग और औद्योगिक क्षेत्र जो मध्‍यप्रदेश में हैं, वह कांग्रेस की देन है. पिछले 20 सालों में ऐसा कोई एक भी बड़ा औद्योगिक क्षेत्र मध्‍यप्रदेश में स्‍थापित नहीं हुआ है, जिससे कि हजारों युवाओं को रोजगार मिल पाए. यही सच्‍चाई पूरे मध्‍यप्रदेश में वर्तमान में उद्योगों की है.

          अध्‍यक्ष महोदय, जब हम कल माननीय राज्‍यपाल महोदय जी का अभिभाषण सुन रहे थे, तो हमने देखा कि वे कुछ-कुछ बिन्‍दुओं को छोड़कर पढ़ रहे थे और जीआईएस वाले बिन्‍दु के ऊपर ही चीता के बारे में बात हुई. चीता का विषय बहुत संवदेनशील है, मैं जानता हॅूं क्‍योंकि स्‍वयं प्रधानमंत्री महोदय जब पहला चीता श्‍योपुर जिले में आया था, तो स्‍वयं प्रधानमंत्री महोदय जी जन्‍मदिन पर उस चीते को बाहर छोड़ने के लिए पधारे थे और इसमें सीधी बात यह है कि अधिक से अधिक चीते प्रदेश के अंदर आएं और उससे पर्यटन बढे़, यह सबकी इच्‍छा है. हम कोई इसका विरोध नहीं कर रहे हैं. लेकिन पिछले अभिभाषणों में हर साल कितने चीते आए हैं उनकी संख्‍या रहती थी. श्री मुकेश मोहता जी यहां बैठे हैं जो उपचुनाव में जीतकर आए हैं. उसी क्षेत्र से जहां, कूनो नेशनल पार्क है. हम सब भी वहां प्रचार के लिए गए थे. जब हमने गांव वालों से पूछा कि अभी तक श्‍योपुर जिले के एक भी व्‍यक्‍ति ने या तो आम निवासी के रूप में या पर्यटक के रूप में एक भी चीते को नहीं देखा है. जब हमने पता किया कि वे चीते कहां पर हैं तो उन्‍होंने कहा कि एक फेंसिंग लगी है जिसके अंदर वे रहते हैं. कोई वीआईपी आते हैं या कोई मंत्री आते हैं तो उनको देखने का मौका मिलता है लेकिन आज दिनांक तक कूनो नेशनल पार्क के अंतर्गत जो व्‍यवस्‍था चीते देखने के लिए होनी चाहिए थी, वह कहीं नहीं बन पायी है और इसलिए शायद क्‍योंकि सरकार को स्‍वयं नहीं पता है कि कितने चीते बचे हैं. इसीलिए उसका आंकड़ा भी इस बार अभिभाषण में नहीं दिया गया है और यह भी कहीं न कहीं एक बहुत बड़ी विफलता वर्तमान सरकार की है क्‍योंकि चीते का प्रदेश में आना एक लैंडमार्क योजना थी, जिस पर कहीं न कहीं मध्‍यप्रदेश सरकार खरी नहीं उतर पायी है.

अध्‍यक्ष महोदय, अब मैं अगले विषय पर आऊंगा. जितना महत्‍वपूर्ण युवाओं के लिए रोजगार है, जितना महत्‍वपूर्ण युवाओं के लिए नये उद्योगों की स्‍थापना है, जितना महत्‍वपूर्ण युवाओं के लिए सरकारी नौकरियां हैं उतना ही महत्‍वपूर्ण युवाओं के लिए और हर वर्ग के लिए कृषि का क्षेत्र भी है और मैं पुनः सत्ता पक्ष को याद दिलवाऊंगा, आपकी ही सरकार के वायदे को कि गेहूं खरीदी रु. 2700 के रेट पर की जाएगी. धान खरीदी रु. 3100 के रेट पर की जाएगी. लेकिन अफसोस की बात यह है कि मोहन यादव जी की सरकार के द्वारा पिछले 1 साल में एक भी किसान की  गेहूं खरीदी रु. 2700 पर नहीं की गई. मध्यप्रदेश में एक भी किसान की धान खरीदी रु. 3100 पर नहीं की गई. यही सच्चाई इस सरकार की है और यह एक बहुत बड़ा धोखा वर्तमान सरकार ने किसानों के साथ किया है, लेकिन कृषि का पूरा विभाग सिर्फ किस दाम पर फसल बिक रही है, वहां तक सीमित नहीं होता है. हमारे संविधान ने और हमारी पूरी सरकार को व्यवस्था दी थी को-ऑपरेटिव की, सहकारिता की. हमारे बीच हमारे वरिष्ठजन बैठे हैं, आदरणीय श्री भंवर सिंह जी स्वयं सहकारिता में एक ऐसे नेता हैं, जिनको उस विषय को लेकर बहुत बारिकी की जानकारी है. हमारे बीच श्री सचिव यादवजी बैठे हैं, जिनके पूज्य पिताजी श्री सुभाष यादव जी, सहकारिता के एक बहुत बड़े नेता थे. सहकारिता एक ऐसा विभाग था, जिसके अधीन अनेकों जो सरकारी योजनाएं हैं, अनेकों विषय चाहे वह खाद की व्यवस्था हो, डीएपी की व्यवस्था हो, अनेकों और आपूर्ति की व्यवस्था हो, वह हमारी सहकारी संस्थाओं के द्वारा किसान तक पहुंचती थी. सहकारिता में हर 5  वर्ष में चुनाव होते थे, लेकिन मैं सत्तापक्ष से पूछना चाहता हूं, आखिर सहकारिता में भाजपा के राज में चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं? इस पर आप उत्तर दीजिए, यह बात सिर्फ को-ऑपरेटिव तक नहीं है. हम बात करें मंडियों के बारे में, हमारे प्रदेश में मंडियों के अंतर्गत एक ऐसी व्यवस्था होती थी, जिसमें कि हर 5 साल में मंडी के चुनाव होते थे, किसानों के बीच में से डायरेक्टर बनते थे, व्यापारी सदस्य बनता था और वह सब डायरेक्टर और व्यापारी सदस्य मिलकर उस मंडी के अंतर्गत क्या निर्माण कार्य होने हैं, मंडी में क्या कमियां हैं, इन सब मामलों को समझकर जो आय मंडी में आती थी, उस आय का सदुपयोग करके  किसान के हित के लिए वह अनेक नये निर्माण कार्य करवाते थे और शायद हमको लगता था कि श्री शिवराज सिंह चौहान जी मुख्यमंत्री हैं और वह नहीं चाहते कि मंडी के चुनाव हों, लेकिन नये मुख्यमंत्री आ गये और आज भी वही स्थिति है. आखिर में सत्ता पक्ष से पूछना चाहता हूं और आज मैं चाहूंगा कि जब माननीय मुख्यमंत्री जी उनका उद्बोधन दें तो वह 2025 में हमें यह आश्वासन दें कि इसी साल चुनाव मंडी के भी होंगे और सहकारिता के भी होंगे, यह हमारी मांग इस सरकार से रहेगी क्योंकि आज ही हमने देखा कि श्री दिनेश गुर्जर जी वर्तमान में सदन के अंदर नहीं हैं, लेकिन श्री दिनेश गुर्जर जी ने भी इस बात का उल्लेख किया था.

राज्यमंत्री, कुटीर एवं ग्रामोद्योग (श्री दिलीप जायसवाल) - एक साथ सारे इलेक्शन होंगे.

श्री जयवर्द्धन सिंह - धन्यवाद मंत्री जी, मुझे विश्वास है कि माननीय जो आपने बात कही है वह जल्दी हो, आपका जो सकारात्मक बयान इस विषय को लेकर है, मुझे माननीय मंत्री जी पूरी उम्मीद है कि माननीय मुख्यमंत्री जी आपसे प्रेरणा लेकर इसकी घोषणा उनके भाषण में करेंगे. अध्यक्ष महोदय, जैसा मैं कह रहा था कि सहकारिता के विषय को लेकर जो प्रश्न पूछा गया श्री दिनेश गुर्जर जी के माध्यम से, माननीय श्री विश्वास सारंग जी ने उत्तर में भी यह कहा था कि सरकार ने पर्याप्त डीएपी और खाद जिले में पहुंचाई थी, लेकिन शुरुआत पूरे खेल की वहीं होती है, जब खाद और डीएपी जिले में पहुंचती है, उसके बाद वहां पर जो अधिकारी हैं, वह इसमें पूरा खेल करते हैं इसीलिए सहकारी संस्थाएं बनी थीं ताकि खाद का वितरण विकेन्द्रित हो, अलग-अलग सहकारी संस्थाएं जो बड़े-बड़े कस्बों में होती थी, वहां पर खाद, डीएपी पहुंचती थी और उनके द्वारा जो बड़े-बड़े कस्बे थे, जहां पर 20-30 गांव के लोग आ सकते थे, उनको उसी कस्बे में खाद मिलती थी, डीएपी मिलती थी, लेकिन क्योंकि आज यह सब संस्थाएं फेल पड़ी हैं क्योंकि निर्वाचन नहीं हुआ है, इसलिए सरकार को मजबूरी पर जिले में वितरण करना पड़ रहा है. और वहीं पर पूरा खेल हो रहा है, क्‍योंकि जिले में जो लोग बैठें हैं वह मण्‍डी के माध्‍यम से या फिर डबल लॉक के माध्‍यम से 80 प्रतिशत डी.ए.पी खाद की कालाबाजारी कर रहे हैं. जिसके माध्‍यम से जिसको खाद मिलना चाहिये, जिस किसान को लाभ मिलना चाहिये, वह लाभ नहीं मिल पा रहा है और इसी संबंध में जो मैंने कहा था कि जो मण्‍डी और सहकारिता विभाग के द्वारा जो एक अधिकार निर्वाचित सदस्‍य को दिया गया था वह आज खत्‍म हो गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय, उसी प्रकार से हम पंचायती राज की बात करें तो पंचायती राज विभाग में भी आज सरपंच के पास, जनपद सदस्‍य के पास, जिला पंचायत सदस्‍य के पास और जनपद अध्‍यक्ष के पास एवं जिला पंचायत अध्‍यक्ष के पास कोई भी अधिकार नहीं बचे हैं. आज अगर जिला पंचायत सदस्‍य चाहे तो वह अपने क्षेत्र में एक नल नहीं लगा सकता है, पांच लाख की सी.सी. नहीं करा सकता है, जबकि वह स्‍वयं निर्वाचित होता है चालीस हजार मतदाताओं के बीच में. लेकिन वर्तमान भाजपा सरकार के द्वारा जो भी अधिकार पंचायती राज के थे वह पूरे केन्द्रित करके जनपद सीईओ, जिला पंचायत सीईओ, उनको दे दिये हैं. जबकि यह सब अधिकार जो निर्वाचित सदस्‍य हैं उनके पास होने चाहिये. क्‍योंकि हमारे बीच एक ऐसे पंचायत मंत्री महोदय हैं, जो केन्‍द्र सरकार में भी रहे हैं और बहुत वरिष्‍ठ नेता हैं तो मुझे विश्‍वास है कि आप इस विषय को लेकर और हमारे अध्‍यक्ष महोदय तो वैसे भी बहुत परिपक्‍व हैं और आप दोनों बहुत सालों बाद इस सदन में वापस आये हैं तो हमें विश्‍वास है कि इस विषय को लेकर आप जरूर पुनर्विचार करेंगे और आप दोनों के साथ आपके तीसरे मित्र जो मुख्‍यमंत्री थे और आज इस विभाग के केन्‍द्रीय मंत्री बनें, आप उनसे भी बात करके जो खोखली घोषणा ना हो, वाकई में आदेश हो जाये. माननीय मंत्री महोदय, यह हम आपसे उम्‍मीद करेंगे. लेकिन अध्‍यक्ष महोदय बहुत अनोखी बात तो यह है कि जो अधिकार मंत्री के पास होते थे, इस विभाग में वह अधिकार मंत्री जी से अधिकार मुख्‍य मंत्री जी ने अपने हाथों में. इसकी शुरूआत कहां हुई, जब पहली बार बैठक उनके विधायकों के साथ में तो उनको आश्‍वासन दिया गया कि 15 करोड़ रूपये की राशि दी जायेगी. हमको भी लगा कि यह राशि आयेगी तो शायद हमको भी मिलनी चाहिये हमने भी अनेक प्रस्‍ताव दिये. फिर जानकारी यह मिली की अभी तक 15 करोड़ में से सत्‍ता पक्ष के विधायकों को 1 भी करोड़ रूपये ही मिले हैं. [ XX]

          डॉ. योगेश पंडाग्रे- अध्‍यक्ष महोदय, यह बिल्‍कुल गलत आरोप है. 15 करोड़ रूपये की राशि हर बार मिल रही है.  ..(व्‍यवधान) ..

          अध्‍यक्ष महोदय- आप लोग कृपया शांति बनाये रखें. जयवर्द्धन जी आप बैठें. प्रहलाद जी कुछ बोल रहे हैं.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटैल)- अध्‍यक्ष जी, बड़ी विनम्रता से उनका भाषण सुन रहे हैं. [ XX] यह असंसदीय शब्‍द है और मुझे लगता है कि आलोचना आपकी भी इस पर हो सकती है.

          श्री जयवर्द्धन सिंह- अध्‍यक्ष महोदय, क्षमा करें.

          श्री प्रहलाद सिंह पटैल- आप जैसा समझदार आदमी बोलने के लिये खड़ा हुआ. अन्‍यथा पहले तो मैं बोलता ही नहीं आप तो बहुत सारी चीजें बोल रहे हो. पंचायती राज पर मैं बहुत कुछ बोल सकता हूं, लेकिन मैं उस पर नहीं बोला. मुझे लगता है कि जो शब्‍दों की मर्यादा है उसका पालन करना चाहिये.

          अध्‍यक्ष महोदय- डील शब्‍द को विलोपित किया जाये.

          श्री जयवर्द्धन सिंह- अध्‍यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी का बहुत- बहुत आभारी हूं. क्‍योंकि वह मुझसे वरिष्‍ठ हैं. उन्‍होंने इस विषय को लेकर सुधार भी किया है कि

[ XX] शब्‍द विलोपित कर दें उसकी जगह उसको करार दें....

          सहकारिता मंत्री(श्री विश्‍वास सारंग)- अध्‍यक्ष महोदय, ...

          श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, विश्‍वास जी को कुछ चुभ रहा है. देखिये विश्‍वास जी जब आप बोलते हैं तो मैं आपको नहीं टोकता हूं.

          श्री विश्‍वास सारंग- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि सदन से ऐसी कोई बात नहीं जाये, जो कि हमारी पूरी राजनीतिक परिदृश्‍य पर प्रश्‍न चिह्न लगे. यह यहां के विधायक हों या वहां के विधायक हों. आप सबका सम्‍मान करिये.

          डॉ. योगेश पंडाग्रे- अध्‍यक्ष महोदय, यह गलत बात है.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन- अध्‍यक्ष जी, यह विधायकों के सम्‍मान का विषय है.

                             ..(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय- यह शब्‍द विलोपित कर दिया गया है.

                                                                                   

            श्री रजनीश हरवंश सिंह अध्यक्ष महोदय,  सत्ता पक्ष  डील और करार को  अलग भाव से ले रहा है.  हमारा डील  और करार का मतलब  सिर्फ विकास  है.

..(व्यवधान)

          श्री विश्वास सारंग --  यदि ऐसी बात है, तो   आपको विधायक निधि मिलती है, आप करार करते हो क्या.  जयवर्द्धन सिंह  जी, इस तरह से शुरुआत मत करिये.  मुझे लगता है कि  यह केवल ताली बजवाने के लिये  है और आप यह जो हंस रहे हैं ना,  यह अपने भाषण को  आप हिट करने के लिये  ऐसा कुछ मत करिये कि यह सदन की गरिमा  समाप्त हो.  मैं आपसे हाथ जोड़कर निवेदन कर रहा हूं.

          श्री जयवर्द्धन सिंह अध्यक्ष महोदय,  विश्वास सारंग जी ने  बहुत करार किये नर्सिंग  कालेजों के साथ, यह हम सब जानते हैं.

          अध्यक्ष महोदयजयवर्द्धन सिंह जी, अब आप कृपया समाप्त करें, आपका टाइम भी पूरा हो गया है.

          श्री विश्वास सारंग --   अध्यक्ष महोदय, यदि ये बातें निकलेगीं, तो  बहुत सारी बातें निकलेंगी.

..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदयकृपया सब लोग बैठ जाइये.  जयवर्द्धन सिंह जी, आप अपनी बात पूरी करें. ..(व्यवधान)..  जयवर्द्धन सिंह जी, कुल मिलाकर हम सब लोगों को ध्यान  रखना चाहिये,  सदन विचार विमर्श के लिये  है और हम सब लोग अपनी बात यहां पर कहने के लिये आये हुए हैं.  चर्चा सारगर्भित हो,  अब हम प्रश्न भी गंभीर उठा रहे हैं और   सब लोग हंस कर  भी चर्चा कर रहे हैं,  मुझे लगता है कि पब्लिक  यह सब चीजें  देखती है. तो हम सब लोगों को  अपनी चर्चा  में, शब्दावली में, विषय में, सब में गंभीरता  अपनाना चाहिये, पक्ष और विपक्ष दोनों को ही.

          श्री जयवर्द्धन सिंहअध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मैं भी इसका स्वागत करता हूं और मुझे पूरा विश्वास  है, जो आपने सलाह दी है, उस सलाह  को सत्ता पक्ष भी समझकर  जो मेरा वक्तव्य है,  उसका सम्मान करेगा.  जैसा  मैं कह रहा था कि जो राशि का आश्वासन दिया गया था,  अब जैसे विश्वास जी ने कहा, वह सही बात है.  अगर मेरी विधायक निधि है,  मैं भी  बातचीत करता हूं सरपंचों के साथ कि किसको कहां  आवश्यकता है.  तो ऐसे ही सत्ता  पक्ष के लोगों ने बातचीत की होगी सरपंचों के साथ   कि साहब यह महत्वपूर्ण  है,  वहां इतनी राशि, वहां इतनी राशि.  लेकिन  अफसोस की बात यह है कि  वह राशि नहीं मिल पाई. लेकिन जो  इसमें मूल विषय है, यह  जो पत्र लिखवाया जा रहा है  सीएम साहब को,  वह मंत्री जी को क्यों नहीं.  आखिर विभाग तो उनका है.  वह  भी जो अधिकार  मंत्री जी के हैं,  इनसे छीनकर  सीएम साहब वह अधिकार  ले रहे हैं,  जबकि हम आपसे यह आग्रह करेंगे कि  यह जो भी राशि आप देना  चाह रहे हैं.  चाहे 1 करोड़ हो, चाहे 15 करोड़ हो, सीएम साहब के पास क्यों जाये, जब   स्वयं पंचायत मंत्री  जी सक्षम हैं,  उनकी विभाग की राशि आप अलग अलग  ऐसे बांट रहे हो विधायकों को,  कम से कम उनके द्वारा दी जाये, तो और बेहतर रहेगा, यही मेरा उसमें  एक  सुझाव था.  इसके साथ साथ मैं यह भी कहना चाहता हूं कि  हम बात करें नगरीय विकास की,  अर्चना जी ने अनेकों बात की थी कुटीरों के बारे में.  लेकिन सच्चाई यह है कि पिछले 5 साल में   नगरीय प्रशासन के द्वारा  नगरीय  निकायों में एक भी  नई कुटीर नहीं आई है.  पांच सालों में.  2020  के बाद नहीं आई है.

..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय कृपया सब सदस्य बैठ जायें. इसमें काफी सदस्य बोलने वाले हैं,  जयवर्द्धन सिंह जी, कृपया समाप्त करें.

          श्री जयवर्द्धन सिंह अध्यक्ष महोदय,   इसमें 3-4 विषय और हैं, लेकिन  आपने कहा था कि सम्मान रखा जाये  इस सदन के अंदर, लेकिन  हमने  जो  उनका वक्ता था,  उनको नहीं टोका. तो ऐसे बीच में  जो ये लोग बोल रहे हैं, यह असंसदीय है और मैं आपका संरक्षण चाहूंगा.  मेरा इतना ही आग्रह रहेगा कि अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहते हुये यह आग्रह करना चाहता हूं कि नगरीय विकास विभाग में भी जो कुटीरे हैं वह पु:न चालू हो जाये और जिस प्रकार से एक लाख की राशि राज्य सरकार के द्वारा दी जाती है नगरीय क्षेत्र में वैसे ही एक लाख रूपये की राशि पंचायतों में भी दी जाये ताकि पंचायतों में भी कुटीर के निर्माण के लिये दो से ढाई लाख रूपये मिले यह मेरा मंत्री जी से आग्रह है.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, नगरीय प्रशासन के संबंध में एक और महत्वपूर्ण विषय  हमारे सामने आया है जो मैं सदन में रखना चाहूंगा और यह विषय स्वयं माननीय मुख्यमंत्री जी के क्षेत्र का है. आज ही दैनिक भास्कर अखबार में यह रिपोर्ट छपी है कि भवगान महाकाल मंदिर की 45 बीघा जमीन में उज्जैन विकास प्राधिकरण कालोनी काटने का प्रयास कर रहा है. महाकाल भगवान के प्रांगढ़ में उनके नाम की जो जमीन है उस पर धंधा हो रहा है. महाकाल भगवान के नाम की जो जमीन है उसका सौदा हो रहा है जबकि यह क्षेत्र माननीय मुख्यमंत्री जी का क्षेत्र है. वैसे तो महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में भी सिंहस्थ का उल्लेख किया गया है, सिंहस्थ में जमीनों को लेकर के किसकी निगाहें कहां हैं, वह भी हम सब जानते हैं तो इस पर भी सरकार को सावधानी और विशेष ध्यान रखना चाहिये कि सिंहस्थ की जमीन के साथ में कोई खिलवाड़ न हो. अध्यक्ष जी, कुछ लोग ऐसा प्रयास कर रहे हैं टीएण्डपीसी के माध्यम से अपने अधिकारों के माध्यम से कि इसमें कुछ गोल-मोल करे, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिये क्योंकि अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ की जमीन का एक अलग ही धार्मिक महत्व है और उसका सम्मान रखना चाहिये, जो महत्व भगवान महाकाल का है उनका महत्व विश्व का है इसलिये अगर कोई जमीन भगवान महाकाल के नाम पर है तो उस पर कतई एक इंच का भी अवैध निर्माण नहीं होना चाहिये, यह मैं सरकार से अपेक्षा करता हूं.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक सवाल वित्तीय प्रबंधन का है. माननीय सदस्या श्रीमती अर्चना चिटनीस जी अभी अपने भाषण में कह रहीं थी कि अगर हम कर्ज लें तो उस पर क्या बुराई है., कोई बुराई नहीं है लेकिन दिक्कत तब आती है जब हमारा कर्ज 4 लाख करोड़ रूपये हो चुका है. यह कर्ज की राशि हमारे बजट से अधिक है, 4 लाख करोड़ के कर्ज होने का परिणाम यह है कि अकेले मध्यप्रदेश का प्रतिवर्ष का जो ब्याज है वह 50 हजार करोड़ से अधिक का हो चुका है. आप यह कल्पना कीजिये कि सरकार को मजबूरी में हर साल 50 हजार करोड़ ब्याज भरना पड़ रहा है तो उसका परिणाम यह होता है कि जो पैसा पूंजीगत व्यय के लिये हम खर्च कर सकते थे वह हम खर्च नहीं कर पा रहे हैं नये निर्माण कार्यों के लिये, क्योंकि वह पूरा पैसा हमारा ब्याज में हर वर्ष जा रहा है. यही दिक्कत कर्ज के साथ में है. अध्यक्ष महोदय, सिर्फ मार्च के महिने में ही हम 6 हजार करोड़ का कर्ज दो बार ले चुके हैं यह स्थिति आज मध्यप्रदेश की हो चुकी है जो कि बहुत चिंताजनक है और कहीं न कहीं जो नगरीय निकायों में, पंचायतों में जो कम पैसा मिल रहा है वह इसी का परिणाम है, जो पैसा हम ब्याज के रूप में दे रहे हैं वही पैसा अगर हमारे नगरीय निकायों में विकास के लिये जाता तो बेहतर काम होता, अगर वही ब्याज का पैसा हमारे पंचायतों में जाता तो अच्छा होता, जो पैसा हमारा सामग्री का है, मटेरियल का है जो बंद हो चुका है अगर वह पैसा हमको मिलता तो हमारे पंचायतों को भी और बेहतर काम करने का अवसर मिलता. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज ब्याज की स्थिति मध्यप्रदेश की यह है कि अकेले ब्याज चुकाने के लिये भी सरकार को मजबूरी में कर्ज लेना पड़ रहा है. यह आज की वास्तविकता है.

          अध्यक्ष महोदय, कुछ योजनाओं का उल्लेख माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण में किया गया है. कहा गया है कि कुछ नई सिंचाई योजनायें हमारे प्रदेश में आने वाली हैं उसमें चाहे पार्वती काली-सिंघ- परियोजना हो, चाहे केन-बेतवा-लिंक परियोजना हो इसमें हमें जरूर यह स्पष्टीकरण मिले कि केन-बेतवा लिंक परियोजना के अंतर्गत कितना पानी जायेगा उत्तर प्रदेश को, कितना मिलेगा मध्यप्रदेश को, हम यह स्पष्टीकरण सरकार से चाहते हैं. क्योंकि उस परियोजना में हमारे मध्यप्रदेश की अधिक जमीन डूब में आ रही है, इसी प्रकार से पार्वती-कालीसिंघ परियोजना में भी अधिकतर जमीन मध्यप्रदेश की डूब रही है.लेकिन उतना ही पानी राजस्थान में जा रहा है तो अध्यक्ष महोदय, मैं यही आग्रह आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी से करना चाहूंगा कि जब भी वे अपना वक्तव्य दें तो उसमें हमें आश्वासन दें कि जितनी जमीन हमारी डूब में आयेगी उसमें पर्याप्त पैसा जो मुआवजे के रूप में मिलना चाहिये, वर्तमान में लगभग दो गुना मिल रहा है जबकि केन्द्र सरकार का नियम है कि वही पैसा चार गुना होना चाहिये. चार गुना होना चाहिये. हम यह चाहेंगे कि केन्‍द्र की जो नीति मुआवजे के संबंध में है उतना मुआवजा मिलना चाहिये और साथ ही मध्‍यप्रदेश का पानी के जितने हिस्‍से पर अधिकार हो वह शेष राज्‍यों से अधिक हो इस संबंध में हमारी यह विशेष मांग है.

          अध्‍यक्ष महोदय, अगर हम गृह विभाग के बारे में बात करें तो वर्तमान में जो कानून व्‍यवस्‍था है कहीं न कहीं जो हादसा दो दिन पहले महू में हुआ, वह बहुत गंभीर विषय इसलिये है, क्‍योंकि इंदौर जिले का महू एक हिस्‍सा है, जहां विधायक सत्‍ता पक्ष का, सांसद सत्‍ता पक्ष का, प्रदेश सरकार, केन्‍द्र सरकार, सब एक पक्ष के हाथों में, पुलिस प्रशासन उनके हाथों में, स्‍वयं कैलाश्‍ा विजयवर्गीय जी वहां से विधायक रह चुके हैं, स्‍वयं मुख्‍यमंत्री ही प्रभारी मंत्री, मुख्‍यमंत्री ही गृह मंत्री, फिर भी भाजपा के राज में जब भारत चैपियंस ट्रॉफी जीत रहा है तो वहां ऐसे हादसे क्‍यों हो रहे हैं, जहां दुकानें जल रही हैं यह मैं सरकार से पूछना चाहता हूं. यह कतई सरकार और हमारे प्रदेश के हित में नहीं है. अगर भाजपा के राज में ही जब भारत ट्रॉफी जीतेगा और ऐसा नकारात्‍मक माहौल बनेगा तो यह हमारे प्रदेश के हित में नहीं है. मैं अंत में कहना चाहूंगा कि पिछले 20 साल की भाजपा की सरकार में जो भ्रष्‍टाचार हुआ है, अगर उसका सबसे बड़ा प्रतीक कोई चीज है तो वह सौरभ शर्मा की इनोवा कार जप्‍त हुई, जिसमें 50 किलो सोना मिला, 20 करोड़ रुपये नगद मिले. वह इनके भ्रष्‍टाचार का सबसे बड़ा प्रतीक है. जिस प्रकार से अरविंद केजरीवाल के शीष महल को प्रदर्शित करके आम आदमी पार्टी का भ्रष्‍टाचार दिखाया गया वैसे ही मैं आग्रह करूंगा वर्तमान सरकार से कि एक इनोवा में 50 किलो सोना डालकर, नगद राशि 11 करोड़ या 20 करोड़ डालकर आप दिखाइये कि यह भ्रष्‍टाचार दिखता कैसा है. इसका म्‍यूजियम बनना चाहिये भाजपा का कि एक इनोवा में ऐसे कितना सोना फिट होता है. हम भी देखें, क्‍यों‍कि शायद ऐसा हादसा देश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ है. सुनने में तो यह आया था कि एक नहीं 5 गाडि़यां थीं. इस अभिभाषण में लिखा है कि टोल के संबंध में, बैरियर के संबंध में नई नीतियां बनी हैं, लेकिन सच्‍चाई यह है कि सत्‍ता पक्ष के ही विधायक उसकी आलोचना कर रहे हैं. सत्‍ता पक्ष के विधायक आज भी कह रहे हैं कि अनेक बैरियर लगे हुये हैं जहां आज भी आम जनता को पीड़ा आ रही है और जहां आज भी अवैध वसूली हो रही है. यही सच्‍चाई इस भाजपा सरकार की है.

            अध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं और अंत में मैं यही कहूंगा कि हर विधायक चाहे विपक्ष का हो, चाहे सत्‍ता पक्ष का हो, इस सदन में इसलिये आया है ताकि हम हमारे गांव, हमारे विधान सभा के बारे में बात कर सकें. हमारे क्षेत्र की जो समस्‍याएं हैं, चाहे वह समस्‍या थाने की हो, चाहे वह समस्‍या तहसील की हो, चाहे अन्‍य विभाग की हो, हम उन समस्‍याओं को यहां सदन में रख पाएं, लेकिन मैं इस पर यह भी कहना चाहूंगा कि जिस प्रकार से विधायक निर्वाचित होकर आता है वैसे ही मंत्री निर्वाचित होकर आते हैं. अंतर यह रहता है कि मंत्री के पास नोटशीट का अधिकार होता है, हमारे पास नोटशीट का अधिकार नहीं होता है. नोटशीट के आधार पर कोई भी सरकारी कर्मचारी बात मान लेता है, लेकिन आज जो स्थिति मध्‍यप्रदेश में आई है, जो सम्‍मान एक विधायक का होना चाहिये वह सम्‍मान तहसील स्‍तर पर हमें कहीं नहीं दिख रहा है. विधायक का जो अधिकार और सुनवाई होनी चाहिये वह वर्तमान में जो लोग तहसील स्‍तर पर बैठे हैं वह नहीं कर रहे हैं. इसलिये हम आपसे मांग करते हैं कि बजट सत्र वह सत्र होता है जो पूरे साल भर का सबसे विस्‍तृत सत्र होना चाहिये. परम्‍परा यह रहती थी कि बजट सत्र एक महीने के लिये, 40 दिनों के लिये चलता था. हम आपसे यह आग्रह करेंगे कि 9 दिन का बजट सत्र कहीं भी उचित नहीं है. हम आपसे यह मांग करेंगे कि विस्‍तृत चर्चा हो ताकि जो हमारी बातें हैं वह सदन में आएं, उन पर चर्चा हो और आप ऐसी कोई व्‍यवस्‍था दें अध्‍यक्ष महोदय, जिसके माध्‍यम से कम से कम कोई भी विधायक हो तो जो सब डिवीजन के अधिकारी हैं, तहसील के अधिकारी हैं, कम से कम हम भी उनकी सियार लिखें. उनकी क्‍या-क्‍या कमियां हैं हमारे द्वारा भी उसके बारे में कुछ कहा जाए, लिखा जाए ताकि वह लोग भी नियंत्रण में रहें. अध्‍यक्ष महोदय, यही मेरी आपसे, सीएम साहब से और जो मंत्रिमंडल है, सभी से निवेदन रहेगा कि आप इस विधायक का जो पद है इसको और मजबूत कीजिये. क्योंकि मंत्री भी कभी विधायक था आपको भी इस बात की जानकारी होना चाहिए. मुझे पूरा विश्वास है विपक्ष के रुप में हमने जो मुद्दे आपके सामने रखे हैं हमारी इस अभिभाषण पर जो आपत्तियां हैं उन्हें आप समझेंगे और आने वाले वित्तीय वर्ष 2025-26 में इसमें सुधार भी होगा. यही हम उम्मीद करते हैं. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद.

          पंचायत मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक क्लिरिफिकेशन है, मैं बीच में टोकना नहीं चाह रहा था. माननीय सदस्य ने कहा कि मुख्यमंत्री अधोसंरचना में हमारा रेग्यूलर बजट गया है. मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी और सदन को बताना चाहता हूं कि स्टाम्प ड्यूटी हो, माइनिंग हो, राज्य वित्त आयोग हो, 15 वां वित्त आयोग हो, मनरेगा हो यह हमारा रेग्यूलर बजट है. इसके लिए सरकार ने अलग से प्रावधान किया है मुख्यमंत्री अधोसंरचना के लिए, आपको शायद जानकारी नहीं है.

          अध्यक्ष महोदय -- श्री शैलेन्द्र जैन जी. पक्ष और प्रतिपक्ष दोनों ओर से सदस्य संक्षिप्त में अपनी बात रखें, क्योंकि काफी लोगों के नाम दोनों तरफ से हैं, एक समय-सीमा है.

          श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) -- सर्वप्रथम माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका  धन्यवाद करना चाहता हूँ कि आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर दिया है.

          अध्यक्ष महोदय, सोलहवीं विधान सभा के बजट सत्र में राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का मैं समर्थन करता हूँ. विगत एक वर्ष में सरकार के द्वारा जो कल्याणकारी योजनाएं बनाई जाती हैं, जो जनकल्याण के काम किए जाते हैं , जो नवाचार किए जाते हैं, प्रदेश के सर्वांगीण विकास का जो खाका खींचा जाता है उसका संक्षिप्त चित्रण राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के माध्यम से इस सदन में प्रस्तुत होता है.

          अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय ने अपने अभिभाषण की शुरुआत में ही एक बहुत ही महत्वपूर्ण योजना का उल्लेख किया है. मैं जिस क्षेत्र से आता हूँ वह बुंदेलखण्ड है यह क्षेत्र हमेशा से बहुत पिछड़ा हुआ रहा है. खासतौर से सिंचाई के संसाधनों को लेकर बुंदेलखंड पूरे भारतवर्ष का सबसे कम सिंचित क्षेत्र अगर किसी विशेष जोन में था तो वह बुंदेलखंड था. मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ भारतीय जनता पार्टी की सरकार को कि उन्होंने इतनी सारी योजनाएं सिंचाई की जो कहीं लंबित पड़ी हुईं थीं, किसी फाईल में दबी हुईं थी उन तमाम योजनाओं को क्रियान्वित करके सिंचित क्षेत्र का रकबा बढ़ाने का काम किया. हमारे पूर्व प्रधानमंत्री जी भारतरत्न श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेई जी जब देश के प्रधानमंत्री थे तब उन्होंने एक सपना देखा था. देश में देखने में आता है कि कहीं सूखा है तो कहीं जल भराव हो रहा है, कहीं बाढ़ की विभीषिका है तो कहीं सूखे की विभीषिका से देश जूझ रहा है. उनका सपना था कि किसी तरह से नदियों को जोड़ा जाए ताकि देश में जल प्रबंधन का कार्य वैज्ञानिक तरीके से हो पाए. उन्होंने केन-बेतवा लिंक परियोजना की एक परिकल्पना की थी. उस सपने को साकार करने की दिशा में सार्थक पहल माननीय प्रधानमंत्री जी और  माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय के द्वारा हुई और परिणाम यह सामने आया है कि हमारी केन बेतवा लिंक परियोजना के माध्‍यम से नदी जोड़ो अभियान जो कि सपना था वह सच होते हुए दिख रहा है और बुंदेलखण्‍ड के हरित प्रदेश के रूप में परिवर्तित होने का मार्ग प्रशस्‍त होते हुए दिख रहा है.       

          अध्‍यक्ष महोदय, यहां पर मैं विशेष रूप से उल्‍लेख करना चाहता हूं कि अभी हमारे मित्र जयवर्द्धन जी चिंता जाहिर कर रहे थे कि यह डिफाइन नहीं है कि मध्‍यप्रदेश की कितनी भूमि सिंचित होगी और उत्‍तरप्रदेश की कितनी भूमि सिंचित होगी क्‍योंकि केन बेतवा लिंक परियोजना जो है वह मध्‍यप्रदेश और उत्‍तर प्रदेश दोनों क्षेत्र में है क्‍योंकि बुंदेलखण्‍ड का एक बड़ा हिस्‍सा मध्‍यप्रदेश में है और कुछ हिस्‍सा उत्‍तरप्रदेश में भी है. मैं उनको बताना चाहता हूं कि इस पूरी परियोजना से लगभग दस साढ़े दस लाख हेक्‍टेयर भूमि सिंचित होने वाली है उसमें आठ लाख हेक्‍टेयर भूमि मध्‍यप्रदेश की सिंचित होगी और बाकी जो बची हुई लगभग ढाई लाख हेक्‍टेयर भूमि है वह उत्‍तर प्रदेश की सिंचित होने वाली है. इससे लगभग 100 मेगावॉट बिजली का उत्‍पादन भी होने की संभावना है और इसके माध्‍यम से पूरे के पूरे हमारे बुंदेलखण्‍ड के जिले हैं, बुंदेलखण्‍ड से लगे हुए जिले हैं, बुंदेलखण्‍ड के छतरपुर से लेकर दमोह, पन्‍ना, टीकमगढ़, निमाड़ी, सागर और सागर से लगा हुआ रायसेन, विदिशा, दतिया, शिवपुरी इन तमाम क्षेत्रों में सिंचाई का रकबा निश्चित रूप से बढ़ेगा और न केवल हमारे सिंचाई के संसाधन निर्मित‍ होंगे बल्कि 44 लाख परिवारों को पेयजल की भी सुविधा इस परियोजना के माध्‍यम से मिलने वाली है.         माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस परियोजना के लिए मैं आपके माध्‍यम से माननीय प्रधानमंत्री जी और सम्‍माननीय मुख्‍यमंत्री जी का बहुत-बहुत धन्‍यवाद करना चाहता हूं और समूचे बुंदेलखण्‍ड की ओर से मैं उनका धन्‍यवाद करना चाहता हूं. इसमें महत्‍वपूर्ण बात यह है कि पूरी परियोजना लगभग 44 हजार 600 करोड़ रुपए की है, लेकिन इसकी 90 प्रतिशत हिस्‍सेदारी जो है वह केन्‍द्र सरकार वहन करने वाली है. महज 10 प्रतिशत की राशि ही मध्‍यप्रदेश सरकार को वहन करनी पड़ेगी. इसके अलावा पार्वती, कालीसिंध, चंबल नदी उसका काम भी प्रगतिशील है. निश्चित रूप से इन तमाम नदी जोड़ो अभियान से हमारे मध्‍यप्रदेश के विकास का मार्ग प्रशस्‍त होने वाला है.

          अध्‍यक्ष महोदय, विशेष रूप से युवा साथियों के लिए सरकार ने इस एक वर्ष में और उसके पहले जो योजनाएं बनाई हैं, सरकार ने जो काम किये हैं उनका उल्‍लेख मैं जरूर करना चाहता हूं. पूरी दुनिया में हमारा भारत वर्ष ऐसा देश है जहां पर सबसे ज्‍यादा युवा हैं और हमारी जनसंख्‍या का एक बड़ा हिस्‍सा हमारे युवा साथी हैं. अब युवा साथियों को रोजगार मिलना चाहिए यह चिंता सत्‍ता पक्ष की भी है और विपक्ष की भी है और हम सभी की चिंता भी होना चाहिए. डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने बहुत ही अच्‍छी योजना बनाई है. हमारी सरकार ने युवाओं को शिक्षित करने के लिए, उनको प्रशिक्षित करने के लिए, उनके कौशल में उन्‍नयन करने के लिए स्‍वामी विवेकानंद युवा शक्ति कौशल योजना मिशन के माध्‍यम से युवाओं को नई-नई चुनौतियों का सामना करने के लिए बहुत सारे स्‍थानों पर Innovation Center बनाये गए हैं. हमने सागर में भी एक बड़ा Innovation Center बनाया है, कोई भी युवा अपने Innovative Idea के साथ वहां आता है. वहां सभी तरह के स्किल डेवलपमेंट के प्रशिक्षण आदि के सारी व्‍यवस्‍थायें उपलब्‍ध है. वह अपने Innovative Idea को लेकर उसे वित्‍त पोषण कहां से मिलेगा, कहां से प्रशिक्षण मिलेगा और किस तरह वह नया उद्योग लगा पायेगा, ये तमाम सुविधायें देने का काम इस योजना के माध्‍यम से हो रहा है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बहुत सारे परिवार अपने बच्‍चों को सेना, पैरामिलिट्री फोर्स, पुलिस आदि में भेजना चाहते हैं, ऐसे बच्‍चों को प्रशिक्षित करने के लिए बड़ी अच्‍छी योजना, "पार्थ योजना" सरकार ने बनाई है. इस योजना के माध्‍यम से इन परीक्षाओं के लिए बच्‍चों को तैयार किया जा रहा है, इसकी मैं, निश्चित रूप से प्रशंसा करता हूं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी बात चल रही थी नौकरी की. हालांकि हमारे यहां भारतीय सनातन संस्‍कृति में नौकरी को बहुत अच्‍छा नहीं माना जाता था. हमारे यहां एक बड़ी कहावत थी-

"म खेती, मध्‍यम वाण (वाणिज्‍य), नीच चाकरी, भीख निदान"

           मैं, समझता हूं कि आज जो वर्तमान परिवेश है, उस परिवेश में जो परिदृश्‍य है, उसमें हमें नौकरी से ज्‍यादा रोजगार की आवश्‍यकता है. मैं, मुख्‍यमंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि उन्‍होंने वर्ष 2025 को औद्योगिक निवेश और रोजगार वर्ष के रूप में चिह्नित किया है, उस पर फोकस किया है. यह निश्चित रूप से बहुत अच्‍छा विषय है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इन सभी के बावजूद लगभग 1 लाख पदों का सृजन विभिन्‍न शासकीय विभागों में वर्ष 2025 में होने वाला है, इसमें आगे आने वाले समय में हर विभाग का इस तरह का कैलेण्‍डर बनाने का सरकार ने निर्णय किया है, यह भी एक अच्‍छा कार्य है. भारत सरकार का एक सर्वे, PLF सर्वे होता है. उस सर्वे में मध्‍यप्रदेश में सबसे कम बेरोजगारी की दर बताई गई है, यह हमारे लिए निश्चित रूप से एक संतोषजनक बात है.

          श्री अभय मिश्रा-  कैग की रिपोर्ट बता रही है, सब कुछ बता रही है, यह रिपोर्ट आपकी ही है, इसी पटल में स्‍वीकृत हुई है, कुछ भी बोले जा रहे हैं, आपका समय है तो आप जो बोलें वही सही है, अपनी पीठ थपथपाते रहिये. यदि आपको लगता है कि इस अभिभाषण में, वित्‍त में अगले वर्ष के लिए कुछ है बतायें, पिछले 5 वर्षों का अपना यशगान करते रहिये, क्‍या मतलब है ?  

          श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन-  अभय जी, कुछ अच्‍छा काम हो रहा है तो होने दीजिये. 

          अध्‍यक्ष महोदय-  अभय जी, आप बैठ जायें.

          श्री भंवरसिंह शेखावत (बाबुजी)-  बाकी सब तो ठीक है लेकिन बेरोजगारी के आंकडों के मामले में ऐसा मत बताओ, बहुत बुरी हालत है. आपके ही आंकड़े यह बता रहे हैं.

          श्री बाला बच्‍चन-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम विधान सभा के चुनाव से पहले ही पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह जी से सुन रहे थे, वर्ष 2022-23 में कि 1 लाख पदों का हम सजृन कर रहे हैं लेकिन वह आज तक नहीं हुआ. आप अभी जयवर्द्धन जी से पूछ रहे थे कि ये आंकड़े कहां से लाये, शैलेन्‍द्र जी, मैं, आपसे जानना चाहता हूं कि आप ये आंकड़े कहां से लाये ? ये तो शिवराज सिंह जी विगत 2-3 वर्षों से बोलते आये हैं लेकिन किन्‍ही पदों का सृजन शासकीय सेवाओं में नहीं हुआ है. 

          अध्‍यक्ष महोदय-  बाला बच्‍चन जी, अब पूरा हो जाने दीजिये.  

           श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन-  बाला भाई, दिग्विजय सिंह जी ने कभी क्‍लेम नहीं किया क्‍योंकि उन्‍होंने वैसा कोई काम ही नहीं किया था. भंवर जी, उस समय Industrial growth negative थी, आप जानते ही हैं.

          श्री बाला बच्‍चन-  आपको सरकार में 25 वर्ष हो गए हैं लेकिन आप अभी भी वर्ष 2003 की बात कर रहे हैं, आप अभी की बात कीजिये.

          श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन - अध्‍यक्ष महोदय, बाला भाई, आप अभी की बात मानते हैं कि नहीं.

          अध्‍यक्ष महोदय - बाला बच्‍चन जी, आप कृपया बैठ जाएं. भंवर सिंह जी का पुराना कोई भाषण हो तो उसको कोड कर सकते हैं. (हंसी) शैलेन्‍द्र जी, आपका पर्याप्‍त समय हो गया है, आप जल्‍दी पूरा कीजिये.

          श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इनकी बात सुनकर एक शेर याद आ गया है. मैं अभी खत्‍म नहीं कर रहा हूँ. ''उग रहा है दर-ओ-दीवार पे सब्‍जा 'गालिब', हम बयाबां में हैं और घर में बहार आई है.'' सब्‍जा मतलब हरियाली. आपको वह दृष्टि चाहिए, आपका दृष्टिकोण वैसा होना चाहिए. तुलसीदास जी ने कहा है ''जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी.'' माननीय भंवर सिंह जी, आपकी भावनाएं दूषित हो गई हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे यहां हजारों-लाखों की संख्‍या में स्‍टार्टअप हैं. इन स्‍टार्टअप को देश के अन्‍दर और देश के बाहर विभिन्‍न आयोजनों में सम्मिलित करने के लिए सरकार ने बहुत अच्‍छी योजना बनाई. 50,000 रुपये से 1.50 लाख रुपये तक की राशि उनके आने-जाने और उनके खर्चे के लिए देने का काम किया है, उनका अनुभव बढ़ रहा है, उनका एक्‍सपोजर बन रहा है, आगे उनको और अधिक काम करने के लिए प्रोत्‍साहन मिल रहा है. मुख्‍यमंत्री सीखो कमाओ योजना, अभी जयवर्द्धन सिंह जी सदन में उपस्थित नहीं हैं. इस योजना में वर्ष 2024 में 20,000 युवाओं के खातों में 41 करोड़ रुपये की राशि जमा हुई है. यह हम आपको क्रास चैक करा सकते हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक और बड़ा रिकॉर्ड बना है. रोजगार दिवस के अवसर पर राज्‍यस्‍तर पर एक ही दिन में 7 लाख युवाओं को 5,000 करोड़ रुपये का ऋण डिस्‍बर्स करके एक नया इतिहास मध्‍यप्रदेश में बना है. यह हम सबके लिए प्रसन्‍नता का विषय है. लोगों की रुचि, युवाओं की रुचि अकेले नौकरी के लिए नहीं है. युवा रोजगार चाहता है, युवा अपने पैरों पर खड़ा होना चा‍हता है, युवा अनेक लोगों को रोजगार देने का सामर्थ्‍य पैदा करना चाहता है. यह हम सबके लिए खुशी का विषय है.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप समाप्‍त कीजिये.

          श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन - अध्‍यक्ष महोदय, थोड़ी सी कृपा कीजिये.

          अध्‍यक्ष महोदय - सवाल कृपा का नहीं है, समय का है. कांग्रेस का और सत्‍ता पक्ष दोनों की टाइमिंग तय है. इसको मेंटेन नहीं करेंगे तो भाषण पूरा नहीं करा पाएंगे. 

          श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन - जी, माननीय अध्‍यक्ष महोदय. मैं 2-3 मिनट में समाप्‍त करूंगा. मैं अग्निवीर योजना का निश्चित रूप से हिमायती हूँ. ऐसे युवाओं को 360 घण्‍टे की ट्रेनिंग दी जायेगी और मध्‍यप्रदेश में पुलिस एवं सशस्‍त्र बलों की भर्ती में ऐसे अग्निवीर युवाओं को आरक्षण देने का काम भी हमारी सरकार करने वाली है. यह भी निश्चित रूप से एक अच्‍छा निर्णय है. अब मैं इण्‍डस्ट्रियल पर आना चाहूँगा, अगर मैं उसकी चर्चा नहीं करूँगा तो यह प्रदेश के साथ अन्‍याय होगा. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी का बहुत धन्‍यवाद देना चाहता हूँ, जिन्‍होंने रीजनल इण्‍डस्ट्रियल कॉन्‍क्‍लेव की, एक वर्ष पहले उज्‍जैन से उसकी शुरूआत हुई थी और उसके बाद जबलपुर, ग्‍वालियर, सागर, रीवा, नर्मदापुरम्, एवं शहडोल होते हुए भोपाल में जीआईएस (ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स समिट) के माध्‍यम से उस यात्रा का महत्‍वपूर्ण पड़ाव आया. इसमें यह पता नहीं कि किस फिगर से इसकी तुलना हो रही थी. इसमें 30 लाख करोड़ रुपये के एमओयू आये हैं. आप शायद कुछ कह रहे हैं. आपका भी अवसर आयेगा.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक - अध्‍यक्ष महोदय, सागर में जो इन्‍वेस्‍टर्स मीट हुई थी, उसका क्‍या हुआ ?                                

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- मैं बता रहा हूँ.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- (श्री शैलेन्‍द्र जैन के द्वारा पानी पीने पर) पानी मत पीओ, जवाब दे दो.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप बीच में जितना टोकेंगे, पानी पीना पड़ेगा और टाइम बढ़ जाएगा.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- अध्‍यक्ष महोदय, उसका जवाब जरूर मैं देना चाहूँगा. ये कह रहे हैं कि उनका क्‍या हुआ. एक जानी-पहचानी कंपनी है, एमडीएच मसाले, एमडीएच स्‍पाइसेस, उन्‍होंने सबसे पहले उज्‍जैन में आकर माननीय मुख्‍यमंत्री महोदय से डॉयलॉग किया और उन्‍होंने इच्‍छा व्‍यक्‍त की कि हम वहां पर व्‍यापार के लिए एक इंडस्‍ट्री लगाना चाहते हैं. रीवा के रीजनल इंडस्‍ट्रियल कॉन्‍क्‍लेव में उसका भूमि पूजन कर दिया गया. लैंड अलॉटमेंट कर दिया गया, यह हमारी काम करने की पद्धति है. सैम, पतंजलि योग समिति के द्वारा रीवा में उनके द्वारा व्‍यक्‍त की गई कि वे यहां पर लगभग 500 करोड़ रुपये का इन्‍वेस्‍टमेंट करना चाहते हैं. जीआईएस, भोपाल के समय उसका भूमि पूजन करके जमीन अलॉटमेंट करके उसका इन्‍वेस्‍टमेंट शुरू हो गया. ..(व्‍यवधान)..

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक -- माननीय, मैंने सागर का पूछा था, रीवा का नहीं पूछा था.

          श्री अभय कुमार मिश्रा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पांच साल बहलाने के लिए एक नई चीज ढूंढ लाए हैं. पांच साल में ऐसा होगा, वैसा होगा. आप देखिएगा, अभी हमारी बात को कहीं लिख लीजिए, पांच साल बाद लौट कर फिर वही बात करेंगे. बहलाने के लिए विषय अच्‍छा है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- अभय जी, आपकी विद्वता के सब कायल हैं, आप शांत रहो.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, तुलसीदास जी ने कहा है -

                               बरषत हरषत लोग सब करषत लखै न कोय ।

                           तुलसी प्रजा सुभाग ते भूप भानु सो होय ।।

        ऐसा राजा होना चाहिए कि अगर, आपके समय तो क्‍या स्‍थितियां थीं. ओवरड्रॉफ्ट के बगैर कोई एक भी महीना चला क्‍या, हमारे यहां, एक भी कोई नया कर कब से नहीं लगाया गया है. उसके बाद भी कोई भी योजना, आप कहते थे, उन योजनाओं को बंद करने का काम हमारी सरकार ने नहीं किया. आपने संबल योजना बंद की, आपने मुख्‍यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना बंद की, आपने पता नहीं कितनी सारी योजनाएं बंद कीं. बस, एक अंतिम बात कहकर अपनी बात समाप्‍त करूंगा.

          श्री बाला बच्‍चन -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, केवल 15 महीने की सरकार में इतना हो गया और पांच साल और सरकार होती तो ? माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इन्‍वेस्‍टर्स मीट इंदौर में जो हुई थी, 6957 आवेदन आए थे, बहुत से दावे किए गए थे. वही भोपाल में अभी आपने किया.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन -- बच्‍चन भाई, आपका समय आएगा, आप बोलिएगा, मैं विपक्ष के साथियों के लिए कहना चाहता हूँ कि काबा, किस मुँह से जाओगे गालिब, मगर लज्‍जा है कि उनको आती नहीं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय -- इससे अच्‍छा समापन नहीं हो सकता. सब लोग थोड़ा संक्षिप्‍त करेंगे क्‍योंकि हम सब इतना ध्‍यान रखें कि कुल मिलाकर अगर एक घण्‍टे का समय किसी चर्चा में है तो 40 मिनट बीजेपी की तरफ जाएगा और 20 मिनट कांग्रेस की तरफ जाएगा. अभी जयवर्द्धन सिंह जी लगभग 53 मिनट बोले हैं, अर्चना जी ने 55 मिनट बोला है. इसलिए मेरा सभी से आग्रह रहेगा कि हम लोग चर्चा में सहयोग करें और संक्षिप्‍त करें क्‍योंकि कल मुख्‍यमंत्री जी का जवाब होगा, नेता प्रतिपक्ष जी का भी भाषण होगा, वह समय निश्‍चित है. उस समय तक जो हो जाएंगे, वे हो जाएंगे और जो रह जाएंगे, उनको बजट की चर्चा में बोलवाया जाएगा.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में चर्चा हुई. मैंने अपने सदस्‍यों से भी इसलिए अनुरोध किया कि आधे सदस्‍य इस राज्‍यपाल के अभिभाषण पर बोल लें और आधे सदस्‍य बजट पर बोलेंगे तो हम आपकी आसंदी का सम्‍मान कर रहे हैं तो आपको भी समय को लेकर थोड़ा देखना चाहिए. पहले ही सत्र छोटा है. उसमें भी अगर समय को लेकर बात होगी तो...

          अध्‍यक्ष महोदय -- लखन घनघोरिया जी को आप शुरू तो करने दें.

          श्री उमंग सिंघार -- जी हां.

            श्री लखन घनघोरिया(जबलपुर पूर्व) - माननीय अध्यक्ष महोदय,मुझसे शेर बोलने को कहा गया तो शेर चीता,सब राज्यपाल जी ने अभिभाषण में गायब कर दिये. न शेर रहा न चीता रहा. मैं महामहिम राज्यपाल जी के कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव से असहमत हूं. अभी हमारी बहन अर्चना चिटनीस जी ने एक आग्रह भी शेर का किया है और इन्होंने शुरुआत की थी तो बड़ा अच्छा बोला था राज्यपाल महोदय के लिये "तुमि विद्या तुमि धर्म तुमि हृदि, तुमि मर्म" खैर मर्म का जिक्र आया. मैं आपके माध्यम से बहन अर्चना चिटनीस जी को चूंकि  उन्होंने आग्रह किया था शेर का " XX  से कहा, सच बोलो, सरकारी एलान हुआ है सच बोलो,घर के अन्दर XX की एक मण्डी है और बाहर बोर्ड लगा है सच बोलो " यह स्थिति पूरे अभिभाषण की रही है. अभी शैलेन्द्र भाई कह रहे थे

          अध्यक्ष महोदय - झूठ शब्द को विलोपित कर दिया जाए.झूठ असंसदीय है.

          श्री लखन घनघोरिया - यदि असंसदीय है (XX) तो यह तो शेर है और मैंने नहीं लिखा राहत इन्दौरी जी ने लिखा है कैलाश भैया के मित्र रहे वह. यह तो शेर है. असत्य कर दें. शैलेन्द्र भाई युवाओं के रोजगार की बात कर रहे थे इसमें संकल्प पत्र में कहा गया था कि 1 लाख रोजगार देंगे लेकिन पिछले बजट में बढ़कर 4 लाख कह दिया गया. जमीनी हकीकत क्या है और यह सर्वे कह रहा है. तकनीकी शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार विभाग का आंकड़ा है. प्रदेश में 25 लाख से अधिक बेरोजगार हैं जिसमें इंजीनियर 1 लाख 22 हजार 532, एमबीए डिग्री होल्डर 16037,एमबीबीएस डाक्टर 3621,बीडीएस 3449 और ग्रेजुएट देखें तो 8 लाख 75 हजार 429 और 12वीं पास देखें तो 6 लाख 35 हजार 958 हैं. यह बेरोजगारों की सूची है और यदि हम शिक्षा विभाग या चिकित्सा शिक्षा पर आएं तो आदरणीय राजेन्द्र भईया का विभाग है और उसकी स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है कि कम से कम 4 हजार चिकित्सकों के पद खाली हैं. 64 हजार पैरामेडिकल के पद खाली हैं. यह बेरोजगारी का आलम हैं. शिक्षक पर यदि हम आएं. हमारे माननीय साथी प्रहलाद पटेल जी भी बैठे हैं. आदरणीय अजय भैया भी बैठे हैं और जबलपुर से हम शुरू हों तो उच्च शिक्षा पर आएं. जबलपुर रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जहां से प्रहलाद भाई भी पास आउट हैं. राकेश जी भी हैं और जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जहां से आदरणीय अजय भईया पास आउट हैं. दो-दो यूनिवर्सिटी थीं. सबसे बड़ा एजुकेशन सेंटर था उस दौर का.

          श्री लखन घनघोरिया (जारी)--  एक पूरा का पूरा एग्रीकल्‍चर का इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर जबलपुर में जो पूरे प्रदेश का था, सिंगल एक, शिक्षा पद्धति किस प्रकार की हमारी समझ से परे है, बड़ा विचित्र हुआ कि अब इस साल से रानी दुर्गावती विश्‍वविद्यालय में जबकि आलरेडी जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्‍वविद्यालय हजारों एकड़ में बना है, रिसर्च के लिये जगह है, लेब है, सब कुछ है, लेकिन इस साल से एग्रीकल्‍चर सब्‍जेक्‍ट रानी दुर्गावती में चालू कर दिया गया, न तो वहां लेब है, न तो वहां रिसर्च की कोई जमीन है, यह बड़ी विचित्र दशा हो गई. इसके साथ-साथ बतायें प्रहलाद भाई जिस कॉलेज से पासआउट हैं और मैं भी हूं, राकेश जी भी हैं और हम चारों की छात्र राजनीति की पृष्‍ठभूमि रही है इसलिये चिंता भी स्‍वाभाविक है. शासकीय रॉबर्टसन कालेज जबलपुर का सबसे अच्‍छा कॉलेज माना जाता था, समय के हिसाब से उसको दो विंग में बांटा, आर्टस फैकल्‍टी अलग की और साइंस फैकल्‍टी अलग कर दी. आर्टस फैकल्‍टी का प्रोफेसर साइंस कॉलेज में 9 साल से प्रिंसीपल बना बैठा है, इतिहास पढ़ाता है, भूगोल पढ़ाता है, क्‍या पढ़ाता है, नहीं मालूम, लेकिन 9 साल से साइंस कॉलेज का प्रिंसीपल है. साइंस का जूलॉजी का व्‍याख्‍याता महाकौशल आर्टस कॉलेज का प्रिंसीपल हो जाता है. हम लोग पढ़े हैं, प्रहलाद भाई ने फेस किया होगा, राकेश जी ने भी, हम लोग जब अपनी क्‍लास में बैठते थे तो हमारा प्रिंसीपल हमारी क्‍लास लेता था, एक प्रिंसीपल एस.के. मिश्रा जी तो फिजिक्‍स पढ़ाते थे, एक के.सी. जैन थे वह केमेस्‍ट्री पढ़ाते थे. ये 9 साल से यदि यह ज्‍योग्राफी का है, हिस्‍ट्री का है, राजनीति शास्‍त्र का है, जिसका भी है, जिस पद पर इनकी नियुक्ति हुई है क्‍या उस पद के साथ यह सम्‍मान कर रहे हैं और जहां पर नियुक्ति हुई है क्‍या उस कॉलेज के साथ यदि  प्रशासनिक दृष्टि है तो फिर तहसीलदार और पटवारी को सौंप देना चाहिये. इसके साथ-साथ लॉ यूनिवर्सिटी का एक बड़ा इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर तैयार हो गया, लेकिन अब साइंस कॉलेज में लॉ सब्‍जेक्‍ट चालू किया जायेगा, बीएड चालू किया जायेगा, इन ऐतिहासिक कॉलेजों में. आपकी शिक्षा प्रणाली कहां जा रही है, किस प्रकार का आप संदेश देना चाहते हैं, किस प्रकार की शिक्षा देना चाहते हैं. हम लोग चूंकि उस शहर से हैं और इतने कर्णधार हैं उसके बाद जबलपुर में यह हो रहा है तो यह सब जगह हो रहा होगा. चूंकि हम लोग छात्र राजनीति की पृ‍ष्‍ठभूमि से आये हैं, वेदना सबके मन में है, कोई कह नहीं पा रहे हैं, लेकिन यह वेदना है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय स्‍कूल शिक्षा की बात करें एक लाख तेईस हजार चार सौ बारह सरकारी स्‍कूल हैं और 6 लाख 39 हजार 525 टीचर हैं और कक्षा एक से 12 तक एक करोड़ तिरेपन लाख इकसठ हजार पांच सौ तिरतालीस स्‍टूडेंट हैं. बड़ी विचित्र बात है कि 13 हजार 198 स्‍कूल ऐसे हैं जिनमें सिर्फ एक टीचर है और इनमें पांच लाख सतासी हजार दो सौ आठ स्‍टूडेंट पढ़ रहे हैं. 85 हजार टीचर के पद खाली हैं, व्‍यायाम टीचर तो छोड़ दो खेल के मैदान नहीं हैं और शौचालय की स्थिति बच्चियों के स्‍कूलों में बड़ी विचित्र है. बच्चियों के स्‍कूल में स्थिति यह है कि 3 हजार 620 स्‍कूलों में बच्चियों के लिये शौचालय नहीं है और 10 हजार 702 स्‍कूलों में बनाये गये टायलेट में से कोई भी काम के नहीं है, उनका यूज ही नहीं हो रहा है. 7 हजार 422 स्‍कूल में पीने का पानी नहीं है और हम बड़ी-बड़ी बात कर रहे हैं. इसके साथ-साथ हम आ जायें कि अभी हमारे माननीय श्री अजय भईया का धान उपार्जन पर ध्‍यानाकर्षण था, किसानों की दशा सबको मालूम है. किसान आंदोलन भी सबकी नजर में है, किसानों की मांगें भी सबकी नजर में है, हमारा आपका अपना संकल्‍प पत्र आपकी गारंटी, आपका वादा किसानों को एम.एस.पी. देने का था. धान उपार्जन में अनियमितताएं श्री अजय भईया ने बता दी है. खाद की स्थिति क्‍या है? सहकारी समितियां कैसी डिफाल्‍टर हैं? सारी स्थितियां अजय भईया ने बता दी हैं. मैं ज्‍यादा विस्‍तार में जाना नहीं चाहता हूं. हम एम.एस.पी. की बात करते हैं, हम यदि आपके संकल्‍प पत्र की बात करते हैं, तो आप न जाने कितनी योजनाओं की बात कर देते हो, लेकिन जमीन पर क्‍या है?

           हर वादा आपकी जुंबा से चूका है,

         खेत रो रहे हैं, उनका किसान भूखा है.

           अध्‍यक्ष महोदय, यह स्थिति प्रदेश के किसानों की है. इसके अलावा आप आयें इंवेस्‍टर्स समिट की बात की जा रही थी, वर्ष 2003 से 2016 तक पांच इंवेस्‍टर्स समिट में 17 लाख 50 हजार करोड़ के निवेश हुए हैं, उसका दावा किया जाता है और वर्ष 2016 में इंदौर समिट में बाबा रामदेव को उनकी कंपनी पंतजलि को 5 सौ करोड़ रूपये का निवेश और पांच हजार लोगों को रोजगार देने की बात थी, इसके लिये पीथमपुर में 40 एकड़ जमीन भी एलॉट हुई, कोडि़यों के भाव पर 25 लाख रूपये एकड़ में दे  दी गई, लेकिन आज तक प्‍लांट चालू नहीं हुआ है, वहां पर सिंगल एक व्‍यक्ति को रोजगार नहीं मिला है, लेकिन जमीन पर आधिपत्‍य बाबा रामदेव की कंपनी पंतजलि का हो गया है, उसके बाद उन्‍हें फिर जमीन दे दी गई, रीवा के मउगंज के घुरहेटा गांव में दे दी गई है. उसी फर्म को, घुरहेटा गांव में 432 एकड़ जमीन दे दी गई, वर्ष 2022 और 2023 में समिट की क्‍या स्थिति बताई थी, 5 लाख 40 हजार करोड़ का निवेश, टोटल लगभग अगर हम निवेश देखें तो 32 लाख करोड़ का निवेश हुआ है. अभी आपने समिट किया, प्रधानमंत्री जी आये, अच्‍छी बात बहुत जोर शोर से अच्‍छा खर्चा भी हुआ, लगभग सौ करोड़ रूपये खर्चा हुआ, यह छ: इंवेस्‍टर्स समिट में जमीनी हकीकत क्‍या है? सरकारी आंकड़ें कहते हैं कि दस प्रतिशत काम हुआ है, सच्‍चाई तो यह है कि तीन प्रतिशत भी काम नहीं हुआ है, सच्‍चाई यह है और अभी आपने जो समिट किया, वह सारे तमाम लोग जिनमें मैं यह नहीं कहना चाहता हूं कि कौन किसका चहेता है,सब चहेतों को इंवेस्‍टर्स समिट के लिये जमीने आवंटित कर दी गई. यह समिट मध्‍यप्रदेश में उद्योग स्‍थापित करने के लिये था या सिर्फ किसी को उपकृत करने के लिये आयोजित था, जब छ: बार में कुछ नहीं हुआ तो इस बार में जमीनी हकीकत क्‍या होगी? यह बहुत चिंता का विषय है, इसके साथ-साथ आप यदि आ जायें तो आप ही ने कहा था कि हमारी लाड़ली बहना योजना 1 करोड़ 29 लाख महिलाओं को 2023 में योजना का फायदा दिया और अब आपने कहा कि 1 करोड़ 27 लाख को दे रहे हैं, तो ये दो लाख महिलाएं कैसे कम हो गईं. 60 साल से ज्‍यादा हो गई और जो 18 से 21 की हुई होगी, वह क्‍यों नहीं जोड़ रहे. दो जिलों के कलेक्‍टर आपको लेटर लिख रहे हैं, तो ये तो प्रदेश की स्थिति है, जिसको आप अपनी जीत का आधार मानते हो. नल-जल योजना घोटाला, भ्रष्‍टाचार अपनी जगह है जबलपुर के पास गोसलपुर में एक ठेकेदार जिसने काम लिया वह एक करोड़ रुपए की पाइप खा गया, तीन दिन पहले उसके ऊपर मुकदमा कायम हुआ. अब ये कहां के हैं, सब विशेष दर्जा प्राप्‍त लोग हैं, उनकी बातें नहीं कर रहा. मध्‍यप्रदेश में 12,071 गांव में पानी के जांच का जिम्‍मा सौंपा गया, इसका सैम्‍पल आया तो सिर्फ  2009 गांवों में जरुरी मानक पाए गए. 217 गांव में कनेक्‍शन तो हुए पर पानी ही नहीं है बिना स्‍त्रोत के पानी कहां से आएगा.

          पानी की लकीरों से मुक्‍कदर बनाएंगे..

बुनियाद के पत्‍थरों के बिना घर बनाएंगे,

जिनकी आंख का पानी मर गया..

दावा है उनका कि वो समन्‍दर बनाएंगे..

(मेजों की थपथपाहट)

          13 गांव ऐसे हैं, जहां नल कनेक्‍शन नहीं है, 778 गांवों में पानी की जांच की गई, जिसमें 390 सैम्‍पल अमानक पाए गए. अध्‍यक्ष जी इसके साथ साथ एक बहुत महत्‍वपूर्ण मसला है. जहां से हमारे दोनों विद्वान साथी जहां से हम लोगों के राजनीतिक जीवन की शुरूआत हुई है, कुलगुरु उनकी जो पीएचडी की उपाधि है, वह 25 नवंबर 2008 को प्रदान की गई, 19 जनवरी 2008 को मध्‍यप्रदेश लोक सेवा आयोग ने शिक्षा विभाग के अंतर्गत अध्‍यापक पद पर नियुक्ति दे दी गई, जबकि उसकी जो योग्‍यता है, उसमें संबंधित विषय में पीएचडी तो है, लेकिन दस साल का अध्‍यापन का अनुभव होना चाहिए. एक ही साल में नियुक्ति दे दी गई. मध्‍यप्रदेश सरकार इसकी जांच करवा रही है. अभी जांच का लेटर भी मिला है, लेकिन इसके साथ गंभीर विषय यह है कि एक गंभीर आरोप लगा है. रानी दुर्गावती विश्‍वविद्यालय पर कुलगुरु के मामले में हाईकोर्ट ने कहा है कि सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखे, कारण, हाईकोर्ट ने महिला पीडि़त अधिकारी की याचिका पर  यह निर्देश दिए. एक समय था, आईसीएस अफसर रमाप्रसन्‍न नायक वहां के कुलपति हुआ करते थे और सिर्फ एक महिला अंग्रेजी की लेक्‍चरर थी, उन्‍होंने उनसे बदसलूकी कर दी, उस समय तत्‍कालीन सरकार ने उनको सस्‍पेंड कर दिया था. यहां दो दो मामले है, एक तो योग्‍यता नहीं, दूसरा ये महिलाओं के साथ अभद्रता, हम महिलाओं के सम्मान की बात करते हैं और सरकार आंख बंद करके बैठी है. हम किस दिशा में जा रहे हैं. यह कहीं और का नहीं जबलपुर की रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का मामला है. मेरा बताने का आशय यह था कि सरकार में हमारे जो लोग जिम्मेदार बैठे हैं. वह कम से कम इस बात के लिये चेते तो सही, यह गंभीर मामले हैं. आप यदि सब चीजों को देखें तो मैं तो आपसे सिर्फ यह आग्रह करना चाहता हूं कि राज्यपाल महोदय जी ने जो पैराग्राम साफ किये थे ना बीच बीच में पैराग्राफ खत्म कर दिये थे, क्योंकि वह भी आपकी असत्य बातों से सहमत नहीं थे. उनको भी लगा कि हम 50 प्रतिशत हम भी बचें असत्य के पाप से कल को ऊपर वाले को जवाब देना पड़ेगा तो हम पूरे दोषी नहीं हैं. इसलिये मैं कह रहा हूं कि असत्य ने असत्य से कहा है कि सच बोलो, सरकारी एलान हुआ है कि सच बोलो, घर के अंदर असत्य की एक मंडी है और घर के बाहर बोर्ड लगा है कि सच बोलो. यह सरकार की स्थिति है. आपने बोलने का समय दिया. धन्यवाद.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा(जावद)माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय जी के कृतज्ञता ज्ञापन के अवसर पर मैं बहुत कृतज्ञ हूं. मैं सुन रहा था मेरे बोलने के पहले चार वक्ताओं ने अलग अलग विषयों पर अलग अलग बातें कीं. एक ने कहा कि प्रयास शुरू किया, दूसरे ने कहा कि क्यों किया, एक गलती रह गई ? बाकी 99 को भी साफ कर दें. कोई भी प्रयास होगा आधे से ज्यादा लोग यहां पर खेती करते हैं. क्या जितने बीज डालते हैं वह फसल दे देते हैं. कुछ चूक होगी, कुछ काम होगा, कुछ प्रयास होगा तो हम कहीं ना कहीं हम पहुंच पायेंगे. अगर हम लोग प्रयास ही नहीं करें तो हम स्थिर हो जायेंगे. मैं सिर्फ यह कहना चाह रहा हूं कि मैं बात वहां से शुरू करूंगा जहां से अधूरी रह गई थी. शैलेन्द्र जी बात कह रहे थे आपने उनको टोका कि उद्योग पर थोड़ा समय कम बचा है. वास्तव में हमने कृषि पर डबल डिजिट का रिकार्ड बनाया. कई सालों तक रिकार्ड बना. कई देशों के लोग यहां पर आये उन्होंने रिसर्च किया कि कैसे डबल डिजिट की ग्रोथ हो रही है कृषि में. क्योंकि उस समय मध्यप्रदेश में संसाधन नाम की कोई चीज नहीं होती थी. ना ही बिजली थी और ना ही किसान के पास में रास्ते थे. कल ही खेत सड़क पर बहस हो रही थी. लेकिन जितने भी रास्ते बने उसके कारण हम जब डबल डिजिट पर वहां पर आये जहां वहां से एक लेवल पर आये और हमारी बिजली सरप्लस हुई. मुझे आज भी याद है कि 2004 में पहली बार सदन में जब पहला भाषण दिया था तब बिजली की ग्रोथ का रेश्यो 2 प्रतिशत सालान ग्रोथ दिखाया था जब मैंने उस पर आरग्यू किया कि 8 प्रतिशत नेशनल है और हमारा प्रदेश विकसित है तो कम से कम हमारी ग्रोथ कम से कम 12 प्रतिशत आयेगी. उस पर जब काम शुरू हुआ जब हम बिजली में सरप्लस हुए. अब उद्योग का भी अवसर आ रहा है. जब हमारा शिक्षा का पेटर्न थोड़ा ठीक हुआ तो अब हम उद्योग की ओर हम बढ़ रहे हैं. मैं कुछ तथ्य रखना चाहता हूं. पहले हमने मीट समिट करी. तब महसूस हुआ हर कमिश्नरी में बैठकर चर्चा करें कि केवल बाहरी नहीं जब तक उनके साथ लोकल इंडस्ट्रीज तब तक सहयोग नहीं करेगी. हर बड़ी इंडस्ट्रीज के साथ 10-20 छोटी इंडस्ट्रीज भी आती हैं. तो हमने एक नया प्रयोग किया. मैं वास्तव में बहुत अभिनन्दन करना चाहता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी कि उन्होंने मुख्यमंत्री जी के साथ उन्होंने उद्योग विभाग को भी समझकर रीजनल इंडस्ट्रीज में नये-नये हर जगह के यूएसपी निकाले. कहां क्‍या मटेरियल सरप्‍लस है, किसका मॉर्केट कहां क्‍या है सबकी बात सुनी, सबकी बात समझी. पूरी दुनिया में उसका मैसेज गया, तो पूरी दुनिया के अलग-अलग देशों से कई लोग आए. मुझे आज भी याद है और मैं अच्‍छे तरीके से पूरे विश्‍वास और गारंटी के साथ कहता हॅूं कि पिछले कांग्रेस के काल में 25 साल में नीमच में एक भी इंडस्‍ट्री नहीं आयी. मैं सिर्फ आइडिया के लिए एक जिले का उदाहरण बताना चाहता हॅूं. हमने जब पिछले साल हमने पिछले साल एक सीमेंट प्‍लांट शुरू करवाया. उसमें काम शुरू हो गया. 3 हजार करोड़ की इंडस्‍ट्री का काम 15 महीने में जमीन पर शुरू हो गया. फिजिकल काम शुरू हो गया. टैक्‍सटाइल में हमने भीलवाड़ा जाकर जब व्‍यवस्‍था की, 3 टेक्‍सटाइल मिल के प्रोडक्‍शन शुरू हो गए. कम से कम 3 से 4 हजार एक जिले में रोजगार के नये अवसर आ गए.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं बॉयोक्‍लस्‍टर के बारे में बात करूं, तो वहां के भी एग्रो बेस्‍ड इंडस्‍ट्रीस का काम शुरू हो गया. एक दिन में सब चीजें दिखती नहीं हैं लेकिन जब हम शुरूआत करते हैं तो कहीं न कहीं हम पहुंचते हैं. मैं उसी में बात करना चाहता हॅूं कि इंडस्‍ट्री हो, एग्रीकल्‍चर हो या अन्‍य हो, उसके लिए सब चीजों का समन्‍वय चाहिए. सबका बैलेंसिंग चाहिए. मैं देख रहा था कि बातें हो रही थीं कि यह फेल हो गया. उसमें सफल कितने हुए, उस पर भी हम चर्चा कर सकते हैं. कुल मिलाकर जब तक हम इंडस्‍ट्रियालाइजेशन में पॉजीटिव वातावरण नहीं बनाएंगे, तो ग्रोथ कैसे आएगी ? 

          अध्‍यक्ष महोदय, विषय आया था कि गौ-शालाएं बहुत बनायीं. 20 रूपए प्रति गाय के लिए बताया गया, तो तुरंत माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने 40 रूपए प्रति गाय का किया. क्‍योंकि जरूरी था उसको वॉएबल करना है, उसको इकोनॉमिकली समझना पडे़गा. मैं आज बात करना चाहता हॅूं जैसे ही हमारी इंडस्‍ट्री का दबाव बन रहा है, हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने सोचा कि कृषि कहीं छूट न जाए, तो उन्‍होंने कृषि के बारे में भी सोचते हुए 30 लाख सोलर पंप 5 वर्ष में किसानों को देने का तय किया. सोलर पंप देने का मतलब है कि किसानों को रात में खेत में जाकर अपने परिवार को छोड़कर रिस्‍क न लेना पडे़. मुझे अच्‍छे तरीके से याद है कि सबसे ज्‍यादा पहले मेरे दो कार्यकाल में कहीं जाना पड़ता था, तो कभी बिच्‍छू ने काट खाया, कभी सांप ने काट खाया. जहरीले जानवरों से हर गांवों में कई घटनाएं होती थीं. लेकिन आज हम इस स्‍थिति में आ गए हैं कि किसान को पहले 6 घंटे बिजली देते थे और अब सोलर पंप की योजना इसलिए बनायी कि किसान को पूरे समय दिन में पूरी बिजली मिल जाये. क्‍योंकि किसान को बिजली कब चाहिए, जब सूर्य ज्‍यादा होता है. जब लाईट होती है, तो सोलर मैक्‍सिमम एनर्जी देता है क्‍योंकि हमारे पास फोटोवोल्‍टिक सेल हैं. जब हम बात कर रहे थे कि 30 लाख सोलर पंप देने के साथ उन 30 लाख किसानों के पास जो बिजली सरप्‍लस होगी, उससे उसकी आमदनी भी बढे़गी. क्‍या पहले कभी किसी ने सोचा कि एक आखिरी छोर के ग्रामीण व्‍यक्‍ति की कैसे तरक्‍की हो. यह सरकार शुरू से लेकर आखिरी तक सबके लिए सोचती है. हर व्‍यक्‍तियों के लिए योजनाएं बनाती है.

          अध्‍यक्ष महोदय, दूसरा एक विषय बेरोजगारी आया और नौकरी की बात करते हैं. क्‍या हमने नौकरी के साथ इंटर्नशिप के बारे में सोचा ? क्‍या उनकी कला के बारे में सोचा. पहली बार यह शुरूआत हुई कि स्‍किल डेवलपमेंट के लिए पिछले 10 वर्षों में किस तेजी से हम सोच रहे हैं. अभी की स्‍थिति में मैं लॉस्‍ट वीक दिल्‍ली के एक ट्रस्‍ट के साथ बैठा हुआ था. 12वीं पास बच्चों को सिर्फ 6 महीने का एडिशनल कोर्स सीखने से उस एक संस्था ने कम से कम 500 ऐसे अंडर ग्रेजुएट को 50 हजार रुपये की नौकरी दिलवा दी. मुझे याद है कि मैंने उनके साथ में टाई-अप करने की बात की कि क्यों न हमारे स्कूल में डिजिटल एजूकेशन के साथ उसको क्लब किया जाय. मुझे बड़ा गर्व है. अध्यक्ष महोदय, आप जब इशारा करेंगे तो मैं बैठ जाऊंगा. मैंने पहले माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी से कह दिया है कि आप मुझे बता दीजिएगा, जैसे ही आप बोलेंगे, मैं बैठ जाऊंगा.

अध्यक्ष महोदय, नये विषय में पुराना कुछ भी रिपीट नहीं कर रहा हूं. मुझे बहुत अच्छे तरीके से याद है. वर्ष 2015 में सबसे पहले मध्यप्रदेश में हमने डिजिटल एजूकेशन जावद में सभी सरकारी स्कूलों में एक साथ शुरू किया. केन्द्रीय एचआरडी मिनिस्टर आए, उन्होंने सीधा कहा, you are going ahead of thinking process of Govt. of India. बाद में उसका इम्पेक्ट 3 साल बाद यह पड़ा कि हम अलग दृष्टिकोण से हमारे यहां से मेडिकल और इंजीनियरिंग में सरकारी स्कूलों के बच्चे बिना कोचिंग के एडमिशन लेने लगे. इसकी चर्चा हुई. फिर हमने बात की कि एजूकेशन के किस पैटर्न में क्या परिवर्तन की जरूरत है कि वही बच्चा इंटरनेशनली इम्प्लांट कैसे हो और पूरी दुनिया में वह कैसे अपने को स्थापित करे. कई बार कई चर्चाएं हुईं.चर्चाओं के बाद हमने शुरुआत की अलग अलग भाषाएं सीखाने की . मैं धन्यवाद करूंगा कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने उस बात को आगे पूरे राज्य में कई स्कूलों में शुरू करने की बात की कि कैसे हम जर्मन और जेपनिज़ लेंग्वेज  अंग्रेजी के साथ उनको भी आप्शनल करके सीखाने का प्रयास करें क्योंकि अब हमारी शिक्षा का पैटर्न बदल रहा है और जहां तक सवाल है कि कुछ स्कूल में नम्बर या बच्चे कम है, लेकिन सीएम राईज का एक कॉन्सेप्ट किसलिए दिया, सर्वसुविधायुक्त. मुझे तो बड़ा ताज्जुब हुआ. एक सीएम राईज स्कूल पर एक विपक्ष की पार्टी के वर्तमान और पूर्व जिलाध्यक्ष धरने पर बैठे थे, इन स्कूलों को क्या जरूरत है. मुझे उस दिन  अच्छा नहीं लगा कि यह कैसी राजनीति है कि किस स्तर तक आदमी सोच सकता है? बाद में मुझे जब पता चला कि दोनों के प्राइवेट स्कूल थे. यह एक पार्टी की स्थिति है. मैं नाम किसी का लेना नहीं चाहता. मैंने जीवन में आज तक कभी राजनीति इन विषयों पर बातें नहीं की. मैं अपने चुनाव में भी आरोप-प्रत्यारोप पर विश्वास नहीं करता हूं. अपने काम करके आगे बढ़ने की बात करता हूं. जब मैंने यह बात देखी तो यह सीएम राईज इतना बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर इसलिए बना रहे हैं कि धीरे-धीरे हमारा स्कूल और हमारा पूरा पैटर्न बदले और हरेक  व्यक्ति आत्मनिर्भरता की ओर और तेजी से बढ़े, न कि केवल नौकर. एक चर्चा आई मैंने देखा कि कई बार हमारे यहां बजाय apply the mind के follow the instruction पर बच्चे चल रहे हैं. इतना ज्यादा दबाव ग्रेडिंग का, नम्बर्स का आ गया है तो सरकार ने नियम बदले कि नम्बर्स की बजाय ग्रेडिंग करना शुरू करें क्योंकि follow the instruction वाला कि जरूरत केवल अंग्रेजों को थी. Apply the mind भारत की आज की नई सोच है कि हर बच्चे को apply the mind में कैसे करें.

वास्तव में अगर देखा जाय तो शिक्षा के पैटर्न का अंतर यह होना चाहिए कि उसमें इंटरप्रिन्योरशिप की कितनी स्किल है, उसकी डायरेक्शन क्या है, उस डायरेक्शन को कैसे अपने पैटर्न से और ज्यादा शार्पन करके आगे बढ़ाएं. हमने पूरी आंगनवाड़ियों के परिवर्तन से शुरू किया. हमने स्कूलों का पैटर्न बदला. हमने कॉलेज में साइमलटेनियस्ली डबल डिग्री व्यवस्था शुरू की कि यदि गरीब गांव के बच्चे, वह गांव के कॉलेज से बाहर नहीं जा सकते हैं और उनके मन में उच्च शिक्षा को लेकर बेहतर इंस्टिट्यूशन में पढ़ने की इच्छा  हैं तो केन्द्र की सरकार ने अधिनियम बनाया क्योंकि दोनों सरकारों का समन्वय है. आप भले ही गांव के छोटे कॉलेज में सामान्य बीए, बीकाम कर रहे हों, लेकिन साथ में आप किसी दूसरे बाहरी कालेज से पत्राचार के माध्यम से बड़े बेस्ट इंस्टिट्युशन में शिक्षा लेकर आप साइमलटेनियस्ली दूसरी दो डिग्रियां एक साथ ले सकते हैं.

 

3.30 बजे        {सभापति महोदय (श्री अजय विश्नोई) पीठासीन हुए.}                                                                                               

हमने भी शुरू किया. हमने शिक्षा मंत्री जी से बात की तो उन्‍होंने कहा कि ठीक है, स्‍कूलों के क्‍लास रूम को खुलवाकर उनको शुरू करिये. सोचना पड़ेगा, शुरूआत करना पड़ेगी. गलतियां भी निकालेंगे, निकालने को हम कई पाइंट निकाल लेंगे. लेकिन जहां तक सवाल है कि यदि हम सबको एक-एक करके एक्‍सरसाईज करेंगे. आज दुनिया में शिक्षा का पैटर्न बदल रहा है, काम का तरीका बदल रहा है. वर्क फ्राम होम का कल्‍चर बहुत बदल गया. मैंने अभी देखा कि थोड़े से एडिशनल एजुकेशन से लाखों की संख्‍या में हम वर्क फ्राम होम का कल्‍चर अपने मध्‍य प्रदेश की बेटियों को दे सकते हैं. क्‍योंकि कई बार कई सीमाएं होती हैं. हमें उसके ऊपर प्रयास करना चाहिये. हमने पहली बार यह एक बहुत ही अच्‍छी सोच आयी कि गीता भवन के माध्‍यम से हर गांव में, हर नगर पंचायत के क्षेत्र में ई-लायब्रेरी देकर वहां पर भी उनको आगे बढ़ने का अवसर दें. हमें मिलकर जो अच्‍छे काम हैं उनकी तारीफ करनी चाहिये.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक- सभापति महोदय, यह जो पढ़ाई के विषय में बोल रहे हैं. पढ़ाई तो करवाने की बात तो कर रहे हैं. मगर आप क्‍या रोजगार देने की बात कर रहे हैं.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा- दोनों बातें साथ हैं.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक- दोनों बातें नहीं आयी हैं.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा-   बिल्‍कुल साथ में हैं.

          सभापति महोदय- जब आपका नम्‍बर आयेगा तो आप बोल लीजियेगा.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचा-  क्‍योंकि पैटर्न जब तक नहीं बदलेगा, क्‍योंकि पुराना पैटर्न केवल अलग पैटर्न पर था. वह फॉलो द इंस्‍ट्रक्‍शन का था.

          सभापति महोदय- माननीय सखलेचा जी सीमित करें.

          श्री ओम प्रकाश सखलेचा-  सभापति महोदय, आपका एक ओर इशारा होगा तो मैं बैठ जाऊंगा. आप जब तक बोलने देंगे तब तक मैं बात करूंगा. हमने बात करी कि कहां हम खनिज पैटर्न और उनका कैसे बेहतर उपयोग करके मिनरल्‍स को बेहतर करें. हमारी उपयोगिता धीरे-धीरे बहुत तेजी से बदल रही है. अब हम मिनिरल बेस धीरे-धीरे पॉलिसी में मिनिरल्‍स माइनिंग उन्‍हीं को अलाट कर रहे हैं जो साथ में इंडस्‍ट्री भी लगाये. पॉलिसी बनायी, काम शरू हुआ तो उसका रिजल्‍ट आने में समय लगेगा. हमने कई एक्‍सरसाइज़ की. हमने अगर पहली बार यह एक्‍सरसाइज की, मैं आपको एक छोटा सा उदाहरण देता हूं कि अभी केवल नीमच जिले में पेयजल और खेती के पानी के लिये 6 हजार करोड़ से ज्‍यादा पैसा सरकार ने पास किया, उसमें से 2 हजार करोड़ का काम हुआ और हर घर तक पानी अगले महीने में पहुंचेगा और खेत तक प्रेशर पाइप से पानी पहुंचेगा,यह योजना वर्ष 1980 में बनी थी. बीच की सरकारों ने पहले तो कह दिया कि हमारे पास बिजली नहीं है, बाद में यह बात आयी कि बिजली बहुत महंगी हुई तो बाद में वहां पर 700 मेगावाट वहां पर सोलर  जनरेट किया, 2 रूपये 30 पैसे में सोलर आया तब जाकर पानी पहुंच रहा है.    

          सभापति महोदय, अंतर सोचिये कि 6 हजार करोड़ रूपये केवल पानी पर यह मध्‍य प्रदेश की सरकार ने खर्च करने का टेण्‍डर निकालकर काम शुरू करवा दिया जो कि वर्ष 2003-2004 के बजट में 4200 करोड़ पूरे प्रदेश के विकास का बजट होता. अब सोचिये अंतर कितना है. इस अंतर में, सिर्फ इसलिये कि कर्जा इतना ले लिया. यदि कर्जा लेकर अगर डेव्हलपमेंट किया,  तो  वह मल्टीप्लाई हुआ, उस मल्टीप्लिकेशन  के कारण  आज हम 4 हजार करोड़ से  1 लाख करोड़  का  डेव्हलपमेंट का काम कर पाये.  अगर उस दिन भी हम यह सोचकर  बैठ जाते कि कर्जा न लें,  केवल ऐसे ही रहें, तो  डेव्हलपमेंट कहां से होगा,  देखना यह पड़ेगा कि  कर्जा का  कितना प्रतिशत पैसा  हमने   विकास पर लगाया,  इन्फ्रास्ट्रक्चर पर लगाया,  क्योंकि जैसे जैसे हम इन्फ्रास्ट्रक्चर पर पैसे लगायेंगे, वैसे वैसे विकास होगा.  आज दूध उत्पादन में बहुत तेजी से परिवर्तन आ रहा है.

          सभापति महोदयओमप्रकाश जी,  आपका समय पूरा  हो रहा है.

          श्री ओमप्रकाश सखलेचाजी धन्यवाद.  आपने इतना समय दिया,  उसके लिये  भी बहुत बहुत धन्यवाद.

          सभापति महोदय  आपको भी धन्यवाद.  मैं सभी  माननीय सदस्यों से निवेदन करुंगा कि अभी 25 सदस्य बोलने के लिये और हैं.  सभी सदस्यों को हम अवसर देना चाहते हैं,तो कृपया 5-5 मिनट  में अपनी बात को समाप्त करने का प्रयास करें. 

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)--  सभापति महोदय, मैं  महामहिम राज्यपाल  महोदय के अभिभाषण  के  विरोध में  बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं.  त्वदीय पाद पंकजम नमामि देवी नर्मदे,  मैं  मां नर्मदा को प्रणाम करते हुए  अपनी बात रखना चाहूंगा.  हमने पूरी  अभिभाषण की पुस्तक का अध्ययन किया, बहुत सारी नदियों का उसमें उल्लेख रहा है, लेकिन  मां नर्मदा का कहीं उल्लेख  नहीं हुआ है.  जीवनदायिनी मां नर्मदा  जो मध्यप्रदेश की  जीवनदायिनी है. प्रतिवर्ष लाखों  लाख लोग  मां  नर्मदा की परिक्रमा करते हैं.  चाहे पूर्व मुख्यमंत्री जी हों, पूर्व मंत्री जी हों,  चाहे वर्तमान के हों,  सीना ठोक ठोक कर बोलते   हैं मां नर्मदा की सुरक्षा एवं रक्षा के लिये.  लेकिन  जब उसके संरक्षण  की  बात होती है,  तो कहीं उसका  उल्लेख  नहीं होता है.  इसी सदन में यह कहा गया था कि  जो छोटी छोटी नदियां  मां नर्मदा  में मिल रही हैं,  उन पर  स्टापडेम बनाकर  उनका  पानी जो डायरेक्ट प्रवाहित  होता है,  मां नर्मदा में मिलता है, उसको रोक करके,  छन करके पानी जाये, भू कटाव इतना ज्यादा हो रहा है,  जिसके कारण उसका जल धीरे धीरे  कम होता जा  रहा है, लेकिन वह भी नहीं किया गया. जो मां नर्मदा  की परिक्रम करते हैं, उसके पथ निर्माण की बात भी कही गई थी.  आज तक  वह पथ 20-22 साल  हो गये हैं,  अभी तक मां नर्मदा के पथ का निर्माण नहीं हो  सका है.

          सभापति महोदय आप विषय से अलग जा रहे हैं,  फिर विषय पर आपका समय कम हो जायेगा.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्कोमैं उसी पर आ रहा हूं.  सभापति महोदय,  एक मेरे जिला अनूपपुर में   9 साल से उप संचालक  पदस्थ हैं और  उनकी  विशेषता यह है  कि  खनिज प्रतिष्ठान  मद से  8 करोड़ रुपये  उन्होंने लिये और  लेने के बाद उस पर  जब भ्रष्टाचार का आरोप   लगा.  आरोप के साथ ढाई करोड़  रुपये  पाये गये कि  उन्होंने भ्रष्टाचार किया.  कलेक्टर  अनूपपुर ने  प्रमुख सचिव  को पत्र लिखा  कि  आप इसको लम्बित करके  और  इसकी जांच करें,   ताकि  वह कहीं  जांच को प्रभावित न कर सके.  एक कहावत  है गांव में  कि दुधारु  गाय की लात भी  अच्छी लगती है.  हो सकता है कि उससे मंत्री प्रभावित हो रहे हों और जो लोग प्रभावित हो रहे हों, सरकार को अच्छा ओब्लाइज करता हो.  लेकिन  ईओडब्लयू में  उसके खिलाफ प्रकरण   पंजीबद्ध  हुआ,  विभिन्न धाराओं में वह आरोपित हुआ,  अभी 18 फरवरी को  उसकी अग्रिम जमानत खारिज हो गई.  अब वह भाग रहा है, छुप रहा है.  एक महीने से  वहां उप संचालक कौन है,कृषि  जैसे महत्वपूर्ण विभाग में यह हो रहा है.

            सभापति महोदय- फुन्देलाल जी राज्यपाल के अभिभाषण पर आप बोलेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, मैं तो वहीं पर आ रहा हूं लेकिन बता रहा हूं कि भ्रष्टाचार पर सरकार का अंकुश नहीं है यह बात मैं आपको बता रहा हूं.

          सभापति महोदय- उस पर बोलने के लिये आपको और बहुत से मौके मिलेंगे. अभी तो आप विषय पर आयें.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- सभापति महोदय, अनूपपुर जिले में कृषि का एक उप संचालक तो सरकार पदस्थ कर दे, इसको खूब बचाईये, चांदी का जूता बहुत अच्छा लगता है, सरकार उसका संरक्षण करें लेकिन अनूपपुर जिले में कृषि विभाग में एक उप संचालक की पदस्थापना की तत्काल व्यवस्था करें.

          सभापति महोदय, स्मार्ट सिटी की बात बड़े जौर शोर से यह सरकार करती है कि हम स्मार्ट सिटी बना रहे हैं, अच्छी बात है बननी चाहिये स्मार्ट सिटी, वहां बिजली है, पानी है, सड़क है, सारी सुविधा सम्पन्न है. शहरों में आप यह सिटी बना रहे हैं, सभापति महोदय, आपको ज्ञात होगा कि मध्यप्रदेश में 75 प्रतिशत से अधिक की आबादी गांव में निवास करती है. मैं आपके माध्यम से सरकार से पूछना चाहता हूं कि आप स्मार्ट विलेज कब बना रहे हैं. कब वहां के निवास करने वालों को सड़क, पानी, बिजली की सुविधा मिलेगी, आज हम आकाश में यात्रा करने लगे, अंतरिक्ष में जा रहे हैं लेकिन दुख इस बात का है कि हम गांव का विकास नहीं कर पा रहे हैं, गांव से गांव को नहीं जोड़ पा रहे हैं. गांव में 75 प्रतिशत आबादी आज भी मूलभूत सुविधायें नहीं मिलने से संघर्ष कर रही है. सभापति महोदय, मैं चाहता हूं कि हमारे गांव का भी विकास हो, गांव के लोग जब शहरों में जाते हैं और वहां की जगमग रोशनी को देखते हैं तो उनके मन में भी यह आता है कि काश मेरे गांव में ऐसे ही रोड, पुल-पुलिया, पुल, और जल नल की टोंटी खोलो और पानी मिले यह चाहता है. सदन में अभी नगरीय प्रशासन मंत्री जी नहीं हैं लेकिन मैं सदन के माध्यम से उनसे कहना चाहता हूं कि जैसे इस सदन में उन्होंने आश्वासन दिया था कि मैं अमरकंटक में टप टप पानी गिराऊंगा, आज तक वहां पानी की व्यवस्था नहीं हो पाई है . हम इस सदन में प्रदेश में रहने वाले शहरी और ग्रामीण लोगों के सर्वांगीण विकास के लिये हम चिंतन-मनन कर रहे हैं. मिथ्या बात बोलकर के चले जाते हैं.

          सभापति महोदय- फुन्देलाल जी आपको बोलते हुये 5 मिनट हो गये हैं. कृपया संक्षिप्त में बात कह कर के समाप्त करें.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को--माननीय सभापति महोदय, जैसा आप कहें. लाइन वही है मेरी आने जाने की .वैसे जैसा आप कहेंगे. बस दो मिनट में अपनी बात कहकर के समाप्त करूंगा .

          सभापति महोदय-- अभिभाषण पर आप अपनी बात रखें.

          श्री फुन्देलाल सिंह मार्को- सभापति जी , मैं दो मिनट में अपनी बात समाप्त करूंगा. सभापति जी ,चूंकि वर्तमान में जो कृषि मजदूर खाली हो गये हैं उनको काम चाहिये, अब उनको काम नहीं मिल रहा है तो वह मध्यप्रदेश से पलायन करके मजदूरी के लिये दूसरे प्रदेश में पलायन कर रहे हैं. शासन की ऐसी योजना होनी चाहिये कि कोई भी मजदूर काम के अभाव में प्रदेश से पलायन नहीं करे.महात्मा गांधी राष्ट्रीय गारंटी योजना जिसमें 100 दिन कार्य की गारंटी दी जाती थी यूपीए की सरकार में माननीय तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा यह योजना लागू की गई थी आपने इस योजना को रोक दिया है, मटेरियल पार्ट को आपने रोक दिया तो सब काम धीरे धीरे बंद हो गये हैं इसलिये लोग पलायन कर रहे हैं.

          सभापति महोदय, एक योजना थी संबल अनुगृह योजना . यह योजना उसके लिये थी जो इस दुनियां में नहीं हैं उसके पीड़ित परिवार को सहायता पहुंचाने के लिये यह योजना लाये थे, दुख के साथ में कहना पड़ रहा है कि 6 माह से इस योजना के पोर्टल बंद कर दिये हैं, एक एक जिले में, जनपद पंचायत में करोड़ों रूपये का भुगतान संबल अनुगृह योजना में नहीं हो रहा है, हजारों आवेदन पेंडिंग पड़े हुये हैं, सरकार पोर्टल बंद करके रखी है जिसके कारण इस पीड़ित परिवार को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है, सरकार को पोर्टल को खोलना चाहिये, उनका भुगतान करना चाहिये. जिस उद्धेश्य से इस योजना को लाया गया था आप उस योजना को बंद करके रखे हैं, सरकार को पोर्टल खोलना चाहिये, पैसे भेजने चाहिये ताकि पेंडिंग आवेदनों का भुगतान सुनिश्चित किया जा सके.

          सभापति महोदय, आवास योजना के बारे में कहना चाहता हूं. मैं स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी जी को नमन करना चाहता हूं. उन्होंने इंदिरा आवास योजना को लागू किया था, समय बदला, समय परिवर्तन हुआ, सरकारें बदलीं, उसका नाम बदलकर के पीएम आवास योजना हो गया, अच्छी बात है. शहर में रहने वाले और गांव में जो लोग रहते हैं अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के पिछड़ा वर्ग, सर्वहारा समाज के लोग, उनका क्‍या दोष है. शहर में आप ढाई लाख रुपये का आवास बनाते हैं. वही रेत, वही गिट्टी, वही मिट्टी, वही सारी चीजें उपलब्‍ध हैं और गांव में जब आवास योजना का आवास बनेगा तो एक लाख, बीस हजार का आप बनाएंगे. उसकी गुणवत्‍ता का क्‍या होगा.

          डॉ. योगेश पंडाग्रे -- सभापति महोदय, साथ में उसमें मनरेगा की राशि भी इंक्‍लूड की जाती है इसलिये शहरों और गांवों में यह अंतर है.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- सभापति महोदय, डेढ़ लाख नहीं है अभी उसको और कम कर दिया गया है. अब 1.20 लाख कर दिया है. माननीय पंचायत मंत्री जी बैठे हैं. 1 लाख, 20 हजार रुपये में गांव में बनेगा और ढाई लाख रुपये में शहर में बनेगा क्‍योंकि वह चमक-दमक की दुनिया में रहते हैं इसलिये वह अच्‍छे मकान में रहें और जो कृषि दाता, अन्‍न दाता है, जो गरीब किसान है, जो जंगलों में निवास करता है, पहाड़ों में निवास करता है, बैगा जनजाति है, सहरिया है, ऐसे लोगों को आप 1 लाख, 20 हजार देते हैं. वह मकान गिर जाएगा. छपाई तक नहीं होती है माननीय पंचायत मंत्री जी.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटेल) -- सभापति महोदय, आप बहुत वरिष्‍ठ हैं, अच्‍छा बोलते हैं लेकिन वह दोनों को मिक्‍स कर रहे हैं. जनमन योजना में 2 लाख रुपये है और आप 1 लाख, 20 हजार कह रहे हैं. यह बिल्‍कुल उचित नहीं है. जो बैगा, सहरिया अति पिछड़ी जनजातियां हैं उनके लिये दो लाख रुपये है.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- सभापति महोदय, यह अभी-अभी हुआ है. यह जनमन अभी लागू हुआ है. पहले जनमन नहीं था.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल -- सभापति महोदय, 46,000 बन गये हैं.

          सभापति महोदय -- फुंदेलाल जी, आप कृपया समाप्‍त करें. आपको अभी और बहुत मौके मिलेंगे.

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को -- सभापति महोदय, वह अभी बने हैं. पंचायत मंत्री जी, यह बहुत महत्‍वपूर्ण हैं. सभी को मिले. जो शहर में रहता है उसको भी ढाई लाख मिले और जो गांव में रहता है उसको भी ढाई लाख मिलना चाहिये क्‍योंकि वह मध्‍यप्रदेश की जनता है. आपको वोट दे रहे हैं. विकास पर उसका हक है. इसलिये कोई शहर और गांव का भेदभाव नहीं होना चाहिये ऐसा मैं मानता हूं. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया मैं आपका बहुत आभार मानता हूं. धन्‍यवाद.

          सभापति महोदय -- धन्‍यवाद आपको. 10 मिनट हो गये हैं.

          श्री अभय मिश्रा (सेमरिया) -- सभापति महोदय, सतही तौर पर मैं राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण के संबंध में बोल रहा हूं. जो बातें आ गई हैं मैं उनको रिपीट नहीं करूंगा और बहुत ज्‍यादा उससे पॉइंट भी नहीं निकालूंगा. मेरे मन में जो विचार आते हैं वह मैं रख रहा हूं. शायद कुछ काम की बात लगे तो ठीक है. सतही तौर पर तो ऐसा लगता है कि वल्‍लभ भवन से हमारा प्रदेश नियंत्रित होता है, परंतु अगर हम गहराई से देखें कि जो बजट सत्र है इसके माध्‍यम से वर्ष भर का, आने वाले समय की दशा और दिशा हमारी यहां से तय होती है और राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण में लगभग वही मुद्दे होते हैं कि हम शायद करना क्‍या चाहते हैं, आगे हमारी दिशा क्‍या होगी. लेकिन अभी जब मैंने इसको पढ़ा तो मैंने देखा कि हमने यह किया, हमने यह किया. हम आगे क्‍या करने वाले हैं वह मुझे कम दिखाई दिया. पिछले 20 वर्षों से वर्ष 2008 से देख रहे हैं कि हम शब्‍दों का जलपान कर रहे हैं. कॉपी पेस्‍ट की तर्ज पर जीभ की जलेबी बन रही है. खुशफ़हमी के हम शिकार हैं. खुद की पीठ थप-थपाए जा रहे हैं. यह जो राज्‍यपाल महोदय का अभिभाषण है यह तक हम खुद तैयार नहीं कर पा रहे हैं. अधिकारी जो तैयार करके दे देते हैं उन्‍हीं के बनाये बजट पर हम इतनी प्रदेश भर की जनता जो हमसे उम्‍मीद लगाये बैठी है हम वही करते चले आ रहे हैं. प्रत्‍येक वित्‍तीय वर्ष में विनिमय हेतु क्‍या दिशा होगी वह अभिभाषण में होना चाहिये जो इसमें दिखाई नहीं देती है. हम सीधे मूल विषय में आते हैं. 20 वर्ष के शासनकाल में हम अगर कुल बजट को जोड़ दें तो हमें ऐसा लगता है कि एक तो कर्ज का बजट है. जनता के ऊपर ऋण लादकर, ‘’ऋणम् लित्‍वा गौतम प्रवेश’’ वाला बजट रहता है और अगर हम इतने वर्षों का बजट जोड़ दें तो देश के कुल बजट के बराबर होगा कम तो नहीं होगा. ऐसा नहीं हुआ कि काम नहीं हुआ, काम हुआ परंतु हमें लगता है कि हमारा आधे से अधिक पैसा व्‍यर्थ हो गया विधायकों के प्रश्‍नों का गलत उत्‍तर देने अधिकारियों के हितों की रक्षा करने में अधिकारियों के हितों की रक्षा करना अगर हमारी यही दिशा है तो हमें नहीं लगता है कि हम सही दिशा में बढ़ पाएंगे. पिछले 20 वर्षों को देखें तो जो पिता मजदूरी करता था उसका बच्चा भी मजदूरी कर रहा है. उसकी लाड़ली बहना, बिटिया भी मजदूरी कर रही है. क्या बदला है. हमारा बजट घूम फिरकर अधिकारियों और कर्मचारियों की जेब में जा रहा है. छोटे लोगों को इसका बहुत कम लाभ मिल पा रहा है. हम जहां के तहां खड़े हैं. आप चुनाव तो जीत ही रहे हैं. अगर चुनाव जीतना हमारी सफलता का परिचायक है तो नो डाउट हमारी सरकार बहुत सफल है. हम कुछ मुख्य बिंदुओं को समझ लें तो कुछ बदलाव हो सकता है. आज की सबसे बड़ी समस्या है नशा, नशागत अपराध, महिला अपराध और भ्रष्टाचार. ऐसा नहीं है कि काम नहीं हो रहा है, सरकार काम नहीं कर रही है. मुख्यमंत्री जी उत्साही हैं, उनके अंदर इच्छाशक्ति है लेकिन वे 20 साल के काकस को कैसे तोड़ेंगे. जब कोई सरकार 20 वर्ष तक रहेगी और एक ही शासक होगा उसी के अनुरूप अधिकारी रहेंगे तो एक काकस तो बन ही जाएगा. कहने को यह लोकतंत्र रहेगा लेकिन उसके अन्दर प्रजातंत्र नहीं रह पाता है. गांवों में शराब के 3-3 बार उठाव हो रहे हैं. माननीय देवड़ा साहब यहां पर नहीं बैठे हैं अन्यथा मैं उन्हें लक्षित करके कहता कि एक ही परमिट पर 3-3 बार उठाव हो रहा है इसे रोकने पर ध्यान देना चाहिए. विधवा, परित्यक्ता को लाड़ली बहना का लाभ नहीं मिलता है. 20 वषों से बहुत सी ऐसी योजनाएं चल ही हैं जिनके द्वारा अधिकारी और वेंडर मालामाल हो रहे हैं. मैं ध्यान दिलाना चाहता हूँ कि कहीं-न-कहीं रिव्यू होना चाहिए. हम पैसे का वेस्टेज क्यों कर रहे हैं हम यह क्यों कहते हैं कि कोई योजना बंद नहीं होगी. अगर कोई योजना हितकारी नहीं है तो उसके पैसे को किसी हितकारी दिशा में, सार्थक दिशा में लगाया जा सकता है. सभी को पता है कि पोषण आहार योजना में क्या हो रहा है. सूदखोरी के मामले में कोई कानून नहीं बना रहे हैं. सूदखोरों से परेशान होकर लोग आत्महत्या कर रहे हैं. लॉबी में हमारे बीच के कुछ विधायक, हमारे सत्ताधारी दल के विधायक वर्ष 2018 के कर्ज से नहीं निकल पाए हैं, अभी वर्ष 2023 का कर्ज सिर पर है. कोई अधिकारी नमस्ते करने को तैयार नहीं है. सत्ता का केन्द्रीयकरण इस तरह से हो गया है, विधायक तो चलो रोजगार से लगे हैं, यह भी काम छिन गया तो जाएंगे कहां. लेकिन जनता को हम डिलेवरी कहां दे पा रहे हैं. 40-40 होमगार्ड के जवानों की बंगलों में तैनाती है. उनका पैसा बेकार हो रहा है.  हम सरकारी संपत्तियों को बेच रहे हैं. हम लोक सम्पत्ति से अलग, स्मार्ट सिटी से अलग, पुनर्घनत्वीकरण से अलग जो स्थायी सम्पत्तियां हैं उन्हें कौड़ियों के भाव बेच रहे हैं. हमारे सामने जो आप्शन था आज नहीं तो कल जो हमें काम आने वाली चीजें हैं. ऋण की आज यह स्थिति है कि ऋण से ही हमें ब्याज देना पड़ रहा है. हमने उस आप्शन को भी खत्म कर दिया है. हम किसी को लक्षित नहीं कर रहे हैं हम केवल अपनी भावना व्यक्त कर रहे हैं. यह बीमारी पूरे प्रदेश में फैल गई है. माननीय मंत्री जी बैठे हैं, वे लगातार प्रयास कर रहे हैं इस बार हमें कुछ सार्थक प्रयास दिखाई दे रहा है. हम आए हम ज्यादा प्रभावशाली हैं हमने कहा इधर ज्यादा दे दो. गांव में अनावश्यक एक के स्थान पर तीन रोड बन रही हैं. अब कुछ इस तरह देखने को मिल रहा है कि प‍हले स्‍टेट हाईवे लक्षित हो रहे हैं, फिर एमडीआर रोड लक्षित हो रही हैं आप खुद सोचिए कि भोपाल से आज तक पचमढ़ी रोड छूटी है. सिवनी से बालाघाट चले जाएं वह रोड छूटी है, पचमढ़ी से शहपुरा होते हुए जबलपुर जाते हैं तो वह रोड भी छूटी हुई है. 20 वर्षों में भी आखिर यह रोड क्‍यों छूटी हैं. रेलवे के ओवरब्रिजों में आज भी लोग खड़े होते हैं‍ हमको पहले छांटना चाहिए था. हम क्‍या मांग रहे हैं वह जरूरी नहीं है. सरकार को स्‍वयं प्‍लानिंग करना चाहिए. अब कहीं जाकर नई सरकार में मुख्‍यमंत्री जी की दिशा में इस तरह का काम शुरू होना दिखाई दे रहा है. जो अच्‍छी चीज है हम उसे हमेशा स्‍वीकार करेंगे. एक और बीमारी है कि लोग रिटायर क्‍यों नहीं होना चाह रहे हैं. हम एक तो नये लोगों को रोजगार नहीं दे पा रहे हैं कोई भी रिटायर हो तो तुरंत उसको टाईम एक्‍सटेंशन चाहिए. सलाहकार का एक पद है हम बार-बार उन्‍हीं-उन्‍हीं को देते जा रहे हैं. उनका एक्‍सटेंशन करते जा रहे हैं जब तक काकस से मुक्ति नहीं मिलेगी नया कुछ कैसा होगा. नान को देखिए नान का भी आज आपने प्रश्‍न उठाया है आज आप खुद जानते हैं कि [XX]

          सभापति महोदय-- यह राज्‍यपाल का अभिभाषण नहीं है यह हटा दीजिएगा. विलोपित कर दीजिएगा.

          श्री अभय मिश्रा-- प्रश्‍न अगर लग जाए तो पूरी लिस्‍ट ही बदल दी जाती है.

          सभापति महोदय-- अभय जी अब कृपया समाप्‍त कीजिए.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)--माननीय सभापति महोदय, आप कह रहे हैं कि यह राज्‍यपाल का अभिभाषण नहीं है तो राज्‍यपाल के अभिभाषण के लिए कोई अधिकारी ही नहीं है, कोई मंत्री नहीं हैं, मुख्‍यमंत्री नहीं हैं, कितने पीएस यहां बैठे हैं? राज्‍यपाल का अभिभाषण चल रहा है प्रदेश की बात हो रही है (व्‍यवधान)

            श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को-- मजाक बनाके रखे हो आप यह इतना महत्‍वपूर्ण है. (व्‍यवधान)

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- सभी बैठे हुए हैं. उप मुख्‍यमंत्री जी बैठे हुए है. (व्‍यवधान)

          सभापति महोदय-- नेता प्रतिपक्ष जी सदन में आठ, दस वरिष्‍ठ मंत्री बैठै हुए हैं. (व्‍यवधान)

          श्री उमंग सिंघार-- यह बहुत ही गंभीर बात है कि राज्‍यपाल के अभिभाषण में हर विभाग का प्रमुख सचिव होना चाहिए, यह क्‍या है लोकतंत्र को मजाक बनाकर रखा है. (व्‍यवधान)

          सभापति महोदय-- आठ-आठ वरिष्‍ठ मंत्री बैठे हुए हैं. (व्‍यवधान)

          श्री उमंग सिंघार-- सभापति महोदय क्‍या सरकार की तरफ से कोई नहीं है. दो मंत्री बैठे हुए हैं. अधिकारी होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए. (व्‍यवधान)

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- उप मुख्‍यमंत्री जी बैठे हुए हैं. (व्‍यवधान)

          श्री उमंग सिंघार-- आप व्‍यवस्‍था दीजिए. (व्‍यवधान) 

          श्री अभय मिश्रा-- ऐसा करते हैं कि हम लोग अब सदन में नहीं आया करेंगे आप लोग अपनी पीठ खुद थपथपा लेना. (व्‍यवधान)

          सभापति महोदय-- आप सभी कृपया एक-एक करके बोलें. 

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल-- सभापति महोदय, नेता प्रतिपक्ष जी सालभर में तो पहचान ही गये होंगे. आज कैलाश जी और मुख्‍यमंत्री जी जब सतना गये तो वह बाकायदा पत्र देकर गये सभापति महोदय को और संसदीय कार्य मंत्री जी की ड्यूटी मैं पूरी कर रहा हूं. उपमुख्‍यमंत्री जी पहले दूसरे भी बैठे थे हम लगातार बैठे हुए हैं.

          श्री उमंग सिंघार-- मैंने विशेष रूप से अधिकारियों की बात की है.

          श्री प्रहलाद सिंह पटेल--आपने मंत्रियों को भी कहा है. यहां सदन में अधिकारी भी बैठे हुए हैं.

          श्री उमंग सिंघार- केवल एक दो अधिकारी बैठे हैं. राज्‍यपाल के अभिभाषण  पर पूरे विभागों के बारे में बात हो रही है. सभी सदस्‍य बात कर रहे है. यह इस लोकतंत्र में इस विधानसभा की गंभीरता है. पहले मैं आपसे इस पर व्‍यवस्‍था चाहता हूं. आसंदी से आपको निर्देश देना चाहिए. 

          सभापति महोदय-- नेता प्रतिपक्ष जी आप बैठ जाइए. राकेश सिंह जी की बात आ जाने दीजिए. 

          लोक निर्माण मंत्री (श्री राकेश सिंह)-- माननीय सभापति महोदय, मेरा कहना है कि सदन में राजनैतिक आरोप प्रत्‍यारोप परम्‍परा है. आरोप लगें आपत्ति नहीं है. विपक्ष सत्‍ता पक्ष जब त‍क है यह चलता रहेगा. कुछ बातों की चिंता करना चाहिए एक तो सदन में मंत्री नहीं हैं, विधायक नहीं हैं इसकी आपत्ति समझ में आती है अधिकारी नहीं है यह आपत्ति का, व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न उठाने का कोई कारण नहीं है. केवल हमें आपत्ति करना है इसलिए अलग बात है, नेता प्रतिपक्ष जी आप वरिष्‍ठ हैं, अधिकारियों पर यह टिप्‍पणी करना कि सदन में उपस्थिति किस स्‍तर की होनी चाहिए, सदन में मंत्री हैं अर्थात् सरकार उपस्थि‍त है, सारी बातें नोट हो रही हैं.

          दूसरा विषय, बहुत बार कहते समय जब हम प्रश्‍न खड़े करते हैं, सरकार पर प्रश्‍न खड़े करते हैं, यह ठीक है. अभय जी आप भी वरिष्‍ठ हो चुके हैं, बोलते समय हमें थोड़ी चिंता करनी चाहिए, जब हम यह कहते हैं कि हमारे दिए हुए प्रस्‍ताव सदन से गायब हो जाते हैं, हम यह कहते हैं कि हमारे प्रश्‍न बदल जाते हैं, तब हम राजनैतिक आरोप नहीं लगा रहे हैं, हम विधान सभा के भीतर हैं, हम संसदीय प्रणाली पर आरोप खड़ा कर रहे हैं. आप पक्ष में हों या विपक्ष में हों, संसदीय व्‍यवस्‍था, परंपरा और नियम से चलती है और इसलिए इस तरह के आरोप नहीं लगाना चाहिए, मेरा ऐसा कहना है. बाकि विपक्ष की भूमिका में आप कुछ भी कहने के लिए स्‍वतंत्र हैं, बहुत बार आसंदी से रोका जायेगा, बहुत बार नहीं भी रोका जायेगा लेकिन कुछ बातों के मामले में हमें स्‍वयं चिंता करनी चाहिए कि हमें किस तरह के प्रश्‍न सदन में उठाने हैं.

          सभापति महोदय-  ये आरोप मैंने पहले ही विलोपित कर दिये थे. एक बात तय है कि मूल जवाबदारी मंत्रियों की होती है. मंत्री यहां पर्याप्‍त हैं, मैं, आपके भाव से सहमत हूं कि अधिकारियों को भी यहां उपस्थित होना चाहिए.

          श्री उमंग सिंघार-  अधिकारी यहां होने चाहिए. क्‍या अधिकारी शासन का अंग नहीं हैं ? सरकार के अंग नहीं हैं ? इन्‍हें यहां क्‍यों नहीं होना चाहिए ? सभापति महोदय मैं आपसे व्‍यवस्‍था चाहता हूं.

          सभापति महोदय-  मैंने व्‍यवस्‍था दी है, आप संभवत: उत्‍तेजना में सुन नहीं पाये. मूल जवाबदारी मंत्रियों की होती है, पर्याप्‍त संख्‍या में सदन में मंत्री उपस्थित हैं. संसदीय कार्य मंत्री जी जिन्‍हें जवाबदारी देकर गए हैं वे प्रहलाद सिंह पटेल जी सदन में उपस्थित हैं. मैं, आपसे सहमत हूं कि अधिकारियों को भी सदन में उपस्थित होना चाहिए.

 

04.02 बजे

बहिर्गमन

अधिकारी दीर्घा में अधिकारियों की अनुपस्थिति पर, सभापति महोदय की व्‍यवस्‍था से असंतुष्‍ट होकर इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन

 

 

          श्री उमंग सिंघार-  सभापति महोदय, मैं और मेरे दल के सदस्‍य आपकी बात से सहमत नहीं हैं, हम बहिर्गमन करते हैं.  

(नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार के नेतृत्‍व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्‍यगण द्वारा अधिकारी दीर्घा में अधिकारियों की अनुपस्थिति पर, सभापति महोदय की व्‍यवस्‍था से असंतुष्‍ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)

 

          श्री राकेश सिंह-  केवल बहिर्गमन करने का मार्ग ढूंढना एक अलग बात है. इन्‍हें कोई न कोई रास्‍ता तो ढूंढना ही था.

          श्री दिनेश गुर्जर-  अधिकारियों को बचाने के लिए माननीय आप उनका पक्ष ले रहे हैं, आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

 

04.04 बजे

राज्‍यपाल के अभिभाषण पर श्रीमती अर्चना चिटनीस, सदस्‍य द्वारा दिनांक 10 मार्च, 2025 को प्रस्‍तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्‍ताव पर चर्चा (क्रमश:).........

 

          श्री अनिल जैन कालूहेड़ा (उज्‍जैन-उत्‍तर)-  माननीय सभापति महोदय, राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन में, मैं, अपनी बात रख रहा हूं. वर्ष 2028 में उज्‍जैन में सिंहस्‍थ प्रस्‍तावित है और सिंहस्‍थ की दृष्टि से अभी हमारे साथी जयवर्द्धन सिंह जी ने आरोप लगाया कि उज्‍जैन में सिंहस्‍थ क्षेत्र में कॉलोनी काटी जा रही है. मैं, बताना चाहूंगा, वहां किसी प्रकार के कॉलोनाईजे़शन का कार्य नहीं हो रहा है. वर्ष 2016 के सिंहस्‍थ में आंधी और तूफान के कारण अनेक पंडाल टूट गए थे, आग लग गई थी लेकिन कच्‍ची सड़क होने के कारण वहां समय एम्‍बुलेंस और फायर ब्रिगेड  नहीं पहुंच पायी थी, इसके कारण अनेक पंडाल जल गए थे और स्‍वास्‍थ्‍य सेवायें समय पर नहीं पहुंच सकी थीं इसलिए सरकार ने मुख्‍यमंत्री, डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में तय किया है कि 3 हजार हेक्‍टेयर भूमि पर, जहां साधु-संतों के पंडाल लगते हैं, जहां सेवा कार्य होते हैं, जहां सैटेलाईट टाऊन बनते हैं, जहां अनेक कथाकारों के पंडाल बनते हैं, उन सभी पंडालों के एप्रोच के लिए पक्‍की सड़कों की संरचना खड़ी की जानी चाहिए. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कि‍या है. वहां न किसी प्रकार का कॉलोनाईजेशन है, न ही कोई इंडस्‍ट्रीलाईजेशन है. केवल सड़क का निर्माण साधु-संतों के पंडालों तक हो जाये, इसके निमित्‍त एक योजना, जिसे हमारी सरकार, डॉ. साहब के नेतृत्‍व में क्रियान्वित करना चाहती है. हमारी सरकार सिंहस्‍थ को अलौकिक और वैश्विक आयोजन बनाने के लिए अनेक योजनायें बना रही है, साथ ही विक्रमादित्‍य वैदिक घड़ी जो कि उज्‍जैन में स्‍थापति हुई है, उसका साक्षात्‍कार पूरी दुनिया को कराने का काम हमारी सरकार ने किया है विक्रमादित्‍य एक न्‍यायप्रिय राजा एवं विवेकशील राजा थे. ऐसे राजा जिनके दरबार में नवरत्‍न हुआ करते थे और वे नवरत्‍न एक से एक ज्ञानी हुआ करते थे. उसमें धनवन्‍तरि वैद्य हुआ करते थे, क्षपणक जैन साधु, शंकु नीतिशास्‍त्र के ज्ञाता, बेतालभट्ट तंत्र शास्‍त्र के ज्ञाता, कालिदास जी संस्‍कृत के महान् कवि, वररुचि व्‍याकरण के ज्ञाता, वराहमिहिर खगोलशास्‍त्र और ज्‍योतिष विज्ञान के ज्ञाता, खटकरपारा कवि एवं संस्‍कृत के विद्वान और इसी प्रकार अमर सिंह काव्‍यकार थे. सभापति महोदय, ऐसे नवरत्‍न जिनके दरबार में हों, ऐसे वीर विक्रमादित्‍य का शासन पांचवीं शताब्‍दी के समकालीन जो उज्‍जैन और उसके आसपास एवं इनका राज्‍य भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा ईरान, इराक, अरब, चीन एवं मंगोलिया तक फैला हुआ राज्‍य वीर विक्रमादित्‍य जी का था. ऐसे सत्‍यप्रिय राजा के कृतित्‍व और व्‍यक्तित्‍व को जन-जन तक पहुँचाने के लिए मध्‍यप्रदेश की सरकार नाटकों के माध्‍यम से, महानाट्य के माध्‍यम से, गोष्ठियों के माध्‍यम से, अनेक प्रकार के माध्‍यम से सम्राट विक्रमादित्‍य के कामों को, कृतित्‍व और व्‍यक्तित्‍व को आमजन तक पहुँचाने का काम हमारी सरकार कर रही है. हमारी सरकार भगवान श्रीकृष्‍ण की लीलाओं से जुड़े तीर्थस्‍थानों, जिनमें सांदीपनि आश्रम उज्‍जैन, नारायणा धाम उज्‍जैन, जानापाव इन्‍दौर और अमझेरा धार को जोड़कर श्रीकृष्‍य पाथेय का निर्माण हमारी सरकार की योजना का अंग है, जो कि सिंहस्‍थ के अन्‍दर से 100-200 किलोमीटर के क्षेत्र में है, इस कारण से यह पाथेय निर्माण अतिआवश्‍यक है.

          सभापति महोदय - अनिल जी, आप सीमित कीजियेगा.                    

          श्री अनिल जैन कालूहेड़ा - सभापति महोदय, मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी और केबिनेट के सभी सम्‍माननीय मंत्रियों का बहुत-बहुत धन्‍यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ कि आपने 19 स्‍थानों पर शराबबन्‍दी करके, एक साहसिक निर्णय लिया है. औद्योगिक क्षेत्र की क्रान्ति के लिए उज्‍जैन में वर्ष 2024 में जो इन्‍वेस्‍टर्स मीट हुई, वह इन्‍वेस्‍टर्स मीट लगातार सभी संभागों में होती हुई वर्ष 2025 में भोपाल में जीआईएस (ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स समिट) हुई, इससे रोजगार का सृजन होगा. उज्‍जैन में अनेकों विकास के कार्य इतनी तेज गति से चल रहे हैं एवं उन्‍हें और तेज गति से बढ़ाने के लिए माननीय मुख्‍यमंत्री जी के नेतृत्‍व में जो काम चल रहा है, चारों तरफ वहां कुल मिलाकर रोड का जाल और 12 किलोमीटर के घाट का निर्माण कार्य भी सिंहस्‍थ की दृष्टि से वहां पर प्रारंभ करने की योजना है, जो कि जल्‍द ही प्रारंभ हो जायेगा. मुझे मोटे तौर पर सिंहस्‍थ के सफल बनाने के लिए, सिंहस्‍थ को अच्‍छा बनाने के लिए, सिंहस्‍थ को सुन्‍दर बनाने के लिए, सिंहस्‍थ को इको-फ्रेंडली बनाने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है और सिंहस्‍थ की दृष्टि से चारों तरफ निर्माण कार्य चल रहे हैं, मुझे इतना ही कहना था. आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.     

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक (परासिया) - माननीय सभापति महोदय, मैं राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन पर अपनी बात रखना चाहता हूँ. माननीय राज्‍यपाल जी के अभिभाषण के पृष्‍ठ-1 पर लिखा हुआ है, 'मध्‍यप्रदेश की विधान सभा ने श्रेष्‍ठ संसदीय परंपराओं को स्‍थापित किया है. जनकल्‍याण के विषयों पर सजग रहकर चर्चा की दृष्टि से भी मध्‍यप्रदेश विधान सभा के सदस्‍य आदर्श भूमिका का निर्वहन करते रहे हैं.' सभापति महोदय जी, मैं इस बात का उल्‍लेख भी करना चाहता हूँ कि जो इस अभिभाषण में लिखा हुआ है, यह बात सही है. मैं, आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय जी का भी ध्‍यान इस विषय पर दिलाना चाहूँगा कि जिस तरीके का इस अभिभाषण में उल्‍लेख किया है कि हर सदस्‍य की भूमिका महत्‍वपूर्ण होती है और वह अपनी भूमिका निभाता है. मगर जिस तरीके से सत्र की अवधि डॉ. मोहन यादव जी के कार्यकाल में कम होती चली जा रही है. यह निश्चित रूप से सभी सदस्‍यों के लिए चिन्‍ता का विषय है. चाहे वह पक्ष की बात हो, चाहे विपक्ष की बात हो, क्‍योंकि हम लोग हमेशा इस सत्र का इन्‍तजार करते हैं कि जब सत्र का समय आयेगा तो हम लोग अपने क्षेत्र की बात, अपने प्रदेश की बात रखेंगे मगर यदि सत्र का समय कम होगा, सत्र की अवधि कम होती चली जाएगी तो हम लोग कैसे अपनी बात रख पाएंगे और प्रदेश की भलाई के लिए अपनी बात कैसे कह पाएंगे. अत: मेरा माननीय सभापति जी से निवेदन है कि आने वाले समय में इस बात का पूरा ध्‍यान रखा जाए. मैं माननीय अध्‍यक्ष महोदय का भी ध्‍यान दिलाना चाहूँगा कि माननीय अध्‍यक्ष महोदय का जो कार्यकाल है, उस कार्यकाल को स्‍वर्णिम अक्षरों से लिखा जाए. यह इतिहास न बने कि माननीय अध्‍यक्ष जी के कार्यकाल में सत्र की अवधियां बहुत कम थीं, जिसके चलते सदन के सदस्‍य प्रदेश के विकास की बात नहीं कर पाए. यह एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है. हमको इसका पूर्ण रूप से ध्‍यान रखने की आवश्‍यकता है.

          माननीय सभापति महोदय, माननीय राज्‍यपाल जी के अभिभाषण के दूसरे पेज में इस बात का उल्‍लेख किया गया है कि नदियों का संरक्षण किया जा रहा है. बड़ी-बड़ी जो नदियां हैं, उनको जोड़कर आगे बढ़ाया जा रहा है. मेरा कहना है कि उसमें इस बात का भी उल्‍लेख होना चाहिए क्‍योंकि बड़ी नदियों को तो हम लोग जोड़ने का काम करते हैं, मगर जो छोटी-छोटी नदियां हैं, जो विलोपित होती चली जा रही हैं, उन छोटी-छोटी नदियों को भी कहीं न कहीं राज्‍य सरकार के माध्‍यम से सरंक्षण प्राप्‍त हो और उन छोटी नदियों का भी विस्‍तार हो ताकि उन नदियों को भी जीवित रखा जा सके और इन छोटी नदियों के कारण बहुत सारे हमारे किसान भाई हैं, जिनकी भूमि सिंचित हो सकती है, अत: उनका संधारण करके, बांध बनाकर उनकी उपयोगिता बनाकर नई ऊर्जा के साथ हम अपने किसान लोगों के लिए काम कर सकते हैं.

          माननीय सभापति महोदय, माननीय राज्‍यपाल जी के अभिभाषण के तीसरे पेज में गरीबी का उल्‍लेख किया गया है कि जो गरीबी का सूचकांक है, वह कम होता चला जा रहा है और गरीबों के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. मगर वास्‍तविकता यह है कि आज की परिस्‍थिति में जो गरीब वर्ग है, जो इनकम टैक्‍स नहीं भी देता है, मगर वह जीएसटी के माध्‍यम से बहुत टैक्‍स देता है. चाहे किराने की बात करें, चाहे रेस्‍टारेंट की बात करें या जो भी चीज वह खरीदता है, उसमें कहीं न कहीं वह जीएसटी देता है. इससे हमारा गरीब वर्ग बहुत ज्‍यादा प्रभावित हो रहा है तो आने वाले समय में मध्‍यप्रदेश में भी और केन्‍द्र में भी इसकी व्‍यवस्‍था बननी चाहिए ताकि उन गरीबों को जीएसटी का अतिरिक्‍त भार न पड़े और कहीं न कहीं उनको सुविधा प्राप्‍त हो.

          माननीय सभापति जी, मुख्‍यमंत्री किसान कल्‍याण योजना की बात महामहिम राज्‍यपाल जी के अभिभाषण के पेज नंबर पांच पर लिखी हुई है. उसमें यह लिखा गया है कि किसानों के हित में बहुत सी कार्यवाही की जा रही है. सभापति महोदय, मेरा मानना है कि  किसानों को जो किसानी से जुड़े यंत्र मिलते थे, आज उसमें भी बहुत सारी सब्‍सिडी खत्‍म की जा रही है. उसमें भी जीएसटी लग रहा है और टैक्‍सेस लग रहे हैं. किसानों की भलाई के लिए कहां हम सोच पा रहे हैं. सब्‍सिडी खत्‍म कर रहे हैं, कृषि यंत्रों की कीमत बढ़ती चली जा रही है. खेती को लाभ का व्‍यवसाय बनाने की बात करते हैं मगर लाभ का व्‍यवसाय नहीं बन पा रहा है, उनको खेती में लगातार हानि हो रही है. माननीय सभापति जी, ये बातें जो हमारे पास में अभिभाषण में आंकड़ों में आ जाती हैं, मगर वास्‍तविकता कुछ और होती है. जैसा कि मेरे पूर्व सदस्‍यों ने कहा है कि कुछ अधिकारियों के द्वारा यह अभिभाषण तैयार किया जाता है. सरकार की जो अपनी भूमिका होनी चाहिए, सरकार में जो मंत्री बैठे हुए हैं, उनकी अपनी भूमिका होनी चाहिए, उनकी भूमिका नहीं होती. इस तरह की बहुत सारी चीजें इस अभिभाषण के अंदर में भ्रम पैदा करती हैं.

          माननीय सभापति महोदय, कांग्रेस की जब सरकार थी और माननीय कमलनाथ जी जब मुख्‍यमंत्री थे, उस समय गौशाला के लिए एक बहुत बड़ा योगदान हमारी सरकार के माध्‍यम से दिया गया. एक हजार से ज्‍यादा गौशालाएं बनाई गईं. मगर आज मैं यह कहना चाहता हूँ कि गौशाला के संधारण में और संचालन में बहुत सारी कमियां हैं. अभिभाषण में राज्‍य सरकार ने कहा है और इसमें यह उल्‍लेख है कि 20 रुपये से 40 रुपये गौ माता के लिए, उसके भोजन की व्‍यवस्‍था के लिए की गई है, मगर वास्‍तविकता यह है कि गौशालाएं जिस तरह से व्‍यवस्‍थित रूप से चलनी चाहिए, वैसी नहीं चल रही हैं. कोई देखरेख नहीं हो पाती है. उनको पानी नहीं मिल पाता है. जब गायें बीमार होती हैं तो कोई डॉक्‍टर वहां देखने वाला नहीं होता है. ऐसी सैकड़ों गायें जो आज मरणासन्‍न स्‍थिति में हैं और कई गायों की तो मृत्‍यु गौशालाओं में रहते हुए हो गई हैं. उनके बारे में कौन सोचेगा. सिर्फ 20 रुपये से 40 रुपये की व्‍यवस्‍था उनके लिए करने से गायों की रक्षा हम लोग नहीं कर पाएंगे. माननीय सभापति जी, इस बात को भी सरकार को ध्‍यान में रखना चाहिए कि वे गायें स्‍वस्‍थ कैसे रहें, अच्‍छी कैसे रहें और उनके लिए पूरी व्‍यवस्‍था बनाई जानी चाहिए. अगर कभी किसी प्रकार की परेशानी आती है तो उनके लिए व्‍यवस्‍था नहीं हो पाती है.

          माननीय सभापति जी, माननीय राज्‍यपाल जी के अभिभाषण के आठवें पेज पर शिक्षा व्‍यवस्‍था के बारे में बात कही गई है. मैं इस पर अपने विचार व्‍यक्‍त करना चाहता हूँ कि सीएम राइज स्‍कूल का बहुत हो-हल्‍ला होता है कि हम सीएम राइज स्‍कूल बना रहे हैं, बहुत सारी व्‍यवस्‍था बना रहे हैं, करोड़ों रुपये की बिल्‍डिंगें बन रही हैं, वास्‍तविकता है, मगर क्‍या वे करोड़ों रुपयों की बिल्‍डिंग काम आएगी. मगर सीएम स्कूल राइज स्कूल बनने का कान्सेप्ट अलग होना चाहिये जो स्कूलों को बंद करके सीएम राइज में जोड़ा जा रहा है यह आने वाले समय के लिये शिक्षा के लिये एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य होगा क्योंकि गांव के स्कूल जब बंद होंगे जब गांव के स्कूलों की स्थिति नहीं बनेगी और उनको सीएम राइज के लिये आप उसको प्रेरित करेंगे तो 15-20 कि.मी. से एक गांव का बच्चा सीएम राइज स्कूल में नहीं आ पाएगा चाहे आप कितनी व्यवस्था बनाने की कोशिश करें और शिक्षा का उद्देश्य पूरा नहीं होगा और गांव के स्कूल बंद होने से गांव के बच्चे कैसे पढ़ पाएंगे क्योंकि बहुत सारे बच्चे ऐसे होते हैं जो दिन में आधे टाईम स्कूल जाते हैं और आधे टाईम में  घर के काम में,खेत के कामों में हाथ बंटाते हैं तो ऐसी व्यवस्था में जब दूर स्कूल होगा तो निश्चित रूप से शिक्षा प्रभावित होगी तो सरकार को आने वाले समय में  इस बारे में कोई न कोई व्यवस्था प्लान करना चाहिये ताकि उन सबकी व्यवस्था बन सके. राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के नौवें पन्ने में इस बात का उल्लेख किया गया है कि हम चिकित्सा सेवाओं के लिये हम लोग बहुत कुछ काम कर रहे हैं. मेडिकल कालेज नये खोलेंगे. निजीकरण के मेडिकल कालेज खोलेंगे मगर जो व्यवस्था हमारी अभी चल रही है उसमें क्यों नहीं सुधार किया जा रहा है.अभी बहुत सारे ऐसे अस्पताल हैं.सरकारी संस्थाएं हैं, स्कूल,कालेज हैं मेडिकल कालेज हैं वहां पूरी तरह से व्यवस्था बिगड़ी हुई है अभी हमारे पूर्व साथियों ने डाक्टरों का जो आंकड़ा बताया कि कितने मेडिकल कालेज हैं कितने अस्पताल हैं वहां जो डाक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी है उसकी पूर्ति किये बिना क्या ईलाज हो पाएगा क्या हम गरीबों की मदद कर पाएंगे उनको स्वास्थ्य की सुविधा दे पाएंगे. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 6 उप स्वास्थ्य केन्द्र आ गये और इसके पहले उप स्वास्थ्य केन्द्र की बिल्डिंग बनी है  लेकिन वहां बिल्डिंग बनी है डाक्टर नहीं है स्टाफ नहीं है दवाईयां नहीं हैं तो ऐसी व्यवस्था क्या स्वास्थ्य के लिये अच्छी होगी क्या लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मिल पाएगी. आप बिल्डिंग पर बिल्डिंग बनाए जा रहे हैं. उप स्वास्थ्य केन्द्र की जो बिल्डिंग हैं वह एक-एक बिल्डिंग 65 लाख की है. आप 65 लाख की बिल्डिंग बना रहे हो तो उनमें एक स्टैण्डर्ड होना चाहिये कि वहां कितने डाक्टर रहेंगे क्या स्टाफ रहेगा क्या सुविधा रहेगी क्या उपकरण रहेंगे ताकि जो उप स्वास्थ्य केन्द्र बन रहे हैं वहां लोगों का ईलाज हो सकेगा. केवल बिल्डिंग खड़ी कर देने से कुछ नहीं होगा क्योंकि इसके पहले की भी बहुत सारी बिल्डिंगें खड़ी हैं न वहां डाक्टर हैं न पैरा मेडिकल स्टाफ है न दवाईयां हैं तो लोगों को सुविधा नहीं मिल पा रही है. यह अलग बात है कि सरकार के पास कोई फंड आता है तो उसका उपयोग करके किस तरह से उसमें भ्रष्टाचार किया जाए और बिल्डिंग खड़ी कर दी जाए. बिल्डिंग खड़ी रहे और वहां कोई सुविधा न मिले.प्रधानमंत्री आवास योजना के बारे में बहुत सी बातें हुईं. यह योजना ठीक है मगर जिस तरीके से मेरे साथियों ने कहा कि राशि कम मिल रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि जो ग्रामीण क्षेत्र में 1 लाख 20  हजार मिल रहा है 18 हजार रोजगार गारंटी से उसमें प्राप्त हो जाता है पहले 1 लाख 30 हजार मिलता था अब कम कर दिया गया है ढाई लाख रुपये का शहरी क्षेत्र में मिलता है मगर आप देखें जो प्रधानमंत्री आवास गरीबों को मिल रहे हैं उन आवासों में आप देखें तो वह लोहा खरीदने जाता है तो उसमें जीएसटी लग जाता है रेत में रायल्टी लग रही है गिट्टी में रायल्टी लग रही है. आज मिस्त्री,लेबरों की कास्ट बढ़ गई है तो राज्य सरकार की ओर से केन्द्र सरकार में यह बात जाना चाहिये कि 1 लाख 20 हजार में कोई मकान नहीं बनता. हमसे कोई गांव वाला रंगमंच के लिये पैसा मांगता है विधायक निधि से तो हमको डेढ़ लाख रुपये देने पड़ते हैं. डेढ़ लाख में एक रंग मंच बनता है और आप मकान बनाने में वाहवाही लूटना चाहते हैं. इस बात के लिये भी राज्य सरकार को केन्द्र सरकार को अपना प्रस्ताव भेजना चाहिये. अनुसूचित जातियों के बारे में पेज नंबर 13 में उल्लेख किया गया है. अनुसूचित जाति के बारे में आपने सिर्फ उल्लेख किया है कि हमने अनुसूचित जाति के बच्चों को छात्रवृत्ति दे रहे हैं मगर आप देखें कि बहुत सारे विभागों में आज भी अनुसूचित जाति के बैकलाग हैं जो काम करने वाले कर्मचारी हैं नई भर्ती आप नहीं कर रहे हैं. वेकेंसी नहीं निकाली जा रही है तो अनुसूचित जाति का भला कैसे होगा यदि उनको आगे बढ़ने का हम मौका नहीं दे पाएंगे. इसी तरह से जनजातियों की भी बात आई है. आप देखेंगे जनजातीय आदिवासी भाई हैं उनको न्याय नहीं मिल पा रहा है. पहले के आदिवासियों की जमीन परिवर्तित नहीं हो रही है मगर आज पूरे मध्यप्रदेश में और खास तौर से मेरे छिंदवाड़ा जिले में एक मुहिम की तरह आदिवासियों की जमीनों को परिवर्तित करने का काम कर रहे हैं और थोड़ा सा पैसा देकर, उनको लालच देकर उनकी जमीन परिवर्तित की जा रही है. महिलाओं को जो राशि 1250 मिल रही है...

          सभापति महोदय--  आपके पूर्व वक्‍ता इस पर बात कर चुके हैं

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-- बस मेरा आखिरी है. एक जो प्रदेश के विकास के खनिज संसाधनों के बारे में बात कही गई है तो मेरा क्षेत्र भी कोयला खान क्षेत्र होता है मगर जब राजपत्र जारी होता है तो कोयला खदान में जो प्राइवेट सेक्‍टर में जो लोग काम करते हैं, मजदूर जो काम करते हैं उस राजपत्र में कोयला खान का उल्‍लेख नहीं हो पाता और उनकी जो मजदूरी है उसका निर्धारण नहीं किया जा रहा है, सिर्फ उसमें सुरंग का उल्‍लेख होता है, कोयला खान का उल्‍लेख नहीं होता है जिसमें सही मायने में जो उनको मजदूरी मिलना चाहिये कोयला खदानों के अंदर जो प्राइवेट सेक्‍टर के अंदर काम करने वाले लोग हैं उनकी व्‍यवस्‍था बनाने की आवश्‍यकता है. आपने बोलने का मौका दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन--  हमारे साथी श्री सोहनलाल जी ने सागर की जो  रीजनल इंडस्‍ट्रीयल कान्‍क्‍लेव हुई थी उस पर प्रश्‍नचिन्‍ह लगाया था उसकी प्रगति के बारे में मैं अभी जानकारी लेकर आया हूं तो मैं चाहता हूं.

          सभापति महोदय-- अभी यह कोई मौका नहीं है मेरे ख्‍याल से.

          श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन--  माननीय सभापति महोदय, मेरे वक्‍तव्‍य में उन्‍होंने टोककर बोला था कि आप सागर के विषय में बताइये.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-- आप अलग से बता दीजिये, सदन का समय खराब मत करिये न.

          श्री शैलेन्‍द्र कुमार जैन--  अनावश्‍यक हस्‍तक्षेप करके आपने हमारा समय खोटा किया था. बीपी ब्राडबेण्‍ड डाटा बैंक में 1700 करोड़ रूपये का इन्‍वेस्‍टमेंट लेण्‍ड अलाटमेंट हो चुका है, बाउंड्रीवाल का काम शुरू हो चुका है, प्रोडक्‍शन आने वाला है यह आपकी जानकारी के लिये आपको बता रहा हूं. बहुत-बहुत धन्‍यवाद सभापति महोदय.

          श्री विजय रेवनाथ चौरे (सौंसर)--  माननीय सभापति महोदय, मैं राज्‍यपाल जी के अभिभाषण के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. कल राज्‍यपाल जी ने भाषण में कहा कि 5 रूपये में किसानों को स्‍थाई बिजली कनेक्‍शन देंगे. जब गांव में बिजली पहुंच ही नहीं रही गांव-गांव में, टोले में, मांजरे में किसानों के, तो कनेक्‍शन कहां से लेगा जब आपका ट्रांसफार्मर नहीं है, बिजली के खंभे नहीं हैं तो मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि यह हास्‍यास्‍पद बात हमारे प्रदेश के मुख्‍यमंत्री ने घोषणा कर दी थी कि 5 रूपये में स्‍थाई कनेक्‍शन देंगे. आज से 20 साल पहले राजीव गांधी विद्युतीकरण के नाम से योजना चलती थी, कांग्रेस के राज में खंभे फ्री में पहुंचते थे, ट्रांसफार्मर फ्री में पहुंचते थे, बिजली की व्‍यवस्‍थायें सब फ्री में होती थी पर आज हर चीज का पैसा लग रहा है. एक खम्‍भा लेना है तो बीस हजार रूपये, ट्रांसफार्मर लेना है तो 50 हजार, एक लाख यह धड़ल्‍ले से लूट मची हुई है प्रदेश सरकार की किसानों के साथ. मैं तो यही कहना चाह रहा हूं कि आज किसान बदहाल है उसको उसकी कपास का, मेरे क्षेत्र में कपास होता है सभापति महोदय कपास का समर्थन मूल्‍य 7400 रूपये है लेकिन व्‍यापारी बिचौलिया और सीसीआई 6800 और 6500 में खरीदी कर रहे हैं समर्थन मूल्‍य से कम रेट पर यह हालत है प्रदेश के किसानों की और एक बात और मैं कहना चाहता हूं कि जब प्रदेश में अतिवृष्टि, ओलावृष्टि और पाला पड़ता है तो उस समय किसान पटवारी से, एसडीएम से, कलेक्‍टर से मिन्‍नतें करता है, पैर पड़ता है कि साहब मेरा मुआवजा करा दीजिये, मेरा सर्वे करा दीजिये पर प्रदेश की सरकार का कोई अधिकारी खेत में नहीं जाता, कोई बात नहीं करता, न सर्वे होता है, न उसको मुआवजा मिलता है. लाड़ली बहना की बात हो रही थी प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री जी सरकार बनने के पहले तो उन्‍होंने 1200 रूपये डाल दिये, वह बहुत अच्‍छा मंच सजाते थे और रैम्‍प में चलकर इधर से उधर भागते थे, कहते थे अभी साढ़े 1200 दे रहा हूं, फिर 1500 करूंगा, फिर 1750 करूंगा, फिर 2000 करूंगा, बढ़ाते-बढ़ाते 3000 करूंगा, पर 15 महीने पूरे हो गये मोहन सरकार ने एक रूपये भी बढ़ाया हो तो बताईये तो यह लाड़ली बहना के साथ धोखा है, छलावा है. दूसरी बात और कहना चाहता हूं कि जनसेवा मित्रों के नाम पर शिवराज सिंह जी ने चुनाव के एक साल पहले 10 हजार लोगों की भर्ती की थी उन जनसेवा मित्रों का काम था कि सरकार का प्रचार प्रसार करें, गांव-गांव में सरकार की योजनाओं को बतायें बल्कि मैं तो यह कहता हूं कि उन्‍होंने सरकार का प्रचार प्रसार कम किया, भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता का प्रचार ज्‍यादा किया, कार्यकर्ता के रूप में कार्य किया और उनके साथ छलावा यह हुआ कि आपने उनको बारह महीने नौकरी पर रखा उसके बाद उनको निकालकर फेंक दिया, जैसे दूध से मक्‍खी निकालते हैं, यह परिस्थितियां आज जन सेवा मित्रों की है, उनका परिवार आज बदहाल स्थिति में जी रहा है. माननीय सभापति महोदय, मैं मुख्‍यमंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि उन दस हजार लोगों को नियमित कीजिये, जो मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह जी ने वादा किया था, उसे पूरा कीजिये.

          सभापति महोदय, आज मिल मजदूर का बेटा प्रदेश का मुख्‍यमंत्री बना तो हमको बड़ा अच्‍छा लगा, मजदूरों की भी बहुत आशाएं थीं कि आज वे मुख्‍यमंत्री बने और उनके पिताजी मजदूर थे, पर मैं बताना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में सौ से अधिक फैक्‍ट्रियां हैं, जिसमें रेमंड का बहुत बड़ा यूनिट है. सौ से अधिक फैक्ट्रियां  हैं पर उनमें मिनिमम वेज भी कलेक्‍टर नहीं दे रहे हैं और न ही लेबर ऑफिसर दे रहे हैं, एक भ्रष्‍ट लेबर ऑफिसर तो ऐसा है कि बीस साल से एक ही जगह जमा है, क्‍योंकि वह मोटी रकम लेकर ऊपर तक पहुंचाकर आता है, वहां पर यह परिस्थितियां हैं कि बीस साल से कलेक्‍टर रेट भी नहीं मिल रहा है, वहां केवल मिनिमम 150 से 200 रूपये मिल रहा है, आज वे बदहाल स्थिति में है. कंपनियां जितनी खुली हैं, सारी कंपनियों में यू.पी. और बिहार से लाकर मजदूरों को भरा जा रहा है, पर स्‍थानीय  लोगों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है, गंदा दूषित पानी नदी नालों में छोड़ा जा रहा है. लोगों का जीवन खराब हो रहा है, लोगों को बीमारियां हो रही हैं, लोग परेशान हो रहे हैं, लेकिन उसका कोई उपाय नहीं हो रहा है, फैक्ट्रियां किसलिये खोल रहे हैं, मैं सरकार से यही तो पूछना चाहता हूं कि आप इंवेस्‍टर्स मीट करवा रहे हैं, खूब बातें कर रहे हैं, हमारे मुख्‍यमंत्री जी तो विदेश चले जाते है, अरे जब अडानी और अंबानी भारत में बैठे हैं, तो विदेश में जाने की क्‍या जरूरत है, यही फैक्ट्रियां खोले, यहीं परिस्थितियां हैं.

          सभापति महोदय, गौ माता पर सरकार खूब बात करती है. जब कमलनाथ जी प्रदेश के मुख्‍यमंत्री हुआ करते थे, एक हजार से ज्‍यादा गौशालाएं उन्‍होंने पूरे प्रदेश में संचालित की, उनको बीस रूपये का खाना, भोजन देने का प्रावधान रखा था और मैं तो मुख्‍यमंत्री जी का भाषण ही सुन रहा हूं कि बीस के चालिस करेंगे, दूध पर हम पांच रूपये बोनस देंगे, पर कहां पर घोषणाएं हैं, कागजों में हैं या केवल भाषणों में ही हैं, इस बात को स्‍वीकार करना पड़ेगा और मैं तो यह कहता हूं कि दर-दर भटक रही गौमाता, जिस गौमाता के नाम पर भारतीय जनता पार्टी सत्‍ता में आती है, मैं पूछना चाहता हूं कि दर-दर भटक रही गौमाताओं की क्‍या स्थिति है?आपने कानून तो बना दिया कि किसी गाड़ी में गौवंश भरकर जायेगा तो उसकी गाड़ी राजसात होगी, लेकिन एक भी गाड़ी आपने राजसात की हो तो आप बताएं, मेरे विधानसभा क्षेत्र में रोज दस-दस गाडि़यां गौ तस्‍करों की भरकर महाराष्‍ट्र के कत्‍लखानों में जा रही है, लेकिन एक भी गाड़ी राजसात नहीं हुई है, सारे मिले हुए हैं, चाहे आर.टी.ओ. के अधिकारी हों, पुलिस के अधिकारी हों, सारे डिपार्टमेंट के लोग मिले हुए हैं, तो मैं यहीं कहना चाहता हूं कि प्रदेश की हालत केवल इतना ही कह देने से नहीं हो जायेगी. आज गांव गांव में गाजर घास की तरह प्रायवेट स्‍कूल खुले हुए हैं, क्‍यों प्रायवेट कॉलेज और प्रायवेट स्‍कूल, प्रायवेट दवाखाने खुले हैं, क्‍योंकि सरकारी स्‍कूल, कॉलेज और अस्‍पतालों की बदहाल स्थिति है, आज गर्वनमेंट के स्‍कूलों में चले जाईये एक बच्‍चा नहीं है, उनकी जीरों संख्‍या कई स्‍कूलों में दर्ज है, शिक्षक नहीं है, अतिथि शिक्षक से आप काम करवा रहे हैं और अतिथि शिक्षकों के साथ छलावा भी कर रहे हैं. आज प्रदेश की हालत यह है. आज पूरे प्रदेश में 30 से 40 केंद्रीय विद्यालय इस वर्ष खुले हैं, लेकिन सौंसर विधानसभा क्षेत्र में कई एन.जी.ओ. ने प्रस्‍ताव भेजे, कई पालकों ने प्रस्‍ताव भेजे, कई और दूसरे संगठनों ने प्रस्‍ताव भेजे, लेकिन सौंसर में केंद्रीय विद्यालय खोलने की परमीशन नहीं मिली है.

          सभापति महोदय -- कृपया समाप्‍त करें, केंद्रीय विद्यालय की बात दिल्‍ली में करेंगे, लगता है कि आपके यहां के विषय समाप्‍त हो गये हैं.

          श्री विजय रेवनाथ चौरे -- सभापति महोदय, दो मिनट में समाप्‍त कर दूंगा. मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारे सोहन भईया ने बहुत अच्‍छी बात कही है. 65 लाख की बिल्डिंग बना रहे हैं, आप एक करोड़ की बिल्डिंग बना रहे हैं, लेकिन बिल्डिंग का क्‍या हो रहा है? कई ऐसी बिल्डिंग हैं, जिनकी खिड़की और दरवाजे चोरी हो रहे हैं, अस्‍पतालों में डॉक्‍टर नहीं है, नर्स नहीं है, स्‍टॉफ नहीं है, पेरामेडिकल स्‍टॉफ नहीं है, तो आप अस्‍पताल की बिल्डिंग क्‍या सिर्फ भ्रष्‍टाचार के लिये खोल रहे हैं? क्‍या घोटाला करने के लिये खोल रहे हैं? इस बात को समझने की जरूरत है.

          सभापति महोदय, अंत में मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि कांग्रेस की यू.पी.ए. सरकार ने पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक कानून बनाया था, शिक्षा का अधिकार और आपकी सरकार ने उसको नौवीं कक्षा भी नहीं पढ़ाई, आज आठवीं के बाद बच्‍चे को प्रायवेट स्‍कूल में एडमीशन लेना पड़ता है, क्‍योंकि राईट टू एज्‍यूकेशन का कानून केवल आठवीं तक है, तो क्‍या प्रदेश सरकार यह प्रस्‍ताव पास नहीं कर सकती है कि नौवीं दसवीं, ग्‍यारहवीं, बारहवीं में जो बच्‍चा प्रायवेट स्‍कूल में पढ़ेगा, वह नि:शुल्‍क पढ़ेगा. सभापति महोदय, में यही बात कहना चाहता हूं कि प्रदेश की सरकार केवल दिखावा और केवल विज्ञापन की सरकार है, मैं राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण का विरोध करता हूं, धन्‍यवाद.  

सभापति महोदय माननीय सदस्‍यों की जानकारी के लिए बता दूं. कई सदस्‍यों ने अपनी चर्चा में कहा कि उप स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र में डॉक्‍टर नहीं है, उप स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र में डॉक्‍टर का पद नहीं होता, वहां सिर्फ सीएचओ काम करती हैं.

          डॉ. योगेश पंडाग्रे (आमला) धन्‍यवाद सभापति महोदय, मैं आजमहामहिम राज्‍यपाल महोदय के द्वारा दिनांक 10 मार्च 2025 को इस सदन में दिए गए अभिभाषण पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी का जो विकसित भारत की संकल्‍पना है कि 2047 तक विकसित भारत बने, उसमें भारत के हृदय प्रदेश, मध्‍यप्रदेश की क्‍या भागीदारी हो, योजनाओं का क्रियान्‍वयन कैसे हो, इसका पूरा ताना-बाना, महामहिम राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण से परिलक्षित हो रहा है. मैं माननीय मुख्‍यमंत्री, डॉ. मोहन यादव जी को भी धन्‍यवाद देना चाहूंगा, उनके द्वारा जो अभी सफलतम ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स समिट का आयोजन किया गया, जिस आयोजन में देश-विदेश के ख्‍याति प्राप्‍त इन्‍वेस्‍टर्स ने भाग लिया और सबसे अच्‍छी बात यह देखने में आ रही थी कि इन ख्‍याति प्राप्‍त विश्‍व विख्‍यात इन्‍वेस्‍टर्स के साथ-साथ हमारे स्‍टार्टअप करने वाले युवा थे और जो बढ़-चढ़कर हिस्‍सा ले रहे थे. जिसमें अधिक‍तम आवेदन तीन हजार स्‍वीकृति किए जा सकते थे, लगभग उसमें 30 हजार लोगों ने आवेदन किया, जो ये दिखाता है कि मध्‍यप्रदेश में इन्‍वेस्‍टर्स के लिए अनुकूल वातावरण है और ज्‍यादा से ज्‍यादा लोग मध्‍यप्रदेश में इन्‍वेस्‍टमेंट करना चाहते हैं और यह सरकार की बेहतर नीति के चलते हुआ है. मैंने अभी कुछ दिन पहले नर्मदापुरम के भी रीजनल इन्‍वेस्‍टर्स समिट में भाग लिया था, वहां ओसवाल समूह के सीईओ द्वारा बड़ी अच्‍छी बात कही थी कि मध्‍यप्रदेश अब निवेशकों को आकर्षित कर रहा है और लगभग दो हजार एकड़ में उनका एक प्‍लांट भी है और कहा कि मेरी और इच्‍छा है कि इस मध्‍यप्रदेश में और ज्‍यादा और बेहतर तरीके से इन्‍वेस्‍टमेंट करूं, लेकिन जमीन खत्‍म हो गई, लेकिन उनकी यह इच्‍छा भी पूरी होगी, उनको जमीन और बेहतर वातावरण भी मिलेगा. एक बड़ा अच्‍छा वाक्‍या अभी हमने टीवी पर भी देखा था, पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्‍ण जी आए थे लगभग पांच हजार करोड़ के निवेश की उन्‍होंने इच्‍छा जताई और जब अगले दिन वे एअरपोर्ट पर पहुंचे उसके पहले शासकीय आपत्तियां, अनापत्तियों से संबंधित दस्‍तावेज उनके हाथ में दे दिए गए. ये सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि किस तरह से सरकार इन्‍वेस्‍टर्स को आकर्षित करने के लिए और मध्‍यप्रदेश को सबके सपनों का मध्‍यप्रदेश बनाने के लिए कार्य कर रही है. आज अगर यहां एग्रीकल्‍चर की बात करें तो गेहूं उत्‍पादन में साढ़े तीन सौ लाख टन से ज्‍यादा उत्‍पादन करके हम देश में दूसरे नंबर पर है, सोयाबीन उत्‍पादन में हम लोग प्रथम नंबर पर है, धान उत्‍पादन हमारा 130 लाख टन से ज्‍यादा हो रहा है. तीसरी फसल, जो वर्ष 2001-2002 में जीरो हेक्‍टेयर में हुआ करती थी, आज लगभग 13 लाख हेक्‍टेयर  में तीसरी फसल का उत्‍पादन हो रहा है. दुग्‍ध उत्‍पादन में मध्‍यप्रदेश इस देश में तीसरा सबसे बड़ा राज्‍य बनकर उभरा है.

महोदय जी, यह सब कुछ अपने आप या अनायास नहीं हुआ. इसके पीछे सरकार का सतत प्रयास, संकल्‍प और किसान हितैषी नीतियां थीं और नीयत भी थी, जिस प्रदेश में कभी साढ़े सात लाख हेक्‍टेयर में सिंचाई हुआ करती थी, उसको हम लोग 50 लाख हेक्‍टेयर तक लेकर आए और अब पार्वती-कालीसिंध, चंबल-केन-बेतवा जैसी नदी जोड़ों अभियान के साथ, जिसमें लगभग 44 हजार करोड़ रुपए खर्च होने जा रहे हैं और अन्‍य सिंचाई की परियोजनाओं पर काम करते हुए इसको 100 लाख हेक्‍टेयर के पार हम लोग करने जा रहे हैं.

          महोदय जी, बिजली की उपलब्‍धता जो प्रति हेक्‍टेयर कभी .65 किलोवाट हुआ करती थी और प्रति हेक्‍टेयर बिजली की उपलब्‍ध 2.72 किलोवाट है. अब हम एक कदम और आगे बढ़ते हुए किसानों का बिजली का बिल कैसे कम से कम हो सके और किसानों को कैसे बेहतर बिजली की आपूर्ति हो सके इसके लिये लगभग 30 लाख सोलर पम्प हम लगाने जा रहे हैं. अभी थोड़ी देर पहले जब महोदय जी अपना भाषण दे रहे हैं तब एक शब्द सुन रहा था मैं डील, करार यह शब्द सुना हुआ भी लग रहा था. थोड़ी देर में देखा हुआ भी लगने लगा. यह डील मुझे लगता है कि पहले हुआ करती थी. किस तरह से ठेकेदारों, सड़क ठेकेदारों और सरकार के बीच में डील होती थी. यह किसी से छिपी नहीं है. 2002 में यही सरकार और ठेकेदारों के बीच में डील होती थी कि सड़क पर काला डामर पोत दो लोगों का क्या सड़क पर तो गड्डे हो जायेंगे. लोग खेतों के रास्ते से निकल जायेंगे. लेकिन महोदय जी अभी यहां पर डील नहीं होती है अब करार होता है और कमिटमेंट होता है. सरकार का जनता के साथ कमिटमेंट है कि सड़के अगर फर्मामेंस गारंटी के पहले उसमें गड्डे हुए तो निर्माणाधीन एजेंसियों और ठेकेदार की घर और सम्पत्ति कुर्क करके भी सड़कों का निर्माण करवाएगी. यही कारण है कि आज जो सड़कें बनती हैं उसमें गड्डे देखने को नहीं मिलते हैं. जिस बैतूल से भोपाल आने के लिये मुझे 8 घंटे लगा करते थे. आज ढाई घंटे में बैतूल से भोपाल पहुंच जाते हैं. महोदय जी हम प्रधानमंत्री आवास के मामले में हम लोग देश में पहले नंबर पर हैं, स्वच्छता के मामले में देश में हम लोग नंबर वन हैं, साथ ही उसमें नेशनल अवार्ड भी जीत चुके हैं. केन्द्रीय बजट में अभी माननीया सीतारमन जी द्वारा जो बजट प्रस्तुत किया गया था. उनके द्वारा एक बड़ी अच्छी बात कही गई थी कि देश केवल मिट्टी से बना हुआ नहीं है. यहां पर लोगों की भी भागीदारी होती है. तो हमको लोगों में भी इनवेस्टमेंट करना चाहिये. इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज प्रदेश में बेहतर शिक्षा के लिये सीएम राईज स्कूल जिनके माध्यम से बच्चों को घर से स्कूल तक लाने की सुविधा, साथ ही उनको बेहतर वातावरण में शिक्षा,738 पीएमश्री स्कूल इसके माध्यम से हमारे बच्चों का हम बेहतर भविष्य और सुनहरे मध्यप्रदेश का निर्माण करने में हम लोग आगे बढ़ रहे हैं. बच्चों के बीच में बेहतर काम्पीटीशन  हो इस चीज को ध्यान में रखते हुए मेघावी बच्चों को लगभग 90 हजार बच्चों के लेपटॉप देने की बात, साथ ही 7800 बच्चों को स्कूटी देने की बात हुई. यह शासन की बेहतर नीतियां हैं जिसके कारण आज प्रदेश लगातार आगे बढ़ रहा है. शासन की इन बेहतर नीतियों के चलते आज मध्यप्रदेश में शासन की योजनाओं के कारण ईज ऑफ डूइंग बिजनेस है. हमारी किसान हितैषी नीतियां तथा बेहतर बिजली और पानी की उपलब्धता के चलते आज मध्यप्रदेश ईज ऑफ डूइंग फार्मिंग है. आज सीएम राईज, पीएमश्री के शानदार स्कूलों के माध्यम से मध्यप्रदेश में आज ईज ऑफ स्कूलिंग है. बेहतर व्यावसायिक पाठ्यक्रम, 30 मेडिकल कालेज लगभग 250 इंजीनियरिंग कालेज, लगभग 938 आईटीआई के माध्यम से हम युवाओं के माध्यम से युवाओं में कौशल विकास करने की योजनाओं के माध्यम से मध्यप्रदेश में आज ईज ऑफ गेटिंग स्कल्ड है. आज घर घर स्वच्छ पानी, स्वच्छ ईंधन की उपलब्धता के चलते हुए एवं महिलाओं के शक्तिकरण की योजनाओं के माध्यम से आज ईज ऑफ डूइंग काम करने की सरलता है. आज पांच हजार किलोमीटर से ज्यादा सड़कें इस मध्यप्रदेश में उपलब्ध है. जिनके कारण ईज ऑफ ट्रान्सपोर्टेशन है. आज आयुष्मान योजना के माध्यम से बेहतर हमारे जो स्वास्थ्य केन्द्र हैं. उनके उन्नयन के माध्यम से मध्यप्रदेश में आज ईज ऑफ हेल्थ केयर फेसेलिटी है. अगर कुल मिलाकर कहूं

तो मध्‍यप्रदेश में जनकल्‍याणकारी नीतियों के चलते Is of Living है और मैं गर्व से कहता हॅूं कि हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार के 20 वर्षों के प्रयासों के माध्‍यम से आज मध्‍यप्रदेश अच्‍छी स्‍थिति में है और यहां Is of Living है. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री फूलसिंह बरैया (भाण्‍डेर) -- माननीय सभापति महोदय, महामहिम राज्‍यपाल महोदय जी का जो अभिभाषण हुआ है, उसको मैंने बहुत गंभीरता से सुनने की कोशिश की. (XX )

          डॉ.सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदय, यह गंभीर टिप्‍पणी है, इसे विलोपित किया जाना चाहिए.

          सभापति महोदय -- राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण पर चर्चा हो रही है. उसके विषय से विषयांतर हो रहा है. यह गंभीर टिप्‍पणी है, इसको विलोपित कर दीजिए.

          श्री फूलसिंह बरैया -- सभापति महोदय, कोई बात नहीं. विलोपित तो आपका रहता ही है लेकिन मैं जिक्र इसलिए कर रहा हॅूं कि बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान जब दिल्‍ली की संसद में हुआ है.

          सभापति महोदय -- बरैया जी, हम प्रदेश की विधानसभा में खडे़ हैं, तो यहां की चर्चा करें. संसद की चर्चा दिल्‍ली वालों के भरोसे छोड़ दें.

          श्री फूलसिंह बरैया -- सभापति महोदय, बाबा साहेब आंबेडकर का नाम न लेने का मतलब है कि अन्‍य पिछड़ा वर्ग, शेड्यूल कॉस्‍ट, शेड्यूल ट्रॉइब्‍स और मॉयनोरिटी का नाम नहीं आता है, तो यह चारों साफ हो जाते हैं. इनके बारे में चर्चा भी नहीं हुई. शेड्यूल कॉस्‍ट का नाम एक बार लिया है. एक-दो बार शेड्यूल ट्रॉइब्‍स का लिया है और मॉयनोरिटी में मुसलमान का नाम तो बिल्‍कुल ही छोड़ दिया है तो शायद उस एजेंडे में मुसलमान हैं भी नहीं और देश अभी इस समय शांति में है, राज्‍य भी शांति में है तो बाहर भी मुसलमान के नाम की बड़ी चर्चा है तो मैं यह नहीं कहना चाहता हॅूं कि क्‍यों नहीं लिया, कोई बात नहीं. लेकिन बाबा साहेब आंबेडकर ने इस देश के उन लोगों की वकालत की थी, जिनकी संख्‍या कम नहीं है. पिछड़ा वर्ग को देखें, शेड्यूल कॉस्‍ट, शेड्यूल ट्रॉइब्‍स और मॉयनोरिटीस ये लगभग 90 परसेंट से ज्‍यादा हैं. राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण में अगर हम देखें, तो 90 परसेंट जनता के खिलाफ अगर भाषण कर रहे हैं तो इस भाषण का मैं विरोध करता हॅूं.

          सभापति महोदय, यही नहीं, माननीय राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण के पेज नंबर 26 के पेरा-2 में लिखा है कि जनकल्‍याण की किसी भी योजना को बंद नहीं किया गया है. वे बोल तो नहीं पाए होंगे, लेकिन इसमें लिखा है. मैं नाम गिना रहा हॅूं. रानी दुर्गावती योजना बंद है. पवनपुत्र योजना बंद है. इसमें एससी, एसटी के लिये 40 परसेंट की सब्‍सिडी थी और वह भी चूंकि वह योजना बंद हो गयी, वह भी बंद हो गयी. मुख्‍यमंत्री स्‍वरोजगार योजना 2 करोड़ रूपए की थी, उसकी भी सब्‍सिडी बंद है और यही नहीं, मुख्‍यमंत्री उद्यम क्रांति योजना में किसी भी प्रकार का आरक्षण नहीं है. मैं कहना चाहता हॅूं कि शेड्यूल कॉस्‍ट, शेड्यूल ट्रॉइब्‍स के जब 8वीं पास को मौका दिया जाता है तो पिछडे़ वर्ग को 12वीं पास की योग्‍यता की क्‍या जरूरत है और 12वीं पास योग्यता मिल भी जाय तो पोर्टल अभी खोला ही नहीं है. पिछड़े वर्गों के लिए अभी पोर्टल भी नहीं खोला गया तो कहां से यह लोग, कहां से इनका जीवन-यापन होगा तो मैं इसलिए सभापति महोदय, यह कहना चाहूंगा कि इन वर्गों के ऊपर भी राज्यपाल महोदय का ध्यान अगर जब आपने भाषण लिखा होगा तो इन वर्गों के बारे में भी कुछ न कुछ लिखना चाहिए था, जो नहीं लिखा गया है. अभी ग्लोबल समिट हुआ, उसमें 30 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव आए हैं , लेकिन 30 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव में एससी, एसटी, ओबीसी इनके लिए कोई भी प्रस्ताव उसमें कहीं भी दिखाई नहीं दे रहे हैं कि यह पैसा इनमें लगेगा, इनका भी विकास होगा कि किसी दूसरे का होगा? यहीं नहीं संविधान में बकायदा बाबा साहब अम्बेडकर ने अपनी कलम से लिखा है, खुद लिखा है कि जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी. लेकिन इसका भी राज्यपाल महोदय ने कोई जिक्र नहीं किया है और यही नहीं, एक जगह पर लाड़ली लक्ष्मी बहना के बारे में भी कहा. सभापति महोदय, लाड़ली लक्ष्मी बहना का जो पैसा दिया जाता है, यह हैड कौन सा है, यह पैसा आता कहां से है तो बजट के कुछ पाइंट मैंने पढ़े, उसमें सारा का सारा बजट एससी, एसटी, माईनॉरिटी,  ओबीसी का बजट ही खाली पड़ा है. (शेम-शेम की आवाज) यही नहीं, बच्चों की छात्रवृत्ति भी खाली पड़ी है. यह सारा का सारा बजट इनका खाली करके अगर लाड़ली लक्ष्मी योजना को आप बहुत प्यार करते हैं तो इन लोगों को मारकर प्यार मत करो. इन लोगों को जिंदा रखकर करो क्योंकि इनको भी जीवन जीना चाहिए. इनके जीवन में भी खुशहाली आनी चाहिए, लेकिन इस प्रकार की खुशहाली नजर नहीं आ रही है.

          सभापति महोदय - कृपया समाप्त करेंगे.

          श्री फूलसिंह बरैया - सभापति महोदय, धन्यवाद. जय भीम, जय संविधान, जय भारत.

          श्री सुरेश राजे (डबरा) - सभापति महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. हमारे सत्ता पक्ष के तमाम साथियों ने जिस अंदाज में इस अभिभाषण का समर्थन किया है. ठीक है वह सरकार का अंग है, करना भी चाहिए. लेकिन समर्थन करते समय यह नहीं भुलना चाहिए कि हम क्या कह रहे हैं? मैं अपनी बात यहां से शुरू करूंगा कि बहन श्रीमती अर्चना चिटनीस जी, बहुत वरिष्ठ सदस्य है, वरिष्ठ नेता हैं, मंत्री भी रही हैं. उन्होंने अपने पूरे भाषण में उल्लेख किया जो कुछ प्रदेश में हुआ है, चाहे शिक्षा के क्षेत्र में हो, चाहे सड़क के क्षेत्र में हो, चाहे बिजली के क्षेत्र में हो. वर्ष 2003 के बाद हुआ है तो क्या वर्ष 2003 से पहले प्रदेश में स्कूल नहीं थे, वर्ष 2003 से पहले अगर उन्होंने शिक्षा ग्रहण की तो वह कहां से की? स्कूल में उनके अनुसार मास्टर नहीं थे तो उन्होंने कहां से शिक्षा ग्रहण की. यह बड़ा सोच का विषय है. हम आलोचना करे कोई बात नहीं. अपनी बात भी रखें. इसमें भी गुरेज नहीं, लेकिन किसी के किये हुए पर इस तरह पानी फेर दें कि उन्होंने कुछ किया ही नहीं. जो कुछ किया है आपने किया है. शिक्षा के बाद आते हैं स्वास्थ्य पर तो क्या जब प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं थी, जो बार-बार मोदी जी का जिक्र आता है तो देश में जब मोदी जी की सरकार नहीं थी तो देश में क्या हॉस्पिटल नहीं थे. देश में डॉक्टर्स नहीं बनते थे, देश में इलाज नहीं होते थे. तो आप यह बतायें कि इससे पहले नहीं होते थे.

          डॉ. योगेश पंडाग्रे- पहले डॉक्‍टर और पेशेंट का रेश्‍यो 2500 के ऊपर था. प्रदेश में आज 30 मेडिकल कालेज हैं. आप बोल रहे थे कि डॉक्‍टर नहीं थे, बिल्‍कुल कम थे. 700 रूपये वाले शिक्षक हुआ करते थे, शिक्षा की व्‍यवस्‍था यह थी.

          श्री सुरेश राजे- आप 30 नहीं 60 मेडिकल कालेज बना दो. लेकिन क्‍या आप सिविल अस्‍पताल में डॉक्‍टर दे पा रहे हो, क्‍या आप सिविल अस्‍पताल स्‍तर पर आप मरहम-पट्टी की व्‍यवस्‍था कर पा रहे हो, क्‍या आप वहां एक महिला डॉक्‍टर की व्‍यवस्‍था कर पा रहे हो ? बहुत अच्‍छी बात है, आपने कहा. मैंने आपका भाषण बहुत ध्‍यान से सुना.

          डॉ. योगेश पंडाग्रे- वर्ष 2002 में जब मैं पढ़ता था तो पूरे प्रदेश में मेडिकल कॉलेज में एक जगह में वेंटिलेटर था. आज डिस्ट्रिक्‍ट अस्‍पताल में वेंटिलेटर है. आप छोटी-छोटी चीजों की बात कर रहे हो. आज वेंटिलेटर, डायलेसिस और आर्गन ट्रांस्‍प्‍लांटेशन की सुविधा है.

          श्री सुरेश राजे- विषय यह है कि उन्‍होंने अभी कहा कि हमारे पास सर-प्‍लस बिजली आ गयी, बधाई आपको. आपके पास सर-प्‍लस बिजली है तो आप किसान को 10 घंटे बिजली उपलब्‍ध क्‍यों नहीं करवा पा रहे हो. आपके पास सर-प्‍लस बिजली है तो आप अटल ज्‍योति के नाम पर 24 घंटे बिजली सप्‍लाई की बात करने वाले तो आप लोग कम से कम 12 घंटे बिजली क्‍यों नहीं दे पा रहे हैं. यह भी चिंता और चिंतन का विषय है.आप इस पर भी गंभीरता से विचार करो. अब जहां तक सवाल है कि इन्‍होंने कहा कि हमारे समय में हमने, अभी जयवर्द्धन सिंह जी से एक वाक्‍य निकल गया था तो पूरी की पूरी सरकार खड़ी हो गयी उसको लपकने के लिये.

          मान्‍यवर् अभी हमारे फूलसिंह बरैया जी ने अगर बाबा साहब का नाम लिया तो क्‍या बाबा साहब का नाम लेना इस सदन मे कोई अपराध है. अगर अपराध है तो सदन में बाबा साहब की यह फोटो आपने लगायी है तो वह क्‍यों लगायी है. यह भी कोई तरीका नहीं है. सभी सदस्‍य खड़े हो गये कि विलोपित कर दो. मेरा निवेदन है कि यह देश और संविधान से चलने वाला है.

          पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री प्रहलाद सिंह पटैल)- ऐसे नहीं कहना है. मैंने उनके समय भी नहीं कहा लेकिन आप जो उसको ट्विस्‍ट करके बोल रहे हो, यह तो ठीक नहीं है. असंसदीय बोलने को सभापति महोदय ने डिलीट किया है. आप आसंदी को चुनौती दे रहे हो क्‍या ? एक राजनीतिक आरोप लगाना है आप लगा सकते हो. लेकिन जिस बात को आसंदी ने डिलीट किया. आप उस पर टिप्‍पणी कर रहे हो.

          श्री सुरेश राजे- मेरा कहना यह है कि क्‍या बाबा साहब का नाम लेना असंसदीय है ?

            डॉ. योगेश पंडाग्रे- आप गलत बयानी कर रहे हो. किसी ने यह नहीं कहा कि बाबा साहब आम्‍बेडकर का नाम लेना गलत है. यहां से किसी ने नहीं बोला है कि बाबा साहब आम्‍बेडकर का नाम लेना गलत है.

          श्री सुरेश राजे- आप बोलो कि यह असंसदीय है क्‍या ? डॉक्‍टर साहब आप बोलो असंसदीय है क्‍या ?

          डॉ. योगेश पंडाग्रे- यहां किसी ने नहीं बोला है कि बाबा साहब आम्‍बेडकर का नाम लेना गलत है.

          श्री सुरेश राजे- आप बोलो असंसदीय है क्‍या ?

          डॉ. योगेश पंडाग्रे- यहां किसी ने नहीं कहा है. हम सभी बाबा साहब आम्‍बेडकर का सम्‍मान करते हैं. आप गलतबयानी कर रहे हैं. आप रिकार्ड निकाल कर देख लीजिये. ...(व्‍यवधान).. और बाबा साहब के पंचतत्‍व की स्‍थापना भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने की है उनको पूरा सम्‍मान दिया है.

          सभापति महोदय- माननीय सदस्‍य जी, आप राज्‍य पाल के अभिभाषण पर बोलिये अन्‍यथा मैं आपकी जगह दूसरे सदस्‍य का नाम बुलाऊंगा. आपको बोलने के लिये पर्याप्‍त समय रखा है.

          श्री सुरेश राजे- सभापति महोदय, मैं विषय पर आ रहा हूं.  

          सभापति महोदय- आप विषय पर नहीं बोल रहे हैं. आप विषय से हट कर बोल रहे हैं.इसीलिये यह विवाद हो रहा है. आपसे निवेदन है कि आप विषय पर बोलिये और दो मिनिट में अपनी बात समाप्‍त करिये.

          श्री सुरेश राजे- सभापति महोदय, जब डेढ़ घंटे तक विषय से हटकर बोलते रहे सदन में लोग तो सभापति महोदय आसंदी से कोई आपत्ति नहीं आयी.

          सभापति महोदय- ओपनर के रूप में आपके भी सम्‍माननीय सदस्‍य को पचास मिनिट दिये गये थे.

          श्री सुरेश राजे- अब विषय पर आता हूं,आप बड़ी-बड़ी परियोजनाओं की बात करते हैं. आप बड़ी नहर परियोजनाएं लायें, जरूरी है. लेकिन क्‍या प्रदेश के अंदर हमारी जो छोटी-छोटी योजनाएं हैं, जिनको आपकी सरकार ने ही शुरू किया. मैं उदाहरण के तौर पर बता रहा हूं कि जिगनिया- बारकरी नहर का प्रोजेक्‍ट आपने वर्ष 2008 में शुरू किया और वर्ष 2008 से जब तक मैं सदन में बोल रहा हूं, वर्ष 2025 आ गया. आपकी उस योजना का कोई अतापता नहीं है.

          सभापति महोदय, जैसे ही चुनाव आता है उस योजना के पाईप बड़े-बड़े ट्रकों में भरकर के वहां पर पहुंच जाते हैं और जैसे ही चुनाव हो जाता है तो वह पाइप गायब हो जाते हैं. इस सरकार को इन योजनाओं पर भी  ध्यान देना चाहिये, यह मेरा कहना है.  मैं  ज्यादा न कुछ कहते हुए  आपने बात की  प्रधानमंत्री के ज्ञान मंत्र की.  बहुत अच्छी बात है,कोई बुराई नहीं है.  प्रधानमंत्री जी ने कोई ज्ञान दिया है,  तो हमें स्वीकार करना चाहिये.  लेकिन  इस ज्ञान के अंतर्गत देखिये आप,  ज्ञान में गरीब परेशान है.  युवा बेरोजगार है.  अन्नदाता बिजली, खाद   के मारे परेशान है.यह ज्ञान है और हम नारी सुरक्षा  की बात करते हैं, तो नारी सुरक्षा के नाम पर हमारा मध्यप्रदेश कहां खड़ा है, इस पर भी विचार करना चाहिये.  मैं ज्यादा कुछ न कहते हुए अपनी बात  को यहां समाप्त  करुंगा कि कम से कम सत्तापक्ष को  सुनने की क्षमता भी होनी चाहिये,  सिर्फ सुनाने में ये लोग विश्वास रखते हैं.  हमको दो मिनट सुनने में दर्द होता है,  हम इनको दो घण्टे  झेलने  को तैयार हैं.   सभापति  महोदय, आपने मुझे समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.

4.56 बजे                 {सभापति महोदय (श्री लखन घनघोरिया) पीठासीन हुए.}

        डॉ.अभिलाष पाण्डेय(जबलपुर-उत्तर)सभापति महोदय,  धन्यवाद. कल माननीय राज्यपाल महोदय का  अभिभाषण हम सब लोगों  ने सुना और उसे सुनने और अध्ययन  करने के बाद मुझे जो  उस अभिभाषण के अन्दर   चीजें दिखाई दीं,  निश्चित तौर पर राज्यपाल महोदय का जो अभिभाषण था, वह पूरा  ज्ञान पर केन्द्रित था, जो  यशस्वी  आदरणीय प्रधानमंत्री,  श्री नरेन्द्र मोदी जी ने   गरीब, युवा,अन्नदाता  और नारी शक्ति  इन  चार विषयों  के स्तम्भों पर  इस देश के विकास के मॉडल  को खड़ा करने  का  जो काम किया है,  निश्चित तौर पर यह  सारा अभिभाषण  उसी दिशा पर था. साथ ही  जिस तरह से  मध्यप्रदेश की सरकार काम कर रही है,  मध्यप्रदेय़ की सरकार  के   विकास के मॉडल को यदि हम देखें,  तो  मुझे आज यह बात याद आती है  कि जिस तरह से तुलसी दास  जी ने जो बात कही थी  कि छिति जल पावक गगन समीरा, पंचतत्व यह  रचित सरीरा.  पांच तत्वों से मिलकर  जो हमारा शरीर बना है,  उसी तरह से मध्यप्रदेश के विकास  के मॉडल की यदि हम बात करें.  तो   आप इस  पूरे अभिभाषण   को  जब हम देखते हैं, तो यह 5 एस  पर  डिपेंड करता है सारा अभिभाषण,  जिस पर मध्यप्रदेश का  विकास  निहित है.  वह 5 एस हैं-  शिक्षा,  स्वास्थ्य, सुरक्षा, सेवा के अन्तर्गत आने वाले  वह सारे विकास और साथ में सुरक्षा  और संस्कार की भी बात  इस  स पूरे अभिभाषण के अंतर्गत  और मध्यप्रदेश के विकास के मॉडल पर कही गई.  इस  5 एस के मॉडल पर   मध्यप्रदेश के विकासोन्मुखी जो सरकार है, डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में  यह  मध्यप्रदेश की सरकार काम कर रही है.  शिक्षा के विषय को लेकर   इसके अन्दर बहुत सारे विषयों का समावेश किया गया है.  शिक्षा की यदि बात की जाये,  तो  मध्यप्रदेश में क्वालिटी  ऑफ   एजूकेशन के इम्प्रूवमेंट  के लिये  मध्यप्रदेश की सरकार काम कर रही है.  पिछले सत्र में ही  एक ऐसा विधेयक आया,  जिसमें  जो ट्रांसपोर्टेशन की फीस थी,  वह कभी शिक्षा  की फीस का हिस्सा  नहीं होती थी, शिक्षा का हिस्सा नहीं होती थी. लेकिन  उसको भी डॉ. मोहन यादव की सरकार   ने समाहित किया है.  उत्कृष्ट विद्यार्थियों की पीठ थपथपाने  का काम  मध्यप्रदेश की सरकार  करती है. ऐसे 89710 को लैपटॉप देकर यह  सिर्फ लैपटॉप नहीं है,  जब हम भी कभी  घर में कोई  अच्छा काम करते हैं और  माता पिता यदि हमारी  पीठ थपथपाते हैं, तो हमारे अन्दर एक सम्बल और ताकत  मिलती है. यह सम्बल और ताकत देने का काम यदि कोई करता है,   तो डॉ.  मोहन यादव जी की  मध्यप्रदेश की सरकार करती है. इसी तरह  से स्कूटी के माध्यम से  मैं अभी गया था एक ग्रामीण अंचल में और  मेरा तो सौभाग्य है कि सभापति महोदय  आप  भी जबलपुर से ही आते हैं. सुदूर अंचल से  आने वाली बेटी  जब स्कूल पढ़ने के लिये जाती थी, तो उसके माता पिता कहते थे कि  बिटिया अब आगे जाने  की  व्यवस्था नहीं है. लेकिन स्कूटी देकर और  ऐसी ईवी गाड़ियां देकर  डॉ. मोहन यादव जी ने  उसके  आगे की पढ़ाई के मार्ग  को प्रशस्त करने का काम  किया है. यह  शिक्षा क्षेत्र में बढ़ने वाली सुरक्षा,  गुणवत्ता  पर डॉ. मोहन यादव जी  का  विशेष रुप से योगदान है.  इसी तरह से हमारी सरकार ने हम इस बात को मानते हैं कि महर्षि   अरविन्द कहते थे कि  वह देश कभी तरक्की  नहीं  करता, जिस देश में रहने  वाले   युवाओं में अतीत  का गौरव,  वर्तमान की चिंता  और  भविष्य के सपने  नहीं हो सकते.  मैं डॉ.मोहन यादव जी को  इस बात के लिये  भी धन्यवाद देता हूं कि   आपने उस महर्षि  अरविन्द  की उन बातों को चरितार्थ  करने  का भी काम किया है,  क्योंकि हमारे साथ बड़ा दुर्भाग्य  रहा है कि लार्ड मैकाले  की  शिक्षा पद्धति ने हमें अकबर महान तो पढ़ाया लेकिन झलकारी देवी महान थी यह हमें नहीं पढ़ाया, टंट्या भील कौन थे हमें यह नहीं पढ़ाया, तात्या टोपे कौन थे हमें यह नहीं पढ़ाया, अवंति बाई कौन थी, रानी दुर्गावती कौन थी, रानी लक्ष्मीबाई का इतिहास क्या था, यह बातें हमें नहीं पढ़ाई गई, लेकिन आज मैं धन्यवाद देना चाहता हूं डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने विवेकानंद जी के नाम पर युवा शक्ति मिशन रखा, स्वामी विवेकानंद जो स्वयं के विवेक से आनंदित होने वाला व्यक्तित्व वह स्वामी विवेकानंद युवाओं का कोई सच्चा यूथ आईकॉन  है तो उनका नाम स्वामी विवेकानंद है. उनके नाम पर युवा शक्ति मिशन लाकर युवाओं के बीच में स्वामी विवेकानंद जी के विचार को प्रतिपादित करने का अगर किसी ने काम किया है तो डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने किया है. सभापति महोदय, हमने टंट्या भील को याद किया, टंट्या भील जी के नाम पर खरगोन में एक विश्वविद्यालय बनाने का काम किया है, तात्या टोपे जो 1857 की क्रांति के बारे में,  मैं आज इस सदन के अंदर कहना चाहता हूं कि अंग्रेजों ने इसको गदर का नाम दिया लेकिन 1857 की क्रांति स्वधर्म और स्वराज की इस देश की सबसे बड़ी लड़ाई थी जिसमें हिन्दू-मुस्लिम सब साथ में लड़े लेकिन अंग्रेजों ने उसे इतिहास में गदर का नाम दिया. उन तात्या टोपे के नाम को भी सम्मानित करने का काम अगर किसी ने किया है तो डॉ मोहन यादव जी की सरकार ने गुना में विश्वविद्यालय खोलकर के किया है. सभापति महोदय, इसके साथ साथ रानी अवंतिबाई लोधी के बारे में कहना चाहता हूं आज लोधी समाज हमारा बड़ी संख्या में है, रानी अवंति  बाई के उस इतिहास को आज याद करते हुये मैं यह मानता हूं कि उस विश्वविद्यालय का नाम रानी अवंतिबाई के नाम पर होगा तो आने वाली पीढ़ी को उनके इतिहास की जानकारी भी होगी, इसलिये रानी अवंति बाई जी के नाम पर, सागर में हम यह विषय लेकर के आये. इसके साथ साथ यह समय टेक्नालाजी का युग है, नोजवान टेक्नानाजी पसंद करता है  उस टेक्नालाजी को जोड़ते हुये आईटीआई दिल्ली के सहयोग से मध्यप्रदेश के अंदर तीन महाविद्यालयों में सेन्टर आफ एक्सीलेंस बनाने का काम किया जा रहा है. मैं यह समझता हूं कि यह सेन्टर आफ एक्सीलेंस बनाने के माध्यम से मध्यप्रदेश में आने वाली ज्ञान, तरूणाई जो हमारी होगी उसके एक ऐसा ब्रेन निकलेगा जो पूरे विश्व के सामने भारत का और मध्यप्रदेश का मान बढ़ाने का काम करेगा.

          सभापति महोदय, इसी के साथ साथ में कहना चाहता हूं कि अभी मेडिकल कालेज बढ़ाने की बात  डॉक्टर साहब कर रहे थे, एनईपीबीआई नेश्नल एजूकेशन पॉलिसी को सबसे पहले लागू करने वाला अगर कोई राज्य है तो मेरा मध्यप्रदेश रहा है उस दिशा में भी मध्यप्रदेश की सरकार ने बहुत काम किया है, बहुत से कदम उठाये हैं.

          आदरणीय सभापति महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में स्मार्ट क्लास बनाने सीएम राइज और फीस स्ट्रेक्चर जैसे सुधार मेरी अपनी उत्तर विधानसभा के अंदर भी मुझे देखने को मिलते हैं, जिस विकास के मॉडल के लिये सरकार काम करती है, दूसरा विजन सरकार का स्वास्थ्य है. स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता को उठाने के लिये मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्व में काम कर रही है. 1002 संजीवनी, 108  एम्बूलेंस चलाना, जब किसी के घर में कोई का स्वास्थ्य खराब हो जाता है तो 108 को बुलाते हैं, मैं यह जानता हूं कि विपक्ष भी इस बात को जानता है 108 एम्बूलेंस वह हो जो जीवन दायिनी एम्बूलेंस है जो लोगों को उठाकर तुरंत अस्पताल में पहुंचाने का काम करती है. इसी तरह से जननी सुरक्षा की दृष्टि से हम काम कर रहे हैं. आयुष्मान कार्ड 70 वर्ष की आयु से अधिक लोगों को दे रहे हैं, कितनी बड़ी उपलब्धि है, उन बुजुर्गों से पूछिये जो 70 साल के हो गये हैं जिनको कभी कभी उनके अपने बेटे भी सहयोग नहीं करते हैं लेकिन पांच लाख रूपये तक का इलाज आयुष्मान कार्ड कोई देता है तो यह मध्यप्रदेश की सरकार और देश की सरकार देती है. जो आयुष्मान कार्ड उनके लिये जीवनदायिनी होता है.

          माननीय सभापति महोदय इसके साथ साथ पीएम श्री एम्बूलेंस , आदरणीय सभापति महोदय, मेरे उत्तर मध्य विधानसभा क्षेत्र की एक घटना बताना चाहता हूं. एक सामान्य झोपड़ी में रहने वाला व्यक्ति उसके भाई का मेरे पास में फोन आता है उसने कहा कि मेरे भाई की हालत बहुत खराब है और उसका इलाज जबलपुर में होना संभव नहीं है, मैंने  आदरणीय मुख्यमंत्री जी को फोन किया और मैंने उनसे कहा कि एयर एम्बूलेंस की आवश्यकता है, आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने एयर एम्बूलेंस पीएम श्री एम्बूलेंस के माध्यम से उन्होंने एम्बूलेंस भेजी और उस मरीज को दिल्ली के उच्च स्तर के अस्पताल में भर्ती कराया गया. यह संवेदनशीलता नहीं है तो क्या है, यह मध्यप्रदेश की सरकार संवेदनशील सरकार भी है. इसके साथ साथ सिकल सेल, हम सब जानते हैं हमारी विधानसभा क्षेत्र में इससे पीड़ित लोग रहते हैं. कितनी भयानक बीमारी है उसको लेकर के भी सरकार गंभीरता से काम कर रही है और 97 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंक करवाकर उनके लिये सुविधाओं को मुहैया कराने का काम मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. आदरणीय सभापति महोदय, विधानसभा क्षेत्र के अंदर हमारे यहां पर भी विक्टोरिया जैसे अस्पताल का उन्नयन चल रहा है 250 बेड का हम अस्पताल बना रहे हैं . मनमोहन नगर अस्पताल जो शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है उसके लिये मैंने आदरणीय मंत्री जी से आग्रह किया है हम उसको सिविल अस्पताल की तरफ भी ले जाना चाह रहे हैं, यह सरकार की अपनी गंभीरता है जो इस विषय पर विचार कर रही है. हमारी विधानसभा में हम संजीवनी क्लीनिक खोल रहे हैं , संजीवनी क्लीनिक में 208 दवाईयां मुफ्त दे रहे हैं, अलग अलग डॉक्टरों की वहां पर व्यवस्था की जा रही है, प्रारंभिक इलाज जो बेसिक नीड है यह सरकार की जिम्मेदारी है, उस जिम्मेदारी का निर्वहन कोई अगर कर रहा है तो डॉ.मोहन यादव जी की सरकार मध्यप्रदेश के अंदर कर रही है.

            सभापति महोदय, इसके साथ-साथ मैं तीसरे एस पर बात करता हूं. हम सुरक्षा की बात करते हैं. जैसे ही मध्‍यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव जी की सरकार बनी तो सबसे पहले सुरक्षा के लिये थानों का परिसीमन कराने का किसी ने काम किया तो डॉ. मोहन यादव जी की सरकार ने किया. नक्‍सलवाद समाप्‍त करने का आदरणीय हमारे गृह मंत्री अमित शाह जी ने जो संकल्‍प लिया है कि मार्च 2026 में इस देश से नक्‍सलवाद समाप्‍त कर दिय जाएगा उसमें महत्‍वपूर्ण भूमिका यदि कोई निभा रहा है तो मध्‍यप्रदेश की डॉ. मोहन यादव जी की सरकार है. मध्‍यप्रदेश के अंदर नक्‍सलवाद जैसी जो भयानक समस्‍या है और मुझे तो कहते हुये दु:ख होता है कि नक्‍सलवाद से कांग्रेस के एक बड़े मिनिस्‍टर को बालाघाट के अंदर उनकी गर्दन रेतकर उनको मार दिया गया था. लेकिन उस समस्‍या का समाधान कोई कर पा रहा है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार और डॉ. मोहन यादव जी की सरकार और आदरणीय अमित शाह जी कर रहे हैं.

सभापति महोदय, इसके साथ-साथ डिजिटल अरेस्‍ट का मुद्दा मैंने पिछली बार उठाया था. उसका मुझे जवाब भी मिला और आज मैं इस सदन के माध्‍यम से यह धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि 18 तारीख को मैंने डिजिटल अरेस्‍ट और साइबर क्राइम का मुद्दा उठाया. 19 तारीख को इस देश के सारे अखबारों के फ्रंट पेज पर वह न्‍यूज़ छपी और 20 तारीख को जन जागरण का एक महाअभियान भारत की सरकार ने प्रारंभ किया, जिसमें मध्‍यप्रदेश के सदन की भी महत्‍वपूर्ण भूमिका है. आप किसी भी नेटवर्क में फोन लगाइये सबसे पहले आपको अवेयरनेस का एक प्रोग्राम संचालित होता है. उसके बाद घंटियां जाना शुरू होती हैं. यह डिजिटल अरेस्‍ट जैसे मुद्दे पर भी सरकार गंभीरता से काम कर रही है. ग्‍वालियर के अंदर इस तरह से एक बच्‍चा गुमता है. आप सोचिये एक संवेदनशील मुख्‍यमंत्री, एक बच्‍चा गुमता है उस बच्‍चे को तत्‍काल पकड़कर जहां पर भी उसको ले जाया जाता है, उस बच्‍चे को तुरंत पुलिस अपने हिरासत में लेती है और उसके बाद ..

          सभापति महोदय -- आदरणीय अभिलाष जी, संक्षेप में करें.

          डॉ. अभिलाष पाण्‍डेय -- सभापति महोदय, संक्षेप में ही कर रहा हूं. मैं समझता हूं कि समय की अपनी मर्यादा है, लेकिन फिर भी मैं आपसे यह कह रहा हूं कि उस बच्‍चे को गोद में ले जाकर एसपी और आईजी उसके घर पर सौंपकर जाते हैं. मुझे लगता है कि इस सदन को धन्‍यवाद देना चाहिये डॉ. मोहन यादव जी की सरकार को कि इस तरह से काम भी डॉ. मोहन यादव जी की सरकार करती है. बेटियों की सुरक्षा में धर्मांतरण जैसा विषय, आप सोचिये धर्मांतरण और साथ में लव जिहाद जैसे मुद्दे भी अभी मैंने एक दिन अखबार में पढ़ा है. मुझे लगता है कि लव जिहाद और धर्मांतरण जो सिर्फ मध्‍यप्रदेश की नहीं पूरे विश्‍व की सबसे बड़ी समस्‍या है. उस पर काम करने का काम डॉ. मोहन यादव जी की सरकार कर रही है.

          सभापति महोदय -- अभिलाष जी, अब आप समाप्‍त करें.

          डॉ. अभिलाष पाण्‍डेय -- सभापति महोदय, बस मैं संक्षेप में इसको समाप्‍त करता हूं. इसके साथ-साथ संस्‍कारों की भी मैं बात कर रहा हूं. संस्‍कारों के साथ-साथ मध्‍यप्रदेश के अंदर 21 जिलों में गौशालाएं खोली जा रही हैं. अभी संस्‍कारों के माध्‍यम से महाकुंभ भरा. महाकुंभ के साथ-साथ मुझे लगता है कि इस देश में दो महाकुंभ भरे. एक महाकुंभ तीर्थराज प्रयाग में भरा जिसमें गंगा मैया में लोगों ने डुबकी लगाई और दूसरा महाकुंभ जीआईएस के नाम से भोपाल में भरा जिसमें उद्योगपतियों ने विकास के नाम की डुबकी लगाई. मुझे लगता है कि आने वाले समय में यह मील का पत्‍थर साबित होगा और मध्‍यप्रदेश के विकास और युवाओं के रोजगार के लिये बड़ी संभावनाएं यहां मध्‍यप्रदेश में देखी जा रही हैं. अब मैं समाप्‍त ही कर रहा हूं सभापति महोदय. एक गंगाजल अभियान लेकर हम लोग भी निकले. अपनी विधान सभा में 50,000 घरों तक हमने गंगाजल पहुंचाया है और वह गंगाजल का कलश लेकर मैं आया हूं. कल कई मीडिया वाले मुझसे कह रहे थे कि गंगाजल किसको दोगे, तो मैंने यह कहा कि गंगा जिसे मिलनी होगी, जिसकी आस्‍था होगी, उसे ही गंगाजल दिया जाएगा. इसके साथ-साथ मैं आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी का बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि आपने मध्‍यप्रदेश के विकास के मॉडल पर जिस तरह से काम किया है.

          सभापति महोदय -- अभिलाष जी, अब आप समाप्‍त करें.

          डॉ. अभिलाष पाण्‍डेय -- बस माननीय सभापति महोदय, एक मिनट में मैं अपनी बात समाप्‍त करता हूं. हम सबको याद है कि 12 मार्च को दांडी यात्रा आदरणीय गांधी जी ने प्रारंभ की थी. 24 दिन की वह यात्रा चली थी और गांधी जी ने उस समय जो सोचा होगा, कई लोगों ने उनको क्रिटिसाइज़ भी किया होगा लेकिन गांधी जी के विचारों को लेकर गांधी जी ने जो यात्रा प्रारंभ की थी, मुझे लगता है कि गांधी जी के उस समय के जो विचार रहे होंगे उसी विचार को लेकर डॉ. मोहन यादव जी ने अपने विकास के मॉडल को स्‍थापित करने का काम किया है. हम गांधी के ग्रामोदय पर काम कर रहे हैं. राम मनोहर लोहिया के सर्वोदय पर काम कर रहे हैं और पंडित दीन दयाल उपाध्‍याय के अंत्‍योदय के विकास के मॉडल पर मध्‍यप्रदेश की सरकार काम कर रही है. जहां तक बात है बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की तो मैं उनके चरणों में प्रणाम् करते हुये यह बात कहना चाहता हूं कि बाबा साहब के पंचतीर्थ जो उनकी जन्‍म स्‍थली महू है, जो दीक्षा भूमि उनकी नागपुर है, जो शिक्षा भूमि उनकी लंदन है, जो उनकी चैत्र भूमि मुम्‍बई है, अंतिम सांस जहां ली वह दिल्‍ली है, इन पांचों जगहों पर स्‍मारक किसी ने बनाया है तो मेरी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बनाया है. इसलिये भी मैं बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया और आपने मुझे इतना समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्‍यवाद. प्रणाम नमस्‍कार.

            श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी (भीकनगांव) -- माननीय सभापति महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर मैं मेरी बात रख रही हूँ. आज बहुत सारी चर्चा हुई है. राज्यपाल महोदय का अभिभाषण एक तरह से सरकार का आईना है. इस आईने को सही रूप में जनता और हम देखें तो सार्थक होगा. किसानों को जो सम्मान निधि मिल रही है. मेरा विधान सभा क्षेत्र फारेस्ट के वनग्रामों में ज्यादा आता है. वहां पर क्या यह नियम है कि पट्टेधारी किसानों को सम्मान निधि का लाभ नहीं मिल सकता है. यदि मिलता है तो वहां पर 14 हजार हेक्टेयर में किसान निवासरत् हैं उनको आज तक वहां पर सम्मान निधि नहीं मिल रही है. उन्हें यह सम्मान निधि मिले. उस क्षेत्र में सिंचाई का एक भी साधन नहीं है. वहां से लाखों किसान 8 महीने के लिए पलायन करके अन्य राज्यों में जाते हैं. यह बहुत बड़ी समस्या है इस पलायन को रोका जाए. पलायन रोकने के लिए वहां पर सिंचाई के साधन होना जरुरी है. वे बार-बार एक सिंचाई योजना की मांग करते आ रहे हैं. भगवंतमान एक बड़ी सिंचाई परियोजना बुरहानपुर जिले में हैं उससे इस क्षेत्र को जोड़ दिया जाए तो इससे उन किसानों को पानी मिल जाएगा.

          सभापति महोदय, लाड़ली बहना की बात करें  तो 1 करोड़ 27 लाख 21 हजार बहनों को बराबर पैसा मिल रहा है. जिन बहनों की उम्र बढ़ गई है उन्हें उस सूची में से हटाते भी जा रहे हैं. मैं निवेदन करना चाहती हूँ कि जो नई बहनें पात्रता में आ गई हैं उनके नाम सूची में जोड़े भी जाएं. ताकि उनको इसका लाभ मिल सके. बहनों ने सरकार बना दी है जब उनके सम्मान की बारी आ रही है तो उनको अनदेखा क्यों किया जा रहा है.

          सभापति महोदय, एक विमुक्त घुमंतु और अर्धघुमंतु समुदाय, जिस तरह से हमारी पिछड़ी जातियां हैं उसी तरह से इस समाज की जातियां भी हैं. इनके लिए राज्यपाल महोदय ने छात्रवृत्ति की बात तो रखी है, किन्तु उस समाज को आगे बढ़ाने के लिए बेराजगारों के लिए कोई बात नहीं है. यह भी अति पिछड़े होते हैं उनके जनकल्याण के लिए कोई योजना नहीं है. यदि कोई छोटी मोटी योजना बनाई जाती है तो उसके लिए बजट नहीं होता है. मैं मांग करती हूँ कि उनके लिए बजट आवंटित किया जाए उनके सम्पूर्ण विकास के लिए शासन जनकल्याणकारी योजनाएं बनाए जिससे वे आगे बढ़ सकें.

          सभापति महोदय, धरती आभा योजना जिसमें एक करोड़ जनजातीय वर्ग को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. मैं इसके लिए केन्द्र सरकार को बधाई देती हूँ. यह योजना 89 ब्लाकों के लिए की गई है. जिसमें प्रधानमंत्री सड़कें, मजरे-टोलों का विद्युतीकरण, सिंचाई के साधन, पीने के पानी की व्यवस्था शामिल है. इसमें अन्य 18 विभाग भी जोड़े जाएंगे. फारेस्ट विभाग इन योजनाओं को लागू करने में सबसे बड़ी रुकावट है, रुकावट इसलिए क्योंकि अनुमति नहीं मिलती है. मैं चाहती हूँ कि यह अनुमति योजना के साथ ही जोड़ी जाए. ताकि उन लोगों को इसका लाभ मिल सके. वन ग्रामों में दूसरे विभागों के सर्किल बनाने की बात होती है तो इन ग्रामों के लिए अनुमति नहीं मिलती है. उन्हें वनग्राम के कारण रिजेक्ट कर दिया जाता है. योजना के साथ में अनुमति होने से इन कामों को गति मिलेगी और उन लोगों को इसका लाभ मिलेगा.

          सभापति महोदय, अभिभाषण में बहुत से राजमार्गों का जिक्र है. खलघाट से लेकर भुसावल तक जाने का जो राजमार्ग है वह पूरा नहीं बनाया गया है. मेरा क्षेत्र इसी राजमार्ग के अन्तर्गत आता है. बीच में छोड़ दिया गया है. यहां पर बीच में सड़कों की स्थिति बहुत जर्जर हो गई है. इसे पूरा किया जाए. माननीय सभापति महोदय, भोपाल में आयोजित ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स समि‍ट में सरकार ने खूब वाहवाही लूटी है खूब सारा प्रचार-प्रसार हुआ, करोड़ों रुपया भी खर्च हुआ और यहां बहुत बड़े-बड़े उद्योगपति भी आए किन्‍तु इसमें कहीं भी बेरोजगारों की बात नहीं है, कहीं भी आदिवासी बच्‍चों की बात नहीं है. शिक्षा के क्षेत्र में बेरोजगारी को दूर करने की कोई बात नहीं की गई है. आदिवासी क्षेत्र या ग्रामीण क्षेत्र को कोई स्‍थान नहीं है तो पूरे देश में किस बात की वाहवाही ली गई, खूब सारी प्रदर्शनियां लगाई गईं. आदिवासी क्षेत्र, ग्रामीण क्षेत्रों को स्‍थान दें. भारत देश गांव में ही बसता है और गांव का ही जिक्र नहीं है तो कैसा विकास इस विकास को जो वास्‍तविक रूप से हमारा परिदृश्‍य है उसमें देखा जाए उनको शामिल किया जाए. तहसीलों की बात करें राजस्‍व विभाग में सायबर तहसील परियोजना लागू की गई यह बात इसमें आई है परंतु किसान आज भी नामांत्रण के लिए महीनों इंतजार करता है. आज भी उनके नक्‍से एक किसान दूसरे के नाम, दूसरा तीसरे के नाम और इस तरह से आपस में उलझा दिया गया कि किसान आपस में भटकता ही रहा है. किसी योजना का लाभ लें कब क्‍योंकि उसके नाम पर तो जमीन है ही नहीं. जमीन आपकी पावती में दर्शा दिया गया तो नक्‍शा निकालने जाएंगे तो कहीं और होगा और नामांतरण, सीमांकन, बंटवारा, अभिलेख, दुरुस्‍ती का कार्य युद्ध स्‍तर पर होगा तो ही जाकर इसमें सुधार किया जा सकता है. माननीय सभापति महोदय, जनकल्‍याणकारी योजनाएं बंद नहीं की गईं हमारे एक माननीय ने भी बोला है किंतु बहुत सी योजनाएं बंद होने की कगार पर हैं जो कि मात्र कागजों में हैं. मनरेगा की योजना ग्रामीण क्षेत्र में पूरी तरह से बंद है. माननीय मंत्री जी अभी सदन में उपस्थित नहीं हैं यह योजना किस कारणवश बंद है यह तो मंत्री जी ही बताएंगे. इस योजना के बंद होने की जो भी वजह हो ग्रामीण क्षेत्र की पंचायतों में इस योजना के बंद होने की वजह से जो भी कारण आपने इसमें बताएं हैं उससे कोई काम नहीं चल रहे हैं. सारी पंचायतों के विकास कार्य बंद पड़े हैं तो मैं चाहती हूं कि इस योजना को पुन: शुरू करें ग्रामीणों की तकलीफें, मुसीबतें दूर करें और विकास के कार्य हों.

          सभापति महोदय, स्‍वर्गीय प्रधानमंत्री मनमोहन जी ने इस योजना को लागू किया और जब यह योजना लागू हुई तो देश ही नहीं विदेशों में भी इस महती योजना की प्रशंसा हुई थी क्‍योंकि यह सीधा हमारे ग्रामीण जन को जोड़ता है. बैंकों में समाधान योजना चल रही है अच्‍छी बात है जो ऋण धारी हैं उनको बैठकर और आपस में समझाइश देकर और उनको जितनी छूट दे सकते हैं दे रहे हैं किन्‍तु दूसरी तरफ सहकारी बैंक जो किसानों को प्रताडि़त कर रहे हैं, उनके ऊपर दबाव बना रहे हैं और वसूली के लिए कुर्की तक के आदेश निकाल रहे हैं. यह सहकारी बैकों का आदेश नहीं है क्‍या. उनको भी कहा जाए कि वहां पर जितने किसान खातेदार हैं उनको बकायदा समाधान योजना की तरह सुविधा दी जाए और अननेसेसरी उन पर यह लागू नहीं किया जाए. 

          सभापति महोदय, शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य बचा है जो संक्षिप्‍त में कहूंगी. सभी कह रहे थे कि बहुत सारी व्‍यवस्‍थाएं हैं. किंतु आज भी निचले स्‍तर पर जिला स्‍तर तक के डॉक्‍टरों की व्‍यवस्‍था तो यह कर रहे हैं किंतु तहसीलों में आज भी महिला डॉक्‍टरों की कमी है. एनएम की कमी है, छोटे कर्मचारियों की कमी है, वार्ड बॉय की कमी है और जितने छोटे कर्मचारी जिनसे अस्‍पतालों का काम चलता है उनके अभाव में यह काम नहीं हो पा रहा है. भवन तो हमको मिल गए हैं, भवन भी तैयार हैं परंतु कई भवन इसलिए शुरू नहीं कर पा रहे हैं क्‍योंकि उसमें स्‍टॉफ नहीं तो यह स्‍टॉफ पूरा करें. कई डॉक्‍टर यहां उपस्थित रहें और अपनी अच्‍छी बात कहें यहां मुझे लगता है जब मेडिकल कॉलेज खुले होंगे कांग्रेस की सरकार रही होगी और उसी में आप पढ़कर आए हैं कम से कम आप लोगों को तो यह नहीं कहना चाहिए क्‍योंकि आपकी डिग्री तो उन्‍हीं के समय की है. बहुत खुशी की बात है कि 30 कॉलेज बन चुके हैं. प्रोग्रेस तो होना ही चाहिए. पूरे 25 साल होने को आ गए हैं. बाईस साल आपकी सरकार को हो गए हैं तो हाथ जोड़े बैठे थोड़ी रहेंगे आप लोगों को काम तो करना पड़ेगा जनता ने आप पर विश्‍वास किया है और जो विश्‍वास किया है उस पर खरा तो उतरना ही होगा. आप यह सोचे कि हम 25 साल तक कुछ करें नहीं और हमारा नाम हो तो यह संभव नहीं है.

          सभापति महोदय, मैं जनजातीय विभाग की एक बात कहकर मेरी बात को समाप्‍त करूंगी. जो छात्रावास संचालि‍त हो रहे हैं वह छतिग्रस्‍त हैं उनके भवन नहीं है और रिपेयर के लिए टीनशेड लगा दिया गया है. आप सोच सकते हैं कि निमाड़ की गर्मी है 48 डिग्री तक तापमान जाता है और ऐसी स्थिति में छात्रावास के बच्‍चे किस तरह से वहां रहेंगे तो उनके लिए छत वाले भवन बनाए जाएं और छात्रावासों में इसकी कमी को दूर किया जाए आपने मुझे बोलने का मौका दिया इसके लिए धन्‍यवाद.

          श्री मधु भगत (परसवाड़ा)-  माननीय सभापति महोदय, राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन पर, असहमति व्‍यक्‍त करते हुए, अपनी बात रखना चाहता हूं. विगत 4-5 घंटों से यह बहस चल रही है, सामने से सत्‍ता पक्ष के लोग तारीफ करने से चूक नहीं रहे हैं और हमें महसूस होता है कि मध्‍यप्रदेश सबसे सुखी प्रदेश, स्‍वर्णिम प्रदेश है लेकिन यह बहुत बड़ी सच्‍चाई है कि प्रदेश में आज जैसा वातावरण है, जहां न महिला सुरक्षित है, न किसान सुरक्षित है, न बेरोजगार युवा सुरक्षित ,है न बच्‍चों की शिक्षा सुरक्षित है, हर तरफ अव्‍यवस्‍था फैली है.

          सभापति महोदय, अगर प्रदेश में लगातार 20 वर्षों से यह सरकार कार्य कर रही है और प्रशासन के लोग निगरानी कर रहे हैं तो निश्चित तौर पर आज जब हम अपनी कोई बात लेकर प्रशासन में जाते हैं तो कहीं न कहीं यह विवशता नज़र आती है कि शासन और प्रशासन के तालमेल से महसूस होता है, प्रशासनिक अधिकारी ऐसा व्‍यवहार करता है कि वह ही सरकार चला रहा है. कहीं न कहीं किसान जब जन सुनवाई में जाता है, इस प्रदेश में सभी जन सुनवाई केंद्रों में टी.एल. की बैठक होती है, किसान उन्‍मूलक योजनाओं पर चर्चा होती है लेकिन किसान संतुष्‍ट होकर वहां से नहीं जाता है.

          सभापति महोदय, मैं, पहले अपने बालाघाट जिले की बात करूंगा. शासन का इस प्रकार से एक नीति के तहत, बसेरा बसा हुआ है. जहां सरकारी कर्मचारी गजेटेड अधिकारी भी शोषण की ओर, महिला शोषण की ओर अग्रसित हैं और ट्रांसफर नीति के तहत उन्‍हें बाहर नहीं किया जा रहा है, वे वहां 8-10 वर्षों से जमे हुए हैं, चाहे पुलिस हो, चाहे चिकित्‍सा प्रशासन हो, कहीं न कहीं ये सभी बैठे हैं. आज वह जनता जो प्रदेश के अंदर प्रशासन में पहुंचती है, गजेटेड अधिकारी, ये इतने मदमस्‍त हो गए हैं कि कहीं न कहीं महिलाओं पर अत्‍याचार हो रहे हैं, किसान-बेरोजगार उनसे प्रताडि़त हैं. मैं, राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण से विपरीत कह रहा हूं लेकिन यह सत्‍य है, इसे स्‍वीकार करना चाहिए. मैं, समझता हूं कि आज बात होनी चाहिए किसान की, बेरोजगार युवक की, महिला सुरक्षा की, प्रदेश के विकास की लेकिन आज विकास निश्चित तौर पर केवल पोस्‍टर, मीडिया और टी.वी. के माध्‍यम से स्‍वर्णिम विकास दिखता है लेकिन जब हम चिकित्‍सालय जाते हैं तो वहां महिला प्रसूति के लिए एक महिला डॉक्‍टर तक नहीं है, यह बालाघाट जिले की स्थिति है और प्रदेश में अन्‍य स्‍थानों पर भी यही स्थिति है, हमें बात को समझना पड़ेगा. अगर हम बजट बनाते हैं, क्‍योंकि डॉक्‍टर तो हम बना नहीं सकते, इस डॉक्‍टर नहीं बनाने के पीछे और डॉक्‍टर नहीं होने का कारण भी आपकी सरकार के कार्यकाल के समय में हुआ व्‍यापम कांड ही है. जिसकी वजह से डॉक्‍टरों की डिग्रियां फर्जी हो गई थीं. कहीं न कहीं हमारी नीतियां जो बनती हैं, अगर हम शिक्षा की ओर जाना चाहते हैं, हमारी जो शिक्षा प्रणाली है, मैं, आसंदी, सभापति महोदय से ही कह रहा हूं. सभापति महोदय हमारे जबलपुर के ही हैं और मैंने लखन भईया को आज पहली बार आसंदी पर देखा है, जिसकी मुझे बहुत खुशी है. उनके शिक्षण कार्य में, हम उनके छात्र हुआ करते थे और सभापति जी, अगर कुछ गड़बड़ बोल दिया हो, तो क्षमा कीजियेगा. लेकिन मैं यह कहना चाहता हूँ कि प्रदेश का जो हाल है, वह बिल्‍कुल भी ठीक नहीं है. आज जिस प्रकार से जल संवर्धन योजना, प्रदेश के अनेक स्‍थानों पर नल-जल की योजना ठप्‍प पड़ी हुई है. इसके अंतर्गत मुख्‍य सचिव ने इसकी मॉनिटरिंग की, इसका नतीजा अच्‍छा नहीं आया. इसकी गड़बडि़यां सामने आईं, समय पर आपकी योजना पूर्ण नहीं हो पाई. आज नल चालू करो, तो उसमें से हवा निकलती है और ग्रामीण क्षेत्र में जाओ, नल का पाईप देखो तो अब कहना तो नहीं चाहिए. मदिरा की छोटी वाली बॉटल 180 एमएल की, उसमें ढक्‍कन लगा हुआ मिलता है. यह प्रदेश के अन्‍दर ग्रामीण क्षेत्र के अंतर्गत नल-जल योजना की स्थिति है. इस कारण से केन्‍द्र से जो सेकेण्‍ड बजट आना था, जिसमें प्रशासन की गड़बडि़यों के कारण से 3,200 करोड़ रुपये का बजट अभी तक प्राप्‍त नहीं हुआ है और सेकेण्‍ड फेज का इनका काम जो अभी शुरू होना है, वह पूरी तरह से शुरू नहीं हुआ है. इसी प्रकार से उद्योगों को प्रोत्‍साहन राशि प्राप्‍त नहीं हुई है. सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्योग को प्रोत्‍साहन योजना के माध्‍यम से वर्ष 2024-2025 में दिसम्‍बर, 2024 तक 639.76 करोड़ रुपये की सहायता भी नहीं मिली है.

 

5.27 बजे                                   अध्‍यक्षीय घोषणा

सदन की लॉबी में चाय की व्‍यवस्‍था

          सभापति महोदय - माननीय सदस्‍यों के लिए चाय की व्‍यवस्‍था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्‍य सुविधानुसार चाय ग्रहण करने का कष्‍ट करें.

 

राज्‍यपाल के अभिभाषण पर श्रीमती अर्चना चिटनीस, सदस्‍य द्वारा दिनांक 10 मार्च, 2025 को प्रस्‍तुत निम्‍नलिखित प्रस्‍ताव पर चर्चा (क्रमश:)

          श्री मधु भगत - माननीय सभापति महोदय, गौशालाओं को अनुदान नहीं मिला. मुख्‍यमंत्री जी की घोषणा के बाद भी 10 माह बीत गए, लेकिन 20 रुपये की जगह अभी तक 40 रुपये नहीं हो पाए. यह भी सरकार की कहीं न कहीं और प्रशासन की विफलता नजर आती है. गौहत्‍या तो सरेराह हो रही है, लेकिन गौवंश जो सड़कों के ऊपर आवारा मारे जा रहे हैं, उनका सड़कों के ऊपर ढेर लगा रहता है. हम इनकी रक्षा नहीं कर पा रहे हैं और हम कहते हैं कि गाय हमारी माता है. हम गाय को अपनी मां कहते हैं. लेकिन आज उनकी रक्षा के लिए किसी प्रकार की कोई व्‍यवस्‍था नहीं बनाई गई है. संबल योजना का लाभ समय पर नहीं मिलता है. यह हाल है इस सरकार में, श्रमिकों की मौत के उपरांत उनको पैसा प्राप्‍त नहीं होता है. जो राशि मिलनी चाहिए, अंत्‍येष्ठि की राशि उनको प्राप्‍त नहीं होती है. लेकिन यह सरकार बहुत अच्‍छी है, सरकार बहुत अच्‍छा कार्य कर रही है, यह कहने-सुनने के लिए बहुत मिलता है. विभाग ने इसका पत्र जारी किया था, लेकिन इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा, प्रभावी रूप से कोई काम नहीं कर रहा है.

          सभापति महोदय, गरीब कल्‍याण मिशन योजना, सरकार ने प्रारंभ तो की थी, परन्‍तु योजना तब सफल होगी, जब योजना का लाभ उन गरीब परिवारों को मिलेगा. मेरी, हमारी और प्रदेश की विधान सभा क्षेत्र में अनुमानित 40 प्रतिशत गरीब आदिवासी निवास करते हैं, लेकिन जिले में रोजगार न होने के कारण उन्‍हें गांव छोड़कर नागपुर, हैदराबाद, चेन्‍नई की ओर पलायन करना पड़ता है लेकिन प्रदेश के अन्‍दर भारतीय जनता पार्टी की बहुत अच्‍छी सरकार है. जो कहती है कि हम रोजगार उपलब्‍ध करा रहे हैं, कहीं न कहीं इस सरकार को अपनी गिरेबान में झांककर यह देखना चाहिए कि जो बजट हम बनाते हैं, बजट का जब हम विभागवार वितरण करते हैं, तो वहां का कर्मचारी, वहां का प्रशासन और वहां, जो जिस मद में जिस निवारण के लिए बनाया गया है, वह सही ढंग से संचालित हो रहा है कि नहीं हो रहा है, उसकी निगरानी इस प्रदेश के जो भोपाल में पदाधिकारी/कर्मचारी बैठते हैं, उनको ध्‍यान रखना चाहिए. आज हमारे गांव का जो वनांचल है, रहने वाला गरीब है.

          सभापति महोदय, महुआ, हर्रा, पत्‍तल-दोना जैसी सामग्री सीधा सरकार इन लोगों से खरीदती है, तो शासन की योजना का लाभ सीधे परिवार को मिलना चाहिए, जिससे इन निम्‍न स्‍तर के वर्गों का सुधार होगा. इस प्रकार की मेरी विधान सभा में सबसे अच्‍छा जिले का बांस मैगजीन सबसे अच्‍छी गुणवत्‍ता वाला है.

          सभापति महोदय - मधु जी, आप समाप्‍त करें और भी माननीय सदस्‍य बोलने के लिए शेष हैं. लम्‍बी सूची है.

          श्री मधु भगत - आप मुझे थोड़ा सा बोलने दीजिये, सभापति जी. क्‍योंकि आपका आग्रह हो गया है. मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा. मैं जाते-जाते इतना कहना चाहॅूगा कि प्रशासन मेरी बात को अच्‍छे से ले और कार्य की ओर अग्रेसित रहे. आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद. आपने बोलने के लिए अवसर दिया.

            श्री रामनिवास शाह (सिंगरौली) -- माननीय सभापति महोदय, मैं पहली बार का विधायक हूँ और दूसरी बार बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. इसलिए आपका संरक्षण चाहता हूँ. देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्‍द्र मोदी जी के 'ज्ञान' की चर्चा राज्‍यपाल जी के अभिभाषण में की गई है. गरीब, युवा, अन्‍नदाता और नारी पर डॉ. मोहन यादव जी की सरकार लगातार सफलतापूर्वक काम कर रही है. इसलिए देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्‍यमंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूँ. आज के दिन में जिस तरह से निर्माण के क्षेत्र में हम कहें तो नगरों के लिए कायाकल्‍प योजना के माध्‍यम से और ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्‍यमंत्री अधोसरंचना के माध्‍यम से हम उन वनांचल गांवों में अच्‍छी सड़कों का निर्माण कर रहे हैं.

          सभापति महोदय, नारी सशक्‍तिकरण के क्षेत्र में जहां हमारी सरकार डॉ. मोहन यादव जी के नेतृत्‍व में लाडली बहना योजना, मुख्‍यमंत्री कन्‍यादान योजना, वैसे ही आजीविका मिशन के माध्‍यम से महिला स्‍व-सहायता समूहों को हम प्रोत्‍साहित करके सिलाई, कढ़ाई और बुनाई, ऐसे तमाम क्षेत्रों में हमारी सरकार काम कर रही है. कांग्रेस के मित्र हमारी सरकार की उपलब्‍धियों पर चर्चा करने के बजाय कई चीजों को अनदेखा कर रहे हैं. मैं उन्‍हें बताना चाहूँगा कि हम सिंगरौली जिले से आते हैं. वर्ष 2003 के बाद और उसके पहले इंदिरा आवास योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना में अंतर देख लें. कांग्रेस के शासन में वर्ष 1998 के बाद जब एकबत्‍ती कनेक्‍शन आया था, उसके भारी बिलों को भरने के लिए किसानों को और जनता को कितना परेशान होना पड़ता था. वह भी ध्‍यान रखें. शिक्षा के क्षेत्र में हमारे कांग्रेस के माननीय विधायकगण चर्चा कर रहे थे तो आपके शासन में 500 रुपये में शिक्षा गारंटी शाला चल रही थी और उन शालाओं में भवन नहीं थे, बल्‍कि किराए के मकान में चलती थी और किराए के मकान भी नहीं बल्‍कि नि:शुल्‍क मकान में चलती थी, आज वही शिक्षक वर्ग तीन में 25,000 रुपये में पढ़ा रहे हैं. यह उपलब्‍धियां नहीं हैं तो क्‍या हैं. आप लोगों को अंतर देखने को नहीं मिल रहा है, इसलिए मैं अंतर भी बताना चाहूँगा. आपके पंचायत भवन उस समय कितने बन रहे थे. आज पंचायत भवन, सामुदायिक भवन, सीएम राइज विद्यालय कितने निर्माण हो रहे हैं जिससे शिक्षा का स्‍तर भी बढ़ रहा है. इस दिशा में काम किया जा रहा है. साढ़े सैंतीस लाख रुपये तक पंचायत भवन निर्मित हो रहे हैं. इसके लिए प्रदेश की सरकार, डॉ. मोहन यादव जी की सरकार, अपने प्रभारी मंत्री और उप मुख्‍यमंत्री साहब को बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ.

          माननीय सभापति महोदय, आपके माध्‍यम से मैं कहना चाहूँगा कि नदी जोड़ो अभियान जिस तरह से केन बेतवा सिंचाई परियोजना बुंदेलखण्‍ड, वहीं पर अन्‍तर्राज्‍यीय ताप्‍ती बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना जैसे तमाम क्षेत्रों को जोड़ने का काम हो रहा है. इसी दिशा में हमारे सिंगरौली जिले में छत्‍तीसगढ़ के बॉर्डर पर जहां पर धनगड़ गांव में गोपद नदी है, अगर गोपद नदी को हम मयार नदी में जोड़ते हैं तो देवसर विधान सभा और सिंगरौली विधान सभा के ढाई सौ गांव लाभान्‍वित होंगे, इसलिए भी हम चाहते हैं कि यह कार्य भी इसी के साथ होता रहे इसके लिये भी हम आग्रह करना चाहेंगे. हवाई यात्रा के क्षेत्र में जहां हवाई पट्टी बनाकर सिंगरौली को आगे बढ़ाने का काम हो रहा है. पीएमश्री हवाई टैक्सी भी चालू है अगर हम इसको हवाई अड्डा में परिवर्तित करके बनाते हैं और दिल्ली भोपाल वाराणसी रीवा हवाई सेवा देते हैं तो बहुत ही सुनहरा अवसर होगा. हम डिप्टी सीएम साहब को बधाई देना चाहेंगे जिन्हों ने मेडिकल के क्षेत्र में और हवाई क्षेत्र में प्रभारी मंत्री संपतिया उइके जी जो लगातार प्रयास कर रही हैं.अभी डिप्टी सीएम साहब ने 6 महिने पहले 50 बेड का क्रिटिकल केयर हास्पिटल का भूमिपूजन किया. क्रिटिकल मरीजों के लिये कितनी परेशानी होती थी. हमारे यहां जब क्रिटिकल मरीज हो जाते थे तो वाराणसी,अम्बिकापुर,रीवा ऐसे मध्य क्षेत्र में बसा हुआ सिंगरौली है. दवाईयों की दिक्कत होती थी लेकिन क्रिटिकल अस्पताल तैयार हो जाने से यह सुविधा हमें प्राप्त हो जायेगी. मेडिकल कालेज बनकर तैयार है. हम प्रभारी मंत्री जी को और माननीय डिप्टी सीएम साहब माननीय राजेन्द्र शुक्ल जी को धन्यवाद देते हुए आपसे आग्रह करेंगे कि मुख्यमंत्री जी के माध्यम से इसका लोकार्पण किया जाये और इसी सत्र से उसे संचालित भी किया जाये इसके लिये हम विधायक सिंगरौली की ओर से आग्रह करते हैं. 605 बेड का अस्पताल वहां स्वीकृत हो गया है जिसकी लागत 180 करोड़ रुपये की है उसके लिये भी माननीय डिप्टी सीएम और प्रभारी मंत्री मुख्यमंत्री जी से आग्रह करें कि  इसे भी संचालित कराने की कृपा करें. सिंगरौली का विकास लगातार 2003 के बाद चाहे सड़क का क्षेत्र हो,चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो सीएम राईज विद्यालय बनाये जा रहे हैं. यहां कुछ चीजें आई हैं उनसे भी आपको अवगत कराना चाहेंगे. बैरियर की बात आई कि बैरियर अनधिकृत रूप से वसूली कर रहे हैं तो वह अनधिकृत तो नहीं हैं परमिटेड हैं लेकिन आवश्यक्ता उस जगह पर नहीं है तो हम कहना चाहेंगे कि सिंगरौली से सीधी रीवा रोड पर बरगंवा रेल्वे स्टेशन के बीच में उदिता इंफ्रास्ट्रक्चर गड़ेरिया का बेरियर है जिनके द्वारा वाहनों से वसूली तो की जाती है लेकिन कहीं भी सड़क सुधार नहीं किया जाता अगर समय पूरा हो गया हो तो इस पर जो वसूली की जा रही है उसको बंद कराया जाये. मेरे विधान सभा क्षेत्र में पिछले अनुपूरक बजट में बायपास सड़क को लिया गया है हम चाहते हैं कि सरकार इसका टेंडर कराते हुए इसका तत्काल निर्माण कराया जाये. इन तमाम चीजों को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश की और केन्द्र की सरकार लगातार प्रयास कर रही है मैं इस अभिभाषण का समर्थन करते हुए जहां पंचायत भवन और सामुदायिक भवन निर्माण हो रहे हैं वहीं किसान कल्याण के लिये 6-6 हजार रुपये राज्य सरकार दे रही है 8 हजार केन्द्र की सरकार दे रही है दोनों सरकारों को अपनी ओर से और सिंगरौली की जनता को माननीय नरेन्द्र मोदी जी को और माननीय डॉ. मोहन यादव जी को बधाई देना चाहता हूं और पंचायत मंत्री को बधाई देना चाहता हूं कि आपने भी हमें पंचायत और सामुदायिक भवन उपलब्धकराये हैं. 2003 के पहले न कहीं सड़क थी,बिजली थी,न पानी था लेकिन 2003 के बाद जो निर्माण मध्यप्रदेश में हुआ है वह लगातार जारी है. धन्यवाद.

          श्री साहब सिंह गुर्जर (ग्‍वालियर ग्रामीण)--  माननीय सभापति महोदय, मुझे राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण पर बोलने का मौका दिया. मेरे विधान सभा क्षेत्र ग्रामीण में अत्‍यधिक ऐसे मंजरे टोले हैं जो आज भी राजस्‍व ग्राम में सम्मिलित नहीं हैं. यह सिर्फ मेरे विधान सभा का ही नहीं यह पूरे प्रदेश का मामला है. एक मंजरे टोले को राजस्‍व ग्राम में सम्मिलित किये जाने, आवास, बिजली, पेयजल सुविधाओं हेतु आवश्‍यक राशि बजट में सम्मिलित की जाये. ऐसे मंजरे टोले को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क, खेत सड़क योजना प्रमुखता से बजट में सम्मिलित किया जाये जो कि इस बजट में शामिल नहीं है. दूसरी बात मेरे विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत अत्‍यधिक वर्षा होने से बाढ़ क्षेत्र प्रभावितों का जो नुकसान हुआ उसका मुआवजा नहीं दिया गया एवं आगे बाढ़ क्षेत्रों को बचाने के लिये कोई कार्ययोजना बजट में सम्मिलित नहीं है. अत: इस हेतु बजट में आवश्‍यक प्रावधान किये जायें तथा टिकटोली माइक्रो सिंचाई परियोजना के अंतर्गत ग्राम वेहट एवं गूजना को भी नहर से जोड़े जाने हेतु विभागीय बजट में शामिल किया जाये.

          सभापति महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत विकासखंड वेहट में एकमात्र मंडी है जबकि विकासखंड मुरार एक बड़ा क्षेत्र है जिससे अन्‍य ग्रामों की वेहट से दूरी अत्‍यधिक है. अत: ग्राम सिरसौद में एक नवीन कृषि उपज मंडी की स्‍थापना की जाये. अत: बजट में उक्‍त कार्य हेतु आवश्‍यक रूप से राशि सम्मिलित की जाये. मैंने राज्‍यपाल महोदय जी का अभिभाषण सुना, सत्‍ता पक्ष के हमारे सदस्‍य बहुत तारीफ कर रहे थे पर मैं कहना चाहता हूं कि लोकतंत्र में पक्ष और विपक्ष इस सदन की खूबसूरती होती है. यदि विपक्ष अपनी बात रखता है तो पक्ष के हमारे सदस्‍यों को और सरकार को उस पर ध्‍यान देना चाहिये. यदि  विपक्ष नहीं होगा तो मेरा ख्‍याल है कि पक्ष का भी सदन में कोई काम नहीं होगा. इसलिये विपक्ष की बात को गंभीरता से लेते हुये और  जो बातें हमारे वरिष्‍ठ सदस्‍यों ने कहीं हैं उनको बजट में शामिल किया जाये और शामिल करके उस पर ध्‍यान देकर उस कार्य को कराया जाये. धन्‍यवाद.

          श्री रजनीश हरवंश सिंह (केवलारी)--  माननीय सभापति महोदय, मैं महामहिम राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. माननीय सभापति महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. मैंने महामहिम राज्‍यपाल महोदय का पूरा अभिभाषण पढ़ने का प्रयास किया. निश्चित रूप से जहां एक ओर सरकार नदियों को जोड़ने का काम कर रही है चाहे केन वेतवा हो, चाहे पार्वती कालीसिंध हो निश्चित रूप से इसका लाभ मिलेगा पर नई योजना लागू होती है उसका लाभ काफी दिनों के बाद मिलता है. लेकिन जो वर्तमान में हमारे पास योजनायें हैं वह सुचारू रूप से संचालित हों इसका भी सरकार को ध्‍यान रखना चाहिये. आज सरकार के पास में अपार संभावनायें हैं पर कहीं न कहीं चूक, कहीं न कहीं मॉनीटरिंग में, कहीं न कहीं व्‍यवस्‍थाओं में निश्चित रूप से चूक हो रही है जिससे कि जो लाभ जनमानस को मिलना चाहिये, जो सरकार की आय निश्चित रूप से होना चाहिये उसमें अंकुश लगने का काम हो रहा है तभी तो आज जब हम देखते हैं कि सरकार कर्ज पर कर्ज ले रही है. पर जो सरकार के पास आय के स्‍त्रोत हैं, उनमें पर्याप्‍त अमला न होने से आज सरकार की आय में वृद्धि नहीं हो रही है, तो दूसरी तरफ सरकार के कर्ज लेने में वृद्धि ज्‍यादा हो रही है. सभापति महोदय, आज अगर आप याद करें तो भारत के पूज्‍य राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी जी कहते हैं कि अगर भारत के दर्शन करना हो तो गांव में जाओ, गांवों में कैसे लोग भुंसारे, सुबह से लेकर देर रात्रि तक कैसे अपना जीवन यापन करते हैं.

          सभापति महोदय, पंचायत राज और पंचायत विभाग हमारे प्रदेश का वह विभाग है, जो गांव के अंतिम छोर में बैठे हुए व्‍यक्ति के काम का है और मुझे यह कहते हुए संकोच नहीं होता है कि आज प्रदेश के पंचायत मंत्री के रूप में जो इस सदन में माननीय मंत्री जी श्री प्रहलाद पटेल जी बैठे हैं, निश्चित रूप से गांव की संस्‍कृति, गांव के संस्‍कार और गांव से ओतप्रोत हैं, आज जरूरत है गांव की ग्राम पंचायतों को हक अधिकार और हकूक देने की, जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी, इस प्रदेश के मुख्‍यमंत्री के रूप में उस समय तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री श्री दिग्‍विजयसिंह जी राजा साहब हुआ करते थे, मेरे स्‍वर्गीय पिताजी को भी अवसर मिला पंचायत मंत्री के रूप में इस प्रदेश की सेवा करने का, उस समय पंचायत राज के तहत गांव की सरकार हुआ करती थी, पर आज जब हम देखते हैं तो उतने अधिकार पंचायत में नहीं है, आज छोटी-छोटी समस्‍याओं के लिये तहसील के चक्‍कर लगाने पड़ते हैं और आज तहसीलों की, राजस्‍व विभाग की यह हालत हो रही है, एक तरफ तो सरकार कहती हैं, खाता, नामांतरण,सीमांकन यह सब तुरंत तत्‍काल हो जायेगा, परंतु वास्‍तविकता यह है कि इन सब में बहुत समय लगता है, कई-कई तो ऐसे केस हैं, जिनमें अपील ही अपील में जाने में कम से कम चार साल और पांच साल का समय निकल जाता है. आज चौदहवें वित्‍त और पंद्रहवें वित्‍त के अलावा, ग्राम पंचायतों को इसके अलावा कोई काम नहीं रहा है.

          सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से सरकार से प्रार्थना करना चाहता हूं कि पंचायतों को खूब अधिकार दें ताकि वह अपने ग्राम के विकास के लिये न केवल अपना मेप बनाकर शासन को दें, बल्कि कुछ एक ऐसी निश्चित राशि होना चाहिए, चाहे वह खेतों के अंदर की सड़क का मामला हो, चाहे आपने कांक्रीट की सड़क का अधिकार दिया है, आपने पक्‍की नाली बनाने का अधिकार दिया है, पर इसके साथ साथ जो रोजमर्रा की दिक्‍कते होती हैं, एक दूसरे के खेत से चाहे वह पानी निकलने की हो, चाहे बैलगाड़ी, ट्रेक्‍टर ट्राली ले जाने की हों, जो खेत के अंदर की सड़कों का अधिकार है, वह भी ग्राम पंचायत के माध्‍यम से स्‍वीकृत होना चाहिए, क्‍योंकि गांव की ही पंचायत उसके बारे में ज्‍यादा जानती है.

          सभापति महोदय, दूसरा जो राजस्‍व के प्रकरण हैं, लंबे समय से चले आते हैं, आजकल मशीनों से नाप हो रहा है, एक अवसर गांव देहात में यह रहता है कि मेढ़ जो रहती है, वह दोनों किसानों की रहती है,आधी इस तरफ वाले की, आधी उस तरफ वाली की रहती है. आज हम देखते हैं कि खसरा किसी के नाम से है, नाम में जरा सी स्‍पेलिंग गलत हो गई, तो आम जो किसान है वह तहसील के चक्‍कर लगाते, लगाते हताश हो जाता है, पर उसका काम बराबर नहीं होता है.

          सभापति महोदय, हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने कहा, ज्ञान का मंत्र दिया, गरीब, युवा, अन्‍नदाता और नारी, आज अगर सही वास्‍तविकता देखी जाये तो यह चारों वर्गों के उत्‍थान के लिये जो भारत के प्रधानमंत्री जी की मंशा है, पर उसके अनुरूप हमारे प्रदेश में बराबर उसकी तरफ ध्‍यान नहीं दिया जा रहा है. आज अन्‍नदाता वहीं के वहीं है, दस घंटे बिजली देने की बात रहती है, पर महज यह बात तक ही सीमित रह जाती है, दस घंटे में न जाने कितनी बार कटौती होती है. हम उनको डी.सी.कनेक्‍शन देते हैं. डी.सी. कनेक्‍शन देने की रफ्तार तेज है, पर तार में बिजली और करेंट की रफ्तार  उतनी ही धीमी है, यह विडंबना है. अन्‍नदाता किसान जाये तो कहां जाये, बिजली लेने के लिये जब ऑफिस जाता है, तो कागज मिलता है, पर उसके खंभे के तार में और ट्रांसफार्मर में उसको बराबर करेंट नहीं मिलता है.

          सभापति महोदय, आज की यह स्थिति है कि बांध बंधे हुए हैं, पर अमले की कमी होने के कारण कुछ नहीं हो पाता, यह तो वही बात हो गई कि गाड़ी शो रूम में खड़ी है, सौदा भी तय हो गया, पसंद भी आ गई, खरीद भी ली है, डीजल पेट्रोल भी भरा लिया, चा‍बी भी मालिक ने दे दिया, परंतु अब उसको चालाना नहीं आ रही है, सिर्फ उसको देखकर देखकर रह रहे हैं, उसको पोंछ पोंछकर उसको रख रहे हैं. तालाब बड़े-बड़े हैं, पानी भी ईश्‍वर की कृपा से लबा लब भरा हुआ है, सरोवर है, तालाब तलैया सब कुछ है पर उसके संधारण करने वाले अधिकारी कर्मचारी नहीं है. आज कहीं कहीं जब रोष व्‍याप्‍त होता है तो हम अपनी बात को दबाने के लिए कह देते हैं कि जनाक्रोश नहीं है, पर जब जनाक्रोश है, तभी तो ज्ञापन सौंपे जाते हैं, पंडाल लगाकर हड़ताल की जाती है. आज बड़ी तेजी से वनों की अवैध कटाई हो रही है. आज गांव गांव में वन समितियों को अधिकार मिलना चाहिए ताकि उनके पास के गांव का जंगल का संधारण गांव के लोग ही कर सके. सुबह से शाम तक वे जंगल के किनारे रहते हैं, उसका संधारण वन समिति के माध्‍यम से ही हो पाएगा. आज मेरे सिवनी जिले की केवलारी विधान सभा में अपार वन संपदा है, पर उसका संधारण आज नहीं हो पा रहा है. वन समिति को पहले जो अधिकार था, वह आज अस्तित्‍व में नहीं है आज विभाग इन सभी चीजों को देख रहा है. आप अखबारों के माध्‍यम से पढ़ते होंगे कि कैसे वनों की अवैध कटाई हो रही है. इसी तरीके से रेत की निकासी हो रही है सरकार आवंटन कहीं का कर रही है, खसरा नंबर कहीं का है, पोकलेन मशीनें कहीं और दूसरी जगह चल रही है, मैन्‍युअल लेबरों से कोई काम नहीं हो रहा है और ठेकेदार अपने मनमाने ढंग से कहीं का खसरा और कहीं का स्‍थान और दूसरी जगह से रेत अवैध उत्‍खनन कर रहा है. मैं एक भावना रख रहा हूं कि सरकार जनता को अच्‍छे से सेवा मुहैया करा सके.

मैं सरकार की महती योजना समूह नल जल योजना, जल आवर्द्धन योजना, के बारे में कह रहा हूं कि सरकार की मंशा अच्‍छी है कि हर आदिमी को पानी मिलना चाहिए. पर सरकार इस बात का तो पता लगाएं कि टेण्‍डर के बाद जिस ठेकेदार को टेण्‍डर मिला, उसने सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य किया या नहीं किया. नल की टोंटी में पानी आ रहा है, या नहीं. ये महज एक औपचारिक योजना बनकर रह गई है.

          मैं सरकार का आभारी हूं कि वर्ष 2013 में जब जनता ने मुझे विधायक बनाया. मैंने इसी सदन में उस समय की तत्‍कालीन पीएचई मंत्री थीं, बुआ जी. मैंने उनसे आग्रह किया तो मेरी विधान सभा में चार समूह नल जल योजना स्‍वीकृत की, लेकिन आज एक भी योजना चालू नहीं है. भीमगढ़ का बांध बहुत बड़ा है, बरगी का बांध बड़ा है. मेरे साथी विधायक योगेश बाबा के क्षेत्र  में भी यह योजना बराबर संचालित नहीं हैं. इनकी जांच होनी चाहिए और जांच में जो दोषी हो उस पर कार्यवाही होनी चाहिए ताकि आगे के लोग सतर्क रहे.

          सभापति जी, आज शिक्षा विभाग में आप आउटसोर्स से भर्ती कर रहे हैं. आप वही स्थिति कर रहे हैं कि जब ट्रैक्‍टर नहीं था और बैलगाड़ी थी और ज्‍यादा बोझा उसमें आ जाता था तो बैलगाड़ी की बैट उतरती थी, तब उसमें चीपा ठोका जाता था, कुछ देर चलाने के लिए गोबर से लीपा जाता था और जब वह चीपा हिल जाता था बैंट निकल जाती थी, तो आरापुटी निकल जाती थी. आज वही सरकार की हालत हो रही है कि आउटसोर्स से भर्ती करके सरकार काम चलाना चाहती है.

          मेरा सरकार से आग्रह है कि आप सीधी भर्ती क्‍यों नहीं करते हैं. आप क्‍यों अतिथि शिक्षक रख रहे हो, आप सीधे शिक्षक बनाइए. आप सीधे वन विभाग हो, चाहे स्‍वास्‍थ्‍य विभाग हो, जहां कमियां हो रही हैं, आप आउटसोर्स से रख रहे हैं. आप उनको वेतन दे रहे हो, उनको काम पर लगा रहे हों, आप उनको नियमित रखिए, बकायदा आप निविदा निकालिए, पढ़े लिखे नौजवानों को रोजगार दीजिए. मेरा आपके माध्‍यम से सरकार से आग्रह है कि इस प्रदेश में उन्‍नति, विकास हो, तभी इस प्रदेश का विकास संभव होगा, तभी खुशहाली आएगी, हरितक्रांति आएगी. मैं आपके माध्‍यम से सरकार से यही आग्रह करुंगा कि नौजवानों को रोजगार मिले, हमारे अन्‍न दाता किसान भाईयों को भरपूर पानी, बिजली मिले, जहां जहां परेशानियां आ रही हैं, वहां पर उचित मुआवजा सरकार किसान को दें, ताकि अन्‍नदाता खुशहाल रहे. यही मेरी सरकार से प्रार्थना है. आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया इसके लिए मैं आपका आभारी हूं, धन्‍यवाद.

            श्री राजेश वर्मा (अनुपस्थित)

          श्री प्रदीप अग्रवाल (अनुपस्थित)

          श्री राजेन्द्र भारती (अनुपस्थित)

          श्री दिनेश गुर्जर (अनुपस्थित)

          श्री यादवेन्द्र सिंह जग्गू भैया”(टीकमगढ़)माननीय सभापति महोदय, तत्कालीन शिवराज सिंह जी की सरकार में एक आनन्द मंत्रालय बना था. हम पिछले साल की लिस्ट देख रहे थे उसमें जो बजट एलोकेट किया गया था उसमें 15 करोड़ रूपये का प्रावधान था लेकिन खर्चा जीरो मतलब कि आनन्द मंत्रालय उनके साथ ही खत्म हो गया. शिवराज सिंह जी गये और आनन्द मंत्रालय समाप्त. जब बाबूलाल गौर जी मुख्यमंत्री थे उस समय में कुछ गोकुल ग्राम हर जिले में बनाये थे. अब वृन्दावन ग्राम बन रहे हैं. अब वृन्दावन ग्रामों का हाल भी वही होना है. जैसे बाबूलाल गौर जी की सरकार में गोकुल ग्रामों का हुआ था. आज इतना बढ़िया बयान सब लोग दे रहे थे. जितने बजट पिछले साल के बजट में हम लोगों ने दिया था उसमें किसी भी विभाग ने 10 प्रतिशत का भी अचीवमेंट प्राप्त नहीं किया है, सब उसके नीचे हैं. उनका बजट यहां से वहां या तो लाडली बहना योजना में चला गया जहां पर भी चला गया वह तो आप ही जाने. लेकिन विभाग में तो खर्च नहीं हुआ है इससे थोड़ी बहुत लज्जा इस सरकार के लोगों को तो करना चाहिये. को-आपरेटिव में कृषि सहकारी साख समितियां जिनके ना तो प्रबंधक हैं . बैंकों में आपके प्रबंधक नहीं हैं. ग्वालियर संभाग के सारे को-ऑपरेटिव बैंक बंद होने के कगार पर आ गये हैं. उनके पुनर्वास के लिये इनके पास में कोई स्कीम नहीं है. यह बराबर हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं कि को-आपरेटिव संस्थाएं बंद हो जायें. आज आप कह रहे थे कि हमने खाद की बहुत अच्छी सप्लाई की है. हमने खाद की कोई कमी नहीं होने दी. हमने खाद की व्यवस्था बहुत ही संतोषजनक की है इसमें किसान परेशान नहीं हैं. मैं समझता हूं कि इनके ऊपर ध्यान देना चाहिये. आप को-आपरेटिव के चुनाव करवाईये, को-आपरेटिव संस्थाओं को आप जिन्दा करिये उनके प्रबंधकों की स्थायी व्यवस्था करिये. जो सोसाइटी लेवल के प्रबंधक हैं, उनकी व्यवस्था करिये नहीं तो यह बहुत बड़ी संस्थाएं जो हैं, वह डूब जायेंगी. पिछले कार्यकाल में पशु संजीवनी एम्बूलेंस योजना थी. अब सत्तारूढ़ दल के विधायक हैं अथवा विपक्ष के विधायक हैं. हमें कोई एम्बूलेंस चलती हुई नहीं दिख रही है. उस योजना पर 65 करोड़ रूपये पिछले साल में खर्च किया है. 65 करोड़ रूपये की एम्बूलेंस संजीवनी पशुओं के लिये खरीदी लेकिन हमको पता ही नहीं है कि कहां पर रखी हैं तथा किसके घर पर रखी है, क्यों नहीं चल रही है ? उनका उपयोग क्यों नहीं हो रहा है. अगर इस तरीके से आप विकास को समझाना चाहते हैं तो यह हमारी समझ से बाहर है. किसको पकड़ रहे हैं यह भी मालूम नहीं है कि गाय को पकड़ रहे हैं कि और किसी को पकड़ रहे हैं इसकी कहानी हमको नहीं मालूम. सभापति महोदय टीकमगढ़ जिले में को-आपरेटिव एक्ट के तहत एक सोसाइटी रजिस्टर्ड हुई थी वह सोसाइटी करीबन 20 करोड़ रूपये का गबन करके चली गई. टीकमगढ़ में उसकी एफआईआर हो गई, टीकमगढ़ में बंद भी हो गईं. उसके बाद वह सोसाइटी ललितपुर में चल रही है, पन्ना में चल रही है. पूरे प्रदेश में इनका जाल फैला हुआ है. टीकमगढ़ में जो उनका हेड है वह दुबई चला गया है. अगर वह इतनी बड़ी रकम खाकर दुबई चला गया तो उनके खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी करवाईये, कुछ करिये उसको पकड़ के लाईये. आप उन हितग्राहियों का पैसा वापस जिनका पैसा खाकर के चला गया है. भोपाल में एक स्‍कैंडल हुआ. टीआई को शायद 5 करोड़ रिश्‍वत देने के लिए लोग थाने में गिरफ्तार हो गए. उनके ऊपर बराबर निगरानी रखी जा रही थी कि कहां पहुंच गया, किसको रिश्‍वत देने जा रहा है और वह 5 करोड़ रूपए रिश्‍वत लेने वाला टीआई तो पकड़ा गया. 5 करोड़ रूपए रिश्‍वत देने वाला थाने से भाग गया और उनके साथ एक थानेदार पकड़ा गया, वह भी थाने से भाग गया. यह भोपाल की हालत है और गृहमंत्री कौन है. गृहमंत्री स्‍वयं मुख्‍यमंत्री जी हैं. अगर उनके नेतृत्‍व में इतना बढ़िया कानून व्‍यवस्‍था का राज चल रहा है, तो मैं समझता हॅूं फिर तो कुछ कहने की जरूरत ही नहीं है. दूसरा ऐसा ही किस्‍सा है. माननीय विश्‍नोई जी आसंदी पर बैठै थे. टीमरी गांव में चार ब्राम्‍हण परिवारों की हत्‍या हो गई. जबलपुर के दोनों लोग बैठे हैं. जिन लोगों ने उनकी हत्‍या की, आपने उनके घर नहीं गिराए. उनके घर गिराए जाने की कार्यवाही नहीं की गई, क्‍योंकि हमें लगता है कि आपके ही कार्यकर्ता होंगे. इसलिए आपने उनके घर गिराने की कार्यवाही नहीं की. लेकिन अगर दमोह में गाय की हत्‍या हो गई, तो सारा मोहल्‍ला साफ करवा दिया.       

          श्री अजय विश्‍नोई -- माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय सदस्‍य को बता दूं कि मैं वहां घटनास्‍थल पर घटना के दिन ही पहुंचा हॅूं और लगातार आज भी उनके संपर्क में हॅूं. तीन दिन पहले भी मैं उनके पास होकर आया हॅूं. हमारा कोई कार्यकर्ता उसमें नहीं है. क्षेत्र के लोग हैं इसलिए मदद करने के लिए हम लोग पहुंचे थे. मैं आपको बता दूं कि जहां तक भवन गिराने का सवाल है. सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाइन है. सुप्रीम कोर्ट की  गाईडलाइन के हिसाब से प्रशासन को निर्देश दिए गए. प्रशासन ने उनके घर की नाप-जोख की. वह कोई भी व्‍यक्‍ति जो अपनी सीमा में है सरकारी जमीन में उसने नहीं बनाया, तो हम कुछ नहीं कर सकते. अब पंचायत की बात आ गई, तो पंचायत से उसको नोटिस दिलवाया गया. वह पंचायत के नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट चले गए. अब हाईकोर्ट पूछ रहा है कि भई, पंचायत ने और किस-किस को परमीशन दी है. इसलिए गिराने का सवाल ही नहीं है. रही बात उन चार लोगों के परिवारों की, जो मदद हम वहां रोज उनकी कर रहे हैं वह आप बाकी लोग सिर्फ सिम्‍पैथी दिखाकर गये हैं. मैं तो रोज उनकी मदद में खड़ा हुआ हॅूं.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह -- माननीय विश्‍नोई जी, मैं भी तो वही कह रहा हॅूं कि वहां पर चार लोगों की हत्‍या हो गई, आपने कोई कार्यवाही नहीं की और दमोह में एक गाय मर गई, तो पूरा मोहल्‍ला साफ कर दिया गया. वहां पर सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाइन काम नहीं कर रही थी. आप अपराधी के ऊपर कार्यवाही कर देते, लेकिन कम से कम पूरा मोहल्‍ला तो साफ नहीं करते.

          श्री अजय विश्‍नोई -- यादवेन्‍द्र जी, अनाधिकृत होगा, तो कार्यवाही होगी. अनाधिकृत नहीं है, तो सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाइन के तहत कोई कार्यवाही सरकार नहीं कर सकती.

          श्री हरीशंकर खटीक -- आपने पूरा मंच गिरवा दिया और आप गिरे नहीं. (हंसी)

          श्री दिनेश गुर्जर -- यह विषय नहीं है. हो सकता है आपकी पार्टी का किसी दिन गिर जाये. उसमें कई कार्यकर्ता घायल हुए, वह भी मध्‍यप्रदेश के निवासी हैं तो उसको हंसने का विषय न बनाएं.

          श्री यादवेन्‍द्र सिंह -- सभापति महोदय, आप भी थे और हरीशंकर जी भी खुद थे. कार्य मंत्रणा समिति की बैठक चल रही थी. हम सब वहां मौजूद थे, तो या तो आप कार्य मंत्रणा समिति की बैठक छोड़ देते या फिर मंच पर ही आकर गिर जाते. इसमें आपको इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए. हमारे टीकमगढ़ में एक होटल है. उसमें एक नाबालिग बेटी के साथ बलात्‍कार की घटना हो गई और उसमें सारे भारतीय जनता पार्टी के लोग. एक तो सांसद प्रतिनिधि. उनके खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई लेकिन आपकी सरकार ने उसके ऊपर एक बयान तक नहीं दिया कि नाबालिग के साथ बलात्‍कार की घटना हुई, तो इनके खिलाफ कौन-सी कार्यवाही होना चाहिए. पॉक्‍सो एक्‍ट लगा हुआ है. एक घटना और वही पर हुई थी, वह भी सांसद प्रतिनिधि थे. वह तो 7 साल की बच्‍ची के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे. उन्‍हें भी पुलिस ने पकड़ा. वह भी फरार है. उनके खिलाफ भी कोई कार्यवाही नहीं हुई. कोई गिरफ्तार नहीं कर रहा, क्‍योंकि सांसद प्रतिनिधि थे.

          माननीय सभापति महोदय, टीकमगढ़ जिले में अभी 20 करोड़ रूपए की अफीम पकड़ी गई थी. उसकी खेती होती थी और मुल्‍जिम कौन है जो भारतीय जनता पार्टी के किसान मोर्चा के अध्‍यक्ष हैं उनका ड्राइवर है. यह तो पता है माननीय हरिशंकर खटीक जी आपको.

          श्री हरीशंकर खटीक -- जिन्‍होंने अपराध किया, जिन्‍होंने खेती की, वे पकडे़ गये और जेल की सलाखों में हैं और भी जो आपने बोला है कि ऐसी-ऐसी घटनाएं घटी हैं. जो सांसद प्रतिनिधि हैं तो सांसद प्रतिनिधि पहले ही हटा दिए गए थे. पहले आपके कांग्रेस पार्टी के रहे हैं. और जेल की सलाखों में आज वह भी हैं. जो अपराध करेगा वह जेल की सलाखों के अंदर जाएगा, यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. उसको पार्टी से निष्कासित भी कर दिया है, वह पहले कांग्रेस पार्टी में रहे, आपके खास रहे और आज वह भारतीय जनता पार्टी में आए तो उन्होंने किया तो भारतीय जनता पार्टी से पद से पृथक भी हो गये. उनको निष्कासित भी कर दिया गया है.

          श्री यादवेन्द्र सिंह- मंत्री जी जवाब दें तो समझ में भी आता है. अब पहले श्री विश्नोई जी जवाब देने के लिए खड़े हो गये. फिर श्री हरिशंकर जी जवाब देने के लिए आ गये.

          श्री प्रहलाद सिंह पटैल - सभापति महोदय, दोनों पूर्व मंत्री एक-दूसरे से भिड़े हुए हैं. हम लोग तो दूर हैं.

          श्री यादवेन्द्र सिंह - सभापति महोदय, 20 करोड़ रुपये की अफीम पकड़ी गई, खेती कर रहे थे. उसमें उनके खिलाफ कार्यवाही हुई या नहीं हुई, तिवारी जी के खिलाफ कार्यवाही हुई या नहीं हुई लेकिन दूसरे दिन बगल के गांव बैरवार में उससे ज्यादा अफीम की खेती होते हुए पकड़ी गई. मतलब यह इनके जो किसान मोर्चा के अध्यक्ष है, वह पहली बार नहीं पकड़े गये, उसके पहले अवैध गुटखा की फेक्ट्री चला रहे थे, उसमें गिरफ्तार हुए और अब अफीम के केस में उनके ड्रायवर साहब, सभापति महोदय, राज्यपाल जी जब अभिभाषण पढ़ रहे थे तो वही पैराग्राफ छोड़ गये जिसमें कुपोषण की बात थी. दुग्ध संस्थाओं को विकसित कर रहे है. 20 हजार लोग हैं जो कुपोषित हैं. वही पैराग्राफ राज्यपाल महोदय छोड़ गये, उसको नहीं पढ़ पाए कि हम बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था कैसे कर रहे हैं, उनके लिए क्या करेंगे, उनका कहां से एग्रीमेंट हुआ है, सरकार उसके लिए क्या कर रही है, उसको प्रोत्साहन देने के लिए क्या कर रही है बाकी पैराग्राफ छोड़ देते जिसमें आपका महिमामंडन था. लेकिन कम से कम यह पैराग्राफ तो नहीं छोड़ते. अब श्री प्रहलाद जी मुस्कुरा रहे हैं. श्री प्रहलाद जी आपको बताएं, मैं आपको हमेशा समझाता रहता हूं कि यह ग्रामीण विकास मंत्रालय श्री नरेन्द्र सिंह जी ने ठीक चलाया है, आप चला नहीं पा रहे हैं.

          श्री प्रहलाद सिंह पटैल - आसंदी पर वह होते तो रूलिंग डलवा देते.

          श्री यादवेन्द्र सिंह - सभापति महोदय, यह पत्र है. टीकमगढ़ जिले की एक पंचायत है भैरा, वहां पर मजदूरों ने काम किया. यह पेपर की कटिंग है. यह इनका जिला पंचायत सीईओ का लेटर है. वहां मजदूरी कितनी दी गई, 65 नया पैसा प्रति मजदूर.. (शेम-शेम की आवाज) नरेगा के अंतर्गत 65 नया पैसा मजदूरी आप दे रहे हैं, जिस जिले में सर्वाधिक पलायन होता है, वहां के मजदूरों को कम से कम पैसा तो पूरा दीजिए. आप मजदूरी का पैसा नहीं देंगे. आप कहते हैं कि टीकमगढ़ में नरेगा नहीं चल रही है, इसलिए नहीं चल रही है कि रेश्यो बिगड़ा हुआ है. जैसा हमसे पहले पूर्व वक्ता कह रहे थे कि अगर 15वें, 16वें वित्त आयोग का पैसा नहीं हो तो आपके पास तो पंचायतों में काम कराने के लिए एक पैसा नहीं है और आप मंत्र मुग्ध हो रहे हैं कि हमने यह काम कर दिया, वह काम कर दिया.

          सभापति महोदय, हमारा निवेदन है कि ऐसे अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही करिए, वहां के अधिकारियों को हटाइए. जो सरकार का मखौल उड़ा रहे हैं, उनके खिलाफ आपने अभी तक कार्यवाही नहीं की है. सभापति महोदय, यह बात तो कई लोग कह चुके हैं कि सरकार के ऊपर 4 लाख 4 हजार करोड़ रुपये का कर्जा 31 मार्च तक था. 31 मार्च के बाद इन्होंने 3 लाख 75 हजार करोड़ रुपये और ले लिया. अब 3 लाख 75 हजार करोड़ रुपया किसलिए लिया है? यह उन्होंने उस कर्जे की किस्त पटाने के लिए लिया है. एक हमारे मित्र थे. वह एक आदमी को लेकर हमारे पास आए और बोले कि इसको 2 लाख रुपये की जरूरत है, आप दे दो. हमने कहा कि क्यों भाई? पैसा कैसे लोटेगा. वह बोले कि साहब, इसका लड़का जिद कर रहा है कि ट्रक खरीद दो और बोले कि जो ट्रक की मार्जिन मनी जमा करने के लिए 2 लाख रुपये उधार मांग रहा है, इसके जीवन में कभी इसके बाप को नहीं चुका पाना है तो बोले कि इसका घर तो बिकना ही बिकना है. ऐसा ही हाल आपकी सरकार का है कि जो कर्जा चुकाने के लिए कर्जा ले रहे हैं. आपका घर तो बिकना ही है आप जब तक हैं सो बातें कर लो अच्छी-अच्छी. इसको कोई रोक नहीं रहा है लेकिन इसके बाद सरकार की क्या हालत होना है वह तो आप लोग छोड़िए. धन्यवाद सभापति महोदय, आपने बोलने के लिए मौका दिया.

          श्री दिनेश गुर्जर(मुरैना)- सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद. जिस तरह राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण में शिक्षा के विषय को लेकर बात हुई, बिजली को लेकर बात हुई, किसानों के लिये बात हुई, युवाओं के रोजगार की बात हुई. सम्‍पूर्ण मध्‍यप्रदेश में क्‍या हाल हैं यह मध्‍य प्रदेश की आम जनता जानती है. परन्‍तु मुरैना विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत जिन एडेट शालाओं के माध्‍यम से गरीब किसान और मजदूर का बेटा और बेटी पढ़ाई करती थी. वह एडेट शालाएं एडेट शिक्षक के रिटायर होने के बाद वह एडेट शालाएं बंद हो गयीं. मैंने एक वर्ष के अंदर कई बार जिले में और माननीय शिक्षा मंत्री जी को भी अवगत कराया कि इन क्षेत्रों में कई गांव ऐसे हैं, जैसे वहां गिरगौनी है, वहां छर्रा का पुरा है, गुरैया का पुरा है और बिसेंठा है इस प्रकार से कई गांव हैं, जहां एडेट शालाएं बंद होने से छात्र छात्राओं की पढ़ाई बिल्‍कुल बंद हो गयी है. एक तरफ मध्‍यप्रदेश सरकार दावा करती है कि हम बहुत अच्‍छे विद्यालय खोलकर सभी को शिक्षा दे रहे हैं. मैंने कई बार मांग की और शिक्षा मंत्री जी को भी पत्र लिखकर भी अवगत करा. आज दिनांक तक कई जगह एडेट शालाओं के विद्यालय, भवन हैं वहां पर सिर्फ शिक्षक की व्‍यवस्‍था करनी है. पर ऐसी गूंगी बहरी सरकार हम पहली बार मध्‍यप्रदेश में देख रहे हैं कि जो बच्‍चों के भविष्‍य के साथ भी खिलवाड़ कर रही है. वहां शिक्षक की भी व्‍यवस्‍था नहीं की. विद्यालय की बात तो अलग है.

          सभापति महोदय, मैं आपके माध्‍यम से मध्‍य प्रदेश सरकार से मांग करता हूं कि मुरैना विधान सभा में जो एडेट शालाएं बंद हुई हैं और वहां बच्‍चों का भविष्‍य बर्बाद हो रहा है, वहां पर विद्यालय के भवन बनाकर स्‍कूल खोले जायें और वहां पर शिक्षकों की व्‍यवस्‍था की जाये. अभी मुरैना जिले के अंदर हालात यह हैं कि अगर किसी सामान्‍य व्‍यक्ति ने अपने घर पर दुकान बना ली है तो दुकान का कमर्शियल टैक्‍स तो लिया जा रहा है उसके साथ-साथ पूरे मकान पर भी क‍मर्शियल टैक्‍स लगा दिया है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में अवैध वसूली का काम विद्युत विभाग के द्वारा हो रहा है, जिस तरह से बिजली के बिल पर पैनल्‍टी लगा रही है. जब एक तरफ सरकार बात करती है कि हम गरीब, मजदूर, किसान और आम जनता को सुविधा देना चाहते हैं और एक तरफ पैनल्‍टी लगाकर हो रहा है. इसीलिये बिजली विभाग की वसूली नहीं हो पा रही है.उदाहरण के तौर पर कि किसी का तीस हजार का बिल है तो वह पैनल्‍टी लगकर दो-दो, तीन-तीन लाख रूपये हो गया है. आम आदमी इतना पैसा कहां से देगा. कई का बिजली का बिल पैनल्‍टी लगकर बिल 15-20 लाख रूपये हो गया है तो इतना पैसा आम आदमी कहां से भरेगा. मेरी मध्‍यप्रदेश की सरकार से और मंत्री जी से मांग है कि इस पर गंभीरता से चिंतन करें और यदि आप पैनल्‍टी खत्‍म करके मूल रकम उससे वसूली जायेगी तो मेरा मानना है कि विद्युत विभाग को भी लाभ होगा, क्‍योंकि 15-20 लाख रूपये भरने की स्थिति इस मध्‍य प्रदेश की जनता की नहीं है. मैं यह मांग करता हूं कि यह पैनल्‍टी माफ की जाये. दूसरा मुरैना विधान सभा क्षेत्र के अंदर, यह मैंने पहले भी अवगत कराया है कि कई मजरे-टोले ऐसे हैं, एक तरफ तो सरकार दावे करती है कि हर घर पर बिजली और पानी है. मुरैना विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत 30 मजरे-टोले ऐसे हैं जो धंधेला पंचायत में, पहाड़ी पंचायत में, जखौदा पंचायत में, खिलावड़ी पंचायत में और कई पंचायतों में कई ऐसे मजरे-टोले हैं, जहां आज भी बिजली का तार नहीं है. आप बिजली तो छोडि़ये. हम मध्‍यप्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि जहां ऐसे मजरे टोले हैं, वहां पर विद्युत की व्‍यवस्‍था की जाये, जिससे आम गरीब और किसान बिजली का लाभ ले सके. अपने खेतों में सिंचाई कर सके और अपने पीने के पानी की व्‍यवस्‍था कर सके और जिस तरीके से मध्‍य प्रदेश के अंदर माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने कई जिलों में धार्मिक स्‍थानों की वजह से शराब बंदी की है,उसका हम स्‍वागत करते हैं और हम यह मांग करते हैं कि मुरैना भी एक ऐतिहासिक जिला है, एक संतों की तपोभूमि है और वहां महाभारत काल से, आदिकाल से वहां प्राचीन बने हुए हैं, वहां पर बटेश्‍वर मंदिर बना हुआ है. भगवान शनि देव जी का मंदिर हमारे मुरैना में है. भारत की संसद का जो नक्‍शा बना वह मुरैना की चौंसठ योगिनी के डिजाइन पर बना है और करैया धाम आश्रम हमारे संत शिरोमणि हरिगिर महाराज जी द्वारा शराब बंदी को लेकर लगभग कई वर्षों से काम हो रहा है. वह पंचायतों और गांव-गांव जाकर यह कार्य कर रहे हैं कि कैसे भी मध्‍यप्रदेश के नौजवानों को, जनता को नशे से छ़ुटकारा मिले. हमने माननीय मुख्‍यमंत्री जी से भी मांग की है. हमारे यहां भी ऐसी धरोहर हैं इसलिये मैं सरकार से मांग करता हूं कि मुरैना जिले में भी शराब बंदी की जाये यह मैं सरकार से प्रार्थना करता हूं. गेहूं की फसल, चूंकि सम्‍पूर्ण मध्‍यप्रदेश में कई वर्षों तक किसान कांग्रेस का अध्‍यक्ष रहकर मुझे अनुभव है कि सरकार द्वारा दावे किये जाते हैं  और हम  यह नहीं कह रहे हैं कि  सरकार के प्रयास नहीं होते, पर  जब हमको यह पता है कि हर क्षेत्र में किसान  अपनी फसलें बेचने के लिये  हर साल आता है. हमको पता है कि 5-5,6-6 दिन  लाइनों में किसान अपनी फसलों   की तुलाई के लिये लगा रहता है और  अगर कोई किसान 40 किलोमीटर  दूर से  अपनी फसल बेचने  के लिये मण्डी या सोसायटी में आया है,  4 दिन अगर वह रहता है,  अगर गरीब है, तो उसका बेटा साइकिल से  खाना देने वहां आता है.  लगभग उन 4 दिनों में  उस गरीब किसान का 1 से  3 हजार रुपये का खर्च खाने  में  हो जाता है, मच्छरों में और जमीन पर, सड़कों पर वह सोता है.  सरकार से मेरी मांग है कि  तुलाई केन्द्र बढ़ाये जायें.  तुलाई केन्द्र कम होने के कारण  हमारे किसान भाई आये दिन फसल तुलाई  के समय पर परेशान होते हैं. 4-5   दिन ट्रेक्टरों की लाइनें लगी रहती हैं.  कई जगह झगड़े,उधम होते हैं. तो मेरी  मांग है कि  तुलाई केंद्र  मध्यप्रदेश में हर जगह और मुरैना  जिले के  अन्दर भी बढ़ाये जायें.  अभी आवास की बात हुई कि  मध्यप्रदेश और देश की सरकार  आवास देकर जनता को सुविधायें दे रही है.  मैं सदन में बैठे हुए सभी सदस्यों से  प्रार्थना करता हूं कि  कोई भी एक विधायक  चुन लें  और मेरे साथ चलें लगभग 2-3 वर्षों से  मुरैना  विधान सभा क्षेत्र के बामोर  नगर पंचायत में आवास कालोनी का निर्माण हुआ,  उसमें लोग निवास कर रहे हैं, परन्तु  आज तक  वहां  न तो  ट्रांसफार्मर लगाकर बिजली  के तारे, खम्भे लगाये गये, न सड़कें, नाली बनाई गईं,  न पानी के लिये कोई बोर करके  उनको नल कनेक्शन दिया गया.  आज भी टेंकरों से पानी  जाकर लेते हैं.  बेचारे अंधेरे में जीवन जी रहे  हैं.  तो मेरी सरकार से मांग है कि  बामोर नगर पंचायत के अंतर्गत जो बामोर खुर्द  में   आवास कालोनी बनी है,  उसमें बिजली,पानी  और सड़क की, नाली  की व्यवस्था की जाये, यह मैं सरकार से मांग करता हूं.  बामोर औद्योगिक क्षेत्र है और जितने भी हमारे यहां उद्योग लगे हुए हैं मुरैना विधान सभा क्षेत्र में, सरकार की मंशा के अनुरुप लगभग 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को उसमें नौकरी मिलनी चाहिये.  आज हालात यह हैं कि  मुरैना  क्षेत्र के जितने भी औद्योगिक क्षेत्र हैं, जितनी भी फैक्ट्रियां हैं. उनमें स्थानीय  नौजवानों को रोजगार नहीं दिया जाता है.

6.17 बजे                 {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}

मुरैना जिले का नौजवान  गुजरात, दिल्ली, पुणे जाकर  मजदूरी कर रहा है और  बाहर के लोग मुरैना में आकर  रोजगार कर रहे हैं और मुरैना का नौजवान  बेरोजगार बाहर  मजदूरी करने  जाता है, यह दुर्भाग्य है. यह मेरी मांग  है सरकार से कि इस पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिये.  जिस जिले, तहसील एवं क्षेत्र  में अगर कोई उद्योग  लगा है, तो वहां के 70 प्रतिशत  लोगों, नौजवानों को रोजगार  दिया जाये, यह  मैं सरकार से मांग करता हूं.  ऐसे ही हालात मुरैना जिला चिकित्सालय में  अभी लगभग 8-10 दिन पहले पिता पुत्र मोटर साइकिल  से जा रहे थे, दुर्भाग्य से दुर्घटना हुई और  उसमें पिता की मृत्यु हो गयी.  बेटे को जब लोग अस्पताल में  लेकर के गये, तो इमरजेंसी में कोई डॉक्टर नहीं  है.  एक्सरे के लिये वह दो घण्टे तक बैठा  रहा.  जब हम फोन लगा रहे हैं, पता लगता है कि इमरजेंसी में  डॉक्टर ही नहीं है,तो जो हालात मुरैना  के अन्दर जो  बड़ी बड़ी बातें की जाती हैं कि  स्वास्थ्य के लिये बहुत भव्य   अस्पताल बनाया गया है.  मेरी मांग है कि डॉक्टरों  की जो कमी है, उसकी पूर्ति की जाये और जो व्यावहारिक रुप से  अपनी  जवाबदारी को डॉक्टर नहीं निभा रहे हैं,  उनके खिलाफ   कड़ी कार्यवाही की जाये.  इस संबंध में माननीय जिलाधीश महोदय को हम  पत्र  भेजेंगे और  शिकायत मेरे पास आई है.  माननीय अध्यक्ष जी,  आपके पास भी  हम  उसको भेजेंगे.  मैं इन्हीं सब बातों के साथ साथ  एक प्रार्थना करना चाहता हूं कि  जिस तरह से  होड़ मची है कि कांग्रेस के विधायकों के काम  नहीं होने चाहिये.  मैं अपने सभी परिवार,  यह परिवार है.  इसमें चाहे वह भाजपा के सदस्य हों, चाहे  कांग्रेस के हों या हमारे कोई अन्य दल के हों. सब एक परिवार के रुप में  इस मध्यप्रदेश को  न्याय देने, विकसित एवं अधिकार  देने के लिये  सब आये हैं. तो मैं प्रार्थना करना चाहता हूं कि  एक  भावना ऐसी होनी चाहिये कि हम सबमें कि  हम लोग अपने अपने क्षेत्रों  में  कैसे जनता की समस्याओं का  समाधान  कर सकें. उसमें हम मध्यप्रदेश की सरकार से मांग करते हैं कि कोई भेदभाव किसी भी विधायक के साथ में न हो, पूरी ईमानदारी-निष्ठा से जो संकल्प हम लोगों ने लिया है इसके हिसाब से मध्यप्रदेश का विकास सबको मिलकर करना चाहिये. अध्यक्ष महोदय जी आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर दिया, मैं हृदय की गहराईयों से आपको धन्यवाद देता हूं.

          श्री नितेन्द्र बृजेन्द्र सिंह राठौर                          (अनुपस्थित)

          श्री राजेश कुमार वर्मा                                  (अनुपस्थित)

          श्री प्रदीप अग्रवाल                                      (अनुपस्थित)

          श्री नारायण सिंह पट्टा(बिछिया)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं.माननीय अध्यक्ष महोदय, महामहिम के अभिभाषण में सरकार ने अपनी ढेर सारी उपलब्धियों का बखान तो कर दिया जिन्हें सुनकर और पढ़कर तो लगेगा कि प्रदेश में बहुत काम हो रहा है, बहुत विकास हो रहा है लेकिन वास्तविकता क्या है इस बात को प्रदेश का एक एक नागरिक जानता है.

          अध्यक्ष महोदय, सरकार किसानों के नाम से सत्ता में आई लेकिन आज किसानों को धान के समर्थन मूल्य का जो वायदा किया गया था वह आज 3100 रूपये और 2700 रूपये नहीं दिया जा रहा है, किसानों के पास जाकर के सीधे धान और गेहूं खरीदने के प्रोक्योरमेंट-वन का नेटवर्क शूरू करने की बात कही गई थी आज तक इसका पता नहीं है. किसानों को कर्ज लेकर के अपनी उपज खरीदी केन्द्रों तक लानी पड़ रही है और कई दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है.

          अध्यक्ष महोदय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री जी सदन में उपस्थित हैं मैं कहना चाहता हूं कि भाजपा के संकल्प पत्र में 150 दिन रोजगार देने का वायदा किया गया था लेकिन अभी परिस्थितियां यह है कि मजदूर को 100 दिन भी  रोजगार मिल जाये तो बहुत बड़ी बात है. उसमें भी उनको पूरी मजदूरी नहीं मिल पा रही है. आज भी प्रदेश में मनरेगा का करोड़ो रूपये मजदूरी भुगतान और मटेरियल के भुगतान लंबित हैं. आदिवासी ब्लाकों में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय खोलने की बात कही गई थी, आज भी हमारे मंडला जिले के आदिवासी ब्लाक इससे अछूते हैं.

        अध्यक्ष महोदय, जनजातीय कल्याण के लिये 3 करोड़ रूपये खर्च करने की बात संकल्प पत्र में कही गई थी लेकिन हालात यह हैं कि राज्य सरकार तो दूर केन्द्र सरकार से जिलों के लिये आई राशि भी जिलों को कई वर्षों से नहीं दी जा रही है. जनजातीय पूजा स्थलों के विस्तार और नवीनीकरण के लिये 100 करोड़ रूपये से कार्य कराने की बात संकल्प पत्र में कही गई थी लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ. जनजातीय नायकों के स्मारकों का निर्माण व किलों के नवीनीकरण की बात कही गई थी लेकिन कुछ नहीं हुआ. सभी आदिवासी ब्लाकों में माइनर फारेस्ट प्रोड्यूस प्रोसेसिंग सेन्टर (Minor forest produce processing and research center)

की स्थापना की बात कही गई थी लेकिन आज तक एक भी नहीं बना है. इसी तरह से आदिवासी ब्लाकों में विद्यार्थियों के लिये प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के लिये, रानी दुर्गावती  प्रशिक्षण एकादमी  स्थापित करने की बात कही गई थी, आज तक कोई एकादमी नहीं बनी.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिवासी समाज के सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियों के लिये आदिवासी ब्लाकों में कला भवन बनाये जाने थे लेकिन नहीं बने.जनजातीय खेल महोत्सव ब्लाक स्तर पर आयोजित करने की बात कही गई थी एक भी नहीं हो पाया. सभी ब्लाकों में आईटीआई खोलने की बात कही गई थी आईटीआई खुलना तो दूर की बात है जो सरकारी आईटीआई हैं उनको प्रायवेट संस्थाओं को देने की तैयारी चल रही है. राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण में सिर्फ वर्ष 2023 के विधान सभा चुनाव में जो संकल्‍प पत्र था मैं उसी की बात करना चाहता हूं. आदरणीय पंचायत मंत्री पटेल साहब, मैंने एक प्रश्‍न भी लगाया था, पेसा नियम 2022 के नियम 17(1) के तहत पटवा‍री और बीटगार्ड द्वारा गांव की सीमा के भीतर जो राजस्‍व अभिलेख अर्थात् नक्‍शा बी-1 प्रदाय करने के लिये जिसमें मंत्री जी ने अपने उत्‍तर में स्‍वीकार भी किया और उन्‍होंने कहा कि पेसा नियम प्रदेश के 20 जिलों में लागू है जिनमें से 14 जिलों में आपने नक्‍शा खसरा और अभिलेख देने की बात स्‍वीकार की, लेकिन हमारे पांचवे शेड्यूल में मंडला और डिंडोरी जहां पर पेसा कानून 100 परसेंट लागू होता है वहां पर आज भी यह अभिलेख उपलब्‍ध नहीं हो पाये हैं. दूसरा जो मोबिलाइज़र पेसा एक्‍ट को आगे बढ़ाने का काम करते हैं, आपने अपनी चुनावी घोषणा में कहा था कि 8,000 रुपये हम देंगे, लेकिन मेरे प्रश्‍न के जवाब में माननीय मंत्री जी ने स्‍वीकार किया है कि यह केन्‍द्र प्रवर्तित अभियान है, यह कहकर किये हुये वायदे को राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण में शामिल नहीं किया गया है. अध्‍यक्ष महोदय, इसी तरह विधवा एवं निराश्रित पेंशन 1,500 रुपये देने की बात कही थी लेकिन अब तक नहीं दी गई. बालिका सैनिक स्‍कूल स्‍थापित करने की बात कही गई थी लेकिन आज तक उसकी कोई चर्चा नहीं हुई.

          अध्‍यक्ष महोदय, 20,000 करोड़ के निवेश से सुचारू स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍थाओं की बात कही गई थी लेकिन असलियत में अस्‍पतालों में व्‍यवस्‍था तो दूर चूहों तक को भगाया नहीं जा सका है. अभी-अभी सोशल मीडिया में पूरे प्रदेश के लोगों ने आप, हम सब लोगों ने देखा होगा. 

          अध्‍यक्ष महोदय -- नारायण सिंह जी, प्‍लीज़ अब पूरा करिये. बहुत लोग बोलने वाले हैं. 5 घंटे की चर्चा हो गई है जिसमें 3 घंटे प्रतिपक्ष को मिले हैं और 2 घंटे पक्ष को मिले हैं. प्‍लीज़ समाप्‍त करें.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं जिला चिकित्‍सालय की बात करना चाहता हूं जहां पर हमारे बच्‍चों का वार्ड है वहां पर चूहे इतने ज्‍यादा हो गये हैं लेकिन विभाग को किसी प्रकार की कोई चिंता ही नहीं है. यह बहुत ही चिंता का विषय है. एक महत्‍वपूर्ण विषय और है.

          अध्‍यक्ष महोदय  -- महत्‍वपूर्ण वाला आप पहले ले लें.

          श्री नारायण सिंह पट्टा -- अध्‍यक्ष महोदय, शिक्षा विभाग में वर्ष 1995, 1998, 2001, 2003, 2008 और वर्ष 2013 में विभिन्‍न संवर्ग पदों पर शिक्षकों की भर्ती हुई थी. वर्ष 2018 में इस संवर्ग को खत्‍म कर अध्‍यापक संवर्ग में संविलियन कर दिया गया. शिक्षकों की नियुक्ति सन् 2018 से मानकर उनकी पूर्ण सेवा को शून्‍य घोषित कर दिया गया. अर्थात् ओपीएस (ओल्‍ड पेंशन स्‍कीम) में पात्रता के अनुसार 25 वर्ष का सेवाकाल आवश्‍यक है और यदि इनका वर्ष 2018 में संविलियन करके इनकी सेवाकाल अवधि को अगर समाप्‍त किया जाता है तो इनको पेंशन की पात्रता कैसे हो पायेगी. प्रदेश में लगभग 2 लाख से अधिक शिक्षक इससे वंचित हो जाएंगे. अंत में मैं सिर्फ यही कहना चाहता हूं कि यह जो राज्‍यपाल महोदय का अभिभाषण है इस अभिभाषण में पूरी तरह से आंकड़ों को पढ़ाया गया है और पढ़कर जिस तरह से सरकार ने अपनी पीठ थप-थपाने का काम किया है उससे निश्चित रूप से इस प्रदेश का भला नहीं होगा. अध्‍यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

            श्री गौरव सिंह पारधी (कटंगी) -- अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का समर्थन करता हूँ. सरकार के द्वारा लाई गई सारी योजनाओं के लिए मैं धन्यवाद करता हूँ. उम्मीद करता हूँ आने वाले समय में प्रदेश आगे बढ़ेगा. धन्यवाद.

          श्री विवेक विक्की पटेल (वारासिवनी) -- अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के कृतज्ञता ज्ञापन से असहमत हूँ. हमारा प्रदेश बेरोजगारी और महंगाई में अव्वल है. आज ही के दैनिक भास्कर अखबार में प्रथम पेज पर खबर आई है कि डेढ़ साल में 600 प्रतिशत मेडिकल जांचें महंगी हो गई हैं. मैं कुम्भ स्नान के लिए प्रयागराज गया था. वहां पर हमने वाहन में डीजल भरवाया तो पता चला कि वहां पर मध्यप्रदेश से 7 से 8 रुपए प्रति लीटर डीजल सस्ता है. पूरे देश में सबसे महंगा डीजल हमारे प्रदेश के किसानों और जनता को लेना पड़ रहा है. पिछले 20 सालों में मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. मैं बालाघाट जिले से आता हूँ वहां पर न तो शासकीय मेडिकल कॉलेज है, न ही शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज है. कुछ नया तो नहीं हुआ है परन्तु दुर्भाग्य की बात है कि पिछले कई सालों से हमारे जिले में रेंजर कॉलेज था मुझे जानकारी मिली है कि उसे बालाघाट से स्थानान्तरित करने का प्रयास किया जा रहा है. मैं आपके माध्यम से सरकार से कहना चाहता हूँ कि उसे स्थानान्तिरत न किया जाए. बालाघाट में बीज निगम का ऑफिस भी है उसे भी वहां से हटाने का प्रयास किया जा रहा है. मैं चाहता हूँ कि रेंजर कॉलेज और बीज निगम का ऑफिस बालाघाट से स्थानान्तरित न किए जाएं.

          अध्यक्ष महोदय, इस समय रबी की फसल लगी हुई है. अभिभाषण में कहा गया था कि किसानों को 5 रुपए में स्थाई कनेक्शन दिया जाएगा. बालाघाट जिले में किसानों ने गेहूं, धान लगाने के लिए 8 हजार रुपए में अस्थाई कनेक्शन लिए हैं. जिले के किसानों को न तो बिजली मिल रही है न ही नहर से पानी आ रहा है. वोल्टेज नहीं मिल रहा है, ट्रांसफार्मर जल रहे हैं. जो भी वितरण केन्द्र हैं सब ओव्हरलोड हो रहे हैं. किसानों की फसल बर्बाद हो रही है. नहर से पानी नहीं आ रहा है. नहरों का मरम्मतीकरण हो. राजीव सागर नहर है उसकी लाइनिंग हो. वारासिवनी हमारा सब डिवीजन है वहां पर जो जनता से जुड़े हुए विभाग हैं जैसे पीएचई, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई और आरईएस इनमें अधिकारी नहीं हैं. एक ही अधिकारी है वही सब इंजीनियर है, वही एसडीओ है और वही ईई है. पहले यहां पर एसडीओ रहा करता था, 5-6 ओवरसिअर होते थे और भी अमला होता था जो गश्त किया करता था. आज एक एसडीओ है जो कि दो साल में रिटायर हो जाएंगे. सरकार जरुरी विभागों में नियुक्ति करे जिससे जनता के काम आसानी से हो सकें.

          अध्यक्ष महोदय, हमारा जिला बाघों का जिला है. वहां पर लगातार बाघों की करंट से, दुर्घटना से मौतें हो रही हैं, इस पर सरकार ध्यान दे. वनों की अवैध कटाई पर रोक लगाए. अवैध रेत खदानों पर नियंत्रण करे. घर-घर, मोहल्ले, ग्रामों में अवैध शराब विक्रय पर प्रतिबंध लगाया जाए. हमारे जिले में धान उपार्जन केन्द्र प्रत्येक ग्राम में बनाया जाए. धान उपार्जन केन्द्रों की बालाघाट सहित पूरे मध्यप्रदेश में जांच चल रही है. सैंकड़ों क्विंटल धान कम पाई गई है. मैं चाहता हूँ कि सहकारी समितियों के स्थान पर समूहों को खरीद का अधिकार दिया जाए. कृषि उपकरण प्रदाय किये जाने हेतु सरलीकरण किया जाए. प्रत्येक किसान को 5 हार्स पॉवर तक बिजली मुफ्त उपलब्ध कराई जाए. शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा न देकर स्थानीय स्तर पर शासन द्वारा शिक्षण संस्थान प्रारंभ किये जाएं. शिक्षण शुल्क पूर्णत: प्रतिबंधित किया जाए. फर्टिलाइजर की एमआरपी कम कर किसानों को सस्ते दामों पर खाद, बीज उपलब्ध कराए जाएं. धान एवं गेहूं का समर्थन मूल्य 3100 एवं 2700 रुपए किया जाए. जैविक खेती को बढ़ावा दिए जाने का बजट में प्रावधान किया जाए. बेरोजगारी के कारण गरीबी बढ़ रही है प्रत्येक घर में रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं. श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने पर पलायन रोका जा सकता है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में दो एथेनॉल प्लांट खुले हैं मैं चाहता हूँ कि इनमें स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान किया जाए.

          अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.

          श्री पंकज उपाध्‍याय (जौरा)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कल राज्‍यपाल जी का भाषण सुना आज बड़े ही दुखी मन से यहां अपनी बात रख रहा हूं. मैं पहली बार का विधायक हूं और बड़ी उम्‍मीद लेकर आया था. आपको देखा, प्रहलाद जी को देखा, कैलाश जी को देखा और वरिष्‍ठ लोगों को देखा तो लगा कि बिजली, पानी, सड़क सभी काम बड़ी आसानी से हो जाएंगे, मैं जो यहां पर बोलूंगा वह होगा, लेकिन मैं जहां एक साल पहले खड़ा था आज भी वहीं पर खड़ा हूं. पानी की समस्‍या की बात करें तो हमने लगातार नलजल योजना की यहां बात की है कैलाश विजयवर्गीय जी ने पिछली बार आश्‍वासन दिया कि जिले की एक समिति बनाएंगे जिन विधायकों को रखेंगे और वह गांव-गांव जाकर देखेंगे कि क्‍या स्थिति है. एक साल में कोई भी ऐसी कार्यवाही नहीं हुई ठेकेदार अपनी मनमर्जी से काम करे जा रहे हैं. पूरे विभाग का हर कर्मचारी अपनी मर्जी से काम किये जा रहा है. एक भी नल की टोंटी में से पानी नहीं निकल रहा है लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है. एक साल से हम प्रत्‍येक विधान सभा में इस प्रश्‍न को लगाते हैं और उत्‍तर मिल जाता है कार्यवाही जारी है, हो रहा है, होगा लेकिन काम कब होगा यह आज तक पता नहीं चल पाया है. ऐसे ही विकलांग हैं जिनके दोनों पैर खराब होते हैं उनको साठ प्रतिशत का प्रमाणपत्र पकड़ा दिया है और जो विकलांग नही थे, बहरे, अंधे नहीं थे उन लोंगो को आपने फर्जी प्रमाण पत्र देकर नौकरियां दे दीं हैं. आपने 100-100 प्रतिशत के प्रमाण पत्र दे दिये हैं लेकिन जिनके दोनों पैर नहीं हैं आज तक हम उन लोगों को सायकिलश्क नहीं दे पाए. बहुत ही शर्म आती है जब वह लोग हमारे पास में आते हैं कि आप विधायक हो हमको साय‍किल तो दिला दो. इस पर मेरा सदन से अनुरोध है कि यह बड़ी ही संवेदनशील बात है कि जिन लोगों के दोनों पैर नहीं हैं और हमें आंखों से दिख रहा है लेकिन हम उन्‍हें सायकिल नहीं दिला पा रहे हैं. इस पर आप कुछ कार्यवाही करें. खाद मांगने जाते हैं तो डंडे पड़ रहे हैं. किसान अपनी फसल बेंचने जाता है तो वह लाईन में लगा रहता है. मेरा आपसे अनुरोध है कि जो खरीदी केन्‍द्र हैं उनकी संख्‍या बढ़ाई जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय, राज्‍यपाल जी ने जो भाषण दिया पेज नम्‍बर 9 पर हमने अस्‍पतालों की बातें सुनीं हमारे जौरा में अस्‍पताल बने हैं लेकिन उनमें डॉक्‍टर नहीं हैं. स्‍टॉफ नहीं है, दवाईयां नहीं हैं. अभी आपने नये अस्‍पताल का उद्घाटन किया लेकिन 50 प्रतिशत डॉक्‍टर भी वहां पर उपलब्‍ध नहीं हैं. वहां पर तीन माह से महिलाओं की डॉक्‍टर नहीं हैं. जब डिलेवरी होने आती है तो वह पहले वहां पर आती हैं और फिर मुरैना पहुंचाई जाती हैं. आप समझ सकते हैं कि यह कितनी गंभीर बात है. अगर तीन माह से वहां पर डॉक्‍टर नहीं हैं तो कैसे क्‍या व्‍यवस्‍था हो रही होगी यह बहुत ही गंभीर विषय है, लेकिन सरकार लगातार अपनी पीठ थपथपा रही थी और मैं सोच रहा था कि मेरे क्षेत्र का तो कुछ काम ही नहीं हुआ भवन बन गए हैं लेकिन डॉक्‍टर नहीं हैं. यहां पर अटल एक्‍सप्रेस वे की घोषणा हुई माननीय अध्‍यक्ष जी पहले आपने घोषणा की थी कि आप बीहड़ में से इस सड़क को निकालेंगे हमने बहुत स्‍वागत किया कई उत्‍साह मने कि बहुत ही बढि़या काम हो रहा है लेकिन आप उपजाऊ भूमि में से अगर सड़क को निकालेंगे तो यह किसान कहां जाएंगे, जो सीमान्‍त किसान हैं वह कहां जाएंगे. मेरा आपने अनुरोध है कि हमें इस पर गंभीरता से विचार करना होगा यदि हमने इन लोगों को आज बेरोजगार कर दिया तो आने वाले समय में हमें कोई माफ नहीं करेगा. वह जो हजारों एकड़ का बिहड़ पड़ा है आप उस बिहड़ पर सड़क निकालिए आपका स्‍वागत है. ऐसे ही आपने सोलर प्‍लांट की योजना ला दी सबने तारीफ की कि बहुत बड़ा सोलर प्‍लांट बन रहा है. प्रदेश का सबसे बड़ा सोलर प्‍लांट बन रहा है. जो पशुधन यहां वहां घूम रहा है वह कहां जाएगा. आपने यदि हमारी पच्‍चीस हजार बीघा जमीन ले ली और जहां जमीन पर सोलर प्‍लांट लग जाएगा तो जमीन में से पानी कम जो जाएगा. वहां के किसान कहां जाएंगे इस बारे में किसी ने कोई चर्चा नहीं की है. मैं फिर कहना चाहता हूं कि जो हमारा बिहड़ का इलाका है चंबल के पास का वहां लाखों एकड़ भूमि खाली पड़ी हुई है वह आप इन उद्योगपतियों को दीजिए. अडानी, अम्‍बानी को हमारी उपजाऊ जमीन देने की अपेक्षा वह जमीन दीजिए तो वहां पर उसका विकास भी होगा और हमारे किसान आपकी तारीफ भी करेंगे. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, लोगों को बिजली नहीं मिल रही हैं, लोग घंटों-दिनों त‍क खड़े रहते हैं. डीपी जल जाती है तो दो-दो माह तक बिजली नहीं आती है, जब तक रिश्‍वत नहीं दी जाती है, तब तक डीपी नहीं बदली जाती है. मेरा अनुरोध है कि ये बहुत ही गंभीर विषय है इस पर आपको चिंतन करना होगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे यहां से सबसे ज्‍यादा लोग सेना में जाते हैं. इतने लोग शहीद हो जाते हैं. उसके बाद भी हम मुरैना जिले एक ट्रेनिंग सेंटर आज तक नहीं बना पाये कि जहां हमारे नए युवा ट्रेनिंग कर सकें. मैं, विगत एक वर्ष में 5 बार इस सदन में, इसकी मांग कर चुका हूं लेकिन किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगती है. शहीदों की केवल एक बार तारीफ कर दो, फिर उन्‍हें भूल जाओ. वहां स्‍कूल नहीं है हमारे युवाओं के साथ भेदभाव हो रहा है, वे सेना में भर्ती होने के लिए सागर जाते हैं, ट्रेनों में जगह नहीं होने से उन्‍हें डंडे मारे जाते हैं. भिंड-मुरैना का जितना अपमान किया जा रहा है, अध्‍यक्ष जी यदि आपके रहते यह हो रहा है तो वास्‍तव में यह हमारे लिए चिंतनीय विषय है.  (मेजों की थपथपथाहट)

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम वहां शक्‍कर कारखाना नहीं खोल पा रहे हैं. आप ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स समिट बुला रहे हैं, 30.77 लाख करोड़ रुपया का आपको निवेश प्राप्‍त हुआ है, बड़े-बड़े उद्योगपति आ गए लेकिन आपको पूरे भारत में एक उद्योगपति नहीं मिला जो हमारे शक्‍कर कारखाना में मात्र डेढ़ सौ करोड़ रुपये लगा दे, यदि यह कारखाना खुल जायेगा तो वहां के 20 हजार किसानों के घरों में आर्थिक क्रांति आ जायेगी, वहां 2 हजार युवाओं को रोजगार मिल जायेगा लेकिन आप तो लगे हैं, उस जमीन को बेचने के लिए. मैं, सदन को विश्‍वास दिलाता हूं कि वह ज़मीन तो नहीं बिक पायेगी, हम वह ज़मीन तो नहीं बिकने नहीं देंगे, चाहे हमारी जान चली जाये. मैं, इस सदन में आपको विश्‍वास दिला रहा हूं कि उस शक्‍कर कारखाने को आपको पुन: प्रारंभ करना होगा. (मेजों की थपथपथाहट)

          अध्‍यक्ष महोदय-  पंकज जी, समाप्‍त करें.

          श्री पंकज उपाध्‍याय-  अध्‍यक्ष जी, थोड़ा समय और दें. अर्चना जी ने सुबह डेढ़ घंटा बोली हैं. खुलेआम वसूली चल रही है. अभिभाषण में लिखा है कि चैक पोस्‍ट बंद कर दिये गए हैं. चैक पोस्‍ट भले बंद कर दिये गए हैं लेकिन वसूली वैसी की वैसी ही चालू है और पहले से दुगुनी वसूली हो रही है. जी.एस.टी. की लूट मची हुई है. ट्रक वाले से पहले 500 रुपये लिये जाते थे लेकिन अब 5000 रुपये लिये जा रहे हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारी तहसीलों में नामांतरण नहीं हो रहे हैं. आपने इसमें लिखा है कि सायबर तहसील परियोजना लागू हो गई है, राज्‍यपाल महोदय बड़े खुश हो रहे थे कि सभी काम ऑनलाईन हो रहे हैं. आज भी जौरा में हजारों लोग लाईन में लगे हैं, आप चलकर देखिये. लोग परेशान हैं, नामांतरण नहीं हो रहे हैं, तहसीलदार, आर.आई., पटवारी कई-कई महीनों तक घुमा रहे हैं. हमें विधायक बने एक वर्ष हो गया है, हमें जनता के बीच जाने में बहुत शर्मिंदगी होती है कि हम बड़ी-बड़ी बातें बोलकर यहां आये थे लेकिन कुछ काम नहीं कर पा रहे हैं. अध्‍यक्ष जी, कहने को बहुत कुछ है लेकिन आपने कई बार टोक दिया है, मैं फिर से बजट पर बोलना चाहूंगा लेकिन अध्‍यक्ष जी मेरा आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है, क्‍योंकि आप हमारे क्षेत्र के नेता हैं, हम आपको यहां देखते हैं तो हमें गर्व होता है कि आप यहां बैठे हैं लेकिन उसके बावजूद भी यदि दलितों पर, गरीबों पर, महिलाओं पर, शोषितों पर अत्‍याचार होगा तो यह अच्‍छी बात नहीं है, कोई ध्‍यान देने वाला नहीं. अध्‍यक्ष जी, मेरा निवेदन है कि आप अपनी पीठ थपथपायें, अपनी तारीफ करें लेकिन गरीबों, दलितों का ध्‍यान भी रखें.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, प्रहलाद सिंह पटेल जी को धन्‍यवाद देना चाहूंगा कि उन्‍होंने मेरे क्षेत्र में 5 सामुदायिक केंद्र दिये हैं, उसके लिए बहुत-बहुत धन्‍यवाद. हमारे यहां बहुत गरीब-दलित लोग हैं, जिनके पास बरसात में बैठने के लिए जगह तक नहीं है, कोई मर जाये तो बैठने की जगह नहीं है. मेरे क्षेत्र में 25-30 जगह और शेष है वहां भी कृपा करके सामुदायिक केंद्र दे दीजिये, धन्‍यवाद, जय भारत-जय हिन्‍द.

          श्री चैन सिंह वरकड़े (निवास)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं, राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण में पूरे प्रदेश में सिंचाई व्‍यवस्‍था को लेकर उल्‍लेख किया गया कि निरंतर सिंचाई का रकबा प्रदेश में बढ़ रहा है परंतु मैं, मण्‍डला आदिवासी जिले की निवास विधान सभा क्षेत्र से आता हूं,  विगत कई वर्षों से निवास विधान सभा क्षेत्र में सिंचाई का एक इंच भी रकबा नहीं बढ़ा है. साथ ही वर्ष 1975 में निवास के पास मझगांव जलाशय का निर्माण हुआ था और भी कुछ छोटे-छोटे जलाशयों का निर्माण हुआ था, लावर जलाशय का निर्माण हुआ था लेकिन उनकी नहरों का रख-रखाव न होने की वजह से जलाशय में भरे हुए जल का उपयोग हम नहीं कर पा रहे हैं. निवास सब-डिवीज़न में सिंचाई विभाग में केवल एक सब-इंजीनियर है, कैनाल खोलने के लिए कोई चौकीदार तक नहीं है, न ही कोई अन्‍य स्‍टाफ है. मैं आपके माध्‍यम से कहना चाहता हूँ कि इन पुराने जलाशयों का विधिवत् रख-रखाव करें, ताकि उसका लाभ किसानों को मिल सके, साथ ही बरगी जलाशय का भराव मण्‍डला जिले के निवास विधान सभा क्षेत्र में है. मैं विगत एक वर्ष से बरगी जलाशय से उद्वहन सिंचाई योजना की मांग कर रहा हूँ, लेकिन सरकार आज भी उस पर कोई विचार नहीं कर पा रही है. मैं आपके माध्‍यम से चाहता हूँ कि यदि युवाओं को रोजगार देना है, किसानों को खुशहाल बनाना है, तो फिर खेतों को पानी देना पड़ेगा, इसलिए बरगी जलाशय से उद्वहन सिंचाई योजना की स्‍वीकृति दे, ऐसा मैं आपके माध्‍यम से आग्रह करना चाहता हूँ. माननीय प्रधानमंत्री जी ने जो न्‍याय और ज्ञान का मंत्र दिया है, वह सही है. लेकिन मुझे लगता है कि उसमें जो गरीब है, वह और गरीब होता जा रहा है एवं बड़ा आदमी और बड़ा होता जा रहा है. हम उस गैप को कैसे कम करेंगे ? इस पर सरकार को चिन्‍तन करना चाहिए. हमारे युवा प्रदेश को छोड़कर देश के अन्‍य प्रान्‍तों में जाकर रोजगार की तलाश करते हैं और जब रोजगार नहीं मिलता है, तो वह गलत संगत में पड़कर नशा और गलत दिशाओं में भटक रहे हैं. मैं आपके माध्‍यम से यह कहना चाहता हूँ कि युवाओं को रोजगार मिले, ताकि वह सही दिशा में अपना जीवन यापन और सही दिशा में काम कर सकें.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, शिक्षा की बहुत बातें हो रही हैं, सरकार सीएम राइज के माध्‍यम से स्‍कूलों में सारी सुविधाएं दे रही है, परन्‍तु मैं मण्‍डला जिले की बात करूँ, तो मण्‍डला जिले में विगत बरसात में 400 स्‍कूल जर्जर होने की वजह से, 3 महीने तक बन्‍द रहे थे. प्रायमरी एवं मिडिल स्‍कूल भवन जर्जर हैं, उनका निर्माण बहुत पहले हुआ था. लेकिन दोबारा उनका निर्माण नहीं हो पा रहा है. आप सीएम राइज बनाएं, उसमें कोई दिक्‍कत नहीं है, पर गांव में जो प्रायमरी स्‍कूल हैं, मिडिल स्‍कूल हैं, उनको भी बनाना सरकार की जिम्‍मेदारी है, तब जाकर गांव के गरीब लोगों को, आदिवासी लोगों को शिक्षा का उचित लाभ मिल सकेगा.

          अध्‍यक्ष महोदय - आप पूरा कीजिये, आपका समय हो गया है.

          श्री चैन सिंह वरकड़े - अध्‍यक्ष महोदय, सीएम राइज स्‍कूल ब्‍लॉक स्‍तर पर खोले गए हैं, विद्यार्थियों को 15 किलोमीटर एवं 20 किलोमीटर से स्‍कूल आने-जाने में दिक्‍कत होती है, तो प्रत्‍येक विकासखण्‍ड में कम से कम 300 छात्र एवं 300 छात्राओं के लिये छात्रावास की भी व्‍यवस्‍था हो, ताकि उसका उचित लाभ उनको मिल सके. मैं आपके माध्‍यम से कहना चाहता हूँ कि बिजली सौभाग्‍य योजना के तहत घर-घर बिजली पहुँचाने की बात हुई थी, लेकिन मण्‍डला जिला, निवास विधान सभा में आज भी ऐसे बहुत सारे मजरे-टोले बाकी हैं, जहां बिजली आज तक नहीं पहुँची है, ठेकेदार ने खम्‍भे गड़ा दिये, लाईन खींच दी, लेकिन एक सप्‍ताह बाद वह लाईन उखाड़कर ले गए हैं, मण्‍डला में विभाग के अधिकारी पर अभी जांच चल रही है. मैं आपके माध्‍यम से कहना चाहता हूँ कि सरकार जहां बिजली नहीं पहुँच पाई है, वहां उन मोहल्‍लों में बिजली पहुँचाये, ताकि उसका लाभ हमारे गरीब लोगों को मिल सके.

          मैं एक बात और कहना चाहता हूँ कि भारतीय जनता पार्टी सबका साथ, सबका विकास की बात करती है. लेकिन यह सदन एक परिवार है, यह नहीं दिख रहा है. भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को 15 करोड़ रुपये के काम दिये जाते हैं एवं कांग्रेस के विधायकों को 10 लाख रुपये के काम दिये जाते हैं. इस तरीके से पक्षपात में वह नारा चरितार्थ नहीं हो पा रहा है. मैं आपके माध्‍यम से सरकार से मांग करता हूँ कि आप समान रूप से पूरे मध्‍यप्रदेश का विकास करें, न कि जहां भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं, केवल वहां का विकास हो, पूरे क्षेत्र का विकास हो, इस प्रदेश का किसान, युवा, कर्मचारी/ अधिकारी और सभी खुशहाल रहें, ऐसा काम करें. यही मैं आपके माध्‍यम से कहना चाहता हूँ. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद.  

            श्री बालकृष्‍ण पाटीदार (खरगौन) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण पर बोलने के लिए यहां उपस्‍थित हूँ. मध्‍यप्रदेश का चहुँमुखी विकास हुआ है. महामहिम राज्‍यपाल जी ने अपने अभिभाषण में जो कुछ बताया है, वह एक संकल्‍प है और यह संकल्‍प मध्‍यप्रदेश में सिद्ध हो रहा है. इसको यदि हम देखेंगे तो एक समय था जब गांवों से पलायन होकर के लोग शहरों में आते थे, लेकिन आज परिस्‍थिति बदल गई है. अब लोग शहरों से गांवों में जा रहे हैं. जो सुविधाएं शहरों में हैं, वही सुविधाएं गांवों में भी हो रही हैं. गांवों में पानी की पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था हो रही है. सड़कें बन रही हैं. बिजली का कोई संकट नहीं है. वैसे भी हमारा देश कृषि प्रधान देश है. गांव का पूरा अर्थतंत्र कृषि पर ही चलता है.

            अध्‍यक्ष महोदय, कृषि में जो नवाचार हुए हैं, उसके कारण एक जबरदस्‍त परिवर्तन आया है. गांव का आर्थिक ढांचा बहुत ही मजबूत हुआ है. किसान मजबूत हुआ है. सरकार की जो ये सब नीतियां थीं, कृषि को लाभ का धन्‍धा बनाना, किसान की आमदनी दुगुनी करना और उसको लेकर के जो कुछ हुआ, दो-तीन प्रकार से उसमें काम हुआ है. खेती को लाभ का धन्‍धा बनाने के लिए लागत खर्च को कम करना, उत्‍पादन बढ़ाना और उत्‍पादन का लाभकारी मूल्‍य देना. कम खर्चे के लिए ऐसे नवाचार हुए जैसे स्‍वॉइल टेस्‍ट लेबोरेटरी बनाई गईं. ये प्रयोगशालाएं बड़ी संख्‍या में खड़ी की गईं. मिट्टी परीक्षण के अभाव में किसान अनावश्‍यक रूप से रासायनिक खादों का अंधाधुंध उपयोग करता था. अब उसको पता चल गया कि हमारे खेत में नाइट्रोजन की कमी है तो वह नाइट्रोजन उतना ही डालेगा. फॉस्‍फोरस की कमी है तो वही डालेगा या माइक्रो न्‍यूट्रिएन्‍ट्स की कमी है तो वही डालेगा. अनावश्‍यक रूप से उसने खर्च करना कम कर दिया, इसलिए उसकी लागत कम हो गई. वैसे ही सिंचाई में भी ड्रिप एरिगेशन सिस्‍टम आया है. प्रधानमंत्री जी ने कहा कि 'पर ड्रॉप, मोर क्रॉप', और ये ड्रिप्‍स बड़े अनुदान पर मिल रही हैं, उसमें लगभग 80 से 90 प्रतिशत तक अनुदान मिल रहा है. इसके कारण सिंचाई में पानी तो कम लगता ही है, साथ ही उत्‍पादन भी बढ़ता है और उत्‍पादित उपज की गुणवत्‍ता भी श्रेष्‍ठ रहती है. उससे उसको दाम भी अधिक मिलता है. बिना ब्‍याज का ऋण और ऋण पर भी अनुदान, साथ ही कृषि के क्षेत्र में इतने अनुदान मिलते हैं, जिसके कारण किसान की लागत कम हुई है और उत्‍पादन बढ़ा है. फिर लाभकारी मूल्‍य, समर्थन मूल्‍य भी लगातार बढ़ाया जा रहा है. केवल बढ़ाना ही नहीं, निश्‍चित रूप से खरीदी भी हो रही है.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, अभी हमारे एक सदस्‍य कह रहे थे कि उधर छिंदवाड़ा में कपास की खरीदी नहीं हो रही है. सबसे ज्‍यादा कपास तो मैं जहां से आता हूँ, खरगौन जिले में ही होता है. वहां पर सीसीआई बराबर कपास खरीद रही है. गुणवत्‍ता में जो नीचे क्‍लास की कपास रहती है, वह व्‍यापारी खरीदते हैं, लेकिन अच्‍छी गुणवत्‍ता की, उसमें ए,बी,सी, दो-तीन ग्रेड हैं, वह तो सब सीसीआई खरीद रहा है. वैसे ही अब गेहूँ की तो स्‍थिति ऐसी है कि अभी समर्थन मूल्‍य से ऊपर ही चल रहा है और हमारे कई सदस्‍य उसको लेकर के चर्चा कर रहे हैं. समर्थन मूल्‍य पर पर्याप्‍त खरीदी की भी व्‍यवस्‍था है और इसके कारण गांव बदल रहे हैं, गांव समृद्ध हो रहे हैं, किसान समृद्ध हो रहे हैं और यह देखने का विषय है. एक दौर था, जब गांवों में, मैं भी सोच रहा था, एक फिल्‍म थी, आजादी के बाद की, 'दो बीघा जमीन', उसमें जो उस समय किसान को दर्शाया गया था, एक फिल्‍म 'मदर इंडिया' आई थी, उसमें भी गांव का दृश्‍य दिखाया गया था. कुछ लोग उसी दृश्‍य को देखा करते हैं. अब समय बदल गया है, अब वह 'दो बीघा जमीन' वाला किसान नहीं है. अब किसान की बारात जाती है तो गाड़ियों की रैली जाती है. यह क्या है. किसान की समृद्धि का ही तो कारण है. जब गांव में गरीबी थी तो किसान अभाव में रहता था. यह सारी समस्याएं थीं लेकिन आज वह कुछ है नहीं. किसान और गांव बहुत समृद्ध हो रहे हैं और खुशहाली का वातावरण है और विकास की जो गति है वह इतनी तेज है जिसके कारण अभी बात आई कि भिण्ड मुरैना में जो जमीनें हैं वह किसान के पास से चली जाएंगी तो किसान बेरोजगार हो जायेगा इसीलिये जो अयोग्य जमीनें हैं उसका औद्योगिक क्षेत्र में लाभ लिया जाए. यह सुझाव बहुत अच्छा है. यह जो अनुपयोगी जमीनें हैं, आज कोई अनुपयोगी जमीनें बचती नहीं मैं जहां निमाड़ से हूं वहां जो अनुपयोगी और चरनोई की भूमियां थीं उसमें कुछ नहीं होता था लेकिन आज स्थिति यह है कि सारे किसानों ने पत्थर तोड़े तो पत्थर की जो कंकड़ी होती है तो बारिश के कारण वह मिट्टी बन जाती है तो उसमें कपास,मिर्च,सभी प्रकार के फल,फूल पैदा हो रहे हैं तो बीहड़ की चंबल की जमीन  है आप चंबल के सारे किसान तैयार हो जाओ तो जैसे बीहड़ से डाकू खत्म हो गये तो बीहड़ भी साफ हो जायेगा नहीं तो आप लोग हमारे निमाड़ में विजिट कीजिये. धन्यवाद.

          श्री प्रताप ग्रेवाल ( सरदारपुर ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय का अभिभाषण एक तरह से दर्पण है. संकल्प पत्र 2023 में मध्यप्रदेश के नागरिकों के कल्याण के लिये जो वायदे किये गये थे उसके लिये  कहीं भी ठोस प्रयास नजर नहीं आ रहे हैं. संकल्प पत्र 2023 में कहा गया था कि प्रत्येक परिवार को एक रोजगार एवं एक स्वरोजगार प्रदान करेंगे. राज्यपाल जी के अभिभाषण में  बेरोजगारी को लेकर कहीं भी एक भी लाईन दिखाई नहीं दे रही है. आज मेरे प्रश्न के उत्तर में बेरोजगारों की संख्या कितनी है तो उत्तर दिया गया कि रोजगार कार्यालयों में बेरोजगारों की संख्या दर्ज नहीं की जाती जबकु जुलाई 2024 में मेरे प्रश्न में बताया गया कि प्रदेश में 36 लाख बेरोजगार थे. 7 माह में 36 लाख बेरोजगार कहां चले गये यह भगवान जाने या सरकार जाने. हमारे प्रदेश के तीव्र विकास में शासकीय सेवकों का भी एक अहम् योगदान रहता आया है. महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण में कहीं भी कर्मचारियों के हित का उल्लेख नहीं है. वर्ष 2016 से आज तक शासकीय सेवकों की पदोन्‍नति पर रोक लगी है. लाखों शासकीय सेवक वगैर पदोन्‍नति के रिटायर्ड हो गये. अध्‍यक्ष महोदय, यहां तक की जो अंशकालीन कर्मचारी हैं, स्‍कूल छात्रावास में जो काम करते हैं, जिनसे कई घंटों तक काम लिया जाता है, जिनका वेतन 5 हजार के लगभग है, श्रम विभाग के आदेश के बावजूद भी उनका मानदेय नहीं बढ़ाया जा रहा है. मेरा आपसे यही अनुरोध है कि श्रम विभाग के आदेश का पालन करें. बहुत बहुत धन्‍यवाद.

          श्री कैलाश कुशवाह (पोहरी)--  माननीय अध्‍यक्ष जी, आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद, आपने मध्‍यप्रदेश के सबसे बड़े सदन में बोलने का अवसर दिया. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, पोहरी विधान सभा में हमारे राज्‍यपाल महोदय अभी बूड़दा गांव पहुंचे थे और उस कमरे में भोजन भी किया लेकिन उसके आस पास जितने भी कमरे बने हुये थे उनमें प्‍लास्‍टर भी नहीं हुआ था, जो हमारी कुटीरों को पास किया गया मैं उसी बूड़दा गांव की बात कर रहा हूं और माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी बूड़दा से आप भी कई बार वहां से निकले हैं. बूड़दा डेम पास से बना हुआ है और बूड़दा गांव डूब में है, वहां पर सांप, कीड़े, मकोड़े हैं वहां के ग्रामवासी खतरे में रहते हैं. मैं आग्रह करता हूं कि बूड़दा के सभी ग्रामवासियों का विस्‍थापन होकर अन्‍य जगह उन्‍हें जगह दी जाये और उनकी व्‍यवस्‍था की जाये, मैं आपसे यह निवेदन करता हूं. इसी के साथ पोहरी विधान सभा में पोहरी नगर पंचायत लगभग ढाई साल पहले बनी हुई है जबसे वहां कोई भी सीएमओ टिका नहीं है और इतना भ्रष्‍टाचार हो रहा है वहां के सीएमओ और नगर पंचायत अध्‍यक्ष द्वारा कि करोड़ों रूपये के भुगतान हो चुके हैं लेकिन मौके पर कोई कार्य नहीं है, कोई मशीनरी 100 रूपये की आ रही है और उसका 500 रूपये का बिल बन रहा है. मेरा निवेदन है कि पोहरी नगर पंचायत की जांच कर उन पर कार्यवाही हो. इसके साथ ही शिवपुरी जिले में हमारा फिजीकल कॉलेज है वहां पर ट्रेनिंग के लिये दूर-दूर से खिलाड़ी आते हैं शिवपुरी में भी हमारे कई खिलाड़ी हैं लेकिन कहीं न कहीं फिजीकल कॉलेज बंद करने की दिशा में जा रहा है, वीरान पड़ा है जो कि एक समय वहां संभाग के खिलाड़ी आते थे और आज शिवपुरी के खिलाड़ी भी वहां खेल नहीं पा रहे, शिवपुरी में भी हमारे काफी प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं. मैं निवेदन करता हूं कि शिवपुरी जिले में जो हमारा फिजीकल कॉलेज है उसको दोबारा चालू किया जाये. मेरा एक निवेदन और है कि मध्‍यप्रदेश में 54 जिले हैं शिवपुरी जिला एक ऐसा जिला है जहां एक भी उद्योग नहीं है कोई बड़े उद्योग की इकाई भी नहीं है. शिवपुरी के हृदयस्‍थल चौराहे पर हजारों मजदूर खड़े होते हैं, मैं यह निवेदन करता हूं कि एक बड़ा उद्योग वहां पर दिया जाये. इससे पहले अभी परसों हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री जी भी वहां पहुंचे थे और माननीय अध्‍यक्ष जी आप भी गये थे मैं क्षमा चाह रहा हूं तो मेरा निवेदन है कि हमने कूनों पर भी करोड़ों, अरबों रूपये खर्च किये तो अभी पर्यटक तो लेट आयेंगे उससे पहले हमारे शिवपुरी जिले के युवाओं का, बेरोजगारों का पलायन न हो और शिवपुरी जिले का एक बड़ा नाम हो तो मैं निवेदन करता हूं कि बड़े से बड़ा शिवपुरी के लिये एक उद्योग दिया जाये क्‍योंकि अभी 30 लाख करोड़ हमारे बड़े-बड़े व्‍यापारी उस समय भोपाल में आये थे, तो मेरा यह कहना है कि उस तीस लाख करोड़ में से कुछ हिस्‍सा शिवपुरी जिले के लिये दे दिया जाये, एक बड़ा उद्योग हो और हमारा पोहरी और शिवपुरी जिले की सभी विधानसभाओं के युवाओं और बेरोजगारों को रोजगार मिले और उनके परिवारों का संचालन हो, मैं यही आग्रह करता हूं, आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्रीमती अनुभा मुंजारे(बालाघाट) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण के विरोध में बोलने के लिये खड़ी हुई हैं. मैं आंकड़ों में नहीं जाऊंगी, क्‍योंकि पूर्व में हमारे बहुत सारे माननीय सदस्‍यगणों ने हर विभाग के बहुत सारे आंकड़ों पर बात की है, मैं बहुत ही व्‍यावहारिक बात करना चाहूंगी, मैं जमीनी स्‍तर से जुड़ी हुई बात करना चाहूंगी क्‍योंकि हम लोग जनप्रतिनिधि लोग हैं, हम सीधे जनता से जुडे़ होते हैं और आज हम यहां प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में उसी जनता के आर्शीवाद से चुनकर आये हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं कहना चाहूंगी की महामहिम राज्‍यपाल जी का जो अभिभाषण हुआ, उसमें कहीं पर भी किसानों के उत्‍थान की कोई विशेष बात नहीं आई है और जहां तक मैं कहना चाहूंगी कि भारतीय जनता पार्टी की हमारी सरकार है और सम्‍माननीय सदस्‍यगण यहां पर बैठे हैं, इनको यह बात हमेशा अखरती है कि हम लोग इनके घोषणा पत्र के वादों को बार-बार याद दिलाते हैं. घोषणा पत्र की  इसलिए बार-बार याद दिलाना जरूरी होता है, क्‍योंकि कोई भी पार्टी अगर चुनाव लड़ती है तो अपने घोषणा पत्र के आधार पर ही चुनाव लड़ती है और उसी के आधार पर जनता के वोट भी प्राप्‍त करने की वह कोशिश करती है, आज महामहिम राज्‍यपाल जी के अभिभाषण में यह बात नहीं आयी है कि हम किसानों को 32 सौ रूपये धान का समर्थन मूल्‍य देंगे, विगत दिनों माननीय मुख्‍यमंत्री जी बालाघाट जिले के प्रवास पर आये थे और वहां पर क्‍योंकि मैंने पहले भी कहा कि हमारा बालाघाट जिला धान बाहुल्‍य जिला है, वहां पर किसानों ने माननीय मुख्‍यमंत्री जी से सवाल किया कि हमें 31सौ रूपये धान का समर्थन मूल्‍य कम मिल रहा है, तो माननीय मुख्‍यमंत्री जी का यह कहना था कि अभी हमारे पास चार साल बाकी है, हम चार साल में विचार कर लेंगे, इस प्रकार से घोषणा पत्र में आप लोगों ने जो कहा था कि आप पूरा करेंगे लेकिन वह नहीं हो पाया, लाड़ली बहनों की बात वहीं के वहीं रखी है.

          अध्‍यक्ष महोदय, जैसा कि अभी हमारे माननीय सदस्‍यों ने कहा है और बहुत सारी ऐसी बातें हैं, मैं बस यही कहना चाहूंगी कि किसान जहां का खुशहाल होगा, वहां की व्‍यवस्‍था, परिस्थिति खुशहाल होगी, हमारा भारत देश कृषि प्रधान देश है, 70 प्रतिशत आबादी किसानों की है और किसान अगर खुशहाल होंगे तो देश खुशहाल होगा, इस बात को हमको सोचना पड़ेगा और जब तक हम नहीं सोचेंगे तब तक हमारा देश उन्‍नति नहीं कर सकता है, जिसका सपना हम देखा करते थे.

          अध्‍यक्ष महोदय, मेरा यही कहना है कि हमारा बालाघाट जिला धान बाहुल्‍य जिला है और वहां पर सिंचाई के साधनों का बहुत अभाव है, नहरों की हालत खस्‍ता है और अभी सरकार ने एक नया शेड्यूल लेकर आई है कि आठ घंटे किसानों को सिंचाई के लिये बिजली दी जा रही है और उसमें भी बहुत ज्‍यादा भारी कटौती होती है तो इस कारण हमारे यहां जो रबी की फसल लगी हुई है, वह सूखने की कगार पर है, तो मैं कहना चाहती हूं कि मैं जब विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिये भोपाल निकल रही थी, मेरे घर में कम से कम पांच सौ किसान आये और उन्‍होंने यही कहा कि आप विधानसभा जा रही हैं, तो विधानसभा के अंदर आप सिर्फ और सिर्फ सरकार से यही बात हमारी तरफ से रखिये कि हमको पहले की तरह 18 से 20 घंटे बिजली दी जाये, नहीं तो हम बर्बाद हो जायेंगे, हम कहीं के नहीं रहेंगे, हमारी फसल चौपट हो जायेगी.

          अध्‍यक्ष महोदय, आखिर में मैं अपनी बात पुन: कहना चाहती हूं, वैसे तो बहुत कुछ कहने को हो, लेकिन चूंकि मैं महिला जनप्रतिनिधि हूं, इसलिए महिलाओं के हक की और अधिकार की बात करना मेरी बहुत बड़ी जिम्‍मेदारी बनती है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में जो लाल बर्रा ब्‍लॉक है, वहां पर 50 बिस्‍तर का अस्‍पताल है, सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र है, आठ डॉक्‍टरों के पद स्‍वीकृत हैं, लेकिन मात्र तीन डॉक्‍टर वहां पर सेवाएं देते हैं, वहां पर महिला चिकित्‍सक वर्षों से नहीं है, वर्षों से लगातार मांग हो रही है और हजारों महिलाओं के सामने जब प्रसव की गंभीर समस्‍या आती है, जब वह प्रसव पीड़ा से ग्रस्‍त होती हैं, तो उनका उपचार वहां नहीं हो पाता है और 25 किलोमीटर दूर उनको बालाघाट शहर में प्रसव के लिये भेजा जाता है, तो अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से हमारी सरकार से माननीय मंत्रीगण भी यहां पर बैठे हैं,उन सभी से बहुत विनम्रता से आग्रह करना चाहती हूं कि अगर आप लाड़ली बहनों का भला चाहते हैं, उनका जीवन खुशहाल करना चाहते हैं तो महिला डॉक्‍टर लाल बर्रा में अतिशीघ्र नियुक्‍त करें, इसी के साथ मैं अपनी बातों को समाप्‍त करती हूं. अध्‍यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, इसके लिये आपका बहुत -बहुत धन्‍यवाद.  

अध्‍यक्ष महोदय श्री भंवर सिंह शेखावत जी.

श्री भंवर सिंह शेखावत अध्‍यक्ष जी, मैं अपना समय हेमंत कटारे जी को देना चाहता हूं.

अध्‍यक्ष महोदय श्री हेमंत कटारे जी.

श्री हेमन्‍त सत्‍यदेव कटारे (अटेर) माननीय अध्‍यक्ष जी, कल जब माननीय महामहिम राज्‍यपाल जी का अभिभाषण चल रहा था तो शुरूआत अच्‍छी हुई थी उन्‍होंने जब पढ़ना शुरू किया तो एक एक बिन्‍दु को पहले पढ़ा. दूसरे पन्‍ने पर आते आते उन्‍होंने एक एक पैरा (XX) करना शुरू किया. 4-6 पन्‍ने पलटने के बाद उन्‍होंने एक पन्‍ना (XX) किया आखिर में आते आते तीन चार पन्‍ने (XX) कर दिए और समाप्‍त कर दिया. जब आपने आसंदी से कहा कि पूरा पढ़ा माना जाए, तो आपने इस बात की पुष्टि भी कर दी कि उन्‍होंने पूरा नहीं पढ़ा था. (XX)

अध्‍यक्ष महोदय हेमन्‍त जी कंटेंट पर आ जाइए.

श्री हेमन्‍त सत्‍यदेव कटारे यही तो विषय है अध्‍यक्ष जी, जो अभिभाषण होता है, यह निश्चित ही सरकार के कार्यों का दर्पण होता है और सरकार के कार्य गिनाना राज्‍यपाल महामहिम जी की एक ड्यूटी भी होती है . लेकिन मैंने इसमें देखा कि पहले ही पन्‍ने के तीसरे बिन्‍दु से शुरू हुआ और प्रधानमंत्री मोदी और चौथे आठवें नौवें पन्‍ने तक वही चलता रहा और एक जगह पर तो प्रधानमंत्री जी की क्‍या सोच है ज्ञान को लेकर उनके मन की बात भी इसमें आने लगी. जबकि इसमें किसी के मन की बात नहीं आती. यह व्‍यक्ति की सोच का दर्पण नहीं होता. यह तो सरकार के जो कार्य हैा उनकी जो उपलब्धियां हैं प्रत्‍येक वर्ष की उसका दर्पण होता है. जिन्‍होंने भी इसको बनाया है  चाहे वह मंत्री हो या अधिकारी हो कि प्रशंसा और (XX) के बीच में बड़ी छोटी सी लकीर होती है, जो इस लकीर को समझ लें तो अगले बार इसका ध्‍यान रखकर बनाया जाए. इसके पृष्‍ठ क्रमांक 4 पर महिलाओं की सशक्तिकरण की बात हुई है. महिलाओं पर काफी लोगों ने बोला जो उस बिन्‍दु पर नहीं बोल पाए उस बिन्‍दु पर मैं आपका ध्‍यान आकर्षित कर देता हूं. महिला आयोग का गठन मध्‍यप्रदेश में जुलाई 2019 से नहीं हुआ है. हम महिला सशक्तिकरण की बात कर रहे हैं. कोई भी महिला यदि शिकायत लेकर आयोग के पास जाना चाहे तो न इसमें अध्‍यक्ष है, न सदस्‍य है, महिला आयोग की और महिला सशक्तिकरण तो कागजों में हो ही गया. आप देखिए 30 हजार से ज्‍यादा शिकायतें लंबित हैं महिला आयोग में इनको कौन सुनेगा.

मुझे तो कल बड़ी खुशी हुई, कल मैंने मुख्‍यमंत्री मोहन यादव जी को सदन में देखा क्‍योंकि पिछले दो सत्रों से नहीं दिख रहे थे तो ऐसा लगा कि इस बार वे रहेंगे. यदि कल माननीय मोहन यादव जी रहेंगे तो मैं उनसे आग्रह करुंगा कि महिला सशक्तिकरण चाहते हैं तो इन महिलाओं की जो तीस हजार शिकायतें लंबित हैं उनको इनको सुना जाए और आयोग का गठन तुरंत किया जाए.

हमारी वरिष्‍ठ विधायिका, आदरणीय झूमा सोलंकी जी ने बताया था कि जो महिला 60 वर्ष की होती है, उनका नाम लाड़ली बहना योजना में से तुरंत हटा दिया जाता है, उनको एक दिन भी हितग्राही नहीं माना जाता और जो महिला 21 साल की पात्र होकर आ रही है उनको शामिल नहीं कर रहे है. एक तरफ देश और प्रदेश की आबादी बढ़ रही है. कहीं पर भी आबादी कम नहीं हो रही है. आबादी बढ़ रही है लेकिन महिला हितग्राहियों की इस योजना के अंतर्गत संख्‍या घटती जा रही है. यह तो निश्‍चित रूप से महिलाओं के साथ धोखाधड़ी है, इसमें सरकार कैसे अपना बखान कर रही है.

अध्‍यक्ष जी काफी सारे बिन्‍दु है, लेकिन आप रोके इसके पहले ही मैं अपने बिन्‍दुओं को सीमित कर लेता हूं, क्‍योंकि आपकी निगाहें देख रहा हूं, आप बोलने वाले हैं तो मैं खुद ही कम करता हूं. बहुत कम ही लोगों से डरता हूं तो स्‍वीकार करने में क्‍या दिक्‍कत है. आपके सम्‍मान में मैं झुकता हूं, इसको स्‍वीकार करने में मुझे कोई दिक्‍कत नहीं है.

अध्‍यक्ष जी प्रश्‍न क्रमांक 11 पर आजीविका मिशन का उल्‍लेख किया है और सरकार ने आजीविका मिशन फोरम के माध्‍यम से लाखों महिलाओं को लखपति बना दिया. पहले तो इन महिलाओं की सूची उपलब्‍ध करवाई जानी चाहिए क्‍योंकि ऐसी कोई भी महिलाएं लखपति नहीं बनी हैं. दूसरा आजीविका मिशन भर्ती घोटाला एक महाघोटाला है. इसको पहले मैंने ध्‍यानाकर्षण के माध्‍यम से उठाने का आग्रह किया. मैंने कई बार इसमें प्रश्‍न लगाए. आदरणीय पंचायत मंत्री जी का ध्‍यान आकर्षित करना चाहूंगा. मैंने कई बार उनके विभाग में प्रश्‍न लगाए और इसमें मैंने पूछा. विधान सभा में हर बार यह कबूल किया गया, हर बार स्‍वीकार किया कि हां इसमें ललित मोहन बेलवाल और जो अन्य लोग हैं वह दोषी हैं. एक बार नहीं प्रताप जी ग्रेवाल ने पूछा तब भी बोला. मेरे चार चार बार के प्रश्नों के उत्तर में स्वीकार किया कि दोषी हैं. लेकिन उनके खिलाफ कोई भी दण्डात्मक कार्यवाही नहीं की गई है. अंततः ईओडब्ल्यू में शिकायत हुई, वहां पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई. फिर वहां से कोर्ट लगी पिटीशन और कोर्ट के आदेश के बाद इनके ऊपर एफआईआर दर्ज हुई. अभी भी इसके (xx)

          अध्यक्ष महोदययहां पर जो व्यक्ति आ नहीं सकता उसका नाम लेने की जरूरत नहीं है.

          श्री हेमंत सत्यदेव कटारे अध्यक्ष महोदय जी.

          अध्यक्ष महोदयजो व्यक्ति सदन में यहां पर सफाई नहीं दे सकता उनके नाम का उल्लेख क्यों करना ?

          श्री हेमंत सत्यदेव कटारे अध्यक्ष महोदय, मुझे लगता है कि वह दोषी हैं तो मुझे लगता है कि दोषियों के नाम को छोड़ा भी नहीं जाना चाहिये.(xx) मुझे लगता है. लेकिन जो दोषी हैं उनका नाम छोड़ा भी नहीं जाना चाहिये. मुझे नहीं लगता है उनका नाम लेने में मुझे कोई संकोच होना चाहिये. चाहे वह सदन के अंदर हो या सदन के बाहर हों. जिन लोगों ने भ्रष्टाचार को अंजाम दिया उनका नाम तो अध्यक्ष जी लेना चाहिये.(xx) मैं कह रहा हूं खुलकर के आज नहीं तो कल उनके ऊपर एफआईआर होगी. अभी माननीय गोपाल भार्गव जी यहां पर उपस्थित नहीं हैं. उन्होंने 2017 में एक नोटशीट लिखी उनकी नोटशीट की आप उनसे पुष्टि भी कर सकते हैं. विभागीय मंत्री जी की नोटशीट को बायपास करके(xx) नियुक्तियां करवा दीं, क्योंकि वह डायरेक्ट हॉट लाईन से कनेक्टेड थे. उस समय किसी को भी नहीं गिन रहे थे. जो उनके सचिव थे आईएएस(xx) एक सचिव थे(xx) उन सबको उन्होंने बायपास कर दिया. लेकिन मुझे दुर्भाग्य इस बात का है कि हमारे पंचायत मंत्री जी ने जब जब मैंने सवाल पूछा तो सवाल बनाकर के मैं पूरी रात लग गया सवाल बनाने में जवाब आ गया हा ना, हा ना करके खत्म. मतलब कि एक लाईन में पूरा खत्म हो गया. अब कहीं नयी परम्परा न शुरू हो जाये कि जवाब में स्माईल न बनकर के आ जाये उसमें भी थमसब ही डाल दो फिर तो हां ना लिखने की जरूरत नहीं होगी. इतना बड़ा भ्रष्टाचार और उसमें कोई जवाब ही नहीं आ रहा है कुछ भी. जांच पर जांच चली आ रही है. नेहा मरावी बड़ी ही ईमानदार आईएएस अधिकारी हैं उन्होंने पूरी एक मोटी जांच रिपोर्ट दी बकायदा बताया कि कैसे कैसे, किसका क्या दोष है ? एक एक व्यक्ति के कथन लिये उसके बाद ही एफआईआर दर्ज हुई. मेरा आपके माध्यम से मांग है कि(xx) उन्होंने कई ऐसे कारनामों को अंजाम दिया उनके ऊपर एफआईआर दर्ज होनी चाहिये. क्योंकि कांग्रेस का कोई व्यक्ति अपराध ना भी करें तो तुरंत ईओडब्ल्यू संज्ञान ले लेती है. कोई अपराध करके सालों साल खुले आम करे तो उनको छोड़ा जाता है, यह ठीक नहीं है. मुझे लगता है कि सबके लिये कानून एक समान होना चाहिये. इसके प्रश्न क्रमांक 20 पर जीआईएस की बात हो रही है. ग्लोबल इन्वेस्टर समिट की. यह ग्लोबल (xx) है अध्यक्ष जी. कोई इन्वेस्टर समिट नहीं (xx) लोगों को भर्ती करके वहां पर बैठा लिया गया. आपने देखा होगा कि जब लोग खाने खाने के लिये आये थे वह आपको इन्वेस्टर लग रहे थे आपको आपने अगर वहां का दृश्य देखा हो वह खाने की 100 रूपये की थाली को देखकर के खाने पर टूटे थे ऐसे कोई करोड़पति इन्वेस्टर थे. वह बाहर से(xx) लाये हुए थे. मैं आपको बता रहा हूं. नहीं लाये हैं तो सरकार उनकी सूची उपलब्ध करवा दे. सब(xx) लाये हुए लोग थे, कोई कुछ नहीं.

          श्री राकेश सिंह (लोक निर्माण मंत्री)—अध्यक्ष महोदय, हेमंत जी आप सदन के उपनेता हैं. जो इन्वेस्टर के नाम पर वहां जो लोग भी आये जो लोग वहां पर थे वह सदन में नहीं हैं. हम कम से कम उनका उल्लेख करते समय ऐसी अपमानजनक टिप्पणियां यहां पर ना करें. हमको उनको स्वीकार करना है, उनको स्वीकार नहीं करना है. वह इन्वेस्ट करेंगे, वह नहीं करेंगे, इस पर कोई बात हो सकती है. इस तरह से अपमानजनक तरीके से उनका उल्लेख नहीं किया जाना चाहिये, ऐसी मेरी आपको सलाह है. बाकी आप सदन के उपनेता हैं जो चाहें आप सदन में बोलें.

          अध्यक्ष महोदयहेमंत जी मंत्री जी की अपेक्षा है कि भाषण को आप ऊंचाई प्रदान करें.

          श्री हेमंत सत्यदेव कटारे अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी की इन्वेस्टर्स से बहुत बड़ी सहानुभूति है. मैं बताना चाहता हूं कि वह इन्वेस्टर थे ही नहीं. वह 100 रूपये की थाली खाने के लिये लाये हुए अलग से लोग थे. अब मैं(xx) शब्द को हटा देता हूं. बाकी उनकी पुष्टि कर लीजियेगा उनकी सूची आप भी मांगियेगा. मुझे तो सरकार देगी ही नहीं.

          अध्यक्ष महोदयआप आगे बढ़ें.

          श्री हेमंत सत्यदेव कटारे अध्यक्ष महोदय, यह जो ग्लोबल (XX) हुई थी. यह मैं(xx) शब्द इसलिये कह रहा हूं. क्योंकि इसमें बिना टेण्डर की प्रक्रिया का पालन किये कई सौ हजार रूपये करोड़ रूपये दिये गये. जबकि सामान्य प्रशासन विभाग के नियम हैं कि दो पांच लाख के ऊपर यदि कोई भी राशि व्यय की जाती है. तो बाकायदा इसका टेण्डर होना चाहिये, बिडर्स आयेंगे जिनकी लोएस्ट बिड होगी, वह क्लाईफाईड होगा. इसमें कोई भी बिडिंग प्रक्रिया का पालन किया गया हो तो सरकार अवगत करायें. सीधे पैसा करोड़ो रूपये दे दिये चालीस से पच्चास प्रतिशत कमीशन पर पैसा दिया गया है. मेरा सरकार के ऊपर आरोप है कि यह जितने भी 30 लाख करोड़ के ऊपर कोई जीरो कोई बता दे तो मान जाऊंगा कि इसमें कितने जीरो होते हैं. यह इतना पैसा तो छोड़िये इसका अगर एक प्रतिशत भी पिछले 21-22 वर्षों में आया हो तो कृपया रिकार्ड में बता दीजिये. मैं उसमें सार्थक बहस के लिये आपको आमंत्रित करता हूं. मैं तो एक सुझाव दे रहा हूं. वह तो यहां हैं नहीं मैं तो उनके सामने ही सुझाव देता (XX) तो जरूर मध्‍यप्रदेश के युवाओं का भला हो जाएगा. क्‍योंकि वह मंत्र सिर्फ उन्‍हीं के पास है और किसी के पास मध्‍यप्रदेश में नहीं है. वे आएंगे, तो मैं उनसे व्‍यक्‍तिगत आग्रह भी करूंगा. अब मैं आखिरी में यही कह देता हॅूं क्‍योंकि कल बजट प्रस्‍तुत होगा, तो मैं आपके माध्‍यम से माननीय उपमुख्‍यमंत्री जी से आग्रह करता हॅूं कि दो डिपार्टमेंट्स को अलग से रखा जाये क्‍योंकि पूरा हमारा प्रदेश का बजट एक तरफ और परिवहन व गृह विभाग का बजट एक तरफ होना चाहिए.

          अध्‍यक्ष महोदय, जिस प्रकार से सोने के बिस्‍किट मिले क्‍योंकि भारतीय जनता पार्टी का वायदा था (XX) लाने का, लेकिन (XX) लेकर आए. (XX) तो नहीं लेकर आ पाए. यह जो पीला धन है, यह ट्रांसपोर्ट विभाग के माध्‍यम से आया है, इसका पूरा खुलासा होना चाहिए. मेरा यह कहना है कि परिवहन विभाग और गृह विभाग का एक अलग बजट होना चाहिए. जहां पर आपने देखा, सिर्फ राजधानी में ही एकमात्र वेयर हाउस में 1850 करोड़ रूपए के ड्रग्‍स मिले. माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी ने तो इंदौर में प्रभारी मंत्री जी के सामने, जो कि मुख्‍यमंत्री भी हैं माननीय डॉ.मोहन यादव जी के सामने कहा कि उनको पता है कि यह ड्रग्‍स कहां से आ रहा है, तो पूरा सदन जानना चाहता है और शायद आप भी जानना चाहते होंगे कि यह ड्रग्‍स कहां से आ रहा है. यदि वह हमको अवगत करवाएं, तो बहुत अच्‍छा होगा. मैं आपसे यही आग्रह करूंगा कि राज्‍यपाल महोदय

XX :  आदेशानुसार विलोपित.

 

जी ने जो अभिभाषण में जो प्रस्‍तुत किया, उसके बिन्‍दु 1 से लेकर बिन्‍दु 27 तक मैं सारे बिन्‍दुओं का विरोध करता हॅूं सिवाय पहले बिन्‍दु का, जिसमें वे सभी सम्‍मानीत सदस्‍यों का स्‍वागत कर रहे हैं. मैं नीतिगत रूप से हर बिन्‍दु का विरोध करता हॅूं और आशा करता हॅूं कि अगली बार महामहिम राज्‍यपाल महोदय जी द्वारा जो कथन पढ़वाए जाएंगे, कम से कम वह ऐसे कथन हों कि उनको पढ़ने में शर्मिंदगी न हो, वह सारा का सारा पढ़कर जाएं. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          अध्‍यक्ष महोदय -- बहुत धन्‍यवाद हेमन्‍त जी. राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण के कुछ पैरा न पढ़े जाने के बारे में बार-बार जिक्र आया है. मैं समझता हॅूं कि यह पहला अवसर नहीं है. अनेक ऐसे अवसर हैं, जब राज्‍यपाल महोदय द्वारा अभिभाषण के कुछ प्रमुख पैरे पढ़े जाते हैं, शेष पैरा को पढ़ा हुआ और पटल पर रखा हुआ माना जाता है. यह कोई पहला अवसर नहीं है और मैंने उसके बाद व्‍यवस्‍था भी दी थी और आप सबको ध्‍यान में है. चूंकि गायब करने संबंधी जो शब्‍द उपयोग किया है, वह उचित नहीं है. उसे विलोपित किया जाए. श्री दिलीप सिंह परिहार जी.

          श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं राज्‍यपाल महोदय के अभिभाषण का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हॅूं. मध्‍यप्रदेश और देश में विकसित भारत बनाने के लिए, स्‍वस्‍थ और मस्‍त बनाने के लिए स्‍वास्‍थ्‍य के संबंध में मध्‍यप्रदेश की सरकार ने और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री जी ने बहुत कुछ किया है और मैं इसलिए कह सकता हॅूं कि मैं अंतिम छोर से आता हॅूं. नीमच जिले से आता हॅूं जहां माननीय उपमुख्‍यमंत्री श्री राजेन्‍द्र शुक्‍ल जी और मान्‍यवर मुख्‍यमंत्री जी ने आकर और श्री वीरेन्‍द्र कुमार सखलेचा जी के नाम से जो मेडिकल कॉलेज दिया है, मैं उसके लिये सरकार को बहुत धन्‍यवाद देता हॅूं.

          अध्‍यक्ष महोदय, मंदसौर में भी स्‍वर्गीय सुंदरलाल पटवा जी के नाम से मेडिकल कॉलेज बना. जावरा में मालवा के गांधी डॉ.लक्ष्‍मीनारायण पांडे जी के नाम से मेडिकल कॉलेज बना. यह सुविधा अंतिम छोर में जो जिला है, उसको मिली है तो इसमें सरकार की जितनी प्रशंसा की जाये, उतनी कम है. निश्‍चित ही स्‍वास्‍थ्‍य के संबंध में आज हम देख रहे हैं कि 30 मेडिकल कॉलेज खुले हैं. वहीं पीपीपी मोड पर 12 नये चिकित्‍सालय खोलने की भी सरकार ने पहल की है. आज हम देख रहे हैं कि जो गरीब हैं, उनकी जिला चिकित्‍सालय में उपस्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र पर सभी प्रकार की नि:शुल्‍क जांचें हो रही हैं. उसके स्‍वास्‍थ्‍य की चिंता भी हो रही है. देश के प्रधानमंत्री जी का यही सपना है कि सब स्‍वस्‍थ रहें, मस्‍त रहें. उन्‍होंने स्‍वच्‍छता के क्षेत्र में भी आमूल-चूल परिवर्तन किया है. जब उन्‍होंने स्‍वच्‍छता की अपील की थी, तो आज मध्‍यप्रदेश ने उस अपील को स्‍वीकार किया और मध्‍यप्रदेश का जो हृदय स्‍थल है उसमें इंदौर को हमेशा स्‍वच्‍छता के क्षेत्र में सम्‍मानीत करने का काम किया है तो हम भी सब अपने-अपने शहरों को स्‍वच्‍छ करेंगे. जिससे भारत स्‍वच्‍छ भी होगा और स्‍वस्‍थ भी होगा और लोग आत्‍मनिर्भर भी बनेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय, इसके अलावा आप देख रहे होंगे कि 108 एम्‍बुलेंस चल रही है वह एम्‍बुलेंस आ जाती है और बीमार व्‍यक्‍ति को अस्‍पताल ले जाती है. बीच में हम स्‍वास्‍थ्‍य के संबंध में देख रहे थे कि पहले कोई जेवर गिरवी रखता था, कोई मकान गिरवी रखता था, कोई खेत गिरवी रखता था और इलाज करवाता था. आज आयुष्‍मान कार्ड के माध्‍यम से लोगों के 5 लाख रूपए तक के इलाज हो रहे हैं. अगर 5 लाख रूपए तक का इलाज करवा लिया, तो वापस उसको रिन्‍यू किया जाता है. इसके लिए मैं सरकार और माननीय राज्‍यपाल महोदय को धन्‍यवाद देता हॅूं. इसके अलावा आज देख लीजिए कि 60 साल की उम्र के बाद ही व्‍यक्‍ति को कहीं न कहीं बीमारी घर कर जाती है, तो 70 साल की उम्र वालों के भी आयुष्‍मान कार्ड आज सरकार लगातार बना रही है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मूलरूप से हम मालवा से आते हैं जहां मालवा में यह कहा जाता था कि पानी नीचे जाता जा रहा था. 1200-1500 फिट हम जमीन खोदते थे, तो पानी नहीं आता था, मगर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जी ने जो कार्यक्रम किये थे, उसमें खेत का पानी खेत में रुके, जलाशय का कार्यक्रम नीमच की धरती से हुआ था. आज उसकी वजह से जल संरचनाएं बहुत बनी है. मैं इस अवसर पर यही कहूंगा कि किसान होने के नाते आज किसान की आय दोगुना करने का जो संकल्प हमारी सरकार ने लिया है उस ओर हम कदम आगे की ओर बढ़ा रहे हैं. यह केन-बेतवा और चंबल परियोजनाओं में जो 10 जिले आए हैं उसके अलावा पार्वती कालीसिंध और चंबल नदी में जो 11 जिले हमारे आए हैं. जहां मैं मंदसौर और नीमच जिले से आता हूं. वहां गांधी सागर चंबल का पानी  आज हर खेत में पहुंच रहा है. ड्रिप ईरिगेशन और फव्वारा पद्धति से हमारा किसान खेती कर रहा है. किसान जहां कच्चे मकानों में रहता था, वहां उसके पक्के मकान है, ट्रेक्टर है  क्योंकि उसको बिजली मिल रही है. प्रधानमंत्री सड़कों में 500 की आबादी की सारी सड़कें बनी हैं और अब तो हम 150 -200 की आबादी पर सड़कें बना रहे हैं. सड़कों का जाल फैलने की वजह से ही आज खेती की ओर किसान भी लाभान्वित हुआ है.

          अध्यक्ष महोदय, मैं लोक निर्माण मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा, हमारे नीमच जिले में अभी फोर लेन सड़क दी. एक अलग से रिंग रोड खोलने की स्वीकृति दी है और हम अभी 425 कि.मी. नीमच, जावद से चलकर भोपाल आते हैं तो मेरा आपसे निवेदन है कि लगभग 300 कि.मी. की आगर शाजापुर होकर एक सड़क बनती है आप उसको यदि बनाएंगे तो सिंहस्थ के मध्य में आने वाले लोगों को बहुत फायदा मिलेगा, उसका लाभ होगा. हम देख रहे हैं कि खुशहाली में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान है. इसके साथ साथ महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है तो हमारी सरकार ने योजना बनाई थी कि हम मां, बेटी, बहन का सम्मान करते हैं, पांव पूजते हैं. बीच में बेटियों की संख्या कम होने लग गई थी. हमारे कांग्रेस के बंधु कुछ भी कहे, मगर उस समय बहुत खराब हालत मध्यप्रदेश की थी. टूटी सड़कें, बिना दवाइयों के अस्पताल, हताश जनता, बिजली में करंट नहीं होता था और कुछ भी नहीं था. मध्यप्रदेश खस्ताहाल हो गया था. जबकि आज मध्यप्रदेश विकसित हुआ है. इस बात को आपको और हमको स्वीकार करना पड़ेगा क्योंकि गेहूं उत्पादन में हम कहीं न कहीं दूसरे स्थान पर हैं फिर भी हमें बार-बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त हुए हैं क्योंकि किसानों की मेहनत है, उस वजह से सरकार को सम्मानित करने का काम करते हैं. हम चाहते हैं कि जिस प्रकार से गुजरात में डेयरी हैं उस प्रकार से मध्यप्रदेश की धरती पर भी दूध उत्पादन हो और दूध उत्पादन में हमारी सरकार, मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जो गौ पालक हैं उनको प्रोत्साहन दे रहे हैं. गौशालाएं बना रहे हैं और जो 10-12 गाय, एक भैंस पाल रहा है उसको प्रोत्साहन राशि भी देने का काम कर रहे हैं तो ऐसी सरकार जो दूध उत्पादन में मध्यप्रदेश को तीसरे नम्बर से प्रथम श्रेणी में लाने के लिए प्रयत्न कर रही है  मैं उनको धन्यवाद देता हूं.  हम सब जानते हैं गौ माता में करोड़ों देवी देवता निवास करते हैं, जो गौ माता हिन्दू को दूध पिलाती है, मुसलमान को दूध पिलाती है, बच्चे को दूध पिलाती है, वृद्ध को दूध पिलाती है. पूर्व के कालखण्ड में वह गौ माताएं काटी जाती थी.

          अध्यक्ष महोदय, हम तो यही ईश्वर से प्रार्थना करते हैं  कि हमारे देश के प्रधानमंत्री मान्यवर श्री नरेन्द्र मोदी जी और हमारे गौ पालक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी को इतनी संकल्प शक्ति दे कि मध्यप्रदेश की धरती पर गौ माता की रक्त की एक बूंद भी न गिरे और दूध उत्पादन करने में मध्यप्रदेश, देश में प्रथम श्रेणी में आए. उद्योग के संबंध में, चिकित्सा के संबंध में, महिलाओं के संबंध में मैं कहना चाहता हूं कि हमारी मातृ शक्ति को सम्मानित करने के लिए मध्यप्रदेश की सरकार ने राजनीति में 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया है, जिसमें हमारी बहनें जिला पंचायत अध्यक्ष बन रही हैं, जनपद अध्यक्ष बन रही हैं, नगर पालिका की अध्यक्ष बन रही हैं, पंच बन रही हैं, सरपंच बन रही हैं तो आज बहनों को नौकरी में भी हमारी सरकार 33 प्रतिशत का आरक्षण दे रही है. इसके लिए भी मैं सरकार को, महामहिम राज्यपाल जी को धन्यवाद दूंगा क्योंकि नौकरी में पहले बहनों के लिए यह कहा जाता था  कि वह चोके-चूल्हे का काम करेगी, मगर आजकल बहनें सरकार चला रही है. हमारी वित्तमंत्री जी, हमारी अन्य मंत्रीगण, हम देख रहे हैं कि आज सरकार में उनकी सहभागिता बन रही है. महिला होने के नाते सुश्री निर्मला भूरिया जी ने भी वह हमारे जिले की प्रभारी मंत्री हैं, उन्होंने मां बहनों का सम्मान करते हुए मातृ शक्ति का आत्मबल बढ़ाने का काम किया है. वहीं लाड़ली बहनों को,  1 करोड़ 29 लाख बहनों को जनवरी, 2024 में 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि का वितरण हुआ है. मैं इसके लिए भी उनको धन्यवाद देता हूं. प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस कनेक्शन में भी 89 लाख महिलाओं को चूल्हे से मुक्त किया गया है.

          अध्यक्ष महोदय - श्री दिलीप जी कृपया समाप्त करें.

          श्री दिलीप सिंह परिहार - अध्यक्ष महोदय, मैं यही कहूंगा कि मान्यवर राज्यपाल जी ने जो हमें अभिभाषण दिया था वह मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में, मध्यप्रदेश का सर्वांगीण विकास करने में मिल का पत्थर साबित होगा. आने वाले समय में हम माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हमारे मंत्रीगण के नेतृत्व में मध्यप्रदेश को आगे और उज्ज्वल बनाएंगे, सबका साथ, सबका विकास, सबके विश्वास और सबके प्रयास से हम भारत को पुनः विश्व गुरू के स्थान पर ले जाएंगे. मान्यवर अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.

          अध्यक्ष महोदय- बहुत बहुत धन्यवाद. विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 12 मार्च, 2025 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.

          अपराह्न 07.30 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 12 मार्च, 2025 (फाल्गुन 21, शक संवत् 1946) को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.

 

                                                                                                   ए.पी. सिंह 

भोपाल,                                                                                         प्रमुख सचिव

दिनांक  : 11 मार्च, 2025                                                                  मध्‍यप्रदेश विधान सभा

 

 

 

 

 

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