मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा एकादश सत्र
मार्च, 2022 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 11 मार्च, 2022
(20 फाल्गुन, शक संवत् 1943 )
[खण्ड- 11 ] [अंक- 5 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 11 मार्च, 2022
(20 फाल्गुन, शक संवत् 1943 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
हास-परिहास
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र)- माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ.गोविन्द सिंह जी कई दिनों से नेता प्रतिपक्ष के चार्ज पर हैं, तो वह कब तक रहेंगे? यह जानकारी चाह रहा हूं.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -- हम भी चाहते हैं कि आप भी चार्ज पर आ जाओ.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- हम तो मना कर रहे हैं, वह मना करें.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -- आप भी चार्ज पर आ जाओ.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि इस प्रदेश में पुरानी पेंशन की मांग लाखों परिवार कर रहे हैं. मेरा अनुरोध है कि आप इसे शून्यकाल में उठायें, जैसा आप कहें.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
विधान सभा क्षेत्र भगवानपुरा अंतर्गत मार्ग निर्माण
[लोक निर्माण]
1. ( *क्र. 1597 ) श्री केदार चिड़ाभाई डावर : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आदिवासी विधान सभा क्षेत्र भगवानपुरा जिला खरगोन के अन्तर्गत बिस्टान (अनकवाड़ी) से तेन सेमली महाराष्ट्र सीमा एवं देवनलिया से छोटी सिरवेल (बड़वानी जिला सीमा) तक मार्ग स्वीकृत होकर बजट में भी सम्मिलित है? (ख) क्या उक्त मार्ग आदिवासी क्षेत्र के विकास के लिये एवं ग्रामीणों के लिये अति महत्वपूर्ण है? (ग) क्या उक्त मार्ग वन क्षेत्र से गुजरते हैं तथा अधिकांश भाग पूर्व से डामरीकृत होकर मार्ग बने हैं? (घ) यदि हाँ, तो उक्त मार्गों के निर्माण में देरी क्यों हो रही है? उक्त मार्गों का निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ हो जायेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) बिस्टान (अनकवाड़ी) से तेनसेमली मार्ग (महाराष्ट्र सीमा) बजट में सम्मिलित नहीं है एवं देवनलिया से छोटी सिरवेल मार्ग वर्ष 2019-20 के मुख्य बजट में सम्मिलित है। (ख) जी हाँ। (ग) जी हाँ। दोनों मार्गों में से बिस्टान (अनकवाड़ी) से तेनसेमली (महाराष्ट्र सीमा) मार्ग के अंतर्गत ग्राम अनकवाड़ी से सिरवेल तक मार्ग डामरीकृत होकर विभाग के पास संधारण के अंतर्गत है एवं देवनालिया से छोटी सिरवेल मार्ग कच्चा रास्ता है। (घ) देवनलिया से छोटी सिमरेल मार्ग का भाग वन क्षेत्र अंतर्गत होने के कारण वन विभाग से अनुमति हेतु प्रकरण ऑनलाईन पंजीकृत है। अनुमति अप्राप्त है। बिस्टान से तेनसेमली (महाराष्ट्र सीमा) तक में से ग्राम अनकवाड़ी से ग्राम सिमरेल तक 41.00 कि.मी. सिंगल लेन होकर डामरीकृत मार्ग निर्मित होकर विभाग के पास संधारित है। यह मार्ग उन्नयन हेतु विभागीय किसी योजना में प्रस्तावित नहीं है। अत: निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री केदार चिड़ाभाई डावर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं प्रथम बार ही निर्वाचित हूं और मेरा पहला नंबर प्रश्न आपके माध्यम से लगा है, मैं मेरे स्व.पिता श्री चिड़ाभाई डावर जो इस सदन के चार बार सदस्य रहे हैं, उनको याद करते हुए मैं माननीय मंत्री महोदय से सीधे तीन प्रश्न करूंगा, पहला बिस्टान(अनकवाड़ी) से तेन सेमली मार्ग महाराष्ट्र सीमा तक को कब तक बजट में सम्मिलित कर लिया जायेगा? दूसरा प्रश्न इसी में मेरा है कि उत्तर के भाग (घ) में बताया गया है कि यह मार्ग उन्नयन हेतु विभागीय किसी योजना में प्रस्तावित नहीं है, जबकि जानकारी असत्य है. जबकि मध्यप्रदेश लोक निर्माण विभाग के पत्र क्रमांक-28/3/2018-19, योजना/18/1869, दिनांक-04/05/2018 के द्वारा एशियन बैंक ए.डी.बी. की सहायता अंतर्गत नवीन राजमार्ग मुख्य जिला मार्गों के उन्नयन की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की गई है्. इसके अनुक्रमांक 56 पर उक्त मार्ग 51 किलोमीटर की लम्बाई का है, अनुमानित लागत 89.25 करोड़ रुपये की स्वीकृति है तथा सन् 2019-20 में एमपीआरडीसी को कार्य प्रारंभ करने के निर्देश हैं, किन्तु कार्य प्रारंभ नहीं किया गया है.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधा प्रश्न कीजिये, उत्तर मत पढि़ये.
श्री केदार चिड़ाभाई डावर - अध्यक्ष महोदय, वन विभाग से अनुमति के लिए ऑनलाइन कब किया है और दो वर्षों में इस पर क्या कार्यवाही की गई है ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है, बिस्टान से तेनसेमली मार्ग सन् 2018 में एडीबी परियोजना में शामिल किया गया था, परन्तु परियोजना के क्रियान्वयन के दौरान राज्य शासन द्वारा एडीबी के मापदण्डों के अनुरूप वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता को देखते हुए उक्त कार्य को एडीबी योजना से पृथक किया गया है. एक दूसरा कारण यह भी था कि फॉरेस्ट और एनवायरमेंट डिपार्टमेंट की उस पर स्वीकृति नहीं मिली थी, क्योंकि वह पूरा मार्ग फॉरेस्ट के अंतर्गत आता है.
श्री केदार चिड़ाभाई डावर - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मार्ग आदिवासी विकास..
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी का उत्तर आ गया है. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के भीतर आ रहा है तो उसकी अनुमति नहीं मिलती है.
श्री केदार चिड़ाभाई डावर - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करूँगा कि यह मार्ग महत्वपूर्ण है और इसको अनुमति देने के लिए, विशेष अधिकारी नियुक्त करके उसकी स्वीकृति दी जाये.
अध्यक्ष महोदय - आप उसमें प्रयास कीजिये.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, वन और पर्यावरण विभाग से चर्चा करके, हम इसको हल करने का प्रयास करेंगे.
विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों की पूर्ति
[उच्च शिक्षा]
2. ( *क्र. 2090 ) श्री पाँचीलाल मेड़ा : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल एवं देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय, इंदौर में एवं इनसे संबद्ध महाविद्यालयों में कौन-कौन से पद स्वीकृत हैं? इन स्वीकृत पदों में से कौन-कौन से पद रिक्त हैं? इन रिक्त पदों की पूर्ति कब तक कर दी जायेगी। (ख) क्या उक्त पदों के लिए प्रदेश में उम्मीदवारों की कमी है? यदि नहीं, तो क्या लाखों की संख्या में शिक्षित बेरोजगार घूम रहे हैं? यदि हाँ, तो इन्हें रोजगार देने के लिए भर्ती प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ की जायेगी या नहीं?
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) प्रश्नांश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है. रिक्त पदों की पूर्ति हेतु समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है. (ख) जी नहीं। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल एवं देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर द्वारा शैक्षणिक (बैकलाग) रिक्त पदों की पूर्ति हेतु विज्ञापन जारी किए गए हैं. शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता.
श्री पांचीलाल मेड़ा - माननीय अध्यक्ष महोदय, बेरोजगारों का जीवन सफल हो, इस उद्देश्य से मैंने यह प्रश्न लगाया है. मैं आपके माध्यम से, माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के अंतर्गत 69 शैक्षणिक प्राध्यापक के स्वीकृत पद रिक्त हैं, इसी तरह से देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में 112 प्राध्यापक पद रिक्त हैं, इस तरह से दोनों विश्वविद्यालयों में कुल 181 पद रिक्त हैं. गैर शैक्षणिक पद 369 रिक्त हैं. इन रिक्त पदों को भरने के लिए कब-कब विज्ञप्ति जारी की गई है ? इन पदों के रिक्त होने से छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
अध्यक्ष महोदय - यह तो आप बता रहे हैं. आप प्रश्न कीजिये.
श्री पांचीलाल मेड़ा - मेरा प्रश्न यह है कि आप इन खाली पदों को कब तक भरवाएंगे?
डॉ. मोहन यादव - माननीय अध्यक्ष जी, जो माननीय सदस्य ने प्रश्न पूछा है, जिसमें हमने इनको उत्तर भी दिया है कि यद्यपि पहले दो बार विज्ञप्ति जारी की गई थी. कोर्ट में प्रकरण चले गए हैं, इसके कारण से और आरक्षण के कारण से दोबारा उस पर नये सिरे से रोस्टर बनाकर फिर निकालने जा रहे हैं. लेकिन मैं आश्वस्त करता हूँ कि जैसे बैकलॉग के हमारे पद लायब्रेरियन, स्पोर्ट्स के यह तो हमने पीएससी तक भिजवा दिए हैं, बाकी सारे पद तुरन्त भरे जाएंगे.
श्री पांचीलाल मेड़ा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि यह जो विज्ञप्ति जारी करने का आपने बताया है, पर विज्ञप्ति कब-कब जारी हुई ? इसकी जानकारी मुझे नहीं मिली है.
अध्यक्ष महोदय - वह लिखित जानकारी मिल जायेगी.
श्री पांचीलाल मेड़ा - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा निवेदन यह है कि मेरी विधान सभा में, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में छात्र-छात्राएं रहते हैं. क्या माननीय मंत्री जी, मेरे विधान सभा क्षेत्र में डिग्री कॉलेज खुलवाने की कृपा करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - उत्तर आ गया है. यह प्रश्न ही उद्भूत नहीं होता है.
स्वीकृत सड़कों का निर्माण
[लोक निर्माण]
3. ( *क्र. 573 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बजट वर्ष 2021-22 में राजगढ़ जिले की सड़कों को सम्मिलित किया गया था? यदि हाँ, तो उन सड़कों के तहसीलवार नाम, सड़क की लंबाई तथा राशि की जानकारी से अवगत करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में स्वीकृत सड़कों में से किन-किन सड़कों की प्रशासकीय स्वीकृति एवं निविदा आमंत्रित की गयी है? यदि बजट वर्ष 2021-22 में सम्मिलित सड़कों की प्रशासकीय स्वीकृति एवं निविदा आमंत्रित नहीं की गयी है तो उनके कारणों से अवगत करावें? (ग) बजट वर्ष 2021-22 में स्वीकृत सड़कों का निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ किया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री कुँवरजी कोठार - माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2021-22 के बजट में मेरे विधान सभा क्षेत्र सारंगपुर क्षेत्र की पांच सड़कें सम्मिलित की गई थी, जिनमें से 2 सड़कों की निविदा बुला चुके हैं और एक सड़क प्रधानमंत्री योजना में शामिल है. लेकिन दो सड़कें बची हैं एक तो तिसाई से बारोल मार्ग, दूसरा चिढ़यवना से बाबलदी मार्ग, इनकी प्रशासकीय स्वीकृति कब तक जारी कर दी जाएगी.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी हफ्ते जारी कर दी जाएगी.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है.
श्री कुंवर जी कोठार - सर, इसके बाद, इसका काम कब तक प्रारंभ करवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय - जब प्रशासकीय स्वीकृति हो जाएगी तो, इसके बाद कार्य शुरू हो जाएगा.
श्री कुंवर जी कोठार - मेरा एक और बिन्दु है. इस वर्ष के 2022-23 के बजट में मेरे क्षेत्र की खासपुरा कड़लोद मार्ग को सम्मलित किया गया है, लेकिन उस मार्ग की 27 किलोमीटर लंबाई है और बजट में मार्ग की केवल 27 किलोमीटर दूरी ली गई. मैं माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं कि इसको भी पूरी लंबाई में स्वीकृत कर दें तो.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, इसमें नहीं.
आउटडोर मीडिया विज्ञापन पॉलिसी
[नगरीय विकास एवं आवास]
4. ( *क्र. 1616 ) श्री अनिरुध्द (माधव) मारू : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) माह दिसम्बर 2021 तक म.प्र. के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर एवं जबलपुर शहर में स्थापित समस्त मीडिया की निम्नानुसार जानकारी उपलब्ध कराएं :- उपरोक्त शहरों में आउटडोर मीडिया से विज्ञापन करने हेतु कितने प्रकार के मीडिया हैं? कितने होर्डिंग्स, यूनिपोल, वाई पोल, रूफटॉप, केन्टीलीवर एवं गेंट्रीज सिंगल साइड व बोथ साइट, साइनेज, बस शेल्टर एवं सुलभ कॉम्प्लेक्स आदि पर लगाए गए हैं? उनके साइजेज, लोकेशन, कोर्डिनेट्स की सम्पूर्ण जानकारी तथा किन-किन एजेन्सीज के हैं? (ख) क्या उक्त एजेन्सीज आउटडोर मीडिया पॉलिसी 2017 के अंतर्गत रजिस्टर्ड हैं? एजेन्सीज की सूची, नाम, पता, मोबाईल, फोन नंबर तथा विभाग द्वारा एजेन्सीज को जारी कार्यादेशों की सत्यापित प्रति उपलब्ध कराएं। (ग) किन-किन आउटडोर मीडिया एजेन्सीज द्वारा नगर निगमों को दिये जाने वाले किराये की राशि (दिसम्बर 2021 तक) जमा की है अथवा शेष है? एजेन्सीवार जानकारी सूची सहित उपलब्ध कराएं। (घ) क्या एजेन्सीज द्वारा स्थापित समस्त मीडिया आउटडोर मीडिया पॉलिसी 2017 एवं इंडियन रोड कांग्रेस के नियमों का सम्पूर्ण पालन किया गया है? यदि हाँ, तो जारी प्रमाण पत्र उपलब्ध कराएं एवं यदि नहीं, तो पॉलिसी का पूर्णतः पालन न करने में दी गई स्वतंत्रता का कारण बताएं।
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्री भूपेन्द्र सिंह ) : (क) प्रश्नांश "क" की जानकारी कमशः नगर पालिक निगम, भोपाल की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है, नगर पालिक निगम इन्दौर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "अ-1" अनुसार है, नगर पालिक निगम, ग्वालियर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "अ-2" अनुसार है एवं नगर पालिक निगम, जबलपुर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "अ-3" अनुसार है। (ख) जी हाँ, नगर पालिक निगम, भोपाल की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "ब" अनुसार है, नगर पालिक निगम इन्दौर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "ब-1" अनुसार है, नगर पालिक निगम, ग्वालियर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "ब-2" अनुसार है एवं नगर पालिक निगम, जबलपुर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "ब-3" अनुसार है। (ग) नगर पालिक निगम, भोपाल की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "स" अनुसार है, नगर पालिक निगम इन्दौर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "स-1" अनुसार है, नगर पालिक निगम, ग्वालियर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "स-2" अनुसार है एवं नगर पालिक निगम, जबलपुर की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "स-3" अनुसार है। (घ) एजेन्सीज को आउटडोर मीडिया पॉलिसी 2017 एवं इण्डियन रोड कांग्रेस के नियमों का पालन करना है। आउटडोर मीडिया पॉलिसी, 2017 में ऐसे प्रमाण-पत्र देने का प्रावधान नहीं है।
श्री अनिरुध्द (माधव) मारू - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न आउटडोर मीडिया विज्ञापन पॉलिसी 2017 को लेकर है. मैं सीधे अपनी बात पर आता है.
अध्यक्ष महोदय - बात पर नहीं, पूरक प्रश्न पर आईए.
श्री अनिरुध्द (माधव) मारू - अध्यक्ष जी, जो जवाब आया है, उसी पर प्रश्न पूछ लेता हूं. मैं टाइम बेस्ट नहीं करुंगा, जिन एजेंसियों को एग्रीमेंट किए गए थे, उनकी मॉनिटरिंग की जवाबदारी क्या विभाग की है, मंत्री महोदय बताएंगे और जिन एजेंसियों ने वर्षों से अभी तक किराया जमा नहीं कराया है, वर्षों से किराया बाकी है, उसके बाद भी वह लगातार कार्य कर रही है क्या उनके एग्रीमेंट समाप्त किए जाएंगे और नियम विरुद्ध जितने भी होर्डिंग्स लगे हैं, या जितना भी पब्लिसिटी का मटेरियल लगा है, क्या उनको समय सीमा में हटा दिया जाएगा.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष जी, सम्मानित सदस्य ने जो बात की है, ये सभी बिन्दु जांच में आ जाएंगे. हम सदस्य की इच्छा अनुरूप जांच करवा लेंगे.
श्री अनिरुध्द (माधव) मारू - धन्यवाद मंत्री जी.
शासकीय महाविद्यालय कैलारस का भवन निर्माण
[उच्च शिक्षा]
5. ( *क्र. 1699 ) श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र जौरा में शासन द्वारा शासकीय महाविद्यालय, कैलारस को कब स्वीकृत किया गया? स्वीकृत दिनांक से आज दिनांक तक भवन निर्माण न हो पाने के क्या कारण हैं? भवन निर्माण हेतु विभाग द्वारा कोई कार्यवाही की गयी है? अद्यतन स्थिति से अवगत करावें। (ख) क्या वर्तमान में महाविद्यालय का संचालन कन्या स्कूल कैलारस में किया जा रहा है, जो भवन जीर्ण-शीर्ण स्थिति में होकर पर्याप्त जगह नहीं है और न ही पर्याप्त प्राध्यापकों की नियुक्ति की गयी है, ऐसा क्यों? (ग) भवन निर्माण हेतु क्या कोई जगह चिन्हित की गयी है एवं भवन निर्माण हेतु विभाग द्वारा मद राशि आवंटित की गयी है? यदि हाँ, तो कहाँ और कितनी? (घ) प्रश्नांश (क), (ख) एवं (ग) के परिप्रेक्ष्य में महाविद्यालय भवन निर्माण एवं आवश्यक प्राध्यापकों के पदों की पूर्ति कब तक की जावेगी?
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) शासकीय महाविद्यालय कैलारस, जिला मुरैना वर्ष 2018 से संचालित है। भूमि का आवंटन नहीं होने के कारण भवन निर्माण नहीं हो पाया है। भूमि आवंटित किए जाने हेतु प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अर्द्ध शासकीय पत्र क्रमांक 326, दिनांक 06.04.2021 के द्वारा आयुक्त, चंबल संभाग को तथा पत्र क्रमांक 347, दिनांक 06.04.2021 द्वारा कलेक्टर, जिला मुरैना को लिखा गया है। महाविद्यालय के लिए ग्राम निरारा में जो भूमि आवंटित की गई थी, वह पूर्व से ही खाताधारक एवं नर्सरी विभाग को आवंटित है। महाविद्यालय को अन्य भूमि आवंटित नहीं हुई है। (ख) वर्तमान में महाविद्यालय शासकीय मिडिल स्कूल कैलारस में संचालित है। महाविद्यालय में शैक्षणिक संवर्ग के अंतर्गत अतिथि विद्वान कार्यरत हैं व अध्यापन कार्य सुचारू रूप से संचालित है। (ग) महाविद्यालय के भवन निर्माण हेतु ग्राम निरारा में पूर्व में चिन्हित भूमि किसी अन्य खाताधारक एवं नर्सरी विभाग को आवंटित होने के कारण महाविद्यालय को अन्य भूमि का आवंटन नहीं हुआ है। इस कारण राशि आवंटित नहीं की गई है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (घ) महाविद्यालय के लिए भूमि आवंटित नहीं होने के कारण भवन निर्माण की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। शैक्षणिक संवर्ग अंतर्गत महाविद्यालय में अतिथि विद्वान कार्यरत हैं। प्राध्यापकों के पदों की पूर्ति के संबंध में समय-सीमा निर्धारित करना संभव नहीं है।
अध्यक्ष महोदय - सूबेदार जी, सीधा पूरक प्रश्न करना.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न पूछा हूं कि 2018 में कैलारस में शासकीय महाविद्यालय खोला गया है और वह एक कन्या शाला में चलता है, उसका भवन ठीक नहीं है, जीर्ण-शीर्ण है, इसलिए मैंने माननीय मंत्री जी से पूछा है कि वहां पर भवन निर्माण की कार्यवाही कब शुरू करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, इसमें तो आ गया चूंकि जमीन नहीं मिली है. आप पूरक प्रश्न जमीन के बारे में पूछिए.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा - मैं माननीय मंत्री जी से सीधा प्रश्न पूछ रहा हूं कि कैलारस महाविद्यालय के लिए भवन की स्वीकृति कब तक जारी की जाएगी.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, वहां जमीन की दिक्कत है.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा - माननीय अध्यक्ष जी, जमीन की उपलब्धता है. कलेक्टर से मेरी बात हो गई है, जमीन हो गई है, केवल राशि का आवंटन हो जाए.
अध्यक्ष महोदय - नहीं तो, आपको ये प्रश्न पूछना चाहिए कि जमीन हम उपलब्ध करवा देते हैं, आप राशि आवंटित करेंगे क्या, ऐसा पूछिए.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को जमीन के लिए आश्वस्त करना चाहता हूं. जमीन के लिए मैंने कलेक्टर से बात कर ली है और जगह सुनिश्चित हो गई है, उसमें मंत्री जी भवन निर्माण की कार्यवाही कब शुरू करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, सदस्य का ये कहना है कि जमीन वे उपलब्ध करवा देंगे, क्या आप राशि आवंटित करेंगे.
डॉ. मोहन यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद आपने पूरी बात को समझ लिया है.
अध्यक्ष महोदय - मैं भी ब्रीफिंग करता हूं, इसलिए समझ गया.
डॉ. मोहन यादव - अध्यक्ष जी, मैं आपकी बात को समझ रहा हूं, उसी के लिए माननीय सदस्य को आश्वस्त कर रहा हूं कि जिस जमीन की आप बात नहीं बता पा रहे हैं, मैं बता देता हूं कि कलेक्टर से मेरी बात हुई है, आपने कोटवार की जमीन पसंद की है. हमने आज ही कलेक्टर से बोला कि जो जमीन विधायक जी पसंद कर रहे हैं, अगर सबके हित में है तो जमीन तुरंत आवंटित कर दो, कल ही वे आपको आवंटित कर देंगे और कल ही हम राशि जारी कर देंगे, हमारी तरफ से कोई आपत्ति नहीं है.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा - धन्यवाद मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 6, श्री संजीव सिंह जी.
प्रश्न संख्या 6 (अनुपस्थित)
शासकीय महाविद्यालयों में जनभागीदारी समिति का गठन
[उच्च शिक्षा]
7. ( *क्र. 1356 ) श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल (गुड्डा) : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों के प्रबंधन की निगरानी एवं महाविद्यालयों के समुचित विकास को दृष्टिगत रखते हुए जनभागीदारी समितियों का गठन किया जाता रहा है? इसके अंतर्गत वर्तमान में जबलपुर संभाग के किन-किन महाविद्यालयों में जनभागीदारी समितियों का गठन किया गया है एवं किन-किन महाविद्यालयों में नहीं किया गया है? (ख) क्या शासकीय महाविद्यालयों में जनभागीदारी समितियों का गठन नहीं होने से महाविद्यालयों के अकादमिक एवं शैक्षणिक गतिविधियों के विकास एवं संवर्धन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है? फिर भी जनभागीदारी समितियों के गठन की कार्यवाही लम्बित रखे जाने का क्या कारण है? (ग) प्रश्नकर्ता के विधानसभा क्षेत्र के शासकीय एस.एस.पी. महाविद्यालय वारासिवनी एवं शासकीय महाविद्यालय खैरलांजी में जनभागीदारी समितियों के गठन के लिये क्या कार्यवाही की जा रही है? उक्त महाविद्यालयों में कब तक जनभागीदारी समितियों का गठन कर लिया जावेगा?
उच्च शिक्षा मंत्री ( डॉ. मोहन यादव ) : (क) जी हाँ। जबलपुर संभाग अंतर्गत संचालित 86 शासकीय महाविद्यालयों में से 80 महाविद्यालयों में जनभागीदारी समितियों का गठन किया जा चुका है। 03 महाविद्यालयों में समिति के गठन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। 03 महाविद्यालयों में जनभागीदारी समिति का पंजीयन नहीं हुआ है। पंजीयन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। प्रदेश के ऐसे शासकीय महाविद्यालय जिनमें शासन द्वारा जनभागीदारी समिति का गठन नहीं किया गया है, वहां जिला कलेक्टर अथवा उनके द्वारा नामित अनुविभागीय अधिकारी (एस.डी.एम.) पदेन अध्यक्ष एवं उनके द्वारा नामित सदस्य समिति के रूप में कार्य संपादित कर रहे हैं। शैक्षणिक व अकादमिक गतिविधियों का विकास बाधित नहीं है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ग) शासकीय एस.एस.पी. महाविद्यालय, वारासिवनी तथा शासकीय महाविद्यालय, खैरलांजी में कलेक्टर के प्रतिनिधि के रूप में अनुविभागीय अधिकारी (एस.डी.एम.) द्वारा पदेन अध्यक्ष का कार्य किया जा रहा है। उत्तरांश ''ख'' अनुसार समिति के गठन की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल (गुड्डा)--अध्यक्ष महोदय, मैंने जानकारी पूरे प्रदेश की चाही थी. जबलपुर कालेज की जनभागीदारी समिति की जानकारी मिली है. उसमें आपने देखा कि 2 कालेज मेरे क्षेत्र के हैं वारा सिवानी एवं खेरलांजी दोनों जगहों पर जनभागीदारी समिति नहीं बनी है. इसमें जानना चाहता हूं कि समिति बनाने में विलंब क्यों है ? जितनी भी जबलपुर संभाग में जन भागीदारी समितियां बनी हैं इस समिति के अध्यक्ष के रूप में क्या प्रशासक ही जनभागीदारी समिति को चला रहे हैं. मैं यह ध्यान दिलाना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र के दोनों कालेज में एस.डी.एम.हैं प्रशासक हैं वही प्रशासक मण्डी भी चला रहे हैं, वही प्रशासक नगर-पालिका में भी काम कर रहे हैं, यह कैसे संभव हुआ है. इसी कारण से लगातार हमारे महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं का कभी आंदोलन तो कभी धरना-प्रदर्शन भी हो रहा है यह बातें शासन के ध्यान में जितनी जल्दी आ सकें और इन समस्याओं का निराकरण भी हो सके. इसके लिये मंत्री जी पूरे प्रदेश में जितनी भी समितियां बनी हैं सभी जगहों पर क्या प्रशासक चला रहे हैं अथवा वहां पर विधायकों को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.
डॉ.मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय, जिस ढंग से जन भागीदारी समिति का प्रश्न आया है. जन भागीदारी समिति जहां पर भी हमारी गठित है, लेकिन जन भागीदारी समिति अगठित है, यह कहना गलत है. गठित समिति के वर्तमान में कलेक्टर हमारे अध्यक्ष हैं, वह नामिनी अपने यहां के एस.डी.एम को बनाते हैं. उस नाते से एस.डी.एम.के माध्यम से हर जन भागीदारी समिति अभी वर्तमान में कार्यरत् है. चूंकि कोविड के कारण से परीक्षाओं सहित पूरा सेशन प्रभावित हुआ है. नये सेशन चालू होते ही हम बाकी माननीय सदस्यों से और अन्य प्रकार से जो हमारी परम्परा है उसमें नामित सदस्यों को अध्यक्ष बनाते हुए पूरी समिति को कार्यरत् कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय--उनकी चिन्ता इस बात की है कि उसमें प्रशासकीय अधिकारी मौजूद हैं और कई जगहों पर काम चल रहा है, इसलिये उनका काम प्रभावित होता है इसलिये चाहते हैं कि कोई दूसरा जन भागीदारी समिति में जिसको आप चाहते हैं उनको बैठा दें.
डॉ.मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय, मैं इतना निवेदन करना चाहता हूं कि जो माननीय विधायक हैं वह विधान सभा के दरिम्यान जब निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हैं तो उसमें महाविद्यालय की दृष्टि से भी वह एस.डी.एम.से बात कर सकते हैं उसमें कोई कठिनाई आयेगी तो मैं व्यक्तिगत रूप से कलेक्टर से बात करके उनकी मदद करायेंगे.
अध्यक्ष महोदय--उनका कहना है कि नये सत्र में जन भागीदारी समिति को गठित करेंगे. अभी आपका प्रश्न यह था कि प्रशासकीय लोग जो बैठे हैं उनको समय नहीं है. आप मंत्री जी निर्देश जारी करिये कि कालेज में जब जन भागीदारी की बैठक हो तो उसमें माननीय सदस्य को आवश्यक रूप से बुलावें.
डॉ.मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय,यह निर्देश जरूर जारी कर दूंगा. मैं बताना चाहूंगा कि विधायक का एक प्रतिनिधि उस समिति में जरूर रहता है. अगर किसी प्रतिनिधि से कोई दिक्कत आ रही है तो उसमें भी मदद करेंगे.
श्री प्रदीप अमृतलाल जायसवाल (गुड्डा)--अध्यक्ष महोदय,जैसे पहले विधायक समिति के अध्यक्ष हुआ करते थे. विधायक ज्यादा जवाबदारी से सक्षमता के साथ अपनी जवाबदारी का निर्वहन करते थे.
अध्यक्ष महोदय--यह नीतिगत मसला है. यह मंत्री जी तय करेंगे.
विद्युत व्यवस्था के सम्बन्ध में
[ऊर्जा]
8. ( *क्र. 1713 ) श्री राजेश कुमार प्रजापति : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला छतरपुर की चंदला विधानसभा क्षेत्र में ग्राम अभऊ मजरा चमारन पुरवा में वर्ष 2017 में विद्युत व्यवस्था हेतु खंबे गड़वाये गये थे? यदि हाँ, तो क्या किसी योजना के तहत कार्य था? यदि हाँ, तो योजना एवं कार्य एजेंसी का नाम बताएं। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कार्य न होने पर संबंधित वितरण कंपनी द्वारा ठेकेदार के विरुद्ध कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो कार्यवाही से संबंधित जानकारी देवें। यदि नहीं, तो कारण स्पष्ट करें। (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार वायरिंग का शेष कार्य कब तक पूर्ण किया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : (क) म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के संचालन एवं संधारण संभाग खजुराहो के ग्राम अभऊ के चमारन पुरवा में वर्ष 2017 में विद्युत व्यवस्था हेतु कोई कार्य स्वीकृत नहीं हुआ और न ही विद्युत व्यवस्था हेतु खंबे गड़वाए गए हैं। अत: शेष प्रश्न नहीं उठता। (ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
श्री राजेश कुमार प्रजापति-- अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं अपनी सरकार को धन्यवाद देना चाहूंगा कि अटल ज्योति योजना के तहत गांव मजरे-टोलों में जो विद्युतीकरण किया गया है. गरीबों के घरों में रोशनी पहुंचाई गई है उसके लिये मैं अपनी सरकार को धन्यवाद देना चाहूंगा. मंत्री जी से सीधा प्रश्न यह है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में कई ऐसे मजरे टोले हैं जहां पर खम्बे तो गड़ गये हैं, लेकिन वहां पर केबिलीकरण नहीं हुआ है. केबिलीकरण हुआ है तो वहां ट्रांसफार्मर नहीं पहुंचा है. ऐसे मजरे टोले जो बचे हुए हैं. क्या मंत्री जी उसको किसी भी योजना के अंतर्गत पूरा करवाएंगे ? वहां पर विद्युतीकरण होगा.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि सरकार की किसी भी योजना के तहत ग्राम में विद्युत खम्बे नहीं लगाये गये हैं. हमारे 138 गांव हैं उसमें विद्युतीकरण है उसका एक चमरा पुरवा है यह हरिजन बस्ती है. वहां पर विद्युतीकरण नहीं है. वहां पर जैसे ही हमारी कोई योजना आयेगी हम विद्युतीकरण करवाएंये. फिर भी हमने यह एक अनुसूचित बस्ती है इसलिये जिला प्रशासन को विद्युत लगवाने का प्रस्ताव दिया है. जैसे ही वहां से स्वीकृति एवं राशि मिल जायेगी तो हम विद्युतीकरण करवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय--माननीय विधायक जी का विशेष अनुसूचित जाति की बस्ती है तो आप किसी भी मद से विद्युतीकरण करवा दीजिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- अध्यक्ष महोदय, जी हां.
अध्यक्ष महोदय--आपका काम हो गया है.
श्री राजेश कुमार प्रजापति-- अध्यक्ष महोदय, जहां पर केबिलीकरण नहीं हुआ है.
अध्यक्ष महोदय--यह सारा कार्य माननीय मंत्री जी करवा देंगे.
श्री राजेश कुमार प्रजापति-- अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
स्वीकृत सड़कों का निर्माण
[लोक निर्माण]
9. ( *क्र. 738 ) श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोक निर्माण विभाग ने 12 ग्रामीण सड़कों की 50 प्रतिशत जमा राशि कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग द्वारा चेक क्रमांक W 220531375, दिनांक 05.07.2021 से राशि 2095.38 लाख मण्डी बोर्ड को वापस की गई है? यदि हाँ, तो क्यों? (ख) उक्त स्वीकृत सड़कों की निविदा समय-सीमा में पूर्ण नहीं किए जाने के क्या कारण थे? जवाबदेही सुनिश्चित कर जानकारी दें। (ग) क्या उक्त संबंध में लोक निर्माण विभाग के द्वारा मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड भोपाल से कोई पत्र व्यवहार किया गया था? यदि हाँ, तो किस संदर्भ में और किस विषय को लेकर? पत्रों की छायाप्रतियां उपलब्ध करायें। (घ) उक्त प्रश्नांश के संदर्भ में समय-सीमा को लेकर ऐसे कितने प्रकरणों में इससे पूर्व में भी इस प्रकार की कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो उनकी समय-सीमा का अन्तराल क्या था? स्वीकृति दिनांक से निविदा दिनांक सहित जानकारी दें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। म.प्र. शासन राज्य कृषि विपणन बोर्ड भोपाल के पत्र दिनांक 28.01.2021 एवं शासन के पत्र दिनांक 01.04.2021 द्वारा दिये गये निर्देशों के परिपालन में। (ख) निविदा संबंधी कार्यवाही समय-सीमा में पूर्ण की गयी है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं, उत्तरांश 'ख' के परिप्रेक्ष्य में निविदा प्रक्रिया समय-सीमा में की गई। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता। (घ) जी नहीं, उत्तरांश ''क'' एवं 'ख' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र की लगभग 12 सड़कें हमने मंजूर करवायी थी. जिसकी राशि मध्यप्रदेश विपणन बोर्ड के द्वारा कार्य एजेंसी लोक निर्माण विभाग को बनाया गया था. लोक निर्माण विभाग ने समय सीमा में निविदा की प्रक्रिया पूरी कर ली, कार्य एजेंसी तय हो गयी. मैं माननीय मंत्री जी से सिर्फ इतना पूछना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने 28.1.2021 और शासन द्वारा 1.4.2.2021 लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखकर के उक्त कार्यों को क्यों रोका गया है और ये पत्र किसलिये लिखे गये, मैं यह जवाब चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय:- यह तो जवाब हो गया. आप काम क्या चाहते हैं, वह बतायें ना.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:-माननीय अध्यक्ष जी, मैं चाहता हूं कि प्रक्रिया पूरी हो गयी, निविदाएं हो गयीं, एजेंसी फायनल हो गयी और मंडी बोर्ड ने लगभग 20 करोड़, 95 लाख, 38 हजार रूपये लोक निर्माण विभाग के खाते में जमा कर दिये, क्योंकि एजेंसी लोक निर्माण विभाग थी उसके बाद पत्र लिखकर के इन निर्माण कार्यों को रोकने का क्या औचित्य है, मैं यह मंत्री जी से जानना चाहता हूं ?
अध्यक्ष महोदय:- वह औचित्य बता देंगे तो फिर इसके बाद ?
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- फिर पूछूंगा ना अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय:- अभी पूछ लीजिये ना और.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- मैं पूछ तो लूं एक बार.
अध्यक्ष महोदय:- दोनों प्रश्न साथ-साथ कर लें. वह बड़े विराट हृदय के मंत्री जी हैं, वह सब कर देंगे आप उसके साथ मांग भी कर लीजिये.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- अध्यक्ष जी, मंत्री जी का जवाब आ जायेगा तो फिर मैं मांग कर लूंगा.
अध्यक्ष महोदय:-नहीं, जवाब के बाद नहीं.आप मांग कर लीजिये ना कि सड़कों का काम हो जाये.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:- मेरा अध्यक्ष जी सिर्फ आपसे यही अनुरोध है कि कसावद विधान सभा भी मध्यप्रदेश का एक हिस्सा है और एक जन-प्रतिनिधि होने के नाते और वहां का प्रतिनिधित्व करने के नाते यह मेरी जिम्मेदारी और जवाबदारी बनती है कि, मैं अपने क्ष्ोत्र के विकास कार्यों को आगे बढ़ाने का काम करूं और एक लंबे समय के बाद एक अवसर मिला, जहां पर यह महत्वपूर्ण सड़कें, अगर उन सड़कों पर हम जायें तो उनकी आज यह स्थिति है कि वह किसान अपनी उपज को अपने खेत से घर तक नहीं ले जा पा रहा है. आये दिन वहां पर घटनाएं घटती हैं, बैलगाड़ी तक वहां पर नहीं चल पाती है, वहा पर पैदल चलना भी दुश्वार हो गया है.
श्री गोपाल भार्गव:- माननीय अध्यक्ष जी, मंडी बोर्ड द्वारा यह राशि डिपाजिट वर्क के रूप में उपलब्ध करायी गयी थी. निर्माण एजेंसी लोक निर्माण विभाग थी. मंडी बोर्ड द्वारा एक वर्ष बाद मार्च, 2021 में उक्त कार्यों को निरस्त करते हुए राशि की वापसी मांग की गयी. वह राशि मंडी बोर्ड के लिये वापस कर दी गयी है, इस कारण से हम कामों को नहीं कर पा रहे हैं.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:-माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है और मैं नहीं समझता हूं कि कोई भी सरकार यह नहीं चाहेगी कि क्षेत्र का विकास हो रहा हो, लोगों का विकास हो रहा हो उसको बाध्य किया जाये, उसको रोका जाये. मेरा आपसे यही अनुरोध है कि आप मंत्री जी से कहें कि यह जो हमारी सड़कें हैं, इन सड़़कों को स्वीकृति प्रदान करें.
श्री गोपाल भार्गव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य भी जानते हैं कि डिपाजिट वर्क का कार्य जो विभाग पैसे देता है उसी के नियंत्रण में होता है. यदि वह राशि देता है तो हम करवाते हैं, नहीं देता है वापस लेता है तो नहीं करवा सकते हैं. यदि मंडी बोर्ड हमें राशि उपलब्ध करवा देगा तो शीघ्रातिशाघ्र उस कार्य को करवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय:- जब मंजूर हुई होगी तो क्षेत्र में गये होंगे, लोगों को बताया होगा. आप विधायक के सम्मान का ख्याल करिये, उनका कुछ करिये.
श्री गोपाल भार्गव:- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य पत्र दे दें तो हम मंडी बोर्ड के लिये कृषि विभाग को लिखकर वह राशि हम फिर से वापस लाने के लिये प्रयास करेंगे.
अध्यक्ष महोदय:- ठीक है.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव:-माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे करबद्ध अनुरोध है कि यहां पर जितने भी विधायक बैठें है इनका संरक्षण करने का काम आपका है. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि आप माननीय मंत्री जी को और चूंकि अभी यहां पर माननीय कृषि मंत्री उपस्थित नहीं हैं. आप इनको आसंदी से निर्देश दें कि यह जो हमारी सड़कें हैं, इन सड़कों की स्वीकृति की जाये और इसमें भेदभाव न किया जाये. राजनीति में प्रतिद्धदंता हो सकती है, लेकिन प्रतिरोध, प्रतिदोष नहीं होना चाहिये. यह कहीं न कहीं जन-भावनाओं के विरूद्ध यह काम हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य, आपकी भावना को देखते हुए, मैंने, यह कहा कि विधायक जी क्षेत्र में गए होंगे, उन्होंने वहां कहा होगा इसलिए उनके सम्मान की रक्षा की जाए तो मंत्री जी ने कहा कि मैं पत्र लिखकर मण्डी बोर्ड से पैसा वापस करवाने का प्रयास करूंगा, राशि वापस आ जायेगी तो काम शुरू हो जायेगा.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी, की नीयत बिलकुल साफ है, वे पूरे खुले मन से मदद करना चाहते हैं. उनके विभाग ने पूरी प्रक्रिया पूर्ण कर ली थी. निविदायें फाइनल हो गई थीं, एजेंसी तक फाइनल हो गई थी लेकिन उसके बाद मण्डी बोर्ड ने पत्र लिखकर पैसा वापस बुलवा लिया और हमारी सड़कों का काम रूक गया.
अध्यक्ष महोदय- जी हां. मंत्री जी की नीयत साफ है, यह बात सही है. मंत्री जी पूरा प्रयास कर रहे हैं.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे मंत्री जी पर पूरा भरोसा है और मुझे उम्मीद है कि वे पूरा सहयोग करेंगे.
अध्यक्ष महोदय- आप मंत्री जी पर भरोसा रखें.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि आप आसंदी से हमारा संरक्षण करें, हमें आर्शीवाद दें और आप कृषि विभाग मण्डी बोर्ड को निर्देशित करें, कि वे इन सड़कों के कार्य में किसी प्रकार की बाधा न डालें.
अध्यक्ष महोदय- पहले उनका पत्र तो जाने दीजिये.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि आप आसंदी से दो शब्द बोल दें, यदि आप निर्देशित कर देंगे तो मेरा काम हो जायेगा और मुझे विश्वास है कि मण्डी बोर्ड राशि वापस दे देगा और मेरे क्षेत्र की महत्वपूर्ण सड़कों का काम हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय- पॉलिसी मैटर पर यहां से नहीं कहा जा सकता है. इस प्रकार से आदेश नहीं हो सकता है. मंत्री जी ने कहा है कि मैं पत्र लिख रहा हूं. आप मंत्री जी पर भरोसा रखें.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, आज ही मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड और कृषि विभाग के लिए पत्र भेज दूंगा. माननीय सदस्य और इनके पिताजी के साथ मेरा पुराना नाता है. उनके पिताजी के पास भी कृषि विभाग था और मेरे पास भी कृषि विभाग रहा है. मेरा एक प्रकार से कहूं तो संरक्षण या मेरा सौहार्द्र, माननीय सदस्य के साथ है लेकिन प्रक्रिया के हिसाब से जो कुछ भी है, वह हमें करना होगा और जैसे ही राशि उपलब्ध होती है, हम इस कार्य को करेंगे.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पुन: आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि आप मण्डी बोर्ड और कृषि विभाग को निर्देशित करें कि वे राशि स्वीकृत करे और इसमें किसी प्रकार का अड़ंगा न डालें, बाधा न डालें.
अध्यक्ष महोदय- इसमें काफी हो गया है.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि आप दो शब्द कह देंगे तो मेरा काम हो जायेगा, 12 महत्वपूर्ण सड़कें हैं.
अध्यक्ष महोदय- मैंने उनको कह दिया है.
श्री शैलेन्द्र जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, कहना चाहता हूं कि मण्डी बोर्ड की सड़कों के बारे में कोई नीति बननी चाहिए, इसमें बहुत (XXX) होती है और बहुत सारे विधायक रह जाते हैं, इसमें कोई नियम-नीति बननी चाहिए.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे अनुरोध है कि यदि आसंदी से आपके निर्देश हो जायेंगे तो मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरा काम हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी, यदि वह पैसा नहीं मिलता, आप तो प्रयास करेंगे ही, अपनी तरफ से कुछ आश्वासन माननीय सदस्य को दे दीजिये.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट प्रस्तुत हो गया है, सोमवार से चर्चा प्रारंभ हो जायेगी. सदन बजट को पारित करवायेगा. आगे कभी यदि विभाग की वित्तीय स्थिति ऐसी आयेगी तो मैं निश्चित रूप से इस बात का प्रयास करूंगा लेकिन वर्तमान में ऐसी स्थिति नहीं है. मैं असत्य भाषण सदन में नहीं करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय- बिलकुल ठीक.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी, से तो हम अलग से लेंगे, ये तो मण्डी बोर्ड के काम हैं. यदि आपके निर्देश आसंदी से हो जायेंगे तो हमारी 12 सड़कें मंजूर हो जायेंगी.
अध्यक्ष महोदय- नहीं, निर्देश नहीं हो सकता है. इस तरह के आदेश नहीं हो सकते हैं.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है. इस तरह का भेदभाव, पक्षपात उचित नहीं है.
सहकारिता मंत्री (श्री अरविंद सिंह भदौरिया)- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब ये कृषि मंत्री थे तो पूरा मंडी का पैसा अपने यहां लेकर चले गए. आप पूरा मंडी का पैसा अपनी विधान सभा के लिए ले गए.
(...व्यवधान...)
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- आप भी ले जाओ, किसने रोका है ? यदि मुझे पांच साल देते तो आपके क्षेत्र की मांगों को भी पूरा कर देते, आप उनसे उम्मीद मत रखना, आप मेरे से उम्मीद रख सकते थे.
(...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय- आप सभी बैठ जाईये.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे पुन: अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय- नहीं हो गया
विद्युत विहीन मजरों/फाल्यों में विद्युत प्रदाय
[ऊर्जा]
10. ( *क्र. 1778 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि भीकनगॉव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वर्तमान में कितने फाल्ये/मजरे विद्युत विहीन हैं? कृपया सूची उपलब्ध करावें। उक्त फाल्यों में विद्युत प्रदाय करने हेतु शासन की क्या योजना है? क्या शत-प्रतिशत विद्युत विहीन फाल्यों में बिजली उपलब्ध कराने हेतु स्वीकृति प्रदाय की जायेगी? हाँ तो कब तक? नहीं तो क्या कारण है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ) : भीकनगांव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत वर्तमान में 53 वनक्षेत्रों में स्थित एवं पूर्व में लागू विद्युतीकरण योजनाओं के बंद होने के उपरांत निर्मित 122 इस प्रकार कुल 175 फाल्ये/मजरे विद्युत विहीन हैं, जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। वर्तमान में इनके विद्युतीकरण हेतु राज्य/केन्द्र सरकार की कोई योजना संचालित नहीं है। भविष्य में विद्युतीकरण की योजना उपलब्ध होने पर तकनीकी/वित्तीय साध्यता के दृष्टिगत उक्त फाल्यों/मजरों का विद्युतीकरण किया जा सकेगा, जिस हेतु समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
सुश्री हिना लिखीराम कावरे- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न झूमा सोलंकी जी का है. आज वे सदन में उपस्थित नहीं हैं इसलिए उन्होंने मुझे इस हेतु अधिकृत किया है. उनकी विधान सभा, भीकनगांव अंतर्गत पूर्व में दीनदयाल ज्योति योजना के तहत शत-प्रतिशत फाल्ये/मजरों पर विद्युतीकरण के कार्य के लिए राशि स्वीकृत हुई थी लेकिन स्वीकृत के बाद भी, यह तो बता दिया गया कि सारे कार्य पूर्ण हो गए हैं. सभी जगह विद्युतीकरण हो गया है, लेकिन इसी प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी की तरफ से जवाब आया है कि 175 फाल्ये/मंजरे ऐसे हैं जिनमें अभी भी विद्युतीकरण का काम नहीं हुआ है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि जिनके लिए राशि स्वीकृत हो गई काम पूर्ण हो चुका है यह बता दिया गया है उसके बावजूद भी यदि विद्युतीकरण नहीं हुआ है तो इसका कारण क्या है और इसके लिए कौन दोषी है? उन दोषियों पर आप क्या कार्यवाही करेंगे?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने सदन में यह व्यवस्था कायम की और झूमा सोलंकी जी को उत्कृष्ट विधायक का पुरस्कार दिया इसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आज झूमा जी सदन में उपस्थित नहीं है इसीलिए उनका सवाल आज झूमा जी की जगह हिना जी पूछ रही हैं. हिना जी आपके दो प्रश्न हैं तो आप दोनों प्रश्नों को साथ-साथ ही पूछ लीजिए.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने इसी में जो दूसरा प्रश्न पूछा था उसी प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी ने दूसरा जवाब यह दिया है कि वर्तमान में न राज्य की और न केन्द्र की अभी कोई योजना नहीं है यदि ऐसी कोई योजना आएगी तो हम विद्युतीकरण करावाएंगे. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से यह कहना चाहती हूं कि पहले जो योजना आई आप उस योजना में तो नहीं करवा पाए और आपके द्वारा बता दिया कि आपने करवा दिया है आप तब काम नहीं करवा पाए अब आप अगली योजना का रास्ता देख रहे हैं. जब माननीय वित्तमंत्री जी बजट भाषण पढ़ रहे थे तो बजट भाषण में दिया हुआ है कि जनजाति विभाग में दो हजार करोड़ रुपए की राशि ज्यादा दी है इस वर्ष के बजट में तो क्या माननीय मंत्री जी उस बजट से जनजाति विभाग से बात करके करा देते. हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और आज भी हमारे गांव मजरे टोले वह विद्युतविहीन हैं. यह बहुत ही गंभीर विषय है. क्यों हम केन्द्र सरकार का रास्ता देखें कि वह कोई योजना चलाए क्या राज्य सरकार अपने बजट में से यह पैसा नहीं दे सकती है?
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्या को यह बताना चाहता हूं कि वर्ष 2017 में जो सौभाग्य योजना आई थी उसमें जो यह 53 मजरे टोले जो यह शामिल किए गए थे परंतु हमें वन विभाग से इसकी अनुमति प्राप्त नहीं हुई थी. अभी हमने वन विभाग से अनुमति के लिए पुन: पत्र दिया हुआ है. अनुमति मिलने के बाद पुन: विभाग की कोई योजना आएगी तो उसमें शामिल करके इस काम को कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी माननीय सदस्या का यह कहना है कि अनुसूचित जनजाति मद में पैसा सरकार आवंटित कर रही है तो केन्द्र की योजना नहीं आती है तो प्रदेश से चूंकि अनुसूचित जनजाति के मजरे टोले का सवाल है. क्या आप उससे काम कराएंगे ऐसा उनका प्रश्न है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऊर्जा विभाग उसका प्रस्ताव बना सकता है, परंतु अनुसूचित जाति विभाग में बजट होगा अगर वह आवंटन कर देंगे तो हम कार्य करा देंगे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जनजाति विभाग को ज्यादा बजट मिला है अगर आप चाहेंगे तो निश्चित रूप से जनजाति विभाग की तरफ से इन टोलों के लिए राशि जरूर मिलेगी. हम यहीं तो चाहते हैं कि आप राशि लेकर कम से कम उन लोगों को जो आजादी के 75 साल होने बाद भी अभी भी वह अंधेरे में हैं तो क्या आप उनके लिए यह नहीं कर सकते हैं. आप किस अमृत महोत्सव की बात करते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- उसमें दो बातें हैं उनका यह भी कहना है कि फॉरेस्ट विभाग ने जो आपत्ति लगाई जो नियम के भीतर है कि नहीं है उसके कारण मामला रुका है वह यह कह रहे हैं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- अध्यक्ष महोदय, मात्र 53 गांव ऐसे हैं जिनके लिए आप यह बात कर रहे हैं लेकिन कुछ 175 गांव हैं तो बाकियों के साथ भेदभाव क्यों हो रहा है? वन विभाग की परेशानी आ सकती है लेकिन, बाकी सभी जगह विद्युतीकरण हो रहा है तो इनके लिए वन विभाग इतना तो नहीं हो सकता है कि उन सभी लोगों को अंधेरे में रखे. आपको प्रयास तो करना पड़ेगा, बिजली तो आपको देना पड़ेगा. आपको इसके लिए मेहनत तो करना पड़ेगी. चाहे आप ऊर्जा विभाग से करें या वन विभाग से बात करें.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर---- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्या की भावनाओं का सम्मान करता हूं परंतु मुझे पीड़ा इस बात की है कि सदस्या स्वयं दो वर्ष पहले सत्ता में थी और ऊर्जा मंत्री जी भी बगल में बैठे हुए हैं उस समय आपने यह काम नहीं कराया.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न... (व्यवधान)..
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर---- आप मेरी पूरी बात सुनें मैं जवाब भी दे रहा हूं जवाब भी सुनिए. (व्यवधान)..
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- अमृत महोत्सव का (XXX). आप लोगों को अंधेरे में रखके किस अमृत महोत्सव की बात करते हैं. यह कौन सी बात होती है कि आपके बगल में पूर्व मंत्री जी बैठे हुए हैं. सीधा सा प्रश्न है सीधा सा उत्तर दीजिए. आप करोगे या नहीं करोगे यह बता दीजिए. (व्यवधान)..
.....व्यवधान ...
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- आप क्या कर रहे हो, महाशय..(व्यवधान)...
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- आप करोगे या नहीं करोगे. (व्यवधान)....
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- आपकी सरकार है आप करोगे या नहीं करोगे. खजाना खाली है. पैसा है या नहीं है...(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मेरा उल्लेख किया है मुझे बोलने का मौका दिया जाए...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- अभी उनका हो जाए...(व्यवधान)....
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे यह जानना चाहता हॅूं कि पूरी सौभाग्य योजना, जिसमें आपको पुरस्कार मिला. मध्यप्रदेश ने अपनी पीठ थपथपायी. 31 मार्च 2018 को आपने सौभाग्य योजना पूर्ण करने का बताया उसमें अधिकांश जनजाति क्षेत्र में आदिवासी क्षेत्रों में मजरे-टोले छूटे हुए हैं. मैंने जो जॉंच के आदेश दिए सौभाग्य योजना में हुए गड़बडि़यों के, वह इन्होंने दबाया. इन पर मेरा आरोप है कि इन्होंने दबाया. आज मंडला, डिण्डोरी, सीधी, सिंगरौली, बड़वानी, अलीराजपुर, झाबुआ, खरगौन पूरे आदिवासी क्षेत्र में इन्होंने वह जॉंच प्रभावित की है. अगर सौभाग्य योजना की जॉंच हो, तो उसमें दूध का दूध और पानी का पानी होगा. जो आदिवासी समाज के साथ यह सरकार अन्याय कर रही है इस जॉंच को दबाकर, वह पर्दाफाश होगा और माननीय अध्यक्ष महोदय, इनके पास एसएसटीडी और ट्रिपल आरटीडी में बजट है. यह ग्वालियर के लिए....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, हो गया. बैठ जाइए. एक बार बैठ जाइए. ....(व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य -- इनके पास ग्वालियर के लिए पैसा है..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. मंत्री जी, बैठ जाइए. आप बैठ जाइए. यह सुदूर क्षेत्र में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के लोगों की समस्या का सवाल है, उसको हल करने दीजिए. विवाद में क्यों जाते हैं और मैंने तब भी कहा था और आज फिर कहना चाहता हॅूं. सुन लीजिए यह अपने संवाद से अमृत निकालो और अमृत उन जनजातियों को फायदा पहुंचे इस तरह प्रयास करो, इसको बहस का मुद्दा मत बनाओ. सुश्री हिना कावरे जी.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्यक्ष महोदय, मैं स्पष्ट रूप से आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हॅूं कि आप केन्द्र सरकार की योजना का रास्ता क्यों देख रहे हैं क्या राज्य सरकार इतनी संवेदनशील नहीं है कि वह हमारे जनजाति साथियों के लिए, भाईयों के लिए, बहनों के लिए वहां के लोगों के लिए विद्युतीकरण के लिए क्या राज्य सरकार अपने खजाने में से पैसा खर्च नहीं कर सकती और आपने जनजाति विभाग में इस बार, हर बार से 2 हजार करोड़ रूपए ज्यादा दिया है, इसीलिए मैं आपसे इतनी मांग कर रही हॅूं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आपने दोनों को क्लब कर दिया न. एक उसमें जनजाति विभाग जोड़ दिया.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने तो रास्ता दिखाया है, अब माननीय मंत्री जी उस पर चलते हैं या नहीं, यह उनका विवेक है...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, वह तो कह रहे हैं कि हम पत्र लिखते हैं...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, .......(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, इसको विवाद मत बनाइए....(व्यवधान)..
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्यक्ष महोदय, आप तो जवाब दिलवा दीजिए..(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि आज की कार्यसूची में थर्ड सप्लीमेंट्री भी है उसके लिए सबसे ज्यादा इन्हीं के विभाग के लिए पैसा रखा गया है. सदन में बोल दें कि जो मजरे-टोले हैं जहां आदिवासी समाज के लोग रहते हैं, उसकी एक राशि का लाभ उसमें दे देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, उसका नहीं है.
श्री तरूण भनोत -- आज थर्ड सप्लीमेंट्री आ रही है.
अध्यक्ष महोदय -- तरूण जी, मूल प्रश्नकर्ता का प्रश्न यह है कि अनुसूचित जनजाति विभाग..(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- उनका मूल प्रश्न यह है कि अगर केन्द्र सरकार की योजना नहीं आयेगी, तो क्या राज्य सरकार पैसा नहीं दे सकती...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मैं समझ गया उसको. आप बैठ तो जाइए. सुन लीजिए. आप सुन लीजिएगा.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, आप भावनाओं को समझिए.
अध्यक्ष महोदय -- हम समझ गए भावनाओं को. भावना समझ गए.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, भावना यह है कि दिल्ली का मुहं देख रहे हैं मजरे-टोले के लिए. अगर आदिवासियों को बिजली देना है तो आप नहीं दे सकते....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- तरूण जी, आप बैठ जाइए. प्रियव्रत जी आप बैठ जाइए. जवाब हो गया. आपका हो गया. आपका उल्लेख कर दिया, आपने जवाब दे दिया. ....(व्यवधान)....उनकी भावना यह है कि प्रदेश स्तर पर जनजाति विभाग को बजट आवंटित किया गया है. मंत्री जी यह कह रहे हैं कि मैं उनको जनजाति विभाग को अपनी तरफ से प्रयास करूंगा बजट जैसे ही उनको मिल जाएगा, उससे जनजाति विभाग से ....(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, 22 हजार करोड़ रूपए की सब्सिडी आप ले रहे हैं..(व्यवधान).. सबसे महंगा विभाग तो यही है मध्यप्रदेश का. 22 हजार करोड़ रूपए की सब्सिडी आप ले रहे हैं क्या आप 200-400 करोड़ रूपए के लिए सदन में बोल नहीं सकते कि हम वित्त मंत्री जी से मांग कर रहे हैं. थर्ड सप्लीमेंट्री में से इस पर्टिकुलर काम के लिए दे दीजिए कि आदिवासियों के घर में भी बिजली जल जाए. यह तो बहुत छोटी-सी बात है इसको घुमा-घुमाकर आप कहां ले जा रहे हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष जी, आपने आसंदी से जो भावना व्यक्त की है हमारी सरकार आदिवासियों के हित में काम रही है. 21 हजार करोड़ रूपए की बात जो इन्होंने की है मैं इस पर इतना कहना चाहता हॅूं कि यह प्रदेश और इनको पक्ष और विपक्ष को मुख्यमंत्री जी का वित्त मंत्री जी को इसके लिए धन्यवाद करना चाहिए कि 21 हजार करोड़ रूपए में किसान, किसान में हर वर्ग का व्यक्ति, समाज का चाहे वह अनुसूचित जाति का हो चाहे आदिवासी सब शामिल हैं इनको 21 हजार, 16 हजार करोड़ रूपए सब्सिडी, अब पूरी बात...(व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय -- (कई सदस्यों के एक साथ अपने आसन पर खडे़ होकर बोलने पर) भई, सुन तो लाजिए न. अरे भई, सुन लीजिए न...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहिए, सरकारों को विरोध करना चाहिए, (XXX) बत्ती घर में जलना नहीं चाहिए....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- इस शब्द को विलोपित किया जाए....(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत -- क्या हम यहां मेजें थपथपाने के लिए बैठे हैं ? क्या हम आपकी पीठ थपथपाएं ? वित्त मंत्री महोदय जी को, अगर मैं यहां बैठा होता तो मैं कह देता कि 200 करोड़ रूपए दे रहा हॅूं आदिवासियों के घरों में बिजली पहुंचना चाहिए. मंत्री जी आप बोल दीजिए, इनका मुहं बंद कर दीजिए. ऊर्जा मंत्री जी का, आप बोलिए कि आप आदिवासियों के हितचिंतक हैं. वित्त मंत्री जी को खड़े होकर बोलना चाहिए, वित्त मंत्री जी, इनको 200 करोड़ रुपये दे दीजिए. हजारों करोड़ रुपये का बजट है, 200 करोड़ रुपये इनको दे दीजिए. आदिवासियों के घरों में बिजली जले, वे आपको धन्यवाद करेंगे. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- दूसरे का भी प्रश्न आने दीजिए. ...(व्यवधान)...
श्री जयवर्द्धन सिंह -- घोषणा कीजिए ना ऊर्जा मंत्री जी, कौन रोक रहा है आपको ? ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय वित्त मंत्री जी से मांग कर रहा हूँ, आप खड़े होकर बोल दीजिए कि प्रद्युम्न जी, 200 करोड़ रुपये आपको दिए. बिजली आदिवासियों के घरों में पहुँचाई है. वित्त मंत्री जी, बोलिए...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- तरूण जी, भरोसा करिए बहन के ऊपर, उनसे बेहतर सवाल कौन कर सकता है ? आप उनको पूछने दीजिए. (विपक्ष के बहुत से माननीय सदस्यों द्वारा खड़े होने पर) ...(व्यवधान)...सभी लोग बैठ जाइये, उनको पूछने दीजिए. आप स्वयं आपस में बोलचाल करके सवाल को हल नहीं होने दे रहे हैं. सभी बैठ जाइये.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने कहा कि हमको धन्यवाद करना चाहिए. अभी थोड़ी देर पहले आप ही के पक्ष के एक विधायक जी ने भी इसी तरह का प्रश्न उठाया, हम आपको धन्यवाद करेंगे, दिल से धन्यवाद करेंगे, न केवल भीकनगांव विधान सभा, बल्कि पूरे मध्यप्रदेश के टोले, मजरे में आप बिजली पहुँचा दीजिए. धन्यवाद आपको हम करेंगे और हम सब मिलकर धन्यवाद करेंगे, यह हम आपको विश्वास दिलाते हैं, आप बिजली तो दीजिए, फिर धन्यवाद लीजिए. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- आप पैसा तो दीजिए. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- आगे बढ़ूँ. ...(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- अध्यक्ष महोदय, पैसे हैं इनके पास...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, उन्होंने तो कह दिया कि हम संबंधित विभाग को लिखेंगे. माननीय मंत्री जी.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं पहले भी कह चुका हूँ कि आसंदी के निर्देश और भावनाओं के अनुरूप काम होगा. मैं अपना प्रस्ताव संबंधित विभाग को भेज सकता हूँ, मैं दूसरे विभाग को निर्देश तो नहीं दे सकता. हम काम कराने को तैयार हैं, हम मना नहीं कर रहे हैं. इनकी भावना से सहमत हैं. ...(व्यवधान)...
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, मंत्रिमण्डल की सामूहिक जिम्मेदारी होती है ...(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनके पास भी पैसा है. ...(व्यवधान)...
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी एक बात समझ लीजिए. एक बात मेरी यह है और मैं आज कह रहा हूँ कि क्या है कि ये सिर्फ विरोध के लिए राजनीति कर रहे हैं. हम जनता के हित के लिए राजनीति कर रहे हैं...(व्यवधान)... और हमने 21 हजार करोड़ रुपये आदिवासी अनुसूचित जाति. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- आप सिर्फ कुर्सी के लिए राजनीति कर रहे हैं. ...(व्यवधान)...आपको मध्यप्रदेश के आदिवासियों की चिंता नहीं है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- इनको धन्यवाद करना चाहिए ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- आप वित्त मंत्री जी से बोलते, इसके लिए प्रावधान कीजिए...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइये. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, यह विलोपित किया जाए. मंत्री जी का वक्तव्य विलोपित किया जाए कि हम सिर्फ विरोध के लिए राजनीति करते हैं. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- सभी लोग बैठ जाएं. ...(व्यवधान)...
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्यक्ष महोदय, बिजली कब तक लग जाएगी, माननीय मंत्री जी इतना ही जवाब दे दें. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने तो कह दिया. उनका जो जवाब आया है, जवाब यह आया है कि हमको जैसे ही पैसा मिलेगा, मैं बिजली लगवा दूंगा. पत्र मैं भेज रहा हूँ, संबंधित विभाग को पत्र भेज रहा हूँ, जैसे ही पैसा मिल जाएगा, मैं बिजली लगा दूंगा. अब इससे ज्यादा जवाब वे क्या दे सकते हैं. ...(व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस गंभीर प्रश्न पर आसंदी से व्यवस्था आनी चाहिए. ये लोकतंत्र का मंदिर है. यहां हम लोग न्याय के लिए आते हैं. आपकी तरफ से, आसंदी की तरफ से व्यवस्था आनी चाहिए. यहां पर मुख्यमंत्री जी नहीं हैं, संसदीय कार्य मंत्री जी उठकर वादा करे कि हां, यह कार्य हो जाएगा. आदिवासियों की भलाई इसमें है.
अध्यक्ष महोदय -- संसदीय कार्य मंत्री जी. ...(व्यवधान)...आप बैठ जाइये, आप सुन लीजिए ना, आप ही उनको आमंत्रित करते हैं, फिर बैठते नहीं हैं. बैठ जाइये ना, यह अच्छी बात नहीं है. आप ही के दल ने आमंत्रित किया, वे खड़े हैं और आप लोग बैठते नहीं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित ऊर्जा मंत्री जी ने लगभग समाधानकारक उत्तर दिया है, सिर्फ भ्रम की स्थिति है उसमें. कार्य पूरा होने में तो समय लगेगा. अध्यक्ष महोदय, अभी बजट को पास होना है. बजट पास होते ही सम्मानित मंत्री जी के पास आएगा और आपकी दिशा में हम बढ़ जाएंगे.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, ये (XXX) जवाब है. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या 11, श्री रामलाल मालवीय जी.
प्रश्न संख्या 11 -- (अनुपस्थित)
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, हम वाकआऊट करेंगे....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब वह हो गया, जो करना था, पहले ही करना था, अब तो सवाल पूछने दीजिए. ...(व्यवधान)... प्रश्न क्रमांक 12, श्री जयवर्द्धन सिंह जी...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं नहीं, देखिए, चलिए जयवर्द्धन सिंह जी, प्रश्न पूछिए.. ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- जल्दी करवा देंगे. अतिशीघ्र होगा. विराजिये, हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप भी मंत्री रहे हैं. अतिशीघ्र कह रहे हैं ना. आप सब रह चुके हैं. आप सब यह कुर्सी संभाल चुके हैं ना. आप कौन सी तारीख, समय और क्षण बताते थे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- जवाब तो मिले. फायदा क्या है. कोई फायदा नहीं मिल रहा है प्रदेश को.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं उन्होंने कहा ना. संसदीय कार्यमंत्री जी ने सीधा कहा. जल्दी करवा देंगे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- बोल दें एक महीने में कर देंगे. क्या फर्क पड़ता है.
अध्यक्ष महोदय -- जल्दी करवा देंगे कह तो दिया. आप समय और क्षण मांग रहे हैं. बैठ जाइये. जयवर्द्धन सिंह जी बोलिये.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- वह एक महीने का बोल दें. आश्वासन दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं चलिये. उन्होंने बोल दिया ना. उन्होंने महीना नहीं कहा अतिशीघ्र कहा है. एक महीने में बिजली नहीं लगती, उसमें टाईम लगता है.
11.46 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा माननीय मंत्री जी के उत्तर से असंतुष्ट होकर नारे लगाते हुये सदन से बहिर्गमन किया गया.)
अध्यक्ष महोदय -- जयवर्द्धन सिह जी, आप रुक रहे हैं कि जा रहे हैं ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, आप आगे बढ़ें. दूसरे महत्वपूर्ण प्रश्न हैं.
अध्यक्ष महोदय -- सज्जन सिंह जी, एक बात सुन लीजिये. मैं कुछ कह रहा हूं आप सुन लीजिये. यह परम्परा ठीक नहीं है. आपको बहिर्गमन करना था, तो उसी समय आपको करना चाहिये था. दो प्रश्न आगे बढ़ने के बाद बहिर्गमन शायद यह उचित तरीका नहीं है. मैं केवल इतना कहना चाहता हूं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- वह जवाब नहीं देंगे, अगर सरकार अच्छे से जवाब नहीं देगी तो क्या करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- जब दो प्रश्न आगे बढ़ गये तब कोई मतलब नहीं है. जयवर्द्धन सिंह जी, आप प्रश्न पूछिये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- देखिये यह लोकतंत्र का मंदिर इसलिये नहीं बना है कि आप कुछ भी भाषण दे देंगे. इस तरीके से थोड़े होता है. आपको आसंदी की तरफ से व्यवस्था देना चाहिये. कितना पैसा लग रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, उन्होंने कर दिया है. संसदीय कार्यमंत्री जी ने कहा है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- नहीं किया. फिर हम नारे लगाएंगे कि आदिवासी को जो बिजली दे न सके, वह सरकार (XXX) है. ..(व्यवधान)...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- यह बिना सेनापति की सेना है. सेना का कोई सेनापति ही नहीं है. बिखरे पड़े हैं.
अध्यक्ष महोदय -- अब उस सवाल को मत उठाइये ना. आपने बहिर्गमन कर लिया. उस सवाल को लेकर बहिर्गमन हो गया उसको बंद करिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- सज्जन भाई, जो सरकारें (XXX) थीं कल बदली हैं हमने और जो (XXX) थी उसको दो साल पहले बदला है. हम लगातार बदलते रहते हैं. हमारी आदत में है.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- एक साल बाद यहां भी बदलेगी. एक साल बाद यहां भी परिवर्तन होगा चिंता मत करिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- भ्रम में मत रहो. इस भ्रम में मत ही रहो.
श्री प्रियव्रत सिंह -- नरोत्तम जी, आपकी कुर्सी कब बदलेगी ? बहुत इंतजार हो रहा है. यह बहुत अन्याय हो रहा है. बड़ा अन्याय है नरोत्तम जी की कुर्सी नहीं बदल रही है. नंबर वन पर कब जाएंगे ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- जब आप गोविंद सिंह जी को नेता प्रतिपक्ष बनाएंगे.
श्री प्रियव्रत सिंह -- उस दिन पक्का ?
11.49 बजे प्रश्नकाल में उल्लेख
श्री एन.पी. प्रजापति, सदस्य द्वारा माईक बंद होने संबंधी उल्लेख किया जाना
श्री एन.पी. प्रजापति -- अध्यक्ष महोदय, मैं जब-जब खड़ा होता हूं, आप सिस्टम चेक करवा लीजिये यह माईक बंद. पहले भी सिस्टम चलते थे लेकिन.. (अनेक माननीय सदस्यों के हंसने पर) हंसने से इसमें कोई बात नहीं हो जाएगी. यह तरीका ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रजापति जी, आपका माईक तो खुला हुआ है.
श्री एन.पी. प्रजापति -- अध्यक्ष महोदय, हमारे विधान सभा के अंदर साउंड सिस्टम में कोई न कोई ऐसी गड़बड़ी है जिसकी वजह से मैं 10 मिनट से दबाये हुआ हूं माईक ऑन नहीं हो रहा है. अगर नरोत्तम मिश्र जी खड़े होते हैं तुरंत माईक ऑन हो जाता है. अगर यह शर्मा जी खड़े होते हैं तुरंत माईक ऑन हो जाता है. मेरी यह यह घोर आपत्ति है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप बैठिये सुन लीजिये.
श्री एन.पी. प्रजापति -- यह साउंड सिस्टम आपके विधान सभा सचिवालय की त्रुटि है. मैं इसमें घोर आपत्ति दर्ज करता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठिये. सुन लीजिये ना. मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि जो आप बटन दबाकर गये थे वही बटन दबी है. मैंने उसको खोला नहीं है.
श्री एन.पी. प्रजापति -- नहीं, यह गलत है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रजापति जी, सुन तो लीजिये.
11.50 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
श्री एन.पी. प्रजापति -- इस व्यवस्था में जानबूझकर मेरे साथ भेदभाव करने पर मैं समूचे दल के साथ बहिर्गमन करता हूं. यह आपकी अव्यवस्था है.
(इंडियन नेशल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा श्री एन.पी. प्रजापति के नेतृत्व में माईक बंद होने संबंधी उल्लेख करते हुये सदन से बहिर्गमन किया गया).
प्रश्न संख्या 11 श्री रामलाल मालवीय - (अनुपस्थित)
औद्योगिक इकाइयों द्वारा प्रदूषण मानकों का पालन
[पर्यावरण]
12. ( *क्र. 2015 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राघौगढ़ जिला गुना में सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पी.एस.यू.) अंतर्गत कौन-कौन से उद्योग, उपक्रम, इकाइयां कार्यरत हैं? इनकी स्थापना कब-कब हुई है? इनमें कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सी.एस.आर.) लागू है? यदि हाँ, तो विगत 5 वर्षों में क्या-क्या कार्यवाही और क्या-क्या लाभ इसके अंतर्गत दिये गये हैं? वर्षवार, राशिवार, कार्यवार पृथक-पृथक बतायें। यदि नहीं, तो क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में इनमें प्रदूषण नियंत्रण के अंतर्गत कौन से नियमों का पालन करना अनिवार्य है? इसके लिये कब और कौन सी अनुमति अनिवार्य है? सभी उपक्रमों की जानकारी दें। (ग) उपरोक्त के संबंध में विभाग द्वारा कब और किस तरह के औचक, सतत् निरीक्षण किये गये हैं? विगत पांच वर्षों की निरीक्षण रिपोर्ट बतायें, साथ ही यह भी बतायें कि इनमें क्या कार्य नियम विरूद्ध संपादित होते हुये पाये गये हैं? नियम विरूद्ध कार्यवाही के लिये क्या कार्यवाही और कितना जुर्माना लगाया गया है? (घ) उपरोक्त के संबंध में उद्योग, उपक्रम एवं इकाइयों से एयर क्वालिटी इंडेक्स के अनुसार ए.क्यू.आई.पी.एम.पी.एस. का स्तर कितना है? हवा में कंटेंट का अधिकतम स्तर (प्रति घनमीटर) कितना है? इसका मानक स्तर क्या है? राघौगढ़ में हवा में कंटेंट की मात्रा (प्रति घनमीटर) पी.एम.पी.एस. नाइट्रोजन ऑक्साइड कार्बन कितनी पाई गई है? ए.आई.क्यू. का स्तर कितना पाया गया है? हवा की गुणवत्ता खराब होने से इसका मानव स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? वायु प्रदूषण नियंत्रण करने के लिये वायु नियंत्रण बोर्ड, उद्योग विभाग एवं संचालित पी.एस.यू. के द्वारा क्या प्रयास, उपाय किये गये हैं?
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री ( श्री हरदीप सिंह डंग ) : (क) राघौगढ़ जिला गुना में सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (पी.एस.यू.) अंर्तगत तीन उद्योग कार्यरत हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। जी हाँ, इन उद्योगों में कार्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सी.एस.आर.) लागू है। विगत पॉच वर्षों में कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सी.एस.आर.) अन्तर्गत किये गये कार्यों की वर्षवार, राशिवार एवं कार्यवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ख) जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1974 तथा वायु (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम 1981 के अन्तर्गत इन सभी उद्योगों को म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से उद्योग की स्थापना के पूर्व एवं तदुपरांत उद्योग का संचालन प्रारम्भ करने के पूर्व सम्मति प्राप्त किया जाना तथा परिसंकटमय एवं अन्य अपशिष्ट (प्रबंधन एवं सीमापार संचलन) नियम 2016 के अंतर्गत प्राधिकार प्राप्त करना अनिवार्य है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, आपने उनको बोलने की व्यवस्था दी. आप उनकी बात सुन रहे थे.
अध्यक्ष महोदय - क्या आप बहिर्गमन में नहीं हो?
श्री जयवर्द्धन सिंह - हो चुका है.
अध्यक्ष महोदय - इसकी बात कर रहा हूं. इसमें बहिर्गमन में शामिल हुए कि नहीं हुए?
श्री जयवर्द्धन सिंह - बहिर्गमन हुआ.
अध्यक्ष महोदय - आप उसमें शामिल हुए कि नहीं हुए?
श्री जयवर्द्धन सिंह - मौखिक रूप से.
अध्यक्ष महोदय - मौखिक नहीं, बहिर्गमन का मतलब बहिर्गमन होता है.
श्री जयवर्द्धन सिंह - पहले भी मैं शामिल हुआ था, मैं वापस आ गया था.
अध्यक्ष महोदय - उसमें वापस आ गये थे, अभी बहिर्गमन हुआ इसमें आप शामिल हुए कि नहीं हुए.
श्री जयवर्द्धन सिंह - बिल्कुल हुआ हूं, आत्मा से भी. अध्यक्ष महोदय, लेकिन आप मुझे मौका दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय - आप बोलिए.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - अध्यक्ष महोदय, उन्होंने बहिर्गमन किया ही नहीं है.
श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, कोरोना काल के बाद मैं मानता हूं कि पूरे प्रदेश, देश और विश्व में पर्यावरण संरक्षण बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है. मेरे विधान सभा क्षेत्र राघौगढ़ विजयपुर में दो बड़ी पीएसयू कंपनी हैं गेल और एनएफएल. ये दोनों ईकाई लगभग 35 साल पुरानी है. इसमें स्वयं माननीय मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि हवा की गुणवत्ता खराब होने से स्वास्थ्य संबंधी रोग जैसे अस्थमा, फेफड़ों की बीमारी होने की संभावना रहती है और इसमें मैंने यह भी प्रश्न पूछा था कि इसमें कितने कार्बन एमिशन्स हो रहे हैं क्योंकि आज पूरे विश्व में चर्चा है कार्बन क्रेडिट्स के बारे में और उत्तर में मुझे यह प्राप्त हुआ है कि कार्बन का मापन नहीं किया गया है तो मेरा माननीय मंत्री जी से चार पाइंटेड प्रश्न हैं जिनका मुझे उत्तर चाहिए. सबसे पहला इन दोनों ईकाइयों में कब कब एनवॉयरनमेंट इम्पेक्ट असेसमेंट किया गया? एनवॉयरनमेंट क्लियरेंस इन दोनों फेक्ट्रियों को कब कब मिला, यह बताएं?
दूसरा पाइंट है कि एनएफएल से जो पानी का निकास होता है, वह चौपन नदी में जाता है और चौपन नदी शामिल है गंगा रिवर मिशन में तो वह पानी को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गये हैं कृपया यह बताएं?
इसके साथ जो तीसरा पाइंट है कि जो मुद्दा कार्बन क्रेडिट्स का है. गेल की फेक्ट्री से प्रतिघंटा 56 टन कार्बन एमिशन कार्बन डाइऑक्साइड का हो रहा है, जो पर्यावरण के लिए बहुत ही हानिकारक है, इसमें मेरे पास में एक रिपोर्ट है वर्ष 2016 की जिसमें स्वयं वरिष्ठ आईएएस ऑफिसर जो उस समय इस विभाग के प्रमुख सचिव थे और पाल्युशन कंट्रोल बोर्ड का उनका पत्र मेरे पास में है जिसमें उल्लेख किया गया है कि गेल ने कम्प्रेसर स्टेशन के लिए एनवॉयरनमेंट क्लियरेंस की अनुमति मांगी थी, वह अनुमति इस आधार पर खारिज की गई है और उनकी रिपोर्ट में लिखा है, निरीक्षण आर्डर है. Specific reason, the industry has failed to provide plan for recovery of CO2, . During inspection by RO huge smoke emissions were observed from process taken which indicates poor air pollution control system. माननीय मंत्री जी जो मेरे चारों पाइंट हैं उनका मुझे उत्तर मिल जाय?
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य ने पूछा है उसमें कौन-कौन से उद्योग वहां पर स्थापित हैं.
श्री जयवर्द्धन सिंह -अध्यक्ष महोदय, वह यह प्रश्न पढ़ रहे हैं . मैंने जो चार पाइंटेड प्रश्न किये हैं .
अध्यक्ष महोदय - उनको बोलने तो दीजिए.
श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं उनकी मदद कर रहा हूं. मैं उनका सहयोग कर रहा हूं. एनवॉयरनमेंट इम्पेक्ट असेसमेंट, ईआईए कब कब हुआ है, आप यह बताइए?
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, दिनांक 17.11.21 को इसकी जांच की गई है, उसके बाद दिनांक 20.7.21 को इसकी जांच की गई है. 15.7.2021 को यह पूरी जो आपके पास परिशिष्ट में जो थे, उसकी जांच करके और यह आपको बताया गया है और यह परिशिष्ट में आपके उसमें लिखा हुआ है.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं इस बात का स्पष्टीकरण कर दूं कि जो प्रश्न मैंने पूछा है, वह तो गलत उत्तरदे रहे हैं. उनको लग रहा है कि जो मैंने EIA का उल्लेख किया है, यह उल्लेख कर रहे हैं दूसरी जांच का. मैंने स्पष्ट कहा है कि EIA यह अलग एक प्रावधान है. यह एक संयुक्त जांच होती है केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच में. यह बात कर रहे हैं जो नियम पर्यावरण के हैं 40 साल पुराने, वह तो जांच होती है साल में दो बार. लेकिन अलग से जो भी बड़े उद्योग हैं प्रदेश और देश में, जहां अगर प्रदूषण होता है, फैलता है, ऐसी स्थिति में प्रावधान रहता है कि जिस क्षेत्र में प्रदूषण फैल रहा है, वहां पर Environmental Impact Assessment किया जाता है, ताकि उससे समझ में आये. खुद आप स्वीकार कर रहे हैं कि लोगों को बीमारियां हो रही हैं. तो आप इतना पता कर लीजिये चाहे तो जो अपने ऑफिसर हैं कि कब हुआ है. यह कभी नहीं हुआ है. मैं आपसे पूछना चाहता हूं.
श्री हरदीप सिंह डंग-- अध्यक्ष महोदय, आपने जो बोला है, इसमें पर्यावरण स्वीकृति भारत सरकार द्वारा, जो आप बोलना चाहते हैं, उसमें एनएफएल, गेल हेतु इसमें भारत सरकार द्वारा इसकी अनुमति दी जाती है. और चौपन नदी पर वाटर सप्लाई के लिये..
श्री जयवर्द्धन सिंह-- अध्यक्ष महोदय, यह क्या उत्तर दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप बीच में मत बोलिये न भाई.
श्री हरदीप सिंह डंग-- माननीय सदस्य, इसमें आपने जो मेरे से प्रश्न पूछा है, उसमें इसकी स्वीकृति भारत सरकार द्वारा दी जाती है.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- अध्यक्ष महोदय, नहीं उसमें भूमिका राज्य सरकार की भी रहती है. मैं तो खुद मंत्री जी को इनके विभाग का पत्र दिखा रहा हूं 2016 का. जिसमें स्वयं जो बोर्ड के अध्यक्ष हैं, उनका पत्र है गेल को कि जब तक कार्बन रिकवरी प्लांट नहीं स्थापित किया जायेगा, तब तक अनुमति नहीं मिलेगी. उसके बारे में मंत्री जी का क्या कहना है.
श्री हरदीप सिंह डंग-- अध्यक्ष महोदय, इसमें जो रिपोर्ट आपने मांगी थी, यह इसके परिशिष्ट में है. ..(व्यवधान).. मैं बता रहा हूं. आप मेरी बात सुनें. आपने जो प्रश्न पूछा है, उससे हटकर आप प्रश्न कर रहे हैं. माननीय सदस्य महोदय, आपने जो इसमें प्रश्न पूछा है, उससे हटकर आप प्रश्न कर रहे हैं.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- मंत्री जी, आप सदन को भ्रमित मत करिये. मैं आपका सहयोग करुंगा.
श्री हरदीप सिंह डंग-- अध्यक्ष महोदय, आपने जो लिखित में प्रश्न किया है, यहां पर उसके संबंध में उत्तर देने के लिये नियम है.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- मंत्री जी, आप ही का उत्तर है, आपके ही के उत्तर में यह लिखा हुआ है. आप खुद पढ़िये. (श्री तरुण भनोत, सदस्य के उठने पर) तरुण जी, एक मिनट.
अध्यक्ष महोदय -- तरुण जी, माननीय सदस्य पूरी तैयारी से आये हैं, आप उनको क्यों सहयोग करना चाहते हैं.
श्री हरदीप सिंह डंग-- अध्यक्ष महोदय, जो बात इसमें नहीं लिखी गई है, वह बात माननीय सदस्य यहां पर पूछ रहे हैं. जो इसमें लिखा हुआ है, उसकी बात करें.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- अध्यक्ष महोदय, एक मिनिट.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, जो आपने प्रश्नांस (घ) में पूछा है, उसके बारे में पूछें.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- अध्यक्ष महोदय, अगर सिर्फ प्रश्न के उत्तर में जो लिखा हुआ है, उसके आधार पर चलेगा, तो फिर हम सदन के अंदर क्यों आते हैं. मेरे 4 बिन्दु थे, पहला बिन्दु जो है, उसके बारे में मंत्री जी उत्तर नहीं दे पाये, चलो ठीक है मान लिया. इनके उत्तर में दिया गया है, यह लिखा है, मैं दिखा रहा हूं. कार्बन का मापन नहीं किया गया है, जबकि यह खुद उल्लेख कर रहे हैं 6 साल पहले की रिपोर्ट में कि सीओ टू रिकवरी प्लांट स्थापित होना चाहिये. गेल को कहा गया है. आपने खुद लिखा है कि कार्बन का मापन नहीं किया गया है. इसके बारे में बताइये. अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि मंत्री जी को विभाग के बारे में जानकारी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, पूरी जानकारी है. विभाग उनके पास है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्नकाल समाप्त होने में 30 सैकण्ड बचे हैं. अध्यक्ष महोदय, कार्बन का मापन होना चाहिये. माननीय सदस्य का जो सवाल है, चूंकि प्रश्नकाल का समय पूरा हो गया है. हम आपको लिखित में जवाब भिजवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे (..व्यवधान..)
बर्हिगमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बर्हिगमन
श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, चूंकि मंत्री जी उत्तर नहीं दे पाए इसलिये हम सदन का बर्हिगमन करते हैं.
(डॉ.गोविंद सिंह के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा माननीय मंत्री जी के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बर्हिगमन किया गया.)
12.01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
24. श्री प्रियव्रत सिंह
25. श्री फुंदेलाल सिंह मार्को
12.02 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1)(क) भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा तैयार मध्यप्रदेश सरकार के वित्त लेखे (खण्ड-I) एवं (खण्ड-II) वर्ष 2020-2021 तथा विनियोग लेखे वित्तीय वर्ष 2020-2021,
(ख) 31 मार्च, 2020 को समाप्त वर्ष के लिए भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का मध्यप्रदेश में डायल 100 आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली पर मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2020-2021 का प्रतिवेदन संख्या-6,
(ग) मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम, 1956 की धारा 130 (क) की उपधारा (2) एवं म.प्र.नगरपालिक अधिनियम, 1961 की धारा 122-क की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार नगरीय निकायों पर संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा म.प्र.का वार्षिक संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019, एवं
(घ) मध्यप्रदेश पंचायतराज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993 की धारा 129 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार त्रि-स्तरीय पंचायतराज संस्थाओं का संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा का वार्षिक संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा) :- मैं भारत के संविधान के अनुच्छेद 151 के खण्ड (2) की अपेक्षानुसार-
(क) भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक द्वारा तैयार मध्यप्रदेश सरकार के वित्त लेखे (खण्ड-I) एवं (खण्ड-II) वर्ष 2020-2021 तथा विनियोग लेखे वित्तीय वर्ष 2020-2021,
(ख) 31 मार्च, 2020 को समाप्त वर्ष के लिए भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का मध्यप्रदेश में डायल 100 आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली पर मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2020-2021 का प्रतिवेदन संख्या-6,
(ग) मध्यप्रदेश नगरपालिक निगम अधिनियम, 1956 की धारा 130 (क) की उपधारा (2) एवं म.प्र.नगरपालिक अधिनियम, 1961 की धारा 122-क की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार नगरीय निकायों पर संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा म.प्र.का वार्षिक संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019, एवं
(घ) मध्यप्रदेश पंचायतराज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम, 1993 की धारा 129 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार त्रि-स्तरीय पंचायतराज संस्थाओं का संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा का वार्षिक संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2018-2019
पटल पर रखता हूँ.
(2) मध्यप्रदेश राज्य खाद्य आयोग, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री बिसाहूलाल सिंह) :- मैं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (क्रमांक 20 सन् 2013) की धारा 16 की उपधारा (6) (च) के अधीन मध्यप्रदेश शासन द्वारा बनाये गये मध्यप्रदेश खाद्य सुरक्षा नियम, 2017 के नियम 15 के उपनियम (5) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य खाद्य आयोग, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021-2022 पटल पर रखता हूँ.
(3) भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) :- मैं दि रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एण्ड डेव्हलपमेंट) एक्ट, 2016 (क्रमांक 16 सन् 2016) की धारा 78 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021 पटल पर रखता हूँ.
(4) अधिसूचना क्रमांक-एफ-2-6/2021/सात/शा.7, दिनांक 12 जनवरी, 2022
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) :- मैं मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्रमांक 20 सन. 1959) की धारा 258 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार अधिसूचना क्रमांक-एफ-2-6/2021/सात/शा.7, दिनांक 12 जनवरी, 2022 पटल पर रखता हूँ
(5) अधिसूचना क्रमांक-एफ-5-45-2019-पचपन, दिनांक 28 जनवरी, 2022
चिकित्सा शिक्षा मंत्री (श्री विश्वास सारंग) :- मैं मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम, 1987 (क्रमांक 11 सन् 1990) की धारा 27 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार अधिसूचना क्रमांक-एफ-5-45-2019-पचपन, दिनांक 28 जनवरी, 2022 पटल पर रखता हूँ.
(6) नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) का वार्षिक अंकेक्षित लेखे वर्ष 2020-2021
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) :- मैं मध्यप्रदेश पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 (क्रमांक 16 सन् 2009) की धारा 38 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) का वार्षिक अंकेक्षित लेखे वर्ष 2020-2021 पटल पर रखता हूँ.
(7) (क) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 (क्रमांक 22 सन् 1973) की धारा 47 की अपेक्षानुसार –
(i) देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021 (अकादमिक वर्ष 30 जून 2021 को समाप्त),
(ii) विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन का 64 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021,
(iii) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020- 2021, एवं
(iv) महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, छतरपुर (म.प्र.) का वार्षिक वर्ष 2020-2021 (दिनांक 01 जुलाई, 2020 से 30 जून, 2021 तक)
(ख) महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय अधिनियम, 1995 (क्रमांक 37 सन् 1995) की धारा 39 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, करौंदी, जिला-कटनी (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021, तथा
(ग) अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2011 (क्रमांक 34 सन् 2011) की धारा 44 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.) का नवम् वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021
उच्च शिक्षा मंत्री (डॉ. मोहन यादव)-- अध्यक्ष महोदय, मैं
(क) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 (क्रमांक 22 सन् 1973) की धारा 47 की अपेक्षानुसार –
(i) देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2021 (अकादमिक वर्ष 30 जून 2021 को समाप्त),
(ii) विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन का 64 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021,
(iii) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021, एवं
(iv) महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय, छतरपुर (म.प्र.) का वार्षिक वर्ष 2020-2021 (दिनांक 01 जुलाई, 2020 से 30 जून, 2021 तक)
(ख) महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय अधिनियम, 1995 (क्रमांक 37 सन् 1995) की धारा 39 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय, करौंदी, जिला-कटनी (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021, तथा
(ग) अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2011 (क्रमांक 34 सन् 2011) की धारा 44 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.) का नवम् वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021 पटल पर रखता हूँ.
(8) (क) मध्यप्रदेश प्लास्टिक सिटी डवलपमेन्ट कॉरपोरेशन ग्वालियर लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2019-2020 (दिनांक 31 मार्च, 2020 को समाप्त वर्ष के लिए), तथा
(ख) मध्यप्रदेश प्लास्टिक पार्क डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड के अन्तिम लेखे वर्ष 2020-2021 (वर्ष समाप्ति 31 मार्च, 2021),
सहकारिता एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री (श्री अरविंद भदौरिया) :- अध्यक्ष महोदय, मैं
कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार –
(क) मध्यप्रदेश प्लास्टिक सिटी डवलपमेन्ट कॉरपोरेशन ग्वालियर लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2019-2020 (दिनांक 31 मार्च, 2020 को समाप्त वर्ष के लिए), तथा
(ख) मध्यप्रदेश प्लास्टिक पार्क डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड के अन्तिम लेखे वर्ष 2020-2021 (वर्ष समाप्ति 31 मार्च, 2021), पटल पर रखता हूँ.
12.07 बजे ध्यानाकर्षण
1. भिण्ड जिले में ओलावृष्टि क्षेतिपूर्ति वितरण में अनियमितता होना.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार), डॉ. सतीश सिकरवार, श्री सुरेश राजे-- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है-
चिकित्सा शिक्षा मंत्री(श्री विश्वास सारंग) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़े आश्चर्य की बात है कि मंत्री जी कह रहे हैं असंतोष है ही नहीं और आपने यह भी स्वीकार कर लिया कि जहां ओलावृष्टि हुई, वहां ओलावृष्टि का पैसा गया, भुगतान किया गया. जिन गांवों में जिन किसानों के नाम से नुकसान हुआ है, क्षतिपूर्ति हुई है, उनका पैसा दूसरे गांव में डाला गया है और इसके बाद आप कह रहे हैं कि आक्रोश ही नहीं है. अगर जन आंदोलन, धरना प्रदर्शन एक वर्ष से चल रहा है, उसके पहले भी वर्ष 2017 में चरनोई की शासकीय भूमि पर भी मुआवजा दिया गया था, तब भी किसान, गांव के लोग, पात्र किसानों को मुआवजा नहीं मिला था. वह लगातार आंदोलन करते-करते थक गये तो, बैठ गये. अब दुबारा वह घटना घट गई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, 46 गांवों में ओलावृष्टि हुई है, 72 करोड़ 23 लाख रूपये से अधिक राशि शासन ने 46 गांवों में दी है, उनकी सूची है, परंतु जिन गांवों की भुगतान सूची होना था, उन गांवों में न करके दूसरे गांव में भुगतान कर दिया गया है.अब मैं कहना चाहता हूँ, तो मंत्री जी पहले यह जवाब दें. एक, जो पटवारी कोटवार निकल जाएंगे. ड्राइंग डिस्बर्स पॉवर, आहरण राशि के आहरण वितरण का रिकॉर्ड किन-किन अधिकारियों को था. क्या वह अधिकारियों की बिना सहमति के पटवारी इतना बड़ा काम कर सकते हैं ? अभी 5 पटवारी हैं. अध्यक्ष जी, दो पटवारी अनुसूचित जाति के हैं, बाकी के पटवारी सामान्य वर्ग के हैं. दो पटवारियों से एक से (कुछ कागज दिखाते हुए) यह हमारे चालान की कॉपी है. डेढ़ महीने पहले की है. यह चालान है, यह राशि खजाने में जमा की है. पटवारियों से मकान बिकवाए, जमीन बिकवाई, मिल-बांटकर (XXX). तहसीलदार एसडीएम सहित आरआई सबने मिलकर, इन पर डाल दिया. उन्होंने राशि जमीन बेचकर जमा की. आपने वह नहीं बताया कि कितनी राशि वसूली की ? यह हमारे पास सबूत है. एक पटवारी से 95 लाख रुपये, दूसरे पटवारी से 57 लाख रुपये वसूले, यह दो लोगों के दस्तावेज हैं (हाथ से दस्तावेज दिखाते हुए). जिन्होंने पैसे जमा किए हैं और बाकी के तीन पटवारी सस्पेंड किए हैं, उन्होंने 20-20, 30-30 लाख रुपये का घोटाला किया, लेकिन किसी से 2 लाख रुपये, किसी से 1 लाख रुपये जमा करवाये. एफआईआर केवल 2 लोगों पर करवाई गई. जब मैंने विधान सभा में पिछले सत्र में लगाया था और घेराव किया था और लगातार डेढ़ वर्ष से शिकायत हो रही है, तब जाकर कार्यवाही हुई है लेकिन माननीय मंत्री आप इसका जवाब दें कि और फर्जी जो नाम कोटवारों के नहीं थे, उनके नाम बताएं. जिन कोटवारों का गलत तरीके से, जिनका चार वर्षों से पैसा निकला है, करीब 40 लाख रुपये निकल गया. कोटवारों के नाम से दुनिया में भय नहीं है और उनके नाम से पैसा निकल गया. क्या कोटवार पैसा निकालने के लिए पात्र है ? जिन कोटवारों ने बयान दिया है. हम तो अंगूठा लगाने वाले हैं और उन्होंने उस पर लिखा है कि बिल जनरेट किए. बिल जनरेट का अधिकार तहसीलदार को है, आप कृपया कर बताएं कि पटवारियों ने कितनी राशि खजाने में जमा की ? और कोटवारों के द्वारा वसूल की गई फर्जी राशि जो उनके नाम से तहसीलदार, एसडीएम और अन्य लोग खा रहे थे, वह कितनी राशि खजाने में जमा की गई है ? आप उसको स्पष्ट करें और ड्रॉइंग डिस्बर्सिंग ऑफिसर कौन थे ? यह राशि किसके दस्तखत से निकाली गई थी ?
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय गोविन्द सिंह जी ने यहां पर ध्यानाकर्षण लगाया है. मैं उसके बारे में बताना चाहता हूँ, यह जो ओलावृष्टि की बात हो रही है. यह फरवरी, 2020 में ओलावृष्टि हुई थी और उस समय आम तौर पर जो प्रक्रिया है, 8-10 दिन के अन्दर सर्वे हो जाता है और उस समय मालूम है कि किसकी सरकार थी ? सर्वे किस दबाव में हुआ, उसमें क्या हुआ ? इस विषय में बात करने की बहुत आवश्यकता नहीं है, पर सर्वे हुआ. यह बात सही है कि जो माननीय विधायक जी ने जो ध्यानाकर्षण लगाया है, उस पर गलतियां जरूर पाई गईं.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष जी, जो मंत्री जी कह रहे हैं कि उस समय किसकी सरकार थी. उस समय अकेले फसल पर ही ओले नहीं पड़े थे.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, फरवरी, 2020 में ओलावृष्टि हुई थी. सर्वे हुआ, जांच हुई. शिवराज सिंह जी जब मुख्यमंत्री बन गए थे, उनके कार्यकाल में वितरण हुआ, अक्टूबर-नवम्बर तक.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मैं बोलने वाला था, वह गोविन्द सिंह जी ने बोल दिया है. यह किसान हितैषी सरकार है. यदि सर्वे हुआ था तो हमने उसका भुगतान किया. गोविन्द सिंह जी यह आपने बहुत अच्छी बात कही. परन्तु सर्वे गलत हुआ, आपकी सरकार के समय, क्योंकि सर्वे हो गया था, उसके बाद भुगतान हुआ.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, सर्वे शिवराज सिंह की सरकार में हुआ हो, हमारी सरकार में नहीं हुआ हो तो आप त्याग-पत्र देंगे या मैं अभी यहीं पर त्याग-पत्र लिखकर दे रहा हूँ. यह आपकी सरकार में हुआ है. हमारा आपसे निवेदन है कि आप तो इसमें शामिल नहीं हैं, भ्रष्टाचार में.
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, यदि गोविन्द सिंह ऐसी बातें करेंगे. आप यदि एलाऊ करें तो मैं यह बता देता हूँ कि किस-किसको पैसे मिले और कौन-कौन लोग हैं, कहां से जुड़े हुए हैं ? माननीय गोविन्द सिंह जी, आप यदि बोलेंगे कि किस-किसको कितनी राशि मिली, किसने गलत फर्जी किसान बनकर पैसे लिये. वह कहां से जुड़े हैं, किस पार्टी से जुड़े हुए हैं ? इसका पूरा रिकॉर्ड मेरे पास है. आप बोलेंगे तो माननीय अध्यक्ष महोदय मैं बता देता हूं, किसानों की इतनी चिंता है तो मैं बता देता हूं. (..व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - जाटव जी, आप बैठ जाइए. भाई गोविन्द सिंह जी के सामने कोई खड़ा नहीं हो सकता. आप बैठ जाइए.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो भ्रष्टाचार में हो, चाहे जिस दल का हो, उसको गोविन्द सिंह सपोर्ट नहीं करते. हमने जो पूछा है, हमें ज्यादा नहीं चाहिए. आप तो केवल यह बता दें कि चौकीदार, क्या ड्राइंग डिस्वर्सल के पावर थे, इतने बड़े घोटाले में कोटवारों को निकाला गया. ड्राविंग डिस्वर्सल पावर किस किस अधिकार के पास थे क्या वे दोषी नहीं है, अगर दोषी है तो उनको बचाने की क्यों कोशिश कर रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे नातीराजा जी बार बार बोल रहे हैं कि नाम बता दो, तो मैं बता देता हूं.
डॉ. गोविन्द सिंह - सवाल नातीराजा जी नहीं पूछ रहे हैं, सवाल गोविन्द सिंह पूछ रहे हैं. पहले हमारे प्रश्न का जवाब चाहिए. जब मैं पूछ रहा हूं कि आहारण एवं संवितरण के अधिकार, किनके दस्तखतों से मुआवजा और चौकीदारों के वेतन का भुगतान होता रहा बस हमें यह बताईए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - पहले हेडमास्टर के प्रश्न का जवाब दीजिए. (...हंसी)
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, बात सही है, ये बात स्वीकार करने में कहीं कोई दिक्कत नहीं है. हमने जांच भी की और ये बात सही है कि तीन हल्का सर्वा, तुखेड़ा और बरोना के 9 गांवों में इसमें गड़बड़ी हुई थी. इसलिए जांच के बाद दो पटवारियों को निलंबित किया, ये हमारी सरकार की पारदर्शिता है.
डॉ. गोविन्द सिंह - अध्यक्ष जी, मैं पूछ रहा हूं, भोपाल की और ये विदिशा जा रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, जवाब तो देने दीजिए.
डॉ. गोविन्द सिंह - कृपया, करके आप सच्चाई बता दें कि आहारण संवितरण के अधिकार किस-किस अधिकारियों के दस्तखतों से उनके नाम और पद नाम बताएं कि किस किस अधिकारी के दस्तखत से निकाले गए, क्या कोटवारों को राशि निकालने का अधिकार है. आपको, अभी भी एक बात बता दूं, ये तो केवल 5-6 करोड़ रूपए की बात है जो हमे जानकारी मिली वह जमा हुए हैं. करीब 15 करोड़ रूपए और भी बंटा हुआ है, इसमें 20-25 पटवारी, आरआई, नायब तहसीलदार सहित एसडीएम शामिल है. कृपया करके आप उन्हें बचाने की कोशिश न करें, ये साफ सुथरा पवित्र मंदिर है. पैसा आएगा तो हमारे घर में नहीं जाएगा, सरकार के पास जाएगा तो आप जनता के हित में उसका सदुपयोग करोगे.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी की भावना से पूरी तरह सहमत हूं. हमारी सरकार ने राशि वसूली है. अब अध्यक्ष महोदय, (...व्यवधान ) सत्येन्द्र सिंह तोमर है ग्राम तुखेड़ा के इन्होंने 10 लाख रूपए फर्जी लिए हैं. (...व्यवधान )
डॉ. गोविन्द सिंह - आप क्या बात कर रहे हैं. (...व्यवधान )
श्री विश्वास सारंग - (...व्यवधान ) संजू तोमर युवा कार्यकारी कांग्रेस के पदाधिकारी है.
श्री रणवीर सिंह जाटव - (...व्यवधान ) कोई भी हो, किसी के रिश्तेदार हो. (...व्यवधान )
श्री सज्जन सिंह वर्मा - ये गंभीर विषय है, इस पर विचार किया जाए. (...व्यवधान )
अध्यक्ष महोदय - आप सभी बैठ जाए, मैं खड़ा हूं. (...व्यवधान ) मंत्री जी मैं खड़ा हो गया हूं. गोविन्द सिंह जी के सामने कोई खड़ा नहीं हो सकता, गोविन्द सिंह जी ने साफ कहा कि चाहे जिस दल का हो, चाहे जो हो यदि गड़बड़ किया है तो उसके खिलाफ कार्यवाही होना चाहिए. इससे साफ कौन हो सकता है, इसलिए उनका जो प्रश्न है, सीधा उसका जवाब दीजिए.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उसी का जवाब दे रहा हूं. ये मुझे बोलने नहीं दे रहे हैं.
श्री सुनील सराफ - उसका जवाब आप कहां दे रहे हैं, आप जवाब दे ही नहीं रहे, आप अधिकारियों की बात कर ही नहीं रहे(...व्यवधान )
अध्यक्ष महोदय - सुनील जी आप बैठ जाइए.
श्री दिलीप सिंह परिहार - विश्वास जी, वही नाम गिनवा रहे हैं. (.व्यवधान )
अध्यक्ष महोदय - विश्वास जी, माननीय सदस्य ने कहा कि आहरण एवं संवितरण अधिकारी कौन थे, बस उनका नाम बता दीजिए.
कुंवर विक्रम सिंह (नातीराजा) - अध्यक्ष जी, माननीय गोविन्द सिंह जी का सीधा सीधा प्रश्न है कि अधिकारियों द्वारा(...व्यवधान ) गबन किया गया है. (...व्यवधान )
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष जी, मुझे बोलने तो दें, आप बताइए मैं बोल ही नहीं पाता हूं. अध्यक्ष जी, हमने जांच की, प्राथमिक रूप से जो दो पटवारी दोषी थे, उनको हमने निलंबित किया, गोहद थाने में उनकी एफआईआर दर्ज की. दूसरा प्रकरण, क्योंकि अध्यक्ष महोदय, इन्होंने अपने ध्यानाकर्षण में तीन मुद्दे उठाए हैं. एक वर्ष 2017 का मामला उठाया है, उसकी जांच की, उसमें भी निश्चित रूप से सत्यता पाई गई, गड़बड़ी हुई थी इसलिए तीन पटवारियों को निलंबित किया.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, यह बात आपसे 10 बार सुन चुका हूं. आपके जवाब में भी यह बात आ गई है आप इस बात को बार बार रिपीट क्यों कर रहे हैं ?
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, मुझे बोलने नहीं दे रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, हमारे पास में इसकी सीडी है.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, कभी बोलते हैं कि जवाब नहीं दे रहे हैं. मैं जवाब दे रहा हूं तो यह बात कहने ही नहीं दे रहे हैं. यह बड़ा ही पेचीदा मामला है इसमें सर्वे में भी गड़बड़ हुई है कांग्रेस की सरकार के समय में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को गलत पैसे दिये गये इसलिये मुझे यह बातें बताने ही नहीं दे रहे हैं. (व्यवधान)
श्री सज्जन सिंह वर्मा—(XXX) (व्यवधान)
श्री प्रियव्रत सिंह--आप विश्वास जताते हो और अविश्वास बनाते हो. (व्यवधान) आप जवाब देते हैं तो लोगों का ध्यान भटकाते हो. आप लोग गरीबों का हक मार रहे हो. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--प्रियव्रत सिंह जी आप बैठिये.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे यह निवेदन कर रहा हूं कि--
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, मुझे आप सूची पढ़ने ही नहीं दे रहे हैं. (व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, हमें केवल यह जवाब चाहिये कि इसमें आहरण एवं संवितरण अधिकारी कौन थे ? जिनके दस्तखतों से यह राशि निकलती रही. सीडी में भी साफ है उसमें तहसीलदार से बात हो रही है पटवारी की उनसे वह कह रहे हैं कि आप हमसे पैसा क्यों जमा करवा रहे हैं ? आप हमारा मकान क्यों बिकवा रहे हैं, आपने भी (XXX), एसडीएम ने भी (XXX). हम अकेले पैसे क्यों जमा करें ? यह इसमें शब्द हैं. इसमें तहसीलदार की आवाज भी है.
अध्यक्ष महोदय--आप इसमें आहरण और संवितरण अधिकारी के बारे में पूछ रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय,इसमें तहसीलदार की आवाज है.
अध्यक्ष महोदय--तहसीलदार की आवाज का परीक्षण नहीं हो रहा है. अभी आपने जो प्रश्न पूछा है उसका मंत्री जी को जवाब तो देने दीजिये. आप इसमें आहरण और संवितरण अधिकारी के बारे में पूछ रहे हैं, यह आपका प्रश्न है.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, हम सबको मालूम है, पूरे सदन को मालूम है जब कोई प्राकृतिक आपदा होती है तो फील्ड पर जाकर जो सर्वे टीम बनती है. उसमें प्राथमिक रूप से जिनकी जिम्मेदारी होती है वह पटवारी की होती है.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, आपका एसडीएम कोई रिश्तेदार है. आपका पटवारी और एसडीएम और तहसीलदार कौन लगता है ?
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, हमारा कोई नहीं लगता है. आप इसमें यह बता दें कि आपके कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को पैसा मिला है, वह आपके कौन लगते हैं ? (व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, आप उन पर कार्यवाही करें. (व्यवधान)आप सदन में गलत बयानी कर रहे हैं. (व्यवधान) मैं सदन में कहना चाहता हूं कि मैं अपराधियों को जेल पहुंचा कर ही रहूंगा. आप नहीं सुनेंगे तो हम कोर्ट में जायेंगे. लोकायुक्त में जायेंगे. अंत में उनको जेल पहुंचाकर ही छोड़ेंगे. चाहे वह एसडीएम, हो, तहसीलदार हो, चाहे कोई भी हो, जिनको आप बचाने का काम कर रहे हैं ? (व्यवधान)
श्री प्रागीलाल जाटव--सहमति पटवारी करते हैं. एसडीएम एवं तहसीलदार नहीं करते हैं. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, भाजपा की सरकार किसी को बचाने के मंतव्य से काम नहीं करती है. (व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय,फिर आप उनके नाम क्यों नहीं बता रहे हैं ? (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि यदि इसमें कोई भी अधिकारी दोषी होगा तो उस पर कार्यवाही होगी. (व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, आप इनके नाम क्यों नहीं ले रहे हैं.
कुंवर विक्रम सिंह नाती राजा--अध्यक्ष महोदय, इसमें सबूत सहित है. जो भी इसमें दोषी हैं उनके ऊपर कार्यवाही होनी चाहिये. (व्यवधान) न कि निचले व्यक्ति के ऊपर कार्यवाही कर रहे हैं. (व्यवधान)
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, इसमें आप कोई भी दोषी हों उनके ऊपर कार्यवाही करो, चाहे मेरा भाई ही क्यों न हों, इसमें आपको कौन रोक रहा है ? (व्यवधान) आप लोगों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं और सच्चाई को छुपाने का काम कर रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- विश्वास जी उनका कहना है कि चाहे जिनने भी गलत कार्य किया है उसका भाई भी हो तो उनके ऊपर आप कार्यवाही करें इससे साफ बात कोई हो नहीं सकती है ? इसमें वह चाहते हैं कि आहरण एवं संवितरण अधिकारी कौन थे उनके नाम बता दीजिये उनके खिलाफ क्या कार्यवाही कर रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन कर रहा हूं कि इसमें आहरण अधिकारी एसडीएम होता है. आप सुन तो लीजिये. पहले तो नातीराजा जी ने उनको उचकाया अब उनको मरहम लगा रहे हो. (व्यवधान)
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--नातीराजा जी चाह रहे हैं आप इनको सूची तो बताओ. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, बताएंगे और पटल पर भी रख देंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, जो कोटवार का मामला है, उसमें कलेक्टर स्वयं जांच कर रहे हैं और उसमें वहां के आहरण अधिकारी एसडीएम हैं उसको नोटिस भी दिया है. अब मेरा पूरा मामला सुना ही नहीं, क्योंकि तीन मुद्दे थे और, मैं तीनों का जवाब दे रहा था.
डॉ. गोविन्द सिंह:- तहसीलदार भी है, आप फिर एक नाम छुपा गये. आहरण संवितरण अधिकारी तहसीलदार भी है आप उसका नाम बता दो.
श्री विश्वास सारंग:- हां, तहसीलदार भी है.
डॉ. गोविन्द सिंह:- कृपा कर आप नाम तो बता दो.
श्री विश्वास सारंग:- जो तहसीलदार होगा, मैं वही निवेदन कर रहा हूं...
डॉ. गोविन्द सिंह:- तो आप फिर काहे को आ गये बिना तैयारी के. अच्छा खेद व्यक्त कर लो, माफी मांग लो.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, तहसीलदार, डिप्टी कलेक्टर आ गया तो वह आ गया.
श्री विश्वास सारंग:- क्या बोल रहे हैं आप ?
डॉ. गोविन्द सिंह:- कह दो कि हम नहीं बता सकते हैं.
श्री विश्वास सारंग:'- क्यों नहीं बता सकते, अभी नाम बता देंगे. उसमें क्या दिक्कत है. अध्यक्ष महोदय, मैंने जो नाम पढ़े हैं इसका क्या होगा. यह भी तो बता दो.( व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- गोविन्द सिंह जी, नाम सुन लीजिये. (व्यवधान) वह नाम बता रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग:- अध्यक्ष महोदय, मैंने पता करवाया तहसीलदार का नाम नहीं है. परन्तु यदि आपको एसडीएम हो, तहसीलदार हो, पटवारी हो, आरआई हो कोई भी दोषी होगा तो उसका बक्शा नहीं जायेगा.
श्री राकेश मावई:- नाम पढ़ने में क्या दिक्कत है.
श्री विश्वास सारंग:- मेरे पास अभी नाम नहीं हैं, मैंने बोला ना. (व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, मैं फिर एक बात कह रहा हूं कि इस पूरे मामले की हम उच्च स्तरीय डिविजनल कमिश्नर से जांच भी करवा देंगे. इसमें हमें कोई दिक्कत नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह:- आप प्रमुख सचिव, राजस्व से जांच करवा दो.
श्री विश्वास सारंग:- डिविजनल कमिश्नर वहीं का वहीं रहता है, अब आपको इसमें क्या दिक्कत है.
डॉ. गोविन्द सिंह:- अध्यक्ष जी, इसलिये निवेदन कर रहा हूं कि मैंने इसमें स्वयं शिकायतें की हैं और शिकायत एक वर्ष से लगातार कर रहा हूं. कमिश्नर से शिकायत की और डाक से कलेक्टर, कमिश्नर और यहां तक की प्रमुख सचिव को भी शिकायत भेजी है. उनसे पर्सनल भी मिला लेकिन उसके बाद भी एक्शन नहीं हुआ.
अध्यक्ष जी, सच्चाई यह है कि वास्तव में एक ट्रेजरी का बाबू है उसने फर्जी काम किया है. आप केवल यह बता दें कि कितना-कितना पैसा चौकीदारों का और किसानों का शासकीय खाते में जमा हुआ. दूसरा, इसमें लिखा है कि बादाम सिंह, वह राजेश सिंह किसान का पैसा था, क्योंकि राजेश सिंह किसान का ओला का पैसा था और उसके नाम से लिस्ट गयी तहसीलदार के पास और तहसीलदार ने क्या किया जब खाता नंबर से बिल जनरेट किया तो उसमें बादाम सिंह का नाम हो गया तो जब खाता राजेश सिंह के नाम से था तो बादाम सिंह कैसे हो गया, यह तहसीलदार की लिस्ट है हाथ से बनी है इसमें हस्ताक्षर हैं, तो आपने बादाम सिंह को कैसे भुगतान कर दिया, जब उसका नाम कम्प्यूटर में नहीं आ रहा था, उसमें आ रहा था राजेश सिंह का पैसा तो राजेश सिंह का आयेगा, लेकिन पैसा राजेश सिंह का था और उसमें नाम आ रहा है बादाम सिंह और भुगतान बादाम सिंह को कर दिया. आखिर इससे ज्यादा क्या होगा, हम किस बात के जन-प्रतिनिधि हैं.
अध्यक्ष महोदय:- यह जांच में ही आयेगा ना.
श्री विश्वास सारंग:- अध्यक्ष महोदय, हम तो मान रहे हैं कि...
डॉ. गोविन्द सिंह:- आप जांच प्रमुख सचिव से करवा दें.
श्री विश्वास सारंग:-गोविन्द सिंह जी, आपने पहले जो मुझसे पूछा उसका तो मैं उत्तर दे दूं. लगभग 1 करोड़, 29 लाख का गलत भुगतान हुआ था, जिसमें से 93.8 लाख की वसूली हो गयी है और लगभग 33 लाख लोगों का भुगतान फिर से जो सही थे उनको दे भी दिया गया है और यह प्रक्रिया प्रचलन में है.जो 2017 वाली बात थी उसमें 8 लाख 11हजार रूपये का गलत भुगतान हुआ था,जिसकी वसूली चल रही है.मैं फिर निवेदन कर रहा हूं माननीय अध्यक्ष महोदय ह हम न किसी को बचाना चाहते हैं, हमारी सरकार ने ही जांच की,हमारी सरकार ने माना गलती हुई,इसीलिये पटवारियों को निलंबित किया एफआईआर दर्ज हुई पर उसके बाद भी विधायक जी कह रहे हैं कि एसडीएम तक का मामला है तो हम डिविजनल कमिश्नर से माननीय अध्यक्ष म होदय जांच करा लेंगे.डिविजनल कमिश्नर बहुत सीनियर अधिकारी होतेहैं.प्रमुख सचिव को यहां से भेजना उचित नहीं होगा.
डॉ. गोविन्द सिंह:-आप जांच ईओडब्ल्यू को दे दो.
श्री विश्वास सारंग- गोविन्द सिंह जी, मुझे पूरा बोलने दीजिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पूरा मामला जिस समय का हुआ, इसमें निश्चित रूप से भ्रष्टाचार हुआ, अपनों को देख-देखकर, अपने लोगों को देखकर, अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को इसमें नाम जोड़ा गया और यह सब कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की लिस्ट है, जिन्होंने गलत पैसा लिया, गरीब का पैसा लिया. (शेम-शेम की आवाज)
डॉ. गोविन्द सिंह- आपका यह आरोप गलत है. हम इसमें किसी तरह से शामिल नहीं है, मैंने पहले ही कहा कि यदि मेरा सगा भाई भी हो तो उसके विरूद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही की जाये.
श्री विश्वास सारंग- आपका सगा भाई नहीं है और मैं ये भी नहीं बोल रहा हूं कि आपने करवाया है. आप तो ईमानदार हो. परंतु यह गलत तो हुआ न 10-10 लाख रुपये.
डॉ. गोविन्द सिंह- पटवारी, आर.आई. और एस.डी.एम., क्या आंखें बंद करके चाहे जिसके खाते में किसान के पैसे डाल सकते हैं ?
अध्यक्ष महोदय- वे जांच करवा तो रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें मालूम है उस समय वहां पटवारी, आर.आई. और एस.डी.एम. किसके कहने पर पोस्ट हुए थे. बात निकलेगी तो दूर तक जायेगी. हमने बोल दिया है कि जांच करवा रहे हैं, जांच में दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जायेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह- हमारे कहने पर पोस्ट हुए थे, आप और क्या कहना चाहते हो ?
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, वे आपकी जांच से सहमत हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप कृपा करके इसमें आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) से जांच करवाइये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, इतना सा कहना है कि जांच करवा लेंगे, तो बात समाप्त हो जायेगी.
श्री विश्वास सारंग- सज्ज्न भाई, हमने बोल दिया है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- वर्ष 2017 में किसकी सरकार थी, आप ये बता दो.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसलिए हमने जांच की है और कार्यवाही की है.
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा केवल इतना कहना है कि हम आपसे सहमत हैं, आप कृपा करके डिवीज़नल कमिश्नर के बजाए आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ से जांच करवा दें तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. यदि आप प्रमुख सचिव से जांच नहीं करवाना चाहते, तो ठीक है.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, हर चीज की एक प्रक्रिया होती है, हम पहले डिवीज़नल कमिश्नर से जांच करवायेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह- करोड़ों का घोटाला हुआ है.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये तो वही बात हो गई कि मेरा खूंटा यहीं गड़ेगा. हमने एक बात मान ली है, हम डिवीज़नल कमिश्नर से जांच करवायेंगे, अब इसका पटाक्षेप किया जाये.
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, 2 करोड़ 25 लाख रुपये के तो चालान जमा हो चुके हैं, उसके हमारे पास दस्तावेज हैं और आप कह रहे हैं कि 95 लाख रुपये के हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय- उन्होंने कह दिया है, जांच करवा लेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह- आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ से जांच का कह दिया है ?
अध्यक्ष महोदय- नहीं, डिवीज़नल कमिश्नर का कहा है.
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम डिवीज़नल कमिश्नर की जांच से सहमत नहीं है. आप प्रकरण आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ का दे दीजिये, फिर चाहे तो सिफारिश करके, जिन अधिकारियों को आप बचाना चाहते हो, बचा लेना.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- विश्वास जी, सीधे-सीधे एक लाईन का पत्र यहां से चला जायेगा, सारे दस्तावेज चले जायेंगे तो आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ जांच कर देगा इसमें कोई लंबी प्रक्रिया नहीं है. यदि किसी बात का पटाक्षेप करना है, न्याय दिलवाना है, शासकीय खजाने का बचाना है तो इतनी सरल बात आप कर लें.
श्री विश्वास सारंग- सज्जन भाई, हमने जमा करवाया है परंतु आप इस लिस्ट पर भी तो प्रकाश डालें.
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं डेढ़ वर्ष से आंदोलन कर रहा हूं, घेराव कर रहा हूं, तब ये हुआ है, तब ये बात यहां तक आई है.
श्री विश्वास सारंग- डॉक्टर साहब, इसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. हम डिवीज़नल कमिश्नर से जांच करवा देंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर हम आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में जायेंगे, जांच तो होगी, आप चाहे जितना बचा लो, हम दोषियों को जेल तक पहुंचा के रहेंगे.
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम किसी को नहीं बचा रहे हैं, यदि बचाना होता तो हम जांच की बात ही क्यों करते ?
डॉ. गोविन्द सिंह- आपने न तो सदन में उनके नाम बताये, महिलायें अपने पति का नाम नहीं बताती हैं, आपको क्या (XXX) लग रही थी ?
अध्यक्ष महोदय- ठीक है, अब इसका पटाक्षेप किया जाये.
श्री कुँवर विक्रम सिंह (नातीराजा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2017, 2020 के इसमें तीन मामले हैं
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय ,एक मिनट
अध्यक्ष महोदय- डॉक्टर साहब, आपको पूरा समय दे दिया है. इसमें अब हो गया.
XXX : निर्देशानुसार विलोपित.
12.39 बजे
(2) देवास जिले के साततलाई में मूलभूत सुविधाओं के बाद भी उद्योग स्थापित न होना
श्री आशीष गोविंद शर्मा (खातेगांव)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
सहकारिता, लोक सेवा प्रबंधन मंत्री (श्री अरविंद सिंह भदौरिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि नेमावर बहुत प्राचीन नगरी है, भगवान सिद्धनाथ का प्राचीन स्थान है, नर्मदा जी का नाभी स्थल है और हमारा जो क्षेत्र है वहां खाद्यान्न फसलों के हिसाब से सोयाबीन, चना, गेहूं का प्रचुर उत्पादन होता है. कई सारे कृषकों ने अपने यहां पर फलों का उत्पादन प्याज, लहसुन, आलू इस तरह की इकाईयां भी लगा रखीं हैं और जब इस क्षेत्र को विकसित करने की योजना इस सरकार के द्वारा बनाई गई थी उस समय हमारे पास नेशनल हाईवे अच्छी हालत में नहीं था, सिंचाई परियोजनाएं नहीं थीं, क्षेत्र में सिंचाई परियोजनाओं का भी काम चल रहा है किसान प्रचुर उत्पादन ले रहा है. इंदौर से हमारी दूरी लगभग 150 किलोमीटर है. पास में हरदा है जहां पर हमारे लिए रेलवे ट्रैक उपलब्ध है. वर्तमान में एनएच-59 है. इंदौर, बैतूल का काम भी युद्ध स्तर पर चल रहा है. नर्मदा एक्सप्रेस वे भी वहां से निकलकर जाने वाला है और इंदौर, बुधनी रेलवे लाईन का काम भी चल रहा है कुल मिलाकर उद्योग को स्थापित करने की पर्याप्त संभावनाएं वहां पर मौजूद हैं. क्षेत्र का जो युवा है वह अभी रोजगार के लिए मण्डीदीप, पीथमपुर, देवास जैसी नगरियों में जाता है क्योंकि वहां पर उद्योग चल रहे हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से यह कहना है कि दस वर्ष का समय बहुत लंबा समय होता है. स्थानीय स्तर पर निवेशकों को अवश्य आमंत्रित किया गया है, लेकिन वहां पर अभी भी उद्योग प्रारंभ नहीं हो पाए हैं. प्रचार-प्रसार की भी आवश्यकता है. चूंकि यह जो नई नेमावर नगर पंचायत निर्मित हुई है उसी की परिधि में आता है इसलिए मैं माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि वहां पर जो बाहर के निवेशक फूड में काम करना चाहते हैं, एग्रो से जुडी हुई इंडस्ट्रीज लगाना चाहते हैं उन्हें विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाए. वहां पर फूड प्रोसेसिंग यूनिट डल सकती है जिससे स्थानीय स्तर पर ही आपको अनाज उपलब्ध हो सकेगा. हमारे पास में खातेगांव की बड़ी मण्डी है, नसरुलागंज की मण्डी है जहां से अच्छी किस्म का गेहूं, चना, सोयाबीन उद्योग लगाने वाले लोगों को उपलब्ध हो सकता है. जो मजदूर और लेबर चाहिए वह भी बड़ी संख्या में उपलब्ध हैं. बिजली की भी पर्याप्त व्यवस्था है. शांतिपूर्ण वातावरण है, कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत अच्छी है और उद्योगों के लिए जो सबसे बड़ा संकट है जिसके कारण उद्योग बंद होते हैं वह है पानी की उपलब्धता तो जहां पर यह साततलाई क्षेत्र विकसित किया गया है वहां से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर नर्मदा जी का स्थान है.
अध्यक्ष महोदय-- आशीष जी आप सीधे अपना प्रश्न कीजिए.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहता हूं कि वह यह बताएं कि अतिशीघ्र या कब तक वहां पर निवेशकों की एक बड़ी सेमिनार आयोजित की जाएगी. इंदौर, भोपाल जैसे जो हमारे व्यावसायिक केन्द्र हैं वहां पर इसके प्रचार-प्रसार के लिए काम किया जाए.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया --माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे आशीष गोविन्द सिंह जी ने ध्यानाकर्षण किया है तो हम अप्रैल माह में नेमावर में भी एक कार्यशाला कर लेते हैं और आप कहेंगे तो एक हरदा में भी कार्यशाला कर लेते हैं. जिसमें स्थानीय लोगों को अधिक अवसर मिले ऐसी माननीय मुख्यमंत्री महोदय की हार्दिक इच्छा भी रहती है. इसके लिए लगातार प्रयास किए गए हैं. दो सेमीनार कर लेते हैं आवश्यकता होगी तो आसपास होर्डिंग्स लगाना, सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया के माध्यम से भी प्रचार-प्रसार करेंगे. मैं सहमत हूँ इसको करने के लिए तैयार हूँ.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूँ चूंकि इसका नाम साततलाई है, वास्तव में यह नेमावर में ही स्थित है. नगर पंचायत क्षेत्र में ही यह औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया गया है. कई बार गांव का नाम होने के कारण भी निवेशक आने से हिचकिचाते हैं. मेरा मानना है कि यह नेमावर की परिधि में स्थित है इसलिए इसका नाम भी साततलाई से बदलकर नेमावर किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- आपका ध्यानाकर्षण नाम बदलने का नहीं था.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा हमारे माननीय सदस्य कह रहे हैं, असल में वह नेमावर में ही है. जैसा माननीय सदस्य ने कहा इसी प्रकार से इटारसी में भी इंडस्ट्रियल एरिया है लेकिन उसे तीरथपुर नाम दे दिया है जिससे कई बार कन्फ्यूजन हो जाता है, इससे निवेशक आने से बचते हैं. उद्योग विभाग ने इस बात पर चर्चा कर ली है. इस इंडस्ट्रीयल एरिया का नाम नेमावर कर देंगे. मुख्यमंत्री महोदय ने एक आदेश दिया है और निर्णय किया है कि जो प्लाट लेने वाले हैं उन्हें हम किश्तों के आधार पर भी देने के लिए तैयार है. कई बार लोग इकट्ठा पैसा नहीं दे पाते हैं. किश्तें बना दी जाएंगी. मुख्यमंत्री जी के आदेशानुसार उस पर भी विचार किया जा रहा है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक प्रश्न और करना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं अब हो गया है.
12.46 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
प्रत्यायुक्त विधान समिति के तृतीय एवं चतुर्थ प्रतिवेदन की प्रस्तुति
श्रीमती गायत्री राजे पवार (सभापति) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रत्यायुक्त विधान समिति का तृतीय एवं चतुर्थ प्रतिवेदन प्रस्तुत करती हूँ.
पटल पर रखे गये पत्रों का परीक्षण करने संबंधी समिति का तृतीय प्रतिवेदन पटल पर रखा जाना.
श्री पंचूलाल प्रजापति (सभापति) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, पटल पर रखे गये पत्रों का परीक्षण करने संबंधी समिति का तृतीय प्रतिवेदन पटल पर रखता हूँ.
12.47 बजे कार्य मंत्रणा समिति का प्रतिवेदन
12.51 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति.
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्यों की याचिकाएँ प्रस्तुत की हुई मानी जाएँगी.
अध्यक्ष महोदय-- सुश्री हिना लिखीराम कावरे जी अपना भाषण प्रारंभ करें.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे(लांजी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2021-22 के लिए 15 हजार 216 करोड़ 90 लाख 87 हजार 399 रुपये की अनुपूरक राशि की मांग यहाँ पर की गई है. अध्यक्ष महोदय, पिछली बार जब मुख्य बजट आया था उस समय चूँकि सरकार नगरीय निकाय के चुनाव की तैयारी कर रही थी और उसके चलते सरकार ने जो लोक निर्माण विभाग का बजट पेश किया उस विभाग में मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि 105 आरओबी (रेल्वे ओव्हर ब्रिज) आए. लगभग 464 सड़कें, 65 पुल, ये पिछली बार की बजट की किताब में आया और इस बार के मेरे ही प्रश्न के उत्तर में यह जवाब आया है कि सड़कों के निर्माण के लिए राशि लगनी थी 3 हजार 471.57 करोड़ रुपये. माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें सरकार की तरफ से 1627.46 करोड़ रूपए की राशि मिली. ब्रिज के लिए 759.17 करोड़ रूपए राशि की मांग की गई, उसमें 142.39 करोड़ रूपए मिले और आरओबी के लिए 3132.31 करोड़ रूपए की राशि की मांग की गई और राशि जारी हुई 19.99 करोड़ रूपए. माननीय अध्यक्ष महोदय, 1789.84 करोड़ रूपए इन सब कामों की पूर्ति के लिए बाकी हैं. कुल मिलाकर यदि हम इकट्ठा करें तो इतनी राशि अभी शेष है लेकिन मैंने जब अनुपूरक बजट की किताब देखी तो उसमें पीडब्ल्यूडी का कोई जिक्र नहीं है. लोक निर्माण विभाग का कहीं दूर-दूर तक कहीं कोई जिक्र नहीं है. हो सकता है कि मेरे ज्ञान में थोड़ी कमी हो और ऐसा कोई प्रावधान भी हो कि भई अलग से वित्त विभाग की कोई ऐसी व्यवस्था हो कि मुझे नहीं पता लेकिन इस किताब में कहीं दूर-दूर तक इस बात का जिक्र नहीं है. एक ही आरओबी (रेलवे ओवर ब्रिज) जो कि सागर में है माननीय लोक निर्माण विभाग मंत्री जी का विधानसभा क्षेत्र है, केवल वहीं के लिए राशि स्वीकृत की गई है. बाकी का क्या होगा ? माननीय वित्त मंत्री जी जब जवाब दें तो इस बात को जरूर बताएं क्योंकि हो सकता है कि शायद मुझे देखने में कोई दिक्कत हो गई हो या कोई कमी हो गई हो, क्योंकि पीडब्ल्यूडी विभाग इतना बड़ा है इतनी घोषणाएं हैं लेकिन उसके बावजूद इसमें कहीं उसका उल्लेख नहीं है या तो यह बहुत बड़ी चूक है या फिर मध्यप्रदेश सरकार का अलग ही तरह का वित्तीय प्रबंधन होगा, मुझे नहीं पता. जब मंत्री जी जवाब देंगे तो पता चल जाएगा और ऐसा ही जब आपके यहां छात्रवृति अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के बच्चों को जब छात्रवृति लगातार मिल रही थी, तो खुशी तो होती है लेकिन वहीं जब ओबीसी के बच्चों को छात्रवृति नहीं मिल रही थी, पूरा प्रदेश परेशान हो रहा था बच्चे हमसे भी आकर मिलते थे तो मुझे लगा कि एससी, एसटी के लिए सरकार इतनी मेहरबान है और ओबीसी के लिए कैसे नहीं है. जब हम जड़ में गए तो पता चला कि एससी- एसटी के बच्चों के लिए जो छात्रवृति मिलती है चाहे वह स्कूल हो, कॉलेज हो, मुख्यमंत्री मेधावी पुरस्कार हो, जो मिलता है उसके लिए हो, जब जड़ में गए तो पता चला कि 90 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार की तरफ से आती है और 10 प्रतिशत राज्य सरकार को देना पड़ता है. हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति के बच्चों को तो छात्रवृति मिल गई लेकिन वहीं ओबीसी के बच्चों का मामला इसीलिए अटक जाता है क्योंकि उनको 90 प्रतिशत राशि राज्य सरकार को देनी पड़ती है और मात्र केन्द्र सरकार की तरफ से 10 प्रतिशत है, इस बार है मैंने देखा है लेकिन क्यों, आखिर उन बच्चों का क्या दोष है. यदि अनुसूचित जाति, जनजाति के बच्चों को छात्रवृति मिल रही है, बहुत अच्छी बात है हम बधाई देते हैं लेकिन ओबीसी के बच्चों के साथ भेदभाव क्यों ? उनको भी तो समय पर छात्रवृति मिलना चाहिए, ताकि वह अपनी पढ़ाई आगे कन्टीन्यू कर सकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात मनरेगा की है. अभी मैंने किताब में देखा है. पंचायत ग्रामीण विकास विभाग का अनुपूरक बजट में आया है. मनेरगा कानून है. पता नहीं कितने ऐसे मजदूर हैं जिनका भुगतान होना आज भी शेष है. मेरे खुद की विधानसभा में जो मेरा लांजी विधानसभा क्षेत्र है, खुद की विधानसभा में 2 करोड़ रूपए मनरेगा में मजदूरी का भुगतान करना आज भी शेष है और न जाने मध्यप्रदेश में ऐसी कितनी जनपदें होंगी जिनमें मजदूरी का भुगतान करना अभी भी शेष है. अब जाकर आप इसमें अनुपूरक बजट की किताब में लेकर आए हैं लेकिन उसका क्या, जो उन मजदूरों ने साल भर पहले काम किया और आज तक उसका भुगतान नहीं हो पाया, यह तो कानून है. समय पर उनको भुगतान होना चाहिए और यदि आपने उनको भुगतान नहीं किया तो आप उनको मय ब्याज की राशि देंगे. मजदूरों के हक की बात है इसीलिए इतना ध्यान तो रखना पडे़गा. जो लोग रोज कमाई करते हैं रोज कमाते हैं, रोज खाते हैं जिससे उनका घर चलता है और एक साल से आप उनको मजदूरी नहीं दे रहे हैं तो प्रदेश किस दिशा में जा रहा है तो इसकी कल्पना आप और हम बिल्कुल कर ही सकते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मैंने प्राकृतिक आपदाओं और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में राहत पर व्यय देखा. अभी अंतिम समय में सरकार इस तृतीय अनुपूरक बजट में लेकर आयी है. इसका मतलब कि आरबीसी 6 (4) के तहत जितनी प्राकृतिक आपदाएं आती हैं जिनका भुगतान समय पर हो जाना चाहिए लेकिन आप अभी प्रावधान कर रहे हैं. मतलब आपने साल भर से ज्यादा उनको रोक-रोककर रखा है. एक तो वैसे ही कोविड की मार, ऊपर से किसी का मकान जल गया, किसी की खड़ी फसल जल गई, किसी की खराई जल गई. हमारे यहां धान को जब मिसाई करने के लिए इकट्ठा करते हैं तो उसको खराई कहते हैं. कई लोगों की खराई जल गई. कितने ऐसे मामले हैं, सर्पदंश से मृत्यु हो गई, कई सारे मामले ऐसे हैं और प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, उनका भुगतान आप नहीं कर पाए हैं. अभी जाकर उसका प्रावधान आप इस अनुपूरक अनुमान में कर रहे हैं. पता नहीं, क्रियान्वयन आप कैसे करेंगे. यह तो सोच के परे है.
अध्यक्ष महोदय, एक और बात, इसमें सामाजिक न्याय के लिए पैसा आया है. अब इसमें तो वह भी राशि शामिल होगी, सामूहिक विवाह, जो सिरौंज में हमारे शर्मा जी, विधायक जी की चतुरता के चलते कम से कम ऐसा है कि वह मामला सामने तो आ गया कि बिना सामूहिक विवाह किए ही राशि का गबन हो गया. वह भी राशि इसमें शामिल होगी. पता नहीं ऐसे कितने घोटालों की राशि इस अनुपूरक अनुमान में शामिल होगी. ये सारी चीजें आपकी प्रशासनिक पकड़ को बताती हैं कि अधिकारी आपकी नाक के नीचे क्या काम कर रहे हैं. ये कैसा प्रशासन है, ये कैसा शासन है, जो इतनी बड़ी-बड़ी रकम आपकी नाक के नीचे से अधिकारी ले जाते हैं, आपको पता ही नहीं चलता. ऐसे कितने मामले होंगे. अध्यक्ष महोदय, यह सब बहुत गंभीरता का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय, पीडब्ल्यूडी के जितने ठेकेदार अभी मध्यप्रदेश में काम कर रहे हैं, एक ठेकेदार ऐसा नहीं है जो अपने लंबित भुगतान को लेकर रोना नहीं रो रहा है. काम चालू कर दिया, काम आधा हो भी गया, लेकिन भुगतान ही नहीं हो रहा है. इस अनुपूरक बजट में तो आपने मांग नहीं की है, इन सबका भुगतान कैसे होगा, इस सबकी भी चिंता आप जरूर करिएगा.
अध्यक्ष महोदय, किसानों की बात करना चाहती हूँ. हम किसानों को सब्सिडी पर बीज उपलब्ध करवाते हैं. लेकिन जिन समितियों से हम बीज खरीदते हैं, उन बीज उत्पादक समितियों का भुगतान साल-साल, दो-दो साल, ढाई-ढाई साल नहीं हो पाता है. आप समय पर उनका भुगतान नहीं करेंगे तो आप कैसे अपेक्षा करेंगे कि अगली बार आपको सही समय पर वे बीज उपलब्ध करवा देंगे और हमारे यहां के किसान सही समय पर उस बीज का उपयोग कर लेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसी बहुत सारी बातें हैं जो सरकार को समय रहते हुए करना आवश्यक है, जो सरकार नहीं कर पा रही है और मुझे ऐसा लगता है कि दो साल जो कोरोना के गए हैं, उसकी हम बात न करें, लेकिन अब स्थिति सामान्य हो गई है तो हमको लगता है कि मध्यप्रदेश के हर व्यक्ति को समय पर सरकारी योजनाओं का लाभ मिले, समय पर वस्तुओं का लाभ मिले. उन्हें सही समय पर सरकारी योजनाओं का लाभ देने की जवाबदारी हमारी है. मैं यही अपेक्षा करती हूँ कि जब माननीय मंत्री जी जवाब दें तो वे इन सब बातों का जिक्र भी अपने उत्तर में यहां पर करें. आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा वर्ष 2021-2022 के तृतीय अनुपूरक अनुदान की मांगों पर पन्द्रह हजार दो सौ सोलह करोड़, नब्बे लाख, सतासी हजार, तीन सौ निन्यानवे रुपये की जिस राशि की मांग की गई है, मैं उसका समर्थन करते हुए अपनी बात सदन में रखना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, सदन की वरिष्ठ सदस्या और पूर्व डिप्टी स्पीकर आदरणीया हिना जी ने अपना वक्तव्य दिया. उन्होंने यह बात भी स्वीकार की कि शायद उन्हें जानकारी नहीं है, पर माननीय मंत्री जी उसका जवाब देंगे. मैं बताना चाहता हूँ कि जो अनुपूरक बजट आते हैं, उनकी अपनी एक परिस्थिति होती है, उनकी अपनी एक व्यवस्था होती है. इसमें उन्हीं विभागों को दर्शाया जाता है, जिनकी मांग आवश्यक है और सत्र के दौरान यदि आम बजट आ गया है, मुख्य बजट आ गया है तो उसमें सारे विभागों की मांगे और उनका बजट सुनिश्चित होता है क्योंकि वह बजट उनको प्राप्त हो चुका होता है. उसके बारे में मैं कहना चाहता हूँ कि माननीय वित्त मंत्री जी ने आम बजट प्रस्तुत कर दिया और विभागों की डिमांड्स और आम बजट पर चर्चा अभी शेष है. लेकिन आपने जिस तरह से कहा था कि कई विभागों का उसमें उल्लेख नहीं है, तृतीय अनुपूरक तो उतना ही होता है जितना उसकी आवश्यकता होती है. सारे विभागों का मद और सारे विभागों के बजट का आवंटन मुख्य बजट में हिना जी, आ जाता है और हमको कॉपियां मिल चुकी हैं, लेकिन मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं, आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि तृतीय अनुपूरक माननीय देवड़ा जी, आपने जो प्रस्तुत किया है, जो मांग की है, वह उन महत्वपूर्ण विभागों की महत्वपूर्ण योजनाओं को लेकर है जिनकी वास्तव में आवश्यकता थी. प्रतिपक्ष इसका विरोध करेगा, आलोचना करेगा वह उनका काम है, लेकिन क्या प्राकृतिक आपदाओं में जो काल कवलित होते हैं उनको बजट की अपेक्षा नहीं होती है ? समय दर समय पर बाढ़, अतिवृष्टि और ओलावृष्टि हो जाती है, क्या अनुपूरक बजट में उसकी आवश्यकता नहीं होती है ? क्या प्रतिपक्ष उसका विरोध करेगा ?
अध्यक्ष महोदय, अभी तीन दिन पहले हमारे मंदसौर जिले में कल्पना भी नहीं थी कि इतनी भारी बारिश हो जाएगी, इतनी भारी ओलावृष्टि हो जाएगी, यहां तक कि 10 घंटे की बारिश में नदियां ऊफान पर आ गईं. मेरी स्वयं के विधान सभा क्षेत्र मंदसौर की सोमली नदी के पाड़लिया लालमुआ गांव, एलची गांव में इस नदी का प्रभाव पड़ा, नदी चलायमान हो गई, बाढ़ की स्थिति आ गई और ऐसे में यदि तृतीय अनुपूरक बजट में बात रखी जाती है तो बात समर्थन लायक है, स्वागत योग्य है. निवेशकों का प्रोत्साहन, कोरोना के इस कालखंड में अभी भी आत्मनिर्भर भारत की प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी की जो मंशा है उसे माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान पूरी कर रहे हैं.
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे -- अध्यक्ष महोदय, मेरे काबिल दोस्त जो यह बात कह रहे हैं अनुपूरक बजट पिछले मुख्य बजट में जो काम नहीं हो पाए हैं, उस काम को पूरा करने के लिये, राशि लेने के लिये अनुपूरक बजट लाया जाता है और पिछले मुख्य बजट में यह रोडें, यह सड़कें पीडब्ल्यूडी विभाग की आ चुकी हैं. चूंकि वह अधूरी हैं और इस किताब में तो कहीं नहीं हैं, और अगर आप वही मांग जो पिछले सत्र में की गई हैं, उसको अगर इस बजट सत्र में करवाना चाहते हैं तो आपकी सरकार की तो फिर बात ही न्यारी है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- अध्यक्ष महोदय, मैं निवेशकों के बारे में बात कर रहा था. माननीय मुख्यमंत्री जी का चिंतन लघु उद्योगों को लेकर, छोटे उद्योगों को लेकर, बड़े उद्योगों, निवेशकों को लेकर और प्रधानमंत्री जी जिस प्रकार से संवाद कर रहे हैं, जिस प्रकार से एक वातावरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं, तो अनुपूरक बजट में अगर निवेश की बात आती है तो क्या दिक्कत है ? यदि कर्मचारियों का अंश मांगा जाता है तो क्या दिक्कत है ? कृषि के क्षेत्र में कृषि पम्पों के साथ-साथ थ्रेसर जो खेती किसानी के लिये काम आता है और साथ में अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों के लिये एक बत्ती कनेक्शन को लेकर और संबल योजना, सामाजिक न्याय, छात्रों की छात्रवृत्तियां, जलजीवन मिशन, उच्च शिक्षा, प्रतिभाशाली बच्चों को विदेशों में भेजना, तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना, यह सब यदि तृतीय अनुपूरक बजट में मांग की जाती है तो मैं समझता हूं कि यह आवश्यक है और इसकी महत्ता है. विपक्ष तो पूरी तरह से भटक गया है. इसलिये भटक गया है कि हिन्दुस्तान के इतिहास में पहली बार किसी सदन में बटन पर बहिर्गमन हो गया. आज पहली बार हुआ है. कभी भी मेरा बटन ठीक नहीं है इसको लेकर बहिर्गमन नहीं हुआ है.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -- अरे भाई, देखो अभी भी चालू नहीं हो रहा है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- चालू है. आपने मुझसे परीक्षण कराया. मैंने हाथ लगाया उसी समय चल गया था.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -- अध्यक्ष महोदय, आप भी जब यहां बैठते थे, आप ही यह प्रश्न उठाते थे कि हमारी बटन चालू नहीं हो रही है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- नहीं-नहीं, बहिर्गमन की बात कर रहा हूं. माननीय प्रजापति जी, मैं बहिर्गमन की बात कर रहा हूं. इतना बड़ा मुद्दा तो नहीं था. संवेदनशील मुद्दा तो नहीं था. जनहित का मुद्दा तो नहीं था. बटन नहीं चल रहा तो बहिर्गमन कर दिया.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.)-- बिल्कुल था. बिल्कुल इसलिये मुद्दा था क्योंकि जो मुद्दा चल रहा था, उसके ऊपर मैं अपनी टिप्पणी करना चाहता था और उस समय टिप्पणी करने के लिये माईक चालू नहीं था.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- अध्यक्ष महोदय, जब आप अध्यक्ष थे, आसन पर बैठते थे तब विधायक को विधायक नहीं मानते थे. कांग्रेस वाले लोकार्पण करते थे तब सारे नियम कहां चले गये थे ? जब आसंदी पर थे तब वह कानून कहां चले गये थे ? विधायक को विधायक नहीं मानते थे.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- शासन का मामला नहीं है यह बटन चालू कराने का. यह तो अध्यक्ष जी का मामला है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं-नहीं, यह हो गया. विषय में आइये.
श्री एन.पी. प्रजापति -- अध्यक्ष महोदय, एक सदस्य होने के नाते यह अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय -- आ गया ना. उस विषय को लेकर आपने बहिर्गमन कर लिया. उसे न उठाएं.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - यह तरीका बोलने का नहीं है. यह भी वरिष्ठ सदस्य हैं. आप पूर्व विधान सभा अध्यक्ष की बात का माखौल उड़ा रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, नहीं, मैं माखौल नहीं उड़ा रहा हूं. (व्यवधान)..ऐसा विषय नहीं था. मैं प्रतिपक्ष के भटकाव की बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए. इसको फिर से मत खोलिए.
श्री दिलीप सिंह परिहार - यशपाल सिंह जी ने सही बात उठाई है. (व्यवधान)..
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) - यह बिल्कुल गलत बात कर रहे हैं. मैं एक जवाबदार सदस्य हूं और एक सदस्य की माइक विधानसभा में बटन दबाने पर नहीं चलती है तो क्या वह जवाबदारी खत्म हो जाएगी?
श्री दिलीप सिंह परिहार - आप जीते हुए को जनप्रतिनिधि नहीं मानते थे.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) -अध्यक्ष महोदय, मैंने इस बात की उस समय भी आपत्ति की थी.
अध्यक्ष महोदय - आप सुन तो लीजिए. आपके प्रश्न का जवाब मैं दे दूं, इसके बाद आप बोलें. कई बार होता है कि एक साथ कई माननीय सदस्य अपने बटन को दबाते हैं इसके बाद थोड़ा-सा दिक्कत आती है, बाकी कोई गड़बड़ी नहीं है. कई बटन एक साथ दब गई, इसके कारण थोड़ा दिक्कत आती है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - यह विषय बंद हो गया था. माननीय सदस्य उल्लेख कर रहे हैं तो माननीय सदस्य तो बोलेंगे.
अध्यक्ष महोदय - आप अपनी बात शुरू करें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, यह माननीय मुख्यमंत्री जी की संवेदनशीलता है कि प्राकृतिक आपदा में बिजली के कड़कने से बिजली के गिरने से अगर कोई घटना घटी है तो मध्यप्रदेश में पिछले 3 वर्षों में 44 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान मृतकों के परिजनों को हुआ है. यह अपने आप में रिकॉर्ड है. अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्तमंत्री श्री जगदीश देवड़ा जी का मैं आभार व्यक्त करता हूं, उनको धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - एक बात और बोल दें कि जो बिजली से मरे हैं, जो कर्ज किसान लेकर आत्महत्या कर लेता है, उसमें प्रावधान करा दो, साधुवाद देंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय पेंशन एनपीएस कर्मचारियों को अंशदान देने के लिए इसमें जो 742.83 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है मैं इसका स्वागत करता हूं. जैसा मैंने कहा कि बाढ़, अतिवृष्टि, पीड़ितों को राहत योजना के अंतर्गत 100 करोड़ रुपये का प्रावधान प्राकृतिक आपदा में किया गया है, यह बड़ी मदद है. इसकी आवश्यकता थी. भारत सरकार द्वारा एनडीआरएफ से राशि रुपये 600.50 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं. राष्ट्रीय आकस्मिकता आपदा राहत निधि से जो राज्य को सहायता लेखा अंतरण में रुपये 600.50 करोड़ रुपये का प्रावधान तृतीय अनुपूरक में किया गया है. मैं इसके लिए अध्यक्ष महोदय, भारत सरकार का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं, इसलिए कि एनडीआरएफ के अंतर्गत जो व्यवस्था, बजट, अंशदान हमको मिलता है, उसमें मध्यप्रदेश की सरकार की भूमिका की वह अपेक्षा करते हैं, उस भूमिका में माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय वित्त मंत्री जी कभी पीछे नहीं रहते हैं. अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा कि निवेशकों को प्रोत्साहन देने के लिए 400 करोड़ रुपये का इसमें प्रावधान किया गया है. अटल कृषि ज्योत योजना के अंतर्गत 3415.25 करोड़ रुपये का प्रावधान अतिमहत्वपूर्ण है.
अध्यक्ष महोदय - संक्षेप करें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए जैसा मैने बताया कि कृषि के कार्यों को लेकर आवास व्यवस्था को लेकर उनके बत्ती कनेक्शन को लेकर उनके थ्रेशरों को लेकर ये जो प्रावधान उनके लिए किये गये है 1924 करोड़ रुपये प्लस 1486 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इस वर्ग के लिए, इस समाज के लिए यह प्रावधान किया गया है. आप करें विरोध? आपको विरोध करना है करिए. यह तृतीय अनुपूरक में तो आ गया है. अध्यक्ष महोदय, संबल योजना का नाम बदल दिया था, काम नहीं करना था इसलिए नाम बदल दिया. पता नहीं कौन-सा सवेरा कर दिया. लेकिन पुनः माननीय मुख्यमंत्री जी ने इसको पुनर्जीवित किया. बंद योजनाओं को चालू किया और उसके अंतर्गत जो बजट में प्रावधान किया गया है, मैं इसका स्वागत कर रहा हूं. अध्यक्ष महोदय, आप बार-बार मुझे बैठने के लिए आग्रह कर रहे हैं, आदेश दे रहे हैं तो मैं आपके आदेश का तो पालन करूंगा, अध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर उत्तर)- अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2021 तृतीय अनुपूरक बजट के लिए पन्द्रह हजार दो सौ सोलह करोड़, नब्बे लाख, सतासी हजार, तीन सो निन्यानवे रुपये की राशि मांगने का जो प्रस्ताव माननीय श्री जगदीश देवड़ा जी ने किया है, उसके विषय में कहना चाहता हूं कि पिछली बार जब मुख्य बजट पेश हुआ था, कहीं न कहीं उसमें सरकार की दूरदर्शिता की कमी थी.
सबको पता है कि हर वर्ष में ओलावृष्टि में आवश्यकता पड़ती है, बाढ़ आती ही है. लेकिन मैं देखता हूं कि जो राशियां मुख्य बजट में दी गई थीं और जिन राशियों का उपयोग होना था, उसका वास्तविक उपयोग हो नहीं पाया. मध्यप्रदेश सरकार ने कोरोना काल में 15000 करोड़ रुपये यहां मांग रहे हैं परन्तु 2100 करोड़ रुपये सिर्फ डीजल, पेट्रोल से अतिरिक्त कमाई एक साल में कर ली. कोरोना काल में जबकि लोगों की आर्थिक व्यवस्था का ढांचा टूट गया था. मैं आपसे यह भी निवेदन करता हूं कि जिस तरह से सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की बात सरकार करती है. मैं मुख्यमंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि एक तरफ तो आप अनुपूरक बजट में अतिरिक्त राशि मांगते हैं, दूसरी तरफ सबका साथ और सबका विकास का पालन नहीं करते हैं. सिर्फ कुछ विधायकों से जो आपकी पार्टी के हैं, उनसे आप 15 करोड़ के प्रस्ताव मांगते हैं, इसका मतलब यह है कि आप सबका साथ और सबका विकास की धारणा के विपरीत काम करते हैं.
1.16 बजे {सभापति महोदय (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया) पीठासीन हुए.}
सभापति महोदय, मैं आपसे एक आग्रह और करना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी ने सीएम राइज स्कूलों की घोषणा की और उन सीएम राइज स्कूलों में आपने जिन स्कूलों की लिस्ट घोषित की थी, उसमें से बाद में कांग्रेस के कई विधायकों के स्कूलों के नाम हटा दिये गये. तो क्या इसलिये अनुपूरक बजट आयेगा कि जो आप चाहते हैं, सिर्फ वह काम करेंगे. सभापति महोदय, आपके माध्यम से अगर मुख्यमंत्री जी मेरी बात सुन रहे हैं और अगर देवड़ा जी अन्य में व्यस्त हों तो मैं मुख्यमंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि जबलपुर शहर का सबसे अच्छा स्कूल है एमएलबी स्कूल, जिसमें सबसे ज्यादा छात्राएं वहां पर हैं और इस स्कूल का नाम सीएम राइज में था, परन्तु वहां के अधिकारी, चूंकि यह नहीं चाहते थे कि उनके वहां से ट्रांसफर हों, क्योंकि वह उस निर्धारित प्रतियोगिता में यह सिद्ध नहीं कर पाते अपने आपको, इसके चलते उस सीएम राइज से उसका नाम हटा दिया गया. मैं मुख्यमंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि कृपया अगर इस बात को वे ध्यान से सुन रहे हों, क्योंकि उनके नाम से ये स्कूल बन रहे हैं. मुख्यमंत्री जी, दोबारा आपके लिये फिर से आग्रह करना चाहता हूं. जबलपुर का एमएलबी स्कूल सबसे बड़ा अच्छा स्कूल माना जाता है और पूरे जबलपुर शहर की मेक्सीमम छात्राएं वहां पर पढ़ने आती हैं. उस सीएम आपके नाम से स्कूल में, सीएम राइज में उसका नाम लिस्ट में जोड़ा गया, परन्तु वहां के जो पुराने जमे हुए कर्मचारी और प्रिंसिपल हैं, उन्होंने इसलिये उसको हटवा दिया, क्योंकि उस प्रतियोगिता में वह निकल नहीं पाते, अपनी योग्यता को साबित नहीं कर पाते, इसलिये उसका नाम हटा दिया राजनीतिक रुप से. मैं आग्रह करना चाहता हूं कि अनुपूरक बजट सिर्फ इसलिये आये कि सत्ता पार्टी अपनी जो घोषणाएं हैं, जो उनके मन की हैं, उनको पूरा करने के लिये उसका वह दुरुपयोग करें. इसके लिये मैं इसमें आपत्ति दर्ज करता हूं और इसलिये इसका विरोध करना चाहता हूं. मैं आपसे यह भी आग्रह कहना चाहता हूं कि जो पिछले बजट में कटंगा का फ्लाई ओव्हर था जबलपुर शहर में शास्त्री ब्रिज का फ्लाई ओव्हर था. उन फ्लाई ओव्हर्स का काम रोक कर रखा गया है सिर्फ इसलिये क्योंकि वह पिछली सरकारों के द्वारा बजट में स्वीकृत कर दिये गये थे. मैं वित्त मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि इन कामों को अगर स्वीकृति देकर आगे बढ़ा देंगे, तो बड़ी कृपा होगी जबलपुर शहर के लिये. वैसे भी जबलपुर शहर को आपने दोयम दर्जे का दर्जा तो दे ही दिया है. वहां के किसी भी बीजेपी के विधायक को इस लायक नहीं समझा कि उनको मंत्री बना दिया जाये. इस बात पर भी मैं आपत्ति दर्ज कराना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी जबलपुर शहर पर अपनी कृपा बनाये रखें. क्योंकि वहां के जितने प्रोजेक्ट हैं, उन पर रोक लगाई जा रही है. सभापति महोदय, मैं आपसे एक आग्रह और करना चाहता हूं कि जब आप कल वहां बैठे हुए थे, तो आप और आदरणीय सीतासरन भाई साहब जो हैं, दोनों आप विद्वान लोग विजन की बात कर रहे थे. आप भी यह कह रहे थे कि बेटियों के ऊपर बड़ी चिंता होनी चाहिये. लाडली लक्ष्मी में हमने कितना काम किया है. मैं आपको कुछ आंकड़े बताना चाहता हूं पिछले वर्ष के, जब आपकी सरकार को जो राशि केंद्र सरकार से मिली थी, उस राशि का मध्यप्रदेश सरकार उपयोग नहीं कर पाई और दो साल में उसका शून्य बजट आपने रखा और यह राशि मध्यप्रदेश को कितनी मिली, यह आपको आश्चर्य होगा. मैं सभी सदन के साथियों से इस बात को गौर से सुनने के लिये कहना चाहता हूं कि एक तरफ आप कह रहे थे कल दावे के साथ कि कांग्रेस के समय विजन नहीं था, बेटियों की चिंता नहीं हुई. आपका विजन कैसा था, यह बताना चाहता हूं. मध्यप्रदेश को राशि मिली 2019-20 में 1264 करोड़ रुपये और 2020-21 में मिली 1111 करोड़ रुपये. परन्तु 1111 करोड़ में से 103 करोड़ रुपये की राशि खर्च कर पाये. यह आप बेटियों के बारे में चिंता करते हो. यह बेटियों के बारे में आपकी सोच है. मैं आग्रह करना चाहता हूं कि केंद्र सरकार के द्वारा मिलने वाली राशि का आप सदुपयोग नहीं कर पा रहे हैं और दो साल में शून्य रुपये का बजट आप रख रहे हो, यह कितनी बड़ी विसंगति हैं. लेकिन हमारे माननीय बुजुर्ग, जिनका अमृत महोत्सव भाजपा मना रही है, उनको मंत्री तो नहीं बना रही है, लेकिन उनसे आलोचना कराती है. मैं उनसे आग्रह करना चाहता हूं कि इस राशि का कृपा कर के परम् आदरणीय जिन्होंने कल आलोचना हमारी पार्टी की की थी, कृपया ध्यान से इस बात को सुनेंगे. एक और आग्रह आपसे करना चाहता हूं कि जिस ढंग का भ्रष्टाचार हो रहा है. आदिवासियों के नाम पर मध्यप्रदेश सरकार को चौकाने वाली बात जो सामने आई है, एक पता चला है आरटीआई में कि पीवीटीजी जिलों में संरक्षित जनजाति बैगा, सहरिया, भारिया जनजाति के लोगों और अन्य जनजातियों के लिये जो राशि दी गई थी, आदिवासी हितग्राहियों की जो सूची है, वह एक सी है, लेकिन उसमें भी फेरबदल किया गया है.
सभापति महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री विनय सक्सेना-- माननीय, में कोई ऐसी बात तो कर नहीं रहा हूं. यह आवश्यक इसलिये है कि भारी भ्रष्टाचार हुआ है.
सभापति महोदय -- समय का ध्यान रखें.
श्री विनय सक्सेना-- समय तो है, लेकिन मैंने तो इधर उधर कोई बात नहीं की है.
सभापति महोदय -- आप अच्छा बोल रहे हैं, लेकिन संक्षिप्त कर दें.
श्री विनय सक्सेना-- मैं देख रहा था कि कितनी बड़ी बड़ी बातें इधर उधर हुई, तब तो किसी ने नहीं टोका. बस दो मिनिट का समय और दे दें.
डॉ.सीतासरन शर्मा - सभापति जी, माननीय सदस्य, अनुपूरक से बाहर की बातें कर रहे हैं. अनुपूरक बजट में जो विषय दिये हैं उसी पर अपनी बात कहें.
श्री विनय सक्सेना - इस अनुपूरक बजट में जो राशि आप मांग रहे हैं मैं उसी की बात कर रहा हूं. आप उसको खर्च करने की बात कर रहे हो मैं उसके व्यय की बात कर रहा हूं. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि कांग्रेस सरकार के द्वारा विधान सभा में आदरणीय एन.पी.प्रजापति साहब ने इसकी जांच की घोषणा की थी.आदिवासियों के नाम पर जो खेती के नाम पर घोटाले हुए हैं उसकी जांच पूरी करा लें नहीं तो अनुपूरक बजट तो आप मांगते रहोगे और राशि भ्रष्टाचार में चली जायेगी और मध्यप्रदेश का जो विकास होना है चाहे वह बेटियों का हो बेटों का हो जो आम व्यक्ति का होना चाहिये. एक और आग्रह करना चाहता हूं कि जो हमारे मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को माननीय मुख्यमंत्री जी के दिवस पर डी.ए. की घोषणा की उसको कह दिया कि हम 1 अप्रैल से देंगे. मैं कहना चाहता हूं कि 1 अप्रैल से पहले की राशि कब मिलेगी इस बारे में भी कृपया करके अनुपूरक बजट में जोड़ लिया जाये.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य महोदय यह अनुपूरक पर चर्चा है उसके बाद आम बजट पर चर्चा है. उस पर बोलिये. कृपया समाप्त करें.
श्री विनय सक्सेना - माननीय मुख्यमंत्री जी को इसको स्पष्ट करना चाहिये. मुझे मालूम था कि अच्छी बातें करना तो सबको अच्छा लगता है लेकिन जब सही जगह चोट होती है तो समय की बाध्यता याद आती है. धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर) - माननीय सभापति महोदय, वित्त मंत्री जी ने 15216 करोड़ की राशि की जो मांग अनुपूरक में की है मैं उसका समर्थन करते हुए अपनी बात रखना चाहता हूं. जल जीवन मिशन के अंतर्गत इस योजना का महत्व है कि वर्ष 2024 तक प्रत्येक बस्ती को पानी पहुंचाना और इसके अंतर्गत सामान्य मद से 1220 करोड़ रुपये का प्रावधान वित्त मंत्री जी ने रखा है उसके लिये मैं धन्यवाद देना चाहता हूं ताकि ग्रामीण जनों को पानी मिल सके. यहां तक कि अनुसूचित जनजाति बस्तियों को जलजीवन मिशन के अंतर्गत शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो इसके लिये अनुसूचित जनजाति मद से 440 करोड़ रुपये का प्रावधान वित्त मंत्री जी ने रखा उसके लिये मैं उन्हें और मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. अनुसूचित जाति बस्तियों को शुद्ध पेयजल मिले इसके लिये इस तृतीय अनुपूरक अनुमान में 340 करोड़ वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा जी ने रखा उसके लिये मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं. 2 दिन पहले ही ओलावृष्टि मालवा क्षेत्र में हुई. आपके जिले में भी हुई है उज्जैन जिले में भी हुई. ओलावृष्टि होने से,अतिवृष्टि होने से,अल्प वर्षा होने से, टिट्डी दल से, किसी भी कारण से जब फसल का नुकसान होता है उनको राहत राशि और बीमा राशि देने का प्रावधान भू-राजस्व संहिता 6(4) में किया गया है. इसके लिये 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किसानों को ओलावृष्टि,अतिवृष्टि की राशि देने के लिये वित्त मंत्री जी ने रखा है. अकाल राशि के लिये 250 करोड़ का प्रावधान किया है. इसके लिये वित्त मंत्री जी को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. अभी हमारे मित्र कह रहे थे कि राशि लेप्स हो गई. मैं आंकड़े के साथ, प्रमाण के साथ कह रहा हूं. प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत केन्द्रांश की राशि को खर्च कर सकें इसके लिये 610 करोड़ का प्रावधान किया गया है. प्रधानमंत्री आवास योजना, अनुसूचित जनजाति उप योजना के अंतर्गत 230 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. प्रधानमंत्री आवास योजना, अनुसूचित जाति उप योजना के अंतर्गत 160 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. समय की कमी है गरीब के मकान बन सकें,अभी आदरणीय सक्सेना जी कह रहे थे कि राशि लेप्स हो गई. मैं इस सदन में प्रमाण के साथ कह रहा हूं कि जब कमलनाथ जी की सरकार थी उस समय राजस्व नहीं मिलाने के कारण 2 लाख 34 हजार मकान गरीबों के लेप्स हो गये. यह मैं आंकड़ों के साथ कह रहा हूं. इन्होंने अपना राज्यांश नहीं मिलाया. यह हमारी सरकार, माननीय शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार है जो केन्द्र की राशि मिलती है उसकी एक-एक पाई का उपयोग किया जाता है. उसका पूरा खर्च प्रदेश की जनता के लिये किया जाता है.
माननीय सभापति महोदय, मैं वर्ष 2003 में विधायक बना था, यह एमएसएमई के विषय में मैं कभी जानता ही नहीं था, यह बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है, इसमें मेहनत करके मेरे क्षेत्र में एमएसएमई की ओर से सर्वे करके 38 करोड़ रूपये का प्रावधान हो गया है और इसमें अभी 200 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. मैं माननीय जगदीश देवड़ा, वित्तमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. लाड़ली लक्ष्मी योजना जो कि एक बहुत महत्वपूर्ण योजना है इसके लिये भी 200 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. मैं वित्त मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं.
12.26 अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
सभापति महोदय-- मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम-23 के अनुसार शुक्रवार की बैठक के अंतिम ढाई घंटे अशासकीय कार्य के लिये नियत हैं, परंतु आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 8 पर चर्चा के पश्चात अशासकीय कार्य लिया जायेगा तथा कृतज्ञता प्रस्ताव पर माननीय मुख्यमंत्री जी का उत्तर एवं आय-व्यय पर सामान्य चर्चा आगामी दिवस में ली जायेगी, तद्नुसार सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
12.27 बजे वर्ष 2021-2022
के तृतीय
अनुपूरक
अनुमान की
मांगों पर मतदान (क्रमश)
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा)-- माननीय सभापति महोदय, तृतीय अनुपूरक अनुमान के इस प्रस्ताव पर हमारी माननीय विधायिका और पूर्व डिप्टी स्पीकर हिना कावरे जी ने भी अपने विचार रखे, माननीय यशपाल जी, माननीय विनय सक्सेना जी, माननीय बहादुर सिंह जी, मैं उन सबके प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता हूं, उन्होंने काफी महत्वपूर्ण सुझाव रखे हैं. हिना कावरे जी ने कुछ पीडब्ल्यूडी के बारे में बताया, मैं बताना चाहता हूं कि पीडब्ल्यूडी को आवश्यक राशि इस साल उपलब्ध कराई जा रही है, वर्ष 2021-2022 का जो बजट अनुमान है रूपये 7341 करोड़ का था. हमारा अनुमान है कि इस वर्ष के अंत तक विभाग रूपये 8777 करोड़ व्यय करेगा, इस प्रकार रूपये 1436 करोड़ अतिरिक्त उपलब्ध कराये गये हैं, यह आपकी जानकारी के लिये बता रहा हूं. मनरेगा में भी प्रावधान बढ़ाया गया है. बजट अनुमान रूपये 2000 करोड़ का था, पुनरीक्षित अनुमान रूपये 4600 करोड़ अर्थात रूपये 2600 करोड़ अतिरिक्त मनरेगा में उपलब्ध कराये गये हैं. ओबीसी छात्रवृत्ति हेतु आवश्यक आपने चिंता व्यक्त की है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करना चाहूंगा सदन में कि अनेक बार मंत्रिपरिषद की बैठक में चिंता करके उन्होंने विशेष प्रावधान अभी इस अनुपूरक बजट में रखा है और मुख्यमंत्री जी ने पहले भी चिंता की, लेकिन आपको पता है कि कोरोना काल के कारण इसमें थोड़ी सी देरी हो गई है, लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी को मैं धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में ओबीसी के हमारे छात्रों को छात्रवृत्ति मिलना चाहिये और सभी को मिलना चाहिये. इसके लिये रूपये 1208 करोड़ का प्रावधान अभी इस अनुपूरक में किया है और विशेष तौर से रूपये 709 करोड़ का ओबीसी छात्रों के लिये किया है, कोई कमी इसमें नहीं रखी है. माननीय सभापति महोदय, मैं कहना चाहूंगा कि तृतीय अनुपूरक बजट सभी माननीय सदस्य जानते हैं कि आवश्यकता के अनुसार लिया जाता है. केन्द्र की योजनायें रहती हैं, केन्द्र की ओर से राशि आती है, राज्य उसमें राशि मिलाता है और इस वित्तीय वर्ष में भी बहुत सारी योजनायें ऐसी हैं जिसमें राज्य की राशि सम्मिलित करना है और भी हमारी अनेक योजनायें जो नवीन योजनायें हैं जैसे बिजली कंपनियों को सब्सिडी देने की बात है, छात्रवृत्ति की बात है, जल जीवन मिशन है, प्रधानमंत्री आवास है, लाड़ली लक्ष्मी योजना है, राष्ट्रीय आपदा के लिये जैसा यशपाल जी ने अभी अपने विचार में रखा था.
ऐसे बहुत सारे विषय हैं, जिनके कारण यह तृतीय अनुपूरक बजट सदन में लाया गया है. माननीय सभापति महोदय, मुझे कहते हुए बड़ा गर्व है कि जितने काम अभी यह तो अनुपूरक में जो आया है, वह सूची और जानकारी सबके पास गई है, लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि चाहे वह ऊर्जा विभाग हो, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग हो, ग्रामीण विकास विभाग हो, वित्त विभाग हो, राजस्व विभाग हो, औद्योगिक नीति हो, सूक्ष्म लघु एवं मद्यम उद्यम हो, श्रम विभाग हो, महिला एवं बाल विकास हो, समाजिक न्याय, छात्रवृत्ति में पिछड़ा वर्ग में, यह सब प्रावधान किये गये हैं, आपके पास इसकी जानकारी है, इसकी सूची है. जनजाति कार्य विभाग, अनुसूचित जनजाति कल्याण, तकनीकी शिक्षा, उच्च शिक्षा जिन विभागों को आवश्यकता थी, उनका पर्याप्त प्रावधान अभी इसमें किया है. मैं यह कहना चाहता हूं कि जितने काम अब इस समय नहीं लेकिन जब विभागों की चर्चा होगी, जब पूरे मेन बजट पर चर्चा होगी, तब उसमें चर्चा करेंगे लेकिन अभी तो यह तृतीय अनुपूरक बजट आपके सामने लाया है. निश्चित रूप से मैं तो केवल इसमें संक्षिप्त में यही कहना चाहूंगा और एक और प्रसन्नता की बात है कि माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रयास में वर्ष 2021-22 में केंद्रीय करों के हिस्से में बजट अनुमान की अपेक्षा केंद्र सरकार से राज्य को राशि रूपये 6 हजार 131 करोड़ अधिक प्राप्त हुए हैं, मुझे यह बताते हुए भी प्रसन्नता है कि हमारे सरकार के प्रयासों से माननीय मुख्यमंत्री के प्रयास से केंद्रीय करों के हिस्से में वित्तीय वर्ष 1996, 97 से 2017-18 तक नियंत्रक एवं महालेखाकार द्वारा समायोजित राशि रूपये 3 हजार 517 करोड़ भी प्राप्त हुए हैं, इस प्रकार भारत सरकार से कुल अतिरिक्त राशि रूपये 9 हजार 648 करोड़ प्राप्त होने के कारण सरकार के द्वारा राशि रूपये 15 हजार 232 करोड़ का तृतीय अनुपूरक भी लाया गया है.
माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय मुख्यंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि उनका लगातार प्रयास रहा है, इसलिये केंद्र सरकार से यह राशि हमको मिली है और इस तृतीय अनुपूरक के समय में तो बस केवल यही सदन से प्रार्थना करना चाहूंगा कि चूंकि यह प्रावधान, यह विकासात्मक और कल्याणकारी कार्यों के लिये किया जाता है. सभापति महोदय मैं सदन से अनुरोध करना चाहूंगा कि तृतीय अनुपूरक अनुमान हेतु प्रस्तावित राशि को सदन में पारित करने का कष्ट करें.
सभापति महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
(चर्चा के उपरांत)
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि
“ दिनांक 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 1, 6, 7, 8, 11, 12, 13, 18, 20, 22, 26, 27, 29, 30, 33, 34, 35, 37, 38, 44, 45, 47, 49, 55, 58, एवं 64 के लिए राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को कुल मिलाकर पन्द्रह हजार दो सौ सोलह करोड़, नब्बे लाख, सतासी हजार, तीन सौ निन्यानवे रुपये की अनुपूरक राशि दी जाये. ”
अनुपूरक मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
1.33 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य.
मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2022 (क्रमांक 3 सन् 2022)
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2022 का पुरःस्थापन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2022 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3 तथा अनुसूची इस विधेयक के अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री जगदीश देवड़ा - सभापति महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2022 पारित किया जाए.
सभापति महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2022 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग विधेयक, 2022 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
विधेयक पारित हुआ.
1.36 बजे
राज्यपाल के अभिभाषण पर डॉ. सीतासरन शर्मा, सदस्य द्वारा दिनांक 7 मार्च, 2022
को प्रस्तुत प्रस्ताव पर चर्चा का पुनर्ग्रहण
सभापति महोदय - अब राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर चर्चा होगी. श्री पी.सी.शर्मा जी, अपना अपूर्ण भाषण पूर्ण करेंगे.
श्री पी.सी.शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्चिम) - माननीय सभापति महोदय, जब अवकाश हुआ. उसके पहले बिजली पर चर्चा हो रही थी, डॉ. सीतासरन शर्मा जी ने बात कही थी कि 21,000 मेगावाट बिजली स्टॉक हुई है, लेकिन इसमें वह भी इन्क्लूड हो गई है. जो बिजली खरीदी जाती है और मेरा यह कहना है कि डॉक्टर साहब, तो बिजली की कटौती क्यों होती है ? गांवों के अन्दर, भोपाल शहर में 4-4, 5-5 घण्टे बिजली की कटौती होती है. आज ही मामला आया था कि अनुसूचित जनजाति के घरों के लिए बिजली के कनेक्शन नहीं मिल रहे हैं, तो यह और भोपाल जैसी जगह में आदरणीय मुख्यमंत्री जी भी यहां पर उपस्थित हैं. मैंने कल भी कहा था कि कोरोनाकाल के जो बिजली के बड़े-बड़े बिल थे, स्थगित किए गए थे, उस समय माफ किए गए थे. उसकी वजह से लोगों को बड़ी परेशानी हो रही है. उनके कनेक्शन काटे जा रहे हैं.
आदरणीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूँ कि उसमें कोई विचार होना चाहिए. कल नरोत्तम जी आपने कहा था कि वित्त मंत्री जी बैठे हैं, आज तो मुख्यमंत्री जी, स्वयं बैठे हुए हैं और स्थिति यह है कि जब विद्यार्थियों की परीक्षाएं चल रही थीं, तब बिजली के कनेक्शन काटे गए थे. उस पर कोई सॉल्यूशन निकाला जाना चाहिए और लोगों को रियायत दी जानी चाहिए. यह मेरा आदरणीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है. हमारे भोपाल नगर निगम ने बिजली के बिलों के भुगतान और पानी देने के लिए ऋण लिया है तो गरीबों को ऋण दे दिया जाये कि बिजली का बिल इससे अदा करें. आखिर वह कैसे चलेंगे ? क्योंकि कोविडकाल में जो परेशानियां हुई हैं, गरीब और स्लम्स वर्ग में, झुग्गी-झोपडि़यों में, जिनको हमने मकान दिए हैं, वे लोग जिनको आपने दस-दस हजार रुपये का ऋण भी दिया है, जो स्ट्रीट वेंडर्स के रूप में रजिस्टर्ड हैं. आदरणीय सभापति महोदय, उनके भोपाल शहर के अन्दर ठेले जिस पर वे कार्य करते हैं, उठा लिये जाते हैं और यह कम्प्लेन सीएम हेल्पलाईन में होती है. वे लोग जो रजिस्टर्ड हैं, उनके ठेले उठाकर उनको बेरोजगार किया जाता है. हम बात करते हैं आत्मनिर्भर भोपाल की, आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की और वह लोग जिनके कोरोनाकाल में काम-धंधे बन्द हो गए हैं, जिनकी नौकरियां चली गईं और नौकरियां जाने के बाद, वे छोटे-छोटे व्यवसाय कर रहे हैं. उनके छोटे-छोटे व्यवसाय को तहस-नहस कर दिया जाता है और जब वे बाद में ठेले लेने जाते हैं तो उनको दो-दो हजार रुपये का फाइन भरना पड़ता है. यह बहुत ही मार्मिक बात है. यह हम रोजमर्रा देखते रहते हैं, इसलिए मैं आपके माध्यम से, माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि वे इस चीज को जरूर देंखें और इस पूरे काल के अन्दर लगातार बिजली के साथ-साथ, डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस के भाव बढ़ते रहे. अभी 14.9 प्रतिशत यह जो महंगाई बढ़ाई है. यह डीजल, पेट्रोल एवं रसोई गैस की वजह से बढ़ी है और ऐसा लग रहा है कि कम्पनियां दो-चार दिन में कहीं इसके रेट न बढ़ा दें और यह महंगाई बढ़ेगी.
आदरणीय सभापति महोदय, दूसरा, कोराना काल की जो दूसरी लहर थी, उसने निश्चित तौर पर लोगों को तहस-नहस किया था. मैं समझता हूं कि ऑक्सीजन, इन्जेक्शंस और बेड इन सबकी कमी की वजह से बहुत से परिवार टूट गए. कई लोगों की जान गई. हमने देखा कि हमारे खंड़वा लोकसभा के सदस्य, दो-दो, तीन-तीन एमएलए हम लोग उनको नहीं बचा पाए, सरकार नहीं बचा पाई, अस्पताल नहीं बचा पाए. उसी समय आयुष्मान कार्ड के लिए भी बहुत जद्दोजहद करनी पड़ी कि ये चले और गरीबों का उससे इलाज हो, उसी पीरियड के अंदर ये स्थिति पैदा हुई कि हम उन लोगों की सहायता करना चाहते थे. मेरा ख्याल है, सभापति महोदय आपने भी और मैंने भी मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखा था कि जो हमारी स्वेच्छानुदान राशि है उसको बढ़ाई जाए, उसको आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने बढ़ाई, जिसकी वजह से हम गरीबों की मदद कर पाए.
सभापति महोदय - उसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करें.
श्री पी.सी. शर्मा - निश्चित तौर पर.
1.41 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए}
श्री पी.सी. शर्मा - मैं, तो अभी उनसे निवेदन भी किया हूं आगे आने वाले समय के लिए, क्योंकि अभी स्थितियां पूरी तरह सामान्य नहीं हुई है. अभी भी वैसी स्थितियां हैं और जून का फिर कहा जा रहा है कि कोई लहर आ सकती है. मेरा यह कहना है कि जो स्वेच्छानुदान राशि 50 लाख की थी, वही रहना चाहिए और इन मेडिकल अस्पतालों के बिल सातवें आसमान पर होते थे, बड़े बड़े बिल आते थे, कोरोना काल में लोगों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई. एक तो उदाहरण ये है कि रीवा के अंदर आपके क्षेत्र में ही 50 एकड़ जमीन बेचकर किसान ने अपना इलाज करवाया. उसके बावजूद भी वह बच नहीं पाया, उस समय ये स्थितियां थीं.
इसके बारे में एक पत्रकार ने बड़ी अच्छी बात कही कि एक क्लास के अंदर टीचर ने बच्चों से पूछा कि विज्ञान और कला में क्या अंतर है. माननीय अध्यक्ष महोदय कोई भी विद्यार्थी इसका जवाब देने को तैयार नहीं था, लेकिन एक चंचल, शरारती बच्चे ने हाथ उठाया कि सर, इसका जवाब मैं बताता हूं तो टीचर ने पूछा कि बताओ कि विज्ञान और कला में क्या अंतर है, तो उस छात्र ने कहा कि विज्ञान ये है कि कोरोना का कोई इलाज नहीं है, इसकी रिसर्च हो रही है, खोज हो रही है कि कोरोना से लोग कैसे ठीक हो और कला वह है कि इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन अस्पतालों के बड़े बड़े बिल आ रहे हैं, ये कला है. बड़े बड़े बिल आ रहे हैं और लोगों को भुगतान करना पड़ रहा है, उस समय ये स्थिति थी.
अध्यक्ष महोदय - अब समाप्त करें.
श्री बहादुर सिंह चौहान - अध्यक्ष जी, हम तो सोच रहे थे कि माननीय सदस्य कोई अच्छी बात बताने वाले हैं तो हम ध्यान से सुन रहे थे. हम भी याद रखते और हमारे क्षेत्र में सुनाएंगे, कोई ऐसी बात सुनाने वाले थे शर्मा जी.
अध्यक्ष महोदय - हंसी...शर्मा जी हो गया, समाप्त करें.
श्री पी.सी. शर्मा - दूसरी बात मैं कर्मचारियों के बारे में कहना चाहता हूं. मुख्यमंत्री जी यहां बैठे हुए हैं, इसलिए निवेदन करना चाहता हूं, जो बात आई कि 1 अप्रैल से आपने एरियर्स दिया है वह एरियर्स भी उनको दिया जाना चाहिए, क्योंकि कोरोना काल में कर्मचारियों ने बहुत सेवा की है, वे भी आर्थिक तंगी से परेशान है और दूसरा वर्ष 2005 के पहले की पेंशन के बारे में कहना चाहता हूं कि आदरणीय मुख्यमंत्री जी वर्ष 2005 के पहले की पेंशन को बहाल करें. महाराष्ट्र ने छत्तीसगढ़ ने, राजस्थान ने इन सभी राज्यों ने इसको लागू कर दिया है, क्योंकि ये पूरा मामला कर्मचारियों के हित में है.
दूसरा, चयनित शिक्षक का है. 8 मार्च को जब महिला दिवस था. महिलाएं अपने बच्चों को लेकर आईं, जो चयनित हो चुकी हैं, प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, केवल उनको आदेश मिलना है. मैं समझता हूं कि उनको आदेश देंगे तो ये उन महिलाओं का, पढ़े लिखे बच्चों का सम्मान होगा. इसी के साथ एक निवेदन और है, जिस तरह से गौ-माता की हत्याएं मध्यप्रदेश में हो रही है, जिस तरह से हमने बैरसिया में देखा कि किस तरह से उनके कंकाल आज भी वहां पर लटके हुए हैं, किस तरह से उनको चूने का पानी मिलाकर उनकी हत्या की गई है, ये मैं समझता हूं कि उनकी जितनी भी जांच आई है उसमें ये चीज आई है, उन्हें केमिकल्स दिए गए और जो कमलनाथ जी की सरकार थी, जिसने 3 रूपए से 20 रूपए का चारा प्रत्येक गाय को देने की बात की थी,
श्री पी.सी.शर्मा-- उसको मिले ताकि गाय भरपेट चारा खा सके उसका जीवन चल सके उसके लिये पुनः कुछ किया जाना चाहिये. गोसंवर्धन बोर्ड जो बनाया हुआ है वह इस मामले में कहीं भी कुछ नहीं कर पा रहा है. बैरसिया के मामले की तथा जहां जहां पर गोहत्याएं हो रही हैं उनकी जांच होनी चाहिये. केन्द्र सरकार की 11 योजनाओं में से केवल 13 प्रतिशत पैसा मध्यप्रदेश की सरकार को मिला है. बाकी योजनाओं का पैसा भी लेकर के आना चाहिये जिससे हम यहां पर गोमाता की बात हम करते हैं, लेकिन समाधान की ओर नहीं जा पा रहे हैं, यही मेरा निवेदन है. धन्यवाद.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मैं अपना भाषण लिखकर के लाया हूं क्योंकि समय की बाध्यता थी इसकी वजह से मेरा नाम यहां पर नहीं आ पाया है तो मुझे लिखित भाषण देने की अनुमति दी जाये.
अध्यक्ष महोदय--भाषण पढ़ने के लिये समय नहीं दूंगा. आप लिखित में दे दीजिये.
श्री हरिशंकर खटीक(जतारा)--अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे कांग्रेस के जो मित्र हैं वह राज्यपाल महोदय जी के अभिभाषण पर भी टीका-टिप्पणी कर रहे थे. जिस दिन माननीय राज्यपाल महोदय का अभिभाषण हुआ उस दिन अभिभाषण का कांग्रेस के मित्रगण विरोध कर रहे थे. हमारे माननीय राज्यपाल महोदय जी का पद एक सम्मानजनक पद होता है, लेकिन वह उनके विरोध में भी बोल रहे थे. सरकार की जो उपलब्धियां हैं वह महामहिम जी बतायेंगे ही. उन्होंने बताने का काम किया उसमें भी कांग्रेस के लोग विरोध कर रहे थे. मैं बताना चाहता हूं कि जल जीवन मिशन के अंतर्गत हमारी सरकार ने जहां 14.5 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को पूरे प्रदेश में नल जल योजना के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया जाता था, लेकिन आज पूरे मध्यप्रदेश में 47 लाख 15 हजार यानि 38.55 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को उक्त नल जल योजना के माध्यम से 4 हजार 85 ग्रामों में पेयजल उपलब्ध कराने का काम हमारी सरकार के द्वारा किया गया है. जल संसाधन के क्षेत्र में मैं बताना चाहता हूं कि 2003 के पहले मध्यप्रदेश में सिंचाई का जो रकबा था वह 6 लाख हैक्टेयर भूमि मध्यप्रदेश की सिंचित होती थी हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी की दृड़ इच्छा शक्ति के द्वारा हम आज गर्व के साथ कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश 43 लाख हैक्टेयर की भूमि सिंचित होती है. हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे मध्यप्रदेश के लिये माननीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने जो सपना संजोया था कि जहां पर सबसे ज्यादा प्राकृतिक आपदायें आती हैं उस एरिया के लिये हम सिंचाई की परियोजना स्वीकृत करें. हमारी बुंदेलखण्ड की धरती पर सबसे ज्यादा प्राकृतिक आपदायें आती हैं उसमें चाहे सूखे की बात हो, चाहे अतिवृष्टि की बात हो, चाहे ओलावृष्टि की बात हो, हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी की पहल पर जो माननीय अटल बिहारी बाजपेयी जी का सपना था उस सपने को साकार करने का काम हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने किया है तो इससे कांग्रेस को कोई दिक्कत अथवा परेशानी नहीं होनी चाहिये. हम सौभाग्यशाली हैं कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की पहल पर केन बेतवा लिंक सिंचाई परियोजना के लिये 44 हजार 605 करोड़ रूपये स्वीकृत हुए हैं. हम सौभाग्यशाली हैं कि इससे 8 लाख 11 हजार भूमि इससे सिंचित होगी उसमें निवाड़ी जिला, टीकमगढ़ जिला, छतरपुर जिला इसके साथ साथ विदिशा एवं रायसैन जिले, झांसी उत्तर प्रदेश और जालोन के जिले के किसानों को भी सिंचाई का पानी मिलेगा. छतरपुर के साथ पन्ना, दमोह जिले के किसानों को भी सिंचाई का पानी मिलेगा. केन बेतवा सिंचाई परियोजना के माध्यम से 41 लाख आबादी को शुद्ध पेयजल भी इस योजना के माध्यम से देने का प्रावधान किया गया है. यहां पर 103 मेगावाट विद्युत भी बनेगी और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी इस योजना के माध्यम से हमारे एरिये की जनता को मिलेगी. अब बार बार किसान वाली बात आ रही थी. आज किसानों के बारे में विधान सभा में प्रश्न भी था. उसमें राहत राशि के बारे में बताया भी जा रहा था. यह हमारी सरकार है, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार है, इसके माध्यम से किसानों को अभी तीन हजार करोड़ रूपये की राहत राशि जहां-जहां भी प्राकृतिक आपदाएं आयी, चाहे सूखा हो, चाहे ओले की बात हो, चाहे अतिवृष्टि की बात हो, चाहे बैमोसम बरसात की बात हो, अगर किसानों की फसलें बरबाद हुई हैं तो हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने तीन हजार करोड़ रूपये की राहत राशि देने का प्रावधान किया और किसानों को राहत राशि मिली भी. किसान सम्मान निधि की बात करें, क्योंकि विपक्ष के हमारे साथी भाई यह नहीं चाहते कि जनता को जो सुविधाएं मिल रही हैं उसको बता सकें, यह बताने का काम नहीं करते, इनको कष्ट होता है. हम आपको बताना चाहते हैं कि किसान सम्मान निधि के माध्यम से आज पूरे मध्यप्रदेश के 76 लाख, 53 हजार किसानों को 6 हजार रूपये केन्द्र से और हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी के द्वारा 4 हजार रूपये इस प्रकार कुल 10 हजार रूपये किसानों को 15 हजार करोड़ रूपये की राशि अभी दो वर्ष के कार्यकाल में हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने दी है. ऐसे 15 हजार करोड़ रूपये का खर्च इस पर माननीय मुख्यमंत्री जी ने किसान सम्मान निधि में किया है. हमारी सरकार गांव, गरीब और किसानों की सरकार है. हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने पहल की है कि कोई भी सो कर उठे तो भूखा उठे लेकिन जब वह सोये तो कम से कम भूखा पेट नहीं सोये. बल्कि भरपेट उसके पास भोजन होना चाहिये. इसके लिये हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने मध्यप्रदेश में 4 करोड़, 94 लाख लोगों को खाद्यान्न निशुल्क देने का प्रावधान किया है और मध्यप्रदेश की धरती पर 4 करोड़, 94 लाख लोगों को निशुल्क खाद्यान्न दिया जा रहा है और इसके साथ-साथ 50 लाख ऐसे हितग्राही लोग हैं जिनको 1 रूपये किलो गेहूं देने का काम मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी गरीब जनता को दे रहे हैं. अगर हम जनजातीय समुदाय की बात करें तो जनजातीय गौरव दिवस हमारे मध्यप्रदेश में मनाया गया, जिसमें हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी आये और उन्होंने मध्यप्रदेश की जनता को धन्यवाद भी दिया कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान जी हैं जो आपकी हर समस्या का निदान कर रहे हैं. हमारे 89 जनजातीय विकासखण्ड हैं , उन 89 जनजातीय विकासखण्डों में 6 हजार, 8 76 ग्रामों में राशन सामग्री गांवों में घर-घर देने का प्रावधान अगर किसी सरकार ने किया है तो हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया है कि कोई भी आदिवासी समुदाय का व्यक्ति जो 89 विकासखण्ड में रहता है, किसी भी समाज के व्यक्ति को दुकान में खाद्यान्न लेने के लिये नहीं जाना पड़े, बल्कि उनके घर-घर तक पहुंचाने का प्रावधान हमारी सरकार ने और हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया है. यह हमारे कांग्रेस के मित्र बैठे हैं इनको जो अच्छाई होती है उनको सुनने की आदत नहीं है, उनको भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को धन्यवाद देना चाहिये कि हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी अच्छा काम कर रहे हैं. इतना ही नहीं साढ़े आठ लाख परिवारों को ही ग्राम में राशन सामग्री बंटने का काम चालू हो गया है. लेकिन इससे और बड़ी खुशी की बात यह है कि जो हमारे जनजातीय समुदाय में से ऐसे 299 हितग्राहियों का चयन किया गया है, जिनको स्वयं वाहन उपलब्ध कराने का काम किया गया है. 2 लाख मीट्रिक टन और 3 लाख मीट्रिक टन क्षमता के जो वाहन हैं उन वाहनों की मार्जिन मनी देने का प्रावधान भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया है. इसमें 299 हितग्राहियों को राशन वितरण हेतु वाहन ऋण देने का प्रावधान भी हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि हम कानून व्यवस्था की अगर हम बात करें तो हम सौभाग्यशाली हैं कि मध्यप्रदेश की धरती पर भोपाल और इंदौर मे पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई है. पुलिस कमिश्नर प्रणाली के माध्यम से जहां आपराधिक घटनाएं जो ज्यादा घटित होती थी, उसमें बहुत कमी आयी है. लेकिन एक बात और मैं, आपको बताना चाहता हूं कि जो अपराधी व्यक्ति थे, जो भूमाफिया थे, जो जमीनों पर कब्जा किये हुए थे हमारी सरकार ने हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार ने ऐसे 14 हजार, 786 एकड़ जमीन पर जो अतिक्रमण किये हुए थे, उस शासकीय भूमि को मुक्त कराने का काम किया है उस पर बुल्डोजर चलाने का भी काम किया है, उन जमीनों को खाली कराने का काम भी हमारी सरकार ने किया है, हमारे मुख्यमंत्री ने किया है. डॉ. नरोत्तम मिश्र जी, हमारी गृह मंत्री जी बैठे हैं उन्होंने भी बुल्डोजर चलाने का काम किया है और जिन्होंने अवैध रूप से जमीनों पर कब्जा किया उसको भी मुक्त कराने का काम किया है. ऐसे 539 लोगों के ऊपर अपराध पंजीबद्ध भी किये गये हैं. 145 लोग ऐसे हैं, जिनके ऊपर रासुका की कार्यवाही भी की गई है. इसके अलावा 483 लोग ऐसे हैं, जिनके ऊपर जिला बदर की कार्यवाही की गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो गरीब वर्ग के लोग हैं, हमारे समरसता के संत, हमारे पूज्य संत रविदास जी महाराज, उनके नाम पर भी 16 फरवरी, 2022 से अनुसूचित जाति वर्ग के युवाओं के लिए, उद्यमियों के लिए, तीन योजनायें संचालित की गई हैं. पहली योजना है, संत रविदास स्व-रोजगार योजना के माध्यम से, ऋण देने का प्रावधान भी किया जायेगा, इसमें अन्य-अन्य राशि भी देने का प्रावधान किया गया है. दूसरी योजना डॉक्टर भीमराव अंबेडकर आर्थिक कल्याण योजना है, जिसके माध्यम से अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को ऋण देने का काम किया गया है और छूट देने का भी प्रावधान किया गया है. तीसरी योजना सी.एम.एस.सी. विशेष परियोजना, वित्त पोषण योजना प्रारंभ करने का प्रावधान भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, एक और अनुरोध करना चाहता हूं कि जब कांग्रेस की 15 माह की सरकार थी तो हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी, ने जो श्रवण कुमार बनकर, गरीब बेटा-बेटी के माता-पिता को, बुजुर्गों को तीर्थ दर्शन कराने का काम करते थे लेकिन कांग्रेस की सरकार ने उस तीर्थ दर्शन योजना को बंद कर दिया था.
श्री पी.सी.शर्मा- आप गलत बोल रहे हैं, तीर्थ दर्शन योजना चालू थी. पूरे समय चालू थी, अभी केवल दो वर्षों से बंद है.
श्री हरिशंकर खटीक- नहीं, आपने मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना बंद कर दी थी.
श्री आशीष गोविंद शर्मा- शर्मा जी, आप कितनी यात्रायें लेकर गए थे, ये भी बता दीजिये कि आपने कहां-कहां तीर्थ करवाया ?
श्री पी.सी.शर्मा- हमने उसमें कुंभ दर्शन तक करवाया है. आपकी सरकार ने कभी कुंभ की यात्रा नहीं करवाई थी.
श्री आशीष गोविंद शर्मा- कुंभ हमने ही लगवाये थे, जितने कुंभ हुए हैं, उनका आयोजन भाजपा की सरकार ने ही करवाया है.
श्री हरिशंकर खटीक- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि आपने जिस योजना को बंद कर दिया था, उसे हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी द्वारा पुन: प्रारंभ करने का निर्णय लिया है और अब हमारे गरीब बेटा-बेटी के माता-पिता भी तीर्थ दर्शन करने जायेंगे और हमारे मुख्यमंत्री जी उन्हें श्रवण कुमार बनकर यात्रा करवायेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, यहां मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना की बात करना चाहूंगा, आपने संबल योजना को भी बंद कर दिया था, अपनी आत्मा पर हाथ रखकर सोचिये, आपने संबल योजना का नाम बदलकर "नया-सवेरा" करने का काम किया था लेकिन जनता ने आपका सवेरा कर दिया और आपको विपक्ष में बैठने का अवसर प्राप्त हुआ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने, जन कल्याण संबल योजना बनाई थी. जिसे गरीबों के लिए, दीन-दुखियों के लिए बनाया गया था कि यदि किसी दुर्घटना में उनका निधन हो जाता है तो उन्हें 4 लाख रुपये देने का प्रावधान था. यदि एक पैर से दिव्यांग हो जाते हैं तो उन्हें 1 लाख रुपये देने का प्रावधान था. अंत्येष्टि में सहायता राशि भी देने का उसमें प्रावधान था. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना बंद कर दी थी लेकिन हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने उस योजना को पुन: चालू करने का काम किया और 3 लाख 29 हजार लोगों को, 2 हजार 742 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का लाभ देने का काम किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह हमारी सरकार है, यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है, जो गांव, गरीब और किसान की सरकार है, युवाओं की सरकार है, माताओं-बहनों की सरकार है, इसलिए मेरा आप सभी से अनुरोध है कि राज्यपाल महोदय के अभिभाषण को सर्वसम्मिति से पारित करवाने का कष्ट करें, धन्यवाद.
श्री विनय सक्सेना (जबलपुर-उत्तर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित करवाना चाहता हूं. कल आदरणीय लक्ष्मण सिंह जी जब भाषण दे रहे थे तो आपने भी कहा था कि लोकसभा की बात नहीं हो रही है लेकिन यह बात सही है कि हमें ऐसी अनुभूति हुई, जब राज्यपाल महोदय का अभिभाषण प्रारंभ हुआ तो हम विधायक आपस में बात कर रहे थे कि जिस तरह से प्रधानमंत्री जी का नाम लिया जा रहा था तो शायद प्रदेश का नहीं, केंद्र का बजट पेश हो रहा है और सभी को ऐसा लगा कि हम लोकसभा में बैठे हुए हैं. लेकिन माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण का जो पहला और दूसरा पैरा है, उसमें कहा गया है कि "सबका साथ - सबका विकास - सबका प्रयास - सबका विश्वास" ही भारत-मंत्र बन गया है लेकिन ऐसा प्रदेश में कहीं दिख नहीं रहा है.
श्री दिलीप सिंह परिहार- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें अपने प्रदेश पर गर्व है और अपने देश पर भी गर्व है.
श्री विनय सक्सेना- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे आग्रह है कि अभी 15 मिनट हरिशंकर खटीक जी को मिले थे, मेरे भाषण के बीच में जितने समय, कोई अन्य बोलेगा तो कृपया उसे मेरे समय में न जोड़ा जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भी कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में 65 हजार सरकारी भर्तियां खाली हैं. मध्यप्रदेश में 5 हजार डॉक्टरों की कमी है. आयुष्मान कार्ड में कई बीमारियों का इलाज नहीं है, हार्निया जैसी बीमारी में केवल 17 हजार रुपये मिलते हैं, जबकि उसमें 1 लाख रुपये खर्च होते हैं. मध्यप्रदेश के 600 सरकारी अस्पतालों में सी.टी.स्कैन, एंजियोग्राफी और डायलिसिस की सुविधा नहीं है. अतिथि शिक्षकों के लाखों पद खाली पड़े हुए हैं. हमने 7 हजार शिक्षकों की भर्ती की है जबकि हमें 15 हजार से ऊपर की आवश्यकता है. आंगनबाडि़यों में 30 हजार पद खाली पड़े हैं. ऐसे हालात में केवल यह कहना कि हम बहुत अच्छी परिस्थितियों में चल रहे हैं, यह बात सही है कि कोरोना-काल था और कोरोना-काल में बहुत विपरीत परिस्थितियां भी थीं हम यह भी नहीं कहना चाहते हैं कि सरकार ने कुछ नहीं किया है. कुछ तो किया है, लेकिन बहुत कुछ करने को बाकी था. मैं आप सभी का ध्यान पहली कोरोना लहर की तरफ दिलाना चाहता हूं बजट भाषण के पैरा-3 में दिया है कि बहुत अच्छी व्यवस्था थी देश की इस मिट्टी और 130 करोड़ लोगों ने हमने बहुत लड़ाई लड़ी. मैं पूछना चाहता हूं कि पहली लहर में क्या बुरे हालात थे ऐसा कौन विधायक है जो ईमानदारी से घूम रहा था तो रात को तीन-तीन बजे मरीजों के परिजन रो रहे थे कि हमको अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल रहा है, इंजेक्शन नहीं मिल रहे हैं, इलाज नहीं मिल रहा है, डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं और डॉक्टर अंदर जाने को तैयार नहीं थे वह परिस्थिति भी हमने देखी है, लेकिन उसको इतने अच्छे से प्रस्तुत किया गया कि जैसे राम राज्य चल रहा था.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश ने तो यह भी देखा है कि मध्यप्रदेश में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लग गए और उसमें जिन लोगों के ऊपर अपराध कायम हुए वह आज खुलेआम घूम रहे हैं. उनके अस्पतालों को फिर से लाइसेंस जारी कर दिए गए हैं और ऐसा लगा ही नहीं कि उनके ऊपर कोई अपराध दर्ज हुआ है. यह हालात हैं और हम प्रस्तुत कर रहे हैं कि हमने बहुत अच्छे ढंग से कोरोना की लड़ाई लड़ ली. मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूं कि माननीय प्रधानमंत्री जी को हम सबने धन्यवाद दिया. आजकल तो वैसे भी हम लोग होर्डिंग पर भी धन्यवाद देते हैं जब पेट्रोल, डीजल महंगा खरीदते हैं तो हम लोग माननीय प्रधानमंत्री जी को प्रणाम करते हैं, क्योंकि वह सामने खड़े दिखते हैं कि मुफ्त में वैक्सीन दे रहे है, लेकिन वास्तविकता क्या है यह हिन्दुस्तान को पता है, विश्व का पता है. जिस समय वैक्सीन की बात आई तो पूरे प्रदेशों की सरकारों ने टेंडर कॉल करे और डब्ल्यूएचओ ने कहा कि केन्द्र सरकार वैक्सीन खरीद सकती है राज्य सरकार सीधे वैक्सीन नहीं खरीद सकती हैं और हालात यह थे कि कीमतें अलग-अलग दरों पर आ रही थीं तब जाकर माननीय सुप्रीम कोर्ट को बीच में आना पड़ा और माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश पर मुफ्त वैक्सीन देने का आदेश हुआ जिसका पालन केन्द्र और प्रदेश सरकारें कर रही हैं. इसको मैंने कल आपके संशोधन में भी प्रस्तुत किया था और जो आपने स्वीकार भी किया उसके लिए भी मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि क्या सरकारें इसके पहले नहीं थीं क्या सरकारों ने फ्लू की लड़ाई नहीं लड़ी, प्लेग की लड़ाई नहीं लड़ी, क्या पोलियो की लड़ाई सरकारों ने नहीं लड़ी, लेकिन क्या इतना धन्यवाद दिये जाने का एक प्रावधान था. आजकल तो मुझे ऐसा लगता है कि मध्यप्रदेश सरकार का आधा बजट विज्ञापनों पर ही खर्च हो जाता है. आप रोज सुबह अखबार उठाकर देखो तो पूरे एक पन्ने का विज्ञापन हमें रोज देखने को मिलता है. क्या यह राशि प्रदेश की जनता की कमाई की नहीं है? क्या इसीलिए तो बार-बार हमको पूरे बजट का खर्चा करना पड़ता है क्योंकि यह व्यवस्थाएं हम पहले से तैयार ही नहीं कर पाते हैं. यह मैं आपसे जरूर कहना चाहता हूं कि कोरोना के संक्रमण में जो गलतियां हमसे हुईं हैं उसके उपायों को प्रावधान की जानकारी माननीय राज्यपाल जी को होती तो मुझे ऐसा लगता है कि शायद वह कुछ कह पाते. मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूं कि लोकतंत्र की सार्थकता की बात आई कि जनता का जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन में निहित शासन चला रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हूं कि प्रदेश में बेरोजगारी की क्या हालत है. केन्द्र सरकार कहती है कि मध्यप्रदेश में 1.30 करोड़ बेरोजगार है मैं मानता हूं हो सकता है केन्द्र सरकार गलती कर रही हो, लेकिन प्रदेश सरकार का भी जो आर्थिक सर्वेक्षण आया है उसमें तीस लाख बेरोजगारों की संख्या दी गई और 5 लाख 46 हजार प्रतिवर्ष बढ़ रहे हैं. मैं यह पूछना चाहता हूं कि यह कैसी सरकार है सिर्फ आत्मनिर्भर नारा दे देने से, घोषणाएं कर देने से बड़े-बड़े भाषण दे देने से क्या सरकार युवाओं को रोजगार दे पाएगी. महिलाओं के ऊपर अत्याचार में मध्यप्रदेश नंबर एक पर चल रहा है, कुपोषण पर नंबर एक पर चल रहा है इसका तो माननीय राज्यपाल जी को कोई उल्लेख ही नहीं किया है क्योंकि उनको प्रदेश सरकार ने जानकारी दी ही नहीं है. मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूं कि वास्तविकता की तस्वीर दिखाना थी, लेकिन माननीय राज्यपाल जी को जो तस्वीर दिखाई गई शायद उसमें यह चूक गए. कुछ न कुछ वास्तविकता अगर अभिभाषण में हो तो अच्छा भी लगता है क्योंकि यदि पूरा-पूरा असत्य पेश किया जाए तो वह किसी को भी हजम नहीं हो सकता है, लेकिन अगर थोड़ा बहुत होता, दाल में नमक बराबर होता तो शायद हम लोग उसको स्वीकार कर लेते.
मैं यह नहीं कहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी कुछ नहीं कर रहे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी बहुत मेहनत करते हैं मैं मानता हूं कि वह बहुत भागदौड़ करते हैं, लेकिन उसके रिजल्ट भी तो मिलना चाहिए. माननीय मुख्यमंत्री जी का नाम पूरे बजट में कहीं भी इस ढंग से नहीं लिया गया ऐसा लगता है कि देश के प्रधानमंत्री ही भोपाल में आकर सरकार चला रहा हैं. हमको इसीलिए लगता है क्योंकि हमारे सदन के नेता मुख्यमंत्री जी हैं हमें भी उम्मीद होती है कि हमारे सदन के नेता का नाम भी कभी ले लिया जाए, लेकिन प्रदेश के मुखिया का नाम तो कभी लिया ही नहीं जाता है. सिर्फ और सिर्फ पूरे हिन्दुस्तान में जो कुछ होता है वह सब प्रदेशों में लगता है एक ही व्यक्ति सरकार चला रहा है और ज्यादा कुछ कहो तो कहते हैं कि डबल इंजन की सरकार है. यह जो बातें हैं यह प्रदेश की जनता जिन्होंने अपनी स्वीकार्यता शिवराज जी को दी उनको भी कहीं न कहीं तकलीफ होती है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- विनय जी आप भी अपनी पार्टी का इंजन बदलवा लो.
श्री विनय सक्सेना-- अध्यक्ष महोदय, आशीष जी मुझे लगता है कि शिवराज सिंह जी की तारीफ आपको भी तकलीफ दे रही है. मैं आपसे यह भी आग्रह करना चाहता हूं कि गौमाता की एक नई योजना लाई जाएगी. मैं देख रहा हूं सरकारें हर चीज की एक नई योजना ले आती हैं. जब युवाओं को रोजगार देने की बात आई तो कहेंगे कि आत्मनिर्भर बनाएंगे मतलब सरकारी नौकरी नहीं देंगे, एक और नई योजना लाएंगे आत्मनिर्भर प्रदेश बनाएंगे, आत्मनिर्भर भारत बनाएंगे. गौ सेवाओं को मामले में आठ महीने से अनुदान नहीं मिला. गौ-माताएं तड़प-तड़पकर मर गईं. मैं आपको व्यक्तिगत रुप से कहना चाहता हूँ मेरे एक मित्र हैं जो गौशाला चला रहे हैं. वे क्या कहते हैं माननीय मुख्यमंत्री जी को सुनना चाहिए क्योंकि गौमाता का मामला है. उनका कहना है कि गौमाता के अन्न की बात छोड़िए मेरे घर का जो अन्न चलता था वह नहीं चला पा रहा हूँ. घर के जेवर बेचकर मैं गौमाता को खिला रहा हूँ कि मेरे ऊपर पाप न आ जाए, लेकिन सरकार 8 महीने से अनुदान नहीं दे रही है. यह बात अपने आप में तकलीफदेय है कि नहीं है. लेकिन सिर्फ लुभावने नारे देकर, बड़ी-बड़ी बातें करके ..
श्री दिलीप सिंह परिहार -- गौमाता की चारागाह की भूमि के पट्टे किसने दिये हैं.
श्री विनय सक्सेना -- मैं पट्टों की बात नहीं कर रहा हूँ, मैं गौमाता के अन्न की बात कर रहा हूँ. 20 रुपए देना था वह कमलनाथ सरकार ने लागू किया था. आप लोग बड़े-बड़े लोग कह रहे थे मैंने कुछ नहीं कहा. आपने जितना दूसरे सदस्यों को समय दिया है उसके दो मिनट पहले ही मैं खत्म कर दूंगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूँ कि एक तरफ माननीय मुख्यमंत्री जी और संसदीय कार्य मंत्री जी जब भी कोई बात आती है तो कहते हैं कि सदन की मर्यादा भंग हो गई. जितु भाई की कोई बात आए तो कहा जाता है, माननीय कमलनाथ जी की बात आए तो कहा जाता है. लेकिन सदन के नेता के रुप में हम किसको मानते हैं, अपने मुख्यमंत्री को. क्या प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी ने कभी कांग्रेस के विधायक जो इस सदन के सदस्य हैं उनको बुलाकर पूछा कि तुम्हारी क्या तकलीफ है. अभिभाषण में इसका भी उल्लेख होना चाहिए. लोकतांत्रिक व्यवस्था में सबका बराबर हक है. एक बैठक बताइए जिसमें माननीय मुख्यमंत्री जी ने कांग्रेस के सभी विधायकों को बुलाया हो. आपका नारा क्या है सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास. यह कैसा नारा है जिसमें आप लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का निर्वहन नहीं करते हैं. सभी विधायकों को आप बराबर नहीं मानते हैं. मुख्यमंत्री जी जबलपुर आते हैं, दूसरे शहर भी जाते हैं. क्या कभी दूसरी पार्टी के विधायकों को बुलाते हैं, वह दूसरी पार्टी का है लेकिन सदन का सदस्य है और मैं सदन का नेता हूँ.
डॉ. योगेश पण्डाग्रे -- आप अपनी 15 महीने की सरकार पर भी प्रश्न उठाइए.
श्री विनय सक्सेना -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप काम करें न करें. मेरी पीड़ा सिर्फ यह है कि मुख्यमंत्री जी चाहे कांग्रेस के लोगों के काम न करें. आरोप लगाकर पूरी-पूरी सरकारें तो आप कांग्रेस के दम पर ही चलाते हैं. कहते हैं कि 60-70 साल में कांग्रेस ने क्या किया. आपके इसी नारे के कारण तो आप आज सरकार में हैं उसी कांग्रेस के भरोसे आप सरकार में हैं. अगर हमारे कांग्रेसी विधायक आपकी मदद नहीं करते, हमारा डीन आपकी तरफ ट्रांसफर नहीं होता तो आपकी यहां सरकार भी नहीं होती. आप उस कांग्रेस को कोसते-कोसते यह भूल जाते हैं कि 60-70 साल में पूरे प्रदेश में जो सरकारी भवन बने हैं, जो स्कूल बने हैं, जो कॉलेज बने हैं, जो हवाई अड्डे बने हैं, जो रेलवे स्टेशन बने हैं. आज मैं पूछना चाहता हूँ.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर भी तो कुछ बोलें. आप इऩका भाषण उठाकर देख लीजिए एकाध लाइन भी राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर बोले हों.
श्री कुणाल चौधरी -- बेरोजगार, नौजवान के बारे में अभिभाषण में कुछ है ही नहीं तो उस पर क्या बोलें.
श्री विनय सक्सेना -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं यही चाहता था कि विश्वास जी कुछ बोलें और मैं उनको याद दिलाऊं. कल माननीय सीतासरन शर्मा जी वर्ष 2003 पर बात करते रहे, 70 साल पर बात करते रहे. मैं मानता हूँ कि अमृत महोत्सव के चलते हमारे बुजुर्ग विधायकों को सरकार में मंत्री नहीं बनाया जा रहा है. लेकिन फिर भी वे प्रशंसा करने के चक्कर में लगातार बोलते रहे. मैं पूछना चाहता हूँ कि वर्ष 2003 में आप जितना टैक्स जनता से लेते थे, जितनी सम्पत्तियां मध्यप्रदेश की थीं, सम्पत्तियों के साथ अन्य व्यवस्थाएं थीं. क्या उतना ही टैक्स लेकर आप वर्ष 2022 में भी सरकार चला रहे हैं. उस समय जनता के ऊपर यदि एक रुपए टैक्स लग रहा होगा तो इस समय 500 रुपए टैक्स लग रहा है. तब भी क्या आप वर्ष 2003 से तुलना कर सकते हैं. देश आगे बढ़ रहा है, प्रदेश आगे बढ़ रहा है, सुविधाएं व्यवस्थाएं बढ़ रही हैं तो टैक्स लगेगा कि नहीं लगेगा. मैं यह जानता हूं कि जब भी मैं बोलने के लिए खड़ा होऊंगा तो विश्वास सारंग जी जैसे बाकी लोगों की स्लिपें भी पहुंचेंगी कि इसको बंद किया जाए. लेकिन मुझे बाकी विधायकों से दो मिनट कम तो दो. मैं कहना चाहता हूँ कि 60-70 साल में जितनी संपत्ति प्रदेश में बनी, जितनी सरकारी बिल्डिंग्स बनीं, जितनी सरकारी जमीनें आज खाली पड़ी हैं. आपने एक विभाग बना दिया लोक संपत्ति प्रबंधन. मैं पूछना चाहता हूँ, हमारे यहां एक कहावत है कि पूत कपूत तो क्यों धन संचय और पूत सपूत तो क्यों धन संचय. हमारी सरकारों ने काम करते करते यह नहीं सोचा था कि आने वाली सरकारें इनको बेचकर सरकारें चलाएंगी. आप अनुपूरक बजट लाते हैं और करोड़ों रुपयों की आप सरकार की सम्पत्तियां बेच रहे हैं आने वाली पीढ़ी को आप क्या देकर जाओगे मध्यप्रदेश की जनता आने वाले समय में पूछेगी कि जो सरकारी सम्पत्तियां थीं उनको बेचने का हक आपको किसने दिया. हर शहर की सरकारी संपत्ति बिक रही है यह पूरा सदन जानता है. आपने एक नया विभाग बना दिया है. लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग, जिसका उल्लेख राज्यपाल जी के अभिभाषण में है. मैं आप से हाथ जोड़कर कहना चाहता हूँ कर्ज पर कर्ज ले रहे हों, 3 लाख करोड़ से ज्यादा के कर्ज पर मध्यप्रदेश सरकार है और एक तरफ संपत्तियाँ बेच रहे हों. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्त मंत्री जी से हाथ जोड़कर निवेदन करना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश की जनता को कभी आप बताएँगे कि जो कर्जा आपने लिया उसका क्या सदुपयोग हुआ? यह जो संपत्ति आप बेच रहे हों, अगर कर्ज ले रहे हों तो संपत्ति मत बेचो और अगर संपत्ति नहीं बेच रहे हों तो भी सरकार के हालात बुरे हैं तो फिर यह बताना पड़ेगा कि सरकार को कर्जा लेने की जरुरत क्यों पड़ रही है? माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आप से आग्रह करना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश सरकार की जो नीतियाँ हैं, हमारी जो सकल आय थी वह हम क्यों नहीं बढ़ा पा रहे हैं? हमारा आपने सकल व्यय का खर्चा तो दे दिया 51 हजार करोड़ का, लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार अपनी सकल आय क्यों नहीं बढ़ा पा रही है इसका जवाब नहीं देना चाहिए बजट में? क्यों नहीं राज्यपाल जी के अभिभाषण में आना चाहिए कि हमारी सकल आय नहीं बढ़ पा रही है और एक बात आखिरी में कहना चाहता हूँ मध्यप्रदेश सरकार की, जो केन्द्र सरकार से 20 योजनाएँ हमारी चलती हैं उसकी राशि बढ़ा दी गई. पहले की केन्द्र सरकारें जो थीं उसमें 80 प्रतिशत अनुदान देती थी केन्द्र सरकार और 20 प्रतिशत देती थी राज्य सरकार, अंशपूँजी अपनी. लेकिन मैं आपको गारंटी से कह रहा हूँ जो चाहे इस पर चुनौती के साथ कह रहा हूँ. राज्य सरकारों की राशि अनुदान की अंशपूँजी बढ़ा दी गई 40 परसेंट और केन्द्र सरकार 60 परसेंट दे रही है. ऐसे में सरकार की जो योजनाएँ केन्द्र से चलती हैं वह पूरी कैसे होंगी? क्योंकि न हम अंशपूँजी मिला पाएँगे, “न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी” मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि केन्द्र सरकार से क्यों न हाथ जोड़कर निवेदन करते कि हमारा जीएसटी दे दो. हमारी रुकी हुई जीएसटी की राशि दे दो. 21 सौ करोड़ रुपये कोरोना काल में पेट्रोल डीजल से ही कमा लिया हमारी सरकार ने और 15 सौ करोड़ का अऩुपूरक बजट ला रहे हैं आप ! क्या 21 सौ करोड़ से काम नहीं चला? मैं कहना चाहता हूँ कि प्रदेश के हालात बुरे हैं. लेकिन घोषणाओं पर घोषणाएँ चल रही हैं और इन घोषणाओं के चलते हालात क्या हैं कि अधिकारी हर फाइल लौटा देते हैं. हम लोगों के यहाँ पर जो कॉलेज घोषित हुए थे आज वह लौटाए जा रहे हैं अधिकारियों की मनमर्जी से, वे कहते हैं कि साहब अगर माननीय मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी घोषणा कर आते हैं तो हम क्या करें? हमारे पास तो पैसा है नहीं, तो इस स्थिति को भी जब सामान्य बजट की चर्चा हो तो माननीय वित्त मंत्री जी, आपको बताना चाहिए कि मध्यप्रदेश की संपत्ति क्यों बेचनी पड़ रही है? अगर कर्जा ले रहे हों तो संपत्ति मत बेचो. संपत्ति बेच रहे हों तो कर्जा मत लो और अगर यह सब हालात हैं तो कम से कम इस वास्तविक हालात से प्रदेश को अवगत कराएँ, ऐसा मैं आपको धन्यवाद के साथ, मुझे अपनी बात कहने का मौका दिया, इसके बाद बार बार आपका इशारा हो रहा है, मैं उसको समझता हूँ, आपका सम्मान करता हूँ, धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ.अशोक मर्सकोले(निवास)-- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर मैं बोलना चाह रहा हूँ. अध्यक्ष महोदय, जब बजट सत्र आता है तो बहुत उम्मीदें रहती हैं और उम्मीदें ऐसी रहती हैं, हम लोग जन प्रतिनिधि हैं, हम लोगों से लोग पूछते हैं, अपने क्षेत्र की समस्याओं पर चर्चा करते हैं, बात करते हैं कि उन बिन्दुओं को शामिल किया जाए. चूँकि मैं आदिवासी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूँ. जब बजट सत्र में आया तो राज्यपाल महोदय का अभिभाषण हो रहा था तो बहुत सारी ऐसी उम्मीदें बढ़ गई थीं कि चूँकि उस वर्ग से आए हैं, सौभाग्य हमारा है कि इतने वर्षों के बाद में राज्यपाल महोदय आदिवासी वर्ग से आए हैं तो शायद आदिवासी वर्गों का या उन क्षेत्रों का जो फिफ्थ शिड्यूल एरिया में हैं, जो बहुत पिछड़े हुए हैं, उन पर कुछ विशेष कृपा होगी, उन पर कुछ विशेष बातें होंगी, लेकिन पूरी तरह से उपेक्षा की गई है. फिफ्थ शिड्यूल एरिया में हमारे जो जिले हैं वहाँ पर विकास कार्यों की बातें करें, चाहे सिंचाई की बात करें. चाहे बेरोजगारों की स्थिति की बात करें. चाहे गरीब की बात करें. बहुत बुरी स्थिति है, बिजली की बात करें, बहुत बुरी स्थिति है. बहुत सारे वादे किए हैं, बहुत सारी योजनाओं की भी बातें कही हैं, पर सच्चाई यह है कि इन योजनाओं का फायदा या ये जितने भी बड़े बड़े जो प्रोजेक्ट बने हैं, शायद उससे आदिवासी जो क्षेत्र हैं वह छूटे हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं सिंचाई की बात करूँ, माननीय मुख्यमंत्री जी के पास में नर्मदा घाटी विभाग है, हमारे मंडला क्षेत्र में, सिवनी, मंडला और बालाघाट के जो 162 गांव हैं वह बरगी बांध से विस्थापित हुए हैं उस पर टारगेट बनाया गया था कि 4.4 लाख हेक्टेयर पर सिंचाई होगी लेकिन आज स्थिति यह है कि 70 हजार हेक्टेयर पर सिंचाई हो रही है वह भी बायीं तट नहर से और उसके बाद में जब दायीं तट नहर की बात आती है तो रीवा और सतना तरफ से जो केनाल जाने का है उस पर अभी तक कोई कार्य नहीं हो पाया है और यही स्थिति है. वह पानी जो हम मंडला में देखते हैं मंडला का तकरीबन 100 किलोमीटर की एक ऐसी पट्टी है जिसे देखने में वह समुद्र जैसा लगता है. चारों तरफ पानी ही पानी है लेकिन उसमें ऊपर के जो हमारे गांव हैं, जो खेत और खलिहान हैं वह सूखे हैं. वहां पर पीने के पानी की समस्या बनी हुई है तो माननीय मुख्यमंत्री जी, खुद आपके पास यह विभाग है इसमें कम से कम एक ऐसा एनॉलिसिस तो होना चाहिए कि नर्मदा जी या डूब क्षेत्र का जो एरिया है, जहां पर जबलपुर के, मंडला के हमारे सैकड़ों गांव जो विस्थापित हुए हैं हमारे हजारों लोग विस्थापित हुए हैं, उनमें कम से कम वहां के उपयोग के लिए तो हो पाए. मैं चाहता हॅूं कि कम से कम उस क्षेत्र का सर्वे हो. माननीय मुख्यमंत्री जी यहां बैठे हैं हमारी बातें भी सुन रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मत्स्य आखेटन की बात भी कह रहा हॅूं. माननीय मुख्यमंत्री महोदय, उसी सिंचित एरिया में पहले साढे़ चार सौ टन मछली का उत्पादन होता था. हमारे करीब 3000 किसान हैं वे मत्स्य आखेटन पर पूरी तरह से निर्भर थे. उस पर तकरीबन उसका जो उत्पादन है वह आज की तारीख में 200 टन उत्पादन हुआ है. इतना कम उत्पादन होने के बाद भी आज उनके पलायन की ऐसी स्थिति आ रही है कि वहां पूरा का पूरा गांव खाली हो जाता है तो पलायन और इसके उत्पादन में जो कमी आयी है तो कम से कम मुख्यमंत्री जी इस पर विशेष रूप से एक श्वेत पत्र जारी करें, ताकि वहां उत्पादन क्यों कम हो रहा है, लोगों के पलायन की स्थिति क्यों आ रही है, इस पर जरूर विचार करें.
अध्यक्ष महोदय, बिजली की बात करना चाहता हॅूं. सौभाग्य योजना आयी थी. उस सौभाग्य योजना ने मंडला का दुर्भाग्य कर दिया. स्थिति यह है कि उस पर करोड़ों रूपयों का घोटाला हुआ. यदि पोल लगे हुए हैं तो उस पर लाइन नहीं बिछी है. ट्रांसफॉर्मर इस टाइप के लगाए गए थे कि लगाने के दूसरे या तीसरे दिन या एक महीने के अंदर ही वह ट्रासंफॉर्मर खराब हो गए और बाद में जब जॉंच हुई तो करोड़ों रूपयों का घपला हुआ. वहां पूरी बिजली की ऐसी स्थिति है कि गांव क्षेत्र में जो सिंगल फेस लाईन है यदि हम लोग कुछ चाहेंगे भी तो उस पर कुछ नहीं कर सकते. उस पर विधानसभा प्रश्न भी लगा. उस पर जॉंच टीम बिठायी गई, लेकिन उस जॉंच में सिर्फ संविदा के जो सब-इंजीनियर्स हैं उन पर ही कार्यवाही हुई. जो इंजीनियर्स थे उन पर किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं हुई जो कि एक रिस्पॉंसिबल लोग थे. उसमें कार्यवाही हुई लेकिन जब पता है कि इतने बडे़ लेवल पर वहां पर घोटाला हुआ तो उसके सब्सिट्यूट के रूप में कम से कम वहां पर व्यवस्थाएं बनाना था. आज हमारे क्षेत्र की ऐसी स्थिति है कि वहां पर कितनी देर लाईट रहेगी और कितनी देर वहां पर लाईट नहीं रहेगी, यह नहीं पता. यह स्थितियॉं इतनी गंभीर हैं कि जब हमसे कोई प्रश्न करता है या यदि कोई वहां छोटे-मोटे उद्योग लगाना चाहे, तो कैसे लगा पाएगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसके आगे और विषय पर बात करूंगा. जनजाति हमारे महापुरूषों के नाम पर गौरव दिवस का आयोजन हुआ. माननीय मुख्यमंत्री जी यहां पर बैठे हैं. मैं बताना चाहता हॅूं कि वह तो हमारे गौरव पहले से ही थे, आपको 18 साल बाद गौरव दिवस मनाने की याद आयी. माननीय मुख्यमंत्री जी को कम से कम याद आ गया लेकिन याद आने के बाद में आपने जो वादे किए थे, आप जबलपुर आए 18 सितम्बर से लेकर 15 नवम्बर के बीच में गौरव दिवस मनाने के लिए, उसमें आपने वनाधिकार के पट्टे की बात कही थी. आपने वनाधिकार के पट्टे के अलावा पेसा एक्ट की बात की थी, लेकिन आपने उसको पब्लिक डोमेन में नहीं डाला. पेसा बहुत सेंसेटिव एक्ट है जो पंचायतों के लिए, सिड्यूल एरिया के लिए है तो मेरा विशेष निवेदन है कि जब पेसा का ड्रॉफ्ट फाइनल रूप से तैयार हो, तो सभी सामाजिक संगठनों को या फिर पब्लिक डोमेन में उसको डालकर कम से कम उसकी जानकारी या उसके ड्रॉफ्ट को फाइनल रूप से जब करें तो हम भी ट्राइबल क्षेत्र से एमएलए हैं तो हम भी काफी कुछ उसके बारे में जानकारी रखते हैं. हमसे भी उसके बारे में थोड़ा सा पूछा जाए. उसकी ड्राफ्टिंग में हमें भी रखा जाए या फाइनल ड्राफ्टिंग की कोई मीटिंग हो तो हमें भी उसमें बुलाया जाए तो हम उसमें अपनी बात को ज्यादा अच्छे से रख सकते हैं. अध्यक्ष महोदय, वनाधिकार के पट्टों की बात माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा की गई थी. चाहे सामुदायिक पट्टे की बात हो या सिंगल पट्टे की बात हो, माननीय मुख्यमंत्री जी, 18 सितम्बर को आपने डिक्लेयर किया था, 15 नवम्बर तक के पट्टों के लिए आपने कहा था. लेकिन उसमें अधिकारियों के द्वारा किसी भी प्रकार से उसकी कोई प्रॉपर स्क्रीनिंग नहीं हुई. आप मण्डला में आए थे, मण्डला में 22 नवम्बर को आप आए, उस समय चार सर्टिफिकेट बंटे थे, न तो उसके पहले उससे संबंधित कोई काम हुआ, न उसके बाद किसी भी प्रकार का कोई काम हुआ. माननीय अध्यक्ष महोदय, सुशासन की बात तो की जाती है, लेकिन उस पर अमल कहां हो रहा है. मैं यह चाहता हूँ कि जिन ट्राइबल मेटर्स की मैं बात करूँ तो इन पर कार्यवाही हो. माननीय मुख्यमंत्री महोदय, आप आदिवासियों के हित की बात करते हैं. आप मेरी बात को थोड़ा सा ध्यान से सुनेंगे तो जो आप अगर आदिवासियों के हित की बात सही में कहते हैं और टीएसी की मीटिंग में ट्राइबल हितों की अगर कोई बात आप कहते हैं तो टीएसी की मीटिंग में महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होती है, सामाजिक लोग भी हैं, हमारे जनप्रतिनिधि भी हैं, जब ट्राइबल विषयों को उनके बीच में लेकर आप अगर पास करते हैं तो मुझे लगता है कि ज्यादा भला होगा. टीएसपी का बजट आता है, टीएसपी का बजट ट्राइबल एरिया में अगर खर्चा होता है..
अध्यक्ष महोदय -- बजट पर बोलिएगा, बस हो गया.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- अध्यक्ष महोदय, इसी से जुड़ा है, इसलिए कह रहा हूँ. टीएसपी के बजट का जो उपयोग हो, आप यह सुनिश्चित कर लें, आप खर्च करें, उन्हीं विभागों में खर्च करें लेकिन उन्हीं पांचवीं अनुसूची एरिया में या जो ट्राइबल एरियाज में आप खर्च करेंगे, तो कहीं न कहीं उस क्षेत्र में डेव्हलपमेंट बढ़ेगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और कहना चाहता हूँ. अभी झोला छाप डॉक्टरों की बातें हुईं थीं. माननीय बहादुर सिंह जी ने भी कहा था और बहुत से लोगों ने कहा था झोला छाप डॉक्टर. अध्यक्ष महोदय, कोरोना काल में एमबीबीएस डॉक्टर थे, विशेषज्ञ थे, सब लोग थे. लेकिन स्थितियां ऐसी थीं कि हमारे पास में डॉक्टरों की इतनी कमी हो गई थी कि जो हमारी वॉलेन्टियर रूप से मदद कर सकता था, उसका हमने स्वागत किया था. हमने जिन डॉक्टरों की मदद ली, उनको झोला छाप डॉक्टर नहीं बोलना चाहिए. वे लोग अलग पैथी के हैं, बीएएमएस हैं, बीएचएमएस हैं, उनको आप झोला छाप डॉक्टर कैसे कहते हैं. पैथी अलग है, लेकिन झोला छाप डॉक्टर बोलकर उनकी तौहीन नहीं करना चाहिए. उनकी सेवाएं हमने संकटकाल के समय पर लीं, उसके बाद उनको ऐसे ही निकालकर फेंक दिया. यह तो बहुत ही गलत है. इस बात पर विचार करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, दो मिनट का समय और लूंगा. मैं रेत नियम, 2019 की बात करना चाहता हूँ. इस विषय पर कम से कम दस विधान सभा प्रश्न भी लगे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी यह बात कही थी. मण्डला में भी आप आए, मण्डला में आवासों के लिए आपने फ्री रेत आवंटन की बात कही. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि किसी भी अधिकारी ने आपकी एक भी बात नहीं सुनी. मण्डला की जनता आपका इंतजार कर रही है कि आप मण्डला आएंगे और फ्री रेत दिलाएंगे. रेत अधिनियम, 4 में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि आवास के लिए, शौचालय के लिए, कूपों के लिए रॉयल्टी रेट पर रेत उपलब्ध होगी, पर क्या अधिकारी सुन रहे हैं ? किसी को भी आज तक एक घनमीटर रेत रॉयल्टी रेट पर नहीं मिली है. यह पूरे प्रदेश में बहुत बड़े लेवल पर लापरवाही है और अगर यह हो तो आज जहां की हम बात कर रहे हैं, लगातार बात हो रही है कि आवास की राशि जो डेढ़ लाख रुपये है, उस आवास की राशि को बढ़ाने पर अगर आप माननीय प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखते हैं, आप अपने लेवल से उसकी राशि बढ़ाते हैं तो ग्रामीण क्षेत्रों में जो आवास बनाने में तकलीफ है, मुझे लगता है कि कम होगी और इस रॉयल्टी रेट पर रेत की जो बात कह रहे हैं, स्पष्ट रूप से आप अधिकारियों को निर्देशित करें ताकि लोगों को रॉयल्टी रेट पर रेत मिले और वे अपने आवास को सही तरीके से बना सकें क्योंकि जितने लोगों के मकान बने हैं, या तो अधूरे हैं और अधूरे नहीं हैं तो कर्ज में हैं. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुनील सराफ -- अध्यक्ष महोदय, चूँकि मेरा भी नाम इसमें था.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब हो गया.
श्री सुनील सराफ -- अगर मेरा नाम नहीं है तो मैं लिखित में दे देता हूँ, मुझे अनुमति दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- हां, आप लिखित में दे दीजिए.
श्री सुनील सराफ -- अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- सदन में पूर्व में घोषणानुसार कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा का उत्तर माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा सोमवार को दिया जाएगा.
2.24 बजे अध्यक्षीय घोषणा
आज की कार्य सूची में उल्लेखित अशासकीय संकल्प आगामी दिवस में लिया जाना
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्य सूची में उल्लेखित अशासकीय संकल्प आगामी दिवस में लिए जाएंगे. मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 14 मार्च, 2022 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 2.25 बजे विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 14 मार्च, 2022 (23 फाल्गुन, शक संवत 1943) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक स्थगित की गई.
भोपाल : ए.पी. सिंह
दिनांक 11 मार्च, 2022 प्रमुख सचिव
म.प्र. विधान सभा