मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा दशम् सत्र
फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 11 मार्च, 2016
(21 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
[खण्ड- 10 ] [अंक- 13 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 11 फरवरी, 2016
(21 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
विधान सभा पूर्वाह्न 10.33 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
(संसदीय कार्य मंत्री )डॉ नरोत्तम मिश्र:- अध्यक्ष महोदय, आरिफ भाई अग्रिम पंक्ति में अकेले हैं, मुझे आशंका है कि बाकी सबको काटकर ऊपर आने के चक्कर में हैं.
श्री तरूण भनोत :- मंत्री जी आपक सामने वाली कुर्सी भी खाली है.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- मलैया जी बैठे है वरिष्ठ सदस्य हैं, लेकिन वहां पर तो कोई भी नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया :- आरिफ भाई मंद मंद मुस्करा रहे हैं, मुस्कराहट का क्या जवाब माने.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- मलैया जी बैठे हैं. हमारे वरिष्ठ सदस्य हैं. यह क्या है कि शुरू से ही बाला बच्चन, मुकेश नायक जी और महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा जी उनसे शुरू से ही इस कोशिश में हैं.
श्री आरिफ अकील :- यह मुख्यमंत्री की दौड़ में हैं, उनको हटाकर मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. डॉ नरोत्तम मिश्र :-मैं तो मुक्त कंठ से कह रहा हूं कि पूरे मनसावाचा कर्मणा शिवराज सिंह जी के साथ हूं. यह कहें अब कि मैं मुकेश नायक जी के साथ हूं मनसावाचा कर्मणा से.
श्री आरिफ अकील :- मैं क्यों कहूं. जबरन कहलवा रहे हो.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- आरिफ भाई मैंने बोला न,कि मैं तो मनसावाचा कर्मणा से शिवराज जी के साथ हूं.
श्री आरिफ अकील :-आप बोलो कि आप मुकेश नायक जी के साथ हो. आपकी उनसे सेटिंग है क्या कि आप मुझसे कहलवा रहे हो.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- चलो अच्छा कालूखेड़ा जी के साथ हो यह बोल दो. बाला बच्चन जी के साथ हो, यह तो बोल दो.
श्री आरिफ अकील :- क्यों बोल दो. आप आ जाओ आपके लिये बोल देता हूं.
डॉ नरोत्तम मिश्र :- मैं तो सी एम के पीछे खड़ा हूं, उनके साथ रहूंगा, चाहे वह पक्ष में रहे चाहे विपक्ष में रहें. आप किसके साथ हो.
श्री आरिफ अकील :- आपके साथ हूं.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रश्न संख्या- 1 :- श्री आर.डी.प्रजापति :- अनुपस्थित.
अनुबंधानुसार राशि का भुगतान
2. ( *क्र. 3670 ) श्रीमती पारूल साहू केशरी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सागर जिला अंतर्गत एस्सेल विद्युत वितरण कपंनी को शासन को करोड़ों रूपया देना बकाया है? प्रश्न दिनांक तक एस्सेल विद्युत वितरण कंपनी को कुल कितनी राशि सरकार को विभिन्न मदों में अनुबंध अनुसार देना बाकी है? (ख) क्या एस्सेल विद्युत वितरण कंपनी सागर द्वारा शासन को लगातार नियमित भुगतान नहीं किया जा रहा है और इससे अनुबंध की किन-किन शर्तों का लगातार उल्लंघन हो रहा है? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में अगर लगातार अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करने पर शासन द्वारा अनुबंध निरस्त किया जाता है अथवा कंपनी कार्य छोड़ देती है, तो उपभोक्ताओं की सुरक्षा निधि की जवाबदेही किसकी होगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) मेसर्स एस्सेल विद्युत वितरण (सागर) प्रा.लि. (वितरण फ्रेंचायजी) को म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड द्वारा जारी की गई मंथली इनवाईस (एम.आई.) तथा पूरक इनवाइस (एस.आई.) के मद में दिनांक 22.02.2016 की स्थिति में राशि रू. 23,00,56,789/- का भुगतान करना बाकी है। भुगतान हेतु अनुबंध में निहित शर्तों की कंडिका 10.2 के तहत् लंबित बकाया राशि पर पेनाल्टी अधिरोपित की जा रही है। इसके अतिरिक्त मेसर्स एस्सेल विद्युत वितरण (सागर) प्रा.लि. द्वारा पुनरीक्षित पेमेंट सिक्योरिटी रू. 17.28 करोड़ जमा करना भी बाकी है। (ख) जी हाँ, मेसर्स एस्सेल विद्युत वितरण (सागर) प्रा.लि. द्वारा म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड को किश्तों में कुल देय राशि से कम का भुगतान किया जा रहा है। इससे अनुबंध की कंडिका 10.1, 23.2, 23.4 एवं 35.1 में निहित प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है। (ग) उपभोक्ताओं की सुरक्षा निधि की जवाबदेही म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड की रहेगी.
श्रीमती पारूल साहू केशरी :- माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगी कि सागर की जनता एस्सेल पावर कंपनी से त्रस्त है, सागर के लाखों लोग और जनप्रतिनिधि सभी इसका विरोध कर चुके हैं. माननीय मंत्री जी जनभावनाओं का सम्मान करते हुए आपसे निवेदन है कि एस्सेल पावर कंपनी का कांट्रेक्ट निरस्त करने की घोषणा करें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल :- माननीय अध्यक्ष महोदय कंपनी को नोटिस जारी हो गये हैं और जो भी वैधानिक कार्यवाही है वह कि जा रही है.
श्रीमती पारुल साहू केशरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहूंगी क्योंकि इन्होंने नोटिस जारी कर दिया है इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.यह बात ध्यान में लाना चाहूंगी कि कंपनी द्वारा एग्रीमेंट की किसी भी शर्त का पालन नहीं किया गया है और जो जानकारी मुझे प्रश्न में मिली है 40 करोड़ रुपये सरकार को लेना बाकी है सरकार के पास कोई एसएल पावर कंपनी की पेमेंट सिक्युरिटी भी नहीं है लोगों का कितना पैसा एसएल पावर कंपनी के पास जमा है जो वह सरकार को नहीं दे रही है इसकी भी जानकारी नहीं है ऐसी स्थिति में इसका कांट्रेक्ट निरस्त कर सरकार की पावर कंपनी को तत्काल पावर डिस्ट्रीब्यूशन मेंटेनेंस और कलेक्शन का काम दिया जाये.
श्री शैलेन्द्र जैन - - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे ध्यानाकर्षण के उत्तर में माननीय मंत्री महोदय के द्वारा एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था उस कमेटी की रिपोर्ट संभवत: आ चुकी होगी उस रिपोर्ट को विधान सभा के पटल पर रखने की कृपा करेंगे ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल - इसमें कोई आपत्ति नहीं है.
प्रश्न क्र.3 श्री नथन शाह कवरेती (अनुपस्थित)
सड़क के मध्य लगे विद्युत पोलों की शिफ्टिंग
4. ( *क्र. 5464 ) श्री संजय पाठक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या नगर निगम कटनी में सड़कों पर विद्युत पोलों के कारण यातायात बाधित हो रहा है तथा पीरपाबा से चाका रोड के निर्माण के समय सड़क के बीच में आये विद्युत पोलों को सड़क के किनारे प्रतिस्थापित किया गया है? (ख) यदि प्रश्नांश (क) हाँ तो बस स्टैण्ड से चाका एवं शहर के अंदर सड़कों पर विद्युत पोल जो आज भी लगे हैं, उन्हें कब तक हटाकर सड़क किनारे किया जायेगा? (ग) क्या बस स्टैण्ड के आगे स्कूल बस दुर्घटनाग्रस्त होने के बावजूद भी विद्युत पोलों को नहीं हटाया गया, जिसमें घटना के समय कई बच्चे घायल हुये थे? (घ) जब सड़क का निर्माण कार्य पूर्णता की ओर है, इसके बाद भी विद्युत पोल न हटाये जाने का कारण स्पष्ट करें तथा कब तक हटाये जायेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ, जी हाँ। (ख) जी हाँ, बस स्टैण्ड से नाका तक के पोल हटाने की कार्यवाही प्रचलित है, मिशन चौक से बस स्टैण्ड तक विद्युत पोल हटा दिये गये हैं। शहर के अंदर अन्य मार्गों के पोल हटाने की कार्यवाही प्रचलित है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ग) बस दुर्घटना का कारण विद्युत पोल नहीं थे। उत्तरांश ''ख'' अनुसार कार्यवाही प्रचलित है। (घ) कार्यवाही प्रचलित है। विद्युत खम्बों को सड़क योजना का कार्य किये जाने के पूर्व हटाया जाना सुनिश्चित किया जावेगा। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री संजय पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न लगाया कि विद्युत पोलों के कारण माडल रोड कटनी पर विगत छह-सात महिने में लगभग दस एक्सीडेंट हो चुके हैं और कई लोगों की मौत भी हो चुकी है उनको कब तक हटाया जायेगा.प्रश्न के उत्तर में आया है कि मिशन चौक से बसस्टैंड के बीच में हटा दिये गये हैं और उत्तर माननीय मुख्यमंत्री जी के हवाले से दिलाया गया है. मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी को अवगत कराना चाहूंगा कि यह जो उत्तर है पूर्णत: असत्य पर आधारित है. कल रात तक खम्बे चार जगह अभी तक अलग नहीं हुए हैं. आजाद चौक पर,चाण्डक चौराहे पर,कैलवारा मोड़ पर,
अध्यक्ष महोदय - विभाग उनके पास है इसीलिये उत्तर पर उनका नाम लिखा है.
श्री संजय पाठक - विभाग उनके पास है तो अधिकारियों में इतना भी भय नहीं है कि मुख्यमंत्री जी के माध्यम से माननीय मंत्री जी जवाब देंगे इन्होंने उत्तर दिया है कि हटा दिये गये हैं जबकि नहीं हटाये गये हैं.
राज्यमंत्री,सामान्य प्रशासन(श्री लालसिंह आर्य) - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न में हमने बहुत स्पष्ट किया है कि पोल हटाने की कार्यवाही प्रचलन में है. कटनी नगर में 427 पोल हैं. यह रोड चार पार्ट में स्वीकृत हुई है. फर्स्ट पार्ट और फोर्थ पार्ट की बाद में स्वीकृति हुई और बाद में उसके पोलों को बढ़ाने की कार्यवाही हुई इसीलिये 427 पोल हटना थे उसमें से 61 पोलों को अभी तक हटा भी दिया गया है. 366 पोलों के हटाने की कार्यवाही जारी है.
श्री संजय पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके प्रश्न के जवाब में है कि मिशन चौक से बसस्टैंड तक विद्युत पोल हटा दिये गये हैं. मैं कह रहा हूं कल रात तक नहीं हटाये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय - घ में यह भी उत्तर दिया है कि प्रचलित है.
श्री संजय पाठक - प्रचलित है के बाद आगे लिखा है कि बाकी को हटाने की कार्यवाही प्रचलित है. मैं मंत्री जी को अवगत कराना चाहूंगा कि इन पोलों के कारण कई एक्सीडेंड हो चुके हैं कई लोग मर चुके हैं और कमिश्नर नगर निगम को स्थानीय विधायक संदीप जायसवाल जी ने भी कई बार बोला नगर निगम महापौर है. नगर निगम महापौर ने बोला नगर निगम की परिषद ने भी बोला कि इनको यथाशीघ्र अलग किया जाये लेकिन विगत डेढ़ वर्ष से नगर निगम कटनी का पूरा काम ठप्प पड़ा हुआ है विकास कार्य वहां इसलिये नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि कमिश्नर अपनी अड़ी में रहे हैं और नगर निगम महापौर की सुन रहे हैं न परिषद की सुन रहे हैं लगातार उनके विरुद्ध शिकायत पर शिकायत दर्ज कराई जा रही हैं कई अनियमितताएं हुई हैं मेरा सीधा प्रश्न यह है कि सारे प्रतिनिधियों के बोले जाने के बाद भी अभी तक नहीं हटाया गया है और मुख्यमंत्री जी के विभाग के माध्यम से असत्य जानकारी विधान सभा में दी है तो खम्बे कब तक हटाएंगे और ऐसे कमिश्नर के विरुद्ध क्या कार्यवाही करेंगे ?
श्री लालसिंह आर्य--माननीय अध्यक्ष महोदय, उनके खिलाफ गंभीर शिकायतें, अनियमितताएं हैं तो उसकी जानकारी आप दे दें तो मैं उसकी जांच करवा दूंगा. अगर गंभीर शिकायतों में वह दोषी पाये जायेंगे तो उनको हटाने की कार्यवाही भी करेंगे.
श्री संजय पाठक--अध्यक्ष महोदय, पोल हटाने की समय सीमा बता दें.
श्री लालसिंह आर्य--अतिशीघ्र हटा देंगे.
श्री संजय पाठक--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि दिसम्बर में यह आश्वासन मिला था कि एक माह के अंदर कार्यवाही कर दी जाएगी यह जवाब माननीय नरोत्तम मिश्र जी ने दिया था गरीबी रेखा के जो कार्ड हैं उनका शिविर लगाने की मुख्यमंत्री जी की घोषणा थी उस पर कार्यवाही कर दी जाएगी. आज 4 महीने हो गये हैं वहां पर कोई भी शिविर नहीं लगाया गया है.
अध्यक्ष महोदय--यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
प्रश्न संख्या 5
रीवा जिलांतर्गत फीडर सेपरेशन का कार्य
5. ( *क्र. 4498 ) पं. रमाकान्त तिवारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या त्योंथर एवं जवा तहसील जिला रीवा में फीडर सेपरेशन का कार्य प्रारंभ हुआ और आज दिनांक तक अधूरा है? (ख) यदि हाँ, तो यह बतायें कि त्योंथर एवं जवा तहसील जिला रीवा के कितने फीडरों के लिये फीडर सेपरेशन कार्य प्रारंभ हुआ था, कितने फीडरों में सेपरेशन का कार्य पूर्ण हुआ है, शेष कार्य क्यों बंद हैं? (ग) उपरोक्त अधूरे कार्य कब तक पूरा करायेंगे? (घ) कार्य पूरा न होने में दोषी कौन हैं? दोषियों के खिलाफ क्या कार्यवाही की जायेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। (ख) रीवा जिले के अंतर्गत त्यौंथर एवं जवा तहसीलों में 11 के.व्ही. के 33 फीडरों के विभक्तिकरण का कार्य प्रारंभ हुआ था, जिसमें से 10 फीडरों का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। उक्त कार्य टर्न-की आधार पर कराए जाने हेतु अवार्ड पूर्व में मेसर्स. जी.ई.टी. पॉवर लिमिटेड, चेन्नई को दिया गया था, किन्तु कार्य की प्रगति संतोषप्रद नहीं पाये जाने पर उक्त अवार्ड निरस्त कर पुन: निविदा जारी कर शेष 23 फीडरों के कार्य हेतु कार्यादेश मेसर्स विंध्या टेलीलिन्कस लिमिटेड, नई दिल्ली को दिनांक 05.05.2015 को जारी किया गया है। उक्त शेष 23 फीडरों का कार्य वर्तमान में प्रगति पर है। (ग) ठेकेदार एजेंसी से किये गये अनुबंध की शर्तों के अनुसार उक्त शेष कार्य दिसम्बर 2016 तक कार्य पूर्ण होना है। (घ) प्रश्नाधीन कार्य पूर्ण नहीं करने के लिये दोषी ठेकेदार एजेंसी मेसर्स जी.ई.टी. पॉवर लिमिटेड, चेन्नई का अवार्ड निरस्त कर दिया गया है तथा ठेके की शर्तों के अनुसार लायबिलिटी निर्धारित कर वसूली की कार्यवाही की जा रही है।
श्री रमाकांत तिवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि वहां पर कोई फीडर बनाने वाला कार्यकर्ता ही नहीं गया कम्पनी तो गयी ही नहीं वहां पर कोई बताने वाला आदमी भी नहीं गया क्या मंत्री जी कौन कौन से फीडर दुरूस्त हो गये हैं, कौन से 23 फीडर प्रगति पर हैं बताने की कृपा करेंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--माननीय अध्यक्ष महोदय, जो फीडर पूरे हो गये हैं उनका नाम है सतपुड़ा, बड़ागांव, खरादी, मजीगमा, चाटघाट, सुहागी, कुठीला, गढ़ एवं डबोरा जो प्रगति पर हैं उनकी 23 फीडरों की सूची मैं आपको उपलब्ध करवा दूंगा.
श्री रमाकांत तिवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी जो विभाग ने लिखकर के दे दिया है वही आपने बता दिया है मैं कहना चाहता हूं कि कान की सुनी बात असत्य होती है, आंख की देखी सत्य होती है तो क्या आप कृपा करके स्वयं देख करके बता सकेंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कार्य स्वयं तिवारी जी के साथ देखूंगा बल्कि इन फीडरों का लोकार्पण भी करने जाऊंगा.
श्री रमाकांत तिवारी--धन्यवाद आपको.
प्रश्न संख्या--‑6
घट्टिया तहसील में खदानों की नीलामी
6. ( *क्र. 3015 ) श्री सतीश मालवीय : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) उज्जैन जिले की घट्टिया विधानसभा क्षेत्र में कितनी चिन्हित खदानें हैं, इनमें से 01 अप्रैल 2013 से प्रश्न दिनांक तक कितनी खदानों (रेत, मुरम, गिट्टी, पत्थर आदि) की नीलामी की गई एवं कितना राजस्व प्राप्त किया गया? कितनी खदानों का सीमांकन किया गया? खदानों के नाम तथा किन व्यक्तियों द्वारा खदान ली गई? उनके नाम सहित सूची उपलब्ध करावें। (ख) क्या नीलाम की गई खदानों में से उत्खनन का कार्य नीलामी के निर्धारित रकबे व सर्वे नंबर से अधिक दूसरे सर्वे नंबर एवं रकबे में अवैध उत्खनन किया जा रहा है। इस संबंध में विभाग द्वारा कहाँ किस अधिकारी द्वारा निरीक्षण किया गया? निर्धारित रकबे से अधिक रकबे के उत्खनन के कितने प्रकरण बनाये गये और कितनी राशि वसूली की गई? शासन इस पर क्या कार्यवाही करेगा? (ग) क्या घट्टिया विधान सभा क्षेत्र में भारी मात्रा में रेती, मुरम, हार्ड मुरम एवं गिट्टी का भारी मात्रा में अवैध उत्खनन एवं अवैध भंडारण किया जा रहा है? विगत 01 जनवरी 2015 से 01 जनवरी 2016 तक अवैध उत्खनन एवं अवैध भंडारण के कितने प्रकरण बनाये गये? किस-किस व्यक्ति या संस्था पर कार्यवाही की गई? कितनी राशि की वसूली की गई? अवैध उत्खनन एवं अवैध भंडारण के संबंध में विभाग द्वारा अवैध उत्खनन रोकने की आगामी क्या कार्ययोजना है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नाधीन जिले की घट्टिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कुल 43 नीलाम खदानें चिन्हित हैं। प्रश्नांकित अवधि में कोई खदान नीलाम नहीं की गई है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्नांश 'क' में दिये उत्तर अनुसार चूंकि खदानें नीलाम नहीं की गई हैं, अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। खनिज के अवैध उत्खनन एवं अवैध भंडारण के प्रकरण प्रकाश में आने पर नियमानुसार कार्यवाही की जाती है। प्रश्नाधीन अवधि में दर्ज किये गये अवैध उत्खनन तथा अवैध भंडारण के प्रकरणों की प्रश्नानुसार जानकारी संलग्न परिशिष्ट में दर्शित है। दर्शित जानकारी अनुसार यह समस्त प्रकरण निराकरण हेतु प्रचलित हैं। अत: वर्तमान में राशि वसूल किये जाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। जिले में पदस्थ अमले द्वारा जिले में सतत् निगरानी की जाती है। प्रश्नानुसार प्रकरण प्रकाश में आने पर कार्यवाही की जाती है।
श्री सतीश मालवीय--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हूं कि मैंने प्रश्न किया था जो मेरा प्रश्न क्रमांक 3 है घटिया विधान सभा में अवैध उत्खनन हो रहा है मुझे इसका जवाब मिला है कि इस प्रकार की कोई भी उत्खनन जैसी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है एवं जिले में पदस्थ अमले द्वारा जिले में सतत निगरानी की जाती है मेरा अनुरोध है कि हमारे यहां पर अवैध उत्खन्न की बहत ज्यादा शिकायतें हैं उसमें सुधार किया जाए. दूसरा ऋितिका में अवैध उत्खन्न होता है तो आने वाले समय में नीलामी प्रक्रिया के द्वारा वहां पर इस प्रकार की व्यवस्था की जाए कि वहां नीलामी हो जाए एवं काम शुरू हो, ऐसी आशा है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--माननीय अध्यक्ष महोदय, गौण खनिज एक फैली हुई सम्पदा है इसमें अवैध उत्खनन एवं परिवहन की संभावनाएं बनी रहती हैं इसलिये घटिया विधान सभा में मेरे जवाब में यह नहीं है कहीं पर अवैध उत्खनन एवं परिवहन शिकायतें नहीं हैं, अथवा नहीं हो रही है, बल्कि विभाग ने 345 प्रकरण बनाये हैं परिवहन के इसमें से 61 लाख 86 हजार रूपये की वसूली की जा चुकी है. अवैध उत्खनन के 6 प्रकरण भी बनाये गये हैं और किसी प्रकार से अवैध भंडारण के भी प्रकरण बनाये गये हैं जो कि एसडीएम कोर्ट में चल रहे हैं. इसलिये जवाब में कहा गया कि विभाग सतत निगरानी रखता है और जहां कहीं भी शिकायतें आती हैं तत्काल उस पर कार्यवाही भी करता है.
श्री सतीश मालवीय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से, सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगा कि जिस प्रकार रेती का, मैंने एक बार जिक्र किया है कि इस प्रकार की व्यवस्था अगर बन जाये तो जहां-जहां पर भी, हमारे यहां 3-4 नदियां हैं, जहां पर रेती का बहुत ज्यादा अवैध उत्खनन होता है, वहां पर नीलामी प्रक्रिया हो जाये तो उसके बाद अगर इस प्रकार के नीलामी होने के बाद, वहां पर कोई बिजनेस करना चाहे तो बेहतर होगा. मैं आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूँगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत ही अच्छा है. माननीय सतीश जी ने बात उठाई है. 43 खदानों में से, 13 खदानों की नीलामी अतिशीघ्र होने वाली है और सारी खदानों की नीलामी कर देंगे. उसके बाद सिया से जैसे ही परमीशन मिलती है, सारी खदानों में वैध उत्खनन शुरू हो जायेगा तो अवैध की संभावना समाप्त हो जायेगी.
श्री सतीश मालवीय - माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
अधिकारियों के विरूद्ध आर्थिक अपराध के दर्ज प्रकरण
प्रश्न 7. ( *क्र. 4425 ) श्री गिरीश गौतम : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या अनुसंधान एजेंसी आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा बाणसागर परियोजना में हुए भ्रष्टाचार के लिये बाणसागर एवं गंगा कछार के अधिकारियों के विरूद्ध भा.द.वि. एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत अपराध कायम किया गया है? अपराध क्रमांक धारा एवं सभी आरोपित अधिकारियों का नाम, पद सहित विवरण देवें। (ख) क्या ई.ओ.डब्ल्यू. द्वारा बाणसागर परियोजना के अधिकारियों, जिनके विरूद्ध (प्रकरण पंजीबद्ध हैं) अभियोजन चलाने के लिये अभियोजन स्वीकृति हेतु कई प्रस्ताव भेजे गये? यदि हाँ, तो कब-कब अभियोजन स्वीकृति हेतु प्रस्ताव प्राप्त हुए तथा किनके विरूद्ध अभियोजन स्वीकृति दी गयी? विवरण नाम, पद सहित बताएं और जिनके विरूद्ध प्रस्ताव दिये जाने के बाद अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी गयी है? अभियोजन स्वीकृति नहीं दिये जाने का कारण बताएं। (ग) ई.ओ.डब्ल्यू. द्वारा वांछित अभियोजन स्वीकृति कब तक प्रदान कर दी जायेगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-'ब' एवं 'स' अनुसार है। अभियोजन स्वीकृति के लंबित प्रकरण परीक्षण में हैं। (ग) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री गिरीश गौतम - मानीय अध्यक्ष महोदय, बाण सागर परियोजना हमारे रीवा संभाग के लिए जीवनदायिनी योजना है. बाण सागर का पानी किसानों के खेत में पहुँचता है तो निश्चित तौर पर बहुत सारे फायदे, हमारे मुख्यमंत्री जी के संकल्प को पूरा करने में मदद मिलती है. इसी बाण सागर परियोजना में अधिकारियों ने हजारों का नहीं, लाखों का नहीं, करोड़ों का भ्रष्टाचार किया है. जिसमें से एक मामला कायम हुआ है. अपराध क्रमांक- 21/8, धारा 406, 409, 420, 467, 468, 472, 201, 120 बी, 203, 204, 217, 218 भा.द.वि. एवं 13 (1) सी, 13 (2) डी, करेप्शन एक्ट में ये मामले कायम हैं. हमने प्रश्न इसमें यह किया था कि कितने अधिकारियों के खिलाफ यह मामला कायम हुआ है ? जो सूची उपलब्ध कराई गई परिशिष्ट 'अ' पर, उसमें 30 अधिकारियों का 1 से 30 तक का नाम, पद सहित दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा प्रश्न मेरा यह था कि चूँकि सबके खिलाफ अभियोजन शुरू नहीं हुआ. मैंने यह पूछा था कि कितने लोगों के अभियोजन के लिए वहां से चिट्ठी आई है. उस चिट्ठी के आधार पर अभियोजन स्वीकृति की, आपने क्या कार्यवाही की है ? उत्तर में बताया गया है कि अभियोजन स्वीकृति के लम्बित प्रकरण परीक्षण में हैं. मैं मंत्री जी, आपके माध्यम से दो प्रश्न करना चाहता हूँ कि क्या मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग क्र.एफ-156/96/1110, भोपाल दि. 21 अप्रैल, 1997 का यह एक आदेश है. जिस आदेश पर यह लिखा हुआ है कि अभियोजन स्वीकृति का आदेश करने के पूर्व विधि एवं विधायी कार्य विभाग संबंधी शासकीय सेवक के प्रशासकीय विभाग का मत प्राप्त करेगा. अभियोजन स्वीकृति जारी में विलम्ब को देखते हुए इस विभाग के परिपत्र का हवाला देते हुए यह व्यवस्था की गई थी कि लोकायुक्त संगठन द्वारा शासकीय सेवकों के विरूद्ध प्रस्तुत प्रकरणों में अभियोजन स्वीकृति सीधे विधि एवं विधायी कार्य विभाग द्वारा दी जावे. इसमें क्रमांक 3 में अभियोजन स्वीकृति के प्रकरणों में प्रशासकीय विभाग द्वारा अपना अभिमत देने के लिए एक माह की समयावधि निर्धारित की जाती है. यदि इस अवधि में, उनको अभिमत प्राप्त नहीं होता है तो विधि विभाग बिना उनके अभिमत के ही अभियोजन स्वीकृति जारी कर देगा. मेरा पहला प्रश्न तो यही है कि क्या यह परिपत्र माननीय मंत्री जी के पास है ? क्या इस आदेश में कोई संशोधन हुआ है ? यदि संशोधन हुआ है तो वह हमको उपलब्ध करवायें. मैं दूसरे प्रश्न के लिए फिर निवेदन करूँगा.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग (श्री लाल सिंह आर्य) - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदस्य ने जो प्रश्न पूछा है. मैं उनको बताना चाहता हूँ कि शासन ने यह आदेश जारी किया है कि किसी भी प्रकरण चाहे ई.ओ.डब्ल्यू का हो, इसमें यदि अपराध पंजीबद्ध होता है तो उसके 45 दिवस के भीतर संबंधित विभाग को अभियोजन की स्वीकृति के लिए भेजा जायेगा. उसको कम किया गया है, पहले यह ज्यादा था. उसके बाद एक महीना, यदि कोई विशेष बहुत गम्भीर प्रकरण है तो उसमें एक महीना और समय दिया जाता है. जहां तक, आप इस प्रश्न की बात कर रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, 2 लोगों के अभियोजन की स्वीकृति दी है, 8 का हमने रीवा स्पेशल कोर्ट में चालान भी प्रस्तुत कर दिया है.
श्री गिरीश गौतम - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्न किया है. उसका उत्तर नहीं आया है. मैंने इस परिपत्र को पढ़ते हुए यह कहा कि यह परिपत्र है क्या ? क्या इसका कोई संशोधन हुआ है ? यदि संशोधन हुआ है तो यह बतायें. सीधा बतायें.
अध्यक्ष महोदय -- आप दूसरा प्रश्न भी कर दें उसी के साथ.
श्री गिरीश गौतम -- अध्यक्ष महोदय, नहीं तो वह फिर गोल मोल जवाब आ जायेगा. मैं यह चाहता हूं कि यह परिपत्र एक बार स्वीकार करें, यह इन्हीं का आदेश है. सामान्य प्रशासन विभाग का आदेश है. इसमें और लिखा है, जहां विवादित बता रहे हैं, उसी में लिखा है कि क्या करेंगे. समयावधि निर्धारित की गई है..
अध्यक्ष महोदय -- वह तो आपने पढ़ दिया.
श्री गिरीश गौतम -- नहीं,इसी में आगे हैं कि यदि मतभेद हैं, मतभेद होने की स्थिति में प्रकरण प्रशासकीय विभाग द्वारा मंत्री परिषद् की उप समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा. इसी में लिखा हुआ है. ..
अध्यक्ष महोदय -- आ गया, अब इसका उत्तर ले लें.
श्री लाल सिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो कहा है, वह परिपत्र मेरे पास भी है. स्वाभाविक है...
अध्यक्ष महोदय -- बस इतना ही प्रश्न था. अब दूसरा प्रश्न पूछिये.
श्री गिरीश गौतम -- अध्यक्ष महोदय, इसी के संदर्भ में फिर मेरा दूसरा प्रश्न है कि प्रकोष्ठ द्वारा प्रेषित प्रस्ताव का दिनांक, जिन जिन लोगों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति, अभिमत तो तब देंगे, जब विधि विधायी विभाग भेजेगा. अभिमत के लिये विधि विधायी विभाग ने भेजा, मेरा प्रश्न यह होगा, तो कब भेजा उन्होंने, वहां से आया प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन विधि विधायी विभाग मंत्रालय, भोपाल को ब्यूरो का पत्र क्रमांक, आप ही के उसमें है. ये भेजा गया 6.1.14 को, दूसरा पत्र है 3.4.14 को, तीसरा पत्र है 13.4.14 को और चौथा पत्र है 28.4.14 को. ये चार पत्र आये. तो 2014 से लेकर के जब यह भेजा दिया गया पत्र तो अब कृपा करके यह बताने का प्रयास करें कि विधि विधायी विभाग ने कब अभिमत के लिये भेजा. विभाग को कब अभिमत के लिये भेजा. यह तारीख और बता दें.
अध्यक्ष महोदय -- दूसरा और पूछ लीजिये. अब इसके बाद पूरक प्रश्न की हम अनुमति नहीं देंगे. इसलिये साथ ही इससे संलग्न और प्रश्न पूछ लीजिये.
श्री गिरीश गौतम -- अध्यक्ष महोदय, जी हां. अभिमत के लिये कब भेजा और अभिमत क्यों नहीं मिला. अभिमत उनका आया नहीं, तो फिर इसका पालन क्यों नहीं किया जा रहा है. तो कृपा करके इसमें करोड़ों रुपयों का भ्रष्टाचार है. किसानों के साथ अन्याय हुआ. जिस बाण सागर के पानी को हम 10 साल पहले पहुंचा सकते थे, यह भ्रष्टाचार के कारण हम पानी नहीं पहुंचा पायें. उनके अभियोजन की स्वीकृति देने में क्या दिक्कत आ रही है और वे रिटायर भी हो रहे हैं. कई लोग रिटायर हो गये, इस दुनिया से चले जायेंगे, हम उनके खिलाफ क्या कार्यवाही करेंगे.
श्री लाल सिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, यह कहना उचित नहीं है कि मध्यप्रदेश सरकार उनको बचा रही है. बचाने का सवाल ही नहीं है.
श्री गिरीश गौतम -- मैंने बचाने के लिये नहीं कहा. मैंने तो यह कहा है कि मुख्यमंत्री जी के संकल्प के अनुसार कह रहा हूं. बचाने का मैंने बिलकुल नहीं कहा.
अध्यक्ष महोदय -- ऐसा उन्होंने नहीं कहा. उन्होंने कहा कि देर हो रही है.
श्री लाल सिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, यदि सरकार की मंशा उस प्रकरण के प्रकाश में आने के बाद कार्यवाही करने की नहीं होती, तो ईओडब्ल्यू को हम लोग ये नहीं देते. जहां तक आपने कहा है कि विधि विभाग को कब दिया गया था. तो 4.1.16 को विधि विभाग द्वारा जल संसाधन विभाग को अभियोजन की स्वीकृति के लिये उनसे जो मांगा जाता है विभाग से, वह हमने भेजा है.
श्री गिरीश गौतम -- यह दूसरा पत्र है. 2014 वाले का मैंने पूछा,यह तो फिर दोबारा हमारा कुश्चन लग गया तो 4.1.16 को फिर भेज दिया. उसका स्पष्टीकरण नहीं हुआ तो कम से कम इतना आश्वासन दे दें कि हम जल्दी से अभियोजन की स्वीकृति देंगे और चालान करा देंगे. अध्यक्ष महोदय, यह तो आश्वासन दिलवा दीजिये. चालान पेश करेंगे. बाकी का हो ही गया, एक प्रकरण में बाकी का हुआ है.
श्री लाल सिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, अभियोजन की स्वीकृति अब प्रशासकीय विभाग देता है. जल संसाधन विभाग से जितनी जल्दी आ जायेगा, हम जल्दी भेज देंगे.
नीलामी रहित रेत खदानों की विधिवत नीलामी
8. ( *क्र. 4333 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या गुना जिले में शासन द्वारा ग्राम पंचायतों को नि:शुल्क रेत उपलब्ध कराने के लिये कोई व्यवस्था की गई है? यदि हाँ, तो कृपया नियमों की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) वित्तीय वर्ष 2015-16 में गुना जिले की कितनी ग्राम पंचायतों को नि:शुल्क रेत उपलब्ध कराई गई है? (ग) शासन द्वारा नीलामी रहित रेत खदानों की विधिवत नीलामी कब तक की जायेगी? क्या इसके लिये कोई प्रक्रिया प्रारंभ की गई है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) मध्यप्रदेश गौण खनिज नियम 1996 के नियम 3 (3) में एवं प्रारूप-अठारह की कंडिका का 02 के परन्तुक में प्रश्नानुसार प्रावधान सभी ग्राम पंचायतों हेतु किये गये हैं। उक्त नियमों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट पर दर्शित है। (ख) वित्तीय वर्ष 2015-2016 में गुना जिले की किसी भी ग्राम पंचायत को नि:शुल्क रेत उपलब्ध नहीं करायी गई है। (ग) नीलामी हेतु चिन्हित खदानों की नीलामी सतत् रूप से की जा रही है। इसकी प्रक्रिया पूर्व से प्रारंभ एवं वर्तमान में निरंतर है।
श्री गिरीश भण्डारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा खनिज मंत्री जी से यह प्रश्न है कि क्या पंचायतों को सरकारी काम करने के लिये लीज लेने की आवश्यकता है या नहीं. यह मेरा पहला प्रश्न है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, नियम में यह प्रावधान किया गया है कि ग्राम पंचायतों को शासकीय कार्यों के लिये जो गौण खनिज की आवश्यकता होगी, वह निकट कीजो भी घोषित खदान होगी, वहां से उसको निशुल्क बिना किसी रायल्टी के वह गौण खनिज प्राप्त हो जायेगा.
श्री गिरीश भण्डारी -- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि इसके लिये परमीशन की आवश्यकता है या नहीं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- अध्यक्ष महोदय, परमीशन की आवश्यकता रहेगी, क्योंकि उनको आवेदन नायब तहसीलदार के यहां देना पड़ेगा और वह यह निश्चित करेंगे कि वास्तव में उस शासकीय कार्य के लिये कितनी मात्रा की आवश्यकता है. और एक बार वह क्वांटिटी तय हो जाने के बाद उनको जो रायल्टी पिट पास होता है, वह प्रदाय किया जायेगा. उसके बाद ही वह परिवहन कर पायेंगे.
श्री गिरीश भण्डारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा इसी से एक प्रश्न उद्भूत होता है कि इसी पार्वती नदी पर जो खदानें हैं, उन पर अवैध उत्खनन हो रहा है. अवैध उत्खनन के साथ साथ उन पर जो स्टाप डेम बने हुए हैं, उन अवैध उत्खनन कर्ताओं ने उन स्टाप डेमों का पानी भी तोड़ दिया.
अध्यक्ष महोदय-- इससे यह प्रश्न उद्भुत नहीं हो रहा है.
श्री गिरीश भण्डारी--अध्यक्ष महोदय, प्रश्न तो उद्भुत हो रहा है, क्योंकि पार्वती नदी का ही प्रश्न है. अध्यक्ष महोदय, पार्वती नदी से पंचायतों को निशुल्क रेत का मामला है उसी पर मैं अपनी बात कह रहा हूं. अध्यक्ष जी मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी पूछना चाहता हूं कि उस पार्वती नदी पर जो स्टाप डेम बने हुये हैं जिनसे 100 गांव के लोग पानी लेते हैं अवैध उत्खननकर्ताओं ने रेत का उत्खनन करने के लिये, उस पानी को भी तोड़ दिया है.कार्यवाही तो तब हुई है जब यह प्रश्न जिले में पहुंचा है. मंत्री जी ने क्या कार्यवाही की उनके खिलाफ क्या आपने जेबीसी जब्त की, क्या उनके टेक्टर जब्त किये,क्या उन लोगों के खिलाफ कार्यवाही की है कृपया बताने की कृपा करें.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न उद्भुद तो नहीं होता है लेकिन यदि माननीय सदस्य ने सदन में कोई बात उठाई है तो आप हमें लिखित में देंगे तो यदि किसी ने नियमों का उल्लंघन किया है तो कार्यवाही करेंगे.
श्री गिरीश भण्डारी-- अध्यक्ष महोदय अंतिम प्रश्न कि अगर वह खदाने हैं तो क्या माननीय मंत्री जी उन खदानों की नीलामी की कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय- वो प्रश्न ही नहीं है.
श्री गिरीश भण्डारी -- जब वह अवैध उत्खनन कर रहे हैं तो फिर क्या वह खदानें नीलाम हो जायेंगी ?
श्री राजेन्द्र शुक्ल - गुना जिले का यह प्रश्न है. गुना जिले में कुल मिलाकर के 25 खदानें है. उनकी नीलामी की गई थी. 7 खदानों की नीलामी सफल हो गई. 18 खदानों की जो नीलामी सफल नहीं हो पाई है उसको हम दुबारा आक्शन कर रहे हैं.
नवीन सिंचाई पंप कनेक्शनों का प्रदाय
9. ( *क्र. 4813 ) श्री रामसिंह यादव : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शिवपुरी जिले के बदरवास वितरण केंद्र के अंतर्गत सिंचाई पंपों के नवीन विद्युत कनेक्शनों हेतु अगस्त 2014 से दिसंबर 2015 तक राशि जमा करायी गयी है? यदि हाँ, तो किन-किन की कहाँ-कहाँ की कितनी-कितनी राशि कब-कब जमा करायी गई है? (ख) क्या जिन व्यक्तियों ने नवीन सिंचाई पंप कनेक्शनों हेतु राशि जमा करायी है? उनके द्वारा आवेदन प्रस्तुत किए गए हैं? यदि हाँ, तो कितने लोगों के द्वारा आवेदन प्रस्तुत किए गए? इनके प्राक्कलन कब किनके द्वारा स्वीकृत किए गए? यदि प्राक्कलन स्वीकृत नहीं हुए, तो राशि किस आधार पर जमा करायी गई? (ग) क्या जिन व्यक्तियों से नवीन सिंचाई पंप कनेक्शन हेतु राशि हजारों में वसूली गई और उन्हें रसीद केवल 506 रूपयें की दी गई, जिसकी शिकायतें प्राप्त हुईं थीं? यदि हाँ, तो कौन-कौन सी शिकायतें प्राप्त हुईं थीं? जिन आवेदकों से रसीद कम की देकर राशि अधिक ली गई है, तो उस पर क्या कार्यवाही हुई? क्या जिन व्यक्तियों ने नवीन सिंचाई पंप कनेक्शन हेतु राशि जमा कराई है, उनमें से कितनों को कनेक्शन प्रदान कर दिए गए हैं? कितने शेष हैं क्यों?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ, शिवपुरी जिले के बदरवास वितरण केन्द्र के अंतर्गत सिंचाई पंपों के नवीन स्थाई विद्युत पंप कनेक्शनों हेतु अगस्त 2014 से दिसम्बर 2015 तक 499 कृषकों द्वारा राशि जमा कराई गई है, जिसकी प्रश्नाधीन चाही गई आवेदकवार, ग्रामवार जमा कराई गई राशि एवं राशि जमा कराने की दिनांक सहित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ एवं ‘ब’ अनुसार है। (ख) जी हाँ, सभी 499 कृषकों द्वारा नवीन सिंचाई पम्प कनेक्शन के लिए आवेदन प्रस्तुत किये गये हैं। 171 नवीन सिंचाई पंप कनेक्शनों के प्राक्कलन उप महाप्रबंधक/कार्यपालन यंत्री द्वारा स्वीकृत किये गये हैं, जिनकी स्वीकृति की दिनांक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। 328 कृषकों के प्रकरणों में लाईन विस्तार कार्य आवश्यक नहीं होने के कारण प्राक्कलन स्वीकृत नहीं किये जाकर उनकी राशि प्रबंधक/सहायक यंत्री द्वारा भार अनुमोदन स्वीकृति के आधार पर जमा कराई गई है, जिसकी कार्योत्तर स्वीकृति उपमहाप्रबंधक (संचालन/संधारण) शिवपुरी द्वारा प्रदान की गई है। भार अनुमोदन वाले उक्त प्रकरणों का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। (ग) जी नहीं, ऐसी कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। उक्त परिप्रेक्ष्य में कोई कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता। जिन आवेदकों ने नवीन सिंचाई पंप कनेक्शन हेतु राशि जमा कराईं हैं, उन सभी आवेदकों को कनेक्शन प्रदान कर दिये गए हैं।
श्री रामसिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि शिवपुरी जिले के बदरवास वितरण केन्द्र पर तत्कालीन कनिष्ठ यंत्री द्वारा अगस्त 2014-15 में नवीन स्थाई सिंचाई पंप कनेक्शन हेतु जिन किसानों ने ज्यादा पैसा देकर के रूपये 506 की रसीद प्राप्त की है. क्या संबंधित किसानों के बयान लेकर के मंत्री महोदय उन किसानों से ज्यादा ली गई राशि वापस करायेंगे. अध्यक्ष जी, वहां किसानों के साथ इतना अन्याय और भ्रष्टाचार हुआ है कि प्रत्येक कनेक्शन पर 8 से 10 हजार रूपये की वसूली की गई है. इसकी जांच करायेंगे और संबंधित किसानों से ज्यादा ली गई राशि वापस करवायेंगे.
श्री राजेन्द्र शुक्ल --माननीय अध्यक्ष महोदय, शिकायत पर कार्यवाही शुरू हो चुकी है. शिकायत मिलते ही जो तत्कालीन जूनियर इंजीनियर था उसको निलंबित भी कर दिया गया है. जैसे ही जांच के निष्कर्ष सामने आयेंगे उस पर माननीय सदस्य की मंशानुसार कार्यवाही हो जायेगी.
श्री रामसिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को जानकारी देना चाहूंगा कि जब किसानों ने मुझे फोन किये कि रूपये 506 की रसीद दी जा रही है और रूपये 8 से 10 हजार वसूल किये जा रहे हैं. तो मैंने महाप्रबंधक को पत्र लिखा तब इस कनिष्ठ यंत्री को निलंबित किया . मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जिन किसानों से रूपये 506 की स्थाई पंप कनेक्शन हेतु राशि की मांग की गई है क्या इस राशि को प्राप्त करने हेतु कोई डिमाण्ड नोट जारी किया गया था, यदि डिमाण्ड नोट जारी नहीं किया गया था तो बगैर डिमाण्ड नोट के तत्कालीन कनिष्ठ यंत्री द्वारा रसीद कैसे काटी गई.
श्री राजेन्द्र शुक्ल -- इसी शिकायत के आधार पर उनको निलंबित किया गया है.
श्री रामसिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अंतिम प्रश्न मैं यह करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- अब नहीं, कार्यवाही भी हो गई उसकी जांच भी चल रही है. अब क्या बचा है.
लघु सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति
10. ( *क्र. 5021 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राजगढ़ जिले के विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा के अंतर्गत पातलापानी तालाब, भगोरा तालाब, खेजड़ामहाराजा तालाब, जामी तालाब, भोजपुरिया बैराज, सुन्दरपुरा तालाब, बांसखों तालाब, मोरीखों तालाब, लुहारी तालाब, सोनकच्छ तालाब एवं कुण्डीखेड़ा तालाब लघु सिंचाई योजनाएं विभाग की सर्वेक्षित योजनाएं हैं? यदि हाँ, तो क्या उक्त सभी सर्वेक्षित योजनाएं साध्य होकर कम लागत में अत्यधिक क्षेत्र सिंचित करने वाली योजनाएं हैं? (ख) क्या शासन विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा की महत्वपूर्ण लघु सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति प्रदान करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) मोरिखो परियोजना को छोड़कर प्रश्नाधीन सभी परियोजनाएं सर्वेक्षित हैं। जी नहीं। प्रश्नाधीन सर्वेक्षित सभी परियोजनाओं का डूब क्षेत्र सैंच्य क्षेत्र की तुलना में अत्याधिक होने से परियोजनाएं तकनीकी आधार पर साध्य नहीं हैं। (ख) प्रश्नाधीन विधान सभा क्षेत्र में भोजपुलिया बैराज का साध्यता आदेश दिनांक 07.01.2016 को जारी किया गया है। डी.पी.आर. अंतिम नहीं होने से परियोजना की स्वीकृति अथवा निर्माण के संबंध में निर्णय लेने की स्थिति नहीं आई है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं।
श्री नारायण सिंह पंवार --माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जल संसाधन मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे प्रश्न के उत्तर में उन्होंने एक योजना भोजपुरिया बैराज को छोड़कर के सभी को असाध्य बताया है. अनुरोध है कि बहुत लंबे समय पूर्व इसका सर्वे हुआ था. मैं मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि फिर से इसका जमीनी सर्वे किया जाये. दूसरा प्रश्न यह है कि भोजपुरिया बैराज को साध्यता प्रदान की है उसके डीपीआर की स्वीकृति प्रदान की जाये. मंत्री जी पहले जो निर्देश दिये गये थे सुन्दरपुरा, सोनकक्ष यह ऐसी योजनायें हैं जिनका कार्यपालन यंत्री के द्वारा सर्वे किया जा चुका है, और साध्यता के लिये यह योग्य पाई गई हैं . मंत्री जी से निवेदन है कि इन योजनाओं को भी साध्यता की सूची में जोड़ते हुये साध्यता आदेश जारी करने का कष्ट करें..
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधा प्रश्न पूछ लें.
श्री नारायण सिंह पंवार --अध्यक्ष महोदय, क्या माननीय मंत्री जी भोजपुरिया बैराज को जल्दी स्वीकृति प्रदान करेंगे.
श्री जयंत मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भोजपुरिया बैराज जो है इसकी साध्यता के आदेश जनवरी 2016 में हो गये हैं और सर्वेक्षण डीपीआर बनाने के लिये 3 माह का समय लगता है. डीपीआर बनने के बाद ही स्वीकृति के संबंध में निर्णय लिया जा सकेगा.
श्री नारायण सिंह पंवार-- माननीय अध्यक्ष जी मेरा एक और प्रश्न है इसमें पूर्व में भी मेरे यहां ग्राम पातला पानी और जामी दो तालाब साध्यता की सूची में थे और उनकी स्वीकृति लगभग अंतिम दौर में थी किंतु वे भी अभी लंबित है. एक और सेमला पार्क बैराज की भी स्वीकृति साध्यता सूची में प्रदान कर दी गई थी किंतु वह भी डीपीआर के इंतजार में है. क्या सेमला पार्क बैराज को लेकर माननीय मंत्री जी अतिशीघ्र निर्देश प्रदान करेंगे.
श्री जयंत मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्होंने जितनी भी लघु सिंचाई परियोजनाओं के बारे में उल्लेख किया है उन सबके बारे में यह सब असाध्य पाये गये हैं इनका या तो डूब क्षेत्र ज्यादा है या इनकी प्रति हेक्टेयर सिंचाई की लागत ज्यादा आ रही है इसलिये इनको नहीं कराया जा रहा है, एक जो साध्य पाया गया है उसकी कार्यवाही चल रही है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 11, श्रीमती शकुन्तला खटीक
प्रश्न क्रमांक 11, श्रीमती शकुन्तला खटीक (अनुपस्थित)
जनप्रतिनिधियों से प्राप्त पत्रों पर कार्यवाही
12. ( *क्र. 1769 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी पत्र दिनांक 06 अगस्त 2012 एवं 27 नवम्बर 2015 के द्वारा माननीय सांसदों एवं विधायकों द्वारा लिखित पत्रों की पावती एवं पत्रों पर की गई कार्यवाही नियत समयावधि में देने, इन पत्रों के आवक-जावक की पंजी पृथक से संधारित करने एवं कार्यालय प्रमुखों द्वारा जनप्रतिनिधियों से प्राप्त पत्रों की मासिक समीक्षा के निर्देश दिये गये हैं? (ख) प्रश्नांश (क) के तहत प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा कटनी जिले के शासकीय जिला स्तरीय, ब्लॉक स्तरीय, तहसील स्तरीय एवं अन्य शासकीय कार्यालयों एवं विभागों को जनवरी 2014 से प्रश्न दिनांक तक कब-कब पत्र लिखे गये तथा पत्रों पर संचालित एवं की गई कार्यवाही से कब-कब अवगत कराया गया? (ग) प्रश्नांश (ख) के तहत शासकीय अधिकारियों/कार्यालयों को लिखित पत्रों पर संबंधितों द्वारा क्या कार्यवाही की गई, कितने पत्रों पर किन-किन कारणों से कार्यवाही लंबित है, निराकृत पत्रों का क्या-क्या निराकरण किया गया? (घ) प्रश्नांश (क) से (घ) के परिप्रेक्ष्य में शासनादेश का उल्लंघन कर, सदस्य म.प्र. विधान सभा के द्वारा जनहित में लिखित पत्रों पर नियमानुसार कार्यवाही ना करने की कार्यशैली की सक्षम प्राधिकारी से जाँच करवाये जाने के आदेश कर समुचित कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो कब तक, यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उत्तरांश ''ख'' के प्रकाश में जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) उत्तरांश ''क'' से ''घ'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री संदीप जायसवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा माननीय मंत्री महोदय से जो प्रश्न पूछा गया था, उसमें की गई कार्यवाही से कब-कब अवगत कराया गया और किन-किन कारणों से कार्यवाही लंबित है और क्या निराकरण किया गया, इसका जवाब मुझे प्राप्त नहीं हुआ है.
राज्य मंत्री सामान्य प्रशासन विभाग (श्री लालसिंह आर्य)-- माननीय अध्यक्ष्ज्ञ महोदय, उत्तर में सभी परिशिष्ट संलग्न हैं, माननीय सदस्य देख लें, सभी संलग्न हैं, कब-कब कार्यवाही की गई है, आपके टोटल 211 पत्र प्राप्त हुये हैं, उसमें से 161 का निराकरण हो गया है, 50 पर कार्यवाही प्रचलित है माननीय सदस्यगण.
श्री संदीप जायसवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कब-कब अवगत करया गया, इसमें सिर्फ यह लिख दिया गया है कि अवगत कराया गया. मैं सामान्य प्रशासन विभाग का जो आदेश है जिसे स्वीकार किया गया है, मैं चाहूंगा कि कार्यालय प्रमुखों द्वारा जनप्रतिनिधियों से प्राप्त पत्रों की मासिक समीक्षा एवं आवक जावक की पृथक से पंजी संधारित करने का जो सामान्य प्रशासन विभाग का आदेश है, उसका क्रियान्वयन नहीं हो रहा है, उस संबंध में माननीय मंत्री महोदय जिले के कलेक्टर को आदेश देंगे, क्या.
श्री लालसिंह आर्य-- जी अध्यक्ष महोदय, आज ही हम संबंधित कलेक्टर को आदेश जारी कर देंगे.
सूखाग्रस्त तहसीलों में बिजली बिलों की वसूली पर रोक
13. ( *क्र. 5039 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रदेश में घोषित सूखाग्रस्त तहसीलों के ग्रामों में जहां फसलों में 50% से ज्यादा नुकसान हुआ, वहां बकाया बिजली बिलों की राशि वसूल नहीं करने की घोषणा की थी? (ख) प्रश्न की कंडिका (क) की उपलब्ध जानकारी अनुसार नरसिंहगढ़ विधान सभा क्षेत्र में ऐसे कितने ग्राम हैं, जहां फसलों में 50% ज्यादा नुकसान हुआ है? ग्रामवार जानकारी देवें। (ग) प्रश्न की कंडिका (ख) की उपलब्ध जानकारी अनुसार क्या इन ग्रामों में मा. मुख्यमंत्री जी की घोषणा अनुसार बकाया बिजली बिलों की वसूली नहीं की गई या ऊर्जा विभाग द्वारा मुख्यमंत्री जी की घोषणा को दर किनार करते हुए ग्रामों से ट्रांसफार्मर उतारे गये, किसानों के तार काट दिये गये? यदि हाँ, तो संबंधित अधिकारियों/कर्मचारियों पर क्या कार्यवाही की जावेगी? कब तक? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। (ख) कलेक्टर एवं तहसीलदार कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार नरसिंहगढ़ विधानसभा क्षेत्रांतर्गत आने वाले नरसिंहगढ़ एवं पचौर तहसील के क्रमश: 200 एवं 64, इस प्रकार कुल 264 ग्रामों में 50 प्रतिशत से ज्यादा फसल का नुकसान हुआ है। उक्त ग्रामों की तहसीलवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) उत्तरांश 'ख' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्नाधीन सूखाग्रस्त ग्रामों में माननीय मुख्यमंत्रीजी की घोषणा अनुसार जारी राज्य शासन के आदेश दिनांक 22.12.2015 के परिपालन में ऐसे किसान जिनकी 50 प्रतिशत से अधिक फसल के क्षतिग्रस्त होने की सूची कलेक्टर द्वारा दी गई है, उनके 31 मार्च 2016 तक कृषि पंप के विद्युत बिल की बकाया राशि की वसूली की कार्यवाही स्थगित रखी गई है। अत: किसी के विरूद्ध कार्यवाही किये जाने का प्रश्न नहीं उठता।
श्री गिरीश भंडारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक सीधा सा प्रश्न है कि जो जबाव दिया है, वह ठीक है लेकिन क्या कृषि पम्पों के अलावा क्या ग्रामीण क्षेत्र के घरेलू कनेक्शनों को भी इस घोषणा में लिया जायेगा जो मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि 50 प्रतिशत से अधिक फसल नुकसान होने वाले ग्रामों की बिजली वसूली के बिल स्थगित किये जायेंगे तो क्या उसमें कृषि पम्पों के अलावा घरेलू कनेक्शनों को भी माफ करने की घोषणा है.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी हाल ही में मुख्यमंत्री जी ने एक समाधान योजना जनता को दी है जिसमें जो गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले घरेलू उपभोक्ता हैं और शहरों में जो नोटीफाइड झुग्गी झोपडि़यां होती हैं उसमें रहने वाले जो गरीब हैं उनका 100 प्रतिशत सरचार्ज माफ होगा और 50 प्रतिशत मूल बिल का भी माफ हो जायेगा और इनके अलावा जो आम उपभोक्ता हैं उनका 100 प्रतिशत सरचार्ज भी माफ हो जायेगा, यह गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मनाने का फैसला माननीय मुख्यमंत्री जी ने लिया है, इसके तहत घरेलू उपभोक्ताओं को यह बहुत बड़ी राहत की गई है, इसके शिविर लगने शुरू हो गये हैं और बड़ी संख्या में लोग आकर अपने प्रकरणों को निपटा रहे हैं, मई तक यह लागू रहेगी.
श्री गिरीश भंडारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा सा प्रश्न था कि जो मुख्यमंत्री जी ने 31 मार्च 2016 तक जिन गांवों में 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ है, उन गांवों में बिजली वसूली स्थगित करने का आदेश दिया था, यह घोषणा विधानसभा में की थी. मेरा सीधा सा प्रश्न है कि कृषि पम्पों के अलावा क्या जो घरेलू कनेक्शन हैं जिससे घर की लाइट जलाई जाती है.
अध्यक्ष महोदय-- आ गया प्रश्न.
श्री गिरीश भंडारी-- कहां आया है प्रश्न.
अध्यक्ष महोदय-- तो उत्तर तो ले लें.
श्री गिरीश भंडारी-- हां-हां उत्तर दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने उसका विस्तार कर दिया, आप सीधा बता दीजिये.
श्री गिरीश भंडारी-- यह योजना 31 मार्च 2016 के बाद की है, मेरा माननीय मंत्री जी से यह निवेदन है कि जो आपने योजना बनाई है, मैं तो 31 मार्च 2016 तक क्या घरेलू कनेक्शनों की वसूली स्थगित करने की क्या कार्यवाही की जायेगी.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--अध्यक्ष महोदय, सूखे के कारण जहां 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान हुआ है, उसमें सिर्फ कृषि पंपों पर राहत देने के लिए थी न कि घरेलू उपभोक्ताओं को.
श्री गिरीश भंडारी--अध्यक्ष महोदय,जब किसान खेती पर निर्भर है तो उसमें देना चाहिए. यह तो फिर मुख्यमंत्रीजी की आधी अधूरी घोषणा है.
अध्यक्ष महोदय-- भाषण नहीं. बैठ जाईये. प्रश्न का उत्तर आ गया है. इस विषय को किसी और समय में लीजिए.बैठ जाईये.
नर्मदा-सीप लिंक परियोजना का क्रियान्वयन
14. ( *क्र. 4567 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सीहोर जिले में नर्मदा नदी और सीप नदी की लिंक परियोजना का कार्य किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कार्य करने वाली कंपनी परियोजना लागत और परियोजना की वर्तमान स्थिति का ब्यौरा देवें? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या परियोजना के तहत भूमिगत नहर का निर्माण किया जा रहा है? यदि हाँ, तो कितनी लंबाई (दूरी) की नहर बनाई जा रही है और कार्य की स्थिति क्या है? (ग) परियोजना के तहत भूमिगत नहर निर्माण के लिए विस्फोटक का उपयोग किया जा रहा है? यदि हाँ, तो भूमिगत नहर निर्माण क्षेत्र व उसके आसपास निवासरत ग्रामीणों की सुरक्षा के क्या इंतजाम किए गए हैं?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) से (ग) जी नहीं। अत: शेष प्रश्न उत्पन्न नहीं होते हैं।
श्री शैलेन्द्र पटेल--अध्यक्ष महोदय, मेरे सवाल पूछने में थोड़ी सी त्रुटि हो गई. मैं उस त्रुटि को स्वीकार करता हूं. वास्तव में मैं नर्मदा-सीप लिंक परियोजना के संबंध में प्रश्न नहीं करना चाहता था मैं कोलार-सीप लिंक के बारे में प्रश्न करना चाहता था. अगर आप आज्ञा दें और मंत्रीजी उसका उत्तर देना मुनासिब समझे तो जवाब दे दें और अगर अभी नहीं दे सकते हैं तो बाद में मुझे लिखित में दे दें.
जल संसाधन मंत्री(श्री जयंत मलैया)--अध्यक्ष महोदय, सदस्य जो कुछ भी प्रश्न पूछना चाहें पूछ लें.
श्री शैलेन्द्र पटेल--अध्यक्षजी, मैं नर्मदा-सीप लिंक के स्थान पर कोलार-सीप लिंक के बारे में जानना चाहता था. अगर आप मुनासिब समझें तो उसका जवाब दे दीजिए.
श्री जयंत मलैया--आप प्रश्न पूछिये.
श्री शैलेन्द्र पटेल--अध्यक्षजी, मेरा सीधा सा प्रश्न यह था कि कोलार और सीप लिंक परियोजना का काम चालू है उसमें अभी तक कितनी लंबाई का काम पूरा हो गया. कितनी नहर बन गई और विस्फोट का जो काम चल रहा है, उससे सुरक्षा के विभाग ने क्या क्या उपाय किये हैं?
श्री जयंत मलैया--अध्यक्ष महोदय, सीप-कोलार लिंक परियोजना में सुरंग बनायी जा रही है और इस सुरंग की पूरी लंबाई 5.69 किमी है जिसमें से 4.7 किमी तक टनल बन गई है और शेष निर्माण कार्य प्रगति पर है.
श्री शैलेन्द्र पटेल--अध्यक्ष महोदय, सिर्फ छोटी सी बात है. समय का ख्याल रखते हुए मैंने माननीय मंत्रीजी से अनुरोध किया था कि बीच में इछावर के 8-9 गांव पड़ते हैं. अंडर ग्राऊंड टनल होने के कारण उनको फायदा नहीं हो पा रहा है. क्या उन किसानों के लिए भी विचार करेंगे जिनके खेतों के बीच से पानी जा रहा है?
श्री जयंत मलैया--अध्यक्ष महोदय, यह जो सीप नदी पर जल व्यपवर्तन की योजना बहाव के द्वारा कोलार जलाशय में ले जाने की व्यवस्था है. सभी जानते हैं कि कोलार से भोपाल के लिए भी पानी आता है. कोलार में पानी बहुत कम रहता है तो यहां सीप से 35 एमसीएम पानी कोलार में डाला जायेगा. यह जो योजना है, कोलार को भरने के लिए है, सिंचाई के लिए नहीं है.
श्री शैलेन्द्र पटेल--अध्यक्ष महोदय, बिलकुल छोटी सी बात करना चाहता हूं...
अध्यक्ष महोदय--मंत्रीजी ने उदारता से आपके प्रश्न का उत्तर दिया जबकि प्रश्न उद्भूत नहीं था और आपने भी उदारता से ही पूछा कि मंत्रीजी मुनासिब समझें तो जवाब दें. आप विषय समाप्त करें.
श्री शैलेन्द्र पटेल--अध्यक्षजी, मैं स्वीकार करता हूं और धन्यवाद देता हूं. अध्यक्ष महोदय मैं इतनी बात जानना चाहता हूं....
अध्यक्ष महोदय-- आप बोल दीजिए, जानिये मत.
श्री शैलेन्द्र पटेल--अध्यक्षजी, वहां का पानी जा रहा है. वहां बड़ा तालाब हो चाहे कोलार हो...
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--अध्यक्षजी, शायद विधानसभा के इतिहास में पहली बार यह आया होगा कि इस प्रकार से प्रश्न उद्भूत ही नहीं हो रहा था प्रश्न ही गलत हो गया था उसके बाद भी प्रश्न का उत्तर आया !
अध्यक्ष महोदय-- मंत्रीजी ने उत्तर दिया लेकिन सदस्य ने भी उतनी ही सदाशयता से कहा कि 'आप देना चाहें तो' ऐसा भी नहीं होता. माननीय मंत्रीजी और सदस्य की उदारता के लिए धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल--अध्यक्ष महोदय, मैं इतना सा चाहता हूं कि उस क्षेत्र के लिए भी विचार कर लें और थोड़ा पानी मिल जायेगा तो वहां के किसान भी खेती के लिए सक्षम हो जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय--अब नहीं.
प्रश्न क्रमांक--15 (अनुपस्थित)
प्रश्न क्रमांक--16 (अनुपस्थित)
अवैध उत्खननकर्ताओं के विरूद्ध दर्ज प्रकरणों पर कार्यवाही
17. ( *क्र. 4096 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुरैना तहसील के ग्राम पड़ावली की भूमि सर्वे क्रमांक 1104, 1103, 1123, 1105 से माफिया लगातार अवैध उत्खनन कर रहे हैं? खनिज विभाग द्वारा लंबे समय से अनदेखी कर माफियाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है, शासन द्वारा अभी तक क्या कार्यवाही की गई? वर्ष 2014, 2015 की जानकारी दी जावे। (ख) क्या अरूण शर्मा द्वारा सर्वे नं. 1105 जो तालाब का किनारा है तथा सर्वे नं. 1123 जिसका किसी को ठेका नहीं होने की शिकायत की गई थी, लेकिन शिकायत के बावजूद भी संबंधितों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करना विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत प्रदर्शित करता है? क्या शासन द्वारा ग्राम पड़ावली के किस-किस सर्वे के नंबर पर पत्थर निकालने की लीज़ दी गई है? सर्वे नंबर सहित पूर्ण जानकारी दी जावें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी नहीं। प्रश्नाधीन क्षेत्र पर वर्ष 2014 एवं वर्ष 2015 में अवैध उत्खनन के 04 प्रकरण दर्ज कर सक्षम न्यायालय में निराकरण हेतु प्रेषित किये गये हैं। प्रकरण का विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' में दर्शित है। (ख) जी हाँ। संबंधित शिकायत की जाँच खनिज विभाग एवं राजस्व विभाग द्वारा संयुक्त रूप से की गई है एवं अवैध उत्खननकर्ताओं के विरूद्ध प्रकरण दर्ज किये गये हैं, जिसका विवरण संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' में दर्शाया गया है। प्रश्नांश की शेष जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' में दर्शित है।
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्न किया था उसके प्रश्नांश 'क' में मंत्रीजी ने उत्तर में कहा है कि कोई अवैध उत्खनन वहां पर जारी नहीं है. दूसरी बात यह स्वीकार भी किया है कि 4 प्रकरण अवैध उत्खनन के 2014-15 में बनाये गये. जो मैंने प्रश्न किया था उसमें मंत्रीजी ने स्वीकार किया है कि अरुण शर्मा जी ने वहां अवैध उत्खनन की शिकायत की है और राजस्व विभाग और खनिज विभाग का जो संयुक्त अमला था वह वहां पहुंचा और अवैध उत्खनन करने वालों के खिलाफ प्रकरण भी दर्ज किये गये. मेरा आपके माध्यम से मंत्रीजी से यही कहना है कि आज भी वहां पर अवैध उत्खनन जारी है और जिस जगह पर अवैध उत्खनन जारी है वह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक है. ऐसे स्मारकों के पास अगर अवैध उत्खनन होता है. लोग बारुद लगाकर अवैध उत्खनन करते हैं तो राष्ट्रीय महत्व के जो स्मारक हैं, उनको नुकसान होगा. मैं मंत्रीजी से यह प्रश्न करना चाहता हूं कि क्या इनके खिलाफ कार्रवाई होगी या संयुक्त दल बनाकर इस स्थल का फिर जांच/परीक्षण करा लिया जायेगा?
श्री राजेन्द्र शुक्ल - अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय महत्व के जो स्मारक हैं, उनको बचाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. इसलिए हम यहां भोपाल मुख्यालय से किसी अधिकारी को भेजेंगे और संयुक्त दल बनाकर उसकी जांच भी कर लेंगे.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार - बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रश्न संख्या 18 - (अनुपस्थित)
पेयजल संकट के निदान हेतु व्यय राशि
19. ( *क्र. 4746 ) श्री अनिल जैन : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र निवाड़ी के अंतर्गत आने वाली नगर परिषद निवाड़ी, ओरछा एवं तरीचरकलां अंतर्गत पेयजल संकट दूर करने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत मदवार क्या-क्या कार्य किये जा रहे हैं तथा वित्तीय वर्ष में अब तक कितनी-कितनी राशि खर्च की जा चुकी है? योजनावार जानकारी दी जावे। (ख) क्या विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत नगर परिषदों में पेयजल की गई लाईनें टूटी पड़ी हैं, जिसकी वजह से प्रदूषित पानी का वितरण किया जा रहा है? यदि हाँ, तो वार्डवार इन लाईनों को कब तक सुधार दिया जायेगा? (ग) पेयजल परिवहन के लिये नगर परिषदों के द्वारा क्या-क्या इंतजाम किये गये हैं?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी नहीं। परन्तु समय-समय पर छोटी-मोटी टूट-फूट होती रहती है, जिसका नियमित संधारण कराया जाता रहता है। शेषांश का प्रश्न उपस्थि नहीं होता है। (ग) वर्तमान परिवेश में पेयजल परिवहन की आवश्यकता के दृष्टिगत की गई व्यवस्था का विवरण जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
श्री अनिल जैन - अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्नांश (ग) में पेयजल परिवहन के लिए नगर परिषद के द्वारा क्या क्या इंतजाम किये गये हैं? टैंकर स्वीकृति प्रचलन में है, ऐसा मुझे जवाब प्राप्त हुआ है. मैं इस उत्तर से संतुष्ट नहीं हूं. अध्यक्ष महोदय, जो पेयजल टैंकर के लिए जो प्रचलन शब्द दिया गया, मैं जानना चाहता हूं कि प्रचलन शब्द का मतलब क्या होता है कि क्या कार्यवाही के रूप में मैं इसे देखूं, या महीनों तक इस शब्द से काम चल जाएगा, मैं माननीय मंत्री जी से इस बात का उत्तर चाहता हूं?
राज्यमंत्री, नगरीय विकास एवं पर्यावरण (श्री लाल सिंह आर्य) - अध्यक्ष महोदय, कोई भी कार्य हो पहले प्रचलन में ही आता है, इसके बाद ही कार्यवाही होती है. आपने जो दोनों-तीनों नगर पंचायतों का पूछा है, वहां पर परिवहन की आवश्यकता होगी तो उस पर भी कार्यवाही करेंगे.
श्री अनिल जैन - अध्यक्ष महोदय, मैं केवल निवाड़ी नगर पंचायत की बात जानना चाहता हूं. परिवहन के लिए दिनांक 29.12.15 को 8 इंची के 12 बोर की फाइलें नगर पंचायत के अधिकारियों द्वारा अध्यक्ष जी के पास भेजी गईं. लेकिन उनको बिना अनुमोदन के ही वापस कर दिया गया. दिनांक 25.1.16 को टैंकरों के परिवहन की भी फाइलें वहां के स्थानीय अध्यक्ष को भेजी गईं. लेकिन वे फाइलें भी लौटा दी गईं. यह पेयजल से जुड़ा मुद्दा है. यदि इन फाइलों पर महीने भर तक अनुमोदन नहीं होगा तो जनता को पानी देने के लिए हमारे पास और अन्य क्या व्यवस्था होगी? माननीय मंत्री जी इसका जवाब दे दें.
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, निवाड़ी में यदि किसी प्रकार का पेयजल संकट है वहां परिवहन की आवश्यकता होगी, हम परिवहन कराएंगे, जहां तक आपने अन्य फाइलों के बारे में बातचीत की है, यदि फाइलों में आम जनहित के मुद्दों को दरकिनार करने की कोशिश हो रही होगी तो हम नोटिस जारी करेंगे और शीघ्र कार्यवाही कराएंगे.
श्री अनिल जैन - धन्यवाद मंत्री जी.
प्रश्न संख्या 20 - (अनुपस्थित)
स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत शौचालय निर्माण
21. ( *क्र. 4336 ) श्री प्रहलाद भारती : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगरीय निकायों से घर-घर शौचालय निर्माण हेतु शासन ने कुल कितनी धनराशि इस वित्तीय वर्ष में स्वीकृत की है? ग्वालियर-चंबल संभाग की सभी निकायों की पृथक-पृथक जानकारी उपलब्ध करावें। (ख) ग्वालियर चंबल संभाग के कितने नगरीय निकायों में इस स्वीकृत राशि का उपयोग किया जा चुका है? निकायवार विवरण दें। (ग) क्या शौचालय निर्माण हेतु जारी निविदाओं में ठेकेदार रूचि नहीं ले रहे हैं? ग्वालियर-चंबल संभाग के कितने निकायों में इस कार्य की निविदायें एक से अधिक बार आमंत्रित की गयी हैं? ब्यौरा दें। (घ) क्या एक तरफ शौचालय निर्माण के लिये ठेकेदार रूचि नहीं ले रहे हैं, वहीं जिन निकायों में निविदाएं आ चुकी हैं, उन्हें नगरीय प्रशासन संचालनालय भोपाल, प्रशासकीय स्वीकृति नहीं दे रहा है? (ड.) ग्वालियर चंबल संभाग के ऐसे सभी निकायों की जानकारी उपलब्ध करावें, जिनकी निविदाएं नगरीय प्रशासन संचालनालय भोपाल में स्वीकृति के लिये लंबित हैं? निकायवार जानकारी उपलब्ध करावें। ये निविदायें कब भोपाल मुख्यालय में प्राप्त हुयी और जो लंबित हैं? उन्हें क्यों स्वीकृति से रोका गया है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) राशि रू. 162.75 करोड़। शेषांश की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) एवं (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) जी नहीं। (ड.) निविदा आमंत्रित एवं निविदा स्वीकृत करने का अधिकार निकाय को होने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री प्रहलाद भारती - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि प्रशासकीय स्वीकृति का अधिकार भले ही स्थानीय निकायों को होता हो, लेकिन वित्तीय स्वीकृति या अनुमोदन के लिए फाइल नगरीय प्रशासन संचालनालय भोपाल से ही की जाती है. मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि ग्वालियर चंबल संभाग में ऐसे कौन-कौन से निकायों की निविदाएं नगरीय प्रशासन भोपाल में स्वीकृति के लिए लंबित हैं?
राज्यमंत्री, नगरीय विकास एवं पर्यावरण (श्री लाल सिंह आर्य) - अध्यक्ष महोदय, नगर परिषद सेवढ़ा जिला दतिया, नगर परिषद राघौगढ़, विजयपुर जिला गुना, नगर परिषद साढ़ोरा जिला अशोकनगर, नगर परिषद विजयपुर जिला श्योपुर, इन 4 की स्वीकृति शेष है, शेष सबकी स्वीकृति दे दी गई है.
श्री प्रहलाद भारती - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि बेराड़ की स्वीकृति भी लंबित है, बेराड़ मेरी विधान सभा की नगर परिषद है और शिवपुरी नगरपालिका की क्या स्थिति बनी, कहां से निविदा स्वीकृत हुई, कब प्रशासकीय स्वीकृति हुई, उसके बाद आपके यहां संचालनालय में क्या वह आई, वहां पर आपने क्या कार्यवाही की, क्या आपने मना कर दिया कि ज्यादा एसओआर से 10 परसेंट से अधिक दर थीं, इसलिए आपने उसको वापस कर दिया? क्या ऐसी स्थिति है? बेराड़ नगर परिषद की और शिवपुरी नगरपालिका की स्थिति स्पष्ट कर दें?
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, शौचालय निर्माण के संबंध में जो भी निविदाएं आमंत्रित की जा रही हैं, उसमें शासन का निर्देश है कि 10 परसेंट से ज्यादा ऊपर आएगी उसको हम स्वीकृति नहीं दे सकते. 10 परसेंट के अंदर जो आएगी उसको हम स्वीकृति देंगे. ये 4 शिवपुरी, कोलारस, बदरवास, करेरा, इनकी 10 परसेंट से ज्यादा आई है, इसके कारण से उसको स्वीकृति नहीं मिली है. जहां तक बेराड़ का मामला है, प्रकरण अपूर्ण होने के कारण निकाय को पुनः कार्यवाही के लिए पत्र भेजा गया है.
श्री प्रहलाद भारती -- अध्यक्ष महोदय नगर परिषद ने उसकी पूर्ति करके संचालनालय में भेज दिया है. मेरा एक प्रश्न और है माननीय मंत्री जी कि माननीय प्रधानमंत्री जी की यह महत्वपूर्ण योजना है, शौचालय निर्माण स्वच्छ भारत मिशन , उसमें 162.75 करोड़ रूपये की स्वीकृति हुई थी और पूरा वित्तीय वर्ष समाप्ति की ओर है. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि क्या प्रगति हुई है साल भर में 162.75 करोड़ में से कितनी राशि विभाग व्यय कर पाया है, कितना काम हो पाया है , प्रगति कैसी रही है, क्या वह इस काम से संतुष्ट हैं. 51 निकाय की जो सूची दी है उसमें से स्वयं मंत्री जी देख लें कि उसकी क्या प्रगति रही है.
श्री दुर्गालाल विजय -- अध्यक्ष महोदय प्रहलाद भारती जी ने जो कहा है वह ही मेरा प्रश्न है कि नगरीय निकाय में और ग्रामीण अंचल में समग्र स्वच्छता अभियान के अंतर्गत शौचालय निर्माण का काम जो प्राथमिकता के आधार पर किया जाना है . चंबल और ग्वालियर संभाग में एक में भी काम नहीं हुआ है. मैं यहां पर श्योपुर के बारे में कहना चाहता हूं कि इसमें पूरा ग्वालियर चंबल संभाग है.
श्री लाल सिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय मैं दोनों का जवाब देता हूं. भीतरवार और नरवर में दो निकाय में हमारा काम पूरा हो चुका है. 27 में कार्य प्रगतिरत है अध्यक्ष महोदय आप चाहेंगे तो हम माननीय सदस्य को पूरी सूची उपलब्ध करा देंगे. हमने डबरा में 4 बार निविदाएँ आमंत्रित की हैं, पिछोर में 1 बार की है, आंतरी में 6 बार की है, बिलौआ में 2 बार की है और दतिया में 4 बार की है. नार्म्स के ऊपर रेट आयेंगे तो हम शासन के आदेशों के विरूद्ध नहीं जा सकते हैं. इसलिए जहां पर भी नगर पंचायत में या नगरपालिका में जहां भी जरूरत होगी दुबारा निविदा आमंत्रित करना होगी वहां पर निविदा आमंत्रित करेंगे.
प्रश्न संख्या -- 22 श्री यादवेन्द्र सिंह ( अनुपस्थित )
प्रश्न संख्या -- 23 श्री चन्दरसिंह सिसौदिया ( अनुपस्थित )
प्रश्न संख्या 24 श्रीमती अनीता नायक ( अनुपस्थित )
डूब प्रभावित मार्ग का डामरीकरण
25. ( *क्र. 1326 ) श्रीमती झूमा सोलंकी : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भीकनगांव विधान सभा क्षेत्रांतर्गत अपरवेदा डेम अन्तर्गत डूब मार्ग भीकनगांव से झिरन्या का वैकल्पिक मार्ग खोई से लार्इखेड़ी मार्ग का चयन किया जाकर नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा मार्ग निर्माण की स्वीकृति प्रदाय की गई है? (ख) क्या इस मार्ग निर्माण कार्य में डामर डालने हेतु प्रावधान नहीं है? क्या कारण है? जब नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा डेम बनाकर किसी डामर मार्ग जो दो जनपदों को जोड़ने वाला मार्ग हो उसे डुबाया जाता है तो उसके बदले उनके द्वारा डामर मार्ग बनाने की स्वीकृति क्यों नहीं ली गई? (ग) क्या नर्मदा घाटी विकास विभाग क्षेत्रवासियों की आवश्यकता एवं मांग को देखते हुए खोई से लाईखेड़ी मार्ग पर डामर डालने हेतु पुन: शासन से स्वीकृति प्राप्त करने हेतु कार्यवाही प्रस्तावित करेंगे?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी नहीं। अपरवेदा डेम से डूब प्रभावित भीकनगाँव-झिरन्या मार्ग के आंशिक भाग हेतु वैकल्पिक डामरीकृत मार्ग के रूप में शिवना से आभापुरी परिवर्तित मार्ग लंबाई 8.10 कि.मी. वर्ष 2009 में निर्मित किया गया है। खोई-लाईखेड़ी मार्ग पूर्व में कच्चा मार्ग था जिस पर क्षेत्रवासियों की मांग पर अतिरिक्त सुविधा के रूप में डब्ल्यू.बी.एम. मार्ग का निर्माण कार्य किया गया है। (ख) उत्तरांश ‘’क’’ के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी नहीं। नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा अतिरिक्त रूप से निर्मित खोई-लाईखेड़ी मार्ग को मूल विभाग, लोक निर्माण विभाग को सौंपे जाने की कार्यवाही प्रक्रिया में है।
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय मैं मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि मेरे प्रश्न का जवाब जो आया है कि अपरवेदा डेम की डूब में जो रोड डामरीकृत रोड था वह आ गया है और उसके वैकल्पिक रोड के रूप में विभाग के द्वारा खोई से लाईखेड़ी रोड़ बनाया गया उसकी हालत बहुत खराब है. वह आज भी जर्जर स्थिति में है. यह दूसरे ब्लाक को जोड़ने वाला रोड है. इसके अभाव में आवागमन के जो साधन हैं. बसें और आमजन इस पर चलते हैं तो बहुत तकलीफ होती है. मैं चाहती हूं कि इस रोड का डामरीकरण हो.
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय जैसा कि माननीय सदस्या ने कहा है कि जो रोड डूब में आयी थी उसके विकल्प के लिए एक रोड डूब क्षेत्र से बाहर विभाग से बनायी गई थी, उसमें एक पार्ट दो तरफ से प्रधानमंत्री सड़क योजना के माध्यम से डामर की सड़क बनी है, एक छोटा पार्ट हमारा डब्ल्यू बी एम का बना हुआ है. चूंकि इस पर आडिट की आपत्ति आयी है इसलिए उस पर डामर का काम नहींकर पा रहे हैं.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय इसमें माननीय मंत्री जी की ओर से जवाब पूरा नहीं है. जो आभापुरी मार्ग है उसके बारे में भी मैंने दिसम्बर 2014 में आपसे पूछा था तब भी आपने आश्वासन दिया था कि 4 माह के भीतर बना दिया जायेगा या तो आप सिवना से आभापुरी वाली सड़क को पूरा करा दें.
श्री लालसिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सड़क तो बनी हुई है, 8.10 किलोमीटर है.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, बनी हुई है लेकिन गड्ढों में रोड है और वहां रोड कहीं नहीं दिखाई देती है.
श्री लालसिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, यदि उसमें रिपेयरिंग की कोई आवश्यकता होगी तो हम करवा देंगे.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महादय, उस रोड का डामरीकरण करवाना आवश्यक है. यह कोई लंबा-चौड़ा रोड नहीं है, माननीय मंत्री जी कृपया आश्वासन तो दे दें कि कार्य करवा देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- वे कैसे आश्वासन दे दें. उनका बहुत स्पष्ट उत्तर पहले ही आ गया है.
श्रीमती झूमा सोलंकी -- अध्यक्ष महोदय, जिला योजना समिति की जब बैठक हुई थी तो उसमें प्रभारी मंत्री जी भी आए थे और उन्होंने आपत्ति भी ली थी कि कितना खराब रोड है.
श्री लालसिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक महोदया जैसा कह रही हैं कि सिवना से आभापुरी मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है, मैं आपको पूर्ण आश्वस्त करता हूँ कि मैं उसका परीक्षण करा लूंगा और अतिशीघ्र उसके रिपेयरिंग का कार्य और जहां रोड बनाने का काम होगा मैं करवा दूंगा.
तारांकित प्रश्नों का द्वितीय चक्र
अध्यक्ष महोदय -- अब प्रश्नों का द्वितीय चक्र होगा, पूर्व में अनुपस्थित रहे माननीय सदस्यों के नाम क्रमश: पुकारे जाएंगे, यदि वे उपस्थित होंगे तो अनुपूरक प्रश्न पूछे जा सकेंगे.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, मैं कुछ कहना चाहता था, आपने मुझे समय भी दिया है, मैं यह कह रहा था कि प्रश्नों का द्वितीय चक्र प्रारंभ हो रहा है, आपको बधाई !!! और गौर साहब ने आपको स्मार्ट स्पीकर कहा है, अध्यक्ष महोदय, तो क्या इस विधान सभा को हम स्मार्ट विधान सभा मानें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, मानने वाली बात नहीं है यह विधान सभा स्मार्ट ही है. यह एशिया की सर्वश्रेष्ठ विधान सभा है. यहां के उदाहरण और नजीरें पूरे हिंदुस्तान में ही नहीं और जगह भी दिए जाते हैं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, जब स्मार्ट तरीके से मंत्रिगण, शासन और विभाग जवाब देंगे तब तो इस पर विचार किया जाएगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आप तो श्री सुंदरलाल तिवारी को स्मार्ट कर दो बस.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी, प्रश्नकर्ता सदस्य आ गए हैं उनको प्रश्न पूछ लेने दीजिए.
श्री लालसिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्मार्ट विधान सभा में हमारे स्मार्ट अध्यक्ष के नेतृत्व में 25 प्रश्न पूरे किए गए हैं, बधाई हो माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद.
प्रश्न संख्या . 1 - (अनुपस्थित)
जमुनिया में जलाशय की स्वीकृति
3. ( *क्र. 5483 ) श्री नथनशाह कवरेती : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या छिंदवाड़ा जिले के विधानसभा क्षेत्र जुन्नारदेव अंतर्गत घोघरीढाना ग्राम पंचायत जमुनिया में जलाशय की स्वीकृति प्रदान की गई है? यदि हाँ, तो स्वीकृति के लिए किस-किस विभाग की अनुमति प्राप्त की जाती है? क्या किसी विभाग की अनुमति शेष है? यदि हाँ, तो किस विभाग की और क्यों? (ख) क्या शासन प्रश्नांश (क) के प्रकाश में समस्त कार्यवाही पूर्ण कर जलाशय को दी गई स्वीकृति उपरांत कार्य पूर्ण करेगा? यदि हाँ, तो वर्ष एवं कार्य करने की समय-सीमा बतावें? (ग) उक्त जलाशय के निर्माण में बाधा डालने के लिए कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी दोषी हैं? उनके खिलाफ क्या कार्यवाही की जायेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) जी हाँ। परियोजना से वनभूमि प्रभावित होने की दशा में भारत-सरकार से वन भूमि की अनुमति प्राप्त करना आवश्यक होता है। वन विभाग की अनुमति भारत-सरकार से प्राप्त नहीं हुई है। (ख) जी नहीं। परियोजना की लागत निर्धारित वित्तीय मापदण्ड से बहुत अधिक होने के कारण परियोजना असाध्य हो गई है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते हैं। (ग) उक्त ''क'' एवं ''ख'' उत्तर के प्रकाश में किसी अधिकारी के दोषी होने की स्थिति नहीं है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है।
श्री नथनशाह कवरेती -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जुन्नारदेव विधान सभा का प्रश्न है. जुन्नारदेव विधान सभा में बिलावर पंचायत के घोघरीढाना में जल संसाधन विभाग के द्वारा जो बांध बनाया गया है, इसको करीब 5-6 वर्ष हो गए हैं और उसमें लीकेज़ है और वहां पर अभी तक नहर का काम भी चालू नहीं हुआ है तो मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि कौन से ठेकदार हैं जिन्होंने अभी तक नहर का काम चालू नहीं किया है और डेम में भी लीकेज है.
श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जिसका उल्लेख किया है वह मुझे लिखकर दे दें, मैं करा दूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप लिखकर दे दीजिए.
श्री नथनशाह कवरेती -- अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रश्न संख्या. 11 - (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या. 15 - (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या. 16 - (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या. 18 - (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या. 20 - (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या. 22 - (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या. 23 - (अनुपस्थित)
प्रश्न संख्या. 24 - (अनुपस्थित)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, विपक्ष के अधिकांश साथी प्रश्न पूछने के बाद अनुपस्थित रहते हैं, आपने अभी इतने सारे नाम पढ़े और सभी वरिष्ठ सदस्य है, ऐसा भी नहीं है कि श्री अजय सिंह जी, डॉ. गोविन्द सिंह जी कनिष्ठ सदस्य हैं. आपकी कोई व्यवस्था आनी चाहिए इस पर.
अध्यक्ष महोदय -- कोई व्यवस्था नहीं है. आज की प्रश्नोत्तर-सूची में सम्मिलित सभी 25 तारांकित प्रश्नों का दूसरा चक्र भी निर्धारित समय से पूरा होने से अब मैं कार्यसूची में निहित अन्य विषय लेता हूँ.
(प्रश्नकाल समाप्त)
11.25 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
श्री सुन्दरलाल तिवारी(गुढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने विशेषाधिकार हनन का एक नोटिस दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- आपने दिया है. उसके बारे में यहां मत पूछिये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, हम यह चाहते हैं कि मैं आपका ध्यान उस विषय पर आकर्षित करूं.
अध्यक्ष महोदय-- अभी उस पर विचार तो करने दें आप. आपने कल ही तो दिया है.
उप नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे भी बोलना है,उसके बाद आपको समय देंगे.
वन मंत्री(डॉ. गौरीशंकर शेजवार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह जानना चाहता हूँ कि कोई भी विशेषाधिकार की सूचना विधानसभा में किसी सदस्य ने दी तो विधानसभा में माननीय अध्यक्ष जी ने उस पर क्या कार्यवाही की, सदन में उसकी चर्चा यहां नहीं हुई, इसके पहले ही क्या हम अखबारों में वक्तव्य दे सकते हैं क्या और क्या यह उचित है. क्या यह विधानसभा के सदन की अवमानना नहीं है. सुन्दरलाल जी तिवारी ने इस विषय को अखबारों में छपवाया है और अखबारों में मैंने पढ़ा और अखबार पढ़ के मुझे यह जानकारी मिली लेकिन सदन में इसकी चर्चा नहीं हुई. माननीय विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर कहीं कोई संज्ञान नहीं लिया और इसके पहले अखबारों में छपवाना क्या यह सदन की अवमानना नहीं हैं क्या, अध्यक्ष महोदय, यह मैं आपसे जानना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने सूचना दी है. उस पर कोई चर्चा नहीं है. मैंने श्री कोठार जी को बुलाया है. आप उनको बोलने दें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने यह बात कही है.
अध्यक्ष महोदय-- आपसे जवाब मांगा क्या उऩ्होंने? मुझसे पूछा है. आप बैठ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- मेरे ऊपर लांछन लगाया गया है.
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी जो बोल रहे हैं,बिलकुल अलाऊ नहीं करेंगे. उऩ्होंने मुझसे पूछा. आप अनुमति तो लीजिए. (व्यवधान) तिवारी जी बहुत व्यवधान कर रहे हैं,यह उचित नहीं है बिलकुल.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदयमंत्री जी ने यहां वक्तव्य दिया है,बोला है
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी,अब आप मुझे मजबूर मत करिये. आप दूसरे सदस्यों को बोलने दीजिए
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने बोला है. क्या आपने मंत्री जी को अनुमति दी थी.
अध्यक्ष महोदय-- आपको अनुमति नहीं दे रहे हैं. उनको अनुमति दी थी. आप बैठ जाइये कृपया.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, मेरे खिलाफ मंत्री जी ने आरोप लगाया है इसलिए हम अपनी बात कहना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, मैंने पूछा ही नहीं आपसे आरोप का उत्तर. आप बैठ जाइये. मैं श्री सुन्दरलाल तिवारी जी को निर्देशित करता हूँ कि वह अपना स्थान ग्रहण करें.आप यदि नहीं मानेंगे तो मुझे कड़ी कार्यवाही करना पड़ेगी. श्री सुन्दरलाल तिवारी आप बैठेंगे या नहीं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- हम बैठेंगे लेकिन मंत्री जी ने हम पर आरोप लगाया है(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय‑-- आप बैठ जाइये पहले. पहले आप बैठिये. कोई नहीं बोलेगा.
श्री कुंवरजी कोठार(सारंगपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 8.3.16 को शून्यकाल में सारंगपुर में लड़का गायब होने का असत्य आरोप मेरे विपक्षी पार्टी के साथी नरसिंहगढ़ विधायक द्वारा लगाया गया था जो कि असत्य एवं निराधार आरोप है और कल लड़का बरामद हुआ है. वह उन्हीं की पार्टी के द्वारा उनके कार्यकर्ताओं के द्वारा उसको गायब किया गया था. ऐसे असत्य आरोप इस पवित्र सदन में लगाने वाले के खिलाफ भी कार्यवाही होना चाहिए मेरा आपके माध्यम से गृहमंत्री जी से निवेदन है कि इस कांड में जो भी पदाधिकारी लिप्त है ..(व्यवधान)... कांग्रेस पार्टी के जो भी कार्यकर्ता पदाधिकारी लिप्त हैं उनके विरुद्ध जांच करायें उन पर कार्यवाही होना चाहिए....(व्यवधान)...इसकी सदन में निंदा होना चाहिए.
श्री गिरीश भंडारी-- यह गलत आरोप लगा रहे हैं..(व्यवधान)... यह समाचार पत्रों में छपा है कि विधायक के दबाव में...(व्यवधान)... कार्यवाही की गई, वह छात्र परीक्षा नहीं दे पाया यह मैं आरोप लगा रहा हूं और अभी भी उस आरोप पर कायम है, उस छात्र ने 2 मार्च को अपनी परीक्षा नहीं दी, मैं इस बात के लिए आरोप लगा रहा है और विधायक के दबाव में उस लड़के के खिलाफ 151 की कार्यवाही की गई. यह असत्य आरोप लगा रहे हैं. एक विधायक पर यह लोग इस तरह से आरोप लगा रहे हैं.यह पेपरों में समाचार छपा हुआ है.
श्री जितू पटवारी-- यह बहुत निंदनीय अपराध है .
श्री के.के. श्रीवास्तव-- यह पूरे सदन को गुमराह कर रहे हैं...(व्यवधान)...मिथ्या भाषण किया है.
श्री गिरीश भंडारी-- मैं सही आरोप लगा रहा हूं और आज भी उस पर कायम हूं.
अध्यक्ष महोदय-- (सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के कई माननीय सदस्यों के खड़े होकर एक साथ बोलने पर) आप सभी लोग बैठ जाएं कृपया , बात आ गई है रिकार्ड में.
श्री गिरीश भंडारी-- मैं आरोप पर कायम हूं उस लड़के के खिलाफ 151 की कार्यवाही की विधायक द्वारा दबाव बनाया गया, वह लड़का परीक्षा नहीं दे पाया. और वह चार दिन में मिला है...(व्यवधान)....मैं इस आरोप पर कायम हूं.
श्री कुंवरजी कोठार—इसकी जांच कराई जाए.
अध्यक्ष महोदय--- आप सभी लोग बैठ जाइए.
श्री जितू पटवारी--- अध्यक्ष महोदय, जिस तरह से मैं रोज एक घटना सुनाता हूं, बताता हूं. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात कल आ गई है ,रोज नहीं बोलने देंगे, क्या आप रोज बोलेंगे . श्री बाला बच्चन अपनी बात कहें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- यह लगातार सनसनी फैलाने के लिए , पेपर में छपवाने के लिए इस तरह से बात करते हैं कि महिला जेल में गर्भवती हो गई पूरी असत्य जानकारी दे रहे हैं. इनकी हर बात असत्य निकल जाती है. ...(व्यवधान)...
श्री जितू पटवारी—एक व्यक्ति को, मजदूर पर मुरम डाल दी फिर रोलर चला दिया और सड़क बना दी क्या यह छोटी मोटी घटना है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया आप बैठ जाए , आ गया समाचार अखबार में.
उपनेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन)—माननीय अध्यक्ष महोदय, आज पूरे प्रदेश में पांच लाख से अधिक कर्मचारी हड़ताल पर हैं, पंचायत के सचिव हैं, रोजगार सहायक हैं, संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी हैं और मैं आपको बताना चाहता हूं कि कसरावद में कल ही एक रोजगार सहायक ने आत्महत्या की है और लगभग एक लाख रोजगार सहायकों को पद से हटा दिया गया है और 1 हजार से ज्यादा इस्तीफा देने की तैयारी में है. पिछली बार अतिथि शिक्षकों ने यहाँ पर आंदोलन किया था उन पर लाठीचार्ज सरकार ने कराया है. हम यह चाहते हैं कि पांच लाख कर्मचारी प्रदेश के हड़ताल पर हैं , पूरा शासकीय काम ठप्प पड़ा है, सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और आपके द्वारा सरकार से जवाब आना चाहिए और उनकी मांगों को सुना जाये और फिर सुचारू रूप से प्रदेश काम कर सके इस ओर हमारा सरकार से आग्रह है कि जिन मुद्दों को लेकर वह हड़ताल कर रहे हैं, उनको सुने, उनका निराकरण कराये और उसके बाद सुचारू रुप से प्रदेश काम करें ऐसा आग्रह है. ...(व्यवधान)....संसदीय कार्यमंत्री जी बैठे हैं, मंत्रीगण भी बैठे है आप उनको निर्देश दें ..इस पर सरकार का वक्तव्य आना चाहिए. जवाब आना चाहिए. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय--- आपकी बात आ गई है.
11.34 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
मध्यप्रदेश पुलिस हाऊसिंग कार्पोरेशन, लिमिटेड, भोपाल का तैंतीसवां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2013-2014
गृहमंत्री(श्री बाबूलाल गौर)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 619-क की उपधारा (3) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश पुलिस हाऊसिंग कार्पोरेशन, लिमिटेड, भोपाल का तैंतीसवां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा वर्ष 2013-2014 पटल पर रखता हूं. ..(व्यवधान)....
11.35 बजे बहिर्गमन
सरकार के कर्मचारी विरोधी रवैये के विरोध में सदन से बहिर्गमन
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, कोई भी नहीं बचा है, इस सरकार से कर्मचारी इतना निराश और उदास है. यह कर्मचारी विरोधी सरकार है...(व्यवधान)... कर्मचारी आप लोगों को माफ नहीं करेगा.कर्मचारी , शिक्षक, बेरोजगार, युवा सब आपके विरोध में है. ..(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- सब विरोध में हैं , तब 28 हजार से हार रहे हो.
श्री बाला बच्चन-- कर्मचारी विरोध कर रहे हैं..(व्यवधान)... हम इसके विरोध में बहिर्गमन करते हैं.
(श्री बाला बच्चन,उपनेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा कर्मचारी विरोधी सरकार की बात कहते हुए सदन से बहिर्गमन किया गया)
श्री निशंक कुमार जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी सदन में...
अध्यक्ष महोदय-- भाषण नहीं दें आप सिर्फ सूचना पढें.
श्री निशंक कुमार जैन-- बिल्कुल. भाषण नहीं...
अध्यक्ष महोदय-- ध्यानाकर्षण में यह एलाऊ नहीं है. यह जो लिखा है वह पढ़ें.
श्री निशंक कुमार जैन-- अध्यक्ष महोदय, पढ़ तो रहा हूँ पढ़ने के पहले थोड़ा मामला जमा तो लूँ.
अध्यक्ष महोदय-- इसके बाद में जब मंत्री जी का उत्तर आ जाएगा...
(1) विदिशा जिले के मजराटोलों को राजस्व ग्राम घोषित न किया जाना.
श्री निशंक कुमार जैन(बासौदा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
राजस्व मंत्री(श्री रामपाल सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय-- भाषण नहीं देंगे, सिर्फ सीधा प्रश्न पूछेंगे.
श्री निशंक कुमार जैन-- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से आपकी विधान सभा क्षेत्र के एक गाँव की ओर माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ. मैं अभी वहाँ रिश्तेदारी में गया था. तवा नगर जिसके नाम पर इतना बड़ा डेम है वह आपकी विधान सभा क्षेत्र में आता है और....
अध्यक्ष महोदय-- अभी नहीं है, पहले था.
श्री निशंक कुमार जैन-- मजरा टोला है. उसी को राजस्व ग्राम घोषित नहीं किया गया.
अध्यक्ष महोदय-- अभी विधान सभा में नहीं है, पर पहले था.
श्री निशंक कुमार जैन-- पुरानी विधान सभा में था. अध्यक्ष महोदय, जो माननीय मंत्री जी ने कहा....
श्री जसवन्त सिंह हाड़ा-- अध्यक्ष महोदय, पूरी असत्य बात करते हैं. आप स्वयं बोल रहे हैं कि पहले था और अब नहीं है. ये हर जानकारी असत्य देते हैं. ये इनका काम ही है.
अध्यक्ष महोदय-- निशंक जी, आप पूछ लें.
श्री निशंक कुमार जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी को जो रिपोर्ट दी गई है या तो वह असत्य है या जो विभिन्न पंचायतों द्वारा मुझे रिपोर्ट दी गई है वह भी शासकीय ऐजेंसी है. शासन का नियम है कि जिस मजरे टोले की आबादी 200 है और वह मूल गांव से 2 किलोमीटर दूर होगा तो उस मजरा टोला को राजस्व ग्राम घोषित किया जाएगा. बासौदा विधान सभा क्षेत्र में ग्यारसपुर में कुल 20 मजरा टोला हैं जिनमें से 13 मजरा टोला शासन के नियमों की पात्रता में आते हैं 200 से अधिक आबादी है 2 किलोमीटर से ज्यादा है इसी तरह से त्योंदा तहसील में 7 मजरा टोला राजस्व ग्राम बनने की श्रेणी में हैं.
अध्यक्ष महोदय, दुर्भाग्य इस बात का है कि बासौदा तहसीलदार ने खुद मुझसे कहा कि बासौदा तहसील में एक भी मजरा टोला नहीं है जबकि 7 मजरे टोले हैं उनमें से 4 मजरे टोले ग्राम बनने की स्थिति में हैं. मंत्रीजी से अनुरोध करना चाहूंगा कि जो शासकीय रिकार्ड मेरे पास है जो कि पंचायत सचिवों द्वारा दिया गया है उसको आधार मानकर यदि इन मजरा टोलों को राजस्व ग्राम घोषित करने का कष्ट करेंगे तो शासन की जो मूलभूत योजना है चाहे सड़क की हो, चाहे अटल ज्योति की हो, चाहे पीएचई की हो उनका लाभ मिल जायेगा. मैं चाहूंगा कि माननीय मंत्रीजी इस मामले में घोषणा कर दें.
श्री रामपाल सिंह‑‑माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न भी उन्होंने कर लिया उत्तर भी उन्होंने दे दिया. पूरा विवरण उन्होंने रख दिया है. लेकिन मेरा निवेदन यह है कि आंकड़ें आपने सरपंचों, पंचायत सचिवों से एकत्रित किए यह अच्छी बात है. मध्यप्रदेश सरकार ने पहल की है गांव हम बना रहे हैं विदिशा में भी हमने काफी गांवों को राजस्व ग्राम घोषित किया है. माननीय विधायक जी के क्षेत्र में भी गांव हैं उन्होंने 30 गांवों का जिक्र किया है. जनगणना 2011 के मान से परीक्षण कर लेंगे. जिस तरह से गंज बासौदा की आपको चिन्ता है उससे चार गुना चिंता हमें है वहां से माननीय मुख्यमंत्रीजी सांसद रहे हैं मैं भी रहा हूं. मेहनत करके देख लेंगे कि वे ग्राम मापदंड में आते हैं क्या. मापदंडों को समझने की बात है कहीं दो किलोमीटर है कहीं जनसंख्या कम है और कहीं पर जमीन कम है. भू-राजस्व संहिता के ऐसे 2-3 मापदंड बने हुए हैं यह सब मापदंड इकट्ठे होना भी एक संयोग होता है संयोग बनाने की कोशिश करेंगे और माननीय विधायक जी की जो चिंता है उस चिंता में मैं भी शामिल हूं उसको पूरा करने की हम कोशिश करेंगे.
श्री निशंक कुमार जैन--माननीय मंत्रीजी ने कहा है वे हमारे सांसद रहे हैं, माननीय मुख्यमंत्रीजी चार बार सांसद रहे हैं. माननीय मंत्रीजी ने जो कहा उसको उनके लिये धन्यवाद भी दूंगा कि आपने कम से कम स्वीकार तो किया. 34 मजरे टोलों में से 23 मजरे टोले इस श्रेणी में आ रहे हैं कि उनको राजस्व ग्राम बनाया जा सकता है मैं 34 का नहीं बोल रहा हूँ. जो दो किलोमीटर का नियम है और 200 की जनसंख्या है मैं उसी की बात कर रहा हूं. मंत्रीजी आप कहें तो पूरे गांव को इकट्ठा कर लें और जैसे क्लास में हाजिरी लगाते हैं ऐसे पूरी जनसंख्या को खड़ा कर लें आप अपनी गाड़ी का माइलोमीटर चालू कर लो.
अध्यक्ष महोदय--आपकी बात आ गई है अब आप समाप्त करें. मंत्रीजी ने आश्वस्त भी कर दिया है.
श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह उसी गांव में इस तरह से जायें और उस तरफ से आ जायें ऐसा न करें सीधे रोड से जाना पड़ेगा. परीक्षण करा लेंगे. (हंसी)
11.43 बजे
दमोह जिले के ग्राम सूखा में स्थित ट्यूबवेल से जहरीली गैस के
ब्लास्ट से महिला की मौत होना.
श्री लखन पटेल (पथरिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री बाबूलाल गौर(गृह मंत्री) :- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री लखन पटेल:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि आसपास के जो गांव है वहां पर यही स्थिति है कि ट्यूबवेल में पानी के साथ साथ गैस निकलती है और कई बार पानी में भी आग लग जाती है. वहां पर 10-12 गांव इस प्रकार के हैं जो मैंने अपने ध्यानाकर्षण में उल्लेखित किये हैं. मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूं कि क्या वहां पर जियोलाजिकल उच्चस्तरीय टीम बनाकर जांच करा देंगे. अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि दोनों मृतकों को क्या मुआवजे की घोषणा करेंगे.
श्री बाबूलाल गौर :- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय विधायक ने कहा है कि हम टीम बनाकर जांच करा लेंगे. जहां तक सहायता राशि का है. वह इस प्रकरण के अन्दर आता नहीं है, क्योंकि उन्होंने बीड़ी जलायी और पूरा कमरा बंद था, वहां पर रोशनदान भी नहीं था. उसके कारण वहां पर जो ज्वलनशील पदार्थ है उसमें आग लग गयी. फिर भी इसमें मुआवजा नहीं दे रहे हैं. फिर भी मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के स्वेछानिधि से 25 25 हजार रूपये दोनों मृतक परिवार को और जो घायल हुए हैं उनको 10 हजार रूपये दिया जायेगा.
श्री लखन पटेल :- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति का परिवार है, यदि मुआवजा थोड़ा और बढ़ा देंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा.
अध्यक्ष महोदय :- माननीय मंत्री जी ने बोल दिया है कि और मुआवजे की घोषणा कर दी है और जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया की टीम भी जायेगी.
श्री लखन पटेल :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुआवजा राशि थोड़ी और बढ़ा देंगे तो कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय :- नहीं अब नहीं आपकी बात आ गयी है.
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय:- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
अध्यक्ष महोदय :- आपका कोई विषय नहीं है. श्री सुन्दर लाल तिवारी जो भी बोल रहे हैं वह कुछ भी नहीं लिखा जायेगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी :(x x x)
मंत्री का वक्तव्य
तारांकित प्रश्न संख्या 1(क्रमांक 2268) के उत्तर के परिशिष्ट में संशोधन संबंधी वक्तव्य
अध्यक्ष महोदय - अब माननीय श्री जयंत मलैया,जल संसाधन मंत्री दिनांक 15सितम्बर,2015 को पूछे गये तारांकित प्रश्न संख्या 1(क्रमांक2268) के उत्तर के परिशिष्ट में संशोधन करने के संबंध में वक्तव्य देंगे.
श्री जयंत मलैया,जल संसाधन मंत्री - माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 15.12.2015 की प्रश्नोत्तर सूची के पृष्ठ क्रमांक 01 में मुद्रित तारांकित प्रश्न संख्या 01(क्रमांक2268) में, निम्नानुसार संशोधन करना चाहता हूं:-
प्रश्नोत्तर सूची में मुद्रित उत्तर के भाग "क" एवं "ख" में संलग्न परिशिष्ट-1 के संशोधित परिशिष्ट में विगत 03 वर्षों में रबी सिंचाई के कालम नं.2 में 2012-13,कालम 03 में 2012-13
के स्थान पर निम्नानुसार संशोधित उत्तर(परिशिष्ट) पढ़ा जावे:-
कालम 02 में 2013-14
कालम 03 में 2014-15
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - मैं आपकी बात का उत्तर दे रहा हूं. माननीय मंत्री जी ने जो कुछ कहा उसका संज्ञान उन्होंने आसन्दी को संबोधित करके कहा था उसका संज्ञान नहीं लिया है इसीलिये उत्तर देने की कोई आवश्यकता नहीं है. अब आप बैठ जाएं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात का उत्तर दे दिया मैंने. अब बात समाप्त हो गई. कृपा करके सहयोग करें.
वर्ष 2016-17 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
(1) मांग संख्या - 44 उच्च शिक्षा
मांग संख्या - 47 तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास
मांग संख्या - 70 तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग से संबंधित विदेशों से
सहायता प्राप्त परियोजनाएं.
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं,राज्पाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि 31 मार्च,2017 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को--
अनुदान संख्या - 44 उच्च शिक्षा के लिए दो हजार तीन सौ तीस करोड़,
इन्क्यानवे लाख,बानवे हजार रुपये,
अनुदान संख्या - 47 तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास के लिए छ: सौ
इकसठ करोड़,इक्कीस लाख,नब्बे हजार रुपये, तथा
अनुदान संख्या - 70 तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग से संबंधित
विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाएं के लिए चार
करोड़,इक्यासी लाख,पचपन हजार रुपये
तक की राशि दी जाय.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांगों एवं कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी. श्री मुकेश नायक, श्री जितू पटवारी( अनुपस्थित) सुश्री हिना कावरे..
डॉ.नरोत्तम मिश्र,संसदीय कार्य मंत्री - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी नेता प्रतिपक्ष जी से गुजारिश है मैंने प्रश्नकाल में भी उनसे गुजारिश की थी अभी उच्च शिक्षा की मांगों पर चर्चा शुरू हो रही है अपने सम्मानित सदस्यों से कहिये कि वे उपस्थित तो रहा करें. इतनी महत्वपूर्ण चर्चाएं चल रही हैं.
अध्यक्ष महोदय - जितू पटवारी जी आ गये हैं. (जितू पटवारी जी से) आप इनके बाद में बोल लें. बैठ जाईये जितू जी.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, यह उम्मीद थी कि इतने सारे ध्यानाकर्षण सूची में थे तो कम से कम चार पर चर्चा होगी यह सोचा था. इस हिसाब से उनके आने का है. मुकेश नायक जी आ रहे हैं.
वन मंत्री(डॉ.गौरीशंकर शेजवार) - अध्यक्ष महोदय, नरोत्तम जी ने बहुत अच्छी बात कही (XXX).
अध्यक्ष महोदय - यह विलोपित कर दें.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, कोई नहीं सुन रहा इसकी जगह आप यह बोलिये कि सरकार नहीं सुन रही है. बाकी हमारे साथी तो सब सुन रहे हैं और सरकार को सुना रहे हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - आप लोगों ने जितनी बातें कहीं. एक-एक अक्षरश: हम यहां से मानते हैं.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय,सरकार सुने और रिप्लाई करे.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्यगणों से मेरा अनुरोध है कि हिना कांवरे जी अच्छी सदस्या हैं और वे बोलने खड़ी हो गई हैं उनको बोलने दें अच्छा बोलती हैं और अच्छे सुझाव देती हैं. व्यवधान होगा तो वे बोल नहीं पाएंगी.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, आप बैठेंगे तो मैं बोल पाऊंगा
अध्यक्ष महोदय - मेरा अनुरोध है कि उनको बोल लेने दें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - मैं यही बात कहना चाहता था कि जिस तरीके से विपक्ष को जो भूमिका निभाना चाहिये उसमें विपक्ष पूरी तरीके से फेल है और उसका एक मात्र कारण यही है तो यह कार्यवाहक की व्यवस्था है. ये नाम लिखकर देते हैं और वे लगातार अनुपस्थित रहते हैं और वे गैरहाजिर हो जाते हैं तो यह स्थिति बिगड़ रही है.वास्तव में मैं यह कहूं कि सदन की गरिमा इससे कम हुई है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - दरअसल नेता प्रतिपक्ष बच्चन जी का भाषण इतना प्रभावी हो गया कि आगे की बेंच किस तरह से घबरा कर खाली हो गई. मैं सुबह से कह रहा हूं.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, मैं इसी को कोड करके बोलता हूं मेरा अभिभाषण पर जो भाषण था माननीय शेजवार जी, आपकी सरकार आपके मंत्री जी, आपके मुख्यमंत्री जी, उसी बात का जवाब दे दो हमने उस दिन सारी एथ्रेंटिक चीजें बताईं माननीय अध्यक्ष जी ने एप्रीसियेट किया. मीडिया में बोला कि सरकार को आईना दिखा दिया लेकिन मुख्यमंत्री जी ने पब्लिक भाषण दे दिया ऐसा लग रहा था कि भारतीय जनता पार्टी की सभा को संबोधित कर रहे थे.
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्नकाल नहीं है. हिना कांवरे जी.
(..व्यवधान..)
सुश्री हिना कांवरे(लांजी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आम आदमी जब सरकार के रेवेन्यू की बात सोचता है तो यह कल्पना से परे है कि एजुकेशन राज्य में रेवेन्यू का बहुत बड़ा सोर्स है क्योंकि आमजन को लगता है शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल ऐसे विभाग हैं जहां शासन को केवल खर्च करना पड़ता है अभी जब बजट को समझने के लिये एक दिन का वर्कशाप लगाया गया था उसमें सभी को यह जानकर बहुत आश्चर्य हुआ कि नान टैक्स रेवेन्यू सोर्सेस में माईनिंग के बाद एजुकेशन प्रदेश की आय का सबसे बड़ा सोर्स है. फारेस्ट तथा इलेक्ट्रिसिटी का नंबर एजुकेशन के बाद आता है. एजुकेशन से शासन को 2015-16 में 3191 करोड़ राजस्व प्राप्त हुआ. मैं समझती हूं कि एजुकेशन शब्द को यदि हायर एजुकेशन कर दिया जाये क्योंकि स्कूल एजुकेशन से आय का स्त्रोत समझ में नहीं आता. हमेशा से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जब भी चर्चा होती है तो शिक्षा की गुणवत्ता हमेशा अहम् सवाल होता है. गुणवत्ता के मायने में टीचर्स तथा उच्च शिक्षा की दृष्टि से मूलभूत सुविधाएं हैं. हम बहस में पड़े या चाहे जो भी बात कर लें या अच्छी-अच्छी सलाह दे दें. मूल रूप से सबसे बड़ी दिक्कत वित्त की है. मैं बोलूं या न बोलूं सारे लोग समझते हैं कि राज्य द्वारा पोषित प्रदेशके विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालयों में प्राचार्य प्राध्यापकों टेक्निकल स्टाफ क्लेरिकलस्टाफ तथा फोर्थ क्लास के स्टाफ की बहुतायत में पद खाली है. सामान्य तौर पर यह होना चाहिये कि यदि किसी महाविद्यालय में 12 सहायक प्राध्यापकों के पद हैं वहां यदि एक-दो पद खाली पड़े हैं तो अतिथि विद्वानों से एक-दो पदों को भरकर तब तक काम चला लिया जाये तब तक दो पदों पर नियुक्ति न हो जाये. जब तक दो पदों पर नियुक्तियां न हों जाएं. आज तो इमरजेन्सी में अतिथि विद्यालयों का उपयोग करने की बजाय पूरा उच्च शिक्षा विभाग अतिथि विद्वानों के भरोसे पर चल रहा है. अतिथि विद्वान शिक्षित तो हैं, लेकिन शिक्षित व्यक्ति को सरकार 200 रूपये प्रति पीरियड तथा 1 दिन में अधिकतम 600 रूपये मानदेह दे तो भी छुट्टियां काटकर यदि 24 दिन भी कॉलेज लगता हो दिन का अधिकतम मानदेय मिलता हो तब भी उनका 14 हजार 4 सौ रूपये ही बनते हैं. आप इतने कम पेमेन्ट पर एक शिक्षित व्यक्ति से उच्च शिक्षा की कैसी गुणवत्ता की अपेक्षा कर सकते हैं, जब कि उसका दिमाग पढ़ाने से ज्यादा अपने रोजमर्रा की परेशानियों में उलझा रहता हो. मेरा शासन से निवेदन है कि अतिथि विद्वानों को कम से कम 25 हजार रूपये मानदेय दें. राज्य शासन द्वारा पोषित विश्वविद्यालयों पर यूजीसी के नये पद विकसित करने तथा रिक्त पदों की भर्ती का भारी दबाव रहता है. विश्वविद्यालयों द्वारा बार-बार शासन को पत्र लिखकर के नियुक्तियों के लिये निवेदन किया जाता है, किन्तु राज्य शासन द्वारा वित्त की कमी की वजह से यह अनुमति पेंडिंग कर दी जाती है. यही वजह है कि राज्य शासन द्वारा पोषित नामी-ग्रामी विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता गिरती जा रही है. विश्वविद्यालयों को खुद फण्ड जनरेट करने के लिये कहा जाता है उनके पास में फण्ड को जनरेट करने के लिये क्या सोर्सेज हैं, क्या विश्वविद्यालय नगर-पालिका है, या नगर निगम है. राज्य शासन को विश्वविद्यालयों को ज्यादा आर्थिक मदद देकर गुणवत्ता में सुधार करने की जरूरत है. 3 हजार 191 करोड़ रूपये का रेवेन्यू देने वाला विभाग को ज्यादा बजट देकर उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जाना चाहिये स्टूडेन्ट में नेतृत्व क्षमता उभारने के लिये छात्र संघ के चुनाव सीधे होने चाहिये उसका प्रावधान हमको करना चाहिये, किन्तु मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहती हूं कि चुनाव पैनलों के बीच होना चाहिये इसे एनएसयूआई या एबीबीपी का नाम देकर राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिये अंत में मेरे विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत किरनापुर शासकीय कॉलेज जर्जर हालत में है, यह मिडिल स्कूल में जल रहा है उनको बिल्डिंग की नितांत आवश्यकता है. विज्ञान संकाय होने के बावजूद लेब की व्यवस्था नहीं है मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि इसे इसी बजट में राशि उपलब्ध करायें लॉजी तथा किरनापुर महाविद्यालय में खाली पड़े पदों की नियमित स्टॉफ की भर्ती करने का निवेदन करती हूं. आपने बोलने का अवसर दिया आपका धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 44,47 एवं 70 का समर्थन करता हूं. उच्च शिक्षा विभाग के अनुदानों की मांगों में यदि नवाचार स्पष्ट झलकता हो, गुणवत्तायुक्त शिक्षा हो, हितग्राहीमूलक छात्र-छात्राओं की मदद का उल्लेख हो, महाविद्यालयों की अधोसंरचना का विकास हो, नये नये मानदण्डों के आधार पर महाविद्यालयों की स्थापनी की परिकल्पना हो, और आगे बढ़ चढ़ के भारत वर्ष में यदि अकेले इस मध्यप्रदेश राज्य को यह गौरव प्राप्त हो कि पंडित अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय की न केवल स्थापना बल्कि उसका प्रारंभ होना इस बात को परिलक्षित करता है कि प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री सम्मानित शिवराज सिंह चौहान की दृढ़इच्छा शक्ति और इस विभाग के वरिष्ठ मंत्री आदरणीय उमाशंकर गुप्ता जी का जो ध्येय एवं लक्ष्य है मैं समझता हूं कि आने वाले वर्षों में जिस प्रकार से अब तक महाविद्यालयों में विशेषकर के शासकीय स्नातकोत्तर, शासकीय स्नातक में जो आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है वह आने वाले वर्षों में और अधिक अपनी सुदृढ़ता लिये हुए दिखेगा. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो नवाचार किये हैं इसके लिये माननीय उमाशंकर गुप्ता जी को बधाई देना चाहता हूं कि जिनके कुशल नेतृत्व में विभाग की महत्वपूर्ण योजनाएं जिनका उल्लेख किया जाना अति आवश्यक होगा. विश्व बैंक परियोजना, राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान, रूसा विवेकानन्द केरियर मार्गदर्शन योजना, व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ट वर्च्यूअल कक्षाओं का संचालन, महाविद्यालय में व्हाई-फाई, नेक मूल्यांकन यह सारी चीजें आईने की तरह साफ हैं. विवेकानन्द केरियर प्रशिक्षण मार्गदर्शन आयोजना में 60 महाविद्यालयों में केरियर मेलों का सफल आयोजन किया गया है, उसके परिणाम देखने को मिल रहे हैं. गत वर्ष 64 हजार 426 छात्र-छात्राओं की सहभागिता इसमें दर्ज की गई है तो इसी बजट में 2015-16 में 100 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है मैं इसके लिये माननीय मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. महाविद्यालयों में भी हितग्राहीमूलक योजनाएं लागू हों वह भी हितग्राही के समान सरकार की योजनाओं से सरोकार रखते हुए उसका लाभ प्राप्त करें इस दिशा में मील का पत्थर कुछ योजनाएं उच्च महाविद्यालयों में प्राप्त की गई हैं. गांवों की बेटी, प्रतिभा किरण, विक्रमादित्य निशुल्क शिक्षा योजना छात्राओं के लिये आवागमन की सुविधा योजना प्रारंभ की है उसमें सफलता भी मिली है, छात्र-छात्राओं ने इस योजना को स्वीकार भी किया है. निजी छात्रावास गारंटी योजना विद्यार्थियों को बेहतर छात्रावास की सुविधा इस योजना के अंतर्गत प्रारंभ की गई है. निजी छात्रावास योजनाओं में छात्रों को उस बात की गारंटी मिलना प्रारंभ किये जाने का प्रयास किया गया है. गांव की बेटी योजना में पहले 5 रूपये बचत में हुआ करते थे उसको बढ़ाकर के 10 रूपये कर दिये गये हैं इसके लिये भी मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. विक्रमादित्य योजना में आय-सीमा 54 हजार से बढ़ाकर 1 लाख 20 हजार रूपये किया जाना स्वागत योग्य है. बजट में प्रावधान किया गया है जबलपुर जैसा संस्कारधानी की नगरी कहा जाता है वहां पर पृथक से नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी खोलने की कार्यवाही की जा रही है मैं समझता हूं कि आजादी के 67 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद यदि इस बार पुनः मध्यप्रदेश को कोई दूसरा अवसर जबलपुर को मिल रहा है नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के लिये तो यह उपलब्धिपूर्ण बात होगी. यह जो पूरा 12 वर्ष का एक दशक निकला है, यह परिवर्तन की बयार को लेकर के सामने आया है. गत एक दशक में माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में देश भर में महाविद्यालय की तस्वीर उभरकर के सामने आयी है. अभिभावकों का विश्वास महाविद्यालयों के प्रति जागृत हुआ है. अब उच्च शिक्षा की किरण छोटे-छोटे एवं मंझौले तथा बड़े नगरों तक और अधिक तेजी के साथ बढ़ती जा रही है. दूर सुदूर अंचलों में गांवों तक पहुंची है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने अत्यंत पिछड़े ग्रामीण अंचलों में अब तक 36 शासकीय महाविद्यालय खोले हैं. कभी कल्पना नहीं की जा सकती कि 15 हजार की जनसंख्या वाले नगर पंचायत जो कि अब नगर परिषद् कहला रही है उन छोटे कस्बों में वहां पर शासकीय महाविद्यालयों की स्थापना करना मैं समझता हूं कि प्रसन्नता की बात है. मेरे मंदसौर जिले के पिपिल्या मंडी, मल्हार, सीतामऊ, श्यामगढ़ का उल्लेख करना चाहता हूं ऐसे कई छोटे नगर परिषदें एवं पंचायतें हैं उनमें शासकीय महाविद्यालयों का विशेष लाभ इन दिनों मिला है. न केवल विद्यालय प्रारंभ हुए हैं उनमें कला एवं सामाजिक विषयों के साथ साथ विज्ञान एवं वाणिज्य की कक्षाएं भी प्रारंभ हुई हैं. मंत्री का ध्यानाकर्षित करना चाहूंगा कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में दलोदा एक ऐसा कस्बा है जहां पर 72 आसपास के गांवों के 10 से अधिक 12 हजार छात्र-छात्राएं 12 वीं कक्षा में पढ़ने के लिये जाती हैं हालांकि यह ग्राम पंचायत है, लेकिन 12 हजार छात्र-छात्राएं 12 वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं मंदसौर से उसकी दूरी करीबन 18 किलोमीटर की है मैं चाहता हूं कि वहां पर एक महाविद्यालय आने वाले बजट में आप यदि स्वीकृत करेंगे तो उस क्षेत्र पर बड़ी कृपा होगी दलोदा डिजर्व करता हैं तथा दलौदा हमारा तहसील मुख्यालय है. माननीय अध्यक्ष महोदय, छात्र-छात्राओं की प्रवेश संख्या में सकल नामांकन अनुपात जी.ई.आर. के मध्यप्रदेश समकक्ष पहुँचा है. यह गौरव करने का विषय है. उच्च शिक्षा में छात्र-छात्राओं की प्रवेश की संख्या में रूचि तुलनात्मक आशातीत वृद्धि हुई है और उसके साथ-साथ अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़े वर्गों की छात्राओं में भी विशेष प्रवेश की अभिवृद्धि हुई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज प्रदेश का सकल नामांकन उत्पाद जी.ई.आर. के बराबर पहुँच गया है. मन्दसौर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय जनभागीदारी की बड़ी रूचि है और मैं माननीय मंत्री जी को इस बात के लिये धन्यवाद देना चाहता हूँ. पिछले 2, 3 हफ्ते पहले, जब माननीय मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में महाविद्यालयों की समीक्षा बैठक हो रही थी तब आपने आगे चलकर मन्दसौर को शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय की छात्र संख्या लगभग 8 से 10 हजार छात्र-छात्राएं मन्दसौर पी.जी. कॉलेज में पढ़ती हैं और उस महाविद्यालय में अधोसंरचना विकास का जनभागीदारी के माध्यम से, जो विकास हुआ है, मैं समझता हूँ कि उज्जैन संभाग में उस महाविद्यालय की सबसे अग्रणी स्थिति है, जब आपने समीक्षा बैठक में, जिसकी आपने भूरी-भूरी प्रशंसा की है तो मेरा दायित्व बनता है कि मैं आपका भी आभार व्यक्त करूँ और माननीय मुख्यमंत्री जी का भी आभार व्यक्त करूँ और माननीय मंत्री जी से अपेक्षा करूँगा कि मन्दसौर का जो पी.जी.महाविद्यालय है, उसे शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय को एम.बी.ए. एवं एम.सी.ए. की दरकार है. उसके लिए मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूँगा कि आज आप इस बात की घोषणा करें. हम आपसे एवं सरकार से कोई बजट नहीं मांगेंगे. हम सेल्फ एसेस योजना के अन्तर्गत, हमारी जो निजी पूँजी निवेश है, महाविद्यालय के पास जो जनभागीदारी का पैसा है, फैकल्टीज़ हमारे पास हैं, डिपोजिट हमारे पास है. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि एम.बी.ए. एवं एम.सी.ए के लिए शासन यदि अनुमति देना चाहे तो दे, इसमें कोई आपत्ति नहीं है. अगर आप अनुमति देंगे तो आने वाले सत्र से मन्दसौर स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एम.बी.ए. एवं एम.सी.ए. की कक्षाएं प्रारम्भ कर देंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने महाविद्यालयों को खोलने को लेकर मापदण्डों में आनुपातिक सुधार किया है, उसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ, यह निर्णय स्वागत योग्य है. इसलिए कि सरकार ने नई सोच, नई विचारधारा पर कार्य करना शुरू कर दिया है. शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालय एवं 12 वीं के कक्षा के विद्यालयों की जियो ट्रेनिंग करते हुए, जो डिजीटल डाटा तैयार किया जा रहा है, इससे संस्थाओं की आपसी दूरियां एवं कैचमेन्ट एरिया क्षेत्राधिकार को मिलाते हुए विद्यार्थियों की संख्या ज्ञात करने के साथ-साथ नवीन महाविद्यालय की स्थापना का रास्ता साफ होगा. 12 वीं के न्यूनतम 500 छात्र की उपलब्ध छात्र संख्या का निर्धारण, मंत्री जी स्वागत योग्य है. स्नातक संख्या के लिये 12 वीं के उसी संकाय के 200 छात्र तथा स्नातकोत्तर में उसी संख्या के 100 छात्रों की उपलब्धता होनी चाहिए. ऐसे जो आप नए मापदण्ड तय कर रहे हैं, उस मापदण्ड में दलौदा मेरा विधानसभा क्षेत्र निश्चित रूप से अपना स्थान प्राप्त कर लेगा.
अध्यक्ष महोदय - कृपया 5 मिनट में समाप्त करें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, कन्या महाविद्यालय के संकायों का युक्तियुक्तकरण करना, एक नया प्रयोग आपके नेतृत्व में, माननीय मुख्यमंत्री जी की संकल्पना के आधार पर प्रारम्भ हुआ. अभी भी प्रदेश के 10 जिले कन्या महाविद्यालय के रूप में स्थापित नहीं हैं. शासन ने इसकी चिन्ता की और शासन ने जब इन 10 जिलों की चिन्ता की है तो 12 वीं के छात्रों की संकायवार निर्धारण करते हुए, कन्या महाविद्यालय खोलने का, जो प्रस्ताव विचाराधीन है. ऐसे कन्या महाविद्यालयों को खोलने का जो विचार हुआ है, उससे रास्ता साफ होगा और मंजिल तक पहुँचा जायेगा. 41 कन्या संचालित महाविद्यालय 3 संकायों- कला, वाणिज्य एवं विज्ञान द्वारा संचालित किये जाने का प्रस्ताव परीक्षण में है, मैं समझता हूँ कि यह भी स्वागत योग्य है. अतिथि विद्वानों की बात बहिन सुश्री हिना कावरे ने रखी है. मैं समझता हूँ कि लगभग 30, 35 वर्षों से महाविद्यालयों में जो अतिथि विद्वान हैं, वे अपनी सेवायें दे रहे हैं. माननीय मंत्री जी श्री उमाशंकर गुप्ता एवं माननीय मुख्यमंत्री जी भी निरन्तर चिन्ता कर रहे हैं. अतिथि विद्वानों का मानदेय कभी 100-150 रूपये हुआ करता था, उसे बढ़ाकर 200 रूपये किया गया है. लेकिन मैं मानता हूँ कि जिस प्रकार से, माननीय मंत्री जी ने इसका अध्ययन किया है और पिछली बार भी यह बात सदन में आई थी कि कहीं यह चर्चा में है कि छत्तीसगढ़ और गुजरात के समकक्ष अतिथि विद्वानों का पाई फिक्सेशन तय कर दिया जाये. उनको पीरियड के हिसाब से बुलाकर उनका नुकसान होता है. क्योंकि कभी विद्यालय में अवकाश आ जाते हैं, कभी स्ट्राईक हो जाती है, वार्षिक सम्मेलन के अवसर पर 3 दिन की छुट्टी हो जाती है तो ऐसे में अतिथि विद्वान नियमित अपनी सेवाएं देने के लिए आते हैं, उनको निराश होकर घर वापिस लौटना पड़ता है. मैं समझता हूँ कि अगर उनका मासिक निर्धारण होगा तो वे सरकार के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करेंगे. मैंने यह मामला, जब मैं 13 वीं विधानसभा का सदस्य था तो मैंने सदन में रखा था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ का गठन करना. यह अपने आप में एक अनूठा प्रयोग है, नवाचार है. 339 शासकीय महाविद्यालय, 9 अशासकीय महाविद्यालय एवं 36 शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय में व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ का गठन किया गया है. उसके लिए मैं आभार एवं धन्यवाद प्रकट करना चाहता हूँ एवं इसका लाभ ढाई लाख छात्र-छात्राओं ने लिया है. प्रकोष्ठ के माध्यम से काम हुआ है. यह प्रकोष्ठ, दीपावली के पर्व पर शहीदों के नाम पर प्रत्येक घर में दीप प्रज्ज्वलन करने जाने के लिए अपने आपको अग्रेषित कर पाया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वच्छता अभियान में भी पुलिस विभाग के रक्षक बन्धु योजना में सहृदयता दर्ज करा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी 2-3 बातें और रह गई हैं. स्मार्ट फोन के माध्यम से नवाचार के साथ जुड़ा है, आधुनिक युग है, तकनीकी युग है और विद्यार्थियों को स्मार्ट फोन देने के लिए, इस बजट में 3030 लाख का प्रावधान किया गया है. मैं उसके लिए माननीय मंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ. ऐसा नहीं है कि रिक्त पदों की भर्ती के बारे में सरकार ने चिन्ता नहीं की है. सहायक प्राध्यापकों के 2,333 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया प्रारंभ है, यह लोक सेवा आयोग द्वारा दि. 19 फरवरी, 2016 को इसका विज्ञापन प्रकाशित कर दिया गया है. पूरी प्रक्रिया प्रक्रिया के अन्तर्गत है एवं तृतीय श्रेणी के भी 262 पदों पर प्रक्रिया जारी है. इसी सदन के सदस्य पूर्व मंत्री इन्दौर के विधायक स्वर्गीय श्री लक्ष्मण सिंह जी गौड़ के नाम से उनकी जीवटता एवं जिन्दादिली को लेकर शिक्षा के प्रति, उनकी जो अभिरूचि थी, उसमें आमूलचूल परिवर्तन करने को लेकर, उनका जो दिव्य सपना था, उसको चिर-स्थायी बनाने के लिए सरकार ने स्वर्गीय श्री लक्ष्मण सिंह गौड़ पुरस्कार योजना को प्रारंभ किया है. वास्तव में, यह निर्णय स्वागत योग्य निर्णय है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्राचार्य, शिक्षक और विद्यार्थी, इन तीनों की त्रिवेणी को समेटते हुए, जब पुरस्कारों की बात चलाई गई है तो स्व. गौड़ साहब की स्मृति में. इन पुरस्कारों की संख्या भी बढ़ी है. पुरस्कारों की संख्या 30 से बढ़ाकर 248 कर दी गई है, जिसमें 8 प्राचार्य, 40 शिक्षक तथा 200 विद्यार्थी इस पुरस्कार से लाभान्वित हुए हैं एवं बजट में 1.25 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. कुल मिलाकर यह जो अनुदान मांग आई है. मैं समझता हूँ कि यह समग्र चिन्तन, सोच एवं विचार है. एक बार पुन: बड़े सम्मान के साथ माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय मंत्री श्री उमाशंकर जी गुप्ता का बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करता हूँ.
श्री मुकेश नायक (पवई) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज इस सदन में, उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा की अनुदान मांगों पर चर्चा हो रही है. मैं इस कटौती प्रस्ताव के विरोध में, अपनी बात कहने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मैं आपके माध्यम से, सरकार से, उच्च शिक्षा मंत्री जी यह पूछना चाहता हूँ कि दि. 23.06.2015 को आयोजित बैठक का यह आपके मध्यप्रदेश शासन का परिपत्र है, जो सारे मध्यप्रदेश में आपने लोगों के बीच में भेजा है. इसमें लिखा है कि निजी विश्वविद्यालय में भी समस्त विशेषकर प्रोफेशनल कोर्सेस में प्रवेश की अंतिम तिथि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार15 अगस्त रखी जावे. प्रदेश के समस्त शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों में प्रवेश प्रक्रिया 15 अगस्त के पूर्व निश्चित कर ली जाये. क्या आप इससे सहमत हैं ? यह आपका परिपत्र है. दूसरा, पारदर्शिता की दृष्टि से प्रवेश की अंतिम तिथि के साथ के ही समस्त निजी विश्वविद्यालय संचालनालय तकनीकी शिक्षा एवं अन्य विश्वविद्यालयों द्वारा प्रवेषित छात्रों की सूचियां, उनको वेब साइट पर, डोमेन पर उपलब्ध कराना सुनिश्चित कराया जाये. इसका अर्थ यह है कि शासकीय और अशासकीय दोनों विश्वविद्यालयों के लिये गाइड लाइन सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य शासन ने मध्यप्रदेश में लागू की है कि प्रवेश की अंतिम तिथि 15 अगस्त होगी और जो छात्र इसका रजिस्ट्रेशन करायेंगे, इसमें एडमिशन लेंगे, उनकी सूची ऑन लाइन वेब साइट के ऊपर, पोर्टल के ऊपर डाली जायेगी. मै मंत्री जी से यह विनम्रता कहना चाहता हूं कि जब आप अपना उत्तर दें, मुझे बड़े दुख के साथ सदन में यह कहना पड़ रहा है कि पक्ष और विपक्ष के सम्मानित सदस्य अनुदान मांगों पर जो सुझाव देते हैं, आपत्तियां दर्ज कराते हैं, कमियों की ओर इशारा करते हैं, जब मंत्री अपना उत्तर देते हैं, तो वह उत्तर बेहद औपचारिक होता है, उसमें कोई कंटेंट नहीं होता है और माननीय सदस्यों की आशंकाओं, जिज्ञासाओं और सुझावों पर कोई भी उत्तर देना उचित नहीं समझते हैं. इसलिये मैं मंत्री जी से विनम्रतापूर्वक यह कहना चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश का, राज्य शासन की इस गाइड का प्रायवेट विश्वविद्यालयों ने कितना पालन किया, अपने उत्तर में यह बतायें. अब मैं इसकी कहानी बताना चाहता हूं कि यह होता क्यों है. अध्यक्ष महोदय, इसी में राज्य शासन ने यह लिखा है कि तीसरी जो गाइड लाइन लिखी है- निजी विश्वविद्यालय में आरजीपीवी व अन्य विश्वविद्यालों से अध्ययनरत् छात्र किसी भी कोर्स के मध्य में स्थानांतरित किये जा रहे हैं, इस प्रक्रिया में भी पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से प्रवेश के पूर्व संबंधित विश्वविद्यालय का अनापत्ति प्रमाण पत्र, स्कूल लेविल सर्टीफिकेट, टीसी और इसकी एनओसी देना पड़ेगी. मैं सही कह रहा हूं ना कि यह आपने लिखा है. मैं आपसे यह पूछना चाहता हूं कि निजी विश्वविद्यालयों ने इस गाइड लाइन का पालन क्यों नहीं किया. साल भर ये एडमिशन क्यों कर रहे हैं. जब चाहे एडमिशन कर लो, जब चाहे परीक्षा करा दें. ऐसा क्यों हो रहा है. ऐसा इसलिये हो रहा है कि भोपाल के एक ग्रुप ने एक ही सोसायटी पर चार निजी विश्वविद्यालय खोल लिये. खोले लिये कि नहीं खोल लिये. नाम पढ़कर सुनाऊं, सोसायटी का नाम पढ़कर सुनाऊं. आपके कार्यकाल में और इस विश्वविद्यालय को 100-100 सीटें, 400 सीटें इस विश्वविद्यालय को बीएड, डीएड और एमएड की सेंक्शन हुई थीं. यह सत्य है. इसका उत्तर चाहूंगा आपके जवाब में. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी पर आरोप लगाता हूं कि इन 400 सीटों के बदले प्रायवेट विश्वविद्यालयों ने 5 हजार विद्यार्थियों को बीएड, एमएड और डीएड की परीक्षा में बिठाल दिया और एक-एक विद्यार्थी से 3 लाख रुपये वसूल किये हैं. मेरे पास एक नम्बर है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके कक्ष में आकर वह नंबर आपको दे दूंगा, क्योंकि सदन में बोलने की मर्यादा है. मैं अपने पत्र के माध्यम से पक्ष और विपक्ष के तमाम विधायकों को वह नंबर दे दूंगा. एक कंसल्टेंसी का नंबर है, उस नंबर पर आप फोन करिये और पूरी सौदेबाजी करिये. आरकेडीएफ विश्वविद्यालय 2-2 साल पहले की परीक्षाएं सम्पन्न करा रहा है. आपको पता है 15 दिन पहले होटल के एक कमरे में 100 विद्यार्थी परीक्षा देते हुए पकड़े गये. पूरे अखबारों में आया. आरकेडीएफ यूनिवर्सिटी ने गलत एफडी लगाई अपना विश्वविद्यालय और कालेज खोलने के लिये. सीबीआई उसकी जांच कर रही है, उसके ऊपर इतना गंभीर आरोप था. उसके बावजूद भी मंत्री जी ने आपसी (XXX) के द्वारा उसकी चार यूनिवर्सिटी खोलवा दीं. मध्यप्रदेश के अन्दर चार विश्वविद्यालय की स्थापना करा दी. आप मध्यप्रदेश में करना क्या चाहते हैं. किस तरह की संस्कृति को आप निर्मित करना चाहते हैं. किस तरह के शिक्षा परिसर बनाना चाहते हैं. किस तरह का एकेडमिक एडमॉसफिअर बनाना चाहते हैं. क्या डिसीप्लेन लाना चाहते हैं मध्यप्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में. और बताऊं. आरकेडीएफ विश्वविद्यालय ने फर्स्टीअर में जो बच्चे फेल हो गये, मंत्री जी, अध्यक्ष जी के माध्यम से मैं आप पर आरोप लगाता है, यह बहुत गंभीर आरोप है. जो बच्चे फेल हो गये विश्वविद्यालय में, फर्स्ट इयर में इंजीनियरिंग कालेजेस में, उनको प्रायवेट विश्वविद्यालयों ने अपने इंजीनियरिंग कालेज में एडमिशन दे दिया. आपको मालूम है कि आपने ही गाइड लाइन्स बनाई हैं. गवर्नमेंट ऑफ इंडयिा ने, तकनीकी शिक्षा ने गाइड लाइन्स बनाई हैं कि जो बच्चे फर्स्ट इयर में फेल हो जाते हैं, उनको एडमिशन नहीं मिलेगा. बिना एनओसी लिये, बिना माइग्रेशन सर्टीफिकेट लिये, बिना टीसी लिये 5 हजार बच्चों के एडमिशन प्रायवेट यूनिवर्सिटी ने ऐसे बच्चों के कर दिये, जो फेल हो चुके थे. आपको (XXX) आनी चाहिये, आप इस तरह से मध्यप्रदेश के शिक्षा परिसर को चलाना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह कार्यवाही से निकाल दीजिये.
श्री मुकेश नायक -- किस आधार पर, पांच हजार बच्चों का आपने एडमिशन करा दिया और एक बच्चे से 5 से 10 लाख रुपये वसूले गये. क्या हो रहा है प्रायवेट यूनिवर्सिटी में, मैं बताऊं. अनिल का एडमिशन हुआ और अखिल को डिग्रियां दी जा रही हैं. जिनका एडमिशन हुआ जिस नाम से, उनको डिग्रियां नहीं दी जा रही हैं. दूसरे व्यक्तियों को डिग्रियां दी जा रही हैं.
राज्यमंत्री, संसदीय कार्य (श्री शरद जैन) -- अध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार की भाषा प्रयोग की जा रही है और जिस प्रकार से व्यक्त की जा रही है कि लोगों को शर्म आना चाहिये. लोगों को ऐसा करना चाहिये.
श्री मुकेश नायक -- कोई गलत भाषा प्रयोग नहीं की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय – (XXX) शब्द निकाल दीजिये. बाकी मंत्री जी उत्तर दे देंगे, आप चिंता न करें.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, मैं विनम्रतापूर्वक इस सदन के सदस्यों से हाथ जोड़कर यह प्रार्थना करना चाहता हूं कि यह पूरे मध्यप्रदेश के बच्चों के भविष्य का प्रश्न है और विपक्ष अगर कोई आलोचना करता है, सरकार को जागृत करने का काम करता है, तो इसके पीछे किसी को बदनाम करने की हमारी मंशा नहीं होती.
श्री के.के.श्रीवास्तव -- अध्यक्ष महोदय, शब्दों की मर्यादा होनी चाहिये. ये पता नहीं कैसे प्रवचनकर्ता रहे. मुझे तो कहीं से शक होता है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें, उनको बोलने दें.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, इनका क्षेत्र मेरे क्षेत्र से लगा हुआ है. और मैं तो नहीं समझता कि इनका कोई उत्तर देने की आवश्यकता है. क्योंकि मैं इन्हें बहुत अच्छे से जानता हूं. अभी जेल से छूटे हैं, थोड़े दिन हुए हैं. मैं बोलना नहीं चाहता था, अच्छा नहीं लगता, आपकी बदनामी होगी.
श्री के.के.श्रीवास्तव -- उतना ही मैं आपको जानता हूं. छात्र राजनीति के समय से ही जानता हूं.
श्री मुकेश नायक -- मुझसे बड़ा छात्र राजनेता मध्यप्रदेश की राजनीति में हुआ ही नहीं. महानुभाव आप पता कर लीजिये. मुझसे बड़ा छात्र नेता, मुझसे बड़ा युवा नेता, एक एक लाख युवक मेरे साथ जेल जाते थे. आप हो कहां. शिक्षा और शिक्षित व्यक्ति के द्वारा अपने सामाजिक सरोकार, अपना सामाजिक बोद्ध, अपने उद्देश्य और भारत की संस्कृति, सभ्यता और परंपराओं में अपना योगदान, एक महत्वपूर्ण विषय माने जाते हैं. मैं बड़े दुख के साथ कहता हूं कि जिस शिक्षा के बारे में हमारी परंपरा ने कहा कि जो विमुक्त करे, वह शिक्षा है. भगवान कृष्ण जी ने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिये, जो बुद्धि से हृदय का ठीक ठीक तालमेल बिठा दे. और आगे कहा कि बुद्धि अगर हृदय की बात माने तो बहुत अनूठी है, बुद्धि अगर मालिक बन जाये तो बहुत घातक है. ये बुद्धि को मालिक बनाने का काम कर रहे हैं. जिस तरह से अनुशासनहीनता शिक्षा में हो रही है , भ्रष्टाचार हो रहा है, आप अपने उत्तर में बताने की कृपा करेंगे कि ये चार विश्वविद्यालय एक ही सोसायटी ने कैसे मध्यप्रदेश में खोल लिये. आप मुझसे कहेंगे कि मध्यप्रदेश विनियामक आयोग ने खोले हैं. यह आयोग किसका है और इस आयोग की सिफारिशें क्या राज्य शासन के पास नहीं आती हैं. उसकी स्क्रुटनी के बाद राज्य शासन की यह जिम्मेदारी नहीं बनती है क्या कि जिस पर सीबीई के मुकदमें विचाराधीन हैं, जो घपले और घोटाले की गंभीर प्रक्रिया से गुजर रहा है. उसको इतने बड़े बड़े शिक्षा के परिसर आपने दे दिये. एक विवेकानन्द विश्वविद्यालय है सागर में. मैंने फेसबुक के ऊपर देखा कि वह अफ्रीका में डिग्रियां दे रहे हैं बच्चों को. मुझे एक चीज बताइये किसी भी विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत जिस विश्वविद्यालय का गठन होता है उस विश्वविद्यालय का कार्य क्षेत्र निश्चित होता है. उस विश्वविद्यालय का केम्पस कल्चर निश्चित होता है और मध्यप्रदेश के नियम, केन्द्र सरकार के नियम और विश्वविद्यालय अधिनियम जो आपने बनाया है, उसके समन्वित रुप में शिक्षक, केम्पस, उसके मापदंड सरकार के द्वारा और भिन्न भिन्न समितियों के द्वारा निर्धारित होते हैं. आप बताइये कि क्या कोई विश्वविद्यालय विदेशों में अपने सेंटर बना सकता है. आपने इसकी अनुमति दी है. स्टडी सेंटर दूसरे राज्यों में बना सकता है. यह कोई डिसटेंस एजुकेशन है. यह कोई ओपन यूनिवर्सिटी है. अगर इग्नू होता, तो मैं मान लेता कि इनको इस अधिनियम में यह अधिकार दिया है कि वह दूसरे राज्यों में अपने स्टडी सेंटर बनायें. दूसरे राज्यों में शिक्षा के केम्पस को आर्गेनाइज करे, शिक्षा का प्रचार प्रसार करे और ऐसे बच्चों को लें...
अध्यक्ष महोदय--कृपया 5 मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
श्री मुकेश नायक-- जी. अध्यक्षजी, दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से ऐसे बच्चों को लें जो किन्हीं कारणों से ड्राप रेट में आ गये हैं, किन्हीं कारणों से पढ़-लिख नहीं पाये. इसके लिए ओपन स्कूल, ओपन यूनिवर्सिटी बनी है. अध्यक्ष महोदय, अब मैं आपको एक किस्सा बताता हूं. महानुभाव,भोपाल में आई सेक्ट यूनिवर्सिटी है ? इग्नू ने एक फरमान जारी किया कि मध्यप्रदेश के हजारों शिक्षकों को B Ed-D Ed कराया जाये. इग्नू को यह जिम्मेदारी दी गई कि वह परीक्षाओं का संपादन करें, उन्हें परीक्षाओं में बैठाये लेकिन इग्नू के अधिकारियों ने, विश्वविद्यालय के लोगों ने आई सेक्ट विश्वविद्यालय के लोगों के साथ एक तालमेल बैठाया. माननीय मंत्रीजी ने मध्यस्थता का काम किया. पता है 250 करोड़ रुपये लेकर 20 हजार बच्चों को परीक्षा में बैठा दिया. आपको यह बात मालूम है? अगर नहीं मालूम है तो आप कर क्या रहे हो. अध्यक्ष महोदय, बच्चे एक साल की परीक्षा दे चुके हैं. लेकिन तीन साल से सेकंड ईयर का एग्जाम नहीं हो पाया क्योंकि सीबीआई ने छापा मारा इसको गंभीर अपराध माना और इसकी जांच चल रही है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के शिक्षकों से एक प्रायवेट यूनिवर्सिटी ने ढा़ई सौ करोड़ रुपये वसूल किये. यह परीक्षा इग्नू को संपादित करना थी. लेकिन इस परीक्षा के संपादन का तालमेल आपने इग्नू और आईसेक्ट यूनिवर्सिटी के बीच में बैठा दिया और ढ़ाई सौ करोड़ रुपये की फीस और पैसे मध्यप्रदेश के शिक्षकों से आपने वसूल कर लिये. अब वो 3 साल से भटक रहे हैं कि हम सेकंड ईयर की परीक्षा कहां दें. अब आप बताईये कि वह सेकंड ईयर की परीक्षा कब दे और कहां दें. आपने मध्यप्रदेश के सारे विश्वविद्यालयों को उनके बच्चों के रजिस्ट्रेशन को ऑन लाईन किया है. पोर्टल पर डाला है लेकिन निजी विश्वविद्यालयों को इससे वंचित क्यों रखा? सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, राज्य शासन का फरमान है लेकिन निजी विश्वविद्यालय के बच्चों का एडमिशन कब हुआ. कितने बच्चे परीक्षा में बैठे. कब कब परीक्षा में बैठे. किन किन होटलों में परीक्षाएं हो रही हैं. किन किन पेड़ों के नीचे, किन किन घरों में परीक्षाएं हो रही हैं. इसका लेखा-जोखा आपको पोर्टल पर डालना चाहिए. क्यों नहीं डाला आपने?
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में 32 हजार रुपये ओबीसी के बच्चों की स्कालरशिप थी. स्कालरशिप के मामले में आपकी ही पार्टी के विधायक माननीय गिरीश गौतम जी ने कितना गंभीर आरोप लगाये थे. उन्होंने कहा था कि इसमें करोड़ों अरबों रुपये का घपला है. आपने इंजीनियरिंग कॉलेजों के ओबीसी के बच्चों के लिए 32 हजार रुपये स्कालरशिप रखी थी उसको आपने 23 हजार रुपये कर दिया. बिहार में यही 70 हजार है, पंजाब में 90 हजार रुपये है. बिहार ने एक पॉलिसी डिसीज़न लिया कि जिन राज्यों में ओबीसी,अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों के लिए जो स्कालरशिप होगी, हम अपने राज्य में वही स्कालरशिप देंगे. परिणाम यह हुआ कि जो बच्चे बिहार,उत्तरप्रदेश या अन्य राज्यों से हमारे यहां पढ़ने आते थे,उनने आना बंद कर दिया. क्योंकि बिहार में ज्यादा फीस है. वो लेपटॉप भी देते हैं, दूसरे साधन भी देते हैं. पंजाब में 90 हजार रुपये पिछड़े वर्ग के बच्चों की फीस है.
श्री जसवंत सिंह हाडा--अध्यक्षजी, ये जो बिहार, उत्तरप्रदेश या पंजाब का उदाहरण दे रहे हैं. ये इनके समय का दें ना जब ये उच्च शिक्षा मंत्री थे. अपना उदाहरण दीजिए कि आपने क्या किया था तब हम करके दिखायें. हमने आपके समय से कम किया क्या? (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी-- आप स्वयंसेवक रहे हैं. 15 साल में विधायक बन गये हैं.
श्री सचिन यादव--ये एक्सक्यूज़ देना बंद कर दीजिए. आपकी सरकार को भी 12 साल हो गये.
श्री जसवंत सिंह हाडा--आपने क्या किया. कुछ नहीं किया.
श्री जितू पटवारी-- मध्यप्रदेश का काला मुंह आपने किया है.
श्री जसवंत सिंह हाडा--मुझे केवल मुकेश जी से पूछ लेने दो अभी आपको कुछ पता नहीं है.
श्री मुकेश नायक--बता दूंगा. अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय--समय कम है.
श्री मुकेश नायक--अध्यक्ष महोदय, पूरे सरकारी विश्वविद्यालयों में प्रवेश में आरक्षण के नियम लागू होते हैं या नहीं? भर्ती में आरक्षण के नियम लागू होते हैं या नहीं? निजी विश्वविद्यालयों में बच्चों के प्रवेश में आरक्षण के नियम क्यों लागू नहीं होते? अब आप कहेंगे कि हमने उनको आत्मनिर्भरता दी. विश्वविद्यालयों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया. उनकी ऑटोनामी को हम प्रभावित नहीं करना चाहते. यह कहकर आप बच नहीं सकते हैं. भारतवर्ष में जितनी भी प्रायवेट यूनिवर्सिटीज़ हैं, सब एक्ट आप उठाकर देख लीजिए. मैंने स्वयं ने वैदिक विश्वविद्यालय का एक्ट बनाया और पूरे भारत के लोग आज उस एक्ट की नकल करते हैं. महानुभाव ! ऑटोनामी ऐसे नहीं होती कि आप नियम-प्रक्रिया का पालन न करें. जब चाहो परीक्षा कराओ. जब चाहे एडमिशन दो.खुद फीस निर्धारित कर लो. (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- इस तरह से आरोप नहीं लगा सकते. कार्यवाही से विलोपित करें.(व्यवधान) बिना सूचना के आरोप नहीं लगा सकते.
श्री मुकेश नायक--आप विधानसभा की कार्यवाही से निकाल दीजिए. लेकिन जो सब जानते हैं उसको आप कैसे झुठला सकते हैं. अध्यक्ष महोदय, अंतिम बात कहना चाहता हूं. मैंने जो आरोप लगाये हैं, अगर मेरे एक भी आरोप गलत हों तो मैं मंत्रीजी से यह प्रार्थना करना चाहता हूं कि यदि वो पाक साफ हैं, दूध के धुले हैं, स्वच्छ हैं, वह किसी चीज में शामिल नहीं हैं तो सदन में अभी खड़े होकर इन दो विषयों को लेकर सीबीआई जांच की घोषणा करो. आपको पता लग जायेगा. और अगर आरोप असत्य निकले, विधानसभा की समिति बनाकर जांच करा लें. अगर मेरे आरोप असत्य निकले तो मैं विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दूंगा. मैं यही कहना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- (श्री उमाशंकर गुप्ता, उच्च शिक्षा मंत्री के खड़े होने पर) आप उत्तर के समय बोलिये. आप बैठ जाईये. मंत्रीजी कुछ बोल रहे हैं.
उच्च शिक्षा मंत्री(श्री उमाशंकर गुप्ता)--अध्यक्ष महोदय,(XXX)
श्री मुकेश नायक--(XXX)
अध्यक्ष महोदय--यह कार्यवाही से निकाल दीजिए. श्री रामेश्वर शर्मा...
श्री रामेश्वर शर्मा(हूजूर) अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 44,47 और 70 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
अध्यक्ष महोदय, हम और आप जानते हैं कि उच्च शिक्षा के गुणात्मक विकास के लिए जो मध्यप्रदेश सरकार कदम उठा रही है, वह केवल एक जाति, एक वर्ग के लिए नहीं है, बल्कि संपूर्ण मध्यप्रदेश के नागरिकों के हित में है. हम और आप यह भी जानते हैं कि पहले जो मेला शब्द था वह शब्द या तो कोई धार्मिक आयोजन को मेला कहते थे, या कोई मेला या ठेला जो हाट बाजारों के बड़े आयोजनों को मेला कहते थे. लेकिन यह प्रदेश के इतिहास में पहला उदाहरण है कि शिक्षा के आधार पर जिस केम्पस से बच्चे पढ़कर तैयार हो रहा हैं वहां पर भी रोजगार मेले मध्यप्रदेश की सरकार, मुख्यमंत्रीजी और उच्च शिक्षा मंत्री श्री गुप्ता जी और दीपक जोशीजी ने आयोजित कराये. उससे हजारों विद्यार्थियों को लाभ मिला और सीधे नौकरी मिली.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी बता देना चाहता हूं कि शिक्षा के क्षेत्र में जितने भी विस्तार हो रहे हैं. उन विस्तारों में पहले भी मतभिन्नता रही है. मैं माननीय मुकेश नायक जी को बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने एक बहुत अच्छा नाम उठाया आरकेडीएफ. यह आरकेडीएफ है कौन? यह कौन महापुरुष है? इसका जनक कौन है? यह आरकेडीएफ में आर क्या राजस्थान का है. के क्या कर्नाटक का है. आर के धवन नाम के कोई महापुरुष थे यह उनका नाम है. यह उस कांग्रेस के नेता की संस्था है जो कांग्रेस के नेता यहां मध्यप्रदेश में मिनिस्ट्री बांटने का काम करते थे. हो सकता है आपका उनका भी तत्कालीन समय में गठजोड़ रहा हो. 1995 में दिग्विजय सिंह जी के समय इस बात का विवाद भी रहा. दिग्विजय सिंह जी ने इस बात पर मतभिन्नता भी व्यक्त की कि निजी विश्वविद्यालयों को हम अनुमति देकर एक नई परम्परा की शुरुआत न करें और तब एक निजी विश्वविद्यालय को अनुमति दी गई. इसके बाद आरकेडीएफ को लगातार कॉलेजों की अनुमति दी गई. वह अनुमति किसने दी? कैसे अनुमति मिली? इसकी भी एक जांच होना चाहिए. आखिर वह आरकेडीएफ महापुरुष कौन हैं?...........
12.40 बजे {उपाध्यक्ष महोदय(डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह)पीठासीन हुए}
..............वह भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के निज सचिव हुआ करते थे. उनके नाम पर यह कालेज है. और अगर वो नहीं है तो यह भी क्लीयर किया जाना चाहिये कि यह आरकेडीएफ है क्या. यह बताया जाये. मैं इतनी प्रार्थना करना चाहता हूं कि शिक्षा के क्षेत्र में हम कोई विवाद नहीं चाहते हैं. आज हम गर्व के साथ में इस मध्यप्रदेश के लोकतंत्र के मंदिर में यह कह सकते हैं कि हमारे जितने भी निजी विश्वविद्यालय हैं , जो अपराध दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुआ वह मध्यप्रदेश के किसी भी विश्वविद्यालय में नहीं हुआ इसके लिये सरकार बधाई की पात्र है. अगर हमने पैदा किया है तो भारत का नागरिक पैदा किया है, अगर हमने उसकी गुणवत्ता का विकास किया है तो हमने भारत के अग्रसर भारत के नागरिक के रूप में किया है, भारत के राजनेता के रूप में किया और अगर आपको यह दंभ है कि आप मध्यप्रदेश के सबसे युवा नेता रहे हैं तो मैं बधाई देता हूं लेकिन आप उन नेताओं को समझाओ जो पंडित जवाहर लाल नेहरू आजादी के लिये जेल के सींखचे में रहे, जिन्होंने देश की आजादी के लिये पूरी जिंदगी दांव पर लगा दी उनके नाम पर जेएनयू में अगर कोई तिरंगा फाडने की बात करे, कोई राष्ट्रद्रोह की बात करे इससे ज्यादा गद्दारी और देशद्रोह कोई हो नहीं सकता. और आप सपोर्ट करें, मैं आपका बहुत सम्मान करता हूं. आप युवा नेता हैं, आपने परिवर्तन किया है, आपने तो अपनी सरकारों को भी चेलेंज किया है, इसलिये आप युवाओं के प्रेरणास्त्रोत हैं . आप उसको भी चेलेंज करो जो तिरंगा फाड़ने की बात करे, आप उसको भी चेलेंज करो जो देश के टुकड़े करने की बात करे, आप उसको भी चेलेंज करो जो अफजल गुरू की बरसी मनाने का धंधा करे उसको भी चेलेंज करो, जिसको सुप्रीम कोर्ट फांसी दे,.
श्री मुकेश नायक-- पीडीपी ने तो खुद अफजल गुरू की फांसी का विरोध किया था. इसका उत्तर भी दे दो. जरा सोच समझकर के बोलें भैया. आपने पीडीपी के साथ सरकार नहीं बनाई कश्मीर में. पीडीपी के मुफ्ती मोहम्मद ने क्या पत्र लिखा था, पढ़ के बतायें.
श्री जितू पटवारी-- आप तो कम से कम ऐसी बात मत करो. आप तो आतंकवादियों को घर तक छोड़कर के आने वाले हो. संसद उड़ाने वालों को घर छोड़कर के आने वाले हो. कुछ तो भी बात करते हो.
उपाध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठ जायें.
श्री सचिन यादव--कंधार तक छोड़कर के आये थे.
उपध्यक्ष महोदय- रामेश्वर जी को बोलने दें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- उपाध्यक्ष महोदय, अगर मैंने कोई ऐसा शब्द बोला हो जिससे किसी को आपत्ति हो.यह भारत 1947 में आजाद हुआ, भगत सिंह, रामप्रसाद विस्मिल, खुदीराम बोस, अशफाकउल्ला खान, महात्मा गांधी, मंगल पांडे, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, तमाम लोगों ने कुर्बानी दी है अगर उनकी कुर्बानी कुछ लोग भूलना चाहते हैं तो ऐसे भुलक्कड़ लोगों से मैं कुछ कह तो नहीं सकता अगर उन्हें मेरी बात कुछ बुरी लगी हो तो उन शब्दों को मैं वापस कर लूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- रामेश्वर जी मेरा सुझाव था कि आप मांगों पर भी बोल लें.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा- उपाध्यक्ष महोदय, रामेश्वर जी के साथ अन्याय हो जायेगा, उन्होंने बहुत तैयारी की है, मुकेश भाई तो मांग पर आये नहीं.
श्री रामेश्वर शर्मा-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं केवल एक प्रार्थना करना चाहता हूं.मैं मुकेश जी के मामले में बिल्कुल नहीं पड़ना चाहते वह वरिष्ठ राजनेता हैं, और दिग्विजय सिंह जी की और उनकी आंतरिक कलह को मैं यहां उजागर भी नहीं करना चाहता क्योंकि इसमें बहुत सी चीजें निकलेंगी मैं उसमें क्यों पडूं. मैं जितना सम्मान मुकेश भाई आपका करता हूं उतनी ही दिग्विजय सिंह जी का करता हूं और आप दोनों ही मध्यप्रदेश में सम्मानित हो. बाकी तो सब..
उपाध्यक्ष महोदय-- रामेश्वर जी उनके मुद्दों में आप अपना समय क्यों जाया कर रहे हैं. मांगों पर आयें.
श्री बाला बच्चन- उपाध्यक्ष महोदय, मांगों पर बोंले दिग्विजय सिंह जी का नाम क्यों ले रहे हैं, वे सदन के सदस्य हैं क्या.
श्री रामेश्वर शर्मा -- क्या वो आपके नेता नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय-- बाला जी कोई आपत्तिजनक बात तो नहीं कर रहे हैं लेकिन मांगों पर उनको आना चाहिये.
श्री बाला बच्चन -- दिग्विजय सिंह जी हमारी पार्टी के बहुत बड़े नेता हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा- आप कमलनाथ जी के गुट के हो इसलिये दिग्विजय सिंह जी को स्वीकार नहीं करते, जितू पटवारी जी दिग्विजय सिंह गुट के हैं वो नहीं बोले, आप कमलनाथ गुट के हो तो आपको बुरा लग गया.
श्री बाला बच्चन -- आपको मांगों पर बोलना नहीं है. यहां वहां की बात कर रहे हैं. हमारे नेता कमलनाथ भी हैं, दिग्विजय सिंह जी भी हैं, राहुल गांधी जी भी हैं. सब हमारे नेता हैं , आप कहें तो आज इसी पर चर्चा कर लेते हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि माननीय उच्च शिक्षा मंत्री महोदय लगातार शिक्षा के क्षेत्र में सुधार कर रहे हैं गुणात्मक विकास कर रहे हैं. आज मध्यप्रदेश में लाखों छात्र इससे लाभान्वित हो रहे हैं. हमारा प्रदेश निरंतर नाम कमा रहा है. उपाध्यक्ष महोदय, जैसा आपका निर्देश हुआ है मैं केवल 2-3 सुझाव देना चाहता हूं. अगर मंत्री जी को उचित लगे तो सभी महाविद्यालयों में, सभी कालेजों में एनसीसी को अनिवार्य किया जाये, अगर एनसीसी सभी महाविद्यालयों में अनिवार्य होती है , राष्ट्रीय चेतना की बात होती है, सेना के जवान उनको अगर प्रशिक्षित करते हैं , नैतिकता का पाठ होता है तो एक नई प्रथा वहां पर शुरू होगी. मेरी प्रार्थना है कि राष्ट्रीय सेवा योजना जो चालू है, कालेज में इसका पालन होता है मगर साल में 4 दिन 5 दिन का एक आयोजन होता है इसको भी त्रेमासिक किया जाना चाहिये. कम से कम तीन माह में एक राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत एक गांव अनिवार्य रूप से दिया जाये और साल भर में उस गांव में एक ही प्रकल्प चलाया जाये या वो स्वच्छता का चलायें, पर्यावरण का चलाये, साक्षरता का चलायें, नोजवानों में प्रेरणा देने का काम करें पर तीन महीने में इसको केंप के रूप में लिया जाये और प्रत्येक शासकीय कालेज प्रायवेट कालेज में अनिवार्य रूप से अगर यह कराया जायेगा तो नैतिकता का पाठ भी होगा और बच्चों में गांव का भी बोध होगा.
उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से एक और प्रार्थना करना चाहता हूं कि हम और आप रोजगारोन्मुखी शिक्षा की बात करते हैं . अभी भाई रामनिवास रावत साहब नहीं है उन्होंने कहा था कि शिक्षा का शुरू से ही ऐसा विकास हो हम जब कालेजों में एडमीशन लेते हैं तो विद्यार्थी लिखता है मैं किसान का बेटा हूं, कोई लिखता है कि मैं उद्योगपति का बेटा हूं, कोई कहता है कि मैं मास्टर का बेटा हूं जब इस तरह की श्रेणी हमारे पास में आती है, तो इस तरह की श्रेणी को हम चिह्नित करके क्या कालेजों में कौशल विकास केन्द्र के नाम पर या विवेकानंद जो विकास केन्द्र चल रहे हैं, ऐसे लोगों को जैसे कृषि के विद्यार्थी हैं, वो किसान के बेटे हैं कृषि पर पढ़ाई नहीं कर रहे हैं, लेकिन किसान के बेटों को उन्नत खेती के बारे में अगर हम बतायें और प्रोत्साहित करें तो उन्हें नया धंधा ढूंढने की जरूरत नहीं पडेगी. बल्कि पारंपरिक जो धंधा है उसमें ही वह आगे योगदान दे सकेंगे और अपना विकास कर सकते हैं, उस दिशा में वो आगे कर सकते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री रामेश्वर शर्मा- उपाध्यक्ष महोदय, 2 मिनट में अपनी बात को समाप्त करूंगा.
श्री रामेश्वर शर्मा -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह भी प्रार्थना करना चाहता हूं कि हमारे इन कालेजों में राष्ट्रीय सेमीनार होते हैं लेकिन उनको और ज्यादा करने की आवश्यकता है. और ज्यादा विचार विमर्श करने की आवश्यकता है, भारत की यह जवानी ही यही भारत का भाग्य विधाता है यही भारत का नेतृत्व करने वाली है और नेतृत्व करने वाली पीढ़ी किसी दल की नहीं है बल्कि वह हिन्दुस्तान की पीढ़ी है, हिन्दुस्तान की पीढ़ी को जो प्रेरणा दे सके जिनका भी नाम प्रेरणा दे सके, अगर वह नाम इंदिरा गांधी का है तो उस पर विचार किया जाये, अगर वह नाम विवेकानंद जी का है तो उस पर विचार किया जाये, अगर वह नाम डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का हो तो उस पर विचार किया जाये, अगर वह नाम पंडित नेहरू का है तो उस पर चर्चा हो, अगर वह नाम श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी का है तो उस पर चर्चा हो, अगर वह नाम दीनदयाल जी का है तो उस पर चर्चा हो लेकिन विकास किया जाये. एक और प्रार्थना करना चाहता हूं कि यह हम नहीं कह सकते हैं कि धीरे धीरे लोग हमारे महापुरूषों के चित्र भूल रहे हैं लेकिन कहीं न कहीं ऐसा लग रहा है कि महापुरूषों के चित्र लोगों के ध्यान से हट रहे हैं. अगर मंत्री जी चाहें तो प्रत्येक कक्ष में किसी भी एक महापुरूष का चित्र लगा देना चाहिये चित्र के नीचे उनका बोधवाक्य भी लिखा जाना चाहिये. जिससे वहां पर राष्ट्रीय महापुरूषों का चिंतन मनन और उनके चित्रों के बारे में व्यापक प्रचार प्रसार कर सकें. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह भी कहना चाहता हूं कि मंत्री जी ने जो कहा था.
उपाध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री जसवंत सिंह हाडा- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,शर्मा जी बहुत तैयारी करके आये हैं, उनको समय देना पडेगा, बहुत लिखकर के लाये हैं, दो दिन से जग रहे हैं, महाविद्यालय के मामले में इतनी तैयारी की है क्योंकि उनको मालूम था कि मुकेश जी के सामने उनको बोलना पड़ेगा, उपाध्यक्ष जी थोड़ी कृपा करें.
श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप श्री रामेश्वर शर्मा जी को 5 मिनट का समय और दे दें, कम से कम ये अनुदान मांगों पर भी बोल लें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- मेरे को अपनी मांग कर लेने दो, मुझे अपने यहां कालेज खुलवाने की मांग कर लेने दो.
अध्यक्ष महोदय-- एक मिनट में समाप्त करें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- मैं एक प्रार्थना करना चाहता हूं. मेरा क्षेत्र फंदा है, और मेरे से लगा हुआ क्षेत्र भाई शैलेन्द्र पटेल का है और मेरा लालघाटी से लेकर, दीपक जी भी जानते हैं, मंत्री जी भी जानते हैं इस पूरे क्षेत्र में शासकीय महाविद्यालय नहीं है. अगर फंदा और बैरागढ़ के बीच में कोई शासकीय महाविद्यालय निकट भविष्य में, जहां भी फंस जाये वह आप बता देना, जहां भी निकट भविष्य में अगर कोई योजना हो और माननीय मंत्री महोदय जी का सर्वे या उच्च शिक्षा का सर्वे होता है गुणवत्ता के हिसाब से वह अगर आ जाये और वहां खुल जाये तो हमारे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को काफी लाभ होगा, शैलेन्द्र पटेल जी के भी कुछ गांव उसमें सम्मिलित हो जायेंगे. अगर वहां खुल जाये तो माननीय मंत्री महोदय ...
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी (राऊ)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज जिस विभाग पर चर्चा हो रही है उसकी अनुदान मांगों पर बात करने के लिये मैं खड़ा हुआ हूं. मैं इन सारी बातों को लेकर मध्यप्रदेश में, पूरे विश्व में, पूरे देश में शिक्षा विभाग और उच्च शिक्षा विभाग के कारण मध्यप्रदेश को नीचा देखना पड़ा, ये किसी से छिपा हुआ नहीं और मंत्री जी मैं उपाध्यक्ष जी के माध्यम से आपको भी बताना चाहूंगा कि मैं जो भी बात करूंगा ईमानदारी से क्रिटीसाइज नहीं करूंगा क्योंकि यह छात्रों के भविष्य का मामला है, मध्यप्रदेश के अच्छे संस्कारों के साथ इसका मुंह फिर से उजला कैसे हो, इसकी साख कैसे जमे विश्व में वापस मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों पर कैसे इसके छात्रों पर देश के लोग भरोसा करें, इसके लिये कुछ सुझाव देना चाहूंगा. बहुत सी बातें सब कहेंगे, क्रिटीसाइज भी हो सकता है, आपकी बुराइयां भी हो सकती हैं, कमियां भी बता सकते हैं और मैं कोई दावा और किसी प्रकार से यह भी नहीं कहूंगा कि बाहर आप आरोप लगा लिये, अंदर लगाऊं, कोई आरोप भी नहीं लगा रहा हूं. मेरा तो अनुरोध इतना है कि आज जो शिक्षा हम दे रहे हैं मध्यप्रदेश में इंजीनियर छात्रों की या अन्य विषयों पर क्या बच्चे डिप्रेशन के दौर से नहीं गुजर रहे हैं. क्या वह छात्र इस स्थिति में नहीं है कि हमेशा तनाव में रहते हैं, क्या बच्चे इस स्थिति में नहीं है कि आत्महत्या हर साल 500 से ज्यादा इंजीनियरिंग के छात्र करते हैं. यह विचार हम सबको मिलकर करना पड़ेगा और इसमें पक्ष और विपक्ष नहीं हो सकता, यह सदन हो सकता है और हम सब यहां चुनकर आये हैं अगर हम लोग इस पर विचार नहीं करेंगे, इस पर बात नहीं करेंगे या जिस तरीके से इन विषयों पर जिस पर मध्यप्रदेश का भविष्य और देश की युवापीढ़ी का बन रहा है, उसमें एक दूसरे को आरोप प्रत्यारोप लगाकर अगर कोई विवाद और विरोध करेंगे तो मैं समझता हूं कि यह सार्थकता नहीं रहेगी. मैं आपसे इस अवसर पर यह भी कहना चाहता हूं कि जो निजी, व्यापम की बात भी अब नहीं करूंगा, व्यापम को लेकर जो हो सकता था सब कर लिया और उसको लेकर पूरे विश्व में मुंह काला हुआ उसको कैसे धो सकते हैं यह आपसे अनुरोध करूंगा. इसमें आप आगे रहकर थोड़ा अच्छा कुछ निर्णय लेगें तो आपकी मेहरबानी भी होगी. एक आपसे अनुरोध और है मंत्री जी कि यह जो व्यवसायिक परीक्षा मंडल का नाम बदला गया, हमारे सदन की एक गरिमा है, इसका एक महत्व है, क्या आपने सदन से अनुमति ली थी कि व्यवसायिक परीक्षा मंडल का नाम बदलकर प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बार्ड करें, यह भी मैं समझता हूं लेना चाहिये, सदन की गरिमा बनें, पक्ष और विपक्ष के विधायकों को पता चले, इस पर अध्ययन हो और वह समझें कि क्या हुआ है, हम कई लोग उस शिक्षा से पढ़े हुये हो सकते हैं और कई नहीं भी हो सकते हैं, पर इन बातों को समझकर मैं अपनी मूल बात पर आना चाहता हूं कि क्या निजी विश्वविद्यालय व्यापम से बड़ा घोटाला करने की तैयारी में नहीं हैं. क्या एक तरफ व्यापम में जो मुंह काला हुआ है, क्या 2 साल बाद फिर यह सदन इस पर चर्चा करे. ...(व्यवधान)....
श्री लोकेन्द्र सिंह तोमर-- माननीय अध्यक्ष महोदय .....(व्यवधान)
श्री जितू पटवारी-- यह हुआ है भैया निकलवा भी दोगे तो काला ही हुआ है और यह कांग्रेस बीजेपी का नहीं हुआ है, मध्यप्रदेश का हुआ है. मैं फिर से दोहराता हूं मेरी बात जब मैंने राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान यह बात कही थी कि व्यापम से बड़ा घोटाला तकिया कलाम देश में बन गया है तो व्यापम से मुंह काला नहीं तो सफेद हुआ है, यह बात कहते हुये तो उन लोगों को सोचना चाहिये जो इस पर आपत्ति लेते हैं. मेरा अनुरोध है उपाध्यक्ष महोदय कि मैं सुझाव देना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- तोमर साहब यह तो ट्रकों के पीछे भी लिखा रहता है कि बुरी नजर बाले तेरा मुंह काला तो कहां तक निकालेंगे उसको.
डॉ. कैलाश जाटव-- जितू भाई मेरा एक निवेदन है कि जिस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में माहौल बनाया उसके बाद में एक भी चुनाव नहीं जीत पाये आप, मुंह काले की वजह से इतनी कम संख्या बची है सदन में आपकी.
श्री जितू पटवारी-- ये चुनाव जीतना और हारना और यह कौन सी सरकार है और कौन विपक्ष में है यह विषय नहीं है. विषय यह है कि कैसे हम इस बुराई के पाठ से बचें और मैं उसी पर बात कर रहा हूं, मंत्री जी जो निजी विश्वविद्यालय हैं, घोर अनियमिततायें कर रहे हैं और सरकार उनको श्रेय दे रही है, उनका बचाव कर रही है, उनका पक्ष ले रही है, अभी रामेश्वर शर्मा जी ने कहा कि आर.के.डी.एफ क्या है, किसका है कौन है अपने पूर्वजों से पूछो, भैया सरकार किसकी है उसको कार्यवाही करनी चाहिये कि नहीं, जितू पटवारी क्यों न हो अगर वह गलत है तो उसको जेल की सलाखों के पीछे डालना चाहिये कि नहीं डालना चाहिये. यह व्यवहार, यह धर्म आप नहीं निभा पाते हो, उसका दोषी विपक्ष है, मुकेश नायक है, जितू पटवारी है, कतई नहीं. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि इन विश्वविद्यालयों की परीक्षा की कोई अंतिम तिथि नहीं होती है और एडमीशन की भी कोई अंतिम तिथि नहीं होती है, आप जो नार्म्स देते हो उस पर कोई अंकुश सरकार का नहीं होता है, मंत्री जी इस पर विचार करें और उन पर इस तरह से शिकंजा कसें कि इन अनियमितताओं से बचें वह. मैं एक बार और आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि जो यूजीसी के और एसआईटीसी के मापदंड के अनुसार फेकल्टीज जो रखना चाहिये उसके नार्म्स को एक भी विश्वविद्यालय पूर्ण नहीं करता. आप अगर आकस्मिक जाते हो, आपका तंत्र जात है तो सब खेल होता है, आप भी समझते हो और मैं भी समझता हूं, उसको कैसे रोक सकते हैं तंत्र के रूप में, कैसे पारदर्शिता आये इस पर विचार करने की आवश्यकता है मंत्री जी. मध्यप्रदेश शासन ने इस संबंध में पूर्व छात्र...
अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के भोजन विषयक
उपाध्यक्ष महोदय-- जितू जी एक मिनट. माननीय सदस्यों के लिये भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वह अपनी सुविधा अनुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
श्री जितू पटवारी-- फिर भी मध्यप्रदेश शासन ने एक पत्र लिखकर इनको निर्देश दिये थे कि 15 अगस्त के बाद कोई निजी विश्वविद्यालय एडमीशन नहीं देंगे, सब कागजों का खेल होता है, कहीं भी ऑनलाइन व्यवस्था नहीं है तो मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आपका जो निर्देशित पत्र है उसको भी यह निजी विश्वविद्यालय नहीं मानते हैं तो मैं आपसे ज्यादा कुछ न कहते हुये इतना जरूर कहना चाहता हूं कि इतनी बातें इतनी गैर कानूनी तरीके से यह लोग अपनी बातें करते हैं, अपना काम करते हैं और फिर भी हम उनका बचाव करते हैं और यह दावा करते हैं कि आप उस पर बाहर आरोप लगा दो तो फिर मैं बताऊंगा कि कौन सच है और कौन असत्य, यह बात सत्य नहीं है मंत्री जी. ... (व्यवधान)...
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)-- मैं स्वागत करूंगा, आपमें दम है और सत्यता है तो बाहर लगाइये. ... (व्यवधान)...
श्री मुकेश नायक-- अरे आप क्या बात करते हो, मैं अभी लगाउंगा सदन के बाहर जाकर अभी, मुझे आप जानते नहीं हो. आपके घर के सामने पत्रकारवार्ता बुलाकर आरोप लगाऊंगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी यह उचित नहीं है, इस तरह. आरोप उनको लगाना है तो लिखित दें आपको नोटिस दें. यह जरूरी थोड़ी है कि सदन के बाहर ही लगाया जाये.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- हाउस में बिना नोटिस दिये लगाये गये. यह नियम है. यह कोई नोटिस आया नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय-- हां नोटिस देना चाहिये नियमानुसार. पर यह कहा जाये कि बाहर लगाओ यहां मत लगाओ, ऐसा नहीं.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं हाउस की बातों को बाहर कोर्ट में नहीं ले जा सकता.
उपाध्यक्ष महोदय-- जी हां, लेकिन यहां की गरिमा भी कम नहीं होनी चाहिये.
श्री मुकेश नायक-- इस तरह से धमकी देना थोड़ी उचित है, आप मंत्री हैं, आप सुधरने की वजाय धमकी दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- मुकेश जी आप बैठ जायें हमने संज्ञान में ले ली उस बात को.
श्री जितू पटवारी-- मंत्री जी यह व्यवहार आपका थोड़ा गुण्डे जैसा दिखता है. .. (हंसी)
श्री उमाशंकर गुप्ता-- कल के घोड़े से नहीं उतरे.
श्री जितू पटवारी-- अरे मैं घोड़ा इतना दौड़ाता हूं वह तो मंत्री जी थीं मैंने उनका सम्मान किया, मंत्री जी आप भी बड़े हो. मेरा अनुरोध यह है कि जब केमरे लगते हैं सरकारी विश्वविद्यालयों में या महाविद्यालयों में कैमरे में परीक्षा होती है, निजी विश्वविद्यालयों में क्यों नहीं होती, क्या कारण है, क्या सभी कक्षाओं में केमरे लगे हैं. इस पर भी हमें ध्यान देना चाहिये और एक तरफ तो आप करते हो उच्च शिक्ष का बखान कि हमने यह किया, हमने यह किया, अभी रामेश्वर जी ने भी बखान किया, जो भी बोलेंगे वह सब तारीफ भी करेंगे. मेरा अनुरोध है यह शिक्षा की बात है, इसकी कमियां गिनाने की आदत डालो, मेरे यहां कॉलेज खुल जाये तो मेरा नाम हो जायेगा, मैं चुनाव जीत जाऊंगा. यह चुनाव जीतने और हरने से बहुत ऊपर है देश और प्रदेश के भविष्य को हम कैसे सुधारें, हमारे बच्चों के भविष्य को, उस पर विचार करने की आवश्यकता है साथियों.
मैं मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि आपने उच्च शिक्षा का जितना बजट घटाया है और शिक्षा का स्तर सुधारा यह क्या गणित है और यह क्या विज्ञान है, यह मैं नहीं समझ पाया. आपने हर जगह उच्च शिक्षा का बजट कम किया है इसको बढ़ाने की कोशिश करें. इसमें अच्छी से अच्छी पारदर्शिता के साथ फिर से उस विज़न को मध्यप्रदेश का जिससे सम्मान बढ़े, ऐसा कोई कार्य हो और इसमें विपक्ष को भी साथ में लें. विपक्ष का काम गिनाने का, बुराई करने का, परन्तु हम लोग बुराई सदन में करते हैं. लेकिन बाहर जब मध्यप्रदेश की बात आएगी तो हम सीना ठोककर कहेंगे कि हमारी सरकार है और जो गलती हुई उसको सुधार रही है. इसी आशा और विश्वास के साथ कि मेरे सुझावों को आप मानेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का अवसर दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं उच्च शिक्षा तकनीकी शिक्षा की मांगों के समर्थन में अपनी बात कहने के लिए उपस्थित हूं. उपाध्यक्ष महोदय, बहुत परिचर्चा अभी हुई, लेकिन यह बात बहुत स्पष्ट है कि पिछले समय के रिकॉर्ड के आधार पर वर्तमान में जो कार्य किये गये हैं, विभाग के द्वारा, माननीय मंत्री जी के द्वारा, प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी के द्वारा, उससे यह बात निकलकर तो सामने आ रही है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हमारे यहां के विद्यार्थी बहुत अधिक आगे जाने की स्थिति में आए हैं.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि बुराई भी गिनाओ, तारीफ ही मत करो, यह मध्यप्रदेश के भविष्य का सवाल है.
श्री दुर्गालाल विजय - उपाध्यक्ष महोदय, पता नहीं मध्यप्रदेश के कैसे भविष्य के बारे में विचार करने वाले लोग हैं? आज अगर मध्यप्रदेश के विद्यार्थियों का चाहे वह तकनीकी क्षेत्र में हो, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हो, न केवल मध्यप्रदेश राज्य में, न केवल भारत वर्ष में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मध्यप्रदेश के विद्यार्थियों ने अपने आपका उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए शिक्षा के मामले में और बड़े ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं, बड़ा स्थान प्राप्त किया है. मुझे यह कहते हुए गौरव है. अभी 10-12 वर्षों के आंकड़ों को देखें और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चाहे वह चिकित्सा के क्षेत्र में हो, आईटी के क्षेत्र में हो, कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में हो, हमारे मध्यप्रदेश राज्य के युवाओं ने यहां से शिक्षा ग्रहण करने के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने आपको बहुत ऊंचाइयों पर ले जाने का कार्य किया है. उपाध्यक्ष महोदय, इस परिस्थिति को निर्मित करने में मध्यप्रदेश की सरकार ने हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने और हमारे उच्च शिक्षा मंत्री जी ने नीतियों में बड़ा अमूल-चूल परिवर्तन किया है. नीतियों में परिवर्तन के कारण से जो कार्य धीरे-धीरे करके आगे बढ़ाए, उनक कार्यों के कारण से निश्चित रूप से हमारे यहां के युवाओं को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक बेहतर संसाधन उपलब्ध हो सकें और उनको ठीक तरीके से अपने आपको आगे बढ़ाने के अवसर प्राप्त हुए हैं. तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में नीचे के स्तर पर ग्रामीण अंचल में रहने वाले विद्यार्थियों को ठीक से अवसर प्राप्त नहीं हो पाते थे. आज की परिस्थिति में मध्यप्रदेश की सरकार ने और हमारे तकनीकी शिक्षा विभाग ने, प्रदेश के मंत्री जी ने, मुख्यमंत्री जी ने बहुत प्रयत्न करके हर जिले के अंदर दो कौशल विकास केन्द्र खोलने के लिए जो कार्य किया है, उसके कारण ग्रामीण अंचल से आने वाले विद्यार्थियों को और ठीक तरीके से अपने आपको शिक्षित करने के लिए, प्रशिक्षित करने के लिए एक अच्छा मौका प्राप्त हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदय, प्रत्येक विकास खण्ड स्तर पर आईटीआई की स्थापना करने का कार्य भी विभाग के द्वारा किया है. यह आईटीआई प्रशिक्षण केन्द्र प्रारंभ होने के कारण से जो लोग इलेक्ट्रिशियन में, मोबाईल में अथवा अन्य छोटी-छोटी तकनीकों में कार्य करने के उत्सुक हैं. इसके लिए जो प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते हैं, जिन्हें बहुत लम्बे समय तक कोई अवसर इस मध्यप्रदेश में प्राप्त नहीं हो पाया था, उस अवसर को उपलब्ध कराने की दृष्टि से यह विकास खण्ड स्तर पर जो आईटीआई प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की गई है, उसके कारण से और कौशल विकास केन्द्रों के कारण से ग्रामीण अंचल में जो बहुत अधिक पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. तकनीकी शिक्षा में, इंजीनियरिंग या ऊंचे स्तर पर नहीं जा सकते हैं उन लोगों को इस कार्य के माध्यम बहुत बेहतर अवसर प्राप्त हुए हैं. हम अगर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी बात करें और पूरे देश के जो आंकड़े सामने आते हैं उनको देखकर विचार करें तो तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में, इनफॉर्मेशन टेक्नालॉजी में मध्यप्रदेश के युवाओं, विद्यार्थियों ने यहां से शिक्षा ग्रहण करके विभिन्न महाविद्यालयों में और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अच्छे महकमों में पहुंचे हैं. इसके अलावा उच्च शिक्षा की दृष्टि से भी बहुत सारे महत्वपूर्ण परिवर्तन करने का काम विभाग ने किया है. मैं समझता हूं कि जो कार्य अच्छे और बेहतर तरीके से किये जा रहे हैं शिक्षा में गुणवत्ता लाने की दृष्टि से विद्यार्थियों को आधुनिकतम शिक्षा प्रदान करवाने की दृष्टि से, प्राचार्यों, शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की दृष्टि से अथवा उनको बेहतर तरीके से किस प्रकार से शिक्षा प्राप्त हो सकती है. इसके लिए अच्छी ई-लाईब्रेरी स्थापित करने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण कार्य इस मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा और विभाग के द्वारा किये गये हैं. इसके कारण से हमारे विद्यार्थियों को अच्छे अवसर प्राप्त हो रहे हैं और ठीक तरीके से आगे बढ़ने के भी मौके मिल रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, नीचे के स्तर तक शिक्षा, उच्च शिक्षा बेहतर तरीके से प्राप्त हो सके. इसके लिए नये 26 महाविद्यालयों की स्थापना पिछले समय की गई थी. नीचे के स्तर पर भी लोग उच्च शिक्षा ग्रहण कर सकें. इसका प्रयत्न विभाग के द्वारा और प्रदेश के माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी के द्वारा किया जा रहा है. ग्रामीण अंचल के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्राप्त हो सके, तकनीकी शिक्षा प्राप्त हो सके, इसके लिए क्या किया जाना चाहिए, किस बेहतर तरीके से आगे बढ़ाया जा सकता है, उसका ठीक तरीके से विचार करके हमारी सरकार ने बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके सामने निवेदन करना चाहता हूं कि आज जो महाविद्यालय हैं उन महाविद्यालयों को उनकी शिक्षा की गुणवत्ता के आधार पर, उनके भवन और वहां पर जो परिसर है, उसके आधार पर National Assessment and Accreditation Council (NAAC) के द्वारा इंस्पेक्शन करने के पश्चात् एबीसी ग्रेड प्रदान किये जाते हैं. मुझे यह कहते हुए हर्ष है कि वर्तमान में 45 शासकीय महाविद्यालय NAAC से मूल्यांकित हुए हैं, उसमें 13 महाविद्यालयों को 'ए' ग्रेड और 26 महाविद्यालयों को 'बी' ग्रेड का स्थान प्राप्त हुआ है. 6 महाविद्यालयों को 'सी' ग्रेड प्राप्त है. इसमें जिन्होंने 'ए' ग्रेड प्राप्त किया है, उनको 15 लाख रुपए, जिन्होंने 'बी' ग्रेड प्राप्त किया है उनको 10 लाख रुपए और जिन्होंने 'सी' ग्रेड प्राप्त किया है, उनको 5 लाख रुपए की राशि प्रदान की जा रही है. हमारे महाविद्यालयों में जो प्राचार्य और अधिकारी हैं, जो शिक्षा की स्थिति में परिवर्तन आया है, वे ठीक से प्रशिक्षित हो सकें. इसके लिए भी हमारे उच्च शिक्षा विभाग ने और तकनीकी शिक्षा विभाग ने ठीक तरीके से प्रयत्न किये हैं. वर्ष 2015-16 में आरसीबीपी नरोना प्रशासन अकादमी भोपाल के माध्यम से प्राचार्यों, सचिवों और सहायक प्राध्यापक और अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करवाए गये थे. इस प्रशिक्षण के माध्यम से वे आधुनिक शिक्षा प्रणाली को समझकर नीच के स्तर पर विद्यार्थियों को ठीक तरह से अध्ययन करा सकें, यह एक अच्छा प्रयत्न है. क्योंकि आज पूरा देश ही नहीं, पूरे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो आधुनिकतम शिक्षा आई है, उसका ठीक तरीके से प्रशिक्षण प्राप्त होने की आवश्यकता रहती है तो उसे कराने का प्रयत्न विभाग के द्वारा किया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं अपने क्षेत्र की दो बातें मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं. अभी सरकार ने 41 स्थानों पर कन्या महाविद्यालयों की स्थापना की है. अभी 11 जिले बाकी हैं जहां पर कन्या महाविद्यालय नहीं हैं. उनमें श्योपुर जिला भी हैं जहां पर कन्या महाविद्यालय की बहुत वर्षों से आवश्यकता महसूस की जा रही है. इसके संबंध में विभाग ने जो प्रस्ताव आमंत्रित किये थे वह प्रस्ताव महाविद्यालय स्तर से भेजे गये गये हैं. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि श्योपुर में कन्या महाविद्यालय शुरू करने की अतिशीघ्र कृपा करेंगे. मेरा तो आग्रह यह है कि इसी बजट में शामिल करा लें तो श्योपुर की कन्याओं को जो महाविद्यालय न होने के कारण घर में बैठी हैं उनको पढ़ने के लिए एक अच्छा स्थान प्राप्त हो जायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय भौगोलिक दृष्टि से श्योपुर एक कोने पर होने के कारण से उच्च शिक्षा और तकनीकि दृष्टि से बच्चों को जयपुर, ग्वालियर, इंदौर और भोपाल जाना पड़ता है. मैं यहां पर मंत्रीजी से यह निवेदन करना चाहता हूं कि जिस प्रकार से आपने झाबुआ और शहडोल में इंजीनियरिंग महाविद्यालय स्थापित करके प्रारम्भ किया है जो कि दूरअंचल के क्षेत्र हैं. श्योपुर भी उसी तरह से वनवासी क्षेत्र है और वहां पर भी इस प्रकार की शिक्षा ग्रहण करने के लिए बच्चे बाहर नहीं जा पाते हैं, इसलिए श्योपुर में भी एक इंजीनियरिंग महाविद्यालय की बहुत आवश्यकता है. इसके लिए मैं श्योपुर की जनता की ओर से निवेदन करता हूं कि इसको शीघ्र वहां पर स्थापित करायें.
उपाध्यक्ष महोदय श्योपुर की एक बडौदा तहसील है. अच्छी तहसील है वहां पर कृषि उत्पादन बहुत ज्यादा होता है. लेकिन वहां पर विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए कोई स्थान नहीं है. केवल वहां पर हायर सेकेण्ड्री स्कूल है तो वहां पर एक कालेज की स्थापना के लिए बहुत लंबे समय से मांग चल रही है. मैंने भी उसके बारे में निवेदन पत्र माननीय मुख्यमंत्री जी और मंत्री जी को दिये हैं. इस अवसर पर मेरा निवेदन है कि बडौदा में एक शासकीय महाविद्यालय की स्थापना का निर्णय लेकर सरकार उसे शीघ्र प्रारम्भ कराये. उपाध्यक्ष महोदय सरकार ने अच्छे तरीके से काम किये हैं मुख्यमंत्री जी ने मंत्री जी ने पुन: मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं आपको भी कि आपने मुझे बोलने के लिए समय दिया.
श्री शैलेन्द्र पटेल ( इछावर ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं यहां पर मांग संख्या 44 और 47 के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मैंने कुछ कटौती प्रस्ताव दिये हैं उन्हीं के समर्थन में अपनी बात रखना चाहता हूं. अभी पूर्व वक्ताओं के द्वारा निजी विश्वविद्यालय की कमियों खामियों अनियमितताओं के बारे में बहुत सारी बातें कही गई हैं. मैं उनको रिपीट नहीं करना चाहता हूं. आरोप बहुत गंभीर हैं जांच की आवश्यकता है और सदन को भी उसको जानने का अधिकार है. ऐसा मंत्री जी बतायें कि वास्तव में उनकी क्या स्थितियां हैं.
उपाध्यक्ष महोदय मैं कोई उच्च शिक्षा का मैं विशेषज्ञ तो नहीं हूं लेकिन जो मोटी मोटी बातें समझ में आती हैं. मैं आपके माध्यम से सदन में रखना चाहता हूं. जहां तक मैं समझता हूं कि उच्च शिक्षा का महत्व केवल नौकरी पाने तक सीमित नहीं है. लेकिन यह तो ज्ञान के मंदिर हैं, जहां पर ज्ञान पाया जाता है और अपना खुद का मानवता का विकास किया जाता है. ये युवा एवं परिपक्व भारत के अध्ययन के वह स्थान हैं जहां पर मध्यप्रदेश ही नहीं देश के युवा अध्ययन करते हैं और अपने परिपक्व युवाकाल को और आगे तक ले जाने का प्रयास करते हैं. विचार क्रांति नये जोश और आगे बढ़ने की तमन्ना और जीवन की ऊंचाइयों तक पहुंचने का प्रयास कालेज और विश्वविद्यालय में होता है. उसे और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है. जहां तक मैं समझता हूं कि उच्च शिक्षा में आज भी मध्यप्रदेश में जो रेशो है कि उच्च शिक्षा पाने के बाद में कितने लोगों की नौकरी लगी है. उस ओर विचार करने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है. क्योंकि आज भी कहीं न कहीं गरीब वर्ग के लोग या मध्यम वर्ग के लोग जब उच्च शिक्षा के लिए जाते हैं तो उनके मां बाप यह उम्मीद करते हैं कि हमारा बेटा पढ़ लिखकर कोई न कोई नौकरी पायेगा, कोई न कोई रोजगार पायेगा, किसी सर्विस सेक्टर में जायेगा उसका रेशो के केलकुलेशन करने की आवश्यकता है कि वास्तव में कितने लोगों को रोजगार मिला है यदि रोजगार नहीं मिल रहाहै तो उसके लिए बेहतर काम कैसे कर सकते हैं. उसके लिए हमें यहां पर ही नहीं स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा रोजगार विभाग उद्योग विभाग के समन्वय की आवश्यकता है. किस विषय की मांग है किस प्रोफेश्नल की जरूरत है, और उनकी एकार्डेन्स में मिलाकर स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक उसकी जगह प्राथमिकता से पूरी करना चाहिए वह विषय वहां से आना चाहिए. खासकर हम देखते सुनते हैं कि विदेशों में कालेज के समय में ही पार्ट टाइम जॉब बहुत से बच्चे करते हैं और उन पार्ट टाइम जॉब के प्रति हमारी कालेज एजुकेशन के दौरान और यूनिवर्सिटी की शिक्षा के दौरान उच्च शिक्षा विभाग क्या हेल्प कर सकता है. इसके बारे में आज मनन करने की जरूरत है, क्योंकि बहुत से बच्चे या युवा जब कालेज जाते हैं. उसी समय में वह पढ़ाई के साथ में वह अपने खुद के भविष्य के निर्धारण के लिए कोई काम करते हैं तो निश्चित रूप से वह प्रदेश के और उनके खुद के आर्थिक विकास में वह नींव और वह बीज उसी समय से उनके अंदर डल जायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय एक और बात मुझे देखने में आयी है कि उच्च शिक्षा में 12वीं में जो विषय होते हैं उसी के आधार पर प्रवेश मिलता है लेकिन देखने में यह आता है कि बहुत सी नौकरियों में उन विषय की संबद्धता न होने के कारण वह विषय कम हो जाते हैं. जैसा कि स्कूल शिक्षा की नौकरी होती हैं उसमें कामर्स की संबद्धता समाप्त हो गई है, उसका परिणाम यह निकला की 11वीं और 12वीं में कामर्स विषय लेने वाले बच्चों की संख्या कम हो गई है. उसके कारण कामर्स फेकल्टी में जो बीकाम की है उसमें छात्रों की संख्या घट गई है. इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि जो विषय हैं उनके हिसाब से भी नौकरी हों ताकि सारे विषयों का अध्ययन हो सके, सभी विषयों में वह प्रवेश लेकर आगे बड़ सकें.
उपाध्यक्ष महोदय मेरे क्षेत्र की एक मांग बहुत दिनों से लंबित है. मैंने उसके बारे में प्रश्न भी लगाये थे. इछावर में 1985 से कालेज है. लेकिन वहां पर मात्र बीए और बीकाम का कालेज है.18 एकड़ का वह कैम्पस है उसमें बीएससी, बीएससी कम्पयूटर, बीए कम्पयूटर यह कोई भी संकाय नहीं है. मैं लगातार इस बारे में मांग कर रहा हूं. मै आदरणीय मंत्री जी से आपके माध्यम से इस क्षेत्र की मांग को पूरा करने की बात कहता हूं. दूसरा इछावर विधान सभा क्षेत्र में दो तहसीलें आती हैं एक तो इछावर और दूसरी सीहोर तो सीहोर जिला हेड क्वार्टर है, वह जिला हेड क्वार्टर होने के नाते पीजी कालेज सीहोर में है. उसके पास में ही लगा बिल्किसगंज जो कि एक बड़ा कस्बा है वहां पर 5 - 6 तो बड़े प्रायवेट स्कूल हैं, सरकारी स्कूल भी वहां पर हैं और आदिवासी अनुसूचित जाति के जो लोग हैं वह वहां पर पास में रहते हैं वहां पर भी एक कालेज की आवश्यकता है. चूंकि वह तहसील तो नहीं है लेकिन तहसील सीहोर होने के कारण वहां पर कालेज नहीं है तो वहां पर कालेज की आवश्यकता है उस मांग को भी पूरा किया जाय .
उपाध्यक्ष महोदय मेरा एक सुझाव है कि कालेजों के पास में बहुत जमीन है तो उस जमीन का हम कैसे बेहतर उपयोग युवाओं और छात्रों के लिए कर सकते हैं. वहां पर कौन से कंवेंसनल सेण्टर खोल सकते हैं, कैसे दूसरी गतिविधियों में उस जगह का हम कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं, उसके बारे में विभाग को प्लानिंग करने की आवश्यकता है. अन्य जो मूलभूत आवश्यकताएं हैं कालेज की चाहे स्टाफ की हो या फर्नीचर की हो, उसमें भारी कमी देखी गई है.यूजीसी के नार्म्स के कारण कई बार कालेज को जो अनुदान मिलता है उसमें कटौती की बात आती है उस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय मध्यप्रदेश में केवल इंदौर ही एजुकेशनल हब के रूप में उभरा है. बाकी के दूसरे बड़े शहर भी एजूकेशनल हब के रूप में उभरें इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. बाहर के देशों से लोग यहां पर आकर पढ़े ताकि प्रदेश की आर्थिक उन्नति भी हो और एक शिक्षा का माहौल प्रदेश के अंदर बने उस ओर गहन चिंतन और मनन की आवश्यकता है. उसके लिए एक्सपर्ट लोगों को भी बुलाकर बात करके कैसे हम हमारी यूनिवर्सिटी को आगे ले जायें इस बारे में भी ध्यान देने की आवश्यकता है. कालेजों में चुनाव हों उसका मैं समर्थन करता हूं. अतिथि विद्वानों की मांग जायज है उनकी मांग पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है. तकनीकि शिक्षा में जो पिरामिड होना चाहिए, नीचे आईटीआई, पालिटेक्निक कालेज, इंजीनियरिंग कालेज उसके बाद में आईआईटी वह पिरामिड अभी पूरे तरीके से नहीं है, इस पिरामिड को सही तरीके से बनायें, उसमें वोकेशनल को भी जोड़ लें और जरूरत के मान से वह रोजगार दें पायें, इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है. चाहे बीफार्मा या एमफार्मा इनमें भी इसी तरह की आवश्यकता है. मैं यहां पर इछावर के लिए सरकारी आईटीआई की भी मांग करता हूं उपाध्यक्ष महोदय आपने बोलने के लिए समय दिया इसके लिए मैं आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं.
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांगों के समर्थन में बोलने के लिए यहां पर खड़ा हूँ. माननीय मंत्री जी से मेरा शिक्षा विभाग को लेकर केवल दो-चार बातों पर निवेदन है, अगर वह स्वीकार होगा तो हमारे नौजवानों का उज्ज्वल भविष्य बनेगा. जैसी कि आप सबको जानकारी है कि आज जो बच्चा पढ़ाई करता है उसकी आधी उम्र शिक्षा ग्रहण करने में ही निकल जाती है लेकिन जिस तरह की शिक्षा हम आज बच्चों को दे रहे हैं और पिछले 10 सालों में हमारे माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने हमारे बच्चों को दिया है उसका मैं समर्थन करता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज देखने में यह आ रहा है कि उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी हम रोजगार के साधन उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं, इस पर हमें मजबूती से ध्यान देना पड़ेगा. हमारे शिक्षा विभाग में कई विषय ऐसे भी हैं जो औचित्यहीन हैं, बच्चों पर जबरदस्ती किताबों का बोझ डाला जाता है, 400-500 पेज की किताबें बन जाती हैं लेकिन उसमें कुछ विषय ऐसे हैं जिनका भविष्य में भी कोई काम नहीं है और वर्तमान में भी कोई काम नहीं है. अगर ऐसे विषयों को हम हटाएंगे तो हमारे बच्चों को न केवल कम राशि में पुस्तकें मिलेंगी बल्कि शिक्षा ग्रहण करने में भी आसानी होगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री महोदय से एक और निवेदन है कि वर्तमान समय में आपने भी देखा होगा कि प्रदेश में प्राइवेट कोचिंग क्लासेज की संख्या किस तरह से बढ़ रही है. इन कोचिंग क्लासेस में न तो किसी प्रकार के आरक्षण की व्यवस्था है और न ही बच्चों की फीस में कोई कटौती की जाती है. अगर कोई गरीब परिवार का बच्चा है तो उससे भी उतनी ही राशि वसूली जाती है जितनी कि अन्य बच्चों से तो मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि ऐसे कोचिंग क्लासेस, जिनमें कि बच्चे अपने भविष्य को बनाने के लिए जाते हैं और गरीब परिवार के रहते हैं, उनकी कोचिंग क्लास की फीस के ऊपर कंट्रोल किया जाए ताकि गरीब परिवार के बच्चों को जिन्हें हम शासकीय रूप से आर्थिक मदद नहीं दे पाते हैं लेकिन वह पढ़ाई में आगे जाने के लिए कोचिंग क्लास अटेंड करना चाहता है तो वह कम से कम अपनी कोचिंग क्लासेज कम राशि में अटेंड कर सके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, देखने में यह आया है कि हमारे समय में शासकीय महाविद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की जो गेदरिंग हुआ करती थी वह कुछ समय से खत्म हो गई है. आर्थिक अभाव के कारण शासकीय कालेजों में हम सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं करा पा रहे हैं तो मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि वे जनभागीदारी में ऐसी कुछ राशि आवंटित कर दें जिससे प्रतिवर्ष वहां पर कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हो सके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से एक और निवेदन है कि वे ऐसे कालेज परिसर छांट लें जहां पर कि बाऊंड्री वाल नहीं बनी है. मैं बताना चाहता हूँ कि ऐसे कालेजों में रात्रि में नशाखोरी की जाती है, सुबह वहां गंदगी भी देखने में आती है. यदि ऐसे कालेजों में बाऊंड्री वाल बन जाएं और वे रात को लॉक हो जाएं तो यह समस्या नहीं होगी और समाज में एक बहुत अच्छा संदेश भी जाएगा. चूँकि मंत्री जी आप उमा भी हैं, आप शंकर भी हैं और मैं कैलाश हूँ तो मेरा आपसे विशेष नाता है उसी नाते से मैं अधिकार के रूप में आपसे कुछ मांग रहा हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र के महाविद्यालय में साइंस और मेथ्स की क्लासेस चालू करने के लिए मैंने मंत्री जी से निवेदन किया था, कृपया उसे भी स्वीकार करें. एक और विषय था कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में 19 एकड़ भूमि राजस्व विभाग की उच्च शिक्षा के नाम से रजिस्टर्ड है यह काफी पुराना विषय है इस भूमि पर अगर भवन का निर्माण हो जाए तो यह बहुत सुविधाजनक हो जाएगा. एक नए महाविद्यालय के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने वर्ष 2013 में घोषणा की थी ये मुगवानी में अगर हो जाए तो यहां हमारी 50 आदिवासी पंचायतें हैं और करीब 5 हजार छात्र वहां ऐसे हैं जो पढ़ना चाहते हैं लेकिन आर्थिक रूप से अक्षम होने के कारण बाहर पढ़ने के लिए जा नहीं पाते हैं तो उन्हें भी सुविधा हो जाएगी. इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए अगर माननीय मंत्री जी इस बजट में शामिल करेंगे तो हम उनके बहुत-बहुत आभारी रहेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एनसीसी के बारे में जैसा कि अभी रामेश्वर जी ने कहा है, मैंने अभी अपने यहां ग्रामीण क्षेत्र में एनसीसी का कैम्प लगवाया था तो माननीय मंत्री अगर पूरे कालेजों में एनसीसी कम्पलसरी कर दें तो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसी घटनाएं देश में हो रही हैं वे नहीं होंगी, हमारे देश का प्रत्येक युवा देश के प्रति जागरूक होगा और देश की आजादी में जिन्होंने भाग लिया उनके बारे में जान पाएगा, उन्हें समझ पाएगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूँ कि शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश शासन बहुत अच्छा काम कर रहा है, मैं माननीय शिवराज सिंह जी को, माननीय उमाशंकर गुप्ता जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ. आपने मुझे बोलने के लिए समय दिया, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ.
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 44, 47 एवं 70 के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. शिक्षा की बात चल रही है, किसी भी देश के विकास में, विकासशील से विकसित देश बनने में शिक्षा की बहुत आवश्यकता होती है. हम देखें कि दूसरे देश अगर आगे बढ़े हैं, अगर विकसित हैं तो वह शिक्षा के कारण है. आज कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी आदि देशों की बात हम करें तो वह शिक्षा के कारण ही आगे हैं. हमारे भारत में और मध्यप्रदेश में शिक्षा की कमी के कारण हम लोग पिछड़े हुए हैं और यदि शिक्षा आ जाएगी तो निश्चित ही देश का और प्रदेश का विकास हो जाएगा. शिक्षा रूपी चाबी हर ताले में लगती है चाहे वह व्यवसाय का क्षेत्र हो, चाहे कृषि का क्षेत्र हो, चाहे प्रशासनिक सेवा का क्षेत्र हो और चाहे राजनीति का क्षेत्र हो. शिक्षा अगर अच्छी है तो निश्चित ही अच्छे विचार आएंगे, अच्छे काम होंगे और प्रदेश का विकास होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूँ कि हमारे मध्यप्रदेश में शिक्षा में बहुत सारी कमियां हैं. अभी महाविद्यालयों की बात चली, प्राइवेट महाविद्यालयों की बात चली, प्राइवेट यूनिवर्सिटीज की बात चली. हम देखें कि प्राइवेट यूनिवर्सिटीज़ में कालाबाजारी हो रही है, वह शिक्षा के क्षेत्र में हो रही है, बच्चों के साथ भी हो रही है और पालकों के साथ भी हो रही है और इसके लिए कोई नियम, कानून बनना चाहिए जिससे बच्चे ठगे न जाएं और शिक्षा का स्तर सुधर सके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यदि हम शासकीय महाविद्यालयों की हालत देखें तो आज वहां शिक्षकों की कमी है, पुस्तकालय नहीं हैं, विषय के शिक्षक नहीं हैं, इन समस्याओं का समाधान जब तक नहीं होगा तब तक प्रदेश में अच्छी शिक्षा नहीं आएगी और अच्छी शिक्षा के अभाव में विकास भी नहीं होगा. मेरा माननीय मंत्री महोदय से निवेदन है कि हमारे प्रदेश में जहां भी शिक्षकों की कमी है, पहले तो उसकी पूर्ति करें ताकि शिक्षा का स्तर सुधरे. यदि हम अतिथि शिक्षकों की बात करें तो आज उसके ऊपर तलवार लटकी हुई है, कब उन्हें हटा देंगे, 3 महीने में या 6 महीने में हटाएंगे, तो वह आदमी क्या काम करेगा तो उसके लिए कोई योजना बनाई जानी चाहिए. उसे गारंटी दें कि आपकी नौकरी स्थाई रहेगी या आपको काम करने का मौका मिलेगा, आपको शिक्षा देने का मौका मिलेगा तो निश्चित ही वह अपने स्तर को सुधारेगा और बच्चों को अच्छी शिक्षा देगा. इस पर हमें ध्यान देना बहुत आवश्यक है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यदि वर्तमान में हम देखें तो शासकीय कालेजों में फर्नीचर नहीं हैं जबकि हर शासकीय कालेज में बच्चों की संख्या बहुत है लेकिन वहां बैठने की व्यवस्था नहीं है. पूरे बच्चे कालेज नहीं आते हैं अगर पूरे बच्चे कालेज आ जाएं तो स्कूल में बैठने के लिए जगह नहीं रहेगी. कई जिलों में ऐसी स्थिति है तो ऐसी स्थिति को सुधारना पड़ेगा. हमें अच्छी बिल्डिंग्स बनानी पड़ेंगी, अच्छे फर्नीचर लाना पड़ेगा. यदि पुस्तकालयों की हालत देखें तो वहां पर किताबें नहीं है तो किताबों की व्यवस्था भी करनी पड़ेगी तभी हमारा शिक्षा का स्तर सुधरेगा. शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए यह बहुत जरूरी है और मेरा तो सभी मंत्रियों से और सभी माननीय सदस्यों से निवेदन है कि अगर मध्यप्रदेश में पूरे एक साल का बजट शिक्षा के क्षेत्र के लिए लगा दिया जाए तो शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा हो जाएगा, अच्छी बिल्डिंग्स बन जाएंगी, अच्छे पुस्तकालय बन जाएंगे और शिक्षा की बहुत अच्छी व्यवस्था हो जाएगी. केवल रोड, पानी और दूसरी इमरजेंसी सेवा है पानी की या खाने की, वह जारी रहे और बाकी सारा बजट अगर शिक्षा में लगा दिया जाए तो निश्चित ही विकास हो जाएगा, हमारे प्रदेश की उन्नति हो जाएगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि हरदा में विधि महाविद्यालय पहले चलता था, हम लोगों का जब एजुकेशन हुआ तब वह चालू था लेकिन बाद में वह बंद कर दिया गया और 10-20 साल से बंद है. कुछ साल पहले उसे शुरू करने की घोषणा हुई थी लेकिन 2 साल हो गए हैं वह आज तक चालू नहीं हुआ है, माननीय मंत्री जी, यदि इसको चालू कराएंगे तो बड़ी कृपा होगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा मेरा निवेदन यह है कि मेरे ही विधान सभा क्षेत्र में खिरकिया नगर पंचायत क्षेत्र है, वहां पर शासकीय महाविद्यालय नहीं है, इसकी मांग मैं 2 सालों से करता आ रहा हूँ तो यदि वहां पर महाविद्यालय चालू कर दिया जाए तो बहुत अच्छा हो जाएगा क्योंकि वहां से हरदा की दूरी 35 किलोमीटर है या यदि बच्चे खंडवा जाते हैं तो खंडवा 40-50 किलोमीटर पड़ता है. खिरकिया में बच्चों को पढ़ने की सुविधा नहीं है वैसे एक प्राइवेट महाविद्यालय वहां पर है लेकिन उसमें भी मेन विषय नहीं हैं, केवल आर्ट और कामर्स है तो मेरा निवेदन है कि कृपया इस ओर ध्यान दें. हम तकनीकी शिक्षा की बात करते हैं, बच्चों को आगे बढ़ाने की बात करते हैं, कौशल विकास की बात करते हैं, पर जब शिक्षा ही नहीं होगी तो वे कहां जाएंगे, कहां अध्ययन करेंगे और कैसे अध्ययन करेंगे. हम यह भी देखते हैं कि बच्चियां यदि बाहर रहकर पढ़ती हैं तो उन्हें किस तरह की परेशानियां आ रही हैं. अत: मेरा निवेदन है कि हर तहसील प्लेस पर तो कम से कम महाविद्यालय होना ही चाहिए. खिरकिया में मॉडल कालेज की घोषणा काफी समय पहले हुई है, जमीन भी लोगों ने दान दी है पर वह दान दी हुई जमीन भी पड़ी हुई है और उस जमीन पर आज तक मॉडल कालेज की कोई रूपरेखा नहीं बनी है और न ही कोई काम हुआ है, तो मेरा निवेदन है कि अगर खिरकिया में एक मॉडल कालेज घोषित है तो उसी को कर दिया जाए या शासकीय महाविद्यालय चालू किया जाए तो बड़ी कृपा होगी. इसके साथ ही मैं मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूँ कि हंडिया भी एक तहसील है और धार्मिक स्थल है वहां भी आसपास पूरी जनसंख्या लगी हुई है तो हंडिया तहसील में भी एक महाविद्यालय की आवश्यकता है, वहां खोल दिया जाए, क्योंकि तीन तहसील मेरी विधानसभा में हैं और तीनों तहसीलों में अगर महाविद्यालय हो जाएंगे तो निश्चित ही हमारे क्षेत्र का विकास हो जाएगा और बच्चे अच्छी शिक्षा पढ़ेंगे और निश्चित ही आपको भी दुआ देंगे. मेरा एक और निवेदन है क्योंकि आप भी उस जिले से आते हैं, आपकी जन्मस्थली उस जिले में है तो निश्चित ही उसके विकास के लिए सोचेंगे और सोचना भी चाहिए जिसका जहां जन्म होता है उसको आदमी अपनी मातृभूमि मानता है और विकास करता है. उसी भावना के साथ आपसे मेरा निवेदन है कि यह दो तीन जो मेरी मांगें हैं उनको पूरा करेंगे तो उसमें नाम आपका भी जुड़ेगा और उसमें आपका भी योगदान कहा जाएगा. इसी बात के साथ धन्यवाद, जयहिन्द.जयभारत. आपने बोलने का मौका दिया उसके लिए बहुत बहुत आभारी हूँ.
श्री वीरसिंह पँवार(कुरवाई)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 44,47 और 70 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी के मार्गदर्शन में उच्च शिक्षा,तकनीकी शिक्षा में हमारे मध्यप्रदेश में चहुँमुखी विकास हुआ है. माननीय मंत्री जी ने जब से इस विभाग का कार्यभार संभाला है तब से बहुत अच्छे तरीके से इस विभाग को उन्होंने समय दे के और अच्छे तरीके की गुणवत्तावाली शिक्षा दे के हमारे प्रदेश के भविष्य के बच्चों का प्रोत्साहनपूर्वक काम किया है. मैं ज्यादा लम्बी बात न कहते हुए सीधे अपने क्षेत्र की बात पर माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ. माननीय मंत्री जी, मैं कुरवाई विधानसभा क्षेत्र से आता हूँ जो काफी पिछड़ा हुआ और पहले से ही रिजर्व क्षेत्र रहा है तो यहां काफी कमजोर वर्ग के लोग निवास करते हैं, मजदूर वर्ग के लोग निवास करते हैं. मेरी कुरवाई विधानसभा में एक पठारी करके तहसील है जिसमें करीब 105 के करीब मूल गांव हैं. वहां पर मजदूर वर्ग के जो लोग रहते हैं और वहां पर उनको उच्च शिक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. माननीय मंत्री जी से मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि पठारी हमारा तहसील प्लेस है , सारी सुविधाएँ हैं, शासकीय भूमि वहां पर उपलब्ध है. अन्य सब सुविधाएँ जो महाविद्यालय के लिए लगती हैं, वह सारी सुविधाएँ वहां पर हैं. माननीय मंत्री जी अगर वहां पर महाविद्यालय दो तीन सब्जेक्ट भी खोलकर अगर प्रारम्भ करते हैं तो वहां के क्षेत्र के बच्चों को उसका लाभ मिलेगा. हम जब भी क्षेत्र में जाते हैं बच्चों की एक ही मांग रहती है, बाकी कोई काम न हो लेकिन यहां पर महाविद्यालय प्रारम्भ हो जाए. वहां से विदिशा की दूरी 80-85 किलोमीटर पड़ता है, हमारी कुरवाई की दूरी लगभग 45 किलोमीटर वहां से पड़ती है. अन्य महाविद्यालय उनके पास में हैं नहीं, काफी बच्चों को असुविधा होती है. मजदूर लेबर क्लास के बच्चे हैं. वह बाहर जाकर के पैसा लगा के अपना अध्ययन नहीं कर सकते इसलिए माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि मेरी इस मांग पर ध्यान देंगे. माननीय मंत्री जी से एक और निवेदन है कि हमारे क्षेत्र में पिछड़ापन तो है ही है. बच्चे जो हैं, वह पढ़ाई तो बहुत अच्छे तरीके से 80-85 और 90 परसेंट अंकों तक लाकर के कर रहे हैं. हमारा कुरवाई क्षेत्र एक ऐसा है कि यहां पर आईटीआई अगर खोल दी जाती है तो उसका लाभ हमारे क्षेत्र के बच्चों को मिलेगा और उससे तकनीकी शिक्षा लेकर बच्चे जो आगे हमारे निकलेंगे. उससे उन बच्चों का भविष्य भी संभलेगा. पास में हमारा 15-20 किलोमीटर दूर बीना रिफायनरी का कारखाना है अगर कुछ गुणवत्तावाली शिक्षा बच्चों को मिल जाएगी तो शायद उनको रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. माननीय मंत्री जी से मेरा विनम्र निवेदन और प्रार्थना है कि मेरी इन दोनों बातों पर ध्यान दें जिससे मेरे क्षेत्र के मेरे बच्चों का भला हो. इतनी बात कह के मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ. आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार(अम्बाह)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी का ध्यान अपनी मांग पर आकर्षित करना चाहता हूँ कि मेरी अम्बाह विधानसभा है, यह शिक्षा से काफी समय से वंचित रही है और यह दस्यु प्रभावित क्षेत्र भी रहा है तो मैं चाहता हूँ कि शिक्षा वास्तव में सर्वोपरि है. बाबा साहब आम्बेडकर जी ने कहा था कि शिक्षा धारण करने के लिए यदि अरब कंट्री में भी जाना पड़े तो शिक्षा धारण करना चाहिए. शिक्षा दुधारी तलवार है जिधर भी चलाओ उधर काटने का काम करती है. शिक्षा शेरनी का दूध है, सियार को भी पिला दो, सियार भी शेर की तरह दहारने लगता है. शिक्षा की उपयोगिता मनुष्य के जीवन में बहुत ही उपयोगी है और बिना शिक्षा के मनुष्य का कोई जीवन भी नहीं है. इसी तारतम्य में, इसी श्रृंखला में मेरी विधानसभा अम्बाह है. काफी जो बीहड़ का क्षेत्र है और दस्यु प्रभावित क्षेत्र हमेशा से रहा है तो इसलिए पोरसा में एक महाविद्यालय खोलें और वहां पर आईटीआई कालेज हो और वहां ऐसी सुविधा प्रदान करायी जाए जिसके कारण वहां पर लोगों को मुरैना, या अन्य जगह नहीं जाना पड़े. छात्र तो चले भी जाते हैं परन्तु जो छात्राएँ होती हैं उनको दूर जाने में काफी कठिनाई होती है जिससे हमारा छात्राएँ उच्च शिक्षा धारण नहीं कर पा रही है इसलिए मेरी मांग है कि खासकर के जो पोरसा ब्लाक है या तहसील है और उसमें कोई कालेज नहीं है वहां पर एक महाविद्यालय खोलें, आईटीआई कालेज खोलें, पॉलिटेक्टनिक कालेज खोलें, ऐसी मैं मांग करता हूँ. अंत में सरकार से मैं मांग करता हूँ, माननीय मंत्री जी से मांग करता हूँ कि अपने निजी कालेज में अनुसूचित जाति ,अनूसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के छात्रों को आरक्षण का जो लाभ नहीं मिल पा रहा है तो उन्हें सख्ती से मुहैया कराया जाए.आपन मुझे बोलने का मौका दिया,उसके लिए धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल(सिहावल)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 44,47 और 70 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय उच्च शिक्षा,तकनीकी शिक्षा मंत्री आदरणीय गुप्ता जी वाकई में प्रयास तो अपनी तरफ से बहुत कुछ कर रहे हैं पर कौन सी मजबूरियां हैं, कहां इनका हाथ बंधा हुआ है. जब से हम विधायक बनें तब से हम कोशिश कर रहे हैं. माननीय मंत्री जी से भी निवेदन कर रहे हैं, उच्च अधिकारियों से भी मिल के कई बार निवेदन किया. विधानसभा में प्रश्न भी लगाया और जवाब भी आया कि बहुत जल्दी हम सारी व्यवस्थाएँ भी कर रहे हैं पर दो साल बीत जाने के बाद भी जो समुचित व्यवस्था किसी उच्च शिक्षण संस्थान को संचालित करने के लिए होनी चाहिए वह नहीं व्यवस्था बन पा रही है. मुख्यमंत्री जी क्या बजट नहीं दे रहे हैं. कौन सी ऐसी मजबूरी है कि उच्च् शिक्षा में जितना सर्वांगीण विकास होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है. हम बात करते हैं अगर कोई भी महाविद्यालय जो संचालित है, जनपद स्तर पर, ब्लाक स्तर पर या जिला मुख्यालय में भी आप देखेंगे जो भी महाविद्यालय संचालित हैं वहां विषयवार प्राध्यापक नहीं हैं. कहीं कहीं तो प्राचार्य जो सहायक प्राध्यापक है या अतिथि विद्वान हैं वह प्राचार्य का भी पदभार संभाल हुए हैं और ऐसी स्थिति में किस तरह से महाविद्यालय संचालित हो पायेगा, यह बड़ा चिन्ता का विषय है. एक जमान यह भी था कि बहुत सीमित संसाधन में भी बहुत अच्छी पढ़ाई हो जाती थी, हायर एज्युकेशन अगर जिला मुख्यालय में एक भी होता था तो भी कम ही लोग पढ़ पाते थे पर कम से कम जो भी शिक्षा मिलती थी विषयवार मिल जाया करती थी पर एक तरफ हमारा इन्फ्रास्ट्रक्चर काफी डेव्हलप हुआ है, कई जगह बहुत सारे केन्द्र भी संचालित हुए हैं इस दौरान पर जिस तरह की व्यवस्थाएँ होनी चाहिए , हम भवन बना लेंगे पर भवन मे एडमिशन ले कर के आ भी जाएंगे पढ़ने के लिए लेकिन एडमीशन के बाद अगर बढ़ाने वाले नहीं होंगे तो फिर बड़ी दिक्कत जा रही है और यह स्थिति अमूमन पूरे मध्यप्रदेश में है. उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन करेंगे कि आपने बहुत पहले आश्वासन दिया था हम डीपीसी करके सहायक प्राध्यापक से प्राध्यापक की पदोन्नति , प्राध्यापक से प्राचार्य की पदोन्नति का काम पूरा कर लेंगे पर अभी तक सूची जारी नहीं हुई है जिसकी वजह से ज्यादातर महाविद्यालयों में प्रभारी प्राचार्य या सहायक प्राध्यपकों के भरोसे वह चल रहे हैं . मेरा निवेदन है कि मंत्री जी इसमें आप जरूर ध्यान दें औऱ जल्दी से जल्दी व्यवस्था बनाये . अभी एक और विसंगति आई है , अभी उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सहायक प्राध्यापकों की भर्ती का विज्ञापन किया गया , उसमें अभी भर्ती चल रही है उसमें ऐसे बहुत सारे विषयों की फैकल्टीज को चयन करने में छोड़ दिया गया है. वैसे भी विगत कई सालों से भर्ती नहीं हुई थी पर जैसे बायो टैक्नालाजी हैं, या अन्य इस तरह के जो विषय है , जो कि सभी महाविद्यालयों में लगातार पढ़ाये जा रहे हैं या तो महाविद्यालयों में वह कोर्सेस बंद कर दीजिये आप उसकी शिक्षा ही मत दीजिये . हमने इस विषय में विधानसभा में प्रश्न भी लगाया हुआ है. ऐसे कई विषय हैं, जिनको अभी जो भर्तियाँ हुई हैं, उसमें छोड़ दिया गया है.
1.41 बजे {सभापति महोदय ( श्री ओमप्रकाश सखलेचा) पीठासीन हुए}
माननीय सभापति, मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि उनके लिए भी माननीय मंत्री जी व्यवस्था बनाये. जिन छात्रों को शासकीय महाविद्यालयों में शिक्षा दी है और वह उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद पीएचडी तक करने के बाद बेकार बैठे है, उनके लिए अगर आपने एडवटाईजमेंट नहीं किया है तो उनके लिए भी आप व्यवस्था बनाएंगे ऐसी मुझे पूरी उम्मीद है. माननीय सभापति महोदय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि जितने आपने कौशल विकास केंद्र खोले, आईटीआई प्रशिक्षण संस्थान खोले हैं, जहाँ भी खुले हैं, वह विधिवत और व्यवस्थित रूप से संचालित नहीं हैं और वहाँ भी फैकल्टी की कमी है. जिसकी वजह वहाँ पर जो छात्र प्रशिक्षण लेने के लिए जाते हैं उनकी जितनी रूचि होनी चाहिए वह नहीं होती है. आपसे निवेदन है कि जहाँ भी आपके यह प्रशिक्षण संस्थान खुले हैं , जहाँ औद्योगिक संस्थान जो भी हैं, उस एरिया में उनके साथ आप उनको जरूर टाईअप करें. उनके साथ उनकी प्रतिबद्धता तय कर दे कि हम इन स्टूडेंट्स को, जो कौशल विकास केंद्र हैं, आईटीआई या डिप्लोमा के संस्थान हैं, उनको अगर आप उन औद्योगिक संस्थानों से संबंधित शिक्षा देंगे तो हम समझते हैं कि प्लेसमेंट के लिए काफी सुविधाजनक होगा और बच्चों को पढ़ाई में भी कौशल विकास केंद्रों में एडमीशन लेने में भी काफी रुचि रहेगी.
माननीय मंत्री जी, एक बात और आपके संज्ञान में लाना चाहेंगे कि पिछला जब विधानसभा सत्र था , उसी समय निर्वाचन हुआ था, विधायकगणों को सभी विश्वविद्यालयों में सदस्य बनाया गया था . बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि साल भर से ज्यादा बीत गया एक भी मीटिंग नहीं बुलाई गई है. यह चिंता का विषय है.इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आपके जो विश्वविद्यालय संस्थान संचालित हैं वह शिक्षा के प्रति कितने चिंतित हैं और जन प्रतिनिधियों से वह कितने सुझाव लेना चाहते हैं इसमें आपको गंभीरता से विचार करना चाहिए और यह व्यवस्था आपको तत्काल बनानी चाहिए कि साल में कम से कम दो मीटिंग तो होना चाहिए और सुझाव लेना चाहिए. कहाँ क्या स्थिति है, किस तरह की आवश्यकता है . सभापति महोदय, मंत्री जी से मेरा यह भी निवेदन है कि हमारी सीधी जिले में लॉ फैकल्टीज संचालित थी और वह बंद हो गई है. हमने क्वेश्चन भी किया था आपने आश्वासन दिया था कि अगले सत्र से शुरु हो जाएगी बीच में व्यक्तिगत रूप से मिलकर भी आपसे चर्चा की थी , वह बहुत वर्षों से संचालित थी और जबकि वहाँ भवन है, सारी सुविधायें हैं, फैकल्टी जरूर हो सकता है कि न हो. पर यह व्यवस्था बनाइए कि सीधी में, जो कि आदिवासी बाहुल्य जिला है तो वहाँ जो विधि की कक्षायें संचालित थी वह पुनः संचालित हो जाए यह आपसे आग्रह है. हमारे सिंहावल विधानसभा क्षेत्र में बहरी तहसील है, पूरे तहसील में एक भी महाविद्यालय नहीं है तो बहरी तहसील मुख्यालय में महाविद्यालय की अत्यन्त आवश्यकता है, वह ट्राइबल बेल्ट है और वहाँ की बच्चियाँ उच्च शिक्षा के लिए बाहर नहीं जा पाती हैं. अगर सीधी जिले के बहरी तहसील मुख्यालय में महाविद्यालय की व्यवस्था हो जाएगी तो आदिवासी अंचल के छात्र छात्राओं को पढ़ने के लिए सुविधा मुहैया होगी. हमारे विधानसभा क्षेत्र में सिंहावल महाविद्यालय सिर्फ एक सहायक प्राध्यापक और एक अतिथि विद्वान ऐसे तीन चार लोगों के भरोसे पर है और वह चलता नहीं है एक दो बार जन भागीदारी समिति की बैठक की है, हमने कोशिश की कि विधायक निधि का भी पैसा देंगे पर कम से कम शिक्षा का स्तर उठे , इस विषय में मंत्री जी आपसे भी निवेदन किया था, हमने पीएस और आयुक्त को मेल भी कराया था और सारी जानकारी दी थी पर जो कार्यवाही होनी चाहिए वह आज तक वहाँ पर नहीं हुई है, वहाँ पर विषयवार प्राध्यापक आज तक उपस्थित नहीं हो पाये हैं और जो सहायक प्राध्यापक हैं, वही प्रभारी प्राचार्य हैं और उन्हीं के भरोसे महाविद्यालय चल रहा है. इसी तरह देवसर महाविद्यालय हमारे विधानसभा क्षेत्र में है , सिंगरौली जिले में आता है वहाँ भी एक प्राध्यापक है और एक सहायक प्राध्यापक है इन्हीं के भरोसे वह चल रहा है और कोई इंटरेस्ट नहीं है कि क्लासेस लगे , वहाँ के बच्चों को सुविधायें मिले. वहाँ दस एकड़ का कैंपस है लेकिन वहाँ कोई बाउंड्रीवाल नहीं है इस कारण अतिक्रमण हो रहा है . हमारा निवेदन है कि देवसर महाविद्यालय की बाउंड्रीवाल की जरूर आप व्यवस्था करें. वहाँ अतिरिक्त कक्ष की आवश्यकता है, उसकी व्यवस्था करे. मेरा एक और सुझाव है कि मंत्री जी से कि जहाँ भी पूरे प्रदेश में शासकीय महाविद्यालय संचालित हैं वहाँ आप ऐसी व्यवस्था बना दीजिये के जितने संकाय आपकी यूनिवर्सिटीज संचालित कर रही है वह सारे कोर्सेस महाविद्यालयों में संचालित कराइए. जब प्राइवेट महाविद्यालयों में जाकर हमारे गरीब बच्चे हैं, उनके अभिभावक हैं, वह वहाँ जाकर दुगुनी फीस देकर पढ़ाते हैं तो शासकीय महाविद्यालय में क्यों नहीं पढ़ाएंगे. आपसे मेरा आग्रह है कि सिर्फ एक या दो विषय तक सीमित न करें. आप बीएससी भी कराये, बीकाम भी कराये, बीबीए भी कराये, बीए भी करायें. आवश्यकतानुसार वर्तमान में किस तरह के कोर्सेस लोग पसन्द करते हैं, किस तरह की मार्केट में आवश्यकता है, उस तरह के प्रोफेशनल कोर्सेस की शुरुआत पूरे प्रदेश में करना चाहिए क्योंकि जब हमारे पास भवन है, जमीन है, सारी सुविधायें होने के बाद भी हम नहीं कर पा रहे हैं यह बड़ा चिंता का विषय है . मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि आप इस पर जरूर ध्यान देंगे और इस पर गंभीरता से विचार करेंगे और उच्च शिक्षा को ऊपर उठाने के लिए सार्थक पहल करेंगे . माननीय सभापति महोदय, आपने समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री सुदर्शन गुप्ता (अनुपस्थित)
श्री के.के. श्रीवास्तव(टीकमगढ़)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 44,47,70 का समर्थन करता हूं. माननीय सभापति महोदय, विद्या ददाति विनयम्, विनयाद याति पात्रताम, पात्रत्वाद धनमापनोति, धनाद धर्मम् ततः सुखम्. यहाँ बड़े लंबे-चौड़े भाषण चल रहे थे लेकिन मुझे कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा था कि उन्होंने विद्या अर्जन किया है , कहीं से भी समझ में नहीं आ रहा था कि विनयी है. आज प्रदेश की सरकार ने कई नवाचार मार्गदर्शी उद्देश्यों की पूर्ति हेतु किये हैं. गुणवत्तायुक्त शिक्षा मध्यप्रदेश में कैसे मिले इसकी व्यवस्थायें की हैं , इसके लिए अलग अलग एक्सपेरीमेंट हुए हैं . माननीय सभापति महोदय, चाहे वह विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन योजना हो , केंपस सिलेक्शन कैरियर मेला हो, इनका बेहतर संचालन कैसे किया जाये , कैसी विद्यार्थियों के उन्मुखीकरण की दिशा हम आगे बढ़े, कैसे उनको सारी सुविधायें मिल पाये ताकि उनका व्यक्तित्व निखरे ताकि उनमें न केवल किताबी ज्ञान हो बल्कि शिक्षा वह जो रोजगार दे सके, शिक्षा वह जो शिष्टाचारयुक्त हो, शिक्षा वह जो समाज और राष्ट्र के प्रति हमें दायित्व कर्तव्यबोध कराये. माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में ऐसे व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ वर्चुअल कक्षाओं का संचालन,महाविद्यालयों में वाई-फाई , नेक मूल्यांकन आदि की दिशा में भी काम किया है. विद्यार्थियों को उच्च मापदंडों के अऩुरूप शिक्षा मिल सके इसलिए राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान की शुरुवात की गई है. विद्यार्थियों को हॉस्टल की बेहतर और सुरक्षित सुविधा कैसे मिले,छात्रावासों में बेहतर उनकी सुरक्षा हो सके इसके लिए निजी भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है, निजी छात्रावास गारन्टी स्कीम के अंतर्गत .माननीय सभापति महोदय, आज का युग सूचना और प्रौद्योगिकी का युग है अब शासकीय कालेजों में प्रवेश लेने पर पहले वर्ष में ही सभी विद्यार्थियों को स्मार्टफोन दिये जाने की योजना बनी है और आगामी सत्र से यह प्रारंभ होगा. अभी अतिथि विद्वानों की चर्चा प्रतिपक्षी दलों की तरफ से की जा रही थी 200 रुपये की जगह अब आगामी सत्र में 275 रुपये पर पीरियड किया जा रहा है. माननीय सभापति महोदय, एक बहुत महत्वपूर्ण जो काम मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग ने, हमारे मुख्यमंत्री जी ने, माननीय हमारे शिक्षा मंत्री जी ने किया है, वह यह किया है कि वार्षिक सम्मेलन राष्ट्रीयता, सामाजिक और सकारात्मक विचारों का समावेश, कर्त्तव्य बोध, रोजगार अवसरों की समझ, पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता, व्यक्तित्व विकास, छात्र कल का नहीं वरन् आज का ही नागरिक है. यह जिम्मेदारी का भाव जगाने के लिए, ज्ञान और चारित्र्य का अलख जगाने के लिए प्रति वर्ष 8 से 10 महाविद्यालयों का एक सामूहिक वार्षिक सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. जिनमें कुशल वक्ताओं के द्वारा, प्रशिक्षकों के द्वारा, रोल मॉडल के द्वारा, उनको आमंत्रित किया जाकर के उनमें गुणवत्ता का विकास हो. हम चाहते हैं कि छात्रों में परमवैभवंन्नेतु मेतद स्वराष्ट्रम्, इस भावना को जागृत किया जा सके ताकि जे एन यू की घटनाओं जैसे कृत्यों को स्थान न मिल सके ताकि अफजल गुरू को आदर्श मानने वाले लोग, अफजल गुरू की हिमायत करने वाले लोग, उनकी शहादत को मनाने वाले लोग, सभापति महोदय, शिक्षा के केन्द्र माँ सरस्वती के मंदिर हैं वे राजनीति के अखाड़े न बनें छात्र भी दूषित राजनीति के मोहरे न बन पाएँ. नहीं तो इस देश में तो मौका पाते ही देशद्रोही की भावना को पल्लवित करने वाले आजादी की अभिव्यक्ति की बात करना प्रारंभ कर देते हैं.
सभापति महोदय, एक बहुत बड़ी समस्या है. माननीय मंत्री जी यहाँ विराजमान हैं, बहुत संवेदनशील और शिक्षा के मामले में बड़े बड़े नवाचार उन्होंने किए हैं. मैं आपको अवगत कराना चाहता हूँ कि आज सी बी एस ई के सभी स्कूलों में 12 वीं कक्षा तक वर्तमान में शारीरिक शिक्षा एक वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है. पर प्रदेश के किसी भी कॉलेज में स्नातक स्तर पर शारीरिक शिक्षा की पढ़ाई नहीं होती. सी बी एस ई के पढ़े हुए विद्यार्थी तो एक बार हमारे डी पी आर, डी पी एड के प्रवेश ले सकते हैं लेकिन एन सी ई टी के जो नियम हैं, बी पी एड में प्रवेश करने वाले छात्रों के लिए आवश्यकता है कि उन्होंने पहले 12 वीं में शारीरिक शिक्षा पढ़ी हो और इस कारण हमारे किसी भी कॉलेज में जो पढ़ते हैं उनमें कहीं न कहीं यह दिक्कत जाती है कि हमारे यहाँ संचालित होने वाले बी पी एड की पढ़ाई कराने वाली संस्थाएँ इस स्थिति में बंद होंगी. मैं अनुरोध करना चाहता हूँ कि हमारे शासकीय महाविद्यालय हैं इनमें अनिवार्य रूप से या वैकल्पिक रूप से शारीरिक शिक्षा की पढ़ाई प्रारंभ करा दी जाए. इसमें कोई वित्तीय भार भी नहीं आना है. वित्तीय भार इसलिए नहीं आना है कि प्रत्येक महाविद्यालय में एक क्रीडा अधिकारी प्रायः पदस्थ है और इसमें अगर शारीरिक शिक्षा....
सभापति महोदय-- माननीय, कितना समय और लेंगे?
श्री के के श्रीवास्तव-- बस मैं केवल अपने क्षेत्र की बात करके समाप्त कर दूँगा. सभापति महोदय, मैं चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी प्रत्येक महाविद्यालय में शारीरिक शिक्षा को वैकल्पिक विषय के रूप में आगामी सत्र से पढ़ाने की स्वीकृति दें ताकि इस प्रदेश के मुखिया शिवराज जी की जो रोजगारोन्मुखी शिक्षा के क्षेत्र में उनकी जो पहल है उसको भी बल मिलेगा और हमारे प्रदेश के भविष्य जो 12 वीं के बाद या कॉलेज में पढ़ने के बाद जो बी पी एड में जाना चाहते हैं, बी एस सी करने के बाद बी पी एड में प्रवेश लेना चाहते हैं उनको शारीरिक शिक्षा, यहाँ से जब पढ़कर जाएँगे तो वहाँ प्रवेश पा सकेंगे. अन्यथा दूसरे प्रदेशों के लोग तो यहाँ प्रवेश ले पाएँगे लेकिन हमारे प्रदेश के छात्र उस खेल शिक्षा को प्राप्त नहीं कर पाएँगे.
सभापति महोदय, मैं अपने क्षेत्र की कुछ बातें माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ. हमारे टीकमगढ़ में पी जी कॉलेज है इसमें अँग्रेजी, समाजशास्त्र और इतिहास में एम ए की कक्षाएँ प्रारंभ कराई जाएँ. रानी अवंतीबाई लोधी कन्या महाविद्यालय टीकमगढ़, अभी केवल कला महाविद्यालय है, इसमें अगले सत्र से साइंस कक्षाएँ प्रारंभ कराई जाएँ. सभापति महोदय, टीकमगढ़ से 30 किलोमीटर दूर बड़ागाँव धसान एक तहसील है. हमारी विधान सभा में 30 किलोमीटर दूर तक यह कॉलेज उसमें नहीं है वहाँ लगभग 3-4 हायर सेकंडरी स्कूल हैं जिनके विद्यार्थी 400-500 की संख्या में पास आउट होकर के निकलते हैं. मैं चाहता हूँ कि आगामी सत्र से वहाँ एक डिग्री कॉलेज बड़ागाँव धसान में खोला जाए. बड़ागाँव धसान में एक नवीन आई टी आई की भी स्थापना बहुत आवश्यक है और टीकमगढ़ पोलिटेक्निक कॉलेज का उन्नयन कर इंजीनियरिंग कॉलेज आगामी सत्र से प्रारंभ कराया जाए. माननीय सभापति महोदय, आपने समय दिया, मंत्री जी ने भी हमारी बातों पर गौर किया, मैं आपको भी धन्यवाद देना चाहता हूँ और मंत्री जी से उम्मीद करता हूँ कि जो हमने बातें की हैं उसमें निश्चित रूप से हमें उनकी कृपा मिलेगी. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी(मनगवाँ)-- माननीय सभापति महोदय, मैं उच्च शिक्षा मांग संख्या 44 के विपक्ष में अपना सुझाव देना चाहती हूँ. उसके पहले मैं प्राचीन भारत की याद दिला देना चाहती हूँ कि हमारा देश प्राचीन समय में विश्व गुरू कहलाता था. हमारे देश के विश्व प्रसिद्ध जो विश्वविद्यालय थे, शिक्षा के जो केन्द्र थे, वे बहुत ही उच्च कोटि के थे. तक्षशिला, नालंदा, राउरकेला और विक्रमशिला विश्वविद्यालय जिनकी ख्याति पूरी दुनिया में बहुत ही ज्यादा थी और जो छात्र यहाँ से शिक्षा अध्ययन करके जाते थे वे सर्वांगीण व्यक्तित्व के धनी होते थे, बहुत ही पारंगत होते थे. यहाँ तक कि जब वे प्रवेश लेते थे तो जो द्वारपाल होता था, द्वारपाल की परीक्षा, जो छात्र आते थे बड़ी कठिनाई से पास कर पाते थे. लेकिन आज जो हमारे प्रदेश का जो शिक्षा का परिवेश है वह बहुत ही चिंतनीय है. उच्च शिक्षा के मामले में हमारे प्रदेश की साख गिरी है. चाहे व्यावसायिक परीक्षा का मामला हो, वह किसी से छिपा नहीं है. अब मैं उस शब्द को दोबारा नहीं दोहराना चाहती. सभापति महोदय, जैसा कि मैं कह रही थी कि हमारे जो प्राचीन, चूँकि वर्तमान का समय भविष्य से हमें शिक्षा लेने की जरुरत होती है और हम सब अच्छे से जानते हैं कि अगर हम अपने इतिहास को भूल जाएँगे तो हमारा वर्तमान और भविष्य भी अँधकारमय होगा इसलिए मैं आप से एक दो उदाहरण के लिए बताना चाहती हूँ कि हेनसांग और फाहयान जैसे जो यात्री आए थे उन्होंने भी हमारे देश की अपने मुखारविन्द से चर्चा की उन्होंने अपने लेखों में लिखा कि भारत विश्व गुरू है और रहेगा. लेकिन कहीं न कहीं हमारे देश और प्रदेश की जो छवि बनती जा रही है, आज जरूर टेक्नालॉजी के मामले में है, तकनीकी शिक्षा के मामले में है, संचार के मामले में है, मैं उनको धन्यवाद देती हूँ जो हमारे शिक्षाविद् हैं, विद्वान हैं और माननीय मंत्री जी हैं, वे उनका विभाग काफी कुशलता से चला रहे हैं. लेकिन कुछ न कुछ हमारे जो महाविद्यालय हैं, तकनीकी शिक्षा के केन्द्र हैं, वहाँ कुछ न कुछ कमी है, उनको सुधारने की जरुरत है. माननीय मंत्री जी से मैं यही कहना चाहती हूँ कि हमारे भोपाल से लगा हुआ जो प्राचीन बौद्ध ऐतिहासिक एक केन्द्र है विदिशा से लगा हुआ साँची जो विश्व स्तरीय है. अगर ऐसी संस्था को इससे लगा हुआ कोई बौद्धकालीन अगर विश्वविद्यालय खोला जाए तो धार्मिक रूप से, सामाजिक रूप से भाईचारा पैदा करने के लिए और हमारे देश को एक बहुत ही रेवेन्यू जनरेट करने के लिए विश्व के जो शिक्षा अध्ययन के लिए, शोध के लिए जो छात्र आते हैं, चीन, जापान और कोरिया से, ऐसे लोग हमारे इन खंडहरों में और ऐतिहासिक इमारतों को ढूँढने आते हैं. अगर इनको विश्वविद्यालय के रूप में आपने साँची में अगर उसको खोल दिया तो हमारे भारत की साख पुनः हो जाएगी और हमारा भारत फिर से विश्व गुरू बन जाएगा क्योंकि दुनिया के जो बहुत विकसित देश हैं, चीन, जापान, कोरिया, ऐसे लोग हमारे भारत का मुँह ताकते हैं इसलिए आप से गुजारिश है कि इन्हें पुनः जीवित करने का प्रयास करेंगे और रही बात कुछ हम अपने प्रदेश के जो एस टी, एस सी, के हमारे भाई हैं, हम उसी वर्ग से जीतकर आते हैं इसलिए मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से गुजारिश करती हूँ कि जो बी एड कॉलेज हैं और प्रायवेट कॉलेज हैं, जहाँ पर प्रोफेशनल जो कोर्स चलाए जाते हैं, उसमें एस टी, एस सी, के जो गरीब छात्र हैं, माननीय मंत्री जी उनकी फीस माफ कर देंगे और साथ ही साथ मैं आप से यह भी कहना चाहती हूँ, गुजारिश करती हूँ कि बेकलॉग की जो भर्तियाँ थीं और उस समय किसी कारणवश नहीं हो पाई थीं. उनमें अभी एक नई योग्यता की पात्रता कर दी गई है कि नेट क्वालिफाई होना चाहिए तो माननीय मंत्री जी, मैं आप से गुजारिश करती हूँ कि नेट क्वालिफाई नई पात्रता है लेकिन कुछ हमारे बहुसंख्यक हैं, जो छात्र हैं, जो पी एच डी हैं और बेकलॉग की भर्तियाँ भी पुरानी हैं इसलिए पुरानी भर्ती से ही उनको भरने का कष्ट करेंगे और साथ ही साथ आपने जो एस टी, एस सी, के छात्रों को विदेश अध्ययन के लिए भेजा है, वह सराहनीय कदम है, उसके लिए मैं सरकार को और आपको बहुत बहुत धन्यवाद देती हूँ. साथ ही जो प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षा में आपने बड़े शहरों में, दिल्ली जैसे शहरों में एस टी, एस सी, के बच्चों के लिए वहाँ पर स्थान उपलब्ध कराया. उसके लिए भी बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहती हूँ. इनकी संख्या और बढ़नी चाहिए. अभी संख्या कम है. एस टी, एस सी, में भी शिक्षा बाबा साहब की देन है. पढ़ लिख कर आगे बढ़ रहे हैं उन्होंने भी भारत के विकास में अपना अहम् योगदान हमेशा से दिया है. प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक और भविष्य में भी.
सभापति महोदय, मैं अपने क्षेत्र की एक दो मांगों के बारे में मंत्री जी से गुजारिश करती हूँ कि हमारी मनगँवा विधान सभा रीवा जिले का जो हेडक्वार्टर है वहाँ तो शासकीय महाविद्यालय खुल गया है. लेकिन वहाँ पर भवन नहीं है. उस महाविद्यालय के लिए एक अच्छा सा भवन आप देने का कष्ट करेंगे. मेरी मनगवां विधान सभा रीवा जिले का हृदय स्थान है रीवा बहुत किनारे पड़ जाता है. गंगेव जनपद 450 गांवों का केन्द्र बिंदु है वहां पर कोई शासकीय महाविद्यालय नहीं है मैं गुजारिश करती हूँ कि गंगेव जनपद में एक शासकीय महाविद्यालय और एक पॉलीटेक्निक खोलने का प्रयास करेंगे. लोक सेवा प्रबंधन का जो अधिनियम है उसके बारे में कहना चाहती हूं. सरकार की मंशा रहती है कि एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के साथ कोई भेदभाव न हो मैं भी इसी वर्ग से आती हूं इसी को ध्यान में रखते हुए मंत्रीजी से गुजारिश करती हूँ कि लोक सेवा अधिनियम 1994 की धारा (19) के तहत उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा के जो महाविद्यालय, विश्वविद्यालय हैं उनमें एससी,एसटी के भाइयों की पदोन्नति और क्रमोन्नति रोक दी है उनके साथ पक्षपात होता है मैं आपसे गुजारिश करती हूँ कि आप लोक सेवा अधिनियम का ईमानदारी से पालन करवायेंगे.
सभापति महोदय, आपने मुझे अपनी बात रखने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी)--माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 44, 47 एवं 70 के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
माननीय सभापति महोदय, मन और व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास उच्च शिक्षा से ही पूरा किया जा सकता है. उच्च शिक्षा युवाओं की प्रतिभा को असीम आयाम की ओर ले जाने के लिए एक सशक्त माध्यम है उच्च शिक्षा जीवन की विषमताओं, संघर्षमयी, वैचारिक दृष्टि को प्रतिष्ठित करने में मनुष्य के जीवन को सार्थकता प्रदान करती है. जीवन का मार्ग प्रशस्त करने का लक्ष्य सिर्फ उच्च शिक्षा से ही प्राप्त किया जा सकता है. उच्च शिक्षा विभाग के प्रशासकीय प्रतिवेदन के पेज 8 पर वर्णित है आदिवासी एवं सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च शिक्षा को कैसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए. ट्रायबल एरिया में विकास कैसे हो. माननीय मंत्रीजी से मैं अनुरोध करना चाहूंगा मेरे विधान सभा क्षेत्र में बनसुकली एक संपूर्ण आदिवासी क्षेत्र है जहां से जयसिंह नगर, ब्यौहारी की दूरी 50 किलोमीटर शहडोल की दूरी 90 किलोमीटर है यदि वहां पर आप महाविद्यालय खोलेंगे तो वहां के 50 आदिवासी ग्रामों के छात्र छात्राओं का हित संवर्धन होगा. मुझे आशा ही नहीं अपितु विश्वास है चूंकि आप उस जिले के प्रभारी मंत्री हैं मुझे लगता है इस बार आप जरुर कुछ न कुछ करेंगे. रोजगारमूलक कोर्स पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहिये. कौशल विकास कार्यक्रम के तहत भी विद्यार्थियों के लिए ज्यादा प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है इससे भी रोजगार के सुनहरे अवसर प्राप्त होते हैं. मैं आशा करता हूँ कि कौशल विकास कार्यक्रम के तहत आप ब्यौहारी में आईटीआई खोलने की महती कृपा करेंगे.
सभापति महोदय, आज विश्व बैंक के सहयोग से मध्यप्रदेश को उच्च शिक्षा हेतु काफी राशि दी जाती है. बहुत से महाविद्यालय जो ब्यौहारी, जयसिंहनगर, शहडोल में हैं उनमें प्राध्यापकों की कमी है. मैं मंत्रीजी से गुजारिश करता हूं कि प्राध्यापकों की नियुक्ति ज्यादा से ज्यादा हो अगर प्राध्यापक नहीं होंगे तो महाविद्यालय खुलने का कोई औचित्य नहीं होता है कोई सार्थकता नहीं होती है.
सभापति महोदय, व्यक्तित्व विकास के लिए एक अभिनव प्रयोग किया गया है. शहीदों के प्रति श्रद्धा उत्पन्न करने का प्रयास भी किया गया है. जैसे शहीदों के नाम पर दीपावली के त्यौहार पर प्रत्येक घर में दीपक प्रज्वलन, स्वच्छता अभियान, आदिवासी क्षेत्रों में शैक्षणिक वातावरण का निर्माण. यातायात नियम, वाहन चालन हेतु सहयोजन शिक्षण यह बहुत महत्वपूर्ण है इस अभियोजन योजना में. युवा वाहन चालन में अनभिज्ञ रहते हैं अगर महाविद्यालयों के माध्यम से इन्हें प्रशिक्षण दिया जाए तो इससे दुर्घटनाएं रुकेंगी युवाओं में जागृति पैदा होगी, समाज में इसका अच्छा संदेश भी जाएगा. गांव की बेटी योजना की राशि और बढ़ा दी जाए तो गांव में पढ़ने वाली जो बेटियां हैं उनको इससे अच्छी प्रेरणा मिलेगी और वे ज्यादा से ज्यादा पढ़ने की कोशिश करेंगी.
सभापति महोदय, मेरे जिले में बहुत सारे अशासकीय महाविद्यालय खुले हुए हैं जहां बीएड, एमएड, बीएससी, एमएससी, वाणिज्य आदि कोर्स चलते हैं. महाविद्यालय कहां खोले जा सकते हैं क्या इसके कोई नियम हैं बहुत सारे महाविद्यालय ऐसे स्थानों पर खुले हैं जहां बहुत प्रदूषण है न ही उनके भवन अच्छे हैं फिर भी महाविद्यालय संचालित हैं उनमें कभी क्लास नहीं लगती है. बीएड और एमएड की फीस मनमाने तरीके से लेते हैं. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि इसमें पारदर्शिता होना चाहिये. आदिवासी क्षेत्र में कई ऐसे प्रायवेट महाविद्यालय खुले हैं जहां बीएड के लिए कई गुना ज्यादा फीस ली जाती है इन पर रोक लगना चाहिए पारदर्शिता होना चाहिए. महाविद्यालयों के लिए जो मापदण्ड तय हैं वे उनका पालन नहीं कर रहे हैं ऐसे महाविद्यालयों की जांच कराई जानी चाहिए. मैंने इस संबंध में विधान सभा में प्रश्न भी लगाया था वह आ नहीं पाया. बहुत सारे ऐसे महाविद्यालय हैं.
माननीय सभापति महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री वैलसिंह भूरिया (सरदारपुर)-- माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश के अन्दर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सरकार बहुत अच्छे से काम कर रही है इतना अच्छा काम आज तक नहीं हुआ है. किसी भी क्षेत्र की परिस्थिति पर जिस व्यक्ति की मजबूत पकड़ होती है उस व्यक्ति का वाकई में जहर उगलने वाला व्यक्ति भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता है. उसी प्रकार से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान और हमारे उच्च शिक्षा मंत्री माननीय गुप्ता जी की मध्यप्रदेश के ऊपर शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक क्षेत्र में हर परिस्थिति के ऊपर बड़ी पकड़ है. इसलिये मध्यप्रदेश बहुत तेज गति से शिक्षा के क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ रहा है. सभापति महोदय, मैं बता देना चाहता हूं कि अभी यह 2-4-6 दिख रहे हैं ,मेरे विरोधी पार्टी के लोग, आने वाले 2018 में इतने भी नहीं दिखेंगे.
डॉ रामकिशोर दोगने :- आपने देखा नहीं कि लोकसभा झाबुआ में आपकी क्या स्थिति हुई है, यह पता कर लें.
श्री वैल सिंह भूरिया :- हमारी सरकार की माननीय उच्च शिक्षा मंत्री की हमारे हर समाज के ऊपर पकड़ है और हमारी सामाजिक क्षेत्र में अच्छी पकड़ है इसलिये कालेज के छात्रावासों में महाविद्यालयों में सब में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में विद्यार्थियों का प्रतिशत बढ़ा है. मैं इतना कहना चाहता हूं कि अभी हमारे लाड़ले मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के द्वारा हम लोगों ने पिछले 6 महीने पहले विद्यार्थियों का सम्मान किया था. 1100 विद्यार्थी पी ई टी, पी एम टी, आई आई एम ऐसी कई टेक्नालाजी के क्षेत्र में देश और दुनिया में मध्यप्रदेश का विद्यार्थी चाहे वह अमेरिका हो, चाहे जापान हो, चाहे यूरोप हो या इंग्लैंड हो वहां पर भी हमारे मध्यप्रदेश के विद्यार्थी अध्ययनरत हैं. यह मध्यप्रदेश में हमारे लाड़ले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और हमारे सक्षम और मजबूत पकड़ रखने वाले उच्च शिक्षा मंत्री जी देन है,जिसके कारण देश और दुनिया में मध्यप्रदेश का नाम ऊंचा हो रहा है. सभापति महोदय, हमें कहते हुए प्रसन्नता हो रही है कि गत एक वर्ष में संकल्प पत्र 2013 का मथंन, 2014 दृष्टिगत और 2018 विभागीय लक्ष्यों की पूर्ति की पृष्ठभूमि से संबंधित महत्वपूर्ण उपलब्धियों की जानकारी समझने का अवसर मिला है. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हमने अनेक नवाचार किये हैं जिससे प्रदेश के महाविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के प्रयास सफल हो रहे हैं. विभाग की महत्वपूर्ण योजनाएं जैसे विश्व बैंक परियोजना राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान, विवेकानन्द केरियर मार्गदर्शन योजना, व्यक्तिगत विकास प्रकोष्ठ वर्चुअल कक्षाओं का संचालन, महाविद्यालयों में वाय फाई नेट मूल्यांकन कराने हेतु प्रोत्साहन आदि कार्य किया जा रहा है. हाल ही में माननीय मुख्यमंत्री शिवराज जी की समीक्षा के निर्देश के अनुसार हितग्राही योजनाएं जैसे गांव की बेटी प्रतिभा किरण विक्रम आदित्य निशुल्क योजनाएं एवं छात्राओं हेतु आवागमन सुविधा आदि योजनाओं के महत्वपूर्ण सुधार किये जा रहे हैं. विद्यार्थियों को होस्टल की बेहतर और अच्छी सुविधा के लिये हमारी सरकार बहुत अच्छा कार्य कर रही है. सभापति महोदय तहसील स्तर पर जो विद्यार्थी होस्टल या छात्रावास के अलावा जो किराये का कमरा लेकर पढ़ता है उसको एक हजार रूपये हमारी सरकार देती है. जिला स्तर पर जो विद्यार्थी ग्रुप बनाकर पढ़ता है भले ही उसमें पांच विद्यार्थी क्यों न हो उनको हमारी सरकार दो हजार रूपये देती है. संभागीय स्तर पर कोई गरीब विद्यार्थी पढ़ता है भले ही वह किसी भी समाज का विद्यार्थी पढ़ता है तो हमारी सरकार में शिक्षा के क्षेत्र में हमारी सरकार किसी से भेदभाव नहीं करती है. यदि कोई भी विद्यार्थी होस्टल के अलावा कालेज में पढ़ने वाला व्यक्ति संभागीय स्तर पर रूम लेकर पढ़ता है तो उसको तीन हजार रूपये हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार और हमारे उच्च शिक्षा मंत्री माननीय गुप्ता जी के द्वारा दिया जाता है.
सभापति महोदय, मैं जितनी भी तारीफ मेरी सरकार की हमारे उच्च शिक्षा मंत्री माननीय उमाशंकर गुप्ता जी, हमारे शिक्षा विभाग की करूं उतनी कम रहेगी. 159 से अधिक योजनाएं हमारी सरकार ने लागू की है. माननीय सभापति महोदय मैं अपने क्षेत्र की समस्या बताकर अपनी बात को समाप्त करूंगा. सभापति महोदय, धार, झाबुआ,अलीराजपुर में हमारा जो लॉ कालेज है , वह किसी कारणवश बन्द हो गया है. मैं उच्च शिक्षा मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि हमारे सरदारपुर क्षेत्र में एक लॉ कालेज खोला जाये. सरदारपुर में जमीन हमारे पास में बहुत है, जमीन की कोई कमी नहीं है, हम जमीन चार दिन में उपलब्ध करवा देंगे. यदि आप हमारे सरदारपुर क्षेत्र में ला कालेज स्वीकृत करने हैं तो धार, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, रतलाम जो आदिवासी जिले हैं, हमारे सरदारपुर का मध्य क्षेत्र है. इससे आदिवासी नौजवानों को कानून की पढ़ाई पढ़ने में सुविधा होगी.
सभापति महोदय, अब मैं एक बात बोलकर अपनी बात को समाप्त करता हूं. देश को आजाद हुए 59 साल हो गये हैं, 59 साल में 50 साल तक कांग्रेस ने देश और इस प्रदेश के ऊपर राज किया लेकिन इन 12 सालों में मध्यप्रदेश की दशा और दिशा बदली है. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. यह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले हमारे सशक्त और नौजवान और युवा मंत्री माननीय उमाशंकर गुप्ता जी की देन है. सभापति महोदय आपने मुझे बोलने का समय दिया, उसके लिये धन्यवाद्.
कुंवर विक्रम सिंह:- सभापति महोदय, यह जो बोल रहे हैं और क्या बोलते हैं. यह उच्च शिक्षा पर टापिक चल रहा है या यहां पर सरकार की भाटगिरी चल रही है.
श्री वैल सिंह भूरिया :- राजा साहब आप भूल गये हैं, पहले राजा रानी के पेट से पैदा होता था, अब राजा जनता की कोख से पैदा होता है. जिस प्रकार से हमारे लाड़ले मुख्यमंत्री को दीन दुखी और गरीबों ने भेजा है और हमेशा हमेशा राज करता रहेगा.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव):- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या44, 47 और 70 का विरोध करती हूं और अपनी बात रखती हूं. शासन द्वारा इस बजट सत्र के दौरान महाविद्यालयों के लिये भवनों का निर्माण निर्धन वर्ग के लोगों के लिये विक्रमादित्य निशुल्क शिक्षा योजना, असाहय छात्रों को छात्रवृत्ति, सरकारी महाविद्यालयों में खेलकूद विकास और गांव की बेटी योजनाओं जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं में बजट की राशि बहुत कम कर दी गयी है. आज महाविद्यालयों की शिक्षा का स्तर बहुत गिर गया है. साथ ही मध्यप्रदेश शिक्षा की स्थिति में सकारात्मक बदलाव कहीं भी नजर नहीं आता है. शिक्षा के अधिकार के मानकों के आधार पर देखा जाये तो मध्यप्रदेश में प्राध्यापकों की भारी कमी है. महाविद्यालयों में अतिथि विद्वानों आदि के जो पद हैं, उन्हें पूर्णकालीन रूप से भरे जाने चाहिये ऐसी व्यवस्था की जाये. उनका मानदेय काफी कम है,क्योंकि जिले स्तर पर हमने देखा है कि जो अतिथि प्राध्यापक हैं उनके द्वारा बार बार मांग की जाती रही कि उनका मानदेय बढ़ाया जाये और उन्हें स्थायी रूप से उनके पद की पूर्ति की जाये. सभापति महोदय, मेरे विधानसभा भीकनगांव में एक महाविद्यालय हैं जहां पर भी अतिथि शिक्षकों की भारी कमी है और वहां पर कन्याओं में शिक्षा की जाग्रती बहुत आयी है और कन्याएं चाहती हैं कि वहां ज्यादा से ज्यादा वहां पर उनके लिये वहां पर व्यवस्था की जाये. वहां पर छात्रावास नहीं हैं, आने जाने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और झिरनिया क्षेत्र जो एक अलग तहसील है, जो एक बड़ा क्षेत्र है और आदिवासी क्षेत्र है, वहां की बच्चियां भी पढ़ना चाहती हैं. किन्तु उनके लिये खरगौन जाना भीकनगांव जाने हेतु उनके आने जाने की व्यवस्था नहीं हो पाती है. बसों का समय-सीमा में उनको घर पर पहुंचाना नहीं हो पाता. माता-पिता बार-बार निवेदन करते हैं कि यदि वहां पर कन्या महाविद्यालय खोल दिया जाये तो निश्चित तौर पर बच्चियां अपनी आगे और उच्च शिक्षा को प्राप्त कर सकेंगी. भीकनगांव क्षेत्र में जो महाविद्यालय है वहां के जो निर्धन माता-पिता हैं उनके बच्चे,एससी,एसटी के बच्चों को छात्रवृत्ति समय पर नहीं मिलती है मैं चाहती हूं कि तीन-चार माह में उनको छात्रवृत्ति मिल जाये तो उनके बच्चे आसानी से शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे. लायब्रेरी में बैठने की व्यवस्था बिल्कुल नहीं है. वहां एक अतिरिक्त कक्ष निर्माण किया जाये ताकि बच्चे वहां बैठकर ज्ञान हासिल करें और अपना ज्ञानवर्धन करें. उस महाविद्यालय की महत्वपूर्ण बात यह है कि वहां जो एक प्रिंसिपल है भूगोल विषय का है और एक मात्र स्टूडेंट है और मात्र प्राचार्य बनने के लिये वे वहां पर बने हुए हैं और बार-बार वहां के छात्र छात्राएं शिकायत करते हैं क्योंकि उनकी इतनी ज्यादा शिकायतें हैं कि बताना संभव नहीं है हर हफ्ते उनकी शिकायत आती है कि प्राचार्य महोदय को कहीं और भेजा जाये. मात्र एक छात्र को पढ़ाने के लिये प्राचार्य वे बने हुए हैं जिससे विद्यार्थियों में असंतोष है और उसका हल यही है कि उनको कहीं और भेजा जाये. इसके लिये छात्रों ने वहां धरना,प्रदर्शन तक किये हैं. बच्चियों को आने जाने की सुविधा के साथ,छात्रावास की व्यवस्था के साथ उन बच्चियों को ऐसे पास दिये जायें ताकि वे किसी भी बस में बैठें तो उन्हें नि:शुल्क पास दिये जायें साथ ही वहां पानी की बहुत ज्यादा दिक्कत है. नगर पालिका से हम लोग बार-बार निवेदन करते हैं कि छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं शासकीय महाविद्यालय है ऐसी व्यवस्था कर दी जाये परन्तु मांग नहीं मानी जा रही है और आई.टी.आई. भवन हमारे भीकनगांव में अभी तक नहीं बना है. प्रायवेट भवन में चल रहा है. झिरन्या में भवन तैयार हो रहा है इसके लिये मैं मंत्री जी को धन्यवाद दूंगी कि वह जल्दी बन जाये. बहुत सी और भी समस्याएं हैं इसीलिये अपनी बात मैं यहीं समाप्त करती हूं. धन्यवाद.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर(खरगापुर) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 44,47,70 का विरोध करते हुए अपनी बात रख रही हूं. सबसे पहले मैं माननीय मंत्री जी को याद दिलाना चाहती हूं कि मैंने बलदेवगढ़ या खरगापुर में महाविद्यालय खोलने की मांग लगातार दो वर्षों से की है परन्तु आज तक उस मांग को पूरा नहीं किया गया है. इतना ही नहीं माननीय मुख्यमंत्री जी ने बलदेवगढ़ में महाविद्यालय खोले जाने की घोषणा की थी परन्तु आज दिनांक तक प्रदेश के मुखिया जी की घोषणा पूरी नहीं की गई. आगे इस विभाग के बारे में मैं क्या कहूं मेरे पास शब्द नहीं. खरगापुर विधान सभा क्षेत्र के नगर पलेरा एवं खरगापुर में आई.टी.आई. खोल दिया जाये तो छात्र छात्राओं को तकनीकी शिक्षा का लाभ मिल सके और जो छात्र आई.टी.आई. की पढ़ाई करने इधर उधर भागते हैं वे परेशानी से बच सकेंगे और हमारे खरगापुर की प्रतिभाएं आगे भी आ सकती हैं मुझे यह बताने में तकलीफ होती है कि पलेरा के महाविद्यालय में आज कोई स्थायी प्राचार्य नहीं है. हिन्दी,राजनीतिशास्त्र,अर्थशास्त्र,सामाजिक शास्त्र,भौतिक शास्त्र,प्राणी शास्त्र,लेखापाल,प्रयोग शाला सहायक,चौकीदार आदि के पद खाली पड़े हैं. विद्यालय चल रहा है मगर विद्यार्थियों की परेशानी की खबर लेने वाला कोई नहीं है.एक और बहुत बड़ी समस्या यह है कि पलेरा महाविद्यालय में छात्र बी.ए.,बी.काम. करें और बी.एस.सी. करने बाहर जायें इसलिये इस पलेरा महाविद्यालय की कक्षाएं बढ़ाकर उन्नयन कर दें और उसकी बाउंड्रीवाल बनाने के साथ-साथ वहां रिक्त पदों की पूर्ति करने का कष्ट करें. सभापति महोदय,बोलने का समय दिया धन्यवाद.
श्री भारत सिंह कुशवाह(ग्वालियर ग्रामीण) - माननीय सभापति महोदय,मैं मांग संख्या 44,47,70 का समर्थन करता हूं. जिस प्रकार से हमारी सरकार ने पूरे प्रदेश के छात्र छात्राओं को शासकीय महाविद्यालयों के माध्यम से बहुत अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा और मध्यप्रदेश की सरकार की योजनाओं का लाभ शतप्रतिशत देने का जो प्रयास किया है और अपने प्रयास में सरकार और विभाग सफलता की ओर है. इसी प्रकार से पूरे प्रदेश में और जिले की आवश्यकता के अनुसार, क्षेत्र की आवश्यकता के अनुसार पूरे प्रदेश में महाविद्यालयों की स्थापना की और स्थापना के साथ-साथ उन शासकीय महाविद्यालयों को संचालित कराने में सरकार और विभाग की भूमिका शतप्रतिशत सफल बनाने में रही उसके लिये मैं माननीय मंत्री जी और सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहूंगा.साथ ही जिस प्रकार से कई विधान सभा क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें आवश्यकतानुसार दो-दो शासकीय महाविद्यालय हैं और ज्यादातर विधान सभा क्षेत्र में शासकीय महाविद्यालय संचालित हैं. मैं मंत्रीजी से अनुरोध करना चाहूंगा कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक भी शासकीय महाविद्यालय नहीं है और मेरा क्षेत्र समूचा ग्रामीण क्षेत्र है और पिछड़ा हुआ क्षेत्र है. वह क्षेत्र संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में है और साधना स्थली भी है और उस क्षेत्र के …
(2.29 बजे) अध्यक्ष महोदय(डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.
……विकास के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी और पर्यटन विभाग ने उसको पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिये सरकार द्वारा काफी प्रयास किया गया है और कई काम वहां इस हेतु शुरू भी हुए हैं और बेहट मुख्य सेंटर प्वाइंट है और वहां से मुख्यालय की दूरी 50 कि.मी.के लगभग है और उस क्षेत्र के छात्र,छात्राएं जिनके परिवार उनके बच्चों को पढ़ाने के लिये ग्वालियर भेजने में सक्षम नहीं हैं तो कई होनहार छात्र,छात्राएं ग्वालियर न आ पाने के कारण पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं. मेरा मंत्रीजी से अनुरोध है कि उस पिछड़े क्षेत्र के छात्र,छात्राओं की शिक्षा के अध्ययन के लिये जो संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट में जो संगीत सम्राट तानसेन जी पूरे विश्व में विख्यात हैं वहां शासकीय महाविद्यालय की स्थापना की जाये.
जिस प्रकार से आपने पूरे प्रदेश के ज्यादातर विधान सभाओं में एक एक अथवा कहीं पर दो दो शासकीय महाविद्यालय की स्थापना की है इसी प्रकार से मेरे क्षेत्र बेहट में शासकीय महाविद्यालय की स्थापना की जाए और उसका नाम भी एक ऐसे विश्व विख्यात संगीत सम्राट तानसेन के नाम से रखा जाए, ऐसा मैं अनुरोध करता हूं, साथ ही जिला दतिया के भाण्डेर विधान सभा में विजयाराजे सिंधिया कालेज संचालित है वहां पर स्टॉफ की काफी कमी है, उसकी भी पूर्ति की जाए. भाण्डेर में एक आईटीआई कॉलेज है उक्त कॉलेज प्रायवेट बिल्डिंग में संचालित है विभाग ने किराये से उस बिल्डिंग को लिया है उस बिल्डिंग में फर्नीचर की व्यवस्था नहीं है इसलिये आईटीआई कॉलेज की जमीन के आवंटन की प्रक्रिया पूर्ण कराकर नयी बिल्डिंग स्वीकृत करने की कृपा करें. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्रीमती सरस्वती सिंह (चितरंगी)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र के बारे में अपनी कुछ मांगें रखना चाहती हूं. चितरंगी विधान सभा में सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं, जो कि अत्यंत गरीब है वह मजदूरी करके अपने बच्चों को पढ़ाने के साथ ही आगे के भविष्य के बारे में सोचते हैं. मेरे चितरंगी विधान सभा में शासकीय महाविद्यालय खोला गया है जहां पर सिर्फ बीए की पढ़ाई करायी जाती है बीएससी की पढ़ाई का कोर्स नहीं है वहां पर बीएससी के कोर्स को स्वीकृत कराया जाए जो महाविद्यालय है वह किराये के मकान में बन रहा है उसकी तत्काल बिल्डिंग भवन बनाया जाए ताकि बच्चों एवं छात्र-छात्राओं का अच्छा अध्ययन हो सके. वहां पर कम्प्यूटर एवं लायब्रेरी की भी व्यवस्था करायी जाए ताकि बच्चे अच्छे से अध्ययन करके अच्छे नंबरों से पास होकर माता-पिता के नाम को रोशन करें. मैं तकनीकी एवं कौशल शिक्षा के बारे में बोलना चाहती हूं मेरे चितरंगी विधान सभा में आईटीआई कॉलेज खोला जाए एवं एकलव्य पॉलिटेक्निक डॉ.बाबा अंबेडकर पॉलिटेक्निक कॉलेज खोला जाए जो गरीब बच्चे हैं जो कि बाहर जाने में असमर्थ हैं ताकि उन बच्चों का भविष्य अंधेरे में न रहते हुए उजाले की तरफ जाए आपने बोलने का मौका दिया धन्यवाद.
श्री अनिल फिरोजिया (तराना)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 44, 47 का समर्थन करता हूं. मैं सर्वप्रथम प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री एवं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मेरे विधान सभा क्षेत्र तराना में महाविद्यालय प्रारंभ कराया. दूसरा मैं अपने विधान सभा क्षेत्र के लिये तराना एवं माकड़ोन में हमारे यहां पर दो महाविद्यालय हैं, लेकिन दोनों महाविद्यालयों में आर्ट फेकल्टी है, कामर्स एवं साइंस फेकल्टी खोल दी जाएं तो हमारे यहां के छात्र-छात्राओं को उज्जैन में कामर्स एवं विज्ञान विषयों को पढ़ने के लिये जाना पड़ रहा है जो कि वहां से 50 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है वहां पर ग्रामीण परिवेश होने के कारण बच्चियों को बाहर भेजने में असमर्थ हैं आप इस पर सदभावनापूर्ण विचार करके मुख्यमंत्री जी का जो सपना है कि बेटी पढ़ाओ उसमें आप भी सहभागी हैं. मेरे क्षेत्र तराना में कामर्स एवं साइंस फेकल्टी को प्रारंभ करने की कृपा करेंगे. अभी पीएसी के माध्यम से आपने अस्सिटेन्ट प्रोफेसरों की पोस्ट निकाली है और चित्रकला चूंकि यह प्राचीन कला है और इस विषय को आपने उस पीएसी में छोड़ दिया है जब हम धीरे धीरे चित्रकला को समाप्त करेंगे तो हमारे आने वाले भविष्य जो कि हमारी धरोहर है उसे कैसे संजो कर पाएगा आप चित्रकला की पोस्ट भी निकाले. तीसरा तकनीकी शिक्षा पॉलिटेक्नि में जो भर्ती हुई है उसमें आरक्षण के नियम का पालन नहीं किया गया है यह बात पूर्व में भी ध्यान में लायी थी आपने उसमें आश्वासन दिया था, इस पर भी गंभीरता से विचार करें. मेरे क्षेत्र में आईटीआई कॉलेज खोलने की कृपा करेंगे तो मेरे क्षेत्र के बच्चों को प्रशिक्षण एवं रोजगार मिलेगा. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 44,47 एवं 70 का समर्थन करता हूं. माननीय मंत्री जी जितनी कुशलता, निर्भीकता तथा दबंग तरीके से इस विभाग को चला रहे हैं उसके लिये उनको बधाई देना चाहता हूं. सिवनी में हमारे मुख्यमंत्री महोदय ने एक इंजीनियरिंग कॉलेज की घोषणा की थी वहां पर काफी बड़ी जमीन है वहां पर इस फेकल्टी को खोलने की कृपा करें. उसी पॉलिटेक्निक ग्राऊंड में एक छात्रावास बना हुआ है क्षतिग्रस्त है उसको डिसमेंटल करके नये छात्रावास का निर्माण करें. इसी तरह हमारा सिवनी पीजी कॉलेज में काफी बच्चे हैं उसमें और निर्माण की आवश्यकता है. महिला महाविद्यालय के लिये आपने जमीन प्रदान कर दी है इसके लिये बधाई एवं धन्यवाद दूंगा. उसमें निवेदन है कि उस भवन का निर्माण हो जाए एवं और भी फेकल्टी को खोला जाए, लेकिन बच्चियां हमारे यहां पर एडमीशन लेती हैं उनकी संख्या का निर्धारण निश्चित है उन बच्चियों का बाहर जाना असंभव है. हमारे यहां पर अल्पसंख्यक वर्ग की ज्यादा संख्या है वहां पर और फेकल्टीज एवं रूम्स की व्यवस्था करें. और रूमों के साथ व्यवस्था करें. माननीय मंत्री जी, आपने जनभागीदारी समिति का गठन का नहीं किया है, वहां पर गठन कर दें. जिससे जनभागीदारी कमेटी के मार्फत बहुत काम ऐसे हैं, जो कॉलेज के किये जा सकते हैं. मेरा आपके माध्यम से, निवेदन है कि सिवनी जिले में जो भी ब्लॉक हैं, चूँकि क्षेत्र काफी बड़ा है, उनमें तमाम, ऐसे कॉलेज जरूर खोल दिये जायें. पूरा सिवनी जिला, अगर सभी ब्लॉकों में कॉलेज होंगे तो वहां पर निम्न वर्ग एवं गरीब वर्ग के बच्चे आराम से शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. अभी कहते हैं कि हम गरीब बच्चों की पढ़ाई का खर्चा उठा रहे हैं लेकिन पता नहीं क्यों बहुत बच्चे-बच्चियां मेरे पास आते हैं कि कॉलेज की फीस देनी है. पता नहीं क्या कारण है ? इन फीसों में कमी हो. आर्थिक आधार पर, उनमें छूट होने की मेरा आपसे निवेदन है. हमारे यहां बी.एड. और डी.एड. के प्रायवेट कॉलेज चल रहे हैं, उनमें बड़ी अनियमिततायें हैं, उनकी स्वयं की बिल्डिंग नहीं है, वे मनमाने तरीके से फीस लेते हैं. आपकी निगरानी समिति से मेरा आग्रह है कि उनका ऑडिट करें, उनका निरीक्षण करें. अतिथि विद्वानों की जो पहले भी बात आई है, उनकी राशि बढ़े और उनको प्रतिदिन के हिसाब से वेतन मिलना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कॉलेज में चुनाव काफी आवश्यक हैं. चुनाव होंगे तो हमारे बच्चों का आने वाले भविष्य में निर्माण होगा और आपने बच्चों पर ड्रेस कोड लागू किया है. कई कॉलेजों में अभी भी बच्चे ड्रेस पहनकर नहीं आते हैं. अत: आग्रह है कि बच्चे कॉलेज में अनुशासन में रहेंगे. हमारे यहां कॉलेज में ड्रेस कोड है, बच्चे ड्रेस पहनते हैं. एक और विनम्र आग्रह है कि शिक्षा के सभी विषयों के साथ-साथ, उन बच्चों के दिमाग में गेम्स, सांस्कृतिक कार्यक्रम और व्यावसायिक ऐसे सब्जेक्ट्स जरूर हों. चाहे किसी भी फैकल्टी से पढ़कर आये हों. इसमें कोई जरूरी नहीं है कि वह सरकारी नौकरी के लिये ही शिक्षा ग्रहण करें. अपने भविष्य के लिये कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिसमें जा सकें. माननीय मंत्री जी, इंजीनियरिंग कॉलेज की जरूर घोषणा करेंगे. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, उसके लिये मैं धन्यवाद देता हूँ.
कुँवर विक्रम सिंह (राजनगर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 44, 47 एवं 70 का विरोध करता हूँ. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि वित्तीय वर्ष 2015-16 में निर्माण कार्यों के प्रति 150 लाख रूपये का बजट प्रावधान किया गया है. मांग संख्या 44 में रूपये 2800 लाख कुल राशि रूपये यानि 29.50 लाख रूपये का प्रावधान किया गया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि हमारे राजनगर में जो शासकीय महाविद्यालय हैं, उसके लिये जमीन नं. 3012 आवंटित हो चुकी है परन्तु कॉलेज का भवन अभी तक बन नहीं पाया है और पुराना जो विकासखण्ड का दफ्तर था. जिसे पी.डब्ल्यू.डी. विभाग ने जीर्ण-शीर्ण हालत यानि खण्डहर के रूप में घोषित कर दिया है, उसमें कॉलेज की क्लासेस आजकल लग रही हैं. मेरा आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी से कहना है कि माननीय मंत्री जी इसी वर्ष के बजट में कॉलेज की बिल्डिंग का प्रावधान करवायें और इस सौगात को हमारी विधानसभा में दें तो बड़ी महती कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं दो तीन बातें और कहना चाहता हूँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय के क्षेत्र की बात भी कहना चाहूँगा. मैं एक निवेदन करना चाहता हूँ कि हमारे लवकुश नगर शासकीय महाविद्यालय में जो विज्ञान संकाय संचालित किये जाने बाबत् बार-बार, मेरे द्वारा पत्र लिखे गये परन्तु उस पर आज तक विज्ञान की संकाय नहीं खुल सकी हैं. माननीय मंत्री जी उसको भी करवाने का कष्ट करें. मैं सिर्फ दो मिनिट का समय चाहूँगा.
अध्यक्ष महोदय - केवल एक मिनट.
कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, शासकीय महाविद्यालय रामनगर, जिला सतना सन् 2002 - 03 में खोला गया था. क्योंकि नया रामनगर बाण सागर परियोजना के डूब क्षेत्र की जनता का पुनर्वास होना है और यहां शुरू में बी.ए. की कक्षायें खोली गई थीं. यह सही है कि स्थानीय विधायक ने हायर एजुकेशन मिनिस्टर एवं आयुक्त उच्च शिक्षा को समय-समय पर इस महाविद्यालय में बी.कॉम., बी.एस.सी. एवं एम.ए. की कक्षायें खोले जाने के लिए पत्र लिखा. किन-किन तारीखों में लिखा ? कृपया पत्रों की जानकारी, पत्रों की प्रतिलिपि उपलब्ध करायें. विभाग द्वारा आज दिनांक तक, उस पर क्या कार्यवाही की गई है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, अतिथि शिक्षकों की जो मांगें हैं, वे जायज हैं. उसका भी प्रावधान किया जाये. मेरा आपके माध्यम से, माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी से यही कहना है. आपने बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक (बिजावर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 44, 47 एवं 70 के समर्थन में, मैं अपने विचार व्यक्त करना चाहता हूँ. उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में, वास्तव में मध्यप्रदेश में अनेक उपलब्धियां विभाग ने हासिल की हैं. इसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी एवं माननीय मंत्री जी के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूँ. नौगांव नगर में लम्बे समय से शासकीय महाविद्यालय की मांग रही है और नौगांव में इंजीनियरिंग कॉलेज की मांग भी लम्बे समय से रही है, इन दोनों मांगों को पूरा करके सरकार ने पूरे बुन्देलखण्ड के छात्र-छात्राओं और जनता को कृतज्ञ किया है. इसके लिये, मैं उनका आभार व्यक्त करना चाहता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इतनी उपलब्धियों के बीच भी विभाग से एक चूक हो रही है, उसके लिये मैं आपके माध्यम से, विभाग का ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ. उच्च शिक्षा में शारीरिक शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा, खेल-कूद और योग के विषय सैद्धान्तिक विषय के रूप में लागू होने चाहिए, इस बात के लिए मैं विशेष रूप से उल्लेख करना चाहता हूँ. सामान्य दृष्टिकोण से देखें तो मनुष्य एक इकाई है. लेकिन भारतीय जीवन दर्शन ने मनुष्य को मनुष्य न मानते हुए मन्द बुद्धि और शरीर-आत्मा का समुच्चय, मनुष्य को माना है. देखा जाये तो मन, बुद्धि और आत्मा- तीनों का अपना अलग-अलग अस्तित्व है पर तीनों का आधार तो शरीर ही है. यदि शरीर ठीक है, तो इन सबका अस्तित्व ठीक-ठाक रहता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस विषय में, विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करते हुए यह बात कहना चाहता हूँ कि यदि शारीरिक सौष्ठव ठीक है तो उसके लिये जो साधन व्यवस्थित किये गये हैं. उनमें मध्यप्रदेश के साथ-साथ, देश में कई जगह फिजिकल कॉलेजेस हैं. जहां बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन की डिग्री मिलती है. लेकिन उसमें एक दुविधा है, वह यह है कि इस तरह के बी.पी.एड. के कॉलेजेस हैं. उनमें कोर्स में प्रवेश लेने के लिए विद्यार्थी को स्नातक के कोर्स में शारीरिक शिक्षा, यदि उसके कोर्स में सम्मिलित है, तो उसको उसमें प्रवेश मिलता है. इसलिए कई जगह फिजिकल एजुकेशन के छात्रों की जगह खाली रहती है और कॉलेज में विद्यार्थियों को प्रवेश नहीं मिल पाता है क्योंकि प्राथमिक रूप से उनके पास यह शिक्षा नहीं रहती. दूसरी ओर सी.बी.एस.ई. के कोर्सेस में, उनसे संबंद्ध जितने भी शासकीय और अशासकीय विद्यालय हैं. उनमें शारीरिक शिक्षा एक अनिवार्य विषय के रूप में सम्मिलित है लेकिन अफसोस यह है कि अपने यहां उच्च शिक्षा के स्नातक के कोर्स हैं, उसमें यह डिग्री नहीं है. उसमें मेरा यह आग्रह है कि स्नातक के जो पाठ्यक्रम हैं, उसमें शारीरिक शिक्षा के रूप में इनको एक सैद्धांतिक विषय के रुप में लागू किया जेयगा, तो उच्च शिक्षा के लिये शारीरिक,स्वास्थ्य शिक्षा, खेल कूद और योग ये ऐसे विषय हैं कि इनके लागू होने से बहुत ज्यादा लाभ हम सबको मिलेगा. कालेजों में भी बीपीएड ट्रेंड क्रीड़ा अधिकारी होंगे और मुझे लगता है कि वह जब चूंकि विद्यार्थी नहीं हैं, तो वह भी अपनी एक प्रकार से पूरी सेवायें या जो कुछ भी उन्होंने अध्ययन किया है, उसका लाभ विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रहा होगा. मैं आशा करता हूं कि मंत्री जी इस बात को संभीरता से लेंगे और जहां जहां इस कोर्स को लागू करेंगे और जिन महाविद्यालयों में बीपीएड पास क्रीड़ा अधिकारी नहीं होंगे, वहां उनकी भर्ती करके इसको लागू करेंगे. यह अपने प्रदेश के लिये बहुत उपयोगी बात रहेगी. मेरा कहना है कि मंत्री जी इस बात पर ध्यान देंगे. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) -- अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि अपने अभिभाषण में उन्होंने पुष्पराजगढ़ महाविद्यालय में बीएससी कक्षा, जो अशासकीय तौर से संचालित थी, वहां बीएससी की कक्षा शासकीय तौर पर संचालित करने की व्यवस्था करने की बात की, इसके लिये मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा. मुझे पूरा विश्वास है कि उच्च शिक्षा मंत्री जी के निर्देशन में इसके आदेश भी प्रसारित किये जा चुके होंगे, ऐसा मैं मानता हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में मात्र एक पुष्पराजगढ़ महाविद्यालय है, जो आज शासकीय महाविद्यालय की सूची में 7वें नंबर पर है. करीब 32 साल से यह विद्यालय संचालित है और 32 साल से निरंतर वहां प्राचार्य अभी तक सरकार उपलब्ध नहीं करा पाई है. उसी समय इसके भवन का निर्माण हुआ था, आज वह जर्जर हो चुका है. वहां मात्र जो प्राध्यापक हैं, वह अतिथि शिक्षकों के माध्यम से चलाये जा रहे हैं. खेल मैदान नहीं है. रहने के लिये आवास नहीं है. वहां बालक बालिकाओं के छात्रावास की कमी है और स्टाफ के लिये भी आवासीय भवन न होने के कारण वहां कोई लोग रहना नहीं चाहते हैं. यह पूरे जंगल, पहाड़ में है. जब हम पुष्पराजगढ़ का नाम लेंगे, तो अमरकंटक की याद आयेगी. अमरकंटक मेकल पर्वत के बीच में बसा हुआ है. जिसके कारण और अन्य कार्यों से वहां प्राध्यापक रहना नहीं चाहते हैं. आज उस विद्यालय की छात्र संख्या लगभग 8800 है. मैं चाहता हूं कि उस विद्यालय की सुचारु व्यवस्था के लिये तमाम हमारे उच्च शिक्षा के अंतर्गत जो सुविधायें हैं, वह मिलना चाहिये. अभी वह उस महाविद्यालय में कौसों दूर है. हम चाहते हैं वहां प्राचार्य, स्टाफ की व्यवस्था हो. बालक, बालिकाओं का छात्रावास बनाया जाये. वहां खेल मैदान का विस्तार किया जाये और बाउंड्रीवॉल का निर्माण किया जाये. एससी,एसटी छात्र,छात्राओं को निशुल्क पुस्तक के लिये 1500 रुपये देने की सरकार की योजना है. मैं चाहता हूं कि यह 1500 की राशि को बढ़ा करके कम से कम 2000 से 2500 तक कर दिया जाये, तो बच्चों को लाभ होगा. स्टेशनरी के लिये जो 500 रुपये काफी दिनों से यह निर्धारित है, इस राशि को बढ़ा करके 700 से 1000 तक किया जाये, ताकि बच्चों को महंगाई के अनुसार लाभ मिल सके.
अध्यक्ष महोदय -- अब कृपया एक मिनट में समाप्त करें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को --अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक वेंकट नगर है, जो अनूपपुर से 50 किलोमीटर दूर है और यहां के बच्चे या तो छत्सीगढ़ पेंड्रा रोड, बिलासपुर जाते हैं या तो मनेन्द्रगढ़ अध्ययन करने जाते हैं. तो मैं चाहता हूं कि जब भी हम महाविद्यालयों की स्थापना करें, तो जनसंख्या और क्षेत्र के आधार पर और खास करके अनुसूचित जाति, जनजाति के क्षेत्रों को ध्यान में रखना अति आवश्यक है. ताकि वहां के बालक बालिकायें.दा दूर जाकर अध्ययन नहीं कर पाते हैं. इसलिये वहां लम्बी दूरी, डिस्टेंस को ध्यान में रखते हुए महाविद्यालयों को खोला जाये. पुष्पराजगढ़ में पोलिटेक्निक कालेज खोले जायें, क्योंकि बच्चे वहां अध्ययन करें और व्यवसाय से जुड़ सकें. कौशल विकास योजना के अंतर्गत जब भी वहां योजना बनाई जाये, ट्रेनिंग दी जाये, तो स्थानीय स्तर पर हम उनको कौन सा व्यवसाय उपलब्ध करा सकते हैं, रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं, उस पर ध्यान भी दिया जाये.अध्यक्ष महोदय, इन्हीं शब्दों के साथ आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया, धन्यवाद.
श्री प्रताप सिंह (जबेरा) -- अध्यक्ष महोदय, मैं भी अपने विधान सभा क्षेत्र के दो कालेज के बारे में बोलना चाहता हूं. मैं तेंदूखेड़ा महाविद्यालय की ओर मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि वहां पर बिल्डिंग तो बन गई, लेकिन जो खेल परिसर है, वह ऊबड़ खाबड़ है और उसमें कुछ राशि दी गई थी, लेकिन ठेकेदार वह अधूरा काम छोड़ करके चला गया. मैं मंत्री जी से चाहूंगा कि ठेकेदार ने जो उसको अधूरा छोड़ा उसको पुनः पूरा कराया जाये. साथ ही उस महाविद्यालय में फर्नीचर की कमी है. न तो फर्नीचर है और वहां पर एक किलोमीटर दूर जो मेन रोड से जुड़ने के लिये वह कालेज रह गया है, तो उसकी भी इस बजट में व्यवस्था की जाये. साथ ही उस एरिया के छात्रों को या तो जबलपुर या तो दमोह साइंस पढ़ने के लिये जाना पड़ता है. यदि वहां साइंस की कक्षा उसमें संचालित हो जाये, तो वहां के बच्चों के लिये यह अच्छी सुविधा होगी. साथ ही जबेरा महाविद्यालय के प्रांगण में करीब 12 एकड़ जमीन है, लेकिन उसमें अतिक्रमण हो रहा है. अवैध काम हो रहे हैं, पशु बैठते हैं. तो मैं चाहता हूं कि उस स्थान पर बाउंड्रीवॉल, जिसकी वर्षों से मांग है, यदि वह बाउउंड्रीवॉल अभी इस बजट में ले ली जाये, तो वहां अतिक्रमण रुक जायेगा. नहीं तो इस महाविद्यालय का पूरा मैदान भी अतिक्रमण की चपेट में आ जायेगा. वहां पर भी फर्नीचर की कमी है. तो मैं मंत्री जी से चाहूंगा कि जबेरा महाविद्यालय में फर्नीचर की आप व्यवस्था करें. साथ ही अतिथि विद्वानों की दोनों कालेजों में कमी है. सिर्फ शासकीय तौर पर वहां प्राचार्य भर है और समस्त अतिथि शिक्षक हैं. विषय विशेषज्ञ किसी भी विषय के नहीं हैं.तो मैं मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि उन दोनों कालेजों में विषय विशेषज्ञों की व्यवस्था करें. साथ ही हमारे क्षेत्र में भोज मुक्त विश्वविद्यालय के अंतर्गत 2-3 विद्यालय संचालित हैं. जो ग्रामीणों के लोग शहरों में नहीं पहुंच पाते थे, उनके लिये एक मौका होता था, लेकिन उनकी परीक्षाएं भी अब पिछले साल से जिला लेविल पर करवाई जा रही हैं, हम चाहेंगे कि वह परीक्षाएं वहीं पर, चाहे पुरा हो, नोहटा हो या तेंदूखेड़ा हो, उनकी परीक्षाएं भी वहीं से करवाई जायें. ऐसी मैं मंत्री जी से आशा रखता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये अवसर दिया, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- इस लिस्ट के अलावा 11 माननीय सदस्यों के नाम और आये हैं. मेरा अनुरोध है कि कृपया एक एक मिनट में अपनी बात कह लेंगे, तो ठीक रहेगा. क्योंकि एक विषय अभी इसके बाद और लेना है. मंत्री जी का जवाब भी आना है.
श्री गोविंद सिंह पटेल(गाडरवारा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 44, 47, एवं 70 के समर्थन में अपनी बात कहना चाहता हूं. चूंकि समय का अभाव है इसलिये मैं सीधे अपने क्षेत्र की बात पर आता हूं. अध्यक्ष महोदय, मेरे गाडरवारा में मात्र एक महाविद्यालय है जबकि वहां तीन नगर पंचायत, एक नगरपालिका और दो जनपद पंचायते हैं मात्र गाडरवारा में पीजी कालेज है. मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि सांईखेड़ा में महाविद्यालय खोला जाये, काफी बड़ा क्षेत्र है वहां के बच्चों को पढ़ने में सुविधा होगी. 15 हायर सेकेन्डरी सरकारी स्कूल वहां है और प्रायवेट सेक्टर के 10 स्कूल हैं. इसलिये महाविद्यालय खोला जाना आवश्यक है. वहां कोई तकनीकी संस्थान भी नहीं है. गाडरवारा में एनटीपीसी का पॉवर प्लान्ट भी लग रहा है, यह क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र के रूप में भी विकसित हो रहा है इसलिये गाडरवारा में पालिटेक्निक कालेज खोले जाने की भी आवश्यकता है. हमारे क्षेत्र में 6 कन्या हायर सेकेन्डरी स्कूल हैं परंतु कन्या महाविद्यालय एक भी नहीं है, हमारे पास में एक पुराने कालेज की बिल्डिंग है जिसमें 6 कमरे है . मंत्री जी से अनुरोध है लड़कियों को पढ़ाई में दिक्कत हो रही है इसलिये वहां पर बिल्डिंग है उसमें एक कन्या महाविद्यालय खोला जाए. ताकि बच्चियों की पढ़ाई हो सके. आईटीआई गाडरवारा में साईंखेड़ा में, चिचली जहां जनपद के मुख्यालय हैं वहां पर तो कौशल विकास केन्द्र है. चिचली क्षेत्र में एनटीपीसी का प्लान्ट खुल रहा है, तो वहां पर कौशल विकास केन्द्र के स्थान पर आईटीआई खोल दिया जाये तो बच्चे प्रशिक्षित होकर के निकलेंगे जिससे कि विभिन्न ट्रेड़ अंतर्गत उनको रोजगार मिल सकते हैं. अध्यक्ष महोदय, मैंने जो अपने क्षेत्र की मांग रखी मंत्री जी इन पर ध्यान देने का कष्ट करेंगे, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पंवार(ब्यावरा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा में एक शासकीय नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नाम से महाविद्यालय संचालित है. हमारा क्षेत्र बहुत बड़ा है इसलिये मेरे सुठालिया नगर पंचायत में महाविद्यालय खोले जाने की मांग करता रहा हूं.मंत्री जी से भी अनेक बार निवेदन किया है, विधानसभा में प्रश्न भी लगाये हैं, मुख्यमंत्री जी से भी अनुरोध किया है मंत्री जी से भी अनुरोध है कि सुठालिया में एक महाविद्यालय खोलने की घोषणा करेंगे. मैं बार बार निवेदन कर चुका हूं मंत्री जी ने स्वीकार भी किया है कि ब्यावरा में 700-800 छात्रायें अध्ययनरत हैं उनके लिये 100 सीटर छात्रावास की आवश्यकता है . ब्यावरा महाविद्यालय के पास में लगभग 36बीघा जमीन भी है, उसी स्थान पर 100 सीटर छात्रावास बन सकता है . साथ ही महाविद्यालय प्रांगढ़ में कोई खेल का मैदान विकसित नहीं है इसलिये उस पूरे मैदान को खेल क मैदान की दृष्टि से कोई छोटा स्टेडियम इंडोर-आउटडोर बनाये जाने की भी आवश्यकता है, इसकी भी मंत्री जी घोषणा करेंगे ऐसी मैं उनसे मांग करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय 2007 में वहां पर भयंकर बाढ़ आने के कारण महाविद्यालय परिसर की पूरी चारदीवारी टूट गई है ,चूंकि महाविद्यालय शहर की सीमा से लगा हुआ है, इसलिये वहां पर अवैधानिक रूप से शराबियों ने जुआरियों ने अवैध अड्डा परसिर को बना रखा है. उस महाविद्यालय की वाउन्ड्रीवाल बनाई जाना नितान्त आवश्यक है. मंत्री जी ने चर्चा के दौरान मुझे आश्वस्त भी किया है कि इस वर्ष प्रदान कर देंगे मैं उनसे आग्रह करूंगा कि वे अपने वक्तव्य में मेरे क्षेत्र की जो समस्यायें मैंने रखी हैं उसके बारे में जरूर घोषणा करेंगे. एक आडिटोरियल भवन-सभाग्रह ब्यावरा महाविद्यालय में नहीं है, जिससे बच्चों को सांस्कृतिक गतिविधियां नहीं हो पाती हैं, मंत्री जी उसकी भी घोषणा करेंगे, ऐसी मुझे आशा है. ब्यावरा महाविद्यालय में स्टाफ की बेहद कमी है प्राचार्य भी अस्थाई हैं अनेक प्रकार के पद खाली पड़े हैं. चाहे नये चयनित करके या अन्य कहीं से स्थानांतरित करके वहां पर रिक्त पड़े पदों की पूर्ति करने की कृपा करें. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
कुंवर सौरभ सिंह(बहोरीबंद)-- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं मांग संख्या 44, 47, एवं 70 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. आपने समय कम दिया है. सीधे मैं मुद्दे पर आता हूं . मेरे विधानसभा क्षेत्र बहोरीबंद में रीठी विकासखंड में एक कॉलेज की आवश्यकता है, हमसे लगे क्षेत्र दमोह, पन्ना, रीठी खास में लगभग हजारों ग्रामीण 60-70 किलोमीटर चलकर के कटनी, पन्ना या दमोह के मुख्यालय में कालेज जाने को मजबूर हैं या फिर किसी प्रायवेट क़ॉलेज में अधिक फीस देकर के एडमीशन लेने के लिये मजबूर हैं. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि रीठी में कॉलेज खोला जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय सिग्नाबाद कॉलेज में वाणिज्य संकाय बढ़ाने की आवश्यकता है, बहोरींबद कालेज में भी वाणिज्यिक संकाय बढ़ाये जाने की आवश्यकता है. बहोरीबंद कालेज अभी स्वीकृत किया है मुख्यमंत्री जी , अभी वह एक बीआरसी कक्ष में चल रहा है हम लोग चाहते हैं कि जब तक बिल्डिंग कंपलीट नहीं होती है तब तक मॉडल स्कूल का ऊपर का हिस्सा खाली है उसमें उनको जगह दे दी जाये क्योंकि एक कमरे में बच्चे-बच्चियां बैठते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बहोरीबंद में आईटीआई मे 31 मार्च 2015 से लगभग 3 करोड़ 97 लाख रूपये खाते में रखे हुये हैं . संस्था के विकास के लिये यह राशि रखी गई है परंतु अध्यक्ष की मनमर्जी के चलते इस राशि का उपयोग नहीं हो रहा है. डीजीटी डायरेक्टर जनरल आफ एम्प्लायमेंट एंड ट्रेनिंग के आदेश से 31 मार्च से सिर्फ 1 करोड़ की राशि बचेगी बाकी लेप्स हो जायेगी. मेरा निवेदन है कि इस पर ध्यान दिया जाये और इस राशि से काम करवाया जाये. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया और मैंने 60 सेकन्ड में अपनी बात खत्म कर दी, आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री महेन्द्र सिंह बागरी(गुनौर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 44, 47 एवं 70 के समर्थन में अपनी बात रखना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि विगत 10-12 वर्षों में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम हुआ है. पन्ना जिले में जब हम लोग पढ़ते थे तब मात्र एक कालेज हुआ करता था, आज स्थिति यह है कि वहां पर 8 से 9 कालेज हैं. यह कालेज मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के और उच्च शिक्षा मंत्री के कार्यकाल में खुले हैं. इसके बाद भी मेरे क्षेत्र की कुछ समस्यायें भी मेरे क्षेत्र में हैं जिनकी तरफ मैं माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. दो सुझाव भी मैं देना चाहूंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां के कालेजों में शिक्षकों की कमी है, जिसके कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है . अगर शिक्षक उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं तब तक सीडी आदि के माध्यम से बच्चों को कोर्स मिल जायें या घरों में यह व्यवस्था हो जाये तो बच्चे बहुत कुछ शिक्षा सीडी के माध्यम से घर में ही ग्रहण कर सकेंगे. किसी अच्छे शिक्षक या प्रोफेसर के द्वारा पढ़ाई को सीडी में तैयार करके बच्चों को उपलब्ध करा दी जाये तो बच्चे घर में बैठकर भी तैयारी कर सकेंगे. यह सीडी बाजार में, स्कूल में उपलब्ध कराई जानी चाहिये. एक सुझाव यह है कि जो डीएड-बीएड प्रायवेट चलते हैं , हर मां बाप की इच्छा होती है कि हमारे बच्चे मास्टर बने और उसके लिये डीएड-बीएड की डिग्री की आवश्यकता होती है लेकिन डीएड-बीएड की फीस इतनी अधिक है कि गरीब के बच्चे उसमें सहभागी नहीं हो पाते है , पढ़ नहीं पाते हैं. मैं समझता हूं कि इसके लिये जो बोनस मार्क मिलते हैं उनको बंद किया जाये या बीएड-डीएड की फीस कम की जाये, या शासकीय कालेजों से उनको जोड़ दिया जाये ताकि फीस का जो काम्पटीशन चल रहा है यह कम हो सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से एक मांग और रखना चाहूंगा कि हमारे यहां पर 2-3 कॉलेज हैं जो कला संकाय में चल रहे हैं, बच्चे जिस संख्या में निकलते हैं उसके कारण उनका एडमीशन नहीं हो पाता है. इसलिये संख्या बढाने की आवश्यकता है, बिल्डिंगें करीब करीब स्वीकृत हो गई है. बनना चालू हैं उसके लिये भी मंत्री जी को धन्यवाद. लेकिन यदि उसमें वाणिज्यिक संकाय भी खोल दें तो बेहतर होगा. मेरा क्षेत्र क्षेत्रफल की दृष्टि बहुत बड़ा क्षेत्र है, इसमें आदिवासी क्षेत्र भी शामिल हैं, यहां पर भी एक कालेज खोलने की आवश्यकता है , क्योंकि वहां से 25-30 किलोमीटर तक की दूरी पर कोई कालेज नहीं है. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती उषा चौधरी(रैगांव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरे सतना जिले में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग से चयनित एवं तकनीकी शिक्षण एवं प्रशिक्षण विभाग की चयन सूची कर्मांक 54 दिनांक 6.6.2009 द्वारा चयनित आदित्य प्रताप सिंह, ग्राम व पोस्ट बिरसिंहपुर जिला सतना का व्याख्याता के पद पर चयन हुआ था लेकिन आज तक उनकी नियुक्ति नहीं हो पाई है . यह विद्युत इंजीनियरिंग तकनीकी शिक्षा के पद का मामला है. कृपया इस विषय को संज्ञान में लेते हुये उन्हें ज्वाईन कराने का निवेदन है. माननीय अध्यक्ष महोदय आपके माध्यम से माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगी कि सतना जिले में इंजीनियरिंग महाविद्यालय की स्थापना की आवश्यकता है. विधानसभा क्षेत्र रैगांव में कौशल विकास या आईटीआई की आवश्यकता है, मेरा क्षेत्र सतना जिले से 150 किलोमीटर दूर पर पड़ता है , सिंहपुर क्षेत्र आदिवासी क्षेत्र है नागोद ब्लाक का तो वहां के बच्चे-बच्चियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. इसलिये सिंहपुर में कालेज खोले जाने की आवश्यकता है. अतिथि विद्वानों के बारे में हमारे सभी साथियों ने कहा है मैं उनसे सहमत हूं. अतिथि विद्वानों का दीक्षांत समारोह कराकर उनको सम्मान दिया जाता है, कुलपति द्वारा डिग्री दी जाती है लेकिन उनकी हालत मध्यप्रदेश के अंदर जैसे मनरेगा के मजदूर जैसी है.200 रूपये पीरियड के हिसाब से उनको भुगतान किया जाता है, मेरी मांग है कि या तो इस राशि को बढ़ाया जाये या फिर इनको नियमित किया जाये. इस क्षेत्र में महिलायें भी बहुत संख्या में पढ़ाने का काम करती हैं जब उनकी डिलेवरी का समय आता है तो 6-6 माह उनको छुट्टी के लिये उस परिस्थिति में न तो उनके सिग्नेचर, उनकी मान्यता भी प्राप्त होती है, साल भी बरबाद होता है और जिस तरह से एक साल में उनकी नियुक्ति होती है उन अतिथ विद्वानों की दूसरे साल भी नियुक्ति की जाये. जिन अतिथि विद्वानों की नियुक्ति बार-बार की जाती है उनको नंबर भी कहीं न कहीं द्वेष भावना से कम कर दिये जाते हैं, एस.सी.एस.टी के लोगों को और माननीय अध्यक्ष महोदय बीएससी नर्सिंग में जो लड़के पढा़ई करते हैं उनकी प्राथमिकता खत्म कर दी गई है, क्योंकि लड़कियों की तो है बीएससी नर्सिंग में लेकिन लड़कों की नियुक्ति नहीं हो पा रही उनको भी चालू किया जाये, क्योंकि वह भी काफी पैसा लगाकर फीस भरकर समय का उपयोग करके उन्होंने नर्सिंग की पढा़ई की है तो उनको भी उपयोगिता में लाया जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती ममता मीना (चाचौड़ा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 44, 47, 70 के समर्थन में खड़ी हुई हूं. मैं माननीय मंत्री जी को और माननीय मुख्यमंत्री जी को बधाई देती हूं कि आपने उच्च शिक्षा में हमारे छात्र-छात्राओं का काफी उत्साह बढ़ाया, उनके लिये काफी सुविधाओं का प्रावधान इस बजट में रखा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, समय का अभाव है इसलिये मेरे क्षेत्र की समस्याओं पर ही सीधा आती हूं. मैंने माननीय मंत्री जी से भी निवेदन कर लिया था माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा में कुंभराज बहुत बड़ी तहसील है, उसमें 15-16 में एक नवीन कॉलेज की शुरूआत हुई थी, लेकिन वहां पर एक तो बिल्डिंग नहीं है, तो मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगी कि एक तो बिल्डिंग की घोषणा करें, साथ ही एक अध्यापक के भरोसे पूरा महाविद्यालय चल रहा है तो उसमें कोई भी स्टाफ नहीं है तो स्टाफ की भी अतिशीघ्र व्यवस्था करें और माननीय अध्यक्ष महोदय, उसी के साथ-साथ मेरे विधानसभा में मकसूदनगढ़ एक तहसील आती है और कम से कम 100 सबा सौ गांव के अंतर्गत यह मकसूदनगढ़ तहसील है और वहां के सौ-सबा सौ गांव के जो बच्चे और बच्चियां हैं उनको पढ़ने के लिये 70-80 किलोमीटर दूर गुना पड़ता है तो मकसूदनगढ़ में अगर आप एक महाविद्यालय की आज ही घोषणा कर दें तो बहुत ही अच्छा होगा, मेरा विनम्र निवेदन है, क्योंकि हमारे क्षेत्र में बालिकाओं के लिये विशेष चिंता का विषय है और 70-80 किलोमीटर दूर पढ़ने जाना उनके लिये बड़ी असुविधा का सामना करना होता है, और माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी कई बार कहा है कि मकसूदनगढ़ में कॉलेज का प्रावधान होना चाहिये और कुंभराज के लिये स्टॉफ की व्यवस्था करें क्योंकि वहां प्राचार्य भी नहीं है और वहां पर लिपिक भी नहीं है, कोई भी स्टॉफ नहीं है, एक अध्यापक के भरोसे पूरा महाविद्यालय चल रहा है तो स्टॉफ और नवीन भवन की स्थापना के लिये आप घोषणा करें, नवीन बिल्डिंग की जल्दी शुरूआत हो जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय आपने बोलने के लिये समय दिया इसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर (खरगापुर)-- बैठे-बैठे बोलने से मना किया गया.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उच्च शिक्षा की मांगो के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. केवल अपनी बात रखूंगा. आज मध्यप्रदेश सरकार उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में लगातार कार्य कर रही है. नीमच जिले में स्वामी विवेकानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय है, उस महाविद्यालय में अभी नेक की टीम आई थी और वहां स्वर्गीय तुकोजीराव पंवार जब उच्च शिक्षा मंत्री थे वहां आडीटोरियम हॉल के लिये पैसा दिया था, वह कुछ पैसा पड़ा है मगर आज भी वहां काम प्रांरभ नहीं हुआ है. अत माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि उस काम को प्रारंभ करा दें जिससे कि स्व.तुकोजीराव पंवार की जो घोषणा है वह पूरी हो सकेगी. साथ ही वहां लगभग 2900 छात्र-छात्रायें पढ़ते हैं और उन छात्र-छात्रओं ने एमएसडब्ल्यू और एमबीए के लिये आपके लिये प्रस्ताव भेजे हैं, अत आप विचार करके उनको खोलने का काम करें. उस कॉलेज की एक बहुत बड़ी गरिमा है, वहां से कई छात्र-छात्रायें निकले हैं और जब मैंने वर्ष 2004 में माननीय प्रणव जी पण्डया और माननीय प्रोफेसर कप्तान सिंह जी सोलंकी वहां आये थे और उसका नाम विवेकानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय के नाम से रखा हुआ है, यदि पीजी कॉलेज से है तो उसको स्वामी विवेकानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय कराने की भी कृपा करें.
मेरे क्षेत्र में जीरण तहसील है माननीय मुख्यमंत्री जी जब जनसंपर्क यात्रा में आये थे उस समय उन्होंने आदिवासी बच्चों के लिये जो वहां से 30 किलोमीटर है वहां कॉलेज खोलने की घोषणा की थी. अत जीरण में उनकी घोषाणानुसार, क्योंकि हजारों लोग जनसंपर्क यात्रा में थे उस समय उन्होंने घोषणा की थी यदि उस पर पहल होगी और वहां की छात्र-छात्रायें जो आदिवासी हैं जो दूरदराज से नीमच पढ़ने आते हैं अगर जीरण में कॉलेज खुल जायेगा तो आपका बड़ा आभारी रहूंगा. साथ ही नीमच में जो छात्र-छात्रायें 3000 के लगभग पढ़ते हैं, उन बच्चों ने जो कॉलेज में फीस जमा कराई थी उस फीस में कहीं न कहीं एक जुगल शर्मा करके एक एकाउंटेंट था, उसने घपला किया है और घपले की वजह से उस कॉलेज की भी बदनामी हुई है और जो बच्चों का पैसा था 48 लाख रूपये के लगभग या 38 लाख रूपये के लगभग वह लेकर भाग गया है. अभी हमने जिलाधीश और हम लोगों ने मिलकर उसको गिरफ्तार भी करया है, मगर आपसे यह निवेदन है कि उस समय जो प्रिंसीपल थीं जो दस्तखत करती थीं मेडम श्रीवास्तव या अन्य लोग जो उसके आसपास हैं उनके खिलाफ भी कार्यवाही होना चाहिये जिससे कि बच्चों का पैसा वहां के विकास में काम आये, क्योंकि वहां एक अच्छा ग्राउंड है यदि वहां ट्रेक बनेगा तो निश्चित ही नीमच जिले का वह कॉलेज है निश्चित ही आगे बढ़ेगा. मैं इस अवसर पर आपको यही कहूंगा कि उन लोगों के खिलाफ कार्यवाही हो, जीरण में हमारा कॉलेज खुले और कौशल की दृष्टि से यदि जीरण तहसील में आईटीआई कॉलेज आप खोलेंगे तो वहां की जनता आपकी बहुत आभारी रहेगी. मुझे इस अवसर पर आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिये मैं धन्यवाद देता हूं और विवेकानंद कॉलेज को आप शासकीय रिकार्ड में जरूर करें, क्योंकि एक नरेन्द्र नाम का विद्यार्थी जब शिकागो के धर्म संसद में गया, उन्हें सुनने पर बोलने का अवसर मिला, सुनने से बोलते-बोलते उन्होंने पूरे ब्रहमाण्ड का वर्णन किया और भारत का मान बढ़ाया, यदि ऐसे महापुरूष के नाम से आपके रिकार्ड में स्वामी विवेकानंद जी हो जायेगा, क्योंकि अभी जब नेक की टीम आई तो उस टीम ने केवल पीजी कालेज के माध्यम से ही किया तो कहीं न कहीं नेक पर भी हमारा कॉलेज आयेगा और आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी के माध्यम से और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के माध्यम से यदि वहां पैसा आयेगा तो जिला स्थान का वहां एक कॉलेज है उसका अच्छा उन्नयन होगा, पुन आपका नीमच से लगाव है आप नीमच पधारते रहते हैं, इसलिये मेरे जीरण की और नीमच के कॉलेज की ओर आप विशेष ध्यान दें. आपने बोलने का अवसर दिया माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट लेना चाहता हूं, माननीय मंत्री जी सत्ता पक्ष के विधायकों ने तो आपके फेवर में और सरकार के फेवर में और पक्ष में बोला ही है, लेकिन हमारे जो विधायक साथियों ने बोला है और जो सुझाव दिये हैं या उन्होंने कहा है जरा आप उनको भी रिप्लाय करें और मैं समझता हूं कि उनके भी दिये हुये सुझावों पर एक्शन और कार्यवाही अगर करते हैं तो मैं समझता हूं कि ज्यादा अच्छा होगा, तब इस बहस की सार्थकता होगी.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत ही अच्छी बात आदरणीय हमारे नेता प्रतिपक्ष ने कही है और वास्तव में शायद हाउस में जो डिस्कशन होता है उसका आशय भी यही होता है कि किसी एक ही व्यक्ति को पूरी जानकारी नहीं होती. मैं अगर इस विभाग का मंत्री हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि मुझको पूरी जानकारी सही होगी. विभिन्न क्षेत्रों के माननीय जनप्रतिनिधियों से जो चर्चा आती है उसको हम उसी रूप में लेते हैं, अपनी जानकारी को दुरूस्त करने के रूप मे ही लेते हैं और ईमानदारी के साथ अभी तक भी कोशिश करता रहा हूं कि उनके सुझावों पर जहां तक जितना वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के हिसाब से अमल किया जा सकता है, जो कमियां हैं उनको दूर करने की कोशिश अभी तक भी की है और आगे भी आदरणीय बाला बच्चन जी, अध्यक्ष जी के माध्यम से मैं कहना चाहता हूं कि सभी सुझावों को मैंने लिखा है और मेरी कोशिश होगी कि उनमें से जो कुछ भ्रांतियां हैं उनको मैं अपने भाषण में दूर करने की कोशिश करूंग और जो कमियां हैं उस काम को ठीक करने की कोशिश करूं.
मैं सबसे पहले धन्यवाद देता हूं सुश्री हिना कांवरे जी, श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी, सम्मानीय मुकेश नायक जी, श्री रामेश्वर शर्मा जी, श्री जितू पटवारी जी, श्री दुर्गालाल जी विजय, श्री शैलेन्द्र चौहान जी, डॉ. कैलाश जाटव जी, डॉ. रामकिशोर दोगने, श्री वीरसिंह पंवार, एड.सत्यप्रकाश शंखवार जी, श्री कमलेश्वर पटेल जी, श्री के.के. श्रीवास्तव जी, श्रीमती शीला त्यागी, श्री रामपाल सिंह जी, श्री वेल सिंह जी, श्रीमती झूमा सोलंकी जी, श्रीमती चंदा गौर, श्री भारत सिंह जी कुशवाह, श्रीमती सरस्वती सिंह, श्री अनिल फिरोजिया, श्री दिनेश राय, कुंवर विक्रम सिंह जी, श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक, श्री फुंदेलाल सिंह मार्को, श्री प्रताप सिंह जी, श्री गोविंद सिंह पटेल, श्री नारायण सिंह पंवार, कुंवर सौरभ सिंह जी, श्री महेन्द्र बागरी, श्रीमती ऊषा चौधरी जी, श्रीमती ममता मीना और श्री दिलीप सिंह जी परिहार लगभग 32 माननीय सदस्यों ने इस चर्चा में भाग लिया मैं सबका हृदय से धन्यवाद करता हूं और इनमें जो सुझाव हैं उन पर मैं कुछ बातें मैं कहूंगा और जिन पर नहीं भी बोल पाउंगा, मैं विश्वास दिलाता हूं कि मैंने नोट किया है और उस पर कार्यवाही करूंगा.
अध्यक्ष महोदय, हम आज 3 विभागों की मांग पर चर्चा कर रहे हैं. उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और कोशल विभाग. आप जानते हैं कि हमने उच्च शिक्षा में कोशिश की है. जो बातें सामने आयीं हैं, बहुत सी समस्याएं आयी हैं. जैसा आप लोगों ने कहा है वास्तव में कॉलेजों का इन्फ्रास्ट्रक्चर ठीक करने की बहुत जरुरत है. हम देखते हैं कि कई बार फण्ड उतना प्राथमिकता के आधार पर नहीं मिल पाता चाहे आपकी सरकार रही हो, चाहे हमारी सरकार रही हो. इसलिए दो महत्वपूर्ण योजनाएं स्वीकृत हुई हैं. पहली, रुसा की और दूसरी विश्व बैंक से 2660 करोड़ रुपये का साख लोन जिसका अभी 3 तारीख को अनुबंध हो गया है उससे मुझे लगता है जैसा साधारणतः अधिकांश माननीय सदस्यों ने महाविद्यालयों के इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर जो चिन्ता व्यक्त की है, उस दिशा में हम काफी कुछ कर पायेंगे.
अध्यक्ष महोदय, बहुत सी हितग्राही योजनाएं जो अभी चल रही है. अभी एक समस्या थी उसको हमने माननीय मुख्यमंत्रीजी की समीक्षा बैठक में उस विषय को रखा था कि अगर कोई बच्चा और कोई स्कालरशिप ले रहा है तो उसको इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता था. इसलिए अब हमने यह तय कर दिया है कि यह जो हितग्राही योजनाएं हैं चाहे वह प्रतिभा किरण हो गांव की बेटी हो,विक्रमादित्य योजना हो में भी यदि स्कालरशिप मिल रही है तो उसका असर इन योजनाओं पर नहीं पड़ेगा क्योंकि ये प्रतिभाओं के लिए है या विक्रमादित्य योजना यातायात के लिए है. इसलिए उस स्कालरशिप के मिलने के कारण यह बंद नहीं होगी. यह अतिरिक्त रुप से मिलेगी यह नई व्यवस्था हम इस बार से करने जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, विक्रमादित्य योजना में अभी तक 5 किमी से ज्यादा आवागमन पर अभी 5 रुपया मिलता था जो कि कम था चूंकि बहुत सी चीजों के दाम बढ़ गये हैं, उसको भी बढ़ाकर 10 रुपया प्रतिदिन कर दिया है. इसके लिए आय की सीमा जो केवल 54 हजार रुपये थी, उन बेटियों को आवागमन का 5 रुपया मिलता था उसको बढ़ाकर 1.20 लाख रुपया कर दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय, नवीन महाविद्यालयों की बात आ रही है. कई क्षेत्रों में बड़ी विसंगतियां हैं इसलिए हम Geo tagging digital data तैयार करा रहे हैं कि कहां पर शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल हैं, कहां अशासकीय हायर सेकंडरी स्कूल हैं वहां कितने बच्चे कहां से मिल सकते हैं. कहां महाविद्यालय खोलना जरुरी है,क्योंकि आप इससे सहमत होंगे कि अनेक विद्यालय ऐसे हैं जो किन्हीं कारणों से खुल तो गये हैं लेकिन उनमें 50 विद्यार्थी हैं. उन महाविद्यालयों को 5-10 साल हो गये हैं. जो 50,60 100 से कम विद्यार्थी वाले महाविद्यालयों का हम युक्तियुक्तकरण कर रहे हैं कि क्या कमी है उसको बढ़ा सकते हैं लेकिन आगे नये कॉलेज खोलना या अशासकीय को अनुमति देना उसमें यह जो डाटा है उसको कलेक्ट करके, उस आधार पर नये शासकीय महाविद्यालय या अशासकीय महाविद्यालयों को हम अनुमति देंगे.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्रीजी ने अभी निर्देशित किया कि कई क़ॉलेज ऐसे हैं जहां विद्यार्थियों की संख्या 5 हजार से ज्यादा है. वह अपने आप में एक विश्वविद्यालय से कम नहीं हो गये. इसलिए ऐसे महाविद्यालयों को अलग आयडेंटिफाई करके, उनके इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए अलग से व्यवस्था करना, उनको और अधिक सुविधाजनक बनाना इसके लिए उन महाविद्यालयों को हम अलग निकाल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, हमारे बहुत से माननीय सदस्यों और माननीय विधायक बहनों ने भी कहा है कि कन्या महाविद्यालय होना चाहिए. क्योंकि आज भी परिस्थितियां ऐसी हैं कि हमारी बेटियां पढ़ने के लिए ज्यादा दूर नहीं जा सकती. यद्यपि यह ठीक है कि सरकार ने छात्रावास की बहुत सुविधा दे दी. अगर होस्टल में जगह नहीं. अगर बच्चे या बच्चियां किराये का मकान लेकर रहेंगे तो उसका किराया सरकार दे रही है. हमने एक योजना और बनायी है कि हम कुछ लोगों को कहेंगे कि आप होस्टल बनाईये और हम आपको मिनिमम इतने साल के किराये की गारंटी देते हैं ताकि निजी क्षेत्र में होस्टल बन जायें लेकिन इसके बावजूद भी थोड़ी सी मानसिकता है कि बेटियों को ज्यादा दूर भेजना संभव नहीं होता लेकिन अभी भी हमारे 10 जिले ऐसे हैं जहां गर्ल्स कॉलेज नहीं है. इसलिए प्राथमिकता से उन 10 जिलों में जहां गर्ल्स कॉलेज नहीं है, नये गर्ल्स कॉलेज खोलने की योजना बना रहे हैं. एक बात और तय कर रहे हैं कि हमारे 41 कॉलेज हैं जहां विज्ञान संकाय नहीं है आजकल विज्ञान संकाय की बहुत जरुरत है. कई बार कॉलेज खोलने की जल्दी में आर्ट्स विषय लेकर कॉलेज तो खोल दिया जाता है लेकिन कॉमर्स और साइन्स आज के समय की बहुत बड़ी आवश्यकता है उसके लिए भी हम योजना बना रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्रीजी ने हमसे कहा है कि प्रदेश में कोई अच्छी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मॉडल यूनिवर्सिटी होना चाहिए. हम सबको एक साथ नहीं कर सकते लेकिन एक यूनिवर्सिटी और दो ऐसे कॉलेज जिसमें एक गर्ल्स और एक बॉयज़ कॉलेज हो, उनमें अंतर्राष्ट्रीय मानक स्तर की सुविधा हो. तीन कॉलेज हम प्रायरिटी पर ले रहे हैं कि आखिर मॉडल कैसा होना चाहिए. कैसी यूनिवर्सिटी होना चाहिए इसकी भी इस वर्ष योजना बना रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, अतिथि विद्वानों को लेकर बहुत बातें कहीं गई हैं. बात सही भी है. हमारी सदस्या बहन हिना कांवरे या किसी ने कहा था. अध्यक्ष महोदय, अतिथि विद्वान की व्यवस्था थोड़े समय के लिए होती है. यह व्यवस्था वर्षों तक नहीं चलना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से भर्तियां नहीं हो पायी. उनका मानदेय जो पहले 150 था, पिछली बार हमने 200 किया था और इस महीने से हम बढ़ाकर 275 रुपये प्रति पीरियड़ कर रहे हैं लेकिन अभी हम 275 के आर्डर तो निकाल रहे हैं लेकिन हम आग्रह कर रहे हैं कि कम से कम 300 रुपया प्रति पीरियड हो जाये और पीरियड 3 की जगह 4 हो जाये. यह भी हमारी कोशिश है.
अध्यक्ष महोदय, उनकी नियुक्ति और कुछ बातें आयी थीं. उनकी व्यवस्था में और सुधार करने के लिए आगे से उस प्रक्रिया में कोई कमी नहीं रहे, इसको भी हम कर रहे हैं. वैसे अतिथि विद्वान व्यवस्था, मैं इस बात से सहमत हूं कि कुछ समय के लिए होना चाहिए लेकिन चूंकि वर्षों से रिक्त पदों को नहीं भरा गया इसलिए ये लंबी चलती गई है. जैसे अनेक सदस्यों ने कहा भी है कि 2371 पदों का विज्ञापन लोक सेवा आयोग ने निकाल दिया है. उसकी अंतिम तिथि शायद 2-3 अप्रैल है. मुझे लगता है कि जून-जुलाई या अगले सत्र तक हमें ये प्राध्यापक मिल जायेंगे और कमी दूर हो जायेगी.
अध्यक्ष महोदय, आज छात्रों में डिप्रेशन की बहुत बड़ी समस्या है. पिछले दिनों मुख्यमंत्रीजी ने कुछ घटनाओं को लेकर वक्तव्य भी दिया था. केवल स्कूल ही नहीं हायर एजुकेशन में भी यह देखने को मिलता है इसलिए हमने पिछले एक साल से हर कॉलेज में एक व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ बनाया है. जहां महीने एक दिन सारे छात्र एकत्र हों और कोई भी विद्वजन, कोई प्रोफेसर या अन्य बाहर के विद्वान किसी सामयिक विषय पर उनका उत्साह बढ़ाने वाले, प्रेरणा देने वाले,नैतिकता वाले विषयों पर उनका उदबोधन हो. मैं हर्ष के साथ बताना चाहता हूं कि काफी अच्छे तरीके से यह विकास प्रकोष्ठ काम कर रहा है.
अध्यक्ष महोदय, हम माननीय मुख्यमंत्रीजी के निर्देश पर एक काम शुरु कर रहे हैं. मुख्यमंत्रीजी का हमें निर्देश था कि कॉलेजों में हर महीने चले वह तो ठीक है लेकिन हर साल में, एक बार में एक जिले भर के विद्यार्थियों को इकट्ठा करना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय स्तर या राष्ट्रीय स्तर के किसी अच्छे विद्वान को बुलाकर उदबोधन करायें ताकि वे उनके जीवन में एक आनंद की प्रेरणा दे सके. इस साल से हम वह कार्यक्रम भी शुरु कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, होस्टल की व्यवस्था को लेकर हम एक पोर्टल शुरु कर रहे हैं. जहां सारी होस्टल्स जिनकी हमने सारी जानकारी ली होगी, हमारे पोर्टल पर रहेगी ताकि कोई भी छात्रा या छात्र निजी होस्टल की जानकारी ले सकते हैं. जैसा मैंने कहा था उसकी गारंटी 25 छात्र या 50 छात्र की कुछ वर्षों की भी हम नीति बना रहे हैं ताकि उनको बनाने में संकोच न हो. यह सुविधा भी हम दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा कि वर्ल्ड बैंक से हमें 2660 करोड़ रुपया जिसमें से 660 करोड़ रुपया राज्य सरकार का हिस्सा है, यह राशि स्वीकृत हो गई है और यह मिलना शुरु हो जायेगी. जो हमारे पुराने भवन हैं, लगभग 50 क़ॉलेजों की बिल्डिंग बनेगी और लायब्रेरी, लेबोरेटरी तथा फर्नीचर की बात आयी है तो इन सारे इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ही हम इस बजट को खर्च करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, विवेकानंद केरियर मार्गदर्शन योजना कॉलेजों में चल रही है. हायर एजुकेशन के कॉलेजों में केरियर मेले लगा रहे हैं. पिछले बार 60 शासकीय महाविद्यालयों में ये मेले लगे थे जिसमें 64436 विद्यार्थियों ने भाग लिया और इनमें से 6776 विद्यार्थियों का प्लेसमेंट भी हुआ. अध्यक्ष महोदय, केवल इंजीनियरिंग कॉलेज ही नहीं, प्रोफेशनल्स कॉलेज ही नहीं बल्कि हायर एजुकेशन के कॉलेजों में हमने यह शुरु किया है. मुझे लगता है कि इस वर्ष हम और ज्यादा मेले लगायेंगे.
अध्यक्ष महोदय, स्मार्ट फोन देने की हमारी घोषणा है. पिछली बार टेंडर की प्राब्लम के कारण हम नहीं कर पाये थे लेकिन मैं विश्वास दिलाता हूं कि इस सत्र के अंत तक पिछले दोनों सालों के स्मार्ट फोन हम छात्रों को दे देंगे और हमने नये सत्र का टेंडर भी अभी से कर दिया है ताकि जैसे ही नया सत्र शुरु होगा हम उन छात्रों को भी स्मार्ट फोन प्रदाय कर देंगे.पदों के लिए मैंने आपको बताया ही है कि 2371 पद हम भर रहे हैं. इसी के साथ किसी महानुभाव ने कहा था कि विषयों का युक्तियुक्तकरण भी चाहिए क्योंकि कई औचित्यहीन विषय हो गये हैं. वह लगातार हम कर रहे हैं. हमारे इस सदन के सदस्य और शिक्षा मंत्री रहे स्वर्गीय श्री लक्ष्मण सिंह गौड़ पुरस्कार योजना इसको शुरु किया है. शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम करने वाले प्राचार्य, शिक्षक और विद्यार्थी, इन तीनों को जोड़ा है. अभी इसकी संख्या सीमित 30 थी, लेकिन इस सत्र से उसको बढ़ाकर 248 कर रहे हैं . पूरे प्रदेश में इस क्षेत्र में काम करने वालों को प्रोत्साहन देने के लिए हम यह काम कर रहे हैं. इस बार 16 नवीन शासकीय महाविद्यालय के भवन 11 कन्या छात्रावास के भवन और इसके अतिरिक्त अन्य 92 निर्माण कार्यों के लिए पैसा हमने रखा है. इस साल के लिए भी 60 करोड रुपए अतिरिक्त हम दे रहे हैं. National Assessment and Accreditation Council (NAAC) का मूल्यांकन यह बहुत बड़ी समस्या है और NAAC का मूल्यांकन हो जाने के बाद कॉलेज को, यूनिवर्सिटीज़ को यूजीसी से काफी अतिरिक्त पैसा मिलने लगता है. हमने एक अभियान चलाया है और उसी का परिणाम है कि 45 शासकीय महाविद्यालय का इंस्पेक्शन हुआ, उसमें 13 महाविद्यालयों को 'ए' ग्रेड, 26 महाविद्यालयों को बी ग्रेड, और 6 महाविद्यालयों को सी ग्रेड मिला है. हमने उनको प्रोत्साहन देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से जो ए ग्रेड में आएंगे, उनको 15 लाख रुपए उनके अतिरिक्त विकास के लिए, बी ग्रेड में आएंगे उनको 10 लाख रुपए और सी ग्रेड में आएंगे उनको 5 लाख रुपए की अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि हम दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा हमने मध्यप्रदेश के 100 परसेंट शासकीय महाविद्यालयों का हमारी कमेटी बनाकर NAAC की तर्ज पर उसका वेल्यूएशन कराया है. एक रोड मैप तैयार किया है कि किस कॉलेज में NAAC का एक्रीडिटेशन होने में क्या-क्या कमियां हैं. उन कमियों को कैसे कैसे हम पूरा करेंगे, यह भी एक रोड मैप बनाया है. ताकि आगे आने वाले समय में हम सभी कॉलेजों क NAAC एक्रीडिटेशन करा सकें. लगातार प्रशिक्षण के कार्यक्रम चलें, प्राचार्यों के, विश्वविद्यालयीन अधिकारियों के, शिक्षकों यह भी हमारी कोशिश है. पिछले सत्र में भी करीब 370 अधिकारी लाभान्वित हुए. आगे भी लगातार इस प्रशिक्षण की केपेसिटी को भी बढा रहे हैं और मुझे लगता है कि जो हमारी योजना है कि एक बार कम से कम 5 साल में सारा जो कॉलेज का स्टॉफ है, वह कहीं न कहीं किसी न किसी तरह रिफ्रेशर कोर्स को अटेंड कर ले. ऐसी व्यवस्था हम कर रहे हैं. आजकल इंटरनेट और वाई-फाई बहुत उपयोगी है. अभी तक सभी शासकीय विश्वविद्यालयों में और 264 महाविद्यालयों में यह सुविधा उपलब्ध हो गई है. इस साल हम 100 और महाविद्यालयों में यह सारी व्यवस्था कर देंगे. इसके अतिरिक्त 177 महाविद्यालयों में केन्द्र सरकार की योजना से नेशनल मिशन ऑन एजूकेशन थ्रू, इसके तहत डिजिटल नेटवर्क की सुविधा भी प्रदान की गई है.
अध्यक्ष महोदय, प्रयोगशाला बहुत बड़ी आवश्यकता है. कई जगह हालत बहुत खराब है. मैं आपकी इस बात से सहमत हूं. लेकिन उसके उन्नयन के लिए हमने लगातार पिछली बार 350 लाख रुपए से 27 महाविद्यालयों की प्रयोगशालाओं का उन्नयन किया था. इस बार करीब 30 महाविद्यालयों के लिए 500 लाख रुपए की व्यवस्था इस बार के बजट में भी हमने रखी हैं. ई-लाईब्रेरी भी आधुनिक समय में आज की आवश्यकता है. 83 महाविद्यालयों में इनकी स्थापना की जा चुकी है. 23 महाविद्यालय इस वर्ष 2015-16 में पूरा कर रहे हैं. आगामी वर्ष में 20 अन्य महाविद्यालयों के लिए वर्ष 2016-17 के बजट में हमने राशि का प्रावधान किया है. वर्ष 2015-16 में 5 नवीन निजी विश्वविद्यालय की स्थापना हुई है. इसमें पी.के. विश्वविद्यालय शिवपुरी, मंदसौर विश्वविद्यालय, मंदसौर, मेडिकेप विश्वविद्यालय इंदौर, डॉ. ए.पी.जे. कलाम, विश्वविद्यालय इंदौर एवं मालवा अंचल विश्वविद्यालय, इंदौर, ये 5 मिलाकर इस प्रकार कुल 20 निजी विश्वविद्यालय हमारे यहां काम कर रहे हैं. इस पर मैं बाद में आऊंगा क्योंकि इस पर काफी चर्चा हुई है. इसमें हमारी क्या योजना है, उसको मैं विस्तार से रखने की कोशिश करूंगा. अभी जो शासकीय विश्वविद्यालय हैं, उनको जो सरकार की तरफ से ग्रांट देते हैं उसका कोई क्राईटेरिया नहीं था. कुछ तो भी तय था. अब हमने क्राइटेरिया बना दिया है, उनका टाईम टेबिल मेंटेन होता है कि उनका रिजल्ट कैसा है, शिक्षक विद्यार्थी अनुपात, NAAC से मूल्यांकन, और इस क्राइटेरिया के आधार पर शासन विश्वविद्यालयों को ग्रांट का आंकलन करेगा. विश्वविद्यालयों के आंतरिक सुधार के लिए भी प्रयत्न कर रहे हैं और हमारे इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और चित्रकूट, ये 4 विश्वविद्यालयों को NAAC का इस साल ए ग्रेड मिला है. यह भी बहुत बड़ी उपलब्धि मैं मानता हूं. जबलपुर, भोपाल और रीवा, इन 3 को बी ग्रेड मिला हुआ है. हम सबका NAAC से ग्रेडेशन करा रहे हैं. यह भी पहली बार हुआ है कि सभी विश्वविद्यालयों का ग्रेडेशन हम करा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां सहायक कुल सचिव और कुल सचिवों के काफी पद खाली पड़े हैं. उनकी भी सीधी भर्ती के लिए लोक सेवा आयोग से हमने आग्रह किया है. आईटी का प्रयोग और वर्चुअल क्लॉसेस करीब 100 महाविद्यालयों में चल रही हैं, जिसमें लगभग 300 व्याख्यान आयोजित हुए. वर्ष 2015-16 में 400 कक्षाओं एवं स्नातक स्तर पर 75 कक्षाओं का संचालन किया जा चुका है. इस वर्ष में 25 और नये महाविद्यालय जोड़ने की हमारी योजना है. राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) जैसा मैंने बताया कि यह केन्द्र सरकार की योजना है. इसमें हमने शहडोल महाविद्यालय को विश्वविद्यालय के रूप में, NAAC द्वारा मूल्यांकित इंदौर, ग्वालियर, और जबलपुर को 20-20 करोड़ रुपए की राशि मिली है. 5 जिले जो पिछड़े हैं, इसमें आदर्श कॉलेज की स्थापना के लिए झाबुआ, श्योपुर, हरदा, डिंडौरी और उमरिया, इनके लिए 12-12 करोड़ रुपए की दर से नये कॉलेज 5 बना रहे हैं. वर्तमान में जो दो कॉलेज हैं उनको आदर्श कॉलेज के रूप में विकसित करने के लिए महाविद्यालय देपालपुर और महाविद्यालय सिहोरा, इसको 8-8 करोड़ रुपए दिये जा रहे हैं. नये अधोसंरचना विकास के लिए 30 महाविद्यालयों को 2-2 करोड़ रुपए की दर से इस प्रकार 60 करोड़ रुपए उनको दिये जा रहे हैं. यह रूसा के तहत हम काम करेंगे. वर्ल्ड बैक के बारे में हमने आपको बताया ही है. हितग्राही योजना के विस्तार में नहीं जाऊंगा कि कितना नहीं मिलता है. यह हम सबकी जानकारी में है. पिछली बार जो एक बड़ा काम हमने किया है कि मध्यप्रदेश के सभी 837 अशासकीय महाविद्यालयों का 1 तीन लोगों का दल बनाकर जिसमें कलेक्टर का प्रतिनिधि भी रहता था. 100 परसेंट निरीक्षण कराया है. इसमें गड़बड़ी पाने पर 66 महाविद्यालयों की मान्यता समाप्त की. 44 महाविद्यालयों के पहले वर्ष के प्रवेश पर हमने रोक लगाई . बाकी जिनमें कुछ कमियां थी उनको कमी पूरी करना का हमने अवसर दिया है. यह कार्यवाही इस वर्ष भी हम निरन्तर जारी रखेंगे. हमारी मान्यता है कि निजी क्षेत्र आना चाहिए. उसके सहयोग के बिना हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे. लेकिन निजी क्षेत्र की जो चिंता है, उस पर नियंत्रण बना रहना चाहिए. इसमें भी हम कोई कसर नहीं रखेंगे. कौशल विकास और तकनीकी शिक्षा के हिसाब से कौशल विकास एक बहुत बड़ी चुनौती है. यह हम सबकी चिंता का विषय है. शिक्षा रोजगारोन्मुखी हो, यह हम सबका दायित्व है. मैं एक बात कहना चाहता हूं कि वर्ष 2014-15 में आईटीआई की संख्या जो 404 थी, वह वर्ष 2015-16 में 932 में हो गई है. हमारी प्रवेश क्षमता भी 61668 से बढ़कर 132353 हो गई है. यह लगभग दुगनी से ज्यादा संख्या बढ़ी है. (मेजों की थपथपाहट)..जो यह चिंता इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन को लेकर व्यक्त की गई थी, यह केवल मध्यप्रदेश की स्थिति नहीं है. वह चाहे बिहार हो, उत्तरप्रदेश हो, या कोई भी प्रदेश हो, 50 प्रतिशत से ज्यादा सीटें सब दूर खाली रह रही हैं. यह चिंता का विषय है. इंजीनियरिंग से विद्यार्थियों का मोह खत्म हो रहा है. शायद उसका कारण रोजगार भी हो सकता है. लेकिन दूसरी तरफ हमारे पॉलिटेक्निक और आईटीआई चाहे वह शासकीय हों, या अशासकीय हों, वहां पर 100 परसेंट प्रवेश हो रहे हैं.
इसके लिए एक वर्कशाप दिल्ली में हो गई हैं और धीरे धीरे इस साल उसको हम 2016 तक सभी संस्थाओं को हम एनसीबीटी में परिवर्तित कर देंगे.एमसीबेट को आईटीआई में गुणवत्ता युक्त प्रशिक्षण संचालित करने के लिए और मानदण्डों का निर्धारण करने केलिए और आईटीआई का ग्रेडिंग करने के लिए अधिकृत किया गया है. हमारे यहां आज की तकनीकी जिस तरह से बढ़ रही है. उसमें तकनीकी के क्षेत्र में और स्किल डेव्हल्पमेंट में जो ट्रेनर हैं उनके लगातार प्रशिक्षण की व्यवस्था है, इसलिए हमने भोपाल में ट्रेनिंस सेण्टर फार ट्रेनर्स शुरू कर दिया है, इसमें अभी तक ट्रेनर को हमें बाहर कलकत्ता, मुंबई कानपुर भेजना होता था लेकिन अब मध्यप्रदेश में भोपाल में ही हमने व्यवस्था कर दी है. इस क्षमता को हम बढ़ा रहे हैं ताकि हमारे ट्रेनर ट्रेण्ड हो सकें.
अनुसूचित जाति और जनजाति के प्रशिक्षणार्थियों के लिए अलग कुछ काम हुए हैं एकलव्य योजना के अंतर्गत धार महिला आईटीआई, खेड़ी खण्डवा , बैतूल, एवं चकलदी में संचालित हुई है. डॉ अम्बेडकर योजना के तहत अनुसूचित जाति को प्रशिक्षणार्थियों के लिये दो संस्थाएं महिला आईटीआई सीहोर और मुरैना में संचालित हो रही है, एकलव्य और डॉ अम्बेडकर में जो छात्र पढ़ते हैं उनको नि:शुल्क आवास व्यवस्था और एक हजार प्रतिमाह की छात्रवृत्ति भी हम दे रहेहैं. 14 संस्थाएं केवल महिलाओं के लिए हैं, उनकी ओर भी हमने ध्यान दिया है. बाकी संस्थाओं में 30 प्रतिशत सीट महिलाओं के प्रवेश के लिए आरक्षित हैं एक नयी शुरूआत हमने देश में पहली बार की है. हमने आर्मी प्रशिक्षण केन्द्र को कौशल विकास और आईटीआई के रूप में संबद्धता दी है यह भोपाल में पहली बार हुआ है देश भर में यह कहीं पर नहीं है कि आर्मी के हमारे नौजवान ट्रेंड हो सकें इसका एग्रीमेंट हमारा हो गया है इसका सर्टिफिकेटहमने दिया है. आन लाइन सेमेस्टर परीक्षा इनकी भी होगी हमने आईटीआई की सारी परिक्षाएं आन लाइन कर दी हैं. देश भर में मध्यप्रदेश पहला राज्य है जिसने आन लाइन की परीक्षा को आन लाइन कर दिया है. भविष्य में जो जवान सेवा में है या जो रिटायर हो गये हैं. उनके कौशल का मूल्यांकन कर अगर किसी को कोई काम आता हैतो उसकी परीक्षा लेकर उसके प्रमाणीकरण की योजना भी कौशल विकास विभाग में हम बना रहे हैं. कौशल विकास के लिए भी हमने एशियन डेव्हल्पमेंट बैंक से लगभग 1500 करोड़ रूपये का ऋण काप्रस्ताव स्वीकृत हो गया है सिद्धांतत: भारत सरकार की स्वीकृति मिल गई है और उसके कारण हमारे जो संभागीय आईटीआई हैं वहां पर मेघा स्किल एण्ड टेक्नालाजी सेण्टर हम खोलना चाहता हैं. औद्योगिक क्लस्टर जहां पर हैं वहां पर स्किल पावर के हिसाब से बनायेंगे, जो हमारे 10 आईटीआई है उसमें कुछ निश्चित विषयों में सेण्टर आफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करेंगे. इंदौर में आटोमोबाइल सागर में प्रोडक्शन और मैन्यूफेक्चरिंग ग्वालियर में इलेक्ट्रानिक मुरैना में फेब्रिकेशन होशंगाबाद में एग्रीकल्चर इक्यूपमेंट जबलपुर में टेलीकामी रीवा में माइनिंग शहडोल में इलेक्ट्रिकल उज्जैन में प्रोडक्शन एण्ड मैन्यूफेक्चरिंग और सीहोर में प्रोडक्कशन और मैन्यूफेक्चरिंग ये सेण्डर हैं इनको हम एक्सीलेंस के रूप में विकसित करेंगे. यह सारे जो पाठ्यक्रम हैं इनको हम आनलाइन भी कर रहेहैं. जैसा मैंने बताया कि आईटीआई में हमारे 88 हजार छात्र सम्मिलित हुए थे और देश में हम इस कार्य के लिए प्रथम हैं और इसका फायदा प्रारम्भिक रूप से जो हुआ है वह है करीब 5 करोड़ रूपये की हमारी बचत हुई है, जो हमारा खर्चा होता था तत्काल नंबर मिल जाते हैं, स्कोर बोर्ड पर 24 घंटे में अंक सूची की उपलब्धता हो जाती है, 7 दिन के अंदर उत्तर पुस्तिका देखने को मिल जाती है, और पूरक परीक्षा भी हम 15 दिवस में करा लेते हैं ताकि किसी का समय बर्बाद न हो. एक सुझाव मुझे कुछ साथियों ने बाहर दिया था कि कई जगह पर, हम आजकल आन लाइन परीक्षाओँ पर जा रहे हैं और जैसा कि आप जानते हैं कि पीईबी की परीक्षा 72 हजार लोगों की हमने आन लाइन करवाई है कई जगह पर आन लाइन की व्यवस्था नहीं है हम एक व्यवस्था कर रहे हैं कि हर जिला केन्द्र पर ..
श्री मुकेश नायक -- आपके जो प्रेक्टीकल परीक्षाएं हैं ट्रेड्स के वह आन लाइन कैसे संभव हैं इलेक्ट्रीकल के मैकेनिकल के प्लंबर के आईटीआई में खासकर के.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- मैं आपको बताऊं कि आरजीवीपी ने तो इंजीनियरिंग के एग्जाम भी आन लाइन शुरू कर दिये हैं और बड़ी सफलता से चल रहे हैं. आदरणीय मुकेश नायक जी और कोई सुझाव देंगे तो उस पर जरूर विचार करेंगे.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय आप आन लाइन परीक्षा के फार्म भरवाते हैं तो फिर पेपर क्यों छपवाते हैं बहुत पेपर छपते हैं. इस पर विचार करना चाहिए.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- पेपर नहीं छपते हैं इसलिए तो हमारी 5 करोड़ रूपये की बचत हो पायी है.
श्री मुकेश नायक -- हमारा कहना है कि बच्चों को आन लाइन की फीस लगती है वह मध्यप्रदेश में एक आन लाइन एजेन्सी है उसको आर्गनाइज कराने के लिए केन्द्र सरकार के पास में है तो आन लाइन कंपनी वाले के पास में फीस नहीं जाना चाहिए न. मुझे कुछ कंफ्यूजन हैं आप इसको थोड़ा सा रिव्यू कर लें. बच्चों को 700 रूपये लगते हैं मुझे ऐसा पता है.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- हम धीरे धीरे इन सबको कंबाइंड कर रहे हैं. यह जो आन लाइन परीक्षाएं हो रही हैं हमारे पीईबी और हमारे यूनिवर्सिटी आईटीआई इन सभी की सामूहिक व्यवस्था हो जाय यह हम तय कर रहे हैं. मैं इस विषय पर आ रहा था कि हर जिले में हम एक बड़ा हाल बनायें, परीक्षा के हाल के नाम पर जिसमें कम्पयूटर लगे हों सीसीटीवी कैमरे लगे हों और भी सारी व्यवस्था हो और वहां पर केन्द्र सरकार या मध्यप्रदेश की परीक्षाएं हों वह आन लाइन हों. उसमें अगर कोई पीपीमोड में भी आना चाहेगा तो हम देंगे नहीं तो हमारे जहां पर फण्डस हमारे बाकी एजेन्सी के पास हैं ऐसा एक विचार आया है इस पर भी विचार कर रहे हैं कि एक ऐसी व्यवस्था हो जाय.
माननीय अध्यक्ष महोदय एक कारीगर समृद्धि योजना हमने बनायी है. हम जानते हैं और आप भी अनुभव करते होंगे कि अनेकों ऐसे परिवार हैं जो परंपरागत रूप से काम कर रहे हैं, कोई लोहार है, कोई कारपेंटर है, कोई सुनार है, कोई कुम्हार है और वह ट्रेंड लोगों से ज्यादा अच्छा काम करते हैं लेकिन उनके पास में कोई प्रमाण पत्र नहीं है. हमने इन ट्रेड्स का एक स्टेण्डर्ड तय किया है. कोई भी हमारे यहां पर आकर आवेदन करेगा हम उसकी परीक्षा एक माह या दो माह में करेंगे या किसी एक निश्चित तिथि पर लेंगे वह हम तय कर रहे हैं. वह अगर उस स्टैण्डर्ड में पास है तो उसको हम प्रमाण पत्र दे देंगे. उसमें कोई कमी है तो उसको बता देंगे और वह हमारे यहां पर ट्रेनिंग ले ले चार सप्ताह छ सप्ताह की, उसकी परीक्षा फिर से ले लेंगे. इसका फायदा यह होगा कि उस कारीगर को जो पीढियों से यह काम कर है वह अपने काम को बढ़ाना चाहता है तो उसको बैंक से लोन लेने में सुविधा हो जायेगी, परिवार अगर बढ़ गया है और अगर कोई सदस्य नौकरी में जाना चाहता है तो उसको भी फायदा हो जायेगा.
अभी हमने निर्माण के क्षेत्र में प्रयोग के तौर पर भोपाल में और इंदौर में शुरू किया है लेकिन इसको और भी क्षेत्र में धीरे धीरे आगे बढ़ाने की योजना है. एक कुशल कारीगर अभी हमने भोपाल नगर निगम में शुरू किया है काल कारीगर जैसी योजना, इसमें ट्रेंड लोग प्लंबर, कारपेंटर कई बार आप और हम जानते हैं जिनका परिचय पुराना हो तो उनको तो घर में छोटी मोटी जरूरत के लिए यह लोग मिल जाते हैं नहीं तो इनको ढूंढना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए हमने पहला एमओयू नगर निगम भोपाल के साथ करके उनको ऐसे लोग उपलब्ध कराये हैं जो कि पुलिस से वेरिफाइड भी होंगे और इस योजना को धीरे धीरे हम पूरे प्रदेश मेंलागू भी कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय मध्यप्रदेश पहला ऐसा राज्य बना है जहां पर उद्योगों की सहायता से नि:शुल्क कौशल प्रशिक्षण की व्यवस्ता की है. हमने अभी जनवरी 2015 से एक काम शुरू किया है इनके साथ में फ्लेक्सी एमओयू किया है उनके यहां पर जैसे लोग चाहिए, ऐसे लोगों की ट्रेनिंग उनकेसाथ में मिलकर की है, मारूति डी आटो,एस एन एनर्जी टेक्नालाजी, जीटीटी कंटेक्ट., एमएप्स इन कंपनियों से भी हमारा एमओयू हुआ है इनको भी आगे बढ़ा रहे हैं. ताकि ट्रेनिंग के बाद में प्लेसमेंट की भी 100 प्रतिशत ग्यारंटी हो जाती है उसका परिणाम है कि इनके साथ जिनकी ट्रेनिंग हुई है उनमें से अनेक लोग यूएआई, ईबी और अन्य देशों में 203 लोगों को प्रशिक्षित भी किया है उनका प्लेसमेंट भी हुआ है अभी इस सत्र में 1176 को प्रशिक्षण और दिया जाना है.
श्री मुकेश नायक-- मध्यप्रदेश में 87000 बच्चे पिछले साल परीक्षाओं में बैठे थे और सीट कितनी भरी हैं जब आपके पास में उतने परीक्षार्थी ही नहीं है सीट भरने के लिए तो आन लाइन एडमिशन का अर्थ क्या रह जाता है. सब बच्चों को कालेजों को अपनी इच्छा पर छोड़े कि वह अपनी सीट भर लें. जब बच्चे ही नहीं है कोई काम्पिटीशन ही नहीं है तो आन लाइन की फीस भी अलग से लगती है पूरा सिस्टम अलग से बनाना पड़ता है. आप एक काम जरूर कर सकते हैं कि हर कालेज नंबर आफ मैरिट के हिसाब से ही प्रवेश दे ऐसी पालिसी बना सकते हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- मुझे लगता है कि शायद मुकेश भाई कुछ डिस्टर्ब हैं, आईटीआई में 100 सीटें भरी जा रही हैं, इंजीनियरिंग कालेज की मैं अभी बात ही नहीं कह रहा हूँ. एक नया प्रयोग जो हम कर रहे हैं कि अभी तक प्राइवेट क्षेत्र में आईटीआई देते थे, पॉलिटेक्निक कालेज देते थे और स्किल डेव्हलपमेंट सेंटर केवल गवनर्मेंट के थे लेकिन इस साल से हमने यह शुरू किया है कि किसी छोटे स्थान पर कोई नौजवान अगर कोई स्किल डेव्हलपमेंट सेंटर खोलना चाहता है तो बहुत कम पूंजी में वह खोल सकता है और उसको हम मान्यता एवं सम्बद्धता देंगे. इसके लिए करीब 96 आवेदन-पत्र हमारे पास आ भी चुके हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस बार अलग से हम मुख्यमंत्री कौशल संवर्धन योजना शुरू कर रहे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने हमें निर्देशित किया है कि वर्ष 2016-17 में कम से कम 50 हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए जिसमें कम से कम 25 हजार महिलाएं होनी चाहिए. हम इस लक्ष्य को वर्ष 2016-17 में प्राप्त करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और योजना हम शुरू कर रहे हैं. हमारे गवनर्मेंट के कालेजेज पढ़ाई के बाद खाली रहते हैं तो उन कालेजों में पढ़ने वाले छात्र अपनी पढ़ाई के साथ-साथ किसी ट्रेड की ट्रेनिंग अगर लेना चाहते हैं तो उसी कालेज में हम आईटीआई के माध्यम से या पॉलिटेक्निक के माध्यम से ट्रेनिंग की व्यवस्था करेंगे. जो उसमें पढ़ाएंगे उनको अतिरिक्त मानदेय देंगे और उनसे कुछ शुल्क भी लेंगे लेकिन डिग्री के साथ या सर्टिफिकेट के साथ उनको कुछ हुनर मिल जाए, यह व्यवस्था भी हम करने जा रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नाबार्ड के ऋण से हम 96 आईटीआई के भवन बना रहे हैं जिसमें 52 संस्थाएं अगस्त, 2016 तक पूरी हो जाएंगी और बाकी वर्ष 2017 तक पूरा होना संभावित है. इसके बाद हमारी कोई आईटीआई भवनविहीन नहीं रहेगी. भोपाल में तीन आईटीआई को मिलाकर एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की संस्था बनाएंगे. अभी हमारे मुख्यमंत्री जी सिंगापुर गए थे और वहां पर एमओयू साइन हुआ है उसके तहत एक इंटरनेशनल स्तर के केंद्र को हम बनाने जा रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तक हमारे पास 135 स्किल डेव्हलपमेंट सेंटर हैं पूरे प्रदेश में, इस बार हर जिले में 2 और खोल रहे हैं, इस तरह 102 स्किल डेव्हलपमेंट सेंटर और खोलेंगे, इस प्रकार कुल 237 स्किल डेव्हलपमेंट सेंटर हो जाएंगे.
अध्यक्ष महोदय, हस्तशिल्प के क्षेत्र में अभी तक कोई पाठ्यक्रम नहीं था उसकी ट्रेनिंग की कोई व्यवस्था हमारे पास नहीं थी लेकिन हस्तशिल्प विकास निगम के सहयोग से हम उस पाठ्यक्रम की रचना कर रहे हैं ताकि उनको भी स्किल्ड करने की ट्रेनिंग हम दे सकें. अगले सत्र में हम 7 आईटीआई खोल रहे हैं- नागदा, उज्जैन, धुनवारा, सतना, पिपला नारायण बार, करकेली, मानपुर, पाली, चंदला. अभी 89 आदिवासी विकासखण्डों में से 66 विकासखण्डों में आईटीआई हैं, 26 ऐसे विकासखण्ड हैं जिनमें कोई शासकीय आईटीआई नहीं हैं, इन 26 विकासखण्डों में सभी में हम अगले चरण में आईटीआई खोलने का प्रयास करेंगे. अनुसूचित जाति के आरक्षित विधान सभा क्षेत्रों के तहत 19 विकासखण्डों में शासकीय आईटीआई नहीं है इनको भी हम खोलने का प्रयास कर रहे हैं. इस वर्ष करीब 3 हजार सीटों में और वृद्धि होने की संभावना है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश पहला राज्य इसमें भी बना है जहां हमने कौशल विकास हेतु फेलोशिप प्रारंभ की है और इसके लिए हर जिले में 2 कंसलटेंट, इस तरह 102 कंसलटेंट हमने नियुक्त किए हैं. पार्ट-टाइम आईटीआई हम फिर से शुरू कर रहे हैं, यह पहले चलते थे अब बंद हो गए हैं लेकिन जो काम करने वाले लोग हैं नौकरीपेशा लोग हैं ऐसे लोग भी अगर कोई ट्रेनिंग लेना चाहते हैं तो हम यह योजना इस साल फिर शुरू कर रहे हैं. अगले सत्र से जो नए व्यवसाय हम विभिन्न आईटीआई में शुरू करेंगे वे इस प्रकार हैं -- टेलीकाम मेकेनिक, यह भारत संचार निगम लिमिटेड की सहायता से करेंगे. इसके अलावा 3 डी एनिमेशन एंड वेब डिजाईन, 3 डी प्रिंटिंग एंड पेकेजिंग, डिजिटल फोटोग्राफी, वीडियो मेकिंग, नॉन-कन्वेंशल एनर्जी, होम ऑटोमेशन इत्यादि हैं और जैसा कि मैंने बताया कि आईटीईएस, सिंगापुर के साथ जो एमओयू हमारा हो गया है उसके कारण हमारे प्रशिक्षकों की दक्षता बढ़ेगी, उनको मूल्यांकन करने में आसानी होगी और यह भी तय हुआ है कि आपसी सहमति से और भी डेव्हपमेंट के काम हम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार की राष्ट्रीय सौरऊर्जा संस्थान, गुड़गांव के सहयोग से प्रदेश के पांच आईटीआई - भोपाल, होशंगाबाद, सागर, रीवा एवं मुरैना में रिन्युबल एनर्जी सेक्टर के अंतर्गत सोलर पीवी टेक्निशियन का प्रशिक्षण दिया जाएगा और यह इस साल से ट्रेनिंग शुरू होगी, मुझे लगता है कि सूर्यमित्र स्किल डेव्हपमेंट कार्यक्रम के अंतर्गत यह बहुत बड़ा एक नया प्रयास हमारा इस क्षेत्र में है. पीपीपी मोड में हमने 74 आईटीआई को छोड़कर बाकी जो आईटीआई हैं इसमें वहां की इंडस्ट्री के ही किसी सदस्य को उसका अध्यक्ष बनाकर उसके साथ कोलेबोरेशन का काम शुरू किया है और उसके भी सुपरिणाम हमारे सामने आए हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी और कितना समय लेंगे आप.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- जितना आप कहें, बस 5 मिनट में खत्म करता हूँ. हमने झाबुआ और शहडोल में 2 नए इंजीनियरिंग कालेज शुरू किया है और धार में भी रूसा के अंतर्गत एक नया इंजीनियरिंग कालेज हम इस वर्ष खोलने जा रहे हैं. सिंगरौली में माइनिंग के इंजीनियरिंग कालेज के लिए अब डीपीआर फाइनल हो गई है और मुझे लगता है कि इस साल काम शुरू हो जाएगा. एनटीपीसी के सहयोग से शिवपुरी में वह महाविद्यालय वह बन रहा है और उसका भी निर्माण कार्य अब शुरू हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय, टीईक्युआईपी योजना में भारत सरकार ने हमारे प्रदेश के पांच कालेज चयनित किए हैं और इसके लिए 24 करोड़ रुपया स्वीकृत हुआ है, 17 पाठ्यक्रमों का इसमें चयन किया जा चुका है और 21 पाठ्यक्रमों का और कराया जा रहा है इसके कारण और शोध कार्यों को बढ़ावा देने हेतु 642 स्नातकोत्तर छात्रों को रुपये 8 हजार प्रतिमाह के मान से छात्रवृत्ति और 18 शोधार्थियों को 18 हजार रुपये प्रतिमाह के मान से छात्रवृत्ति इसमें प्रदान की गई है. हमारे पॉलिटेक्निक कालेज में भी बहुत पद खाली पड़े थे, सेवा भर्ती नियम की समस्या थी, आपमें में से बहुत से लोग जानते हैं वर्ष 2007 में सेवा भर्ती नियम बनने के कारण संस्था अलग-अलग हो गई थी और पीएससी ने ये पद भरने से मना कर दिया था, पिछली बार गेट की परीक्षा के माध्यम से करीब 315 पदों का हमने चयन कर दिया है बाकी इंजीनियरिंग कालेज वगैरह के जो पद खाली हैं उनका चयन भी हम इस बार कर रहे हैं. प्रदेश के 52 इंजीनियर एवं पॉलिटेक्निक महाविद्यालयों में सोलर पॉवर स्टेशन की स्थापना की जा रही है. सूर्यमित्र स्किल डेव्हलपमेंट योजना जिसके बारे में मैंने बताया इससे 600 टेक्निशियन तैयार होंगे, 15 पॉलिटेक्निक कालेजों में वाई-फाई सुविधा इस बार हम और दे रहे हैं और धीरे-धीरे सभी में करने की हमारी योजना है. 10 पॉलिटेक्निक को स्मार्ट क्लास है, 37 में और हम कर रहे हैं. जिस प्रकार हमने कालेजों को नेक से एक्रिडेशन दिलाया है उसी प्रकार इंजीनियरिंग के क्षेत्र के कालेजों को भी, पॉलिटेक्निक कालेजों को भी हम लगातार इस क्षेत्र में करेंगे. मैहर और आगरा में नवीन पॉलिटेक्निक और शिवपुरी में सौ करोड़ रुपये की लागत से कालेज का काम भी शुरू हो गया है. एक जो बात उठी थी जिसको मैं अब लूंगा वह है निजी विश्वविद्यालय, यह वास्तव में चिन्ता का विषय है. सबसे पहले तो मैं थोड़ा सा तेज बोला उसके लिए क्षमा मांगता हूँ. मुझे मुकेश नायक जी की स्थिति थोड़ा सा समझना चाहिए और वह थोड़े डिस्टर्ब हैं. कल भी थोड़े डिस्टर्ब होकर के चले गये थे हाउस से और जब से नेता प्रतिपक्ष नहीं बन पाये हैं इसलिए हमारी सहानुभूति उनके साथ है और इसलिए वह शब्द मैं वापस लेता हूँ क्योंकि एक तो मुझे आश्चर्य यह हुआ, मुझे उम्मीद थी कि एक शिक्षा मंत्री, एक शिक्षाविद् जब शिक्षा के बजट पर बोलेगा तो सभी क्षेत्रों को छुएगा और कुछ न कुछ मार्गदर्शन आपका मिलेगा लेकिन आप अटक कर रह गए केवल निजी विश्वविद्यालय पर और उसमें भी एक ऐसे विश्वविद्यालय पर जो आपकी ही देन है, हमारी देन नहीं है, जो आपकी देन है, जिसका आपने नाम लिया, आपकी सरकार में विभिन्न कारपोरेशन में उसको आपने चेयरमेन बनाया. दिल्ली में जब आपकी सरकार थी, उसकी पत्नी को फिल्म डिवीजन..
श्री मुकेश नायक-- हमने यह थोड़ी कहा था कि होटलों में परीक्षा कराओ. अब आपकी जिम्मेदारी है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- मैं हर बात का जवाब दूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाएँ.आपकी बात पूरी हो गयी. मुकेश नायक जी, कृपया सुने.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- पूरी विनम्रता के साथ हर बात का जवाब दूंगा और मैंने कह दिया कि आप अब कितने भी जोर से बोलोगे,अब मैंने तय कर लिया है कि मेरी सहानुभूति आपके साथ है जब तक नेता प्रतिपक्ष आप नहीं बन जाओ क्योंकि मुझे मेरे कांग्रेस के कई मित्रों ने कहा कि अरे आप उनसे क्यों नाराज हो रहे हो. वह तो हमसे कहते हैं कि मुझे ठीक से बोल लेने दो, मेरा परफार्मेंस ठीक हो जाए ताकि मैं नेता प्रतिपक्ष बन जाऊँ, मैंने कान पकड़ लिये कि आपको डिस्टर्ब नहीं करुंगा, हमारी सहानुभूति, बाला बच्चन जी माफ करना, अगर मुकेश नायक जी, उसके कारण उनकी मानसिक स्थिति ठीक रहती हो तो वह नेता प्रतिपक्ष बनें लेकिन मैं कहना यह चाह रहा हूँ कि अभी हमने, अभी कौन सा दे दिया हमने, नियम से दे रहे हैं, अभी मैंने बताया कि हमने 6 यूनिवर्सिटी दी है, जो आ रही हैं, हम किसी को रोक रहे हैं क्या, लेकिन हां यह चिन्ता का विषय है कि कहीं डिग्री बेचने वाले संस्थान न बन जाएँ. उसकी हम व्यवस्था कर रहे हैं. माननीय दिग्विजयसिंह जी ने आपकी सरकार ने जिस संस्था का आपने लिया,उसको लाभ पहुंचाया, इसलिए ईओडब्लूय ने केस रजिस्टर्ड किया है, माननीय दिग्विजयसिंह जी के खिलाफ भी और उस संस्था के मालिक के खिलाफ भी, यह हमारी सरकार में अभी हमने करवाया. आप किसकी सहायता की बात कर रहे हैं? जानकारी तो ले लीजिए. विश्वविद्यालय विनियामक आयोग को आप जानते हैं उसकी नियुक्ति महामहिम राज्यपाल जी करते हैं. हम पैनल भेजते हैं. इस बार हमने चयन के लिए भी मन से नाम नहीं निकाले. हमने विज्ञापन दिया, आवेदन बुलाये, उसके चेयरमेन और सदस्यों के लिए . उसमें से पैनल निकालकर माननीय राज्यपाल महोदय को भेजा और उऩ्होंने विश्वविद्यालय विनियामक आयोग बनाया. उसके काम में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है, यह आप भी जानते हैं. वहां से प्रस्ताव आता है. आपने ठीक कहा, उसको देना है कि नहीं देना है, यह मंत्रिमण्डल का काम है लेकिन जो पूरी पूर्ति करके आता है, विश्वविद्यालय को दिया लेकिन हां अब हमारी चिन्ता का विषय है कि यह विश्वविद्यालय कहीं धंधे न करने लग जाएं इसलिए हम एक पोर्टल विकसित कर रहे हैं. जिस दिन एडमीशन हो,विश्वविद्यालय में यह आन लाइन जानकारी होना चाहिए. आपने जो कहा, जिसके नाम का रजिस्ट्रेशन है, परीक्षा कौन दे रहा है, यह भी विश्वविद्यालय में आन लाइन आना चाहिए. रिजल्ट के बाद किस किस को अंकसूची दी गयी, यह सारी व्यवस्था हम कर रहे हैं.पहले नहीं हुई माननीय मुकेश नायक जी, यह सारा हम कर रहे हैं इस सिस्टम को ठीक करने के लिए.पूरे पोर्टल को आन लाइन करना है.
श्री मुकेश नायक-- प्रायवेट यूनिवर्सिटीज में कहां कर रहे हैं? सरकार के विश्वविद्यालय और कालेजों में कर रहे हो, उनको तो आपने खुली छूट दे रही है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- मुकेशा नायक जी, अब सुन लो शांति से. निजी विश्वविद्यालय पर ही बोल रहा हूँ अब मैं, थोड़ा ध्यान केन्द्रित कर लीजिए. अशासकीय विद्यालय पर नहीं बोल रहा. यह जो व्यवस्था हम कर रहे हैं निजी विश्वविद्यालय के लिए कर रहे हैं. निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग में ही यह सारा पोर्टल हम दो चार दिन में लांच करने वाले हैं. आपने कहा दिया होटल में परीक्षा हो गयी. जैसे ही अखबार में समाचार आया, विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष को मैंने कहा जाइये, पुलिस से मैंने खुद कहा, क्या है पता करिये, कोई परीक्षा नहीं हुई, कोई दलाल किसी को बंगाल से लेकर आ गया, तेरे को हम परीक्षा करायेंगे, कोई परीक्षा उस समय चल ही नहीं रही, कोई पेपर नहीं. आपने आरोप लगा दिया? यह हमने जानकारी ली. बड़ी तकलीफ की बात है और अभी केवल हजारों पढ़ रह हैं. 200 सीटें स्वीकृत हैं
श्री मुकेश नायक-- आप सूची जारी कर दीजिए जिन लोगों ने बीएड किया है तो हमारा कन्फ्यूजन खत्म हो जाएगा, कितने लोगों ने बीएड किया है सब की सूची करने का अभी आश्वासन दे दें विधानसभा में.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- दे दूंगा, सब दे दूंगा. आप बैठ तो जाओ, सुन तो लो. सब निजी विश्वविद्यालय की सूची जारी करवा दूंगा. 200 सीटें स्वीकृत हैं, 196 पढ़ रहे हैं. अब सूची भी जारी करा देंगे. अब इग्नू वाली बात आ गयी.अब मैंने कहा कब हो गया एग्रीमेंट. मैंने पूछा, मैं जब से मंत्री बना तब से तो कोई मामला मेरे पास आया ही नहीं. तो मामला निकल के यह आया कि स्कूली शिक्षकों को नई दिल्ली इग्नू से आदेश मिले थे कराने के 2009-10 में, मैं शिक्षा मंत्री बना 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद, उसके पहले होम मिनिस्टर था. 2009-10 और इग्नू ने ही आइसेक्ट को कहा, हमारा कोई रोल ही नहीं है. मेरे पहले भी जो मंत्री रहे होंगे उनका भी कोई रोल नहीं है, मेरा तो कोई रोल है नहीं लेकिन आपने आरोप लगा दिया और इसलिए इन सब बातों से मुझे लगा कि मेरी सहानुभूति आपके साथ होना चाहिए इसलिए मैंने जो कहा था उन शब्दों को वापस लेता हूँ.
श्री मुकेश नायक-- हजारों शिक्षक जो बैठे थें वे दुबारा कम्पलीट क्यों नहीं कर पाये बीएड, इट्स ए कंटीन्यूएस प्रोसेस.
अध्यक्ष महोदय-- मुकेश नायक जी, कृपा करके सुन लें आप, यह बात ठीक नहीं है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुकेश नायक जी इतना बैलेंस खोने की जरुरत नहीं है. राजनीति में बहुत धैर्य रखना पड़ता है और आपने तो घाट घाट का पानी पिया है. कांग्रेस छोड़ी तो महर्षि, आपने कहा कि मैंने महर्षि वैदिक विश्विविद्यालय एक्ट बनाया, वह कोर्ट में चल रहा है, हम जवाब दे दे के परेशान हैं, कैसा बनाया आपने, कहीं भी सेंटर खुल रहे हैं, सब धंधेबाजी चल रही है, उसके खिलाफ सरकार कार्यवाही करने जा रही है, ऐसा एक्ट आपने बनाया. वहां नहीं पटी तो एक और पार्टी में चले गये. वहां नहीं पटी तो फिर यहां आ गये तो आपका अनुभव बहुत ज्यादा है और अनुभव के कारण कन्फ्यूज बहुत हो गये हो आप. मेरा आग्रह है, आप अच्छे सुझाव देंगे, मैं आपका सम्मान करता हूँ, आप अच्छे सुझाव देंगे तो मैं मानूंगा. आपके प्रति बड़ा सम्मान था कि शिक्षा के क्षेत्र में आपका बड़ा अनुभव है लेकिन आप सिमटकर रह गये एक यूनिवर्सिटी में, न टेक्नीकल एज्युकेशन पर कुछ बोले, न हायर एज्युकेशन पर कुछ आप बोले, न स्किल डेव्हलपमेंट पर आप कुछ बोले, केवल वह यूनिवर्सिटी जिसको आपने और आपकी पार्टी ने पोषित किया, केवल उसी बात को लेकर आप बोले,पर्याप्त समय आप बोले. इसलिए मेरा आग्रह है कि आप उससे बाहर ही नहीं निकल पाये आप. भगवान से मैं प्रार्थना करता हूँ कि मुकेश नायक जी को स्वस्थ रखें. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन(राजपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी मैं आग्रह करना चाहता हूँ कि आप नेता प्रतिपक्ष के पद को बार बार बीच में क्यों लाते हैं,सुनो हम तो आज भी हमारे नेता प्रतिपक्ष आदरणीय सत्यदेव कटारे जी है उन्होंने हमें जो दायित्व सौंपा है उस पर हम चल रहे हैं और उस दायित्व का हम निर्वहन कर रहे हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह बहुत जल्दी स्वस्थ होकर हाउस में फिर नेता प्रतिपक्ष की बागडोर संभालें.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय बाला बच्चन जी, आज संसदीय कार्यमंत्री जी ने भी कहा था. हुआ क्या कि आप कार्यकारी नेता प्रतिपक्ष हो. इतना अच्छा भाषण आप दे गये कि हमारे इन सब साथी के छाती पर सांप लोट गया और तब से पड़े हैरान परेशान हैं और सबसे ज्यादा परेशानी मैं बड़े प्रामाणिकता से कह रहा हूँ कि मुकेश नायक जी ने, अनेक सदस्यों से कहा कि यार मुझे जरा ठीक से बोल लेने दो, मेरा परफार्मेंस ठीक हो जाएगा तो मैं नेता प्रतिपक्ष बन जाऊँगा(हंसी)
मांग संख्या 39 खाद्य , नागरिक आपूर्ति तथा उपभोक्ता संरक्षण
खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री( कुंवर विजय शाह)---
अध्यक्ष महोदय--- उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री कमलेश्वर पटेल(सिंहावल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 39 के कटौती प्रस्ताव पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. यह बड़ा महत्वपूर्ण विभाग है और ज्यादातर गरीबों का इससे वास्ता है और सच बात तो यह है कि इसमें भ्रष्टाचार भी चरम सीमा पर है एक तरफ जहाँ अभी तक खाद्य प्रसंस्करण नीति की मियाद खत्म हो गई है ,नयी नीति बनना चाहिए लेकिन अभी तक नहीं बन पाई है . एक तरफ आप देखेंगे पूरे मध्यप्रदेश में कालाबाजारी चरम सीमा पर है, किसी भी खाद्यान्न की बात करें तो ज्यादातर मिलावटी सामान उपलब्ध हैं और जिस तरह की कार्यवाही होनी चाहिए उस तरह की कार्यवाही नहीं हो रही है और कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि सरकार का संरक्षण है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से मेरा विशेष निवेदन है क्योंकि कहीं न कहीं हम सब उसमें भुक्तभोगी हैं, आप इसमें कसावट लाइए. आपके जो अधिकारी कहीं होटल में फाइव स्टार में या छोटे दुकानों में चेकिंग के लिए जाते हैं तो फार्मलिटी करके आ जाते हैं उनका महीना फिक्स है यह बंद होना चाहिए यह व्यवसाय नहीं होना चाहिए कि सिर्फ हमने खानापूर्ति कर ली रिपोर्ट बनाकर दे दी और भारी भ्रष्टाचार है इसमें. चाहे मिठाई की दुकान हो, चाहे रेस्टारेंट हो, चाहे फाइव स्टार होटल्स हों जिस तरह के खाद्यान्न , जिस तरह के मिलावटी सामान लोगों को परोसे जा रहे हैं यह कहीं न कहीं सबके स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर हम बात करते हैं जितने भी आपके पेट्रोल पंप वगैरह है, कब कब चैकिंग हुई, कौन चैक करते हैं, पर ज्यादातर शिकायतें है कि पेट्रोल पंप , डीजल पंप पर मिलावटी तेल मिलता है. यह भी बड़ा चिंता का विषय है एक तरफ जहाँ किसान , गरीब महंगाई की मार तो झेल ही रहा है और यहाँ पर वेट पर वेट बढ़ा रहे है और दूसरी तरफ तेल भी मिलावटी मिल रहा है इससे भी काफी लोग परेशान हैं. इस पर मंत्री जी को ध्यान देना चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तरफ सरकार ने पहले प्रोत्साहित करने के लिए छोटे छोटे युवा उद्यमियों को सबसिडी के तहत बहुत सारे गोडाउन्स बनाये थे आज स्थिति यह हो गई है कि सरकार ने पूरे के पूरे साइलो के जो स्टील गोडाउन्स बने हैं, एक पर्टीकुलर कम्पनी को, एक विशेष कम्पनी के ऊपर कृपा की है, शायद सुना है कि अडानी जी की है,पता नहीं भगवान जाने. यह तो माननीय मंत्री जी बताएंगे कि किसकी है. पर ऐसी कौनसी मेहरबानी. जिन युवा उद्यमियों ने लोन लेकर सरकार की योजना के तहत पांच हजार मीट्रिक टन की, पंद्रह हजार मैट्रिक टन की गोडाउन बनाई थी, आज वह सब खाली पड़ी हुई है. यह बड़ा चिंता का विषय है. एक तरफ सरकार ढिंढोरा पीटती है , बड़े बड़े उद्यमियों को बुलाकर लाती है, उद्योगपतियों को बढ़ावा देती है . इनवेस्टर्स मीट करती है और दूसरी तरफ जो आपके प्रदेश के छोटे छोटे उद्यमी हैं, जिनको रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये थे आज वह गोडाउन खाली पड़ी है और सारा अनाज भंडारण हो रहा साइलो में . यह ठीक बात नहीं है मंत्री जी. आपको इसमें व्यवस्था देनी पड़ेगी या तो यह कह दें कि आप छोटे उद्यमियों के विरोधी हैं, आपको तो सिर्फ बड़े बड़े उद्योगपति चाहिए. माननीय अडानी, इनसे ही आपका काम चलेगा. यह चिंता का विषय है इस पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि वह गोडाउन जिन लोगों ने भी बनाये थे वह आज कर्जदार हैं, पैंतीस लाख, चालीस लाख रुपये की उन पर देनदारी है, वह कैसे चुकाएगे. आपकी जिस योजना के तहत उन्होंने गोडाउन बनाये थे , वह सरकारी योजना थी, सरकार ने ही उनको प्रोत्साहित किया था और उनको अनुमति दी थी, गोडाउन बनवाये थे अब ऐसा कौनसा दबाव कि सारा काम दबाव में चलेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी बीच में यह बात आई थी कि हम आरक्षण के तहत बहुत सारी दुकानों का आवंटन करने जा रहे हैं, अच्छी बात है, महिलाओं को मौका मिलना चाहिए पर आरक्षण करते समय हमने अपने जिले में ही देखा है कि पता चला कि लाइन से तीन चार दुकानें एक ही वर्ग के लिए आरक्षित हो गई और कहीं कहीं तो सिर्फ पुरुष को हुई है तो आरक्षण के समय यह भी ध्यान रखिये कि हम ऐसा आरक्षण करे जिसमें ऐसा नहीं लगे कि भेदभाव किया गया है. निष्पक्ष रूप से आरक्षण होना चाहिए. हमारे यहाँ सीधी, सिंगरौली जिले में जो सेल्समेन हैं, वह तीन सौ रुपये में काम कर रहे हैं, अब आप बताइए कि भ्रष्टाचार कैसे नहीं होगा, क्या करेंगे वह. एक तो जब उनको दुकान देते हैं तो उनसे पचास हजार , एक लाख रुपये डिपाजिट भी कराते हैं और दूसरी तरफ उनकी सेलेरी भी नहीं दी जा रही है . हो सकता है मध्यप्रदेश के दूसरे जिलों में आप सेल्समेन को पैसे दे रहे हो पर हमारे सीधी , सिंगरौली जिले में सिर्फ तीन सौ रुपये में वह काम कर रहे हैं और जब तीन सौ रुपये में काम करेंगे तो वह गरीबों का पेट मारेंगे . खाद्यान्न वितरण प्रणाली में पूरे मध्यप्रदेश में भारी भ्रष्टाचार है . यदि पैंतीस किलों की पात्रता कोई गरीब रखता है तो उसको तीस किलो ही मिल रहा है और भी कम मिल रहा है और कई जगह तो ऐसी भी विसंगतियाँ हैं कि जो खाद्यान्न का कूपन है , वह कूपन गरीबों के पास नहीं है बल्कि साहूकारों के पास जमा है. अब इससे अंदाजा लगाइए कि क्या स्थिति है, यह भी चिंता का विषय है , इस पर भी मंत्री जी को ध्यान देना चाहिए ताकि गरीबों के साथ अनुसूचित जाति जनजाति हितग्राहियों के साथ अन्याय न हो . माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तरफ सरकार कहती है कि हम बहुत तरक्की कर रहे हैं, गरीबी से हम बहुत ऊपर आ गये हैं. दूसरी तरफ 2003 से लेकर अभी तक अन्त्योदय परिवारों की संख्या 10 लाख बढ़ गई है और दूसरी तरफ गरीब परिवारों की संख्या 6 लाख बढ़ गई है, जब एक तरफ गरीबों की संख्या बढ़ रही है और दूसरी तरफ सरकार बात करती है कि हम बहुत तरक्की कर रहे हैं तो यह दोनों में जो अंतर आ रहा है यह थोड़ा समझ से परे , इसको भी मंत्री जी को बताना चाहिए. माननीय मंत्री जी एक और निवेदन है कि बहुत बड़ी विसंगति है गरीब लोगों की, अनुसूचित जाति जनजाति की जहाँ बस्तियाँ हैं वह एक ग्राम पंचायत का क्षेत्रफल कहीं कहीं दस किलोमीटर के , आठ किलोमीटर की परिधि में है भले ही संख्या उनकी कम हो, भले ही एक हजार पाप्युलेशन हो, उस पंचायत की, पर हमारा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि पूरे मध्यप्रदेश में ऐसी ग्राम पंचायतों का सर्वे कराकर खाद्यान्न वितरण के लिए जो गरीब, 10-10 किलोमीटर जाकर खाद्यान्न लेने के लिए जाते हैं. वह व्यवस्था आपको ठीक करना चाहिए. वह कम से कम 3 किलोमीटर की परिधि में आपको ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए. भले ही आपको सेल्समेन बढ़ाने पड़ेंगे. सरकार को थोड़ी, हो सकता है कि चपत लगे पर गरीबों के आप अगर सही में हिमायती हैं तो सुविधा देने के लिए क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से व्यवस्था बनानी चाहिए. यह मेरा विशेष निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन है...
अध्यक्ष महोदय-- एक निवेदन करके समाप्त कर दें. समय की सीमा है.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, जैसा आप निर्देश करेंगे. अध्यक्ष महोदय, एक जो हमारे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा...
श्री प्रताप सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोरम पूरा नहीं है. सदन में जो कोरम होना चाहिए 24 इस वक्त वह भी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- है. कृपया पूरी जानकारी ले लिया करें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, हम एक बड़े महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा कर रहे थे. जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल लागू हुआ. उसके तहत 5 किलो प्रति व्यक्ति अनाज देने का प्रावधान तय किया गया था और 22 प्रकार के लोगों को शामिल किया गया था. बहुत सारे लोग खाद्यान्न मिलने से वंचित हैं और कई ऐसे अनुसूचित जाति, जनजाति, के लोग हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अब कृपया समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, बड़ा महत्वपूर्ण विषय है. अगर आपकी इजाजत हो तो आखरी....(व्यवधान)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- जब दोनों तरफ बराबर होंगे तब अध्यक्ष महोदय का काम पड़ेगा और नैतिकता जब होती है तो फिर अध्यक्ष उसमें भाग भी नहीं लेते.
अध्यक्ष महोदय-- अब कृपया समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल-- बस एक महत्वपूर्ण बात कहकर...,
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब समाप्त करिए.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय मंत्री जी, बस आपका एक आखरी बात पर ध्यानाकर्षित करेंगे कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल के तहत बहुत सारे आज भी एस टी, एस सी, के लोग हैं जो सौ प्रतिशत पात्र हैं अभी तक उनको खाद्यान्न नहीं मिल रहा है. इसकी भी व्यवस्था बनाई जाए. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री जसवन्त सिंह हाड़ा(शुजालपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 39 के पक्ष में बोलने के लिए मैं खड़ा हुआ हूँ. अध्यक्ष महोदय, खाद्य योजना के संबंध में चूँकि बहुत महत्वपूर्ण और गरीब अति गरीब ऐसे निराश्रित लोगों....
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने कोरम के संबंध में सदन के समक्ष अपनी बात कही है. हमारी विधि और प्रक्रिया जो, जिस पर विधान सभा का संचालन होता है. कोरम के मामले को बड़ी गंभीरता से लिया जाता है. मेरा ऐसा ख्याल है कि अभी माननीय अध्यक्ष महोदय ने उधर अपनी दृष्टि नहीं डाली है, तो देख लें और आपके आदेश का पालन तो सभी करने को बाध्य हैं.
अध्यक्ष महोदय-- सदन की कार्यवाही पाँच मिनट के लिए स्थगित.
( अपराह्न 4.24 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई )
4.31 बजे विधान सभा की कार्यवाही पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
4.32 बजे अध्यक्षीय घोषणा.
अशासकीय कार्य संपादन विषयक.
कुँवर विक्रम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय....
अध्यक्ष महोदय-- जी नहीं. नियम परंपरा यह है कि अनुमति से ही बोला जा सकता है. आप बैठ जाएँ. श्री जसवन्त सिंह हाड़ा अपनी बात कहें.
श्री जसवन्त सिंह हाड़ा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 39 के पक्ष में मैं अपनी बात रख रहा हूँ. यह योजना अत्यंन्त गरीब और ऐसे लोगों के लिए है. जिनको समय से यह खाद्यान्न और किसानों का उपार्जन. अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने, खाद्य मंत्री जी ने निरंतर इसमें जो अनेक सुधार लाने के लिए जो प्रयास किए हैं. यह अपने आप में अनुकरणीय हैं. उन सबके लिए इस योजना के कुछ कार्य तय किए हैं. उपार्जन की व्यवस्था के लिए कुछ तय किए हैं. जो सबसे नीचे, सबसे पीछे, सबसे तकलीफ में है ऐसे व्यक्ति के लिए कितनी सुविधाएँ हो सके उनके संदर्भ में माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि आज सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत जो उठाव, वितरण और उन वितरण के बाद उनका जो पालन होना चाहिए, परिपालन होना चाहिए, उसके लिए समय समय पर आवश्यक निर्देश और उन सब कार्यों की योजना और इन सब कार्यों को देखते हुए भारत सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार को इस योजना को लागू करने के लिए जो प्रशंसा की है वह अपने आप में अनुकरणीय है. हम देखते हैं कि जहाँ उपार्जन की बात आती है, तो उपार्जन के विषय में और पहले हम देखते थे 2003 के पहले, अध्यक्ष महोदय, इस विषय में मैं अनुरोध करना चाहूँगा कि उपार्जन के मामले में पूरे मध्यप्रदेश में बी पी एल कार्डधारियों को 20 लाख मैट्रिक टन गेहूँ की आवश्यकता होती थी और पूरे वर्ष भर हमें या तो बाहर से गेहूँ आयात करना पड़ता था और उपार्जन का गेहूँ नाम मात्र का मध्यप्रदेश में होता था. यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने किसानों को अतिरिक्त बोनस देकर और समर्थन मूल्यों पर गेहूँ पर अतिरिक्त लाभ उनको सौ रुपये का प्रति क्विंटल दिया और जिसके कारण निरंतर हम देखते हैं कि 2003 से लेकर आज 2016 तक याने 2015-16 में रिकार्ड उपार्जन हुआ है और आज हमारी आवश्यकता के अतिरिक्त गेहूँ का हमने भंडारण किया है. वही आज दुकान पर उन गरीबों को बहुत अच्छा अनाज, धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, ये सब उपलब्ध होता है. इसको लेकर हम सब आज मध्यप्रदेश में, इन्हीं योजना का जो लाभ मिला है इसके कारण हम आज जो बी पी एल कार्डधारी हैं उनको लगभग जो माननीय मंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक जो बी पी एल कार्डधारी हैं उनको पात्रता की पर्ची मिले. 1.18 लाख ऐसे परिवार हैं जिनको पात्रता की पर्ची 30 मार्च तक देने का लक्ष्य लिया गया है यह अनुकरणीय कार्य है मंत्रीजी को इसके लिए बधाई देना चाहिए. बीपीएल का लाभ श्रमिक, हम्माल, दिव्यांग, भवन निर्माण में काम करने वाले मजदूर, अनुसूचित जाति, जनजाति (आयकरदाता छोड़कर) कुल मिलाकर 23 प्रकार के लोगों को लाभ दिया जा रहा है. ई-पर्ची का काम भी बहुत अच्छी तरह से हो रहा है राशन के वितरण की व्यवस्था सुनिश्चत की गई है. मध्यप्रदेश में 23 हजार राशन की दुकानें हैं उन पर कम्पूटराइज्ड व्यवस्था की जा रही है. 19 हजार दुकानों के कम्पूटराइजेशन का काम पूरा कर लिया है अब हितग्राही कहीं भी जाकर अपना राशन प्राप्त कर सकेगा. महिला सशक्तिकरण का भी बड़ा काम चल रहा है 30 प्रतिशत राशन दुकानें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं ताकि महिलाएं दुकान चला सकें. अभी तक यह होता था कि दुकान किसी के नाम होती थी और संचालित कोई और करता था विभाग द्वारा बहुत सूक्ष्म तरीके से थम्ब इम्प्रेशन का सिस्टम लागू किया है जिससे दुकानदार यदि आधे घंटे के लिए दुकान छोड़कर जाता है तो वह मशीन काम करना बंद कर देगी यानि उसका रहना अनिवार्य हो गया है. एक जमाना था जब लाल गेहूं खाना पड़ता था, एक जमाना था जब बहुत बारीक छना हुआ गेहूं मिलता था. आज अंतिम छोर पर खड़े हुए व्यक्ति को मध्यप्रदेश का बहुत अच्छा उपार्जित गेहूं, चावल, मक्का, बाजरा, ज्वार उपलब्ध होता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना में हर व्यक्ति के लिए टोल फ्री नंबर 181 की व्यवस्था की गई है इसे चार श्रेणियों में बांटा गया है कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी, जिला आपूर्ति अधिकारी, कलेक्टर, आयुक्त इसकी समय-समय पर मानिटरिंग करेंगे. इस योजना का लाभ यदि हितग्राही को नहीं मिलता है तो उसकी चिंता करेंगे और उसका निराकरण करके उसे लाभ पहुंचायेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी से अनुरोध करुंगा कि प्रदेश में बड़ी तादाद में 500 से 1000 एमटी टन के भण्डार गृह प्रायवेट सेक्टर में खुले. इसका उद्देश्य यही था कि निकट में भण्डार गृह मिले. लोगों ने 35-35 लाख रुपये की राशि बैंक से फायनेंस कराकर व अनुदान लेकर भण्डार गृह बनाये थे अब चूंकि पीपीपी के अन्तर्गत सायलो के अन्तर्गत भण्डारण करने का निर्णय हुआ है तो ऐसे छोटे-छोटे भण्डार गृह के जो मालिक हैं उनके सामने एक कठिन संकट आएगा उन्हें बैंक की किश्त चुकाने में भी बड़ी कठिनाई होगी. माननीय मंत्रीजी से अनुरोध करुंगा कि इन छोटे भण्डार गृह के लिए भी कोई उचित निर्णय लें. जो हितग्राही दुकान पर राशन लेने जाते हैं तो उन्हें गर्मी व बरसात में शेड के अभाव में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है यह बात मंत्रीजी की जानकारी में आने पर उन्होंने 23000 उचित मूल्य की दुकानों में से अब तक 2000 दुकानों के सामने शेड बनाने का काम कर दिया है. यह गरीबों को ऊपर लाने की महती योजना है. आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 39 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पेज क्रमांक 17 पर आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्यवाही के संबंध में लिखा गया है. पेट्रोल पंप के 25994 निरीक्षण हुए कुल 3164 प्रकरण बने राशि रुपये 846.22 लाख जप्त हुई तथा गंभीर अनियमितता वाले 36 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई. इस विषय में मुझे यह कहना है वर्ष 2013-14 में जिला योजना समिति कटनी में मैं सदस्य था उस समय भाजपा के पार्षद श्री कैलाश सोगानी थे वे एक पेट्रोल पंप के बाहर से ट्रेक्टर ट्राली में डीजल डलवाकर आ रहे थे. तत्कालीन अधिकारी ने उनका ट्रेक्टर चेक किया और उसमें मिट्टी का तेल पाया और उनके ऊपर 25000 रुपये फाइन कर दिया. तत्कालीन प्रभारी मंत्री माननीय मोती कश्यप जी उस समय जिला योजना समिति में थे भाजपा के पार्षद चिल्लाते चिल्लाते थक गए कि मैंने इस पेट्रोल पंप से डीजल लिया है और यह मेरे पास रसीद है पर आज तक उस पर कार्यवाही नहीं हो पाई है. निवेदन यह है कि जो भी पकड़े जाते हैं वे गरीब किसान पकड़े जाते हैं उनके ट्रेक्टर पकड़े जाते हैं न तो बसें पकड़ी जाती हैं न ट्रक पकड़े जाते हैं न ही बड़े ट्रांसपोर्टर पकड़े जाते हैं. खाद्यान्न पर शासन जो अनुदान देता है वह अधिकांश उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंच पाता है दुकानों में मौजूद हितग्राहियों से अधिक संख्या में आवंटन कई जिलों में होता है इस प्रकार जो अधिक आवंटन हो रहा है वह कालाबाजारी के उपयोग में आता है इसके अनेक दस्तावेजी सबूत हैं. 2015 की कैग रिपोर्ट में इसका उल्लेख हुआ है और सदन में चर्चा भी हुई है. केरोसिन में न्यूनतम रेट का निर्धारण किया गया है परंतु लंबी दूरी के मार्ग का परिवहन व्यय दिया जाता है. बहोरीबंद से भिटौनी की जो वास्तविक दूरी है उससे 120 किलोमीटर ज्यादा दूरी लिखी गई है, दमोह से पथरिया सगौनी सीधा केरोसिन जाता है परन्तु परिवहन व्यय 40 किलोमीटर अधिक पटेरा होकर दिया जाता है जब इसकी शिकायत हुई तो कटनी में बीपीएल कार्ड के तेल के परिवहन 22 से 35 पैसे प्रति लीटर अधिक पाया गया यह वसूला गया पिछली बार इसको सुधारा गया इसमें लगभग 31 लाख रुपये की वसूली हुई अगर इस जांच को प्रभारी तरीके से किया जाए तो यह राशि 1 करोड़ रुपये पहुंच सकती है. मेरा मंत्रीजी से निवेदन है कि सरकार उस व्यक्ति को केरोसिन देती है जो बहुत ही गरीब है उससे 22 से 35 पैसे प्रति लीटर अधिक ले लिया जाए तो यह खेद का विषय होगा. क्योंकि इतनी बड़ी सबसीडी का कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है. 31 लाख रुपये की जो वसूली हुई है यह कटनी के गरीब लोगों से वसूला गया है मैं मंत्रीजी से निवेदन करुंगा कि इस राशि का उपयोग कटनी जिले में ही किया जाये. अध्यक्ष महोदय, उपार्जन शुरू में ही विक्रेता और समिति के प्रबंधक अपने परिचित लोगों के साथ पंजीयन कर लेते हैं. असल में वहां पर खेती नहीं होती, फर्जी उपार्जन होता है और फर्जी परिवहन होता है,फर्जी रूप से पैसा खाते में आ जाता है और इसी पैसे से वह लोग खरीदी करते हैं और किसान उससे वंचित हो जाते हैं. इसमें रीठी, कौडि़यां कुआं और अनेक समितियां हैं. पात्रता पर्ची , जब से पात्रता पर्चियों का वितरण शुरू हुआ है तभी राशन कार्डों की एंट्री बंद हो गयी है. जिससे फर्जी वितरण की शिकायत की जांच की संभावना खत्म हो जाती है. शासन को चाहिये कि पात्रता पर्ची के साथ राशन कार्ड भी उपलब्ध करवाये. मननीय मंत्री जी मेरा निवेदन है कि वेयर हाऊसिंग हब के लियेकटनी एक जंक्शन है,वह महाकौशल और और बुंदेलखण्ड के बीच में आता है. यहां पर एक वेयर हाऊसिंग हब होना चाहिये, जिससे इन दोनों क्षेत्रों में खाद्यान्न उपलब्घ कराना आसान हो जायेगा. माननीय बहुत से ऐसी हितग्राही हैं जिनके आधार कार्ड न होने से ट्रिपल एस एम आई डी न होने से खाद्यान्न से वंचित हो जाते हैं. यह वही लोग हैं, जो घर से निकाल दिये गये हैं या अक्षम हैं या फिर इनकी फिंगर प्रिंट मेच नहीं होती है और यही लोग वंचित रह जाते हैं जो सबसे वंचित हैं. माननीय एक अफवाह पूरे प्रदेश में चल रही है कि गेंहू 25, शक्कर 25 , चावल 28 और केरोसीन 48 रूपये किलो पहले लिया जायेगा और बाद में सबसिडि दी जायेगी. मैं चाहूंगा मंत्री जी से कि इस बात को स्पष्ट करें कि सबसिडी खाते में आयेगी की गरीब को पहले पेमेंट करना पड़ेगा. हर गांव में पहले अति गरीबी के कार्ड हुआ करते थे. पांच दस लोग ऐसे होते थे, जिनके पास बिल्कुल पैसा नहीं होता था उनको बिल्कुल मुफ्त में गल्ला देते थे. अभी भी ऐसे लोग हैं. पोर्टल में लगातार सभी माननीय साथी लोग कह रहे हैं. 22, 23 श्रेणियों का पात्रों का चयन हो रहा है. उनको खाद्यान्न पर्ची के माध्यम से वितरण हो रहा है और अभी 30-35 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनके पास खाद्यान्न पर्ची नही मिल पा रही है. मेरा निवेदन है कि यह उस वर्ग के लिये है. मेरा निवेदन है कि यह उस वर्ग के लिये है, जिनके पास कुछ नहीं है. मेरा आपसे निवेदन है कि इस पर जरूर ध्यान दे. हमारे यहां पर मिलावट चरम पर है. हमारे यहां नकली तेल और हद तो यह है कि हमारे यहां पर काजू
भी नकली बनता है, जा काजू आता है वह नकली बनता है. नकली दूध नकली खोआ, मेरा निवेदन है कि इसके बारे में देखें और माननीय सेल्स मेनो की सेलेरी भी कुछ बढ़ायी जाये.
कुंवर विजय शाह :- वह काजू देखने तो हम आपके साथ में चलेंगे.
कुंवर सौरभ सिंह :- जी हां बिल्कुल, मेरा निवेदन है सेल्स मेनो की सेलरी भी बहुत कम है वह बढ़ायी जाये. उनकी सेलरी ज्यादा होती तो कालाबाजीरी कम करेगा. आपने बोलने का समय उसके लिये धन्यवाद्.
श्री बाला बच्चन :- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने नकली डीजल बनते हुए देखा भी देखा था उसके बाद क्या हुआ उसके बाद आज तक पता नहीं चला.
श्री वेल सिंह भूरिया (सरदारपुर):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं.
अध्यक्ष महोदय, वाकई में मध्यप्रदेश के अन्दर गरीबों को, दीन दुखी गरीबों को और अंतिम पंक्ति में बैठे हमारे गरीब आदिवासी भाईयों का ध्यान उनकी चिन्ता हमारी भारतीय जनता पार्टी ने और माननीय शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार ने की है. अध्यक्ष महोदय, पुराने समय में कांग्रेस के राज में पलायन हो जाता था धार, झाबुआ, अलीराजपुर, शहडोल ,बालाघाट और मंडला में औरउस समय कांग्रेस के राज में हमको देखने मिलता था कि आदिवासी भूखमरी के प्रकोप से मरगया, आदिवासी भूख के कारण मर गया ऐसा पेपर में छपता था और कभी कभी चावल में छत्तीसगढ़ और मण्डला में लड़ाई होती थी. दिग्विजय सिंह जी के राज में हमने मुलतई गोलीकांड भी हमने देखा है. वर्ष 2001 में दिग्विजय सिंह के राज में सरदारपुर का गोली कांड भी हमने देखा है. जब से मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी जब से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं तब से लगाकर अभी तक पूरे मध्यप्रदेश के आदिवासी भाईयों का अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति के भाईयों का चेहरा वाकई में कमल के फूल की तरह खिल रहा है. इस प्रदेश की दशा और दिशा बदलने का काम किया है तो हमारी पार्टी के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी चौहान जी ने किया है और हमारे लाड़ले मेरे बड़े भाई खाद्य मंत्री माननीय कुंवर विजय शाह.....
4.50 बजे {माननीय उपाध्यक्ष महोदय (डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
........जी आप जब से मंत्री बने हैं तक से उन्होंने ऐसी नित नयी योजना बनायी. प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिलकर उनके मार्गदर्शन में वाकई में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी और कुंवर विजय शाह जी गरीबों के दाता घोषित हो गये. माननीय उपाध्यक्ष महोदय एक रूपये किलो गेहूं ,एक रूपये किलो चावल एक रूपये किलो नमक की थेली, पूरी दुनिया में और पूरे देश के और पूरे देश के अन्दर कभी ऐसा नहीं हुआ, किसी भी सरकार ने गरीबों की तरफ ध्यान नहीं दिया यह हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी की सरकार और माननीय कुंवर विजय शाह जी ने एक अनूठी योजना बनायी और गरीबों का ध्यान रखा. अब गरीब भूख से नहीं मर सकता, गरीब को अपना अधिकार मिल रहा है, गरीब अपना अधिकार समझ गया है, अब गरीबों के अधिकार का हनन नहीं हो सकता है. माननीय मुख्यमंत्री शिवराज जी के राज में, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने कांग्रेस का राज देखा है.कांग्रेस के राज में जो सेल्स मेन और सोसायटी के अध्यक्ष हुआ करते थे, उनकी अभी बिल्डिंगें बनी हुई है और यहां हमारे माननीय मंत्री कुंवर विजय शाह जी , हमारे मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री ने एक ऐसी योजना बनायी कि एक भी दाना गरीब का कोई नयी नहीं खा सकता है. यदि किसी ने गरीब का खाने की कोशिश की तो वह निश्चित ही जेल में गया है और जेल में जायेगा. यह हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. माननीय कुंवर विजय शाह जी जब से खाद्य मंत्री बने हैं, कभी गरीब की थाली खाली हुआ करती थी, अब गरीब की थाली खाली नहीं होती है. गरीब की थाली में चावल भी होता है,रोटी भी होती है, सब्जी भी होती है,नमक भी होता है और साफ सुथरी थाली होती है, उसमें कभी खराब नमक नहीं मिलता है. सही नमक से स्वच्छ नमक जो एक रूपये गेंहूं के साथ में एक रूपये किलो नमक की थेली मिलती है, वह आदिवासियों के लिये वरदान है,आश्रम छात्रावासों को एक रूपये किलो गेंहूं दिया जा रहा है, माननीय उपाध्यक्ष महोदय मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के प्रावधानों के अनुरूप माननीय मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के अतंगर्त लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में नयी व्यवस्था दिनांक 1 मार्च, 2014 से प्रांरभ की गयी. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत पात्र परिवारों को भारत सरकार द्वारा गेंहूं 2 रूपये प्रतिकिलो एवं चावल 3 रूपये प्रति किलो दिये जाने का प्रावधान किया गया है. जबकि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के द्वारा अन्नपूर्णा योजना के अंतर्गत सभी पात्र परिवारों को गेंहूं एवं चावल 1 रूपये प्रति किलो की दर से दिया जा रहा है. एक रूपये किलो नमक की थेली दी जा रही है. प्रदेश में अन्त्योदय अन्न योजना के परिवारों को 35 किलो ग्राम प्रति परिवार एवं प्राथमिक परिवारों को पांच किलोग्राम प्रति सदस्य प्रतिमाह के मान से खाद्य का वितरण किया जा रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय,मध्यप्रदेश में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत सभी अंत्योदय अन्न योजना को पांच लीटर केरोसीन प्राथमिक परिवारों को चार लीटर केरोसीन एक किलोग्राम शकर एवं एक किलोग्राम नमक प्रति माह प्रदाय किया जा रहा है. यह हमारी मध्यप्रदेश सरकार की योजना है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के प्रावधानों के अनुरूप मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना प्रारंभ करने के अनुरूप प्रदेश के लगभग 75 लाख परिवारों को एक प्रति किलोग्राम की दर से गेंहूं एवं चावल उपलब्ध कराया जा रहा था. जिनकी संख्या अब बढ़कर 118 लाख 57 हजार परिवारों तक पहुंच गई है. प्रदेश में अब लगभग 43 लाख परिवार अतिरिक्त रूप से एक रूपये प्रति किलो की दर से गेहूं और चावल तथा शक्कर प्राप्त कर रहे हैं. अतिरिक्त 35 लाख परिवार पहले एपीएल कार्डधारी थे एवं उन्हें यह सुविधाएं प्राप्त नहीं हो पा रही थीं. हमारी सरकार ने उन एपीएल परिवारों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से पृथक कर दिया हैं जो आर्थिक रूप से सुदृढ़ हैं और जिन्हें रियायती दर पर खाद्यान्न की आवश्यकता नहीं है. इस प्रकार हमारी सरकार ने प्रदेश में गरीब एवं पिछड़े परिवारों को केन्द्रित करते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली को पुन: संरक्षित किया है. खाद्य,नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मंत्री कुंवर विजय शाह जी द्वारा आदिवासी मंत्री जी के द्वारा आदिवासी के हितों के लिये इतनी अच्छी योजनाएं लागू की गईं. कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग अंतर्गत पंजीकृत बुनकर एवं शिल्पी नगरीय निकायों में पंजीकृत केशशिल्पी,बहुविकलांग एवं मंदबुद्धि व्यक्ति, एचआईवी से संक्रमित व्यक्ति जो स्वेच्छा से इस योजना का लाभ लेना चाहते हों मध्यप्रदेश में निवासरत् समस्त अनुसूचित जाति के परिवार मध्यप्रदेश में निवासरत समस्त अनुसूचित जनजाति परिवार तथा ऐसी करीब 23 प्रकार की श्रेणियां हैं उनको हमारी सरकार की योजनाओं का लाभ हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा दिया जा रहा है. मैं हमारे माननीय मुख्यमंत्री शिवराज जी को और हमारे आदिवासियों के मसीहा कुंवर विजय शाह जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति के छात्रावासों में रहने वाले छात्र छात्राओं को 1 नवंबर 2014 से 1 अरुपये प्रति किलो की दर से खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है वर्तमान में इन छात्रावासों के जरिये छात्रों को 12 किलो खाद्यान्न प्रतिमाह दिया जा रहा है इससे प्रदेश के अनुसूचित जाति के 85164 एवं अनुसूचित जनजाति के 1 लाख 70 हजार 309 छात्र छात्राएं लाभान्वित हो रहे हैं. आदिवासी भाईयों की तो दुनियां ही बदल गई है. यह हमारे भारतीय जनता पार्टी की सरकार का कमाल है. यह मुख्यमंत्री जी का कमाल है और कुंवर विजय शाह जी का कमाल है. हम पहले देखते थे कि गेहूं कहां चला जाता था. कांग्रे्स के नेताओं की भेंट चढ़ जाता था. शक्कर और तेल कांग्रेस के नेताओं की भेंट चढ़ जाता था. सेल्समेन को जूते मार-मार कर लूट लेते थे कांग्रेस के लोग लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने यदि किसी गरीब का गेहूं किसी ने खाया तो मध्यप्रदेश की सरकार..
श्री सचिन यादव - माननीय उपाध्यक्ष महोदय,माननीय हमारे सदस्य विधान सभा के टिकट के लिये कांग्रेस के पास आये थे लेकिन कांग्रेस में इतने सारे लोग थे कि हम उनको टिकट नहीं दे पाए.
श्री वेलसिंह भूरिया - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कार्यकर्ता हूं और मैं पिछले 25 साल से भारतीय जनता पार्टी की कार्यकर्ता हूं. यह तो कांग्रेस का जहाज डूब रहा है. कांग्रेस के चूहे समुद्र में कूद रहे हैं तो उसको अबेरने में हमारी भारतीय जनता पार्टी लगी हुई है. आईये आधी रात को आप लोगों का दरवाजा खुला है. अभी कुछ लोग आये हैं आप भी आ जाईये हम लोग आपको टिकट दे देंगे मैं आपको सिफारिश कर दूंगा आदिवासी नेता होने के नाते.
वेलसिंह भूरिया (जारी)--पुराने समय में केरोसिन बाजार में बिक जाता था. इस केरोसिन की कालाबाजरी न हो इसके लिये हमारे मुख्यमंत्री जी एवं कुंवर विजय शाह जी ने नीले केरोसिन की वितरण प्रणाली लागू की राष्ट्रीय खाद्य अधिनियम 2013 के क्रियान्वयन के पूर्व मध्यप्रदेश में एपीएल श्रेणी के 85 लाख 39 हजार 554 बीपीएल श्रेणी के लोगों को 5 लीटर प्रति परिवार को देने का काम हमारी सरकार ने किया है. आपने समय दिया धन्यवाद.
सुश्री हिना कांवरे (लांजी)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 39 पर बोलने के लिये खड़ी हुई हूं. मैं सबसे पहले उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के संबंध में बोलना चाहती हूं. केवल सूचना अथवा जानकारी के अभाव में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम प्रभावकारी नहीं हो पाता, क्योंकि साधारण तौर पर जो लोग जानकार होते हैं वे ही इस अधिनियम का उपयोग करते हैं और जब उपयोग करते हैं तो निश्चित रूप से लाभांवित भी होते हैं. मैं उदाहरण देना चाहती हूं कि जब हम रेल में यात्रा करते हैं पेन्ट्रीकार से जब चाय बेचने वाला आता है हम उनसे चाय ले लेते हैं उनसे पूछते हैं कि कितने पैसे हुए वह बोलता है कि 10 रूपये हुए हम 10 रूपये निकाल करके उसे दे देते हैं. अनजाने में हमें यह भी पता नहीं होता है कि हमने चाय वाले को ज्यादा पैसे दे दिये हैं, क्योंकि रेल्वे ने चाय का रेट 7 रूपये तय कर रखा है. ऐसे ही शासन ने टेम्प्रेरी कनेक्शन को बिना किसी शुल्क के परमानेन्ट कनेक्शन में बदलने की नीति बना ली है, लेकिन जानकारी के अभाव में किसान के पास जब लाईनमेन जाता है वह कहता है कि टेम्प्रेरी कनेक्शन को परमानेन्ट करवाना है क्या ? किसान कहता है हां और लाईनमेन बोलता है कि इसके आपको 2 हजार रूपये लगेंगे किसान उसको खुशी-खुशी पैसा दे देता है लाईनमेन का एहसान भी मानता है कि उसने 2 हजार रूपये लेकर के परमानेन्ट कनेक्शन कर दिया. आप यह बताईये कि जब उपभोक्ता को पता ही नहीं होगा कि उसके अधिकारों का हनन हो रहा है तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का सहारा कैसे लेगा. मैं उदाहरण देना चाहती हूं कि जापान में यदि ट्रेन पांच मिनट के लिये लेट होती है तो वहां की सरकार के ऊपर दावा ठोक दिया जाता है, यह केवल जागरूकता से ही संभव होता है. इस अधिनियम का उपयोग करने के लिये आम जनता में जागृति लाने के लिये विशेष कार्य योजना बनायी जानी चाहिये. जब केन्द्र में यूपीए की सरकार ने खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू किया और प्रदेश के पात्र परिवारों के लिये 3 रूपये किलो में चावल, 2 रूपये किलो में गेहूं उपलब्ध होने लगा तो आपने मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना बनाकर 3 रूपये एवं 2 रूपये को 1 रूपये किलो चावल एवं 1 रूपये किलो गेहूं कर दिया. चलिये उस समय तो केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी इसलिये आप चाहते थे कि खाद्य सुरक्षा कानून का लाभ कांग्रेस को न मिले इसलिये आपने सबसिडी देकर योजना ही बदल दी. दोनों में ही आपकी सरकार है और खाद्य सुरक्षा कानून में जो कीमत तय की गई है, वह सोच-समझकर तय की गई है. अब मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना का कोई महत्व नहीं रह जाता है. एक रूपये किलो में आयोडाईज्ड नमक देकर जो सबसिडी दी जा रही है, वह सराहनीय है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, खुले बाजार में मिट्टी का तेल बेचने के लिए सरकार के पास कोई प्लान नहीं है. विधानसभा प्रश्न के माध्यम से, जब मैंने शासन से जबलपुर संभाग के खुले बाजार में केरोसिन की दुकानों की जानकारी मांगी थी तो शासन का जवाब आया कि किसी ने दुकान के लिए आवेदन ही नहीं किया है. एक तरफ तो सरकार डायरेक्ट कैश सबसिडी लागू करने को तैयार है, दूसरी तरफ खुले बाजार में मिट्टी तेल जैसी अति आवश्यक वस्तु उपलब्ध नहीं है. भाषणों में तथा कागजों में तो ए.पी.एल. परिवारों की 23 श्रेणियां, जिसका जिक्र अभी हमारे वेल सिंह भाई और अन्य साथी विधायक ने किया कि 23 श्रेणियों को पात्रता पर्ची देने की बात कही जाती है. जबकि सच्चाई यह है कि ए.पी.एल. परिवारों की किसी भी श्रेणी को मिट्टी का तेल उपलब्ध्ा नहीं है. मैं बताना चाहती हूँ कि मेरे विधानसभा क्षेत्र लांजी में आयोजित अन्त्योदय मेले में जब मैंने ए.पी.एल. की 23 श्रेणियों की पात्रता पर्ची की ग्राम-पंचायतवार जानकारी मांगी तो मुझे कोई जवाब नहीं दे सके और विधानसभा में दिये जाने वाले उत्तर की तरह कह दिया कि मैडम सूची तैयार की जा रही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बालाघाट जिले में रबी में धान की फसल ली जाती है किन्तु रबी में पैदा होने वाली धान की फसल के उपार्जन की कोई व्यवस्था नहीं है. दिनों-दिन, किसानों में रबी के धान की पैदावार बढ़ती जा रही है किन्तु उपार्जन की व्यवस्था न होने के कारण, किसानों को औने-पौने दामों पर धान बेचना पड़ता है. विधानसभा प्रश्न के माध्यम से, जब मैंने यह बात उठाई थी तो उत्तर में आया कि शासन के पास, इस बात की कहीं कोई जानकारी नहीं है कि बालाघाट में रबी में धान की फसल होती है तथा मिट्टी के तेल की तरह किसी ने कोई आवेदन नहीं किया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से, यह बात कहना चाहती हूँ कि मेरी इस बात को ही आवेदन मानकर माननीय मंत्री जी, रबी में धान के उपार्जन हेतु व्यवस्था करवायें. अन्त में, मैं एक बात कहना चाहती हूँ कि व्यापारी और ग्राहक के बीच विश्वास का रिश्ता होता है. चाहे पेट्रोल पम्प की बात हो या अन्य किसी बात की, जब व्यापारी इलेक्ट्रॉनिक से तौल देता है, तब ग्राहक उस पर विश्वास करके रख लेता है. किन्तु नाप-तौल विभाग की सजगता से ही यह विश्वास आगे तक कायम रह सकता है. इस विभाग को समय-समय पर अचानक इलेक्ट्रॉनिक तथा परम्परागत तौल-बांट चैक करते रहना चाहिए ताकि ग्राहकों के साथ विश्वास बना रहे. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - हिना जी, धन्यवाद.
श्री के. के. श्रीवास्तव (टीकमगढ़) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 39 का समर्थन करता हूँ. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, एक ऐसा विभाग है जो प्रत्यक्षत: नागरिकों से जुड़ा हुआ है. इसमें राशन बांटना, मिट्टी का तेल बांटना, शक्कर बांटना, पेट्रोल-डीज़ल बांटना, यह सब कहीं न कहीं खाद्य विभाग के अन्तर्गत आते हैं तो स्वाभाविक है कि हम कितनी भी मॉनिटरिंग करें, चिन्ता करें, देखभाल करें लेकिन गड़बड़ी करने वाले तो कहीं न कहीं से गड़बड़ी का रास्ता ढूँढ ही लेते हैं और चोर अगर चोरी से भी चला जाये तो हेरा-फेरी से नहीं जाता. काज़र की कोठरी में कोउ कितना ही सयाना जाये, एक लीख काज़र की लागे है पर लागे है सही, यह कहावत चला करती है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लेकिन मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी चौहान और विभाग के मंत्री माननीय कुँवर विजय शाह को, जिन्होंने खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के साथ इस धारणा को बदलने का बीड़ा उठाया है. माननीय मुख्यमंत्री जी, इस बात पर हमेशा जोर देते हैं कि गरीबों के हक पर कोई डाका न डाले, उनके निवाले को कोई छीन न पाये. पहले ट्रक बाजारों में सीधे चले जाया करते थे, सीधे बाजार में, मण्डियों में बिका करते थे तथा ड्रम के ड्रम केरोसिन के पूरे टैंकर चले जाया करते थे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस धारणा को आज बदलने का काम अगर किसी ने काम किया है तो वह मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है.
कुँवर विक्रम सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तीन-तीन महीने से राशन नहीं मिल रहा है.
श्री के.के.श्रीवास्तव -- आप व्यवधान मत करिये. सुनिये, आप लोगों ने ही टेंकर बेचे हैं. आप लोग ही पूरा केरोसिन खा जाते थे.
कुंवर विक्रम सिंह -- आपकी सरकार में जो हो रहा है, वह भलीभांति, अच्छी तरह से पता है.
श्री के.के.श्रीवास्तव -- आप सुनें, जो गड़बड़ियां की हैं, उनको बर्दाश्त करिये, झेलिये. आपके समय में ट्रकों के ट्रक चले गये. उठाकर ले गये. आज कल्याणकारी जो सोच मुख्यमंत्री जी की है, उस सोच के साथ विभाग के मंत्री, कुंवर विजय शाह जी ने कदम से कदम मिलाकर के अपने विभाग के अधिकारियों के साथ टीम बनाकर के और ईमानदारी के साथ काम करने की योजना बनाई है. उसका असर यह हुआ कि असर योजना, अपनी सुविधा अपना राशन यह आज प्रभाव, असिस्त्व में आई है. उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2013 के अंतर्गत मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना प्रारंभ की गई है. अभी हमारी प्रतिपक्ष के बहन बोल रही थी कि अब कोई औचित्य नहीं है. आपकी सरकार केंद्र में थी, हमने उससे पहले मध्यप्रदेश की सरकार ने एक रुपये किलो गेहूं, एक रु. किलो नमक और दो रुपये किलो चावल मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के माध्यम से प्रदेश के लोगों को उसकी सुविधा की घोषणा की और लाभ दिया. जहां कोई कल्पना नहीं कर सकता था. 14-15 रुपये किलो गेहूं खुले बाजारों में बिकता था, एक रुपये किलो गेहू, एक रुपये किलो नमक, यह प्रदेश की सरकार ने एक अनूठी योजना प्रदेश के गरीबों के हित में दी है. 2014 में 92 लाख परिवारों को इस योजना का लाभ मिला. आज 118 लाख परिवारों क पहिचान की गई है और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत इस सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अब एक नई बात जो आई है, जो नयी योजना अपनी सुविधा अपना राशन, असर व्यवस्था अभी तो 3 जिलों के नगर निगम क्षेत्रों को हमने इसमें चिह्नित किया है. हमारी प्रदेश की सरकार ने तय किया है अब थम्प लगाना. अंगूठा आप रखें और उसमें जो मशीन लगाई जा रही है पीओएस (पाइंट ऑफ सेल) यह पूरी सार्वजनिक वितरण प्रणाली का कम्प्यूटराइजेशन कराकर के और मशीनें दुकानों पर लगाई जा रही हैं. अभी तक 22422 उचित मूल्य की दुकानों में से लगभग 19 हजार उचित मूल्य की दुकानों पर पीओएस मशीन लगाई जा चुकी हैं. शेष जो दुकानें बची हैं, उनमें मार्च,2016 के अंत तक पीओएस मशीनें लग जायेंगी. आन लाइन सुविधा. अपने शहर की किसी भी दुकान से लोग ले सकते हैं, अगर उनके पास आवश्यक आधार कार्ड हो, तो वह अपने शहर में कहीं से भी जाकर के, यह जरुरी नहीं है कि उसी दुकान पर से गल्ला लो. वह कहीं भी जाकर के अपना अंगूठा लगायें. अपना अनाज,राशन, तेल आदि जो भी लेना है, ले सकते हैं. अभी तीन जिलों भोपाल, इंदौर एवं खण्डवा के नगर निगम क्षेत्रों में लागू की गई है. नॉन असर केवल उसमें थोड़ा सी अभी समस्या है कि केवल उसी दुकान से इस सिस्टम से लोगों को लाभ मिलेगा, जिनके पास पूरा आधार कार्ड नहीं है और ऑन लाइन नहीं है. मैं समझता हूं कि जो नॉन असर व्यवस्था है, इस नॉन असर व्यवस्था में भी हम मशीनों से ही देंगे, लेकिन बस थोड़ा सा हमें इतना चेंज करना पड़ेगा कि केंद्रीय सर्वर जो डाउन लोड करना है पीओएस मशीन में, वह दूसरी जगह से हमें सर्वर मिलेंगे, वहां पर मशीन हम ले जायेंगे और उसके बाद उसमें डाउन लोड कराकर फिर उसी दुकान पर लाकर के हम लोगों को इस सिस्टम से पीडीएस का राशन वितरण कर सकते हैं. सारी व्यवस्थाएं ठीक हो गईं, क्वालिटी भी लगभग ठीक है. हम उपार्जित गेहूं, चांवल खरीदते हैं. लेकिन कभी कभी थोड़ी सी तकलीफदेह बात यह हो जाती है, वह यह है कि एफसीआई के गोदामों से कुछ जगह की शिकायतें आई हैं. मैं सब जगह की बात नहीं कर रहा हूं. लकिन दो चार जगह के कहीं न कहीं एफसीआई के जो गोदाम हैं, उनमें से जब उठाव हुआ तो क्वालिटी में भी मिलावट की बात आई है. मंत्री जी का ध्यान चाहूंगा कि सारी व्यवस्थाएं आपने ठीक की हैं. सब कुछ ठीक कर लिया है, अब लोग अपना अंगूठा ही दूसरे लोगों को दे दें, तो अलग बात है. अब लोग दुकानें छोड़ेंगे. लोग कंट्रोल, राशन की दुकानें छोड़कर भागेंगे. अब सिस्टम में इतनी मानीटरिंग हो गई कि अब वे छोड़ छोड़कर के भागेंगे. पहले दुकान के लिये घूमते थे. अब दुकानें छोड़ने के लिये घूमेंगे. इतनी अच्छी व्यवस्था के कारण यह स्थिति बनी है. अब थोड़ा सा कहीं एकाध दो जगह, एक दो प्रतिशत क्वालिटी की बात है, तो मैं आपके ध्यान में लाता हूं कि क्वालिटी कंट्रोल पर भी इसी तरीके से मानीटरिंग करने की आवश्यकता है. दुकानें भी जिस गांव के लिये स्वीकृत हैं, जिस वार्ड के लिये स्वीकृत हैं दुकानें भी उसी गांव और वार्ड में संचालित कराने के ऊपर हमारी प्राथमिकता के साथ में हमें जौर देना चाहिये. मंत्री जी, आपने बहुत अच्छी योजना बनाई है इसके लिये मैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज जी को और आपको बहुत बहुत बधाई देता हूं और अपनी बात को समाप्त करता हूं, उपाध्यक्ष महोदय, आपने टोका नहीं इसलिये मैं भूला नहीं. बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- आज आप बहुत अच्छे फार्म में चल रहे हैं.
श्री के.के. श्रीवास्तव- उपाध्यक्ष जी बहुत बहुत धन्यवाद .
श्री दिनेश राय --(अनुपस्थित)
श्री सचिन यादव(कसरावद)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं मांग संख्या 39 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. अक्सर मेरा नाम आखिरी में आता है इसलिये मुझसे पूर्व के जो वक्ता होते हैं वह अपनी बात रख चुके होते हैं . मुझसे पहले कमलेश्वर पटेल जी ने सुश्री हिना कावरे जी ने सौरभ सिंह जी ने प्रभावी तरीके से अपनी बात रखी और आपके माध्यम से मंत्री जी तक अपनी बातों को पहुंचाने का काम किया है. मैं उन बातों को दोहराना नहीं चाहता हूं, सदन का समय व्यर्थ भी नहीं करना चाहता हूं. मैं नीतिगत मुद्दों पर मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराने का प्रयास करूंगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे प्रदेश में सहकारिता का बहुत बड़ा जाल है. सहकारिता के माध्यम से हम किसान की संस्थाओं के माध्यम से अनेक काम करते हैं चाहे ऋण वितरण की बात हो, चाहे खाद्य वितरण की बात हो, तमाम काम हम सहकारिता-सोसायटियों और मार्केटिंग सोसायटियों के माध्यम से करते हैं. पूर्व में भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली का जो खाद्यान होता है उसके परिवहन का काम होता था उसमें सिर्फ सरकारी संस्थाओं को ही भाग लेने की पात्रता होती थी. लेकिन मुझे यह कहते हुये दुख हो रहा है कि बीच में कुछ ऐसे नियमों में परिवर्तन किया गया जिसके कारण जो गैर सहकारी संस्थायें हैं उनको भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत सार्वजनिक खाद्य परिवहन करने की पात्रता मिल गई जिसका परिणाम यह हुआ कि हमारी जो सहकारी संस्थायें थी, हमारी जो मार्केटिंग सोसायटियां थी, उनमें जो आय का एक मात्र साधन था जिसकी दम पर यह मार्केटिंग सोसायटी चल रही थी, आज पूरे प्रदेश में यह मार्केटिंग सोसायटियां खराब दौर से गुजर रही हैं, वित्त के संकट से गुजर रही है. ऐसी स्थिति में अगर हम उनसे जो एक मात्र अधिकार उनके पास में था अगर यह अधिकार हम उनसे छीन लेंगे तो वह दिन दूर नहीं है कि वह सारी सोसायटी बंद हो जायेगी या बंद होने की कगार पर आ जायेंगी. एक जो धारणा पूरे प्रदेश में सरकार के प्रति बनी है कि यह सरकार सहकारिता की अहमियत को नहीं जानती है और सरकार पर जो आरोप लग रहे हैं कि सरकार सहकारिता को पीछे के दरवाजे से बंद करने में लगी हुई है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से गुजारिश करना चाहता हूं कि आपने जून 2014 से जो निर्णय लागू किया है इस निर्णय पर आप पुनर्विचार करें. इस निर्णय को वापस लेने का काम करें नहीं तो लोग जो दबी जुबान से कह रहे हैं कि आप सहकारिता की कीमत को नहीं जानते आप सहकारिता को पीछे के दरवाजे से बंद करना चाहते हैं वह हमारे लोगों के आरोप सही हो जायेंगे.
अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के स्वल्पाहार विषयक
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यों के लिये स्वल्पाहार की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार स्वल्पाहार ग्रहण करने का कष्ट करें.
वर्ष 2016-2017 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
श्री सचिन यादव-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से एक दूसरी बहुत बड़ी समस्या है उसके उपर माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. भंडारण की जो क्षमता है वह क्षमता आज हमारे मध्यप्रदेश में पर्याप्त नहीं है और कहीं न कहीं हमको समाचार पत्रों के माध्यम से, टेलीविजन के माध्यम से हमारे संज्ञान में यह आता है कि हमारा पीडीएस का जो गेंहू है, हमारा पीडीएस का जो मक्का है, हमारा पीडीएस के माध्यम से जो चीजें हम उपार्जन करते हैं वह कहीं न कहीं या तो सड़ रही हैं, बारिस के कारण या तो खराब हो जाती हैं और लाखों टन खाद्यान्न जो है भंडारण की क्षमता के अभाव में हमारा लाखों टन गेंहू बर्बाद हो जाता है. सरकार की तरफ से प्रयास जारी हैं, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सरकार प्रयास नहीं कर रही है, सरकार प्रयास कर रही है और सरकार ने प्रयास भी किये हैं, लेकिन मैं पुन: सहकारिता के ऊपर जोर देना चाहता हूं, हमारे पूरे मध्यप्रदेश में आज सोसायटियों का जाल फैला हुआ है. चाहे प्राथमिक सोसायटियां हों, चाहे आदिम जाति की सोसायटियां हों और उनके पास अपना एक इंफ्रास्ट्रक्चर आलरेडी डेबलप्ड है, उनके पास जमीनें उपलब्ध हैं, जब हम लोग, जब सरकार सब्सिडी के माध्यम से और अन्य सुविधायें देकर के जब प्राइवेट लोगों को भंडारण क्षमता विकसित करने के लिये हम सब्सिडी दे सकते हैं, हम उनको प्रोत्साहित कर सकते हैं तो क्यों नहीं हम जो हमारे पास आलरेडी जो व्यवस्थायें हैं, हमारे पास आलरेडी जो इतना बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा हुआ है तो क्यों न हम उस इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करें, उसका दोहन करें और जो सुविधायें, जो सब्सिडी आप प्राइवेट संस्थाओं को दे रहे हैं, प्राइवेट पार्टीज को दे रहे हैं, प्राईवेट उद्योगपतियों को दे रहे हैं, क्यों न यह सारी सुविधायें हमारी सहकारी सोसायटियों को उपलब्ध करायें.
मैं पुन: आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इसके ऊपर निश्चित ही ध्यान देने की आवश्यकता है, हर साल हमारा जो लाखों टन खाद्यान्न बर्बाद होता है, उस खाद्यान्न की बर्बादी से हम बचेंगे और जो एक नुकसान हमको उठाना पड़ता है उस नुकसान से भी सरकार को बचने का मौका मिलेगा. माननीय उपाध्यक्ष जी आपके माध्यम से एक अंतिम बात कहना चाहता हूं, जो वार्षिक प्रतिवेदन हम सभी सदस्यों को दिया गया है, मैं उसको पढ़ रहा था और उसमें मैंने देखा कि जो पात्र परिवार हैं जिनको खाद्य देने की सुविधा सरकार ने दी है उसमें बहुत बड़ी तादाद बीपीएल कार्डधारी परिवारों की है और सदन में कई बार सत्ता पक्ष के लोगों ने भी, विपक्ष के लोगों ने भी इस बात के ऊपर चिंता जाहिर की है कि जो असली हकदार है, जिन्हें बीपीएल कार्ड की पात्रता होनी चाहिये इसके अलावा भी कई सारे ऐसे लोग हैं जो अपात्र हैं जिनके पास बड़ी-बड़ी गाडि़यां हैं, जिनके पास 20-25 एकड़ जमीनें हैं, जिनके पास बड़े-बड़े मकान हैं, वह भी बीपीएल कार्ड बनवा लेते हैं और वह गलत तरीके से सरकार की योजनाओं का लाभ लेने का काम कर रहे हैं, जो मैं समझता हूं कि कानून विरूद्ध है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं और पूर्व में भी मैंने इस बात को रखा था कि पूरे मध्यप्रदेश में हमारी जितनी भी ग्राम पंचायतें हैं, उन ग्राम पंचायतों में एक व्यापक स्तर पर सभी बीपीएल कार्डधारी, जो कार्ड बने हैं उन कार्डों की जांच की जाय और जांच करने के बाद जो अपात्र लोग हैं उन अपात्र लोगों के नाम बीपीएल सूची में से उनके नाम काटे जायें, माननीय उपाध्यक्ष जी आपके माध्यम से मैं एक और चीज यहां पर कहना चाहता हूं .
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या सवा सात करोड़ है. पिछले कई दिनों से लगातार हम लोग मध्यप्रदेशकी विकास की बात सुन रहे हैं. मध्यप्रदेश किस प्रकार से नई ऊचाईंया छू रहा है यह बातें हमको सदन में सुनने को मिली हैं. लेकिन आपको यह जानकर बड़ा ताज्जुब होगा कि हमारे प्रदेश की सवा सात करोड़ जनता है, उसमें से 5 करोड़ 44 लाख आबादी है वह खाद्यान्न सुरक्षा का लाभ ले रही है. इसका मतलब इतनी बड़ी आबादी एक रुपये किलो चावल ले रही है और दूसरी तरफ हम लोग म.प्र. के विकास की बात कर हैं, म.प्र. के ग्रोथ की बात कर रहे हैं. मैं समझता हूं कि या तो ये आंकड़े असत्य हैं या जो दावे सरकार की तरफ से किये जा रहे हैं वह खोखले हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आशा करता हूं कि मैंने जो मोटी मोटी बातें की हैं. मैंने जो सुझाव दिये हैं, उन सुझावों पर माननीय मंत्रीजी निश्चित गौर करेंगे और आज सदन में उस पर कुछ न कुछ वक्तव्य देंगे. आपने समय दिया. धन्यवाद.
श्री वीरसिंह पंवार(कुरवाई)--उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 39 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, सदन में विस्तार से इस विषय पर चर्चा हो चुकी है. मैं ज्यादा बातें न करते हुए कुल 2-3 बिंदुओं पर बात करना चाहता हूं. माननीय मंत्रीजी से मेरा निवेदन है कि जब हम लोग ग्रामीण क्षेत्र में जाते हैं. वैसे तो सरकार ने बहुत सारे काम किये हैं और लोग उसकी तारीफ भी करते हैं कि हमको यह सुविधा मिल रही है. लेकिन एक ज्वलंत समस्या सभी सदस्यों के क्षेत्रों में आती है वह केरोसीन की है. गरीब लोगों को तो केरोसीन मिल रहा है लेकिन गरीबी की रेखा से ऊपर के जो लोग हैं उनको बाजार में केरोसीन उपलब्ध नहीं हो पाता. मेरा मंत्रीजी से निवेदन है कि इस ओर ध्यान दें. चाहे उसकी दर कुछ भी रहे लेकिन बाजार में वह उपलब्ध हो ऐसा मंत्रीजी से निवेदन है.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरी समस्या यह आती है कि सरकार ने खाद्यान्न पर्ची वितरित कर दी वास्तव में पारदर्शिता से वह पर्ची वितरित की है ताकि जो पात्र लोग हैं उनको ही वह मिल पाये. लेकिन उनके साथ थोड़ी दिक्कत यह जाती है कि उनके जो राशन कार्ड थे, वह जमा कर लिये गये हैं. कई जगह राशन कार्ड की आवश्यकता होती है. कई शासकीय कार्य में या अन्य जगह राशन कार्ड मांगते हैं तो वह व्यावहारिक कठिनाई जाती है क्योंकि उनके राशन कार्ड जमा हो गये हैं. दूसरी कई योजनाओं में जब राशन कार्ड की आवश्यकता होती है तो उस समय दिक्कत जाती है. मंत्रीजी से निवेदन है कि जो खाद्यान्न पर्ची दी गई है, वह पर्ची पारदर्शिता के हिसाब से ठीक है और खाद्यान्न हम खाद्यान्न पर्ची से ही दें लेकिन उनके राशन कार्ड उनके पास ही रहे. क्योंकि उसकी हर जगह मांग होती है, वह परिचय पत्र के रुप में काम आता है तो इस प्रकार की व्यवस्था ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में की जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी से एक निवेदन और है कि जो पेट्रोल,डीज़ल या केरोसीन के पंप हैं, आप और हम सब लोग जाते हैं, ध्यान नहीं दे पाते हैं, जब हम पेट्रोल या डीज़ल भरवाते हैं तो पंप पर जो भरने वाला व्यक्ति होता है, वह बार बार पाईप का क्लच दबाता रहता है जिससे लगभग 1 लीटर पर 1-2 प्वाइंट की चोरी कर लेता है. इसमें ऐसी पारदर्शिता लाना चाहिए कि उसके मीटर में जितनी राशि का फ्यूल लेना है, उतनी राशि फिक्स कर दे और उसका क्लच दबाकर छोड़ दे तो पर्याप्त फ्यूल मिल पायेगा. यह बहुत बारीक चीज़ है लेकिन सभी को इससे हानि होती है.
उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी से एक निवेदन और है. मैं ग्रामीण क्षेत्र से आता हूं. हमारे कुरवाई में मात्र एक गैस एजेन्सी है वह 10-15 साल से बंद पड़ी है. वैकल्पिक व्यवस्था के रुप में लटेरी से गैस दी जा रही है जो महीने में 2 बार या 3 बार गाड़ी आती है जिससे हमारे क्षेत्र की 15-20 हजार की जनसंख्या को दिक्कत होती है. मंत्रीजी से निवेदन है कि इस ओर ध्यान देंगे. मंत्रीजी कोई नई एजेन्सी या किसी अन्य एजेन्सी के माध्यम से व्यवस्था बना सकें तो उचित होगा.
उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी और माननीय मुख्यमंत्रीजी के मार्गदर्शन में क्षेत्र में बहुत अच्छा काम हो रहा है. ये छोटी छोटी बातें मेरी नजर में आयी थी, जिसको मैंने आपको अवगत कराया. बहुत से माननीय सदस्यों ने विस्तार से चर्चा की है. आपने समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री रामेश्वर शर्मा - (अनुपस्थित)
श्री आशीष शर्मा (खातेगांव) - उपाध्यक्ष महोदय, यह सरकार का बहुत महत्वपूर्ण विभाग है, जिसने मध्यप्रदेश के लगभग 5 करोड़ 40 लाख लोगों को दोनों समय का भरपूर भोजन प्रदान किया है. इस महत्वपूर्ण विभाग की अनुदान मांगों का मैं समर्थन करता हूं. आज मध्यप्रदेश में एक रुपए किलो गेहूं, एक रुपए किलो चावल, लगभग 23 श्रेणियों के लोगों को प्राप्त हो रहा है, जो वास्तव में सरकार की बहुत उल्लेखनीय उपलब्धि है. आदमी को जीवन-यापन करने के लिए दोनों समय का भरपेट भोजन मिल जाय तो उसे विकास की अन्य योजनाओं का लाभ मिलता है तो वह सोचता है कि मुझे वास्तव में सरकार की योजनाओं का लाभ प्राप्त हुआ. मैं केवल दो-तीन विषय रखना चाहता हूं. जो शासकीय उचित मूल्य की दुकानें हैं, उनके माध्यम से जो राशन मिल रहा है, इसमें शक्कर की मात्रा बढ़ाई जाना चाहिए. अभी केवल एक किलों शक्कर दी जा रही है. माननीय मंत्री जी से आग्रह कर रहा हूं कि मिठास लोगों की थालियों में कम हो रही है, इसलिए आप थोड़ी सी शक्कर की मात्रा बढ़ाने का काम करें. पहले उचित मूल्य की दुकानों से कपड़ा, कापी, साबुन, मीठा तेल मिला करता था, जो लोगों के बहुत काम आता था. रियायती दरों पर गरीब परिवारों को यह भी उपलब्ध कराया जाय. सरकार की ऐसी मंशा है कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में उचित मूल्य की दुकान हो, लेकिन वह प्रक्रिया अभी बहुत धीमी चल रही है. उस प्रक्रिया को गति प्रदान की जाय ताकि प्रत्येक ग्राम पंचायत को अपनी उचित मूल्य की दुकान मिले. साथ ही मैं यह भी कहना चाहता हूं कि सरकार ने एक जो सबसे महत्वपूर्ण काम किया है, जिन किसानों की फसलों का 50 प्रतिशत नुकसान हुआ था, उनको भी आने वाले एक वर्ष तक एक रुपए किलो गेहूं, एक रुपए किलो चावल दिया जा रहा है. इसके लिए मैं माननीय मंत्री जी को अपनी ओर से बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, एक व्यवस्था बहुत अच्छी की है. पहले यह होता था कि अगर किसी ने एक महीने तक राशन नहीं लिया है और अगले महीने उसका राशन वह लेने जाता था तो दुकान वाला मना करता था कि आपका राशन लैप्स हो गया है. लेकिन अब एक महीने का राशन भूलने पर व्यक्ति अगले दो महीने का राशन भी एक साथ उसको प्राप्त हो जाता है. गेहूं उपार्जन का काम विभाग ने बहुत अच्छे से किया है. छोटी-छोटी जगहों पर भी गेहूं उपार्जन केन्द्र खोले गये हैं जिससे किसानों को सुविधा प्राप्त हो रही है. मैं यह कहना चाहता हूं कि असमय कई बार बारिश आ जाती है जिसके कारण गेहूं भीग जाता है. इस बार गेहूं को भीगने से बचाने के लिए पर्याप्त प्रबंधन उपार्जन केन्द्रों पर किया जाय. साथ ही किसानों के लिए पेयजल और छांव की पर्याप्त व्यवस्था भी उपार्जन केन्द्रों पर होना चाहिए. अभी इंदौर, खंडवा और भोपाल में किसी भी जगह दुकान से व्यक्ति राशन ले सकता है. ऐसी व्यवस्था लागू की है. यह व्यवस्था जिस दिन पूरे प्रदेश में लागू हो जाएगी, उस दिन हमें वास्तव में लगने लगेगा कि जहां पर भी दुकानदार या उचित मूल्य की दुकान वाले का व्यवहार खराब है, वहां हमको पता लग जाएगा कि उसके पास कितने उपभोक्ता राशन लेने के लिए जा रहे हैं. इस प्रक्रिया से भी उपभोक्ताओं को बहुत लाभ होगा. एससी, एसटी के छात्रावास में रहने वाले बच्चों को 12 किलो गेहूं एक रुपए किलो में प्रतिमाह दिया जा रहा है. इससे छात्रावास में रहने वाले बच्चों को बहुत लाभ मिला है. मैं इसके लिए भी माननीय मंत्री महोदय को अपनी ओर से बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. साथ ही मेरे क्षेत्र में पानीगांव, खारपा, पीपलकोटा, खातेगांव, कांजीपुरा और कोलारी में गोडाऊन चाहते हैं. विभाग को गोडाऊन मिल जाय जिसके कारण खाद भी वहां रखा जा सके और एक मांग और करना चाहता हूं कि अभी बहुत जगह उचित मूल्य की दुकानें निजी भवनों या किराए के भवनों में संचालित हैं. गांवों में जहां पर आपकी उचित मूल्य की दुकान है, वहां एक शासकीय दुकान बन जाएगी तो निश्चित तौर पर उसमें एकरूपता आएगी और सामग्री के रख-रखाव में जो कई बार नुकसान होता है वह भी नहीं होगा. उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो मुझे बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ योगेन्द्र निर्मल ( वारासिवनी ) --माननीय उपाध्यक्ष महोदय माननीय मुख्यमंत्री जी और मंत्री जी के लिए तुलसीदास जी का एक दोहा मुझे ध्यान आता है. विश्व भरण पोषणकर जेही ताकर नाम भरत असोही. अनाज के बारे में तो यह कहा जाता है कि दाने दाने पर लिखा है खाने वाले का नाम. बहुत सुधार हुआ है हमारे मध्यप्रदेश में उसको बताने की आवश्यकता नहीं है, चूंकि सभी ने उस पर बहुत बात रखी है. अभी एक बात हमारे के के भाई ने कही की अंगूठा दे दिया, बहुत सही बात कही है लेकिन इतना ध्यान है कि मेरे क्षेत्र का कस्टम का चावल विदिशा में गया. चावल गुणवत्ता का नहीं था तुरंत गोदामों में रोक लिया गया और सारे व्यापारियो को वसूली का नोटिस भेज दिया गया क्योंकि वह छाना गया था और उस पर खर्चा किया था. यह पारदर्शिता हमारे मंत्री जी की, यह एक हमारे लिए गौरव का विषय है कि धीरे धीरे हम हर चीज पर ध्यान रख रहे हैं.अभी जो उपार्जन केन्द्र हमारे यहां पर धान के बने हैं कैब, मेरे यहां पर वारासिवनी में कैब है, 1 लाख 20 हजार मैट्रिक टन धान वहां पर आता है और प्रायवेट बहुत से गोदाम बन गये हैं, उन गोदामों की क्षमता का भी हमको उपयोग करना चाहिए, ताकि धान सड़े नहीं, गले नहीं, बारिश से खराब न हो और जो उनको लाने ले जाने वाले रोड हैं उनकी हालत इतनी खस्ता है, कि उस पर 14 - 18 - और 20 पहिये की गाड़ियां चल रही हैं. उधर से चलने वाली जितनी यात्री बसें हैं वह उनके कारण बंद हो गई हैं,इसे ठीक करना अति आवश्यक है और दूसरा मामला यह है कि चार चार वर्षों से हमारी कई पंचायतों ने आवेदन लगाया हुआ है, कई दुकानें गांव से 3 - 4 किलोमीटर दूर हैं, जब वहां पर अनुविभागीय अधिकारी के यहां पर आवेदन करते हैं तो वह कहते हैं कि सरकार ने रोक लगाकर रखी है, अब नई दुकान खोलने की अनुमति प्रदान नहीं करेंगे. मेरा यहां पर माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि इन नियमों में कुछ संशोधन करे ताकि उन गरीब लोगों का सारा दिन चला जाता है तो इस पर शीघ्र कार्यवाही करेंगे और इस कार्य को पूरा करेंगे, बाकी खाद्यान्न की व्यवस्था में बहुत सुधार हुआ है. मैं माननीय मंत्री जी को इसके लिए धन्यवाद देता हूं. जो खाद्यान्न पर्ची बनी है इस पर हमारे मंत्री जी ने और हमारे मुख्यमंत्री जी ने इतना कड़ा रूख रखा है कि हमारे यहां पर जनपदों से सीईओ ने अपने सचिवों को सबको स्पष्ट आदेश दिया कि एक सप्ताहमें खाद्यान्न पर्ची हर उन आदिवासी जनजाति के भाईयों में पहुंच जाय जिनका वहअधिकार है. इसके लिए मैं यहां पर मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. आपने मुझे बोलने का समय दिया धन्यवाद्.
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, मंत्री ( कुंवर विजय शाह ) --माननीय उपाध्यक्ष महोदय सभी सदन के माननीय सदस्यों ने माननीय कमलेश्वर जी, जसवंत जी, कुंवर सौरभ सिंह जी, वेल सिंह जी, सुश्री हिना कांवरे जी, के के श्रीवास्तव जी, सचिन यादव जी, वीर सिंह जी, आशीष शर्मा जी एवं योगेन्द्र जी यहां पर सभी सदस्यों ने अपने अमूल्य सुझाव उस विभाग के लिए, उस जनता के लिए जिन्होंने बहुत अपेक्षा करके हमें यहां भिजवाया है. कोई भूखा न रहे कोई भूखा न सोये और किसी के घर में कोई रात ऐसी न हो कि जब उसका बच्चा भूखा सोये, यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मुख्यमंत्री जी ने मुझे दी है, इसलिए उपाध्यक्ष महोदय मैं अपने आपको बहुत सौभाग्यशाली समझता हूं.
लकी नंबर 39 यह वह नंबरहै जो मध्यप्रदेश के 5 करोड़ से ऊपर के लोगों का पेट भरता है. 39 नंबर लकी नंबरहै जो शिवराज जी के राज्य में और हमारी सरकार में उन गरीबों के लिए नंबर है, इसलिए इस 39 नंबर को आप न भूलें क्योंकि यह लोगों के काम आता है, और सब मिलकर सहमति से हमारा बजट पास करेंगे क्योंकि यह गरीबों के लिए सरकार है और गरीबों के लिए काम कर रही है. क्या कर रहीहै कैसे कर रही है मैं आपके माध्यम से बताना चाहूंगा.
अभी सच कह रहे थे कुछ लोग कि यह ऐसा विभाग था यहां पर बहुत सारे भ्रष्टाचार के आरोप थे, यह विभागद माना ही ऐसा जाता था और जब माननीय शिवराज जी ने जवाबदारी मुझे दी तो मुझे लगा कि कैसे मैं कर पाऊंगा लेकिन वास्तव में अभी 2 साल से मैं अपने हाथों से अपनी पीठ थपथपा रहा हूँ और इसलिए थपथपा रहा हूँ क्योंकि बहुत परिवर्तन आए हैं. हमारे अधिकारियों की टीम यहां पर बैठी हुई है. हमारे पीएस बैठे हैं, कमिश्नर बैठे हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा -- इस बार तो सदन के सब लोगों ने आपकी तारीफ की है, सबने पीठ थपथपाई है, एक बार और मेजें थपथपा के बता देते हैं. विजय शाह जी, आप रिकार्ड कायम कर रहे हैं और ये विभाग इन्हीं के पास रहने दिया जाए.
कुंवर विजय शाह -- ये मेरे दोस्त हैं कि दुश्मन, इनसे पहले ये पूछ लें. (हंसी) आज यह तय हो जाएगा कि ये मेरे दोस्त हैं या दुश्मन.
श्री कमलेश्वर पटेल -- गरीबों की सेवा करने का अवसर मिला है, आप अपने आपको सौभाग्यशाली समझिए, पर भ्रष्टाचार पर कंट्रोल करिए और छोटे उद्यमियों का भी ध्यान रखिए.
श्री रूस्तम सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह इतना अच्छा काम कर रहे हैं तो हर कोई विधायक चाहेगा कि यह विभाग इन्हीं के पास रहे.
उपाध्यक्ष महोदय -- इसे मुख्यमंत्री जी पर छोड़ दीजिए.
श्री गिरीश गौतम -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 39 नंबर हमारा भी है, यह हमारा आसन क्रमांक है.
उपाध्यक्ष महोदय -- संभावनाएं अच्छी दिख रही हैं आपके लिए.
कुंवर विजय शाह -- उपाध्यक्ष महोदय, अभी हमारे साथियों ने बहुत सारे मुद्दे यहां रखे थे. मैं कोशिश करूंगा उनके जवाब देने का, मैं प्रयास करूंगा कि आपके जो अमूल्य सुझाव हैं उनको शासन के नियम-कानून में कैसे ढाल करके आपके सुझावों के आधार पर हम नियमों में परिवर्तन करके जनता को लाभ पहुँचाएं, इस पर भी मैं आऊंगा. लेकिन अभी बात आई थी कि एपीएल वालों को नहीं मिल रहा है. माननीय उपाध्यक्ष जी, आपको आश्चर्य होगा कि 2 करोड़ से ज्यादा लोग जिनको पहले एक रुपये किलो नहीं मिलता था, 2 करोड़ एक बहुत बड़ी संख्या होती है, उनको हमने इस 14-24 श्रेणियों में बांट दिया है. एपीएल, बीपीएल का सवाल ही नहीं उठता और हमारे मुख्यमंत्री तो इतने दरियादिल हैं कि काहे के एपीएल और काहे के बीपीएल, यहां मध्यप्रदेश के अनुसूचित जाति के लोग हैं जनजाति के लोग हैं जिनकी आर्थिक क्षमताएं कम हैं, मुख्यमंत्री जी ने हमें कहा कि कोई भूखा नहीं रहना चाहिए, किसी के घर में कोई बच्चा भूखा नहीं सोना चाहिए. कोई एपीएल, बीपीएल नहीं मध्यप्रदेश के जितने एसटी, एससी हैं सबको एक रुपये किलो दो. इतना बड़ा दिल अगर किसी में है तो वह शिवराज सिंह चौहान में है हमारी सरकार में है, वह हमने करके दिखाया. जिसका नतीजा यह है कि दो करोड़ और जुड़े, ये संख्या मैं आपको इसीलिए बताना चाहता था.
माननीय उपाध्यक्ष्ा जी, उसी तरह महिलाओं की बात आई, माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए इस प्रदेश में किया है उसे हिंदुस्तान देख रहा है. प्रधानमंत्री जी तारीफ कर रहे हैं. दूसरे देश के लोग और जनप्रतिनिधि आकर हमारे मुख्यमंत्री जी की तारीफ कर रहे हैं. सरकार के मुखिया की नियत अगर अच्छी हो कि हम कैसे महिलाओं को सशक्त बनाएं तो हमारे विभाग ने और हमने मिलकर, अब जो नई दुकानें हम पंचायतों में खोलेंगे वहां 33 प्रतिशत आरक्षण हम हमारी बहनों को देंगे ताकि हमारी बहनें अपने पैरों पर खड़े हो सकें और हमारी सरकार के मुखिया के निर्देश का पालन हो सके. तो इसका भी हम लोग पालन करने वाले हैं. साथ ही साथ बहुत सारे हमारे माननीय सदस्यों ने कहा था कि बहुत दूर जाना पड़ता है, अभी हमारे कमलेश्वर जी कह रहे थे कि 10-10 किलोमीटर जाना पड़ता है, 15-15 किलोमीटर जाना पड़ता है, भई, पहले सरकार किसकी थी, आपने चिंता क्यों नहीं की. हमने चिंता की, हमारे मुखिया ने चिंता की और अब एक अप्रैल के बाद एक भी पंचायत ऐसी नहीं होगी जहां राशन की दुकान नहीं होगी, यह मैं आज घोषणा करता हूँ.
श्री कमलेश्वर पटेल -- हमने दूरी की बात की थी. हमारे यहां सभी पंचायतों में हैं. दूरी की थोड़ी व्यवस्था बनाइये आप.
कुंवर विजय शाह -- धीरे-धीरे चलेंगे तभी तो पहुँच पाएंगे. आप चलते तो अब तक पहुँच गए होते, हमने शुरुआत तो की, एक कदम तो आगे बढ़ाया, पंचायतों में तो जा रहे हैं. अगर इसके बाद भी तकलीफ होगी तो आप आना मेरे साथ, हम और खुलवा देंगे.
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय मंत्री जी, हमारे छतरपुर जिले में गंगवाहा और बरदवाहा में दो-दो महीने से राशन का वितरण नहीं हुआ है.
कुंवर विजय शाह -- जरा इंतजार कीजिए, मैं उसका भी बताऊंगा आपको. माननीय उपाध्यक्ष जी, इतनी अच्छी व्यवस्था है, अभी यहां पर गेहूँ कलेक्शन की बात आई थी कि हिंदुस्तान में किसानों का गेहूँ कैसे लिया जाता है, क्या अच्छी व्यवस्था हो सकती है, पैसा टाइम पर किसानों के खातों में जाए . मैं पंजाब भी गया था, मैं हरियाणा भी गया था, यह बुकलेट आप सब के पास है, यह हमारा प्रतिेवेदन है. हरियाणा के मंत्री आ रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के मंत्री आ रहे हैं, झारखण्ड और राजस्थान के आ रहे हैं. कितना अच्छा काम कर रहे हैं, आप लोग कैसे कर रहे हैं, कोई बीच में दलाल नहीं, सीधे खाते में पैसा जाता है. जिस दिन गेहूं आप बेचिये, सात दिन के अन्दर पैसा आपका ट्रांजेक्शन हो जाता है, कोई बीच में दलाली नहीं और तो और मैं सदन के माध्यम से हमारे अधिकारियों को भी धन्यवाद देना चाहता हूँ. देश के हमारे जो वित्त मंत्री हैं, उन्होंने लोकसभा में घोषणा की कि जो मध्यप्रदेश में राशन की व्यवस्था है उससे अच्छी व्यवस्था कुछ नहीं हो सकती. उसके अपनाया जाए. यह वह लेटर है, मैं सदन को दिखाना चाहता हूँ( मेजों की थपथपाहट) इस देश के वित्त मंत्री ने हमारी तारीफ की, हमारी सरकार की तारीफ की, हमारे विभाग के अधिकारियों को बुलाया, भाई आ जाओ, हमको सिखाओ, कैसे कर रहे हो. अब हम भेजेंगे, यह हमारे लिए शान की बात है. हमारे विधानसभा के लिए, हमारे मध्यप्रदेश के लिए कि हमारे अधिकारी जाकर के देश को और हमारे देश के सारे प्रदेशों को सिखायेंगे कि जनता के साथ कैसे राशन व्यवस्था ठीक करें, यह हमारे लिए शान की व्यवस्था है. केवल इतना ही नहीं इसी तरह जब यह बात होती थी. अभी हाड़ा जी ने कहा था कि जो लोग कैसे मन से हम लोग करते हैं, मन से काम करते हैं, केवल भाषण से काम नहीं करते, जब देखते हैं कि क्या तकलीफ है, अभी हाड़ा जी कह रहे थे कि विजय शाह जी ने 2000 शेड बनवा दिये. हाड़ा जी क्यों बना दिये? इसलिए बना दिये कि एक आदिवासी डिण्डोरी जिले के गांव में चिल्लचिलाती धूप में जब मैं गया तो एक हमारी बुजुर्ग महिला आयी और छाया की तलाश में, नंगे पैर थी, छाया नहीं थी, राशन की दुकान पर खड़ी थी, पैर में चप्पल नहीं थी और एक दीवाल से सट के खड़ी हुई थी, मैंने कहा कि अम्मा क्या हो गया. बोली भैय्या राशन की दुकान पर आयी हूँ, पैरों में छाले पड़े हैं, गर्मी बहुत है, छाया नहीं है, मैं कहां खड़ी रहूं, वो दीवाल से सट के खड़ी हुई थी. हमें रोना आ गया,अरे, काहे की सरकार और काहे के मंत्री, हम काहे के लिए राजनीति कर रहे हैं, जनता की सेवा के लिए राजनीति के माध्यम से उस गरीब के चेहरे पर खुशी आये इसके लिए सेवा कर रहे हैं. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि मुख्यमंत्री जी से कहा कि मैं आज देखकर आया हूँ कि एक आदिवासी महिला जो गरीब महिला, डिण्डोरी जिले की हमारी बेगा जाति की वह महिला, राशन की दुकान में छाया नहीं थी, पैर में उसके चप्पल नहीं, उसका दु:ख कौन देखेगा. हमने चिन्ता की. 2000 शेड बना रह हैं, पानी की व्यवस्था कर रहे हैं, टायलेट की व्यवस्था कर रहे हैं. अब आप लोग क्या जानो भैया. हमारी तो मंजिल वही है, गरीब का अच्छा करें और हम यह चाहते हैं कि हम जब से चले हैं मंजिल पर नजर है. जब से हम चले हैं, हमारी सरकार चली है और मंजिल क्या, गरीब की तरक्की, गरीब की उन्नति जो हमारे शिवराज जी का लक्ष्य है. " जब से चला हूँ मेरी मंजिल पर नजर है, मेरी आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा, और हमारे विभाग की तरक्की पर जलने वालों, तुमने किसी गरीब के पैरों के छालों को नहीं देखा" इसलिए बोलते हैं कि आप शेड बना रहे हो,उसमें इनको आपत्ति है.
माननीय उपाध्यक्ष जी, आज केवल इतना ही नहीं कहना चाहता हूँ, आज जो बात कही थी प्वाइंट आफ सेल की. पहले क्या होता था इस देश की आजादी को इतने वर्ष हो गये, गरीब अपने सारे खून पसीने की कमाई लेकर के दुकान पर जाता था सचिन जी, कितना दे रहे हो, क्या भाव दे रहे हो, कितने पैसे हो गये, कब दिया, किस तारीख को दिया, मैं आज सीना ठोक के कहता हूँ आपके सामने सदन में, इस देश की आजादी के बाद अगर पहली सरकार आयी है और जिसने कहा कि वह गरीब अगर राशन की दुकान पर जाएगा, कितने बजे, कितनी तारीख को, क्या भाव, क्या राशन लिया यह पर्ची दे के, यह बिल देने का काम अगर किसी ने किया है तो भारतीय जनता पार्टी की यह भाजपा की हमारी सरकार है. यह पर्ची, आपने क्यों नहीं दी, किसने मना किया था आपको, आपके समय में तो लाल गेहूँ आता था, कोई खाता ही नहीं था. माननीय उपाध्यक्ष जी, आपको भी याद होगा, आप भी हमारे साथ 90 से विधायक हैं, मुझे भी 8-10 विभाग हो गये, 20-25 साल यहां हो गये, वह लाल गेहूं आदमी तो खाता नहीं था.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सारा जो है,जितना भी दिख रहा है, सारा आप लोगों ने कर दिया. आज अगर आप ख़ड़े हैं तो यह कांग्रेस की देन है. (व्यवधान)
कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार के अधिकारियों की नीतियों से आज उत्पादन बढ़ा है.
श्री लाल सिंह आर्य—माननीय अध्यक्ष महोदय,मध्यप्रदेश के गरीबों की सहायता पर माननीय मंत्री जी का बहुत सारगर्भित उदबोधन हो रहा है लेकिन सामने की बेंच पर देख लीजिये नेता प्रतिपक्ष नहीं हैं, मुख्य सचेतक नहीं है, सचेतक नहीं है,यह गंभीरता देखिये विपक्ष के लोगों को आज सदन में रहना चाहिए था और चिंता करनी चाहिए थी कि खाद्य विभाग के माध्यम से गरीबों की चिंता सरकार कर रही है.
कुंवर विक्रम सिंह --- हम बैठे तो हैं, अब दिखाई नहीं देता है तो नजर का चश्मा लगाओ.
श्री कमलेश्वर पटेल-- इतने लोग हम बैठे हैं हम लोग पर्याप्त हैं.
श्री लाल सिंह आर्य—विपक्ष के केवल साढ़े चार लोग बैठे हैं. चार बैठे हैं और कमलेश्वर पटेल आधा. (हंसी)
श्री कमलेश्वर पटेल-- चार ही काफी हैं.
श्री के. के. श्रीवास्तव--- यह कह रहे हैं कि कंधा लगाने के लिए चार ही काफी हैं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रतिपक्ष के नेता जी कह कर गये हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल—आपकी सरकार पर हम लोग कंधा लगाएंगे 2018 में.
श्री विष्णु खत्री-- यह कमलेश्वर जी जिस जिले से आते है वह सबसे पिछड़ा है, इतने लंबे समय से इन्होंने वहाँ का प्रतिनिधित्व किया है तब भी इनका क्षेत्र बहुत पिछड़ा है. इनका सीधी में लंबे समय तक शासन रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया शांति रखे.
श्री वेलसिंह भूरिया-- अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के लोग गरीबों का सारा गेहूं खा गये.
कुंवर विजय शाह--- अध्यक्ष महोदय, मैं किसी सरकार की बुराई करने के लिए यहाँ पर नहीं खड़ा हूं. हम तो अपनी लाइन खुद ही आगे बढ़ा रहे हैं, किसी की लाइन मिटा नहीं रहे हैं. लेकिन इतना जरूर बता रहे हैं कि जब आपकी सरकार थी, माननीय मनमोहन सिंह जी थे, माननीय सोनिया जी की सरकार थी , तब लाल गेहूं आता था आदमी खाता नहीं था. क्या करें जानवर को खिलायें, एक बार मेरे यहाँ एक घोड़ी थी मैंने वह लाल गेहूं उसको खिला दिया , दो दिन तक उसको दस्त हो गये , दस्त नहीं रुके. अब आप सोचिये कभी मनमोहन सिंह जी खाते तो क्या होता. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज हमारी सरकार अच्छा धौला गेहूं खिला रही है. ऐसी कोई हरकत हम लोग नहीं करते हैं. आपके लोगों को चिंता ही नहीं थी कि आदमी खाये, जानवर खाये क्योंकि सब ब्रेड,पिज्जा खाने वाले लोग हैं, गरीब के गेहूं से उनको क्या लेना देना है. अध्यक्ष महोदय, अभी बात आई थी कि राशन नहीं पहुंचता. अरे,भैया पहले के जमाने में , 25-30 साल से तो मैं विधायक हूं, कब जाता था, यहाँ से देते थे, जिले में जाता था, जिले से कोआपरेटिव विभाग को जाता था, कोआपरेटिव से लीड में जाता था, लीड से दुकान में जाता था , समझ ही नहीं पड़ता था कहाँ जाता था.आज सबके पास मोबाइल है उसमें www.foodmp.in दबाओ एक एक मध्यप्रदेश की दुकान में कितना माल कब गया, इसकी जानकारी हमारे हाथों में हैं. इससे ज्यादा पारदर्शिता और क्या चाहिए, इस सरकार की इससे ज्यादा विश्वसनीयता और क्या चाहिए. यह शिवराज जी की विश्वसनीयता है कि किस दुकान में, कितने बजे, कितना माल है. पहले माल जाने के बाद दिखता नहीं था , अगले महीने फिर आवंटन. अब तो अगनानी साहब , गला पकड़ लेते हैं कि भैया पिछले महीने का हिसाब दो पहले. पी.एस. रोक देता है यहां से माल ही नहीं भेजता है. अभी इतनी पारदर्शिता गरीब के राशन में कर रहे हैं कि मैं नाम नहीं लेना चाहता हूं कुछ हमारे विधायक और मंत्री साथी भी आ गये थे और बोले पहले साहब, बहुत अच्छा था, भंडारे वगैरह चलते थे , फोन करते थे. एक-दो बोरा अनाज पहुंच जाता था. अब जबसे विजय शाह मंत्री बना है कोई दो किलो भी नहीं दे रहा है .हमने कहा कि यह अच्छी बात है या गलत बात है आप बता दो. एक किलो राशन कोई आदमी गड़बड़ नहीं कर सकता है, गरीब का एक भी दाना किसी के हलक में उतरने नहीं देगी यह सरकार. अंगूठे के साथ अपना राशन खुद ले जाये. फूड में जो हमने कम्प्यूटराईजेशन किया है ,हिंदुस्तान के लोग जब मीटिंग होती है, जब हमारे अधिकारियों की मीटिंग होती है, भारत सरकार जब बुलाती है आपको खुश होना चाहिए कि आपके भाई की पीठ दिल्ली की सरकार थपथपाती है. हमारे अधिकारियों की पीठ दिल्ली की सरकार थपथपाती है. वित्त मंत्री बुला रहे. प्रधानमंत्री बुला रहे. आखिर कुछ तो अच्छा किया होगा.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय मंत्री जी, वो गरीब जनता जिस दिन आपकी पीठ थपथपाए उस दिन सबको अच्छा लगेगा.
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, राशन की दुकानों पर कंप्यूटरायजेशन हो रहा है. नये साल से जो हमारे सेल्समेन हैं उनका भी अँगूठा लगेगा और लोगों को शंका थी कि आप 30 परसेंट हमारी बहनों को दे रहे हैं. जैसा पंचायतों में होता था कि हमारे भैय्या आएँगे बहन का अँगूठा लगाकर और घर छोड़ आएँगे और दुकान चलेगी दिन भर. हम बता दें आपको अभी कि यह दुकान चलने वाली नहीं है. अगर सेल्समेन भागा, मशीन बंद, ऑटोमेटिक बंद. हर आधे घंटे में उसको मशीन पर अँगूठा लगाना पड़ेगा. सेल्समेन घर नहीं जा पाएगा. दुकानें खुलती नहीं थीं. अब रोज दुकानें खुलेंगी. हर पंचायत में खुलेगी यह अभिवार्ता में आदेश जारी कर रहे हैं. गरीब को भटकना नहीं पड़ेगा. माननीय अध्यक्ष जी, राशन की जहाँ तक बात थी एक महीने के बाद जब गरीब दूसरे महीने जाता था तो राशन का जो सेल्समेन होता था बोलता था भैय्या जा, आगे जा, महीना खतम हो गया है, नहीं मिलेगा. माननीय अध्यक्ष जी, मैं आप से जानना चाहता हूँ यह सरकार किस लिए है? जनहितैषी सरकार है शिवराज जी की. अगर कोई महीने में न जा पाए, सौरभ जी, आपका पैसा बैंक में हो और आप 30 तारीख को न निकाल पाएँ और 1 तारीख को जाएँ और बैंक मैनेजर बोले आगे जाओ, 30 तारीख हो गई, कैसा लगेगा? यह जनता के सरकारी खजाने के पैसे का अनाज है. यह शिवराज जी के खजाने में जमा है इसलिए आदेश जारी कर दिए. कोई चिन्ता नहीं, आप बीमार पड़ गए थे. आप किसी कारण से नहीं आ पाए थे, कहीं बाहर मजदूरी करने चले गए थे, मेरे किसान भाइयों, गरीब भाइयों, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों, चिन्ता की जरुरत नहीं है. अगले महीने आओ, 2 महीने का एक साथ ले जाओ. आदेश कर दिए. (मेजों की थपथपाहट) और अगर आप 1 रुपये किलो में दे रहे, वह हमारी हिना बहन चली गई, बालाघाट से आती हैं, अब वे किस जाति की हैं मुझे नहीं मालूम जाति-वाति. हिना बहन कहती है कि क्यों दे रहे हों 1 रुपये किलो? अभी बोला, रिकार्ड देख लेना. क्यों दे रहे हों 1 रुपये किलो? क्या तकलीफ है? आप तो 2 रुपये दो, 3 रुपये दो. हिना बहन, आपको तकलीफ है, मैं चलूँगा बालाघाट आपके साथ और सामने मीटिंग करूँगा, यह हमारी हिना बहन है, विधान सभा में आपने भेजा था कि गरीब को 1 रुपये नहीं और सस्ता दो. लेकिन यह हिना बहन कह रही है कि 1 रुपये मत दो. 2 रुपये दो, 3 रुपये दो.
श्री वेलसिंह भूरिया-- काँग्रेस की विधायक हैं इसलिए वे विरोध कर रही हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने यह बोला था कि 2 रुपये, 3 रुपये किलो की जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा बिल निर्धारित हुआ था उसमें शासन ने 1-1 रुपये अपना अंश मिलाया.
कुँवर विजय शाह-- माननीय कमलेश्वर जी, हमारी भी बहन है. हम उनकी बड़ी इज्जत करते हैं. लेकिन जनता का जनप्रतिनिधि जब इस विधान सभा के पवित्र सदन में आता है तो यह कसम खाता है माननीय अध्यक्ष जी के यहाँ बैठकर कि जो बोलूँगा सच बोलूँगा गरीब के लिए काम करूँगा. वह सदस्य अगर यह बोले 2 रुपये लो, 3 रुपये लो, तो मैं तैयार हूँ. उनके विधान सभा क्षेत्र में जैसा वे चाहती हैं मैं मुख्यमंत्री जी से अनुमति ले लूँगा जैसा हिना बहन चाहती हैं वैसा ही होगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- नहीं मंत्री जी, वहाँ अपने लोग भी रहते हैं. ऐसा मत करना.
कुँवर विजय शाह-- ठीक है. अब मंत्री जी ने मना कर दिया नहीं होगा.
श्री रामेश्वर शर्मा-- आप तो गरीबों के साथ न्याय करने वाले हैं किसी व्यक्ति विशेष के कहने में थोड़े ही आप ऐसा करेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल-- सरकार तो चाह ही रही है सरकार तो वैसे भी कंगाल है. सरकार तो चाह ही रही है कि ऐसी व्यवस्था हो जाए.
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, हम लोग इनोवेटिव काम करते हैं. दुनिया में खाद्य सुरक्षा के लिए क्या अच्छा हो सकता है. कभी अकाल पड़ सकता है. कभी कुछ दुर्घटना हो सकती है. कभी बाढ़ आ सकती है, कभी कोई महामारी फैल सकती है. ऐसे में अगर अनाज उत्पादन नहीं हुआ तो 2-4 साल तक हम क्या खिलाएँगे? हमारे मुख्यमंत्री जी ने चिन्ता की, ये अधिकारी बैठे हैं, अमेरिका भेजा. जाओ देख कर आओ. 4-5 साल तक अनाज सुरक्षित कैसे रह सकता है. वह चीज लगाओ. ये घूम कर आए, देख कर आए और भारत सरकार के साथ टाय-अप किया और स्टील सायलो बनाए, एक बार भर दो....
श्री कमलेश्वर पटेल-- अडानी जी के लिए लगाया है. आप छोटे उद्यमियों को संरक्षण दीजिए.
कुँवर विजय शाह-- कमलेश्वर जी, आप बैठ जाइये. मैं आपकी बात का जवाब दूँगा. माननीय अध्यक्ष जी, आप कल्पना करिए हमारे मुख्यमंत्री कितने दूरदर्शी हैं कि भगवान न करे कि कभी ऐसा हो 4 साल तक भी अगर आवश्यकता पड़ी तो बिना दवाइयों के मिलावट के केवल हवा के माध्यम से गेहूँ के ऊपर से घुमाते हैं और 4 साल तक वह गेहूँ सुरक्षित रहेगा. ऐसी व्यवस्था हिन्दुस्तान में सबसे पहले किसी ने की है तो वह मध्यप्रदेश की सरकार ने की है. हमने करके दिखाया है भारत सरकार क्यों बुला रही है बोल रहे हैं वही मॉडल अपनाओ जो विजय शाह ने अपनाया है हमने कौन सा अपनाया है यह हमारी टीम है मैं अकेला नहीं हूं. रात और दिन सोचते हैं कि शिवराज जी क्या सोच रहे हैं उस सोच के साथ काम करते हैं. हमारे कामों के कारण केन्द्र के खाद्य मंत्री, कृषि मंत्री या वित्त मंत्री जब भी हम दिल्ली जाते हैं तो सबसे पहले बुलाते हैं और कहते हैं विजय शाह जी चाय पीकर जाना. यह हमारे लिए सम्मान की बात है क्योंकि हम काम करते हैं हम रात दिन काम कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, अभी सौरभ सिंह जी ने कहा था कि दुकानों में अधिक आवंटन होता है मैं उन्हें बताना चाहता हूँ कि यह पहले होता था. यह जो सफेद बाल वाले अधिकारी बैठे हैं (अधिकारी दीर्घा की तरफ इशारा करते हुए) यह गला दबा देंगे. अगनानी जी कहते हैं भोपाल में रहते हैं. कांग्रेस के जमाने में, मैं बार-बार कांग्रेस का नाम नहीं लेना चाहता हूँ क्योंकि अब तो वह रहेगी नहीं. पहले यह सब होता था अभी भी कुछ लोग हैं सहकारिता में मैं उनका नाम नहीं लेना चाहता हूं. राशन खा गये हमने भेजा और चार दिन में खत्म यह जानकारी हमें मिली हमारे पीएस वर्णमाल जी, अगनानीजी यह गए छह दुकान चेक कीं कोई हीला हवाला नहीं शाम को एफआईआर कर दी गई. आपकी सरकार में कभी सेम-डे एफआईआर हुई है. गरीब के हलक को जो चूना लगाकर गरीब का राशन चोरी करते हैं उनके खिलाफ एक दिन में एफआईआर हुई हो, आप मध्यप्रदेश का इतिहास उठाकर देख लो यह काम हमारे अधिकारियों ने किया है पूरी पारदर्शिता के साथ किया है. गरीब का अनाज खाने नहीं देंगे. शिवराज जी की घोषणा है काम करके दिखाया है. मेरे पास उसकी एफआईआर की कॉपी है शंका हो तो पटल पर रख देता हूँ मुझे लगता है आपको शंका नहीं है. ऐसा होता था अब नहीं होगा क्योंकि अब शिवराज जी और विजय शाह रहते हैं अब गेहूं चोरी नहीं होने देंगे, अब नहीं होने देंगे घासलेट चोरी. घासलेट में मिलावट की बात आई थी हमने पकड़ा था. मैं खुद भेष बदलकर गया था पेट्रोल पंप पर और पेट्रोल पकड़ा वह पंप साल भर तक बंद था अभी केस चल रहा है हाई कोर्ट के आदेश के कारण वह कुछ चालू हुआ है लेकिन बच्चन जी मैं आपसे वादा करता हूँ छोड़ेंगे नहीं जो भी गलत काम करेगा उसे छोड़ेंगे नहीं.
श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी किसको नहीं छोड़ेंगे. दो ट्रक केरोसिन दो हजार लीटर मेरे यहां दवाना और ठीकरी से अवैध रुप से चोरी से बिकने जा रहा था उसको पकड़ा एफआईआर हुई और वे वापिस सोसायटियों में मैनेजर बन गये हैं.
कुंवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, न्यायालयीन प्रक्रिया है व्यवस्था है. हम न्यायालय से ऊपर नहीं है हम पूरी पारदर्शिता के साथ कोशिश करते हैं जनता के साथ न्याय करने का प्रयास करते हैं. यह पूरा पवित्र सदन, अधिकारी, कर्मचारी यह सरकार कोई भी न्यायालय से ऊपर नहीं है उसकी आड़ लेकर कुछ लोग नाजायज फायदा उठाते हैं लेकिन बकरे की अम्मा कब तक खैर मनायेगी. छोडेंगे नहीं बेईमानों को नहीं छोड़ेंगे हलक से हाथ डालकर निकाल लेंगे यह मैं आपको विश्वास दिलाता हूं.
श्री बाला बच्चन--आपने जो नकली डीजल बनाते हुए पकड़ा वह तो छूटा हुआ है अभी आपने खुद ने जाकर पकड़ा उसका क्या हुआ उस पर थोड़ा एक मिनट बोल दीजिए.
कुंवर विजय शाह--यह प्रश्नोत्तरकाल नहीं है मैंने आपको बताया न्यायालयीन व्यवस्था है मेरी संवैधानिक मर्यादाएं हैं और कोर्ट में जो मामला चल रहा हो मैं आपको खोल-खोल के दिखाऊं यह मेरी फितरत नहीं है और न ही यह मेरा अधिकार है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सरकार बहुत संवेदनशील सरकार है सभी सदस्यों को धन्यवाद देना चाहिए कि हम लोग किस्मत वाले हैं कि शिवराज जी की सरकार में हैं. दाल की कीमतें बढ़ गईं थीं दाल के भाव आसमान छूने लगे थे बड़े-बड़े व्यापारियों ने माल भर लिया था और रेट बढ़ा दिए थे हमने बात की और रातोंरात छापा मारा. 5 बजे आदेश जारी हुआ और 6 बजे छापा. 30 साल से मैं भी हूं ऐसा कब हुआ ? छापे के बाद दाल 50 रुपये सस्ती हो गई यह कोई कर सकता है तो शिवराज सिंह जी की सरकार और मध्यप्रदेश का खाद्य विभाग कर सकता है. आज दालों पर नियंत्रण है, हमें भारत सरकार ने बुलाया. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको साथ शेयर करना चाहता हूँ दाल की कीमत जैसे ही कम हुई तो भारत सरकार के खाद्य मंत्री, कृषि मंत्री, वित्त मंत्री का मेरे पास फोन आया, बोले कि आप क्या करना चाहते हों और हमने सुझाव दिया, उस पर और नियम कानून बने और फिर मुंबई में छापा पड़ा, उसके बाद. हम कितने संवेधनशील हैं आप देख सकते हैं. अभी नाप तोल की बात कर रहे थे. मिठाई तुलती है, डब्बा अलग होता है. यहां पर हमारे नापतोल वाले अधिकारी सब बैठे हैं, वह कार्यवाही कर रहे हैं. हमने स्पष्ट कह रखा है कि आपके पास फोन है, कोई भी मिठाई वाला अगर डब्बे के साथ मिठाई तोलेगा और अलग डब्बा न तोले तो आप वाट्स अप में फोटो भिजवाओ 24 घण्टे में कार्यवाही करके अन्दर करवा दूंगा. यह अब नहीं चलने वाला है.यह सारी नौटंकी अब बंद हो गयी है. अब मिठाई बेचने वाले को अब डब्बा अलग तोलना पड़ेगा नहीं तो मिठाई मध्यप्रदेश में ऐसा कभी नहीं बिकने देगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह हमारे नापतोल के अधिकारी भिजवाये हैं. अध्यक्ष जी दो दो हजार लीटर के टेंकर चलते थे, पेट्रोल पंप नाम का, दो हजार भरा और चल रहा है. रस्ते चलते स्कूल चलते स्कूल में बच्चे पढ़ रहे हैं, वहीं पर बस में डीजल डाल रहे हैं, कोई दुर्घटना हो जाये, कोई मर जाये, हमने अवैध टेंकर, अवैध पम्प चलते हुए पकड़े हैं. इंदौर में भय है कि देखो विजय शाह तो नहीं है, पता करो विजय शाह तो नही है. हमने आठ प्रकरण बनाये हैं, पूरे प्रदेश में भय व्याप्त हो गया है कि अवैध टेंकर नहीं चल पायेंगे, कुछ लोग हमारे पास भी आयेबोले भईया बात करना है. हमने कहा कि बात नहीं होती है. इस सरकार में बात नहीं होती है. उन्होंने बोला की पहले होती थी. मैंने कहा कि अब पहले वाली सरकार नहीं है. यह शिवराज जी की सरकार है, यहां पर बात नहीं होती है. अब मैं उसमें ज्यादा नहीं जाना चाहता हूं. लेकिन आज पूरी ईमानदारी से नाप कर रहे हैं, हम अवैध पंप संचालन बंद कर रहे हैं और जो लोग ऐसा कर रहे हैं, पुलिस उन्हें पकड़ नहीं रही है, जिसके नाम पर टेंकर था , मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार इंदौर में एफ आई आर दर्ज करायी है. अभी वह प्रकरण चल रहा है. इसी तरह जो अनाज की बात थी,वह मैंने कहा. प्रकरण की बात थी, स्टील सायलो की बात थी और इसके साथ -साथ जो उभोक्ता संरक्षण की बात आयी, उपभोक्ता संरक्षण के लिये अगर आप मेम्बर नहीं लाओगे तो कैसे काम चलेगा. इंदौर, जबलपुर और भोपाल अतिरिक्त उपभोक्ता फोरम की बेंचे , हमने चिंता नहीं की कि सरकार का ज्यादा पैसा खर्च होगा, हमें चिंता इस बात की थी कि मध्यप्रदेश के गरीब लोग जो उपभोक्ता हैं वह अगर किसी कारण से परेशान हैं औरसमय पर उन्हें न्याय नहीं मिलता है तो हम एक एक बेंच और खोल रहे हैं. इसके हमने आदेश जारी कर दिया है. यह हमारी सरकार की नीयत है. अगर आप इस नीयत पर शक करते हो तो फिर मुझे आपकी बुद्धि पर कुछ नहीं कहना है. हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि हर जिले में उपभोक्ता फोरम के मेंबर बनायें, यह हमारी लगातार कोशिश जारी है. हम को जो काम दिया गया है, वह हम पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं. आज जो हमारे कमीशन की भी बात आयी थी, सेल्स मेनो की बात आयी थी. पहले सेल्स मेनो को कितना मिलता था, कितना हजार रूपया या पांच सौ रूपया. अध्यक्ष जी मुझे बताते हुए फक्र है कि हम 8400 रूपये हम एक एक दुकान को देंगे. एक तरफ हम जब टाईट कर रहे हैं, हम भ्रष्टाचार बंद कर रहे हैं वह सेल्स मेन भी गरीब आदमी है उसका भी पेट है. भूखे पेट अगर हम चाहेंगे कि वह रखवाली कर ले तो वह रखवाली नहीं कर सकता. इसलिये सरकार एक ओर जहां पर लिकेज रोक रही है. जहां पर भ्रष्टाचार रोक रहीं है, वहीं उस गरीब के पेट की भी चिंता करती है यह हमारी शिवराज जी की सरकार है. इसकी भी हम चिंता कर रहे हैं. इसलिये आज मध्यप्रदेश के हमारे विभाग के जो काम है, उसको और आगे बढ़कर की कैसे काम करें, कैसे जनता को लाभी पहुंचायें, इस बारे में रोज नया सोचते हैं. हमने देखा मैं खुद ट्रायवल हूं ट्रायवल ऐरिये में भी जाता हूं. बहुत जगह मैंने देखा कि वहां भण्डारण क्षमता नहीं है . भण्डारण क्षमता भी हो जाये और एक आदिवासी को रोजगार भी मिल जाये इसके लिये क्या करें नीति बनाई हर आदिवासी ब्लाक में हर आदिवासी भाई को हम गोडाउन बनाएंगे उसको लोन देंगे लोन में ब्याज की सब्सिडी देंगे और वह अपने पैरों पर खड़ा हो जाये सात साल की बैंक गारंटी गोडाउन खाली हो या भरा सरकार पैसा देगी कि वह आदिवासी भाई अपने पैरों पर खड़ा हो जाये. 38 विकासखण्डों में योजना बनाई इसलिये कि जहां एक ओर आदिवासियों को तत्काल अनाज मिल जाये और हमारा एक आदिवासी भाई अपने पैरों पर खड़ा हो जाये. रात और दिन यह सरकार चिंता करती है कि हम कैसे एक सुन्दर सपना जो हमारे मुख्यमंत्री जी ने देखा है कि कोई भूखा न रहे किसी के चेहरे पर ऐसा न हो कि वह खुश न हो. उसे राशन न मिले. उस सपने को साकार करने के लिये पूरी मंत्रिमण्डल की टीम शिवराज जी के साथ लगी हुई है. गरीबों के लिये कितनी योजना बनाई हैं. प्रधानमंत्री जी आये थे उन्होंने भी तारीफ की कहा कि बहुत अच्छा काम आपकी सरकार किसानों के लिये कर रही है. हमारे कृषि मंत्री जी बैठे हैं. चार-चार बार कृषि में अवार्ड लेकर आये. उत्पादन तो किया पुरस्कार भी लाये आधा हक उसमें मेरा भी है. वह अनाज मैंने गोडाउन में रखा था. आपने मुझे धन्यवाद नहीं दिया. इन्होंने पैदा किया रखा किसने रखने वाले को तो साथ में ले भी नहीं जाते. जब भी पुरस्कार लेने जायें तो खाद्य मंत्री को साथ में लेकर जाना चाहिये आप निर्देश जारी करिये अध्यक्ष जी. पहले लोग गोडाउन बनाते थे और जैसा कि सरकारों में होता आया है वेयर हाऊसों में लाईसेंस प्रक्रिया के लिये चक्कर लगाते थे. साहब नहीं मिलते थे. गरीब आदमी जो बैंक से लोन लेकर गोडाउन बनाया वह चक्कर लगा रहा है हमारा रजिस्ट्रेशन कब होगा. यह फालतू उठापटक जब होती है तो फिर लेनदेन की भी शंका होती है. बंद करो सब नाटकबाजी. आनलाईन रजिस्ट्रेशन, कोई जरूरत नहीं मेरे अधिकारी के पास चक्कर लगाने की. यह शिवराज जी की सरकार है बटन दबाओ रजिस्ट्रेशन हो जायेगा माल आटोमेटिक तुम्हारे गोडाउन में चला जायेगा. चिंता की और आदेश जारी कर दिये. हर साल बुलाते थे कि रजिस्ट्रेशन कराओ अब एक बार रजिस्ट्रेशन कराओ 4-5 साल चलाओ. लाईसेंस का सरलीकरण कर दिया इसलिये कि लोगों को सुविधा हो. यह जनता की सुविधा के लिये सरकार है यह केवल लालबत्ती में घूमने के लिये नहीं गरीबों की चिंता करने वाली सरकार है. इसी के साथ-साथ मैं जब कहता हूं कि हम देखते हैं और देखने के बाद सोचते विचार करते हैं पैसे की व्यवस्था करते हैं और हमारा मुखिया कभी हमें निराश नहीं करता. जब एक मण्डला जिले के आदिवासी गांव में जब मैं गया मैंने देखा कि वहां कुछ आदिवासी लोग घासलेट लेने आये थे उनके पास जो कुप्पी थी 5 लीटर की वह फूटी हुई थी. उनका अधिकार था 5 लीटर लेने का लेकिन उसमें दो-ढाई लीटर के बाद छेद था. उसमें सागवान के पत्ते का गुच्छा लगाया था. माननीय अध्यक्ष जी आप जानते हैं 5 लीटर की कुप्पी में ढाई लीटर घासलेट आ रहा. हमने कहा कि आदिवासी भाई आप बाकी घासलेट कैसे ले जाएंगे तो उन्होंने 750-750 की दो बोतले दिखाई कहा बाकी इसमें भर लेंगे मैंने कहा कि फिर भी आधा लीटर छूट जाएगा तो उन्होंने कहा कि दुकानदार के पास ही छोड़ जाएंगे. दो बोतल यहां टांगे तो कुप्पी में छेद मैंने कहा नयी क्यों नहीं लेते हम मंत्री हैं तो कहा तुम मंत्री हो तो दे दे, हमारे पास में पैसे नहीं हैं हम गरीब लोग हैं. बात हमारे दिल में चुभ गई आज मध्यप्रदेश में जितने भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोग हैं अब शिवराज सिंह चौहान जी के राज में कोई बोतल लेकर के नहीं चलेगा, पांच लीटर की कुप्पी जिसमें 181 लिखा होगा तकलीफ है तो 181 लगाओ पांच लीटर की कुपी में सरकार की सारी योजनाएं होंगी. क्या तकलीफ है और क्या नहीं हो रहा है, सब कुछ उस कुप्पी में मिलेगा. यह पांच लीटर की कुप्पी आपके माध्यम से सबसे पहले मैं इटारसी के आसपास में आपसे बंटवाऊंगा आप अनुमति दें अध्यक्ष जी.
श्री बाला बच्चन--कुप्पी पर आपने टेक्स लगाया है उसको क्या वापस लेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल--बनाने वाला ठेकेदार आपका आदमी होगा.
श्री शरद जैन--आपके मतलब की बात बच्चन जी आ गई है इसलिये आप कोई प्रश्न न करें जो काम पहले बोतल से होता था अब आपके लिये कुपी की व्यवस्था की गई है. (हंसी)
कुंवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष जी उस कुपी पर लिखा रहेगा केवल घासलेट के लिये जैसे सिगरेट के डिब्बे पर लिखा रहता है सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है.
श्री लालसिंह आर्य--आज विजय शाह जी ऐसे छक्के मार रहे हैं बाल बाऊंड्री के बाहर भी नहीं मिल रही है (हंसी)
कुंवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष जी इस पूरे पवित्र सदन को बताना चाहता हूं कि हम जो भी काम करते हैं बहुत ही शुद्धता के साथ करते हैं. अभी आपने बात की बिना मतलब के जबान तालू से लगा दी कि तुम्हारा आदमी होगा ठेकेदार कुप्पी बनाने वाला तुम्हारा होगा बच्चन जी मैं दावे के साथ कह सकता हूं. हमने यह काम लघु उद्योग निगम को दिया जब टेन्डर के लिये बात आयी उन्होंने जो टेन्डर किया बहुत ज्यादा है, जैसे चार पांच लोग एक गेंग बना लेते हैं तो हमने कहा कि महंगी कुप्पी नहीं लेंगे यह विजय शाह एवं शिवराज सिंह जी के घर का पैसा नहीं है, यह मध्यप्रदेश की गरीब जनता का पैसा है, फिर से टेन्डर करो और जब लघु उद्योग निगम ने असमर्थता जारी की तो हमने कहा कि आप छोड़िये हमारे पीएस साहब जी बैठे हैं कुछ नहीं, घबराने की भी जरूरत नहीं है, हमारा दिल एवं मन साफ है खुद टेन्डर करो इसमें कम होगा तो लेंगे नहीं तो नहीं लेंगे, लेकिन पूरी निष्पक्षता के साथ गरीबों को कुप्पी बांटेंगे ताकि इज्जत से कोई गरीब हमें देखने को न मिले कि दो बोतल लटकाए फट्टी कुप्पी में दिखे, हमारे राज में घासलेट लेने के लिये केवल उतना ही नहीं आने वाले समय में तो हम एक झोला भी देंगे गरीब आदमी राशन किसमें ले जायेगा, यह शिवराज सिंह जी की सरकार है राशन के लिये व्यवस्था कर रहे हैं अभी इसकी घोषणा नहीं कर रहे हैं, पर उस पर भी विचार चल रहा है जब गरीब राशन लेने आता है उसमें 25-30 किलो लेकर के अनाज ले जाता है कैसे ले जाएगा उसका अनाज बरसात में भीग जाएगा, क्यों नहीं उसके लिये भी व्यवस्था कर दें ताकि इज्जत से आये और बाजार से सामान ले जाए, हाट बाजार से और भी सामान ले जाए और उस पर भी सरकार की सारी चीजें लिखी हों कि कहां पर शिकायत करना है उसके साथ में कहां पर अन्याय हो रहा है उसके क्या अधिकार एवं कर्तव्य हैं वह बेटी को पढ़ाए बेटी बढ़ाओ एवं शोचालय बनाओ. यह सारी चीजें जो जनता के हित में जरूरी हैं हम चाहते हैं, सरकार के सब काम उसमें आने चाहिये. यह तो वह विभाग है जो शिवराज जी के दिमाग से निकलता है और हमारे दिल से निकलता है यह बात और उसमें हमारी टीम बैठती है तो दिमाग से उसको आवरण पहनाते हैं और गरीबों के लिये बांट देते हैं. मेरा सदन से अनुरोध है कि लकी नम्बर 39, यह वह नम्बर है, जो जीवन दे, जो किसी को मृत्यु के पास न जाने दे, किसी को भूखा न सोने दे, जो घर में खुशियां लाये. मेरा पूरा सदन से, उस लकी नम्बर के लिए निवेदन है कि आप 39 को अनुमति दें, आप हमें पैसे खर्च करने की अनुमति दें ताकि हम गरीबों का और कल्याण कर सकें. इस शिवराज सिंह की सरकार को दुनिया में दिखा सकें कि यह वास्तव में गरीबों की कल्याणकारी सरकार है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूँगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या - 39
पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं मांग पर मत लूँगा.
कुँवर विजय शाह - सहकारिता वाले मामले में, मैं आपको अलग से जवाब दूँगा. कुछ सुप्रीम कोर्ट की भी बातें थीं. मैं आपको बतलाऊँगा. इसमें तकलीफें थीं इसलिए परिवर्तन किया.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2017 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को अनुदान अनुदान संख्या- 39, खाद्य, नागरिक आपूर्ति तथा उपभोक्ता संरक्षण के लिए एक हजार दो सौ छियालीस करोड़, चौंतीस लाख, इकहत्तर हजार रूपये तक की राशि दी जाये.
मांग का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
कुँवर विजय शाह - क्या लकी नम्बर 39 पास हुआ ?
अध्यक्ष महोदय - हां, धन्यवाद. अनुदान की मांगों पर चर्चा
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अनुदान मांग स्कूल शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण विषय है. हमारे दल के सभी साथियों का यह आग्रह है कि इसको सोमवार को लेना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - क्या सदन की सहमति है कि शिक्षा विभाग की मांगों को अगले कार्यदिवस पर लिया जाये ? अब अशासकीय संकल्प लिये जायेंगे.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
6.23 बजे अशासकीय संकल्प
(1) मध्यप्रदेश की जन जाति का उत्सव 'भगोरिया उत्सव' को संशोधित
कर 'भंगर्या' किया जाना.
श्रीमती रंजना बघेल (मनावर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संकल्प प्रस्तुत करती हूँ कि 'यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि मध्यप्रदेश की जनजाति का उत्सव जो कि वर्तमान में 'भगोरिया' उत्सव के नाम से जाना जाता है, को संशाधित कर 'भंगर्या' के नाम से जाना जाये तथा शब्द 'प्रणय पर्व' को विलोपित कर संबंधित शासकीय अभिलेखों को संशोधित किया जाये.'
अध्यक्ष महोदय - संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्रीमती रंजना बघेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, देश का हर सातवां व्यक्ति अनुसूचित जनजाति का है और मध्यप्रदेश का हर पांचवां व्यक्ति अनुसूचित जनजाति का है. मध्यप्रदेश में बहुत-सी जनजातियां हैं- सहारिया, भारिया, भील, भिलाला, कोरकू, पटल्या और भी उपजातियां हैं लेकिन इन्दौर संभाग में भील, भिलाला, बारिया, पटल्या ये प्रमुख जातियां हैं. इन जातियों में होलिका दहन के 8 दिन पूर्व बोंग्रया उत्सव होता है और यह होली दहन के 8 दिन पूर्व, पूरे गांव के लोग बच्चे, बुजुर्ग, महिलायें सभी उस मेले में अपनी पारम्परिक वेश-भूषा के साथ उपस्थित होती हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मांदल की थाप गांव-गांव में. एक गांव में 5 मोहल्ले होते हैं, 10 मोहल्ले होते हैं, 18 मोहल्ले होते हैं और हर मोहल्ले के मांदल और मांदल की थाप से पूरा मोहल्ला परिवार सहित उस हाट-बाजार में आते हैं और थिरकते हुए, होलिका पूजन का सामान खरीदते हैं और वे घर चले जाते हैं. होलिका दहन के पश्चात् यही हाट 8 दिन तक उजाड़या हाट हो जाते हैं. 8 दिन तक सप्तमी तक, अनुसूचित जनजाति का सामान होलिका का पूजन और सामग्री को लेकर जाता है और होलिका दहन के ठीक पश्चात् उजाड़या हाट हो जाते हैं. उसके पूर्व ये सब त्यौहार हाट, जैसे थांदला में गुलालिया हाट कहते हैं और वहां पर जितनी भी आदिवासी बहिनें हैं, अभी वर्तमान में तो कम होता जा रहा है लेकिन पूरी की पूरी महिलायें एक भगोरिया से संबंधित लोक गीत गाती थी और अपने भाई को घेर लेती थी और भगोरिया के उत्सव को मनाने के लिये भाई से पैसे मांगती थीं. तो 15-15 किलोमीटर पर अलग अलग भाषाओं का उल्लेख है. जैसे कि हमारे कुक्षी वगैरह क्षेत्र में है कि मैं कावड़िया पेरीन भोंगर्यू में जाड़े बाज रही. मतलब चूड़ी पहनकर भगोरिया में जा रही हूं. दादा हम सब आंखा, भंगर्यू में जाणे बाजरिया. बारेले समाज में इस तरह की भाषा बोली जाती है. मनवार के क्षेत्र में है कि अभी भंगर्यू आई गयो, तो अपण को सबन को जाणु छे और झाबुआ जिले के पेटलावद और थांदला क्षेत्र में स और ह का अंतर है. सगणा मन कू भगोरिया में आवी गया. हगणा मन कू भगोरिया में आवी गया. ऐसे 15-15,20-20 किलोमीटर पर अलग अलग भाषा का उल्लेख है. मुझे बड़ी खुशी और प्रसन्नता होती है कि भगोरिया में मुख्यमंत्री जी को हम मनावर में ले गये. बड़वानी में ले गये. उन्होंने देखा भी कि यह तो मौज मस्ती के मेले हैं और यह बहुत बड़ा उत्सव है, जहां लड़कियां, महिलाएं, बुजुर्ग और अलीराजपुर के भी क्षेत्र में पुरुष लोग भी चांदी के गहने पहनकर आते हैं. हाथों में वहां के कड़े और ढाल पहनकर आते हैं और इस उत्सव को बहुत मौज और मस्ती से मनाया जाता है. पर मुझे खेद एवं दुख के साथ कहना पड़ता है कि हमारे अनुसूचित जनजाति समाज में न तो साहित्यकार थे, न कोई विद्वान थे. अशिक्षा के कारण जिसने जैसा चाहा अपने मानस पटल पर आदिवासी समाज की संस्कृति को जैसा चाहा वैसा लिखा. मुझे बहुत खुशी और प्रसन्नता होती है कि अनुसूचित जनजाति समाज की बेटियां, समाज की बहुएं, एक जोड़ी कपड़े में भी ओढ़नी पहन करके अपनी लज्जा और शर्म से अपनी संस्कृति को संजोये हुए हैं. आदिवासी समाज, जो अनुसूचित जनजाति का समाज संस्कृति प्रेमी है, समूह जीवन जीता है और प्रकृति का प्रेमी है. अगर एक गांव में एक व्यक्ति बीमार हो या किसी की मृत्यु हो जाती है, तो होली और दिवाली जैसे प्रमुख त्यौहारों की भी तारीखें बदल दी जाती हैं. ऐसे समूह जीवन अनुसूचित जनजाति समाज जीता है. मुझे बहुत दुखा होता है. मैं 1990 में पहली बार विधायक बनी थी, तो झाबुआ जिले के पत्रकारों की जब एक बैठक हुई थी. तो वहां मैंने कहा और मेरे पिताजी भी आज 75 साल के हैं. मेरे मामा और सब अलीराजपुर क्षेत्र में, मेरे पिता के मामा, मां के मामा हैं, तो जब उनके समय में हम अलीराजपुर में भगोरिया देखने गये तो उस भगोरिया में एक लड़की से छेड़खानी की गई, तो चार आदमियों के मर्डर हो गये थे. कहीं भी भगोरिया पर्व होता है. तो समाचार पत्रों में उल्लेख बार बार किया जाता है कि रुमाल देते हैं तो प्रेम हो जाता है, पान खिला देते हैं, तो प्यार हो जाता है और लेकर भागने वाला है. इस तरह से अलग अलग शब्दों से इस तरह की भाषा लिख करके आदिवासी समाज के साथ कुठाराघात हो रहा है. तो मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि यह प्रणय पर्व शब्द जो है, इसको विलोपित किया जाये, यह सदन भारत सरकार से निवेदन करे. दूसरा जो भगोरिया है, अब जैसे अलग अलग भाषा का भोंगरिया है, भगोरिया है, गुलालिया हाठ है, सब 15-20 किलोमीटर में अलग अलग भाषा का उल्लेख है. लेकिन कुल मिलाकर भगोरिया है और भगोरिया जो होली दहन के 8 दिन पूर्व खरीदी, बिक्री और पूजा सामग्री खरीदते हैं एवं मौज मस्ती के साथ घर चले जाते हैं. तो मैं चाहती हूं कि यह जो प्रणय पर्व है, विलोपित किया जाये. और दूसरा जो भगोरिया शब्द है, यह भागने वाले के साथ साथ शाब्दिक अर्थ जोड़ते हैं. इसमें जो अपभ्रम है, उसको भंगर्या किया जाये और जो भ्रामक जिस तरह से प्रचार किया गया है, उसमें सरकारी जितने भी अभिलेख हैं, उनमें संशोधन करके सामाजिक रुप से आदिवासी समाज की भावनाओं को देख करके यह संकल्प पारित किया जाये.
श्री वेलसिंह भूरिया(सरदारपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, "भगोरिया" शब्द यह हमारे प्रेरणास्रोत सम्माननीय, परम सम्माननीय और हम उनको पूज्यनीय भी कहते है, हमारे प्रेरणास्रोत आदरणीय पृथ्वीराज चौहान काल खंड से यह "भगोरिया" शब्द जुड़ा हुआ है. "भगोरिया" का मतलब है भील , यह ब्रेल लिपि से आया हुआ शब्द है. "भगोरिया" इसका मतलब यह होता है कि आदिकाल से माननीय पृथ्वीराज काल चौहान से "भगोरिया" आदिवासी भाईयों की संस्कृति से जु़ड़ा हुआ भारतीय विरासत से जुड़ा हुआ और हिन्दुस्तान की संस्कृति से जुड़ा हुआ एक शब्द है "भगोरिया" . आदिकाल से आदिवासी लोग जब होली माता जलाते हैं उसके 8 दिन पहले से शुरूवात होती है. बहन रंजना जी इस संकल्प को लेकर के आई है उसका स्वागत है लेकिन "भगोरिया" जो है हजारों आदिवासी भील समाज से जुड़ा हुआ एक शब्द है "भगोरिया". झाबुआ में भगोरिया कहा जाता है, धार में भगोंरिया बोला जाता है, छत्तीसगढ शहडोल, बालाघाट और मंडला में मढई कहा जाता है. महाकोशल प्रांत में मढई कहते हैं . पश्चिम क्षेत्र मालवा क्षेत्र गुजरात और झाबुआ में इसको भगोरिया कहा जाता है . निमाड़ में इसको भोंगरिया कहा जाता है. भोंगरिया एक भिलाली भाषा का शब्द है, भगोरिया-भील भाषा का शब्द है, भोंगरिया-भिलाली भाषा का शब्द है. मेरी बहन रंजना जी बता रहीं थी . मैंने भी इतिहास पढ़ा है और मेरा तो जन्म ही धार-झाबुआ में हुआ है. इस पृथ्वी पर जो पैदा हुई ओरिजनल जाति है उस जाति में से उत्पत्ति हुई भील जाति की जो ब्रेल लिपि से शब्द आया है. भील जाति. मैं ओरिजनल भील जाति का आदिवासी हूं. इसलिये मुझे बोलने के लिये खड़ा होना पड़ा यदि मैं बोलने के लिये खड़ा नहीं होता तो मेरे समाज के लाखों भीलों में यह संदेश चला जाता कि वेल सिंह तू क्या कर रहा था तो मुझे धार और झाबुआ में जवाब देना भारी पड़ जाता. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात अच्छी है कि मेरी बहन इसको लेकर के आई हैं लेकिन भगोरिया शब्द को नहीं हटाते हुये भगोरिया को यथावत रहने दिया जाये, निमाड़ में इसको भोंगरिया कहते हैं. शहडोल बालाघाट मंडल में इसको मढ़ई कहते हैं, झाबुआ में इसको "भगोरिया" कहते हैं तो मेरा यह निवेदन है कि जो "प्रणय पर्व" कहते हैं वह बहुत गलत है "प्रणय पर्व" नहीं है यह सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा हुआ हिन्दुस्तान की भारतीय संस्कृति से जुड़ा हुआ है यह आदिवासी भाईयों का त्योहार है इसलिये मेरा अनुरोध है कि "प्रणय पर्व" को हटाकर , क्योंकि यह "प्रणय पर्व" नहीं है, वेलेन्टाइन डे भी नहीं है हमारी संस्कृति के ऊपर ..
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है आपकी बात आ गई. कृपया बैठे.
श्री वेलसिंह भूरिया-- रंजना दीदी अभी बता रहीं थीं कि मांदल अर्थात ढोल का जिक्र नहीं किया है. सिर्फ मांदल का किया है . मांदल खाली निमाड़ में बजाई जाती है. ढोल धार और झाबुआ में बजाया जाता है, ढोल की नांद के ऊपर नृत्य करते हैं हमारी आदिवासी बहनें, रूमाल लेकर हमारी आदिवासी बहने, पान खाकर के नृत्य करती हैं , और उनकी सुंदरता रूमाल लेकर के संस्कृति करना यह हमारे भोले शंभु शिव शंकर जी की संताने हैं. मेरा इस शुभ अवसर पर यही कहना था. अंत में इतना कहकर के मैं अपनी बात को समाप्त करूंगा (XXX) कि यह भगोरिया है . भग कर जाने वाला पर्व नहीं है .
अध्यक्ष महोदय--अब समाप्त करें, सारी बातें आपकी आ गईं. प्लीज अब आप सहयोग करें.
श्री वेल सिंह भूरिया-- आपने बोलने के लिये समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.इसको पारित किया जाये.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)-- अध्यक्ष महोदय, शहरी लोग ऐसा करते हैं, यह उचित नहीं है इसको कार्यवाही से निकालने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय-- विलोपित.
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय बहन रंजना बघेल जी द्वारा जो अशासकीय संकल्प लेकर आई हैं, इसमें मैं अपनी बात रख रही हूं. मध्यप्रदेश के मालवा निमाड़ में, खरगोन, बड़वानी, धार, झाबुआ और अलीराजपुर पूरे प्रदेश में ज्यादातर पारंपरिक हाट बाजार होलिका दहन के एक सप्ताह पूर्व से मनाया जाने वाला एक उत्सव है और आदिवासी समाज की परंपरा, रीति-रिवाज और तीज त्यौहार में भगौरिया हाट का बड़ा महत्व है. होली पूजा की सामग्री लेकर पूरे परिवार के साथ मिलकर महिलायें, बच्चे पुरूष सभी अपनी पारंपरिक भेषभूषा में और ढोल मांदल और अपने पुराने जमाने में बैलगाडि़या लेकर, चूंकि आज आधुनिक जमाना है, बदल गया है, उनको भी सजाधजा कर बाजार में आते हैं और उत्सव के रूप में इसको मनाते हैं और इस जनजाति उत्सव को जो शब्द दिया गया है उसमें मुझे आपत्ति है, इसको प्रणव पर्व इतना अच्छा उत्सव होता है, हम सभी आदिवासी भाई बहिन इस उत्सव को मनाते हैं और दूसरे दिन अखबारों में जब बड़े-बड़े अक्षरों में आता है कि प्रणव पर्व आदिवासी समाज का बड़े उत्साह से मनाया गया. ये बहुत दिल को आहत करता है, हर आदिवासी के मन को इतना आहत करता है कि इसका मैं बयान नहीं कर सकती हूं, इस बात का मैं विरोध करती हूं और इस शब्द को विलोपित किया जाये. भगौरिया और भोंगरिया में जरूर दोनों जैसे धार, झाबुआ में एक ही बात को अलग-अलग शब्दों में कहा जाता है, पर उसका जो अर्थ लगाया गया है, प्रणव पर्व इस बात को विलोपित किया जाये और इसको विलोपित के साथ ही आगे यह प्रस्ताव भेजा जाये कि इस बात का कभी भी जिक्र न हो और प्रतिबंधित भी हो, ऐसा मैं आपसे निवेदन करती हूं और बहिन की जो बात है उसका मैं समर्थन करती हूं. धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्रीमती रंजना बघेल जी जो अशासकीय संकल्प लाईं हैं जिस पर चर्चा हो रही है, मैं समझता हूं कि मंशा अच्छी है और यह होली दहन के पहले एक बीक आता है और उस बीक में जितने हाट लगते हैं अनुसूचित जनजाति एरियें में, आदिवासी एरिये में वहां पर उत्सव के रूप में इस हाट को मनाया जाता है, लेकिन अभी यहीं पर देखिये श्रीमती बघेल जी जो अशासकीय संकल्प लाई हैं, इसमें दो चीजें उन्होंने रखी हैं कि कहीं भगौरिया कहा जाता है उसको भोंगरिया किया जाये एक तो यह संशोधन किया जाये, यह उन्होंने कहा है. वहीं वेलसिंह भूरिया जी ने बोल दिया नहीं, हमारे यहां भगौरिया ही कहा जाता है. उसके ज्यादा चक्कर में मैं नहीं पड़ता हूं, क्योंकि अलग-अलग एरिये में, छोटे-छोटे एरिये में चेंजेज आ जाते हैं, भगौरिया और भोंगरिया. काम की बात ये है कि शासकीय अभिलेखों में प्रणव पर्व का कहीं अगर उल्लेख किया गया है तो उसको विलोपित किया जाये, बस यही मेरा आपसे आग्रह है, धन्यवाद.
श्री ज्ञान सिंह (आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री)-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, अशासकीय संकल्प के माध्यम से हमारी जनजाति जो व्यवस्थायें रहीं, जो सनातन से, आदिकाल से जो चलती रही हैं, उस बिंदू पर आज हमारी आदरणीय बहन जी ने आज अशासकीय संकल्प के माध्यम से अपने विचारों को यहां रखा है. हमारे माननीय सदस्य विशेषकर आप, सर्वविदित है आपको, शब्द का मायाजाल है,
शब्द संभाले बोलिये, शब्द के हाथ न पांव,
एक शब्द करे औषधि, एक शब्द करे घाव.
हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं आदरणीय बाला बच्चन जी को बताना चाहूंगा, हमारे प्रशासनिक मुखिया माननीय शिवराज सिंह चौहान जी उनकी तो यह एक सोच है, हमारे आदिवासी कुल देवताओं की पूजा पद्धति का जो स्थान है, स्थल है.
हमारे आदिवासियों के कुल देवताओं की पूजा-पद्धति के स्थान हैं, उनको सजारे,संवारने और विकास करने की है. यदि ये अक्षुण्ण नहीं रहेंगे तो आने वाली पीढ़ी कैसे जानेगी कि हमारे आदिवासी गौंड, भील,भिलाला,बरेला,कोल,वनवासी,सहारिया,बैगा कैसे थे. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्या बहनजी से आग्रह करुंगा कि यह बहुत नाजुक विषय है. इसमें जरा भी खामियां होंगी या त्रुटियां मिलेंगी चाहे अपने स्तर से या भारत सरकार के माध्यम से परिवर्तन करेंगे. मैं उनसे आग्रह करुंगा कि इस बहस को न छेड़ते हुए अपने अशासकीय संकल्प को वापस लें. मैं उनको सदन के माध्यम से आश्वस्त करना चाहूंगा अपने प्रदेश के जनजाति समाज के लोगों को प्रशासन की ओर से, विभाग की ओर से किंचित मात्र कोताही नहीं बरती जायेगी. हमारे आदिवासी समाज के जीवन-यापन में,रहन-सहन में जरा भी दखंलदांजी इस तरह की निर्मित होती है, उसको कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे.
अध्यक्ष महोदय--क्या माननीय सदस्य संकल्प को वापस लेने के लिए सहमत हैं?
श्रीमती रंजना चौधरी--अध्यक्षजी, यह पौराणिक, आध्यात्मिक मेले हैं. इन मेलों के समय होली का डंडा गाड़ने से होलिका जलने तक कोई शादी-ब्याह और मांगलिक कार्यक्रम नहीं होते हैं. यह मिथ्या दुष्प्रचार है. माननीय मंत्रीजी ने मुझे आश्वस्त किया है कि इस तरह से भ्रामक रुप से अनुसूचित जनजाति समाज को कुठाराघात पहुंचायेंगे तो हम बिलकुल सहन नहीं करेंगे. मैं अशासकीय संकल्प वापस लेती हूं.
अध्यक्ष महोदय--क्या सदन संकल्प वापस लेने की अनुमति देता है?
अनुमति प्रदान की गई.
संकल्प वापस हुआ.
अध्यक्षीय घोषणा
कार्यसूची के पद क्रमांक 8 के उपपद 2 में उल्लेखित अशासकीय संकल्प को आगामी शुक्रवार को लिये जाने विषयक
आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 8 के उपपद 2 में उल्लेखित अशासकीय संकल्प के प्रस्तावक सदस्य श्री विश्वास सारंग ने उक्त संकल्प आगामी शुक्रवार को लेने का अनुरोध किया है. अतः यह संकल्प आगामी शुक्रवार को लिया जायेगा.
2. प्रदेश के सभी निजी कॉलेजों की समुचित व्यवस्था के लिए प्रत्येक कॉलेज में जनभागीदारी समिति का गठन किये जाने.
श्री रामेश्वर शर्मा(हुजूर)--अध्यक्ष महोदय, मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि--
सदन का यह मत है कि प्रदेश के सभी निजी कॉलेजों की समुचित व्यवस्था के लिए प्रत्येक कॉलेज में जनभागीदारी समिति का गठन किया जाये जिसमें विधायक या विधायक प्रतिनिधि सदस्य रहें एवं उसकी निश्चित समय पर बैठक भी हो.
अध्यक्ष महोदय--संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री रामेश्वर शर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मेरा ऐसा मानना है तथा और भी सदस्यों का ऐसा मानना होगा कि अनेक शिक्षण संस्थान में, शिक्षा के प्रचार-प्रसार में लगातार सरकार के सहयोगात्मक रवैये से निजी कॉलेज खुल रहे हैं और कॉलेजों का विस्तार भी हो रहा है. हम सरकारी कॉलेजों में जाते हैं, उनकी अपनी जनभागीदारी समिति होती है और वहां पर आने वाली कोई भी परेशानी चाहे वह कॉलेज की या छात्रों की या स्टाफ के बीच की होती है या कॉलेज या प्रबंधन के बीच में होती है तो उन समस्याओं को परस्पर बैठ कर उसका समाधान करते हैं. निजी कॉलेजों को भी जन प्रतिनिधियों की आवश्यकता होती है कि उनकी क्या समस्याएं हैं. लेकिन कभी कभी निजी कॉलेजों में हमने अव्यवस्था देखी है वह इस प्रकार की होती है कि वहां पर निजी कॉलेज खुल गये हैं, होस्टल खोल दिये हैं. वहां पर कोई संचालक नहीं रहता और संचालक के नहीं रहने के कारण कभी कभी अव्यवस्था का सामना करना पड़ता है. हमारी मंशा उन पर अंकुश लगाने की नहीं है. लेकिन उस क्षेत्र में जो निजी कॉलेज हैं उनका समुचित रखरखाव हो. वहां जो छात्र पढ़ रहे हैं, उनका शुल्क निश्चित हो. लेकिन कितना शुल्क लिया जा रहा है. होस्टल में रह रहे हैं तो कितने छात्र रह रहे हैं. कहां के छात्र रह रहे हैं, उस होस्टल का वार्डन कौन है. उनकी देख रेख कौन करता है. उनके पानी,बिजली,सड़क की व्यवस्था है या नहीं. अध्यक्ष महोदय, वहां जो ग्राम पंचायत है और उस क्षेत्र के नागरिक हैं उनका परस्पर संबंध कैसा है. कभी कभी यह देखने में आता है कि देर रात हुजूम का हुजूम निकलता है और पूरे गांव में अशांत माहौल पैदा कर देते हैं. जब देख रेख की बात करते हैं तो वहां पर स्टाफ के नाम पर कोई नहीं मिलता. जब कोई बात होती है तो प्रशासनिक दबाव या एक दूसरे की लड़ाई का माध्यम बन जाता है.
कल हम यह परस्पर सहयोग की दृष्टि से जिस तरह से जन भागीदारी शासकीय कॉलेजों में संचालित है, उसी तरह से सभी निजी कॉलेजों में चाहे वह अनुदान प्राप्त हो या न हो, चाहे वह आर्ट्स, कॉमर्स का कॉलेज हो, चाहे एमबीए, इंजीनियरिंग का कॉलेज हो, मेडिकल कॉलेज हों, इन सब में जनभागीदारी समिति का गठन हो. स्थानीय जनप्रतिनिधि की उसमें भागीदारी सुनिश्चित हो. विधायक या उसका प्रतिनिधि उसमें रखा जाय, जिससे उनकी भी जो समस्याएं हैं, वह हमारी जानकारी में आए और वहां रहने वाले नागरिकों की जो समस्याएं हैं, हम उनकी जानकारी में दे, जिससे पारस्परिक संवाद स्थापित हो, वहां पर एक समूचा अच्छा वायुमंडल का निर्माण हो. जिससे क्षेत्र के विकास में हम छात्रों का योगदान भी ले सकें और उनके सामने आने वाली समस्या का हम समाधान भी कर सकें. इसलिए अध्यक्ष महोदय, मेरा यह मत है, जो मैंने अशासकीय संकल्प के रूप में रखा है.
श्री गिरीश गौतम (देवतालाब) - अध्यक्ष महोदय, श्री रामेश्वर शर्मा जी के अशासकीय संकल्प का मैं दो कारण से समर्थन करता हूं. निजी महाविद्यालय का मतलब यह नहीं होता है कि वह सरकार की पकड़ से बाहर हो जाय. मैंने उस दिन प्रश्न लगाया था कि जो हम पैसा देते हैं उन पैसों का कितना ज्यादा दुरुपयोग हो सकता है, यह निजी महाविद्यालय करते हैं और तरह तरह की समस्याएं हैं. प्राइवेट वे कॉलेज हैं लेकिन वे सरकार की तरफ से सुविधाएं भी लेते हैं. बिजली लेते हैं, सड़क लेते हैं, जमीन लेते हैं. सब कुछ हमसे लेते हैं. केवल उनकी जो बॉडी है उस बॉडी में हमारा शासकीय प्रतिनिधि या जन प्रतिनिधि नहीं हो, ऐसे कैसे चलेगा? इसलिए मेरा आग्रह है कि जितने भी प्राइवेट कॉलेज हैं चाहे उन्हें अनुदान देते हों या न देते हों, कम से कम उनको वजीफा तो दे ही रहे हैं. जो हमारे ओबीसी, एससी, एसटी के छात्र हैं, चाहे प्राइवेट कॉलेज हों, किसी तरह से उनको वजीफा दे रहे हैं. जब हम उनको वह दे रहे हैं इसलिए हमारा निवेदन यह है कि इस संकल्प को पारित किया जाय और जो जनभागीदारी है, जनभागीदारी वहां भी बनाई जाय. उसमें विधायक या विधायक का प्रतिनिधि या इस तरह का कोई और विचार कर लें, सरकार की तरफ से होना चाहिए, यह मेरा कहना है.
श्री आशीष शर्मा ( खातेगांव) - अध्यक्ष महोदय, माननीय श्री रामेश्वर शर्मा जी द्वारा प्रस्तुत किये गये अशासकीय संकल्प का मैं समर्थन करता हूं. निजी महाविद्यालयों में भी बहुत तरह की मनमानियां होती है, जिनकी शिकायतें हमें भी एक जनप्रतिनिधि होने के नाते प्राप्त होती हैं. वहां के विद्यार्थियों को यदि छात्रवृत्ति मिलती है, अन्य शासन से जुड़ी सुविधाएं मिलती हैं, कई बार फीस को लेकर भी मैनेजमेंट और छात्रों में टकराव होता है. इसलिए वहां पर भी एक जनभागीदारी समिति होने का जो सुझाव आया है, वह निश्चित तौर पर विचारणीय है. मैं इस बात का पुरजोर समर्थन करता हूं कि निजी महाविद्यालयों में भी जनभागीदारी समिति होना चाहिए ताकि शासन और उससे जुड़े जनप्रतिनिधि वहां पर जाकर इस तरह की समस्याएं उत्पन्न होने पर अपनी बात रख सकें और कार्यवाही करा सकें.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) - अध्यक्ष महोदय, निश्चित ही माननीय श्री रामेश्वर शर्मा जी ने जो यह संकल्प लाया है, वह स्वागत योग्य है. परन्तु इसमें एक चिंता भी है कि जो अपने स्वयं की वित्तीय व्यवस्था से और जो प्राइवेट संस्थान बहुत अच्छा चल रहे हैं. कहीं ऐसा न हो कि वहां पर राजनीति का अखाड़ा हो जाय. जिस तरह के शासकीय महाविद्यालयों में जिस तरह की स्थिति है. वह आप देखेंगे कि छात्र संख्या शासकीय महाविद्यालयों की बजाय प्राइवेट महाविद्यालयों में क्यों ज्यादा है? जिस तरह आज वर्तमान में जो स्थिति है तो राजनीति का वह अखाड़ा नहीं बने, इस बात की आपको व्यवस्था देनी पड़ेगी. माननीय मंत्री जी से यह हम निवेदन करेंगे. दूसरा, हम इसका स्वागत कर रहे हैं लेकिन जो संशय है उस पर भी ध्यान देना पड़ेगा. हम आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करेंगे कि जो प्राइवेट संस्थाएं शासन से ग्रांट लेती हैं, हालांकि पहले से ही शासन ने बहुत सारे नियम कायदे आयोग प्राइवेट संस्थाओं के लिए बना रखे हैं और बराबर उस पर निगरानी करते हैं. परन्तु मैं भी विधायक हूं, मुझे भी अच्छा रहेगा, जो भी संस्थाएं होंगी वहां पर विधायक होंगे या कोई प्रतिनिधि जाएगा. लेकिन जिस बात की चिंता है और एक ही बात की चिंता है कि ऐसा नहीं हो, क्योंकि हम भी उससे जुड़े हुए हैं, इसलिए हम ऐसा नहीं बोल रहे हैं. मेरी चिंता सिर्फ इस बात की है कि कहीं ऐसा नहीं हो कि एक तरफ तो हम बहुत प्रोत्साहित कर रहे हैं, सरकार प्राइवेट सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत सारी व्यवस्था कर रही है. दूसरी तरफ आपके शिक्षा के क्षेत्र में इतने सारे अधिकारी हैं, पहले से ही मैनेजमेंट कमेटी बनती है, जिसमें शासन के अधिकारी उसमें सदस्य रहते हैं उसकी नियमित बैठक होती है. पहले से ही व्यवस्था है तो ऐसा नहीं है कि प्राइवेट कॉलेजों को बंदिश में नहीं रखा गया है. इस तरह की कोई अव्यवस्था नहीं फैले, बस मेरा इतना निवेदन है कि मंत्री जी, जो ग्रांटेड संस्थाएं हैं जो सरकार से अनुदान ले रही हैं, आप उनके अंदर व्यवस्था बनाइए. परन्तु जिन्होंने किसी प्रकार का न शासन से जमीन ली है, न किसी प्रकार का अनुदान ले रही हैं. अगर वे अनियमितताएं करती हैं तो आपके पास सारे अधिकार हैं. शासकीय संस्थाएं जो आपकी हैं चाहे वह हायर एजूकेशन की हो, चाहे यूनिवर्सिटी हों, सब व्यवस्था आपने पहले से निर्धारित करके रखी है. बस चिंता सिर्फ इसी बात की है कि ऐसा नहीं हो कि एक तरफ आप इनवेस्टर्स मीट करके बहुत सारे लोगों को प्रमोट कर रहे हैं, बुला रहे हैं. हम तो यह भी सुझाव देंगे कि मध्यप्रदेश में जितने भी औद्योगिक संस्थान स्थापित हो रहे हैं और जितने भी प्राइवेट सेक्टर के अन्य जो लोग काम कर रहे हैं वहां भी मध्यप्रदेश विधान सभा के सदस्यों को जो उनकी नियमित बोर्ड मीटिंग होती है, वहां भी उनको मनोनीत करना चाहिए. इस तरह की व्यवस्था बनाना चाहिए. क्योंकि एक सेक्टर को घेरने की कोशिश हो, सिर्फ परेशान करने के लिए, यह नहीं होना चाहिए. बस, इस बात का ध्यान रखें. मेरा आपके माध्यम से यही अनुरोध है माननीय मंत्री जी.
अगर कोई अनियमितता करता है तो आपके पास में सारे अधिकार हैं, पहले ही आपकी शासकीय संस्थायें चाहे वह हायर एजुकेशन की हों चाहे वह विश्वविद्यालय हों, सब व्यवस्था आपने पहले से निर्धारित करके रखी है. बस चिंता इसी बात की है कि ऐसा नहीं कि आप एक तरफ इंवेस्टर मीट करके इतने सारे लोगों को प्रमोट कर रहे हैं, बुला रहे हैं, तो हम यह भी सुझाव देंगे कि मध्यप्रदेश में जितने भी औद्योगिक संस्थान स्थापित हो रहे हैं और जितने भी प्रायवेट सेक्टर के अन्य लोग काम कर रहे हैं, वहां पर भी मध्यप्रदेश विधान सभा के सदस्यों को जो रेग्यूलर उनकी बोर्ड मीटिंग होती है वहां भी उनको मनोनीत करना चाहिए इस तरह की नीति बनाने का भी काम करना चाहिए. अगर एक सेक्टर को घेरने की कोशिश सिर्फ परेशान करने के लिए होगी तो यह नहीं होना चाहिए, बस इस बात का ध्यान रखें. मेरा यह ही अनुरोध है.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा ( शुजालपुर ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय रामेश्वर जी जो संकल्प महाविद्यालयों की जनभागीदारी के लिए लाये हैं. मेरा उसमें यह अनुरोध है कि जैसा उन्होंने बताया कि शासकीय महाविद्यालय हैं, उसमें जनभागीदारी में उनका प्रतिनिधित्व हो यह व्यवस्थाएं चली आ रही हैं और इसके कारण,जितनी बेहतर व्यवस्था जैसा कि अभी हमारे एक सदस्य ने कहा था उच्च शिक्षा विभाग की मांगों पर चर्चा के दौरान कि इसके कारण हमारी नेक की जो रिपोर्ट आयी है उन महाविद्यालयों के सुधार में उनके विषयों में इनमें सभी में बढोतरी हुई है. अब यह जो प्रायवेट महाविद्यालय की बात हुई और पटेल साहब ने बहुत चिंता जताई है, और यहां पर उनकी चिंता तो स्वाभाविक है, क्योंकि महाविद्यालय जिनके हैं उनको चिंता होना स्वाभाविक है क्योंकि इसमें कहीं न कहीं यह मामला आयेगा और आयेगा तो क्या होगा, ऐसा कुछ नहीं होगा केवल बेहतर तरीके से जो हम वसूल रहे हैं, उस पर कहीं न कहीं सरकार की जानकारी में आयेगा सरकार उनमें बेहतर शिक्षा व्यवस्था लाने में यह जनभागीदारी योगदान देगी, इस जनभागीदारी का शासकीय महाविद्यालयों में जो लाभ मिला है उसमें कलेक्टर तक हैं और कहीं कहीं तो एसडीएम भी हैं उनके अच्छे संचालन में अपनी भूमिका अदा की है इसलिए यह जो निजी महाविद्यालय हैं इनमें उनके निजीपन का जो भाव है धीरे धीरे कम हो कर बच्चों के हित में और सार्वजनिक शिक्षा के हित में होगा. इसमें यह भी देखना होगा कि यह छात्र अपने है और महाविद्यालय किसी और का है इसलिए घबराने का डर तो रहता ही है. मैं अध्यक्ष महोदय से प्रार्थना करताहूं कि संकल्प को पारित करें.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय जो भी संस्थान चल रहे हैं सब नियम कानून कायदे से चल रहे हैं कोई भी त्रुटि हो तो सरकार के पास पूरा प्रावधान है सजा देने का. शासकीय महाविद्यालय की जो बात कर रहे हैं माननीय सदस्य कि बहुत अच्छे से चल रहे हैं हमारे यहां भी जनभागीदारी समिति की बैठक तक नहीं होती है.
श्री सचिन यादव ( कसरावद ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य जो अशासकीय संकल्प लेकर के आये हैं मैं निश्चित ही उनकी जो मंशा है, इसको लाने के पीछे की उनकी जो सोच है उसका मैं यहां पर स्वागत करता हूं. लेकिन कहीं न कहीं मैं इस बात की भी चिंता करना चाहता हूं कि हम लोग व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए यह अशासकीय संकल्प लेकर आये हैं. लेकिन कहीं ऐसा न हो कि जैसा कि हमारे साथी भाई कमलेश्वर जी ने शंका जाहिर की, कहीं न कहीं यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि कहीं पर उसका दुरूपयोग न हो. ऐसा न हो कि हम चीजों को व्यवस्थित करने जा रहे हैं और पता चला कि व्यवस्थाएं तो एक तरफ रह गई और उसके पीछे कोई दूसरी मंशा हो, उस मंशा को लेकर एक राजनीतिक अड्डा या अखाड़ा बनाने की सोच जो है उसको लेकर के अपनी चिंता जाहिर करना चाहता हूं. जहां तक बात है कि निजी कालेजों में मनमानी होती है, निजी कालेजों में नियम कानूनों का पालन नहीं होता है उसको लेकर के माननीय सदस्य ने अपनी चिंता जाहिर की थी. मेरा यहां पर यह कहना है कि उच्चशिक्षा विभाग के पास में उनको तमाम तरह के नियंत्रित करने के अधिकार हैं, शासन ने जो नियम कानून और कायदे बनाये हैं उनको पालन करने का अपना एक मेकेनिज़्म है, अपना एक तंत्र है और वह तंत्र मैं समझता हूँ कि काफी प्रभावी तरीके से काम कर रहा है तो मैं ज्यादा न कहते हुए सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूँ कि इसके ऊपर पूरे तरीके से विचार किया जाए और पूरी गंभीरता के साथ इस पर विचार करने के बाद ही इस प्रकार का कोई कदम उठाया जाए, मैं इस अशासकीय संकल्प का विरोध करता हूँ.
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, न जाने सदस्यों ने इस बात से क्यों चिंता व्यक्त की है, उन्हें भयभीत होने की जरूरत नहीं है, आप तो जानते ही हो कि मैं कितनी मदद करता हूँ. आज आपके ही वक्ताओं ने लगातार झड़ियां लगाई थीं कि उच्च शिक्षा विभाग में, निजी विश्वविद्यालयों में, प्राइवेट कालेजों में ये हो रहा है और वह हो रहा है. मैं तो उसको ध्यान में रखते हुए लाया था. दूसरी बात, मैंने यह भी नहीं कहा कि इन पर हम नियंत्रण करना चाहते हैं, बल्कि हम पारस्परिक सहयोग करना चाहते हैं, जहां तक उद्योग की बात है तो उद्योग सीआरएस मद देता है उससे पैसा आता है तो उस मद का उपयोग विकास के लिए होता है. हमने तो इनको संपत्ति-कर में छूट दे रखी है, 20-20, 25-25 हजार स्क्वॉयर फीट की बिल्डिंग्स हैं, एक रुपये कोई संपत्ति-कर नहीं लेता, न पंचायत लेता है, न नगर-निगम लेता है न नगर-पालिका लेता है. अगर आप पर संपत्ति-कर लग जाएगा तो वही 10-20 लाख का हो जाएगा. इसमें यह नहीं है कि हम किन्हीं प्राइवेट कालेजों को या आपकी संख्या ज्यादा है इसलिए हम यह लेकर आए हैं. हम राजनीतिक अखाड़ा भी नहीं बनाना चाहते, इंस्टीट्यूट किसी का भी हो लेकिन विद्यार्थी हमारे क्षेत्र के हैं और उनको नैतिक सुविधाओं के साथ परस्पर सहयोग करना और वहां पर किसी तरह का तनाव न बने, यह जवाबदारी हमारी है, मैं आपको संख्या बता दूँ कि इन बसों से 9 एक्सीडेंट हुए हैं, इन सब चीजों को हम लाना नहीं चाहते, और जब बात करने के लिए गए तो वहां पर कोई बात करने नहीं आया. प्रिंसीपल बोला कि मैं इस विषय पर बात नहीं करता तो जब नागरिक वहां तनाव में आएंगे और कोई स्थिति बनेगी तो उस स्थिति को संभालेगा कौन, उनकी तरफ से जवाब कौन देगा, क्या हर चीज का जवाब हमारा प्रशासनिक अधिकारी देता रहेगा. उन पर कब्जा करने की दृष्टि से नहीं, बल्कि बेहतर प्रबंधन के लिए, छात्रों के हित के लिए, वहां के नागरिकों की सुरक्षा के लिए, परस्पर संवाद के लिए, गांव की उन्नति के लिए और अच्छे नागरिकों के निर्माण के लिए हम यह लाए हैं, कब्जा करने की हमारी मानसिकता नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- अशासकीय संकल्प एवं औपचारिक कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए, मैं समझता हूँ सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
श्री उमाशंकर गुप्ता, उच्च शिक्षा मंत्री -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो अशासकीय संकल्प माननीय रामेश्वर जी लाए हैं, इसकी भावना अच्छी है और मुझे लगता है कि अभी हमारे साथियों ने भी जो बोला है तो उन्होंने कोई विरोध व्यक्त नहीं किया है. लेकिन यह थोड़ा नाजुक मामला है, मैं इससे सहमत हूँ. उस व्यवस्था को कैसे किया जाए कि कॉ-ऑर्डिनेशन की स्थिति बन जाए और कहीं न्यूसेंस भी क्रिएट न हों. जब से अशासकीय संकल्प आया है हम लगातार विभाग के साथ बैठकर चर्चा कर रहे हैं, लीगल स्थिति भी देखनी पड़ेगी और बाकी परिस्थितियों को भी देखना पड़ेगा कि प्राइवेट कालेज वालों के दिमाग में कोई भय भी व्याप्त न हो और कॉ-ऑर्डिनेशन भी उसमें बन जाए कि जनप्रतिनिधि की बात का महत्व भी हो और उनकी अच्छी सलाह को सुना जाए. इस दृष्टि से सरकार इस पर विचार करेगी कि क्या ठीक रास्ता हो सकता है. विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से भी बातचीत करके लीगल सलाह लेकर इस भावना के लिए मैं माननीय रामेश्वर शर्मा जी का स्वागत और आदर करता हूँ लेकिन उनसे आग्रह करता हूँ कि वे हमें थोड़ा मौका दें, हम इस पर विचार करके कोई बीच का रास्ता ठीक से निकाल लें ताकि एक समन्वय जैसी स्थिति बन जाए और एक-दूसरे के सहयोगी के रूप में कोई इस प्रकार की समिति बन जाए, उसका जनभागीदारी नाम हो सकता है, सलाहकार समिति नाम हो सकता है, इस पर हम डेफिनेटली विचार करेंगे और सरकार इस पर जल्दी ही निर्णय लेगी. इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य से आग्रह करता हूँ कि आज वे इस संकल्प को वापस लें और हमें थोड़ा मौका दें.
अध्यक्ष महोदय -- क्या माननीय सदस्य संकल्प वापस लेने के पक्ष में हैं ?
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय,जिस तरह माननीय मंत्री महोदय ने कहा है, मेरी भावना अच्छी है और मैं उन्होंने जो बातें कही हैं उससे भी सहमत हूँ पर यह सब चीजें समय सीमा के अंदर आयें क्योंकि यह जनहित का मुद्दा है हर मुद्दे को हम जनहित के तरीके से देखें. वहां जो अव्यवस्था हो रही है, 85-86 कालेज हैं मेरे क्षेत्र में, हर गांव में रोज झगड़े हो रहे हैं और रात को एक एक बजे घटनास्थल पर पहुंचना पड़ता है, प्रबंधन की तरफ से कोई सदस्य नहीं आता. हम किसी पर नियंत्रण नहीं करना चाहते. अगर नियंत्रण करना चाहते तो आपके द्वारा पर सड़क क्यों बनवाता. आपने तो एप्लीकेशन नहीं दी थी. हर विधायक चाहता है अपने क्षेत्र में विकास हो, पर विकास में जनसहयोग भी वह चाहता है, जनसमर्थन भी चाहता है. जनभावनाओं की आकांक्षाओं के अनुरुप करना है, कोई ऐसा विधायक मध्यप्रदेश में नहीं है जो किसी पर काबिज होना चाहता हो बल्कि हर वह विधायक चाहे पक्ष का हो या विपक्ष का हो जो जनसमर्थन से अपनी बात रखना चाहता है, जनसमर्थन का आदर करना चाहता है. मैं माननीय मंत्री जी का जो आग्रह है मैं उसका पालन करुंगा, लेकिन मैं प्रार्थना करना चाहता हूँ कि अगर इसकी कोई समय सीमा बन जाए. प्रबंधन का जो भी एक नियम माननीय मंत्री महोदय बनायें तो अच्छा होगा.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बात आ गयी रिकार्ड में और आपने सब तो बोल दिया लेकिन यह बोला नहीं कि आप संकल्प वापस लेने के पक्ष में है कि नहीं.
श्री रामेश्वर शर्मा-- चूंकि मंत्री महोदय का आग्रह है, मैंने तो प्रस्तुत किया है तो मैं इसके पक्ष में ही हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- क्या सदन संकल्प वापस लेने की अनुमति देता है.
( सदन द्वारा अनुमति प्रदान की गई )
संकल्प वापस हुआ.
समय 7.01 बजे समिति का गठन
छात्रों द्वारा मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या संबंधी समस्या के निदान सुझाने हेतु समिति का गठन
7.02 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन की बैठक के समय विषयक
विधानसभा की कार्यवाही सोमवार दिनांक सोमवार, दिनांक 14 मार्च, 2016 के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
सायं 7.03 बजे विधानसभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 14 मार्च, 2016 ( 24 फाल्गुन, शक संवत् 1937) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, भगवानदेव ईसरानी
दिनांक : 11 मार्च, 2016 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा