मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा एकादश सत्र
मार्च, 2022 सत्र
गुरूवार, दिनांक 10 मार्च, 2022
(19 फाल्गुन, शक संवत् 1943 )
[खण्ड- 11 ] [अंक- 4 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 10 मार्च, 2022
(19 फाल्गुन, शक संवत् 1943)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
हास-परिहास
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज तो नरोत्तम जी साफे में जम रहे हैं.
गृह मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज दो विषय हैं, उत्तर से पूर्व तक, पूर्व से उत्तर तक, राष्ट्रवाद और भगवा ही चल रहा है. कमल ही कमल है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- जय श्री राम, जय श्री राम.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और कांग्रेस तथा सपा को वनवास वाला दिन है. माननीय मोदी जी का जो वैश्विक नेतृत्व है, आज आप देखेंगे कि हिन्दुस्तान के अंदर चारों तरफ, अभी मैं, रूझान देख रहा था.
श्री लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा)- वनवास के बाद ही लंका पर जीत हुई थी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- लक्ष्मण जी, मैंने आपका ट्वीट देखा, आपने मध्यप्रदेश के बारे में बिल्कुल सही ट्वीट किया है. आपने जो कमलनाथ जी पर ट्वीट किया है कि जब तक इन बुजुर्गों के हाथ में कमान रहेगी, तब तक ऐसा ही रहेगा.
श्री लक्ष्मण सिंह- बिलकुल असत्य. मैंने आज कोई ट्वीट ही नहीं किया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- मैं आपके आज के ट्वीट की बात नहीं कर रहा हूं. मैं केवल आपके ट्वीट की बात कर रहा हूं.
श्री लक्ष्मण सिंह- यह गलत बात है. आपको असत्य बोलने की आदत है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस विजय की आपको भी बधाई. इसके अतिरिक्त आपको एक और बधाई. कल, आपने जो विधायकों और मंत्रियों को एक लंबे समय से बंद पड़ी परंपरा को पुन: प्रारंभ कर सर्वश्रेष्ठ विधायकों और मंत्रियों को पुरस्कार दिया है, आपने हमारे भाई जयवर्द्धन सिंह, बहन श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी, हमारे मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह जी, विश्वास भाई, वित्त मंत्री जी को पुरस्कार दिया, उसके लिए मैं, आपको, हमारी चयन समिति के अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा, श्री यशपाल सिंह सिसौदिया के प्रति आभार व्यक्त करता हूं.
अध्यक्ष महोदय- आपने जयवर्द्धन जी और श्रीमती झूमा सोलंकी जी का नाम नहीं लिया ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने सबसे पहले उन्हीं का नाम लिया है, बाद में अपनी सरकार के मंत्रियों का नाम लिया है.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)- माननीय अध्यक्ष महोदय, लक्ष्मण सिंह जी अनुभवी विधायक हैं, इनका भी नाम इसमें होना चाहिए था.
श्री सज्जन सिंह वर्मा (सोनकच्छ)- माननीय अध्यक्ष महोदय, योगी जी साफा बांधें, मोदी जी साफा बांधें, तो ठीक है, अब नरोत्तम जी ने ऐसा कौन-सा चमत्कार कर दिया कि उन्होंने साफा बांधा है ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र- वास्तव में हम अपनी पार्टी की खुशी को व्यक्त कर रहे हैं. आप तो दूसरे के लल्ला को पलना में खिलाते हो.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- आपने अभी कमल का जिक्र किया है, कमलनाथ जी का भी जिक्र कर देते.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- अभी कांग्रेस के दो-तीन ट्वीट हुए हैं, आप उन्हें पढि़ये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- अभी आपने कहा उत्तर से दक्षिण तक, पूर्व से पश्चिम तक, लेकिन सूरज पश्चिम की तरफ भी जाता है, इसे ध्यान रखियेगा. सूरज अस्त भी होता है.
अध्यक्ष महोदय- सज्जन सिंह जी, कृपया बैठ जाईये. वैसे भी बारात में सिर्फ दूल्हा ही साफा नहीं बांधता है और भी बहुत-से लोग बांधते हैं तो इसे वैसा ही मानिये कि खुशी व्यक्त कर रहे हैं. प्रश्न क्रमांक 1 अलावा जी. कृपया संक्षेप में शुरू करें.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
वन संरक्षण
[वन]
1. ( *क्र. 1118 ) डॉ. हिरालाल अलावा : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) कैम्पा अधिनियम के तहत विभाग को प्रश्न-दिनांक तक कुल कितनी राशि आवंटित की गई? आवंटित कुल राशि में से कितनी राशि किन-किन कार्यों में कब-कब किन नियमों के तहत खर्च की गई? वर्षवार पृथक-पृथक ब्यौरा देवें। (ख) कैंपा के तहत आवंटित कुल राशि में से कितनी राशि ऐसे ग्राम पंचायतों में खर्च की गई, जहां विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत पेड़ों की कटाई हुई? ग्राम पंचायतवार, वर्षवार ब्यौरा देवें। (ग) क्या कैंपा अधिनियम के दिशा-निर्देशों के तहत चलाए गये वृक्षारोपण अभियान के संबंध में अनियमितताओं के मामले सामने आए हैं? यदि हाँ, तो तत्संबंधी ब्यौरा देवें। (घ) वित्त वर्ष 2018-19 से चालू वर्ष के दौरान वनों के संरक्षण, विकास और संवर्धन के लिए कुल स्रोतों से आवंटित राशि का वर्षवार ब्यौरा देवें। (ड.) जलवायु परिवर्तन पर अनुकूलन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कौन-कौन से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं? तत्संबंधी ब्यौरा देवें। (च) वन-सर्वेक्षण-रिपोर्ट-2021 के अनुसार प्रदेश में वेरी-डेंस फॉरेस्ट, मोडरेटली-डेंस फॉरेस्ट, ओपन फॉरेस्ट तथा गैर-वन का क्षेत्रफल कितना है? वन-सर्वेक्षण-रिपोर्ट-2019 की तुलना में इन श्रेणियों में कितने की वृद्धि/कमी हुई? श्रेणीवार पृथक-पृथक जानकारी स्क्वॉयर/कि.मी./प्रतिशत में देवें।(छ) वर्ष 2004 से वर्ष 2021 तक कितनी वन भूमि निजी-क्षेत्र एवं उद्योगों को हस्तांतरित की गई? प्रत्येक वर्ष के लिए विभिन्न जिलेवार हस्तांतरित वन भूमि की जानकारी प्रत्येक उद्योग/निजी-क्षेत्र की जानकारी के साथ पृथक-पृथक देवें।
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) कैम्पा अधिनियम के तहत विभाग को प्रश्न दिनांक तक वनमण्डलावार कुल आवंटित राशि एवं व्यय की गई राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। आवंटित राशि से क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण, एन.पी.व्ही. अंतर्गत मिश्रित वृक्षारोपण, बिगड़े वनों का सुधार, वन विहीन पहाड़ियों का हरा-भरा, मुनारा निर्माण, भवन निर्माण, वनों के संरक्षण विकास एवं संवर्धन अधोसंरचना तथा वन्यप्राणियों हेतु जल स्त्रोतों का विकास आदि कार्य कराये गये हैं। उक्त राशि प्रतिकात्मक वन रोपण निधि नियम, 2018 के अंतर्गत दिये गये प्रावधानों के अनुसार व्यय की गई है। नियम की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। (ख) कैम्पा के तहत आवंटित कुल राशि में से ग्राम पंचायतों में खर्च की गई तथा विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत पेड़ों की कटाई की उक्त जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। (ग) कैम्पा अधिनियम के दिशा-निर्देशों के तहत बीना बहुउद्देशीय संयुक्त सिंचाई परियोजना के अंतर्गत कराये गये वृक्षारोपण क्षेत्र तैयारी कार्य में उत्तर सागर एवं दक्षिण सागर वनमंडल में अनियमितताओं के मामले प्रकाश में आये हैं. उक्त वनमंडलों में कुल 38 अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही में, 24 के विरूद्ध विभागीय जांच प्रारंभ, 6 के विरूद्ध एक वेतनवृद्धि संचयी प्रभाव से रोधित, 1 के विरूद्ध स्पष्टीकरण जारी, 2 के विरूद्ध स्पष्टीकरण, विचारोपरांत नस्तीबद्ध तथा 5 के विरूद्ध आरोप पत्र जारी हैं. (घ) प्रश्नाधीन जानकारी निम्नानुसार है :-
वर्ष |
विकास हेतु आवंटित राशि रू. लाख में |
संरक्षण हेतु आवंटित राशि रू. लाख में |
2018-19 |
38775.00 |
2749.03 |
2019-20 |
42445.07 |
2580.73 |
2020-21 |
34843.56 |
2088.92 |
2021-22 |
35000.96 |
1725.98 |
(ड.) जलवायु परिवर्तन पर अनुकूलन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये कैम्पा अंतर्गत पृथक से कोई कार्यक्रम नहीं चलाये जा रहे हैं। (च) वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 अनुसार प्रश्नाधीन जानकारी निम्नानुसार है :-
क्र. |
श्रेणी |
वर्ष 2019 (वर्ग कि.मी.) |
वर्ष 2021 (वर्ग कि.मी.) |
1 |
VDF |
6676 |
6665 |
2 |
MDF |
34341 |
34209 |
3 |
OF |
36465 |
36618 |
TOTAL |
77482 |
77492 |
(छ) प्रश्नाधीन जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-04 अनुसार है।
डॉ. हिरालाल अलावा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहते हुए, मंत्री जी से पूछना चाहूंगा और इस सदन को इस बात की जानकारी भी देना चाह रहा हूं कि मेरा प्रश्न कैम्पा अधिनियम से संबंधित हैख् जो जंगलों से संबंधित है और जंगल हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है. कैम्पा अधिनियम में किस प्रकार भ्रष्टाचार हो रहा है, इसे लेकर मेरा प्रश्न है.
कभी आपने सोचा भी नहीं होगा इसलिए आपको मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहिए. आपको इस सरकार को धन्यवाद देना चाहिए कि आने वाले समय में जंगल के फायदे का 20 प्रतिशत मालिकाना हक देने का प्रस्ताव मध्यप्रदेश की भाजपा की सरकार बना रही है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी कह रहे हैं कि ऐसे बोलने से भ्रष्टाचार नहीं हो जाता है तो वे बताएं कि कैसे भ्रष्टाचार हो जाता है.
खनिज रॉयल्टी की वापसी
[खनिज साधन]
2. ( *क्र. 1175 ) श्री सुनील सराफ : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्र. 878, दिनांक 22.12.2021 जो कि ग्राम कटकोना से संबंधित है, के प्रश्नांश (ग) के उत्तर में बताया गया है कि रेत का परिवहन ग्राम पंचायत कटकोना बैहाटोला में उपलब्ध मार्ग होने से एवं अन्य मार्ग न होने से परिवहन किया जा रहा है? (ख) क्या प्रश्न क्र. 880, दिनांक 22.12.2021 जो ग्राम कटकोना से ही संबंधित है, के प्रश्नांश (ग) के उत्तर में बताया गया है कि प्रश्नांश अनुसार गांव के भीतर से परिवहन नहीं हो रहा है, अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है? (ग) उपरोक्त प्रश्नांश (क) व (ख) में से कौन सा उत्तर सही है, की जानकारी देवें। उत्तर तैयारकर्ता जिले के अधिकारियों पर इस तरह जानकारी देने के लिए शासन कब तक कार्यवाही करेगा? उत्तर देने वाले अधिकारियों के नाम, पदनाम सहित बतावें।
खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) : (क) माननीय प्रश्नकर्ता द्वारा प्रश्नांश (ग) का उत्तर ग्राम पंचायत कटकोना, बैहाटोला बसाहट एरिया से संबंधित था। (ख) प्रश्नांश (ग) का उत्तर का उत्तर ग्राम पंचायत कटकोना, बैहाटोला बसाहट एरिया से संबंधित न होकर केवल ग्राम कटकोना से संबंधित था। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) में उल्लेखित ग्राम/क्षेत्रों में भिन्नता होने के कारण शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री सुनील सराफ -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय खनिज मंत्री जी से सीधे प्रश्न करना चाहता हूँ. पूर्व में मेरे द्वारा किए गए प्रश्न क्रमांक 878 और 880 जो कि सदन में एक ही दिन लगे थे. उसमें इनके विभाग के अधिकारियों द्वारा अलग-अलग उत्तर दिए गए हैं. मैंने प्रश्न किया था कि माननीय मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे कि उन दोनों उत्तरों में सही उत्तर कौन सा है. दो अलग-अलग उत्तर इस सदन को जिन अधिकारियों ने दिए हैं और सदन को गुमराह किया है. मैं मंत्री जी का सम्मान करता हूँ. आपके अधिकारी सदन में लगातार पिछली तीन बार से आपको दिग्भ्रमित करके जवाब पेश करते हैं, यह सदन की गरिमा के खिलाफ है. सदन को इस तरह से गुमराह करने वाले अधिकारियों पर मंत्री जी क्या कोई कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक विनती और करना चाहता हूँ. मंत्री जी जब भी जवाब देने के लिए खड़े होते हैं तो अधिकारियों का पक्ष लेते हैं चाहे अधिकारी सही जवाब दें या सही जवाब न दें. जब तक आप इस तरह से करते रहेंगे तब तक न विधायक की कोई गरिमा रहेगी न ही विधान सभा की कोई गरिमा रहेगी. हमारे प्रश्न लगाने का कोई अर्थ नहीं रहेगा.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दोनों प्रश्न क्रमांक 878 एवं 880 एक ही दिन आए थे. इनमें से एक तारांकित था और दूसरा अतारांकित था. दोनों के उत्तर सही हैं. पहला प्रश्न क्रमांक जो कि 878 था वह तारांकित था. वह माननीय सदस्य ने कटकोना और बैहाटोला पंचायतों को लेकर लगाया था. इसका जो उत्तर गया था उसमें बताया गया था कि वहां पर जो रास्ता है उस रास्ते से जा रहा है और यदि वैकल्पिक रास्ता मिलेगा तो हम उसको बदल देंगे. दूसरा प्रश्न क्रमांक 880 लगाया गया था यह आपने ग्राम कटकोना को लेकर लगाया था. वहां से वह रास्ता नहीं निकलता है वह आज भी नहीं निकल रहा है. मेरा यह कहना है कि दोनों प्रश्नों का जवाब सही भेजा गया है.
श्री सुनील सराफ -- माननीय मंत्री जी, मैं विनम्रतापूर्वक आपसे आग्रह करूंगा कि आप पिछले सवाल पढ़ लें. ग्राम कटकोना बैहाटोला, कटकोना से निकलने के लिए बैहाटोला के अलावा कोई और रास्ता ही नहीं है. आप इसका भौतिक सत्यापन करवा लें. रेत खदान से गाड़ी निकलेगी वह कटकोना बैहाटोला होकर ही बाहर जाएगी. कोई और वैकल्पिक रास्ता नहीं है. पहले सवाल के जबाव में आपके अधिकारियों ने सही स्वीकार किया था कि कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं होने के कारण उस मार्ग से गाड़ियां जा रही हैं. दूसरे सवाल के जवाब में आपके अधिकारियों ने गलत जानकारी दी थी. मैंने आपसे आज जो सवाल किया है उस सवाल की मूल आत्मा को ही मार दिया गया है. मैंने यह कहा था कि इस तरह का उत्तर देने वाले अधिकारियों की जांच करके उन पर क्या कार्यवाही करेंगे. माननीय मंत्री जी आप इसमें कृपापूर्वक कार्यवाही करने की बात करें. आप मुझे शामिल करके भौतिक सत्यापन करवा लें कि कटकोना और बैहाटोला का एक ही रास्ता है या नहीं है. अगर अलग रास्ता होगा तो कोई बात नहीं है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कटकोना से बाहर से रास्ता है. पांच किलोमीटर जो रास्ता जाता है जो कि मनेन्द्रगढ़ एनएच से मिलता है. दूसरा बैहाटोला के बीच से रास्ता जाता है. बैहाटोला का रास्ता प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बना है. वहां से आम निस्तार है और यदि आम निस्तार के उपयोग वे लोग भी कर रहे हैं तो इसमें क्या गलत है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, माननीय सदस्य यह चाहते हैं कि इसमें दो तरह की बातें आई हैं क्या इसकी कोई जांच हो सकती है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इस बात को कह रहे हैं तो मैं उसको अस्वीकार नहीं कर रहा हूँ. मेरा यह कहना है कटकोना की बात कही है तो कटकोना के बाहर से रास्ता है और बैहाटोला के बीच से रास्ता जा रहा है और यह रास्ता प्रधानमंत्री सड़क योजना का रास्ता है.
श्री सुनील सराफ -- कटकोना बैहाटोला एक ही ग्राम पंचायत है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह दो अलग-अलग पंचायतें हैं. दोनों की अनापत्ति भी पंचायतों ने दे रखी है.
अध्यक्ष महोदय -- उनका सवाल यह है कि दोनों सवालों के उत्तर अलग-अलग आए हैं. इसका भौतिक सत्यापन किया जा सकता है क्या इस तरह की कोई जांच हो सकती है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आसंदी का यह कहना तो करवा लेंगे इसमें कोई आपत्ति नहीं है.
श्री सुनील सराफ -- अध्यक्ष महोदय, उस जांच में मुझे भी शामिल किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य को भी जांच में शामिल कर लिया जाए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- ठीक है, सदस्य को भी बुला लेंगे.
श्री सुनील सराफ -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
नजूल भूमि से मुक्त किये जाने विषयक
[राजस्व]
3. ( *क्र. 1527 ) श्री सुखदेव पांसे : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सन् 1917-18 मिसल बंदोबस्त के अनुसार मुलताई नगर के खसरा नंबर 234 की 2.71 एकड़, 235 की 0.10 एकड़, 236 की 0.13 एकड़, 280 की 53.67 एकड़ तथा 573 की 0.16 एकड़ भूमि क्या प्रचलित आबादी की भूमि है एवं जो इसमें निवासरत थे, क्या वह उसके स्वामित्व की भूमि है? स्पष्ट करें। (ख) यदि प्रश्नांश (क) का उत्तर हाँ, है तो प्रदेश में लागू भू-राजस्व संहिता 2 अक्टूबर 1959 एवं आर.बी.सी. खण्ड-04 क्रमांक 1 के अंतर्गत भी भू-स्वामी का हक मिसल बंदोबस्त के खसरा नंबर 234, 2235, 236, 280 एवं 573 को प्राप्त है या नहीं? यदि हाँ, तो वर्तमान में मुलताई नगर की प्रचलित आबादी की उक्त खसरा नंबर 234 की जगह 553, 235 की जगह 554, 236 की जगह 555, 280 की जगह 1087 हो गया, इनके भू-स्वामी कौन-कौन हैं? उनके नाम बताएं। (ग) वर्तमान खसरा नंबर 553, 554, 555, 706 एवं 1087 मुलताई नगर की प्रचलित आबादी की जो भूमि म.प्र. भू राजस्व संहिता 1959 के पूर्व से जो भूमि, भूमिस्वामी अधिकार में दर्ज थी, क्या ऐसी आबादी को प्रक्रियात्मक या तकनीकी त्रुटि की वजह से नजूल घोषित कर दिया गया है? यदि हाँ, तो यह किस वर्ष किया गया? (घ) क्या सरकार अपनी तत्कालीन भूल सुधारते हुये राजस्व पुस्तक परिपत्र के तहत परिपत्र जारी कर म.प्र. भू राजस्व संहिता 1959 के पूर्व की प्रचलित आबादी के वर्तमान खसरा क्रमांक 553, 554, 555, 706 एवं 1087 की भूमि को नजूल भूमि से मुक्त घोषित करने का आदेश जारी करेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) : (क) मुलताई ग्राम के मिसल बन्दोबस्त वर्ष 1917-18 के खसरा अनुसार खसरा नंबर क्रमश: 234, 235, 236, 280 एवं 573 रकबा क्रमशः 2.71, 0.10, 0.13, 53.67 एवं 0.16 एकड़ भूमि प्रचलित आबादी मद में दर्ज होना पाया गया। मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 246 के अंतर्गत 'प्रत्येक ऐसा व्यक्ति जो मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) अधिनियम, 2018 के प्रवृत्त होने के ठीक पूर्व आबादी में गृहस्थल के रूप में कोई भूमि विधिपूर्वक धारण करता है, भूमिस्वामी होगा।' वर्तमान में उक्त भूमि नजूल में प्रविष्टि अंकित है। (ख) राज्य शासन द्वारा क्रमांक एफ. 6-75/2019/सात/शा-3, दिनांक 24 सितम्बर, 2020 को नगरीय क्षेत्रों की शासकीय भूमि के धारकों के धारणाधिकार के संबंध में परिपत्र जारी किया गया है, जिसकी कंडिका 3.2 अनुसार ''ऐसे भू-भाग जो नगरीय निकाय के गठन अथवा विस्तारण के समय किसी ग्राम की आबादी का भाग रहा है, ऐसे भू-भाग में यथास्थिति निकाय के गठन या विस्तारण की दिनांक या उसके पूर्व के अधिभोगी मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 246 के प्रावधानों के अनुसार उनके अधिभोग के गृहस्थल के भूमिस्वामी हैं। अतएव ऐसे अधिभोगी या उनके उत्तराधिकारी अथवा उत्तरवर्ती अंतरित यदि अपने आवेदन के साथ यदि इस आशय का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं कि वे उक्त प्रावधान अनुसार भूमिस्वामी रहे हैं तो सक्षम प्राधिकारी द्वारा परीक्षण कर ऐसी अधिभोगी को अधिभोग के समस्त भू-खण्ड का भूमिस्वामी अधिकार पत्र निर्धारित प्रारूप में दिया जायेगा।'' (ग) जी नहीं। मुलताई नगर के वर्ष 1972-73 के अधिकार अभिलेख अनुसार खसरा नंबर 553, 554, 555, 706 एवं 1087 प्रचलित आबादी मद में दर्ज होना पाया गया। नगरीय क्षेत्र में होने से उक्त सर्वे नं. नजूल घोषित किये गये। नजूल अधिकारी मुलताई के कार्यालय में उपलब्ध रिकॉर्ड अनुसार वर्ष 1979-80 में प्रथम बार नजूल का मेंटनेंस खसरा बनाया गया, जिसमें उक्त खसरे नं. 553, 554, 555, 706 एवं 1087 भूमि शासकीय नजूल दर्ज है। (घ) आवेदकों द्वारा उत्तर (ख) में वर्णित परिपत्र अनुसार सक्षम प्राधिकारी के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किये जाने पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा नियमानुसार आवेदन का निराकरण किया जा सकेगा।
श्री सुखदेव पांसे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में माननीय मंत्री जी ने स्वीकार किया है कि मुलताई ग्राम के मिसल बन्दोबस्त वर्ष 1917-18 के खसरा अनुसार, खसरा नंबर क्रमशः 234, 235, 236, 280 एवं 573, रकबा क्रमांक क्रमशः 2.71, 0.10, 0.13, 53.67, एवं 0.16 एकड़ भूमि प्रचलित आबादी मद में दर्ज होना पाया गया. यह भी स्वीकार किया है माननीय मंत्री जी ने कि 2 अक्टूबर 1959 मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 246 के अंतर्गत जो मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता संशोधन, जब अधिनियम 2018 में भी यह स्वीकार किया है कि प्रवृत्त होने के ठीक पूर्व आबादी में गृह स्थल के रूप में कोई भूमि विधि पूर्वक धारण करता है, भू-स्वामी होगा, यह भी स्वीकार किया है और तीसरा यह था कि जब यह आबादी की जमीन है यह स्वीकार किया है तो उसको भू स्वामित्व का अधिकार होना चाहिए. जबकि मुलताई में यह हुआ है कि इस आबादी की जमीन को नजूल के पट्टे बनाकर दे दिए गए जिसके कारण उसका भू स्वामित्व का अधिकार खत्म हो चुका है, उसके कारण उस करोड़ों की जमीन, प्लाट, मकान की जमीन, उनको हर तीस साल में रिन्युअल करना पड़ता है. उन्हें यदि कोई कर्जा लेना हो, गिरवी रखना हो, तो वह हकदार नहीं हैं अपनी जो पुश्तैनी जमीन है, जो भू स्वामित्व का अधिकार है, जो मौलिक अधिकार है, उससे वह वंचित हो जाता है, तो यह जो शासन के द्वारा त्रुटि हुई है, उसे नजूल मुक्त करके, यह जो स्वीकार किया है, मुलताई नगर के वर्ष 1972-73 के अधिकार अभिलेख अनुसार खसरा नंबर 553,554, 555, 706 एवं 1087 प्रचलित आबादी मद में दर्ज होना पाया गया है. इस खसरे को नजूल मुक्त कराकर शासन की भू-राजस्व संहिता में जो नियम है उसके तहत उसको भू अधिकार स्वामित्व का अधिकार देने का काम कितने दिनों में करेंगे? यह मुझे बता दें.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने मिसल बन्दोबस्त का 2017-18 का मुलताई का प्रश्न किया है. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 286 के अनुसार जिस व्यक्ति का ग्रामीण क्षेत्र में आबादी की भूमि स्वामी का मकान बना हो, वह भू-स्वामी ही होता है. जहाँ तक मैं समझ रहा हूँ सदस्य महोदय का सोच यह है कि आबादी की भूमि नजूल में हो गई. जब कोई व्यक्ति गाँव में पर्टिक्यूलर जगह में निवास करता है तो वह आबादी की जगह है यह आप समझते हैं. 2017-18 के बाद जब गाँव, शहर में आए होंगे तो गाँव, शहर में आते हैं तो वह भूमि नजूल में मानी जाती है. पर जहाँ तक आपका प्रश्न है करीब करीब 1 हजार 257 पट्टेधारी ऐसे हैं जो अब नजूल में और आपके मुलताई के शहर में निवास करते हैं. ये खसरा नंबर जो आपने पढ़े वही हैं, 234, 2.71 एकड़, 2375, 0.10 एकड़, 236, 0.13 एकड़, 080 की 53.67 एकड़ और 573 की 0.16 एकड़. अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की जो शंका है जहाँ तक मैं समझ रहा हूँ, आप चाहते हैं कि आबादी के जो आपके लगभग 1257 लोग हैं. लगभग 1257 पट्टेधारी ऐसे हैं जो अब नजूल में हैं और आपके मुलताई के शहर में निवास करते हैं. यह खसरा नंबर जो आपने पढ़ें हैं वहीं हैं. खसरा नंबर 234 की 2.71 एकड़, 235 की 0.10 एकड़, 236 की 0.13 एकड़, 280 की 53.67 एकड़ तथा 573 की 0.16 एकड़. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की जो शंका है जहां तक मैं समझ रहा हॅूं आप चाहते हैं कि आबादी के आपके जो लगभग 1257 लोग हैं वह नजूल की भूमि में आ गए हैं पहले तो यह त्रुटि नहीं हुई है. यह त्रुटि इसलिए नहीं हुई है क्योंकि गांव में यह आबादी है और यह शहर में नजूल है लेकिन आपकी जो शंका है जहां तक मैं समझ रहा हॅूं कि इन लोगों का क्या होगा. जो नई नीति हम लोग लाएं हैं, मध्यप्रदेश सरकार नई नीति लायी है इन पट्टेधारियों के लिए आवेदन करने पर नई धारणाधिकार नीति जो हम लाएं हैं, इस नीति में कंडिका 302 के प्रावधान के अनुसार वह भू-स्वामी अधिकार उनको ही मिल जाएगा. जो शहर में रह रहे हैं, बशर्ते उनको आवेदन करना पडे़गा.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, उनकी चिन्ता दूसरी है. उनकी चिन्ता यह है कि जिनको भू-राजस्व का जो अधिकारपूर्वक मिला था वह नजूल में आने के बाद वह सारे उनके समाप्त हो गए, तो जो अधिकार उनके पूर्व में थे, क्या वह बहाल करेंगे, उनका यह पूछना है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो गांवों में रह रहे थे वह वर्ष 2017-18 में 71 थे, वह वहां थे. अब वह शहर में आ चुके हैं तो उनका अधिकार खत्म नहीं होगा. उनको भू-स्वामी अधिकार यहां भी मिला हुआ है, मिलेगा. बशर्ते, नई धारणाधिकार नीति जो हम अभी लाए हैं उस 2014 के पहले के, उनको भू-स्वामी का अधिकार मिलेगा, उनको 30 वर्षों के लिए पट्टे मिलेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, वह तो लीज़ हो गया न.
श्री सुखदेव पांसे -- वह तो आपने किरायेदार बना दिया. खुद के मालिक को, खुद के प्लॉट को, पुश्तैनी जमीन को तो, जो 50 सालों से, 100 सालों से, जब यदि कोई गांव नगर पालिका बन जाता है तो वह नजूल कैसे हो जाएगा, जो पुश्तैनी जमीन है. आप गांवों में तो बिना किसी सबूत के स्वामित्व का अधिकार दे रहे हैं और यदि वह गांव नगर पालिका बन गया तो उसका हक छीनकर आप उसको उसकी खुद की जमीन का किरायेदार बना रहे हैं. आपका आशय सही है लेकिन उसको स्पष्ट कर दीजिए. यदि आप 30 साल का पट्टा देंगे तो उसको रिन्यूअल करना पडे़गा. उसको मुलताई की जगह कलेक्ट्रेट बैतूल जाना पडे़गा, चक्कर काटना पडे़गा. बिना पैसे लिये-दिये कोई पट्टा रिन्यूअल नहीं होता है. कोई लोन नहीं मिल पाता, कोई कर्जा नहीं मिल पाता है, अधिकार खतम हो जाता है तो मेरे कहने का आशय यह है कि जब आप भू-राजस्व आचार संहिता में आपने 2 अक्टूबर 1959 को स्पष्ट कर दिया है कि इसके पहले की जो आबादी की स्वामित्व की भूमि है वह उसका पूरा मालिकाना हक है, भू-स्वामित्व का अधिकार है तो उसको देने में आपको क्या हर्ज है. क्यों इतने बडे़ पूरे प्रदेश का नुकसान कर रहे हैं, शहर के सारे लोगों का नुकसान कर रहे हैं. इसमें मेरा स्पष्ट निवेदन है कि एक अनुविभागीय अधिकारी, मुलताई के नेतृत्व में एक सर्वे दल गठित करके जो स्वामित्व का अधिकार है जो उनकी पुश्तैनी, पट्टे और मकान है क्या उसको नजूल से मुक्त करके उसको भू-स्वामित्व का अधिकार कितने दिनों में एक सर्वे टीम बनाकर देंगे ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य से मेरा निवेदन है कि जो शहर में भी, गांवों में आकर बसे हैं उनके गांव जो, उस समय परिसीमन हुआ होगा, जो गांव में आ गए होंगे उनको भू-स्वामी का अधिकार है. उनको भू-स्वामी का अधिकार आज भी है और जो आबादी के क्षेत्र में रह रहे होंगे, आबादी गांव में आज भी शहर में वह आबादी माने जाएंगे और उनको भू-स्वामी का अधिकार है. पूर्व वित्त मंत्री जी आप बैठिए. (श्री तरूण भनोत, सदस्य के अपने आसन से कुछ कहने पर)
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, आप जवाब दीजिए.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य से मेरा यह निवेदन है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अरे, तरूण भनोत जी, उसकी व्यवस्था की वजह से ही वहां बैठे हो...(हंसी)..
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक वैल्यू होती है और उसकी एक न्यूसेंस वैल्यू होती है. आपके लिए वैल्यूएबल है और हमारे लिए न्यूसेंस है. हमारे यहां से जाने के बाद तो अब आपके लिए न्यूशेंस है..(हंसी)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- हमको व्यवस्था दी है और हम दोनों ने मिलकर आपको व्यवस्था दी है.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, दो वैल्यू होती है. एक वैल्यू और एक न्यूशेंस वैल्यू, तो हम तो यह मानते हैं कि वैल्यू वाले यहां रह गए और न्यूशेंस वैल्यू वाले चले गये.
श्री तुलसीराम सिलावट -- XXX
अध्यक्ष महोदय -- यह नहीं लिखा जाएगा. मंत्री जी, सीधा प्रश्न है उनका, प्रश्न यह है कि आप उनको अधिकार पुस्तिका दे रहे हैं, सब कुछ दे रहे हैं, परंतु पुराना जो अधिकार था, वह नहीं मिल रहा है, यह उनका कहना है, तो क्या वे अधिकार बहाल होंगे, उनका यह पूछना है. यही है ना पांसे जी ?
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, जो नजूल के पट्टे हैं, उनको निरस्त करते हुए स्वामित्व का अधिकार कितनों दिनों में दिया जाएगा ? अनुविभागीय अधिकारी के नेतृत्व में एक सर्वे टीम बना दीजिए.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, मेरा स्पष्ट कहना है कि जो गांव नगर में शामिल हो गए हैं, वहां के ग्रामवासी भू-स्वामी हैं, मैं यह कह रहा हूँ. वे आज भी भू-स्वामी हैं. दूसरी बात, आपका जो कहना है, रिकॉर्ड के बारे में, तो रिकॉर्ड धीरे-धीरे हम पूरे मध्यप्रदेश में ही ठीक करवा रहे हैं, केवल वहीं की बात नहीं है.
श्री सुखदेव पांसे -- मंत्री जी, आप पूरे मध्यप्रदेश का छोड़ो, मेरे मुलताई का कब तक और कितने दिनों में करवा रहे हो ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- मेरी बात सुनिए. अध्यक्ष महोदय, जो लोग आबादी में रह रहे हैं, उन्हें धारणाधिकार नीति के अधिकार का कोई प्रीमियम नहीं लगेगा. उनसे हम कोई प्रीमियम, कोई टैक्स नहीं लेंगे. मात्र उनको भू-राजस्व देना होगा और जो आबादी के बाहर रह रहे हैं, उन्हें प्रीमियम और भू-भाटक दोनों देना होगा. यह नई नीति है. (श्री तरूण भनोत द्वारा अपना हाथ ऊपर करने पर) आप हाथ नीचे करिए. दाल भात में मूसल चंद अध्यक्ष महोदय, व्यवस्था दीजिए. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- जवाब आ जाने दीजिए. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, क्या ये हाऊस चला रहे हैं ? ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- जवाब तो आ जाए. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, क्या ये सदन को चला रहे हैं ? ...(व्यवधान)...
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सुखदेव पांसे जी को ही नहीं, सारे सदन को यह बताना चाहता हूँ कि हम नई धारणाधिकार नीति लाए हैं, जिसमें शहरों में वर्ष 2014 के पहले जो भी हजारों, लाखों लोग रह रहे हैं, हम उन सबके लिए पट्टा देने वाले हैं, 30 वर्षों के लिए, वे अपनी जगह पर रह सकते हैं. यह बहुत बड़ा प्रावधान है.
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, पट्टा देंगे तो वे किराएदार हो जाएंगे. यही तो गलत है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, यह माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा और हमारी सरकार द्वारा बहुत बड़ा निर्णय लिया गया है. ...(व्यवधान)...
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, 30 वर्षों के लिए पट्टा दिया जा रहा है, फिर हमारा अधिकार कहां है, खत्म हो जाएगा. यह गलत है. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, जहां तक मेरी जानकारी है, साढ़े 18 लाख से अधिक परिवार ऐसे हैं, जो मध्यप्रदेश में आबादी की जमीन पर रह रहे हैं और हम जब सरकार में थे तो यह नीति बनाई थी, जिसको ये आगे बढ़ा तो रहे हैं, पर ये स्पष्ट उत्तर नहीं दे रहे हैं. उनको आप यह कह रहे हैं कि हम पट्टा देंगे, यह तो उनका अधिकार है, तो जो ये शहरी क्षेत्रों में साढ़े 18 लाख परिवार ऐसे हैं, पूरे मध्यप्रदेश में, जो आबादी के क्षेत्र में रहते हैं, तो आप उनको पट्टा क्यों दे रहे हैं, उनको जमीन का अधिकारी दीजिए ना, पट्टा मतलब वे सरकार की लीज़ पर हैं, उनको भू-अधिकार दीजिए.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- भू-स्वामी अधिकार देंगे. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- आप तो पट्टा बोल रहे हैं. आपने अपने उत्तर में पट्टा बोला है, हम उनसे रेवेन्यू लेंगे, उनसे पैसे लेंगे. उनकी जमीन का पैसा क्यों लेंगे मंत्री जी ?
अध्यक्ष महोदय -- राजस्व तो लगेगा. ...(व्यवधान)...
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, यह बहुत अच्छा अवसर है.
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, राजस्व लगेगा, ये कह रहे हैं पट्टा देने के रेट के हिसाब से पैसे लेंगे. क्यों लेंगे ? ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, वे नि:शुल्क कह रहे हैं. ...(व्यवधान)...
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, मेरा इस पर प्रश्न है कि मुलताई में जो आबादी को नजूल के पट्टे दिए हैं, उनको कब तक निरस्त कर देंगे और कब तक उन मुलताई वासियों को भू-स्वामित्व का अधिकार सौंप देंगे, समय सीमा आप बता दें, सर्वे टीम बना दें, बस.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, सीधा जवाब दें.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को मैं समझाना चाहता हूँ, निरस्त करने का प्रश्न ही नहीं उठता. उनको भू-स्वामी अधिकार ऑलरेडी हैं.
श्री सुखदेव पांसे -- नहीं है, उनको पट्टा रिनूअल करना पड़ता है. आपने इसमें स्वीकार किया है. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, पट्टे का मतलब यह होता है कि उसको एक समय-सीमा के अंदर वापिस रिन्यू कराना पड़ेगा. वह किराएदार हुआ. यह तो लीज़ हुई.
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, उनको रिनुअल कराना पड़ता है. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- पांसे जी, बैठ जाएं. ...(व्यवधान)...
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को कहूंगा कि आप हमारे चैम्बर में आकर चाय-नाश्ता करें, हम उनको पूरा समझा देंगे. ...(व्यवधान)...
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष जी, यह मेरा पर्सनल मामला नहीं है. मेरे विधान सभा क्षेत्र के लोग सफर कर रहे हैं. ...(व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- ये जवाब है इनका, चाय-नाश्ता आप बैंगलोर में कीजिए. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइये. ...(व्यवधान)...
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, मैं अपने हित के लिए नहीं बोल रहा हूँ. जनहित का मामला है. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइये, कुछ कहने दीजिए. ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- ये बैंगलोर गए थे, तभी तो आप उधर गए थे. सिद्धू और चन्नी दोनों पंजाब में हार रहे हैं.
श्री तरुण भनोत -- अगली बार इनको यूक्रेन ले जाना.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- पंजाब में सिद्धू और चन्नी दोनों हार रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- कुल मिलाकर मामला यह है कि जिनको आप शहरी क्षेत्रों में लाते हैं तो पहले उनके पास राजस्व की जो ऋणपुस्तिका रहती है उससे सारे अधिकार रहते थे. उसका राजस्व लगता था. आप नजूल में लाये. नजूल में आने के बाद उनको पट्टा दे रहे हैं, लीज दे रहे हैं, बाकी उनके राईट खत्म हो रहे हैं, तो जो पूर्ववत अधिकार थे क्या वे बहाल करेंगे ? यह प्रश्न है.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- मैं कन्फ्यूजन दूर करना चाहता हूं कि उनके कोई राईट खत्म नहीं होंगे. आज भी वह नजूल शब्द पढ़ा जा रहा है. वह आबादी में है. भूस्वामी का अधिकार उनको रहेगा.
अध्यक्ष महोदय -- उनका केवल पुराना अधिकार समाप्त न हो यह कहने की जरूरत है.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- भूस्वामी अधिकार उनको रहेगा.
श्री सुखदेव पांसे -- फिर वह किराया क्यों दें. ?
श्री तरुण भनोत -- उनको पट्टा क्यों दे रहे हैं ? जब पट्टा दे रहे हैं तो उनका अधिकार कैसे रहेगा ?
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, मैं कह रहा हूं कि नजूल के पट्टे निरस्त करके उनको भूस्वामित्व का अधिकार कितने दिनों में मुलताई वासियों को दे देंगे ?
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, भूस्वामी अधिकार के लिये उनको नई धारणाधिकार नीति के तहत आवेदन करना होगा. सरकार ने कोई त्रुटि नहीं की है. यह पूरे मध्यप्रदेश में हो रहा है. नई धारणाधिकार नीति के तहत आवेदन करिये. उनको भूस्वामित्व अधिकार है. जो लोग आबादी में हैं उनको प्रीमियम नहीं लगेगा भू-भाटक लगेगा और जो आबादी के बाहर हैं उन्हें प्रीमियम और भू-भाटक दोनों लगेगा.
श्री सुखदेव पांसे -- दोहरे मापदंड कैसे अपनाये जा रहे हैं ? गांव में कोई आवेदन नहीं करना पड़ता, केवल ड्रोन और सर्वे टीम जा रही है, उनके द्वारा ही उसे स्वामित्व का अधिकार दिया जा रहा है और शहर में आवेदन करने के लिये बोला जा रहा है ?
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, हमें समझ में नहीं आ रहा है. हम उत्तर से संतुष्ट नहीं हैं.
श्री विश्वास सारंग -- एक प्रश्न पर इतने सारे लोग प्रश्न कर रहे हैं. जो मूल प्रश्नकर्ता है वह बात करे. (XXX) हर कोई खड़ा हो जाता है. यह व्यवस्था का प्रश्न है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, हम लोगों के भी प्रश्न हैं. एक ही प्रश्न में आधा घंटा लग रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- सब लोग बैठ जाइये. आगे प्रश्न करने दीजिये.
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, कृपया उत्तर दिलवाइये. गांव में कोई कागज नहीं लग रहा, कोई आवेदन नहीं लग रहा और उनको स्वामित्व का अधिकार दे रहे हैं.
श्री कांतिलाल भूरिया -- जो सवाल आया है उसका जवाब तो दें.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये. इस प्रश्न को लेकर मैंने बहुत समय दिया है. ..(व्यवधान)..
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- आपसे ज्यादा दिमाग रखते हैं. आप निश्चिंत रहिये.
अध्यक्ष महोदय -- इस प्रश्न के लिये बहुत समय दिया जा चुका है. उनका जवाब आया है कि उनके अधिकार समाप्त नहीं होंगे.
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, उनको कब तक भूअधिकार देंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने कहा तो भूअधिकार देंगे. धारणाधिकार नियम के तहत उनको अधिकार देंगे. जो उनकी धारणाधिकार पट्टे की नीति बनी है उसके तहत अधिकार देंगे.
श्री तरुण भनोत -- उनको वही अधिकार रहेगा जो अन्य का है ?
अध्यक्ष महोदय -- वह तो उन्होंने कानून बना लिया.
श्री तरुण भनोत -- वह कह रहे हैं कि नजूल के अंतर्गत पट्टा देंगे. पट्टा देंगे तो मालिक कहां हुआ ? जब पट्टा दिया तो वह मालिक कैसे हुआ ?
अध्यक्ष महोदय -- मालिक क्यों नहीं होगा, वह मालिक होगा ना.
श्री सुखदेव पांसे -- नहीं है ना. पुराना ऑलरेडी अभी पट्टा है. वह गलत हुआ है. वह पट्टा खत्म करके भूस्वामित्व का अधिकार कितने दिनों में देंगे ? एक सर्वे टीम मुलताई के लिये बना दीजिये और एक समय सीमा निश्चित कर दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- बना दीजिये उसकी सर्वे टीम. उनके लिये सर्वे टीम बना दीजिये.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- अध्यक्ष महोदय, मैं आखिरी बार कह रहा हूं. मैं आपके आदेश का पालन करूंगा. मैं अपनी बात पर आज भी अडिग हूं. सरकार सहूलियत देने की दृष्टि से शहरों में धारणाधिकार नीति लायी है, जिसमें हम उनसे भू-भाटक और प्रीमियम लेंगे. यह अकेले मुलताई के लिये नहीं है. मैं कह रहा हूं कि आपके जो 1,257 लोग हैं उनको भूस्वामित्व का अधिकार है.
श्री सुखदेव पांसे -- नहीं है. मैं यही तो बोल रहा हूं. 30 साल का उनको पट्टा दिया गया है, उनको रिन्युअल कराना पड़ता है. वह बैंक से लोन नहीं ले पा रहा है.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- मैं कह रहा हूं कि है. जो आबादी में हैं उनको प्रीमियम नहीं लगेगा, भू-भाटक लगेगा और उनको आवेदन करना पड़ेगा तभी वह भूस्वामी के अधिकारी होंगे. अभी हैं, लेकिन उनको परमानेंट तभी करेंगे जब वह भू-भाटक और प्रीमियम भर देंगे.
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय ...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, दूसरे प्रश्नों को अनुमति दें.
अध्यक्ष महोदय -- बस हो गया. बहुत हो गया. उन्होंने कहा कि अधिकार देंगे.
श्री सुखदेव पांसे - अध्यक्ष महोदय, वह बैंक से लोन नहीं ले पा रहा है.
अध्यक्ष महोदय - यह लोन की सुविधा कर दीजिए, वह लोन ले सके.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, यह धारणा अधिकार नीति के अंतर्गत आवेदन करेंगे, उनको लोन भी मिलेगा, वह जमा कर सकते हैं. बेच सकते हैं.
श्री सुखदेव पांसे - जो नजूल के पट्टे हैं वह निरस्त कर भूमि स्वामी का अधिकार उन्हें कब तक दे देंगे?
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न संख्या 4 श्री सज्जन सिंह वर्मा. उनको लोन मिलेगा.
श्री सुखदेव पांसे - यह सरकार निजी जमीन को हड़पने के चक्कर में है.
अध्यक्ष महोदय - आपको प्रश्न नहीं पूछना है? उनका प्रश्न बहुत हो गया है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - जिसका जवाब संतुष्टिकारक नहीं आता. फायदा क्या? इतना सरल प्रश्न कि सम्पूर्ण भू-अधिकार दे दो, उसे लोन लेने की पात्रता हो, हर चीज की पात्रता हो.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, माननीय वरिष्ठ सदस्य हैं, आपके कहने से तो नहीं दे देंगे. जो नीति हम लाए हैं उस नीति के तहत आवेदन करिए.
11.37 बजे बहिर्गमन
श्री सुखदेव पांसे, सदस्य द्वारा सदन से बहिर्गमन किया जाना
श्री सुखदेव पांसे - अध्यक्ष महोदय, आपको करना पड़ेगा, हम नियम के अनुसार चाह रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं इस जवाब से असंतुष्ट हूं और सदन से बहिर्गमन करता हूं. यह सरकार निजी भूमि को हड़पने के चक्कर में है.
(श्री सुखदेव पांस, सदस्य द्वारा शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, भारत में पहली बार गांव से लेकर शहर तक आम नागरिक को अधिकार दिया है भू-अधिकार माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने, जो आज दिनांक तक कोई घर का मालिक नहीं था, बड़े बड़े हवेली और जागीदार बने बैठे थे, उनको भी आनरशिप देने का काम किया है आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - रिशफ्लिंग की सुगबुगाहट लग रही है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि माननीय सदस्यों के लिए मैं निवेदन करता हूं कि नयी धारणा अधिकार नीति के तहत बहुत सुविधा होगी.
अध्यक्ष महोदय - यह हो गया है.
धान उपार्जन
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
4. ( *क्र. 1479 ) श्री सज्जन सिंह वर्मा : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विगत तीन वर्षों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कितनी धान का उपार्जन हुआ तथा इसमें से कितनी धान की मिलिंग की गई तथा कितनी धान मिलिंग हेतु शेष है? (ख) उक्त में से कितनी धान खराब हुई एवं खराब हुई धान का मूल्य क्या था एवं इसके लिए कौन उत्तरदायी है तथा उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की गई? (ग) धान की समय पर मिलिंग न होने से उपार्जन एजेंसियों को कितनी हानि हो रही है? वर्षवार, एजेंसीवार जानकारी दें। (घ) धान उपार्जन के संबंध में प्राप्त होने वाले व्ययों के लिए केन्द्र शासन को किस वर्ष तक का हिसाब प्रस्तुत कर दिया गया है एवं कितने वर्षों का हिसाब किन कारणों से प्रस्तुत किया जाना शेष है?
खाद्य मंत्री (श्री बिसाहूलाल सिंह)-
श्री सज्जन सिंह वर्मा -अध्यक्ष महोदय, मैंने खाद्य मंत्री जी से बड़ा स्पेसिफिक प्रश्न पूछा है कि 3 वर्षों में उपार्जन की गई कितनी धान खराब हुई है? मुझे जानकारी दी है कि लगभग 546 मी.टन धान खराब हुई है. अब यह मंत्री जी ने स्पष्ट नहीं किया है कि यह जो आंकड़ा माननीय मंत्री जी आपने बताया है यह बाहर रखी हुई धान का आपने बताया है, जो गोदाम और वेयरहाउस में धान रखी है, उसका आंकड़ा इसमें नहीं है तो थोड़ा-सा आप देख लीजिए, यह प्रश्न का आधा जवाब आपने दिया है. एक प्रश्न और कि 546 मी.टन धान खराब हुई उसका मूल्य 1 करोड़ रुपये बता रहे हैं. माननीय मंत्री जी, इतनी सारी धान मुझे दे दो, 1 करोड़ रुपये में. यदि 546 मी.टन धान, 1 करोड़ रुपये का मूल्य इसमें आप बता रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, यह सारी की सारी जानकारी असत्य दी जा रही है. मैंने दोनों बातें पूछी कि गोडाउन में रखी हुई धान और बाहर रखी हुई धान तो उन्होंने सिर्फ बाहर की धान का बता दिया, कितना मूल्य, 1 करोड़ रुपये, 546 मी. टन धान खराब हुई, उसका मूल्य 1 करोड़ रुपया है. माननीय मंत्री जी, यह किस भाव से लगाया है?
श्री बिसाहूलाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं माननीय सदस्य को बताना चाहूंगा कि वर्ष 2019-20 में 2585525 मी.टन.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, यह तो मैंने भी पढ़ा है यह उत्तर में लिखा है.
श्री बिसाहूलाल सिंह - अध्यक्ष महोदय, तीनों साल का आंकड़ा मैंने दिया है और मिलिंग जो कराई गई उसका आंकड़ा भी आपको उपलब्ध हो गया है. यह जो बताया गया है कि अभी तक टोटल 1 करोड़ रुपये की धान खराब हुई है जो 0.0086 प्रतिशत है. यह आंकड़ा सही है इसमें गलत नहीं है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - अध्यक्ष महोदय, 546 मी. टन धान का मूल्य 1 करोड़ रुपये मात्र है! माननीय मंत्री जी, क्या रेट लगाया है? यह बता दें. अध्यक्ष महोदय, क्या यह जवाब है? 1 करोड़ रुपये में 546 मी.टन?
अध्यक्ष महोदय- आप ही बताएं, सरकारी रेट तय है, उसका गुणा करके बताएं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -अध्यक्ष महोदय, 1 करोड़ रुपये में, मैंने कहा कि मुझे दे दो, मुझे से 2 करोड़ रुपये ले लो. यदि इतनी धान, असल में अध्यक्ष महोदय, पूरा का पूरा अमला शराब माफियाओं से मिला हुआ है. देखिये, मेरा सदन में खुला आरोप है कि यह सारी धान यह शराब माफियाओं को दी जाती है, संरक्षण किन किन का है, मंत्री जी, मैं बोलूंगा नहीं. लेकिन आपने जवाब दिया है कि कोई अधिकारी इसका दोषी नहीं है धान खराब होने का और आप आरोप किस पर लगा रहे हैं, आप प्रकृति पर आरोप लगा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करिये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, यह स्पेसीफिक प्रश्न है. एक भी तो जवाब सही नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं तो आप क्या चाहते हैं, बताइये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, कोई अधिकारी दोषी नहीं है, उन्होंने ऐसा दिया है कि प्रकृति दोषी है. जो बोल नहीं सकती, उस पर आरोप लगा दो. जो अधिकारी शराब माफिया से मिले हैं, उनको आप बचाते रहो. यह आपने लिखा है अपने उत्तर में ..
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करिये. लिखा है उत्तर में, तो आप पूरक प्रश्न करिये. अपने को पूरक प्रश्न पूछना है ना.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मैं तो आपकी आज्ञा के बिना प्रश्न करता ही नहीं हूं. वह पढ़ रहे हैं, वही प्रश्न का जवाब जो लिखा है.
अध्यक्ष महोदय-- वह तो उत्तर उन्होंने दे दिया. आप प्रश्न पूछिये कि आप क्या चाहते हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, हमारा कहना यह है कि जब आप यह इसमें घोषित कर रहे हो कि धान का उत्पादन खूब हुआ, खूब उपार्जन हुआ, लेकिन सरकार के पास उसकी मिलिंग करने का साधन बहुत कमजोर हैं, यह उत्तर में है. तो फिर आपने क्यों नहीं साधन पैदा किये, क्यों आपके मुख्यमंत्री जी बार बार कृषि कर्मण अवार्ड लेने के लिये तो दिल्ली जाते हैं. बेचारा किसान इतनी धान पैदा कर रहा है और आपके पास उसको मिलिंग करने का साधन नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करिये. आप प्रश्न पूछ ही नहीं रहे हैं. आप प्रश्न पूछिये. आप इतने सीनियर हैं, आप प्रश्न पूछिये ना.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, सदन के सामने सारी बात तो आये.
अध्यक्ष महोदय-- बात तो आ गई है, आपने प्रश्न कर लिया, उन्होंने उत्तर दे दिया. आप प्रश्न पूछिये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, एक करोड़ में इतनी धान. कायदे से तो इस पर आपको व्यवस्था देनी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, आप प्रश्न तो पूछिये. इसमें आपका प्रश्न नहीं आया.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मेरा यही प्रश्न है कि आपके आपके पास साधन क्यों नहीं है. अधिकारियों को आप दोषी बता नहीं रहे हैं. अधिकारियों को आप बचा रहे हैं. इतनी 545.969 मेट्रिक टन धान खराब हो गई, उसके लिये कोई अधिकारी दोषी नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, मिलिंग के साधन आप बढ़ायेंगे क्या, यह प्रश्न है.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य से अनुरोध करना चाहता हूं कि वर्ष 2019-20 में खराब धान हुई 49097.92 मे.टन की . वर्ष 2020-21 में खराब धान हुई 13854.3 मे. टन की और वर्ष 2021-22 में कुछ धान खराब नहीं हुई. वर्ष 2019-20 में 13307.7 लाख रुपये की धान खराब हुई और वर्ष 2020-21 में 2588 लाख रुपये की धान खराब हुई. वर्ष 2021-22 में धान खराब हुई नहीं, तो उसकी क्या गणना की जाये.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, यह उत्तर में कुल 545.969 मे.टन खराब होना बताया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- यह नहीं लिखा जायेगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, यह कोई जवाब ही नहीं है. कुल 546 मे. टन धान खराब हुई है. उस किसान की आत्मा पर क्या बीती होगी, परिश्रम से उसने धान उगाई है. एक प्रश्न का आप जवाब दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- मैं आपकी तरफ से प्रश्न कर देता हूं. उनका कहना है कि आपके द्वारा मिलिंग के लिये साधन बढ़ाये जायेंगे क्या.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं सदन को यह बताना चाहूंगा कि पहले 25 रुपये में एक क्विंटल धान का हम मिलिंग कराते थे. हमारे विभाग ने 50 रुपये किया. इसके बाद 100 रुपये किया. आज 200 रुपया क्विंटल में हम मिलिंग कराने के लिये लोगों को आफर देते हैं और जब यहां के लोग 200 रुपया क्विंटल में भी मिलिंग नहीं कर रहे हैं, तो हम महाराष्ट्र में बात करके आज गोंदिया से मिलिंग करा रहे हैं.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, हमारे यहां के धान की मिलिंग मिलर नहीं कर रहे हैं, मतलब नीति आपकी गलत है. आप महाराष्ट्र से मिलिंग करवा रहे हैं.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आज भारत में 200 रुपये के रेट में कहीं पर मिलिंग नहीं हो रही है. हम तो 200 रुपये दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न संख्या -5. हो गया.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी जवाब ही नहीं दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने कहा कि मिलिंग करा रहे हैं. बता दिया 200 रुपये में. प्रश्न संख्या -5 डॉ. सीतासरन शर्मा जी.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- मंत्री जी, आप साधन बढ़ायेंगे कि नहीं बढ़ायेंगे, केवल महाराष्ट्र और नागपुर से ही कराते रहेंगे. तो वहीं के मुख्यमंत्री जी को भेजो कृषि कर्मण अवार्ड लेने के लिये.
श्री बिसाहूलाल सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हमारी नीति है कि अगर यहां कोई बड़ा मिल लगाना चाहता है तो उसको हम अपने विभाग की ओर से प्राथमिकता देंगे.
श्री तरुण भनोत -- गृह मंत्री जी, यह सब मिलिंग बेंगलूर में हुई है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- वहां से ये बासमती के बनकर आये हैं.
..(हंसी)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक ही प्रश्न हुआ है. आखिरी प्रश्न का जवाब दे दें कि नागरिक आपूर्ति निगम को प्रतिमाह कितना ब्याज लग रहा है इन सारी घटनाओं पर. जवाब नहीं आ पा रहे हैं ऐसे सदन का क्या फायदा है. पूरे प्रदेश को घाटे में आप झोंक दे रहे हो. तीन लाख करोड़ के कर्जे में प्रदेश डूब रहा है. प्रतिमाह कितना ब्याज देना पड़ रहा है यह बता दें.
होशंगाबाद में पिचिन की स्वीकृति
[जल संसाधन]
5. ( *क्र. 358 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्र. 370, दिनांक 22.12.2021 के प्रश्नांश (घ) में जानकारी दी गई थी कि पिचिन निर्माण हेतु 6.71 करोड़ का प्राक्कलन राज्य आपदा मोचन निधि से प्रशासकीय स्वीकृति हेतु दिनांक 12.11.2021 को राहत को आयुक्त भेजा गया था? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) में उल्लेखित पत्र राहत आयुक्त कार्यालय को कब प्राप्त हुआ? पत्र की पावती उपलब्ध करावें। (ग) क्या उक्त प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई है? यदि हाँ, तो कब? (घ) प्रस्ताव को यदि स्वीकृति नहीं दी गई तो इसके क्या कारण हैं? (ड.) उक्त प्रस्ताव को स्वीकृति कब तक दी जावेगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। राहत आयुक्त भोपाल को प्रेषित प्रस्ताव की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ख) पावती की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। (ग) से (ड.) जी हाँ। स्वीकृति आदेश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''3'' अनुसार है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
डॉ.सीतासरन शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह पूछना चाहता हूं कि 6 करोड़ 71 लाख रुपये हमारे तवा-कोरेघांस सर्किट हाऊस प्रोटेक्शन वर्क के लिये स्वीकृत कर दिया मैं उनके प्रति आभारी हूं किन्तु वह कब तक इसका टेंडर करा देंगे कब तक इसका वर्कआऊट हो जायेगा और क्या माननीय मंत्री गर्मी के पहले इसका काम पूरा हो सकेगा या शुरू हो सकेगा.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन के वरिष्ठतम् सदस्य ने प्रश्न पूछा है और उन्होंने मुझे धन्यवाद भी दिया है और जहां मां नर्मदा के विकास और प्रगति की बात हम करते हैं इस तट के कटाव के लिये 6 करोड़ 71 लाख रुपये स्वीकृत कर दिये गये हैं. मैं सम्मानीय वरिष्ठतम् सदस्य को यह अवगत कराना चाहता हूं और आज राहत आयुक्त द्वारा प्रस्ताव की प्रशासकीय स्वीकृति कर दी गई है और निविदा भी लगा दी गई है. एक वर्ष के अंदर काम हम पूरा कर देंगे यह मैं आपको माध्यम से सम्मानीय को आश्वस्त करता हूं.
डॉ.सीतासरन शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
विभाग अंतर्गत संचालित योजनाएं
[मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास]
6. ( *क्र. 912 ) श्री मनोज चावला : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग अंतर्गत रतलाम जिले में कुल कितने अधिकारी, कर्मचारी कार्यरत हैं, उनका नाम, पद, कर्तव्य स्थल की जानकारी मोबाइल सहित उपलब्ध कराएं? (ख) बताएं कि कार्यरत अधिकारी, कर्मचारी द्वारा वर्ष 2015-16 से प्रश्न दिनांक तक कुल कितने-कितने भ्रमण संचालित योजना स्थल, पट्टा धारकों के यहाँ किए गए और भ्रमण के दौरान क्या-क्या टीप/दिशा निर्देश योजना स्थल पर और पट्टा धारकों को दिए गए और क्या प्रतिवेदन विभाग प्रमुख को प्रस्तुत किये गए हैं? प्रतिवेदनों की प्रतिलिपि उपलब्ध कराएं। (ग) बताएं कि जिले में संचालित योजनाओं हेतु वर्ष 2014-15 से किन-किन स्थलों पर कितनी-कितनी मात्रा में मत्स्य पालन हेतु मछलियां कौन-कौन सी प्रजाति की हैं और उनके लिए आवश्यक सामग्रियां प्रदाय की गईं? इन पर कितना-कितना व्यय किया गया? इस हेतु कौन-कौन से वाहन किस प्रक्रिया से उपयोग किए गए और उन पर कितना खर्च हुआ? वर्षवार बतायें। (घ) क्या संचालित योजनाओं के प्रचार प्रसार हेतु कैंप/बैठक आयोजित किए जाते हैं? यदि हाँ, तो बताएं कि केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा संचालित योजनाओं के प्रचार प्रसार हेतु प्रश्न अवधि में कितने-कितने कैंप/बैठक तहसीलवार लगाए गए हैं? इसमें प्रचार प्रसार हेतु क्या कदम उठाए गए और इसमें कितने-कितने हितग्राहियों को योजनाओं की जानकारी दी गई है और कितनी राशि खर्च हुई है? तहसीलवार, वर्षवार जानकारी उपलब्ध कराएं।
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) प्रश्नांश की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा समय-समय पर विभागीय योजनाओं का मत्स्य पालन योग्य जलक्षेत्रों के स्थल का भ्रमण किया जा कर प्रचार प्रसार कर हितग्राहियों को मार्गदर्शन दिया जाता है एवं चयन कार्यवाही उपरांत लाभार्थी बनाया जाकर योजना का लाभ दिया जाता है। (ग) जिले में मत्स्य पालन हेतु भारतीय प्रमुख सफर, कॉमन कार्प पंगास आदि प्रजाति की मछली उपलब्ध हैं, कृषकों द्वारा मत्स्य बीज क्रय कर स्वयं संचयन किया जाता है, अत: विभागीय वाहन की जानकारी निरंक। (घ) मैदानी अमले द्वारा विभागीय योजनाओं का प्रचार-प्रसार हाट बाजारों तथा जिला जनपद स्तर पर आयोजित जन कल्याणकारी शिविरों में किया जाता है। परिशिष्ट - "एक"
श्री मनोज चावला - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्न था मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास पर आधारित है इसमें मैंने "ख" में पूछा है कि भ्रमण के दौरान क्या-क्या टीप और दिशा निर्देश पट्टाधारकों को दिये गये और प्रतिवेदन की प्रतिलिपि उपलब्ध कराई जाए.इसकी प्रतिलिपि मुझे नहीं करायी गई है और उत्तर में भी यह नहीं है कि क्या-क्या दिशा निर्देश दिये गये हैं. "ग" जो प्रश्न है कि प्रचार-प्रसार पर जो राशि खर्च की गई है उसकी जानकारी दी जाए वह जानकारी मुझे नहीं दी गई है और जिले में जिन वाहनों से प्रचार-प्रसार के दौरान भ्रमण किया उसकी जानकारी दी जाए उसकी जानकारी मुझे नहीं दी है. यह जो मत्स्य विभाग है उसका नाम है तो मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास लेकिन न तो मछुआ कल्याण हो रहा है न मस्त्य का विकास हो रहा है. केवल सारी योजनाएं कागजों पर बन रही है और भारी भ्रष्टाचार पूरे जिले से लेकर प्रदेश तक व्याप्त है.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे छोटे भाई के इस कथन से मुझे घोर आपत्ति है. जिस तरह से इन्होंने भ्रष्टाचार की बात कही यह शब्द वे वापस लें और जो उन्होंने कहा कि प्रतिलिपि नही मिली तो अतिशीघ्र मैं उनको प्रतिलिपि उपलब्ध करा दूंगा और विस्तृत रूप से उत्तर मैं दे चुका हूं और कुछ विशेष पूछना चाहते हों तो मैं दूंगा.
श्री मनोज चावला - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि जो भी योजनाएं वहां संचालित हैं उसकी न ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि जो हैं उनको कोई सूचना दी जाती है, बाहर केवल आफिस में बैठकर सारी कार्यवाही अधिकारी करते हैं और जो बीच के केन्द्र थे पूरे जिले में वे बंद हो गये हैं. कहीं संचालित नहीं हो रहे हैं. सब जगह योजनाएं केवल कागजों में हैं. जो पजेशन दिया जा रहा है वह भी केवल कागजों पर दिया जा रहा है.
श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सम्मानित सदस्य ने जो बात कही है तो मैं आपके माध्यम से सारे अधिकारियों को निर्देशित करूंगा कि वे जनप्रतिनिधियों को उन सारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी देंगे.
श्री मनोज चावला - माननीय अध्यक्ष महोदय, कहां-कहां कौन-कौन से पट्टे संचालित हो रहे हैं. कहां पर क्या हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय -उत्तर आ गया. वह पूरी जानकारी देंगे.
डीनोटीफाईड की गई वन भूमि
[वन]
7. ( *क्र. 399 ) डॉ. योगेश पंडाग्रे : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बैतूल जिले में भा.व.अ. 1927 की धारा 27 व धारा 34अ के अनुसार राजपत्र में किस दिनांक को किस कक्ष क्रमांक की कितनी भूमि एवं कितने राजस्व ग्रामों की समस्त संरक्षित वन भूमि डीनोटीफाईड की गई है? (ख) धारा 27 एवं धारा 34अ में डीनोटीफाईड की गई भूमियों को भा.व.अ. 1927 की धारा 29 एवं धारा 4 में पुनः अधिसूचित करने, नारंगी भूमि सर्वे एवं नारंगी वनखण्ड में शामिल करने, समझे गए वन परिभाषित करने का अधिकार या छूट वन अधिनियम 1927, वनसंरक्षण कानून 1980 की किस धारा में दिया गया है, सर्वोच्च अदालत ने सिविल याचिका क्रमांक 202/95 में किस दिनांक के आदेश में दिया है? (ग) बैतूल जिले में सारनी पावर हाउस एवं पुनर्वास क्षेत्र के लिए किस दिनांक को कितनी-कितनी भूमि किस-किस धारा के तहत डीनोटीफाईड की गई? यह भूमि किस-किस विभाग के मानचित्र एवं अन्य किस-किस शासकीय अभिलेख में किसके नाम पर वर्तमान में दर्ज है? (घ) सारनी पावर हाउस के लिए डीनोटीफाईड की गई भूमियों से संबंधित पटवारी मानचित्र, खसरा पंजी आदि किस वर्ष में तैयार किए गए हैं? खसरा पंजी में भूमि किसके नाम पर दर्ज है?
वन मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) भारतीय वन अधिनियम, 1927 की धारा 27 एवं धारा 34 (अ) में डिनोटिफाईड भूमियों को पुन: धारा 29 एवं धारा 4 में अधिसूचित करने के संबंध में अधिकार या छूट भारतीय वन अधिनियम, 1927, वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 की किसी धारा एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय की याचिका क्रमांक 202/1995 के आदेश में उल्लेखित नहीं है। लेकिन यदि वन संरक्षण अधिनियम, 1980 की धारा-2 अंतर्गत व्यपवर्तित वनभूमियों के एवज में डिनोटीफाईड भूमियां गैर वनभूमि के रूप में वैकल्पिक वृक्षारोपण हेतु प्राप्त होती हैं तो उन्हें भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-29 एवं धारा-4 में अधिसूचित किया जा सकता है।
डॉ. योगेश पंडाग्रे-- अध्यक्ष जी, मेरा प्रश्न वन विभाग से था और इसमें मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. मेरा प्रश्न महोदय जी यह था कि भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-27 व धारा- 34अ के अनुसार फारेस्ट की जमीनों को डीनोटीफाईड कर दिया गया था. जब वह भूमि डीनोटीफाईड की गई थी और वह जमीन छोटे झाड़ और बड़े झाड़ के मद में दर्ज की गई है. अब मैं यह जानना चाहता हूं कि फारेस्ट में जो डीनोटीफाईड की गई जमीनें हैं वह किस धारा के या किस कानून के अंतर्गत है जब हम लोग कोई विकास कार्य करने जाते हैं, कोई औद्योगिक क्षेत्र यदि वहां पर घोषित करना चाहे, कोई टंकी बनाना चाहे, कोई रोड बनाना चाहे तो जो छोटे झाड़ और बड़े झाड़ के रूप में जो जमीन दर्ज है उस पर फारेस्ट अपना अधिकार जताता है. जबकि मेरे प्रश्न के उत्तर में स्पष्ट लिखा हुआ है कि डीनोटीफाईड भूमियों को पुन: धारा 29 व धारा 4 में अधिसूचित करने के संबंध में अधिकार या छूट भारतीय वन अधिनियम 1927, वन संरक्षण अधिनियम 1980 की किस धारा एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय की याचिका क्रमांक 202/1995 के आदेश में उल्लेखित नहीं है. यह स्पष्ट रूप से लिखा है और साथ ही यह भी लिखा है, लेकिन यदि वन संरक्षण अधिनियम 1980 की धारा-2 के अंतर्गत व्यपवर्तित भूमियों के एवज में डीनोटीफाईड भूमियां गैर वन भूमि के रूप में वैकल्पिक वृक्षारोपण हेतु प्राप्त होती हैं तो उन्हें भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा-29 एवं धारा-4 में अधिसूचित किया जा सकता है. महोदय जी, इसमें स्पष्ट रूप से उल्लेखित किया गया है कि जहां पर व्यपवर्तित भूमियों के एवज में केवल डीनोटीफाईड भूमियों पर फारेस्ट डिपार्टमेंट अपना अधिकार जता सकता है. बाकी डीनोटीफाईड जमीनें जो बड़े झाड़ और छोटे झाड़ के जंगल में उल्लेखित हैं उन पर फारेस्ट किस कानून के अंतर्गत अपना अधिकार जता रहा है और हमारे सारे विकास कार्य बाधित हो रहे हैं.
कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का जो प्रश्न था डीनोटीफाईड एरिया का आपने पूछा था तो मैंने पूरी जानकारी दे दी. सुप्रीम कोर्ट में 200 वृक्ष से ज्यादा यदि प्रति हेक्टेयर में हैं और वह एरिया डीनोटीफाईड अगर कभी हुआ है तो उसके लिये फिर से सुप्रीम कोर्ट से ही परमीशन लेना पड़ेगी. अब यह किस एरिये की बात कर रहे हैं, वह एरिया बता दें तो उसकी जानकारी मिल जायेगी.
डॉ. योगेश पंडाग्रे-- महोदय जी, मैं पूरे बैतूल जिले में ऐसे लगभग 829 ग्राम हैं जहां पर जमीनों को डीनोटीफाईड किया जा चुका है और वह छोटे झाड़ और बड़े झाड़ के जंगल के रूप में दर्ज है और जैसा मंत्री महोदय ने लिखा है कि 200 से ज्यादा पेड़ अगर वहां पर हैं तो उन पर फारेस्ट अपना अधिकार जता सकता है, लेकिन जो मुझे उत्तर दिया गया है इसमें कहीं भी इस चीज का उल्लेख नहीं किया गया है, यहां पर केवल लिखा गया है कि व्यपवर्तित भूमियों के एवज में ही केवल डीनोटीफाईड जमीनों का अधिकार फारेस्ट जता सकता है. इसके अलावा इस प्रश्न के उत्तर में मुझे कहीं भी ऐसा नहीं दिख रहा है जिसमें फारेस्ट के द्वारा इन जमीनों पर अपना अधिकार घोषित किया जा सके.
कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, यह जमीनें कौन सी हैं, माननीय सदस्य का इसमें स्पष्ट नहीं आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- उसमें कुल मिलाकर जो 200 झाड़ कह रहे हैं कि ज्यादा हैं तो उसकी जांच हो जाये.
डॉ. योगेश पंडाग्रे-- अध्यक्ष महोदय जी, अगर ऐसा कोई नियम या कानून है तो उसकी जानकारी मुझे उपलब्ध करवा दी जाये क्योंकि इसके चलते इस क्षेत्र के काफी विकास कार्य बाधित हो रहे हैं और दूसरा फरवरी 2020 में एक टास्कफोर्स का गठन भी किया गया था जो एसीएस फारेस्ट की अध्यक्षता में हुआ था उसमें भी स्पष्ट रूप से कुछ 16 बिंदुओं पर जांच की गई थी और उसमें जमीनों के बंदोबस्त के लिये सिफारिशें की गईं थीं. मैं यह भी जानना चाहूंगा कि उन सिफारिशों पर अभी तक कोई अमल क्यों नहीं किया गया है.
कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां-जहां माननीय सदस्य को आपत्तियां हैं, वह एसडीएम के माध्यम से आप आवेदन लगा दें, अगर वन विभाग के पास आयेगा तो विस्थापन अधिकारी एसडीएम ही है.
डॉ. योगेश पंडाग्रे-- महोदय जी, मेरा बस यह कहना है कि जमीनों के सुधार के लिये जो सिफारिशें एसीएस फारेस्ट के द्वारा वर्ष 2020 में की गई थीं, मैं चाहता हूं कि उन सुधारों को लागू किया जा सके ताकि जो जमीनें विकास कार्यों के लिये उपलब्ध हो सकती हैं वह जनहित में काम आयेगी.
कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं सीसीएफ को और डीएफओ को निर्देशित कर दूंगा कि माननीय विधायक जी के साथ और एसडीएम के साथ बैठकर उसका परीक्षण कर लें.
प्रश्न संख्या 8 (अनुपस्थित)
अंतर्राज्यीय बाघ सिंचाई परियोजना
[जल संसाधन]
9. ( *क्र. 1147 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र लांजी के अंतर्गत विषयांकित परियोजना की मुख्य केनाल में लाईनिंग कार्य करवाने हेतु प्रश्नकर्ता विधायक द्वारा कब-कब पत्राचार किया गया? पत्रों की छायाप्रति सहित जानकारी दें। (ख) विषयांकित परियोजना में मुख्य नहर पर लाईनिंग का कार्य कराने हेतु महाराष्ट्र शासन से कब-कब पत्राचार किया गया तथा इस बैठक को आयोजित करने के लिए क्या प्रयास किये गये? पत्रों की छायाप्रति सहित विस्तृत जानकारी दें। (ग) क्या शासन को माननीय मुख्यमंत्री कार्यालय के A+ मॉनिट पत्र के बाद महाराष्ट्र शासन से बैठक आयोजित करने का प्रयास करना चाहिए या प्रश्नकर्ता विधायक को तिथि तय न होने की सूचना देकर विषय समाप्त करना चाहिए? (घ) महाराष्ट्र शासन के साथ सचिव स्तर की बैठक कब तक आयोजित कर ली जाएगी?
जल संसाधन मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) विधान सभा क्षेत्र लांजी अन्तर्गत अन्तर्राज्यीय बाघ सिंचाई परियोजना की दांयी तट मुख्य नहर में लाइनिंग कार्य कराने हेतु मान. सदस्य द्वारा लिखे गये पत्रों की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1, 2, 3 अनुसार है। (ख) बाघ दांयी तट मुख्य नहर में लाइनिंग कार्य कराने हेतु महाराष्ट्र शासन से किए गए पत्राचार की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13 अनुसार है। (ग) एवं (घ) अन्तर्राज्यीय मामला है। सहमति प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। बैठक के संबंध में निश्चित समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न जल संसाधन विभाग का है, मात्र 20 करोड़ रूपये के नहरों की लाइनिंग का मामला है और 20 करोड़ रूपये नहरों की लाइनिंग में लगना है. मैं यह चाहती हूं चूंकि सेकेट्ररी लेबल की मीटिंग होना है और दिल से तो हम कभी नहीं चाहते हैं कि हमारे सरकार के मंत्री महाराष्ट्र सरकार के मंत्री से 20 करोड़ रूपये की बात करें, बीस हजार करोड़ रूपये की बात होगी तो हमको भी अच्छा लगेगा, लेकिन अंतर्राज्यीय परियोजना है और इसके लिये अभी तक जो भी पत्र व्यवहार हुआ है, तो सेकेट्ररी लेबल की बैठक अटैंड हो नहीं पाई है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करती हूं कि क्या वह स्वयं वहां के मंत्री जी से बात करके इस बैठक को आयोजित करवायेंगे और इस परियोजना के लिये पैसे स्वीकृत करवायेंगे?
श्री तुलसीराम सिलावट -- सम्मानीय वरिष्ठतम सदस्य ने जो बात कही है, यह अंतर्राज्यीय महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश दो प्रांतों की योजना है, इस परियोजना के दायीं तट पर नहर लगभग तीस किलोमीटर है, आपको पता है महाराष्ट्र राज्य की सीमा के अंतर्गत आती है और मध्यप्रदेश में 21 किलोमीटर आती है, जिस प्रकार से निरंतर हमने महाराष्ट्र सरकार से संवाद किया है और मैं भी संतुष्ट नहीं हूं, पर जो सम्मानीय सदस्या ने कहा है मैं उसको महाराष्ट्र सरकार के सिंचाई मंत्री जी से स्वयं बात करूंगा और मैं कोशिश करूंगा कि अतिशीघ्र इसका समाधान किया जा सके.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद करती हूं लेकिन मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहती हूं कि यदि आपकी वार्तालाप और बात करने के बाद भी एक महीने के अंदर यदि यह राशि स्वीकृत नहीं होती है, क्योंकि माननीय अध्यक्ष महोदय, इसकी संभावना ज्यादा है, चूंकि महाराष्ट्र का लाभ इसमें उतना नहीं है, उनका एक तरह से इसमें नुकसान ही है, क्योंकि वह नहरे वहां से शुरू होती है. सबसे पहले वह हेड पोर्शन है, इसलिये पानी उनको मिल जाता है और मध्यप्रदेश आते तक टेल पोर्शन आता है, तो पानी नहीं मिल पाता है और ऐसी स्थिति में महाराष्ट्र सरकार कतई नहीं चाहेगी कि उनकी उस नहर का काम हो. इसलिये 20 करोड़ रूपये की बात है, 15 करोड़ उनको देना है और 5 करोड़ हमको लगाना है, यदि आपकी बात करने के बाद भी वहां से ऐसी कोई प्रतिक्रिया पॉजीटिव नहीं आती है तो क्या आप मध्यप्रदेश शासन से 20 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत करेंगे. मैं एक बात ओर कहना चाहती हूं कि इस मामले में अच्छी बात यह है कि ए प्लस मॉनिट में सी.एम. साहब की नोट शीट आपके पास गई हुई है, मैं चाहूंगी की सदन में आप इस बात की घोषणा कर दें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूरा प्रयास करूंगा कि मध्यप्रदेश के सिंचाई का रकबा जो अधूरा पड़ा है, उसकी कोशिश की जायेगी आप निश्चिंत रहे, सकारात्मक बात करके मैं आपको उत्तर भी दूंगा और उनसे बात भी कर लूंगा.
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह मान लूं कि अगले बजट में या अनुपूरक बजट में इस राशि का प्रोवीजन हो जायेगा .
अध्यक्ष महोदय -- वह आपकी चिंता कर रहे हैं.
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो बाद की बात कर रही हूं, चिंता करने के बाद की बात कर रहीं हूं. मैं तो मानने को तैयार हूं कि आप चिंता कर रहे हैं और आप जायज भी कर रहे हैं, लेकिन इसकी संभावना कम है, इसलिये मैं कह रही हूं कि क्या आने वाले अनुपूरक बजट में इसका प्रोवीजन हो जायेगा ?
अध्यक्ष महोदय -- आप संभावनाओं में सवाल मत करिये.
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय,माननीय मंत्री जी जवाब देने हेतु तैयार हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी आप बोलें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी भी चीज की समय सीमा बताना इतना महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन मैं अतिशीघ्र करने का प्रयास करूंगा आप निश्चिंत रहें.
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे -- ए प्लस मॉनिट में नोटशीट आपके पास है.
श्री तुलसीराम सिलावट -- मैं अतिशीघ्र प्रयास करूंगा.
समर्थन मूल्य पर खरीदी गई धान का रख-रखाव
[खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण]
10. ( *क्र. 685 ) श्री तरूण भनोत : क्या खाद्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जबलपुर जिले के अंतर्गत समर्थन मूल्य पर की गई धान खरीदी उचित रख-रखाव के अभाव में बारिश में गीला होने और सड़ने की शिकायतें मिली हैं? (ख) यदि हाँ, तो तत्संबंध में कितने नुकसान का आकलन किया गया है? (ग) क्या मौसम विभाग द्वारा लगातार खराब मौसम की संभावनाओं को व्यक्त करने के बावजूद भी खाद्य विभाग के अधिकारियों एवं समिति प्रबंधकों द्वारा धान की सुरक्षा के लिए तिरपाल एवं अन्य कोई व्यवस्थाएं नहीं की गईं थीं? (घ) यदि हाँ, तो इस नुकसान के जिम्मेदार अधिकारियों पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है?
खाद्य मंत्री ( श्री बिसाहूलाल सिंह ) : (क) जबलपुर जिले में खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में समर्थन मूल्य पर उपार्जित धान के उचित रख-रखाव के अभाव में बारिश में गीला होने के कारण सड़ने का कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है। असामयिक वर्षा से आंशिक मात्रा में धान भीगी थी, जिसे सुखाकर जमा करा लिया गया है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में समर्थन मूल्य पर उपार्जित धान के उचित रख-रखाव हेतु उपार्जन नीति के प्रावधान अनुसार उपार्जन केन्द्रों पर तिरपाल एवं अन्य व्यवस्थाएं की गईं। (घ) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में यह कहा है कि बरसात में आंशिक रूप से धान खराब हुई है और उसको हमने सुखाकर ठीक कर दिया है, तो प्रश्न यह है कि अगर सारी व्यवस्थाएं थीं तो बरसात में धान खराब क्यों हुई और कितनी खराब हुई थी और कितनी को आपने समेट लिया?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- डॉक्टर गोविन्द सिंह जी की जगह इनको उपनेता बना दो.
श्री तरूण भनोत -- अरे तुमसे पूछकर बना देंगे.
राजस्व एवं परिवहन मंत्री(श्री गोविन्द सिंह राजपूत) -- हर प्रश्न में बोलने के अधिकार का पट्टा इन्होंने ले लिया है.
श्री तरूण भनोत -- मेरा प्रश्न है, आपको व्यवस्था पता नहीं होती है, आप बैंगलौर में मंत्री रहिये. आप लगते भी वहीं के हैं, साउथ के हीरो, आप वहीं मंत्री बन जाओ सरकार में.
अध्यक्ष महोदय -- जवाब आने दीजिये, आप जवाब आने दें.
श्री तरूण भनोत -- (XXX) अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है, मैंने पूछा है, उसका उत्तर दिला दें.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी.
श्री तरूण भनोत -- कितनी धान गीली हुई थी, कितनी आपने सुखाकर ठीक कर ली है?
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी आप बोलें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लायक नहीं है शब्द को विलोपित कर दिया जाये. (व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- सिसौदिया जी लायक हैं, इसको भी विलोपित करवा दो.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- कौन लायक है, कौन लायक नहीं है, आप तय करेंगे. (व्यवधान)...
श्री तरूण भनोत -- सिसौदिया जी, मंत्री बनने के लायक हैं. (व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- आप शब्द तो ठीक करो, आप साथी को लायक नहीं बता रहे हैं. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- लायक नहीं, शब्द को विलोपित किया जाये. प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.00 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
1. डॉ. सतीश सिंह सिकरवार -
2. डॉ. हिरालाल अलावा -
3. श्री सज्जन सिंह वर्मा -
4. श्री बाला बच्चन -
5. इंजी. प्रदीप लारिया -
6. श्री नीलांशु चतुर्वेदी -
7. श्री पी.सी.शर्मा -
8. श्री संजय सत्येन्द्र पाठक -
9. श्री बहादुर सिंह चौहान -
10. श्री दिलीप सिंह गुर्जर -
12.01 बजे
शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
राजगढ़ जिले में ओलावृष्टि होना
श्री प्रियव्रत सिंह (खिलचीपुर) - अध्यक्ष जी, मेरा एक निवेदन है कि कल राजगढ़ जिले में ओलावृष्टि हुई है. मैं उस पर एक मिनट बोलना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, कल राजगढ़ जिले की खिलचीपुर तहसील एवं जीरापुर तहसील के अधिकांश गांवों में ओलावृष्टि हुई है और भारी वर्षा हुई है, जिससे सन्तरे की फसल, गेहूँ की फसल, चने की फसल और सरसों की फसल नष्ट हुई है, छापेड़ा टप्पा एवं जीरापुर तहसील के अधिकांश गांवों में ऐसी परिस्थिति बनी है. मैं शासन से अनुरोध करूँगा कि इस ओलावृष्टि का तत्काल सर्वे करवाया जाये. ग्राम कुंआखेड़ा, सोनखेड़ाकलां, नाटाराम, धुंआखेड़ी, सेदरा, अमावता और जीरापुर तहसील के ग्राम बरखेड़ी उमट सिरपोई, झाड़मऊ, कवलसिंह खेड़ा, काशीखेड़ी एवं समस्त गांवों में और इनके अलावा भी कई गांवों में ओलावृष्टि हुई है. किसान बहुत बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. इसके तत्काल सर्वे हेतु कमिश्नर भोपाल और राजगढ़ कलेक्टर को शासन निर्देश दे. ऐसा मेरा अनुरोध है.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष जी, पूरे प्रदेश में ओलावृष्टि की, जो सम्मानित सदस्यों एवं विधायकों की चिन्ता है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने तत्काल सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं, आज ही सर्वे प्रारंभ कर दिया गया है. अधिकारी खेतों पर रवाना कर दिए गए हैं. यह किसान के बेटे की सरकार है. किसानों के हितों की सरकार है, किसी किसान की आंखों में आंसू नहीं रहने देंगे. एक-एक किसान को मुआवजे के अनुसार राहत राशि दी जायेगी.
12.02 बजे
2. अध्यादेशों का पटल पर रखा जाना
1. (क) मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 15 सन् 2021), एवं
(ख) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन अध्यादेश, 2022 (क्रमांक 1 सन् 2022)
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) :- अध्यक्ष महोदय, मैं, भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 की अपेक्षानुसार-
(क) मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश, 2021 (क्रमांक 15 सन् 2021), एवं
(ख) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) संशोधन अध्यादेश, 2022 (क्रमांक 1 सन् 2022)
पटल पर रखता हूँ.
12.03 बजे
3. पत्रों का पटल पर रखा जाना
1. मध्यप्रदेश वित्त निगम का 66 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021.
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा):- अध्यक्ष महोदय, मैं, दि स्टेट फायनेंशियल कार्पोरेशंस एक्ट, 1951 (क्रमांक 63 सन् 1951) की धारा 37 की उपधारा (7) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश वित्त निगम का 66 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021 पटल पर रखता हूँ.
2. मध्यप्रदेश रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण की अधिसूचना क्रमांक-एमपीरेरा-कार्य संचालन-विनियमन 2021-1, दिनांक 15 सितम्बर, 2021.
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह):- अध्यक्ष महोदय, मैं, दि रियल एस्टेट (रेग्युलेशन एण्ड डेव्हलपमेंट) एक्ट, 2016 की धारा 86 की उपधारा (2) के अधीन मध्यप्रदेश रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण की अधिसूचना क्रमांक-एमपीरेरा-कार्य संचालन-विनियमन 2021-1, दिनांक 15 सितम्बर, 2021 पटल पर रखता हूँ.
3. (क) राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2019-2020 (संचालक, स्थानीय निधि संपरीक्षा, म.प्र. ग्वालियर द्वारा प्रेषित प्रमुख आपत्तियां, स्पष्टीकरण हेतु उत्तर एवं प्रमण्डल की टिप्पणियां), तथा
(ख) जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2018-2019 (उप संचालक, स्थानीय निधि संपरीक्षा, जबलपुर (म.प्र.) द्वारा प्रेषित प्रमुख आपत्तियां, स्पष्टीकरण हेतु उत्तर एवं प्रमण्डल की टिप्पणियां)
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री (श्री कमल पटेल):- अध्यक्ष महोदय, मैं -
(क) राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 (क्रमांक 4 सन् 2009) की धारा 42 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय, ग्वालियर (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2019-2020 (संचालक, स्थानीय निधि संपरीक्षा, म.प्र.ग्वालियर द्वारा प्रेषित प्रमुख आपत्तियां, स्पष्टीकरण हेतु उत्तर एवं प्रमण्डल की टिप्पणियां), तथा
(ख) जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम, 1963 की धारा 40 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 2018-2019 (उप संचालक, स्थानीय निधि संपरीक्षा, जबलपुर (म.प्र.) द्वारा प्रेषित प्रमुख आपत्तियां, स्पष्टीकरण हेतु उत्तर एवं प्रमण्डल की टिप्पणियां)
पटल पर रखता हूँ.
4. (क) जिला खनिज प्रतिष्ठान, जिला अनूपपुर एवं जबलपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020 तथा जिला उमरिया, सागर एवं छिन्दवाड़ा के वार्षिक प्रतिेवेदन वर्ष 2020-2021, तथा
(ख) श्रम विभाग की अधिसूचना क्रमांक-1036-183-2018-ए-सोलह, दिनांक 02 अगस्त, 2021.
खनिज साधन मंत्री (श्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह) :- अध्यक्ष महोदय, मैं -
(क) मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 के नियम 18 के उप नियम (3) की अपेक्षानुसार जिला खनिज प्रतिष्ठान, जिला अनूपपुर एवं जबलपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020 तथा जिला उमरिया, सागर एवं छिन्दवाड़ा के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021, तथा
(ख) मध्यप्रदेश बालक एवं कुमार श्रम (प्रतिषेध एवं विनियमन) नियम, 1993 की धारा 19 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार श्रम विभाग की अधिसूचना क्रमांक-1036-183-2018-ए-सोलह, दिनांक 02 अगस्त, 2021
पटल पर रखता हूँ.
(5) कंपनी अधिनियम, 2013, एम.पी.पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का चतुर्दश वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) :- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार एम.पी.पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड, जबलपुर का चतुर्दश वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020 पटल पर रखता हूँ.
(6) मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम का वार्षिक प्रतिवेदन
वर्ष 2019-2020
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) :- अध्यक्ष महोदय, मैं,
(क) मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम अधिनियम, 1982 (क्रमांक 37 सन् 1982) की धारा 27 की उपधारा (3) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020, तथा
(ख) दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (क्रमांक 49 सन् 2016) की धारा 83 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार आयुक्त, नि:शक्तजन, मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021
पटल पर रखता हूँ.
(7)(क)( i) बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.) का 49 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021,
(ii) रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021 (1 जुलाई 2020 से 30 जून 2021 तक), एवं
(iii) अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा (म.प्र.) का 53 वां प्रगति प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021,
(ख) महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट, सतना (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021,
उच्च शिक्षा मंत्री (डॉ. मोहन यादव) :- अध्यक्ष महोदय, मैं,
(क) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की धारा 47 की अपेक्षानुसार –
(i) बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल (म.प्र.) का 49 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021,
(ii) रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021 (1 जुलाई 2020 से 30 जून 2021 तक), एवं
(iii) अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा (म.प्र.) का 53 वां प्रगति प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021, तथा
(ख) चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1991 (क्रमांक 9 सन् 1991) की धारा 36 की उपधारा (5) की अपेक्षानुसार महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट, सतना (म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021,
पटल पर रखता हूँ.
(8) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन
वर्ष 2020-2021
पर्यावरण मंत्री (श्री हरदीपसिंह डंग) :- अध्यक्ष महोदय, मैं, जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा 40 की उपधारा (7) एवं वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 की धारा 36 की उपधारा (7) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021 पटल पर रखता हूँ.
(9) अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) का तेईसवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016, चौबीसवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017 एवं पच्चीसवां
वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018
सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री (श्री इन्दर सिंह परमार) :- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) अधिनियम, 1994 (क्रमांक 21 सन् 1994) की धारा 19 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) का तेईसवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016, चौबीसवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017 एवं पच्चीसवां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018 पटल पर रखता हूँ.
12.06 बजे (4) दिसम्बर, 2019 सत्र से दिसम्बर, 2021 सत्र तक के प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खंड-9 पटल पर रखा जाना.
अध्यक्ष महोदय - दिसम्बर, 2019 सत्र से दिसम्बर, 2021 सत्र तक के प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तरों का संकलन खंड-9 पटल पर रखा गया .
12.07 बजे (5) नियम 267-क के अधीन दिसम्बर,2021 सत्र में पढ़ी गई शून्यकाल की सूचनाओं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा जाना.
अध्यक्ष महोदय - नियम 267-क के अधीन दिसम्बर,2021 सत्र में पढ़ी गई शून्यकाल की सूचनाएं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्त उत्तरों का संकलन पटल पर रखा गया.
12.07 बजे (6) राज्यपाल की अनुमति प्राप्त विधेयकों की सूचना.
12.10 बजे
ध्यान आकर्षण
नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा जबलपुर की बड़ादेव सूक्ष्म उद्वहन सिंचाई परियोजना को लंबित रखा जाना.
श्री संजय यादव--मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है--
राज्यमंत्री नर्मदा घाटी विकास (श्री भारत सिंह कुशवाह)--अध्यक्ष महोदय,
श्री संजय यादव(बरगी):-अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं. पहली बात तो यह कि वहां अभी 15 दिन से लगातार आंदोलन चल रहा था. आप कह रहे हैं कि आक्रोश नहीं है. आप तो यह बतायें कि क्या माननीय मुख्यमंत्री जी मंशा पानी देने की नहीं थी. अगर मुख्यमंत्री की मंशा नहीं होती तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक बार 5 जनवरी, 2021 को मेरे मूल पत्र में तीन बार ए प्लस सीएम मॉनिट में, पांच बार बी में. मुझे तो लग रहा है कि या तो अधिकारी मुख्यमंत्री की बात नहीं मान रहे हैं या अधिकारियों को जानकारी नहीं है. यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, जो विस्थापित होकर आये हैं और हिल में पड़ते हैं, पहाड़ी पड़ जाती है वहां पर सिर्फ उद्वहन सिंचाई योजना हो सकती है उनको पम्प से लाभ नहीं मिल सकता, अगर उनको पम्प से लाभ मिल जाता तो वह बिचारे गरीब आदिवासी वह आपसे क्यों पानी मांगते, क्यों आंदोलन करते. मैं तो आपसे कहना चाहता हूं कि सरकार की मंशा कागजों तक सीमित रहती है कि हम सिंचाई का रकबा बढ़ा रहे हैं. आपके उत्तर से स्पष्ट हो गया है कि आप आदिवासी विरोधी हैं. आपकी सरकार आदिवासियों को सिंचाई का साधन उपलब्ध नहीं कराना चाहती है. आपने स्पष्ट कर दिया है कि हम आदिवासियों को सिंचाई के साधन नहीं देंगे या मुख्यमंत्री की बात का...
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये आपका भाषण पूरा हो गया है. तरूण भनोत जी, लखन घनघोरिया जी, विनय सक्सेना जी.
श्री लखन घनघोरिया:- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बड़ी चिंता का विषय है कि लंबे समय से यह मांग लंबित है और लगभग 10-15 दिन से वहां के आदिवासी समुदाय के तमाम लोग बहुत ज्यादा आक्रोश में अनशन पर बैठें हैं. आये दिन वहां आक्रोश जमीन पर परिलक्षित होते दिख रहा है. मंत्री जी का यह कहना कतई उचित नहीं है कि वहां आक्रोश नहीं है. लिफि्टिंग करके पानी पहुंचाने की व्यवस्था हो सकती है और सिर्फ और सिर्फ आदिवासी बहुल क्षेत्र को ही वंचित रखा जा रहा है. इसमें मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि मंत्री जी इस बात का जमीनी स्तर पर हकीकत का पता लगायें, सिर्फ कागजी स्तर पर नहीं कि अधिकारियों ने कह दिया, आपने सुन लिया और आपने मान लिया. यदि आप जमीनी स्तर पर पता लगायेंगे तो, मैं समझता हूं कि हकीकत सामने आ जायेगी.
श्री भारत सिंह कुशवाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो कह रहे हैं, मुख्यमंत्री जी किसान पुत्र हैं और मुख्यमंत्री जी के रहते हुए प्रदेश के अंदर सिंचाई का रकबा भी बढ़ा है और इसी मंशा अनुसार मध्यप्रदेश को अपने हिस्से का जितना जल उपयोग करना है, उसके लिये कुछ परियाजनाएं निर्मित हैं और कुछ निर्माणाधीन हैं, कुछ निविदाएं प्रक्रिया में हैं. इसलिये कोई भी नयी योजना को वर्तमान में सम्मिलित करना संभव नहीं है.
श्री संजय यादव:-आप तो यह बतायें कि मुख्यमंत्री जी ने पत्र लिया या नहीं ? मंत्री जी की मंशा ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जायें, आपकी बात आ गयी. संजय जी अब नहीं. मंत्री जी उनका कुल मिलाकर यह कहना है कि जो विस्थापित होकर ऊपर गये, वहां उनको पानी नहीं मिल रहा है, उस संबंध में आप कोई धरातल में जांच करायेंगे, वह ऐसा कह रहे हैं. उसकी जांच हो जायेगी कि वास्तविकता क्या है.
श्री भारत सिंह कुशवाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग ने इस संबंध में निर्देश भी जारी किये हैं, जो संचालित नहर है उससे किसान स्वयं अपने खेतों की सिंचाई करने के लिये अपना पम्प लगाकर पानी को खींच सकते हैं. इस संबंध में निर्देश भी विभाग ने जारी कर दिये हैं.
श्री लखन घनघोरिया:- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारा बिल्कुल सीधा सा प्रश्न था कि क्या आप जमीनी हकीकत पता करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय:- उनका कहना यह है कि मोटर के द्वारा पानी ऊपर चढ़ नहीं सकता है.
श्री लखन घनघोरिया:- माननीय मंत्री जी, मोटर से पानी चढ़ नहीं सकता, सिर्फ लिफि्टिंग ही एक व्यवस्था हो सकती है, लिफि्टिंग से ही पानी आ सकता है, आप जमीनी हकीकत पता करायेंगे क्या ?
श्री भारत सिंह कुशवाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जमीनी हकीकत पता करके ही यह निर्देश दिये कि किसान स्वयं अपने पम्प से पानी को खींच कर अपने खेतों तक आसानी से पहुंचा सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय:- यह उनका जुड़ा हुआ मामला है जो ऊपर चले गये. उनकी मंशा यह है कि आपके अधिकारियों ने यह कहा कि हमने उनको अनुमति दे दी, उनका कहना है कि अनुमति देने के बाद भी पानी नहीं चढ़ाया जा सकता है, तो क्या इस विषय की जांच करा लेंगे, ऐसा उनका कहना है. आप जांच करा लीजिये कि पानी चढ़ सकता है या नहीं चढ़ सकता है.
श्री भारत सिंह कुशवाह:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जांच करा लेंगे.
श्री विनय सक्सेना:- माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ बातें छूट रही हैं, सिर्फ यह कह देने से की माननीय मुख्यमंत्री जी किसान पुत्र हैं, पानी नहीं मिल सकता किसी को. हर चीज का जवाब अगर हम यही देंगे.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, उन्होंने जांच का बोल तो दिया.
श्री भारत सिंह कुशवाह:- आपके बोलने से थोड़े ही होता है. पूरे प्रदेश की जनता बोल रही है. प्रदेश की जनता खुद आशीर्वाद दे रही है.
श्री विनय सक्सेना- ऐसा है, कुशवाह जी, आप माननीय अध्यक्ष महोदय की ओर देखकर जवाब दीजिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, जबलपुर के उन आदिवासियों की पीड़ा यह है कि एक तरफ बरगी बांध से पूरे प्रदेश को पानी मिल रहा है, आप देखिये कि उनका दुर्भाग्य है- दिया तले अंधेरा. जिस जगह पर हमने आदिवासी भाईयों को विस्थापित किया, मंत्री जी जैसा आप कह रहे हैं, वह महत्वपूर्ण बात है कि जो अध्यक्ष महोदय जी कह रहे हैं, वह महत्वपूर्ण है.
अध्यक्ष महोदय- उसे मान तो लिया है.
श्री विनय सक्सेना- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस तरह से जवाब देना उचित नहीं है. मेरा आपसे निवेदन है कि हम विधायक पंप भी दे देंगे, डीज़ल का पैसा भी एक माह के लिए दे देंगे लेकिन मंत्री जी खुद किसी अधिकारी को खड़े करके, वहां पानी पहुंचाकर दिखा दें और यदि नहीं दिखा पाते, तो यह न कहें कि जन आक्रोश नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- इसमें हो गया. उन्होंने कह दिया जांच करवा लेंगे.
श्री विनय सक्सेना- आपका आदेश होना चाहिए, इसमें निर्देश देना चाहिए. हम पैसे की व्यवस्था कर देंगे.
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)- मैं, आपको सिंचाई का रकबा बताऊं क्या कि वर्ष 2003 में कितना था केवल 7 लाख हेक्टेयर था और मुख्यमंत्री जी किसान पुत्र हैं, इसलिए अब रकबा 43 लाख हेक्टेयर हो गया है.
श्री विनय सक्सेना- तुलसी भाई, आप तो नाराज हुआ ही मत करो. तुलसी भाई, क्यों नाराज होने लगते हैं ?
12.22 बजे
(2) मुरैना जिले में पशुओं की मौत पर पशुपालकों को सहायता राशि न दिया जाना
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं, आपका आभार व्यक्त करता हूं. संसदीय मंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं कि किसानों की पीड़ा से जुड़े हुए प्रश्न को ध्यान आकर्षण की सूचना में शामिल किया है. मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना में एक टाइपिंग की त्रुटि है उसमें पांचवी पंक्ति पर पशु के स्थान पर इंसान पढ़ा जाये.
राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत)- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री राकेश मावई- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुरैना में जो गौवंश मारा गया है, उसका क्या हुआ, मंत्री जी उसका जवाब दें.
अध्यक्ष महोदय- मावई जी, बैठ जाईये. मूल प्रश्नकर्ता को पहले बोलने दें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो ध्यानाकर्षण की सूचना आपको दी है, उसमें हजारों किसानों की पीड़ा है, वेदना है और किसान बिलकुल जमीन पर आ गये हैं. मैं एक गांव में गया था, वहां एक ही गांव में सौ भैंसें मरी थीं. एक-डेढ़ लाख रुपये की एक भैंस आती है. माननीय मुख्यमंत्री जी का सगोरिया और बैरारा माता पर कार्यक्रम था, मैं एक किसान के घर, उनको धन्यवाद देने गया था कि वे अच्छी भीड़ लाये और मुख्यमंत्री जी का कार्यक्रम अच्छा हो गया तो उस किसान ने मुझे अंदर बुलाया और रोने लगा कि विधायक जी, मेरी चार भैंसें मर गई हैं, मेरे पास चार लड़के और चार बीघा जमीन है. उसमें मैं अपना जीवन यापन कैसे करता हूं जो चार भैंस दूध देती थीं उसको बेचकर मैं अपने परिवार का खर्चा चलाता था आप तो मेरे घर बैठने के लिए भी नहीं आए और हमने समझा कि मुख्यमंत्री जी इसी क्षेत्र में आ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- रजौधा जी आप अपना प्रश्न पूछिए.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा--माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें वेदना भरी है, बहुत कष्ट है. हजार भैंसें मरी हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप कहानी का वर्णन मत कीजिए आप तो केवल प्रश्न पूछिए.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे आपका संरक्षण चाहिए.
श्री लाखन सिंह यादव-- सूबेदार जी जो बात कह रहे हैं यह एक व्यक्ति का मुद्दा नहीं है. (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पूरे मध्यप्रदेश का मामला है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप उनका प्रश्न आ जाने दें. (व्यवधान)...
श्री पी.सी. शर्मा-- मध्यप्रदेश में गाय मर रही हैं, सरकार गाय की कोई व्यवस्था नहीं कर रही है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप रजौधा जी की बात आ जाने दीजिए. (व्यवधान)...
श्री सुखदेव पांसे-- चारे का पैसा कम कर दिया था. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी बैठ जाइए. (व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में गौमाता मर रही हैं. आठ महीने से अनुदान राशि नहीं मिल रही है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- कृपया करके आप सभी बैठ जाइए. पहले आप उत्तर तो आने दीजिए. लाखन सिंह जी आप बैठ जाइए. साधौ जी आप भी बैठ जाइए. आप सभी कृपया करके बैठ जाइए. (व्यवधान)...
श्री लाखन सिंह यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, गौ हत्या बंद होना चाहिए और इसके लिए पूरी सरकार जिम्मेदार है. (व्यवधान)
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ--गौ हत्या बंद करो. (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- अध्यक्ष महोदय, गौ हत्या बंद होना चाहिए. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी पहले बैठिए तो. (व्यवधान)...
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय अध्यक्ष महोदय, गौ-शालाएं संचालित नहीं हो रही हैं. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप मंत्री जी का जवाब भी तो आने दीजिए. (व्यवधान)...
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- पशुओं को खिलाने के लिए भूसा नहीं मिल रहा है. (व्यवधान)...
श्री पी.सी. शर्मा-- गौ-शालाएं बंद पड़ी हैं. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया जवाब आने दीजिए. (व्यवधान)...
श्री हर्ष यादव-- अध्यक्ष महोदय, गौ-शालाओं में गाय नहीं है और खाने की व्यवस्था भी नहीं है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी केवल एक बार बैठ जाइए. मैं व्यवस्था दे रहा हूं. प्रियव्रत जी बैठ जाइए. (व्यवधान)...
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, गाय मर रही हैं. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- गोविन्द सिंह जी आप बैठ जाइए. (व्यवधान)...
श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी-- अध्यक्ष महोदय, गौमाता के चारे और भूसे की व्यवस्था की जाए. (व्यवधान)...
11.28 बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगणों द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया.
श्री लाखन सिंह यादव-- हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगणों द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया)
अध्यक्ष महोदय-- सूबेदार जी आप अपना प्रश्न करें.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सत्य है कि इस प्रकार की घटना इस प्रकार की मृत्यु प्राकृतिक आपदा में नहीं आती है लेकिन जैसा कि माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में कहा कि डॉक्टरों ने परीक्षण किया कि निमोनिया था. मैं यह कहता हूं कि भैंसों की मौत के दौरान उनको इलाज लेने का कोई मौका ही नहीं मिला. दो मिनट में भैंसें बैठ गईं और खत्म हो गईं.
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधा-सीधा प्रश्न कीजिए.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह मानता हूं कि यह प्राकृतिक आपदा में नहीं आता है लेकिन मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं कि नरसिंहगढ़ में एक नहर टूट गई थी और उससे हजारों किसानों का नुकसान हुआ था. वह प्राकृतिक आपदा में नहीं आता था, लेकिन सरकार ने नुकसान को देखते हुए उसे प्राकृतिक आपदा में शामिल किया था.
अध्यक्ष महोदय-- रजौधा जी आप अपना प्रश्न कीजिए.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब मुख्यमंत्री जी की सभा चल रही थी.
अध्यक्ष महोदय-- आप केवल सीध प्रश्न कीजिए.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न ही पूछ रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न नहीं पूछ रहे हैं आप भाषण कर रहे हैं. आप सीधा प्रश्न पूछिए.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न ही पूछ रहा हूं मैं मुख्यमंत्री जी की धारणा को आप तक पहुंचा रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न पूछिए. आप मंत्री जी से यह पूछ सकते हैं कि क्या मंत्री जी इस तरह का कोई प्रावधान करेंगे. आप समय का थोड़ा ध्यान रखिए.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा -- मुख्यमंत्री जी ने भी यह कहा था कि यह प्राकृतिक आपदा में नहीं आता है. वह बड़ी सभा थी. उन्होंने कहा था कलेक्टर इस पर विचार करें. इसमें किसानों का नुकसान हुआ है. मैं माननीय मंत्री जी से आश्वासन चाहूंगा कि जब नरसिंहगढ़ में उस आपदा को शामिल किया जा सकता है. जब माननीय मुख्मयमंत्री जी ने सभा के दौरान कलेक्टर को यह बोला है तो इसको प्राकृतिक आपदा में शामिल करने में क्या हर्ज है. क्या माननीय मंत्री जी इसको प्राकृतिक आपदा समझकर किसानों को मुआवजा देंगे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य बहुत समझदार हैं. वे स्वयं इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि यह प्राकृतिक आपदा में नहीं आता है. प्राकृतिक आपदा आती है और उसमें पशुहानि हो, जनहानि हो, धनहानि हो, मकानहानि हो, दुकानहानि हो. उस समय इसे प्राकृतिक आपदा मानकर उसका मुआवजा दिया जाता है. यह मुआवजा कई बार आरबी 6 (4) के तहत दिया गया है. यहां जो मृत्यु हुई है वह प्राकृतिक आपदा से नहीं हुई है. जो टीम गई थी उस टीम ने बताया है कि यह मृत्यु निमोनिया, मिश्रित संक्रमण एवं रेसपायरेटरी फेल्योर के कारण हुई हैं. इसके कारण पशुओं की जो मृत्यु हुई है उसका मुआवजा देने का आरबीसी 6 (4) में प्रावधान नहीं है. जिस सभा का जिक्र माननीय सदस्य ने किया है उसमें माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह कहा था कि इसका आरबीसी 6 (4) में प्रावधान नहीं है, यह उन्होंने भी स्वीकार किया था. लेकिन उन्होंने यह भी कहा था, तो हम इतने जल्दी आरबीसी 6 (4) में परिवर्तन नहीं कर सकते हैं. यह पहली बार हो रहा है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने सारे विधायकों की स्वेच्छा निधि 15 लाख रुपए से बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दी है. माननीय सदस्य 50 लाख रुपए में से 10-10 हजार रुपए अभी दे दें जिससे तात्कालिक व्यवस्था हो जाएगी. बाकी आपने जो कहा है उस पर हम विचार करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- वह निधि विधायकों के पिछले सत्र की थी वह खत्म हो चुकी है.
श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय मुख्यमंत्री जी ने कलेक्टर को बोला था. मंत्री जी, कलेक्टर से बात कर लें. यह प्राकृतिक आपदा में शामिल नहीं है लेकिन एक गांव में 100 भैसों की मृत्यु हुई हैं. पोरसा ब्लाक में 620 भैंसों की मृत्यु हुई है, मेरे विधान सभा क्षेत्र में 300 दुधारु भैंसों की मृत्यु हुई है. इससे मुख्यमंत्री जी को पीड़ा हुई उन्होंने मेरे सामने सभा में मंच से बोला था, माननीय मुख्यमंत्री जी मेरी बात सुन रहे होंगे. उन्होंने कलेक्टर को बोला था कि यह आरबीसी 6 (4) में नहीं आता है लेकिन किसान को कैसे राहत मिले इस पर आप विचार करिए. उन्होंने कहा था कि मैं जो कर सकता हूँ वह करुंगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं दूसरा प्रश्न पूछना चाहता हूँ इंसान को सर्प या कोई विषैला जीव काट लेता है तो उसे प्राकृतिक आपदा माना जाता है. पशुओं की सर्प और गौहेरे के काटने के कारण ज्यादा मृत्यु होती है. जब किसान पीएम करवाते हैं तो पता चलता है कि सर्प ने काटा है लेकिन उसका आरबीसी में प्रावधान नहीं है. भगवान ने ही पशु और इंसान में अन्तर किया है. बेजुबान पशु की मृत्यु से किसान प्रभावित होता है.
अध्यक्ष महोदय -- आपका प्रश्न आ गया है. बजट पर चर्चा के दौरान आप इन बातों को कहिएगा. इन सारी चीजों को जोड़ने के लिए बजट की चर्चा में आप बात रखिएगा. माननीय मंत्री जी माननीय सदस्य को सीधा जवाब दे दीजिए.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की आरबीसी 6 (4) में बहुत बार संशोधन हुआ है. माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी ने कई बार चीजों को समझा है. मैं जानता हूँ वे दयालु हैं. मैं आज नियम कायदे बंधा हूं लेकिन मैं इस पर विचार करूंगा और आपकी बात माननीय मुख्यमंत्री जी तक पहुंचाऊंगा कि ऐसी घटनाएं घटें तो उस पर विचार किया जाए.
12.34 बजे
अनुपस्थिति की अनुज्ञा
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं आप से 2 सेकण्ड बात करना चाहती हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अभी हो जाने दीजिए.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- मेरा आप से निवेदन है प्लीज़.....
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये. मैं आपको सुन लूँगा.
12.36 बजे
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति.
याचिका समिति का अष्टम्, नवम्, दशम्, ग्यारहवाँ, बारहवाँ, तेरहवाँ, एवं चौदहवाँ तथा अभ्यावेदनों से संबंधित सत्रहवाँ, अठारहवाँ एवं उन्नीसवाँ प्रतिवेदन.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(सभापति)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, याचिका समिति के याचिकाओं से संबंधित अष्टम्, नवम्, दशम् ग्यारहवाँ, बारहवाँ, तेरहवाँ एवं चौदहवाँ तथा अभ्यावेदनों से संबंधित सत्रहवाँ, अठारहवाँ एवं उन्ननीसवाँ प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपका आभार व्यक्त करता हूँ, आपके कुशल मार्गदर्शन में विभिन्न समितियाँ जिस प्रकार से अपना काम कर रही हैं और याचिका समिति में, हमारे सभी सम्मानित वे साथी जो लगातार बैठकों में आ करके याचिकाओं का और अभ्यावेदनों का निराकरण कर रहे हैं, मैं सचिवालय को भी और हमारे अधिकारी, कर्मचारी, साथियों को भी और अध्यक्ष महोदय, आपके निर्देशानुसार जो साक्ष्य में प्रमुख सचिव लोग आ रहे हैं, उनके अधीनस्थ अधिकारी आ रहे हैं, वे सब समय पर आ रहे हैं, नतीजतन याचिकाओं की और अभ्यावेदनों की जो पैंडेंसी है, उसमें निरन्तरता हम बनाए रखे हुए हैं. आपका बहुत बहुत आभार.
नियम समिति का द्वितीय प्रतिवेदन.
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ (सदस्या)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 231 के उपनियम (3) के अधीन नियम समिति का द्वितीय प्रतिवेदन पटल पर रखती हूँ.
12.37 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति.
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्यों की याचिकाएँ प्रस्तुत हुई मानी जाएँगी.
सभापति तालिका की घोषणा.
अध्यक्ष महोदय-- मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन सम्बन्धी नियमावली के नियम 9 के उपनियम (1) के अधीन, मैं निम्नलिखित सदस्यों को सभापति तालिका के लिए नाम-निर्दिष्ट करता हूँ :-
1. श्री लक्ष्मण सिंह जी,
2. श्रीमती झूमा सोलंकी जी,
3. श्री रामलाल मालवीय जी,
4. डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय जी,
5. श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी तथा
6. श्रीमती नंदनी मरावी जी.
12.38 बजे
वर्ष 2021-2022 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन.
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय के निर्देशानुसार वर्ष 2021-2022 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- मैं, इस तृतीय अनुपूरक अनुमान पर चर्चा और मतदान के लिए दिनाँक 11 मार्च, 2022 को 2 घण्टे का समय नियत करता हूँ.
डॉ सीतासरन शर्मा, सदस्य कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव के संबंध में अपना भाषण प्रारंभ करेंगे.
(मेजों की थपथपाहट)
12.39 बजे
राज्यपाल के अभिभाषण पर डॉ.सीतासरन शर्मा, सदस्य द्वारा दिनाँक 7 मार्च, 2022 को प्रस्तुत प्रस्ताव पर चर्चा.
डॉ.सीतासरन शर्मा(होशंगाबाद)-- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय. अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण पर मैं अपनी बात कहने के लिए उपस्थित हुआ हूँ. अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल का अभिभाषण गत वर्ष के कार्य वर्तमान की गतिविधि और भविष्य की योजनाओं पर आधारित होता है. इसके द्वारा सरकार के समूचे कार्यों की समीक्षा की जा सकती है. यह एक तरह का “विज़न डाक्यूमेंट” भी होता है. जो भविष्य की योजनाएँ होती हैं और जो वर्तमान में चल रही योजनाएँ होती हैं, उनके लिए इसी अभिभाषण के आधार पर बजट में प्रावधान भी किए जाते हैं और इसीलिए अध्यक्ष महोदय, वास्तव में यदि सबसे अधिक महत्वपूर्ण विधान सभा की कार्यवाही में सभी सदस्यों के लिए कोई बात है तो वह महामहिम राज्यपाल महोदय का अभिभाषण ही है क्योंकि उसी के आधार पर साल भर सारे प्रदेश की सारी गतिविधियाँ चलती हैं, पिछले कार्यों की समीक्षा होती है और भविष्य की योजनाओं की बातचीत होती है और शायद इसीलिए अध्यक्ष महोदय, भारत के संविधान के आर्टिकल 176 (1), 175 (1) में यह प्रावधान किया गया है. हर साल पहले सत्र के समय महामहिम राज्यपाल महोदय का अभिभाषण हो, लेकिन अफसोस की बात है कि कुछ माननीय सदस्य तो बिना सुने ही इसका बहिष्कार करते हैं. बिना आए वॉकआउट करते हैं, ट्वीटर पर विधानसभा में कार्यवाही में वे क्या करने वाले हैं यह लिखते हैं. अध्यक्ष जी, इस तरह का अपमान और लोकतंत्र के इस बडे़ सदन की इस तरह की अवहेलना आज तक कभी देखी नहीं गयी. हॉं, यह बात सही है कि प्रतिपक्ष के नेता जी ने भी हमारी बात की भावनाओं में अपनी भावनाएं मिलायीं और तब ही से वह माननीय सदस्य पता नहीं, क्या हो गया वह यहां आ ही नहीं रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, हमारे सामने जो माननीय सदस्यगण बैठे हैं इनका आचरण भी समझ में नहीं आता. एक सदस्य ट्वीटर से विधानसभा चला रहे हैं और बाकी सदस्यों ने बजट भाषण सुना ही नहीं और उसका विरोध करने खडे़ हो गए, तो क्या यह अंतरयामी हैं ? " बिनु पद चलइ, सुनइ बिनु काना". बिना कान के सुन लेते हैं, बिना पैर के चल देते हैं. अभिभाषण शुरू ही नहीं हुआ और खडे़ हो गये. कहने लगे कि भाषण में कुछ रखा नहीं है. लोकतंत्र चर्चा से चलता है. डेमोक्रेटिक गवर्नमेंट इज ए गवर्नमेंट बाइ डिस्कशन.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय पूर्व अध्यक्ष महोदय जी, राज्यपाल महोदय जी से जो असत्य बयां कराया है, उससे आपकी सरकार की मेरी सरकार क्या करेगी, वह सारा परिदृश्य आ गया था तो अंतर्यामी थोडे़-थोडे़ हम बन गए हैं...(हंसी)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- डॉ. साहब, क्या है कुछ लोग खतका मजमून भांप लेते हैं लिफाफा देखकर, यह तो डाकघर देखकर ही पता कर लेते हैं...(हंसी)..
डॉ.सीतासरन शर्मा -- आपके जो तृतीय नेत्र हैं आपने जो कहा, उसके लिए धन्यवाद.
डा.नरोत्तम मिश्र -- माननीय कमलनाथ जी निकालकर इनको दे गए हैं...(हंसी)..
डॉ.सीतासरन शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, बजट की चिन्ता हमारे मुख्यमंत्री जी ने भी उस दिन यह पाइंट आउट किया था. प्रदेश की जनता को भी रहती है. प्रेस भी यह जानना चाहती है क्योंकि प्रेस के माध्यम से ही वह प्रदेश की जनता तक जाती है. सीधा प्रसारण होता है किन्तु आपने हल्ला-गुल्ला करके इस काम से भी न केवल प्रेस को, न केवल सदन को बल्कि सारे प्रदेश को इस महत्वपूर्ण सूचना से वंचित किया है, इस महत्वपूर्ण काम से वंचित किया है.
अध्यक्ष जी, हमारी सरकार के बहुत से काम हैं और हमारे अन्य सदस्य भी बोलेंगे, इसलिए सारी बातों पर मैं नहीं जाऊंगा. किन्तु जो बहुत-सी बातें हैं वह आपके ध्यान में लाना है. एक बात तो मैंने विज़न की कही थी. कोई भी सरकार सिर्फ पुरानी बातों से और पुराने कार्यों से ही नहीं चलती. उसमें नई योजनाएं, नये विज़न बदलते हुए परिवेश के आधार पर विचार करना पड़ता है और बदलते हुए परिवेश के आधार पर काम करना पड़ता है और हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी का विज़न सारे प्रदेश की जनता के लिए है. वह हर वर्ग की सोचते हैं और इसलिए मैं शुरूआत करता हॅूं. आप सब जानते हैं हमारी सामाजिक परिस्थितियॉं हैं उसमें बेटियों की स्थिति क्या थी. तब भी थीं, जब आपका राज था. सामने बैठीं कांग्रेस दल की सदस्या हैं इनकी सरकार को यह कभी सूझा नहीं कि हम बेटियों के लिए, न्यू बॉर्न बेबीज़ के लिए कुछ करें. हमारे मुख्यमंत्री जी पहली बार लाड़ली लक्ष्मी योजना लेकर लाए. (मेजों की थपथपाहट) आज के समय में 41 लाख लाड़ली लक्ष्मी हैं. अब आपकी लाड़ली लक्ष्मी तो एक ही हैं. लड़की हॅूं लड़ सकती हॅूं. बाकी लाड़ली लक्ष्मी तो हमारे मुख्यमंत्री जी की हैं और हमारी सरकार की हैं. (मेजों की थपथपाहट)
सुश्री विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, मैं एक धृष्टता कर रही हॅूं. वैसे आप मेरे ही कॉलेज के हैं. मेडिकल में तो सीनियर-जूनियर का बहुत ज्यादा मान-सम्मान रहता है लेकिन आप जो बोल रहे हैं, आप निमाड़ की लाड़लियों का भी ख्याल करके बोलते. दिमाग में निमाड़ के लिए आइडिया भी आता.
12.45 बजे {सभापति महोदय (डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय) पीठासीन हुए}
डॉ. कुँवर विजय शाह -- विजय लक्ष्मी के लिए नहीं बोला...(व्यवधान)...
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ-- आप तो मेहरबानी करें. निमाड़ की लाड़लियों पर भी ख्याल रख लेते और कमलनाथ जी की सरकार ने कन्याओं की शादियों का जो 51 हजार रुपया किया था, उसको घटाकर आप वापस ले आए हैं... ...(व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- एक को भी नहीं मिला... ...(व्यवधान)...
डॉ. कुँवर विजय शाह -- आप हमारे मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दो ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- कृपया शांत रहें, डॉक्टर साहब को बोलने दें. समय की भी कमी है ...(व्यवधान)...
श्री रामेश्वर शर्मा -- सभापति महोदय, कमलनाथ जी ने जो घोषणाएं की थीं, अब तो उनके बच्चे तक हो गए, तो भी दहेज नहीं पहुँचा, जो 51 हजार रुपये की घोषणा की थी...(व्यवधान)...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदय, अब इस बात पर भी आऊंगा मै. ...(व्यवधान)...
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- असत्य कब तक बोलते रहोगे ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- मेरा माननीय सदस्यों से निवेदन है, चर्चा जारी रहने दें, कृपया शांति रखें.
श्री पी.सी. शर्मा -- सभापति महोदय... ...(व्यवधान)...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदय, ये हमारे प्रभारी मंत्री थे, किसी को वहां पैसा नहीं मिला.. ...(व्यवधान)...
श्री पी.सी. शर्मा -- डॉक्टर साहब, एक बात है.. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- अब दोनों शर्मा जी, शर्मा जी हैं, थोड़ा आपस में समझ लें. पी.सी. शर्मा जी, थोड़ी शांति रखें.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- ये इंजीनियर हैं, मैं डॉक्टर हूँ साहब, मैं इनसे ज्यादा समझता हूँ..(हंसी).
श्री पी.सी. शर्मा -- सभापति महोदय, इन्होंने कहा कि हमारे नेता ने कहा कि 'लड़की हूँ, लड़ सकती हूँ' तो क्या आप नहीं मानते कि लड़की लड़ सकती है. आपकी बात सुन के गैलरी में बैठी हुई लड़कियां चली गईं. ...(व्यवधान)...
डॉ. सीतासरन शर्मा -- मैंने ऐसा नहीं बोला, मैंने कहा एक ही लाड़ली है आपकी. ...(व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन -- बाकी लाड़लियों की चिंता कब करोगे मेरे प्यारे भाई. प्रदेश की बेटियों की चिंता होगी कि नहीं होगी ? हम एयरपोर्ट बना देंगे, हम फलां करवा देंगे, एक पैसा नहीं दिया आपने. बेटियों के खाते में एक पैसा नहीं जमा किया. (व्यवधान)...
सभापति महोदय -- शैलेन्द्र जी, आपस की चर्चा बंद करें. डॉक्टर साहब, आप जारी रखें.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति जी, यह वीज़न का फर्क है. यह जनता की पीड़ा देखने का फर्क है. 50, 60, 70 साल से आप लोग थे, आपको बेटियों के जन्म के बारे में चिंता नहीं हुई. अभी आपने कन्यादान की बात की. ये योजना क्या वर्ष 2003 में राजा साहब शुरू कर गए थे, ये हमारे मुख्यमंत्री जी ने शुरू की है. अब आज ढपली बजाने लगे कि हमने बढ़ा दिए, अरे, आपको क्यों नहीं सूझा कि कन्याओं के विवाह में कितनी तकलीफ होती है. दीस इज़ विजन, ये आगे की सोच है.
श्री लक्ष्मण सिंह -- माननीय डॉक्टर साहब, आज बड़े भाई साहब का हिन्दी तारीख से जन्मदिन है, कम से कम आज के दिन तो कृपा करके उनको जन्मदिन की बधाई दे दीजिए. 15-20 साल हो गए, अभी भी वही, (हंसी) आप तो अपनी बात करिए. ...(व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- राजा साहब का नाम तो लिया ही नहीं.. ...(व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन -- वे इतिहास पुरुष हैं. उन्हें मध्यप्रदेश की जनता कभी नहीं भूल सकती. वे इतिहास के पन्नों पर अंकित हो गए...(व्यवधान)...
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय सभापति महोदय, मेरी बात का उल्लेख हुआ है, इसलिए मैं एक सेकण्ड चाहूंगी. अभी डॉक्टर साहब ने जो कहा कि आदरणीय मामा की सरकार में यह योजना शुरू हुई है. दिग्विजय सिंह जी ने नाम का उल्लेख इन्डायरेक्ट वे में इन्होंने किया, मेरा आपसे निवेदन है.. ...(व्यवधान)...
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- आप तो विजय लक्ष्मी जी हैं.. ...(व्यवधान)...
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- आप तो बैठ ही जाओ. माननीय सभापति महोदय, मैं भी उस सरकार में थी, उस सरकार में, आदरणीय दिग्विजय सिंह जी की सरकार में बेटियों के सामूहिक विवाह में पैसा दिया जाता था. मैं अगर गलत हूँ तो आपकी सरकार है, आप उठाकर देख लें.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- कितना देते थे, बता दो जरा आप...(व्यवधान)...
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- आप उठाकर देख लें कि क्या दिग्विजय सिंह जी की सरकार में सामूहिक विवाह में पैसा दिया गया है या नहीं, दिग्विजय सिंह जी की सरकार में बेटियों के सामूहिक विवाह में सरकार के माध्यम से पैसा दिया गया है. आप पिछला रिकॉर्ड उठाकर देख लें, आपकी सरकार है.
सभापति महोदय -- आप अपनी बात समाप्त करें, प्लीज़.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- आप पिछला रिकॉर्ड उठाकर देख लें, मैं दावे के साथ बोलती हूँ, मैं उस सरकार का अंग थी, उस सरकार ने शुरू किया था, बेटियों की चिंता की थी और बेटियों को सामूहिक विवाह में पैसे दिए जाते थे.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्या, बैठिए, प्लीज़.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदय, छोटे राजा ने अभी बताया.
श्री लक्ष्मण सिंह -- मैं लक्ष्मण सिंह हूँ. मेहरबानी करके मुझे लक्ष्मण सिंह कहें.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- मैं पूर्व मुख्यमंत्री जी को उनके जन्मदिवस की शुभकामनाएं देता हूं. वे दीर्घायु हों ऐसी प्रार्थना भी करता हूं.
श्री रामेश्वर शर्मा -- वे ऐसे ही बने रहें और हमारा काम चलता रहे.
सभापति महोदय -- सदन भी उनके जन्म दिन के अवसर पर बहुत-बहुत शुभकामनाएं, मंगलकामनाएं अर्पित करता है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना, हमारे देश की संस्कृति क्या है, इसको कभी आपने 50, 60 साल में समझा नहीं. बुजुर्ग जाते हैं दर्शन करने, कभी नहीं सोचा क्योंकि विजन नहीं है, विचार नहीं है, जनता की चिंता नहीं है. हमारे मुख्यमंत्री जी ने तीर्थदर्शन योजना शुरू की. सर्वधर्म समभाव के आधार पर सबका साथ, सबका विकास के आधार पर सांस्कृतिक विरासत को बनाने का, स्थाई करने का प्रयास भी किया.
श्री पी.सी. शर्मा -- आपकी सरकार बनने के बाद बंद हो गई. यह कमलनाथ जी की सरकार थी जो चालू थी और हमने लोगों को कुम्भ में भी भेजा.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- एक बार भेजा, उसके बाद में रह गये साल भर में, काये के लिये ढपली बजा रहे हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा -- आप तो किसी को नर्मदा जी तक नहीं ले गये.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- आपने यह नहीं सोचा कि मजदूरों के बच्चे भी पढ़ेंगे.
श्री गोविंद सिंह राजपूत -- कमलनाथ जी ने हम लोगों को बैंगलोर भिजवाया. उसके लिये धन्यवाद.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- मजदूरों के बच्चे भी पढ़ते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने जाति-पाति से ऊपर उठकर अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों के लिये जो व्यवस्थाएं थीं वह चल रही हैं और बढ़ रही हैं, इसके अलावा मजदूरों के बच्चों के लिये सारे बैरियर काटकर जो गरीब है, जो फीस नहीं दे सकता, जो किताबें नहीं खरीद सकता, उसके लिये स्कॉलरशिप का प्रावधान किया. सभी योजनाएं सर्वधर्म और सर्व समाज के लिये थीं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- 10 लाख रुपये छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य बैठे-बैठे न बोलें.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अब आदरणीय लक्ष्मण सिह जी ने एक बात कही, मैं थोड़ी सी उसकी चर्चा करना चाहता हूं और मुझे मालूम है आप भी यही बोलेंगे कि हरबार 50 साल की क्यों बोलते हो आप अपनी बात करें. बात हम अपनी भी कर रहे हैं आपकी भी बता रहे हैं, परंतु एक बात है कि कोई भी व्यक्ति एब्सोल्यूट नहीं होता है, कोई पूर्ण नहीं होता और इसीलिये तुलना करना ही पड़ता है. लॉ ऑफ रिलेटिवटी सिर्फ पदार्थों में नहीं है समाज में भी है, मनुष्यों में भी है और इसलिये तुलना तो करना पड़ेगा. हम बहुत लंबा नहीं जाएंगे. हम तो आपके 10 साल की बात करेंगे. धीरे-धीरे वहीं आते हैं. आएंगे और फिर आपको बताएंगे, क्योंकि हमारे पीछे के 10 साल और यह 14-15 महीने, यह किताबें रखी हैं, अभी सब पढ़कर बताएंगे. 10 साल आप रहे. यह योजनाएं जो मैंने पहले गिनाई हैं यह आपको सूझी नहीं. क्यों नहीं सूझी क्योंकि आपका विजन नहीं था. रामचरित मानस में राजधर्म के बारे में एक चौपाई कही गई है और मैं ऐसा मानता हूं कि उस चौपाई को सारा सार्थक कर रहे हैं तो हमारे माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान कर रहे हैं. ''राजधरम सरबस एतनोई, जिमि मन माह मनोरथ होई''. आपका मन जहां तक जाता है, आपके मन का मनोरथ जहां तक जाता है, वहां तक राजधर्म चलता है और इसलिये न्यू बॉर्न बेबी तक भी उनका मनोरथ गया. आपका तो नही गया और इसीलिये बड़ी हो गई, 18 साल, 19 साल की बच्ची उस तक उनका मनोरथ गया. इसलिये मजदूर के बच्चे तक मनोरथ गया.
सभापति जी, विजनरी लीडरशिप नहीं हो तो काम नहीं होते. अब आप में विजन तो था नहीं. समाज के अंतिम छोर तक तो आप पहुंचे नहीं, परंतु जो रुटीन काम था वही कर देते. बिजली, पानी और सड़क यह रुटीन वर्क था. यह 10 साल में आपको करना था. रुटीन वर्क पर मैं आपकी चर्चा करूं और हमारे रुटीन वर्क पर चर्चा करूं. उसके पहले एक बात बताना चाहता हूं.
उसके पहले एक बात बताना चाहता हूं कि 2 साल का हमारा कोविड पीरियड रहा, जिस पर माननीय राज्यपाल के अभिभाषण में हमारे साथी बोलेंगे. मैं तो विकास योजनाओं की बात करूंगा और रुटिन वर्क की बात करूंगा. यह तो अनापेक्षित-सा आ गया था. 2 साल कोविड के प्रबंधन में ही चले गये. मैंने पिछली बार एक शब्द उपयोग में ला दिया था तो श्री भनोट साहब गुस्सा हो गये थे. उसको मैंने रिफाइंड कर दिया है. वह जो 15 महीने थे, वह एडमिनिस्ट्रेटिव एनेकिज़म था, प्रशासकीय अराजकता. जब अराजकता प्रशासन में आ जाती है तो उसको ठीक करने में भी थोड़ा समय लगता है. वह 15 महीने उस एडमिनिस्ट्रेटिव एनेकिज़म के और 2 वर्ष इस कोविड के यह भी हमारे पीरियड में से डेवलपमेंट वर्क में से घटाना पड़ेगा.
श्री लक्ष्मण सिंह - एडमिनिस्ट्रेटिव एनेकिज़म के सारे मंत्रियों को आपने ले लिया और सरकार बना ली.
डॉ. सीतासरन शर्मा - सभापति महोदय, आधो को लिया है साहब और वह बहुत अच्छा काम कर रहे हैं
श्री पी.सी. शर्मा - इससे पहले तो आप एक्सटेम्पोर बोलते थे, इस बार आपको यह पर्चियां किसने दे दीं?
डॉ. सीतासरन शर्मा - नहीं, मैंने पाइंट्स लिखे हैं. अब पहले मैं कृषि पर आता हूं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - आदरणीय शर्मा जी, पर्चियां देखकर आपको कालेज की परीक्षाओं की याद आ गई क्या?
श्री पी.सी. शर्मा - यह विद्वान आदमी हैं. यह एक साथ बोल पड़ते हैं.
सभापति महोदय - टोकाटाकी न करें.
डॉ. सीतासरन शर्मा - सभापति महोदय, यह वर्ष 2002 का है, वर्ष 1993 में मुख्यमंत्री बने थे. मैं तुलना कर रहा हूं, आपने भी तुलना की थी. यह जब राज्यपाल महोदय का अभिभाषण था उसमें आपने कहा था कि वर्ष 2003-04 में इतना कर्जा था, वर्ष 2021-22 में इतना है. तुलना आपने भी की थी. तुलना तो करना ही पड़ेगी नहीं तो जनता को कैसे पता चलेगा कि आप क्या करते थे और हम क्या करते हैं. यह वर्ष 2002 का भाषण है. आपको सरकार में 9 साल हो गये थे. कृषि में राष्ट्रीय औसत और मध्यप्रदेश के बारे में इसमें फर्क है. फर्क क्यों है?इसलिए कि मध्यप्रदेश में अधिकांश खेती सूखी खेती है. आप 9 साल से क्या कर रहे थे दादा? वर्ष 2002 में भाषण में कह रहे हैं कि हमारी खेती सूखी, अब आपको मालूम पड़ा? वर्ष 2002 में, अभी मैं अपने आंकड़ों पर भी आऊंगा. आपने कहा कि वर्ष 2002 में अधिकांश खेती सूखी थी और वर्ष 2021 में क्या है, 7 लाख हैक्टेयर से सिंचाई बढ़कर 42 लाख हैक्टेयर सिंचाई हो गई, यह हमारे 15 साल की उपलब्धि है. हमारी सरकार की उपलब्धि है. आप तो 10 साल की सरकार के बाद कहते हैं कि सूखी खेती है इसलिए राष्ट्रीय औसत की बराबरी नहीं कर पाए. अरे, यह गर्व की बात है? यह (XXX) की बात है. सिर्फ सिंचाई तक मुख्यमंत्री जी रुके नहीं. फसल बीमा योजना, अभी हमारे साथी बोलेंगे, इसलिए बहुत आंकड़ें नहीं दे रहा हूं. किन्तु किसान को कहां कहां फायदा पहुंचा सकते हैं. प्रदेश की मांग कहां तक बढ़ा सकते हैं. प्रदेश का प्रोडक्शन कहां तक बढ़ा सकते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - वैसे ही परेशान हैं, पांचों प्रांतों के परिणाम से, आप और धांय, धांय, धांय.
डॉ. सीतासरन शर्मा - हो सकता है कि आत्मचिंतन करें, बचे हुए भी इधर ही आ जाएं.
श्री शैलेन्द्र जैन - जो क्रीम थी वह आ गई है, बाकी का छाछ छोड़ दिया है.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव - इनको आप क्रीम मान रहे हो?
श्री तुलसीराम सिलावट - सर्टिफिकेट जनता ने दे दिया है. आपको पता है कि नहीं.
डॉ. सीतासरन शर्मा - हमारी कृषि ग्रोथ आज 20 प्रतिशत पर है आज देश में सबसे ज्यादा है. हम अनाज के प्रोडक्शन में पंजाब से आगे बढ़ गये हैं. यह हमारी 15 साल की उपलब्धि है (मेजों की थपथपाहट)..बिजली, अब आई बिजली की बात, पुराने ऊर्जा मंत्री सामने बैठे हैं, धीमी गति के बुलेटिन थे. आप लोगों को मालूम है ना? उनसे प्रश्न पूछते थे आधा घंटे में उत्तर आता था. जितनी देर में इनके राज में बिजली आती थी, उतनी देर में इनका उत्तर विधानसभा में आता था .
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.)-- आप तो इतना बता दें कि आज आपका कितना बिजली का बिल आ रहा है.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- बिजली कितनी आ रही है, वह बतायेंगे. अब आप जब बिजली देते ही नहीं थे, तो बिल कहां से आता.
कुंवर विजय शाह -- जब करंट ही नहीं था, तो बिल कहां से आयेगा.
..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- कृपया चर्चा होने दें, आपस में चर्चा न करें.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति जी, 3 हजार मेगावाट का इनका प्रोडक्शन था. अब बिजली नहीं थी, तो लोग खपत कैसे करते, पर फिर भी मिनिमम तो जरुरत पड़ती ही है. तो साढ़े चार हजार मेगावाट की खपत होती थी, वह भी आप पूरी नहीं कर पाते थे. यह 2002 और 2003 में हम क्या नारे लगाते थे, वह हम बताना नहीं चाहते. बहुत से लोग बैठे हैं, वह डॉक्टर साहब पुराने बैठे हैं. कुछ मंत्रिगण भी बैठे हैं, उस वक्त के.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- आप डॉक्टर साहब की आत्मा को मत छेड़ो. डॉक्टर साहब की केपेसिटी इतनी है, वे इतने केपेबल हैं कि वह कहां होना चाहिये थे, वह कहां बैठे हैं. ..(हंसी)..
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदय, आप साढ़े चार हजार मेगावाट बिजली नहीं दे पाये. आज क्या स्थिति है. आज 5100 मेगावाट बिजली तो हम नवकरणीय ऊर्जा से बना रहे हैं. जो परम्परागत थे, वह तो करने के बतायेंगे अभी. जितनी आप पैदा नहीं करते थे, उससे दोगुनी बिजली तो हम नवकरणीय ऊर्जा से बना रहे हैं.
श्री सुरेश राजे -- तो फिर इतनी महंगी बिजली क्यों बेच रहे हैं. यह तो बता दें. अगर इतनी बिजली बना रहे हैं, तो इतनी महंगी बिजली क्यों बेच रहे हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदय, सूरज तो तब भी उगता था, सूरज अब भी उगता है. पर बिजली लेने की चिंता नहीं थी. क्योंकि जनता की चिंता नहीं थी. यही तो विजन है. रुटीन वर्क नहीं कर सकते थे. आज हम 21 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन कर रहे हैं. 15 साल में कहां से कहां पहुंच गया मध्यप्रदेश. आप 3 हजार मेगावाट, यहां 21 हजार मेगावाट, सात गुना हो गया. (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एनपी), सदस्य द्वारा बैठे बैठे कुछ कहने पर) साढ़े पन्द्रह हजार मेगावाट की हमारी खपत ही है कुल. आपका अवसर आये जब बताना.
श्री शैलेन्द्र जैन -- इन लोगों ने महंगी, सस्ती के चक्कर में बिजली से तौबा ही कर ली थी. उस समय इनका मानना था कि न बिजली बनेगी, न बिजली के बिल जायेंगे. बड़ा जस्टीफिकेशन है साहब. मैं तो आपको बधाई देता हूं कि आप सबके इन्हीं कारणों से हम लोग यहां बैठे हैं.
सभापति महोदय -- काफी सदस्यों को बोलना है, कृपया डॉक्टर साहब को बात पूरी करने दें. डॉक्टर. साहब, आप भी समाप्त करें. आप और कितना समय लेंगे डॉ. साहब.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदय, 3-4 पाइंट बचे हैं.
श्री पी.सी. शर्मा -- सभापति महोदय, बिजली के बड़े बड़े बिल लोगों को मिले हैं, हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया है. लोगों के बिजली के कनेक्शन कट गये. कोविड काल का बिजली का बिल लिया जा रहा है. रामेश्वर शर्मा जी, पूछो आप कोलार में. क्या हाल है. बिजली के बड़े बड़े बिल आ रहे हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा -- वह तो कमलनाथ जी के समय की बात है. ..(व्यवधान).. आपने वादे किये थे कि बिजली के बिल माफ करेंगे, लेकिन माफ नहीं किये. हमारे मुख्यमंत्री जी ने समाधान योजना लागू की और हम 50 प्रतिशत से ज्यादा राशि कम करके बिजली के बिल ले रहे हैं.
..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- कृपया सब बैठ जायें. बीच में टोका-टोकी, हस्तक्षेप न करें. आप लोगों का जब समय आयेगा, तब आप अपनी बात रखें. डॉक्टर साहब आप अपनी बात जारी रखें. (श्री फुन्देलाल सिंह मार्को, सदस्य के खड़े होने पर) मार्को जी, आप बैठें.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- डॉक्टर साहब, मैं 2 मिनट बोल लूं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- आप बोलना, मैं बैठूंगा, सुनूंगा, पर जरा शिक्षा के बारे में तो सुन लो.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- डॉक्टर साहब, शिक्षा की तो बहुत ही हालत खराब है. उसके बारे में तो न ही बोलिये.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- शिक्षा की स्थिति को आपने कहां पहुंचा दिया था.
सभापति महोदय -- मार्को जी, आप बैठिये. डॉ.साहब की बात पूरी होने दें. जब आपकी बारी आयेगी, तब आप अपनी बात रखियेगा.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- सभापति महोदय, 10 सालों में बहुत विचार, सोच किया कि क्या करें शिक्षा के लिये. तो जो existing school थे. एक रुपया भी नहीं दिया उनमें और उनमें से कुछ को उत्कृष्ट बना दिया पर विजन क्या होता है. इस साल 360 सी.एम.राइज स्कूल खोले जा रहे हैं. 7 हजार करोड़ रुपया लगेगा. शिक्षा के लिये खर्च करना पड़ता है. हमारे बच्चे भी प्रायवेट स्कूल के जैसी शिक्षा लें माननीय मुख्यमंत्री जी का यह विजन है.
परिवहन मंत्री(श्री गोविन्द सिंह राजपूत) - खुलने के बाद आप लोगों को देखने के लिये बुलाएंगे कि आप लोग आईये.
डॉ.सीतासरन शर्मा - 1 हजार 157 करोड़ रुपये इस साल बजट में दे दिये.यह शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता है हमारी. इनका एक भाषण और पढ़कर सुनाता हूं. 2002 का ही है. 9 साल हो गये थे सरकार में. मेडिकल कालेज और स्वास्थ्य. 1956 में पहला मेडिकल कालेज आया था और इसके बाद 1963 या 1966 में आखिरी रीवा का. इसके बाद यदि मेडिकल कालेज खोला सरकारी स्तर पर तो माननीय शिवराज सिंह जी चौहान ने खोला सागर में सबसे पहले और मुख्यमंत्री बनने के डेढ़ साल के अंदर.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - डाक्टर साहब, सागर की प्रक्रिया 2002 में चालू हो गयी थी.
सभापति महोदय - बार-बार डिस्टर्ब न करें. कृपया बात पूरी होने दें. समय की मर्यादा है.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ - असत्य बोलेंगे तो जवाब तो देना ही पड़ेगा.
सभापति महोदय - आपका अवसर आये जब जवाब देना आप. आपस में चर्चा न करे.
डॉ.सीतासरन शर्मा - मैं 2002 का ही भाषण पढ़ रहा हूं. तत्कालीन मुख्यमंत्री जी का ही भाषण है. आपकी बात अभी गलत साबित होगी सुन लीजिये. रीवा मेडिकल कालेज के विजन का फर्क समझना आप. हम लोगों ने रीवा मेडिकल कालेज की सीट बढ़ाने के बारे में कहा है. 9 साल बाद सीट बढ़ाने की बात कर रहे थे तब भी मेडिकल कालेज खोलने की बात नहीं कर रहे थे. उसके बाद भी तो सुनिये आप. जो हम लोगों ने रीवा मेडिकल कालेज की सीट बढ़ाने के बारे में कहा है तो जो बेड हैं उसके आधार पर इतने एडमीशन बढ़ा सकते हैं इसके लिये मेडिकल काउंसिल से अनुरोध कर रहे हैं और स्वीकृति का प्रयास कर रहे हैं. मुझे भरोसा है कि हम ले पाएंगे.
श्री विनय सक्सेना - सभापति जी, मेरा प्वाइंट आफ आर्डर है.
सभापति महोदय - चर्चा पूरी होने दें. अभी प्वाइंट आफ आर्डर की कोई आवश्यकता नहीं है चर्चा जारी रहने दें.
श्री विनय सक्सेना - आप ही बता दीजिये कि यह राज्यपाल का अभिभाषण चल रहा है या सामान्य बजट है.
सभापति महोदय - डॉक्टर साहब आप अपनी बात पूरी करिये. कृपया आप बैठिये.
डॉ.सीतासरन शर्मा -यह भी राज्यपाल का ही अभिभाषण था. अदालत में साईटेशन देते हो कि नहीं. आपके राज्यपाल के अभिभाषण में सीट बढ़ाने का कह रहे थे 10 साल बाद और हमारे मुख्यमंत्री जी को देखो तो इसमें मण्डला, सिंगरौली, श्योपुर, राजगढ़, नीमच, मंदसौर. 1547 करोड़, मेडिकल कालेज के लिये स्वीकृत किये हैं. श्रीमान् इसीलिये बताना पड़ा कि आप 2003 में कहां खड़े थे और हम कहां खड़े हैं.
श्री विनय सक्सेना - अरे घोषणाएं हैं.
डॉ.सीतासरन शर्मा - 20-22 मेडिकल कालेज हो गये और कह रहे हैं कि घोषणाएं, यह कहां रहते हैं मध्यप्रदेश में रहते हैं कि कहां रहते हैं. गजब हो गया साहब. सुनना ही नहीं चाहते. अरे, सही बात तो सुनना पड़ेगा.सभापति जी, विषय तो बहुत हैं. एक बात है आखिरी में पिछड़ा वर्ग आयोग. एक तो कोर्ट में जाकर इन्होंने सबके हक रुकवा दिये और बड़े हितबद्ध बन रहे थे उनके.यह साल भर में पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष को नियुक्त नहीं कर पाये, जब सरकार जाने लगी तो जे.पी. धनोपिया को जाते-जाते बना दिया. साल भर आपसे पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष नहीं बना ? आप क्या चिंता करेंगे, किस वर्ग की चिंता करेंगे आप और इसमें यह गवर्नर एड्रेस है आपका. फिर आपने सामान्य वर्ग आयोग का गवर्नर एड्रेस में लिखा था, बना दिया आपने 15 महीने में, तो लिखा क्यों था, जब बनाना नहीं था तो लिखा क्यों था. बनाया हमारे मुख्यमंत्री जी ने, ''सबका साथ, सबका विकास''. एक और बताता हूं नर्मदा न्यास अधिनियम लायेंगे हम, 2019 का गवर्नर एड्रेस है, मुश्किल से तो मौका मिला था, कर लेते, 15-20 साल में आये थे, जो कुछ इसमें लिखा था 10-20 प्वाइंट का तो था ही, हमारे समान इतना मोटा कामों का पुलिंदा थोड़ी था, 10-20 काम थे कर लेते पर वह भी नहीं बना. मां नर्मदा न्यास अधिनियम लाया जायेगा, ले आये. नहीं लाये तो लिखते क्यों हो. मैं हल्की बात करता नहीं पर सभापति महोदय आप अनुमति दें तो एक कहानी बताकर और मैं क्षमा चाहता हूं सब सदन से मेरी आदत नहीं है, मैं हल्की फुल्की बात करता नहीं हूं पर आप कहो तो एक कहानी सुना दूं. (XXX) की कहानी आपने सुनी है, (XXX) वह कहते थे कि सबकी मांग पूरी करता है, वह कहता था बताओ तो कहा कि महाराज हमको मकान दे दो तो कहा दे देंगे, महाराज हमको ये दे दो तो कहा दे देगे अब चार-पांच मांग लिये, गये तो न मकान था न कुछ था तो कोई मांगता था तो ये देता नहीं था, केवल कहता था तो यह (XXX) है, यह (XXX) की सरकार थी, लिखती सब थी करती कुछ नहीं थी. सभापति जी बात तो बहुत है, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं अब हमारे अन्य साथी इन विषयों को लेंगे. मैं कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव को सर्व सम्मति से पास करने के लिये सदन से अनुरोध करता हूं. माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उनके कुशल नेतृत्व में हमारा प्रदेश निरंतर प्रगति की ओर बढ़ रहा है.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार)-- माननीय सभापति जी, महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण में पूरा पढ़ने के बाद यह प्रतीत होता है कि मध्यप्रदेश की सरकार मुख्यमंत्री न चलाकर प्रधानमंत्री चला रहे हैं. 22 बार लगातार प्रधानमंत्री जी का उल्लेख.
सभापति महोदय-- डॉ. साहब एक मिनट. राज्यपाल के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर माननीय सदस्यों के संशोधनों की 983 सूचनायें प्राप्त हुई हैं. संशोधन विस्तृत रूप के हैं इसलिये पूरे संशोधन को न पढ़कर केवल उनके प्रस्तावकों के नाम और संशोधन क्रमांक ही पढूंगा. जो माननीय सदस्य सदन में उपस्थित होंगे उनके संशोधन प्रस्तुत हुये माने जायेंगे.
1. श्री विनय सक्सेना
2. श्री घनश्याम सिंह
3. श्री आरिफ मसूद
4. श्री आरिफ अकील
5. श्री लक्ष्मण सिंह
6. श्री प्रियव्रत सिंह
7. श्री नारायण सिंह पट्टा
8. श्री रवि रमेश चंद्र जोशी
9. श्री कमलेश्वर पटेल
10. श्री फुंदेलाल सिंह मार्को
11. श्री सज्जन सिंह वर्मा
12. श्री दिलीप सिंह गुर्जर
13. श्री मनोज चावला
14. श्रीमती सुनीता पटेल
15. श्री नीरज विनोद दीक्षित
16. श्री तरूण भनोत
17. कुं. विक्रम सिंह नातीराजा
18. श्री बाला बच्चन
19. श्री उमंग सिंघार
20. श्री सुनील सर्राफ
21. श्री आलोक चतुर्वेदी
22. श्री राकेश मावई
23. श्री पी.सी. शर्मा
24. श्री प्रताप ग्रेवाल
25. श्री मुरली मोरवाल
26. श्रीमती झूमा डॉ.ध्यानसिंह सोलंकी
27. डॉ. गोविन्द सिंह
28. श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति
29. श्री संजय यादव
30. डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ
31. श्री कुणाल चौधरी
32. श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव
33. श्री ओमकार सिंह मरकाम
34. श्री सतीश सिकरवार
माननीय सदस्य राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा जारी रखें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय सभापति महोदय, मैं इसलिये कह रहा हूं कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में, प्रधानमंत्री की कृपा से, प्रधानमंत्री के आशीर्वाद से, प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व में, प्रधानमंत्री के सतत् और सक्रिय मार्गदर्शन में, प्रधानमंत्री की योजनाओं में, प्रधानमंत्री के कर कमलों के द्वारा शिलान्यासों में, उद्धघाटनों में और प्रधानमंत्री के सफल सतत् प्रयास से संचालन में मध्यप्रदेश सरकार चल रही है. इसलिये में यह कहना चाहता हूं कि यह सरकार प्रधानमंत्री चला रहे हैं या खड़ाउ सरकार है, जिस प्रकार राम के राज में भरत जी की बैठकर खड़ाउ लगाकर सरकार चल रही थी, क्या उसी प्रकार चल रही है? क्या हमारे मुख्यमंत्री इतने विद्वान और सक्षम नहीं है कि हर काम ऊपर से निर्देश मिले तभी यहां सरकार चले, हम चाहते हैं मुख्यमंत्री जी आप अपनी ताकत से सरकार चलाईये. आप बुजुर्गो का और सम्मानीयों का मार्गदर्शन लें, लेकिन हर जगह प्रधानमंत्री जी की कृपा पर नहीं अपनी कृपा पर भी प्रदेश को चलाईये.
माननीय सभापति महोदय, डॉ. सीतासरन शर्मा जी बहुत विद्वान सदस्य हैं, अध्यक्ष भी रहे हैं और हमारे सम्मानीय भी हैं, अभी वह लगातार वह बीस, पच्चीस, तीस साल पुरानी बातों का उल्लेख कर रहे थे. अब डॉक्टर साहब मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि तीस साल पहले आप बच्चे थे अब दादा हो, तो क्या आप फिर बच्चा बनना चाहते हो ?
डॉ. सीतासरन शर्मा -- मतलब बिजली 4 हजार मेगावॉट पर ले आये हैं, आप क्या कह रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- सुनो, देश आगे बढ़ रहा है, आबादी बढ़ रही है, प्रगति चल रही है, यह विकास की सतत प्रक्रिया है, यह एक समय में नहीं होता है. आजादी जब हुई थी, तब यहां सुई भी नहीं मिलती, वह भी आती थी. अब आज वह पुरानी बातें, काहे को आप (XXX) कर रहे हो, आप कब तक करोगे ?
सभापति महोदय -- इस शब्द को विलोपित करें. सदस्यगण असंसदीय भाषा का प्रयोग नहीं करेंगे, आप और हम सभी ने सहमति से, सर्वोनुमति से यह निश्चित किया था.
डॉ. गोविन्द सिंह -- चलो ठीक है, वैसे मैं करता नहीं हूं. (व्यवधान..)
सभापति महोदय -- किसी को अपमानित करने वाली बात न करें. (व्यवधान..)
मुख्यमंत्री( श्री शिवराज सिंह चौहान) -- डॉक्टर साहब वह अब विधवा नहीं है. अब वह बहनें कल्याणी हैं, इसलिये अब आप इस कहावत को बदल दीजिये (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप की बात स्वीकार है, लेकिन यह डॉक्टर साहब तीस साल पुरानी बात कर रहे हैं (हंसी).. माननीय सभापति महोदय, आज वास्तव में प्रदेश में प्रमुख समस्याएं जो हैं, जो आजकल सबसे ज्यादा दिक्कते हैं. आज फसलों का सही मूल्य न मिलने पर सबसे ज्यादा परेशान किसान है. महिलाएं मंहगाई से परेशान है और नौजवान बेरोजगारी से परेशान है और आम जनता भ्रष्टाचार से परेशान है. बिजली बिल भ्रष्टाचार के कारण है.
माननीय सभापति महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि लगातार, समस्याओं के चलते आज सबसे ज्यादा आज नौजवान बेरोजगार है, लोग पढ़ाई लिखते करते हैं, पहले व्यापमं था, अब पी.ई.बी. हो गया है, अब और नाम बदल रहा है. मेरा माननीय मुख्यमंत्री जी आपसे अनुरोध है, आप भी गांव के किसान है. आज भी मध्यप्रदेश की करीब 75 प्रतिशत से अधिक आबादी गांवों में बस्ती है. आपकी परीक्षाएं आप करा रहे हो, बेरोजगार पढ़ लिखकर तैयार होकर आते हैं, पढ़ाई लिखाई करते हैं, उनके माता पिताजी तमाम पैसा कराकर इंजीनियरिंग पढ़ाते हैं, बी.ई.कराते हैं, तमाम बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेते हैं, परंतु आज लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. आज रोज शायद ही ऐसा कोई समाचार पत्र एक आध दिन छूटता हो, जिस दिन हमारे बच्चे बच्चियां जहर खाकर आत्महत्या न करने को मजबूर हो, कोई फांसी पर लटक गया है, यह आज पूरे प्रदेश की स्थिति है. पहले मैं आपसे यह निवेदन करना चाहता हूं कि पुराने समय में हमने एक संशोधन कमलनाथ जी की सरकार में किया था कि मध्यप्रदेश के निवासी, कानून में हम नहीं करते कानूनन, लेकिन रोजगार कार्यालय जो हैं. उन रोजगार कार्यालयों में जब पंजीबद्ध होगा, तब ही उसको रोजगार मध्यप्रदेश में मिलेगा. रोजगार कार्यालय में प्रदेश के बाहर के लोग जिला रोजगार कार्यालय में पंजीबद्ध नहीं होते हैं, तो यह प्रक्रिया आपने बन्द की है, उसको आप लागू करेंगे तो हमारे प्रदेश के लोगों को ही रोजगार मिलेगा और बाहर के कम से कम लोग आ पायेंगे. इस दिशा में माननीय मुख्यमंत्री जी आप विचार करें, सोचें.
सभापति जी, बच्चे पढ़ते-लिखते हैं, लेकिन आप परीक्षाएं भोपाल में करवाते हैं, बड़े महानगरों में करवा रहे हैं. एक बार में उनकी फीस भी ले रहे हैं और एक बच्चे को यहां आने पर जरूरी नहीं कि हर बार सफलता ही मिले, कभी असफलता भी मिलती है. उनके हजारों रुपये रहने में, ठहरने में, होटल में खर्च होते हैं, हर बच्चे के पास ऐसी व्यवस्था नहीं होती है. इसलिए जो जिला चयन समिति बोर्ड पहले चलते थे, आप उन्हें बनाइये. जो पीईबी है, उसको समाप्त करके जिला चयन बोर्ड बनाइये. वहां उसकी फीस भी कम लगेगी और आप जिला चयन बोर्ड में विद्वान शासकीय लोग जिनको रखना चाहें, रख लें. पीएससी या कोई भी बोर्ड बनाएं, उसके विद्वान, अच्छे योग्य और निष्ठावान अधिकारियों को रख सकते हैं ताकि वे भर्तियों में पारदर्शिता रखें. मैं आपसे बताना चाहता हूँ पुलिस में भर्तियां होती थी. आज भिण्ड, मुरैना की तरफ हमारे जिलों में वहां लोग पुलिस और मिलिट्री में जाते हैं. पहले वहां दौड़ लगाते थे. पहले यह प्रक्रिया थी कि आरक्षक भर्ती के लिए दौड़ हो, तो दौड़ में निकल जाते थे, पास हो जाते थे और अगर बाहर के लोग आ जाते थे, ज्यादा पैसे वाले लोग तो दौड़ में सिलेक्ट नहीं हो पाते थे. 100 में से 80-90 प्रतिशत गांव के मजदूर किसान के बेटे उसमें सिलेक्ट होते थे, फिर लिखित परीक्षा होती थी. परीक्षा में अगर आएंगे तो 90 प्रतिशत तो वही आएंगे और 10 प्रतिशत बाहर के भी आ जाएं, तो उनको भी रोजगार मिल जाता है. आपने आरक्षण प्रक्रिया लागू की है कि जो कमजोर एवं गरीब तबके के लोग हैं, अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग हैं, बरसों से दबे-कुचले लोग हैं, आप उनको आरक्षण दें. गांव के लोगों में, छोटे इलाकों में एवं छोटे कस्बों में आज ज्यादा बेरोजगारी बढ़ रही है. इसलिए मेरा निवेदन है कि 15 वर्ष तक तो किसी आरक्षक को तफ्तीश करने का अधिकार नहीं रहता है, तो जब इण्टर पास होते हैं तो 15 वर्ष बाद आप फीती लगाते हैं, तो कम से कम वह 15 वर्ष में तो तफ्तीश करना सीख जायेगा. गांव का एक बच्चा खेती-किसानी करके, भैंसों को धोकर, चारा लेकर, घर के पीने का पानी भरकर, तब आकर पढ़ाई-लिखाई करता है और वह 5,000 रुपये में इण्टर पास कर लेता है. जो पैसे वालों के बच्चे हैं, वह एक-एक महीने में 5-5,000 रुपये की ट्यूशन लगाए हुए हैं. अब आप इसमें कॉम्पिटिशन करवाना चाहते हो तो वही स्थिति बनती है, जो अनुसूचित जनजाति वर्ग एवं सामान्य वर्ग के लोगों की है. वह बेचारे रह जाते हैं और बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है. आप परीक्षाएं सिविल सर्विसेस में करवाइये, लेकिन गांव के लिए, जो गरीब किसान के बेटे हैं, गरीब के बेटों के लिए ऐसी प्रक्रिया अपनाइये, ताकि उनको भी रोजगार मिल सके. हमने उसमें एक संशोधन भी किया था. मैं अभी कर्मचारियों की बात करता हूँ, कर्मचारी जो बरसों के बाद, 8-9 वर्ष के बाद भी जो सुप्रीम कोर्ट के स्थगन के कारण पदोन्नति नहीं मिल रही है. मैंने पता किया था कि आईएएस, आईपीएस, स्टेट सर्विस के डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी की पदोन्नति कैसे होती है. डिप्टी कलेक्टर से ज्वाइंट कलेक्टर, ज्वाइंट कलेक्टर से कलेक्टर, सचिव और प्रमुख सचिव तक बन रहे हैं, फिर हमारे ये सब इंजीनियर को 30-30 वर्ष, 32-32 वर्ष हो गए हैं, उनको वेतन एक्जीक्यूटिव इंजीनियर से भी ज्यादा मिल रहा है, परन्तु उनको पदोन्नति नहीं मिल रही है. जब जानकारी हासिल की तो पता चला कि क्रमोन्नति हो रही है. तो मैंने माननीय कमलनाथ जी से चर्चा की. अपने विद्वान अधिवक्ता थे, जो पिछले 6-7 वर्षों में साढ़े 7 करोड़ रुपये फीस ले चुके थे. तारीख बढ़वा रहे हैं. हर बार कोर्ट में डेट लगती थी, तारीख बढ़ जाती थी, तारीख बढ़वा रहे हैं. उस पर न कोई चर्चा और न ही स्टे हटवाने की कोई कार्यवाही की गई. उस पर साढ़े 7 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं. हमने उनको भी बुलवाया, उस पर चर्चा की, अधिकारी भी बैठे थे. प्रमुख सचिव, लॉ विभाग के बैठे हुए थे, सबने मिलकर तय किया कि जब तक वहां स्टे लगा रहेगा, सुप्रीम कोर्ट का स्थगन प्रस्ताव है, तब तक सभी मध्यप्रदेश के कर्मचारियों को भी आप क्रमोन्नति दें. अब इसमें क्या दिक्कत थी ? अगर आपके पास खजाना खाली है, आपका दिवाला निकल चुका है. अब पैसा नहीं दीजिये. कम से कम जो आज असिस्टेंट इंजीनियर हैं, सब इंजीनियर ही बन जायें तो वह मान-सम्मान के साथ जिन्दगी जियेगा.
उनके बाल बच्चे होंगे, हमारे पिताजी एक्जिक्यूटिव इंजीनियर थे, इसमें सरकार का अगर यही है, जिस प्रकार आपने पुलिस में किया है, पुलिस में विभाग के कर्मचारी खाली थे, आपने प्रभाव का कर दिया, उनको प्रभार दिया. सामान्य प्रशासन विभाग का आदेश जारी हो चुका है, उसमें स्पष्ट आदेश था. माननीय मुख्यमंत्री जी आपसे प्रार्थना है कि कम से कम आप सभी को क्रमोन्नति करें. जब पुलिस को है तो उन्हें भी हो जाएगा. जब सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आ जाएगा तो हम उसका भी सम्मान करेंगे.
सभापति महोदय - डॉक्टर साहब और कितना समय लेंगे, आपके इधर काफी सदस्यों के नाम हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपकी इच्छा हो तो बैठ सकता हूं.
सभापति महोदय - नहीं, आप अच्छे सुझाव दे रहे हैं, आपके सुझाव स्वागत योग्य है.
डॉ. गोविन्द सिंह - ये तो कर्मचारियों की बात हो गई. अब किसानों की बात करता हूं. जहां तक किसानों का मामला है. किसानों को आप मुआवजा दे रहे हैं, कई जगह फसल का मुआवजा मिला है, लेकिन कई जगह अभी तक किसानों को मुआवजा नहीं मिला है. इस साल किसानों को व्यापक पैमाने पर खाद, बीज भी नकली बंटा है. जिसकी वजह से कई किसानों की फसल नहीं हुई.
सभापति महोदय - डॉक्टर साहब, यदि आपका वक्तव्य दस मिनट में पूरा हो रहा हो तो निरंतर रखें, नहीं तो फिर लंच के बाद आप निरंतर कर सकते हैं, जैसी आपकी इच्छा.
डॉ. गोविन्द सिंह - ठीक है, लंच के बाद कर लेंगे.
सभापति महोदय - डॉक्टर साहब, अभी बोलिए लीजिए अभी 3-4 मिनट है.
डॉ. गोविन्द सिंह - सभापति जी, शुद्ध के लिए युद्ध चला था, जो अब करीब करीब पूरी तरह से बंद है. लगातार हमारे ग्वालियर में जब खोवा आता है, भोपाल इंदौर में भी वहीं से आ रहा है तो लगातार नकली खोवा पकड़ाया गया है, कई पकड़े गए हैं, अशुद्ध खोवा मिला. आखिर ये डेरियां कैसे चल रही हैं. अब प्रशासनिक अधिकारियों से आप कहें, उन पर दबाव बनाए, उनको सक्रिय करें और सबसे बड़ी दिक्कत है, जिले में लैब नहीं है. लैब नहीं होने से जिले में इनकी जांच नहीं हो पाती और हमारे मिलावटखोर अशुद्ध में शुद्ध मिलाकर गड़बड़ी करके बेच रहे हैं. इस पर भी रोक लगानी चाहिए.
माननीय, आपने कहा आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाना है. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश कैसे बनेगा. प्राथमिक, माध्यमिक शालाओं में जो आर्थिक सर्वेक्षण आया है 2021-22 का उसमें भी उल्लेख किया है कि 2010-11 में बालक, बालिकाओं की संख्या 50 लाख कम हुई है. आपकी राष्ट्रीय औसत आय जो देश की है वह 93973 है और मध्यप्रदेश की 63645 है. मध्यप्रदेश की आय 43528 रूपए राष्ट्रीय औसत से कम है, जो लगभग 37 प्रतिशत कम है. देश में आज मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा अत्याचार बच्च्यिों और महिलाओं पर हो रहे हैं. आज हम इसमें देश में प्रथम नंबर पर पहुंच रहे हैं. नाबालिग बच्चों के अपहरण के मामले में मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा है. मध्यप्रदेश में कुपोषण में वर्षों से करोड़ों रुपए खर्च हुए हैं उसमें भी हम पिछड़ रहे हैं और भी चीजों में पिछड़ रहे हैं, इसमें सरकार को ध्यान देना चाहिए कि आखिर क्या कारण है.
आपने अभी तहसीलों में मुआवजा वितरण करवाया. मुख्यमंत्री जी आपको प्रमाण दूंगा 12 से 15 करोड़ रूपए पटवारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, आर. आई और डिप्टी कलेक्टर मिल-बांटकर खा गए. जब हमने तमाम शिकायतें की कलेक्टर से एसडीएम से तो शिकायतों पर कोई नतीजा नहीं निकला.
सभापति महोदय - डॉक्टर साहब, भोजनावकाश का समय हो चुका है, आपका भाषण जारी रहेगा. सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्थगित की जाती है.
(अपराह्न 1.30 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
विधान सभा पुनः समवेत हुई
3.05 बजे { अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए}
(जारी डॉ.गोविन्द सिंह)--
माननीय अध्यक्ष महोदय,महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में कई बार सुशासन एवं आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का उल्लेख हुआ है. सुशासन का मतलब है कि प्रदेश में रहने वाले आम नागरिक खुशहाल हों, उनके लिये रोजगार हो, वह धन धान्य से परिपूर्ण हों, वह खुशहाल रहें, उन्हें स्वास्थ्य सेवाएं ठीक से मिलें. अब मैं कहना चाहता हूं कि सुशासन में सभी वर्ग आते हैं उसमें चाहे किसान हों, मजदूर हों, सरकारी कर्मचारी हों, चाहे कोई भी हो. माननीय मुख्यमंत्री जी आपसे मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि 1994‑95 में एक शिक्षाकर्मी योजना चालू हुई थी उसी योजना में शिक्षाकर्मी वर्ग-1‑2-3 और अंशकालीन लिपिक एवं अंशकालीन भृत्यों का भी उल्लेख था. उस समय वर्ग 3 के शिक्षाकर्मी को 500 रूपये, अंशकालीन लिपिक को 400 रूपये एवं अंशकालीन भृत्य को 300 रूपये पर रखा गया था. जिनको 500 रूपये मिलते थे उनका वेतन 40 से 42 हजार रूपये पहुंच गया है. परन्तु उसमें अंशकालीन भृत्य जिनकी प्रदेश में संख्या ढाई से तीन सौ के बराबर है. इनकी कोई भी सुनने वाला नहीं है. मैंने तत्कालीन वित्तमंत्री मलैया जी से अनुरोध किया था तो उन्होंने इनका वेतन 1 हजार रूपये बढ़ा दिया. वित्तमंत्री जी का कहना था कि इनका विभाग वेतन बढ़ाने के लिये मांग ही नहीं करता है इनका प्रस्ताव ही नहीं आता है तो इनका वेतन कहां से बढ़ायें. माननीय राघव जी से अनुरोध करके इनका वेतन 4 हजार से 5 हजार रूपये मिल रहा है. 500 रूपये वाले को 40 से 42 हजार रूपये वेतन, 300 से 400 रूपये वालों को 4 से 5 हजार रूपये वेतन मिल रहा है. उनका कोई नहीं हैं, उनके आप और हम लोग ही हैं. इसलिये मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इनके वेतन बढ़ाने पर थोड़ा विचार कर लें तथा इनके साथ न्याय करें. उनको सुबह से रात तक काम करना पड़ता है. अंशकालीन नाम हैं लेकिन वह कार्यालय 10 बजे से आ जाते हैं शाम को ताला लगाकर आफिस बंद करके घर जाते हैं. उनको आशा लगी है कि हमारा भी वेतन बढ़ेगा इसी आशा में लगे हुए हैं लोग. दूसरा हमारा कहना है कि आप जमीनें बेच रहे हैं उनकी भी थोड़ी नीलाम बोली करवा लें उनका ओपन ऑक्शन करवा लें. तमाम प्रदेश के बस-स्टेण्ड बेच दिये गये हैं. करोड़ों की लागत का पोरसा का बस-स्टेण्ड है वह 17-18 करोड़ रूपये में बिक गया जब कि उसकी जमीन 20 बीघा के आसपास थी बीच शहर में वैसे इसका ओपन ऑक्शन होता तो बहुत सारा पैसा मिलता.
श्री सुरेश राजे--अध्यक्ष महोदय, डबरा का बस स्टेण्ड भी है.
डॉ.गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से कई होंगे. एक हमारे ज्ञान में है इसमें हमारे लोगों ने बताया कि बस स्टेण्ड को आप लोगों ने बेच दिया है, यह शासन का अधिकार है लेकिन इस पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिये कि आखिर बसें कहां पर खड़ी हों ? वहां पर संकरा क्षेत्र है पूरे सड़कों पर गाड़ी खड़ी रहती हैं जिनके कारण से वहां का ट्रेफिक घंटो जाम रहता है आप इस पर भी थोड़ा सा विचार करें. इसके साथ एक बात और हुई थी कि आप कृपया करके किसानों के समर्थन मूल्य की खरीदी होती है अभी ज्वार-बाजरा की हुई है. भिण्ड-मुरैना-ग्वालियर में भारी पैमाने पर ज्वारा-बाजरा होता है. आपके अधिकारियों ने पहले ज्वार-बाजरा तो खरीद लिया आपके क्वालिटी कंट्रोल वाले जो इंस्पेक्टर हैं. पहले बिना देखे खरीदी हो गई किसान का ज्वारा बाजरा गोदामों में जमा हो गया. बाद में 2 महीने बाद कहा गया कि इसकी क्वालिटी एफ.एफ.यू से कम क्वालिटी है इसको वापस ले जाओ. अब किसानों ने बेचा उनका वहां पर भुगतान रोक दिया गया है. वहां से माल जब किसान वापस लेकर के आये तो उनकी बहुत भारी क्षति उनकी हुई है और जब सोसाइटियों ने खरीद में इनकी तुलाई, सिलाई, पल्लेदारी में जो खर्च किया, वह सोसाइटी भी डूब गई. इस तरह से कुछ न कुछ इसमें सुधार किया जाये. पहले से ही जब इनकी क्वालिटी ठीक नहीं थी तो उनसे खरीदी न करें. खरीद करके माल किसानों का वापस करना इससे किसानों को एवं सोसाइटियों को आर्थिक रूप से कमजोर करने की स्थिति है. सत्ता का सरकार ने केन्द्रीयकरण कर लिया हर चीज यहां से होती है. पहले नामांतरण में सबसे ज्यादा परेशानी है और आपकी उसमें भी आय है. कल हमारे एक साथी का प्रश्न था और उसके उत्तर में आया था कि 400-500 पटवारी भ्रष्टाचार में पकड़े गये हैं, जगह-जगह भ्रष्टाचार है. नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन पहले यह तीन प्रकरण ग्राम पंचायतों में दिये गये थे. यह पंचायतें करती थीं और बिना विवाद के होता था.
श्री सुरेश राजे:- 9 साल से डबरा के नामांतरण बंद हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह:- तो इस संबंध में आप भी प्रश्न लगायें. 5- 6 वर्ष हो गये पटवारी पैसे भी ले गये लेकिन वह नामांतरण और बंटवारा नहीं कर रहे हैं, परेशान कर रहे हैं. हमने पढ़ा था कि आपका आदेश हुआ था कि इतनी समय-सीमा में काम करना है लेकिन राजस्व विभाग के अधिकारियों ने निचले स्तर पर पालन ही नहीं किया. आप एक अभियान कराकर अचानक जांच करायें तो पूरी असलियत आपके सामने आ जायेगी की सरकारी अधिकारी/कर्मचारी निचले स्तर पर क्या कर रहे हैं. मेरा आपसे कहना है कि आप पंचायतों को नामांतरण, बंटवारा और सीमांकन का अधिकार दें और जो विवादित हैं वह नायब तहसीलदार अपने न्यायालय में सुनेगा. इसमें सरलीकरण होना चाहिये. किसानों को लूट से बचाने का काम होना चाहिये. आप किसानों के शुभचिंतक हैं, मैं भी हूं इसलिये आप कम से कम इसमें सुधार करें किसानों के लिये.
एक बात और मैं आपसे कहना चाहता हूं कि पंचायतों के चुनाव, सत्ता का भ्रष्टाचार जो जिला सरकार थी वह भ्रष्टाचार को रोकने का बहुत बड़ा जरिया था. जिला सरकार में पांच-छ: प्रतिनिधि स्वास्थ्य समिति में होते थे. दवाइयां खरीदी जाती थीं तो टेण्डर होते थे तो वह लोग सामने टेण्डर चेक करते थे, उसमें एक मेम्बर नहीं होता था उसमें 8 से 10 मेम्बर होते थे. अगर एक व्यक्ति खरीदी करेगा तो उसमें आधी दवाइयां खरीदी जा रही हैं और आधे पैसे का घोटाला हो रहा है. 6-7 प्रतिनिधि होते थे तो वह जाकर चेक करते थे, दवाइयों की क्वालिटी कंट्रोल करते थे, क्वालिटी मेंटेंन करते थे, फिर जाकर गोदाम चेक करते थे कि पूरी दवा आयी या नहीं, तब वो रिकमण्ड करते थे कि भुगतान किया जाये, उसके बाद सीएमएचओ और स्वास्थ्य अधिकारी दवाइयों का भुगतान करते थे, इसमें भ्रष्टाचार भी होता था और दवाइयां भी अच्छी मिलती थीं, सभी प्रकार की हर विभाग में थी, आंगनवाड़ी..
श्री उमाकांत शर्मा:- डॉक्टर साहब आप कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार होता था, स्वीकार कर रहे हैं ना.
डॉ. गोविन्द सिंह:- आपके यहां तो (XXX) तो उसमें हम क्या करें. आपके राज में तो बिना ब्याह के बच्चे हो गये, उनकी शादी हो गयी. वह तो आप मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दीजिये कि उन्होंने पकड़कर जेल भेजने का काम किया.
श्री उमाकांत शर्मा:- यह हमारे मुख्यमंत्री जी कर सकते हैं, आपके ने कभी नहीं किया.
डॉ. गोविन्द सिंह:- मैं तो करता हूं.
श्री उमाकांत शर्मा:- जिला सरकार में शिक्षा कर्मियों की (XXX) कैसे हुई है, कितना भ्रष्टाचार हुआ है उस पर भी बोलो.
डॉ. गोविन्द सिंह:- अच्छा अब आप बड़ा सदाचार चला रहे हो. अध्यक्ष जी, जल्दी समाप्त करूंगा. मेरा निवेदन है कि आप सत्ता का विकेन्द्रीकरण करें, केन्द्रीयकरण नहीं. सभी प्रकार की खरीदी के टेण्डर भोपाल से सेन्ट्रलाइज हो गये हैं. वहां रहेंगे तो जनता के बीच रहेंगे, कम लागत आयेगी, काम्पीटिश्न होगा इस पर भी आप जरा जोर लगायें और किन-किन विभागों का सत्ता का विकेन्द्रीकरण करते हैं और निचले स्तर पर जिनको अधिकार पहुंचा सकते हैं उनको पहुंचाने का काम करें.
मुख्यमंत्री जी, एक बात और कहना चाहता हूं और यह गंभीर मामला है आपके कुशाभाऊ ठाकरे जी का मैं भी बहुत सम्मान करता हूं, वह जब भी मिलते थे तो बड़े सम्मान से मिलता था. वास्तव में उन जैसे त्यागी पुरूष आज के समय में लाखों में ढूंढेंगे तो एकाध मिलेंगे. अभी तमाम समाचार-पत्रों में छप रहा है और अधिकारियों ने भी बताया कि उनकी शताब्दी मनायी जा रही है, शताब्दी में हमें आपको स्वेच्छा से सहयोग करना चाहिये. (XXX) सभी लोग परेशान हैं, इस बात को आप देखो. ऐसे महापुरूष के नाम पर जबरन वसूली न हो, जिलावार टारगेट न हो.
श्री विश्वास सारंग:- अध्यक्ष महोदय, थोड़ी सी आपत्ति है. यह हमारी पार्टी का हमारा कार्यक्रम है और इस तरह से यहां इसका कोई औचित्य नहीं है. यह विलोपित करना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, इसको आप विलोपित कराइये.
डॉ. गोविन्द सिंह:- पार्टी का कार्यक्रम है तो (XXX) आप ऐसे महापुरूष को बदनाम मत करिये.
श्री विश्वास सारंग:- आपके पास कोई तथ्य हैं क्या ? गोविन्द सिंह जी आप बहुत वरिष्ठ हैं, आपसे यह अपेक्षा नहीं थी.
डॉ. गोविन्द सिंह:- दो अधिकारियों ने बताया है.
श्री कुणाल चौधरी:- पूरा प्रदेश जानता है.( व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह:-दो जिलों के अधिकारियों ने बताया है कि (XXX)...(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- ठीक है,इनको विलोपित किया जाये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- ले-देकर, एक-दो ही तो महापुरूष हैं आपके पास, उनके नाम पर कलंक नहीं लगना चाहिए, ऐसी डॉक्टर साहब की भावना है.
श्री विश्वास सारंग- ये तो बहस का मुद्दा है कि किसके पास क्या है ?
श्री उमाकांत शर्मा- वर्मा जी, आपने तो अपने महापुरूषों की डुबो दी है.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)- डॉक्टर साहब एक मिनट. मैं कहना चाहूंगा कि ठाकरे जी दलगत राजनीति से हटकर, एक ऐसे महापुरूष थे, जिनका सभी ने सम्मान किया है. (मेजों की थपथपाहट)
उनके अनेकों षष्टिपूर्ति के और जो अन्य कार्यक्रम हुए हैं, उन कार्यक्रमों में भी दलगत राजनीति से ऊपर हटकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेतागण सम्मिलित होते रहे हैं. यह बात सही है कि ठाकरे जी की जन्मशताब्दी वर्ष में अनेक कार्यक्रम भारतीय जनता पार्टी ने अपने हाथ में लिए हैं. लोगों से संपर्क करके, स्वेच्छा से, समर्पण निधि का कार्यक्रम भी भारतीय जनता पार्टी ने अपने हाथ में लिया है लेकिन कोई टारगेट फिक््स करना, जबरदस्ती करना, किसी को कहना नहीं है. हम केवल लोगों से संपर्क कर रहे हैं. मैं, बताना चाहता हूं कि इसमें कोई भी अधिकारी हो, कर्मचारी हो या कोई और हो उसका कोई प्रश्न ही नहीं खड़ा होता है, विनम्रतापूर्वक कार्यकर्ता संपर्क करने जा रहे हैं और समर्पण निधि में यदि कोई स्वेच्छा से दान करता है तो उसे स्वीकार किया जा रहा है. इसलिए आप आश्वस्त् रहें. ठाकरे जी हम लोगों के लिए परमपूज्य हैं, हम उनका जो जन्मशताब्दी वर्ष मनायेंगे, वह उनकी गरिमा के अनुरूप ही मनायेंगे, इसके लिए मैं, आपको आश्वस्त करता हूं, ऐसा कहीं नहीं है और न ही हो रहा है.
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने आश्वासन दिया है. जहां तक ठाकरे जी का प्रश्न है, मैं आपको बताना चाहूंगा कि मैं, केवल एक-दो लोगों के चरण स्पर्श करता था, जिनमें से ठाकरे जी एक थे और ठाकरे जी जब भी मिलते थे तो मैं, उनके चरण स्पर्श करता था. (मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय- वाह.
डॉ. गोविन्द सिंह- वे बहुत अच्छी तरह से हमें स्नेह करते थे. इसलिए मैंने यहां उनका उल्लेख किया है, वे महापुरूष थे.
सहकारिता मंत्री (श्री अरविंद सिंह भदौरिया)- डॉक्टर साहब, कार्यक्रम हेतु समर्पण निधि के लिए, आपके दरवाजे पर भी विनम्र प्रार्थना करूंगा क्योंकि ठाकरे जी आपके भी आदर्श थे, हमारे भी आदर्श हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह- बिलकुल सहयोग करेंगे. अच्छे काम के लिए सहयोग करने में कोई आपत्ति नहीं है.
श्री अरविंद सिंह भदौरिया- डॉक्टर साहब, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन- डॉक्टर साहब, आपने इसे अच्छा काम माना, इसके लिए आपको साधुवाद.
डॉ. गोविन्द सिंह- वे एक महापुरूष थे, लाखों में एक महापुरूष होते हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान- डॉक्टर साहब, मैं संगठन में चंबल क्षेत्र का प्रभारी हूं, मैं, आपके पास समर्पण निधि हेतु आऊंगा.
अध्यक्ष महोदय- डॉक्टर साहब, समय हो रहा है.
डॉ. गोविन्द सिंह- ठीक है, मैं इतना ही कहते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं, धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता प्रस्ताव, हमारे वरिष्ठ सदस्य डॉ. सीतासरन जी ने प्रस्तुत किया है. मैं उसका अभिनंदन करते हुए, स्वागत करते हुए, यहां अपनी दो बातें रखने का प्रयास करूंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभिभाषण के प्रथम पृष्ठ पर जो शुरूआत हुई है, वह आजादी के उन दीवानों के श्री-चरणों में समर्पित है, श्रद्धासुमन है और उनका स्मरण है. आज यहां माननीय मुख्यमंत्री जी विराजित हैं, यह उनकी संवेदना है, यह उनकी भावना है. महामहिम राज्यपाल महोदय का जो अभिभाषण होता है, वह सरकार का आईना है, दर्पण है और मुख्यमंत्री जी ने हमेशा राजनीति से ऊपर उठकर अपने मन-वचन-कर्म को इस प्रदेश की 8.5 करोड़ जनता के लिए समर्पित किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, 75वें अमृत महोत्सव हेतु मुख्यमंत्री जी और संस्कृति विभाग का ह्दय से आभार व्यक्त करना चाहता हूं क्योंकि मैं, पृष्ठ क्रमांक एक से प्रारंभ कर रहा हूं इसलिए आपके संस्कृति विभाग ने, आपके मार्गदर्शन में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दिशा-निर्देश में, पूरे देश में और इस पूरे प्रदेश में अमृत महोत्सव की जो अनुगूंज सुनाई दी है और उसमें मध्यप्रदेश ने सरकार के माध्यम से, जनप्रतिनिधियों के माध्यम से, जनता के माध्यम से जो काम किया है. इस आजादी के अमृत महोत्सव में महाशिवरात्री के महापर्व पर पहली बार बड़े-बड़े शिवालयों में शिव शक्तियां की अभिव्यक्तियां इसको लेकर संस्कृति विभाग ने जिस प्रकार से डिजाइन किया और मैं भी जिस शहर का प्रतिनिधित्व करता हूं वह भगवान पशुपतिनाथ महादेव जी की नगरी से है. आदरणीय देवड़ा जी भी वहीं से हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे महाशिवरात्रि के दिन शासन, प्रशासन भोलेनाथ की सेवा अमृत महोत्सव के माध्यम से करते हैं. जब मैं मंदसौर के भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के उस सभाकक्ष में बैठा और जब मैंने पूरी तरफ निगाह घुमाई तो मैं प्रतिपक्ष को यह बताना चाहता हूं कि वहां न तो माननीय मोदी जी का फोटो था और न ही माननीय शिवराज सिंह चौहान जी का फोटो था. था तो सिर्फ आजादी के दीवानों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि देने का उसमें प्रदर्शन था, उनका स्मरण था और इसी आजादी की 75 वीं वर्षगाठ में तमाम समाजसेवी संगठनों में, स्वयंसेवी संगठनों ने, केन्द्र सरकार के विभागों ने, राज्य सरकार के विभागों ने जो भूमिका निभाई यही तो आईना है, यही तो दर्पण है महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का. वृहद रूप से वृक्षारोपण किया. पीछे बैनर है आजादी की 75 वीं वर्षगाठ महोत्सव, खेल उत्सव, निराश्रित बालगृहों में जाना, वृद्धाश्रमों में जाना और वहां पर कार्यक्रमों को सुनिश्चितता प्रदान करना यही आजादी का अमृत महोत्सव हम सबने मनाया है इस अभिभाषण में प्रथम पेज पर उसका उल्लेख किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, कोरोना के संक्रमण दौर में हमने बहुत कुछ खोया भी है और बहुत कुछ सीखा भी है. अर्थव्यवस्था भी कोरोना की भेंट चढ़ गई थी. पिछले दो साल में सड़क पटरी पर बैठने वाला छोटा सा व्यापारी चाहे वह पानी पताशे बेचता हो, चाहे वह बूट पॉलिश करता हो, चाहे वह सब्जी बेचता हो. इन दो वर्षों में जिस प्रकार से नगर पालिका और नगर निगमों के माध्यम से या राज्य सरकार के माध्यम से दस-दस हजार रुपए की राशि लेकर के उनको जिस प्रकार से संबल दिया और आश्चर्य तो तब हुआ जब माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी इस योजना को लेकर जब संवाद करते हैं तो इंदौर में मंत्री महोदय तुलसी सिलावट जी सब्जी विक्रेता के पास में बैठते हैं और जब संवाद होता है तो वह पूरा परिवार उस दस हजार रुपए की फौरी राहत से भी प्रसन्नता व्यक्त करता है. तब वह परिवार बोलता है कि मुझे दस हजार रुपए बिना ब्याज के मिले मैंने वह रुपए चुका दिया मुझे बीस हजार रुपए मिल गए. उसके बाद वह बीस से तीस हजार हो गए और तीस के चालीस हजार हो गए यह हमें कोरोना ने सिखाया है. यहां माननीय ओम सकलेचा जी भी बैठे हुए हैं. इस कोरोना के काल में न केवल सड़क पटरी बल्कि लघु एवं सूक्ष्म उद्योग ने कितने लोगों को तैयार किया है फिर चाहे वह ग्वालियर हो, नीमच हो, मंदसौर हो, रतलाम हो, इंदौर हो और श्रृंखलाबद्ध लघु एवं सूक्ष्म उद्योग के माध्यम से लोगों को तैयार करके एक उत्साह का वातावरण, आत्मनिर्भरता का वातावरण करने की कोशिश की है. इसी कोरोना के कालखण्ड में ''एक जिला एक उत्पाद'' और उसको लेकर के अगर मंदसौर जिले को लहसुन की फसल में चयनित किया है और बुरहानपुर को केले की फसल में चयनित किया है तो यह सिर्फ बात नहीं थी उसको जिस प्रकार से माननीय मुख्यमंत्री जी के दिशा निर्देश और मार्गदर्शन में बढ़ाया है देवड़ा जी की विधान सभा क्षेत्र का हिंगोरियाबड़ा, मेरी मंदसौर विधान सभा क्षेत्र का गांव इलचीसाबाखेड़ा ऐसे अनेक गांव हैं जहां पर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए आज हमारे यहां का जो क्रय-विक्रय सिर्फ व्यापारियों से व्यापारी होता था.
अध्यक्ष महोदय, आज लहसुन का पाऊडर, लहसुन की चटनी, लहसुन का अचार और इस प्रकार से ड्रेस कोड में उन आत्मनिर्भर महिलाओं को जो स्वसहायता समूह है और इन स्वसहायता समूहों को माननीय मुख्यमंत्री जी ने आदरणीय देवीलाल धाकड़ जी गरोठ विधान सभा के विधायक हैं एक गांव है हरनावदा वहां की महिलाओं को गेहूं उपार्जन का काम दिया गया है. माँ दुर्गा स्व-सहायता समूह ने जिनको लाभांश प्राप्त हुआ है. आत्म निर्भर भारत की कल्पना में "एक जिला एक उत्पाद" का मामला हो माननीय मुख्यमंत्री जी के दिशा-निर्देश में, हम जानते हैं महिला अपनी पीठ पर एक क्विंटल की बोरी नहीं उठाएगी लेकिन उनका प्रबंधन और उनको जो लाभांश मिल रहा है उसके कारण पूरे प्रदेश की महिलाएँ इन स्व-सहायता समूहों से जुड़ीं. जब हम कलेक्टर कार्यालय में उनको बुलाकर उनका अभिनन्दन, स्वागत करते हैं तो 100-100, 200-200 महिलाएँ फोटो खिंचवाकर इन कामों के प्रति माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए अग्रसर होती हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने तीन लहरों का सामना किया है. वेक्सीनेशन में माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री विश्वास सारंग जी ने जो चिन्ता जताई. मुझे बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि लोग घरों से निकले, जिनको वातावरण खराब करना था उन्होंने अफवाहें फैलाईं, यह वेक्सीन मोदी की वेक्सीन है इसको लगाने से बुखार आ जाएगा, इसको लगाने से लोग मर जाएंगे. पता नहीं क्या-क्या भ्रम की स्थितियां पैदा की गईं. मध्यप्रदेश ने चाहे पहला, दूसरा या तीसरा दौर हो हमारी उपलब्धियों का आंकड़ा है उसके अनुसार हम वेक्सीनेशन में हिन्दुस्तान में एक नंबर पर आए हैं. फिर वह चाहे पहला दौर हो या दूसरा दौर हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नवाचार किया गया. माननीय मुख्यमंत्री जी के दिशा निर्देश पर वेक्सीनेशन के केन्द्र पर "सेल्फी विद वेक्सीनेशन" किया गया. जनता, जनप्रतिनिधि, समाज सेवी संगठन जाते थे वेक्सीन लगाकर सेल्फी लेते थे. जब देश में 100 करोड़ लोगों को पहला डोज लग गया तो हमने 100 गुब्बारों को आसमान में उड़ाने का काम किया गया. मध्यप्रदेश ने देश में रिकार्ड बनाया है, पहले स्थान पर पहुंचा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि इस कोरोनाकाल में एनआईसी के माध्यम से हर जिले में जनप्रतिनिधि सांसद, मंत्री व विधायक के अलावा जिला स्तर और ब्लाक स्तर का जो क्राइसेस मैनेजमेंट ग्रुप था उनका जिस प्रकार से संवाद होता था. विचार आता है कल्पना करते हैं और कभी कभी इच्छा भी होती है कि सार्वजनिक क्यों न किया जाए. मुख्यमंत्री जी ने अनगिनत वेक्सीनेशन की मॉनिटरिंग की है. राजस्थान के मुख्यमंत्री जी ने आपदा प्रबंधन में एनआईसी के भवनों का, कलेक्ट्रेट का उपयोग क्यों नहीं किया. वहां क्यों नहीं आपदा प्रबंधन की समितियाँ बनाईं. क्यों नहीं क्रायसेस मैनेजमेंट को लेकर दो बात जनता से और उनके समाजसेवी संगठनों से करने की कोशिश की. चाहे वह राजस्थान हो या छत्तीसगढ़ हो. मध्यप्रदेश में जो नवाचार हुए हैं उसके कारण पंचायत स्तर की, ब्लाक स्तर की, जिला स्तर की, प्रदेश स्तर की आपदा प्रबंधन समितियों ने जो काम किया उसकी सफलता के कारण आज हम...
श्री कुणाल चौधरी -- उन्होंने बिजली और पानी माफ कर दिया था. आप तीन महीने के कोरोनाकाल के बिजली के बिल वसूल रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- आपके मित्र नहीं आ रहे हैं, दो दिन से कहां हैं.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी -- उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है. केवल एक सीट आई है.
श्री कुणाल चौधरी -- अरे आप चिन्ता मत करो यहां पर अपनी देखो, निपट लेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- इस वित्त वर्ष के प्रथम छह माह में पूंजीगत व्यय गत दो वर्षों की तुलना में 40 फीसदी से बढ़कर के 96 प्रतिशत तक आया है. मैं प्रतिपक्ष को यह बताना चाहता हूँ और देवड़ा जी को बधाई देना चाहता हूँ. जीएसटी के करदाताओं की कर अदाएगी की अभिरुचि में निरन्तर वृद्धि हो रही है. इसी कारण देश के प्रथम पांच राज्यों में विवरणी प्रस्तुत करने में हमारा मध्यप्रदेश उल्लेखनीय स्थान पर पहुंचा है. इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और देवड़ा जी को बधाई देना चाहता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक जमाना था उस समय गड्ढे में सड़क थी या सड़क में गड्ढा था यह समझ नहीं आता था. हम 80-80 किलोमीटर, 50-50 किलोमीटर यात्रा करते थे. राजेन्द्र पाण्डेय जी बैठे हैं मंदसौर से जावरा...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- यशपाल जी, यह मोहन जोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई क्यों कर रहे हो.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- सज्जन दादा मैंने तो किसी का नाम ही नहीं लिया. आप अपने पुराने नेताओं को मोहन जोदड़ो और हड़प्पा मानते हैं. ये भी उसी जमाने के हैं कबाड़ा करने वालों में.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, देश के पहले वह सड़क परिवहन मंत्री आदरणीय श्री नितिन गडकरी जी जावरा की उस सड़क पर, 8 लाइन सड़क पर, जिस प्रकार से उन्होंने अवलोकन किया, निरीक्षण किया और अध्यक्ष महोदय, मंदसौर जिले की 140 किलोमीटर से अधिक सड़क, 8 लाइन सड़क, दिल्ली से बॉम्बे, अध्यक्ष महोदय, ट्रेन से मंदसौर से राजधानी एक्सप्रेस में और क्रांति एक्सप्रेस में 10 से 12 घंटे लगते हैं. आज उस सड़क से हम गाड़ी से जाएँगे 6 घंटे में दिल्ली और 6 घंटे में बॉम्बे पहुँच जाएँगे. (मेजों की थपथपाहट) यह अंतर दिखता नहीं है.
श्री कुणाल चौधरी-- थोड़ी धीरे चलाना...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- धीरे क्या उसकी स्पीड ही 140-150 है.
श्री कुणाल चौधरी-- पर थोड़ी धीरे चलाना.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- आप जाना ही मत, नहीं तो तारीफ करोगे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- यशपाल जी, हवाई अड्डे और हवाई जहाज तो बेच दिए तुमने. ..(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- सज्जन सिंह जी, हवाई पट्टी भी 50 जिलों में हो रही है.
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ-- इसमें केन्द्र सरकार की भी कुछ राशि रहती होगी ना?..(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- गडकरी जी का नाम लिया है मैंने.
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ-- नहीं, नहीं, जो आप 2002 और उधर की बात बता रहे हों..(व्यवधान).. यशपाल जी, उस टाइम केन्द्र में सरकार किसकी बैठी हुई थी? और पैसा कितना देते थे? ..(व्यवधान)..
श्री मनोज चावला-- माननीय यशपाल सिंह जी, जावरा लेबड़ और लेबड़ नयागाँव की भी बात कर लीजिए.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी थे, माननीय देवड़ा जी थे, माननीय तुलसी सिलावट जी थे, माननीय ओम सखलेचा जी थे, बहादुर सिंह जी थे, 17 सड़कें, इसी महीने, सिर्फ मालवा में, उज्जैन और इन्दौर डिवीजन में फोर लेन और सिक्स लेन की जब आधार शिला रखी. (मेजों की थपथपाहट) हमारा क्षेत्र तो मालवा, मैं समझता हूँ कि सड़कों के मामले में दुनिया में नंबर एक पर होगा. ग्वालियर चंबल संभाग 309 किलोमीटर, अटल प्रगति पथ, मालवा का मैंने आपको उदाहरण दिया, मालवा का हमारा इन्दौर और उज्जैन डिवीजन, माननीय अध्यक्ष महोदय, एक साथ गडकरी जी के कर कमलों से 17 सड़कों का शिलान्यास होना बड़ी बात है. पूर्वी क्षेत्र के पश्चिमी क्षेत्र से जोड़ने वाली 906 किलोमीटर नर्मदा पथ का ऐतिहासिक काम भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार कर रही है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, विद्युत के उत्पादन में आत्म निर्भर, जैसा कि आदरणीय सीतासरन जी शर्मा साहब ने बहुत अच्छे आँकड़े प्रस्तुत किए थे. मैं भी उसको लिख रहा था लेकिन आगर, शाजापुर, नीमच में सोलर पार्क को लेकर के 1500 मेगावॉट का एक नया निर्णय और नई कार्य पद्धति माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रारंभ हुई है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवार के लोगों के लिए, कृषकों के लिए, 8 लाख कृषि उपभोक्ताओं को निःशुल्क विद्युत का वितरण किया जाता है, देख लेना आप.
श्री कुणाल चौधरी-- मैं यह कह रहा हूँ कि फिर ये मोटरें और ये क्यों खींच कर ले जाते हैं......(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मई 2022 तक, माननीय अध्यक्ष महोदय, महामहिम के उद्बोधन में, महामहिम के अभिभाषण में जुलाई 2023 तक 45 हजार नग सोलर पंप की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐतिहासिक काम होने की ओर अग्रसर हो रहा है. (मेजों की थपथपाहट) माननीय अध्यक्ष महोदय, चौतरफा विद्युत की व्यवस्था का जो लक्ष्य मांग और आपूर्ति के माध्यम से सुनिश्चित हुआ है इसी कारण से आज मध्यप्रदेश विद्युत के उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जल जीवन मिशन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का ड्रीम, संकल्प, अध्यक्ष महोदय, 47 लाख 15 हजार, 38.55 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों के परिजनों के घर घर नल की टोटी लग गई है इसकी बड़ी उपलब्धता मध्यप्रदेश की सरकार ने प्राप्त की है.
श्री मनोज चावला-- टोटी ही लगी है, अभी तक पानी नहीं आया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- पानी आएगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, 4 हजार 85 गाँव तक शत प्रतिशत घरों में नलों के माध्यम से पानी पहुँचने का ऐतिहासिक रिकार्ड बना हो, शायद इसी कारण से, यह मध्यप्रदेश की सरकार के यशस्वी मुख्यमंत्री जी का नेतृत्व है उनके सहयोगी साथी मंत्रियों का जो एक समर्पण है. मुझे बताते हुए अत्यन्त प्रसन्नता है कि जिस बात को रेखांकित किया माननीय महामहिम के भाषण में माननीय अध्यक्ष महोदय, 7 बडे़ राज्यों में मध्यप्रदेश नल-जल जीवन मिशन की योजना में तीसरे नंबर पर है, यह हमारी बड़ी उपलब्धि है. खाद्यान्न का उत्सव, खाद्यान्न की उपलब्धता कोरोना के काल में पीडीएस सिस्टम के माध्यम से उनको जो खाद्यान्न मिलता है वह तो मिलता ही मिलता है लेकिन उसके अलावा भी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने, माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने जिस प्रकार से इन गरीब परिवारों को उत्सव के रूप में, उससे मॉनिटरिंग हुयी है जो उससे सकारात्मक स्वर निकलकर आया है उसके माध्यम से जो काम हुआ है, प्रतिमाह मिलने वाले राशन के अलावा, वह संबल के रूप में काम आया. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के परिवार के लोगों के लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी आपको धन्यवाद देना चाहता हॅूं. पेसा एक्ट को लेकर आपने जिस प्रकार से व्यवस्था सुनिश्चित की है कि राशन गरीब आदिवासी परिवारों के घर-घर पहुंच जाए और पहुंचाने वाला भी कौन है उन्हीं के समाज का, उन्हीं के परिवार का वह बेरोजगार, जिसको वाहन उपलब्ध कराया गया है ताकि उसको रोजगार भी मिले और वह घर-घर जाकर के राशन का वितरण भी करे.
अध्यक्ष महोदय, महुआ को लेकर कहना चाहता हॅूं कि आदिवासी परिवार जिस प्रकार से दिन भर में थोड़ा-थोड़ा महुआ बीनकर आते हैं और किसी व्यापारी को दे देते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय वित्त मंत्री जी ने हेरिटेज को देखते हुए जो कार्ययोजना बनायी, महुए की शराब को बनाने के काम को लेकर के जिस प्रकार से आप लोगों ने उन गरीबों का उत्थान करने के लिए, आदिवासियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जो काम किया है माननीय अध्यक्ष महोदय, वह तारीफ के काबिल है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, संबल योजना के बारे में कहना चाहता हूं कि उस संबल योजना को पूर्ववर्ती सरकार ने तो समाप्त कर दिया था, रिजेक्ट कर दिया था, अपात्र घोषित कर दिया था. माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हॅूं कि इस संबल योजना के कारण से मृतक परिजनों के परिवार को 4 लाख रूपए की राशि, 2 लाख रूपए की राशि गर्भवती महिला को....(व्यवधान)....
श्री सुनील सराफ -- माननीय सिसौदिया जी, एक साल से संबल की राशि नहीं आयी है...(व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- एक साल से राशि नहीं आयी है..(व्यवधान)..
श्रीमती सुनीता पटेल -- एक साल हो गए. एक साल से पैसा नहीं आया है. क्षेत्र की हालत खराब है...(व्यवधान)..
श्री सुनील सराफ -- आप लोग बहुत अच्छा बोल रहे हैं..(व्यवधान)...
श्री प्रहलाद लोधी -- आप तो कमियॉं गिनाओ...(व्यवधान)...
श्रीमती सुनीता पटेल -- माननीय सिसौदिया जी, आपने बहुत अच्छा बोला, लेकिन क्षेत्र में काम कुछ हो नहीं रहा है. आप आंकडे़ बहुत अच्छे दे रहे हैं लेकिन क्षेत्र में स्थिति बहुत खराब है. आपने जो नल-जल योजना बतायी, क्षेत्र की सारी सड़कें खुदी पड़ी हैं और नल-जल की व्यवस्था कहीं भी नहीं है. हमारे क्षेत्र की आप जॉंच करवा लीजिए.......(व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य -- इनको 55-60 साल में बहुत कुछ करना था...(व्यवधान)..
श्री सुरेश राजे -- माननीय यशपाल जी, 55-60 साल के दम पर ही खडे़ हो. जो इमारत खड़ी कर रहे हो, बुनियाद 55-60 साल पहले शुरू हुई थी...(व्यवधान)...
श्री प्रहलाद लोधी -- अरे भईया, आपने 15 महीने में पूरी योजना बंद करी...(व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- श्री लक्ष्मण सिंह जी.
श्री लक्ष्मण सिंह (चाचौड़ा) -- धन्यवाद अध्यक्ष महोदय, माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का जो दूसरा पैराग्राफ है मैं वहां से अपना संबोधन शुरू करना चाहूंगा. उसमें लिखा है कि मैं स्वाधीनता संघर्ष के सभी ज्ञात-अज्ञात नायकों के अमर बलिदानों को पुन: स्मरण कर उन्हें शत्-शत् नमन करता हूँ. हम भी करते हैं ज्ञात-अज्ञात अच्छा होता, अगर आप महात्मा बापू का नाम लेते, अच्छा होता अगर आप पंडित नेहरू जी का नाम लेते अच्छा होता, अगर आप सरदार पटेल का नाम लेते, जिनकी स्टेच्यू ऑफ यूनिटी इतनी बड़ी आपने बनायी. अब यह ज्ञात है या अज्ञात है क्या है, आप बताइए. बड़ा दुख होता है और हमें नहीं बल्कि सारे देश को दुख होगा और हमें गर्व है कि हमारे यह नेता महात्मा गांधी जी और पंडित नेहरू जी हमारे देश के और हमारी पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं. एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के नेता रहे हैं. उनका नाम नहीं लिया है. आप लोग माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण से खुश हुए होंगे, लेकिन हमें बहुत-बहुत दुख पहुंचा है.
अध्यक्ष महोदय, फिर आपने कोरोना वैक्सीन लगवायी, बहुत अच्छी बात है. मुझे दो बार कोरोना भी हो गया. माननीय मुख्यमंत्री जी को और मुझे भी कोरोना हो गया था, लेकिन हम दोनों भगवान की दया से बच गए, तो जो वैक्सीन लगवायी गई, अच्छी बात है मैं उसमें नहीं पड़ूंगा. लेकिन थोड़ा अगर पहले जाग जाते तो इतनी मौतें नहीं होतीं. मध्यप्रदेश में जब कोरोना फैल रहा था, तब हमारे ...(व्यवधान)...
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- कोरोना की शुरुआत आपके ही समय में हुई थी. ...(व्यवधान)...
श्री लक्ष्मण सिंह -- देखिए, मैं बीच में नहीं बोलता, पाण्डेय जी बैठ जाइये. जब कोरोना मध्यप्रदेश में फैल रहा था. ...(व्यवधान)...
श्री उमाशंकर शर्मा -- आपकी सरकार ने पोलियो की दवा कितने सालों में बनाई थी... ...(व्यवधान)...
श्री लक्ष्मण सिंह -- जब कोरोना मध्यप्रदेश में फैल रहा था, तब तत्कालीन मंत्री कहां थे. ...(व्यवधान)...
श्री उमाशंकर शर्मा -- आपके प्रधानमंत्रियों ने पोलियों की दवा कितने सालों में बनाई थी, बता दो जरा.. ...(व्यवधान)...
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वरिष्ठ सदस्य ने मेरा उल्लेख किया है, इनके संज्ञान के लिए मैं बताना चाहता हूँ कि 7 मार्च को मैंने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी के साथ कोरोना की बैठक की. ...(व्यवधान)...
श्री लक्ष्मण सिंह -- चलिए छोड़िए, छोड़िए, मैं आपसे सफाई नहीं मांग रहा हूँ.. ...(व्यवधान)...
श्री तुलसीराम सिलावट -- सुनो, आप बोल रहे हैं, इसलिए मैं डिटेल दे रहा हूँ. ...(व्यवधान)...
श्री लक्ष्मण सिंह -- मैं आपसे सफाई नहीं मांग रहा हूँ, बैठ जाइये. ...(व्यवधान)...
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- सच्चाई भी सामने आने दें...(व्यवधान)...
श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय, कोविड काल में, समाचार-पत्रों के माध्यम से मैं बता रहा हूँ, पॉजिटीविटी की दर को घटाने हेतु फर्जी मोबाइल नंबरों के नाम से रिपोर्ट्स बनाई गईं. एक अखबार द्वारा जांच करने पर 50 प्रतिशत से अधिक नंबर आऊट ऑफ ऑर्डर पाए गए. ये सारा मीडिया कह रहा है, जिसके भरोसे आप सरकार में बैठे हैं, और उन्हीं के भरोसे आगे भी रहेंगे. घटिया टेस्ट-किट, कई संक्रमित लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आई, लेकिन घटिया टेस्ट-किट की वजह से उन्हें पॉजिटीव बता दिया गया, जिससे उन्हें जान गंवानी पड़ी. ...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, ऐसे किसी पेपर का उल्लेख हो सकता है, वे भाषण दें, इतने सीनियर सदस्य हैं. ...(व्यवधान)...
एक माननीय सदस्य -- मौत के आंकड़े भी छुपाए. ...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- अपने मन से ही लिख लाए. ...(व्यवधान)...
श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इस राज्यपाल के अभिभाषण में पिछले साल भी वही हुआ था, इस साल भी वही, मोदी जी, मोदी जी, ये स्टेट का बजट है. मध्यप्रदेश के राज्यपाल का अभिभाषण है, हम सरकार की समीक्षा कर रहे हैं, लेकिन फिर वही बात. ...(व्यवधान)...
श्री उमाशंकर शर्मा -- आदरणीय राजा साहब, बार-बार आप सोनिया जी का विरोध कर देते हैं, इसलिए पीछे रह जाते हैं और भतीजा आगे चला जाता है, इसलिए आप अपने नेतृत्व का विरोध करना बंद करिए. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- उमाकांत जी, बैठ जाइये. ...(व्यवधान)...
श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय, 5 ट्रिलियन इकॉनॉमी, 5 ट्रिलियन की इकॉनॉमी बनाएंगे मोदी जी, 5 ट्रिलियन, 5 ट्रिलियन, सुन-सुन के कान पक गए. न वह साढ़े 4 ट्रिलियन होती, न साढ़े 5 ट्रिलियन होती, 5 ट्रिलियन इकॉनॉमी, आंकड़े क्या बताते हैं. आंकड़े यह बताते हैं कि आपका जो इंटरनल डेब्ट है आज..
अध्यक्ष महोदय -- यह लोकसभा के बजट पर हो रहा है कि मध्यप्रदेश के बजट के ?
श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह इसमें संबोधन में लिया हुआ है कि 5 ट्रिलियन की इकॉनॉमी बनाएंगे. इसमें लिखा हुआ है, उसका जवाब दे रहा हूँ. इसमें लिखा हुआ है, इंटरनल डेब्ट जो आपका है, वह 1 लाख 31 हजार 490 करोड़ रुपये है, जो वर्ष 2023 में बढ़कर 1 लाख 47 हजार 875 करोड़ रुपये हो जाएगा. एक्सटर्नल डेब्ट की अगर बात करें तो आपका इक्सटर्नल डेब्ट 4 लाख 29 हजार 402 करोड़ रुपये है, ये वर्ष 2023 में बढ़कर 4 लाख 89 हजार 34 करोड़ रुपये हो जाएगा. इंटरनल डेब्ट और एक्सटर्नल डेब्ट, दोनों बढ़ रहे हैं तो 5 ट्रिलियन की इकॉनॉमी कहां से हो जाएगी. अब हम अपनी राज्य सरकार की बात करें तो पांचवें पैराग्रॉफ में लिखा है कि अर्थव्यवस्था को पटरी से नहीं उतरने दिया गया है. यहां का हाल क्या है, पिछले साल का जो बजट था, वह 2 लाख 41 हजार करोड़ रुपये का बजट था, इस साल शायद 2 लाख 57 हजार करोड़ रुपये का बजट है, लेकिन 2 लाख 41 हजार करोड़ रुपये का बजट और कर्जा कितना, 2 लाख 53 हजार करोड़ रुपये कर्जा है, बजट से ज्यादा कर्जा है और यह कहा जा रहा है कि अर्थव्यवस्था को पटरी से नहीं उतरने दिया. अब यह पटरी से नहीं उतरी, तो कहां से उतरी ? (डॉ. सीतासरन शर्मा द्वारा अपने आसन पर खड़े होने पर) डॉक्टर साहब, आप विराजें, दो मिनट, आप जब बोले तो मैं बोला नहीं. आप ही का जवाब दे रहा हूँ.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- वे तो बता रहे हैं कि 3 लाख करोड़ रुपये का कर्जा है, आपने कम बताया.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- वर्ष 2019 का बजट भाषण है, उसमें 37 हजार करोड़ का कर्जा था.
श्री लक्ष्मण सिंह -- नहीं-नहीं, अभिभाषण पर ही लिखा है. अच्छा अब आपकी बात करता हूं.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- एक मिनट सुन लें. आपने वर्ष 2019 में गवर्नर एड्रेस में जो लिखा है, 37 हजार करोड़ का कर्जा था जब आपने सरकार छोड़ी थी. आपने ही लिखा है और बजट 20 हजार करोड़ का था. बजट से दोगुना कर्जा आपके समय में था.
श्री लक्ष्मण सिंह -- आप हमारी सरकार के पीछे क्यों पड़े हैं डॉक्टर साहब, जरा दो मिनट सुनिये. अध्यक्ष महोदय, फिर हम चर्चा करें दो दिन पहले की, क्योंकि अर्थव्यवस्था का उल्लेख है इसलिये कह रहा हूं. दो दिन पहले मंगलवार को मध्यप्रदेश की इकोनॉमिक सर्वे की रिपोर्ट आयी है, शायद आपने देखी नहीं है. उसमें लिखा है कि 5.51 लाख बेरोजगार मध्यप्रदेश में बढ़े हैं. यह मध्यप्रदेश की इकोनॉमिक सर्वे की रिपोर्ट कह रही है. जीडीपी 1.92 परसेंट घटी है और इस वर्ष राज्य में शिक्षित बेरोजगारों का प्रतिशत 95.7 हो गया है. यह मध्यप्रदेश की इकोनॉमिक सर्वे की आपकी सरकार की रिपोर्ट बता रही है. पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप के लिये 1 लाख, 60 हजार छात्रों की संख्या को कम कर दिया गया है. गेहूं का उत्पादन घटा है. क्षेत्रफल में 3.80 प्रतिशत की कमी आयी है और संभवत: यह इसलिये हुआ है क्योंकि किसानों को खाद के लिये लाईन में लगना पड़ा और डंडे खाने पड़े इसलिये आया है. फिर आपने हाथकरघा उद्योग के बारे में कहा और आपने कहा है कि जो हस्तशिल्प और हाथकरघा उद्योग से हम जिनका निर्माण करते हैं उनको हमने फ्लिप कार्ड और अमेजॉन से जोड़ दिया है. बहुत बड़ा काम कर दिया है. यह पर्याप्त नहीं है. इतनी भारी संख्या में बुनकर हैं. वर्ष 2011 में जब यूपीए की सरकार थी तो गडकरी जी गये थे आंदोलन करने आंध्रप्रदेश में बहुत आंदोलन किया था यूपीए सरकार के खिलाफ कि बुनकरों को उनका हक मिलना चाहिये, बुनकरों को हक मिलना चाहिये. सरकार बनी आपकी, सरकार 2014 से चल रही है और बुनकरों की जो सोसायटियां हैं, जहां अभी मोदी जी एक कार्यक्रम में गये थे, जहां उन्होंने बुनकरों के समूहों को बुलाया था, बुनकर दिवस मनाया था, बहुत बड़ा आयोजन हुआ और वे वहां पर कहकर आये कि मैं 2 करोड़ की राशि बुनकर समूहों के समुदाय को देता हूं. 2 करोड़ की राशि. 38 लाख हैंडलूम हमारे देश में हैं और उनको आपने इस तरह से देखा है.
तेंदूपत्ता एक हजार करोड़ का व्यापार है और इसमें जितनी धांधली होती है वह कहीं नहीं होती. आप बता रहे हैं कि आपने उसमें बहुत राजस्व प्राप्त किया है. तेंदूपत्ता शायद एक हफ्ता टूटता है और फिर बारिश आ जाती है तो टूटना बंद हो जाता है. एक हफ्ते में आप इतना सारा राजस्व इकट्ठा कर लेंगे. यह आंकड़े गलत हैं इन्हें थोड़ा सुधारें. फिर मजदूरी बराबर नहीं मिलती है. मुख्यमंत्री जी भी आज यहां हैं, आपसे मेरा एक सुझाव है कि हम यह तेंदूपत्ता की नीति में थोड़ा परिवर्तन करें. यह मैं पहले से भी कह रहा हूं. हमारी सरकार थी तब भी कहता था. यह ऐसा व्यवसाय है जो 4 महीने मजदूर बरसात में घर बैठता है, उसको मजदूरी नहीं मिलती, अगर तेंदूपत्ते को आप फॉरेस्ट शिड्यूल से निकाल दीजिये, वह लकड़ी तो है नहीं, पत्ता है, हर वर्ष आता है. फॉरेस्ट शिड्यूल से अगर आप तेंदूपत्ता को निकाल देंगे और यह तेंदूपत्ता आप निजी हाथों में मजदूरों को दे दीजिये, इनकी समितियों को दे दीजिये. मजदूरों को अधिकार दीजिये कि मजदूर तेंदूपत्ते का संग्रहण करें, भंडारण करें और जिस दाम में बेचना चाहें बेचें. एक हजार करोड़ की राशि यह मजदूरों के बीच में जाएगी और उसका जो टैक्स लेना है वह सरकार ले, टैक्स सरकार को भी मिलेगा, लेकिन यह जो करोड़ों रुपये के तेंदूपत्ते की कालाबाजारी होती है, दो नंबर में जाता है यह नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय, कुपोषण के बारे में कहा गया कि आपने कुपोषण समाप्त कर दिया. आपके आंकड़ें जो बताते हैं कि 5 लाख 6 हजार बच्चे कुपोषित हैं, यह आप खुद कह रहे हैं. 15 साल से आपकी सरकार है, आप कुपोषण मिटाने की बात करते हैं. यह आंकड़ें 15 साल में इतने कैसे बढ़ गये? इसका जवाब दीजिए.
अध्यक्ष महोदय, गौशाला की बात करें. गौशालों का क्या हाल है, यह मुझे नहीं कहना. अभी हाल ही में आपके ही पार्टी के साथी ने गौहत्या का मामला उठाया था. हम लोगों ने वाक-आउट भी किया था. यह गौशालाएं तभी चलेंगी, जब उनको गौमाता को चारा मिलेगा. चारे के लिए जगह बची नहीं. चारा मध्यप्रदेश से बाहर जा रहा है, महाराष्ट्र जा रहा है, चारे के दाम बढ़ रहे हैं. अभी 15 रुपये किलो भूसा हमने इस बार खरीदा है. इस बार भी पता नहीं क्या होगा, इसलिए मुख्यमंत्री जी आप चारे को, भूसा को मध्यप्रदेश के बाहर मत जाने दीजिए, नहीं तो यह गौशालाएं नहीं चल पाएंगी और गौमाता को चारा नहीं मिलेगा. फिर सब्जी, फूलों के उत्पादन में आप अग्रणी हैं, बिल्कुल हैं क्यों नहीं हैं. लेकिन प्रोसेसिंग के लिए क्या हो रहा है? कुछ नहीं. आपके अपने जिले सीहोर में टमाटर को किसानों ने सड़कों पर फेंका है. अब 15 साल में क्या टमाटर प्रोसेसिंग का उद्योग हम सीहोर में नहीं लगा पाए? आपके गृह जिले में नहीं लगा पाए? थोड़ा-सा इस पर भी अवलोकन करिए.
अध्यक्ष महोदय, वन समितियां, वन समितियां जो काम कर रही थीं उनको बिल्कुल धीरे-धीरे उनको एक सुनियोजित तरीके से समाप्त कर दिया गया है. लघु वनोपज का एक बहुत बड़ा व्यापार जिससे वन समितियों को जो लाभ मिलता था, वह सारा बीच में जो बिचौलिएं हैं वह ले जा रहे हैं. आपने कहा है कि आप ग्राम सभा के माध्यम से वन समितियों को चलाएंगे और जो लाभ होगा, वह वन समितियों को मिलेगा. मैं सरकार से जानना चाहता हूं कि क्या ग्राम सभा लगती है, क्या ग्राम सभा कहीं लगती है? ग्राम सभा लगती है 15 अगस्त, 26 जनवरी को, जब ग्राम सभा लगती ही नहीं है तो क्या लाभ आप वनवासियों, वन समितियों को देंगे? फिर केन बेतवा लिंक परियोजना का आपने उल्लेख किया है. केत बेतवा लिंक परियोजना जो है, मैं इसके खिलाफ नहीं हूं. आप सिंचाई करिए, लेकिन इसका स्थल थोड़ा बदलिए, नहीं तो पन्ना नेशनल पार्क डूब जाएगा. लाखों पेड़ कटेंगे और पन्ना एक ऐसी ऐतिहासिक जगह है जहां पाडंवों ने भी विश्राम किया था. अध्यक्ष महोदय, जो इस विषय को जानते हैं उनसे राय ली जाए और मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से कहूंगा कि आप भी प्रधानमंत्री जी से चर्चा करें इस केन बेतवा लिंक परियोजना को हम पवई के यहां लिंक करे तो मध्यप्रदेश को ज्यादा लाभ होगा. आज मध्यप्रदेश की जमीन डूब रही है, जंगल डूब रहा है, नेशनल पार्क डूब रहा है और फायदा उत्तरप्रदेश को हो रहा है. अगर थोड़ा आप इस साइट को शिफ्ट करते हैं तो इसका लाभ मध्यप्रदेश को होगा और नेशनल पार्क बच जाएगा.
अध्यक्ष महोदय, डेयरी के बारे में आपने कहा है. आपने कहा है कि डेयरी को आप बहुत बढ़ाएंगे. लेकिन क्राप एरिया जो 3 परसेंट है, वह फाडर कल्टिवेशन के लिए उपयोग आता है. इसको आपको बढ़ाना पड़ेगा. फिर मंदसौर में जो फीड सर्वे डेयरी के बारे में हुआ है वहां गांधी सागर बांध है. वहां बहुत पानी है. श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी यहां बैठे हैं. वहां की रिपोर्ट क्या कहती है कि अप्रैल और जुलाई के बीच में चारा यहां भी नहीं होता है. जहां गांधी सागर बांध है वहां चारे की समस्या है तो हमारी और जगह जहां पठारे हैं, आगर मालवा में क्या हाल होगा?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- फारेस्ट का एरिया जो है वहां तो होता है, आप फारेस्ट के एरिया को छोड़कर बात कह रहे हैं.
श्री लक्ष्मण सिंह - यह सर्वे की रिपोर्ट कह रही है, फिर राशन की दुकानें, राशन की दुकानों में आपने बहुत बड़ा काम किया है. राशन की दुकानों में जितना भ्रष्टाचार हो रहा है, शायद कभी मैंने अपने 35 साल के राजनीतिक जीवन में नहीं देखा और माननीय मुख्यमंत्री जी को भी दर्द हुआ.
और मुख्यमंत्री खुद जाकर के अपने और उनको भी दर्द हुआ, उन्होंने जाकर कहा. उन्होंने सस्पेंड किया. कई लोगों पर एक्शन लिया. मैं उनको बहुत बधाई दूंगा. पर यह एक जगह ही एक्शन हुआ है और जगह एक्शन नहीं हुआ है. मेरे यहां तो एक आदमी 8-8 दुकान चला रहा है, उसको हटवाया, वह फिर आ जाता है. एक बार हटवाया, वह फिर आ गया. तो गुना में भारी भ्रष्टाचार है इस मामले में और एक आपने कहा था कि ट्राइबल एरियाज में आप होम डिलीवरी करेंगे. बहुत अच्छी बात है, उसको शुरु करवाइये. अभी शुरु नहीं हुआ है और ट्राइबल एरिया में क्यों पूरे मध्यप्रदेश में आप राशन की होम डिलीवरी करवाइये. फिर आपने मत्स्य पालन के लिये कहा है कि मत्स्य पालन को बहुत बढ़ावा दे रहे हैं. अच्छी बात है. मुख्यमंत्री जी, इसमें मेरा एक सुझाव है कि महाशीर मछली जो है, वह एक बहुत भारी संख्या में पहले होती थी, अब वह घटकर उसका 27 प्रतिशत उत्पादन था, वह घटकर एक प्रतिशत हो गया है. तो महाशीर मछली को बढ़ाने के लिये आप कुछ करिये. मैं मेडिकल कालेज के बारे में कहना चाहता हूं. मेडिकल कालेज के बारे में हमारे डॉक्टर साहब ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने कुछ नहीं किया, कुछ नहीं किया. अध्यक्ष महोदय, मेडिकल कालेज आपने खोले हैं, मैं यह नहीं कहता हूं कि नहीं खोले हैं और खोल रहे हैं, अच्छी बात है. लेकिन मेडिकल कालेज में एक छात्र को एडमिशन लेने के लिये क्या करना पड़ता है, यह आपको भी मालूम है और हमको भी मालूम है. आज यूक्रेन में जो हालत हो रही है, वह इसलिये हो रही है कि वहां 20 लाख रुपये में डॉक्टर बन जाता है और यहां एक करोड़ रुपया खर्च होता है. एडमिशन फीस जो होती है, वह 30-40 लाख रुपये लगते हैं, तब जाकर मेडिकल कालेज में जा पाते हैं. इस बात का ध्यान रखिये, जिससे कि हमारे गरीब बच्चे जो हैं, वह भी डॉक्टर बन सकें, नहीं तो ये मेडिकल कालेज खोलने से कोई फायदा नहीं होगा. केवल धनवान लोगों के बच्चे पढ़ पायेंगे.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी -- मुख्यमंत्री जी फीस भरने का काम भी कर रहे हैं, मेडिकल के गरीब छात्रों की.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - अध्यक्ष महोदय, अब तो हमारे शिक्षा मंत्री जी ने कह दिया है कि हिन्दी में मेडिकल साइंस होगी. पिछले साल के आंकड़े हैं कि 2200 डाक्टर बने, 1100 को नौकरी मिली और 1100 बाहर चले गये और इसके बाद अगर हिन्दी में पढ़ायेंगे, तो विदेश में जाने का कोई चांस नहीं रहेगा.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें.
श्री लक्ष्मण सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं अंत में एक बात और कहना चाहूंगा. मुख्यमंत्री जी, आप वहां हमारे पूजनीय आदि शंकराचार्य जी की प्रतिमा बना रहे हैं, बहुत अच्छी बात है, मैं आपको बधाई देता हूं. स्टैच्यु ऑफ वननेस. बहुत अच्छी बात है. लेकिन यह वननेस सदन में दिखना चाहिये. लेकिन यह वननेस राजनीति में दिखना चाहिये. यह वननेस समाज में दिखना चाहिये. किस तरह से हमारे कांग्रेस के विधायकों की और कांग्रेस के साथियों की क्या दुर्दर्शा कर रहे हैं आप लोग. हमारे विधायकों के कोई काम नहीं होते. हमारे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर रोज केस बनते हैं. असत्य केस बनते हैं.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- आप वह 15 महीने याद करें.
श्री लक्ष्मण सिंह -- वे 15 साल से संघर्ष कर रहे हैं. अगर स्टैच्यू ऑफ वननेस में, अगर हमें आदि शंकराचार्य ..(व्यवधान).. वननेस मुख्यमंत्री जी यह आपका दायित्व है. वननेस करके दिखाइये और यह इस तरह का भेदभाव हम 15 साल से झेल रहे हैं. गृह मंत्री जी, आप भी यहां बैठे हैं, इसको आप समाप्त करिये. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, स्वैच्छा अनुदान में भी भेदभाव होता है. कहते हैं बीजेपी के विधायक के लेटरपेड पर लिखवाकर लाओ. नहीं मिलेगा कांग्रेस के विधायकों को.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जायें.
श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज) -- परम् श्रद्धेय अध्यक्ष महोदय एवं सदन के समस्त माननीय सभा सदस्यगण. मध्यप्रदेश के लोकतंत्र के संविधान के सबसे बड़े मंदिर में माननीय अध्यक्ष महोदय को, माननीय सदस्य महानुभावों को अंतस्तल की अनन्त गहराइयों के साथ सादर नमस्कार करता हूं. मैं धन्यवाद अर्पित करता हूं कि आपने मुझे राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर बोलने के लिये अवसर प्रदान किया है. साथ ही मैं अपनी प्रसन्नता भी व्यक्त करना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपको भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपके नेतृत्व में वर्तमान विधान सभा नित नये मर्यादा के ऊंचे मापदण्ड स्थापित कर रही है. इसके लिये मैं आपकी और सदन के सभी सदस्यों की भूरि भूरि प्रशंसा करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन के नेता,छोटे से गांव से,किसान के परिवार में जन्म लेने वाले अपने बूते पर अपनी क्षमताओं पर आज इस सदन के नेता बनने वाले और मध्यप्रदेश में सर्वाधिक कार्यकाल मुख्यमंत्री का बनाने वाले माननीय शिवराज सिंह जी का भी धन्यवाद अर्पित करता हूं उन्होंने महामहिम राज्यपाल महोदय के माध्यम से इतना सुंदर अभिभाषण,अपनी सरकार की नीतियां प्रकट की हैं जो नि:संदेह सराहनीय हैं प्रशंसनीय हैं. मैं निवेदन करना चाहता हूं मैं मुख्यमंत्री महोदय के लिये एक श्लोक का कथन करना चाहता हूं. कमलनाथ जी नहीं हैं. कह देंगे इसे ड्रामा पार्टी में भेज दो. पिछली बार बोला था श्लोक बोलने पर. परमे तो गुणी पुत्रो,नाचे मूर्ख सतान्यति,एकश्च चंद्रस्य तमो हंती, नाचे श्रेष्ठ तारागणों. समझ गये कि नहीं. एक ही श्रेष्ठ पुत्र अच्छा होता है. अच्छे गुण वाला पुत्र अच्छा होता है सैंकड़ों मूर्ख पुत्रों की अपेक्षा. एक ही चंद्रमा सारे संसार का अंधकार हर लेता है हजारों तारागण नहीं हर पाते. ऐसे ही आज हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी शीतल चांदनी गुणों की,विकास की, सारे मध्यप्रदेश को प्रदान कर रहे हैं. मैं आपका अभिनंदन करता हूं. साथ ही उनकी भावना भी मैं जानता हूं. मजाक में मत लीजिये. मुख्यमंत्री जी की मूल भावना को समझिये. वह कहते हैं. उनका हृदय कैसा है. उनकी शासकीय योजनाएं कैसी हैं. मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार कैसा काम कर रही है आम आदमी के लिये. मुख्यमंत्री जी की भावनाएं न आत्महम् कामये राज्यम् न स्वर्गम् न पुर्नभवम्, नामये दुग्ध तप्तानाम् प्राणिनाम् आर्तनाशम्. वह स्वर्ग नहीं चाहते राज्य नहीं चाहते सोना नहीं चाहते दोबारा जन्म भी नहीं लेना चाहते वे केवल दुखी प्राणियों के कष्टों को दूर करना चाहते हैं. ऐसे मुख्यमंत्री जी का मैं बार-बार अभिनंदन करता हूं.
श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति(एन.पी.) - यहां पर व्यास गद्दी लगा दो.
एक माननीय सदस्य - यह तो शिवराज कथा हो रही है.
श्री उमाकांत शर्मा - होगी. यह पहली बार हुआ है. बच्चा-बच्चा,बेटी-बेटी मामा कह रही है और एक को बंटाधार कह रही है. कहलवाओगे तो दूर तक जायेंगे. मैं माननीय संसदीय मंत्री जी का धन्यवाद देता हूं. जिस दिन सदन प्रारम्भ हुआ. राज्यपाल महोदय का अभिभाषण हुआ.उन्होंने सदन की मर्यादा रखकर सदन की, इस लोकतंत्र मन्दिर की, संविधान की मर्यादा की रक्षा की. उनके विषय में कहना चाहता हूं. क्या अदा है, क्या अदब है, क्या ज्ञान है क्या मुस्कान है नरोत्तम जी मिश्रा विधान सभा की शान है. आप समझ मझते थे कि आप ही शेर बोल सकते हो मैं भी बोलता हूं
जब अभिभाषण चल रहा था और कांग्रेस के लोग विरोध कर रहे थे, प्रतिपक्ष के माननीय सदस्य विरोध कर रहे थे तो स्वर बड़े दबे-दबे थे, कुचले-कुचले थे, बिखरे-बिखरे थे, स्वयं के सदस्य की आलोचना करने तक की नौबत आ गई, ऐसा दिन आज हमें नेता प्रतिपक्ष के सामने देखना पड़ा. इसलिये आप थोड़ा सहयोग करो, मदद करो और जहां तक मोदी जी की बात, देश के प्रधानमंत्री जी की बात लक्ष्मण सिंह जी कर रहे थे तो मैं कहना चाहता हूं, हमारे मुख्यमंत्री जी कहते हैं मोदी जी इस देश के लिये भगवान के वरदान के रूप में हैं और मैं चेलेंज देता हूं माननीय सदस्यों, माननीय प्रतिपक्ष के महानुभावों अब कोई पप्पू पास न हो तो हम क्या करें, मैं किसी व्यक्ति विशेष का नहीं कह रहा. अब इसमें हमारी क्या मजबूरी है. हमारे नेता आदरणीय प्रधानमंत्री जी उन्होंने जमीन से संघर्ष किया है, छोटे से परिवार में जन्म लिया है लक्ष्मण सिंह जी, नेता प्रतिपक्ष जी और संघर्ष करते-करते इस मुकाम पर पहुंचे हैं और मैं कहना चाहता हूं- नाभिषेको न संस्कार: माननीय मुख्यमंत्री जी को यह सब श्लोक आते हैं. "नाभिषेको न संस्कार: सिंहस्य क्रियते मृगैः । विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता॥". नरेन्द्र मोदी जी जिनका कोई ने संस्कार नहीं किया, जिनके पीछे कोई बहुत बड़ा परिवार नहीं था, कोई राजा, महाराजा नहीं थे, खानदान नहीं था, उन्होंने अपने बल पर, अपने विक्रम पर शेर की भांति देश के लिये शक्ति और पौरूष प्रदान किया है. आज हमारा, आप लोग चुप थे, आपके विरोध में दम नहीं थी, आज भी बड़ी उदासी है, बड़ी खामोशी है, अब करें क्या, हर जगह डंका मोदी और योगी और शिवराज जी का बज रहा है. मैं बधाई देना चाहता हूं मुख्यमंत्री जी को आप उत्तराखंड गये, उत्तर प्रदेश गये, भारी बहुमत से हमारी पार्टी जीती है इसके लिये मैं बधाई देना चाहता हूं.
मैं मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. मुझे खेद है कि माननीय राज्यपाल महोदय के संवैधानिक पद के लिये, इस सदन की मर्यादा के लिये एक सदस्य ने ट्वीट कर संविधान के इस मंदिर की गरिमा को ठेस पहुंचाई है और साथ ही हमारे जनजाति के गौरव संपूर्ण मध्यप्रदेश में और गुजरात में जनजाति समाज के गौरव को बढ़ाने के लिये काम करने वाले राज्यपाल महोदय के अभिभाषण का विरोध कर सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाकर जनजाति समाज की इस गरिमा को ठेस पहुंचाने के कलंक का कार्य आपके सदस्य ने किया है और इसके लिये मैं निंदा भी करता हूं और माननीय निवेदन भी करता हूं कि इसके लिये कुछ व्यवस्था होनी चाहिये. हमारे यहां लोकतंत्र राज्य है, राज्य की स्थापना क्यों हुई, हम किसलिये यह राज्य, यह शासन, यह प्रशासन सरकार चलाती है. हमारे यहां सनातन संस्कृति में भारत में चार पुरूषार्थ कहे गये हैं- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि हमारे मुख्यमंत्री जी ने आनंद विभाग बनाया है. और यही मनुष्य जीवन का लक्ष्य होता है, वह सुख प्राप्त करना चाहता है और इसके लिये तीन रीतियां होती हैं, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष. मैं यह कहना चाहता हूं कि धर्म, अर्थ, काम केवल यही पुरूषार्थ, इस संसार में प्राप्त होते हैं और मोक्ष प्राप्त करके माननीय डॉ. गोविन्द सिंह जी कोई आया हो और उसने बताया हो तो कृपया अवगत कराने की कृपा करें. धर्म, अर्थ, काम और इस व्यवस्था में इन लक्ष्यों को, इन पुरूषार्थ को प्राप्त करने के लिये हम राज्य की स्थापना करते हैं, समाज की स्थापना करते हैं. आदर्श को, व्यवस्था बनाने का काम करते हैं. हम लोग पुरानी चीजें भूल गये हैं, धर्मनिरपेक्ष हो गये हैं, उसी का परिणाम है कि डॉ. गोविन्द सिंह जी कह रहे थे कि बच्चियों पर अत्याचार हो रहा है, वह आपकी ही देन है.
अध्यक्ष महोदय -- आपके दस मिनिट हो गये हैं, आप समाप्त करें और विषय पर आ जायें.
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, थोड़ा समय और प्रदान कर दें, मैंने बहुत तैयार की है, आपका आशीर्वाद मिल जाये.
अध्यक्ष महोदय -- आपने तैयारी की है तो विषय पर आ जायें.
श्री
उमाकांत
शर्मा -- सुखस्य
मूलं धर्मः, धर्मस्य
मूलं अर्थः
अर्थस्य
मूलं राज्यं,
राज्यस्य
मूलं
इन्द्रिय जयः और इन्द्रिय
जयः का मूल्य
क्या है?
आप सभी को पता
ही होगा.
राज्यस्य
मूलं
इन्द्रिय जयः
और जो हमारे
मुख्यमंत्री
जी, इस सदन के
नेता अपने आप
पर विजय
प्राप्त
करके कर रहे हैं,
उनका मूल
मंत्र है, इन्द्रिय
जयस मूलं
विनय:
इन्द्रिय जय
का मूल विनय
है और विनय
श्री वर्मा जी
कहां से आती
है? विद्या
ददाति विनयम,
विद्या विनय
देती है और
विनय कहां से
आती है?विनय आती
है, विनयम
मूलम
विद्योपि से
आती है. हम
दादा डॉ.गोविन्द
सिंह जी,
माननीय अध्यक्ष
महोदय जी की,
डॉ.सीतासरन
शर्मा जी की
जब सेवा
करेंगे,
जब गुरूओं की
सेवा करेंगे
तो हममें विनय
आयेगी और
विद्या आयेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं कहना चाहता हूं कि Democracy ‘Of the people, for the people and by the people’ किसने कहा है, सब लोग जानते हैं. लेकिन हमारे यहां चल रहा है और लंबे समय तक चलता रहा, लोकतंत्र जनता का, जनता के लिये, जनता के द्वारा, लेकिन हमारे यहां चला लोकतंत्र किसी खानदान का, खानदान के लिये और खानदान के द्वारा और पचास साल इस देश के इसी में निकल गये हैं.
डॉक्टर विजय लक्ष्मी साधौ -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको विलोपित करवायें.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया है. (व्यवधान..)
श्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें ऐसी कोई बात नहीं है, इसमें किसी का नाम नहीं लिया गया है, सच्चाई बताई गई है. (व्यवधान..)
शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बगैर नाम लिये ऐसी कई बातें कह सकते हैं, फिर उसे विलोपित न करें. (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने नाम नहीं लिया है.
चिकित्सा शिक्षा मंत्री(श्री विश्वास सारंग) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसे कहते हैं(XXX) डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- बात वह नहीं है, आपकी समझ, समझ का फर्क है. जो चीज आप पर लागू होती है, वह आप बोलेंगे, जो आप बोल रहे हो.
श्री उमाकांत शर्मा -- खानदान एक ही है क्या?
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- राजनीति में दाढ़ी किसकी है, जरा यह बता देना.
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय देवी जी से पूछना चाहता हूं कि क्या देश में एक ही खानदान है और कोई नहीं दिखता है?
अध्यक्ष महोदय -- श्री उमाकांत शर्मा जी आप विषय पर आ जायें.
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह गांव, गरीब किसानों की सरकार है, यह शिवराज सिंह जी सरकार है, मुख्यमंत्री की सड़क, प्रधानमंत्री की सड़क, यह हमारी सरकारों ने बनाई है. अगर पंडित जवाहर लाल नेहरू, डी.पी.मिश्रा बना गये होते तो आज मध्यप्रदेश और देश बहुत आगे होता( मेजों की थपथपाहट)
शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- उन्होंने जो बनाया है, वह बेचने का काम आप कर रहे हो.
अध्यक्ष महोदय -- श्री उमाकांत शर्मा जी, आप समाप्त करें.
श्री उमाकांत शर्मा जी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, संबल योजना बीस रूपये में गेहूं खरीदकर एक रूपये में देना, जीरो प्रतिशत ब्याज, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सम्मान निधि योजना यह हमारे प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री की योजनाओं का उदाहरण है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ और सदन को यह जानकारी देना चाहता हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में ओलावृष्टि हुई. अभी 3-4 दिन भी नहीं हुए थे कि मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी को फोन पर अवगत कराया, तो माननीय मुख्यमंत्री जी खेत-खेत पर पहुँच गए, ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों से मिले.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, चैक मिले हैं, लेकिन पैसे अभी तक नहीं मिले.
श्री उमाकांत शर्मा - अध्यक्ष जी, पैसे मिल गए हैं, आपको कुछ पता ही नहीं है. 5 करोड़ 36 लाख रुपये बगैर किसी भ्रष्टाचार के किसानों के खातों में जमा हो गए हैं. मैं पूछना चाहता हूँ कि ओलावृष्टि में, आपदा में तत्कालीन 13 महीने के मुख्यमंत्री कितनी बार गए थे ? हमें दिनांकों सहित नोट करवा दीजिये. मध्यप्रदेश की सरकार आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने के लिए कार्य कर रही है. हम सड़क की गुणवत्ता में पहले स्थान पर हैं, सड़कों की लम्बाई में 7 राज्यों में हमारा प्रथम स्थान है, एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड योजना के क्रियान्वयन में देश में प्रथम स्थान पर हैं, स्मार्ट सिटी कॉन्टेस्ट में मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर है.
4.16 बजे [सभापति महोदय (श्री यशपाल सिंह सिसौदिया) पीठासीन हुए]
सभापति महोदय, प्रधानमंत्री सोन नदी क्रियान्वयन योजना में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है. पीएम आवास योजना में, शहरी प्रदेश में दूसरे स्थान पर हैं. सन् 2020-2021 में जल जीवन मिशन में राज्य के उपयोग में मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर है. बुरहानपुर में शत-प्रतिशत जल मिशन योजना पूरी हो चुकी है. इसके लिए हमारी सरकार का अभिनन्दन करना चाहिए. केन बेतवा लिंक परियोजना, बुन्देलखण्ड के लोगों का भविष्य बदलने के लिए, उनकी बेहतरी के लिए ऐतिहासिक वरदान माननीय मुख्यमंत्री जी एवं माननीय प्रधानमंत्री जी ने दिया है. कोरोनाकाल एवं विषय परिस्थितियों में सरकार ने, माननीय मुख्यमंत्री जी ने, भाजपा के विधायकों ने, भाजपा के कार्यकर्ताओं ने, सरकारी कर्मचारियों ने कार्य किया है, वह सराहनीय है. कुछ लोग घर के अन्दर बैठे रहे, उन्हें किसने मना किया था. आप मत आइये, सेवा नहीं कीजिये. साथ ही, ''ऐसा चाहूँ राज मैं, जहां मिले सबन को अन्न, छोटबड़ो सब सम बसे, रविदास रहे प्रसन्न'' यह जनजाति स्वाभिमान दिवस किसने मनवाया है ? यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने, माननीय श्री शिवराज सिंह जी की सरकार ने मनवाया है. टंट्या भील को सम्मान किसने दिलवाया ? मैं नहीं पूछना चाहता हूँ. कांग्रेस के पूर्व एक मुख्यमंत्री ने, कौन से आदिवासी समाज के नेता को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया ?
सभापति महोदय - माननीय शर्मा जी, आप अपना वक्तव्य समाप्त करें.
श्री उमाकांत शर्मा - सभापति महोदय, संत शिरोमणि रविदास जी की जयन्ती को मनाकर, हमारी माननीय सरकार ने सम्मान प्रदान किया है, मैं उसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ. हमारी पार्टी 'सर्वजन हिताय, बहुजन सुखाय' के लिए काम करती है. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) - माननीय सभापति महोदय, यह अभिभाषण समझ में नहीं आ रहा है कि प्रथम पृष्ठ से शुरू करें या आखरी वाले पृष्ठ से शुरू करें. आखरी वाले पृष्ठ में जैसा लिखा है, ''ऐसा चाहूं राज मैं, जहां मिले सबन को अन्न, छोटबड़ो सब सम बसे, रविदास रहे प्रसन्न.'' पर प्रसन्नता किसी को नजर नहीं आ रही है. आप जिधर नजर दौड़ाइये, युवा बेरोजगार भटक रहा है, महंगाई से हर व्यक्ति परेशान है, गरीब व्यक्ति परेशान है, किसान परेशान है, चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है. चुनाव जीत जाना अलग बात है, सरकार बना लीजिये, यह अलग बात है. आज हमारे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के जो अधिकारी-कर्मचारी हैं, पदोन्नति में आरक्षण के लिए बरसों से तड़प रहे हैं, रिटायर्ड हो गए हैं, यहां तक कि इस रोक की वजह से, सरकार की तरफ से पैरवी नहीं करने की वजह से सामान्य वर्ग और पिछड़ा वर्ग के भी जो अधिकारी-कर्मचारी हैं. वे हजारों की संख्या में बिना पदोन्नति के रिटायर्ड हो गए हैं, क्या यह सुशासन है ? गुड गवर्नेंस है. इसको कहां से शुरू करें ?
आपकी सरकार की गलती की वजह से जो पंचायत चुनाव इतना व्यवस्थित होता था. त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत. मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य था जिससे दूसरे राज्य भी इसका अनुसरण करते थे. आखिर आपको अध्यादेश भी वापस लेना पड़ा, गलती स्वीकार करनी पड़ी और उसकी वजह से आज हमारे जो ग्रामीण क्षेत्र के जनप्रतिनिधि हैं, या जो चुनाव लड़ने की लालसा रखते थे, आज वे चुनाव नहीं लड़ पाए, सरकार की गलतियों की वजह से और मिला हुआ आरक्षण भी चला गया, ट्रिपल टेस्ट जो सुप्रीम कोर्ट का डायरेक्शन है वह सरकार कैसे पूरा करेगी? कब लागू होगा? कब चुनाव होगा? अभी इसमें इसका भी उल्लेख है कि सरकार प्रयासरत है कि 27 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के हिसाब से ही चुनाव कराएगी. एक तरफ जो 27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़ा वर्ग को कांग्रेस सरकार ने दिया, उस आरक्षण को मध्यप्रदेश सरकार की गलती की वजह से हाईकोर्ट में जो पिटीशन लगी थी, वहां कोई रोक नहीं थी, सिर्फ तीन विभाग में रोक थी और इसको सरकार को समझने में साल भर से ज्यादा का समय लग गया.
सभापति महोदय - कमलेश्वर जी, और भी विषय होंगे आपके पास.
श्री कमलेश्वर पटेल - सभी विषय पर बात करेंगे, सारे विषय का उल्लेख है. यदि आप कहें तो एक तरफ से एक-एक पाइंट पर बात करें नहीं तो हमें बोलने देंगे, हम विषय से बाहर नहीं जाएंगे.
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी - पिछड़ा वर्ग का आरक्षण कांग्रेस ने खत्म किया है.
श्री कमलेश्वर पटेल - आप बैठ जाइए.
सभापति महोदय - आपस में एक दूसरे को डायरेक्शन न दें.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय सभापति महोदय, हम विषय पर बात करेंगे और जो मध्यप्रदेश की जनता की आवाज है, जो परेशानी है, उसी पर बात करेंगे. माननीय महामहिम राज्यपाल महोदय से सरकार के द्वारा बहुत महिममंडित कराया गया है. यहां तक की प्रधानमंत्री जी का भी इतना विश्लेषण कराया गया है, यही प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने अच्छे दिन का नारा दिया था. अब आत्मनिर्भर भारत बनाने पर आ गये हैं. ऐसा आत्मनिर्भर बना दिया है कि पकौड़े तलने की बात होने लगी है. आज मध्यप्रदेश में ही 35 लाख से ज्यादा शिक्षित बेरोजगार हैं, जो सरकार के जिला रोजगार कार्यालयों में रजिस्टर्ड हैं. 35 लाख युवा बेरोजगार भटक रहे हैं और यहां तक कि पांच, साढ़े पांच लाख लोग साल भर में अभी बेरोजगार हुए हैं और सरकार रोजगार दिवस मनाती है. कौन सा रोजगार दिवस? एक तरफ रोजगार छिन रहा है और दूसरी तरफ रोजगार दिवस मना रहे हैं. यही मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से ही युवाओं को रोजगार देने की बात होती हैं.
शर्तों में उलझा 10 हजार युवाओं का भविष्य, साल भर बाद भी शुरू नहीं हो सकी क्लासेस. ये कौन सी क्लासेस है, ये है स्किल डेवलपमेंट की क्लासेस, जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी के बच्चों के लिए सरकार द्वारा ये कार्यक्रम प्रायोजित करवाया जाता है. इसी तरह जो प्रायवेट कंपनी या स्वयं का रोजगार करना चाहता है, उसको रोजगार के अवसर नहीं मिलें. सिर्फ 9 केस, 10 हजार आवेदन में, सिर्फ 9 प्रकरण पूरे मध्यप्रदेश में सेंक्शन हुए. इसमें मुख्यमंत्री जी का भी वक्तव्य है. सहकारी समितियों ने 20 लाख से ज्यादा किसानों से 50 हजार तक के कर्जें भी खसरे में चढ़ाए. किसान डिफाल्टर हो गए, ये हम नहीं ये हमारे जो संपादक लोग हैं वे सरकार के बारे में लिख रहे हैं, तात्कालिक खबर है.
सहकारिता मंत्री(श्री अरविन्द सिंह भदौरिया) - कमलेश्वर जी, निर्णय किसने किया था.
श्री कमलेश्वर पटेल - अभी आप सरकार में है.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया - निर्णय आपकी सरकार ने किया था, सहकारी समितियों में. मुझे आश्चर्य लग रहा है कि कमलेश्वर जी सहकारी समितियां होती किसकी है, ये किसानों की समिति थी और किसानों की समिति में आपने सहकारी समितियों के माध्यम से ही किसानों के कर्जे माफ किए. इसमें आपका निर्णय है, आप इसका अध्ययन कीजिए.
श्री कमलेश्वर पटेल - हमने अध्ययन किया है.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया - आपने पूरे मध्यप्रदेश की 4500 सोसायटियों को खत्म कर दिया. आज पूरे मध्यप्रदेश के किसान डिफाल्टर हुए हैं, ये माननीय कमलनाथ जी की सरकार के कारण डिफाल्टर हुए हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल - कमलनाथ जी की सरकार ने 27 लाख किसानों का कर्जा माफ किया था. एक हजार गौशालाएं बनाने का काम किया था.
श्री अरविन्द सिंह भदौरिया - कांग्रेस ने पूरा किसानों का सेक्टर बैठालकर रख दिया. इसलिए आप कॉ-आपरेटिव सिस्टम का अध्ययन कीजिए.
श्री कमलेश्वर पटेल - आप देखिए आज क्या स्थिति है गौशालाओं की आज इतनी सारी गायों की मृत्यु हो गई. भोपाल जिले में ही 1300 गायों की मृत्यु हो गई.
श्री उमाकांत शर्मा - गौशालाओं की बात मत कीजिए. गाय के लिए पहला गौवध प्रतिशेध अधिनियम भारतीय जनता पार्टी ने बनाया है.
सभापति महोदय - माननीय शर्मा जी, बैठ जाइए. आपको पर्याप्त समय मिला गया है.
श्री कमलेश्वर पटेल - सबसे ज्यादा किसान परेशान है, हमारी जो गौ-माताएं हैं, जिस तरह से (XXX) यह बहुत ही निंदनीय है. भोपाल जिले में 1300 गायों की मृत्यु हुई.
सभापति महोदय - इसको विलोपित किया जाए.
श्री उमाकांत शर्मा - कांग्रेसियों का फोटो (XXX) छपा है, केरल में.
श्री कमलेश्वर पटेल-- हमने 1 हजार गौशालाएं बनाई थीं.4 हजार नवीन गोशालाएं बनाने की स्वीकृति दी थी. आज जो गोशालाएं हैं...
श्री उमाकांत शर्मा-- आज पूरी चरनाई की जमीन, राजस्व की जमीन...(व्यवधान)
सभापति महोदय--शर्मा जी कृपया करके आप व्यवधान मत खड़ा करें. कमलेश्वर जी आप बोलिये.
श्री कमलेश्वर पटेल--सभापति महोदय, जिस तरह का माहोल मध्यप्रदेश में बनाने की कोशिश की गई है. आप आज सुशासन की बात करते हैं आज तीन साल से एम.पी.पी.ए.सी.की परीक्षा का रिजल्ट घोषित नहीं हो रहा है. आप इसको मध्यप्रदेश की सबसे रेप्यूटेडेट संस्था है उसके परीक्षार्थी चाहे वह किसी भी वर्ग के हों वह तीन वर्षों से अधर में लटके हुए हैं. हमारे यहां से प्रशासनिक अमला राज्य सरकार को नहीं मिल रहा है वैसे भी कर्मचारियों एवं अधिकारियों का अभाव है इससे कहीं न कहीं प्रदेश की जनता पर फर्क पड़ता है. यह किसकी गलती है ? क्या सुशासन है कि हमारा राज्य लोक सेवा आयोग ही व्यवस्थित नहीं है वहां पर प्रश्न-पत्र गलत बन रहे हैं उसके उत्तर गलत जा रहे हैं. प्रकरण हाईकोर्ट में चला गया. पिछड़ा वर्ग का आरक्षण का 27 प्रतिशत का कोर्ट में प्रकरण का सरकार ने डाटा जमा नहीं किया. सरकार की गलतियों तथा उनकी पैरवी न करने की वजह से मिला हुआ आरक्षण एक एक करके रूकता जा रहा है, तो यह सरकार कर क्या रही है ? इनका कौन सा सुशासन है ? मुख्यमंत्री जी जिलों में जाते हैं वहां पर (XXX)
सभापति महोदय--इसको विलोपित करें.
श्री कमलेश्वर पटेल--सभापति महोदय,आप इसको विलोपित क्यों कर रहे हैं. जो बोला गया है वही बात कर रहे हैं. जो वह सब जगह अधिकारियों को बोलते हैं, अधिकारियों को प्रताड़ित करते हैं. आपका सुशासन था तो क्यों ऐसा भ्रष्टाचार फैला कि हमारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जो कांग्रेस सरकार ने लागू किया था आज भी उसका सही ढंग से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है. श्रेय लेने में तो आप लोगों की मास्टरी है कि सब हम कर रहे हैं. सब हमारी योजनाएं हैं. हम फ्री में अनाज दे रहे हैं. आज भी पात्र लोग अनाज के लिये भटक रहे हैं. इसी सरकार ने पहले वृद्धा पेंशन के लिये कोई गरीबी रेखा की बाध्यता नहीं थी आपकी भाजपा सरकार ने ही ऐसा नियम बना दिया कि आज गरीब व्यक्ति वृद्धा पेंशन उसका गरीबी रेखा में नाम नहीं होने की वजह से भटक रहा है उसको वृद्धा पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है, यह किसकी गलतियां हैं ? यह बहुत सारी बाते हैं आज बिजली के बिल से किसान परेशान हैं आज हमारे क्षेत्रों में 20 गांवों की लाईट कटी हुई है. आज 10-12 वीं की परीक्षाएं चल रही हैं. आप अनुसूचित जाति-जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग के लोगों का बखान करते हैं और संत रविदास जी के यहां पर सिलोक पढ़ते हैं और महामहिम राज्यपाल महोदय जी से भी पढ़वाया जाता है, उनके विचारों को पालन करने की बात कही जाती है. आज गरीब का बच्चा पहले कोविड में नहीं पढ़ पाया उसके पास में स्मार्ट फोन नहीं था, उसके पास में नेटवर्क तथा इंटरनेट नहीं था. अब उसकी परीक्षा देने की बात आयी उस समय भी उनको परीक्षा देने से वंचित करने का काम इस सरकार ने किया. आज कई गांवों में बिजली की कटौती है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोविड के समय की बिजली की वसूली नहीं करेंगे. आज किसानों का बिजली का बिल बढ़ा हुआ आया हुआ है. हर व्यक्ति का बिजली का बिल बढ़ा हुआ आया हुआ है. लोग इससे परेशान हैं उनको लोक अदालत के नोटिस जारी हो रहे हैं, इसके लिये कोई प्रावधान नहीं है ? बहुत सारे बड़े बड़े प्रावधान किये हुए हैं, पर सिर्फ कागजी प्रावधान हैं. आज सीधी सिंगरौली जो राष्ट्रीय राजमार्ग जो है वहां पर आये दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं. 2012 में माननीय मुख्यमंत्री जी ने भूमि-पूजन किया था कई बार उसका भूमि-पूजन हो गया है उसमें 17 सौ करोड़ रूपये की राशि भी निकल गई. दोबारा फिर से सेंक्शन हुआ है. अभी दो दुर्घटनाएं तत्काल रूप से एक महीने के अंदर हुए हैं उसमें कई लोग घायल भी हुए हैं , कई लोगों का उपचार भी हो रहा है. कई सारी घटनाएं घट रही हैं, फिर भी बोलते हैं कि बहुत बढ़िया सुशासन है सब बहुत खुशहाल हैं. खुशहाली तो प्रदेश की जनता में होनी चाहिये. आज जिस तरह का वातावरण है. आज पी.ए.सी. की बात करें तो उसमें भूतपूर्व सैनिकों को पी.ए.सी.द्वारा की जा रही भर्तियों में आरक्षण से संबंधित शासन के स्पष्ट नियमों के बावजूद भी लाभ नहीं दिया गया है. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा भूतपूर्व सैनिकों के लिये बनाये गये आरक्षण नियमों का लाभ उनको नहीं दिया जा रहा है. राज्य सेवा परीक्षा 2020 की परीक्षा में दी गई अंतिम उत्तरशीट में पेपर फर्स्ट के चार प्रश्नों के दो सही उत्तर बताये गये और सेकंड पेपर में 17 प्रश्न डिलीट कर दिये गये, यह खेल चल रहा है. अब कहां विश्वास करेंगे लोग ? इसी तरह से पहले पेपर में प्रश्न डिलीट कर दिये गये, चार प्रश्नों के दो उत्तर दिये गये. एक प्रश्न का तीन उत्तर दिया गया. दूसरे पेपर के पांच प्रश्न डिलीट कर दिये गये. इस तरह से हमारे राज्य लोक सेवा आयोग में होगा तो किसके ऊपर लोग विश्वास करेंगे ? राज्य सेवा परीक्षा अधिनियम 2015 संशोधन निरस्त किये जाने के बावजूद भी निरस्त नियमों के तहत जारी प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के आधार पर आयोजित मुख्य परीक्षा के उम्मीद्वारों के साक्षात्कार आयोजित किये जा रहे हैं. सरकार एक तरफ पुराने नियम में संशोधन भी कर दिया और उसके बाद भी लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है, यह सब चिंता का विषय है. यह सरकार को सोचना चाहिये, यहां पर हम सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें कर दें प्रधानमंत्री जी की प्रशंसा कर दें, प्रधानमंत्री जी का गुणगान कर दें. आज सबसे ज्यादा लोग डीजल, पैट्रोल गैस सिलेण्डर और यहां तक के जो 100 रूपये गैस सिलेण्डर पर जो सबसिडी राज्य सरकार की ओर से वह भी किसी के खाते में नहीं गयी, उसके बाद भी गुणगान हो रही है. एक हजार रूपये में गैस सिलेण्डर मिल रहा है और जितना भी गैस सिलेण्डर, गैस चूल्हे बांटे थे, उसका कोई भी गरीब उपयोग नहीं कर पा रहा है. आपके क्षेत्र में सबके क्षेत्र में यही हालात होंगे, वह भरवा नहीं पा रहे हैं. उस समय बोला था कि महिलाओं के धुएं के कारण जो आंसू आते हैं, वह हम पोंछ देंगे. पर सच बात तो यह है कि आज लोग महंगाई के आंसू रो रहे हैं. यह सरकार की कथनी और करनी है, चाहे वह देश की सरकार हो या प्रदेश की सरकार हो. प्रदेश की सरकार से उम्मीद थी कि वह टैक्स में कमी करेगी, कुछ राहत देगी, परन्तु कोई राहत कहीं भी प्रदान नहीं की गयी है. आज जो अधो-संरचनाएं कांग्रेस की सरकार में शुरू हुई थी, वह सारे विकास के काम रूके हुए हैं, वह चाहे हमारे विधान सभा क्षेत्र के हों या चाहे पूरे मध्यप्रदेश के हों. संबल योजना की अभी सब चर्चा कर रहे थे, उसमें साल भर से राशि नहीं जा रही है, जो सामूहिक विवाह का हो, प्राकृतिक आपदा का हो उसकी राशि खाते में नहीं जा रही है, फिर भी हजारों करोड़ रूपये का प्रावधान है. एक तरफ बजट से ज्यादा कर्जा और दूसरी तरफ बजट और कर्जे में थोड़ा ही अंतर है, पर कैसे चुकायेंगे, कैसे इसको री-पेमेंट करेंगे, कहां से कर्ज लेंगे यह सब दिखावा है और यह दिखावे की सरकार चल रही है.
सभापति महोदय, हमारी समझ से सरकार को सही दिशा में काम करने की आवश्यकता है और प्रदेश की जनता को लगातार गुमराह करने की आवश्यकता नहीं है. किसानों को सरकार मदद नहीं कर रही है, विद्युत बिल के नाम पर जैसा कि हमने आपको बताया आज सोलर पंप जो दिये गये थे वह भी सब बंद पड़े हैं.
सभापति महोदय:- आप अभी और कितना समय लेंगे. आपको बोलते हुए 12 मिनट हो गये हैं. कृपया संक्षिप्त करें, अभी बहुत वक्ता हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल:- अभी तो शुरू किया है. 10 मिनट और दे दें.
सभापति महोदय:- दो मिनट में समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल:- रबी उपार्जन में बदलाव किया है. इस संदर्भ में माननीय नेता प्रतिपक्ष जी ने मुख्यमंत्री जी को पत्र भी लिखा है. सरकार ने समर्थन मूल्य बढ़ाया नहीं है, कृषि की लागत बढ़ा दी. इसमें कृषि के लिये विद्युत, खाद, बीज एवं कीटनाशक के दाम भी बढ़ाये गये हैं और कहीं न कहीं पूरे प्रदेश में सभी विधान सभा में इस तरह का माहौल होगा, इसमें आप सबको भी चर्चा करना चाहिये , क्योंकि अगर सबसे ज्यादा परेशान हैं तो किसान परेशान हैं, सरकार की लाठी से भी परेशान है, हमारे पशुओं से भी परेशान है और प्राकृतिक आपदा से भी अगर कोई परेशान है तो किसान परेशान है, जैसे कल ही ओलावृष्टि हो गयी. आये दिन कब कहां प्राकृतिक आपदा आ जाती है और जब तक सोसायटी में किसान का खाद्यान्न जो वह पैदा करता है वह उपज बेच नहीं देता है, तब तक किसान परेशान रहता है और सभापति महोदय स्थिति यह होती है कि जब वह अपना भुगतान लेने के लिये जाता है तो भी कई बार चक्कर लगाता है, जो हमारे सहकारी बैंक है तब जाकर उसके खाते में उसके पास पैसा आता है. इसमें भी सुधार करने की आवश्यकता है.
श्री भारत सिंह कुशवाह:- आपके खाते में सीधे कैसे पैसा आ जाता है और परेशान हैं तो आप परेशान क्यों नहीं होते.
श्री कमलेश्वर पटेल:- आप ज्यादा मत कहलवाइये, जो हालात है वह हम बखान कर रहे हैं. हम भी ग्राउण्ड रियलिटी में काम करते हैं, हवा में नहीं घूमते हैं.
श्री उमाकांत शर्मा:- आपकी कांग्रेस का एक भी व्यक्ति मध्यप्रदेश की सरकार की और केन्द्र सरकार की सबसिडी नहीं लेते ?
श्री सुनील सराफ:- क्या पंडित जी आप ही आप बोलोगे. जब आपने बोला तो सबने सुना. कोई भी बोलने को खड़ा होता है तो आप बीच में बोलने लगते हैं.
श्री उमाकांत शर्मा:-अरे, आप लोग एक भी सबसिडी नहीं लेते, एक भी कांग्रेस का कार्यकर्ता सबसिडी नहीं लेता और न लेना चाहिये.
श्री सुनील सराफ:- यह क्या तरीका है.
श्री भारत सिंह कुशवाह:- यह असत्य आंकड़े यहां मत दें, असत्य आंकड़े यहां नहीं देना चाहिये.
श्री कमलेश्वर पटेल:- किसान सम्मान निधि का पैसा बहुत सारे किसानों के खाते में जाने के बाद उनसे वसूली अभियान चल रहा है. सरकार बोलती है कि हम सम्मान निधि दे रहे हैं. आप उनको सम्मान निधि मत दो , आप उनको समय पर खाद, बीज, पानी और बिजली दीजिये. किसान कोई भीख मांगने वाला नहीं है, अगर आपको करना ही है तो उनका कर्ज माफ करिये. दो हजार, चार हजार आप किश्तों में देते हैं, यह पर्याप्त नहीं है. यह आप उनका असम्मान करते हैं. सरकार को इस पर भी चिंता करने की आवश्यकता है.
हम तो यही कहेंगे कि आपने मध्यप्रदेश को आत्मनिर्भर नहीं बल्कि कर्ज निर्भर बना दिया है और यह मध्यप्रदेश कर्ज निर्भर हो गया है. इस दिशा में भी थोड़ा साचने की आवश्यकता है.
श्री शैलेन्द्र जैन:- सभापति महोदय, जरा इनसे पूछा जाये कि इनके कालखण्ड में किसान भाइयों के खाते की डिटेल इन्होंने नहीं दी. जिसकी वजह से किसान भाइयों के खाते में प्रधानमंत्री सम्मान निधि की राशि नहीं आ पायी, आप इनसे पूछिये.
श्री कमलेश्वर पटेल- माननीय सभापति महोदय, हमारे सीधी, सिंगरौली जिलों में गरीबों, अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, सामान्य वर्ग के लोग जो 50-100 सालों से वहां बसे हैं, उन्हें उजाड़ने का काम चल रहा है और वहां महीनों से लोग आंदोलनरत हैं. चाहे वह सोनगढ़ की बात हो, जो पहले से जालपानी, सिंगरौली जिले में परियोजना स्वीकृत थी, हजारों-करोड़ों रुपये वहां खर्च भी कर दिये गए, अब उसे दूसरी जगह कर दिया गया है. वहां महीनों से लोग आंदोलनरत हैं.
सभापति महोदय, इसी तरह चितरंगी तहसील, सिंगरौली जिले में भी ग्राम डाला में किसान आंदोलनरत हैं. वे वन-भूमि पर वर्षों से काबिज़ हैं, यहां तक की कई जगहों पर प्रधानमंत्री आवास योजना का पैसा लगने के बाद भी, जो भूमिहीन लोग थे, बारिश में उनके घर गिराने का काम किया गया है. यदि इस तरह निरंकु सरकार होगी और फिर संत रविदास जी का उदाहरण देंगे, यह ठीक बात नहीं है. बातें तो बहुत सारी हैं, माननीय सभापति महोदय, मुझे आपसे पूरी उम्मीद थी कि आप पूरा संरक्षण देंगे, मेरी बात बहुत ही कम आई है, अभी मैं कानून व्यवस्था पर बात नहीं कर पाया हूं. आपसे निवेदन है कि थोड़ा समय दीजिये.
सभापति महोदय- आपको बहुत समय दिया है. बहुत सारे नाम हैं इसलिए और समय देना संभव नहीं है.
श्री कमलेश्वर पटेल- सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
सभापति महोदय- चौहान जी, समय का ध्यान रखें.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)- माननीय सभापति महोदय, बस इनसे कम समय लूंगा परंतु इतना समय तो दीजियेगा.
श्री शैलेन्द्र जैन- चौहान जी, उत्कृष्ट विधायक हैं, उन्हें समय भी उसी अनुपात में मिलना चाहिए.
श्री दिलीप सिंह परिहार- एक उत्कृष्ट विधायक आसंदी पर भी हैं, इन्हें एक-दूसरे का सम्मान करना ही है.
श्री बहादुर सिंह चौहान- सभापति महोदय, मुझे दूसरी बार उत्कृष्ट विधायक का पुरस्कार मिला है इसलिए एक-दो मिनट की कृपा कर दें.
सभापति महोदय, महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए, मैं, अपनी बात रखना चाहता हूं. महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण की कंडिका क्रमांक 15 में मध्यप्रदेश के लिए एक वरदान योजना, केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना, जिसमें भारत सरकार द्वारा 44 हजार 605 करोड़ रुपये की स्वीकृत प्रदान की गई है.
सभापति महोदय, इस परियोजना से मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़, दमोह, पन्ना, सागर, विदिशा, रायसेन और गृहमंत्री जी का दतिया जिला, इस प्रकार मध्यप्रदेश के आठ जिले और उत्तरप्रदेश के तीन जिले झांसी, बांदा, महुआ, में इस योजना से 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर पर सिंचाई होने जा रही है. हम जानते हैं कि बुंदेलखण्ड पानी के लिए तरसता है, इसलिए यह केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखण्ड में मिल का पत्थर साबित होगी. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदय, इस योजना से 41 लाख बस्तियों को मध्यप्रदेश में शुद्ध पीने का पानी मिलेगा. इस योजना से 103 मेगावॉट हाइड्रो पावर विद्युत का उत्पादन होगा, जिससे बिजली के क्षेत्र में हमारा फायदा होगा. साथ ही 27 मेगावॉट सौर-ऊर्जा का उत्पादन भी इस परियोजना से होगा. केन-बेतवा लिंक परियोजना में केंद्र की राशि के साथ-साथ मध्यप्रदेश का भी हिस्सा है.
सभापति महोदय, आज मैं कहना चाहता हूं कि फिर वही बात आयेगी कि वर्ष 2003 में, मैं, किसान होने के नाते इस विधान सभा में, सदस्य बनकर आया था, उस समय इस मध्यप्रदेश में मात्र 7 लाख हेक्टेयर पर सिंचाई होती थी और आज 43 लाख हेक्टेयर पर सिंचाई हो रही है. उस समय मध्यप्रदेश में मात्र 29 सौ मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता था और आज मध्यप्रदेश में 21 हजार मेगावॉट से भी अधिक बिजली का उत्पादन हो रहा है. हम 5 हजार मेगावॉट तो नवकरणीय ऊर्जा का उत्पादन कर रहे हैं. इस कारण सिंचाई का रकबा बढ़ने से, बिजली का उत्पादन होने से मध्यप्रदेश में उपार्जन के क्षेत्र में 1 करोड़ 29 लाख मेट्रिक टन कोरोना काल में किसानों का गेहूं का उपार्जन किया गया है. उसमें 25 हजार 301 करोड़ रुपए का भुगतान सीधा-सीधा किसानों के खातों में स्थानांतरित किया गया है. आप और हम सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है. वर्ष 2018-19, 2019-20 और वर्ष 2020-2021 में 93 लाख किसानों को सीधा-सीधा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से 17 हजार करोड़ रुपए भारतीय जनता पार्टी के माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा स्थानांतरित किया गया.
माननीय सभापति महोदय, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का प्रारम्भ 1 फरवरी 2019 से केन्द्र सरकार के द्वारा किया गया. इस योजना के तहत एक वर्ष में किसान के खाते में 6 हजार रुपए तीन किश्तों में दो-दो हजार रुपए करके डाला जाएगा. इसी तर्ज पर भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने, माननीय मुख्यमंत्री शिवराज जी की सरकार द्वारा मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि योजना प्रारम्भ की गई है. इस योजना के तहत 4 हजार रुपए एक वर्ष में दो किश्तों में किसान के खातें में डाला जाएगा. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना इन दोनों योजनाओं को मिलाने से 10 हजार रुपए हो जाता है. आप और हम जानते हैं कि 10 हजार रुपए एक छोटी राशि है, लेकिन एक किसान होने के नाते, गांव में रहने के नाते वह किसान जिसके पास एक या दो बीघा जमीन है वह लघु कृषक है या सीमांत कृषक है इस मध्यप्रदेश में जितने कृषक हैं उसमें सीमांत और लघु कृषकों की संख्या 80 प्रतिशत से अधिक है. इन दोनों योजनओं का लाभ सीमांत और लघु कृषकों को इसलिए मिल रहा है कि इस 10 हजार रुपए से वह छोटा कृषक अपना उच्च्ा किस्म का बीज लाता है, मल्टीनेशनल कंपनी की दवाई लाता है, उर्वरक लाता है और एक बीघे से एक हेक्टेयर में अपनी खेती करके अपना जीवन यापन करता है. मध्यप्रदेश के 80 प्रतिशत किसान इन दोनों योजनाओं का लाभ ले रहे हैं. राशि छोटी है लेकिन इसमें यह बात सत्य है कि चूंकि मैं कृषि विकास समिति का सभापति होने के नाते कुछ ऐसे खाते जो डिफाल्टर थे 53 हजार ऐसे खाते थे जिसमें यह राशि नहीं जा रही थी हमने एसीएस राजस्व को समिति में साक्ष्य के लिए बुलाया और उन्हें निर्देश देने के बाद बहुत कम किसान बचे हैं और मेरा अपना यह मानना है कि अब इन दोनों योजनाओं से आज मध्यप्रदेश में 76 लाख 53 हजार किसानों को 15 हजार करोड़ की राशि इन दोनों योजनओं की तरह उनके खातों में स्थानांतरित की जाए. इन किसानों के लिए 15 हजार करोड़ रुपए अपने आप में एक बहुत बड़ी राशि है.
माननीय सभापति महोदय, आप और हम सब जानते हैं कि हमारी सरकार माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में लगातार काम कर रही है और मैंने आंकडों के साथ सब बातें यहां पर कहीं हैं. समय का अभाव है, लेकिन यहां पर एक योजना का चित्रण करना बहुत ही जरूरी है वह है मुख्यमंत्री जनकल्याण योजना और इसको हम संबल योजना भी कहते हैं. आप और हम जानते हैं कि बहुत बार सुबह जब हम टीव्ही खोलते हैं तो पता चलता है कि एक्सीडेंट हो गया है और इस व्यक्ति की मृत्यु हो गई है. कहीं न कहीं दुर्घटनाएं होती रहती हैं, लेकिन वर्ष 2003 में जब एक्सीडेंट हो जाता था तो हम विधायक होने के नाते, जनप्रतिनिधि होने के नाते कोई भी सहयोग नहीं कर पाते थे. एक्सीडेंट होने पर एक लाख रुपए एक पांव जाने पर और दोनों हाथ चले गए तो उसको दो लाख रुपए मिल जाते हैं. यदि घर के मुखिया की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को इस संबल योजना से तत्काल 4 लाख रुपए मिल जाते हैं. यह योजना बहुत ही महत्वपूर्ण है. अभी तक भिन्न-भिन्न घटनाओं में इस योजना के तहत 2 हजार 742 करोड़ रुपए की राशि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दी गई है. इसका अधिकारी तहसीलदार को बनाया गया है. उसे एक फोन करते ही इस योजना के अन्तर्गत राशि प्रभावित के खाते में चली जाती है.
4.47 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, किसान को अच्छी खेती करने के लिए उच्च किस्म का ब्रीडर बीज, फाउन्डेशन फर्स्ट, फाउन्डेशन सेकण्ड, समितियों द्वारा उच्च किस्म का बीज मिलता है उसके बाद अच्छी किस्म की दवाइयां मिलती हैं और ऊर्वरक मिलता है. इसके कारण धीरे-धीरे मध्यप्रदेश आज पंजाब व हरियाणा से आगे होकर हिन्दुस्तान के 28 राज्य व 8 केन्द्र शासित राज्य इस प्रकार कुल 36 राज्यों में उत्पादन के क्षेत्र में प्रथम स्थान पर आ गया है. हमारी सरकार ने सिंचाई और बिजली के क्षेत्र में बहुत काम किया है.
अध्यक्ष महोदय, आप और हम जानते हैं कि कोरोनाकाल में रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर व दवाइयों को लेकर, किट को लेकर सब प्रयासों के बाद भी हम अपने बहुत सारे लोगों को नहीं बचा पाए थे. वर्ष 2020 और 2021 में अप्रैल-मई का जो समय था उस समय मध्यप्रदेश में कर्फ्यू जैसी स्थिति थी. इस दौरान लाखों लोगों की मृत्यु कोरोनाकाल में हो गई. उस दौरान हमारे पास जो एमबीबीएस और एमडी डॉक्टरों की कमी थी इसलिए गांवों में हम जिनको आरएमपी डॉक्टर बोलते हैं, छोला छाप डॉक्टर बोलते हैं उन्हीं लोगों ने बड़ी सेवाएँ दी हैं. हमारे यहां के बीएमओ ने बैठक बुलाकर उनकी सूची चयनित की 177 आरएमपी डॉक्टरों के लिए एमडी डॉक्टर से एक पर्चा बनवाया कि किसी को यदि खांसी बुखार है तो आप यह दवाई उन्हें दीजिए. उससे हम कोरोना पर 90 प्रतिशत कंट्रोल कर पाए. शुरु में लोग कोरोना को बताने में डरते थे.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, झोला छाप डॉक्टरों को आपकी सरकार बंदी बनाकर बैठा रही थी.
श्री शैलेन्द्र जैन -- माननीय पंडित जी उनको घर नहीं बिठाया जाएगा, ऐसे डॉक्टरों के प्रशिक्षण की व्यवस्था हो रही है. उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- उन्हें थाने में बैठाया, उनके खिलाफ केस भी रजिस्टर्ड किया गया.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम तो उनका सम्मान कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, गरीब का बच्चा अच्छी शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकता है. प्रायवेट स्कूलों में बहुत अधिक फीस हो गई है, अधिक फीस होने के कारण गरीब का बच्चा अच्छी पढ़ाई नहीं कर पा रहा है. इसको लेकर माननीय मुख्यमंत्री जी ने सीएम राइज स्कूल की परिकल्पना की जो कि शिक्षा जगत की बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है. इसमें कक्षा नर्सरी से लेकर 15 किलोमीटर के दायरे में हायर सेकेण्डरी तक के जितने भी स्कूल आएंगे उनको इस सीएम राइड स्कूल में मर्ज कर लिया जाएगा. इन स्कूलों में पढ़ाने वाले जो अध्यापक होंगे उनकी अलग से परीक्षाएं होंगी उनका चयन करके जहां पर सीएम राइज स्कूल खोला जाएगा वहां पदस्थ किया जाएगा. बच्चों को लाने ले जाने के लिए उच्च किस्म की वीडियो कोच बसें होंगी. पूरा परिसर आवासीय होगा, टीचर भी आवासीय होंगे. उन स्कूलों में स्वीमिंग पूल होगा, क्रिकेट के लिए वॉलीबाल के लिए व्यवस्था होगी. जितनी जगह उपलब्ध होती जाएगी उन क्षेत्रों में यह स्कूल बनाए जाएंगे. हमारी सरकार ने पूरे मध्यप्रदेश में 360 सीएम राइज स्कूल की स्वीकृति दी है. (मेजों की थपथपाहट) अब गाँव का व्यक्ति भी उस सीएम राइज स्कूल में जाकर अच्छी पढ़ाई कर सकता है. हम जानते हैं कि आज की तारीख में स्वास्थ्य और शिक्षा में उद्योग जैसी स्थिति बन गई है इसलिए अच्छा इलाज और अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए इतनी राशि गरीब किसान के पास, गरीब लोगों के पास, नहीं रहती है. लेकिन ये सीएम राइज स्कूल से अच्छी अच्छी प्रतिभाएँ, जो गाँव में पढ़ने में तेज होंगी वह निश्चित रूप से इन सीएम राइज स्कूलों से वह प्रतिभा पढ़कर आगे जाकर हमारे प्रदेश का नाम रोशन करेंगी. सीएम राइज स्कूल का जो कांसेप्ट है वह आज के समय की आवश्यकता है. गाँव गाँव में और कस्बे कस्बे में प्रायवेट स्कूल हो गए हैं. बहुत अधिक फीस वसूल कर रहे हैं. फीस पर कंट्रोल के लिए चूँकि मैंने एक विधान सभा प्रश्न भी लगाया था और आधा घंटा रेज़ हुआ था और उसने कोरोना काल में स्कूल शिक्षा मंत्री जी को सरकार को मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उस समय फीस लेने से, सीधा स्कूल शिक्षा विभाग ने ऑर्डर निकाला था कि कहीं भी फीस कोरोना काल में नहीं ली जाए. उससे प्रायवेट स्कूलों पर काफी कंट्रोल हम लोग कर पाए थे. माननीय अध्यक्ष महोदय, यहाँ मेडिकल को लेकर पूर्व वक्ताओं ने बहुत सारी बातें कही हैं. नये मेडिकल कॉलेज नहीं खुले थे. हमारी सरकार ने 6 नये मेडिकल कॉलेजों को स्वीकृति दी है और 1 हजार 547 करोड़ का प्रावधान, महामहिम के भाषण में, सिंगरौली से लगाकर हमारे नीमच तक ऐसे 6 मेडिकल कॉलेज हैं, हम जानते हैं ये 6 मेडिकल कॉलेज के खुलने के बाद हमारे मध्यप्रदेश में कितने डॉक्टर्स बनकर तैयार होंगे और आज 8 करोड़ 50 लाख जनसंख्या मध्यप्रदेश की होने जा रही है. स्वास्थ्य की दिशा में ये मेडिकल कॉलेज स्वास्थ्य के लिए मील के पत्थर साबित होंगे. नीमच, मंदसौर से लगाकर सब जगह नये मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं. हम जानते हैं कि समय की मांग है और जो जो सुविधाएँ मध्यप्रदेश सरकार दे सकती है वह दे रही है. लेकिन मेरा अपना मानना है कि सबसे बड़ा वर्ग यदि इस मध्यप्रदेश में है तो वह किसान है. किसान उन्नत होगा, किसान का विकास होगा, तो पूरा मध्यप्रदेश आगे बढ़ेगा. किसान के क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार, शिवराज जी की सरकार, भिन्न भिन्न विभागों के मंत्री, बहुत ही अच्छा कार्य कर रहे हैं. चूँकि इस सरकार के द्वारा जो जो भी कार्य किए गए हैं वे अति सराहनीय हैं. माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी चौहान और भारतीय जनता पार्टी की सरकार संवेदनशील सरकार है. महिलाओं के प्रति, गरीबों के लिए, किसानों के लिए, हमेशा अच्छे से अच्छा नवाचार क्या हो सकता है उस दिशा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार काम कर रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका इशारा हो गया है, मुझे आपने समय दिया है, आपने बोलने के लिए मौका दिया उसके लिए मैं एक बार पुनः बहुत बहुत धन्यवाद देते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूँ. बहुत धन्यवाद.
श्री कुणाल चौधरी(कालापीपल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अभी महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण को जब मैं इसे पढ़ रहा था और जितनी अच्छी अच्छी बातें कई वक्ताओं ने कई कथा के माध्यम से कई अलग अलग बातों को कहा तो मुझे लगता है कि,
इन बेपनाह अँधेरों को सुबह कैसे कहूँ, मैं इन अँधेरों का अंधा तमाशबीन नहीं.
अध्यक्ष महोदय, जिन शब्दों का इसमें प्रयोग किया गया अमृत महोत्सव, अमृत का, आत्मनिर्भर, ये शब्द सुनने में बड़े अच्छे लगते हैं कि मध्यप्रदेश इतना आत्मनिर्भर हो रहा है, देश इतना अमृत काल में जा रहा है और सबसे पहले पैरा में जब बात कोविड 19 की, की जो सदी की सबसे घातक महामारी के रूप में हमने देखा और इस काल में लगभग देश में 80 लाख से ज्यादा लोग और इस प्रदेश के अन्दर 3 लाख से ज्यादा लोग काल के गाल में समा गए और 3 लाख लोगों की, ये मौत कहें या असामयिक कहें या सीधे तरीके से सरकारी अव्यवस्थाओं के कारण की गई हत्याएँ कहें. जब मैं उसमें देखता हूँ कि किस प्रकार से हॉस्पिटल्स के अन्दर.....
श्री धर्मेन्द्र भाव सिंह लोधी-- माननीय, ये शब्द विलोपित किया जाए. ये कह रहे हैं सरकार के द्वारा की गई हत्याएँ.
श्री कुणाल चौधरी-- यह तो सरकारी अव्यवस्थाओं के कारण....(व्यवधान)..
श्री उमाकांत शर्मा-- राजस्थान सरकार ने भी हत्या की है क्या?..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, उस संबंध में समझने की जरूरत पडे़गी कि जिस रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए लोग तड़प रहे थे वह हमारे हॉस्पिट्ल्स से चोरी हो रहे थे पर आज तक उसकी जॉंच रिपोर्ट नहीं आयी कि वह रेमडेसिविर इंजेक्शंस जो जान बचाने के लिए थे जो लोगों की जरूरत के लिए थे, वह कहां चोरी हुए, किसने गायब किए और हमीदिया जैसे अस्पताल से गायब होते हैं तो उसके ऊपर कोई चर्चा नहीं होती है. क्या अमृतकाल इसी को कहेंगे, जिसमें ऑक्सीजन की कमी से हमने कई जगह लोगों को काल के गाल में समाते देखा ? यह अमृतकाल था या मृत काल के रूप में था. यह बडे़ दुर्भाग्य की बात है, मुझे नहीं लगता कि हमें इसे अमृतकाल कहना चाहिए. मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा कि माननीय मुख्यमंत्री ने जो बातें कहीं थीं कि 5 लाख रूपए का मुआवजा दिया जाएगा. 5 लाख रूपए की पहले बातें कहीं, फिर 4 लाख रूपए की बातें कहीं, फिर 2 लाख रूपए की बातें कहीं, फिर 1 लाख रूपए की बातें कहीं, फिर 50 हजार रूपए की बातें कहीं और फिर उसको भी देने से जब मना किया तो सुप्रीम कोर्ट ने जब अपना उसके अंदर निर्णय दिया और उसके बावजूद आज तक किसी को भी इस तरह की मुआवजा राशि नहीं मिली है तो इस काल को, इन शब्दों को सुनकर मुझे तो यही लगता है कि जिस प्रकार से बड़ी-बड़ी बातों के और शब्दों के भंडार जो किए जाते हैं वह असत्य, तथ्यहीन और अर्थहीन हैं और जिन बातों का कोई औचित्य नहीं है उन बातों के लिए हम बडे़-बडे़ शब्दों का चयन करते हैं. मुझे लगता है, इसके अंदर किया गया है. कई चीजें इसके अंदर देखने में आयी हैं कि जो सबसे ज्यादा यहां पर कोरोना काल में वैक्सीन की बात हुई, गरीब की चिन्ता, रोजी-रोटी और रोजगार की बात कर रहे हैं जो रोजगार की बेरोजगारी, यह प्रदेश बेरोजगारों का प्रदेश हो चुका है. अच्छी शिक्षा चाहिए तो आप बाहर जाइए. अच्छा रोजगार चाहिए तो आप बाहर जाइए. आईटी सेक्टर के अंदर हमने बड़ी-बड़ी बातें कीं, बड़ी-बड़ी जमीनें देने का काम किया, बड़ी-बड़ी जगहों पर हमने सब्सिडी देने का काम किया. सिर्फ इन्दौर के अंदर थोड़ा काम शुरू हुआ. क्या जबलपुर का काम हुआ, क्या भोपाल का काम हुआ, क्या ग्वालियर का काम हुआ? जिन क्लस्टरों के निर्माण की हम बात कर रहे थे उसमें कितनी हमने सब्सिडी कंपनियों को दी, कितना सरकारी धन हमने कंपनियों को दिया और इसके बाद कितने रोजगार उत्पन्न हुए, इसके विचार के लिए हमने इसके अंदर कहीं भी इस तरह की बातें नहीं कीं. मेरा आग्रह है कि जिस बात को हमने कहा कि जनता का, लोकतंत्र की सार्थकता जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा और शासन में निहित है, पर मुझे नहीं लगता कि कहीं न कहीं यह जनता के द्वारा चलाया गया. जिस प्रकार से अधिकारी यहां शासन चला रहे हैं पूरी नगर पालिकाएं, नगर पंचायत, नगर निगम, आज लोकतंत्र क्या रास्ता देख रहे हैं कि जो संवैधानिक पदों के ऊपर जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधि बैठे होने चाहिए, वह कहीं न कहीं जनता के जनप्रतिनिधि नदारद हैं और जो एक छोटा कार्यक्रम चाहे, किसी भी दल का हो और चाहे किसी भी व्यवस्था का हो, चाहे जनता के बीच से निकला व्यक्ति हो, आज उसको अपना हक और अधिकार मिलना चाहिए. उसके लिए हमने इसके ऊपर चर्चा नहीं की. कई बातें हैं कि जिस प्रकार से बड़ी-बड़ी बातों को पढ़ा गया कि कई चीजों की हमने बात की. माननीय मैंने महामहिम के अभिभाषण को 3-4 बार पढ़ा. इसमें कई चीजों पर चर्चा की गई तो जो पिछले 5 साल से ज्यादा समय में हम देश में नंबर एक पायदान पर हैं उन चीजों के ऊपर कोई चर्चा नहीं है. हम किन चीजों में नंबर एक पर हैं. हम कुपोषण में नंबर एक पर हैं. क्यों इसकी चर्चा नहीं होती. समस्याओं को हम कब समस्या समझना शुरू करेंगे ताकि उसका निराकरण किया जा सके. हम बाल मृत्युदर में नंबर एक पर हैं, गर्भवती महिलाओं की मृत्युदर में हम नंबर एक पर है, महिलाओं के बलात्कार में हम नंबर एक पर हैं, बच्चों के यौन शोषण में हम नंबर एक पर हैं और अगर यह नंबर एक की फेहरिस्त बनाऊंगा तो कई चीजों पर हम नंबर एक पर आ जाएंगे. हमें उस पर चर्चा करनी पडे़गी कि समस्या क्या है, ताकि हम उसका निदान कर पायें. उस समस्या को समझें और उसका निदान करने के लिए हम सब बैठकर किस तरह से काम कर पाएं, इस ओर हमें काम करने की जरूरत है, क्योंकि आज जिस प्रकार के हालात प्रदेश के अंदर हैं उससे शिक्षा की गुणवत्ता घटती जा रही है. बात सीएम राइज़ स्कूल के 307 स्कूल की बड़ी अच्छी की है कि अभी सिर्फ बातें और थोड़ी-थोड़ी बातें करने के लिए हमने उसका इतना बड़ा बवंडर बना रहे हैं. आप उस स्थिति और उस परिस्थिति को समझने की कोशिश करें कि जिन परिस्थितियों के अंदर हम अगर शिक्षा विभाग में जाएंगे तो मैंने इसके अंदर निकाला भी है कि कितने करोड़ों रूपए खर्च करके हम आज तक न तो रोजगार दे पाए, न शिक्षा की व्यवस्था कर पाए हैं. जो 27 हजार 492 करोड़ रूपए, यानि पिछले 11 साल में औसतन 20 हजार करोड़ से ज्यादा का खर्च करने के बाद भी हमने क्या हासिल किया ? कुल शासकीय शालाओं में कक्षा 1 से 8 तक के वर्ष 2006 और 2007 में कुल 1 करोड़ 15 लाख विद्यार्थी थे, आज मात्र 55 लाख हो गये.हम खर्चा करते जा रहे हैं, पर कहीं न कहीं इन विद्यालयों से शिक्षा पाने वाले विद्यार्थी गायब हो रहे हैं. हम सीएम राइज स्कूलों की बात तो कर रहे हैं, क्या 360 सीएम राइज स्कूलों से पूरा प्रदेश चल जाएगा. हम 2 हजार स्कूलों को बंद करने की तैयारी कर रहे हैं और 360 सीएम राइज स्कूल अगर हम साल भर में खोलते भी जाएंगे तो कितने सालों में जाकर हम उतने स्कूल बनाएंगे, जो पहले की सरकारों ने बनाने का काम किया. हम क्यों उन जगहों की व्यवस्थाओं को ठीक नहीं करते.
अध्यक्ष महोदय, हम रोजगार देने की बातें करते हैं. मैंने बजट के अंदर भी देखा कि शिक्षकों को हम रोजगार देंगे. शिक्षकों की हम नियुक्ति करेंगे. पहले वे बेटियां, जो अभी अंतराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन हमारी बहनें भीख मांग रही थीं कि जो चयनित शिक्षक हैं, उन्हें रोजगार दे दिया जाए. स्कूल खाली पड़े हैं, पर चयनित लोगों को हम रोजगार नहीं दे पा रहे हैं. जो नौजवान चयनित हो चुके हैं, उनको रोजगार देने की व्यवस्था क्यों नहीं कर रहे हैं. हम केवल बड़ी-बड़ी बातें करने का काम कर रहे हैं. कई बड़ी-बड़ी चीजें मैंने इसमें देखीं. एक बड़ी चीज देखी, ऊर्जा की बड़ी-बड़ी बातें हुईं, अभी माननीय महोदय ने भी बताईं और सबने ऊर्जा का बड़ा-बड़ा दावा किया और बात कहां की की, वर्ष 2025 और वर्ष 2026 की बातें कीं. क्या यही वह वर्ष 2025 है, जैसे पहले वर्ष 2022 के लिए हमने कहा था कि हम किसान की आय दोगुनी कर देंगे. ये हमने सपने दिखाए थे कि अच्छे दिन ला देंगे, काला धन ला देंगे. हम टैक्स खत्म कर देंगे. गैस की टंकी 200 रुपये कर देंगे. पेट्रोल के भाव 30 रुपये कर देंगे. हम वर्ष 2025 और वर्ष 2026 की बात करते हैं. हम सब्जबाग दिखाने का काम करते हैं, पर उस सच्चाई को नहीं मानते. हम कहते हैं कि मध्यप्रदेश बिजली में आत्मनिर्भर है तो फिर अगर आत्मनिर्भर है तो हम 27 हजार करोड़ रुपये की बिजली क्यों खरीदते हैं, यह सवाल हमसे जनता पूछने का काम करती है. हम एक तरफ तो आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की बात करते हैं और दूसरी तरफ 27 हजार करोड़ रुपये की बिजली खरीदने का काम करते हैं. आज मध्यप्रदेश की बिजली कंपनियों की हालत यह है कि 100 रुपये का बिल अगर किसी गरीब का बकाया हो तो उसकी घर की बिजली काट दी जाती है और जिसका 100 करोड़ रुपये का बिल बकाया हो, उसका बिल सरकार माफ करने का काम करती है. आज परिस्थितियों को, स्थितियों को और हर बात को हमें समझनी पड़ेगी.
अध्यक्ष महोदय, हमने सोलर पम्प की बात की. कई सालों से सोलर पम्प के लिए किसानों ने अपना पैसा दे रखा है. पर न तो हम सरकारी व्यवस्थाओं के माध्यम से उनको सोलर पम्प दे पा रहे हैं और न ही हम उनको उनका पैसा ब्याज सहित वापस दे पा रहे हैं. आज नल-जल योजनाओं के ऊपर बहुत बातें की गईं कि नल-जल योजनाओं पर बहुत काम हुआ है, पर दुर्भाग्य है कि 15 साल की एक सरकार जो जनता के द्वारा चुनी हुई थी और अब ये दो साल, जो नोट के द्वारा चुनी गई सरकार है, उसके बावजूद सिर्फ 38 प्रतिशत लोगों तक हम केवल नल पहुँचाने की बात कर रहे हैं. उसमें जल पहुँचा कि नहीं पहुँचा, यह अलग बात है. सिर्फ टोंटियां ही टोंटियां पहुँच गईं और न तो हमें उन नलों के अंदर पानी मिल रहा है और न ही स्थितियां अनुकूल हो रही हैं.
अध्यक्ष महोदय, आज जल संसाधन विभाग की, नर्मदा घाटी विकास विभाग की बातें हुईं, जो विभाग लगभग पिछले 17 सालों में से 15 साल मुख्यमंत्री जी के पास रहा है. हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि मां नर्मदा इस मध्यप्रदेश की धरा से निकलती है. 80 प्रतिशत नर्मदा मध्यप्रदेश की धरा पर बहती है, पर हम जब बात करते हैं कि हमने कितना उस मां नर्मदा के पानी का उपयोग किया, तो कुछ नहीं. हम सिर्फ यह उपयोग करते हैं कि रेत के खेल के अंदर आडम्बर करते हैं. वह मां नर्मदा, जो इस मध्यप्रदेश की प्यास बुझा सकती है. वह मां नर्मदा, जो मध्यप्रदेश के खेतों को सिंचित करने का काम कर सकती है. नर्मदा ट्रिब्यूनल कोर्ट का फैसला था कि 18 एमएएफ पानी हमें उपयोग करना है. हमने पिछले 15-17 सालों के अंदर न तो कोई इन्फ्रास्ट्रचर डेव्हलप किया और आज जब वर्ष 2022 के अंदर कोर्ट के फैसले पर दोबारा रिव्यू होना है तो हम आनन-फानन में सिर्फ पाइपों की खरीदी का काम कर रहे हैं और इन पाइपों की खरीदी में भ्रष्टाचार की बात मैं नहीं कर रहा हूँ, कैबिनेट की बैठक के अंदर प्रदेश के गृहमंत्री ने यह बात कही कि सबसे ज्यादा अगर भ्रष्टाचार होता है तो नर्मदा घाटी की पाइप खरीदी में होता है और कहीं न कहीं जनता के साथ दुर्व्यवहार होता है. हम क्यों उन बातों पर अमल नहीं करते. हमने बड़ी-बड़ी बातें मां नर्मदा के बारे में कीं, पर हम पीने के पानी से मध्यप्रदेश की जनता को वंचित कर रहे हैं. हमने क्यों उस डैम का विरोध नहीं किया, जब सरदार सरोवर बांध की हाइट गुजरात सरकार ने 50 मीटर बढ़ाने की बात की थी. जंगल हमारा गया, जमीन हमारी गई. लोग हमारे विस्थापित हुए और पानी का फ्लो किसको मिला, गुजरात के चंद चुनिंदा उद्योगपतियों को मिला, न कि मध्यप्रदेश की जनता को पानी मिला. पिछले कई सालों से उस डेम की हाइट बढ़ाने की बात चल रही थी, पर हमेशा कांग्रेस के नेताओं ने और मध्यप्रदेश के कांग्रेस के नेताओं ने हमेशा उसका विरोध किया और उस डैम की हाइट नहीं बढ़ाने दी. पर आज जब से उस डैम की हाइट बढ़ी है, मध्यप्रदेश की जनता के साथ कहीं न कहीं धोखा हुआ है. प्रधानमंत्री फसल बीमा के बारे में 18 नंबर के बिंदु पर मैंने देखा कि कुल मिलाकर 93 लाख, 81 हजार से अधिक गावों में 17 हजार करोड़ रुपये की राशि आहरित है. हमने भी सुना था कि सिंगल क्लिक के अंदर बैतूल से पहुंचाया गया. हमने भी सुना था कि इंदौर के अंदर मेरी पॉलिसी मेरे हाथ दी गई. यह प्रधानमंत्री फसल बीमा है या लूट सके तो लूट बीमा योजना है. आज हमें इस बात की चर्चा करनी पड़ेगी कि बीमा कंपनियां न तो लिस्टिंग देने का काम कर रही हैं और किसानों ने जो प्रीमियम भरा है उसे दे रही हैं. इससे मेरे ख्याल से सदन के सभी लोग सहमत होंगे कि लगभग साढ़े सात हजार रुपये हैक्टेयर की अगर हम लोग बीमा की प्रीमियम राशि भरते हैं और हमारे जिले में जहां सोयाबीन में 48 हजार रुपये हैक्टेयर का मुआवजा मिलना था, वह कहीं 5 हजार, कहीं 8 हजार और कहीं 12 हजार रुपये हैक्टेयर का मिला है. उन बीमा कंपनियों का संरक्षण करने का काम सरकार क्यों कर रही है ? इसमें मैं जरूर कहना चाहता हूं कि कहीं न कहीं जो थोड़ा बहुत बीमा है, अभी पूरा बीमा भी नहीं आया है, सहकारिता विभाग के अंदर जो हमारी सोसायटियां हैं उसमें अभी तक एक रुपये का बीमा नहीं आया है और कहीं न कहीं किसान को डिफाल्टर करने की एक बड़ी साजिश मध्यप्रदेश सरकार और बीमा कंपनियां मिलकर कर रही हैं, क्योंकि 31 तारीख को ड्यू डेट आ जाएगी और अभी तक बीमा पहुंचा नहीं है. किसान के पास पैसा नहीं है और सरकार की नीयत नहीं दिखती कि उसके ऊपर बात की जाए. बड़े-बड़े दावे इसके अंदर किये हैं. चाहे किसान के बिजली की मोटर की बात करें, जो योजना यहां मध्यप्रदेश के अंदर माननीय कमलनाथ जी के नेतृत्व में लाई गई थी कि किसान की मोटरों के बिल जो 5 हार्सपावर तक के 1,750 रुपये कर दिये गये थे, एक दुर्भाग्य देखिये, मेरे साथ चाहे कोई भी चलकर देखे कि एक व्यक्ति 5 हार्सपावर की मोटर खरीदकर लाता है और बिजली कंपनी के मीटर आते हैं, वह उसको 7.5 और 8 हार्सपावर का बताते हैं. यह मध्यप्रदेश का दुर्भाग्य है कि जो 3 हार्सपावर की मोटर का उपयोग कर रहा है उसके बिजली के बिल 7 से 8 हार्सपावर के दिये गये. जो फ्री बिजली योजना की बात की जा रही है वह योजना है किसके लिये ? किसान के साथ बिजली कंपनियां धोखा कर रही हैं. कभी मोटरसाईकिलें, कभी उनके टीवी उठाने का काम बिजली कंपनियां कर रही हैं और जिस तानाशाही रवैये के साथ किसान के खिलाफ यह साजिश रची जा रही है उससे यही लगता है कि सरकार की नीयत भी यही है कि बीमा कंपनियों के साथ मिलकर कैसे किसान के पेट पर लात और कैसे छाती पर गोली पड़े और कैसे नंगा करके पहले किसानों के साथ धोखा किया गया.
अध्यक्ष महोदय -- कुणाल जी, 15 मिनट हो गया है.
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष जी, मुझे समय दीजिये पूरा करने के लिये. अभी तो बहुत बाकी है, 18-20 प्वाइंट ही हुये हैं. बहुत जरूरी है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, 15 मिनट हो गया. पूरा समय थोड़ी दिया जाता है. कितना भी जरूरी हो. 15 मिनट हो गया है. 15 मिनट बहुत हो गया.
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष जी, अभी रोजगार की बात है. प्लीज थोड़ा समय और दिया जाए. यह गौशाला, गाय की बात करनी है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आप अपने लोगों से कटौती करवाएं.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष जी, कृपया गाय पर तो बात कर लूं. यहां बात गौशालाओं की चली कि गौशालाओं की स्थितियां क्या थीं. पहले 15 साल में 700 से ज्यादा गौशालाएं बनीं. जब कमलनाथ जी के नेतृत्व में हजारों नई गौशालाएं खोली गईं, जिसमें 20 रुपये रोज गाय के चारे के लिये, 2 व्यक्ति मेहनती रखने के लिये दिये जाते थे. आज वह गौशालाएं लावारिश होती जा रही हैं.
श्री उमाकांत शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, दिग्विजय सिंह जी चरनोई की जमीन बांट गये.
श्री कुणाल चौधरी -- व्यापम वाले भैया, मेरा आग्रह है आप विद्या ददाति विनयम की बात करते हैं, आप व्यापम से बड़े हो गये. व्यापम वाली बात मत करो आप. बड़े भैया हैं व्यापम वाले. व्यापम की बात मत करो. यह बड़ा व्यक्तिगत यह मामला हो चुका है कि जिस तरीके से गौशालाओं के अंदर धोखा किया जा रहा है कि पहले कहीं न कहीं जो गौशालाओं के साथ जिस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है कि आज गौशालाएं बनीं पड़ी हैं, परंतु गाय सड़कों पर रहने को मजबूर है. क्यों न यहां पर यह कानून पारित किया जाए कि हर गाय के ऊपर 20 रुपये वापस जो पुरानी सरकार देती थी वह देने का काम करें. हमने हितग्राहियों की बात की. लगभग हम 4 करोड़, 94 लाख लोगों को खाद्यान्न सुरक्षा का लाभ दे रहे हैं, मतलब यह प्रदेश के लिये सोचने का विषय है कि साढ़े 8 करोड जनता में से 5 करोड़ जनता गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है, तो हम 15-17 साल के अंदर उनको गरीबी के अंदर डालते रहें कि उन्हें उनका उद्धार करने का काम करना चाहिये ? हमको विचार करना पड़ेगा कि कैसे जनता को गरीबी से निकालकर आत्मनिर्भर बनाने का काम करें. जो पेंशन की बात कही गई, जिसे 300 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये कमलनाथ जी के नेतृत्व में सरकार ने किया था. आज उसे 1000 रुपये करने की जरूरत है. महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है. गरीब कैसे 600 रुपये में अपना जीवनयापन करे. इस ओर हमें ध्यान देने की जरूरत है. सबसे बड़ी बात, बात संबल की जरूर कर रहे हैं परन्तु जो योजना कमलनाथ जी के समय बेटियों की शादी की चलती थी. एक भी नया सम्मेलन पिछले 2 साल से जब से यह खरीदे हुए जनादेश की सरकार बनी है, तब से कोई नया सम्मेलन नहीं हो रहा है, बेटियों की शादी के लिए रास्ते देख रहे उनके पिता कि कहीं न कहीं बेटियों के सम्मेलन होंगे, जो 51 हजार रुपये शादियों के मिला करते थे, वह मिलने के काम होंगे. हम उसको कब वापस चालू करेंगे, इसके ऊपर अभी तक हमारी चर्चा नहीं हो पाई है. हमें उस ओर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि कहीं न कहीं रोजगार की बात हो, लोगों के आवास की बात हो और कई अलग अलग वर्गों के लिए जिन कामों को हमें करना है, हमें बेहतर रूप से उन कामों को करना पड़ेगा. अध्यक्ष महोदय, मैं ज्यादा बातें नहीं करते हुए आखिरी बात से अपनी बात समाप्त करता हूं कि -
"ख्वाहिशों से नहीं गिरते फूल झोली में
वक्त की साख को हिलाना होगा
कुछ नहीं होगा अंधेरे को गालियां देने से
हमें अपने हिस्से का दीया जलाना होगा."
अध्यक्ष महोदय, हम सब मिलकर कैसे मध्यप्रदेश को ठीक करने में लगे, इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. बड़े बड़े लब्बोदार शब्दों से, भाषणों से नहीं होगा. परन्तु मूल समस्या को समस्या समझकर उसका निराकरण कैसे करें, इस ओर काम करने की जरूरत है, किसान, गरीब, मजदूर, नौजवान, हर वर्ग परेशान है. चाहे वह अतिथि शिक्षक हों, संविदा शिक्षक हों, यहां पर भी कहीं न कहीं अलग-अलग वर्गों के लोगों के लिए हमें ध्यान देना होगा. धन्यवाद.
5.12 बजे
5.13 बजे
राज्यपाल के अभिभाषण पर डॉ. सीतासरन शर्मा, सदस्य द्वारा दिनांक 7 मार्च, 2022 को प्रस्तुत कृतज्ञता प्रस्ताव पर चर्चा (क्रमशः)
श्री देवेन्द्र वर्मा (खण्डवा)- (अनुपस्थित)
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) - अध्यक्ष महोदय, लोकतंत्र के मध्यप्रदेश के इस पावन मंदिर में महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण पर कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मैं खड़ा हुआ हूं. प्रदेश लगातार हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में आए विकास की पाती को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है और प्रजातंत्र में यही होता है कि कोई भी जनप्रतिनिधि जब चुनकर आता है और उसकी नीति और नीयत साफ होती है तो वह जनता के लिए सेवा करता है और वही सेवा की पाती के लिए आज हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री मान्यवर श्री शिवराज सिंह चौहान जी लगे हुए हैं.
अध्यक्ष महोदय, निश्चित ही स्वस्थ शरीर में, स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है और हमने देखा कि मध्यप्रदेश की धरती पर जब कोरोना काल आया तो हमारे मान्यवर मुख्यमंत्री जी उस दिन राजभवन में शपथ ग्रहण कर रहे थे. उन्होंने शपथ लेते ही हम लोगों की बधाइयां स्वीकार नहीं की, बल्कि सीधे स्वास्थ्य के संबंध में बैठक लेने के लिए वल्लभ भवन गये. मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता को कैसे कोरोना से बचाया जाय, इसके लिए उन्होंने अपने मनोयोग से अपनी टीम वर्क के साथ में काम करना प्रारंभ किया. और हम देखते हैं कि कोरोना की महामारी पूरे देश में थी और उस महामारी की वजह से हमने अपने कई लोगों को खोया है. उस समय हमारे देश में वैक्सीन, हमारे देश के वेज्ञानिकों ने स्वदेशी वैक्सीन तैयार की और उस वैक्सीन के लिये कई प्रकार के भ्रम मध्यप्रदेश एवं देश की धरती पर फैलाने का प्रयत्न हुआ. मगर हम देखते हैं कि फिर भी 95 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन लगी और हम कहीं न कहीं कोरोना की इस तीसरी लहर पर भी काबू पा पाये. इसके लिये मैं सारी टीम को धन्यवाद देता हूं और निश्चित ही स्वास्थ्य के संबंध में हम जब देखते हैं तो जिला चिकित्सालयों की हालत ऑक्सीजन सिलेण्डर्स की कमी और उसके बाद सब जन प्रतिनिधियों ने अपने अपने जिला स्थान पर ऑक्सीजन प्लांट लगाये और उसी को देखते हुए वृक्षारोपण का कार्य भी लगातार हुआ है. स्वास्थ्य सुविधाओं में जो कमी थी, उस कमी को दूर करने के लिये हमारे यहां जो मेडिकल कालेज का विस्तार किया गया है, जो सुविधाओं में लगातार विस्तार किया जा रहा है, उसमें मेडिकल कालेज में मण्डला, सिंगरौली, श्योपुर, राजगढ़ और जहां से मैं आता हूं नीमच, मंदसौर, जहां से यशपाल सिंह जी आते हैं, मेडिकल कालेज की स्थापना के लिये 1547 करोड़ रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति हुई है. यह हमारे लिये चिकित्सा क्षेत्र में एक बहुत बड़ा कदम है और निश्चित ही अब वहां इन क्षेत्रों में एक साथ भूमि पूजन होकर और यह हमारे मेडिकल कालेज जनता की सेवा के लिये और बच्चे एवं बच्चियों के पढ़ने के लिये बहुत उपयोगी सिद्ध होंगे और हमारे देश के बेटा, बेटियों को अब यूक्रेन में मेडिकल की शिक्षा प्राप्त करने के लिये नहीं जाना पड़ेगा. हम देखते हैं कि यह चिकित्सा की जो शिक्षा है, उसके पठन पाठन में भी हिन्दी भाषा के रुप में उपयोग करने का निर्णय लिया गया है. यह बहुत ही स्वागत योग्य है. मैं भी इसका स्वागत करता हूं. पुराने समय में कोई भी बीमार हो जाता था, मैंने 2003 के पूर्व की स्थिति देखी है. बिना दवाइयों के अस्पताल होते थे. हताश जनता होती थी. निराश कर्मचारी होते थे. ये करोड़ों रुपयों के कर्जे छोड़कर चले गये थे. गडढे में सड़क है या सड़क में गड्ढा है, यह कुछ समझ में नहीं आता था और उस समय कांग्रेस के कार्यकाल की हम बात भी नहीं करना चाहते है. मगर बीच के कार्यकाल को अभी हमने देखा है. जब ये 15 महीने हमारे प्रतिपक्ष के लोग आये तब उन्होंने जीते हुए विधायक को भी कुछ नहीं समझा. यहां तक कि जो हारे हुए थे हमसे उनसे भूमि पूजन कराना, उनसे लोकार्पण कराना और जहां जहां भाजपा के विधायक थे, वहां एक रुपया भी विकास का न देना और आज ये स्वयं अपनी गिरेबान में इनको झांकना चाहिये कि उस समय उन्होंने क्या किया. आज हम देखते हैं कि देश के प्रधानमंत्री जी के द्वारा स्वास्थ्य के लिये आयुष्मान जैसे कार्ड जहां कोई पहले बीमार होता था, तो माताएं, बहनें अपने जेवर देती थीं कि जाकर इलाज कराना, मेरे बेटे को जिंदा लेकर आना. आज मुख्यमंत्री जी अपने स्वैच्छा अनुदान से पैसा देते हैं, जहां यदि गरीब कोई भर्ती होता है, तो उस चिकित्सालय में चेक भेजते हैं और उस गरीब का इलाज होता है. आयुष्मान कार्ड में 5 लाख का इलाज हो रहा है. गरीब दुआयें दे रहा है. मैं अक्सर कहता हूं कि क्या मार सकेगी मौत उसे, औरों के लिये जो जीता है, मिलता है जहां का प्यार उसे, जो गरीब के आसूं पीता है. तो यह सरकार लगातार गरीबों के लिये काम कर रही है. दीनदयाल भोजन योजना. हम देखते हैं कि कोई गरीब भूखा न रहे, गरीब की थाली रहे न खाली और इसलिये जिला-जिला स्थानों पर यह योजनाएं लगातार चल रही हैं. शिक्षा में गुणवत्ता, स्वास्थ्य की सुविधा में लगातार वृद्धि हो रही है. प्रदेश में, जिला चिकित्सालय में, मेडिकल कालेज में स्वास्थ्य की सुविधा में वृद्धि हो रही है. इसी तरह से हम देखते हैं कि 5200 उप स्वास्थ्य केंद्रों का हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर में उन्नयन किया गया है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, विश्वसनीयता ही खत्म हो गई है उस कार्ड की. अस्पतालों ने लेना बंद कर दिया है और वे कई बीमारियों का इलाज उससे नहीं कर रहे हैं.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- आज इलाज उसी से हो रहे हैं. अनेक प्रकार की योजनाएं चल रही हैं. गरीब का इलाज हो रहा है. लगातार हम देख रहे हैं कि विकासोन्मुख के काम लगातार मध्यप्रदेश की धरती पर हो रहे हैं. कोरोनाकाल में हमने देखा मध्यप्रदेश में कि लगातार, अभी हमारे बंधु जो बात कर रहे थे, उस बात में सम्बल जैसी योजना आप लोगों ने बंद कर दी थी. आज सम्बल योजना का वर्णन भाई बहादुर भैया ने भी किया है. हजारों मजदूरों को इसका लाभ मिला है. मेरे यहां भी एक किसान को मगर ने खा लिया था, तत्काल उसे 4 लाख रुपये की राशि मिली. अब यह कहते हैं कि हमें मिलती नहीं है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - संबल योजना बंद नहीं की थी. नाम बदला था.
श्री दिलीप सिंह परिहार - आपके समय देखो आपने तो कफन और दाह संस्कार के पैसे भी बंद कर दिये थे.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - कफन आज भी नहीं मिल रहा है. मेरे पास 40 केस हैं. श्री दिलीप सिंह परिहार - आप अपने गिरेबां में झांककर देखें. 12वीं में जो 75 प्रतिशत मार्क्स लेकर बेटियां आती थीं उनको लैपटाप देना भी आपने बंद कर दिये थे. ऐसे ही पंडित दीनदयाल जी के नाम से आज हम 5 रुपये में थाली जिले स्तर पर, तहसील स्तर पर दे रहे हैं. कोई भी व्यक्ति रैन बसेरों में सो सकता है भोजन कर सकता है और लगातार भावांतर जैसी योजना भी यशस्वी मुख्यमंत्री मान्यवर श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने चालू की है.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - अध्यक्ष महोदय, मैं कल पटल पर रख दूंगा विदिशा के रैन बसेरे की हालत.
श्री उमाकांत शर्मा - शशांक जी, मैं बोलूंगा तो मुश्कित पड़ जायेगी. मत टोको.
श्री दिलीप सिंह परिहार - हमने 15 महीने का वह कार्यकाल देखा जिसमें रेत माफिया, ट्रांसफर माफिया का राज था और तो और जो अराजकता का माहौल था. मेरे पड़ोस में एक बच्ची रहती थी. वह टीचर थी. उसने कहा आप विधायक बन गये. मैंने कहां हां. बोली मेरा ट्रांसफर कराना है बाहर से.मैंने कहा कि चिट्ठी लिखकर हम देते हैं. कांग्रेस के कार्यकाल में, कहा कि शिक्षा मंत्री जी से बात करेंगे तो उसने कहा कि वे डेढ़ लाख लेकर ट्रांसफर कर रहे हैं.
श्री शशांक श्रीकृष्ण भार्गव - अध्यक्ष महोदय, 80 हजार आनलाईन ट्रांसफर हुए. एक पैसे का लेनदेन नहीं हुआ. यह गलत है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - "मुख में राम बगल में छुरी" यह काम था आपका और आज राम राज्य की कल्पना हो रही है. मध्यप्रदेश की धरती पर जो आज काम हो रहे हैं उसके लिये मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं.निश्चित ही वृक्षारोपण के माध्यम से जो अद्भुत काम हुए हैं. अभी हमने देखा कि अमृत महोत्सव के उत्सव पर हमारे मुख्यमंत्री जी ने नीमच में जहां स्वतंत्रता संग्राम की पहली गोली चली थी और इसीलिये 1857 के क्रांतिकारियों के यशगान की गाथा भी हमने यहां लोकार्पित करवाई थी. लगातार हमारे नीमच,मंदसौर में शौर्यगाथाएं होती हैं. तो इतिहास वीरों का पढ़ा जाता है कायरों का नही पढ़ा जाता है. जो वीर होते हैं वही इतिहास बनाते हैं. हमारे मुख्यमंत्री जी, प्रधानमंत्री जी, आज इतिहास रच रहे हैं और उसी का परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेश में और चार प्रांतों में राम राज्य की स्थापना हो रही है. आपने बोलने का अवसर दिया मैं उसके लिये धन्यवाद देता हूं. महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता व्यक्त करता हूं. जय हिन्द.
श्री पी.सी. शर्मा(भोपाल दक्षिण-पश्चिम) - माननीय अध्यक्ष महोदय,राज्यपाल जी के अभिभाषण पर हमारे विद्वान सदस्य और पूर्व विधान सभा के अध्यक्ष डॉ.सीतासरन शर्मा जी ने इसकी शुरुआत की थी. बड़ी उम्मीद थी कि डाक्टर साहब बहुत सी चीजें यहां पर रखेंगे और उस पर बात करेंगे. (xxx)
अध्यक्ष महोदय - यह रिकार्ड नहीं किया जायेगा.
श्री पी.सी. शर्मा - आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मुझे उम्मीद थी कि सीतासरन शर्मा जी इस बात पर बोलेंगे कि डीजल,पेट्रोल और रसोई गैस के भाव सातवें आसमान पर हैं. इसके मूल्य कम किये जायेंगे. वेट टैक्स कम किया जायेगा. जो खाने के तेल के भाव 30 प्रतिशत बढ़ गये हैं और तो और कफन का कपड़ा भी 25-30 प्रतिशत बढ़ गया. इन सब चीजों को कैसे कम किया जायेगा, इस पर शायद बात करते. आपकी बातों का जवाब वैसे डॉ.गोविन्द सिंह जी ने बड़े अच्छे से दिया.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- हम तो इसके पक्ष में बोलने खड़े हुये थे न, आप विपक्ष की भाषा बता रहे हो.
श्री पी.सी. शर्मा-- यह उम्मीद थी कि कुछ न कुछ आप रखोगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- शर्मा जी, दोनों शर्मा जी के बीच में मैं. जब गोविन्द सिंह जी ने अच्छे से जवाब दे दिया फिर आपको तो वक्तव्य देना ही नहीं चाहिये.
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( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री पी.सी. शर्मा-- मैं उनकी बात को आगे बढ़ाऊंगा. आदरणीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी के अभिभाषण में वैक्सीन की बात की गई कि वैक्सीन मुफ्त दी गई. अरे वैक्सीन तो जब भी इस देश के अंदर दिया गया मुफ्त ही दिया गया, चाहे पोलियो का हो, चाहे चेचक का हो, चाहे खसरा का हो, इसमें कौन सी बड़ी बात थी. लेकिन पेट्रोल पम्पों पर यह लगा रहता था कि वैक्सीन फ्री, लेकिन हर महीने डीजल पेट्रोल के भाव बढ़ाये जाते हैं, उसकी स्थिति यह हो गई कि 100 रूपये से ऊपर 120 तक पेट्रोल पहुंच गया, डीजल 100 रूपये के आसपास और रसोई गैस 1000 रूपये हो गई.
श्री उमाकांत शर्मा-- यह भाषण दे रहे हैं या राज्यपाल के अभिभाषण पर बोल रहे हैं.
श्री पी.सी. शर्मा-- यह वैक्सीन की बात हो रही है. वैक्सीन मुफ्त की बात होती थी और डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस के भाव बढ़ाये जाते थे. माननीय अध्यक्ष महोदय, लॉकडाउन का समय गाड़ी, घोड़े बंद, स्कूटर बंद, कार बंद, मोटर बंद सब बंद, लेकिन रोड टेक्स लगता था. स्कूल बंद कॉलेज बंद, लेकिन स्कूल की फीस और कॉलेज की फीस यह कभी नहीं रूकी, यह सब चलता रहा. लोग घर में बंद थे, बहादुर सिंह जी ने कहा कि यह मामला हमने उठाया था कि स्कूल की फीस नहीं ली जाये, पर पूरी तरह से ली गई. माननीय अध्यक्ष महोदय, कहा गया था कि कोरोना काल में मुख्यमंत्री जी ने वक्तव्य दिया था कि बिजली के बिल माफ रहेंगे, कोई बिजली का बिल नहीं लिया जायेगा. आज स्थिति यह है कि बिजली के बिल मय ब्याज के लिये जा रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष जी, मुझे कोट किया है, मैं निवेदन कर रहा हूं कि मुझे पूरे मध्यप्रदेश का पता तो नहीं है, लेकिन शर्मा जी मेरे क्षेत्र में प्राइवेट स्कूलों ने फीस नहीं ली है, इस बात की गारंटी मैं ले रहा हूं और वैक्सीन भी मुफ्त लगाई है, आपने भी लगवाई है.
श्री पी.सी. शर्मा-- यह आप पर विशेष अनुकंपा हो गई होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, बिजली के बिलों की स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री जी जब पूर्व मुख्यमंत्री थे, कमल नाथ जी की सरकार थी तो इन्होंने कहा कि बिजली का कनेक्शन कटेगा तो मैं खुद आकर जोड़ूंगा, उन्होंने तो कभी जोड़ा नहीं, लेकिन हमने जोड़ा जब बिजली के कनेक्शन काट दिये तो हमारे मंत्री जी ने एफआईआर करवा दी और वह बिजली के जितने कनेक्शन थे सबको काट दिया. कल हजारो लोगों ने जिनके बिजली कनेक्शन कटे हैं उन्होंने प्रदर्शन किया, लेकिन यह बात सुनी नहीं गई. मैं नरोत्तम मिश्रा जी से कहना चाहता हूं कि इस बात पर जरूर गौर फरमाइये कि गरीबों के जो बड़े-बड़े बिल आ रहे हैं यह बिजली के बिल माफ होना चाहिये, जिसकी घोषणा मुख्यमंत्री जी ने की थी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- वित्तमंत्री जी बैठे हैं.
श्री पी.सी. शर्मा-- वित्तमंत्री जी इसको देखें, क्योंकि बहुत परेशानी है और यह वह लोग हैं जिनके कोरोना काल में रोजगार समाप्त हो गये थे, यह गरीब भोपाल राजधानी में रहते हैं जिनके रोजगार समाप्त हो गये थे और यह वह लोग हैं जो ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट जिनकी नौकरियां चली गई थीं, जो स्लिम एरिया में रहते हैं जिनको प्रधानमंत्री योजना में मकान दिये गये हैं उनके बिजली के कनेक्शन कटे और ऐसे समय कटे जबकि स्कूल कॉलेजों की परीक्षायें हो रही थीं. परीक्षा के समय उनके मां-बाप आते थे कि हमारे कनेक्शन कट गये हैं हमारे बच्चे परीक्षा में कैसे बैठेंगे. यह स्थिति पैदा हुई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी 8 तारीख को महिला दिवस आया, कुणाल भाई ने भी वह बात को उठाया और इस बात को मैं भी आगे बढ़ाना चाहता हूं कि जो चयनित शिक्षक जो वर्ष 2018 से जिनकी चयन प्रक्रिया पूरी हो गई थी, जो चयनित हो चुके हैं उनको केवल एक आदेश देना है कि आप चयनित हो गये और आपकी पोस्टिंग यहां की जाती है. वह चयनित शिक्षक महिलायें छोटे-छोटे बच्चों को लेकर आई थीं और भीख तक मांगी, मैं उनके बीच में गया था, उनकी दुर्दशा थी. हम बात कर रहे हैं कि हम रोजगार देंगे, बड़े-बड़े रोजगार देंगे, लेकिन रोजगार जिनको मिल चुका है, जो चयनित हो चुके हैं, हम उनको आदेश नहीं दे पा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कृतज्ञता प्रस्ताव पर माननीय सदस्य का भाषण कल भी जारी रहेगा. विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार दिनांक 11 मार्च, 2022 को प्रात: 11.00 बजे तक स्थगित.
अपराह्न 5.30 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार दिनांक 11 मार्च, 2022 (20 फाल्गुन, शक संवत 1943) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक स्थगित की गई.
भोपाल ए.पी.सिंह
दिनांक 10 मार्च, 2022 प्रमुख सचिव
म.प्र. विधान सभा