मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा त्रयोदश सत्र
फरवरी-मार्च, 2017 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 10 मार्च, 2017
( 19 फाल्गुन, शक संवत् 1938 )
[खण्ड- 13 ] [अंक- 13 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 10 मार्च, 2017
( 19 फाल्गुन, शक संवत् 1938 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रश्न संख्या 1 (अनुपस्थित)
आनंद विभाग अंतर्गत संपादित कार्य
[आनन्द]
2. ( *क्र. 5030 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रदेश में माह अगस्त 2016 से आनंद विभाग का गठन किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो आनंद विभाग के अंतर्गत कितना-कितना बजट किस जिले को आवंटित किया गया है? जिलेवार बताएं। क्या आनंद उत्सव, आनन्दम, आनन्द सभा हेतु पृथक-पृथक बजट आवंटित किया गया है? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार कटनी जिले में प्रत्येक आनंद उत्सव के आयोजन हेतु पंचायत विभाग द्वारा राशि रूपये पन्द्रह हजार तक व्यय करने हेतु संचालनालय से जनपद पंचायतों को राशि उपलब्ध कराई गई है? यदि हाँ, तो कटनी जिले की कौन-कौन सी जनपद पंचायत को कितनी-कितनी राशि कब-कब उपलब्ध कराई गई है? (घ) क्या विभाग द्वारा कटनी जिले को निर्धारित 136 लक्ष्यानुसार कौन-कौन सी ग्राम पंचायत में कब-कब आनन्द उत्सव, आनन्दम, आनन्द सभा का आयोजन किया गया?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। दिनांक 6 अगस्त, 2016 को आनंद विभाग का गठन किया गया। (ख) आनंद विभाग द्वारा जिलेवार बजट आवंटित नहीं किया गया है। अत: प्रश्नांश लागू नहीं। जी नहीं। (ग) जी हाँ। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत पंचायत राज संचालनालय द्वारा कटनी जिले की 6 जनपद पंचायतों को पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार राशि उपलब्ध कराई गई है। (घ) कटनी जिले में निर्धारित 136 पंचायत समूहों में केवल आनंद उत्सव का आयोजन किया गया। आनंद उत्सव के आयोजन की ग्राम पंचायतवार, दिनांकवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है।
कुँवर सौरभ सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न आनन्द विभाग से संबंधित था इसमें परिशिष्ट उपलब्ध हुए हैं. धन्यवाद. मेरा सीधा प्रश्न मंत्री जी से है क्या शिशु मृत्यु दर में मध्यप्रदेश पहले नंबर पर है, किसान आत्महत्या में देश में तीसरे स्थान पर है, बलात्कार में पहले स्थान पर है, कुपोषण के मामले में पहले नंबर है ? लगभग 230 विधायकों में से 196 विधायकों ने प्रश्न लगाये हैं. लगभग सात हजार की संख्या में प्रश्न लगे हैं. मतलब क्षेत्र की समस्याएं बहुत हैं. क्या इन्हीं कारणों से इस विभाग की आवश्यकता प्रदेश को महसूस हो रही है? आनन्द विभाग का सृजन इसीलिये किया गया है कि इतनी अन्यान्य समस्याएं, हैं क्या इसीलिये यह विभाग बनाया गया है ?
अध्यक्ष महोदय-- इनका प्रश्न वेग है, बिल्कुल क्लियर नहीं है पर मंत्री जी आप समझ सकें तो इसका उत्तर दीजिये.
कुँवर सौरभ सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, वेग इसीलिये है कि विभाग देख नहीं सकते टटोलकर, छूकर महसूस कर रहे हैं कि कैसा विभाग होगा इसीलिये प्रश्न जरा वेग है ?
राज्यमंत्री सामान्य प्रशासन (श्री लालसिंह आर्य)--माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न भी साफ है इसका उत्तर भी साफ दिया गया है. आनन्द विभाग की तरफ से जो कार्यक्रम हुए हैं. आपने जो प्रश्न पूछा है उसके सारे उत्तर परिशिष्ट में दे दिये हैं. 14 जनवरी से 21 जनवरी के बीच में पूरे मध्यप्रदेश में यह कार्यक्रम हुए हैं इसका परिणाम भी उत्साहवर्द्धक आये हैं. पंचायत स्तर पर तीन-तीन चार-चार पंचायतों का समूह बनाकर यह कार्यक्रम किये हैं. पहली बार सांस्कृतिक कार्यक्रमों में खेलकूद गतिविधियों में यह कार्यक्रम पूरे मध्यप्रदेश में सम्पन्न हुए हैं. पंचायत विभाग के अंतर्गत जो कार्यक्रम हुए हैं उसकी राशि कहीं न कहीं 15 हजार रूपये एक पंचायत के हिसाब से रखी है, राशि व्यय की है.
कुंवर सौरभ सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मेरा वही प्रश्न था. यह कह रहे हैं कि 14 जनवरी से इनके कार्यक्रम चालू हुए हैं जबकि 18 से 20 जनवरी तक प्रतिभा पर्व था और उसके लिए अधिकतर स्कूलों के स्थलों का चयन हुआ. शिक्षकों और शिक्षा अधिकारियों ने इसमें भाग लिया. एक साथ एक जगह दो खर्च करने की क्या आवश्यकता थी?
दूसरा, श्री बाला बच्चन जी के प्रश्न 3621 में बताया कि 2 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान था और 11 करोड़ रुपये पंचायत ने दिया. श्री मोती कश्यप जी के प्रश्न क्र 925 के भाग-ग में कहा गया कि जरुरतमंदों को मदद की जाएगी. श्रीमती चन्द्रा जी के प्रश्न क्र. 1074 में आपने कहा कि जन प्रतिनिधियों को इसमें इन्वाल्व किया जाएगा. अध्यक्ष महोदय मेरा कहना है कि इसका उद्देश्य कहीं भी जनता से नहीं है. किसान परेशान है, बोनस राशि कम कर रहे हैं. बहुत सी समस्याएं हैं. सिर्फ आनन्द विभाग को बनाकर बजट एलोकेट करके इवेन्ट मैनेजमेंट का काम किया जा रहा है जो जनता के द्वारा पसीने की कमाई पर दिए गए टैक्स से सरकार दुरुपयोग कर रही है.
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न क्या है?
कुंवर सौरभ सिंह-- मेरा यह कहना है कि इस विभाग का औचित्य इस तरह से नहीं है. जो प्रतिभा पर्व है उसी दिन आप दुबारा दूसरा खेल कर रहे हैं. बिना कारण से लोगों का ध्यान भटकाने, विषयान्तर करने के लिए करना चाह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- यह तो आपका ओपीनियन है.
श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, यह जो आपत्ति है, जो आरोप है यह बिलकुल निराधार है. प्रतिभा पर्व की अगर तारीखें टकरा गई हैं तो वहां पंचायतों ने या समन्वय करने वाले व्यक्ति ने उन तारीखों से अलग हटकर कार्यक्रम तय किए. इसीलिए 14 से 21 के बीच में कार्यक्रम तय किए. उनकी तारीखें आप देख लीजिए पूरे परिपत्र में अलग-अलग हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत साफ मानना है कि मध्यप्रदेश में सामाजिक सरोकार के भी कार्यक्रम होने चाहिए. बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जिनके पास बहुत सारे साधन ज्यादा हैं लेकिन क्या गरीब लोगों को उनके जीवन में भी कुछ अच्छा महसूस हो कि हमारे समाज में सक्षम लोग हमारे साथ खड़े हैं, यह आनन्द का अनुभव उनको होना चाहिए. अगर यह कार्यक्रम किया तो सरकार ने इसमें कौन सा पैसा लगाया?
अध्यक्ष महोदय, अगर हमने किसी मंत्रालय को खोला है तो स्वाभाविक है उसको बजट देंगे. उसमें कर्मचारी भी होंगे, उसमें सुविधाएं भी लगेगीं. उसका कार्यालय भी होगा. उनको हम पैसा देंगे. अध्यक्ष जी, इसमें सिर्फ 2 करोड़ रुपये का बजट रखा है. केवल विभाग खोल कर सरकार वाहवाही लूट रही है, ऐसा नहीं है. आम आदमी को यह महसूस हो सके कि सरकार जो अच्छा कर रही है, उसका आनन्द महसूस कर सके. इसमें देश के बहुत बड़े बड़े लोग श्री पंजा और अनुपम मिश्र जैसे लोगों को इसमें रखा गया है. इसके पीछे मुख्यमंत्री जी का उद्देश्य साफ है कि लोगों के जीवन में आनन्द महसूस हो और सरकार इस ओर और अच्छा करती चली जाए.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, मेरा भी प्रश्न था. यदि आप अनुमति दें तो मैं प्रश्न करना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, आनन्द विभाग का बजट 2 करोड़ रुपये था लेकिन अलग अलग विभागों ने जैसे पंचायत विभाग ने 11.41 करोड़ रुपये खर्च किए.
अध्यक्ष महोदय-- इसी प्रश्न से संबंधित हो तो प्रश्न करें.
श्री बाला बच्चन-- इसी प्रश्न से संबंधित है. मेरा प्रश्न क्र. 3621 है जिसका जिक्र सौरभ जी ने किया था. मैं यह पूछना चाह रहा हूं कि आनन्द विभाग का बजट मात्र 2 करोड़ रुपये था लेकिन पंचायत विभाग ने, जनपद पंचायतों के माध्यम से 11.41 करोड़ रुपये आनन्द से संबंधित कार्यक्रम कराए उसी पर खर्च किए हैं और अन्य विभाग भी खर्च कर रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि अभी तक इसका क्या रिजल्ट मिला है? कितने लोग आनन्दित हुए हैं? और लोगों द्वारा किस किस प्रकार का आनन्द महसूस किया गया वह जानना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय--यह कोई प्रश्न नहीं है.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- यह अपने आप में आनन्द है.(हंसी)
श्री लाल सिंह आर्य--अध्यक्ष जी, जो अनुसूचित जाति,जनजाति बाहुल्य पंचायतें हैं जो गरीब गांव हैं जिनमें कभी कोई सांस्कृतिक गतिविधियां शासन के हिसाब से आयोजित नहीं होती थी. कभी उनको किसी प्रतियोगिता में पुरस्कार मिल जाता होगा. लेकिन उन्होंने महसूस किया कि कोई सरकार है जो हमको सम्मानित कर रही है और हमारे लिए कार्यक्रम आयोजित कर रही है. अध्यक्ष महोदय, 51 जिलों में लोगों ने इसको महसूस किया है. समाचार पत्रों की सुर्खियां बनी हैं और टेलीविज़न पर भी इसको दिखाया गया.
13वें वित्त आयोग से स्वीकृत राशि
[संस्कृति]
3. ( *क्र. 264 ) श्री जितेन्द्र गेहलोत : क्या राज्यमंत्री, संस्कृति महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 13वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के तहत भारत शासन द्वारा वर्ष 2011 से अब तक किन-किन कार्यों हेतु कितनी-कितनी राशि स्वीकृत हुई व कितनी प्राप्त्ा हुई? वर्षवार ब्यौरा दें। (ख) प्रश्नांश (क) के तहत स्वीकृत राशि से क्या-क्या कार्य करवाये गये? कितने एवं कौन-कौन से स्मारक अनुरक्षण पर कितनी-कितनी राशि व्यय की गई? (ग) केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृत कितनी राशि का उपयोग अब तक नहीं किया जा सका व किस कारण?
राज्यमंत्री, संस्कृति ( श्री सुरेन्द्र पटवा ) : (क) 13वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के अंतर्गत स्मारकों के अनुरक्षण एवं विकास कार्य, संग्रहालयों के उन्नयन एवं विविध कार्यों हेतु वर्ष 2011 से अब तक राशि रूपये 157.50 करोड़ भारत शासन द्वारा स्वीकृत की गई एवं प्राप्त हुई। स्वीकृत एवं प्राप्त राशि का ब्यौरा/जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार। (ख) प्रश्नांश (क) के तहत स्वीकृत राशि से कराये गये कार्य तथ स्मारकों के अनुरक्षण एवं विकास कार्य, संग्रहालयों के उन्नयन एवं विविध कार्यों पर व्यय की गई राशि की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार। (ग) 13वें वित्त आयोग की अनुशंसाओं के अंतर्गत केन्द्र सरकार द्वारा राशि रूपये 157.50 करोड़ की स्वीकृत की गई। इस राशि में से अब तक राशि रूपये 84.45 करोड़ व्यय की गई तथा शेष राशि रूपये 73.05 करोड़ से अनुरक्षण कार्यों की कार्यवाही प्रचलन में है।
श्री जितेन्द्र गेहलोत - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री महोदय जी को और मध्यप्रदेश सरकार को इस बात के लिये धन्यवाद देना चाहता हूं कि पुरातत्व विभाग के अंतर्गत महिदपुर में "चेन" किले को यूनेस्को द्वारा अवार्ड दिया गया, लेकिन मैंने जो प्रश्न पूछा था कि वर्ष 2011-2015 तक केन्द्र सरकार से तेरहवें वित्त आयोग की राशि कब-कब आई ? मंत्री जी ने मुझे इसका पूरा जवाब दिया है लेकिन जो राशि 73 करोड़ रुपये शेष बची है उस राशि से मेरे आलोट विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत जो कई पुरातत्व विभाग की इमारतें हैं, पहाड़ हैं, मंदिर हैं, उसको क्या इसमें सम्मिलित किया जायेगा, जैसे किशनगढ़ बाधवा माता,अनादि कल्पेश्वर महादेव,क्षीपावरा महादेव मंदिर और मनोनिया,यह धरोहरें जीर्णशीर्ण हो गई हैं इस राशि से उनकी मरम्मत हो सकती है.
श्री सुरेन्द्र पटवा - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो अपनी मांग रखी है तो तेरहवें वित्त आयोग में लगभग 157 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई थी जिसमें से 84 करोड़ रुपये के काम लगभग पूर्ण हो गये हैं और 73 करोड़ रुपये के काम पहले से प्रक्रिया में हैं, उनके टेंडर वगैरह बुला लिये गये हैं, लेकिन जैसा विधायक जी ने कहा, आलोट के कामों की उनकी जो लिस्ट है, उसका परीक्षण करा लिया जायेगा. इस राशि से वह काम नहीं हो सकते लेकिन उसके बाद भी पुरातत्व विभाग द्वारा उसकी परीक्षण कराकर जहां आवश्यक्ता होगी उसके अनुसार काम करा लिया जायेगा.
श्री जितेन्द्र गेहलोत - धन्यवाद अध्यक्ष जी.
जाति प्रमाण पत्रों का सत्यापन
[सामान्य प्रशासन]
4. ( *क्र. 4544 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता सदस्य का विधानसभा प्रश्न क्रमांक 5235, दिनांक 11/03/2016 के प्रश्नांश (ख) एवं (ड.) एवं प्रश्न क्रमांक 1400, दिनांक 06/12/2016 की एकत्रित जानकारी क्या है? (ख) कटनी जिले में अनुविभागवार कितने जाति प्रमाण दायरा पंजी में दर्ज हैं? कितने जाति प्रमाण-पत्र समग्र पोर्टल पर दिनांक 27/02/2016 के पश्चात् दर्ज कर प्रश्न दिनांक तक सत्यापित किये गये, कितने प्रमाण-पत्र किन कारणों से सत्यापित किया जाना शेष हैं? (ग) जाति प्रमाण-पत्र अभियान में कटनी तहसील के किन-किन विद्यालयों के आवेदन लोक सेवा केन्द्र से ऑनलाईन दर्ज किये गये? पात्र पाये गये आवेदनों का कब-कब डिस्पोजल किया गया? प्रमाण-पत्र कब-कब वितरित किये गये? विद्यालयवार बतायें। (घ) कटनी नगर के किन-किन विद्यालयों के आवेदन अभियान के तहत किन-किन कारणों से अब तक जमा नहीं हुये? क्या इन विद्यालयों को अभियान से पृथक रखा गया था? यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो आवेदन जमा न होने के कारण बतायें और क्या इस संबंध में अभिभावकों द्वारा समाधान पोर्टल पर शिकायत की गई है? यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक किया गया निराकरण क्या था? (ड.) प्रश्नांश (घ) के इन विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के जाति प्रमाण-पत्र, अभियान के तहत बनवाये जाने की एवं प्रश्न में उपस्थित तथ्यों पर संज्ञान लेते हुये कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो क्या एवं कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) प्रश्न क्रमांक 5235 का प्रेषित उत्तर पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' अनुसार है तथा प्रश्न क्रमांक 1400 के संबंध में कलेक्टर, कटनी से प्राप्त जानकारी परीक्षणाधीन है। (ख) जानकारी निम्नानुसार है :-
अनुविभाग का नाम |
पंजी में दर्ज |
सत्यापित जाति प्रमाण-पत्र |
सत्यापन हेतु शेष |
कटनी, रीठी, बड़वारा |
47676 |
466 |
47210 |
विजयराघवगढ़ |
4884 |
0 |
4884 |
ढीमरखेड़ा |
10808 |
0 |
10808 |
बहोरीबंद |
16927 |
1771 |
15156 |
(ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' अनुसार है। (घ) कटनी नगर के सभी विद्यालयों के जाति प्रमाण-पत्र हेतु आवेदन तहसील कार्यालय/राजस्व शिविरों में जमा किये गये हैं। जिन आवेदन पत्रों में आवश्यक दस्तावेजों की प्रतिपूर्ति नहीं की गई है। उन्हें वापस कर आवश्यक दस्तावेजों की पूर्ति कर पुन: जमा करने हेतु प्रेरित किया गया है। किसी भी विद्यालयों को अभियान से पृथक नहीं रखा गया है। केन्द्रीय विद्यालय आर्डीनेंस फैक्ट्री द्वारा छात्रों के आवेदन जमा नहीं किये गये। समाधान पोर्टल में शिकायत क्रमांक 10104323 दर्ज हुई थी जो सत्य पाई गई जिस पर प्राचार्य के असहयोग रवैये की जानकारी के संबंध में क्षेत्रीय संगठन अधिकारी, अजमेर को आवश्यक कार्यवाही हेतु पत्र प्रेषित किया गया है। (ड.) विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के जाति प्रमाण-पत्र अभियान के तहत निरंतर सत्र दर सत्र लिये जा रहे हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को मैं धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने विस्तृत एवं संतुष्टिकारक उत्तर दिया. मैं सिर्फ इतना चाहूंगा कि कई जगह बच्चों से स्कूल में प्रमाणपत्र बनाने का शुल्क लिया गया और भी कई कारण हैं, तो क्या इस लापरवाही की जांच कलेक्टर कटनी से कराएंगे, एवं उसमे मेरे द्वारा उठाये गये प्रश्नों को ध्यान में रखते हुए उनको जांच में शामिल करेंगे ? और दो या तीन महीने की निश्चित समय अवधि में, चाहें वार्डवार या पंचायतवार शिविर लगाकर जाति प्रमाणपत्र बनाने की कार्यवाही करेंगे ?
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसी माननीय सदस्य की भावना है वह हजारों अनुसूचित जाति,जनजाति,घुमक्कड़,अर्द्धघुमक्कड़ बच्चों के संदर्भ में है. मैं उन्हें आश्वस्त करता हूं कि इसका हम परीक्षण करा लेंगे और जो भी शेष प्रमाणपत्र बनने के लिये रह गये हैं उसको एक अभियान के तौर पर लेकर हम पूरा करा लेंगे.
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय,कलेक्टर के माध्यम से जांच होगी तो उसमें मेरे द्वारा जो उठाये गये बिन्दुओं को भी सुना जाये, ऐसे आदेश कृपया दे दें.
श्री लालसिंह आर्य - जो आपने बोला मैंने उस पर अपनी सहमति दी है.
विभाग द्वारा पारित शासकीय संकल्प के अनुरूप कार्यवाही
[महिला एवं बाल विकास]
5. ( *क्र. 2552 ) श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) वर्ष 2013 में विधानसभा द्वारा पारित शासकीय संकल्प के अनुसार महिला बाल विकास विभाग से संबंधित क्या-क्या सुविधाएं देने का निर्णय लिया गया है? संकल्प की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के पालन में विधानसभा क्षेत्र-07 दिमनी जिला मुरैना में जनवरी 2014 से जनवरी 2016 तक संकल्प के निर्णय के अनुसार क्या-क्या कार्य किये गये, की विस्तार पूर्वक जानकारी दी जावे? संकल्प के अनुसार कार्य नहीं किये या नहीं हो सकने के क्या कारण हैं?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) म.प्र. से संबंधित जनसंकल्प की अ़द्यतन जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में विधानसभा क्षेत्र दिमनी में किये गए कार्य का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। पारित संकल्प क्षेत्र विशेष हेतु निर्धारित नहीं है। अतः शेष का प्रश्न नहीं है। सतत् प्रक्रिया है।
श्री बलबीर सिंह डण्डौतिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी के जवाब से मैं पूर्णत: संतुष्ट हूं और यह चाहता हूं कि मेरे यहां आंगनवाड़ियों की कमी है तो वहां आंगनवाड़ियां देने की कृपा करें.
श्रीमती अर्चना चिटनिस - माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां-जहां आंगनवाड़ियां बहुत आवश्यक हैं, माननीय सदस्य मुझे बताएं, मैं उसको करने का प्रयास करूंगी.
अध्यक्ष महोदय - जहां आप कहेंगे वहां बन जायेगी.
नर्मदा नदी से सामूहिक/माइक्रो सिंचाई परियोजनाओं की स्वीकृति
[नर्मदा घाटी विकास]
6. ( *क्र. 1320 ) श्री राजकुमार मेव : क्या राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या विभाग द्वारा किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु नर्मदा नदी से सामूहिक सिंचाई एवं माइक्रो सिंचाई परियोजनाएं तैयार कर स्वीकृत करने की कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो वर्ष 2016-17 में प्रदेश में कौन-कौन सी सिंचाई परियोजनाएं कितनी लागत की स्वीकृत की गई हैं? (ख) क्या खरगोन जिले में महेश्वर विधानसभा क्षेत्र की जनपद पंचायत महेश्वर एवं बड़वाह के किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु कोई नई परियोजना स्वीकृति हेतु प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो कौन-कौन सी? (ग) क्या प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संबंध में महेश्वर विधानसभा की जनपद पंचायत महेश्वर एवं बड़वाह के क्षेत्र बड़कीचौकी, कवाणा, घटयावैड़ी रामदढ़ बलसगांव आशाखो पेमपुरा करोंदियाखूर्द हाथीदग्गड़ जिरात रोस्याबारी बाकानेर कुसुम्भ्या भवनतलाई छोटाभेडल्या बड़ाभेडल्या हेलाबाबर आदि के किसानों की कृषि सिंचाई हेतु सुविधा उपलब्ध नहीं है? यदि हाँ, तो कार्ययोजना तैयार की गई है? यदि नहीं, तो कारण बतावें। (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में ग्राम के किसानों एवं प्रश्नकर्ता द्वारा सिंचाई परियोजना स्वीकृति हेतु कब-कब प्रस्ताव दिये गये? उन पर विभाग द्वारा कब तक कार्य योजना तैयार कर परियोजना की स्वीकृति हेतु कार्यवाही की जावेगी?
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास ( श्री लालसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) बलवाडा उद्वहन सिंचाई योजना स्वीकृत है। (ग) जी हाँ। ओंकारेश्वर जलाशय के वर्तमान में जल के अधिकतम स्तर से ओंकारेश्वर परियोजना की नहरों से इन ग्रामों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु नहर में अतिरिक्त जल उपलब्ध नहीं है। नर्मदा नदी से जल उद्वहन कर इस क्षेत्र में सिंचाई करना वित्तीय दृष्टि से साध्य नहीं है। (घ) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
श्री राजकुमार मेव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी को और मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने बलवाड़ा माईक्रो सिंचाई परियोजना महेश्वर क्षेत्र में मंजूर की है, लेकिन इतना कहना चाहूंगा कि कुछ अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति के ग्राम वहां छूट रहे हैं, उन गांवों को भी इसमें जोड़ने का प्रयास किया जाये और उन गांवों को भी सिंचित किया जाये.
श्री लालसिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, निमाड़ का क्षेत्र ड्राई था. माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में नर्मदा घाटी विकास विभाग ने एक-एक इंच जमीन पर सिंचाई करने का पहले ही उद्देश्य रखा है और इसीलिये बहुत सी योजनाएं हमने स्वीकृत की हैं. आपने कुछ गांव प्रश्न में बताए हैं, साध्यता के तहत् वह आ रहे हैं या नहीं इसको हमको देखना पड़ेगा क्योंकि वहां बहुत सारा इलाका पठारी है और कभी-कभी ऐसा होता है कि हमने जो नहरें बनाईं हैं उसकी क्षमता जितनी है उससे अतिरिक्त पानी देने में कहीं न कहीं दिक्कत आती है लेकिन फिर भी हम जल संसाधन विभाग से बातचीत कर लेंगे. कोई ऐसा रास्ता निकलता होगा तो मुझे लगता है उसमें कोई दिक्कत नहीं है हम उसको दिखवा लेंगे.
श्री राजकुमार मेव - मंत्री जी उसका परीक्षण हो जाये. धन्यवाद मंत्री जी,धन्यवाद अध्यक्ष जी.
पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस पर वेट टैक्स
[वाणिज्यिक कर]
7. ( *क्र. 4147 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या देश के अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश में पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस पर सबसे अधिक वेट टैक्स लगाया जाता है? यदि हाँ, तो पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस पर किन-किन दरों पर टैक्स लगाया जाता है? (ख) देश की सार्वजनिक क्षेत्र की किन-किन पेट्रोलियम कंपनियों से मध्यप्रदेश में पेट्रोलियम पदार्थ बुलाये जाते हैं? उन पेट्रोलियम कंपनियों से प्रदेश सरकार को पेट्रोल तथा डीजल कितने रूपये प्रति लीटर में प्राप्त हो रहा है तथा वे उपभोक्ताओं को कितने रूपये में बेच रहे हैं?
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) अन्य राज्यों में लागू वेट की दरें विभाग द्वारा संधारित नहीं की जाती हैं। प्रदेश में पेट्रोल, डीजल एवं रसोई गैस पर अधिरोपित टैक्स की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां मेसर्स इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लिमिटेड, मेसर्स हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड एवं मेसर्स भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड हैं। पेट्रोल एवं डीजल प्रतिलीटर कितने रूपये में प्राप्त किया जाता है तथा उपभोक्ताओं को कितने रूपये प्रतिलीटर विक्रय किया जाता है, यह जानकारी विभाग द्वारा संधारित नहीं की जाती है।
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने मेरे प्रश्न में माननीय मंत्री जी से यह पूछा था कि क्या बाकी राज्यों की तुलना में पेट्रोल और डीजल पर वैट दर जो मध्यप्रदेश में लगती है क्या वह सबसे अधिक है. मुझे इस बात का आश्चर्य है कि उत्तर में यह दिया गया है कि यह जानकारी संधारित नहीं की जाती है. जबकि वाणिज्यक कर विभाग के पास और विधान सभा के पास अन्य ऐसे साधन है जिसके द्वारा यह जानकारी आसानी से मिल सकती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर भी मैंने कल शाम को लगभग आधे घंटे में पूरी जानकारी एकत्रित कर ली है और उसके द्वारा यह बात स्पष्ट होती है कि जो उत्तर में दी गई वैट दर हैं. पैट्रोल पर 31 प्रतिशत मूल्य आधारित और उसके साथ प्रति लीटर पर 4 रूपये अतिरिक्त दर लगती है. इसी तरह डीजल पर 27 प्रतिशत मूल्य आधारित और उसके ऊपर डेढ़ रूपये प्रति लीटर लगता है. इसके द्वारा मध्यप्रदेश का पेट्रोल प्राइज करीब 78 रूपये प्रति लीटर और डीजल का 66 रूपये प्रति लीटर है, जो पूरे देश में सबसे अधिक है. जबकि माननीय मुख्यमंत्री जी बात करते हैं कि सरकार किसानों के हित में काम कर रही है, गरीबों के हित में काम कर रही है फिर भी सबसे अधिक रेट मध्यप्रदेश का है. आप इसकी तुलना राजस्थान के साथ कीजिये जहां पर 5 रूपये का अंतर है. छत्तीसगढ़ में 72 रूपये प्रति लीटर पेट्रोल बिकता है, 6 रूपये का अंतर है. उसी प्रकार गुजरात में डीजल मिलता है 60 रूपये में और मध्यप्रदेश में मिलता है 66 रूपये में. मेरा माननीय मंत्री जी से यही प्रश्न है कि क्या आप इसके रेट कम करने का विचार करेंगे ? चुनाव भी आने वाले हैं और वैसे भी जनता परेशान है.
श्री जयंत मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमको भी बहुत तकलीफ होती है जब रेट बढ़ाते हैं, परंतु हरेक प्रदेश की अपनी अलग स्थिति होती है. हमारा राज्य एक ऐसा राज्य है जहां रेवेन्यू कलेक्शन के बहुत अधिक संसाधन नहीं हैं और जो दूसरी मेन्यूफेक्चरिंग स्टेट्स हैं, दिल्ली है, हरियाणा है, महाराष्ट्र है, आंध्रप्रदेश है यहां पर और भी जगह से स्रोत होते हैं जहां से वह अपनी राजस्व की आय इकट्ठा करते हैं इसलिये हमारे पास साधन कम होने से न चाहते हुये भी हमें यह रेट रखना पड़ रहे हैं.
श्री जयवर्द्धन सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरे 2 और पाइंट्स हैं. माननीय मंत्री ने रेवेन्यू लॉस के बारे में जो बात कही है, इसमें आप से यह निवेदन है कि ऐसी स्टडी की जाये कि आसपास के जो राज्य हैं, हम बात करें गुजरात के बारे में, हम बात करें महाराष्ट्र के बारे में, हम बात करें उत्तर प्रदेश के बारे में, राजस्थान के बारे में, जो रेवेन्यू लॉस उन ट्रक्स के द्वारा होता है जो ट्रक वाले मध्यप्रदेश में डीजल नहीं भरवाते हैं, सीमा के उस पार जो भी पम्प मिल जाता है वहां भरवाते हैं तो मेरे अनुसार इसमें हजारों करोड़ रूपये का घाटा प्रदेश को ही होता है, इसके बारे में स्टडी की जाये.
श्री जयंत मलैया-- अध्यक्ष महोदय, हमने इसका विश्लेषण कराया है और डीजल की खपत जैसे जनवरी 2016 तक, वर्ष 2015-2016 के 10 माह में 3379313 किलो लीटर हुई थी जो इस वर्ष जनवरी 2017 तक 3433448 किलो लीटर हुई जो कि 1.60 प्रतिशत की वृद्धि है. अगर इसी को हम रूपयों में लें तो डीजल से गतवर्ष जनवरी तक जहां हमें 3932.3 करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ, इस वर्ष जनवरी 2017 तक हमें 4884.94 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ जो कि पिछली बार से 21.68 प्रतिशत अधिक है. इसी प्रकार आप अगर पेट्रोल में देखेंगे तो इसमें भी हमारी खपत लगभग 30 प्रतिशत बढ़ी है. ऐसा नहीं है कि पड़ोस के राज्य में दाम कम होने से हमारा नुकसान हो रहा है बल्कि बढो़त्तरी ही हो रही है.
श्री जयवर्द्धन सिंह --माननीय अध्यक्ष महोदय, इस संबंध में भी मेरे पास में एक सुझाव है कि नवम्बर, 2014 में जो एक्साइज ड्यूटी पेट्रोल पर केन्द्र के द्वारा लगती थी वह 9 रूपये प्रति लीटर थी और डीजल पर 3 रूपये प्रति लीटर थी. पिछले तीन सालों में जो वृद्धि हुई है वह इस प्रकार है पेट्रोल पर 21 रूपये प्रति लीटर और डीजल पर 17 रूपये प्रति लीटर. जबकि उस समय क्रूड का प्राईज लगभग 100 डॉलर प्रति बैरल था. मैंने आज ही चेक किया है. आज की स्थिति में क्रूड का प्राईज लगभग 50 डॉलर प्रति बैरल है. जो क्रूड आयल प्रति लीटर आता है वह लगभग 20 से 25 रूपये प्रति लीटर आता है उत्पाद में जो एन्ट्री टैक्स लगता है रिफायनरी प्रोसेसिंग मार्जिन होता है, लेंडिंग कास्ट होता है, ओएमसी मार्जिन और ट्रांसपोटेशन फेट कास्ट होता है उसके बाद भी मुश्किल से रिफायनिंग पेट्रोय या डीजल का कास्ट होता है वह लगभग 30 रूपये होता है .मेरा कहने का मतलब यह है कि जब 30 रूपये में डीजल या पेट्रोल का कास्ट आ रहा है तो फिर 70 रूपये मे मध्यप्रदेश में आप क्यों बेच रहे हैं, थोड़ा बहुत तो सरकार को इसकी कीमत कम करनी चाहिये. महाराष्ट्र, गुजरात से 2 अथवा 3 रूपये कम हो जाये.इसके बारे में मंत्री जी जानकारी दे दें.
अध्यक्ष महोदय- यह आपका सुझाव है, इसमें प्रश्न कहा हैं.
श्री जयंत मलैया--माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सी बातें माननीय सदस्य ने बताई हैं, इसमें अकेले यह नहीं और भी वेरीएशन हैं, क्रूड की इम्पोर्ट करने की, उसके ऊपर एक्साईज लगने की, इसके अलावा डॉलर का रेट रूपये का क्या होता है इसके ऊपर भी फर्क पड़ता है. इसके बाद डिस्टेंस के ऊपर भी फर्क पड़ता है. यह बहुत सारी वेरीएशंस है. आप देखेंगे कि एक ही शहर के अंदर एक जगह अलग दाम होता है दूसरी जगह दूसरी कंपनी का अलग दाम होता है. वेरीएशन रहता है जहां तक पेट्रोल और डीजल पर रेट कम करने की बात है फिलहाल इस बात का हमारा कोई ईरादा नहीं है .
(कांग्रेस पार्टी के कई सदस्यों द्वारा प्रश्न पूछने की अनुमति मांगने पर )
अध्यक्ष महोदय- अब क्या रह गया है. जयवर्द्धन जी को 3 प्रश्न एलाऊ कर दिये.
श्री मुकेश नायक --एक प्रश्न पूछना है अगर आप अनुमति दें तो.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर भी माननीय वित्त मंत्री जी इसमें केन्द्र सरकार से यह निवेदन कर सकते हैं कि उनकी एक्साइज ड्यूटी कम हो जाये.यह प्रयास तो कर ही सकते हैं.
श्री मुकेश नायक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि पूरे भारतवर्ष में मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा रेट पेट्रोल और डीजल के हैं और जो क्रूड आईल की प्राईज है उसके मुताबिक मध्यप्रदेश में पेट्रोल डीजल क्यों नहीं मिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय- अब बहुत चर्चा हो गई. अब नहीं. अन्य लोगों के भी प्रश्न हैं, उन्हें आने दीजिये.
श्री रामनिवास रावत- यह सरकार देश की जनता पर टैक्स लगा कर उनको लूट रही है. अध्यक्ष महोदय, आप भी चाहते हैं कि पेट्रोल डीजल सस्ता हो जाये.
डॉ.गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं वित्त मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में पेट्रोल और डीजल के रेट कम करने का आपका कोई ईरादा है क्या ? आप इसका जवाब दें. कुछ तो कम करें क्योंकि सबसे ज्यादा पेट्रोल और डीजल का उपयोग किसान करता है और किसानों की यह सरकार हितैषी है तो फिर किसानों को आत्महत्या करने के लिये क्यों मजबूर कर रहे हैं. आप थोड़ा तो कम करें.
श्री बाला बच्चन --माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न का प्रापर जवाब दिलवाईये. जवाब प्रापर नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय- जवाब आ गया है.
श्री बाला बच्चन- नहीं आया है . मंत्री जी बतायें कि क्या मध्यप्रदेश में पेट्रोल या डीजल की कीमतें कम होंगी.
श्री जयंत मलैया - जी नहीं.
बहिर्गमन
श्री बाला बच्चन, सदस्य के नेतृत्व में इंडियन नेश्नल कांग्रेस पार्टी के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन
श्री बाला बच्चन(राजपुर) -- जी नहीं तो हम आपके जवाब से संतुष्ट नहीं है और हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(श्री बाला बच्चन, सदस्य के नेतृत्व में इंडियन नेश्नल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
अन्य राज्यों को विद्युत का प्रदाय
[ऊर्जा]
8. ( *क्र. 4608 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. पॉवर सरप्लस राज्य बन गया है और दूसरे राज्यों को बिजली बेच रहा है? यदि हाँ, तो वर्ष 2013 से वर्ष 2016 तक वर्षवार कितने राज्यों को कितनी मात्रा में बिजली बेची गयी? (ख) प्रदेश में कृषि पंप हेतु किसानों को कितने घंटे बिजली दी जा रही है? (ग) प्रश्नांश (क) व (ख) की जानकारी अनुसार अगर प्रदेश दूसरे राज्यों को बिजली बेच रहा है तो प्रदेश के किसानों को कृषि कार्य हेतु 24 घंटे बिजली क्यों नहीं दी जा रही है?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) अटल ज्योति अभियान के अंतर्गत प्रदेश में कृषि कार्य हेतु प्रतिदिन 10 घंटे वि़द्युत प्रदाय किया जा रहा है। (ग) भूतल स्तर एवं विभिन्न फसलों के लिए पानी की आवश्यकता अनुसार कृषि कार्यों हेतु प्रतिदिन 10 घंटे विद्युत प्रदाय पर्याप्त है। वर्तमान में भूजल एवं सतही जल का संरक्षण भी एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
श्री गिरीश भंडारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्न था वह इस बात को लेकर के था कि कृषि क्षेत्र में कितनी बिजली, किस किस समय और कितने घण्टे दी जाती है. प्रश्न के उत्तर में मुझे बताया है कि 10 घण्टे कृषि पंप के लिये बिजली दी जाती है लेकिन उसका समय नहीं बताया कि किस समय में वह 10 घण्टे बिजली किस समय प्रदाय की जाती है. इसके साथ मेरा एक और प्रश्न है कि फाल्ट की वजह से, तार टूटने की वजह से, मेन्टेनेंस की वजह से जिस दिन 10 घंटे बिजली नहीं दी जाती है, क्या उसकी पूर्ति दूसरे दिन करने का कोई प्रावधान है.
श्री पारस चन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्तमान में कृषि क्षेत्र को दो समूह में क्रमश: 6 घंटे व 4 घंटे विद्युत देने का प्रावधान है.
श्री गिरीश भंडारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और प्रश्न था, उसमें माननीय मंत्री जी ने ध्यान नहीं दिया, प्रतिदिन 10 घंटे कृषि क्षेत्र में बिजली दी जाती है, मेरा प्रश्न है कि जिस दिन फाल्ट की वजह से, तार टूटने की वजह से, मेन्टेनेंस की वजह से जिस दिन 10 घंटे बिजली नहीं दी जाती है, क्या उसकी पूर्ति दूसरे दिन की जाती है या कटौती की गई बिजली को दूसरे दिन देने का कोई प्रावधान है.
श्री पारस चन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के समय में तो इतनी भी बिजली नहीं मिलती थी.
श्री गिरीश भंडारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कोई प्रश्न का उत्तर नहीं है कि कांग्रेस के समय बिजली इतनी भी नहीं मिलती थी. मेरा स्पष्ट प्रश्न है कि 10 घंटे बिजली देने की बात की गई तो क्या बिजली 10 घंटे दी जाती है? (व्यवधान...)
राज्यमंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) - माननीय सदस्य आप डांट कैसे रहे हो, थोड़ा मर्यादा का ध्यान तो रखें.
श्री बाला बच्चन - मंत्री जी, सही जवाब नहीं मिलेगा तो डांट तो सुनने को मिलेगी.
श्री पारस चन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई कड़वी बात कह दो तो सभी लोग एक साथ बोलने लग जाते हैं, कबूलते भी नहीं है. बिजली सप्लाई में यदि कोई व्यवधान होता है तो अलग से बिजली की पूर्ति करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है.
श्री गिरीश भंडारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर शासन की जो घोषणा है कि 10 घंटे प्रतिदिन बिजली दी जाती है, तो क्या शासन अपनी घोषणा से मुकर रहा है.
श्री पारस चन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे मुख्यमंत्री जी ने जो घोषणा की है, (श्री जितू पटवारी के खड़े होने पर) बैठे तो सही, आप चाहे जब खड़े हो जाते हैं, मेरे ख्याल से यह कल्पना परूलेकर जी की सीट तो नहीं है, कृपया यह सीट बदल दो अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है. (हंसी...)मुख्यमंत्री जी ने जो घोषणा की है उसके तहत 10 घंटे प्रतिदिन बिजली दी जा रही है, यदि कोई फाल्ट हो जाता है तो उसको हाथों-हाथ सुधारने की भी योजना है.
श्री गिरीश भंडारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है. मैंने कहा है कि प्रतिदिन 10 घंटे कृषि क्षेत्र में बिजली दी जाती है, जिस दिन फाल्ट की वजह से, तार टूटने की वजह से, मेन्टेनेंस की वजह से जिस दिन 10 घंटे बिजली नहीं दी जाती है, क्या उसकी पूर्ति दूसरे दिन की जाती है या कटौती की गई बिजली को दूसरे दिन देने का कोई प्रावधान है.
अध्यक्ष महोदय - उसका जवाब तो आ गया, मंत्री जी ने बोल तो दिया, मंत्री जी एक बार और कह दो.
श्री पारस चन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, हम प्रतिदिन 10 घंटे बिजली दे रहे हैं, जिस दिन किसी गड़बड़ी के कारण बिजली नहीं दी जाती है तो उसकी पूर्ति दूसरे दिन बिजली देने का कोई प्रावधान नहीं है.
श्री गिरीश भंडारी - मंत्री जी, दूसरे दिन बिजली नहीं देंगे, किसी भी दिन काट दो बिजली, कोई बिजली देने का प्रावधान नहीं है, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री इस बारे में क्यों असत्य घोषणा करते हैं.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, कई क्षेत्रों में किसानों को 10 घंटे बिजली नहीं दी जा रही है, जब सरकार की घोषणा है तो माननीय मंत्री जी निर्देश तो जारी कर दें कि प्रदेश के किसानों को 10 घंटे बिजली देना सुनिश्चित करें.
ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण आहार वितरण की व्यवस्था
[महिला एवं बाल विकास]
9. ( *क्र. 5642 ) श्री दीवानसिंह विट्ठल पटेल : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) ग्रामीण क्षेत्रों में पोषण आहार वितरण की क्या व्यवस्था है? नियमों की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) विधानसभा क्षेत्र पानसेमल में क्या आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पोषण आहार प्रदाय कर रहे समूहों के विरुद्ध लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही हैं? यदि हाँ, तो वित्तीय वर्ष 2016-17 में प्राप्त कुल शिकायतें और उन पर की गई कार्यवाही का विवरण देवें? (ग) क्या विभाग के द्वारा आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पोषण आहार वितरण व्यवस्था के सुधार हेतु कोई कार्ययोजना है? यदि हाँ, तो उसका क्रियान्वयन कब प्रारम्भ हो जावेगा?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) ग्रामीण क्षेत्रों में विभाग के निर्देशानुसार वर्तमान में 03 वर्ष से 06 वर्ष तक के बच्चों को पूरक पोषण आहार की व्यवस्था सांझा चूल्हा कार्यक्रम तहत् मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम अंतर्गत कार्यरत स्व सहायता समूहों के माध्यम से तथा 06 माह से 03 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती धात्री माताओं एवं किशोरी बालिकाओं को टेकहोम राशन के रूप में पूरक पोषण आहार की व्यवस्था एम.पी. एग्रो के माध्यम से संचालित की जाती है। विभाग के निर्देश की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। पानसेमल विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत आंगनवाड़ी केन्द्रों पर सांझा चूल्हा कार्यक्रम अन्तर्गत नाश्ता एवं भोजन का प्रदाय करने वाले स्व सहायता समूह के विरूद्ध कोई भी शिकायत वर्ष 2016-17 में प्राप्त नहीं हुई है। (ग) राज्य शासन द्वारा भारत सरकार महिला बाल विकास एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप पूरक पोषण आहार वितरण व्यवस्था के विस्तृत निर्देश जारी किए जा चुके हैं। निर्देशों के अनुसार ही वर्तमान में प्रदेश की आंगनवाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार का वितरण किया जा रहा है। विभाग द्वारा इसकी सतत् मॉनिटरिंग की जा रही है। वर्तमान में स्व सहायता समूहों के देयकों के भुगतान की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है। परियोजना स्तर एवं आंगनवाड़ी केन्द्र स्तर पर पृथक-पृथक टेकहोम राशन प्राप्ति एवं वितरण व्यवस्था का पंचनामा तैयार किया जा रहा है।
श्री दीवानसिंह विट्ठल पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया से यह जानना चाहता हूं कि मेरा आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण आहार वितरण और सांझा चूल्हा के संबंध में प्रश्न है, मेरे पास पोषण आहरण वितरण के संबंध में सभी विवरण आ गये हैं . लेकिन मैं यह जानना चाहता हूं कि जिस तरह से आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हो रहे हैं और विवरण के आधार पर सात दिन का पोषण आहार गर्भवती माताओं बहनो और बच्चों को जो पोषण आहर नाश्ते और भोजन के रूप में मिल रहा है , मैं भी अपने क्षेत्र में दौरे के दौरान देखता हूं कि जो पोषण आहार भोजन और नाश्ते के रूप में मिलना चाहिए और वह प्रतिदिन के मीनू के आधार पर नहीं मिल रहा है. इस तरह की शिकायत ग्रामीण जनता की ओर से भी मिली है. साथ ही मुझे आंगनवाड़ी केंद्र से भी यह जानकारियां मिली है. मैंने इसकी शिकायत जिले के जिलाधिकारी से भी की, मंत्री जी से भी की और साथ में इस तरह की जो शिकायत आई है, वह मैंने मंत्री जी को भी दी है. मैं मंत्री जी से यह जानना चाहूंगा कि ऐसे 16 बिन्दुओं की जो शिकायत है और साथ ही जो पर्यवेक्षिका है, श्रीमती चंद्रकाता जैन एवं श्री आर्य, परियोजना अधिकारी, क्या इनके खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही उनको हटाकर की जायेगी.
श्रीमती अर्चना चिटनिस -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से इस विषय में दो बातें माननीय सदस्य और सदन को कहना चाहती हूं कि पर्टिक्यूलरली आप अपने विधान सभा क्षेत्र और जिले के बारे में जो बात कर रहे हैं, आपकी उपस्थिति में उच्च अधिकारी से जांच कराकर एक हफ्ते के अंदर दोषी पाये गये अधिकारी/ कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करुंगी. दूसरी बात में जो कहना चाह रही हूं कि यह जो सांझा चूल्हा की व्यवस्था पर माननीय सदस्य बात कहना चाह रहे हैं, वह ग्रामीण विकास विभाग सांझा चूल्हा का संचालन करता है, स्कूल शिक्षा और महिला एवं बाल विकास विभाग को अपनी सर्विसेस देता है. वित्त मंत्री जी हमारे बीच में उपस्थित हैं, मेरी वित्त मंत्री जी से चर्चा हुई है, उनकी उपस्थिति में तीनों विभागों की एक बैठक करके इस व्यवस्था को सुदृढ़ और सुव्यवस्थित करने के लिये अतिशीघ्र हम सब मिलकर प्रयास करेंगे.
श्री दीवान विट्ठल सिंह पटेल -- मंत्री जी, बहुत बहुत धन्यवाद.
विभागीय परीक्षाओं के मापदण्ड
[सामान्य प्रशासन]
10. ( *क्र. 5566 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा आयोजित विभागीय परीक्षाओं में अन्य विभागों के लिपिक वर्गीय कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं? (ख) म.प्र. शासन की अधिसूचना क्रमांक 2377/ ए-3-दिनांक 17/3/1977 के अनुसार क्या अन्य विभागों के शासकीय/अर्द्धशासकीय/निगम मण्डल/शासन के बोर्ड जैसे मण्डी बोर्ड आदि के कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं। (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार यदि हाँ, तो छतरपुर जिले में अन्य विभागों के लिपिक वर्गीय कर्मचारियों के आवेदन आमंत्रित क्यों नहीं किये जाते? कलेक्ट्रेट छतरपुर में विगत वर्ष में उक्त विभागीय परीक्षा कब हुई? आवेदन पत्र बुलाये गये तो तिथिवार विगत एक वर्ष की जानकारी देवें। (घ) उक्त परीक्षाओं के क्या नियम हैं और कब से संचालित नहीं हो रही हैं, अगले सत्र की परीक्षा तिथि व आवेदन करने की तिथि की भी जानकारी देवें।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी नहीं। (ग) एवं (घ) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री आर.डी.प्रजापति -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जो जवाब दिया है, उससे मैं पूर्ण रुप से संतुष्ट हूं. हमारे मंत्री जी ऊर्जावान हैं, लेकिन मैं इससे संबंधित एक प्रश्न करना चाहता हूं कि जो विधायकों और सांसदों के पत्रों का जवाब मुख्यमंत्री जी, मंत्री गण और यहां के सीएस एवं पीएस सब जवाब दे देते हैं, लेकिन जिले में विशेषकर मेरे जिले में पत्रों का जवाब नहीं दिया जाता है. सामान्य प्रशासन से अभी एक निर्देश 27 फरवरी,2017 को गया है. इसके पहले 2004, 2007,2009 में दो आदेश,2011,2012,2014,2015 एवं 2016 में इतने निर्देश गये हैं और बार बार कहा जाता है कि हम निलम्बित कर देंगे. मैं मंत्री जी से एक ही निवेदन करना चाहता हूं कि अगर मेरे पत्रों का जवाब नहीं दिया है, तो क्या मंत्री जी उनको निलंबित करेंगे, चाहे भले क्यों न कलेक्टर हो.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न कुछ और है और पूरक प्रश्न और कुछ किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- आपका यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं होता.
श्री आर.डी.प्रजापति -- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न सामान्य प्रशासन विभाग का है. मेरा निवेदन है कि सामान्य प्रशासन विभाग के ऊर्जावान मंत्री जी हैं. हम यह कह रहे हैं कि जब आप बार-बार निर्देश दे रहे हैं, 11 बार निर्देश दिया गया है,लेकिन हमारे पत्रों को टोकनी में डाल दिया जाता है. एक भी पत्र का जवाब नहीं दिया जाता है. यह हम लोगों की बहुत प्रतिष्ठा का सवाल है कि यहां से निर्देश दिये जाते हैं, लेकिन वहां हम लोगों की बात सुनी नहीं जाती है और न ही उत्तर दिया जाता है.
अध्यक्ष महोदय -- यह विषय दूसरा है.
श्री आर.डी.प्रजापति -- अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यक्तिगत निवेदन है कि इस पर मेरे यहां जरुर कार्यवाही करवायें.
अध्यक्ष महोदय -- इस प्रश्न से यह उद्भूत नहीं होता है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, सत्ता पक्ष के विधायकों की यह स्थिति है. मंत्री जी, विधायकों का सम्मान करवाइये. 11 बार पत्र लिखा है और आप देख लीजिये आपके सत्ता पक्ष के विधायक कह रहे हैं. विधायक जी, आपका पूर्ण संतुष्टि का परसेंटेज खत्म हो गया. आपने बोला कि सौ प्रतिशत संतुष्ट हूं. 11 साल से आपके पत्रों का कलेक्टर जवाब नहीं दे रहे हैं. मंत्री जी, आप क्या कर रहे हैं और आपकी सरकार क्या कर रही है.
श्री आर.डी.प्रजापति -- अध्यक्ष महोदय, 11 साल नहीं, 11 लेटर सामान्य प्रशासन विभाग से जा चुके हैं. ऐसा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- 11 पत्र बोले हैं, 11 साल नहीं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, विधायकों की गरिमा का ध्यान दिलवाइये.
श्री आर.डी.प्रजापति -- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है कि यह जरुर विशेषकर छतरपुर कलेक्टर को कह दिया जाये.
अशोक नगर जिले में शासकीय भूमि पर अतिक्रमण
[सामान्य प्रशासन]
11. ( *क्र. 4830 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 06 दिसम्बर 2016 के परि.अता. प्रश्न संख्या 4 (क्र. 30) एवं प्रश्न संख्या 5 (क्र. 31) तथा दिनांक 01 अप्रैल 2016 के प्रश्न संख्या 2 (क्र. 6602) के संदर्भ में बतायें कि इस संबंध में 06 दिसम्बर 2016 के बाद आज तक जो कार्यवाही प्रचलन में थी, उसमें क्या प्रगति हुई? (ख) पत्रों व शिकायतों का विवरण देते हुये प्रश्नवार व पत्रवार शिकायतों की कार्यवाही में जो कार्यवाही प्रचलन में है? उसमें क्या कार्यवाही हुई?
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- अध्यक्ष महोदय, मैं पिछले 3 सालों से 4 सत्रों से यह प्रश्न कर रहा हूं ,आप देख लीजिये, प्रश्न संख्या और तारीख दे रखी है और हमेशा यह उत्तर आ रहा हूं कि कार्यवाही प्रचलन में है. भू-माफिया से जरा सी भी जमीन वापस नहीं ली गई है. इसमें जो पिपरई का उल्लेख है, पिपरई,हथईखेड़ा, भोसले का बाड़ा की करोड़ों रुपये की भूमियां कब्जे में है और राजस्व मंडल उन पर स्टे दे देता है. मेरा मंत्री जी से स्पेसीफिक प्रश्न है कि यह राजस्व मंडल जो है, ये जब आपके यहां आलरेडी थ्री टियर सिस्टम है, तहसीलदार नायब तहसीलदार की अपील एसडीओ को, एसडीओ की कलेक्टर को और कलेक्टर की रेवेन्यू कमिश्नर को. तो यह तहसीलदार और नायब तहसीलदार के फैसले सीधे राजस्व मण्डल में क्यों जाते हैं ? वहां मैनेज हो जाता है, वहां पैसे दे देते हैं, वहां से स्टे प्राप्त कर लेते हैं और शासकीय भूमि के विरुद्ध निर्णय प्राप्त कर लेते हैं. अगर नहीं है तो क्या आप यह प्रावधान करेंगे कि लोग सीधे राजस्व मण्डल न जा सकें. पहले एस.डी.ओ. को जाएं, कलेक्टर को जाएं, रेवेन्यू कमिश्नर को जाएं. क्या आप यह प्रावधान करेंगे ?
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तहसीलदार के न्यायालय में निर्णय हुआ है, उसके बाद एस.डी.एम. कार्यालय के न्यायालय में निर्णय हुआ है और उसके बाद राजस्व मण्डल में गया है, लेकिन मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ कि आपने गजराम सिंह पुत्र आलोक सिंह के नामान्तरण का प्रकरण बताया. यह राजस्व मण्डल के अध्यक्ष महोदय द्वारा पुनरावलोकन में दर्ज कर कार्यवाही अपने संज्ञान में ले ली गई है और इसलिए उसमें और क्या सही चीज है ? वह उसके बाद क्लीयर हो जायेगा.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - क्या आप सीधे राजस्व मण्डल में जाने से रोकेंगे ? कलेक्टर और रेवेन्यू कमिश्नर भी तो ऊपर हैं.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, शासन का नियम है कि राजस्व मण्डल में निगरानी प्रकरण सीधे किया जा सकता है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - अध्यक्ष महोदय, मैं परिवर्तन करने के लिए कह रहा हूँ, इससे भ्रष्टाचार बढ़ रहा है. मेरा दूसरा प्रश्न है कि आप परिशिष्ट 'अ' देखें. परिशिष्ट 'अ' जिसमें भूमि सर्वे 552/2 का लेख है, यह भोंसले के बाड़े की करोड़ों रुपयों की भूमि है और जब अशोक नगर जिला, गुना जिले में था तब कलेक्टर अशोक नगर में पुलिस की मदद से इस भूमि का कब्जा खाली करवा लिया गया था लेकिन जब अशोक नगर नया जिला बना तो वापस उसी आदमी ने कब्जा कर लिया और अभी तक वह कब्जा खारिज नहीं हुआ है, इसमें कहीं न कहीं अधिकारियों ने मिलकर कब्जा करवाया है. यह करोड़ों रुपयों की भूमि है, इस पर भू-माफिया का कब्जा है तो क्या आप इसको जल्दी खाली करवाएंगे ? यह प्रकरण 10 वर्ष से चल रहा है. इसकी समय-सीमा बताएं.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रकरण चूँकि मैंने अभी कहा है कि राजस्व मण्डल के अध्यक्ष ने इसमें मामला दर्ज कर, अपने संज्ञान में ले लिया है. जो निर्णय आ जाएगा, हम उस पर कार्यवाही करेंगे.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - अध्यक्ष महोदय, मेरा एक प्रश्न और है. अभी मैंने भू-माफिया के बारे में किया था, खनन माफिया के बारे में किया था क्योंकि इस भूमि पर पलकटोरी में जो खनन हुआ, उसने अवैध खनन किया. जब उन लोगों के वाहन जप्त करके ले जा रहे थे तो पुलिस और प्रशासन पर अटैक करके इसी भू-माफिया ने इसी प्रांगण पर यह रखा था. मेरा राशन माफिया के बारे में प्रश्न है. आप परिशिष्ट का आखिरी, प्रश्न संख्या 31 में राशन की दुकानों के बारे में है. यह इसलिए गम्भीर है.
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्न संख्या 11 से कहां उद्भूत हो रहा है.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा - आप परिशिष्ट में देखें. इसमें परिशिष्ट में पीछे दे रखा है. श्री राजकुमार सिंह यादव, बीजेपी के एमएलए थे. उन्होंने राशन माफियाओं के खिलाफ सन् 2010 में आवाज उठाई थी, उसके बाद 8 वर्ष हो गए हैं, उसी आवाज को 8 वर्ष बाद मैं उठा रहा हूँ और वहां प्रमुख सचिव, खाद्य गये थे. वहां पर कलेक्टर का ट्रांसफर पनिशमेंट के कारण हुआ था. वहां पर सुकृत सिंह और चन्देल की रिपोर्ट आई लेकिन एक जगदीश कुशवाह नामक आदमी ने 2010 में स्टे ले लिया था. आप उसको 8 वर्ष से खाली नहीं करवा पा रहे हैं. वह माफिया है, राशन माफिया का किंग पिन है और उसका प्रभारी मंत्री ने बमौरी में हुआ ट्रांसफर निरस्त कर दिया था तो आप ऐसे भू-माफियाओं एवं राशन माफियाओं को संरक्षण दे रहे हैं. परिशिष्ट 2 देखिये. इस संबंध में आप कब कार्यवाही करेंगे क्योंकि पूरे प्रदेश में मुगावली जिले में करोड़ों का भ्रष्टाचार, ब्लैक मार्केट में हुआ है. यह आरोप मैंने नहीं बल्कि बीजेपी के एमएलए ने लगाया था. 2010 में ध्यानाकर्षण भी लाये थे लेकिन 8 वर्ष तक आप एक भी आदमी को राशन व्यवस्था से खण्डित नहीं कर पा रहे हैं. वहां अभी भी राशन माफिया काम कर रहा है.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप जिन दुकानों के बारे में कह रहे हैं. इन 10 दुकानों के प्रबंधक वगैरह हैं, उनके पास अर्थदण्ड और प्रतिभूति राशि राजसात कर ली गई है. राशन दुकानों का प्रकरण को हाई कोर्ट से भी स्टे मिला है.
प्रश्न क्रमांक 12 - (अनुपस्थित)
महिदपुर वि.स. क्षेत्र में प्रदायित अस्थायी कनेक्शन
[ऊर्जा]
13. ( *क्र. 5389 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) वर्ष 2016-17 में महिदपुर वि.स. क्षेत्र में कुल कितने अस्थायी कनेक्शन प्रदान किये गये हैं? वितरण केन्द्रवार, ग्रामवार, कृषक संख्या सहित बतावें। (ख) नवीन ट्रांसफार्मर लगाकर इन्हें कब तक स्थायी कर दिया जायेगा? (ग) महिदपुर वि.स. क्षेत्र में कितने मजरे टोले अविद्युतीकृत हैं? (घ) इन्हें कब तक विद्युतीकृत कर दिया जावेगा?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) महिदपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2016-17 में कुल 3990 अस्थायी कृषि पम्प कनेक्शन प्रदान किये गये हैं, जिसकी वितरण केन्द्रवार एवं ग्रामवार संख्या की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) महिदपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2016-17 में प्रदाय किये गये कुल 3990 अस्थायी कृषि पम्प कनेक्शनों में से जिन कृषकों द्वारा मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना में स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन हेतु आवेदन प्रस्तुत कर योजना के प्रावधानों के अनुसार राशि जमा करने सहित औपचारिकताएं पूर्ण की जाएंगी, उनके अस्थायी पम्प कनेक्शन तकनीकी रूप से साध्य पाये जाने पर स्थायी कनेक्शन में परिवर्तित किये जाने की कार्यवाही की जा सकेगी। अत: वर्तमान में निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) महिदपुर विधानसभा क्षेत्र में चिन्हित 70 मजरे/टोले अविद्युतीकृत हैं। (घ) महिदपुर विधानसभा क्षेत्र में चिन्हित 70 अविद्युतीकृत मजरों/टोलों में से 22 मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य 12वीं पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में सम्मिलित है। उक्त कार्य माह दिसम्बर-2017 तक पूर्ण किया जाना संभावित है। शेष 48 मजरों/टोलों के विद्युतीकरण का कार्य दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत स्वीकृत है, जिसे टर्न-की ठेकेदार एजेंसी से किये गये अनुबंध के अनुसार नवम्बर, 2018 तक पूर्ण किया जाना है।
श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न किया कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में, इस वित्तीय वर्ष 2016-17 में कितने अस्थायी कनेक्शन दिए गए हैं ? इस प्रश्न के उत्तर में आया है कि 3990 कनेक्शन अस्थायी दिए गए हैं, यह बहुत बड़ी संख्या है. यह भी कहा गया है कि इन कनेक्शनों को मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना के तहत जो साध्य होगा उसे स्थायी कनेक्शन में बदल दिया जाएगा. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से सीधा प्रश्न करना चाहता हूं कि यह जो 3990 अस्थायी कनेक्शन हैं क्या आपके विभाग से इसका परीक्षण करवाकर इसी वित्तीय वर्ष में अस्थायी कनेक्शन को स्थायी कनेक्शन में बदल देंगे? इसमें मैं कहना चाहता हूं कि जो मुख्यमंत्री स्थायी कृषि पम्प कनेक्शन योजना है. उसमें 6 महीने के अंदर आवेदन आने के बाद और स्वीकृति के बाद 6 महीने में उसको स्थायी करना अनिवार्य है. वैसे भी यह साध्य इसलिए है कि खंभे से अस्थायी कनेक्शन देने का जो नियम है वह 150 फिट का है. वैसे तो यह साध्य है लेकिन फिर भी मैं आपसे आग्रह कर रहा हूं कि इनका परीक्षण करके जो 3990 कनेक्शन हैं इनको इसी वित्तीय वर्ष में स्थायी कनेक्शन में कर दिया जाएगा.
श्री पारस चन्द्र जैन-- अध्यक्ष महोदय, जहां आवंटित राशि प्रथम चरण में ऐसे कार्य जिनकी लागत दो लाख रुपए से ऊपर होती है वह रह गए हैं. उनको हम शामिल कर लेते हैं, लेकिन जैसा माननीय सदस्य कह रहे हैं तो हम इनका परीक्षण करा लेंगे और होगा तो उस काम को हम करवा देंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- अध्यक्ष महोदय, अभी पहले प्रश्न का उत्तर आया है. मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में कितने मजरे/टोले हैं जहां पर आज तक बिजली नहीं पहुंची है, विद्युतीकरण नहीं हुआ है. मंत्री जी के विभाग ने स्वीकार किया है कि 70 ऐसे मजरे/टोले हैं जहां पर आज तक विद्युतीकरण नहीं किया गया है. इसका उत्तर दिया है कि 22 ऐसे मजरे/टोले हैं जिनको राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत ले लिया गया है और उसी वित्तीय वर्ष में 22 मजरे/टोलों को बिजली दे दी जाए. मैं उससे संतुष्ट हूं लेकिन 48 ऐसे मजरे/टोले बताएं हैं कि उसको दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत लिया गया है और टर्न-की ठेकेदार ऐजेंसी है. उसको वर्ष 2018 तक पूर्ण कर लिया जाएगा. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि एक मजरे टोले में लगभग 10 से 25 परिवार रहते हैं. मैं चाहता हूं कि यह भी इसी वित्तीय वर्ष में दिसम्बर 2017 तक पूर्ण कर दें.
श्री पारस चन्द्र जैन-- अध्यक्ष महोदय, जून 2017 तक इन्हें भी पूर्ण कर दिया जाएगा.
श्री अमर सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, किसानों के लिए जो स्थायी कनेक्शन का मामला उठा है
अध्यक्ष महोदय-- यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं होता है.
श्री अमर सिंह यादव- अध्यक्ष महोदय, राजगढ़ में भी एक करोड़ 35 लाख रुपए स्थाई कनेक्शन में जमा किये गये हैं. अस्थाई कनेक्शन की जो रसीद कटी है, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि राजगढ़ में बड़ी राशि स्थायी कनेक्शन के रूप में जमा की है तो क्या उन्हें स्थायी कनेक्शन की प्राथमिकता दी जाएगी.
अध्यक्ष महोदय-- इससे उद्भूत नहीं होता है.
श्री अमर सिंह यादव- अध्यक्ष महोदय, यह किसानों का मामला है. 1 करोड़ 35 लाख रुपए जमा हुआ है. सालभर से लोग रसीद लेकर घूम रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--यह अलग जिले का है.
श्री अमर सिंह यादव- अध्यक्ष महोदय 1 करोड़ 35 लाख रुपए का कोई हिसाब नहीं मिल रहा है. अध्यक्ष महोदय-- इससे प्रश्न उद्भूत नहीं होता है. इस जिले का होता तो भी कोई बात थी पर यह दूसरे जिले का है.
ट्रांसफार्मर बदलने की प्रक्रिया
[ऊर्जा]
14. ( *क्र. 4634 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग द्वारा जले हुये ट्रांसफार्मर के बदलने की क्या प्रक्रिया है तथा इस हेतु निर्धारित राशि क्या है? क्या अपेक्षित राशि जमा न करने पर ट्रांसफार्मर नहीं बदले जाते हैं? निर्धारित शुल्क जमा करने के कितने दिनों में ट्रांसफार्मर बदले जाने के नियम हैं? (ख) यदि अपेक्षित राशि से कम राशि जमा है और ट्रांसफार्मर नहीं बदला जा रहा है तो ऐसी स्थिति में किसानों को बिजली उपलब्ध कराने की शासन की क्या कोई योजना है? यदि हाँ, तो जानकारी उपलब्ध करायें।
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जले/खराब ट्रांसफार्मर बदलने हेतु उपभोक्ताओं द्वारा शिकायत प्राप्त होने पर/अन्य किसी स्त्रोत से जानकारी प्राप्त होने पर क्षेत्रीय लाईनमेन जाकर ट्रांसफार्मर की जाँच करता है एवं ट्रांसफार्मर जलने/खराब होने संबंधी जानकारी वितरण केन्द्र प्रभारी/फीडर प्रभारी को उपलब्ध करवाता है। संबंधित वितरण केन्द्र प्रभारी/फीडर प्रभारी को जानकारी प्राप्त होने के पश्चात् एस.एम.एस. आदि के माध्यम से उच्चाधिकारी को जानकारी प्रेषित की जाती है तथा ट्रांसफार्मर बदलने हेतु प्राक्कलन बनाकर आवश्यक स्वीकृति हेतु उच्चाधिकारी को प्रेषित किया जाता है। जले/खराब ट्रांसफार्मर बदलने हेतु प्रत्येक संचालन/संधारण संभाग में इम्प्रेस्ट ट्रांसफार्मर उपलब्ध कराये गये हैं। सूचना प्राप्त होते ही सहायक अभियंता/मेन्टेनेन्स प्रभारी ट्रांसफार्मर को उपलब्धता के अनुसार नियमानुसार निर्धारित समय-सीमा के अन्दर ट्रांसफार्मर बदलवाता है। म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा खराब/जले हुये वितरण ट्रांसफार्मरों को बदलने हेतु निम्नानुसार समयावधि निर्धारित है :- (i) संभागीय मुख्यालयों में 12 घंटे के अन्दर। (ii) संभागीय मुख्यालयों को छोड़कर शहरी क्षेत्र में 24 घंटे के अन्दर। (iii) ग्रामीण क्षेत्रों में सूखे मौसम में 72 घंटों के अन्दर तथा मानसून के मौसम में जुलाई से सितम्बर तक 7 दिवस के अन्दर। फेल/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों से संबद्ध उपभोक्ताओं पर बकाया राशि होने की स्थिति में जले एवं खराब वितरण ट्रांसफार्मरों से जुड़े 75 प्रतिशत उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान करने पर अथवा कुल बकाया राशि का 40 प्रतिशत जमा होने के उपरांत इन जले एवं खराब ट्रांसफार्मरों को उक्तानुसार निर्धारित समय-सीमा में बदला जाता है। फेल/खराब वितरण ट्रांसफार्मर, जिन पर बकाया राशि नहीं है, उनको बदलने हेतु कोई राशि जमा नहीं कराई जाती है। (ख) वर्तमान में निर्धारित नियमानुसार उपभोक्ताओं द्वारा उत्तरांश (क) में दर्शाए अनुसार बकाया राशि जमा करने पर जले/खराब ट्रांसफार्मर को बदल कर विद्युत प्रदाय सुचारू किये जाने का प्रावधान है।
श्री गोविन्द सिंह पटेल-- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में जो जले हुए ट्रांसफार्मर बदलने का जवाब माननीय मंत्री जी ने दिया कि 75 प्रतिशत उपभोक्ता या 40 प्रतिशत राशि जमा होने पर जले ट्रांसफार्मर बदले जाते हैं. मेरा मंत्री जी से सिर्फ यह कहना है कि यदि इससे कम प्रतिशत जमा होती है तो जिन किसानों ने पैसा जमा किया है और जो किसान लापरवाह हैं जो पैसा जमा नहीं करते हैं, उनकी सजा पैसा जमा करने वाले किसानों को मिलती है तो क्या उन किसानों के लिए कोई ऐसी व्यवस्था करेंगे कि उनकी बिजली चले. यह कोई व्यावहारिक बात नहीं है कि इतने प्रतिशत किसान या इतने प्रतिशत जमा होने पर ट्रांसफार्मर बदले जाएंगे. मेरा मंत्री जी से कहना है कि जिन किसानों के पैसे जमा हैं जो उनकी फसलें बबार्द होती हैं, लागत लगती है. उनकी बिजली की कहीं न कहीं से व्यवस्था की जाए. मेरे कहने का मतलब यह है कि राशि बकाया रहती है तो उसके पहले वसूली का कोई प्रयास नहीं होता है. जो जमा नहीं कर रहे हैं उनके कनेक्शन काटे जाएं लेकिन जिनके पैसे जमा हैं मंत्री जी उन्हें बिजली देने का वादा करेंगे क्या ?
श्री पारस चन्द्र जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें हमने कुछ संशोधन किये हैं. मैंने विधायकों एवं सांसदों को पत्र भी लिखा था. पहले 50 प्रतिशत पर बदलते थे अब 40 प्रतिशत पर बदलना चालू कर दिया. कोई व्यक्ति गांव छोड़कर चला जाए उसे हमने डीपी में एडजस्ट कर दिया है. यह बात निश्चित है जो लोग बिजली का बिल भर देते हैं उनका क्या दोष है, उसके लिए हम कोई न कोई बात करेंगे. परीक्षण कराएंगे कि क्या हो सकता है.
श्री गोविन्द सिंह पटेल--अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री महोदय से आपके माध्यम से यही कहना है कि जो किसान पैसा जमा करते हैं उनका क्या दोष है ? जो बिल जमा नहीं करते हैं उनसे वसूली करें. जो किसान बिल जमा कर रहे हैं उन्हें बिजली मिलना चाहिए उनके लिए व्यवस्था करके उन्हें बिजली उपलब्ध कराएं.
अध्यक्ष महोदय--समाधान हो गया है.
डॉ. कैलाश जाटव--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह हमारे जिले का मामला है. इसमें कई जगह पर तार नहीं जोड़े गए हैं जिसके कारण मीटर के बिल बढ़ते हैं
श्री गोविन्द सिंह पटेल--जिनके बिल बकाया हैं आप उनसे वसूली करें लेकिन जिनके बिल जमा हैं उन्हें बिजली मिलना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री जी कह रहे हैं कि उसका रास्ता निकालेंगे. उन्होंने इस विषय का समाधान कर दिया है.
प्रश्न संख्या-15 (अनुपस्थित)
सागर जिलांतर्गत विक्रय पत्र का पंजीयन/रजिस्ट्रेशन
[वाणिज्यिक कर]
16. ( *क्र. 4665 ) श्री हर्ष यादव : क्या वित्त मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर नगर में रजिस्ट्रार सागर के माह दिसम्बर 2016 में कितने विक्रय पत्र पंजीयन किये? खरीददार व विक्रेता के नाम, रकबा, पटवारी हल्का, विक्रय मूल्य, शासन को स्टाम्प आदि से आय सहित बताएं? (ख) जनवरी 2017 में 01 जनवरी से 15 जनवरी 2017 तक कुल कितने विक्रय पत्र रजिस्टर्ड किये गये? (ग) प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित समय में सागर के सुभाग्योदय डेव्हलपर्स नामक क्रेता ने कुल कितनी जमीन, किस कीमत की, किस पटवारी हल्का व किस खसरा नंबर की क्रय की है? क्या जिला प्रशासन ने जमीन का विक्रय नहीं करने संबंधी आपत्ति की थी? विक्रय नहीं करने संबंधी आपत्ति संबंधी शासन के पत्र का विवरण देवें। (घ) पट्टे/लीज़ की जमीन का विक्रय क्यों पंजीकृत किया गया? विक्रय के पूर्व जमीन के असल मालिक की जाँच/जानकारी क्यों नहीं की गई? क्या सागर की बेशकीमती, बहुउपयोगी, जमीन भूमाफिया को देने हेतु जमीन के असल मालिक की पड़ताल ना कर अवैध विक्रय किया गया? क्या इसकी जाँच कराई जाकर दोषी शासकीय सेवकों पर कार्यवाही की जावेगी।
वित्त मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) उप पंजीयक कार्यालय सागर में दिसम्बर, 2016 में नगर निगम क्षेत्र अंतर्गत 101 विक्रय पत्र पंजीबद्ध किये गये। खरीददार व विक्रेता के नाम रकबा पटवारी हल्का, विक्रय मूल्य, शासन को स्टाम्प आदि से आय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 अनुसार है। (ख) जनवरी 2017 में 01 जनवरी से 15 जनवरी तक कुल 137 विक्रय पत्र पंजीबद्ध किये गये। (ग) सुभाग्योदय डेव्हलपर्स नामक क्रेता द्वारा की गई जमीन, कीमत, पटवारी हल्का नं. एवं खसरा नं. की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-2 अनुसार है। कलेक्टर (नजूल), जिला सागर द्वारा राजस्व मण्डल मध्यप्रदेश ग्वालियर के निगरानी प्रकरण क्रमांक-R-1794-I/16 में पारित आदेश दिनांक 06/06/2016 के विरूद्ध अपील प्रस्तुत करने की अनुमति हेतु प्रमुख सचिव, विधि और विधायी कार्य विभाग, मध्यप्रदेश भोपाल को लिखे पत्र की प्रतिलिपि पत्र पृ. क्रमांक 4805/री.नजूल/16 सागर, दिनांक 16/06/2016 द्वारा जिला पंजीयक सागर को सूचनार्थ इस निर्देश के साथ प्राप्त हुआ कि उक्त भूमियों के दस्तावेजों का पंजीयन आगामी आदेश तक न किये जावें। शासन से उक्त भूमि के विक्रय न किये जाने के संबंध में कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ। (घ) भूमि विक्रय संबंधी कलेक्टर (नजूल), जिला सागर द्वारा नजूल प्रकरण 21अ/20 (4) वर्ष 2014-15 में पारित आदेश दिनांक 25/05/2016 के विरूद्ध माननीय राजस्व मण्डल ग्वालियर द्वारा निगरानी प्रकरण क्रमांक 1794-1/10 में पारित आदेश दिनांक 06/06/2016 तथा पुनर्विलोकन आवेदन प्रकरण क्रमांक 2269/2016 में पारित आदेश दिनांक 23/09/2016 के अनुसार तथा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा डब्ल्यू.पी.नं. 10493 में पारित आदेश दिनांक 01/12/2016 के आदेश के विरूद्ध किसी सक्षम न्यायालय के स्टे न होने की स्थिति में उप पंजीयक द्वारा पंजीयन अधिनियम के अंतर्गत प्रस्तुत विक्रय पत्र का पंजीयन नियमानुसार पंजीबद्ध किया गया। अत: कार्यवाही का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री हर्ष यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ बहुत गंभीर मामला है, बहुत विचारणीय मामला है. माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है उससे मैं पूरी तरह असंतुष्ट हूँ. चूंकि यह जनहित का मामला है, सागर का एक बहुत बड़ा मामला है. नजूल की भूमि की रजिस्ट्री हो जाना, वह भी कम मूल्य पर जबकि मध्यप्रदेश सरकार के वर्तमान में जो कलेक्टर वहां पदस्थ हैं उन्होंने मूल्यांकन कराया था वह 350 करोड़ रुपए की भूमि है. उसमें रजिस्ट्री शुल्क बहुत कम लिया गया है. मंत्री जी का जवाब बहुत भ्रामक है. पिछली बार मैंने चर्चा की थी कि एम.के. सिंह के द्वारा जो स्वीकृति दी गई उनको उसका अधिकार नहीं था कलेक्टर के आदेश के खिलाफ कमिश्नर को सुनने का अधिकार है, कमिश्नर के बाद मध्यप्रदेश सरकार को सुनने का अधिकार है. उनको आदेश का पालन करने का अधिकार ही नहीं था उसके संदर्भ में रजिस्ट्रार द्वारा जो रजिस्ट्री की गई है वह शून्य घोषित की जाए. उसका कारण भी है क्योंकि दिनांक 6.6.2016 के आदेश के विरुद्ध कलेक्टर ने दिनांक 16.6.2016 को प्रमुख सचिव, विधि विधायी विभाग को पत्र लिखा है उसकी प्रति पंजीयक को भी भेजी गई है कि इसकी कोई रजिस्ट्री न की जाए. उसके बाद रजिस्ट्री की गई है, यह बहुत गंभीर मामला है. करोड़ों रुपयों के भ्रष्टाचार का मामला है, रसूखदार लोगों से जुड़ा हुआ मामला है, राजनीतिक दलों से जुड़ा हुआ मामला है. मेरा प्रश्न यह है कि क्या यह रजिस्ट्री शून्य की जाएगी ? जिस पंजीयक ने रजिस्ट्री की है क्या उसके खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही की जाएगी ? क्या लोकायुक्त के द्वारा जाँच कराई जाएगी ?
श्री जयंत मलैया--जी नहीं.
श्री हर्ष यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय,(XXX).
अध्यक्ष महोदय--इस तरह आप आरोप नहीं लगा सकते हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है इसको विलोपित कराएं.
अध्यक्ष महोदय--इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री जयंत मलैया--अध्यक्ष महोदय, इस तरीके से बात करना मैं समझता हूँ ठीक नहीं है, अगर आपको लगता है कि कोई है तो उसका नाम लेकर आप बात करिए.
श्री हर्ष यादव--नाम भी लेंगे.
श्री जयंत मलैया--अभी लो.
श्री हर्ष यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो मेरी मांग है कि यह रजिस्ट्री शून्य घोषित की जाए, रजिस्ट्रार के खिलाफ कार्यवाही होना चाहिए. मैं पटल पर कुछ कागज प्रस्तुत करने के लिए भी तैयार हूं. यह बहुत गंभीर मामला है. यदि मंत्री जी उत्तेजित हो रहे हैं तो इस मामले में कहीं-न-कहीं इनकी पीड़ा है.
अध्यक्ष महोदय--आप भाषण दे रहे हैं प्रश्न नहीं कर रहे हैं. इस तरह से आरोप नहीं लगा सकते हैं.
श्री हर्ष यादव--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं संतुष्ट नहीं हूँ.
डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि जो पंजीयन हुआ है उसकी कलेक्टर के द्वारा गाइड लाइन क्या थी. क्या गाइड लाइन से काफी कम मूल्य पर रजिस्ट्री हुई है. वहां की क्या गाइड लाइन थी वह बता दें. कलेक्टर ने विधि विभाग के निर्देश का उल्लेख करते हुए आदेश दिए थे कि इसका पंजीयन न किया जाय तो कलेक्टर के आदेश के बाद भी पंजीयन करने का कारण भी बताएं.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)- अध्यक्ष महोदय, मैं उन सभी सदस्यों का स्वागत करता हूं जो इस संबंध में बात करना चाहते हैं, परंतु वे एक-एक करके बात करें. जहां तक दस्तावेजों के कम बाजार मूल्य पर प्रस्तुत किए जाने का विषय है, तो यह सही नहीं है. मैं बताना चाहता हूं कि उप पंजीयक के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेज 35 करोड़ 29 लाख 19 हजार रूपये के हैं जबकि कम्प्यूटर सर्वर द्वारा गाइड लाईन से की गई गणना के अनुसार संपत्ति का बाजार मूल्य 33 करोड़ 43 लाख 56 हजार रूपये होता है. चूंकि संपत्ति के बाजार मूल्य से प्रतिफल की राशि अधिक थी, अत: प्रतिफल की राशि 35 करोड़ 29 लाख 19 हजार रूपये पर स्टाम्प शुल्क 3 करोड़ एक तथा पंजीयन शुल्क 28 लाख 23 हजार 852 रूपये वसूल कर दस्तावेज पंजीबद्ध किए गए.
श्री हर्ष यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि नजूल की जमीन की, एकड़ के हिसाब से रजिस्ट्री नहीं होती है. नजूल की जमीन का रेट स्कवेयर फीट के हिसाब से तय किया जाता है.
डॉ. गोविंद सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें बहुत बड़ा घोटाला हुआ है.....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय- हर्ष जी, आपके प्रश्न का उत्तर आ गया है. बाकी सभी लोग बैठ जायें. कोई खड़ा नहीं होगा. हर्ष यादव जी, आप सिर्फ एक प्वाइंटेड प्रश्न पूछिये. भाषण मत दीजिएगा.
श्री हर्ष यादव- अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि नजूल की जमीन का मूल्यांकन स्कवेयर फीट के हिसाब से होता है जबकि सरकार ने उस जमीन का मूल्यांकन एकड़ के हिसाब से किया है. इससे सरकार को राजस्व की हानि हुई है. जब नजूल की जमीन का रेट स्कवेयर फीट के हिसाब से तय होता है और इस हिसाब से कलेक्टर ने जो मूल्यांकन कराया है, वह साढ़े तीन सौ करोड़ का है. फिर जमीन 35 करोड़ में कैसे बिक गई ?
श्री जयंत मलैया- अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि जिस भूमि का पंजीयन हुआ है, जिसके बारे में माननीय सदस्य बता रहे हैं कि वह नजूल की भूमि है, यह असल में विक्रेता द्वारा दिनांक 9.1.2016 को प्रस्तुत विक्रय पत्र में विक्रेता अब्दुल कादिर एवं अन्य 20 द्वारा विक्रय पत्र में भू-स्वामी हक, जिसका भू-अधिकार पुस्तिका खाता नंबर 803, क्रमांक एल.एफ. 2 लाख 27 हजार 734 तथा पटवारी हलका नंबर 66 ग्राम करेला, पटवारी हलका नंबर 67 ग्राम बावनखेड़ी, भू-अधिकार पत्र पुस्तिका 44 हजार 639 था. खसरा वर्ष 2016-17 जिसमें भूमि स्वामी हक की भूमि 11.20 हेक्टेयर दर्ज है, विक्रय पत्र के साथ प्रस्तुत थे.
अध्यक्ष महोदय- इस संबंध में अब किसी का कुछ नहीं लिखा जाएगा. ....(व्यवधान)....
श्री बाला बच्चन- (XXX)
श्री हर्ष यादव- (XXX)
11.53 बजे बहिर्गमन
श्री बाला बच्चन के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों का सदन से बहिर्गमन
श्री बाला बच्चन- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(श्री बाला बच्चन के नेतृत्व में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर नारे लगाते हुए सदन से बहिर्गमन किया गया)
11.54 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
नार्मल डेवलपमेंट योजना का क्रियान्वयन
[ऊर्जा]
17. ( *क्र. 5606 ) श्री मुकेश पण्ड्या : क्या ऊर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र.प.क्षे.वि.वि.कं.लि. इन्दौर के अन्तर्गत नार्मल डेवलपमेंट योजना (एन.डी. योजना) में किस प्रकार के कार्य किये जाते हैं? (ख) उज्जैन जिले में वर्ष 2015-16, 2016-17 में जनवरी, 2017 अंत तक नार्मल डेवलपमेंट योजना में कितने प्राक्कलन स्वीकृत किये गये हैं, उनमें से कितने कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं? संख्या बतावें। कार्य पूर्ण नहीं होने के प्रमुख कारण क्या हैं? (ग) क्या संबंधित अधिकारी के द्वारा कार्य में लापरवाही करने के कारण इस योजना का लाभ पात्र व्यक्तियों को नहीं मिल पाया और ऐसे अधिकारी के खिलाफ क्या कार्यवाही की जायेगी?
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड इन्दौर के अन्तर्गत नार्मल डेवलपमेंट योजना में घरेलू श्रेणी के आवेदकों/उपभोक्ताओं (उन आवेदकों/उपभोक्ताओं को छोड़कर जो बहु मंजिला काम्प्लेक्स अथवा आवासीय कॉलोनियों में अवस्थित है) एवं गैर-घरेलू अथवा औद्योगिक श्रेणी के आवेदकों/उपभोक्ता के नवीन कनेक्शनों अथवा भार वृद्धि के प्रकरणों में सर्वे के अनुसार, तकनीकी साध्यता होने पर 11 के.व्ही. लाईन, नवीन वितरण ट्रांसफार्मर स्थापित करने तथा आवश्यक होने पर वितरण ट्रांसफार्मर की क्षमता वृद्धि जैसे कार्य किये जाते हैं तथा इनकी लागत वितरण कंपनी द्वारा वहन की जाती है। निम्नदाब लाईन की आवश्यकता होने पर उपभोक्ता द्वारा निम्नदाब लाईन की लागत वहन की जाती है। (ख) उज्जैन जिले में वर्ष 2015-16 में नार्मल डेवलपमेंट योजना में 74 प्राक्कलन स्वीकृत किये गये व सभी कार्य पूर्ण हो गये हैं। वर्ष 2016-17 में जनवरी-2017 अंत तक नार्मल डेवलपमेंट योजना में 88 प्राक्कलन स्वीकृत किये गये हैं, जिनमें से 84 कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं तथा शेष 4 कार्य वर्तमान में प्रगति पर हैं। नार्मल डेवलपमेंट योजना में कार्य वितरण कंपनी द्वारा विभागीय तौर पर सम्पादित कराये जाते हैं तथा कतिपय अवसरों पर उपयोग होने वाली विद्युत सामग्री एवं अन्य संसाधनों की तात्कालिक अनुपलब्धता के कारण कार्य पूर्णता में समय लगता है। प्रश्नाधीन शेष 4 कार्यों हेतु कार्यादेश जनवरी 2017 में ही निर्माण संभाग उज्जैन को जारी किये गये हैं। (ग) प्रश्नाधीन योजना में पात्र सभी व्यक्तियों को योजना का लाभ दिया जा रहा है। अत: किसी के विरूद्ध कार्यवाही करने का प्रश्न नहीं उठता।
श्री मुकेश पण्ड्या- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में नार्मल डेवलपमेंट योजना के अंतर्गत उज्जैन जिले में वर्ष 2015-16 और 2016-17 में कुल 88 एवं 74 प्राक्कलन के संबंध में जानकारी दी गई है. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि इसमें से कुल कितने लोगों के आवेदन इस सुविधा को प्राप्त करने के लिए आपके पास आये थे. इसके साथ ही मैं यह भी जानना चाहता हूं कि नार्मल डेवलपमेंट योजना मध्यप्रदेश में कब से लागू की गई है ? यह सुविधा किन-किन लोगों को दी जा रही है.
श्री पारस चन्द्र जैन- अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय सदस्य को उनके प्रश्न के उत्तर में ही बता दिया है कि 74 स्वीकृत प्राक्कलनों में से सभी के कार्य पूर्ण हो गए हैं और 88 स्वीकृत प्राक्कलनों में से 84 प्राक्कलनों के कार्य पूर्ण कर चुके हैं. शेष के कार्य भी हम अतिशीघ्र पूर्ण कर लेंगे.
श्री मुकेश पण्ड्या- मैं जानना चाहता हूं कि कुल कितने आवेदन आपके पास प्राप्त हुए थे ?
श्री पारस चन्द्र जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदस्य को जानकारी दे दूंगा कि कुल कितने आवेदन प्राप्त हुए थे.
श्री मुकेश पण्ड्या- इसके साथ ही मैं यह भी जानना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में यह योजना कब से प्रभावित है ?
श्री पारस चन्द्र जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार की योजना है लेकिन इसे कहीं भी लेकर इसके काम किए जाते हैं.
श्री मुकेश पण्ड्या- मध्यप्रदेश में यह योजना कब से प्रभावित है, मैं यह जानना चाहता हूं.
प्रश्न क्रमांक 18- (अनुपस्थित)
प्रश्न क्रमांक 19- (अनुपस्थित)
अध्यापक संवर्ग की स्थानान्तरण्ा नीति
[सामान्य प्रशासन]
20. ( *क्र. 5457 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मध्यप्रदेश्ा में शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के स्थानान्तरण के शासन के क्या नियम हैं? निर्देश की प्रति उपलब्ध करावें। (ख) क्या शासन के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को एक ही स्थान पर 3 वर्ष से अधिक अवधि हो जाने पर स्थानान्तरण के निर्देश हैं? यदि हाँ, तो प्रति उपलब्ध करावें? (ग) क्या वर्ष 2016 में शासन ने स्कूल शिक्षा विभाग एवं पुलिस विभाग को छोड़कर जिले में अथवा जिले के बाहर स्थानान्तरण किये जाने के निर्देश दिये थे? यदि हाँ, तो उक्त विभाग को स्थानान्तरण से छूट दिये जाने का क्या कारण रहा है? (घ) क्या शासन स्कूल शिक्षा विभाग के अध्यापक संवर्ग के अध्यापकों के स्थानान्तरण्ा भी अन्य शिक्षकों की भांति करने की नीति बना रहा है? यदि हाँ, तो कब तक और यदि नहीं, तो अध्यापक संवर्ग के अन्य शिक्षकों की भांति स्थानान्तरण नीति नहीं बनाये जाने का क्या कारण है, जबकि अध्यापक संवर्ग को भी अन्य शिक्षकों के समान छठवां वेतनमान दिया गया है?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) राज्य एवं जिला स्तर पर अधिकारियों/कर्मचारियों के स्थानांतरण के लिए स्थानांतरण नीति निर्धारित है। जिसकी प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' एवं 'ब' अनुसार है। (ख) स्थानांतरण नीति की कंडिका 8.7 के प्रावधान अनुसार। प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ग) जी हाँ। प्रशासकीय व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुये उक्त विभागों के लिये पृथक नीति निर्धारित करने का प्रावधान है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) अध्यापक संवर्ग में स्थानांतरण का कोई प्रावधान नहीं है, अपितु अन्तर्निकाय ऑनलाईन संविलियन का प्रावधान है। अध्यापक संवर्ग स्थानीय निकाय के अन्तर्गत पंचायत/नगरीय निकाय के कर्मचारी हैं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री अमर सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से शिक्षा विभाग से, शिक्षा मंत्री महोदय से, निवेदन किया था कि...
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न जो है मुख्यमंत्री जी से है, उसका उत्तर लाल सिंह आर्य जी देंगे.
श्री अमर सिंह यादव-- जी हाँ, अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री महोदय से ही है. मगर मंत्री जी जवाब दे रहे हैं इसलिए मैं उनका कह रहा हूँ. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय और माननीय मुख्यमंत्री महोदय को, वर्तमान में महिलाओं और अध्यापकों को जो छठा वेतनमान दिया है, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ और स्थानांतरण एवं संविलयन की जो नीति बनाई है, उसके लिए भी धन्यवाद देता हूँ. माननीय मंत्री महोदय, माननीय मुख्यमंत्री महोदय, प्रदेश में स्कूल शिक्षकों की बहुत कमी है, विशेष कर शहरी क्षेत्र में....
अध्यक्ष महोदय-- यादव जी, कृपया प्रश्न करें.
श्री अमर सिंह यादव-- अतिशेष शिक्षकों की जो नीति है, जो लंबे समय से एक ही स्थान पर रहते हैं और दूरदराज के स्कूल खाली रहते हैं उसके कारण बड़ी परेशानी है और ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षकों की कमी है और मेरे राजगढ़ विधान सभा क्षेत्र में दुर्गपुरा, डाबली कला, बादरी, खाताखेड़ी और परसपुरा ऐसे हैं जहाँ एक भी शिक्षक नहीं है. मैं माननीय मंत्री महोदय और माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन करूँगा कि जो अध्यापक और प्रशासनिक स्थानांतरण की जो नीति बनाई है, उनके लिए भी जो नीति संविलियन की बनाई गई है, वैसी अध्यापकों और प्रशासनिक स्थानांतरण नीति बनाएँगे?
अध्यक्ष महोदय-- उनका कहना यह है कि जो नीति सामान्य है, क्या वह शिक्षा विभाग में भी लागू करेंगे? जो सामान्य स्थानांतरण की है, आपका यही प्रश्न है ना?
श्री अमर सिंह यादव-- जी हाँ, यही है. अध्यक्ष महोदय, शिक्षक लंबे समय से शहरी क्षेत्र में जमे हैं.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, शासन ने विकलांग और महिलाओं के लिए पहले ही स्थानांतरण के लिए प्रक्रिया रखी है. अध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग स्थानांतरण की नीति बनाता है, लेकिन इसका निर्णय शिक्षा विभाग को ही कहीं न कहीं लेना पड़ता है, लेकिन मुझे ऐसी जानकारी है कि शिक्षा विभाग ने भी स्थानांतरण की नीति अब भविष्य के लिए बना ली है.
अध्यक्ष महोदय-- शिक्षा विभाग में नीति बन गई है.
श्री अमर सिंह यादव-- अध्यक्ष महोदय, नहीं, नहीं, अध्यापकों और प्रशासनिक स्थानांतरण नीति की बात कर रहा हूँ. शिक्षक लंबे समय से जमे हुए हैं. अतिशेष शिक्षकों का स्थानांतरण हो जाएगा तो उससे दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षक....
श्री मुरलीधर पाटीदार-- अध्यक्ष महोदय, मैं भी पूछना चाहता हूँ...
अध्यक्ष महोदय-- पाटीदार जी, शिक्षा विभाग का मत पूछना.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- नहीं, यही प्रश्न है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह सिर्फ यह है कि एक निकाय से दूसरे निकाय में स्थानांतरण के बजाय संविलयन की नीति बनाई. अध्यक्ष महोदय, निकाय के भीतर ही उनका स्थानांतरण होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- यह विषय उनका नहीं है.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- अध्यक्ष महोदय, यही है. उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति मान लो आष्टा में सर्विस कर रहा है, सीहोर जिला पंचायत से पोस्टिंग हुई, वह बुधनी जाना चाहता है, तो उसके लिए 21 साल से कोई नीति ही नहीं है. यह उनका प्रश्न है और यही मेरा भी प्रश्न है.
श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, नगरीय निकाय में भर्ती प्रक्रिया और उसके नियम अलग हैं, पंचायत विभाग में उसकी भर्ती प्रक्रिया, नियम अलग हैं, वे विभाग अगर बनाना चाहते हों तो स्वतंत्र हैं.
रीवा जिले में कुपोषण की रोकथाम
[महिला एवं बाल विकास]
21. ( *क्र. 3488 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) रीवा जिले में बच्चों के कुपोषण की रोकथाम हेतु सुपोषण अभियान, अटल बाल पालक मिशन, ब्लॉक वार, स्नेह सरोकार, कुपोषित बच्चों को गोद लेने की परम्परा आदि का अभियान चलाया जा रहा है? यदि हाँ, तो अक्टूबर 2016 की सर्वे रिपोर्ट में 36 हजार बच्चे कुपोषण की चपेट में पाये गये, जिनकी संख्या 2017 में बढ़कर लगभग 37 हजार हो गयी है? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में इसकी रोकथाम हेतु क्या जिले में 15 परियोजनाएं 3300 से ज्यादा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, पोषण पुनर्वास केन्द्र में न्यूट्रीशन स्टॉक, नर्स और डॉक्टर पदस्थ हैं? परियोजना अधिकारी मौजूद हैं एवं कुपोषित बच्चों को दिया जाने वाला पोषण आहार का मीनू और भर्ती के लिये एन.आर.सी. तय है? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के प्रकाश में क्या प्रश्न दिनांक तक 1 वर्ष में 15 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है एवं 33 हजार बच्चे मध्यम कुपोषण की श्रेणी में एवं लगभग 4 हजार बच्चे अति कुपोषण की श्रेणी में हैं? यदि हाँ, तो पोषण पुनर्वास केन्द्र के आंकड़े बताते हैं कि 1 वर्ष में महज 2800 बच्चे ही केन्द्र में पहुंच सके हैं? (घ) प्रश्नांश (क) (ख) (ग) के प्रकाश में सरकार 1 कुपोषित बच्चे पर करीब 2 हजार रूपये खर्च करती है, जिसमें एन.आर.सी. में पोषण आहर, इलाज और भोजन का खर्चा जुड़ा है, जब कि माँ को भी प्रतिदिन भोजन एवं सौ रूपये दिये जाते हैं? यदि हाँ, तो उपरोक्त के बावजूद हर माह कुपोषण का आंकड़ा घटने की जगह बढ़ता जा रहा है, इन सब के लिये किसे जिम्मेदार माना गया है? अब तक कितनों के विरूद्ध कितनी कार्यवाही की गई? क्या शासन द्वारा राशि उपलब्ध नहीं कराई जा रही है? की जावेगी तो कब तक?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनिस ) : (क) जी हाँ। माह-अक्टूबर 2016 एवं जनवरी 2017 में कुपोषित बच्चों की संख्या निम्नानुसार है :-
वर्ष |
कुपोषित बच्चों की संख्या |
अक्टूबर 2016 |
36840 |
जनवरी 2017 |
36314 |
(ख) जी हाँ, रीवा जिले
में 09
पोषण
पुनर्वास
केन्द्र
संचालित हैं, जिसमें
न्यूट्रीशन स्टॉक, नर्स एवं डॉक्टर
पदस्थ हैं।
चिन्हित
गंभीर
कुपोषित
बच्चों को संचालित
केन्द्रों
में भर्ती
किया जाता है व
निर्धारित
मानक अनुसार
पोषण आहार
दिया जाता है।
(ग) पोषण
पुनर्वास
केन्द्रों
में कुपोषण से
मृत्यु की
संख्या निरंक
है। माह जनवरी
2017 में मध्यम कम वजन के 32746 तथा अतिकम
वजन के 3568
बच्चे कुपोषण
की श्रेणी में
हैं। अतिकम
वजन के सभी
बच्चे पोषण
पुनर्वास
केन्द्र में
भर्ती हेतु
पात्र नहीं
होते हैं।
पोषण पुनर्वास
केन्द्र के
मापदण्डों
अनुसार अतिकम
वजन के बच्चों
का परीक्षण
किया जाकर, उन्हें
पात्र पाये
जाने पर पोषण
पुनर्वास केन्द्र
में भर्ती
कराया जाता
है। भर्ती
कराने हेतु बच्चों के
अभिभावकों की
सहमति भी
आवश्यक होती
है। वित्तीय
वर्ष 2016-17
में माह जनवरी तक 1865 बच्चे इन
पोषण
पुनर्वास
केन्द्रों
में भर्ती किए
गए हैं। (घ) पोषण
पुनर्वास
केन्द्र में
भर्ती के
दौरान राशि
रूपये 2580/- प्रति
बच्चे के मान
से व्यय की जाती है, जिसमें
भर्ती बच्चे
की माता को
राशि रू. 120/- प्रतिदिन
मजदूरी
क्षतिपूर्ति भत्ते के
रूप में दी
जाती है। शासन
के द्वारा कुपोषण
प्रबंधन पर
निरंतर कार्य
किया जा रहा है, कुपोषण
में कमी की
स्थिति प्रश्नांश (क) के
उत्तर में
परिलक्षित है।
कुपोषण हेतु
कई कारक
जिम्मेदार
होते हैं यथा
दैनिक भोजन
में पर्याप्त
पोषण तत्वों
का अभाव, स्वास्थ्य सुविधाओं
की
अनुपलब्धता/पहुंच, आर्थिक
संरचना, संसाधन की
कमी, अनुचित आहार-व्यवहार, बीमारियां, परिवार में
सदस्यों की
संख्या, रोजगार की
कमी, सामाजिक कुरीतियां, शिक्षा का
अभाव आदि।
गंभीर
कुपोषित
बच्चों की रोग
निरोधक
क्षमता कम
होने से अन्य
बीमारियों का
उन पर
तुलनात्मक
रूप से ज्यादा
प्रभाव पड़ता
है। जन
सामान्य
द्वारा पोषण
विविधता का
उपयोग न करना, स्वच्छता
एवं व्यवहार
परिवर्तन में
कम रूचि जैसे
अन्य कारक
भी कुपोषण की समस्या
बने रहने के
प्रमुख कारण
हैं,
जिसके लिए
किसी एक
व्यक्ति को
जिम्मेदार
नहीं ठहराया
जा सकता है।
अतः कार्यवाही
का प्रश्न ही
नहीं उठता है।
श्री सुखेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्नांश ग में पूछा था कि प्रश्न दिनाँक तक 1 वर्ष में 15 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. माननीय मंत्री जी ने उत्तर दिया है कि पोषण पुनर्वास केन्द्रों में कुपोषण से मृत्यु संख्या निरंक है, यह गलत जानकारी दी गई है. जब आपके पोषण पुनर्वास केन्द्र में बच्चे भर्ती ही नहीं होंगे तो मृत्यु संख्या निरंक रहेगी. मैंने पूछा था कि आप सब कुछ खर्च कर रहे हैं फिर भी कुपोषण बढ़ रहा है. 1 वर्ष में 15 बच्चों की मौत हो चुकी है. यह मैं नहीं कह रहा हूँ, यह स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट भी कह रही है. कुपोषण बाल मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है.
अध्यक्ष महोदय-- सुखेन्द्र सिंह जी, कृपया सीधा प्रश्न करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना यह है कि मध्यप्रदेश कुपोषण में नंबर वन है और हमारा रीवा जिला तो पूरे प्रदेश में नंबर वन होता जा रहा है, तो इसके लिए सरकार चिन्तित है कि नहीं चिन्तित है?
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार न केवल चिंतित है बल्कि सरकार बहुत कंसंर्नड है और बहुत सघन मॉनिटरिंग के साथ अपनी सर्विसेस को लगातार हम बेहतर बना रहे हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, इसके बावजूद यह दशा है कि रीवा जिला कुपोषण के घेरे में आ गया.
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- अध्यक्ष महोदय, कई सारी जानकारियाँ, जो प्रश्न में आपने दीं, मैंने अपने उत्तर में बताया है कि माननीय सदस्य को जो जानकारियाँ प्राप्त हैं. उसमें बहुत जगह सत्यता नहीं है बहुत जगह सत्यता है भी, पर आपकी जो चिन्ता है कुपोषण के प्रति, मैं आपकी उस चिन्ता का, आपके कंसर्न का सम्मान करती हॅूं और आपके अपने पर्टिक्यूलर जिले के लिए कुछ विशेष सुझाव होंगे या कुछ विशेष इनपुट देंगे तो मैं उसको लागू करूंगी.
अध्यक्ष महोदय :- प्रश्नकाल समाप्त.
( प्रश्नकाल समाप्त )
12.01 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
12.02 बजे शून्यकाल में उल्लेख
(1) श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत अमिलिया, डीसी अन्तर्गत 5-6 गांवों से ज्यादा की लाईट बंद कर दी गई है. हमारी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है कि दसवीं, बारहवीं बोर्ड की परीक्षाएं चल रही हैं. कई अनुसूचित जाति, जनजाति बस्तियों की लाइटें बंद कर दी गई हैं. जैसे ग्राम अमिलिया, गेरूआ, मुरदाडी.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, इतने लंबे नहीं पढ़ने देंगे. आपने सूचना दे दी है, हो गया. ब्लॉक का नाम बता देते, तो ठीक था. आप तो गांव बताने लगे.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिहावल विधानसभा क्षेत्र अन्तर्गत अमिलिया, डीसी की कई ग्रामों की लाइटें बंद कर दी गई हैं.
(2) डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे मध्यप्रदेश में कक्षा नौवीं, ग्यारहवीं, की परीक्षाएं, जो शासकीय स्कूलों में स्थानीय स्तर पर होती हैं परन्तु पेपर कुछ वर्षों से माध्यमिक शिक्षा मंडल से भेजे जाते हैं. वे पेपर यहां से जाकर अमरपाटन, सतना में लीक हो गए और पूरे मध्यप्रदेश के करीब लाखों विद्यार्थियों की परीक्षाएं दोबारा कराने का निर्णय हुआ है. इससे तमाम विद्यार्थियों को और पालकों को आर्थिक और मानसिक क्षति हुई है और परेशानी हुई है. हमारा आपसे अनुरोध है कि परीक्षा लीक होने में जो गड़बड़ी हुई है उसकी आप चर्चा कराएं.
(3) श्री प्रताप सिंह (जबेरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, संपूर्ण मध्यप्रदेश में नौवी, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं उसमें मेरे क्षेत्र में भी जबेरा ब्लॉक में कई गांवों की लाइटें काट दी गई हैं तो मैं चाहूंगा कि इन परीक्षाओं के वक्त ध्यान दिया जाए.
(4) श्री दिनेश राय (सिवनी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे सिवनी विधानसभा में कोटवारों द्वारा असंतोष जाहिर किया गया है और वे लोग हड़ताल में बैठ गए हैं उनकी तनख्वाह बढ़ाने की बात पूर्व में इस सरकार ने कही थी, उसको पूर्ण करा दें.
(5) श्री सुखेन्द सिंह (मऊगंज) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र हनुमना नगर पंचायत के अंतर्गत वार्ड क्रमांक 6 में बस स्टेण्ड के लिए प्रस्ताव किया गया है जिसमें वहां के स्थानीय निवासी काफी विरोध में हैं. दूसरी जगह जहां पूर्व में आरटीओ था उस जमीन पर चाहते हैं कि बस स्टेण्ड बने, जो जनहित में है. 80 परसेंट जनता चाहती है. अत: उस पर ध्यान केन्द्रित करना चाहता हॅूं.
12.03 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, भोपाल का चतुर्थ वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2011 (क्रमांक 34 सन् 2011) की धारा 44 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, भोपाल का चतुर्थ वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016 पटल पर रखता हॅूं.
12.04 बजे ध्यान आकर्षण
1. गुना जिले के जंजाली मकसूदनगढ़ सड़क की जर्जर हालत से उत्पन्न स्थिति
श्री जयवर्द्घन सिंह(राघौगढ़)-- अध्यक्ष महोदय,
लोक निर्माण मंत्री(श्री रामपाल सिंह)-- अध्यक्ष महोदय,
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने इस बात का उल्लेख किया है कि बारिश के पहले इस सड़क का पुनर्निर्माण तो नहीं हो पाएगा, लेकिन मरम्मत करवा दी जाएगी. मेरा निवेदन है कि मरम्मत के लिए भी जो व्यवस्था वर्तमान में लोक निर्माण विभाग की है, उसके तहत् सरकार की ओर से सिर्फ लगभग 20 श्रमिक वहाँ उपस्थित हैं. रोड की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि उनके माध्यम से उस सड़क की मरम्मत भी नहीं हो पाएगी तो मेरा मंत्री जी से यही निवेदन है कि या तो मरम्मत हेतु एक टेंडर हो जाए क्योंकि कम से कम 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये में ही अच्छी तरह से मरम्मत हो पाएगी और साथ ही जैसा कि माननीय मंत्री जी ने कहा है कि एम.पी.आर.डी.सी. के माध्यम से इसकी फिजिबिलिटी रिपोर्ट भी आ चुकी है और उसके बाद जो ए.डी.बी. का फण्ड होगा उसके माध्यम से इसका पुनर्निर्माण हो जाएगा, लेकिन बारिश के पहले अगर टेंडर के माध्यम से इसकी मरम्मत हो जाए तो इससे काफी काम हल हो जाएगा.
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से हम पूरा प्रयास कर रहे हैं कि बरसात के पहले वहाँ पर यातायात सुचारु रूप से चले, माननीय सदस्य जिस तरह बरसात के पहले यातायात के आवागमन के लिए चिंता कर रहे हैं तो हम उसकी मरम्मत करा देंगे. इसको हमने राज्यमार्ग भी घोषित किया है और योजना में भी हम ले रहे हैं और सड़क की चिंता हम लोग कर रहे हैं. जल्दी ही आने वाले समय में अच्छी सड़क वहाँ बनाई जाएगी.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या मरम्मत टेंडर के माध्यम से होना संभावित है ?
श्री रामपाल सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये निर्णय हमारे ऊपर माननीय सदस्य छोड़ दें तो अति कृपा होगी कि हमें कैसे कराना है, लेकिन उसकी मरम्मत हम कराएंगे, टेंडर से भी करा सकते हैं.
श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
(2) उज्जैन जिले के घट्टिया क्षेत्र में पेयजल संकट से उत्पन्न स्थिति
श्री सतीश मालवीय (घट्टिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री सतीश मालवीय -- माननीय मंत्री जी आप तो स्वयं महिला हैं और महिला वर्ग की पीड़ा को भली भांति जानती हैं. मैंने जिस समस्या की तरफ आज आपका ध्यान आकर्षित किया है उस समस्या का सामना महिलाओं को ही करना होता है, जो पुरूष प्रधान समाज है, वह इन समस्याओं से दो दो हाथ कभी नहीं करता है. मेरे विधान सभा क्षेत्र घट्टिया के बारे में जो जवाब आया है, उसमें कहीं न कहीं विभाग के द्वारा यह स्वीकार किया गया है कि भू जल स्तर गिरा है. जवाब में आया है कि मार्च अप्रैल के बाद में विभाग इस प्रकार की व्यवस्था करेगा कि जहां पर भू जल स्तर गिरा है वहां पर पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी. मेरा आपसे अनुरोध है कि मेरी विधान सभा क्षेत्र घट्टिया में जनवरी फरवरी से ही भू जल स्तर गिर जाता है और पानी के लिए त्राहि माम जैसी अव्यवस्था बनती है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि क्या मंत्री महोदया आश्वस्त करेंगी कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में निजी तथा शासकीय स्त्रोत से खनन होने वाले ट्यूब वेल में 500 से 600 फीट पर भी पानी नहीं निकल रहा है तो क्या आपका विभाग 1000 से लेकर 1200 फीट की गहराई तक ट्यूब वेल का खनन करने के आदेश - निर्देश जारी करेगा या वहां पर आपका विभाग खनन करेगा .
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- अध्यक्ष महोदय, अभी तो हमारे विभाग ने घट्टिया विधान सभा के लिए जो व्यवस्था की है वह मैं यहां पर बताना चाहती हूं. इस वर्ष आपके क्षेत्र में हम 50 सिंगल फेस की मोटर लगायेंगे, जिले में 160 हैण्ड पंप करेंगे और ट्यूब वेल करेंगे, और घट्टिया में 40 ट्यूब वेल और करेंगे.
श्री सतीश मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे संरक्षण चाहूंगा. मैं माननीय मंत्री जी से भी अनुरोध करना चाहूंगा कि मेरा निवास भी घट्टिया गांव में है. मैं जिस जगह पर रहता हूं वहां पर भी पानी के लिए त्राहि माम, त्राहि माम मचा हुआ है. वहां की जनसंख्या 6500 बताई गई है लेकिन वहां की जनसंख्या 10 से 11 हजार के आसपास है और वहां पर बहुत ज्यादा स्थिति खराब है. मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि कम से कम यहां पर यह आश्वासन तो दे दें कि घट्टिया जैसे जो बड़े बड़े गांव हैं जैसे ताजपुर, घट्टिया, बिछडोद, पानबिहार, बेड़ावन और उन्हेल है ऐसे 10 से 15 हजार की आबादी वाले क्षेत्र हैं, जहां पर पानी के लिए महिलाओं को वास्तव में दूरस्थ अंचल तक पानी नहीं मिलता है 5 से 7 किलोमीटर दूर तक से पानी खोजकर लाना पड़ता है. यहां तक कि टेंकरों को 10 से 20 किलोमीटर दूर से किराये पर लाना पड़ता है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया से निवेदन करना चाहता हूं कि यहां पर यह आश्वासन तो दे दें कि जो बड़े बड़े गांव हैं जिन गांवों का मैंने जिक्र किया है वहां पर 1000 से 1200 फीट तक के ट्यूब वेल खनन के आदेश जारी करेंगे. ताकि इन जगहों पर पानी की व्यवस्था सुचारू रूप से शुरू हो जाय. मैं यहां पर इतना ही आश्वासन चाहता हूं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां पर बहुत गहराई तक पानी है तो जिस मशीन की आप मांग कर रहे हैं उसको भेज देंगे.
श्री सतीश मालवीय-- अध्यक्ष महोदय, मैं इसके लिए माननीय मंत्री महोदया को धन्यवाद देना चाहता हूं. साथ ही मेरा यह भी अनुरोध है कि हमारा घट्टिया बहुत बड़ा गांव है, दुर्भाग्य से नाम तो घट्टिया है लेकिन आप सबके आशीर्वाद से बहुत ही उन्नति कर रहा है, वहां पर पानी की एक ही टंकी है.
कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, इस घट्टिया नाम को बदला जाना चाहिए, मध्यप्रदेश में कोई भी घटिया नहीं है, विधायक जी आप प्रस्ताव दें, हम सब सदस्य पूरा सदन सहमत है. मध्यप्रदेश में सब कुछ बढ़िया है फिर घट्टिया क्यों रहे. मेरा निवेदन है कि आप इस सदन के माध्यम से प्रस्ताव दें और पूरा सदन उसे पास करेगा.
श्री कमलेश्वर पटेल -- महिलाएं 5 से 7 किलोमीटर दूर से पानी लेकर आ रही हैं आपका कितना बढ़िया मध्यप्रदेश है...(व्यवधान)..
श्री सतीश मालवीय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में बहुत ही अच्छा विकास हो रहा है.....(व्यवधान)..
कुँवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप भी इस बात से सहमत होंगे कि क्या किसी गांव को घटिया कहा जा सकता है ? (व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय - हां आप सही कह रहे हैं , घटिया नहीं कहा जा सकता है.
कुँवर विजय शाह - (व्यवधान).....माननीय अध्यक्ष महोदय, इसलिए निवेदन है कि इस गांव के नाम को बढि़या कर दिया जाए. (व्यवधान).....
श्री सतीश मालवीय - (व्यवधान).....माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से एक दो लाख लीटर की टंकी की मांग कर रहा हूं कि आपका आदेश हो जायेगा तो आपकी मेरे ऊपर कृपा हो जायेगी. (व्यवधान).....
श्री कमलेश्वर पटेल - नलजल योजनाएं बंद है. (व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय - कृपया सभी बैठ जायें, कोई नहीं बोलेगा. श्री मोहन यादव जी आप भी बैठ जाएं, इनका उत्तर तो आने दे पहले (व्यवधान).....
डॉ.मोहन यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह इनकी बात कर लें फिर मैं बोलूंगा. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -श्री सतीश मालवीय यह आपका आखिरी प्रश्न है. (व्यवधान)....
डॉ.मोहन यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह एक विषय जो आया है मैं उसके बारे में स्पष्ट करना चाहूंगा कि इन्होंने जो घट्टिया शब्द कहा है, उसमें ट के नीचे ट है. वह संस्कृत का शब्द है, उसका वह अर्थ नहीं है जो हम लोग निकाल रहे हैं. यह हमारा अपभ्रंश है, जो हम उसकी गलत अर्थ में व्याख्या कर रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल - यह शिक्षा मंत्री जी की समझ से परे है. (हंसी)
डॉ.मोहन यादव -यह संस्कृत का शब्द है इसको समझने की आवश्यकता है. (व्यवधान)..
श्री सतीश मालवीय - माननीय अध्यक्ष जी, मेरा जवाब आ जाए. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -अब उस विषय पर बहुत देर चर्चा हो गई, उनकी डिमांड है कि उनको एक पानी की टंकी चाहिए. माननीय मंत्री जी आप बोलें. (व्यवधान)..
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी के बिना मांगे ही मैंने इतना अधिक दे दिया है, लेकिन विधायक जी संतुष्ट ही नहीं हो रहे है.
श्री सतीश मालवीय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो संतुष्ट हू. मैं तो सिर्फ आपसे टंकी का अनुरोध कर रहा हूं कि आपकी कृपा हो जाए. ग्राम घट्टिया में एक दो लाख लीटर की टंकी की आवश्यकता है. (हंसी)
कुँवर विजय शाह - (व्यवधान).. माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर घटिया कहा इन्होंने. (हंसी...)
श्री कलेश्वर पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय सालभर से नलजल योजनाएं बंद है. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं. इस विषय पर बहुत चर्चा हो गई है. (व्यवधान)..
कुँवर विजय शाह - जिज्जी आप यह बोलो कि घटिया में सब बढि़या कर देंगे. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -यह विषय इतना महत्वपूर्ण नहीं है कि इस पर इतनी देर बहस की जाए. (व्यवधान)..
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, घट्टिया ग्राम में सब कुछ बढि़या कर देंगे और आवश्यकतानुसार गहरे नलकूप खनन कर देंगे.
श्री सतीश मालवीय - माननीय अध्यक्ष जी एक बार आप आसंदी से टंकी का आदेश करवा देंगे तो आपकी कृपा हो जाएगी (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - आसंदी से आदेश नहीं होगा. आपको कृपा मंत्री जी की चाहिए (हंसी)
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - टंकी की आवश्यकता होगी तो टंकी भी बनवा देंगे.
श्री सतीश मालवीय - माननीय अध्यक्ष जी, टंकी की आवश्यकता है. बहुत बहुत धन्यवाद. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक छोटा सा प्रश्न और है.
अध्यक्ष महोदय - अब कोई प्रश्न नहीं होगा, ध्यानाकर्षण में एक प्रश्न पूछा जाता है. आप तीन प्रश्न पूछ चुके हैं.
श्री सतीश मालवीय - माननीय अध्यक्ष जी एक छोटा सा प्रश्न.
अध्यक्ष महोदय - अब बिल्कुल नहीं यह अनंतकाल तक नहीं चलेगा. श्री जितू पटवारी जी आप बोलें.
श्री सतीश मालवीय - माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपको और मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं और कुंवर शाह जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं.
कॅुंवर विजय शाह - गांव का नाम बढि़या वाला कराओ, माननीय अध्यक्ष महोदय जी भी इससे सहमत होंगे...(हंसी)
श्री सतीश मालवीय - आप चाहेंगे तो हो जायेगा.
(3) इंदौर एवं रतलाम जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले आवासों को तोड़े जाने से उत्पन्न स्थिति.
श्री जितू पटवारी -
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) - अध्यक्ष महोदय,
श्री जितू पटवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़े विस्तार से माननीय मंत्री जी ने उत्तर दिया है. ईश्वर नगर रतलाम की बस्ती ऐसी मध्यप्रदेश में ऐसी जितनी भी योजनाएं शासन की आयी है जो पुराने पट्टे दिये हैं उसमें पट्टों की जो जमीन निर्धारित थी उसको कम करके जमीन दी जा रही है. उतने ही पट्टे पर सुधार के लिये जो आपने ऋण की व्यवस्था की है, हो सकती है. मेरा प्रश्न फिर से एक बार क्या पट्टे की जमीन कर-कर के योजनाओं के लाभ दिये जा रहे हैं या उतनी ही जमीन पर लाभ दिया जा रहा है.
श्रीमती माया सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, रतलाम के ईश्वर नगर में हितग्राहियों को पूर्व में काबिज जमीन पर 30 वर्ग मीटर के पक्के आवास निर्माण के लिये हम उनको मदद कर रहे हैं उनको राशि भी दी जा रही है. उतने ही पट्टे पर निर्माण एलोकेशन है.
श्री जितू पटवारी--माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्दौर नगर निगम में ऐसी कितनी बस्तियां चिन्हित की हैं जिसको विस्थापित करना है या उनको इस योजना का लाभ दिलाना है. आपके पास इसकी संख्या उपलब्ध है तो बता पाएंगी क्या? मेरा प्रश्न यह है कि इन्दौर नगर निगम में ऐसी कितनी बस्तियां हैं और ऐसी बस्तियों में योजना का लाभ दिलाने से पहले क्या बस्ती को विश्वास में लिया जाता है या जोर जबरदस्ती से यह काम किया जाता है, स्पष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय--आपने प्रश्न यह नहीं पूछा था. आपने पूछा था कि कितनी बस्तियां ऐसी हैं जिनको विस्थापित किया जा रहा है.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, उन विस्थापित बस्तियों से क्या सहमति ली है.
श्रीमती माया सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्दौर में इस समय चिन्हांकन का काम चल रहा है.
श्री
जितू
पटवारी--अध्यक्ष
महोदय, सवाल
फिर से यह है
कि ऐसी
बस्तियों में
जिसमें
प्रधानमंत्री
जी की इस
महत्वाकांक्षी
योजना को लागू
करने के लिये
शासन की मंशा
है, क्या उनकी
सहमति ली जाना
अनिवार्य है.
उनसे सहमति ली
जा रही है कि
नहीं ?
श्रीमती
माया
सिंह--माननीय
अध्यक्ष
महोदय, वहां
पर बसे हुए
लोग हैं उनसे
बातचीत करने
के बाद ही दो
तरह से हम
मकान को बना
रहे हैं. एक
बस्ती को
विश्वास में
लेकर ही काम
किया जाता है.
वहां सहमति के
आधार पर
निर्माण कर
रहे हैं. उनको
विश्वास में
लेने के बाद
ही यह निर्माण
कार्य वहां पर
किये जा रहे
हैं. अगर आपकी
जानकारी में
ऐसी पर्टीक्यूलर
बात है आप
बताएंगे तो
मैं जवाब दूंगी.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, सवाल तो अब....
अध्यक्ष महोदय--आप तीन प्रश्न पूछ चुके हैं, जबकि इसमें एक ही प्रश्न पूछा जाता है. तीन प्रश्न पूछने के बाद कह रहे हैं कि सवाल अब चालू होते हैं.
श्रीमती माया सिंह--अध्यक्ष महोदय, जितू जी से मुझे अपेक्षा थी कि इतना बड़ा काम हाऊस फॉर ऑल के तहत पहली बार मध्यप्रदेश के अंदर गरीब लोगों को जिनके अपने स्वयं के मकान नहीं हैं वह टपरों में तथा झुग्गी बस्तियों में रह रहे हैं उनको मकान उपलब्ध कराये जा रहे हैं तो मुझे लगा कि आप इससे खुश होंगे. मैं सभी से आग्रह कर रही हूं कि अपने अपने विधान सभा क्षेत्र में ऐसे परिवार व ऐसे हितग्राहियों को चिन्हित करें और उसका लाभ दिलाये. अभी नगर उदय अभियान के तहत लगभग 3 लाख ऐसे आवासहीन व्यक्तियों को अधिकार पत्र दिये गये हैं. यू.पी.ए. की सरकार के समय 10 वर्षों में सिर्फ 40 हजार आवासों के निर्माण की स्वीकृति मिली थी और लोग बहुत खुश हैं, क्योंकि दो तरह से मकान बनाये जा रहे हैं एक जिनके नहीं हैं उनको पूरे मकान बनाकर के दे रहे हैं जहां पर जो बसे हुए हैं जिन्होंने अपनी राशि लगाकर ऐसे मकान बना रहे हैं उन्होंने इतने अच्छे एवं सुन्दर मकान बनाये हैं आप उन स्थानों पर जाकर के देखेंगे तो आप बड़े खुश होंगे.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे संरक्षण चाहता हूं. मेरे जो प्रश्न आना थे वह आये नहीं है. मंत्री जी ने अपनी योजना का क्रियान्वयन कैसे करेंगे, वह बताया है. अध्यक्षजी, इंदौर में इस योजना..
अध्यक्ष महोदय-- यह डिस्कशन का विषय नहीं है.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, यह क्या बात हुई.
अध्यक्ष महोदय-- आप ध्यानाकर्षण के नियम पढ़ लें.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, ये क्या तरीका है, फिर ध्यानाकर्षण क्यों लिया?
अध्यक्ष महोदय-- तरीका नियमानुसार है. आप 6 प्रश्न पूछते हैं. इसमें एक प्रश्न की अनुमति होती है. आपको 3 प्रश्नों की अनुमति दी है. (व्यवधान) उसके बाद भी तरीका बताऊं आपको.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष जी, आप मेरे लिए नहीं, गरीब आदमी के लिए कृपा करें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--अध्यक्ष महोदय, यह क्या तरीका है.(व्यवधान)
श्री मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- आसंदी के खिलाफ कुछ भी बोलेंगे. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, जो शासन की योजना का लाभ लेना चाहता है. (व्यवधान) यह एक व्यक्ति का या कांग्रेस पार्टी का सवाल नहीं है.
डॉ मोहन यादव-- अध्यक्ष जी, जिस प्रकार से इन्होंने बोला है वह आपत्ति जनक है...(व्यवधान) जिस प्रकार का व्यवहार जितू जी ने किया है उसके लिए इनको माफी मांगना चाहिए.
श्री शंकर लाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, इनका व्यवहार सदन में उचित नहीं है. कागज फैंक देंगे और कहेंगे कि ध्यानाकर्षण क्यों लिया था. यह अमर्यादित है. इस प्रकार का व्यवहार नहीं होने दीजिए. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी-- मैं सम्मानित सदस्यों से अनुरोध करता हूं.
एक माननीय सदस्य--सबसे पहले जितू जी माफी मांगे.
श्री जितू पटवारी-- काहे की माफी मांगूं?
एक माननीय सदस्य--आपने जिस प्रकार से आसंदी के साथ व्यवहार किया उसके लिए. (व्यवधान) यह बर्दाश्त नहीं है.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- प्रधान मंत्री आवास योजना में जितू भाई आपकी विधान सभा में कितने आवास बनवाये, बतायें. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठ जायें.
श्री आरिफ अकील-- वह प्रधानमंत्री उजाड़ा योजना है.(व्यवधान) बसा कर उजाड़ रहे हो. (व्यवधान)
डॉ मोहन यादव-- अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा में माननीय माया सिंह जी के नेतृत्व में 23 हजार मकान बन रहे हैं. उसमें से लगभग 2 हजार मकान बन कर तैयार हो गए. यह इतनी अच्छी योजना है जिसका हमको लाभ लेना चाहिए लेकिन जितू जी इस प्रकार की बात कर रहे हैं वह जो व्यवहार कर रहे हैं वह अत्यंत निन्दनीय है.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- इस पर कोई बहस नहीं हो रही है. बैठ जाइये.
श्री शंकर लाल तिवारी-- इस प्रकार की (XXX) करते हैं और विधान सभा की गरिमा खराब करते हैं.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, यादव जी मैं मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं लूं?
अध्यक्ष महोदय-- कोई सीधे बात नहीं करेगा. आप बैठ जाइये. आपका उत्तर दे रहे हैं उसके बात कोई प्रश्न नहीं होगा.
श्री जितू पटवारी-- मेरा प्रश्न ही कहां हुआ?
अध्यक्ष महोदय-- आपने प्रश्न कर लिया है. माननीय मंत्री उत्तर दे रही हैं
श्री जितू पटवारी-- मैं प्रश्न पूरा कर लूं?
अध्यक्ष महोदय-- नहीं होगा. आपको उत्तर लेना है या नहीं अन्यथा मैं अगला प्रश्न पुकार रहा हूं. आपके 4 प्रश्न हो गए हैं.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, आप इतने निष्पक्ष हैं. (व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान--अध्यक्ष जी, नियम प्रक्रिया से विधान सभा चलेगी. क्या यह कांग्रेस का मंच है?
श्रीमती माया सिंह--अध्यक्ष जी, इंदौर में अभी पीएमएवाय घरों का निर्माण प्रारंभ हुआ है. साथ ही साथ पूर्व में निर्मित मकानों का कब्जा पुरानी योजना के अंतर्गत ही दिया जा रहा है. आपने जो सवाल पूछा कि लोगों को बताया नहीं गया तो मेरा कहना है कि सबको विश्वास में लिया गया है और पूर्व से ही रजिस्ट्रीकरण कर, बैंकों से लोन का फार्म हितग्राहियों द्वारा ही भरा जाता है. वे खुशी-खुशी भर रहे हैं. उन्हें नए, सुन्दर पक्के मकान दिए जाएंगे.
अध्यक्ष महोदय-- यह सवाल-जवाब नहीं है. सवाल और जवाब है. आप ध्यानाकर्षण के नियम पढ़ें.
(4) मक्सी थानान्तर्गत अपराधों में वृद्धि होने से उत्पन्न स्थिति
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा(सोनकच्छ) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
गृह मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री राजेन्द्र फूलचन्द वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं. यह जो थाना है यह महिला विरोधी,अनुसूचित जाति विरोधी थाना है. इसमें दिनांक 3.3.2017 को लक्ष्मी लोधी नाम की महिला जो पिछड़े वर्ग की है उसके साथ शाम को छेड़छाड़ होती है और कुछ लोगों द्वारा उसके घर में घुसकर उसके साथ जबर्दस्ती करने की कोशिश होती है. वह दिनांक 3.3.2017 की शाम को रिपोर्ट करती है लेकिन अगले ही दिन दिनांक 4.3.2017 की सुबह 8 बजे अपराधी फिर उसके घर पर पहुंचते हैं और उसके साथ मारपीट करके जबर्दस्ती करने की कोशिश करते हैं. उसके बाद जब वह महिला थाने जाती है तो वहां के टी.आई. उदय सिंह अवाला और एस.आई. भीम सिंह पटेल उसके साथ मारपीट करते हैं कि जो वह करना चाहता था तुमने उसको करने क्यों नहीं दिया. इस घटना की जानकारी उस महिला ने एस.पी. को दी है. मेरे पास सारे रिकार्ड हैं. आप कहेंगे तो मैं वह पेपर्स को पटल पर भी रख दूंगा. वह महिला घर छोड़कर पिछले एक महीने से अपनी बहन के यहां रह रही है. उसका पूरा घर खाली पड़ा हुआ है. मेरा मंत्री जी से कहना है कि हमारी सरकार महिला संरक्षण वाली सरकार है और इसके अलावा मैं एक और घटना का उल्लेख करना चाहता हूं कि एक अनुसूचित जाति के व्यक्ति कैलाश मालवीय के भाई के खिलाफ 22.2.2017 को एफ.आई.आर. होती है, 23.2.2017 को टी.आई. उदय सिंह अवाला और एस.आई. भीम सिंह पटेल उसके घर में जाते हैं और अनुसूचित जाति की महिलाओं के बाल पकड़कर खींचते हैं, उनकी रात को 12 बजे जाकर रजाई हटाते हैं. कोई महिला पुलिस कर्मी उनके साथ नहीं थी. इसीलिये मेरा कहना है कि यह टी.आई. और एस.आई. महिला विरोधी एवं अनुसूचित जाति विरोधी हैं. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि क्या इनको सस्पेंड कराकर दोनों प्रकरणों की जांच कराएंगे और जो महिला अपना गांव छोड़कर रह रही है उसको सुरक्षा प्रदान करेंगे ?
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां पर पदस्थ टी.आई. उदय सिंह अवाला और सब इंस्पेक्टर भीम सिंह पटेल, इन दोनों को निलंबित करके आई.जी. से जांच करा लेंगे.
12.45 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय - आज की कार्यसूची में सम्मिलित याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी
12.45 बजे उपाध्यक्ष महोदय(डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.
12.45 बजे वक्तव्य
कक्षा 9वीं एवं 11वीं का पेपर लीक होने के कारण परीक्षा निरस्त करने के संबंध में
स्कूल शिक्षा मंत्री का वक्तव्य.
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुंवर विजय शाह)-- उपाध्यक्ष महोदय,
श्री रामनिवास रावत-- आज 10वीं का पेपर भी आउट हो गया.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसकी पुनरावृत्ति न हो. इसका छात्रों पर बहुत फर्क पड़ता है.
उपाध्यक्ष महोदय-- यह वक्तव्य है बाला जी, इसमें चर्चा नहीं होती है.
श्री बाला बच्चन-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपनी प्रतिक्रिया दे रहा हूं. माननीय मंत्री जी आप और आपका विभाग देखता क्या है. बच्चे तैयारी करते हैं और उस टाइमिंग के मुताबित अपनी परीक्षा को नहीं दे पाते हैं इससे उनके टेलेंट पर बहुत फर्क पड़ता है. बार-बार इसका रिपीटेशन हो रहा है. कम से कम भविष्य में इस तरह का रिपीटेशन न हो, इसको आप प्राथमिकता दें. इस बात को देखें कि परीक्षा निरस्त करने से बहुत बड़ा फर्क पड़ता है. जब हम लोग पढ़ाई करते थे, और कहीं अगर ऐसी कोई बात हो जाती थी, या पेपर लीक हो जाता था, बड़ी दिक्कतें होती हैं. फिर से वापस उसकी तैयारी करना पड़ती थी. इसकी पुनरावृत्ति भविष्य में न हो इस बात को आप सुनिश्चित करें.
12.49 बजे 5. वर्ष 2017-2018 की अनुदानों की मांगों पर मतदन .. (क्रमश:).
(1) मांग संख्या-27 स्कूल शिक्षा (प्रारंभिक शिक्षा)
मांग संख्या-40 स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित अन्य व्यय
(प्रारंभिक शिक्षा को छोड़कर)
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
12.52 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
उपाध्यक्ष महोदय- आज भोजनावकाश नहीं होगा. भोजन की व्यवस्था दोपहर 1.00 बजे से सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
12.53 बजे
वर्ष 2017-2018 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:).
श्री के.पी.सिंह(पिछौर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 27 और 40 के विरोध में तथा कटौती प्रस्ताव के समर्थन में अपनी बात करने के लिये खड़ा हुआ हूं. उपाध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी की सरकार के 13 साल का जो कार्यकाल है उस पर कहना चाहता हूं कि..
कुं.विजय शाह - मुझे तो अभी 8 माह ही हुये हैं.
श्री के.पी.सिंह -- अध्यक्ष महोदय, 9 माह पूरे हो गये कि नहीं. (कुं.विजय शाह द्वारा बैठे बैठे नहीं कहने पर )फिर यह कैसे जवाब देंगे. (हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय, वर्तमान में शिक्षा की जो स्थिति है उसकी एक तुलनात्मक रिपोर्ट है जिसमें आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश की तुलना की गई है. मध्यप्रदेश में कुल स्कूल हैं 1 लाख 50 हजार 762, महाराष्ट्र में स्कूल हैं 1 लाख 7 हजार और आंध्र प्रदेश में 62 हजार स्कूल हैं. मध्यप्रदेश के शिक्षा विभाग में शिक्षकों के मामले में जो स्थिति है वह भी बताना चाहता हूं. मध्यप्रदेश में शिक्षक हैं 9736, 1 लाख 50 हजार 762 स्कूल पर और महाराष्ट्र में 1 लाख 7 हजार पर 5338 उसी तरह से जब 62 हजार स्कूल आंध्रप्रदेश में हैं तो उस प्रदेश में शिक्षक 7371. इसी तरह से बिना बिजली और बिना शिक्षक के जो स्कूल हैं उसकी भी रिपोर्ट में तुलना की गई है. उस रिपोर्ट को देखने के बाद मध्यप्रदेश में स्कूलों की स्थिति बहुत शर्मनाक है, चूंकि मंत्री जी कह रहे हैं कि उन्हें अभी 8 माह ही हुये हैं तो आपकी कोई जवाबदारी बनती नहीं है, ऐसा नहीं होना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह उदाहरण इसलिये प्रस्तुत कर रहा हूं कि बार बार हमारी सरकार के द्वारा समय समय पर स्कूल शिक्षा की बेहतर शिक्षा के बारे में बड़ी बड़ी बातें की जाती हैं. लेकिन जो रिपोर्ट सामने आ रही हैं वह उससे बिल्कुल भिन्न है. मंत्री जी आपने स्कूल चलो अभियान बड़े जोर शोर से चलाया. पिछले माह ही प्रवेश उत्सव चलाया शायद हर स्कूल में एक माह तक वह उत्सव चला . यह अभियान आपको क्यों चलाना पड़ रहे हैं. मेरे मत में यह अभियान सरकार को इसलिये चलाना पड़ रहे हैं क्योंकि आपके स्कूलों में छात्रों की संख्या निरंतर घट रही है. 2013 के पहले की चर्चा करना यहां उचित नहीं है क्योंकि शायद पिछले कार्यकाल की बात हम नहीं कर सकते हैं इसलिये मैं 2013-14 से ही इस विभाग की तुलना कर रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, 2013-14 में नामांकन की स्थिति थी. 41,361 बालिकायें और 38,915 बालक. 2014-15 में नामांकन की स्थिति बालक थे 34074 मतलब 4 हजार से ज्यादा के नामांकन घट गये. उसी तरह से बालिकाओं की तुलना आई उसमें 41,361 से 36,000 पर आप आ गये. वर्ष 2015-16 में 33 हजार और बालिकाएं हो गई 35 हजार. माननीय मंत्री जी कुल मिलाकर मेरा मतलब यह है कि यह नामांकन संख्या क्यों घट रही है और आप इस पर ध्यान भी नहीं दे रहे हैं, उसका कारण यह है कि आपके विद्यालय के जो स्थल हैं, उनकी व्यवस्था नहीं है. भोपाल की हालत यह है यहां कि जितने प्रायमरी स्कूल है, उसमें 50 प्रतिशित से ऊपर ऐसे स्कूल हैं, जहां टायलेट और पानी की व्यवस्था भी नहीं है. प्रदेश में तो यह संख्या 80 प्रतिशत के आसपास है. आप स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय की बात करते हैं, मोदी जी के नारे को दोहराते हैं, लेकिन प्रदेश में 80 प्रतिशत प्रायमरी स्कूल में शौचालय ठीक से व्यवस्थित नहीं है, नाम के लिए कागजों में बन गए हो तो अलग बात है, स्कूलों में पानी नहीं है और शिक्षक भी नहीं है. आपके मापदंड के अनुसार एक स्कूल में कम से कम दो शिक्षक होना चाहिए लेकिन हजारों स्कूलों की संख्या ऐसी हैं जहां दो शिक्षक की संख्या नहीं है. कहीं कहीं तो ऐसी हालत है कि अतिथि शिक्षक ही स्कूलों के ताले खोलते हैं, कई स्कूलों में अतिथि शिक्षक हेडमास्टर हो गए हैं, यह बड़ी बिडम्बना है. आप 36 हजार शिक्षकों की भर्ती की बात कर रहे हैं, जबकि आपके मापदंड के अनुसार देखा जाए तो लगभग 1 से 2 लाख शिक्षकों की जरूरत है. आपकी सरकार का चौथा साल प्रारंभ हो रहा है और आप सिर्फ 20 या 30 प्रतिशत शिक्षक भर्ती करने की स्थिति में आए हैं. आज भी कह रहे हैं कि कोई गारंटी नहीं है कि अगले साल तक यह हो जाए, कहने से क्या होता है हकीकत तो हमको दिख रही है. जब हम गांव में दौरे पर जाते हैं तो पता चलता है कि मास्टर साहब विकासखंड मुख्यालय गए हैं और स्कूलों में अतिथि शिक्षक के अलावा कोई दूसरा नहीं होता. बात भी करें तो किससे करें, यह बड़ी विडम्बना है. चाहे मध्यान्ह भोजन हो, चाहे स्कूल प्रबंधन की समितियां हो, चाहे अन्य व्यवस्था हो, पूरी की पूरी व्यवस्था चौपट हो रही है. अधिकतर माता पिता कोशिश कर रहे हैं कि आपके स्कूलों के बजाए उनके बच्चों को प्रायवेट स्कूलों में दाखिला दें. सिर्फ गरीबों के बच्चे जिनके पास स्कूल की फीस देने के लिए पैसे नहीं है वे ही बच्चे आपके स्कूल में जा रहे हैं. मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि अगर सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो सिर्फ गरीब के बच्चे ही आपके स्कूल में जाएंगे, जैसे शहरों की स्थिति हो गई है, शहर में गरीब बच्चा ही आपके स्कूल में पढ़ने जाता है, कोई भी परिवार जिसके पास थोड़ी सी भी राशि की व्यवस्था है वे बच्चे प्रायवेट स्कूल में ही जाते हैं, यही आपके स्कूल के धरातल का आंकलन है. आपने अभी एक नई व्यवस्था की है, उसके लिए सरकार का धन्यवाद, हम भी उसका स्वागत करते हैं कि प्रायवेट स्कूल को गरीबों के 25 प्रतिशत छात्र लेने पड़ेंगे, लेकिन इतने भी बच्चे प्रायवेट स्कूल में नहीं जाते हैं. अब एक नया रास्ता निकाल लिया है कि आईआरडी सूची में तहसीलदार को अधिकार दिया है जो कभी भी बढ़ा सकता है, तो लोगों ने नया रास्ता बना लिया कि आईआरडी सूची में नाम जुड़वा लो और स्कूल में प्रवेश ले लो, लेकिन वास्तव में जो आईआरडी सूची के पात्र हैं उसको जानकारी नहीं है तो इस व्यवस्था का और भी दुरूपयोग हो रहा है. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि इस बारे में थोड़ा समय सीमा बता दें कि किस समय आईआरडी में वह परिवार था, उसको दाखिला दिया जाएगा, जो तत्काल आईआरडी में जुड़ता है, उनको कम से कम प्रवेश न दिया जाए.
श्री के.पी. सिंह -- मैं आरटीआई की बात नहीं कर रहा हूं. मैं तो यह कह रहा हूं कि जुगाड़ से आईआरडी के लोग एडमीशन ले लेते हैं, उन पर तो कुछ अंकुश लगाओ.लगाना न लगाना आपकी मर्जी है, मैंने तो आपके ध्यान में बात बता दी,क्योंकि हम लोगों के पास यह प्रकरण आते हैं. इसी तरह से स्वच्छ निर्माण की बात मोदी जी कर रहे हैं. हमारे प्रधानमंत्री जी का एक बहुत बड़ा अभियान है, उसमें हम सबको शामिल होना है, आपको भी शामिल होना है. लेकिन स्वच्छ विद्यालय परिसर बनें, इसके लिये वहां सफाई की आवश्यकता होती है. जब हम प्राध्यापकों से बात करते हैं, तो वह कहते हैं कि हमारे पास जो सफाई कर्मी हैं, उनको देने के लिये पैसा ही नहीं है. मंत्री जी, अब सफाई कर्मी के लिये जब आप पैसा ही नहीं दे सकते, तो सफाई कौन करेगा और कई स्कूलों में तो मैंने देखा है कि जो वहां के प्रधानाध्यापक हैं, वह बच्चों से कहते हैं कि तुम सफाई करो. छोटे छोटे बच्चे सफाई करें, क्या हमको यह अच्छा लगता है. इसलिये इस संबंध में राज्य शासन कोई व्यवस्था करे. एक सफाईकर्मी की जो नियुक्ति होती है, उसके लिये आप थोड़े बहुत अनुदान की व्यवस्था करिये. आपके पास सर्व शिक्षा अभियान का बहुत सारा पैसा होता है, उसमें से ही कहीं व्यवस्था कर दीजिये. नहीं तो फिर यह स्वच्छ भारत अभियान का क्या होगा. जब स्कूल ही साफ नहीं हैं, तो बाकी गांव की हालत क्या होगी. आपके यहां से अभी अभी एक फरमान जारी हुआ है कि शिक्षा गारंटी स्कूल, जिनमें 20 या 25 से बच्चे कम हैं, वह सारे स्कूल हम बंद कर देंगे. भवन बना हुआ है, छोटे छोटे मजरों में यह हमारा प्रदेश विभक्त हो रहा है. लोग अपनी सुविधा की दृष्टि से अपने अपने खेतों पर जाकर बस रहे हैं. गांव में भीड़ बढ़ रही है, घनी आबादी हो रही है, इसलिये लोग खुली हवा के लिये अपने खेतों में जाकर बस रहे हैं. अब आप मजरे-टोलों के स्कूल बंद करेंगे, तो वह बच्चे कहा आयेंगे, वही बच्चे 2 किलोमीटर दूर गांव में आकर फिर पढ़ने आयेंगे. क्या प्रायमरी, पहली क्लास का बच्चा दो किलोमीटर दूर गांव में पढ़ने आ सकता है. तो इस बारे में आप पुनः विचार करिये. आपके डीपीआई के लोग आंकलन कर आये हैं और कही कहीं तो ऐसा है कि मेरी विधान सभा में 50 स्कूल ऐसे हैं, तो पूरे मध्यप्रदेश के विधान सभा क्षेत्रों में आंकलन करेंगे, तो हो सकता है कि यह हजारों की संख्या में पहुंच जायेगे. हजारों की संख्या में स्कूल बंद करने का औचित्य क्या है. अगर 20 बच्चे भी पढ़ रहे हैं, तो आपको परेशानी क्या है. उपाध्यक्ष महोदय, यह जो शिक्षा गारंटी के स्कूल बंद हो रहे हैं, यह आपकी विधान सभा में भी होंगे. अभी बंद नहीं हुए हैं, इसलिये आपको हो सकता है कि जानकारी न हो, लेकिन यह स्कूल बंद न करें. आगे पीछे बच्चों की संख्या कम थोड़ी हो रही है. हमारी जनसंख्या में लगातार वृद्धि हो रही है,यह बहुत गलत निर्णय है, जिसने भी यह निर्णय लिया है, यह निर्णय आपकी जानकारी में है कि नहीं मुझे नहीं पता, लेकिन प्रदेश से एक निर्देश यह गया है कि जिन स्कूलों में बच्चों की संख्या 20 है, उन स्कूलों को बंद कर दिया जायेगा. उन भवनों का क्या होगा. उन मजरे-टोले के निवासियों का क्या होगा.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- उपाध्यक्ष महोदय, के.पी. सिंह जी एक तरफ तो यह कह रहे हैं कि मैं कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूं और स्कूल भी चाहते हैं, तो यह स्कूल कैसे खुलेंगे. कटौती प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं, तो पैसा कहां से आयेगा.
श्री के.पी. सिंह -- हमने कुछ नहीं कहा है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये. आपका नम्बर आयेगा, तब बोलियेगा. आप अपना भाषण जारी रखिये.
डॉ. गोविन्द सिंह -- रजौधा जी, पहले आपको पता है कि कटौती प्रस्ताव क्या होता है, उसका क्या मतलब है. आप बताओ जरा. आप कुछ समझते हैं कि चाहे जो कुछ बोलने लगते हैं.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- आप वरिष्ठ हैं, मैं आपका जवाब नहीं दे सकता.
उपाध्यक्ष महोदय - भिण्ड, मुरैना का एक प्रबोधन कार्यक्रम होना चाहिए.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) - देखिये, गोविन्द सिंह जी, आप आरोप नहीं लगा सकते हैं. वे सत्ता पक्ष के विधायक हैं और पहली बार जीतकर आए हैं. उन्हें कटौती प्रस्तावों से क्या लेना-देना है ?
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया - मुरैना में सबसे ज्यादा विरोध गोविन्द सिंह जी का किया था.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - आप तो अपनी तरफ से लोगों से पूछो जो कटौती प्रस्ताव रखते हैं. हमारे दल का विधायक कटौती प्रस्ताव क्यों रखेगा ? हम क्यों जानें, हमें जानने की क्या जरूरत है. हम सत्ता में हैं और सत्ता में रहेंगे. हम बरसों तक सत्ता में रहेंगे. कटौती प्रस्तावों को हम कभी नहीं समझेंगे.
श्री के.पी.सिंह - शेजवार जी, आप तो समझते हो, आप तो रहे हो.
उपाध्यक्ष महोदय - बरसों तक रहेंगे या परसों तक रहेंगे. (हंसी)
श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष जी, परसों तक रहेंगे.(हंसी)
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुँवर विजय शाह) - उपाध्यक्ष जी, परसों तो हिन्दुस्तान के बहुत जगह पर और आ जाएंगे.
श्री सुखेन्द्र सिंह - इसीलिए तो परसों तक फाईनल हो जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय - आप जारी रखें (हंसी)
श्री के.पी.सिंह - एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. जिसमें दर्शाया गया है कि 3 साल में करीब 3 लाख बच्चे स्कूल छोड़ गए हैं.
कुँवर विजय शाह - यह कहां की रिपोर्ट है ?
श्री के.पी.सिंह - संस्था जिसने लिखा है Annual State of Education Report (SER) यह शायद भारत सरकार की संस्था है. इसकी रिपोर्ट में 3 लाख बच्चे आपके स्कूल में पढ़ रहे थे, वे स्कूल छोड़कर चले गए हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, जब आप भाषण दें तो उसमें सब बता दीजिएगा.
श्री के.पी.सिंह - रिपोर्ट भी एथेन्टिक है, मैं ऐसे ही नहीं कह रहा हूँ. अब आपने एक और नई व्यवस्था की है. उत्कृष्ट विद्यालय आपके हर विकासखण्ड मुख्यालय में खुल गए हैं. अब इसने एक नई परेशानी को जन्म दिया है कि उत्कृष्ट विद्यालयों में उन्हीं बच्चों को प्रवेश मिलेगा, जो मैरिट पर हैं. अब उसके बाद बचे हुए बच्चे कहां चले गए ? दूसरा, हायर सेकेण्डरी स्कूल विकासखण्ड मुख्यालय पर नहीं है, अब क्या वे गांव में लौटकर जाएं, 5-5 किलोमीटर दूर गांव हैं. जब आपने उत्कृष्ट विद्यालय की स्थापना की थी.
उपाध्यक्ष महोदय -आप 3 मिनट में समाप्त करें.
श्री के.पी.सिंह - अभी मुझे 1 मिनट नहीं हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री के.पी.सिंह जी, आपको बोलते हुए 16 मिनट हो गए हैं. आप 3 मिनट में समाप्त करें.
श्री के.पी.सिंह - उत्कृष्ट विद्यालय जहां एक है, वहां कम से कम 10+2 का और कर दें, जिससे वहां लोकल बच्चे पढ़ सकें. उधर आप फेल होने वाले बच्चों के लिए एक नई योजना चला रहे हो कि जो फेल होंगे, उनको हम दोबारा आगे बढ़ाएंगे, इधर आप स्कूल की व्यवस्था ही नहीं कर रहे हो तो हर विकासखण्ड मुख्यालय पर एक-एक स्कूल और हो जाए, जिससे बचे हुए बच्चे वहां एडमीशन ले सकें.
कुँवर विजय शाह - बिल्कुल खोल देंगे.
श्री के.पी.सिंह - अपने वक्तव्य में घोषणा कीजिये. दो-दो तो हो जाएं. मॉडल स्कूल भारत सरकार ने खोले हैं. अब मॉडल स्कूल की हालत यह है कि उनका पैसा आया है, बिल्डिंग बन गई है, बिल्डिंग बनने के बाद अगर बाउन्ड्री नहीं है तो आप आज बाउन्ड्री नहीं बनवा पा रहे हैं, लाईट नहीं है तो आप लाईट नहीं लगवा पा रहे हैं. मेरे विधानसभा क्षेत्र के खनियाधाना में हमारी स्कूल बिल्डिंग खड़ी है और पिछले एक वर्ष से ज्यादा हो गया.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - विधायक निधि से दे दो.
श्री के.पी.सिंह - तो फिर आप क्या करेंगे ? क्या राज्य सरकार विद्युत व्यवस्था, पानी और बाउन्ड्री की व्यवस्था नहीं कर सकती है. जो आप नहीं करेंगे, वह तो हम करेंगे ही.
कुँवर विजय शाह - उपाध्यक्ष जी, मुझे लगता है कि कक्का जी ने पूरा नहीं पढ़ा है.
श्री के.पी.सिंह - पढ़ लिया है. जो व्यवस्था धरातल में नहीं हैं, हम उसको कैसे मान लें ?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - हमें एक बात श्री के.पी.सिंह जी की बहुत अच्छी लगी कि आप जब स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की रिपोर्ट बता रहे थे. आखिरी में यह कहा कि मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि यह अथेन्टिक है.
श्री के.पी.सिंह - मैंने बोला अथेन्टिक है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - नहीं, आप कार्यवाही उठाकर देख लें.
श्री के.पी.सिंह - उठाकर देख लें और पढ़ो.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - जब उस रिपोर्ट पर मंत्री जी ने शंका व्यक्त की तो आपने यह कहा कि मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि यह अथेन्टिक है. मुझे यह बात बहुत अच्छी लगी.
श्री के.पी.सिंह - मैंने उस एजेन्सी का नाम तक बताया है.
श्री सुखेन्द्र सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह छोटे-छोटे बच्चों के स्कूल के भविष्य का सवाल है. माननीय वरिष्ठ मंत्री जी, आप इस तरह से मजाक न करें.
श्री के.पी.सिंह - आपके स्कूलों में खेल मैदान नहीं हैं. आप पूरे मध्यप्रदेश में एक निर्देश जारी करिये कि जहां स्कूल हैं. वहां आसपास जो भी जमीन है, उसमें एक खेल का मैदान तो उपलब्ध करवा दें. मनरेगा से पैसा मिल रहा है, उसमें आपको पैसा नहीं लगाना है. एक निर्देश जारी करें.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके स्कूल की बजाय अगर हमारे स्कूल कहने लग जाएं, तो अच्छा है.
उपाध्यक्ष महोदय - उनका भाषण समाप्त नहीं होगा.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- उपाध्यक्ष महोदय, के.पी.सिंह जी आपके स्कूल की बजाए हमारे स्कूल कहने लगें तो.
उपाध्यक्ष महोदय-- उनका भाषण समाप्त नहीं होगा. आप बैठ जाइए.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- मेरा कहना इतना ही है कि वह हमारे स्कूल कहने लगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- क्या आप नहीं बोलने वाले हैं. जब आपका नाम आएगा आप तब ही बोल लीजिएगा.
श्री के.पी.सिंह-- प्रतिनियुक्ति पर बहुत सारे शिक्षक हैं 10-10 15-15 साल हो गए हैं. 15-15 साल से दूसरे विभागों में यह शिक्षक काम कर रहे हैं और आपके स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं. क्या आप इन्हें वापस करेंगे? अभी श्री आरिफ भाई बता रहे थे कि भोपाल के ही एक नसरत मेहंदी शिक्षक हैं. वह 15 साल से किसी दूसरे विभाग में काम कर रही हैं. वह यू.एस. घूमकर आई हैं. श्री आरिफ जी ने जो मुझे बताया है मैं वह जानकारी दे रहा हूं. आरिफ जी के माध्यम से आप इसे पता कर लें कि वास्तव में यह सही है या गलत है. ऐसे बहुत सारे उदाहरण हो सकते हैं. उन शिक्षकों को वापस करिए जिससे कम से कम स्कूलों में पढ़ाई लिखाई हो सके. कस्तूरबा गांधी कन्या छात्रावास का जिक्र मैं इसीलिए कर रहा हूं कि हमारे यहां एक घटना हुई. इसी छात्रावास में अधीक्षक के पद पर रहने के लिए भारतीय जनता पार्टी के लोगों में गोलीबारी हो गई. मैंने जब दोनों को बुलाया और पूछा कि क्यों लड़ रहे हो? आपको नहीं लड़ना चाहिए. आप एक ही पार्टी में हो तो कहने लगे यह 10 साल रह लिए अब हमारी नियुक्ति हुई तो हमको हटाने के पीछे पड़े हुए हैं. कस्तूरबा गांधी कन्या छात्रावास इस तरह से लाभ के धंधे के रूप में परिवर्तित न हो. कृपा करके इस पर भी थोड़ा ध्यान दें कि वही लोग यहां रहें जो इसके लिए पात्र हैं. मंत्री जी कम से कम इस व्यवस्था को ठीक कराएंगे. उपाध्यक्ष महोदय, मेरे एक प्रश्न का उत्तर गलता आया है. माननीय मंत्री जी, आप बहुत जागरुक हैं. आप मेरी समस्या पढ़ते भी होंगे. चूंकि वह चर्चा में नहीं आया इसीलिए मैं इसकी चर्चा कर रहा हूं. मैने पूछा था कि विधानसभावार हायर सेकेण्डरी स्कूल वर्ष 2013-14, 2014-15 और 2015-16 में कितने खोले गए? चूंकि मेरे विधानसभा क्षेत्र में तीन सालों में एक भी स्कूल नहीं खोला गया है. इसीलिए मैंने यह सवाल लगाया था कि आखिरकार क्या कारण है कि पूरे मध्यप्रदेश में स्कूल खुल रहे हैं तो मेरे विधान सभा क्षेत्र में क्यों नहीं खुल रहे हैं. उसमें एक जानकारी दे दी कि मेरे विधान सभा क्षेत्र पिछोर के विकासखण्ड में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बामोर, डामोर में खोला गया है. आज दिनांक तक यह हाई स्कूल है यह इंटर स्कूल नहीं है. चूंकि यह चर्चा में नहीं आया है. इसलिए आपने पढ़ा ही नहीं होगा. कम से कम मेहरबानी करके विभाग के जो लोग हैं उनको यह तो समझा दीजिए कि गलत जानकारी न दें. स्कूल नहीं खोला गया है और लिख दिया गया है कि वर्ष 2013-14 में स्कूल खोला गया. मैं थोड़ा सा अपने शिवपुरी जिले से तुलना करना चाहूंगा. आपने हायर सेकेण्डरी स्कूल खोले, वर्ष 2013-14 में सतना में 18, विदिशा में 14, सागर में 13. वर्ष 2014-15 में हमारे यहां शिवपुरी में 1, पोहरी में 1, कोलारस में 2, करेरा में 1. वर्ष 2014-15 में सिर्फ 1 और वर्ष 2015-16 में निल. मंत्री जी यह पक्षपातपूर्ण रवैया यहां क्यों हो रहा है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में तो 3 साल में एक भी स्कूल नहीं खुला है. यहां भी बच्चे पढ़ते लिखते हैं, हम लोग भी चुनकर आते हैं. आपके सदस्य ज्यादा हैं तो आपका अधिकार ज्यादा है, लेकिन क्या हम 1 स्कूल भी एक साल में नहीं खुलवा सकते हैं. आप 9 महीने के मंत्री हैं आप इसको थोड़ा ठीक से दिखवा लीजिए. आपका हक ज्यादा है. आप अपने यहां ज्यादा करिए. हमारी विधानसभाओं में भी आपकी पार्टी के वोटर हैं. उनको भी वोट मिलता है. वहां भी आपके समर्थक रहते हैं. आपने समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
कुंवर विजय शाह-- उपाध्यक्ष महोदय, यह 1990 से विधायक हैं, ऐसे ही बोल देते तो हम स्कूल खोल देते.
के.पी. सिंह-- जहां-जहां नहीं खुले हों वहां खोल दीजिए.
श्री मुरलीधर पाटीदार (सुसनेर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 का समर्थन करता हूँ. एक कहावत बहुत प्रसिद्ध है यदि हम समाज या प्रदेश को 1-2 साल के लिए आगे ले जाना चाहते हैं तो अच्छी खेती को बढ़ावा देना चाहिए. यदि हम चाहते हैं कि हमारा देश, प्रदेश कुछ दशक तक तरक्की के रास्ते पर जाए तो बाग-बगीचों को लगाने पर बढ़ावा देना चाहिए. यदि हम चाहते हैं हमारा देश, प्रदेश जन्म-जन्मान्तर, पीढ़ी-दर-पीढ़ी तरक्की के रास्ते पर जाए तो उसके लिए शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए. माननीय मुख्यमंत्री जी इसी ओर आगे बढ़ रहे हैं इसलिए उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में हर तरह की सुविधाएं दी हैं. सभी का बखान यहां पर नहीं किया जा सकता है लेकिन कुछ उदाहरण यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ. इस वर्ष के बजट में एनसीआरटी के सिलेबस को बजट में लागू किया गया है. आईआईटी या राष्ट्रीय स्तर की जो प्रतियोगी परीक्षाएं होती थीं उनमें मध्यप्रदेश का आंकड़ा देखें तो बहुत कम मात्रा में यहां के बच्चे चयनित हुए हैं. लेकिन एनसीआरटी का सिलेबस लागू होने के बाद सभी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं में मध्यप्रदेश भी आने वाले समय में अग्रणी होगा. अभी तक अन्य प्रदेश के आईएएस, आईपीएस यहां आते रहे हैं उनका प्रतिशत अब कम हो जाएगा. यह बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय मध्यप्रदेश सरकार, माननीय मुख्यमंत्री जी, और जाबांज शिक्षा मंत्री जी का है. जब कोई शिक्षक अवकाश पर जाते हैं या कोई बहन प्रसूति अवकाश या दीर्घकालीन अवकाश लेती है तो उसके बदले में अतिथि शिक्षक रखने का प्रावधान है जिनका वेतन बढ़ाने का प्रावधान करने का प्रस्ताव माननीय मंत्री जी ने अपने विभाग की ओर से भेजा है. जिसमें वर्ग एक के लिए 9000 रुपए, वर्ग दो के लिए 7000 रुपए और वर्ग तीन के लिए 5000 रुपए करने का प्रस्ताव है. मैं इसके लिए माननीय मुख्यमंत्री जी और शिक्षा मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ. अध्यापक संवर्ग जो अभी सबसे ज्यादा संख्या में हैं और बहुत महत्वूपर्ण भी हैं विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र की शिक्षा के लिए जिनको वर्ष 1995 में 500 रुपए, 700 रुपए और 1000 रुपए मिलते थे. इसमें माननीय मुख्यमंत्री जी के आने के बाद लगातार बढ़ोतरी की गई. इस वर्ष छठवां वेतनमान दिया गया जिसमें प्रदेश सरकार ने लगभग 2200 करोड़ रुपए की अपने बजट से व्यवस्था की है. यह बहुत महत्वपूर्ण निर्णय है. शिक्षक अपने आपको अब तक असहज महसूस करता था अब वह नहीं करता है. गुरुजियों को संविदा शिक्षक बनाया गया. संविदा शिक्षकों को अध्यापक संवर्ग में शामिल किया गया. यह शिक्षा की गुणवत्ता के लिए अति महत्वपूर्ण निर्णय माननीय मुख्यमंत्री जी का है. अभी तक पुरुषों के संविलियन की नीति नहीं थी इस बार महिला विकलांग के साथ-साथ पुरुषों के संविलियन की नीति भी विभाग ने बना दी है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह संविलियन ऑन-लाइन होंगे. इसका फायदा यह है कि अब किसी भी अध्यापक को किसी नेता के दरबार में या किसी ऑफिस में जाने की आवश्यकता नहीं होगी. वह घर बैठे ऑन-लाइन एप्लाई करेगा. वह जहाँ जाना चाहता है वहाँ का आदेश उसे ऑन-लाइन ही मिल जाएगा. यह अति महत्वपूर्ण निर्णय माननीय मुख्यमंत्री जी का है. के.पी. सिंह जी कह रहे थे कि 15 प्रतिशत शिक्षक भरने की ही तैयारी कर रहे हैं तो ऐसा नहीं है, विभाग ने 31645 संविदा शिक्षकों की भर्ती करने का निर्णय ले लिया है प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड को इसका प्रस्ताव भी भेज दिया गया है. अभी तक स्कूलों में व्यायाम शिक्षक नहीं मिलते थे. व्यायाम शिक्षक, प्रयोगशाला शिक्षक और संगीत के शिक्षकों की भी इसमें व्यवस्था की गई है. अभी के.पी. सिंह जी ने कहा और आगे अन्य माननीय सदस्य भी यह कहेंगे कि प्रायवेट स्कूल ज्यादा फीस वसूल करते हैं. हम जानते हैं कि अधिकतर जो बड़े-बड़े प्रायवेट स्कूल खुले हैं वह हमारे ही साथियों के हैं, दूसरों के नहीं हैं. वे मनमानी फीस न वसूलें इसलिए फीस नियंत्रण कमेटी का गठन भी विभाग करने जा रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने इस वर्ष नए 520 हाई स्कूल और 240 हायर सेकण्डरी स्कूल खोलने का प्रावधान इस बजट में किया है. मेरे पूर्व वक्ता ने यह बात उठाई थी कि जहां उत्कृष्ट विद्यालय हैं, वहां के छात्र कहां जायेंगे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि विभाग यह निर्णय ले चुका है कि जहां-जहां उत्कृष्ट विद्यालय हैं वहां इस वर्ष नए हाई स्कूल खोले जायेंगे. यह निर्णय बहुत ही महत्वपूर्ण एवं सराहनीय है. इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस वर्ष विभाग द्वारा नियमों में संशोधन कर हायर सेकण्डरी स्कूलों के बीच की दूरी को 12 किलोमीटर से घटाकर 8 किलोमीटर कर दिया गया है. अब राज्य में एक हायर सेकण्डरी स्कूल से दूसरे स्कूल की दूरी 8 किलोमीटर से ज्यादा नहीं होगी. इसके अतिरिक्त हाईस्कूलों के बीच की दूरी 5 किलोमीटर से ज्यादा नहीं होगी. इस वजह से हमारे राज्य की कन्याओं, जिनका माननीय मुख्यमंत्री जी बहुत लाड करते हैं, ध्यान रखते हैं, अब वे बालिकायें 8 किलोमीटर की दूरी अपने गांव से तय करके स्कूल जा सकेंगी. अब बालिकायें अपनी शिक्षा पूरी कर सकेंगी. पूर्व में स्कूलों की दूरी गांवों से अधिक होने के कारण अधिकांश बालिकायें स्कूलों से ड्रॉप आउट हो जाती थीं. यह भी बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अब शासकीय छात्रावासों में भी सोलर पैनल गीज़र लगाये जायेंगे. पैसे वालों के बच्चे गर्म पानी से नहाते हैं, लेकिन अब जो छात्रावास खुल रहे हैं उनमें सोलर पैनल और गीज़र लगाये जायेंगे. यह बहुत ही सराहनीय व्यवस्था है. पूर्व में कन्या छात्रावासों में केवल एक ही चौकीदार के रहने का प्रावधान था. लेकिन इस वर्ष से 3-3 चौकीदारों की व्यवस्था कन्या छात्रावासों में करने का प्रावधान बजट में किया गया है. यह अति महत्वपूर्ण है. अब कन्या छात्रावासों में कार्यरत चौकीदारों को भी 8-8 घंटे की ड्यूटी होने से राहत मिलेगी और छात्राओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो पाएगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना में से एक, छात्रों को साईकिल प्रदान करने की योजना है. हम सभी साईकिल बांटने गए थे. मैं स्वयं 39 स्कूलों में साईकिल बांटने गया था. वहां मेरी बच्चों से मुलाकात हुई. छठवीं, नौवीं और ग्यारहवीं कक्षा के छात्रों को साईकिल बांटने की योजना से, अब किसी भी गरीब परिवार का बच्चा या बच्ची शिक्षा से वंचित नहीं रह पाएगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बहुत ही अच्छा लगता है जब हम गांव में जाकर देखते हैं कि एक जैसी साईकिलों पर छात्र-छात्राएं स्कूल जाते हैं. यह सब देखकर हमारे मन को बहुत ही सुकून मिलता है. यह हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी की अनुकरणीय पहल है. इस वर्ष से तो मजरे-टोलों में जहां दो किलोमीटर की दूरी है, वहां भी साईकिल वितरण करने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है. इसके लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं और साधुवाद देते हैं. इसके अलावा अभी तक गणवेश प्रदान करने के लिए सीधे बच्चों के पालकों के खातों में पैसा डाल दिया जाता था, लेकिन इस वर्ष बजट में यह प्रावधान किया गया है कि बच्चों को उनके स्कूल की यूनिफॉर्म सिलवा कर दी जायेगी. इस हेतु बजट में लगभग 3 अरब का प्रावधान किया गया है. यह हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत ही सराहनीय कदम है. मेरे पूर्व, हमारे साथी के.पी.सिंह जी ने कहा कि स्कूलों में लाईट ही नहीं है. मैं बताना चाहता हूं कि इस वर्ष माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा निर्णय लिया गया है कि 1 लाख 10 हजार 364 विद्यालयों में, जहां वर्तमान में लाईट की व्यवस्था नहीं है, इस वर्ष के बजट में प्रावधान कर दिया गया है. अब हर स्कूल में लाईट चमकेगी. वास्तव में मैं कह सकता हूं कि इसके बारे में पहले कभी किसी ने चिंता नहीं पाली.
श्री दिनेश राय- (बैठे-बैठे) बिजली का बिल कौन भरेगा ?
श्री मुरलीधर पाटीदार- बिल भरने की व्यवस्था भी हो जाएगी. शादी करेंगे तो बाकी की व्यवस्थायें तो करनी ही पड़ेंगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 12 वीं में 85 % लाने के लिए विद्यार्थी बहुत ही कड़ी मेहनत और परिश्रम करते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी ने ऐसे बच्चों को लैपटॉप देने की योजना चलाई है. इस वर्ष भी यह योजना जारी रहेगी. एस.सी., एस.टी. के बच्चे थोड़े पिछड़े क्षेत्रों से आते हैं इसलिए ऐसे बच्चों के 75 % अंक आने पर लैपटॉप देने का प्रावधान है. इस वर्ष लगभग 17 हजार 896 बच्चों को इस योजना का लाभ मिला है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप अंदाजा लगा लीजिए कि सरकारी स्कूलों में 85 % से अधिक अंक लाने वाले बच्चों की संख्या 17 हजार से अधिक है. इससे सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता भी सभी के सामने स्वयं सिद्ध हो जाती है और सरकारी स्कूलों पर बेवजह जो आरोप लगाये जाते हैं, वे अपने आप ही दूर हो जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- मुरलीधर जी, और कितना समय लेंगे?
श्री मुरलीधर पाटीदार-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं तो ओपनर हूँ ना.
उपाध्यक्ष महोदय-- ओपनर भी तो आउट होता है.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- मैं बहुत जल्दी खत्म कर दूँगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, स्कूलों की मान्यताओं में पहले माध्यमिक शिक्षा मण्डल और वल्लभ भवन के चक्कर लगाने पड़ते थे, लेकिन अब इसको इतना सरल कर दिया है कि अब यहाँ पर किसी को आने की आवश्यकता नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, इस साल से खेलकूद का कैलेण्डर भी बनाया गया है और उसी के कारण से, आप तो जानते ही हैं, 2013 में जहाँ हमारा मध्यप्रदेश राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिता में सातवें क्रम पर था, 2017 में यह चौथे क्रम पर आ गया है, इससे हमारी खेलकूद के साथ जो अन्य गतिविधियाँ हैं, उसको बढ़ावा देने के लिए, हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी और हमारे शिक्षा मंत्री जी का विशेष ध्यान है.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ओपनर बल्लेबाज जो होता है वह लास्ट तक आउट नहीं होता है, तब तक चलते रहता है.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- नहीं, आउट हो जाऊँगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- ये सुनील गावस्कर बनना चाहते हैं. आर्य साहब, 60 ओव्हर में 37 रन बनाकर नॉट आउट.
श्री बाला बच्चन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जितना मेटर दिया होगा, वह सब डिलिव्हर्ड करेंगे.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- माननीय बाला भाई, मैंने आज तक मंत्री जी से संपर्क ही नहीं किया है...
श्री बाला बच्चन-- बहुत बढ़िया.
श्री लखन पटेल-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ये शिक्षक रहे हैं और अध्यापक वर्ग के नेता रहे हैं.
कुँवर विजय शाह-- माननीय उपाध्यक्ष जी, जो हमारे माननीय सदस्य बोल रहे हैं वे शिक्षक संघ के अध्यक्ष रहे हैं और शिक्षा से संबंधित सारे मामलों की विस्तृत जानकारी है. बाला बच्चन जी, मुझे सलाह की आवश्यकता ..(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन-- तभी मुझे लग रहा है कि मंत्री जी से ज्यादा जानकारी उनके पास कैसे है. विभाग से बड़ी जानकारी और बहुत अच्छी जानकारी वे प्रस्तुत कर रहे हैं.
कुँवर विजय शाह-- शिक्षक संघ के प्रदेश के अध्यक्ष रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, जिन अध्यापक और सहायक अध्यापकों के कंधे पर बैठ कर यहाँ तक आए हैं ये उनकी पैरवी नहीं कर रहे हैं, उनके लिए इन्होंने कुछ नहीं कहा, (XXX)..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- यह शब्द निकाल दें. ..(व्यवधान)..मैंने कार्यवाही से निकाल दिया है. ..(व्यवधान)..
श्री के.के.श्रीवास्तव-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उनके साथ धोखा उन्होंने किया है जो तीन सौ रुपये में शिक्षाकर्मी की भर्ती करते थे ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- सुखेन्द्र सिंह जी, बैठ जाएँ. ..(व्यवधान)..
श्री मुरलीधर पाटीदार-- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय गोविन्द सिंह जी को कष्ट इस बात का है कि इनके समय में अध्यापक को पाँच सौ रुपये मिलते थे.
डॉ.गोविन्द सिंह-- आपके आँदोलन में आपने बुलाया था तो मैं गया था. ..(व्यवधान).. इन्होंने जब आँदोलन किया था तो मेरे को बुलाया था, मैं इसलिए गया इन्होंने कहा था मैं पूरा वेतन दिलवाऊँगा. ..(व्यवधान)..
श्री मुरलीधर पाटीदार-- माननीय गोविन्द सिंह जी, मैंने आपको नहीं टोका.
उपाध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साहब, अनावश्यक टोकें नहीं.
डॉ.गोविन्द सिंह-- शिक्षकों के बराबर वेतन ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- गोविन्द सिंह जी, बैठ जाएँ. ..(व्यवधान)..
श्री मुरलीधर पाटीदार-- उपाध्यक्ष महोदय, गोविन्द सिंह जी के बारे में मैं आपको एक कहानी सुना देता हूँ.
डॉ.गोविन्द सिंह-- (XXX)..(व्यवधान)..
कुँवर विजय शाह-- उपाध्यक्ष महोदय, मुरलीधर जी की समस्या यह है कि वे काँग्रेस के जमाने में पाँच सौ हजार रुपये में मास्टर बने थे, तो तकलीफ तो होगी ना.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- उपाध्यक्ष महोदय, चूँकि गोविन्द सिंह जी ने बीच में व्यवधान किया है तो मैं कहना चाहता हूँ कि इनके जमाने में मास्टर को पाँच सौ, सात सौ, रुपये मिलते थे वह ज्यादा दुःख की बात नहीं थी, उससे ज्यादा दुःख की बात यह थी कि वह स्कूलों में कम जाते थे इनके घर पर ये ज्यादा चक्कर लगवाते थे. (शेम शेम की आवाज) मुझे इनके बारे में असलियत मालूम है और नियुक्ति पत्र जनपद, जिला पंचायत नहीं देती थी, ये घर पर बुलाते थे और एग्रीमेंट लिखवाते थे. इतना अत्याचार इन्होंने किया है और आज वे इनकी सुनते नहीं हैं. आज वे इनको वोट नहीं देते हैं और गोविन्द सिंह जी, अगली बार मैं आपके खिलाफ प्रचार करने आऊँगा. ..(व्यवधान)..
डॉ.गोविन्द सिंह-- तुम्हें चुनौती है. ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- मुरलीधर जी, ऐसा लग रहा है कि आप सदन से दशहरा मैदान पहुँच गए हैं. अब आपका भाषण वहाँ शुरू हो गया है. अब आप समाप्त करिए.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- उपाध्यक्ष महोदय, जो बच्चे 12 वीं की परीक्षा में 85 प्रतिशत से ज्यादा लाते हैं, वह गरीब परिवार के बच्चे हैं वे अपनी फीस भी नहीं भर पाते हैं आज उनकी फीस की व्यवस्था माननीय प्रदेश के मुखिया ने की है और यही गरीब परिवार के बच्चे इस देश और प्रदेश का नाम रोशन करेंगे. इसके अलावा भी है, अगर अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में...
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय गोविन्द सिंह जी, आपने कहा चुनाव नहीं लड़ेंगे?
डॉ.गोविन्द सिंह-- चुनौती दी है.
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्रीगण ज्यादा व्यवधान कर रहे हैं क्या बात है?
श्री बाला बच्चन-- चुनाव नहीं लड़ेंगे तो फिर सदन का क्या होगा?
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, डॉं.साहब हर किसी को धमकाते हैं मैं इनकी प्रशंसा में दो शब्द कहना चाहता हॅूं. ये मेरे क्षेत्र के गणमान्य नेता है.
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री सूबेदार जी प्रशंसा आप बाद में कर लीजिए. अभी रहने दीजिए. श्री मुरलीधर पाटीदार जी, आप कृपया समाप्त करें.
श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश का एक और महत्वपूर्ण कदम है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, केवल एक मिनट चाहता हॅूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री सूबेदार सिंह जी, श्री मुरलीधर पाटीदार जी को अपनी बात समाप्त करने दें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री सूबेदार सिंह रजौधा जी, कृपया आप बैठ जाइए. नहीं, यह गलत बात है. आप जो बोलेंगे वह कार्यवाही में लिखा नहीं जायेगा. बैठ जाइए.
श्री मोहन यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबको जल्दी जाना है. आज आखिरी दिन है.
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री पाटीदार जी, आप आधा मिनट में समाप्त करें.
श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं दो मिनट और लूंगा. पांचवीं, आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं जो हैं वह इस साल से फिर शुरू हुई हैं. यूपीए की सरकार ने बंद कर दी थी. कपिल सिब्बल जी ने. वह चाहते ही नहीं थे कि पढे़-लिखे लोग साक्षर बन जाएं और बारहवीं तक चले जाएं. इससे वास्तव में शिक्षा की गुणवत्ता में चार चॉंद लगेंगे और मैंने ही माननीय मुख्यमंत्री जी के सामने यह आग्रह किया था और उन्होंने अति महत्वपूर्ण कदम उठाया है. संस्कृत आवासीय विद्यालय की स्थापना की जा रही है. मिल बांचे कार्यक्रम में आपने देखा है कि लगभग 20 लाख वालेंटियर्स स्कूलों में पढ़ाने गए. उन स्कूलों से रूबरू हुए. उन बच्चों के साथ उन्होंने आनंद की अनुभूति महसूस की. अब यह अगर किसी को बुरा लगे तो लगे. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी तो लोगों के और बच्चों के हित में लगातार काम करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- चलिए, अब आप बैठ जाइए. धन्यवाद.
श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए भी पैसा हमारी सरकार दे रही है. रूक जाना नहीं अति महत्वपूर्ण है. शिक्षा की नि:शुल्क व्यवस्था है.
उपाध्यक्ष महोदय -- पाटीदार जी, बैठ जाइए. अब आप समाप्त करिए.
श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा विधानसभा के बारे में थोड़ा सुझाव है.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब आप बैठ जाइए.
श्री मुरलीधर पाटीदार -- उपाध्यक्ष महोदय जी, निकाय के अंदर अध्यापकों को अगर इस तरह की सुविधा मिलेगी तो निश्चित तौर पर फायदा मिलेगा. अध्यापक संवर्ग को छठवां वेतनमान दिया है और सातवां भी दिया जाए. अध्यापक संवर्ग के गृहभाड़ा भत्ता, वरिष्ठ अध्यापक की पदोन्नति भी प्रारम्भ की जाए
उपाध्यक्ष महोदय -- मुरलीधर पाटीदार जी, अब यह जो कहेंगे, कार्यवाही में लिखा नहीं जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- कुंवर सौरभ सिंह जी आप बोलिए.
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 के विरोध में और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हॅूं.
श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए, आप विद्यालय में थे, क्या तब भी आप ऐसा ही करते थे ? (हंसी)......
श्री मुरलीधर पाटीदार -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके विद्यार्थी मुझे बोलने ही नहीं दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए.
श्री कमलेश्वर पटेल -- यह बहुत शरारती हैं. जब शिक्षाकर्मी थे, तब से ये ऐसा ही करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री कमलेश्वर जी, अब आप बैठ जाइए.
श्री मुरलीधर पाटीदार -- श्री कमलेश्वर जी, आपके पिताजी जी का हमको बहुत आशीर्वाद मिला.
कुंवर विजय शाह -- कैसा आशीर्वाद मिला था, वह तो बता दो ?
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- पॉंच सौ रूपये महीने का मिला था.
कुंवर सौरभ सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हॅूं कि हम लोग 230 विधायक हैं हम सिम्पल बात करें. 51 जिलें हैं. न तो 230 विधायकों में से किसी के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं, न ही 51 जिलों के कलेक्टर, एसपी के बच्चे किसी सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं न ही किसी भी बड़े अधिकारी के बच्चे यहां पर सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं. यह हकीकत हमारे स्कूलों की है जिसको हम लोग आंकड़ों में छुपा रहे हैं.
कुंवर विजय शाह -- माननीय उपाध्यक्ष जी, हम लोग सरकारी स्कूल में पढ़कर आए हैं. हमारा बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ा है. हमारे पिताजी भी सरकारी स्कूल में पढ़े हैं. हमारे मुख्यमंत्री जी भी सरकारी स्कूल में पढ़े हैं, हमारे विधानसभा अध्यक्ष जी भी सरकारी स्कूल में पढे़ हैं.
कुंवर सौरभ सिंह -- जी, मैं भी सरकारी स्कूल में पढ़ा हूँ.
श्री बाला बच्चन -- माननीय मंत्री जी, आपके विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा हो रही है, जवाब आपको ही देना है.
कुंवर सौरभ सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यही कहना था कि मैं भी शासकीय स्कूल में पढ़ा हॅूं पर आज की वेदना बता रहा हॅूं, जो बार-बार श्री पाटीदार जी 13 साल पहले जा रहे थे जो हमारे साथी विधायक हमेशा पहले चले जाते हैं इसीलिए मैं स्कूल के बारे में बोल रहा हॅूं. प्रदेश के लाखों प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं है. जब भी हम लोग किसी स्कूल में जाते हैं तो वहां गंदगी मिलती है या सफाई मिलती है. अगर सफाई होती है तो हम यह तय नहीं कर पाते कि छात्र-छात्राएं झाड़ू लगा रहे हैं या शिक्षक लगा रहे हैं. हकीकत में साफ-सफाई के इतने बडे़ अभियान चल रहे हैं स्वच्छता का अभियान चल रहा है इसका आलम बिल्कुल स्कूलों में देखने को मिल रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्याह्न भोजन इसका शिक्षा में बहुत बुरा असर पड़ रहा है. सिर्फ फर्जी हाजिरी बनाकर शिक्षकों को यहां-वहां व्यस्त किया जा रहा है. मेरा मानना है कि अगर स्थानीय पंचायतों को स्थानीय स्तर पर काम कराया जाए, जो मध्याह्न भोजन बन रहा है उससे शिक्षकों को परे रखा जाए तो हम शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कर पाएंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में व्यय बढ़ोत्तरी 9.83 परसेंट की गई है जो कि उच्च शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, तकनीकी और कौशल विकास में क्रमशः 14.8 परसेंट, 61.58 परसेंट,117.05 परसेंट की तुलना में अत्यंत कम है इससे हमारी आधारभूत शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. इससे यह दिखाई देता है कि शालेय शिक्षा मुख्य आधार होते हुए भी बहुत हद तक उपेक्षित है. इसके भंयकर दूरगामी परिणाम होंगे. बजट की कमी से शालाओं में संसाधनों को अभाव रहेगा और समय समय पर वह अपने आप अपग्रेड नहीं हो पाएंगी.माननीय मंत्री जी, मेरा निवेदन है कि स्कूल शिक्षा के इस विषय पर ध्यान दें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कौशल विकास के क्षेत्र में आईटीआई एवं इस तरह के अन्य प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं जबकि प्रशिक्षण उपरांत रोजगार के लिए रोजगार मूलक कारखाने एवं संस्थान नहीं हैं. इसके लिए कौशल विकास इकाई के रूप में हाईस्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल को प्रारंभिक निर्माण एवं कौशल इकाई के रूप में चरणबद्ध तरीके से विकसित किया जाना चाहिए जबकि इस बजट में इसका प्रावधान नहीं है. चिकित्सा के क्षेत्र में बजट में शालेय शिक्षा के बजट में अपेक्षा 6 गुना वृद्धि की गई है. यह अच्छी बात है परन्तु प्राथमिक प्राथमिक शिक्षा और सामान्य शिक्षा के अभाव में स्वास्थ्य बजट और समस्यायें बढ़ रही हैं. अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों के डॉक्टरों की सेवाओं में कोई ठोस पहल नहीं की गई है जबकि बजट में 61.58 परसेंट की वृद्धि की गई है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ज्यादा अच्छा होता अगर शालेय शिक्षा एवं उच्च शिक्षा में अधिक बजट का प्रावधान रखते हुए शारीरिक स्वास्थ्य से संबंधित विषय से हायर सेकेंडरी एवं स्नातक स्तर पर डिप्लोमा एवं ट्रेनिंग देकर ग्राम पंचायत स्तर पर ही स्वास्थ्य सेवा करने हेतु पंजीयन उपलब्ध कराया जाए तो कम से कम अनपढ़ झोला छाप डॉक्टर जो गाँव में प्रेक्टिस करते हैं उनसे बेहतर यह होंगे और बेरोजगारों की संख्या में कमी भी होगी.प्रदेश के अधिकतर विद्यालयों में प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में बाऊंड्रीवाल और खेल मैदान नहीं हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- सौरभ जी, आप अपने विधानसभा क्षेत्र की बातें कर लें आपको बोलते हुए 5 मिनट हो रहे हैं.मुझे समय का नियोजन करना पड़ेगा तभी समय पर चर्चा समाप्त हो पाएगी अभी एक और विभाग फिर अशासकीय संकल्प भी हैं.
कुँवर सौरभ सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में विद्यालयों में बाउंड्रीवॉल और खेल मैदान नहीं हैं. बजट में यह भी स्पष्ट नहीं है कि मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुरूप 2 से 2.50 लाख अध्यापकों के लिए जो सातवाँ और छठवाँ वेतनमान है एवं अन्य सुविधाओं के लिए इस संवर्ग के लगातार रोज रोज प्रदर्शन हो रहे हैं इसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा में बहुत नुकसान हो रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, केंद्रीय विद्यालय में अतिथि शिक्षकों को 18 हजार रुपये वेतन मिलता है जबकि हम लोग 4500 रुपये देते हैं और शिक्षकों की भारी कमी है. गणवेश के लिए 400 रुपये पालक के खाते में डाले जाते हैं लेकिन उसका कोई फॉलो अप सिस्टम नहीं है. सायकिल जो आप दे रहे हैं वह इतनी गुणवत्ताहीन साइकिल है कि वह कितने साल चलेगी इसकी कोई गारंटी नहीं है.
कुंवर विजय शाह-- लगता है आपने कभी साइकिल चलाई नहीं या देखी नहीं है. हिंदुस्तान जब से आजाद हुआ और मध्यप्रदेश में जो साइकिल शिवराज सिंह जी की सरकार ने दी है मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि हमसे अच्छी साइकिल आज तक किसी सरकार ने नहीं दी है.
श्री बाला बच्चन-- मंत्री जी, आप बाद में क्या बोलेंगे तब कन्क्लूजन आपका क्या रहेगा? आप तो हर बात में उल्लेख कर रहे हैं बाद में स्पीच आपको देना है आपके विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा हो रही है.
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, जब आप जवाब देंगे तब बोलियेगा. आपके भाषण से यह समय हम निकालते जा रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया--- जब मंत्री जी जवाब देंगे तब सौरभ सिंह जी चले जाएंगे.
कुंवर विजय शाह-- यह एक भी सदस्य उस समय दिखेंगे नहीं. एक नहीं मिलने वाला है.
उपाध्यक्ष महोदय-- अच्छा इसलिए आप बीच-बीच में बोल रहे हैं. बाला बच्चन जी यह उनकी पुरानी आदत है. जब हमारी सीट जहाँ दीपक जी हैं, वहाँ हुआ करती थी और इनकी जहाँ मनोज जी बैठते है वहाँ हुआ करती थी वर्ष 1993 में. यह माइक के साथ तब भी ऐसा करते थे.
कुंवर सौरभ सिंह-- छात्रवृत्ति हमारे क्षेत्र में नहीं पहुँची है जबकि पूरा साल गुजर गया है. पाठ्य पुस्तक निगम से जो किताबें आ रही हैं,उनके बंडलों में किताबें भी कम निकलती हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जेंडर कमेटी आपने बनाई है उसके लिए मेरा कहना है कि स्थिति यह है और माननीय मंत्री जी को मैं कह रहा हूं तो उनको खराब लग रहा है . पूरा का पूरा विभाग सिर्फ उन योजनाओं पर चल रहा है जो योजनायें जमीन पर अमल नहीं हो रही है. एक बीआरसी और एक डीपीसी जो मर्जी आए वह कर रहा है और मंत्री जी मेरा आपसे निवेदन है कि आप बोल रहे हैं कि आपको 8 या 9 महीने ही हुए हैं पर मैं उम्मीद करता हूं इस बजट भाषण में कि आप निश्चित रूप से उन पर कुछ कड़ा कदम उठायें. नीचे सारी व्यवस्थायें आपकी सिर्फ एक कागज में है. जो हकीकत है वह जनता जान रही है और आप भी समझ रहे हैं लेकिन आपकी मजबूरी है कि आप बोल नहीं पा रहे हैं. मैं चाहता हूं कि आप कम से कम इस विषय में अपने आज के उद्बोधन में जरूर बोले. क्योंकि जिस तरह से बीआरसीओ का (XXX) तांडव हो रहा है . डीपीसी जिस तरह से चल रहा है.
कुँवर विजय शाह-- यह शब्द हटा दीजिये.
उपाध्यक्ष महोदय-- यह हटा दीजिये. तांडव शब्द तो रहने दीजिये. तांडव तो भगवान शिव ने भी किया था.
कुंवर सौरभ सिंह-- मैं अपने शब्द वापस लेता हूं लेकिन तांडव तो ठीक है.
कुंवर विजय शाह-- सौरभ जी, आपको इस तरह की भाषा का उपयोग शोभा देता हूं.
कुंवर सौरभ सिंह-- मेरे शब्दों के चयन में मैं गलती स्वीकारता हूं पर उद्देश्य गलत नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय-- चलिये अब समाप्त करें, हेमंत खंडेलवाल जी अपनी बात रखें.
कुंवर सौरभ सिंह-- मेरे कुछ स्कूलों के लिए मंत्री जी, मैंने आपको पत्र दिया था. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल (बैतूल) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 के पक्ष में अपनी बात कहने के लिए खड़ा हुआ हूँ. हमारी सरकार लगातार अच्छा काम कर रही है और पिछले साल के मुकाबले 9.83 यानि 19873 करोड़ रुपये का बजट हमारे मुख्यमंत्री जी ने, हमारे स्कूल शिक्षा मंत्री कुँवर विजय शाह जी ने रखा है. मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी को ''मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना'' के लिए धन्यवाद देना चाहूँगा कि 1 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान उन्होंने इस योजना के लिए रखा है और 85 प्रतिशत से ऊपर अंक लाने वाले बच्चों को इस योजना का लाभ मिलेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से स्कूल शिक्षा मंत्री कुँवर विजय शाह जी को इस बात के लिए भी धन्यवाद देना चाहूँगा कि पहली बार शिक्षकों को उनके च्वॉइस के स्कूल में जाने का मौका देने के लिए उन्होंने ऑनलाईन ट्रांसफर पद्धति लाई है. हमारे प्रदेश के हजारों-हजारों शिक्षकों की तरफ से मैं आपको धन्यवाद देता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार लगातार अच्छा काम कर रही है फिर भी शिक्षा के क्षेत्र में अभी कुछ काम करना बाकी है क्योंकि मध्यप्रदेश में साक्षरता का प्रतिशत 69.3 प्रतिशत है. हमारी सरकार लगातार बजट बढ़ा रही है, कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे, इसके लिए लगातार स्कूल खोले जा रहे हैं. लेकिन आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि लगातार स्कूल खोलने के बाद भी कई समस्याएँ पैदा हो रही हैं. एक समस्या तो शिक्षकों की आ रही है और शिक्षक लगातार हमारे स्कूलों में कम होते जा रहे हैं. दूसरी बात यह है कि छोटे-छोटे गाँवों में स्कूल खोलने से शिक्षा की गुणवत्ता भी प्रभावित हो रही है. मैं अपने जिले का एक उदाहरण देकर अपनी बात बहुत संक्षेप में करना चाहूँगा. मैं बैतूल जिले का प्रतिनिधित्व करता हूँ. बैतूल जिले में वर्ष 2015-16 में 1 लाख 79 हजार बच्चे शाला में अध्ययनरत् थे और वर्ष 2014-15 के मुकाबले इसमें 15 हजार बच्चों की कमी आई. अगर हम इन बच्चों पर शिक्षकों का अनुपात देखें तो 7600 शिक्षक और 3 हजार अतिथि शिक्षक इन बच्चों पर थे जिसका रेश्यो एक शिक्षक पर 20 बच्चे का आता है. हमारे यहाँ अगर हम कुल शालाओं की संख्या देखें तो 2902 शालाएँ हैं और बच्चों से डिवाइड करें तो औसत 60 बच्चे एक शाला में हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक उदाहरण बताना चाहूँगा कि सरकार अगर 40 हजार सैलेरी माने और 24 बच्चों का रेश्यो माने तो प्रतिमाह सिर्फ टीचिंग पर 1600 रुपये खर्च होते हैं, मॉनिटरिंग पर 200 रुपये खर्च होते हैं, हॉस्टल में 3 प्रतिशत बच्चे रहते हैं, यदि ओव्हरऑल से डिवाइड किया जाए तो 300 रुपये प्रति बच्चे खर्च होते हैं. भवन क्योंकि बहुत ज्यादा हैं और बच्चे कम हैं इसलिए उन पर भी 300 रुपये खर्च होते हैं. प्रति स्टूडेंट सरकार का खर्चा 2400 रुपये है. मैं आपके माध्यम से एक सुझाव देना चाहता हूँ कि यदि हम मॉडल स्कूल बनाएँ और 15 किलोमीटर से 20 किलोमीटर की परिधि में एक अच्छा स्कूल खोल दें और उसमें ट्रांसपोर्ट फेसेलिटी भी कर दें तो हमारे बच्चों का रेश्यो बढ़कर 35 से 40 हो जाएगा और प्रति बच्चा 1200 खर्च आएगा, मॉनिटरिंग पर भी खर्च कम होगा, हॉस्टल की जरूरत नहीं होगी और भवनों पर भी खर्चा कम होगा. यदि ट्रासंपोर्ट के 400 रुपये प्रति बच्चे मान लें तो टोटल 1900 रुपये प्रति बच्चे पर खर्च होंगे. इस तरह से 500 रुपये प्रति स्टूडेंट सरकार बचा लेगी और ऐसे मॉडल स्कूल बनेंगे जो प्राइवेट स्कूल की तर्ज पर काम कर सकेंगे. अच्छी लाइब्रेरी, अच्छे खेल के मैदान, अच्छी लैब और अच्छे विशेषज्ञ टीचर हम इन स्कूलों में दे पाएंगे. प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर हम बच्चों को उनके घर से ले जाएंगे ताकि हमारे सरकारी स्कूल में जो बच्चे पढ़ते हैं उनका स्वाभिमान बढ़ सके, बच्चों की उपस्थिति भी शत-प्रतिशत होगी और यह बात मैं दावे से कह सकता हूँ कि जहाँ हम प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले खड़े हो जाएंगे वहीं हमारी सरकार का बजट 10 से 20 प्रतिशत घट जाएगा और इसमें लगभग 2 से 3 हजार करोड़ रुपये की कमी भी आएगी. अभी भवन के बारे में जो के.पी. सिंह जी और अन्य माननीय सदस्य कह रहे थे कि भवन खाली हैं तो जो भवन खाली होंगे, वह हमारी पंचायतों के सोशल काम में उपयोग में आ जाएंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अपनी बात का अन्त मैं इस उम्मीद के साथ करना चाहूँगा कि आज हमारे मुख्यमंत्री जी ने और स्कूल शिक्षा मंत्री जी ने मेरी इस मांग पर, हमारे जिले की मांग पर इसका परीक्षण भी कराया है.इसकी शुरूआत इस मॉडल स्कूल और ट्रांसपोर्ट व्यवस्था की आदरणीय मंत्री जी आज सदन में करें, उसे ट्रायल बतौर, आपके क्षेत्र से या मेरे क्षेत्र से शुरू करें और अगर यह मॉडल सफल होता है तो उसे पूरे प्रदेश में लागू करें. इस उम्मीद के साथ कि शिक्षा के मामले में हम आलोचना न करके हम उस परिस्थिति को समझें और प्रायवेट स्कूल किस तरह काम कर रहे हैं, उस तर्ज पर अपनी नीति को बनायें तो मध्यप्रदेश में शिक्षा का स्तर विजय शाह जी के नेतृत्व में, मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में अगले सालों में मध्यप्रदेश में और बेहतर हो जायेगा. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिये आपको धन्यवाद देता हूं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी :- (अनुपस्थित).
डॉ.गोविन्द सिंह:- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी मैं भाषण नहीं दे रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय :- मेरा सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि जो-जो सदस्य भाषण दें तो कम से कम सुनने के लिये तो बैठे रहें.
डॉ. गोविन्द सिंह :- उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जब से सर्व शिक्षा अभियान शुरू हुआ है, उस पर लगभग अभी तक पचास हजार करोड़ रूपये खर्च हो चुका है, लेकिन उसकी गुणवत्ता जो होना चाहिये, वह नहीं है. खण्डेलवाल जी ने भी कहा है, आप इस पर ध्यान दें. क्योंकि अभी पांचवीं कक्षा का जो छात्र है, उससे हमने नौ का पहाड़ा पढ़वाया तो वह नहीं पढ़ सका. यह मेरे खुद के गांव का मामला है. इसलिये इस पर ध्यान दिया जाये. दूसरा मैं कहना चाहता हूं कि आज जो पेपर लीक हुए हैं. आप प्रायवेट स्कूलों में भी परीक्षा करा रहे हैं, जिले में करा रहे हैं. यह जिला शिक्षा अधिकारी की देखरेख में परीक्षा करवा रहे हैं. आपको परीक्षा के पेपर भोपाल से भेजने की आवश्यकता नहीं है.आप बोर्ड की 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा कराते हैं. उसके पेपर यहां से छपते हैं, पेपर यहां से छपवाने की आपको क्या आवश्यकता है, इसका क्या कारण है. इसमें कहीं न कहीं यह बात आती है और चर्चा भी है कि जब पूरे प्रदेश के बच्चों की परीक्षा की फीस यहां आ जाती है. फिर यहां से पेपर छपकर इकट्ठे यहां से जाते हैं, जबकि वहां से पेपर सस्ते भी छप सकते हैं, इसलिये कहीं न कहीं दाल में काला है या कमीशनखोरी है. पूरे प्रदेश के 9 वीं, 11वीं के पेपर यहां पर छापने की कोई आवश्यकता नहीं है. इसमें आप सुधार करें, पूर्व में जिले में छपने की जो प्रक्रिया थी, उसको फिर से चालू करें.
माननीय मंत्री जी,मैं आपसे कहना चाहता हूं कि बजट में आपने हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी का प्रावधान किया है. हमारे यहां पर आलमपुर बड़ा कस्बा है, नगर परिषद है, वहां पर मिडिल स्कूल में हायर सेकेण्डरी स्कूल चल रहा है, उसका भवन नहीं है तो आलमपुर में हायर सेकेण्डरी स्कूल और लहार में हायर सेकेण्डरी स्कूल का भवन बन चुका है लेकिन वहां पर स्कूल में बाऊंड्रीवाल नहीं है, वहां पर बाऊंड्रीवाल बनवायें. लाहरोल गांव वहां पर चार-पांच हजार की आबादी का है, वहां पर मिडिल स्कूल है, जो करीब पैंतीस साल पुराना है और पचोखरा गांव जो कि पांच हजार की आबादी है, इन दो स्कूलों में हाई स्कूल बनवायें. नदरा-जसावली गांव में एक हायर सेकेण्डरी स्कूल की मेरी आपसे मांग है. इसके साथ मैं यह भी कहना चाहता हूं, मैंने मोहंती जी को एक पत्र लिखा थी हमारे यहां पर गांव - रोहाणी और मडोरी, वहां पर स्कूल भवन नहीं है वहां बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ रहे हैं, वहां पर स्कूल भवन बनवायें जायें. 2 से 4 लाख में 2 - 3 कमरे बन जायेंगे वह बनवा दें. इसके साथ साथ मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि सायकिलों के लिए भी यहां पर बात हुई है, सायकिल के लिए कई लोग यहां पर यह षडयंत्र चला रहे हैं कि सायकिलों और ड्रेस का जो पैसा आप पालकों के खाते में भेज रहे हैं, वह न भेजें. इसमें कई जगह पर ऐसी चर्चा है और प्रयास में लगे हैं, माफिया लोग जिन्होंने इसी काम में करोड़ों रूपये कमा लिये हैं, लूट डाला है. वह कह रहे हैं कि बच्चे के खाते से पैसे निकालकर 40 प्रतिशत पालक शराब पी जाते हैं. मंत्री जी आपने यह कहा है कि आप यह व्यवस्था नहीं बदल रहे हैं, तो यह अच्छी बात है कि इस व्यवस्था को न बदलें, क्योंकि कई लोग यह प्रयास कर रहे हैं कि पुरानी सायकिल और ड्रेस देने की प्रथा को फिर से लागू किया जाय. मुख्यमंत्री जी ने सदन में घोषणा की थी कि बच्चों की सायकिल और ड्रेस के लिए पालकों के खाते में ही पैसा देंगे, उसमें ईमानदारी से काम हो रहा है, तो बच्चों के पालकों के खाते में ही पैसा भेजें. आप इसमें इतना प्रतिबंध लगा सकते हैं कि जब बच्चा पढ़ने के लिए आता है तो आप ड्रेस और सायकिल चैक करें कि उसे मिली है या नहीं. मेरा यह कहना है कि फिर से वह पुरानी प्रथा शुरू न करें क्योंकि उससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा.
इसके साथ में एक गंभीर समस्या है, वैसे तो छोटी सी समस्या है. पूरे मध्यप्रदेश में जब शिक्षाकर्मी योजना शुरू की थी तो शिक्षाकर्मी योजना के साथ में अंशकालीन भृत्य और अंशकालीन लिपिक की भी भर्ती हुई थी. आज शिक्षाकर्मी 500 रूपये से 30 हजार रूपये तक पहुंच गये हैं, लेकिन अंशकालीन भृत्य या अंशकालीन लिपिक पूरे प्रदेश में 200 से 250 होंगे, लेकिन इनका वेतन नहीं बढ़ रहा है, जबकि कई लोग तो उसमें से रिटायर हो गये हैं. ये लोग सुबह काम पर जाते हैं और शाम को ही वापस आते हैं. अभी तक उनका वेतन नहीं बढ़ाया गया है. इसके बारे में हमने वित्त मंत्री जी से चर्चा की थी तो उस समय वित्तमंत्री जी ने कहा था कि शिक्षा विभाग हमसे मांग ही नहीं करता है, शिक्षा विभाग की तरफ से इस प्रकार का प्रस्ताव भेजना चाहिए था. चूंकि उऩकी संख्या बहुत कम है, उनकी बात को कोई कहने वाला नहीं है, इसलिए आपसे विनम्र अनुरोध है कि यह जनहित का मामला है, इसलिए इसकी सुनवाई कर लें.
उपाध्यक्ष महोदय, एक बात और कहना है कि अभी कुछ समय पहले संचालनालय से पत्र गया है कि कहीं कहीं पर हायर सेकेण्ड्री स्कूल के भवन हैं, लेकिन मीडिल स्कूल के भवन नहीं हैं, वहां पर छात्र खेल की गतिविधियों के लिए अनुमति मांगते हैं तो कहते हैं कि अन्य गतिविधियों के लिए अनुमति नहीं देंगे, कई जगह पर ऐसे गांव के खिलाड़ी हैं गांव में टूर्नामेंट होते हैं, कबड्डी का होता है, बालीवाल का होता हैं उन बच्चों को कहते हैं कि हमारे यहां पर नहीं कर सकते हैं, यहां पर खेल- कूद की गतिविधि के लिए अनुमति नहीं है, हालांकि आपने सांस्कृतिक गतिविधियों और शादी ब्याह के लिए रोक लगाई है तो वह ठीक है. इस तरह के काम वहां पर नहीं होना चाहिए. लेकिन जहां पर बच्चों की खेल की गतिविधियां हो रही हैं उनके लिए शासकीय स्कूल के खेल मैदान में खेलने के लिए अनुमति दी जाय,इस तरह का एक आदेश जाय जिससे उन बच्चों की खेल गतिविधियों में व्यवधान न हो.
यह बात सही है कि व्यापम के तहत भर्ती हुई है, लेकिन इसके माध्यम से गांव के लड़के नहीं आ पा रहे हैं. शिक्षाकर्मी योजना का यहां पर कई लोग विरोध कर रहे हैं, ठीक है, आज गांव के तमाम लड़के बेकार घूम रहे हैं, वे पहले मास्टर बन जाते थे, पटवारी बन जाते थे. लेकिन शासन की तरफ से ऐसी नीति बनायें ताकि गांव के लड़के भी मास्टर बन सकें. अब यहां पर जो 5 हजार रूपये का ट्यूशन लगाता है, बड़े पैसे वालों के बच्चे हैं वह तो व्यापम के द्वारा भर्ती हो जाते हैं लेकिन किसानों और मजदूरों के लड़कों के लिए क्या व्यवस्था है. इसलिए इस तरह की कोई व्यवस्था बनायें कि जिले की जिले में भर्ती होना चाहिए ताकि गांव के लोगों को रोजगार मिले.
अंतिम बात यहां पर कहना चाहते हैं कि एक आंदोलन शिक्षाकर्मियों का हुआ था उसमें हम भी गये थे. उसमें इस सदन में बैठे हुए एक माननीय सदस्य भी गये थे. उस भाषण की अभी तक हमारे पास में सीडी रखी है. उमा भारती जी की सरकार बनी थी तो उन्होंने वायदा किया था कि शिक्षाकर्मी और पंचायत कर्मियों को पूर्ण शिक्षक का जो कि वर्तमान में शिक्षक हैं उनके बराबर का वेतन देंगे. अगर वह देते तो वह वेतन आज 60 हजार रूपये होता है. उनका कहना था कि मैं अंतिम खून की बूंद तक लड़ाई लडूंगा अपनी मौत तक और वह (XXX), अध्यापकों के कंधे पर बैठकर सदन में आ गये हैं,और फिर उनके साथ में गद्दारी की है वह सीडी आज भी हमारे पास में है. आप कहेंगे तो हम दिखा देंगे. बहुत बहुत धन्यवाद्.
उपाध्यक्ष महोदय --यह कार्यवाही से निकाल दें.
कुंवर विजय शाह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय गोविंद सिंह जी आप सन् 1990 से विधायक हैं.(XXX).
डॉ. गोविन्द सिंह - मैंने नाम नहीं लिया है. जो-जो गया होगा, उसे बुरा लगे. (व्यवधान)
श्री शंकरलाल तिवारी - अखबार में छपने में वाली बातें कर रहे हैं, कुछ तो रहम कीजिये, आप लोग इतने बर्बाद हो चुके हैं (व्यवधान)
डॉ.गोविंद सिंह - आप थे क्या उसमें. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय - शंकरलाल जी आप बैठ जाएं, वह कार्यवाही से मैंने निकाल दिया है.
डॉ.गोविंद सिंह - उस आंदोलन में मुझे भाषण पर बुलाया था. (व्यवधान)
श्री शंकरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे इस पर गंभीर आपत्ति है. आपने जो बात कही है, उसे विलोपित किया जाय और इस तरह की बात सदन में न की जाए(व्यवधान)..
डॉ.गोविन्द सिंह - क्या उसमें आप थे ? आप ही थे, क्या आपने कसम खाई थी. जब आपने नहीं किया है तो आपको क्यों दिक्कत हो रही है. . (व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय - डॉक्टर साहब आप बैठ जाए. श्री शंकरलाल तिवारी जी मैं खड़ा हुआ हूं आप बैठ जाएं.
श्री सुखेन्द्र सिंह - सदन आपका थोड़े ही है, सदन में तो हम लोग स्वतंत्र है कुछ बोलने के लिये.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनिट लूंगा. अभी तक इस सदन में किसी ने यह नहीं कहा है कि हमारे सम्माननीय सदस्य माननीय (XXX).
उपाध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दें.
डॉ.गोविंद सिंह - (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय - यह भी कार्यवाही से निकाल दें. डॉक्टर साहब कार्यवाही से निकाल दिया है. व्यक्तिगत नहीं चलेगा.
डॉ.गोविंद सिंह - मैंने कब कहा कि (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय- डॉ. मोहन यादव आप बोलें.
कुंवर विजय शाह - माननीय उपाध्यक्ष जी, यह हमने मान लिया है कि माननीय गोविन्द सिंह जी भिंड से आते हैं. लेकिन कम से कम सन् 1990 से अभी तक आप एम.एल.ए. हैं, यह छुरी, चाकू, भिंड, मुरैना यह सब आपका शोभा नहीं देता है.
उपाध्यक्ष महोदय - आप क्यों उनको उकसा रहे हैं, आप बैठ जाइए.
कुंवर विजय शाह - यह छुरी चाकू भिंड में रखकर आना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय - (हंसी) नहीं वहा पिछोरे का रिवाज है. वहां चाकू छुरा नहीं चलता है.
डॉ. मोहन यादव (उज्जैन-दक्षिण) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं शिक्षा के संबंध में अपनी बात रखना चाहता हूं. मैं मांग संख्या 27, 40 के समर्थन में जो कुछ बातें हो गई हैं, उसको छोड़ते हुए जो भी बातें नहीं हुई हैं उन्हें जोड़ते हुए जैसा कि आपका निर्देश है मैं अपनी बात संक्षेप में करने का प्रयास करूंगा. मैं इस बात के लिये माननीय शिक्षा मंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा और आपको उज्जैन के एक विद्यालय की जानकारी देना चाहूंगा. मेरे मित्र सौरभ सिंह जी ने एक बात कही थी कि शासकीय विद्यालयों की स्थिति क्या है. हायर सेकेंडरी और हाई स्कूल दो विद्यालयों का मैं उदाहरण देना चाहूंगा. मेरी अपनी विधानसभा में ग्राम नलवा में एक हाईस्कूल है. उस हाईस्कूल में अगर सौ बच्चे पढ़ रहे हैं तो सौ के सौ बच्च्ो फर्स्ट क्लास पास हो जाते हैं. वहां कोई भी बच्चा सेकंड या थर्ड नहीं आता है. 100 प्रतिशत उपस्थिति बच्चों की भी रहती है. इस प्रकार से 100 प्रतिशत रिजल्ट आता है. मैं आपको बताना चाहूंगा कि हमारे आस पास के प्रायवेट विद्यालयों के अंदर हालत खराब हो गई है.
श्री सुखेन्द्र सिंह - क्या अभी नकल होती है ?
डॉ. मोहन यादव - अभी चल रही है आप जाकर देख सकते हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह - काफी नकल होती होगी (हंसते हुए)
उपाध्यक्ष महोदय - आप व्यवधान न करें.
डॉ. मोहन यादव - मैं आपको जानकारी देना चाहूंगा कि अगर शासन की व्यवस्था का कोई उदाहरण बनता है, तो यह प्रदेश के लिये बड़े गर्व की बात है और मैं यह हमारी सबकी जानकारी में आना चाहिए. माननीय शिक्षा मंत्री जी मैं आपको बधाई देना चाहूंगा की एक ऐसा हायर सेकेंडरी और हाई स्कूल विद्यालय जहां 100 प्रतिशत परिणाम आता है. 100 प्रतिशत फर्स्ट क्लास बच्चे आते हैं और साथ ही साथ जिस प्रकार से वहां शिक्षकों की स्थिति है. शिक्षक जो पढ़ाने आते हैं उनकी अनुपस्थिति होती ही नहीं है. वह किसी कारण से कोई छुट्टी नहीं लेते हैं और किसी कारण से छुट्टी अगर ले भी लेते हैं तो उस कक्षा की क्लास लेने के लिये शिक्षकों में आपस में लड़ाई होती है कि इसकी क्लास मैं लेने जाउंगा. यानि वहां आपस में शिक्षकों का परस्पर जो वातावरण है वह भी अत्यंत आत्मीय और इतना अच्छा वातावरण है कि कभी इस प्रकार की स्थिति नहीं बनी की कोई क्लास खाली रह गई हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यहां तक की मैं आपको बताना चाहूंगा कि उस विद्यालय के परिसर को अच्छा बनाने के लिये भी गार्डनिंग भी शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर अपने पैसों से कर दी है, उसमें शासन का एक पैसा भी नहीं लगा है. यहां तक कि बिल्डिंग की सफाई, रंगाई, पुताई लाईट कनेक्शन यह भी व्यवस्था अपने स्तर पर वहां के अध्यापकों, छात्रों और पूर्व छात्रों ने अपनी राशि जोड़कर की है. यह मैं आपको इसलिए उदाहरण दे रहा हूं क्योंकि शासन की योजनाओं के माध्यम से माननीय शिक्षा मंत्री ने हम पर एहसान और उपकार किया है. आपने सोलर लाईट देने की बात की है. वास्तव में माननीय शिक्षा मंत्री जी बधाई के पात्र हैं कि इन्होंने यह शुरूआत की है. लेकिन मैं यह बता रहा हूं कि हमारे यहां हमने पहले से यह व्यवस्था की है. साथ ही साथ जो बालिकाएं छात्रावास में ठंड से ठिठुरने के कारण से वहां नहीं रह पाती थी. आपको बधाई देना चाहूंगा कि माननीय कुंवर विजय शाह जी कि आपने जो 201 विश्वविद्यालयों में लगभग 1105लाख का यह प्रबंधन किया है, उससे अब बच्चियों को ठंड से ठिठुरने से बचाया जा सकेगा...
2.00 बजे {सभापति महोदय (श्री के.पी.सिंह) पीठासीन हुए.}
डॉ. मोहन यादव ... सभापति महोदय, मैं संक्षेप में दो तीन बात कहते हुए अपनी बात समाप्त करने का प्रयास करूंगा कि जो नया प्रयोग 'मिल बांचे' कार्यक्रम शिक्षा विभाग के माध्यम से हुआ. इस पर बात ही नहीं हुई है. वाकई यह अद्भुत बात है. हमारे अपने किसी भी स्कूल में जाकर खुद का समय देना, मैं आपको जानकरी देना चाहूंगा कि मेरे अपने उज्जैन के एक माध्यमिक विद्यालय में मैं जब गया और उन बच्चों से पूछा कि आप किस विषय पर पढ़ाना चाहते हैं. किसी ने कहा गणित में, किसी ने कहा अंग्रेजी में, किसी ने और कोई विषय कहा तो जो हमारा 40 मिनट का समय नियत किया था, वह समय हमें पता ही नहीं चला और इतना आनंद आया. वास्तव में इन विद्यालयों से जोड़कर यह जो योजना चालू की गई है, वह काबिले तारीफ है. इस प्रकार से जब तक हमारा समाज नहीं जुड़ेगा, तब तक कभी भी व्यवस्थाओं में सुधार नहीं आ पाता है. वाकई यह अद्भुत योजना है. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि जो मदरसों पर ध्यान दिया गया है. आम तौर पर मदरसे छूट जाते हैं. लेकिन शासन ने जो इस पर ध्यान दिया है और इसके अंतर्गत जो आपने बात रखी है भौतिक और वित्तीय साधन उपलब्ध कराने की, आपने कहा कि अनुदान प्राप्त 1685 मदरसों में से 3590 स्नातक...
सभापति महोदय - माननीय सदस्य आप अपनी बात कर लें. शासन की बात तो अभी मंत्री जी बोलेंगे.
डॉ. मोहन यादव - सभापति महोदय, मैं इसलिए यह बात करना चाहता हूं कि मैं उज्जैन से आता हूं. हमारे यहां लगभग 1 लाख से ऊपर अल्पसंख्यकों की आबादी है. ऐसे में अगर शासन ने उनके हित में अगर कोई काम किया है तो उसको जरूर सदन के सामने लाने की आवश्यकता है क्योंकि मदरसों के माध्यम से जो दूसरे प्रकार की गतिविधि बनती है, बढ़ती है, उसको रोकने के लिए निश्चित रूप से शासन का जो संरक्षण मिलता है, उसका लाभ हमको सबके सामने लाना चाहिए और यह छूटे हुए ऐसे विद्यार्थी जो किसी न किसी कारण से भ्रमित हो जाते हैं, उनको शासन की मुख्यधारा में लाने में वास्तव में शिक्षा विभाग का यह अनुकरणीय उदाहरण है. मैं बहुत सारी बातें कह सकता था. आपने लेपटॉप देने की बात कही है. आपने कहा कि सिक्यूरिटी की दृष्टि से जो एक चौकीदार पहले 24 घंटे रहता था, अब 8-8 घंटे की ड्यूटी लगाकर प्राइवेट सिक्यूरिटी देकर खासकर बालिका छात्रावास में जो सिक्यूरिटी बढ़ाने वाले हैं, वास्तव में यह बहुत आनंद की बात है. महिला संस्कृत आवासीय विद्यालय की जो योजना चालू की है, वाकई यह अद्भुत योजना है. आपके माध्यम से माननीय शिक्षा मंत्री को यह बधाई देना चाहूंगा भोपाल में इसको प्रयोग किया है. इसको उज्जैन में भी..
श्री जसवंत सिंह हाड़ा- सभापति महोदय, मैं डॉ. मोहन जी से अनुरोध करता हूं कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं उज्जैन में शिक्षा ली थी, ये वहां से आते हैं तो हम सब लोग इन्हीं को समर्पित कर देते हैं. हमारा नाम आप भले ही कम कर लेना.
डॉ. मोहन यादव - हाड़ा जी का धन्यवाद. मैं इनका इशारा भी समझ रहा हूं लेकिन जो बात बताना चाह रहा हूं.
सभापति महोदय - अब आप इशारा समझ रहे हैं, इसके बाद भी जारी हैं.
डॉ. मोहन यादव - अगर वे अच्छी बात को प्रोत्साहन दे रहे हैं तो मैं अपनी बात को नकारात्मक दृष्टि से नहीं ले सकता हूं.
सभापति महोदय - इसका मतलब आप इशारा समझ नहीं रहे हैं?
डॉ. मोहन यादव - इशारा यह नहीं है कि मुझे बात खत्म करना है. इशारा यह है कि अब उज्जैन में भी इनकी कृपा बरसेगी. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि उत्कृष्ट विद्यालयों में जो छात्रावास बनाने की योजना बनाई है. लगभग 41 छात्रावास जोड़ने का जो प्रयास किया है, वह वास्तव में स्तुत्य है. मैं इसके लिए सरकार को, शिक्षा मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. साथ ही साथ दो बातें अपने क्षेत्र की करना चाहूंगा. जैसा मैंने नलवा हाईस्कूल का उदाहरण दिया है . इसी प्रकार से हमने जवासिया हायर सेकण्ड्री स्कूल की अपने क्षेत्र में मांग की है. मैं यह भी चाहता हूं कि सरकार इसमें यह भी करे कि जो अच्छे विद्यालय चल रहे हैं, उनको प्रदेश में उत्कृष्ट विद्यालय का दर्जा दें ताकि उनको प्रेरणा मिलेगी, उनको प्रोत्साहन मिलेगा और जैसा मैंने कहा कि नलवा में दसवीं तक का स्कूल है. अगर हम उसको हायर सेकण्ड्री कर देंगे तो वास्तव में हमारे लिए कृपा भी होगी और यह क्षेत्र में सबको उसका अहसास भी होगा कि वास्तव में इस दिशा में सरकार गंभीर रहती है. माननीय मंत्री जी निश्चित रूप से कृपा करेंगे. गंगेड़ी और गोंदिया की दो हाईस्कूल बनाए जाने की मैं मांग कर रहा हूं. इनका भी माध्यमिक विद्यालय से उन्नयन करने की मांग करते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं. सभापति महोदय, आपने बोलने का जो मौका दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) - सभापति महोदय, आज स्कूल शिक्षा विभाग की मांग संख्या 27 एवं मांग संख्या 40 के कटौती प्रस्तावों पर बोलने का अवसर मिला है. इस पर आप स्वयं और भी सभी वरिष्ठ साथियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये. लेकिन मध्यप्रदेश की स्थिति शिक्षा की क्या है, मैं समझता हूं कि पूरा सदन इससे वाकिफ है? बिना शिक्षकों के सरकारी स्कूल चलाने में मध्यप्रदेश नंबर वन है. यह मैं नहीं कह रहा हूं. वर्ष 2016 में जब मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार, वहां पर हम समझते हैं कि आपकी ही सरकार है, उन्होंने यह बात कही थी. मानव संसाधन मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में 4837 शिक्षकविहीन शालाएं हैं. यह मध्यप्रदेश की पूरी स्थिति है.
श्री सुखेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना यह है कि मध्यप्रदेश में भारी-भरकम बजट शिक्षा में दिया जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश में शिक्षा का स्तर जीरो है. यह आपके माध्यम से कहना चाहता हूं. जब हमारी सरकार थी तो अभी हमारे पाटीदार जी कह रहे थे कि पांच सौ में हम मास्टर लगे हैं. अगर वह मास्टर नहीं होते तो मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश में जो शिक्षक हैं वही शिक्षक आज भी काम कर रहे हैं.
सभापति महोदय--माननीय सदस्य अपनी बात कहेंगे वह एक दूसरे के जवाब देने की जरूरत नहीं है. अपनी बात करें जो आपका कहनी है.
श्री सुखेन्द्र सिंह--सभापति महोदय, अपनी बात वही है उन्नयन , उन्नयन नहीं हो पा रहे हैं.
सभापति महोदय--वही बात या अपने क्षेत्र की बात करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- थोड़ा बहुत शिक्षा का ध्यान जो स्वाभाविक है, बताना चाहिये. एक महत्वपूर्ण बात यह है कि मध्यप्रदेश में सरस्वती स्कूल लगभग 50 सालों से संचालित हैं उन सरस्वती स्कूल जो हैं उनमें एक बंधुआ मजदूर की तरह से उनसे काम लिया जाता है. तो मेरा अनुरोध आपसे यह है...
श्री जसवंत सिंह हाड़ा--मैं भी शिशु मंदिर से आया हूं. इस शब्द को बंधुआ मजदूर कह कर गलत कर रहे हैं.
कुंवर विजय शाह--सभापति महोदय, आप अपनी बात कहें. आप शिक्षण संस्थाओं को बिना देखकर के ऐसा कैसे बोल रहे हैं ?
(व्यवधान)
श्री सुखेन्द्र सिंह--सभापति महोदय, वहां पर शिक्षक काम कर रहे हैं, लेकिन अब अच्छी शिक्षा देते हैं.
सभापति महोदय--माननीय सदस्य से मैं आग्रह करता हूं कि अपनी बात रखें. यह विवादित बातों से बचें तो ज्यादा अच्छा होगा.
श्री शंकरलाल तिवारी--जान-बूझकर के शिक्षकों के बारे में ऐसी बातें कर रहे हैं. यह सरस्वती शिशु मंदिर के बारे में जो बोला है उसको विलोपित किया जाये. (व्यवधान)
श्री सुखेन्द्र सिंह--सभापति महोदय,जो शिक्षा दे रहे हैं उनके बारे में भी सोचना चाहिये उनका भी शासकीयकरण करना चाहिये. (व्यवधान)
कुंवर विजय शाह--सभापति महोदय, यह शिशु मंदिर हैं जहां पर शिक्षा के साथ संस्कार भी दिये जाते हैं. (व्यवधान)
श्री सुखेन्द्र सिंह--सभापति महोदय, निश्चित रूप से संस्कार दिये जाते हैं. जहां पर शिक्षा भी दी जा रही है, वहां पर संस्कार भी दिये जा रहे हैं उनको कम से कम शासकीय कर्मियों का दर्जा दिलायें.
श्री शंकर लाल तिवारी--यहां पर नेतागिरी करने के लिये उसका नाम न लिया जाये. शिशु मंदिर जैसी संस्थाओं पर तो रहम करो.(व्यवधान)
सभापति महोदय--माननीय सुखेन्द्र सिंह जी मेरी बात सुन लें. तिवारी जी आप तो बीच में मत बोलें. आप लोग आपस में जिरह करेंगे तो 34 लोग कैसे बोलेंगे.आपका जब मौका आयेगा तो उसका जवाब दे देना.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा--सभापति जी मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि आपके क्षेत्र में शिशु मंदिर हैं आपने बहुत अच्छे से देखें हैं, यह शिशु मंदिर में पढ़े ही नहीं हैं इनको पता ही नहीं है. सरस्वती मां के बारे में इनको कुछ ज्ञान नहीं है. इसलिये कुछ भी बोलते हैं (XXX) कर रहे हैं इनको अपनी भाषा पर कंट्रोल नहीं है. इनको शिशु मंदिर में पढ़ाना जरूरी है, इसीलिये यह अपने शब्द वापस लें. शिशु मंदिर जैसी संस्था के बारे में बोलना यह इनके लिये शोभा नहीं देता, यह तो बुद्धि का एक तरह से क्षरण जैसी बात हो गई हैं.(व्यवधान)
सभापति महोदय--माननीय सदस्यों से मेरा आग्रह है कि अपने क्षेत्र की बात करें तो सार्थकता सिद्ध हो. आप एक दूसरे पर लांछन लगाएंगे तो इसका कुल हल निकलने वाला नहीं है. (व्यवधान)
श्री सुखेन्द सिंह--सभापति महोदय, मैं शिशु मंदिर के टीचरों के बारे में बोल रहा हूं. उनके विषय में चिन्ता व्यक्त कर रहा हूं. आज शिक्षक परेशान हैं. उनके बारे में बात रखी. मैं वहां पर जाता हूं. उनकी पीड़ा को समझ रहा हूं.(व्यवधान)
सभापति महोदय--आप शासकीय स्कूलों की बात करो तो ज्यादा बेहतर है.
श्री सुखेन्द्र सिंह--सभापति महोदय, मैं इसीलिये बोल रहा हूं कि माननीय मंत्री जी जागरूक मंत्री हैं .(व्यवधान)
श्री जसवंत सिंह हाड़ा--सभापति जी वहां पर शिक्षक हैं, आचार्य हैं, इनको स्वयं के आचरण से काम करते हैं. जो भाई बहिन काम वहां पर काम करते हैं उनको आचार्य कहा जाता है.इसीलिये इस विद्यालय को शिशुओं का मंदिर कहा गया है. स्व-आचारण से पढ़ाने वाला हमारे यहां पर आचार्य होता है. (व्यवधान)
श्री सुखेन्द्र सिंह--मैं कह रहा हूं तो क्यों आपको मिर्ची लग रही है.
सभापति महोदय--आपने पूरा समय इन्हीं बातों पर पूरा कर दिया.
श्री के.के.श्रीवास्तव - माननीय सभापति महोदय, आज शिक्षा के स्तर में हमने गुणात्मक सुधार करने का प्रयास किया है. 36 हजार शिक्षकों की भर्ती करने का लक्ष्य इस बजट में रखा है. इससे स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति होगी. हर 5-5,10-10 किलोमीटर पर हाई स्कूल एवं हायर सेकेंड्री स्कूलों का उन्नयन किया गया है. कई स्कूल खोले गये हैं. इतने स्कूल पहले कभी नहीं खोले गये. वर्ष 2017-18 के बजट में 520 हाईस्कूलों और 240 हायर सेकेण्डरी स्कूलों का उन्नयन करने का प्रस्ताव आया है. मैं इसके लिये माननीय शिक्षा मंत्री महोदय को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने इस बजट में इतने सारे स्कूल खोलने का लक्ष्य रखा है. मैं छात्रों के गुणात्मक सुधार की बात कर रहा हूं. छात्रों को रोटेशन प्रणाली में बैठाना अच्छी बात है, नहीं तो पहले होशियार विद्यार्थी आगे बैठ जाते थे और कमजोर विद्यार्थी पीछे बैठते थे. शिक्षकों का ध्यान उन पर नहीं जा पाता था. यह एक अच्छा प्रयोग हुआ है. साईकल,पुस्तकें,गणवेश, इनके बारे में मुझे बात नहीं करना है. पाठ्यक्रम में एन.सी.आर.टी. की पुस्तकें अगले शैक्षणिक सत्र से प्रारंभ होंगी ताकि अभी जो हमारे सीबीएसई कोर्स और राज्य स्तरीय कोर्स में अंतर है उसकी कमी पूरी हो जायेगी. अभी " मिल बांचे अभियान " की बात हो रही थी. " मिल बांचे अभियान " केवल स्कूल में जाने की औपचारिकता नहीं थी. अपने आप को उस अभियान से जोड़ने, उस स्कूल में जाने और उस स्कूल में पहुंचकर अपनी यादों को संजोकर उन विद्यार्थियों के बीच रखना कि हम इस सरकारी स्कूल में पढ़े हैं, विद्यार्थियों की हौसला अफजाई करना था. आप यह नहीं मानना कि केवल प्रायवेट स्कूल में पढ़ने वाला विद्यार्थी ही आई.ए.एस.,आई.पी.एस.विधायक,सांसद बन सकता है. किसी सरकारी स्कूल में पढ़ने वाला विद्यार्थी भी अगर निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ,मिशन के साथ,लक्ष्य के साथ मेहनत करेगा तो शासकीय प्रायमरी स्कूल का विद्यार्थी भी जीवन में आगे बढ़ सकता है. यह प्रेरणा भी उन बच्चों को देना था. टीकमगढ़ प्रवास पर जब स्कूल शिक्षा मंत्री जी गये थे, वहां के एक मात्र छात्राओं के स्कूल में गये, स्कूल भवन की हालत देखी तो उन्होंने डेढ़ करोड़ रुपये विद्यालय की मरम्मत,सुधार के लिये स्वीकृत कर दिये उसके लिये मैं उनको धन्यवाद देता हूं. टीकमगढ़ जिले में वह एक मात्र हायर सेकेण्डरी कन्या शाला है. जानकी बाग मिडिल स्कूल का हाईस्कूल में उन्नयन कर दें तो वहां की हमारी बेटियों के लिये स्कूल की व्यवस्था हो जायेगी. नगरपरिषद,कारी, में अभी हाईस्कूल है वहां हायर सेकेण्डरी स्कूल होना चाहिये. वहां के लोगों की मांग भी है तो कारी में एक हायर सेकेण्डरी और अजनौर में वर्तमान में हाई स्कूल है, वहां पर हायर सेकेण्डरी स्कूल खोलने की घोषणा मंत्री जी सदन में कर दें तो अच्छा होगा. टीकमगढ़ जिले के रायपुर में छोटा प्रायमरी स्कूल जंगल के क्षेत्र में है उसका मिडिल स्कूल में उन्नयन कर दें. आपने समय दिया धऩ्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा) - माननीय सभापति महोदय, सभी सदस्यों ने कहा कि शिक्षा का स्तर मध्यप्रदेश में अच्छा हुआ है, सुधरा है. चलो इस बात को माने तथा यह स्तर और अच्छा कैसे हो सकता है, उसके लिये मेरा एक सुझाव है कि एक नियम बना दिया जाये कि जितने चुनाव जनप्रतिनिधि लड़ते हैं चाहे वह सरपंच का चुनाव हो,जनपद का चुनाव हो,जिला पंचायत का चुनाव हो,विधान सभा का चुनाव हो, लोक सभा का चुनाव हो, ऐसे जनप्रतिनिधि जिनकी शादी हो चुकी है और बच्चे हो गये हैं उनका बच्चा शासकीय स्कूल में पढ़ना अनिवार्य कर दें और जितने अधिकारी हैं, जनप्रतिनिधि हैं, उनके बच्चों की शासकीय नौकरी तभी लगे जब शासकीय स्कूल में उनके बच्चे जाना चाहिये. जब जनप्रतिनिधि और शासकीय अधिकारी अपने बच्चों को शासकीय स्कूल में भेजेंगे, तब मैं मानूंगा कि शासकीय स्कूलों का शिक्षा स्तर अच्छा हुआ है. अपने बच्चों को पढ़ाते हैं प्राइवेट स्कूलों में और यहां पर बात करते हैं शिक्षा स्तर की. जिस तरह से 3 बच्चे जिसके हो जाते हैं उनको चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है, उसी प्रकार उसे जब तक चुनाव न लड़ने दिया जाये, तब तक कि वह शासकीय स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ने नहीं भेजें, यह नियम होना चाहिये. शिक्षा मंत्री जी कहां चले गये.
सभापति महोदय-- आप अपनी बात कर लें और सरकार को थोड़ा कम सुझाव दें.
श्री हरदीप सिंह डंग-- मेरा सुझाव बहुत महत्वपूर्ण है.
सभापति महोदय-- आपके सुझाव इसलिये महत्वपूर्ण नहीं हैं क्योंकि वह इन सुझावों पर विचार करने के लिये तैयार ही नहीं होंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग-- आप स्कूल उन्नयन की बात कर रहे हैं, हमारे यहां प्राथमिक शाला है जिसकी दूरी 1 किलोमीटर है. मेरी विधान सभा में ऐसी 34 जगह प्राथमिक शालायें और खुल सकती हैं जो आपकी केटेगरी में आते हैं. मिडिल स्कूल 54 और खुल सकते हैं, हाईस्कूल जिनकी 5 किलोमीटर से अधिक दूरी है, ऐसे 10 स्थान हैं जहां पर हाई स्कूल और खुल सकते हैं. वर्ष 2003 में चंदवास की बिल्डिंग, हायर सेकेण्डरी स्कूल तो खुल गया, लेकिन आज भी 16 साल बाद वहां हायर सेकेण्डरी स्कूल मिडिल स्कूल में लग रहा हैं. जबकि यह पूरे क्षेत्र का बड़ा कस्बा है, उसमें 1 हजार बच्चे पढ़ते हैं. वह बच्चे मिडिल स्कूल में बैठते हैं, यह हमारे लिये बहुत शर्म की बात है. जो मिडिल स्कूल है वह भी जर्जर हो चुका है. कभी भी उस स्कूल की छत बच्चों के ऊपर गिर सकती है. इसकी जवाबदारी शिक्षा विभाग की रहेगी. मंत्री जी चले गये उनका यहां होना बहुत ही जरूरी था. मोतीपुरा, खजूरीनाल, ऐरा, पीपरोद और हतूनिया यहां पर 4-4 कमरों में हायर सेकेण्डरी स्कूल लग रहे हैं. फर्नीचर की उपलब्धता नहीं है. वहां अतिथि शिक्षक को रविवार को भी आना पड़ता है, कोई अतिथि शिक्षक अगर शासकीय छुट्टी में नहीं आये तो उसकी तनख्वाह कट जाती है. अगर उन्होंने 24 दिन काम किया तो 24 दिन की तनख्वाह मिलती है, उनके साथ भी न्याय किया जाये और उनको भी उनका अधिकार दिलाया जाये. प्राथमिक स्कूलों में जिम की मशीनें पड़ी हैं. अभी मैं रूढ़ीझां में प्राथमिक स्कूल में गया वहां जिम की मशीन पड़ी हैं. जबकि उन मशीनों को हायर सेकेण्डरी स्कूल में होना चाहिये. खेल मैदानों पर कब्जे किये हुये हैं, बच्चों को खेलने की व्यवस्था नहीं है, खेल मैदान बनाया जाये. विद्युत व्यवस्था भी नहीं है, वहां कम्प्यूटर पड़े हैं, परंतु लाइट नहीं है. बसई हमारा बहुत बड़ा गांव है वहां पर सब कुछ व्यवस्था है परंतु वहां लाइट की व्यवस्था नहीं है, न पोल लगे हैं, न वायर है. स्कूलों की बाउंड्री न होने के कारण वहां जितने भी गलत काम हैं वह स्कूलों में हो रहे हैं. आवारा पशु वहां घूमते रहते हैं. बाउंड्री वाल वहां तुरंत बनाई जाये. स्थानांतरण की जो नीति है, मेरी विधान सभा में 37 शिक्षकों का स्थानांतरण कर दिया, फिर क्या सेटिंग बनी कि एक महीने बाद उनको फिर वापस ले लिया. उनका स्थानांतरण किया क्यों, जब किसी की शिकायत नहीं थी ? राजनीति के कारण उनके ट्रांसफर हो गये. फिर वह धौंख देकर आये, जो भी किया, फिर वापस हो गये. मेरा कहना है कि ट्रांसफर होने का क्या कारण था और फिर निरस्त क्यों किये गये और वह भी एक व्यक्ति के पत्र पर, इस पर भी आप ध्यान दें ?
सभापति महोदय-- माननीय सदस्य अब कृपया समाप्त करेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग-- मंत्री जी होते तो मेरी बात सुनते.
सभापति महोदय-- इसलिये समाप्त कर दो. मंत्री जी हैं ही नहीं है.
वन मंत्री, (डॉ. गौरी शंकर शेजवार)-- आप जो भी सुझाव दे रहे हैं, सब नोट हो रहा है.
श्री हरदीप सिंह डंग-- सभापति जी आपने बोलने का मौका दिया, धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग - माननीय सभापति महोदय, शिक्षा मंत्री जी सदन में आ गये हैं इसलिये मेरा उनसे एक ही निवेदन है कि मैंने जो बातें कही हैं वह तो नोट हो गई हैं उसके अनुसार मेरे क्षेत्र की समस्या का समाधान करेंगे.
कुंवर विजय शाह-सभापति महोदय, सवा लाख में एक हैं सुनना तो पड़ेगा ही(हंसी).
श्री हरदीप सिंह डंग -- मेरा एक ही निवेदन मंत्री जी से है कि चंदवासा में पिछले 17 सालों से हायर सेकेण्डरी स्कूल जो मिडिल स्कूल में लग रहा है वह काफी जर्जर अवस्था में है.चंदवासा में स्कूल का भवन कभी भी बच्चों के ऊपर गिर सकता है और मिडिल स्कूल में हायर सेकेण्डरी के बच्चे भी पढ़ते हैं इसलिये सभापति महोदय माननीय मंत्री जी आज सदन में इस बात की घोषणा करें कि चंदवासा की हायर सेकेण्डरी की बिल्डिंग आप मंजूर करेंगे, तो बड़ी मेहरबानी होगी.
माननीय सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र में बोरखेड़ी में हाई स्कूल खोले जाने के लिये कई दिनों से मांग की जा रही है. इस मांग को पूरा करने के लिये मेरे क्षेत्र से बस में भरकर के किसान और जनता भोपाल में आकर के इस बात की मांग कर चुकी है लेकिन अभी भी उनकी मांग पूरी नहीं हो पाई है. इसलिये आगर और बोरखेड़ी में हाई स्कूल खोलने की घोषणा करेंगे तो मंत्री जी को मैं क्षेत्र की जनता की तरफ से बधाई दूंगा. सभापति महोदय आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया इसके लिये आपको भी बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती ममता मीना(चाचोड़ा) माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 का समर्थन करती हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करती हूं. सभापति महोदय, सबसे पहले तो मैं मुख्यमंत्री जी और मंत्री जी धन्यवाद देना चाहती हूं कि आपने प्रदेश के बच्चों के हित में जो बजट प्रस्तुत किया है वह सराहनीय है. सभापति महोदय, प्रदेश में 13 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी की सरकार में है, जिस दिन से प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है उस दिन से हमारे प्रदेश में बच्चों की शिक्षा के स्तर में सुधार हो रहा है. बच्चों को बैठने के लिये स्कूलों में भी उचित व्यवस्था हुई है. हमारे कांग्रेस के सदस्य बजट के भाषण में बोल रहे थे . मैं उनसे कहना चाहती हूं कि जब प्रदेश में आपकी सरकार थी उस समय में आपने शिक्षकों को एक पदनाम दिया था "शिक्षाकर्मी" यह शब्द ऐसा शब्द था जिससे शिक्षकों को भी बोलने में शर्म महसूस होती थी लेकिन उस पदनाम को परिवर्तित करते हुये हमारी सरकार ने उसका नाम रखा सहायक अध्यापक, और हमारी सरकार ने अध्यापक और सहायक अध्यापकों को छठवां वेतनमान का लाभ भी दिया, इसके लिये मैं मंत्री जी को और मुख्यमंत्री जी बधाई और धन्यवाद देती हूं.
माननीय सभापति महोदय, हमारी सरकार के द्वारा जो प्रदेश में मिल बाचो कार्यक्रम चलाया उसकी भी सराहना करती हूं. इस कार्यक्रम के माध्यम से हमको भी एक दिन के लिये शिक्षक बनने का सौभाग्य दिया. हमें भी लगा कि बच्चों को कैसे पढ़ाना चाहिये और हमारे बच्चों का शिक्षा का स्तर कैसा है. बच्चे कैसे पढ़ रहे हैं. इसी के तहत एक दिन मुझे भी स्कूल में शिक्षक बनकर के पढ़ाने का सौभाग्य मिला और सबसे बड़े सौभाग्य की बात मेरे लिये यह रही कि जिस स्कूल में मैं पढ़ी लिखी उसी स्कूल में मुझे बच्चों को पढ़ाने का मौका मिला. मुझे भी मेरा बचपन मंत्री जी ने याद करा दिया, उसके लिये मुख्यमंत्री जी को और मंत्री जी को बधाई देना चाहती हूं.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान क्षेत्र की समस्या की ओर भी आकर्षित करना चाहती हूं. वैसे मेरे विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने स्कूल के भवन काफी मात्रा में दे दिये हैं, बच्चों को पढ़ने के लिये स्कूल में आने जाने में समस्या आती थी उसको देखते हुये हमारे प्रदेश के बच्चों को सरकार के द्वारा सायकिलें प्रदान की गई, ताकि हमारे बच्चे-बच्चियां समय पर स्कूल पहुंच सके, मध्याह्न भोजन की भी व्यवस्था स्कूल में करवाई क्योंकि बच्चों को घर आने जाने में समस्या आती थी. मैं मंत्री जी का ध्यान विधानसभा क्षेत्र की कुछ समस्याओं की ओर आकर्षित कराना चाहती हूं. मेरे विधानसभा क्षेत्र में मकसूदनगढ क्षेत्र में, राघोगढ़ ब्लाक नशीलपुर में आता है. यह क्षेत्र 20-25 किलोमीटर दूर होने के कारण आने जाने में बच्चों को रूकावट आती है इसलिये मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगी कि नशीलपुर और उकावद में हायर सेकेण्डरी स्कूल स्वीकृत किये जायें. बहुत लंबे समय से इसकी मांग की जाती रही है मुझे विश्वास है कि मंत्री जी आज अपने भाषण में इसकी घोषणा करेंगे .
माननीय सभापति महोदय, मैं मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि मेरे विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल एवं हाई स्कूल, सानई में भवन नहीं है जिसके कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है. अनुरोध है कि सानई में हाईस्कूल भवन और मकसूदनगढ़ में बालक माध्यमिक शाला हेतु भवन की स्वीकृति प्रदान करें.भवन क्षतिग्रस्त है, बालक माध्यमिक शाला मकसूदनगढ़ में भवन बनाया जाए. साथ ही शासकीय बालिका छात्रवास उमर थाना है जो आवासीय है और वह 100 सीटर है लेकिन अभी अतिरिक्त कक्ष में लग रहा है, वहां भी भवन नहीं है, यहां भवन की स्वीकृति दी जाए.100 सीटर होने की वजह से हमारी बालिकाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, मेरा निवेदन यहां भी है कि नवीन भवन बनाने की घोषणा करें. माननीय मंत्री जी को मैं धन्यवाद देना चाहती हूं, माननीय सभापति महोदय आपने मुझे बोलने का समय दिया इसके लिए आपको भी धन्यवाद देना चाहती हूं.
श्री रामपाल सिंह(ब्यौहारी) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 के विरोध में मैं बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. स्कूल शिक्षा हमारे विद्यार्थियों के आचरण का खजाना होती है, प्राथमिक स्कूल से ही हमें संस्कार मिलते हैं, नैतिकता और मर्यादाओं को सीखने का अवसर प्राप्त होता है. मैं अपने क्षेत्र की प्रमुख समस्या पर आना चाहूंगा, मेरे विधान सभा क्षेत्र में अधिकतर प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर के ऐसे विद्यालय हैं जहां पर शिक्षकों का अभाव है. वहां अतिथि शिक्षकों के भरोसे विद्यालय चल रहे हैं, बहुत से ऐसे विद्यालय हैं जो शिक्षकविहीन हैं, वहां एक भी शिक्ष्ाक नहीं है सिर्फ अतिथि शिक्षक ही है, जो कभी गए कभी नहीं गए. अतिथि शिक्षकों को समय पर मानदेय नहीं मिलने से उनका मन भी नहीं लगता है. खासतौर से ट्रायबल क्षेत्रों में यह समस्या बहुत ज्यादा है, वहां कोई देखने वाला भी नहीं है. मेरे ब्यौहारी विधान सभा क्षेत्र में खासतौर से ब्यौहारी ब्लाक में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के 18 ऐसे विद्यालय हैं जहां हैण्डपम्प का खनन नहीं हुआ है तो ऐसी जगह शौचालय की क्या कल्पना कर सकते हैं, जब पानी ही नहीं है तो कैसे बच्चों का मध्यान्ह भोजन का कार्यक्रम चलता होगा. मैंने कई बार डीपीसी से बात की कलेक्टर से बात की लेकिन कोई परिणाम नहीं आया, यह बहुत गंभीर बात हैं. बहुत से ऐसे भी विद्यालय होंगे जो हमारे संज्ञान में नहीं है. माननीय मंत्री महोदय से निवेदन है कि बच्चों को 6 से 14 की उम्र तक बच्चों को आठवीं उत्तीर्ण करके नवमीं में प्रवेश दिया जाता है, यदि बच्चा पहली, दूसरी, तीसरी, चौथी, पांचवी, छटवी, सातवीं, आठवीं नहीं पढ़ा और वह कहीं बाहर चला गया, क्योंकि ट्रायबल क्षेत्र में लोग रोजगार के लिए बाहर चले जाते हैं, जब वह लौटकर आते हैं तो उनके बच्चों की उम्र यदि 14 साल होती है तो शिक्षकों के द्वारा बोला जाता है कि कक्षा 8 में दो माह पढ़ाकर, उन्नत करके कक्षा नवमीं में प्रवेश दिलवा दो, आगे चलकर ऐसा विद्यार्थी कितना अच्छा हो सकता है, यह जरा कल्पना कीजिए, क्या यही शिक्षा है, क्या यही शिक्षा का आधार है, इसमें सुधार करने की जरूरत है. दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि ट्रायबल क्षेत्र में कई ऐसी बालिकाएं हैं जो प्रारंभिक शिक्षा ही नहीं पढ़ नहीं पाती हैं, जो हमेशा उससे विरक्त हो जाती हैं, वह पढ़ नहीं पाती हैं. मैं यह चाहता हूं कि बालिका छात्रावास या आवासीय छात्रावास के रुप में मेरे विधान सभा में ऐसा कुछ प्लान बनायें, जिससे उन बच्चों का एक बेहतर विकास हो सके. आपके कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास जो चल रहे हैं, इनमें हमेशा, अभी पूर्व वक्ता ने कहा कि वहां पर जो अधीक्षक होते हैं, उनमें अधीक्षक बनने की लड़ाई चलती है कि मैं बन जाऊं, वह बन जाये, ऐसा क्यों. वहां उनका पढ़ाई की तरफ ध्यान नहीं है. वहां पर जो बेसहारा एकल परिवार की बालिकाएं हैं, उनको प्रवेश मिलना चाहिये, पर ऐसा नहीं होता है. आज भी कई ऐसे बेसहारा परिवार हैं, हम लोग जब बीस बार बोलते हैं, तब जाकर के उनका एडमीशन करते हैं. दूसरी चीज मैं यह कहना चाहूंगा कि मेरे क्षेत्र में कुछ ऐसे गांव हैं, संजय गांधी अभ्यारण्य है, जिसमें मेरे यहां के 10-12 गांव ऐसे हैं, जो उसके बफर जोन में आते हैं. वहां पर माध्यमिक विद्यालय हैं. वहां के छात्र,छात्राएं दसवीं या बारहवीं का विद्यालय न होने से वंचित हो जाते हैं, चूंकि उनके चारों तर फ अभ्यारण्य है, शेर हैं, जिनके डर से वह नहीं निकलते हैं. जैसे बोचरो, चारों तरफ जंगल से आच्छादित है. ठोढ़ा, विजयसोता, जमुना, नवा टोला, चन्दौरा, ये कई ऐसे गांव हैं, जिनके माध्यमिक विद्यालय को हाईस्कूल में उन्नयन करेंगे, तो वहां के बच्चों को बहुत अच्छी सुविधा मिलेगी. दूसरी चीज शौचालयों की स्थिति बहुत बदतर है. तो इस पर भी ध्यान देना चाहिये, क्योंकि यह राष्ट्रीय कार्यक्रम है. प्राथमिक विद्यालय एवं माध्यमिक विद्यालय जो मुख्य सड़क मार्ग से लगे हुए
हैं, वहां पर सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए बाऊंड्रीवॉल का निर्माण कराया जाना नितांत आवश्यक है. मैं एक चीज और कहना चाहूंगा कि कुण्डाटोला कन्या आश्रम को माध्यमिक शाला में उन्नयन करने की कृपा करें, जिससे बालिकाओं को को एक बेहतर शिक्षा मिल सके. सभापति महोदय, आपने समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.
2.37 बजे {उपाध्यक्ष महोदय ( डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
श्रीमती शीला त्यागी (मनगवां) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 एवं 40 के विरोध में एवं इन पर प्रस्तुत कटौती प्रस्तावों के समर्थन में अपनी बात रख रही हूं. जैसा कि हम सब जानते हैं कि शिक्षा सबका मौलिक अधिकार बन गया है. चाहे लड़का हो या लड़की, सबको समान शिक्षा का अधिकार बाबा साहब ने भारतीय संविधान में लिखकर दिया. शिक्षा का स्वरुप आज के परिवेश में बदल गया है. पहले खुले आसमान के नीचे लगने वाली क्लासें आज डिजिटल क्लासों में बदल गई हैं. साथ ही साथ एक भवन की जगह इन्टरनेशनल स्कूल भी बन गये हैं.,लेकिन यह शहरों की स्थिति है और प्रायवेट स्कूलों की स्थिति है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि शिक्षा हमारे जीवन में खुशहाली के लिये आवश्यक है. पैसा कमाने के लिये आवश्यक है, समानता के लिये आवश्यक है और आत्मनिर्भर बनने के लिये भी शिक्षा बहुत जरुरी है, अच्छा नागरिक बनने के लिये भी बहुत जरुरी है. शिक्षित व्यक्ति को सम्मान हर जगह मिलता है, कोई उसे मूर्ख नहीं बना सकता. लेकिन हमारे मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों की स्थिति बहुत ही बदतर है और शिक्षा का व्यावसायीकरण एवं निजीकरण हो जाने की वजह से ..
उपाध्यक्ष महोदय -- शीला जी, आप अपने क्षेत्र की जो जरुरतें हैं, उनकी बातें कर लें.
श्रीमती शीला त्यागी -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र से ही संबंधित कह रही हूं और स्थिति से अवगत कराना चाहता हूं. बहुत चिंतनीय और गंभीर विषय यह है कि हमारे क्षेत्र की स्कूलों में न तो शिक्षक हैं, न शिक्षा के भवन हैं. जो भवन भी हैं, वह जर्जर हैं. जैसे मान लीजिये लालगांव हायर सेकेण्ड्री स्कूल है, वहां खेल का मैदान नहीं है. खरगा हायर सेकेण्ड्री है, वहां प्रयोगशाला नहीं है. बाऊण्ड्रीवॉल नहीं है. साथ ही साथ शिक्षा के विस्तार के लिये एवं उसके गुणात्मक सुधार के लिये सरकार यह प्रयास कर रही है, लगातार मैं तीसरी बार बजट में बोल रही हूं. फिर भी घोषणएं केवल पन्नों में होती हैं. धरातल में मनगवां विधासभा में क्रियान्वयन नहीं हई है. मैं आपके माध्यम से बताना चाहती हूँ कि मनगवां विधानसभा के कई स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं और न विषय-विशेषज्ञ हैं. एक ही स्कूल में शिक्षक 20-20 सालों से शहरों में कुण्डली मारकर बैठे हुए हैं, उनको वहां पर स्थानान्तरित किया जाये. यह माननीय मंत्री जी से मेरी गुजारिश एवं विनती है. यह मेरा सुझाव भी है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सबसे बड़ी समस्या एम.डी.एम. की है. मैं आपको बता दूँ कि इस योजना के संचालन में स्कूल विभाग का पूरा अमला चपरासी से लेकर प्रिंसिपल तक सिर्फ एम.डी.एम. की व्यवस्था में लगा रहता है और वही रिजल्ट निकलता है 'ढाक के तीन पात'. उसका कोई प्रभाव नहीं है, जिससे उनके बच्चों के भविष्य में सुधार आ सके. उद्देश्य है पोषण आहार देना लेकिन सबसे पहली प्राथमिकता शिक्षा के अध्ययन की होनी चाहिए. बच्चों को उच्च क्वालिटी की शिक्षा मिलनी चाहिए, गुणात्मकता में सुधार होना चाहिए और जो शिक्षण कार्य छोड़कर रोज डाक पहुँचाने का काम, एम.डी.एम. भोजन बनवाने का काम यह शिक्षक करते हैं तो इसमें रोक लगनी चाहिए और कोई दूसरा कारगर उपाय सरकार को जरूर सोचना चाहिए. मैं अपने क्षेत्र के कुछ विद्यालयों के उन्नयन के लिए माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूँगी. जैसे खर्रा हायर सेकेण्डरी स्कूल है, यहां प्रयोगशाला नहीं है, देवास हाई स्कूल को हायर सेकेण्डरी स्कूल में उन्नयन, पारखा हाई स्कूल को हायर सेकेण्डरी में उन्नयन, देवहरन गांव हाई स्कूल को हायर सेकेण्डरी में उन्नयन, बसेड़ा माध्यमिक स्कूल को हाई स्कूल में उन्नयन, देवास में छात्रावास बालक और बालिका दोनों को संचालित किया जाये. मैं माननीय मंत्री जी से यह मांग रखती हूँ. बेला कमोद माध्यमिक स्कूल को हाई स्कूल में उन्नयन किया जाये. सबसे बड़ी चिन्ता का विषय यह है कि जो शिक्षकों की भर्ती हम करने जा रहे हैं, लेकिन इसके पहले उपाध्यक्ष महोदय, जो शिक्षक वहां अतिथि शिक्षक बनाये गये हैं, विद्वान शिक्षक बनाये गये हैं, इनकी परफॉरमेन्स को देखते हुए, इन्हें रेग्यूलर कर दिया जाये तो ज्यादा अच्छा रहेगा. जो शिक्षित बेरोजगारी बढ़ रही है, वह नहीं बढ़ेगी. हमारे स्कूलों को शिक्षक मिल जाएंगे और गुणवत्ता में भी सुधार आ जायेगा. सरकार की पहल अच्छी तरह से हो जायेगी. आपने मुझे अपने बात रखने का समय दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - शीला जी धन्यवाद. श्री वैलसिंह भूरिया.
श्री वैलसिंह भूरिया (सरदारपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, देश आजाद हो गया है और मध्यप्रदेश में ......
उपाध्यक्ष महोदय - आज आप कागज तो लेकर नहीं आए हैं.
श्री वैलसिंह भूरिया - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, थोड़ा बहुत लिखा हुआ है.(XXX)
श्री सतीश मालवीय - मैंने कहां बात की है, मैं तो आपकी बढ़ाई कर रहा हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय - इसको विलोपित कर दीजिये, माननीय सदस्य को आपत्ति है.
श्री वैलसिंह भूरिया - उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश का चेहरा कमल के फूल की तरह खिल रहा है. मध्यप्रदेश का भविष्य शिक्षा विभाग के माध्यम से, यहां की जो भावी पीढ़ी है, उसका भविष्य, उसका चेहरा दीपों की तरह जगमगा रहा है, कमल के फूल की तरह खिल रहा है. यह हमारी भारतीय जनता पार्टी की देन है. माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह की सरकार में हर व्यक्ति को शिक्षा मिले, शिक्षा की गारण्टी का अधिकार का कानून बना दिया. मैं माननीय मंत्री कुँवर विजय शाह जी को बहुत बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपने इस विभाग को कमल के फूल की तरह पूरे मध्यप्रदेश में खिला दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय, इसलिए माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय मंत्री जी को बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूँ और आगे मेरी बात को शुरू करता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय - आपको शुरू करने में 2 मिनट लगे हैं. आप 2 मिनट में खत्म करें.
श्री वैलसिंह भूरिया - उपाध्यक्ष महोदय, अध्यापक संवर्ग के स्थानान्तरण की नीति का प्रावधान नहीं है, अध्यापक संवर्ग के लिए एक निकाय से दूसरे निकाय में अन्य जगह निकाय में संविलियन की नीति है, अध्यापक स्थानीय निकाय अंतर्गत पंचायत एवं नगरीय निकाय के कर्मचारी है, अध्यापक संवर्ग का गठन शिक्षकर्मियों के संविलियन एवं संविदा शाला शिक्षकों के नियुक्ति से दिनांक 1/4/2007 से किया गया है. शिक्षाकर्मियों के लिए एक निकाय से दूसरे निकाय में अन्तर निकाय संविलियन की नीति स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश दिनांक 8.11.2005 से लागू की गई है जिसके अंतर्गत महिला शिक्षाकर्मी 40 प्रतिशत या उससे अधिक नि:शक्त एवं परस्पर आधारित संविलियन का प्रावधान था. अब स्कूल शिक्षा विभाग और माननीय मंत्री जी सभी के लिए इतना बेहतर काम करने जा रहे हैं कि ट्रांसफर के लिए जिला सरकार में जाना पड़ता था, विभागीय मंत्रियों के चक्कर लगाने पड़ते थे, छोटे-छोटे कर्मचारियों को कई लोगों के हाथ पैर जोड़ने पड़ते थे. अब हमारे शिक्षा विभाग में ऐसा नहीं होगा. हमारे माननीय मंत्री जी ने जैसा कहा है कि एक ट्रांसफर नीति बना दी गई है. स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश दिनांक 28.05.2015 के अंतर्गत अन्तर्निकाय संविलियन की प्रक्रिया ऑनलाइन पद्धति से किए जाने के संबंध में निर्णय लिया गया है. यह हमारी सरकार का बहुत अच्छा फैसला है. वर्ष 2015 में ऑनलाइन संविलियन के लगभग 2900 प्रकरणों में ऑनलाइन आदेश जारी किए गए हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- वैलसिंह जी, आप अपने क्षेत्र की समस्याओं या मांगों को रख लीजिए. यह जानकारी तो माननीय मंत्री जी भी देगें ही.
श्री वैलसिंह भूरिया-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि गैर आदिवासी क्षेत्र से, आदिवासी ग्रामीण निकाय क्षेत्र में संविलियन हेतु इच्छुक महिला एवं पुरुष अध्यापक या इसके अतिरिक्त कार्य निष्पादन एवं वरिष्ठता को अन्तर्निकाय संविलियन में प्राथमिकता दी जाएगी. ऐसी सरकार की योजना और नीति बनी है. यह प्रशंसनीय कार्य है. पूरे मध्यप्रदेश के लिए सभी शिक्षाकर्मी और संविदा शिक्षाकर्मियों के लिए होली के दिन एक तोहफा है. इस नीति को लागू करने पर अन्तर्निकाय संविलियन की सम्पूर्ण प्रक्रिया ऑनलाइन होने से पूर्ण पारदर्शिता के साथ निर्धारित मापदण्डों के अनुसार महिला एवं पुरुष अध्यापकों को अन्तर्निकाय संविलियन का लाभ प्राप्त हो सकेगा. इतनी अच्छी शिक्षा नीति बनाने पर मैं माननीय मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी को बहुत बधाई देता हूं. मैं मेरे क्षेत्र की समस्याएं और एक दो सुझाव और बताना चाहता हूं. सरदारपुर में हाईस्कूल तत्काल स्वीकृत किए जाए. धुलेट में हाईस्कूल भवन स्वीकृत किया जाए. मेरे विधानसभा क्षेत्र के रिंगनोद में कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल स्वीकृत किया जाए. हाईस्कूल से हायर सेकेण्डरी में उन्नयन किया जाए. अमझेरा में कन्या हाईस्कूल से हायर सेकेण्डरी में उन्नयन किया जाए. जोलाना में भी हाईस्कूल से हायर सेकेण्डरी में उन्नयन किया जाए. भानगढ़ में हाईस्कूल से हायर सेकेण्डरी स्कूल में उन्नयन किया जाए और हाईस्कूल भवन भी स्वीकृत किया जाए. हमारे यहां मॉडल स्कूल भी बनकर तैयार है लेकिन वहां शिक्षक नहीं हैं. अभी आप नई भर्ती करने जा रहे हैं. उन्हें वहां पर पदस्थ किया जाए. पांचवीं आठवीं कक्षा को पुन: बोर्ड कर दिया जाए. आपने बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 का समर्थन करता हूं. विगत 5 वर्षों से जो मेरे क्षेत्र की समस्याएं हैं मैं उसके लिए माननीय मंत्री जी, माननीय मुख्यमंत्री जी और उन अधिकारियों को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने पांच साल से मेरी सिवनी विधान सभा क्षेत्र में एक भी हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल का उन्नयन नहीं किया. मैं माननीय मंत्री जी से विनम्र आग्रह करता हूं आप नोट कर लें, यह मेरी मांग भी है और समस्या भी है. इसका आप निराकरण करें. मुंगवानी ग्राम में हायर सेकेण्डरी स्कूल खोलना है, कलार में भी बाकी है बीसाबाडी़ है, पिपरिया, झिरी, लार्ड गांव, फुलारा, गोरखपुर, बीजादेवरी, सागर जैतपुर कला, तिगरा में मैं हायर सेकेण्डरी की मांग करता हूँ. इसी प्रकार से मेरे विधान सभा क्षेत्र में हाई स्कूल के लिए कमकासुर तिलगोड़ी, सूकामाल, केवलारी, ओरिया, उड़ेपानी, सुकरी, चारगांव आदि गांव हैं. जो कम से कम पांच साल से लाइन में लगे हैं. सरकार चाहे कितना ही अपना चेहरा बताना चाहे परन्तु इस क्षेत्र के बच्चे और बच्चियां स्कूल छोड़ देते हैं, दूसरी जगह नहीं जा सकते हैं. आप कक्षा एक से लेकर नौंवी कक्षा तक बच्चों को उत्तीर्ण कर रहे हैं. यह आपकी बहुत गलत नीति है आप इसको बदलिए. पालकों को पता ही नहीं चलता है कि उनका बच्चा क्या पढ़ रहा है. जो बच्चे पढ़ते नहीं हैं वे दसवीं कक्षा में आकर फेल हो जाते हैं. आपसे आग्रह है कि हर साल बच्चों की परीक्षा लीजिए तब जाकर हमारे प्रदेश के बच्चे आगे आ पाएंगे. यह कहा जा रहा है कि सभी स्कूलों में बिजली लगा रहे हैं परन्तु उनके बिजली के कनेक्शन कट जाते हैं. मेरा आग्रह है कि सरकार स्कूलों के बिजली के बिल जमा करे. बाउण्ड्री वॉल, पीने का पानी की व्यवस्था करें. अतिथि शिक्षक और संविदा शिक्षकों को नियमित करें और उनका वेतन भी बढ़ाएं. शासकीय योजनाओं में लापरवाही है इसीलिए निजी स्कूल फल-फूल रहे हैं इनको आगे बढ़ाने में मध्यप्रदेश सरकार के अधिकारी मिले हुए हैं. आपने बोलने का समय इसके लिए धन्यवाद.
श्रीमती सरस्वती सिंह (अनुपस्थित)
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया (दिमनी)--उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मांग संख्या 27 स्कूल शिक्षा विभाग से अपनी चर्चा प्रारम्भ करते हुए आपके माध्यम से विधान सभा क्षेत्र 07 दिमनी जिला मुरैना से संबंधित समस्याओं की चर्चा करुंगा. माननीय महामहिम राज्यपाल, माननीय वित्त मंत्री एवं स्कूल शिक्षा विभाग के वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-17 में जो विभाग से संबंधित चर्चा है यदि उनमें से 25 प्रतिशत कार्य हो जाएं तो शायद मध्यप्रदेश की शिक्षा देश क्या विदेशों से भी आगे होगी. लेकिन उपरोक्त कथन केवल कागजों पर ही सीमित है. मैं माननीय मंत्री जी से विशेष अनुरोध करता हूँ कि मेरी पूर्व से चली आ रही मांगों में प्राथमिक माध्यमिक हाई स्कूल के उन्नयन संबंधी कई आवेदन लंबित हैं लेकिन कोई उन्नयन नहीं हुआ है. मेरे क्षेत्र में अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग बस्तियों में प्राथमिक शालाएं नहीं हैं जिनकी मांग मेरे द्वारा जिला योजना समिति से लेकर विधान सभा में कई बार की गई है . प्राथमिक शालाएं मंजूर नहीं हुई हैं. अनुरोध करता हूँ कि तत्काल मंजूर की जायें. अतिरिक्त कमरों की कमी पूरी की जाए. जिला शिक्षा अधिकारी, मुरैना पूरी तरह से भ्रष्ट हैं. मैंने पहले भी कई बार शिकायत की है. मंत्री जी नए आए हैं तो मुझे विश्वास है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों का तबादला किया जाए. एक निवेदन करना चाहता हूं यह सब लोग कह रहे हैं कि विधायकों, मंत्रियों के बच्चे यदि सरकारी स्कूल में पढ़ें तो सरकारी स्कूलों की पहले से भी ज्यादा मान्यता हो जाएगी. हमारे श्रीवास्तव साहब कह रहे थे मेरा बच्चा पढ़ रहा होगा तो, हर विधायक का, हर मंत्री का, हर कर्मचारी का सबसे ज्यादा फीस होगी प्रायवेट स्कूलों में...
श्री के.के. श्रीवास्तव--ऐसा मैंने नहीं कहा है.
उपाध्यक्ष महोदय--बैठ जाएं वे आपके भाषण में टोकाटाकी नहीं करते हैं.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया--आप बैठ जाओ. मैं अपने विधान सभा क्षेत्र की बात कर रहा हूँ. अपने जिले की बात कर रहा हूँ. स्कूलों की पूरी व्यवस्था के बारे में 99 प्रतिशत असत्य बातें बताई जाती हैं. मेरा अनुरोध है कि मंत्री इसकी जांच कराएं और जो भ्रष्ट अधिकारी हैं उन्हें बदलें तभी व्यवस्था ठीक होगी. आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी (मेहगांव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 एवं 40 के समर्थन में अपनी बात कहने के लिए खड़ा हुआ है. मध्यप्रदेश शासन में माननीय मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री जी एवं वित्त मंत्री जी ने स्कूल शिक्षा विभाग के लिए बजट का प्रावधान किया, वह बहुत ही उल्लेखनीय है. जितने नए स्कूलों को खोलने का प्रावधान उन्होंने इस बजट में किया है, वह भी बहुत ही सराहनीय है. उन्होंने बजट में जितना दिया है, उसमें से आपके माध्यम से मैं अपनी विधान सभा के लिए कुछ मांगें रखना चाहता हूं. सर्वप्रथम मैं उन्हें इतने अच्छे बजट के लिए बधाई देना चाहूंगा. उनके द्वारा रखी गई मांगें बहुत ही अच्छी हैं. संपूर्ण शिक्षा जगत के लिए, बालक-बालिकाओं के लिए, स्कूलों के फर्नीचर के लिए, मेंटेनेनस के लिए, नए भवनों के लिए, हर तरह की मांग उनके द्वारा रखी गई है. जो बहुत ही उल्लेखनीय है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी की मांगों पर मैं अपने कुछ सुझाव देना चाहूंगा. ''मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना'' को शासन लागू कर रहा है. इस योजना के संबंध में माननीय वित्त मंत्री जी ने सदन में घोषणा की थी कि कक्षा 12 वीं में 85% से ऊपर जो बच्चे प्राप्त करेंगे, उन बच्चों द्वारा राष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश लेने पर उनका शिक्षण शुल्क, शासन वहन करेगा. आपके माध्यम से मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि अभी इस योजना की घोषणा सिर्फ माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्यप्रदेश के तहत जो छात्र पढ़ते हैं, उनके लिए ही की गई है. इसमें मंत्री जी थोड़ा सा सुधार करें और इस योजना में सी.बी.एस.ई. व आई.सी.एस.ई. स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को भी शामिल किया जाए. यदि वहां पढ़ने वाले छात्र भी मेधावी हैं तो उन्हें भी शासन उच्च शिक्षा हेतु अनुदान प्रदान करे. मैं उम्मीद करता हूं कि मेरे इस सुझाव को मानते हुए, माननीय मंत्री जी इसमें संशोधन करायेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कन्या शिक्षा हेतु प्रावधान किया गया है कि ऐसी बालिकायें जिन्हें स्थानीय होने के कारण कक्षा नौवीं में साईकिल नहीं मिली थी एवं जो बालिकायें कक्षा ग्यारहवीं में निवास ग्राम से बाहर के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में प्रवेश लेकर अध्ययन कर रही हैं, उन्हें नवीन साईकिल उपलब्ध कराई जायेगी. यह बहुत ही अच्छी योजना है लेकिन इसमें भी आपके माध्यम से मैं थोड़ा सा सुधार करवाना चाहूंगा. यह योजना सिर्फ अनुसूचित जाति की बच्चियों के लिए रखी गई है. मेरा कहना है कि बच्चियों को जातिगत भेद में न बांटा जाए. सभी की बच्चियां पूज्यनीय होती हैं और बहुत अच्छी होती हैं. इसलिए सभी वर्गों की बच्चियों के लिए इस योजना में प्रावधान किया जाए. जब हम धीमे-धीमे सुधारात्मक दृष्टि से आगे बढ़ रहे हैं तो कम से कम बच्चियों के मामले में जातिगत और वर्ग भेदभाव न रखा जाए. मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि एक वर्ग विशेष को इस योजना में शामिल करने के स्थान पर सभी बच्चियों को शामिल किया जाए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आदरणीय डॉ.गोविंद सिंह जी ने अभी अपने कथन में कहा कि कांग्रेस शासन काल की पूर्व की भर्ती प्रक्रिया को पुन: लागू किया जाए. शिक्षकों की भर्ती जनपदों और जिला पंचायतों के माध्यम से ही की जाए. मैं डॉ. साहब की बात से बिल्कुल विपरीत मत रखता हूं. कांग्रेस काल की भर्ती प्रक्रिया इतनी मेन्युपुलेट हो जाती थी, ऊपर से उनकी इतनी मॉनिटरिंग हो जाती थी कि बहुत अशिक्षित व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में आ जाते थे. इसी कारण से आज भी हमारा जिला इतना पिछड़ा हुआ है. उस समय हमारे जिले में जो इस तरह के शिक्षक नियुक्त हो गए और आज वे न तो बच्चों को पढ़ा पाते हैं और न ही बच्चों को कोई ज्ञान दे पाते हैं. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि डॉ. साहब के सुझाव पर गौर न किया जाए.
डॉ. गोविंद सिंह- आपके मंत्री जी वैसे भी कौन सा हमारा सुझाव मानने वाले हैं ?
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी- डॉ. साहब आप मंत्री जी के बगल में बैठ गए तो मुझे डर लग रहा था कि कहीं आप उन्हें प्रभावित न कर लें.
डॉ. गोविंद सिंह- मैंने यह बात इसलिए कही ताकि हमारे गांव के लड़कों को जिला स्तर पर रोजगार मिल सके.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी- डॉ. साहब, उनको बेहतर शिक्षा देने की जरूरत है. आप बहुत ही वरिष्ठ सदस्य हैं. आप भी जानते हैं कि भिण्ड जिला शिक्षा के क्षेत्र में कितना रसालत में गया है और इसके कारण नकल तथा इस तरह से शिक्षकों की भर्ती ही है.
उपाध्यक्ष महोदय- मुकेश जी, आप आसंदी के माध्यम से अपनी बात रखें.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी- मैं डॉ. साहब से अनुरोध करता हूं कि वे पुन: इस तरह की प्रक्रिया को हवा न दें और न ही इस तरह की मांग रखें. दूसरा मेरा आप से यह अनुरोध है कि मेरे क्षेत्र की कुछ समस्याएँ हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मेरे मेहगाँव विधान सभा क्षेत्र में रौन जनपद में मानगढ़ ग्राम है, उसमें अगर माननीय मंत्री महोदय हायर सेकण्डरी स्कूल कर देंगे तो मैं बहुत आभारी रहूँगा. दूसरा, जनपद रौन में ही मेहदा ग्राम में हाई स्कूल करने की कृपा करेंगे और जनपद पंचायत मेहगाँव में ग्राम पंचायत डगर में हाई स्कूल और ग्राम पंचायत पतलूखरी में हाई स्कूल और एक ग्राम पंचायत मानगढ़ में.....
3.01 बजे
अध्यक्षीय घोषणा.
सदन के समय में वृद्धि.
उपाध्यक्ष महोदय-- मुकेश जी, एक मिनट रुकिए. मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 23 के अनुसार शुक्रवार की बैठक के अंतिम ढाई घंटे अशासकीय कार्य के लिए नियत हैं परन्तु आज स्कूल शिक्षा विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा पूर्ण होने के पश्चात् अशासकीय कार्य लिया जाएगा.
मैं, समझता हूँ सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से एक और अनुरोध करना चाहूँगा कि हमारे यहाँ मेहगाँव नगर में एक बहुत पुराना स्कूल है, जिसमें सरस्वती प्रतिमा स्थापित है और उसका भवन बिल्कुल जर्जर हो गया है तो उसका अगर नवीनीकरण कर देंगे, नई बिल्डिंग का प्रावधान, कर देंगे तो मैं और मेरे क्षेत्र की जनता बहुत आभारी रहेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, अंतिम उल्लेख जिला प्रशासन का जरूर करना चाहूँगा. उपाध्यक्ष महोदय, हमारे क्षेत्र में और संपूर्ण जिले में, डॉ.गोविन्द सिंह जी हमारे बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, हमारे माननीय हैं, ये भी इस बात से सहमत होंगे कि हमारे यहाँ पूरे जिले की स्कूल बिल्डिंग सारी जर्जर हो रही थीं और बहुत ही बुरी दिखने लगी थीं. वर्तमान प्रशासन ने, स्पेशली द कलेक्टर आफ द डिस्ट्रिक्ट, उन्होंने भवनों का बहुत अच्छा सुदृढ़ीकरण किया है, भवनों का रखरखाव किया है. आज हमारे सारे सरकारी स्कूल्स पुते हुए हैं और सुन्दर दिखते हैं और विगत दो वर्षों से जिले में नकल नहीं हो रही है और इसके लिए मैं आज आपके माध्यम से पूरे जिले के प्रशासन को बधाई देना चाहूँगा. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया धन्यवाद.
श्री इन्दर सिंह परमार-- (अनुपस्थित)
उपाध्यक्ष महोदय-- मैं माननीय सदस्यों से अनुरोध करना चाहूँगा कि इस विभाग के लिए ढाई घंटे नियत थे, 3.20 पर ढाई घंटे समाप्त हो जाते हैं. बोलने वाले बहुत सारे सदस्य हैं, अभी कम से कम 12-13 सदस्य बोलने वाले हैं. मैं सबसे अनुरोध करूँगा, मंत्री जी को भी बोलना है और मंत्री जी कम से कम आधा घंटा तो लेंगे, तो सब माननीय सदस्य अब दो दो मिनट में अपनी बात कहें. अपने क्षेत्र की जो समस्याएँ और मांग हैं उनका उल्लेख कर दें तो बेहतर होगा.
श्री दिलीप सिंह शेखावत(नागदा-खाचरोद)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहूँगा कि अतिथि शिक्षक, जो निश्चित रूप से शिक्षकों की कमी के कारण अपना पूरा जीवन समर्पित करके और छात्रों के भविष्य को सुधारने में लगाते हैं, उन अतिथि शिक्षकों के मामले में गंभीरता से हम लोग विचार करेंगे तो ठीक होगा. इसी प्रकार से अध्यापकों को अगर सातवाँ वेतनमान दिया जाएगा तो मैं समझता हूँ कि आपकी कृपा होगी.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से अपने क्षेत्र के कुछ निवेदन करना चाहूँगा कि नागदा एक श्रमिक बाहुल्य क्षेत्र है और बादीपुरा के अन्दर प्रायवेट ट्रस्ट के द्वारा एक माध्यमिक विद्यालय चलाया जाता था, लेकिन अब उस प्रायवेट ट्रस्ट ने वह स्कूल बंद कर दिया है. अगर सरकार वहाँ पर माध्यमिक विद्यालय खोलेगी तो जो वहाँ पर लगभग 15 हजार श्रमिक काम करते हैं, जगह है, अगर आप कहेंगे तो मैं मेरी विधायक निधि भी कमरा बनाने के लिए दे दूँगा, लेकिन वहाँ पर माध्यमिक विद्यालय अगर बादीपुरा में हो जाएगा तो श्रमिकों के बच्चों को उसका खूब लाभ होगा. उसी प्रकार उसी परिक्षेत्र में श्रमिक बाहुल्य में मेतवास में....
कुँवर विजय शाह-- उपाध्यक्ष जी, माध्यमिक विद्यालय तो जिला स्तर से ही खुलता है.
श्री दिलीप सिंह शेखावत-- धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- जिला योजना समिति से आपके वहाँ खुलेगा.
श्री दिलीप सिंह शेखावत-- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा एक और निवेदन यह था कि मेतवास के हाई स्कूल का हायर सेकण्डरी स्कूल में उन्नयन हो जाए. यह भी एक श्रमिक बाहुल्य क्षेत्र है वहाँ पर काफी श्रमिकों में इस बात की प्रसन्नता होगी. माननीय मंत्री महोदय, मैं आपसे एक निवेदन और करना चाहूंगा कि बेरछा, मड़ौदा और माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है मॉडल स्कूल खाचरौद, उसमें बाउंड्रीवॉल के लिए रूपये 20 लाख आ गए थे लेकिन क्या गड़बड़ी हुई, वह हम लोगों को नहीं पता है लेकिन वह सारी राशि जिले की लेप्स हुई है. इस साल यदि आप दे देंगे, तो ठीक होगा. मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन किया था और कई बार प्रमुख सचिव से मिला भी हॅूं. शासकीय हाईस्कूल सुरेल, बाड़ागांव, बेरछा और ऊनखेड़ा यह लगभग 10 साल से स्कूल हैं और चारों में भवन नहीं हैं. इन चारों के अगर भवन आप स्वीकृत करेंगे तो बहुत अच्छा होगा. चारों में से यदि आप सुरेल और ऊनखेड़ा गांव के भवन स्वीकृत कर देंगे तो भी ठीक रहेगा. मेरे यहां पर दो हाई स्कूल से हायर सेकेण्डरी के प्रस्ताव पेंडिंग पडे़ हैं चांपाखेड़ा और बंजारी. क्योंकि यह 15-15 किलोमीटर के रेडियस में दोनों जगह हायर सेकेण्डरी स्कूल नहीं हैं और बहुत जरूरी है. मैं एक निवेदन आपसे और करना चाहूंगा कि नरसिंहगढ़, केसरिया, भाटीसोड़ा, बेड़ावनिया और नंदियासी इनमें हाई स्कूल का उन्नयन अगर आप करेंगे तो ठीक होगा और अंत में मैं एक निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र नागदा में मॉडल स्कूल का माननीय मुख्यमंत्री जी का आश्वासन है. माननीय मंत्री जी नागदा उज्जैन जिले के बाद सबसे बड़ा शहर है अगर यहां पर मॉडल स्कूल घोषित करेंगे तो बहुत ठीक होगा. आपने बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष माहोदय -- धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 का समर्थन करता हॅूं. 8 मार्च 2017 को मेरे अतारांकित प्रश्न क्रमांक 3991 के जवाब में मुझे उज्जैन संभाग को लेकर जो जवाब मिला वह है विद्यालय परिसरों में अतिक्रमण. उज्जैन संभाग में 149 प्राथमिक विद्यालयों में, 30 हॉयर सेकेण्डरी स्कूलों में अतिक्रमण पाया गया. इसी प्रश्न में 407 प्राथमिक विद्यालय और माध्यमिक विद्यालय तथा 188 हाई स्कूल और हॉयर सेकेण्डरी स्कूल की भूमियों में अभी तक राजस्व रिकॉर्ड में स्कूल नाम दर्ज ही नहीं है. इसी प्रश्न में रतलाम जिले में 1, नीमच जिले में 2 और मंदसौर जिले में 1 इन तीनों जिलों में स्कूल की भूमि पर नगर पालिका और नगर परिषद् ने अतिक्रमण करके दुकानें बना ली है और ऑक्शन कर दिया. उस सम्पत्ति का किराया भी नगर पालिका और नगर परिषद् ले रही है. माननीय मंत्री जी आपने जवाब दिया, आपके विभाग से जवाब आया कि शाला विेकास को यह राशि मिले, इस हेतु निकाय को लिखा जायेगा. मेरा माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से आग्रह है कि लिखा क्या जायेगा ? वह तो आपकी सम्पत्ति पर उन्होंने सम्पत्ति बना ली. आप उसको अधिग्रहण कर लें और वह किराया शाला विकास समिति को जाने लगे और जो ऑक्शन में पैसा आया है वह ऑक्शन का पैसा नगर पालिका धन्यवाद सहित, शिक्षा विभाग को लौटावें ताकि वहां पर विकास का काम, बाउंड्रीवॉल का का काम, अधोसरंचना का विकास हो सके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब से यह ऑनलाइन और ऑफलाइन का मामला चला है, राजस्व रिकॉर्ड में जिन गांवों के नाम मजरे-टोले में अंकित हैं, मेरे विधानसभा क्षेत्र में उमाहेड़ा, बालसोड़ा और अजनोटी इन तीनों गांवों के मजरे-टोले होने की वजह से ऑनलाइन और ऑफलाइन के चक्कर में कम्प्यूटर एक्सेप्ट नहीं कर रहा है. इसलिए वहां के बेटे-बेटियों को साइकिल नहीं मिल रही है. ऑफलाइन में साइकिल मिलती थी, ऑनलाइन में साइकिल मिलना बंद हो गई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शून्य पर तत्कालीन कांग्रेस की सरकार में यदि कोई हॉयर सेकेण्डरी स्कूल 30 साल पहले उन्नयन हुए होंगे तो बहुत लंबा समय बीत गया आखिर कब तक उन गांवों में हाई स्कूल होंगे, हॉयर सेकेण्डरी स्कूल होंगे ? प्राचार्य नहीं हैं शिक्षक नहीं है, बिल्डिंग नहीं है. आखिर इन तीनों का समावेश करते हुए बजट में कुछ ऐसा प्रावधान करना चाहिए. शून्य बजट पर कांग्रेस के समय में यह गलती हो गई थी, पर अब तो कम से कम बिल्डिंग बना दें, वहां पर प्राचार्य दे दें, शिक्षक दे दें, क्योंकि वे हमसे मांग करते हैं. विधायक निधि से हम कितना दे पायेंगे ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह जो शिक्षा का अधिकार है इसमें 25 परसेंट का जो कानून बना है कि गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले बालक-बालिकाओं को प्रवेश दिया जाएगा और उसका पैसा भी सरकार देगी. जिस प्रकार से सांसदों को केन्द्रीय विद्यालयों में अनुशंसा करके 6 प्रवेश की अनुमति होती है, विशेषाधिकार होता है. हम चाहते हैं, सदन चाहेगा कि आरटीई के अंतर्गत जो 25 परसेंट हमको एडमीशन देना है. स्कूल वाले और विशेषकर प्राइवेट स्कूल वाले उसको स्वीकार नहीं कर रहे हैं. यदि विधायकों की अनुशंसा से चिट्ठी जायेगी तो उस गरीब बेटे-बेटी को लाभ मिलेगा. आरटीई के अंतर्गत बीएड और डीएड करना अनिवार्य हो गया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक शिक्षक जो शिक्षा के दौर में अपना काम कर रहा था लेकिन असामयिक उसकी मृत्यु हो गई तो शिक्षक मरने से पहले यह कोई चिट्ठी नहीं लिखेगा या अपने परिवार के किसी बेटा-बेटी को इस बात के लिए तैयार नहीं करेगा कि तू बी.एड. कर ले, कल मैं मरने वाला हूँ या कल मेरा असामयिक निधन होने वाला है. मैं मंत्री जी से निवेदन करूँगा कि अनुकंपा नियुक्ति में आरटीई के तहत वास्तव में अगर भारत सरकार ने चिंता करी है तो कम से कम अनुकंपा नियुक्ति तो उसकी मिल जाये बाद में वह बीएड, डीएड कर लेगा, यह बहुत आवश्यक है. माननीय मंत्री जी प्रतिनियुक्ति पर तीन बरस से ज्यादा अगर कोई शिक्षक किसी दफ्तर में बैठा हुआ है तो आप उसको हटा क्यों नहीं देते. मंदसौर की सुश्री हंसा पाठक करके एक शिक्षिका है, वह दस साल से वहीं विराजित है और शिक्षा का काम प्रभावित हो रहा है जबकि शिक्षकों की कमी है. उसको क्लेरिकल में ऑफिस में बैठने की क्या आवश्यकता पड़ रही है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं स्कूल शिक्षा विभाग की माँगों का समर्थन करता हूं. मैं मंत्री जी का मैं ध्यानाकृष्ट करना चाहता हूं श्योपुर जिले मे बड़ौदा तहसील में कन्या हाईस्कूल खोले जाने को लेकर कई वर्षों से माँग चल रही है. वह बड़ा कस्बा है, तहसील है वहाँ कन्याओं के पढ़ने के लिए अलग से कोई विद्यालय नहीं है और हाईस्कूल दूर है. एक बार सरकार ने निर्णय ले लिया था, स्कूल खोले जाने का आदेश भी जारी कर दिया लेकिन पता नहीं किन कारणों से वह हाईस्कूल खुल नहीं पाया. बाद में प्रयास भी किया तो मालूम पड़ा कि उन्होंने यह निर्देश कर दिये थे कि एक हाईस्कूल पहले से वहाँ है इस कारण दूसरा हाईस्कूल नहीं खोला जा सकता है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि वहाँ पर पहले से जो स्कूल है, वह लड़कों के लिए है. लड़कियों की दृष्टि से अलग से स्कूल होने की आवश्यकता है उसके लिए मैंने निवेदन किया है. दूसरा मेरा यह निवेदन है कि श्योपुर विधानसभा क्षेत्र में ग्राम अड़वार और ग्राम सोंठवार इनमें हाईस्कूल खोले जाने की नितांत आवश्यकता है इसके संबंध में पूर्व में भी निवेदन किया था लेकिन अभी इनको स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है. इनको स्वीकृति देने के लिए मेरा मंत्री जी से अनुरोध है. तीसरी बात यह है कि श्योपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत खिरकिरी ग्राम पंचायत में जो माध्यमिक शाला है उसका भवन नहीं है वह प्राथमिक शाला में चलती है और प्राथमिक शाला की भी छत किसी भी समय नीचे आ सकती है. उसमें नया भवन बनाये जाने की आवश्यकता है और पुराने भवन की छत भी ठीक करने की बहुत बड़ी जरूरत है और खिरकिरी पंचायत में ही बिलोनी गाँव में जो प्राथमिक विद्यालय है, वहाँ की स्कूल की छत बहुत दुर्दर अवस्था में है उसको भी ठीक करके नया भवन बनाने की जरूरत है.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करें. मैंने पहले ही कहा था कि दो-दो मिनट हम देंगे आपका यह तीसरा मिनट हो रहा है.
श्री दुर्गालाल विजय-- एक आखिरी बात कहना चाहता हूं कि हमारे श्योपुर में रायपुरा में और राड़ेप में हाईस्कूल खोले हैं. हाईस्कूल संचालित भी हैं लेकिन हाईस्कूल माध्यमिक शाला में चल रहे हैं उनके भवन अभी तक नहीं बने हैं , उनके भवन बनाये जाने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय-- दुर्गालाल जी, अब जो बाकी है वह आप मंत्री जी को लिखकर दे दीजियेगा.
श्री दुर्गालाल विजय-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ठीक है. आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- कमलेश्वर जी, 2 मिनट में अपने क्षेत्र की मांगें ही रखिएगा, भूमिका नहीं.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, संरक्षण नहीं, समय सबको ही देना पड़ेगा. 2 मिनट में आप अपनी बात कहिए.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, क्षेत्र की भी बात करेंगे, सरकार ''मिल बाँचों कार्यक्रम'' चला रही है लेकिन क्या स्थिति है यह हम नहीं कह रहे हैं, आज के अखबारों में सीनियर पत्रकार लोगों ने लिखा है कि स्कूलों की मनमानी, साढ़े 4 हजार रुपये में बेच रहे हैं 420 रुपये की किताबें, नवमीं और ग्यारहवीं के सभी विषयों की परीक्षाएँ रद्द, शिक्षकों की ड्यूटी बोर्ड परीक्षाओं में, बाकी पढ़ाई ठप्प, निजी स्कूल संचालक ने रची साजिश, परीक्षा में फर्जी टीचर दे रहे थे ड्यूटी, सेंटर रद्द.
कुँवर विजय शाह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम किताबें नहीं बेचते, हम तो फ्री में देते हैं. ये तो इनके तमाम् प्राइवेट स्कूल हैं जो किताबें बेचते हैं, हम धंधा ही नहीं करते.
श्री बाला बच्चन -- मंत्री जी, जरा दम रखो, आपको ही जवाब देना है, थोड़ा दम रखो.
कुँवर विजय शाह -- हम इसलिए तो बोल रहे हैं, हम सुने क्यों. उपाध्यक्ष जी, गलत बात हम क्यों सुनें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- उपाध्यक्ष जी, जब तक ये जवाब देंगे तब तक भूल जाएंगे, इसलिए तुरंत दान महाकल्याण.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक तरफ जहाँ राज्य की जनसंख्या बढ़ रही है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप अपने क्षेत्र की बात कर लें, आप राज्य में आ गए. समय नहीं है कमलेश्वर जी, मैंने पहले से आपसे निवेदन किया है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कोई भी सदस्य पूरे राज्य का मेंबर होता है, क्षेत्र के साथ-साथ राज्य की भी बात आती है.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, ऐसा जरूरी नहीं है, आसंदी की जो व्यवस्था है उसको भी ध्यान में रखिए.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ठीक है हम क्षेत्र की बात करेंगे, क्षेत्र से बाहर एक भी बात नहीं करेंगे, लेकिन क्षेत्र की बात पूरी करने दीजिएगा, आपका मुझे संरक्षण चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय -- ऐसा कुछ नहीं है. आपको केवल 2 मिनट का समय दिया गया है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहाँ अभी माध्यमिक स्कूल, लोहीदाड़ का हाई स्कूल में उन्नयन हुआ है. हम भी वहाँ गए थे, वहाँ जो भवन बना है, जो अतिरिक्त कक्ष बना है, उसमें बकरियाँ पाली जा रही हैं. वहाँ पर भैंस रखी जाती है. हम जिला शिक्षा अधिकारी, कलेक्टर, एस.डी.एम. सारे लोगों के संज्ञान में लाये लेकिन इसके बाद भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई, जिस ठेकेदार ने भी उस कक्ष को बनाया है, वह कक्ष उसने पूरा करके नहीं दिया. वह कक्ष आज भी दूसरे कामों में आ रहा है जबकि हाई स्कूल में उन्नयन हुआ है, नवमीं के बच्चे खुले में पढ़ रहे हैं. अगर अतिरिक्त कक्ष जो बनाया गया है वह पजेशन में मिल जाए, उसकी मरम्मत हो जाए तो बच्चों को पढ़ने के लिए हो जाएगा. वह कक्ष पता नहीं किस ठेकेदार ने बनाया है, राशि का भी दुरुपयोग किया गया है. वहाँ पर जो शौचालय बनाया गया है वह भी किसी काम का नहीं है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि हमारे यहाँ हिनौती में जो कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल है वहाँ जो अतिरिक्त कक्ष बनाया गया है वह टपक रहा है, उसका भी अभी तक पजेशन नहीं दिया गया है और बच्चे खुले में पढ़ने के लिए मजबूर हैं, वहाँ की छात्र संख्या 1 हजार से ज्यादा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बालक हायर सेकेण्डरी स्कूल, हिनौती में भी जो अतिरिक्त कक्ष बना है, वह भी टपक रहा है. उसे किसने बनवाया, किस मद से बना, कोई पता नहीं, हमने कई बार अधिकारियों को बोला, कलेक्टर से लेकर राज्य शासन तक पत्राचार किया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आप समाप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, हम क्षेत्र से बाहर की बात नहीं कह रहे हैं, मेरा आपके माध्यम से सिर्फ इतना निवेदन है कि हमारे जो डी.पी.सी. हैं, वे 4-4, 5-5 साल से बैठे हुए हैं, जबकि दूसरे लोगों को भी मौका मिलना चाहिए. जो बी.आर.सी. हैं, ये जाते हैं तो क्लासेस विजिट नहीं करते कि पढ़ाई हो रही है कि नहीं हो रही है, ये सिर्फ मध्याह्न भोजन, स्व-सहायता समूह, इनमें इनका ज्यादा इन्वाल्वमेंट है चाहे वह सीधी जिला हो या सिंगरौली जिला हो, भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमने कुछ स्कूलों का, हाई स्कूल से हायर सेकेण्डरी में उन्नयन का और माध्यमिक शाला से हाई स्कूल में उन्नयन हेतु पत्र माननीय मंत्री जी को दिया है. आपके माध्यम से निवेदन है कि जो बातें हमने संज्ञान में लाई हैं, इन पर माननीय मंत्री जी कार्यवाही करेंगे, बाकी सब अच्छा चल रहा है. ''मिल बाँचों कार्यक्रम'' में माननीय मंत्री जिस स्कूल में गए थे, ये बताएंगे कि शिक्षकों की क्या स्थिति है.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आप बैठ जाएं. क्या आपके क्षेत्र के सारे विद्यालय टपकते हैं?
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, अभी सिर्फ 4 विद्यालयों का नाम लिया है, ऐसी स्थिति कई जगह है. सारे नहीं, जो अभी बने हैं उनका पजेशन भी हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदय -- कमलेश्वर जी, लेकिन बोलकर भागना नहीं है, बैठना है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम सब बैठते हैं, हम पूरा सुनकर जाएंगे और मंत्री जी से उम्मीद भी रखते हैं कि व्यवस्था बनाएंगे.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगाँव) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय जी, शिक्षा एक ऐसी संपत्ति है जो चुराई नहीं जाती है बल्कि बाँटी जाती है, इसलिए बाबा साहब अम्बेडकर ने कहा शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सबसे बड़ा खेद का विषय यह है कि यह चौथा बजट सत्र है और हर बजट में मेरी यही लिस्ट रहती है, आज तक सतना जिले में, मैहर में, नागौद में, रामपुर में, चित्रकूट में शालाओं का उन्नयन किया जाता है. लेकिन मेरे क्षेत्र रैगांव में आज तक एक भी शाला का उन्नयन नहीं किया गया है. यह बहुत खेद का विषय है. मैं माननीय मंत्री जी से आशा रखती हूं कि आप नये मंत्री हैं, मुझे लगता है कि आप इस चौथे बजट सत्र में मेरे साथ न्याय करेंगे. आप मेरे क्षेत्र में भी कुछ काम करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के खड़ी हुई हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत कन्या हाई स्कूल कोठी का कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल में उन्नयन किया जाये. कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल धौरहरा का भी उन्नयन किया जाये. भरजुना हाई स्कूल का हायर सेकेण्डरी स्कूल में उन्नयन किया जाये. मौहारी हाई स्कूल का उन्नयन करने के लिये मैंने कई बार सदन में मांग की है. उसका भी उन्नयन किया जाये. उपाध्यक्ष महोदय, मौहारी में सॉयलो ग्रुप पाठशाला के बगल में बन गया है, वहां पर लड़कियों को गर्मी में इतनी परेशानी होती है, जब वह सॉयलो ग्रुप तपता है तो वहां पर बच्चियां बेहोश होकर गिर जाती हैं. इसलिये मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि हर माध्यमिक पाठशालाओं में हाई स्कूल में भी बिजली कनेक्शन और पंखे की व्यवस्था की जाये. जैसे छात्राओं के साथ बहुत बार होता है कि वे आगे की पढ़ाई के लिये दूर जाने के लिये अन्य परेशानियों की वजह से उन्हें बीच में पढ़ाई छोड़नी पड़ती है. माध्यमिक शाला रामपुर चौरासी का विद्यालय इतना जरजर हो चुका है कि उसकी बिल्डिंग चूती है और वह कभी भी गिर सकती है, इसलिये वहां पर नया निर्माण कार्य कराया जाये. ग्राम मौहारी में भी अतिरिक्त कमरों की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, स्कूल शिक्षा विभाग के पिछले कार्यरत अध्यक्ष संवर्ग को शिक्षा विभाग में संविलियन करने की मांग करती हूं तथा स्थानांतरण नीति बनायी जाये तथा शासकीय विद्यालयों में भी अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने के लिये प्रायवेट विद्यालयों के पंजीयन में रोक लगाई जाये. प्रायवेट शालाओं में भी बिजली कनेक्शन हो जाये तो बच्चों के लिये अच्छा होगा. मैं मंत्री जी से चाहूंगी कि इस चौथे बजट में जो मेरे छोटे-छोटे काम है, यह शिक्षा से जुड़ा हुआ मामला है, आप उनको करेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिये धन्यवाद्.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में बहुत कुछ परिवर्तन हो रहा है और मध्यप्रदेश आगे बढ़ रहा है, इसके लिये मैं मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरी नीमच विधान सभा में तीन हाई स्कूल हैं, उनका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में उन्नयन करने हेतु मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि मेरे क्षेत्र में घंसूठी, जागीर, अड़मालिया और चल्दु में हाई स्कूल है उनका उन्नयन करने की आप कृपा करेंगे. मेरे यहां पर जीरन एक तहसील है, जो कि तहसील स्थान होते हुए भी लड़कियों के पढ़ने के लिये भवन नहीं है. मेरा आपसे निवेदन है कि मेरे यहां जो जीरन तहसील है उसमें कन्या हाई स्कूल भवन की आवश्यकता है,वह देने की कृपा करें. मेरे यहां रेवली, देवली जो ग्रामीण इलाका है वहां भी भवन की कमी है. बोवडि़याकलां में भी भवन की कमी है, मेरा आपसे निवेदन है कि वहां भी भवन देने की कृपा करें. क्योंकि जमीनों पर हो रहा है, इसलिये आपसे निवेदन है कि वहां पर बाऊंड्रींवाल बनवायें. नीमच में जो बघाना है, उस बघाना क्षेत्र में भी आप स्कूल की बिल्डिंग देने की कृपा करें. मेरा आपसे इस क्षेत्र के संबंध में निवेदन है कि जो माध्यमिक विद्यालय हैं, शासकीय माध्यमिक विद्यालय झालरी, छायन हैं, उनका हाई स्कूल में उन्नयन करने की कृपा करें. क्योंकि लगातार मेरे क्षेत्र में शिक्षा के लिये बिल्डिंग की आवश्यकता थी और उनक उन्नयन की आवश्यकता थी, उसको करने की कृपा करेंगे. मध्यप्रदेश देश का हृदय स्थल है और शिक्षा के संबंध में कुछ देंगे. मैं अभी मिल बांचों कार्यक्रम में स्कूल में पढ़ाने गया था तो वहां पर मैंने एक अखण्ड भारत का नक्शा नीमच में देखा तो मुझे देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि उस अखण्ड भारत के नक्शे को यदि बच्चों को समझाया जायेगा और सरस्वती की पूजन, योग व्यायाम इनके लिये भी आपने सायकिल, ड्रेस दे रहे हैं यह आप बहुत अच्छा कर रहे हैं. परन्तु मेरा आपने विनम्र निवेदन है कि नीमच के जीरन में आप कन्याओं के बिल्डिंग जरूर दे दें और बघाना में भी एक बिल्डिंग की कमी है, वह भी दे दें, उसकी भी आप पूर्ति कर दें. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान ( महिदपुर ) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक महत्वपूर्ण सुझाव देकर अपने क्षेत्र की बात करूंगा. विभाग की मांगों का समर्थन करते हुए आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. जिला स्तर पर 41 उत्कृष्ट विद्यालय खोले गये हैं और विकास खण्ड स्तर पर 194 खोले गये हैं. मैंने उनका परिणाम देखा है 10वीं का 91 प्रतिशत है और 12वीं का 94.3 प्रतिशत है. आपने ब्लाक लेविल पर एक उत्कृष्ट विद्यालय बनाया है तो रूरल लेविल पर भी एक उत्कृष्ट विद्यालय अवश्य बनायें ताकि ग्रामीण बच्चे भी वहां पर इस तरह का रिजल्ट ला सकें. बाकी स्कूलों की स्थिति पर तो मुझे चित्रण करने की आवश्यकता नहीं है. मैं अपने क्षेत्र के बारे में कहना चाहता हूं. मैं केवल दो हाई स्कूल मांग रहा हूं मेरे क्षेत्र में ग्राम सेमलिया जिसकी आबादी 5 हजार से अधिक है वहां पर हाई स्कूल खोला जाय और दूसरा हाई स्कूल बनबना में भी खोला जाय, एक कासोन में हाई स्कूल का उन्नयन हायर सेकेण्ड्री में किया जाय. इसके साथ में उसका भवन भी बनाया जाय. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल ( इछावर ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक तो गुणवत्ता की बात है चाहे फिर वह सरकारी स्कूल हो या प्राइवेट स्कूल की बात हो लेकिन उसकी बहुत आवश्यकता है आप इसके लिए नियम बनायें. मध्यप्रदेश के कई स्कूलों में बाऊण्ड्रीवाल नहीं हैं, कई जगह पर रात में शराब पी जाती है, क्योंकि काफी संपत्ति स्कूल शिक्षा विभाग की है आप इस तरफ कुछ प्रयास करें कि स्कूलों में बाउण्ड्रीवाल का बन जायें. माडल स्कूल के जो भवन बन गये हैं उनमें बहुत सी जगह पर शिफ्ट नहीं किया गया है. आप कोशिश करें कि माडल स्कूलों में जल्दी से जल्दी पढ़ाई का काम शुरू हो सके. दूसरा मेरा यह कहना है कि बीआरसी बारबार बदलते रहते हैं तो मेरा कहना है कि एक बीआरसी को पर्याप्त समय काम करने का मिले. प्रभारी प्राचार्य के भरोसे स्कूल न चलें. जो अतिथि शिक्षक वर्तमान में पढ़ा रहे हैं, जब भी भविष्य में भर्ती की जाय तो उनको भी भर्ती के लिए भरपूर मौका दिया जाय. इसके साथ में अध्यापकों की मांग पर गौर फरमायें. मैं यहां पर जो भी मांग कर रहा हूं वह आरटीई के नार्म्स के तहत ही कर रहा हूं.मेरे क्षेत्र इछावर विधान सभा में जो हाई स्कूल हैं, इछावर ब्लाक में बलोंडिया है उसको हायर सेकेण्ड्री स्कूल किया जाय. हमारे यहां पर एक मुसकरा है इसके बारे में मैंने याचिका भी लगाई है और इसके लिए ध्यानाकर्षण भी लगाया है तो मुसकरा, बलोंडिया, जताखेड़ा, सेमलीकला और आर्या यह सब आरटीई के अंतर्गत आते हैं इनका उन्नयन हाई स्कूल से हायर सेकेण्ड्री में किया जाय. दूसरा जो मिडिल स्कूल हैं जिनको हाई स्कूल में उन्नयन किया जाना है. खामलिया, मूंडलाकला, चैनपुरा, गऊखेड़ी, नादान, संग्रामपुर और ढाबलाखेलबा़डी यह सारे आरटीई के तहत आते हैं, इनका उन्नयन होना बहुत जरूरी है. बावडिया चौर पंचायत में भूरीघाटी एक गांव है वहां पर पेड़ के नीचे और दालान में स्कूल लगता है वहां के लिए भवन की व्यवस्था की जाय. यह चार स्कूल हैं खेरी , बृजेश नगर, मोगलाराम और उलझावन जहां पर हाई स्कूल से हायर सेकेण्ड्री स्कूल तो बना दिये गये हैं लेकिन इनके भवन की कोई व्यवस्था नहीं है इनके लिए भवन की व्यवस्था की जाय, यह मेरी मांग है. उपाध्यक्ष महोदय आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ कैलाश जाटव ( गोटेगांव ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं पिछले दो वर्ष से अपनी बात कह रहा हूं वह सूची मैं फिर माननीय मंत्री जी के पास पहुंचा दूंगा वह हाई स्कूल से उन्नयन के बारे में है. कृपया मंत्री जी उसको स्वीकार कर लें, इतना ही मुझे कहना है.
कुंवर विजय शाह -- आप तो हमारे हैं जहां पर कहेंगे कर देंगे.
श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक (हटा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 व 40 का समर्थन करती हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करती हूं. मैं अपनी चर्चा कबीर के एक दोहे से शुरू करना चाहती हूं :-
'' गुरू गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूँ पांय ।
बलिहारी गुरू आपने, गोविन्द दियो बताय ।।''
जब यह दोहा हमारे देश के बच्चे एक स्वर में बोलते हैं, तो भारतीय संस्कृति का आभास हो जाता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अब मैं अपने क्षेत्र की समस्याओं पर बोलना चाहती हूं. हमारे क्षेत्र में जो माध्यमिक से हाई स्कूल और हाई स्कूल से हायर सेकण्डरी के उन्नयन किये हैं, उनमें भवन निर्माण की आवश्यकता है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करती हूं कि हमारे यहां जल्दी से जल्दी भवन बनवा दिये जाएं. हमारे क्षेत्र में कुछ माध्यमिक से हाई स्कूल में उन्नयन होना है. मैं इनके संबंध में भी माननीय मंत्री जी को लिखकर दे दूंगी ताकि उनका भी उन्नयन हो जाए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और रखना चाहती हूं कि अतिथि शिक्षक हमारे बहुत दिनों से सेवाएं दे रहे हैं. उनका परीक्षा परिणाम संतोषजनक रहता है. हम चाहते हैं कि हमारे अतिथि शिक्षकों को जो तीन-तीन, चार-चार, पांच- पांच वर्षों से सेवारत हैं, उनको भी परीक्षा पात्रता में स्वीकृति मिल जाएगी, तो आपकी बड़ी मेहरबानी होगी. माननीय मुख्यमंत्री जी ने पूर्व में घोषणा की थी इसलिए शिक्षकों के सातवें वेतनमान पर भी विचार किया जाए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया इसके लिये आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं.
श्री अनिल जैन ( निवाड़ी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27 और 40 के समर्थन में अपनी बात रखना चाहता हूं. निवाड़ी विधानसभा का भाग बहुत दूर-दूर तक फैला हुआ क्षेत्र है. आवागमन एवं रहवासी समस्या के कारण, ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण एवं बेटी बेटियों की सुविधाओं को दृष्टिगत रखते हुए आज भी हमारे कई गांवों को हाईस्कूल और हायर सेकण्डरी स्कूलों की आवश्यकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ग्राम रजपुरा, भेलसा, सीतापुर, कुम्हर्रा, चन्दपुरा, वहेरा, थौना, मुडारा, अस्तारी, अर्तरा, प्रतापपुरा इन स्कूलों का मिडिल स्कूल से हाईस्कूल में उन्नयन कराया जाए और ढिल्ला, धमना, कुडार, बीजौर, धौर्रा को हाईस्कूल से हायर सेकेण्डरी में उन्नयन कराया जाए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय टेहरका और ओरक्षा में बाउंड्री वॉल की आवश्यकता है. माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि वहां पर बाउंड्री वॉल और अतिरिक्त कक्ष निर्माण कराया जाए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे सामने एक बहुत गंभीर विषय है. हमारे निवाड़ी में शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय का भवन जर्जर हालत में है. हमने इसकी जानकारी प्रश्न के माध्यम से भी चाही थी, उसके जवाब में मुझे माननीय मंत्री के द्वारा बताया गया है कि स्कूल की स्थिति के साथ वहां आठ कक्षों की बहुत आवश्यकता भी है. माननीय मंत्री जी, मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं और उपाध्यक्ष जी आपका संरक्षण भी चाहता हूं कि वहां एक नये भवन की आवश्यकता है, इसीलिए माननीय मंत्री जी सदन में ही आज स्वीकृति प्रदान करें, नहीं तो भविष्य में कोई बहुत बड़ी घटना घट जाएगी, इस संबंध में मैं निश्चित रूप से सदन का संरक्षण भी चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय टेहरका में भी एक बाउंड्री वॉल की आवश्यकता है, माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि इसकी भी स्वीकृति प्रदान करें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिये आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री नारायण सिंह पँवार ( ब्यावरा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा क्षेत्र की कुछ मांगे हैं. मेरे यहां ब्यावरा शहर करीब 70 हजार की आबादी का नगर है. वहां पर एक कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल है परंतु वहां पर एक और कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल की आवश्यकता है, क्योंकि शहर की आबादी और क्षेत्रफल काफी बढ़ चुका है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे यहां एक और सुठालिया नगर पंचायत है, उसमें वर्षों से कन्या हाई स्कूल है, उसको हायर सेकेण्डरी में तब्दील किया जावे. मेरे विधानसभा क्षेत्र में कुछ ऐसे विद्यालय हैं जिनका हाई स्कूल से हायर सेकेण्डरी में उन्नयन करना बहुत जरूरी है. जिनमें हाईस्कूल बैरसिया, हाईस्कूल गिन्दौर हाट, हाईस्कूल आंदलहेड़ा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कुछ ऐसे स्कूल हैं, जिनको माध्यमिक स्कूल से हाई स्कूल में परिवर्तित करना बहुत जरूरी है, जैसे माध्यमिक विद्यालय बैलास, माध्यमिक विद्यालय टोंका.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से गतवर्ष कुछ विद्यालयों का उन्नयन हुआ है, उनमें भवन बनाना बहुत आवश्यक है. भवन के अभाव में बच्चे बाहर बैठे रहते हैं. इन स्कूलों में हाईस्कूल सेमलापार, हाईस्कूल सीलखेड़ा, हाईस्कूल मऊ, हायर सेकेण्डरी स्कूल गांगाहोनी, गिन्दौर हाट, नापानेरा इत्यादि है. एक मॉडल स्कूल हमारे यहां शहर से करीब चार किलोमीटर दूर बना है, उसमें बाउंड्री वॉल बनाना अत्यंत आवश्यक है.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा एक और निवेदन है कि जो हमारे यहां कन्या हॉस्टल है, वह शहर के अंदर बना है और मॉडल स्कूल में पढ़ने के लिए 4 कि.मी. दूर जाना पड़ता है. ऐसे ही छात्रावासी कन्याओं को साईकिल सुविधा दी जावे. मजरे-टोले में जो बालक-बालिकाएं हैं, उनको भी साईकिल सुविधा प्रदान की जावे. जो हाईस्कूल और हायर सेकण्ड्री स्कूल हैं, उनकी बाउंड्रीवॉल अनिवार्य रूप से बनाई जावे. इस प्रकार से जो ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की बिल्डिंग जर्जर हो गई है, उनकी मरम्मत करना बहुत आवश्यक है. विद्यालयों के उन्नयन में एक प्राथमिक विद्यालय है सिल्पटीबरवाल, उसमें करीब 4 वर्षों से लगातार हड़ताल हो रही है, रास्ता भी जाम किया गया है, उसका माध्यमिक विद्यालय में उन्नयन करना बहुत जरुरी है. ऐसी बहुत सारी मांगें हैं. मैं माननीय मंत्री महोदय को लिखकर दे दूंगा. उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का मौका दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - मूल सूची में मेरे पास जितने शुरु में नाम आए थे, वे सब माननीय सदस्य बोल चुके हैं. पुनः मेरे पास एक सप्लीमेंट्री सूची और आ गई है. इसमें भारतीय जनता पार्टी की ओर से 8 माननीय सदस्य हैं और कांग्रेस की तरफ से 3 माननीय सदस्य हैं. समय की सीमा है. अब एक-एक मिनट में बोलें. इसके बाद मंत्री जी को बोलना है और फिर अशासकीय संकल्प आएंगे. सभी माननीय सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि एक मिनट बोलेंगे अन्यथा जो कुछ बोलेंगे, उसके बाद लिखा नहीं जाएगा.
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक (बिजावर) - उपाध्यक्ष महोदय, स्कूल शिक्षा विभाग और स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित अन्य व्यय से संबंधित मांग संख्या 27 और 40 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने कल कहा था कि जितने नाम विपक्ष से आएंगे, उतने ही नाम सत्तापक्ष से आएंगे, इससे अधिक नहीं आएंगे. कल यह तय हुआ था. आपसे हमारा अनुरोध है कि बराबर-बराबर हो जाएं तो जल्दी हो जाएगा.
श्री लखन पटेल - डॉक्टर साहब, आप लोग कम हैं तो उसमें हमारी क्या गलती है?
डॉ. गोविन्द सिंह - क्या आप संसदीय कार्यमंत्री से ज्यादा ताकतवर हैं?
श्री लखन पटेल - ताकतवर? नहीं गुरुदेव.
उपाध्यक्ष महोदय - आप आसंदी की भी बात सुना करें. ऐसा है आपकी और संसदीय कार्यमंत्री जी की क्या बात हुई, मुझे जानकारी नहीं है. लेकिन सदन में जब चर्चा होती है तो मुख्य यार्डस्टिक है, इंडेक्स है, वह सदस्य संख्या होती है. ढ़ाई घंटे में भारतीय जनता पार्टी को जो आवंटित समय है वह 1 घंटे 47 मिनट है. कांग्रेस पक्ष को जो आवंटित समय है वह 35 मिनट है. मैं यह बात बता रहा हूं, उसके बावजूद भी ज्यादा समय दिया जाता है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - उपाध्यक्ष महोदय, आपको धन्यवाद.
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक - उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय शिक्षा मंत्री आदरणीय कुंवर विजय शाह जी, माननीय मुख्यमंत्री जी और पूरे स्टॉफ को बहुत बधाई देना चाहता हूं कि बिजावर विधान सभा में गुलाट, गोपालपुरा, भैरा, बोड़ा, नयाताल, शाहगढ़ के 6 हाईस्कूल हमें मिले हैं. गत वर्ष में 2 हायर सेकण्ड्री स्कूल भी लखनगुंआ, रगोली हमें मिले हैं. लेकिन हमें अभी भवनों की आवश्यकता है. शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सटई, पनागर, मातागवां और अतरार, इनमें भवन की आवश्यकता है. बांउड्रीवॉल के लिए शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पनोठा, कन्या हायर सेकण्ड्री स्कूल बिजावर और माडल हाईस्कूल बिजावर में भवन की आवश्यकता है. इसके अलावा हाईस्कूल से हायर सेकण्ड्री के उन्नयन के लिए कन्या हाईस्कूल ईशानगर, हाईस्कूल अमरोनिया, हाईस्कूल कुर्रा और हाईस्कूल पारवा का हायर सेकण्ड्री स्कूल में उन्नयन अपेक्षित है. माध्यमिक शाला से हाईस्कूल के उन्नयन के लिए कन्या मिडिल स्कूल बिजावर, कन्या मिडिल स्कूल सटई, मिडिल स्कूल बरदवाहा, बुदोर, गढ़ा, देवरा, बांदनी सहित 10 अन्य स्कूलों की सूची हमने दी है, इसे पूरा करने के लिए माननीय मंत्री जी से आग्रह करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन और करना चाहता हूं कि गत वर्ष में 4 लाख से ज्यादा साईकिलें बंटी हैं. इसमें से 2500 से ज्यादा साईकिलें हमारी विधान सभा को मिली हैं. लेकिन एक नीतिगत फैसला मैं चाहूंगा कि अनुमानित संख्या का अंदाज विभाग अभी अप्रैल में लगा ले ताकि समय से साईकिलें बंट जाय क्योंकि फरवरी अंत होते-होते तक साईकिलें बंटती रहीं हैं. उपाध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री लखन पटेल (पथरिया)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक दो बातें कहकर अपनी बात को समाप्त करूंगा. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि अभी महिला अध्यापकों को प्रसूति अवकाश नहीं मिलता, जबकि अन्य विभाग में कार्यरत् महिलाओं को 720 दिन का प्रसूति अवकाश मिलता है. मुझे लगता है कि इस विषय में किसी ने बात नहीं कही. मेरा अनुरोध है कि इस पर विचार करके शीघ्र निर्णय लेंगे. दूसरा निवेदन यह है कि अतिथि शिक्षकों की बात आयी है, लेकिन अतिथि शिक्षकों की अलग से परीक्षा कराएंगे तो मुझे लगता है कि देश में जितने अतिथि शिक्षक 5-6 से 10 साल से काम कर रहे हैं उनको इसका लाभ मिलेगा. हम सारी किताबें तो बच्चों को मुफ्त में बांटते हैं उनको साथ में कापियां भी देने लगें तो गांव में बहुत अच्छा होगा.
उपाध्यक्ष महोदय, अब मैं क्षेत्र की दो तीन बातें करके अपनी बात को समाप्त करूंगा. मैं मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं हमारे यहां केरबना एक हाईस्कूल सन् 2007 से स्वीकृत है उसकी बिल्डिंग एल्यूएन के द्वारा स्वीकृत की गई थी उसमें टेन्डर हुआ. बिल्डिंग का काम अधूरा है और वहां पर स्कूल भी लग नहीं पा रहा है मंत्री जी से अनुरोध है कि उसकी स्वीकृति देंगे जिससे उसका उपयोग होने लगे और ऐसे 8 हाईस्कूल हैं 1989, 1993, 2004 में स्वीकृत हुए लेकिन उनका भवन आज तक नहीं है. उनकी मैंने सूची उपलब्ध करायी है. अगर वह दे देंगे तो बहुत अच्छा है. माननीय मंत्री जी से मैंने पूर्व में अनुरोध किया था कि हमें हाईस्कूल एवं हायर सेकेन्डरी स्कूल दे दें, उन्होंने कहा है 2 हाईस्कूल एवं 2 हायर सेकेन्ड्री स्कूल दे देंगे. माननीय मंत्री जी बहुत ही उदार हृदय हैं मैं चाहता हूं कि वहां 3-3 स्कूल देंगे तो बड़ी कृपा होगी. उनके नाम हैं मंगोला, बरतलाई, खिड़िया,बकाईन एवं नरसिंहगढ़ इनका उन्नयन करेंगे तो बड़ी कृपा होगी.
उपाध्यक्ष महोदय--आप मंत्री जी को लिखकर के दे दीजिये.
श्री लाखन सिंह--जी हां उपाध्यक्ष महोदय.
श्री सतीश मालवीय (घट्टिया)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 27, 40 के पक्ष में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं अपनी बात शुरू करूं उसके पूर्व मध्यप्रदेश के जननायक शिवराज सिंह जी तथा कुंवर विजय शाह जी के लिये दो लाईनें कहना चाहता हूं-
यारों किसी की राह पर चलता नहीं हूं मैं
ठोकर लगे तो राह बदलता नहीं हूं मैं
रख दूं जहां कदम तो नई राह बने,
खिची हुई लकीर पर चलता नहीं हूं मैं
इस भावना के साथ हमारे स्कूल शिक्षा मंत्री माननीय मुख्यमंत्री जी के सफल निर्देशन में मध्यप्रदेश निरंतर शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति कर रहा है. चाहे पाठ्य-पुस्तक के वितरण का कार्यक्रम हो, चाहे सायकिल वितरण हो, चाहे गणवेश वितरण का कार्यक्रम हो, चाहे अल्पसंख्यकों को जोड़ने का काम हो, चाहे मिल बांचे का कार्यक्रम हो, चाहे स्वच्छ भारत अभियान हो, चाह शरीर साधन अथवा 12 जनवरी को विवेकानन्द जयंती पर योग का कार्यक्रम हो. इन सब भावनाओं को ध्यान में रखते हुए स्कूल शिक्षा विभाग उन्नति कर रहा है तथा इसका लाभ भाई बहिनों को मिल रहा है.
मैं अपने क्षेत्र की कुछ मांगें रखना चाहता हूं और विश्वास करता हूं कि उदार हृदय के मंत्री हैं वह किसी को निराश नहीं करते हैं. मैं घट्टिया में रहता हूं जहां की जनसंख्या 10 हजार है वहां पर लड़कियों के लिये कन्या हाईस्कूल की अत्यंत आवश्यकता है, साथ ही धुलेटीया गांव में हाईस्कूल की आवश्यकता है.
कुंवर विजय शाह--यह घट्टिया नाम को चेंज किया जाए.
श्री सतीश मालवीय--अगर आप वहां पर विकास के काम करायेंगे तो धीरे धीरे बढ़िया हो जाएगा. हमारे सुरेन्द्र भाई ने परसों ही 30 लाख रूपये दिये थे अब भी कुछ न कुछ दे रहे हैं. हमारे यहां पर बेड़ावन में स्कूल है वहां पर टीचर्स की कमी है. एक प्राथमिक विद्यालय लसूड़िया चूहड़ वहां पर प्राथमिक विद्यालय में बिल्डिंग नहीं है. साथ ही कलालखेड़ी में प्राईमरी स्कूल जर्जर स्थिति में है वहां पर भी बिल्डिंग की आवश्यकता है. मिडिल स्कूल मऊखेड़ी में आवश्यकता है, रलायती, तथा कालूखेड़ी में प्राथमिक विद्यालय से मिडिल स्कूल में उन्नयन करना है. धन्यवाद.
श्री गोविन्द सिंह पटेल(गाडरवारा )-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, शिक्षा विभाग की अनुदान मांगों का समर्थन करता हूं. मैं अपने क्षेत्र की बात कहना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष जी, मैं मंत्रीजी से दो हाई स्कूल से हायर सेकंडरी उन्नयन का निवेदन करना चाहता हूं. बसुरिया हाई स्कूल को हायर सेकंडरी, हाई स्कूल कठोतिया को हायर सेकंडरी में उन्नयन किया जाए. तीन माध्यमिक शालाओं को हाई स्कूल में उन्नयन किया जाए. जिसमें माध्यमिक शाला झायलखेड़ा, माध्यमिक शाला,मड़गुला, माध्यमिक शाला,निवावर, और माध्यमिक शाला चारगांव खुर्द है. इनका हाई स्कूल में उन्नयन किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे यहां 2-4 सालों में हायर सेकंडरी स्कूल खुल गए हैं लेकिन उनके पास अपने भवन नहीं है. वह हाई स्कूलों के भवनों में लग रहे हैं. उनके भवन बन जायें जिससे वहां सुचारु रुप से शिक्षा चल सके. तुमड़ा हायर सेकंडरी स्कूल,बनवारी, बमोरीकला, खुरसीपार, आमगांव छोटा, नांवदर और सूखाखेरी हायर सेकंडरी स्कूलों की बिल्डिंग्स बन जायें. धन्यवाद.
श्री पन्नालाल शाक्य(गुना )--उपाध्यक्ष महोदय, हमारे गुना विधान सभा में माननीय मुख्यमंत्री जी की बड़ी मेहरबानी है. हमको कुछ भी मांगने की जरुरत नहीं है लेकिन हम माननीय शिक्षा मंत्री जी से कहेंगे कि हमारे यहां हायर सेकंडरी और हाई स्कूलों की बाऊंडी वॉल बनवा दी जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन करुंगा. मिला जो सियासत ये किसी के बंधन में नहीं रहती और न रहना चाहिए, उसका परिणाम हम देख रहे हैं कि 230 में से मुश्किल से 50 लोग बचे हैं. पता नहीं इन पर शिक्षा का क्या प्रभाव पड़ा है और शिक्षा के विषय में बड़ी-बड़ी बातें कर रहे है. उपाध्यक्ष जी, भवन दे दो, स्कूलों का उन्नयन कर दो. स्कूल और भवन से थोडे ही ज्ञान मिलता है. ये कहां से पढ़ कर आयें हैं पहले यहां उपस्थित होना तो सीखें. धन्यवाद.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को( पुष्पराजगढ़)-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करना चाहूंगा कि पूरे प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों में करीब 60-70 हजार अतिथि शिक्षक पढ़ा रहे हैं वे ओवरएज़ हो रहे हैं उन्हें संविदा शाला शिक्षक के रुप में भर्ती की जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की कुछ मांगे हैं. कुछ स्कूल ट्रायबल से संचालित हैं. मैं शिक्षा मंत्री जी से इस अपेक्षा के साथ अनुरोध कर रहा हूं कि मेरे विधान सभा को भलीभांति जानते हैं. मेरे यहां गर्जन प्राथमिक विद्यालय में सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राथमिक शाला से माध्यमिक शाला में उन्नयन कर दिया जाए. अमोदा और पिपराहा जो बैगा बस्ती है वहां प्राथमिक शाला से माध्यमिक शाला आश्रम शाला में उन्नयन करने का कष्ट करें. हाई स्कूल इटोर को हायर सेकंडरी में उन्नयन करने का कष्ट करें. माध्यमिक शाला कपरिया को हाई स्कूल में. माध्यमिक विद्यालय गिजरी को कन्या हाई स्कूल में और हाई स्कूल गुरसी को कन्या हाई स्कूल में उन्नयन करने की कृपा करें.
उपाध्यक्ष महोदय, शिक्षा मिशन के माध्यम से करीब 120 विद्यालयों के भवन अपूर्ण हैं. इसकी सूची बहुत लंबी यदि आपकी अनुमति होगी तो...
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी को दे दीजिए.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को--उपाध्यक्ष जी, शिक्षा मिशन के 120 विद्यालयों के भवन अपूर्ण हैं. शिक्षा मिशन बदल कर अब सर्व शिक्षा अभियान हो गया है, वह स्कूल आज भी खंडहर के रुप में पड़े हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि अपूर्ण भवनों को पूर्ण कर दिया जाए. तथा पड़मनिया, जतहरी में सर्व शिक्षा अभियान के माध्यम से आश्रम शाला संचालित हैं उनके भवन और बाऊंड्री वॉल की व्यवस्था की जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, सड़क से लगे जो विद्यालय हैं उनकी बाऊंड्री वॉल और करीब 30 विद्यालयों में हैंड पंप नहीं है, वहां हैंड पंप लगवा दिए जाएं. धन्यवाद.
श्री रजनीश हरवंश सिंह(केवलारी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शिक्षा एक गंभीर विषय है और समय की पाबंदी है. मेरा हाथ जोड़कर आपसे निवेदन है..
कुंवर विजय शाह - भईया आपका नाम तो नहीं था माननीय उपाध्यक्ष महोदय की मेहरबानी से आप बोल सकते हैं तो बोल सकते हैं यहां नाम नहीं है आपका.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - माननीय मंत्री जी शिक्षा की बात हो रही हो और यह नौजवान शिक्षा के बारे में नहीं बोलेगा हो ही नहीं सकता. भारत का इतिहास गवाह है कि भारत का यह हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश जहां द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण ने शिक्षा ग्रहण की हो और वहां पर शिक्षा के महत्व पर बात चल रही हो और वहां हमारे जैसा नौजवान नहीं बोल पाये..
उपाध्यक्ष महोदय - आप क्षेत्र की बात कर लें.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपको कितनी उपाधियां मिलीं, आप डाक्टर बन गये, आप विद्वान हैं, आप छह-सात बार निर्वाचित जनप्रतिनिधि बने,यही शिक्षा के महत्व के कारण. डाक्टर गौरीशंकर शेजवार जी बैठे हुए हैं वे जब बोलते हैं तो सारे लोग प्रशंसा करते हैं लेकिन जब हम नये युवा विधायकों का अवसर आता है तो हम देखते हैं कि जल्दी..जल्दी..चलो...चलो... तो माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमें आज बोलने के लिये आप सबके सामने अपनी बात को रखने के लिये हमको दो-दो दिन तैयारी करने में लगते हैं कि हम 6-6 बार के निर्वाचित सम्माननीय मंत्रियों के सामने,सम्माननीय उपाध्यक्ष महोदय के सामने हम अपनी बात रख रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - रजनीश जी, यह मंचीय भाषण नहीं चलेगा. अगली बार आप चुनकर दोबारा आईये, तब समय ज्यादा मिलेगा.अभी पहली बार आप आए हैं.
श्री रजनीश हरवंश सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय,समय तो मिलना चाहिये. शिक्षा के महत्व पर ढाई घंटे का समय कम होता है. इसकी समयावधि बढ़ाई जाये, मेरी यह प्रार्थना है. मेरे यहां हाईस्कूल अहिरवाड़ा, हाईस्कूल भूरवाड़ा, कन्या हाई स्कूल कानीवाड़ा का उन्नयन किया जाये. अलोनिया खापा के अंतर्गत जंगल के अन्दर के गांव हैं और यहां बहुत बड़ी बैनगंगा नदी है, वहां पुल नहीं बन सकता इसलिये वहां पर हाईस्कूल होना चाहिये. उसमें किलोमीटर की बाध्यता नहीं होना चाहिये. प्राथमिक शाला बीजाटोला का भवन जर्जर है, वहां पानी टपकता है. प्राथमिक शाला खरपड़िया में ऊपर की छत खराब है, पूरा लोहा दिख रहा है, झितरा प्राथमिक शाला भवन बिल्कुल गिरने की कगार पर है, प्राथमिक शाला कारापाटा भवन जर्जर है,केवलारी खेड़ा में प्राथमिक शाला भवन है ही नहीं, गिर गया है. पटेल के घर के आंगन में स्कूल चल रहा है और बरसों से कानीवाड़ा में उर्दू माध्यमिक शाला भवन बनकर तैयार नहीं हुआ है. बहनाटोला, अलोनियाखापा में उर्दू शिक्षक नहीं हैं. अंत में अपनी बात समाप्त करते हुए कहता हूं कि - " गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु, गुरुदेवा महेश्वरा,गुरु साक्षात् परब्रहम् तस्मै श्री गुरुवै नम: " धन्यवाद उपाध्यक्ष महोदय.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा(शुजालपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कोई भी विद्यालय जब लगता है तो लगने और छूटने की घंटी एक जैसी बजती है और एक जैसी घंटी बजती है तो बच्चों को छूटने की लगने की में आनंद आता है मैं समझता हूं कि लगने की घंटी में आनंद आ जाये तो यही मुख्यमंत्री जी ने विजय शाह जी को इसी संदर्भ के साथ भेजा है कि एक दिन का चिंतन रखता है वह मजदूर होता है,जिनका एक महीने का चिंतन होता है वह राजकीय कर्मचारी होता है,जिसका 1 बरस का चिंतन होता है वह किसान या व्यापारी होता है और जिसका 5 बरस का चिंतन होता है वह राजनीति में यहां आता है और जिसका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी संवारने का,शिक्षित करने का और आगे बढ़ाने का काम है वह विजय शाह जी का है जो शिक्षा मंत्री के रूप में यहां बीच में आये हैं
उपाध्यक्ष महोदय - आप अपने क्षेत्र की बात कर लें.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय उपाध्यक्ष महोदय,पूरे प्रदेश में हजारों की संख्या में स्कूल बंद हैं यहां (XXX) मत करिये.
श्री जसवंतसिंह हाड़ा - विजय शाह जी ने शिक्षा को आगे बढ़ाने के अनेक आयाम खड़े किये हैं मैं उन सब बातों पर नहीं जाना चाहता. मैंने अपने क्षेत्र की एक सूची मंत्री जी को दी है. 50 साल से हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल मिडिल स्कूल में चल रहा है वह शुजालपुर मंडी और सिटी का है, बेटियों का मामला है और 6 स्कूल ऐसे हैं जो 6-7 वर्ष से केवल प्राइमरी या मिडिल स्कूल में चलते हैं. मैंने वह सूची उनको दी है जिनमें 6 या 7 कमरे हैं. आज भी कई क्लासें बरामदें में या बाहर खुले में लग रही हैं. ऐसे 11 विद्यालय हैं जिनकी सूची माननीय मंत्री जी के पास है. मैं चाहता हूं कि वह बेहतर और अच्छी इस योजना को करेंगे. बहुत-बहुत धन्यवाद.
जितू पटवारी (राऊ)-- उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को बहुत सारी मांगों के साथ, बड़े-बडे वादों के साथ अपना भाषण पूरा करना पड़ेगा. मैं अनुरोध करना चाहता हूं मेरी विधान सभा में 50 हजार की आबादी का एक गांव है, वहां हाईस्कूल है. मैंने 5-6 बार पीछे राज्य मंत्री शिक्षा श्री जोशी जी बैठे हैं उनको पत्र दिया था, पता नहीं उनकी कृपा क्यों नहीं हुई. आपसे करबद्ध अनुरोध है कि वहां के बच्चे, उनकी बेटियां आपको दुआयें देंगी. आज आप यहां के शिक्षा मंत्री बने हैं एक दिन आप देश के शिक्षा मंत्री बनें, इस भाव के साथ कि आप उन बच्चों की दुआ लें, आपकी मेहरबानी होगी. मैंने एक पत्र दिया है उस पर आप ध्यान दें. और अध्यापकों से, अतिथि शिक्षकों से, संविदा शिक्षक से सरकार ने जो चुनाव से पहले वादे किये थे कृपया करके उन्हें पूरा कर दें क्योंकि उन्होंने 3-3, 4-4, 5-5 वोट अंदर बैठकर आपको दिये थे, तब आप सत्ता पक्ष में बैठे हो, वह वापस ले लेंगे, इधर दे देंगे. उनका भी ध्यान रखो, उनके लिये भी कुछ करो, आप शिक्षा मंत्री हो, उनकी भी दुआयें आपको लगेंगी. धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह शेखावत-- जितू भैया, (XXX)
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- शिक्षकों का अपमान कर रहे हो, क्या वह 2-2, 3-3 वोट डालेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- वोट डालने की बात विलोपित कर दें. जितू जी आपकी विधान सभा में यह गांव कौन सा है जिसकी 50 हजार की आबादी है.
श्री जितू पटवारी-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ग्राम पंचायत बांक है, वह नगर निगम में आना था पहले मनोज पटेल जी की विधान सभा में था, उसमें मुस्लिम आबादी है, उसको नगर निगम में नहीं लाये, उसको पंचायत ही रख दिया.
श्री दिलीप सिंह शेखावत-- 50 प्रतिशत मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र उत्तर प्रदेश है वहां हम सरकार बना रहे हैं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- उपाध्यक्ष जी, परिसीमन हुआ था, परिसीमन केन्द्र सरकार ने किया था और केन्द्र सरकार माननीय जितू पटवारी जी की ही थी. जितू जी को समझाना पड़ेगा, इनकी याददाश्त थोड़ी कम है. कांग्रेस को थोड़ी बादाम देना पड़ेगी.
श्री विष्णु खत्री (बैरसिया)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 24 जुलाई 2015 के मेरे प्रश्न में मैंने विभाग से जानना चाहा था कि मेरे बैरसिया विधान सभा क्षेत्र के बरखेड़ा बरामद, डुंगरिया और लांबाखेड़ा मिडिल स्कूल हाईस्कूल में उन्नयन की पात्रता रखते हैं. इसी प्रकार से सोहाया, नायसमंद और धमर्रा ये हाईस्कूल हायर सेकेण्डरी स्कूल की पात्रता रखते हैं. उस पर विभाग ने स्वीकार किया था कि हां यह पात्रता रखते हैं. दो वर्ष व्यतीत होने के बाद भी वे मिडिल स्कूल जो हाईस्कूल उन्नयन की पात्रता रखते हैं उनका उन्नयन नहीं हुआ है और जो हाईस्कूल हायर सेकेण्डरी के उन्नयन की पात्रता रखते हैं उनका उन्नयन नहीं हुआ है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि बैरसिया विधान सभा राजधानी की एक तहसील है और उसमें शिक्षा का स्तर बढ़े ऐसी शासन की मंशा है इसके लिये कहीं न कहीं सोहाया, नायसमंद, धमर्रा यह हाईस्कूल जो पोषकशाला, दूरी और छात्र संख्या तीनों में पात्रता रखते हैं, इनको माननीय मंत्री जी हायर सेकेण्डरी में उन्नयन करेंगे और दूसरा निवेदन है कि बरखेड़ा बरामद, डुंगरिया, कुल्होर, कुराना और लांबाखेड़ा यह मिडिल स्कूल भी हाई स्कूल की पात्रता रखते हैं माननीय मंत्री जी इनका भी उन्नयन करें और ऐसे ही हमारी बसई एक मिडिल स्कूल है उसका हाई स्कूल में उन्नयन करने की कृपा करें. ऐसा मेरा निवेदन है. धन्यवाद.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी भी कुछ मांगे थी लेकिन मंत्री जी ने बोल दिया है कि मैं बिना मांगे दूंगा तो मैं समझ लूं कि आपने दिया.
उपाध्यक्ष महोदय- मनोज जी बैठें. मंत्री जी को भाषण प्रारंभ करने दें.
कुंवर विजय शाह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के इस पवित्र सदन में शिक्षा को लेकर बुद्धिमान माननीय सदस्यगण द्वारा काफी महत्वपूर्ण सुझाव आये हैं. आदरणीय कक्काजू, उपाध्यक्ष जी मैं कभी इनका नाम लेता नहीं, आज तक नहीं लिया इसलिये मेरी आदत नहीं है, आदरणीय के.पी. सिंह साहब ने मेरे विभाग की मांग पर बोलना प्रारंभ किया है. 1990 से लेकर के आज तक इतने वरिष्ठतम सदस्यगण यहां पर बैठे हुये हैं, एक परिवार जैसा माहोल है,सभी में अपनत्व की भावना है. चाहे वह पक्ष में बैठें या विपक्ष में. एक जमाने में वह यहां पर मंत्री थे और हम विपक्ष में विधायक थे. प्रजातंत्र में यह बातें चलती रहती हैं लेकिन इसके बाद भी पवित्र सदन में मैं कहना चाहता हूं कि आदरणीय कक्काजू, आदरणीय मुरलीधर पाटीदार जी, आदरणीय सौरभ सिंह जी, आदरणीय सुन्दरलाल जी तिवारी, आदरणीय सुखेन्द्र सिंह जी, आदरणीय हरदीप सिंह डंग जी, आदरणीय रामपाल सिंह जी, आदरणीय कमलेश जी, शैलेन्द्र जी, फुन्देलाल मार्कों जी, मोहन यादव जी, के.के. श्रीवास्तव जी, आदरणीय वेल सिंह भूरिया जी, आदरणीय मुकेश चतुर्वेदी जी, बहुत लंबी सूची है काफी समय लगेगा इसलिये मैं आसंदी से माफी मांगते हुये कहना चाहूंगा कि इन सभी माननीय सदस्यों के शिक्षा नीति और शिक्षा के सुधार पर जो बहुमूल्य सुझाव इस पवित्र सदन में आये हैं, उसके लिये मैं अपनी ओर से, सरकार की ओर से, मुख्यमंत्री जी की ओर से और विभाग की ओर से धन्यवाद देना चाहता हूं कि सभी ने अपनी कीमती समय निकालकर मध्यप्रदेश के भावी भविष्य के बारे में चिंता की. क्योंकि वास्तव में जिनको हम शिक्षा दे रहे हैं यही भावी भविष्य का निर्माण करेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, इस प्रजातंत्र के मंदिर में जो बैठे हैं इन सबकी जिम्मेदारी है कि उसके दायित्वों का वह निर्वाहन करे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमने वह मंजर भी देखा है क्योंकि हम 10-15 साल विपक्ष में रहे हैं. मैं तुलना नहीं कर रहा हूं क्योंकि कर वही सकता है जिसमें करने की कूबत होती है. मुझे अच्छी तरह से याद है . जब मैं विपक्ष में था एक दुबे जी थे, विपक्ष में रहकर के चीख चीख कर हम कहते थे कि भाई साहब प्रजातंत्र में हम विधायक चुनकर के आये हैं 10 साल हो गये हैं मेहरबानी करके एक हाई स्कूल दे दो. लेकिन यहां बैठे हुये महान आदमी आदरणीय पूर्व मुख्यमंत्री जी का दिल कभी नहीं पसीजा. हम क्या मांग रहे थे, जनता के लिये हाई स्कूल मांग रहे थे, उपाध्यक्ष जी मुझे कहना नहीं चाहिये लेकिन मैं मजबूर हूं. 10 साल में मेरे अपने विधानसभा क्षेत्र में कभी एक हाईस्कूल नहीं खुला. परंतु आज ऐसी स्थिति नहीं है. हमारी सरकार जब से चली है, जनता की सेवा के लिये चली है, लंबे लक्ष्य के लिये चल रही है :-
मैं जब से चला हूं मेरी मंजिल पर नजर है,
मेरी आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा,
मेरी सरकार की तरक्की पर जलने वालो,
तुमने हमारे पेरों के छालों को नहीं देखा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की हृदय स्थली, मध्यप्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक और बौद्धिक विकास के जो नये नये आयाम छू रहा है. मुझे बहुत हर्ष है कि माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा मुझे ऐसे विभाग की जवाबदारी दी गई जहां पर मैं नौ-जवानों का भविष्य संवारने में कुछ योगदान दे सकूं. स्कूल शिक्षा विशेषकर बालिका शिक्षा प्रदेश सरकार की सर्वोच्य प्राथमिकता है. 12वीं पंचवर्षीय योजना में 2012-13 की तुलना में 2017-18 का हम बजट देखेंगे तो दुगने से ज्यादा वृद्धि की गई है. स्कूल शिक्षा विभाग की अनुदान मांगो में जो बजट है उसमें 19,298 करोड़ का प्रावधान है और 9 हजार 284 करोड़ रूपए की तुलना में 114 प्रतिशत अधिक है -
उपाध्यक्ष महोदय - एक कविता कहना चाहता हूं-
बहुत जरूरी होती है शिक्षा,
सारे अवगुण धोती है शिक्षा,
चाहे जितना पढ़ लें फिर भी,
कभी न होती पूरी शिक्षा,
कर्तव्यों का बोध,
अधिकारों का ज्ञान कराती शिक्षा,
शिक्षा ही दे सकती है सर्वोपरि सम्मान,
बुद्धिहीन को बुद्धि देती,
अज्ञानी को ज्ञान,
शिक्षा से ही बन सकता है मेरा प्रदेश महान. (मेजों की थपथपाहट...)
माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं बहुत लंबी चौड़ी बात नहीं कर रहा हूं, क्योंकि बजट में बहुत सारी बातें कहने के लिए हैं. मैं बहुत महत्वपूर्ण बात कहना चाहता हूं. हमारे मुख्यमंत्री जी की जो इच्छा है, अभी 5-6 साल से विभिन्न कारणों से शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई थी. मुझे मंत्री बने अभी सिर्फ 9 महीने ही हुए हैं, हमने इन 9 महीनों में लगातार यह प्रयास किया है कि कैसे इस विभाग को, जनता की कसौटी पर इस प्रदेश के नौजवानों के भविष्य के हित में कौन सी योजना लाएं. पहली बार ऐसा हो रहा है कि 520 हाईस्कूल हम खोल रहे हैं और 240 हायर सेकेण्डरी स्कूल खोल रहे हैं (मेजों की थपथपाहट...) और यह हम चख-चखकर नहीं दे रहे हैं. श्री के.पी. सिंह जी ने एक बात बड़ी अच्छी कही है कि आपने ब्लाकों में स्कूल तो उत्कृष्ट कर दिए लेकिन बाकी बच्चे कहां पढ़ेंगे. श्री के.पी. सिंह जी मैं आपकी बात से सहमत हूं और आपके सुझावों को मानता हूं. मध्यप्रदेश में जिन जिन ब्लाकों में उत्कृष्ट हाईस्कूल किए गए हैं वहां के बच्चे कहां पढ़े यह आपकी चिन्ता थी. मैं आज घोषणा करता हूं कि जितने ब्लाकों में उत्कृष्ट विद्यालय दिए गए हैं, वहां एक एक हाईस्कूल बिना भेदभाव के पूरे मध्यप्रदेश में खोले जाएंगे. (मेजों की थपथपाहट...)
श्री के.पी. सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, थोड़ा सा व्यवधान करना पड़ रहा है, उत्कृष्ट विद्यालय 10+2 है, वह हायर सेकेण्डरी है, मेरी हायर सेकेण्डरी स्कूल की बात है.
कुंवर विजय शाह - उपाध्यक्ष जी, चाहे हायर सेकण्डरी हो या हाईस्कूल हों, जहां पर उत्कृष्ट विद्यालय है, वहां कांग्रेस और बीजीपी नहीं देखा जाएगा, वहां जनता देखी जाएगी, मुख्यमंत्री जी के स्पष्ट निर्देश हैं कि कांग्रेस के विधायकों के क्षेत्र में भी स्कूल दिया जाए.
श्री के.पी. सिंह - मंत्री जी, मेरी बात समझ लें, उत्कृष्ट विद्यालय हाईस्कूल नहीं है, ये इंट्रेस स्कूल है, समस्या का निदान इंट्रेस स्कूल खोलने से होगा, हाईस्कूल खोलने से नहीं होगा.
कुंवर विजय शाह - माननीय सदस्य, मैं आपकी बात समझ गया. पहले हाईस्कूल खुलेगा, जब बच्चे हायर सेकेण्डरी में जाएंगे तो हायर सेकेण्डरी स्कूल खुलेगा. दूसरी बात जहां पर केवल उत्कृष्ट विद्यालय है, दूसरे विद्यालय नहीं है, वहां पर कम प्रतिशत वाले छात्रों को भी प्रवेश दिया जाएगा, मैं घोषणा कर रहा हूं, आप चिन्ता न करें (हंसी...) माननीय उपाध्यक्ष जी, अभी माननीय सदस्यों ने चिन्ता व्यक्त की थी, कभी स्कूलों में बिजली नहीं थी. पहली बार मैं जब मंत्री बना तो मैंने मुख्यमंत्री जी से और वित्तमंत्री जी से निवेदन किया कि हम कम्प्यूटर क्लास तो चला रहे हैं, लेकिन वहां बिजली नहीं होगी तो यह क्लास कैसे चलेंगी. पहली बार 38 लाख रूपए का प्रावधान हमने किया है, यह बहुत बड़ी राशि तो नहीं है, लेकिन शुरूआत तो की है, एक दीपक तो जलाया है और एक जले हुए दीपक से हजारों दीपक जल सकते हैं, हजारों बुझे हुए दीपक से एक दीपक नहीं जल सकता. यह शुरूआत ज्योति, की बिजली की हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने की है ताकि हमारे प्रदेश के बच्चों के भविष्य में रोशनी पहुंचे. इसी तरह से माननीय उपाध्यक्ष महोदय, स्कूल खुल गए लेकिन स्कूलों में प्रयोगशाला में उपकरण नहीं है, वर्षों से किसी ने थोड़ी बहुत चिन्ता की होगी, लेकिन आज हमारी सरकार ने गंभीरता से चिन्ता की और 27 करोड़ रूपए हमने केवल प्रयोगशाला के उपकरण के लिए रखा है. यह बात माननीय गोविन्द सिंह जी ने भी रखी है, ताकि प्रयोगशाला अच्छी हो,, वहां सामान अच्छे हो, पहली बार हमने यह प्रावधान किया है. ऐसी अनेक चीजें है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- मंत्री जी, 10 साल पहले भी तो करना चाहिये था.
कुंवर विजय शाह -- उपाध्यक्ष महोदय, आपकी सरकार ने तो कुछ नहीं किया, हम जो कर रहे हैं, तो समझ लें. उपाध्यक्ष महोदय, पहली बार जब हमने समीक्षा की और हमने यह देखा कि हाई स्कूल के बच्चे, हायर सेकेण्ड्री के बच्चे तो बेंच पर बैठते हैं और सरकार के मिडिल स्कूल के बच्चे नीचे बैठते हैं, टाट-पट्टी पर बैठते हैं. हमने मुख्यमंत्री जी एवं वित्त मंत्री जी से बात की,हमारे केबिनेट के साथियों से बात की, तो पहली बार मिडिल स्कूल के बच्चों के फर्नीचर के लिये 30 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. केवल बजट का प्रावधान ही नहीं रखा है, बल्कि हम 5 साल की हम योजना बना रहे हैं. मैं दावे से कह सकता हूं कि आने वाले 5 साल के बाद मध्यप्रदेश का कोई भी मिडिल स्कूल ऐसा नहीं होगा, जहां के बच्चे टाट-पट्टी पर बैठेंगे. हमने यह लम्बी योजना बनाई है. इसी तरह से कई ऐसे काम जो हमने पहली बार किये हैं. अभी बात आई थी कि पानी कुछ टपक रहा है, कुछ दिख रहा है, बिल्डिंग पुरानी हो गई है..
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, पुरानी नहीं, अभी नया भवन बना है, अभी हैंड ओव्हर नहीं किया है, घटिया निर्माण कार्य हुआ है और विभाग के लोग सुध नहीं ले रहे हैं.
कुंवर विजय शाह -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा विनम्र निवेदन है कि मध्यप्रदेश के अन्दर जो बिल्डिंग्स बन रही हैं, यह मेरे पास फोटोग्राफ्स हैं.पहले जो बिल्डिंग्स बनती थीं और आज जो बिल्डिंग्स बन रही हैं..
श्री कमलेश्वर पटेल -- मंत्री जी, दो-तीन साल से बिल्डिंग्स बनकर खड़ी हुई है और एक दो जगह तो भैंस, बकरियां यह वहां पर बांधी जा रही हैं. नये नये भवन बने हैं. आप पजेशन दिलवा दें.
कुंवर विजय शाह -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं पीछे नहीं जाना चाहता. आपके पिताजी भी शिक्षा मंत्री थे, बरसों रहे, हमारे पाटीदार जी चले गये, 500-500 रुपये में आदमी रखते थे.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, वही काम आप वर्तमान में कर रहे हैं. गांव गांव में स्कूल खुली थी, जो आप लोग बंद कर रहे हैं.
श्री मनोज सिंह पटेल -- मंत्री जी, 500-500 रुपये में नहीं लगते थे. 40 हजार- 40 हजार रुपये अलग से देना पड़ते थे.
उपाध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, रात गई, बात गई, अभी की बात करें.
श्री सतीश मालवीय -- उपाध्यक्ष महोदय, इतिहास तो है कि बिना पैसा दिये, लिये कुछ काम ही नहीं करते थे. 500 रुपये की नौकरी के लिये भी 40 हजार रुपये देना पड़ते थे.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, अभी भी भ्रष्टाचार है.
कुंवर विजय शाह -- उपाध्यक्ष महोदय, उस जमाने में बिल्डिंग्स की जो चिंता और हालत थी, हमने धीरे धीरे, पिछले दो सालों से पहली बार ऐसा हो रहा है कि हम निर्माण एजेंसी चाहे वह पीआईयू हो, चाहे वह पीडब्ल्यूडी हो, पूरा पैसा एक साथ बिल्डिंग का हम उस ठेकेदार को, विभाग को दे रहे हैं कि 11 महीने में बरसात छोड़ करके बिल्डिंग कम्पलीट करें. यह बिल्डिंगें आप देख रहे हैं, मैं यह नहीं कहता कि सौ प्रतिशत बिल्डिंग्स सही बनी होंगी, एक दो प्रतिशत जो ठेकेदार गड़बड़ होगा, उसने गड़बड़ी भी की होगी, लेकिन मध्यप्रदेश की 99 प्रतिशत बिल्डिंग्स शानदार बनी हुई हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, . मेरा इतना ही निवेदन है कि राशि का आहरण हो गया है, बिल्डिंग्स उपयोग में नहीं आ रही हैं, व्यवस्था बनवा दीजिये, बच्चे परेशान हो रहे हैं.
कुंवर विजय शाह -- उपाध्यक्ष महोदय, केवल बिल्डिंग्स ही नहीं, हमने अनेक निर्णय लिये हैं. आज आप देखिये कि हमारे नौजवानों में देश भक्ति का जज्बा कम हो रहा है. जब हम स्कूलों में जाते हैं, इस देश को आजाद हुए बरसों हो गये. आपके पिताजी शिक्षा मंत्री थे. आपने मध्यप्रदेश के स्कूलों में झण्डा वन्दन अनिवार्य क्यों नहीं करवाया. आपको
कोई नहीं रोक रहा था,
श्री कमलेश्वर पटेल -- उपाध्यक्ष महोदय, कब स्कूल में झण्ड वंदन नहीं होता था. क्या बात कर रहे हैं. आप मंत्री जी हैं. प्रभात फेरी निकलती है. हम लोग भी सरकारी स्कूलों में पढ़े हैं.
श्री जितू पटवारी -- मंत्री जी, इस पर तो आपत्ति है. झण्डा वंदन हमेशा देश की आजादी से आज तक होता आया है. यह आपत्ति जनक है.
कुंवर विजय शाह -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरी आप बात तो सुन लें. मैं बात यह कह रहा हूं कि हमने पहली बार निर्देश निकाले कि हमारा राष्ट्रीय झण्डा मान-सम्मान का प्रतीक है. हर छठवीं क्लास से 12 वीं क्लास तक के स्कूल में पढ़ाई होने के पहले झण्डा वंदन होगा, जन गण मन होगा, उसके बाद क्लास शुरु होगी.
श्री कमलेश्वर पटेल - भाजपा के झण्डे लेकर झण्डा निकाला है, जो झण्डे वाली रैली निकाली है. मंत्री जी, आप क्यों समय खराब कर रहे हैं ?
श्री सुखेन्द्र सिंह - यह आदेश आपका नहीं है. यह तो देश स्वतंत्र होने के बाद से हो रहा है.
कुँवर विजय शाह - उपाध्यक्ष महोदय,
'हम तो माली हैं इस गुलशन के, आओ गुलो चमन की बात करें,
छोड़कर सब सियासी बातें, आओ तालीम और देश प्रेम की बातें करें.'
आज अनेक चीजें आ गई हैं, जब हम स्कूल में जाते हैं, हम केवल नाम के शिक्षा मंत्री नहीं हैं. हम स्कूल में गए और देखते हैं कि जो कमजोर बच्चा है, वह पीछे बैठता है और जो पढ़ने में अच्छा और होशियार बच्चा है, वह आगे बैठता है. टीचर कभी भी कमजोर बच्चे को आगे नहीं बैठाते हैं. यह जितू भैया जानते हैं. हम दोनों स्कूल में साथ में पढ़ते थे और पीछे बैठते थे. चूँकि न तो पढ़ने में जितू होशियार थे और न ही मैं था.
श्री कमलेश्वर पटेल - फिर तो प्रदेश का दुर्भाग्य है कि ऐसे शिक्षा मंत्री बना दिए गए. (हंसी)
श्री जितू पटवारी - भैया, आप तो पढ़ने में होशियार थे. आप मेरा कह दो. आप शिक्षा मंत्री हो, अपना ध्यान रखो. (हंसी)
कुँवर विजय शाह - उपाध्यक्ष महोदय, हम लोग मध्यम स्तर के विद्यार्थी रहे. हम 50-60 प्रतिशत वाले विद्यार्थी थे एवं इस प्रतिशत वाले विद्यार्थी बहुत अच्छे नहीं होते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - जितू जी, क्या दिक्कत है ? भाई उच्च शिक्षा की बात नहीं हो रही है.
कुँवर विजय शाह - माननीय उपाध्यक्ष जी, हर बच्चे को टीचर के पास आगे बैठने का मौका मिले, किसी बच्चे के मन में हीन भावना न आए, कोई पीछे बैठते-बैठते बाहर न चला जाये. हमने इसकी चिन्ता की और मैंने जिस दिन पहली बार शिक्षा मंत्री का पदभार ग्रहण किया तो मैंने पहला आदेश निकाला. प्रदेश के हर स्कूल में 1,18,000 स्कूलों में जो बच्चा रोज पीछे बैठता है, वह रोज आगे बैठेगा, रोटेशन से सेकेण्ड पर, थर्ड पर और यह स्थिति हमने केवल गवर्नमेन्ट स्कूलों में ही नहीं की है बल्कि प्रायवेट स्कूलों को भी कहा है कि आप भी रोटेशन से बिठाइये ताकि कमजोर बच्चे को भी आगे आकर समझने का मौका मिल सके. यह बात छोटी सी है मगर बड़ी महत्वपूर्ण है और जवाबदारी के साथ कहना चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष जी, इसी तरह पुरानी बिल्डिंग का रख-रखाव की बात आई थी. बजट में पैसा ही नहीं होता था. पहली बार हमने अनुरक्षण के 45 करोड़ रुपये रखे हैं. मैं आपको इसलिए बता रहा हूँ कि सब कुछ किया हुआ है, इसमें सब कुछ लिखा हुआ है, यह पहली बार किया गया है. इसके पहले कभी बजट में नहीं आया था क्योंकि हमने देखा कि हमें क्या आवश्यकता है, हमें क्या चाहिए, इसी तरह बहुत सारी चीजें जो इस विभाग ने मान्य की है, हम लोगों ने जितने भी स्कूल हैं, बच्चों की शिक्षा वृत्ति, छात्रवृत्ति थी, बच्चे भटकते थे, उन्हें समय पर नहीं मिलती थी, कभी डी.ई.ओ. साहब के चक्कर लगा रहे हैं, कभी ट्रायबल डिपार्टमेन्ट के चक्कर लगा रहे हैं. हमने मुख्यमंत्री जी से बटन दबवाया और 500 करोड़ रुपये की शिष्य वृत्ति, छात्रवृत्ति एक क्लिक पर मध्यप्रदेश के लाखों बच्चों के खातों में चली गई. ऐसा हिन्दुस्तान के अन्दर कोई दूसरा उदाहरण नहीं है.
श्री कमलेश्वर पटेल - उपाध्यक्ष महोदय, आज भी ट्रायबल बेल्ट के बच्चे भटक रहे हैं, अभी भी छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है. क्यों मंत्री जी ऐसा कह रहे हैं.
कुँवर विजय शाह - उस सीट में कुछ न कुछ गड़बड़ है.
श्री सतीश मालवीय - वे तिवारी जी के पास बैठे हैं, इसलिए गड़बड़ हो रही है. तिवारी जी बीमारी छोड़कर गए हैं. (हंसी)
कुँवर विजय शाह - माननीय उपाध्यक्ष जी, हम तो वह बता रहे हैं, जो हमने किया है. हम कोई जादूगर नहीं हैं, हम कोई भगवान नहीं हैं कि शिक्षा मंत्री बनते ही कोई जादू का डण्डा घुमाया और शिक्षा के सारे दु:ख-दर्द दूर हो गए. मैं भी एक साधारण इंसान हूँ, आपके जैसा हूँ, थोड़ी बुद्धि आपसे ज्यादा हो सकती है. (हंसी)
श्री कमलेश्वर पटेल - यह पहली बार ही हो रहा है कि जब 9 वीं और 11 वीं की पूरी परीक्षा ही कैन्सिल हो गई है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय उपाध्यक्ष जी, क्या कमलेश्वर जी, हर बार वक्तव्य देंगे ? हर बात में टीका-टिप्पणी करेंगे.
श्री सुखेन्द्र सिंह - सुझाव तो ले सकते हैं.
कुँवर विजय शाह - माननीय उपाध्यक्ष जी, शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की हम सबकी नैतिक जवाबदारी है. यह बात आई थी कि पहली से आठवीं तक बच्चा आजकल टीचर को बोलता है कि मुझे फेल करके बताओ.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बुद्धि जब बंट रही थी तब तो ये पीछे की लाईन में बैठे थे.
श्री कमलेश्वर पटेल - पहले पीछे ही बैठे थे. (हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय - उसकी भी सूची बनेगी कि कौन-कौन पीछे बैठा था ? डॉक्टर साहब आप बना लो.
कुँवर विजय शाह - माननीय उपाध्यक्ष जी, बात यह आई थी कि .....
श्री बाला बच्चन - आपने मंत्री जी को सुन लिया. उपाध्यक्ष महोदय, मुझे आधा मिनट का समय दीजिये. आपने स्टार्ट हमारी सरकार से किया था कि यह जो सरकार इधर थी, मैं उधर था तो यहां आता था तो कुछ नहीं मिलता था. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि मैं आपके जिले का प्रभारी मंत्री रहा हूँ. दस साल में आपने कोई काम तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी को आपने बताया और उन्होंने न किया हो वह बता दें.
कुंवर विजय शाह-- आप काम की बात तो छोडि़ए. (XXX)
श्रीमती ऊषा चौधरी—(XXX)
कुंवर विजय शाह—(XXX)
डॉ. गोविन्द सिंह -- जब आप टेबल पर खडे़ होकर नाचोगे तो क्या होगा.
कुंवर विजय शाह-- उपाध्यक्ष महोदय,(XXX)
श्री रजनीश सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है. (XXX) जो प्रसंग आया है. वह विलोपित होना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय-- इसे विलोपित कर दीजिए.
कुंवर विजय शाह-- उपाध्यक्ष महोदय, आज जो शिक्षा के अधिकार की बात आ रही है. 25 प्रतिशत बच्चों का हमने प्राइवेट स्कूलों में एडमिशन करवाया है. ऑनलाइन करवाया. लाखों गरीब के बच्चे जो चाहते थे कि कभी हम भी अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ें. हमारे मोहल्ले का जो अच्छा स्कूल है, मेरा बच्चा भी उसमें पढे़. भारत सरकार ने नियम बनाए आपकी सरकार उस समय थी उसमें उन्होंने भी इसमें मदद की, लेकिन उसका फायदा हम दिलवा रहे हैं.
श्री जितू पटवारी-- केन्द्र का था कि राज्य का था.
4:22 बजे { अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए }
कुंवर विजय शाह-- जितू बाबू से तो बाद में बात करेंगे. अध्यक्ष महोदय, इसमें हमने लाखों बच्चियों का एडमिशन करवाया है. ''मिल बांचे'' कार्यक्रम में पहली बार, जनप्रतिनिधि, यहां बैठे हमारे प्रेस के साथी, अधिकारी ,कर्मचारी, नेता, आम जनता के मन में अपने स्कूल के प्रति, बच्चे के प्रति, समाज के प्रति एक प्रेम का भाव हुआ कि हम स्कूल जाएं हम देखें हमारे बच्चे क्या पढ़ रहे हैं. क्या कमी है जैसा कि हमारी ममता बहन ने कहा था कि मैं इतनी खुश हुई कि जिस स्कूल में मैं पढ़ी उस स्कूल में मुझे जाने का मौका मिला. कितनी खुशी और कितना आनंद हमारी ममता बहन को आया होगा आप इसका अंदाजा नहीं लगा सकते हैं. मैं धन्यवाद देना चाहता हूं मेरे कांग्रेस के साथियों को भी गोविन्द सिंह जी भी गए थे, जयवर्द्धन सिंह जी भी गए थे और भी हमारे बहुत से साथी यहां बैठे हैं जो गए थे. हमारे राज्य मंत्री जी भी गए थे. दिल्ली से भी लोग गए थे. हमारे ऐसे बहुत सारे साथी स्कूल जाकर के उन्होंने देखा और नहीं गए तो जाना चाहिए.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- माननीय मंत्री जी हर बार बी.एस.पी. के विधायकों को भूल जाते हैं.
कुंवर विजय शाह-- बहन जी जरा शांति बनाए रखें. अध्यक्ष महोदय, आज ''मिल बांचे'' कार्यक्रम में हमने एक मील का पत्थर साबित किया. लाखों आदमियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया. अपना फोन नंबर दिया. 330 करोड़ रुपया जनता ने दे दिया हमारे पास से ले जाओ, हमारी वेतन में से ले जाओ. केवल हमारे मुख्यमंत्री जी के छोटे से आह्वान पर कि भाइयों आइए अपने गांव का स्कूल देखो. अपने मोहल्ले का स्कूल देखो. वह सब ''मिल बांचे'' कार्यक्रम में गए 320 करोड़ रुपया दान दे दिया. बात यह आ रही थी कि शिक्षा का स्तर यहां भाषण से ठीक नहीं होगा, टीचरों से ठीक नहीं होगा, टीचर की भर्ती से ठीक नहीं होगा. टीचरों को ठीक प्रशिक्षण भी देना होगा. अब हमने प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया है कि मध्यप्रदेश के जितने भी टीचर होंगे सबको सात दिन हम अनिवार्य रूप से प्रशिक्षण देंगे. पचमढ़ी में और खण्डवा में एक बड़ा प्रशिक्षण सेंटर हम लोग खोलने जा रहे हैं ताकि हमारे टीचर का साल में एक बार रिफ्रेशमेंट दिमाग का दिल का हो जाए ताकि वह बच्चों का मनोविज्ञान समझकर पढ़ाने में लग जाए. इसीलिए खण्डवा में और पचमढ़ी में दो प्रशिक्षण सेंटर हम खोलने जा रहे हैं. इसी तरह माननीय अध्यक्ष जी यह लोग जो हमारे साथी हैं, बहुत वरिष्ठ हैं मैं कुछ कहना नहीं चाहूंगा. बहुत बुद्धिमान हैं मेरी बुद्धि तो कम है लेकिन मैं जितू जी की विधानसभा में एक स्कूल में गया और वहां जाकर के....
श्री के.पी. सिंह--जितू जी और आपके समय में तो बहुत अन्तर होगा यह कहाँ से आपके साथ होंगे, स्कूल एक होगा लेकिन साथ में कैसे बैठते होंगे, उनमें और आपमें तो बहुत अन्तर होगा.
कुंवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की शिवराज जी की सरकार और उसके मंत्री और मुख्यमंत्री जी की संवेदनशीलता तो आप देखिए. मुख्यमंत्री जी ने मुझसे कहा जाओ गरीब कन्या के स्कूल में जाकर देखो कि क्या तकलीफ है. जितू जी के गांव के पास में एक स्कूल था मैंने वहां जाकर सुबह-सुबह देखा कि हमारी बच्चियां ठंड से ठिठुर रहीं थीं. मैंने उनसे पूछा बेटा नहा लिया ? तो वे बोलीं अंकल जी नहीं नहाए हैं, मैंने पूछा बेटा क्यों नहीं नहाया ? वे बोलीं गरम पानी नहीं है, ठंडे से नहीं नहा सकते थे. अध्यक्ष महोदय, मैं उस समय तो कुछ नहीं बोला लेकिन मेरी आँखों में आँसू आ गए. यह हमारी गरीब बच्चियाँ इनके लिए गरम पानी नहीं हो रहा है. शिवराज जी की भांजियाँ गरम पानी के लिए तरस रही हैं यह कैसे हो सकता है ? जब मैंने यह बात माननीय मुख्यमंत्री जी को बताई कि आपके राज में यह शिक्षा विभाग की भांजियाँ ठंडे पानी से नहा रही हैं, परेशान हो रही हैं. मुख्यमंत्री जी ने तत्काल निर्देश दिए और बोले विजय शाह जी पैसे की व्यवस्था की जाए, गीजर लगाओ, सौर ऊर्जा लगाओ.
श्री कमलेश्वर पटेल--पहले बिजली तो लगवाइए बिजली तो है नहीं.
कुंवर विजय शाह--हमारी जो भांजी जो होस्टल में रहती हैं वे गरम पानी से नहाएंगी. 48 करोड़ रुपए की व्यवस्था अगर किसी ने की है तो आपके भाई ने की है.
श्री कमलेश्वर--मंत्री जी भ्रष्टाचार भर मत होने देना.
श्री जितु पटवारी--विजय भैय्या अभी तो आप कह रहे थे कि शिवराज जी ने व्यवस्था की है अब आप अपनी पीठ ठोक रहे हो.
कुंवर विजय शाह--(XXX) इसलिए हम हमारी पीठ थपथपाएंगे.
श्री के.पी. सिंह--माननीय मंत्री जी यह गीजर कहां लगाओगे.
श्री सुखेन्द्र सिंह--आपको आनंद मंत्रालय का मंत्री होना चाहिए.
कुंवर विजय शाह--अध्यक्ष महोदय, जब यह लोग बोल रहे थे तब मैंने कुछ बोला क्या ? अब सुनने में तकलीफ हो रही है कक्का जी.
श्री बाला बच्चन--आनंदित हो रहे हैं, आनंद मंत्रालय वाला कार्यक्रम हो रहा है.
कुंवर विजय शाह--अगर भांजी मुस्कुराएगी तो मामा के साथ साथ (XXX) भी मजा आएगा.
श्री सुखेन्द्र सिंह-- (XXX).
कुंवर विजय शाह--आप भी बन जाओ, आ जाओ. छोड़ दो यहां बैठो. कौन ने मना किया है, स्वागत है. एक बार तालियाँ बजाओ भैय्या आना चाहते हैं.
श्री के.के.श्रीवास्तव-- (XXX)
श्री सुखेन्द्र सिंह-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय--यह रिकार्ड से निकाल दें. कार्यवाही से निकाल दें.
कुँवर विजय शाह—(XXX)
अध्यक्ष महोदय--यह भी कार्यवाही से निकाल दीजिए. कितना समय लेंगे माननीय मंत्री जी.
श्री के.पी. सिंह--मंत्री जी को कम से कम एक घंटा बोलना चाहिए.
श्री जितू पटवारी--रात भर बैठेंगे पूरी बात भाई साहब की सुनेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह--अध्यक्ष महोदय, इतना बढ़िया शो तो डीबी मॉल में 500 रुपए में भी नहीं देख सकते है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल--माननीय गोविन्द सिंह जी आप इस उम्र में भी शो देखते हो. गोविंद सिंह जी आप शो देखते हो और पैसे देते हो यह बड़ी बात है.
कुँवर विजय शाह--शांति बनाए रखें. माननीय अध्यक्ष जी अभी यहां सभी लोग कह रहे थे शाला में बाउण्ड्री वॉल नहीं है, बिल्डिंग नहीं है. अरे तो क्या यह भाषण से बन जाएगी ? वित्त मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी जब तक रोकड़ा नहीं देंगे तो कैसे बनेगी ? हमारी सरकार ने 214 करोड़ रुपए बिल्डिंगों के लिए दिया है. यहां यह बात भी आई थी कि हर टीचर अधीक्षक बनना चाहती है, क्यों बनना चाहती है ? कुछ गड़बड़ है क्या ? क्या गड़बड़ है ? इसीलिए हमने तय किया है कि आने वाले समय में खाने की जो व्यवस्था है वह टीचर्स के पास नहीं रहेगी. टेण्डर से भोजन की व्यवस्था की जाएगी पूरी पारदर्शिता के साथ टेंडर की व्यवस्था की जाएगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि सदन में मॉडल स्कूलों के संचालन की बात आई थी, भारत सरकार ने इस हेतु कुछ पैसा दिया और फिर हाथ खींच लिए. हमारे मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोई चिंता की बात नहीं है. अगर काम अधूरा है तो हम उसे पूरा करेंगे. आज हम सभी मॉडल स्कूलों के साथ छात्रावास का भी निर्माण कर रहे हैं. इस वर्ष से हमारी सरकार लगभग 200 छात्रावासों में मॉडल स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को रहने की सुविधा देने जा रही है. इसके लिए 78 करोड़ 52 लाख रूपये की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है. इसी प्रकार से उत्कृट विद्यालय, ऑनलाईन छात्रवृत्ति, गणवेश प्रदान करने की भी योजनायें बनाई गई हैं. गणवेश के संबंध में सदन में बात आई थी, डॉ. गोविंद सिंह जी ने कहा था कि जैसा पहले चल रहा था वैसा ही चलने दो. हमारा कहना है कि हम पहले जैसा क्यों चलने दें. हमारी सरकार में भ्रष्टाचार नहीं चलेगा.
श्री सुखेन्द्र सिंह- जी हां, 9 महीने पहले भ्रष्टाचार ही चलता था.
कुंवर विजय शाह- सुखेन्द्र जी, आप शांति बनाए रखिये.
श्री जितू पटवारी- (XXX)
कुंवर विजय शाह- माननीय सदस्य, न मैं आपकी बात से सहमत हूं और न ही सदन सहमत है. माननीय अध्यक्ष जी, बच्चियों की साईकिल की बात आई थी, मुख्यमंत्री जी की बहुत ही अच्छी सोच थी कि सरकार जो पैसा देती है, उसमें माता-पिता थोड़ा पैसा अपनी जेब से मिलाकर बच्चियों को और अच्छी साईकिल दिलवा दें. हम पिछले चार सालों से देख रहे थे कि साईकिलों की संख्या कम हो रही है. हम बच्चों के माता-पिता से झगड़ा तो नहीं कर सकते हैं. बच्चियों को न तो ड्रेस मिल पा रही है और न ही साईकिल मिल पा रही है. इसलिए हमने बच्चियों के पालकों के खाते में पैसा डालने के बजाए साईकिल ही वितरित करने का निर्णय लिया. मैं आज दावे के साथ कह सकता हूं कि मध्यप्रदेश सरकार एवन, एटलस और हीरो कंपनी की जो साईकिलें हमारे भांजे-भांजियों को वितरित कर रही है, उसी कंपनी की साईकिलों में हम भी बचपन में चला करते थे. शिवराज जी की सरकार बहुत अच्छी साईकिलें बांट रही है. (मेजों की थपथपाहट)
श्री सुखेन्द्र सिंह- उत्तरप्रदेश से भी अच्छी साईकिलें.
श्री दिलीप सिंह शेखावत- यह बात तो कल सभी को मालूम हो जाएगी. वहां साईकिल तो पंचर हुई ही है, ये भी पंचर हो गए हैं.
कुंवर विजय शाह- उनके पिताजी हवाई जहाज चलाते थे और आज वे पंचर साईकिल को धकेल रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी सदन में गणवेश की बात आई थी और इस संबंध में सभी माननीय सदस्यों ने चिंता व्यवक्त की थी. हम माता-पिता को गणवेश हेतु पैसा देते हैं. हम ये आशा और उम्मीद करते हैं कि वे अपनी बच्चियों को अच्छी स्कूल ड्रेस लेकर देंगे. लेकिन मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि बहुत से माता-पिता ने अपनी बच्चियों को नया गणवेश नहीं दिलवाया. हमें आज मजबूर होकर यह निर्णय लेना पड़ा कि अब हम ड्रेस का पैसा नहीं देंगे अपितु एन.जी.ओ.या अन्य किसी माध्यम से ड्रेस सिलवाकर बच्चियों को उपलब्ध करावाई जायेगी ताकि हमारी बच्चियां अच्छी ड्रेस में स्कूल जा सकें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह मैं पाठ्य पुस्तकों के विषय में कहना चाहता हूं कि पहली कक्षा से बारहवीं कक्षा तक सारी, अच्छी किस्म की पुस्तकें पाठ्य पुस्तक निगम समय से पूर्व, विद्यालय खुलने से पहले वहां पहुंचायेगा और 15 अगस्त से पहले सारी पुस्तकें विद्यार्थियों में बांट दी जायेंगी. ऐसा हिन्दुस्तान के दूसरे प्रदेशों में नहीं होता है. यह काम केवल मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी जब दौरे पर गए तो यह बात सामने आई कि जो मजरे-टोले हैं वहां गांव 5-5, 6-6 किलोमीटर दूर हैं. हमारे आदिवासी भाईयों ने, हमारे साथी मीणा जी ने भी यह बात उठाई थी. गांव वालों को तो साईकिल मिलती है पर टोले-मजरे वालों का क्या दोष है ? उन्हें साईकिल नहीं मिलती है. कुछ बहनों, भांजियों ने आकर कहा मामा, 3-3 किलोमीटर की दूरी को 2 किलोमीटर कर दो. हमारे प्रदेश के मामा जी का दिल तो ऐसा ही है, मामा जी ने तत्काल निर्देश जारी किए कि चाहे टोला हो, मजरा हो बच्चियों को साईकिल प्रदान की जाए और 3 किलोमीटर की दूरी को भी 2 किलोमीटर कर दिया गया. जो बच्चियां अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ने जाती थीं, उन्हें भी साईकिल नहीं मिलती थी. मॉडल स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों को भी साईकिल नहीं मिलती थी.
तत्काल हमारी सरकार ने निर्णय किया और इसे बजट में शामिल कर दिया, मुख्यमंत्री के निर्देश पर सबको साइकिल प्रदान की जाएगी. इतने बड़े बड़े ऐतिहासिक निर्णय माननीय अध्यक्ष जी, 9 महीने में, केवल 9 महीने में...
श्री कमलेश्वर पटेल-- 12 साल कुछ नहीं हुआ. ..(व्यवधान)..
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, स्काउट और गाइड में, जब इनके पिताजी मंत्री थे, बहुत नॉमिनल पैसा स्काउट गाइड में देते थे. आज पहली बार हमने करोड़ों रुपया स्काउट के लिए दिया, फर्नीचर के लिए दिया, बालिका छात्रावास के संचालन के लिए दिया और इसके साथ साथ सैन्य स्कूल की अकादमी के लिए दिया.
माननीय अध्यक्ष जी, जो लेपटाप की बात आ रही थी. जो बच्चे हमारे गवर्नमेंट स्कूल के हों, प्रायवेट स्कूल के भी हों, अगर उन्होंने 85 परसेंट से ऊपर लाए हैं, जो इस मध्यप्रदेश की सरकार के भविष्य हैं, देश की चिंता है, उनको माननीय मुख्यमंत्री जी ने पन्द्रह हजार से ऊपर बच्चों को एक दिन में लेपटाप बाँटे. ऐसा कौनसे प्रदेश में होता है? आप बता दो, आपने पहले क्यों नहीं किया? इतनी अच्छी-अच्छी योजनाएँ हैं और केवल इतना ही नहीं, अभी तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने कई ऐसी योजनाएँ शुरू कर दी हैं, दिव्यांगों के लिए छात्रावास, हायर सेकण्डरी, हाई स्कूल, जो बेचारे प्रकृति के मारे हैं, ईश्वर ने कुछ कमजोरी कर दी. कहाँ जाएँगे, कहाँ रहेंगे, कैसे पढ़ेंगे? माननीय अध्यक्ष जी, माफ करना, उन दिव्यांगों के प्रति, जो बेचारे अपंग हैं, उनके प्रति कई बार ऐसा होता है कि माता पिता की भी थोड़ी सी देखरेख कम हो जाती है. वे कहाँ जाएँगे, सब ने देखा, तो मामा की तरफ देखा और मामा ने चिन्ता कर ली. ..(व्यवधान).. माननीय अध्यक्ष जी, हमारे मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि सारे संभाग मुख्यालय पर दिव्यांग भाई और बहनों के लिए बढ़िया छात्रावास खोला जाए और सारे रहने, खाने की, व्यवस्था मुफ्त की जाए. (मेजों की थपथपाहट) अभी हमने इसके लिए और पैसे की व्यवस्था की. माननीय अध्यक्ष जी, यहाँ पर सब लोग ग्यारहवीं, बारहवीं पास बैठे हैं. कुछ कम भी होंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- मंत्री जी, कुछ ज्यादा होंगे आप ऐसा क्या कर रहे हों? (हँसी) एम ए एल एल बी तो मैं ही हूँ. ..(व्यवधान)..
श्री सुखेन्द्र सिंह-- यहाँ कई डाँक्टर भी बैठे हुए हैं बड़ा अपमान हो रहा है. ..(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष जी, आप बिलो इलेवंथ ले आए. एम ए एल एल बी वाले हैं. एम एस सी वाले हैं, गोल्ड मेडलिस्ट हैं. ..(व्यवधान)..
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, अगर गलती से हायर सेकण्डरी की मार्कशीट खो जाए तो माथे पर पसीना आ जाता था. माध्यमिक शिक्षा मंडल के पीछे दलाल लाइन लग जाते थे, मैंने देखा है. मैं जब छोटा था, मेरी भी एक बार गुम गई थी. आपकी सरकार थी, मेरी गुम गई थी, बहुत मुश्किल से मिली. ..(व्यवधान)..माननीय अध्यक्ष जी, अब हमने यह व्यवस्था कर दी कि अगर किसी की मार्कशीट खो जाए तो 24 घंटे के अन्दर उसको डिजिटल मार्कशीट ऑन लाइन उपलब्ध करा देंगे और उसकी कोई डुप्लीकेसी नहीं होगी, पूरी व्यवस्था हमारी सरकार ने की है. ..(व्यवधान)..
माननीय अध्यक्ष जी, महर्षि पंतजलि संस्कृत संस्थान, पहली बार हम लोगों ने चिन्ता की. वास्तु जैसे विषय, हर आदमी बोलता है वास्तु दोष, ..(व्यवधान)..अध्यक्ष जी, हम पहली बार इस संस्कृत भाषा को आगे बढ़ा रहे हैं. संस्कृत में हमारी बहनों को भी शिक्षा दे रहे हैं, उनको भी पंडिताई की शिक्षा दे रहे हैं ताकि हमारी बहनें भी इसमें आगे जाएँ, उनके रहने खाने की, छात्रावास की व्यवस्था कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष जी, वास्तु के लिए हम डिप्लोमा कोर्स खोल रहे हैं. ज्योतिष के लिए हम डिप्लोमा कोर्स खोल रहे हैं और सबके लिए हमने व्यव्सथा की है. आगामी शिक्षा सत्र से यह सब चालू हो जाएगा.
माननीय अध्यक्ष जी, उज्जैन से हमारे बहुत साथी आए हैं, उज्जैन की जो हमारी वेध शाला है उस वेध शाला को और आधुनिक बना रहे हैं और
उसके साथ-साथ जब हमारे अधिकारियों ने और हमने लंदन में जाकर देखा कि वहां चलित वेद शाला का आधुनिक स्वरूप क्या है और जब हम देखकर आए तो हम अभी माननीय मुख्यमंत्री जी को, वित्त मंत्री जी को और हमारे साथी मित्रों को बताना चाहता हॅूं कि दुनिया में चलित वेद शाला अब बन रही है और करोड़ों रूपये की आती है लेकिन हम एक लेने का प्रयास कर रहे हैं जिससे जिले-जिले में जाकर खगोल विज्ञान के विद्यार्थी हैं, उसकी जानकारी प्राप्त कर सकें, उसके लिए भी हम लोग इनोवेटिव कार्यक्रम लेकर आ रहे हैं. चाहे योगा का कार्यक्रम हो, ज्यादा मैं कहना नहीं चाहता. योग शिक्षा, सूर्य नमस्कार, एनसीसी इसके साथ-साथ मदरसों के संचालन की बात आ रही थी. मदरसों में पहले क्या होता था ? मैं कहना नहीं चाहता. लेकिन मदरसों में पढ़ने वाली हमारी बहनें आज मदरसों में बैठकर आधुनिक शिक्षा दे रहे हैं. हमारी मुस्लिम समाज की बहनें हैं जो मदरसों में केवल तालीम हासिल कर रही हैं, केवल परम्परागत् नहीं, दुनिया की तालीम मदरसों में बैठकर आधुनिकीकरण के साथ-साथ अगर हमारी मुस्लिम बहनें ले पा रही हैं तो उसका एकमात्र कारण माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार है. लाखों-करोड़ों रूपये हमने कम्प्यूटर के लिए मदरसों में दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय कितना समय और लेंगे ?
कॅुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुश्किल से पॉंच मिनट का समय लूंगा.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, साढ़े पॉंच तो वैसे ही वैधानिक है. साढे़ पांच बजे तक तो चलने दीजिए. (हंसी)......
अध्यक्ष महोदय -- अशासकीय संकल्प भी हैं.
कॅुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, यह सब हमारे साथी बैठे हैं. अध्यापकों का ट्रांसफर नहीं होता था. लोग नेता के, विधायक के, मंत्री के हाथ-पैर जोड़ते-फिरते थे कि हमारा ट्रांसफर कर दो. हमारी बहन की शादी हो गई, हमारी बहन विधवा हो गई न जाने कोई पारिवारिक समस्या हो गई. माता-पिता बीमार हो गए, एकदम गंभीर बीमारी हो गई. कहॉं जाएं, किससे जाएं, किसके पास जाएं, आपको जानकार आश्चर्य होगा कि आज हमारी सरकार में अप्रैल माह से ऑनलाइन खोल रहे हैं. (XXX) ट्रांसफर करेगी. (हंसी)....
श्री सुखेन्द्र सिंह -- भारत माता से (XXX). (हंसी)......
कुँवर विजय शाह -- आप जहां जाना चाहते हैं अगर आपके माता-पिता बीमार हैं तो दो नंबर, अगर आपकी शादी हो गई तो चार नंबर, अगर आप विकलांग हैं तो छ: नंबर तो जो क्रायटेरिया में आएगा तो उसका ट्रांसफर हो जायेगा, बाकी बैठे रहिए. (हंसी).....
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, यह (XXX) कौन-सी कंपनी है ?
श्री बाला बच्चन -- माननीय मंत्री जी, यह (XXX) कबसे हो गई ?
अध्यक्ष महोदय -- यह कार्यवाही से निकाल दीजिए.
कॅुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, मुझे बताने में और कहने में संकोच नहीं है कि हमारी सरकार में नहीं, पहले यह उद्योग था उद्योग, ट्रांसफर उद्योग.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का मातृ भाव बहुत प्रबल है.
कॅुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, ट्रांसफर उद्योग था. अभी कोई बोलेगा नहीं, मुझे मालूम है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- आप चाहे कुछ भी कहिए, पर डीपीसी और बीआरसी आपके ऊपर है.
कॅुंवर विजय शाह -- देखिए अभी तो मुश्किल से 35-36 जीतकर आए हो. परसों के बाद और आने वाले साल में कितने आओगे, भगवान जाने. जब हमने व्यवस्था सुधारी. भ्रष्टाचार मुक्त ईमानदारी से जो ट्रांसफर होगा, ऑनलाइन होगा, उसकी व्यवस्था हम करने जा रहे हैं. अतिथि शिक्षकों के मानदेय में भी वृद्धि करने का सरकार विचार कर रही है. बहुत जल्दी उनके लिए अलग कुछ नीति बनाने का भी विचार किया जा रहा है. इसी के साथ-साथ प्राइवेट शिक्षा के व्यावसायीकरण की बात आयी थी. सभी हमारे माननीय सदस्यों ने कहा कि किसी रामलाल, श्यामलाल, घनश्याम के स्कूल खुल गए और टाई किसी के यहाँ से, जूता किसी के यहाँ से, कपड़ा किसी के यहाँ से और ड्रेस किसी के यहाँ से, माननीय अध्यक्ष जी, प्राइवेट स्कूल वालों ने धंधा बना लिया, पैसा कमाने का जरिया बना लिया, लेकिन अब मध्यप्रदेश की सरकार, माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार यह होने नहीं देगी. हम नियम बना रहे हैं, हम कानून बना रहे हैं. प्राइवेट स्कूल वाले मनमर्जी की फीस वृद्धि कर रहे हैं चाहे जब 10, 20, 25, 30 हजार बढ़ा दिया. यह अब नहीं होगा. आने वाले शिक्षा सत्र से किस स्कूल की कितनी फीस होगी, यह हमारी सरकार तय करेगी. हमारे सरकार के अधिकारी तय करेंगे. क्यों ? जनता के लिए, उस गरीब जनता के लिए, जिसने चुनकर हमें यहाँ भेजा है, उसके अधिकारों की रक्षा करने के लिए हम ऐसा करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सब काम तो हम कर रहे हैं लेकिन पैसे की बचत भी कैसे हो ? क्योंकि यह पैसा मेरा नहीं है, मध्यप्रदेश की जनता के खारे पसीने की कमाई का पैसा है जो हम खर्च कर रहे हैं. हमने चिंता की कि बचत कैसे करें, अच्छे परिवार का अच्छा मुखिया वह होता है जो बचत करके नए काम में पैसा लगाता है. लगभग 300 करोड़ रुपये की पुस्तकें हम हर साल बच्चों को फ्री बाँटते थे, पहली से बारहवीं तक, लेकिन अब हमने तय किया है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- नवमीं और ग्यारहवीं के जो पेपर कैंसिल हुए हैं उसकी कैसे भरपाई करेंगे ?
कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, इन्होंने तो कुछ किया नहीं और जो कर रहे हैं उनको (XXX) कर रहे हैं.
…………………………………………
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
अध्यक्ष महोदय -- यह शब्द हटा देना. कृपया अब समाप्त करें.
कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, दो मिनट और लूंगा. हमारी सरकार बहुत चिंता कर रही है कि मध्यप्रदेश के गरीब लोगों का एक-एक पैसा व्यर्थ न जाए, 300 करोड़ रुपये की जब पुस्तकें हर साल देते हैं तो अगले साल वे पुस्तकें रद्दी बन जाती हैं. मेरे मंत्री रहते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर अब हमने यह तय किया है कि आने वाले समय में पुस्तकों में मोटी जिल्द चढ़ाकर देंगे ताकि वे पुस्तकें खराब न हों और उन पुस्तकों को दो साल चलवाएंगे और जो पैसा बचेगा, उससे पहली से आठवीं तक के बच्चों को फर्नीचर उपलब्ध करवाएंगे. माननीय अध्यक्ष जी, यह होता है कुशल प्रबंधन, अच्छे अधिकारी और अच्छी सरकार का फर्क पड़ता है.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, कृपया अब समाप्त करें.
कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं आखिरी बात स्वास्थ्य की करूंगा. सरकार को केवल शिक्षा की, केवल स्कूलों की, केवल बच्चों की, केवल टीचर्स की, केवल फर्नीचर की ही चिंता नहीं है बल्कि अध्ययनरत् बच्चों के स्वास्थ्य की भी चिंता हमारा शिक्षा विभाग कर रहा है. हमने प्रयास किया कि कुछ प्राइवेट मेडिकल कॉलेज से बात की जाए कि क्या आप 100 स्कूलों को गोद नहीं ले सकते कि साल में दो बार, तीन बार उन 100 स्कूलों के बच्चों के स्वास्थ्य की जाँच कर उनका हैल्थ-कार्ड बन जाए और आपके मेडिकल कॉलेज की टीम जाकर बच्चों की आँख, बच्चों के दाँत, नाक, कान का चैक-अप करे. अध्यक्ष महोदय, मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ कि पिपुल्स ग्रुप ऑफ मेडिकल कॉलेज ने मुझे चिट्ठी भेजी कि सरकार के 100 स्कूल हमें दे दो, हम साल में तीन बार कैम्प लगाएंगे और बच्चों का हैल्थ तीन बार हम चेक करके हैल्थ-कार्ड भरेंगे. यह अच्छी पहल है और मैं इस सदन के माध्यम से इसके लिए पिपुल्स ग्रुप को पुन: धन्यवाद देना चाहता हूँ. मैं चाहता हूँ कि और भी जितने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजेस हैं, प्राइवेट डॉक्टर्स हैं, वे भी आगे आएँ, सरकार के लोग भी आगे आएँ. सरकार इसके लिए चिंता कर रही है कि मध्यप्रदेश के हर बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य रूप से हो, उनका हैल्थ-कार्ड बने. यदि आवश्यकता पड़ी तो हम पैसों की और व्यवस्था करेंगे लेकिन स्वास्थ्य, शिक्षा के अभाव में और जो बेसिक चीजें हैं, उसके अभाव में किसी को भटकने नहीं दिया जायेगा. शनिवार को स्कूलों में जो बाल सभा होती है, बाल सभा से बच्चों का बौद्धिक विकास होता है. हमने निर्देश जारी कर दिये हैं कि हर शनिवार को आवश्यक रूप से बाल सभा होगी. इसे साथ-साथ प्रायवेट और शासकीय बसें बच्चों को बैठाकर डीजल-पेट्रोल भराने पेट्रोल पंप पर जाती थी. जिसके कारण कई बार हादसे हो गये. हमने निर्देश जारी कर दिये, यह बात छोटी सी है. अब यदि बच्चे बस में बैठें हैं तो बसें पेट्रोल भराने पेट्रोल पंप पर नहीं जायेगी तो कानूनन उस पर जर्माना/ दंड किया जायेगा. हमारी सरकार बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं होने देगी. इसी तरह हमारी बेटियां और बहनें बस में बैठकर घर जाती थीं, कई बार बस का ड्रायवर, कण्डक्टर उनके साथ छेड़छाड़ करता था. इस हेतु भी हमने निर्देश जारी कर दिया है कि जब तक बस में एक भी बेटी या बहनें बैठी होंगी तब तक बस में टीचर या आया उस बस में बैठेगी, नहीं तो बस का परमिट या मान्यता रद्द कर दी जायेगी. ऐसे अनेक निर्णय हमने किये हैं.
अध्यक्ष महोदय, हमने ऐसे अनेक निर्णय किये हैं. जैसे कि जहां चाहे वहां पर स्कूल खुल गये हैं. इस हेतु हमने नये मान्यता नियम बनाये हैं. स्कूलों के पास जमीन नहीं है, किराये के भवन पर स्कूल चल रहे हैं. एक बात और कहना चाहता हूं कि अभी हमारे खण्डेलवाल जी ने कहा कि हम एक ऐसा नवाचार जो शायद दुनिया में पहला होगा, खण्डेलवाल जी को श्रेय देने पर मुझे कोई हर्ज नहीं है, क्योंकि बुद्धि का ठेका सिर्फ विजय शाह ने नहीं ले रखा है. मैं उनकी बुद्धि को सलाम करता हूं. उन्होंने कहा कि जैसे पांच हाई स्कूल हैं उनमें कहीं पर 2 मास्टर, कहीं पर 5 मास्टर और किसी स्कूल में 2 बच्चे, 8 बच्चे या 10 बच्चें हैं, उनके ऊपर तन्ख्वाह ज्यादा खर्च हो रही है और पढ़ाई कम हो रही है. उन्होंने बोला एक स्कूल रखो, एक बस रखो, जो बीस किलोमीटर में घुम कर आयेगी और बच्चों को लेकर आयेगी, सारे मास्टर को एक स्कूल में कर दो, जिससे बच्चों का भला होगा, पढ़ाई अच्छी होगी, सरकार का पैसा बच जायेगा. आपके सुझाव को बहुत जल्दी हम खण्डवा और बैतूल में अमल करने जा रहे हैं. ऐसे हजारों नवाचार शिवराज जी की सरकार करने जा रही है. मेरा आप सबसे निवेदन है कि आप बहुमत से मांग स्वीकृत करें, जो अच्छे विधायक हैं, जिन्होंने अच्छे सुझाव दिये हैं, यदि मुझे लगता है कि वास्तव में जरूरी हैं तो वहां पर एक हायर सेकेण्डरी और हाई स्कूल जरूर देंगे. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय :- मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या- 27 तथा 40 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं, मांगों पर मत लूंगा.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2018 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को-
अनुदान संख्या- 27 स्कूल शिक्षा (प्रारंभिक शिक्षा) के लिए नौ हजार एक सौ चौरानवे करोड़, अड़तीस लाख, तिरानवे हजार रूपये, तथा
अनुदान संख्या- 40 स्कूल शिक्षा विभाग से संबंधित अन्य व्यय (प्रारंभिक शिक्षा को छोड़कर) के लिए तीन हजार चार सौ तीस करोड़, चौहत्तर लाख, अठहत्तर हजार रूपये
तक की राशि दी जाय.
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
4.54 बजे अशासकीय संकल्प
1. प्रदेश में होने वाले समस्त स्थानीय निर्वाचनों को एक साथ कराया जाए.
श्री के.पी.सिंह(पिछोर):- अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध कि मेरा अशासकीय संकल्प अगले शुक्रवार को ले लिया जाये.
अध्यक्ष महोदय :- माननीय सदस्य के अनुरोध पर यह प्रस्ताव अगले शुक्रवार को लिया जायेगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया ( मंदसौर ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि सदन का यह मत है कि प्रदेश में हाई स्कूल, हायर सेकेण्ड्री एवं अन्य परिक्षाएं प्रतिवर्ष मार्च के प्रथम सप्ताह में प्रारंभ होती हैं, जिसको दृष्टिगत रखते हुए विभिन्न शासकीय एवं अशासकीय संस्थाओं द्वारा व्यक्तित्व विकास एवं खेलकूद की आयोजित की जाने वाली समस्त गतिविधियां दिनांक 31 दिसम्बर के पश्चात् आयोजित करना अनिवार्य रूप से प्रतिबंधित किया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्राय: यह देखने में आता है कि कतिपय वह सामाजिक एवं स्वयं सेवी संगठन शासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं को अपनी संस्था के बैनर तले, अपनी संस्था के झंडे तले या यूं कहें कि अपने शक्ति प्रदर्शन या अपनी ताकत को दिखाने को लेकर के और अपनी संस्था का नाम किस प्रकार से उन आयोजनों के माध्यम से हो, फिर चाहे वह आयोजन उन छात्रों के समझ के परे ही क्यों न हों, लेकिन बगैर सरकार की अनुमति के, बगैर जिला कलेक्टर की अनुमति के, सीधे प्राचार्य महोदय के पास जाकर, सीधे स्कूल में जाकर छात्र छात्राओं की छुट्टी करवाकर रैलियां निकालने का काम करते हैं. ऐसी वह सब संस्थाएं जिनका उद्देश्य क्या होगा यह तो मैं नहीं कह सकता हूं लेकिन उनके बारबार आव्हान के कारण से, उनके बार बार बुलावे के कारण से, अशासकीय संस्थाएं अपने झण्डे तले, अपने बैनर तले यह व्यवस्था जुटाने में लगी हुई हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी स्कूल शिक्षा विभाग की बजट मांगों पर 2.30 से भी अधिक घंटे तक चर्चा भी हुई हैं. अभी अभी माननीय मंत्री जी ने अपना वक्तव्य पूरा किया है. हम सब सदस्यों ने भी चिंता जताई है. 31 दिसम्बर तक सभी विद्यालयों में वार्षिक स्नेह सम्मेलन संपन्न हो जाते हैं. इसी दिसम्बर माह में छमाही परीक्षा भी संपन्न हो जाती हैं. जनवरी और फरवरी के माह के मध्य में और मार्च माह के प्रथम सप्ताह में वार्षिक परीक्षाओं का आयोजन भी हो जाता है लगभग 50 से 60 दिवस स्कूल उन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं को रिवजन करने के लिए मिलते हैं. उस दौरान ऐसी संस्थाएं उन बच्चों को 7 से 8 किलोमीटर की शहर में रैलियां निकलवाने का काम करती हैं. प्राय: यह देखने में आता है कि कई बच्चों का आयोजन से वास्तविकता में कोई मतलब ही नहीं है, उनकी रूचि भी नहीं है उनको जबर्दस्ती उन रैलियों में बुलाया जाता है. कभी कभी बच्चे चक्कर खाकर उन स्थानों पर गिर भी जाते हैं. मेरी चिंता इस बात की है कि आखिर यह संस्थाएं किसकी अनुमति लेकर के रैलियों में भीड़ जुटाने का काम करती हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहते हुए, यह उम्मीद करूंगा पूरे सदन से कि प्राचार्यों पर प्रभाव और दवाब बनाने वाली वे सामाजिक और स्वयं सेवी संगठन, अध्यक्ष महोदय मैं अभी माननीय मंत्री जी का जो वक्तव्य आया है वह पढ़ रहा था. इसमें स्पष्ट है कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के आयोजन के राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए और 12 जनवरी को सामूहिक सूर्य नमस्कार को मद्दे नजर रखते हुए अन्य किसी कार्यक्रम के आयोजन के शासन स्तर से निर्देश नहीं दिये जाते हैं. अध्यक्ष महोदय जब हम 12 जनवरी को सूर्य नमस्कार के रूप में मनाते हैं और विवेकानंद जी की जयंती मनाते हैं, और 26 जनवरी को हमारा गणतंत्र दिवस होता है तो फिर वह सामाजिक और स्वयंसेवी संगठन जनवरी माह के अंत तक फरवरी माह के द्वितीय सप्ताह तक कैसे बच्चों की स्कूलों से छुट्टी करवाकर भीड़ के माध्यम से बुलाने का काम कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, भारत की सरकार ने भी जो कलेण्डर बनाया है. राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी 31 दिसम्बर के बाद में कोई भी खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन नहीं होगा, ऐसा बताया गया है. अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से यह उम्मीद करूंगा, यह सुझाव दूंगा कि कलेक्टर की अध्यक्षता में एक ऐसी समिति होना चाहिए उसमें जनप्रतिनिधि होना चाहिए, और वह सामाजिक और स्वयं सेवी संगठन फरवरी के अंत तक बच्चों को रैलियों में बुलाने का काम करते हैं. कलेक्टर की अध्यक्षता की समिति में स्थानीय विधायक उसमें सदस्य हों, जिला पंचायत के अध्यक्ष उसमें सदस्य हों, ऐसी एक कौर समिति बनाकर के वह समिति तय करे कि उक्त सामाजिक और स्वयं सेवी संगठन किन कारणों से बच्चों का अवकाश करवाकर के उनको दिन भर रैलियों में घुमाने का काम करते हैं. अगर इस तरह की एक सशक्त समिति होगी तो इसके अच्छे परिणाम निकलेंगे लेकिन प्राचार्यों को ही दवाब बनाकर के उनके ऊपर प्रभाव बनाकर बच्चों की छुट्टी करवाकर के रैलियों को निकालने का काम करते हैं. मैं चाहता हूं कि जो भारत सरकार की गाइड लाइन है जो उनका कलेण्डर है, मध्यप्रदेश की सरकार का जो कलेण्डर है उस कलेण्डर के बीच में जो कतिपय संस्थाएं घुसकर के फरवरी के अंत तक बच्चों को सड़कों पर रैलियों को निकालने का काम करते हैं, उन पर कहीं न कहीं रोक लगना चाहिए.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य द्वारा लाये गये संकल्प से मैं सहमत नहीं हूं और इसका विरोध भी करता हूं. शासन को शासकीय संस्थाओं में अपने नियम लागू करने का पूरा अधिकार है. लेकिन प्राय: यह देखने में आ रहा है कि जितनी भी रेलियां दो तीन वर्षों में अभी तक हुई हैं वह केवल सरकार के द्वारा की गई हैं. आपने अभी 15 दिन पहले दिसंबर से लेकर तीन महीने का प्रतिबंध लगा दिया. कई लोग जो संस्थाएं चलाते हैं वह अपने पूर्वजों के नाम पर चलाते हैं. कुछ बिना शुल्क लिये भी चल रही हैं और उनके बहुत अच्छे- अच्छे आयोजन होते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी कलेक्टर ने भिंड में फरवरी माह में भारत सरकार के द्वारा स्वच्छता अभियान की दौड़ कराई थी, तो क्या उनके द्वारा जनवरी माह के बाद दौड़ कराना अनुचित था ? अभी आपने कई मंत्रियों और प्रभारी मंत्रियों के कार्यक्रम रखे हैं, जिनमें सारे बच्चों को लाया जाता है, तो क्या उन पर भी रोक लगी है ? यह बात सही है कि यह सब जबर्दस्ती नहीं होता है. निजी संस्थाओं में अगर एनजीओ जाते हैं तो वह उनकी इच्छा से जाते हैं, उन पर कोई प्रतिबंध लगाना ठीक नहीं है. यह प्रजातंत्र है, इसमें हर आदमी को एक दूसरे के स्कूलों में कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं, बच्चों की सभाएं आदि कराने का अधिकार होता है और इस प्रकार के कार्यक्रम किसी भी सार्वजनिक स्थान पर भी होते हैं. इसलिए इस संकल्प से मैं कतई सहमत नहीं हूं. वह क्या शासन और कलेक्टर के यहां चक्कर लगाने जाएंगे ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी प्रेमसिंह जी बरौंधा वाले बैठे हैं, उनके क्षेत्र से करीब 90 किलोमीटर दूर कलेक्ट्रेट है तो क्या वह छोटे-छोटे बच्चे कलेक्टर के वहां चक्कर लगाने जायेंगे ? अगर ऐसे कोई अनैतिक कार्य बच्चों के द्वारा कराये जाते हैं या उनका उपयोग राजनीतिक रूप से किया जाता है, तो यह सबको पता है कि राजनीतिक आधार पर कौन दल उन बच्चों का उपयोग कर रहा है. कौन-कौन से कार्यक्रम कहां कराये जा रहे हैं, यह सबको पता है. यह भी सबको पता है कि आंगनवाड़ी से इकट्ठा करके किसकी सभाओं में भीड़ इकट्ठा की जा रही है, और इस प्रकार के निर्देश मिल रहे हैं. हमने पहली बार कलेक्टर और एस.डी.एम. को बस भरते देखा है. इसमें मेरा यह सुझाव है कि अगर जरूरी है तो स्थानीय स्तर पर, तहसील स्तर पर या फिर ज्यादा से ज्यादा अनुविभागीय स्तर पर हर साल जनप्रतिनिधियों के जितने भी राजनीतिक दल काम कर रहे हैं, उनके एक-एक प्रतिनिधियों से इस संबंध में राय ली जाए. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि अभी आपने निजी संस्थाओं में सार्वजनिक, सांस्कृतिक और खेलकूद कार्यक्रमों में खेलकूद बंद कर दिये है. एक ओर तो आप खेल को बढ़ावा दे रहो हो और दूसरी ओर स्कूल संस्थाओं में खेल करवाने की अनुमति नहीं दे रहो हो.
कॅुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य कह रहे हैं, उससे इस बात का कोई संबंध नहीं है. राजनीतिक दल, राजनीतिक पार्टियां, राजनीतिक प्रोग्राम, आप विषय से हट रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपने मोदी जी के चक्कर में कार्यक्रम कराये हैं. मैं विषय पर ही सही बोल रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - उनको बोल लेने दीजिये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे संकल्प को डॉ. गोविन्द सिंह समझ नहीं रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आपको बोलने का एक बार और अवसर मिलेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह - मैंने समझ लिया है, आपने दिसंबर के बाद सब कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाया है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें प्रतिबंध की कोई बात ही नहीं हो रही है.
अध्यक्ष महोदय - आप अभी वाद विवाद नहीं करें.
डॉ. गोविन्द सिंह - विपक्षी दल अगर कार्यक्रम कराने की अनुमति लेने के लिये कलेक्टर के यहां जाएंगे तो आप कलेक्टर को राजनीतिक आधार पर रोक देंगे. स्कूल चलाने वाले लोग तो वहां कार्यक्रम ही नहीं करा पायेंगे.
कॅुंवर विजय शाह - माननीय अध्यक्षी जी.
अध्यक्ष महोदय - अभी इसके बाद ही आपका नंबर आयेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपको जवाब देना है तो आप एकाध घंटे तक जवाब दे लेना, आपको कौन रोक रहा है. मैं इस संकल्प से सहमत नहीं हूं और हम चाहते हैं कि इस तरह का कोई बंधन सार्वजनिक रूप से नहीं होना चाहिए, यह प्रजातंत्र के लिये घातक है और हर कार्यक्रम में कानून कायदा लगाना जनता पर दबाव बनाने का काम है और यह प्रजातंत्र के विपरीत है इसलिए भी मैं इसका विरोध करता हूं.
कुँवर विजय शाह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो विषय माननीय सदस्य महोदय ने इस सदन के सामने लाया है. मैं पहले अपना वक्तव्य पढ़ दूं उसके बाद कुछ रह गया तो कह दूंगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग द्वारा विद्यार्थियों के व्यक्तिव विकास के लिये वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं. संस्था स्तर पर बाल सभाओं का आयोजन होता है. इसमें कालीदास समारोह, मोगली उत्सव, बाल दिवस राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम माह दिसंबर तक आयोजित किये जाते हैं, जिसका विवरण शैक्षणिक कैलेंडर में पूर्व से प्रकाशित रहता है. प्रदेश में जिला, संभाग, राज्य स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन 31 दिसंबर के पूर्व कराया जाता है, राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा निर्धारित कैलेंडर के आधार पर कराई जाती है. आगामी सत्र वर्ष 2017-18 में राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं 31 दिसम्बर से पूर्व कराए जाने हेतु स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया को पत्र क्रमांक ए 33/2016/17/188 दिनांक 25.2.2017 द्वारा लिखा गया है. दिसम्बर के पश्चात् 12 जनवरी को सामूहिक सूर्य नमस्कार का कार्यक्रम एवं 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जिसका आयोजन राष्ट्रीय महत्व का होने से वे आवश्यक हैं. विभिन्न प्रकार की सामाजिक गतिविधियों की रैली आदि के संबंध में शासन स्तर से कोई निर्देश नहीं दिये जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय, मेरा और माननीय सदस्य का भी लगभग यह मानना होगा कि 26 जनवरी के बाद हालांकि आपने दिसम्बर कहा है, लेकिन चूंकि 26 जनवरी एक बड़ा राष्ट्रीय पर्व है. 26 जनवरी के बाद आप स्कूल की तैयारी में लग जाते हैं, परीक्षा की तैयारी में लग जाते हैं, इसलिए अगर शिक्षा विभाग और सदन यह नियम बनाकर प्राइवेट स्कूलों के लिए भी अगर प्रस्तुत करते हैं कि 26 जनवरी के बाद बच्चों को पढ़ाई में मन लगाने दिया जाय, खेलकूद और सामाजिक गतिविधियां 26 जनवरी के बाद प्रतिबंधित करें तो शासन को यह निर्णय लेने का अधिकार है और मैं चाहता हूं, माननीय सदस्य भी चाहते हैं. यह सदन भी चाहता होगा. हम यथासंशोधित आदेश निकाल देंगे क्योंकि अध्यक्ष महोदय, इसमें कई चीजें ऐसी हैं जिन पर हमें भारत सरकार से उसका अनुमोदन लेना पड़ेगा, अनुमति लेना पड़ेगी और इसलिए यथासंभव, यथासंशोधित हम 26 जनवरी रखें, इसके बाद कोई आयोजन न करें. आदेश निकालने में कोई हर्ज नहीं है. मैं समझता हूं कि सदन मेरी बात से सहमत होगा और भारत सरकार से कहीं अगर आवश्यकता पड़ती है तो हम उनसे अनुमति मनाने का प्रयास करेंगे. मेरे ख्याल से डॉ. गोविन्द सिंह जी भी इससे सहमत होंगे.
श्री बाला बच्चन - माननीय मंत्री जी, बड़ों की सलाह मानेंगे तो हमेशा फायदे में रहेंगे. देख लें डॉक्टर साहब ने आपको सलाह दी है आखिरी समय में.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के वक्तव्य से पूर्णतः संतुष्ट हूं क्योंकि 26 जनवरी के बाद वास्तव में एक महीना बच्चों को मिलेगा, वे पढ़ाई में लगें और मेरी सरकारी आयोजनों से कोई आपत्ति नहीं थी. 26 जनवरी और 12 जनवरी से मेरी कोई आपत्ति नहीं थी. सामाजिक और स्वयं सेवी संगठन बगैर प्राचार्यों की, बगैर शासन की सहमति के जो रैलियां निकलवा लेते हैं, मेरी उस पर आपत्ति थी. लेकिन फिर भी आपने जो निर्णय किया है और जो आपने सुझाव दिया है, उसका स्वागत है.
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय सदस्य से यह अनुरोध है कि आपकी बात, आपकी भावना, सदन की भावना सब इसमें आ चुकी है क्योंकि इसमें कई मुद्दे ऐसे हैं, जिनमें भारत सरकार से हमें अनुमति लेना पड़ेगी. मेरा आपसे यह निवेदन है कि आप यह संकल्प वापस ले लें ताकि हमें और भी कोई आवश्यकता होगी तो भविष्य में कानून बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. मेरा निवेदन है कि आप अपना संकल्प वापस ले लें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प इस आशय के साथ वापस लेने के लिए तैयार हूं कि 26 जनवरी डेड-लाइन हो जाय और उसकी सारी नयी नीति, नया कानून, नया नियम, नयी प्रक्रिया संपादित हो जाय.
अध्यक्ष महोदय - क्या सदन संकल्प वापस लेने की अनुमति देता है?
सदन द्वारा अनुमति प्रदान की गई.
संकल्प वापस हुआ.
(3) रीवा जिले के मऊगंज क्षेत्र में केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना किया जाना.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) - अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि -
"यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि रीवा जिले के मऊगंज क्षेत्र में केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना की जाए."
अध्यक्ष महोदय - संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री सुखेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, मऊगंज में केन्द्रीय विद्यालय की आवश्यकता क्यों है, इसलिए मैंने आपके माध्यम से बात अपनी रखी है कि हमारा मऊगंज क्षेत्र उत्तरप्रदेश की सीमा से लगा है और वहां पर कोई ऐसे विद्यालय नहीं है, जिससे वहां के छात्रों को आज जो सीबीएससी का पैटर्न है उसके तहत अच्छी शिक्षा मिल सके. वहां से सिंगरौली 100 कि.मी. है, रीवा 100 कि.मी. है, बनारस 100 कि.मी. है और इलाहाबाद 100 कि.मी. है. अगर किसी भी छात्र को या उनके माता पिता चाहते हैं कि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले तो उनको 100 कि.मी. जाना पड़ता है. हमारा क्षेत्र पहले से ही किसानों का क्षेत्र है. गरीबों का क्षेत्र है. कोई ऐसे व्यवसाय भी नहीं है कि दूर-दराज तक जाकर एक अच्छी मोटी रकम की फीस भरकर और अच्छी शिक्षा ले सकें. हर माता पिता की इच्छा होती है कि बच्चों को एक अच्छी शिक्षा मिल सके, इसके लिए मुझे इस बात की पीड़ा हुई और क्षेत्र के लोगों ने यह बात हमसे कई बार रखी तो मुझे यह लगा कि वहां पर एक केन्द्रीय विद्यालय की आवश्यकता है. मऊगंज अपने आप में एक जिला बनने के स्तर पर है. वहां एडिशनल एस.पी., एडिशनल कलेक्टर भी बैठ रहे हैं. मैं समझता हूं कि देवतालाब क्षेत्र, त्यौंथर, चाकघाट के लोग उससे प्रभावित होंगे, अगर यह केन्द्रीय विद्यालय हमारे क्षेत्र को मिलेगा, यहां पर वह बन जाएगा तो निश्चित रूप से यह हमारे क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से इस सदन के सभी सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि इस संकल्प को सर्वसम्मति से केन्द्र सरकार के लिए भेजेंगे और यह संकल्प पारित किया जाएगा तो निश्चित रूप से हमारे क्षेत्र के लिए और वहां के छात्रों के लिए यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. धन्यवाद.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे मन में एक बात आयी है कि एक स्थान पर एक स्कूल खोलने के लिये विधान सभा एक संकल्प पारित करे. केन्द्र सरकार के दिन-प्रतिदिन के प्रशासनिक निर्णय है इनमें हस्तक्षेप नहीं होगा क्या ? सदन में 230 विधायक हैं हर व्यक्ति यदि एक एक स्कूल खोलने के लिये संकल्प लायेगा क्या यह उचित रहेगा ? यह बात मेरे मन में आयी है. वैसे तो सदन को पूरा अधिकार है. मेरा तो ऐसा सोचना है कि प्रशासनिक मामलों में केन्द्र सरकार पर एक दबाव व हस्तक्षेप लग रहा है एक स्कूल खुलवाने के लिये. नीतिगत कोई विषय होता कोई ऐसा विषय होता जिसको केन्द्र सरकार मान नहीं रही हो या केन्द्र सरकार को कोई निर्णय करना है अथवा बजट में लाना है, तो बहुत अच्छा लगता है. माननीय मंत्री जी एवं सदन को जो उचित लगे वैसा करेंगे, लेकिन एक एक स्कूल के लिये यदि हम ऐसे संकल्प लायेंगे तो मेरे ख्याल से उचित नहीं लग रहा है.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, यह तय करना सदन का काम है. सदन की सर्वानुमति पर ही निर्भर करता है. जैसा आपने अपनी बात कही वैसे ही माननीय सदस्य का भी अधिकार था इसलिये वह अशासकीय संकल्प के माध्यम से उनके क्षेत्र मऊगंज में केन्द्रीय विद्यालय खुले. उनको भी सदन में अपनी बात रखने का अधिकार था उन्होंने अपनी बात रखी बाकी का काम सदन का है.
कुंवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य की भावना है इस पवित्र सदन में संकल्प लेकर के आये हैं. आदरणीय वरिष्ठ नेता शेजावार साहब विस्तार से बात की है. उन्होंने नियमों का हवाला देकर परम्पराओं की बात रखी है. मेरा यह मानना है कि मऊगंज जिला रीवा में सिविल क्षेत्र में केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना का संबंध भारत सरकार से है. राज्य शासन द्वारा केन्द्रीय विद्यालयों की स्थापना हेतु कोई प्रारंभिक कार्यवाही नहीं की जाती है. केन्द्रीय विद्यालय के स्थापना के संबंध में भारत शासन से स्वीकृति प्राप्त होने पर राज्य शासन को भी उपलब्ध कराता है इसीलिये मैं नहीं समझता कि इसकी यहां पर आवश्यकता है. आपकी भावनाओं से भारत सरकार को अवगत करा देंगे. मेरा निवेदन है कि आप इस संकल्प को वापस ले लें.
अध्यक्ष महोदय--क्या माननीय सदस्य इस संकल्प को वापस लेने के पक्ष में हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह --अध्यक्ष महोदय, इस उम्मीद के साथ कि वह भारत सरकार को पत्र के माध्यम से अवगत करायेंगे.
अध्यक्ष महोदय--पत्र से अवगत करायेंगे.
श्री सुखेन्द्र सिंह--ठीक है.
अध्यक्ष महोदय--क्या सदन संकल्प वापस लेने की अनुमति देता है.
(सदन द्वारा अनुमति प्रदान की गई)
(संकल्प वापस लिया गया.)
अध्यक्ष महोदय--विधान सभा की कार्यवाही सोमवार दिनांक 20 मार्च, 2017 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपरान्ह्न 5.14 बजे विधान सभा की कार्यवाही सोमवार दिनांक 20 मार्च, 2017 (29 फाल्गुन, 1938) के प्रातः 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
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अवधेश प्रताप सिंह, |
भोपाल, |
प्रमुख सचिव, |
दिनांक 10 मार्च, 2017 |
मध्यप्रदेश विधान सभा |