मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा द्वादश सत्र
दिसम्बर,2016 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 9 दिसम्बर,2016
(18 अग्रहायण, शक संवत् 1938 )
[खण्ड- 12 ] [अंक- 5 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 9 दिसम्बर, 2016
(18 अग्रहायण, शक संवत् 1938 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
वन मंत्री(डॉ.गौरीशंकर शेजवार) - अध्यक्ष महोदय,आजकल आपने एक बड़ी कृपा की है कि आते ही पहले सत्ता पक्ष की तरफ देखते हैं.
अध्यक्ष महोदय - विपक्ष की तरफ भी देखते हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - इसके पहले आपकी जो नीति थी वह दुर्जनम् प्रथमम् वन्दे थी.
अध्यक्ष महोदय - यह नहीं होता था. मैं पहले प्रतिपक्ष की तरफ ही देखता हूं.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष(डॉ.बाला बच्चन) - अध्यक्ष महोदय, आप सरकार से काम करवाईये. किधर देखते हैं इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है. सरकार अगर काम नहीं कर रही है जिम्मेदारी से भग रही है तो आप सरकार से काम करवाईये.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, मैंने दुर्जन शब्द का इस्तेमाल किया और सबसे पहले ये खड़े हुए. मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं है भाई साहब.
श्री बाबूलाल गौर - अध्यक्ष महोदय, विपक्ष पर ध्यान देना जरूरी है. विपक्ष भी विधान सभा का एक बहुत बड़ा अंग है.
श्री मुकेश नायक - माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ.शेजवार जी दुर्जनों के बहुत समय तक नेता रहे हैं.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
दान राशि के उपयोग की जाँच
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
1. ( *क्र. 1917 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या श्री लक्ष्मण आहूजा द्वारा कलेक्टर-कटनी को अक्टूबर 2015 में शासकीय जिला चिकित्सालय कटनी में रसोई घर निर्माण हेतु दान राशि दिये जाने हेतु पत्र दिया गया था एवं यह निर्णय हुआ था कि निर्मित कक्ष का नाम इनकी स्वर्गवासी धर्मपत्नी के नाम रखा जावेगा? (ख) क्या विधानसभा अता. प्रश्न संख्या 55 (क्रमांक 1820), दिनांक 25-07-2016 के उत्तर में दी गयी दानराशि से रसोई घर रेन्यूवेशन के कार्य हेतु दिये जाने की जानकारी दी गई थी एवं यह भी स्वीकार किया गया था कि इस राशि से बाउंण्ड्रीवाल निर्माण एवं रसोई घर रेन्यूवेशन का कार्य किया गया है? यदि हाँ, तो बतायें कि किया गया कार्य दान-दाता की इच्छा के अनुरूप था एवं किस प्रकार? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में बतायें कि दानदाता की मंशा के विपरीत दानराशि से बाउण्ड्रीवॉल निर्माण एवं रसोई घर रेन्यूवेशन की आवश्यकता किस प्रकार उचित थी? कार्य की मांग एवं नोटशीट किसके निर्देश/आदेश पर लिखी गई? (घ) प्रश्नांश (क) से (ग) के परिप्रेक्ष्य में विधानसभा प्रश्न का भ्रामक उत्तर देने एवं दानराशि का मनमर्जी से उपयोग करने के जिम्मेदारों के विरूद्ध कार्यवाही एवं निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जाँच तथा दानदाता की मंशानुसार कार्य कराये जाने की कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। दानदाता द्वारा उनकी स्वर्गीय पत्नी की स्मृति में रसोई घर के निर्माण हेतु रुपये 5.00 लाख का दान दिया गया था। (ख) जी हाँ। जिला चिकित्सालय कटनी में दान दाता द्वारा दी गई राशि रुपये 5.00 लाख एवं जनभागीदारी योजना मद की राशि से भोजनालय में बाउण्ड्रीवाल निर्माण एवं रसोई घर का उन्नयन कार्य कराया गया है। जी हाँ। दानदाता द्वारा अपने दान पत्र में यह उल्लेख नहीं किया गया है कि उनके द्वारा दी गई राशि से रसोई घर में अतिरिक्त कक्ष के निर्माण किये जाने हैं, अतः भोजनालय की बाउण्ड्रीवाल एवं किचिन में उन्नयन के कार्य कराये गये हैं। (ग) रसोई घर के चारों तरफ खुला हुआ क्षेत्र होने के कारण आवारा पशुओं का लगातार विचरण होता था। कई बार सुअर जैसे पशु भोजनालय में घुसने की चेष्ठा करते थे, जिसके कारण रसोई घर में बनने वाले भोजन को संक्रमित करने की लगातार शंका बनी रहती थी। जिसके कारण बाउण्ड्रीवाल का निर्माण अति आवश्यक था। प्रश्नांकित कार्य की नोटशीट सचिव, रोगी कल्याण समिति द्वारा अध्यक्ष कार्यकारिणी, रोगी कल्याण समिति/कलेक्टर, कटनी को अवलोकनार्थ एवं सहमति हेतु भेजी गई थी। (घ) विधानसभा प्रश्न का भ्रामक उत्तर नहीं दिया गया और न ही दान राशि का मनमर्जी से उपयोग किया गया है, उक्त कार्य की प्रशासकीय स्वीकृति जिला योजना समिति द्वारा प्रदान की गई है। कार्य की गुणवत्ता की जाँच, लोक निर्माण विभाग द्वारा की जा रही है।
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में स्थित जिला चिकित्सालय में मेरी उपस्थिति में एक दानदाता द्वारा पांच लाख रुपये की राशि इस शर्त पर दी गयी थी कि मेरी पत्नि की स्मृति में एक कक्ष बनाया जायेगा. यहां जवाब में यह स्वीकार किया गया कि स्वर्गीय पत्नि की स्मृति में रसोईगृह के निर्माण हेतु पांच लाख रुपये का दान दिया गया था लेकिन उक्त राशि को बाउंड्री वाल और रिनोवेशन के नाम पर अन्यत्र खर्च कर दिया गया और उस जवाब में यह भी कहा गया है कि चूंकि रसोईगृह खुला होने के कारण सुअर इत्यादि जानवर आते थे इसलिये खाने को बचाने के लिये ऐसा किया गया है. अस्पताल के चारों ओर बाउंड्री है. इस व्यवस्था पर ही प्रश्नचिह्न लग रहा है क्योंकि अस्पताल की ओर से यह जवाब आ रहा है कि वहां बाउंड्री बनाएंगे कि खाना सुअर न खा जाये मतलब पूरे अस्पताल में सुअर घूम रहे हैं. जिस तरह से जनभागीदारी के बावजूद राशि का दुरुपयोग किया गया और स्वीकार कर रहे हैं कि स्मृति में दान दिया गया तो दान रसोईगृह निर्माण के लिये दान दिया गया था. मैं चाहूंगा पूरे प्रकरण में मैं उपस्थित था. मैंने प्रेरित किया था. सामने वाले की भावनाएं आहत हुई हैं. मैं चाहता हूं कि पूरे प्रकरण की जांच करा ली जाये और राशि का सदुपयोग हो यह सुनिश्चित किया जाये. चूंकि मैं भी एक शिकायतकर्ता हूं इसलिये मेरा भी पक्ष जांच के दौरान सुना जाये.
श्री रुस्तम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक जी की भावनाओं से सहमत हूं कि कोई भी अपनी स्वर्गीय पत्नि की स्मृति में दान देता है उसकी भावनाओं का सम्मान होना चाहिये. जैसा आपने कहा है कि उस राशि से बाउंड्री बनी,उन्नयन हो गया, लेकिन जो यह चाहते हैं उसके पूरे तथ्यों की जांच हो तो वह हम जांच करा ही लेंगे. साथ ही साथ वह व्यक्ति जिसने अपनी पत्नि की स्मृति में दान दिया. हम सुनिश्चित करेंगे कि जो उन्नयन होकर रसोईगृह बना है उस पर उनकी पत्नि के नाम की पट्टिका लगा दी जायेगी.
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल - धन्यवाद.
झिरन्या में मुख्य कार्यपालन अधिकारी की पदस्थापना
[आदिम जाति कल्याण]
2. ( *क्र. 1383 ) श्रीमती झूमा सोलंकी : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जनपद पंचायत अन्तर्गत पदस्थ मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा ग्रामीण विकास की समस्त योजनाओं का संचालन किया जाता है तथा उनकी कार्यालय में नियमित उपस्थिति अनिवार्य है? (ख) क्या भीकनगाँव विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत जनपद पंचायत झिरन्या में विगत 02 वर्ष से मुख्य कार्यपालन अधिकारी अवकाश पर हैं तथा वहां पर जनपद पंचायत का संचालन प्रभारी अधिकारियों के माध्यम से कराया जा रहा है, जिसमें संबंधित अधिकारी उनके मूल कार्य करने के पश्चात् अतिरिक्त समय में जनपद पंचायत झिरन्या के कार्यों का सम्पादन कर रहा है, जिससे समस्त जनपद के प्रतिनिधि/सरपंचों के कार्य समयावधि में न होने तथा अधिकारी समय पर न मिलने से त्रस्त हैं? (ग) क्या झिरन्या जनपद में स्थाई मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पदस्थ किया जावेगा? हाँ तो कब तक?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं, दिनांक 14.09.2015 से दिनांक 05.10.2016 तक अवकाश पर। जी हाँ। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती झूमा सोलंकी--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि जनपद पंचायत झिरन्या के सीईओ का दिनांक 5.10.2016 को अवकाश समाप्त हो गया ऐसा शासन से उत्तर आया है लेकिन उनको आज दिनांक प्रभार नहीं दिया गया. जिससे वर्तमान में अनुविभागीय अधिकारी(राजस्व) द्वारा सीईओ का कार्य किया जा रहा है. एसडीएम का कार्यालय भीकनगांव में स्थित है जो कि झिरन्या से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर है. एसडीएम द्वारा जनपद को पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है. मैं चाहती हूं कि जनपद पंचायत झिरन्या में सीईओ की नियुक्ति हो.
श्री लालसिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने जो अपनी भावना व्यक्त की है, यह बात सही है कि हमने वहां एसडीएम को प्रभार दिया है, उसके पीछे एक नहीं कई कारण हैं. उन्होंने अवकाश लेने के लिए आवेदन किया था लेकिन उसके बाद 14.9.2016 से 5.10.2016 तक उनकी अवकाश की अवधि बढ़ायी गई थी लेकिन वे 13 महीने तक लगातार बिना कोई सूचना दिए अनुपस्थित रहे. इसके पहले उनको लापरवाही के कारण निलंबित किया गया था. जब किसी अधिकारी को नियुक्त किया जाता है तो इसका मतलब है कि वह जनकल्याण के काम करे, विकास के काम करे. लेकिन उनको लापरवाही के कारण निलंबित किया गया. बिना सूचना के वह 13 महीने अनुपस्थित रहे और इस कारण से उनको एक कारण बताओ नोटिस अभी 23.11.2016 को दिया गया. इसका भी उनकी ओर से उत्तर नहीं आया है. अध्यक्ष महोदय, कार्य रुके नहीं, लोगों के काम होते रहें इसलिए एसडीएम को चार्ज दिया गया. लेकिन अतिशीघ्र नए सीईओ की पदस्थी की जाएगी.
श्रीमती झूमा सोलंकी--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री वहां जल्दी व्यवस्था हो. सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं वहां कोई नहीं चल रही है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने अतिशीघ्र कहा है.
श्रीमती झूमा सोलंकी-- आप अतिशीघ्र करें और समय सीमा बता दें. वहां पर पिछले 2 साल से सीईओ नहीं है.
श्री लालसिंह आर्य-- उनकी भावना के अनुकूल जल्दी कर देंगे.
नियम विरूद्ध राशि स्वीकृति पर कार्यवाही
[विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जाति कल्याण]
3. ( *क्र. 126 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) शासन द्वारा विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जाति क्षेत्र के विकास हेतु कौन-कौन सी योजनाएं संचालित हैं? वर्ष 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में प्रश्न दिनांक तक जिला राजगढ़ में किन-किन योजनाओं में कितना-कितना आवंटन प्राप्त हुआ? योजनावार वर्षवार आवंटन की जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार प्राप्त आवंटन का जिला स्तरीय समिति में कार्य स्वीकृति हेतु कब-कब समिति की बैठक आयोजित की गई? बैठक में जिला राजगढ़ के किन-किन कार्यों को प्रस्तावित किया जाकर जिला स्तर पर एवं शासन स्तर पर स्वीकृत किये गये? कार्य का नाम, राशि का विवरण, ग्राम पंचायतवार देवें। (ग) जिला राजगढ़ अंतर्गत ऐसे कितने हितग्राही हैं, जिनको पूर्व में आवास योजना का लाभ मिल चुका था, किन्तु उन्हें सक्षम अधिकारियों द्वारा पुन: योजना का लाभ दिया गया है एवं ऐसी कितनी ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें पूर्व से ही अन्य योजनाओं का निर्माण कार्य हो चुका था, उसी स्थान पर पुन: निर्माण कार्य हेतु राशि स्वीकृत की गई? हितग्राहीवार, ग्रामवार, विकासखण्डवार कितनी-कितनी राशि स्वीकृत की गई? (घ) प्रश्नांश (ख) अनुसार विमुक्त, घुमक्कड़ एवं अर्द्धघुमक्कड़ जाति विकास के स्वीकृत कार्यों का सत्यापन किन-किन जिला स्तरीय अधिकारियों के द्वारा किया गया? कार्यवार सत्यापित करने वाले अधिकारी का नाम एवं दिनांक बताएं। निर्धारित मापदण्ड के विपरीत वास्तविक हितग्राही को लाभ न देते हुये, नियम विरूद्ध कार्य करने वाले दोषी अधिकारियों के विरूद्ध विभाग कब तक कार्यवाही करेगा? यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण ( श्रीमती ललिता यादव ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार। (घ) अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) नरसिंहगढ़ जिला राजगढ़ के जाँच प्रतिवेदन अनुसार निर्धारित मापदण्ड के विपरीत वास्तविक हितग्राही को लाभ पहुंचाने वाले अधिकारी/कर्मचारी के विरूद्ध कार्यवाही प्रचलन में है।
श्री कुंवरजी कोठार-- अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी से जानना चाहता हूं कि मेरे द्वारा प्रश्न ‘ख’ में पूछा गया था कि प्रश्नांश ‘क’ में प्राप्त आवंटन का जिला स्तरीय समिति में कार्य स्वीकृति हेतु कब कब समिति की बैठक आयोजित कीगई? बैठक में जिला राजगढ़ के किन-किन कार्यों को प्रस्तावित किया जाकर जिला स्तर एवं शासन स्तर पर स्वीकृत किए गए? विभाग द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई. ऐसे ही प्रश्न ‘ग’ के उत्तर में भी मात्र ग्राम हुलखेड़ी विकासखंड नरसिंहगढ़ में 6 हितग्राहियों को पूर्व में अन्य योजनाओं से लाभान्वित होने की जानकारी दी गई है. शेष ग्राम कडियासासी,करोंदी,शाहपुरा,जखरियाखेड़ी,मुगलखेड़ी,नेसढ़ी एवं सारंगपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत बनी, बुढनपुर के हितग्राहियों को अन्य योजनाओं से लाभान्वित होने की जानकारी नहीं दी गई. इसी प्रकार प्रश्न ‘घ’ में भी स्वीकृत कार्यों की जानकारी का सत्यापन जिला स्तर के किन जिला अधिकारियों द्वारा कराया गया. अधिकारी का नाम एवं दिनांक की जानकारी चाही गई थी वह भी नहीं दी गई. इस तरह से मेरे प्रश्नांश ‘क’ ‘ख’ ‘ग’ एवं ‘घ’ की अपूर्ण जानकारी दी गई. माननीय मंत्री जी क्या इसके लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करेंगे कि जानकारी पूर्ण दें. मैं मंत्री जी यह भी जानना चाहता हूं कि प्रश्न ‘ग’ के उत्तर में ग्राम हुलखेड़ी की जांच तो करा ली है लेकिन शेष रहे ग्राम कडियासासी,करोंदी,शाहपुरा,जखरियाखेड़ी,मुगलखेड़ी,नेसढ़ी एवं सारंगपुर विकासखंड के ग्राम बनी एवं बुढनपुर के अपात्र हितग्राहियों की जांच करा कर उन पर कार्रवाई की जाएगी और जो अधिकारी इसमें दोषी पाये जाते हैं, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी?
श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, जिला स्तरीय समिति की बैठक दिनांक 19.9.14 को, दोबारा वर्ष 2015 में एवं दिनांक 9.6.16 को आयोजित की गई. माननीय सदस्य ने जो कहा है, जो होलखेड़ी ग्राम पंचायत है, उसमें 6 ऐसे लोग हैं, जिन्होंने आवास का पहले लाभ ले लिया था, उनको दोबारा लाभ दिया गया है. स्वीकृत कार्य का सत्यापन एडीओ, पंचायत समन्वयक एवं उपयंत्री द्वारा किया जाता है. माननीय सदस्य की जो भावना है और उन्होंने जो पंचायतों का नाम उल्लेखित किया है, उनकी जांच चाहते हैं. मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करती हूं, इन पंचायतों की जांच शीघ्र करा ली जाएगी. जिनके द्वारा अपात्र हितग्राहियों को लाभ दिया गया है, उनके खिलाफ कार्यवाही की जा रही है. इसमें दोषी सरपंच, सचिव, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, शाखा प्रभारी हैं. माननीय सदस्य को आश्वस्त करती हूं कि इनके खिलाफ कार्यवाही के लिए हमारे विभाग के द्वारा कलेक्टर को पत्र लिख दिया गया है और शीघ्र ही इनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी और आप जिन-जिन पंचायतों की जांच चाहते हैं उन पंचायतों की जांच मैं शीघ्र करा लूंगी.
श्री कुंवरजी कोठार - अध्यक्ष महोदय, जांच की समय-सीमा और निश्चित कर दें कि 15 दिन या 1 महीने के भीतर कार्यवाही कर दी जाएगी.
श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, 15 दिन में कार्यवाही हो जाएगी.
श्री कुंवरजी कोठार - धन्यवाद, माननीय मंत्री महोदया.
श्री गिरीश भण्डारी - अध्यक्ष महोदय, एक बात मैं कहना चाहता हूं कि जो होलखेड़ी मेरे विधान सभा क्षेत्र का गांव है, माननीय मंत्री महोदया ने जो जानकारी दी है कि 6 हितग्राही, वह 6 हितग्राही नहीं है, 106 हितग्राहियों को डबल आवास दिये गये.
अध्यक्ष महोदय - उसकी जांच करा ले रहे हैं.
श्री गिरीश भण्डारी - उसकी जांच हो चुकी है. जो 6 हितग्राही बता रही हैं, उस बात पर मैं कह रहा हूं कि होलखेड़ी गांव की जांच हो चुकी है. वहां 106 हितग्राहियों को डबल आवास दिये गये हैं. 106 आवास की गड़बड़ी है.
अध्यक्ष महोदय - आप उसे दिखवा लीजिए.
श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, एसडीएम के द्वारा जांच की गई. जांच प्रतिवेदन में 6 हितग्राही ऐसे हैं जिनको दोबारा लाभ दिया गया है.
श्री गिरीश भण्डारी - मंत्री महोदया, वह प्रतिवेदन मेरे पास में है, उसमें 106 हितग्राही ऐसे है जिनको डबल आवास दिये गये हैं.
श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय, जो मैं बता रही हूं वह सही है. फिर आप पर्टिक्युलर कुछ पूछना चाहते हैं तो वह बता दीजिए, मैं फिर से जांच करा लूंगी.
शासकीय उत्कृष्ट विद्यालयों को आवंटित राशि
[स्कूल शिक्षा]
4. ( *क्र. 1931 ) श्री माधौ सिंह डावर : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अलीराजपुर जिले में कितने शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय संचालित हैं। (ख) वर्ष 2012-13 से वर्ष 2016-17 तक शासन द्वारा उक्त उत्कृष्ट विद्यालयों के संचालन हेतु कितनी राशि किस मद में आवंटित की गई है? वर्षवार बताएं। (ग) आवंटित राशि से क्या-क्या कार्य करवाये गये हैं? कार्यों की सूची प्रदान करें।
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) अलीराजपुर जिले में 01 जिला स्तरीय उत्कृष्ट विद्यालय एवं 05 विकासखण्ड स्तरीय उत्कृष्ट विद्यालय कुल 06 उत्कृष्ट विद्यालय संचालित हैं। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
श्री माधौ सिंह डाबर - अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय में आवंटित धनराशि से संबंधित प्रश्न पूछा गया था और प्रश्नांश ग में यह भी पूछा गया था कि लघु निर्माण कार्य के लिए कितनी-कितनी राशि वर्ष 2012 से 2017 तक आवंटित की गई थी तो विभाग द्वारा जो जवाब आया है वहां मात्र लघु निर्माण कार्य किया गया है, ऐसा जवाब आया है. जबकि प्रश्नांश ग में उल्लेखित था कि कार्यवार सूची दी जाय, वह सूची न देते हुए अपूर्ण सूची दी गई है. माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं कि यह क्या-क्या कार्य करवाया है, उसकी जानकारी दे दें?
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय विधायक जी ने जानना चाहा है, वैसे तो यह आदिम जाति कल्याण विभाग के नियंत्रण में झाबुआ, अलीराजपुर जिला आता है. लेकिन उसके बावजूद भी सामूहिक जिम्मेदारी के कारण मैं उत्तर देने की कोशिश करता हूं. वैसे जितनी राशि शिक्षा विभाग ने जारी की थी, उसके लिस्ट तो आपको दी ही गई है. लेकिन आपने जो जानना चाहा है कि उस राशि से क्या-क्या काम हुए, उसकी जानकारी भी मुझे लगता है कि आपके खाने में दे दी गई होगी. परिशिष्ट बी यह अगर आपको नहीं मिला है..
श्री माधौ सिंह डाबर -अध्यक्ष महोदय, जानकारी तो मुझे मिली है लेकिन उसमें पूरी राशि का लिखा गया है कि लघु निर्माण कार्य करवाए गये और मेरे द्वारा पूछा गया था कि क्या-क्या कार्य किये गये हैं.
कुंवर विजय शाह - अध्यक्ष महोदय, डिटेल जानकारी दे देंगे, उसमें कुछ छिपाने वाली बात ही नहीं है.
शासकीय एवं अशासकीय शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा डी.एड. कोर्स की अवैध वसूली
[स्कूल शिक्षा]
5. ( *क्र. 1968 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. शासन द्वारा शासकीय एवं अशासकीय शैक्षणिक संस्थाओं में डी.एड. कोर्स हेतु प्रतिवर्ष कितना शैक्षणिक शुल्क निर्धारित किया गया है? विगत एक वर्ष में निर्धारित शिक्षा शुल्क से अधिक धनराशि वसूल करने संबंधी किन-किन संस्थाओं की शिकायतें प्राप्त हुई हैं और क्या उनकी जाँच कराई गई है? यदि हाँ, तो तत्संबंधी ब्यौरा देवेंl (ख) क्या छात्रों द्वारा संस्थाओं की अवैध वसूली का विरोध करने पर उनको मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हुए जानबूझकर बिना कोई ठोस कारण के संस्था में उपस्थिति कम दर्शाकर उन्हें परीक्षा से वंचित किया गया है? सूची उपलब्ध कराई जावेl (ग) संस्थानों द्वारा अवैध वसूली किये जाने की शिकायत प्रमाणित होने की स्थिति में संबंधित संस्थानों की मान्यता समाप्त करने संबंधी शासन कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुंवर विजय शाह) :
श्री दिलीप सिंह परिहार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि नीमच जिले में चल रहे डी.एड. कॉलेजों में लंबे समय से अनियमिततायें चल रही हैं. कॉलेजों में ज्यादा शुल्क वसूल कर छात्रों के ऊपर अनावश्यक भार डाला जाता है. गरीब बच्चे अंत तक जब इधर-उधर भटकते रहते हैं तो उनसे अवैध वसूली की जाती है. अवैध वसूली के पश्चात् उन्हें एडमिशन भी नहीं दिया जाता है और परीक्षा में नहीं बिठाकर प्रताडि़त किया जाता है. क्या माननीय मंत्री जी इस संबंध में कोई कार्यवाही करेंगे ?
कुंवर विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, इन कॉलेजों से संबंधी ज्यादा फीस वसूली की शिकायतें हमारे पास आई थीं. इसके संबंध में हमने न सिर्फ आवश्यक निर्देश दिए हैं बल्कि ज्यादा वसूल की गई राशि वापस भी कराई है. वर्तमान में मेरे पास खंडवा की लिस्ट उपलब्ध है, जहां 7500 रूपये ज्यादा लिए गए थे. यह 60 बच्चों की लिस्ट है. इनमें से कुछ से हमने संपर्क कर जानकारी ली है तो ज्ञात हुआ कि राशि उनके खातों में वापस की जा रही है. जिन्होंने ज्यादा राशि वसूल की है, उन पर सख्त कार्यवाही के निर्देश भी जारी किए गए हैं.
जिन इंस्टीट्यूटस ने नियमों का पालन नहीं किया है, अनियमिततायें की हैं. ऐसे 7 कॉलेजों की मान्यतायें निरस्त करने हेतु हमने शासन को लिखा है. चूंकि भारत सरकार इन कॉलेजों की मान्यतायें निरस्त करती है और हमारे लिखने के पश्चात् मध्यप्रदेश के ऐसे 6 कॉलेजों की मान्यता निरस्त कर दी गई है.
श्री दिलीप सिंह परिहार- माननीय अध्यक्ष महोदय, नीमच के रामचंद्र मंगल कॉलेज (आर.आर.एम. कॉलेज) और ज्ञानोदय कॉलेज की कई छात्राओं की मेरे पास लिखित में शिकायतें आई हैं. इस बाबत् मैंने बोर्ड ऑफिस को भी पत्र लिखा था. जिसमें श्रीमती मैना राठौर बहन को प्रताडि़त करना पाया गया लेकिन उसके बाद भी जिलाधीश महोदय से बात करने एवं पत्र लिखने के पश्चात् ही प्रकरण में कुछ कार्यवाही संभव हो पाई थी. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि क्या मंत्री जी इस प्रकरण में वापस जांच करवायेंगे ?
कुंवर विजय शाह- माननीय अध्यक्ष जी, जिस बहन का नाम माननीय विधायक जी ने बताया है, मेरी जानकारी के अनुसार उपस्थिति कम दर्ज होने के कारण उन्हें परीक्षा में बैठने की पात्रता से वंचित किया गया है. 75 प्रतिशत उपस्थिति जरूरी होती है क्योंकि हम चाहते हैं कि मध्यप्रदेश के भविष्य को सुधारने के लिए, बच्चों को पढ़ाने के लिए ऐसे शिक्षक प्राप्त हों जो स्वयं पहले ठीक ढंग से पढ़ाई करें. यदि टीचर की स्वयं की उपस्थिति कम होगी तो वह बच्चों को क्या पढ़ा पायेंगे. हमारे द्वारा निर्देश जारी किए गए हैं कि डी.एड. एवं बी.एड. कॉलेजों में भविष्य में बायोमैट्रिक्स तरीके से उपस्थिति दर्ज की जायेगी ताकि हमारे भावी भविष्य अर्थात् हमारे बच्चों को पढ़ाने के लिए उचित शिक्षक मिल सकें. प्राय: देखने में यह आया है कि कई डी.एड. एवं बी.एड. करने वाले टीचरों की उपस्थिति कम होती है और फिर वे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं. विधायक जी, आपके प्रश्न के बाद मेरे द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि भविष्य में सभी प्रायवेट एवं शासकीय डी.एड. एवं बी.एड. कॉलेजों में बायोमैट्रिक्स तरीके से वहां पढ़ने वालों की उपस्थिति ली जायेगी. जिस बहन का उल्लेख विधायक जी ने किया है, उस हेतु मैं भोपाल से एक टीम भिजवा रहा हूं जो कि प्रकरण की जांच करेगी कि क्या अतिरिक्त फीस की मांग की गई थी क्योंकि एक जांच में सामने आया है कि बहन से अतिरिक्त फीस की मांग की गई थी. परंतु दूसरी जांच जो कि आपके पत्र के आधार पर बोर्ड ऑफिस द्वारा की गई है और उसमें यह निकल कर आया है कि इस संबंध में कुछ कन्फयूजन है. मैं एक उच्च स्तरीय टीम भिजवा रहा हूं. जो कि 15 दिनों के अंदर रिजल्ट देगी. यदि वह संस्था दोषी पाई गई तो उसकी मान्यता निरस्त करने हेतु हम भारत सरकार को पत्र लिखेंगे. इस प्रकार की कोई भी संस्था जो बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना चाहती है, मध्यप्रदेश में नहीं चल पायेगी.
श्री दिलीप सिंह परिहार- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा एक और निवेदन है कि बहुत ही मुश्किल से नीमच में शासकीय डी.एड. कॉलेज खुला है. उसमें केवल 50 सीटें ही हैं. नीमच की सीमा से राजस्थान लगता है और वहां के छात्र भी यहां आते हैं. तो क्या आप कॉलेज की सीटों को बढ़ा देंगे. नीमच के रामचंद्र मंगल कॉलेज, ज्ञानोदय कॉलेज 1.25 लाख रूपये की फीस गरीब बच्चों से डी.एड. के लिए लेते हैं. शासकीय कॉलेज जिला स्तर पर है. माननीय मंत्री जी, आपसे निवेदन है कि आप शासकीय कॉलेज की सीट 50 से बढ़ाकर 100 कर दें.
कुंवर विजय शाह- माननीय अध्यक्ष जी, सीट बढ़ाने का काम मेरा नहीं है. जहां तक फीस की बात है जिसका उल्लेख माननीय विधायक जी ने किया है, तो मैं यह कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश सरकार ने कॉलेजों के हिसाब से फीस तय की है. 30 हजार, 32 हजार एवं 35 हजार रूपये कॉलेजों के हिसाब से फीस तय है. यदि कोई कॉलेज इससे ज्यादा फीस लेता है तो वह गलत है.
श्री रामनिवास रावत- माननीय मंत्री जी, प्रायवेट कॉलेजों पर आपका कोई नियंत्रण नहीं है.
खण्डवा जिले में नर्सिंग होम/पैथालॉजी लेब में अनियमितता
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
6. ( *क्र. 1232 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) खंडवा जिले में कितने पंजीकृत निजी नर्सिंग होम, निजी अस्पताल, पैथालॉजी लेब एवं सोनोग्राफी सेंटर हैं? उनकी संख्या, नाम एवं संचालकवार जानकारी दी जाए। (ख) क्या इनमें से कई नर्सिंग होम, अस्पताल, लेब में शासन की गाईडलाईन का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है? प्रश्नांश (क) के क्रम में इनमें कार्यरत मेडिकल, पैरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ की नामवार जानकारी दी जाए। (ग) उक्त सभी संस्थानों का विगत तीन वर्षों में किस-किस अधिकारी द्वारा कब-कब निरीक्षण एवं आकस्मिक जाँच की गई? कितने संस्थानों का संचालन नियम विरूद्ध होने पर क्या-क्या कार्यवाही की गई? (घ) क्या सभी संस्थानों में मानव स्वास्थ्य को देखते हुए अस्पताल के कचरे का निपटान नियमानुसार किया जा रहा है? पार्किंग सुविधा, विभिन्न पैथालॉजी जांचों की दरों की रेटलिस्ट दृश्यस्थान पर लगाई गई है? (ड.) यदि नहीं, तो क्या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा नियम विरूद्ध संचालित ऐसे संस्थानों को सहयोग कर जनस्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है? यदि हाँ, तो क्या इनकी उच्चस्तरीय जाँच की जाएगी?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) खंडवा जिले में 2 निजी नर्सिंग होम, 14 निजी अस्पताल, 9 पैथालॉजी लेब एवं 15 सोनोग्राफी सेंटर पंजीकृत हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) जी हाँ, 5 संस्थाओं सदगुरु नेत्र चिकित्सालय, श्री दादाजी हॉस्पिटल, आदर्श पैथालॉजी लेब, निदान पैथालॉजी लेब एवं संजीवनी डायग्नोस्टिक सेंटर बायोमेडिकल द्वारा वेस्ट मैनेजमेन्ट नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। 05 संस्थाओं का पंजीयन निरस्त किया गया, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है। (घ) जी नहीं, 05 निजी संस्थाओं द्वारा बायोमेडिकल वेस्ट के निपटान हेतु मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मंडल से ऑथोराईजेशन नहीं लिया गया था। जी हाँ। जी हाँ। (ड.) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री देवेन्द्र वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्न है यह मेरे क्षेत्र से संबंधित ही नहीं पूरे प्रदेश से संबंधित है, पूरे मध्यप्रदेश की 7.5 करोड़ की जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ विषय है. मेरे प्रश्न में मैंने स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ विषय उठाया है. एक गरीब आदमी अस्पताल इलाज कराने के लिए जाता है तो एक ही बीमारी के अनेक अस्पतालों में अलग अलग प्रकार की दर है, मेरा एक प्रश्न यह है. दूसरा प्रश्न यह है कि जो मुझे जानकारी प्रतिवेदित की गई है उसमें 2013 में जांच टीम के द्वारा निरीक्षण किया गया है लेकिन विगत दो वर्ष से किसी प्रकार का निराक्षण नहीं किया गया है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि निरीक्षण के क्या नियम हैं, दर सूची बनाने के क्या नियम हैं, इसी प्रकार से देखने में आता है कि मरीज को वेनटीलेटर पर पहुंचा कर उसका बिल बढ़ाया जाता है तो इसके लिए क्या नियम हैं.मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से जानना चाहता हूं ?
श्री रूस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय हमारे माननीय सदस्य ने जो चिंता व्यक्त की है लेकिन बहुत सारी चीजें वह कह गये हैं जिसका प्रश्न में कहीं पर उल्लेख नहीं है. प्रश्न को बहुत व्यापक कर दिया है, लेकिन जो स्पेसिफिक प्रश्न पूछा है उसमें मूल चीज यह है कि वहां पर जो प्राइवेट अस्पताल हैं उनका जो कचरा निकलता है, जो गंदगी निकलती है उसके विनिष्टिकरण की सुविधा ठीक से नहीं है. मुझे लगता है कि विधायक जी का फोकस मुख्यत: उसी बात की ओर है. उसमें जिन संस्थाओं ने ऐसी व्यवस्था नहीं की हुई थी तो उनके खिलाफ में कार्यवाही भी हुई है ऐसी 5 संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन निरस्त भी किया गया है जहां तक निरीक्षण का सवाल है. इसकी पूरी डिटेल में सूची आपको उपलब्ध करायी गई कौन कौन डॉक्टर कब कब किस किस दिनांक को गया है यह सब दिया गया है और भी आप कोई स्पेसिफिक चीज बतायेंगे तो उसकी भी जांच हम करवा लेंगे लेकिन इतना जरूर है कि जो बायो कचरा होता है उसकी चिंता व्यक्त की है उस पर भी कार्यवाही करने के लिए संबंधित विभाग को बोला गया है और उसी के कारण इन 5 संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया गया है.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था कि एक ही बीमारी के अनेक अस्पतालों में अनेक तरह की दर हैं. जिस प्रकार से राज्य बीमारी सहायता में रेट तय हैं कि एक गरीब को एक बीमारी के लिए इतनी राशि दी जायेगी तो उसी प्रकार से अस्पताल की दर शासन तय करेगा क्या. मैं आपके माध्यम से यह बताना चाहूंगा कि मेरे प्रश्न करने के बाद में 5 संस्थाओं के लायसेंस निरस्त किये हैं. इन्होंने बताया है कि हमारे खण्डवा में चलने वाले दादाजी अस्पताल में प्रतिदिन हजारों मरीजों के नेत्रों का आपरेशन यह करते हैं तो इसका निरीक्षण 2013 में किया गया है और 2013 के बाद में दो वर्ष में हजारों लोगों के आपरेशन किये गये हैं, उन्होंने इस प्रकार की कमियां बताई हैं तो इन दो वर्षों में कमियों का निरीक्षण किया तो किन लोगों ने किया है और इसके पूर्व कार्यवाही क्यों नहीं की गई.
श्री रूस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, वैसे तो हमारे विधायक युवा हैं तीसरी बार चुनकर भी आये हैं लेकिन फिर भी मैं उनकी जानकारी के लिए बता दूं कि खण्डवा में एक भी चिकित्सालय में राज्य बीमारी सहायता के पैसे से इलाज नहीं होता है वहां पर कोई भी अस्पताल उसके लिए अधिकृत नहीं है. इसलिए वह तो उद्भूत नहीं होता है.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- मैंने तो राज्य बीमारी सहायता का उदाहरण दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- एक तो उनका यह प्रश्न है कि एक ही जांच के लिए, हालांकि इससे उद्भूत नहीं होता है, एक ही रेट रखने के लिए नियम बन सकते हैं. सोनोग्राफी के लिए हर अस्पताल वाले अलग अलग दर लेते हैं. दूसरा उनका कहना है कि निरीक्षण नियमित होना चाहिए.
श्री रूस्तम सिंह-- अध्यक्ष महोदय, निरीक्षण भी नियमित होते हैं और होंगे यह सदस्य जो रेट की बात कर रहे हैं. शासन प्राइवेट अस्पताल के लिए रेट तय नहीं करता है वह अपने अपने हिसाब से पैसे लेते हैं, जिसके पास में जितनी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं उसके हिसाब से रेट तय हैं. फिर भी मैं उनसे यह कहना चाहता हूं कि अगर उनके यहां पर किसी अस्पताल में बहुत ज्यादा रेट लिये जा रहे हैं तो उस पर कार्यवाही के लिए निर्देश देंगे.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- मेरा यह कहना है कि जब रेट तय नहीं है तो राज्य बीमारी सहायता के रेट किस प्रकार से तय किये गये हैं. अगर वह रेट लेकर कोई गरीब आदमी किसी अस्पताल में जाते है तो 60 हजार के इलाज के 2 लाख रूपये लिये जाते हैं. अध्यक्ष महोदय मेरा कहना है कि निरीक्षण के भी नियम बता दें आप, तीन साल से अस्पतालों का निरीक्षण नहीं किया गया है. खुली लूट मची है,. डाकू बनकर खुले में जनता को लूट रहे हैं.
श्री रूस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय निरीक्षण होते हैं और इसकी पूरी सूची माननीय विधायक जी को दी गई है यह देख तो लें. किस अस्पताल का किस डॉक्टर ने कब निरीक्षण किया है
श्री देवेन्द्र वर्मा -- अध्यक्ष महोदय 3 साल से निरीक्षण नहीं किया गया है, निरीक्षण के नियम बतायें और कितने समय में निरीक्षण करेंगे यह बतायें.
अध्यक्ष महोदय -- नियमित रूप से निरीक्षण करेंगे यह उन्होंने कह दिया है.
बैकलॉग के पदों की भर्ती
[स्कूल शिक्षा]
7. ( *क्र. 1579 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कारण है कि सहायक अध्यापक के बैकलॉग के रिक्त पदों की परीक्षा दिनांक 23.09.2016 को निरस्त की गई जबकि दिनांक 10.05.2016 को भारत सरकार के राजपत्र में नये नियमों का प्रकाशन हो गया था? इस निरस्त आदेश की छायाप्रति, आदेश जारी करने वाले अधिकारी का नाम, पदनाम सहित बतावें। (ख) आरक्षित वर्ग के हितों के साथ खिलवाड़ करके परीक्षा निरस्त करने वाले अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा? धार जिले में वर्तमान में बैकलॉग पदों की कितनी संख्या है? जिलावार, पदवार बतावें। विगत 7 वर्षों में विशेष भर्ती अभियान के तहत कितने पद भरे गए? वर्षवार बतावें। (ग) शेष पदों की पूर्ति हेतु शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) सहायक अध्यापक का पद सीधी भर्ती का पद नहीं है। सहायक अध्यापक के रिक्त पदों के भर्ती के लिए किसी भी प्रकार की परीक्षा आयोजित करने अथवा निरस्त करने के संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किये गये हैं अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के अनुसार। धार जिले में वर्तमान बैकलॉग पदों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) पद रिक्तता तथा पद पूर्ति की जाना एक सतत् प्रक्रिया है, निश्चित समयावधि बताया जाना संभव नहीं है।
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न में स्पष्ट यह पूछा गया था कि प्रदेश में बैकलॉग पदों की भर्ती की क्या स्थिति है जो कि 1 लाख से भी अधिक हैं और जिसमें आरक्षित वर्ग के पद भी हैं जो कि बैकलॉग से सीधी भर्ती के अंतर्गत भरे जाते हैं. इन पदों की भर्ती हेतु एक परीक्षा हुई थी जिसको निरस्त कर दिया गया है जिससे आरक्षित वर्ग के लोगों का नुकसान हुआ है, सरकार ऐसा क्यों कर रही है. अध्यक्ष महोदय, मेरे पास मूल प्रश्न की फोटोकॉपी है जिसमें पूरे प्रदेश के लिए पूछा गया है और जो उत्तर दिया गया है उसमें केवल धार के लिए सीमित कर दिया गया है. पूरे प्रदेश के सभी जिलों में विशेष भर्ती अभियान के अंतर्गत जो पदों की भर्ती की जानी थी वह सरकार ने अभी तक क्यों नहीं की और जहां तक मेरी जानकारी में है वर्ष 2009 से अभी तक प्रतिवर्ष 1 जुलाई को लगातार 1 वर्ष के लिए तारीख बढ़ा दी जाती है. मैं यह जानना चाहता हूँ कि सरकार की क्या मजबूरी है कि एक लाख से भी अधिक पद रिक्त हैं, इन पदों पर भर्ती की जानी चाहिए थी और इसके लिए परीक्षा भी आयोजित की गई थी, लेकिन अभी तक उनकी भर्ती क्यों नहीं की जा रही है और वह परीक्षा क्यों निरस्त की गई है. अध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग ने जितनी बार ऑर्डर निकाले हैं मेरे पास उन सब ऑर्डर्स की कापियां हैं, वैसे मैंने यह प्रश्न सामान्य प्रशासन विभाग से पूछा था लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग ने इस प्रश्न को स्कूल शिक्षा विभाग को क्यों ट्रांसफर कर दिया ? अगर आप धार की भी बात करना चाहते हैं तो धार जिला भी आदिम जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है, माननीय मंत्री जी, आप खुद आरक्षित वर्ग से आते हैं, आपकी क्या मजबूरी है कि एक लाख से अधिक पद बैकलॉग भर्ती के खाली हैं और भरे क्यों नहीं जा रहे हैं, कृपया मुझे बताएं.
अध्यक्ष महोदय -- आप सीधा प्रश्न करें.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा प्रश्न यह है कि एक लाख से अधिक पदों की भर्ती बैकलॉग के अंतर्गत की जानी थी, उन पदों की भर्ती क्यों नहीं की जा रही है ?
कुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, एक तो संबंधित विधायक हैं नहीं. हमने संशोधित उत्तर दिया है.
श्री रामनिवास रावत -- सूचना दी है, माननीय अध्यक्ष महोदय ने अनुमति दी है.
कुँवर विजय शाह -- यह उनका अधिकार है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात तो माननीय मंत्री जी को बोलनी ही नहीं चाहिए. हमने विधिवत तरीके से प्रश्न पूछा है.
कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी ने अगर लिखकर दिया है तो वे पूछ सकते हैं, अधिकार है, इस बात से मैं इंकार नहीं करता.
अध्यक्ष महोदय -- कोई बात नहीं, बात आ गई है, उस पर बहस करने की कोई जरूरत नहीं है.
कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा निवेदन यह है कि संबंधित विधायक को हमने संशोधित उत्तर दिया है या तो माननीय नेता प्रतिपक्ष के पास वह संशोधित उत्तर आया नहीं है जिसका प्रश्न उठाया गया है. सहायक अध्यापकों के बैकलॉग रिक्त पदों की परीक्षा 23.09.2016 को निरस्त की गई, भारत सरकार के राजपत्र में नए नियमों का प्रकाशन हो गया, ऐसी कोई भी परीक्षा न तो शुरू हुई और न ही निरस्त हुई. हमने कोई आदेश ही नहीं दिया. जो प्रश्न किया है वही इससे उद्भूत नहीं होता. जहां तक बैकलॉग पदों का सवाल है तो बैकलॉग पदों के बारे में आप अलग से जानकारी ले लें, मैं दे दूंगा.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न पूछने के पीछे मेरा आशय यही था कि ये बैकलॉग पदों की पूर्ति सरकार कब तक कर देगी क्योंकि पूरे मध्यप्रदेश का शिक्षा जगत इससे प्रभावित हो रहा है. हमारे बच्चे अच्छी शिक्षा से वंचित हो रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आपका सीधा प्रश्न आ गया ना कि कब तक भर्ती करेंगे, उसमें भाषण देने की क्या जरूरत है. आप बैठ जाइये, माननीय मंत्री जी, उनका प्रश्न सीधा है कि बैकलॉग के पदों की भर्ती कब तक करेंगे ?
कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष जी, नेता प्रतिपक्ष जी जो आंकड़ा दे रहे हैं पहले तो हम उससे सहमत नहीं हैं कि एक लाख पद खाली हैं. चतुर्थ श्रेणी के जितने पद मध्यप्रदेश के 51 जिलों में होंगे, उनकी भर्ती साल भर के अंदर कर दी जाएगी, कलेक्टर को हमने निर्देश जारी कर दिए हैं.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी सही आंकड़े बता दें. अगर मैं एक लाख से अधिक पदों की बात कर रहा हूँ तो मेरा यह आग्रह है और मेरा अधिकार भी है कि एक प्रश्न और मैं पूछ सकता हूँ कि आप सही आंकड़ों से अवगत कराएं.
अध्यक्ष महोदय -- यह उससे उद्भूत नहीं होता.
श्री बाला बच्चन -- इसलिए कि आप सरकार हो, आप बचना और भागना क्यों चाहते हो, जवाब क्यों नहीं देना चाहते हो और मंत्री जी खुद इस वर्ग से आते हैं. कब तक आप इन पदों की भर्ती कर लेंगे ?
कुँवर विजय शाह -- यथासंभव यथाशीघ्र.
अध्यक्ष महोदय -- उन्होंने बता दिया. प्रश्न क्र. 8, श्रीमती पारूल साहू केसरी.
वित्तीय अनियमितताओं पर कार्यवाही
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
8. ( *क्र. 1216 ) श्रीमती पारूल साहू केशरी : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जैसीनगर के बी.एम.ओ. के विरूद्ध वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें प्राप्त हुई हैं? (ख) यदि हाँ, तो क्या बी.एम.ओ. जैसीनगर के विरूद्ध शिकायतों की जाँच करायी जाकर उनके कार्यकाल अवधि के वित्तीय अभिलेखों का अंकेक्षण भी कराया गया है? जाँच प्रतिवेदन सहित अंकेक्षण की प्रति उपलब्ध करायी जावे। (ग) यदि नहीं, तो क्या बी.एम.ओ. जैसीनगर को विभागीय स्तर पर संरक्षण के चलते वितीय अनियमितता करने की छूट दी गयी है, जिसकी पुष्टि प्रमुख समाचार पत्र दैनिक भास्कर सागर में 26 अक्टूबर, 2016 में प्रकाशित ''बी.एम.ओ. जैसीनगर द्वारा फिर से शासकीय राशि को हड़पने'' संबंधी समाचार से होती है? (घ) मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत ऐसे कितने बी.एम.ओ. को वित्तीय अनियमिततायें करने की विभागीय स्तर से छूट प्रदान की गयी है?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) जैसीनगर ब्लॉक मेडिकल आफिसर डॉ. जे.एस. धाकड़ के विरूद्ध अनियमितता से संबंधित प्राप्त दो शिकायतों में से संचालनालय स्तर पर प्राप्त एक शिकायत की जाँच प्रचलन में है तथा दूसरी शिकायत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला सागर को प्राप्त होने पर प्रकरण की जाँच उनके द्वारा श्री राजेश राय जिला लेखाप्रबंधक सागर से पूर्ण कराते हुये जाँच प्रतिवेदन प्राप्त किया, जिसमें प्राप्त जाँच प्रतिवेदन के आधार पर डॉ. धाकड़ को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुये प्रतिवाद उत्तर चाहा गया जो प्राप्त होने पर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सागर द्वारा डॉ. धाकड़ के विरूद्ध आगामी कार्यवाही हेतु प्रकरण क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य सेवायें, सागर को प्रेषित किया जो परीक्षणाधीन है। जी नहीं। जाँच प्रतिवेदन की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं, दिनांक 26 अक्टूबर 2016 के दैनिक समाचार पत्र में वित्तीय अनियमितता से संबंधित प्रकाशित समाचार पत्र का जाँच प्रतिवेदन प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित दूसरी शिकायत से संबंधित होकर क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य सेवायें, सागर को प्राप्त होकर उनके अधीन परीक्षणाधीन है। परीक्षण उपरान्त संबंधित के विरूद्ध गुण-दोष के आधार पर नियमानुसार कार्यवाही शीघ्र की जावेगी। (घ) जी नहीं।
श्रीमती पारूल साहू केशरी --- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हॅूं कि पिछले 10 सालों में ब्लॉक मेडीकल ऑफीसर जैसीनगर के द्वारा वित्तीय अनियमितताऍं की जा रही हैं इसलिए मेरा निेवेदन है कि इनके पूरे कार्यकाल अवधि की जॉंच पूरी गंभीरतापूर्वक की जाए और जॉंच रिपोर्ट के आधार पर इनके ऊपर सख्त कार्यवाही की जाए.
श्री रूस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या जी ने जो प्रश्न इस संबंध में उठाया है इनके खिलाफ कार्यवाही की गई है और इनको निलंबित भी किया गया है. इनके खिलाफ कार्यवाहियॉं प्रथमत: ठीक पाई गई थीं, सही पाई गई थीं, जॉंच में इनकी गलती पाई गई थी और उनकी फायनल जॉंच होने के बाद उनके खिलाफ और भी कार्यवाहियॉं की जायेगीं, इतना मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्या जी को आश्वस्त करना चाहता हॅूं.
श्रीमती पारूल साहू केशरी --- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी द्वारा बीएमओ के विरूद्ध जो कार्यवाही की गई है उसके लिए मैं उनको बहुत-बहुत बधाई देना चाहॅूंगी और इस कार्यवाही से पूरे मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले जितने भी हमारे जिम्मेदार अधिकारी हैं उनके लिए एक बहुत बड़ा संदेश होगा कि अगर वे गड़बड़ी करेंगे तो हमारे माननीय मंत्री जी उनको नहीं छोड़ेगे नहीं. धन्यवाद.
अपूर्ण भवनों का निर्माण
[स्कूल शिक्षा]
9. ( *क्र. 708 ) श्री रामप्यारे कुलस्ते : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मंडला जिले के विकासखण्ड बीजाडांडी के ग्राम पिण्डरई में प्रा.शा. एवं मा.शा. भवन आंगनवाड़ी भवन, पंचायत भवन शाला के अतिरिक्त कक्ष निर्माण किन कारणों से पिछले 2008 से अपूर्ण हैं? (ख) निर्माण एजेंसी कौन थी? क्या उक्त भवनों की राशि प्राप्त हो गई है? अगर पूर्ण राशि प्राप्त हो गई है तो गड़बड़ी करने वाले के खिलाफ अभी तक क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या विभाग के पास उक्त अधूरे कार्यों को पूर्ण कराने की योजना है, ताकि लोगों को उसका लाभ प्राप्त हो सके?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) मण्डला जिले के विकासखण्ड बीजाडांडी के ग्राम पिण्डरई में 2008-09 में प्राथमिक शाला में 01 अतिरिक्त कक्ष तथा मा.शा. भवन हेतु 03 अतिरिक्त कक्ष स्वीकृत किये गए। पंचायत भवन, आंगनवाड़ी भवन तथा प्राथमिक शाला का अतिरिक्त कक्ष पूर्ण है। मा.शा. के 3 अतिरिक्त कक्ष निर्माण एजेन्सी ग्राम पंचायत द्वारा राशि का अनुचित आहरण कर कार्य छत स्तर उपरान्त अपूर्ण है। (ख) कार्य की निर्माण एजेन्सी ग्राम पंचायत है। जिला शिक्षा केन्द्र द्वारा सीधे निर्माण एजेन्सी के खातों में सम्पूर्ण स्वीकृत राशि हस्तान्तरित कर दी गई थी। निर्माण एजेन्सी के विरूद्ध प्रकरण क्र./अविअ/रि./01/12/463/31.03.12 अनु.विभा.अधि. राजस्व विभाग में लंबित है। (ग) विभाग को उक्त राशि की वसूली प्राप्त होने के पश्चात उक्त कार्य को पूर्ण किया जा सकेगा।
श्री रामप्यारे कुलस्ते -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था. आंगनवाड़ी केन्द्र, प्राथमिक शाला भवन और ग्राम पंचायत का पंचायत भवन से संबंधित है. यह वर्ष 2008 से लंबित है निर्माण कार्य अधूरा है. उसमें मुझे जवाब में मिला है कि प्राथमिक शाला भवन का भवन पूर्ण हो चुका है, पंचायत भवन पूर्ण हो चुका है, माध्यमिक शाला भवन के कक्ष बाकी हैं. माननीय अध्यक्ष जी, मेरा यह प्रश्न है कि जो भवन पूर्ण कर लिये गए हैं उनका उपयोग कब तक प्रारम्भ हो जाएगा और दूसरा प्रश्न यह है कि जो तीन भवनों के अतिरिक्त कक्ष बाकी हैं उनको कब तक पूर्ण कर लिया जायेगा ? इसके साथ ही जो पूर्ण हो चुके भवन हैं उनमें उपयोग तो हो नहीं रहा है. यह इतना संवेदनशील विषय है, छोटे-छोटे बच्चे बाहर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं, आंगनवाड़ी भवन का भी उपयोग नहीं हो रहा है.
कुँवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो भवन पूर्ण हो चुके हैं आने वाले शिक्षा सत्र से उसमें क्लास लगेगी, यह हम अनिवार्य रूप से आदेश जारी कर रहे हैं. इसके साथ -साथ जो दो-तीन भवन अधूरे हैं वह इसलिए अधूरे हैं कि कोई सरपंच चुनाव हार गया, कोई सचिव भाग गया, उस पर कार्यवाही चल रही है. कलेक्टर के यहां केस चल रहा है. लगभग ऐसे अतिरिक्त कक्ष हैं हमारे पास पूरे प्रदेश में 11 हजार 219 अतिरिक्त कक्ष जो सरपंच चुनाव हार गए या सचिव महोदय के केस चल रहे हैं जिसके कारण लाखों रूपया हमारा अटका पड़ा हुआ है, पैसे बढ़ रहे हैं, लागत बढ़ रही है और काम नहीं आ रहे हैं. भारत सरकार ने कहा है कि आप सरपंचों से कराइए. अब भारत सरकार को हम पत्र लिख रहे हैं कि ये अतिरिक्त भवन हैं छोटे-छोटे काम हैं सरपंच, सचिव भाग जाते हैं तो हमको स्कूल की जो कमेटी है उससे न कराने के लिए और सरपंच, सचिव से न कराने के लिए अनुमति प्रदान करें, ताकि हम ब्लॉक लेवल पर टेण्डर करके ये काम भी कर सकें ताकि समय-सीमा में और उस राशि में उस समय उस काम को पूरा कर सकें. भारत सरकार से अनुमति मिलते ही हम बाकी कामों की तैयारी कर लेंगे.
श्री रामप्यारे कुलस्ते -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी मेरा ऐसा अनुभव है कि सामान्यत: जो ग्राम पंचायत एजेंसी बनकर कुछ निर्माण कार्य, जिनका मैंने उल्लेख किया है, उनका निर्माण करती है. ग्राम पंचायतों की मॉनिटरिंग के लिए टेक्निल अधिकारी हमारे नियुक्त हैं. इंजीनियर, अस्टिटेंट इंजीनियर ये सब होते हैं. उसमें स्टेप बाई मूल्यांकन के आधार पर पैसा आहरित किया जाता है परन्तु सिर्फ सचिव और ग्राम पंचायत के सरपंच को जिम्मेदार ठहराते हैं. चूंकि मुझे लगता है कि इसमें अगर हम संबंधित ग्राम पंचायत के उपयंत्री की उपयुक्त कामों के लिए जिम्मेदारी तय करेंगे, तो मैं समझता हॅूं कि जो 11 हजार कामों का आप उल्लेख कर रहे हैं कि अधूरे हैं इस तरह की स्थितियॉं कम हो पायेंगी और इससे हम बच पायेंगे और पैसे का सदुपयोग हो पायेगा. भवन हमको समय-सीमा में मिल पायेंगे. हमारे काम समय में होने लगेंगे तो क्या आप ऐसा कराएंगे ?
कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एजेंसियों को निर्देश जारी कर दिये गये हैं और उनकी जवाबदारी भी तय कर दी है यदि समयसीमा पर वह एजेंसी या मॉनिटरिंग करने वाला दोषी पाया जाता है तो उस पर भी कार्यवाही करेंगे. जो 3 बातें स्कूलें की बताई हैं, उसकी हम अलग से जांच करा लेंगे कि क्या उसमें इंजीनियर की लापरवाही है, अगर लापरवाही हुई है तो उस पर भी कार्यवाही करेंगे और वैसे तो मैंने माननीय सदस्य को 8-8 हायर सेकेंडरी स्कूल दिये हैं, आप मुझे धन्यवाद दीजिये.
श्री रामप्यारे कुलस्ते-- मंत्री जी आपको बहुत-बहुत धन्यवाद यदि आप समयसीमा बता देते तो बड़ी मेहरबानी होती.
अध्यक्ष महोदय-- अब नहीं, आपको 8 स्कूल भी मिल गये हैं.
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान अंतर्गत व्यय राशि
[स्कूल शिक्षा]
10. ( *क्र. 693 ) श्री गोपाल परमार : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आगर जिले में वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत जिला कार्यालय को कितनी राशि आवंटित की गई है? मदवार जानकारी दें। क्या शासन द्वारा उक्त राशि व्यय करने के नियम बनाये गए हैं? यदि हाँ, तो नियमों की प्रति उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या शासन द्वारा निर्धारित नियमों का पालन कर व्यय किया जा रहा है? यदि हाँ, तो प्राप्त मदवार राशि से कितनी राशि किस मद में व्यय की गई है? व्यय की मदवार जानकारी उपरोक्तानुसार पृथक पृथक देवें। (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार प्राप्त राशि एवं प्रश्नांश (ख) अनुसार व्यय राशि हेतु क्या क्रय समिति एवं सामग्री भौतिक सत्यापन समिति बनायी गयी है? यदि हाँ, तो जानकारी देवें? यदि नहीं, तो कारण बतावें? इसके लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार है? शासन दोषी अधिकारी के विरुद्ध क्या कार्यवाही करेगा? (घ) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या क्रय की गई कार्यालय की सामग्री का भौतिक सत्यापन कराया गया है? यदि हाँ, तो भौतिक सत्यापन की वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक की जानकारी देवें।
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) नवीन जिला आगर मालवा का गठन दि. 16.08.2013 को हुआ है। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान कार्यालय आगर में अक्टूबर 2015 से आरंभ किया गया है। अतः राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2015-16 से आगर जिला कार्यालय को राशि प्रदाय की गई। मदवार प्रदाय राशि का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 अनुसार है। भारत शासन के निर्देशानुसार वित्तीय मेन्यूअल अनुसार राशि का व्यय किया जाता है। व्यय नियम पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 2 अनुसार है। (ख) जी हाँ। मदवार व्यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1 अनुसार है। (ग) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 3 एवं 4 अनुसार है। (घ) जी हाँ। सत्यापन रिपोर्ट की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 5 अनुसार है।
श्री गोपाल परमार--- माननीय अध्यक्ष महोदय, आगर जिले को हमारे मुख्यमंत्री जी की बड़ी कृपादृष्टि मिली हुई है और उन्होंने 16.8.2013 में आगर को जिला बनाया और उसके तहत सारे विकास कार्य चल रहे हैं और जिस प्रकार से हमारे युवा मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश भर में सेवा कर रहे हैं, ऐसे ही स्कूल शिक्षा विभाग के हमारे युवा मंत्री आदरणीय विजय शाह जी यहाँ पर मौजूद हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि जिस प्रकार से तीसरी बार सरकार बनी और आप लोग पूरी ताकत से जनता की सेवा कर रहे हैं और उसी सेवा का परिणाम मिल रहा है कि सरकार फिर से चौथी बार बनने की तैयारी में है. लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि जो अधिकारी आपको सहयोग नहीं करना चाहते, काम नहीं करना चाहते और वह हमेशा कोर्ट के स्टे ले आते हैं. हमारे यहाँ जिला शिक्षा अधिकारी ने ऐसा ही किया है और शाजापुर जिले से आगर जिले को जितने पद बंटवारे में मिलना चाहिए, नहीं मिले हैं. जैसे फर्नीचर का, कम्प्यूटर का बंटवारा नहीं हो पाया है.
अध्यक्ष महोदय-- यह प्रश्न में है ही नहीं.
श्री गोपाल परमार-- इसमें दो प्रश्न एक साथ हैं. चूंकि वहां जिला शिक्षा अधिकारी कुछ काम ही नहीं करना चाहते हैं. अलमारियों का बंटवारा नहीं हुआ, स्टॉफ का बंटवारा नहीं हुआ और जो पद शाजापुर जिले से आगर जिले को मिलना थे, वह भी नहीं मिले. मंत्री जी, आपको गुमराह किया गया है और आपको प्रश्न से संबंधित सारी जानकारी असत्य दी गई है. मैं आपको वास्तविकता बता रहा हूं क्योंकि मेरा स्वभाव ही अलग प्रकार का है कि मैं साफ-साफ बात करता हूं. प्रश्न के उत्तर में बताया गया कि जिला क्रीड़ा अधिकारी का 1 पद, मुख्य लिपिक का 1 पद, सहायक ग्रेड का 1 पद, सहायक ग्रेड के 2 पद, वाहन चालक का 1 पद हैं. लेकिन यह इन्होंने कागज पर ही दे दिये हैं तो क्या आपने कागज में स्वीकृति दी है. आप वास्तविकता की जांच कराकर उन पदों की वापस पदपूर्ति कराएंगे क्या. माननीय अध्यक्ष, उसके बाद शासन द्वारा कार्यालय के विकास के लिए जो राशि वर्ष 2013-14 और वर्ष 2014-15 में प्राप्त होना चाहिए थी. क्या वह राशि भी उन्होंने नहीं दी और खुद ने रख ली है, क्या इस बात की भी जांच कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय-- इन दो प्रश्नों का उत्तर तो ले लीजिये.
कुंवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी की मंशानुसार जो नया जिला बना है और उसमें जहाँ तक कर्मचारियों का बंटवारा है, फर्नीचर का बंटवारा है वह बंटवारा हम पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं. मैं माननीय सदस्य की मंशा समझ गया है हम जांच करा लेंगे कि बराबर बंटवारा हुआ है या नहीं और जो लिखा है वह वहाँ पहुंचा है या नहीं पहुंचा है. अगर वह नहीं पहुंचा होगा तो संबंधित अधिकारी पर सख्त कार्यवाही करेंगे.
श्री गोपाल परमार-- अध्यक्ष महोदय, मैं दूसरी बात बताना चाहता हूं कि वहाँ मध्याह्न भोजन की भी कोई व्यवस्था नहीं है और सारे स्कूलों में, संविदा शिक्षको ने जो संविलियन होना था उसमें उस अधिकारी ने कोई पद का सदुपयोग नहीं किया और 5-5 दिन तक हड़ताल करी, सारे कर्मचारी अधिकारी परेशान रहे. कलेक्टर ने चार-पांच बार जिला शिक्षा अधिकारी के लिए लिखकर दे दिया.
अध्यक्ष महोदय-- इससे यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री गोपाल परमार-- अध्यक्ष महोदय, क्या उस जिला शिक्षा अधिकारी को हटाकर इन सब बातों की जांच करवा लेंगे यह बता दीजिये.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी,अब मुख्य प्रश्न यह है.
कुंवर विजय शाह — विधायक जी की बातों से ऐसा लगता है कि वह उसकी कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं है उनकी कार्यप्रणाली की जांच कर लेंगे.
श्री गोपाल परमार— माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्यप्रणाली की बात नहीं है. उसको पद से हटाना पड़ेगा. मैं इस बात से सहमत नहीं हूं. मैंने पहले ही आपसे संरक्षण चाहा है. मैं विजय शाह जी से चाहता हूं कि आप जैसा युवा व्यक्ति यदि आपको क्षेत्र में कोई अधिकारी काम नहीं करता तो आप क्या करते बताइए? माननीय अध्यक्ष महोदय, उसको हटाना पड़ेगा उसकी कार्यपद्धति से मैंने आपके डी.पी.आई. को बताया आपके सारे अधिकारियों को पता है.
अध्यक्ष महोदय—उन्होंने जांच कराने का बोल दिया है.
श्री गोपाल परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके बाद भी अगर उसके खिलाफ कार्यवाही नहीं करते तो क्या मतलब रह जाएगा. हमारे विधायक बनने का क्या मतलब है माननीय अध्यक्ष महोदय, आप यह बताइए. आप अपने क्षेत्र की चिन्ता कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय—आप बैठ जाइए. वह जवाब दे रहे हैं.
कुंवर विजय शाह —माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे बहुत सीनियर विधायक हैं. अगर वह कुछ बोल रहे हैं तो कुछ न कुछ बात होगी ही, उसको हटा दिया जाएगा.
श्री गोपाल परमार—बहुत बहुत धन्यवाद.
उप स्वास्थ्य केन्द्रों में मेडिकल स्टाफ की पूर्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
11. ( *क्र. 2031 ) श्री कमलेश्वर पटेल : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या उप स्वास्थ्य केन्द्र मेडिकल स्टाफ की कमी की वजह से बंद रहते हैं? (ख) यदि हाँ, तो इसमें स्टाफ बढ़ाने के लिये कौन से कदम उठाये जा रहे हैं अथवा उठा लिये हैं?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी नहीं। (ख) प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्न था मेडिकल स्टाफ की कमी उप स्वास्थ्य केन्द्रों में माननीय मंत्री जी का जवाब आया है कि प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता. जब प्रश्न उपस्थित ही नहीं होता है तो हम क्या प्रश्न करें.
अध्यक्ष महोदय—(क) में तो नहीं लिखा (ख) में लिखा है कि प्रश्न उपस्थित होता है.
श्री कमलेश्वर पटेल— माननीय अध्यक्ष महोदय,अजब प्रश्न उपस्थित ही नहीं होता है, जब क्रियान्वयन ही नहीं करना है तो फिर क्या प्रश्न करें. पूरे मध्यप्रदेश में सभी अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी है और हमारे विधानसभा क्षेत्र में भी कई उप स्वास्थ्य केन्द्र बनकर तैयार हैं परंतु उनमें ताले लगे हुए हैं. भवन बने हुए लगभग दो साल से ज्यादा का समय हो गया है और जहां लोकार्पण भी हो गया है. हम खुद भी वहां गए थे. वहां भी ताला लगा रहता है. यह पूरे मध्यप्रदेश की समस्या है.
अध्यक्ष महोदय—आपने कोई स्पेसिफिक प्रश्न नहीं पूछा है. कौन से स्वास्थ्य केन्द्र बंद रहते हैं. कौन- कौन से स्टाफ के लोग हैं. आपने जो प्रश्न पूछा है आप जरा उसको पढ़ लें. यह वेग प्रश्न है. इसमें स्पेसिफिक कुछ है ही नहीं.
श्री कमलेश्वर पटेल—मैं आपको नाम बता देता हूं.
अध्यक्ष महोदय—आप अब स्पेसिफिक प्रश्न पूछ लीजिए हम आपको अनुमति दे रहे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल—हमारे सिंहावल ब्लॉक में बलेहा उप स्वास्थ्य केन्द्र, सिंहावल ब्लॉक में ही चमरउहा, पहाड़ी, हटवा, भिलवार, गैरूआ, कई जगह बनकर तैयार हैं पर स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के वजह से उप स्वास्थ्य केन्द्र का संचालन नहीं हो रहा है. ऐसे कई अन्य उदाहरण भी हैं. कब तक चालू हो जाएगा, कब तक स्वास्थ्य कर्मियों की व्यवस्था हो जाएगी.
श्री रुस्तम सिंह— माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस बात के लिए माननीय विधायक जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्हें अपने विधान सभा क्षेत्र की ज्यादा चिन्ता नहीं की पूरे प्रदेश की चिन्ता उन्होंने की अपनी विधानसभा को छोड़कर पूरे प्रदेश के लिए प्रश्न पूछा. यद्यपि वह शामिल है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि आपके दो ब्लॉक आते हैं एक तो सिंहावल आता है और एक देवसर आता है यह जानकारियां आपने मांगी नहीं हैं लेकिन मैं जानता था कि आप यही जानना चाहेंगे इसलिए हमने यह जानकारियां निकलवा लीं. सिहावल में 39 उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं उनमें से 32 भरे हुए हैं 7 खाली हैं इसी तरह से देवसर में 58 उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं 51 भरे हुए हैं 7 खाली हैं. जो 7- 7 पद खाली हैं उनमें मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम उनको भी शीघ्र भर देंगे. हमारे यहां पूरे प्रदेश में 798 वेकेन्सीज़ हैं हैं इनकी हम पूर्ति करने जा रहे हैं. प्रक्रिया चालू हो गई है. जैसे ही होती है आपके साथ- साथ दोनों ब्लॉक के भी भर दिए जाएंगे आपको और कहीं भी कमी है तो आपको मेरे से व्यक्तिगत बात कर सकते हैं. इनसे, इनके पिताजी से, इनके परिवार से तो यह तो मेरे से बात कर ही सकते हैं कोई दिक्क्त नहीं है.
अध्यक्ष महोदय—इसीलिए तो उनने आपसे पूरे प्रदेश भर का पूछ लिया है.
श्री कमलेश्वर पटेल—माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का बहुत बहुत धन्यवाद, परंतु मेरा निवेदन सिर्फ इतना है कि कब तक भर दिए जाएंगे दूसरा माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिए 2013 में भूमि पूजन किया था
अध्यक्ष महोदय—स्थान बताइए.
श्री कमलेश्वर पटेल—तहसील मुख्यालय बहरी और इसी तरह देवसर जो ब्लॉक मुख्यालय है. वहां का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बंद करके दूसरी जगह प्राथमिक स्वास्य केन्द्र में तब्दील कर दिया है. यह दोनों कब तक हो जाएगा यह भी माननीय मंत्री जी के माध्यम से जानना चाहेंगे.
अध्यक्ष महोदय—इससे उद्भूत कुछ नहीं होता है.
श्री रुस्तम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, कहीं से कहीं तक यह उद्भूत नहीं होता है. मैंने कहा ही है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द की बाकी जो सुविधा है उस पर भी हम लोग निश्चित रुप से सहानुभूतिपूर्वक विचार भी करेंगे और जन स्वास्थ्य के लिए जो सुविधाएं और दी जा सकती हैं उस पर भी विचार करेंगे.
सिविल सर्जन के विरूद्ध प्राप्त शिकायत पर कार्यवाही
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
12. ( *क्र. 1760 ) श्री मुकेश नायक : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पन्ना जिले के जिला चिकित्सालय में पदस्थ सिविल सर्जन डॉ. राजेश श्रीवास्तव के खिलाफ जिला कलेक्टर, लोक स्वास्थ्य मंत्री जी को की गई शिकायतों के संबंध में अब तक की गई कार्यवाही की जानकारी देवें? (ख) डॉ. राजेश श्रीवास्तव वरिष्ठता सूची में काफी पीछे हैं, फिर भी वरिष्ठों की उपेक्षाकर उन्हें सिविल सर्जन किस कारण बनाया गया? (ग) डॉ. राजेश श्रीवास्तव द्वारा पन्ना जिला चिकित्सालय परिसर में डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों को आवास आवंटन के मामले में नियमों की उपेक्षा करने और अपात्रों को आवास आवंटन करने की शिकायत पर शासन ने क्या कार्यवाही की है?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) पन्ना जिले के जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन के पद पर पदस्थ डॉ. राजेश श्रीवास्तव के विरूद्ध कलेक्टर को प्राप्त दो शिकायतों का जाँच प्रतिवेदन, कलेक्टर पन्ना द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से प्राप्त की जो कलेक्टर पन्ना के अधीन परीक्षणाधीन है, के अतिरिक्त संचालनालय स्तर से डॉ. राजेश श्रीवास्तव, सिविल सर्जन पन्ना के विरूद्ध प्रशासनिक पद पर रहते हुये शासन को आर्थिक क्षति पहुँचाये जाने संबंधी शिकायत प्राप्त होने पर प्राप्त शिकायत जाँच हेतु क्षेत्रीय संचालक, स्वास्थ्य सेवायें, सागर की ओर भेजते हुये जाँच प्रतिवेदन चाहा गया जो अप्राप्त है। (ख) प्रशासकीय पदों का दायित्व, अधिकारी की कार्य दक्षता एवं उनके व्यवहार कुशलता पर उन्हें सौंपा जाता है अतः यह कहना सही नहीं होगा कि डॉ. राजेश श्रीवास्तव वरिष्ठता सूची में काफी पीछे हैं, फिर भी वरिष्ठों की उपेक्षाकर उन्हें सिविल सर्जन बनाया गया। (ग) पन्ना जिला चिकित्सालय परिसर में डॉ. राजेश श्रीवास्तव द्वारा डॉक्टरों/अपात्रों को शासकीय आवास आवंटन के संबंध में डॉ. आलोक गुप्ता द्वारा शिकायत करने के पश्चात उनके द्वारा माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर में याचिका क्रमांक डब्ल्यू.पी. 14204/2015 दायर की जिस पर माननीय न्यायालय द्वारा उक्त याचिका पर आदेश दिनांक 26.08.2015 पारित किया गया, जिस पर सागर कमिश्नर द्वारा डॉ. गुप्ता को समक्ष में उपस्थित होने के निर्देश देते हुये माननीय न्यायालय द्वारा पारित आदेश के संबंध में यह निर्णय दिया गया कि शासकीय आवास क्रमांक एफ से आई टाईप के निवास स्थानों के संबंध में किसी स्थान विशेष में कार्यभार ग्रहण करने की तारीख उसकी इस प्रकार के निवास स्थान के लिये अग्रता तारीख होगी, किंतु यह केवल तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पर ही लागू होगा, शिकायतकर्ता के स्वयं चिकित्सा अधिकारी के पद पर पदस्थ होने के साथ ही द्वितीय श्रेणी की परिधि में आने के परिणामस्वरूप उक्त प्रावधान उन पर लागू नहीं होता।
श्री मुकेश नायक--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में स्वास्थ्य मंत्री जी ने यह कहा है कि किसी जूनियर डॉक्टर को उसकी दक्षता और व्यवहार कुशलता के आधार पर सीनियर चिकित्सक के ऊपर बैठाया जा सकता है. दूसरा प्रश्न जो मैंने पूछा था उसके उत्तर में माननीय मंत्री जी ने यह कहा है कि उनके विरुद्ध जो शिकायतें प्राप्त हुईं थीं वह शिकायतें कलेक्टर साहब को भेजी गईं व इनके संभागीय अधिकारी को भेजी गईं. दो प्रश्न मैं पूछना चाहता हूँ और प्रश्न पूछने के पहले एक बात और इनसे कहना चाहता हूँ कि देखिए बहुत अल्प समय हुआ है आपको मंत्री बने हुए और कभी कभी ऐसा होता है कि जैसे एक खराब पड़ोसी अगर मिल जाए तो उसके द्वारा फेंके गए कचरे को एक भले पड़ोसी को उठाना पड़ता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से यह प्रश्न है कि मंत्री जी यह बताने की कृपा करें कि उनसे कितने वरिष्ठ चिकित्सक उस हास्पिटल में मौजूद हैं, जिनकी अनदेखी करके इनको बड़े पद पर बैठाया गया. दूसरी बात एनएमडीसी ने अस्पताल के लिए 50 लाख रुपये स्वीकृत किए थे और उन्होंने उससे दोगुने पैसे खर्च कर दिए तो यह जो दोगुने पैसे खर्च कर दिए. इसका स्त्रोत क्या था ? यह शिकायत का एक हिस्सा है. किसकी सहमति से इन्होंने यह पैसे खर्च किए. इसका उत्तर आने के बाद एक प्रश्न और पूछूंगा.
श्री रुस्तम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुकेश जी तो बहुत विद्वान हैं. पहला प्रश्न जो इसमें उद्भूत नहीं होता है, मैं तो इतना ही कहना चाहता हूँ कि पड़ोसी इतने साफ-सुथरे हैं कि उस पर कुछ भी करने की जरुरत नहीं है लेकिन हम और बेहतर करें इसका प्रयास जरुर करेंगे. माननीय का एक प्रश्न और है कि थोड़ा सीनियरिटी में थोड़े कम डॉक्टर को सिविल सर्जन बना दिया. इसमें मैं विद्वान सदस्य को यह बताना चाहता हूँ कि ऐसे गवर्मेंट के रुल्स नहीं हैं कि एक्सीक्यूटिव एडमिनिस्ट्रेटिव जो पद होगा उस पर स्ट्रिक्टली सीनियरिटी से ही बैठेंगे और अगर ऐसा होता तो प्रदेश में बहुत गड़बड़ हो जाती क्योंकि जितने एडमिनिस्ट्रेटिव पद हैं एसपी के कलेक्टर के इनकी कभी सीनियरिटी से पदस्थापना नहीं हुआ करती है. अगर सीनियरिटी से पदस्थापना होती तो मैं इन्हीं की सरकार में जबलपुर का एसपी ही नहीं बन पाता.
अध्यक्ष महोदय--यह नियम उनको भी मालूम है. इस पर बहस नहीं होगी. मंत्री जी ने उत्तर दे दिया है. आपको एक प्रश्न और पूछना था वह पूछ लीजिए.
श्री मुकेश नायक--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तर्क है किसी जिले में उसी संस्थान में अगर ऐसा कोई आईपीएस अधिकारी हो जो वरिष्ठ हो और उसी संस्थान में एक ऐसा आईपीएस अधिकारी हो जो उससे जूनियर हो क्या उसको उसके ऊपर बैठाया जा सकता है.
श्री कैलाश चावला--उसका रिकार्ड अच्छा नहीं होगा.
श्री मुकेश नायक--नहीं नहीं रिकार्ड अच्छा है.
श्री रुस्तम सिंह--अध्यक्ष महोदय, यह जानते हैं कि आईपीएस अधिकारी एसपी के रुप में जिले में एक ही होता है. डाक्टर्स तो दस होते हैं.
श्री मुकेश नायक--डीआईजी होता है, आईजी होता है, एसपी होता है. एक प्रश्न और बचा है.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी आईपीएस पर जो चर्चा हुई है इसको विलोपित किया जाए क्योंकि डॉक्टरों से जुड़ा हुआ प्रश्न था और डॉक्टर की परिस्थितियां और आईएएस और आईपीएस की परिस्थितियां बहुत भिन्न हैं. डॉक्टरों की बेचारों की स्थिति यह होती है कि वे असिस्टेंट सर्जन अपाईंट होता है और रिटायर भी उसी पद पर होता है. अध्यक्ष महोदय, आप स्वयं इस पीड़ा को समझते हैं और आपके बैच के लोग इस बात को समझते हैं. यहां आईपीएस की यह स्थिति है कि जब तक सर्विस में रहे तब तक आईपीएस रहे और बाद में अब जबलपुर भी याद कर रहे हैं मंत्री बनने के बाद. अध्यक्ष महोदय :- इसमें विलोपित करने का क्या है.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष ( श्री बाला बच्चन) :- माननीय मंत्री जी सरकार तो आप चला रहे हो. यदि आपकी भी पीड़ा है तो आपने अभी तक इसमें परिवर्तन क्यों नहीं कराया.
श्री गोपाल भार्गव :- अध्यक्ष महोदय, जब डॉक्टर जब मंत्री बन जाये तो कभी रिटायर ही नहीं होते हैं.
श्री मुकेश नायक :- डॉक्टर साहब, खुद स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं.
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- भार्गव जी ने मेरी प्रशंसा की है या बुराई कर रहे हैं. यह तय हो जाये, मेरे बगल में बैठते हैं और यह क्लियर बात नहीं करते हैं.
अध्यक्ष महोदय :- नहीं, क्लियर ही है लगभग कि वह परेशान है .
श्री मुकेश नायक :- मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जो शिकायत करता की शिकायत है, यह प्रश्न उसी का हिस्सा है, इसीलिये अप्रासंगिक नहीं है, यह उद्भूत होता है. पिछले वर्ष जुलाई में मेडिकल बोर्ड का गठन हुआ, जिसमें उनके प्रमाण पत्र बनाना थे, जिनकी आंखे खराब हैं. उस मेडिकल बोर्ड में डॉक्टर के बजाय एक क्लेरिकर स्टॉफ को उस मेडिकल बोर्ड में रख दिया गया है और उसने यह प्रमाणपत्र बना दिये कि किसको कितना दिख रहा है. उस पर कोई कार्यवाही करेंगे क्या ?
अध्यक्ष महोदय:- यह उद्भूत कैसे होगा इस प्रश्न में.
श्री रूस्तम सिंह :- अध्यक्ष महोदय, अधिक ज्ञान होना झंझट की बात है.
श्री मुकेश नायक :- अध्यक्ष महोदय, शिकायतकर्ता ने कलेक्टर से शिकायत की है.
श्री रूस्तम सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, इतना अधिक ज्ञान मुकेश जी को है कि वह जिसका कहीं कोई सरोकार नहीं है
श्री मुकेश नायक :- नहीं, वह शिकायत का हिस्सा है, जो शिकायतकर्ता ने कलेक्टर को शिकायत की है.
जिला/राज्य बीमारी सहायता निधि अंतर्गत भुगतान
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
13. ( *क्र. 305 ) श्रीमती सरस्वती सिंह : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला/राज्य बीमारी सहायता निधि के अंतर्गत गरीबी रेखा के मरीजों को मान्यता प्राप्त अस्पतालों में ईलाज कराने पर सहायता राशि का भुगतान संबंधित अस्पताल को किया जाता है? (ख) यदि हाँ, तो सिंगरौली जिले में वर्ष 2015 एवं 2016 से प्रश्न दिनांक तक कितने ऐसे मरीजों को सहायता राशि भुगतान की गई है? अस्पतालवार विवरण देवें। (ग) क्या सहायता राशि के प्रकरण प्राप्त होने से लेकर स्वीकृत करने तक की कोई समय-सीमा निर्धारित है? (घ) ऐसे कितने प्रकरण हैं, जिन्हें सहायता राशि अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) आवेदन प्राप्त होने के 10 कार्य दिवस के अन्दर प्रकरण स्वीकृत करने की समय-सीमा निर्धारित है। (घ) निरंक।
श्रीमती सरस्वती सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा सवाल था राज्य बीमारी सहायता निधि के बारे में, मेरे क्षेत्र में अभी भी बहुत सारे आवेदन पड़े हुए हैं, उनको सहायता नहीं दी गयी है. क्या माननीय मंत्री जी उनको सहायता दी जायेगी ?
श्री रूस्तम सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न काफी संवेदनशील है. मैं इतना विश्वास दिलाना चाहता हूं कि सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं है, अगर कोई भी प्रकरण पेंडिंग होगा तो शीघ्रता से उसको मंजूर भी करवा देंगे और भविष्य में भी कोई प्रकरण पेंडिंग नहीं रहेगा. यह भी सुनिश्चित करा देंगे.
श्रीमती सरस्वती सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें जो समय सीमा दी गयी है कि 10 दिन के अंदर आवेदन स्वीकृत किया जाता है. परन्तु यह सत्य नहीं है. 10 दिन के अंदर कोई आवेदन स्वीकार नहीं किया जाता है. अध्यक्ष महोदय, आवेदन स्वीकृत होने में सालों लग जाते हैं. मैं निवेदन करना चाहती हूं कि यदि इस तरह से होगा तो जो सबसे ज्यादा जो बीमार लोग रहते हैं तो आपने जो नियम बनाया है उसका पालन किया जाये. कभी तो मरीज खत्म हो जाते हैं, तब सहायता मिलती है.
श्री रूस्तम सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि एक भी ऐसा प्रकरण है तो माननीय सदस्य बता देंगे तो जो दोषी होगा उस पर कड़ी कार्यवाही करेंगे. यह सुनिश्चित किया जायेगा.
स्कूल भवन निर्माण हेतु आरक्षित भूमि पर से अतिक्रमण को बेदखल किया जाना
[आदिम जाति कल्याण]
14. ( *क्र. 300 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या धार जिले की उप तहसील नालछा के पटवारी हल्का नं. 168 (70) ग्राम बगडी की आबादी भूमि में स्थित शासकीय भूमि, खसरा नं. 624 रकबा 1.202 हेक्टेयर भूमि कलेक्टर, जिला धार द्वारा प्रकरण क्र. 121 बी, 90-91 में आदेश दिनांक 27.06.1991 एवं तहसील आदेश क्र. 195/री-3/91, दिनांक 06.08.1991 के माध्यम से सहायक आयुक्त आदिवासी विकास धार को कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एवं विज्ञान कक्ष निर्माण हेतु हस्तांतरित की गई थी? (ख) कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बगडी हेतु आरक्षित उक्त भूमि पर भूखण्डों का विक्रय किसके संरक्षण में किसके द्वारा किया गया है? क्या शासन दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही करेगा अथवा यदि अतिक्रमण हो रहा है तो क्या विभाग अतिक्रमण को बेदखल कर विद्यालय हेतु आवंटित भूमि को सुरक्षित करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बगडी हेतु आरक्षित उक्त भूमि पर भूखण्डों का विक्रय नहीं किया गया है। ग्राम पंचायत हल्का पटवारी बगडी तहसील धार द्वारा दिनांक 25.11.2016 को मापन अनुसार शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय एवं शासकीय कन्या प्राथमिक विद्यालय, बगडी हेतु भूमि क्षेत्रफल 11522 वर्ग फिट (0.107 हेक्टेयर) पर स्कूल संचालित किया जा रहा है। शेष भवन पर अतिक्रमण है। चूँकि उक्त सर्वे नम्बर व रकबे की भूमि शासकीय अभिलेख में आबादी में दर्ज होने के कारण संबंधित ग्राम पंचायत को अतिक्रमण हटाने के अधिकार हैं। निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री कालुसिंह ठाकुर :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बगडी माध्यमिक विद्यालय में अतिक्रमण के संबंध में है. इसमें जानकारी मिली है कि भवन पर अतिक्रमण तो है. पंचायत इस अतिक्रमण को हटायेगी. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि पंचायत के पास ऐसा कोई अमला नहीं होता है. भवन पर भी अतिक्रमण है और प्रांगण पर भी अतिक्रमण है. अब उसमें विभाग ने कहा है कि पंचायत अतिक्रमण हटाये. लेकिन पंचायत अतिक्रमण हटाने में सक्षम नहीं है, उसके पास अमला नहीं है.
श्री लाल सिंह आर्य :- अध्यक्ष महोदय, एक तो भवन पर अतिक्रमण नहीं है. कोई टंकण की त्रुटि हो गयी होगी. जमीन पर अतिक्रमण है, हमने उसको स्वीकार भी किया है. जहां तक हटाने की कार्यवाही है. उसके बारे में प्राचार्य ने, सरपंच ने भी लिखा है और अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही हो यह सरकार की भी मंशा है. इसलिये पुन: यहां से निर्देश जारी करेंगे कि अतिक्रमण जल्दी से जल्दी हटाया जाये.
श्री कालुसिंह ठाकुर :- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी कह रहे हैं कि अतिक्रमण नहीं है.
अध्यक्ष महोदय :- मंत्री जी बोल रहे हैं कि अतिक्रमण है.
श्री कालुसिंह ठाकुर :- माननीय अध्यक्ष जी, अभी बता रहे हैं कि गल्ती से लिखा गया है. जबकि उसमें दुकान और चाय की गुमटी चल रही है.
श्री लाल सिंह आर्य :- अध्यक्ष महोदय, मैंने भवन का कहा है, मैंने कहा है कि जमीन पर अतिक्रमण है.
श्री कालुसिंह ठाकुर :- मंत्री जी भवन पर लिखा है और वहां पर चाय की दुकान चल रही है.
अध्यक्ष महोदय :- मंत्री जी, आप भवन और जमीन का सब अतिक्रमण हटवा दीजिये. मंत्री जी जो भी अतिक्रमण हो चाहे वह भवन का हो या जमीन को हो, उसको हटाने का निर्देश आप दे दीजिये. आपने दिये भी हैं और मानीटरिंग कर लीजिये.
श्री लाल सिंह आर्य :- जी हां. पुन: निर्देश जारी कर देंगे.
श्री कालुसिंह ठाकुर :- बहुत-बहुत धन्यवाद्.
प्रश्न संख्या--15
जिला चिकित्सालय सागर के ट्रामा सेंटर को प्रारंभ किया जाना
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
15. ( *क्र. 1489 ) श्री शैलेन्द्र जैन : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सागर जिला चिकित्सालय परिसर में नव निर्मित ट्रॉमा सेंटर प्रश्न दिनांक तक प्रारंभ नहीं हुआ है? यदि हाँ, तो किन कमियों के कारण ट्रामा सेंटर प्रारंभ नहीं हुआ है? (ख) क्या जिला चिकित्सालय सागर के सिविल सर्जन ने ट्रॉमा सेंटर प्रारंभ कराने हेतु वर्ष 2016 में कुछ आवश्यक कार्यों को कराने के लिए शासन को पत्र लिखा था? यदि हाँ, तो कौन-कौन से कार्य कराने के लिए पत्र में लेख किया गया था? उस पर शासन द्वारा प्रश्न दिनांक तक क्या कार्यवाही की गयी? (ग) शासन कब तक ट्रॉमा सेंटर को प्रारंभ करा देगा?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हाँ। ट्रामा सेन्टर के निर्माण कार्य की कमियों के कारण। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) यथासंभव शीघ्र।
श्री शैलेन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि सागर चिकित्सालय में जो ट्रामा सेन्टर बनना था उसकी स्वीकृति वर्ष 2011 में दी गई थी और 15 माह में यह काम कम्पलीट होना था, यह ट्रामा सेन्टर है, कोई बिल्डिंग का विषय नहीं है. दिसम्बर 2012 में जो कार्य पूरा हो जाना चाहिये था आज 2016 दिसम्बर होने जा रहा है, यह काम कब तक पूरा होगा? इसमें जो ठेकेदार दोषी हैं क्या उस ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही करके उसको ब्लेकलिस्टेड करने की कार्यवाही की जाएगी ?
श्री रूस्तम सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को इस बात के लिये धन्यवाद देना चाहता हूं कि इन्होंने स्वयं रूचि लेकर सागर के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पीटल में बहुत काम कराये हैं. मैंने स्वयं विधायक जी के साथ इसको देखा और मुझे यह लगा कि कोई भी चुने हुए प्रतिनिधि हैं वह समाज सेवा में काम करते हैं या रूचि लेते हैं तो कितना बेहतर काम शासन के सहयोग से हो सकता है, इसके साथ-साथ इन्होंने ट्रामा सेन्टर के निर्माण में बहुत रूचि ली है उसको व्यक्तिगत देखा इसीलिये इनको पूरी जानकारी है. वहां पर 99 प्रतिशत कमियों को ठीक कर दिया गया है. मुश्किल से छोटी-छोटी चीजें बची हैं, वह भी बहुत ही जल्दी ठीक हो जाएंगी, रहा सवाल ठेकेदार का तो उसको ब्लैकलिस्टेड किया जाए उसकी प्रक्रिया अलग है, इसको माननीय विधायक जी भी जानते हैं, यह हेल्थ विभाग का विषय नहीं है, लेकिन उसके लिये जरूर लिखेंगे कि इसके ऊपर ध्यान रखा जाए कि यह आदमी काम कैसा करता है. रहा सवाल ट्रामा सेन्टर के पूरी तरह से सही होकर चालू करने का तो बहुत जल्दी वह चालू कर दिया जाएगा, क्योंकि स्वयं माननीय विधायक जी बहुत रूचि लेते हैं, जब वह सागर रहते हैं हर 15 वें दिन जाकर के देखते हैं कि ट्रामा सेन्टर कितना बन गया है, जब वह इतनी रूचि लेते हैं तो मैं यह कहता हूं कि जब इसका पूर्ण निर्माण होगा तो उसका काफी श्रेय माननीय शैलेन्द्र जैन जी को जाएगा.
श्री शैलेन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का धन्यवाद. आप भी सागर आये हैं मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि ट्रामा सेन्टर में भवन के अलावा जो इक्यूपमेंट वगैरह हैं उनको चालू करना है वह इक्यूपमेंट हम लोगों को कब तक मिल जाएंगे और भवन तैयार होने के बाद ट्रामा सेन्टर शुरू नहीं हो पाएगा उसमें जो फेक्लटीज की आवश्यकता है और उसमें सबसे बड़ी आवश्यकता है वहां न्यूरोसर्जन की यह सारी व्यवस्थाएं आप कितने दिनों में पूरी करा देंगे?
श्री रूस्तम सिंह--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य भी जानते हैं कि डिस्ट्रिक्ट हॉस्पीटल में न्यूरोसर्जन नहीं हुआ करते हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, ट्रामा सेन्टर के लिये बोल रहे हैं ?
श्री रूस्तम सिंह--अध्यक्ष महोदय, ट्रामा सेन्टर में भी न्यूरोसर्जन, न्यूरोफिजीशियन अभी तो नहीं हैं, लेकिन ट्रामा सेन्टर जो मोटे तौर पर उसमें जो कार्यवाहियां हो सकती हैं अथवा जो इलाज हो सकता है उसके इक्यूपमेंट उसके डॉक्टर्स की पूर्ण व्यवस्था कर दी जाएगी.
स्कूल भवनों का निर्माण
[स्कूल शिक्षा]
16. ( *क्र. 1944 ) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्राथमिक शाला से माध्यमिक शाला एवं माध्यमिक शाला से हाई स्कूल तथा हाई स्कूल से हायर सेकेण्ड्री में उन्नयित शालाओं में नवीन भवन के निर्माण हेतु क्या प्रक्रिया है? विधानसभा क्षेत्र बिजावर में उपरोक्त उन्नयन की गई शालाओं में कब तक भवन निर्माण किया जा सकेगा? (ख) विधानसभा क्षेत्र बिजावर में शासकीय उ.मा.वि. सटई, मातगुवा, गुलगंज में क्या छात्र संख्या के मान से विद्यालय में पर्याप्त कक्ष हैं? यदि नहीं, तो क्या इन विद्यालयों में नवीन कक्ष निर्माण या नवीन भवन निर्माण की आवश्यकता है? यदि हाँ, तो नवीन कक्ष या भवन निर्माण किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुंवर विजय शाह)-
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक--अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय शिक्षा मंत्री जी से यह आग्रह है कि उन्होंने जो जवाब दिया है उसमें आया है कि सटई में 1429 विद्यार्थियों के बीच में 6 कमरे हैं, गुलगंज में 721 बच्चों के बीच में 5 कक्ष हैं, मातगुवा में 791 में 11 कक्ष हैं. मेरा निवेदन यह है कि माननीय मंत्री जी यह जवाब दे दें कि इनके लिये जो अतिरिक्त कक्ष अथवा भवन की आवश्यकता है उसमें बजट का प्रावधान अभी तक नहीं हुआ है तो इसके लिये क्या बजट का प्रावधान अगले बजट सत्र में करायेंगे क्या ?
कुंवर विजय शाह--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को खुश होना चाहिये आपके निवेदन पर हमने 6-6 हाईस्कूल की बिल्डिंग्स आपको दी है.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक--अध्यक्ष महोदय, 6 हाईस्कूल तथा 6 हायर सेकेन्ड्री स्कूल दिये हैं इसके लिये आपका बहुत बहुत धन्यवाद और अभी लिस्ट में हैं 10 स्कूल और चाहिये.
कुंवर विजय शाह--अध्यक्ष महोदय, अभी इन्होंने 2 हाईस्कूल या एक हायर सेकेन्ड्री स्कूल और दो अतिरिक्त कक्ष मांगे हैं उसमें भी एक हायर सेकेन्ड्री स्कूल के लिये 1 करोड़ 55 लाख रूपये हम आने वाले सत्र में जारी करवा देंगे और अतिरिक्त कक्ष के लिये भी राशि जारी करवा देंगे.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
रेडक्रास सोसायटी (मुरैना) के कर्मचारियों की सेवा में पुन: बहाली
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
17. ( *क्र. 2035 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला चिकित्सालय मुरैना की रेडक्रास सोसायटी द्वारा लंबे समय से पदस्थ नर्सिंग, इलेक्ट्रीशियन एवं सफाई कर्मचारियों को दिनांक 01.09.2014 से हटा दिया गया है? यदि हाँ, तो क्यों? (ख) क्या उक्त आदेश के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय, खण्डपीठ ग्वालियर में याचिका क्र. 5592/2014 पर स्थगन आदेश पारित किया है तथा एक अन्य याचिका क्र. डब्लू.पी. 7737/2014 में स्थगन आदेश पारित किया गया था, परंतु अस्पताल प्रशासन द्वारा नवम्बर 2016 तक किसी कर्मचारी को ट्रेनिंग नहीं कराई गई है? क्या कारण रहे? तथ्यों सहित पूर्ण जानकारी दी जावे। (ग) क्या उक्त प्रकरण में स्थगन आदेश के बावजूद कार्यरत कर्मचारियों को ना तो सेवा कार्य पर रखा है, ना ही उन्हें अभी तक वेतन भुगतान किया गया है? उन्हें कब तक कार्य पर रख वेतन भुगतान किया जावेगा?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हाँ। कर्मचारियों के प्रशिक्षित नहीं होने के कारण रेडक्रास सोसायटी मुरैना की दिनांक 01.09.2014 की बैठक में लिये गये निर्णय अनुसार कर्मचारियों को हटाया गया है। (ख) जी हाँ। माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर द्वारा न्यायालयीन प्रकरणों क्रमशः 5592/14 एवं 7737/2014 में दायर याचिका में स्थगन आदेश आगामी सुनवाई तक दिया गया। स्टाफ को ट्रेनिंग कराये जाने हेतु दिये गये आदेश के तारतम्य में संबंधित नर्सिंग स्टाफ की निर्धारित योग्यता न होने के कारण कर्मचारियों को प्रशिक्षण नहीं कराया गया। उक्त संबंध में माननीय उच्च न्यायालय को अवगत कराया गया है। प्रकरण वर्तमान में न्यायालय के अधीन विचाराधीन है। (ग) उत्तरांश (क) में उल्लेखित अनुसार सिविल सर्जन मुरैना के आदेश दिनांक 09.12.2014 के पालन में कर्मचारियों द्वारा कार्य पर उपस्थिति नहीं दिये जाने के कारण वेतन भुगतान नहीं किया गया है।
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार – अध्यक्ष महोदय, जिला चिकित्सालय मुरैना की रेडक्रास सोसायटी द्वारा लम्बे समय से पदस्थ नर्सिंग स्टाफ, इलेक्ट्रीशियन एवं सफाई कर्मचारियों को दिनांक 01.09.2014 से हटा दिया गया है. यदि हां, तो क्यों? क्या उक्त आदेश के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय, खण्डपीठ ग्वालियर में यह स्थगन आदेश पारित हुआ. मुझे जो जवाब मिला है उसमें माननीय मंत्री जी ने कहा है कि जी हां, कर्मचारियों के प्रशिक्षित नहीं होने के कारण रेडक्रास सोसायटी मुरैना की दिनांक 01.09.2014 की बैठक में उन कर्मचारियों को हटा दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय – आप संक्षेप में करें. समय हो गया है.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार – अध्यक्ष महोदय, मेरा इसी से एक मिलता-जुलता प्रश्न था कि दिनांक 11 दिसम्बर, 2015 को मैंने पूछा था कि क्या लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि क्या वर्ष 1998-99 मुरैना जिला चिकित्सालय परिसर में रेडक्रास सोसायटी की राशि से रेडक्रास वार्ड का निर्माण कराया गया था ? जिसमें नर्सिंग स्टाफ, इलेक्ट्रीशियन तथा सफाई कर्मचारी अस्पताल प्रबंधन की ओर से नियुक्त किये गये थे. जिन्हें वेतन दिया जाता था, उन्हें अकारण क्यों हटाया गया ? मुझे जो उस समय जवाब मिला था, उसमें माननीय मंत्री महोदय ने बताया था कि उसमें माननीय मंत्री महोदय ने कहा था कि यही सही है.
अध्यक्ष महोदय – आप सीधा प्रश्न करें.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार – मुझे जो 2015 में जवाब मिला था उसमें कहा गया है कि नसिंग स्टाफ, इलेक्ट्रीशियन एवं सफाई कर्मचारी को रेडक्रास सोसायटी द्वारा नहीं हटाया गया है.
अध्यक्ष महोदय – आप अभी क्या चाहते हैं, वह बताइये.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार – लेकिन आज जो जवाब मिला है, उसमें कहा गया है कि उन कर्मचारियों को सन् 2014 में ही हटा दिया गया था. उन कर्मचारियों को रखा जाये.
श्री रुस्तम सिंह – अध्यक्ष महोदय, हमारी विधानसभा में हॉस्पिटल है, मुझे स्वयं उसकी चिंता है लेकिन नियम में नहीं बनता है. रेडक्रास सोसायटी गवर्नमेंट की सोसायटी नहीं होती है, वह जिला चिकित्सालय के हिस्से में चलाते थे, वह बाद में बन्द हो गई. उसको बन्द हुए 2 वर्ष हो गए हैं. लोग हाईकोर्ट भी गए थे. हाईकोर्ट के डायरेक्शन थे कि अगर ये प्रशिक्षित हैं तो इनकी ट्रेनिंग करवा दी जाये. अगर ये एलिजिबल हैं तो इनका प्रशिक्ष्ाण करवा दिया जाये, वे एलिजिबल नहीं थे इसलिए उनका प्रशिक्षण नहीं हो पाया. लेकिन संवेदनशीलता को ध्यान में, फिर भी अगर कुछ हो सकता है तो जरूर करने का प्रयास करेंगे.
(प्रश्नकाल समाप्त)
(सर्वश्री बाला बच्चन, रामनिवास रावत, सुन्दरलाल तिवारी, जितू पटवारी एवं कुँवर विक्रम सिंह के एक साथ खड़े होकर बोलने पर)
अध्यक्ष महोदय – आप शून्यकाल की सूचनाएं हो जाने दें. सिर्फ एक मिनट लगेगा. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत – अध्यक्ष महोदय, सभी हो गया है. आज विधानसभा भी समाप्त हो जायेगी.
अध्यक्ष महोदय – आप किस विषय पर बोल रहे हैं ?
श्री रामनिवास रावत – मैंने स्थगन दिया हुआ है कुपोषण जैसे मुद्दे पर 139 पर चर्चा आपने कार्यमंत्रणा समिति में ग्राह्य की और आपने कहा था कि चर्चा कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय – आप रोज वही विषय उठाते हैं. मैंने कल आपसे कहा कि आप बात करने के लिए कक्ष में आ जाइये.
श्री रामनिवास रावत – हम रोज-रोज कक्ष में आएं.
अध्यक्ष महोदय – नहीं, मैंने आपसे कल ही कहा था. लेकिन आप जान-बूझकर नहीं आए.
श्री रामनिवास रावत – (XXX)
अध्यक्ष महोदय – आप यह आरोप मत लगाइये. आप बिल्कुल आरोप नहीं लगा सकते. आसन्दी पर आरोप रिकार्ड नहीं होंगे. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत – मेरे प्रश्न के जवाब में आज ही आया है.
अध्यक्ष महोदय – मैंने आपको आश्वस्त किया था कि आप आइये. उसको नियम में लेंगे. आप बात करने नहीं आए. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत – (XXX)
अध्यक्ष महोदय – मुझे क्या मालूम कि आपको इंट्रेस्ट है कि नहीं. यह रिकार्ड नहीं किया जायेगा.
श्री रामनिवास रावत – अध्यक्ष महोदय, इंट्रेस्ट क्यों नहीं है ? तो यहां हम क्यों आते हैं ?
अध्यक्ष महोदय – आप यहां बोलते हैं और बात नहीं करते हैं. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत – मैंने स्थगन भी दिया है, ध्यानाकर्षण भी दिया है एवं 139 पर चर्चा के लिए भी दिया है. यह इतना संवेदनशील मुद्दा है कि 123 जिलों में 10,000 बच्चे मर चुके हैं एवं 80 बच्चों की रोज मृत्यु हो रही है. आपने मेरे ऊपर आरोप लगाया है कि मैं चर्चा नहीं करवाना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय – आप मुझ पर आरोप लगा रहे हैं. आप 3 दिन से आरोप लगा रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत – (XXX)
अध्यक्ष महोदय – यह नहीं लिखा जायेगा.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) – अध्यक्ष महोदय, कार्यमंत्रणा में सत्र का एजेन्डा तय होता है एवं बिजनेस तय होता है.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) – अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है एवं एक प्वाईंट ऑफ आर्डर है.
श्री बाला बच्चन – माननीय मंत्री जी पहले हमारी बात सुन लें. हम लोग दोनों खड़े थे. (व्यवधान)
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुंवर विजय शाह) – आपकी बात क्या सुन लो ? आप नियम से ही नहीं उठा रहे हैं. आप नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत – आप नियम सिखाओगे. आप जानते हैं कि नियम क्या होते हैं? (व्यवधान)
कुंवर विजय शाह – आप क्या बात कर रहे हो ? आप गलत बातें कर रहे हैं ? (व्यवधान)..ये आसंदी का सम्मान नहीं कर रहे हैं, परम्परा का पालन नहीं कर रहे हैं, आपको इस संबंध में माफी मांगनी चाहिए.
श्री रामनिवास रावत - आसंदी का सम्मान करना आपका काम है. (xxx) प्रभारी नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन) - कार्यमंत्रणा में ये तय हुआ है, जिसमें सत्र का ये बिन्दु तय होता है, जिसमें 193 की चर्चा कुपोषित बच्चों से संबंधित विषय पर चर्चा होगी ये तय हुआ था. माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्यमंत्रणा की बैठक में जो तय हुआ था उसी विषय पर तो हम चर्चा करना चाहते हैं.
संसदीय कार्यमंत्री (डा. नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है, लगातार जो व्यवधान होता है, यहां पर इसी तरह से जो स्थगन आपने लिया वह स्थगन उठाया और स्थगन की चर्चा आने के पहले भी इन्होंने चर्चा में मुख्यमंत्री जी का जबाव नहीं सुना और चले गए. कल बजट पर चर्चा हुई, चर्चा रामनिवास रावत जी ने शुरू की थी, वित्त मंत्री जी ने जब चर्चा का जबाव दिया तो रावत जी चले गए. माननीय अध्यक्ष महोदय, चर्चा इस तरह से उठाना, व्यवधान करना और चर्चा में भाग न लेना. कल आपने देखा कालूखेड़ा जी कह रहे थे, मैं था और आप भी साक्षी है, इसको भले ही आप अगले सत्र में ले लेना, जिस विषय को रामनिवास रावत जी उठा रहे हैं, उसी विषय को इनके वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि आप इसको अगले सत्र में ले लेना, आपने भी आसंदी से इनसे भी कहा कि इस विषय पर आप आकर चर्चा कर लें, इसके बावजूद भी व्यवधान हो रहा है. मैं चाहता हूं कि आप इस पर कोई व्यवस्था दे कि जो लोग जिस विषय को उठाते हैं, उस विषय पर कम से कम चर्चा पूरी होने तक तो रहे, रहते नहीं है कोई भी विषय उठा देते हैं.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा भी व्यवस्था का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाए, कृपया करके अनर्गल आरोप न लगाए. जो बात संसदीय कार्यमंत्री जी ने कहीं, वह सारे सदन ने सुनी, लेकिन मैं कोई आक्षेप नहीं लगाना चाहता, क्योंकि यहां बैठकर के आरोप लगाना, आसंदी की मर्यादा के खिलाफ हैं. इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा, कल जब आदरणीय वरिष्ठ सदस्य ने कहा था, तब आपने यह नहीं कहा कि नहीं अध्यक्ष महोदय, अगले सत्र में नहीं अभी चर्चा कर लीजिए, तब आप मौन हो गए, उसके बाद भी मैंने आपने कहा था कि आप आइए, बात कर लेते हैं, तब आप नहीं आए, मैंने आपको नियम भी बताया था कि इस नियम के अंतर्गत लेने को तैयार है, तब आप नहीं आए और यहां पर आकर आरोप लगाते हों, यह उचित नहीं है. यह रिकार्ड में नहीं आएगा.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी न तो कतई आरोप लगाने की मंशा है न ही आरोप लगाते हैं. पिछली विधानसभा में भी आसंदी से आपने कहा था कि सिंहस्थ पर चर्चा कर लेंगे. (xxx)
अध्यक्ष महोदय - आपकी उपस्थिति में आपके ही सदस्य ने कहा था, तब आप चुप रह गए थे, तब क्यों नहीं कहा कि नहीं ये चर्चा इसी सत्र में, आज ही लेंगे, तब आप शांत हो गये. ये विषय यहीं समाप्त होता है.
श्री रामनिवास रावत - पिछली विधानसभा का रिकार्ड देख लीजिए. (xxx) माननीय अध्यक्ष महोदय प्रदेश में 80 बच्चे रोज कुपोषण से मर रहे हैं, मेरे आज के ही प्रश्न के जबाव में कुपोषण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर सरकार गंभीर नहीं है, (xxx) सरकार चर्चा कराने के लिए तैयार नहीं है, यह बड़ा पीड़ादायक है, कष्टदायक है.
अध्यक्ष महोदय - यह रिकार्ड में नहीं आएगा.
12:08 बजे नियम 276-क के अधीन विषय
12:09 बजे बहिर्गमन
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष, श्री बाला बच्चन के नेतृत्व में कुपोषण के संबंध में नियम 139 के अधीन चर्चा नहीं कराए जाने के विरोध में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, इतना बड़ा ज्वलंत मुद्दा है, 80 कुपोषित बच्चों की मौत हो रही है और विधानसभा इस पर चर्चा नहीं कराना चाहा रही है. आज ही श्री रामनिवास रावत जी के प्रश्न के जबाव में आया है कि 80 बच्चों की हर दिन मौत हो रही है, जिसमें हमारे आदिवासी क्षेत्रों के काफी बच्चों की मौत हो रही है. (xxx) और मैं समझता हूं कि सरकार गंभीर नहीं है और इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रही है, इस कारण हम सदन से बहिर्गमन करते हैं. प्रभारी नेता प्रतिपक्ष, श्री बाला बच्चन के नेतृत्व में कुपोषण के संबंध में नियम 139 के अधीन चर्चा नहीं कराए जाने के विरोध में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया.
शून्यकाल में उल्लेख(क्रमश:)
विदिशा जिले में हुई साम्प्रदायिक घटना की ज्यूडिशियल इन्क्वायरी कराने का उल्लेख
श्री आरिफ अकील (भोपाल उत्तर)- अध्यक्ष महोदय जी, आपने मेरा नाम पुकारा है. मेरी शून्यकाल की सूचना यह है कि विदिशा जिले में पिछले दिनों जो साम्प्रदायिक घटना हुई, उसमें जिस तरह से तांडव मचाया गया, उसकी ज्यूडिशियल इन्क्वायरी कराने के लिए मैंने आपको ध्यानाकर्षण दिया है. मैंने माननीय गृहमंत्री और मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है. कृपया करके आप उनके जख्मों पर मरहम तो नहीं लगा सके, लेकिन ज्यूडिशियल इन्क्वायरी करके जिनका नुकसान हुआ है, उनको मुआवजा दिलाने की कृपा करेंगे, ऐसा अनुरोध है और आपने जिस तरह से सहयोग दिया है, गृहमंत्री जी मुझे उम्मीद है कि ज्यूडिशियल इन्क्वायरी के लिए आप आगे बात करेंगे.
(संसदीय कार्य मंत्री, डॉ. नरोत्तम मिश्र द्वारा बैठे बैठे श्री आरिफ अकील जी को कहने पर कि आप बाहर जाओ, नहीं तो पार्टी से अलग हो जाओगे)
श्री आरिफ अकील -- हमारी पार्टी हम खुद हैं.
..(हंसी)..
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- अध्यक्ष महोदय, पूरी कांग्रेस का ही यह रोग है. हर व्यक्ति अपने आप में पार्टी है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, जहां तक कुपोषण का सवाल है, हमारे संविधान के अनुच्छेद में उन बच्चों को स्पेशल प्रोटेक्शन दिया गया है. इस सदन में संविधान का सम्मान नहीं हो रहा है. कम से कम संविधान का तो सम्मान हो.
अध्यक्ष महोदय -- आप पहले संविधान पढ़कर आइये.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, एक कांग्रेस के सदस्य कह गये कि मैं खुद ही पार्टी हूं. लगता है कि पूरी कांग्रेस पार्टी एक मानव संग्रहालय हो गयी है. (XXX).
श्री बाबूलाल गौर -- अध्यक्ष महोदय, मानव संग्रहालय कहना अपमान है. ये मानव संग्रहालय नहीं हैं.
12.11 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) दि प्रोविडेंट इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड का 87वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-2014.
(2) मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित का द्वितीय वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-2014 एवं तृतीय वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2014-2015.
12.12 बजे ध्यान आकर्षण
(1) सीधी एवं सिंगरौली जिले में गरीबी रेखा के हितग्राहियों के नाम काटे जाना.
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) -- अध्यक्ष महोदय, हमें जवाब तो मिला ही नहीं है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य कह रहे हैं कि जवाब नहीं मिला है. इनके पिताजी बहुत वरिष्ठ विधायक रहे हैं. वे उनसे ही पूछ लें. वैसे स्थगन और ध्यान आकर्षण की सूचनाओं का जवाब नहीं दिया जाता है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, पहले मिला है, जवाब आता है.
श्री गोपाल भार्गव -- नहीं आता है.
अध्यक्ष महोदय -- यहीं दे देते हैं आपकी सुविधा के लिये. वैसे कायदा वही है कि मंत्री जी जो उत्तर देते हैं, उस पर से से ही प्रश्न पूछना पड़ता है.
श्री वैलसिंह भूरिया -- कमलेश्वर जी, पढ़कर नहीं आये, पढ़कर आया करो. बिना पढ़े लिखे काम नहीं चलेगा.
श्री कमलेश्वर पटेल --आप कितने विद्वान हैं, हमको मालूम है. आप अपना स्थान ग्रहण करें.
अध्यक्ष महोदय -- कमलेश्वर जी, आप अपनी ध्यान आकर्षण की सूचना पढ़ें.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है -
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) --माननीय अध्यक्ष महोदय,
12.16 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
सदन की दीर्घा में उपस्थित श्री महेश आर्य,सदस्य उत्तरप्रदेश विधान परिषद का स्वागत उल्लेख.
अध्यक्ष महोदय--आज सदन की दीर्घा में श्री महेश आर्य, उत्तरप्रदेश विधान परिषद के सदस्य उपस्थित हैं. सदन की ओर से उनका स्वागत है.
12.17 बजे
ध्यानाकर्षण (क्रमश:)
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले विधानसभा सत्र में भी हमने यह विषय उठाया था, मंत्री जी ने वही जानकारी दे दी है. पिछले सत्र में भी गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के नाम काटने पर चर्चा हुई थी. अध्यक्ष महोदय, पूरी तरह से पात्र हितग्राहियों के नाम काटे गये हैं. ऐसे लोगों के नाम कटे हैं जो कि विकलांग हैं, विधवा हैं, निराश्रित हैं , ऐसे लोगों की वृद्धावस्था पेंशन बंद हो गई, खाद्यान मिलना बंद हो गया. मैं मंत्री जी से यह चाहता हूं कि इस मामले में आप क्या कोई कमेटी वहां भेजकर के इस पूरे मामले की जांच करायेंगे ? दूसरा प्रश्न मेरा है कि ग्रामोदय से भारत उदय अभियान के तहत पंचायतवार कुल कितने आवेदन प्राप्त हुये और कितने का निराकरण किया गया ?
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो ध्यानाकर्षण सूचना है इसमें दो जिलों के बारे में संपूर्ण जानकारी मांगी है जो कि हमने समेकित रूप से माननीय सदस्य को उपलब्ध कराई है. अध्यक्ष महोदय, 3 ग्राम सभा की बैठकें हुई थीं. इन ग्रामसभा की बैठकों के दौरान जो भी आवेदन आये कि इनका नाम काट दिया जाये, या इनका नाम जोड़ा जाये. उन्हीं ग्रामसभाओं की बैठक के आधार पर यह नाम का जोड़ना और काटना हुआ है. इसके बाद में अपील अथारिटी का प्रावधान है, दूसरी अपील करने का प्रावधान है. मैं मानकर के चलता हूं कि पहले वहां पर आवेदन करना चाहिये और यदि वहां पर न्याय नहीं मिले तब फिर शासन से संपर्क करें तो शासन इस पर कुछ विचार करेगा. मैं माननीय सदस्य से यह जानना चाहता हूं कि तहसीलदार ने क्या उनका आवेदन खारिज कर दिया है या एसडीएम ने खारिज कर दिया या कलेक्टर ने खारिज कर दिया है . अब भोपाल से सीधे अधिकारी भेजकर के हजारों नाम की स्कूटनी नहीं की जा सकती है, पहले यहां पर यह जानकारी आ जाये कि क्या उन्होंने सारे के सारे खारिज कर दिये और खारिज किये तो कोई वैध आधार है क्या ? यदि वैध आधार है तो उसको मानना पड़ेगा जो कट-आफ-मार्क्स भारत सरकार ने तय किये हैं, उसके आधार पर यदि गरीबी की रेखा की सूची में नाम जुड़ता अथवा कटता है तो उसके लिये मान्य करना पड़ेगा.
श्री कमलेश्वर पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार ने तहसीलों में एसडीएम कार्यालय में सब जगह तो रेट फिक्स करके रखा है विकलांग व्यक्ति, निराश्रित व्यक्ति, वृद्ध व्यक्ति कहां से अपील करेगा और कहां से एसडीएम कार्यालय के वो चक्कर लगायेगा. अगर अन्याय हुआ है तो क्या शासन पंचायतवार शिविर लगाकर के यह व्यवस्था नहीं कर सकता है ? जितने आवेदन मिले थे उन आवेदनों का अभी तक निराकरण ही नहीं हुआ है. मेरा मंत्री जी से प्रश्न है कि जो आवेदन पत्र प्राप्त हुये थे उनकी संख्या कितनी थी, कितनों का निराकरण किया गया, कितने पात्र पाये गये, कितने अपात्र पाये गये. क्या मंत्री जी सीधी और सिंगरौली जिले की पंचायतवार जानकारी यहां पर नहीं दे सकते हैं ?
अध्यक्ष महोदय- ध्यानाकर्षण में जानकारी कैसे देंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, मेरे उत्तर में ही सारी जानकारी आ गई है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्रामोदय से भारत उदय अभियान के तहत जो आवेदन लिये गये थे अभी तक किसी भी आवेदन का निराकरण नहीं हुआ है. एक दूसरा अभियान तो इनका शुरू होने वाला है. मुझे लगता है कि सिर्फ जनता को दिग्भ्रमित करने के लिये आवेदन जमा करा रहे हैं. आवेदन जमा करने में भी गरीब जनता का पैसा खर्च होता है.
अध्यक्ष महोदय- भाषण का अवसर ध्यानाकर्षण में नहीं रहता है. न ही इतने विस्तार से बताया जा सकता है. मंत्री जी आपके पास में कुछ जानकारी हो तो वह आप दे दें.
श्री गोपाल भार्गव- अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि 3 ग्रामसभाएं 9वें महीने में हुई थीं. उन ग्रामसभा की बैठकों में पूरे गांव के लोग एकत्रित होते हैं और वह कहते हैं कि यह पात्र है और यह पात्र नहीं है. उस आधार पर निर्णय होते हैं. इसके बाद में यह व्यवस्था है कि तहसील इसके लिये आप आवेदन कर सकते हैं. तहसील में आप आवेदन कर सकते हैं, तहसीलदार से यदि आप असंतुष्ट हों तो आप एसडीएम के यहां कर सकते हैं, एसडीएम से आप संतुष्ट नहीं हों तो कलेक्टर या एडिश्नल कलेक्टर के यहां कर सकते हैं.
एक माननीय सदस्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय-- ध्यानाकर्षण में यह परंपरा नहीं है कि जो सदस्य का नाम हो उसके अलावा पूछने दिया जाये. अनुमति इसलिये नहीं है क्योंकि इसमें परंपरा नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसलिये भी माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूं, इन्होंने तो वैसे प्रश्न किया है सीधी और सिंगरौली का, लेकिन मैं बताना चाहता हूं ग्रामोदय से भारत उदय अभियान के अंतर्गत जो वृद्धावस्था पेंशन है उसके 84 हजार 49 हितग्राही अतिरिक्त, उनके मंजूर किये गये जो वृद्धावस्था पेंशन के थे, विधवा पेंशन के 38 हजार 172, निशक्त पेंशन के 10 हजार 258 और सामाजिक सुरक्षा पेंशन के 36 हजार 726. ऐसा नहीं है सरकार ने उदार भाव से नाम जोड़ने का काम किया है और इसलिये मैं कह रहा हूं कि यदि कोई खामी रह गई है, या कहीं कोई त्रुटि है, कोई सुन नहीं रहा है तो उसके लिये आप हमें अवगत करायें, हम फिर से उसे दिखवा लेंगे.
श्री अनिल फिरोजिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक मिनट.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, ध्यानाकर्षण में अनुमति नहीं दी जाती. ... (व्यवधान).... बैठ जायें, कमलेश्वर जी बैठ जायें आपको बहुत समय दे दिया. श्री जितू पटवारी जी कृपया अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें. ... (व्यवधान).... कोई एलाऊ नहीं है. ... (व्यवधान).... कोई प्रश्न एलाऊ नहीं होगा. किसी अन्य माननीय सदस्य का एलाऊ नहीं होगा. काल अटेंशन में यह परंपरा नहीं है. श्री कमलेश्वर पटेल से अनुरोध है कि वह बैठ जायें, आप दूसरों के में व्यवधान नहीं डाल सकते. श्री जितू पटवारी जी अपनी ध्यानाकर्षण पढ़ें, उमंग सिंगार जी बैठ जाइये, आप उनकी मदद नहीं करें, वह खुद ही सक्षम हैं ... (व्यवधान).... नातीराजा जी बैठ जाइये, श्री जितू पटवारी जी आप पढि़ये, नहीं तो मैं आगे बढ़ूंगा. ... (व्यवधान)....
12.23 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य श्री कमलेश्वर पटेल, द्वारा सदन से बहिर्गमन
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल)-- अध्यक्ष महोदय, मैं उत्तर से संतुष्ट नहीं हूं इसलिये बहिर्गमन करता हूं.
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य श्री कमलेश्वर पटेल, द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर बहिर्गमन किया गया.)
12.24 बजे ध्यानाकर्षण (क्रमश:)
(2) मध्यप्रदेश पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी द्वारा दर वृद्धि हेतु प्रस्ताव किया जाना.
श्री जितू पटवारी (राऊ)-- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है--
ऊर्जा मंत्री ( श्री पारसचन्द्र जैन ) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जो उत्तर दिया उससे तीन बातें पता चलीं. आपके पूरे उत्तर का सार निकाले तो आपने कहा कि हमारे पास सरप्लस बिजली है. यह बात मुख्यमंत्री जी भी कई बार कह चुके हैं. दूसरी तरफ आप यह भी कह रहे हैं कि उपभोक्ताओं में रोष नहीं है. हर जगह पर्याप्त बिजली मिल रही है. तीसरा, आंकड़े आपके विभाग के,आपकी सरकार के हैं. 2013-14 में 21276 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी गई. मैं गलत नहीं होऊं तो जरा आंकड़े चेक करते रहना पहलवान साहब ! अध्यक्ष जी, 2013-14 में 13799 मिलियन यूनिट बिजली बेची गई जबकि 7478 मिलियन यूनिट बिजली का लॉस यानी चोरी होना बताया गया. मतलब 54 प्रतिशत उसमें मैं 0.1 प्रतिशत जोड़ रहा हूं इतना लॉस बताया. यह आप ही के आंकड़े हैं. या तो आप सच बोल रहे हैं, या आंकड़े सच बोल रहे हैं. दूसरा, इसी से मिलता-जुलता प्रश्न है कि सरकारी उपक्रम की बिजली उत्पादन की कुल क्षमता 12929 मिलियन यूनिट है तो वह 921 मिनियन यूनिट ही उत्पादन आज की तारीख में कर पा रही है. आपने जो आंकड़े दिए उसके आधार पर मैं बात कर रहा हूं जोकि क्षमता का 7 प्रतिशत है. जितनी क्षमता है उसका सिर्फ 7 प्रतिशत बाकी आप खरीदे रहे हैं. प्रदेश सरकार ने अनुबंधित इकाईयों से 41 प्रतिशत से और ओपन मार्केट से 59 प्रतिशत बिजली खरीदी है. आप अधिकारियों को यह बात बताएं क्योंकि वह आपको उत्तर देंगे. वह भी पीक टाइम की बिजली जो सबसे महंगी होती है. अब आप खरीदने और बेचने का अन्तर सुन लें.
अध्यक्ष महोदय--आपका प्रश्न क्या है?
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष जी, प्रश्न यही है कि जिस तरीके से इतना घाटा बढ़ता है. पहले इन्होंने कहा कि हमारी विद्युत कंपनियों को कोई लॉस नहीं है. फिर उन्होंने कहा कि जो लॉस है वह कंपनियां ही उठाएंगी. यह उत्तर में है. उत्तर से प्रश्न उद्भूत होता है. ये आंकड़े भी इन्हीं के हैं. एक तरफ उत्तर में बता रहे हैं वह हरा-हरा है और आंकड़े बता रहे हैं, वह सब सूखा-सूखा है. इस अन्तर को समझना पड़ेगा. मेरा अनुरोध है. आप सिर्फ एक स्पेसिफिक प्रश्न का उत्तर दें कि आप जो बिजली खरीदते हो और अनुबंधित इकाईयां हैं.
कुंवर विजय शाह-- अध्यक्ष जी, हरा-हरा, नीला-नीला, काला-काला काहे का कलर होता है. (हंसी)
श्री जितू पटवारी-- मंत्री जी, यह आपने कलर नहीं कराया था उससे पहले का है. पहले देखा तो सफेद थे, अब कलर करा लिया तो काला हो गया यह है. मेरा अनुरोध यह है कि मंत्री जी यह बताने की कोशिश करें कि हमारी सरकार और बिजली कंपनी से जो अनुबंधित इकाईयां हैं, उन्हीं इकाईयों से बिजली खरीदने के बजाय बाहर से क्यों खरीदते हैं. और महंगी खरीदते हैं और सस्ती बेचते हैं. इससे मध्यप्रदेश का, कंपनियों को घाटा होता है. फिर जब हम विनियामक आयोग में जाते हैं तो अंततोगत्वा उसका भार उपभोक्ता पर पड़ता है. क्या उसके लिए सरकार ने कोई प्रोग्राम बनाया है या इसमें कोई लेन-देन का खेल है, भ्रष्टाचार की कहीं बू आती है. कहीं से आपके विभाग को पता चला कि आपके अधिकारियों ने या सिस्टम ने कहीं कोई गड़बड़ की? इसमें आपने कोई जांच की. कोई चोरी में पाया गया? किसी पर करप्शन का चार्ज लगा? कृपया उत्तर दें.
श्री पारस जैन-- अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में अपने उत्तर में बताया है कि विद्युत विनियामक आयोग 1994 के तहत विनियामक आयोग को न्यायालय शक्तियां प्राप्त हैं. जब उनके पास कोई आपत्तियां जाती हैं तो उसके लिए बराबर केम्प लगाकर उनकी सुनवाई करते हैं. अभी तो यह न्यायालय के पास है. अभी इसमें कुछ हुआ ही नहीं है. इसके पहले यह सब सोचने लग गए. इनके जमाने में आप देखें 14 साल पहले एक आदेश निकला था कि आप एक लट्टू जलाइये. आज मप्र में कोई गरीब व्यक्ति भी ऐसा नहीं है जिसने दीपावली पर एक सीरिज़ (लाईट) नहीं लगायी हो. इतनी अच्छी व्यवस्था के बाद आज उत्पादन भी हो रहा है...एक मिनट दे दें. मैंने आपकी बात सुनी, आप मेरी बात सुनो. अपन दोनों एक सरीखे हैं, चिन्ता मत करो. आप कभी कभी बहुत तेज आवाज में सदन में बोलते हो. मैं आपसे हाथ जोड़ कर निवेदन करता हूं कि आप सदन में थोड़ा धीरे बोला करो. मैं भी बहुत जोर जोर से बोलता था. मेरा आपरेशन हो गया इसलिए मैं नहीं चाहता कि आपका हो. (हंसी)
मैं सुझाव इसलिए दे रहा हूं कि आप छोटे भाई हो. मैंने कहा कि धारा 95 में न्यायालय की शक्तियां उसमें है. यदि किसी को आपत्ति होती है और वह वहां जाता है तो उसकी सुनवाई होती है. इन्होंने जो एक बात कही है कि जो वर्तमान स्थिति में जितनी बिजली का उत्पादन हम कर रहे हैं, वह एक्सेस है और बराबर देने की अवस्था में हैं. आपको इसके लिए धन्यवाद देना चाहिए. आप जो नियामक आयोग की बात कह रहे हैं तो नियामक आयोग एक न्यायालय है, उसकी प्रक्रिया है, उस प्रक्रिया में पूरा हिसाब-किताब उनके सामने होता है. जो सरप्लस बिजली की बात आपने की है, जो भी सस्ती यूनिट हैं, उससे ही उत्पादन किया जाता है और पूरा हिसाब आयोग के समक्ष ही रखा जाता है.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, दो बातें बहुत अच्छी बोली. एक तो मैं ध्यान रखूंगा, जोर से नहीं बोलूंगा क्योंकि हॉर्ट की सुरक्षा करना भी मेरा दायित्व है. दूसरा अनुरोध यह है कि दो बातें आपने उत्तर में कहीं. अध्यक्ष महोदय, आपने भी सुना होगा. इन्होंने कहा कि हमारे पास में सरप्लस में बिजली है. फिर इन्होंने कहा कि हम जहां सस्ती बिजली होती है, उन्हीं से खरीदते हैं. फिर कहा कि हमारी इकाइयां इतना उत्पादन करती हैं जो सरप्लस है. आप अगर रिकॉर्डिंग निकालेंगे तो क्या बोले, कुछ समझ में नहीं आया? यह पॉलिटिकल भाषा गोलमोल बता दी. लेकिन उत्तर नहीं आया. आप यह बताएं कि मार्केट में आज के रेट में वर्ष 2013-14 में जो असेसमेंट के पार्ट में एक आंकलन किया गया था कि जो आपकी इकाइयां कोयला खरीदती हैं, वह 1800 रुपए प्रति टन होता है. जबकि आपकी पूरी बिजली कंपनियों ने पूरे समय 6500 रुपए प्रति टन कोयला खरीदा है, यह अडानी जी की कंपनी से खरीदा है. यदि यह जो 1800 रुपए प्रति टन कोयला खरीद सकते तो सस्ती बिजली हम उपभोक्ता को दे सकते थे और बिजली सस्ती हो जाती तो यह 6500 रुपए प्रति टन क्यों खरीदा गया यह बता दें?
श्री पारस चन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को यह बताना चाहता हूं कि आज से 15 साल पहले जो एग्रीमेंट हुए होंगे, उससे तो हम बाध्य हैं. जबकि वास्तव में उस समय तो बिजली मिलती ही नहीं थी. अब बिजली मिल रही है और यदि एग्रीमेंट किये हैं तो उनसे तो बिजली लेना होगी. आपके कार्यकाल में तो बिजली मिलती ही नहीं थी. आपने तो कोई उत्पादन बढ़ाया नहीं. हमारी सरकार आने के बाद हमने उत्पादन भी बढ़ाया और पर्याप्त मात्रा में हम बिजली दे रहे हैं.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे फिर संरक्षण चाहता हूं कि आदरणीय मंत्री जी ने जितनी बातें कहीं. यह कहा कि आप नहीं करते थे तो हम हार गये, अब आप जीते हैं तो मैं आपसे पूछ रहा हूं. मंत्री जी, आप आखिर यह बता दें कि आपने यह कहा कि इसलिए हम मंहगी खरीदते हैं. आपने मान लिया कि हम महंगी बिजली खरीदते हैं और इसलिए खरीदते हैं कि हमने अनुबंध कर रखा है तो खरीदेंगे. चूंकि खरीद रहे हैं तो बेच रहे हैं. आप बिजली महंगी खरीदते हैं और उपभोक्ता पर उसका भार डालते हैं. फिर कहते हैं कि हमारा बहुत अच्छा प्रबंधन है. यह आपके जवाब से बात उत्पन्न हुई है, जितनी बातचीत की है, यह उससे ही निकली है. आप यह बताएं कि मध्यप्रदेश में जो किसान है, उसको इस बार 4 महीने का अस्थाई कनेक्शन अनिवार्य रूप से लेना पड़ा. उसकी नीति आपने बनाई कि 5 हार्स पावर का कन्केशन 9500 रुपए और उससे बड़ा 8 हार्स पावर का 13000 रुपए और उससे बड़ा 10 हार्स पावर का 15000 रुपए में, जब सस्ती बिजली थी तो किसान को बिजली महंगी क्यों की, इसका आप उत्तर दें?
अध्यक्ष महोदय - यह ध्यानाकर्षण का विषय नहीं है. श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक..
श्री पारस चन्द्र जैन - अध्यक्ष महोदय, इससे उद्भूत ही नहीं होता है.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय,एक मिनट. मेरा यह अनुरोध है कि पूरे प्रश्न का मूल यह है कि आप महंगी बिजली खरीदते हैं, सस्ती बिजली बाहर बेचते हैं और जो यहां का उपभोक्ता है, उसको महंगी बिजली देते हैं तो यह अव्यवस्था, कुप्रबंध, इस तरह का भ्रष्टाचार, इस तरह की आपकी नीयत और फिर भी कहते हैं हम अच्छे हैं? यह कैसे हो सकता है? इसमें किसान आत्महत्या नहीं करेगा तो कौन करेगा? (व्यवधान)..
श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है. बिजली के कुप्रबंधन से किसान परेशान है . बहुत सारे ट्रांसफार्मर जले हैं, ट्रांसफार्मर बदले नहीं जा रहे हैं.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, ट्रांसफार्मर नहीं हैं.
श्री उमंग सिंघार - बिजली महंगी खरीदी जा रही है और किसानों पर उसका बोझ आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- रामनिवास रावत जी को अलाऊ किया है. उनका भी नाम था इसमें.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि जितू पटवारी जी ने पूछा, माननीय मंत्री जी ने अपने जवाब में दिया है, एक तो मैं उनसे यह प्रश्न पूछना चाहूंगा कि आप कह रहे हैं कि रबी की फसल के लिए आप 10 हजार मेगावाट प्रतिदिन बिजली दे रहे हैं. माननीय मंत्री जी, यह भी बता दें कि आज की तारीख में मांग कितनी है, मांग के विरुद्ध आप कितनी दे रहे हैं ?
अध्यक्ष महोदय -- ध्यानाकर्षण में यह विषय कहां हैं ?
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, है, ध्यानाकर्षण के उत्तर में यह बात आई है कि इस रबी के मौसम में लगभग 10 हजार मेगावाट से अधिक की विद्युत आपूर्ति प्रदेश में की जा रही है, सेकंड पेज के लास्ट पैरे के चौथी लाइन में यह बात आई है.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय मंत्री जी, आप कितनी कंपनियों से बिजली खरीद रहे हैं और किस-किस रेट पर खरीद रहे हैं, कृपया यह भी बता दें ?
एक माननीय सदस्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी एक अन्य माननीय सदस्य ने पूछा था तो आपने मना कर दिया था.
अध्यक्ष महोदय -- इनका नाम था उसमें. कार्यसूची में नहीं आ पाया लेकिन इसमें इनका नाम था.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष जी, हमने भी ध्यानाकर्षण लगाया था.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब सबके थोड़ी लेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तो कितनी मेगावाट की मांग है और दूसरा किन-किन कंपनियों से किस-किस रेट पर बिजली खरीद रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- जानकारी हो तो मंत्री जी बता दें.
श्री पारस चन्द्र जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जानकारी लेकर मैं माननीय सदस्य को दे दूंगा. (....व्यवधान ...)
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष जी, यह बात ठीक नहीं है, ध्यानाकर्षण में भी जानकारी लेंगे, तो फिर आपकी क्या तैयारी है ? (XXX). (....व्यवधान ...)
अध्यक्ष महोदय -- ध्यानाकर्षण में यह कहां है. (....व्यवधान ...)
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, टैरिफ बढ़ाकर किसानों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर कर रहे हैं. (....व्यवधान ...)
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, बिजली भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है. (....व्यवधान ...)
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य, ध्यानाकर्षण तो पढ़ लें.
श्री जितू पटवारी – (XXX), महंगी बिजली खरीदना... (....व्यवधान ...) किसान को कुछ नहीं देना ... (....व्यवधान ...)
अध्यक्ष महोदय -- ध्यानाकर्षण में यह नहीं है. (....व्यवधान ...) श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक, अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें.
श्री जितू पटवारी -- कुप्रबंध का सबसे बड़ा उदाहरण बिजली विभाग है. (....व्यवधान ...)
श्री उमंग सिंघार -- महंगी बिजली खरीदी जा रही है.. (....व्यवधान ...) किसानों को बिजली .. (....व्यवधान ...)
12.42 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण सर्वश्री जितू पटवारी, सचिन यादव, सुखेन्द्र सिंह, मधु भगत, उमंग सिंघार द्वारा सदन से बहिर्गमन
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण सर्वश्री जितू पटवारी, सचिन यादव, सुखेन्द्र सिंह, मधु भगत, उमंग सिंघार द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर व नारेबाजी करते हुए सदन से बहिर्गमन किया गया.)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- जितू भाई, आपके ग्रुप ने वॉकआऊट किया है. नेता प्रतिपक्ष जी, यह कैसा बहिर्गमन है, कुछ समझ नहीं आ रहा है, कैसे चला रहे हो आप. एक ग्रुप ने कर दिया, एक आ गया, एक बाहर है.
श्री रामनिवास रावत -- ग्रुप ने नहीं किया, सदस्य की पीड़ा थी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- ठीक है, मैं तो यही पूछ रहा हूँ कि ये पीड़ा व्यक्त करने का नया तरीका इजाद किया है क्या आपने.
श्री रामनिवास रावत -- आप ही करते रहते थे, आप ही से सीखा है. आप भूल गए. आपको 11 साल हो गए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- हम तो जानकारी ले रहे हैं. हम तो एकदम मुट्ठी की तरह कसे हैं. आप दोनों तय करो, आप दोनों के नेता कौन-कौन हैं. कमलनाथ जी हैं या ज्योतिरादित्य जी हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- मैं पहले ही कह चुका हूँ, कांग्रेस पार्टी इस पृथ्वी का सबसे बड़ा संग्रहालय है.
श्री रामनिवास रावत -- आपको बताने की जरूरत नहीं है, सभी हमारे नेता हैं और सभी सम्माननीय हैं.
श्री जितू पटवारी -- बिजली की बात करो.
अध्यक्ष महोदय -- पाठक जी, अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें.
12.44 बजे ध्यानाकर्षण (क्रमश:)
(3) छतरपुर जिले के नौगांव में निर्माणाधीन छात्रावास का कार्य पूर्ण न होने से उत्पन्न स्थिति
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक (बिजावर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
स्कूल शिक्षा विभाग मंत्री (कुँवर विजय शाह) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक (बिजावर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा प्रश्न यह है कि डाइट में पूरे जिले के दूर-दूर से लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर दूर से छात्रों का आना होता है और छात्रावास के अभाव में उन्हें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और कई लोग अप-डाउन करते हैं. यदि इसको शीघ्रता से पूर्ण कर लिया जायेगा तो शासन का भी लाभ होगा और विद्यार्थियों को भी लाभ होगा.
कॅुंवर विजय शाह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो इसे बनते-बनते 19 साल हो गए और 19 साल में 40 परसेंट से ऊपर राशि बढ़ गई. हम पीडब्ल्यूडी और अन्य एजेंसी को सख्त निर्देश दे रहे हैं कि अगर ये 40 परसेंट राशि बढ़ गई और 19 साल में भवन नहीं बना तो क्यों नहीं आपकी तनख्वाह में से काट लिया जाए. हम सख्त कार्यवाही कर रहे हैं और भविष्य में शिक्षा विभाग का कोई भी भवन समय-सीमा में नहीं बनेगा तो हम नई सीमा शर्तें लागू करेंगे, ताकि शासन का पैसा व्यर्थ न जाये और समय-सीमा में भवन बनकर तैयार हो जाए, इसके लिए कठोर कार्यवाही करेंगे.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने यह बड़ा साहसिक कदम उठाया है और इसके लिए मैं माननीय मंत्री जी का बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हॅूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
(4) खरगौन जिले में सिकल सेल नामक बीमारी का प्रकोप होना
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है -
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्री (श्री रूस्तम सिंह) -- अध्यक्ष महोदय,
श्रीमती झूमा सोलंकी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़वानी जिले में यह सुविधा हो चुकी है तो खरगौन जिले में यह बेहद जरूरी है.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने स्वीकार कर लिया है.
श्रीमती झूमा सोलंकी-- पर कब तक करेंगे उसकी समयसीमा भी मुझे बता दें क्योंकि यह बहुत आवश्यक है, स्वास्थ्य से संबंधित है और आदिवासी बाहुल्य जिला है और इस बीमारी की जिस तरह से सरकार ने पहले सुविधा दी है, ब्लड की, दवाईयों की पर उसकी जांच भी बेहद जरूरी है. जांच के अभाव में ही कई मरीजों की मृत्यु हुई है.
श्री रुस्तम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अतिशीघ्र यह व्यवस्था की जाएगी और इसी में नहीं 22 आदिवासी बाहुल्य जिलों में इस तरह की बीमारियाँ होती हैं उन 22 जिलों में भी यह सुविधायें शीघ्र अति शीघ्र उपलब्ध करा दी जाएंगी.
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा बहुत महत्वपूर्ण ध्यानकर्षण है पांचवे नंबर पर है. आपसे मेरा करबद्ध निवेदन है कि इसको स्वीकार कर लीजिये. मुख्यमंत्री जी भी सदन में उपस्थित है, मेरा आपसे निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय-- नियम रिलेक्स करके 4 ध्यानाकर्षण लिये हैं. नहीं ले पाएंगे.
12.51 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
1. शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का बीसवां, इक्कीसवां, बाईसवां, एवं तेईसवां प्रतिवेदन
डॉ. राजेन्द्र पांडे(सभापति) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं शासकीय आश्वासनों संबंधी समिति का बीसवां, इक्कीसवाँ, बाईसवां एवं तेईसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इस अवसर मैं समिति के माननीय सदस्य श्री अजय सोनकर जी का, सूबेदार सिंह रजौधा जी का, रामेश्वर शर्मा जी का, के के. श्रीवास्तव जी का, दुर्गालाल विजय जी का, यादवेन्द्र सिंह जी का, मनोज अग्रवाल जी का , सोहनलाल बाल्मीक जी का, कुंवर हजारी लाल दांगी जी का, डा. योगेन्द्र निर्मल जी का अत्यंत आभारी हूं कि वह समिति में निरंतर रहे, उनकी सक्रियता रही. साथ ही समिति के समस्त अधिकारी और कर्मचारियों ने देर रात तक बैठकर इन आश्वासनों के क्रियान्वयन में काफी सहयोग दिया उनके प्रति भी आभार व्यक्त करता हूं.
2. कृषि विकास समिति का प्रथम एवं द्वितीय प्रतिवेदन
श्री केदारनाथ शुक्ल (सभापति) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, कृषि विकास समिति का प्रथम एवं द्वितीय प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह समिति पहली बार अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत कर रही है समिति ने पांच संभागों का दौरा किया है और दौरा करने के बाद प्रदेश में कृषि के विकास के लिए बड़े उपयोगी सुझाव दिये हैं. मैं सदन से आग्रह करूंगा कि इस प्रतिवेदन को जरूर पढ़ें. धन्यवाद.
12.52 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकायें पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
12.53 बजे प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की अवधि में वृद्धि का प्रस्ताव
विशेषाधिकार समिति को संदर्भित विशेषाधिकार भंग की सूचना पर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की अवधि में आगामी सत्र के अंतिम दिवस तक की वृद्धि की जाना
12.55 बजे वक्तव्य
नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के संबंध में श्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री का वक्तव्य
अध्यक्ष महोदय—अब माननीय मुख्यमंत्री जी नर्मदा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के उद्देश्य से की जा रही सेवा यात्रा के संबंध में वक्तव्य देंगे.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)—माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्मदा जी मध्यप्रदेश की जीवन रेखा हैं, मध्यप्रदेश की समृद्धि का आधार है. मध्यप्रदेश को पानी, मध्यप्रदेश को बिजली मां नर्मदा जी की कृपा से मिलती है और मध्यप्रदेश के करोड़ों करोड़ लोग नर्मदा जी को नदी नहीं मां मानते हैं और मां मानकर नर्मदा जी की पूजा करते हैं. नर्मदा जी हमें जल के रूप में जीवन भी देती हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्मदा जी ऐसी नदी हैं जो किसी ग्लेशियर से नहीं निकलती हैं बल्कि सतपुड़ा और विन्ध्याचल दोनों में जो घोर घने वन हैं, शाल के बड़े वृक्ष और बाकी पेड़ जो नर्मदा जी के जल को अवशोषित करते हैं और बाद में बूंद बूंद करके उस पानी को छोड़ते हैं वही पानी धीरे धीरे अलग-अलग नदियों के रूप में नर्मदा जी की धार बन जाता है. पिछले वर्षों में जंगल तेजी से कटे और पिछले वर्ष जब मैं डिण्डोरी गया था तो मैंने देखा की नर्मदा जी के उद्गम स्थल से नर्मदा जी की धार लगभग विलुप्त सी हो गई थी. तब तमाम विचार विमर्श के बाद नर्मदा जी की धारा अविरल बहती रहे, नर्मदा जी प्रदूषण मुक्त हों इसके लिए लगा कि एक अभियान चले. कई लोगों ने छोटे- छोटे अभियान चलाए. अलग अलग समाजसेवियों ने, नर्मदा भक्तों ने सफाई अभियान से लेकर बाकी कार्यक्रम चलाए हैं. लेकिन मुझे लगा कि एक ऐसा अभियान जिसमें सारी जनता जुड़े, समाज के सभी वर्ग जुडे़ं, सभी जनप्रतिनिधि जुडें, अलग-अलग स्वयंसेवी संगठन, धार्मिक संगठन, सामाजिक संगठन सब जुडे़ं और सब मिलकर एक अभियान चलाएं जिससे नर्मदा जी प्रदूषण मुक्त हों क्योंकि हम यह भी जानते हैं कि अलग-अलग शहरों के गंदे नाले, सीवेज का पानी नर्मदा जी में प्रवाहित होता है. यद्यपि आज भी तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो नर्मदा जी का जल कम प्रदूषित है लेकिन धीरे-धीरे प्रदूषण बढ़ रहा है और इसलिए जरुरत इस बात की थी कि एक ऐसा अभियान चले जिससे मां नर्मदा जी की धारा अविरल रहे और जितने वैज्ञानिक विशेषज्ञ हैं उनसे जब सलाह की तो एक ही चीज आई कि नर्मदा के दोनों तटों पर व्यापक पैमान पर वृक्षारोपण की जरुरत है. दोनों तटों पर या तो फॉरेस्ट की जमीन, कोई शासकीय जमीन है या फिर निजी किसानों की जमीन है. शासकीय जमीन पर वृक्षारोपण करना आसान है, लेकिन किसानों से भी यह आग्रह किया जाए कि दोनों तटों पर एक-एक किलोमीटर केवल फलदार वृक्षों की खेती हो. हमने बैठक की और फलदार वृक्षों की खेती किसान कब करेंगे तब जब उनकी आजीविका सुरक्षित रहेगी और इसीलिए यह फैसला किया कि जो किसान एक किलोमीटर की पट्टी पर फलदार वृक्ष लगाएंगे उनको तीन साल तक 20 हजार रुपय प्रति हेक्टेयर की दर से राहत की राशि दी जाएगी ताकि आजीविका चल सके और उसके साथ साथ दोनों फलों की कतार के बीच में वह जब तक फलदार वृक्ष बड़े नहीं हो सकते वह अपनी खेती भी जारी रख सकते हैं. उससे भी उनको अतिरिक्त आजीविका प्राप्त हो जाएगी और तीन साल बाद चौथे साल जब फलदार वृक्ष फल देने लगेंगे तो निश्चित तौर पर उनकी आमदनी और बेहतर हो जाएगी. किस जमीन पर कौन से फल लगाना चाहिए यह वहां के अलग- अलग एग्रो क्लाएमेटिक ज़ोन को देखकर, वहां की मिट्टी को देखकर, वहां की अवश्यकताओं को देखकर, किसानों से चर्चा करके उन्हें प्रोत्साहित करने का काम करेंगे लेकिन यह काम कोई कानून बनाकर नहीं होगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, जनजागरण करके किसान स्वत: प्रेरित होते हैं और संकल्प करते हैं कि हम अपने खेत में फलदार वृक्षों की खेती करेंगे तो एक बड़ा काम होगा. नर्मदा जी दो हजार किलोमीटर से ज्यादा मध्यप्रदेश की सीमा में बहती है. दोनों तटों पर व्यापक वृक्षारोपण हो जाएगा उसके साथ जितने गांव नर्मदा जी के तट पर हैं वैसे तो शौच से मुक्त प्रदेश के सभी गांवों को करना है. लेकिन प्राथमिकता के आधार पर हर घर में शौचालय बन जाए ताकि बाहर खुले में न जाना पड़े. तीसरी चीज कई नगर ऐसे हैं जिनके सीवेज का पानी नर्मदा जी में जा रहा है वहां अगर ट्रीटमेंट प्लांट लग जाए और शुद्ध जल (ट्रीटेड वाटर) हम भेजें तो नर्मदा जी पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त हो सकेंगी. चौथी चीज यह जन-जागरण भी किया जाए कि नर्मदा जी में कई बार पूजन के नाम पर जैसी सामग्री प्रवाहित करते हैं वह भी प्रदूषण को बढ़ाती है जिसमें प्लास्टिक के दोने होते हैं अन्य चीजें होती हैं. जन-जागरण के माध्यम से यह कोशिश की जाए कि पूजन के कुण्ड बना दिए जाएं, वहां पूजन सामग्री आ जाए. नर्मदा जी की ही पूजा करना है तो नर्मदा जी के जल से पवित्र और कुछ नहीं हो सकता है. नर्मदा जल या दूध से पूजा हो सकती है. अनावश्यक रुप से जो चीजें जल को प्रदूषित करती हैं उनसे बचा जा सकेगा और पूजन कुण्ड में पूजन सामग्री जो आएगी उससे जैविक खाद भी बन सकता है. किसानों को यह भी प्रेरित करने का प्रयास किया जाए कि वे दोनों तटों पर फलदार वृक्षों की खेती करें और यह कानून बनाकर नहीं जबरदस्ती नहीं प्रेरणा से प्रेरित करने का प्रयास करें, ताकि केमिकल, फर्टिलाइजर जो धीरे-धीरे नर्मदा जी के जल में जाकर मिलता है और पानी को प्रदूषित करता है उससे भी बचा जाए. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह काम केवल पत्रक जारी करके नहीं किया जा सकता है. दो चीजें इसमें और जोड़ी जा सकती हैं. एक नर्मदा जी के तट पर अंतिम संस्कार के संबंध में, क्योंकि लोगों की मान्यता है कि नर्मदा जी के तट पर अंतिम संस्कार होगा तो यह धार्मिक मान्यता है आस्था है कि वह उनके लिए श्रेष्ठ होगा, मोक्ष मिलेगा. जहां अंतिम संस्कार होता है, अंतिम विदाई होती है शांति धाम की स्थापना भी चिह्नित स्थानों पर हो सकती है. कई तटों पर ऐसे घाट हैं जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं, माताएं-बहनें भी स्नान करती हैं वहां कपड़े बदलने का स्थान जिसको अंग्रेजी में चेंजिंग रुम कहते हैं वह सुरक्षित बन जाए तो मैं समझता हूँ कि और भी सुविधा होगी. इन सब उद्देश्यों को लेकर हम लोगों ने विचार किया तो यह लगा कि केवल पत्रक जारी करने से, कार्यक्रम घोषित करने से यह काम नहीं होगा. इसके लिए एक व्यापक जन-जागरण अभियान समाज के सब वर्गों को लेकर, सब साथियों को लेकर, सब जन-प्रतिनिधियों को लेकर अगर चलाया जाए तो समाज को काफी प्रेरित कर पाएंगे और एक पवित्र नदी जिनको हम माँ मानते हैं उनके संरक्षण का, वैसे तो वह हम सब का संरक्षण करती हैं. उनका कर्ज उतारने का वक्त है उनका उपकार मध्यप्रदेश पर है. एक व्यापक जन-जागरण अभियान चल सकता है और जनता स्वत: जुड़कर इस अभियान को अपने हाथ में ले सकती है. सरकार इस अभियान के पीछे रहेगी, हम समाज को आगे करने का प्रयास करेंगे. इसी उद्देश्य से 11 दिसंबर को अमरकंटक जो कि नर्मदा जी का उद्गम स्थल है वहां से "नर्मदा सेवा यात्रा" इस नाम से एक यात्रा प्रारंभ हो रही है. यह 11 दिसंबर 2016 से प्रारंभ होकर 11 मई 2017 तक चलेगी. निर्जन स्थान अगर होंगे तो यात्रा वाहन से होगी लेकिन जहां सघन गांव हैं वहां यह यात्रा पदयात्रा होगी. अधिकांश हिस्सा पदयात्रा का होगा. कुछ हिस्सा ऐसा होगा जहां 15-20 किलोमीटर केवल जंगल है तो वहां पैदल चलने का औचित्य नहीं है इसलिए वहां यात्रा वाहन से होगी. गांव में जब यह यात्रा जाएगी तो इस यात्रा का स्वागत करने, अगवानी करने गांव के लोग बाहर आएंगे और एक यात्रा का ध्वज रहेगा वह अपने हाथ में लेंगे. गांव में कार्यक्रम होगा जिसमें किसानों के द्वारा यह संकल्प किया जाएगा, प्रेरित करेंगे. कितने करते हैं कितने नहीं करते हैं यह अलग विषय है लेकिन प्रेरित करने का प्रयास करेंगे कि वे फलदार वृक्ष लगाएं. जो तैयार होंगे उनसे संकल्प-पत्र भरवाए जाएंगे. अगले साल वृक्ष लगाने के लिए 40 प्रतिशत सबसिडी सरकार देगी. उसके साथ-साथ गांव में कितने घर ऐसे हैं जहां शौचालय नहीं हैं उनकी सूची बनाकर तत्काल ही उनको स्वीकृत कर देंगे ताकि तट के सभी गांवों में शौचालय बन जाए. अरबन डेवलपमेंट, रुरल डेवलपमेंट विभाग के साथ साथ शहरी विकास विभाग ने यह योजना बनाई है कि नर्मदा जी के तटों पर जो शहर हैं उनके सीवेज का पानी नर्मदा जी में न जाए. शुद्ध करके, ट्रीट करके उस पानी को भेजें. जन-जागरण में इन सब कामों को करते हुए यह यात्रा आगे बढ़ेगी और हर गांव में एक नर्मदा सेवा समिति बनेगी जो इन कामों का फॉलो-अप करेगी. समाज को आगे रखकर एक बड़ा अभियान जन-जागरण का सरकार ने तय किया है. मुझे विश्वास है कि इस पूरे अभियान को धार्मिक संगठन, सामाजिक संगठन, स्वयं सेवी संगठन, आम जनता, जन-प्रतिनिधि. मैं सभी जन-प्रतिनिधियों से अपील करना चाहता हूँ जो नर्मदा के तट पर रहते हैं उनसे भी और जो पूरे प्रदेश में कहीं भी रहते हैं क्योंकि नर्मदा जी की कृपा तो हम सबको किसी न किसी रुप में मिलती है चाहे वह बिजली के रुप में, पानी के रुप में या अन्य रुप में हो. सारे जन-प्रतिनिधि जो इस सदन के सदस्य हैं वे भाग लें, सांसद भी भाग लें और जो स्थानीय निकायों के जन-प्रतिनिधि हैं वे भी भाग लें. सब समाज, सब संगठन, सभी दल मिलकर इस अभियान को चलाएं ऐसी कल्पना है.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदन से, सदन के माध्यम से जनता से भी अपील करना चाहता हूँ कि यह एक पवित्र नदी के संरक्षण का अपने आप में एक अनूठा अभियान है . इसमें सब समाज का सहयोग मिले, सब जनप्रतिनिधियों का सहयोग मिले, यही मैं अपील भी करता हूं और मुझे लगा कि विधान सभा का सत्र चल रहा है इसलिये इतने बड़े अभियान की जानकारी विधान सभा में भी मैं आपकी अनुमति से दूं. इसलिये यह विषय रखा है. मुझे पूरा विश्वास है आप सभी के सहयोग से एक व्यवस्थित अभियान नर्मदा जी को प्रदूषण मुक्त करने का दोनों किनारे पर वृक्षारोपण करने का यह चलेगा और मुझे पूरा विश्वास है हम लोग वांछित उद्देश्यों को पूरा करने का सफल हो पायेगा. सभी का सहयोग मिलेगा ऐसा मेरा विश्वास है. बहुत-बहुत धन्यवाद्.
श्री तरूण भनोत(जबलपुर-पश्चिम):- माननीय मुख्यमंत्री जी बहुत-बहुत धन्यवाद कि आपने इस अभियान की शुरूआत की और इसकी जानकारी सदन में दी. हम तो खुले हृदय से इस अभियान की समर्थन भी करते हैं, किन्तु कुछ बहुत छोटी-छोटी सी चीजें हैं जो मैं कहना चाहूंगा. चूंकि मुख्यमंत्री जी भी यहां पर बैठें है. माननीय निश्चित तौर पर किसान मदद करेंगे और आम आदमी भी चाहता है कि जो भावनात्मक रूप से मां नर्मदा से जुड़े हुए हैं. हम सब मिलकर साफ सफाई के लिये काम करें. परन्तु कुछ चीजें ऐसी हैं कि हम सब चाहें तो खुद पहल करके भी कर सकते हैं. मैं चाहता हूं कि एक प्रस्ताव इस विधान सभा से पारित करें कि मां नर्मदा तटों से जो रेत निकासी होती है उसको पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिये. उसमें किसी प्रकार की जो माईनिंग की एक्टीविटी है, वह नर्मदा के तटों पर नहीं होनी चाहिये. अगर इस बारे में विधान सभा गौर करेगी तो जब हम 11 तारीख को इस अभियान की शुरूआत करने जा रहे हैं तो पहले ही इसकी बहुत अच्छी शुरूआत होगी. मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे एक निवेदन और करना चाहता हूं कि
अध्यक्ष महोदय :- वैसे इस पर चर्चा होती नहीं है, नेता प्रतिपक्ष वक्तव्य पर अपना भाषण देते हैं. चूंकि आप नर्मदा तट के हैं इसलिये आपको अनुमति दी है.
श्री तरूण भनोत :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने यह बात इसलिये छेड़ी है कि मां नर्मदा पर बसे हुए सबसे महत्वपूर्ण तट जबलपुर क्षेत्र में आते हैं और शहरी क्षेत्र में मां नर्मदा कहीं से जाती है तो वह मेरे विधान सभा क्षेत्र से बहती है. मैं तो मुख्यमंत्री महोदय, से यह निवेदन करना चाहता हूं कि आज आप सदन में उपस्थित हैं तो यह घोषणा जरूर करें कि मां नर्मदा के ऊपर जितना भी रेत का उत्खनन हो रहा है. यह तुरंत तत्काल प्रभाव से बंद किया जाना चाहिये.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन):- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आदरणीय मुख्यमंत्री जी का वक्तव्य अभी मां नमामि देवी नर्मदा जी से संबंधित जो नर्मदा सेवा योजना जो 11 दिसम्बर से निकाल रहे हैं, उसको हमने सुना. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा कहना है कि मेरी अपनी विधान सभा क्षेत्र से भी और मैं समझता हूं कि यहां बहुत सारे विधायकगण हैं जिनके विधान सभा क्षेत्र से और उनके जिलों से भी मां नर्मदा गुजरती है. आप यात्रा तो कर रहे हैं, यात्रा के वक्तव्य में आपने वह सारी चीजें दी हैं जिसको अभी हमने पढ़ा , उसके मकसद और उद्देश्य को भी पढ़ा है, लेकिन इसके पीछे यह कहना है कि यह यात्रा केवल राजनीतिक यात्रा तक न सीमित रह जाये.
अध्यक्ष महोदय, मेरा यह आग्रह है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र से भी लम्बी मां नर्मदा जी गुजरती है, मेरी जानकारी में है कि मां नर्मदा जहां से निकलती है और जहां जाकर मिलती है उसकी कुल लंबाई लगभग 1213 किलोमीटर है और वह मध्यप्रदेश में हजार किलोमीटर की दूरी तय करती है. हमारे यहां पर मुख्यमंत्री जी जो दिक्कतें आ रही हैं, वह मैं आपको बताना चाहता हूं. चूंकि आप यात्रा लेकर निकलेंगे तो इस बात का ध्यान रखा जाये, क्योंकि हम लोगों को आशंका है कि यह यात्रा एक राजनैतिक यात्रा बनकर न रह जाये. मैं यह कहना चाहता हूं कि ऐसे ही आपने एक राम पथ, जहां-जहां से रामजी मध्यप्रदेश से निकले हैं, वह रामपथ के बारे में भी आपने बोला था लेकिन वह मालूम नहीं कहां है, वह तो बात करने के बाद समाप्त ही हो गयी है. आपने जैसे रामपथ की बात कही थी, वैसे ही मैं समझता हूं कि यह जो नमामि देवी नर्मदा सेवा यात्रा जो है, कहीं यह भी लुप्त न हो जाये. यह भी खत्म न हो जाये. दूसरा, जिन इलाकों से आप निकलेंगे वहां बहुत समस्याएं और दिक्कतें हैं. लोगों की जमीनें नर्मदा जी के ऊपर सरदार सरोवर बांध जो गुजरात में बन रहा है उससे मध्यप्रदेश के लोग जो प्रभावित हुए हैं, जो विस्तापित हुए हैं. उनको न तो गुजरात में जमीन मिली है और न ही आज तक वे लोग ठीक ढंग से विस्थापित हो पाये हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी, यह बातें वहां पर आयेंगी और जो पुनर्वास स्थल हैं, उन पुनर्वास स्थलों में न तो बिजली, सड़क, पानी ,स्कूल और न ही अस्पताल बन पाये हैं. उनकी अभी तक सुध नहीं ली है और अगर अभी सुध ले ली जाती है और इसके बाद उनके काम हो जाते हैं और ठीक ढंग से वह विस्थापित हो जाते हैं तो मैं समझता हूं कि ज्यादा अच्छा होगा. माननीय मुख्यमंत्री जी, नर्मदा जी के जिन-जिन इलाकों से और जिन-जिन विधान सभा क्षेत्रों से निकलेंगे अगर इसका ध्यान रखा जायेगा तो ज्यादा अच्छा होगा.
राज्य मंत्री,नर्मदा घाटी विकास (श्री लाल सिंह आर्य) :- नेता प्रतिपक्ष महोदय आपको जानकारी नहीं है, वह सभी लोग विस्थापित हो गये हैं. गुजरात में भी और हमारी मध्यप्रदेश सरकार ने भी सभी कर विस्थापित कर दिया है.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्रीजी ने वक्तव्य दिया है इसमें मैं तरूण भाई की बात से सहमत हूं कि अवैध रेत का बहुत ज्यादा उत्खनन हो रहा है जो कि नर्मदा जी से हो रहा है तो माननीय मुख्यमंत्री जी हमारी पार्टी के समस्त विधायकों की तरफ से आज ही आप इस बात की घोषणा करें कि रेत का अवैध रूप से उत्खनन हो रहा है आज ही वहां से रेत निकालना बंद करें तो मैं समझता हूं कि यात्रा की सार्थकता होगी और आपके वक्तव्य की भी सार्थकता होगी.
श्री उमंग सिंघार--अध्यक्ष महोदय, वहां से अवैध रेत का उत्खनन बंद करायें अगर आपकी सच्ची यात्रा है और दिल से है तो फिर आपके हम साथ हैं माननीय मुख्यमंत्री जी.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, एक महत्वपूर्ण बात रह गई है जिन शर्तों पर सरदार सरोवर बांध नर्मदा जी का बन रहा है यह नर्मदा का पानी गुजरात के लोगों को देंगे.
अध्यक्ष महोदय--इस पर अलग से फिर से चर्चा करवा देंगे.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, यह जो नर्मदा का पानी गुजरात के लोगों को देंगे और बिजली मध्यप्रदेश के लोगों को देंगे उनको बिजली कम दर पर अथवा मुफ्त में देना चाहिये और पर्याप्त मात्रा में देना चाहिये और जो उसमें प्रभावित लोग हैं उनको वहां पर अलग से बसाने की प्रक्रिया भी की जाये. उनको जो बिजली अथवा रोजगार मिलना चाहिये, वह नहीं मिल रहा है, इस बात का भी माननीय मुख्यमंत्री जी ध्यान रखें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, आप यात्रा के समर्थन में हैं अथवा विरोध में हैं ?
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी आप मुझे इस बारे में एक मिनट के लिये बोलने के लिये समय दिलवाएंगे.
अध्यक्ष महोदय--जी बोलिये.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, वैसे तो माननीय मुख्यमंत्री जी का स्नेह है वह उदार भी है, इसमें आपकी भी कृपा है. निश्चित रूप से नदियों को संरक्षित करने की आवश्यकता है और हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने मां नर्मदा जो मध्यप्रदेश की जीवन-दायिनी नदी है, उसको संरक्षित करने की बात तथा उसे सुरक्षित करने की बात और जनजागरण के माध्यम से प्रदूषण से मुक्त करने की बात माननीय मुख्यमंत्री जी ने की और निश्चित रूप से नदियों का पानी अवरल रूप से बनता रहे, इसकी चिन्ता हम सबको होना चाहिये और माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो वक्तव्य दिया है उनकी जो सोच है उसके लिये हम हृदय से धन्यवाद देते हैं, लेकिन यह बात राजनैतिक बनकर न रह जाए. हम चाहते हैं तथा माननीय मुख्यमंत्री जी आप भी चाहते हैं और हम लोगों का प्रस्ताव है कि मां नर्मदा जी के हृदयस्थल से अवैध रेत का उत्खनन को पूर्णरूपेण समाप्त कर दिया जाये मां नर्मदा जी को बचाने के लिये, तब आपकी हम तारीफ करेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन--अध्यक्ष महोदय, इतने अच्छे अभियान पर राजनीतिकरण नहीं होना चाहिये.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि कुछ मुद्दे कम से कम ऐसे होने चाहिये जिसमें सदन में चाहे सत्तापक्ष हो, अथवा प्रतिपक्ष हो वह एकमत होकर के निकलें और नर्मदा जी का विषय जो मैंने रखा बहुत ही शुद्ध एवं पवित्र हृदय से रखा. अगर सबके सहयोग लेने की इच्छा एवं अपेक्षा, आवश्यकता न होती तो मुझे किसी ने वक्तव्य देने के लिये नहीं कहा था यह खुद ही मेरे मन में आया कि सदन में इतने माननीय सदस्य बैठे हैं वह इस अभियान से जुड़ें. ऐसे विषयों पर भी हम टोका-टोकी करेंगे और उसको हम राजनीति से जोड़ने का विषय करेंगे तो हर विषय राजनीति में चला जाएगा. कम से कम कुछ विषयों पर तो हम हृदय की शुद्धता के साथ हम विचार करें मैं आप सबको आमंत्रित करता हूं कि आप लोग अमरकंटक आईये. अगर वहां पर नहीं आ सकते हैं तो यात्रा में कहीं न कहीं जरूर आईये हम सब मिलकर इस अभियान को चलायें. कई बार कुछ अभियान ऐसे होते हैं जो सचमुच में नया इतिहास रचने में सफल हो सकते हैं और इसीलिये इसी शुद्ध एवं पवित्र भाव से इस विषय को हम राजनीति से ऊपर रखें. हम सब लोग इसको मिलकर के चलायें. जहां संभव हो सकता है सब जगहों पर सब लोग नहीं जा सकते हैं, जहां पर संभव हो सकता है, वहां पर आप लोग भाग लें और वह सारे उपाय करें जिससे नर्मदा जी की धारा अविरल बहती रहे तथा नर्मदा जी प्रदूषण से मुक्त हो.उसमें हम सबका सहयोग मिलेगा तो मुझे लगता है कि एक बड़ा काम इस सदन के माननीय सदस्यों द्वारा, हम सबके द्वारा मिलकर होगा. मेरे मित्रों ने कुछ विषय उठाये हैं तो मैं आपको आश्वस्त करता हूँ कि राजनीति का कोई सवाल नहीं है. नहीं तो, मैं यहां विषय को लेकर नहीं आता. हम झण्डा लेकर चल देते, हमें कौन रोकने आता ? कोई बात नहीं है. इसमें कोई भी अभियान चला सकता है. हमें सबको जोड़ने की इच्छा है, इसलिए यह कहा और दूसरी बात कोई भी अवैध उत्खनन नर्मदा जी से न हो, इसकी पूरी व्यवस्था करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे (सत्तापक्ष के सदस्यों द्वारा मेजों की थपथपाहट).
अध्यक्ष महोदय, मैं फिर दृढ़ता के साथ कह रहा हूँ और अब मैं पूरी ताकत से कह रहा हूँ कि यह विषय राजनीति करने का नहीं है. अवैध उत्खनन किसी भी हालत में नहीं होगा बाकी चीजों पर बैठकर विचार होगा. एक विषय यहां पर रखा और सब का सब एवं पूरा ही रोक दो तो यह नहीं चलेगा, अवैध बिल्कुल नहीं होगा. अगर कहीं एन.जी.टी. कहता है तो दूसरी आवश्यकता कहीं न कहीं लोगों को रेत की भी होती है. अगर वैध कहीं से आ सकता है तो आप वैध के रास्ते बन्द मत कीजिये. ऐसी चीज, जिससे नर्मदा जी को नुकसान न हो, उसके रास्ते बन्द नहीं कीजिये. नहीं तो यह होगा कि राजनीति में मामला उलझकर रह जायेगा और इसलिए नर्मदा जी के संरक्षण के लिए जो आवश्यक उपाय होंगे, वे सब किये जायेंगे. उसमें अगर विशेषज्ञ सब मिलकर यह फैसला करेंगे कि कोई उत्खनन न हो, तो यह फैसला भी कर दिया जायेगा लेकिन विशेषज्ञों के साथ, पर्यावरणविदों के साथ बैठकर, जानकारों के साथ बैठकर, जब फैसला होगा तब करेंगे. हमने आंख बंद कर एक वक्तव्य दे दिया तो सबको फंसा लो और मिलकर अभी कह दो तो यह कोई विचार करने की सभा है या खड़े होकर कह दो कि अभी कह दो, अभी कह दो.
अध्यक्ष महोदय, मैं आज आपसे चाहता हूँ कि जब प्रतिपक्ष ने रोका-टोकी की है तो वह बताएं कि वे इस यात्रा के साथ है कि नहीं, वे समर्थन कर रहे हैं कि नहीं कर रहे हैं. मैं अपील करता हूँ कि हम सब मिलकर चलें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) – अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने बोला, उसमें हम भी हमारी बात रखना चाह रहे हैं. हम यात्रा के साथ में हैं एवं ताली बजाकर वक्तव्य का एवं यात्रा का स्वागत कर रहे हैं. आपने जो मुद्दे की बात की है, हमने भी मुद्दे डाले हैं. आपके और हमारे मुद्दे मिलकर, आखिर उसका मकसद तो एक ही है कि नर्मदा जी संरक्षित रहें और उसके बाद नर्मदा जी की धारा निरन्तर बहती रहे. लेकिन हमारे पास जो मुख्य मुद्दे थे, वे मुद्दे हमने आपको डाले हैं तो आप मुख्यमंत्री के नाते उस पर विचार करें और माननीय मुख्यमंत्री जी आप उस पर व्यवस्था दें.
1.17 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2016 (क्र. 32 सन् 2016)
परिवहन मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) – अध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करताहूँ कि मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाये.
1.18 बजे औचित्य का प्रश्न एवं अध्यक्षीय व्यवस्था
विधेयक की प्रतियां दो दिन पूर्व सदस्यों को उपलब्ध कराने विषयक्
अध्यक्ष महोदय – आप इस विधेयक के संबंध में कोई प्वाईंट ऑफ आर्डर देना हो तो दीजिये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – अध्यक्ष महोदय, यह विधानसभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन की किताब है.
अध्यक्ष महोदय – वह विषय निकल गया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – अध्यक्ष महोदय, यह माननीय मुख्यमंत्री जी वाले विषय पर नहीं है.
अध्यक्ष महोदय – आप बताइये, कौन से विषय पर है ?
पंचायत मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - एक बार तो बोलो, ‘नर्मदे हर’.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - नर्मदे हर. हमारे उस विषय पर नहीं है. माननीय मंत्री जी ने अभी जो संशोधन प्रस्तुत किया है. उस विषय पर हमारा प्वाईंट ऑफ आर्डर है.
अध्यक्ष महोदय – आप बैठ जाइये. आप बोलें. श्री तिवारी जी का प्वाईंट ऑफ आर्डर सुन लें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – अध्यक्ष महोदय, आपने हमारे प्वाईंट ऑफ आर्डर को मुख्यमंत्री जी से ले जाकर जोड़ दिया. आप मध्यप्रदेश विधानसभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियम 65 को देख लें. मेरा कहना है कि यह विधेयक कल सदन में प्रस्तुत किया गया है. इसमें विधायकों को अपनी बात कहने एवं इस पर चर्चा करने के लिए, कम से कम 2 दिन का समय मिलना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय – मैंने इसको शिथिल किया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – अध्यक्ष महोदय, मेरी पूरी बात सुन ली जाये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, कल भी मैंने कहा था, आप आसंदी में उपस्थित नहीं थे, उपाध्यक्ष महोदय थे. इस सदन में कानून में अमेंडमेंट कानून बनाने की बात आती है जो इतनी लापरवाही तरीके से प्रस्तुत की जाती है कि विधायक उसमें भाग नहीं ले पाते. चार- चार अमेंडमेंट आपने कल प्रस्तुत कर दिया, चारों अमेंडमेंट में आज ही आप चर्चा कराना चाहते हैं, उसको पास करवाना चाहते हैं. हर विधायक के पास न तो लायब्रेरी है न तो पुस्तक है. रात 12 बजे आप ये देते हों, हम क्या चर्चा करेंगे और हम सरकार का क्या सहयोग कर सकते हैं, इसमें जब इसमें नियम है, नियम 65 में स्पष्ट लिखा है, परन्तु ऐसा कोई प्रस्ताव उस समय तक नहीं किया जाएगा, जब तक कि विधेयक को प्रतिलिपियां सदस्यों के उपयोग के लिए उपलब्ध न कर दी गई हों. दो दिन पहले हमको अमेंडमेंट की कापी देना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - आपका उत्तर सुन लें अब. विधेयकों की सूचना 7 तारीख को दे दी गई थी और कल पुर:स्थापित किया गया.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, कापी कल मिली है, कल भी नहीं मिली, लेकिन हम कल मान लेते हैं, क्योंकि कल पुर:स्थापित किया गया.
पंचायत मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - इसी सदन के सौ उदाहरण होंगे कि जब नियम शिथिल करके उसी दिन चर्चा हुई.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - आपको अधिकार नहीं है मंत्री जी इसमें, अध्यक्ष महोदय को अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय - पाइंट आफ आर्डर पर वे भी बोल सकते हैं, यदि मैं अनुमति दूं तो.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - बोलने का अधिकार है बोलिए. ये राजनैतिक विषय नहीं, हर विधायक का अधिकार है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो कह रहे हैं कि विधानसभा की कार्य और प्रक्रिया नियमावली में यह प्रावधान है. मैं इस बात को मानता हूं. औचित्य के हिसाब से, आवश्यकता के हिसाब से हमेशा सदन में आसंदी की अनुमति और सदन के बहुमत से यह होता है कि जब भी विधेयक यहां पर प्रस्तुत होता है, उसी दिन भी चर्चा हुई है, ऐसे उदाहरण भी है, इसलिए इसका कोई औचित्य नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, मैं फिर से निवेदन करना चाहूंगा और नियम 65 को मैं फिर से पढूंगा, परन्तु ऐसा कोई प्रस्ताव उस समय तक नहीं किया जाएगा, जब तक कि विधेयक को प्रतिलिपियां सदस्यों के उपयोग के लिए उपलब्ध न कर दी गई हों, पहली बात तो यह है कि क्या दो दिन पहले ये प्रतिलिपियां उपलब्ध करवाई गई है.
अध्यक्ष महोदय - 7 तारीख को उपलब्ध करा दी गई थी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, नहीं उपलब्ध कराई गई. एक विधायक के नाते हम ये अपेक्षा आपसे करते हैं और इस विधानमंडल में हम बैठे है, जहां कानून बनता है और इतनी मजाक के साथ अगर कानून बनेंगे तो क्या होगा. मेरा यह आरोप है.
अध्यक्ष महोदय - ऐसे पचासों पूर्व के उदाहरण है, जिसमें कि नियमों को शिथिल करके किया गया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - इसमें क्या इमरजेंसी है, क्या दो दिन का समय नहीं देंगे. हम सरकार की चर्चा में भाग लेना चाहते है, कुछ सहयोग करना चाहते है, सरकार का सहयोग करना चाहते हैं, ये नियम आपने बनाये हैं, अगर इस पुस्तक की कोई कीमत नहीं है तो इस पुस्तक को जलवा दें.
अध्यक्ष महोदय - कल पुर:स्थापित हो गए थे, पुरस्थापन के समय ही आपको आपत्ति उठाना था कि इसकी प्रतियां नहीं मिलीं.
श्री रामनिवास रावत - क्या सचिवालय को 7 दिन पहले सूचित किया गया, नहीं किया गया. सदस्यों को दो दिन पहले कापी नहीं दी गई, अब इन दोनों ही स्थिति में क्या आवश्यकता आन पड़ी कि जिससे सचिवालय ने स्वीकृत किया, वह भी नियम शिथिल किया, दो दिन पहले सूचना नहीं दी गई, क्या वह भी नियम शिथिल किया गया. ऐसी कौन सी इमरजेंसी आ गई थी कि लोग पढ़ भी नहीं पाए और कानून बन जाए. आप प्रदेश की जनता पर टैक्स लगाने जा रहे हों और हम लोग यहां विचार ही नहीं कर पाए यह तो बड़ी विडम्बना है.
अध्यक्ष महोदय - सुन्दरलाल तिवारी जी का जो पाइंट आफ आर्डर है, उस पर रामनिवास रावत जी ने और मंत्री जी गोपाल भार्गव ने चर्चा की गई. यह बात सही है कि सात दिन सचिवालय में और सदस्यों को दो दिन पहले देना चाहिये, किंतु नियमों को शिथिल करके मैंने माननीय मंत्री जी को अनुमति दी है. जिसका मुझे अधिकार है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- कहां है नियम शिथिल ?
अध्यक्ष महोदय-- मौखिक भी किये जाते हैं. तिवारी जी आप बैठ जायें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं है . फिर यह किताब आप रख लीजिये. लाईये माचिस लाईये और आग लगा दीजिये इस कानून में.
अध्यक्ष महोदय- 129 आप पढिये अवशेष शक्तियां...
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- हम तो आदर के साथ इस कानून का सम्मान करना चाहते हैं. जो आपने बनाया है.
अध्यक्ष महोदय- तिवारी जी उसमें यह भी लिखा है कि जब अध्यक्ष खड़े हों तो सदस्य को बैठ जाना चाहिये. कुंवर विक्रम सिंह--अध्यक्ष महोदय मैं निवेदन करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में रेत के उत्खनन में जो लिफ्टर्स का प्रयोग हो रहा है उस लिफ्टर्स का प्रयोग प्रतिबंधित है, एनजीटी से भी उसकी परमीशन नहीं है. मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि लिफ्टर्स का प्रयोग प्रतिबंधित किया जाये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- जनता के ऊपर टेक्स लगेगा और ऐसे कानून को आप आधे घंटे के अंदर पास करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय- मैंने पाईंट आफ आर्डर का आपका जवाब दे दिया है. अब आप बैठ जाईये.तिवारी जी.अब इस विषय पर कोई बहस नहीं होगी. मैंने अपनी व्यवस्था दे दी है.अब इस पर कोई बहस नहीं होगी. श्री सुन्दरलाल तिवारी जो कुछ बोल रहे हैं. नहीं लिखा जायेगा.
राज्य मंत्री,सामान्य प्रशासन(श्री लालसिंह आर्य)- माननीय अध्यक्ष महोदय,अभी सुन्दरलाल तिवारी जी द्वारा एक वरिष्ठ सदस्य द्वारा नियम प्रक्रिया की किताब को जला देने की बात कही है, यह सदन का अपमान है, आसंदी का अपमान है. जिन्होंनें इस पुस्तक को लिखकर के नियम प्रक्रिया का पालन करने के लिये प्रस्तुत किया है उनका अपमान है. इनको माफी मांगना चाहिये. यह पूरे सदन का अपमान है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- अगर मेरे कोई शब्द गलत निकले हैं तो मैं उसको वापस लेता हूं. लेकिन मैं यह चाहता हूं कि कानून का सम्मान हो, नियम प्रक्रिया का सम्मान हो.विधिवत चर्चा किसी कानून को बनाते समय हो. इसमें कौन सी जिद है. चार चार विधेयक आये हैं हम चर्चा करना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ तो जाएं. तिवारी जी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- प्रदेश की जनता के ऊपर टैक्स लगेगा.
अध्यक्ष महोदय-( श्री लाल सिंह आर्य से) मंत्री जी आपने इनसे (श्री तिवारी जी से) समझदारी की अपेक्षा कैसे की.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, इन्होंने तिवारी जी को वरिष्ठ कैसे कह दिया. वरिष्ठ क्यों कहा. मुझे घोर आपत्ति है.25-25 साल से हम यहां बैठे हैं, हमारा अपमान है यह.(हंसी)
श्री सुन्दरलाल तिवारी- अरे आप वरिष्ठतम हैं. बस ठीक है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- अच्छा मान लिया.(हंसी)
श्री दिनेश राय"मुनमुन"- अध्यक्ष महोदय, बताने की कृपा करेंगे कि समय से पहले आदमी सठिया जाते हैं उनके क्या लक्षण हैं.(हंसी)
अध्यक्ष महोदय:- नियम 65 उप नियम (2)" ऐसे प्रस्ताव की दशा में जो अधिक से अधिक सात दिन के अन्तर्वर्ती- अवकाश के बाद सत्र के प्रथम दिन किया गया हो, ऐसे अवकाश के ठीक पहले दिन को उपलब्ध न कर दी गई हो, तो कोई सदस्य ऐसे किसी प्रस्ताव के लिये जाने पर आपत्ति कर सकेगा या और यदि अध्यक्ष इस नियम को निलंबित करने की अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुये प्रस्ताव के किये जाने की अनुमति न दे दे, तो ऐसी आपत्ति अभिभावी होगी". मैंने निलंबित कर दिया है और प्रस्ताव को प्रस्तुत करने की अनुमति दे दी है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- मेरे पाईंट आफ आर्डर के बाद में आपने यह किया है.
अध्यक्ष महोदय--उसी पाईन्ट आफ आर्डर का उत्तर दे रहे हैं, पाईंट आफ आर्डर के बाद नहीं कर रहे हैं, तिवारी जी महाराज. पाईंट आफ आर्डर का उत्तर दिया है, उसके बाद नहीं किया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- नहीं किया है आपने उसका हमको आदेश मिलना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय- नियम को यदि शिथिल नहीं करते तो प्रस्तुत कैसे करते. अरे आप नहीं समझोगे, बैठ जाओ आप.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- स्पष्ट लिखा है.
अध्यक्ष महोदय- अब मैं, इससे ज्यादा कटु नहीं बोलना चाहता. मैं भी बोल सकता हूं. मेहरबानी करके बैठ जाईये. आपको ब्रम्हा जी भी नहीं समझा सकते. तुलसीदास जी की रामायण पढ़ना क्या लिखा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- मेरा विनम्र निवेदन है, आपने भी इसको स्वीकार किया है कि हां ऐसे उल्लेख है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-138 बार तो इनके पिताश्री ने ऐसा किया है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, बृजमोहन मिश्रा जी ने, श्रीनिवास तिवारी जी ने और राजेन्द्र शुक्ला जी ने दर्जनों बार नियमों को शिथिल करके लिया है.
अध्यक्ष महोदय- अरे उनका हृदय नहीं चेतेगा साहब.
सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिये स्थगित.
( 1.30 बजे से 3.00 बजे तक का अंतराल )
03.06 बजे उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुये.
अध्यक्षीय घोषणा
शुक्रवार की बैठक के अंतिम ढाई घंटे अशासकीय कार्य के लिये नियत विषयक.
उपाध्यक्ष महोदय-- मध्यप्रदेश विधान सभा की प्रक्रिया तथा कार्यसंचालन संबंधी नियम 23 के अनुसार शुक्रवार की बैठक के अंतिम ढाई घंटे अशासकीय कार्य के लिये नियत हैं. आज की कार्यसूची के पद 7 तक का कार्य पूर्ण होने के बाद ढाई घंटे का समय अशासकीय कार्य के लिये रहेगा. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
03.07 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
संशोधन विधेयक की प्रतियां पुर:स्थापन के पूर्व माननीय सदस्यों को उपलब्ध कराने तथा विधेयक की सूचना सात दिन पूर्व विधानसभा सचिवालय को प्राप्त होने विषयक.
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य, सुंदरलाल जी तिवारी ने नियम 65(1) के तहत व्यवस्था मांगी थी, आसंदी की व्यवस्था निम्न है-
आज की कार्यसूची में उल्लेखित मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक पर चर्चा प्रारंभ होने के पूर्व श्री सुंदरलाल तिवारी, सदस्य द्वारा नियम 65 का उल्लेख करते हुये यह व्यवस्था का प्रश्न उठाया गया कि नियम-65 ग (1) में उल्लेखानुसार विधेयक की प्रतियां 2 दिन पूर्व माननीय विधायकों को उपलब्ध नहीं करायी गई हैं तथा विधेयक की सूचना सात दिन पूर्व भारसाधक मंत्री से विधान सभा सचिवालय में प्राप्त नहीं हुई है.
इस संबंध में मेरे द्वारा अभिलेख का अनुशीलन किया गया तथा यह पाया कि जो विधेयक आज की कार्यसूची में शामिल हुआ उसकी प्रतियां सात दिसंबर को माननीय सदस्यों को वितरित की गई थीं तदुपरांत विधेयक सदन में कल आठ दिसंबर को पुर:स्थापित किये गये. तत्समय किसी भी माननीय सदस्य ने यह आपत्ति नहीं उठाई. इससे भी स्पष्ट है कि माननीय सदस्यों को पुर:स्थापन के पूर्व विधेयकों की प्रतियां उपलब्ध हो गई थीं. कतिपय सदस्यों द्वारा यह भी उल्लेख किया गया है कि विधेयक की सूचना सात दिन पूर्व विधान सभा सचिवालय में प्राप्त नहीं हुई थीं इस संबंध में मेरे द्वारा संबंधित नियम को शिथिल किया गया है. परंतु नियम-65 के अंतर्गत विधेयकों की प्रतियां माननीय विधायकों को दो दिन पूर्व वितरित किये जाने की स्थिति स्पष्ट किये जाने के बावजूद श्री तिवारी द्वारा नियमावली को फाड़े जाने तथा आसंदी से व्यवस्था देने के बाद भी अपने स्थान पर न बैठकर जो व्यवहार सदन में किया गया वह पूर्णत: अनुचित था. माननीय सदस्य से अपेक्षा है कि भविष्य में संसदीय आचरण का पालन करेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, केवल पाइंट ऑफ आर्डर उठाया था ऐसा कोई व्यवहार तो उस समय किया नहीं था.
उपाध्यक्ष महोदय-- उसी की तो व्यवस्था दी गई है.
श्री रामनिवास रावत-- व्यवहार की जो बात की गई है, ऐसी तो कोई बात की नहीं थी.
उपाध्यक्ष महोदय-- श्री शैलेन्द्र पटेल जी चर्चा में भाग लें.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, पाइंट आफ आर्डर मेरा फिर है, जो मैंने नियम 65 पर उठाया था.
उपाध्यक्ष महोदय-- यह बताईये, व्यवस्था पर व्यवस्था होती है क्या.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, नयी उद्भूत हुई है.
उपाध्यक्ष महोदय-- इसी व्यवस्था से ?
श्री सुंदरलाल तिवारी-- नहीं इस व्यवस्था से नहीं, इससे अलग.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब अलग कौन सी बात है, मुद्दा तो वही था.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- आप नियम 78 को देख लें, वह मुद्दा अब नहीं है, मुद्दा उससे जुड़ा हुआ है, लेकिन वह मुद्दा नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब वह बात तो चली गई, अब ऐसे कैसे उठायेंगे आप. अभी वर्तमान में चर्चा में यह विषय प्रचलित नहीं है. अब उठाने का कोई औचित्य नहीं है.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, वह बात नहीं उठा रहे. मेरा पाइंट आफ आर्डर है मेरी बात सुन लें. हम नियम 78 की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं. हम इसमें अमण्डमेंट पेश करना चाहते हैं, इसलिये मैं नियम 78 की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. कृपया पाइंट ऑफ आर्डर तो सुनेंगे ही, उस पर जो भी आपको निर्णय देना होगा देंगे.
उपाध्यक्ष महोदय - जब विधेयक पुर:स्थापित हुआ था उस समय आपको यह व्यवस्था मांगनी चाहिये थी. उस समय आपने मांगी नहीं. अब पुर:स्थापित हो चुका है विधेयक.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - उपाध्यक्ष महोदय,मेरा आपसे निवेदन है मैं नियम 78 को आपको पढ़कर सुना रहा हूं सुन लें.
उपाध्यक्ष महोदय - अच्छा सुनाईये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - खण्डों आदि में संशोधन तथा विधेयक पर विचार,नियम 78(1)- "जो सदस्य विधेयक में किसी संशोधन का प्रस्ताव करना चाहे वह जिस दिन विधेयक पर विचार किया जाना हो (उस दिन से एक दिन पूर्व) अपने विचार की सूचना देगा और वह जिस संशोधन का प्रस्ताव करना चाहता है उसकी एक प्रति सूचना के साथ प्रस्तुत करेगा " कार्य सूची में प्रस्तावना आज आयी है. नियम हमें आदेश देता है कि हमें एक दिन पहले अमेंडमेंड देना चाहिये. अब एक दिन पहले मैं मुझे समय कहां है जो मैं अमेंडमेंड दूं.
उपाध्यक्ष महोदय - यह पुर:स्थापित कल हो चुका है. आप इसको बेवजह खींच रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - आज प्रस्तावित किया गया है. आप कार्यसूची उठाकर देख लें.
उपाध्यक्ष महोदय - आपके मूल प्रश्न पर आसंदी द्वारा व्यवस्था दे दी गयी है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - मैं नियम 78 की बात कर रहा हूं. मैं नियम 65 की बात नहीं कर रहा हूं.आसन्दी ने आदेश दे दिया हम आपसे सहमत है अब उपाध्यक्ष महोदय, हमारा यह कहना है कि नियम यह कहता है कि अगर मैं कोई प्रस्ताव में संशोधन करना चाहता हूं तो एक दिन पहले हमें उसमें अमैंडमेंड देना चाहिये और आज आपने प्रस्तावना किया है.
उपाध्यक्ष महोदय - पुर:स्थापित हो चुका है पहले. कल ही अमैंडमेंड आपको देना चाहिये था. तिवारी जी आप लोक सभा के सदस्य रह चुके हैं, आप बहुत वरिष्ठ विधायक हैं. आप उस चीज को समझ रहे हैं फिर क्यों खींच रहे हैं. व्यवस्था दे दी गयी है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - व्यवस्था आपने नियम 65 पर दी है.
उपाध्यक्ष महोदय - आपको कल संशोधन देना चाहिये था. यह कल पुर:स्थापित हो चुका है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - पुर:स्थापित हुआ था बहस के लिये प्रस्तावित नहीं हुआ था.
उपाध्यक्ष महोदय - पुर:स्थापित का मतलब विधेयक सदन की प्रापर्टी हो गया. फिर हर सदस्य को काग्नीलेजेंस लेने का अधिकार हो गया. वह उस पर जो कहना हो कह सकता है. अब आप बैठ जायें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - आप आसंदी से जो भी हमने बात उठायी है व्यवस्था दे दें.
उपाध्यक्ष महोदय - हम वही बात कहेंगे जो बार-बार दोहरा रहे हैं. आपकी आपत्ति मैं सही नहीं मानता.
(03.14 बजे) शासकीय विधि विषय कार्य(क्रमश:)
(1) मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान(संशोधन)विधेयक,2016(क्रमांक 32 सन् 2016)
श्री शैलेन्द्र पटेल(इछावर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान संशोधन विधेयक,2016 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. इस विधेयक में लिखा गया है कि प्रत्येक मोटरयान पर उपधारा(1) के अधीन देय कर के अतिरिक्त वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये विभिन्न उपायों को क्रियान्वित करने के प्रयोजन से प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट दर से धारित कर देय होगा. इसका मतलब यह है कि कोई भी मोटरयान का जो जीवनकाल माना गया है वह 15 वर्ष का माना गया है और जब कोई क्रेता कोई वाहन खरीदता है तब सरकार को टैक्स देता है और उस टैक्स देने के बाद जब पंद्रह साल हो जाते हैं तो उसके बाद उसको फिर से उसके लिये टैक्स देना पड़ता है. उस टैक्स के अलावा अब 25 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैक्स धारित कर के रूप में जो पहले कर लगता था उसके अतिरिक्त राशि भी उपभोक्ता को देनी पड़ेगी. उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से परिवहन मंत्री जी से है मैं उनका ध्यान भी चाहता हूं कि मेरे कुछ सवालों का वे जवाब दें.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- अब वे सुन रहे हैं. मेरा सीधा सा सवाल है कि आप जो यह कर वसूलने जा रहे हैं इस कर का करेंगे क्या? इससे आप वायु प्रदुषण कैसे रोकेंगे. अगर आपको वायु प्रदूषण रोकना है और आपको लगता है तो 15 साल के बाद के वाहन को ही बंद कर दें. क्योंकि वर्ष से वायु प्रदूषण का कोई तालमेल नहीं होता है. अगर गाड़ी पुरानी हो गई हो और चली नहीं तो क्या वह ज्यादा प्रदूषण करेगी ? मेरा यह छोटा लॉजिकल प्रश्न है. हमारी गाड़ी है. हमने कम चलायी. प्रदूषण के मामले में जितनी गाड़ी चलती है, इंजन बनता है तब उसके चांसेस ज्यादा होते हैं लेकिन वर्ष तो कहीं नहीं होता है. हमारी गाड़ी हम कम चला रहे हैं तो भी वही नियम. तीन साल में ज्यादा चल गई उसके ऊपर भी वही नियम. इससे जो उद्देश्य दिया गया है वह यह कहता है कि हमें वायु प्रदूषण को हतोत्साहित करना है तो वह कैसे होगा? यह मेरा प्रश्न है.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा, जो टैक्स वसूल रहे हैं उससे करेंगे क्या? यह भी स्पष्ट नहीं है कि हम किस रुप से वायु प्रदूषण रोकेंगे. कहीं पर भी इसके बारे नहीं लिखा है. कर वसूलना तो लिखा लेकिन सरकार क्या उपाय उठाएगी, क्या करने जा रही है इसके बारे में बिलकुल स्पष्ट नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा सदन में कहना है कि आजकल गाड़ियों में जो इंजन आ रहे हैं, वह उस मॉडर्न टेक्निक के आ रहे हैं कि जो वाकई बहुत कम प्रदुषण कम करते हैं लेकिन आज वह टैक्स लेंगे तो उनके ऊपर भी यह लागू होता है. जो उपभोक्ता वाहन खरीद रहे हैं, उन वाहनों की कीमतें भी इसलिए बढ़ीं हैं कि इन्वायरमेंट फ्रेंडली इंजन बनने लगे हैं. जब क्रेता एक बार वाहन कंपनी को पैसा दे रहा है, फिर टैक्स दे रहा है और 15 साल बाद फिर टैक्स देगा तो इस 25 प्रतिशत टैक्स का औचित्य क्या है. वित्त मंत्री जी भी बैठे हैं. मुझे लगता है और हमने कल भी यह बात कही थी कि सरकार की वित्तीय हालत ठीक नहीं है. उन्होंने शायद कोई ऐसा उपाय बताया हो कि कहीं न कहीं हम धीरे से जनता से यह टैक्स वसूलें. मेरा स्पष्ट मानना है कि यदि हमें पूरी तरह से हतोत्साहित करना है या तो गाड़ी बैन कर दें और यदि ऐसा नहीं है तो यह 25 प्रतिशत का औचित्य नहीं है. इससे उपभोक्ताओं पर बहुत भार पड़ेगा. आज यह बात समझ में नहीं आ रही है लेकिन आने वाले समय में यह भार उपभोक्ताओं पर पड़ेगा इसलिए इस टैक्स को कम किया जाए और मैं मंत्री जी से उम्मीद करता हूं कि मेरी बात का वह जवाब देंगे कि आखिर इस टैक्स का उपयोग वसूलने के बाद क्या करेंगे वह भी स्पष्ट करें कि जनता की गाढ़ी कमाई से लिए गए टैक्स से कैसे वायु प्रदुषण रोकेंगे? धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन(सागर)--उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान संशोधन विधेयक,2016 का समर्थन करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं, आपके माध्यम से माननीय परिवहन मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं कि जबसे उन्होंने परिवहन विभाग का दायित्व संभाला है,अनेक क्रांतिकारी कदम उनके द्वारा उठाए गए हैं. यह ग्रीन टैक्स लगाने का जो कदम है प्रशंसनीय है. वंदनीय है.
उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश अकेला राज्य नहीं है जिसमें इस तरह का टैक्स लगाया गया है. इसके पूर्व में हमारे सीमावर्ती राज्यों- राजस्थान, महाराष्ट्र,तमिलनाडु,आंध्रप्रदेश,गुजरात, दिल्ली, कर्नाटक आदि अनेक राज्यों में इस तरह के टैक्स का प्रावधान है. हमारे सम्मानित सदस्य अभी कह रहे थे कि जो टैक्स ले रहे हैं उसका उपयोग क्या होगा. आज हम देखते हैं कि हमारे पास संसाधनों की कमी है. हम देखते हैं कि पाल्यूशन नार्म्स का एनालिसिस करने वाली जो प्रायवेट एजेन्सियां हैं, वह खाना पूर्ति और कागजी कार्रवाई कर रही है. वास्तव में प्रभावशाली नियंत्रण नहीं हो पा रहा है. शासन के द्वारा स्वयं अपने संसाधनों से नए नए इक्यूपमेंट्स लगाकर वायु प्रदुषण कम करने की दिशा में काम किया जा रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, इस समय पूरे विश्व में दो तरह की गतिविधियां चल रही है जिससे पूरा विश्व आतंकित है. एक आतंकवाद और दूसरा पर्यावरण. मैं, आतंकवाद की शीर्ष श्रेणी में पर्यावरण को रखता हूं. अगर पर्यावरण ठीक नहीं होगा उससे जितना दुष्प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है, वह चिन्तनीय है.
उपाध्यक्ष महोदय़, हमारे गरीब और मध्यम वर्ग के लोग हैं, उन वर्गों के लोगों पर टैक्स नहीं लगना चाहिए. इस दृष्टि से मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. इस समय पूरे राज्य में लगभग 1 करोड़ 20 लाख वाहन हैं जिसमें गैर परिवहन वाहन जिस पर यह टैक्स नहीं लगाया जा रहा है जैसे मोटर सायकल और निजी वाहन हैं, उनकी संख्या 1 करोड़ 12 लाख से अधिक है. तो यह जो वाहन परिवहन के काम में लगे हैं, ऐसे वाहनों पर यह जो टैक्स लगाया जा रहा है, इससे आम जनता पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है. बल्कि मैं तो परिवहन मंत्री जी को आपके माध्यम से सलाह देना चाहता हूं. रजिस्ट्रेशन के समय एक तो जो स्लैब कम कर दिये हैं, मैं चाहता हूं कि तरह-तरह के जो तीन-चार स्टेप में स्लैब्स थे, वे ज्यों के त्यों करना चाहिए. 10 लाख रुपए तक की राशि के जो वाहन हैं, उनको इससे मुक्त कर देना चाहिए ताकि उससे हमारा मध्यमवर्गीय और नीचे का तबका प्रभावित न हो. 10 लाख रुपए मूल्य से अधिक के जो वाहन हैं, उन पर रजिस्ट्रेशन के समय ही टैक्स लगाया जाना चाहिए. जो 10-20 लाख रुपए, 50 लाख रुपए या 1 करोड़ रुपए से अधिक की गाड़ी खरीदते हैं, वे रजिस्ट्रेशन के समय ग्रीन टैक्स के नाम पर टैक्स देने में भी सक्षम होंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, वाहनों के ट्रांसफर के मामले में भी लगभग 1 प्रतिशत टैक्स लगाने का उन्होंने प्रावधान किया है, उसका भी मैं स्वागत करता हूं. 10 लाख रुपए से अधिक के जो वाहन हैं, उन पर अतिरिक्त 1 प्रतिशत का टैक्स लगाने का प्रावधान इस विधेयक में लाया गया है. मैं समझता हूं कि एक स्लैब और बनाना चाहिए. 10 लाख रुपए या 20 लाख रुपए से ऊपर के जो वाहन हैं, उन पर इस तरह के जो टैक्स की बढ़ोतरी है, वह 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत करना चाहिए. टैक्स का सदुपयोग जो है वह इक्विमेंट्स खरीदने में तो होगा ही. हम चाहते हैं कि पर्यावरण को शुद्ध रखने की दिशा में परिवहन विभाग चाहे तो रोड के दोनों ओर बड़ी मात्रा में प्लांटेशन करके इस तरह से वायू प्रदूषण को कम करने की दिशा में काम कर सकता है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस संशोधन विधायक का समर्थन करता हूं और माननीय परिवहन मंत्री जी को अपनी ओर से बहुत-बहुत बधाई देता हूं. आपने बोलने का जो समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय द्वारा प्रस्तुत मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2016 पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. माननीय मंत्री जी आपने संशोधन प्रस्तुत किया है, आपकी सरकार है. आपको सरकार चलाना है, व्यवस्था करना है. यह पारित भी होगा, हम विरोध भी करेंगे यह तब भी नहीं रुकेगा. माननीय मंत्री जी, प्रदेश की जनता पहले ही करों के बोझ से दबी है. हरित कर के नाम पर टैक्स लगा रहे हैं. निश्चित रूप से पर्यावरण प्रदूषण को रोकने का काम करना चाहिए. लेकिन जो टैक्स आप प्राप्त करेंगे, जैसा श्री शैलेन्द्र पटेल जी ने भी कहा था, यह टैक्स वसूलने के बाद किस विभाग को देंगे, आपकी कार्ययोजना क्या है? आप चाहते क्या हैं? उपाध्यक्ष महोदय, पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है चिमनियों से, रेत उत्खनन से, धूल से. आप इन्हें रोकने का प्रयास करेंगे, पर्यावरण प्रदूषण समुचित रूप से रोकने का सभी जगह से प्रयास किया जाय तो पर्यावरण को प्रदूषित होने से हम बचा पाएंगे. आपने जो हरित टैक्स लगाया है, दो पहिया वाहन पर 500 रुपए, दो पहिया वाहनों से भिन्न पर 1000 रुपए. आप इसमें तीसरा स्लैब भी बना दें. 10 लाख रुपए के वाहनों पर इतना हरित टैक्स, 15 लाख रुपए के वाहनों पर इतना और 25 लाख रुपए के वाहनों पर इतना टैक्स, दो पहिया वाहन की बजाय 30-50 लाख रुपए का वाहन खरीदने वाले ज्यादा टैक्स दे सकते हैं. दो पहिया वाहन तो सामान्य किसान भी खरीदता है. इस स्लैब को आप देखने का कष्ट करें. इससे प्रदेश के आम गरीब और बड़े लोग एक जैसी स्थिति में आ जाएंगे. कम से कम उनका ध्यान रखते हुए इस टैक्स को निर्धारित करेंगे तो काफी अच्छा होगा. इसके साथ-साथ एक नया कर, अंतरण कर और जोड़ दिया है. इससे भी काफी भार पड़ेगा. उपाध्यक्ष महोदय, आपने कई संशोधन इन करों के माध्यम से किये हैं और काफी कर बढ़ा भी दिये हैं. जैसे इन्होंने मूल अधिनियम की प्रथम अनुसूची में जो पूर्व में कर लगते थे. 5000 किलोग्राम से अधिक किंतु 6000 किलोग्राम से अधिक जिनका भार नहीं है उनका 6000 रु. प्रतिवर्ष. अब आपने 5000 और 6000 किलोग्राम हटा दिया, और 12000 किलोग्राम से अधिक परंतु 13000 किलोग्राम से अधिक नहीं है उनका 3250 रु. प्रति तिमाही कर दिया, पहले जो प्रतिवर्ष 6000 रु. लगता था अब तिमाही के हिसाब से यह लगभग 9750 रु. हो गया. आप एक साथ कर बढ़ाते जा रहे हैं, वैसे ही काफी महंगाई बढ़ी हुई है और लोग परेशान हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि भाई जैन जी ने कहा कि तीसरा स्लैब बनना चाहिए, आपने हर स्तर के वाहन पर 1 प्रतिशत कर बढ़ा दिया है. मोटर साईकिल तथा 12+1 तक बैठक क्षमता वाले गैर-परिवहन/परिवहन यान जिनका मानक मूल्य 10 लाख रु. तक हो, पहले डीजल द्वारा चलित वाहनों में यान के मानक मूल्य का 7 प्रतिशत लगता था अब यान के मानक मूल्य का 8 प्रतिशत कर दिया है, इसी तरह से पेट्रोल द्वारा चलित और सब वाहनों पर एक-एक प्रतिशत बढ़ा दिया. आप तीसरा स्लैब भी इसमें स्थापित कर सकते हैं कि 25 लाख से अधिक हैं तो उन पर भी बढ़ा दें, करों के बोझ से वैसे ही मध्यप्रदेश दबा हुआ है, मध्यप्रदेश करों के नाम से जाना जाता है कि सर्वाधिक कर मध्यप्रदेश में हैं. रजिस्ट्रेशन कर भी मध्यप्रदेश में सर्वाधिक है इसलिए लोग हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से रजिस्ट्रेशन कराके लाते हैं. ज्यादातर हरियाणा में पास गाड़ियां मध्यप्रदेश में घूम रही होती हैं उनको भी रोकने का प्रयास करें. इससे कर अपवंचन हो रहा है और अपनी आय में गिरावट आ रही है. अपनी आय कर बढ़ाने से नहीं बढ़ेगी, अगर हम रजिस्ट्रेशन फीस हरियाणा के बराबर ले आएं तो मैं समझता हूँ कि लोग हरियाणा से रजिस्ट्रेशन कराके नहीं लाएंगे. माननीय शैलेन्द्र जैन ने कहा और हम भी जानते हैं कि आपने मोटर साईकिल पर तो कर लगा दिया, आपने कहा फोर व्हीलर पर, छोटे वाहनों पर, निजी वाहनों पर कर नहीं है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का इस ओर ध्यान दिलाना चाहूंगा कि छोटे वाहन भी परिवहन में लगते हैं. उनका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है. ओला, उबेर, मैक्सी चल रही हैं, इन्होंने हमारी छोटी ऑटो-टैक्सीज़ का व्यापार खत्म कर दिया है, इन पर क्यों कृपा की जा रही है. इन्हें कर के दायरे में क्यों नहीं लिया जा रहा है. जो वाहन आपके यहां टैक्सी के रूप में हैं इन पर भी आप कर का बोझ डालिए, नहीं तो ओला, उबेर जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां छोटे-छोटे लोगों को समाप्त कर देंगी और छोटे लोग बेरोजगार हो जाएंगे. इन पर कृपा करने की जरूरत नहीं है. आपकी क्या मजबूरी है कि इस तरफ आप कर नहीं डाल रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनापत्ति प्रमाण-पत्र जारी करने पर अंतरण पर भी आपने कर बढ़ा दिए हैं, इसमें कर की सीमा बहुत ज्यादा बढ़ा दी है. पहले से ही प्रदेश में डीजल और पेट्रोल पर देश के सभी राज्यों से सबसे ज्यादा कर हैं. मेरे पास तुलनात्मक चार्ट तो नहीं है लेकिन फिर भी मैं समझता हूँ कि मोटरयान कराधान के माध्यम से भी जो कर लगाए गए हैं वह सर्वाधिक हैं और एक या दो राज्यों के बराबर होंगे. हमारी कोशिश ऐसी हो और हम कर की स्लैब इस तरह से बनाएं कि लोग अपने आप कर के दायरे में आएं, और कर अदा करें जिससे हमारी इन्कम बढ़े. लोग बाहर जाकर रजिस्ट्रेशन कराते हैं इससे कर अपवंचन होता है, इस कर को बढ़ाने की जरूरत नहीं है बल्कि कर कम करके अन्य राज्यों की तुलना में लाया जाए, जैसा कि विचार भी चल रहा है कि जीएसटी भी आ रहा है, कम से कम एक व्यवस्था, एकरूपता ऐसी बने कि हमारे सराउंडिंग जितने भी स्टेट हैं उनका टैक्स और हमारा टैक्स एक जैसा हो तो मैं समझता हूँ कि कर अपवंचन की स्थिति नहीं बनेगी और हमारी इन्कम बढ़ेगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनावश्यक कर बढ़ाकर प्रदेश की जनता पर बोझ डालने का प्रयास किया गया है, मैं इसका विरोध करता हूँ और मैं आशा करता हूँ कि माननीय मंत्री जी इस पर विचार करेंगे. जिस तरह से बड़े वाहनों में और छोटे वाहनों में स्थिति बनाई गई है, एक स्लैब 25 से 30 लाख रु. के ऊपर और बनाया जाए और उनसे ज्यादा कर वसूल करें तो ज्यादा ठीक रहेगा एवं उबेर, ओला आदि जितनी भी टैक्सीज़ चलती हैं इनको भी कर के दायरे में लाने का प्रयास करेंगे जिससे हमारे ऑटो-टैक्सीज़ का व्यापार सुविधाजनक ढंग से चलता रहे. आपने समय दिया, धन्यवाद.
श्री वीरसिंह पँवार (कुरवाई) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2016 का समर्थन करता हूँ. संशोधन विधेयक के माध्यम से जो हरित कर, अंतरण कर एवं 5 टन से अधिक 12 टन तक के लदेन भार हेतु जो जीवन कर का प्रावधान किया गया है, मैं उसका स्वागत करता हूँ, अन्य राज्यों से खरीदे गए वाहनों को मध्यप्रदेश में लाकर पंजीयन कराने हेतु जो स्पष्ट प्रावधान करारोपण इस संशोधन विधेयक में किया गया है वह प्रशंसनीय है क्योंकि इससे एक ओर अन्य राज्यों में क्रय कर वाहन प्रदेश में लाने से वेट आदि का नुकसान होता था उससे उसकी भरपाई होगी, साथ ही एक स्पष्ट एवं सरल लाईफ टाइम टैक्स प्रावधानित होने से वाहन मालिकों को अन्य राज्यों से मध्यप्रदेश में लाये जाने वाले वाहनों के पंजीयन में सहूलियत होगी. आपने बोलने का अवसर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद, वीरसिंह जी.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा (शुजालपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, रावत जी ने शांत बैठै आदमी को फिर से जगाया है तो इनके लिए भी कोई आचार संहिता बना लें, तो अच्छा रहेगा.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष ( श्री बाला बच्चन) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान संशोधन विधेयक, 2016 का मैं विरोध करता हॅूं और माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से जानना चाहता हॅूं कि ग्रीन टैक्स जो आपने लगाया है हरित कर जो आपने लगाया है मैं समझता हॅूं कि सरकारी खजाने में और खजाना बढ़ाने के सिवाए इसमें ज्यादा कुछ नहीं है क्योंकि प्रदेश की जनता को इससे नुकसान ही होना है. इससे महँगाई बढ़ेगी और जो जनता महँगाई के जमाने में महँगाई से परेशान और त्रस्त है उनके ऊपर और अतिरिक्त भार इस टैक्स के लग लाने से बढ़ेगा. टैक्स कैसे बढ़ेगा, वह मैं बताना चाहता हॅूं. एक तो माननीय मंत्री जी पहले 12 हजार किलोग्राम लदान पर 12 हजार रूपये कर लगता था अब यह टैक्स लगने के बाद 13 हजार रूपये हो जाएगा और दो पहिया वाहन, तीन पहिया वाहनों से भी आप 5 वर्ष में 500 और 1000 रूपये लेंगे तो माननीय मंत्री जी मैं समझता हॅूं कि आज दो पहिया वाहन हर एक व्यक्ति की जरूरत बन गई है. हर एक व्यक्ति के पास लगभग दो पहिया वाहन होते हैं और लोग ऑटो रिक्शा से अपना जीवनयापन करते हैं. तीन पहिया वाहन रोजगार का साधन है तो उस पर भी आप 500 और 1000 रूपये का टैक्स 5 साल में लेंगे तो माननीय मंत्री जी, आप इस पर विचार करें. इससे महँगाई बढे़गी और मैं समझता हॅूं कि बेरोजगारी भी बढ़ेगी तो आप यदि इस पर विचार करें और इसको वापस लेंगे तो मैं समझता हॅूं कि ज्यादा अच्छा होगा. इसी संशोधन विधेयक में मूल अधिनियम की द्वितीय अनुसूची में डीजल-पेट्रोल के द्वारा जो चलित वाहन हैं उन पर भी आपने टैक्स बढ़ाया है, यह ग्रीन टैक्स के हिसाब से टैक्स में वृद्धि की है. आपके माध्यम से सरकार की जानकारी में यह बात लाना चाहता हॅूं कि शैलेन्द्र भाई अभी आप बोल रहे थे, 50 लाख और 1 करोड़ रूपये की गाडि़यों पर टैक्स लगने-लगाने का और उस पर जो स्लैब बनना चाहिए पहले 15 लाख रूपये तक की गाडि़यों पर छूट थी, अब तो 10 लाख रूपये कीमत की गाडि़यॉं हैं जो डीज़ल और पेट्रोल से चलती हैं उनके ऊपर भी यह ग्रीन टैक्स लगेगा, तो मैं समझता हॅूं कि माननीय मंत्री जी, इस पर आपको विचार करना चाहिए और जो सीएनजी से वाहन चलते हैं उनको भी टैक्स के दायरे में लिया है और उन पर भी टैक्स बढ़ाया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं और दिल्ली जैसे स्टेट में पूरे वाहन सीएनजी से चलते हैं. सीएनजी से जो वाहन चलते हैं उससे वातावरण भी ठीक रहता है और इतना प्रदूषण भी नहीं होता है. माननीय मंत्री जी, आपने इन पर भी ग्रीन टैक्स लगाया है तो आप इस पर विचार करें. यह सब वाहनों का जो मैंने उल्लेख किया है डीज़ल, पेट्रोल और सीएनजी से चलित वाहनों के ऊपर तो आपने टैक्स लगा दिए हैं और इन सबको टैक्स के दायरे में ले लिया है लेकिन मैं भी वही कहना चाहता हॅूं जो आदरणीय रामनिवास रावत जी ने कहा है कि जो बड़ी कंपनियॉं मोटर कैब हैं, मैक्सी कैब हैं जिसमें ओला और जो बड़ी-बड़ी कंपनीज़ हैं जो टैक्सियों के रूप में वाहन चलाती हैं. माननीय मंत्री जी आप तो भले मंत्री हैं, भले व्यक्ति हैं, भले सज्जन हैं, आपके बारे में बात नहीं हो सकती है. लेकिन माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ऐसी क्या मजबूरी आ गई थी, आपकी सरकार ने, आपके मुख्यमंत्री जी ने यह जो मोटर कैब हैं, मैक्सी कैब हैं, इनसे क्या डील कर ली और क्यों ऐसी डील कर ली कि दो और तीन पहिया वालों को आपने बख्शा नहीं, ऑटो रिक्शा चलाकर अपना जीवन यापन करने वाले, रोजगार करने वाले, अपने बच्चों का पेट भरने वालों को तो आपने बख्शा नहीं और जो यह बड़ी कैब चलाते हैं, मोटर कैब, मैक्सी कैब उनको क्यों वंचित कर दिया है जब आप बोले माननीय मंत्री जी, यह स्पष्ट करें.मेरा कहना है कि मंत्री जी सरकार की चाल में आप कैसे आ गये, मुख्यमंत्री जी की इस चाल में आप कैसे आ गये, मुख्यमंत्री जी की जरूर कोई सांठ-गांठ इनसे हो सकती है,बड़ी कोई डील हो सकती है तो मंत्री जी जब आप जवाब दें तो इस बात को स्पष्ट करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस संशोधन विधेयक से महंगाई बढ़ेगी. आम जनता परेशान होगी, इसको सरकार को वापस लेना चाहिए, मेरा यह मंत्री जी आपसे और सरकार से आग्रह है. धन्यवाद.
श्री पुष्पेंद्रनाथ पाठक(बिजावर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान संशोधन विधेयक 2016 का समर्थन करता हूं. बुंदेलखंड के किसानों की ओर से मैं परिवहन मंत्री जी का बहुत आभार भी व्यक्त करना चाहता हूं. यह जो 5 टन लदान भार वाले वाहनों को जीवन कर, जिन पर लागू था उनको बढ़ाकर वाहन की क्षमता 12 टन वाले वाहनों को जीवन कर में लागू किया गया है. यह बुंदेलखंड के किसानों के लिए बड़ा लाभ का काम हुआ है. वास्तव में बुंदेलखंड के किसानों को अपना हरी सब्जियों, अनाज का परिवहन करने के लिए इस तरह के छोटे भार वाहन सुविधा मिलती थी या जो साधन उन्हें उपलब्ध थे उसको 12 टन करने से किसानों को लाभ होगा. हरित कर लगाकर पर्यावरण और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के दृष्टिकोण से जो प्रावधान किया गया है उसका भी मैं समर्थन करता हूं. इससे निश्चित रूप से मध्यप्रदेश में प्रदूषण के मामले में जो बढ़ोत्तरी हो रही है, उसको नियंत्रित करने में लाभ होगा और यह भी एक अच्छी बात है कि चिन्हित करके जो वाहन इसमें लिये गये हैं उससे सब लोग प्रभावित नहीं होंगे. वाहनों के बार-बार अंतरण होने से अनावश्यक रूप से कार्यवाही बढ़ती थी, परिवहन विभाग का भार बढ़ता था. उसमें भी यदि आधा प्रतिशत और 1 प्रतिशत का प्रावधान किया गया है, इसका भी मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश की परिवहन व्यवस्था में लाभ होगा और इससे जो व्यवस्था बनेगी उससे एक तो यह प्रेक्टिस भी कम होगी और दूसरा यह होगा कि सारे वाहनों का कई दिनों तक जो हमने देखा है कि अंतरण होने में लंबा समय लगता था इसको भी नियंत्रित करने का अवसर मिलेगा. मध्यप्रदेश के परिवहन मंत्री जी ने जो परिवहन व्यवस्था को सुचारू रूप से ठीक किया है. इसके लिए मैं उनको धन्यवाद देता हूं और मध्यप्रदेश की जनता की ओर से उनका आभार व्यक्त करते हुए उनको शुभकामनायें देते हैं वह इस तरह के प्रावधान करके यदि सरकार का और जनता का हित करेंगे तो बहुत अच्छा होगा.
श्री सुंदरलाल तिवारी(गुढ़)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं. (XXX) और शायद उपाध्यक्ष महोदय ऐसा नहीं कहेंगे यह मैं उम्मीद करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- अध्यक्ष महोदय भी ऐसा नहीं कहते, आप कैसे अनुमान लगा रहे हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, जो यह अमेंडमेंट लाया गया यह मध्यप्रदेश मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन लाया गया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- कोई-न-कोई यह तो कह ही सकता है कि अगर सीधे-सीधे अपनी बात कह दें तो सुंदरलाल तिवारी न कहा जाये.(हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय--- उनको ऐसा प्रोवोग न करें आप.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान अधिनियम 1991 इसमें टैक्स लगाने की बात आई है और पर्यावरण को ठीक करने के लिए कुछ राशि वसूलने का एक रास्ता अख्तियार किया गया है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि मेरा मंत्री जी से निवदेन है कि आपका सेक्शन (3) मोटर व्हीकल एक्ट में टैक्स लगाने के लिए है. सेक्शन (3) में ऐसा कोई प्रोवीजन नहीं है कि मोटर व्हीकल एक्ट से हटकर आप कोई और टैक्स लगाएं. मोटर व्हीकल एक्ट में आप टैक्स बढ़ा लें उसमें और भी कोई टैक्स जो आपको एलाउड हों लगा लें, लेकिन सेक्शन (3) में उल्लेख है कि A tax shall be levied on every motor vehicle used or kept for use in the state at the rate specified in the first schedule. अभी हरित क्रांति के लिए आप मोटर व्हीकल से वसूल कर रहे हैं. प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न उपयोगों को क्रियान्वित करने के प्रयोजन से प्रथम अंकसूची में विनिर्दिष्ट दर से हरित कर देय होगा. यह हरित कर देय ऐसी समस्या हो गई है कि अगर शहरों में देखा जाए तो नगर निगम भी वसूल रहा है, नगर पालिकाएं भी वसूल कर रही हैं, इन्वायरमेंट डिपार्टमेंट भी वसूल कर रहा है. इस पर ऐसा कोई नियम नहीं है कि पर्टिकुलर कोई एक डिपार्टमेंट इसमें वसूली करे. अभी तीन चार डिपार्टमेंट वसूल कर रहे थे और एक नया डिपार्टमेंट अब आपका भी आ गया है जो यह कर वसूल करेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि इसमें वसूली के लिए एक अलग प्रोवीजन पूरे स्टेट में बन जाए जिससे एक इन्वायरमेंटल सिचुएशन को डील करने के लिए उसका एक डिपार्टमेंट बन जाए वह इसकी वसूली करे. मोटर व्हीकल एक्ट में आप केवल मोटर का ही टैक्स वसूलें तो ज्यादा उचित होगा और ज्यादा व्यवस्थित टैक्स वसूली होगी. दूसरा मेरा कहना है कि इसमें धारा-11 में आपने कृषकों को एग्जे़म्ट किया है कि कृषि कार्य में जो व्हीकल उपयोग में आएंगे उनमें टैक्स नहीं लेंगे ऐसा इसमें उल्लेख है. अब आपने इसमें नया टैक्स इन्डेक्ट कर दिया है. लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह टैक्स किसानों से वसूल किया जाएगा या नहीं किया जाएगा. तीसरी बात मेरा यह कहना है कि माननीय मंत्री जी देखें मध्यप्रदेश का तीन चौथाई भाग उत्तर प्रदेश से लगा हुआ है. उत्तरप्रदेश में जो डीजल और पेट्रोल है वह मध्यप्रदेश से चार रुपए से लेकर पांच रुपए प्रति लीटर तक सस्ता है और उसकी वजह से यह होता है कि आपकी डीजल और पेट्रोल की जो खरीददारी है जो बार्डर के पेट्रोल पम्प हैं वह सारे व्हीकल उत्तरप्रदेश में चले जाते हैं और वहां से पेट्रोल और डीजल खरीदकर लाते हैं. पेट्रोल और डीजल के जो व्यापारी हमारे मध्यप्रदेश के हैं जिन्होंने पेट्रोल पम्प खोल रखे हैं वह इतनी समस्या में है कि वह उसको बंद करने की स्थिति में हैं. जहां 4 रुपए सस्ता मिलेगा, 5 रुपए सस्ता मिलेगा वहां आदमी जाएगा और इतना ही नहीं केवल व्हीकल लेकर जाता है और ट्रकों में दो-दो, चार-चार हजार लीटर डीजल लेकर ठेकेदार लोग मध्यप्रदेश के अंदर लेकर आ जाते हैं और जो हमारे व्यापारियों ने 25, 50 लाख रुपया इन्वेस्ट किया है वह हाथ पर हाथ रखे बैठे रहते हैं. लेकिन उसको रोकने के लिए कोई कानून नहीं है. यह पीड़ा है कि इतना वैट टैक्स क्यों लगा है. हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा महंगा पेट्रोल और डीजल मध्यप्रदेश में है यह मेरा इस सदन में पूरे विश्वास के साथ कहना है और उसके साथ साथ एक टैक्स और आपने मोटर व्हीकल एक्ट में लगा दिया है. अब और कितना लगा देंगे इसका भगवान ही मालिक है. जब लगाएंगे उसको रूल्स मालूम नहीं तो हमारा यह कहना है कि मध्यप्रदेश में वाहन चलाना असम्भव हो जाएगा और अंतिम बात हमारा यह कहना है कि यह वजन का आपने 5 हजार से 12 हजार रुपये कर दिया है. यह तो ऑलरेडी तमाशा मचा हुआ है. टोल टैक्स को संभवत: सेंट्रल गवर्मेंट ने परमीशन दी है. मैंने उसको पढ़ा नहीं है लेकिन इतना मालूम है कि सब ट्रक वाले परेशान हैं. उनको क्या परमीशन दे दी है कि जो ट्रक निकलेंगे उनको वे वहां मेजर करते हैं उनके वजन को लेते हैं और ज्यादा वेट हो गया तो उनसे 4-6 गुना पैनाल्टी वहीं वसूल ली जाती है. टोल टैक्स में भी लूट रहे हैं और 5 हजार की जगह 12 हजार रुपए ले रहे हैं. माननीय मंत्री जी ने यहां घोषणा की है. बडे़ गर्व के साथ बड़े विश्वास के साथ माननीय मंत्री जी ने इसी सदन में घोषणा की थी कि हम बच्चों को स्कूल ले जाने वाली बसों से एक रुपया टैक्स लेंगे और यह जो टैक्स ले रहे हैं क्या यह लोग उन बच्चों के पिताजी नहीं होंगे? इनके कोई बच्चे नहीं होंगे जिनसे यह10 गुना 100 गुना ज्यादा टैक्स आप वसूल रहे हैं. मेरा यह कहना है कि घोषणाएं वह हों जो घोषणाएं जमीन पर उचित दिखती हों. अगर बच्चों की स्कूल बस में छूट दी है तो उनके पिताजी को फांसी पर मत चढ़ाइए. उनसे 10 गुना ज्यादा वसूली मत करिए.
उपाध्यक्ष महोदय, अंत में मेरा यह कहना है कि मध्य प्रदेश में वेट टैक्स घटाएं जिससे यहां के व्हीकल यहीं के पेट्रोल और डीजल को लें. हमारे जो कृषक और गरीब लोग हैं उनसे हरित कर नहीं लिया जाएगा यह स्पष्ट करें. गरीबी रेखा के नीचे रहने वाला अगर गलती से कहीं किसी की मोटर सायकल मांग कर चला रहा है तो उनसे भी यह टैक्स न लें. इस नियम को जरा स्पष्ट करें जिससे गरीब आदमी परेशान न हो.
उपाध्यक्ष महोदय--धन्यवाद तिवारी जी. आज सबको आपका बहुत अनुशासित रुप दिखा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, मैं हमेशा अनुशासित रहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय--मुझसे ही गलती हो गई मैंने ही प्रोवोक कर दिया.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, मैं बिना पढ़े, बिना लिखे, बिना कानून के सदन के अन्दर कभी कोई बात नहीं करता हूँ.
श्री रामनिवास रावत--उपाध्यक्ष महोदय, सामने वाले लोग बिगाड़ देते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--किसी ने कुछ नहीं कहा है.
श्री रामनिवास रावत--आज नहीं कहा तो अनुशासित रहे.
उपाध्यक्ष महोदय--करने वाले लोग हैं भी नहीं.
श्री रामनिवास रावत--चले गए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, (XXX)
श्री मनोज सिंह पटेल--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तिवारी जी बिना बोले तो नहीं रहेंगे. आखिरी में बोल ही गए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--बोलने के लिए तो यहां आए हैं. बोलेंगे भी नहीं तो यहां किसलिए आए हैं.
श्री मनोज सिंह पटेल--आखिर में विषयान्तर हो ही गए.
उपाध्यक्ष महोदय--मनोज जी बैठ जाए. अब आप सभापति तालिका में आ गए हैं. थोड़ा अनुशासित रहें.
श्री शैलेन्द्र जैन--तिवारी जी संवाद कर रहे हैं कि जो लाभ बच्चों को प्राप्त है उनके पिताजी को कैसे हो सकता है ? कैसी बातें कर रहे हैं. आपकी बात पर ऊपर वाले (दर्शक दीर्घा की ओर इशारा करते हुए) तक हंस रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--आप भी हंस लीजिए.
श्री जितू पटवारी (राऊ)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय मंत्री जी को सुझाव के रुप में दो बातें कहना चाहता हूँ. मध्यप्रदेश मोटर कराधान (संशोधन) विधेयक के संदंर्भ में, मैंने पढ़ा नहीं है इसके लिए मैं माफी चाहता हूँ. मैंने पहले भी आपसे अनुरोध किया था कि इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर या मध्यप्रदेश के बड़े शहरों में जहां पर स्कूल ज्यादा हैं वहां पर वैन का प्रचलन ज्यादा है. वैन को स्कूल परमिट करता है तो वैन से पैसे वसूल करता है और वैन अगर स्कूल के परमिट पर नहीं चलती है तो आपका विभाग और पुलिस विभाग उस पर जो भी कानूनी प्रक्रिया होती है वह करता है. एक मध्यमवर्गीय पालक के लिए बड़ी बस से बच्चे को स्कूल भेजने के बजाए स्कूल वैन से भेजना सस्ता पड़ता है. जो नौकरीपेशा लोग हैं वे अपने बच्चों को चौराहे तक छोड़ने जाते हैं व बस का दो घंटे तक इंतजार करते हैं यह भी एक समस्या है. जबकि स्कूल वैन गली-गली में चली जाती है. मेरा आपसे भी अनुरोध था कि स्कूल परमिट के नाम पर आपने कहा था कि हम उसमें संशोधन करने जा रहे हैं. आपने वह संशोधन किया या नहीं किया वह मुझे नहीं मालूम है. यह बड़े शहरों में अत्यधिक आवश्यक है कि उन वैनों को चाहे वह सीएनजी की हो, आप उन स्कूल की वैनों को परमिट करें तो ज्यादा आवश्यक होगा.जिससे लोगों का इससे भला होगा. दूसरा आदरणीय तिवारी जी बैठ कर बात कर रहे थे कि मध्यप्रदेश से लगे हुए राज्य हैं, वहां पर हमारे राज्य से कम पैट्रोल और डीजल पर टैक्स हैं. इस कारण से जो बार्डर पर पेट्रोल पंप हैं, मैं समझता हूं कि यह बात भी आप मुझसे बेहतर आप समझते होंगे कि लोग मध्यप्रदेश के बाहर से पेट्रोल और डीजल खरीदते हैं. इंदौर से जाते हैं और जैसे ही महाराष्ट्र में पहुंचते हैं, वहां से डीजल खरीदते हैं बजाय यहां के. तो टैक्स के इस आर्थिक मैनेजमेंट को भी आप समझें. मुझे लगता है कि कहीं इससे मध्यप्रदेश का नुकसान न हो रहा हो. आप इस भाव को समझें और आप इस टैक्स को कम करें, तो आम जनता को राहत होगी. आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद्.
परिवहन मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य सर्वश्री शैलेन्द्र जैन जी, रामनिवास रावत जी, वीर सिंह जी, माननीय नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन जी, माननीय पुष्पेन्द्र पाठक जी, माननीय सुन्दरलाल तिवारी जी और माननीय जीतु भाई ने चर्चा में भाग लिया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह जो संशोधन विधेयक लाया गया है, इसको राज्य सरकार इसलिये लेकर नहीं आयी है कि इससे राज्य सरकार को कोई टैक्स मिले और टैक्स के कारण सरकार यह विधेयक लायी हो, ऐसा नहीं है. माननीय उपाध्यक्ष जी, आज हमारे राज्य में और पूरे देश में प्रदूषण की गंभीर समस्या है और अगर हम देखें तो जो टोटल प्रदूषण है उसका 70 प्रतिशत प्रदूषण वाहनों से होता है, हमारे देश के अंदर. आज प्रदूषण की हालत यह है कि दुनिया के अदंर सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर हैं उनमें से 13 शहर हमारे देश के हैं और दिल्ली में हालात यहां तक है कि एक वर्ष में 3000 बच्चों की मृत्यु सिर्फ प्रदूषण के कारण हो रही है. हर 8 मृत्यु में से 1 मृत्यु प्रदूषण के कारण हमारे देश के अंदर हो रही है और इसको लेकर सरकारें भी चिन्तित हैं और हमारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय है.
श्री रामनिवास रावत :- मंत्री जी अपने प्रदेश का तो कोई शहर नहीं है ?
श्री भूपेन्द्र सिंह :-माननीय उपाध्यक्ष जी हमारे प्रदेश में जो सबसे प्रदूषित शहर हैं उसमें नंबर एक पर ग्वालियर है, नंबर दो पर भोपाल है, नंबर तीन पर इंदौर है और नंबर चार पर जबलपुर है. माननीय उपाध्यक्ष जी, जो हमारी सबसे ज्यादा जो प्रदूषण की समस्या है इसको ध्यान में रखकर राज्य सरकारें भी प्रयास कर रही हैं और जैसा कि उपाध्यक्ष जी आप जानते हैं कि हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों से यह कहा है कि सभी राज्य सरकारें प्रदूषण से सुरक्षा के लिये, पर्यावरण की सुरक्षा के लिये ग्रीन टैक्स लगाने का काम भी राज्य की सरकारें करें. अगर राज्य सरकार को यह टैक्स लेना होता या राज्य सरकार की मंशा टैक्स लेने की होती तो यह तो हम काफी पहले भी कर सकते थे. परन्तु बार-बार सुप्रीम कोर्ट यह कह रहा था इस वजह से यह सरकार को ग्रीन टैक्स का प्रस्ताव लाना पड़ा और इससे सरकार को कुल 15 करोड़ रूपये का टैक्स एक साल में मिलेगा. इसलिये बिल्कुल नगण्य टैक्स है. सरकार की टैक्स लेने की कोई मंशा है, ऐसा नहीं है.
माननीय उपाध्यक्ष जी, राजस्थान में पंजीयन पर ग्रीन टैक्स लगता है किन्तु हमारे राज्य में हम पंजीयन पर ग्रीन टैक्स नहीं ले रहे हैं. हम तो 8 वर्ष जो वाहन चल चुका है उस पर से हम 500 और 1000 रूपये का, छोटे वाहन से 500 रूपये और बड़े वाहन से 1000 रूपये का टैक्स ले रहे हैं और भी वह वाहन जो ट्रांसपोर्ट में उपयोग में लाये जाते हैं जो कर्मशियल वाहन हैं उन पर टैक्स है. जिनकी संख्या भी बहुत नगण्य हैं. लगभग सवा करोड़ के आसपास के वाहन है, वह वाहन तो ऐसे हैं कि जो लोगों के निजी वाहन हैं. उन पर तो हमने टैक्स लगाया ही नहीं है. सिर्फ वह जो अपने वाहन का नवीनीकरण करायेंगे, वह भी नवीनीकरण के समय मात्र आधा प्रतिशत का टैक्स जिनके पास में निजी वाहन हैं जब वह वाहन का नवीनीकरण करायेंगे. इसके अलावा हम उनसे कोई टैक्स नहीं ले रहे हैं यह टैक्स भी 8 साल के बाद सरकार लेगी. इसीलिये इसके पीछे कहीं पर भी सरकार की यह मंशा नहीं है. जहां तक उससे राशि प्राप्त होगी उससे हमारे राज्य के अंदर हमारे जो प्रदूषण के जांचने वाले यंत्र हैं, आज हमारे पास कोई एडवांस टेक्नॉलॉजी के केन्द्र नहीं है. हमारे यहां पर जो केन्द्र हैं उसमें जो भी जाता है उसको सर्टीफिकेट बनाकर के दे देते हैं उसकी अथेंटिक जांच भी नहीं होती और इसीलिये जो अच्छे, प्रमाणिक सेन्टर बन सकें. जहां पर जांच हम ठीक ढंग से कर सकें इससे जो 15 करोड़ रूपये के लगभग पैसा मिलेगा उस पैसे को उसमें खर्च करने का काम करेंगे. इसके अलावा सरकार को कोई लाभ होने वाला है, या सरकार को कोई टैक्स मिलने वाला है, ऐसा नहीं है. इसके अलावा जो वाहन ऐसे थे जिनके लाईफ टाईम टैक्स के बारे में जो प्रावधान थे, उसमें लाईफ टाईम के प्रावधानों में हम लोगों ने कुछ छूट देने का काम किया है जो बाहर से वाहन आयेंगे उनमें भी छूट देने का काम किया है. जैसा कि माननीय तिवारी जी कह रहे थे कि 5 हजार से टैक्स 12 हजार रूपये कर दिया है. माननीय तिवारी जी यह 5 हजार से 12 हजार टैक्स नहीं है आप इसको पढ़ लें. जो 5 हजार टन से 12 हजार टन की क्षमता पर टैक्स था, अभी 5 हजार की क्षमता पर लगता था उसको बढ़ाकर 12 हजार टन कर दिया है उससे टैक्स और कम हो गया है इससे 12 हजार टन की क्षमता के जो वाहन थे वह भी इसमें आ गये हैं, यह राशि नहीं है, राशि उतनी ही है जो टैक्स 13 हजार रूपये पहले था उतना ही 13 हजार रूपये अब भी लगेगा माननीय तिवारी जी और इसमें कोई 1 रूपये का भी टैक्स सरकार ने नहीं लगाया है.
अध्यक्ष महोदय,जैसा कि माननीय जितु भाई ने कहा उनके दोनों सुझाव अच्छे हैं मैं बिल्कुल इसके मत में हूं कि जो हमारे यहां पर छोटे वाहन चलते हैं, यह छोटी गाड़ियां स्कूल वेन के रूप में काम करती हैं, यह गाड़ियां ज्यादा उपयोगी हैं इनको हम लोगों को परमिट देना चाहिये जिससे कि तमाम तरह की इनके ऊपर कार्यवाहियां होती हैं उनसे बचें. हम लोगों के सामने कठिनाई यह है कि राज्य सरकार का सेन्ट्रल मोटर एक्ट जो है उसमें राज्य सरकार को अधिकार नहीं है कि हम बिना स्कूल की सहमति के, बिना अनुबंध के स्कूल बस, वैन का परमिट हम लोग दे सकें इसीलिये अभी भारत सरकार ने एक बैठक बुलायी थी उसमें राज्य सरकार की तरफ से हम लोगों ने एक प्रस्ताव दिया है कि जो छोटी-छोटी स्कूल वैन हैं इनको भी परमिट दिया जाए. यह वन छोटे छोटे रास्तों में गलियों में भी चली जाती हैं उनसे बच्चों को भी सुविधा होती है जिससे उनको भी सुविधा हो सके और मैं आपके सुझाव से पूरी तरह से सहमत हूं और मुझे विश्वास है कि इसमें जल्दी ही निर्णय भारत सरकार करने वाली है जो सेन्ट्रल मोटर एक्ट में संशोधन आ रहा है उसमें संशोधन सरकार करने वाली है, जहां तक शैलेन्द्र पटेल जी ने भी 15 साल के वाहनों के बारे में कहा है हमने भी इसमें निर्णय कर दिया है और मध्यप्रदेश में भी 15 साल से अधिक आयु के जितने भी वाहन हैं उनमें जो कामर्शियल व्हीकल जो हैं उन सबको प्रतिबंधित करने का काम हम लोग कर रहे हैं और जल्दी ही इसको विधान सभा में लेकर के आयेंगे. हमारे राज्य में प्रदूषण को रोकने के लिये जितने भी उपाय परिवहन विभाग के माध्यम से हो सकते हैं, हम सब करेंगे. माननीय रामनिवास रावत जी ने ओला उबेर के बारे में कहा है इन पर भी टैक्स लगेगा हम किसी को भी छोड़ेंगे नहीं, आप निश्चिंत रहिये. ओला पर भी लगेगा, उबेर पर भी लगेगा. सभी माननीय सदस्यों के सुझाव आये हैं जो सुझाव उनके मान्य योग्य हैं इसको भी ध्यान में रखेंगे और उसमें समय समय पर परिवहन विभाग के निर्णय होते हैं उसमें हम सब बातों पर ध्यान रखेंगे. राज्य के हित में प्रदूषण पर हम प्रभावी रूप से नियंत्रण कर सकें और जो हमारा विधेयक है उसमें अधिक सुविधा उपलब्ध करवा सकें. हमारे राज्य में वाहनों के कर के बारे में बात आयी है यह जो कर है हमने सब राज्यों की तुलना करने के बाद हम लोगों ने लगाया है. अब जीएसटी आने के बाद तो सब राज्यों का एक सा ही होना है. उसमें कोई फर्क नहीं आएगा. उपाध्यक्ष महोदय, अभी यह हमारे पड़ोसी राज्यों से कम है, उसको तुलना करके हम लोगों ने किया है. यह जो आधा परसेन्ट का रजिस्ट्रेशन है, जो दूसरे राज्य से आते हैं, यह इसलिए लगाया है कि आप कहीं भी जाकर रजिस्ट्रेशन करवा लेते हैं और फिर हमारे राज्य में बिना किसी टैक्स के ट्रांसफर करवाते हैं तो उसमें आधा परसेन्ट खर्चा होता है. यह वह पैसा है, इससे सरकार को कोई राजस्व नहीं मिलने वाला है और इसलिए यह कुल मिलाकर राज्य को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार की ओर से एक प्रयास है. इसमें मैं, हमारे विपक्ष के सदस्यों से विनम्र आग्रह करूँगा कि सभी इस विधेयक को पारित करने में सहयोग प्रदान करें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 6 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2, से 6 इस विधेयक का अंग बने.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री भूपेन्द्र सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(2) मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी
(संशोधन) विधेयक, 2016
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा आयुष मंत्री (श्री रुस्तम सिंह) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
श्री शैलेन्द्र पटेल(इछावर) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी संशोधन विधेयक 2016 पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मैं सर्वप्रथम इस बात के लिए बधाई देता हूं कि देर सवेर जो डाक्टरों की कमी प्रदेश में है, उसको सरकार ने एक कदम उठाने का प्रयास किया है, हम सभी जानते हैं कि लगभग 4000 डाक्टरों की कमी है आज की तारीख में, जो ग्रामीण क्षेत्र है, उसमें न जाने कौन कौन से नीम हकीम और डाक्टर उनका इलाज कर रहे हैं, जिससे हमारे ग्रामीण जनता की जान खतरे में रहती है, क्योंकि हर तरह का इलाज उनका उन डाक्टरों से हो जाता है. गरीब जनता यह नहीं देखती है कि डाक्टर दवाई लिखने के लिए सक्षम है या नहीं, लेकिन वह इलाज उनसे करवा लेते है, यह उनकी मजबूरी होती है. लेकिन इस विधेयक के आने के बाद जिन लोगों ने डिग्री हासिल की हैं, वे लोग इलाज करेंगे. निश्चित रूप से वे लोग एमबीबीएस के अनुरूप इलाज तो नहीं कर पाएंगे लेकिन उनके समकक्ष या उनसे थोड़ा कम तो करेंगे, कम से कम जो मरीज होंगे, उनको प्राथमिक उपचार तो मिल ही जाएगा.
इस विधेयक को पढ़ने के बाद एक बात तो है कि जिस प्रकार सरकार और माननीय मंत्री जी ने आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा के डाक्टरों को इस विधेयक के द्वारा एलोपैथिक चिकित्सा का प्रशिक्षण दिए जाने के बाद ऐलोपैथिक स्वास्थ्य संस्थाओं में पदस्थ किए जाने का प्रावधान किया गया है, उनको परमीशन दी है कि वे प्रायवेट भी काम कर सकते हैं और सरकारी संस्थानों में भी नौकरी कर सकते हैं. लेकिन शासन द्वारा होम्योपैथिक चिकित्सकों को इससे नहीं जोड़ा गया है, जबकि मध्यप्रदेश में होम्योपैथिक परिषद अधिनियम, 1974 से इस प्रदेश में लागू है, तथा इन डाक्टरों की संख्या भी प्रदेश में बहुतायत है, ताकि वे भी एलोपैथिक चिकित्सा की शिक्षा का प्रशिक्षण प्राप्त कर चिकित्सा करने में सक्षम होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मेरा अनुरोध है कि होम्योपैथिक चिकित्सक को भी इससे जोड़ा जाए, जब यूनानी आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा वाले यह प्रशिक्षण करके इलाज कर सकते है, तो निश्चित रूप से जो होम्योपैथिक वाले डाक्टर है, वे भी इसमें इलाज कर सकते हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात इसमें यह है कि हमें उनको ट्रेनिंग करवाना पड़ेगा, किस तरह से उनको ट्रनिंग दी जाए, यह बहुत महत्वपूर्ण कडी है. सारा ध्यान उनकी ट्रेनिंग पर होना चाहिए. क्योंकि हमने देखा है कि सरकारी अस्पताल में जो डाक्टर्स है, उनकी भी ट्रेनिंग समय समय पर नहीं हो पाती. मैंने प्रश्न भी पहले लगाया था, उसका उत्तर मुझे संतोषजनक नहीं मिल पाया था, जो पहले से सरकारी डाक्टर है, यदि उनको ट्रेनिंग नहीं दे पाएंगे तो जो नई टेक्नालाजी आती है वह उनको समझ नहीं आ पाते. कहीं न कहीं नई टेक्नालाजी होने के कारण मरीज प्रायवेट अस्पताल में चले जाते हैं. मेरा सुझाव है कि जो डाक्टर सरकारी सेवा में है, समय समय पर उनकी भी ट्रेनिंग होते रहना चाहिए. मेरा एक और निवेदन है कि आपने विधेयक तो लाया है, लेकिन जब सरकारी नौकरी इनको देंगे तो उसमें यह भी जरूर स्पष्ट होना चाहिए कि वे कितने वर्षों तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देंगे, क्योंकि गांव में डाक्टर्स नहीं मिलते हैं, हम सभी जानते हैं कि अगर उनको डाक्टर बनाया जा रहा है तो जो हमारे गांव में जो प्राथमिक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं, उन पर उन डाक्टरों की पोस्टिंग होनी चाहिए, क्योंकि गांव में प्रायवेट डाक्टर्स भी नहीं होते हैं. मेरा निवेदन है कि इसमें जिनको हम सरकारी नौकरी देंगे, वे ग्रामीण क्षेत्र में कितने वर्षों तक सेवा देंगें, यह भी इसमें स्पष्ट किया जाना चाहिए. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी संशोधन विधेयक, 2016 का समर्थन करता हूं. यह संशोधन माननीय मंत्री जी के द्वारा लाया गया है, बहुत ही महत्वपूर्ण संशोधन है. मध्यप्रदेश में लगभग 550 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ऐसे हैं, जिनमें चिकित्सकों की कमी हैं या चिकित्सक नहीं है. अब इन स्थानों पर जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बने हुए है, भवन भी है, सारे संसाधन उपलब्ध कराया गया है, राज्य सरकार द्वारा ऐसे स्थानों पर ग्रामवासियों को अथवा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में रहने वाले आमजन को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो, इसके लिए एक अच्छा और बेहतर प्रयास है, सरकार का इसके लिए मैं स्वागत करता हूं. इस संशाधन के माध्यम से तीन चार बातों में विशेष रूप से लाभ होगा. आयुर्वेदिक पद्धति को पूरे संसार ने मान्य किया और बहुत तेजी के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा बढ़ती जा रही है. हमारी भारतीय चिकित्सा को भी ऐसे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में स्थान मिले, इस दृष्टि से यह संशोधन लाने का प्रयत्न किया गया है. एक ही छत के नीचे एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा के चिकित्सक अगर मौजूद रहेंगे, तो कोई भी रोगी जो अपने उपचार के लिये जाता है, उसमें स्वेच्छा से उपचार कराने का एक अवसर भी प्राप्त होगा. वह आयुर्वेदिक, यूनानी अथवा एलोपैथिक पद्धति से चिकित्सा करवाना चाहता है, तो इसमें..
श्री बाला बच्चन -- आपने इसमें समझा कि ये आयुर्वेदिक, यूनानी वाले चिकित्सक एलोपैथी में प्रिस्क्रिप्शन लिखेंगे और उसमें इलाज करेंगे, यह है.
श्री दुर्गालाल विजय -- लिखेंगे, उसके लिये उन्होंने इस संशोधन विधेयक के माध्यम से यह व्यवस्था की है. व्यवस्था यह की है कि उनको प्रशिक्षण दिया जायेगा और प्रशिक्षण की सीमा में रहकर उन्हें इस प्रकार से उपचार करने का अवसर होगा. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से नेता प्रतिपक्ष और सदन का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. संशोधन विधेयक की धारा 4 में एक परंतुक जोड़ करके और इस अधिनियम में संशोधन का प्रावधान प्रस्तावित किया है. नेता प्रतिपक्ष भी ध्यान देंगे, उन्होंने चूंकि इस पर बात उठाई है. धारा 4 में यह लिखा है कि -" ऐसा व्यक्ति, जो विषम चिकित्सीय (एलोपैथिक) औषध पद्धति शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं या केंद्रों में पदस्थ हो और भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् अधिनियम,1970(1970 का 48) की द्वितीय अनुसूची में सम्मिलित आयुर्वेदिक पद्धति और यूनानी पद्धति में स्नातक उपाधि रखता हो तथा मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक तथा यूनानी चिकित्सा- पद्धति एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड में रजिस्ट्रीकृत हो तथा जिसने सरकार द्वारा, समय समय पर, विनिर्दिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त किया हो, मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी अधिनियम,1970 (क्रमांक 5 सन् 1971) के अधीन उपबंधित प्रशिक्षण की सीमा तक आधुनिक आयुर्विज्ञान, जो "एलोपैथी" के नाम से भी जानी जाती है तथा अन्य चिकित्सीय प्रक्रियाओं का औषध- निर्देशन करने के लिये पात्र होगा और विषम चिकित्सा औषधियों (एलोपैथिक मेडिसिन्स) का औषध निर्देशन करने के लिये इस धारा के अधीन दण्डनीय नहीं होगा. " तो अब जो आपने कहा कि इसको पढ़ा, मैंने तो ठीक से पढ़ा. नेता प्रतिपक्ष जी ने पढ़ा कि नहीं पढ़ा, यह मेरी जानकारी में नहीं है. लेकिन इसमें जो व्यवस्था दी है, उस व्यवस्था में चार बातें हैं. पहली बात तो यह कि वह स्नातक होना चाहिये. दूसरी बात यह कि वह शासकीय सेवा में होना चाहिये. तीसरी बात यह कि उसने प्रशिक्षण प्राप्त किया हो. चौथी बात यह कि प्रशिक्षण की सीमा में रहकर वह एलोपैथी इलाज करेगा. तो इस संशोधन के कारण से जो व्यवस्था की गई है, इस व्यवस्था से निश्चित रुप से इसका लाभ लोगों को प्राप्त हो सकेगा. जैसा मैंने प्रारंभ में निवेदन किया कि यह जो व्यवस्था बनी है, इससे एक छत के नीचे इलाज होगा, इच्छानुसार इलाज मिलेगा. चिकित्सक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उपलब्ध अधोसंरचना के मुताबिक वहां पर इलाज कर सकेंगे और भारतीय चिकित्सा पद्धति आज जिसका पूरे संसार ने लोहा माना हुआ है, वह भारतीय चिकित्सा पद्धति एलोपैथी के साथ सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध रहेगी, तो निश्चित रुप से इसका बहुत अधिक लाभ मिलेगा.
4.15 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, वर्तमान में बहुत सारे राष्ट्रीय कार्यक्रम भी संचालित किये जाते हैं, उन राष्ट्रीय कार्यक्रमों के संचालन में भी बहुत सारे चिकित्सकों की आवश्यकता होती है. तो उन राष्ट्रीय कार्यक्रमों के संचालन करने की दृष्टि से और विभिन्न सारी चिकित्सा पद्धतियों को एक स्थान पर लाकर लोगों का उपचार करने की दृष्टि से और चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से यह संशोधन विधेयक लाया गया है. मैं इसका समर्थन करते हुए और सरकार तथा स्वास्थ्य मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि इसको पहले करने की आवश्यकता थी, आप प्रशिक्षण का काम भी शीघ्रता से करेंगे, तो लोगों को उसका जल्दी लाभ प्राप्त होगा. यह जो सुझाव आया है कि होम्योपैथी को भी इसमें शामिल करना चाहिये, वास्तव में यह अच्छा सुझाव है और इसको भी मैं शामिल करने का निवेदन करता हूं. धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार के द्वारा जो मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी(संशोधन) विधेयक, 2016 प्रस्तुत किया गया है मैं समझता हूं कि यह संशोधन विधेयक प्रस्तुत करने से पहले सरकार ने गंभीरता से विचार नहीं किया है. यह संशोधन विधेयक अपने आपमें इस सरकार के 13 वर्ष की नाकामयाबी, सरकार की 13 वर्ष की असफलता, सरकार की 13 वर्ष तक प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया न करा पाने और प्रदेश में डॉक्टर्स की व्यवस्थायें न कर पाने के कारण...
श्री के.के.श्रीवास्तव- प्रदेश में 50-55 वर्ष से जो गंदगी फैली थी उसको साफ करने का काम हमारी सरकार कर रही है.
श्री रामनिवास रावत- तुम अपनी गंदगी साफ कर लो.
श्री के.के.श्रीवास्तव- आपकी फैलाई गई गंदगी को साफ करने का काम हम कर रहे हैं. आपने जो गढ्ढे किये थे उन गढ्ढों को भरने का काम हमारी सरकार ने किया है.
श्री रामनिवास रावत- अरे आप बैठ जाओ.
श्री के.के. श्रीवास्तव- कैसे बैठ जायें आप कौन होते हैं हमें बैठाने वाले. बोलने का अधिकार अगर आपको है तो मुझे भी है.
श्री रामनिवास रावत- कुछ समझ में आ रहा है.
अध्यक्ष महोदय- माननीय सदस्य कृपया बैठ जायें.
श्री रामनिवास रावत-अध्यक्ष जी, यह सीधे बात कर रहे हैं यह आपत्तिजनक है.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- अध्यक्ष महोदय, मैं बिल्कुल आपसे बात कर रहा हूं कि 50 साल से जो गंदगी फैली थी उसको साफ करने का काम हमने किया, उसको ठीक करने का काम हम कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- कृपया बैठ जायें. माननीय रावत जी.
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, कितने बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आप एलोपैथिक डॉक्टर प्रदेश के अस्पतालों में पदस्थ नहीं कर पाये, प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य सेवायें मुहैया नहीं करा पाये. यह संशोधन अधिनियम लाना प्रदेश की सरकार के 13 वर्ष के कार्यकाल का अपने आपमें असफलता का जीता जागता उदाहरण है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह संशोधन विधेयक सिर्फ इसलिये लाया गया कि हम अपने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, में डॉक्टरों की पदस्थापना नहीं कर पा रहे हैं इसलिये हम इन लोगों को जो ट्रेंड नहीं है, जो इसके लिये पात्र नहीं है उनको पात्र बनाकर के पद स्थापित करने जा रहे हैं. (डॉ.नरोत्तम मिश्र एवं श्री गोपाल भार्गव के आपस में बात करने पर ) माननीय पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जी भी बैठे हुये हैं. वे अपनी बातों में मस्त हैं यह बड़े दुर्भाग्य की बात है.
राज्य मंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण(श्री शरद जैन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं अध्यक्ष महोदय जी की अनुमति से कुछ कहना चाहता हूं.
श्री रामनिवास रावत- आज स्वास्थ्य सुविधायें मुहैया नहीं करा पाये इसके लिये आप भी जिम्मेदार हो.
श्री गोपाल भार्गव- रावत जी हम लोग देश हित में राजहित में कोई चर्चा कर रहे हैं तो आपको क्या आपत्ति है.(हंसी)
श्री (एड.)शरद जैन-- जिस चीज की कमी की आप बात कर रहे हो कि डॉक्टर्स की कमी है . थोड़ा इसके कारणों में जायें कि 65 साल तक मध्यप्रदेश में सिर्फ 5 मेडिकल कॉलेज थे.6वां मेडिकल कॉलेज माननीय शिवराज सिंह जी ने खोला है. आज हम 13 मेडिकल कॉलेज चला रहे हैं, 2018 तक 21 मेडिकल कालेज चलायेंगे.
श्री रामनिवास रावत- आप मंत्री हैं. जवाब में बोल देना.
अध्यक्ष महोदय- जवाब में मंत्री जी बोल देंगे. जैन साहब बैठें.
श्री रामनिवास रावत- अध्यक्ष महोदय, जब मंत्री जी जवाब देने के लिये खड़े होंगे तो मैं उनसे एक बात जरूर जानना चाहूंगा कि आपके प्रदेश में कितने आयुर्वेदिक औषधालय हैं और उन आयुर्वेदिक औषधालयों में कितने आयुर्वेदिक चिकित्सक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में 5 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी हैं उन पांचों में ही डॉक्टर नहीं है. आप क्या करने जा रहे हैं, आप क्या चाहते हैं, आप किस दिशा में प्रदेश को ले जाना चाहते हैं. आप और हम सब देखते हैं कि एलोपैथिक मेडिसिन जितनी भी हैं सब साइड इफेक्ट करती हैं. जो एमबीबीएस हैं उनको 5 साल की ट्रेनिंग और कोर्स दिया जाता है, इनको आप कौन सी ट्रेनिंग देंगे, कौन सा प्रशिक्षण देंगे , आपने इसके लिये कोई नियम बनाया है क्या ? किस तरह का नियम बनाया है. पहले तो आप आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियों में..
डॉ. नरोत्तम मिश्र- इसका विरोध कर रहे हो या समर्थन कर रहे हो.
श्री रामनिवास रावत- हां विरोध कर रहा हूं. विरोध इसलिये कर रहा हूं कि आप उनके हाथ में उस्तरा दे रहे हो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- ए.एन.एम. और आशा अस्पतालों के पढ़े लिखे बच्चे जायेंगे वहां.
श्री रामनिवास रावत- मैं कह रहा हूं कि आप वेतन बढ़ाईये, एमबीबीएस डॉक्टर आपको मिलेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- वेतन बढ़ायेंगे न.
श्री रामनिवास रावत- आप वेतन नहीं बढ़ाना चाहते.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - किसने कहा.
श्री रामनिवास रावत- आप हमारे प्रदेश के अस्पतालों को दीपक फाउन्डेशन को दे रहे हैं. उनको आप वेतन दे रहे हो 1 लाख रूपये. यदि यही 1 लाख रूपये एमबीबीएस के लड़कों को देंगे तो वे आयेंगे. वे आपकी हर डिस्पेंसरी में सेवा देने के लिये तैयार हो जायेंगे. आप वेतन तो दे नहीं रहे हो, संविदा नियुक्तियां कर रहे हो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, मैंने सबेरे भी कहा था कि यह जो असत्य वाचन करते हैं उस पर लगाम लगायें. थोड़ा बहुत तो सत्य बोला करें. सबेरे कह रहे थे कि 80 बच्चे आज मर गये, अभी कह रहे हैं कि 1 लाख वेतन दे रहे हैं दीपक फाउन्डेशन को, अब जाने किस जानकारी के आधार पर यह बोलते हैं. और बिल्कुल निरा असत्य बोलते हैं.
श्री रामनिवास रावत- अच्छा अनुबंध की प्रति निकाल कर के देख लें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - मैंने ही अनुबंध किया है. मेरे पास भी है.
श्री रामनिवास रावत- उनके विशेषज्ञों को आप क्या पे कर रहे हो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र- जो यहां पर चिकित्सक को मिलता है वह हम दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय रावत जी कृपया समाप्त करें. वाद विवाद न करें.
श्री रामनिवास रावत - जो एनआरएचएम के नार्म्स हैं उसके अनुसार दे रहे हो.एनआरएचएम के नार्म्स क्या हैं आप देख लो.
अध्यक्ष महोदय-- रावत जी कृपया समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से सबसे पहले जितनी भी आयुर्वेदिक डिस्पेसरियां हैं, औषधालय हैं उनमें आप पदस्थापना करें, उनको आप दें और आप किस तरह से कह रहे हो कि जो एलोपैथी मेडीसिन है, साइड इफेक्ट नहीं करतीं, लगभग सारी मेडीसिन साइड इफेक्ट देती हैं. यह एमबीबीएस डॉक्टर समझता है कि कितना डोज किस चीज का दिया जाना चाहिये और आप अन्य चिकित्सा पद्धति की, सर्जरी की बात कर रहे हो. अध्यक्ष महोदय, क्या स्थिति बनेगी, यह प्रदेश को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं, किस के हाथ में कुछ भी देकर, जैसे मंत्री जी अभी पुर:स्थापित करने की वजाय उत्तर दे रहे थे, ऐसा ही यह आयुर्वेदिक डॉक्टर करेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है, इस पर पुनर्विचार करें, सबसे पहले मध्यप्रदेश में आयुर्वेदिक डिस्पेसरियां जितनी भी चिकित्सक विहीन हैं उनमें चिकित्सकों की पदस्थापना करें. आप प्राईमाफेसी पहले से ही क्यों मान रहे हो, जब आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियों में आप चिकित्सक नहीं दे पा रहे तो आप उन चिकित्सकों को इधर कैसे पदस्थ कर देंगे, पहले उन्हीं की व्यवस्था कर दें, उसके बाद यह बात करें. आपको बीडीएस जोड़ना था, बीडीएस वाले एलोपैथी से ही लगे हुये हैं, आप बीडीएस वालों को ले नहीं रहे, यूनानी पद्धति की, होम्योपैथी पद्धति की भी बात आई आप सबको जोड़ लो, लेकिन कम से कम इसकी सीलिंग कौन-कौन सी दवाइयों को कौन-कौन से डॉक्टर लिख सकेंगे इसको भी निर्धारित कर देना, नहीं तो बड़ी दिक्कत हो जायेगी, इतनी किडनियां फेल होंगी कि संभाले नहीं संभलेगा और इसके जिम्मेदार आप होंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी (संशोधन) विधेयक 2016 का मैं विरोध करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय मैं यह साफ कहना चाहता हूं कि व्यापम घोटाले का असर धीरे-धीरे स्वास्थ्य सेवाओं पर देखने को मिल रहा है कि ये अगर घोटाला नहीं होता तो लगभग 1 हजार जो एमबीबीएस के छात्र जो डॉक्टर बनने से वंचित हो गये वह डाक्टर बन जाते और उसके बाद यह अब यूनानी और आयुर्वेदिक डाक्टरों को एलोपैथी....
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- स्वास्थ्य सेवाओं पर तो बाला बच्चन जी बिल्कुल असर नहीं है उसका, लेकिन कांग्रेस पर असर जरूर दिखा है मेरे को, जो लगातार चुनाव हार रहे हो आप लोग, यह समझ में नहीं आ रहा.
श्री बाला बच्चन-- वह आगे हरा देंगे हम आपको.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आप इस दिवा स्वप्न में विचरण करते रहें. मैं दुआ करूंगा आपकी प्रार्थना सफल हो.
श्री बाला बच्चन-- आपकी पार्टी को जरूर हरा देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- उन्हें बोलने दें.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि क्या आपने आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सकों से एलोपैथी सिस्टम में इलाज कराने की अनुमति एमसीआई से ली है, मेडीकल काउंसिल आफ इंडिया से ली है. एमबीबीएस के लिये 5 साल का कोर्स करना पड़ता है, आप मात्र तीन माह के प्रशिक्षण के बाद आप उन्हें एलेपैथी वाला ट्रीटमेंट देने की बात कर रहे हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय मैं समझता हूं आप खुद डॉक्टर हैं यह तो बिल्कुल उस्तरा देने जैसा ही मामला है और रावत जी ने बिलकुल ठीक बोला है किडनियां फैल होंगी उसके बाद मरीज और ज्यादा बीमारियों से ग्रसित होंगे और मरने वालों की जवाबदारी माननीय मंत्री जी आपको लेना पड़ेगी. इसमें एक बात यह भी कि केवल 210 आयुर्वेदिक और यूनानी से जुड़े चिकित्सक, 210 ही क्यों, डाक्टर तो और हैं तो यह जो विसंगतियां हैं इन विसंगतियों को माननीय मंत्री जी ठीक करें नहीं तो इस संशोधन विधेयक को लाने का कोई औचित्य नहीं होगा.
दूसरा माननीय अध्यक्ष महोदय, यह स्पष्ट झलकता है कि यह संशोधन विधेयक के पीछे सरकार की वहीं मंशा है, सरकार की मंशा साफ दिखती है कि स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण करने जा रही है, अच्छी गुणवत्ता का इलाज नहीं मिलेगा, लोग प्राइवेट अस्पतालों की तरफ जायेंगे और उसके बाद सरकार की जो मंशा है कि स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण करना, उस ओर सरकार बढ़ रही है, बिल्कुल मैं रावत जी की बात से सहमत हूं कि दीपक फाउंडेशन गुजरात का है जिनके हाथों में जो एनजीओ चलाते हैं उनके हाथों में मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवायें दे दी गई है. अलीराजपुर, झाबुआ से इसकी शुरूआत कर दी गई है, तो माननीय अध्यक्ष महोदय, लास्ट में मैं यह कहना चाहता हूं कि सरकार की क्या मजबूरी आ गई. माननीय मंत्री जी कल आप थे नहीं, हमने यह बात बोली है, जे.पी अस्पताल के इमरजेंसी बच्चों के वार्ड में आप गये तो आपने बोला था कि बेवजह डॉक्टर मरीजों को एक से दूसरे अस्पताल में और एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के पास रेफर करते हैं, यह गलत है. मैंने कल आपकी बात को जो आपने वहां बोला था, कोट किया है, आप इस पर विचार करें, अन्यथा मैंने जैसे बोला है कि मरीजों की बीमारियां सुधरने की वजाय बढ़ेंगी, मरीजों की संख्या मरने वालों की बढ़ेंगी, ऐसा बिलकुल भी नहीं हो सकता और बिना एमसीआई के आने कैसे कर दिया, मात्र 3 महीने का प्रशिक्षण, फिर तो एमबीबीएस की परीक्षा का और एमबीबीएस डॉक्टर बनने का औचित्य ही खत्म हो जायेगा. गलत ट्रेक और गलत लाइन पर आपकी सरकार जा रही है और हम जानते हैं हमारी आसन्दी पर जो अध्यक्ष महोदय बैठे हैं वे खुद एमबीबीएस डाक्टर हैं. मैं उनसे भी जानना चाहता हूं अध्यक्ष महोदय कि आपकी क्या ऐसी मजबूरी है कि जहां एमबीबीएस डाक्टर स्पीकर विधान सभा का हो,इस सरकार को चलाने वाला हो,आपके हाथ में इसका डंडा है, सरकार पर डंडे को चलायें और इस संशोधन विधेयक को सोच समझ लाएं नहीं तो मृत्यु दर और दूसरी बीमारियों की बात है वे बढ़ेंगी. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री रुस्तम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे विपक्ष के विद्वान रामनिवास रावत जी ने और विपक्ष के उपनेता जी ने अपने विचार रखे हैं. मु झे आश्चर्य इस बात का हो रहा है इन्होंने पूरे विधेयक के उपखण्ड क्यों परिवर्तित हो रहे हैं क्या व्यवस्था की है कितनी दवाईयां दे सकेंगे, किस-किसकी कमेटी बनी. इस सबका ध्यान दिया न हीं. मैं यह बताना चाहता हूं कि केवल 72 दवाईयां जो सामान्यत: छोटी तकलीफों के लिये दी जाती हैं वे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जहां डाक्टर नहीं हैं जहां पर डिलेवरी नर्सें कराती हैं ऐसी जगह पर महिला आयुर्वेदिक..
श्री सुन्दरलाल तिवारी - इस विधेयक में कहां हैं 72 दवाईयों वाली बात. इसमें न तो दवाईयों का उल्लेख है न ही ट्रेनिंग के बारे में कोई जानकारी है.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी उसके नियम बाद में बनेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय मंत्री जी तो पहले से ही बता रहे हैं. जब बनेंगे तब बताएं.
अध्यक्ष महोदय - डायरेक्शन दे रहे हैं. डायरेक्शन तो देना पड़ेगा.
श्री रुस्तम सिंह - माननीय तिवारी जी को मैं इसकी डिटेल भिजवा दूंगा. इसका पूरा पैनल बनेगा, सीनियर मोस्ट फिजीशियन हैं,टाप मोस्ट यूनिवर्सिटी के,मेडिकल कालेज के, दस लोगों ने पूरा परीक्षण करके पूरी तरह से ऐग्जामिनेशन करके यह निर्णय किया है. इसी तरह की व्यवस्थाएं महाराष्ट्र और अन्य प्रांतों में हुई हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने क्या इसकी परमीशन दी है.
श्री रुस्तम सिंह - हमें जरूरत नहीं है. मैं यह आग्रह करना चाहता हूं कि मैं मानता हूं यह बहुत विद्वान हैं. एम.सी.आई. यह भी समझते हैं मैं भी समझता हूं. अगर यह सब अनुमति ले लेते तो एक्ट में बहुत ज्यादा परिवर्तन की जरूरत नहीं होती यह परिवर्तन केवल इसलिये किये जा रहे हैं कि हम लोग उतने समय के लिये जितनी देर तक हमको एमबीबीएस डाक्टर नहीं मिल पा रहे हैं केवल उतने समय तक जहां तक जैसा रावत जी ने कहा कि हम लोग व्यवस्था नहीं कर पाए. हर जगह पीएचसी खोले गये हैं लेकिन उतने डाक्टर मेडिकल कालेज से नहीं मिल रहे हैं क्योंकि चालीस साल तक एक भी मेडिकल कालेज बना ही नहीं. यह हंसने की बात नहीं है यह फैक्ट है एक भी मेडिकल कालेज मध्यप्रदेश में स्वतंत्र भारत में कांग्रेस के शासन में केवल रीवा में एक मेडिकल कालेज बना जबकि इन तेरह सालों में सात सरकारी मेडिकल कालेज बने. सागर का बन गया बाकी के बन रहे हैं. कई प्रायवेट मेडिकल कालेजों को अनुमति दी गयी है और जैसे ही हमको डाक्टर्स मिलेंगे ये जो आयुर्वेदिक डाक्टर्स हम दे रहे हैं यह अपने स्थान पर चले जायेंगे. यह टेम्परेरी है. यह एमबीबीएस डाक्टर्स के विरुद्ध नहीं है यह वह व्यवस्था है जो गरीब लोगों को ईलाज की सुविधा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में नहीं मिल पा रही है और आप ही बार-बार कहते हैं कि डाक्टर्स की कमी है. डाक्टर्स एक दिन में तैयार नहीं हो सकते हैं.
श्री बाला बच्चन - माननीय मंत्री जी आप तेरह साल की सरकार वाले मंत्री हो.
श्री रुस्तम सिंह - और आप पचास साल सत्ता में रहे उसमें एक मेडिकल कालेज खोला और आपको कहने में लाज नहीं आती.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - आपके कितने डाक्टर्स जेल में हैं यह बताईये पहले. व्यापम में कितने डाक्टर्स आपके जेल में हैं. अस्पताल में कोई नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी बैठ जाईये.
श्री रुस्तम सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आपने जो भावनाएं व्यक्त की हैं. हमने उनको ध्यान से सुना है. हम केवल और केवल कुछ समय के लिए इन डॉक्टर्स की व्यवस्था करना चाहते हैं. हमको जैसे ही डॉक्टर्स उपलब्ध होंगे, समस्त पीएचसी में पदस्थ करेंगे.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, सरकार बिलकुल ऐसा नहीं कर सकती. बिलकुल गलत बयानी कर रहे हैं. आप 13 साल की सरकार के स्वास्थ्य मंत्री हैं. ऐसा नहीं कर सकते. जैसा आप बता रहे हैं कि जैसे ही डॉक्टर्स मिलेंगे तो ऐसे डॉक्टर्स नहीं मिलते हैं. 5 साल, साढ़े 5 साल और 6 साल में एमबीबीएस का कोर्स होता है. मात्र 3 माह में आप एलोपैथी सिस्टम से ट्रीटमेंट देने की बात कर रहे हैं. आप गलतबयानी कर रहे हैं. मंत्री जी, आप मप्र की विधान सभा में बोल रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--इसमें बीडीएस को भी शामिल कर लें.
श्री रुस्तम सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं, मप्र की विधानसभा में यह बोल रहा हूं कि आपने 60 साल में एक मेडिकल कॉलेज बनाते हैं.
श्री बाला बच्चन-- प्रदेश की जनता के साथ सरकार और स्वास्थ्य मंत्री धोखा कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, आप खुद एमबीबीएस हैं. मुझे बताईये बिना एमसीआई की परमीशन के कुछ कर सकते हैं? आप बोलिए. मैं आपसे जानना चाहता हूं.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष जी, आप अपनी अन्तर्आत्मा की बात कह दें.
अध्यक्ष महोदय-- मैं तो यहां मौन रहता हूं.
श्री सुन्दर लाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय मौन नहीं रहते.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी आप जारी रखें.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, सरकार क्या क्या कर रही है.
श्री सुन्दर लाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, जैसा रावत जी ने कहा बीडीएस डॉक्टर्स को भी शामिल कर लें.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाएं. आपकी सलाह मंत्री जी ने सुन ली.
श्री बाला बच्चन-- मंत्री जी, आपके अधिकारियों ने आपको क्या बता दिया? अधिकारियों ने आपको क्या पढ़ा कर भेज दिया ! ऐसा कैसे कर सकते हैं. बिना एमसीआई के परमीशन के कैसे कर सकते हैं?
अध्यक्ष महोदय-- बात हो गई ना. आपने उनकी जानकारी में ला दिया.
श्री बाला बच्चन--आप खुद भी डॉक्टर्स हैं. उनको बताईये. क्या बात कर रहे हैं मंत्री जी. कुछ भी बयां करेंगे?
अध्यक्ष महोदय--कृपया बैठ जाएं. आपकी बात का वह उत्तर देंगे.
श्री रुस्तम सिंह-- आपने बोल दिया. मैं रिकार्ड में तो कह रहा हूं कि गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के एक्ट में जो अमेंडमेंट है, उसके बाद इसको लागू किया गया है. एक बात और बता दूं कि यह जो हम व्यवस्था कर रहे हैं यह ऑलरेडी...
श्री बाला बच्चन-- माननीय मंत्री जी अपने बिहाफ पर मत बोलिये. अभी आपके पास पर्ची नहीं आयी. हम जानते हैं. इसमें एमसीआई की कोई परमीशन नहीं है.
श्री रुस्तम सिंह-- एमसीआई की परमीशन की तो हम बोल ही नहीं रहे हैं.
श्री बाला बच्चन-- उसके बिना आप कैसे कर सकते हैं. यह सब आपको जोड़ना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय-- यह अंतहीन है. आप तो अपनी बात पूरी करिये.
श्री रुस्तम सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं तो यही आग्रह करना चाहता हूं कि जनहित के लिए, लोगों की सुविधा के लिए इस एक्ट में जो संशोधन किया गया है, उसको पारित किया जावे. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक,यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी(संशोधन)विधेयक,2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
3. मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद(संशोधन) विधेयक,2016 (क्रमांक 28 सन् 2016)
राज्य मंत्री, चिकित्सा शिक्षा (श्री शरद जैन)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद(संशोधन) विधेयक,2016 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद(संशोधन) विधेयक,2016 पर विचार किया जाए.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - अध्यक्ष महोदय, बड़ी विषम परिस्थितियां हैं, बड़ी दुर्भाग्यजनक स्थिति है. माननीय मंत्री जी द्वारा मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2016 जो प्रस्तुत किया गया है. इन दोनों को एक तरह से जोड़कर देखा जाएगा. अभी लोक स्वास्थ्य मंत्री जी शायद चले गये हैं क्योंकि इसके बिना उसका कोई अर्थ नहीं है. इसके बिना जो संशोधन विधेयक पारित हुआ है, वह शून्य है. अभी जो मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी (संशोधन) विधेयक, 2016 लोक स्वास्थ्य मंत्री जी पारित कराकर चले गये, उन्हें यही नहीं पता कि अगर दूसरा यह संशोधन विधेयक पारित नहीं होगा तो इसे वे क्रियान्वित ही नहीं कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय, यह जो संशोधन विधेयक चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री जी ने प्रस्तुत किया है, यह उसी से रिलेटेड है- "ऐसे व्यक्ति जो विषम चिकित्सीय (एलोपैथिक) औषधि पद्धति की शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं या केन्द्रों में पदस्थ हो, भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् अधिनियम, 1970 (1970 का 48) की द्वितीय अनुसूची में सम्मिलित आयुर्वेदिक पद्धति और यूनानी पद्धति में स्नातक उपाधि रखता हो तथा मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक तथा यूनानी चिकित्सा-पद्धति एवं प्राकृतिक चिकित्सा बोर्ड में रजिस्ट्रीकृत हो." अगर ऐसा व्यक्ति एलोपैथी में इलाज करता है तो वह दण्डनीय अपराध होगा. इसीलिए इसे लाया गया है कि एमसीआई के नॉर्म्स के अनुसार जो भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् अधिनियम, 1970 है, उसमें दण्डनीय अपराध है. एलोपैथी डॉक्टर ही एलोपैथी का इलाज करेगा, आयुर्वेदिक डॉक्टर आयुर्वेदिक इलाज करेगा. आप इसमें संशोधन करके आखिर में दे रहे हैं कि - "अन्य चिकित्सीय प्रक्रियाओं का औषध-निर्देशन करने के लिए पात्र होगा और विषम चिकित्सा औषधियों (एलोपैथिक मेडिसिन्स) का औषध-निर्देशन करने के लिए इस धारा के अधीन दण्डनीय नहीं होगा."
क्या भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद् अधिनियम, 1970 में संशोधन पहले से हो गया है या आप करवा रहे हैं या किस तरह से करवाएंगे, जबकि उसकी द्वितीय अनुसूची में यह व्यवस्था है, यह स्पष्ट करें? उसको भी आना चाहिए था कि द्वितीय अनुसूची में क्या व्यवस्था है? जो एमसीआई ने दण्डनीय अपराध माना है, आप उसे डिलीट करके व्यवस्था करेंगे कि यह दण्डनीय अपराध नहीं होगा? जो पहले अधिकार दे रहे हैं, उसकी मूल भावना यही है कि इसके बिना उनको यह अधिकार नहीं मिलेंगे क्योंकि अभी तक यह दण्डनीय अपराध था. कोई भी यूनानी चिकित्सक, कोई भी आयुर्वेदिक चिकित्सक, एलोपैथी मेडीसिन का इलाज नहीं कर सकता था. यह व्यवस्था एमसीआई ने की थी और उसमें यह था कि अगर वह इलाज करेगा तो वह दण्डनीय अपराध के तहत दण्ड का भागी होगा. आप इसे डिलीट कर रहे हैं. क्या आपको इसका अधिकार है? क्या आपने एमसीआई से परमिशन ले ली है? क्या एमसीआई की द्वितीय अनुसूची में जो व्यवस्था है, उसको संशोधित कर लिया है?
अध्यक्ष महोदय, यह बड़ी विषय परिस्थिति है. हम चाहते हैं कि डॉक्टरों की व्यवस्था हो. इसमें कोई दो राय नहीं है. मध्यप्रदेश की जनता को स्वास्थ्य सेवाएं मिलें. हम पूरी तरह से सहयोग करने के लिए तैयार हैं. आप एमबीबीएस डॉक्टरों का वेतन बढ़ाओ, उनकी व्यवस्था करें, उनकी पोस्टिंग करें. हम इसके लिए तैयार हैं. लेकिन मैंने पहले भी कहा कि आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी, आयुर्वेदिक औषधालय में चिकित्सक नहीं हैं और उनको आप एलोपैथी में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में पदस्थ करेंगे? सबसे पहले आयुर्वेदिक औषधालयों के पदों की प्रतिपूर्ति करें, उसके बाद अगर अतिशेष बचते हैं तब इसको लाने की जरूरत थी. अभी आपके पास अतिशेष में है ही नहीं तो फिर आप इसे क्यों ला रहे हैं? बिना एमसीआई की परमिशन के आप क्यों व्यवस्था कर रहे हैं? कोई कोर्ट में जाएगा, आप लोगों का मजाक बनेगा. अपनी असफलता के लिए किसी तरह से प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश मत करें, यही मेरा विनम्र निवेदन है. इस पर गंभीरता से विचार करें. अध्यक्ष महोदय, आप भी एमबीबीएस हैं, आपने भी पांच साल निकाले हैं, क्या यह संभव है, क्या यह स्थिति है. अगर मैं आपसे अकेले में पूछूंगा, अंतर्रात्मा से पूछूंगा तो आप कह देंगे कि बिल्कुल सही नहीं है. आप कह भी नहीं सकते हैं कि यह सही है? अध्यक्ष महोदय, मैं इसका विरोध करता हूं. इसको पूरा लीगल एक्सपर्ट्स से दिखवा लें कि आप इसे पारित कर भी सकते हैं, आप इसमें संशोधन कर भी सकते हैं या नहीं? आप इसे वापस लें. यही मेरा विनम्र निवेदन है.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2016 का मैं विरोध करता हूं और पुनः सरकार को यह बताना चाहता हूं कि केवल 3 महीने का प्रशिक्षण देकर इन डॉक्टरों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में नहीं ले सकते हैं, आप यह ध्यान रखें. आप फंस जाएंगे. अध्यक्ष महोदय, एमबीबीएस की परीक्षा पास करने के बाद लोक सेवा आयोग की परीक्षा भी पास करना होती है, तब जाकर सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में एक चिकित्सक के रूप में सेवाएं देने का अवसर मिलता है. माननीय संसदीय कार्य मंत्री आप हमें सुन रहे हैं? आपने केवल 3 महीने का प्रशिक्षण आयुर्वेदिक और यूनानी डॉक्टरों को दिया...
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - ..नेता जी, मैं आपको बहुत ध्यान से आपको सुन रहा हूं. यह उन डिस्पेंसरी की बात है जहां एएनएम, आशा, दाई वहां पर हैं, परन्तु कोई भी चिकित्सक वहां पर नहीं हैं. आप ही लोग इसे जोर-शोर से उठाते हैं. यह बहुत ही मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा हुआ मामला है. यह नियम प्रक्रियाओं को देखकर ही लाए हैं. गुजरात और महाराष्ट्र में यह पहले से चल रहा है और इसलिए उन डिस्पेंसरी में जहां दूरस्थ स्थानों पर लोग पहुंच नहीं पाते हैं. यह पीएचसी की बात है, यह सीएचसी की बात नहीं है. इसे आम चिकित्सक न कृपा करके न जोड़ें. इसे आप आम जनता से जोड़ें. 70 जो चिह्नित दवाइयां हैं उन्हीं तक इसको सीमित रखा गया है, उन्हीं की ट्रेनिंग दी गई है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूँ कि आपने जो अभी बात की है, आपने संशोधन विधेयक में यह जो लिखा है कि प्रशिक्षण की सीमा तक आधुनिक वैज्ञानिक औषधि जो कि एलोपैथी के नाम से भी जानी जाएगी, यह कैसे जानी जा सकती है और यह अभी मंत्री जी आपसे सलाह लेने आए थे, आप बताइये ना कि एक आयुर्वेदिक चिकित्सक, एक यूनानी चिकित्सक, एलोपैथी सिस्टम में कैसे ट्रीटमेंट दे सकता है, कैसे उसकी प्रिस्क्रिप्शन लिख सकता है ?
श्री गोपाल भार्गव -- बच्चन भाई, आप इतने सीनियर हो गए, कुछ इस तरह से प्रश्न पूछते कि जिन लोगों ने एमबीबीएस किया है, एमएस किया है, एमडी किया है, उसके बाद राजनीति में आ गए, उन लोगों को भी यह कॉम्प्लीमेंट्री दे देना चाहिए. (हंसी).
श्री रामनिवास रावत -- मतलब आप चाह रहे हो कि एमबीबीएस डॉक्टर राजनीति में आ गया तो तुम भी डॉक्टरी कर सकते हो, आप यही कहना चाहते हो.
श्री गोपाल भार्गव -- मैं यह नहीं कह रहा हूँ, आप लोगों को कुछ सूझ नहीं रहा है. मैं बता रहा हूँ, डॉ. गोविंद सिंह चले गए, और भी ऐसे लोग हैं.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट में अपनी बात समाप्त करूंगा, आदरणीय मंत्री जी और संसदीय कार्य मंत्री जी, मरीज जो आता है वह डॉक्टर की डिग्री देखकर नहीं आता है, और वह यह देखकर भी नहीं आएगा कि आपने जिस डॉक्टर को सेंटर पर बिठाया हुआ है उसने प्रशिक्षण लिया हुआ है या नहीं लिया हुआ है. इससे बीमारियां और बढ़ेंगी, मरीजों की स्थिति और खराब होगी, और ये दोनों संशोधन विधेयक (2) और (3) स्वास्थ्य मंत्री जी द्वारा जो लाए गए हैं, ये स्वास्थ्य सेवाओं को अविश्वास के कटघरे में खड़े करते हैं और इस पर फिर से विचार कर लेना कि हमारे पूरे मध्यप्रदेश की जनता का स्वास्थ्य खराब न हो जाए और मैं पुन: यह बात कहना चाहता हूँ कि स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण करने की आपकी पूरी-पूरी मंशा स्पष्ट होती है और अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए यह विधेयक लाए हैं. आप 13 साल में एमबीबीएस डॉक्टर की भी नियुक्तियां नहीं कर सके, आप यह कहकर नहीं बच सकते कि जैसे ही डॉक्टर मिलेंगे, हम वैसे ही भर्तियां कर लेंगे, डॉक्टर कैसे मिलेंगे, डॉक्टर आपको बनाना पड़ेगा, अभी स्वास्थ्य मंत्री जी बोल रहे थे कि हमने इतने मेडिकल कॉलेजेस खोल दिए, एक एमबीबीएस डॉक्टर तो आप दे नहीं पाए, अब आप बच नहीं सकते हैं, 13 वर्ष आपको हो चुके हैं, तीसरा टर्म आपका समाप्त होने में है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं फिर से यह बात कहना चाहता हूँ आप एमबीबीएस डॉक्टर हैं, आप आसंदी पर अभी स्पीकर हैं, इसके बाद भी आप सरकार को चेतावनी नहीं दे रहे हैं, हमारे हिसाब से यह ठीक नहीं है, यह गलत है. इन दोनों संशोधन विधेयकों को सरकार को वापस लेना चाहिए, यह मेरा कहना है.
अध्यक्ष महोदय -- आप सरकार को घेरने के बजाय मुझे घेर रहे हैं. (हंसी).
श्री रामनिवास रावत -- एक डॉक्टर से गुहार की है.
राज्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (श्री शरद जैन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे विद्वान सदस्य माननीय रामनिवास रावत जी एक ही बात को बार-बार घुमा-फिरा के सामने रख रहे हैं. चिकित्सकों की कमी है इस बात को स्वीकार करते हैं. शासन प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. चिकित्सकों की कमी के कारण उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र आदि राज्यों की तर्ज पर ही यह विधेयक लाया गया है. मेडिकल काऊंसिल की धारा-24 (1) के अनुसार आयुर्वेदिक और यूनानी डॉक्टर्स को एलोपैथिक प्रेक्टिस करने में प्रतिबंध था और दण्डनीय भी था. इस संशोधन विधेयक के द्वारा धारा-24 (1) का यह प्रतिबंध हटाया गया है और वे प्रेक्टिस ठीक से कर सकेंगे और जो हम उन्हें अनुमति दे रहे हैं वह केवल सीमित दवाओं के लिए दे रहे हैं. उन्हें 3 माह का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत -- यही तो गड़बड़ हो रही है, आप पहले वाले विधेयक पर बोल रहे हैं, कृपया इस विधेयक की बात करें.
श्री शरद जैन -- ठीक है तो हम 24 (1) ''क'' में संशोधन करते हैं.
श्री बाला बच्चन -- अभी तक आप किसी और के विधेयक पर क्यों बोल रहे थे. आप सरकार हो.
श्री शरद जैन -- सुनिए तो.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, यह सरकार की अदूरदर्शिता इसमें प्रतीत होती है कि ये विधेयक पहले आना चाहिए था और पहले वाला विधेयक बाद में आना चाहिए था. इस विधेयक के बिना पहले वाला विधेयक शून्य है.
अध्यक्ष महोदय -- एक साथ पुर:स्थापित हुआ है.
श्री शरद जैन -- अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना यह है कि माननीय रावत जी आप लोग बार-बार एमसीआई की बात कर रहे हैं जबकि आपको जानकारी होना चाहिए कि प्रत्येक राज्य को संशोधन करने का अधिकार है जो स्ट्रीक्ट एक्ट है अन्य राज्यों में भी लागू है. इसमें विधि विभाग की स्वीकृति भी है. सभी बातों को देखकर एक सेक्शन में संशोधन करने का ये विधेयक आया है और हम आप सभी जानते हैं कि सबकी इच्छा है और माननीय मुख्यमंत्री जी की संवेदना है कि एक-एक गांव में, प्रत्येक गांव में दूर तक जितने भी हमारे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं वहां चिकित्सक उपलब्ध हों, इसलिए डॉक्टरों की उपलब्धता के कारण इस प्रकार का संशोधन विधेयक लाए हैं.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहॅूंगा. माननीय मंत्री जी से केवल एक बात जानना चाहूंगा कि क्या भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद अधिनियम, 1970 में यह व्यवस्था नहीं है कि एलोपैथी का इलाज एलोपैथी डॉक्टर एमबीबीएस डॉक्टर के अलावा कोई भी करेगा, तो वह दण्डनीय अपराध का भागी होगा. यह व्यवस्था है कि नहीं ?
श्री शरद जैन -- यही जानकारी मैं देना चाहता हॅूं. मैंने आपको बताया कि स्वीमिक दवाओं के साथ....(श्री सुंदरलाल तिवारी के खड़े होने पर) अरे पूरी बात तो सुनो तिवारी जी.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेडीकल काउंसिल का एक्ट दूसरा है और राज्य में उसके कांसेप्ट.....(व्यवधान....) तो डिफरेंस एक्ट ला रहे हो, तो ये कहां तक उचित है.
श्री शरद जैन -- सिर्फ उतना इलाज कर सकेंगे. इससे क्या होगा कि जो गांव-गांव में दूरस्थ हमारे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं वहां डॉक्टर की उपलब्धता होगी. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री शरद जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हॅूं कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
(4) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक, 2016
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय -- श्री रामनिवास रावत.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक, 2016
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- तिवारी जी, बहुत दयनीय हालत हो गई है कांग्रेस की. आप और चले. (श्री सुंदरलाल तिवारी सदन से बाहर जाने पर) ये इधर से उधर सेटल कॉर्क की तरह दोनों बेचारे कहां तक...
श्री रामनिवास रावत -- क्या कहना चाह रहे हैं. कतई दयनीय हालत नहीं है. आप भ्रम में मत रहो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- हॉं बहुत दयनीय हालत है कांग्रेस की.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- रावत जी अकेले पर्याप्त हैं आप लोगों के लिए.
श्री नरोत्तम मिश्र -- मैं कह रहा है कि अकेले ही लड़ना अगली बार विधानसभा चुनाव.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- ये सही है कि बहुमत आपकी है, बहुमत में आप हो. जो भी चाहो.
श्री मनोज पटेल -- थोड़ा और रूकिए तिवारी जी. सदन के इतने सदस्यों ने आपका क्या बिगाड़ा है, चार दूसरे विपक्षियों को बुला लो आप.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- तिवारी जी, दोनों की हालत तो देखो तरस खाओ इन दोनों पर,मान जाओ.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय पटेल साहब, बैठ जाइए.
श्री रामनिवास रावत--- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन, विधेयक 2016 प्रस्तुत किया गया है, मैं इस पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सभी लोग चाहते हैं...
डॉ. नरोत्तम मिश्र—अकेले आप ही सदस्य बचे हैं.
श्री रामनिवास रावत--- दोनों हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—अध्यक्ष महोदय, मैं आपकी ओर मुखातिब हो रहा हूं विपक्ष का सबसे सशक्त हथियार है विधानसभा. नेता प्रतिपक्ष पत्र लिखते हैं कि सत्र बढ़ाया जाये और स्थिति यह है कि उनकी एक भी नहीं मानता है. आप देखिये सत्र की क्या हालत है, विधेयकों पर चर्चा हो रही है.
श्री रामनिवास रावत--- आप डायवर्ट क्यों कर रहे हैं, आपको क्या चिंता लगी है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—आप अपने सदस्यों को समझाओ.
श्री रामनिवास रावत--- आपको तो खुशी होना चाहिए हमारी कृपा से बैठे हैं आप. विपक्ष की कृपा से बैठे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- जनता की कृपा से बैठे हैं, आपकी कृपा का तो सवाल ही नहीं. हम तो 100 परसेंट जनता की कृपा से बैठे हैं, आप लोग कृपा से होते हो, कोई ज्योतिरादित्यजी की कृपा से, कमलनाथ जी की कृपा से. हम तो सिर्फ जनता की कृपा से हैं.
श्री बाला बच्चन—जब हम बोलेंगे तब हम आपको बताएंगे कि आप किनकी कृपा से हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—हमारा नेता तो एक है उसका नाम है शिवराज सिंह चौहान. आप बताओ कि आपका कौन है और आपका कौन है.
श्री रामनिवास रावत--- हमारा नेता एक है राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी जी और मध्यप्रदेश के कमलनाथ जी भी हैं,सिंधिया जी भी हैं, दिग्विजय सिंह जी भी हैं. सभी हमारे नेता हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- एक नाम बताओ.
श्री रामनिवास रावत--- एक नाम बता दिया सोनिया जी का और प्रदेश की कमान अभी अरुण यादव जी के हाथ में है.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाएं, व्यवधान न डालें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- यह नीतिगत प्रश्न है कि विपक्ष किस तरह से गंभीर है.
अध्यक्ष महोदय -- रावतजी तो महारथी हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—मैं उनको नहीं कह रहा हूं, वह तो महारथी हैं बाकी सब कौनसे रथ वाले हैं, यह जानकारी ले रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाएं.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत विधेयक पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. निश्चित रूप से प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़े और प्रदेश में अधिक-से-अधिक बच्चों की पहुंच में शिक्षा हो, शिक्षा पहुंचे और बच्चों को लाभ मिले इसके लिए वास्तव में आवश्यकता है कि निजी विश्वविद्यालय खोले जायें लेकिन मैं मंत्री जी से यह निवेदन करूंगा कि निजी विश्वविद्यालय खोलने से पहले जो निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग हैं, उसके नार्म्स का पालन जरूर सुनिश्चित कराया जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, 23 निजी विश्वविद्यालय पहले हैं और आप यह 24 वां निजी विश्वविद्यालय आप खोलने जा रहे हैं, हमें इस पर आपत्ति नहीं है, बल्कि इस पर हमारा समर्थन है. लेकिन हमारे प्रदेश के बच्चों को इसका लाभ मिल पा रहा है या नहीं मिल पा रहा है, हमारे प्रदेश के बच्चों से ज्यादा फीस तो नहीं वसूली जा रही है, प्रदेश के बच्चों को शिक्षा कैसी मिल रही है और इन विश्वविद्यालयों से निकले हुए हमारे प्रदेश के बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में कहाँ तक निकल रहे हैं, कहाँ तक पहुंच पा रहे हैं या कैसी प्रतिभायें यह विश्वविद्यालय दे रहे हैं इसका नियमन जरूर करना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक का प्रतिवेदन, सामान्य एवं सामाजिक क्षेत्र, 31 मार्च 2015 को समाप्त वर्ष के लिये, मध्यप्रदेश सरकार,( वर्ष 2016 का प्रतिवेदन संख्या-1) पर पुस्तिका में प्रस्तुत में किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें आप देखें कि “निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए ढांचा, सांविधिक आवश्यकताओं में असंगति, अधिनियम के प्रावधान अनुसार निजी विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु परियोजना प्रतिवेदन में प्रयोजी निकाय के वित्तीय संसाधनों के साथ पिछले पांच वर्षों के लेखापरीक्षित लेखाओं की जानकारी होगी तथापि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) नियम, 2008 के नियम 3 (2) के अंतर्गत निर्धारित आवेदन प्रपत्र के अनुसार प्रायोजी निकाय के पिछले तीन वर्षों के लेखापरीक्षित लेखाओं की आवश्यकता होती है. इस प्रकार, सांविधिक आवश्यकता निर्धारण करने में नियामक आयोग ने असंगति की है. प्रदेश सरकार ने यह नहीं देखा है. शर्तों की पूर्ति के बिना निजी विश्वविद्यालय की स्थापना अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित 6 प्रायोजी निकायों के पास शैक्षणिक उपयोग हेतु 20 हैक्टेयर भूमि नहीं थी इसके बावजूद भी मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने इन 6 निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना हेतु अनुशंसा की एवं उच्च शिक्षा विभाग ने उनको स्थापित किया. कम से कम आपके नियम हैं. आपने ही बनाए हैं. हम निजी विश्वविद्यालय खोजने का विरोध नहीं करते लेकिन किस तरह से इनकी व्यवस्था करें, कम से कम नियमों का पालन तो सुनिश्चित करा लें उसके बाद परमीशन दें. फैकल्टी देखें कि फैकल्टी कैसी हैं अच्छी फैकल्टी आए हमारे बच्चों को लाभ मिले, यह हम चाहते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आगे कहा है कि ‘’अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए 7 निजी विश्वविद्यालयों ने प्रथम परिनियम तथा अध्यादेश के अनुमोदन के पूर्व ही स्वयं के शैक्षणिक पाठ्यक्रम प्रारम्भ कर दिए गए’’. मैं समझता हूं और आपसे अपेक्षा भी रख सकता हूं हमारे मंत्री जी भी काफी गम्भीर हैं कि इनको आप जरूर देखें और इनका पूर्ण पालन कराएं, ऐसी स्थितियां हैं. मैं यह नहीं कह रहा यह नियंत्रक महालेखापरीक्षक का प्रतिवेदन है उसमें यह बात कही है. अनुवीक्षण की कमी मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने अपने कार्यों के निष्पादन एवं निजी विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक स्तर के अनुवीक्षण हेतु कोई विनियम तंत्री नहीं बनाया है. हम क्यों परमीशन देते जा रहे हैं. केवल इनको व्यवसाय के लिए चलाने के लिए परमीशन देना चाहते हैं या इनको खुलवा करके हम अपने प्रदेश के छात्रों का भविष्य प्रदेश के छात्रों की पहुंच के अंतर्गत हम उच्च शिक्षा प्रदाय करना चाहते हैं. कम से कम यह भाव, यह उद्देश्य हमारे अंदर रहे कि निजी विश्वविद्यालयों को परमीशन दें. इसके लिए कोई दिक्कत नहीं है, हमारा समर्थन है, लेकिन निजी विश्वविद्यालयों से हमारे प्रदेश के युवा छात्रों को कितना लाभ मिल रहा है उनको कैसी फैकल्टी मिल रही है उनको कैसा शिक्षण कार्य मिल रहा है और निजी विश्वविद्यालयों से निकले हुए कितने बच्चे हमारे किन-किन क्षेत्रों मे आगे बढ़ रहे हैं. यह जरूर देखने का प्रयास करें. आगे दिया है ‘’मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग एवं विभाग निजी विश्वविद्यालय की स्थापना के पूर्व प्रायोजी निकाय द्वारा कमियों को दूर करना सुनिश्चित करें’’. आगे दिया है कि ‘’यह भी सुनिश्चित करें कि निजी विश्वविद्यालय संबंधित अध्यादेश एवं परिनियम के प्रकाशन के बाद अपने शैक्षणिक पाठ्यक्रम शुरू करें’’ आगे यह भी दिया है कि ‘’प्रशासन एवं प्रबंधन का विनियम बनाए और निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग अनिवीक्षण तंत्र को सुदृढ़ किया जाए ताकि अधिनियम के अंतर्गत निर्धारित अपने सामान्य कर्तव्यों का निर्वहन सुनिश्चित कर सकें’’.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी इसका तो हमें कोई विरोध नहीं है आप जो संशोधन लाए हैं हम इससे सहमत हैं, इसे पारित भी कराएंगे, हमारा समर्थन रहेगा. लेकिन ऐसे कौन से 7 निजी विश्वविद्यालय थे जिन्होंने परिनियम तथा अध्यादेश के अनुमोदन के पूर्व स्वयं शैक्षणिक पाठ्यक्रम प्रारम्भ कर दिए. इनका भी उल्लेख कर दें इनके भी नाम बता दें. इनके विरुद्ध आपने क्या कार्यवाही की, यह भी बता दें और ऐसे कौन से 6 प्रायोजी निकाय थे जिनके पास शैक्षणिक उपयोग के लिए 20 हैक्टेयर भूमि नहीं थी और आपने इनको निजी विश्वविद्यालय स्थापना की अनुशंसा की और उच्च शिक्षा विभाग ने उनको स्थापित किया इनके भी नाम बता दें यह किस स्थिति में हैं. आप अनुमति दें मुझे इसकी दिक्कत नहीं है हमारी पार्टी को भी इसकी दिक्कत नहीं है लेकिन अनुमति के बाद इन पर नियमन हो इनमें अच्छी फैकल्टी हो, हमारे प्रदेश के छात्रों का भविष्य सुरक्षित रहे उनको लाभ मिले यह आपसे अपेक्षा करते हैं और इसके लिए भी मैं निवेदन करूंगा कि ये सारी स्थितियां आपने देख ली हैं और पूर्ण संतुष्ट हो गए हैं कि यह मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा निर्धारित शर्तों का पूर्णत: पालन करते हैं. तभी इसको रखें हमारा समर्थन है अगर आपने नहीं देखा है केवल अधिकारियों ने प्रस्तुत करा दिया है तो आप स्वयं इसको देख लें यह माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--दो-दो मिनट में कृपा अपनी बात समाप्त करें.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा (शुजालपुर)--हमारे साथ क्या अन्याय हो रहा है.(XXX)
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, (XXX). क्या कुछ भी बोलेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- इसको कार्यवाही से निकाल दीजिए.
श्री रामनिवास रावत--आप जब पढ़े थे तब कौन सी सरकार थी क्या आप (XXX) हो.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा--अभी बता रहा हूँ, मेरा बोलने का मौका तो आए थोड़ा बैठिए तो सही दो ही तो रह गए हैं अब केवल.
अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक, 2016 के पक्ष में बोलना चाहता हूँ. आज माननीय मंत्री जी ने यह विधेयक रखा है और इसमें संशोधन के लिए जो बातें रखी हैं इस बारे में एक शिक्षाविद् ने जो बातें कही थीं वह मैं रखना चाहता हूँ. वह वास्तव में मंत्री जी पर सचमुच में लागू होती हैं क्योंकि वे इतने गंभीर है. आज सदन में भाभीजी भी आई हैं. उस शिक्षाविद् ने कहा है कि एक दिन का चिन्तन मजदूर का होता है वह सोचता है कि दूसरे दिन मजदूरी मिलेगी या नहीं मिलेगी. जिनका एक महीने का चिन्तन होता है वह राजकीय कर्मचारी होता है. उसको 1 तारीख से 30 तारीख तक का हिसाब लगाना होता है. जिसका चिन्तन एक वर्ष का होता है वह व्यापारी या किसान होता है जो दीवाली से दीवाली बहीखाते या एक खेती से दूसरी खेती का चिन्तन करता है. लेकिन जिसका 5 वर्ष का चिन्तन होता है वह हमारे सामने बैठे हैं. एक चुनाव से दूसरे चुनाव का गणित बैठा लेते हैं और यहां से पलायन कर जाते हैं. उनका शिक्षा से कोई लेना देना नहीं है. लेकिन मैं कहता हूँ कि जिसका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी बनाने का, युवाओं के भविष्य को तारने का काम होता है…………
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
…. यह काम हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने माननीय मंत्री जयभान सिंह पवैया जी को सौंपा है. शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन करने का काम दिया है इसलिए वे जो शिक्षा के क्षेत्र में संशोधन विधेयक लाए हैं. इस पर मैं 2-3 बिंदु आपके सामने रखना चाहता हूं. प्रदेश के युवाओं का शिक्षा में गुणात्मक विकास प्रदेश के सीमित साधनों के द्वारा हो. निजी क्षेत्र में निवेश हो और उनके इस विश्वविद्यालय की स्थापना हो. माननीय मुख्यमंत्री जी को भी इस कार्य के लिए बधाई देना चाहता हूं. उन्होंने इनवेस्टर्स फ्रेंडली नीतियों के माध्यम से देश के शैक्षणिक समूहों को एक अवसर दिया. उनको यहां आने के लिए प्रेरित किया है. यहीं हम नहीं रुकते हैं. विद्यार्थियों का अध्यापन अध्ययन बढ़े, उनको रोजगार के अवसर मिलें, जो बाहर पढ़ने जाते हैं उनको मध्यप्रदेश में अवसर मिले. मैं माननीय मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूँ कि उन्होंने अवंतिका निजी विश्वविद्यालय की उज्जैन में स्थापना की. जो महाराष्ट्र की बड़ी प्रसिद्ध संस्था है. एकेडमिक आफ इंजीनियरिंग एंड एजूकेशन रिसर्च पुणे यह इस काम को कर रही है. इसके अध्यक्ष है विश्वनाथ जी वे महाराष्ट्र में शिक्षा एवं शोध के अति महत्वपूर्ण कार्य इस संस्था के माध्यम से जैसे प्रबंधन में अभियांत्रिकी, विधि विज्ञान, शिक्षा इस क्षेत्र में इसका बड़ा नाम है. इस अवंतिका विश्वविद्यालय, उज्जैन की व्यावसायिक पाठ्यक्रम के साथ-साथ कौशल विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका है. विद्यार्थी को और आगे बढ़ाने के लिए उनको इस विश्वविद्यालय के माध्यम से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए
यह अवंतिका विश्वविद्यालय ग्राम लोकेड़ा, जिला उज्जैन में स्थापित होने से वहां के ग्रामीणों को भी रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे. मैं पुन: मंत्री जी को इस विधेयक के लिए बहुत-बहुत साधुवाद देता हूं, धन्यवाद देता हूँ, बधाई देता हूं.
श्री के.के.श्रीवास्तव (टीकमगढ़):- माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत एक समय शैक्षणिक क्षेत्र में आध्यात्मिक शिक्षा के क्षेत्र में और सांस्कृतिक क्षेत्र में अग्रणी देश रहा है. अध्यक्ष महोदय, तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालय पूरे विश्वप्रसिद्ध ऐसे शिक्षा के और अध्ययन के केन्द्र थे, जहां विदेशों से लोग यहां पर शिक्षा करने के लिये आते थे. उज्जैन वह नगरी है, जहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने सांदीपनी ऋषि के आश्रम में जाकर शिक्षा ग्रहण की. अध्यक्ष महोदय मैं धन्यवाद देना चाहता हूं मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री श्री जयभान पवैया जी को जिन्होंने माननीय शिवराज जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश के अंदर निजी विश्वविद्यालय की स्थापना की ओर एक महत्वपूर्ण काम किया है. उज्जैन में अवंतिका निजी विश्वविद्यालय की स्थापना होने मात्र से यह नहीं है कि केवल उसी क्षेत्र में, मध्यप्रदेश में 23 निजी विश्वविद्यालय स्थापित है, लेकिन यह विश्वविद्यालय शोध के क्षेत्र में और ज्यादा ऊचाईयां दे कर के विद्यार्थियों में कौशल विकास, जैसा कि हमने स्किल डेव्हलपमेंट की बात की है चाहे वह प्रधान मंत्री मोदी जी ने की हो या हमारे प्रदेश में हमारे माननीय शिवराज जी ने की हो, केवल हम बात नहीं इसको धरातल पर लेकर जायेंगे. धरातल पर ले जाने के लिये संस्थाओं का विकास करना, विस्तार करना और न केवल विस्तार भवनों के माध्यम से, विस्तार न केवल इमारत खड़ी कर देने से बल्कि उसमे परिपूर्ण शैक्षणिक गतिविधियों के साथ साथ वहां पर प्रोफेसर्स और वहां पर शोधकर्ताओं के साथ-साथ विद्यार्थियों को सुविधाएं मिले उनके अध्ययन कराने की सारी सुविधाओं का वहां पर काम हो.इस विश्वविद्यालय की स्थापना के माध्यम से, जिस संस्था को यह काम मिला है, आज यह वह संस्था है जिसने काम लिया है उसमें 5000 से अधिक और शैक्षणिक और शैक्षणिकेत्तर कर्मचारी वहां पर काम कर रहे हैं. जिसमें 30000 से भी अधिक विद्यार्थी वहां से संपूर्ण पश्चिमी भारत में न केवल महाराष्ट्र, गुजरात और जो भी सीमावर्ती प्रांत है वहां यह संस्था काम कर रही है. मैं समझता हूं कि उज्जैन, इंदौर क्षेत्र में इस क्षेत्र में पहले से भी बहुत निजी और शासकीय महाविद्यालय हैं. एक प्रकार से शैक्षणिक हब बनकर खड़ा होगा तो पूरे मध्यप्रदेश में कौशल विकास की दिशा में हम ज्यादा वृद्धि कर सकेंगे. मैं इसका पूरा समर्थन करता हूं शिवराज जी के नेतृत्व में ऊर्जावान मंत्री श्री पवैया जी को साधुवाद देता हूं. धन्यवाद्
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक,2016 पर चर्चा हो रही है. यह जो उज्जैन में निजी विश्विद्यालय, अवंतिका विश्वविद्यालय के नाम से स्थापित होना है इस कारण से यह संशोधन विधेयक आया है. इस कारण से जैसा आदरणीय रावत जी ने कहा है कि 23 निजी विश्वविद्यालय प्रदेश में काम कर रहे हैं और यह 24 वो निजी विश्वविद्यालय स्थापित होने जा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, निजी विश्वविद्यालय खोलें और जो निजी विश्वविद्यालय और कालेजों को जो मान्यता देतें हैं. माननीय मंत्री जी, सरकार को इस पर ध्यान देने वाली बात यह है कि क्या जिस मकसद और उद्देश्य के लिये निजी विश्वविद्यालय और कालेज खोले जाते हैं, वह क्वालिटी ऑफ एजुकेशन पर ध्यान दे रहे हैं या नहीं. अच्छी क्वालिटी की एजुकेशन दे पा रहे हैं या नहीं. उसके बाद जो साधन और सुविधा कालेजों में होनी चाहिये, परीक्षाएं जो लगातार होनी चाहिये, कालेजों के और निजी विश्वविद्यालयों के रूल्स और रेग्यूलेशन का पालन करते हैं या नहीं करते हैं. माननीय मंत्री जी नये-नये बने हैं आपको इस पर ध्यान देना चाहिये और हम लोगों को आपके ऊपर विश्वास और भरोसा भी है. अध्यक्ष महोदय, हर सत्र में निजी विश्वविद्यालय स्थापना से संबंधित संशोधन विधेयक आते हैं. बड़ी मात्रा में मध्यप्रदेश में निजी विश्वविद्यालय और कालेज खोलना लेकिन मंत्री जी वह क्वालिटी ऑफ एजुकेशन देंगे तो मंत्री जी मेरे हिसाब से ज्यादा अच्छा होगा. अगर मध्यप्रदेश के कालेज का कोई विद्यार्थी है और वह मध्यप्रदेश से बाहर या देश के बाहर जाता है तो उसका क्वालिटी ऑफ एजुकेशन झलकना चाहिये. रिजल्ट ओरिएंटेट उसको क्वालिटी ऑफ एजुकेशन मिला या नहीं और वहां के कॉम्पीटिशन को फेस करने लायक है या नहीं है. इस बात पर भी आप ध्यान दें. मंत्री जी मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं. मध्यप्रदेश के ऐसे कालेज जिन्होंने मध्यप्रदेश में 500 करोड़ की छात्रवृत्ति का घोटाला कर रखा है. एक ही विद्यार्थी के कई कालेजों में एडमीशन दिखाकर छात्रवृत्तियां अलग अलग कालेजों से ले रखी हैं उसके बावजूद भी ऐसे घोटाले करने वाले अधिकारियों के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हुई है उनके हौसले अभी भी बढ़े हुए हैं तो कम से कम आप परमीशन के पहले आप देखेंगे तो मैं समझता हूं कि ज्यादा बेटर होगा. ऐसे 500 करोड़ रूपये का छात्रवृत्ति का घोटाला मध्यप्रदेश में हुआ है, जहां तक मेरी जानकारी में है. निजी विश्वविद्यालयों को मान्यता प्राप्त निजी कालेजों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव रहता है, इस पर आप ध्यान दें. आप निजी विश्वविद्यालय और कालेजों की रेटिंग भी चैक करें. छात्रों का यह स्पष्ट पता हो होना चाहिये कि प्रायवेट कालेज वाले कोर्सेस में अच्छे कोर्स की पढ़ाई को बहुत महंगी कर देते हैं और मनमाने पैसे एडमीशन के लिये लेते हैं और विद्यार्थियों से बहुत पैसा वसूलते हैं तो माननीय सरकार से आग्रह करना चाहता हूं कि और बताना भी चाहता हूं और चेतावनी भी देना चाहता हूं माननीय मंत्री जी कि निजी विश्वविद्यालय और जो कालेजों की मान्यता प्राप्त है ऐसे निजी विश्वविद्यालयों की रेटिंग भी तय होना चाहिये और मध्यप्रदेश के छात्र-छात्राओं को स्पष्ट होना चाहिये कि यह रेटिंग वाला कालेज है अगर ज्यादा बेटर रेटिंग वाले कालेज में हम एडमीशन लेंगे तो बेटर क्वालिटी ऑफ एज्यूकेशन मिलेगा और जिससे उनका भविष्य भी सुनहरा और उज्वल बनेगा, रेटिंग भी लगनी चाहिये. बाकी जो मैंने सुझाव दिये हैं उसको चाहें तो मेरी चेतावनी समझ लीजिये या मध्यप्रदेश के छात्र जो कालेज से शिक्षा लेते हैं उनके लिये कह लीजिये. आपसे हमें जो उम्मीद है और हमको ऐसा विश्वास है कि आप रिजल्ट देंगे और मध्यप्रदेश के छात्रों का सुनहरा अवसर इन कालेजों से और निजी विश्वविद्यालयों से जिनकी स्थापना होने जा रही है और ऑलरेडी जो स्थापित हैं उनसे सुनहरा भविष्य मध्यप्रदेश के विद्यार्थियों का बनेगा और मध्यप्रदेश का विद्यार्थी देश और दुनिया में कहीं जाता है तो जैसे जहां तक मैंने अभी समझा है कि दुनिया का सुप्रीम जो बराक ओबामा जी हैं उन्होंने कई बार अपने भाषण में बोला है कि अमेरिका के छात्र-छात्राओं आप उठो-पढ़ो नहीं तो भारतीय छात्र-छात्राएं आ जाएंगे और आपकी जगह ले लेंगे. जब तक हमारी सरकार थी तब तक तो होता था लेकिन जैसे ही कांग्रेस की सरकार गयी तो घोटालों के बाद घोटाले और यह जो शिक्षाएं प्रभावित हुई हैं इससे बचायें माननीय मंत्री जी इसको आप जिस रूप में लेना हो ले लीजिये.धन्यवाद.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया)--अध्यक्ष महोदय, मैं हृदय से धन्यवाद देता हूं माननीय श्री रामनिवास जी तथा श्री बाला बच्चन, श्री के.के.श्रीवास्तव जी को भी सुझाव बहुत ही साकारात्मक आये हैं इस मामले में सभी साधुवाद के पात्र हैं बाकी संशोधनों को, विधेयकों को वापस लेने की मांग हुई थी लेकिन ऐसा विधेयक में संशोधन प्रस्तुत कर रहा हूं जिनका पक्ष और विपक्ष दोनों ने कहा है कि यह होना चाहिये. निजी विश्वविद्यालय और शासकीय विश्वविद्यालय में एक मौलिक अंतर यह होता है कि निजी विश्वविद्यालय एकात्मक होते हैं. यह स्व वित्तपोषित होते हैं. इसमें सरकार को अनुदान नहीं देना है और ये किसी कॉलेज को एफिलिएशन नहीं दे सकते हैं इसलिए इनका संबंध किसी कॉलेज से नहीं होता है. दूसरी बात यह है कि जैसा हमारे सभी माननीय सदस्यों ने कहा है कि भूमण्डलीकरण के इस दौर में ज्ञान-विज्ञान का जो वैश्विक स्तर हो रहा है, उसमें अगर हमें देश और विश्व में टिके रहना है तो राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की रिपोर्ट को ध्यान में रखें. सकल पंजीयन अनुपात प्रगतिशील देशों का 80 प्रतिशत माना जाता है और मध्यप्रदेश का अभी तक का अनुपात 19 है, इसका मतलब यह है कि हमें उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बहुत व्यापक विस्तार करने की जरूरत है. सरकार के संसाधन बहुत सीमित हैं, सीमित होते हैं और इसलिए न तो हम उतने विश्वविद्यालय शुरू कर सकते हैं, न ही महाविद्यालयों की स्थापना की जा सकती है. इसलिए हमारा यह प्रयास है कि अगर कोई प्रतिष्ठित संस्था, जिसकी पृष्ठभूमि के बारे में हमें पूरी जानकारी हो एवं जिसका इतिहास हम समझ सकते हों. हम मैरिट के स्तर पर परीक्षण करते हैं और मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह की प्रतिष्ठित संस्था निवेश के लिए आती है तो हम ऐसे ही प्रस्ताव लेकर सदन में आते हैं.
अध्यक्ष महोदय, उज्जैन ऐतिहासिक महत्व की नगरी है. सांदीपनी आश्रम की चर्चा की गई. भगवान से स्वयं यहां अध्ययन किया था. लेकिन हमारे प्रदेश में उज्जैन एकमात्र संभाग केन्द्रों में ऐसा है, जहां किसी प्रकार के निजी विश्वविद्यालय की स्थापना अभी तक नहीं हुई थी, रतलाम, नीमच, मंदसौर एवं शाजापुर आदिवासी बहुल क्षेत्र हैं. पुणे की संस्था एम.आई.टी. एक प्रतिष्ठित संस्था है. उसका शिक्षा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी स्पर्धा में एक स्थान है. उसने उज्जैन में अवंतिका विश्वविद्यालय की वैधानिक औपचारिकताएं पूरी कीं. मान्यवर रामनिवास रावत जी ने कुछ बातें हमारे सामने रखीं, उन्होंने सी.ए.जी. की रिपोर्ट का जिक्र किया है और उन्होंने नियामक आयोग के नियमों का पालन पूरी तरह हो, इसका जिक्र भी किया है. मैं उनकी जानकारी के लिए बताना चाहूँगा कि यह जो सी.ए.जी. का प्रतिवेदन है, इन दोनों में जो ऑब्जर्वेशन थे, वे सही नहीं थे और उनका उत्तर भी लोक लेखा समिति को भेज दिया गया है. जो अर्हताएं हैं, वे अर्हताएं पूरी थीं. हमारा प्रतिवेदन पहुँचने के बाद यह तय हो जायेगा कि उनका निरीक्षण ठीक से नहीं हुआ था, लेकिन जो कुछ कमियां अधिनियम में थीं, जिनका जिक्र अभी रावत जी ने किया. हम मानसून सत्र में ही संशोधन लेकर आए थे और अधिनियम में संशोधन करके अब प्रथम पाठ्यक्रम से पहले निरीक्षण अनिवार्य कर दिया है और अध्यादेश के परिनियम भी बना दिये हैं, जिनकी कमी का लाभ ऐसे लोग लेते थे. दुनिया में ‘कायोग’ ने इस तरह के निरीक्षण प्रारंभ कर दिये हैं. मैं यह भरोसा तो दिलाना चाहूँगा कि चूँकि व्यक्तिगत तौर पर तो सदन में नहीं बोला जाता, मैं सरकार की ओर से ही बोल रहा हूँ लेकिन आप भरोसा रखिये कि कोई उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करने आ रहा है इसलिए हम सदन में प्रस्ताव लेकर आ जाएं. यह रूचि बिल्कुल नहीं है. उच्च शिक्षा का विस्तार हो, लेकिन गुणवत्ता के साथ हो और हम प्रमाणिकता के साथ किसी प्रकार का समझौता किसी भी हालत में नहीं होने देंगे. हम यह जो प्रस्ताव आज संशोधन विधेयक के रूप में लेकर आए हैं. इस संस्था ने अर्हताएं पूरी की हैं, 25 एकड़ जमीन से लेकर, 2500 वर्गमीटर के निर्माण तक एवं 15 दिन पहले 5 करोड़ रूपये की राशि जमा करनी पड़ती है और फैकल्टीज़ के बारे में जानकारी ली जाती है. मैं आपको एक उदाहरण दूँगा कि मानसून सत्र में हम एक निजी विश्वविद्यालय लाये थे, जिसका नाम सिम्बोयसिस है. मैं प्रायवेट यूनिवर्सिटीज़ के शुभारंभ जैसे कार्यक्रम में सामान्यत: कुछ कारणों से नहीं जाता हूँ. लेकिन मैं वहां की पूरी जानकारी लेने के बाद गया, वहां टाटा के अधिकारी आए हुए थे, वहां रिलायंस के अधिकारी मंच पर थे. मैंने पूछा कि ये उद्योगपतियों को क्यों बुलाया है, उन्होंने कहा कि हमारा प्रथम वर्ष में जो विद्यार्थी प्रवेश लेगा, पहले से ही यह बड़ी कम्पनियां तय कर लेंगी कि हमको कौन सा ह्यूमन रिसोर्स चाहिए और उसके आधार पर वह विद्यार्थी उस कंपनी के ट्रेनरों से ट्रेनिंग लेगा, इक्यूपमेंट भी वह हमें देंगे और चार साल की ट्रेनिंग लेने के बाद में विद्यार्थी घर जाने के बजाए वह सीधा अधिकारी बनकर उस कंपनी में जाएगा. इस तरह की जो संस्थाएं इनोवेशन के लिए आती है, नवाचार करने के लिए आती है, मैंने इस संस्था से भी पूछा कि आप लोग सामान्य डिग्री बांटने के लिए यूनिवर्सिटी खोलने चाहते हैं या आप विश्व स्तर की स्पर्धा में हमारे विद्यार्थी टिके इसके लिए खोलना चाहते हैं, जब सारी चीज हमने जान ली तब लगा कि एमआईटी नाम की जो संस्था है, वह देश की नामचीन संस्था है, महाराष्ट्र में दूसरे नंबर पर आती है, इसलिए हमने उनको अनुमति दी. बाला जी ने एक बात अभी कहीं थी, स्कालरशिप बगैरह की, तो हमने इस वर्ष 70 महाविद्यालयों की मान्यता अनियमितता के कारणों से रद्द कर दी है, पूरी तरह कार्यवाही हुई आगे भी किसी प्रकार का समझौता नहीं होगा. निजी विश्विद्यालयों की फीस इत्यादि की जो जो शिकायत हमारे पास आई, विनीयामक आयोग के पास गई, उन पर कार्यवाही हुई, पैनल्टी लगी, बच्चों की फीस वापस कराई गई और उन कालेजों को आगे के लिए चेतावनी दे दी गई. सरकार के पास यह शक्ति है इस कानून में कि अगर निजी विश्वविद्यालय कोई वित्तीय कुप्रबंधन करते हैं, नियंत्रण से बाहर जाते हैं तो आवश्यक नहीं है कि विश्वविद्यालय का अस्तित्व बना ही रहेगा. अगर हमारे छात्रों के भविष्यों से खिलवाड़ा होता है तो न हम कालेजों की मान्यता को रद्द करने में हम हिचकिंगे न ही निजी विश्वविद्यालय को बंद करने में हमें कोई देर लगेगी. मैं बहुत धन्यवाद देता हूं, सबके समर्थन के लिए और मैं सोचता हूं कि वैधानिक तौर पर तो जीत और हार की बात होगी, लेकिन पूरा सदन इसका समर्थन करेगा.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक 2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खंड 2 इस विधेयक का अंग बने.
सर्वसम्मति से खंड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खंड 1 इस विधेयक का अंग बने.
सर्वसम्मति से खंड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
सर्वसम्मति से पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बना.
श्री जयभान सिंह पवैया - मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक 2016 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक 2016 पारित किया जाए.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक 2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ,
विधेयक पारित हुआ
(5) मध्यप्रदेश उपकर(द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016(क्रमांक 31 सन 2016)
वित्त मंत्री, श्री जयंत मलैया - मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश उपकर(द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
अध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश उपकर(द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा मध्यप्रदेश उपकर द्वितीय संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया है. मैं समझता हूं कि विद्युत उर्जा उपकर से संबंधित है, इसे वसूल कौन करेगा.
श्री जयंत मलैया - उर्जा विभाग, वसूल करेगा.
श्री रामनिवास रावत - ये बिलों के साथ जाता है, ऊर्जा उपकर, अध्यक्ष महोदय, ऊर्जा उपकर लगने की व्यवस्था पहले से ही जो उदाहरण दिए है, उसमें ज्यादातर पहले से ही है. लेकिन इसमें शायद कभी कभी किसी चीज को भूल जाते हैं कि हमारे प्रदेश में ऐसी कौन सी चीज रह गई है, जिस पर हम उपकर नहीं लगा पाये. पहले से ऊर्जा उपकर लेने की व्यवस्था है, केवल भूलवश यह छूट गये थे, इसलिये इस संशोधन में इसको लाये हैं. पहले से ये कोई एगजम्पटेड नहीं थे. धारा 3 के संशोधन में लिखा है कि- "(ग) विद्युत वितरण अनुज्ञप्तिधारी से भिन्न प्रत्येक व्यक्ति, जो खण्ड (क) तथा (ख) के अंतर्गत नहीं आता है" क एवं ख में व्यवस्था थी, फिर इन्हें ध्यान आया कि यह और रह गया है, इस पर और उपकर लगा दो. "और राज्य के बाहर से मुक्त अभिगमन के माध्यम से विद्युत ऊर्जा उपलब्ध या अभिप्राप्त कर राज्य के भीतर उपभोग करता है, तो ऐसे व्यक्ति द्वारा विहित कालावधि के दौरान उपभोग की गई कुल विद्युत ऊर्जा का पन्द्रह पैसे प्रति यूनिट की दर से ऊर्जा विकास उपकर का भुगतान, राज्य सरकार को विहित समय पर तथा विहित रीति में, किया जाएगा." अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि ऐसे किसी भी अनुज्ञप्तिधारी से किसानों के लिये तो नहीं लिया जाता. आप लें इसमें, मैं समझता हूं कि उपकर जब प्रदेश की सभी चीजों पर लग रहा है, तो इसको भी क्यों बख्शा जाये. इस पर भी उपकर लें. लेकिन इसमें जो व्यवस्थाओं में परंतुक दिया है, मैं उसकी तरफ मंत्री जी का ध्यान जरुर दिलाना चाहूंगा. मध्यप्रदेश उपकर अधिनियम,1982(क्रमांक 1 सन् 1982) से उद्धरण के अंतर्गत "परंतु किसी कैप्टिव उत्पादन सयंत्र का स्वामी या उसका संचालन करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं उपभुक्त की गई विद्युत ऊर्जा के संबंध में कोई उपकर देय नहीं होगा." इतने बड़े लोगों को आप क्यों छोड़ रहे हैं. इतने बड़े लोगों को आप मत छोड़ो, इन लोगों से भी ले लो 15 प्रतिशत ऊर्जा उपकर. अपने प्रदेश की जनता के ही काम आयेगा. अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी द्वारा जो संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया है, उस पर मेरे यही विचार हैं. आपने समय दिया, धन्यवाद.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश उपकर (द्वितीय संशोधन) विधेयक,2016 पर चर्चा हो रही है. मंत्री जी, कल अनुपूरक पर चर्चा के जवाब में आप कुछ बोलना चाह रहे थे, उस समय आप बोल नहीं पाये थे. क्योंकि इधर से कुछ इंट्रप्शन हो रहा था, इस कारण से हम भी उस समय आपको सुनना भी चाह रहे थे. मंत्री जी ने यह जो संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया है, इससे प्रदेश के उद्योगों पर बड़ा विपरीत असर पड़ेगा. नोटबंदी के बाद से मध्यप्रदेश के उद्योगों की हालत वैसे ही खराब हो गयी है. अध्यक्ष महोदय भी मुस्करा रहे हैं. यह जो संशोधन विधेयक लाये हैं, मध्यप्रदेश में जो उद्योग चल रहे हैं, बाहर से जो बिजली ले रहे हैं, उनका टैक्स बढ़ाने के लिये है. उन पर टैक्स लगेगा और महंगी बिजली का असर उद्योगपति अपने कर्मचारियों को बाहर निकाल कर करेंगे. 8 तारीख को 500 और 1000 रुपये की नोटबंदी हुई थी, मध्यप्रदेश में एक लाख से अधिक लोग, जिनको आलरेडी रोजगार मिला हुआ था, वह बेरोजगार हो गये. ऐसे और निर्णय करने से ये जो उद्योग हैं, उन पर विपरीत असर पड़ेगा. कर्मचारियों की छुट्टी होगी, बेरोजगारों की संख्या बढ़ेगी और इससे एक तो यह भी पता चलता है कि राज्य की आर्थिक स्थिति क्या हो गयी है कि बाहर से बिजली लेने वाले उद्योगों पर भी टैक्स लगाना पड़ रहा है. यह स्थिति हो गयी है. तो मेरा तो यहां यह कहना है कि बेरोजगारी बढ़ाने वाला यह विधेयक है, मेरे हिसाब से इसको वापस लेना चाहिये. कल जो आप कुछ बोलना चाहते थे, उसको हम सुन नहीं पाये थे और इसके बजाय किसानों को अगर आप राहत दे दें. अस्थाई विद्युत कनेक्शन बहुत महंगे कर दिये हैं. बिजली की टेरिफ महंगी हो गई है. यह बहुत सारी चीजें हम स्थगन में कह चुके हैं. उसको हम रिपीट नहीं करना चाहते हैं. आप हमारा इसमें जो भी समझ लीजिये, प्रदेश के किसानों की तरफ से, उद्योगपतियों की तरफ से या हमारी चेतावनी भी समझ लीजिये, आग्रह भी समझ लीजिये. लेकिन कुछ निजात दिलवाइये और वित्त मंत्री एवं संसदीय कार्य मंत्री जी जो बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है, उस पर ध्यान दीजिये. धन्यवाद.
5.29 बजे अध्यक्षीय घोषणा
कार्य सूची का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्य सूची का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, कृपया अशासकीय संकल्प अगले विधान सभा सत्र में ले लें.
अध्यक्ष महोदय -- अभी यह जाये, फिर बात कर लेंगे. वित्त मंत्री जी.
5.30 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य(क्रमश:)
मध्यप्रदेश उपकर(द्वितीय संशोधन)विधेयक,2016
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) -माननीय अध्यक्ष महोदय,सबसे पहले तो मैं जो हमारा 1980 का मध्यप्रदेश उपकर है इसके बारे में जैसा कि माननीय रामनिवास रावत जी ने कहा है यह बात सही है कि प्रदेश के अंदर जो विद्युत उत्पादन होता है और विक्रय होता है उनसे हम 15 पैसे प्रति यूनिट उपकर लेते हैं ,हालांकि इसमें छूट है कि जिनमें इक्विटी शेयर 51% या उससे अधिक स्टेट गवर्मेंट का है उनको हमने इसकी छूट दी है. इसके साथ साथ अभी तक यह होता था जैसा कि रामनिवास रावत जी ने कहा है कि जो कैप्टिव पॉवर हैं उनके लिये भी , उद्योगपतियों ने जिनके लिये कैप्टिव पॉवर जनरेटिंग सेट लगाया वह यूज करते हैं उसके ऊपर तो नहीं परंतु जब वो भी बाहर दूसरों को देते हैं ओपन एक्सेस से तो उनसे भी 15 पैसे प्रति यूनिट हम लेते हैं. इसके साथ साथ जो दूसरे प्रदेशो से ओपन एक्सेस के माध्यम से यहां के उद्योगपति या उपभोक्ता जो लेते हैं उसके ऊपर यह उपकर नहीं है इसलिये पूरे प्रदेश में एक यूनिफार्मलिटी रहे, एकरूपता रहे इसके लिये उस पर 15 पैसे का उपकर लगाने का यह हमारा संशोधन है और चूंकि हम बाहर वाले उद्योगपतियों से यह ले नहीं सकते हैं,जो विद्युत का उत्पादन करता है .
श्री रामनिवास रावत- इससे रेवेन्यू कितनी बढ़ रही है.
श्री जयंत मलैया- लगभग मेरे ख्याल से 50 से 100 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष रेवेन्यू बढेगी और मैं माननीय बाला बच्चन जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इसका किसानों के ऊपर कोई असर भी नहीं पड़ेगा.
श्री रामनिवास रावत- बाला बच्चन जी के कहने का तात्पर्य यह था कि अगर किसानों को कुछ छूट की घोषणा आप कर दें तो हम तो इसको भी सर्वसम्मति से पारित करा देंगे.
श्री जयंत मलैया- कल आप देख लेना किसानों के लिये पूरे प्रदेश में 4500 करोड़ रूपये फसल बीमा योजना का बंट रहा है.
अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करता हूं कि हमारा यह संशोधन विधेयक पारित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय‑ प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश उपकर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय मै प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश उपकर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
अध्यक्ष महोदय- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश उपकर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016 पारित किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
विधेयक पारित हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- यदि प्रस्तावक सदस्य सहमत हैं तो अशासकीय संकल्प आगामी सत्र में लिये जा सकते हैं.
श्री आशीष गोविंद शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, अभी ले लें, बहुत आवश्यक है.
श्री दिनेश राय"मुनमुन"--अध्यक्ष महोदय, अभी ले लें, दो-दो मिनट बोलकर के खतम कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
5.34 बजे
अशासकीय संकल्प
अध्यक्ष महोदय -- विधानसभा नियमावली के नियम 27(4) के अनुसार एक दिन की बैठक हेतु 5 से अनाधिक अशासकीय संकल्प कार्य-सूची में सम्मिलित किये जाने का उल्लेख है. परंतु विषयों की एकरूपता को देखते हुये सदन की अनुमति की प्रत्याशा में आज की कार्य सूची में रेलवे संबंधी अशासकीय संकल्पों की एकजाई कर सम्मिलित किया गया है. परिवहन विभाग से संबंधित 6 संकल्पों को संबंधित माननीय सदस्यों द्वारा एक-एक कर प्रस्तुत किया जायेगा और तदुपरांत प्रस्तुत संकल्पों पर एक साथ चर्चा होगी. यही प्रक्रिया शेष संकल्पों हेतु रहेगी. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
अब मैं प्रस्तुतकर्ता सदस्यों के क्रमश: नाम पुकारूंगा.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, कोरम तो दिखवा लें कि कोरम है या नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- कोरम तो है.
श्री रामनिवास रावत - नहीं है. दुबारा से गिन लें.
अध्यक्ष महोदय- कोरम है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, हम लोगों का तो काम हो गया है, अब अशासकीय संकल्प तो मुख्य रूप से आप ही लोगों की जिम्मेदारी है, यदि आप अपना कोरम नहीं कर सकते तो हम क्या करें.
1. बिजली की अपहुंच वाले क्षेत्रों में ग्राम पंचायत भवन एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों को क्रमश सौर ऊर्जाकृत किया जाना.
श्री दिनेश राय (सिवनी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि सदन का यह मत है कि बिजली की अपहुंच वाले क्षेत्रों में ग्राम पंचायत भवन एवं आगनबाड़ी केन्द्रों को क्रमश सौर ऊर्जाकृत किया जाये.
अध्यक्ष महोदय-- संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री दिनेश राय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे सिवनी जिले में आंगनबाड़ी भवन 1488 हैं जिनमें से 1485 ऐसी आंगनबाडि़यां हैं जिनमें लाइट नहीं है, मात्र 3 आंगनबाडि़यां हैं जहां पर लाइट की व्यवस्था है. इसी प्रकार 645 हमारे ग्राम पंचायत भवन हैं उनमें भी अधिकांश ग्राम पंचायतों में लाइट नहीं है. मेरा माननीय अध्यक्ष महोदय आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन है कि सौर ऊर्जा से पर्यावरण की रक्षा में महत्वपूर्ण योगदान है. ऊर्जा पैदा करने वाले और भी हमारे संयत्र हैं जैसे खनिज संपदा, जल का अपव्यय अधिक होता है, किंतु सौर ऊर्जा से अधिक विद्युत पैदा करने से जल और जंगल और खनिज संपदा की बचत होती है. हमारे जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में थाने हैं, प्राय उनमें सभी में सौर ऊर्जा लगी हुई है. हमारा पेंच का जो क्षेत्र हैं जहां पर विद्युत खंबे नहीं पहुंचाये जा सकते हैं, असंभव है, वहां के भी भवनों में हमारी सौर ऊर्जा से प्रदान किया गया है, चाहे उपजेल हो, चाहे एकल आवासीय विद्यालय हों, हमारे जिले में 79 किलोवाट की अभी सौर ऊर्जा की जो प्लेटें लगाई गई हैं उसके बहुत अच्छे रिजल्ट हैं. देश में 30 करोड़ लोगों के पास कनेक्शन नहीं हैं, क्योंकि हमारे सिवनी जिले में भी 23 गांव ऐसे हैं जहां विद्युत की आज तक लाइन नहीं पहुंच पाई है तो मेरा आपसे और माननीय मंत्री जी से आग्रह है, क्योंकि हमारे छोटे-छोटे बच्चे आंगनबाडि़यों मे पढ़ते हैं, उनको लाइट की व्यवस्था न होने से देर समय तक उनके पढ़ाई लिखाई या उनको और भी शिक्षा देना चाहते हैं, गांव के घरों में टी.व्ही. नहीं हैं, वहां के बच्चे भी हमारे मुख्यमंत्री को देखना, सुनना चाहते हैं, वह भी प्रधानमंत्री जी को सुनना चाहते हैं कि हमारे देश में विदेश में क्या हो रहा है. लेकिन हमारे इन क्षेत्रों में लाइट न होने की वजह से वह बच्चे भी वर्तमान की स्थिति से अनभिज्ञ हैं. इसमें एक और आग्रह है रावत जी ने भी कहा है कि इनके साथ-साथ उन दूर दराज के स्कूलों में भी अगर सौर ऊर्जा की प्लेट लगा दी जायेगी तो वास्तव में हमारे सभी क्षेत्रों में लाइट हो जायेगी. मैं आग्रह करता हूं, निवेदन करता हूं कि इस प्रस्ताव की महत्ता को समझते हुये इसको पास करने की कृपा करें.
ऊर्जा मंत्री (श्री पारस चंद्र जैन)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में बिजली की एप्रोच वाले चिन्हित क्षेत्रों में स्थित ग्रामों का विद्युतीकरण भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के तत्वाधान में एवं वित्तीय रूप आयोजित योजना दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के अंतर्गत विभाग द्वारा मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम विभाग के माध्यम से किया जा रहा है. इस योजना के अंतर्गत ग्रामों में ऊर्जा से विद्युतीकरण किया जा चुका है अन्य 121 ग्राम और ऊर्जा से विद्युतीकरण की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. इस योजना के अंतर्गत चिन्हित ग्रामों के ग्राम पंचायत जो आपने कही है, ग्राम पंचायत आंगनबाड़ी के भवन को सौर ऊर्जा से ऊर्जित किये जाने का इसमें शामिल है. अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के ग्राम जिनमें बिजली पहुंच होने के बावजूद भी जिन ग्राम पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केन्द्रों में विद्युत की पहुंच संभव नहीं हो सकी है, ऐसे ग्रामों में स्थित ग्राम पंचायत, आंगनबाड़ी भवनों को इस संकल्प के पालन में सौर ऊर्जा से ऊर्जित करने हेतु.
श्री रामनिवास रावत-- आप पटल पर रख दें.
श्री पारस चंद्र जैन-- बस एक मिनट का है, हम तो सहमत हैं और हम तो भेज भी रहे हैं, जो बात उन्होंने कही है.
अध्यक्ष महोदय-- कितनी देर लगेगी पढ़ने में, पढ़ दीजिये आप पूरा कोई दिक्कत नहीं है.
श्री रामनिवास रावत-- पढ़ेंगे या भाषण देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री तो पढ़ सकते हैं.
श्री पारस चंद्र जैन-- विद्युत पहुंच संभव नहीं हो सकी है ऐसे ग्रामों में स्थित ग्राम पंचायत आंगनबाड़ी भवनों को सौर ऊर्जा से ऊर्जित करने हेतु विभाग द्वारा संबंधित विभागों को यथा महिला एवं बाल विकास एवं ग्राम विकास विभाग के सामंजस्य से एक कार्य योजना बनाई जाकर संबंधित विभाग को स्वीकृति हेतु प्रेषित की जायेगी. संबंधित विभाग इस कार्य योजना को समान रूप से स्वीकृति प्राप्त होने पर विभाग के अंतर्गत नोडल एजेंसी मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम द्वारा प्रस्तावित ग्राम पंचायत तथा आंगनबाड़ी केन्द्रों को सौर ऊर्जा से ऊर्जित करने की कार्यवाही की जा सकेगी.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि सदन का यह मत है कि बिजली की अपहुंच वाले क्षेत्रों में ग्राम पंचायत भवन एवं आंगनबाड़ी केन्द्रों को क्रमश: सौर ऊर्जाकृत किया जाये.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्कूल और जोड़ लें.
अध्यक्ष महोदय-- अब संशोधन का टाइम कहां है. अब संशोधन का टाइम तो समाप्त हो गया.
प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ.
(5.40 बजे)
(2) देवास जिले की खातेगांव विधानसभा क्षेत्र में निवासरत् ढोली(बैंड बजाने वाले) एवं घट्टीया(पत्थर के सिलबट्टे बनाने वाले समाज को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित करना
श्री आशीष गोविन्द शर्मा(खातेगांव) अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि - " देवास जिले की खातेगांव विधानसभा क्षेत्र में निवासरत् ढोली(बैंड बजाने वाले) एवं घट्टीया(पत्थर के सिलबट्टे बनाने वाले) समाज को अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित किया जाए "
अध्यक्ष महोदय - संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह मांग करना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में ये दोनों समाज के लोग निवास करते हैं. बैंड बजाने वाले जो लोग हैं वे अत्यंत गरीब परिवार हैं. ये अशिक्षित भी हैं और नित्य मजदूरी करके,बैंड बाजा बजाकर ये अपना जीवन-यापन करते हैं. इस समाज को यदि अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल जाता है तो इनके बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र में,रोजगार के क्षेत्र में और अन्य कई सुख-सुविधाओं का लाभ इनको शासन से प्राप्त हो सकेगा. इसलिये बड़ी संख्या में निवासरत् इन लोगों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्रदान करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जाये. दूसरा जो समाज मेरे विधान सभा क्षेत्र में निवास करता है. लगभग सौ-डेढ़ वर्षों से पहाड़ी क्षेत्र है सागोनी और विक्रमपुर वहां पर ये लोग पत्थर की चट्टानें तोड़कर घरेलू कामों में उपयोग में आने वाले सिलबट्टे और इस तरह की चीजें बनाते हैं. पत्थरों को ताकने के कारण और घट्टी खासकर जो आटा पीसने की चक्की बनाने के कारण इन लोगों को घट्टीया कहा जाने लगा लेकिन मूल रूप से ये टाकिया जनजाति के लोग हैं. इनके रिश्तेदार मध्यप्रदेश में जहां भी निवास करते हैं वे टाकिया जनजाति के ही हैं. इसलिये हमारे जिले में इस जनजाति के लोगों को अनुसूचित जनजाति का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसलिये मैं आपके माध्यम से सदन के माध्यम से यह प्रस्ताव सदन में रखता हूं और आशा करता हूं कि सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जाये.
राज्यमंत्री,सामान्य प्रशासन(श्री लालसिंह आर्य) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्री आशीष गोविन्द शर्मा जी द्वारा जो आज अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया गया है उसके संबंध में मैं कहना चाहता हूं कि देवास जिले के खातेगांव विधान सभा क्षेत्र जो ढोली(बैंड बजाने वाले) घट्टीया(पत्थर के सिलबट्टे बनाने वाले) समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का जो आग्रह किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, ढोली यह पहले से ही पिछड़े वर्ग में है. यह कहीं न कहीं उपजाति आती है. इसलिये उससे जुड़े हुए जो भी लाभ होते हैं वे उनको पहले से ही दिये जा रहे हैं चाहे वह सामाजिक हों,चाहे शिक्षात्मक दृष्टि से हो, उनका लाभ उनको कहीं न कहीं दिया जा रहा है. वह पहले से ही अनुसूची में कहीं न कहीं पिछड़े वर्ग में हैं लेकिन जो सिलबट्टे बनाने वाले घट्टीया जाति का जो उल्लेख आपने किया है. यह न तो केन्द्र की अनुसूची में है न मध्यप्रदेश की. माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक जातियों का उल्लेख करने का मामला है तो स्वाभाविक है यह केन्द्र सरकार के मापदण्डों के तहत आता है वही किसी को किसी अनुसूची में जोड़ने का काम कर सकती है या नहीं कर सकती है. यह केन्द्र का मामला रहता है और इनके जो मापदण्ड भी तय होते हैं भौगोलिक,सांस्कृतिक,रहन-सहन की दृष्टि से होते हैं और घट्टीया कहीं किसी में हैं ही नहीं और इसलिये इसको अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित किया जाये, मुझे लगता है यह उचित नहीं होगा. इसलिये अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य से आग्रह करना चाहता हूं कि आपका जो अशासकीय संकल्प है कृपया उसको वापस लेने का कष्ट करें.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं उनको जो घट्टीया नाम दिया गया है वह स्थानीय स्तर पर वे चूंकि घट्टी बनाने का काम करते हैं इसलिये सामान्य वनवासियों की बोलचाल में उनको घट्टीया कहा जाता है लेकिन उनके रिश्तेदार पूरे मध्यप्रदेश में और पूरे भारत में जहां कहीं हैं वे टाकिया जनजाति के हैं और उनको इसका लाभ मिल रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं आप विभाग के माध्यम से जांच करा लें और जांच कराने के पश्चात् यदि सही पाया जाता है तो इसे सम्मिलित कर लें.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय,ढोली(बैंड बजाने वाले) सही में रोज कमाते और खाते हैं. इनको अनुसूचित जनजाति में शामिल करना चाहिये. मेरे ख्याल से पूरा सदन इससे सहमत है तो हमारा सबका ऐसा निवेदन है क्योंकि यह बहुत गरीब लोग हैं. ये शादी,ब्याह में बैंड,बाजा,ढोल बजाकर अपना जीवन यापन करते हैं इसलिये सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करके भेजना चाहिये. कांग्रेस के लोग भी इससे सहमत होंगे.
श्री लालसिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, अशासकीय संकल्प प्रस्तुत करने वाले माननीय सदस्य ने आग्रह किया है मैं उसका परीक्षण करवा लूंगा.
अध्यक्ष महोदय - क्या माननीय सदस्य इस संकल्प को वापस लेने के पक्ष में हैं.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह आग्रह है कि यदि सदन सर्वानुमति से इसको पारित करना चाहे तो कर दे.
अध्यक्ष महोदय - जांच करवाने का उन्होंने कहा है. अब आप विचार कर लीजिये.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - ठीक है जांच से मैं संतुष्ट हूं और जांच के पश्चात् उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करके आगे कार्यवाही सदन के माध्यम से हो.
अध्यक्ष महोदय - क्या सदन संकल्प वापस लेने की अनुमति देता है.
अनुमति प्रदान की गई.
संकल्प वापस हुआ.
3. मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में मुडिया जाति को अनुसूचित जनजाति के समान मिलने वाली अन्य सभी सुविधायें प्रदान की जाने.
श्री जालम सिंह पटेल(नरसिंहपुर)--अध्यक्ष महोदय, मैं संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि -
“यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में मुडिया जाति को अनुसूचित जनजाति के समान मिलने वाली अन्य सभी सुविधायें प्रदान की जाएं.”
अध्यक्ष महोदय-- संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री जालम सिंह पटेल-- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के लिए भारत सरकार द्वारा जारी अनुसूचित जाति, जनजाति की अधिसूचना (नोटिफिकेशन) का पालन मध्यप्रदेश शासन आदिम जाति कल्याण विभाग से कराने बाबत यह अशासकीय संकल्प दिया गया है.
अध्यक्ष महोदय, मुडिया जाति संविधान की अधिसूची में सम्मिलित है. इस प्रजाति को वर्ष 1996 से निरन्तर छात्रवृत्ति और अन्य अनुसूचित जाति की सुविधाओं से शिकायत के आधार पर वंचित किया गया है. पूर्व में इनको सारी सुविधाएं दी जाती थीं. इसके अलावा इसमें बहुत सारी अनुशंसाएं हुई हैं. भारत सरकार, गृह मंत्रालय द्वारा जारी अनुसूचित जाति की सूची वर्ष 1956 से 1976 तक की स्थिति में भाग क्रमांक 5 मध्यप्रदेश की कंडिका 3(7) में होशंगाबाद जिले नरसिंहपुर एवं सोहागपुर तहसील में मुडिया जाति को अधिसूचित किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, नरसिंहपुर जिले का जो गज़ेटियर है. वर्ष 1950 के पूर्व से इस जिले में मुडिया जाति, जनजाति में दर्ज है. भारत की पहली जातिगत जनगणना में इस जिले की मुडिया जनजाति दर्ज है. जिनकी कुल आबादी 671 है जिसमें 340 पुरुष और 331 महिलाएं दर्ज हैं. एसडीएम, तहसीलदार गोटेगांव द्वारा सर्वे कराया गया जिसमें पाया गया कि 250 ग्रामों में 12 ग्रामों में मुडिया जाति के व्यक्ति निवास करते हैं,जिसकी अनुमानित संख्या 1622 है.
अध्यक्ष महोदय, 5-7-2/1973 में अपर सचिव, मप्र शासन द्वारा कहा गया कि परीक्षण कराकर, टीप सहित प्रस्तुत करें.
अध्यक्ष महोदय, मुडिया जाति पहले से 1996 में अनुसूचित जनजाति में आती थी. किसी कारण से 1996 से उनको बहुत सारी सुविधाएं जो मिलना चाहिए वह नहीं मिल पा रही हैं. मैं निवेदन करता हूं कि जो मुडिया जाति है वह मूलतः कोल जाति से मिलती-जुलती है. कोल जाति प्रदेश की अनुसूची में अंकित है. जब कभी परीक्षण होता है तो उसका परीक्षण आदिवासियों से किया जाता है जबकि कोल जाति के अनुसार उनका रहन-सहन अलग है. पहले नरसिंहपुर जिला होशंगाबाद जिले में आता था. चूंकि वह तहसील नरसिंहपुर में अधिसूचित थे उसके बाद नरसिंहपुर जिला बना तो उसके बाद वह गोटेगांव तहसील में आ गए. उसके कारण भी यह विसंगतियां पैदा हो गई. मैं सदन से निवेदन करना चाहता हूं कि जो मुडिया जाति है वह पहले से अधिसूचित है,इसलिए कलेक्टर महोदय या सामान्य प्रशासन विभाग सिर्फ उनको सुविधाएं देने का काम करे. धन्यवाद.
सामान्य प्रशासन मंत्री (श्री लाल सिंह आर्य) - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य द्वारा जो मुडिया जाति का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इनको सुविधाएं पूर्व की भांति नहीं मिल रही हैं. अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति, जनजाति के संशोधन अधिनियम, 2002 के तहत अनुसूचित जनजाति की सूची में सरल क्रमांक 16 पर गौंड अनुसूचित जनजाति पहले से सम्मिलित है और माडिया, मारिया, मुडिया, मुरिया, इस प्रकार की जाति पहले से इसमें सम्मिलित है, इसलिए अलग से उनकी कोई व्यवस्था की जाय, जो है पूर्व से वह सुविधाएं मिल रही हैं, इसलिए मुझे लगता है कि कोई औचित्य अब शायद बचता नहीं है.
श्री जालम सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर के यहां पर ऐसे आदेश नहीं हैं, वर्ष 1996 से किसी कारण से उस पर रोक लगा दी गई है.
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, मैं ऐसा करूंगा कि परीक्षण करा लूंगा. अगर वह नियम में आ रही होंगी तो उसको मदद मिलेगी.
श्री जालम सिंह पटेल - वे नियम में आ रही हैं, वर्ष 1996 तक उनको मिला भी है.
श्री लाल सिंह आर्य - मैं परीक्षण करा लूंगा.
अध्यक्ष महोदय - क्या माननीय सदस्य संकल्प को वापस लेने के पक्ष में हैं?
श्री जालम सिंह पटेल - जी हां.
अध्यक्ष महोदय - क्या सदन संकल्प वापस लेने की अनुमति देता है?
(सदन द्वारा अनुमति प्रदान की गई.)
संकल्प वापस हुआ.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- अध्यक्ष महोदय, एक निवेदन है, यह जो अशासकीय संकल्प का पद क्रमांक 4 है इसमें इसमें 5 अशासकीय संकल्प हैं सर्व श्री सुदेश राय, जितेन्द्र गेहलोत, श्रीमती सरस्वती सिंह, सर्वश्री दिलीप शेखावत, के.के.श्रीवास्तव, सदस्य, ये सर्वानुमति के हैं वे भी पास करवाना चाहते हैं, सरकार भी पास कराना चाहती है, इन्हें पास कर दें.
अध्यक्ष महोदय - जो सदस्य बैठे हैं वे एक-एक मिनट बोल लें.
(4) (1) बलसाड़ से होकर पुरी को जाने वाली ट्रेन क्रमांक 22909/22910 का स्टापेज सीहोर स्टेशन पर किया जाना तथा भोपाल से यात्रियों को आरक्षण कोटा दिया जाना
(2) जम्मूतवी यात्री गाड़ी क्रमांक 12477/12478 एवं 12475/12476 का दो मिनट का स्टापेज विक्रमगढ़ आलोट स्टेशन पर किया जाना
(3) सिंगरौली से चितरंगी रेल लाइन का विस्तार किया जाना
(4) प्रसिद्ध औद्योगिक क्षेत्र नागदा में निवासरत परिवारों के आवागमन के लिए गाड़ी क्रमांक 15667, 19053, 19061 तथा 19021 एवं गाड़ी क्रमांक 15108 छपरा-मथुरा व 12183 भोपाल-प्रतापगढ़ का संचालन नागदा तक किया जाना
(5) "(1) खजुराहो से इंदौर (वाया छतरपुर-टीकमगढ़-भोपाल) (2) खजुराहो से नागपुर (वाया टीकमगढ़-बीना,भोपाल) (3) भोपाल से लखनऊ (वाया ललितपुर- टीकमगढ़-खजुराहो-महोबा) नई ट्रेन चलाई जाये तथा (4) तुलसी एक्सप्रेस ट्रेन सप्ताह में 03 दिन खजुराहो-छतरपुर एवं टीकमगढ़ होकर चलाई जाना
(1) श्री दिनेश राय (सिवनी)‑ माननीय सदस्य श्री सुदेश राय जी की ओर से मैं अध्यक्ष महोदय से निवेदन करता हूं. मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं-
यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि -
"बलसाड़ से होकर पुरी को जाने वाली ट्रेन क्रमांक 22909/22910 का स्टापेज सीहोर स्टेशन पर किया जाए तथा भोपाल से यात्रियों को आरक्षण कोटा दिया जाए."
अध्यक्ष महोदय - श्री जितेन्द्र गेहलोत..
(2) श्री जितेन्द्र गेहलोत - (अनुपस्थित)
(3) श्रीमती सरस्वती सिंह (चितरंगी) - अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करती हूं.
यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि -
"सिंगरौली से चितरंगी रेल लाइन का विस्तार किया जाए."
(4) श्री दिलीप सिंह शेखावत (नागदा-खाचरोद) - अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं.
यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि -
"प्रसिद्ध औद्योगिक क्षेत्र नागदा में निवासरत परिवारों के आवागमन के लिए गाड़ी क्रमांक 15667, 19053, 19061 तथा 19021 एवं गाड़ी क्रमांक 15108 छपरा-मथुरा व 12183 भोपाल-प्रतापगढ़ का संचालन नागदा तक किया जाए."
(5) श्री के.के. श्रीवास्तव (टीकमगढ़) - अध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं.
यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि -
"(1) खजुराहो से इंदौर (वाया छतरपुर-टीकमगढ़-भोपाल) (2) खजुराहो से नागपुर (वाया टीकमगढ़-बीना,भोपाल) (3) भोपाल से लखनऊ (वाया ललितपुर-टीकमगढ़-खजुराहो-महोबा) नई ट्रेन चलाई जाये तथा (4) तुलसी एक्सप्रेस ट्रेन सप्ताह में 03 दिन खजुराहो-छतरपुर एवं टीकमगढ़ होकर चलाई जाए."
अध्यक्ष महोदय - संकल्प प्रस्तुत हुए.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, मैं सम्मानित सदस्यों के मत से सहमत हूं. कृपया पारित करें.
अध्यक्ष महोदय - क्या सदन सहमत है कि सभी संकल्प सर्वसम्मति से पारित किये जाएं?
(सदन द्वारा अनुमति प्रदान की गई.)
एकजाई संकल्प सर्वसम्मति से पारित किये गये.
5.55 बजे सत्र का समापन
परिवर्तित तारांकित एवं अतारांकित प्रश्नों का विवरण देकर इसे और अधिक उपयोगी बनाया गया है. अनेक माननीय सदस्यों ने इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है.
लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों का कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. जनप्रतिनिधियों के आचरण एवं व्यवहार से सारे प्रदेश की जनता प्रभावित होती है. मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि हमारे जनप्रतिनिधियों ने इस सत्र में सारे लोक महत्व के विषयों पर सार्थक चर्चा की. अनेक बार असहमति के स्वर भी उठे, जो कि लोकतंत्र में आवश्यक भी हैं. परंतु मैं यह मानता हूं कि यह सत्र सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. हमारे भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने भी इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि सदन में हंगामे के कारण सदन सुचारू रूप से चल नहीं पाते हैं. मुझे इस बात की भी प्रसन्नता है कि हमारा सदन यद्यपि अनेक अवसरों पर तनावपूर्ण किंतु अनेक अवसरों पर सहमति के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ है.
इस सत्र के सुचारू संचालन के लिए मैं, माननीय मुख्यमंत्री जी, जो हमारे सदन के नेता हैं, माननीय प्रभारी नेता प्रतिपक्ष, श्री बाला बच्चन जी, मुख्य सचेतक कांग्रेस पक्ष, श्री रामनिवास रावत जी और हमारी विधान सभा के सम्माननीय उपाध्यक्ष जी, जो निरंतर मुझे सहयोग करते हैं और सदन का संचालन मुझसे भी अधिक कुशलता से करते हैं. हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी, जो अनेक अवसरों पर सदन को संभालते हैं, सभी माननीय मंत्रीगणों और सभी माननीय सदस्यगणों, बहुजन समाज पार्टी के माननीय नेता जी एवं उनके सदस्यगण सभी का सहयोग मुझे मिला, इस हेतु मैं आप सभी का आभार मानता हूं. सभापति तालिका के सभी माननीय सदस्यों, सभी माननीय सदस्यों, मीडिया के मित्रों, शासन तथा विधान सभा सचिवालय के अधिकारियों/कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों को धन्यवाद देता हूं.
मैं अपनी एवं पूरे सदन की ओर से प्रदेशवासियों को गुरूनानक जयंती, आने वाले क्रिसमस और नववर्ष के लिए बधाई देते हुए, उनकी सुख-समृद्धि की कामना करता हूं. अगले सत्र में हम सब ऐसे ही सुखद माहौल में प्रदेश की जनता के हितों की चर्चा करने हेतु पुन: समवेत होंगे, इस अपेक्षा के साथ आप सबको पुन: धन्यवाद.
डॉ. नरोत्तम मिश्र (संसदीय कार्य मंत्री)- माननीय अध्यक्ष महोदय, लोकतंत्र के इस मंदिर में जनता के हितों के लिए, जन हितैषी काम करने के लिए, लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए सभी लोगों को जनता द्वारा चुनकर भेजा जाता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन हमारे घर जैसा ही है. इस मंदिर में हम जनता से जुड़ी बातों पर चर्चा करते हैं. यहीं कारण है कि इस विधान सभा को, इस विधान सभा के उद्धरणों को सारे देश में अलग-अलग समय पर अलग-अलग लोग देते रहते हैं. वे कहते हैं कि मध्यप्रदेश की विधान सभा की अपनी एक गौरवशाली परंपरा है. इसका एक गौरवशाली इतिहास है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विधान सभा सिर्फ ईंट और गारे का मकान नहीं है. घर के बारे में किसी ने कहा भी है-
‘दीवारों से न, दरवाजों से, घर बनता है, घरवालों से,
अच्छा कोई मकान बनेगा, पैसा भी खूब लगायेगा,
पर रहने को नहीं आयेगा, तो घर उसका भर जायेगा,
सारा मकड़ी के जालों से,
दीवारों से न, दरवाजों से, घर बनता है, घरवालों से’
ये लोकतंत्र पक्ष और विपक्ष के परस्पर सहयोग और सामंजस्य से मजबूत होता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक दूसरे के प्रेम से ही यह लोकतंत्र मजबूत होता है. हम कभी-कभी एक दूसरे के प्रति क्रोध में आ जाते हैं, भावावेश में आ जाते हैं. लेकिन मैं मानता हूं कि वह सब कुछ क्षणिक होता है और सबका उद्देश्य यह होता है कि जनहितैषी काम को जनता तक कैसे पहुंचायें. लेकिन प्रेम सदैव बना रहता है जब इसके बाद में किसी मोड़ पर किसी चाय पर मिलते हैं तो सबकी चिंता जन हितैषी रहती है. कहा भी गया है कि --
गर प्रेम का ईंट और गारा हो, हर नींव में भाई चारा हो,
कंधों को छतों का सहारा हो, तो लोकतंत्र हिले नहीं भूचालों से,
दीवारों से न दरवाजों से , घर बनता है घर वालों से.
ऐसे मजबूत लोकतंत्र के मंदिर में आप जैसै खेवनहार बैठा है, जो कभी इधर से आवेश में आ जाते हैं, कभी उधर से लोग आवेश में आ जाते हैं और एक सफल नाविक की तरह उन भूचालों में से, उन हिलोरों में से आप नाव को खेंच कर ले जाते हैं माननीय अध्यक्ष महोदय, कहा भी गया है कि
वह पथ और पथिका क्या जिस पथ बिखरे शूल न हों
और नाविक की धैर्य परीक्षा क्या जब धाराएं प्रतिकूल न हों,
उन प्रतिकूल परिस्थितियों में अध्यक्ष महोदय आप इस विधान सभा की नैया को खेकर एक सामंजस्य स्थापित करते हैं . माननीय अध्यक्ष महोदय हम आपका आभार व्यक्त करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं सदन के नेता आदरणीय शिवराज सिंह चौहान जी का भी आभार व्यक्त करता हूं कि जितनी संजीदगी के साथ में जितनी तल्लीनता के साथ में जनता की सेवा के लिए, जनहितैषी कामों के लिए, चाहे बजट की व्यवस्था हो, चाहे विधेयकों की बात हो अध्यक्ष महोदय, आपने पढ़कर बताया मैं उसकी पुनरावृत्ति नहीं करना चाहता हूं. लेकिन यह जरूर कहना चाहता हूं कि जिस तरह से डूबकर वह गांव गरीब किसान की ओर झुग्गी झोपड़ी के इंसान की चिंता करते हैं वह वास्तव में अनुकरणीय हैं वह वास्तव में वंदनीय हैंऔर यह इस प्रदेश का सौभाग्य ही है कि हमें शिवराज सिंह चौहान जैसा व्यक्ति मिला है जो आमजन के दुख से दुखी हो जाता है, कहीं ओला पड़ जाय, मैंने देखा है कि रात भर बैचेन रहते हैं, सबेरा कब हो जाय और कब वहां पर पहुंच जायें वह वहीं पर खड़े हुए मिलते हैं. अध्यक्ष महोदय ,सिंहस्थ में तूफान आया चक्रवात आया, रात भर इतनी दूर से सड़क मार्ग से चलकर पौ फटने से पहले पहुंच गये, यह अपने आप में जनता से जुड़ाव को दर्शाता है. माननीय अध्यक्ष महोदय कानपुर में रेल दुर्घटना हुई, हमारे प्रदेश के उस दुर्घटना में 15 - 20 प्रतिशत लोग थे बाकी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग थे, मैं यहां पर उनकी आलोचना नहीं करता लेकिन वह पहुंचने वाले पहले मुख्यमंत्री थे. वैसे तो देखा जाय तो आखिरी पहले वह ही थे, यह जनता की पीड़ा से जुड़ने वाला व्यक्ति जो है कहा भी गया है-
हजारों साल नरगिस अपनी बेरोनी पर रोती है,
तब जाकर होता है चमन में दीदावर पैदा,
ऐसा व्यक्ति जो पैदा हुआ है और हमारा सौभाग्य है कि हम उसके नेतृत्व में काम कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय उपाध्यक्ष महोदय यहां बैठे हैं. जब वह आसंदी पर होते हैं तब वह पक्ष के होते हैं न विपक्ष के होते हैं वह निष्पक्ष दिखाई देते हैं. दोहरी भूमिका में रहते हैं उपाध्यक्ष महोदय कभी कभी, जब वह उधर बैठ जाते हैं तो वह ही ऐसे व्यक्ति हैं जिनका आसन परिवर्तित होता रहता है, बाकी सबका तो आसन स्थायी रहता है. वह आसंदी पर भी आते हैं और आसंदी पर निष्पक्ष दिखाई देते हैं और कभी कभी उस जगह पर बैठ जाते हैं तो कांग्रेस के विपक्ष के साथियों का ढ़ांढस भी बंधाते रहते हैं, मनोबल भी बढ़ाते रहते हैं, इसीलिए मैंने आज उनसे निवेदन किया था कि उऩ लोगों की आपकी तरफ से एक रिकमण्ड तो चली जाय कि जो नेता प्रतिपक्ष की दावेदारी कर रहे हैं, एक आपकी रिकमण्ड चली जायेगी उपाध्यक्ष महोदय तो फिर देखिये.
अध्यक्ष महोदय, हमारे नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन जी कितने फ्रंटों पर बेचारा अकेला लड़ रहा है, माननीय अध्यक्ष महोदय मैं इस मामले में उनकी सराहना भी करता हूं. वे हर विषय पर बोले हैं. हाईकमान तक जाने की जरूरत बाला भाई होनी भी नहीं चाहिए आप तो इंटाइटल हो, आप स्वभाविक हकदार है उस नेता प्रतिपक्ष पद के, सच में एलिजिबल व्यक्ति हैं वह अध्यक्ष महोदय उनकी भूरि भूरि प्रशंसा मैं इसलिए करता हूं कि हर विषय पर वह बोले हैं चाहे वह विधेयक हो, चाहे बजट हो, चाहे जनहित से जुड़े हुए मुद्दे हों, चाहे स्थगन पर नोट बंदी वाले मामले पर या किसानों से जुड़ी हुई बात हो, उन्होंने हर विषय पर अध्यक्ष महोदय यहां पर चर्चा की, और इस लोकतंत्र को मजबूत करने में, इस मंदिरके अंदर उन्होंने अपनी भूमिका निभाई. एक आग्रह जरूर नेता जी मैं विषय से हटकर करूंगा कियह जो अपना मंदिर है इसकी गरिमा खंडित न हो, इसकी चिंता हमारी और आपकी सबकी होना चाहिए, वास्तविकता यही है कि हमें ताकत यहां से (आसंदी) मिलती है, चाहे वह इस पक्ष के लोग हों या इस पक्ष के ,लोग हों, या निर्दलीय या निष्पक्ष लोग हों, या तीसरे दल के लोग हों हर व्यक्ति को ताकत आसंदी से मिलती है. यह वह स्थान है यह वह मंदिर है कि यहां से हम सब उर्जित होने के बाद जनता के बीच में जाते हैं और इसी प्रकाश को हम पूरे प्रदेश में फैलाने की एक सफल कोशिश करते हैं. इसकी गरिमा अगर कहीं खण्डित हो तो वह पीड़ा हम सबके अंदर दिखाई देनी चाहिए. कोई एप्रिन पहनकर आए, कोई कमण्डल लेकर आए या कोई और कुछ करके आए, इस पर रोक लगनी चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे एक विनम्र प्रार्थना भी करूंगा कि विश्व के अंदर संसदीय परम्पराओं के बहुत अच्छे उदाहरण भी हैं. एक बार एक ऐसा वर्ग भी होना चाहिए कि इन लोगों ने अपने उच्च मापदण्ड स्थापित करते हुए लोकतंत्र को कैसे मजबूत किया, अगर हो सके तो इस तरह की कोई न कोई पहल हमें करनी चाहिए जो बाकी के प्रदेशों के लिए, देश के लिए एक नजीर बनेगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय रामनिवास जी चले गए, हालांकि उन्होंने भी बहुत भाग लिया. मेरे से एक मेरा सदस्य कह रहा था कि श्री सुंदरलाल तिवारी जी का नामकरण व्यवधान पुरुष में कर दिया जाए. मैंने उन्हें डांटा, मैंने कहा कि नहीं, तिवारी जी के कारण सदन की सुंदरता है और इसीलिए तो ब्यूटीरेड तिवारी हैं, सुंदरलाल तिवारी हैं. ब्यूटी भी हैं, रेड भी हैं और तिवारी भी हैं. वास्तव में उन्होंने भरसक कोशिश की कि अनेकानेक विषयों को इस सदन में उठाया जाए. मैं सभापति तालिका के निर्भय पटेल जी का भी, माफ करें, मनोज पटेल जी का, चाचाजी का नाम याद रहता है क्योंकि मैं उनके साथ लंबे समय तक सदन में रहा हूँ, मनोज पटेल जी ने भी आकर शोभा बढ़ाई और वह दृष्य मैंने अपनी आंखों से निहारा, मैं उनको निहारता भी हूँ, चूँकि मैं उनके पिताजी के साथ रहा हूँ, मन आनंदित और पुलकित होता है. मैंने उनसे पूछा भी था कि जब ऊपर बैठते हैं तो नीचे के लोग कैसे दिखाई देते हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- उनमें पिताजी का चेहरा दिखता है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से उनमें माननीय निर्भय सिंह जी का चेहरा हमें प्रतिबिंबित होता है, हमें उनकी वर्किंग मनोज के अंदर दिखाई देती है. मैं परमपिता परमात्मा से प्रार्थना भी करूंगा कि उनका भविष्य उज्ज्वल हो, सुनहरा हो.
अध्यक्ष महोदय, यहां पर प्रिंट और इलैक्ट्रानिक मीडिया के जो बंधु हैं, हम उनका भी आभार व्यक्त करेंगे क्योंकि उनके कारण ही पक्ष और विपक्ष की बातें, सरकार की जनहितैषी नीतियां आम जनता तक पहुँचती हैं और विपक्ष के सुझाव और आलोचना, दोनों चीजें भी आमजन तक पहुँचती हैं. वे भी लंबे समय तक बैठते हैं. मैं विधानसभा सचिवालय का भी आभार व्यक्त करना चाहूंगा कि हमारे विधान सभा सचिवालय के लोग देर-देर तक, रात में जब हम सब लोग यहां से चले जाते हैं, कई बार तब उनका काम शुरू होता है वह भी अगले कल के लिए. दूसरे दिन की तैयारी के लिए वे आज की रात में काम करते हैं. श्री ए.पी. सिंह जी और उनकी पूरी की पूरी टीम का भी मैं आभार व्यक्त करना चाहता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सुरक्षा में तैनात जो लोग हैं चाहे वे सचिवालय से जुड़े हों या बाहर के जो पुलिस फोर्स के लोग आते हैं, उनका भी आभार व्यक्त करना चाहता हूँ. मैं इस बार एक उल्लेख जरूर करना चाहता हूँ कि हमारे साथ सदन में लंबे समय तक हमारे सत्यदेव कटारे जी रहे और इस बार हमने उनको अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि दी है, विनम्र श्रद्धांजलि दी है, उनकी कमी हमें इस बार खली और नेता प्रतिपक्ष के रूप में वे हमारे बीच नहीं रहे, मैं उनका भी आभार व्यक्त करना चाहता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सब जानते हैं कि यह सदन डिबेट, डिस्कशन, डॉयरेक्शन, डिसीजन, डिमांड, इन सब चीजों के माध्यम से चलता है. एक बात जो मुझे नहीं कहना चाहिए पर अगर मैं नहीं कहूंगा तो मुझे लगेगा कि मैंने उस बात को कहा नहीं, कभी-कभी उच्छृंखलता या हमारी बात इसलिए बढ़ा-चढ़ाकर भी व्यक्ति पेश करता है कि अच्छे डिस्कशन को समाचार में स्थान कम मिल पाता है और उच्छृंखलता को ज्यादा स्थान मिलता है. यह मेरे मन में इसलिए आया कि इसके कारण से भी हमारी विधानसभाओं में यह चीज कहीं बढ़ तो नहीं रही है. इस बारे में भी अगर कभी डिस्कशन हो तो मैं समझता हूँ कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए हम और सार्थक और सफल प्रयास करेंगे. अंत में माननीय उपाध्यक्ष जी, बाला बच्चन जी, तिवारी जी, अगर कोई गलती हुई हो तो मैं सत्ता पक्ष की ओर से क्षमाप्रार्थी रहता हूँ-
अनजाने में बिन चाहे ही भूल कोई हो सकती है,
जीवन के कुछ क्रूर पलों में बुद्धि हमारी सो सकती है,
ऐसे ही अनजान पलों की भूल हमारी माफ करें,
क्षमादान देकर हमको नई ऊर्जा प्रदान करें,
बहुत-बहुत आभार, धन्यवाद.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह चौदहवीं विधानसभा का शीतकालीन सत्र समाप्ति की ओर है और इस 5 दिवसीय बैठक में कितने काम हुए हैं उसका उल्लेख आपने आसंदी से किया है और आपका संरक्षण जो हमें मिला है आपका और माननीय उपाध्यक्ष जी का, वह तो मैं बाद में बोलूंगा ही माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके पहले मैं बताना चाहता हॅूं कि जितना सत्र चलेगा, उतना बिजनेस होगा. 5 दिन में अच्छा सत्र चला और अच्छा बिजनेस हुआ उसके लिए आप दोनों ने माननीय अध्यक्ष जी ने और माननीय उपाध्यक्ष जी ने अच्छे से कार्यवाही को मूर्त रूप दिया और सभी इस सदन के विधायक साथियों को अपनी बात रखने का अच्छे से अवसर भी मिला. चूंकि हम इस बात को जानते हैं कि हम सभी इस सदन के सदस्य जो हैं प्रदेश की जनता के द्वारा चुनकर, उनके जनप्रतिनिधियों के रूप में हम इस सदन में आते हैं और प्रदेश की यह सर्वोच्च संस्था है जिसके हम सदस्य हैं और वह जनता जो हमको चुनकर भेजती है उनकी बात को हम यहीं रख सकते हैं यहीं रखने का यह फोरम है तो हम सब चुने हुए जनप्रतिनिधियों से भी जनता यह उम्मीद करती है कि हमारा विधायक हमारी इस बात को माननीय मुख्यमंत्री जी के सामने रखेंगे जिससे कि हमें जो न्याय नहीं मिल पा रहा है जो एक पकड़ नहीं बन पा रही है, यह तंत्र सुन नहीं पा रहा है वे बड़ी उम्मीद करते हैं और जनता भी सत्र का इंतजार करती है और हम विधायकगण भी इंतजार करते हैं कि सत्र आएगा, हमारी बात उठेगी और उसके बाद हमारा दबाव सरकार पर बनेगा और हमारा काम होगा, तो माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी मैं समझता हॅूं कि अगर सत्र का थोड़ा और समय बढ़ेगा तो निश्चित ही इसकी सार्थकता, चर्चा की और बेहतर होगी और अच्छे दूरगामी परिणाम आयेंगे. सत्र चलता है तो सरकार को भी फीडबैक मिलता है, जनता की परेशानियॉं और दिक्कतें और मुद्दों का भी निराकरण होता है, समस्याओं का समाधान भी होता है और उसके बाद सरकार को भी और माननीय मुख्यमंत्री जी को भी विधायकों के रूप में फीडबैक मिलता है जो जनता से हम लोग लेकर आते हैं, वो भी मिलेगा. सरकार की तंत्र पर पकड़ और फीडबैक चेकिंग का फोरम भी यही है तो माननीय अध्यक्ष महोदय, जितना आप प्रयास कर रहे हैं वह ठीक है लेकिन और थोड़ा सत्र यदि बढ़ता है तो और बिजनेस निपटेगा. जहां तक छोटी-सी मेरी जानकारी में है कि पिछले कुछ सत्रों के और इस सत्र के भी कुछ प्रश्नों के उत्तर आना शेष रह गये हैं. माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी शून्यकालों के कुछ उत्तर आना शेष रह गये हैं. कुछ आश्वासनों पर कार्यवाही पेंडिंग है वह भी काम निपट सकता है. विभागों के प्रतिवेदन बाकी हैं उन पर भी चर्चा कराई जा सकती है लेकिन फिर भी आप हमारी बात को सुनते हैं, तवज्जों और महत्व देते हैं और जब कभी भी कोई-सा भी क्षण अगर कैसा-भी क्षण रहा हो, आप मुस्कुराते रहे हैं अभी भी आप मुस्कुरा रहे हैं तो इससे और हमारा संबल बढ़ता है. हमारी ताकत और बढ़ती है इससे हमें लगता है कि आसंदी हमारे साथ है और आसंदी जरूर सरकार को मजबूर करेगी वह आप भी करते हैं और माननीय उपाध्यक्ष जी भी करते हैं. वे पूरे सदन के विधायकों के लिए और विशेषकर हम लोग जो विपक्ष में बैठे हैं हमारी हौसला अफजाई के लिए आपकी और उपाध्यक्ष जी की मुस्कुराहट बहुत जरूरी है जो आप समय-समय पर हमें यह सब आशीर्वाद देते रहते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे लिए और मेरे दल के लिए यह बहुत अच्छी बात है तो सुचारू रूप से और ठीक ढंग से विधानसभा सत्र की कार्यवाही को मूर्त रूप देने के लिए मैं मेरी तरफ से, मेरे दल की तरफ से भी आपका मैं धन्यवाद अदा करता हॅूं और माननीय विधानसभा उपाध्यक्ष जी का भी धन्यवाद अदा करता हॅूं कि जो भी आपने उनको जिम्मेदारी, जिस भी परिस्थिति में सत्र के दौरान चलने वाली कार्यवाही के समय जो दी, उन्होंने बराबर वहां बैठकर उसको मूर्त रूप दिया और सफलतापूर्वक सत्र को निकालकर लेकर गए और जिस तरह से अभी आदरणीय संसदीय कार्यमंत्री जी शेरो-शायरी की बात बोल रहे थे वैसे ही अगर मझधार में कहीं भी अगर कार्यवाही फंसी हुई या उलझी हुई दिखी तो आपकी अनुपस्थिति में उन्होंने भी बराबर समर्थन किया है. चाहे हमारे विपक्ष के उपाध्यक्ष होने के नाते अगर सत्ता पक्ष के विधायक साथियों को भी यदि संरक्षण देने की बात आई तो बराबर उन्होंने सरकार से जवाब दिलवाने के लिए सदन के किसी भी पक्ष के विधायक साथियों की तरफ से बात आई तो हमारे उपाध्यक्ष महोदय ने सहयोग दिया, ठीक ढंग से कार्यवाही को कराकर बिजनेस को मूर्त रूप दिया है उसके लिए उपाध्यक्ष महोदय को हम धन्यवाद देते हैं, मैं मेरी तरफ से, मेरे दल की तरफ से धन्यवाद देता हूं. जहाँ तक आदरणीय सदन के नेता मुख्यमंत्री जी की बात आती है, उन्होंने हमको समय दिया, हम लोगों को सुना, हमारे स्थगन को स्वीकार किया, उस पर चर्चा कराई उसके लिए मैं उनको धन्यवाद देता हूं. पांच दिन की विधानसभा में समय-समय पर वह निरंतर आते रहे और जैसे आज भी नमामि देवी नर्मदे कार्यक्रम के लिए उनका वक्तव्य था, उसमें उन्होंने हम लोगों को आश्वस्त किया है कि मुझसे जो बनेगा, मुझे जो फीडबैक मिलेगा मैं उस पर कार्यवाही करूंगा. आदरणीय ने हमको आश्वस्त किया है और हम भी यही चाहते हैं कि विपक्ष के नाते हमारा एक धर्म है जो मध्यप्रदेश की विधानसभा में, जनता ने हमको चुनकर भेजा है, उसका ठीक ढंग से हम निर्वहन करें और कहीं अनियंत्रित मामला यदि सरकार का, तंत्र का हो रहा है तो वह ट्रेक पर आए और तंत्र में कसावट आए और प्रदेश की जनता के काम हो, हमारा भी केवल यही एक सोच रहता है और उसी पर हम काम करने की हमारी कार्यशैली और विचारों को हम रखते हैं, जिससे कि ठीक ढंग से सारी चीजें मध्यप्रदेश की जनता को सरकार की तरफ से मिले तो माननीय मुख्यमंत्री जी का भी मैं धन्यवाद करता हूं, आभार व्यक्त करता हूं. माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी का तो क्या कहना. कैसी भी परिस्थिति रही हो,आपने हाउस के दोनों पक्षों के बीच में कोर्डीनेशन समन्वय बनाने का काम किया है और इस बात की आपकी जो कोशिश रही है कि हाउस चले और जितना बिजनेस हो वह निपटे भी, इसके लिए आपने जो सांमजस्य और समन्वय बनाने का प्रयास किया और भी बहुत सारी बातें हैं, जिनके लिए मैं उनको धन्यवाद देता हूं. मैंने जो आग्रह किया है उसको आने वाले सत्रों में ध्यान रखेंगे तो ज्यादा बैटर होगा. ऐसे ही हमारे बहुत सारे मंत्रीगण हैं,जिन्होंने विधायक साथियो के प्रश्नों के जवाब में उनका ध्यान रखा, कुछ मंत्रियों ने अधिकारियों को दंडित भी किया है, ऐसे में मैं मंत्रीगणों का भी आभार व्यक्त करता हूं. वैसे श्री गोपाल भार्गव जी हमेशा बहुत अधिक उपस्थिति सदन में देते हैं, हमने देखा है, वह उपस्थित रहते हैं, हमको सुनते भी हैं और जितना प्रयास वह हम लोगों के लिए कर सकते हैं वह करते हैं. वह भी हमारे लिए अच्छी बात है. राजस्व मंत्री जी, सामान्य प्रशासन मंत्री जी, ऊर्जा मंत्री जी, चिकित्सा शिक्षा मंत्री हैं, यह सब जो बैठे हैं यह हमारी बात सुन रहे हैं और इन सबसे मुझे आगे के लिए विश्वास है कि हमारे विधायक साथियों की बात को सुनकर हमारे प्रश्नों का जवाब वह देंगे और उस पर कार्यवाही करेंगे. मैं मंत्रीगणों का भी आभार व्यक्त करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भी बिल्कुल सच है कि हमारी पार्टी के मुख्य सचेतक श्री रामनिवास रावत जी हैं, अभी वह हमको बोलकर चले गये हैं, कुछ कारणवश उनको जाना पड़ा, लेकिन हमेशा वह तत्पर और तैयार रहते हैं और हर चीज पर नजर रखते हैं कि ठीक ढंग हम लोगों का परफार्मेंस भी हो और हम अच्छे से अपनी बात को रखे, वह हमेशा हम लोगों को मोटिवेट करते रहते हैं और उसके बाद पार्टी के सभी विधायकों को जैसी जरूरत समय-समय पर पड़ती है वह सलाह भी देते रहते हैं, उनका भी बहुत अच्छा सहयोग हम सबको इस हाउस को चलाने के लिए रहा है, मैं उनका भी धन्यवाद करता हूं.मैं सदन के कांग्रेस पार्टी,सत्ता पक्ष और बीएसपी के सभी विधायकों साथियों का भी धन्यवाद करता हूं. विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव, सचिव और उनके संपूर्ण स्टाफ का मैं आभार व्यक्त करता हूं, बराबर हमारे प्रमुख सचिव और सचिव और सचिवालय का सभी स्टाफ खूब बढ़िया एक्टिव रहता है और जिस सहयोग की, जिन चीजों की जरूरत पड़ती है उसके लिए बिल्कुल तत्पर और तैयार रहते हैं. मैं प्रमुख सचिव और सचिव के साथ ही विधानसभा सचिवालय के संपूर्ण स्टाफ का भी धन्यवाद करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यहाँ जो घटित होता है, यहाँ जो डिस्कशन,डिबेट, चर्चायें होती हैं वह केवल यही तक सीमित न रह जाये इसका प्रचार-प्रसार पूरे मध्यप्रदेश के अंतिम पंक्ति के व्यक्तियों तक पहुंचाने के लिए हमारे जो मीडिया के साथी हैं, पत्रकार भाई हैं वह बखूबी अपने रोल को अदा करते हैं और यहां जो होता है वह मध्यप्रदेश के हरेक क्षेत्र में पहुंचाते हैं. उनकी लेखनी से, प्रिंट मीडिया से, इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से, मैं उनको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. मेरी तरफ से भी और मेरे दल की तरफ से सभी साथियों की तरफ से हम लोगों ने जो भी मुद्दे उठाएं हैं उन मुद्दों को काफी हाइलाइट किया है. उनका बहुत धन्यवाद. जो हमारी सुरक्षा मे लगे हैं उन सभी का भी धन्यवाद और आभार व्यक्त करता हूं. विशेषकर मध्यप्रदेश विधान सभा के समस्त स्टॉफ के अलावा जो भी सत्र के दौरान विशेष सेवाएं जो देते हैं उन सबका भी मैं आभार और धन्यवाद करता हूं. एक अंतिम बात कहकर अपनी बात समाप्त करता हूं मैंने पिछली बार भी सत्र की कार्यवाही का लाइव प्रसारण करने का अनुरोध किया था और अभी भी मेरा अनुरोध है कि यह प्रसारण होना चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो शीतकालीन सत्र समाप्ति की ओर है इसके लिए मैं सबको धन्यवाद देता हूं और हम से भी कोई चूक हो गई हो और मुझ से भी ऐसा कोई कृत्य हो गया हो तो उसके लिए मैं क्षमा चाहता हूं, धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) —माननीय अध्यक्ष महोदय, सत्रावसान के पश्चात् जो धन्यवाद और आभार देने की परम्परा है उसमें मैं भी शामिल होना चाहता हूं. यह सत्र काफी छोटा था लेकिन आपने कई नवाचार का प्रयोग यहां पर किया. ऑनलाइन व्यवस्था, केशलेश व्यवस्था कैसे हो कल उसका ट्रेनिंग प्रोग्राम था दुर्भाग्य से मैं नहीं आ सका चूंकि मुझे दूसरी जगह जाना था नि:संदेह आपकी कार्यकुशलता, आपकी विद्वता, आपकी सरलता और निष्पक्षता यह हम सबको प्रभावित करती है. सभी माननीय सदस्य अपनी बात कहने के लिए नियम और प्रक्रियाओं के अंतर्गत ही आपके आसंदी पर बैठे होने से स्वतंत्र महसूस करते हैं यह बड़ी स्वस्थ परम्परा मध्यप्रदेश विधान सभा की बनी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह वाद- विवाद का मंच है और सहमति असहमति स्वाभाविक है और मुझे स्मरण आ रहा है कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज पधारे थे आपने उनको यहां निमंत्रित किया था तो उन्होंने अपने उद्बबोधन में इस बात का जिक्र किया था कि लोकतंत्र वह चिडि़या है जिसका एक पंख सत्ता है और दूसरा पंख उसका विपक्ष है. एक भी पंख अगर काम नहीं करेगा या खराब हो जाएगा तो लोकतंत्र की चिडि़या वह उड़ान आसमान तक नहीं ले सकती दोनों पक्षों की जरुरत पड़ती है. कभी-कभी यह बातें सुनाई देती हैं कि अमुक दल मुक्त भारत हो जाए मैं समझता हूं यह मेरे अपने विवेकानुसार लोकतंत्र में उचित नहीं है. हम मजबूत रहें दूसरा कमजोर रहें यह तो स्वाभावित है. लोकतंत्र को मजबूत रखने के लिए यह दोनों ही पक्ष कायम रहने चाहिए और फंग्शनल रहने चाहिए. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी का आज हमने दार्शनिक पक्ष भी देखा. कवि हृदय भी हैं, शायर भी हैं, उनका बहुआयामी व्यक्तित्व है. यह हम सबने देखा है. उनका भी मैं आभार व्यक्त करता हूँ जिस शालीनता से सदन चलाने में वे तत्पर रहते हैं, सहयोग देते हैं उनकी हमेशा उपस्थिति रहती है. माननीय मुख्यमंत्री जी इस वक्त सदन में नहीं हैं लेकिन आज आए थे और उन्होंने एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम जो माता नर्मदा से पर्यावरण से संबंधित है की घोषणा की. माता नर्मदा मध्यप्रदेश की जीवनरेखा है. नमादि देवी नर्मदे कार्यक्रम की उन्होंने यहां घोषणा की. मुख्यमंत्री जी समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति से संबंध जोड़े हुए हैं और यही उनकी ताकत है. उनका लोकतंत्र में, संसदीय परम्पराओं में विश्वास है. उनमें सरलता, सहजता है. मैं उनका आभारी हूँ उनको धन्यवाद देता हूं.
माननीय प्रभारी नेता प्रतिपक्ष बाला जी बच्चन बड़े सरल व्यक्ति हैं और प्रभावी ढंग से अपनी भूमिका का निर्वहन करते हैं. उनका होमवर्क बहुत अच्छा है. वे आंकड़े और जानकारियां लेकर आते हैं और प्रभावी ढंग से उन चीजों को यहां पर रखते हैं. हमें नेता प्रतिपक्ष की कमी महसूस नहीं होती है. ईश्वर करे आगे उनका प्रमोशन हो जाए.
मैं, सभी माननीय मंत्रियों, सभी माननीय विधायकों को भी धन्यवाद देता हूँ उनका भी आभार व्यक्त करता हूँ. सभी ने यथाउचित अपना योगदान दिया. मध्यप्रदेश की विधान सभा का गौरव बना रहे इस दिशा में सबका सार्थक प्रयास था.
अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रमुख सचिव जी और उनकी पूरी टीम और सचिवालय के जितने अधिकारी हैं, कर्मचारी हैं सत्र चलने पर रात-दिन उन्हें काम करना पड़ता है. वे भी धन्यवाद के पात्र हैं उनका भी मैं आभारी हूँ.
अध्यक्ष महोदय, हमारे सुरक्षाकर्मी और बाहर से आए पुलिसकर्मी जो सुरक्षा में निरन्तर लगे रहते हैं उनका भी मैं धन्यवाद अदा करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हमारे मीडिया के साथी, प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया जिनके बिना यहां हुई अच्छी से अच्छी बहस जनता के बीच चर्चा के लिए नहीं जा सकती है. वे हमेशा सजग रहते हैं और महत्वपूर्ण चीजें निश्चित ही रिपोर्ट करते हैं, उनका भी मैं आभारी हूं धन्यवाद देता हूं. मैं अपनी बात खत्म करने के पहले चूंकि संसदीय कार्य मंत्री जी ने आज बड़े विस्तार से खुले दिल से अपनी बातें कहीं, बहुत ज्यादा कुछ कहने के लिए बचता नहीं है लेकिन एक बात मैं जरुर कहूंगा और उन्होंने इशारा भी किया कि यह जो आसंदी है इससे हमें शक्ति प्राप्त होती है. यह जो प्रजातंत्र का मंदिर है यह जनता की ताकत है और जनता की ही ताकत यहां प्रतिबिंबित होती है. सभी माननीय विधायकों की शक्ति आसंदी से संनिहित है आसंदी से उन्हें शक्ति मिलती है और हम सब मिलकर आसंदी को शक्ति देते हैं. माननीय मंत्रियों को तो कार्यपालिक अधिकार भी हैं लेकिन जो विधायक हैं चाहे वे सत्तापक्ष के हों या विपक्ष के हों उनको संरक्षण और शक्ति आसंदी से मिलती है. शायद इसीलिए आसंदी का आकार भी बहुत बड़ा है. हम लोग जिन सीटों पर बैठते हैं उन सीटों को देख लें और आसंदी को देख लें. आसंदी की कुर्सी भी गगनचुंबी है.इस आसंदी की शक्ति को कमजोर न होने दें. यह हम सब का लक्ष्य और प्रयास होना चाहिये. कभी-कभी ऐसे अवसर आते हैं, जब सदन में गर्मी हो जाती है. आसंदी की तरफ नहीं देखते हैं, सीधे वाद-विवाद करने लगते हैं . यह नियम में तो नहीं है, लेकिन जब गर्मी होती है तो नियम कभी-कभी स्वयं आदमी शिथिल कर लेता है और उनको शिथिल मान लेना चाहिये. बावजूद इसके हम सब हमेशा ध्यान रखें कि हमारी ताकत आसंदी है और आसंदी से ही हम सबको ताकत मिलती है और लोकतंत्र में सबसे महत्वपूर्ण संस्था जो है वह विधायिका होती है, चाहे लोकसभा हो या विधानसभा हो, न्यायपालिका अपनी जगह है, लेकिन उसका भी गठन यहीं से होता है. यानि सबकी '' मदर ऑफ ऑल इंस्टीट्यूशन इज दिस हाऊस'' आनरेबल अध्यक्ष जी, इसकी गरिमा कम न हो, यह हमेशा हमको ध्यान रखना चाहिये. अंत में, मैं सभी माननीय उपस्थित सदस्यों का और विशेषकर आपका बहुत-बहुत आभारी हूं, धन्यवाद देता हूं. इसी तरह से अपने सदन, मध्यप्रदेश की जो विधान सभा है इसकी मर्यादा, इसका नाम और इसका झण्डा भारत में बुलन्द रहे, यही मेरी कामना है, धन्यवाद्.
राष्ट्रगान '' जनगणमन'' का समूहगान
अध्यक्ष महोदय:- अब राष्ट्रगान होगा.
(सदन में राष्ट्रगान '' जनगणमन'' का समूहगान सम्पन्न हुआ)
सदन की कार्यवाही का अनिश्चितकाल के लिये स्थगन
अध्यक्ष महोदय - विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित. अपराह्न 6.33 बजे विधान सभा की कार्यवाही अनिश्चिकाल के लिये स्थगित.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 9 दिसम्बर, 2016 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा