मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा नवम सत्र
दिसम्बर, 2015 सत्र
बुधवार, दिनांक 09 दिसम्बर, 2015
(18 अग्रहायण, शक संवत् 1937)
[खण्ड- 9 ] [अंक- 3 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 09 दिसम्बर, 2015
(18 अग्रहायण, शक संवत् 1937)
विधान सभा पूर्वाह्न 10.33 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
हार्टीकल्चर हब की स्थापना
1. ( *क्र. 615 ) श्री राजकुमार मेव : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या महेश्वर विधानसभा क्षेत्र में भ्रमण के दौरान दिनाँक 29.06.2012 को माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा कृषि को लाभ का धंधा बनाने हेतु हार्टीकल्चर हब की स्थापना किये जाने हेतु घोषणा की गई थी? (ख) यदि हाँ, तो घोषणा के क्रियान्वयन हेतु विभाग द्वारा कब-कब एवं क्या-क्या पत्राचार किया गया तथा वर्तमान में कार्यवाही किस स्तर पर लंबित है? (ग) क्या घोषणा के क्रियान्वयन में काफी विलम्ब हुआ है? यदि हाँ, तो किन कारणों से किस स्तर पर किनके द्वारा, तत्संबंध में क्या कार्यवाही की गई? (घ) माननीय मुख्यमंत्रीजी की घोषणा के अनुरूप महेश्वर विधान सभा में हार्टीकल्चर हब कब तक कार्यरूप में परिणित होगा एवं इसका लाभ किसानों को कब से मिलना प्रारंभ होगा?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जी हाँ। (ख) माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के बाद भारत सरकार ने खरगौन जिले में ही निगरानी में मेगा फूड पार्क की स्वीकृति प्रदान की है जिस पर कार्य चल रहा है। एक जिले में दो एक जैसी इकाइयां चलने की संभावना नहीं होने से महेश्वर विधानसभा क्षेत्र में हार्टीकल्चर हब स्थापित करने की कार्यवाही को रोक दिया गया है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (घ) प्रश्नांश ’’ख’’ अनुसार।
श्री राजकुमार मेव—अध्यक्ष महोदय, महेश्वर विधान सभा में 29-6-2012 को हार्टीकल्चर हब की स्थापना की घोषणा मुख्यमंत्री जी द्वारा की गई थी. आज मंत्री जी का जो उत्तर आया है उससे में संतुष्ट नहीं हूं. मंत्री जी बता रही हैं कि इस हार्टीकल्टर हब को कहीं ओर ले जाया जा रहा है और जिले में कहीं बनाया जा रहा है, जोकि उचित नहीं है. क्योंकि यह महेश्वर विधान सभा की घोषणा थी. मण्डलेश्वर में जब मुख्यमंत्री जी आए थे तब उन्होंने यह घोषणा की थी तो हार्टीकल्टर हब की स्थापना महेश्वर में ही होनी चाहिए. इससे आम जनता को सुविधा मिलेगी और जो युवा वर्ग बेरोजगार है उसको भी रोजगार मिलेगा,मजदूर वर्ग को रोजगार मिलेगा. पिछली बार भी 29.7.2015 को मैने एक प्रश्न लगाया था और जिसके में उत्तर मंत्री जी ने बताया था कि शीघ्र ही महेश्वर विधान सभा के लाड़वी ग्राम में यह प्रक्रिया जारी है और जल्दी ही हार्टिकल्चर हब की स्थापना कर दी जाएगी, ऐसा उत्तर 2012 में भी मंत्री जी ने दिया था. अब मुझे बताया जा रहा है इसको कहीं ओर स्थापित किया जा रहा है.
(पशुपालन मंत्री) सुश्री कुसुम सिंह महदेले:- अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने 29.6.12 को घोषणा की थी.लेकिन उसके तुरन्त बाद 27.8.12 को भारत सरकार का इंडस मेगा फूड पार्क महेश्वर विधान सभा में आ गया है और लगभग50 करोड़ रूपया उसके मिल गये हैं. उसमें बहुत सारा काम शुरू हो गया है. अब दिक्कत यह है कि अब एक और फूड पार्क खोल लेंगे तो उसकसे लिये जो रॉ मटेरियल है वह हमको नहीं मिलेगा. जो फूड पार्क की माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी यह कई गुना बड़ा है और इसके लिये 127.70 करोड़ रूपये मंजूर हुए हैं और 50 करोड़ रूपये हमको मिल गये है और 50 करोड़ रूपये का काम शुरू हो गया है. इससे 200 लोगों को काम मिलेगा और 10 खाद्य इकाईयां शुरू होगी.
श्री राजकुमार मेव :- अध्यक्ष महोदय, निवेदन है कि महेश्वर विधान सभा की योजना है और इसके लिये लाड़वी पंचायत में जगह भी देख चुके हैं. इसकी मंजूरी भी प्रशासन के द्वारा मिल चुकी है. इसे महेश्वर विधासभा में ही बनाया जाये जिससे जो घोषणा की गयी है वह खरी उतरे.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले:-अध्यक्ष महोदय, इसे महेश्वर विधान सभा में ही इंडस मेगा फूड पार्क बनाया जा रहा है और कहीं नहीं बनाया जा रहा है।
श्री राजकुमार मेव :- अध्यक्ष महोदय, यह कसरावद विधान सभा में बनाया जा रहा है. माननीय मंत्री जी का जवाब है कि माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के बाद भारत सरकार ने खरगोन जिले के पानवा ग्राम कसरावद तहसील में मेगा फूड पार्क की स्वीकृति प्रदान की है. कसरावद विधान सभा में है, आप महेश्वर बता रहे हैं. जबकि यह महेश्वर में नहीं है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले:-माननीय अध्यक्ष महोदय, यह खरगोन जिले में ही है. यह खरगोन जिले के कसवावद विधान सभा में ही है और जो जिला खरगोन ही है और जो रा मटेरियल है आपकी विधान सभा का भी वहीं जाने वाला है, वह कोई दूर नहीं है. यह कोई असुविधा की बात नहीं है, जब हम उससे बड़ा मेगा फूड पार्क दे रहे हैं.
श्री राजकुमार मेव:- अध्यक्ष महोदय, अगर दूर नहीं है तो महेश्वर में ही यह मेगा फूड पार्क बन जाना चाहिये. इसमें क्या दिक्कत है जबकि जमीन भी दे चुके हैं और इसकी स्वीकृति भी हो चुकी है।
सुश्री कुसुम सिंह महदेले:-अध्यक्ष महोदय, इसमें बहुत सारा काम हो चुका है, जो इंडस मेगा फूड पार्क है , माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के बाद 27.8.12 को मेगा इंडस मेगा फूड पार्क भारत सरकार ने दिया है और माननीय प्रधानमंत्री जी भी इसका उदघाटन करने आने वाले हैं. मैं समझती हूं कि इसमें 50 करोड़ रूपये से भी अधिक का काम हो चुका है और इसमें200 लोगों को काम मिलेगा इसलिये विधायक जी को तो प्रसन्न होना चाहिये की उनके जिले में मेगा फूड पार्क आ रहा है.
श्री के.के.श्रीवास्तव :- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि विधान सभा का सत्र जून-जुलाई 2014 मांग संख्या-50 दिनांक 15.7.14 को सदन के अन्दर माननीय मंत्री महोदया के आश्वासन क्रमांक 690 में बुन्देलखण्ड को हार्टिकल्चर हब बनाने का आश्वासन दिया था.
अध्यक्ष महोदय:- यह इस प्रश्न से उद्भूत नहीं होता है.
श्री के.के.श्रीवास्तव :-अध्यक्ष महोदय, यह हार्टिकल्चर हब से ही संबंधित है.
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाईये आपकी बात आ गयी है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले:-अध्यक्ष महोदय, निवेदन करना चाहती हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी से चर्चा कर लूंगी अगर वह सहमत होते हैं तो होगा नहीं तो उससे बड़ा मेगा फूड पार्क आपकी जिले में ही बन रहा है. इनको तो प्रसन्न होना चाहिये कि आपके जिले में मेगा फूड पार्क आ रहा है. बुन्देलखण्ड के बारे में कहना चाहती हूं कि मैं तो खुद बुन्देलखण्ड की ही हूं. मुझे बुन्देलखण्ड की चिंता है उसके लिये प्रयास चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय:- आपके प्रश्न का भी समाधान हो गया है. आपकी बात का कह दिया है कि वह मुख्यमंत्री जी से बात करेंगी.
श्री राजमुमार मेव:- जब पहली बार इन्होंने आश्वासन दिया था तब अखबारों में यह खबर छपी थी जिससे आशाएं और उम्मीदें विधान सभा क्षेत्र की बढ़ गयी थी.
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी ने कहा दिया है कि मुख्यमंत्री जी से बात करेंगी और उसका निर्णय करेंगी.
थाना महिदपुर में दर्ज प्रकरण में कार्यवाही
2. ( *क्र. 259 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) महिदपुर वि.स. क्षेत्र नवलखा बीज कंपनी पर अपराध क्र. 35/15 धारा 420 भादवि 3/7 थाना महिदपुर के संबंध में जिला अभियोजना अधिकारी द्वारा जाँच के क्या बिन्दु निर्धारित किए गए? (ख) इन बिन्दुओं पर कितने व्यक्तियों के बयान लिए गए व कितने शेष है? नाम सहित बतावें। (ग) उपरोक्त जाँच कब तक पूर्ण कर ली जावेगी? (घ) जाँच में विलंब के लिए दोषी अधिकारियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
गृह मंत्री ( श्री बाबूलाल गौर ) : (क) से (घ) प्रकरण की विवेचना पूर्ण होकर अभियोग पत्र क्रमांक 357/15, दि. 19.11.2015 द्वारा जे.एम.एफ.सी. न्यायालय महिदपुर में दिनाँक 23.11.2015 को चालान पेश किया जा चुका है। मामला सब्ज्युडिस है। अतः जानकारी दी जाना संभव नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री बहादुर सिंह चौहान—अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न कृषकों से जुड़ा हुआ है. विधानसभा में आश्वासन के उपरान्त यह कार्रवाई बीज प्रमाणीकरण और बीज कंपनी के खिलाफ की गई. मैंने जैसे ही प्रश्न लगाया कि जिला अभियोजन अधिकारी के निर्देश पर पुलिस क्या क्या कार्रवाई करेगी, तो आनन-फानन में जो धाराएं प्रमुख सचिव, कृषि द्वारा लगायी गई थी, उन्हीं धाराओं में थाना प्रभारी ने चालान पेश कर दिया. अध्यक्ष महोदय, एक लाख तिरपन हजार क्विंटल बीज से जुड़ा हुआ मामला है. 10 प्रतिशत रेंडम जांच करने पर 4 करोड़ 31 लाख रुपये का उसमें गबन पाया गया. यह केवल 10 प्रतिशत में पाया गया जबकि पूरी जांच बाकी है. ये धाराएं पुलिस ने नहीं लगायी है. यह धाराएं प्रमुख सचिव,कृषि ने यहां से लगाकर कलेक्टर, उज्जैन को भेजी थी. मैं आपके माध्यम से सीधा-सीधा कहना चाहता हूं चूंकि बीज प्रमाणीकरण संस्था मध्यप्रदेश शासन का एक उपक्रम है, जो बीज कंपनी को लायसेंस देती है. सिर्फ एक ही व्यक्ति पर, बीज कंपनी के मालिक पर कार्रवाई कर दी गई लेकिन बीज कंपनी के अधिकारी और कर्मचारियों को लाखों रुपये करोड़ों रुपये लेकर उनको बचा लिया गया है. मैं आपके माध्यम से सीधा प्रश्न पूछना चाहता हूं कि क्या माननीय मंत्रीजी भोपाल स्तर से अधिकारियों की उच्च स्तरीय समिति बनाकर बीज प्रमाणीकरण संस्थाओं के विरुद्ध जांच कर कार्रवाई करेंगे?
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र)—अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की पीड़ा वाजिब है. उनके मन में कई शंकाएं और कुशंकाएं हैं. बीज संघ के बारे में वह जांच के लिए कह रहे हैं. चूंकि वर्तमान में जो बीज जहां भी गया होगा, वह बो दिया गया होगा. लेकिन इसके बावजूद भी समिति से जांच कराने की बात है तो हम कृषि विभाग से कहेंगे कि इसकी तत्काल जांच करायें.
श्री बहादुर सिंह चौहान—अध्यक्षजी, मैं मंत्रीजी की बात से संतुष्ट हूं. यह कृषि विभाग का विषय ही नहीं है. यह पुलिस विभाग का मामला है. पुलिस से जुड़ा हुआ मामला है.
डॉ नरोत्तम मिश्र—अध्यक्षजी, पुलिस से करा लेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान—अध्यक्षजी, मैंने मांग की है कि भोपाल स्तर के ईमानदार उच्चस्तरीय...
अध्यक्ष महोदय—आप किससे जांच चाहते हैं?
श्री बहादुर सिंह चौहान—अध्यक्षजी, मैं फिर दोहरा रहा हूं कि 1.53 लाख क्विंटल सोयाबीन बीज का मामला है. मुझे विधानसभा में आश्वासन दिया गया था.
अध्यक्ष महोदय—आपकी बात मंत्रीजी मान रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान—अध्यक्षजी, बीज कंपनी...
अध्यक्ष महोदय—बैठ जायें. निराकरण हो रहा है. कृपया बैठ जायें.इसको हंसी-मजाक में न लें. आप अपनी बात करें, भाषण नहीं दें. आप किससे जांच चाहते हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान—कृषि विभाग से जांच नहीं कराते हुए, भोपाल स्तर से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की समिति बनाकर बीज प्रमाणीकरण संस्था के विरुद्ध एक माह में जांच करवा लेंगे क्या? (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—बैठ जाईये. आप लोग उत्तर ही नहीं आने देंगे तो निराकरण कैसे होगा. आप लोग कोई निराकरण चाहते हैं या नहीं चाहते हैं. बैठ जाईये दिनेश राय जी.
डॉ नरोत्तम मिश्र—अध्यक्षजी,कांग्रेस का प्रसन्न होना इसलिए भी हमको समझ में आ रहा है कि वह तो इस तरह के प्रश्न लगा नहीं पाते. अब स्वाभाविक रुप से पक्ष और विपक्ष की जिम्मेदारी हमारे ही लोग इस समय निभा रहे हैं. सम्मानित सदस्यों की बड़ी हास्यास्पद स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय—उत्तर आने दीजिए.
श्री रामनिवास रावत—आपको आईना दिखाना है. सरकार इस तरह से काम कर रही है. इसमें विपक्ष कहां से आ गया.
अध्यक्ष महोदय—आप बैठेंगे तभी तो उत्तर आयेगा.
डॉ नरोत्तम मिश्र—अध्यक्षजी, उन्होंने कहा है वह पुलिस से जांच चाहते हैं. हम पुलिस से जांच करा लेंगे. भोपाल से किसी को भेजना है, भोपाल से भेज देंगे.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—बैठ जाईये. प्रश्नकर्ता सदस्य को तो बोलने दें. आप संतुष्ट हैं?
श्री बहादुर सिंह चौहान—संतुष्ट हूं. मेरा एक प्रश्न और कि क्या मंत्रीजी इस जांच को एक माह में पूर्ण करवा लेंगे?
अध्यक्ष महोदय—मंत्रीजी, माननीय सदस्य समय-सीमा पूछ रहे हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्र—अध्यक्षजी, अतिशीघ्र करा लेंगे.
चरनोई भूमि से अतिक्रमण हटाया जाकर कार्यवाही बाबत्
3. ( *क्र. 422 ) श्रीमती शकुन्तला खटीक : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या ग्राम खडीचा पटवारी हल्का नं. 49 तहसील नरवर, जिला शिवपुरी में चरनोई भूमि सर्वे क्रमांक 1939 में से लगभग 10 से 12 हे. पर श्री कप्तान, शिशुपाल, राजेन्द्र, मनोज पुत्रगण हरीराम खंगार एवं हरीराम पुत्र स्व. पहलू खंगार एवं दिनेश पुत्र रामकिशन परिहार के द्वारा पटवारी से मिलकर अवैध रूप से काबिज होकर खेती की जा रही है व अतिक्रमण में स्थानीय पटवारी अरविंद परिहार भी अप्रत्यक्ष रूप से शामिल है? (ख) यदि हाँ, तो क्या उपरोक्त चरनोई भूमि पर अतिक्रमित व्यक्तियों को हटाकर (वंचित किया जाकर) उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की जावेगी? यदि हां, तो कब तक?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) ग्राम खडीचा के शासकीय सर्वे क्रमांक-1939 की भूमि पर ग्राम के कृषक कप्तान, शिशुपाल, राजेन्द्र, मनोज पुत्रगण हरीराम एवं हरीराम पुत्र पहलू खंगार एवं दिनेश पुत्र रामकिशन परिहार के द्वारा अतिक्रमण किया जाना पाया गया है। सभी अतिक्रामकों के विरूद्ध प्रकरण क्रमांक-08/15-16/अ-68 दर्ज किया जाकर न्यायालयीन प्रक्रियानुसार अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की जा रही है। (ख) उत्तरांश ‘‘क‘‘ अनुसार अतिक्रामकों के विरूद्ध न्यायालयीन प्रकरण दर्ज कर, विधि अनुसार कार्यवाही की जा रही है। अतिक्रमण हटाना सतत् गतिशील न्यायालयीन प्रक्रिया है। अतः निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्रीमती शकुंतला खटीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न “क” के उत्तर में अतिक्रमण होना स्वीकार किया है, लेकिन कितनी भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, स्थानीय पटवारी के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई है, यह नहीं बताया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय मैं माननीय मंत्री महोदय से अनुरोध करती हूं कि करीब 50 बीघा चरनोई भूमि पर अतिक्रमण कर दिनदहाड़े खेती की जा रही है, स्थानीय पटवारी की देखरेख में खेती की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय-- आप उत्तर ले लीजिये.
श्रीमती शकुंतला खटीक-- दोषियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की गई तो इसी तरह अतिक्रमण होते रहेंगे और पशुओं की चरनोई भूमि भी नहीं बचेगी.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया आप बैठ जायें, मत पढि़ये आप, एलाऊ नहीं है पढ़ना.
श्रीमती शकुंतला खटीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सभी लोग पढ़कर सुनाते हैं. सभी लोग कहते हैं ऐसे ही ....(हंसी)
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये, उत्तर ले लीजिये आपका. आपके प्रश्न पर कार्यवाही हो रही है, माननीय मंत्री जी.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायिका जी ने जो प्रश्न किया है, अतिक्रमण का, उसमें बेदखली के आदेश जारी कर दिये गये हैं और इसमें जिस पटवारी का उल्लेख किया है कि वह संलिप्त है तो उसको भी निलंबित कर देंगे.
श्रीमती शकुंतला खटीक-- यह मामला गंभीर है माननीय अध्यक्ष महोदय, जिससे आगे इस तरह से अतिक्रमण करने पर रोक लग सके ।
श्री रामनिवास रावत-- आदेश का पालन कब तक हो जायेगा, आदेश कब जारी किये गये और अभी तक पालन नहीं हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- कार्यवाही कर रहे हैं वह.
श्री रामनिवास रावत-- बेदखली के आदेश जारी कर दिये गये हैं, आदेश का पालन कब तक हो जायेगा, यह और बता दें.
श्रीमती शकुंतला खटीक-- इसकी समय सीमा बतायें मंत्री जी.
श्री रामपाल सिंह-- आज ही आदेश जारी हो जायेगा. बेदखली के बाद सिविल जेल की कार्यवाही भी करेंगे.
श्रीमती शकुंतला खटीक-- धन्यवाद मंत्री जी.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय-- पहले धन्यवाद तो दे दें आप.
श्री रामनिवास रावत-- मैं धन्यवाद तो दे दूंगा पर आप शब्द सुन लें. पहले कहा था कि बेदखली का आदेश जारी हो गया है, और अभी उत्तर में कह रहे हैं कि आज ही आदेश जारी हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय-- निलंबन का. आपने सुना नहीं ठीक से.
श्री रामनिवास रावत-- पटवारी का निलंबन.
डॉ. गोविंद सिंह-- अध्यक्ष महोदय, राजस्व विभाग के जवाब नहीं आ रहे हैं, 60-70 प्रतिशत प्रश्नों में जानकारी एकत्रित की जा रही है कह देते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- सभी के उत्तर आ गये हैं, आपने पढ़ा ही नहीं.
डॉ. गोविंद सिंह-- आते ही नहीं, खासकर जिसमें लोग भ्रष्टाचार में फंस रहे हैं वह जवाब तो आते ही नहीं, आपकी विधानसभा को गुमराह किया, मैंने आपको एक पत्र लिखा है, विधानसभा को गलत कहा कि मैंने जानकारी भेज दी है.
भूमि के सीमांकन पर रोक
4. ( *क्र. 570 ) श्री तरूण भनोत : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता ने अपने पत्र क्रं. 3216, 3215, दिनाँक 1.10.015 को मोजा रामपुर नं. बंदोबस्त 1 पटवारी ह.नं. 9 ख.क्रं. 65/1 एवं 65/2 रकवा 1.169 भूमि के सीमांकन आदेश को जनहित हेतु रोक लगवाने के संबंध में कमिश्नर जबलपुर संभाग एवं कलेक्टर जबलपुर को पत्र लेख किया था? (ख) यदि हाँ, तो उक्त पत्र के तारतम्य में जिला प्रशासन जबलपुर द्वारा क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या श्रीमति संगीता डोडानी उपाध्यक्ष पुरूषार्थी को-आपरेटिव हाउसिंग सोसाईटी आदर्श नगर, नर्मदा रोड जबलपुर द्वारा मय अभिलेखों को प्रस्तुत कर वर्णित (क) की भूमि को विवाद से बचाने एवं जनहित हेतु सीमांकन पर रोक लगवाने हेतु जिला प्रशासन को पत्र लेख किया था किंतु आज दिनाँक तक सीमांकन रोक संबंधी कोई कार्यवाही नहीं की गई? (घ) यदि वर्णित (क), (ग) सत्य है तो जिला प्रशासन द्वारा उक्त सीमांकन पर रोक लगवाने हेतु क्या कार्यवाही की गई?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। यह सही है कि प्रश्नकर्ता मा. विधायक श्री तरूण भनोत द्वारा अपने पत्र क्रमांक 3215 दिनाँक 01.10.2015 को मौजा रामपुर प.ह.नं. 9 के खसरा नम्बर 65/1 एवं 65/2 रकवा 1.169 हेक्ट. भूमि के सीमांकन आदेश को जनहित हेतु रोक लगाने के संबंध में कलेक्टर जबलपुर को पत्र लेख किया गया है। (ख) जिला प्रशासन द्वारा तहसीलदार गोरखपुर को कार्यवाही हेतु पत्र प्रेषित किया गया है। तहसीलदार के न्यायालय में तत्संबंध में कार्यवाही प्रचलित है। सीमांकन में आपत्ति प्राप्त होने पर आपत्ति का निराकरण हेतु प्रकरण नियत है। (ग) जी हाँ। सीमांकन का प्रकरण तहसीदार के न्यायालय में लंबित है जिसमें आपत्ति के निराकरण उपरांत नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी। (घ) कार्यवाही प्रचलन में है।
श्री तरूण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके आदेश के बावजूद भी यह बात देखने में आती है कि जनप्रतिनिधि अगर कोई जनता से जुड़ी हुई समस्या है उसके बारे में पत्र अधिकारियों ...
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करिये अपना, भाषण नहीं देंगे.
श्री तरूण भनोत-- भाषण नहीं दे रहा हूं. मैं यह कह रहा हूं पुरूषार्थी गृह निर्माण समिति जबलपुर जो कि रिफ्यूजी जो कि भारत-पाकिस्तान के विभाजन के समय लोग वहां से विस्थापित होकर आये थे, उनके द्वारा बनाई गई थी, उनको सन् 1962 में म.प्र. हाउसिंग बोर्ड के द्वारा जमीन आवंटन किया गया था, जहां पर उन्होंने अपने मकान बनाये, परंतु आज कुछ सरकारी कर्मचारी राजस्व विभाग के भू-माफिया के साथ मिलकर जो एक बार अपने घर छोड़कर यहां आ चुके हैं, लुट-पिटकर यहां आये थे, पुन: उनके घरों को उजाड़ने के लिये भू-माफियाओं के साथ मिलकर ऐसी साजिश रच रहे हैं कि उनको जमीन से बेदखल करने के आदेश दिये जा रहे हैं, बार-बार उनको परेशान किया जा रहा है, जब मुझे समस्या के बारे में बताया गया तो मैंने एक पत्र माननीय कलेक्टर महोदय को लिखा, पर दो माह हो गये उसका कोई जवाब मुझे आज तक प्राप्त नहीं हुआ, उल्टा तहसीलदार द्वारा बिना पटवारी प्रतिवेदन के उक्त जमीन के सीमांकन के आदेश कर दिये गये. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि क्या ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी जो जानबूझकर भू-माफियाओं के साथ मिलकर लोगों को उनके घरों से बेदखल करना चाहते हैं जो 50 वर्षों से अधिक समय से वहां पर ...
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइये.
श्री रामपाल सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक जी से निवेदन करूंगा कि यह सीमांकन करवाना चाहते हैं या सीमांकन रूकवाना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय- आप प्रश्न स्पष्ट कर दें.
श्री तरूण भनोत—अध्यक्ष महोदय 7.9.2015 को मैंने पत्र लिखा..
अध्यक्ष महोदय—आप सीधा सीधा प्रश्न स्पष्ट करें.
श्री तरूण भनोत – अध्यक्ष जी, मेरा कहना यह है कि बिना तथ्यों के बिना पटवारी के प्रतिवेदन के सीमांकन क्यों किया जा रहा है. जो व्यक्ति वहां पर रह रहे हैं उनको अपनी बात रखने का मोका भी नहीं दिया गया, उनकी सुनवाई भी नहीं की गई.
अध्यक्ष महोदय- अब आप सुनिये तो आप सीमांकन रूकवाना चाहते हैं या सीमांकन करवाना चाहते हैं.
श्री तरूण भनोत – अध्यक्ष महोदय, हम सीमांकन तुरंत रूकवाना चाहते हैं और संबंधित अधिकारी के ऊपर कार्यवाही कराना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय- ऐसा बोलिये न. वैसे तो प्रश्न के जबाव में ही है पर वो क्लीयर कर दें न, वह भाषण दे रहे हैं.
श्री रामपाल सिंह – अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन यह कर रहा था कि अगर किसी को परेशानी है तो वह भी अपना सीमांकन करा लें, वह आवेदन कर दें उनका भी सीमांकन हो जायेगा. किसी तरह की अगर कोई गड़बड़ी है तो आप लिखे तो उस पर हम कार्यवाही भी कर देंगे.
श्री तरूण भनोत – माननीय अध्यक्ष महोदय, 2 माह पहले पत्र लिखा जिसका जबाव आज तक नहीं मिला, अब इस पर कार्यवाही कब तक होगी. मंत्री जी यह भी बता दें.
श्री रामपाल सिंह – अध्यक्ष महोदय, क्या है कि आज तक की राजनीति में मैंने सीमांकन कराने की बात तो सुनी क्योंकि हम भी विधायक हैं 1990 से लेकिन सीमांकन रुकवाने का पहला मामला यह आया है. मेरा विधायक जी से निवेदन यह है कि अगर वहां किसी का गलत सीमांकन हो रहा है, या किसी तरह की गड़बड़ी हो रही है तो आप बता दें और इसकी सुनवाई के लिये तारीख अभी दी गई है और उस तारीख में तहसीलदार निश्चित करेंगे और आपकी जो मूल भावना है सीमांकन रूकवाने की जो पीड़ित पक्ष है उसको मदद करने की तो आप उनको लिख दें तो न्याय करेंगे.
श्री तरूण भनोत—मंत्री जी, पहली बार ऐसा हो रहा है कि बिना पटवारी के जांच प्रतिवेदन के तहसीलदार ने सीधे सीमांकन के आदेश कर दिये हैं जब कि जो पीड़ित पक्ष हैं वह बार बार यह आवेदन लगा रहे थे कि हमको सुनवाई का अवसर दिया जाये. अध्यक्ष महोदय, मैं इस मामले में आपका संरक्षण चाहता हूं. हो यह रहा है कि भू-माफिया उस जमीन पर कब्जा करना चाहता है और वह वहां पर रहने वाले लोगों को ब्लेकमेल कर रहा है और मेरा आरोप है कि उसमें तहसीलदार भी मिले हुये हैं क्या मंत्री जी ऐसे तहसीलदार के ऊपर कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय—रावत जी आप स्पष्ट कर दें. भनोत जी आप बैठ जायें आपका प्रश्न रावत जी स्पष्ट कर देंगे.
श्री रामनिवास रावत- मैं माननीय सदस्य के प्रश्न के अनुसार और मंत्री जी के उत्तर से यह बात समझ पाया हूं कि जिस व्यक्ति ने यह जमीन अपने नाम कराई है और जो व्यक्ति सीमांकन करवाकर के इस जमीन को प्राप्त करना चाहता है उस जमीन पर काफी गरीब लोग बसे हुये हैं, अगर सीमांकन होकर के जमीन का कब्जा दिया जाता है तो गरीब लोग विस्थापित हो जायेंगे, बेघर हो जायेंगे. इसलिये माननीय विधायक ने पत्र लिखा है कि जो उस जमीन पर वर्षों से बसे हुये हैं, पीढी दर पीढ़ी बसे हुये हैं वह विस्थापित न हों उनकी भी सुन ली जाये और जो बलशाली-भू-माफिया लोग हैं जिनको प्रशासन का संरक्षण प्राप्त है उनको बिना सुने इस जमीन का सीमांकन न कराया जाये और उनको भी संरक्षण दिया जाये.
श्री रामपाल सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, सीमांकन के लिये आवेदक निवेदन करता है, इसमें पटवारी के प्रतिवेदन की जरूरत नहीं पड़ती है. फिर भी अगर किसी तरह का कोई माफिया अगर कोई गड़बड़ी कर रहा है तो उनका हम विधिवत सीमांकन करवा लेंगे.
श्री रामनिवास रावत—मंत्री जी सीमांकन रोकने की बात है. सीमांकन से पूर्व जिस जमीन का सीमांकन करना चाहते हैं उस जमीन पर जो लोग बसे हुये हैं कम से कम उनको तो एक सुनवाई का अवसर दिया जाये.
श्री रामपाल सिंह – अध्यक्ष महोदय, अभी तो पीड़ित पक्ष ने जो आवेदन दिया था सीमांकन का 8.9.2015 को आवेदन दिया था उसी आवेदन पर यह कार्यवाही हो रही है.
अध्यक्ष महोदय—पीड़ित पक्ष के आवेदन पर ही यह कार्यवाही हो रही है.
श्री तरूण भनोत—वह 50 वर्षों से वहां पर रहे हैं..
श्री रामपाल सिंह – अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है 16.12.2015 को तहसीलदार इस मामले का निराकरण करेंगे, उसके पहले और भी यदि आपको कोई आपत्ति है तो आप लिखकर के दे दें, उसको भी हम उसमें शामिल कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय—अब बात स्पष्ट हो गई है.
श्री रामनिवास रावत—अध्यक्ष महोदय, जिनके पास में पूरे प्रदेश में अपना कोई घर नहीं है उन्हें हटाने से पहले यह तो देख लें कि उन्हें हटाने से पहले कहीं पर बसाने की व्यवस्था कर दें.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी कह तो रहे हैं कि यदि कोई समस्या है तो वह लिखकर के दे दें.
श्री तरूण भनोत – अध्यक्ष महोदय, मैं यह चाहता हूं कि जो अधिकारी यह गलत कार्यवाही कर रहा है उसको हटाकर के किसी अन्य तहसीलदार से इस पूरे प्रकरण की जांच करा लें .
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी ने क्लीयर कर दिया है अब आप उनको लिखकर के दीजिये जो आपकी समस्या हो.
श्री तरूण भनोत—माननीय अध्यक्ष महोदय, वह अधिकारी बार बार बदमाशी कर रहा है, उसी से आप जांच कराना चाहते हैं , उसी से आप सुनवाई कराना चाहते हैं जो पीडित पक्ष की सुनता नहीं है. अध्यक्ष महोदय, तहसीलदार कोई दूसरा बदलवाया जाये.
अध्यक्ष महोदय—आप मंत्री जी से बात कर लीजिये, उन्होंने कहा है कि आप लिखकर के दें यदि कोई समस्या है तो.
श्री तरूण भनोत – मंत्री जी कह दें कि दूसरे तहसीलदार से इसकी जांच करायेंगे.
अध्यक्ष महोदय—अभी एक मिनिट आप सुन लें.
श्री रामनिवास रावत – अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी एक बात का जबाव दे दें. किसी उच्च अधिकारी से जांच कराने के पूर्व सीमांकन नहीं कराया जायेगा. तब तक आप सीमांकन पर रोक लगा दें. जिससे वह लोग बेघरवार नहीं हों.
श्री तरूण भनोत – कोई दूसरा तहसीलदार आप वहां पर पदस्थ कर दें.
श्री रामपाल सिंह –माननीय अध्यक्ष महोदय ,माननीय सदस्य की भावना का मैं आदर करता हूं . आपको अगर कोई शिकायत है तो जांच भी हम करा लेंगे. दूसरा आपकी कोई और भी शिकायत है, तो उसकी हम जांच भी करा लेंगे, लेकिन मुझे लगता है कि इस मामले में एक पार्टी ने सीमांकन के लिये आवेदन दिया. ये भी आवेदन दे सकते हैं कि हमारा सीमांकन करो. यह अपने पक्ष से लिख दें कि इस पर आपत्ति है, वे आपत्ति दर्ज करा दें, तो उसको हम गंभीरता से ले लेंगे और आपने जो विषय रखा है, उसको हम शामिल कर लेंगे.
श्री तरुण भनोत -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी किसी दूसरे अधिकारी से जांच करा लें. जिस अधिकारी के ऊपर आरोप लगा रहे हैं, उसी कोर्ट में मामला चलवाना चाहते हैं. जो अधिकारी गलत कार्यवाही कर रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- मामला क्लीयर तो हो गया. अब आप बैठ जाइये.
बीमा राशि का भुगतान
5. ( *क्र. 375 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या हरदा जिले में किसानों की फसल बीमा राशि रबी एवं खरीफ की फसल वर्ष 2014-2015 का भुगतान किया जा चुका है? यदि हाँ, तो कब भुगतान हुआ व किस मान से भुगतान किया गया? (ख) प्रश्नांकित जिले में राजस्व विभाग के सर्वे में अनावारीवार क्षति का आंकलन क्या था तथा किस अनुपात में बीमा राशि प्रदाय की गई? (ग) क्या क्षेत्रीय किसानों से पक्षपात पूर्ण सर्वे/आंकलन व बीमा राशि प्रदाय की शिकायतें शासन को प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो शासन ने कब, किस अधिकारी से शिकायतों का परीक्षण / भौतिक मूल्यांकन कराया व दोषी अधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्यवाही कर शिकायतकर्ता किसानों को वास्तविक बीमा राशि व राहत दिलाई?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) :
डॉ. रामकिशोर दोगने – अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जो बीमा की राशि का भुगतान है. मेरे हरदा जिले में कुछ लोगों को हुआ है, कुछ गांव में छूटे लोगों को नहीं हो पाया था, इससे संबंधित मैंने प्रश्न पूछा है. पहले तो जानकारी यह आई कि जानकारी एकत्रित की जा रही है..
अध्यक्ष महोदय – जानकारी तो आ गई है, आप उसी के संबंध में पूछें.
डॉ. रामकिशोर दोगने – अध्यक्ष महोदय, इसके बाद जो जानकारी आई है, वह भी अपूर्ण है. इसमें स्पष्ट नहीं है कि किस को कितना कितना बीमा मिला है और कुछ लोगों को कम और कुछ लोगों को ज्यादा क्यों मिला है. बीमा की राशि या तो एक जैसी होना चाहिये, तो एक जैसी क्यों नहीं मिली है.
अध्यक्ष महोदय – कोई स्पेसीफिक है इसमें. आप स्पेसीफिक पूछिये ना.
डॉ. रामकिशोर दोगने – अध्यक्ष महोदय, मैं स्पेसीफिक पूछ रहा हूं कि सबसे कम राशि क्या मिली है और सबसे ज्यादा राशि क्या मिली है, यह मंत्री जी बता दें.
श्री रामनिवास रावत – अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी सिर्फ यह बता दें कि आपने राहत राशि कितने प्रभावित किसानों को वितरित की और बीमा कितनों के स्वीकृत हुए, इसी से पता लग जायेगा कि आपकी स्थिति क्या है.
श्री रामपाल सिंह – अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो जानकारी मांगी है, ये 46776 किसान हैं और बीमा की राशि अभी जो भुगतान की गई है, वह 2 करोड़ 70 लाख रुपये की राशि जारी कर दी गई है, यह बीमा कम्पनी की है. रबि 2014 की राशि अभी आगे प्राप्त होगी और आपने जैसा कहा कि जिले के अन्दर तो 129 करोड़ 72 लाख रुपये हरदा जिले को दिया हुआ है और 59 करोड़ 80 लाख रुपये आज तक बंट चुका है, यह माननीय रावत जी के प्रश्न की जानकारी है.
डॉ. रामकिशोर दोगने – अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी के विभाग के लोगों ने प्रापर जानकारी दी नहीं है. पहले जैसे आपने 823 लोगों को लाभान्वित बताया, फिर पूरक जानकारी भिजवाई है. यह विभाग के लोग आपको प्रापर जानकारी देते नहीं है. एक बार आपने पहले 823 लोगों को लाभान्वित बताया फिर 130 की जानकारी भिजवाई है. तो इस तरह से जो जानकारी दे रहे हैं, तो क्या सही जानकारी आपके पास आ रही है क्या. मेरा प्रश्न यह है कि कम से कम राशि क्या मिली और ज्यादा से ज्यादा राशि क्या मिली है किसान को. तो वह तो समझ में आये. क्योंकि इसकी कोई परिभाषा नहीं है, जिसको जो चाह रहा हैं, वह दे रहे हैं. मापदण्ड के हिसाब से आप स्पष्ट करें कि कितनी कितनी राशि मिलना चाहिये थी और क्या क्या राशि मिली है. उसका मापदण्ड क्या है.
श्री रामपाल सिंह – अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय सदस्य को बता दिया है कि 129 करोड़ 72 लाख रुपये आपके जिले में दिया हुआ है और 59 करोड़ 80 लाख रुपये बंट गया है. बीमा की राशि का मैंने निवेदन कर दिया है कि 46776 किसानों का पूरा विवरण आपको मैं भेज रहा हूं. वह आपको मिल जायेगा. बीमा का जहां तक विषय है, बीमा की राशि का उल्लेख प्रश्न में आया, तो फिर कृषि विभाग से हमने आंकड़े बुला लिये हैं और विधायक जी को हम उपलब्ध करा देंगे. मूल प्रश्न बीमा का जो है, वह कृषि विभाग से संबंधित होता है.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय, इसी में मेरा पूरक प्रश्न है, जो विधायक जी से रिलेवेंट है कि मिनिमम कितनी और मेगजीमम कितनी राशि किसान को दी है.
अध्यक्ष महोदय – यह प्रश्न इससे रिलेवेंट नहीं है और न यह उद्भूत होता है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, दो दो और तीन तीन रुपये की राशि दी जा रही है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- बच्चन जी, प्रश्न तो उन्हीं का था, आप तो नकल कर रहे हैं. वह तो यह पूछ चुके हैं.
डॉ. रामकिशोर दोगने – सिसोदिया जी, नकल नहीं कर रहे हैं, एक रुपये 28 पैसे, 2 रुपये 95 पैसे राशि मिली है, मैं इस संबंध में बात करना चाहता हूं. आप उसको समझें. किसानों की बात कर रहे हैं. सिसोदिया जी, उठकर खड़े होने से बात नहीं हो सकती.
अध्यक्ष महोदय – यह इससे उद्भूत नहीं होता. प्रश्न संख्या 6, श्री राजेश सोनकर.
श्री रामनिवास रावत – अध्यक्ष महोदय, किसानों से जुड़ा हुआ मुद्दा है. किसान से बीमा की राशि ले लेते हैं और बीमा स्वीकृत नहीं होता है. मंत्री जी कह रहे हैं कि यह कृषि विभाग से संबंधित प्रश्न है. कृषि मंत्री जी भी बैठे हैं, दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है.
अध्यक्ष महोदय – कृपया बैठ जायें. सब के प्रश्न महत्वपूर्ण है.
श्री रामनिवास रावत – अध्यक्ष महोदय, यह किसानों से जुड़ा हुआ मामला है. कम से कम आप किसानों की पीड़ा को तो समझें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, एक किसान का रकबा 6 एकड़ का है और दूसरे किसान का भी 6 एकड़ का रकबा है, तो उसमें बीमे की राशि अलग अलग कैसे आवंटित की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय – कृपया बैठे. श्री राजेश सोनकर.
प्रश्न संख्या – 6 (अनुपस्थित)
7. ( *क्र. 166 ) श्री दिनेश राय : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सिवनी जिले की सिवनी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत वर्ष 2014-15 में कितनी नल जल योजनाएं कहां-कहां, किस-किस गांव में स्वीकृत की गई है? स्वीकृत नलजल योजनाओं में से कितनी नल जल योजनाओं का कार्य पूर्ण होकर पंचायतों को सौंपी गई है? (ख) कितनी नलजल योजनाएं अपूर्ण है? यदि पूर्ण नहीं हुई तो क्या कारण हैं, कब तक पूर्ण हो जावेगी? (ग) ग्राम पंचायतों को सौंपी गई नल-जल योजनाओं में से कितनी संचालित (चालू) हैं तथा कितनी बंद पड़ी हैं? बंद योजनाओं को कब तक प्रारंभ कराया जावेगा?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) से (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री दिनेश राय – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सवाल था कि जिसमें मंत्री महोदय ने जवाब दिया है कि हमारे 13 गांव की नल-जल योजना के बारे में दिया. जिसमें से आधी नल-जल योजनाएं आपके जवाब में हैं, जिनमें स्त्रोतों की कमी है तो मैं माननीय मंत्री महोदय से चाहूँगा कि आप स्त्रोत कब तलाश पाएंगी और कब वह नल-जल योजनाओं को प्रारम्भ कर सकेंगे.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले – 3 वर्ष से पानी नहीं बरस रहा है. धीरे-धीरे पानी नीचे जमीन के नीचे-नीचे उतरता जा रहा है फिर भी हम प्रयास कर रहे हैं कि गर्मी में मध्यप्रदेश के किसी भी क्षेत्र में पानी की कमी नहीं हो. हम इसके लिये राइजिंग पाइप डाल रहे हैं, 20-20 फीट, 30-30 फीट डाल रहे हैं. लेकिन अध्यक्ष महोदय, भगवान पर तो किसी का बस नहीं है. पानी धीरे-धीरे नीचे जा रहा है फिर भी हम प्रयास कर रहे हैं कि सबको पानी दें.
श्री दिनेश राय – माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी गर्मी में आप पानी तलाश नहीं पा रहे हैं. अभी जब मौसम चालू नहीं हुआ है तो आप गर्मी में क्या तलाशेंगे. पिछली बार मेरी विधानसभा में जवाब दिया कि मंत्राणी महोदया ने कि हम आपके यहां सामूहिक नल-जल योजना चालू करने वाले हैं, 3 वर्ष से सुन रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय – आप प्रश्न पूछें.
श्री दिनेश राय – अध्यक्ष महोदय, जब आपके पास स्त्रोत नहीं हैं तो आप वहां एक सामूहिक नल-जल योजना तत्काल स्वीकृत करा दें, राशि पर्याप्त दे दें तो हमारे क्षेत्र की समस्या खत्म हो जायेगी. मैं यही निवेदन करता हूँ.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले – आप प्रश्न पूछें तो मैं प्वाइंटेड जवाब दूँ.
अध्यक्ष महोदय – प्वाइंटेड प्रश्न पूछिये.
श्री दिनेश राय – पिछली बार मैंने पूछा था कि मछलियां हमारे यहां खराब आ रही हैं. मैं मछली आपको खिलाऊँगी लेकिन आज तक नहीं खिलाया.
अध्यक्ष महोदय – पिछली बार का नहीं, इस बार का पूछिये. आप उसको गम्भीरता से लें.
श्री दिनेश राय – मंत्री महोदय, जब आपके स्त्रोत नहीं हैं तो आप सामूहिक नल-जल योजना दीजिये न. कैसे पानी देंगे आप.
अध्यक्ष महोदय – आप बैठ जाइये. बैठ जाइये.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले – पानी स्त्रोत से देंगे और किस से देंगे. प्रश्न की तरह प्रश्न पूछिये, भाषण मत दीजिये.
श्री दिनेश राय – जब जमीन में स्त्रोत नहीं है तो पानी कहां से देंगी.
अध्यक्ष महोदय –यह बात ठीक नहीं है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले – जब स्त्रोत नहीं मिलेगा तो हम पानी कहां से देंगे. पानी नहीं मिलेगा तो हम पानी परिवहन करके देंगे लेकिन हर हाल में पानी की पूर्ति करेंगे.
श्री दिनेश राय – पानी पहुँचाते तो मैं जवाब से संतुष्ट रहता. आप पानी पिलाइये.
अध्यक्ष महोदय – इस तरह से बात नहीं करना चाहिए.
श्रीमती ऊषा चौधरी – माननीय अध्यक्ष महोदय, एक ही हैण्डपम्प कहीं भी नहीं हो रहा है मध्यप्रदेश में.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले – पानी हम पिलाएंगे. चाहे हैण्डपम्प में राइजिंग पाईप बढ़ाकर, स्त्रोत ढूँढकर और चाहे परिवहन करके लेकिन हम पानी पिलाऍंगे.
श्री दिनेश राय – आप पानी पिलाइये. बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रश्न क्रमांक- 8 - (अनुपस्थित)
प्रश्न क्रमांक- 9 - (अनुपस्थित)
10. ( *क्र. 572 ) श्री नीलेश अवस्थी : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या दशहरा चल समारोह 2015 गोसलपुर जिला जबलपुर में चल समारोह के समय एक वाहन अनियंत्रित होकर चल समारोह में प्रवेश कर गया था? (ख) यदि हाँ, तो उल्लेखित दुर्घटना से कितनी जनहानि हुई एवं कितने लोग आहत हुये? नाम, ग्राम सहित सूची देवें एवं यह भी बतलावें कि मृतकों एवं आहत लोगों को कितनी-कितनी मुआवजा राशि वितरित की गई? (ग) क्या दशहरा चल समारोह के समय एन.एस. 7 के यातायात को अन्य वैकल्पिक मार्ग में परिवर्तित न करने की वजह से प्रश्नांक (क) में उल्लेखित दुर्घटना घटित हुई? क्या दुर्घटना पश्चात प्रशासन जन आक्रोश को नियंत्रित करने में असफल रहा? (घ) यदि हाँ, तो क्या शासन दुर्घटना की जाँच कराकर दोषियों पर कार्यवाही करते हुए मृतकों एवं आहतों को प्रदान की गई मुआवजा राशि में वृद्धि करेगा? यदि हाँ, तो कब यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
गृह मंत्री ( श्री बाबूलाल गौर ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार। (ग) जी नहीं। राष्ट्रीय राजमार्ग-07 के अलावा अन्य कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं था। सुरक्षा के हरसंभव इन्तजाम पुलिस बल के साथ किये गये थे, घटना के पश्चात पुलिस बल के द्वारा विधि पूर्वक कार्यवाही कर जन आक्रोश को नियंत्रित किया गया। (घ) उत्तरांश ’ग’ के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री नीलेश अवस्थी – माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि एक बहुत बड़ा हादसा प्रशासनिक लापरवाही से हुआ जिसमें 7 लोगों की मृत्यु हुई और 10 लोग घायल हुए, दशहर चल-समारोह में. यह मैं कहना चाहता हूँ कि उस समय जब दशहरा चल-समारोह होता है तो पूर्व में ही शासन-प्रशासन द्वारा व्यवस्था की जाती है क्योंकि राष्ट्रीय राजमार्ग- 07 का यह मामला है. पूरी वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है, बैरिकेट्स लगाये जाते हैं. उस समय कोई बैरिकेट्स नहीं लगा. इतनी लापरवाही से अधिकारियों ने लिया. जिसमें 7 लोगों की मृत्यु हुई और 10 लोग घायल हुए.
अध्यक्ष महोदय – आप सीधे प्रश्न पूछिये.
श्री नीलेश अवस्थी – मैं शासन प्रशासन से यह कहना चाहता हूँ कि इस हादसे की कमेटी बनाकर जांच की जाये. दूसरा, जो मुआवजा राशि उनको मिली है, वह बहुत कम है. जब मुखिया ही खत्म हो गया है तो परिवार को चलाने में बहुत दिक्कत जा रही है. दो लाख से पॉंच लाख रूपये मुआवजा राशि किया जाये और जो 10 लोग घायल हुए हैं. उनको पन्द्रह हजार, बीस हजार की रकम बहुत कम पड़ रही है, उनका इलाज सही तरीके से नहीं हो रहा है. मैं प्रशासन एवं माननीय मंत्री जी से चाहता हूँ कि उनको राहत प्रदान की जाये.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र) – माननीय अध्यक्ष जी, रू. 2,15,000/- (दो लाख पन्द्रह हजार) की राहत राशि प्रदान कर दी गई है. उसकी जॉंच करा ली है. जहां तक सम्मानित सदस्य ने इलाज का कहा है. हम उनके पूरे इलाज का खर्चा उठायेंगे.
श्री नीलेश अवस्थी – माननीय मंत्री जी मैं यह चाहता हूँ कि जो 7 लोग खत्म हुए हैं. उनके घर की स्थिति बहुत खराब है. कुछ ऐसी राहत राशि पेन्शन के तौर पर उनको मिले कि वह अपना घर-परिवार चला सकें. जो 7 लोग खत्म हुए हैं और 10 घायलों को.
श्रीमती नंदनी मरावी - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेरी विधानसभा का मामला है । जैसे घटना हुई, शासन, प्रशासन, मैं और सांसद जी घटना स्थल पर गए और जो घायल थे, उनका उपचार कराया गया । जब वह स्वस्थ होने के उपरान्त घर आ गए । तत्काल माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा 2 लाख और 15 हजार रूपया जिला प्रशासन के द्वारा उनको दिया गया और वह इससे संतुष्ट हैं ।
श्री दिनेश राय -उन अधिकारियों के विरूद्व आपने क्या कार्यवाही की,जुलूस में प्रतिबंधित क्षेत्र के अंदर ट्रक आया, 7 लोगों की मृत्यु हुई, दोषी अधिकारियों पर क्या कार्यवाही हुई ।
श्रीमती नंदनी मरावी – टी.आई. को तत्काल सस्पेंड किया गया था । यह मेरी विधानसभा का मामला इसलिए मुझे जानकारी है, और शासन, प्रशासन ने तत्काल जो एक्शन लिया, तो मैं क्यों नहीं बोलूंगी ।
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए.
पुलिस थाना जैसीनगर के थाना प्रभारी पर कार्यवाही
11. ( *क्र. 386 ) श्रीमती पारूल साहू केशरी : क्या गृह मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या सागर जिले के पुलिस थाना जैसीनगर में पदस्थ थाना प्रभारी के विरूद्ध कार्यवाही के निर्देश माननीय गृहमंत्री जी ने सागर प्रवास के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों को दिये थे? (ख) यदि हाँ, तो थाना प्रभारी जैसीनगर के विरूद्ध प्रश्न दिनाँक तक क्या कार्यवाही की गयी? यदि नहीं, तो क्यों?
गृह मंत्री ( श्री बाबूलाल गौर ) : (क) पुलिस थाना जैसीनगर में पदस्थ थाना प्रभारी निरीक्षक आर.पी. रावत के विरूद्ध शिकायत के संबंध में जाँच करने के निर्देश दिये गये थे। (ख) प्रशनांश ‘‘क’’ के परिप्रेक्ष्य में आवेदक राजू कुर्मी द्वारा थाना जैसीनगर में पदस्थ थाना प्रभारी निरीक्षक आर.पी. रावत के विरूद्ध पुलिस उप महानिरीक्षक सागर रेंज सागर को शिकायत की गई थी, उक्त शिकायत पत्र की जाँच अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) बीना से कराई गई। जाँच प्रतिवेदन पुलिस महानिरीक्षक सागर जोन सागर की ओर प्रेषित किया गया है। अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) बीना से प्राप्त जाँच रिपोर्ट के आधार पर थाना प्रभारी जैसीनगर श्री आर.पी. रावत जिला सागर एवं स.उ.नि. श्री राम कुमार यादव जिला सागर के विरूद्ध कारण बताओ नोटिस दिनाँक 20.11.15 जारी करते हुये अपचारियों से 07 दिवस में अभ्यावेदन चाहा गया है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती पारूल साहू - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री का आभार प्रकट करती हूँ कि इतनी जल्दी उन्होंने टी.आई. जैसीनगर, को लाइन अटैच कर, कारण बताओ सूचना पत्र जारी कराया, परन्तु मैं यह भी उल्लेख करना चाहूँगी कि जैसीनगर नगर की जनता में उस टी.आई. के विरूद्व काफी आक्रोश है । ऐसे टी. आई. जो अपने आपको ही सब कुछ समझते हैं और जिन पर कार्यवाही होनी चाहिए, उन पर कार्यवाही नहीं करते हैं, उनके विरूद्व लाईन अटैच की कार्यवाही न करते हुए कड़ी कार्यवाही की जाए ।
श्री नरोत्तम मिश्र - जिले से बाहर कर देंगे ।
श्रीमती पारूल साहू - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिले से बाहर किया जाए लेकिन मेरा अनुरोध यह भी है कि इन्हें किसी थाने का प्रभार न दिया जाए, क्योंकि पुलिस पर जैसा विश्वास जनता का होता है, जयसिंह नगर की जनता ने ऐसे टी.आई. पर अपना विश्वास खोया है । जयसिंह नगर की जनता में काफी आक्रोस है । नाबालिक बालिकाओं के विरूद्व जो प्रकरण दर्ज किए जाते हैं, उन पर जल्द से जल्द कार्यवाही हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाए ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी आज्ञा से एक प्रश्न और पूछना चाहूँगी यह सागर की जनता की सुरक्षा से संबंधित है । सागर शहर में ट्रफिक पुलिस की अनदेखी के कारण जो मौत के डम्फर शहर में घूम रहे हैं, उन पर भी अंकुश लगाया जाए, इस पर जल्दी से जल्दी समीक्षा कर, कार्यवाही की जाए । माननीय मंत्री जी,सागर जिले के प्रभारी भी हैं ,यह सागर की जनता की सुरक्षा से संबंधित है ।
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं होता पर वह चाहती हैं कि ट्रफिक व्यवस्था ठीक हो । वैसे आप निर्देशित कर दें ।
श्रीमती पारूल साहू - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अनुरोध करना चाहूँगी कि टी.आई. को किसी भी थाने का प्रभार न दिया जाए ।
श्री राम निवास रावत - इससे मुझे कोई लेना देना नहीं है ।
अध्यक्ष महोदय - आपका विषय आ गया है ,वह बात हो गई है, आप उनके कहने पर मत चलिए । बैठ जाइए । प्रारम्टिंग नहीं चलेगी ।
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 12 श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार ।
आरक्षित वर्ग के पट्टों की जमीन की बिक्री की अनुमति
12. ( *क्र. 861 ) श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मुरैना जिले में वर्ष 2012 से अक्टूबर 2015 तक अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग की पट्टों की जमीनों के प्रकरणों की बिक्री हेतु काफी संख्या में अनुमति प्रदान की गई है? (ख) क्या उक्त अनुमति में कुछ शर्तें लगाई गई थीं व शर्तों का पालन हुआ है? (ग) क्या शासन अनु. जाति, पिछड़े वर्ग की जमीन बिक्री अनुमति में शर्तों के उलंघन होने पर बिक्री पत्र शून्य घोषित किया जावेगा? तथ्यों सहित पूर्ण जानकारी दी जावे।
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। कुल 99 प्रकरण में। (ख) जी हाँ। (ग) उत्तरांश ‘‘ख‘‘ अनुसार बिक्री अनुमति में विहित शर्तों का पालन किया गया है। अतः शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता है।
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री महोदय से प्रश्न पूछा था ,क्या मुरैना जिले में वर्ष 2012 से अक्टूबर 2015 तक अनुसूचित जाति,पिछड़े वर्ग की पट्टों की जमीनों के प्रकरणों की बिक्री हेतु काफी संख्या में अनुमति प्रदान की गई, मुझे लगता है कि जो प्रश्न मैंने पूछा था, वह पूरा नहीं रखा गया है । माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय को बताना चाहता हूँ कि जो मैंने प्रश्न पूछा था,जो पत्रक जमा किया है,वह मेरे पास है और मेरा आधा प्रश्न इसमें शामिल किया गया है और आधा प्रश्न निकाल दिया गया है ।
अध्यक्ष महोदय - आप अभी पूछ लीजिए ।
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार - माननीय मंत्री महोदय से यह पूछा था ।
डॉ. गोविन्द सिंह - राजस्व विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा है ।
श्री राम निवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत गंभीर आरोप हैं,स्पष्ट करें
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में हुआ है,ग्वालियर में कलेक्टर ने करोड़ों, अरबों की जमीन बेंच डाली ।
श्री राम निवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न नहीं पूछ रहा, मेरा निवेदन है कि माननीय सदस्य ने ।
अध्यक्ष महोदय - सिकरवार जी, कृपया बैठ जाएं, आप सभी बैठ जाइए , आपके प्रश्न की मूल भावना आ गई, आप इस पर पूरक पूछिए जो आपके पास लिखा है वह नहीं ।
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं क्षमा चाहता हूँ इस प्रश्न में जो मूल भावना थी वह नहीं आ पाई, यही मेरा दुख है । आप मेर उस प्रश्न को पूरा सुन, लें, जो मैंने प्रश्न पूछा था ।
अध्यक्ष महोदय—आप पूरक प्रश्न पूछिये. मैं आपको डिसअलाऊ कर रहा हूं.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार—अध्यक्ष महोदय, आप पूरा तो सुन लीजिये आपको प्रश्न की मूल भावना समझ में आ जाएगी.
अध्यक्ष महोदय—आपको जो भी पूछना है पूछिये.
श्री सुंदरलाल तिवारी—अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने प्रश्न किया है.
अध्यक्ष महोदय—आप बैठ जाएं. पूरक प्रश्न का प्रावधान इसलिये होता है. आपके प्रश्न में जो बात है आप पूरक प्रश्न के माध्यम से पूछ लीजिये आपको मैं अलाऊ कर रहा हूं.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार—अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं कि मेरी तो कोई सुन ले भाई.
श्री रामनिवास रावत—अध्यक्ष महोदय, यह गंभीर आरोप है, सचिवालय पर भी आरोप है, यह सरकार पर भी आरोप है.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार—अध्यक्ष महोदय, आप एक मिनट का समय देंगे तो बहुत अच्छा लगेगा. क्या यह सही है कि मुरैना जिले में वर्ष 2012 से अक्टूबर, 2015 तक अनुसूचित जाति पिछड़े वर्ग की पट्टों की जमीनों के प्रकरणों की बिक्री हेतु काफी संख्या में अनुमति प्रदान की गई है, इसमें क्या परिस्थिति उत्पन्न हुई वर्ष दिनांक सहित पूर्ण जानकारी गांव, नाम, सर्वे नंबर, रकबा सहित जानकारी दी जाए, यह प्रश्न की मूल भावना है, यह जानकारी दी जाए कि ऐसे कौन लोग संलिप्त थे जिन्होंने अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के साथ ऐसा कृत्य किया.
अध्यक्ष महोदय—आप पूरक में पूछ लें इसमें 99 प्रकरण हैं. इसमें आप लेक्चर क्यों दे रहे हैं. मैं यही कहा रहा हूं जो आपने लिखा है इसमें 99 प्रकरण हैं जिनमें परमीशन दी गई है, आप पूरक में पूछ लीजिये.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने उनकी जानकारी मांगी थी कि कौन लोग थे, नाम, पते, सर्वे नंबर, इसकी जानकारी मांगी थी.
अध्यक्ष महोदय—आप पूरक में ही पूछिये.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार—माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको आप पूरक मैं ही मान लीजिये. मुझे जो लगता था कि उन लोगों के नाम निकलकर आ जाएं कि कौन लोग माफियां हैं, यह पूरे मुरैना जिले की बात नहीं है, पूरे मध्यप्रदेश की है, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, मेरा कहने का मतलब यह है कि सरकार अनुसूचित जाति वर्ग के लिये जन-कल्याणकारी योजनाएं चलाती हैं और अफसरशाही अपने कल्याण के लिये योजनाओं को तोड़-मरोड़ देते हैं, क्या यह बहुत बड़ा प्रश्न नहीं है.
अध्यक्ष महोदय—आप बैठ जाईये उत्तर लेंगे कि नहीं लेंगे.
श्री रामनिवास रावत—अध्यक्ष महोदय, मैं उत्तर देने के पहले आपसे निवेदन करूंगा कि यह समस्या पूरे सदस्यों के साथ है, माननीय सदस्य का इसमें गंभीर आरोप है.
अध्यक्ष महोदय—आप इसको लिखकर के दे दें, यहां पर चर्चा का विषय नहीं है, यह डिस अलाऊड है,
श्री रामनिवास रावत—अध्यक्ष महोदय,लिखकर के नहीं देंगे. सदस्य ने मूल प्रश्न लगाया, यह परीक्षण की बात है, यह बात है कि (XXX).
अध्यक्ष महोदय—आप वरिष्ठ सदस्य हैं, आप इस तरह की बात नहीं करेंगे. आपकी जो भी समस्या है, उसको लिखकर के दे दें.
श्री रामनिवास रावत—अध्यक्ष महोदय, आप सदस्य की मूल कापी निकलवा दें.
अध्यक्ष महोदय—आप उत्तर लेना चाहते हैं कि नहीं चाहते हैं, आप इस तरह से सदस्यों के अधिकारों को बाधित नहीं कर सकते हैं.
श्री रामनिवास रावत—अध्यक्ष महोदय,मैं यह नहीं कह रहा हूं,(XXX).
अध्यक्ष महोदय--‑मुझको तो ऐसा लग रहा है कि आप जान-बूझकर माननीय सदस्य के प्रश्न का उत्तर नहीं आने देना चाहते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र—यह विपक्ष के लोग खुद तो प्रश्न पूछते नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय—आप लोग कृपया बैठ जाएं.
डॉ.गोविन्द सिंह—अध्यक्ष महोदय, मैंने लिखकर के दिया है कि (XXX).
अध्यक्ष महोदय—आप लोग वरिष्ठ सदस्य हैं, यह बातें यहां पर नहीं उठायी जाती हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह—अध्यक्ष महोदय, लिखकर भी दिया है.(XXX).
अध्यक्ष महोदय—आप यहां पर गुस्सा हो रहे हैं, मुझे आप लोगों को संरक्षण नहीं चाहिये.
श्री रामनिवास रावत—सदस्यों के जिस तरह से प्रश्न बदले जा रहे हैं, यह बहुत ही आपत्तिजनक है.
अध्यक्ष महोदय—मुझे आपका संरक्षण नहीं चाहिये. आप कृपया बैठ जाएं. माननीय सदस्यगण सक्षम हैं अपनी बात पूछने में तथा अपना पक्ष रखने में आप लोगों को बार-बार उठने की जरूरत नहीं है.
डॉ.गोविन्द सिंह—(XXX).
अध्यक्ष महोदय—सभी सदस्यगण सक्षम हैं, किसी को संरक्षण की जरूरत नहीं है, आप लोग बैठ जाईये.
श्री सुंदरलाल तिवारी—अध्यक्ष महोदय, अनावश्यक मंत्रियों को भी संरक्षण दिया जाता है, मंत्रीगण सवालों के जवाब नहीं देते हैं.
अध्यक्ष महोदय—आप लोग जान-बूझकर के कार्यवाही को बाधित कर रहे हैं. जो प्रश्न महत्वपूर्ण है, उस प्रश्न का उत्तर नहीं आने देना चाहते हैं, नहीं तो इसका क्या कारण है.
श्री गोपाल भार्गव—अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय रावत जी ने कहा है कि (XXX), यह बात आपने कही है.
श्री रामनिवास रावत—(XXX).
अध्यक्ष महोदय—इन बातों को कार्यवाही से निकाल दें. यह वरिष्ठ सदस्य हैं, उनको खुद को मर्यादा रखना चाहिये.
श्री रामनिवास रावत—मर्यादा है, मैंने यह आरोप नहीं लगाया है कि सचिवालय से बदला है, कहां से स्थितियां बन रही हैं, लेकिन बदला है.
अध्यक्ष महोदय—यह संशोधन हमेशा होता है आप बैठ जाएं, आप लिखकर के दे दें.
श्री रामनिवास रावत—प्रश्न ही बदले जाते हैं. माननीय सदस्य के प्रश्नों की मूल बातें ही नहीं आ पाती हैं.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार—आप लोग मेरे प्रश्न का जवाब दो आने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय—माननीय सदस्यगण भी बोल रहे हैं कि उत्तर आने दें.
श्री गोपाल भार्गव—अगर प्रश्न लंबा होता है तो उसको संपादित करने का अधिकार भी होता है.
अध्यक्ष महोदय—होता है, यह बात उनको भी मालूम है, माननीय सदस्य भी पांच बार विधान सभा में जीतकर के आये हैं. आप फिर से पूछिये. आप स्पेसिफिक प्रश्न पूछिये. भाषण मत देना.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार – माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मैंने पूरक प्रश्न किया था. उसकी जानकारी मुझे गांव नाम और पते सहित दी जायेगी और दूसरा मेरा प्रश्न यह है मैंने ख प्रश्न में यह कहा था कि अनुमति में कुछ नियम और शर्तें लगाई जाती हैं उनका पालन हुआ है कि नहीं. मुझे जवाब मिला कि जी हां हुआ है. मैं यह मानता हूं कि उन नियम और शर्तों का पालन नहीं हुआ. इसकी जांच होना चाहिये.
श्री रामपाल सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, 99 प्रकरण हैं. उनकी जानकारी अभी माननीय सदस्य को नाम,पता सहित अभी उपलब्ध करा रहे हैं. अभी उपलब्ध हो जायेगी.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि क्या जब अनुसूचित जाति वर्ग के पट्टों को बेचने की अनुमति प्रदान की जाती है उस समय कुछ नियम,शर्तें लगाई जाती हैं मैंने पूछा है कि क्या उन नियम,शर्तों का पालन हुआ है. मुझे जवाब मिला है जी हां. मैं ऐसा मानता हूं कि पूरे प्रदेश में इन नियम,शर्तों का पालन नहीं हुआ. अगर आप इसकी जांच करा लेंगे तो आपको मालूम पड़ेगा कि बहुत सारे नियम,शर्तों का पालन नहीं हुआ है. और एक और प्रश्न मेरा यह था कि ऐसे अनुबंधों को निरस्त किया जाये. जो रजिस्ट्रियां भू-माफियाओं के द्वारा हुई हैं उनको निरस्त किया जायेगा ?
श्री रामपाल सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, धारा-165(सात)(ख) के अंतर्गत जो नियम बनाये गये हैं. कलेक्टरों को अधिकार है अनुमति देने का और उन्होंने इन 99 प्रकरणों में अनुमति दी है फिर भी माननीय विधायक को कोई शिकायत है तो वह लिखकर दे दें उसका परीक्षण हम कराएंगे.
श्री रामनिवास रावत – माननीय अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न की अनुमति दे दें.
अध्यक्ष महोदय – नहीं.
शासन द्वारा सूखाग्रस्त घोषित की गई तहसीलें
13. ( *क्र. 505 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. शासन द्वारा इस वर्ष, वर्षा की कमी के कारण जिन तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है, उनके नाम बतावें। (ख) जिन तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है, उनकों किस आधार या नियम पर सूखाग्रस्त घोषित किया गया है? (ग) मंदसौर, नीमच जिले में किन-किन तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है? नाम बतावें तथा जिन्हें सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया गया है, उनका स्पष्ट कारण बतावें। (घ) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में इस वर्ष 2015-16 में किस दिनाँक को कितने इंच वर्षा हुई है, तहसीलवार बतावें?
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) सूखा घोषित जिले/तहसील की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ‘‘ अनुसार है। (ख) मध्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग द्वारा जारी सूखा के स्थाई निर्देश 2007 में दिये गये प्रावधान अनुसार अल्प वर्षा एवं अनावारी के आधार पर सूखा घोषित किया गया है। (ग) मंदसौर जिले के (1) मंदसौर, (2) दालौदा (3) सीतामऊ (4) सुआसरा (5) गरोठ (6) श्यामगढ़ (7) भानपुरा (8) मल्हारगढ़, कुल 8 तहसीलें। जिला-नीमच के (1) नीमच (2) जीरन (3) जावर (4) सिंगौली (5) मनासा (6) रामपुर, कुल 6 तहसीलें। इस प्रकार मंदसौर एवं नीमच जिलें की सभी तहसीलें सूखा घोषित की गई हैं। शेष प्रश्न उद्भूत नहीं होता। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘ब‘‘ अनुसार है।
श्री हरदीप सिंह डंग – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा जो प्रश्न लगाया गया था उसके बाद मंदसौर और नीमच तहसीलों को, उनके जिले की तहसीलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है. यह उनके साथ न्याय किया है उसके लिये धन्यवाद. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सूखाग्रस्त घोषित तो हो गई है परंतु आज यहां सुनने को मिल रहा है कि बीमे की राशि वितरण कर दी गई है और आज तक मंदसौर में न नीमच में अभी तक न बीमे की राशि वितरित की गई है और कहा जाता है कि पटवारियों की हड़ताल चल रही है इसके कारण बीमे की राशि वसूल नहीं की गई है. मेरा मानना है कि उन तहसीलों में बिजली के बिलों की वसूली,सोसायटियों के ऋण की वसूली और बैंकों के ऋण की वसूली हो रही है. मेरा निवेदन यह है कि जहां तहसीलें सूखाग्रस्त घोषित हो गई हैं वहां पर वसूली रोकी जाये और राहत के काम अतिशीघ्र शुरू किये जायें.
श्री रामपाल सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, नीमच में 55 करोड़ रुपये पहुंच गये हैं और 43 करोड़ 58 लाख रुपये उसमें से बांट दी गई है. राजस्व विभाग ने यह तय किया है कि किसी भी किसान को 2 हजार रुपये से कम राशि मध्यप्रदेश में कहीं नहीं देंगे. आपके जमाने में होता था हमने उसको बदल दिया है बाकी और निर्माण कार्यों की जहां तक बात है सूखाग्रस्त आपके आग्रह पर तहसील और जिला सूखाग्रस्त घोषित किया गया है. वहां तुरंत राहत कार्य भी प्रारंभ होंगे और सुविधाएं देंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग – सुवासरा विधान सभा क्षेत्र जहां से मैं विधायक हूं उसे क्यों वंचित रखा गया है. अभी तक वहां बीमा राशि वितरित नहीं हुई है.
श्री कैलाश चावला – माननीय अध्यक्ष महोदय, सूखाग्रस्त तो घोषित कर दिया गया है परंतु बिजली के बिलों की वसूली अभी भी हो रही है. मैं मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि यह आदेश तुरंत वहां पहुंचे ताकि किसानों को बिजली के बिल जमा न करना पड़े.
श्री रामपाल सिंह :- अध्यक्ष महोदय, माननीय चावला जी जो बात ध्यान में लायी है, वह वरिष्ठ सदस्य है और निश्चित रूप से शासन की तरफ से यह निर्देश जायेगा.
श्री मुकेश नायक :- अध्यक्ष महोदय, यह जो विधायक जी ने कहा है कि सुवासरा में कब तक आप सुवासरा में राहत कार्य वितरण शुरू कर देंगे, इस प्रश्न के उत्तर में कुछ कह दें तो अच्छा होगा.
श्री रामपाल सिंह :- अध्यक्ष महोदय, राशि बंटना शुरू हो गयी है और आधि राशि बंट भी गयी है.
श्री अनिल फिरोजिया :- अध्यक्ष महोदय, इसी प्रश्न में मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि इसी में उज्जैन जिले को भी जोड़ लिया जाये.
अध्यक्ष महोदय:- इसमें कोई नहीं जुड़ेगा.
विकासखण्ड बेगमगंज एवं सिलवानी में बन्द नल जल योजनाएं
14. ( *क्र. 603 ) श्री चम्पालाल देवड़ा : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) रायसेन जिले के विकासखण्ड बेगमगंज एवं सिलवानी में वर्ष 2009-10 से प्रश्न दिनाँक तक स्वीकृत कौन-कौन सी नल जल योजनाओं का कार्य कब पूर्ण हुआ? ठेकेदार को कितनी राशि का भुगतान किया, योजना ग्राम पंचायत को कब हस्तांतरित की गई? (ख) किन-किन नल जल योजनाओं/कूप निर्माण का कार्य किन कारणों से अपूर्ण है? उक्त कार्य कब तक पूर्ण होगा? (ग) नवम्बर 15 की स्थिति में उक्त विकासखण्डों में कौन-कौन सी नल जल योजना चालू है तथा कौन-कौन सी योजना कब से क्यों बन्द है? (घ) उक्त बन्द नल जल योजना चालू करवाने के संबध में विभाग के अधिकारियों ने क्या-क्या कार्यवाही की? उक्त योजनायें कब तक प्रारंभ होगी?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-1 एवं 2 अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-3 अनुसार है। (ग) एवं (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-4 अनुसार है।
श्री चम्पालाल देवड़ा:- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हूं कि जो नल जल योजना लगातार तीन चार वर्ष से चल रही है वह कब तक पूर्ण कर ली जायेगी और जो नल जल योजनाएं बंद हैं उस नल जल योजना को कब तक चालू करने की कृपा करेंगे.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले:- अध्यक्ष महोदय, विधायक जी नल जल योजना का नाम बतायें तो मुझे बताने में सुविधा हो जायेगी.
अध्यक्ष महोदय:- कोई स्पेसिफिक ऐसी है जो बंद हो या अभी प्रारंभ नहीं हुई हो.
श्री चम्पालाल देवड़ा :- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में माननीय मंत्री महोदय ने जवाब दिया है कि जानकारी पुस्तकालय में है.
अध्यक्ष महोदय:- पहले आप जानकारी को पढ़ लीजिये उसके बाद में यदि ऐसा लगता है कि कुछ योजनाएं ऐसी हो जो प्रारंभ नहीं हुई हैं तो मंत्री महोदया को लिखकर दे दीजिये.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले :- अध्यक्ष महोदय, सारी जानकारी हमने प्रपत्र में शामिल कर दी है और प्रश्नावली के साथ में उत्तर में संलग्न है. मैं विधायक जी से निवेदन करूंगी की कृपया उसे पढ़ लें.
अध्यक्ष महोदय :- आप पूरी जानकारी पढ़ लें और उसमें कोई दिक्कल आती है तो मंत्री जी को लिखकर दे दें.
श्री मुकेश नायक :- अध्यक्ष महोदय, बुन्देलखण्ड पैकेज की 1200 नल जल योजनाओं में 997 योजनाएं बंद पड़ी हैं.
अस्थायी खण्ड लेखकों का नियमितीकरण
15. ( *क्र. 847 ) श्री आर.डी. प्रजापति : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में कलेक्टरों के अधीन अभिलेखागार एवं अन्य शाखाओं में अस्थायी तौर पर कार्यरत खण्ड लेखकों को नियमित नियुक्ति के आदेश माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये हैं? यदि हाँ, तो क्या उक्त आदेश के पालन में उन्हें नियमित नियुक्ति दी गई? यदि नहीं, तो कब तक दी जावेगी? (ख) क्या न्यायालय के पूर्व आदेशानुसार उक्त अस्थायी खण्ड लेखकों को नियमित लिपिक पद पर नियुक्ति दी गई है? यदि नहीं, तो विलंब के लिए कौन उत्तरदायी है?
श्री आर.डी.प्रजापति :- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल रात को 9 बजे कार्यवाही मिली और उसमें लिखा था कि जानकारी एकत्रित की जा रही है और सुबह देखा तो ‘’जी नहीं ‘’ हो गया. मेरा निवेदन है कि आपके यहां अस्थायी खण्ड लेखक आपके यहां हैं, जो रात दिन काम कर रहे हैं, भविष्य में इनको कब तक स्थायी किया जायेगा. यह मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं. अगर किया जायेगा तो कब तक ?
श्री रामपाल सिंह :- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने पूछा था कि उच्चतम न्यायालय द्वारा दिेये गये निर्देश, इसमें उच्चतम न्यायालय द्वारा कोई निर्देश नहीं है. फिर भी विधायक जी दूसरा प्रश्न पूछ रहे हैं, तो कुछ अन्य न्यायालयों का प्रकरण है तो हम उनका अलग अलग पृथक से निराकरण कर रहे हैं और उनका पालन हम लोग कर रहे हैं.
श्री आर.डी.प्रजापति :- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि वह कब तक हो जायेगा. चूंकि अस्थायी खण्ड लेखक हैं, पूरे प्रदेश में अस्थायी खण्ड लेखक हैं, बहुत परेशान हैं तो इनको कब तक नियमित कर दिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय:- आपकी बात आ गयी है.
प्रश्न क्रमांक -16 – अनुपस्थित.
खरीफ फसल की नुकसानी का आंकलन
17. ( *क्र. 960 ) श्री हर्ष यादव : क्या राजस्व मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सागर जिलान्तर्गत देवरी विधानसभा क्षेत्र में खरीफ 2015 में किन-किन फसलों का कितने-कितने प्रतिशत नुकसान/हानि अब तक आकलित की गई है? (ख) उक्त क्षेत्र के कितने कृषकों की कौन-कौन सी फसल की कितनी क्षति हुई है? किस फसल की, कितने प्रतिशत क्षति पर प्रति हेक्टेयर कितना मुआवजा दिये जाने की योजना है? (ग) क्या उड़द, मूंग व अरहर की फसलों में हुई क्षति का मुआवजा कृषकों को दिया जाएगा? यदि नहीं, तो क्यों? (घ) छोटे शासकीय सेवकों व वृत्तिकर दाताओं के नाम अंकित भूमि पर फसल नुकसानी का मुआवजा न दिये जाने के क्या-क्या कारण हैं? (ड.) देवरी व केसली तहसील में खरीफ 2015 में वास्तविक उपज के आंकड़ो की जानकारी उपलब्ध करावें।
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) सागर जिला अंतर्गत देवरी विधानसभा क्षेत्र में खरीफ 2015 में सोयाबीन एवं उड़द में 25 प्रतिशत से 33 प्रतिशत एवं 33 प्रतिशत से अधिक हानि अब तक आंकलित की गई है। (ख) उक्त क्षेत्र के 58770 प्रभावित कृषकों की 51825 हेक्टेयर भूमि में उड़द तथा सोयाबीन की फसल में 25 प्रतिशत से 33 प्रतिशत से अधिक की क्षति हुई है। फसलों की क्षति में प्रति हेक्टेयर राहत राशि दिये जाने का प्रावधान आर.बी.सी. 6-4 अनुसार है जो पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "अ" अनुसार है। (ग) उड़द की क्षति की राहत राशि दी जा रही है। मूंग एवं अरहर में क्षति प्रतिवेदित नहीं है। अत: मूंग अरहर की फसलों के लिए राहत राशि नहीं दी जा रही है। (घ) आर.बी.सी. 6-4 के तहत सभी पात्र प्रभावित क़षकों को राहत राशि दिये जाने का प्रावधन है। (ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "ब" अनुसार है।
श्री हर्ष यादव :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्न है, उसके हिसाब से मंत्री जी ने जवाब दिया है तथ्यपूर्ण नहीं है. मेरा निवेदन है कि मैंने जो पूछा था वह जानकारी नहीं दी गयी है और जो जानकारी दी उसमें भी इतनी भ्रामक जानकारियां हैं.
मेरा प्रश्न यह है कि देवरी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत देवरी और केसली में कितने प्रतिशत नुकसान हुआ है, उस पर मंत्री जी ने कहा है कि 25 प्रतिशत से लेकर 33 प्रतिशत तक, जबकि हमारे विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कलेक्टर साहब आये थे, जवाहरलाल नेहरू कृषि विधानसभा क्षेत्र के विशेषज्ञ 20 अगस्त को आये थे तो उन्होंने खुद स्वीकार किया था और सागर के सभी अखबारों में छपा था उन्होंने खुद स्वीकार किया था, कलेक्टर महोदय ने स्वीकार किया कि 100 प्रतिशत नुकसान हुआ है. मंत्रीजी और शासन ने जो जानकारी दी है उसमें 25 से लेकर 33 प्रतिशत तक का नुकसान बताया है. मेरे विधान सभा क्षेत्र के अन्तर्गत जितने भी गांव हैं सब पीला मोजेक और गरडल बीटल की बीमारी से ग्रसित थे सूखा तो बाद में आया है सबसे ज्यादा नुकसान इन बीमारियों की वजह से हुआ है यह कृषि वैज्ञानिकों ने भी स्वीकार किया था. मेरा यह कहना है कि तथ्यात्मक जानकारी न देकर सदन को गुमराह करने की कार्यवाही क्यों की जाती है किसानों के साथ अन्याय क्यों जब 100 प्रतिशत नुकसान हुआ है. मैं नवदुनिया अखबार बताना चाहता हूँ उसके मुख्य पृष्ठ पर खबर आयी है मुख्यमंत्री और मंत्रियों के क्षेत्र में मुआवजा राशि ज्यादा वितरण होगी और कांग्रेस विधायकों के साथ अन्याय होगा.
अध्यक्ष महोदय—नहीं अखबार बताकर प्रश्न नहीं पूछ सकते हैं.
श्री हर्ष यादव—यह लिखा हुआ है और आज के जवाब से मैंने यह महसूस किया है. मेरा प्रश्न यह है कि 100 प्रतिशत नुकसान कलेक्टर और कृषि वैज्ञानिकों ने मान लिया है तो सभी किसानों को वहां पर 100 प्रतिशत राहत राशि मिलना चाहिये.
श्री रामपाल सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी को अलग से पूरी जानकारी दे दी गई है. जहां तक आपका सवाल है 33 प्रतिशत यदि नुकसान है तो उसे 100 प्रतिशत मान ही रहे हैं और आपका पूरा क्षेत्र उसमें आया है. आपकी बात सही है उसको मैं स्वीकार कर रहा हूँ. पूरी क्षति का आंकलन बड़ी गंभीरता से किया है. सागर जिले में 133 करोड़ 95 लाख रुपये राहत राशि जारी की है यह सब सुविधायें आपके क्षेत्र में दे रहे हैं. यदि आप कह रहे हैं कि भ्रामक जानकारी दे रहे हैं तो पूरी जानकारी मैं आपको दे देता हूं मेरे पास रखी हुई है यह मैं आपको उपलब्ध करा दूंगा.
श्री हर्ष यादव—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा पूरक प्रश्न है जो कि दलहन से जुड़ा हुआ है. चूंकि दलहन प्रदेश में बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है दाल की कीमत बढ़ी हुई है. मेरा यह कहना है कि क्या दलहन को, अरहर और मूंग को आरबीसी में शामिल करेंगे ? यह किसानों से जुड़ा हुआ मुद्दा है.
श्री रामपाल सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, यह शामिल है लेकिन आपके क्षेत्र से मांग नहीं आयी है, आपके यहां इसकी बोहनी नहीं हुई है इसलिये इसकी मांग नहीं आई है लेकिन यह शामिल है.
नरयावली विधानसभा क्षेत्रांतर्गत संचालित आंगनवाड़ी केन्द्र
18. ( *क्र. 784 ) इन्जी. प्रदीप लारिया : क्या महिला एवं बाल विकास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) नरयावली विधानसभा क्षेत्र में सागर एवं राहतगढ़ विकासखण्ड में कितने आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं? (ख) वर्तमान में कितने आंगनवाड़ी केन्द्र स्वयं के भवन में, कितने आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के मकान में एवं कितने आंगनवाड़ी केन्द्र के भवन निर्माणधीन हैं एवं कितने आंगनवाड़ी भवन स्वीकृत हैं? (ग) निर्माणधीन एवं स्वीकृत आंगनवाड़ी भवन कब तक पूर्ण होंगे?
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) नरयावली विधानसभा क्षेत्र के सागर एवं राहतगढ़ विकासखण्ड में 258 आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं। (ख) नरयावली विधानसभा क्षेत्र के सागर एवं राहतगढ़ विकासखण्ड अंतर्गत संचालित केन्द्रों हेतु 95 आंगनवाड़ी भवन स्वीकृत किये गये हैं। वर्तमान में इनमें से 52 आंगनवाड़ी भवन पूर्ण हो चुके हैं, जिनमें आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं। 76 आंगनवाड़ी केन्द्र किराये के भवन में, 43 आंगनवाड़ी भवन निर्माणाधीन हैं। शेष 130 आंगनवाड़ी केन्द्र अन्य शासकीय भवनों में संचालित हैं। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) निर्माणाधीन आंगनवाड़ी भवन एवं स्वीकृत आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण करा लिया जाएगा। समय-सीमा दिया जाना संभव नहीं है।
इंजी. प्रदीप लारिया—अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब (ख) में 43 भवन निर्माणाधीन बताये गये हैं यह भवन कब तक पूर्ण हो जायेंगे इसकी समयसीमा नहीं बतायी गई है. मेरा यह कहना है कि एक तो समयसीमा आ जाये क्योंकि जब एजेंसी फिक्स होती है तो समयसीमा भी उसमें बतायी जाती है कि इतने समय में यह पूर्ण हो जायेगा. दूसरा प्रश्न है कि 33 आंगनवाड़ी भवन किराये पर चल रहे हैं और 20 जो शासकीय भवनों में चल रहे हैं उनकी हालत काफी जर्जर है. इन तीनों प्रश्नों का जवाब एक साथ आ जाये.
श्रीमती माया सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय विधायक जी ने जो सवाल पूछे हैं वे तीनों सवाल आंगनवाड़ी से संबंधित हैं उसमें मैंने उत्तर भी दिया है. उन्होंने जो निर्माण कार्य के बारे में पूछा है तो जितने भी निर्माणाधीन और स्वीकृत आंगनवाड़ियों का काम है वह शीघ्र ही पूरा करा लिया जायेगा, समयसीमा दिया जाना संभव नहीं है. आंगनवाड़ी जो भवन हैं जिनके बारे में इन्होंने कहा है कि किराये पर चल रहे हैं उनके उन्नयन का भी काम चल रहा है वह भी जल्दी ही हम पूरा करेंगे कुछ आंगनवाड़ी भवनों का उन्नयन करा दिया गया है.
इंजी. प्रदीप लारिया—अध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी के जवाब में स्पष्ट है कि 33 भवन किराये पर चल रहे हैं उनकी कोई प्लानिंग नहीं है अभी यदि वे वर्ष 2015-16 की प्लानिंग में हैं तो वह बता दें और जो 20 भवन ऐसे हैं जो कि जर्जर हालत में हो गये हैं छोटे-छोटे बच्चे वहां पर पढ़ने जाते हैं, खेलते हैं, ऐसा न हो कि वह जर्जर भवन धराशायी हो जाएँ और इसमें कोई गंभीर घटना घट जाए, इसमें समय सीमा बताना इसलिए भी आवश्यक है, नहीं तो वे काम ले लेते हैं और डाले रहते हैं और फिर अधूरा छोड़ देते हैं, तो समय सीमा तो मैं समझता हूँ यह तय होगा कि कब वह पूर्ण होना है. वही समय सीमा बता दें कब पूर्ण होना है.
श्रीमती माया सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने जिन भवनों का जिक्र किया है कि जो भवन जर्जर हालत में हैं, मैं सम्माननीय विधायक जी को आश्वासन देती हूँ कि हम भवनों को तुरन्त ही, जो हमारे शासकीय विद्यालय हैं, उनमें हमने जहाँ जहाँ शिफ्ट किए हैं, वहाँ उन भवनों को हम शिफ्ट करेंगे और रहा समय सीमा बताने का तो अध्यक्ष जी, मैंने पूर्व में भी कहा है कि निर्माण कार्य हम जल्दी पूरा कर लेंगे लेकिन समय सीमा बताना मेरे लिए संभव नहीं है.
इंजी.प्रदीप लारिया-- अध्यक्ष महोदय, समय सीमा बताने में क्या दिक्कत है?
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
अध्यक्ष महोदय-- शून्यकाल की सूचनाएँ.
जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी.....
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय.....
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, एक महत्वपूर्ण बात है मध्यप्रदेश की लोकतांत्रिक अस्मिता का सवाल है....
अध्यक्ष महोदय-- पहले जो आई हैं लिखी हुई यह पढ़ लें...
श्री जितू पटवारी-- इसके बाद शून्यकाल का क्या है?
अध्यक्ष महोदय-- यह शून्यकाल की सूचनाएँ जो पहले लिख कर दे दी हैं उसके बाद आपको 2 मिनट दे देंगे. श्री संजय पाठक कृपया अपनी शून्यकाल की सूचना पढ़ें.
11.32 बजे
नियम 267- क के अन्तर्गत विषय.
(1) श्री संजय पाठक(अनुपस्थित)
(2) रतलाम की ग्राम पंचायत प्रीतमपुरा एवं मांगरौल के किसानों की फसल खराब होने पर मुआवजा न मिलना.
डॉ गोविन्द सिंह(लहार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
(3) मुरैना अस्पताल में नियम विरुद्ध फर्शीकरण कराया जाना.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार(सुमावली)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
(4) जावरा नगर में रतलामी नाका से अरनिया पीथा मण्डी तक विद्युतीकरण न होना.
श्री राजेन्द्र पाण्डेय(जावरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है-
लेबड़-नयागाँव फोरलेन स्थित रतलाम जिले के जावरा नगर में रतलामी नाका से लेकर अरनिया पीथा मण्डी तक के फोरलेन पर व्यापारिक एवं घना आवासीय क्षेत्र होने से स्थानीय एवं आसपास के सैकड़ों यात्रियों का आवागमन निरंतर बना रहता है. उक्त क्षेत्र में ना तो सड़क ठीक है ना ही सुरक्षात्मक उपाय किए गए हैं, ना ही वृक्षारोपण का कार्य किया गया है और ना ही उचित रूप से नाली निर्माण का कार्य किया गया है, साथ-साथ मार्ग के दोनों ओर विद्युतीकरण का कार्य भी नहीं किए जाने से दुर्घटनाएँ निरंतर हो रही हैं. जिससे आमजन में गहरा आक्रोश है.
5.श्योपुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय में एल.एल.बी. की कक्षायें प्रारंभ न होना
श्री दुर्गालाल विजय( श्योपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है..
6.कटनी जिले के महापौर एवं अध्यक्ष द्वारा वाहनों का दुरुपयोग किया जाना
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है----
7.मुरैना जिले में अ.जा., अ.ज.जाति कल्याण की राशि बैंकों द्वारा प्रदाय न करने से कार्य न होना
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया(दिमनी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है...
8. अंत्योदय समिति द्वारा आवासी भूमि पर निवास हेतु पट्टेधारियों को क्रय विक्रय किये जाने की सुविधा दी जाना
श्री ठाकुरदास नागवंशी(पिपरिया)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है....
(9) इन्दौर-उज्जैन संभाग में दूषित पानी का बेचा जाना.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया(मंदसौर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है—इन्दौर, उज्जैन संभाग में अमानक स्तर का बोतलबंद दूषित पानी, प्लास्टिक के पाउच चौराहे चौराहे पर बेचे जा रहे हैं. इसमें ना तो कम्पनी का नाम होता है और न ही पानी की पेकिंग दिनांक एवं न ही उनके उचित मूल्य अंकित होते हैं. कई बार तो ये दुकानदार पानी ठण्डा करने के नाम पर प्रति बोतल 10 से 15 रुपये तक अधिक वसूल लेते हैं. ये धंधा मुख्यत: रेलवे स्टेशन के बाहर, विभिन्न बस स्टेण्ड एवं चाय की दुकानों पर फलफूल रहा है. इस सम्पूर्ण धंधे को फलने-फूलने में क्षेत्र के अधिकारियों की लापरवाही निश्चित रुप से झलकती है. इनमें कई बोतलबंद पानी तो ऐसे हैं जिनकी पेकिंग दिनांक लगभग 1 वर्ष पुरानी होती है जिससे अधिक मूल्य देने के बावजूद भी नागरिकों के सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. इऩ्दौर-उज्जैन संभाग के समस्त बस स्टेण्ड, रेलवे स्टेशन के बाहर चाय की दुकानों की सघन जांच की जाए और ऐसी कम्पनियों के खिलाफ सख्ती से कार्यवाही की जाए.
10.नगर परिषद एवं नगरपालिका से 5 कि.मी. की दूरी पर स्थित गांवों को आवास एवं होम स्टेट योजना का लाभ न मिलना
श्री कैलाश चावला(मनासा)—अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है—नगर परिषद/नगर पालिका क्षेत्र के पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव के नागरिकों को ग्रामीण क्षेत्र में दिये जाने वाली योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है जैसे मुख्यमंत्री आवास योजना/ इंदिरा आवास योजना/ होम स्टेट योजना लाभ प्राप्त हो रहा है. जिससे नगरीय क्षेत्र के पांच किलोमीटर के पास स्थित गांवों के ग्रामीणों में असंतोष है. जनहित में इन गांवों में या तो ग्रामीण क्षेत्र की मुख्यमंत्री आवास योजना/इंदिरा आवास योजना/होम स्टेट योजना या नगरीय क्षेत्र की आवासीय योजना के तहत सुविधा प्रदान करने का कष्ट करें.
श्री जितू पटवारी(राऊ)—धन्यवाद अध्यक्ष जी, मेरी शून्यकाल की सूचना का संदर्भ इस प्रकार है…….( xxx )….
अध्यक्ष महोदय—डिस अलाउड. यह विषय नहीं है. यह कुछ भी नहीं लिखा जायेगा.
श्री विश्वास सारंग—अध्यक्ष जी, इसको विलोपित करवाइये.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय— यह क्या है? कृपा करके इनको समझाइये.
श्री विश्वास सारंग—अध्यक्ष जी, जी मेरा ऐसा मानना है, कल भी जितू पटवारी जी ने इस सदन का मध्यप्रदेश विधानसभा का और उन लोगों का जो बड़वानी में घायल हुए हैं, उनका मजाक उड़ाया, सदन को उनकी भर्त्सना करनी चाहिए.(XXX).ये फोटो खिचाओ राजनीति कर रहे हैं.मीडिया में बने रहने के लिए मध्यप्रदेश की संसदीय परम्पराओं को तार तार कर रहे हैं, इनकी भर्त्सना होनी चाहिए( शेम-शेम की आवाजें)
(xxx) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री जितू पटवारी – अध्यक्ष जी, मैंने क्या अपमान किया है, इनको माफी मांगनी चाहिए. .... व्यवधान....
श्री विश्वास सारंग (नरेला) – अध्यक्ष जी, (XXX), फोटो खिंचाऊ राजनीति कर रहे हैं. ये नई परंपरा पैदा कर रहे हैं और मध्यप्रदेश विधान सभा की परंपराओं को तार-तार कर रहे हैं.
.... व्यवधान....
अध्यक्ष महोदय – कृपया सभी बैठ जाएं. माननीय सदस्य जितू पटवारी जी ने हाथ उठाकर के अनुमति मांगी, जबकि उनका नाम शून्यकाल की सूचनाओं में नहीं था और मैंने ये विचार करके कि क्षेत्र की कोई बड़ी आवश्यक जरूरी समस्या है जिसको वे यहां पर उठाना चाहते हैं अनुमति दी, पर मुझे खेद है कि वे इस तरह की सद्भावना का दुरुपयोग करते हैं. माननीय सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि सद्भावना का दुरुपयोग नहीं करें. आगे से सभी माननीय सदस्य इसका ध्यान रखेंगे. आपको इसलिए अनुमति दी जाती है कि क्षेत्र की महत्वपूर्ण समस्या को उठाएं, विवादास्पद विषय जान-बूझकर के इस तरह से उठाना सदन के समय का दुरुपयोग है. रावत जी, बोलें.
श्री शंकर लाल तिवारी (सतना) –(XXX)
.... व्यवधान....
अध्यक्ष महोदय – यह सब विलोपित कर दें. पंडित जी बैठ जाइये.
.... व्यवधान....
श्री विश्वास सारंग – उन्हें माफी मांगनी चाहिए.
.... व्यवधान....
अध्यक्ष महोदय – तिवारी जी, बैठ जाइये, रावत जी कुछ कह रहे हैं.
.... व्यवधान....
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) – अध्यक्ष जी, मुझे आपने अनुमति दी है, मुझे बोलने दें.
अध्यक्ष महोदय – हां अनुमति दी है पर आप बोल नहीं रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत – अध्यक्ष महोदय, आज पूरा प्रदेश सूखे की मार से पीड़ित है और सूखे के कारण पूरे प्रदेश में राहत राशि ठीक से वितरित नहीं हो पाई है, भूजल स्तर गिर गया है, किसान जबरदस्त परेशान है, बीमा राशि मिल नहीं पा रही है. इस तरह का संकट उत्पन्न हो गया है नियम 139 की चर्चा दी है और मैं समझता हूँ कि पूरा सदन और सभी सदस्य चाहते हैं कि सूखे पर नियम 139 की चर्चा स्वीकार कर ली जाए. विपक्ष के लोग बोलें और सत्ता पक्ष के भी लोग बोलें. (व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय – चलिए आपकी बात आ गई है. (व्यवधान...)
श्री रामनिवास रावत – अध्यक्ष जी, और दूसरा मैं यह निवेदन करना चाहूँगा कि जिस तरह से आपने विपक्ष के सदस्य पर टिप्पणी की लेकिन सत्ता पक्ष के सदस्यों का इस तरह का व्यवहार क्या उचित है. (व्यवधान ...)
अध्यक्ष महोदय – उनकी बात विलोपित कर दी. वे बिना अनुमति से बोल रहे थे और ये अनुमति से बोल रहे थे यह फर्क है. यदि अनुमति से भी अनर्गल बात की जाएगी तो वह बिल्कुल सहन नहीं की जाएगी. ये बिना अनुमति से बोल रहे थे, वह कार्यवाही से हटा दी है. (व्यवधान ...)
श्री रामनिवास रावत – जो नियम हम पर लागू होते हैं वे नियम उन पर भी लागू होते हैं. (व्यवधान ...)
श्री उमाशंकर गुप्ता – रावत जी, क्या आपका व्यवहार उचित है, हर प्रश्न पर आप उठकर बोलते हैं, क्या आप हर बात पर बोलेंगे. (व्यवधान ...)
श्री रामनिवास रावत – मैंने अध्यक्ष जी की अनुमति से बोला है क्या मुझे आपकी अनुमति लेनी पड़ेगी. (व्यवधान ...)
अध्यक्ष महोदय – कृपया बैठ जाएं.
समय – 11.50 बजे.
पत्रों का पटल पर रखा जाना.
आयुक्त नि:शक्तजन मध्यप्रदेश का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-14.
(क) एमपी स्टेट एग्रो इण्डस्ट्रीज जेव्हल्पमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड का 44वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2012-13 तथा
(ख) मध्यप्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2009-10, 2010-11 तथा 2011-12
मध्यप्रदेश ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट फेसिलिटेशन कार्पोरेशन लिमिटेड का सैंतीसवां वार्षिक प्रतिवेदन तथा लेखे वित्तीय 2013-14
समय 11.55 बजे ध्यानाकर्षण
श्री शैलेन्द्र जैन ( सागर )
वित्त मंत्री ( श्री जयन्त मलैया )—माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री शैलेन्द्र जैन—अध्यक्षजी, माननीय मंत्रीजी हमारे विधानसभा क्षेत्र के समीपस्थ विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और सागर से उनका बड़ा गहरा लगाव है. ऐसे में मुझे नहीं लगता की सागर की विद्युत व्यवस्था से व्याप्त असंतोष से वह वाकिफ ना होंगे. मुझे पूरा विश्वास है कि वे बहुत संवेदनशील व्यक्ति हैं. उन्हें ये सारी परिस्थितियां निश्चित रुप से ध्यान में आयी होंगी.
अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2012 में जबसे एस्सेल विद्युत कंपनी ने कार्यभार संभाला है. उसके पूर्व के एक या दो वर्ष के उपभोक्ताओं, जिनकी संख्या लगभग 67 हजार है, के एवरेज बिल हम देख लें और दिसम्बर 2012 से दिसम्बर 2015 तक जो बिल आ रहे हैं, उन बिलों का एवरेज बिल आप दिखवा लें. उसमें कहीं 100 प्रतिशत से लेकर 1000 प्रतिशत तक का फर्क आ गया है. यह फर्क स्वतः अपने आप में इस बात द्योतक है कि वहां पर वित्तीय अनियमितताएं हो रही हैं. बिलों में गड़बड़ियां हो रही हैं.
अध्यक्ष महोदय—आप प्रश्न करें.
श्री शैलेन्द्र जैन—अध्यक्षजी, बहुत गंभीर समस्या है. आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा. आपका संरक्षण भी चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, बिलिंग करने के नाम पर वहां पर ठेका दे दिया गया है जो असामाजिक तत्वों का गिरोह हैं, ऐसे गिरोहों को बिल वसूली का ठेका दे दिया गया है. ऐसे लोग अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके गरीब जनता को डरा धमकाकर अधिक बिल वसूलने का काम कर रहे हैं, अनाधिकृत रूप से जिनके पास न कोई ड्रेस है, न उनके पास आई कार्ड है, ऐसे तमाम लोगों को भरती कर लिया गया है एस.एल विद्युत कंपनी में और ऐसे लोगों के द्वारा अनाधिकृत रूप से वगैर मुखिया की अनुपस्थिति में महिलाओं के द्वारा अभद्र व्यवहार किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- आप सीधे प्रश्न कर दें, यह तो आया है.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी बड़ी प्रार्थना है कि जो जांच हुई थी उस जांच में एस.एल. कंपनी की कार्य प्रणाली पर असंतोष प्रकट किया गया था, उसकी जांच की रिपोर्ट मेरे पास है. मैं माननीय अध्यक्ष महोदय आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि आप माननीय मंत्री महोदय को निर्देशित करने की कृपा करें कि एक बार पुन जांच करा ली जाये कि जो रिड्रेसिल सेल है उसमें एस.एल. कंपनी के लोग हैं और वह उपभोक्ताओं की कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न कर दें आप, सब बात ही खत्म हो जायेगी ऐसे में. इतनी लंबी आप बात करेंगे तो जो मूल प्रश्न आप करना चाहते हैं वह रह ही जायेगा.
श्री शैलेन्द्र जैन-- जी माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं कि यह बड़े पैमाने पर वहां पर मीटर बदले गये हैं, साल में दो-दो बार, तीन-तीन बार और इन्होंने कहा जब तक कि गुणवत्ता वाले मीटर, तो गुणवत्ता वाले मीटर ...
अध्यक्ष महोदय-- नहीं तो आप क्या चाहते हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं कि पूरे मामले की निष्पक्ष बड़ी एजेंसी द्वारा भोपाल की एजेंसी द्वारा जांच कराई जाये और उसमें मुझे विधायक के नाते, जनप्रतिनिधि के नाते उसमें शामिल किया जाये.
श्री जयंत मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि विधायक जी चाहते हैं उनकी उपस्थिति में उच्च स्तरीय जांच करा दी जायेगी, एक जांच दल भोपाल से गठित कर दिया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
(12.07 बजे माननीय उपाध्यक्ष राजेन्द्र कुमार सिंह पीठासीन हुये)
इंजी. प्रदीप लारिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में भी एस.एल. कंपनी द्वारा विद्युत प्रदाय की जा रही है. मेरा जो विधानसभा क्षेत्र का मकरोनिया और सदर है इसमें भी जो 2012 के पूर्व जब एमपीईबी यह कार्य करती थी, उसके बाद एस.एल. कंपनी का ठेका हुआ तो मेरा निवेदन यह है कि इसका पूरा परीक्षण करा लिया जाये, 2012 के पूर्व और 2012 के बाद जिस तरह से यह बिल 6 से लेकर 10 गुने बिल आ रहे हैं, सदर और मकरोनिया को भी इसमें शामिल कर लिया जाये. माननीय मंत्री जी से मैं आग्रह करूंगा कि सदर और मकरोनिया को भी इस जांच में सम्मिलित कर लें और मेरे समक्ष वह जांच हो.
श्री जयंत मलैया-- जी कर देंगे.
इंजी. प्रदीप लारिया-- बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय एक बिनती और है मैं चाहता हूं कि जब तक यह पूरी की पूरी जांच नहीं हो जाती है, जब तक यह हजार गुना तक के बिल आ रहे हैं, ऐसे बिलों की उगाही स्थगित कर दी जाये, इस तरह का निवेदन मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से करना चाहता हूं ।
12.05 बजे
ग्रेसिम इण्डस्ट्रीज बिरला ग्राम नागदा द्वारा श्रमिकों की सेवा निवृत्ति आयु संबंधी शासन के आदेश का पालन न करने से उत्पन्न स्थिति
श्री दिलीप सिंह शेखावत(नागदा-खाचरौद)—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
श्रम मंत्री (श्री अंतर सिंह आर्य ) – माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
श्री दिलीप सिंह शेखावत – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय मंत्री जी ने उत्तर दिया है कि लगभग पूरे मध्यप्रदेश में 500 श्रमिकों को 58 साल में ही सेवा निवृत्त कर दिया इसमें आक्रोश व्याप्त नहीं होगा, मुझे यह समझ में नहीं आया कि मंत्री जी किस प्रकार से जबाव दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरी बात जो मेरी जानकारी है जब कभी भी औद्योगिक विवाद होता है उस औद्योगिक विवाद में त्रिपक्षीय वार्ता होती है . माननीय मंत्री जी मुझे यह बताने की कृपा करें कि आज दिनांक तक एक बार भी क्या त्रिपक्षीय वार्ता हुई है, अगर त्रिपक्षीय वार्ता नहीं की गई तो इसमें कौन दोषी है.दूसरा मेरा एक प्रश्न और है कि जो ग्रेसिम में अभी तक लगभग 167 लोगों को 58 साल में रिटायर कर दिया है, उनका संरक्षण आप कैसे करेंगे, क्योंकि डेढ़ साल तो आपके गजट नोटिफिकेशन को हो गया है और 6 महीने बाद में दो साल हो जायेंगे. 60 साल के बाद आप उनको काम नहीं दे सकते, तो मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि एक तो त्रिपक्षीय वार्ता अभी तक क्यों नहीं हुई और अगर नहीं हुई, तो इसके लिये दोषी कौन है, उनके ऊपर आप क्या कार्यवाही करेंगे. दूसरा, सात दिवस के अंदर त्रिपक्षीय वार्ता आप क्या करा लेंगे.
श्री अंतर सिंह आर्य – उपाध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जहां तक जो त्रिपक्षीय वार्ता की बात कही है, शासन स्तर पर त्रिपक्षीय वार्ता नहीं हुई है. हमारे विभाग के अधिकारी के माध्यम से यह बात हुई है और आपने मांग की है कि यह त्रिपक्षीय वार्ता 7 दिन के अंदर होना चाहिये. मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसी महीने की 30 तारीख तक, 30 दिसम्बर तक त्रिपक्षीय वार्ता हम बुलायेंगे, चर्चा करेंगे और इसका हम समाधान करने का पूरा प्रयास करेंगे.
श्री दिलीप सिंह शेखावत – उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न में एक निवेदन भी करुंगा और आपका संरक्षण भी चाहूंगा. जब आपने 3-3 नियम बना दिये और अब तो 30 दिसम्बर,2014 को आपने यह नियम ही बना दिया दिया, तो मेरी आपसे बहुत विनती है कि अब 58 साल में कोई आदमी रिटायर्ड नहीं हो, यह सुनिश्चित हो पायेगा, क्योंकि अब जब नियम ही बन गया, तो आप बाध्य करें उनको अधिकारियों के माध्यम से, शासन के माध्यम से, मुझे एक यह आश्वासन चाहिये और एक निवेदन है, जो इससे ही जुड़ा हुआ मामला और है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा और उनको बताना भी चाहूंगा कि मेरी जानकारी के अनुसार ग्रेसिम उद्योग के अंदर लगातार रेगुलर वर्क होता है, उसमें 25 सालों से ठेकेदारी श्रमिक काम करते हैं. लेकिन उद्योग द्वारा उन्हें चाहे जब हटा दिया जाता है. मैं आपका संरक्षण चाहूंगा कि इस प्रकार के ठेका श्रमिकों का संरक्षण करते हुए उन्हें तत्काल हाटाया नहीं जाय, मैं यह आपसे संरक्षण चाहूंगा और आश्वासन भी.
श्री अंतर सिंह आर्य – उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जो ठेका श्रमिक वाली बात कही है, हम मजदूरों का, ठेका श्रमिकों का पूरा संरक्षण करेंगे, यह मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं.
श्री दिलीप सिंह शेखावत – उपाध्यक्ष महोदय, एक उत्तर नहीं आया कि जो नियम बन गया है, तो अब 58 साल में रिटायर नहीं होने देंगे, ऐसा कोई सुनिश्चित करेंगे क्या.
उपाध्यक्ष महोदय -- जो 58 से 60 साल के बीच में रिटायर कर रहे हैं, तो उसको लागू कैसे करवायेंगे.
श्री अंतर सिंह आर्य – उपाध्यक्ष महोदय, इसके ऊपर हम शासन स्तर पर भी विचार करेंगे, क्योंकि श्रमिक हित में हमने यह 58 से 60 साल किया है और जहां तक वे ग्रेसिम उद्योग वाली बात बता रहे हैं कि वहां नियम का पालन नहीं कर रहे हैं, तो उसकी भी हम वृहद स्तर पर जांच करायेंगे.
श्री दिलीप सिंह शेखावत – मंत्री जी, जो पहले रिटायर हो गये, वह ठीक है, लेकिन अब तो कम से कम 58 साल में रिटायरमेंट नहीं होने दें, मैं इतना आश्वासन चाह रहा हूं.
श्री अंतर सिंह आर्य – उपाध्यक्ष महोदय, शासन स्तर पर इसका पूरा प्रयास किया जायेगा.
श्री दिलीप सिंह शेखावत – उपाध्यक्ष महोदय, मुझे पूर्ण आश्वासन चाहिये कि अब 58 साल में रिटायरमेंट नहीं होगा.
श्री अंतर सिंह आर्य – उपाध्यक्ष महोदय, हम पूर्ण आश्वासन दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – उन्होंने आश्वासन दे दिया है और अगर नियमों का पालन नहीं होगा, तो उनके खिलाफ कार्यवाही होगी, ऐसा मंत्री जी कह रहे हैं.
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा) -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि क्या शासन के निर्देशों का पालन नहीं कर रही ऐसी फैक्ट्रियों पर, शासन द्वारा जो उनको शासकीय सुविधायें दी जाती हैं, क्या वह बंद कर दी जायेंगी.
श्री अंतर सिंह आर्य – उपाध्यक्ष महोदय, शासन ने जो फैसले लिये हैं, उसको बंद करने का प्रश्न नहीं उठता.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- उपाध्यक्ष महोदय, वह आपके नियमों का पालन नहीं कर रही हैं, आपके नियमों का पालन नहीं हो रहा है, तो आप स्पष्ट करें कि आप उनके खिलाफ क्या कार्यवाही करेंगे.
श्री अंतर सिंह आर्य – उपाध्यक्ष महोदय, जहां जो नियम का पालन नहीं करते हैं, तो उसके खिलाफ हमारी जो कार्यवाही चल रही है, वह उत्तर में भी हमने बताया है.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि जैसे आपने अभी 58 से 60 साल कर दिया और पुराने लोगों को जो निकाल दिया गया है, तो उनको क्या वापस वह सुविधा मिलेगी.
श्री अंतर सिंह आर्य – सरकार ने जो कानून बनाये हैं, उसका अगर पालन नहीं करेंगे तो उनके खिलाफ कार्यवाही होगी क्योंकि सरकार ने इस कानून को बनाया है इसलिए हम पूरे मध्यप्रदेश में इसको लागू करायेंगे.
डॉ. रामकिशोर दोगने – आप इन 200 लोगों को वापिस लेंगे क्या ?
श्री अंतर सिंह आर्य – हमारी त्रिस्तरीय वार्ता होगी, उसमें चर्चा होगी.
उपाध्यक्ष महोदय – श्री दोगने जी, जवाब में आ गया है. उनके खिलाफ कार्यवाही हो रही है.
डॉ. रामकिशोर दोगने – उपाध्यक्ष महोदय, शासन ने नियम बनाये हैं. कोई फैक्ट्री पालन नहीं कर रही है. हम जमीन फ्री देते हैं, पानी फ्री देते हैं, बहुत सारी सुविधायें देते हैं तो क्या वह शासन वापिस लेगा. जो नियमों का पालन नहीं कर रहा है एवं उनको जो सुविधायें दी जा रही हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – हां, इसका जवाब दे दें मंत्री जी.
श्री अंतर सिंह आर्य – मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि जिस-जिस उद्योग में इसका पालन नहीं किया गया है. उसके हाईकोर्ट में प्रकरण दर्ज हुए हैं. यह मैंने उत्तर में बताया है. जो इस प्रकार से पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ भी हम कड़ी कार्यवाही करेंगे. हम आपको आश्वस्त करते हैं.
डॉ. रामकिशोर दोगने – मुझे एक आश्वासन चाहिए कि जो 200 लोगों का जीवन खराब किया है. 2 वर्ष उनके साथ अन्याय हुआ है तो क्या उसको वापिस लेंगे. आप ऐसा आदेश निकालेंगे.
श्री अंतर सिंह आर्य – अभी यह प्रकरण माननीय न्यायालय में विचाराधीन है और चूँकि यह तो पूरे प्रदेश में लागू है और जैसे ही न्यायालय में उसका निराकरण होगा. उसके ऊपर हम वापिस रखवाने की कार्यवाही करेंगे.
डॉ. रामकिशोर दोगने – उनके साथ अन्याय हुआ है तो उनको तनख्वाह, एरियर्स दो साल का मिलेगा क्या.
उपाध्यक्ष महोदय - दोगने जी, श्रम न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है. वहां से जो निर्णय होगा, उसका शासन पालन करायेगा.
डॉ. रामकिशोर दोगने – यह प्रकरण विचाराधीन नहीं है. उनके ऊपर कार्यवाही की है, नहीं कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – आप ग्रेसिम इण्डस्ट्रीज से संबंधित प्रश्न पूछ रहे हैं.
डॉ. रामकिशोर दोगने – ग्रेसिम इण्डस्ट्रीज से 200 लोगों को जो रिटायर्ड किया है.
उपाध्यक्ष महोदय - यह जवाब में आया है कि प्रकरण श्रम न्यायालय में विचाराधीन है और उद्योग गया है उच्च न्यायालय. हालांकि उच्च न्यायालय ने इस पर कोई स्थगन नहीं दिया है. लेकिन श्रम न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन है.
डॉ. रामकिशोर दोगने – उपाध्यक्ष महोदय, इनसे संबंधित नहीं है. इनको तो रिटायर्ड कर दिया गया है तो दो साल की सुविधायें.
श्री अंतर सिंह आर्य – मामला कोर्ट में चल रहा है. विचाराधीन मामला है, जो कोर्ट फैसला करेगा, उसके अनुसार निर्णय करेंगे.
डॉ. रामकिशोर दोगने – इनको न्याय दिलवायेंगे न. इनको न्याय का आश्वासन चाह रहे हैं, दिलवायेंगे न.
श्री अंतर सिंह आर्य – न्याय दिलवायेंगे.
श्री दिलीप सिंह शेखावत – जो 167 लोगों को 58 साल में ग्रेसिम इण्डस्ट्रीज ने रिटायर्ड कर दिया है, उनको सारे हितलाभ दिलवायेंगे क्या. यह मैं माननीय मंत्री जी से आश्वासन चाहता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी ने जवाब दे दिया है कि न्याय दिलवायेंगे. उन्होंने कह दिया है. श्री दिलीप सिंह जी वह न्याय में ही आ जाता है.
श्री दिलीप सिंह शेखावत – उपाध्यक्ष महोदय, न्याय से सारे हितलाभ जो उनको सर्विस करते हुए मिलेंगे, वे सारे हितलाभ दिलायेंगे क्या माननीय मंत्री जी.
श्री अंतर सिंह आर्य – माननीय न्यायालय के निर्णय के अनुसार हम उसका पालन हम करेंगे.
12.22
अनुपस्थिति की अनुज्ञा
1. निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-74 रीवा के सदस्य श्री राजेन्द्र शुक्ल की अनुपस्थिति की अनुज्ञा.
2. निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-136 सिवनी-मालवा के सदस्य श्री सरताज सिंह की अनुपस्थिति की अनुज्ञा.
12.24
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
याचिका समिति के 12वें से 17वें प्रतिवेदन की प्रस्तुति
सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के 66वें से 80वें प्रतिवेदन की प्रस्तुति
12:25 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति ।
1. कटनी जिले के विभिन्न विकास कार्य.
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद) -उपाध्यक्ष महोदय, मैं कटनी जिले के
क. ग्राम धुड्हर में जलाशय की मेड़ बंधान एवं जलाशय विस्तारीकरण किए जाने
ख. ग्राम सुगमा के लिए नहर बनाए जाने के संबंध में याचिकाएं प्रस्तुत करता हूँ ।
2. शाजापुर जिले के विकास कार्य.
श्री इन्दर सिंह परमार (कालापीपल)- उपाध्यक्ष महोदय, मैं शाजापुर जिले के -
क. लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क हेतु अधिग्रहित भूमि के मुआवजे का भुगतान किए जाने तथा
ख. पार्वती नदी पर स्थित देहरी घाट को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने के संबंध में याचिकाएं प्रस्तुत करता हूँ ।
3. भोपाल जिले के हलाली बांध डूब प्रभावितों को जमीन का मुआवजा दिलाया जाना .
श्री विष्णु खत्री ( बैरसिया)- उपाध्यक्ष महोदय, मैं भोपाल जिले के हलाली बांध डूब प्रभावितों को जमीन का मुआवजा दिलाए जाने, के संबंध में याचिका प्रस्तुत करता हूँ ।
4. विदिशा जिले के ग्राम लापरा में हायर सेकेण्डरी स्कूल प्रारम्भ किया जाना।
श्री वीर सिंह पवार(कुरवाई)- उपाध्यक्ष मैं, विदिशा जिले के ग्राम लापरा में हायर सेकेण्डरी स्कूल प्रारंभ किए जाने के संबंध में याचिका प्रस्तुत करता हूँ ।
5. शिवपुरी जिले के ग्राम बौसोरकलां के सतीपुरा मार्ग को सी.सी. रोड बनाया जाना ।
श्रीमती शकुन्तला खटीक(करेरा)- उपाध्यक्ष महोदय, मैं शिवपुरी जिले के ग्राम बौसोराकलां के सतीपुरा मार्ग को सी.सी. रोड बनाए जाने, के संबंध में याचिका प्रस्तुत करती हूँ ।
6; श्योपुर जिले के ग्राम बड़ौदा में अध्यन केन्द्र की स्थापना किया जाना ।
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं श्योपुर जिले के ग्राम बड़ौदा में अध्ययन केन्द्र की स्थापना किए जाने के संबंध में याचिका प्रस्तुत करता हूँ
7. नरसिंहपुर जिले के ग्राम आडेगांव कला में 33/11 के.वी. का विद्युत सब स्टेशन बनाया जाना।
श्री गोविन्द सिंह पटेल (गाडरवारा ) उपाध्यक्ष महोदय, मैं नरसिंहपुर जिले के ग्राम आडेगांव कलां में 33/11 के.वी. का विद्युत सब स्टेशन बनाए जाने के संबंध में याचिका प्रस्तुत करता हूँ ।
12:26 बजे वर्ष 2015-2016 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन ।
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के निर्देशानुसार वर्ष 2015-2016 के तृतीय अनुपूरक अनुमान का उपस्थापन करता हूँ ।
उपाध्यक्ष महोदय - मैं, इस तृतीय अनुपूरक अनुमान पर चर्चा और मतदान के लिए दिनांक 10 दिसम्बर 2015 को 2 घण्टे का समय नियत करता हूँ ।
12:27 बजे संकल्प .
सफाई कर्मचारी नियोजन और शुष्क शौचालय सन्निर्माण(प्रतिषेध) अधिनियम, 1993 (क्रमांक 46 सन् 1993) संसद द्वारा निरसित.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- उपाध्यक्ष महोदय,
उपाध्यक्ष महोदय - संकल्प प्रस्तुत हुआ .
डॉ.गोविन्द सिंह—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के द्वारा जो संकल्प प्रस्तुत किया गया है उसका मैं समर्थन करता हूं, क्योंकि प्रधानमंत्री जी ने भारत को स्वच्छ बनाने का जो संकल्प लिया है और इसका अभियान चलाया है, लेकिन अभियान में जो गति आनी चाहिये उसके तहत जो पुराना अधिनियम था 1993 क्रमांक 46 अब वास्तव में जरूरत नहीं है, चूंकि नया यूपीए की सरकार के द्वारा पुनर्वास नियोजन प्रतिशेध 2013 का 25 अधिनियमित किया जा चुका है उसमें भी वही पूरा प्रावधान है इसलिये पुराने अधिनियम की आवश्यकता नहीं है, इसलिये उसका निरसन जरूरी है, इसका मैं समर्थन करता हूं, परन्तु उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि इसमें आपने लिखा है कि मेला ढोने की प्रथा बंद करेंगे तथा शुष्क शोचालय समाप्त करेंगे. इसके साथ ही साथ इसमें अनुसूचित जाति वर्ग के लोग इसमें मेला ढोने का काम कर रहे हैं उनके लिये नियोजन का सदनिर्माण तथा उनको बसाने का काम भी किया जाएगा और वॉटर शीट शोचालय के निर्माण तथा उनके संरक्षण के लिये भी आप अभियान चलाएंगे और इसके तहत समूचे मध्यप्रदेश में प्रशासकीय स्वीकृति प्रत्येक नगर परिषदों को इस विभाग के द्वारा दे दी गई है, लेकिन मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आपका जो उद्देश्य है, आपने कानून तो बना लिया है, पास हो जाएगा तथा यहां से चला भी जाएगा तथा वहां से भी पास हो जाएगा, लेकिन जो आपने वॉटर शीट शोचालय बनाने का जो संकल्प लिया है, उसको पूरा कैसे करेंगे, इससे जुड़ा हुआ मुद्दा है कि उसको भी इसमें लिखना चाहिये था कि हम इस तरह से काम करेंगे. आपके पास में प्रदेश में पूरी तरह से न तो स्टॉफ है, आपके आठ-आठ नगर परिषदों में एक एक सब इंजीनियर है और आपके जो चुने हुए जन-प्रतिनिधि हैं, उन पर आपका विश्वास नहीं है. छोटे छोटे कामों के लिये जैसे 5-6 लाख रूपये का काम है, आपने डेढ़ डेढ़ करोड़ रूपये की नगर परिषदों को परमीशन दी है. किसी नगर परिषद को 80 लाख, किसी को 70 लाख की, कहीं पर 1 करोड़ 10 लाख रूपये की परमीशन दी है, जिससे आप शोचालय बनायें, लेकिन इन शोचालयों को बनायेगा कौन ? प्रधानमंत्री का, आपका जो उद्देश्य है, वह पूरा कैसे होगा ? पहले तो आप पूरी तरह से स्टॉफ की पूर्ति करें आपको एक वर्ष चुनावों को हो गये हैं हमारे खुद विधान सभा क्षेत्र में मैंने अनेक पत्र लिखें सभी अधिकारीगण तथा मंत्रियों को इसके लिये प्रमुख सचिव से भी मिल चुका हूं, इसमें आदेश भी हुए हैं, लेकिन आदेश के बाद भी आपकी सुन कौन रहा है ? आपके आदेश की अधिकारी तथा कर्मचारी धज्जियां उड़ा रहे हैं, आपके आदेश को फेंक देते हैं, ज्वान नहीं करते हैं, बाद में यहां पर चढ़ोत्तरी चढ़ा करके अपने ट्रांसफर केंसिल करा लेते हैं. आपने चार-चार तथा पांच-पांच ट्रांसफर किये हैं, आप संबंधित जगहों पर एक को भी नहीं पहुंचा पाये हैं. आखिर आपने जो उद्देश्य बनाया है, इसका होगा क्या ?
डॉ.गौरीशंकर शेजवार—उपाध्यक्ष महोदय, ट्रांसफर करना यह प्रशासनिक अधिकार जो हैं, वह शासन को हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह—आप तो काम करो, आप बैठ जाएं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार—उपाध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा निवेदन है इस भाषा का इस्तेमाल करना कि चढ़ोत्तरी चढ़ाते हैं. हम तो अपने अधिकारों का उपयोग कर रहे हैं मेहरबानी करके आप इतने सीनियर सदस्य हैं इसके बावजूद भी इस तरीके से भाषा का उपयोग करना, यह न्यायसंगत नहीं है बोलना किसी भी मंत्री जी के लिये. देखिये आप कल्पना करिये जब आप मंत्री जी थे जब आपसे कोई सीधा-सीधा कह दे कि आप चढ़ोत्तरी चढ़ाकर के काम करते हैं तो आपको बुरा नहीं लगेगा क्या ? उपाध्यक्ष महोदय, इन्होंने जो कुछ कहा है वह वापस लें, यह गलत तरीका है बोलने का यहां पर.
उपाध्यक्ष महोदय—इस संबंध में एहसास हो गया है कि सदन में एक शेर आ गया है.
श्री रामनिवास रावत—यह तो बता दें कि बिना चढ़ोत्तरी के काम कर रहे हैं क्या ?
श्री गोपाल भार्गव—चढ़ोत्तरी तो भगवानजी को चढ़ाई जाती है.
उपाध्यक्ष महोदय—बात यहां पर खत्म हो गई है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार—आप विरोध भी करते हो, मुस्कराते भी हो, तथा सारे मंत्रियों से काम भी करा लेतो हो, आप विरोध भी करना चाहते हो, डरते भी हो तथा कम्परोमाईज भी डीलिंग की करते हो. आप यहां पर दबी जवान से बोलते हैं, आपमें बोलने की हिम्मत नहीं है.
श्री रामनिवास रावत – आप बता दो कि आप गलत कह रहे हो.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - अरे, आप में हिम्मत नहीं है बोलने की.
श्री मुकेश नायक – गोविन्दसिंह जी दबी जबान में नहीं बोल रहे हैं. गोविन्द सिंह जी को ऐसे बोलना चाहिये कि
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - देखो नायक जी, आपकी तो बदनामी हो रही थी तो आपसे कहा गया कि कल ऐसा भाषण करना तो आपकी डोर तो और कहीं है. किसी दूसरे के हाथ में है. आप क्या बोलोगे. कल आपके भाषण ने यह सिद्ध कर दिया कि आप अपनी स्वयं की मर्जी से नहीं बोलते. आपकी डोर तो दूसरों के हाथ में है. वो जैसा कह देते हैं वैसा आप बोलते हो. कल का भाषण उठा लो, देख लो, एक-एक शब्द आपको रटवाया गया था और कहा गया था कि मुकेश नायक अब जरा ऐसा बोलो नहीं तो मैं बदनामी में आ जाऊंगा.
श्री गोपाल भार्गव – यह तो पतंग की तरह उड़ रहे थे. घिर्री किसी और के हाथ में थी जो डोरी खींच रहा था.
उपाध्यक्ष महोदय – डाक्टर साहब आप चौतरफा हमला कर रहे हो. कभी इधर कर रहे कभी उधर कर रहे हो. भाभी जी से कुछ विवाद हुआ लगता है.
श्री यशपालसिंह सिसोदिया – जितनी चाबी भरी राम ने उतना चले खिलौना.
श्री शंकरलाल तिवारी –(XXX).
श्री मुकेश नायक – डाक्टर साहब ने कह ही दिया है अब रहने के लिये कुछ रह नहीं गया लेकिन मैं डाक्टर साहब को यह आश्वस्त करता हूं कि अभी डोरी में बहुत सारा मांजा और धागा बचा हुआ है. जरा तैयार रहना सावधानीपूर्वक.
उपाध्यक्ष महोदय – गोविन्द सिंह जी अपनी बात समाप्त करें. डाक्टर साहब शंकरलाल तिवारी जो कह रहे हैं कि फिक्सिंग है इसमें तो दोनों पक्ष आ जायेंगे.
डॉ.गोविन्द सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि पूरा मंत्रिमण्डल बैठा है. एक-दो मंत्रियों को छोड़ दें जो हमारे पड़ोसी हैं पारिवारिक रिश्ते हैं बाकी मैं किसी के दरवाजे पर कुन्नस बजाने नहीं जाता और आज तक चैलेंज है पूरे सदस्यों को सरकार को, जीवन में मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे मेरी गरदन नीची हो और पूरी ताकत के साथ आप जांच कराओ. जब मैं सदन में मंत्री था मैंने कभी अधिकारियों को संरक्षण नहीं दिया और जो भी पक्ष-विपक्ष के सदस्य आए मैंने सभी का सहयोग किया है. जो भी काम लेकर आया घर बैठे आदेश भेजे हैं हमने.
उपाध्यक्ष महोदय – डाक्टर साहब, वह हास-परिहास में कही गई बात है. आप अपनी बात विधेयक पर खत्म करें.
श्री उमाशंकर गुप्ता – गोविन्द सिंह जी, नरोत्तम के बंगले पर तो रोज जाते हो ना.
डॉ.गोविन्द सिंह - रोज नहीं जाते.
श्री गोपाल भार्गव – डाक्टर साहब आप आयुष वाले हो ये एमबीबीएस वाले हैं. आप इनके अभ्यारण्य में मत फंसो.
उपाध्यक्ष महोदय – गोपाल जी, भले आयुष वाले हो लेकिन तीन-तीन मंत्री मिलकर उन पर हमला कर रहे हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - उपाध्यक्ष महोदय,गोविन्द सिंह जी के कथन पर मुझे घोर आपत्ति है. मंत्री का अपना घर नहीं रहता वह एक विभाग का कार्यालय भी वहां रहता है और यदि यह ऐसा कह रहे हैं कि मैं किसी मंत्री के दरवाजे पर नहीं जाता इसका अर्थ यह है कि आप जनता का काम नहीं करते. आपकी तरफ जो जिम्मेदारी है उसका निर्वहन आप नहीं करते. आप अपने आप को इतना बड़ा मानते हैं कि क्षेत्र की जनता से कहीं ऊपर बता रहे हैं अपने आपको. एक विधायक को विकास के लिये जनता की सेवा के लिये जिस भी मंत्री के यहां जाना पड़ेगा उसको अपने आपको ज्यादा बड़ा नहीं मानना चाहिये और वह सरकारी काम से जा रहा है. जनता के काम से जा रहा है. जब जहां जिससे जरूरत पड़े विधायक को, जनप्रतिनिधि को बात करना चाहिये. ऐसे दंभ में और ऐसी घमंड की भाषा यहां सदन में नहीं बोलना चाहिये. मेरा विनम्र अनुरोध है कि जमीन पर आईये. जनता के साथ रहिये जनता की सेवा करिये. यह घमंड बताने के लिये जनता ने नहीं आपको जिताया है कि मैं किसी मंत्री के दरवाजे पर न हीं जाऊंगा. मंत्री तो सरकारी है भाई, जनता की सेवा के लिये है वह और विधायक भी सरकारी है.
उपाध्यक्ष महोदय – डाक्टर साहब, आज जरूर भाभी से आपका झगड़ा हुआ है.
श्री यादवेन्द्र सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, मैं वन मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि क्या इनके यहां जाते हैं तो क्या एक भी काम विपक्ष का काम किया हो. क्यों जायें इनके यहां. जिनको काम नहीं करना विपक्ष वालों का तो क्यों जायें इनके पास.
डॉ.गोविन्द सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, डाक्टर शेजवार जी के भाषण के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद. आपने पूरा समां बांध दिया और आप बहुत अच्छा भाषण देते हैं लेकिन यह मैंने कभी नहीं कहा कि नहीं जाता हूं कुछ लोग हैं घमण्डी आप जैसे उनके यहां नहीं जाता. संकल्प में यह कहना चाहता हूं इसकी आप व्यवस्था कराएं, स्टाफ की, सीएमओ की, तभी आपकी योजनाएं पूरी हो पाएंगी यही हमारा आपसे अनुरोध है और जो संकल्प आप लाये हो उसका मैं तहे दिल से समर्थन करता हूं.
उपाध्यक्ष जी, डाक्टर शेजवार जी के भाषण के लिये बहुत बहुत धन्यवाद. वैसे आप बहुत अच्छा भाषण देते हैं. लेकिन मैंने यह कभी नहीं कहा कि मैं कहीं नहीं जाता हूं. कुछ आप जैसे घमण्डी लोग हैं उनके यहां पर नहीं जाता हूं. केवल मैं संकल्प में इतना ही कहना चाहता हूं कि आप इसमें स्टाफ और सीएमओ की व्यवस्था करें, तभी आपकी यह योजना पूरी हो पायेंगी. यही हमारा आपसे अनुरोध है. आप जो यह संकल्प लायें हैं, मैं आपके संकल्प का तहेदिल से स्वागत करता हूं.
श्री रामनिवास रावत:- उपाध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से इस संकल्प के माध्यम से हमारा जो 1993 का अधिनियम था, जो केन्द्र सरकार ने बनाया और यह मैला ढोने की प्रथा मानव समाज में एक कलंक की वर्षों से चली आ रही थी. देश आजाद हुआ और सरकारें बनीं और सरकारों ने सोचा की इसे समाप्त किया जाना चाहिये. इसके पहले 1993 में अधिनियम बना उसमें भी यह व्यवस्था की गयी कि यह मैला ढोने की प्रथा समाप्त की जाये और मैला ढोने के कार्य में लगे का नियोजन और पुर्नवास की व्यवस्था की जाये. वह अधिनियम बनने के बाद भी लगातार 1993 से लेकर 2013 तक 20 वर्ष तक कहीं न कहीं हम चुके सरकारे चुकीं और इसी को लेकर वर्ष 2013 में फिर यूपीए की सरकार ने नया अधिनियम बनाया और नये अधिनियम के साथ ही पुराने अधिनियम को निरस्त करने की बात की गयी है. मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं, इसका हम पूरा समर्थन करते हैं और स्वागत भी है राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान भी चल रहा है और पहले भी चलता था. पहले समग्र स्वच्छता अभियान के नाम से चलता था. इसके लिये पहले भी पैसा आता था, लेकिन हम कहीं न कहीं चूक रहे हैं कि मैला ढोले की प्रथा को हम समाप्त कर क्यों नहीं कर पाये. डाक्टर साहब ने भी कहा, कई जगह तो सबसे ज्यादा जरूरत शहरों में है. शहरों में इसके लिये आवश्यक है कि आपके पास पर्याप्त स्टाफ हो,समुचित रूप से बनाये जायें. अभी राशि जारी की है, राशि जारी करने के पश्चात मेरे ख्याल से इसे स्पष्ट करें कि मंत्री जी इसके साथ साथ थोड़ी सी चर्चा बढ़ाते हुए कहूंगा कि आप कितनी राशि में वाटर शील शौचालयों का निर्माण करने जा रहे हो. आप जो राशि दे रहे हो वह इतनी कम है उसमें हितग्राही भी राशि नहीं लगा पा रहा है और आपकी नगरपालिकाएं भी राशि नहीं दे पा रही हैं और इसके अलावा की बनाने का कार्य किसे दिया जाएगा. आपके अधिकारी कर्मचारी हैं नहीं, मैं अपनी नगर पंचायत की बात करूं तो बड़ा दुर्भाग्य है कि पिछले एक वर्ष से मैं लगातार पत्र लिख रहा हूं कि हमारे यहां सीएमओ दे दो लेकिन आज तक वहां पर सीएमओ नहीं भेजा है. हमारे अध्यक्ष और सीएमओ के बीच में चर्चा भी नहीं होती है. सीएमओ चर्चा करने के लिये भी तैयार नहीं होता. अब हम यह वाटर शील शौचालयों का निर्माण भी करायें तो कैसे करायें और यह मैला ढोने की प्रथा को वाटर शील शौचालय का निर्माण करके इसको समाप्ति की ओर ले जायें तो कैसे ले जायें. किसी ने कोई शब्द कहा था ‘’ चढ़ौत्री’’ उसकी तरफ तो मैं नहीं जाऊंगा ...
उपाध्यक्ष महोदय:- चढ़ौत्री तो परिभाषित हो चुकी है. देवताओं को होती है.
श्री रामनिवास रावत :- देवताओं को तो होती है और कभी कभी अपने से बड़ों के सामने भी लोग जाते हैं तो जिनसे कुछ प्राप्त करना होता है तो उन्हें कुछ भेंट चढ़ायी जाति है.
उपाध्यक्ष महोदय :- यह तो राजा-महाराजाओं के जमाने से चली आ रही है.
श्री रामनिवास रावत :- फिलहाल प्रजातंत्र के तो यही लोग राजा-महाराजा हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी :- उपाध्यक्ष महोदय, चढ़ौत्री को विलोपित किया जाए.
श्री रामनिवास रावत :- तिवारी जी यह प्रजातंत्र के परिप्रेक्ष में नहीं कहा है उपाध्यक्ष महोदय :- मैं राजतंत्र का समर्थन नहीं कर रहा हूं. मैं यह कह रहा हूं कि चढ़ौत्री दी जाती थी, जब कोई मिलने जाता था.
श्री शंकरलाल तिवारी—अंत में यह आया कि जो लोग बैठे हैं वे आज के राजा ही हैं यह भावना जनता में नहीं जानी चाहिये, राजा नहीं सेवक बैठे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय—ठीक है.
श्री कैलाश चावला—उपाध्यक्ष महोदय, वह चढ़ोतरी नहीं नजराना होती थी उसको सुधारिये आप.
उपाध्यक्ष महोदय—जी बिलकुल सही. कैलाशजी ने ठीक कहा कि वह नजराना कहलाता था.
श्री रामनिवास रावत—निश्चित रुप से मानव समाज पर मैला ढोने का काम कलंक है इसको हम किस तरह से पुनर्वसित करें इनके कार्य को कैसे रोकें और किस तरह से हम फंड की व्यवस्था करके वाटर सील शौचालय के निर्माण में आगे बढ़ायें और इसी के साथ साथ जहां स्टाफ नहीं है, जहां सीएमओ नहीं हैं जहां टेक्नीकल स्टाफ नहीं है उसके निर्माण की प्रक्रिया क्या रखेंगे और जो राशि आपने निर्धारित की है शायद वह 15 या 20 हजार निर्धारित की है वह भी आप बतायें वह बहुत कम है उसमें किसी भी शहर में रेत की कीमतें क्या हैं, ईंट की कीमतें क्या हैं, ग़ड्ढा खोदने की की मजदूरी की स्थिति क्या है मैं समझता हूं कि उससे वाटर सील शौचालय के निर्माण कर पाना काफी मुश्किल का काम है इस तरफ भी हम ध्यान दें. बाकी आप जो संकल्प लाये हैं उसके समर्थन में हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इस कलंक को हम पूरी तरह से मिटा पायें इसके लिये आप और संकल्प लें और इसे आगे बढ़ायें तो बड़ी खुशी होगी. उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया उसके लिये धन्यवाद.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)—उपाध्यक्ष महोदय, दोनों माननीय सदस्यों की भावनाओं का इसमें ध्यान रखा जायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय—मंत्रीजी सद्भावना की बयार बह रही है सब समर्थन कर रहे हैं आपका.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—जी इसलिये इसे पास कर दिया जाये.
श्री रामनिवास रावत—यह किस तरह से बनवायेंगे यह और बता दें मंत्रीजी.
उपाध्यक्ष महोदय—वह मंत्रीजी ने नोट कर लिया है संज्ञान में बात आ गई है.
श्री रामनिवास रावत—करवायेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय—मंत्रीजी इनके यहां सीएमओ नहीं है थोड़ा देख लें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—सत्र के तत्काल बाद पदस्थ हो जायेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह—सिर्फ विजयपुर की और भी कहीं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—दोनों माननीय सदस्यों के यहां.
डॉ. गोविन्द सिंह—और सब इंजीनियर भी. आपने आदेश कर दिये हैं ज्वाइन ही नहीं कर रहा है.
श्री रामनिवास रावत—मेरे यहां भी सब इंजीनियर नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय :- प्रश्न यह है कि---
संकल्प सर्वानुमति से स्वीकृत हुआ.
सदन की कार्यवाही अपराह्न 3:00 बजे तक के लिये स्थगित.
(12:50 बजे से 3:00 बजे तक अन्तराल)
3.07 बजे {सभापति महोदय(श्री रामनिवास रावत)पीठासीन हुए}
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)-- सभापति महोदय, अब आपकी भूमिका कैसी होना चाहिए वह हम देखते हैं.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)-- आप चुनौती दे रहे हों क्या?
राज्य मंत्री, संसदीय कार्य (श्री शरद जैन)-- सभापति महोदय, आपको बधाई हो, आप यहीं अच्छे लगते हैं.
सभापति महोदय-- आपकी भावनाओं के लिए धन्यवाद. माननीय मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन जी....
3.08 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य.
मध्यप्रदेश कृषि-उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक, 2015 (क्रमांक 14 सन् 2015)
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री गौरीशंकर बिसेन)-- सभापति महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश कृषि-उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक, 2015 पर विचार किया जाए.
सभापति महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश कृषि-उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक, 2015 पर विचार किया जाए.
उप नेता प्रतिपक्ष श्री बाला बच्चन(राजपुर)-- माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश कृषि-उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक, 2015 माननीय मंत्री जी के द्वारा जो रखा गया है इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि मण्डी समिति में कारबार करने को सुकर बनाने, मतलब आधुनिक बनाने तथा सरल बनाने की दृष्टि से, संशोधित किए जाने की आवश्यकता है इसलिए माननीय मंत्री जी ने यह विधेयक रखा है. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी, धारा 2 का संशोधन, जिसमें आपने कहा है कि, “मध्यप्रदेश कृषि-उपज मण्डी अधिनियम, 1972 (क्रमांक 24 सन् 1973) (जो इसमें इसके पश्चात् मूल अधिनियम के नाम से निर्दिष्ट है) की धारा 2 में, उपधारा (1) में, खण्ड (ञ) में शब्द, “भाण्डागारिक” का लोप किया जाए.”
सभापति महोदय, धारा 31 का संशोधन, इसमें कहा गया है कि, “मूल अधिनियम की धारा 31 में शब्द, “भाण्डागारिक” का लोप किया जाए.”
माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि वर्तमान धारा 31 भण्डागार को नियमों के तहत कार्य करने की सुविधा देती है. जो भण्डागार है उसको मण्डी के नियमों के अँतर्गत कारोबार करने की सुविधा देती है और अगर वह विलोपित हो जाएगी तो अवैध भंडारण की संभावना बनेगी तथा कर चोरी की अधिक संभावना होगी और मंडियों से जो शुल्क वसूला जाता है उसमें भी कमी आएगी तो मेरे हिसाब से इसे विलोपित नहीं करना चाहिए . नहीं तो अवैध कारोबार की संभावना बढ़ेगी और कृषि उपज का जो भंडारण होता है उसमें भी अवैध कारोबार की संभावना रहेगी .माननीय मंत्री जी ,जब आप अपना जवाब देंगे उसमें इस बात को स्पष्ट करें.
दूसरा एक मकसद आपने यह भी रखा है कि मंडियों को आधुनिक और संपन्न बनाने के लिए यह कृषि उपज मंडी का संशोधन विधेयक लाया गया है . मंत्री जी, ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि अभी भी कृषि उपज मंडियों से केवल 20 प्रतिशत शुल्क ही वसूला जाता है लगभग 80 प्रतिशत शुल्क की चोरी होती है . उस चोरी को आप किस तरह से रोक पाएंगे और शुल्क चोरी नहीं रुकेगी तो मंडियों का वह नुकसान है. उस शुल्क से वह वहाँ का इन्फ्रास्ट्रक्चर कराते ,सड़कें बनवाते हैं, पुल-पुलिया बनवाते हैं, जिन गांवों की फसलें मंडियों तक पहुंचाते हैं वहाँ तक की कनेक्टिविटी के लिए वह काम करते हैं इसलिए आप मंडी शुल्क की चोरी को रोके.
मैं आपको बताना चाहता हूं कि मंडी शुल्क की चोरी को लेकर बड़े कारोबार हो रहे हैं अभी प्रदेश की राजधानी में सरकार की नाक के नीचे सांवरिया ग्रुप के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापे डाले, चालीस बोगस फर्म थे, जिनका 200 करोड़ रुपयों का अवैध कारोबार था, जो मंडी के रूप में काम करते थे , उन्होंने 200 करोड़ रुपये मंडी शुल्क की चोरी की है वह पकड़ाई गई है तो उसको आप रोकने की कोशिश करें. आप उसको न रोकते हुए यह भाण्डागारिक को जो विलोपित कर रहे हैं. भाण्डागारिक में करीब दस से बारह व्यक्ति आते हैं . आपने विधेयक में लिखा है कि “मंडी कृत्यकारी के अंतर्गत आता है दलाल,आढ़तिया,निर्यातक,ओटने वाला, आयातक ” ऐसे लगभग दस व्यक्ति आते हैं तो हमारा कहना है कि मंडी शुल्कचोरी को आप रोके. मंडियां मजबूत,सरल, संपन्न और आधुनिक तब बनेंगी जब मंडियों की कमाई होगी.
दूसरा आपने एक और कारण इसमें यह रखा है सात नंबर में कि “ मध्यप्रदेश राज्य विपणन विकास निधि में प्राप्त हुए समस्त धन तथा अन्य राशियां जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक में या मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक मर्यादित में या डाकघर बचत बैंक में, तो तीन जगह तो यह राशियां जमा होती हैं चौथा आप उसमें जोड़ रहे हैं कि सरकार के पर्सनल डिपाजिट खाते में निक्षिप्त की जाएंगी.” तो इसकी क्या गारंटी रहेगी कि वह मंडियों के विकास पर ही खर्च होगी. इस राशि का मिसयूज होगा दूसरी जगह यह खर्च होगी और जो मंडियों को आप आधुनिक,सक्षम, सरल औऱ संपन्न बनाना चाहते हो तो मुझे नहीं लगता है कि जिस मकसद से आप इस विधेयक को लाये हैं , उसमें आप कामयाब होंगे तो आप इस पर विचार करें और जब आप जवाब दें तब मेरी जो यह संभावना है, जो मैंने शुल्क चोरी के रूप में व्यक्त की है उसको आप क्लियर करें. सभापति महोदय , आपने जो समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
डॉ. गोविंद सिंह(लहार)-- माननीय सभापति महोदय, माननीय कृषि मंत्री जी ने जो संशोधन विधेयक रखा है उसमें धारा 2 ,31,38 और 43 में संशोधन किया है. मैं धारा 2 और 31 का तो समर्थन करता हूं. परन्तु 38 और 43 का विरोध करता हूं. पहली बात तो यह है कि आप बड़े हरफनमौला मंत्री हैं, नई नई खोज करके लाते हैं, मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि यह भाण्डागारिक शब्द आप कहाँ से लाये हैं. मैंने कम से कम दस बारह माननीय सदस्यों से इसके विषय में पूछा है.
सभापति महोदय-- माननीय मंत्री जी , इसे स्पष्ट कर दें. भाण्डागारिक मतलब भंडार स्वयं है कि करने वाला है या कौन है.
डॉ. गोविंद सिंह--- सभापति महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि मैंने आपके मंत्रीमंडल के सदस्यों से भी भाण्डागारिक के विषय में पूछा तो वह बोले कि वह तो डायमंड मिनिस्टर हैं, वह तो नया काम लेकर आएंगे. ऐसा शब्द आप ढूंढकर लाये कि इसके बारे में कोई नहीं जानता. मैं यहाँ लायब्रेरी में सक्सेना जी के पास गया उनसे पूछा, उन्होंने मध्यप्रदेश शासन का शब्दकोष देखा, हिन्दी में भारत शासन का शब्दकोष देखा, उसमें भी कहीं भाण्डागारिक शब्द नहीं मिला. फिर इसके बाद अंग्रेजी का शब्दकोष देखा तो उसमें भी नहीं, संस्कृत में भी नहीं. अब आप बताइये कि यह भाण्डागारिक शब्द कहां से खोज के लाये लेकिन अभी हमें चलते चलते मित्र मिल गये, उन्होंने कहा कि भाण्डागारिक शब्द गोंदिया के बगल में महाराष्ट्र में चलता है. महाराष्ट्र में इनकी रिश्तेदारी होगी तो महाराष्ट्र में चलता है भाण्डागारिक शब्द. कहीं भी गूगल में सर्च करने पर यह शब्द नहीं मिला तो इसप्रकार हमारी आपसे प्रार्थना है कि इस तरह के शब्दों का चयन करें जो मध्यप्रदेश के लोग समझ जाएं, हम जैसे गांव से आने वाले कम पढ़े लिखे लोग जान जायें.अब मैंने आपसे ही पूछा था कि यह क्या है, यह कौन सी चीज है, कहां यह चिड़िया पकड़ लाये, तो आपने कहा कि यह भण्डारगृह है तो भण्डारगृह तो आपके वेयर हाउसिंग के गोदाम हैं लेकिन इनका कहीं पता नहीं चला तो आपने बता दिया तो चलो मान लिया लेकिन आप इसको हटा रहे हैं व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए, क्योंकि आज वास्तव में व्यापारी परेशान हैं, तमाम् व्यापार बंद हो रहे हैं. गल्ले की जो मण्डियों की स्थिति है उसमें हर साल ओला, पाला, सूखे के कारण अगर किसान परेशान हैं तो व्यापारी भी परेशान है, व्यापारी भी आज सुखी नहीं है. हर वर्ष दो चार व्यापारी छोटी मोटी मण्डियों में ब्लैक लिस्टेड हो रहे हैं, दिवालिया घोषित हो कर के भाग रहे हैं तो उनके लिए लायसेंस फ्री करने का काम कर रहे हैं तो इसके लिए तो मैं इसकी दोनों धाराओं का समर्थन करता हूँ लेकिन धारा 38 और 43 का हम इसलिए विरोध कर रहे हैं, पहली बात तो यह है कि आपने तमाम् चमत्कार किये. पहले सहकारिता का सत्यानाश किया(हंसी) अब आप आ गये कृषि पर. अब मण्डी की निधि है वहां भी आपकी निगाह पहुंच गयी. आपसे मैं पूछना चाहता हूँ कि मण्डी टैक्स 2.2 प्रतिशत ले रहे हैं उसमें से 1 प्रतिशत सड़क विकास निधि के लिए हैं, 20 पैसे उसमें से निराश्रित के लिए जा रहा है, इसके साथ साथ 3 पैसे सुरक्षा निधि में जा रहा है, 0.8 प्रतिशत पेंशन निधि में, कुल मिलाकर मण्डियों के पास, जो मण्डी धन उगाती है. मण्डी के सदस्य, अध्यक्ष सब चुने हुए हैं लेकिन आपने उनको अपंग बना दिया. पूरे प्रदेश की मंडी के निर्वाचित सदस्य और अध्यक्ष अपाहिज हैं, उनको नाकेदार को हटाने का अधिकार नहीं है, दो रुपये खर्च करने का अधिकार नहीं है.आज मण्डी पूरी तरह बर्बाद है. आप मण्डियों की दुर्दशा देखिये, हर साल 20-20 और 30-30 लाख रुपये मण्डियां जमा कर रही हैं. हमारे यहां लहार में दो मण्डिया हैं, हमारी लहार जैसी मंडी भी एक करोड़ रुपये जमा करती है लेकिन उन मण्डियों की हालत यह है कि दो दो तीन तीन फिट के गड्डे हैं, मण्डियों का प्रांगण नहीं बना रहे हैं. अब यहां से एक अलग प्रक्रिया चल गयी है खाओ पीयो मौज उड़ाओ. यहां आप सीधा ठेका दे देते हैं, यहां से पूछना न बताना, गोदाम बन गये, तौल कांटे लग गये, ग्रेडिंग की मशीने लग गयीं. कभी आपने मण्डी की समितियों से स्वीकृति मांगी है? यहां से सीधा आर्डर दिया, सीधे जाकर के लग गये और कहीं भी ग्रेडिंग की मशीनें, कम से कम 25-30 मण्डी में तौल कांटे चल ही नहीं रहे हैं. करोड़ों रुपये आपने यहां से बजट डाल दिया, ठेकेदारों से बिल्डिंग बना रहे हैं, अभी हमारे आलमपुर मंडी में कार्यालय बन रहा है, बिना पूछे, बिना मांगे कार्यालय थोप दिया. जहां के लिए हम मांग रहे हैं वहां के लिए दे नहीं रहे हैं.दबोह मण्डी के लिए आपको अनेक बार चिट्ठी लिखी, एमडी साहब से भी मिले, उन्होंने कहा कि काम देंगे लेकिन एमडी को भी आपने अपंग बना दिया, वह कर ही नहीं सकते, उनको कुछ पॉवर ही नहीं है. आज जहां उप मण्डी दबोह से सरकार की करीब 20 बीघा जमीन एक भूमाफिया ने दाब ली है, हम उसे छुड़ाने की मांग कर रहे हैं कि बाऊंड्रीवॉल बनवा दो. 13-14 बीघा जमीन बची है तो उसी से मंडी को आमदनी हो रही है. 80 प्रतिशत आमदनी दवा से और 20 प्रतिशत आमदनी टैक्स से हो रही है आलमपुर से, उसके लिए आप न कोई बाऊंड्रीवॉल बनवा रहे हैं न कोई ऑफिस खोलने का काम कर रहे हैं. एमडी से कई बार मिल चुके हैं तो उन्होंने कहा कि बोर्ड करेगा, बोर्ड के चेयरमैन श्रीमान जी हैं डायमंड मिनिस्टर तो आपसे हमारा यह कहना है कि इसे देख लें. आपसे यह भी पूछना है कि जब से 2003 के पहले मंडी सड़कों के लिए पैसा मिला था वह पैसा पीडब्ल्यूडी को सड़कों को ठीक-ठाक कराने के लिए दिया गया था लेकिन उसके बाद एक रुपया भी नहीं मिला. आज 12 वर्ष से अधिक हो गये हैं, हमने 2 किलोमीटर की सड़क के लिए आपसे निवेदन किया था वह भी नहीं बनी, पहले गोपाल भार्गव जी थे, 20 करोड़ 40 करोड़.
श्री के.पी. सिंह – क्या सड़क नहीं मिलने से नाराज हो.
डॉ. गोविन्द सिंह – सड़क की क्या बात है, क्या पैसे इनके घर के हैं, जनता के पैसे हैं, इन्हें देना चाहिए और हमारा हक है, क्या आप पूरे पैसे का गोल-गप्पा करोगे. मैंने पहले भी कहा था और अभी भी कह रहा हूँ कि हमें सार्वजनिक विकास के लिए पैसे चाहिए. इसलिए हम विरोध कर रहे हैं कि आप पीडी एकाउंट में जमा मत करो, पीडी एकाउंट आपके हाथ में भी चला जाएगा, यह मुख्यमंत्री जी की चाल होगी, वह कह रहे होंगे कि इसमें जमा कर दो क्योंकि सरकार इस समय दिवालिया हो गई है, 1 लाख 63 हजार करोड़ रुपये का कर्जा आपकी मध्यप्रदेश सरकार के ऊपर है.
श्री उमाशंकर गुप्ता – माननीय सभापति जी, सरकार कोई दिवालिया नहीं हुई है, सारा काम समय पर चल रहा है, कोई पेमेंट नहीं रुका, कोई तनख्वाह नहीं रुकी, गोविन्द सिंह जी, आपकी सरकार में तो तनख्वाह तक नहीं बंट पाती थी, ओव्हरड्राफ्ट की लिमिट खत्म हो गई थी.
एक माननीय सदस्य – विधवा पेंशन तो बंटवा दीजिए.
श्री के.पी. सिंह – गुप्ता जी, आप कह रहे हैं कि सरकार के पास पर्याप्त अर्थव्यवस्था है तो आपका जो विभाग है, उसमें सारे महाविद्यालयों में अतिथि से क्यों काम चला रहे हैं क्यों भर्ती नहीं कर रहे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता – हालांकि यह विषय नहीं है लेकिन बात आ गई है तो मेरा कहना है कि भर्ती के लिए हमने पीएससी को प्रस्ताव भेज दिया है.
सभापति महोदय – अभी विधेयक पर चर्चा चल रही है तो विधेयक पर बोलें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – सभापति जी, प्रश्नकाल में प्रश्न पूछते नहीं.
सभापति महोदय – नहीं, प्रश्न पूछते हैं आज थे नहीं, कभी-कभी बाहर चले जाते हैं, कभी देश के बाहर भी चले जाते हैं. (हंसी)
डॉ. गोविन्द सिंह – सभापति जी, वैसे तो मैंने आज सदन में कहा था कि मंत्रियों के यहां जाता नहीं लेकिन गुप्ता जी के यहां मैं दो बार गया हूँ और मैं सोचता था कि बहादुर मंत्री हैं, शेर की तरह बोलते हैं (XXX) . (हंसी)
सभापति महोदय – (XXX) शब्द कार्यवाही से निकाल दें. जिस परिप्रेक्ष्य में कहा गया है यह असंसदीय है.
श्री उमाशंकर गुप्ता – गोविंद सिंह जी, यह शब्द कौन सी डिक्शनरी में है.
डॉ. गोविन्द सिंह – आपने हमको वचन दिया था लेकिन लहार के डिग्री कालेज में 14 प्रोफेसर की पोस्टें हैं और सभी रिक्त हैं इसके अलावा एक प्रिंसीपल की पोस्ट है, एक खेल अधिकारी की है. इस कॉलेज में 400 बच्चे हैं, एक चपरासी है, एक क्लर्क है, वे ही परीक्षा करवा रहे हैं.
सभापति महोदय – विषयांतर हो रहा है आप मंडी पर आ जाएं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – सभापति जी, इनकी वजह से वहां कोई जाता ही नहीं, न डॉक्टर जाएं न मास्टर जाएं.
(xxx) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
सभापति महोदय – इस तरह की बात नहीं है. अगर ऐसी बात होती तो छठवीं बार लगातार नहीं आते.
श्री उमाशंकर गुप्ता – एकछत्र राज है गोविंद सिंह जी का. राज तो आपका है..(व्यवधान).. हम एक बात और आपको यहां पर बता दें. आपकी जो दो धाराएं हैं उसके विरोध का कारण आप समझ लें. यह आपका पीडी एकाउण्ट है नाम तो पीडी है लेकिन इसको मानते वह अपना व्यक्तिगत हैं, यह एकाउण्ट सरकार का है. मेरे पास में दो पत्र हैं उसके अनुसार इसमें 2 करोड़ 53 लाख 599 रूपये हैं यह विधायक और सांसद निधि के और स्वेच्छानुदान के आज से 5 वर्ष पहले जमा हुए हैं, कलेक्टर ने कई बार पत्र लिखे हैं विधान सभा में भी प्रश्न लगाये हैं, 4 वर्ष तक लगातार पत्राचार करने के बाद में पैसा रीलिज हुआ है अ भी पिछले वर्ष भी 9 लाख रूपये हमने बाउण्ड्रीवाल बनाने के लिए दिये थे. कलेक्टर के यहां से पत्र गये हैं, पैसे है नहीं दीवाला निकल गया है हाथ न मुठी खुनखुना उठी, बातें और गप्पे ज्यादा लेकिन काम कुछ करना नहीं है. आप पैसा मंडी का निकालकर पीडी एकाउण्ट में जमा कर देंगे, आप मंडी को भी डुबायेंगे और थोड़ा बहुत काम हो रहा था वह भी बंद हो जायेगा, आपके हाथ में कुछ नहीं बचेगा. यह आपकी पीडी एकाउण्ट की चाल हमें पता है कि कहां से चली है, इस प्रदेश के मुखिया एक एक करके चुन चुन कर कहां पर कितना पैसा देना है और मंत्री को कमजोर करने की चाल है, आपको कमजोर करके पूरी राशि ले लेंगे फिर उस राशि को सड़कोंकी बजाय वेतन में बांटेंगे, हवाई यात्रा में व्यय होगा इस पूरे पैसे का दुरूपयोग होने वाला है, यह पैसा फिर आपके हाथ में रहने वाला नहीं है बाद में निर्णय हो जायेगा कि मंडी का पूरा पैसा सड़क बनाने के बजाय दूसरे मद में खर्च कर दिया जाय. इसलिए हमारा आपसे अनुरोध है कि पहले से जो पीडी एकाउण्ट है उसमें ही रहने दें वहां पर पैसा सुरक्षित है, पैसा मंडी के हिसाब से खर्च हो सकता है लेकिन पीडी एकाउण्ट से तो आप पैसा ही नहीं निकाल पायेंगे. हमारे पास में कलेक्टर भिण्ड के तीन पत्र रखे हैं इसी साल के लेकिन कोई काम नहीं होता है इसलिए यह बहुत कठिन प्रक्रिया है आपके कोआपरेटिव्ह बैंक सरकार के अधीनस्थ हैं, अपेक्स बैंक आपके अधीनस्थ हैं पोस्ट आफिस को छोड़कर आप इन दोनों बैंकों में भी करते रहे तो हमारी आपसे प्रार्थना है, संशोधन तो आपको करना होगा क्योंकि हाई कमान का आदेश है नहीं करेंगे तो सुबह आपकी छुट्टी हो जायेगी गाड़ी छिन जायेगी. गोपाल भार्गव जी ने 13 करोड़ रूपये एक वर्ष में खर्च किये थे मंडी निधि से और हमारे कुसमरिया जी ने 22 करोड़ रूपये ही अपने क्षेत्र में एक वर्ष में खर्च कर लिये थे. इसलिए हमारा अनुरोध है कि सभी को समान निगाह से देखें हमारे यहां की जैसी मंडी हैं उनको भी कुछ हिस्सा दिया जाय. पीडी एकाउण्ट वाली जो धारा है उसको इसमें से निकालें जो पहले से था उसको इसमें रहने दें. इसी के साथ हम अपनी बात समाप्त करते हैं धन्यवाद्.
समय 3.28 बजे.
( सभापति महोदय ( डॉ गोविन्द सिंह ) पीठासीन हुए )
श्री हरदीप सिंह डंग( सुवासरा ) – माननीय सभापति महोदय, कृषि उपज मंडी पर जो चर्चा हो रही है इ समें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सुवासरा विधान सभा में सीतामऊ श्यामगढ़ और सुवासरा मंडी में धान खरीदी का काम होता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो हमारी विधान सभा है वह राजस्थान से लगी हुई है राजस्थान से लगी हुई होने के कारण जो धान वहां पर मंडियों में आना चाहिए वह वहां पर न आते हुए राजस्थान में जाता है और उ सका मुख्य कारण यहहै कि टैक्स की वहां परजो कमी है मध्यप्रदेश में 2.20 पैसे और राजस्थान में 50 पैसे लगता है इस कारण से पूरा माल राजस्थान को जाता है. मध्यप्रदेश की जो मंडी है इसमें माल नहीं आ पाता है इसके कारण एक तो वहां पर उप मंडी हो सकती है या हो सकता है कि मंडी भी समाप्त हो जाय क्योंकि वहां पर जो माल आना चाहिए वह नहीं आ पाता है जब माल नहीं आता है तो पूरे व्यापार पर उसका फर्क पड़ता है क्योंकि व्यापार धंधे उसी के कारण चलते हैं.क्योंकि व्यापार धन्धे उसी के कारण चलते हैं. किसान अगर मण्डी में माल लायेंगे तो वहां पर दूसरे धन्धे और व्यापार भी अच्छे होंगे. अतः मेरा निवेदन है कि आने वाले दिनों में ऐसा नियम बनाया जाय कि जो राजस्थान से जुड़ी हुई मंडियां हैं या तो अलग से प्रावधान करके उनका टैक्स कम किया जाय और जैसा अभी गोविन्द सिंह जी ने कहा है ,हमारी जो सीतामऊ मण्डी है उसमें कृषि उपज मण्डी में जो दुकाने नीलाम की गई थीं उसमें जो बन्दरबाट की गई है उसमें मिलीभगत से जो भ्रष्टाचार किया गया है ,उसमें मैने पहले भी आपको जांच के लिए दो तीन पत्र दिये थे, विधान सभा में भी इसकी मांग उठाई थी. पर आज तक उसकी जांच नहीं हो पायी. क्योंकि वह कोई बड़ा मामला है और उसमें लाखों करोड़ों रूपये का घोटाला है. मेरा मानना है कि अगर आप उन मण्डी की जो दुकाने नीलाम हुई हैं उसकी निष्पक्ष जांच करायेंगे तो बहुत बड़े भ्रष्टाचार का मामला सामने आएगा. एक और कारण है, मण्डी में जो माल कम आता है , मध्यप्रदेश से राजस्थान में डीजल का रेट बहुत कम होने से माल बेचने जो किसान लोग वहां जाते हैं तो वे डीजल भी राजस्थान से लेकर आते हैं. इसके अलावा टैक्स भी हमारे यहां ज्यादा है. मेरा मानना है कि अगर हम हमारे प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूत करना चाहते हैं और मण्डियों को मजबूत करना चाहते हैं तो आने वाले दिनों में ऐसी कोई योजना बने जिससे जो राजस्थान से लगी हुई हमारे प्रदेश की मण्डियां हैं उनमें टैक्स कम हो, डीजल के रेट कम हो. मैं तो मानता हूं कि पूरे मध्यप्रदेश में एक जैसे रेट हों , क्या कारण है , यहां के किसान जब राजस्थान जाते हैं तो उनको रेट कम लगते हैं और हमारे यहां ज्यादा हैं. इस पर अगर सरकार ध्यान देगी तो किसानों का भी फायदा होगा और हमारे प्रदेश का विकास होगा. जयहिन्द, धन्यवाद.
श्री राम निवास रावत( विजयपुर )—सभापति महोदय,माननीय मंत्री जी वास्तव में विशिष्ट तो है हीं अतिविशिष्ट भी हैं क्योंकि उनकी योग्यता के बारे में मेरे पूर्व वक्ता डॉक्टर गोविन्द सिंह जी ने काफी व्याख्या की है. लेकिन माननीय मंत्री जी मैं इतना जरूर कहूंगा कि आपने मूल अधिनियम की धारा(2) में भाण्डागारिक शब्द को लोप किया है और मूल अधिनियम की धारा (31) में भाण्डागारिक शब्द का लोप किया है. आखिर यह स्पष्ट जरूर करें कि भाण्डागारिक है क्या? मेरी समझ से तो यह भाण्डागारिक ,भण्डारगृह के मालिक जो कृषि उपज का भण्डारण करते हैं यही है. तो फिर क्यों सांवरियां फायदा दे रहे हैं ? कितने लोगों की लिप्तता है यह भी स्पष्ट कर दें, इसलिए फायदा दे रहे हैं. माननीय सभापति महोदय, बड़ा स्पष्ट है कि कृषि उपज मण्डी समिति के क्षेत्र में भी विपणन संघ के और मण्डी के भण्डार हैं. आप इनको चलाने वाले जो भण्डागारिक हैं उनको मण्डी कृत्यकारी की परिभाषा से हटा रहे हैं, इसका आशय यही है. तो आपका मण्डी का कर्मचारी जो मण्डी के भण्डारगृह चला रहा है या विपणन संघ के भण्डारगृह चला रहा है वह क्योंकि मण्डी का कृत्यकारी है उसे कैसे हटा दोगे, यह भी बड़ी विषमता है. दूसरा बात, जो प्रायवेट भण्डारगृह हैं जो मण्डी से बाहर,शहर से बाहर बनाये हुए हैं उन पर आप मण्डी लायसेन्स देने की प्रतिबन्धिता समाप्त कर रहे हैं , जब उनके पास मण्डी लायसेन्स नहीं होंगे तो आप किस हैसियत से उन भण्डारगृहों का निरीक्षण कर सकोगे, मण्डी कर्माचारी कैसे उसमें जा सकेंगे? ,कैसे निरीक्षण कर सकेंगे. चाहे जो चाहे जितनी उपज खरीदे,चाहे जितनी भण्डार करे और चाहे जहां भेजे, क्योंकि वह भण्डारगृह मण्डी कृत्यकारी तो है नहीं उसे लायसेन्स तो अनिवार्य हे नहीं. आप क्यों ऐसा करना चाहते हैं ? इसके विपरीत, मैने मण्डी समिति से राजनीति की शुरूवात की है. जब मैं मण्डी अध्यक्ष हुआ करता था तब मण्डी को जबरदस्त अधिकार थे और जन प्रतिनिधियों को लगता था कि हम किसी संस्था में बैठे हुए हैं,उस संस्था में बैठ कर किसानों के हित में काम कर रहे हैं. सभापति महोदय, जैसा पूर्व में सभापति जी ने बताया कि मंडी सदस्यों की, मंडी अध्यक्षों की क्या स्थिति रह गई है. उनके पास कोई वित्तीय अधिकार नहीं है. वेतन आदि भले ही बांट दें. पहले मंडी निधि रहती थी. मंडी निधि से कार्य स्वीकृत करते थे और किसानों की सुविधाओं का भी ख्याल रखते थे. आज कुछ नहीं है. आज जो भी हो रहा है, सीधे यहीं से हो रहा है. मंडी निधि में काम भी स्वीकृत होंगे तो यहीं से होंगे. मेरा कहना यह है कि आप जो भाण्डागारिक का, मंडी कृत्य कारी के रुप में उस परिभाषा से हटा रहे हो. लायसेंसिग कम्पलशन समाप्त कर रहे हो तो इसमें मंडी टेक्स चोरी की संभावनाएं बढ़ेंगी. इसे आप देख लें. अगर नहीं बढ़ेंगी तो आप स्पष्ट करें.
समय 3.36 बजे उपाध्यक्ष महोदय (श्री राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा, आपने जो पीडी खाते में जमा करने की बात कही. आप किसी मतलब के नहीं रह जायेंगे. आपको कोई नमस्ते करने वाला नहीं मिलेगा कि माननीय मंत्री जी मेरे यहां सड़क बनवा दो. पीडी अकाऊंट में राशि पहुंच जाने के बाद पहले तो मंडी समितियों की व्यवस्थाएं खत्म की. उनके अधिकार सीमित किये. अब मुझे लगता है कि विपणन बोर्ड के अधिकारों को भी सीमित करने का प्रयास इस अधिनियम के माध्यम से किया जा रहा है. वैसे आपने लिखा यह कि समिति के कारोबार आधुनिक बनाने, सरल बनाने की दृष्टि से संशोधन किये जा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा आप यह अनिवार्य कर रहे हैं कि मंडी निधि का समस्त धन और राशियां जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, राज्य सहकारी बैंक मर्यादित, डाकघर,बचत बैंक या राज्य सरकार के पर्सनल डिपॉजिट खाते में ही निश्चित की जायेंगी. कई ऐसी उप मंडियां हैं, कई ऐसी मंडियां हैं, जहां बैंक भी नहीं है. मैं बता रहा हूं श्योपुर कृषि उपज मंडी समिति की ढोढर उप मंडी है और उसकी अच्छी आय है. कभी कभी 10-10 लाख, 15-20 लाख रुपये मंडी टेक्स का असेसमेंट करके कर्मचारी लेकर आते हैं. अभी वहां कोई कमर्शियल बैंक है, उसमें जमा कर देते हैं. अगर उस राशि को लेकर श्योपुर तक जायेगा और अगर उसको लूट लिया गया तो आप क्या करेंगे. किसकी जिम्मेदारी रहेगी. आप भले ही उस अकाऊंट से इस अकाऊंट में ट्रांसफर कर दो लेकिन केवल यही बाध्यता मत करो कि इन्हीं बैंकों में जमा किये जायेंगे. इसकी भी व्यवस्था आप बनाने का प्रयास करे. यही कुछ चीजें हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, इसके साथ साथ आपने मंडी की समस्त निधियां तो कह दीं. निराश्रित निधि उन समस्त निधियों में है या अलग से है. निराश्रित निधि का न तो कभी ऑडिट हुआ. न जाने कितनी निराश्रित निधि आती है और कहां रहती है, कभी कोई उसका हिसाब-किताब नहीं रहा. निराश्रितों के लिए इस निधि से अलग से कोई व्यवस्था कर दें ताकि निराश्रित निधि से भी काम किये जा सकें. कम से कम निराश्रित, अनाथों के लिए ही काम किये जा सकें. मंत्रीजी से निवेदन है कि इन चीजों को स्पष्ट करें.
उपाध्यक्ष महोदय, मंडी के अधिकारों को कैसे मजबूत बनायें. मंडियों का ठीक से संचालन हो इसकी व्यवस्था पर बात करेंगे तो ज्यादा ठीक होगा. आज स्थिति यह है कि पहले मेरे यहां पर दो उप मंडियां हुआ करती थी. आज उन दोनों उप मंडियों की दीवार भी नहीं बची, बाऊंड्री वॉल भी नहीं बची और बिल्डिंग भी नहीं बचेगी. क्योंकि सबका ध्यान हटता जा रहा है और वह सिर्फ इसलिए कि मंडी समिति के अधिकार लगातार सीमित करते जा रहे हैं. मंडी समिति के वित्तीय अधिकार और प्रशासनिक अधिकार बिलकुल समाप्त कर दिये गये हैं. इस कारण से यह स्थिति हो गई है. मेरा अनुरोध है कि मंडी चोरी रोकने पर ज्यादा ध्यान दें और किसानों के विकास के ज्यादा से ज्यादा काम हो. सांवरिया ग्रुप पर टैक्स चोरी का मामला आया है. इसके पूरे प्रदेश में कितने भण्डारगृह हैं. पूरे प्रदेश के भण्डार गृहों में कितना माल इसने भरा है. कितने मंडी टैक्स की चोरी की है और इसमें कौन सम्मिलित है. इस सांवरिया ग्रुप की मंडी टैक्स चोरी और इनकम टैक्स चोरी की सुई कुछ मंत्रियों की और कुछ बड़े बड़े लोगों की तरफ जा रही है. आपकी तरफ नहीं है, यह पक्का है. धन्यवाद.
श्री गौरीशंकर बिसेन—उसमें जांच दल बना दिया गया है. उसकी जांच की जा रही है.
श्री दिनेश राय (सिवनी)-- माननीय उपाध्यक्ष जी, कृषि उपज मंडी का अधिनियम जो लाया गया है, उसका मैं समर्थन करता हूं. कुछ सुझाव भी हैं, कुछ समस्यायें भी हैं जो मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी के सामने रखना चाहता हूं. पहला तो अभी जो हमारे यहां उपज मंडियां हैं उनमें व्यापारियों के द्वारा कोई खरीदी नहीं हो पा रही है, क्योंकि हमारा किसान उनके पास तक पहुंचता नहीं है. या तो आपके अधिनियम में या आपके नाकेदारों में, या मंडी के अधिकारियों में, ऐसी कोई कमजोरी है वह छोटी गाडि़यों में, पिकअप गाडि़यों से माल सीधे बड़े व्यापारियों के पास ले जाते हैं, मंडियों तक अनाज नहीं पहुंचता. ऐसा लगता है जैसे मंडियों का कोई औचित्य नहीं है. व्यापारियों का व्यापार भी खत्म हो रहा है और किसानों को वाजिब दाम भी नहीं मिल पा रहा है. बिचौलियों द्वारा अनाज गांव से ही खरीद कर सीधे बड़े शहरों में ले जाया जाता है, या दूसरे प्रदेशों में. इसलिये जो आपको मंडी शुल्क मिलना चाहिये वह भी नहीं मिल पा रहा है.
दूसरा हमारे सिवनी में जो मंडी स्थापित है, वहां पर कोई व्यापारी जाना नहीं चाहता, कोई किसान वहां जाना नहीं चाहता, आपने शहर से काफी दूर उस मंडी को स्थापित किया है, उससे लगातार वहां चोरी हो रही है. किसान अगर वहां अनाज रखकर जाता है तो उसको भी वहां रात को पल्लेदार या आजू-बाजू वहां के लोग उठाकर ले जाते हैं. मेरा आपसे निवेदन है कि उस मंडी को पुराने स्थान पर ला दिया जाये तो पुन: यह व्यापार विकसित हो जायेगा और लखनादौन जो मंडी है वह नाममात्र की मंडी बची है वहां पर मंडी द्वारा दुकानें, शटरें निकाल ली गईं, उसमें हमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन उस मंडी को शहर से लगाकर बाहर कहीं हस्तांतरित करने की जगह उपलब्ध करा दें, जिससे वह मंडी संचालित हो सके और आपके विभाग में जो मंडियों में कर्मचारियों की काफी कमी है उनके द्वारा समुचित तरीके से जो किसानों का माल व्यापारियों के द्वारा खरीदा जाता है, उसको नहीं पहुंचाया जाता, उनकी रसीदें नहीं कटती. मैं खवासा मेटावानी वेरियर में साढ़े 32 घंटे बैठा तो वहां पर आपका जो व्यक्ति बैठा है उसको यह नहीं मालूम कि मैं कहां से आया हूं, किस अधिकारी ने मेरा यहां ट्रांसफर किया है. मेरे सामने वह 100 रूपये ले रहा था, मैंने पूछा किस बात के, तो बोला वो देते हैं तो हम लोग ले लेते हैं. तो मेरा निवेदन है कि मंडी टैक्स की बहुत चोरी हो रही है, उसको रोकने का कष्ट करें. आपने उपाध्यक्ष जी बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- श्री शैलेन्द्र पटेल.... (अनुपस्थित)
श्री मुकेश नायक (पवई)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह संशोधन विधेयक केवल इसलिये लाया जा रहा है ताकि मंडी के पूरे के पूरे धन को सरकारी खजाने में ट्रांसफर कर दिया जाये. कोई भी स्वायत्त संस्था है और उसमें जब जनभागीदारी को सुनिश्ति करने की बात होती है और पूरे देश में जहां राजनीतिक, प्रशासनिक और आर्थिक शक्तियों के विकेन्द्रीकरण की बात हो रही है और ऐसे समय में किसी संस्था की आर्थिक आत्मनिर्भरता को उसकी स्वायत्तता को खत्म कर देना और इस तरह का संशोधन विधेयक लाना और विधानसभा के अंदर लाना, बिलकुल जनहित में नहीं होगा. माननीय मंत्री जी मैं विनम्रतापूर्वक आपसे कहना चाहता हूं कि अभी भी समय है, आप पुनर्विचार करें, पार्टी के फोरम पर इस विषय को लायें और इस पर व्यापक विमर्श करें और इसको अभी फिलहाल स्थगित करें और अगर फिर भी आप जरूरी समझें तो विधानसभा में आपका बहुमत है, आप जो चाहें वह कर लें, लेकिन मेरी आपसे यह प्रार्थना है कि यह विधेयक किसी भी स्वायत्त संस्था के मूल स्वरूप के खिलाफ है, उसकी स्वायत्ता के खिलाफ है, उसके विकेन्द्रीकरण के खिलाफ है, इसलिये इस विधेयक का पास होना जनहित में बिलकुल ठीक नहीं होगा, इससे मंडी का मौलिक स्वरूप नष्ट हो जायेगा और मंडियां पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में चली जायेंगी.
श्री के.पी. सिंह (पिछोर)-- उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी जब अपना वक्तव्य दें तो मैं सिर्फ एक बात इनसे पूछना चाहता हूं कि यह बाहरी भंडारण के लाइसेंस को आप खत्म कर रहे हैं, इसके पीछे आपका उद्देश्य क्या है, इससे मंडी को क्या फायदा होने वाला है, यह जरा ....
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)-- अभी भी नहीं समझ पा रहे हैं.
श्री के.पी. सिंह-- मैं तो समझ रहा हूं, लेकिन सरकार का उद्देश्य क्या है, मंडियों का क्या फायदा है और सरकार को क्या फायदा है.
श्री मुकेश नायक-- क्लीयर-क्लीयर बता दो, काहे के लिये ऐसा कर रहे हैं, बताओ.
श्री के.पी. सिंह-- यह सिर्फ बता दें कि यह बाहरी लाइसेंस जो आप भंडारण का खत्म कर रहे हैं, इसके पीछे आपका उद्देश्य क्या है, इससे फायदा क्या होगा.
श्री गौरी शंकर बिसेन – माननीय अध्यक्ष महोदय Ease of doing business in Madhya Pradesh.प्रदेश में व्यापार करने हेतु सुविधाओं को बढ़ाने की दृष्टि से हमने एक वर्कशाप का आयोजन किया था और उस कार्यशाला में प्रतिभागियों के इस संदर्भ में विचार आये थे कि जो हमारे भंडारगृहों में, केवल अधिसूचित कृषि जींस जिसका वे भण्डारण करते हैं ऐसे भंडारगृहों को कृषि उपज मंडी समिति के लाईसेंस से मुक्त किया जाये. इसी विषय को दृष्टिगत रखते हुये सरलीकरण के लिये हमने यह संशोधन यहां पर प्रस्तुत किया है. दूसरी बात जो संशोधन है और यह पटल पर है इसलिये मैं इसका वाचन नहीं करना चाहता. संशोधन की धारा (2) में भाण्डागारिक के बारे में जो कहा गया है वह वेयरहाउस मेन मतलब वेयर हाउस का भण्डारणकर्ता, इसी को विलोपित करने का हमने प्रावधान किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तरह तरह की शंका और सुझाव हमारे सदस्यों की ओर से आये हैं जो मेरी समझ से परे हैं . श्री बाला बच्चन , हमारे उप नेता जी ने जिन बिंदुओं पर शंका जाहिर की है उन्हीं बिंदुओं का डॉ. गोविंद सिंह जी ने समर्थन किया है. तो पहले तो हमारे कांग्रेस पार्टी के मित्र यह तय कर लें कि वह कहना क्या चाहते हैं.
श्री रामनिवास रावत—यह तो अपने अपने विचार हैं. अभी तो आप अपने विचार बतायें.
श्री गौरीशंकर बिसेन—ठीक है मैं इस बात को स्वीकार करता हूं लेकिन पहले यह लाईन तो तय हो जाये कि आखिर कहना क्या चाहते हैं. लेकिन फिर भी मैं एक बात कहना चाहता हूं ..
उपाध्यक्ष महोदय—माननीय मंत्री जी इस पर पार्टी का कोई व्हिप भी ईश्यू नहीं है.
श्री गौरीशंकर बिसेन—उपाध्यक्ष महोदय, वह तो ठीक है वह स्वतंत्र हैं अपनी बात को रखने के लिये, यह मैं मान रहा हूं लेकिन मैं माननीय सभी सदस्यों के जो इस संशोधन के संबंध में सुझाव और शंका आई हैं उनका एक साथ समाधान करना चाहूंगा. पहली बात तो यह है कि सिर्फ ऐसे जींस जो हमारे कृषि से संबंधित हैं उनके भण्डारण करने पर सिर्फ कृषि उपज मंडी समिति के लाइसेंस से उसको मुक्त किया गया है लेकिन वहीं दूसरी ओर उसको वेयर हाउस का लाइसेंस लेना होगा और जब वेयर हाउस का उसका लाइसेंस है तो हम यह शंका क्यों कर रहे हैं कि कहीं पर भी कोई अनियमिततायें होंगी. उपाध्यक्ष महोदय, एक शंका यहां पर और आई कि अधिसूचित कृषि उपज जहां पर भण्डारित होगी उसमें चूंकि उसका मंडी का लाइसेंस नहीं है तो ऐसी स्थिति में उसका वेरिफिकेशन नहीं हो सकेगा, किंतु ऐसा नहीं है. इसके बावजूद भी पूर्व की भांति उसमें जो स्टाक है उसका हम निरीक्षण कर सकेंगे. उसमें इतना ही है कि उसमें किसी तरह की यदि कोई कमी पाई गई तो उसके ऊपर भी कार्यवाही होगी.
श्री रामनिवास रावत- क्या उसमें मंडी का लाइसेंस लेने की बाध्यता नहीं है ?
श्री गौरीशंकर बिसेन- नहीं ,मंडी के लाइसेंस की बाध्यता नहीं है.
श्री रामनिवास रावत- वही तो आप समाप्त कर रहे हो.
श्री के.पी. सिंह – मंत्री जी, जब मंडी का उसका लाइसेंस नहीं रहेगा तो फिर मंडी वाले कैसे उसका निरीक्षण कर सकते हैं.
श्री गौरीशंकर बिसेन- उसने कहीं न कहीं से उसने कृषि जींस को खरीदा है और खरीदने के बाद में उसने मंडी टैक्स पटाया या नहीं पटाया उसका सत्यापन हम कर सकते हैं.
श्री के.पी. सिंह—मंत्री जी वही तो मैं पूछ रहा हूं कि कौन सत्यापन करेगा ?
श्री गौरीशंकर बिसेन- हमारा अधिकारी सत्यापन करेगा.
श्री के. पी. सिंह – अरे अधिकारी कैसे करेगा. आप तो मंडी से उसको बाहर ही कर रहे हैं.
श्री गौरीशंकर बिसेन—उसको लाइसेंस से बाहर किया है सत्यापन से नहीं.
श्री के.पी. सिंह – मतलब मंडी उसका निरीक्षण कर सकेगी.
श्री गौरीशंकर बिसेन- हां कर सकेगी.
श्री के.पी. सिंह – आप अंदाज से बोल रहे हैं क्या ?
श्री मुकेश नायक – मंत्री जी, हजारों की संख्या में भंडार गृह हैं और क्या कृषि विभाग के पास इतना अमला होगा कि वह सबका निरीक्षण करे. हजारों की संख्या में भण्डार गृह हैं. यह बिलकुल प्रक्टीकल बात नहीं है, क्योंकि वर्तमान विभाग तो आपके अधिकारी संभाल नहीं पा रहे हैं और अब आप उनको यह जिम्मेदारी दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय – कृपया बैठें, यह प्रश्नकाल नहीं है.
श्री बाला बच्चन -- मंत्री जी, भण्डार शब्द आप विलोपित कर देंगे, तो आपकी मण्डी से वह किस तरह से अटैच्ड रहेगा. विलोपित होने के बाद तो वह अब उपज का भण्डारण अवैध रुप से करेगा, तो आपका नियंत्रण उस पर कैसे रहेगा.
श्री गौरीशंकर बिसेन --- उपाध्यक्ष महोदय, भण्डारण करने के लिये जो उसका भण्डार गृह है, उसके लायसेंस से मुक्त किया है. मण्डी में जो खरीदी करेगा, जो खाद्यान्न जीन्स खरीदेगा और स्टॉक करेगा, उसका तो उसको टैक्स देना ही होगा.
श्री बाला बच्चन -- मंत्री जी, इससे सरकार का क्या फायदा है. इससे तो शुल्क की चोरी होगी, ऐसे तो और सांवरिया ग्रुप तैयार होंगे. सांवरिया ग्रुप जैसे और ग्रुप तैयार होंगे. मंत्री जी, आपने इसको खुद ने समझा कि नहीं.
श्री रामनिवास रावत – सांवरिया ग्रुप ने 200 करोड़ रुपये का मण्डी टैक्स चोरी किया है.
श्री गौरीशंकर बिसेन --- उपाध्यक्ष महोदय, मैं पूरी बात को बड़ी गंभीरता से समझ करके ही रख रहा हूं और हर विधेयक को बारीकी से अध्ययन करके ही रखा है. यह राज्य सरकार के पर्सनल डिपॉजिट खाते के संबंध में हमने जो संशोधन लाया है, अभी हमारा जिला सहकारी बैंक, उसकी ब्रांच, अपेक्स, अपेक्स की ब्रांच और पोस्ट ऑफिस में हम जमा करते हैं. वैसे मोटे तौर पर पोस्ट ऑफिस में तो नगण्य ही है, क्योंकि सब जगह ब्रांचेज उपलब्ध हैं. इसके बावजूद भी जैसे हमारे माननीय रावत जी ने कहा कि तात्कालिक रुप से कोई बैंक में जमा कर सकेगा, लेकिन जब उसको अपना पूरा पैसा जमा करना होगा. तो उसको कोआप्रेटिव्ह सेक्टर के बैंकों में जमा करना होगा. हमारा इसके पीछे उद्देश्य नहीं है कि सारा का सारा पैसा..
श्री रामनिवास रावत – आप पढ़ तो लो. आप ही संशोधन पारित करवा रहे हैं.
श्री गौरीशंकर बिसेन --- उपाध्यक्ष महोदय, बाध्यता नहीं रहेगी. अधिनियम में साफ साफ है. हमने संशोधन सिर्फ इतना सा किया है कि राज्य सरकार के पर्ससनल डिपॉजिट खाते में आवश्यकता पड़ने पर हम जमा करेंगे. मैं एक बात कहना चाहता हूं कि यह जो बैंक के बचत खाते में पैसा जमा होगा, यह विभाग और संस्था के प्रचलित ब्याज अनुसार इसमें ब्याज भी हमको मिलेगा. तो यह कहना कि इसमें घाटा होगा, ऐसी स्थिति नहीं है. फिर यह जो एकाउंट होगा, इसको विभाग और ट्रेजरी दोनों के द्वारा आपरेट किया जायेगा. ऐसी स्थिति में यह शंका करना कि शासन पूरा पैसा निकला लेगा, मैं इससे बिलकुल सहमत नहीं हूं.
श्री बाला बच्चन -- तो कितना निकालेगा. मंत्री जी आपका खुद का भी नियंत्रण रहेगा.
श्री गौरीशंकर बिसेन --- उपाध्यक्ष महोदय, नहीं, जितनी हमको आवश्यकता पड़ेगी, हम तो वहां पर डिपाजिट करके, सरकार हमसे इस पैसे का आहरण नहीं कर सकेगी.
श्री बाला बच्चन -- मंत्री जी, अंजड़ मंडी के करोड़ों रुपये की राशि भोपाल बोर्ड में जमा है, वह एक छोटा सा एक लाख का भी काम नहीं करा सकते हैं. आपके हाथ में भी नियंत्रण नहीं बचेगा.
श्री गौरीशंकर बिसेन --- उपाध्यक्ष महोदय, इसमें यदि हमारा एकाउंट के आपरेट करने में अधिकार नहीं होता, तब इस तरह की शंका की स्थिति बन सकती थी. दूसरा, यह है कि कहीं यह आपके मन में शंका न हो कि हम कोई के-डिपाजिट कर रहे हैं. इसको हम के-डिपाजिट नहीं कर रहे हैं. के-डिपाजिट में ब्याज नहीं मिलता है. इसमें हमको ब्याज भी मिलेगा. उपाध्यक्ष महोदय, इसलिये मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश कृषि-उपज मण्डी संशोधन (विधेयक),2015 पारित किया जाय.
उपाध्यक्ष महोदय—प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश कृषि-उपज मण्डी संशोधन (विधेयक),2015 पर विचार किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2,3,4 तथा 5 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2,3,4 तथा 5 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
उपाध्यक्ष महोदय – मंत्री जी.
श्री गौरीशंकर बिसेन – उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक, 2015 पारित किया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय –प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक, 2015 पारित किया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक पारित किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
विधेयक पारित हुआ.
मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2015 (क्रमांक 15 सन् 2015)
उपाध्यक्ष महोदय - भू-राजस्व संहिता आज की कार्यसूची के पद-9 के उप पद-2 में विचार हेतु सम्मिलित मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता (संशोधन) विधेयक, 2015 के संबंध में विधेयक के भारसाधक सदस्य माननीय राजस्व मंत्री जी द्वारा अनुरोध किया गया है कि विधेयक में कुछ परिवर्तन किया जाना है. अत: इस विधेयक को आज विचार में न लिया जाकर, इसे सत्र के आगामी कार्यदिवस में विचार हेतु सम्मिलित किया जाये. मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
उपाध्यक्ष महोदय – आप राजस्व की बात कर रहे हैं न.
डॉ.गोविन्द सिंह – हॉ. मैं आपसे प्रार्थना करना चाहता हूँ कि जब आप संशोधन लें तो हम लोगों की जानकारी में हो. आखिर आप संशोधन आप देंगे तो उस संशोधन के विपरीत का समय, हमें भी तो मिलना चाहिए क्योंकि हम उसमें आपत्ति लगा सकें.
उपाध्यक्ष महोदय – ठीक है.
डॉ.गोविन्द सिंह – हम अपना संशोधन प्रस्तुत कर सकें तो आप अगले सोमवार को पेश कर दें और उसके बाद हमें भी एक-आध दिन का अवसर मिले, संशोधन करने का.
उपाध्यक्ष महोदय – ठीक है, ठीक है. कोई दिक्कत नहीं है.
डॉ.गोविन्द सिंह – ताकि हम अपना भी संशोधन दे सकें.
श्री राम निवास रावत – उस संशोधन के बाद क्या परिवर्तित होता है, हम अपने भी संशोधन दे सकें.
उपाध्यक्ष महोदय – ठीक है, सहमत हैं. इससे आसन्दी सहमत है.
मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2015 (क्रमांक 16 सन् 2015)
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) – उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2015 पर विचार किया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालय) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2015 पर विचार किया जाये.
श्री मुकेश नायक (पवई) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस संशोधन विधेयक के बारे में कुछ बात शासन के समक्ष रखना चाहता हूँ. विनियामक आयोग के द्वारा, जो शासन के मापदण्ड हैं. उसका आकलन करने के उपरान्त निजी विश्वविद्यालयों का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा जाता है और राज्य शासन मंजूरी देता और विधानसभा के पटल पर मंजूरी के लिये इसको रखता है. जो आयोग के द्वारा आकलन किया जाता है. उसके बारे में और पहले के जो अनुभव रहे हैं, विश्वविद्यालयों के निजीकरण को लेकर, उसके बारे में, मैं कुछ अपनी बात सरकार के साथ शेयर करना चाहता हूँ. देखिये, जो शिक्षा का निजीकरण है. इसका उद्देश्य केवल इतना था कि शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना, जन-भागीदारी को सुनिश्चित करना, शिक्षा के प्रचार और प्रसार को जनोन्मुखी बनाना और शिक्षा ऐसी हो जो आत्म-निर्भरता दे, समझ पैदा करे, इसका समन्वय करना. पिछले अनुभव जो निजी विश्वविद्यालयों के रहे हैं, वे ऐसे रहे हैं कि जैसे आपने इसका कार्यक्षेत्र पूरा मध्यप्रदेश लिखा है, दोनों विश्वविद्यालयों का, जो दो नई यूनिवर्सिटी आप खोलने जा रहे हैं. इसको बिल्कुल स्पष्ट करना होगा कि विश्वविद्यालयों का जो कार्यक्षेत्र है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब मध्यप्रदेश का पहला निजी विश्विद्यालय बना था । उस निजी विश्वविद्यालय का पूरा का पूरा विधेयक मैंने तैयार किया था, पूरे देश में उसकी नकल होती है, निजी विश्वविद्यालयों के नियम-उपनियम उसके संचालन को लेकर पूरे देश में एक माप-दण्ड माना जाता है और उसका कार्यक्षेत्र मध्यप्रदेश था, उस समय छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश अविभाजित राज्य थे, दोनों एक थे । जब छत्तीसगढ़ नया राज्य बना तो वैदिक विश्वविद्यालय का स्वरूप समाप्त कर दिया गया, क्योंकि यह मध्यप्रदेश की विधानसभा से पारित हुआ था । जब किसी विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र पूरा मध्यप्रदेश रख रहे हैं तो यह स्पष्ट करना होगा कि इनकी यूनिवर्सिटी, टीचिंग डिपार्टमेंट कैसा होगा, उससे संबद्व महाविद्यालयों का स्वरूप कैसा होगा, उसका कैम्पस कल्चर क्या होगा । डीम्ड यूनिवर्सिटी तो रेसीडेन्शियल होती है, लेकिन वो विश्वविद्यालय जिसका कार्यक्षेत्र पूरा मध्यप्रदेश है । आपको ज्ञात है कि क्षेत्रफल में भारत का सबसे बड़ा राज्य मध्यप्रदेश है । जब पूरा मध्यप्रदेश किसी निजी विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र होगा, तो यह स्पष्ट करना होगा कि क्या वह अपने ट्रेनिंग सेंटर वहां खोल सकता है,अपने इंस्टीट्यूट वहां पर खोल सकता है, अपने कॉलेज वहां पर खोल सकता है और दूसरी चीज कोई भी निजी विश्वविद्यालय जिसको आप अनुमति देते हैं, उसका जो तकनीकी दृष्टिकोण है, टेक्नीकल कॉलेज, चिकित्सा से संबंधित कोई कॉलेज] वह यूनिवर्सिटी आत्मनिर्भर है कि नहीं] क्योंकि यह समस्या मध्यप्रदेश में पीपुल्स यूनिवर्सिटी के साथ आई थी उनको पहले से मेडिकल कॉलेज मिला था, जब यूनिवर्सिटी की इन्होंने अनुमति दी तो उस मेडिकल कॉलेज को उन्होंने अपने विश्वविद्यालय शैक्षणिक विभाग से संबद्व कर लिया, ऐफिलेटेड करा लिया और उसमें बहुत सारी सीटें भर ली । जब शासन ने उस पर आपत्ति ली कि मेडिकल काउन्सिल ऑफ इण्डिया के रूल्स का आपने वायलेशन किया है, उल्लघंन किया है तो वह कोर्ट में चले गए कि विश्वविद्यालय आत्म निर्भर है, इसके लिए सक्षम है, विश्वविद्यालय ने अपने को-आर्डिनेशन कमेटी की बैठक बुलाई अपने चान्सलर को बुलाया और उसमें प्रस्ताव करके इस यूनिवर्सिटी से अपने मेडिकल कॉलेज को एफिलिएटेड कर लिया इसलिए वह अपनी क्षमता के अनुसार अपने इक्यूपमेंट के अनुसार,अपने इन्फ्रास्ट्रक्चर के अनुसार, अपनी फैकल्टी के अनुसार वे सीटें बढ़ाने में आत्म निर्भर है, सक्षम है । बड़ा गतिरोध हुआ, सब लोग जानते हैं, बहुत छात्रों को परेशानी उठानी पड़ी,पेरेन्टस को परेशानी उठानी पड़ी और अंत में आपने जब स्थिति स्पष्ट की, माननीय मुख्यमंत्री जी ने खुद उसमें हस्तक्षेप किया, तब स्थिति स्पष्ट हुई कि अगर यूनिवर्सिटी के अंतर्गत कोई मेडिकल कॉलेज आता है तो उसमें भी विश्वविद्यालय के नियम नहीं चलेंगे, मेडिकल काउन्सिल आफ इण्डिया के रूल्स एप्लीकेबल रहेंगे, यह आपने तय किया था, आप इस बात को जानते हैं । मैं दो तीन चीजों के बारे में स्पष्ट जानना चाहता हूँ । एक तो कार्यक्षेत्र को आपने समझ लिया होगा, दूसरा किसी भी निजी विश्वविद्यालय को विनियामक आयोग जब अनुमति देता है तो क्या इस बात का मूल्यांकन करता है कि विश्वविद्यालय कहीं पास और फेल करने की फैक्ट्री बनकर न रह जाए । क्या वह इस बात का मूल्यांकन करता है कि शिक्षा के नवाचार के लिए नए नए एक्सपेरीमेंट के लिए रोजगार उन्मुखी पाठ्यक्रम को शामिल करने के लिए आत्मनिर्भरता के पाठ्यक्रम को शामिल करने के लिए या विश्वविद्यालय से जो यूनिवर्स की अभिरंजना होती है। विश्वविद्यालय का मतलब है, पूरी वसुधा पूरी सृष्टि, पूरा विश्व मानव समाज, जिसमें शिक्षा पाए और ऐसी शिक्षा जो विमुक्त करे,आत्म निर्भर करे , स्वावलम्बी बनाए और रोजगार भी दे, व्यक्ति में विवेक भी उत्पन्न करे । आपने इसके जो मापदण्ड बनाए हैं, उसमें पिछली बार मैंने आपसे कहा था कि आप कम से कम इतना जरूर करिए कि किसी भी विश्वविद्यालय में एक आधार पाठ्य्रक्रम की अनिवार्यता है, उन बच्चों के लिए जो विदेशों से भारत में पढ़ने के लिए आते हैं । उपाध्यक्ष महोदय, बड़े दुख की बात है कि हमारी नीतियों के कारण, हमारी गलतियों के कारण एक यूनिवर्सिटी, एक भी कॉलेज मध्यप्रदेश में हम ऐसा नहीं बना पाए जहां विदेशी छात्र आकर हमारी शिक्षा लें तो यह कैसा विश्वविद्यालय है । जहां केवल एक राज्य एक जिले के बच्चे पढ़ते हों विश्विद्यालय का अर्थ है कि जो पूरी धरती भविष्य में एक लूज फेडरेशन में कन्वर्ट होने वाली है पूरी दुनिया जो भविष्य में एक गांव बनने वाली है । वसुदेव कुटुम्बकम की भावना से और पूरी धरती, पूरा विश्व मानव समाज जब एक लूज फेडरेशन में कन्वर्ट होगा उस समय आपकी वैश्विक चेतना कहीं खो न जाए उस समय कहीं आपका ग्लोबल विजन कहीं कम न पड़ जाए और इस उद्देश्य के साथ शिक्षा के परिसर बनाए जाते हैं ।उसमें एक डिसीप्लेन होता है, केम्पस कल्चर होता है, उसका पाठ्यक्रम होता है, उसकी फैकल्टी एवं इंफ्रास्ट्रक्चर होता है, लेकिन हमें आश्वासन दिया था कि कम से कम हम विदेशी छात्रों के लिये आधार पाठ्यक्रम की अनिवार्यता को खत्म कर देंगे आपने कहा था माननीय मंत्री जी कि हम इस पर विचार करेंगे, लेकिन नहीं किया. आप मुझे यह बताईये कि कनाडा, इंग्लैड, क्यूबा, ईरान, ईराक से आने वाला बच्चा यहां पर हिन्दी में कैसे परीक्षा देगा आपने उनके लिये हिन्दी का पेपर देने के लिये अनिवार्य कर रखा है और नाम दे रखा है विश्वविद्यालय देखिये हमारी राष्ट्रभाषा, हमारी मातृभाषा हमारा गौरव है और शिक्षा का सबसे सशक्त माध्यम भी है उन लोगों के लिये जो लोग वहां के रहने वाले हैं. जो मातृभाषा है वह मां की अंतर चेतना का स्पंदन होती है और इसीलिये मातृभाषा में तैयार होने वाला पाठ्यक्रम, मातृभाषा में दी जाने वाली शिक्षा ज्ञान का सबसे सहज, सबसे प्रवाहमान सम्प्रेषण शील का एक माध्यम, ज्ञान के सम्प्रेषणशीलता का माध्यम माना जाता है, लेकिन आप विदेशियों के लिये इस नीति को लागू नहीं कर सकते हैं. मैंने इसको इसलिये स्पष्ट किया कि कहीं यहां पर खड़े होकर यह न कहने लगे कि कहीं हम हिन्दी का विरोध तो नहीं कर रहे हैं. कोई भारत में रहने वाला व्यक्ति हिन्दी का विरोध कैसे कर सकता है मैं खुद हिन्दी साहित्य का छात्र रहा हूं. मैंने हिन्दी के साहित्य को पढ़ा है और मुझे हिन्दी से जितना प्रेम है, मुझे लगता है कि सबको ही उतना ही प्रेम है, लेकिन आप विदेशों से आने वाले छात्रों के लिये अगर हिन्दी की अनिवार्यता को खत्म नहीं करते हैं तो एक भी बच्चा हमारे केम्पस में एडमीशन नहीं लेगा, एक भी दुनिया का बच्चा भारत की संस्कृति को नहीं जान पायेगा, एक भी बच्चा भारत की परम्पराओं से रीति-रिवाजों से, हमारे कल्चर से और जो एक फ्रेंडशिप एवं कल्चर एक्सचेन्ज का सशक्त माध्यम है शिक्षा उससे हमारा देश वंचित रह जाएगा इसीलिये आधार पाठ्यक्रम की अनिवार्यता को आप आयोग के समक्ष जो आपके मापदंड हैं उसमें विदेशी छात्रों के लिये इसकी अनिवार्यता को खत्म करें. आप डिस्टेन्स एजूकेशन जो भारत में दूरस्थ शिक्षा के दो विश्वविद्यालय हैं, जिसमें से एक मध्यप्रदेश में है, जिसको हम भोज विश्वविद्यालय कहते हैं. देखिये सबसे बड़ी शिक्षा के साथ मध्यप्रदेश में यह दिक्कत हो रही है कि शिक्षा की जो गुणवत्ता है और जो एकेडेमिक एक्सीलेन्स है एजूकेशन का, डिसीप्लेन है, उसको बरकरार रखने के लिये आयोग के समक्ष आपको कुछ ऐसी निर्धारित शर्तें रखना होंगी और उन मापदंडों में उनको शामिल करना होगा, तब तो निजी विश्वविद्यालयों का कोई अर्थ है नहीं तो निजी विश्वविद्यालयों का कोई अर्थ नहीं है. आप देखिये आपने कभी बताया कि किसी निजी विश्वविद्यालय को कि तीन साल में ग्रेज्युएट होगा बच्चा, आपने उनको एकेडेमिक केलेन्डर, कल्चरल केलेन्डर, स्पोर्ट केलेन्डर बना करके दिया है साल भर में, उसके कोई दिशा-दर्शन आपने बताये, निजी विश्वविद्यालय तो छोड़िये आप, आप जब चाहे परीक्षा कराओ, कभी भी आप कॉलेज खोल दो, कभी भी आप कॉलेज को बंद कर दो उसमें कोई केलेन्डर नाम की चीज नहीं है, कोई कल्चरल एक्टीविटीज नहीं है, कोई एक्ट्रा केलीक्यूरल एक्टीविटीज उस मापदंड में आपने शामिल नहीं की है, बस आप बनाओ फेल करने की तथा पास करने की मार्कशीट दो, मार्कशीट बेचो, खरीदो तथा पूरी दुनिया भर से बच्चे लाओ और जैसे-तैसे उसकी खाना-पूर्ति करते रहो. अगर इसके लिये आप प्रायवेट विश्वविद्यालय बना रहे हैं तो आपका उद्देश्य कभी पूरा नहीं होगा. मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि इस पूरे आयोग के जो मापदंड हैं, विश्वविद्यालय खोलने के जो मापदंड हैं, आपने उसके भौतिक लक्ष्यों के मापदंड तो बनाये हैं कि उसमें कितने कमरे हों, उसमें प्ले-ग्राऊंड हो, कम्प्यूटर सेन्टर हो, कितने एकड़ जमीन उसमें सम्बद्ध हो. अरे भाई आप कुछ मापदंडों में ऐसी चीजें भी तो शामिल करिये जो कि जीवंत हों. आपने जड़ चीजों के तो मापदंड बना दिये, चेतन चीजों के मापदंड नहीं बनाये, आपने सिलेबस के कोई मापदंड नहीं बनाये, आपने कम्प्यूटर कौन से लेवल के रखे रहेंगे, कौन पढ़ाएगा, कितने पीएचडी होंगे, कितने डीलीट होंगे, कितने एम्फिल होंगे पढ़ाने वाले टीचिंग आपके केम्पस में तथा फैक्लटीज में इसके कोई मापदंड आपने आयोग को बनाकर के नहीं दिये और उसका कारण है कि आज निजी विश्वविद्यालय वहीं खोल सकता है जिसके पास में पैसे हों जिसके पास में पैसे नहीं हैं वह कितना भी बड़ा शिक्षाविद् हो, कितना बड़ा उसमें शिक्षा का भंडार हो, बहुत सारे राईटर्स, इन्टलेक्चयुअल अगर सोसाइटी बनाकर के कोई शिक्षा का परिसर खोलना चाहें तो वह नहीं खोल सकते हैं, वह पढ़ा सकते हैं. वह आज ऐसे पढ़े-लिखे लोग ऐसे इन्टलेक्चयुअल लोग आज बंधुआ बुद्धिजीवी बनकर के रह गये हैं, उनको बिना पढ़े-लिखे सेठों ने अपने विश्वविद्यालय खोल रखे हैं, यह नहीं होना चाहिये, बस इतना ही मुझे आपसे कहना है.
श्री उमाशंकर गुप्ता – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आदरणीय मुकेश नायक जी ने जो बातें कही हैं. वास्तव में हम सबकी चिंता शिक्षा को लेकर है. केवल मध्यप्रदेश में ही नहीं पूरे देश में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है लेकिन कुछ बातें माननीय मुकेश नायक जी ने कही हैं. पिछली बार भी जो बातें आपने कही थीं आधार पाठ्यक्रम की उसको मैंने चेक कराया था. आपने ठीक कहा है. अपने यहां जो बच्चे आ रहे हैं बाहर के आपने पढ़ा होगा पिछले महिने सोमालिया के जो राष्ट्रपति हैं वह डिग्री लेकर हमारी यूनिवर्सिटी से गये तो विदेश के बच्चे भी आ रहे हैं और साधारणत: व्यवसायिक पाठ्यक्रमों के लिये आ रहे हैं. उसमें आधार पाठ्यक्रम की अनिवार्यता नहीं है. व्यवसायिक पाठ्यक्रमों में आधार पाठ्यक्रम की जो आपकी चिंता थी वह अनिवार्यता नहीं है और इसलिये वह कोई परेशानी की बात नहीं है और आज भी विदेश के विद्यार्थी मध्यप्रदेश में भी पढ़ने आ रहे हैं. दूसरा आपने भोज विश्वविद्यालय के कैलेण्डर के बारे में कहा है तो भोज विश्वविद्यालय भी समन्वय समिति का सदस्य है. आप शिक्षा मंत्री रहे हैं और वहां जो सारा वार्षिक कैलेण्डर परीक्षा का, टाईम टेबल, सांस्कृतिक,स्पोर्ट्स, यह जो तय होता है वह भोज विश्वविद्यालय पर भी लागू होता है. निजी विश्वविद्यालयों को लेकर जो इसकी स्थापना का विचार हुआ और पिछले दिनों यह आयोग बना उसके पीछे उद्देश्य यह था कि हमारे यहां जी.आर.ई. बहुत कम था जो अब बढ़ाकर पिछले तीन-चार साल में 14 परसेंट से बढ़ाकर 20 परसेंट से ज्यादा नेशनल एवरेज पर मध्यप्रदेश को ले आये हैं क्योंकि यह बहुत कमी थी लेकिन यह चिंता भी बिल्कुल आपकी बाजिब है और हमारी भी चिंता का विषय है कि कहीं यह निजी विश्वविद्यालय डिग्री बेचने वाले संस्थान न बन जायें और उसके लिये हम व्यवस्थाएं कर रहे हैं. जो आपने बात कही है कि अभी तो पांच साल तक कोई कालेज जो निजी यूनिवर्सिटी खुलती है. हमारे यहां की परमीशन के बाद भी यू.जी.सी. से उसको मान्यता लेनी पड़ती है. यू.जी.सी. के सारे नार्म्स लागू होते हैं और पांच साल तक वह अपने कोई दूसरे केन्द्र नहीं खोल सकता. जहां उसको परमीशन दी जा रही है केवल वहीं वह कालेज,यूनिवर्सिटी चला सकता है. अभी हम एक साफ्टवेयर आयोग में डेव्लहप कर रहे हैं जिस पर काम चल रहा है कि हमारा रेगुलर नियंत्रण और जानकारी वहां कैसे बनी रह सकती है. जानकारी आ सकती है. डे टु डे इंटरफियरेंस तो हम भी नहीं चाहते उनके काम में लेकिन कहीं कोई गड़बड़ी जैसी आपने शंका व्यक्त की है हमारे मन में भी वह है. अभी तक तो कोई शिकायत ऐसी नहीं मिली है लेकिन संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता और इसलिये हम ऐसा साफ्टवेयर डेव्लहप कर रहे हैं जो लगभग पूरा हो चुका है. वह निजी यूनिवर्सिटी से आयोग का साफ्टवेयर कनेक्टेड रहेगा और उस पर सारी जानकारी रोज अपडेट होगी कितने एडमीशन हुए हैं किसके हो रहे हैं परीक्षा में कितने छात्र बैठ रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, आपने एक क्षण के लिये भी आसंदी की तरफ नजरें इनायत नहीं कीं मुकेश नायक जी की तरफ ही ध्यान केन्द्रित रखा.
श्री उमाशंकर गुप्ता - मैं क्षमा मांगता हूं. मैं बड़ी आसन्दी की तरफ देख रहा था. कल हमारे एक साथी ने मुकेश नायक जी को भास्कराचार्य की उपाधि दी है. इसलिये इन चिंताओं को दूर करने के लिये हमने सारी व्यवस्थाएं की हैं. जमीन की अनिवार्यता,पांच करोड़ रुपये डिपाजिट की अनिवार्यता इस सदन ने ही की. आयोग का विधेयक भी हमने ही पास किया है वह इसलिये किया है कि हर कोई कुछ नहीं कर ले. कुछ न कुछ सिक्योरिटी रहे. मैं उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इन सारी यूनिवर्सिटी को और हम इस पर भी विचार कर रहे हैं कि आखिर निजी विश्वविद्यालय कितने खोलें. एक हमारे ध्यान में विसंगति आई इस पर भी हम आयोग में विचार कर रहे हैं कि अभी हम जब निजी विश्वविद्यालय को अनुमति देते हैं तो उसको मध्यप्रदेश में कोई शिक्षा का केन्द्र चलाने का अनुभव होने की अनिवार्यता नहीं है. पहले कहीं न कहीं उसने मध्यप्रदेश में कालेज चलाये हैं.इस प्रकार की उसको कुछ मध्यप्रदेश के बारे में शिक्षा जगत के बारे में जानकारी हो वह आता है और हम उसे सीधे यूनिवर्सिटी खोलने की अनुमति दे देते हैं और वह एक कॉलेज जैसा ही चलता है बाहर एफीलिएशन वह दे नहीं सकता है तो क्यों नहीं वह कुछ साल कॉलेज चलाये जो यहां कॉलेज चलाते हैं उन्हीं को हम यूनिवर्सिटी के लिये दें इस पर भी हम विचार कर रहे हैं कल हमने एक मीटिंग रखी है.
उपाध्यक्ष महोदय, कुल मिलाकर निजी क्षेत्र आये हम उसका स्वागत कर रहे हैं लेकिन निजी क्षेत्र उच्छृंखल नहीं हो जायें इसकी भी चिंता हम लगातार कर रहे हैं और मैं आपके माध्यम से आश्वस्त करता हूं कि हम सजग हैं और इस बात का हम ध्यान रखेंगे. इसी के साथ मैं आग्रह करता हूँ कि इस विधेयक को पारित किया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय—प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2015 पारित किया जाय.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयकों के खण्डों पर विचार होगा.
प्रश्न यह है कि खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ड 2 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि खण्ड 1 इस विधेयक का अंग बने.
खण्ज 1 इस विधेयक का अंग बना.
प्रश्न यह है कि पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
पूर्ण नाम तथा अधिनियमन सूत्र विधेयक का अंग बने.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)—उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2015 पारित किया जाय.
उपाध्यक्ष महोदय—प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2015 पारित किया जाय.
प्रश्न यह है कि कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) द्वितीय संशोधन विधेयक, 2015 पारित किया जाय.
विधेयक सर्वानुमति से पारित हुआ.
विधान सभा की कार्यवाही गुरुवार दिनांक 10 दिसम्बर, 2015 को प्रात: 10:30 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 04:18 बजे विधान सभा की कार्यवाही गुरुवार, दिनांक 10 दिसम्बर, 2015 (19 अग्रहायण, शक संवत् 1937) के प्रात: 10:30 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, भगवानदेव ईसरानी
दिनांक :- 9 दिसम्बर, 2015 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा