मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

             __________________________________________________________

 

पंचदश विधान सभा                                                                                  तृ‍तीय सत्र

 

 

जुलाई, 2019 सत्र

 

मंगलवार, दिनांक 09 जुलाई, 2019

 

(18 आषाढ़, शक संवत्‌ 1941)

 

 

[खण्ड- 3 ]                                                                                                                  [अंक- 2 ]

 

               __________________________________________________________

 

 

 

 

 

 

 

मध्यप्रदेश विधान सभा

 

मंगलवार, दिनांक 09 जुलाई, 2019

 

(18 आषाढ़, शक संवत्‌ 1941)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11:02 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}

 

 

तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

 

बहोरीबंद तहसील में व्‍यवहार न्‍यायालय की स्‍थापना

[विधि और विधायी कार्य]

        1. ( *क्र. 303 ) श्री प्रणय प्रभात पाण्डेय : क्या विधि और विधायी कार्य मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या तीन वर्ष पूर्व माननीय उच्‍च न्‍यायालय जबलपुर द्वारा कटनी जिले की बहोरीबंद तहसील में व्‍यवहार न्‍यायालय प्रारंभ करने की अनुमति प्रदान की गयी थी तथा कलेक्‍टर कटनी द्वारा आई.टी.आई. भवन के पास भूमि आरक्षित की गई एवं व्‍यवहार न्‍यायालय को अस्‍थाई तौर पर रिक्‍त बी.आर.सी. भवन में खोलने के आदेश हुये थे? (ख) यदि हाँ, तो तत्संबंध में हुये पत्राचार एवं आदेश की छायाप्रति देवें एवं बहोरीबंद में रिक्‍त बी.आर.सी. भवन को न्‍यायालय स्‍वरूप में परिवर्तन करने हेतु लोक निर्माण विभाग द्वारा तैयार पाँच लाख के प्राक्‍कलन की प्रगति से अवगत करावें। (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में व्‍यवहार न्‍यायालय बहोरीबंद अस्‍थाई कार्यालय बी.आर.सी. भवन बहोरीबंद में कब से प्रारंभ होगा एवं व्‍यवहार न्‍यायालय हेतु आरक्षित भूमि पर नये भवन का निर्माण किस प्रकार से कब तक होगा?

        विधि और विधायी कार्य मंत्री ( श्री पी.सी. शर्मा ) : (क) जी हाँ। जी हाँ (ख) संबंधित पत्राचार एवं आदेश की प्रतियां पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '', '', '', '', '' अनुसार है। बी.आर.सी. भवन के अनुरक्षण हेतु रूपये 20 लाख के प्राक्‍कलन दिनांक 23.02.2019 को विभाग में प्राप्‍त हुए हैं, जिस पर प्रशासकीय स्‍वीकृति जारी किये जाने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ग) बहोरीबंद में बी.आर.सी. भवन के अनुरक्षण का कार्य प्रशासकीय स्‍वीकृति‍ के अभाव में प्रारंभ न होने के कारण उक्‍त भवन में न्‍यायालय प्रारंभ किये जाने की निश्चित समया‍वधि बताई जाना संभव नहीं है। माननीय उच्‍च न्‍यायालय से नवीन भवन निर्माण संबंधी प्राक्‍कलन प्राप्‍त नहीं हुए हैं। अत: नवीन भवन निर्माण संबंधी निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं है।

        श्री प्रणय प्रभात पाण्‍डेय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आज एक बात रखना चाहता हूं, आज मैं अपने परिवार की पीढ़ी से तीसरा सदस्‍य इस सदन में पहुंचा हूं. मेरे बब्‍बा पंडित श्री काशीप्रसाद पाण्‍डेय जी ने इसी सदन में अध्‍यक्षता की थी. मेरे परम पूज्‍य पिताजी  स्‍व. श्री प्रभात पाण्‍डेय जी तीन बार विधायक होकर निर्वाचित हुये थे. आज मुझे यहां पर खड़े होने का अवसर मिला है. मैं चाहता हूं कि मुझे आप सबका संरक्षण और आशीर्वाद मिले. मेरा प्रश्‍न यह है कि हमारे यहां बहोरीबंद में व्‍यवहारिक न्‍यायालय प्रारंभ करने की अनुमति पिछले तीन साल से स्‍वीकृत है, उसके लिये बीस लाख रूपये की राशि की आवश्‍यकता है. मैं माननीय मंत्री जी से चाहता हूं कि वह राशि हमें इसी बजट में मिल जाती तो अच्‍छा होता ?

          श्री पी.सी.शर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इसका जो प्राक्‍कलन है, उसमें कुछ कुछ त्रुटि थी. हाईकोर्ट की एक समिति है वह इसको भेजती है. चूंकि वहां पर भवन   नहीं है और न्‍यायालय प्रारंभ करने की घोषणा हाईकोर्ट ने कर दी है. इसमें कलेक्‍टर कटनी ने वहां पर एक बीआरसी भवन न्‍यायालय के लिये दिया हुआ है, उसमें इलेक्‍ट्रीफिकेशन होना था और जज साहब के आवास के लिये भी एक भवन उन्‍होंने दिया है, उसका भी जीर्णाधार होना था. इन दोनों का एक प्राक्‍कलन यहां शासन से चला गया है, वहां पर नया प्राक्‍कलन भेज देंगे उसको शासन स्‍वीकृत कर देगा और उस स्‍वीकृति के बाद यह दोनों काम मैं समझता हूं कि छ: माह के अंदर पूरे होकर न्‍यायालय वहां पर शुरू हो जायेगा.

          श्री प्रणय प्रभात पाण्‍डेय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम लोग यह चाहते हैं कि वहां पर जो एक अस्‍थायी व्‍यवस्‍था की गई है, वहीं पर न्‍यायालय प्रारंभ कर दिया जाये क्‍योंकि सालों से पूरे विधानसभा के लोग पचास साठ किलोमीटर दूर न्‍यायालय के लिये जाते हैं और उन्‍हें बहुत कष्‍ट का सामना करना होता है, लोग सुबह जाते हैं और रात को घर लौटते हैं. अगर हमको बहोरीबंद में यह व्‍यवस्‍था अभी मिल जायेगी और इसी बजट में इसके लिये बजट मिल जायेगा तो हमारी सुविधा चालू हो जायेगी.

          श्री पी.सी.शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, उसमें बजट की कोई दिक्‍कत नहीं है, इसके लिये पूरा बजट है. इसमें केवल हाईकोर्ट की समिति से यह दोनों प्राक्‍कलन आयेंगे, जिसमें इलेक्‍ट्रीफिकेशन का काम और जज साहब के मकान का जीर्णोधार होना है. इसके  बाद जो मकान कलेक्‍टर ने दिया हुआ है, वह आते ही स्‍वीकृत हो जायेगा. वह वहां से जैसे ही भेजेंगे तो काम शुरू हो जायेगा और पीडब्‍ल्‍यूडी काम शुरू कर देगी. जैसे ही पूरा काम कम्‍प्‍लीट होगा, वहां पर न्‍यायालय शुरू हो जायेगा.

          श्री प्रणय प्रभात पाण्‍डेय -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा एक और प्रश्‍न है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप आखिरी प्रश्‍न और पूछ लीजिये.

          श्री प्रणय प्रभात पाण्‍डेय--  माननीय अध्‍यक्ष जी, कब तक यह चालू हो जायेगा, कब तक हमको यह सुविधा मिल जायेगी ?

          श्री पी.सी. शर्मा--  यह लॉ डिपार्टमेंट को करना है यह बहुत जल्‍दी हो जायेगा, इसका लेटर जा चुका है, क्‍योंकि हाईकोर्ट की समिति इसमें बैठती है, वह भेजेगी. मैं समझता हूं 6 महीने के अंदर इसका काम पूरा हो जाना चाहिये.

          अध्‍यक्ष महोदय--  ठीक है.

          श्री प्रणय प्रभात पाण्‍डेय--  धन्‍यवाद अध्‍यक्ष जी, धन्‍यवाद मंत्री जी.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--  माननीय अध्‍यक्ष जी, प्रदेश में बहुत से ऐसे ....

          अध्‍यक्ष महोदय--  नहीं, सीमित प्रश्‍न, प्‍लीज.

          श्री गोपाल भार्गव--  मैं एक नीतिगत प्रश्‍न पूछ रहा हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय--  चलिये पूछिये.

          श्री गोपाल भार्गव--  प्रदेश में ऐसे बहुत से स्‍थान और तहसीलें हैं जहां पर व्‍यवहार न्‍यायालय स्‍वीकृत हैं, लंबे समय से उनके लिये जमीन आवंटित है. मंत्री जी कह रहे हैं कि राशि की कोई कमी नहीं है. मैं यह जानना चाहता हूं क्‍या ऐसे सभी व्‍यवहार न्‍यायालयों के जहां जमीन का अधिग्रहण हो रहा है उसका परीक्षण कर इस वर्ष उनका निर्माण कार्य शुरू करवा देंगे ?

          श्री पी.सी. शर्मा--  निश्चित तौर पर परीक्षण करवा लेंगे और परीक्षण के उपरांत कार्य शुरू करा देंगे.

 

11.07 बजे                                बधाई

श्री जयवर्द्धन सिंह, नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री को जन्‍म दिन की बधाई.

 

          श्री शिवराज सिंह चौहान--  आज हमारे युवा मंत्री जयबर्द्धन सिंह जी का जन्‍म दिन है उनको बहुत-बहुत शुभकामनायें.

          अध्‍यक्ष महोदय--  आप सही बोल रहे हैं, मैं तो इंतजार कर रहा था कि इनका पहला ध्‍यानाकर्षण आये तब मैं इनको शुभकामनायें दूंगा. हमारी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनायें माननीय मंत्री जयबर्द्धन जी.

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा--  माननीय अध्‍यक्ष जी, संपूर्ण सदन की ओर से दे दें.

          अध्‍यक्ष महोदय--  संपूर्ण सदन की ओर से आपको शुभकामनायें.

 

11.08 बजे               तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर (क्रमश:)

 

बाहरी उम्‍मीदवारों को नौकरियों में आयु सीमा की छूट

[सामान्य प्रशासन]

2. ( *क्र. 242 ) श्री यशपाल सिंह सिसौदिया : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या एम.पी.पी.एस.सी. सहित विभिन्‍न परीक्षाओं में विभिन्‍न राज्‍यों की तरह बाहरी उम्‍मीदवारों को भी प्रदेश की परीक्षाओं में भाग लेने पर कोई पाबंदी नहीं हैं? क्‍या माननीय न्‍यायालय ने बाहरी उम्‍मीदवारों के लिये उम्र बंधन समाप्‍त करने के लिये सरकार को निर्देशित किया है? यदि हाँ, तो माननीय न्‍यायालय के आदेश की प्रतिलिपि‍ उपलब्‍ध करावें (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्‍या प्रदेश सरकार स्‍थानीय उम्‍मीदवारों को लाभ पहुँचाने की दृष्टिगत नियमों में कोई परिवर्तन कर रही है? यदि नहीं, तो क्‍यों? क्‍या प्रदेश के समीपस्‍थ राज्‍य महाराष्‍ट्र, गुजरात एवं राजस्‍थान में स्‍थानीय उम्‍मीदवारों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता दी जाती है, जिससे मध्‍यप्रदेश के शिक्षित युवा दोहरी मार झेल रहे हैं? क्‍या इस संबंध में सरकार ने कोई कमेटी बनाने का निर्णय लिया है? यदि हाँ, तो कब तक इस कमेटी की बैठक आयोजित की जायेगी? (ग) प्रदेश में एम.पी.पी.एस.सी. परीक्षा की महिला आरक्षण की नियमावली देवें। क्‍या प्रदेश में महिला को एम.पी.पी.एस.सी. में आरक्षण नियमावली की त्रुटि‍ के कारण आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है जिससे महिलाओं से कम अंक के बावजूद पुरूष परीक्षा में चयनित हो रहे हैं? यदि हाँ, तो 1 जनवरी, 2009 के पश्‍चात म.प्र. लोकसेवा आयोग को इस संबंध में कितनी शिकायतें प्राप्‍त हुईं?

सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) : (क) जी हाँ। न्‍यायालयीन आदेश दिनांक 7.3.2018 पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' पर है। (ख) जी हाँ। कोई समिति गठित नहीं की गई। शेषांश का प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) नियमावली पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' पर है। अंतिम चयन सूची तैयार करते समय महिलाओं को आरक्षण का लाभ देकर चयन किया गया। ऐसी कोई भी महिला अभ्‍यर्थी नहीं है जिनके पुरूषों से अधिक अंक होने पर चयन नहीं किया गया हो। 17 शिकायतें प्राप्‍त हुईं थीं।

         

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहते हुये मैं सरकार से और माननीय मंत्री जी से प्रार्थना पूर्वक निवेदन करूंगा, आग्रह करूंगा. एम.पी.पी.एस.सी. की परीक्षाओं में स्‍वयं मंत्री जी आज आप जिस स्थिति में विराजित हैं, इससे पहले माननीय मंत्री जी प्रतिपक्ष में विधायक के नाते, सदस्‍य के नाते, वरिष्‍ठ सदस्‍य के नाते कई बार आपने भी एम.पी.पी.एस.सी. को लेकर के प्रश्‍न यहां पर उठाये. मैंने स्‍वयं ने पिछले 10 वर्षों की एम.पी.पी.एस.सी. की कमियां, खामियां, गलतियां, त्रुटियां आदि को लेकर प्रश्‍न किये हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, स्‍कूल शिक्षा और उच्‍च शिक्षा के किसी एक प्रोफेसर के द्वारा अगर गलत प्रश्‍न पत्र दे दिया जाता है तो जिंदगी भर, कभी भी प्रश्‍न पत्र बनाने के लिये उसको अनुमति प्राप्‍त नहीं होती, वह निलंबित तक हो जाता है लेकिन एम.पी.पी.एस.सी. में देखा जा रहा है कि हर बार कहीं न कहीं त्रुटियां, गलतियां, खामियां होती हैं. कभी-कभी तो लगता है कि एम.पी.पी.एस.सी. पर आखिर नियंत्रण है किसका, कौन है यह, कैसे इसको काबू में किया जाये ?

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय पूर्व मुख्‍यमंत्री, शिवराज सिंह जी को भी धन्‍यवाद देना चाहता हूं और वर्तमान सरकार का भी आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं कि 35 से बढ़ाकर 40 वर्ष की उम्र माननीय मंत्री जी सरकारी नौकरियों में आपने की, माननीय मुख्‍यमंत्री जी आपने की, मैं हृदय से धन्‍यवाद देना चाहता हूं (तालियों की गड़गड़ाहट). मेरा स्‍वयं का प्रश्‍न अभी इसी सत्र में लगा और उसके बाद यह हलचल प्रारंभ हुई, लेकिन यह पहले से प्रोसेस में था. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम सब चाहते हैं कि हमारे मध्‍यप्रदेश के युवाओं का, मध्‍यप्रदेश के बच्‍चों का एम.पी.पी.एस.सी. के माध्‍यम से अधिक से अधिक लाभ हो. लेकिन बाहरी छात्रों को उच्‍चतम न्‍यायालय के तय मानदंडों के आधार पर लिया जाता है, मुझे कोई आपत्ति भी नहीं है. मैं माननीय मंत्री जी से सिर्फ यह जानना चाहूं‍गा कि दोहरे मापदण्‍ड क्‍यों ? अगर 35 से 40 वर्ष की उम्र का आपने इजाफा कर दिया है तो बाहरी छात्रों का 27 से 35 वर्ष का था, उसको 27 वर्ष पर अगर आप लाकर के खड़ा कर देते हैं तो मैं समझता हूं कि मध्‍यप्रदेश के बच्‍चों का इसमें लाभ होगा और वह प्रतिस्‍पर्धा में शामिल हो जायेंगे और उनको लाभ होगा.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह भी जानना चाहूंगा कि कुछ ही छात्र गलत निर्णयों के कारण न्‍यायालयों में जाते हैं, लेकिन एक लाख रूपये, डेढ़ लाख रूपये, दो-दो लाख रूपये तक उनको खर्च करना पड़ता है. मेरे प्रश्‍न के उत्‍तर में माननीय मंत्री जी आपने बताया कि 17 शिकायतें प्राप्‍त हुई हैं. रतलाम की छात्रा सुनीता जैन उसके अंक ज्‍यादा थे, लेकिन पुरूष छात्रों के अंक कम होने के बाद भी, सरकार महिला आरक्षण की बात करती है, इसका प्रावधान भी है, उस बिटिया को आखिर न्‍याय नहीं मिला, वह कोर्ट में गई, कोर्ट ने निर्देश दे दिया, लेकिन उस बिटिया का भला नहीं हो पाया.

          मैं माननीय मंत्री जी से एक तो यह जानना चाहूंगा कि जो 17 शिकायतें प्राप्‍त हुई हैं उनका मंत्रालय ने, विभाग ने और एम.पी.पी.एस.सी. ने कितना संज्ञान लिया, नंबर एक प्रश्‍न मेरा. मेरा दूसरा प्रश्न है कि एम.पी.पी.एस.सी. की परीक्षाओं को लेकर जो त्रुटियां होती हैं उनमें सुधार को लेकर आपका मंत्रालय किस दिशा की ओर आगे बढ़ेगा ?  और आप चाहें, हम चाहें, पूरा सदन चाहे कि बाहरी छात्रों के बजाय मध्यप्रदेश के छात्रों को अधिक से अधिक लाभ कैसे मिले, इसलिये उम्र का इजाफा जो 35 से 40 वर्ष किया है उसे फिर से न्यूनतम स्थिति में हम 27 वर्ष की उम्र में कैसे लाकर खड़ा कर सकते हैं ? यह दो-तीन बातों का उत्तर मैं मंत्री जी आपसे चाहूंगा.

          डॉ.गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार पहले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने मध्यप्रदेश के नौजवानों को कैसे अधिक रोजगार मिले, इसलिये उम्र 18 से 27 वर्ष की थी. अब इसके बाद जब हमारे कुछ प्रतिनिधियों को परेशानी आई. वे उच्च न्यायालय गये. वहां से उच्च शिक्षा विभाग के लिये निर्णय हुआ और वह निर्णय यह हुआ कि संविधान की धाराओं के तहत् आप इसमें भेदभाव नहीं कर सकते.  समानता का अधिकार सभी पर लागू होता है इसलिये आरक्षण के लिये दोबारा विधि विशेषज्ञों से राय ली गई. विधि विभाग ने भी अपनी राय दी कि इस प्रकार उम्र में भेदभाव नहीं किया जा सकता. इस कारण यह बदलाव किया गया. इसके साथ-साथ मैं यह भी कहना चाहता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने स्पष्ट नहीं किया था लेकिन मैं सदन को बताना चाहता हूं. आज भी प्रदेश के नौजवानों को कैसे ज्यादा रोजगार मिले, बाहर के लोगों पर कैसे प्रतिबंध लगाया जाए ? इस पर बहुत चर्चा की गई. अधिकारियों ने बताया कि आप फिर से ऐसा नियम बनाएंगे तो दोबारा बच्चे कोर्ट जाएंगे लेकिन अब उसमें एक नियम अलग से जोड़ा गया है जिसमें लिखा है कि मध्यप्रदेश का जो निवासी हो वही आवेदन कर सकता है. मध्यप्रदेश के निवासी के लिये रोजगार पंजीयन कराना आवश्यक है. मध्यप्रदेश के लोगों को ही इसका अधिकार है. बाहर के लोगों को मध्यप्रदेश में पंजीयन कराने का अधिकार नहीं है. इसलिये इस रूप में भी हम मध्यप्रदेश के नौजवानों को रोजगार देने के लिये प्राथमिकता पर काम कर रहे हैं. जहां तक आपकी शिकायतों का प्रश्न है तो शिकायतों की जांच हुई है और शिकायत की जांच में पाया गया कि जिस  सुनीता जैन का आपने नाम बताया है. उसके कटआफ अंक ज्यादा थे. तो जो आरक्षण नियमों में प्रावधान हैं, उन नियमों के तहत् ही उसको सामान्य श्रेणी में रखा गया. अगर सामान्य से ज्यादा कटआफ अंक आते हैं तो उसे सामान्य श्रेणी में ही लिया जायेगा और उसको उसी श्रेणी में रखा गया है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो बताया तो इसमें जो आक्रोश उत्पन्न हुआ, विवाद की स्थितियां बनीं उसके कारण अंततोगत्वा फिर इस पर विचार होने की स्थिति बनी. आपने ठीक कहा कि माननीय उच्च न्यायालय ने कहा है लेकिन मेरा फिर माननीय मंत्री महोदय से निवेदन है हम सबका लक्ष्य, हम सबका ध्येय, हम सबका उद्देश्य एक ही है कि हमारे मध्यप्रदेश के बच्चों को अधिक से अधिक लाभ मिलना चाहिये और18 से 27 वर्ष की उम्र की  जो डेडलाईन है. उस पर आप दोहरा मापदण्ड कर रहे हैं. मंत्री जी, इसका परीक्षण करवाईये. मुझे तो लगता है कि कतिपय अधिकारी गुमराह करते हैं. उनका खुद का षड़यंत्र है कि उनके बाहरी रिश्तेदार, जिनका उनके परिवार से संबंध हो, इसको वे रोकने का कहीं न कहीं प्रयत्न करते हैं. हमारे यहां का छात्र जब गुजरात जाता है तो उससे जनरल नालेज में गुजराती में प्रश्न कर लिये जाते हैं.

          चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य प्वाइंटेड प्रश्न पूछ लें.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय ने अनुमति दी है माननीय मंत्री जी.

          अध्यक्ष महोदय - कृपया शांत रहिये. मैं माननीय सदस्य आपसे अनुरोध करूंगा. आप वरिष्ठ हैं. आप समझदार हैं. आपको प्रश्न उठाने की पूरी परिपक्वता है, ज्ञान है. प्रबोधन में भी हमने यही समझा था. आप अगर कम भूमिका और प्वाइंटेड प्रश्न करेंगे तो समय कम लगेगा. दूसरों के भी प्रश्न आएंगे.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्वाइंटेड प्रश्न करूंगा. जो उम्र सीमा 35 से 40 वर्ष की गई है, तो माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय मंत्री जी, क्या आप मध्यप्रदेश के बच्चों के साथ जो बाहरी बच्चों की वजह से दोहरा मापदण्ड हो रहा है उस दोहरे मापदण्ड की समीक्षा करवाएंगे ?

मुख्यमंत्री (श्री कमलनाथ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की भावनाओं से हम सब सहमत हैं, पूरा सदन सहमत है. यह एक चिंता का विषय भी है क्योंकि कई सालों से बाहर के बच्चों को रोजगार मध्यप्रदेश में मिल रहा था तो हमने यह फैसला किया है. मैंने तो शपथ के बाद पहले दिन यह घोषणा की कि मध्यप्रदेश के नौजवानों को  निजी क्षेत्र में 70 प्रतिशत हर उद्योग को उन्हें प्रिफरेंस देना पड़ेगा. (मेजों की थपथपाहट)..इस पर  हम कानून लाने का भी विचार कर रहे हैं. इसमें हमारी आलोचना भी हुई. बिहार, उत्तरप्रदेश के लोगों ने राजनीतिक दृष्टि से आलोचना की. कई लोगों ने कहा कि हम कोर्ट जाएंगे. यह आपकी बात सही है कि हमारी तुलना गुजरात से नहीं हो सकती, गुजरात में तो गुजराती में एक पेपर होता है. बंगाल में बंगाली में एक पेपर होता है. महाराष्ट्र में मराठी में एक पेपर होता है तो हम तो इससे वंचित रह जाते हैं तो इसलिए हम इस बात से पूरी सहमत हैं  और हमारा विचार है कि बड़ी जल्दी ही इसका कानून बनाएंगे. (मेजों की थपथपाहट)..

नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मुझे जानकारी है यह आदेश जो न्यायालय का हुआ था. यह महाविद्यालयीन पदों की रिक्तियों को भरने के लिए हुआ था, इस मामले में जो प्रभावित पक्ष है वह न्यायालय में गया था. ठीक है, उनके पक्ष में फैसला आया लेकिन आपने राज्य के सारे पदों, सारे विभागों के पदों के लिए यह आरक्षण आपने मंजूर किया. मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि क्या महाविद्यालयीन पदों के लिए के लिए जो न्यायालय का आदेश हुआ था उसको इसी तक सीमित रखेंगे या सभी विभागों के पदों पर अन्य राज्यों के लोगों को भरेंगे?

वित्त मंत्री (श्री तरुण भनोत) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जब सदन के नेता ने खड़े होकर जब पूरी भावनाओं को बता दिया है..

अध्यक्ष महोदय - माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी.

डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी जो आपने कहा है मैंने उसका अध्ययन करवाया है. आपसे ज्यादा चिंतित पूरा सदन है, मैं भी हूं और मैंने अधिकारियों को निर्देश दिया था. एक तो जो आपने कहा, वह मैंने भी कहा था, लेकिन विधि विभाग की जब राय आई कि कल फिर इसमें दिक्कत आएगी. हमने यह भी कहा कि जब दिक्कत आएगी तब देखेंगे. परन्तु जब रिपोर्ट पक्ष में नहीं आई, यह कहा गया कि फिर आलोचना होगी. न्यायालय अवमानना लगा सकता है. इसलिए यह मजबूरी में किया गया. अब आपसे मैं यह अनुरोध करना चाहता हूं कि बिल्कुल यह खुला है, इसमें पक्ष, विपक्ष सब तैयार हैं. आप कोई ऐसी राय बता दें, विधिवेत्ता बता दे, ऐसी राय दें कि अगर हो सकता है तो हम तो सब पर लागू करने को तैयार हैं, सहमत हैं. (मेजों की थपथपाहट)..

 

दूसरी बात यह भी है कि इसके अलावा मैंने अधिकारियों को निर्देश दिया है. यह पूरे देश की आरक्षण से संबंधित जितने मामले थे वह इकट्ठे सुप्रीम कोर्ट में एक साथ पैनल में शामिल कर दिये गये हैं तो मैंने कहा कि अपने लिए कम से कम इतना करा दें कि जब तक आपका यह रहे तब तक कंडिशनल हमें इजाजत दें, इन सब बातों को लेकर चर्चा हुई है और वरिष्ठ अधिकारियों को भेजकर सुप्रीम कोर्ट में इस बात को  रखने का विचार है और जल्दी से जल्दी इस पर कार्यवाही करेंगे.

श्री गोपाल भार्गव  - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप आश्वासन कुछ भी दें. मुख्यमंत्री जी आश्वासन कुछ भी दें. लेकिन आपकी मंशा से जाहिर नहीं हो रहा है कि राज्य के हितों की और नौजवानों के हितों की आप रक्षा करना चाहते हैं.

अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 3..

श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, सामान्य प्रशासन मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे  कि पिछले 7 महीनों में आपने क्या 7 लोगों को नौकरी दी है? आपने क्या मध्यप्रदेश के 7 नौजवानों के लिए नौकरी दी है? यदि आपने 7 लोगों के लिए भी मध्यप्रदेश में आपके 7 महीने में भी नौकरी दी हो, आप उनके नाम बताएं?

(व्यवधान)...

डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं कुछ कहना चाहता हूं. जब आप सरकार में थे. (व्यवधान)..

श्री गोपाल भार्गव - यह असत्य नहीं चलेगा कि आप प्रदेश के नौजवानों की रक्षा के लिए बैठे हैं, पूरे मध्यप्रदेश के हितों की रक्षा के लिए बैठे हैं? (व्यवधान)..

          डॉ. गोविन्द सिंह - यह स्टे वर्ष 2018 का है और आपके द्वारा लगाया गया है, यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इसको लगाया है. यह आपकी सरकार के समय का स्टे है..(व्यवधान).. आपने इसको 2018 से रोके रखा है.(व्यवधान)..

          अध्य़क्ष महोदय -- कृपया सभी माननीय सदस्य बैठ जाय. कृपया परंपराओं का ध्यान रखिये..(व्यवधान)..

          डॉ गोविन्द सिह -- आपने इसको लागू क्यों नहीं किया है...(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी कृपया बैठने का कष्ट करें. मेरा सदन से  अनुरोध है कि मैंने विधिवत प्रश्न करने के लिए जिसका मूल प्रश्न है उसको तीन मौके दिये हैं. लेकिन पूरक प्रश्न करने के लिए मैं सिर्फ एक प्रश्न करने का मौका दूंगा जो  कि सदन की परंपरा हैं. माननीय नेता प्रतिपक्ष जी  आपने एक प्रश्न करने का  अनुरोध किया था. कृपया अगर हम ऐसा हंगामा करेंगे तो जिनके प्रश्न 10, 11, एवं 12 नम्बर पर जो प्रश्न हैं क्या हम उनकी आहूति चढ़ा दें, मेहरबानी करिये, सहयोग करिये. आप सब समझदार, विद्वान हैं.

          नेता प्रतिपक्ष ( श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय एक प्रश्न करना चाहता हूं. आपका संरक्षण चाहिए. आप कृपा कर संरक्षण प्रदान करें. माननीय सामान्य प्रशासन मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे आपकी यहां पर 7 माह से सरकार है आप उन 7 नौजवान बेरोजगारों के नाम बता दें जिनको आपने नियुक्त दी हो...(व्यवधान)-..(सत्तापक्ष और विपक्ष के अनेक माननीय सदस्यों के जोर जोर से बोलने पर) आप यहां पर केवल 7 लोगों के ही नाम बता दें...(व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय इस तरह से हमें नहीं दबाया जा सकता है यह नहीं चलेगा, यह ट्रेजरी बैंचों की तरफ से जो हो रहा है यह नहीं चलेगा, इस तरह से हमें नहीं दबाया जा सकता है, हमारी आवाज को नहीं दबाया जा सकता है...(व्यवधान)..

          डॉ गोविन्द सिंह -- मैं जवाब दे रहा हूं. आपने सबको निकाल दिया था..(व्यवधान).. आपने 630 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को निकाला है...(व्यवधान)..

          श्री गोपाल भार्गव -- आपने पिछले 7 माह में एक भी नियुक्ति दी हो तो उसमें से एक नाम बता दें,..(व्यवधान)..

          डॉ गोविन्द सिंह -- वह लोग सहकारिता विभाग में काम कर रहे थे, जो कि आपके कम्प्यूटर आपरेटर थे, आपकी सरकार ने उनको बाहर निकाल दिया था, हमने उनको दुबारा रखा है और हम नीति बना रहे हैं कि उन सभी को  रोजगार देंगे, बैंकों में लगायेंगे. हमारे पास में पद रिक्त हैं और आपने जो पाप किया है हम उसको  धोने का काम कर रहे हैं.

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी सामान्य प्रशासन मंत्री हैं. सारी नियुक्तियां आपके अधीन ही होती हैं. आप एक नौजवान का नाम बतायें, एक बेरोजगार का नाम बतायें जिसको आपकी सरकार ने 7 माह में नियुक्ति दी हो.

          अध्यक्ष महोदय -- जो यह बोला  जा रहा है अब नहीं लिखा जायेगा. कृपया सभी माननीय सदस्य शांत हो जाय. अब जो चर्चा हो रही है यह चर्चाएं अंकित नहीं की जायेंगी मैंने अगले प्रश्नकर्ता का नाम पुकार दिया है,  भूपेन्द्र जी बैठ जाय...(व्यवधान)..

          श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय एक मिनट का समय चाहिए.

          अध्यक्ष महोदय -- मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूं कि अगर मूल प्रश्नकर्ता की जगह  आप सप्लीमेंट्री प्रश्नकर्ता सदस्य ज्यादा रहेंगे तो ऐसे में प्रश्न उत्तर और जिन माननीय सदस्यों ने प्रश्न किये हैं उनका भला नहीं होगा. आप प्वाइंटेड प्रश्न करें, भूमिका ज्यादा न बनायें,. (व्यवधान)..नहीं ऐसा नहीं चलेगा मैं अगले प्रश्नकर्ता का नाम पुकार चुका हूं.

          श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय यह कोई तरीका है कि नेता प्रतिपक्ष खड़े होकर बोलेंगे और मंत्रीगण इस तरह से हस्तक्षेप करेंगे. क्या यह कोई सदन की गरिमा है. इस तरह से सदन चलायेंगे क्या.

          अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं. क्या आप मेरी व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं देंगे. यह तरीका ठीक नहीं है...(व्यवधान).

          श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय नेता प्रतिपक्ष खड़े होकर बोलेंगे तो क्या मंत्री इस तरह से हस्तक्षेप करेंगे.

          अध्यक्ष महोदय -- यह कौन सा तरीका है..(व्यवधान)..क्या आप मेरी व्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं देंगे.. मेरा नेता प्रतिपक्ष से अनुरोध है कि कृपया अपने दल के सदस्यों को समझाने का कष्ट करें.

          श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपनी बात रखी तो हमारे दल के किसी सदस्य ने बीच में उनको नहीं टोका है..(व्यवधान)..

          अध्यक्ष महोदय -- आपने पूरक प्रश्न करने के लिए कहा तो मैंने आपको  एक पूरक प्रश्न की जगह दो पूरक प्रश्न का मौका दिया था अब हर सदस्य पूरक प्रश्न करना चाहेगा तो फिर प्रश्न उत्तर का क्या मतलब है.

          श्री गोपाल भार्गव -- मेरा निवेदन है कि यदि मैं अपनी बात रख रहा हूं तो क्या ट्रेजरी बेंचेज को मुझे रोका जाना चाहिए क्या...(व्यवधान)..

          श्री भूपेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय ऐसा है कि सदस्य बोलें तो कोई बात नहीं है लेकिन माननीय मंत्रियों को तो ऐसा नहीं करना चाहिए.

          श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय आप कह दें, मैं नहीं बोलूंगा... लेकिन अध्यक्ष महोदय जिस तरह का प्रदर्शन  हो रहा है यह ठीक नहीं हो रहा है...(व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय यदि ऐसे ही सदन चलाना है तो हम भी प्रत्युत्तर के लिए तैयार हैं.

          श्री भूपेन्द्र सिंह --अध्यक्ष महोदय क्या मंत्री भी इस तरह का व्यवहार करेंगे.

          अध्यक्ष महोदय -- देखिय, बैठिये भूपेन्द्र सिंह जी, नेता प्रतिपक्ष जी, आप भी बिराज जाइये.  कृपया सब बैठ जायें. पटवा जी भी नेता प्रतिपक्ष जी थे,  विक्रम वर्मा  जी भी नेता प्रतिपक्ष थे. कृपया उनको याद करिये, तद्नुसार अपनी कार्यवाही करने का कष्ट करिये,  उससे सदन भी चलेगा, तीखी  प्रतिक्रियाएं  भी नहीं आयेंगी और  हमको भी सहयोग मिलेगा. मैं फिर  दोहरा रहा है कि  मूल प्रश्नकर्ता  को 3 प्रश्न, सप्लीमेंट्री  में कोई एक प्रश्न  को  परमीशन  दूंगा.  उसके बाद मेहरबानी करके  आपस में टकराहट न करें, समय जाया न करें.  बहुत विधायक जो पहली बार आये हैं,  बहुत हिम्मत से  उन्होंने प्रश्न उठाया है,  उनको सहयोग  प्रदान करें.  प्रश्न संख्या 3, श्री देवेन्द्र वर्मा.    (सदन में मेजों की थपथपाहट.)

                    श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय,  सामने ट्रेजरी बैंचेस को भी आप  निर्देशित करें कि यदि कोई सदस्य बोलते हैं,  मेरी  बात समाप्त हो जाने दें,  उसके बाद  इंट्रप्ट करें, कुछ भी करें, मुझे कोई आपत्ति नहीं है.  आप अपना पक्ष रखें, मुझे कोई आपत्ति नहीं है.  लेकिन इस तरह से नहीं होना चाहिये.

                   राजस्व मंत्री (श्री गोविन्द सिंह राजपूत ) --  अध्यक्ष महोदय, हमने भी  15  साल आप लोगों को देखा है, वही अनुसरण  हम लोग भी कर रहे हैं.

                   अध्यक्ष महोदय --  गोविन्द सिंह राजपूत जी और गोपाल भार्गव जी सुनिये.  मेरा दोनों पक्षों से अनुरोध है. गोविन्द सिंह जी, मैंने आपको अनुमति दी क्या.  गोविन्द सिंह जी, एक चीज   और आप सब लोग ध्यान रख लीजिये.  जब मैं परमीशन दूं,  कृपा पूर्वक तभी बोलें. इस सदन की  गरिमा दोनों पक्षों के लोग बनायें.  मैं परमीशन नहीं दे रहा हूं, आप लोग  खड़े हो जाते हैं और  सीधे आमने-सामने  बात करने लगते हैं, अध्यक्ष काहे के लिये बैठा  है.  अध्यक्ष की तरफ देखकर अध्यक्ष  को  उद्बोधित करके यह  परम्परा है हमारी.  हम सीधी बातें कर रहे हैं,  मेहरबानी करिये. श्री देवेन्द्र वर्मा जी.

 

 

खण्‍डवा नगरीय क्षेत्र में संचालित नर्सिंग होम

[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]

3. ( *क्र. 578 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या खण्डवा नगरीय क्षेत्र में अधिकांश नर्सिंग होम शहर की घनी आबादी के बीच स्थित हैं जिससे आस-पास के रहवासियों का स्वच्छ वातावरण का मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है? (ख) इन नर्सिंग होम पर स्वास्थ्य विभाग के नियमों के तहत किस अधिकारी द्वारा कब-कब निरीक्षण किया गया और निरीक्षण में पाई गई कमियों के कारण उन पर क्या कार्यवाही की गई?  (ग) क्या खण्डवा नगर के नर्सिंग होम में 10वीं, 12वीं पास ग्रामीण बच्चे स्टेथोस्कोप गले में डालकर फर्जी डॉक्टर के रुप में कार्य कर रहे हैं जो नर्सिंग होम के नियमों का खुला उल्लंघन है? (घ) क्या खण्डवा के नर्सिंग होम संचालकों द्वारा वेस्ट मटेरियल को नियम विरूद्ध जमा किया जा रहा है, जिससे नागरिकों को बीमारी होने के खतरे बढ़ गये हैं? क्या ऐसे निजी हॉस्पिटलों के कारण नागरिकों को यातायात की परेशानी भी हो रही है? इस हेतु जिम्मेदार कौन है? (ड.) ऐसे नर्सिंग होम संचालकों के विरुद्ध स्वास्थ्य विभाग कोई मुहिम चलाकर उनकी मान्यता समाप्त करने एवं दोषी चिकित्सकों को दंडित करने की कार्यवाही करेगा?

लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। (ख) जानकारी संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। (घ) जी नहीं। जी नहीं। जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) प्रश्नांश (क) से (घ) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।

                   श्री देवेन्द्र वर्मा -- अध्यक्ष महोदय,   मेरे प्रश्न के संबंध में जो उत्तर आया है,  वह पूरी तरह से सत्यता से परे है.  हमारे खण्डवा  में,   हमारे पूर्व यशस्वी मुख्यमंत्री  माननीय   शिवराज सिंह  चौहान जी के प्रयासों से खण्डवा  में   हमारे मेडिकल कालेज की स्वीकृति आपने प्रदान की थी.  सभी स्वास्थ्य सुविधायें वहां उपलब्ध हैं, उसके  बावजूद  शासकीय चिकित्सालय के जो चिकित्सक  हैं,  उनके प्रायवेट नर्सिंग होम हमारे  शहर में चल रहे हैं.  वे शासकीय चिकित्सालय में सुविधायें न देकर पेशेंट्स को उन प्रायवेट  नर्सिंग होम  में  ट्रांसफर, रेफर कर रहे हैं.  मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि खण्डवा के शासकीय चिकित्सालय  से  अब रेफर करना बंद  किया जाय, जबकि सभी सुविधायें खण्डवा के चिकित्सालय में  उपलब्ध हैं.  दूसरा निवेदन है कि जो प्रयावेट नर्सिंग होम चल रहे हैं,  वहां न तो किसी प्रकार की सुरक्षा, पार्किंग की व्यवस्था है, न किसी प्रकार का पेरामेडिकल का प्रशिक्षित स्टाफ है.  मेरा मंत्री जी से नवेदन है कि क्या  सभी  इस प्रकार के  नर्सिंग होम्स की जांच करायेंगे और  इस प्रकार के अवैध रुप से जो  नर्सिंग होम  चल रहे हैं,  जिनके नाम से चल रहे हैं,  वे वहां पर रहते ही नहीं हैं, तो   इन नर्सिंग होम्स को बंद  करेंगे  या इनकी जांच करायेंगे क्या.

                    श्री तुलसीराम सिलावट -- अध्‍यक्ष महोदय, जो सम्मानीय  सदस्य ने पूछा है , एक तो वह  मूल प्रश्न से  अलग है.  मेडिकल एजूकेशन  विभाग  मेरी छोटी बहन के पास है  और उसके बाद भी  मैं  माननीय सदस्य को आश्वस्त करता हूं कि  जो परम्परा  अशासकीय और शासकीय अस्पतालों में,  मेडिकल कॉलेज में  भेजने की है, उसके  अलावा आपके संज्ञान में  कोई भी हो, तो  उसकी पूरी जांच कराकर कार्यवाही की जायेगी.  रही दूसरी बात, आपने कहा कि घनी आबादी में  अशासकीय नर्सिंग होम खण्डवा में 15  चल रहे हैं.  मेरा आपसे अनुरोध है कि  15 में से 7  घनी आबादी में हैं और  जहां पर  ये  अशासकीय नर्सिंग होम्स चल रहे हैं,  उन अस्पतालों में  एक तो मरीजों की संख्या कम है, यातायात की कोई अव्यवस्था नहीं हो रही है.  पर उसके बाद भी कोई भी नर्सिंग होम में   यातायात की असुविधा होगी, तो  संबंधित विभाग से   मुझे जिलाधीश से बात करना पड़ेगी, उनको  निर्देश दिये हैं,  सम्मानीय पुलिस अधीक्षक, उनको निर्देश दिये हैं.  उसके बाद  ऐसा कोई नर्सिंग होम आपके संज्ञान में   हो कि वहां  सबसे ज्यादा यातायात   उस घनी आबादी खण्डवा के  अंदर   प्रभावित होता है,  तो उसके लिये मैं तैयार हूं.

          श्री देवेन्‍द्र वर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है, मैंने उनको शासकीय चिकित्‍सालय से इसलिए जोड़ा था कि शासकीय चिकित्‍सालयों में जो चिकित्‍सक हैं, उन्‍होंने अपने नर्सिंग होम संचालित कर रखे हैं. लेकिन अब हमारे चिकित्‍सालय में सिटी स्‍कैन भी है. सभी आधुनिक संसाधन हैं. वे महीने में से 15 से 20 दिन बंद रखते हैं और प्राइवेट में भेजते हैं. अत: मेरा आपके माध्‍यम से निवेदन है कि इस पूरे विषय की जाच कराकर इस प्रकार के इनके अगर नर्सिंग होम चल रहे हैं तो उनको बंद करेंगे या  उन पर कार्यवाही करेंगे क्‍या ? एक्‍स-रे मशीन महीने में से 8 दिन बंद रखते हैं.

            श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सम्‍माननीय सदस्‍य को मैं आश्‍वस्‍त करना चाहूँगा. जितने भी अशासकीय नर्सिंग होम प्रारंभ हुए हैं, उनकी समयावधि, मेरे सम्‍माननीय सदस्‍य को जानकारी होनी चाहिए, इस सरकार को बने हुए मात्र 120 दिन हुए हैं. सारी की सारी स्‍थिति जो आप हमें छोड़कर गए हैं, उनको दुरुस्‍त करने का प्रयास हम करेंगे.

          श्री देवेन्‍द्र वर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हम छोड़कर नहीं गए हैं, हम जो मेडिकल कॉलेज देकर गए हैं, उसकी व्‍यवस्‍था आप ठीक तरह से नहीं चला पा रहे हैं.

          श्री तुलसीराम सिलावट -- मुझे आपके प्रमाण-पत्र की आवश्‍यकता है, पर मैं आपको फिर आश्‍वस्‍त करता हूँ कि ऐसा एक भी शासकीय अस्‍पताल आप मुझे बता दें, जहां पर ऐसी अव्‍यवस्‍था की जा रही है, उसको ठीक करने का काम हमारी सरकार करेगी. ऐसी कोई भी गतिविधि चल रही हो तो मुझे बता दें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक बात है देवेन्‍द्र जी, धन्‍यवाद. सकलेचा जी, आप बहुत बढ़िया व्‍यवस्‍था दे रहे हैं. जिस भी सदस्‍य को पूरक प्रश्‍न करना है, हाथ न उठाए, अपनी पर्ची मेरे पास पहुँचाए. जो प्रबोधन कार्यक्रम में तय हुआ था कि जो प्रश्‍न है, वह 25 तक जाने दिए जाएं, उसके लिए जो सीमित दायरा है उसको निश्‍चित करें. अगर बहुत महत्‍वपूर्ण है, पर्ची पहुँचाइये ताकि डिस्‍टरबेंस न हो. देवेन्‍द्र जी, आखिरी प्रश्‍न कर लें.

          श्री देवेन्‍द्र वर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपके माध्‍यम से मेरा सिर्फ इतना सा प्रश्‍न है कि इन नर्सिंग होम्‍स में न प्रशिक्षित पेरॉमेडिकल स्‍टॉफ है, न अग्‍निशमन की व्‍यवस्‍था है, न पार्किंग है और न ही अन्‍य किसी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं हैं तो क्‍या माननीय मंत्री जी इन प्राइवेट नर्सिंग होम्‍स की जांच कराएंगे ? दूसरी बात, शासकीय चिकित्‍सालयों के मरीजों को जो रैफर किया जा रहा है, क्‍या उस पर रोक लगाएंगे ? माननीय मंत्री जी कृपया यह भी बता दें कि जांच किससे कराएंगे ?

            श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्‍यक्ष जी, इन्‍होंने एक भी शिकायत कहीं भी की हो तो मेरे संज्ञान में ला दें और फिर मैं सदन को आश्‍वस्‍त करता हूँ कि सभी अशासकीय और शासकीय अस्‍पताल में हम प्राथमिकता के आधार पर काम करेंगे. इसमें सारी जांच की जाएगी. आप आश्‍वस्‍त रहें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न क्रमांक 4.

          श्री देवेन्‍द्र वर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, जांच किससे कराएंगे ?

          अध्‍यक्ष महोदय -- देवेन्‍द्र जी, अब मेरी आपसे प्रार्थना है, आप प्‍वॉइंटेड प्रश्‍न करिए. दो-चार नाम बता दीजिए ना, किसी अस्‍पताल का नाम बताइये, किसी डॉक्‍टर का नाम बताइये, बोलिए.

          श्री देवेन्‍द्र वर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे जो प्राइवेट नर्सिंग होम चल रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नाम बताइये, प्राइवेट नर्सिंग होम का नाम बताइये.

          श्री देवेन्‍द्र वर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, वे दो-दो, तीन-तीन कमरों में चल रहे हैं, क्‍या माननीय मंत्री जी उनकी सभी की जांच कराएंगे ?

            अध्‍यक्ष महोदय -- अरे भाई, एकाध का नाम तो बताओ.

          श्री देवेन्‍द्र वर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, पूरे शहर में 10, 12, 15 ही है, कोई बहुत ज्‍यादा संख्‍या नहीं है. क्‍या उन सबकी जांच कराएंगे ?

          श्री तुलसीराम सिलावट -- आप मेरे से बोल देना, मैं पूरी जांच करा दूंगा, ठीक है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- चलिए, हो गया. प्रश्‍न क्रमांक 4, श्री जसमंत जाटव जी प्रश्‍न करें. मेरा अनुरोध है, हम अगर वाकई में कुछ रिजल्‍ट लेकर जाना चाहते हैं, एक-दो नर्सिंग होम्‍स के नाम तो बता दो, कार्यवाही मैं करवाऊँगा ना.

          श्री देवेन्‍द्र वर्मा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस प्रकार का काम सब जगह चल रहा है, माननीय मंत्री जी उस सबकी जांच करवा लें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आपका समय हो गया, बैठ जाइये. श्री जसमंत जाटव जी अपना प्रश्‍न करें.

सेवा सहकारी संस्‍थाओं द्वारा प्रदत्‍त ऋण

[सहकारिता]

4. ( *क्र. 202 ) श्री जसमंत जाटव : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शिवपुरी जिले के करैरा विधान सभा क्षेत्र में सेवा सहकारी संस्‍थाओं द्वारा दिनांक 01-04-2014 से प्रश्‍न दिनांक तक प्रतिवर्ष कितना-कितना ऋण दिया गया है? समितिवार, शाखावार एवं वर्षवार जानकारी उपलब्‍ध करायें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार दिनांक 31-03-2018 के बाद ऋण माफी की सूची में से कितने सदस्‍यों/व्‍यक्तियों द्वारा ऋण जमा किया गया है, जो लाभान्वित हुये हैं? उनकी समितिवार संख्‍या उपलब्‍ध करायें। (ग) क्‍या सेवा सहकारी संस्‍थाओं द्वारा मृतक सदस्‍यों के खातों में भी ऋण भुगतान किया गया है? ऐसे कितने सदस्‍य हैं? समितिवार एवं शाखावार जानकारी वर्ष 2014 से उपलब्‍ध कराई जावे। (घ) सेवा सहकारी संस्‍थाओं द्वारा अगर यह कृत्‍य किया गया है, तो दोषियों के विरूद्ध शासन द्वारा क्‍या कार्यवाही की गई है अथवा क्‍या कार्यवाही की जा रही है?

        सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''1'' अनुसार है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''2'' अनुसार है। (ग) जानकारी निरंक है।  (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।

परिशिष्ट - ''दो''

         

          श्री जसमंत जाटव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इस पन्‍द्रहवीं विधान सभा में पहली बार चुनकर आया हूँ. मैं आपको और सारे सदन को और सभी सदस्‍यगण को प्रणाम करता हूँ. पहली बार मुझे बोलने का मौका मिला है, इसलिए थोड़ा सा मैं डरा सहमा हूँ.

          अध्‍यक्ष महोदय -- मेरा संरक्षण है, आराम से बोलिए, व्‍यवस्‍थित बोलिए.

          श्री जसमंत जाटव -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने अपनी विधान सभा के सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र एवं उप स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों के बारे में माननीय मंत्री जी से जानना चाहा था. मुझे जानकारी उपलब्‍ध कराई गई है कि खासकर सहरया दिनारा भवन का कार्य 20 वर्ष पूर्व पूर्ण हो चुका है और आम जनता को चिकित्‍सा सुविधा उपलब्‍ध कराए जाने का उल्‍लेख किया गया है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से बताना चाहता हॅूं कि आज प्रश्‍न दिनांक तक सहरया, दिनारा का उप-स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खुला ही नहीं है. अगर यह उप-स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खुल गया है और आम जनता को वहां चिकित्‍सा सुविधा उपलब्‍ध कराई जा रही है तो किस डॉक्‍टर के द्वारा करायी जा रही है ?

          श्री यशपाल सिसोदिया -- माननीय सदस्‍य को-ऑपरेटिव से हेल्‍थ के प्रश्‍न पर आ गए हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय जाटव जी, कोई बात नहीं. आपने सामान्‍य प्रशासन मंत्री महोदय से सहकारिता के बारे में मूल प्रश्‍न पूछा है, आप उसको देख लीजिएगा और उसी के अनुसार प्रश्‍न करिएगा. आप सहकारिता का प्रश्‍न करने का कष्‍ट करें. कोई भी माननीय सदस्‍य उनको उस तरीके से न देंखे. वे पहली बार आए हैं. उनको प्रश्‍न करने दीजिए.

          श्री जसमंत जाटव -- जी अध्‍यक्ष महोदय. सहकारिता के बारे में मैंने जो जानकारी चाही थी, मैं उसको पढ़कर नहीं आया हॅूं, वह जानकारी मुझे अभी नहीं है. अभी उस जानकारी से मैं अनभिज्ञ हॅूं लेकिन मैंने उस जानकारी को मोटे तौर पर पढ़ा है उसमें मुझे पूर्ण जानकारी उपलब्‍ध नहीं करायी गई है. विभिन्‍न समितियों की जानकारी नहीं दी गई है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय जाटव जी, आप विराजिए. माननीय मंत्री जी, आप माननीय जाटव जी के प्रश्‍न का जवाब दे दीजिए.

          सामान्‍य प्रशासन मंत्री (डॉ. गोविन्‍द सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय जाटव जी पहली बार सदन में आए हैं वे यहां पहली बार बोल रहे हैं, इसके लिए मैं उन्‍हें बधाई और धन्‍यवाद देना चाहता हॅूं. (मेजों की थपथपाहट) माननीय जाटव जी, आपने जो जानकारी चाही थी, आपको जो प्रश्‍नोत्‍तर सूची दी गई है उसमें उसकी पूरी जानकारी शामिल है जो आपने क्षेत्र की सेवा सहकारी संस्‍थाओं की जानकारी चाही थी उनकी पूरी जानकारी उसमें दी गई है. इसके अतिरिक्‍त यदि आप अन्‍य कोई जानकारी जानना चाहते हैं तो आप लिखकर दे दें, उस पर पूरी तरह से कार्यवाही भी होगी और आप जो चाहते हैं उस तरह की पूरी कार्यवाही कठोरता से की जाएगी. तीसरे प्रश्‍न में आपने सेवा सहकारी संस्‍थाओं द्वारा मृतक सदस्‍यों के खातों में भी ऋण भुगतान के संबंध में जानकारी चाही है उस संबंध में मैं बताना चाहता हॅूं कि ऐसी कोई जानकारी अभी तक है नहीं. अगर आपके पास ऐसी कोई जानकारी है कि किसी मृतक सदस्‍य ने लाभ पाया है तो आप कृपया कर लिखकर दे दें. हम उस पर कार्यवाही करेंगे और एफ.आई.आर. भी करेंगे. जो भी दोषी अधिकारी हैं उनके विरूद्ध भी कार्यवाही की जाएगी.

          अध्‍यक्ष महोदय -- पूरक प्रश्‍न के लिए श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी केवल एक प्रश्‍न करें.

          श्री ओमप्रकाश सकलेचा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं नीतिगत बात की जानकारी जानना चाहता हॅूं. यह सहकारिता से जुड़ा हुआ प्रश्‍न है. 31 मार्च को ऋण माफी के लिए जो किसान क्‍वॉलीफाई हुए थे उनको अभी ऋण माफी के आदेश पहुंचे नहीं हैं. 2 लाख रुपए तक और 50 हजार रुपए तक के भी जिनके ऋण माफ हुए हैं उनमें 50 प्रतिशत से भी कम लोगों के माफ हुए हैं. आप  सभी सोसायटी के चाहेंगे तो हमारे क्षेत्र में किसानों की संख्‍यावार आपको बात दूंगा. जिन किसानों के ऋण माफ नहीं हुए हैं आदेश नहीं पहुंचे हैं उनको आगे न तो लोन मिल रहा है और न ही खाद-बीज मिल रहा है. इसमें कुछ ऐसी व्‍यवस्‍था बोलेंगे कि आपको पता है कि आपने इन-इन किसानों का 2 लाख रुपए तक का लोन माफ करना है तो क्‍या जो किसान इस क्‍वॉलिफाई कैटेगरी में आते हैं उनको वर्तमान में खाद, बीज या कुछ छोटा-मोटा लोन चाहिए तो क्‍या वे अतिरिक्‍त सेंक्‍शन करके देंगे ? या उन किसानों को फसल बोने से रोक दिया जाएगा ?

          डॉ. गोविन्‍द सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सकलेचा जी ने जो प्रश्‍न किया है वह इस प्रश्‍न से उद्भूत नहीं होता है. इसलिए मैं इस प्रश्‍न का जवाब नहीं दे सकता हॅू.

          श्री ओमप्रकाश सकलेचा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय.

          अध्‍यक्ष महोदय -- माननीय सदस्‍य जी, यह उस प्रश्‍न से उद्भूत नहीं हो रहा है.

          श्री ओमप्रकाश सकलेचा -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं एक सेंकेड में अपनी बात कह देता हॅूं. मैं प्रश्‍न नहीं पूछूंगा. मैं आपके चेम्‍बर में रिक्‍वेस्‍ट करके आया था. मैं बिल्‍कुल नियम से चलूंगा. आप बोल देंगे तो बैठ जाऊंगा. यह ऐसा सवाल है जहां लाखों किसानों का भविष्‍य इस फसल पर अटका हुआ है. मैं अगर आपकी इच्‍छा हो तो मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी से आग्रह करूंगा. नीतिगत बात है. इसमें कोई राजनीतिक विषय नहीं है कि भाजपा या कांग्रेस का है. यह सभी किसानों के लिये अनिवार्य जीवन मरण का सवाल है. पूरी फसल उनकी अटक रही है और यह हर सत्र में हो रहा है. इसलिये मेरा आग्रह है कि अगर मुख्‍यमंत्री जी या मंत्री जी आज किसी भी विषय में इसके बारे में कुछ बोलेंगे, सदन में वक्‍तव्‍य देंगे, तो अच्‍छा रहेगा. धन्‍यवाद.

                   आयुष्मान भारत/निरामयन योजनान्तर्गत मरीजों का उपचार

[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]

5. ( *क्र. 116 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आयुष्मान भारत म.प्र. निरामयन योजनान्तर्गत कितनी-कितनी राशि तक के किस-किस श्रेणी के हितग्राहियों को कितनी-कितनी राशि के ईलाज किन-किन चिकित्सालयों में किये जाने के प्रावधान हैं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार उक्त योजनान्तर्गत राज्य शासन एवं भारत सरकार द्वारा कितनी-कितनी राशि प्रदाय किये जाने के नियम हैं? नियम की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) क्या योजनान्तर्गत मरीजों के उपचार में जो पैकेज दिया जाता है उसमें जाँच की राशि सम्मिलित नहीं की गई है? मरीजों को कैंसर आदि बीमारी हेतु रेडियोथैरेपी/कीमोथैरेपी/ऑपरेशन हेतु पृथक-पृथक चिकित्सालयों में भेजा जाता है? (घ) क्या बीमारी का पैकेज कम होने के कारण योजनान्‍तर्गत उपचार करने में चिकित्सालयों द्वारा आना-कानी की जाती है एवं आयुष्मान योजना के कार्डधारी मरीजों को मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान मद से भी उपचार हेतु राशि स्वीकृत कराई जाकर चिकित्सालयों द्वारा ली जाती है? यदि हाँ, तो इनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो जिन चिकित्सालयों में चिन्हि‍त बीमारी का ईलाज नहीं करने के कारण मरीजों की मौत हो गई है उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की गयी?

लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) आयुष्मान भारत ''निरामयम'' म.प्र. योजनान्‍तर्गत प्रत्‍येक चिह्नित परिवार हेतु प्रतिवर्ष रुपये 5 लाख तक का नि:शुल्‍क उपचार किये जाने का  प्रावधान है। योजना अन्तर्गत पात्र हितग्राही एस.ई.सी.सी.- 2011 सर्वे में चिन्हित परिवार (डी-6 को छोड़कर), खाद्य सुरक्षा पर्ची धारक परिवार एवं असंगठित क्षेत्र के मजदूर (संबल योजना)। उपचार में होने वाली राशि की प्रतिपूर्ति आयुष्मान भारत योजना में इम्पेनल्ड चिकित्सालयों को दिए जाने का प्रावधान है। जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ख) योजना अन्तर्गत लाभार्थियों के उपचार हेतु राज्य शासन द्वारा 40 प्रतिशत एवं भारत सरकार द्वारा 60 प्रतिशत राशि व्यय भार वहन करने का प्रावधान है। नियम पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ग) जी नहीं, पैकेज में जाँच की राशि सम्मिलित की गई है। जी नहीं। (घ) जी नहीं। जी नहीं। नियमानुसार। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          श्री कुँवरजी कोठार - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो प्रश्‍न का उत्‍तर दिया है उसमें आयुष्‍मान भारत योजनान्‍तर्गत प्रत्‍येक चिह्नित परिवार हेतु प्रतिवर्ष रुपये 5 लाख तक का नि:शुल्‍क उपचार किये जाने का प्रावधान है. लेकिन माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि जब से यह सरकार बनी है तब से इस प्रधान मंत्री आयुष्‍मान योजना के अंतर्गत कितने हितग्राहियों को लाभ दिया जा रहा है और जो चिह्नित अस्‍पताल हैं, चिह्नित बीमारी के लिये जो निर्धारण है, तो कई अस्‍पताल टाल-मटोल करते हैं और वह मरीजों को दूसरे अस्‍पताल भेजते हैं और उनसे राशि भी वसूल की जाती है. मेरे पास इसका एक ज्‍वलंत उदाहरण है कि आयुष्‍मान कार्डधारी कन्‍हैयालाल भाटी, निवासी सीहोर, यह चिरायु मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल भोपाल में इलाज हेतु भर्ती हुये और इन्‍होंने आयुष्‍मान कार्ड बताने के बाद भी अस्‍पताल प्रबंधन ने इनसे निजी राशि जमा कराकर इनका उपचार किया है. बाद में मैंने एप्रोच किया तो बाद में प्रबंधन ने राशि भी स्‍वीकृत की लेकिन उसका फायदा उस मरीज को नहीं दिया गया है. मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि ऐसे लापरवाही करने वाले प्रबंधन के खिलाफ कार्यवाही की    जायेगी ? जो स्‍वीकृत राशि है क्‍या उसका लाभ उस मरीज को दिलवायेंगे ?

          श्री तुलसीराम सिलावट - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आयुष्‍मान योजना के अंतर्गत जो सम्‍मानित सदस्‍य ने कहा है, कितने हितग्राहियों को इस योजना का लाभ मिला है. उसमें से कुल 1,02,747 और उसमें से पुरुषों की संख्‍या 49,216 है. महिलाओं की संख्‍या 53,627 है जिसमें से बच्‍चों के 117 प्रकरण इसमें सम्मिलित हैं, हितग्राहियों को हमने लाभ दिया है. आपने जो संज्ञान में लाया है, उस व्‍यक्ति की जांच कराकर उनकी पूरी व्‍यवस्‍था कराने का स्‍वास्‍थ्‍य विभाग काम करेगा.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, एक मिनट मेरा एक नीतिगत प्रश्‍न है.

          अध्‍यक्ष महोदय - मुझे जरा बढ़ने दें. कुछ विधायक वहां बैठे हैं जिनके प्रश्‍न हैं, वह बार-बार हाथ उठा रहे हैं.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, मेरा नीतिगत प्रश्‍न है. आयुष्‍मान योजना शुरू होने के बाद क्‍या मंत्री महोदय बतायेंगे कि जो हमारी राज्‍य बीमारी सहायता कोष की योजना चलती थी और वह बीमारियां जो आयुष्‍मान योजना में सम्मिलित नहीं हैं, उन बीमारों की मदद हम राज्‍य बीमारी सहायता कोष से कर दिया करते थे. वह योजना अभी यथावत चालू है या बंद कर दी गई है ?

           श्री तुलसीराम सिलावट - अध्‍यक्ष महोदय, वह अभी चल रही है. आप निश्चिंत रहें कोई भी योजना बंद नहीं की गई है.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, मैं निश्चिंत इसलिये नहीं हो सकता क्‍योंकि मैं जानना चाह रहा हूं कि कितनी राशि जारी की गई है.

          श्री तुलसीराम सिलावट - अध्‍यक्ष महोदय, राज्‍य बीमारी सहायता कोष 31 मार्च को बंद कर दी गई है. आप निश्चिंत रहें यह बंद कर दी गई है.

          श्री गोपाल भार्गव - अध्‍यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को बहुत धन्‍यवाद दूंगा कि देर आये दुरुस्‍त आये.

          श्री अजय विश्‍नोई - अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के पास जानकारी आयी है कि इतने मरीजों को आयुष्‍मान योजना में लाभ मिला है, परंतु जो माननीय सदस्‍य की चिंता है वह हम सबकी चिंता है कि जो भी मरीज आयुष्‍मान योजना में किसी अस्‍पताल में जा रहा है वह अस्‍पताल उससे अलग से पैसे वसूल करता है, तो मेरा आपसे अनुरोध है कि क्या आप ऐसे 10-50 मरीजों के फोन नंबर लेकर सीधे उन मरीजों से, कोई आपका अधिकारी बात करेगा और पूछेगा कि आयुष्यमान योजना के तहत उसको कितने पैसे अलग से देना पड़े और जहाँ अलग से पैसे लिए जा रहे हैं, जिन अस्पतालों के द्वारा, क्या आप उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे?

           श्री तुलसी राम सिलावट--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जी के सम्मान का पूरा ध्यान रखूँगा. जहाँ-जहाँ भी ऐसी शिकायत आएगी, उस पर अविलंब कार्यवाही की जाएगी.

          श्री मनोहर ऊंटवाल--  नहीं की है....

          अध्यक्ष महोदय--  संजय सत्येन्द्र पाठक जी, अपनी बात कहें. कृपया मुझे सहयोग करें.

          श्री मनोहर ऊंटवाल--  अध्यक्ष महोदय, प्रश्न में चिरायु हॉस्पिटल की शिकायत है, उसमें प्वाईंटेड शिकायत है.

          अध्यक्ष महोदय--  सीधे-सीधे बातें न करें. व्यवस्था का ध्यान आप स्वयं दें. सीधी बात न करें, अध्यक्ष को इसलिए ही बिठाया है.

           चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष मंत्री(डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आयुष्मान योजना थोड़ी सी मेरे विभाग से भी रिलेटेड है, सम्मानित विपक्ष के नेता से मेरा निवेदन है कि आयुष्यमान योजना में केन्द्र सरकार का भी अंश होता है, तो मेहरबानी करके यह जो स्थितियाँ बिगड़ रही हैं इसमें कहीं न कहीं केन्द्र सरकार से, जो उनका अंश, जो पैसा आना चाहिए, वह नहीं आ पाता इसलिए ये व्यवस्थाएँ गड़बड़ा रही हैं. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री शिवराज सिंह चौहान--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं केवल इतना निवेदन करना चाहता हूँ कि राज्य सरकार ने आयुष्यमान योजना जमीन पर ढंग से लागू हो इसके लिए गंभीरता से प्रयास ही नहीं किए (शेम-शेम की आवाज) इसलिए आयुष्यमान योजना का लाभ मध्यप्रदेश के लाखों गरीब मरीजों को, बीमारों को, नहीं मिल पा रहा है. केवल आरोप लगाने से काम नहीं चलेगा. आपने आयुष्यमान योजना को जमीन पर लागू करने में गंभीरता ही नहीं दिखाई इसलिए उसका लाभ नहीं मिल रहा है, ढंग से कार्ड नहीं बने.

          खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री(श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)--  माननीय अध्यक्ष जी, मुझे एक मिनट सुना जाए.

          अध्यक्ष महोदय--  तोमर जी, आप महाआयुष्यमान हैं. आप विराज जाइये (हँसी) संजय जी,  अब आप प्रश्न करिए नहीं तो मैं आगे बढ़ जाऊँगा.

बागरी जाति को अनु. जाति के प्रमाण-पत्रों का प्रदाय

[सामान्य प्रशासन]

6. ( *क्र. 105 ) श्री संजय सत्येन्द्र पाठक : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्‍या प्रदेश के पन्‍ना एवं सतना जिले में बागरी समाज के अनुसूचित जाति एवं जनजाति के प्रमाण-पत्र बनाए जा रहे हैं? (ख) क्‍या प्रश्नांश (क) में उल्लिखित समाज के प्रमाण-पत्र कटनी जिले में वर्ष 2017 तक बनाए गए? (ग) क्‍या स्‍कूली छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति एवं बागरी परिवारों को अनाज भी अनुसूचित जाति एवं जनजाति कोटे के अनुसार सहकारी समितियों से प्रदाय किया जाता है, किन्‍तु प्रमाण-पत्र न बनने के कारण वह लाभ से वंचित हो रहे हैं? यदि हाँ, तो प्रमाण-पत्र न बनाने हेतु कौन-कौन अधिकारी/कर्मचारी दोषी हैं? क्‍या दोषी अधिकारी/कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी? यदि नहीं, तो क्‍यों?

सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) कटनी जिले के अनुविभाग विजयराघगढ़ में वर्ष 2017 तक बागरी जाति के प्रमाण-पत्र बनाए गए हैं। (ग) बागरी अनुसूचित जाति के लोगों के जाति के प्रमाण-पत्र बनाए जा रहे हैं, इस जाति के व्‍यक्तियों को शासन की योजनाओं के तहत देय लाभ दिया जा रहा है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

          श्री संजय सत्येन्द्र पाठक--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से प्रश्न था कि क्या पन्ना जिले में, सतना जिले में एवं कटनी जिले में बागरी समाज को अनुसूचित जाति का प्रमाण-पत्र दिया जा रहा है और क्या बागरी समाज को अनुसूचित जाति में सम्मिलित मानते हुए उन्हें राशन और सरकारी गल्ला उपलब्ध हो रहा है?

            डॉ.गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कटनी और पन्ना का सवाल पूछा है. पन्ना जिले में बागरी समाज को लगातार अनुसूचित जाति के प्रमाण-पत्र जारी किए जा रहे हैं. लेकिन केवल कटनी में, जब आप वहाँ सरकार में मंत्री विराजमान थे, तब आपके कमिश्नर ने एक आदेश जारी किया, यह आदेश 25.8.2017 का था, कि कटनी  जिले में बागरी समाज को शामिल नहीं किया जाय, प्रमाण-पत्र देने पर रोक लगाई.जब यह बात हमारे संज्ञान में आई तो अब पूरे मध्यप्रदेश में, जो भारत सरकार का, जो राष्ट्रपति जी को अधिकार है, संविधान के तहत अनुच्छेद 341 के अंतर्गत, उसमें समूचे राज्य में बागरी समाज को अनुसूचित जाति में माना गया है. अब दुबारा पूरा आदेश, जो था उसको निरस्त करते हुए, समूचे मध्यप्रदेश में बागरी समाज को अनुसूचित जाति में शामिल कर लिया गया है (मेजों की थपथपाहट) और जो आपने कटनी का कहा,  तो बागरी समाज के बच्चों को, तो वह भी अब आपकी पर्ची के आधार पर प्रमाण-पत्र अब कटनी में भी जारी हो गए हैं, अब कहीं रोक नहीं है, उसके आधार पर सहकारी संस्थाओं के माध्यम से जो उनको खाद्यान्न की पात्रता आती है, पूरा खाद्यान्न वितरण किया जा रहा है. अगर इसके संबंध में आपको कहीं कोई  बात हो तो आप कृपा करके बताएँ, उसमें भी संशोधन का काम करेंगे.

          श्री संजय सत्येन्द्र पाठक--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न यह था कि 2017 के बाद से कटनी जिले में जाति प्रमाण-पत्र नहीं बनाए गए हैं, जबकि भारत सरकार के राजपत्र के अनुसार, मध्यप्रदेश सरकार के राजपत्र के अनुसार, बागरी समाज समूचे मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति में आता है, उनके प्रमाण-पत्र बनाए जाने चाहिए थे, लेकिन एक कमिश्नर के ऑर्डर से पिछले ढाई वर्षों में, जो जाति प्रमाण-पत्र नहीं बने. उसके कारण जिन छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति का लाभ नहीं मिल पाया है.  कई ऐसे भी बच्चे थे जिन्होंने व्यापम के माध्यम से विभिन्न विभागों की परीक्षाएं उत्तीर्ण कर लीं थीं,  लेकिन वे अपना जाति प्रमाण-पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाए और उनको नौकरी से वंचित रहना पड़ा. क्या मंत्री जी ऐसे दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करेंगे? भारत सरकार और मध्यप्रदेश सरकार के राजपत्र को क्रास करते हुए उससे ऊपर निकलते हुए जिन अधिकारियों ने इतने सारे बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया क्या ऐसे दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करेंगे ?

          डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जब स्वयं मंत्री थे तब उन्होंने कार्यवाही नहीं की लेकिन फिर भी आपने मांग की है तो मैं गुणदोष के आधार पर दिखवाऊंगा. यदि कहीं गलती हुई है तो जांच के बाद जो तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्यवाही की जाएगी.

          श्री संजय सत्येन्द्र पाठक--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा तीसरा और अंतिम प्रश्न यह है कि विजयराघवगढ़ विधान सभा क्षेत्र के ननवारा ग्राम की सोनम बागरी नाम की छात्रा थी जिसका व्यापम के माध्यम से जेल विभाग में जेल प्रहरी के रुप में  सिलेक्शन हो गया था लेकिन जाति प्रमाण-पत्र जमा न कर पाने के कारण उसकी नियुक्ति नहीं की गई, क्या इस प्रकरण को कंसीडर किया जाएगा ?

          डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, व्यापम में तो जो कुछ हुआ वह आप सभी को पता है. (हंसी) कृपा कर आप मुझे लिखकर दे दें, अगर नियमों में आएगा, पात्रता बनती है तो जरुर मदद की जाएगी.

          श्री संजय सत्येन्द्र पाठक--मंत्री जी धन्यवाद.

          अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी, अगर आरक्षण के मामले में कोई अधिकारी खिलवाड़ करता है जिससे बच्चे-बच्चियों के भविष्य पर कुठाराघात होता है, मेरा आपसे अनुरोध है कि ऐसे अधिकारियों की जांच करवाइएगा ताकि भविष्य में बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ न हो. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री संजय सत्येन्द्र पाठक--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अभी कहा कि पूरे प्रदेश के लिए आदेश जारी किए जा रहे हैं, यह आदेश कब तक जारी हो जाएंगे ?

          डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, आदेश जारी कर दिए गए हैं. मध्यप्रदेश में आज की स्थिति में हर जिले में प्रमाण-पत्र बनाए जा रहे हैं, ऐसा कोई जिला नहीं है जहां प्रमाण-पत्र न बनाए जा रहे हों.

         

जनप्रतिनिधियों को लिपिकीय सुविधा का लाभ

[सामान्य प्रशासन]

7. ( *क्र. 397 ) श्री रामपाल सिंह : क्या सामान्य प्रशासन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधायकों को लिपिकीय सुविधा उपलब्‍ध करवाने के संबंध में शासन के क्‍या-क्‍या निर्देश हैं? उनकी प्रति दें। (ख) लिपिकीय सुविधा हेतु प्रश्‍नकर्ता विधायक के पत्र मान. मंत्री जी तथा कलेक्‍टर रायसेन को कब-कब प्राप्‍त हुए? उन पर क्‍या-क्‍या कार्यवाही की गई? (ग) क्‍या सांसद/विधायक को लिपिकीय सुविधा में शिक्षक/अध्‍यापक संवर्ग संलग्‍न नहीं किया जा सकता है? यदि हाँ, तो      किन-किन सांसद विधायकों के साथ शिक्षक अध्‍यापक संवर्ग संलग्‍न किये गये हैं? (घ) प्रश्‍नकर्ता विधायक को कब तक लिपिकीय सुविधा उपलब्‍ध करा दी जायेगी?

सामान्य प्रशासन मंत्री ( डॉ. गोविन्द सिंह ) : (क) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ग) जी हाँ। प्राप्‍त जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्‍ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। इन‍ विधायकों को नियम शिथिल कर शिक्षक/अध्‍यापक संवर्ग के कर्मचारी उपलब्ध कराए गए हैं। (घ) माननीय विधायक के पत्र दिनांक 07.06.2019 द्वारा लिपिकीय सुविधा हेतु कम्‍प्‍यूटर का ज्ञान रखने वाले किसी भी लिपिक को संलग्‍न किया जाना प्रस्‍तावित किया गया है। अत: कलेक्‍टर रायसेन द्वारा जिले के सभी विभागों में कार्यरत लिपिकों से सहमति चाही गई है। सहमति प्राप्‍त होने पर लिपिकीय सुविधा उपलब्‍ध कराई जा सकती है।

          श्री रामपाल सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से विधायकों, जनप्रतिनिधियों को लिपिकीय सुविधा उपलब्ध कराने के संबंध में प्रश्न किया है. यह बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न है इसमें आपका भी सरंक्षण चाहिए. जनप्रतिनिधि पत्र लिखते हैं तो कलेक्टर पत्र लिख देते हैं कि "अधिकारियों की सहमति," अब कोई विधायकों के साथ आना नहीं चाहता है. सात महीने हो गए हैं जनप्रतिनिधियों को लिपिकीय सुविधा नहीं मिल रही है. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि ऐसे कोई स्थायी आदेश जारी करें, अस्थाई तौर पर तो विधायक, सांसद और जनप्रतिनिधियों को लिपिकीय सुविधा मिल जाए. दूसरा प्रश्न यह है कि आप 200 रुपए महीना दे रहे हैं यह बहुत कम है. इसको आप बढ़ा दें. तीसरा प्रश्न यह है कि क्या कम्प्यूटर सेट भी विधायकों को देने का कष्ट करेंगे.

          डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, लिपिकीय सुविधा के संबंध में सितम्बर, 2014 में जो आदेश जारी हुआ था उसमें साफ लिखा है कि माननीय सांसद महोदय और विधायक महोदय को लिपिकीय सुविधा ही दी जाएगी. लिपिकीय सुविधा के संबंध में आपने पत्र लिखा तो मैंने नियम को शिथिल करते हुए जिन-जिन माननीय विधायकों ने पत्र दिए हैं कि हमें शिक्षकों, सहायक शिक्षकों की जरुरत है उन्हें नियमों को शिथिल करते हुए हमने आपको उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए हैं और आपके यहां पदस्थ भी कर दिए हैं.  आपके यहां पाण्डेय जी पहुंच गए हैं. मैं यह जरुर कहना चाहता हूँ कि भविष्य में कोई लिपिक स्वयं लिखकर देता है और आपका शिक्षक जो कम्प्यूटर की ट्रेनिंग लिया हुआ है और वह स्वेच्छा से आना चाहता है तो इसके भी स्थायी रुप से निर्देश जारी कर देंगे.

          श्री रामपाल सिंह--माननीय मंत्री जी, एक कम्प्युटर सेट देने के आदेश भी जारी कर दें.

          डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, कम्प्यूटर देने का काम वित्त विभाग करेगा.

                                                                                                         

नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्रों का संचालन

[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]

8. ( *क्र. 695 ) श्री दिव्‍यराज सिंह : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र सिरमौर अंतर्गत सत्र 2016-17, 2017-18 एवं 2018-19 में कुल कितने नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्र स्वीकृत किये गए? क्या नवीन स्वीकृत उप स्वास्थ्य केन्द्रों में से अधिकांश का सुचारु संचालन नहीं हो रहा है? (ख) नवीन स्वीकृत उप स्वास्थ्य केन्द्रों में कुल कितने केन्द्र संचालित हैं तथा कितने अभी तक संचालित नहीं हो सके हैं? इतना समय व्यतीत हो जाने के पश्चात भी अभी तक सभी उप स्वास्थ्य केन्द्रों का सुचारु संचालन न हो पाने का क्या कारण है? (ग) विषयांकित समस्त नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्र कब तक सुचारु रुप से संचालित हो सकेंगे?

लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) विधान सभा क्षेत्र सिरमौर अंतर्गत केवल वर्ष 2016-17 में कुल 13 नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्र स्वीकृत किये गये हैं? जी नहीं। (ख) नवीन स्‍वीकृत केन्‍द्रों पर निकटतम स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों की ए.एन.एम. द्वारा नियमित रूप से सेवायें प्रदान की जा रही हैं। (ग) ग्रामीण क्षेत्र में किराये का भवन उपलब्ध होने पर नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्र संचालित किये जावेंगे। निश्चित समयावधि बताना संभव नहीं।

          अध्‍यक्ष महोदय-- मेरा सभी से निवेदन है कि मुझे प्रश्‍न क्रमांक 9 तक जाना है. माननीय डंग जी का प्रश्‍न है. वह बार-बार हाथ उठा रहे हैं. कृपया आप सभी मुझे सहयोग करिए.

            श्री दिव्‍यराज सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से जो प्रश्‍न किया था उस प्रश्‍न में मैंने यह पूछा था कि वर्ष 2016 से लेकर वर्ष 2019 तक  में मेरी विधान सभा क्षेत्र में कितने उप-स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र स्‍वीकृत हुए हैं जिसमें माननीय मंत्री जी ने जवाब दिया है कि 13 उप-स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र स्‍वीकृत हुए हैं. मैंने मंत्री जी से यह भी पूछा है कि क्‍या इन भवन के लिए जमीन की उपलब्‍धता कराई गई है तो इसमें जवाब आया है कि कोई उपलब्‍धता नहीं हुई है. पहले तो मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि जो 13 नये स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र स्‍वीकृत हुए हैं इनके लिए जमीन कब तक उपलब्‍ध हो जाएगी. दूसरा इसमें एक और जवाब दिया है कि जो नए स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र स्‍वीकृत हुए हैं वहां पर दूसरे ए.एन.एम के माध्‍यम से इनकी व्‍यवस्‍था की जा रही है. मैं यह पूछना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में कितने ए.एन.एम. काम कर रहे हैं इसकी मुझे जानकारी दे दें और वह कहां-कहां नियुक्‍त हैं?

          श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह जो 13 उप-स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र हमने खोले हैं यह वर्ष 2016, 2017 में खोले गए हैं. मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि इन वर्षों में आज भी उप-स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र के लिए जगह और स्‍थान उपलब्‍ध नहीं हैं. क्‍योंकि आप सजग, जागरुक विधायक हैं मेरा आपसे अनुरोध है कि इस वर्ष के केन्‍द्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए आपका सहयोग मुझे मिलेगा.

          श्री दिव्‍यराज सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, मैंने जगह की उपलब्‍धता कई बार वहां पर तहसीलदार और एस.डी.एम. को बताई है.

          श्री तुलसीराम सिलावट-- आप मुझे भी बता दें.

          अध्‍यक्ष महोदय-- विधायक जी आप उसकी पूरी जानकारी मंत्री महोदय जी को दे दीजिएगा.

          श्री तुलसीराम सिलावट-- आप निश्चिंत रहें मैं कर दूंगा.

          श्री दिव्‍यराज सिंह-- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा एक और प्रश्‍न है यह बहुत जरूरी है. हम सभी के विधान सभा क्षेत्र में जो भी उप-स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र हैं जो ए.एन.एम. काम करती हैं एक तो उनकी पहली समस्‍या यह आती है कि वह अपने उप-स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्रों में अधिकांश तौर पर उपलब्‍ध नहीं होती हैं. उनके पास चार, पांच गांव होते हैं वह कहीं न कहीं घूमती रहती हैं. उनका पता नहीं रहता है कि वह कहां जाती हैं और क्‍या करती हैं. मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूं कि जैसे शिक्षा विभाग में आपने शिक्षकों के लिए जियो टैग की व्‍यवस्‍था की है उसी प्रकार से क्‍या ए.एन.एम.ओ. के साथ भी हम जियो टैग की व्‍यवस्‍था कराएं जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वह कहां-कहां जाती हैं और कहां-कहां बैठती हैं.

          श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जो सम्‍माननीय सदस्‍य ने कहा है कि ए.एन.एम. का काम उप-स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र पर जाकर व्‍यवस्‍था करना है आपने जो जानकारी मांगी है की शिक्षा विभाग द्वारा जो योजना चलाई जा रही है उस योजना को ए.एन.एम. पर लागू करना असंभव है इसके बाद भी हम इस विषय पर विचार करेंगे.   

          श्री दिव्‍यराज सिंह-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, एक छोटी मांग और है हमारे चौखण्‍डी में डॉक्‍टर नहीं है. कृपया डाक्‍टर उपलब्‍ध करा दें बस यही मांग है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- आप कृपया कर बैठ जाइए.

          स्वा. केन्द्र सुवासरा में पदस्‍थ चिकित्‍सक के विरूद्ध प्राप्‍त शिकायतें

             [लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]

9. ( *क्र. 449 ) श्री हरदीपसिंह डंग : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) स्वास्थ्य केन्द्र सुवासरा में डॉ. आर.एस. जोहरी कब से कार्यरत हैं? (ख) क्या डॉ. जोहरी द्वारा सुवासरा में स्वयं का निजी अस्पताल (क्‍लीनिक या नर्सिंग होम) खोला हुआ है? यदि हाँ, तो क्या उसका प्रभाव शासकीय अस्पताल पर पड़ रहा है? (ग) क्या विगत दिनों सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सुवासरा के कर्मचारियों एवं अन्य चिकित्सकों द्वारा डॉ. जोहरी के विरुद्ध अनुविभागीय अधिकारी अर्पित वर्मा के समक्ष शिकायत दर्ज कराई गई थी या की गई थी? पंचनामें एवं शिकायत की प्रति उपलब्ध करावें। (घ) डॉ. जोहरी के विरूद्ध शिकायत पर शासन की ओर से की गई सम्पूर्ण कार्यवाही की जानकारी उपलब्ध करावें।

लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री तुलसीराम सिलावट ) : (क) दिनांक 28.10.1998 से कार्यरत हैं। (ख) जी हाँ। डॉ. जोहरी द्वारा सुवासरा में स्‍वयं का निजी क्‍लीनिक है। जी नहीं।    (ग) जी हाँ। पंचनामा/शिकायत की प्रति संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। (घ) डॉ. जोहरी के विरूद्ध मुख्‍य चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी, मंदसौर द्वारा कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है एवं अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व), उपखण्ड सीतामऊ के जाँच प्रतिवेदन के आधार पर प्रकरण में कलेक्‍टर मंदसौर के द्वारा कार्यवाही प्रचलन में है।

          श्री हरदीपसिंह डंग-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं . मैं प्रश्‍न करूं उत्‍तर बाद में भी दस मिनट तक चल सकता है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- नहीं ऐसा नहीं है.

          श्री हरदीपसिंह डंग--अध्‍यक्ष महोदय मेरा प्रश्‍न पहले प्रारंभ हो चुका है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- अपन इसका उत्‍तर बाद में दिलवा देंगे.

          श्री हरदीपसिंह डंग-- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा निवेदन माननीय मंत्री जी से है कि जिस अधिकारी ने असत्‍य जानकारी दी है क्‍या मैं अभी प्रूफ दे दूं तो क्‍या आप उस पर अभी कार्यवाही करेंगे.

          श्री तुलसीराम सिलावट-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सम्‍माननीय सदस्‍य ने आपके संज्ञान में जो अपनी भावना व्‍यक्‍त की है कृपया वे मुझे बताएं.

          श्री हरदीपसिंह डंग-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहूंगा. यहां पर मैंने सुवासरा विधान सभा क्षेत्र में जो मैंने प्रश्‍न ''' में पूछा है और मंत्री महोदय ने उत्‍तर दिया है. मैंने कहा है कि वहां पर डॉ. जौहरी द्वारा नर्सिंग होम खोला गया जो कि सरकारी डॉक्‍टर हैं. उन्‍होंने नर्सिंग होम खोलकर अपने घर पर 100 एम.ए. की डिजिटल एक्‍सरे मशीन कोनिका कंपनी की पैथालॉजी ऑटोएनालाईजर मल्‍टी सिस्‍टम वाली मशीन उनके घर पर लगा रखी है और इन्‍होंने कहा है कि यह जानकारी गलत है. मैं कहता हूं कि यदि आज, अभी आप कलेक्‍टर को आदेश दें कि उस डॉक्‍टर के घर पर छापा मारें तो आपको डॉक्‍टर के घर पर एक्‍स-रे मशीन और पैथालॉजी की मशीन अवश्‍य मिलेगी. मैं इस संबंध में सबूत भी दे रहा हूं. अगर यह नहीं होता है तो मेरी राजनीति करने का कोई फायदा नहीं है.

          श्री तुलसीराम सिलावट-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आदरणीय सदस्‍य ने जो बात सदन में कही है, इनकी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए डॉक्‍टर जोहरी को अविलंब उस स्‍थान से हटाकर संभाग से बाहर किया जा रहा है.

           श्री हरदीपसिंह डंग-  जी नहीं. मैं इससे खुश नहीं हूं. मेरा कहना केवल इतना है कि गलत उत्‍तर दिया गया है. मेरी यह मांग है कि अभी सुवासरा में कलेक्‍टर जाये और छापा मारे. छापे में आपको डॉक्‍टर के घर पर ये मशीनें मिलेंगी.

          अध्‍यक्ष महोदय-  डंग जी, आप बैठ जाईये. मैं आपकी भावना समझ गया हूं. मंत्री जी, माननीय विधायक ने जो कहा है, दो घंटे के अंदर इसकी जांच करवाई जाये और उसकी जानकारी पटल पर रखी जाये. (मेजों की थपथपाहट)

          श्री तुलसीराम सिलावट-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने जो व्‍यवस्‍था दी है उसको हम स्‍वीकार करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय-  प्रश्‍नकाल समाप्‍त.

(प्रश्‍नकाल समाप्‍त)

 

 

 

          डॉ. राजेन्‍द्र पाण्‍डेय (राजू भैया)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आपने जो व्‍यवस्‍था दी है, उसके लिए बधाई.

          अध्‍यक्ष महोदय-  धन्‍यवाद. शून्‍यकाल की सूचनायें माननीय सदस्‍यों द्वारा नियम 267-क के अ‍धीन सदन में प्रस्‍तुत की जाती हैं. इस नियम के मुख्‍य अंश नए माननीय सदस्‍यों की जानकारी के लिए पढ़ रहा हूं. जो सूचनायें प्राप्‍त हुई हैं, मैं पहले उनके नाम पढ़ रहा हूं. तदुपरांत जो वरिष्‍ठ सदस्‍य हैं जिन्‍होंने कोई चीज विधान सभा में लगा रखी है मैं उन्‍हें मौका दूंगा ताकि वे उसका उल्‍लेख सदन में कर दें और बात सदन के सामने पटल पर आ जाये, तद्नुसार मैं उस पर कार्यवाही करूंगा.

 

 

12.02 बजे

शून्‍यकाल में मौखिक उल्‍लेख

किसानों की कर्जमाफी एवं उन्‍हें बुआई हेतु खाद, बीज उपलब्‍ध न होने विषयक

          श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी)-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में सभी किसानों के दो लाख रूपये तक के कर्ज माफ करने का वचन दिया था लेकिन जब इस सरकार ने आदेश निकाला तो किसानों को (XXX) लिया और आदेश में लिख दिया कि अल्‍पकालीन फसलीय ऋण माफ किया जायेगा. पहला धोखा तो किसानों के साथ यह हुआ कि दो लाख रूपये के कर्जा माफी के वायदे से ये लोग मुकर गए.

          श्री सोहनलाल बाल्‍मीक-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, (XXX) शब्‍द विलोपित करवायें.

          अध्‍यक्ष महोदय-  शून्‍यकाल को व्‍यवस्थित चलने दीजिये, जब आपको मौका मिलेगा तब बोलियेगा. सभी को मौका मिलेगा, आप भी उत्‍तर दीजियेगा कोई दिक्‍कत नहीं है.

          श्री शिवराज सिंह चौहान-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं पुन: कह रहा हूं कि कहा गया था कि किसानों के दो लाख तक के सभी कर्ज माफ किए जायेंगे और आदेश यह निकाला कि अल्‍पकालीन फसलीय ऋण, दो लाख रूपये तक के माफ किये जायेंगे. अल्‍पकालीन फसलीय ऋण को माफ करने के लिए भी सरकार को 48 हजार करोड़ रूपये चाहिए लेकिन बजट में केवल 5 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया. यह तो ऊंट के मुंह में जीरा भी नहीं गया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज हालत यह है कि मध्‍यप्रदेश का किसान त्राहि-त्राहि कर रहा है. कर्ज माफ नहीं हुआ बल्कि कर्ज, जो री-फाइनेंस होता था खाद और बीच के लिए वह री-फाइनेंस भी नहीं हुआ. किसनों को खाद और बीज की व्‍यवस्‍था के लिए साहूकारों के पास जाना पड़ा. आज किसानों को बुआई के लिए खाद और बीज के लिए कर्ज नहीं मिल रहा है. बैंक किसानों से कह रही है कि पहले कर्ज का पैसा भरो, उसके बाद खाद और बीज के लिए पैसा मिलेगा. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किसान (XXX) गया है. किसान छला गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय-  यह शब्‍द विलोपित कर दें.

          श्री शिवराज सिंह चौहान-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, गेहूं के समर्थन मूल्‍य पर 160 रूपये के बोनस का वचन दिया गया था. सोयाबीन का बोनस इस सरकार ने नहीं दिया. मूंग और उड़द की खरीदी नहीं की गई. आज किसान प्रदेश में त्राहि-त्राहि कर रहा है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैंने इस संबंध में स्‍थगन लगाया है. मैं आपसे निवेदन करता हूं कि इस अविलंबनीय लोक महत्‍व के विषय पर सदन की कार्यवाही स्‍थगित करके चर्चा की जाए.

          श्री बहादुर सिंह चौहान-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय

          अध्‍यक्ष महोदय-  आप सभी बैठ जाइए. कृपया एक-एक करके बोलें. शिवराज जी आपके वरिष्‍ठ हैं. उन्‍होंने बोला, अब मुझे बोलने दीजिये. कृपया आप उनके ऊपर मत आइए. मुझे व्‍यवस्‍था संचालित करने दें. आपने अपनी बात रखी, आपके द्वारा मुझे सूचना प्राप्‍त हुई है. निश्चित तौर पर मैं, किसी न किसी रूप में, कैसे उसमें चर्चा कराऊं, आपसे चर्चा भी कर लूंगा, आप कृपया मेरे कक्ष्‍ा में आइये. उस पर अपन निकाल निकालेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय:- श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाह आप अपनी शून्‍यकाल की सूचना पढ़ें.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय.....

          अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं, भार्गव जी पहले श्री सिद्वार्थ सुखलाल कुशवाह, जिन्‍होंने शून्‍यकाल की सूचनाएं दी है, पहले उनको पढ़ने दीजिये.

          श्री गोपाल भार्गव:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आप सुन लीजिये ?

            अध्‍यक्ष महोदय:- इनको न पढ़ने दूं ?

          श्री गोपाल भार्गव :- नहीं, उनको भी पढ़ने दें, पर पहले हमको सुन लीजिये.

           अध्‍यक्ष महोदय:- नहीं, देखिये शून्‍यकाल की सूचनाएं माननीय सदस्‍यों द्वारा नियम 267-क के अधीन दी जाती हैं.         

          डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष बोल रहे हैं, सुनना पड़ता है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- वह ज्‍यादा जागरूक हैं, मुझे मालूम है. आप उनका कोई सपोर्ट नहीं करो. मैं जानता हूं कि वह विपक्ष के नेता हैं. आप लोगों को उनको सहयोग करने की जरूरत नहीं है.

          डॉ. सीतासरन शर्मा:- अध्‍यक्ष जी, आप बीच में पढ़ने लगे तो सपोर्ट करना ही पड़ा. 

          अध्‍यक्ष महोदय:- वह बहुत बुन्‍देलखंडी उस्‍ताद हैं, आप चिन्‍ता मत करो.

          श्री गोपाल भार्गव:- अध्‍यक्ष जी, हमारे पूर्व मुख्‍यमंत्री जी, अभी जिस स्‍थगन सूचना के बारे में चर्चा कर रहे थे. मेरा निवेदन है कि राज्‍य में करीब 20 दिन विलंब से बारिश हुई है और अब पर्याप्‍त बारिश हो चुकी है, किसानों के लिये खाद और बीज की बहुत जरूरत है. अध्‍यक्ष महोदय, तकावी की आवश्‍यकता है. किसी भी को-ऑपरेटिव संस्‍था से इस समय किसान के लिये तकावी और खाद, बीज की व्‍यवस्‍था नहीं हो रही है, उसके किसान को ऋण नहीं मिल रहा है. कई किसान इस कारण से दु:खी होकर आत्‍म-हत्‍या भी कर चुके हैं.  12 किसानों की सूची मेरे पास में है. सरकार की घोषणा के बाद, की हम 2 लाख रूपये तक की कर्ज माफी करेंगे, लेकिन अभी तक नहीं हुई है.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं इस बात को कहना चाहता हूं कि चूंकि आपने कहा कि हम इसको किसी न किसी रूप में इसको ले लेंगे, यह आपने कहा है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- हां.

          श्री गोपाल भार्गव:- अध्‍यक्ष महोदय, आज स्‍थगन सूचना इसलिये मौजूं है, प्रासंगिक है और इस पर चर्चा आवश्‍यक है कि कल बजट आयेगा, बजट के बाद में अवकाश हो जायेगा. इसके बाद में बजट पर सामान्‍य चर्चा शुरू हो जायेगी. यदि आप कह दें कि ब‍जट के दूसरे दिन हम आप इस स्‍थगन पर चर्चा करायेंगे, तो मैं आपका आभारी रहूंगा. क्‍योंकि यह तात्‍कालिक महत्‍व का विषय है. किसान आत्‍म-हत्‍या कर रहे हैं, किसान दिवालिया हो रहे हैं, किसान साहूकारों से महंगे कर्ज पर ऋण ले रहे हैं.

          गृह मंत्री (श्री बाला बच्‍चन):-  अध्‍यक्ष महोदय, किसानों की आत्‍म-हत्‍या का प्रतिशत बहुत कम हो गया है. पहले आपकी सरकार में एक दिन में 6 से 8 आत्‍म-हत्‍याएं होती थीं. कल एक प्रश्‍न में उत्‍तर आया है कि 200 दिन में मात्र 71 किसानों की आत्‍म- हत्‍या का मामला आया है. आपकी सरकार में लगभग 1500 से 1600 किसानों का हो जाता.

          अध्‍यक्ष महोदय:- चलिये, मैंने आपका निवेदन स्‍वीकार कर लिया है. आप विराजियेगा, जब मैंने आपको आश्‍वस्‍त कर दिया है कि मैं किसी न किसी रूप में चर्चा करवाऊंगा. आप विराजिये और मुझे आगे की कार्यवाही करने दीजिये.

          श्री गोपाल भार्गव :- अध्‍यक्ष महोदय, आप 11 तारीख को चर्चा करवा लें.

         

 

 

 

 

 

 

 

 

 

नियम 267-क के अधीन विषय

1.       रीवा जिले की तहसील गुढ़, ग्राम उमरिया में आकाशीय बिजली गिरने से पीडि़तों को शासकीय सहायता राशि न मिलना.

 

          श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाह(सतना):- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरी शून्‍यकाल की सूचना इस प्रकार है कि

(व्‍यवधान)

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह(खुरई):- अध्‍यक्ष जी, स्‍थगन प्रस्‍ताव का मतलब ही यह होता है कि तत्‍काल सदन की कार्यवाही रोककर उस पर चर्चा करायी जाये.      

          अध्‍यक्ष महोदय :- आप मुझे नियमों से अवगत न करायें, मुझे मालूम है, क्‍या करना है. मैंने अपनी जानकारी दे दी, अब यह तरीका शून्‍यकाल में ठीक नहीं है.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह:- अध्‍यक्ष महोदय, स्‍थगन का मतलब क्‍या होता है?

            अध्‍यक्ष महोदय :-अरे भाई, रोहाणा जी भी ऐसा ही करते थे, जो मैं कर रहा हूं. आपकी ही पार्टी के वह अध्‍यक्ष थे, नहीं ऐसा नहीं होता है.

          श्री गोपाल भार्गव:- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न है. यह स्‍थगन की सूचना सचिवालय में चार दिन पहले दे दी गयी थी.

          अध्‍यक्ष महोदय:- मैंने उसका जवाब दे दिया है.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह:- अध्‍यक्ष जी, आप विद्वान हैं, महा-विद्वान हैं, स्‍थगन प्रस्‍ताव देने का मतलब क्‍या होता है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- बात विद्वान और महा-विद्वान की नहीं है.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह:- आप स्‍थगन प्रस्‍ताव का मतलब क्‍या होता है, जरा आप हमें बता दें ? (व्‍यवधान)

          अध्‍यक्ष महोदय:- भूपेन्‍द्र जी, मैंने माननीय शिवराज सिंह जी ने प्रश्‍न उठाया और उसका जवाब दे दिया.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह:- अध्‍यक्ष जी, यह कोई जवाब नहीं है. आप स्‍थगन प्रस्‍ताव के बारे में बतायें. स्‍थगन प्रस्‍ताव पर तत्‍काल सदन की कार्यवाही रोक कर चर्चा करायी जाती है.

(व्‍यवधान)

          श्री गोपाल भार्गव:- अध्‍यक्ष जी, मैंने व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न उठाया है, उस पर व्‍यवस्‍था दे दें.

            अध्‍यक्ष महोदय:- मैं एक बार व्‍यवस्‍था दे चुका हूं. व्‍यवस्‍था के ऊपर व्‍यवस्‍था नहीं आती है.

          संसदीय कार्य मंत्री(डॉ. गोविन्‍द सिंह):- बजट सत्र में सामान्‍यत: चर्चा नहीं होती है. आप अपना पिछला 15 वर्ष का कार्यकाल देख लें.(व्‍यवधान)

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह:- अध्‍यक्ष जी, किसानों के पास खाद, बीज नहीं है.(व्‍यवधान)

            अध्‍यक्ष महोदय:- भार्गव जी, आप यह कैसा कर रहे हैं,  यह क्‍या है, नहीं-नहीं, आप बैठ जायें. (व्‍यवधान) श्री गिर्राज डण्‍डौतिया जी, अपनी शून्‍यकाल की सूचना पढ़ें. श्री डण्डौतिया जी के द्वारा जो बोला जा रहा है, वही लिखा जाएगा, बाकी माननीय सदस्य जो बोल रहे हैं उनका नहीं लिखा जाएगा.

          डॉ.सीतासरन शर्मा-- (xxx)

            श्री शिवराज सिंह चौहान--(xxx)

            श्री गोपाल भार्गव-- (xxx)

            श्री विश्वास सारंग-- (xxx)

            डॉ.सीतासरन शर्मा--वह कह रहे हैं कि प्रस्ताव का अर्थ क्या होता है? (व्यवधान)

          अध्यक्ष महोदय--व्यवस्था के ऊपर व्यवस्था नहीं होती है. मैंने व्यवस्था दे दी उसके ऊपर व्यवस्था देना किसी भी नियम में नहीं है. (व्यवधान)

          श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय आज कामकाज नहीं है, आज स्थगन प्रस्ताव को ले सकते हैं. (व्यवधान)

 

 

 

 

.........................................................................................................................

XXX :  आदेशानुसार रिकार्ड  नहीं किया गया

12.12 बजे                                         बहिर्गमन

श्री गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, स्थगन प्रस्ताव की सूचना पर चर्चा नहीं करायी जा रही है इसलिये इसके विरोध में हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.

(श्री गोपाल भार्गव, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यगण द्वारा  शासन द्वारा स्थगन प्रस्ताव की सूचना पर सदन में चर्चा न कराने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया. )

 

 

12.13 बजे                   नियम 267- क के अधीन विषय (क्रमशः)

(2)     मुरैना जिले में स्टाम्प वेन्डर्स द्वारा स्टाम्प विक्रय का मनमाना शुल्क वसूला जाना

          श्री गिर्राज डण्डौतिया (दिमनी)--अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-

       

 

 

 

 

       (3)    डॉ.सीतासरन शर्मा-- (अनुपस्थित)

 

 

 

 

 

(4) जिला जबलपुर बरगी वि.स.अंतर्गत जनजातीय विकास विभाग द्वारा बेलखेड़ा क्षेत्र में अम्बेडकर भवन का निर्माण कार्य पूर्ण न कराया जाना.

       श्री संजय यादव (बरगी)-- अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है.

         

        (5) इंजी. प्रदीप लारिया-- (अनुपस्थित)

 

(6)  प्रदेश में नियम विरूद्ध चल रहे कृषि महाविद्यालयों पर शासन का अंकुश न होना.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)-- अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है.

          (7)     श्री के.पी.त्रिपाठी-- (अनुपस्थित)

                                                                                               

 

8. ग्‍वालियर ग्रामीण क्षेत्र स्थित जीर्णशीर्ण तलाबों का जीर्णाधार किया जाना.

श्री भारत सिंह कुशवाह (ग्‍वालियर ग्रामीण) - अध्‍यक्ष महोदय,

9. श्री इंदर सिंह परमार - अनुपस्थित.

10. श्री बहादुर सिंह चौहान - अनुपस्थित.

 

 

12:17 बजे                 2. अध्‍यादेशों का पटल पर रखा जाना.

(क) मध्‍यप्रदेश कृषि उपज मंडी (संशोधन) अध्‍यादेश, 2019 (क्रमांक 1 सन्       2019),

(ख) मध्‍यप्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन अध्‍यादेश, 2019 (क्रमांक 2 सन् 2019),

(ग) मध्यप्रदेश सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी (संशोधन) अध्‍यादेश, 2019 (क्रमांक 3 सन् 2019),

(घ) मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय (संशोधन) अध्‍यादेश, 2019 (क्रमांक 4 सन् 2019) तथा

(ङ) मध्यप्रदेश सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी (द्वितीय संशोधन) अध्‍यादेश, 2019 (क्रमांक 5 सन् 2019).

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12:18                        3. पत्रों का पटल पर रखा जाना

(1)

(क)

एम.पी. औद्योगिक केन्‍द्र विकास निगम (इन्दौर) लिमिटेड  का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017,

(ख)

म.प्र.औद्योगिक केन्‍द्र विकास निगम (भोपाल) के अन्तिम लेखे वर्ष 2013-2014, 2014-2015, 2015-2016, 2016-2017 एवं 2017-2018,

(ग)

इंडस्ट्रियल इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन (ग्‍वालियर) म.प्र.मर्यादित का दिनांक 31 मार्च, 2016 को समाप्त वर्ष का 31 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा,

(घ)

म.प्र.औद्योगिक केन्‍द्र विकास निगम (जबलपुर) लिमिटेड का 33 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं वार्षिक लेखा  वित्‍तीय वर्ष 2014-2015 एवं 34 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं वार्षिक लेखा वित्‍तीय वर्ष 2015-2016 तथा

(ङ)

मध्‍यप्रदेश प्‍लास्टिक पार्क डेव्‍हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड के अन्तिम लेखे वर्ष 2013-2014, 2014-2015, 2015-2016, 2016-2017 एवं 2017-2018,

 

 

 

(2). अधिसूचना क्रमांक एफ 5-22/2018/55-2, दिनांक 16 अक्‍टूबर, 2018

 

 

          3.        परिवहन विभाग की निम्‍न अधिसूचनाएं -

        (क)    क्र. एफ 22-12/2015/आठ, दिनांक 23 मई, 2015.

        (ख)    क्र. एफ 22-20/2018/आठ, दिनांक 26 दिसम्‍बर, 2018.

        (ग)    क्र. एफ 22-12/2015/आठ, दिनांक 2 जनवरी, 2019 तथा

        (घ)    क्र. एफ 22-2/2019/आठ, दिनांक 12 जनवरी, 2019.

 

4. मध्‍यप्रदेश पाठ्यपुस्‍तक निगम का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2017-2018.

       

 

 

 

 

5. (क) (i) बाणसागर थर्मल पॉवर कम्‍पनी लिमिटेड का 7 वां वार्षिक
                        प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018.

        (ii)   शहपुरा थर्मल पॉवर कम्‍पनी लिमिटेड, जबलपुर का 12 वां वार्षिक
                        प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018.

        (iii)   मध्‍यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कम्‍पनी लिमिटेड, जबलपुर का 16 वां
                        वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018.

        (iv)   मध्‍यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कम्‍पनी लिमिटेड, जबलपुर का 16वां
                        वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-2018.

 

(ख).   मध्‍यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की अधिसूचना क्रमांक
                71/म.प्र.वि.नि.आ./2018
, दिनांक 16 जनवरी, 2018.

6. संत रविदास म.प्र. हस्‍तशिल्‍प एवं हथकरघा विकास निगम लिमिटेड का  
             दिनांक 31 मार्च
, 2017 को समाप्‍त वर्ष का 36वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा.

 

 

 

7. जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्‍वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.) की वैधानिक ऑडिट
            रिपोर्ट वर्ष 2016-2017.

       

 

 

 

 

 

 

 

 

 

8. (क) (i)    रानी दुर्गावती विश्‍वविद्यालय, जबलपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष
                        2017-18.

        (ii)   मध्‍यप्रदेश निजी विश्‍वविद्यालय विनियामक आयोग का वार्षिक
                        प्रतिवेदन एवं लेखा संपरीक्षण रिपोर्ट वर्ष 2017-2018.

 

 

12.23 बजे   फरवरी, 2019 सत्र के प्रश्‍नों के अपूर्ण उत्‍तरों के पूर्ण उत्‍तरों का संकलन                         पटल पर रखा जाना.

 

          अध्‍यक्ष महोदय - फरवरी, 2019 सत्र के प्रश्‍नों के अपूर्ण उत्‍तरों के पूर्ण उत्‍तर   खण्‍ड-1 का संकलन पटल पर रखा गया.

 

12.24 बजे   नियम 267-क के अधीन फरवरी, 2019 सत्र में पढ़ी गई सूचनाओं तथा
                उनके उत्‍तरों का संकलन पटल पर रखा जाना.

 

 

          अध्‍यक्ष महोदय - नियम 267-क के अधीन फरवरी, 2019 सत्र में सदन में पढ़ी गई शून्‍यकाल सूचनाएं तथा उनके संबंध में शासन से प्राप्‍त उत्‍तरों का संकलन पटल पर रखा गया.

         

 

12.25 बजे 

                  

             

          अब, इसके संबंध में डॉ. गोविन्‍द, संसदीय कार्यमंत्री, प्रस्‍ताव करेंगे.

          संसदीय कार्यमंत्री (डॉ.गोविन्‍द सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं प्रस्‍ताव करता हूं कि अभी अध्‍यक्ष महोदय ने जिन शासकीय विधेयकों पर चर्चा के लिये समय निर्धारण एवं बैठकों में परिवर्तन के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिशें पढ़कर सुनाई हैं, उन्‍हें सदन स्‍वीकृति देता है.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत हुआ.

           प्रश्‍न यह है कि जिन कार्यों पर चर्चा के लिये समय निर्धारण एवं बैठकों में परिवर्तन के संबंध में कार्य मंत्रणा समिति की जो सिफारिशें पढ़कर सुनाईं, उन्‍हें सदन स्‍वीकृति देता है.

                                                                                                प्रस्‍ताव स्‍वीकृत हुआ.                                                      

12.28 बजे

                        राज्‍यपाल की अनुमति प्राप्‍त विधेयकों की सूचना

                                       

 

 

 

 

12.29 बजे

                                                ध्‍यान आकर्षण

1. प्रदेश के विकलांग बच्‍चों को कृत्रिम अंग निश्चित अवधि में प्रदान न किया जाना.

 

        श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका धन्‍यवाद देना चाहता हूं और आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं कि आपने जनहित से जुडे़ और जनहित की संवेदना से जुडे़ इस ध्‍यानाकर्षण को आज आपने कार्यसूची में दूसरी बार भी ले लिया है. यह ध्‍यानकर्षण कल भी था और आज भी आपने इसे ले लिया है, इसके लिये मैं आपका आभार व्‍यक्‍त करता हूं.

        माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

                            

          सामाजिक न्‍याय एवं नि:शक्‍तजन कल्‍याण मंत्री (श्री लखन घनघोरिया)--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इस संबंध में वस्‍तु स्थिति यह है कि स्‍कूल शिक्षा विभाग द्वारा समग्र शिक्षा (सर्व शिक्षा) अभियान के अंतर्गत कक्षा 1 से 8 में शाला में दर्ज दिव्‍यांग बच्‍चों को एडिप योजनांतर्गत भारत सरकार के उपक्रम एल्मिको संस्‍था जबलपुर के माध्‍यम से कृत्रिम अंग, सहायक उपकरणों का वितरण किया जाता है.

          भारत सरकार से समग्र शिक्षा की वार्षिक कार्य योजना स्‍वीकृत होने के पश्‍चात विभाग द्वारा आदेश देने के पश्‍चात एल्मिको संस्‍था जिलों में विकासखण्‍ड स्‍तर पर दिव्‍यांग बच्‍चों के लिये परीक्षण, मूल्‍यांकन शिविरों के माध्‍यम से बच्‍चों के केलीपर्स के नाम एवं आवश्‍यकता अनुसार अन्‍य उपकरणों की आवश्‍यकता का आंकलन कर सूचीबद्ध किया जाता है.

          इस मूल्‍यांकन परीक्षण शिविरों के पश्‍चात लगभग तीन माह में एल्मिको संस्‍था द्वारा केलीपर्स तैयार कर अन्‍य रेडी टू यूज उपकरणों के साथ यह सामग्री जिलों को उपलब्‍ध कराई जाती है. इसके पश्‍चात लगभग 6 माह के अंदर एल्मिको संस्‍था के माध्‍यम से जिलों में उपकरण वितरण शिविरों का आयोजन कर चिन्‍हांकित दिव्‍यांग बच्‍चों को उपकरण उपलब्‍ध कराये जाते हैं. यह सत्‍य नहीं है कि 2 से 3 वर्ष कृत्रिम उपकरण बांटने में लग जाते हैं. ऐसी स्थिति कभी भी प्रदेश में निर्मित नहीं हुई है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, होशंगाबाद, दमोह, सागर, मंदसौर, रतलाम, नीमच, उज्‍जैन आदि जिलों में उपकरण विलंब से आने के बाद भी बंट नहीं पाये हैं. जिस प्रकार से 6 माह के नन्‍हें बच्‍चों के कपड़े हम लेकर के आ जायें और अगर डेढ़ साल बाद उसको पहनाने जायेंगे तो बच्‍चों की ग्रोथ बढ़ने के कारण से वह कपड़े काम में नहीं आयेंगे, इस प्रकार से जूतों की भी यही स्थिति है. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इसलिये यह भूमिका बना रहा हूं कि दिव्‍यांग बच्‍चों का एक पार्ट जो जीवंत होता है, दूसरा मृतप्राय हो जाता है. जो जीवंत पार्ट है उसकी ग्रोथ के आधार पर तत्‍समय का कृत्रिम अंग लगाने को लेकर के मेजरमेंट किया जाता है, लेकिन कंपनी के द्वारा जैसा कि माननीय मंत्री जी ने भी बताया कि 3 माह में कर, कर के बाद में उसे 6 माह के अंतराल में बांट देना चाहिये. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यह संवेदनाओं से जुड़ा हुआ मामला है. लाखों, करोड़ो रूपये दिव्‍यांग बच्‍चों को आत्‍मनिर्भर बनाने के लिये फिर चाहे वह बैसाखी हो, चाहे केलीपर्स हो, चाहे वह कृत्रिम पैर हो, उसको लेकर के जब इतनी सामग्रियां आती हैं, इतना बजट आता है तो वह जो कंपनी जिसको मध्‍यप्रदेश की सरकार, सामाजिक न्‍याय विभाग, स्‍कूल शिक्षा विभाग तय करवाता है और कंपनी का डिसीजन उनके माध्‍यम से होता है, जिला प्रशासन के नेतृत्‍व में सामाजिक न्‍याय विभाग और स्‍कूल शिक्षा विभाग 1 वर्ष से लेकर 8 वर्ष तक के बच्‍चों के लिये केम्‍प लगाते हैं, बच्‍चों के मेजरमेंट होते हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहते हुये माननीय मंत्री जी से प्रार्थना करूंगा, आग्रह करूंगा कि जिन बच्‍चों के नाप बढ़ गये हैं और जो उपकरण छोटे पड़ गये हैं वह आज उनके लिये अनुपयोगी हो गये हैं. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि 52 जिले हैं, इसमें 21-22 जिले लगभग 80 प्रतिशत प्रभावित हो रहे हैं. मेरा प्रश्‍न सिर्फ यह है, 3 प्रश्‍न है माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इनकी समग्र रूप से जांच करवा ली जाये कि कहां, कितने उपकरण आकर पड़े हुये हैं, बच्‍चों का मेजरमेंट, माप बढ़ गया है जिसके कारण से वह अनुपयोगी हो गये हैं. उपकरण उस संस्‍था सर्व शिक्षा अभियान में कब पहुंच थे और कब बंटना था और कब बंटे और कब नहीं बटे हैं आज तक. अनुपयोगी उपकरण वहां किस हालत में हैं यह भी देखने का काम सरकार कर ले और माननीय मंत्री जी आश्‍वासन दे दें.

          श्री लखन घनघोरिया--  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय सदस्‍य की चिंता, संवेदनशीलता वास्‍तव में काबिले तारीफ है. लेकिन मेरा अनुरोध यह है कि 22 जिलों में वर्ष 2018-19 में विधान सभा, लोक सभा की चुनाव आचार संहिता के कारण लगभग 5 महीने तक यह हालात रहे हैं कि इस कार्यवाही को अंजाम नहीं दिया जा सका.

          माननीय अध्यक्ष महोदय, साथ में जिन 22 जिलों में 2018-19 में यह कार्यवाही की गई है उसका बिन्दुवार विवरण है. बाकी 29 जिलों में ऐेसे शिविर लगाकर इस काम को अंजाम दिया जायेगा चूंकि माननीय सदस्य ने दो-तीन वर्षों की बात कही है तो मेरा अनुरोध है कि 6 माह की यह सरकार जिसमें 5 माह चुनाव आचार संहिता में निकल गये. इसके पहले यदि संवेदन शून्यता थी तो माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य से यह अनुरोध करना चाहता हूं. आरोप-प्रत्यारोप में नहीं जाना चाहता हूं लेकिन  वर्ष 2016, 2017, 2018 में जो कुछ इस विभाग में हुआ है, वह मैं बिन्दुवार माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं और सदन के पटल पर रखना चाहता हूं. उसके बाद भी यदि माननीय सदस्य को यह लगेगा कि यह निष्ठुरता है, संवेदनशून्यता है तो कम से कम इस बात का भी आत्मावलोकन कर लिया जाये कि 6 माह की हमारी अपेक्षाएं और 15 साल की उपेक्षा का दंश.

          श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, क्या यह जरूरी है.

          अध्यक्ष महोदय - आप बैठिये.

          श्री लखन घनघोरिया - आपका मूल प्रश्न यह है और बाकायदा आंकड़े हैं.

          गृह मंत्री ( श्री बाला बच्चन ) - अध्यक्ष महोदय, 2002 और 2003 की बात कर रहे हैं.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - मंत्री जी, आचार संहिता और लोक सभा, विधान सभा चुनावों का हवाला दे रहे हैं. आप उपकरणों की जांच करवा लें कि कितने पड़े हुए हैं, इसमें क्या दिक्कत है ?

          श्री लखन घनघोरिया - अध्यक्ष महोदय, जांच कराने में कोई दिक्कत नहीं है.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - मैं यही तो कह रहा हूं जांच करा लीजिये.

          श्री लघन घनघोरिया - अध्यक्ष महोदय, थोड़ा सा निवेदन है. चूंकि यह ध्यानाकर्षण शिक्षा विभाग का था लेकिन सामाजिक न्याय विभाग को इस पर जवाब देना पड़ा. सारे विभागों की जवाबदेही सामाजिक न्याय विभाग में होती है. मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि बड़वानी में जितने लोगों की आंखों का ईलाज हुआ था और वह असफल हो गया था. उनको भी सामाजिक न्याय विभाग पेंशन देता है. मैं आरोप नहीं लगा रहा हूं लेकिन यह सत्यता है कि कम से कम उन विभागों का जिनका सरोकार नहीं है लेकिन यह तीन-चार साल पहले की जांच होगी तो उसका उत्तरदायी कौन होगा इसका निर्णय आप करिये.

          अध्यक्ष महोदय - पहले स्कूल शिक्षा मंत्री को जवाब देने दीजिये फिर मैं भी अपनी बात करूंगा. आप लोग जरा सहयोग करिये.

          डॉ. प्रभुराम चौधरी( स्कूल शिक्षा मंत्री ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की भावनाओं का मैं सम्मान करता हूं कि उन्होंने दिव्यांग बच्चों के प्रति चिंता व्यक्त की लेकिन मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि भारत सरकार के द्वारा जब वहां से स्वीकृति मिलती है उसके बाद मध्यप्रदेश शासन के द्वारा जो एल्मिको संस्था है, भारत सरकार का उपक्रम है. उसके माध्यम से शिविर लगाये जाते हैं. उनके सहयोग से सामाजिक न्याय विभाग और शिक्षा विभाग उसमें सहयोग करता है. फिर उपकरण वितरित कर दिये जाते हैं. माननीय सदस्य ने यह चिंता व्यक्त की है कि इसमें 2-3 साल लग जाते हैं. मैं बताना चाहता हूं कि ऐसी बात नहीं है. 2-3 साल नहीं रखते. 6 महीने के अंदर क्योंकि कार्य योजना, भारत सरकार की जब स्वीकृत होती है, उसके बाद मध्यप्रदेश आती है. उसके बाद जो भारत सरकार का उपक्रम एल्मिको है, उसको हम आदेश देते हैं. फिर वह शिविर आयोजित करते हैं. वहां बच्चों का आईडेंटिफिकेशन होता है. अध्यक्ष महोदय, आप अगर चाहेंगे तो मैं, माननीय सदस्य को, किस-किस तारीख को शिविर लगाए गए, जहां बच्चों का आईडेंटिफिकेशन किया गया, उनको उपकरण कब वितरित किये ? यह जानकारी उपलब्ध करा दूंगा. माननीय सदस्य आपकी कहीं की पर्टिकुलर चिंता है कि इस जिले में ऐसा ज्यादा है तो उसकी हम जांच करा लेंगे.

श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, होशंगाबाद, सिवनी, दमोह, मंदसौर, रतलाम और उज्जैन, यह मैं आपको बता रहा हूं, वहां पर मेगा केम्प लगे, वहां पर हजारों बच्चे आए.

डॉ. प्रभुराम चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप मुझे यह जानकारी दे दें,  भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) जो भारत सरकार का उपक्रम है, वह 5-6 राज्यों में वितरण करता है, यह कोई प्राइनेट संस्था तो है नहीं, यह भारत सरकार का उपक्रम है, जबलपुर में इसका कार्यालय स्थित है. अगर आप चाहें तो तारीखवार आपको बता सकता हूं कि शिविर किस वर्ष में कब लगे. 5 साल की जानकारी मेरे पास में उपलब्ध है. आप कहें तो मैं पटल पर रख दूं. आप कहें तो मैं पढ़कर सुना सकता हूं कि कब शिविर लगाए गए और कब उनका वितरण हुआ है. जो जिलों की माननीय सदस्य ने चिंता व्यक्त की है, उनकी भी हम जानकारी ले लेंगे. आगे भविष्य में आपके माध्यम से सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारी तरफ से इसमें कभी कोई विलंब नहीं किया जाएगा. विभाग निश्चित रूप से चिंतित है कि जो हमारे दिव्यांग बच्चे हैं, उनको जो सुविधा हम उपलब्ध कराते हैं चाहे केलिपर्स हों, चाहे हियरिंग एड हो, चाहे दूसरे उपकरण हों, हम खुद चाहते हैं कि निश्चित रूप से उनको समय पर सुविधा उपलब्ध हो सके, उसका सदुपयोग हो सके और इसके लिए हमेशा हमारा प्रयास रहता है. माननीय सदस्य ने भी चिंता व्यक्त की है मैं उनका सम्मान करता हूं. जिन जिलों के बारे में उन्होंने जानकारी दी है, उसकी भी हम जांच करा लेंगे जिससे आने वाले समय में भविष्य में इस तरीके की लापरवाही अगर कहीं हुई है, वैसे मेरे हिसाब से कहीं लापरवाही नहीं होती है. जैसे ही भारत सरकार का उपक्रम जहां जहां पहुंचता है, तारीखवार मेरे पास में आंकड़ें उपलब्ध हैं कि किस तारीख को केम्प लगाया गया, किस तारीख को उपकरणों का वितरण हुआ, आप कहें तो मैं पढ़कर सुना सकता हूं?

अध्यक्ष महोदय - आप सुनाइए.

 डॉ. प्रभुराम चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2013-14 में, दिनांक 1.1.2014 से 6.2.2014 तक यहां पर चिल्ड्रेन विद स्पेशल नीड (सीडब्ल्यूएसएन बच्चों के मूल्यांकन शिविर लगाये गये. सीडब्ल्यूएसएन बच्चों के उपकरण वितरण शिविरों की जानकारी दिनांक 21.8.2014 से 17.9.2014 तक कुल 9 जिलों में वितरण किया गया.

          वर्ष 2014-15 में दिनांक 8.2.2014 से 28.1.2015 तक यहां पर मूल्यांकन शिविर लगाये गये, दिनांक 28.9.15 से 6.11.2015 तक 31 जिलों में उपकरण वितरण शिविर का भी आयोजन किया गया.

इसी तरीके से वर्ष 2015-16 में दिनांक 2.11.2015 से 30.12.2015 तक मूल्यांकन शिविर लगाये गये और दिनांक 20.1.2017 से 28.3.2017 तक 14 जिलों में उपकरण वितरित किये गये.

वर्ष 2013-14 में 6 माह के अंदर कार्य पूरा हो गया. वर्ष 2014-15 में 8 माह में कार्य पूरा हो गया. वर्ष 2015-16 में 1 वर्ष में कार्य पूरा हो गया. वर्ष 2016-17 में 5 माह में कार्य पूरा हो गया. वर्ष 2017-18 में दिनांक 5.9.2017 से एलिम्को द्वारा अवगत कराया गया कि उन्हें भारत सरकार से एडिप योजनांतर्गत राशि प्राप्त नहीं हुई है, अतः इस वर्ष एलिम्को के शिविर आयोजित करने में असमर्थता जताई है.

वर्ष 2018-19 में की बात मैं आपको बताना चाहता हूं. दिनांक 4.12.2018 से दिनांक 5.1.2019 तक यह मूल्यांकन शिविर लगाये गये हैं. किसी भी तरीके से सरकार  बच्चों के लिए चिंतित है, दिव्यांग बच्चों को जो भी सामग्री दी जा रही है, वह समय पर मिले इसको सुनिश्चित करेंगे. माननीय सदस्य ने जो जानकारी हमें दी है, उन जिलों की भी हम जानकारी लेकर वहां भी सुनिश्चित करेंगे कि समय पर बच्चों को केलिपर्स और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकें.

अध्यक्ष महोदय - (सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण मंत्री एवं स्कूल शिक्षा मंत्री की ओर देखते हुए) आचार संहिता के दौरान जनप्रतिनिधि शून्य थे. प्रशासनिक अधिकारी कार्य कर रहे थे. मेरा ऐसा मानना है कि इन 3 महीनों में अगर कहीं कोई खामी आई है. अब माननीय मंत्री जी आप देखें क्योंकि उस समय आप नहीं देख रहे थे, अब आप देख रहे हैं, क्या इन 3 महीनों में कहीं कोई कौताही तो नहीं बरती गई, तद्नुसार फिर आप स्वयं निर्णय लें कि भविष्य में चुनाव आचार संहिता के दौरान ऐसी जन सुविधाएं जो मापदंडों के तहत निर्धारित की गई हैं, वह सुचारू रूप से सुनिश्चित हो सकें.                                                                                           

          डॉ प्रभुराम चौधरी -- जैसा आदेश अध्यक्ष महोदय का है उसका पालन किया जायेगा.

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष म होदय इस मामले में मेरा एक सुझाव है मानवीय समस्या है. यह विभाग मेरे पास में लगभग 10 वर्ष तक रहा है. एलएमको जो है जैसा कि आपने बताया है, यह बात सही है कि यह भारत सरकार की अण्डर टेकिंग है, और इससे उपकरण बनते हैं और यह जो चिन्हित बच्चे हैं उनमें वितरित किये जाते हैं. संयोग से या सुयोग से भारत सरकार में हमारे ही राज्य के श्री थावरचंद गेहलोत जी इस विभाग के मंत्री हैं . यदि कहीं पर कोई विलंब होता है. आप भारत सरकार से संपर्क करके, माननीय थावरचंद जी से संपर्क करके  और जल्दी से जल्दी जितने ज्यादा से ज्यादा शिविर हो सकें, वह लगाने का काम करें यदि कोई आवश्यकता होगी  आपको तो मैं भी आपकी इसमें सहायता करूंगा.

 

(2)       जबलपुर शहर के मदनमहल पहाड़ियों से विस्थापित परिवारों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध न कराई जाने से उत्पन्न स्थिति.

          श्री विनय सक्सेना (जबलपुर-उत्तर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपका आभारी हूं कि एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लेकर संवेदनशीलता का परिचय दिया है. मैं इसी तरह से आपका माननीय सदस्यों के लिए संरक्षण चाहता हूं.

 

          नगरीय विकास एवं आवास ( श्री जयवर्द्धन सिंह ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,

 

                                                                                                           

                        श्री विनय सक्सेना -- अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि  यह जो व्यवस्था हुई है, उच्च न्यायालय के   कारण  स्थतियां निर्मित हुई हैं, लेकिन पिछले 6 माह पूर्व  यह सब को पता था कि  वहां पर मदल महल में पट्टे भी बांटे गये हैं,  कोई ऐसी  छुपी बात नहीं है, पूर्ववर्ती  सरकारों ने  पट्टे बांटे हैं.  जब उच्च न्यायालय में प्रकरण चल रहा था और यह बात पता  थी कि विस्थापन  हमको करना है, तो  क्या  हमारी शासकीय  योजनाओं के तहत हमारे सरकारी अधिकारियों को  जो  इस बात का ज्ञान था,  विस्थापित  करने वालों को  कि हमको  इनकी  कहीं व्यवस्था करनी है. तो  क्या उनके लिये पूर्व नियोजित  व्यवस्थाएं  नहीं की जा सकती थीं.  किन परिस्थितियों में 3 लोगों की  मौत हुई,  स्वाभाविक मौत तो हुई है,  लेकिन  उस मौत के लिये कहीं न कहीं  वह तनाव, वह परिस्थितियां,  यह भी जिम्मेदार थीं और  जिस  तरह का जवाब शासकीय अधिकारी  दिलवाते हैं.  मैं कहना चाहता हूं कि ये शासकीय  अधिकारी  उन पन्नियों में जाकर  एक दिन काटकर देखें जरा.  एक  बार आपकी तरफ से व्यवस्था होनी चाहिये, जैसा  कि मैंने पिछली बार शौचालय के संबंध में भी कहा था. जवाब आता है कि  बहुत अच्छी व्यवस्था हो गई.  मैं आप सबसे आग्रह करना चाहता हूं कि  एक बार इन अधिकारियों को  एक पन्नी में जाकर  उस शौचालय में, जो चोक पड़े हुए हैं,  एक बार एक टीम बनाकर भेज दी जाये.  मैं यह भी कहना चाहता हूं कि वर्तमान   सरकार, मैं माननीय जयवर्द्धन सिंह  जी को तो पहले  बधाई दे दूं,  क्योंकि उनका  आज जन्म दिन है और वे  एक संवेदनशील मंत्री जी है.  उन्होंने  उस बात पर चिंता व्यक्त की.  लेकिन पिछले 15 दिन, एक माह पूर्व जब नगर निगम के  सदन की बैठक में  बहुत हंगामा हुआ तो पहली   बार माननीय महापौर  जी  वहां पर  देखने गयी.  हमारे  वित्त मंत्री जी बैठे हैं. मैं तो उनसे भी आग्रह करना चाहता हूं कि उन्हीं के  क्षेत्र के लोग विस्थापित किये गये हैं,  इसलिये पैसे का अभाव तो उनकी तरफ से होगा नहीं, क्योंकि वे भी  संवेदनशीन  व्यक्ति हैं. लेकिन  जब एक साल पहले से पता था कि  इनको यहां से हटाया जाना है,  क्या सरकार पूर्व में ऐसी  व्यवस्था नहीं कर सकती  कि जब-जब   जिस  शहर में जहां पर लोगों को विस्थापित  किया जाना है,  तो  वहां पर एडवांस में मकान बना लिये जायें,  एडवांस  में बस्तियां विकसित  कर ली जायें, रोड, पानी की व्यवस्था कर ली जाये.  क्योंकि  यह हर शहर की समस्या है.  तो क्या हम पूर्व नियोजित  कालोनियां नहीं बसा सकते, जिससे भविष्य में जिनको हटाया जाना है, कम से कम उनकी मौत न हो, स्वाभाविक मौत के नाम से. लेकिन इन अधिकारियों को  यह  ज्ञात होना चाहिये.  मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूं कि यह भी जवाब  ठीक नहीं है कि  अब बरसात  में वहां पर पानी का भराव  नहीं होगा.  जो बोरिंग की बात बताई जा रही है, उस पानी की जांच करा ली जाये,  उससे भी बीमारियां फैल रही हैं, यह  मेरा आरोप है और यह आरोप बिलकुल सच है, इसकी भी आप जांच करा लें.  क्योंकि वहां जो बोरिंग का पानी पहले भी जो तिलहरी  क्षेत्र में बोरिंग  हुई हैं,  उसके पानी से लोगों के हाथ पांव,  बच्चे तक विक्लांग हो गये हैं.  अब ऐसा पानी, उनको  6 महीने पानी पिला देंगे,  तो  वह  भविष्य  हमारा क्या खड़ा होगा. हमारे युवा  क्या तैयार होंगे,  यह अपने आप में एक प्रश्न बनता है.  मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि  उन संवेदनशील अधिकारियों को  जो  जवाब बनवाते हैं,   इनकी एक टीम बना दी जाये और इनको कहा जाये कि जैसे  आपने  कहा है, मुख्यमंत्री जी ने भी कहा है कि हमारे प्रभारी  मंत्री जाकर हर क्षेत्र में  देखेंगे कि काम क्या हो रहा है.  तो उनके इन अधिकारियों  को,  जो जवाब बनवाते हैं,  कृपया एक दिन उस टेंट में रहने  की  जिम्मेदारी दी जाये,क्योंकि  वे कहते हैं कि  वहां सर्व सुविधायुक्त है.  बहुत अच्छी व्यवस्था है.  वही पानी वे पियें, जो  वहां हमारे गरीब  लोग  पी रहे हैं.  अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे आग्रह है कि  आप हम लोगों को संरक्षण देते हैं, आप हमारे प्रदेश की जनता  को भी  संरक्षित करें, खासकर हमारे जबलपुर वासियों को,  जो नर्मदा के आपके  पड़ोसी हैं..

                   अध्यक्ष महोदय -- विनय जी,  एक प्रश्न कर लीजिये.

                   श्री विनय सक्सेना --  अध्यक्ष महोदय, यह मैं आपसे आग्रह करता हूं.  वित्त मंत्री जी बैठे हैं.  इसमें राशि की कमी न हो.  वहां अभी सड़कों के टेंडर हो रहे हैं,  ऐसा कुछ भी नहीं है कि  वहां बहुत अच्छी  सुविधा दी है. अधिकारी  अगर  समय रहते   चेत गये होते,  तो जिस समय  माननीय  न्यायालय  के खिलाफ माहौल बन रहा था, इनको पता था,  ये इंतजार क्या कर रहे थे कि मदल महल   में पट्टे बांटे हैं पूर्ववर्ती सरकार ने वहां सड़कें बन गईं, करोड़ों रुपये खर्च हो गए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- प्रश्‍न करिए.

          श्री विनय सक्‍सेना -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि कितनी राशि उपलब्‍ध कराई गई है ?

          श्री जयवर्द्धन सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, वाकई में माननीय विधायक जी ने एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा उठाया है. कहीं न कहीं हम सबका भी दायित्‍व बनता है कि जो भी विस्‍थापित परिवार हैं, उनको हम पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था वहां पर दें. मैं आपसे अर्ज करना चाहता हूँ कि दिनांक 6.8.2018 को मदन महल पहाड़ी से कब्‍जे हटाने का काम प्रारंभ हुआ था, जिसमें 2100 कब्‍जेधारियों को वहां से हटाया गया था या प्रोसेस में लिया गया था. इसमें से लगभग 188 परिवार बृजमोहन नगर में विस्‍थापित किए गए थे, इनको राजीव आवास योजना में पक्‍के घर दिए गए थे. इसके अलावा लगभग ऐसे 105 परिवार थे, जिनको सुहागी में पक्‍के घर दिए गए थे और साथ में ऐसे 229 और परिवार थे जिनको पक्‍के मकान दिए गए थे. 1034 परिवार, जिनके बारे में माननीय विधायक जी ने भी उल्‍लेख किया है, उनको तिलहरी में विस्‍थापित किया गया था, लेकिन उनको सिर्फ प्‍लास्‍टिक शीट और टेम्‍पोरेरी व्‍यवस्‍था दी गई थी, उनकी भी अभी तक लगभग 600 आवास की पहली किस्‍त आ चुकी है. 200 के लगभग और आनी है और जो शेष परिवार बचे हैं, उनके लिए भी आवास की डीपीआर बन गई है, लेकिन यह बात सही है क्‍योंकि विस्‍थापन 6.8.2018 को शुरू किया गया था तो उस समय नगर निगम को पहले से ही पूरी व्‍यवस्‍था करनी चाहिए थी ताकि जो विस्‍थापित लोग थे, अगर उनके पास पक्‍के मकान होते और अगर जो बुनियादी व्‍यवस्‍था है, सड़क की, नाले की, वह व्‍यवस्‍था होती तो आज उनको ये दिक्‍कत नहीं आती.

          अध्‍यक्ष महोदय, मैं सदन को अवगत करवाना चाहता हूँ कि अभी भी लगभग 2000 परिवारों का मदन महल में अवैध कब्‍जा है. माननीय उच्‍च न्‍यायालय का सख्‍त निर्देश है और लगातार मॉनिटरिंग भी हो रही है कि उनको भी हटाया जाए, लेकिन मैंने अधिकारियों को आदेश दिया है कि जब तक शेष परिवारों के लिए पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था नहीं की जाएगी, तब तक हम उनको वहां से नहीं हटाएंगे. हमारा दायित्‍व बनता है कि शेष परिवारों के लिए भी हम वहां पर पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था दें. चूँकि विधायक जी ने पूछा है कि विस्‍थापन के लिए अब तक कितनी राशि दी गई है तो मैं बताना चाहता हूँ कि 50 लाख रुपये की लागत की डब्‍ल्‍यूबीएम सड़क का काम चल रहा है और साथ में 5 करोड़ 75 लाख रुपये की लागत की और निविदा प्रकाशित की गई है. साथ ही सीएम इन्‍फ्रा फण्‍ड के माध्‍यम से 11 करोड़ 39 लाख रुपये की लागत से सीवेज का काम, सड़क का काम, नाली का काम, पुलिया, सामुदायिक भवन एवं आंगनबाड़ी भवन का काम भी किया जाएगा. हम यही प्रयास करेंगे कि जल्‍द से जल्‍द प्रत्‍येक विस्‍थापित परिवार को ढाई लाख का आवास दिया जाए और सभी को पट्टे दिए जाएं और सभी परिवारों को जल्‍दी से जल्‍दी विस्‍थापित किया जाएगा. मैं पुन: कह रहा हूँ कि सबसे पहले हम इस पर ध्‍यान देंगे कि उन्‍हें पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था मिले, उन्‍हें पक्‍के आवास मिलें और बुनियादी व्‍यवस्‍थाएं निर्मित होंगी तो ही शेष परिवारों को हम विस्‍थापित करेंगे.

          श्री अजय विश्‍नोई (पाटन) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जबलपुर से संबंधित प्रश्‍न है, एक प्रश्‍न मुझे भी कर लेने दीजिए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- विश्‍नोई जी, अवश्‍य मौका दूंगा, मूल प्रश्‍नकर्ता तो अपने प्रश्‍न खत्‍म कर ले.

          श्री विनय सक्‍सेना -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से यह आग्रह है कि पीएम आवास योजना का लोन तब मिलेगा, जब पट्टे मिल जाएंगे, अभी उसमें पट्टे की जो प्रक्रिया चल रही है, वह बहुत धीमी गति से चल रही है. मेरा एक और प्रश्‍न यह है कि भविष्‍य में क्‍या सरकार इस बात का ध्‍यान रखेगी कि जो पूर्व में गलतियां हो गईं, माननीय शिवराज सिंह चौहान जी अभी सदन में नहीं हैं, अध्‍यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूँ कि पहले हमने परसवाड़ा में भी लोगों को विस्‍थापित किया था, पिछले साल बरसात में, आप सबको पता है, वित्‍त मंत्री जी भी को कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी की कार उसमें फंस गई थी और कलेक्‍टर, एसपी को धक्‍का लगाना पड़ा था. यह व्‍यवस्‍थाएं अधिकारी करते हैं, यह बिल्‍कुल संज्ञान में लेने की बात है. मेरा आपसे आग्रह है कि काम ऐसे किए जाएं कि भविष्‍य में भी हमें जिनको शिफ्ट करना है क्‍या हम लोग अगले दो साल पहले की व्‍यवस्‍था आज नहीं कर सकते ? आज से दो साल बाद माननीय न्‍यायालय कोई निर्देश देगा कि 100-200-500 मकान तैयार किए जाएं. मैं आपसे यह भी कहना चाहता हॅूं आवास तब बनेगा जब पट्टे मिलेंगे. माननीय मंत्री जी, पट्टे के लिए भी एक समय-सीमा निर्धारित करा दें, तो मुझे लगता है यह उचित होगा.

          नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री जयवर्द्धन सिंह) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमारे माननीय मुख्‍यमंत्री श्री कमलनाथ जी इस विषय में अति संवेदनशील हैं. उनके भी हमें सख्‍त निर्देश हैं कि अब तक सिर्फ जबलपुर ही नहीं, पूरे प्रदेश में जो ऐसे परिवार हैं जिनके आवासीय पट्टे नहीं थे उनको भी हमें आवासीय पट्टे दिलवाने हैं ताकि उनकी पूर्ण व्‍यवस्‍था हो जाए (मेजों की थपथपाहट) और मैं माननीय विधायक जी को आश्‍वासन देता हॅूं कि हम तुरंत इस काम को पूर्ण करेंगे ताकि जो लोग वंचित रह गए हैं उनकी पूरी व्‍यवस्‍था हो जाए. (मेजों की थपथपाहट) माननीय विधायक जी ने पहले एक और प्रश्‍न पूछा था जो मैं मानता हॅूं कि बहुत ही गंभीर प्रश्‍न है कि पानी की जो गुणवत्‍ता है उनसे ये संतुष्‍ट नहीं हैं. मैं तत्‍काल निर्देश दूंगा कि पानी की जो क्‍वॉलिटी है उस पर भी पूरी जॉंच की जाएगी और माननीय विधायक जी को भी इसके बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी.

          श्री विनय सक्‍सेना -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को और आपको भी धन्‍यवाद देना चाहता हॅूं कि मुझे ध्‍यानाकर्षण के इतने संवेदनशील मुद्दे को उठाने का मौका दिया गया.

          अध्‍यक्ष महोदय -- धन्‍यवाद.

          वित्‍त मंत्री (श्री तरुण भनोत) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, बहुत ही संवेदनशील मुद्दे पर सदन में चर्चा हो रही थी और यह मुद्दा मुझसे सीधा इसलिए भी जुड़ा है क्‍योंकि जो विस्‍थापित हुए परिवार हैं यह उसी क्षेत्र से आते हैं जिस क्षेत्र का मैं विधानसभा में प्रतिनिधित्‍व करता हॅूं. हम यह तो नहीं कह सकते कि वे कब्‍जेधारी थे. अधिकांश लोगों के पास वहां पट्टे भी थे और वे वहां 40-50 साल से रह रहे थे, पर कुछ परिस्थितियां ऐसी बनीं जो सरकार के हाथ में नहीं थी. माननीय उच्‍च न्‍यायालय में पिटीशन लगी जो वहां के रहवासियों के खिलाफ में गयी. उसके बाद मैंने व्‍यक्तिगत तौर पर वह केस माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय में भी लगाया पर हमें वहां से भी राहत नहीं मिल पायी इसलिए कार्यवाही हो रही है. जहां तक पट्टों की बात है यह बात बिल्‍कुल सही है कि हमें पता था. पूर्व की सरकार थी, तब से ये कार्यवाही चल रही थी. अभी पिछले सप्‍ताह ही मैंने कलेक्‍टर महोदय के साथ एक बैठक ली थी जिसमें हमने लगभग 1000 लोगों के पट्टे तैयार करवा दिए हैं और उन्‍हें मकान बनाने की प्रथम किस्‍त मिल भी रही है और साथ ही साथ यह भी निर्देशित किया था कि डीएमएफ फंड से जिस पर काम भी शुरु हो गया है. मकान बनाने में तो समय लगेगा तब तक उनको कम से कम 400-400 फुट के ऐसे हम अस्‍थायी मकान के लिए टीन के शेड बनाकर दें जिसमें वे रह सकें, सिर्फ तिरपाल के भरोसे न रहें. वह राशि भी कलेक्‍टर महोदय ने स्‍वीकृत कर दी है और उसके साथ-साथ हमने ये मुद्दा कैबिनेट में माननीय मुख्‍यमंत्री जी के सामने भी रखा था कि लोगों की गलती नहीं थी उनके पास पट्टे भी थे लेकिन उसके बाद भी उनके मकान उजाडे़ जा रहे हैं तो उन्‍होंने कंटींजेंसी फंड से हमें ये परमीशन दी है कि अलग से कोई आर्थिक रुप से राहत राशि भी उनको दे सकते हैं तो दे दें.

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय तरुण जी, यह जानकारी आप अजय विश्‍नोई भाई को भी दे दें.

          अध्‍यक्ष महोदय -- यह उनके विधानसभा क्षेत्र का भी मामला है.

          श्री गोपाल भार्गव -- वे प्रश्‍न कर रहे हैं कि शासन की तरफ से जवाब आए.

          श्री तरुण भनोत -- माननीय भार्गव जी, आपकी सरकार ने जो गलती की थी, मैं उसकी सफाई दे रहा हॅूं...(व्‍यवधान)...

          अध्‍यक्ष महोदय -- ठीक है. दोनों समझदारों के बीच में आप लोग मत पड़ों..(व्‍यवधान)...

          श्री गोपाल भार्गव -- माननीय तरुण भनोत जी, यह परम्‍परा नहीं है इसलिए कह रहा हॅूं. विभाग के मंत्री ने उत्‍तर दे दिया.

          अध्‍यक्ष महोदय -- चूंकि उनके विधानसभा क्षेत्र का मामला है, मैंने इसलिए परमीशन दी है.

          श्री तरुण भनोत -- आदरणीय, मैं बता रहा था कि सरकार कितनी संवेदनशील है. माननीय विश्‍वास सारंग जी, आपको भी विश्‍वास में लिया जाएगा आप थोड़ा रुकिए. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं यह बता रहा था कि सरकार और माननीय मुख्‍यमंत्री जी कितने संवेदनशील हैं कि हमने प्रधानमंत्री आवास योजना में मकान की राहत राशि के अलावा जो मिलना चाहिए, उसके अलावा भी माननीय मुख्‍यमंत्री जी ने कंटींजेंसी फंड से  प्रत्‍येक परिवार के लिए एक-एक लाख रुपए की राशि स्‍वीकृत की है.(मेजों की थपथपाहट) हमें उसकी स‍हमति भी दे दी है. यह मैं सदन को अवगत कराना चाह रहा था.

          अध्‍यक्ष महोदय -- धन्‍यवाद.

          श्री अजय विश्‍नोई (पाटन) -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जबलपुर से जुड़ा हुआ प्रश्‍न है और मैं उसी विधानसभा क्षेत्र में निवास करता हॅूं जिस क्षेत्र से भाई तरुण भनोत जी विधायक हैं. जिस समय भाजपा की सरकार थी और वे विरोधी दल के विधायक थे उन्‍होंने वहां के व्‍यवस्‍थापन के लिए सड़क पर उतरकर लड़ाई भी लड़ी थी, मैं उसके लिए भी उन्‍हें बधाई देना चाहता हॅूं. अभी माननीय मंत्री जी जो जवाब दे रहे थे उस जवाब में उन्‍होंने बताया कि जून 2018 से जिन लोगों का व्‍यवस्‍थापन शुरु हुआ था ऐसे करीबन 600 लोगों को अलग-अलग स्‍थानों पर पक्‍के मकान दिए गए, जो निश्चित रुप से पुरानी सरकार के समय में दिए गए. आपकी सरकार पिछले आठ महीनों से काम कर रही है. 8 महीने में आपने कितने लोगों को पट्टे दिये ? कितनों का व्‍यवस्थित व्‍यवस्‍थापन किया ? बरसात आने वाली है आपको पता था,  शुद्ध पानी की जरूरत होगी, सड़कों की आवश्‍यकता होगी, आपने उसमें कितना काम बरसात आने के पहले कर लिया ? यह तो अब आपकी जवाबदारी है. 8 महीने बाद बार- बार पुरानी सरकार पर दोष देंगे, तो उसमें आपके दोष ढंकने वाले नहीं हैं. मेरा निवेदन है कि जो संवेदनशीलता 8 महीने बाद जागृत हुई, एक-एक लाख रुपये देने की, यह 8 महीने पहले जागृत हो जाती तो अभी वहां कुछ न कुछ व्‍यवस्‍था बन जाती. माननीय मंत्री जी से यह मेरा प्रश्‍न है.

          श्री जयवर्द्धन सिंह - अध्‍यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी पूर्व मंत्री रहे हैं. हम किसी पर दोष नहीं लगा रहे, हम सिर्फ वास्‍तविकता बता रहे हैं. 4,000 परिवार थे. 2,100 पर विस्‍थापन चालू हुआ था और उसमें से सिर्फ 500 को पक्‍का मकान दिया गया था, तो मैं आपसे भी पूछ सकता हूं कि जो शेष 1,600 थे उनको क्‍यों नहीं दिया गया, लेकिन अध्‍यक्ष महोदय, मेरा दायित्‍व एक मंत्री होने के नाते यह नहीं है कि मैं सिर्फ किसी का विरोध करूं. मेरी जिम्‍मेदारी है कि एक-एक परिवार को हम वहां पर व्‍यवस्‍था देंगे और एक-एक काम पूरा किया जायेगा. जैसे मैंने कहा है, हम एक-एक परिवार को पट्टा देंगे. आपने जो पूछा था कि बारिश का समय है, हमने इस समय पुन: पोलिएस्‍टर पैराशूट के तिरपाल वापस वितरति कराये थे और जो अन्‍य सुविधाएं हैं वह भी उनको दी जायेगी. जैसा माननीय वित्‍त मंत्री जी ने कहा था कि 1 लाख रुपये एक-एक परिवार को अतिरिक्‍त दिया जा रहा है और इसके साथ ही अन्‍य व्‍यवस्‍थाएं करने के सख्‍त निर्देश दिये गये हैं. एक-एक परिवार जिसका अभी तक विस्‍थापन नहीं हुआ है उनको भी जगह दी जायेगी, पक्‍का घर शिफ्ट होने से पहले दिया जायेगा, यह हमारा प्रयास रहेगा.

          श्री अजय विश्‍नोई - अध्‍यक्ष महोदय, उन्‍होंने प्रश्‍न पूछा था उसका जवाब दे रहा हूं.

          अध्‍यक्ष महोदय - अब आप बैठ जाइये. आप वरिष्‍ठ हैं. जरा धीरज रखिये. आज उनका जन्‍मदिन है. आप समझा करिये. माननीय मंत्री जी, बढि़या. आपने अपने जन्‍मदिन पर इतनी आमजन की चिंता की, आपको शुभकामनाएं. उसमें 32 पट्टों की मैंने भी सिफारिश की है, जो अभी तक अप्राप्‍त हैं.

 

1.07 बजे                     विधान सभा की सदस्‍यता से त्‍याग-पत्र

          अध्‍यक्ष महोदय - निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 193, झाबुआ (अजजा) से निर्वाचित सदस्‍य, श्री गुमान सिंह डामोर द्वारा विधान सभा के अपने स्‍थान से त्‍याग-पत्र दे दिया गया है, जिसे मेरे द्वारा दिनांक 4 जून, 2019 को स्‍वीकृत किया गया है.

 

1.08 बजे                             अध्‍यक्षीय व्‍यवस्‍था

निधन के उल्‍लेख एवं आय-व्‍ययक उपस्‍थापन के दिन प्रश्‍नकाल

न होने संबंधी औचित्‍य का प्रश्‍न

 

          नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव) - अध्‍यक्ष महोदय, कल जैसा कि दिवंगतों को श्रद्धांजलि देने के बाद विधान सभा की कार्यवाही पूरे दिन के लिये स्‍थगित कर दी गई, हमारे बहुत से विधायकों की चिंता थी, महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न प्रश्‍नोत्‍तरी में थे, ध्‍यानाकर्षण भी थे. ध्‍यानाकर्षण तो आज आ गये लेकिन प्रश्‍नोत्‍तरी के प्रश्‍न कल नहीं आये. कल भी बजट प्रस्‍तुत होगा और जैसा कि मुझे जानकारी है कि 11.05 बजे बजट इस विधान सभा में प्रस्‍तुत किया जायेगा. इसका अर्थ यह है कि 11.00 बजे से संपन्‍न होने वाला हमारा प्रश्‍नकाल नहीं होगा. इस तरह से दो दिन की हमारी प्रश्‍नोत्‍तरी वह एक प्रकार से तिरोहित हो जावेगी. अध्‍यक्ष महोदय, आपसे हमारे विधायक दल का यही निवेदन है और सभी सदस्‍य मैं मानकर चलता हूं कि आप 11.00 बजे से प्रश्‍नोत्‍तर काल चलने दें और उसके एक घण्‍टे बाद जैसे ही प्रश्‍नकाल समाप्‍त होता है उसके तत्‍काल बाद आप बजट भाषण के लिये वित्‍तमंत्री जी को अनुमति दें. मैं सोचता हूं अध्‍यक्ष महोदय की बड़ी कृपा होगी.

          अध्‍यक्ष महोदय - पूर्व के अध्‍यक्षों के द्वारा प्रचलित परम्‍पराओं का मैं अनुसरण कर रहा हूं. जो होते आया है.

          श्री अजय विश्‍नोई - अध्‍यक्ष महोदय, यह 3 बजे तक भी किया गया है.

          अध्‍यक्ष महोदय - विश्‍नोई जी, कम से कम जब अध्‍यक्ष बोलें तब तो टोंका-टांकी मत करिये. मुझे अपनी बात कहने दीजिये. जब गोपाल जी बोल रहे थे मैं नहीं टोंक रहा था. स्‍वस्‍थ परम्‍परा बनाएं. उसका मैं अनुसरण कर रहा हूं. जैसे होता आया है वैसा ही कर रहा हूं. हां, यह जो चीज होती है. इसके बारे में जिनके प्रश्न जा रहे हैं उनसे अनुरोध है कि हर विभाग की चर्चा आएगी, दोनों दलों के माननीय नेतागण, ऐसे सदस्य जिनके प्रश्न आए हैं, उन्हें उस मांग संख्या पर बोलने का अवसर जरूर प्रदान करेंगे ताकि उसकी पूर्ति उस स्थान पर हो सके.

          श्री गोपाल भार्गव--  फिर अध्यक्ष महोदय, आप एक व्यवस्था दे दें कि जब विधायक प्रश्न करेंगे तो मंत्री जी की तरफ से जनरल उत्तर न आए बल्कि उस प्रश्न का स्पेसिफिक उत्तर आ जाए तो ठीक हो जाएगा. आप व्यवस्था दे दें.

          अध्यक्ष महोदय--  वर्ष 2002 में यह तय किया गया था कि लोकसभा के अनुसार बजट सायंकाल 4 बजे के स्थान पर 10 बजकर 30 मिनट पर प्रस्तुत किया जाएगा और परंपरा के अनुसार उस दिन सदन की और कोई कार्यवाही नहीं होगी.

          यह आपने जो व्यवस्था चाही थी वह व्यवस्था मैंने पढ़कर बता दी है. हाँ, अब अगर हम उसको ही प्रश्नकाल बना लेंगे तो फिर बजट कहाँ रहेगा? आप भी 8 वीं बार के परिपक्व, ज्ञानवान, विद्वान, (बैठे बैठे माननीय सदस्य द्वारा टोकाटाकी किए जाने पर) भाई, एक मिनट रुक जाइये. मैं अगर नेता प्रतिपक्ष के सम्मान में कसीदे पढ़ रहा हूँ तो किसी को टोकना नहीं चाहिए. मैं आप से अलग से कमरे में बात करूँगा कि हम कौन सा निकाल निकालें, हम आपका भी निचोड़ उसमें अवश्य समाहित करेंगे.

          श्री गोपाल भार्गव--  अध्यक्ष महोदय, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. मैं यह भी स्मरण करवाना चाहता हूँ कि मिंटो हॉल में जब हमारी विधान सभा लगती थी उस समय 3 बजे भी बजट का भाषण हुआ है.

          अध्यक्ष महोदय--  उसके बाद 2002 में यह संशोधन हुआ है.

श्री गोपाल भार्गव--  लेकिन अध्यक्ष महोदय, परंपराएँ अभी भी हैं.

अध्यक्ष महोदय--  मैं आपकी बात से सहमत हूँ, नकार नहीं रहा हूँ. यह मिंटो हॉल में चलते आया है. लेकिन शनैःशनैः हम लोगों ने लोकसभा में जो स्थापित हो गया, वह यहाँ पर फॉलो किया है.

          गृह मंत्री (श्री बाला बच्चन)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, हम भी पूर्व की सरकार में मांग करते रहे थे, तब आपने हमारी बात को क्यों नहीं माना था? आप 15 साल तक मध्यप्रदेश में शासन में रहे, हमने यह बात रखी थी....(व्यवधान)..

1.13 बजे

सभापति तालिका

 

        अध्यक्ष महोदय--  बैठिए. मध्यप्रदेश विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 9 के उप नियम(1) के अधीन, मैं, निम्नलिखित सदस्यों को सभापति तालिका के लिए नाम-निर्दिष्ट करता हूँ.

          1.श्री बिसाहूलाल सिंह जी,

          2. श्री लक्ष्मण सिंह जी,

          3. श्रीमती झूमा सोलंकी जी,

          4. श्री गिरीश गौतम जी,

          5. श्रीमती नीना वर्मा जी तथा

          6. श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी.

 

 

 

 

1.14 बजे

शासकीय विधि विषयक कार्य.

(1)  मध्‍यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2019  (क्रमांक 9 सन् 2019) का पुर:स्‍थापन.

 

चिकित्सा शिक्षा मंत्री(डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ)--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं,मध्‍यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2019  के पुर:स्‍थापन की अनुमति चाहती हूँ.

अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न यह है कि  मध्‍यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2019  के पुर:स्‍थापन की अनुमति दी जाए.

अनुमति प्रदान की गई.

 डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ--  अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद्(संशोधन) विधेयक, 2019  का पुर:स्‍थापन करती हूँ.

 

मध्‍यप्रदेश कृषि-उपज मंडी (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 10 सन् 2019) का पुर:स्‍थापन.

 

        किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री (श्री सचिन सुभाष यादव)--  अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश कृषि-उपज मंडी (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्‍थापन की अनुमति चाहता हूँ.

          अध्यक्ष महोदय--  प्रश्न यह है कि मध्‍यप्रदेश कृषि-उपज मंडी (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्‍थापन की अनुमति दी जाए.

अनुमति प्रदान की गई.

          श्री अजय विश्नोई--  एक ने भी हाँ नहीं बोला.

          अध्यक्ष महोदय--  एक ने ना भी नहीं बोला. (हँसी) विश्नोई जी, अच्छा किया, आपने जरा इनको जागरूक किया. आपने अच्छी बात की.

          श्री सचिन सुभाष यादव--  अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश कृषि-उपज मंडी (संशोधन) विधेयक, 2019 का पुर:स्‍थापन करता हूँ.

 

 

 

 

 (3)    मध्‍यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्‍ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविद्यालय    (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 11 सन् 2019) का पुर:स्‍थापन.

 

          जनसंपर्क मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा)--अध्यक्ष महोदय, मैं,  मध्‍यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्‍ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.

          अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्‍यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्‍ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.

          अनुमति प्रदान की गई.

          जनसंपर्क मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा)--अध्यक्ष महोदय, मैं,  मध्‍यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्‍ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2019 का पुर:स्थापन करता हूँ.

 

 

 

 

(4)     मध्‍यप्रदेश अधिवक्‍ता कल्‍याण निधि (संशोधन) विधेयक, 2019(क्रमांक 12 सन् 2019) का पुर:स्थापन.

 

          विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा)--अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश अधिवक्‍ता कल्‍याण निधि (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.

          अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्‍यप्रदेश अधिवक्‍ता कल्‍याण निधि (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.

                             अनुमति प्रदान की गई.

          विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा)--अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश अधिवक्‍ता कल्‍याण निधि (संशोधन) विधेयक, 2019 का पुर:स्थापन करता हूँ.

 

 

 

 

 

(5) मध्‍यप्रदेश माध्‍यस्‍थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2019 (क्रमांक 13 सन् 2019) का पुर:स्‍थापन

 

          विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश माध्‍यस्‍थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्‍थापन की अनुमति चाहता हूँ.

          अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि मध्‍यप्रदेश माध्‍यस्‍थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2019 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाए.

                                                          अनुमति प्रदान की गई.

         

          विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्‍यप्रदेश माध्‍यस्‍थम् अधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2019 का पुर:स्‍थापन करता हूँ.

 

 

 

(6) दण्‍ड विधि (मध्‍यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2019  (क्रमांक 14 सन् 2019) का पुर:स्‍थापन

 

          विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, दण्‍ड विधि (मध्‍यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2019  के पुर:स्‍थापन की अनुमति चाहता हूँ.

          अध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि दण्‍ड विधि (मध्‍यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2019  के पुर:स्‍थापन की अनुमति दी जाए.

          अनुमति प्रदान की गई.

 

          विधि एवं विधायी कार्य मंत्री (श्री पी.सी.शर्मा)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, दण्‍ड विधि (मध्‍यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2019  का पुर:स्‍थापन करता हूँ.

 

 

 

 

 

 

          अध्यक्ष महोदय--विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 10 जुलाई, 2019 को प्रात: 11:00 बजे तक के लिए स्थगित.

          अपराह्न 1:18 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 10 जुलाई, 2019 (19, आषाढ़, 1941) के प्रात: 11:00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.

 

 

भोपाल,                                                                            अवधेश प्रताप सिंह,

दिनांक : 9 जुलाई, 2019                                                             प्रमुख सचिव,

                                                                                       मध्यप्रदेश विधान सभा