मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 9 मार्च 2021
(18 फाल्गुन, शक संवत् 1942 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
प्रधान
मंत्री सड़क
योजना
अंतर्गत
मार्ग निर्माण
में
अनियमितता
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
1. ( *क्र. 3933 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भीकनगांव विधानसभा के अंतर्गत स्वीकृत कार्य पुराना पैकेज क्रमांक MP-22-62 व नया पैकेज क्रमांक MP-22-MTN 127 मार्ग धुपा से धुपी रोड पर मेन्टेनेंस कार्य में भारी भ्रष्टाचार की शिकायत विभाग को प्राप्त हुई है? हाँ तो वर्तमान तक क्या कार्यवाही की गई है? क्या संबंधित ठेकेदार राज टेक एजेन्सी से 1,38,00000 रूपये शासन की वसूली शेष है? हाँ तो वह किसलिए है? उक्त मार्ग के मेन्टेनेंस का कार्य का टेन्डर दिनांक 01.07.2020 को सुरेश चन्देल को हुआ था? (ख) क्या विभाग द्वारा उससे अनुबंध स्टाम्प के 25000 एवं 2.5 प्रतिशत परफॉरमेन्स सिक्युरिटी 9.00 लाख भी कार्यालय में जमा कराये गये थे? हाँ तो पूरे टेण्डर निरस्त क्यों किये गये हैं? क्या उक्त कार्यवाही में महाप्रबंधक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की कार्य शैली संदिग्ध प्रदर्शित होती है? हाँ तो क्या उच्च स्तर से जाँच कर कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी? नहीं तो क्या कारण है?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया (संजू भैया) ) : (क) जी हाँ। ठेकेदार द्वारा निर्धारित प्रावधानुसार कार्य नहीं करने से शिकायत प्राप्त होने के पूर्व ही संबंधित ठेकेदार के अनुबंध समाप्ति की कार्यवाही की गई थी। जी नहीं, संबंधित ठेकेदार द्वारा संधारण पूर्ण न करने से अनुबंध निरस्त किया जिसमें राशि रूपये 78.78 लाख की वसूली न्यायालयीन याचिका में स्थगन होने से शेष है। जी हाँ। (ख) जी हाँ। जी नहीं टेण्डर निरस्त नहीं किया गया। जी नहीं, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न इस तरह से है. धूपी से धूपा मार्ग 10 किलोमीटर है जिसमें भारी भ्रष्टाचार की शिकायत प्राप्त हुई है. जब यह सड़क निर्माण शुरु हुआ तो इसे पूरा करने में पांच साल का समय लग गया. एक छोर से काम शुरु किया और दूसरे छोर तक काम खत्म हुआ इसमें पांच साल लग गए, तब तक जिस छोर से काम शुरु हुआ था वहां से सड़क उखड़ गई. आज की तारीख में उस सड़क पर डामर नाममात्र को भी नहीं है. पूरे में गड्ढे हैं और सड़क पूरी तरह उखड़ चुकी है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूँ कि संबंधित ठेकेदार के ऊपर क्या कार्यवाही की गई है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने जो प्रश्न किया है निश्चित रुप से उसमें अनियमितता की शिकायतें प्राप्त हुई थीं. संबंधित ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही की गई है. उसका अनुबंध निरस्त किया गया है.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके ऊपर 78 लाख रुपए शेष है, इतनी बड़ी राशि उस पर शेष होने के बाद मात्र अनुबंध समाप्त करना पर्याप्त सजा नहीं है. उस ठेकेदार की एजेंसी को ब्लेक लिस्ट करना चाहिए अन्यथा वह आने वाले दिनों में अन्य सड़कों के टेंडर लेंगे और इसी तरह से काम करेंगे. उस ठेकेदार को ब्लेक लिस्ट करना चाहिए. मेरा यह कहना है कि जो एजेंसी है उसे ब्लेक लिस्ट किया जाए.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 78.78 लाख रुपए की वसूली की कार्यवाही की गई थी किन्तु माननीय उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश से वह वसूली रोक दी गई है. माननीय सदस्या ने जो बात उठाई है निश्चित रुप से ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ हम पूरे मध्यप्रदेश में कार्यवाही कर रहे हैं जो अपना अनुबंध संपादित नहीं करते और अपना काम निष्ठा से नहीं करते हैं.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी क्या उसे ब्लेक लिस्ट करेंगे. उसे ब्लेक लिस्ट तो करना पड़ेगा.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्य प्रदेश के जितने भी ठेकेदार जो टू द पाइंट और नियमानुसार कार्य नहीं करेंगे उन सभी को ब्लेक लिस्ट की केटेगरी में लाएंगे.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
विधायक कप का आयोजन
[खेल एवं युवा कल्याण]
2. ( *क्र. 1517 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या प्रदेश में खेल विभाग का संचालन पंचायत एवं ग्रामीण विभाग में आने के बाद से खेल गतिविधियाँ ठप्प हो गयी हैं? यदि हाँ, तो पूर्व की भांति खेल विभाग का दायित्व क्या पुलिस विभाग को सौंपा जाएगा? यदि हाँ, तो कब तक? (ख) क्या मध्यप्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों के आयोजन को बढ़ावा दे रही है? यदि हाँ, तो क्या पूर्व कार्यकाल में इन आयोजनों में विधायक कप प्रतियोगिता शामिल थी? जिसे पिछली सरकार द्वारा बंद कर दिया गया है? (ग) क्या इऩ आयोजनों से ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा एवं विधायकों की लोकप्रियता बढ़ी है? (घ) यदि हाँ, तो क्या राज्य सरकार प्रदेश में पुनः क्षेत्रीय खेलों के आयोजनों को प्रोत्साहित करने के लिये विधायक कप प्रतियोगिताओं जैसे कुश्ती, कबड्डी, खो-खो, क्रिकेट इत्यादि खेलों के आयोजन की स्वीकृति एवं बजट आवंटन जिला स्तर पर उपलब्ध करायेगी?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ( श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ) : ( क) विभाग के आदेश क्रमांक 2-2/2019/नौ, दिनांक 17.08.2020 द्वारा जिला खेल और युवा कल्याण अधिकारी कार्यालयों का नियंत्रणकर्ता अधिकारी 'मुख्य कार्यपालन अधिकारी' जिला पंचायत के स्थान पर नियंत्रणकर्ता अधिकारी 'पुलिस अधीक्षक' को नोडल अधिकारी घोषित किया गया है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी हाँ। वर्ष 2019 में चुनाव आचार संहिता एवं वर्ष 2020 में कोविड-19 के संक्रमण के चलते विधायक कप का आयोजन नहीं किया गया। (ग) एवं (घ) जी हाँ।
श्री देवेन्द्र वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से छोटा सा निवेदन करना चाहूँगा. खण्डवा जिला जहां पर लगभग 50 बच्चे कुश्ती में राष्ट्रीय मेडलिस्ट हैं. लखनऊ सेन्टर में और इंदौर सेन्टर में भी खण्डवा के बच्चे हैं. खण्डवा में भी साई का सेन्टर है, वहां पर कुश्ती का कोच था उसका ट्रांसफर हो गया है. मंत्री जी से निवेदन है कि वहां पर कुश्ती का कोच पदस्थ कर दें और आने वाले समय में विधायक कप का जो बजट है उसे ठीक रखें.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय विधायक को बताना चाहूँगी कि अलग से हम कुश्ती कोच नहीं भेज सकते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि इनके क्षेत्र से अच्छे-अच्छे बच्चे निकलकर हमारी एकेडमीज में आ रहे हैं. हम जब टेलेंट सर्च करते हैं तो विशेष तौर से उनके क्षेत्र में लोगों को भेजकर टेलेंट सर्च और कुश्ती में जो उनके बच्चे बाहर आ रहे हैं उनको हम अपनी एकेडमीज में लाने की कोशिश करेंगे. रहा सवाल बजट का वह वित्त मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी के ऊपर है. मैं सोचती हूं कि इस बार हमारे ऊपर वित्तीय स्थिति थोड़ी सी ठीक होने पर हम लोगों को भी अच्छा बजट धीरे-धीरे मिलने वाला है यही आशा है.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा छोटा सा निवेदन है कि 250 से 300 रेसलिंग के बच्चे वहां पर कुश्ती की प्रेक्टिस करते हैं. वहां जिम भी है, ग्राउंड भी है. वहां सभी व्यवस्थाएं हैं. वहां जो कोच थे उनको भी हटा दिया गया है मेरा निवेदन है कि जो कोच वहां पहले थे उन्हीं को पहुंचा दिया जाए.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया-- अध्यक्ष महोदय, इसमें मैं अपने विभाग से चर्चा करके मैं माननीय विधायक जी को विधान सभा में आश्वस्त तो नहीं करा सकती हूं क्योंकि वह भी खेल प्रेमी हैं परंतु मैं इस सुझाव के लिए इसका परीक्षण करवा लूंगी.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, सम्माननीय विधायक जी का कहना है कि जो कोच वहां पहले थे उन्हीं को वापस बुला लिया जाए उससे काम चल जाएगा शायद वह ऐसा ही कह रहे हैं.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया-- अध्यक्ष महोदय, वह हमें देखना पड़ेगा कि उन्हें क्यों और किस वजह से निकाला गया है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी आप इसे देख लीजिए.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बहुत-बहुत धन्यवाद.
जनपद पंचायत जैतहरी अन्तर्गत निर्माण कार्यों में अनियमितता
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
3. (*क्र. 3064 ) श्री सुनील सराफ : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनूपपुर जिले के जनपद पंचायत जैतहरी अन्तर्गत ग्राम पंचायत क्योंटार के विभिन्न निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार व अनियमितता की जानकारी तारांकित प्रश्न क्रमांक 2812, दिनांक 12.07.2019 के उत्तर में किन-किन कर्मचारी को दोषी पाया गया है, उनका नाम, पद तथा वसूली योग्य राशि का पूर्ण विवरण देते हुए बताएं कि उत्तर दिनांक तक कितनी वसूली की गई तथा अनुशासनात्मक क्या कार्यवाही की गई? (ख) क्या मुख्यमंत्री जी की घोषणा अनुसार भ्रष्टाचारियों पर समय-सीमा में सक्षम कार्यवाही की जाएगी? (ग) तत्कालीन पंचायत सचिव का नाम तथा उत्तर में दिए गए वसूली योग्य राशि की जानकारी एवं उत्तर दिनांक तक म.प्र. पंचायतीराज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 92 के तहत की गई कार्यवाही का पूर्ण विवरण देवें।
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया (संजू भैया) ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी नहीं। मुख्य मंत्री कार्यालय के पत्र क्र. 163, दिनांक 19.02.2021 के अनुसार प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित घोषणा होना नहीं पाया गया है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
श्री सुनील सराफ-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में यह जवाब आया है कि दिनांक 24 दिसम्बर 2019 को जिला पंचायत अनुपपुर के द्वारा मनोज राठौर, तत्कालीन सचिव गोपाल सिंह, पीसीओ, दुर्गेश अग्रवाल उपयंत्री, जी.के. मिश्रा, सहायक यंत्री, श्रीमती रेशमा सिंह, उपयंत्री और लल्लाराम कोल, स्थापना सरपंच यह दोषी पाए गए थे और दिनांक 24 दिसम्बर 2019 को इन्हें वसूली आदेश जारी हुआ था. क्या माननीय मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे कि जब दिनांक 24 दिसम्बर 2019 को वसूली का आदेश इन्हें मिल गया था तो संबंधित उपयंत्री को दिनांक 30 मार्च 2020 को सहायक यंत्री को दिनांक 17 जून 2020 को 3 महीने और 6 महीने का समय इन्हें स्टे प्राप्त करने के लिए क्यों दिया गया? उपयंत्री को दिनांक 30 मार्च 2020 को हाईकोर्ट से स्टे मिला, सहायक यंत्री को दिनांक 17 जून 2020 को स्टे मिला व पंचायत सचिव को तो एक साल बाद दिनांक 28 जनवरी 2021 को उच्च न्यायालय से स्टे मिला. इतने दिनों तक सरकार क्या कर रही थी? संबंधित अधिकारी क्या कर रहे थे? इसके जिम्मेदार कौन हैं? मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि इनके खिलाफ क्या कार्यवाही की गई यदि कार्यवाही नहीं की गई तो क्यों नहीं की गई? वसूली आदेश का पालन नहीं किया गया है इनके ऊपर क्या कार्यवाही की जाएगी?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाया है इसकी सभी जानकारियां परिशिष्ट में संलग्न हैं माननीय सदस्य ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस तरह की घोषणाएं की थी कि जो अनियमितताएं और भ्रष्टाचार हुआ है उनको समाप्त किया जाएगा ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है और माननीय सदस्य ने जो बात कही है मैं उसका परीक्षण करा लूंगा और आपके साथ बैठकर चर्चा करके जो भी कार्यवाही आप चाहेंगे उसको हम देख लेंगे.
श्री सुनील सराफ-- माननीय मंत्री जी मेरा सीधा सा सवाल है आप कृपा करके उसे गोल-गोल न घुमाएं. आप उसका जवाब दें कि दिनांक 24 दिसम्बर 2019 को जब बसूली आदेश जारी हो गए तो उसके बाद उनसे वसूली क्यों नहीं की गई? उन्हें स्टे लेने का पर्याप्त समय क्यों दिया गया? इसके लिए जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारी कौन है? उसके खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की गई अगर नहीं की गई तो आप इस सदन को बताएं कि उसके खिलाफ कार्यवाही कब की जाएगी?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, धारा (92) और धारा (40) के तहत यह एक न्यायालयीन प्रक्रिया है जिसमें थोड़ा समय लगता है निश्चित रूप से सदस्य जी ने जो बात कही है आरआरसी की कार्यवाही भी हम उस पर जारी करेंगे; थोड़ा समय है चूंकि न्यायायिक प्रक्रिया है.
श्री सुनील सराफ-- अध्यक्ष महोदय, यह तो जवाब नहीं हुआ. न्यायालयीन प्रक्रिया तब शुरू हुई जब उन्हें स्टे मिल गया. उन्हें स्टे मिलने तक जो 3 महीने, 6 महीने और 1 साल का जो समय दिया गया उससे भ्रष्टाचार स्पष्ट संकेत आता है कि नहीं आता है. हमारे मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि गाड़ दूंगा 10 फीट गाड़ दूंगा, 15 फीट गाड़ दूंगा कहते हैं कि भ्रष्टाचारी की शिकायत करने वाले को ईनाम दिया जाएगा और यहां पर यह उन्हें समय दे रहे हैं. उसके बाद माननीय मंत्री जी का गोल-गोल जवाब आ रहा है. न्यायालयीन प्रक्रिया तक जाने का समय क्यों दिया गया और दिया गया उस दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही अब तक नहीं की गई तो कोई बात नहीं आज मंत्री जी घोषणा करें कि कार्यवाही की जाएगी या नहीं की जाएगी?
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी कह तो रहे हैं कि हम कार्यवाही करेंगे.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि यह प्रकरण न्यायालय के अधीन है, इसमें थोड़ा समय लगता है, जैसे ही मामला निपटेगा माननीय सदस्य को पूर्ण रूप से संतुष्ट किया जायेगा.
श्री सुनील सराफ- जो कार्य एक साल तक नहीं हुआ, उसके दोषियों को सजा मिलेगी की नहीं ?
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी आपके साथ बैठकर बात करने को तैयार हैं.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात मैं यह बता दूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो बात कही है, वह पूरी निष्ठा से कही है कि हम भ्रष्टाचारियों को उखाड़ फेंकेंगे तो यह निश्चित रूप से हमारा संकल्प है.
श्री सुनील सराफ- यदि आप ऐसे एक-एक साल का समय देंगे, तो कैसे भ्रष्टाचार समाप्त होगा ?
अध्यक्ष महोदय- हो गया, आपकी बात आ गई है. आप बैठ जाइये.
श्री सुनील सराफ- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
प्रश्न संख्या 4 (श्री जुगुल किशोर बागरी)- अनुपस्थित
जीरापुर आई.टी.आई. हेतु नवीन भवन का निर्माण
[तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोज़गार]
5. ( *क्र. 2411 ) श्री प्रियव्रत सिंह : क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या जीरापुर आई.टी.आई. भवन हेतु शासन द्वारा भूमि का आवंटन हो चुका है? (ख) यदि हाँ, तो क्या नवीन भवन निर्माण हेतु आदेश पारित हुये हैं? यदि हाँ, तो निर्माण कब तक प्रारंभ हो जाएगा? यदि नहीं, तो किन कारणों से कार्य रूका हुआ है और कब तक निराकरण हो जाएगा? (ग) क्या नगर जीरापुर में शासकीय आई.टी.आई. किराए के भवन में संचालित हो रही है? यदि हाँ, तो कितने कक्ष का भवन है? इस भवन में कितने ट्रेड चल रहे हैं तथा छात्रों की कितनी संख्या है? क्या जिस भवन में आई.टी.आई. संचालित हो रही है, उसमें छात्रों के अध्ययन हेतु पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ( श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। आई.टी.आई. का भवन निर्माण कार्य स्वीकृत नहीं है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी हाँ। संस्था किराये के भवन में संचालित है, जिसमें दो कक्ष हैं, जिसका कुल ऐरिया 3081 वर्ग फीट है। इस भवन में एक व्यवसाय स्टेनोग्राफर एण्ड सेक्रेटियल असिस्टेंट (हिन्दी) संचालित है। जिसमें 20 प्रशिक्षणार्थी अध्ययनरत् हैं। जी हाँ।
श्री प्रियव्रत सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में मंत्री जी ने माना है कि जमीन आरक्षित की गई है. मैं आपके माध्यम से दो प्रश्न माननीय मंत्री जी से करना चाहूंगा. एक यह कि क्या माननीय मंत्री जी आगामी कार्य योजना में आई.टी.आई. भवन जीरापुर को शामिल करेंगी ? और उनकी कार्य योजना जिस भी वित्तीय पोषण संस्थान को जा रही हो, चाहे नाबार्ड को जा रही हो, चाहे एडीबी (Asian Development Bank) को जा रही हो, किसी में भी शामिल करके इसकी स्वीकृति का प्रस्ताव रखेंगी, इसकी प्रशासकीय स्वीकृति करवायेंगी ? और दूसरा मेरा प्रश्न यह है कि आई.टी.आई. जीरापुर में केवल दो ट्रेड चल रहे हैं, हो सकता है, भवन की सीमाओं के कारण ही केवल दो ट्रेड चल रहे हों, मैं माननीय मंत्री महोदया को लिखित में भी दे दूंगा लेकिन वहां और भी ट्रेड प्रारंभ करने के लिए क्या माननीय मंत्री महोदया प्रस्ताव रखेंगी ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, जीरापुर का पूरा क्षेत्र बेरोजगारी से ग्रस्त है. आज वहां मात्र 20 छात्र प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, क्या इनकी संख्या बढ़ाने के लिए माननीय मंत्री महोदया विभाग को निर्देशित करेंगी, जिससे वहां कोई डायरेक्टर, संचालक, विजि़ट करके वहां की परिस्थितियों की जानकारी लेकर, ज्यादा से ज्यादा नौजवानों को प्रशिक्षण मिल सके, ऐसा सुनिश्चित करवायेंगी ?
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय सदस्य के, प्रश्न का विस्तृत उत्तर दिया गया है. इन्होंने अभी आपके माध्यम से दो नहीं अपितु तीन प्रश्न पूछे हैं. सर्वप्रथम मैं उन्हें बता दूं कि जिन 21 आई.टी.आई. की घोषणा की गई थी, उनमें जीरापुर आई.टी.आई. भी शामिल था लेकिन अब वित्तीय स्थितियों की वजह से इस आई.टी.आई. को हमने नाबार्ड में प्रस्ताव भेजा है ताकि वे इसे अपने हाथ में लें और जब तक वहां से उत्तर नहीं आयेगा, तब तक मैं कमिट नहीं कर सकती हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य से एक छोटा प्रश्न पूछना चाहूंगी कि वे इतने बड़े मंत्री, कमल नाथ जी की सरकार में थे और पूरा एक साल आपको मिला, जीरापुर आई.टी.आई. को ठीक करने के लिए, तब आप कर लेते तो बहुत बढि़या होता.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, आप केवल उनके प्रश्न का उत्तर दीजिये. कोई सवाल नहीं.
श्री प्रियव्रत सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने उस समय भी प्रयास किया था और वह क्षेत्र मेरा है, मुझे वहां की जनता ने निर्वाचित करके भेजा है. उस क्षेत्र की लिए लड़ाई लड़ना मेरा कर्त्तव्य है, मैं चाहे पक्ष में रहूं या विपक्ष में रहूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मंत्री महोदया जवाबदारी में हैं और यदि वे यह भवन स्वीकृति करवायेंगी, चाहे नाबार्ड से करवायें, चाहे एडीबी से करवायें, जिस योजना से करवाना चाहें, वे करवायें. यदि वे इसे करवायेंगी, अपनी कार्य-योजना में सम्मिलित करेंगी और वहां के बेरोजगार युवाओं को मौका देंगी तो मैं, इसके लिए उनका आभारी रहूंगा.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेरा कर्त्तव्य है और मुख्यमंत्री जी ने मुझे यह जिम्मेदारी तकनीकी शिक्षा की दी है तो यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं अपनी पूरी कोशिश करूं.
श्री प्रियव्रत सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न था कि क्या माननीय मंत्री महोदया वहां किसी डायरेक्टर, संचालक को विजि़ट हेतु निर्देशित करेंगी, जो वहां की परिस्थितियों की जानकारी लेकर, जिससे वहां ज्यादा से ज्यादा नौजवानों को प्रशिक्षण मिल सके, इसके लिए भी यदि माननीय मंत्री जी कुछ कार्यवाही करें, और विभाग को निर्देश देंगी, तो अच्छा रहेगा.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, आश्वस्त नहीं कर रही हूं परंतु मैं अधिकारियों को वहां जरूर भेजूंगी.
वार्षिक मरम्मत अनुरक्षण कार्य हेतु जारी कार्यादेश
[लोक निर्माण]
6. ( *क्र. 4043 ) श्री जितू पटवारी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या लोक निर्माण विभाग (भवन एवं पथ) धार, झाबुआ, अलीराजपुर, इंदौर संभाग इंदौर एक एवं दो, के द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 एवं 2019-20 में वार्षिक मरम्मत अनुरक्षण में आवासीय एवं गैर आवासीय भवनों (जैसे-रंगाई पुताई, साधारण मरम्मत, विशेष मरम्मत, एम.ओ.डब्ल्यू. एवं अन्य कार्य) के कार्यादेश जारी किये गये हैं? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) अनुसार उपरोक्त तीनों वर्षों में विभाग द्वारा जारी किये गये कार्यादेशों की जानकारी अलग-अलग वर्षानुसार, जिलेवार निम्नानुसार उपलब्ध करावें। ठेकेदार का नाम, कार्य एवं कार्यादेश का नाम, अनुबंध क्रमांक, अनुबंध अनुसार कार्य पूर्ण करने की तिथि, कार्य पूर्ण करने की वास्तविक तिथि अथवा कार्य प्रगतिरत है, कार्य की लागत सहित जानकारी देवें? (ग) विभाग द्वारा ठेकेदारों को प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि का भुगतान किया गया है एवं कितनी राशि का भुगतान किया जाना शेष होकर कब से लंबित है? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार विभाग द्वारा शेष एवं लंबित राशि का भुगतान कब तक एवं कितने समय में कर दिया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। (ख) एवं (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) लंबित भुगतान बजट आवंटन के अनुरूप होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री जितु पटवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न इंदौर संभाग से संबंधित जिलों में सरकारी भवनों के रख-रखाव और सरकारी भवनों के संधारण के विषय में है. एक लंबी-चौड़ी लिस्ट, जैसी मांगी गई थी, वैसी मुझे प्राप्त हुई है. इससे उद्भुत हुआ कि लगभग सौ करोड़ से ऊपर की राशि, इस समय इंदौर संभाग से संबंधित जिलों के, भवनों के रख-रखाव, रंगाई-पुताई के लिए उपयोग हुए, शासन के लगे. अलग-अलग मद के हैं मैंने इकट्ठे करके बता दिये हैं. मैं समझता हूं कि जब इतनी बड़ी राशि जाती है और उसके बाद भी अनुमानित लागत अलग है और वास्तविक लागत अलग है और उसमें भी बड़ा अंतर है तो यह लोक निर्माण विभाग में इस तरह भ्रष्टाचार कब तक चलेगा और ऐसी जहां-जहां इससे ही विसंगतियां निकलकर आयी हैं, उनकी क्या मंत्री जी जांच करवा लेंगे, बस यही दो प्रश्न हैं यदि मंत्री जी एक ही बार में उत्तर दे देंगे तो कोई नया प्रश्न भी नहीं बनेगा, अगर जांच करा लेंगे तो.
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी, ऐसा जवाब दीजिये कि कोई प्रश्न उद्भूत न हो.
श्री गोपाल भार्गव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है उसका पूरा उत्तर जो परिशिष्ट पुस्तकालय में रखा है उसमें दिया है.
अध्यक्ष महोदय, अभी जांच हुई नहीं और भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया. मैं मानकर चलता हूं कि यदि आपको इसमें कहीं कोई शंका, कोई शिकायत या आपके पास कोई तथ्य हैं तो आप मुझे उपलब्ध करवा दें, मैं एक महीने के अंदर जांच करवाकर उसकी रिपोर्ट आपको दे दूंगा और मैं अपने स्तर पर मुख्यालय से अधिकारी भेजकर जांच करवा लूंगा, आप निश्चिंत रहें.
श्री जितू पटवारी:- जी, धन्यवाद मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय:- आपने कहा कि जांच करा दो तो उन्होंने जांच की बात कही है.
श्री जितू पटवारी:- धन्यवाद, अध्यक्ष जी कि मर्यादा का ध्यान रखते हुए.
रोजगार सहायकों का नियमितीकरण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
7. ( *क्र. 4063 ) श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में रोजगार सहायकों के नियमितीकरण के लिए दिनांक 01.04.2020 से 31.12.2021 तक क्या-क्या कदम उठाये गये? (ख) इस संबंध में कुल कितनी बैठकें उपरोक्त अवधि में हुईं? उसमें कौन-कौन उपस्थित थे? उपस्थितों के नाम, पदनाम, सहित बतावें। (ग) इनका नियमितीकरण कब तक कर दिया जाएगा?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया (संजू भैया) ) : (क) ग्राम रोजगार सहायक की नियुक्ति संबंधी दिशा-निर्देश में नियमितीकरण का कोई प्रावधान नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) अनुसार।
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष्ा महोदय, मैं एक जानकारी आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं महत्वपूर्ण बात है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है वह तो समझ में आता है. परन्तु विधायक का दिया हुआ प्रश्न क्या विधान सभा को अधिकार है कि चेंज कर दे, यह विषय आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं क्योंकि ऑन रिकार्ड यह चीज आ जाये.
अध्यक्ष महोदय:- यह तो अध्यक्ष को अधिकार है. आप अपना प्रश्न पूछिये.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष जी, मतलब मूल प्रश्न हमारा उसका महत्व नहीं है.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, वह अधिकार प्रश्न लेने का, यह करने का अधिकार तो है अध्यक्ष को. इतना तो देकर रखो. आप अपना प्रश्न करो, आपका प्रश्न क्या है. श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष महोदय, तो फिर प्रश्न पूछने का मतलब ही क्या होगा जो हम चाहते हैं, वह हमारी जानकारी में नहीं आयेगा..
अध्यक्ष महोदय:-आप प्रश्न पूछिये, आप अपने अधिकार की बात कहिये. आपके प्रश्न में कोई चेंज नहीं है
श्री लाखन सिंह यादव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अकेले एक प्रश्न सदस्य का प्रश्न नहीं है, कई प्रश्नों में जो मूल प्रश्नकर्ता का जो उद्देश्य है उससे भटका दिया जाता है, उस लाइन को गायब कर दिया जाता है. मेरे साथ भी यही हुआ है.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये, उनको प्रश्न पूछने दीजिये ना.
श्री सुनील सराफ:- सदस्यों के सवाल पूछने का अधिकार ही खत्म कर दीजिये. जब सवाल ही गायब कर दें, सवाल ही आधा कर दिया जायेगा तो विधायक सवाल पूछ कर क्या करेगा.
अध्यक्ष महोदय:- कोई चेंज नहीं हुआ है.
श्री लाखन सिंह यादव:- अध्यक्ष जी, जो प्रश्नकर्ता का मूल उद्देश्य है उसको खत्म कर दिया जाता है.
अध्यक्ष महोदय:- देखिये, इसमें आपका जो प्रश्न है उसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष जी, आप मेरी पूरी बात तो खत्म होने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये, उनको प्रश्न पूछने दीजिये.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष जी, आज के प्रश्न में नहीं है. परन्तु एक और प्रश्न मैंने तारांकित लगाया था उसका नंबर था- 4064 वह आज का ही था..
अध्यक्ष महोदय:- नहीं इसमें जो प्रश्न है उसमें पूछिये, जो आपना प्रश्न लगा है.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- उसकी जो मैंने जो जानकारी मांगी थी विभाग से, विधान सभा से वह चेंज करके दे दिया तो मेरा आपसे निवेदन है इस तरह से नहीं हो ताकि हमारी प्रश्न पूछने की मूल भावना है, वह बनी रहे.
अध्यक्ष महोदय:- आप प्रश्न तो कर लें, आप जो पूछना चाहते हैं वह पूछें ना आप क्या पूछना चाहते हैं ?
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी ने मेरे प्रश्न में जवाब दिया है कि रोजगार सहायक की नियुक्ति के संबंध में दिशा-निर्देश में नियमितीकरण के कोई प्रावधान नहीं हैं. मध्यप्रदेश में हजारों रोजगार सहायक हैं उसमें महिलाएं भी हैं और पुरूष भी हैं. मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि नियुक्ति के दिशा निर्देश में परिवर्तन कर उनके नियमितीकरण हेतु प्रावधान किया जायेगा.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया(संजू भैया):- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की मंशा अच्छी है क्योंकि रोजगार सहायक हमारे 27 विभागों के कार्यों को देखता है, आयुष्मान कार्ड से लेकर और राशन की पर्ची तक का वितरण हमारा रोजगार सहायक देखता है. किन्तु रोजगार सहायक की जो नियुक्ति हुई है वह कैडर की पोस्ट न होते हुए पंचायत की पोस्ट है और उसका नियमितीकरण किया जाना असंभव है.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष जी, हम समझते हैं कि दिशा निर्देश बने हुए हैं पर दिशा निर्देश में परिवर्तन करने का अधिकार तो सरकार का है, उनका प्रीविलेज है, केबिनेट में ला सकते हैं. दिशा-निर्देश परिवर्तित कर हजारो हजारो रोजगार सहायक जो काफी लंबे समय से काम करते आये हैं. अगर दिशा-निर्देश में परिवर्तन होगा तो मैं समझता हूं कि उसका लाभ मिलेगा.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया (संजू भैया)-- अध्यक्ष महोदय, पूर्व की सरकार चाहती तो श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल जी कहने पर कर सकती थी. मगर इसमें कानूनन पेंच है. यह केन्द्र की मनरेगा की योजना है रोजगार सहायक उसी के दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं. पंचायत कर्मी है, केडर पोस्ट नहीं है इसलिये नियमितीकरण नहीं किया जा सकता. किन्तु मैं एक बात सदन को बताना चाहता हूं कि रोजगार सहायक को पृथक करने के लिये पहले नोटिस भी नहीं दिया जाता था हमारी सरकार ने बैठकर यह प्रावधान किया कि रोजगार सहायक को एकदम पृथक नहीं किया जायेगा. नैसर्गिक सिद्धांत के आधार पर उनको सुनवाई का अवसर दिया जाये, पूरी जांच की जाये और उसके बाद उसके खिलाफ कार्यवाही की जाये.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि मेरे प्रश्न क्रमांक 4064 में जो जानकारी मांगी है. अगर मैं आपको लिखित में उपलब्ध करवा दूंगा जिसमें मस्टर बिल हैं, वाऊचर हैं, भुगतान की पूरी जानकारी है. मेरा कुक्षी विधान सभा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, उनके खाते में पैसा गया ही नहीं है, पैसा निकल गया है. आपको जानकारी लिखित में उपलब्ध करवा दूंगा तो आप उसकी जांच करवा देंगे तथा उसकी जानकारी मुझे उपलब्ध करवाएंगे, यह मेरा निवेदन है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया (संजू भैया)--अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से माननीय सदस्य ने जो भावनाएं व्यक्त की हैं मुझे लिखकर के दे देंगे पूर्ण रूप से आपके कहने के अनुसार काम कर देंगे.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मैंने विधान सभा को दिया था अध्यक्ष महोदय--आपकी बात मान ली है.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- अध्यक्ष महोदय, आपने कहा कि उसको चेंज कर सकते हैं, इसलिये मुझे पीड़ा है.
अध्यक्ष महोदय--आपने केवल अधिकार की बात कही मैंने वो कहा है.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- अध्यक्ष महोदय, आपकी तरफ से विधान सभा में यह जांच करा ली जाये कि मैंने जो प्रश्न दिया था उसको चेंज क्यों कर दिया गया?
अध्यक्ष महोदय-- आप चेम्बर में आईयेगा उसका मैं निदान कर दूंगा.
11.23 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्ष को नियमों में किये गये अधिकार के तहत प्रश्न संशोधित किये जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्यों के प्रश्न अधिक विस्तृत जानकारियां आदेश न्यायिक प्रश्न होने पर समय पर जानकारी आ सके इस दृष्टि से व्यावहारिक रूप से विभागीय अनुरोध पर अध्यक्ष को नियमों में दिये गये अधिकार के तहत ही प्रश्न संशोधित किये जाते हैं. यह प्रक्रिया पूर्व से प्रचलित है.
11.24 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर क्रमशः
बरगी विधान सभा क्षेत्रांतर्गत मार्ग निर्माण
[लोक निर्माण]
8. ( *क्र. 3730 ) श्री संजय यादव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा बरगी विधान सभा जबलपुर के अंतर्गत बन्दर कूदनी मार्ग, सिपेलाघाट पिपरिया मार्ग की स्वीकृति प्रदान की थी? तो क्या वर्तमान में इन मार्गों का निर्माण प्रारंभ हो चुका है? यदि हाँ, तो कब से? यदि नहीं, तो कारण बतावें। यह भी बताया जावे कि किस कारण से भेड़ाघाट उडना मार्ग अधूरा है, उसे पूरा कब तक किया जावेगा? समय-सीमा बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) में स्वीकृत मार्गों के लिये शासन द्वारा कितनी-कितनी राशि स्वीकृत की गई है एवं वर्तमान में कितनी राशि विभाग को जारी कर दी गई है? यदि नहीं, तो क्यों? क्या शासन के पास मार्गों के निर्माण के लिये राशि उपलब्ध नहीं है, अथवा ग्रामीण क्षेत्रों को सड़क सुविधा प्रदान नहीं करना चाहती? यह भी बताया जावे कि उक्त मार्गों के निर्माण में विलंब के लिए किस-किस की लापरवाही है? क्या उन पर शासन कोई कार्यवाही करेगा? (ग) क्या वर्तमान में प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र बरगी के अंतर्गत लोक निर्माण विभाग के क्षेत्राधिकार के अनेकों ग्राम सड़क विहीन हैं एवं आज भी ग्रामीणों को पगडंडी का सहारा लेना पड़ रहा है? यदि हाँ, तो कौन-कौन से हैं एवं क्या शासन संपूर्ण विधान सभा क्षेत्र का निरीक्षण करवाकर विभाग के माध्यम से ग्रामीणों को पहुँच मार्ग आदि की सुविधा उपलब्ध करावेगा? यदि हाँ, तो कब तक बतावें?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत बरगी विधानसभा क्षेत्र के सभी ग्राम पक्की सड़क से जुड़े हैं। शेष प्रश्न का उत्तर जनपद पंचायत, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा एवं ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण से संबंधित है। उनसे प्राप्त उत्तर पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1, 2 एवं 3 अनुसार है।
श्री संजय यादव--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से अपने मूल प्रश्न के पूर्व मैं ऐसे प्रश्न पूछना चाहता हूं कि हम लोगों को जिज्ञासा रहती है. मैं मंत्री जी को व्यक्तिगत रूप से अपना आदर्श मानता हूं. जब मुझे लगता रहा कि मैं विधायक बनूं तो गोपाल दादा जी के कदमों पर चलूं. लेकिन मुझे लगने लगा है कि और इस बात को सुनता रहा कि दादा में भेदभाव रहता रहा है. अभी एक तो भेदभाव आ गया. पूर्व में दादा दबंगता से काम करते रहे. इस बार के मंत्रि-मंडल में दादा की दबंगता नहीं है. क्योंकि यह प्रश्न बता रहा है कि तीन साल पहले मेरे यहां पर तीन सड़कों का निर्माण प्रारंभ हुआ था, लेकिन आज तक यह सड़कें पूर्ण नहीं हो पाईं उस सड़क में जो सिवनी टोला मार्ग है. उस मार्ग में नर्मदा घाटी केनाल की पुलिया पड़ती है, वह सकरी है. नर्मदा घाटी, पीडब्ल्यूडी भी सरकार के अंतर्गत है. वह सड़क तो चौड़ी हो जायेगी, लेकिन वह पुलिया चौड़ी न होने के कारण उस सड़क का कोई औचित्य नहीं रहेगा. एक तो अगर चार-चार साल तक सड़कें पूर्ण नहीं होंती तो पिछले दो वर्ष पहले हमारी सरकार में 20 सड़कें मेरे यहां पर स्वीकृत हुई थीं उनके वर्क आर्डर हो गये उसके बाद आपकी सरकार आ गई. आपकी सरकार आते ही से चलते निर्माण कार्य बंद हो गये हैं. मेरा निवेदन है कि आप भेदभाव न करते हुए इन सड़कों को पूर्ण कर दें.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, जैसे कि माननीय सदस्य की मंशा है. मैं आज भी इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं और पूर्व में भी मेरी कार्य पद्धति से सभी लोग परिचित हैं. मैंने कभी भी सदन के सदस्यों के साथ भेदभाव नहीं किया न पक्ष के साथ न विपक्ष के साथ. पिछले कार्यकाल में भी सभी को जानकारी है मेरे पास में जब रूरल डेवलपमेंट था, तब अध्यक्ष जी, सामुदायिक भवन दिए तो सभी को बराबर दिए, सी.सी. रोड दिए सभी को बराबर दिए, स्ट्रीट लाइट सभी को बराबर दिए और बहुत से ऐसे सदस्य हैं इसमें जो 2-4 हजार वोटों से या हम लोगों में से जीत कर आए हैं, सभी लोग इस बात स्वीकार करते हैं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं चूंकि माननीय सदस्य उस समय नहीं थे, जब आप सी.सी. रोड दे रहे थे, तो उनको ऐसा लगता है.
11:26 बजे हास-परिहास
श्री गोपाल भार्गव - आप मेरे बारे में जो भी कल्पना करें, जैसे कि अध्यक्ष जी ने कहा कि आप धारणा मत बदलिए, आपको समय समय पर मेरे अलग अलग स्वरूप देखने को मिलेंगे(..हंसी)
श्री पी.सी. शर्मा - वे कह रहे है कि आप पहले दबंग थे, अब दबे हुए हैं. (..हंसी)
अध्यक्ष महोदय - ये दोनों का प्रमाणीकरण संसदीय कार्यमंत्री और गोविन्द सिंह जी करेंगे तब मानना(..हंसी)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, ये दादा की बात कर रहे थे गोपाल भाई जो बोल रहे थे, अब दूसरे दादा आ गए न तो मामला वहां फंस गया है.
श्रीमती रामबाई - अध्यक्ष जी, मैं आपसे निवेदन करती हूं मुझे एक सेकेण्ड बोलने का समय दीजिए.
श्री तरुण भनोत - परशुराम के वंशज भी दबने लगे.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह - (xxx)
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्न से उद्भूत नहीं होता, यह रिकार्ड में न लें.
श्री बाला बच्चन - मंत्री जी यह आपके अलग अलग स्वरूपों के जवाब दो. यह प्रश्न सामने खड़ा हो गया है, आप भेदभाव नहीं करते थे तो देख लो अब. (..हंसी)
श्री गोपाल भार्गव - कभी कभी मौन बहुत खतरनाक होता है, इसलिए मुझे मौन ही रहने दे. (..हंसी) अध्यक्ष महोदय, मौन अपने आपमें बहुत ताकतवर होता है इसलिए मैं लगभग एक साल से मौन हूं.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह - मौन भी टूटेगा, ऐसा नहीं है, मौन रहना ठीक है, लेकिन समय पर मौन टूटेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह - मौन धारण करने वाले बगल में बैठे श्रीमान जी आपने मौन धारण करवा दिया बहादुर नेता को. (..हंसी)
अध्यक्ष महोदय - आप तो माननीय सदस्य के प्रश्न का जवाब दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, माननीय संजय जी ने जो बात कही है, आपने जिस मार्ग के बारे में अपने प्रश्न में पूछा है, यह मार्ग लगभग कम्पलीट हो चुका है, इसमें सिर्फ बी.सी. शेष है जो ऊपर की एक डामर की लेयर होती है वह ही शेष है. शेष मार्ग पूरा हो गया है, इसको भी हम जल्दी करवा देंगे हम आपको आश्वस्त करना चाहते हैं. शेष बातें आपने अपने प्रश्न में नहीं पूछी है, यदि आप चाहे तो व्यक्तिगत रूप से मेरे पास आकर उनका उत्तर ले लेंगे, जानकारी ले लेंगे, मैं आपको दे दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य किसी पुलिया की बात कर रहे थे.
श्री संजय यादव - धन्यवाद. दादा इसमें एक पुलिया पड़ती है, सड़क के ऊपर कैनाल की पुलिया वह चौड़ी होना बहुत जरूरी है, नहीं तो चौड़ीकरण का कोई औचित्य नहीं है. इसके साथ मेरा दूसरा जवाब दे दें, पिछले साल मेरे यहां 20 सड़कें सज्जन भैया ने दी थी, उनका वर्क ऑर्डर हो गया है. मुझे उम्मीद थी कि दादा मंत्री बने हैं तो 100 प्रतिशत ये सड़क बन जाएगी, लेकिन काम रुक गया, तो यहां भेदभाव समझ में आने लगा. एक तो पुलिया बनवा दें.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय सदस्य को जानकारी होगी कि जब बजट बनता है तो उससे तीन गुना ज्यादा काम स्वीकृत किए जाते हैं और समय समय पर एसएफसी होती है, शासन की जैसी वित्तीय स्थिति होती है, उस हिसाब से स्वीकृतियां होती हैं.
श्री तरुण भनोत - माननीय मंत्री जी, वित्त मंत्री जी ने बोला है कि पैसा बहुत है, काम कोई नहीं रुकेगा, आप तो सब की एसएफसी जारी कर दो.
श्री गोपाल भार्गव - आपके समय नहीं हुआ. मैं क्या कर सकता हूं इसके लिए.
श्री तरुण भनोत - चलता काम रोक दिया वही तो कह रहे हैं वे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, यह प्रक्रियागत है और इसे जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे.
श्री संजय यादव - धन्यवाद .
राजमार्ग पर स्थित टोल प्लाजा द्वारा स्थल का विकास
[लोक निर्माण]
9. ( *क्र. 4072 ) श्री जयसिंह मरावी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शहडोल जिले अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग-43 में शहडोल से कोमा के बीच ग्राम घुरवार में स्थित टोल प्लाजा को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एवं प्रदूषण नियंत्रण मंडल से क्या एनवायरमेंट क्लियरेंस रिपोर्ट (ई.सी.) प्राप्त है? यदि हाँ, तो शर्तें क्या-क्या हैं और क्या निर्धारित शर्तों एवं मापदण्ड का पालन हो रहा है? (ख) क्या टोल प्लाजा को स्थल के आस-पास एवं निकटस्थ ग्रामों में विकास कार्य भी करवाना है? यदि हाँ, तो शर्तें क्या-क्या हैं और क्या निर्धारित शर्तों एवं मापदण्ड का पालन हो रहा है? (ग) क्या टोल प्लाजा को स्थल के आस-पास एवं निकटस्थ ग्रामों में विकास कार्य भी करवाना है? यदि हाँ, तो ऐसे कार्य कराये जाने वाले विकास कार्यों का विवरण बतायें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। जी हाँ। (ख) एवं (ग) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री जयसिंह मरावी - माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि जो टोल प्लाजा है, वहां पर आज तक कोई निर्माण कार्य नहीं हो रहा है, न ही पानी की व्यवस्था है और न ही वहां पर यात्रियों के रहने की व्यवस्था है. मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि क्या भविष्य में इसकी व्यवस्था की जायेगी ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, प्रत्येक टोल प्लाजा पर पानी की, चिकित्सा की सारी व्यवस्थाएं किये जाने का प्रावधान विभाग की तरफ से, आरडीसी की तरफ से है. माननीय सदस्य बता दें, यदि वहां पर व्यवस्था नहीं है, तो मैं आज ही आदेश जारी कर दूँगा और वहां पर जो हमारे अधिकारी नियुक्त हैं, उन अधिकारियों के सुपरविजन में यह काम करवा दूँगा.
श्री जयसिंह मरावी - माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रधानमंत्री आवास योजना में अनियमितता
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
10. ( *क्र. 1931 ) श्री कुँवर विक्रम सिंह : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जनपद पंचायत राजनगर एवं लवकुशनगर की ग्राम पंचायतों में प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची के क्रम को तोड़ते हुए आगे पीछे के लोगों के आवासों को स्वीकृति प्रदान की जा रही है? (ख) क्या पंचायत के सचिवों के पास पासवर्ड न देकर अन्य अनाधिकृत प्रायवेट लोगों के पास पासवर्ड जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा दिलाये गये हैं? यदि हाँ, तो दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही होगी? (ग) क्या कुछ ग्राम पंचायत के हितग्राहियों द्वारा इस संबंध में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत छतरपुर एवं जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को मय प्रमाण-पत्र के शिकायती आवेदन दिसम्बर, 2020 में दिये गये थे? यदि हाँ, तो उन पर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो क्यों?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया (संजू भैया) ) : (क) जी नहीं। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। शिकायत असत्य पाई गई। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बहुत गंभीर है. मैं इसमें आपका संरक्षण चाहता हूँ. मेरे प्रश्न के उत्तर 'ग' में माननीय मंत्री जी ने कहा है कि 'जी हां,' शिकायत असत्य पाई गई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि शिकायत असत्य पाई गई है तो यह एफिडेविट (कुछ दस्तावेज हाथ से दिखाते हुए) जो स्टाम्प पेपर पर लिखकर लोगों ने दिये हैं कि हितग्राहियों से 20,000 रुपये रोजगार सहायक, श्री महेश शुक्ला द्वारा लिया जाना यह सिद्ध करता है. यह पत्र मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत छतरपुर, ग्राम रोजगार सहायक, श्री महेश शुक्ला के विरुद्ध प्राप्त शिकायत के जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के संबंध में आपका पत्र क्र. 2823, दिनांक 15.10.2020 है. इसमें स्पष्ट है कि सहायक को 20,000 रुपये दिये गये हैं, लेकिन हितग्राही का आवास स्वीकृत नहीं हुआ और पैसे वापस नहीं मिले हैं. आवास की सूची में नाम है, यह परिवर्तित कर दी गई है. क्या माननीय मंत्री महोदय, ऐसे व्यक्ति को सेवा से पृथक करेंगे कि जो आपके नियम और प्रावधानों में है ?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य जी ने जो बात रखी है. मैं उनको यह बताना चाहूँगा कि प्रधानमंत्री आवास योजना का सर्वे सन् 2011 में हुआ था और जिन व्यक्तियों का नाम पीएमएवाई की लिस्ट में होता है, वही फायनल माना जाता है. राज्य शासन या अन्य कोई संस्था उसको परिवर्तित नहीं कर सकती है.
श्री कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्योंकि समग्र आईडी, जो पोर्टल होता है. पोर्टल के साथ-साथ ग्राम पंचायत, ग्राम सहायक को यह पावर होता है कि जिस व्यक्ति का नाम चाहे आगे बढ़ा सकता है, जिसका नाम चाहे उसको परिवर्तित कर सकता है. यह बड़ा गंभीर प्रश्न है, इसमें गंभीर अनियमितताएं स्पष्ट हैं. मैं आपका संरक्षण चाहते हुए, माननीय मंत्री जी से फिर से निवेदन करता हूँ कि क्या आप आज इसी सदन से श्री महेश शुक्ला को सेवाओं से पृथक करेंगे ?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे आदरणीय राजा साहब बहुत ही जोश में दिख रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - वे हमेशा जोश में रहते हैं.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - मेरे भाई हैं, निश्चित रूप से अगर आपके पास कुछ स्पेसिफिक है कि उसमें परिवर्तन किया गया है या फोरजरी की गई है. अगर आपको लगता है कि कहीं कोई अनियमितता हुई है तो हम दोनों बाहर बैठ लेंगे, आप मुझे बता दीजिये, जो भी कार्यवाही होगी, सख्त से सख्त कार्यवाही की जायेगी.
अध्यक्ष महोदय - (कुँवर विक्रम सिंह जी के खड़े होकर कुछ बोलने पर) आप बैठ जाइये, मंत्री जी ने कह दिया है.
श्री पी.सी.शर्मा - अध्यक्ष महोदय, यह प्रधानमंत्री आवास का मामला है, भ्रष्टाचार का मामला है. इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - वह कह तो रहे हैं कि अर्जी देकर जांच करवा लेंगे.
श्री कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, उसे तत्काल प्रभाव से सस्पेंड ही कर दें और जांच कमेटी में मुझे रखें ताकि स्पष्ट जांच हो सके.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से आप मुझे लिखकर दीजिये, हम दोनों बैठकर बात कर लेंगे और जांच होगी.
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बैठकर लिखने की बात नहीं है. (व्यवधान..)
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य विधानसभा में प्रश्न उठा रहे हैं. यह महत्वपूर्ण विषय है, बाहर बैठकर क्या बात करना है, ऐसा व्यक्ति जो भ्रष्टाचार में लिप्त है उसको निलंबित करें. आप व्यवस्था दें. (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें (व्यवधान..)
श्री कांतिलाल भूरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप कमेटी बना दीजिये, दोनों बैठकर आप क्या नेगोशियेशन करेंगे. (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाईये रोजगार सहायक को सस्पेंड करने की प्रक्रिया नहीं है, यह आप सब जानते हो. आप सुनिये, उस कानून के भीतर जो वह बता रहे हैं, उसको समझ लीजिये. वह कह रहे हैं कि आप शिकायत दे दीजिये, वह जांच करा लेंगे और कार्यवाही जो आप चाहते हैं, वह कर देंगे. आप सस्पेंशन की मांग कर रहे हैं ना ?
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, रोजगार सहायक को अटैच करने की व्यवस्था है, अटैच कर दिया जाये और उसकी जांच कराने के लिये जांच दल में मुझे और मेरे जिले के वरिष्ठ छतरपुर विधायक को उसमें सम्मिलित किया जाये, मैं आपसे यही आग्रह कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- विक्रम सिंह जी बहुत छोटा कर्मचारी है, उस जांच पर आप मत जाइये, हमारे विधायक की गरिमा नहीं गिरना चाहिये. आप उस पर नहीं जाईये. आप अलग से अर्जी दें और वह उस पर जांच करा लेंगे और जांच कराकर कार्यवाही कर देंगे.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया. माननीय अध्यक्ष जी मैं माननीय सदस्य जी को यह कहना चाहूंगा कि रोजगार सहायक तो क्या मध्यप्रदेश शासन भी चाहे तो नाम ऊपर नीचे नहीं किया जा सकता है.
अध्यक्ष महोदय -- अब वह जो कह रहे हैं, उसे आप समझ लें यह तो हो गया है. आप उसकी जांच करा लेना और जांच कराकर कार्यवाही कर दें.
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक रिक्वेस्ट करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय --अब मैंने जांच कराने का कह दिया है.
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने तीसरे नंबर के प्रश्न में बोला है कि मध्यप्रदेश में कहीं भी अगर भ्रष्टाचार यदि होगा.
अध्यक्ष महोदय -- कुंवर विक्रम सिंह जी मैंने जांच कराने का कह दिया है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष जी आज बड़ा अच्छा इत्तफाक है कि दोनों तरफ से लाल तिलक लगे हुए हैं. माननीय सदस्य, आप जो चाहेंगे वह हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय -- (कुंवर विक्रम सिंह, सदस्य के अपने आसन से कुछ कहने पर) मैंने उनसे जांच कराने का कह दिया है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जब बोल रहा हूं कि जांच करा लेंगे और कमेटी में आप भी रहेंगे और सब लोग रहेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ने अब निर्देश दे दिये हैं, आप बैठ जायें.
11. ( *क्र. 3909 ) अधिकृत, श्री कुणाल चौधरी : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 304, दिनांक 28.12.2020 का उत्तर दिलाया जाये तथा बतावें कि कर्ज माफी की विस्तृत समीक्षा तथा समग्र रूप से विचार करने की आवश्यकता क्यों हुई? क्या संविधान के नियमों के तहत पारित की गई किसी योजना पर दूसरी सरकार विचार कर उसे निरस्त कर सकती है, स्थगित कर सकती है या उसमें परिवर्तन कर सकती है, जबकि योजना के आधे भाग का क्रियान्वयन हो चुका हो? (ख) वर्ष 2011-12 से वर्ष 2019-20 तक सीमान्त लघु कृषक का प्रतिशत बतावें तथा इनके पास कितने-कितने प्रतिशत जमीन है? क्या प्रदेश में सीमान्त और लघु कृषकों की संख्या तेजी से बढ़ी है जो यह प्रदर्शित करती है कि कृषि कल्याण की हमारी योजना सफल नहीं रही है? (ग) क्या शासन के पास किसानों की वार्षिक आय के आंकड़ें नहीं हैं? यदि हाँ, तो वह किसानों की वार्षिक आय में वृद्धि तथा उनके जीवन स्तर में सुधार का दावा किस आधार पर करती है?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री कमल पटेल )--
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न जो आया है, उसके उपलक्ष्य में पूछना चाहूंगा कि लगभग 50 से ज्यादा प्रश्न इसके ऊपर हम लगा चुके हैं, उसके बाद हर बार जो जवाब आता है और आज भी जो बुकलेट में छपा था कि प्रश्न (क) से लेकर (ग) तक जानकारी एकत्रित की जा रही है. जब भी इस तरह के प्रश्न किसानों को लेकर होते हैं तो हमेशा उसमें एक ही जवाब मिलता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है और कहीं न कहीं यह किस्मत से सवाल आता है तो उसमें जो जवाब दिये जाते हैं, इस तरीके से घुमा फिराकर दिये जाते हैं कि कहीं न कहीं महत्वपूर्ण रूप से किसानों की जो योजनाएं हैं, वह खत्म होने की बात होती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक सवाल इसके अंदर आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से यह है कि मध्यप्रदेश में आत्महत्या करते किसान और कर्ज से डूबे किसान को बाहर निकालने के लिये पूर्व सरकार में माननीय कमलनाथ जी ने किसान कर्ज माफी की योजना की शुरूआत की थी. वह योजना आधी से ज्यादा अमली जामा पहन चुकी थी, जिसमें कालातीत किसानों का दो लाख तक का कर्जा माफ हुआ था. पचास हजार रूपये तक का रेगुलर का हर जगह और आधी जगह एक लाख रूपये तक का 27 लाख किसानों का कर्जा माफ हुआ था. हमने इसमें माननीय मंत्री जी से सवाल किया है कि क्या जो इतनी अच्छी योजना है, उसको किसी संवैधानिक चुनी हुई सरकार के निर्णय को (XXX) जनादेश की सरकार पुर्नविचार करके उसको खत्म करने का काम क्यों यह सरकार कर रही है ?और उसके ऊपर तीन हजार रूपये का जो इन्होंने बजट के अंदर प्रावधान किया है तो इससे क्या यह सिद्ध करना चाहते हैं, इस कर्ज माफी को चालू रखेंगे कि नहीं रखेंगे इसका एक भी बार सही तरीके से इसमें माननीय मंत्री जी जवाब नहीं दे पाये हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो माननीय सदस्य ने कहा है, इसे विलोपित कर दें.
अध्यक्ष महोदय -- इसको रिकार्ड से निकाल दें.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जुगाड़ की सरकार कह देता हूं, माफी चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- अब आप जवाब आने दें.
श्री कमल पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मूल प्रश्न श्री विजय गहलोत जी का था.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने अनुमति दी है.
श्री कुणाल चौधरी -- मैंने भी बहुत प्रश्न लगाया है पर आ नहीं पाया था.
श्री कमल पटेल -- ठीक है आपने पूछा हम जवाब देंगे. पहले तो मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कहना चाहता हूं कि पूरे सदन के जनप्रतिनिधियों का इन्होंने बोलकर अपमान किया है.
श्री कुणाल चौधरी -- मैंने सुधार कर लिया है और जुगाड़ की सरकार कह दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- उसको रिकार्ड से हटा दिया गया है.
श्री कमल पटेल -- आप ऐसा बार बार बोलते हो. हमारा देश लोकतांत्रिक देश है.
श्री कुणाल चौधरी -- आप किसान के ऊपर चर्चा कर लें.
श्री कमल पटेल-- कुणाल चौधरी जी, जनता के द्वारा चुना हुआ इस्तीफा दिया है और चुनने के बाद में 60-60 हजार से अधिक वोटों से जीते और किसानों ने जिताया है.
श्री कुणाल चौधरी-- यह पैसा कहां से आया है, यह छोड़े आप, लेकिन किसानों का कर्जा माफ क्यों नहीं कर रहे, यह मेरा सवाल है.
श्री कमल पटेल-- ज्यादा बौखलाओ मत.
श्री कुणाल चौधरी-- नहीं, मैं नहीं बौखला रहा.
श्री कमल पटेल-- माननीय कमलनाथ जी ने जो कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष थे, पूरी कांग्रेस ने, घोषणा पत्र पर से तो इनका विश्वास उठ गया, इसलिये वचन पत्र लाये थे, क्योंकि 4 साल तक ...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- मंत्री जी, जानकारी सुधार लो वह अभी भी अध्यक्ष हैं.
श्री कुणाल चौधरी-- मेरा सीधा सवाल है और सीधे सवाल का सीधा जवाब दो, कर्जमाफी करेंगे कि नहीं और किसान की कर्जमाफी को यह पाप क्यों कहते हैं. बाहर पाप कहते हैं और सदन के अंदर जवाब नहीं देते हैं. आप माननीय मंत्री है, आप बहुत वरिष्ठ मंत्री हैं, मुझे मालूम है आप माफिया के खिलाफ भी पत्र लिखते हैं, आप रेत माफिया के खिलाफ भी पर किसान के प्रति ...
अध्यक्ष महोदय-- जवाब देने दीजिये, बैठ जाइये कुणाल जी.
श्री कुणाल चौधरी-- आपने चने के बढ़ाये थे, आपने अच्छा काम किया था मैं उसकी तारीफ करूंगा, आप किसान पर बात करें. ...(व्यवधान)...
श्री कमल पटेल-- कुणाल चौधरी जी और जितु पटवारी जी, सुन लो मैंने कहा कमलनाथ जी और राहुल गांधी जी ने पाप किया किसानों को धोखा देकर. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- आप तो जवाब दे दो साहब, आप किसान थे, तो आप यह राहुल गांधी का नाम मतलब यह किसान विरोधी नरेन्द्र मोदी की सरकार .. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, जो प्रश्न आया है उसका जवाब दीजिये. ...(व्यवधान)... मैं जवाब दिलवा रहा हूं. सज्जन सिंह जी बैठ जाइये ...(व्यवधान)...
श्री कमल पटेल-- किसानों के साथ धोखा था. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- किसान कर्जमाफी धोखा कैसे हो सकता है साहब.
श्री कमल पटेल-- तुम लोगों ने धोखा दिया न ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- 27 लाख किसानों का कर्जामाफी आपने माना ...(व्यवधान)... माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन के अंदर गलत जवाब देते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कुणाल जी, बैठ जाइये. मैं दोनों पक्षों से निवेदन करना चाहता हूं कि बड़ी मुश्किल से प्रश्नकाल में लोगों के प्रश्न लगते हैं और आप देख रहे हैं कि 12-13 प्रश्नों से ज्यादा पार करना संभव नहीं हो रहा है. कृपापूर्वक इतनी मदद कीजिये कि कुछ और लोगों के प्रश्न आ जायें जिसका जवाब मिल जाये. दूसरा आग्रह यह करना चाहता हूं, अनावश्यक टिप्पणी से दोनों पक्ष बचें, यह मैं निवेदन करना चाहता हूं. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आंकड़े नहीं करूंगा, मैं सिर्फ एक सवाल का जवाब चाहूंगा. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- मैं जितु पटवारी को बोलने के लिये कह रहा हूं.
श्री जितु पटवारी-- आपने जो कहा बिलकुल सहर्ष स्वीकार है. आदरणीय मंत्री जी से दो सवाल हुये उन्होंने कहा कि आपने विधान सभा में पहले उत्तर दिया था कि लगभग 27 लाख किसानों का कर्जा माफ हुआ, आगे के किसानों का माफ करना है या नहीं करना है और तीसरा इनको जो दिया है उसकी वसूली करना है, सदस्य का सीधा सा प्रश्न है. अब यह इधर उधर दुनिया में घूमेंगे, इसका स्पेसिफिक उत्तर दे दें, फिर आपकी भाषणबाजी सुनेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- जितु जी, आपकी बात आ गई, माननीय मंत्री जी.
श्री कमल पटेल-- माननीय कुणाल चौधरी जी आपकी सरकार ने यह कहा था मुख्यमंत्री बनते से ही, पहली बार वल्लभ भवन गये और क्या कहा मध्यप्रदेश में 55 ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- इतने वरिष्ठ मंत्री होकर आप इतने बढि़या व्यक्ति होकर क्यों बचा रहे हो, आप ठोक कर ही मंत्री बने हो, आपको इन्होंने किसी ने नहीं बनाया है ...(व्यवधान)...
श्री सुरेश राजे-- कर्जमाफी हुई कि नहीं हुई, यह बताने का कष्ट करें. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- जो सवाल है उसका जवाब दो मंत्री जी कि करोगे या नहीं करोगे, क्या यह किसान विरोधी सरकार है यह बता दो. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- यह कैसे कहेंगे भाई, बैठ जाइये आप.
श्री कुणाल चौधरी-- ये प्रश्न का जवाब ही नहीं दे रहे, इधर उधर घुमा रहे हैं. बचे हुये किसानों का कर्जा माफ करोगे कि नहीं करोगे. ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आप लोग जवाब तो देने दें, सुनें तो, सुनने की क्षमता ही नहीं है.
श्री कमल पटेल-- देखिये मध्यप्रदेश शासन एतद् द्वारा निर्णय लिया जाता है, यह मैं नहीं कह रहा हूं, कमलनाथ जी ने कहा था और राजौरा ने जवाब दिया था.
डॉ. गोविन्द सिंह-- यह कोई तरीका है ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- जवाब दोगे कि नहीं, मंत्री हो कि क्या हो. ...(व्यवधान)... यह किसानों के प्रति क्यों इतनी नफरत रखते हैं. खेत से लेकर यहां तक नफरत है. ...(व्यवधान)...
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- किसानों का कर्जा माफ करोगे कि नहीं ...(भारी व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाईये, जवाब तो आने दीजिये. ...(भारी व्यवधान)... माननीय मंत्री जी सीधा जवाब दीजिये.
(श्री फुंदेलाल सिंह मार्कों, सदस्य द्वारा एप्रिन पहनकर सदन में प्रवेश किया गया. मार्शल की समझाइश पर माननीय सदस्य द्वारा एप्रिन उतार दिया गया.)
श्री कमल पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, 17 दिसम्बर,2018 कमलनाथ जी ने शपथ लेकर कहा...
डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह जवाब ही नहीं देना चाहते.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - जवाब दिलवा रहा हूं. बैठ जाईये.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ - कितने लोगों का कर्जा माफ हुआ.कितनों का बकाया है ?
श्री कुणाल चौधरी - हां प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कर्जा माफी का निर्णय लिया था.
(..व्यवधान..)
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ - सदन को गुमराह क्यों कर रहे हो मंत्री जी.
श्री कुणाल चौधरी - यह निर्णय लिया था कि कर्जा माफ करेंगे. किसानों का कर्जा माफ करेंगे कि नहीं आप आगे बताओ. कमलनाथ जी ने यह निर्णय लिया था. तो आप मरते हुए किसानों का कर्जा माफ करेंगे ?
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी के द्वारा सदन को गुमराह किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाईये. मैं जवाब दिलवाता हूं.
गृह मंत्री ( डॉ.नरोत्तम मिश्र ) - हल्ला वे लोग मचा रहे हैं जिन्होंने एक किसान का भी 2 लाख का कर्जा माफ नहीं किया. ये वे लोग हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष से असत्य बुलवाया इन्होंने. इन्होंने मुख्यमंत्री से असत्य बुलवाया ये वह लोग हैं.(..व्यवधान..) इन्होंने किसानों को आत्महत्या के लिये मजबूर किया वे लोग हल्ला मचा रहे हैं. इन्हें किसानों की बात करने का हक नहीं है.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - मेरा दोनों पक्षों से आग्रह है बैठ जाईये.
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय, बस जवाब दिलवा दीजिये.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाईये.
श्री कुणाल चौधरी - किसान के प्रति क्या नफरत है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाईये. मैं जवाब दिलवाता हूं.
(..व्यवधान..)
श्री रामेश्वर शर्मा - अरे जीतकर आये हैं. ऐसा नहीं चलेगा. यह क्या तरीका है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाईये.
(..व्यवधान..)
श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, विपक्ष आपकी व्यवस्था का पालन कर रहा है लेकिन रामेश्वर शर्मा जी और गृह मंत्री जी जिस तरीके से उकसा रहे हैं और जवाब सदन में नहीं आने दे रहे हैं. यह घोर आपत्तिजनक है. (..व्यवधान..) यह किसान विरोधी सरकार है.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही 05 मिनट के लिये स्थगित.
11.48 बजे (विधान सभा की कार्यवाही 05 मिनट के लिये स्थगित .)
11.55 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जवाब दिलवा दें बस.
..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक जवाब दिलवा दीजिये मेरे सवाल का, कृपा करके.
..(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा -- सभापति महोदय, हमारे नेताओं का अपमान हो रहा है. अनुसूचित जाति के नेताओं का अपमान हो रहा है,प्रभुराम चौधरी जी पहले 3 हजार मतों से जीते थे, अब 56 हजार वोटों से जीते हैं. यह रायसेन का अपमान है. नीमच का अपमान है, इन्दौर का अपमान है. आप कैसे कह सकते हैं कि खरीदा हुआ जनादेश है.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें. हो गया. आप सुनिये तो, आप बैठ तो जाइये. यह जो विषय पैदा हुआ है. मैं चाहता हूं कि गोविन्द सिंह जी और संसदीय कार्य मंत्री जी, पहले आप कहें, फिर आप कहें. फिर कोई बात बन सकती है. (डॉ. गोविन्द सिंह, सदस्य के उठने पर) आप उस प्रश्न के विषय में न जाना, यह जो प्रकरण खड़ा हुआ है या जो स्थिति पैदा होती है,हमारे तमाम प्रश्नकर्ताओं के प्रश्न नहीं आते हैं, उस विषय पर कहना.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं जो जरुरी होता है, आवश्यकता होती है, वही बोलता हूं, समय बर्बाद नहीं करता हूं इधर उधर की बातों में. मैं केवल माननीय कृषि मंत्री जी से एवं संसदीय कार्य मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जो शेष किसानों के कर्जे के संबंध में कुणाल चौधरी जी ने पूछा है, क्या बचे हैं, उन कर्जों को सरकार माफ करेगी या नहीं, बस इतना एक ही उत्तर चाहिये, हां या ना में जवाब दे दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी पढ़ रहे हैं, बता रहे हैं कि आदेश निकला है, इन्होंने कहा कि सारे माफ हो गये,यह पढ़ रहे हैं. या तो ये यह कहें कि इन्होंने असत्य बोला था. तो हम आगे की बात करें. इनके राष्ट्रीय अध्यक्ष आकर यह कह गये कि 10 दिन के अन्दर 2 लाख किसानों का कर्जा माफ हो जायेगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने असत्य बोला था, यह कहें, हम इसके बारे में स्पष्ट बोलते हैं. ये तो स्पष्ट बोलें. इनके मुख्यमंत्री जी ने असत्य बोला, यह कहें तो कि हां असत्य बोला. ये ऐसे बोले तो सही, फिर हम भी बोलते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हां हमने बोला था, कर्ज माफी का बोला था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, ये बोलते नहीं है कि हमने असत्य बोला. हमने किसान को धोखा दिया. इनके पाप हम ढो रहे हैं. अब ये ऐसी बातें स्पष्ट बोलेंगे नहीं और हमसे कहेंगे कि जवाब दो. आपके पाप हैं, हम जवाब दें. आपके पाप हैं हम ढोये, हम काहे को जवाब दें. ..(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, सरकार जवाब से भाग रही है. ..(व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय, एक लाइन का जवाब है, हां या ना.
..(व्यवधान)..
सहकारिता मंत्री(श्री अरविन्द सिंह भदौरिया) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय कमलनाथ जी ने हमारी ससहकारी सोसाइटियां जो 4500 थीं, हमारी बैंकों को बर्बाद कर दिया. हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने करोड़ों रुपये दिये.
..(व्यवधान)..
11.58 बजे बहिर्गमन
इण्डिन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इसमें सरकार जवाब नहीं दे रही है, इसके विरोध में हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(डॉ. गोविन्द सिंह, सदस्य के नेतृत्व में शासन द्वारा उत्तर न देने के विरोध में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य गण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया.)
11.59 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमशः)
ऑनलाईन रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र के उपरांत ठेकेदारों को भुगतान
[लोक निर्माण]
12. ( *क्र. 3639 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश शासन खनिज साधन विभाग मंत्रालय के पत्र क्रमांक एफ 14-10/2018/12/I, दिनांक 15.03.2018 द्वारा दिनांक 01 अप्रैल, 2018 के पश्चात निर्माण कार्यों में उपयोग किए जा रहे खनिजों को विषयांकित प्रमाण पत्र आवश्यक कर दिया गया हैं? क्या विषयांकित प्रमाण पत्र के बगैर ठेकेदारों के बिल निकाले जा सकते हैं? (ख) यदि नहीं, तो बालाघाट, होशंगाबाद तथा बुधनी संभागों में चल रहे निर्माण कार्यों में दिनांक 01 अप्रैल, 2018 के पश्चात प्रयोग किए गए रेत, गिट्टी तथा मिट्टी की कार्य अनुसार मात्रा तथा उतनी मात्रा के विषयांकित पत्र अनुसार जानकारी उपलब्ध कराएं? जानकारी में कार्य करने वाले ठेकेदार या कम्पनी का भी उल्लेख करें। (ग) क्या दिनांक 01 अप्रैल, 2018 के पश्चात विषयांकित प्रमाण पत्र न देने पर ठेकेदार से बाजार भाव से रॉयल्टी की वसूली करनी थी, लेकिन नहीं की गई? (घ) शासन को तीनों संभागों में रॉयल्टी पर पेनाल्टी न लेने से कुल कितनी राशि का नुकसान हुआ? क्या शासन द्वारा इसके लिए दोषी अधिकारियों से यह राशि वसूल की जाएगी तथा उन पर क्या कार्यवाही की जाएगी? क्या शासन सम्पूर्ण प्रदेश में इस प्रकार की जाँच कराएगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। मध्यप्रदेश शासन खनिज साधन विभाग के पत्र क्र. एफ-14-10/2018/12/1, दिनांक 15.03.2018 द्वारा जारी पत्र में दिनांक 01.04.2018 से गौण खनिजों का रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र ऑनलाईन प्रस्तुत करने का उल्लेख किया गया है। रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र के बिना ठेकेदार के रनिंग देयकों का भुगतान किया जा सकता है, परन्तु अंतिम भुगतान हेतु रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र आवश्यक है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ', 'अ-1' एवं 'ब' अनुसार है। (ग) जी हाँ। अंतिम बिल के भुगतान से पूर्व रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र प्रस्तुत न करने पर ठेकेदार से वसूली का प्रावधान है। नियमानुसार रॉयल्टी की राशि की कटौती की गई है। (घ) शासन को कोई नुकसान नहीं हुआ है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न में (ख) में ऑन लाइन चुकता प्रमाण पत्र की जानकारी चाही थी, वह इसमें नहीं है. मैं मंत्री जी से यह जानना चाहती हूं कि क्या वह जानकारी आप मुझे उपलब्ध करा देंगे. यदि आप नहीं करवा पायेंगे, क्योंकि वह बेक डेट में तो होगी नहीं, तो क्या आप बाजार भाव से पैनाल्टी अंतिम भुगतान का बिना चुकता रायल्टी प्रमाण पत्र के भुगतान नहीं होगा, तो क्या उनको आप पैनाल्टी बाजार भाव से लगायेंगे, क्योंकि जो उत्तर यहां आया है, उसमें आपने जो रेट उनको फिक्स किया है, वह 100 रुपये प्रति घन मीटर के हिसाब से किया है, आप बाजार भाव से क्या उसको पैनाल्टी लगायेंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, नियमों में जो भी प्रावधान होगा, उसी के अनुसार पैनाल्टी की व्यवस्था होगी.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्यक्ष महोदय, जो बाजार भाव से पैनाल्टी लगाना है, नियम भी यही है, लेकिन मैं आपको बताना चाहती हूं कि यह इत्तेफाक है कि 1 अप्रैल,2018 को यह आदेश जारी हुआ था, उस समय खनिज साधन विभाग के पी.एस. श्री मण्डलोई जी थे और जो आर्डर उन्होंने जारी किया था,लोक निर्माण विभाग में आज वही पीएस हैं, उन्हीं के आदेशों की धज्जियां इस समय उड़ाई जा रही हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यही कहना चाहती हूं कि मैंने प्रश्न तो बालाघाट, होशंगाबाद और बुदनी का पूछा है क्या पूरे प्रदेश में आप बाजार भाव से पेनॉल्टी लगाएंगे?
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, पेनॉल्टी का जहां तक सवाल है एक तो रनिंग पमेंट जो होते हैं निर्माण कार्यों के तो खनिज पर जो भी रॉयल्टी होती है, उसी समय काट ली जाती है. लेकिन यह भी होता है जब काटते नहीं हैं तो जब अंतिम पेमेंट होता है उस समय यह कटती है और यदि नहीं होता है तो उनकी जो सिक्यूरिटी डिपॉजिट होती है, उससे डिडक्शन हो जाता है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - केवल बाजार भाव से पेनॉल्टी लगाएंगे, बस मैं यह जानना चाह रही हूं?
श्री गोपाल भार्गव - यदि प्रावधान होगा तो बाजार भाव से ..
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - प्रावधान है.
श्री गोपाल भार्गव - प्रावधान के अनुसार ही कार्यवाही होगी.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.02 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय -
12.03 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
(1) ग्वालियर में कृषि विकास अधिकारी और कृषि विस्तार अधिकारी की भर्ती में गड़बड़ी की सीबीआई से जांच कराई जाना
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के इतिहास में आज दूसरी बार व्यापम का नाम बदलकर पीईबी परीक्षा के द्वारा ग्वालियर में कृषि विकास अधिकारी और कृषि विस्तार अधिकारियों की भर्ती में इतना बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है. एक ही जिले के एक ही जाति के लोगों ने जो तीन-तीन, चार-चार वर्ष में बीएससी (एजी) की है, उन लोगों को लगातार 200 में से 190-195 नम्बर आए हैं और एक ही सेंटर से आए हैं, तो मैं सरकार से जवाब चाहता हूं कि इतने बड़े घोटाले पर सीबीआई की जांच कराई जाय और तत्काल सरकार इसमें जवाब दे क्योंकि मध्यप्रदेश में यह दूसरा व्यापम का बड़ा भाई निकल पड़ा है. व्यापम में तो दूसरे लोगों को बदला है लेकिन इसमें एक लाइन से एक स्कूल में एक जैसे नम्बर दिये हैं, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है. अध्यक्ष महोदय, ध्यान आकर्षण के माध्यम से इसको आपके समक्ष रखा है. हम चाहते हैं कि सरकार इस पर जवाब दे. मुख्यमंत्री जी नहीं है तो संसदीय कार्यमंत्री जी जवाब दें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा (सोनकच्छ) - अध्यक्ष महोदय, 3-3, 4-4 बार जो फेल हुए उनको 200 में से 195, 196 नम्बर मिले. गजब, गजब सरकार चल रही है. गरीब बच्चों का हक क्यों मार रहे हो? इस पर सीबीआई जांच हो, उन होनहार बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. संसदीय कार्यमंत्री जी जवाब दें.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है, आप बैठ जाइए.
(2) नगरीय निकाय चुनाव में वीवी पैट मशीन का उपयोग किया जाना
श्री तरुण भनोत (जबलपुर-पश्चिम) - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद, आपने मुझे बोलने का मौका दिया. मैं एक मामला यह उठाना चाहता हूं. यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है कि नगरीय निकाय के चुनाव मध्यप्रदेश में होने जा रहे हैं और जो हम लोगों को जानकारी मिली है, उसके मुताबिक जो चुनाव होंगे, उसमें वीवी पैट मशीनों का उपयोग नहीं किया जाएगा. इससे चुनावों के परिणाम जो हैं, यह संदिग्ध होंगे और इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठेगा. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि आप ऐसी व्यवस्था दें कि कम से कम सरकार के कानों तक यह बात जाय कि जब तक वीवी पैट की व्यवस्था नहीं होती, यह आश्वासन सदन को दें, तब तक चुनाव निष्पक्ष नहीं हो सकते और वीवी पैट के माध्यम से ही चुनाव कराए जायंगे नगरीय निकाय के.
(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - (कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होकर बोलने पर) आप बैठ तो जाइए. मार्कों जी आप बैठ जाइए, एक तो आप बिना अनुमति के वह पहनकर आए. कम से कम इतना तो आपको पूछकर आना चाहिए, उसकी अनुमति लेना चाहिए. जो पहनकर आए थे वह नहीं करना चाहिए. सदन के भीतर नहीं करना चाहिए.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)- अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि जो भी दोषी हों उन पर कार्यवाही करें.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ तो जाइए.
(3) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति न दिया जाना
श्री बाला बच्चन (राजपुर) - अध्यक्ष महोदय, एससी, एसटी के कॉलेज के छात्रों की स्कालरशिप केन्द्र सरकार के द्वारा भी कम कर दी गई और राज्य सरकार के द्वारा भी कम कर दी गई है, 172 करोड़ रुपये जहां बांटे जाते थे वहां मात्र 57 करोड़ रुपये ही दिये गये हैं, ऐसे 307 करोड रुपये केन्द्र सरकार के द्वारा दिये जाते थे तो उसको भी 75 प्रतिशत कम कर दिया है. इसलिए मार्को जी और हम सभी विधायक साथी सब मिलकर इस बात को उठा रहे हैं, बजट भाषण में भी हमने यह कहा है. सरकार इसका जवाब दे और एसटी, एससी के छात्रों की स्कालरशिप क्यों कम कर दी गई है क्यों काट दी गई है, इसका जवाब आप सरकार से दिलवाएं, यह निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय -- जब वह बजट का जवाब देंगे तब इस बात का जवाब देंगे...(व्यवधान)..
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय कोतमा की एक लड़की 2 मार्च को अहमदाबाद से भोपाल आ रही थी 5 मार्च को ट्रेन में उसकी हत्या हो जाती है. बहुत गंभीर बात है 23 वर्ष की लड़की का मेटर है कोतमा का...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आप सबकी बात आ गई है. पत्रों का पटल पर रखा जाना. ...(व्यवधान)..
श्री सुनील सराफ (बरगी) -- अध्यक्ष महोदय, वह बेटी रास्ते में गायब हो गई, उस बेटी सुप्रिया तिवारी की तीन दिन के बाद में लाश मिली है, प्रशासन सोता रहा है...(व्यवधान)
12.06 बजे. पत्रों का पटल पर रखा जाना
भूमि अर्जन, पुनर्वासन तथा पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और
पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम
(1)राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत) -- अध्यक्ष महोदय मैं भूमि अर्जन, पुनर्वासन तथा पुनर्व्यवस्थापन मेंउचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 (क्रमांक 30 सन् 2013) की धारा 111 की अपेक्षानुसार अधिसूचना क्रमांक एफ 12-2-2014/सात-2, दिनांक 24 अक्टूबर, 2019 पटल पर रखता हूं.
मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान का वार्षिक प्रतिवेदन
(2) खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) -- अध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 के नियम 18(3) की अपेक्षानुसार जिला खनिज प्रतिष्ठान, जिला अनूपपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-18 पटल पर रखता हूं.
भोपाल इलेक्ट्रानिक्स मेन्यूफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का तृतीय एवं जबलपुर इलेक्ट्रानिक्स मेन्यूफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का तृतीय प्रतिवेदन
(3) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ( श्री ओमप्रकाश सखलेचा ) -- अध्यक्ष महोदय मैं कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार --
1. भोपाल इलेक्ट्रानिक्स मेन्यूफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का तृतीय वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-19 तथा
2. जबलपुर इलेक्ट्रानिक्स मेन्यूफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का तृतीय वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-19 पटल पर रखता हूं.
12.07 बजे बहिर्गमन
इण्डियन नेश्नल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय एससीएसटी के छात्रो की छात्रवृत्ति कम की जा रही है इ सके विरोध में हम सदन से बहिर्गमन करते हैं...(व्यवधान)..
( इण्डियन नेश्नल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा एससीएसटी के छात्रों की छात्रवृत्ति कम करने के विरोध में बहिर्गमन किया )
डॉ नरोत्तम मिश्र -- बहिर्गमन में गोविंद सिंह जी बाहर तक तो जाया करें, ऐसा भी क्या बुढ़ापा हावी हो रहा है तुम पर, इस कदर बुढ़ापा आप पर हावी हो रहा है कमलनाजी का भाषण सुना आपने कल वह क्या कह रहे थे, बोला ना उन्होंने अल्का लांबा आयी थीं कौन आयी थीं.
डॉ गोविन्द सिंह -- कमलनाथ जी का भाषण आप ही सुनते हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- आप इतने बुढ्ढे हो गये हैं कि बाहर तक नहीं जाते हैं.
12.08 बजे. ध्यान आकर्षण
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की नियमावली के नियम 138(3) के अनुसार किसी एक बैठक में दो से अधिक ध्यान आकर्षण की सूचनाएं नहीं ली जा सकती हैं, परंतु सदस्यों की ओर से अभी तक प्राप्त ध्यान आकर्षण की सूचनाओं में दर्शाये गये विषयों की अविलंबनीयता तथा महत्व के साथ ही माननीय सदस्यों के विशेष आग्रह को देखते हुए सदन की अनुमति की प्रत्याशा में नियम को शिथिल करके मैंने आज की कार्यसूची में 4 सूचनाएं सम्मिलित किये जाने की अनुज्ञा प्रदान की है, लेकिन इसके साथ ही मेरा अनुरोध है कि जिन माननीय सदस्यों के नाम सूचनाओं में हों, केवल वे ही प्रश्न पूछकर इन ध्यान आकर्षण सूचनाओं पर यथा शीघ्र चर्चा समाप्त हो सके, इस तृष्टि से कार्यवाही पूरी कराने में सहयोग प्रदान करें.
मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
नागदा स्थित उद्योगों द्वारा ठेका श्रमिकों को कार्य से बाहर किया जाना
श्री दिलीप सिंह गुर्जर ( नागदा खाचरौद ) -- अध्यक्ष महोदय,
श्रम मंत्री (श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, कोरोना की आड़ में सिर्फ नागदा ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश, पूरे देश में उद्योगपतियों की मनमानी चल रही है. हमारे यहां पर 4-5 हजार मजदूर हैं, जिस प्रकार से जवाब आया है वह अधिकारियों का जवाब है, वहां पर वस्तुस्थिति बिलकुल विपरीत है. जहां पहले ठेका श्रमिकों के प्रतिमाह कार्ड बनते थे, उनकी दर भी अंकित होती थी, परंतु अब मात्र गेट पास बनाकर उद्योगों में कार्य करवाया जा रहा है. आप चाहें तो एक टीम पहुंचाकर उसकी जांच भी करवा सकते हैं. तीन से साढ़े तीन हजार ठेका श्रमिक काम करते थे, आज स्थाई श्रमिकों पर वर्क लोड बढ़ाकर 8-8, 10-10 घण्टे काम करवाया जा रहा है. ठेकेदार के जो स्थाई नेचर के काम हैं उस पर भी हमारे ठेका श्रमिकों से काम लिया जाता रहा है. वहीं स्थाई श्रमिकों का उनसे 10-10, 12-12 घण्टे काम लिया जा रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि क्या मात्र इंट्री पास बनाकर श्रमिकों को उद्योगों में काम कराया जा सकता है, क्या यह उद्योग नियमों के विपरीत नहीं है ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह ठेका श्रमिक हैं, कांट्रेक्चुअल लेबर हैं इसलिये डायरेक्ट हमारे प्रावधान के अंतर्गत नहीं है कि हम फोर्सफुली किसी भी नियोजक को बोलें कि इनको लगाया जाये, क्योंकि वह नियोजक ठेकेदार से बोलता है, ठेकेदार कांट्रेक्ट लेबर लेती है और वह काम कराता है, आवश्यकतानुसार काम होते हैं. जहां तक माननीय सदस्य ने जैसा हमें अवगत कराया है इसमें हमने भी जानकारी ली है कि कोरोना काल में क्योंकि हमारी सरकार की भी गाइडलाइन रही है कि और हमारा 23 मार्च से जून के प्रथम सप्ताह तक वहां पर फैक्ट्रीज़ बंद रही हैं और उस कारण से हमारी कुछ लेबर बाहर गई थी. जैसा कि आप ही के माध्यम से हमें जानकारी मिल रही है कि खासकर जो ग्रेसिम इंडस्ट्रीज़ टेपेल फायबर डिवीजन है जो एक इंडस्ट्री है, जिसमें 2000 लेबर कार्यरत थी, अब उसमें 1200 लेबर कार्यरत है, 800 अभी कार्यरत नहीं है और जहां तक आपके द्वारा ही मालूम पड़ रहा है, जैसा आप बता रहे हैं कि बाहर से कुछ लोग आकर उनका गेट पास बनाकर उनको अंदर लिया जा रहा है, मैं सदन को इतना जरूर आश्वस्त करना चाहता हूं कि जो वेज़ेस हमारे उस फैक्ट्री वाले ने अंदर दिये होंगे वही वेज़ेस उनको बाहर भी देने पड़ेंगे यदि वह कम दे रहे हैं तो हमारा जो अधिनियम है उसके अंतर्गत लेकर विधिवत जांच करवाकर, परीक्षण करा लेंगे और इस तरह से होगा तो हम सुनिश्चित करेंगे कि जो वेज़ेस पूर्व में दिये हैं वही वेज़ेस उनको मिलें.
अध्यक्ष महोदय -- श्री कुणाल चौधरी जी.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, और एक प्रश्न.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब एक-एक क्योंकि इसमें तीन लोगों का है.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, केवल एक प्रश्न और यह महत्वपूर्ण है. मैं माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं कि आपने कहा कि कहीं कम वेतन दिया जाए तो उसकी शिकायत करें, आज बेरोजगारी इतनी है कि जो जिस रेट पर मिलता है, आज मजदूर उस रेट पर काम करने को तत्पर है. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि आप अपनी टीम पहुंचाएं और वहां देखें. मजदूरों ने नागदा भी बंद किया था, कई बड़े आंदोलन भी किये थे, आप एक पूरी टीम पहुंचाकर वहां पर जांच कर लें कि कितने मजूदरों का काम हुआ है. वहां पर चार-पांच इंडस्ट्रीज हैं और करीब चार-पांच हजार मजदूर हैं तो इसको आप संज्ञान में लेते हुए कार्यवाही करेंगे क्या ? क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी मजदूर हित की बात लगातार करते हैं तो क्या शासन प्रशासन इसमें जांच कराएगा ?
अध्यक्ष महोदय -- श्री कुणाल चौधरी.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का जवाब आ जाए.
अध्यक्ष महोदय -- अरे भई, एक साथ जवाब देंगे.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- अध्यक्ष जी, पहले मेरा जवाब दिला दीजिए, फिर उनका जवाब दिला दीजिएगा. अध्यक्ष जी, मजदूरों का मामला है. जवाब तो आ जाने दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- मेरा माननीय सदस्य से अनुरोध है कि इस ध्यानाकर्षण में तीन माननीय सदस्यों का नाम है. आप समझिए. यदि आप ही चार-पांच प्रश्न करेंगे तो बाकी लोगों का क्या होगा. आप जानते हैं कि वैसे भी इसमें प्रश्न लेने की सीमा है.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, जवाब दिलवा देते.
अध्यक्ष महोदय -- कुणाल चौधरी का भी प्रश्न आने दीजिए, आपका जवाब भी मैं दिलवा दूंगा. कुणाल चौधरी जी..
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा भी इस पर ध्यानाकर्षण था, पर मेरा मामला सिर्फ नागदा का नहीं, पूरे प्रदेश को लेकर मैंने ध्यानाकर्षण लगाया था तो अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि उसी अनुसार मेरा उत्तर दें. मेरा पहला प्रश्न माननीय मंत्री जी से यह है कि लॉकडाऊन के दौरान स्थाई श्रमिकों को, दैनिक वेतन श्रमिकों को नौकरी से निकाल देना, उनको कार्य पर नहीं रखना, क्या केन्द्र सरकार के निर्देशों के अनुकूल है ? और प्रदेश सरकार उद्योगपतियों द्वारा किए गए ऐसे व्यवहार से सहमत है या असहमत है ?
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, दोनों का जवाब दे दीजिए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जहां तक माननीय सदस्य ने बात की, क्योंकि पर्टिकुलर नागदा को लेकर और वहां के इंडस्ट्रियल एरिया को लेकर प्रश्न है और यह ध्यानाकर्षण आया है. जहां तक हमारे दिलीप जी ने बात कही है, निश्चित रूप से, जो वे बोल रहे हैं कि बहुत सी हमारी लेबर बाहर घूम रही है और उनको उस वेजेस के हिसाब से पैसा नहीं दिया जा रहा है, जो पूर्व में दिया गया था, उसका हम परीक्षण करा लेंगे और इसमें जो हमसे बन सकता है, विधि सम्मत जो भी कार्यवाही है, वह हम करेंगे, यदि कोई गलती उसमें पाई जाती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि श्री कुणाल चौधरी का प्रश्न पूरे प्रदेश का है, नागदा से संबंधित नहीं है, पर्टिकुलर कहीं पर यदि आप हमे अवगत करा दें तो उस पर हम आपको जवाब दे दें या हम आपको बाद में बता देंगे.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा सिर्फ सिम्पल सवाल है, लॉकडाऊन की अवधि के दौरान केन्द्र सरकार के नियम थे कि किसी भी स्थाई श्रमिकों को कोई भी नहीं निकालेगा. क्या उसकी अवहेलना नहीं हो रही है ? अगर अवहेलना हो रही है तो क्या मध्यप्रदेश में उद्योगपतियों के ऐसे व्यवहार से सरकार सहमत है या असहमत है ? मेरा अकेले नागदा का नहीं, पूरे प्रदेश में इस तरह की स्थिति हुई और श्रमिकों की जो हालत है, आपने भी देखा, हमने भी देखा और रीवा की तरफ तो सबसे ज्यादा आपने देखा कि पैदल कितने श्रमिक आए और किन परिस्थितियों के अंदर उनकी कैसी खराब स्थिति रही, तो मुझे इस पर जवाब चाहिए था और दूसरा मेरा प्रश्न यह था कि अगर उन्होंने निकाला है तो उनके ऊपर सरकार क्या कार्यवाही करेगी और उतने समय के लिए उनको वेतन दिलवाने का प्रावधान क्या सरकार करेगी ? इसका मुझे जवाब चाहिए और सहमत या असहमत, कम से कम इतना तो बताएं ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने पूरे प्रदेश की बात कही है. कहीं पर ऐसी चीज आती है, क्योंकि अब जनरल प्रश्न है, जनरल प्रश्न में यदि विधि सम्मत हमारे लेबर कानून एक्ट के तहत यदि कोई चीज आएगी तो हम कार्यवाही करेंगे. यदि माननीय सदस्य को ऐसा लग रहा है कि पर्टिकुलर या यहां पर गलती हुई है क्योंकि प्रावधान के तहत जो हम..
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इग्जाम्पल दे सकता हूँ सतना में जेपी सीमेंट से 600 श्रमिक निकाले गए..
अध्यक्ष महोदय -- आप दे देना, वे कह रहे हैं.
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष जी, मेरा एक सिम्पल सवाल है, उसका जवाब नहीं दे रहे हैं. केन्द्र सरकार के नियम थे, क्या मध्यप्रदेश सरकार केन्द्र सरकार के नियमों के खिलाफ काम कर रही है. इसका जवाब दे दें. वे बता दें कि सहमत हैं या असहमत ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई भी कानून हों, चाहे केन्द्र के कानून हों या राज्य के कानून हों, हम उसका पालन करेंगे और पालन करवाएंगे, मैं आपको सदन के अंदर सुनिश्चित कर रहा हूँ कि यदि कहीं पर ऐसा हुआ है तो आप अवगत कराएं, हम कार्यवाही करेंगे.
श्री कुणाल चौधरी -- मैंने आपसे आग्रह किया है, जेपी सीमेंट में भी और इसके अलावा उनको जो वेजेस मिले...
अध्यक्ष महोदय -- आप दे दीजिए ना, वे कह रहे हैं कि कार्यवाही करेंगे.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरे सवाल का जवाब मिलता ही नहीं है. मुझे आपका संरक्षण चाहिए. मैं नया सदस्य हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न ही इस तरह का करते हैं, जवाब तो लीजिए, जवाब दे दिया उन्होंने.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं बहुत छोटे से गांव का पिछड़ी जाति का सदस्य हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आप यह कहते हैं कि केन्द्र से सहमत हैं कि नहीं सहमत हैं, कैसे कहें कि हम असहमत हैं. ये कौन सा प्रश्न हुआ. वे कह रहे हैं, आप उन्हें दे दीजिए, वे जांच करेंगे. श्री बहादुर सिंह जी.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है एक प्रार्थना कर सकता हॅूं यदि आपकी इजाजत हो तो. एक प्रार्थना है विपक्ष..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनसे तो मत बुलवाइए. इनके कारण ही हुआ है, किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ है. ..( व्यवधान)...इनको तो बिठा दीजिए.इनके कारण ही किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ है.....( व्यवधान)...माननीय अध्यक्ष जी, हाथ जोड़कर निवेदन है. इनका नाम नहीं है. इनके कारण ही किसानों की, मजदूरों की यह गत हुई है. माननीय अध्यक्ष जी, इनको बिठा दीजिए..( व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- प्लीज़ बैठ जाइए. कृपापूर्वक बैठ जाइए. आग्रह है, बैठ जाइए...(व्यवधान)..
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष जी, इनको जनता की समस्याओं से लेना-देना नहीं है. इनकी लड़ाई है कि नेता प्रतिपक्ष कौन बन रहा है..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष जी, हमारी भी सुन लीजिए. हम आपकी भी सुन रहे हैं. कर्जा माफ नहीं हुआ है...(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष जी....
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. बहादुर सिंह जी...
श्री तरुण भनोत -- (XXX)
श्री कुणाल चौधरी -- (XXX)
श्री प्रियव्रत सिंह -- (XXX)
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह रिकॉर्ड में नहीं आएगा.
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप भी देख रहे हैं और पूरा सदन भी देख रहा है. क्या माननीय मंत्रियों का यह व्यवहार उचित है ? हर प्रश्न में कोई मंत्री से जवाब न आए इसलिए खडे़ होकर डिस्टर्ब करके, जो बात सदन में आना चाहिए जिसके लिए सदस्य मेहनत करके प्रश्न लगाते हैं. विधानसभा के मंदिर में मंत्रियों का इस तरह का आचरण क्या इसे उचित कहा जा सकता है ? माननीय, आप लगातार निर्देशित कर रहे हैं आपके निर्देशों का भी पालन नहीं कर रहे हैं, इसलिए मैं आपसे व्यवस्था चाहता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइए. गोविन्द सिंह जी ने कह दिया. मंत्री जी, आप भी बैठ जाइए.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने कई बार आग्रह किया. खासतौर से जो हमारे पहली बार के सदस्य आए हैं वाकई में क्या हम उनका नुकसान नहीं कर रहे हैं, क्या हम ऐसा विचार नहीं कर सकते हैं ? उनके प्रश्न लगते हैं और बड़ी मुश्किल से लगते हैं, बड़ी मेहनत से लगते हैं और वह बहुत तैयारी करके आते हैं. उसके बाद भी हम उनको अवसर नहीं दे रहे हैं तो मेरा दोनों पक्षों से फिर आग्रह है कि कृपया, इसको थोड़ा-सा रोकिए और उनका प्रश्न आने दीजिए. उनका उत्तर आने दीजिए. दोनों पक्षों से आग्रह कर रहा हॅूं. इस पक्ष से भी और दूसरे पक्ष से भी. बहादुर सिंह चौहान जी को पूछने दीजिए.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) -- माननीय अध्यक्ष जी, ग्रेसिम उद्योग ऐसा उद्योग है जो एशिया महाद्वीप का बहुत बड़ा उद्योग है और कोरोना काल में हजारों मजदूरों को जो कुशल श्रमिक थे उनको ग्रेसिम उद्योग के मालिक के द्वारा बाहर कर दिया गया. यह श्रमिक 10-15 वर्षों से कार्य कर रहे हैं और ग्रेसिम परिसर के अंदर काम कर रहे हैं. इसमें सबसे बड़ा इश्य़ू यह है कि
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( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
उसमें से कुछ लोगों को कोरोना काल के बाद बुला लिया गया है लेकिन बाहर से गेट पास दिया जा रहा है. यदि कोई घटना होती है तो उद्योग की कोई जवाबदारी नहीं होती है. न तो उनको पीएफ मिल सकता है और न ईएसआई मिल सकता है, उससे वह वंचित रह जाएगा. इन श्रमिकों का शोषण करके उद्योग करोड़ों रुपए का लाभ कमा रहा है. मेरा सीधा प्रश्न है कि नागदा और महिदपुर विधानसभा की बॉर्डर 2 किलोमीटर पर ही है. मेरे गांव पूरे लगे हुए हैं और दिलीप सिंह गुर्जर जी माननीय विधायक हम दोनों साथ-साथ पड़ोस के विधायक हैं. वहां पर नागदा बंद भी हुआ, आंदोलन भी हो रहा है लेकिन उद्योग की इतनी मनमानी है कि अभी भी हजारों श्रमिक काम पर नहीं जा रहे हैं. मेरा सीधा प्रश्न है कि कोरोना काल के पहले 1 जनवरी, 2020 ले लें, 15 साल की बात नहीं लेते. 1 जनवरी 2020 में जितने ठेका श्रमिक उद्योग परिसर के अंदर काम कर रहे थे, जो 1 जनवरी 2020 की स्थिति थी, क्या माननीय मंत्री जी आप उद्योग से वह लागू करवा देंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- केवल आपने नागदा के लिए पूछा है ?
श्री बहादुर सिंह चौहान -- जी हां, माननीय अध्यक्ष महोदय. केवल नागदा के लिए पूछा है.
श्रम मंत्री (श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक क्योंकि मैंने पहले ही आपसे आग्रह किया कि कांट्रेक्चुअल लेबर हैं. कांट्रेक्चुअल लेबर में ठेकेदार ही उसको लगाता है वही निकालता है और उस पर श्रम विभाग का कोई फोर्स नहीं है क्योंकि यह हमारे प्रावधान में भी नहीं है कि हम चाहे वह ठेका श्रम अधिनियम हो, चाहे औद्योगिक विवाद अधिनियम हो, कि हम कान्ट्रेक्टर को फोर्सफुली बोलें कि यह लेबर आप वापस रखो. यदि नियमित लेबर होती तो हमारे अधिकार के अन्तर्गत था, लेकिन कान्ट्रेक्टर लेबर को हम फोर्सफुली किसी कान्ट्रेक्टर को बोलें कि फिर से उसी स्थिति पर रखो, जहाँ तक मिनिमम वेजेस की बात है, यदि उसको कोई राशि पूर्व में मिल गई है और उसको कम दी जा रही है तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसको जो राशि एक बार दी जा चुकी है उसको वही राशि दी जाए और हम इसका परीक्षण करा लेंगे. अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात, जहाँ तक इनका बोलना है कि हजारों लेब हमारी बाहर घूम रही है और बाहर से लोग अन्दर आकर काम कर रहे हैं इस कारण से उनको जो सिक्योरिटी मिलनी चाहिए या जो भी उनको फैक्ट्री के माध्यम से सहायता मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल पा रही है, वह हम अपने विभाग के माध्यम से सुनिश्चित करेंगे, यदि बाहर से कोई, क्योंकि जो मुझे जानकारी में आया है वह यह है कि जो हमारी वैल्डिंग जैसे अन्य जो हमारे काम हैं वह सब बाहर किए जा रहे हैं इस कारण से जो भी काम करके आ रहे हैं, उनको गेट पास देकर अन्दर बुलाया जाता है, इसको हम कैसे सुनिश्चित करें, हम कैसे उनके दायरे में ला पाएँ, हम इस पर विचार करेंगे और जो हमारी विधि सम्मत चीजें होंगी उस पर हम कार्यवाही करेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के उत्तर से मैं संतुष्ट हूँ, अध्यक्ष जी, प्रश्न केवल इतना है कि जो बाहर बचे हुए ठेका मजदूर हैं उनको अन्दर लेना है. माननीय मंत्री जी ने परीक्षण करके अन्दर लेने का आश्वासन दे दिया है. मेरा मंत्री जी से यह कहना है कि आपके श्रम विभाग के जो अधिकारी हैं, माननीय मंत्री जी, वे उद्योग से मिले हुए हैं, यह मेरा सीधा सीधा आरोप है और वे उद्योग को सहयोग करते हैं तथा वे उद्योग के कर्मचारी बनकर काम करते हैं, जबकि वे मध्यप्रदेश सरकार के कर्मचारी हैं. मेरा आप से आग्रह है वह सारे प्रकरण कोर्ट में पेश, वह आज रिलेवेंट नहीं है, मेरा आप से सीधा प्रश्न यह है कि आपके जिला अधिकारी को आप निर्देशित करें और आप पूरे प्रकरण की जाँच करवा लें और मेरे हिसाब से उसको सौ रुपये कम दिए जा रहे हैं. हजारों मजदूरों का मामला है, तो महीने में करोड़ों रुपये के टर्न ओव्हर का मामला है. दस हजार मजदूर थे सब कम कर दिए. कोरोना में तो उन्होंने सेवा की. मेरा इतना ही आग्रह है कि पूर्व में जितनी राशि उनको मिलती थी 480 रुपये, 450 रुपये, एक तो वह दिलवा दी जाए और बाहर जो भी मजदूर बचे हुए हैं, उनको ठेका मजदूर पर पुनः अन्दर बुलाकर, पूर्व की व्यवस्था आप करवा लें. आप एक अपनी कमेटी यहाँ भोपाल से या संभाग से अधिकारी को भेज कर पूरा परीक्षण करवा कर यथासंभव उन सबकी मदद करें, यही मेरा आग्रह है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि सदस्य ने बोला है, हम परीक्षण करवा लेंगे.
11.27 बजे
अध्यक्षीय घोषणा.
भोजनावकाश न होने संबंधी.
अध्यक्ष महोदय-- आज भोजन अवकाश नहीं होगा, माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वे सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करेंगे.
11.28 बजे
देवास जिलान्तर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिग्रहित भूमि के मुआवजा निर्धारण में अनियमितता.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा(खातेगाँव)-- धन्यवाद माननीय अध्यक्ष जी.
राजस्व एवं परिवहन मंत्री(श्री गोविन्द सिंह राजपूत)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि मैं उसी सड़क से प्रतिदिन निकलता हूँ. जो भूमियाँ एकदूसरे के बाजू में सटी हुई हैं. मार्च 2018 में इसकी अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित हुई थी. उस दिनांक से लेकर उसके अगले छह माह में किन-किन भूमियों का नामान्तरण और डायवर्जन विभाग के एसडीएम, तहसीलदार कन्नौद और खातेगांव तहसील में किया गया, क्या इसकी माननीय मंत्री महोदय जाँच कराएंगे. दूसरा, अगर किसी प्रकार की शिकायतें नहीं होतीं तो इतनी सारी आपत्तियाँ विभाग के पास क्यों जा रही हैं. जब भूमि का अधिग्रहण करने के लिए अधिकारी मौके पर पहुंच रहे हैं तब वहां पर किसानों के द्वारा भारी विरोध किया जा रहा है. पटवारी हल्का नंबर 61, 62 और 35, लगभग मेरे विधान सभा क्षेत्र के 15 गाँव इस नेशनल हाई-वे की भूमि अधिग्रहण क्षेत्र के अन्तर्गत आ रहे हैं. एक जगह तो किसान की भूमि ली जा रही है. किसान का नाम है सूरज पिता प्रहलाद जिसकी भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है लेकिन अधिग्रहण की सूची में इसका नाम ही नहीं है. रानी बाग एक गांव है जो रास्ते में है, ननासा है, वहां पिछले 50-60 वर्षों से नेशनल हाई-वे के बाजू में मकान बनाकर रह रहे हैं वे अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग हैं, लेकिन उनको मकान का मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. इस कारण इन लोगों में आक्रोश है. विभाग की यह व्यवस्था है अगर अवार्ड से संबंधित किसी प्रकार की शिकायतें हैं तो कमिश्नर उसकी सुनवाई करेगा. उन लोगों के पास इतना पैसा भी नहीं है कि वे इस न्यायालयीन प्रक्रिया को अपना सकें.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न करें.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से यह प्रश्न है क्या अवार्ड की अधिसूचना जारी होने के साथ या इस नेशलन हाई-वे के लिए भूमि अधिग्रहण की सूचना जारी होने के बाद जिन लोगों के नामान्तरण और डायवर्जन हुए हैं, उसकी जाँच कराएंगे. जितनी शिकायतें एसडीएम खातेगावं, एसडीएम कन्नौद, कलेक्टर देवास को भूमि अधिग्रहण के अवार्ड पारित में विसंगति की हुई हैं, क्या उन सब की भोपाल से टीम भेजकर निश्चित समयावधि में जाँच कराएंगे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक का जो प्रश्न है उसके संबंध में जानकारी देना चाहूँगा. 15 ग्रामों में कुल कृषकों की संख्या 972 थी, कुल स्वीकृत मुआवजा राशि 105 करोड़ 72 लाख रुपए है. जिन किसानों को मुआवजा मिल चुका है उनकी संख्या 387 हैं, कुल वितरित मुआवजा राशि 48 करोड़ 12 लाख रुपए है. मुआवजे के लिए 585 किसान शेष हैं, मुआवजा वितरण शेष राशि 57 करोड़, 14 लाख रुपए हुए है. मुआवजे के संबंध में आपत्तियां 427 हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें 21 दिन का समय दावे आपत्तियों और उनकी सुनवाई के लिए दिया जाता है. जिन व्यक्तियों को यदि मुआवजा या अवार्ड सही नहीं मिला है या वे संतुष्ट नहीं हैं तो वे कमिश्नर कार्यालय में अपना आवेदन देकर जाँच करवा सकते हैं.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- माननीय मंत्री जी, मेरा इसमें यही कहना है कि जो आक्षेप की कार्यवाही थी किसानों ने उस समय जो किया था उसके द्वारा विभाग पर, उनके आक्षेपों पर किसी प्रकार का निराकरण नहीं किया गया. जब अवार्ड की राशि की सूचना उनको मिली है कि हमारे खाते में इतना पैसा डला है. एक ही भूमि जो नेशनल हाईवे पर स्थित है उसको कलेक्टर की गाइड लाइन के अनुसार 27 लाख 50 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का मुआवजा दिया जा रहा है और उसके बाजू की भूमि को 13 लाख 50 हजार रुपए का मुआवजा दिया जा रहा है जो कि भारी विसंगतिपूर्ण है. इसमें दूसरा विषय यह है कि नेशनल हाईवे पर जो भूमि उपयोग में ली जा रही है जिसका अधिग्रहण किया जा रहा है उसमें अंदर का क्षेत्र बताकर उसको कम मुआवजा दिया जा रहा है. अगर यह मामला वहीं स्थानीय स्तर पर निपट जाता तो मैं इस मामले को विधान सभा तक लेकर नहीं आता और मैं इस सदन का समय बर्बाद नहीं करता चूंकि इस मामले में जो छोटे-छोटे गरीब लोग हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप कोई कंक्रीट सवाल पूछ लीजिए.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कंक्रीट सवाल यही है कि इस पूरे मुआवजा प्रकरण में जो 427 लोग जो आपत्तिकर्ता हैं जिन्हें आप मान रहें हैं कि यह लोग आपत्तिकर्ता हैं. क्या इन 427 लोगों को भोपाल से आपके विभाग की टीम भेजकर निश्चित समयावधि में इनके मामलों का उनकी भावना के अनुरूप निराकरण कर दिया जाएगा?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी की भावनाओं से अवगत हूं लेकिन मैं विधायक जी को यह बताना चाहता हूं कि ऐसे मामले कमिश्नर के यहां आर्बीटेशन में हैं. आर्बीटेशन में हम यहां से जांच के आदेश नहीं दे सकते हैं. यह अर्द्ध न्यायिक प्रक्रिया है. इसलिए जिनको भी न्याय नहीं मिला है वह कमिश्नर के यहां आवेदन दें और इसमें समय भी होता है. अभी इसे मात्र तीन महीने का समय हुआ है. इसमें अभी समय है और इसमें जितना समय लगेगा और जो समय व्यतीत होगा उसका ब्याज मिलेगा इसमें यह भी प्रावधान है. जिनको पैसा मिल चुका है और वह संतुष्ट नहीं हैं वह सशर्त आवेदन दे सकते हैं. मैं माननीय सदस्य से निवेदन करूंगा कि चूंकि मामला आर्बीटेशन में है, कमिश्नर के यहां है, अर्द्ध न्यायिक प्रक्रिया में है इसलिए हम यहां जांच के आदेश नहीं दे सकते हैं और न ही समय-सीमा बता सकते हैं. कृपा करके मेरा आपसे अनुरोध है कि कमिश्नर के यहां आवेदन करवाएं उन्हें न्याय मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय-- विधायक जी आपका जवाब आ गया है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- माननीय मंत्री जी मेरा आपसे एक छोटा सा प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने कह दिया है कि आप कमिश्नर के यहां आवेदन लगवाइए.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- माननीय मंत्री जी लंबी न्यायालयीन प्रक्रिया है बहुत गरीब और छोटे-छोटे किसान हैं. जिन लोगों ने अधिग्रहण की कार्यवाही की शिकायत की है क्या मंत्री जी अब तक इस कार्यवाही को रोकेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया कर बैठ जाएं कार्यवाही आगे बढ़ गई है.
12:38 बजे
(3) टीकमगढ़ जिले के ग्राम बर्मा मांझ से बिलगांय, पथरया, धर्मपुरा, एवं उत्तरी कारी तक सड़क निर्माण कराया जाना
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर (पृथ्वीपुरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद कि उनके विभाग के लोगों और उन्होंने बता दिया कि कंपनी लोगों को सम्मानित कर रही है, सभी जगहों पर बिजली आ रही है और कोई ट्रांसफार्मर जले हुए नहीं हैं, उन्होंने अपना उत्तर यहां पढ़ दिया. मैं मैदान में रहता हूं और बताना चाहूंगा कि पूरा मध्यप्रदेश और मेरा पृथ्वीपुर क्षेत्र भी उसी में आता है, खासतौर से बुंदेलखण्ड में आज भयंकर सूखे की स्थिति है और ऐसे सूखे की स्थिति में जहां पानी की समस्या हो रही है, गौ-माता और अन्य पशुओं को पानी की समस्या हो रही है, फसलें सूख रही हैं और जनरेटर से भी यदि किसान किसी तरह से अपनी फसल को बचाना चाहता है तो आपके विभाग के अधिकारी उसके जनरेटर को, उसकी मोटर साइकिल को, उसकी चारपाई को, उसके तख्त को, उसके रखे हुए सामान को, न केवल वे उठा ले जाते हैं अपितु कंपनी वाले किसान की बेज्जती भी करते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहूंगा कि मंत्री जी ने कहा कि ट्रांसफार्मर खराब नहीं हैं लेकिन पैसा जमा होने के बावजूद भी जिरोन सब स्टेशन में, कोयली, पथरिया, गुदरई, कटौयीयाबावा, मड़ेराखेरक, रौतेला, पंचनखेरा, बजल, बजलासुरी, ककवनी, मुडै़नी, करतारपुरा, गडि़याराना, ऑरेसरगिरडवान, डोंडी, आदिवासी बस्ती सतपरीयन, बिहारीपुरा और इनके साथ-साथ दिगौड़ा में झूठे चोरी के मुकदमे, इसके अलावा दिगौड़ा सब-स्टेशन, पृथ्वीपुर, नेगुआ, सिनौनीया तेरका, बिजौर, ओरछा, निवाड़ी इनके ट्रांसफार्मर जो जले हैं, वे अलग हैं. तो कितना अंतर है मंत्री जी के उत्तर में और हमारी ज़मीनी हकीकत में ? इनके पैसे जमा हैं और इसके बाद भी आप कह रहे हैं कि ट्रांसफार्मर जले नहीं पड़े हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आपके ही निर्देश हैं कि आपके अधिकारी माह में कम से कम एक बार जनप्रतिनिधियों के साथ बैठकर चर्चा करेंगे. अगर ऐसा होता तो यह समस्या विधान सभा में उठाने की जरूरत नहीं पड़ती. क्या आप इस पूरे मामले में यहां से एक उच्च स्तरीय जांच समिति बनाकर, उसमें हम सभी को शामिल करके, समिति गठित करके, शीघ्र ट्रांसफार्मर रखवाने का कष्ट करेंगे.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- माननीय अध्यक्ष महोदय ,माननीय सदस्य ने जो बात कही है, सर्वप्रथम मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि अभी कुल 16 ट्रांसफार्मरों की शिकायत उपभोक्ताओं से या हमारे द्वारा प्राप्त किए हुए, जले हुए शेष हैं. इनमें से भी हमने 6 ट्रांसफार्मर बदल दिए हैं. अब इनके 10 ट्रांसफार्मर रह गये गये हैं, चाहें तो मैं नाम पढ़कर भी बता सकता हूं. माननीय सदस्य ने जो कहा है ट्रांसफार्मरों के पैसे जमा है और वह नहीं बदले गये हैं, यदि वह मुझे अभी सूची दे देंगे. मैं अभी आपके साथ विधान सभा के बाहर कक्ष में बैठकर पीएस, सीएमडी और एमडी से चर्चा करके उनका निराकरण करा दूंगा. मध्यप्रदेश में माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार है, किसानों की सरकार है. मैं आपको पूरे आंकड़ों के साथ कह सकता हूं, (व्यवधान) आप मेरी बात सुन लें, आप मेरी भावना सुन लें..
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाइये, अभी मंत्री जी का जवाब नही आया है, पूरा जवाब तो आ जाने दीजिये, बृजेन्द्र सिंह जी के सवाल का जवाब तो आ जाने दीजिये, आप अपने साथी के प्रश्न का जवाब ही नहीं आने दे रहे हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- माननीय बड़े सम्माननीय सदस्य हैं, मैं, उनको बताना चाहता हूं कि टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले में वर्ष 2019-20 में जब हम और आप सत्तासीन थे उस समय 819 ट्रांसफार्मर निवाड़ी जिले में फूंके, 1147 टीकमगढ़ जिले में फूंके, इस वर्ष 2020-21 में 570 ट्रांसफार्मर निवाड़ी जिले में फूंके और 651 टीकमगढ़ जिले में फूंके हैं. दूसरी बात, 2019-20 में 16 लाख 21 यूनिट इन्होंने निवाड़ी को दी..
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर:- माननीय अध्यक्ष महोदय,..
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- आप मेरी बात सुन लीजिये, जो बात कह रहा हूं, पूरे सदन को बताना चाहता हूं 17 लाख 58 यूनिट हमने इस वर्ष आपको दी है.
अध्यक्ष महोदय:- वह ट्रांसफार्मर जलने का पूछ रहे हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- अध्यक्ष महोदय, आप सुन तो लीजिये अगर ट्रांसफार्मर फूंके पड़े हैं, सब कुछ फूंका पड़ा है तो यह बिजली कैसे चली गयी, यदि अवरूद्ध है तो. सदन को वास्तविक तथ्य मालूम होना चाहिये. (व्यवधान) आप शांति से सुनें, मैं पूरा जवाब दे रहा हूं, मेरे पास पूरा सकारात्मक जवाब है, मैं नकारात्मक पॉलीटिक्स के लिये नहीं खड़ा हूं. मैं विपक्ष का सम्मान करता हूं, मैं भी एक सदस्य हूं. मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि टीकमगढ़ जिले में भी हमने यह किया है और इन्होंने कहा तो हमने 2021 में 40 रात्रिकालीन कैंप किये हैं, माह जनवरी में 58 रैलियां निकाली हैं (व्यवधान) और मेरा यह कहना है कि फिर भी मैं सम्माननीय सदस्य को कहना चाहता हूं कि हमारी सरकार माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में है, अगर किसी का ट्रांसफार्मर का पैसा जमा है और फूंका है तो उसको बदलवाने का काम 24 घण्टे में हमारी सरकार करेगी, वह सूची आप मुझे दे दें.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाइये, बृजेन्द्र सिंह जी को बोलने दीजिये, बृजेन्द्र सिंह जी अपना प्रश्न करें.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर:- माननीय मंत्री महोदय, आप बड़े पुराने साथी हैं और किसान परिवार से ही आते हैं और मुख्यमंत्री जी भी किसान के बैटे हैं, जैसा आपने कहा. अगर आप इसमें खुश हैं कि बिजली बहुत अच्छी जा रही है, कोई ट्रांसफार्मर नहीं जला है और सब व्यवस्थाएं ठीक हैं तो मुझे कहने की आवश्यकता नहीं है, जो लोग सुन रहे हैं वह उसका जवाब आपको अपने आप दे देंगे. अगर आप वास्तव में गंभीर हैं तो मैं आपसे कह रहा हूं कि केवल ट्रांसफार्मर जले होने का भी सवाल नहीं है, ऐसे-ऐसे लोग जो 40-40 साल से इस दुनिया में नहीं हैं उनके नाम से लाखों के बिल आपके बन के जा रहे हैं, ऐसे लोग जिनके घर में खाने को नहीं है, कच्ची झोपड़ी में रह रहे हैं उनके घर में दो-दो लाख रूपये के बिल जा रहे हैं इसलिये मैंने कहा कि आप कृपा करके हमारे तुम्हारे में मत पडि़ये, भाजपा कांग्रेस का सवाल नहीं है, यह प्रश्न है मध्यप्रदेश के उन गरीबों का जिनको न्याय दिलाना हमारा आपको धर्म बनता है और जिस तरीके की आपकी तासीर है, अभी तो आपकी हां में हां मिलाना मजबूरी है, लेकिन आपकी जो तासीर है, आप किसानों के हमदर्द बनते हो, आप किसानों के बारे में जरा चिंता करिये और जरा अच्छा जवाब दीजिये, ताकि हम लोग भी संतुष्ट हों.
अध्यक्ष महोदय--मैंने कहा है आप पर्टीक्यूलर प्रश्न करिये.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--जो फर्जी बिल लोगों को दिये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय--ट्रांसफार्मर वाला मूल प्रश्न है वह पूछिये.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- अध्यक्ष महोदय, ट्रांसफार्मर वाले प्रश्न पर पहले ही बोल चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय--कहां पर पैसा जमा है वहां पर ट्रांसफार्मर लगाने की बात हो रही है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- अध्यक्ष महोदय, मैं पहले भी इनको लिखकर के दे चुका हूं. हम आपको दोबारा लिखकर के दे देंगे. इसमें हमने नाम पढ़कर के भी उल्लेख कर दिया है. पूरी लिश्ट आपको दे देंगे. हम यह चाहते हैं कि इसके साथ साथ जहां जहां पर स्थितियां खराब हैं उसको आप ठीक करें. मेरा मकसद केवल इतना ही है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदस्य महोदय को कहना चाहता हूं कि हम किसानों के हित के लिये काम करने के लिये बैठे हैं. पक्ष विपक्ष में नहीं. मैंने कहा कि जो सूची होगी अभी सदन के बाहर निकलते ही सम्मानित सदस्य के साथ अपने प्रमुख सचिव के साथ बैठकर के कार्य करूंगा. अगर जो सूची दी है उसमें जानकारी गलत दी होगी तो मैं उन अधिकारियों को बख्शूंगा नहीं, यह मैं आपको भरोसा देता हूं. दूसरी बात आपने गरीबों की बात कही उसमें मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि भोपाल के अंदर उस विधवा मां जो मेरे पास आयी थी.
एक माननीय सदस्य-- ग्वालियर का भी तो करिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर--अध्यक्ष महोदय, ग्वालियर की भी करूंगा यह लोग बारी बारी से बैठ जायें मैं इनको जवाब दूंगा. मैं सदन को विस्वास देता हूं.
अध्यक्ष महोदय--यह केवल विधान सभा के बिजली विभाग का नहीं है और लोगों का भी है. आप बारी बारी से प्रश्न करें और उसका बारी बारी से जवाब दें उसकी आवश्यकता नहीं है. आपने जवाब दे दिया यह काफी है. सदस्यों से मैं अनुरोध करता हूं कि इनका प्रश्न केवल निवाड़ी टीकमगढ़ का लगा हुआ था आप लोग दूसरी जगहों का पूछ रहे हैं इसको अलाऊ नहीं करूंगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़े.
12.53 (4) प्रदेश के आदिवासी जिलों में विद्यालय शिक्षक विहीन होने से उत्पन्न स्थिति
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)--अध्यक्ष महोदय,
राज्यमंत्री स्कूल शिक्षा ( इन्दर सिंह परमार)--अध्यक्ष महोदय,
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछली सरकार ने उन दूरस्थ इलाकों में कतिपय उन शिक्षकों के कारण जो अपने जिले से वे दूर होते थे, उनकी सुविधा को दृष्टिकोण रखते हुए, वैकल्पिक व्यवस्थाओं के साथ, ऑनलाइन होने के साथ और जिस प्रकार से उसको प्रचारित प्रसारित किया गया था, आप परेशान है इसलिए आपको जहां आप चाहेंगे, उस जगह आपको स्थानांरित कर दिया जाएगा. खूब प्रचार प्रसार भी हुआ, खूब वाहवाही भी लूटी. अध्यक्ष महोदय मैं इस बात से इंकार भी नहीं करता, अगर कोई पीडि़त व्यक्ति है, पीडि़त शिक्षक है, उसका परिवार है, माता पिता बीमार है, घर दूर है और अगर वह आना चाहता है तो उसके लिए कहीं न कहीं कंसीडर किया जाना चाहिए, उसको कहीं न कहीं अकमॉडेट किया जाना चाहिए. लेकिन हमने उन दिनों देखा कि जिस तरह से इस प्रकार से प्रचारित किया गया और नतीजतन क्या हुआ, लाइन लग गई.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, हर प्रश्नों के पहले भाषण चालू हो जाता है, इसमें समय व्यय होता है, जो पूछना होता है वह पूछे. सवाल इस बात का है भाषण तो रोज सुनते हैं आप अपने प्रश्न को पूछिए. इतना लंबा आप बोलेगे, आप क्या चाहते हैं वह बोले.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष जी, गोविन्द सिंह जी बहुत वरिष्ठ हैं, पुराने तमाम ध्यानाकर्षण वाले भूमिका बनाते हैं, मैं कोई नई परम्परा नहीं डाल रहा हूं, जितने भी सदस्य अपने ध्यानाकर्षण पढ़ते हैं, भूमिका बनाकर के पढ़ते हैं, खाली प्रश्न ही करना है तो मैं प्रश्न करके बैठ जाऊं.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न पूछे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिवासी अंचल से वे निकल तो गई, लेकिन क्या उनकी पद पूर्तियां हो गईं, क्या उनके स्थानों पर वह पहुंच गए हैं. मंत्री जी आपने खुद ने स्वीकार किया है कि अतिथि शिक्षकों से काम लिया जा रहा है क्यों, जब आपने फुलफ्लैश शिक्षक को वहां से हटाया तो उसके विकल्प में आपने उसको क्यों नहीं बैठाया. मैं सीधा प्रश्न करना चाहूंगा, पूरे प्रदेश का मामला है. मैंने आदिवासी क्षेत्रों के इसलिए नाम लिए क्योंकि यह मेरी जानकारी में आया था और यह पूरे प्रदेश का मामला होगा. अभी 35 हजार स्थानांतरण हुए, कोरोना के कारण से स्कूल नहीं चले. अभी आप देखिए, उन स्कूलों में हालात क्या होंगे. मैं आपसे सिर्फ यह निवेदन करना चाहता हूं कि क्या मंत्री महोदय उन स्थानांतरणों की, उन स्थानांतरणों के बाद रिक्त पद हुए उनकी, उनकी भरपाई हुई या नहीं उनकी, यह तीन तरह की जांच आप करवा लेंगे क्या नहीं.
श्री इन्दर सिंह परमार - हमारे माननीय सदस्य का ध्यानाकर्षण महत्वपूर्ण है, लेकिन मैं एक बात बता देना चाहता हूं कि पिछले सालों में भर्तियां नहीं होने के कारण से और इस ट्रांसफर पॉलिसी के कारण से पिछली सरकार की बड़े पैमाने पर हमारे यहां के स्कूल खाली है, कई जगह पर शिक्षक विहीन शालाएं हो चुकी है, जिनकी संख्या बड़ी हैं. जहां जहां का उल्लेख माननीय सदस्य ने किया है, अलीराजपुर में 256, झाबुआ में 208, बड़वानी में 428, सिंगरौली में 128, सीधी में 122, मंडला में 237 और धार में 208 शालाएं शिक्षक विहीन हैं. ऐसे अन्य सभी जिलों में बड़ी संख्या में शिक्षक विहीन शालाएं हैं, लेकिन मैं सम्माननीय सदस्य के साथ साथ पूरे सदन को विश्वास दिला रहा हूं कि हमने जो नियुक्ति प्रक्रिया जिसमें वेरीफिकेशन का काम रुका था, उस कार्य के लिए हमने कल ही आदेश जारी कर दिया है, जब सदन में इधर चर्चा चल रही थी और उस समय हमारे शिक्षा विभाग से वेरीफिकेशन का काम एक समय अवधि में पूरा करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं और हम उसके अंतर्गत ट्रायवल भी और जो खाली क्षेत्र हमारा स्कूल शिक्षा विभाग का है, उसकी जो भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई थी, उसको प्रारंभ करने जा रहे हैं. अगले सत्र में हम बहुत जल्दी सभी स्कूलों में जहां जहां ऐसी शिक्षक विहीन शालाएं हैं, पहले प्राथमिकता के साथ उनको भरने का काम करने वाला है. मैं समझता हूं कि इस प्रश्न से सभी समस्याओं का निराकरण होगा. हम बड़ी संख्या में शिक्षकों की भर्ती जो हमारे 15 हजार माध्यमिक शिक्षक है और 5 हजार 670 मिडिल के शिक्षक हैं, ऐसे करके 20 हजार 670 शिक्षकों के लिए हमारी भर्ती पूरी हो जाएगी. मैं समझता हूं कि शिक्षा विभाग के लिए यह बड़ा काम होगा. साथ साथ ही यह भी ध्यान रखेंगे कि जब हम नई स्थानांतरण नीति पर काम कर रहे हैं, हमने एक अच्छी पारदर्शितापूर्ण स्थानान्तरण नीति लागू करेंगे और ध्यान रखेंगे कि कोई भी शाला, स्थानान्तरण के कारण से शिक्षक विहीन न हो, जब तक वहां की व्यवस्था नहीं होगी, तब तक हम उन स्कूलों से ट्रांसफर नहीं करेंगे एवं वैकल्पिक व्यवस्था होने पर ही हम ट्रांसफर की प्रक्रिया को अपनाएंगे. जहां तक अतिथि शिक्षकों का प्रश्न है तो अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था हमारे यहां लम्बे समय से है और चल ही रही है. हम अतिथि शिक्षकों का उपयोग जहां शिक्षक नहीं होते हैं, केवल वहीं उपयोग करते हैं, जहां शिक्षक हमारे पास पर्याप्त हैं, वहां हम अतिथि शिक्षकों का उपयोग नहीं करते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, सिर्फ इतना बता दें कि पिछली सरकार ने क्या स्थानान्तरण नीति के अंतर्गत इतने बड़े पैमाने पर स्थानान्तरण किये थे ? और क्या आपने अभी जो अलीराजपुर का उल्लेख किया है कि उसमें 250, धार में इतने, मण्डला में इतने, जो रिक्त हुए हैं. क्या वे ट्रांसफर के कारण रिक्त हो गये या पहले से पद रिक्त थे ? यह भी बताने की कृपा करें.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछली सरकार के समय जो स्थानान्तरण नीति थी, उसके कारण लगभग 35,000 स्थानान्तरण हुए हैं, थोड़े आगे-पीछे हो सकते हैं. मुझे अलीराजपुर जिले की जानकारी है, उस समय की. जहां पर उन स्थानान्तरणों के कारण से काफी स्कूलों से ट्रांसफर हुए हैं और उसके कारण भी कुछ पद खाली हुए हैं एवं कुछ प्रमोशन न होना और भर्ती प्रक्रिया न होना भी है, इन दोनों कारणों से भी कुछ संस्थाएं खाली हुई हैं. इसलिए मैं समझता हूँ कि अब हम सदन को आश्वस्त कर रहे हैं कि हमारी ट्रांसफर नीति बन रही है, हम उस पर काम कर रहे हैं, हम उसको लागू करेंगे तो इस सावधानी के साथ की कोई शाला शिक्षक विहीन नहीं होगी. सब शालाओं में शिक्षक होंगे और विशेषकर आज, मैं इतना कहना चाहता हूँ कि जो लम्बे समय से पात्रता परीक्षा हो गई थी और जो हमारे चयनित बेरोजगार लोग थे, वे भर्ती प्रक्रिया का इन्तजार कर रहे थे, उस भर्ती प्रक्रिया को हम फिर से चालू कर रहे हैं और बड़ी बात यह है कि हम भर्ती प्रक्रिया में 27 प्रतिशत का आरक्षण पिछड़े वर्ग के लिये रखेंगे, इस प्रावधान के साथ ही हम उसका क्रियान्वयन करने जा रहे हैं (मेजों की थपथपाहट). जल्दी ही उनकी नियुक्ति हो जायेगी.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) - माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि जिन आदिवासी जिलों का उल्लेख किया गया है, यह बिल्कुल सही है. मैं इस बात से सहमत हूँ कि पढ़ाई-लिखाई बिल्कुल भी नहीं हो पा रही है, शाला शिक्षक विहीन हो गए हैं एवं नवीं एवं दसवीं के विद्यार्थी ढंग से हिन्दी तक नहीं पढ़ पाते हैं. मैं यह जानना चाहता हूँ कि अतिथि शिक्षकों को 12 माह से अभी तक, उनका जो मानदेय बनता है, उनको नहीं दिया गया है. ट्रांसफर पॉलिसी और उसकी बात तो अलग है. हम यह चाहेंगे कि इन विद्यालयों में जल्दी से अध्यापकों को वहां नियुक्त करें और विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई अच्छी हो, फिर राजनीति तो होती ही रहेगी. ट्रांसफर पॉलिसी की बात तो अभी श्री प्रभूराम चौधरी जी, जब स्कूल शिक्षा मंत्री थे बाकि आदिम जाति कल्याण विभाग के ये जिले हैं, आदिम जाति कल्याण विभाग में, मैं समझता हूँ कि शिक्षा विभाग इसको कवर नहीं कर पायेगा. मेरा यह निवेदन है कि जो शिक्षक विहीन विद्यालय हैं, वहां किसी भी तरह सरकार शिक्षकों को नियुक्त करे एवं अच्छी गुणवत्तायुक्त पढ़ाई-लिखाई हो. मैं यही चाहता हूँ.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहले ही कह चुका हूँ, जहां ट्रायबल एरिया होगा क्योंकि सरकार की जवाबदारी है, लेकिन हमारे माननीय सदस्य का ध्यानाकर्षण में जो मूल प्रश्न था, वह निश्चित रूप से पिछली कांग्रेस की सरकार में जो अनाप शनाप ट्रांसफर हुए थे और जो स्थानान्तरण नीति बनाकर ट्रांसफर हुए थे, इससे भिन्न भी जो ट्रांसफर किये गये थे, जो प्रशासकीय स्तर पर किये गये थे, जो राजनीतिक द्वेषता के आधार पर किये गये थे, उसके कारण से शालाएं, शिक्षक विहीन हुई हैं. लेकिन जहां पर हमने स्कूल खोले हैं, वहां पर हमने अतिथि शिक्षकों को नियुक्त किया है और जो नियुक्त किये हैं, उनको इस वर्ष बुलाया था, उनके वेतन देने का भी काम किया गया है. लेकिन जो हमारी शालाएं प्रारंभ नहीं हुई थीं, वहां जरूर हमने अतिथि शिक्षक इस वर्ष नहीं बुलाये थे, लेकिन हम स्थाई व्यवस्था भर्ती प्रक्रिया को पूर्ण करके करेंगे तथा आने वाले समय में दिक्कत नहीं आयेगी.
1.04 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्यों की याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएँगी.
1.05 बजे डॉ.गोविन्द सिंह, सदस्य द्वारा वर्ष 2021 का आय व्ययक पत्रक प्रस्तुत करने विषयक.
डॉ. गोविन्द सिंह(लहार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 18 दिसंबर 2019 को इस सदन में माननीय सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था कि माननीय सभी विधायकगण प्रतिवर्ष अपनी आय -व्यय का विवरण या तो चुनाव आयोग के प्रपत्र पर अथवा चार्टड एकाउटेंट से प्रमाणित करके 30 जून तक जमा करेंगे. मैं सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि हम सब लोग सार्वजनिक जीवन में है ताकि हम अपने प्रदेश में अपना चेहरा साफ रहे इसलिये सभी इसका पालन करें और मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, आज वर्ष 2021 का अपना स्वयं का, पत्नी का और संयुक्त परिवार की आय व्ययक पत्रक विवरणी आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूं.
1.06 बजे मंत्री का वक्तव्य.
दिनांक 17 दिसम्बर, 2019 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 77 (क्रमांक 672) एवं अतारांकित प्रश्न संख्या 89 (क्रमांक 674) के उत्तरों में संशोधन करने के संबंध में.
अध्यक्ष महोदय -- अब, श्री कमल पटेल किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री, दिनांक 17 दिसम्बर, 2019 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 77 (क्रमांक 672) एवं अतारांकित प्रश्न संख्या 89 (क्रमांक 674) के उत्तरों में संशोधन करने के संबंध में वक्तव्य देंगे.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री ( श्री कमल पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक श्री कमलेश गौर जाटव जी को बिंदु क्रमांक - 1 से 12 तक की जानकारी अति वृहद एवं विस्तृत होने से समय सीमा में उपलब्ध नहीं करायी गई थी. दिनांक- 01/02/2020 को मंडी समिति अम्बाह द्वारा वांछित जानकारी कोरियर के माध्यम से प्रदाय की गई है.
माननीय विधायक श्री कमलेश गौर जाटव को बिंदु क्रमांक- 1 से 12 तक की जानकारी अति वृहद एवं विस्तृत होने से समय सीमा में उपलब्ध नहीं कराई गई दिनांक- 27/01/2020 को मण्डी समिति पोरसा द्वारा वांछित जानकारी प्रदाय की गई.
1.07 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य.
दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2021 (क्रमांक 20 सन् 2021) का पुर:स्थापन
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं, दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाये.
(अनुमति प्रदान की गई.)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं, दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2021 का पुर:स्थापन करता हूं.
1.08 बजे अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची के पद 7 वर्ष 2021-2022 की अनुदान की मांगों पर मतदान के उपपद - 2 पर अंकित मांग संख्या 16 एवं मांग संख्या 23 को संबंधित माननीय मंत्री ने अपरिहार्य कारणों से आगामी कार्य दिवसों में लेने का अनुरोध किया है. अत: उक्त मांगों को आगामी कार्य दिवसों में लिये जाने की अनुज्ञा मेरे द्वारा प्रदान की गई है. परंतु इसी के स्थान पर कार्यसूची के उपपद- 7 पर उल्लेखित किसान कल्याण तथा कृषि विकास संबंधी मामलों पर चर्चा ली जायेगी. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
1.09 बजे वर्ष 2021-2022 की अनुदानों की मांगों पर मतदान ....... (क्रमश:)
(1) |
मांग संख्या – 24 |
लोक निर्माण कार्य - सड़कें और पुल |
|
मांग संख्या – 53 |
लोक निर्माण कार्य - भवन |
|
मांग संख्या – 56 |
कुटीर एवं ग्रामोद्योग.
|
लोक निर्माण मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदया की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदया को
अनुदान संख्या - 24 लोक निर्माण कार्य सड़कें और पुल के लिये
छ: हजार पांच सौ छत्तीस करोड़, बयासी लाख, इकहत्तर हजार रूपये,
अनुदान संख्या - 53 लोक निर्माण कार्य भवन के लिये तीन सौ एक करोड, दस लाख, उनतीस हजार रूपये, एवं
अनुदान संख्या - 56 कुटीर एवं ग्रामोद्योग के लिये एक सौ सात करोड़, चौबीस लाख, बीस हजार रूपये
तक की राशि दी जाये.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अब, इन मांगों पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने हेतु सहमति देंगे, उनके ही कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जाएंगे.
मांग संख्या लोक निर्माण कार्य सड़कें और पुल
क्रमांक
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल 2
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर 10
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यान सिंह सोलंकी 12
कुंवर विक्रम सिंह (नातीराजा) 16
श्री संजय यादव 17
श्री घनश्याम सिंह 21
श्री सुनील सराफ 22
श्री सुरेश राजे 25
श्री जयवर्द्धन सिंह 27
श्री प्रियव्रत सिंह 29
श्री कुणाल चौधरी 30
श्री बाला बच्चन 32
मांग संख्या - 53 लोक निर्माण कार्य भवन
क्रमांक
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी 3
श्री सज्जन सिंह वर्मा 4
मांग संख्या -56 कुटीर एवं ग्रामोद्योग
क्रमांक
श्री बाला बच्चन 1
श्री सुनील सराफ 7
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यध महोदय, ये आपने मांग संख्या की चर्चा में जो परिवर्तन कराया है इसमें मेरा आपसे मेरे दल के विधायक साथियों की ओर से यह निवेदन है कि यह बहुत महत्वपूर्ण मांग संख्या 13 और मांग संख्या 54 है, किसान कल्याण तथा कृषि विकास, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा. आज एकदम से उसको मांग संख्या 16 और 23 की जगह ट्रांसफर करेंगे तो मैं समझता हूं इसके लिये इसके बाद वाले वीक में ले लेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा, कृषि बहुत महत्वपूर्ण है, आज मेरा 22 नंबर पर तारांकित प्रश्न भी था वह आ भी नहीं पाया और जिस तरह से माननीय मंत्री जी का जो जवाब आता है और अभी आपने परिवर्तित भी कराया है जो अतारांकित प्रश्न संख्या 77 को और 89 को, हम यह चाहेंगे कि इसको आज नहीं, इसके बाद वाली चर्चा में लें, हमारे विधायक साथियों की तरफ से यह मेरा निवेदन है. आदरणीय डॉक्टर साहब से भी मेरी इस बारे में बात हुई है.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय बाला भाई जो कह रहे हैं, अध्यक्ष महोदय, जिन सदस्यों ने कटौती प्रस्ताव दिये आपने उनके नाम पढ़े. मैं बारीकी से देख रहा था 10 प्रतिशत सदस्य भी उसमें से उपस्थित नहीं थे, अब विषयांतर होने का क्या अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय-- यह पहले से कार्यसूची में शामिल है, उसमें थोड़ा सा परिवर्तन किया है. कार्यसूची आप देख लीजिये, वह शामिल है.
मांग संख्या 24, 53 एवं 56 पर चर्चा हेतु 1 घंटा 30 मिनट का समय नियत है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको दूसरे की जगह तीसरे नंबर पर ले लें. आज आपने ज्यादा-ज्यादा समय दिया है इस कारण वह आज आ नहीं पाता, नहीं तो रात को 12 बजे तक भी चलती रहे इसलिये इसमें किसी को जानकारी नहीं है, खाने का आपने कह दिया लंच नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय-- खाना खाने तो एक-एक करके जाना है, सबको एक साथ थोड़ी जाना है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- इसको आज आखिरी में ले लें, अगर लेना ही है तो लास्ट में ले लें.
अध्यक्ष महोदय-- अब इसको तो ले लूं. यह हो जाये, उसके बाद तय कर लेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह-- ठीक है.
अध्यक्ष महोदय-- मांग संख्या 24, 53 एवं 56 पर चर्चा हेतु 1 घंटा 30 मिनट का समय नियत है. तद्नुसार दल संख्यावार चर्चा हेतु भाजपा के लिये 46 मिनट, इंडियन नेशनल कांग्रेस के लिये 35 मिनट, बसपा के लिये 3 मिनट, समाजवादी पार्टी के लिये 2 मिनट एवं निर्दलीय सदस्यों के लिये 4 मिनट का समय आवंटित है. इस समय में माननीय मंत्री का उत्तर भी सम्मिलित है. मेरा बोलने वाले सदस्यों से अनुरोध है कि वह समय-सीमा को ध्यान में रखकर संक्षेप में अपने क्षेत्र की समस्यायें रखने का कष्ट करें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा (सोनकच्छ)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24, 53 और 56 को जो विलोपित किया है इन्होंने उसके संदर्भ में जो लिखा है वह समझ में नहीं आ रहा है कि मांग संख्या का नंबर क्या है, ठीक कर लेंगे पर ऐसा लिखा है उसमें, किताब मेरे हाथ में है, मांग संख्या 67 समाप्त की गई और उसके स्थान पर जो मांग संख्या लिखी है वह किसी को समझ में ही नहीं आ रही, आप कहेंगे तो पटल पर रख दूंगा. मंत्री जी आपने भी नहीं देखा कि यह क्या गड़बड़ है. आप लोग तो रास्तों के नाम बदल रहे हो, भवनों के नाम बदल रहे हो, शहरों के नाम बदल रहे हो. अरे भैया मांग संख्या का नंबर क्यों बदल रहे हो भाई.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें 11 लिखा हुआ है, बना हुआ है, आप समझ जाइये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- मैं अभी आपका जिक्र करने ही वाला था. इसमें पढ़कर बता दो जो किताब मेरे हाथ में है.
1.15 बजे { सभापति महोदय (श्री रामलाल मालवीय) पीठासीन हुए }
श्री सज्जन सिंह वर्मा - उसमें एक डेश भी लगा है. मैं आपका जिक्र करने ही वाला था कि काहे को नंबर बदल रहे हो. रामपाल जी मंत्री रहे. मैं मंत्री रहा, अब तुम मंत्री हो. नंबर क्यों बदल रहे हो. माननीय मंत्री जी ने बजट के समय बड़ी गर्वोक्ति के साथ कहा कि हम 2500 किलोमीटर सड़क का निर्माण करेंगे. 105 आरओबी का निर्माण करेंगे और 760 करोड़ की लागत से 65 पुलों का निर्माण करेंगे. अगले साल जैसे कि कमलनाथ जी ने कहा था कि अगले साल के बजट के समय हिसाब लेंगे कि 105 आरओबी में से कितने आप बना पाए और कितने कि.मी. सड़कें आप बना पाए. अभी जो आपने डाटा दिया है उस पर चर्चा करते हैं. मुझे खेद है सभापति जी, एक इतनी भीषण दुर्घटना होती है इस प्रदेश में जिससे कि सारा का सारा जनमानस हिल गया. सीधी जिले में 54 लोग बस दुर्घटना में मृत्यु को प्राप्त होते हैं. न सीधी-सिंगरौली सड़क का कहीं जिक्र है न सीधी से गोविंदगढ़ होते हुए सतना को जोड़ने वाली छुहिया घाटी जो दुर्घटना के पास का इलाका है. जहां जाम लगता है. मैं सीधी से अपनी बात इसीलिये प्रारम्भ कर रहा हूं कि आपके बजट में कहीं इस बात का जिक्र नहीं है. सीधी-सिंगरौली मार्ग की हालत इतनी बुरी है और जहां 54 लोग मरे वहां माननीय सड़क मंत्री को जाना था, परिवहन मंत्री को जाना था लेकिन इन दोनों में से कोई वहां गया नहीं. ये जाते तो पता चल जाता कि सड़क की हालत क्या है. 54 लोगों की जान जाना और संवेदनाओं का जागृत न होना यह भाजपा की कार्यशैली है. छुहिया घाट है वहां जहां अक्सर जाम लगता है. मंत्री जी जाते तो पता चल जाता. जाम लगने की वजह से ड्राईवर नहर किनारे के वैकल्पिक मार्ग से उस बस को भगाता हुआ लेकर गया. परिवहन मंत्री का भी कंट्रोल नहीं. सड़क मंत्री का विभाग पर कंट्रोल नहीं. आप वहां जाते को कम से कम तो वैकल्पिक मार्ग छुहिया घाट जिस पर जाम लगता है जिसकी वजह से बस को नहर किनारे की सड़क से जाना पड़ा उस सड़क के निर्माण की बात कर लेते. उसका भी जिक्र नहीं है.
सभापति महोदय - माननीय मंत्री जी, अपने जवाब में जरूर इस बात का उल्लेख करें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - बड़ा महत्वपूर्ण है. 54 लोग काल-कवलित हुए हैं. आप जिस जिले से आते हैं मैं वहां सांसद रहा हूं और वहां का प्रभारी मंत्री भी रहा हूं. मैं 4-6 प्वाइंट इंगित करूंगा. मंत्री जी नोट करेंगे और उनका उत्तर देंगे.
सभापति महोदय - मंत्री जी, पिछली बार उस घटना के लिये उस रोड को बना दिया उसके लिये धन्यवाद.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - मैं उसी प्वाइंट पर आ रहा हूं सभापति महोदय. धन्यवाद आपको. कई ऐसी सड़कें आपकी एमपीआरडीसी में हैं. कई सड़कें पीडब्लूडी विभाग में हैं. जहां अंधे मोड़ हैं. जिन्हें ब्लेक स्पाट बोलते हैं. उज्जैन जिले में जहां से सभापति जी आते हैं वहां अनुसूचित जाति के 12 लोग एक साथ ब्लेक स्पाट की वजह से इतनी भीषण दुर्घटना में काल-कवलित हुए. मेरा कहना यह है कि अकेले उज्जैन जिले का मामला नहीं है. पूरे मध्यप्रदेश में क्या मंत्री जी आप ब्लेक स्पाट जो सड़कों पर हैं. अंधे मोड. क्या अधिकारियों को बोलकर आप कोशिश करेंगे कि यह ब्लेक स्पाट साल भर के अंदर खत्म हो जाएं. अंधे मोड़ खत्म हो जाएं. उनके लिये बजट प्रावधानित करें. स्पेशल बजट दें. सीआएफ से लाकर दें ताकि इस तर ह की दुर्घटनाएं न हों. बाद में वहां फिर दुर्घटना हुई उसी रोड पर फिर हम लोगों ने अलग से पैसा देकर ठीक करायी. यह महत्वपूर्ण मामला है. यह महत्वपूर्ण मामला है. प्रदेश में ब्लैक स्पाट से सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है. यह एमपीआरडीसी एवं पीडब्ल्यूडी को सुधारना चाहिये. मैं बजट देख रहा था..
सभापति महोदय -- आप अपनी बात बजट पर प्रारंभ करें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, बजट पर ही तो बात चल रही है ब्लैक स्पाट, यही तो असली चीज है, जो इसमें नहीं है. यह आयेगी, तो ही तो बजट का लाभ जनता को मिलेगा.
श्री सुभाष रामचरित्र -- सभापति महोदय, सीधी सिंगरौली रोड की जहां बात है, तो 325 करोड़ का टेंडर प्रोसीजर में है, जिसमें बाला कंस्ट्रक्शन को 325 करोड़ का मिला है. जहां तक घटना की बात है..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, ये जवाब देंगे कि मंत्री जी जवाब देंगे.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य, जब आपका समय आयेगा, तब अपनी बात कहियेगा. अभी माननीय सदस्य को बोलने दीजिये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- विधायक जी, मंत्री जी बड़े सक्षम है, आप उनकी ताकत को पहिचान नहीं रहे हैं. अभी वे तीसरे नम्बर पर हैं, एक नम्बर पर आयेंगे, आप चिंता मत करो.
सभापति महोदय -- पूरी तरह से वे जवाब देंगे, आपकी सब बातों को वे नोट कर रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, यह ब्लैक स्पाट बहुत महत्वपूर्ण है. दूसरा,मैं एक सलाह देना चाहता हूं , क्योंकि मेरी गाड़ी दिन रात भटकती है.जगह जगह अच्छी सड़कों पर गड्ढे हो गये हैं. इन गड्ढों को सुधारने के लिये कहीं, किसी मद में आपका बजट नहीं है. यदि यह गड्ढे शुरुआत में सुधार दिये जाये तो ये आपकी सड़कें कई वर्षों तक चल सकती हैं. उन पर अतिरिक्त पैसा आपको बनाने के लिये खर्चा नहीं करना पड़ेगा. यह छोटी छोटी बातें हैं,जो प्रदेश को लाभान्वित करेंगी. मैं बजट पढ़ रहा था तो मुझे ग्वालियर की तरफ मैंने जो लिस्ट देखी तो इस बजट में हमने 37 सड़कें दी थीं ग्वालियर चम्बल वाले इलाके में. अभी के बजट में 2 सड़कें हैं ग्वालियर वाले इलाके में, यह बड़ा अन्याय अब वह हमारे मुख्यमंत्री जी और वहां के महामहिम जब 28 सीटों के उप चुनाव में गये थे नारियल वगैरह खूब फोड़े थे वहां पर, अब वह विधायक जीतकर आये हैं, अब उनको कोई जवाब ही नहीं है. वहां आपने सड़कें दी नहीं. अब हमने 37 सड़कें दी थीं, अब कोई बोलता है कि हम सड़क पर उतर आयेंगे, तो अब आप सड़क बना ही नहीं रहे हो तो वह सड़क पर कैसे उतरेंगे. पैर जख्मी हो हो जायेंगे उनके. मेरा अनुरोध है कि उधर के लोगों के साथ पक्षपात न करें, वहां भी अच्छी सड़कें दें. ताकि लोगों को सड़क पर आने में ज्यादा दुविधा न हो. अभी तो पता नहीं किस बैंच पर बैठे हैं, वह भगवान जाने.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अभी तो वह आपको रोड पर लेकर आये हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, मैं तो कुर्सी पर बैठा हूं.
श्री सुभाष रामचरित्र -- महाकौशल प्रांत में, विंध्य में कितनी सड़कें मिलीं, जब आप पीडब्ल्यूडी मंत्री थे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, उस समय बोलना था, अभी आप कैसी बात कर रहे हैं. समय आये तब बोलें. नहीं तो मामला जमेगा नहीं.
..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- हमारा आग्रह है कि उनको अपनी बात रखने दें.
श्री रामपाल सिंह -- सज्जन भाई, देवास, इन्दौर और छिंदवाड़ा, 3 जिले थे आपके पास, इसके अलावा जिला तो कोई दिखता ही नहीं था.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, इन्दौर पर आ रहा हूं.
..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- मेरा आप लोगों से अनुरोध है कि जब आपका समय आये, तब बात करियेगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- (श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य के खड़े होने पर) सभापति महोदय, रामेश्वर जी तो शहर वाले विधायक हैं, इनका सड़क से क्या लेना देना .
सभापति महोदय -- ये तो स्मार्ट सिटी में हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा -- हमको सड़क से लेना देना नहीं है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, आपको कोई सड़क पर थोड़ी उतरना है. उतरना सड़क पर ग्वालियर वालों को है. सभापति महोदय, अभी जब मैं बजट पढ़ रहा था, तो बजट में सीआरएफ का जिक्र है, सीआरएफ में 500 करोड़ रुपये इन्होंने हाथ पांव जोड़कर आवंटित कराये हैं वहां से हमारे समय में 700-750 करोड़ रुपये लेकर आए थे, काफी काम मंजूर किये थे, इंदौर पर आ रहा हूं श्री रामपाल सिंह जी, सीआरएफ का पैसा जो हम लाए, अभी इस मद का नाम सीआरएफ है कि सीआरआईएफ है? उसमें आई जुड़ गया है ना? हां, इसमें सीआरएफ लिखा है, इसलिए मैंने सुधार दिया कि सीआरआईएफ, सभापति महोदय, श्री रामपाल सिंह जी ने कहा, इंदौर, हां, इंदौर में 6 कि.मी. का एमआईजी चौराहे से नवलख्खा तक एलिवेटेड ब्रिज लेकर आए, इंदौर में यातायात का दबाव और उसका घनत्व बढ़ा, मतलब पौन घंटे में आदमी 6 कि.मी. पहुंच पाता है. हमने इंदौर की डिमांड पर कि यहां पर यह पुल होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य आप देखिए, पुल मंजूर कर दिया, एजेंसी फिक्स हो गई, सब हो गया, परन्तु अब थोड़ा-सा शब्द कठोर है वह मैं बोलना नहीं चाहता हूं. वहां बीजेपी के पेट में दर्द हुआ कि 6 कि.मी. का पुल बन गया तो इस पर तो कांग्रेस का ठप्पा लग जाएगा, सीआरएफ का पैसा था. वे सुप्रीम कोर्ट में गये, सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले आए जो भी हो, मेरा अनुरोध है गोपाल भैया, मंत्री जी, बहुत महत्वपूर्ण एलिवेटेड ब्रिज 6 कि.मी. का है इंदौर का यातायात सुधर जाएगा, बस दुर्घटना में कई बच्चों की मौत हो गई है तो इस तरह के कामों को आप मेहरबानी करके प्राथमिकता पर लेना, ऐसा ही देवास के साथ किया.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - कोई अवरोध नहीं है, कोई कोर्ट का स्टे नहीं है, उसके टेंडर हो चुके हैं उसको आपने कहा पहले स्वीकृत किया, मेरे समय पर ही टेंडर हुए तो सारा हो गया है, आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - गोपाल भैया मैंने ही टेंडर कराया, मेरे समय ही एजेंसी फिक्स हुई, श्रेय आप नहीं ले पाओगे, मेरे कार्यकाल में टेंडर हुआ, एजेंसी फिक्स हुई, आपकी सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, मेरे पास एविडेंस है, अब जो भी कारण से गई है वह मुझे नहीं पता, परन्तु उस वजह से डिले हुआ, यह कार्य डिले हुआ गोपाल भैया इसका जवाब आप देना, मैं गलत बोल रहा हूं तो आप टोक देना, परन्तु डिले हुआ, नहीं तो अब तक काफी कुछ निर्माण वहां पर हो जाता. इसके साथ रामपाल भैया देवास की बात कर लें.
श्री रामपाल सिंह - देवास में हमने पहले इतनी सड़कें बना दीं, नक्शा बदल दिया, जहां हमारे मंत्री जी का, गौड़ साहब का एक्सीडेंट हुआ था, वहां का नक्शा बीजेपी ने बदला है. आप नहीं कर पाए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - मेरा पत्थर लगा हुआ दिखा दूंगा, मैं नगरीय प्रशासन मंत्री था तब उस बायपास पर मेरा पत्थर आज भी लगा है. श्रवण पटे, सज्जन सिंह वर्मा और स्वर्गीय तुकोजीराव पवार, उनको भी ऐसे ही बोल दो. हम तीनों के नाम उस पत्थर पर आज भी है वह हमने बायपास बनाया था, श्रेय लेने में तो आप लोग देखो माहिर हो, नारियल फोड़ने और श्रेय लेने में बीजेपी वाले माहिर हैं, हमारा पत्थर आज भी वहां लगा है. हमने उसका भूमि पूजन किया था.
श्री पी.सी. शर्मा - सज्जन भाई, एक दो जेब अभी टटोलेंगे तो नारियल यहीं मिल जाएंगे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -सभापति महोदय, मैं देवास पर इसलिए आ रहा था कि देवास मेरा राजनीतिक जिला है, रहता तो इंदौर हूं, परन्तु अब कुछ भाइयों ने उठाकर देवास फेंक दिया था, तब से वहीं जम गये, अब दर्द तो निकलकर आता है उसमें क्या है? अपन बोलने से चूकते नहीं है रामेश्वर भैया तो कुछ लोगों ने फेंक दिया कि निपट जाएगा, परन्तु निपटे नहीं, कइयों का निपटा दिया.
सभापति महोदय - आपकी कार्यशैली पूरे मध्यप्रदेश ने देखी है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - - वह समझ रहे हैं, समझने वाले समय गये जो ना समझे वह.., तो देवास में मैंने कुछ पुल मंजूर किये इसी तरह के जो इंदौर में मंजूर किये. यातायात का दबाव बढ़ा भयानक, एबी रोड शहर के बीच में से निकलता है. बड़ा घनत्व, बड़ा दबाव तो हमने एक बड़ा पुल वहां मंजूर किया, दूसरा पुल देवास के कोने से मक्सी रोड जाता है जहां कृषि उपज मंडी है, ट्रेक्टरों की वजह से काफी जाम लगता है, लोगों को बड़ी असुविधा होती है. अब दुर्भाग्य देखिए साहब, वही पत्थर नारियल फोड़नेवाली कहानी. देवास से मक्सी जो ब्रिज मैंने मंजूर किया है उसे बीजेपी के लोगों ने रूकवा दिया है उसके टेण्डर हो गये, सब हो गया लेकिन उसको रूकवा दिया चूंकि एक विधायक जी का पैट्रोल पंप वहां पर आ रहा है उसकी बिक्री कम हो जाती तो उन्होंने डिजाइन बदलवा दिया, उसके बाद में फिर से बना तो जाम तो वहीं पर लगेगा होना कुछ नहीं है. मंत्री जी आप इसका डिजाइन जरूर दिखवाना, बहुत जाम वहां पर लगता है कृषि उपज मंडी है देवास की ए ग्रेड की मंडी है तो खूब ट्रेक्टर वगैरह आते हैं तो यह डिजाइन उसकी जानबूझकर बदलवाई है. एक बार आप जरूर टेक्नीकल लोगों से दिखवा लेना, एक तो यह किया है.
सभापति महोदय दूसरा पुल हमने शहर के बीच में मंजूर किया था जो ए बी रोड है उसको दो और ढाई किलोमीटर आगे खिसका दिया कहां, जहां पर यातायात का दवाब है ही नहीं, मेरा कहना है मंत्री जी आप इस विभाग के मंत्री हैं और मैं समझता हूं कि अच्छे सुदृढ़ हाथों में इस विभाग को दिया गया है और हर क्षेत्र की जनता को न्याय मिलना चाहिए. आखिर यह क्यों खिसकाया जा रहा है, डिजाइन बनी है सर्वे हुआ है टेण्डर भी हुए हैं यह सब प्रक्रिया के बाद ही होता है क्या जिन इंजीनियरों ने बनाया है वह क्या कमजोर बुद्धि के थे. मेरा अनुरोध है कि एक बार आप इसको बैठक में रिव्यू जरूर कर लें देवास के पुलों का, तो मैं समझता हूं कि क्षेत्र की जनता को लाभ होगा.
श्री गोपाल भार्गव -- सज्जन भाई इस मामले में जहां तक मुझे जानकारी है विभाग के अधिकारियों ने और तकनीकी जानकारों ने और प्रशासनिक अधिकारियों ने जो भी वहां पर एलाइनमेंट तय किया था उसी के अनुसार वह बन रहा है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- मैं इसीलिए तो आपसे अनुरोध कर रहा हूं कि मेरी कही गई बातों को आप एक बार रिव्यू में ले लेंगे तो आपको समझ में आ जायेगा वहां पर बड़ी प्रेस कांफेन्स हुई हैं वहां पर बड़ बबाल मचा है. वहां की जनता और व्यापारी आक्रोषित हैं यदि आप मेरी कही गई बातों पर गौर करेंगे तो मैं समझता हूं कि काफी ठीक रहेगा. सभापति महोदय 2 -- 3 बातें और हैं ज्यादा घेरने की जरूरत नहीं है, यह पहले ही घिरे हुए हैं. एक नया रास्ता, गोपाल भइया वह बन रहा है या नहीं इंदौर भोपाल एक्सप्रेस वे, है तैयारी, बजट में उसका नाम है न.
श्री रामपाल सिंह -- यह सब भोपाल इंदौर एक्सप्रेस वे नर्मदा एक्सप्रेस वे भिण्ड वाला आपने मिटाया था यह सब पहले से ही प्रस्तावित है पहले ही कर दिया है.
श्री सज्जन सिंह वर्णा -- रूको, अभी एक मिनट में पोल खुल जायेगी. गोपाल भइया सुनने लायक मामला है. सभापति महोदय इंदौर भोपाल के लिए एक नया एक्सप्रेस वे बनाने की इनकी तैयारी चल रही है. जब मैं मंत्री था तो यह अधिकारी बड़े कलाकार हैं, लेकर आये पूरा बड़ा डिजाइन से सजाकर, साढे पांच - छ: हजार करोड़ रूपये उस पर खर्च होना है. लेकिन उस एक्सप्रेस वे से बचेंगे कितने मिनट केवल 15 मिनट बचेंगे, ऐसा उन्होंने कहा कि 15 मिनट बचेंगे इंदौर से भोपाल आने में, देवास से भोपाल का रोड फोर लेन है, वहां पर सड़क लैण्ड एक्वीज्यूशन है दो लेन और हम बना सकते हैं. हमारे पास में 500 करोड़ रूपये लेण्ड एक्वीज्यूशन का पड़ा है जो यह नई प्रस्तावित सड़क के डिजाइन बना रहे हैं ना इसमें बड़ा लंबा खेल है बता रहा हूं मैं, इस 500 करोड़ रूपये में 300 - 400 करोड़ रूपये और मिला देंगे तो वर्तमान जो सड़क है इंदौर भोपाल की वह सिक्स लेन बन जायेगी और वह ही समय बचेगा जो यह 6 हजार करोड़ रूपये खर्च करके इसके पीछे लाजिक यह है कि नया रोड जो प्रस्तावित किया है वहां पर हजारों एकड़ जमीन वहां पर जादूगर लोगों ने खरीद रखी है,अब मैं बोल नहीं सकता हूं कौन लोग हैं, रामपाल जी आप तो जानते हैं. कई जादूगरों ने नेता लोगों ने और कुछ अधिकारियों ने भी वहां पर पहले ही जमीन ले ली है क्योंकि पहले ही नक्शा उनके पास आ गया था,
सभापति महोदय -- माननीय आपको 20 मिनट हो गये हैं आप और कितना समय लेंगे.
श्री रामपाल सिंह -- आपकी नजर में यह सब विकास की बातें गलत दिखरही हैं इसका मतलब यह है कि आप भोपाल इंदौर एक्सप्रेस वे का आप विरोध कर रहे हैं सीधी बात करिये आप.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- मैं कह रहा हूं कि प्रदेश की जनता का पैसा बचाओं उस पैसे को इस तरह से मत बहाओ जब हमारे पास में पैसा है दो लेन के लिए लेण्ड एक्वीज्यूशन है तो क्यों प्रदेश का पैसा उन भू माफियाओं के लिए प्रदेश का पैसा बर्बाद इन भूमाफियाओं के लिये आप करना चाहते हैं, उन भूमाफियाओं को आप प्रश्रय देना चाहते हैं ? कुछ नेता और कुछ अधिकारियों ने वहां जमीनें ली हैं. मेरा विरोध इसलिये है कि 300 करोड़ रुपये मिलाने पर ही जब सड़क बढि़या बन रही है एक्जिस्टिंग जो रोड है, तो क्यों कर रहे हैं ? नर्मदा एक्सप्रेस वे बन जाएगा रामपाल भैया ? आप जब बनाएंगे तभी पैर जमीन पर आएंगे, नहीं तो वह मास्टर बेचारे ऐसे ही धक्के खाते फिर रहे हैं जिनके लिये सड़क पर उतरने का बोला गया था. आज भी वह मास्टर लोग धक्के खा रहे हैं कि सड़क जल्दी बनवा दो, अटल एक्सप्रेस वे दे दो. पैर जमीन पर तो आये नहीं उनके.
श्री रविंद्र सिंह तोमर (भिड़ौसा) (दिमनी) -- सभापति महोदय, चम्बल पर तो मेरा एक निवेदन है कि पहले चम्बल एक्सप्रेस वे था.
सभापति महोदय -- आप इनको बोलने दीजिये. इनका समय समाप्त हो रहा है. आप इनके बाद अपनी बात बता दीजिये.
श्री रविंद्र सिंह तोमर (भिड़ौसा) -- एक मिनट मेरा निवेदन है, अभी वह विषय आ गया इसलिये कह रहा हूं. पहले वह चम्बल एक्सप्रेस वे था फिर वह अटल प्रोग्रेस वे हो गया. मैं माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का कतई कोई विरोध नहीं कर रहा हूं लेकिन मेरा निवेदन है कि चम्बल में उनसे भी बड़ा नाम है राम प्रसाद बिस्मिल का, तो मेरा निवेदन है कि उसका नाम राम प्रसाद बिस्मिल प्रोग्रेस वे भी हो सकता है.
सभापति महोदय -- माननीय, आपकी बात आ जाएगी लेकिन पहले उनको बोलने दीजिये.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- सभापति महोदय, पूरे हिन्दुस्तान में ग्रामीण सड़क योजना के माध्यम से जिन्होंने पूरे देश में रोड बनाने का काम किया है, माननीय अटल प्रोग्रेस वे...(व्यवधान).. मैं भी चम्बल का रहने वाला हूं.
सभापति महोदय -- आपसे आग्रह है कि सज्जन सिंह जी की बात पूरी हो जाय. फिर आप अपनी बात रख दीजिये.
श्री रविंद्र सिंह तोमर (भिड़ौसा) -- मेरा उनके नाम पर कोई विरोध नहीं है लेकिन मैं कह रहा हूं. जिन्होंने भारत मॉं की आजादी के लिये, भारत मॉं को आजाद कराने के लिये हंसते-हंसते अपने प्राण दे दिये क्या वह नाम चम्बल प्रोग्रेस वे के लिये उपयुक्त नहीं है ?
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- नाम अच्छा है. ...(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र जैन -- नाम तय हो गया है, फायनल हो गया है अब उस पर किसी प्रकार की बात करके विरोध करना है.
सभापति महोदय -- माननीय जैन साहब, आप बैठ जाइये.
श्री रविंद्र सिंह तोमर (भिड़ौसा) -- जिन्होंने भारत माता को आजाद कराने के लिये अपना सर्वस्व दे दिया.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- इसमें माननीय अटल जी का नाम सर्वोत्तम है.
श्री रविंद्र सिंह तोमर (भिड़ौसा) -- मेरा उनके नाम पर कोई विरो&