मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 9 मार्च 2021
(18 फाल्गुन, शक संवत् 1942 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
प्रधान
मंत्री सड़क
योजना
अंतर्गत
मार्ग निर्माण
में
अनियमितता
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
1. ( *क्र. 3933 ) श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या भीकनगांव विधानसभा के अंतर्गत स्वीकृत कार्य पुराना पैकेज क्रमांक MP-22-62 व नया पैकेज क्रमांक MP-22-MTN 127 मार्ग धुपा से धुपी रोड पर मेन्टेनेंस कार्य में भारी भ्रष्टाचार की शिकायत विभाग को प्राप्त हुई है? हाँ तो वर्तमान तक क्या कार्यवाही की गई है? क्या संबंधित ठेकेदार राज टेक एजेन्सी से 1,38,00000 रूपये शासन की वसूली शेष है? हाँ तो वह किसलिए है? उक्त मार्ग के मेन्टेनेंस का कार्य का टेन्डर दिनांक 01.07.2020 को सुरेश चन्देल को हुआ था? (ख) क्या विभाग द्वारा उससे अनुबंध स्टाम्प के 25000 एवं 2.5 प्रतिशत परफॉरमेन्स सिक्युरिटी 9.00 लाख भी कार्यालय में जमा कराये गये थे? हाँ तो पूरे टेण्डर निरस्त क्यों किये गये हैं? क्या उक्त कार्यवाही में महाप्रबंधक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की कार्य शैली संदिग्ध प्रदर्शित होती है? हाँ तो क्या उच्च स्तर से जाँच कर कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी? नहीं तो क्या कारण है?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया (संजू भैया) ) : (क) जी हाँ। ठेकेदार द्वारा निर्धारित प्रावधानुसार कार्य नहीं करने से शिकायत प्राप्त होने के पूर्व ही संबंधित ठेकेदार के अनुबंध समाप्ति की कार्यवाही की गई थी। जी नहीं, संबंधित ठेकेदार द्वारा संधारण पूर्ण न करने से अनुबंध निरस्त किया जिसमें राशि रूपये 78.78 लाख की वसूली न्यायालयीन याचिका में स्थगन होने से शेष है। जी हाँ। (ख) जी हाँ। जी नहीं टेण्डर निरस्त नहीं किया गया। जी नहीं, शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न इस तरह से है. धूपी से धूपा मार्ग 10 किलोमीटर है जिसमें भारी भ्रष्टाचार की शिकायत प्राप्त हुई है. जब यह सड़क निर्माण शुरु हुआ तो इसे पूरा करने में पांच साल का समय लग गया. एक छोर से काम शुरु किया और दूसरे छोर तक काम खत्म हुआ इसमें पांच साल लग गए, तब तक जिस छोर से काम शुरु हुआ था वहां से सड़क उखड़ गई. आज की तारीख में उस सड़क पर डामर नाममात्र को भी नहीं है. पूरे में गड्ढे हैं और सड़क पूरी तरह उखड़ चुकी है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूँ कि संबंधित ठेकेदार के ऊपर क्या कार्यवाही की गई है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने जो प्रश्न किया है निश्चित रुप से उसमें अनियमितता की शिकायतें प्राप्त हुई थीं. संबंधित ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही की गई है. उसका अनुबंध निरस्त किया गया है.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके ऊपर 78 लाख रुपए शेष है, इतनी बड़ी राशि उस पर शेष होने के बाद मात्र अनुबंध समाप्त करना पर्याप्त सजा नहीं है. उस ठेकेदार की एजेंसी को ब्लेक लिस्ट करना चाहिए अन्यथा वह आने वाले दिनों में अन्य सड़कों के टेंडर लेंगे और इसी तरह से काम करेंगे. उस ठेकेदार को ब्लेक लिस्ट करना चाहिए. मेरा यह कहना है कि जो एजेंसी है उसे ब्लेक लिस्ट किया जाए.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 78.78 लाख रुपए की वसूली की कार्यवाही की गई थी किन्तु माननीय उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश से वह वसूली रोक दी गई है. माननीय सदस्या ने जो बात उठाई है निश्चित रुप से ऐसे ठेकेदारों के खिलाफ हम पूरे मध्यप्रदेश में कार्यवाही कर रहे हैं जो अपना अनुबंध संपादित नहीं करते और अपना काम निष्ठा से नहीं करते हैं.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी क्या उसे ब्लेक लिस्ट करेंगे. उसे ब्लेक लिस्ट तो करना पड़ेगा.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्य प्रदेश के जितने भी ठेकेदार जो टू द पाइंट और नियमानुसार कार्य नहीं करेंगे उन सभी को ब्लेक लिस्ट की केटेगरी में लाएंगे.
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
विधायक कप का आयोजन
[खेल एवं युवा कल्याण]
2. ( *क्र. 1517 ) श्री देवेन्द्र वर्मा : क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या प्रदेश में खेल विभाग का संचालन पंचायत एवं ग्रामीण विभाग में आने के बाद से खेल गतिविधियाँ ठप्प हो गयी हैं? यदि हाँ, तो पूर्व की भांति खेल विभाग का दायित्व क्या पुलिस विभाग को सौंपा जाएगा? यदि हाँ, तो कब तक? (ख) क्या मध्यप्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों के आयोजन को बढ़ावा दे रही है? यदि हाँ, तो क्या पूर्व कार्यकाल में इन आयोजनों में विधायक कप प्रतियोगिता शामिल थी? जिसे पिछली सरकार द्वारा बंद कर दिया गया है? (ग) क्या इऩ आयोजनों से ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा एवं विधायकों की लोकप्रियता बढ़ी है? (घ) यदि हाँ, तो क्या राज्य सरकार प्रदेश में पुनः क्षेत्रीय खेलों के आयोजनों को प्रोत्साहित करने के लिये विधायक कप प्रतियोगिताओं जैसे कुश्ती, कबड्डी, खो-खो, क्रिकेट इत्यादि खेलों के आयोजन की स्वीकृति एवं बजट आवंटन जिला स्तर पर उपलब्ध करायेगी?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ( श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ) : ( क) विभाग के आदेश क्रमांक 2-2/2019/नौ, दिनांक 17.08.2020 द्वारा जिला खेल और युवा कल्याण अधिकारी कार्यालयों का नियंत्रणकर्ता अधिकारी 'मुख्य कार्यपालन अधिकारी' जिला पंचायत के स्थान पर नियंत्रणकर्ता अधिकारी 'पुलिस अधीक्षक' को नोडल अधिकारी घोषित किया गया है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जी हाँ। वर्ष 2019 में चुनाव आचार संहिता एवं वर्ष 2020 में कोविड-19 के संक्रमण के चलते विधायक कप का आयोजन नहीं किया गया। (ग) एवं (घ) जी हाँ।
श्री देवेन्द्र वर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से छोटा सा निवेदन करना चाहूँगा. खण्डवा जिला जहां पर लगभग 50 बच्चे कुश्ती में राष्ट्रीय मेडलिस्ट हैं. लखनऊ सेन्टर में और इंदौर सेन्टर में भी खण्डवा के बच्चे हैं. खण्डवा में भी साई का सेन्टर है, वहां पर कुश्ती का कोच था उसका ट्रांसफर हो गया है. मंत्री जी से निवेदन है कि वहां पर कुश्ती का कोच पदस्थ कर दें और आने वाले समय में विधायक कप का जो बजट है उसे ठीक रखें.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय विधायक को बताना चाहूँगी कि अलग से हम कुश्ती कोच नहीं भेज सकते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि इनके क्षेत्र से अच्छे-अच्छे बच्चे निकलकर हमारी एकेडमीज में आ रहे हैं. हम जब टेलेंट सर्च करते हैं तो विशेष तौर से उनके क्षेत्र में लोगों को भेजकर टेलेंट सर्च और कुश्ती में जो उनके बच्चे बाहर आ रहे हैं उनको हम अपनी एकेडमीज में लाने की कोशिश करेंगे. रहा सवाल बजट का वह वित्त मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी के ऊपर है. मैं सोचती हूं कि इस बार हमारे ऊपर वित्तीय स्थिति थोड़ी सी ठीक होने पर हम लोगों को भी अच्छा बजट धीरे-धीरे मिलने वाला है यही आशा है.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा छोटा सा निवेदन है कि 250 से 300 रेसलिंग के बच्चे वहां पर कुश्ती की प्रेक्टिस करते हैं. वहां जिम भी है, ग्राउंड भी है. वहां सभी व्यवस्थाएं हैं. वहां जो कोच थे उनको भी हटा दिया गया है मेरा निवेदन है कि जो कोच वहां पहले थे उन्हीं को पहुंचा दिया जाए.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया-- अध्यक्ष महोदय, इसमें मैं अपने विभाग से चर्चा करके मैं माननीय विधायक जी को विधान सभा में आश्वस्त तो नहीं करा सकती हूं क्योंकि वह भी खेल प्रेमी हैं परंतु मैं इस सुझाव के लिए इसका परीक्षण करवा लूंगी.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, सम्माननीय विधायक जी का कहना है कि जो कोच वहां पहले थे उन्हीं को वापस बुला लिया जाए उससे काम चल जाएगा शायद वह ऐसा ही कह रहे हैं.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया-- अध्यक्ष महोदय, वह हमें देखना पड़ेगा कि उन्हें क्यों और किस वजह से निकाला गया है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी आप इसे देख लीजिए.
श्री देवेन्द्र वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बहुत-बहुत धन्यवाद.
जनपद पंचायत जैतहरी अन्तर्गत निर्माण कार्यों में अनियमितता
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
3. (*क्र. 3064 ) श्री सुनील सराफ : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अनूपपुर जिले के जनपद पंचायत जैतहरी अन्तर्गत ग्राम पंचायत क्योंटार के विभिन्न निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार व अनियमितता की जानकारी तारांकित प्रश्न क्रमांक 2812, दिनांक 12.07.2019 के उत्तर में किन-किन कर्मचारी को दोषी पाया गया है, उनका नाम, पद तथा वसूली योग्य राशि का पूर्ण विवरण देते हुए बताएं कि उत्तर दिनांक तक कितनी वसूली की गई तथा अनुशासनात्मक क्या कार्यवाही की गई? (ख) क्या मुख्यमंत्री जी की घोषणा अनुसार भ्रष्टाचारियों पर समय-सीमा में सक्षम कार्यवाही की जाएगी? (ग) तत्कालीन पंचायत सचिव का नाम तथा उत्तर में दिए गए वसूली योग्य राशि की जानकारी एवं उत्तर दिनांक तक म.प्र. पंचायतीराज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 92 के तहत की गई कार्यवाही का पूर्ण विवरण देवें।
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया (संजू भैया) ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जी नहीं। मुख्य मंत्री कार्यालय के पत्र क्र. 163, दिनांक 19.02.2021 के अनुसार प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित घोषणा होना नहीं पाया गया है। (ग) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
श्री सुनील सराफ-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में यह जवाब आया है कि दिनांक 24 दिसम्बर 2019 को जिला पंचायत अनुपपुर के द्वारा मनोज राठौर, तत्कालीन सचिव गोपाल सिंह, पीसीओ, दुर्गेश अग्रवाल उपयंत्री, जी.के. मिश्रा, सहायक यंत्री, श्रीमती रेशमा सिंह, उपयंत्री और लल्लाराम कोल, स्थापना सरपंच यह दोषी पाए गए थे और दिनांक 24 दिसम्बर 2019 को इन्हें वसूली आदेश जारी हुआ था. क्या माननीय मंत्री जी यह बताने की कृपा करेंगे कि जब दिनांक 24 दिसम्बर 2019 को वसूली का आदेश इन्हें मिल गया था तो संबंधित उपयंत्री को दिनांक 30 मार्च 2020 को सहायक यंत्री को दिनांक 17 जून 2020 को 3 महीने और 6 महीने का समय इन्हें स्टे प्राप्त करने के लिए क्यों दिया गया? उपयंत्री को दिनांक 30 मार्च 2020 को हाईकोर्ट से स्टे मिला, सहायक यंत्री को दिनांक 17 जून 2020 को स्टे मिला व पंचायत सचिव को तो एक साल बाद दिनांक 28 जनवरी 2021 को उच्च न्यायालय से स्टे मिला. इतने दिनों तक सरकार क्या कर रही थी? संबंधित अधिकारी क्या कर रहे थे? इसके जिम्मेदार कौन हैं? मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूंगा कि इनके खिलाफ क्या कार्यवाही की गई यदि कार्यवाही नहीं की गई तो क्यों नहीं की गई? वसूली आदेश का पालन नहीं किया गया है इनके ऊपर क्या कार्यवाही की जाएगी?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाया है इसकी सभी जानकारियां परिशिष्ट में संलग्न हैं माननीय सदस्य ने इस बात का भी उल्लेख किया है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस तरह की घोषणाएं की थी कि जो अनियमितताएं और भ्रष्टाचार हुआ है उनको समाप्त किया जाएगा ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है और माननीय सदस्य ने जो बात कही है मैं उसका परीक्षण करा लूंगा और आपके साथ बैठकर चर्चा करके जो भी कार्यवाही आप चाहेंगे उसको हम देख लेंगे.
श्री सुनील सराफ-- माननीय मंत्री जी मेरा सीधा सा सवाल है आप कृपा करके उसे गोल-गोल न घुमाएं. आप उसका जवाब दें कि दिनांक 24 दिसम्बर 2019 को जब बसूली आदेश जारी हो गए तो उसके बाद उनसे वसूली क्यों नहीं की गई? उन्हें स्टे लेने का पर्याप्त समय क्यों दिया गया? इसके लिए जिम्मेदार वरिष्ठ अधिकारी कौन है? उसके खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की गई अगर नहीं की गई तो आप इस सदन को बताएं कि उसके खिलाफ कार्यवाही कब की जाएगी?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, धारा (92) और धारा (40) के तहत यह एक न्यायालयीन प्रक्रिया है जिसमें थोड़ा समय लगता है निश्चित रूप से सदस्य जी ने जो बात कही है आरआरसी की कार्यवाही भी हम उस पर जारी करेंगे; थोड़ा समय है चूंकि न्यायायिक प्रक्रिया है.
श्री सुनील सराफ-- अध्यक्ष महोदय, यह तो जवाब नहीं हुआ. न्यायालयीन प्रक्रिया तब शुरू हुई जब उन्हें स्टे मिल गया. उन्हें स्टे मिलने तक जो 3 महीने, 6 महीने और 1 साल का जो समय दिया गया उससे भ्रष्टाचार स्पष्ट संकेत आता है कि नहीं आता है. हमारे मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि गाड़ दूंगा 10 फीट गाड़ दूंगा, 15 फीट गाड़ दूंगा कहते हैं कि भ्रष्टाचारी की शिकायत करने वाले को ईनाम दिया जाएगा और यहां पर यह उन्हें समय दे रहे हैं. उसके बाद माननीय मंत्री जी का गोल-गोल जवाब आ रहा है. न्यायालयीन प्रक्रिया तक जाने का समय क्यों दिया गया और दिया गया उस दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही अब तक नहीं की गई तो कोई बात नहीं आज मंत्री जी घोषणा करें कि कार्यवाही की जाएगी या नहीं की जाएगी?
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी कह तो रहे हैं कि हम कार्यवाही करेंगे.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि यह प्रकरण न्यायालय के अधीन है, इसमें थोड़ा समय लगता है, जैसे ही मामला निपटेगा माननीय सदस्य को पूर्ण रूप से संतुष्ट किया जायेगा.
श्री सुनील सराफ- जो कार्य एक साल तक नहीं हुआ, उसके दोषियों को सजा मिलेगी की नहीं ?
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी आपके साथ बैठकर बात करने को तैयार हैं.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात मैं यह बता दूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो बात कही है, वह पूरी निष्ठा से कही है कि हम भ्रष्टाचारियों को उखाड़ फेंकेंगे तो यह निश्चित रूप से हमारा संकल्प है.
श्री सुनील सराफ- यदि आप ऐसे एक-एक साल का समय देंगे, तो कैसे भ्रष्टाचार समाप्त होगा ?
अध्यक्ष महोदय- हो गया, आपकी बात आ गई है. आप बैठ जाइये.
श्री सुनील सराफ- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
प्रश्न संख्या 4 (श्री जुगुल किशोर बागरी)- अनुपस्थित
जीरापुर आई.टी.आई. हेतु नवीन भवन का निर्माण
[तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोज़गार]
5. ( *क्र. 2411 ) श्री प्रियव्रत सिंह : क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या जीरापुर आई.टी.आई. भवन हेतु शासन द्वारा भूमि का आवंटन हो चुका है? (ख) यदि हाँ, तो क्या नवीन भवन निर्माण हेतु आदेश पारित हुये हैं? यदि हाँ, तो निर्माण कब तक प्रारंभ हो जाएगा? यदि नहीं, तो किन कारणों से कार्य रूका हुआ है और कब तक निराकरण हो जाएगा? (ग) क्या नगर जीरापुर में शासकीय आई.टी.आई. किराए के भवन में संचालित हो रही है? यदि हाँ, तो कितने कक्ष का भवन है? इस भवन में कितने ट्रेड चल रहे हैं तथा छात्रों की कितनी संख्या है? क्या जिस भवन में आई.टी.आई. संचालित हो रही है, उसमें छात्रों के अध्ययन हेतु पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ( श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। आई.टी.आई. का भवन निर्माण कार्य स्वीकृत नहीं है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ग) जी हाँ। संस्था किराये के भवन में संचालित है, जिसमें दो कक्ष हैं, जिसका कुल ऐरिया 3081 वर्ग फीट है। इस भवन में एक व्यवसाय स्टेनोग्राफर एण्ड सेक्रेटियल असिस्टेंट (हिन्दी) संचालित है। जिसमें 20 प्रशिक्षणार्थी अध्ययनरत् हैं। जी हाँ।
श्री प्रियव्रत सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में मंत्री जी ने माना है कि जमीन आरक्षित की गई है. मैं आपके माध्यम से दो प्रश्न माननीय मंत्री जी से करना चाहूंगा. एक यह कि क्या माननीय मंत्री जी आगामी कार्य योजना में आई.टी.आई. भवन जीरापुर को शामिल करेंगी ? और उनकी कार्य योजना जिस भी वित्तीय पोषण संस्थान को जा रही हो, चाहे नाबार्ड को जा रही हो, चाहे एडीबी (Asian Development Bank) को जा रही हो, किसी में भी शामिल करके इसकी स्वीकृति का प्रस्ताव रखेंगी, इसकी प्रशासकीय स्वीकृति करवायेंगी ? और दूसरा मेरा प्रश्न यह है कि आई.टी.आई. जीरापुर में केवल दो ट्रेड चल रहे हैं, हो सकता है, भवन की सीमाओं के कारण ही केवल दो ट्रेड चल रहे हों, मैं माननीय मंत्री महोदया को लिखित में भी दे दूंगा लेकिन वहां और भी ट्रेड प्रारंभ करने के लिए क्या माननीय मंत्री महोदया प्रस्ताव रखेंगी ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, जीरापुर का पूरा क्षेत्र बेरोजगारी से ग्रस्त है. आज वहां मात्र 20 छात्र प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, क्या इनकी संख्या बढ़ाने के लिए माननीय मंत्री महोदया विभाग को निर्देशित करेंगी, जिससे वहां कोई डायरेक्टर, संचालक, विजि़ट करके वहां की परिस्थितियों की जानकारी लेकर, ज्यादा से ज्यादा नौजवानों को प्रशिक्षण मिल सके, ऐसा सुनिश्चित करवायेंगी ?
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय सदस्य के, प्रश्न का विस्तृत उत्तर दिया गया है. इन्होंने अभी आपके माध्यम से दो नहीं अपितु तीन प्रश्न पूछे हैं. सर्वप्रथम मैं उन्हें बता दूं कि जिन 21 आई.टी.आई. की घोषणा की गई थी, उनमें जीरापुर आई.टी.आई. भी शामिल था लेकिन अब वित्तीय स्थितियों की वजह से इस आई.टी.आई. को हमने नाबार्ड में प्रस्ताव भेजा है ताकि वे इसे अपने हाथ में लें और जब तक वहां से उत्तर नहीं आयेगा, तब तक मैं कमिट नहीं कर सकती हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य से एक छोटा प्रश्न पूछना चाहूंगी कि वे इतने बड़े मंत्री, कमल नाथ जी की सरकार में थे और पूरा एक साल आपको मिला, जीरापुर आई.टी.आई. को ठीक करने के लिए, तब आप कर लेते तो बहुत बढि़या होता.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, आप केवल उनके प्रश्न का उत्तर दीजिये. कोई सवाल नहीं.
श्री प्रियव्रत सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने उस समय भी प्रयास किया था और वह क्षेत्र मेरा है, मुझे वहां की जनता ने निर्वाचित करके भेजा है. उस क्षेत्र की लिए लड़ाई लड़ना मेरा कर्त्तव्य है, मैं चाहे पक्ष में रहूं या विपक्ष में रहूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मंत्री महोदया जवाबदारी में हैं और यदि वे यह भवन स्वीकृति करवायेंगी, चाहे नाबार्ड से करवायें, चाहे एडीबी से करवायें, जिस योजना से करवाना चाहें, वे करवायें. यदि वे इसे करवायेंगी, अपनी कार्य-योजना में सम्मिलित करेंगी और वहां के बेरोजगार युवाओं को मौका देंगी तो मैं, इसके लिए उनका आभारी रहूंगा.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेरा कर्त्तव्य है और मुख्यमंत्री जी ने मुझे यह जिम्मेदारी तकनीकी शिक्षा की दी है तो यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं अपनी पूरी कोशिश करूं.
श्री प्रियव्रत सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न था कि क्या माननीय मंत्री महोदया वहां किसी डायरेक्टर, संचालक को विजि़ट हेतु निर्देशित करेंगी, जो वहां की परिस्थितियों की जानकारी लेकर, जिससे वहां ज्यादा से ज्यादा नौजवानों को प्रशिक्षण मिल सके, इसके लिए भी यदि माननीय मंत्री जी कुछ कार्यवाही करें, और विभाग को निर्देश देंगी, तो अच्छा रहेगा.
श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, आश्वस्त नहीं कर रही हूं परंतु मैं अधिकारियों को वहां जरूर भेजूंगी.
वार्षिक मरम्मत अनुरक्षण कार्य हेतु जारी कार्यादेश
[लोक निर्माण]
6. ( *क्र. 4043 ) श्री जितू पटवारी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या लोक निर्माण विभाग (भवन एवं पथ) धार, झाबुआ, अलीराजपुर, इंदौर संभाग इंदौर एक एवं दो, के द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 एवं 2019-20 में वार्षिक मरम्मत अनुरक्षण में आवासीय एवं गैर आवासीय भवनों (जैसे-रंगाई पुताई, साधारण मरम्मत, विशेष मरम्मत, एम.ओ.डब्ल्यू. एवं अन्य कार्य) के कार्यादेश जारी किये गये हैं? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) अनुसार उपरोक्त तीनों वर्षों में विभाग द्वारा जारी किये गये कार्यादेशों की जानकारी अलग-अलग वर्षानुसार, जिलेवार निम्नानुसार उपलब्ध करावें। ठेकेदार का नाम, कार्य एवं कार्यादेश का नाम, अनुबंध क्रमांक, अनुबंध अनुसार कार्य पूर्ण करने की तिथि, कार्य पूर्ण करने की वास्तविक तिथि अथवा कार्य प्रगतिरत है, कार्य की लागत सहित जानकारी देवें? (ग) विभाग द्वारा ठेकेदारों को प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि का भुगतान किया गया है एवं कितनी राशि का भुगतान किया जाना शेष होकर कब से लंबित है? (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार विभाग द्वारा शेष एवं लंबित राशि का भुगतान कब तक एवं कितने समय में कर दिया जावेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। (ख) एवं (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) लंबित भुगतान बजट आवंटन के अनुरूप होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री जितु पटवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न इंदौर संभाग से संबंधित जिलों में सरकारी भवनों के रख-रखाव और सरकारी भवनों के संधारण के विषय में है. एक लंबी-चौड़ी लिस्ट, जैसी मांगी गई थी, वैसी मुझे प्राप्त हुई है. इससे उद्भुत हुआ कि लगभग सौ करोड़ से ऊपर की राशि, इस समय इंदौर संभाग से संबंधित जिलों के, भवनों के रख-रखाव, रंगाई-पुताई के लिए उपयोग हुए, शासन के लगे. अलग-अलग मद के हैं मैंने इकट्ठे करके बता दिये हैं. मैं समझता हूं कि जब इतनी बड़ी राशि जाती है और उसके बाद भी अनुमानित लागत अलग है और वास्तविक लागत अलग है और उसमें भी बड़ा अंतर है तो यह लोक निर्माण विभाग में इस तरह भ्रष्टाचार कब तक चलेगा और ऐसी जहां-जहां इससे ही विसंगतियां निकलकर आयी हैं, उनकी क्या मंत्री जी जांच करवा लेंगे, बस यही दो प्रश्न हैं यदि मंत्री जी एक ही बार में उत्तर दे देंगे तो कोई नया प्रश्न भी नहीं बनेगा, अगर जांच करा लेंगे तो.
अध्यक्ष महोदय:- मंत्री जी, ऐसा जवाब दीजिये कि कोई प्रश्न उद्भूत न हो.
श्री गोपाल भार्गव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है उसका पूरा उत्तर जो परिशिष्ट पुस्तकालय में रखा है उसमें दिया है.
अध्यक्ष महोदय, अभी जांच हुई नहीं और भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया. मैं मानकर चलता हूं कि यदि आपको इसमें कहीं कोई शंका, कोई शिकायत या आपके पास कोई तथ्य हैं तो आप मुझे उपलब्ध करवा दें, मैं एक महीने के अंदर जांच करवाकर उसकी रिपोर्ट आपको दे दूंगा और मैं अपने स्तर पर मुख्यालय से अधिकारी भेजकर जांच करवा लूंगा, आप निश्चिंत रहें.
श्री जितू पटवारी:- जी, धन्यवाद मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय:- आपने कहा कि जांच करा दो तो उन्होंने जांच की बात कही है.
श्री जितू पटवारी:- धन्यवाद, अध्यक्ष जी कि मर्यादा का ध्यान रखते हुए.
रोजगार सहायकों का नियमितीकरण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
7. ( *क्र. 4063 ) श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में रोजगार सहायकों के नियमितीकरण के लिए दिनांक 01.04.2020 से 31.12.2021 तक क्या-क्या कदम उठाये गये? (ख) इस संबंध में कुल कितनी बैठकें उपरोक्त अवधि में हुईं? उसमें कौन-कौन उपस्थित थे? उपस्थितों के नाम, पदनाम, सहित बतावें। (ग) इनका नियमितीकरण कब तक कर दिया जाएगा?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया (संजू भैया) ) : (क) ग्राम रोजगार सहायक की नियुक्ति संबंधी दिशा-निर्देश में नियमितीकरण का कोई प्रावधान नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) अनुसार।
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष्ा महोदय, मैं एक जानकारी आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं महत्वपूर्ण बात है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है वह तो समझ में आता है. परन्तु विधायक का दिया हुआ प्रश्न क्या विधान सभा को अधिकार है कि चेंज कर दे, यह विषय आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं क्योंकि ऑन रिकार्ड यह चीज आ जाये.
अध्यक्ष महोदय:- यह तो अध्यक्ष को अधिकार है. आप अपना प्रश्न पूछिये.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष जी, मतलब मूल प्रश्न हमारा उसका महत्व नहीं है.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, वह अधिकार प्रश्न लेने का, यह करने का अधिकार तो है अध्यक्ष को. इतना तो देकर रखो. आप अपना प्रश्न करो, आपका प्रश्न क्या है. श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष महोदय, तो फिर प्रश्न पूछने का मतलब ही क्या होगा जो हम चाहते हैं, वह हमारी जानकारी में नहीं आयेगा..
अध्यक्ष महोदय:-आप प्रश्न पूछिये, आप अपने अधिकार की बात कहिये. आपके प्रश्न में कोई चेंज नहीं है
श्री लाखन सिंह यादव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अकेले एक प्रश्न सदस्य का प्रश्न नहीं है, कई प्रश्नों में जो मूल प्रश्नकर्ता का जो उद्देश्य है उससे भटका दिया जाता है, उस लाइन को गायब कर दिया जाता है. मेरे साथ भी यही हुआ है.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये, उनको प्रश्न पूछने दीजिये ना.
श्री सुनील सराफ:- सदस्यों के सवाल पूछने का अधिकार ही खत्म कर दीजिये. जब सवाल ही गायब कर दें, सवाल ही आधा कर दिया जायेगा तो विधायक सवाल पूछ कर क्या करेगा.
अध्यक्ष महोदय:- कोई चेंज नहीं हुआ है.
श्री लाखन सिंह यादव:- अध्यक्ष जी, जो प्रश्नकर्ता का मूल उद्देश्य है उसको खत्म कर दिया जाता है.
अध्यक्ष महोदय:- देखिये, इसमें आपका जो प्रश्न है उसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष जी, आप मेरी पूरी बात तो खत्म होने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये, उनको प्रश्न पूछने दीजिये.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष जी, आज के प्रश्न में नहीं है. परन्तु एक और प्रश्न मैंने तारांकित लगाया था उसका नंबर था- 4064 वह आज का ही था..
अध्यक्ष महोदय:- नहीं इसमें जो प्रश्न है उसमें पूछिये, जो आपना प्रश्न लगा है.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- उसकी जो मैंने जो जानकारी मांगी थी विभाग से, विधान सभा से वह चेंज करके दे दिया तो मेरा आपसे निवेदन है इस तरह से नहीं हो ताकि हमारी प्रश्न पूछने की मूल भावना है, वह बनी रहे.
अध्यक्ष महोदय:- आप प्रश्न तो कर लें, आप जो पूछना चाहते हैं वह पूछें ना आप क्या पूछना चाहते हैं ?
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मंत्री जी ने मेरे प्रश्न में जवाब दिया है कि रोजगार सहायक की नियुक्ति के संबंध में दिशा-निर्देश में नियमितीकरण के कोई प्रावधान नहीं हैं. मध्यप्रदेश में हजारों रोजगार सहायक हैं उसमें महिलाएं भी हैं और पुरूष भी हैं. मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि नियुक्ति के दिशा निर्देश में परिवर्तन कर उनके नियमितीकरण हेतु प्रावधान किया जायेगा.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया(संजू भैया):- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की मंशा अच्छी है क्योंकि रोजगार सहायक हमारे 27 विभागों के कार्यों को देखता है, आयुष्मान कार्ड से लेकर और राशन की पर्ची तक का वितरण हमारा रोजगार सहायक देखता है. किन्तु रोजगार सहायक की जो नियुक्ति हुई है वह कैडर की पोस्ट न होते हुए पंचायत की पोस्ट है और उसका नियमितीकरण किया जाना असंभव है.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल:- अध्यक्ष जी, हम समझते हैं कि दिशा निर्देश बने हुए हैं पर दिशा निर्देश में परिवर्तन करने का अधिकार तो सरकार का है, उनका प्रीविलेज है, केबिनेट में ला सकते हैं. दिशा-निर्देश परिवर्तित कर हजारो हजारो रोजगार सहायक जो काफी लंबे समय से काम करते आये हैं. अगर दिशा-निर्देश में परिवर्तन होगा तो मैं समझता हूं कि उसका लाभ मिलेगा.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया (संजू भैया)-- अध्यक्ष महोदय, पूर्व की सरकार चाहती तो श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल जी कहने पर कर सकती थी. मगर इसमें कानूनन पेंच है. यह केन्द्र की मनरेगा की योजना है रोजगार सहायक उसी के दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं. पंचायत कर्मी है, केडर पोस्ट नहीं है इसलिये नियमितीकरण नहीं किया जा सकता. किन्तु मैं एक बात सदन को बताना चाहता हूं कि रोजगार सहायक को पृथक करने के लिये पहले नोटिस भी नहीं दिया जाता था हमारी सरकार ने बैठकर यह प्रावधान किया कि रोजगार सहायक को एकदम पृथक नहीं किया जायेगा. नैसर्गिक सिद्धांत के आधार पर उनको सुनवाई का अवसर दिया जाये, पूरी जांच की जाये और उसके बाद उसके खिलाफ कार्यवाही की जाये.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि मेरे प्रश्न क्रमांक 4064 में जो जानकारी मांगी है. अगर मैं आपको लिखित में उपलब्ध करवा दूंगा जिसमें मस्टर बिल हैं, वाऊचर हैं, भुगतान की पूरी जानकारी है. मेरा कुक्षी विधान सभा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, उनके खाते में पैसा गया ही नहीं है, पैसा निकल गया है. आपको जानकारी लिखित में उपलब्ध करवा दूंगा तो आप उसकी जांच करवा देंगे तथा उसकी जानकारी मुझे उपलब्ध करवाएंगे, यह मेरा निवेदन है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया (संजू भैया)--अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से माननीय सदस्य ने जो भावनाएं व्यक्त की हैं मुझे लिखकर के दे देंगे पूर्ण रूप से आपके कहने के अनुसार काम कर देंगे.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मैंने विधान सभा को दिया था अध्यक्ष महोदय--आपकी बात मान ली है.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- अध्यक्ष महोदय, आपने कहा कि उसको चेंज कर सकते हैं, इसलिये मुझे पीड़ा है.
अध्यक्ष महोदय--आपने केवल अधिकार की बात कही मैंने वो कहा है.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- अध्यक्ष महोदय, आपकी तरफ से विधान सभा में यह जांच करा ली जाये कि मैंने जो प्रश्न दिया था उसको चेंज क्यों कर दिया गया?
अध्यक्ष महोदय-- आप चेम्बर में आईयेगा उसका मैं निदान कर दूंगा.
11.23 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्ष को नियमों में किये गये अधिकार के तहत प्रश्न संशोधित किये जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्यों के प्रश्न अधिक विस्तृत जानकारियां आदेश न्यायिक प्रश्न होने पर समय पर जानकारी आ सके इस दृष्टि से व्यावहारिक रूप से विभागीय अनुरोध पर अध्यक्ष को नियमों में दिये गये अधिकार के तहत ही प्रश्न संशोधित किये जाते हैं. यह प्रक्रिया पूर्व से प्रचलित है.
11.24 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर क्रमशः
बरगी विधान सभा क्षेत्रांतर्गत मार्ग निर्माण
[लोक निर्माण]
8. ( *क्र. 3730 ) श्री संजय यादव : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा बरगी विधान सभा जबलपुर के अंतर्गत बन्दर कूदनी मार्ग, सिपेलाघाट पिपरिया मार्ग की स्वीकृति प्रदान की थी? तो क्या वर्तमान में इन मार्गों का निर्माण प्रारंभ हो चुका है? यदि हाँ, तो कब से? यदि नहीं, तो कारण बतावें। यह भी बताया जावे कि किस कारण से भेड़ाघाट उडना मार्ग अधूरा है, उसे पूरा कब तक किया जावेगा? समय-सीमा बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) में स्वीकृत मार्गों के लिये शासन द्वारा कितनी-कितनी राशि स्वीकृत की गई है एवं वर्तमान में कितनी राशि विभाग को जारी कर दी गई है? यदि नहीं, तो क्यों? क्या शासन के पास मार्गों के निर्माण के लिये राशि उपलब्ध नहीं है, अथवा ग्रामीण क्षेत्रों को सड़क सुविधा प्रदान नहीं करना चाहती? यह भी बताया जावे कि उक्त मार्गों के निर्माण में विलंब के लिए किस-किस की लापरवाही है? क्या उन पर शासन कोई कार्यवाही करेगा? (ग) क्या वर्तमान में प्रश्नकर्ता के विधान सभा क्षेत्र बरगी के अंतर्गत लोक निर्माण विभाग के क्षेत्राधिकार के अनेकों ग्राम सड़क विहीन हैं एवं आज भी ग्रामीणों को पगडंडी का सहारा लेना पड़ रहा है? यदि हाँ, तो कौन-कौन से हैं एवं क्या शासन संपूर्ण विधान सभा क्षेत्र का निरीक्षण करवाकर विभाग के माध्यम से ग्रामीणों को पहुँच मार्ग आदि की सुविधा उपलब्ध करावेगा? यदि हाँ, तो कब तक बतावें?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) विस्तृत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत बरगी विधानसभा क्षेत्र के सभी ग्राम पक्की सड़क से जुड़े हैं। शेष प्रश्न का उत्तर जनपद पंचायत, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा एवं ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण से संबंधित है। उनसे प्राप्त उत्तर पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 1, 2 एवं 3 अनुसार है।
श्री संजय यादव--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से अपने मूल प्रश्न के पूर्व मैं ऐसे प्रश्न पूछना चाहता हूं कि हम लोगों को जिज्ञासा रहती है. मैं मंत्री जी को व्यक्तिगत रूप से अपना आदर्श मानता हूं. जब मुझे लगता रहा कि मैं विधायक बनूं तो गोपाल दादा जी के कदमों पर चलूं. लेकिन मुझे लगने लगा है कि और इस बात को सुनता रहा कि दादा में भेदभाव रहता रहा है. अभी एक तो भेदभाव आ गया. पूर्व में दादा दबंगता से काम करते रहे. इस बार के मंत्रि-मंडल में दादा की दबंगता नहीं है. क्योंकि यह प्रश्न बता रहा है कि तीन साल पहले मेरे यहां पर तीन सड़कों का निर्माण प्रारंभ हुआ था, लेकिन आज तक यह सड़कें पूर्ण नहीं हो पाईं उस सड़क में जो सिवनी टोला मार्ग है. उस मार्ग में नर्मदा घाटी केनाल की पुलिया पड़ती है, वह सकरी है. नर्मदा घाटी, पीडब्ल्यूडी भी सरकार के अंतर्गत है. वह सड़क तो चौड़ी हो जायेगी, लेकिन वह पुलिया चौड़ी न होने के कारण उस सड़क का कोई औचित्य नहीं रहेगा. एक तो अगर चार-चार साल तक सड़कें पूर्ण नहीं होंती तो पिछले दो वर्ष पहले हमारी सरकार में 20 सड़कें मेरे यहां पर स्वीकृत हुई थीं उनके वर्क आर्डर हो गये उसके बाद आपकी सरकार आ गई. आपकी सरकार आते ही से चलते निर्माण कार्य बंद हो गये हैं. मेरा निवेदन है कि आप भेदभाव न करते हुए इन सड़कों को पूर्ण कर दें.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, जैसे कि माननीय सदस्य की मंशा है. मैं आज भी इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं और पूर्व में भी मेरी कार्य पद्धति से सभी लोग परिचित हैं. मैंने कभी भी सदन के सदस्यों के साथ भेदभाव नहीं किया न पक्ष के साथ न विपक्ष के साथ. पिछले कार्यकाल में भी सभी को जानकारी है मेरे पास में जब रूरल डेवलपमेंट था, तब अध्यक्ष जी, सामुदायिक भवन दिए तो सभी को बराबर दिए, सी.सी. रोड दिए सभी को बराबर दिए, स्ट्रीट लाइट सभी को बराबर दिए और बहुत से ऐसे सदस्य हैं इसमें जो 2-4 हजार वोटों से या हम लोगों में से जीत कर आए हैं, सभी लोग इस बात स्वीकार करते हैं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं चूंकि माननीय सदस्य उस समय नहीं थे, जब आप सी.सी. रोड दे रहे थे, तो उनको ऐसा लगता है.
11:26 बजे हास-परिहास
श्री गोपाल भार्गव - आप मेरे बारे में जो भी कल्पना करें, जैसे कि अध्यक्ष जी ने कहा कि आप धारणा मत बदलिए, आपको समय समय पर मेरे अलग अलग स्वरूप देखने को मिलेंगे(..हंसी)
श्री पी.सी. शर्मा - वे कह रहे है कि आप पहले दबंग थे, अब दबे हुए हैं. (..हंसी)
अध्यक्ष महोदय - ये दोनों का प्रमाणीकरण संसदीय कार्यमंत्री और गोविन्द सिंह जी करेंगे तब मानना(..हंसी)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, ये दादा की बात कर रहे थे गोपाल भाई जो बोल रहे थे, अब दूसरे दादा आ गए न तो मामला वहां फंस गया है.
श्रीमती रामबाई - अध्यक्ष जी, मैं आपसे निवेदन करती हूं मुझे एक सेकेण्ड बोलने का समय दीजिए.
श्री तरुण भनोत - परशुराम के वंशज भी दबने लगे.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह - (xxx)
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्न से उद्भूत नहीं होता, यह रिकार्ड में न लें.
श्री बाला बच्चन - मंत्री जी यह आपके अलग अलग स्वरूपों के जवाब दो. यह प्रश्न सामने खड़ा हो गया है, आप भेदभाव नहीं करते थे तो देख लो अब. (..हंसी)
श्री गोपाल भार्गव - कभी कभी मौन बहुत खतरनाक होता है, इसलिए मुझे मौन ही रहने दे. (..हंसी) अध्यक्ष महोदय, मौन अपने आपमें बहुत ताकतवर होता है इसलिए मैं लगभग एक साल से मौन हूं.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह - मौन भी टूटेगा, ऐसा नहीं है, मौन रहना ठीक है, लेकिन समय पर मौन टूटेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह - मौन धारण करने वाले बगल में बैठे श्रीमान जी आपने मौन धारण करवा दिया बहादुर नेता को. (..हंसी)
अध्यक्ष महोदय - आप तो माननीय सदस्य के प्रश्न का जवाब दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, माननीय संजय जी ने जो बात कही है, आपने जिस मार्ग के बारे में अपने प्रश्न में पूछा है, यह मार्ग लगभग कम्पलीट हो चुका है, इसमें सिर्फ बी.सी. शेष है जो ऊपर की एक डामर की लेयर होती है वह ही शेष है. शेष मार्ग पूरा हो गया है, इसको भी हम जल्दी करवा देंगे हम आपको आश्वस्त करना चाहते हैं. शेष बातें आपने अपने प्रश्न में नहीं पूछी है, यदि आप चाहे तो व्यक्तिगत रूप से मेरे पास आकर उनका उत्तर ले लेंगे, जानकारी ले लेंगे, मैं आपको दे दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य किसी पुलिया की बात कर रहे थे.
श्री संजय यादव - धन्यवाद. दादा इसमें एक पुलिया पड़ती है, सड़क के ऊपर कैनाल की पुलिया वह चौड़ी होना बहुत जरूरी है, नहीं तो चौड़ीकरण का कोई औचित्य नहीं है. इसके साथ मेरा दूसरा जवाब दे दें, पिछले साल मेरे यहां 20 सड़कें सज्जन भैया ने दी थी, उनका वर्क ऑर्डर हो गया है. मुझे उम्मीद थी कि दादा मंत्री बने हैं तो 100 प्रतिशत ये सड़क बन जाएगी, लेकिन काम रुक गया, तो यहां भेदभाव समझ में आने लगा. एक तो पुलिया बनवा दें.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय सदस्य को जानकारी होगी कि जब बजट बनता है तो उससे तीन गुना ज्यादा काम स्वीकृत किए जाते हैं और समय समय पर एसएफसी होती है, शासन की जैसी वित्तीय स्थिति होती है, उस हिसाब से स्वीकृतियां होती हैं.
श्री तरुण भनोत - माननीय मंत्री जी, वित्त मंत्री जी ने बोला है कि पैसा बहुत है, काम कोई नहीं रुकेगा, आप तो सब की एसएफसी जारी कर दो.
श्री गोपाल भार्गव - आपके समय नहीं हुआ. मैं क्या कर सकता हूं इसके लिए.
श्री तरुण भनोत - चलता काम रोक दिया वही तो कह रहे हैं वे.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष जी, यह प्रक्रियागत है और इसे जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे.
श्री संजय यादव - धन्यवाद .
राजमार्ग पर स्थित टोल प्लाजा द्वारा स्थल का विकास
[लोक निर्माण]
9. ( *क्र. 4072 ) श्री जयसिंह मरावी : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शहडोल जिले अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग-43 में शहडोल से कोमा के बीच ग्राम घुरवार में स्थित टोल प्लाजा को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एवं प्रदूषण नियंत्रण मंडल से क्या एनवायरमेंट क्लियरेंस रिपोर्ट (ई.सी.) प्राप्त है? यदि हाँ, तो शर्तें क्या-क्या हैं और क्या निर्धारित शर्तों एवं मापदण्ड का पालन हो रहा है? (ख) क्या टोल प्लाजा को स्थल के आस-पास एवं निकटस्थ ग्रामों में विकास कार्य भी करवाना है? यदि हाँ, तो शर्तें क्या-क्या हैं और क्या निर्धारित शर्तों एवं मापदण्ड का पालन हो रहा है? (ग) क्या टोल प्लाजा को स्थल के आस-पास एवं निकटस्थ ग्रामों में विकास कार्य भी करवाना है? यदि हाँ, तो ऐसे कार्य कराये जाने वाले विकास कार्यों का विवरण बतायें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। जी हाँ। (ख) एवं (ग) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री जयसिंह मरावी - माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि जो टोल प्लाजा है, वहां पर आज तक कोई निर्माण कार्य नहीं हो रहा है, न ही पानी की व्यवस्था है और न ही वहां पर यात्रियों के रहने की व्यवस्था है. मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि क्या भविष्य में इसकी व्यवस्था की जायेगी ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष जी, प्रत्येक टोल प्लाजा पर पानी की, चिकित्सा की सारी व्यवस्थाएं किये जाने का प्रावधान विभाग की तरफ से, आरडीसी की तरफ से है. माननीय सदस्य बता दें, यदि वहां पर व्यवस्था नहीं है, तो मैं आज ही आदेश जारी कर दूँगा और वहां पर जो हमारे अधिकारी नियुक्त हैं, उन अधिकारियों के सुपरविजन में यह काम करवा दूँगा.
श्री जयसिंह मरावी - माननीय मंत्री जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रधानमंत्री आवास योजना में अनियमितता
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
10. ( *क्र. 1931 ) श्री कुँवर विक्रम सिंह : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जनपद पंचायत राजनगर एवं लवकुशनगर की ग्राम पंचायतों में प्रधानमंत्री आवास योजना की सूची के क्रम को तोड़ते हुए आगे पीछे के लोगों के आवासों को स्वीकृति प्रदान की जा रही है? (ख) क्या पंचायत के सचिवों के पास पासवर्ड न देकर अन्य अनाधिकृत प्रायवेट लोगों के पास पासवर्ड जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा दिलाये गये हैं? यदि हाँ, तो दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही होगी? (ग) क्या कुछ ग्राम पंचायत के हितग्राहियों द्वारा इस संबंध में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत छतरपुर एवं जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को मय प्रमाण-पत्र के शिकायती आवेदन दिसम्बर, 2020 में दिये गये थे? यदि हाँ, तो उन पर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की गई है? यदि नहीं, तो क्यों?
पंचायत मंत्री ( श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया (संजू भैया) ) : (क) जी नहीं। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। शिकायत असत्य पाई गई। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न बहुत गंभीर है. मैं इसमें आपका संरक्षण चाहता हूँ. मेरे प्रश्न के उत्तर 'ग' में माननीय मंत्री जी ने कहा है कि 'जी हां,' शिकायत असत्य पाई गई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि शिकायत असत्य पाई गई है तो यह एफिडेविट (कुछ दस्तावेज हाथ से दिखाते हुए) जो स्टाम्प पेपर पर लिखकर लोगों ने दिये हैं कि हितग्राहियों से 20,000 रुपये रोजगार सहायक, श्री महेश शुक्ला द्वारा लिया जाना यह सिद्ध करता है. यह पत्र मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत छतरपुर, ग्राम रोजगार सहायक, श्री महेश शुक्ला के विरुद्ध प्राप्त शिकायत के जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के संबंध में आपका पत्र क्र. 2823, दिनांक 15.10.2020 है. इसमें स्पष्ट है कि सहायक को 20,000 रुपये दिये गये हैं, लेकिन हितग्राही का आवास स्वीकृत नहीं हुआ और पैसे वापस नहीं मिले हैं. आवास की सूची में नाम है, यह परिवर्तित कर दी गई है. क्या माननीय मंत्री महोदय, ऐसे व्यक्ति को सेवा से पृथक करेंगे कि जो आपके नियम और प्रावधानों में है ?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य जी ने जो बात रखी है. मैं उनको यह बताना चाहूँगा कि प्रधानमंत्री आवास योजना का सर्वे सन् 2011 में हुआ था और जिन व्यक्तियों का नाम पीएमएवाई की लिस्ट में होता है, वही फायनल माना जाता है. राज्य शासन या अन्य कोई संस्था उसको परिवर्तित नहीं कर सकती है.
श्री कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्योंकि समग्र आईडी, जो पोर्टल होता है. पोर्टल के साथ-साथ ग्राम पंचायत, ग्राम सहायक को यह पावर होता है कि जिस व्यक्ति का नाम चाहे आगे बढ़ा सकता है, जिसका नाम चाहे उसको परिवर्तित कर सकता है. यह बड़ा गंभीर प्रश्न है, इसमें गंभीर अनियमितताएं स्पष्ट हैं. मैं आपका संरक्षण चाहते हुए, माननीय मंत्री जी से फिर से निवेदन करता हूँ कि क्या आप आज इसी सदन से श्री महेश शुक्ला को सेवाओं से पृथक करेंगे ?
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे आदरणीय राजा साहब बहुत ही जोश में दिख रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - वे हमेशा जोश में रहते हैं.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - मेरे भाई हैं, निश्चित रूप से अगर आपके पास कुछ स्पेसिफिक है कि उसमें परिवर्तन किया गया है या फोरजरी की गई है. अगर आपको लगता है कि कहीं कोई अनियमितता हुई है तो हम दोनों बाहर बैठ लेंगे, आप मुझे बता दीजिये, जो भी कार्यवाही होगी, सख्त से सख्त कार्यवाही की जायेगी.
अध्यक्ष महोदय - (कुँवर विक्रम सिंह जी के खड़े होकर कुछ बोलने पर) आप बैठ जाइये, मंत्री जी ने कह दिया है.
श्री पी.सी.शर्मा - अध्यक्ष महोदय, यह प्रधानमंत्री आवास का मामला है, भ्रष्टाचार का मामला है. इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - वह कह तो रहे हैं कि अर्जी देकर जांच करवा लेंगे.
श्री कुँवर विक्रम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, उसे तत्काल प्रभाव से सस्पेंड ही कर दें और जांच कमेटी में मुझे रखें ताकि स्पष्ट जांच हो सके.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से आप मुझे लिखकर दीजिये, हम दोनों बैठकर बात कर लेंगे और जांच होगी.
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बैठकर लिखने की बात नहीं है. (व्यवधान..)
श्री तरूण भनोत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य विधानसभा में प्रश्न उठा रहे हैं. यह महत्वपूर्ण विषय है, बाहर बैठकर क्या बात करना है, ऐसा व्यक्ति जो भ्रष्टाचार में लिप्त है उसको निलंबित करें. आप व्यवस्था दें. (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें (व्यवधान..)
श्री कांतिलाल भूरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप कमेटी बना दीजिये, दोनों बैठकर आप क्या नेगोशियेशन करेंगे. (व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाईये रोजगार सहायक को सस्पेंड करने की प्रक्रिया नहीं है, यह आप सब जानते हो. आप सुनिये, उस कानून के भीतर जो वह बता रहे हैं, उसको समझ लीजिये. वह कह रहे हैं कि आप शिकायत दे दीजिये, वह जांच करा लेंगे और कार्यवाही जो आप चाहते हैं, वह कर देंगे. आप सस्पेंशन की मांग कर रहे हैं ना ?
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, रोजगार सहायक को अटैच करने की व्यवस्था है, अटैच कर दिया जाये और उसकी जांच कराने के लिये जांच दल में मुझे और मेरे जिले के वरिष्ठ छतरपुर विधायक को उसमें सम्मिलित किया जाये, मैं आपसे यही आग्रह कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- विक्रम सिंह जी बहुत छोटा कर्मचारी है, उस जांच पर आप मत जाइये, हमारे विधायक की गरिमा नहीं गिरना चाहिये. आप उस पर नहीं जाईये. आप अलग से अर्जी दें और वह उस पर जांच करा लेंगे और जांच कराकर कार्यवाही कर देंगे.
श्री महेन्द्र सिंह सिसोदिया. माननीय अध्यक्ष जी मैं माननीय सदस्य जी को यह कहना चाहूंगा कि रोजगार सहायक तो क्या मध्यप्रदेश शासन भी चाहे तो नाम ऊपर नीचे नहीं किया जा सकता है.
अध्यक्ष महोदय -- अब वह जो कह रहे हैं, उसे आप समझ लें यह तो हो गया है. आप उसकी जांच करा लेना और जांच कराकर कार्यवाही कर दें.
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक रिक्वेस्ट करना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय --अब मैंने जांच कराने का कह दिया है.
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने तीसरे नंबर के प्रश्न में बोला है कि मध्यप्रदेश में कहीं भी अगर भ्रष्टाचार यदि होगा.
अध्यक्ष महोदय -- कुंवर विक्रम सिंह जी मैंने जांच कराने का कह दिया है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष जी आज बड़ा अच्छा इत्तफाक है कि दोनों तरफ से लाल तिलक लगे हुए हैं. माननीय सदस्य, आप जो चाहेंगे वह हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय -- (कुंवर विक्रम सिंह, सदस्य के अपने आसन से कुछ कहने पर) मैंने उनसे जांच कराने का कह दिया है.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जब बोल रहा हूं कि जांच करा लेंगे और कमेटी में आप भी रहेंगे और सब लोग रहेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ने अब निर्देश दे दिये हैं, आप बैठ जायें.
11. ( *क्र. 3909 ) अधिकृत, श्री कुणाल चौधरी : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 304, दिनांक 28.12.2020 का उत्तर दिलाया जाये तथा बतावें कि कर्ज माफी की विस्तृत समीक्षा तथा समग्र रूप से विचार करने की आवश्यकता क्यों हुई? क्या संविधान के नियमों के तहत पारित की गई किसी योजना पर दूसरी सरकार विचार कर उसे निरस्त कर सकती है, स्थगित कर सकती है या उसमें परिवर्तन कर सकती है, जबकि योजना के आधे भाग का क्रियान्वयन हो चुका हो? (ख) वर्ष 2011-12 से वर्ष 2019-20 तक सीमान्त लघु कृषक का प्रतिशत बतावें तथा इनके पास कितने-कितने प्रतिशत जमीन है? क्या प्रदेश में सीमान्त और लघु कृषकों की संख्या तेजी से बढ़ी है जो यह प्रदर्शित करती है कि कृषि कल्याण की हमारी योजना सफल नहीं रही है? (ग) क्या शासन के पास किसानों की वार्षिक आय के आंकड़ें नहीं हैं? यदि हाँ, तो वह किसानों की वार्षिक आय में वृद्धि तथा उनके जीवन स्तर में सुधार का दावा किस आधार पर करती है?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री कमल पटेल )--
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से बड़ा महत्वपूर्ण प्रश्न जो आया है, उसके उपलक्ष्य में पूछना चाहूंगा कि लगभग 50 से ज्यादा प्रश्न इसके ऊपर हम लगा चुके हैं, उसके बाद हर बार जो जवाब आता है और आज भी जो बुकलेट में छपा था कि प्रश्न (क) से लेकर (ग) तक जानकारी एकत्रित की जा रही है. जब भी इस तरह के प्रश्न किसानों को लेकर होते हैं तो हमेशा उसमें एक ही जवाब मिलता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है और कहीं न कहीं यह किस्मत से सवाल आता है तो उसमें जो जवाब दिये जाते हैं, इस तरीके से घुमा फिराकर दिये जाते हैं कि कहीं न कहीं महत्वपूर्ण रूप से किसानों की जो योजनाएं हैं, वह खत्म होने की बात होती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक सवाल इसके अंदर आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से यह है कि मध्यप्रदेश में आत्महत्या करते किसान और कर्ज से डूबे किसान को बाहर निकालने के लिये पूर्व सरकार में माननीय कमलनाथ जी ने किसान कर्ज माफी की योजना की शुरूआत की थी. वह योजना आधी से ज्यादा अमली जामा पहन चुकी थी, जिसमें कालातीत किसानों का दो लाख तक का कर्जा माफ हुआ था. पचास हजार रूपये तक का रेगुलर का हर जगह और आधी जगह एक लाख रूपये तक का 27 लाख किसानों का कर्जा माफ हुआ था. हमने इसमें माननीय मंत्री जी से सवाल किया है कि क्या जो इतनी अच्छी योजना है, उसको किसी संवैधानिक चुनी हुई सरकार के निर्णय को (XXX) जनादेश की सरकार पुर्नविचार करके उसको खत्म करने का काम क्यों यह सरकार कर रही है ?और उसके ऊपर तीन हजार रूपये का जो इन्होंने बजट के अंदर प्रावधान किया है तो इससे क्या यह सिद्ध करना चाहते हैं, इस कर्ज माफी को चालू रखेंगे कि नहीं रखेंगे इसका एक भी बार सही तरीके से इसमें माननीय मंत्री जी जवाब नहीं दे पाये हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो माननीय सदस्य ने कहा है, इसे विलोपित कर दें.
अध्यक्ष महोदय -- इसको रिकार्ड से निकाल दें.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जुगाड़ की सरकार कह देता हूं, माफी चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- अब आप जवाब आने दें.
श्री कमल पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मूल प्रश्न श्री विजय गहलोत जी का था.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने अनुमति दी है.
श्री कुणाल चौधरी -- मैंने भी बहुत प्रश्न लगाया है पर आ नहीं पाया था.
श्री कमल पटेल -- ठीक है आपने पूछा हम जवाब देंगे. पहले तो मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कहना चाहता हूं कि पूरे सदन के जनप्रतिनिधियों का इन्होंने बोलकर अपमान किया है.
श्री कुणाल चौधरी -- मैंने सुधार कर लिया है और जुगाड़ की सरकार कह दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- उसको रिकार्ड से हटा दिया गया है.
श्री कमल पटेल -- आप ऐसा बार बार बोलते हो. हमारा देश लोकतांत्रिक देश है.
श्री कुणाल चौधरी -- आप किसान के ऊपर चर्चा कर लें.
श्री कमल पटेल-- कुणाल चौधरी जी, जनता के द्वारा चुना हुआ इस्तीफा दिया है और चुनने के बाद में 60-60 हजार से अधिक वोटों से जीते और किसानों ने जिताया है.
श्री कुणाल चौधरी-- यह पैसा कहां से आया है, यह छोड़े आप, लेकिन किसानों का कर्जा माफ क्यों नहीं कर रहे, यह मेरा सवाल है.
श्री कमल पटेल-- ज्यादा बौखलाओ मत.
श्री कुणाल चौधरी-- नहीं, मैं नहीं बौखला रहा.
श्री कमल पटेल-- माननीय कमलनाथ जी ने जो कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष थे, पूरी कांग्रेस ने, घोषणा पत्र पर से तो इनका विश्वास उठ गया, इसलिये वचन पत्र लाये थे, क्योंकि 4 साल तक ...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- मंत्री जी, जानकारी सुधार लो वह अभी भी अध्यक्ष हैं.
श्री कुणाल चौधरी-- मेरा सीधा सवाल है और सीधे सवाल का सीधा जवाब दो, कर्जमाफी करेंगे कि नहीं और किसान की कर्जमाफी को यह पाप क्यों कहते हैं. बाहर पाप कहते हैं और सदन के अंदर जवाब नहीं देते हैं. आप माननीय मंत्री है, आप बहुत वरिष्ठ मंत्री हैं, मुझे मालूम है आप माफिया के खिलाफ भी पत्र लिखते हैं, आप रेत माफिया के खिलाफ भी पर किसान के प्रति ...
अध्यक्ष महोदय-- जवाब देने दीजिये, बैठ जाइये कुणाल जी.
श्री कुणाल चौधरी-- आपने चने के बढ़ाये थे, आपने अच्छा काम किया था मैं उसकी तारीफ करूंगा, आप किसान पर बात करें. ...(व्यवधान)...
श्री कमल पटेल-- कुणाल चौधरी जी और जितु पटवारी जी, सुन लो मैंने कहा कमलनाथ जी और राहुल गांधी जी ने पाप किया किसानों को धोखा देकर. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- आप तो जवाब दे दो साहब, आप किसान थे, तो आप यह राहुल गांधी का नाम मतलब यह किसान विरोधी नरेन्द्र मोदी की सरकार .. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, जो प्रश्न आया है उसका जवाब दीजिये. ...(व्यवधान)... मैं जवाब दिलवा रहा हूं. सज्जन सिंह जी बैठ जाइये ...(व्यवधान)...
श्री कमल पटेल-- किसानों के साथ धोखा था. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- किसान कर्जमाफी धोखा कैसे हो सकता है साहब.
श्री कमल पटेल-- तुम लोगों ने धोखा दिया न ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- 27 लाख किसानों का कर्जामाफी आपने माना ...(व्यवधान)... माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन के अंदर गलत जवाब देते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कुणाल जी, बैठ जाइये. मैं दोनों पक्षों से निवेदन करना चाहता हूं कि बड़ी मुश्किल से प्रश्नकाल में लोगों के प्रश्न लगते हैं और आप देख रहे हैं कि 12-13 प्रश्नों से ज्यादा पार करना संभव नहीं हो रहा है. कृपापूर्वक इतनी मदद कीजिये कि कुछ और लोगों के प्रश्न आ जायें जिसका जवाब मिल जाये. दूसरा आग्रह यह करना चाहता हूं, अनावश्यक टिप्पणी से दोनों पक्ष बचें, यह मैं निवेदन करना चाहता हूं. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं आंकड़े नहीं करूंगा, मैं सिर्फ एक सवाल का जवाब चाहूंगा. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- मैं जितु पटवारी को बोलने के लिये कह रहा हूं.
श्री जितु पटवारी-- आपने जो कहा बिलकुल सहर्ष स्वीकार है. आदरणीय मंत्री जी से दो सवाल हुये उन्होंने कहा कि आपने विधान सभा में पहले उत्तर दिया था कि लगभग 27 लाख किसानों का कर्जा माफ हुआ, आगे के किसानों का माफ करना है या नहीं करना है और तीसरा इनको जो दिया है उसकी वसूली करना है, सदस्य का सीधा सा प्रश्न है. अब यह इधर उधर दुनिया में घूमेंगे, इसका स्पेसिफिक उत्तर दे दें, फिर आपकी भाषणबाजी सुनेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- जितु जी, आपकी बात आ गई, माननीय मंत्री जी.
श्री कमल पटेल-- माननीय कुणाल चौधरी जी आपकी सरकार ने यह कहा था मुख्यमंत्री बनते से ही, पहली बार वल्लभ भवन गये और क्या कहा मध्यप्रदेश में 55 ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- इतने वरिष्ठ मंत्री होकर आप इतने बढि़या व्यक्ति होकर क्यों बचा रहे हो, आप ठोक कर ही मंत्री बने हो, आपको इन्होंने किसी ने नहीं बनाया है ...(व्यवधान)...
श्री सुरेश राजे-- कर्जमाफी हुई कि नहीं हुई, यह बताने का कष्ट करें. ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- जो सवाल है उसका जवाब दो मंत्री जी कि करोगे या नहीं करोगे, क्या यह किसान विरोधी सरकार है यह बता दो. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- यह कैसे कहेंगे भाई, बैठ जाइये आप.
श्री कुणाल चौधरी-- ये प्रश्न का जवाब ही नहीं दे रहे, इधर उधर घुमा रहे हैं. बचे हुये किसानों का कर्जा माफ करोगे कि नहीं करोगे. ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आप लोग जवाब तो देने दें, सुनें तो, सुनने की क्षमता ही नहीं है.
श्री कमल पटेल-- देखिये मध्यप्रदेश शासन एतद् द्वारा निर्णय लिया जाता है, यह मैं नहीं कह रहा हूं, कमलनाथ जी ने कहा था और राजौरा ने जवाब दिया था.
डॉ. गोविन्द सिंह-- यह कोई तरीका है ...(व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी-- जवाब दोगे कि नहीं, मंत्री हो कि क्या हो. ...(व्यवधान)... यह किसानों के प्रति क्यों इतनी नफरत रखते हैं. खेत से लेकर यहां तक नफरत है. ...(व्यवधान)...
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- किसानों का कर्जा माफ करोगे कि नहीं ...(भारी व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाईये, जवाब तो आने दीजिये. ...(भारी व्यवधान)... माननीय मंत्री जी सीधा जवाब दीजिये.
(श्री फुंदेलाल सिंह मार्कों, सदस्य द्वारा एप्रिन पहनकर सदन में प्रवेश किया गया. मार्शल की समझाइश पर माननीय सदस्य द्वारा एप्रिन उतार दिया गया.)
श्री कमल पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, 17 दिसम्बर,2018 कमलनाथ जी ने शपथ लेकर कहा...
डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह जवाब ही नहीं देना चाहते.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - जवाब दिलवा रहा हूं. बैठ जाईये.
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ - कितने लोगों का कर्जा माफ हुआ.कितनों का बकाया है ?
श्री कुणाल चौधरी - हां प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कर्जा माफी का निर्णय लिया था.
(..व्यवधान..)
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ - सदन को गुमराह क्यों कर रहे हो मंत्री जी.
श्री कुणाल चौधरी - यह निर्णय लिया था कि कर्जा माफ करेंगे. किसानों का कर्जा माफ करेंगे कि नहीं आप आगे बताओ. कमलनाथ जी ने यह निर्णय लिया था. तो आप मरते हुए किसानों का कर्जा माफ करेंगे ?
डॉ.विजय लक्ष्मी साधौ - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी के द्वारा सदन को गुमराह किया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाईये. मैं जवाब दिलवाता हूं.
गृह मंत्री ( डॉ.नरोत्तम मिश्र ) - हल्ला वे लोग मचा रहे हैं जिन्होंने एक किसान का भी 2 लाख का कर्जा माफ नहीं किया. ये वे लोग हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष से असत्य बुलवाया इन्होंने. इन्होंने मुख्यमंत्री से असत्य बुलवाया ये वह लोग हैं.(..व्यवधान..) इन्होंने किसानों को आत्महत्या के लिये मजबूर किया वे लोग हल्ला मचा रहे हैं. इन्हें किसानों की बात करने का हक नहीं है.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - मेरा दोनों पक्षों से आग्रह है बैठ जाईये.
श्री कुणाल चौधरी - अध्यक्ष महोदय, बस जवाब दिलवा दीजिये.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाईये.
श्री कुणाल चौधरी - किसान के प्रति क्या नफरत है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाईये. मैं जवाब दिलवाता हूं.
(..व्यवधान..)
श्री रामेश्वर शर्मा - अरे जीतकर आये हैं. ऐसा नहीं चलेगा. यह क्या तरीका है.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाईये.
(..व्यवधान..)
श्री प्रियव्रत सिंह - अध्यक्ष महोदय, विपक्ष आपकी व्यवस्था का पालन कर रहा है लेकिन रामेश्वर शर्मा जी और गृह मंत्री जी जिस तरीके से उकसा रहे हैं और जवाब सदन में नहीं आने दे रहे हैं. यह घोर आपत्तिजनक है. (..व्यवधान..) यह किसान विरोधी सरकार है.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही 05 मिनट के लिये स्थगित.
11.48 बजे (विधान सभा की कार्यवाही 05 मिनट के लिये स्थगित .)
11.55 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जवाब दिलवा दें बस.
..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक जवाब दिलवा दीजिये मेरे सवाल का, कृपा करके.
..(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा -- सभापति महोदय, हमारे नेताओं का अपमान हो रहा है. अनुसूचित जाति के नेताओं का अपमान हो रहा है,प्रभुराम चौधरी जी पहले 3 हजार मतों से जीते थे, अब 56 हजार वोटों से जीते हैं. यह रायसेन का अपमान है. नीमच का अपमान है, इन्दौर का अपमान है. आप कैसे कह सकते हैं कि खरीदा हुआ जनादेश है.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जायें. हो गया. आप सुनिये तो, आप बैठ तो जाइये. यह जो विषय पैदा हुआ है. मैं चाहता हूं कि गोविन्द सिंह जी और संसदीय कार्य मंत्री जी, पहले आप कहें, फिर आप कहें. फिर कोई बात बन सकती है. (डॉ. गोविन्द सिंह, सदस्य के उठने पर) आप उस प्रश्न के विषय में न जाना, यह जो प्रकरण खड़ा हुआ है या जो स्थिति पैदा होती है,हमारे तमाम प्रश्नकर्ताओं के प्रश्न नहीं आते हैं, उस विषय पर कहना.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं जो जरुरी होता है, आवश्यकता होती है, वही बोलता हूं, समय बर्बाद नहीं करता हूं इधर उधर की बातों में. मैं केवल माननीय कृषि मंत्री जी से एवं संसदीय कार्य मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि जो शेष किसानों के कर्जे के संबंध में कुणाल चौधरी जी ने पूछा है, क्या बचे हैं, उन कर्जों को सरकार माफ करेगी या नहीं, बस इतना एक ही उत्तर चाहिये, हां या ना में जवाब दे दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी पढ़ रहे हैं, बता रहे हैं कि आदेश निकला है, इन्होंने कहा कि सारे माफ हो गये,यह पढ़ रहे हैं. या तो ये यह कहें कि इन्होंने असत्य बोला था. तो हम आगे की बात करें. इनके राष्ट्रीय अध्यक्ष आकर यह कह गये कि 10 दिन के अन्दर 2 लाख किसानों का कर्जा माफ हो जायेगा. राष्ट्रीय अध्यक्ष ने असत्य बोला था, यह कहें, हम इसके बारे में स्पष्ट बोलते हैं. ये तो स्पष्ट बोलें. इनके मुख्यमंत्री जी ने असत्य बोला, यह कहें तो कि हां असत्य बोला. ये ऐसे बोले तो सही, फिर हम भी बोलते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हां हमने बोला था, कर्ज माफी का बोला था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, ये बोलते नहीं है कि हमने असत्य बोला. हमने किसान को धोखा दिया. इनके पाप हम ढो रहे हैं. अब ये ऐसी बातें स्पष्ट बोलेंगे नहीं और हमसे कहेंगे कि जवाब दो. आपके पाप हैं, हम जवाब दें. आपके पाप हैं हम ढोये, हम काहे को जवाब दें. ..(व्यवधान)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, सरकार जवाब से भाग रही है. ..(व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय, एक लाइन का जवाब है, हां या ना.
..(व्यवधान)..
सहकारिता मंत्री(श्री अरविन्द सिंह भदौरिया) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय कमलनाथ जी ने हमारी ससहकारी सोसाइटियां जो 4500 थीं, हमारी बैंकों को बर्बाद कर दिया. हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने करोड़ों रुपये दिये.
..(व्यवधान)..
11.58 बजे बहिर्गमन
इण्डिन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इसमें सरकार जवाब नहीं दे रही है, इसके विरोध में हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
(डॉ. गोविन्द सिंह, सदस्य के नेतृत्व में शासन द्वारा उत्तर न देने के विरोध में इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य गण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया.)
11.59 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमशः)
ऑनलाईन रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र के उपरांत ठेकेदारों को भुगतान
[लोक निर्माण]
12. ( *क्र. 3639 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश शासन खनिज साधन विभाग मंत्रालय के पत्र क्रमांक एफ 14-10/2018/12/I, दिनांक 15.03.2018 द्वारा दिनांक 01 अप्रैल, 2018 के पश्चात निर्माण कार्यों में उपयोग किए जा रहे खनिजों को विषयांकित प्रमाण पत्र आवश्यक कर दिया गया हैं? क्या विषयांकित प्रमाण पत्र के बगैर ठेकेदारों के बिल निकाले जा सकते हैं? (ख) यदि नहीं, तो बालाघाट, होशंगाबाद तथा बुधनी संभागों में चल रहे निर्माण कार्यों में दिनांक 01 अप्रैल, 2018 के पश्चात प्रयोग किए गए रेत, गिट्टी तथा मिट्टी की कार्य अनुसार मात्रा तथा उतनी मात्रा के विषयांकित पत्र अनुसार जानकारी उपलब्ध कराएं? जानकारी में कार्य करने वाले ठेकेदार या कम्पनी का भी उल्लेख करें। (ग) क्या दिनांक 01 अप्रैल, 2018 के पश्चात विषयांकित प्रमाण पत्र न देने पर ठेकेदार से बाजार भाव से रॉयल्टी की वसूली करनी थी, लेकिन नहीं की गई? (घ) शासन को तीनों संभागों में रॉयल्टी पर पेनाल्टी न लेने से कुल कितनी राशि का नुकसान हुआ? क्या शासन द्वारा इसके लिए दोषी अधिकारियों से यह राशि वसूल की जाएगी तथा उन पर क्या कार्यवाही की जाएगी? क्या शासन सम्पूर्ण प्रदेश में इस प्रकार की जाँच कराएगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। मध्यप्रदेश शासन खनिज साधन विभाग के पत्र क्र. एफ-14-10/2018/12/1, दिनांक 15.03.2018 द्वारा जारी पत्र में दिनांक 01.04.2018 से गौण खनिजों का रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र ऑनलाईन प्रस्तुत करने का उल्लेख किया गया है। रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र के बिना ठेकेदार के रनिंग देयकों का भुगतान किया जा सकता है, परन्तु अंतिम भुगतान हेतु रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र आवश्यक है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ', 'अ-1' एवं 'ब' अनुसार है। (ग) जी हाँ। अंतिम बिल के भुगतान से पूर्व रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र प्रस्तुत न करने पर ठेकेदार से वसूली का प्रावधान है। नियमानुसार रॉयल्टी की राशि की कटौती की गई है। (घ) शासन को कोई नुकसान नहीं हुआ है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न में (ख) में ऑन लाइन चुकता प्रमाण पत्र की जानकारी चाही थी, वह इसमें नहीं है. मैं मंत्री जी से यह जानना चाहती हूं कि क्या वह जानकारी आप मुझे उपलब्ध करा देंगे. यदि आप नहीं करवा पायेंगे, क्योंकि वह बेक डेट में तो होगी नहीं, तो क्या आप बाजार भाव से पैनाल्टी अंतिम भुगतान का बिना चुकता रायल्टी प्रमाण पत्र के भुगतान नहीं होगा, तो क्या उनको आप पैनाल्टी बाजार भाव से लगायेंगे, क्योंकि जो उत्तर यहां आया है, उसमें आपने जो रेट उनको फिक्स किया है, वह 100 रुपये प्रति घन मीटर के हिसाब से किया है, आप बाजार भाव से क्या उसको पैनाल्टी लगायेंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, नियमों में जो भी प्रावधान होगा, उसी के अनुसार पैनाल्टी की व्यवस्था होगी.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्यक्ष महोदय, जो बाजार भाव से पैनाल्टी लगाना है, नियम भी यही है, लेकिन मैं आपको बताना चाहती हूं कि यह इत्तेफाक है कि 1 अप्रैल,2018 को यह आदेश जारी हुआ था, उस समय खनिज साधन विभाग के पी.एस. श्री मण्डलोई जी थे और जो आर्डर उन्होंने जारी किया था,लोक निर्माण विभाग में आज वही पीएस हैं, उन्हीं के आदेशों की धज्जियां इस समय उड़ाई जा रही हैं. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यही कहना चाहती हूं कि मैंने प्रश्न तो बालाघाट, होशंगाबाद और बुदनी का पूछा है क्या पूरे प्रदेश में आप बाजार भाव से पेनॉल्टी लगाएंगे?
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, पेनॉल्टी का जहां तक सवाल है एक तो रनिंग पमेंट जो होते हैं निर्माण कार्यों के तो खनिज पर जो भी रॉयल्टी होती है, उसी समय काट ली जाती है. लेकिन यह भी होता है जब काटते नहीं हैं तो जब अंतिम पेमेंट होता है उस समय यह कटती है और यदि नहीं होता है तो उनकी जो सिक्यूरिटी डिपॉजिट होती है, उससे डिडक्शन हो जाता है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - केवल बाजार भाव से पेनॉल्टी लगाएंगे, बस मैं यह जानना चाह रही हूं?
श्री गोपाल भार्गव - यदि प्रावधान होगा तो बाजार भाव से ..
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - प्रावधान है.
श्री गोपाल भार्गव - प्रावधान के अनुसार ही कार्यवाही होगी.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.02 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय -
12.03 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
(1) ग्वालियर में कृषि विकास अधिकारी और कृषि विस्तार अधिकारी की भर्ती में गड़बड़ी की सीबीआई से जांच कराई जाना
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) - अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के इतिहास में आज दूसरी बार व्यापम का नाम बदलकर पीईबी परीक्षा के द्वारा ग्वालियर में कृषि विकास अधिकारी और कृषि विस्तार अधिकारियों की भर्ती में इतना बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है. एक ही जिले के एक ही जाति के लोगों ने जो तीन-तीन, चार-चार वर्ष में बीएससी (एजी) की है, उन लोगों को लगातार 200 में से 190-195 नम्बर आए हैं और एक ही सेंटर से आए हैं, तो मैं सरकार से जवाब चाहता हूं कि इतने बड़े घोटाले पर सीबीआई की जांच कराई जाय और तत्काल सरकार इसमें जवाब दे क्योंकि मध्यप्रदेश में यह दूसरा व्यापम का बड़ा भाई निकल पड़ा है. व्यापम में तो दूसरे लोगों को बदला है लेकिन इसमें एक लाइन से एक स्कूल में एक जैसे नम्बर दिये हैं, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है. अध्यक्ष महोदय, ध्यान आकर्षण के माध्यम से इसको आपके समक्ष रखा है. हम चाहते हैं कि सरकार इस पर जवाब दे. मुख्यमंत्री जी नहीं है तो संसदीय कार्यमंत्री जी जवाब दें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा (सोनकच्छ) - अध्यक्ष महोदय, 3-3, 4-4 बार जो फेल हुए उनको 200 में से 195, 196 नम्बर मिले. गजब, गजब सरकार चल रही है. गरीब बच्चों का हक क्यों मार रहे हो? इस पर सीबीआई जांच हो, उन होनहार बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. संसदीय कार्यमंत्री जी जवाब दें.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गई है, आप बैठ जाइए.
(2) नगरीय निकाय चुनाव में वीवी पैट मशीन का उपयोग किया जाना
श्री तरुण भनोत (जबलपुर-पश्चिम) - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद, आपने मुझे बोलने का मौका दिया. मैं एक मामला यह उठाना चाहता हूं. यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है कि नगरीय निकाय के चुनाव मध्यप्रदेश में होने जा रहे हैं और जो हम लोगों को जानकारी मिली है, उसके मुताबिक जो चुनाव होंगे, उसमें वीवी पैट मशीनों का उपयोग नहीं किया जाएगा. इससे चुनावों के परिणाम जो हैं, यह संदिग्ध होंगे और इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठेगा. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि आप ऐसी व्यवस्था दें कि कम से कम सरकार के कानों तक यह बात जाय कि जब तक वीवी पैट की व्यवस्था नहीं होती, यह आश्वासन सदन को दें, तब तक चुनाव निष्पक्ष नहीं हो सकते और वीवी पैट के माध्यम से ही चुनाव कराए जायंगे नगरीय निकाय के.
(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - (कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होकर बोलने पर) आप बैठ तो जाइए. मार्कों जी आप बैठ जाइए, एक तो आप बिना अनुमति के वह पहनकर आए. कम से कम इतना तो आपको पूछकर आना चाहिए, उसकी अनुमति लेना चाहिए. जो पहनकर आए थे वह नहीं करना चाहिए. सदन के भीतर नहीं करना चाहिए.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)- अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि जो भी दोषी हों उन पर कार्यवाही करें.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ तो जाइए.
(3) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों की छात्रवृत्ति न दिया जाना
श्री बाला बच्चन (राजपुर) - अध्यक्ष महोदय, एससी, एसटी के कॉलेज के छात्रों की स्कालरशिप केन्द्र सरकार के द्वारा भी कम कर दी गई और राज्य सरकार के द्वारा भी कम कर दी गई है, 172 करोड़ रुपये जहां बांटे जाते थे वहां मात्र 57 करोड़ रुपये ही दिये गये हैं, ऐसे 307 करोड रुपये केन्द्र सरकार के द्वारा दिये जाते थे तो उसको भी 75 प्रतिशत कम कर दिया है. इसलिए मार्को जी और हम सभी विधायक साथी सब मिलकर इस बात को उठा रहे हैं, बजट भाषण में भी हमने यह कहा है. सरकार इसका जवाब दे और एसटी, एससी के छात्रों की स्कालरशिप क्यों कम कर दी गई है क्यों काट दी गई है, इसका जवाब आप सरकार से दिलवाएं, यह निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय -- जब वह बजट का जवाब देंगे तब इस बात का जवाब देंगे...(व्यवधान)..
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय कोतमा की एक लड़की 2 मार्च को अहमदाबाद से भोपाल आ रही थी 5 मार्च को ट्रेन में उसकी हत्या हो जाती है. बहुत गंभीर बात है 23 वर्ष की लड़की का मेटर है कोतमा का...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आप सबकी बात आ गई है. पत्रों का पटल पर रखा जाना. ...(व्यवधान)..
श्री सुनील सराफ (बरगी) -- अध्यक्ष महोदय, वह बेटी रास्ते में गायब हो गई, उस बेटी सुप्रिया तिवारी की तीन दिन के बाद में लाश मिली है, प्रशासन सोता रहा है...(व्यवधान)
12.06 बजे. पत्रों का पटल पर रखा जाना
भूमि अर्जन, पुनर्वासन तथा पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और
पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम
(1)राजस्व मंत्री ( श्री गोविन्द सिंह राजपूत) -- अध्यक्ष महोदय मैं भूमि अर्जन, पुनर्वासन तथा पुनर्व्यवस्थापन मेंउचित प्रतिकर और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 (क्रमांक 30 सन् 2013) की धारा 111 की अपेक्षानुसार अधिसूचना क्रमांक एफ 12-2-2014/सात-2, दिनांक 24 अक्टूबर, 2019 पटल पर रखता हूं.
मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान का वार्षिक प्रतिवेदन
(2) खनिज साधन मंत्री ( श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ) -- अध्यक्ष महोदय मैं मध्यप्रदेश जिला खनिज प्रतिष्ठान नियम, 2016 के नियम 18(3) की अपेक्षानुसार जिला खनिज प्रतिष्ठान, जिला अनूपपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017-18 पटल पर रखता हूं.
भोपाल इलेक्ट्रानिक्स मेन्यूफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का तृतीय एवं जबलपुर इलेक्ट्रानिक्स मेन्यूफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का तृतीय प्रतिवेदन
(3) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ( श्री ओमप्रकाश सखलेचा ) -- अध्यक्ष महोदय मैं कंपनी अधिनियम, 2013 (क्रमांक 18 सन् 2013) की धारा 395 की उपधारा (1) (ख) की अपेक्षानुसार --
1. भोपाल इलेक्ट्रानिक्स मेन्यूफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का तृतीय वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-19 तथा
2. जबलपुर इलेक्ट्रानिक्स मेन्यूफेक्चरिंग पार्क लिमिटेड का तृतीय वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2018-19 पटल पर रखता हूं.
12.07 बजे बहिर्गमन
इण्डियन नेश्नल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को -- अध्यक्ष महोदय एससीएसटी के छात्रो की छात्रवृत्ति कम की जा रही है इ सके विरोध में हम सदन से बहिर्गमन करते हैं...(व्यवधान)..
( इण्डियन नेश्नल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा एससीएसटी के छात्रों की छात्रवृत्ति कम करने के विरोध में बहिर्गमन किया )
डॉ नरोत्तम मिश्र -- बहिर्गमन में गोविंद सिंह जी बाहर तक तो जाया करें, ऐसा भी क्या बुढ़ापा हावी हो रहा है तुम पर, इस कदर बुढ़ापा आप पर हावी हो रहा है कमलनाजी का भाषण सुना आपने कल वह क्या कह रहे थे, बोला ना उन्होंने अल्का लांबा आयी थीं कौन आयी थीं.
डॉ गोविन्द सिंह -- कमलनाथ जी का भाषण आप ही सुनते हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- आप इतने बुढ्ढे हो गये हैं कि बाहर तक नहीं जाते हैं.
12.08 बजे. ध्यान आकर्षण
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की नियमावली के नियम 138(3) के अनुसार किसी एक बैठक में दो से अधिक ध्यान आकर्षण की सूचनाएं नहीं ली जा सकती हैं, परंतु सदस्यों की ओर से अभी तक प्राप्त ध्यान आकर्षण की सूचनाओं में दर्शाये गये विषयों की अविलंबनीयता तथा महत्व के साथ ही माननीय सदस्यों के विशेष आग्रह को देखते हुए सदन की अनुमति की प्रत्याशा में नियम को शिथिल करके मैंने आज की कार्यसूची में 4 सूचनाएं सम्मिलित किये जाने की अनुज्ञा प्रदान की है, लेकिन इसके साथ ही मेरा अनुरोध है कि जिन माननीय सदस्यों के नाम सूचनाओं में हों, केवल वे ही प्रश्न पूछकर इन ध्यान आकर्षण सूचनाओं पर यथा शीघ्र चर्चा समाप्त हो सके, इस तृष्टि से कार्यवाही पूरी कराने में सहयोग प्रदान करें.
मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
नागदा स्थित उद्योगों द्वारा ठेका श्रमिकों को कार्य से बाहर किया जाना
श्री दिलीप सिंह गुर्जर ( नागदा खाचरौद ) -- अध्यक्ष महोदय,
श्रम मंत्री (श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, कोरोना की आड़ में सिर्फ नागदा ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश, पूरे देश में उद्योगपतियों की मनमानी चल रही है. हमारे यहां पर 4-5 हजार मजदूर हैं, जिस प्रकार से जवाब आया है वह अधिकारियों का जवाब है, वहां पर वस्तुस्थिति बिलकुल विपरीत है. जहां पहले ठेका श्रमिकों के प्रतिमाह कार्ड बनते थे, उनकी दर भी अंकित होती थी, परंतु अब मात्र गेट पास बनाकर उद्योगों में कार्य करवाया जा रहा है. आप चाहें तो एक टीम पहुंचाकर उसकी जांच भी करवा सकते हैं. तीन से साढ़े तीन हजार ठेका श्रमिक काम करते थे, आज स्थाई श्रमिकों पर वर्क लोड बढ़ाकर 8-8, 10-10 घण्टे काम करवाया जा रहा है. ठेकेदार के जो स्थाई नेचर के काम हैं उस पर भी हमारे ठेका श्रमिकों से काम लिया जाता रहा है. वहीं स्थाई श्रमिकों का उनसे 10-10, 12-12 घण्टे काम लिया जा रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि क्या मात्र इंट्री पास बनाकर श्रमिकों को उद्योगों में काम कराया जा सकता है, क्या यह उद्योग नियमों के विपरीत नहीं है ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह ठेका श्रमिक हैं, कांट्रेक्चुअल लेबर हैं इसलिये डायरेक्ट हमारे प्रावधान के अंतर्गत नहीं है कि हम फोर्सफुली किसी भी नियोजक को बोलें कि इनको लगाया जाये, क्योंकि वह नियोजक ठेकेदार से बोलता है, ठेकेदार कांट्रेक्ट लेबर लेती है और वह काम कराता है, आवश्यकतानुसार काम होते हैं. जहां तक माननीय सदस्य ने जैसा हमें अवगत कराया है इसमें हमने भी जानकारी ली है कि कोरोना काल में क्योंकि हमारी सरकार की भी गाइडलाइन रही है कि और हमारा 23 मार्च से जून के प्रथम सप्ताह तक वहां पर फैक्ट्रीज़ बंद रही हैं और उस कारण से हमारी कुछ लेबर बाहर गई थी. जैसा कि आप ही के माध्यम से हमें जानकारी मिल रही है कि खासकर जो ग्रेसिम इंडस्ट्रीज़ टेपेल फायबर डिवीजन है जो एक इंडस्ट्री है, जिसमें 2000 लेबर कार्यरत थी, अब उसमें 1200 लेबर कार्यरत है, 800 अभी कार्यरत नहीं है और जहां तक आपके द्वारा ही मालूम पड़ रहा है, जैसा आप बता रहे हैं कि बाहर से कुछ लोग आकर उनका गेट पास बनाकर उनको अंदर लिया जा रहा है, मैं सदन को इतना जरूर आश्वस्त करना चाहता हूं कि जो वेज़ेस हमारे उस फैक्ट्री वाले ने अंदर दिये होंगे वही वेज़ेस उनको बाहर भी देने पड़ेंगे यदि वह कम दे रहे हैं तो हमारा जो अधिनियम है उसके अंतर्गत लेकर विधिवत जांच करवाकर, परीक्षण करा लेंगे और इस तरह से होगा तो हम सुनिश्चित करेंगे कि जो वेज़ेस पूर्व में दिये हैं वही वेज़ेस उनको मिलें.
अध्यक्ष महोदय -- श्री कुणाल चौधरी जी.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, और एक प्रश्न.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब एक-एक क्योंकि इसमें तीन लोगों का है.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, केवल एक प्रश्न और यह महत्वपूर्ण है. मैं माननीय मंत्री महोदय से जानना चाहता हूं कि आपने कहा कि कहीं कम वेतन दिया जाए तो उसकी शिकायत करें, आज बेरोजगारी इतनी है कि जो जिस रेट पर मिलता है, आज मजदूर उस रेट पर काम करने को तत्पर है. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि आप अपनी टीम पहुंचाएं और वहां देखें. मजदूरों ने नागदा भी बंद किया था, कई बड़े आंदोलन भी किये थे, आप एक पूरी टीम पहुंचाकर वहां पर जांच कर लें कि कितने मजूदरों का काम हुआ है. वहां पर चार-पांच इंडस्ट्रीज हैं और करीब चार-पांच हजार मजदूर हैं तो इसको आप संज्ञान में लेते हुए कार्यवाही करेंगे क्या ? क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी मजदूर हित की बात लगातार करते हैं तो क्या शासन प्रशासन इसमें जांच कराएगा ?
अध्यक्ष महोदय -- श्री कुणाल चौधरी.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का जवाब आ जाए.
अध्यक्ष महोदय -- अरे भई, एक साथ जवाब देंगे.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- अध्यक्ष जी, पहले मेरा जवाब दिला दीजिए, फिर उनका जवाब दिला दीजिएगा. अध्यक्ष जी, मजदूरों का मामला है. जवाब तो आ जाने दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- मेरा माननीय सदस्य से अनुरोध है कि इस ध्यानाकर्षण में तीन माननीय सदस्यों का नाम है. आप समझिए. यदि आप ही चार-पांच प्रश्न करेंगे तो बाकी लोगों का क्या होगा. आप जानते हैं कि वैसे भी इसमें प्रश्न लेने की सीमा है.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर -- अध्यक्ष महोदय, जवाब दिलवा देते.
अध्यक्ष महोदय -- कुणाल चौधरी का भी प्रश्न आने दीजिए, आपका जवाब भी मैं दिलवा दूंगा. कुणाल चौधरी जी..
श्री कुणाल चौधरी (कालापीपल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा भी इस पर ध्यानाकर्षण था, पर मेरा मामला सिर्फ नागदा का नहीं, पूरे प्रदेश को लेकर मैंने ध्यानाकर्षण लगाया था तो अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि उसी अनुसार मेरा उत्तर दें. मेरा पहला प्रश्न माननीय मंत्री जी से यह है कि लॉकडाऊन के दौरान स्थाई श्रमिकों को, दैनिक वेतन श्रमिकों को नौकरी से निकाल देना, उनको कार्य पर नहीं रखना, क्या केन्द्र सरकार के निर्देशों के अनुकूल है ? और प्रदेश सरकार उद्योगपतियों द्वारा किए गए ऐसे व्यवहार से सहमत है या असहमत है ?
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, दोनों का जवाब दे दीजिए.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जहां तक माननीय सदस्य ने बात की, क्योंकि पर्टिकुलर नागदा को लेकर और वहां के इंडस्ट्रियल एरिया को लेकर प्रश्न है और यह ध्यानाकर्षण आया है. जहां तक हमारे दिलीप जी ने बात कही है, निश्चित रूप से, जो वे बोल रहे हैं कि बहुत सी हमारी लेबर बाहर घूम रही है और उनको उस वेजेस के हिसाब से पैसा नहीं दिया जा रहा है, जो पूर्व में दिया गया था, उसका हम परीक्षण करा लेंगे और इसमें जो हमसे बन सकता है, विधि सम्मत जो भी कार्यवाही है, वह हम करेंगे, यदि कोई गलती उसमें पाई जाती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि श्री कुणाल चौधरी का प्रश्न पूरे प्रदेश का है, नागदा से संबंधित नहीं है, पर्टिकुलर कहीं पर यदि आप हमे अवगत करा दें तो उस पर हम आपको जवाब दे दें या हम आपको बाद में बता देंगे.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरा सिर्फ सिम्पल सवाल है, लॉकडाऊन की अवधि के दौरान केन्द्र सरकार के नियम थे कि किसी भी स्थाई श्रमिकों को कोई भी नहीं निकालेगा. क्या उसकी अवहेलना नहीं हो रही है ? अगर अवहेलना हो रही है तो क्या मध्यप्रदेश में उद्योगपतियों के ऐसे व्यवहार से सरकार सहमत है या असहमत है ? मेरा अकेले नागदा का नहीं, पूरे प्रदेश में इस तरह की स्थिति हुई और श्रमिकों की जो हालत है, आपने भी देखा, हमने भी देखा और रीवा की तरफ तो सबसे ज्यादा आपने देखा कि पैदल कितने श्रमिक आए और किन परिस्थितियों के अंदर उनकी कैसी खराब स्थिति रही, तो मुझे इस पर जवाब चाहिए था और दूसरा मेरा प्रश्न यह था कि अगर उन्होंने निकाला है तो उनके ऊपर सरकार क्या कार्यवाही करेगी और उतने समय के लिए उनको वेतन दिलवाने का प्रावधान क्या सरकार करेगी ? इसका मुझे जवाब चाहिए और सहमत या असहमत, कम से कम इतना तो बताएं ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने पूरे प्रदेश की बात कही है. कहीं पर ऐसी चीज आती है, क्योंकि अब जनरल प्रश्न है, जनरल प्रश्न में यदि विधि सम्मत हमारे लेबर कानून एक्ट के तहत यदि कोई चीज आएगी तो हम कार्यवाही करेंगे. यदि माननीय सदस्य को ऐसा लग रहा है कि पर्टिकुलर या यहां पर गलती हुई है क्योंकि प्रावधान के तहत जो हम..
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इग्जाम्पल दे सकता हूँ सतना में जेपी सीमेंट से 600 श्रमिक निकाले गए..
अध्यक्ष महोदय -- आप दे देना, वे कह रहे हैं.
श्री कुणाल चौधरी -- अध्यक्ष जी, मेरा एक सिम्पल सवाल है, उसका जवाब नहीं दे रहे हैं. केन्द्र सरकार के नियम थे, क्या मध्यप्रदेश सरकार केन्द्र सरकार के नियमों के खिलाफ काम कर रही है. इसका जवाब दे दें. वे बता दें कि सहमत हैं या असहमत ?
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई भी कानून हों, चाहे केन्द्र के कानून हों या राज्य के कानून हों, हम उसका पालन करेंगे और पालन करवाएंगे, मैं आपको सदन के अंदर सुनिश्चित कर रहा हूँ कि यदि कहीं पर ऐसा हुआ है तो आप अवगत कराएं, हम कार्यवाही करेंगे.
श्री कुणाल चौधरी -- मैंने आपसे आग्रह किया है, जेपी सीमेंट में भी और इसके अलावा उनको जो वेजेस मिले...
अध्यक्ष महोदय -- आप दे दीजिए ना, वे कह रहे हैं कि कार्यवाही करेंगे.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष जी, मेरे सवाल का जवाब मिलता ही नहीं है. मुझे आपका संरक्षण चाहिए. मैं नया सदस्य हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न ही इस तरह का करते हैं, जवाब तो लीजिए, जवाब दे दिया उन्होंने.
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष जी, मैं बहुत छोटे से गांव का पिछड़ी जाति का सदस्य हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- आप यह कहते हैं कि केन्द्र से सहमत हैं कि नहीं सहमत हैं, कैसे कहें कि हम असहमत हैं. ये कौन सा प्रश्न हुआ. वे कह रहे हैं, आप उन्हें दे दीजिए, वे जांच करेंगे. श्री बहादुर सिंह जी.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है एक प्रार्थना कर सकता हॅूं यदि आपकी इजाजत हो तो. एक प्रार्थना है विपक्ष..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनसे तो मत बुलवाइए. इनके कारण ही हुआ है, किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ है. ..( व्यवधान)...इनको तो बिठा दीजिए.इनके कारण ही किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ है.....( व्यवधान)...माननीय अध्यक्ष जी, हाथ जोड़कर निवेदन है. इनका नाम नहीं है. इनके कारण ही किसानों की, मजदूरों की यह गत हुई है. माननीय अध्यक्ष जी, इनको बिठा दीजिए..( व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- प्लीज़ बैठ जाइए. कृपापूर्वक बैठ जाइए. आग्रह है, बैठ जाइए...(व्यवधान)..
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- अध्यक्ष जी, इनको जनता की समस्याओं से लेना-देना नहीं है. इनकी लड़ाई है कि नेता प्रतिपक्ष कौन बन रहा है..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी -- माननीय अध्यक्ष जी, हमारी भी सुन लीजिए. हम आपकी भी सुन रहे हैं. कर्जा माफ नहीं हुआ है...(व्यवधान)..
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय अध्यक्ष जी....
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइए. बहादुर सिंह जी...
श्री तरुण भनोत -- (XXX)
श्री कुणाल चौधरी -- (XXX)
श्री प्रियव्रत सिंह -- (XXX)
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- यह रिकॉर्ड में नहीं आएगा.
डॉ.गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप भी देख रहे हैं और पूरा सदन भी देख रहा है. क्या माननीय मंत्रियों का यह व्यवहार उचित है ? हर प्रश्न में कोई मंत्री से जवाब न आए इसलिए खडे़ होकर डिस्टर्ब करके, जो बात सदन में आना चाहिए जिसके लिए सदस्य मेहनत करके प्रश्न लगाते हैं. विधानसभा के मंदिर में मंत्रियों का इस तरह का आचरण क्या इसे उचित कहा जा सकता है ? माननीय, आप लगातार निर्देशित कर रहे हैं आपके निर्देशों का भी पालन नहीं कर रहे हैं, इसलिए मैं आपसे व्यवस्था चाहता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइए. गोविन्द सिंह जी ने कह दिया. मंत्री जी, आप भी बैठ जाइए.
अध्यक्ष महोदय -- मैंने कई बार आग्रह किया. खासतौर से जो हमारे पहली बार के सदस्य आए हैं वाकई में क्या हम उनका नुकसान नहीं कर रहे हैं, क्या हम ऐसा विचार नहीं कर सकते हैं ? उनके प्रश्न लगते हैं और बड़ी मुश्किल से लगते हैं, बड़ी मेहनत से लगते हैं और वह बहुत तैयारी करके आते हैं. उसके बाद भी हम उनको अवसर नहीं दे रहे हैं तो मेरा दोनों पक्षों से फिर आग्रह है कि कृपया, इसको थोड़ा-सा रोकिए और उनका प्रश्न आने दीजिए. उनका उत्तर आने दीजिए. दोनों पक्षों से आग्रह कर रहा हॅूं. इस पक्ष से भी और दूसरे पक्ष से भी. बहादुर सिंह चौहान जी को पूछने दीजिए.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) -- माननीय अध्यक्ष जी, ग्रेसिम उद्योग ऐसा उद्योग है जो एशिया महाद्वीप का बहुत बड़ा उद्योग है और कोरोना काल में हजारों मजदूरों को जो कुशल श्रमिक थे उनको ग्रेसिम उद्योग के मालिक के द्वारा बाहर कर दिया गया. यह श्रमिक 10-15 वर्षों से कार्य कर रहे हैं और ग्रेसिम परिसर के अंदर काम कर रहे हैं. इसमें सबसे बड़ा इश्य़ू यह है कि
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( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
उसमें से कुछ लोगों को कोरोना काल के बाद बुला लिया गया है लेकिन बाहर से गेट पास दिया जा रहा है. यदि कोई घटना होती है तो उद्योग की कोई जवाबदारी नहीं होती है. न तो उनको पीएफ मिल सकता है और न ईएसआई मिल सकता है, उससे वह वंचित रह जाएगा. इन श्रमिकों का शोषण करके उद्योग करोड़ों रुपए का लाभ कमा रहा है. मेरा सीधा प्रश्न है कि नागदा और महिदपुर विधानसभा की बॉर्डर 2 किलोमीटर पर ही है. मेरे गांव पूरे लगे हुए हैं और दिलीप सिंह गुर्जर जी माननीय विधायक हम दोनों साथ-साथ पड़ोस के विधायक हैं. वहां पर नागदा बंद भी हुआ, आंदोलन भी हो रहा है लेकिन उद्योग की इतनी मनमानी है कि अभी भी हजारों श्रमिक काम पर नहीं जा रहे हैं. मेरा सीधा प्रश्न है कि कोरोना काल के पहले 1 जनवरी, 2020 ले लें, 15 साल की बात नहीं लेते. 1 जनवरी 2020 में जितने ठेका श्रमिक उद्योग परिसर के अंदर काम कर रहे थे, जो 1 जनवरी 2020 की स्थिति थी, क्या माननीय मंत्री जी आप उद्योग से वह लागू करवा देंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- केवल आपने नागदा के लिए पूछा है ?
श्री बहादुर सिंह चौहान -- जी हां, माननीय अध्यक्ष महोदय. केवल नागदा के लिए पूछा है.
श्रम मंत्री (श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक क्योंकि मैंने पहले ही आपसे आग्रह किया कि कांट्रेक्चुअल लेबर हैं. कांट्रेक्चुअल लेबर में ठेकेदार ही उसको लगाता है वही निकालता है और उस पर श्रम विभाग का कोई फोर्स नहीं है क्योंकि यह हमारे प्रावधान में भी नहीं है कि हम चाहे वह ठेका श्रम अधिनियम हो, चाहे औद्योगिक विवाद अधिनियम हो, कि हम कान्ट्रेक्टर को फोर्सफुली बोलें कि यह लेबर आप वापस रखो. यदि नियमित लेबर होती तो हमारे अधिकार के अन्तर्गत था, लेकिन कान्ट्रेक्टर लेबर को हम फोर्सफुली किसी कान्ट्रेक्टर को बोलें कि फिर से उसी स्थिति पर रखो, जहाँ तक मिनिमम वेजेस की बात है, यदि उसको कोई राशि पूर्व में मिल गई है और उसको कम दी जा रही है तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसको जो राशि एक बार दी जा चुकी है उसको वही राशि दी जाए और हम इसका परीक्षण करा लेंगे. अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात, जहाँ तक इनका बोलना है कि हजारों लेब हमारी बाहर घूम रही है और बाहर से लोग अन्दर आकर काम कर रहे हैं इस कारण से उनको जो सिक्योरिटी मिलनी चाहिए या जो भी उनको फैक्ट्री के माध्यम से सहायता मिलनी चाहिए, वह नहीं मिल पा रही है, वह हम अपने विभाग के माध्यम से सुनिश्चित करेंगे, यदि बाहर से कोई, क्योंकि जो मुझे जानकारी में आया है वह यह है कि जो हमारी वैल्डिंग जैसे अन्य जो हमारे काम हैं वह सब बाहर किए जा रहे हैं इस कारण से जो भी काम करके आ रहे हैं, उनको गेट पास देकर अन्दर बुलाया जाता है, इसको हम कैसे सुनिश्चित करें, हम कैसे उनके दायरे में ला पाएँ, हम इस पर विचार करेंगे और जो हमारी विधि सम्मत चीजें होंगी उस पर हम कार्यवाही करेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी के उत्तर से मैं संतुष्ट हूँ, अध्यक्ष जी, प्रश्न केवल इतना है कि जो बाहर बचे हुए ठेका मजदूर हैं उनको अन्दर लेना है. माननीय मंत्री जी ने परीक्षण करके अन्दर लेने का आश्वासन दे दिया है. मेरा मंत्री जी से यह कहना है कि आपके श्रम विभाग के जो अधिकारी हैं, माननीय मंत्री जी, वे उद्योग से मिले हुए हैं, यह मेरा सीधा सीधा आरोप है और वे उद्योग को सहयोग करते हैं तथा वे उद्योग के कर्मचारी बनकर काम करते हैं, जबकि वे मध्यप्रदेश सरकार के कर्मचारी हैं. मेरा आप से आग्रह है वह सारे प्रकरण कोर्ट में पेश, वह आज रिलेवेंट नहीं है, मेरा आप से सीधा प्रश्न यह है कि आपके जिला अधिकारी को आप निर्देशित करें और आप पूरे प्रकरण की जाँच करवा लें और मेरे हिसाब से उसको सौ रुपये कम दिए जा रहे हैं. हजारों मजदूरों का मामला है, तो महीने में करोड़ों रुपये के टर्न ओव्हर का मामला है. दस हजार मजदूर थे सब कम कर दिए. कोरोना में तो उन्होंने सेवा की. मेरा इतना ही आग्रह है कि पूर्व में जितनी राशि उनको मिलती थी 480 रुपये, 450 रुपये, एक तो वह दिलवा दी जाए और बाहर जो भी मजदूर बचे हुए हैं, उनको ठेका मजदूर पर पुनः अन्दर बुलाकर, पूर्व की व्यवस्था आप करवा लें. आप एक अपनी कमेटी यहाँ भोपाल से या संभाग से अधिकारी को भेज कर पूरा परीक्षण करवा कर यथासंभव उन सबकी मदद करें, यही मेरा आग्रह है.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह-- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि सदस्य ने बोला है, हम परीक्षण करवा लेंगे.
11.27 बजे
अध्यक्षीय घोषणा.
भोजनावकाश न होने संबंधी.
अध्यक्ष महोदय-- आज भोजन अवकाश नहीं होगा, माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वे सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करेंगे.
11.28 बजे
देवास जिलान्तर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिग्रहित भूमि के मुआवजा निर्धारण में अनियमितता.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा(खातेगाँव)-- धन्यवाद माननीय अध्यक्ष जी.
राजस्व एवं परिवहन मंत्री(श्री गोविन्द सिंह राजपूत)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि मैं उसी सड़क से प्रतिदिन निकलता हूँ. जो भूमियाँ एकदूसरे के बाजू में सटी हुई हैं. मार्च 2018 में इसकी अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित हुई थी. उस दिनांक से लेकर उसके अगले छह माह में किन-किन भूमियों का नामान्तरण और डायवर्जन विभाग के एसडीएम, तहसीलदार कन्नौद और खातेगांव तहसील में किया गया, क्या इसकी माननीय मंत्री महोदय जाँच कराएंगे. दूसरा, अगर किसी प्रकार की शिकायतें नहीं होतीं तो इतनी सारी आपत्तियाँ विभाग के पास क्यों जा रही हैं. जब भूमि का अधिग्रहण करने के लिए अधिकारी मौके पर पहुंच रहे हैं तब वहां पर किसानों के द्वारा भारी विरोध किया जा रहा है. पटवारी हल्का नंबर 61, 62 और 35, लगभग मेरे विधान सभा क्षेत्र के 15 गाँव इस नेशनल हाई-वे की भूमि अधिग्रहण क्षेत्र के अन्तर्गत आ रहे हैं. एक जगह तो किसान की भूमि ली जा रही है. किसान का नाम है सूरज पिता प्रहलाद जिसकी भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है लेकिन अधिग्रहण की सूची में इसका नाम ही नहीं है. रानी बाग एक गांव है जो रास्ते में है, ननासा है, वहां पिछले 50-60 वर्षों से नेशनल हाई-वे के बाजू में मकान बनाकर रह रहे हैं वे अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग हैं, लेकिन उनको मकान का मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. इस कारण इन लोगों में आक्रोश है. विभाग की यह व्यवस्था है अगर अवार्ड से संबंधित किसी प्रकार की शिकायतें हैं तो कमिश्नर उसकी सुनवाई करेगा. उन लोगों के पास इतना पैसा भी नहीं है कि वे इस न्यायालयीन प्रक्रिया को अपना सकें.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न करें.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से यह प्रश्न है क्या अवार्ड की अधिसूचना जारी होने के साथ या इस नेशलन हाई-वे के लिए भूमि अधिग्रहण की सूचना जारी होने के बाद जिन लोगों के नामान्तरण और डायवर्जन हुए हैं, उसकी जाँच कराएंगे. जितनी शिकायतें एसडीएम खातेगावं, एसडीएम कन्नौद, कलेक्टर देवास को भूमि अधिग्रहण के अवार्ड पारित में विसंगति की हुई हैं, क्या उन सब की भोपाल से टीम भेजकर निश्चित समयावधि में जाँच कराएंगे.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक का जो प्रश्न है उसके संबंध में जानकारी देना चाहूँगा. 15 ग्रामों में कुल कृषकों की संख्या 972 थी, कुल स्वीकृत मुआवजा राशि 105 करोड़ 72 लाख रुपए है. जिन किसानों को मुआवजा मिल चुका है उनकी संख्या 387 हैं, कुल वितरित मुआवजा राशि 48 करोड़ 12 लाख रुपए है. मुआवजे के लिए 585 किसान शेष हैं, मुआवजा वितरण शेष राशि 57 करोड़, 14 लाख रुपए हुए है. मुआवजे के संबंध में आपत्तियां 427 हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें 21 दिन का समय दावे आपत्तियों और उनकी सुनवाई के लिए दिया जाता है. जिन व्यक्तियों को यदि मुआवजा या अवार्ड सही नहीं मिला है या वे संतुष्ट नहीं हैं तो वे कमिश्नर कार्यालय में अपना आवेदन देकर जाँच करवा सकते हैं.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- माननीय मंत्री जी, मेरा इसमें यही कहना है कि जो आक्षेप की कार्यवाही थी किसानों ने उस समय जो किया था उसके द्वारा विभाग पर, उनके आक्षेपों पर किसी प्रकार का निराकरण नहीं किया गया. जब अवार्ड की राशि की सूचना उनको मिली है कि हमारे खाते में इतना पैसा डला है. एक ही भूमि जो नेशनल हाईवे पर स्थित है उसको कलेक्टर की गाइड लाइन के अनुसार 27 लाख 50 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का मुआवजा दिया जा रहा है और उसके बाजू की भूमि को 13 लाख 50 हजार रुपए का मुआवजा दिया जा रहा है जो कि भारी विसंगतिपूर्ण है. इसमें दूसरा विषय यह है कि नेशनल हाईवे पर जो भूमि उपयोग में ली जा रही है जिसका अधिग्रहण किया जा रहा है उसमें अंदर का क्षेत्र बताकर उसको कम मुआवजा दिया जा रहा है. अगर यह मामला वहीं स्थानीय स्तर पर निपट जाता तो मैं इस मामले को विधान सभा तक लेकर नहीं आता और मैं इस सदन का समय बर्बाद नहीं करता चूंकि इस मामले में जो छोटे-छोटे गरीब लोग हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप कोई कंक्रीट सवाल पूछ लीजिए.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कंक्रीट सवाल यही है कि इस पूरे मुआवजा प्रकरण में जो 427 लोग जो आपत्तिकर्ता हैं जिन्हें आप मान रहें हैं कि यह लोग आपत्तिकर्ता हैं. क्या इन 427 लोगों को भोपाल से आपके विभाग की टीम भेजकर निश्चित समयावधि में इनके मामलों का उनकी भावना के अनुरूप निराकरण कर दिया जाएगा?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी की भावनाओं से अवगत हूं लेकिन मैं विधायक जी को यह बताना चाहता हूं कि ऐसे मामले कमिश्नर के यहां आर्बीटेशन में हैं. आर्बीटेशन में हम यहां से जांच के आदेश नहीं दे सकते हैं. यह अर्द्ध न्यायिक प्रक्रिया है. इसलिए जिनको भी न्याय नहीं मिला है वह कमिश्नर के यहां आवेदन दें और इसमें समय भी होता है. अभी इसे मात्र तीन महीने का समय हुआ है. इसमें अभी समय है और इसमें जितना समय लगेगा और जो समय व्यतीत होगा उसका ब्याज मिलेगा इसमें यह भी प्रावधान है. जिनको पैसा मिल चुका है और वह संतुष्ट नहीं हैं वह सशर्त आवेदन दे सकते हैं. मैं माननीय सदस्य से निवेदन करूंगा कि चूंकि मामला आर्बीटेशन में है, कमिश्नर के यहां है, अर्द्ध न्यायिक प्रक्रिया में है इसलिए हम यहां जांच के आदेश नहीं दे सकते हैं और न ही समय-सीमा बता सकते हैं. कृपा करके मेरा आपसे अनुरोध है कि कमिश्नर के यहां आवेदन करवाएं उन्हें न्याय मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय-- विधायक जी आपका जवाब आ गया है.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- माननीय मंत्री जी मेरा आपसे एक छोटा सा प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने कह दिया है कि आप कमिश्नर के यहां आवेदन लगवाइए.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- माननीय मंत्री जी लंबी न्यायालयीन प्रक्रिया है बहुत गरीब और छोटे-छोटे किसान हैं. जिन लोगों ने अधिग्रहण की कार्यवाही की शिकायत की है क्या मंत्री जी अब तक इस कार्यवाही को रोकेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया कर बैठ जाएं कार्यवाही आगे बढ़ गई है.
12:38 बजे
(3) टीकमगढ़ जिले के ग्राम बर्मा मांझ से बिलगांय, पथरया, धर्मपुरा, एवं उत्तरी कारी तक सड़क निर्माण कराया जाना
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर (पृथ्वीपुरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का बहुत-बहुत धन्यवाद कि उनके विभाग के लोगों और उन्होंने बता दिया कि कंपनी लोगों को सम्मानित कर रही है, सभी जगहों पर बिजली आ रही है और कोई ट्रांसफार्मर जले हुए नहीं हैं, उन्होंने अपना उत्तर यहां पढ़ दिया. मैं मैदान में रहता हूं और बताना चाहूंगा कि पूरा मध्यप्रदेश और मेरा पृथ्वीपुर क्षेत्र भी उसी में आता है, खासतौर से बुंदेलखण्ड में आज भयंकर सूखे की स्थिति है और ऐसे सूखे की स्थिति में जहां पानी की समस्या हो रही है, गौ-माता और अन्य पशुओं को पानी की समस्या हो रही है, फसलें सूख रही हैं और जनरेटर से भी यदि किसान किसी तरह से अपनी फसल को बचाना चाहता है तो आपके विभाग के अधिकारी उसके जनरेटर को, उसकी मोटर साइकिल को, उसकी चारपाई को, उसके तख्त को, उसके रखे हुए सामान को, न केवल वे उठा ले जाते हैं अपितु कंपनी वाले किसान की बेज्जती भी करते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहूंगा कि मंत्री जी ने कहा कि ट्रांसफार्मर खराब नहीं हैं लेकिन पैसा जमा होने के बावजूद भी जिरोन सब स्टेशन में, कोयली, पथरिया, गुदरई, कटौयीयाबावा, मड़ेराखेरक, रौतेला, पंचनखेरा, बजल, बजलासुरी, ककवनी, मुडै़नी, करतारपुरा, गडि़याराना, ऑरेसरगिरडवान, डोंडी, आदिवासी बस्ती सतपरीयन, बिहारीपुरा और इनके साथ-साथ दिगौड़ा में झूठे चोरी के मुकदमे, इसके अलावा दिगौड़ा सब-स्टेशन, पृथ्वीपुर, नेगुआ, सिनौनीया तेरका, बिजौर, ओरछा, निवाड़ी इनके ट्रांसफार्मर जो जले हैं, वे अलग हैं. तो कितना अंतर है मंत्री जी के उत्तर में और हमारी ज़मीनी हकीकत में ? इनके पैसे जमा हैं और इसके बाद भी आप कह रहे हैं कि ट्रांसफार्मर जले नहीं पड़े हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि आपके ही निर्देश हैं कि आपके अधिकारी माह में कम से कम एक बार जनप्रतिनिधियों के साथ बैठकर चर्चा करेंगे. अगर ऐसा होता तो यह समस्या विधान सभा में उठाने की जरूरत नहीं पड़ती. क्या आप इस पूरे मामले में यहां से एक उच्च स्तरीय जांच समिति बनाकर, उसमें हम सभी को शामिल करके, समिति गठित करके, शीघ्र ट्रांसफार्मर रखवाने का कष्ट करेंगे.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर- माननीय अध्यक्ष महोदय ,माननीय सदस्य ने जो बात कही है, सर्वप्रथम मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि अभी कुल 16 ट्रांसफार्मरों की शिकायत उपभोक्ताओं से या हमारे द्वारा प्राप्त किए हुए, जले हुए शेष हैं. इनमें से भी हमने 6 ट्रांसफार्मर बदल दिए हैं. अब इनके 10 ट्रांसफार्मर रह गये गये हैं, चाहें तो मैं नाम पढ़कर भी बता सकता हूं. माननीय सदस्य ने जो कहा है ट्रांसफार्मरों के पैसे जमा है और वह नहीं बदले गये हैं, यदि वह मुझे अभी सूची दे देंगे. मैं अभी आपके साथ विधान सभा के बाहर कक्ष में बैठकर पीएस, सीएमडी और एमडी से चर्चा करके उनका निराकरण करा दूंगा. मध्यप्रदेश में माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार है, किसानों की सरकार है. मैं आपको पूरे आंकड़ों के साथ कह सकता हूं, (व्यवधान) आप मेरी बात सुन लें, आप मेरी भावना सुन लें..
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाइये, अभी मंत्री जी का जवाब नही आया है, पूरा जवाब तो आ जाने दीजिये, बृजेन्द्र सिंह जी के सवाल का जवाब तो आ जाने दीजिये, आप अपने साथी के प्रश्न का जवाब ही नहीं आने दे रहे हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- माननीय बड़े सम्माननीय सदस्य हैं, मैं, उनको बताना चाहता हूं कि टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले में वर्ष 2019-20 में जब हम और आप सत्तासीन थे उस समय 819 ट्रांसफार्मर निवाड़ी जिले में फूंके, 1147 टीकमगढ़ जिले में फूंके, इस वर्ष 2020-21 में 570 ट्रांसफार्मर निवाड़ी जिले में फूंके और 651 टीकमगढ़ जिले में फूंके हैं. दूसरी बात, 2019-20 में 16 लाख 21 यूनिट इन्होंने निवाड़ी को दी..
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर:- माननीय अध्यक्ष महोदय,..
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- आप मेरी बात सुन लीजिये, जो बात कह रहा हूं, पूरे सदन को बताना चाहता हूं 17 लाख 58 यूनिट हमने इस वर्ष आपको दी है.
अध्यक्ष महोदय:- वह ट्रांसफार्मर जलने का पूछ रहे हैं.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर:- अध्यक्ष महोदय, आप सुन तो लीजिये अगर ट्रांसफार्मर फूंके पड़े हैं, सब कुछ फूंका पड़ा है तो यह बिजली कैसे चली गयी, यदि अवरूद्ध है तो. सदन को वास्तविक तथ्य मालूम होना चाहिये. (व्यवधान) आप शांति से सुनें, मैं पूरा जवाब दे रहा हूं, मेरे पास पूरा सकारात्मक जवाब है, मैं नकारात्मक पॉलीटिक्स के लिये नहीं खड़ा हूं. मैं विपक्ष का सम्मान करता हूं, मैं भी एक सदस्य हूं. मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि टीकमगढ़ जिले में भी हमने यह किया है और इन्होंने कहा तो हमने 2021 में 40 रात्रिकालीन कैंप किये हैं, माह जनवरी में 58 रैलियां निकाली हैं (व्यवधान) और मेरा यह कहना है कि फिर भी मैं सम्माननीय सदस्य को कहना चाहता हूं कि हमारी सरकार माननीय शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में है, अगर किसी का ट्रांसफार्मर का पैसा जमा है और फूंका है तो उसको बदलवाने का काम 24 घण्टे में हमारी सरकार करेगी, वह सूची आप मुझे दे दें.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाइये, बृजेन्द्र सिंह जी को बोलने दीजिये, बृजेन्द्र सिंह जी अपना प्रश्न करें.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर:- माननीय मंत्री महोदय, आप बड़े पुराने साथी हैं और किसान परिवार से ही आते हैं और मुख्यमंत्री जी भी किसान के बैटे हैं, जैसा आपने कहा. अगर आप इसमें खुश हैं कि बिजली बहुत अच्छी जा रही है, कोई ट्रांसफार्मर नहीं जला है और सब व्यवस्थाएं ठीक हैं तो मुझे कहने की आवश्यकता नहीं है, जो लोग सुन रहे हैं वह उसका जवाब आपको अपने आप दे देंगे. अगर आप वास्तव में गंभीर हैं तो मैं आपसे कह रहा हूं कि केवल ट्रांसफार्मर जले होने का भी सवाल नहीं है, ऐसे-ऐसे लोग जो 40-40 साल से इस दुनिया में नहीं हैं उनके नाम से लाखों के बिल आपके बन के जा रहे हैं, ऐसे लोग जिनके घर में खाने को नहीं है, कच्ची झोपड़ी में रह रहे हैं उनके घर में दो-दो लाख रूपये के बिल जा रहे हैं इसलिये मैंने कहा कि आप कृपा करके हमारे तुम्हारे में मत पडि़ये, भाजपा कांग्रेस का सवाल नहीं है, यह प्रश्न है मध्यप्रदेश के उन गरीबों का जिनको न्याय दिलाना हमारा आपको धर्म बनता है और जिस तरीके की आपकी तासीर है, अभी तो आपकी हां में हां मिलाना मजबूरी है, लेकिन आपकी जो तासीर है, आप किसानों के हमदर्द बनते हो, आप किसानों के बारे में जरा चिंता करिये और जरा अच्छा जवाब दीजिये, ताकि हम लोग भी संतुष्ट हों.
अध्यक्ष महोदय--मैंने कहा है आप पर्टीक्यूलर प्रश्न करिये.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--जो फर्जी बिल लोगों को दिये गये हैं.
अध्यक्ष महोदय--ट्रांसफार्मर वाला मूल प्रश्न है वह पूछिये.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- अध्यक्ष महोदय, ट्रांसफार्मर वाले प्रश्न पर पहले ही बोल चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय--कहां पर पैसा जमा है वहां पर ट्रांसफार्मर लगाने की बात हो रही है.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- अध्यक्ष महोदय, मैं पहले भी इनको लिखकर के दे चुका हूं. हम आपको दोबारा लिखकर के दे देंगे. इसमें हमने नाम पढ़कर के भी उल्लेख कर दिया है. पूरी लिश्ट आपको दे देंगे. हम यह चाहते हैं कि इसके साथ साथ जहां जहां पर स्थितियां खराब हैं उसको आप ठीक करें. मेरा मकसद केवल इतना ही है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सदस्य महोदय को कहना चाहता हूं कि हम किसानों के हित के लिये काम करने के लिये बैठे हैं. पक्ष विपक्ष में नहीं. मैंने कहा कि जो सूची होगी अभी सदन के बाहर निकलते ही सम्मानित सदस्य के साथ अपने प्रमुख सचिव के साथ बैठकर के कार्य करूंगा. अगर जो सूची दी है उसमें जानकारी गलत दी होगी तो मैं उन अधिकारियों को बख्शूंगा नहीं, यह मैं आपको भरोसा देता हूं. दूसरी बात आपने गरीबों की बात कही उसमें मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि भोपाल के अंदर उस विधवा मां जो मेरे पास आयी थी.
एक माननीय सदस्य-- ग्वालियर का भी तो करिये.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर--अध्यक्ष महोदय, ग्वालियर की भी करूंगा यह लोग बारी बारी से बैठ जायें मैं इनको जवाब दूंगा. मैं सदन को विस्वास देता हूं.
अध्यक्ष महोदय--यह केवल विधान सभा के बिजली विभाग का नहीं है और लोगों का भी है. आप बारी बारी से प्रश्न करें और उसका बारी बारी से जवाब दें उसकी आवश्यकता नहीं है. आपने जवाब दे दिया यह काफी है. सदस्यों से मैं अनुरोध करता हूं कि इनका प्रश्न केवल निवाड़ी टीकमगढ़ का लगा हुआ था आप लोग दूसरी जगहों का पूछ रहे हैं इसको अलाऊ नहीं करूंगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़े.
12.53 (4) प्रदेश के आदिवासी जिलों में विद्यालय शिक्षक विहीन होने से उत्पन्न स्थिति
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)--अध्यक्ष महोदय,
राज्यमंत्री स्कूल शिक्षा ( इन्दर सिंह परमार)--अध्यक्ष महोदय,
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछली सरकार ने उन दूरस्थ इलाकों में कतिपय उन शिक्षकों के कारण जो अपने जिले से वे दूर होते थे, उनकी सुविधा को दृष्टिकोण रखते हुए, वैकल्पिक व्यवस्थाओं के साथ, ऑनलाइन होने के साथ और जिस प्रकार से उसको प्रचारित प्रसारित किया गया था, आप परेशान है इसलिए आपको जहां आप चाहेंगे, उस जगह आपको स्थानांरित कर दिया जाएगा. खूब प्रचार प्रसार भी हुआ, खूब वाहवाही भी लूटी. अध्यक्ष महोदय मैं इस बात से इंकार भी नहीं करता, अगर कोई पीडि़त व्यक्ति है, पीडि़त शिक्षक है, उसका परिवार है, माता पिता बीमार है, घर दूर है और अगर वह आना चाहता है तो उसके लिए कहीं न कहीं कंसीडर किया जाना चाहिए, उसको कहीं न कहीं अकमॉडेट किया जाना चाहिए. लेकिन हमने उन दिनों देखा कि जिस तरह से इस प्रकार से प्रचारित किया गया और नतीजतन क्या हुआ, लाइन लग गई.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, हर प्रश्नों के पहले भाषण चालू हो जाता है, इसमें समय व्यय होता है, जो पूछना होता है वह पूछे. सवाल इस बात का है भाषण तो रोज सुनते हैं आप अपने प्रश्न को पूछिए. इतना लंबा आप बोलेगे, आप क्या चाहते हैं वह बोले.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष जी, गोविन्द सिंह जी बहुत वरिष्ठ हैं, पुराने तमाम ध्यानाकर्षण वाले भूमिका बनाते हैं, मैं कोई नई परम्परा नहीं डाल रहा हूं, जितने भी सदस्य अपने ध्यानाकर्षण पढ़ते हैं, भूमिका बनाकर के पढ़ते हैं, खाली प्रश्न ही करना है तो मैं प्रश्न करके बैठ जाऊं.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्न पूछे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिवासी अंचल से वे निकल तो गई, लेकिन क्या उनकी पद पूर्तियां हो गईं, क्या उनके स्थानों पर वह पहुंच गए हैं. मंत्री जी आपने खुद ने स्वीकार किया है कि अतिथि शिक्षकों से काम लिया जा रहा है क्यों, जब आपने फुलफ्लैश शिक्षक को वहां से हटाया तो उसके विकल्प में आपने उसको क्यों नहीं बैठाया. मैं सीधा प्रश्न करना चाहूंगा, पूरे प्रदेश का मामला है. मैंने आदिवासी क्षेत्रों के इसलिए नाम लिए क्योंकि यह मेरी जानकारी में आया था और यह पूरे प्रदेश का मामला होगा. अभी 35 हजार स्थानांतरण हुए, कोरोना के कारण से स्कूल नहीं चले. अभी आप देखिए, उन स्कूलों में हालात क्या होंगे. मैं आपसे सिर्फ यह निवेदन करना चाहता हूं कि क्या मंत्री महोदय उन स्थानांतरणों की, उन स्थानांतरणों के बाद रिक्त पद हुए उनकी, उनकी भरपाई हुई या नहीं उनकी, यह तीन तरह की जांच आप करवा लेंगे क्या नहीं.
श्री इन्दर सिंह परमार - हमारे माननीय सदस्य का ध्यानाकर्षण महत्वपूर्ण है, लेकिन मैं एक बात बता देना चाहता हूं कि पिछले सालों में भर्तियां नहीं होने के कारण से और इस ट्रांसफर पॉलिसी के कारण से पिछली सरकार की बड़े पैमाने पर हमारे यहां के स्कूल खाली है, कई जगह पर शिक्षक विहीन शालाएं हो चुकी है, जिनकी संख्या बड़ी हैं. जहां जहां का उल्लेख माननीय सदस्य ने किया है, अलीराजपुर में 256, झाबुआ में 208, बड़वानी में 428, सिंगरौली में 128, सीधी में 122, मंडला में 237 और धार में 208 शालाएं शिक्षक विहीन हैं. ऐसे अन्य सभी जिलों में बड़ी संख्या में शिक्षक विहीन शालाएं हैं, लेकिन मैं सम्माननीय सदस्य के साथ साथ पूरे सदन को विश्वास दिला रहा हूं कि हमने जो नियुक्ति प्रक्रिया जिसमें वेरीफिकेशन का काम रुका था, उस कार्य के लिए हमने कल ही आदेश जारी कर दिया है, जब सदन में इधर चर्चा चल रही थी और उस समय हमारे शिक्षा विभाग से वेरीफिकेशन का काम एक समय अवधि में पूरा करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं और हम उसके अंतर्गत ट्रायवल भी और जो खाली क्षेत्र हमारा स्कूल शिक्षा विभाग का है, उसकी जो भर्ती प्रक्रिया रुकी हुई थी, उसको प्रारंभ करने जा रहे हैं. अगले सत्र में हम बहुत जल्दी सभी स्कूलों में जहां जहां ऐसी शिक्षक विहीन शालाएं हैं, पहले प्राथमिकता के साथ उनको भरने का काम करने वाला है. मैं समझता हूं कि इस प्रश्न से सभी समस्याओं का निराकरण होगा. हम बड़ी संख्या में शिक्षकों की भर्ती जो हमारे 15 हजार माध्यमिक शिक्षक है और 5 हजार 670 मिडिल के शिक्षक हैं, ऐसे करके 20 हजार 670 शिक्षकों के लिए हमारी भर्ती पूरी हो जाएगी. मैं समझता हूं कि शिक्षा विभाग के लिए यह बड़ा काम होगा. साथ साथ ही यह भी ध्यान रखेंगे कि जब हम नई स्थानांतरण नीति पर काम कर रहे हैं, हमने एक अच्छी पारदर्शितापूर्ण स्थानान्तरण नीति लागू करेंगे और ध्यान रखेंगे कि कोई भी शाला, स्थानान्तरण के कारण से शिक्षक विहीन न हो, जब तक वहां की व्यवस्था नहीं होगी, तब तक हम उन स्कूलों से ट्रांसफर नहीं करेंगे एवं वैकल्पिक व्यवस्था होने पर ही हम ट्रांसफर की प्रक्रिया को अपनाएंगे. जहां तक अतिथि शिक्षकों का प्रश्न है तो अतिथि शिक्षकों की व्यवस्था हमारे यहां लम्बे समय से है और चल ही रही है. हम अतिथि शिक्षकों का उपयोग जहां शिक्षक नहीं होते हैं, केवल वहीं उपयोग करते हैं, जहां शिक्षक हमारे पास पर्याप्त हैं, वहां हम अतिथि शिक्षकों का उपयोग नहीं करते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, सिर्फ इतना बता दें कि पिछली सरकार ने क्या स्थानान्तरण नीति के अंतर्गत इतने बड़े पैमाने पर स्थानान्तरण किये थे ? और क्या आपने अभी जो अलीराजपुर का उल्लेख किया है कि उसमें 250, धार में इतने, मण्डला में इतने, जो रिक्त हुए हैं. क्या वे ट्रांसफर के कारण रिक्त हो गये या पहले से पद रिक्त थे ? यह भी बताने की कृपा करें.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछली सरकार के समय जो स्थानान्तरण नीति थी, उसके कारण लगभग 35,000 स्थानान्तरण हुए हैं, थोड़े आगे-पीछे हो सकते हैं. मुझे अलीराजपुर जिले की जानकारी है, उस समय की. जहां पर उन स्थानान्तरणों के कारण से काफी स्कूलों से ट्रांसफर हुए हैं और उसके कारण भी कुछ पद खाली हुए हैं एवं कुछ प्रमोशन न होना और भर्ती प्रक्रिया न होना भी है, इन दोनों कारणों से भी कुछ संस्थाएं खाली हुई हैं. इसलिए मैं समझता हूँ कि अब हम सदन को आश्वस्त कर रहे हैं कि हमारी ट्रांसफर नीति बन रही है, हम उस पर काम कर रहे हैं, हम उसको लागू करेंगे तो इस सावधानी के साथ की कोई शाला शिक्षक विहीन नहीं होगी. सब शालाओं में शिक्षक होंगे और विशेषकर आज, मैं इतना कहना चाहता हूँ कि जो लम्बे समय से पात्रता परीक्षा हो गई थी और जो हमारे चयनित बेरोजगार लोग थे, वे भर्ती प्रक्रिया का इन्तजार कर रहे थे, उस भर्ती प्रक्रिया को हम फिर से चालू कर रहे हैं और बड़ी बात यह है कि हम भर्ती प्रक्रिया में 27 प्रतिशत का आरक्षण पिछड़े वर्ग के लिये रखेंगे, इस प्रावधान के साथ ही हम उसका क्रियान्वयन करने जा रहे हैं (मेजों की थपथपाहट). जल्दी ही उनकी नियुक्ति हो जायेगी.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) - माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूँ कि जिन आदिवासी जिलों का उल्लेख किया गया है, यह बिल्कुल सही है. मैं इस बात से सहमत हूँ कि पढ़ाई-लिखाई बिल्कुल भी नहीं हो पा रही है, शाला शिक्षक विहीन हो गए हैं एवं नवीं एवं दसवीं के विद्यार्थी ढंग से हिन्दी तक नहीं पढ़ पाते हैं. मैं यह जानना चाहता हूँ कि अतिथि शिक्षकों को 12 माह से अभी तक, उनका जो मानदेय बनता है, उनको नहीं दिया गया है. ट्रांसफर पॉलिसी और उसकी बात तो अलग है. हम यह चाहेंगे कि इन विद्यालयों में जल्दी से अध्यापकों को वहां नियुक्त करें और विद्यार्थियों की पढ़ाई-लिखाई अच्छी हो, फिर राजनीति तो होती ही रहेगी. ट्रांसफर पॉलिसी की बात तो अभी श्री प्रभूराम चौधरी जी, जब स्कूल शिक्षा मंत्री थे बाकि आदिम जाति कल्याण विभाग के ये जिले हैं, आदिम जाति कल्याण विभाग में, मैं समझता हूँ कि शिक्षा विभाग इसको कवर नहीं कर पायेगा. मेरा यह निवेदन है कि जो शिक्षक विहीन विद्यालय हैं, वहां किसी भी तरह सरकार शिक्षकों को नियुक्त करे एवं अच्छी गुणवत्तायुक्त पढ़ाई-लिखाई हो. मैं यही चाहता हूँ.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पहले ही कह चुका हूँ, जहां ट्रायबल एरिया होगा क्योंकि सरकार की जवाबदारी है, लेकिन हमारे माननीय सदस्य का ध्यानाकर्षण में जो मूल प्रश्न था, वह निश्चित रूप से पिछली कांग्रेस की सरकार में जो अनाप शनाप ट्रांसफर हुए थे और जो स्थानान्तरण नीति बनाकर ट्रांसफर हुए थे, इससे भिन्न भी जो ट्रांसफर किये गये थे, जो प्रशासकीय स्तर पर किये गये थे, जो राजनीतिक द्वेषता के आधार पर किये गये थे, उसके कारण से शालाएं, शिक्षक विहीन हुई हैं. लेकिन जहां पर हमने स्कूल खोले हैं, वहां पर हमने अतिथि शिक्षकों को नियुक्त किया है और जो नियुक्त किये हैं, उनको इस वर्ष बुलाया था, उनके वेतन देने का भी काम किया गया है. लेकिन जो हमारी शालाएं प्रारंभ नहीं हुई थीं, वहां जरूर हमने अतिथि शिक्षक इस वर्ष नहीं बुलाये थे, लेकिन हम स्थाई व्यवस्था भर्ती प्रक्रिया को पूर्ण करके करेंगे तथा आने वाले समय में दिक्कत नहीं आयेगी.
1.04 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्यों की याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएँगी.
1.05 बजे डॉ.गोविन्द सिंह, सदस्य द्वारा वर्ष 2021 का आय व्ययक पत्रक प्रस्तुत करने विषयक.
डॉ. गोविन्द सिंह(लहार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, 18 दिसंबर 2019 को इस सदन में माननीय सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया था कि माननीय सभी विधायकगण प्रतिवर्ष अपनी आय -व्यय का विवरण या तो चुनाव आयोग के प्रपत्र पर अथवा चार्टड एकाउटेंट से प्रमाणित करके 30 जून तक जमा करेंगे. मैं सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि हम सब लोग सार्वजनिक जीवन में है ताकि हम अपने प्रदेश में अपना चेहरा साफ रहे इसलिये सभी इसका पालन करें और मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, आज वर्ष 2021 का अपना स्वयं का, पत्नी का और संयुक्त परिवार की आय व्ययक पत्रक विवरणी आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूं.
1.06 बजे मंत्री का वक्तव्य.
दिनांक 17 दिसम्बर, 2019 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 77 (क्रमांक 672) एवं अतारांकित प्रश्न संख्या 89 (क्रमांक 674) के उत्तरों में संशोधन करने के संबंध में.
अध्यक्ष महोदय -- अब, श्री कमल पटेल किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री, दिनांक 17 दिसम्बर, 2019 को पूछे गये परिवर्तित अतारांकित प्रश्न संख्या 77 (क्रमांक 672) एवं अतारांकित प्रश्न संख्या 89 (क्रमांक 674) के उत्तरों में संशोधन करने के संबंध में वक्तव्य देंगे.
किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री ( श्री कमल पटेल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक श्री कमलेश गौर जाटव जी को बिंदु क्रमांक - 1 से 12 तक की जानकारी अति वृहद एवं विस्तृत होने से समय सीमा में उपलब्ध नहीं करायी गई थी. दिनांक- 01/02/2020 को मंडी समिति अम्बाह द्वारा वांछित जानकारी कोरियर के माध्यम से प्रदाय की गई है.
माननीय विधायक श्री कमलेश गौर जाटव को बिंदु क्रमांक- 1 से 12 तक की जानकारी अति वृहद एवं विस्तृत होने से समय सीमा में उपलब्ध नहीं कराई गई दिनांक- 27/01/2020 को मण्डी समिति पोरसा द्वारा वांछित जानकारी प्रदाय की गई.
1.07 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य.
दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2021 (क्रमांक 20 सन् 2021) का पुर:स्थापन
विधि एवं विधायी कार्य मंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं, दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न यह है कि दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2021 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाये.
(अनुमति प्रदान की गई.)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं, दण्ड विधि (मध्यप्रदेश संशोधन) विधेयक, 2021 का पुर:स्थापन करता हूं.
1.08 बजे अध्यक्षीय घोषणा
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची के पद 7 वर्ष 2021-2022 की अनुदान की मांगों पर मतदान के उपपद - 2 पर अंकित मांग संख्या 16 एवं मांग संख्या 23 को संबंधित माननीय मंत्री ने अपरिहार्य कारणों से आगामी कार्य दिवसों में लेने का अनुरोध किया है. अत: उक्त मांगों को आगामी कार्य दिवसों में लिये जाने की अनुज्ञा मेरे द्वारा प्रदान की गई है. परंतु इसी के स्थान पर कार्यसूची के उपपद- 7 पर उल्लेखित किसान कल्याण तथा कृषि विकास संबंधी मामलों पर चर्चा ली जायेगी. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
1.09 बजे वर्ष 2021-2022 की अनुदानों की मांगों पर मतदान ....... (क्रमश:)
(1) |
मांग संख्या – 24 |
लोक निर्माण कार्य - सड़कें और पुल |
|
मांग संख्या – 53 |
लोक निर्माण कार्य - भवन |
|
मांग संख्या – 56 |
कुटीर एवं ग्रामोद्योग.
|
लोक निर्माण मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदया की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदया को
अनुदान संख्या - 24 लोक निर्माण कार्य सड़कें और पुल के लिये
छ: हजार पांच सौ छत्तीस करोड़, बयासी लाख, इकहत्तर हजार रूपये,
अनुदान संख्या - 53 लोक निर्माण कार्य भवन के लिये तीन सौ एक करोड, दस लाख, उनतीस हजार रूपये, एवं
अनुदान संख्या - 56 कुटीर एवं ग्रामोद्योग के लिये एक सौ सात करोड़, चौबीस लाख, बीस हजार रूपये
तक की राशि दी जाये.
अध्यक्ष महोदय -- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अब, इन मांगों पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने हेतु सहमति देंगे, उनके ही कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जाएंगे.
मांग संख्या लोक निर्माण कार्य सड़कें और पुल
क्रमांक
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल 2
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर 10
श्रीमती झूमा डॉ.ध्यान सिंह सोलंकी 12
कुंवर विक्रम सिंह (नातीराजा) 16
श्री संजय यादव 17
श्री घनश्याम सिंह 21
श्री सुनील सराफ 22
श्री सुरेश राजे 25
श्री जयवर्द्धन सिंह 27
श्री प्रियव्रत सिंह 29
श्री कुणाल चौधरी 30
श्री बाला बच्चन 32
मांग संख्या - 53 लोक निर्माण कार्य भवन
क्रमांक
श्रीमती झूमा डॉ. ध्यान सिंह सोलंकी 3
श्री सज्जन सिंह वर्मा 4
मांग संख्या -56 कुटीर एवं ग्रामोद्योग
क्रमांक
श्री बाला बच्चन 1
श्री सुनील सराफ 7
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यध महोदय, ये आपने मांग संख्या की चर्चा में जो परिवर्तन कराया है इसमें मेरा आपसे मेरे दल के विधायक साथियों की ओर से यह निवेदन है कि यह बहुत महत्वपूर्ण मांग संख्या 13 और मांग संख्या 54 है, किसान कल्याण तथा कृषि विकास, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा. आज एकदम से उसको मांग संख्या 16 और 23 की जगह ट्रांसफर करेंगे तो मैं समझता हूं इसके लिये इसके बाद वाले वीक में ले लेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा, कृषि बहुत महत्वपूर्ण है, आज मेरा 22 नंबर पर तारांकित प्रश्न भी था वह आ भी नहीं पाया और जिस तरह से माननीय मंत्री जी का जो जवाब आता है और अभी आपने परिवर्तित भी कराया है जो अतारांकित प्रश्न संख्या 77 को और 89 को, हम यह चाहेंगे कि इसको आज नहीं, इसके बाद वाली चर्चा में लें, हमारे विधायक साथियों की तरफ से यह मेरा निवेदन है. आदरणीय डॉक्टर साहब से भी मेरी इस बारे में बात हुई है.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय बाला भाई जो कह रहे हैं, अध्यक्ष महोदय, जिन सदस्यों ने कटौती प्रस्ताव दिये आपने उनके नाम पढ़े. मैं बारीकी से देख रहा था 10 प्रतिशत सदस्य भी उसमें से उपस्थित नहीं थे, अब विषयांतर होने का क्या अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय-- यह पहले से कार्यसूची में शामिल है, उसमें थोड़ा सा परिवर्तन किया है. कार्यसूची आप देख लीजिये, वह शामिल है.
मांग संख्या 24, 53 एवं 56 पर चर्चा हेतु 1 घंटा 30 मिनट का समय नियत है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसको दूसरे की जगह तीसरे नंबर पर ले लें. आज आपने ज्यादा-ज्यादा समय दिया है इस कारण वह आज आ नहीं पाता, नहीं तो रात को 12 बजे तक भी चलती रहे इसलिये इसमें किसी को जानकारी नहीं है, खाने का आपने कह दिया लंच नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय-- खाना खाने तो एक-एक करके जाना है, सबको एक साथ थोड़ी जाना है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- इसको आज आखिरी में ले लें, अगर लेना ही है तो लास्ट में ले लें.
अध्यक्ष महोदय-- अब इसको तो ले लूं. यह हो जाये, उसके बाद तय कर लेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह-- ठीक है.
अध्यक्ष महोदय-- मांग संख्या 24, 53 एवं 56 पर चर्चा हेतु 1 घंटा 30 मिनट का समय नियत है. तद्नुसार दल संख्यावार चर्चा हेतु भाजपा के लिये 46 मिनट, इंडियन नेशनल कांग्रेस के लिये 35 मिनट, बसपा के लिये 3 मिनट, समाजवादी पार्टी के लिये 2 मिनट एवं निर्दलीय सदस्यों के लिये 4 मिनट का समय आवंटित है. इस समय में माननीय मंत्री का उत्तर भी सम्मिलित है. मेरा बोलने वाले सदस्यों से अनुरोध है कि वह समय-सीमा को ध्यान में रखकर संक्षेप में अपने क्षेत्र की समस्यायें रखने का कष्ट करें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा (सोनकच्छ)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24, 53 और 56 को जो विलोपित किया है इन्होंने उसके संदर्भ में जो लिखा है वह समझ में नहीं आ रहा है कि मांग संख्या का नंबर क्या है, ठीक कर लेंगे पर ऐसा लिखा है उसमें, किताब मेरे हाथ में है, मांग संख्या 67 समाप्त की गई और उसके स्थान पर जो मांग संख्या लिखी है वह किसी को समझ में ही नहीं आ रही, आप कहेंगे तो पटल पर रख दूंगा. मंत्री जी आपने भी नहीं देखा कि यह क्या गड़बड़ है. आप लोग तो रास्तों के नाम बदल रहे हो, भवनों के नाम बदल रहे हो, शहरों के नाम बदल रहे हो. अरे भैया मांग संख्या का नंबर क्यों बदल रहे हो भाई.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें 11 लिखा हुआ है, बना हुआ है, आप समझ जाइये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- मैं अभी आपका जिक्र करने ही वाला था. इसमें पढ़कर बता दो जो किताब मेरे हाथ में है.
1.15 बजे { सभापति महोदय (श्री रामलाल मालवीय) पीठासीन हुए }
श्री सज्जन सिंह वर्मा - उसमें एक डेश भी लगा है. मैं आपका जिक्र करने ही वाला था कि काहे को नंबर बदल रहे हो. रामपाल जी मंत्री रहे. मैं मंत्री रहा, अब तुम मंत्री हो. नंबर क्यों बदल रहे हो. माननीय मंत्री जी ने बजट के समय बड़ी गर्वोक्ति के साथ कहा कि हम 2500 किलोमीटर सड़क का निर्माण करेंगे. 105 आरओबी का निर्माण करेंगे और 760 करोड़ की लागत से 65 पुलों का निर्माण करेंगे. अगले साल जैसे कि कमलनाथ जी ने कहा था कि अगले साल के बजट के समय हिसाब लेंगे कि 105 आरओबी में से कितने आप बना पाए और कितने कि.मी. सड़कें आप बना पाए. अभी जो आपने डाटा दिया है उस पर चर्चा करते हैं. मुझे खेद है सभापति जी, एक इतनी भीषण दुर्घटना होती है इस प्रदेश में जिससे कि सारा का सारा जनमानस हिल गया. सीधी जिले में 54 लोग बस दुर्घटना में मृत्यु को प्राप्त होते हैं. न सीधी-सिंगरौली सड़क का कहीं जिक्र है न सीधी से गोविंदगढ़ होते हुए सतना को जोड़ने वाली छुहिया घाटी जो दुर्घटना के पास का इलाका है. जहां जाम लगता है. मैं सीधी से अपनी बात इसीलिये प्रारम्भ कर रहा हूं कि आपके बजट में कहीं इस बात का जिक्र नहीं है. सीधी-सिंगरौली मार्ग की हालत इतनी बुरी है और जहां 54 लोग मरे वहां माननीय सड़क मंत्री को जाना था, परिवहन मंत्री को जाना था लेकिन इन दोनों में से कोई वहां गया नहीं. ये जाते तो पता चल जाता कि सड़क की हालत क्या है. 54 लोगों की जान जाना और संवेदनाओं का जागृत न होना यह भाजपा की कार्यशैली है. छुहिया घाट है वहां जहां अक्सर जाम लगता है. मंत्री जी जाते तो पता चल जाता. जाम लगने की वजह से ड्राईवर नहर किनारे के वैकल्पिक मार्ग से उस बस को भगाता हुआ लेकर गया. परिवहन मंत्री का भी कंट्रोल नहीं. सड़क मंत्री का विभाग पर कंट्रोल नहीं. आप वहां जाते को कम से कम तो वैकल्पिक मार्ग छुहिया घाट जिस पर जाम लगता है जिसकी वजह से बस को नहर किनारे की सड़क से जाना पड़ा उस सड़क के निर्माण की बात कर लेते. उसका भी जिक्र नहीं है.
सभापति महोदय - माननीय मंत्री जी, अपने जवाब में जरूर इस बात का उल्लेख करें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - बड़ा महत्वपूर्ण है. 54 लोग काल-कवलित हुए हैं. आप जिस जिले से आते हैं मैं वहां सांसद रहा हूं और वहां का प्रभारी मंत्री भी रहा हूं. मैं 4-6 प्वाइंट इंगित करूंगा. मंत्री जी नोट करेंगे और उनका उत्तर देंगे.
सभापति महोदय - मंत्री जी, पिछली बार उस घटना के लिये उस रोड को बना दिया उसके लिये धन्यवाद.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - मैं उसी प्वाइंट पर आ रहा हूं सभापति महोदय. धन्यवाद आपको. कई ऐसी सड़कें आपकी एमपीआरडीसी में हैं. कई सड़कें पीडब्लूडी विभाग में हैं. जहां अंधे मोड़ हैं. जिन्हें ब्लेक स्पाट बोलते हैं. उज्जैन जिले में जहां से सभापति जी आते हैं वहां अनुसूचित जाति के 12 लोग एक साथ ब्लेक स्पाट की वजह से इतनी भीषण दुर्घटना में काल-कवलित हुए. मेरा कहना यह है कि अकेले उज्जैन जिले का मामला नहीं है. पूरे मध्यप्रदेश में क्या मंत्री जी आप ब्लेक स्पाट जो सड़कों पर हैं. अंधे मोड. क्या अधिकारियों को बोलकर आप कोशिश करेंगे कि यह ब्लेक स्पाट साल भर के अंदर खत्म हो जाएं. अंधे मोड़ खत्म हो जाएं. उनके लिये बजट प्रावधानित करें. स्पेशल बजट दें. सीआएफ से लाकर दें ताकि इस तर ह की दुर्घटनाएं न हों. बाद में वहां फिर दुर्घटना हुई उसी रोड पर फिर हम लोगों ने अलग से पैसा देकर ठीक करायी. यह महत्वपूर्ण मामला है. यह महत्वपूर्ण मामला है. प्रदेश में ब्लैक स्पाट से सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है. यह एमपीआरडीसी एवं पीडब्ल्यूडी को सुधारना चाहिये. मैं बजट देख रहा था..
सभापति महोदय -- आप अपनी बात बजट पर प्रारंभ करें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, बजट पर ही तो बात चल रही है ब्लैक स्पाट, यही तो असली चीज है, जो इसमें नहीं है. यह आयेगी, तो ही तो बजट का लाभ जनता को मिलेगा.
श्री सुभाष रामचरित्र -- सभापति महोदय, सीधी सिंगरौली रोड की जहां बात है, तो 325 करोड़ का टेंडर प्रोसीजर में है, जिसमें बाला कंस्ट्रक्शन को 325 करोड़ का मिला है. जहां तक घटना की बात है..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, ये जवाब देंगे कि मंत्री जी जवाब देंगे.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य, जब आपका समय आयेगा, तब अपनी बात कहियेगा. अभी माननीय सदस्य को बोलने दीजिये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- विधायक जी, मंत्री जी बड़े सक्षम है, आप उनकी ताकत को पहिचान नहीं रहे हैं. अभी वे तीसरे नम्बर पर हैं, एक नम्बर पर आयेंगे, आप चिंता मत करो.
सभापति महोदय -- पूरी तरह से वे जवाब देंगे, आपकी सब बातों को वे नोट कर रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, यह ब्लैक स्पाट बहुत महत्वपूर्ण है. दूसरा,मैं एक सलाह देना चाहता हूं , क्योंकि मेरी गाड़ी दिन रात भटकती है.जगह जगह अच्छी सड़कों पर गड्ढे हो गये हैं. इन गड्ढों को सुधारने के लिये कहीं, किसी मद में आपका बजट नहीं है. यदि यह गड्ढे शुरुआत में सुधार दिये जाये तो ये आपकी सड़कें कई वर्षों तक चल सकती हैं. उन पर अतिरिक्त पैसा आपको बनाने के लिये खर्चा नहीं करना पड़ेगा. यह छोटी छोटी बातें हैं,जो प्रदेश को लाभान्वित करेंगी. मैं बजट पढ़ रहा था तो मुझे ग्वालियर की तरफ मैंने जो लिस्ट देखी तो इस बजट में हमने 37 सड़कें दी थीं ग्वालियर चम्बल वाले इलाके में. अभी के बजट में 2 सड़कें हैं ग्वालियर वाले इलाके में, यह बड़ा अन्याय अब वह हमारे मुख्यमंत्री जी और वहां के महामहिम जब 28 सीटों के उप चुनाव में गये थे नारियल वगैरह खूब फोड़े थे वहां पर, अब वह विधायक जीतकर आये हैं, अब उनको कोई जवाब ही नहीं है. वहां आपने सड़कें दी नहीं. अब हमने 37 सड़कें दी थीं, अब कोई बोलता है कि हम सड़क पर उतर आयेंगे, तो अब आप सड़क बना ही नहीं रहे हो तो वह सड़क पर कैसे उतरेंगे. पैर जख्मी हो हो जायेंगे उनके. मेरा अनुरोध है कि उधर के लोगों के साथ पक्षपात न करें, वहां भी अच्छी सड़कें दें. ताकि लोगों को सड़क पर आने में ज्यादा दुविधा न हो. अभी तो पता नहीं किस बैंच पर बैठे हैं, वह भगवान जाने.
डॉ. सीतासरन शर्मा -- अभी तो वह आपको रोड पर लेकर आये हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, मैं तो कुर्सी पर बैठा हूं.
श्री सुभाष रामचरित्र -- महाकौशल प्रांत में, विंध्य में कितनी सड़कें मिलीं, जब आप पीडब्ल्यूडी मंत्री थे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, उस समय बोलना था, अभी आप कैसी बात कर रहे हैं. समय आये तब बोलें. नहीं तो मामला जमेगा नहीं.
..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- हमारा आग्रह है कि उनको अपनी बात रखने दें.
श्री रामपाल सिंह -- सज्जन भाई, देवास, इन्दौर और छिंदवाड़ा, 3 जिले थे आपके पास, इसके अलावा जिला तो कोई दिखता ही नहीं था.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, इन्दौर पर आ रहा हूं.
..(व्यवधान)..
सभापति महोदय -- मेरा आप लोगों से अनुरोध है कि जब आपका समय आये, तब बात करियेगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- (श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य के खड़े होने पर) सभापति महोदय, रामेश्वर जी तो शहर वाले विधायक हैं, इनका सड़क से क्या लेना देना .
सभापति महोदय -- ये तो स्मार्ट सिटी में हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा -- हमको सड़क से लेना देना नहीं है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, आपको कोई सड़क पर थोड़ी उतरना है. उतरना सड़क पर ग्वालियर वालों को है. सभापति महोदय, अभी जब मैं बजट पढ़ रहा था, तो बजट में सीआरएफ का जिक्र है, सीआरएफ में 500 करोड़ रुपये इन्होंने हाथ पांव जोड़कर आवंटित कराये हैं वहां से हमारे समय में 700-750 करोड़ रुपये लेकर आए थे, काफी काम मंजूर किये थे, इंदौर पर आ रहा हूं श्री रामपाल सिंह जी, सीआरएफ का पैसा जो हम लाए, अभी इस मद का नाम सीआरएफ है कि सीआरआईएफ है? उसमें आई जुड़ गया है ना? हां, इसमें सीआरएफ लिखा है, इसलिए मैंने सुधार दिया कि सीआरआईएफ, सभापति महोदय, श्री रामपाल सिंह जी ने कहा, इंदौर, हां, इंदौर में 6 कि.मी. का एमआईजी चौराहे से नवलख्खा तक एलिवेटेड ब्रिज लेकर आए, इंदौर में यातायात का दबाव और उसका घनत्व बढ़ा, मतलब पौन घंटे में आदमी 6 कि.मी. पहुंच पाता है. हमने इंदौर की डिमांड पर कि यहां पर यह पुल होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य आप देखिए, पुल मंजूर कर दिया, एजेंसी फिक्स हो गई, सब हो गया, परन्तु अब थोड़ा-सा शब्द कठोर है वह मैं बोलना नहीं चाहता हूं. वहां बीजेपी के पेट में दर्द हुआ कि 6 कि.मी. का पुल बन गया तो इस पर तो कांग्रेस का ठप्पा लग जाएगा, सीआरएफ का पैसा था. वे सुप्रीम कोर्ट में गये, सुप्रीम कोर्ट से स्टे ले आए जो भी हो, मेरा अनुरोध है गोपाल भैया, मंत्री जी, बहुत महत्वपूर्ण एलिवेटेड ब्रिज 6 कि.मी. का है इंदौर का यातायात सुधर जाएगा, बस दुर्घटना में कई बच्चों की मौत हो गई है तो इस तरह के कामों को आप मेहरबानी करके प्राथमिकता पर लेना, ऐसा ही देवास के साथ किया.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - कोई अवरोध नहीं है, कोई कोर्ट का स्टे नहीं है, उसके टेंडर हो चुके हैं उसको आपने कहा पहले स्वीकृत किया, मेरे समय पर ही टेंडर हुए तो सारा हो गया है, आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - गोपाल भैया मैंने ही टेंडर कराया, मेरे समय ही एजेंसी फिक्स हुई, श्रेय आप नहीं ले पाओगे, मेरे कार्यकाल में टेंडर हुआ, एजेंसी फिक्स हुई, आपकी सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, मेरे पास एविडेंस है, अब जो भी कारण से गई है वह मुझे नहीं पता, परन्तु उस वजह से डिले हुआ, यह कार्य डिले हुआ गोपाल भैया इसका जवाब आप देना, मैं गलत बोल रहा हूं तो आप टोक देना, परन्तु डिले हुआ, नहीं तो अब तक काफी कुछ निर्माण वहां पर हो जाता. इसके साथ रामपाल भैया देवास की बात कर लें.
श्री रामपाल सिंह - देवास में हमने पहले इतनी सड़कें बना दीं, नक्शा बदल दिया, जहां हमारे मंत्री जी का, गौड़ साहब का एक्सीडेंट हुआ था, वहां का नक्शा बीजेपी ने बदला है. आप नहीं कर पाए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - मेरा पत्थर लगा हुआ दिखा दूंगा, मैं नगरीय प्रशासन मंत्री था तब उस बायपास पर मेरा पत्थर आज भी लगा है. श्रवण पटे, सज्जन सिंह वर्मा और स्वर्गीय तुकोजीराव पवार, उनको भी ऐसे ही बोल दो. हम तीनों के नाम उस पत्थर पर आज भी है वह हमने बायपास बनाया था, श्रेय लेने में तो आप लोग देखो माहिर हो, नारियल फोड़ने और श्रेय लेने में बीजेपी वाले माहिर हैं, हमारा पत्थर आज भी वहां लगा है. हमने उसका भूमि पूजन किया था.
श्री पी.सी. शर्मा - सज्जन भाई, एक दो जेब अभी टटोलेंगे तो नारियल यहीं मिल जाएंगे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -सभापति महोदय, मैं देवास पर इसलिए आ रहा था कि देवास मेरा राजनीतिक जिला है, रहता तो इंदौर हूं, परन्तु अब कुछ भाइयों ने उठाकर देवास फेंक दिया था, तब से वहीं जम गये, अब दर्द तो निकलकर आता है उसमें क्या है? अपन बोलने से चूकते नहीं है रामेश्वर भैया तो कुछ लोगों ने फेंक दिया कि निपट जाएगा, परन्तु निपटे नहीं, कइयों का निपटा दिया.
सभापति महोदय - आपकी कार्यशैली पूरे मध्यप्रदेश ने देखी है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - - वह समझ रहे हैं, समझने वाले समय गये जो ना समझे वह.., तो देवास में मैंने कुछ पुल मंजूर किये इसी तरह के जो इंदौर में मंजूर किये. यातायात का दबाव बढ़ा भयानक, एबी रोड शहर के बीच में से निकलता है. बड़ा घनत्व, बड़ा दबाव तो हमने एक बड़ा पुल वहां मंजूर किया, दूसरा पुल देवास के कोने से मक्सी रोड जाता है जहां कृषि उपज मंडी है, ट्रेक्टरों की वजह से काफी जाम लगता है, लोगों को बड़ी असुविधा होती है. अब दुर्भाग्य देखिए साहब, वही पत्थर नारियल फोड़नेवाली कहानी. देवास से मक्सी जो ब्रिज मैंने मंजूर किया है उसे बीजेपी के लोगों ने रूकवा दिया है उसके टेण्डर हो गये, सब हो गया लेकिन उसको रूकवा दिया चूंकि एक विधायक जी का पैट्रोल पंप वहां पर आ रहा है उसकी बिक्री कम हो जाती तो उन्होंने डिजाइन बदलवा दिया, उसके बाद में फिर से बना तो जाम तो वहीं पर लगेगा होना कुछ नहीं है. मंत्री जी आप इसका डिजाइन जरूर दिखवाना, बहुत जाम वहां पर लगता है कृषि उपज मंडी है देवास की ए ग्रेड की मंडी है तो खूब ट्रेक्टर वगैरह आते हैं तो यह डिजाइन उसकी जानबूझकर बदलवाई है. एक बार आप जरूर टेक्नीकल लोगों से दिखवा लेना, एक तो यह किया है.
सभापति महोदय दूसरा पुल हमने शहर के बीच में मंजूर किया था जो ए बी रोड है उसको दो और ढाई किलोमीटर आगे खिसका दिया कहां, जहां पर यातायात का दवाब है ही नहीं, मेरा कहना है मंत्री जी आप इस विभाग के मंत्री हैं और मैं समझता हूं कि अच्छे सुदृढ़ हाथों में इस विभाग को दिया गया है और हर क्षेत्र की जनता को न्याय मिलना चाहिए. आखिर यह क्यों खिसकाया जा रहा है, डिजाइन बनी है सर्वे हुआ है टेण्डर भी हुए हैं यह सब प्रक्रिया के बाद ही होता है क्या जिन इंजीनियरों ने बनाया है वह क्या कमजोर बुद्धि के थे. मेरा अनुरोध है कि एक बार आप इसको बैठक में रिव्यू जरूर कर लें देवास के पुलों का, तो मैं समझता हूं कि क्षेत्र की जनता को लाभ होगा.
श्री गोपाल भार्गव -- सज्जन भाई इस मामले में जहां तक मुझे जानकारी है विभाग के अधिकारियों ने और तकनीकी जानकारों ने और प्रशासनिक अधिकारियों ने जो भी वहां पर एलाइनमेंट तय किया था उसी के अनुसार वह बन रहा है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- मैं इसीलिए तो आपसे अनुरोध कर रहा हूं कि मेरी कही गई बातों को आप एक बार रिव्यू में ले लेंगे तो आपको समझ में आ जायेगा वहां पर बड़ी प्रेस कांफेन्स हुई हैं वहां पर बड़ बबाल मचा है. वहां की जनता और व्यापारी आक्रोषित हैं यदि आप मेरी कही गई बातों पर गौर करेंगे तो मैं समझता हूं कि काफी ठीक रहेगा. सभापति महोदय 2 -- 3 बातें और हैं ज्यादा घेरने की जरूरत नहीं है, यह पहले ही घिरे हुए हैं. एक नया रास्ता, गोपाल भइया वह बन रहा है या नहीं इंदौर भोपाल एक्सप्रेस वे, है तैयारी, बजट में उसका नाम है न.
श्री रामपाल सिंह -- यह सब भोपाल इंदौर एक्सप्रेस वे नर्मदा एक्सप्रेस वे भिण्ड वाला आपने मिटाया था यह सब पहले से ही प्रस्तावित है पहले ही कर दिया है.
श्री सज्जन सिंह वर्णा -- रूको, अभी एक मिनट में पोल खुल जायेगी. गोपाल भइया सुनने लायक मामला है. सभापति महोदय इंदौर भोपाल के लिए एक नया एक्सप्रेस वे बनाने की इनकी तैयारी चल रही है. जब मैं मंत्री था तो यह अधिकारी बड़े कलाकार हैं, लेकर आये पूरा बड़ा डिजाइन से सजाकर, साढे पांच - छ: हजार करोड़ रूपये उस पर खर्च होना है. लेकिन उस एक्सप्रेस वे से बचेंगे कितने मिनट केवल 15 मिनट बचेंगे, ऐसा उन्होंने कहा कि 15 मिनट बचेंगे इंदौर से भोपाल आने में, देवास से भोपाल का रोड फोर लेन है, वहां पर सड़क लैण्ड एक्वीज्यूशन है दो लेन और हम बना सकते हैं. हमारे पास में 500 करोड़ रूपये लेण्ड एक्वीज्यूशन का पड़ा है जो यह नई प्रस्तावित सड़क के डिजाइन बना रहे हैं ना इसमें बड़ा लंबा खेल है बता रहा हूं मैं, इस 500 करोड़ रूपये में 300 - 400 करोड़ रूपये और मिला देंगे तो वर्तमान जो सड़क है इंदौर भोपाल की वह सिक्स लेन बन जायेगी और वह ही समय बचेगा जो यह 6 हजार करोड़ रूपये खर्च करके इसके पीछे लाजिक यह है कि नया रोड जो प्रस्तावित किया है वहां पर हजारों एकड़ जमीन वहां पर जादूगर लोगों ने खरीद रखी है,अब मैं बोल नहीं सकता हूं कौन लोग हैं, रामपाल जी आप तो जानते हैं. कई जादूगरों ने नेता लोगों ने और कुछ अधिकारियों ने भी वहां पर पहले ही जमीन ले ली है क्योंकि पहले ही नक्शा उनके पास आ गया था,
सभापति महोदय -- माननीय आपको 20 मिनट हो गये हैं आप और कितना समय लेंगे.
श्री रामपाल सिंह -- आपकी नजर में यह सब विकास की बातें गलत दिखरही हैं इसका मतलब यह है कि आप भोपाल इंदौर एक्सप्रेस वे का आप विरोध कर रहे हैं सीधी बात करिये आप.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- मैं कह रहा हूं कि प्रदेश की जनता का पैसा बचाओं उस पैसे को इस तरह से मत बहाओ जब हमारे पास में पैसा है दो लेन के लिए लेण्ड एक्वीज्यूशन है तो क्यों प्रदेश का पैसा उन भू माफियाओं के लिए प्रदेश का पैसा बर्बाद इन भूमाफियाओं के लिये आप करना चाहते हैं, उन भूमाफियाओं को आप प्रश्रय देना चाहते हैं ? कुछ नेता और कुछ अधिकारियों ने वहां जमीनें ली हैं. मेरा विरोध इसलिये है कि 300 करोड़ रुपये मिलाने पर ही जब सड़क बढि़या बन रही है एक्जिस्टिंग जो रोड है, तो क्यों कर रहे हैं ? नर्मदा एक्सप्रेस वे बन जाएगा रामपाल भैया ? आप जब बनाएंगे तभी पैर जमीन पर आएंगे, नहीं तो वह मास्टर बेचारे ऐसे ही धक्के खाते फिर रहे हैं जिनके लिये सड़क पर उतरने का बोला गया था. आज भी वह मास्टर लोग धक्के खा रहे हैं कि सड़क जल्दी बनवा दो, अटल एक्सप्रेस वे दे दो. पैर जमीन पर तो आये नहीं उनके.
श्री रविंद्र सिंह तोमर (भिड़ौसा) (दिमनी) -- सभापति महोदय, चम्बल पर तो मेरा एक निवेदन है कि पहले चम्बल एक्सप्रेस वे था.
सभापति महोदय -- आप इनको बोलने दीजिये. इनका समय समाप्त हो रहा है. आप इनके बाद अपनी बात बता दीजिये.
श्री रविंद्र सिंह तोमर (भिड़ौसा) -- एक मिनट मेरा निवेदन है, अभी वह विषय आ गया इसलिये कह रहा हूं. पहले वह चम्बल एक्सप्रेस वे था फिर वह अटल प्रोग्रेस वे हो गया. मैं माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी का कतई कोई विरोध नहीं कर रहा हूं लेकिन मेरा निवेदन है कि चम्बल में उनसे भी बड़ा नाम है राम प्रसाद बिस्मिल का, तो मेरा निवेदन है कि उसका नाम राम प्रसाद बिस्मिल प्रोग्रेस वे भी हो सकता है.
सभापति महोदय -- माननीय, आपकी बात आ जाएगी लेकिन पहले उनको बोलने दीजिये.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- सभापति महोदय, पूरे हिन्दुस्तान में ग्रामीण सड़क योजना के माध्यम से जिन्होंने पूरे देश में रोड बनाने का काम किया है, माननीय अटल प्रोग्रेस वे...(व्यवधान).. मैं भी चम्बल का रहने वाला हूं.
सभापति महोदय -- आपसे आग्रह है कि सज्जन सिंह जी की बात पूरी हो जाय. फिर आप अपनी बात रख दीजिये.
श्री रविंद्र सिंह तोमर (भिड़ौसा) -- मेरा उनके नाम पर कोई विरोध नहीं है लेकिन मैं कह रहा हूं. जिन्होंने भारत मॉं की आजादी के लिये, भारत मॉं को आजाद कराने के लिये हंसते-हंसते अपने प्राण दे दिये क्या वह नाम चम्बल प्रोग्रेस वे के लिये उपयुक्त नहीं है ?
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- नाम अच्छा है. ...(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र जैन -- नाम तय हो गया है, फायनल हो गया है अब उस पर किसी प्रकार की बात करके विरोध करना है.
सभापति महोदय -- माननीय जैन साहब, आप बैठ जाइये.
श्री रविंद्र सिंह तोमर (भिड़ौसा) -- जिन्होंने भारत माता को आजाद कराने के लिये अपना सर्वस्व दे दिया.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- इसमें माननीय अटल जी का नाम सर्वोत्तम है.
श्री रविंद्र सिंह तोमर (भिड़ौसा) -- मेरा उनके नाम पर कोई विरोध नहीं है लेकिन मेरा एक सुझाव है कि क्या जिन्होंने भारत मॉं की आजादी के लिये अपने प्राण दे दिये, जिन्होंने भारत मॉं को आजाद कराया राम प्रसाद बिस्मिल, क्या वह बड़ा नाम नहीं है ? क्या वह नाम नहीं जोड़ा जा सकता है चम्बल प्रोग्रेस वे के लिये ?
सभापति महोदय -- माननीय तोमर साहब, वह अपनी बात पूरी कर लें, इनकी बात पूरी हो जाय फिर आप अपनी बात रखना.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- रविंद्र जी, आपके प्रश्न का जवाब माननीय मंत्री जी देंगे.
सभापति महोदय -- माननीय वर्मा साहब, आप और कितना समय लेंगे ?
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सभापति महोदय, बस एक प्वाइंट बचा है. नर्मदा एक्सप्रेस वे की बात रामपाल भैया कर रहे थे. बहुत यात्राएं सब बड़े नेताओं ने अलग-अलग की हैं. नर्मदा एक्सप्रेस वे बने तो ..
श्री गोपाल भार्गव -- सपरिवार की हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- हां, सपरिवार, सह कुटुम्ब और साधु-संतों के साथ, तो वहां पवित्र स्थान है यात्रा करना भी चाहिये, पाप धुल जाते हैं. मैं तो यह बोल रहा था कि जिस तरह नर्मदा के किनारे इन यात्राओं में साढ़े छ: करोड़ पेड़ लगाने की घोषणा इसी सदन में हुई थी वह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, वहां पेड़ दिखते ही नहीं, कहीं यह नर्मदा एक्सप्रेस वे भी तो गायब नहीं हो जाएगा ? माननीय मंत्री जी, यह पूछना चाहता हूं.
श्री रामपाल सिंह -- सभापति जी, पेड़ यह देखते नहीं हैं, हमारे साथ चलो हम दिखाएंगे कितने पेड़ लगे हैं. आप चलिये न हमारे साथ. एक दिन हम आपके साथ चलेंगे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- गोपाल भैया, रामपाल सिंह जी, प्रश्न का जवाब है, यहां पर जवाब आया है कि हां इतने पेड़ गायब हैं. आपकी सरकार में, विधान सभा में जवाब आया है, तो यह कहीं गायब नहीं हो जाए नर्मदा एक्सप्रेस वे. आखिरी बात, मैं बजट पढ़ रहा था गोपाल भैया, आपने उसमें बहुत भेदभाव किया है. हमारे यहां मालवा में कहावत है कि ''अंधा बांटे रेवड़ी, चीन्ह-चीन्ह के दे.'' मैं इसमें पढ़ रहा था, 230 में से मात्र 90 विधायक हैं उनको सड़क मिली है रामपाल भैया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- आपने पिछली बार 60 ली थीं.
श्री दिव्यराज सिंह -- आप तो काम के पैसे वापस ले गये थे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- सुन लें थोड़ा. अरे 230 विधायक हैं और मात्र 90 विधायकों को सड़क दी है. अब जहां नारियल फूटा उनका क्या होगा ?
श्री दिलीप सिह परिहार -- आपने उस समय हमारे यहां दी ही नहीं थी, उज्जैन संभाग खाली था.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- देखिये, जब समय निकल जाता है तब तुम भी वो हो कि ऐसे समय बोलते हो जब औचित्य ही नहीं रहता. आज तो घेरे में सामने वाला है. मैं तो आपकी भलाई की बात कर रहा हूं कि आपने 90 एमएलए को छांटकर दिया है.
श्री रामेश्वर शर्मा -- सज्जन भाई, यह शेर है घेरे में नहीं आ सकता.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अरे बिलकुल, मेरा भाई कभी पिंजरे में नहीं रहे यही मैं भी चाहता हूं. भले इधर-उधर हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा -- इसलिये दोनों भाई इधर-उधर करते रहो लेकिन हमारा काम होने दो.
सभापति महोदय -- उनकी बात पूरी हो जाने दीजिये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- शेर तो है, वह भले ही बूढ़ा शेर है पर है तो सही शेर. सभापति जी, तो मेरी आखिरी बात, क्यों उन बेचारे विधायकों के साथ भेद-भाव कर रहे हैं, बाकी लोगों को भी कुछ दे दें, अभी जो आप भाषण देंगे... (व्यवधान)...
श्री पुरुषोत्तम लाल तंतुवाय -- पिछली बार के बजट में हमारा दमोह जिला भी खाली रखा गया था, हटा विधान सभा भी खाली थी पिछली बार... (व्यवधान)...
डॉ. योगेश पंडाग्रे -- आमला विधान सभा भी खाली कर दी थी ... (व्यवधान)...
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- माननीय सभापति महोदय जी, पिछली सरकार के बजट में तो सारी सड़कें छिंदवाड़ा में ही चली गई थीं. ... (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- क्या छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश के बाहर है ? अरे नक्शा उठा के देख ले भाई. ... (व्यवधान)...
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा -- तो अभी 90 विधायकों का नाम ले रहे हैं. ... (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- यहां सबकी भलाई की बात चल रही है. ... (व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र जैन -- छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश नहीं है ?... (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- गोपाल भैया, ये जितने लोग बोल रहे हैं ना, इनको सड़क की आवश्यकता नहीं है. इनको मत देना, बाकी के और भी लोग हैं. कम से कम अपने जवाब में उनका भी जिक्र कर देना तो मैं तो आपकी इन सब मांग संख्याओं का विरोध करता हूँ.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- ऐसा है कि कहते हैं ना कि 'देने वाले तूने सब कुछ ही दे दिया, किसको क्या मिला है, ये मुकद्दर की बात है'. अब ये कुणाल चौधरी के यहां 50 करोड़ रुपये के रोड हो गए, कहां से हो गए. ... (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- क्या अभी हाल ही में ?
श्री गोपाल भार्गव -- हां, पूछ लो. ... (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- मेरी मंजूर की गई सड़कों की बात कर रहे हो, झगड़ा हो जाएगा. ..(व्यवधान)..
श्री दिलीप सिंह परिहार -- कुणाल भाई, बोल तो सही, धन्यवाद दे. ... (व्यवधान)...
श्री रामेश्वर शर्मा -- (श्री कुणाल चौधरी के अपने आसन पर बैठे-बैठे हंसने पर) सज्जन भाई, देखो, कुणाल कैसे हंस रहा है, हंसी देखो उसकी. ... (व्यवधान)...
श्रीमती लीना संजय जैन -- कुणाल भैया, धन्यवाद दो. ... (व्यवधान)...
श्री कुणाल चौधरी -- धन्यवाद दिया है मैंने, मंत्री जी को तो मैंने सदन में धन्यवाद दिया है. धन्यवाद है मेरी तरफ से... (व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- मेरे द्वारा मंजूर की हुई सड़कें हैं, उसमें सिर्फ मुहर लगाई है. ... (व्यवधान)... पिछले बजट में सारी की सारी सड़कें थीं. ... (व्यवधान)...
श्री पारस चन्द्र जैन (उज्जैन उत्तर) -- सज्जन भैया, मुहर लगाने वाला ही बड़ा होता है. ... (व्यवधान)...
श्री इंदर सिंह परमार -- सज्जन भाई, पिछले बजट के तो आपके समय के अभी काम भी शुरू नहीं हुए हैं, ऐसे ही पड़े हैं, ये अलग हैं.. ... (व्यवधान)...
श्री मुरली मोरवाल -- हमारे यहां तो पहले टेंडर हो गया, सब कुछ हो गया, उसके बाद भी अभी तक काम चालू नहीं हुआ, टेंडर होने के बाद भी 4 महीने हो गए हैं, बड़नगर की रोड, जो मंजूर थीं, काम अभी तक चालू नहीं हुआ.. ... (व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव -- सज्जन सिंह जी, आप तथ्यों के आधार पर बोलो, पिछले बजट में एक रुपये का भी प्रावधान नहीं था. ... (व्यवधान)...
सभापति महोदय -- आदरणीय हरिशंकर जी खटीक, अपनी बात रखिए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- अभी मैं विरोध तो कर लूँ.. ... (व्यवधान)...
सभापति महोदय -- जी हां.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- माननीय मंत्री जी, एक तो अज्ञात आपकी मांग संख्या है, उसको छोड़कर मांग संख्या 25 और मांग संख्या 53 का मैं विरोध करता हूँ और मैं अनुग्रह करता हूँ कि जो बातें मैंने कही हैं, इस प्रदेश के हित में मेहरबानी करके, उन बातों पर गौर करके इस प्रदेश का भला करिए. सभापति महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 24, मांग संख्या 53 और मांग संख्या 56 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. हम सब जानते हैं कि सड़कों से हमारे प्रदेश का विकास होता है. जहां सड़कें पहुँचती है, उस क्षेत्र का विकास होता है, उस क्षेत्र में रौनक आती है. वर्ष 2003 से वर्ष 2008 के बीच का भी हमने बजट देखा है. उसमें भी जब शुरुआत हुई कि मध्यप्रदेश में सड़कों का निर्माण कराना है, तो वर्ष 2003 के पहले की जो घटनाएं थीं, वे घटनाएं लोग जीवन में कभी भूल नहीं सकते.
माननीय सभापति महोदय, जब वर्ष 2003 में हम चुनाव जीतकर मध्यप्रदेश की इस विधान सभा में आए तो उस समय हमारे सम्मानित सदस्य क्या-क्या कहते थे कि सड़कें हैं या सड़कों में गड्ढा है या पूरे मध्यप्रदेश में गड्ढमगड्ढ है. ऐसी बातें हमने इस सदन में खुद सुनी है. हमारे संसदीय कार्य मंत्री इस समय सदन में नहीं है, उनके लिए भी लोग बोलते थे, जब वे बोलते थे कि हम मध्यप्रदेश की सड़कों को बनवाएंगे, बहुत अच्छी बनवाएंगे, तो संसदीय कार्य मंत्री हैं, उनके भी लोग बोलते थे और अन्य लोगों के पास भी उदाहरण देकर बोलते थे कि ऐसी सड़कें बनवाएंगे, तो वास्तव में इस मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है कि जहां सड़कों का निर्माण हुआ और सड़कों के निर्माण के साथ-साथ पुलों का भी निर्माण हुआ. ..(व्यवधान)..
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय सभापति जी, मैं यह कह रहा हूँ कि वर्ष 2003 को कब तक रोओगे ? ..(व्यवधान)..
श्री हरिशंकर खटीक -- आपको अब जीवन भर रोना है, अब आपको इस साइड बैठकर नहीं आना है. अब आपका समय खत्म हो गया. ..(व्यवधान)..
डॉ. गोविन्द सिंह -- अगर आंसू नहीं निकल रहे हैं तो पिपरमेंट लगा के दे दें, आंसू लगा के रो लो.. ..(व्यवधान)..
...(व्यवधान)..
श्री शैलेन्द्र जैन -- जीवन भर मध्यप्रदेश के इतिहास में लिखा गया है काला अध्याय..(व्यवधान)..
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- इतिहास में आ गया है यह...(व्यवधान)...
सभापति महोदय -- माननीय रजौधा जी, आप बैठें, श्री हरिशंकर खटीक जी की बात पूरी होने दें.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय सभापति महोदय, हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने और पीडब्ल्यूडी मंत्री जी ने सड़कों का विकास किया है. चाहे वह नाबार्ड से हो, चाहे फास्टैग से हो, चाहे सीआरएस से हो, चाहे मंडी से हो, चाहे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से हो. हमारे मध्यप्रदेश में जब-जब भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार आयी है तब-तब सड़कों का विकास हुआ है. मैं यह बताना चाहता हॅूं कि हमारे मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग 8858 किलोमीटर लंबाई के हैं. राजमार्ग हमारे यहां पर 11389 किलोमीटर के हैं. मुख्य जिला मार्ग 22691 किलोमीटर के हैं. मध्यप्रदेश में ग्रामीण मार्ग एवं अन्य जिला मार्ग 28023 किलोमीटर है. मध्यप्रदेश में सड़कों का विकास कितना हुआ, यह मैं आपको बताना चाहता हॅूं. अभी आपने बोला था कि हमने पिछली बार वर्ष 2019-20 में बजट का प्रावधान किया था, मेरे पास वर्ष 2019-20 की भी किताब है वह भी मैं लेकर आया हॅूं. इन्होंने 563 सड़कें स्वीकृत की थीं लेकिन हमारे टीकमगढ़ जिले की धरती पर एक भी सड़क आपने स्वीकृत नहीं की थी. हमने इसी पवित्र सदन में आपसे सड़कों के लिए भीख मांगी थी कि हमें सड़कों का निर्माण करवाना है, हमें सड़कें दी जाएं. आप हमारी एक भी बात सुनने के लिए तैयार नहीं थे. नाम उनका सज्जन है और हमने बहुत विनम्र प्रार्थना की थी कि हमें आप सड़कें दे दीजिए लेकिन उन्होंने एक भी सड़कें हमें नहीं दीं.
सभापति महोदय, मैं आपको बताना चाहता हॅूं कि हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने और हमारे पीडब्ल्यूडी मंत्री जी सम्मानीय श्री गोपाल भार्गव जी जो वास्तव में हमारे बुन्देलखण्ड के शेर कहे जाते हैं और शेर की उपाधि उनको मिली है, उन्होंने इस किताब में 13 सड़कें टीकमगढ़ जिले के लिए दी हैं. हमारे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने भेदभाव नहीं किया. अभी माननीय सज्जन सिंह वर्मा जी बोल रहे थे कि सीधी जिले के लिए एक भी सड़कें नहीं मिलीं तो सीधी जिले की सड़कों के लिए भी मैं बताना चाहता हॅूं...
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- हरि भैया, जरा ग्वालियर वालों से पूछ लीजिए. ग्वालियर-चंबल संभाग वालों से पूछ लीजिए. 2 सड़क हुईं हैं.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय सभापति महोदय, सीधी जिले में सड़कों के लिए बताना चाहता हॅूं कि पेज नंबर 19 में आप स्वयं देख सकते हैं कि 12, 13, 14 और 15 सिंगरौली में 16, 17, 18 में कम से कम 7 सड़कों की स्वीकृति मिली है और हमारी सरकार ने सौतेला व्यवहार नहीं किया. जब-जब किसी विधायक ने हमारे पीडब्ल्यूडी मंत्री से सड़कें मांगने का काम किया तो उन्होंने जी खोलकर देने का काम भी किया. जैसे हमारे भाई कुणाल चौधरी जी बैठे हुए हैं उनको 50 करोड़ रुपए की सड़कें देने का काम किया है.
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- महोदय, जी खोलकर कहां दिया है. ऐसी कितनी सड़कें हैं जिनके टेंडर लगे हैं उनको अलग कर दिया.
सभापति महोदय -- रामबाई, कृपया आप बैठ जाइए. इनकी बात पूरी होने दीजिए.
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय सभापति महोदय, सड़कों के टेंडर की बात हमारे ईएनसी साहब करेंगे. वह जानते हैं वह करेंगे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- हरि बाबू, रामबाई का जवाब दीजिए.
श्री हरिशंकर खटीक -- सभापति महोदय, मैं बताना चाहता हॅूं...
श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह -- भाई, रुक जाइए प्लीज. आप बोल रहे हैं कि हमारे मंत्री जी न्याय करते हैं. अगर न्याय है तो मेरे पास प्रमाण है जिनका टेंडर लगा है और उसको निरस्त कर दिया है. अधिकारियों से बोल दिया गया है कि यह टेंडर नहीं लगाना है.
सभापति महोदय -- रामबाई, आपने अपनी बात कही. आपके दल का समय आएगा, तब आप उस काम को रख दीजिए. .
श्री हरिशंकर खटीक -- माननीय सभापति जी, सम्मानीय विधायक महोदया अपनी बात बोल रही हैं. उनकी बात को भी हमारे मंत्री जी सुनेंगे और अधिकारी लोग भी उनकी बात सुनेंगे क्योंकि अधिकारी भी यहां बैठे हैं. यदि कोई टेंडर निरस्त हो गया है तो फिर से टेंडर हो जाएंगे. अभी जो सड़कों की बात मैं आपसे कह रहा था वह इस सत्र के बजट में भी सड़कों के लिए पर्याप्त बजट का प्रावधान किया गया है. इन सड़कों के माध्यम से पिछले वर्ष 2019-20 में जो सड़कों का प्रावधान किया गया था, उसमें 567 सड़कें थीं और 1368 करोड़ रुपए की सड़कें बनाने का प्रावधान किया गया था. लेकिन वर्ष 2020-21 में भी सड़कें बनीं, उसके टेंडर होने की प्रक्रिया जारी है लेकिन अभी वर्ष 2020-21 में जो सड़कों का प्रावधान किया गया है उसमें 460 नवीन सड़कें लेने का प्रावधान हमारे पीडब्ल्यूडी मंत्री जी ने लिया है जिसकी लंबाई 2441.88 किलोमीटर है.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- असत्य रामायण क्यों बाँच रहे हों भाई? बिल्कुल असत्य रामायण क्यों बाँच रहे हों भाई?
सभापति महोदय-- राम बाई आप कृपया बैठें. जब आपका समय आए तब बोलना. आपके दल को समय दिया है. कृपया आप बैठें.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- मेरे पास प्रमाण हैं. तीस सड़कों में से एक भी सड़क को बजट में तक नहीं जोड़ा गया है.
सभापति महोदय-- राम बाई, कृपया बैठें. आपके दल को समय दिया है जब आपका अवसर आएगा तब आप बोल लेना.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- इतनी असत्य रामायण मत बाँचो, सबको भगवान के पास जाना है, उधर क्या जवाब दोगे भाई?
श्री हरिशंकर खटीक-- माननीय सभापति महोदय, जो हमारी 460 नवीन सड़कें बनना हैं उनकी कॉस्ट हम आपको बता दें 3287 करोड़ की लागत से बनना है. इसके साथ साथ 65 नवीन पुलों के निर्माण का भी इस बजट में प्रावधान हमारे लोक निर्माण मंत्री जी और हमारे मुख्यमंत्री जी ने किया है. इसमें 65 नवीन जो पुल के कार्य हैं वह 7591 करोड़ की लागत से पुलों का निर्माण होना है.
श्री संजय यादव-- माननीय मंत्री जी, महाकौशल फड़फड़ा रहा है, गायब है, विश्नोई जी कैसे फड़फड़ा रहे हैं, लोक निर्माण से सड़कें ही गायब हैं. न जबलपुर जिले में सड़कें, न पुल, कहाँ बात कर रहे हैं आप...(व्यवधान)..पूरी सड़कें सागर में हैं...(व्यवधान)..
श्री हरिशंकर खटीक-- सभापति महोदय, इनसे बोलिए कि कुणाल चौधरी जी से मिलिए उनको सड़कें कैसी मिली हैं. ..(व्यवधान)..आपको भी मिलेंगी. आप चिन्ता न करें आप इधर आ जाइये.
सभापति महोदय-- आपका नाम है संजय भैय्या जब आपका समय आएगा तब आप बोलना उस बात को.
श्री हरिशंकर खटीक-- इसके साथ साथ सभापति महोदय, हम सब जानते हैं कि ओव्हर ब्रिज के निर्माण कार्य होने भी बहुत जरूरी है. कई ट्रेनें निकलती थीं और कई अकस्मात घटनाएँ घट जाती थीं. उसके लिए भी हमारे लोक निर्माण मंत्री महोदय ने ओव्हर ब्रिज बनाने के लिए 105 कार्य प्रस्तावित किए हैं. जिनकी लागत 3132 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान किया है. हमारी सरकार ने सौतेला व्यवहार नहीं किया और छिन्दवाड़ा के लिए भी उन्होंने विकास के लिए दिया है. छिन्दवाड़ा में जो हवाई पट्टी नवीन कार्य प्रस्तावित किया गया है उसके लिए भी 672 लाख रुपये का इसमें प्रावधान किया गया है. छिन्दवाड़ा के लिए भी बजट में प्रावधान किया गया है. सभापति महोदय, हम आप से विनम्र अनुरोध करना चाहते हैं......(व्यवधान)..
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- छिन्दवाड़ा में तो इसलिए किया होगा कि पहले जब सरकार थी तो अच्छे खासे काम तो लगते थे विपक्ष के, अध्यक्ष महोदय के पद पर थे, माननीय मंत्री जी, तो अच्छी खासी चलती थी उनकी इसीलिए छिन्दवाड़ा में तो किया होगा क्योंकि वह तो निभाना पड़ेगा...(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- राम बाई, कृपया आप बैठें. आप बीच बीच में न टोकें. राम बाई आपका नंबर आएगा तब आप बोलना.
श्री हरिशंकर खटीक-- सभापति महोदय, हमारे टीकमगढ़ जिले में सुखनई नदी, सपरार नदी और उड़ नदी है उनके पुलों के डीपीआर बनवाए जाएँ, हम लिख करके लोक निर्माण मंत्री जी को दे देंगे, सुखनई नदी, सपरार नदी और उड़ नदी पर एक एक पुल निर्माण कराए जाएँ और हमारे क्षेत्र में एक सड़क महिवचक चार, जहाँ पर बावन थिरक आते हैं लोक निर्माण विभाग से, वहाँ के लिए एक सड़क जरूर मंजूर की जाए. यह हमारी विनम्र प्रार्थना है. सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय-- श्री घनश्याम जी बोलिए.
श्री मुरली मोरवाल(बड़नगर)-- सभापति महोदय, मुझे भी एक मिनट का समय दे दीजिए.
सभापति महोदय-- माननीय मोरवाल साहब, आपका नाम नहीं है इस सूची में...(व्यवधान).. घनश्याम सिंह साहब, एक मिनट उनको बोल लेने दीजिए. मोरवाल जी, आप केवल अपने क्षेत्र की बात रख दीजिए.
श्री मुरली मोरवाल-- माननीय सभापति महोदय, लोक निर्माण मंत्री जी बैठे हैं जब माननीय कमलनाथ जी मुख्यमंत्री थे और सज्जन वर्मा जी लोक निर्माण मंत्री थे, माननीय मंत्री जी, मेरी रोड का ठेका होने को 8 महीने हो गए....
सभापति महोदय-- माननीय मंत्री जी, उनकी बड़नगर की रोड है दिखवा लीजिएगा.
श्री मुरली मोरवाल-- मंत्री जी, उस रोड को, बायपास रोड को 8 महीने हो चुके हैं ठेका होने को. अब तक वहाँ काम चालू नहीं हो रहा है और वहाँ पर भारतीय जनता पार्टी के नेता द्वारा काम रुकवाया जा रहा है क्योंकि उस रोड से हजारों गाड़ी घोड़े निकलते हैं और बाजार में जब आते हैं तो ट्रैफिक जाम हो जाता है इसलिए उस रोड को डिवाइडर और उसको चालू करवाया जाए. ठेका होने के बाद भी काम चालू नहीं हो पा रहा है. मेरा आप से निवेदन है कि तीन रोड और दी थी बड़नगर की और चौराहे से.....
सभापति महोदय-- माननीय मोरवाल साहब, दिखवा लेंगे, मंत्री जी ने उसमें नोट कर लिया है.
श्री मुरली मोरवाल-- मेरा आप से निवेदन है कि उस रोड को चालू करवाया जाए.
सभापति महोदय-- माननीय मंत्री जी, इनका बड़नगर का एक रोड है टेण्डर हो गया है दिखवा लें उसको.
श्री मुरली मोरवाल-- संगम चौराहे से लेकर फोब दरवाजा तक. धन्यवाद.
श्री घनश्याम सिंह(सेवढ़ा)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 24, 53, 56 का विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूँ. वैसे पूरे प्रदेश का जो लोक निर्माण विभाग का हाल है और प्रदेश की जो योजनाएँ हैं, क्या कमियां हैं, विस्तार से हमारे अनुभवी राजनेता, पूर्व मंत्री, सज्जन सिंह वर्मा जी ने रखी है इसलिए मैं पूरे प्रदेश की ज्यादा बात नहीं करूँगा. मैं, मेरे क्षेत्र तक सीमित रहूंगा. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि आप बुंदेलखण्ड के शेर हैं इसमें कोई दो राय नहीं है, लेकिन सड़कों के मामले में ग्वालियर, चंबल संभाग से थोड़ा पक्षपात तो हुआ है. मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि दतिया जिला ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारंपरिक रुप से बुंदेलखण्ड का अंग है. प्रशासनिक रुप से हम ग्वालियर संभाग में हैं और वह इसलिए क्योंकि बीच में झांसी अंग्रेजों के पास चला गया था अगर झांसी भी मध्यप्रदेश में होता तो हम भी बुंदेलखण्ड में ही होते, आपके साथ ही होते. आप जब ग्वालियर, चंबल संभाग के साथ पक्षपात करते हैं तो दतिया को छोड़ दें दतिया को बुंदेलखण्ड का मानकर, अपना मानकर थोड़ा हमारे ऊपर मेहरबानी करें.
श्री प्रियव्रत सिंह -- सभापति महोदय, 1857 में झांसी की रानी अंग्रेजों को हरा देतीं तो शायद दतिया भी बुंदेलखण्ड में होता, ग्वालियर का अंग नहीं होता.
श्री घनश्याम सिंह -- माननीय सभापति महोदय, मैं अपने क्षेत्र की मांगे रखता हूँ. राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 19 उसका एक बहुत बड़ा क्षेत्र दतिया जिले से गुजरता है. सेवढ़ा से दतिया तक 64 किलोमीटर का मार्ग है. इस मार्ग में इंदरगढ़ कस्बा आता है जो कि नगर परिषद है, यह बहुत तेजी से बढ़ रहा है, 30 हजार की आबादी है. ग्रामीण क्षेत्र का एक केन्द्र बनता जा रहा है. बाजार बनता जा रहा है. बाजार के बीच से यह राजमार्ग निकलता है, इसमें ट्रेफिक की बहुत समस्या है. सिंध नदी जिले की सीमा पर होने के कारण बजरी का काम भी बहुत होता है. बड़े-बड़े डम्पर और ट्रक चलते हैं. यहां रतनगढ़ माता का बहुत मशहूर स्थान है, मुझे पूरे भारत की तो जानकारी नहीं है लेकिन अधिकांश क्षेत्र में इस तरह का स्थान नहीं मिलेगा. कलयुग में भी वहां चमत्कार है. वहां पर दीपावली की दौज के दिन सांप कांटे के जो बंध काटे जाते हैं, उस समय 36 घंटे के भीतर 20 से 25 लाख लोग दर्शन करने आते हैं. यह बहुत बड़ा रिकार्ड है. कोरोना काल में प्रशासन ने उस मेले पर बेन लगा दिया था लेकिन दो दिन पहले पता चला कि 100-100, 150-150 किलोमीटर दूर से लोग पैदल रवाना हो गए हैं उनको रोका जाना संभव नहीं है तो दो दिन में आनन-फानन में प्रशासन ने व्यवस्था की. इस कोरोना काल में बेन के बावजूद भी 15 लाख लोग दर्शन करने आए. हर सोमवार को एक लाख दर्शनार्थी आते हैं. दोनों नवरात्र और दोनों गुप्त नवरात्र में लगभग 2-2, 3-3 लाख लोग प्रतिदिन आते हैं. इस मार्ग पर बहुत ज्यादा दबाव है. यह रोड बड़ा अजीब है, यह न तो सिंगल लेन है न ही टू लेन है, बीच का है. सिंगल लेन 11 फिट चौड़ा होता है यह करीब 17-18 फिट चौड़ा है. इस पर बहुत ज्यादा हेवी ट्रेफिक है, बहुत दुर्घटनाएं होती हैं. इसका चौड़ीकरण और मजबूतीकरण किया जाए. राष्ट्रीय राजमार्ग 19 का हिस्सा जो कि भिण्ड जिले में है. मेहगांव से लेकर सेवढ़ा तक उसका एनडीबी के माध्यम से चौड़ीकरण हो गया है, लगभग काम पूरा हो गया है. इसको सेवढ़ा से आगे दतिया तक बढ़ाने के लिए अगर शासन से एनडीबी को प्रस्ताव चला जाएगा या किसी भी योजना में चला जाएगा तो हम आपको बहुत धन्यवाद देंगे. केन्द्र से भी पैसा मिल सकता है. इसका आप चौड़ीकरण और मजबूतीकरण कराएं.
सभापति महोदय, इंदरगढ़ कस्बे में इसी राजमार्ग पर बाईपास बहुत आवश्यक है. यह दो काम करवा दें. दो काम मैं और बताना चाहता हूँ. दतिया में मुख्य जिला मार्ग इंदरगढ़ से कामद रोड है. यह लगभग 30 किलोमीटर है इसके 22 किलोमीटर के नवीनीकरण का काम स्वीकृत हुआ है. प्रथम 8 किलोमीटर छोड़ दिया गया है उसका भी किसी मद से नवीनीकरण करा दिया जाए, पुनर्निर्माण करा दिया जाए. अंत में मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि ग्वालियर-चंबल संभाग को केवल दो रोड मिली हैं, दतिया को कोई रोड नहीं मिला है. मुझे बुंदेलखण्ड के आधार पर एक रोड दे दीजिए. एक भारौली-थैली-जुझारपुर-बनौली मार्ग है, यह केवल 7 किलोमीटर का ग्रामीण मार्ग है, इसे स्वीकृत कर देंगे तो मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद दूंगा. इंदरगढ़ नगर में दो तीन सड़कें हैं इंदरगढ़ से ग्वालियर की ओर, इंदरगढ़ से भाण्डेर की ओर और इंदरगढ़ से कामद की ओर यह शहरी क्षेत्र में आ गए हैं. लोक निर्माण विभाग की सिंगल रोड है. शहरी क्षेत्र में 1-1, 2-2 किलोमीटर इनका चौड़ीकरण करा दिया जाए और बाजार के पोर्शन में डिवाइडरयुक्त चौड़ी रोड बना दी जाए. यह मेरी मांगे हैं, मैं समझता आप निश्चित रुप से कृपा करेंगे. सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया,बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह (पथरिया)-- सभापति महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र पथरिया में पूर्व की सरकार द्वारा कृषि उपज मंडी के विकास निधि से लगभग 30 सड़कों का निर्माण कराया गया था किंतु रखरखाव का विशेष प्रबंधन या बजट न होने के कारण यह मार्ग जर्जर हो गया है. क्या सरकार अथवा लोक निर्माण विभाग इन सड़कों को पुन: निर्माण अथवा उन्नयन वर्तमान बजट में मेरे विधान सभा क्षेत्र में विकास कार्य हेतु लोक निमार्ण विभाग के कोई विशेष प्रस्ताव दिखाई नहीं दे रहे हैं अत: मेरी अपेक्षा है कि विभाग द्वारा इस ओेर विशेष ध्यान दिया जावे.
सभापति महोदय-- आपने पहले जो रोड बताईं हैं उनके बारे में भी आप माननीय मंत्री जी को बता दीजिए. जिसका काम रुका है वह उसे भी जोड़ लेंगे.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- सभापति महोदय, मेरा आपसे निवेदन है और मैं आप ही से बोल सकती हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में वैसे तो चार रोड हैं लेकिन एक रोड इतनी जरूरी है कि जहां महिलाएं यदि बीमार हो जाएं तो उन्हें खटिया पर ले जाया जाता है और बीच में घटना हो जाती है. यह भरोटा तालगांव की रोड है. सभापति महोदय, इन चार रोडों का टेंडर भी लग चुका था लेकिन किसी द्वेष भावना के कारण इस रोड को अब रोक दिया गया है. जब मैंने भोपाल के अधिकारियों से पूछा तो उन्होंने बोला कि राजनीति के द्वारा किसी नेता ने उन्हें मना किया है कि यह रोड अभी न बनाए जाएं तो मेरा निवेदन है कि अभी जैसे हमारे एक सदस्य महोदय, पूरी रामायण बांच रहे थे कि हमारे बुंदेलखण्ड के शेर हैं, कोई भेदभाव नहीं करते हैं. बहुत अच्छी बात है यदि भेदभाव नहीं करते हैं तो यह क्या है?
सभापति महोदय, मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि शेर हैं, अच्छे हैं और भी बड़े शेर बन जाएं और मेरा जो भी व्यक्तिगत नुकसान करना हो बिलकुल कर सकते हैं लेकिन जनता का नुकसान न करें यही मेरा निवेदन है.
सभापति महोदय-- माननीय मंत्री जी बड़े ही ह्दय दिल के हैं. वह मध्यप्रदेश में किसी का भी बुरा नहीं करेंगे.
श्रीमती रामबाई गोविन्द सिंह-- सभापति महोदय, यह आपको लगता है. यह तो उन लोगों से पूछो जिनके साथ करते हैं जैसे कि इनने बोला कि बुंदेलखण्ड के शेर हैं. शेरों की खाल किसी को भी पहनाने से शेर नहीं बन जाते हैं. वह जब तक सत्ता में हैं तब तक ही शेर हैं . सत्ता से बाहर होंगे तो पता चलेगा.
सभापति महोदय-- रामबाई जी आप अपनी बात रखें.
श्री सुरेश राजे-- सभापति महोदय, मेरा प्रश्न भी इसी से संबंधित है.
सभापति महोदय-- आपके दल की ओर से आपका नाम नहीं आया है. शैलेन्द्र जैन जी की बात आ जाए उसके बाद आप अपनी बात रख दीजिएगा.
श्री सुरेश राजे (डबरा)-- सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं और माननीय मंत्री जी का डबरा से बहुत लगाव है. मेरा निवेदन है कि डबरा में बहुत लंबे समय से अंडरब्रिज की मांग प्रस्तावित है. जब मेरे द्वारा जानकारी ली गई तो बताया गया कि उसमें राज्य शासन के पैसों का जो अंश लगना है उसके कारण वह अभी पूर्ण नहीं हो पा रहा है. एक तो मंत्री जी मेरा यह निवेदन स्वीकार करें तो अतिकृपा होगी दूसरा मेरा छोटे-छोटे विषय हैं. भितरवार मेन रोड से ही कंचनपुर पहुंच मार्ग, भितरवार मेन रोड से लोगड़ पहुंच मार्ग, भितरवार मेन रोड से जतरती पहुंच मार्ग, करियावती भितरवार मेन रोड से चकशीतलपुर पहुंच मार्ग और विजगपुर भेन्स्नारी से अजीतपुर पहुंच मार्ग. यह सभी के सभी मार्ग मंजूर हैं सिर्फ मंत्री जी की कृपा हो जाए तो यह काम शुरू हो जाए.
सभापति महोदय-- माननीय मंत्री जी आप इसे दिखवा लीजिएगा.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर)- माननीय सभापति महोदय, आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए अधोसंरचनाओं के विकास के लिए, उनका तीव्र गति से विकास हो, यह बहुत आवश्यक है, इन तमाम विषयों को हमारे मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में, हमारे वित्त मंत्री और हमारे विभागीय मंत्री ने इस बात का विशेष ध्यान रखा है. प्रदेश के विकास के मुख्य घटक- सड़क, बिजली, पानी. इन तीन मुख्य विषयों पर जिनमें अधोसंरचना के विकास की बड़ी आवश्यकता होती है, वित्तीय वर्ष 2020-21 में जहां पर इन अधोसंरचनाओं के निर्माण में 14 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, इस वित्तीय वर्ष 2021-22 में 44 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान अनुमानित है. यह, इस बात को दर्शाता है कि हमारी सरकार अधोसंरचना के मामले में कितनी सजग है.
माननीय सभापति महोदय, सड़के किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, जो स्थान मानव शरीर में रक्त कोशिकाओं का है, वहीं स्थान किसी भी प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सड़कों का है. सड़कों के महत्व को समझते हुए वर्ष 2020-21 में विषम परिस्थितियों के बावजूद भी, वित्तीय संकट के बावजूद भी, किसी भी काम पर वित्तीय संकट की छाया नहीं आने दी गई और लगभग 2500 नवीन सड़कों का निर्माण किया गया और 13 नवीन पुलों का निर्माण किया गया. वर्ष 2021-22 में 2800 किलोमीटर नवीन सड़कें बनाने और लगभग 2000 किलोमीटर सड़कों का नवीनीकरण करने का, हमारा लक्ष्य है. निश्चित रूप से इससे सड़कों का जाल बिछाने में हमें सहयोग प्राप्त होगा.
माननीय सभापति महोदय, केंद्र सरकार में, रेलवे विभाग ने यह निर्णय किया कि देश भर के जितने भी रेलवे फाटक हैं, उन्हें शनै:-शनै: बंद करके सारे रेलवे फाटकों के ऊपर से आर.ओ.बी. (रेल ओवरब्रिज) बनाये जायेंगे. इसी तारतम्य में इस बजट में माननीय मंत्री जी ने 105 ब्रिज़ लिये हैं, जहां 1 लाख ट्रेंड व्हीकल यूनिट से ज्यादा का हमारा ट्रैफिक है, ऐसे 105 ब्रिजों को इस वर्ष लिया गया है, निश्चित रूप से इससे आवागमन में सुगमता आयेगी, ट्रैफिक जाम से बचेंगें और ईंधन की भी बचत होगी.
माननीय सभापति महोदय, अभी चंबल का यहां जिक्र हो रहा था. चंबल एक्सप्रेस-वे, जिसे हमारी सरकार ने हमारे लाडले नेता, पूर्व प्रधानमंत्री, भारतरत्न श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी के नाम पर ''अटल प्रोग्रेस-वे'' रखा गया है. यह लगभग 300 किलोमीटर लंबा प्रोग्रेस-वे होगा. जिसके माध्यम से दोनों ओर औद्योगिक ईकाइयां आ सकती हैं, औद्योगिक गतिविधियां हो सकती हैं, व्यावसायिक गतिविधियां हो सकती हैं, इसके माध्यम से चंबल क्षेत्र का बहुत विकास होने की संभावना है. श्योपुर, मुरैना, भिण्ड इन तमाम शहरों से होकर, यह प्रोग्रेस-वे राजस्थान और उत्तरप्रदेश की सीमा तक जायेगा.
माननीय सभापति महोदय, एक विषय जो बहुत ही महत्वपूर्ण है, मध्यप्रदेश वह राज्य है, जहां लगभग 8800 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग आता है और इस वर्ष लगभग 4500 किलोमीटर नए राष्ट्रीय राजमार्ग को सैद्धांतिक रूप से, केंद्र सरकार से सहमति प्राप्त हो गई है. इनके रख-रखाव की जिम्मेदारी हमारे लोक निर्माण विभाग की है. लगभग 3800 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग की सड़कों का संधारण लोक निर्माण विभाग द्वारा किया जा रहा है. उसके बाद अन्य सड़कों के संधारण का कार्य एन.एच. और एन.एच.ए.आई. (National Highways Authority of India) द्वारा किया जा रहा है.
माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में लगभग साढ़े 22 हजार किलोमीटर सड़कें, हमारे जिलों की सड़कें हैं. जो मुख्य सड़कें हैं वह 22 हजार के ऊपर हैं, इनकी चौड़ाई अभी तक 3.75 मीटर होती थी, माननीय हमारे मंत्री महोदय ने इनके महत्व को समझते हुए उनकी चौड़ाई को 5.5 मीटर करने का निर्णय लिया है, निश्चित रूप से इससे आवागमन में सुविधा होगी. पूर्व हमारे लोक निर्माण विभाग मंत्री सज्जन सिंह जी ने बहुत अच्छी बात कही, उन्होंने विशेष रूप से सड़क के कारण होने वाले एक्सीडेंट हैं और सड़क की सुरक्षा, इस विषय को लेकर उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण बात कही है.
सभापति महोदय, मेरा भी यह मानना है जो सेफ्टी आडिट होते हैं सड़क के निर्माण के समय, उन सेफ्टी आडिट का विशेष रूप से ख्याल रखा जाना चाहिये और उनकी जो शर्तें हैं, उनकी जो रिकमन्डेंशन्स हैं उन रिकमन्डेंशन्स का निश्चित रूप से पालन होना चाहिये. यह जो माननीय सज्जन सिंह जी ने कहा कि जैसे ब्लैक होल हैं जहां पर एक्सीडेंटल जोन बन गये हैं, जहां पर यातायात बहुत है और एक्सीडेंट होने की संभावनाएं बहुत होती हैं, ऐेसे स्थानों का सरलीकरण करके उनको स्ट्रेट करके जो ब्लाइंड टर्न होते हैं उनको अगर..
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- शैलेन्द्र भाई धन्यवाद इसके लिये. यह बहुत गंभीर विषय है, इसके साथ एक बात और मंत्री जी से आग्रह कर लें कि जो नयी सड़कें यह मंजूर कर रहे हैं, उन सड़कों के आसपास हम पौधे लगाने का प्रावधान हम और कर लें तो मैं समझता हूं कि काफी ठीक हो जायेगा.
श्री शैलेन्द्र जैन:- सभापति महोदय, बिल्कुल यह बहुत गंभीर विषय है. बहुत अच्छा सुझाव है, सज्जन सिंह जी.
श्री रामेश्वर शर्मा:- सभापति महोदय, इसमें एक परेशानी आती है, हम पौधे भले ही लगा दें लेकिन जब बाद में सड़क विस्तार होता है तो सड़क विस्तार में जब बाद में पेड़ कटता है तो उसकी कीमत पर्यावरण विभाग मांगता है. इसलिये जो सड़क आगामी 50 साल के लिये विस्तार की जानी हैं वहां पर न तो एमपीईबी का खम्बा गड़ना चाहिये, क्योंकि एमपीईबी का खम्बा गड़ता है तो वह भी हमसे उसका सर्विस चार्ज अलग से लेते हैं. आखिर सरकार के पास बजट के प्रावधान कम होते हैं तो जो रोड बनता है वे 50 साल की गारंटी और 50 साल की योजना से रोड बनता है इसलिये उसकी सुरक्षा और सेफ्टी और जमीन को सुरक्षित रखने की जवाबदारी होना चाहिये.
श्री सज्जन सिंह वर्मा:- सभापति महोदय, बिल्कुल इसमें विभागों का सामंजस्य मीटिंग के माध्यम से हो जाये तो बड़ा अच्छा है. एक बच्ची है 12 साल की ग्रेटा थनबर्ग, उसने अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप को कहा था कि '' How you dare'' तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे देश के पर्यावरण को बिगाड़ने की. तो पर्यावरण भी सुरक्षित होगा और मैं समझता हूं कि ठीक रहेगा.
श्री उमाकांत शर्मा:- सभी सड़कों के पुराने पेड़ कट चुके हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन:- सभापति महोदय, रोड एसेट मैनेजमेंट सिस्टम के तहत मध्यप्रदेश की जितनी भी सड़कें हैं, जितने भी हैं उन सड़कों के, उन पुलों से गुजरने वाले वाहनों की संख्या, उनका निर्माण कब हुआ था, उनका रिनोवेशन कब होना चाहिये, इन तमाम विषयों को लेकर एक डाटा बेस तैयार किया गया है. अब हमें सड़कों के रख-रखाव के लिये, उनके संधारण के लिये, उनके मेंटेनेंस के लिये, उनके नवीनीकरण के लिये, उनकी मजबूतीकरण के लिये हमारे पास डाटा उपलब्ध रहता है. इससे निश्चित रूप से सड़कों के मेंटेनेंस इत्यादि के लिये एक बहुत अच्छा मैकेनिज्म माननीय मंत्री महोदय के प्रयासों से तैयार हो पाया है. सभापति महोदय, आमतौर पर यह शिकायत आती है कि बिटुमिन की क्वालिटी ठीक नहीं है, डामर की क्वालिटी ठीक नहीं है, इस विषय को मंत्री जी ने और हमारी सरकार ने गंभीरता से लिया है और बिटुमिन किस क्वालिटी का होना चाहिये और उसमें कोई मिलावट तो नहीं है, इन विषयों को लेकर 12 परीक्षण से गुजरने के बाद उस बिटुमिन को उपयोग करने की अनुमति दी जाती है, यह निश्चित रूप बहुत अच्छा चैक है.
सभापति महोदय, अब मैं अपने क्षेत्र की बात कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा. मैं लोक निर्माण विभाग के यशस्वी मत्री माननीय भार्गव जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने एक हमारी बहुप्रतीक्षित मांग एक सड़क बनाने की थी जो संजय ड्राइव से लेकर होकर कनैरादेव होते हुए मसानझिरी तक जाती है, उसकी लंबार लगभग 1.4 किलोमीटर थी वह 1 करोड़ 27 लाख रूपये सड़क स्वीकृत की है. उनका धन्यवाद करता हूं. सागर शहर में दो रेल्वे ओवर ब्रिज भी स्वीकृत किये हैं उसके लिये उनका धन्यवाद करता हूं. सागर में एक भी बायपास न होने के कारण सागर के अंदर जो भी बाहर का यातायात है. वह पूरा का पूरा शहर से होकर के जाता है. सागर में इस तरह के बायपास बनाने की नितांत आवश्यकता है. छोटे-छोटे शहरों में बायपास बन गये हैं, लेकिन हमारा संभागीय मुख्यालय होने के बावजूद भी बायपास नहीं है. मैं समझता हूं माननीय मंत्री जी इस ओर ध्यान देंगे. सागर में बायपास बनायेंगे. अभी फिलहाल के लिये 8-10 वर्ष पहले एक छोटा सा बायपास धर्मश्री से लेकर भोपाल रोड़ तक एक बायपास बनाया गया था उसमें एक किलोमीटर लंबी सड़क बन चुकी है लेकिन अतिक्रमण की वजह से वह सड़क आगे नहीं बढ़ पायी. मेरा आग्रह है कि उसका फिर से निरीक्षण कर लिया जाये उस सड़क को भोपाल रोड़ तक जोड़ दिया जाये. ताकि हमारे यहां पर एक छोटे से बायपास की आवश्यकता है, वह पूर्ण हो सके. मैंने जब बात रखी तो मंत्री जी नहीं थे. सागर में एक छोटा सा बायपास मिल जाये तो बहुत अच्छी बात है. धन्यवाद.
सभापति महोदय--आप अपनी बात लिखित में उनको दे दें.
श्री प्रियव्रत सिंह--सभापति महोदय, मांग संख्या 24, 53, 56 उसका विरोध करता हूं. कुछ सुझाव मंत्री जी के समक्ष रखना चाहता हूं. सुझाव रखूं इसके पूर्व एक बात जरूर ध्यान में लाऊंगा. हमारे सिवनी मालवा के सम्मानित सदस्य और उस पंक्ति में बैठे बहुत सारे सदस्यों ने छिन्दवाड़ा का उल्लेख किया. 15 महीने कांग्रेस की सरकार रही सब कुछ छिन्दवाडा़ चला गया. मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि एक तो छिन्दवाड़ा भी मध्यप्रदेश का हिस्सा है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--उसी के कारण तो सब कुछ छिन गया है.
श्री प्रियव्रत सिंह--सभापति महोदय, मुझे इसमें मंदसौर का नाम नहीं मिल रहा है.
आप देख लें. इस बजट को शायद पक्ष के साथियों ने ध्यान से नहीं पढ़ा इसमें 186 नम्बर की सड़क है आप बजट की किताब खोल लें. 186 नम्बर से लेकर 236 नम्बर तक सीहोर जिले की सड़कें हैं वह वर्तमान मुख्यमंत्री जी का जिला सीहोर है. 15 साल मुख्यमंत्री रहे मेरे हिसाब से सबसे ज्यादा कार्यकाल मध्यप्रदेश में इनका रहा उनको 15 साल बाद बजट में 50 सड़कों की आवश्यकता पड़ रही है. तो आपको आत्म चिन्तन करने की आवश्यकता है, हमको नहीं.
श्री रघुनाथ मालवीय--2003 में तो कोई भी काम नहीं था. तब तो एक भी सड़क नहीं थी.
श्री प्रियव्रत सिंह--सभापति महोदय, 2003 के पहले तो आप भी नहीं थे. आप अपना समय ले लेना. 2003 के पहले क्या था क्या नहीं था ? इस मध्यप्रदेश के रिकार्ड में मौजूद है. जो ए.डी.बी.योजना के अंतर्गत सातवें चरण की बात यह कर रहे हैं. इस ए.डी.बी.योजना का पहला चरण उस समय के मुख्यमंत्री आदरणीय दिग्विजय सिंह जी मध्यप्रदेश में लेकर के आये थे. आज भी उसका आप सातवां चरण लागू करने जा रहे हैं. मध्यप्रदेश की जितनी सड़कें ए.डी.बी.योजना के माध्यम से बनी हैं उसका श्रेय उनको भी जाता है.
श्री उमाकांत शर्मा--मैं उनकी प्रशंसा करना चाहत हूं दिग्विजय सिंह जी के शासनकाल की जैसे कि आप कह रहे हैं उस समय तन डोले, मन डोले, सब कुछ डोले, ऐसी सड़कें थीं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा--तन डोले, मन डोले, दिग्विजय जी व्यापम खोले.
श्री प्रियव्रत सिंह - परम आदरणीय शर्मा जी, गुरूदेव आप तो वह हवाई जहाज के बम की तरह है, पता नहीं कब कहां गिरते हैं और कब कहां विस्फोट कर देते हैं.
श्री बापू सिंह तंवर - शर्मा जी, मिसाईल है.
श्री प्रियव्रत सिंह - यशपाल जी, मैं तो बचकर ही रहता हूं, पर अब आपको बचने की आवश्यकता है, क्योंकि उधर भी गाज कभी कभी गिरती है. मैं मुद्दे पर आता हूं. माननीय सभापति महोदय, राष्ट्रीय राजमार्ग की बात हो रही थी, राष्ट्रीय राजमार्ग के उन्नयन की बात हुई 4 हजार 500 किलोमीटर की सैद्धांतिक स्वीकृति की बात हुई, 8800 किलोमीटर सड़क बन गई है ऐसा मेरे काबिल साथी अभी थोड़ी देर पहले कह रहे थे. यह राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण की गति और क्वालिटी में ध्यान देने की आवश्यकता बहुत ज्यादा है, मैं इसको माननीय मंत्री जी के संज्ञान में लाऊंगा. कई बार यह जो निर्माण कार्य है ये इतने लेट हो जाते हैं और जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है, हमारे भोपाल से ब्यावरा तक सड़क. पिछले 11 साल से इसका काम चल रहा है और इस साल जाकर यह पूर्ण हुआ है. 11 साल तक एक राष्ट्रीय राजमार्ग का काम चले. हमारा शासन 15 महीने था, लेकिन 11 साल तक यहां से लेकर भोपाल से लेकर ब्यावरा तक की सड़क में हमें कभी नीचे जाना पड़ता था, कभी ऊपर जाना पड़ता था, कभी टू-लेन हो जाती थी, कहीं फोर-लेन और कहीं पर सीमेंट-कांक्रीट और डामर की सड़क हो जाती थी और इस प्रकार से जो परिस्थिति बनी, इससे कई दुर्घटनाएं भी घटीं. माननीय सभापति महोदय, मैं सिर्फ इतना निवेदन करूंगा कि इसमें आप समय सीमा का भी ध्यान रखें.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल(उदयपुरा) - माननीय सभापति महोदय, चूकि राष्ट्रीय राजमार्ग की बात हो रही, एक मिनट लूंगा एनएच-12 भोपाल से जबलपुर.
सभापति महोदय - पहले माननीय सदस्य की बात हो जाने दे.
श्री प्रियव्रत सिंह - एनएच-12 की वही स्थिति उधर भी है, मैंने भोपाल से ब्यावरा की बात की और भोपाल से राजमार्ग की तरफ चले जाए तब भी वही परिस्थिति बनी है. सभापति महोदय, मेरा अनुरोध है कि राष्ट्रीय राजमार्ग के बारे में पॉलिसी तय हो और समय सीमा का खास ख्याल रखा जाए तभी हम जो तथाकथित सुविधाएं हैं जो हम यहां पर कमिट कर रहे हैं, सदन में मध्यप्रदेश की जनता को हम जो सपने दिखा रहे हैं वह हम पूरे कर पाएंगे. कई जगहों पर बायपास नहीं है.
लोक निर्माण मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) - प्रियव्रत जी, जरा तारीफ भी कर दें. हाईवे जो था ब्यावरा से लेकर गुना होते हुए वह समय सीमा में कितनी अच्छी क्वालिटी का बना. आपके समय सड़क एक एक सप्ताह जाम रहता था, उसके बारे में आप चर्चा नहीं कर रहे.
श्री प्रियव्रत सिंह - मैं धन्यवाद देता हूं प्रदेश की सरकार को कि बहुत अच्छा काम उसमें आपने करवाया पर उतना ही धन्यवाद देता हूं, केन्द्र की यू.पी.ए. सरकार को जिन्होंने उसके लिए संसाधन उपलब्ध करवाए.
श्री गोपाल भार्गव - वह तो गडकरी जी ने बनवाया.
श्री प्रियव्रत सिंह - मान लेते हैं गडकरी जी ने बनवाया, पर इतने जो 15 सालों में जो सड़कें बनी 10 साल तक 2004 से लेकर 2014 तक जो सी.आर.एफ. में आपको रोड मिले, जो एडीपी परियोजनाएं आपकी सेंक्शन हुईं, जो राष्ट्रीय राजमार्ग आपने बनवाये, वह अभी जैन साहब बोल रहे थे 8800 किलोमीटर तो 8800 में 80 प्रतिशत हिस्सा 2004 से लेकर के 2014 की यू.पी.ए. सरकार का पैसा है.
श्री गोपाल भार्गव - जे.वी. (जयवर्द्धन सिंह) बेटा जरा दिल पर हाथ रखकर बताओ, सही क्या है.
श्री जयवर्द्धन सिंह - सभापति महोदय, प्रियव्रत सिंह जी बिल्कुल सही कह रहे हैं क्योंकि इस बात का मैं भी गवाह हूं कि जब सरकार यू.पी.ए. की थी, उसी समय देवास, गुना और ग्वालियर रोड स्वीकृत थी.
श्री लक्ष्मण सिंह - आप दोनों जरा सावधान रहना, पंडित जी लड़वा रहे हैं, लड़ना मत (...हंसी) चाल है पंडितों की.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - आप चिन्ता मत करो हम इनको धन्यवाद देंगे. (...हंसी)
श्री रामेश्वर शर्मा- ऐसी कोई चाल नहीं है, अगर ये भी चाचा है तो वह भी चाचा है, चाचा कभी नहीं लड़वाएंगे.
श्री उमाकांत शर्मा - आदरणीय लक्ष्मण सिंह जी तो पहले ही लड़ चुके हैं, भाई-भाई(...हंसी) लक्ष्मण सिंह जी 2003 में कौन सी पार्टी में ज्वाइन किए थे. (...हंसी)
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय सभापति जी, जयवर्द्धन सिंह जी ने जो कहा देवास से ग्वालियर तक की 4 हजार करोड़ की फोर-लेन सड़क जब माननीय कमल नाथ जी, दिल्ली में भूतल परिवहन मंत्री थे, तब मैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया जी और हम लोग लेकर आए थे. भूमि पूजन भी हम लोगों ने किया था. अब इनके खाते में लिखने की परम्परा खत्म कर दो, यह नकली खेल चलने वाला नहीं है.
श्री प्रियव्रत सिंह - भाई साहब, खाता इतना बड़ा है कि आपने सड़क भी अपने खाते में लिख ली और सिंधिया जी को भी अपने खाते में लिख लिया, अब तो दोनों ही आपके हो गये.
श्री महेन्द्र सिंह सिसौदिया - मैं आपको धन्यवाद दूँगा कि आपने सिंधिया जी का नाम तो लिया.
सभापति महोदय - प्रियव्रत सिंह जी, आप अपनी बात पूरी करें.
श्री प्रियव्रत सिंह - सभापति महोदय, मेरा अनुरोध है कि मेरे ही जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 752 है. जीरापुर और माचलपुर में बायपास नहीं है, आपने रोड बहुत अच्छा बना दिया और मुझे बड़ी खुशी है कि यह वार्षिक प्रतिवेदन है, उसके कवरिंग पर आपने सड़क का, जो फोटो छपवाया है, वह जीरापुर से खिलचीपुर मार्ग का छापा है परन्तु जीरापुर में बायपास नहीं है. बायपास का प्रस्ताव आपके प्रमुख अभियंता के पास पहुँच गया है. मुझे आशा है कि अभी आप उसको शामिल नहीं कर पाये, परन्तु आगामी समय में जीरापुर और माचलपुर दोनों के बायपास को आप अपनी कार्ययोजना में शामिल करेंगे, जिससे कि उस राष्ट्रीय राजमार्ग का लक्ष्य प्राप्त हो सके और दूसरा, मेरा सुझाव है कि जो 8 लेन हाइवे दिल्ली से मुम्बई के लिये निर्माण हो रहा है, उसमें मध्यप्रदेश को बहुत ज्यादा हिस्सा नहीं मिल पाया, उसमें ज्यादातर काम राजस्थान में हुआ है, पर यह जो राष्ट्रीय राजमार्ग 752 है, यह उसके इर्द-गिर्द से निकलता है. अगर माचलपुर से श्यामगढ़ तक आप इसको कनेक्टिविटी प्रदान करेंगे, जिसमें कुछ हिस्सा राजस्थान का भी आयेगा, उसमें राजस्थान सरकार प्रयास करेगी, पर जो मध्यप्रदेश का हिस्सा है, अगर आप श्यामगढ़ तक इसको जोड़ेंगे तो एक कॉरीडोर, इंडस्ट्रियल यूज के लिये, बिजनेस के यूज के लिये और भोपाल से हमें सीधे 8 लेन हाइवे को जोड़ने का मौका मिलेगा.
माननीय सभापति महोदय, दूसरा मामला पीडब्ल्यूडी की सड़कों का आता है. मैं धन्यवाद देता हूँ, माननीय मंत्री जी को कि आपने हमारे खिलचीपुर टाऊन पोर्शन को इस बार इस बजट में सैंक्शन किया है, परन्तु जो रोड हमारे पिछली बार सैंक्शन हुए हैं, माननीय सज्जन भाई के समय में सैंक्शन हुए थे, उनके टेण्डर हो गए हैं, काम भी चल रहे हैं, पर काम अभी रुके हुए हैं क्योंकि ठेकेदारों को पेमेन्ट नहीं हो रहा है, किसी ठेकेदार ने 5 करोड़ रुपये का काम कर दिया है, किसी ठेकेदार ने 6 करोड़ रुपये का काम कर दिया तो किसी ठेकेदार ने 7 करोड़ रुपये का काम कर दिया है, वह बिल लगाये घूम रहा है. कभी ईएनसी के दफ्तर के चक्कर काटता है, तो कभी राजधानी परियोजना के चक्कर काटता है.
श्री गोपाल भार्गव - प्रियव्रत जी, इसी के लिये यह बजट पास करवा रहे हैं, आप समर्थन कर दें. आप कटौती प्रस्ताव वापस ले लें.
श्री प्रियव्रत सिंह - माननीय सभापति महोदय, गोपाल जी, कहीं न कहीं यह कह रहे हैं, अगर आप मेरे सारे सुझाव मान लेंगे और अभी मैं अपना 2 या 3 मिनट का उद्बोधन दूँगा और अगर आप सारे सुझावों को मान लेंगे और उनको बजट में स्वीकृत कर लेंगे तो मैं कटौती प्रस्ताव वापस ले लूँगा.
श्री शैलेन्द्र जैन - सभापति महोदय, आप सबके सुझाव अगर मान लिये जायें तो देश का बजट कम पड़ जायेगा.
सभापति महोदय - प्रियव्रत जी, आप अपनी बात पूरी करें.
श्री प्रियव्रत सिंह - जैन साहब, आप गिनती बंद करें, मुझे बोलने दें. माननीय सभापति महोदय, हमारे गोरियाखेड़ा से सेमली मार्ग, जीरापुर से भोजपुर का मार्ग, हमारे दो-तीन छोटे मार्ग है, टपरियाहेड़ी का मार्ग, खारपा से खारखेड़ा का मार्ग, टपरियाहेड़ी से खारखेड़ा का मार्ग, सारे मार्ग के काम राजगढ़ जिले में रुके हुए हैं और इसके अलावा पिपलोदी, सुवांसड़ा, किला अमरगढ़, कालीपीठ, ये भी मार्ग बहुत बुरी एवं जर्जर अवस्था में हैं, जो पिछली बार सैंक्शन हुए थे, उनका काम जल्द से जल्द प्रारंभ हो जाये. उसमें बात यह नहीं है कि मैंने कटौती प्रस्ताव लगाया है और मैं बजट भाषण पर बोल रहा हूँ या आप बजट प्रस्तुत रहे हैं या आप उसका समर्थन कर रहे हैं और मैं विरोध कर रहा हूँ, पर अन्ततोगत्वा जिन लोगों के लिये हम कार्य कर रहे हैं, उनको इसका लाभ मिले. यह आप सुनिश्चित करें.
माननीय मंत्री जी, मैं अनुरोध करूँगा कि यह सीआरएफ का मामला है. इसमें सन् 2019 में खिलचीपुर, माचलपुर, राजस्थान सीमा मार्ग स्वीकृत हुआ था. उसमें पोल शिफ्टिंग का बजट पिछले बजट में 5 करोड़ रुपये मिला, यह पूरा 70 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है, इसमें 65 करोड़ रुपये केन्द्र सरकार से सीआरएफ में मिला है. 5 करोड़ रुपये पोल शिफ्टिंग और वहां पर जो कुछ भू-अर्जन होना है, उसके लिये राज्य सरकार ने पिछले बजट में दे दिया है, परन्तु कार्य अभी तक प्रारंभ नहीं हो पाया है. इसमें हम कभी सुनते हैं कि टेक्निकल बिड खुल रही है, कभी फाइनेंसियल बिड खुल रही है, बहुत डिले हो गया है. सन् 2019 में जिस मार्ग की प्रशासकीय स्वीकृति हो गई, वह अगर 2021 तक प्रारंभ नहीं हो पाया है तो माननीय सभापति महोदय, यह विचार करने योग्य बात है. इस पर आपको जरूर ध्यान देना चाहिए. मैंने एबीडी 7 में अभी आपने मुझे आश्वासन भी दिया. माननीय सभापति महोदय, मैं आपका धन्यवाद भी देता हूं पर एक रोड की फिजिबिलिटी रिपोर्ट और कंसलटेंट की रिपोर्ट आने में तीन वर्ष लग जाना, दो वर्ष लग जाना, यह तो विचार होना चाहिए कि क्या हम तीन-तीन वर्ष तक फिजिबिलिटी रिपोर्ट के लिये इंतजार करते रहेंगे ? क्या हम कंसलटेंट की रिपोर्ट के लिये दो-दो साल तक इंतजार करते रहेंगे ? कंसलटेंट आपके हैं, आपके अधीनस्थ हैं, कैसे काम नहीं करेंगे ? अगर आपकी ई.एन.सी. उनकी मानिटरिंग करें, आपके प्रमुख सचिव उनकी मानिटरिंग करें, सचिव डायरेक्टर उनकी मानिटरिंग करें , पर यह मानिटरिंग की कमी के कारण मध्यप्रदेश की जनता को इन सब चीजों का लाभ नहीं मिल पा रहा है और छापेड़ा, नलखेड़ा मार्ग का तो आपने आश्वासन दे दिया पर मैं नहीं सोचता हूं कि जल संसाधन विभाग पुलिया को बनाने की स्थिति में है. जब मैं अलग से जल संसाधन विभाग पर बोलूंगा, तब भी मैं इस संबंध में बात करूंगा पर न तो उनके पास एक्सपर्टीज है और न ही उनकी इच्छाशक्ति है कि वह उस पुलिया को बनायें. आप भी उज्जैन संभाग से आते हैं, नलखेड़ा माता मंदिर का मार्ग हमारे लिये कितना आवश्यक है, इसके लिये कुंडालिया बांध पर पुलिया होना अत्यंत आवश्यक है, इसका भी आप आगे आने वाले समय में संज्ञान रखेंगे, यह मेरा पूरा-पूरा विश्वास है.
माननीय सभापति महोदय, ब्यावरा तक फोर लेन हाईवे है. ब्यावरा से राजस्थान सीमा तक आपका टू-लेन का रोड है. वह रोड आपने डि-नोटिफाइड करा लिया, वह वर्ष 2011 में डि-नोटिफाइड हो गया और डि-नोटिफाइड होकर उसका संधारण एन.एच.ए.आई. से पीडब्ल्यू विभाग के पास आ गया और वह टू-लेन का रोड बना हुआ है. आप उसको फोर लेन करें, उस मार्ग पर जिला हेडक्वार्टर राजगढ़ में भी आता, खिलचीपुर भी आता है, सेमलीकला भी आता है. उधर राजस्थान की सरकार ने कोटा से लेकर कालीसिंध नदी की पुलिया के बाद इकलहरा तक उसको फोर लेन सेंग्शन कर दिया है और उसका कार्य चल रहा है, इस प्रकार से राजस्थान सरकार हमारी सीमा तक फोर लेन बना रही है तो हम कम से कम ब्यावरा से राजस्थान की सीमा तक फोर लेन बनायेंगे तो उससे पूरे क्षेत्र के लोगों को व्यावसायिक लाभ होगा.
माननीय सभापति महोदय, एक और मैं अनुरोध करना चाहूंगा यह उज्जैन, आगर, श्वेतकला मार्ग जो है, यह हमारे इंदौर से खिलचीपुर, जीरापुर, राजगढ़ आने वाले लोगों के लिये भी बहुत आवश्यक है और आपका भी माननीय सभापति महोदय, मैं मानता हूं 80 प्रतिशत विधानसभा क्षेत्र उज्जैन, आगर श्वेतकला मार्ग पर आता है. इसका फोर लेन का प्रस्ताव बहुत दिनों से रूका हुआ है, इसका फोर लेन का प्रस्ताव अगर आप तैयार करेंगे क्योंकि यह इंदौर से मुख्य रूप से जयपुर का जो हाईवे है या राजस्थान में किसी भी प्वाइंट को कनेक्ट करने का जो हाईवे है, वह उज्जैन, आगर, सुसनेर श्वेतकला मार्ग के माध्यम से ही जाता है.
सभापति महोदय -- माननीय मंत्री जी इस पर जरूर आप ध्यान दें, उज्जैन कोटा मार्ग दो प्रदेशों को जोड़ता है. अब माननीय सदस्य आप कृपया समाप्त करें.
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय सभापति महोदय, मैं दो मिनट में समाप्त कर दूंगा. मैं एक ओर अनुरोध करना चाहता हूं. यह जो पी.आई.यू. का मामला है और यह जो आपने पी.आई.यू. का गठन किया. आपकी भवन निर्माण की एजेंसी मुख्य रूप से पी.आई.यू. हो गई है, पर भवन निर्माण के कार्यों में समय सीमा का कोई भान नहीं रहता है. कई दूसरों विभागों का भी कंस्ट्रक्शन का कार्य आपका पी.आई.यू. करता है. अब अस्पताल का काम होगा तो एजेंसी पी.आई.यू. होगी, अगर औषधालय का कार्य होगा तो एजेंसी पी.आई.यू. होगी, कई जगह कॉलेज का कार्य होगा तो एजेंसी पी.आई.यू. होगी, संस्कृति विभाग का कार्य, पर्यटन विभाग का कार्य होगा तो एजेंसी पी.आई.यू. होगी, पर ये क्योंकि आपके विभागीय कार्य नहीं होते हैं और दूसरे विभागों से तालमेल करने में आपके ये पी.आई.यू.कमजोर पड़ते हैं, जिससे कई बार सफर करना पड़ता है.
माननीय सभापति महोदय, हमारे छ: करोड़ रूपये, पांच करोड़ रूपये, का जीरापुर का अस्पताल स्वीकृत हो गया है, अभी तक उसका टेंडर नहीं हो पाया है, उसके लिये जमीन हमने एलॉट करा दी थी. आने वाले समय में और भी जो भवन स्वीकृत होते हैं, वह टेंडर समय पर हो जाये और उनके कार्य समय पर प्रगति करें ताकि कार्य पूर्ण हो सकें. यह मैं आपसे अनुरोध करना चाहूंगा.
माननीय सभापति महोदय,एक और मेरा अनुरोध रहेगा कि जो आप मार्ग स्वीकृत कर देते हैं, इस पर मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान चाहूंगा. मार्ग तो स्वीकृत हो जाते हैं परंतु कई बार आपके जो सब इंजीनियर, एस.डी.ओ., एक्जीक्यूटिव इंजीनियर लेवल पर जब आपका प्लान तैयार होता है तो इसमें पुलिया छोड़ देते हैं. नदी की पुलिया हो, नाले की पुलिया हो, जब तक पुलिया का निर्माण नहीं होगा, तब तक वह मार्ग अनुपयोगी हो जाता है. चार महीने के लिये छ: महीने के लिये खासकर मालवा में, बुंदेलखण्ड में ऐसा होता है. आप जानते हैं नदी नाले उफान पर आते हैं और मार्ग बंद हो जाते हैं, जितने भी नालों की पुलिया हैं, उसके लिये आप एक नियम बना दें कि जब भी रोड का प्लान यहां पर आयेगा रोड की जो पूरी डी.पी.आर. तैयार होगी, उसमें संबंधित जितने भी नाले या पुलिया हैं जो उफान पर आते हैं और मार्ग को प्रभावित करते हैं, उन नालों और पुलियाओं को डी.पी.आर. के साथ ली जायें. अभी मेरे यहां जीरापुर, भोजपुर का मार्ग बन रहा है, जीरापुर भोजपुर मार्ग में गागोड़नी में नदी की पुलिया है और नदी की पुलिया ग्रामीण विकास विभाग से आरईएस ने बनाई थी, एक छोटी सी पुलिया बनी उसके ऊपर अभी पीडब्ल्यूडी विभाग ने कांक्रीट कर दिया, अब पुलिया नहीं बनाई, सारे ग्रामीण हमें घेरकर खड़े हो गये कहने लगे कि आपका रोड मंजूर हो गया, पर पुलिया जब तक मंजूर नहीं होगी तो हम 6-7 महीने इस रोड का उपयोग नहीं कर पायेंगे, जब नदी उफान पर रहेगी. माननीय सभापति महोदय, उसका भी उल्लेख किया जाये. एक जिला प्लान गठित किया जाये, कई जगह रोड लिंक के छूट गये हैं, प्रधानमंत्री सड़क योजना से कई जगह मिसिंग लिंक में, आजकल मिसिंग लिंक में पैसा नहीं मिल रहा प्रधानमंत्री सड़क योजना में जो कार्य योजना जाती है बस उसी कार्य योजना पर चर्चा होती है, उसी कार्ययोजना के टेण्डर होते हैं, अगर आपका जिले का प्लान होगा तो छोटे-छोटे मार्ग जो प्रधानमंत्री सड़क योजना की बड़ी मार्गों को लिंक करने में छूट जाते हैं वह मार्ग भी आप इसमें सम्मिलित कर पायेंगे. हमारे यहां ऐसा ही एक लसूडि़या आमलावे मार्ग है, आमलावे इकॉनामिकली इंटर स्टेट रोड से जुड़ा हुआ है, उससे 3 किलोमीटर आगे लसूडि़या गांव है जो प्रधानमंत्री सड़क योजना से नेशनल हाइवे से जुड़ा हुआ है और लसूडि़या से आमलावे मार्ग नहीं होने के कारण वह छूट रहा है. ऐसे ही हमारे यहां एक गांव लसूडि़या खैराज है जो छापीहेड़ा हमारे यहां बड़ा कस्बा है वहां से जुड़ना चाहिये था, परंतु उसकी तहसील जीरापुर है और छापीहेड़ा की तहसील खिलचीपुर है तो प्रधानमंत्री सड़क योजना में उसको नहीं जोड़ा, पर आपने भी उसको नहीं जोड़ा, अगर आप ऐसे जिलेवार प्लान करेंगे तो छापीहेड़ा आने जाने वालों को, क्योंकि 3 किलोमीटर पर छापीहेड़ा है उसे जीरापुर तहसील से जोड़ा है जो वहां से 12 किलोमीटर दूर है. ऐसे जिले प्लान आप करें उसमें प्रधानमंत्री सड़क वालों को भी बिठा लें, आप एक्जीक्यूटिव इंजीनियर को भी निर्देश दे दें, जिला कलेक्टर को निर्देश दे दें कि ऐसे जो मिसिंग लिंक के रोड हैं, यह छोटे-छोटे रोड हैं, कोई 4 किलोमीटर का, कोई 2 किलोमीटर का, यह भी आगामी समय में सम्मिलित हो जायेंगे. मेरा माननीय सभापति महोदय आपको भी धन्यवाद और मंत्री जी को भी धन्यवाद देता हूं कि आपने हमारे क्षेत्र की सुध ली और आगे भी सुध लेते रहेंगे, ऐसा पूरा-पूरा विश्वास रखता हूं, परंतु जो मेरे सुझाव हैं अगर आप इनको इनकोपरेट कर लेंगे तो बहुत मेहरबानी होगी, बहुत-बहुत धन्यवाद, जयहिन्द.
सभापति महोदय-- आज कई महत्वपूर्ण विभागों की मांगों पर चर्चा होनी है, माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया संक्षेप में अपने क्षेत्र की समस्या रखने का कष्ट करें जिससे अधिक से अधिक सदस्यों को चर्चा में भाग लेने का अवसर मिल सके.
श्री देवेन्द्र पटेल-- माननीय सभापति महोदय, बहुत महत्वपूर्ण बात है एनएच-12 की ...(व्यवधान)...
श्री कांतिलाल भूरिया-- सभापति जी, ...(व्यवधान)...पुल पुलिया की हालत इतनी जर्जर हो रही है, रिपेयर के लिये आपने कोई प्रावधान नहीं रखे. जब यूपीए सरकार थी हमने करोड़ों रूपये लाकर दिये उस समय कमलनाथ जी मंत्री थे. ...(व्यवधान)... वहां पर बड़े-बड़े गड्डे हो रहे हैं, वहां पर एक्सीडेंट हो रहा है. आप धार इंदौर रोड देख लीजिये, वहां पर दत्तीगांव से लेकर माचलिया तक 7-8 पुलिया हैं और सभी सिंगल हैं, एक गाड़ी जा पाती है और माचलिया में सिंगल ही रोड है, बाकी फोरलेन बन गया है इंदौर से आपके राजगढ़ तक और वहां से झाबुआ तक और आगे ...(व्यवधान)... माचलिया घाट पर कई लोग मर गये. मेरा आपसे अनुरोध है कि यह 16 किलोमीटर है, 16 किलोमीटर का जो फोरलेन बना है उससे आप जोड़ दें वह गुजरात प्रांत से जुड़ा हुआ स्टेट हाइवे है, मैं आपके नॉलेज में भी लाया था ...(व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव-- यह मोहनखेड़ा के आगे पड़ता है वही है ...(व्यवधान)...
श्री दिलीप सिंह परिहार(नीमच) - माननीय सभापति महोदय, मैं 2021-22 की अनुदान मांग संख्या 24,53,56 के समर्थन में और कटौती प्रस्तावों के विरोध में अपनी बात बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं.
(..व्यवधान..)
सभापति महोदय - सभी लोग एक साथ बोलेंगे तो किसी की बात ही नहीं आ पायेगी. इसीलिये मेरा अनुरोध है जिसका नाम मैं पुकार रहा हूं वही बोलें.
श्री दिलीप सिंह परिहार - सड़कें विकास को गति देती हैं और उस गति की वजह से ही मध्यप्रदेश स्वर्णिम और आत्म निर्भर मध्यप्रदेश बनेगा. सब जानते हैं कि जो लोग अभी बातें कर रहे हैं, इनके समय की सड़कों की हालत ये देख लें तो समझ ही नहीं आता था कि सड़क में गढ्ढा था कि गढ्ढे में सड़क थी. अब अंतिम छोर पर रहने वाले जो नीमच और जावद से जब हम आते थे तो उस समय हमको 15 घंटे भोपाल आने में लगते थे. आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पीडब्लूडी मंत्री भार्गव जी ने जो काम किया है वह अद्भुत काम है. मैं आज साढ़े पांच घंटे में नीमच से भोपाल आता हूं और यह अभिनंदनीय कार्य है. इसकी जितनी तारीफ करो कम है. आज सड़कों का जाल मध्यप्रदेश में फैला हुआ है और सड़कें जैसे शरीर में रक्त दौड़ता है वैसे प्रदेश के विकास में सड़कें बहुत बड़ा योगदान देती हैं और उन सड़कों की वजह से ही आज मध्यप्रदेश आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनने जा रहा है. मैं आज इस अवसर पर केवल धन्यवाद देने के लिये खड़ा हुआ हूं कि अभी जो बजट आया था और गत वर्ष जब कमलनाथ जी मुख्यमंत्री थे. उस समय जो बजट आया था. उज्जैन संभाग के लोग, नीमच जिले के लोग दूरबीन लगाकर देख रहे थे हमें एक सड़क नहीं दी गयी थी. सड़क का तो ठीक है कोई पुल,पुलिया भी नहीं दी गयी थी.
सभापति महोदय - माननीय देवेन्द्र पटेल जी, आपका नाम सूची में है. आपका जब नाम आये तब बोलना.
श्री दिलीप सिंह परिहार - आज हम देखते हैं कि हमारे नीमच जिले में करोड़ों रुपये की सौगात मान्यवर भार्गव साहब ने दी है मैं उनका हृदय से आभार प्रकट करता हूं. धन्यवाद देता हूं. हमारे बगाना में लगभग 25 हजार की आबादी है. रेलवे का ब्रिज जाम होता था. लोग परेशान रहते थे और हम बहुत लंबे समय से मांग कर रहा था तो आपने वहां 36 करोड़ रुपये का ओवरब्रिज दिया है उसके लिये और हमारे राजस्थान सीमा में जाने वाले हैलीपेड हैं हमारे नीमच के हिंगोलिया में, वहां भी आपने एक33 करोड़ का ओवर ब्रिज दिया है इसके लिये मंत्री जी को धन्यवाद. जब विजयवर्गीय जी मंत्री थे तो उस समय नीमच जिला स्थान बना और जिला स्थान बनने के बाद उन्होंने एक फोर लेन हमारी निकाली थी जो नगर से बाहर होते हुए जाती थी मगर एक संत ने मुझसे कहा था कि यदि नीमच गोले में आ जायेगा तो नीमच एक विकसित जिला होगा. जब जयपुर और इन्दौर के बाद यदि कोई विकसित होगा तो वह नीमच होगा तो आपने जो रेलवे है यहां हिंगोलिया से जो ट्रेन जयसिंहपुरा होते हुए छोटी धाधड़ी तक आपने एक बायपास 8 कि.मी. का दिया है उसके लिये धन्यवाद. नीमच की जनता बहुत खुश है. अभी हम वहां गये. लोगों ने हमारा स्वागत किया तो हमने कहा कि यह स्वागत हमारा नहीं भार्गव जी का है. मान्यवर मुख्यमंत्री जी
2.44 बजे { सभापति महोदय ( श्री लक्ष्मण सिंह ) पीठासीन हुए.}
का है. जब-जब भी आपकी दृष्टि नीमच जिले पर पड़ी, मनासा,जावद में पड़ी तो वहां की जनता की ओर से भी आपको धन्यवाद देता हूं. लगातार हम देखते हैं कि आपने नीमच सहित पूरे मध्यप्रदेश में फैलाया है और उन सड़कों के जाल की वजह से 2021-22 में सरकार द्वारा ग्रामीण सड़कों के निर्माण के क्षेत्र में 460 नवीन सड़कें जिसकी लागत 2441.88 करोड़ की है उनके लिये 65 नवीन पुल कार्य दिये हैं उन पुल कार्यों की वजह से आज मध्यप्रदेश में लोगों में इच्छा शक्ति जागृत हुई है. 105 रेलवे के ओवर ब्रिज दिये है. जगह-जगह एक्सीडेंट होते थे. दुर्घटनाएं हो जाती थीं. लोग अपनी जान खो देते थे.मां इंतजार करती थी बच्चे का और एक्सीडेंट में बच्चा चला जाये तो उसके घर का क्या हाल होगा. मगर आपने 105 ओव्हर ब्रिज बनाये हैं. आपको मध्यप्रदेश की जनता दुआ दे रही है. भार्गव जी, आप तो गरीबों के आंसू पीते रहो और गरीबों के लिये आप जो काम कर रहे हैं, वह अद्भुत काम कर रहे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- विधायक जी, मंत्री जी ने 105 ओव्हर ब्रिज बना दिये, माता दुआ भी दे रही हैं. भैया, इतना मत करो, यह सदन में रिकार्ड होता है. 105 ओव्हर ब्रिज बना दिये और माता बहनें दुआ भी दे रही हैं, अभी तो बजट में आया है.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- सभापति महोदय, मैं सही बता रहा हूं. जब सज्जन भैया पीडब्ल्यूडी मंत्री थे..
सभापति महोदय -- आप विषय पर बोलिये.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- सभापति महोदय, मैं विषय पर ही बोल रहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव -- सज्जन जी, आपने बजट पढ़ा नहीं है. आरओबी के लिये प्रावधान किया गया है और जैसे ही हमारी डीपीआर बन जायेगी, हम उसके निर्माण का काम भी शुरु कर देंगे, टेंडर लगा देंगे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- मैं इसको मान रहा हूं, लेकिन मेरे भाई दिलीप सिंह जी ने कहा कि बना दिये, 105 बना दिये, माता बहनों ने दुआ भी दे दी.
श्री दिलीप सिंह परिहार --सज्जन भैया, आपने कुछ भी नहीं दिया था. कमलनाथ जी के समय हमने मांग की थी, लेकिन आपने कुछ नहीं दिया. आपने हम चुने हुए विधायकों को भी नहीं पूछा कि पत्थर लगा लो. आपके जो हारे हुए लोग थे नीमच जिले में, उन लोगों से पत्थर लगवाये.
सभापति महोदय -- आप मांगों पर बोलिये, आप अपना भाषण अनुदान की मांगों पर ही जारी रखिये.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- सभापति महोदय, मैं तो मांगों पर ही बोल रहा हूं. जो दिया है, वही बता रहा हूं. अब इनका पेट इसलिये दुख रहा है कि अधिकांश विधायकों को मिला है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- दिलीप भैया, आपने भाषण में जो कहा है, वह निकलवा कर पढ़ लेना कि 105 ओव्हर ब्रिज बना दिये और माता बहनों ने दुआ भी दे दी. इतनी बड़ी ट्रेनिंग, यही वाली ट्रेनिंग आपके यहां मिलती है.
सभापति महोदय -- परिहार जी, समय समाप्त हो रहा है, जल्दी बोलकर समाप्त करिये.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- सभापति महोदय, अच्छा चलो, हम तो अपनी मांग कर देते हैं और मांग लेते हैं. देने वाला दे रहा है, तो मांगने में क्या है. हमारे यहां अभी जीरन का एक ओव्हर ब्रिज है, जिसका नम्बर 130 है. हमने 3 प्रस्ताव माननीय सांसद, सुधीर गुप्ता जी और मैंने आपको भेजे थे, यदि उसको भी आप मंजूर कर देते हैं, तो राजस्थान जाने वाले लोगों को बहुत बड़ी सुविधा मिलेगी. इसके अलावा एक मेरे नीमच में जीरन तहसील स्थान है, उस तहसील स्थान पर एक सर्किट हाउस पूर्व में मंजूर किया था, वह कहीं न कहीं गुम हो गया है कांग्रेस के समय में, तो उसका यदि वापस काम आप चला देंगे, तो जीरन के लोग भी संतुष्ष्ट हो जायेंगे, क्योंकि जीरन को तहसील बनाया मुख्यमंत्री जी ने, वहां कालेज बनाया है, वहां पर आपने सड़कें बनाई हैं और जब हम नीमच से राजस्थान जाते हैं चित्तौड़ वीर भूमि, तो उसके बीच में एक ब्रिज है, वह सेतु निगम से मंजूर हुआ था, भूमि पूजन भी हो गया था, मगर उसका काम अभी तक नहीं हुआ है. मैंने प्रश्न भी लगाया था, तो उन्होंने कहा था काम चालू है, मगर वह काम चालू नहीं है. आप अपनी टीम भेजकर उसकी जांच कराकर उस काम को भी चालू कराने का काम कर दें, जिससे कि हमारे क्षेत्र की जनता आपने जो हमें दिया है, वह बहुत कुछ दिया है, छोटी छोटी सड़कें हैं, 1-1,2-2 करोड़ की, चम्पी से काली कोटड़ी तक. अभी हमारे यहां काली कोटड़ी में एक डेम बना है, उसकी वजह से पूरा काली कोटड़ी डूब में चला गया था, अभी गौण खनिज की राशि पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है. तो मैंने 3 करोड़ 15 लाख का प्रोजेक्ट आपके यहां भेजा है, छोटा सा काम है, पालसोड़ा से मेलकी मेवाड़, विसलवास खुर्द से घसुण्डी बामनी, झालरी से एक भादवा माता स्थान है, जहां हमारे यहां किसी को लकवा मार जाता है, तो लोग वहां आते हैं और मां की कृपा से जो लोग कंधे पर बैठ कर आते हैं, वह पैदल घर जाते हैं. तो वह झालरी को जोड़ने वाला एक मार्ग है, उसको यदि आप जोड़ देंगे तो उसकी वजह से भी हमारे यात्री जो दूर दूर से आते हैं, उनको उसका लाभ मिलेगा. राबड़िया से ग्वालदेविया, यह राजस्थान जोड़ने वाला दो किलोमीटर का मार्ग है, उसको भी आप ले लें. बोरखेड़ी से झालरी वाला मार्ग हैं, उसमें बारबार हमें तकलीफ आती है, छोटे छोटे टुकड़े हैं ये. तो मैं आपसे यही निवेदन करुंगा कि आपने बहुत कुछ दिया है. ये छोटी छोटी मांगें हैं, मेरी इन मांगों को आप पास करें. नीमच से जो बायपास निकले हैं, उन बायपास पर एक्सीडेंट बहुत होते हैं, यदि उनका कोई ऐसा बायपास बन जाये, तो भादवा माता जाने वाले लोगों को उसका फायदा मिलेगा. भार्गव साहब, मैं आपको हृदय से धन्यवाद देता हूं कि नीमच जिले में आपने सड़कों के लिये पैसा दिल खोलकर दिया है, इस अवसर पर मैं आपके विभाग की मांगों का समर्थन करता हूं. सभापति महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया, इसके लिये मैं आपको धन्यवाद देता हूं.
श्री नारायण सिंह पट्टा - (अनुपस्थित)
श्री पांचीलाल मेड़ा (धरमपुरी) - सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र का और इंदौर संभाग का मामला है, गणपति घाट जो एबी रोड से लगा हुआ है वहां पर कम से कम 10 साल में 1000 एक्सीडेंट हो चुके हैं और कम से कम 500-600 मौतें हो गई हैं. खरगौन, बड़वानी, अलीराजपुर, झाबुआ, 4-5 जिले वहां से निकलते हैं और अभी तक उसका सुधार नहीं हुआ है. मेरा निवेदन है कि गणपति घाट में जो रोड बना है, जिस कंपनी ने बनाया है कहीं न कहीं वह रोड को बनाने में उसकी गुणवत्ता में बहुत कमी है, टेक्नीकली उसमें कहीं न कहीं खामी है. मैं बताना चाहूंगा कि उदाहरण के लिए हमारे जो सदन में बैठे है सचिन यादव जी और बाला बच्चन जी, इनकी गाड़ियां टकरा गईं, एक ओर बाला बच्चन जी की गाड़ी दो गाड़ियों के बीच में फंस गई और कम से कम 15 से 20 दिन पहले सचिन यादव जी की गाड़ी दो गाड़ियों के बीच में फंस गई.
सभापति महोदय - आपकी बात को संज्ञान में ले लिया है.
इंजीनियर प्रदीप लारिया (नरयावली)- सभापति महोदय, आपकी थोड़ी-सी कृपा बनी रहे. मैं मांग संख्या 24, 53 एवं 56 का समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूं. हमारी सरकार की प्राथमिकता है विकास और हम जब मिशन विकास को लेकर चलते हैं तो हमारा 15 साल और अभी एक साल, अभी श्री सज्जन सिंह वर्मा जी कुछ कह रहे थे, जब वह अपना भाषण दे रहे थे, उन्होंने उस समय की अनेक बातें कहीं. उन्होंने कहा कि जो बजट में आया है उसका जवाब देना पड़ेगा तो जवाब हम लोगों ने वर्ष 2018 में दिया, जवाब वर्ष 2013 में दिया और अभी उप चुनाव में भी दिया, जनता के जवाब से बड़ा कोई जवाब नहीं हो सकता. (मेजों की थपथपाहट).. और हम हर कसौटी पर खरे उतरे हैं.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - गोपाल भैया यह कौन-सी ट्रेनिंग है? वर्ष 2018 में जनता ने जवाब दिया, सब इधर बैठ गये थे, ऐसा मत करो, इतनी खतरनाक ट्रेनिंग? वर्ष 2018 में जनता ने जवाब दिया है.
इंजीनियर प्रदीप लारिया- आपकी जो सरकार थी, वर्ष 2003 के पहले, वर्ष 1993 से 2003 के पहले 10 साल तक दिग्विजय सिंह की सरकार रही. मैं बहुत ज्यादा नहीं कहना चाहता हूं. वह सरकार केवल बिजली, पानी और सड़क जो दे नहीं सकी थी, उसके कारण जनता ने उस सरकार को नकार दिया.
सभापति महोदय - आप अनुदान मांगों पर ही सीमित रहें तो उचित होगा. रिवर्स गियर मत लगाइए, आगे की सोचिए, 21वीं सदी में चल रहे हैं.
इंजीनियर प्रदीप लारिया- सभापति महोदय, मैं अपने विषय पर आना चाहता हूं. केवल 5 साल का जो लक्ष्य रखा गया था, वर्ष 2015-16 में सड़क का 2500 कि.मी. का लक्ष्य रखा गया था, 2382 कि.मी. सड़क बनी. वर्ष 2016-17 में 2400 कि.मी. सड़क का लक्ष्य रखा था, 2142 कि.मी. सड़क का निर्माण किया. इसी तरह से 100 पुल का लक्ष्य रखा गया था, 85 पुल बनाए. वर्ष 2017-18 में 2300 कि.मी. सड़क का लक्ष्य रखा गया था, 2000 कि.मी. बनाई, 92 प्रतिशत सड़क का निर्माण किया गया. इसी तरह से 100 पुल में से 51 पुल बनाए, 50 प्रतिशत पुल का निर्माण किया. वर्ष 2018-19 में 3353 कि.मी. की सड़क के विरुद्ध 2465 कि.मी. सड़क का निर्माण किया गया. 80 प्रतिशत से ज्यादा सड़कों का निर्माण किया. 70 पुल का प्रावधान किया था, 57 पुल बनाए. वर्ष 2020-21 में 3000 कि.मी. का लक्ष्य रखा था, 2500 कि.मी. सड़क बनाई और 25 पुल में से 13 पुल का निर्माण किया. हम जो बजट में कहते हैं उसको करने का प्रयास करते हैं और अक्षरशः उसको उतारने का प्रयत्न करते हैं. अभी भी इस बजट में सभापति महोदय, कोरोना कालखण्ड के बावजूद भी वर्ष 2021-22 में 7341 करोड़ रुपये का प्रावधान किया. जो कि पिछले वर्ष से 475 करोड़ रूपये की राशि अधिक है. हमने बजट में अधोसंरचना विकास के लिए बहुत महत्व के साथ बात रखी है. आत्मनिर्भर भारत को आगे रखकर हम लोग काम करने वाले हैं और अधोसंरचना के लिए बजट में 20 प्रतिशत की राशि इस बजट में प्रावधानित है.
सभापति महोदय हमें अच्छे से याद है 2003 के पहले की अगर बात करें तो प्रदेश में सड़कों की क्या स्थिति थी मैं समझता हूं कि यहां पर बैठ सभी लोग जानते हैं उसे दोहराने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन यहां पर बहुत सारे माननीय सदस्यगण बैठे हैं जिन्होंने रोड से चलना ही बंद कर दिया था, वह ट्रेन मार्ग से चलने लगे थे. लेकिन आज प्रदेश में सड़कों का नेटवर्क बिछा हुआ है. आज हमारी चाहे एनएचआई हो एनएच हो चाहे हमारी एमडीआर सड़कें हों चाहे हमारी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री सड़कें हों. गांव गांव तक कनेक्टिविटी पहुंचाने का काम भाजपा की सरकार ने किया है.
श्री कुणाल चौधरी -- अब मोदी जी ने ट्रेन ही बंद कर दी है तो सड़क से ही चलना होगा.
इंजीनियर प्रदीप लारिया -- पहले तो चलने के लिए कोई साधन ही नहीं थे. इस बजट में 2441 किलो मीटर सड़कों का लक्ष्य रखा है 460 नवीन सड़कें, और 65 पुल जिसकी लागत 459 करोड़ है और 105 आरओबी, निश्चित तौर पर हम लोग आधे से एक घंटा तक रेल्वे के फाटक पर खड़े रहते थे मैं उसके बारे में बहुत विस्तार से नहीं कहना चाहता हूं. लेकिन मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. हमारे लोक निर्माण मंत्री जी ने 12 रेल्वे ओवर ब्रिज का इस बजट में प्रावधान किया है और मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं कि 5 रेल्वे ओवर ब्रिज सागर में जहां पर हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती थी, अब यह ब्रिज 164 करोड़ रूपये की लागत से बनेंगे और निश्चित तौर पर वहां का यातायात सुगमता के साथ निकलेगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी जो 5 ब्रिज बने हैं वह पूरे शहर के मध्य के तीन ब्रिज हैं. वहां पर घंटों जाम लगता था चाहे वह हमारा डिंपल पैट्रोल पंप का ब्रिज हो, चाहे केन्द्रीय विद्यालय के पीछे वाला ब्रिज हो, चाहे फिर टीएन बटालियन वाला ब्रिज हो यह निश्चित तौर पर शहर में यातायात को बहुत अवरोध पैदा करते थे. एक सेमरा बाग और रजाखेड़ी वाला ब्रिज और एक डुगासरा वाला ब्रिज यह पांच आरओबी हैं इनके लिए मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. यह ब्रिज 164 करोड़ रूपये की लागत से बनेंगे. एक सड़क भी मसानझिरी गांव तक दी है लेकिन इसमें एक ब्रिज छूट गया है. वैसे तो माननीय मंत्री जी सागर के बारे में जानते हैं. सागर के लिए एक बायपास बहुत आवश्यक है लेकिन सागर बायपास जब तक सेंग्शन नहीं होता है तब तक हमारा जो पुराना बायपास है उस पर भी चलने में बहुत कठिनाई होती है. हमारे 21 नम्बर गेट पर अगर आरओबी बन जाता तो मैं समझता हूं कि उससे ज्यादा महत्वपूर्ण सागर के लिए कोई और आरओबी नहीं था क्योंकि पूरा हेवी ट्रेफिक उसी सागर बायपास से निकलता है और आरओबी नहीं होने के कारण वहां पर घंटों जाम की स्थिति रहती है.
सभापति महोदय यहां पर रीवा, जबलपुर के विधायक भी सहमत होंगे. मैं समझता हूं कि सागर से लेकर दमोह तक आने में जितना समय लगता है उससे ज्यादा समय सागर से बाहर निकलने में लगता है. इसलिए सागर बायपास का निर्माण होना जरूरी है. एक भारत वाला प्रोजेक्ट में पहले एनएचए है उसको अपनी कार्य योजना में लिया था हापेल तिगड्डा से लेकर नरयावली से होते हुए फोर लेन पर रानीपुरा में मिलता उसका शायद एलाइनमेंट चेंज कर दिया है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि यह भारत वाला प्रोजेक्ट में जुड़ गया है लेकिन वह सागर की इस समय आवश्यकता है और उसको अगर प्राथमिकता के साथ अगर कर देंगे तो मैं समझता हूं कि यह केवल सागर ही नहीं बल्कि सागर के आस पास के लोग जो सागर से निकलते हैं उनके लिए भी बहुत फायदेमंद होगा. मुझे ऐसा लगता था कि इस बजट में निश्चित रूप से सागर के बजट की बात आयेगी क्योंकि मंत्री जी सागर और बुंदेलखण्ड के लिए जाने जाते हैं. और हम लोगों को बड़ी आशा थी कि यह सागर बाइपास तो निश्चित तौर पर आएगा ही, लेकिन मेरा आपके माध्यम से उनसे निवेदन है कि जब वह अपना भाषण देंगे तब निश्चित तौर पर सागर बाइपास की बात उसमें रखेंगे. मैं 2-3 सड़कों के बारे में और निवेदन करना चाहता हूं. एक एनएच 26 सड़क बहुत महत्वपूर्ण सड़क है और सागर की लाइफलाइन है, यह 15 किलोमीटर सड़क निर्माणाधीन है, इसका 8 किलोमीटर का पार्ट छूट गया है, वह प्राथमिकता के आधार पर लेना चाहिये. दूसरा, सागर से लेकर दमोह और दमोह से जबलपुर सड़क बहुत महत्वपूर्ण है. यह 2012-13 में बनी थी और जबसे यह सड़क बनी है मैं समझता हूं कि इसकी स्थिति ठीक नहीं है. अभी भी उस पर टोल टैक्स वसूला जा रहा है. आप भी वहां से निकलते हैं. जबलपुर भी जाते होंगे और गढ़ाकोटा से सागर भी आते हैं. मेरा निवेदन है कि कम से कम उस मार्ग की स्थिति तो ठीक हो जाए नहीं तो वहां से जो राहगीर निकलता है वह अपने आपको ठगा सा महसूस करता है कि हम टोल टैक्स भी दे रहे हैं और हमें उस सड़क पर अच्छे से चलने को नहीं मिल रहा है.
सभापति महोदय, इसी तरह से मेरे विधान सभा क्षेत्र की 2-4 छोटी-छोटी सड़कें हैं, निश्चित तौर पर उनको बजट में आना चाहिये था, मैंने मंत्री जी से भी मिलकर दिया था, वैसे उन्होंने सागर को बहुत कुछ दिया है, लेकिन मेरे विधान सभा क्षेत्र के लिये उनसे आग्रह है कि एक तो परसौरिया-पड़रिया जो आपके विधान सभा क्षेत्र से लगा हुआ ही है, 3 किलोमीटर की सड़क है, धारा मुडि़या से खाकरोन, ईसरबारा सड़क 4 किलोमीटर की है
सभापति महोदय -- चलिये आप लिखकर दे दीजियेगा, समाप्त करिये.
इंजी. प्रदीप लारिया -- एक खमरिया करकट से बामाखेड़ी, इसी तरह मदनपुर से खिरिया, कर्रापुर से बारछा 2 किलोमीटर, मेरा इस सड़क के बारे में विनम्रता के साथ आग्रह है कि बच्चे ..
सभापति महोदय -- आपके तीनों बिन्दु हो गये. आप लिखकर दे दीजिएगा वह रिकॉर्ड पर ले लेंगे.
इंजी. प्रदीप लारिया -- बच्चे वहां से स्कूल के लिये जाते हैं, लेकिन पुलिया नहीं होने के कारण, सड़क नहीं होने के कारण वहां चलने में दिक्कत होती है.
सभापति महोदय -- धन्यवाद, श्री विनय सक्सेना जी.
इंजी. प्रदीप लारिया -- सभापति महोदय, केवल एक मिनट. एक बेरखेड़ी से बन्नाद की सड़क भी बहुत महत्वपूर्ण है.
सभापति महोदय -- चलिये हो गया, आप लिखकर दे दीजिये. मंत्री जी बैठे हैं वह संज्ञान में ले लेंगे.
इंजी. प्रदीप लारिया -- सभापति महोदय, एक-आधा मिनट का समय और दे दीजिये.
सभापति महोदय -- नाम बोल दिया है. विनय सक्सेना जी खड़े हो गये हैं. विनय सक्सेना जी बोलिये, चलिये आप बैठ जाइये.
इंजी. प्रदीप लारिया -- सभापति महोदय, सिटी लिंक मकरोनिया से लेकर नगर निगम तक यह सड़क निर्माण का काम, उसके ब्यूटीफिकेशन का काम रुका पड़ा है. यह वर्ष 2017 में स्वीकृत थी, मेरा निवेदन है कि उसमें भी कुछ बजट का प्रावधान हो जाय, कुछ राशि मिल जाय.
सभापति महोदय -- चलिये हो गया, मंत्री जी, उनसे कहें कि कृपया बैठ जाएं.
इंजी. प्रदीप लारिया -- मैं समझता हूं कि यह सड़क का ब्यूटीफिकेशन का काम भी हो जाएगा. सभापति जी, आपने जो बोलने का समय दिया इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय -- चलिये धन्यवाद. आप एक तो नाम ले लिया तब थे नहीं फिर भी आपको दिया गया, चलिये ठीक है बैठ जाइये.
श्री विनय सक्सेना ( जबलपुर-उत्तर) -- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 24, 53 और 56 के विरोध में अपनी कुछ बात रखना चाहता हूं और उसके पीछे जो तथ्य हैं उनको भी सदन में रखना चाहता हूं. अभी प्रदीप लारिया जी ने एक बात कही मैं उसका समर्थन करता हूं और उन्होंने माननीय मंत्री जी से आग्रह किया और मैं भी उनसे आग्रह करता हूं कि वह दमोह रोड से जबलपुर आते हैं और हालात जो है उनकी मुस्कुराहट बता रही है कि वह इस बात से हम लोगों से सहमत हैं, तो उनका आशीर्वाद उस रोड को मिलना चाहिये. एक ऐसी बड़ी कंपनी को आपने वह काम दे दिया जो मीडिया से जुड़ी हुई कंपनी थी, इसलिये आप सबकी किसी की हिम्मत नहीं पड़ती 2012 से, अभी बड़ी-बड़ी तारीफें हो रही थी, सज्जन भैया को भी टोंका जा रहा था लेकिन सरकार की हिम्मत देखिये कि एक ऐसी कंपनी के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर पा रही है क्योंकि पार्टी के ऊपर स्तर से जुड़े हुये उसके मालिक हैं. मैं आपसे यह आग्रह करना चाहता हूं कि उसी दमोह रोड से होते हुये आप दमोह नाका आते हैं. अभी बीच में एमपीआरडीसी ने उसका टेण्डर निकाला था कांग्रेस शासन काल के अंतिम समय में, टेण्डर हो गया, टेण्डर होने के बाद ठेकेदार ने इतने घटिया रेट डाले, उसके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं हुई. वहां सड़क की एक आधी पट्टी बनकर छूटी हुई है. अब जबलपुर के लोग जब दमोह रोड जाते हैं तो वह कहते हैं कि मध्यप्रदेश में जबसे भाजपा की सरकार आयी है तबसे आधी पट्टी बनना कैसे शुरू हो गई. उनको यह नहीं समझ में आता कि पूरी पट्टी क्यों नहीं बन पा रही. वे यह कहते हैं कि आधी पट्टी की सरकार है. यह आधी सड़क बनाती है. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि ठेकेदार कोई भी हो उस कंपनी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जाये.
श्री गोपाल भार्गव -- सभापति महोदय, मैं माननीय विनय जी को सूचित करना चाहता हूँ कि आपकी सरकार में भले ही न हुआ हो, लेकिन मैंने उस सड़क को, दमोह से जबलपुर के बीच की जो है, जो आपने बताया कि जर्जर है, यह बात मैं स्वीकार कर रहा हूँ, मैंने उसको टर्मिनेट कर दिया है. आपकी सरकार नहीं कर पाई, लेकिन मैंने ठेका टर्मिनेट कर दिया है. नई एजेंसी को दिया है. कितना ही बड़ा कोई भी आदमी हो, यहां जन सुविधाओं के मामले में जो भी आदमी लापरवाही करेगा, चाहे वह कितना ही बड़ा ठेकेदार क्यों न हो, मैं नहीं छोड़ूंगा.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- ओरछा मार्ग भी बहुत जर्जर है, थोड़ा सा उस पर ध्यान दीजिएगा.
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ कि टर्मिनेट तो कर दिया, लेकिन जो उसका नया टेण्डर हो गया था, सिर्फ रिपेयरिंग का, उस टेण्डर का ठेकेदार अनुबंध नहीं कर रहा है, उस पर प्रगति करवा लें, काम आगे बढ़ा दें. आपको मैं कहना चाहता हूँ कि आपने बात स्वीकार कर ली है, आप बड़े हृदय के स्वामी हैं और इसीलिए तो आपको हम लोग शेर कह रहे थे. लेकिन हमारे पीडब्ल्यूडी विभाग के जो शेर मंत्री हैं, उनको इनकी सरकार ने बगैर दांत का कर दिया है, दंतविहीन कर दिया है. कैसे कर दिया है, मैं उसका उदाहरण देना चाहता हूँ. माननीय पीडब्ल्यूडी मंत्री जी के द्वारा 460 नई सड़क, 105 आरओबी, 65 पुल बनाने की बड़ी घोषणा की गई. लेकिन हरेक के लिए मात्र 1 हजार रुपये का बजट रखा गया. पुल-पुलिया के निर्माण में और 2441.28 किलोमीटर 460 नई सड़कों के लिए प्रति हजार के हिसाब से 4 लाख 60 हजार रुपये का टोकन रखा गया. 3132 करोड़ रुपये के 105 आरओबी के लिए 1 लाख 5 हजार रुपये और 759 करोड़ रुपये के 65 पुलों के लिए सिर्फ 65 हजार रुपये की राशि रखी गई. अब अभी लारिया जी और परिहार साहब तारीफ कर रहे थे कि साहब, माताएं दुआएं देंगी, बच्चे भी दुआ देंगे, सब दुआ देंगे, लेकिन जब वर्ष 2021-22 में काम पूरे होंगे, तब न दुआ देंगे.
श्री गोपाल भार्गव -- विनय भाई, आप बजट की कार्यपद्धति जानते हैं, पूरी राशि का प्रावधान शुरुआत से कभी नहीं हुआ है. पहले हेड खोला जाता है और उसमें हर कार्य में टोकन राशि ही डाली जाती है. चूँकि पद्धति है, शुरू से चली आई है, उसके पीछे यही कारण है, 1 रुपये या 1 हजार रुपये से कोई फर्क नहीं पड़ता.
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदय, मैं तो चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी ने जो-जो घोषणाएं की हैं, वे पूरी हो जाएं. लेकिन हालात जो हैं, कहीं केन्द्र सरकार जीएसटी नहीं दे रही है. लोन लेने के लिए कहती है. 49 हजार करोड़ रुपये का आप लोन ले रहे हैं और वैसे तो पीडब्ल्यूडी विभाग में अब कुछ बचा नहीं है. जो कुछ है बीओटी पर है, कोई एनओटी पर है, कोई ईपीसी पर है, कोई एमपीआरटीसी के टोल पर है. जहां चले जाओ, टोल टैक्स लग रहा है. लगता ही नहीं कि सरकार आम आदमी को कोई सुविधा दे रही है. जब पैसे ही लेकर सुविधा देनी है, तो फिर आने वाले समय में पीडब्ल्यूडी की सड़कों का मतलब क्या बचेगा. अब तो यह हालत है कि विधायक निकलते हैं तो उनको भी यह कह दिया जाता है कि फास्टैग लो. मध्यप्रदेश से बाहर जाओ तो उनसे अब टोल टैक्स वसूला जा रहा है. माननीय मंत्री जी और आप माननीय सभापति महोदय, मैं चाहूँगा कि माननीय मुख्यमंत्री जी का ध्यान इस ओर इंगित कराएं. विधायकों को जो पास इश्यु करते हैं, अगर वह हमारा कार्ड है तो उसके आधार पर हम लोगों को निकलना चाहिए कि फास्टैग के हिसाब से निकलना चाहिए. मान लीजिए कि अगर उस समय आप गाड़ी में उपलब्ध नहीं हैं, तो अगर हमारा पास हमारे पास है तो हमारे मध्यप्रदेश के टोल बूथों से निकलने की अनुमति कम से कम मिलनी चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, मैं एक और गंभीर बात कहना चाहता हूँ. दमोह रोड की बात चली तो दमोह नाका तक लाना चाहता हूँ, जहां से आप कई बार गुजरते हैं. माननीय नितिन गडकरी साहब ने दमोह नाका पर दमोह नाका और मदन महल फ्लाईओवर का शुभारंभ किया और साढ़े सात सौ करोड़ का पुल बन रहा है. सीआरएफ के फण्ड से बन रहा है, केन्द्र सरकार की राशि से, लेकिन वहां से उस ब्रिज को खिसका कर उससे 500 मीटर आगे से बनाने का काम शुरू कर दिया है तो क्या गडकरी जी को अंधेरे में रखा गया था. उस पुल का नाम है दमोह नाका से मदन महल, आप जाकर देख लीजिए, रिकार्ड चेक कर लीजिए. दमोह नाका, जहां आज भारी जाम लगता है, उसके पहले 500 मीटर से अगर आप उस पुल को कम्प्लीट करेंगे तो जब पूरे जबलपुर शहर का ट्राफिक वहां उतरेगा तो वहां क्या हालात होंगे, तो वहां फ्लाईओवर बनने का हमको फायदा मिलने वाला है या जबलपुरवासियों का कोई जुर्म है कि जिसकी आप तकलीफ उनको देने वाले हैं. यह मैं आपसे व्यक्तिगत रूप से आग्रह करना चाहता हूँ. अगली बार जब कभी वहां से निकलें, तो इस पर आप गौर करें.
श्री गोपाल भार्गव -- आप भी शायद होंगे, मैं उसके भूमिपूजन कार्यक्रम में था. सज्जन वर्मा जी भी थे और गडकरी जी भी थे. उसका भूमिपूजन बलदेवबाग चौराहे पर हुआ था..
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदय, वह दमोह नाका है. मैं एक चीज बोलना चाहता हूँ. मैं माननीय मंत्री जी की बात नहीं काटूंगा, वे बहुत वरिष्ठ विधायक हैं. मैं उनका बहुत सम्मान करता हूँ. बलदेवबाग तो चौराहा ही नहीं है. उस फ्लाईओवर का नाम है, दमोह नाका से मदन महल फ्लाईओवर और जहां पर आप भूमिपूजन के लिए आए थे, मेरी विधान सभा है, मैं भी आपके साथ खड़ा था, क्योंकि आपसे छोटा हूँ तो आपकी नजर नहीं गई होगी, बड़े नेताओं पर तो आपकी नजर पड़ गई. मैं आपसे कहना चाहता हॅूं कि वह फ्लाईओवर जो बलदेवबाग जहां आप कह रहे हैं और उसके बीच में बन रहा है. बलदेवबाग और दमोह नाका इसके बीच से उठ रहा है. मेरा आपसे निवेदन है कि जब दमोह नाका के पहले वह फ्लाईओवर उतरेगा तो क्या हालात होंगे तो उस फ्लाईओवर का फायदा क्या होगा. एक और आपसे विशेष आग्रह करना चाहता हॅूं. आपके यहां मध्यप्रदेश राज्यसेतु निगम है. हम जब से पार्षद रहे या कुछ-कुछ चीजें समझ में आयीं कि मध्यप्रदेश राज्य सेतु निगम इसलिए बनाया गया कि उसमें बहुत एक्सपर्ट लोग रहते हैं और वह फ्लाईओवर का काम करते हैं. पीडब्ल्यूडी विभाग जो है वह ब्रिज का काम न करते हुए सड़कों और बिल्डिंग का काम करता है. आज तक मेरी यह समझ में नहीं आया है कि यह जो मदनमहल और दमोह नाका का फ्लाईओवर है, आपकी मुस्कुराहट बता रही है कि किस दबाव में वह पीडब्ल्यूडी से कराया जा रहा है. क्या मध्यप्रदेश राज्यसेतु निगम के अधिकारी जो यहां कहीं बैठे होंगे, क्या नाकारा साबित हो गए तो फिर मध्यप्रदेश राज्यसेतु निगम में ताला क्यों नहीं डाल देते. यह एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है और आपके विभाग से संबंधित है. फिर इसमें बदलाव क्यों किया गया. अभी जो आपके दो टेंडर और लगे, वह मध्यप्रदेश राज्यसेतु निगम कर रहा है तो उसका भी जवाब नहीं आ सकता कि हमने इसलिए ऐसा कर दिया. किसी विशेष फायदे के लिए वहां के जो प्रभावशाली लोग हैं उस डिजाईन में बार-बार परिवर्तन हो रहा है. उसके ड्राईंग में परिवर्तन करके जो फ्लाईट बीच-बीच में उतरनी हैं किसी की बिल्डिंग आ रही है किन्हीं नेताओं की जमीनें फंस रही हैं. उसके चलते बार-बार परिवर्तन हो रहा है. मैं आपसे कहना चाहता हॅूं कि यह राजसेतु निगम और पीडब्ल्यूडी का खेल क्या हुआ, यह भी तो बताएं इस प्रदेश को और यदि मध्यप्रदेश राज्यसेतु निगम से काम नहीं कराना है और मध्यप्रदेश राज्यसेतु निगम के अधिकारी नाकारा हैं जैसा मैं उचित नहीं मानता, क्योंकि वहां पर टेक्निकल ब्रिज से संबंधित अधिकारी आते थे, सबको पता है जो पीडब्ल्यूडी को समझते हैं. लेकिन आपने उसको पीडब्ल्यूडी को ट्रांसफर कर दिया कि उसके अधिकारी हमारे नेताओं के बडे़ करीबी थे. इस ओर भी आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हॅूं. हमारे मंत्री जी को बधाई देना चाहता हॅूं कि उनके गृह जिले सागर में सबसे ज्यादा 12 आरओबी आ रहे हैं और 22 सड़कें बनेंगी. हम लोग भी सागर होकर ही जाते हैं फायदा तो कुछ होगा. लेकिन उस सागर जिले के साथ-साथ दमोह रोड का और जबलपुर के दमोह नाका में अगर आपकी कृपा दृष्टि और ध्यान आकर्षण हो जाए तो कम से कम इस फ्लाईओवर के बारे में और जो रोड दमोह से जबलपुर पहुंचती है, उसको समय पर ठीक करवा देंगे तो माननीय मंत्री जी, बड़ी कृपा होगी. मैं आपसे यह भी कहना चाहता हॅूं कि एक और फ्लाई ओवर जबलपुर शहर में कटंगा से ग्वारीघाट का था जिसके टेंडर हो गए. अब वह मध्यप्रदेश राज्यसेतु निगम कर रहा है. एक और पिछली सरकार में शास्त्री ब्रिज का फ्लाईओवर था जिसके टेंडर होते-होते पता नहीं कहां अड़चन पैदा कर दी है. माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हॅूं कि आपने कहा कि हम लोग सब तरफ एक-सा चलते हैं. विकास तो पूरे प्रदेश का एक-सा होना चाहिए. राजनीतिक रुप से किसी को छोड़ा नहीं जा सकता. फ्लाईओवर तो कम से कम पूरे प्रदेश के लोग उपयोग करते हैं तो शास्त्री ब्रिज से आप बरसों से निकल रहे हैं. जबलपुर शहर से बहुत छोटे से आपका नाता रहा है. उस शास्त्री ब्रिज को बरसों हो गए, अब तो वह बूढ़ा हो गया. अगर समय पर शास्त्री ब्रिज के टेंडर की प्रक्रिया को आगे बढ़वा देंगे तो जबलपुर वासियों के लिये बड़ी मेहरबानी होगी. आपके जबलपुर शहर से बड़े गहरे रिश्ते हैं. मैं आपसे यह भी कहना चाहता हॅूं कि जबलपुर शहर में जिला न्यायालय की बिल्डिंग बनी. आपने टेंडर्स में जो कंडीशन रखी 5 साल की परफार्मेंस रखी है और कम से कम अभी तक 3 साल की रही है. जब बड़े ठेकेदारों को फायदा पहुंचाना होता है मोंटेकार्लो ने इस बिल्डिंग को बनाया. माननीय उच्च न्यायालय के संज्ञान में आया, आपने भी अखबारों में पढ़ा होगा. उस न्यायालय की टाइल्स में वकील लोग डरते हुए निकलते हैं और जो जजे़स हैं वह भी डरते हुए निकलते हैं. पता नहीं कब कौन-सी टाइल्स ऊपर सिर पर गिर जाए. मैंने जब उसके बारे में जानकारी मांगी तब पता चला कि उस बिल्डिंग के लिए एक साल की गारंटी रखी गई थी. मैं पूछना चाहता हॅूं जबलपुर के लिए एक बिल्डिंग के लिये पूरे मध्यप्रदेश के पूरे कानून बदल कैसे गए. क्या उन अधिकारियों पर कार्यवाही नहीं होना चाहिए. चूंकि माननीय मंत्री जी हर बात को गंभीरता से लेते हैं मैं उनसे आग्रह करना चाहता हॅूं इसकी जांच होना चाहिए. क्योंकि माननीय उच्च न्यायालय ने भी इसको संज्ञान में लिया है. उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के आपके पास कुछ पत्र आए हैं. चीफ जस्टिस साहब ने भी इस बात को संज्ञान में लिया है जो अख़बारों में पढ़ा, उन्होंने कहा. उन्होंने नाराज़गी व्यक्त की कि आखिर इतनी जल्दी इस बिल्डिंग की टाइल्स गिर कैसे रही हैं. इस बिल्डिंग को बने हुए अभी एक साल नहीं हुआ है और उसकी शर्तें कैसे बदल दी एक साल की, यह एक और गंभीर प्रश्न है. मैं चाहता हॅूं कि इस तरह का भेदभाव और इस तरह मनमाने ढंग से मिलीभगत से ठेकेदारों के लिये आपके अवसर मनमाने ढंग से नियमों में परिवर्तन करते हैं जबकि मध्यप्रदेश सरकार के जो नियम हैं उसमें आज की तारीख में 36 महीने नही, 5 साल की गारंटी है. यह पिछले 2 साल पहले पूरा हुआ है.
श्री गोपाल भार्गव -- यह आपके समय का ही बना है,
श्री विनय सक्सेना -- नहीं, यह आपकी सरकार के समय हुआ है.
श्री गोपाल भार्गव -- नहीं मेरे समय का नहीं है.
श्री विनय सक्सेना -- मैं आपसे निवेदन कर रहा हॅूं आप सुन लीजिए. आप बैठिए, आप स्वीकार कर लेंगे. मैं आपको स्वीकार करा देता हॅूं. यह जो बिल्डिंग बनी है जब माननीय कमल नाथ जी सरकार ने शपथ ली थी, उसके पहले बिल्डिंग कम्प्लीट हो गई. जिला न्यायालय जब शिफ्ट हुआ. इसका कार्यक्रम भव्य हुआ, वह माननीय कमल नाथ जी की सरकार के समय हुआ. बिल्डिंग आपके समय बनाई हुई थी. टेंडर आपके समय हुए, पूरी बिल्डिंग आपके समय में हुई. कोई एक दिन में तो बिल्डिंग बन नहीं गई. 200 करोड़ रुपए की बिल्डिंग है यह और 200 करोड़ रुपए की बिल्डिंग 15 महीने में तो बन नहीं सकती. यह आप भी जानते हैं और मध्यप्रदेश सरकार के जो हालात हैं यहां तो कोई बिल्डिंग 15 महीने में वैसे ही नहीं बन सकती. मैं आपसे हाथ जोड़कर कहता हॅूं कि आप इसको संज्ञान में लें. आपकी यह बिल्डिंग आपके शासन काल में पूरी हुई और आपके शासन काल में टेंडर हुए. लेकिन इनके टेण्डर्स की शर्तें कैसे बदल गईं यह बड़ा गंभीर प्रश्न है. मैंने जब अभी एक प्रश्न किया विधान सभा में कि ऐसी कौन कौन सी निविदाएँ हैं जिनमें कि शर्तें बदली गईं तो उसके जवाब में आया कि जानकारी एकत्र कर रहे हैं, जानकारी संकलित की जा रही है. ये विधायकों के विशेषाधिकार का जो हनन हो रहा है, यह भी ध्यान देने योग्य है. मैं तो बस इतना पूछना चाहता हूँ कि जब उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आप से कह रहे हैं कि इस भवन की जाँच होना चाहिए टाइल्स सिर पर गिरती हैं, जिला बार काउंसिल ने शिकायत कर दी, जिला बार काउंसिल के लोग उच्च न्यायालय में न्यायाधीश से मिलने गए और उन्होंने उनसे कहा कि साहब यह तो किसी दिन हमारी जान चली जाएगी. जो टाइल्स लगी है विट्रीफाइड टाइल्स लगी बड़ी बड़ी और ग्रेनाइट लगा हुआ है, तो 4-4 फुट की टाइल्स अगर ऊपर से गिरेगी तो जान जाने में कुछ बड़ी बात नहीं है.
सभापति महोदय-- मंत्री जी, इन्होंने जो बात कही है ऐसी कई विधायकों ने भी बात कही है कि अधिकतर जवाब मिलता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. आज आयटी के युग में इतना समय लगना नहीं चाहिए, तो थोड़ा इसको संज्ञान में लें और इस पर कुछ कहना चाहें तो कह दें.
लोक निर्माण मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय सभापति जी, अभी इस बात के दो प्रश्न दिवस हैं, दोनों में आप देख लें 25 में से जितने भी मेरे विभाग के प्रश्न थे, कहीं भी इस प्रकार का जानकारी एकत्रित करने का उत्तर नहीं दिया गया है.
सभापति महोदय-- आप से संबंधित नहीं......
श्री गोपाल भार्गव-- यह संसदीय कार्य मंत्री जी और आप उनके लिए......
सभापति महोदय-- हाँ ठीक है, तो आप संसदीय कार्य मंत्री जी को बता दें कि इस तरह की चिन्ता लगभग सभी विधायकों ने की है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है, ऐसा आ रहा है.
श्री विनय सक्सेना-- यह बात सही है सभापति महोदय.
श्री बाला बच्चन-- हम आपकी बात से सहमत हैं, मेरे खुद के कई प्रश्नों में इस तरह से शासन ने जवाब दिया है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. हमारे दल के कई विधायकों के प्रश्नों के जवाब में यह आ रहा है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है.
सभापति महोदय-- आयटी के युग में इतना समय नहीं लगना चाहिए. पहले समझ में आता था, आज के युग में यह समझ से परे है.
श्री विनय सक्सेना-- माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह भी आग्रह करना चाहता हूँ कि उन्होंने बड़ी हिम्मत के साथ यह कहा कि जो भी है, टोकन मनी रखी है लेकिन यह व्यवस्था के अंग हैं और यह पक्का है कि उनको यह उम्मीद है कि यह अगले साल जब बजट पेश होगा तो यह सब काम पूरे हो जाएँगे. मुझे उम्मीद है कि जिन विधायकों ने कहा माताओं की दुआएं मिलेंगी उन सबकी दुआएँ भी मिल चुकी होंगी. लेकिन मैं बड़े दावे के साथ कह सकता हूँ लोक निर्माण विभाग के लिए, माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूँ कभी इस पद्धति को क्या यह परिवेश लोक निर्माण विभाग में अपनाया जाएगा क्योंकि जो पिछले साल की देयक राशियाँ हैं, उनके तो भुगतान लोक निर्माण विभाग कर नहीं पा रहा है.
इंजीनियर प्रदीप लारिया-- विनय भाई, आप भाग्यशाली हैं कि आपको बोलने का समय मिल रहा है.
श्री विनय सक्सेना-- मैं कुछ मुद्दे की बात कर रहा हूँ कोई आलतू-फालतू बात नहीं कर रहा. माननीय, मैं आप से हाथ जोड़ रहा हूँ. जिस बात का जवाब माननीय मंत्री जी दे रहे हैं अगर आप इंजीनियर हों तो लोक निर्माण में ही आ जाते, कुछ काम-वाम, भला होता आपका. सभापति महोदय, मैं ज्यादा समय नहीं लूंगा, लेकिन मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि अगर इसको टारगेटेड देकर, ये जितने आरओबी हैं, दूसरी बात ये आरओबी का श्रेय आपकी सरकार ले क्यों रही है. आप बताइये, जिसका पैसा मध्यप्रदेश सरकार को देना ही नहीं है. आरओबी का फुल फार्म है रेल्वे ओव्हर ब्रिज, यह जो 105 रेल्वे ओव्हर ब्रिज हैं, माननीय यश भैय्या, अगर मैं गलत हूँ तो साबित कर देना. रेल्वे ओव्हर ब्रिज का मतलब होता है कि रेल्वे द्वारा जो पटरियों के ऊपर....
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- विनय भाई, आपने मुझे कोट किया है, 60-40 का रेश्यो होता है, 50-50 का रेश्यो होता है, 80-20 का रेश्यो होता है.
श्री विनय सक्सेना-- मैं आपको उसका बता देता हूँ, न रेश्यो होता है और न कोई प्रतिशत होता है, होता क्या है वह मैं आपको बता देता हूँ, जो रेल्वे की पटरियों के ऊपर का जो पार्ट है वह रेल्वे बनाती है और जो बाकी पार्ट है वह लोक निर्माण विभाग बनाता है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- वही तो, उसी पर तो बनेगा.
श्री विनय सक्सेना-- आप मेरी बात तो सुन लीजिए ना. रेल्वे ने तो अपना पार्ट आपको दे दिया लोक निर्माण विभाग ने उसमें कितनी राशि आवंटित की यह पता होना चाहिए इस बजट में. इस बजट में यह कहीं नहीं दिया कि 105 जो आरओबी बनने वाले हैं, उसकी दोनों तरफ की जो एप्रोच मिलाई जाएँगी, उसकी जो राशि है, उसमें कितने करोड़ रुपये खर्च होंगे. अभी तो आपने टोकन रख दिया. इसका मतलब मैं फिर दावे से कह रहा हूँ कि अगले साल हम इसी दिन इसी समय मिलेंगे, यह जो 105 आरओबी का जो श्रेय प्रदेश सरकार लूटना चाहती है, वाहवाही लूट रही है 105 आरओबी, विधायकों ने कह दिया हमारे यहाँ 5 बन जाएँगे, कितनी खुशी की बात है, भगवान करे बने, लेकिन यह 105 ऐसे बनने वाले नहीं हैं क्योंकि अगर वह बीच पटरी पर टंग भी गए तो दोनों तरफ की एप्रोच बनाने के लिए इनके पास पैसा नहीं है. मैं इसीलिए कह रहा हूँ कि दंत विहीन माननीय शेर को कर दिया गया है, जो कि उचित नहीं है, हम तो चाहते हैं कि इस मध्यप्रदेश सरकार के बजट से सबसे ज्यादा राशि बजट में इनको मिलना चाहिए क्योंकि इन्फ्रास्ट्रक्चर में जब तक पैसा खर्च नहीं होगा हमारी अर्थव्यवस्था सुधरेगी नहीं. यह मैं आग्रह करना चाहता हूँ कि अगर जो अगला अनुपूरक आए उसमें सबसे ज्यादा राशि लोक निर्माण विभाग को मिलना चाहिए.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू-- सभापति महोदय, इनको भरोसा ही नहीं है कि भाजपा काम करेगी. जबकि हम जो कहते हैं वह करते हैं, हमारी सरकार ने घोषणा की है तो हर हाल में बनेंगे, यह हमको विश्वास है.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 24, 53 और 56 का समर्थन करते हुए अपनी बात रखना चाहता हूँ. इस विभाग पर काफी विस्तार से चर्चा हो चुकी है. मध्य प्रदेश सरकार का जो लोक निर्माण विभाग है, यह बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. वर्ष 2020-2021 में इसका बजट प्रावधान 6 हजार 866 करोड़ रुपए का रखा गया था. उस समय कोरोना काल आ गया, सरकार के पास इस दौरान 11 माह में राजस्व आना बंद हो गया था. राशि की कमी पूरे मध्य प्रदेश में हो गई थी. इसके बावजूद वर्ष 2021-2022 के बजट में 475 करोड़ रुपए बढ़ाते हुए 7 हजार 341 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. इस राशि से 2 हजार 441 किलोमीटर की सड़कें भिन्न-भिन्न मदों में बनेगीं. मध्य प्रदेश में इस राशि से 65 उच्च स्तरीय ब्रिज बनेंगे क्या इसमें कोई शंका है. मैं वर्ष 2003 से विधायक हूँ, 18 महीने में काली सिंध पर तीन ब्रिज बने हैं, शिप्रा पर तीन ब्रिज बने हैं 18-18 महीने में यह पूर्ण हो गए हैं. बजट में आने के बाद निश्चित रुप से ब्रिज बनेंगे इसमें कोई संशय ही नहीं है. हमारे जो लोक निर्माण विभाग के मंत्री हैं वे अन्दर और बाहर एक जैसे हैं और वे दंत विहीन नहीं हैं जब भी मौका मिलता है तो शिकार जरुर करते हैं, इसमें कोई शंका नहीं है. उन्हें बार-बार दंतविहीन कहा जा रहा है मुझे बहुत दर्द हो रहा है. वे मुझे बहुत प्यार करते हैं.
सभापति महोदय -- आप अनुदान मांगों तक ही सीमित रहें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदय, मैंने माननीय सदस्य की बात का जवाब दिया है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- पीडब्ल्यूडी मंत्री जी के हाथ पैर ही बचे हैं, दांत तो ले ही लिए हैं.
सभापति महोदय -- महत्वपूर्ण विषय है, आप अनुदान मांगों पर बोलिए.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदय, 105 आरओबी ब्रिज बन रहे हैं. अब ब्रिज मंजूर हो गए तो उनका बाय पास कौन बनाएगा. जब योजना बनती है तो उसका डीपीआर प्राक्कलन तैयार किया जाता है. जब बजट में लाया गया है तो मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग में ईएनसी हैं, संभाग लेवल पर सीई हैं, फिर एसई हैं, फिर ईई हैं, फिर एसडीओ और उपयंत्री हैं. इन सभी ने पूरा प्राक्कलन बनाकर इन ब्रिज में और बायपास में कितने पैसे लगने वाले हैं उसका प्रावधान इसके साथ किया है. कोई रोड इसके अन्दर आई है और उसमें 32 किलोमीटर लिखा है तो उसकी राशि नार्म्स के अनुसार उसमें आरक्षित की गई है. वह योजना पूर्ण होगी. यह बात सत्य है कि कभी-कभी एजेंसी ठीक नहीं आती है. टेंडर में नान केपेबल ठेकेदार आ जाते हैं तो कार्य समय पर पूर्ण नहीं होता है, इस बात को हम स्वीकार करते हैं. अच्छा और गुणवत्तापूर्ण काम करने के लिए अच्छे ठेकेदारों की मध्य प्रदेश में आवश्यकता है. आप कितना भी बजट प्रावधान कर दें, कितनी भी राशि स्वीकृत कर दें जब तक अच्छे ठेकेदार नहीं आएंगे तो गुणवत्तापूर्ण सड़कें नहीं बन सकती हैं, गुणवत्तापूर्ण ब्रिज नहीं बन सकते हैं. एमपीआरडीसी जो सड़कें बनाती है उसके लिए 3006 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. एमपीआरडीसी जो सड़कें बनाती है वह बहुत अच्छी सड़कें होती है उस पर चलने से पता चलता है. सीआरएफ, केन्द्रीय सड़क निधि द्वारा भी हमें राशि मिलती है उससे भी बहुत अच्छी सड़कें बनाई जाती हैं. एमडीआर सड़क यह बहुत ही महत्वपूर्ण सड़क होती है. तहसील से जिलों को जोड़ने वाली सड़कें होती हैं. इन सड़कों के बनने से उस जिले का आवागमन सुगम हो जाता है. एमडीआर सड़क के जो नार्म्स हैं वे बहुत अच्छे हैं. इसमें डामर की मोटाई 700 एमएम तक रखी गई है इनकी गुणवत्ता अच्छी होती है और सड़कों की लाइफ लंबी होती है. मैं एक सुझाव देना चाहता हूँ. सभापति महोदय, मैं इसके बीच में आपके माध्यम से एक सुझाव देना चाहता हूं कि 3.25 मीटर की सड़क ग्रामीण में बनती है. जब सड़क पर दो गाडि़यां आती हैं तो एक गाड़ी नीचे उतर जाती है इससे एक्सीडेंट का कोई चांस नहीं होता है लेकिन आप इसका भौतिक सत्यापन करवा लेना एक सड़क 5.5 मीटर बनाते हैं उसको टू लेन कहते हैं जबकि टू लेन रोड में सात मीटर जगह चाहिए है. मैं आज इस सदन के अंदर कह रहा हूं कि मध्यप्रदेश की कोई भी सड़क 5.5 मीटर 50 या 100 किलोमीटर की हो तो उसका भौतिक सत्यापन करवा लें. सालभर में यदि उसके दस एक्सीडेंट हुए हैं तो 7 मीटर की रोड पर मात्र एक एक्सीडेंट हुआ होगा इसमें इतना अंतर आता है. मेरा आपसे निवेदन है जो कि मैं बताना चाहता हूं कि उज्जैन से घोंसला होते हुए, आगर रोड होते हुए कोटा रोड गया है.
सभापति महोदय-- बहादुर सिंह जी, एक्सीडेंट केवल सड़क की वजह से नहीं गाड़ी की वजह से भी होते हैं, ड्राइवर की असावधानी की वजह से भी होते हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- सभापति महोदय, वह भी है लेकिन आप कभी भी देखना सात मीटर की रोड पर डबल क्रासिंग आराम से हो जाती है और 5.5 मीटर में एक्सीडेंट के ज्यादा चांस होते हैं. मैंने आपके सामने कहा है और अपना सुझाव दिया है. चूंकि समय का अभाव है मैं वर्ष 2003 से माननीय मंत्री जी के साथ काम कर रहा हूं और जब भी कोई काम मांगने गया हूं चाहे ग्रामीण एवं पंचायत में रहे हैं या जहां भी रहे हैं मैंने एक पत्र लिखकर छोड़ दिया है वह कार्य माननीय मंत्री जी ने किया है. मैं कोई बहुत बड़ी चीज नहीं मांग रहा हूं. मेरे उज्जैन जिले में नई झालड़ा तहसील बन रही है उसमें 113 गांव हैं. ग्रामीण अंचल होने के कारण वहां पर कोई रेस्ट हाउस नहीं है. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि उज्जैन जिले के अंदर जो नई तहसील का सृजन हुआ है झालड़ तहसील में एक रेस्ट हाउस आप जरूर बनाएं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- आपके यहां बड़ा हाट बाजार लगता है.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- माननीय सदस्य आपको सही जानकारी है झालड़ा में बहुत बड़ा हाट लगता है. वहां पशुओं का भी बहुत बड़ा हाट लगता है और आपको पता होगा कि मालवा का सबसे बड़ा हाट घोंसला में लगता है और हमारे प्रमुख सचिव जी हैं वह कलेक्टर उज्जैन भी रह चुके हैं. वह उज्जैन जिले के विषय में सब जानकारी रखते हैं.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी के सामने दो मांगे रख रहा हूं एक तो जो नवीन तहसील का सृजन हुआ है वहां पर रेस्ट हाउस दे दें और झालड़ा के आसपास का जो बायपास है यह दो चीज दे दें. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देते हुए, सरकार को धन्यवाद देते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं बहुत-बहुत धन्यवाद.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 24, 53 और 56 पर अपनी बात रख रही हूं. कंसलटेंट एजेंसीज टीपीआर बनाती हैं और चूंकि डीपीआर के प्रतिशत के आधार पर ही इनको राशि का भुगतान किया जाता है प्रतिशत के आधार पर ही सब चीजें फिक्स होती हैं. डीपीआर बनाने से लेकर क्वालिटी कंट्रोल का काम भी इन्हीं की जवाबदारी होती है लेकिन कभी कोई दुर्घटना घट जाए, कभी कोई पुल गिर जाए या बिल्डिंग गिर जाए तब इनके ऊपर कोई जवाबदारी फिक्स नहीं होती है. यदि कार्यवाही होगी तो चीफ इंजीनियर पर कार्यवाही होगी तो क्या जो डीपीआर बनाने वाली कंसलटेंट एजेंसीज हैं उन पर भी कार्यवाही होनी चाहिए उनके ऊपर भी पकड़ होनी चाहिए क्योंकि यह रेट प्रतिशत के आधार पर तय होता है इसलिए जहां पतली रॉड में काम होना है वहां पर भी मोटी रॉड लगा देते हैं तो यह जवाबदारी फिक्स होना चाहिए. मुझे ऐसा पता चला है कि ईएनसी ने अभी एक आर्डर भी जारी किया है. इन एजेंसियों को कंट्रोल करने के लिए लेकिन प्राइवेट लोगों पर आप कितना कंट्रोल कर पाओगे यह तो आपने अगर एक एजेंसी खत्म भी कर दी तो दूसरे दिन दूसरी नई एजेंसी खड़ी हो जाएगी क्योंकि इनके अंदर काम करने वाले जो कर्मचारी हैं वह भी वेल क्वालीफाइड हैं या नहीं हैं इस बात के लिए भी हमारे पास कोई प्रमाण नहीं है और हमारे पास शासकीय कर्मचारी और अधिकारी वेल क्वालीफाइड हैं हम उनका इस्तेमाल करें, हम उनकी योग्यता और उनकी क्षमताओं का उपयोग करें. आज सुबह मेरा प्रश्न आया और मेरा प्रश्न बारहवे नंबर पर था समय कम था लेकिन मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद करना चाहूंगी कि उन्होंने ऑनलाईन रॉयल्टी चुकता प्रमाण-पत्र के बारे में कहा है कि जो भी ऐसे प्रमाण-पत्र का अंतिम भुगतान होगा, उस पर बाजार भाव से पेनाल्टी लगेगी. मुझे पूरा विश्वास है कि जिस दिन आप इसे अंगीकार करेंगे, उस दिन मध्यप्रदेश का राजस्व बढ़ेगा, चूंकि सुबह प्रश्न-काल में समय कम था और मैं अपना दूसरा प्रश्न नहीं पूछ पाई थी और मुझे पूरा विश्वास है कि 1 अप्रैल 2018 के बाद से निर्माण कार्यों पर यह लागू होना चाहिए. जिन्होंने अभी तक ऑनलाईन चुकता प्रमाण-पत्र कार्यवाही नहीं की है, उन अधिकारियों पर भी तो कार्यवाही होनी चाहिए क्योंकि यह वर्ष 2018 का आदेश है और हम अभी वर्ष 2021 में बैठे हैं, उनके ऊपर भी कार्यवाही होनी चाहिए और मुझे पूरा विश्वास है कि आप उन पर भी कार्यवाही करेंगे.
माननीय सभापति महोदय, गौण खनिज का जितना अवैध उत्खनन हो रहा है, मुझे पूरा विश्वास है कि जिस दिन इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित हो जाएगा, 95 प्रतिशत से ज्यादा अवैध उत्खनन पर रोक लग जायेगी.
माननीय सभापति महोदय, सर्वप्रथम मैं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगी कि उन्होंने मेरे यहां महाराष्ट्र को जोड़ने वाला एक पुल दिया, वह सड़क जो पिछले बजट में स्वीकृत हुई थी, उसका काम अभी चल रहा है, उसी सड़क पर आपने पुल भी दिया, इस हेतु बहत-बहुत धन्यवाद. इसमें मैं एक बात कहना चाहूंगी कि जो सड़क पिछले बजट में स्वीकृत हुई है, लांजी-बिसोनी-सोगलपुर होते हुए बिरसी, उस सड़क का काम चालू है, इस सड़क हेतु लगभग 13 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई थी लेकिन वहां केवल 8 करोड़ रुपये का ही खर्च उसमें आ पायेगा, इसका कारण भी है क्योंकि जहां से यह सड़क जानी है, वह लांजी का बहुत पुराना राजमार्ग है जो अंग्रेजों के समय में चला करता था, वह सड़क स्वीकृत हुई है और इस सड़क पर कुछ ऐसे गांव भी आ रहे हैं जहां पहले से ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्मित हो चुकी है, इसलिए वहां कुछ राशि बच रही है. इसमें मेरा आपसे निवेदन है कि यह सड़क सिंगल सड़क है, अतिरिक्त बजट की बात नहीं है जो राशि शेष है, यदि उससे ही इसका चौड़ीकरण कर दिया जाये तो यह भविष्य के लिए भी बहुत अच्छा होगा. इसमें अतिरिक्त बजट की आवश्यकता नहीं है. मुझे पूरा विश्वास है कि यदि यह माननीय मंत्री जी के संज्ञान में आयेगा तो इस सड़क का चौड़ीकरण भी हो जायेगा.
हास-परिहास
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर- नरोत्तम भाई, आपको बहुत-बहुत बधाई. हम चाहते भी यही हैं, आप अभी जहां बैठे थे, वहीं बैठें. यह क्षणिक है परंतु हमने आपको बधाई दे दी कि आप सही जगह बैठे हैं. (माननीय मुख्यमंत्री जी की सीट पर गृह मंत्री जी के बैठने पर)
डॉ. नरोत्तम मिश्र- दिक्कत यह है कि जो आप चाहते हैं, उसका उल्टा हो जाता है. इसलिए आपकी चाहत से मैं, दूर रहता हूं. अभी पटेल जी और डंग भाई आ गए थे तो मैं उनको किस्सा सुना रहा था कि एक सरदार जी से एक आदमी बोला कि सरदार जी आग लग गई तो वे बोले कि ''तैनु की'', तो आदमी बोला सरदार जी आपके घर में आग लगी है तो सरदार जी बोले ''मैनु की''.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर- इतने समय में तो यदि सभापति महोदय आज्ञा दे दें, तो हम बजट पर ही बोल दें.
श्री गोपाल भार्गव- किसी के कहीं बैठने से कोई हर्ज नहीं है. सीट पर बैठने से कुछ सुख भी मिलता है और कुछ असर भी आ जाते हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर- हमें तो फायदा ही है कि यदि उस सीट पर कोई बुंदेलखण्ड का होगा तो हमारी कुछ सड़कें भी हो जायेंगी और कुछ अन्य कार्य भी हो जायेंगे.
श्री कुणाल चौधरी- माननीय सभापति महोदय, हर बार नाम इन्हीं का चलता है, फिर पोस्टर बनता है तो कोई और ही हीरो निकलता है.
सभापति महोदय- आसंदी सुनिश्चित करेगा कि सभी की सीट सुरक्षित रहे, यह आसंदी का काम है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- माननीय सभापति महोदय, आप सबसे पहले यह करवाइये कि कुणाल भाई का माइक ऊंचा करवा दीजिये, हर बार ये पैरों को फैलाकर जिराफ की तरह उठकर बोलता है.
श्री कुणाल चौधरी- मैं यह बोल रहा हूं कि हर बार पोस्टर बनता है और हीरो अलग निकल जाता है.
सभापति महोदय- आप सभी बैठ जायें. हिना जी, आप जारी रखें.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे- माननीय सभापति महोदय, बड़ी लंबी-चौड़ी, करोड़ों-अरबों की सड़कों का काम चल रहा है लेकिन कई बार उन सड़कों के लिए जनता धन्यवाद बाद में करती है लेकिन पहले छोटी-छोटी और कम बजट की सड़कें, जब नहीं बन पाती हैं तो उसके लिए हमें क्षेत्र की जनता से बहुत ज्यादा सुनना पड़ता है. कुछ सड़कें चलने के दृष्टिकोण से तो महत्वपूर्ण होती हैं लेकिन उससे भी अधिक कुछ सड़कें राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण होती हैं और ऐसी ही कुछ सड़कें मेरे क्षेत्र में भी हैं जैसे- मोहगांव से कुण्डे मात्र 3 किलोमीटर की सड़क है. दहगांव से देवलगांव यदि आप कहें तो मैं, माननीय मंत्री जी को लिखित में भी दे दूंगी क्योंकि ये बहुत छोटी-छोटी सड़कें हैं लेकिन बहुत महत्वपूर्ण हैं.
माननीय सभापति महोदय, कुटीर उद्योग की बात करना चाहूंगी. हमारे बालाघाट में एक समय था, जब रेशम उद्योग का बहुत नाम चलता था लेकिन अभी उसकी स्थिति बहुत दयनीय हो गई है. आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगी कि बालाघाट में रेशम उद्योग की बहुत संभावना है, उसे बढ़ावा देने के लिए आप जरूर कुछ करें.
माननीय सभापति महोदय, बालाघाट वन संपदा से परिपूर्ण है. हमारे यहां लांजी में एशिया में सबसे अच्छी क्वालिटी का बांस होता है. लेकिन उससे जुड़ा हुआ न तो कोई उद्योग है, न ही कोई फैक्ट्री है. कम से कम बांस से बनने वाले फर्नीचर का ही कोई काम करवा लिया जाये बालाघाट के लिये और आजकल हम लोग कोशिश कर रहे हैं कि हम पॉलिथिन का इस्तेमाल न करें. हमारे यहां बालाघाट में पलाश के पत्तों से पत्तल बनते हैं, जिसमें खाना खिलाया जाता है, हमारे यहां माहुर पत्ते का बहुत उपयोग होता है, यह पत्ता हमारे यहां से बाहर जाता है. क्या हम कुछ ऐसा कर सकते हैं कि ऐसे छोटे-छोटे कुटीर उद्योग जो बालाघाट में स्थापित हों और वहां के लोगों को रोजगार मिले और उन पत्तों का हम निर्माण करें और फिर हम उनका प्लास्टिक की जगह इस्तेमाल करें. ऐसी बहुत सारी संभावनाएं हैं, आपने बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय:- पलाश के पत्तों का बहुत अच्छा सुझाव है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे:- धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर):- माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी को एक सुझाव देना चाहता हूं. मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि प्रधान मंत्री सड़क योजना का थर्ड फेज चौड़ीकरण का टेबल हो गया है, जो तीन सवा तीन मीटर की सड़कें थीं, वह साढ़े पांच मीटर की ओर अग्रसर हो रही हैं. लोक निर्माण विभाग की बीस-तीस साल पहले की सड़क आज भी तीन, सवा तीन मीटर में है. विभाग अपनी और से चौड़ा करेगी तो ग्रामीण क्षेत्रों में ट्राफिक बढ़ रहा है, ट्रैक्टर ट्रालियां और मोटर सायकिल बढ़ रहे हैं, तो लोक निर्माण विभाग भी अपने अगले चरण में सवा तीन मीटर वाली जो सड़कें हैं उनका चौड़ीकरण का काम करे, धन्यवाद.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा( सिवनी मालवा):- माननीय सभापति महोदय, हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार के लोक निर्माण मंत्री सम्माननीय गोपाल भार्गव जी ने जो वर्ष 2021-22 का लोक निर्माण विभाग का बजट प्रस्तुत किया है..
सभापति महोदय:- आप अगर पढ़ कर भाषण दे रहे हैं तो लिखकर दे दीजिये एक ही बात है, वह आपका रिकार्ड में आ जायेगा.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा:- सभापति महोदय, मैं ही नहीं और भी लोग जो जरूरी चीजें, जैसे आंकड़े होते हैं उनको पढ़ना पड़ता है.
सभापति महोदय:- ठीक है बोलिये. आप केवल पढ़ रहे थे इसलिये मैंने बोला.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा:-सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 2424, 53 और 56 का मैं समर्थन करता हूं. अभी हमारे पूर्व लोक निर्माण मंत्री जी बजट पर कटौती प्रस्ताव रखते हुए यह कह रहे थे कि बजट में केवल में केवल 90 विधायकों के क्षेत्र की सड़कों का जिक्र है. मैं आपको बताना चाहता हूं, मुझे फिर आंकड़े तो पढ़ने ही पड़ेंगे.
सभापति महोदय:- थोड़ा बहुत तो पढ़ना ठीक है, पूरा मत पढि़येगा.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा:- वर्ष 2021-22 की मुख्य योजनाओं जो कि 21-22 के बजट में शामिल किया गया है. अभी पूर्व लोक निर्माण मंत्री नहीं हैं, लेकिन हमारे पूर्व जिला होशंगाबाद के प्रभारी मंत्री जी जरूर बैठे हैं, वह जरूर सुनें कि इस वर्ष बजट में क्या प्रावधान किया गया है और वर्ष 2018-19 में इनकी सरकार थी तो होशंगाबाद जिले में एक भी रूपये का काम नहीं हुआ, एक भी सड़क नहीं जोड़ी गयी, बल्कि क्या हुआ आप यह सुन लीजिये, जो काम पहले से चल रहे थे उनको बंद कर दिया गया, पहले से धरमकुंडी से इटारसी सड़क का काम चल रहा था,बंद. तरोंदा से इटारसी मेरे क्षेत्र की सड़क का काम चल रहा था,बंद. ऐसी अनेकों सड़कें जैसे नर्मदा ब्रिज आंवली घाट का काम प्रगति पर था, बंद. धरमकुंडी ओवर ब्रिज का काम चल रहा था, बंद. बानापुरा ओवर ब्रिज का काम चल रहा था, बंद. यह हुआ था 2018-19 की सरकार में और हमारी सरकार ने क्या प्रावधान किया जरा सुन लीजिये; ग्रामीण सड़कों का निर्माण नाबार्ड सहित 735 करोड़ का प्रावधान, वृहद पुलों का निर्माण नाबार्ड सहित 158 करोड़ का प्रावधान, रेलवे ओव्हर ब्रिज का निर्माण 10 करोड़ का प्रावधान, केन्द्रीय सड़क निधि580 करोड़ का प्रावधान,एनडीबी जिला मार्ग 551 करोड़ का प्रावधान,एनडीबी पुल का निर्माण 180 करोड़ का प्रावधान, मुख्य जिला मार्गों का निर्माण 130 करोड़ का प्रावधान, एमपीआरडीसी के अंतर्गत योजनाएं 3006 करोड़ का प्रावधान, सुदृढ़ीकरण के लिये 174 का प्रावधान, नवीनीकरण के लिये 242 करोड़ का प्रावधान सड़क संधारण के लिये 208 करोड़ का प्रावधान, भवन संधारण के लिये 147 करोड़ का प्रावधान किया. यह हमारी भारतीय जनता पार्टी के लोक निर्माण मंत्री जी का बजट है. यह बजट इसलिये है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबके विश्वास में विश्वास रखती है. इसमें हर क्षेत्र की पूरे मध्यप्रदेश की योजनाएं इसमें शामिल हैं. यह कहना सरासर गलत है. इस प्रकार से अनेकों सड़कों के काम के प्रावधान हैं. धर्मकुण्डी से सिवनी मालवा ओवरब्रिज पर घंटों चक्का जाम लगता था वहां दो दो किलोमीटर की लंबी लाईन वाहनों की लग जाती थी, जब वाहन एक साथ निकलते थे तो एक्सीडेंट होते थे. लेकिन हमारी सरकार में पुल निर्माण का काम चल रहा है, जिससे यातायात की समस्या का निदान हो गया है.
श्री पी.सी.शर्मा--आपको लोक निर्माण मंत्री तो सुन नहीं रहे हैं वह बाहर चले गये हैं.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- सभापति महोदय, आप सुनें.
सभापति महोदय--नोट कर रहे हैं.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा-- सभापति महोदय, अनेकों ऐसे काम हैं जो मैं बता सकता हूं. अभी मेरे मित्र सिसौदिया जी बोल रहे थे सचमुच में यह बहुत जरूरी है. मैं आपको बता दूं कि होशंगाबाद से खण्डवा बहुत महत्वपूर्ण सड़क है इसका निर्माण 25-30 साल पहले हुआ यह साढ़े पांच मीटर चौड़ी सड़क है. इस पर अनेकों वाहन जाते हैं, ट्रक, बस, ट्रेक्टर ट्राली यह साढ़े पांच मीटर चौड़ी सड़क है वहां पर दुर्घटनाएं होती हैं ऐसी सड़क जिसका राष्ट्रीय राज मार्ग से सैद्धांतिक सहमति भारत सरकार ने नैशनल हाईवे के लिये दे दी है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि ऐसी महत्वपूर्ण सड़कें जो जनहित में बहुत जरूरी हैं इनको राष्ट्रीय राज मार्ग के अंतर्गत लेकर नेशनल हाईवे बनाकर फोर लाईन सड़क बनायी जाये, यह सड़क बहुत जरूरी है. ऐसे ही मेरे विधान सभा क्षेत्र में पिछली 15 महीने की कांग्रेस की सरकार में जो काम बंद हुए थे. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि धर्मकुण्डी से इटारसी सड़क जल्द से जल्द तैयार हो जाये. पूर्व में विधान सभा प्रश्न लगाया था उसमें उत्तर था कि मार्च 2021तक सड़क का काम पूरा हो जायेगा. अभी तो उसमें पुल पुलियाएं और सड़क का काम बाकी है. तरोंदा से इटारसी सड़क पूर्ण हो जाये. धर्मकुण्डी ओवरब्रिज का काम शीघ्र पूर्ण हो जाये, इस वर्ष के बजट बुक के 140 नम्बर पर एक सड़का का प्रस्ताव दिया था खोरा से तारम खेड़ा होते हुए बारासेल यह सड़क है 13 किलोमीटर की यह भूलवश 5 किलोमीटर का छपा है और कम राशि का प्रावधान छपा है तो इसमें संशोधन किया जाये. इसके साथ एक सड़क कोहदा से लालपानी, तिलक सेंदुर, रांझी बातना, नयागांव बारासेल से कनारीपाट यह 20 किलोमीटर की सड़क बहुत जरूरी है. सिवनी मालवा के विकासखंड को बैतूल जिले को जोड़ने वाली सड़क है. आदिवासी बेल्ट केसला ब्लाक आदिवासी ब्लॉक है. यह सिवनी मालवा को जोड़ने वाली मुख्य सड़क है इसको स्वीकृत किया जाये. इसी प्रकार से थुआ, म्याऊगांव, गोलगांव, बिसौनीकला, निरखी, निपानिया, 12 किलोमीटर की सड़क है यह भी महत्वपूर्ण सड़क है यह सिवनी मालवा विकासखंड तहसील और थाने से न्यायालय को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग है, इसलिये यह भी जरूरी है. ऐसे ही बैराखेड़ी, भरलाय, धामनिया, बासनिया, 14 किलोमीटर की सड़क है, यह मुख्य मार्ग है, यह बनना बहुत जरूरी है. इस बजट में इसका प्रावधान किया जाये. इतने अच्छे बजट जिसमें पूरे मध्यप्रदेश का ध्यान रखा गया है उसका मैं समर्थन करता हूं. धन्यवाद.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - सभापति महोदय, मंत्री जी जो सड़कें बन रही है, उन सड़कों पर लगातार अतिक्रमण हो रहे हैं, चाहे वह ग्रामीण विकास की हो या पीडब्ल्यूडी की सड़क हो. अतिक्रमण से सारी सड़कें गायब हो रही है, तो कोई पॉलिसी हम ऐसी बनाए कि सड़कें हमारी जो एक बार बनती है वह कम नहीं हो पाए और उसके साथ ही वृक्षारोपण भी कर दें. सभापति जी, अभी निवाड़ी जिला नया बना है, लेकिन रिकार्ड में पता नहीं है, या आपने कार्यालय खोला नहीं, लेकिन इस बजट में एक भी काम निवाड़ी जिले के लिए मंजूर नहीं हुआ. दोनों पुल आपके बेतवा जामनी के मंजूर थे, लेकिन उनकी बड़ी धीमी गति है, तो जेरोन से वासवान और बिड़ोराखेत से अस्तारी मार्ग और एक केल्गवा के ऊपर पुल इनको जोड़ लें ताकि निवाड़ी जिले का भी खाता खुल जाए. धन्यवाद.
सभापति महोदय - यह संज्ञान में ले लिया है.
श्री बैजनाथ कुशवाह(सबलगढ़) - माननीय सभापति महोदय, मैं वर्ष 2021-22 की अनुदान की मांग संख्या 24, 53 और 56 पर अपना भाषण देने के लिए खड़ा हुआ हूं. इस वर्ष के बजट में मेरी विधान सभा क्षेत्र से एक भी रोड नहीं लिया गया है. आदरणीय कमल नाथ जी की सरकार में विधान सभा क्षेत्र को पांच रोड दिए गए थे. जिनमें से अभी किसी पर काम चालू नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री महोदय जी ने मुरैना में एक साथ 40-50 सड़कों का भूमिपूजन किया था, उसमें विधान सभा क्षेत्र की 5 सड़कों का भी भूमिपूजन किया गया था. विधान सभा क्षेत्र का एक किरावली बेहड़ गांव का रोड आज दिनांक तक चालू नहीं किया गया न ही मौके पर भूमिपूजन हुआ है. मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि मुझे इस बजट में कोई सड़क नहीं दी गई, लेकिन कम से कम पूर्व में मेरे क्षेत्र में जो पांच सड़कें दी गई थीं, उनके तो काम पूरे हो जाए. मेरे क्षेत्र की अभी तक की विडम्बना रही है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में दो एम.एल.ए. हुआ करते थे, जब स्व. सुरेश चौधरी जी एम.एल.ए. होते थे, तब भारतीय जनता पार्टी की सरकार हुआ करती थी, जब स्व. मेहरबान सिंह जी एम.एल.ए. होते थे, तब कांग्रेस की सरकार होती थी. पिछली बार आदरणीय मेहरबान सिंह जी वहां के एम.एल.ए. थे, लेकिन वे पूरे पांच साल बीमार रहे, इसलिए मेरे क्षेत्र को अभी तक कोई काम नहीं मिला. मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं कि कैलारस पहाड़गढ़ रोड से भुरावली ग्राम से लेकर रिजोनी तक 8 किलोमीटर बाया कोरेड़ा तक एक रोड स्वीकृत किया गया है. हमारे आदरणीय विधायक भाई बैठे हैं, जौरा के सूबेदार सिंह रजौधा, कुछ मेरा क्षेत्र पड़ता है और कुछ उनका क्षेत्र पड़ता है. जौरा की लंबाई उससे कम से कम हमारी 20 किलोमीटर लंबी हो जाएगी अगर उसको जोड़ लिया जाए तो अति कृपा होगी. बाकी पीडब्ल्यूडी से जो क्वार्टर बने हुए हैं, वे काफी पुराने हैं, उनकी हालत काफी खराब है. हमारे सबलगढ़ में एक बहुत अच्छा रेस्ट हाउस था, जो अंग्रेजों के समय का था, उसको पर्यटन विभाग को दे दिया गया है, अब मेरे क्षेत्र सबलगढ़ में कोई रेस्ट हाउस नहीं है, पीडब्ल्यूडी ने उस रेस्ट हाउस को पर्यटन विभाग को दे दिया है तो मैं आदरणीय मंत्री महोदय से कहना चाहता हूं कि हमारे यहां पीडब्ल्यूडी की तरफ से एक रेस्ट हाउस बना दिया जाए, ताकि वहां आने जाने वाले लोगों को सुविधा हो सके. बाकी नेपरी बृजगढ़ी रोड से किरावली बेड़ के लिए बाया राजाराम पिपरा से काफी लंबे समय से वहां पर रोड नहीं है, वह यदि उसमें जोड़ दिया जाए तो आपकी अति कृपा होगी. इसमें पुलों की भी बात कही गई है, मेरे क्षेत्र में एक रुण्गान गांव है, वहां से लेकर जखौदा, एक सुजरमा बहुत बड़ा गांव है. वहां से लेकर इटौरा और एक पचेगा बहुत बड़ा गांव है, वहां से लेकर कैलारस तक यह कुंवारी नदी पड़ती है. कुंवारी नदी में बड़े नहीं तो अगर छोटे-छोटे रपटा भी बना दिये जाएं तो 40-40 किलोमीटर की दूरी, वहां के लोगों को कम तय करनी पड़ेगी और उसमें बहुत कम समय लगेगा, उससे वह शहर कैलारस में पहुँच सकेंगे. मैं आपके माध्यम से, आदरणीय मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ. इसके बाद मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक बहुत बड़ा स्थान बाबू बाबा का है, जो पूरे देश में एक ही स्थान है- करजौनी. बाबू बाबा करजौनी के लिये जो रोड स्वीकृत किया गया है, उसमें काम बहुत धीमी गति से चल रहा है. मानो काम शुरू ही नहीं हुआ है. वह रोड़ डेढ़ वर्ष पहले स्वीकृत हुआ है, उसमें आदरणीय मुख्यमंत्री महोदय के द्वारा भूमि पूजन भी हो चुका है और सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ कि बाबू बाबा का जो करजौनी का स्थान है, जिसकी लम्बाई 11.5-12 किलोमीटर है. उसके पास ही में एक और दूसरा भर्रागांव है, वह पास में ही है, जहां पुराने बाबू बाबा का स्थान था तो उसमें भी पैसा बच रहा है, तो जितनी दूरी बताई गई थी, उसको अगर और आगे तक बढ़ा दिया जाये तो अति कृपा होगी. पूरे देश से लोग बाबू बाबा के स्थान पर जाते हैं, मैं यही कहना चाहूँगा. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. योगेश पंडाग्रे (आमला) - माननीय सभापति महोदय, आज यहां मुझे सदन में पहली बार बोलने का मौका मिला है. मैं आज प्रदेश के ओजस्वी मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के मार्गदर्शन तथा वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा जी के नेतृत्व में जो बजट प्रस्तुत किया गया है, इस बजट की मांग संख्या 24, 53 एवं 56 के समर्थन में, मैं अपनी बात कहने के लिये यहां पर खड़ा हुआ हूँ एवं आपका संरक्षण चाहता हूँ.
सभापति महोदय, मैं बहुत पीछे नहीं जाना चाहूँगा लेकिन जब से सदन में देख रहा हूँ कि लगातार विपक्ष द्वारा जिस तरह से आरोप लगाये जा रहे हैं इसलिए मैं भी पिछले बजट की कुछ बातें यहां पर रखना चाहूँगा. मैं बैतूल जिले के आमला क्षेत्र से विधायक हूँ. हमने पिछली बार के बजट को भी देखा है, जब छिन्दवाड़ा में लगभग 56 सड़कें दी गई थीं और बैतूल जिले में लगभग 23 सड़कें दी गई थीं. आमला विधान सभा क्षेत्र, जो बैतूल और छिन्दवाड़ा के बीच में है, उसमें शून्य सड़कें दी गई थीं. सभापति महोदय, दोनों क्षेत्रों के बीच में होने के बाद भी कितनी बारीकी से सड़कों का निर्माण किया गया है कि आमला क्षेत्र को कोई सड़क छूकर भी न निकले. भेदभाव सिर्फ यहीं पर ही नहीं हुआ, भेदभाव तो तब हर स्तर पर किया गया था, बात सिर्फ विकास कार्यों की ही नहीं थी, बात तो किसानों की भी थी. ये जो स्वयं को किसानों के रक्षक बताते हैं, किसानों के हितैषी बताते हैं. जो इन्होंने बात कही थी कि किसानों का कर्ज माफ किया जायेगा. दो लाख रुपये तक का किसानों का कर्ज 10 दिन के अन्दर माफ किया जायेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह - सभापति महोदय, यह कृषि विभाग की चर्चा नहीं है. यह लोक निर्माण विभाग पर चर्चा हो रही है.
डॉ. योगेश पंडाग्रे - मैं सड़कों पर ही आ रहा हूँ. मेरी बात बजट से चालू हुई है.
सभापति महोदय - आप बोलिये. यह उनका पहला भाषण है.
डॉ. गोविन्द सिंह - अब इधर-उधर की बातें मत करें. कौन सा विभाग है, क्या विभाग है ? क्या बोल रहे हैं ?
डॉ. योगेश पंडाग्रे - मैं वहीं पर आ रहा हूँ. आप मुझे बोलने नहीं दे रहे हैं, पिछले बार सुन नहीं रहे थे.
सभापति महोदय - आप बोलिये, अच्छा बोल रहे हैं. आप विषय पर बोलिये. यह इनका पहला भाषण है.
डॉ.योगेश पंडाग्रे -- माननीय सभापति महोदय, मैं किसानों की एक यह बात याद दिलाना चाह रहा था कि बैतूल जिले में जो चार, पांच विधानसभा क्षेत्र हैं, उन चारों में एक लाख तक कर्ज माफी किया गया है, लेकिन मेरे विधानसभा क्षेत्र में नहीं किया गया है, यह बीच में मैं एक बात जोड़ना चाह रहा था कि किस तरह से इन्होंने किसानों के साथ भेद-भाव किया है. किसान तो दाता होते हैं, भगवान होते हैं और इन्होंने भगवानों में भी भेद किया है.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य, आपको अनुदान मांगों पर बोलना है, पहली बार आप बोल रहे हैं तो आप विषय पर बोलें.
डॉ.योगेश पंडाग्रे -- माननीय सभापति महोदय, आज जब सरकार बदली. मेरे आमला के क्षेत्र के साथ जो भेदभाव हुआ था, अभी हमारे कुछ मित्रों ने आरोप भी लगाया था कि यह सरकार वोटों की नहीं, नोटों की सरकार है, यह सरकार जुगाड़ की सरकार है.
सभापति महोदय -- फिर वही बात आप अनुदान की मांगों पर बोलें, विषय पर बोलें. आप अपनी विधानसभा की मांगे रखें तो माननीय मंत्री जी कुछ मंजूर भी कर देंगे.
डॉ.योगेश पंडाग्रे-- मेरे विधानसभा क्षेत्र के साथ जो अन्याय हुआ था मैं उसकी तरफ भी ध्यानाकर्षित करना चाह रहा था.
सभापति महोदय -- आप अपनी विधानसभा की मांग रखेंगे तो कुछ काम भी हो जायेगा. इधर-उधर की बात करेंगे तो कुछ नहीं होने वाला है. आप अपनी विधानसभा की बात करिये.
डॉ.योगेश पंडाग्रे -- मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक भी सड़क नहीं दी थी, यह उनकी हाय थी, यह उन लोगों की आह थी, जिसके कारण यह सरकार गिरी. आज मैं धन्यवाद देता हूं, हमारे माननीय मंत्री जी जिन्होंने हमारे क्षेत्र में मेरी जनता जिन परेशानियां का कई वर्षों से सामना कर रही थी, उनको देखते हुए मेरे क्षेत्र में चार-चार सड़कों की घोषणा की है और बैतूल विधानसभा क्षेत्र में भी एक बड़ी सड़क की घोषणा की है. मेरे क्षेत्र में हरदौली से काठी, गुबरैल से दुनई, मोरखा से कोहपानी जैसी बड़ी सड़कें और सारनी से लादी होते हुए रतेड़ाकला वाली सड़क देने की जो घोषणा की है, उसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को, हमारे वित्तमंत्री जी को, हमारे पी.डब्ल्यू.डी. मंत्री श्री गोपाल भार्गव को विशेष तौर पर धन्यवाद देना चाहता हूं और इसके कारण मेरे क्षेत्र की जनता इन्हें जो आशीर्वाद दे रही है, उसको मैं यहां पर प्रस्तुत करना चाह रहा हूं. जहां तक यह बात मेरे विधानसभा क्षेत्र की भी नहीं है, पूरे प्रदेश में इस वैश्विक संकट के दौर में इन्होंने जो बजट प्रस्तुत किया है, वह निश्चित ही अभिनंदनीय है. लगभग 460 नवीन सड़क कार्य, जिसमें 2 हजार 441 किलोमीटर की सड़क बननी है, 3287 करोड़ रूपये की राशि, 65 नये पुल जिसकी राशि लगभग 759 करोड़ रूपये, 105 नये रेल्वे ओव्हर ब्रिज जिसमें लगभग 3132 करोड़ रूपये का लागत मूल्य है, इसको इस वैश्विक संकट के दौर में भी इस क्षेत्र की जनता को देना निश्चित ही एक बड़ा कार्य है, इसके लिये मैं बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं.
3.58 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक छोटी सी चीज की तरफ आपका ध्यानाकर्षित कराना चाहता हूं कि मांगा भी उसी से जाता है जो दाता होता है और जिसकी नीयत होती है. मेरे क्षेत्र में मेरे ग्रह ग्राम सुसन्द्रा के पास ग्राम बेलमण्डई है, जो किसी तकनीकी कारणों से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से नहीं जुड़ पाया था और तब 500 मीटर से कम दूरी दर्शा रहा था, लेकिन जब इस बार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में इसको लेने की कोशिश की गई तो वह पांच किलोमीटर से कम की सड़क लेते नहीं है तो महोदय जी यह ग्राम वर्ष 1947 से आज तक मात्र एक सड़क की बाट
जोह रहा है तो मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहूंगा कि ग्राम अम्बाड़ा जोड़ से बेलमण्डई होते हुए सुसन्द्रा तक एक नये मार्ग का निर्माण करवाया जाये और दूसरा बांसखापा से पिपरिया तक एक किलोमीटर की सड़क जो बैतूल जिले को छिदंवाड़ा से जोड़ती हुई जायेगी, इस एक सड़क का निर्माण किया जाये तो मेरी जनता आप सभी को बहुत-बहुत आशीर्वाद देगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि अभी बोलने वाले माननीय सदस्यों की संख्या बहुत है, आप इस तरह से यदि पूरा बोलेंगे तो शायद बहुत समय लगेगा, आप सबसे आग्रह है कि आप अपने आपको अपने क्षेत्र तक सीमित रखें और प्रत्येक सदस्य को पांच मिनट से ज्यादा नहीं बोलना हैं. कृपा करके मुझे घण्टी नहीं बजाना पड़े. पांच मिनट का मतलब पांच मिनट में आप उसको संक्षिप्त करें.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अनुपस्थित.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल (उदयपुरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सबसे पहले मांग संख्या 24, 53, 56 के संबंध में अपनी बात रखना चाहता हूं. इसके पहले मैं माननीय मंत्री महोदय से आपके माध्यम से यह बात बहुत महत्वपूर्ण है, माननीय मंत्री महोदय इसके लिये शायद बहुत महत्वपूर्ण ढंग से भी लेंगे, क्योंकि जब वर्ष 2019 में एनएच-12 भोपाल से जबलपुर, जब उस समय मैंने बजट सत्र में बोला था तो एनएच-12 के लिये पूर्ण करने की अवधि वर्ष 2020 बताई थी और उसमें तत्कालीन अध्यक्ष महोदय थे उन्होंने भी एनएच-12 पर कहा था कि अभी तक यह एनएच-12 अधूरा है, चूंकि मैं रायसेन जिले से विधायक हूं, एनएच-12 मंडीदीप से शुरू होता है और 75 प्रतिशत एनएच-12 मेरे रायसेन जिले में आता है. मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि इसकी एक समिति बनी थी और समिति ने यह कहा था कि वर्ष 2020 तक यह पूर्ण हो जायेगा, मुझसे कहा गया था कि उस समिति में आपको रखा जायेगा, लेकिन आज तक उस समिति में मुझे नहीं रखा गया और न अब उसकी समिति बनी है, इसके संज्ञान में मैं मंत्री महोदय को ध्यान दिलाना चाहता हूं कि यह समिति जरूर बनायें क्योंकि यह एनएच-12 जो है वह 75 प्रतिशत मेरे जिले में है और 50 प्रतिशत मेरी विधानसभा में है. आज इतना गुणवत्ताविहीन कार्य हो रहा है जो आप खुद ही देख सकते हैं. भोपाल से लगाकर नरसिंहपुर, करेली तक मेरा क्षेत्र आता है और मैं डेली एनएच-12 में जाता हूं इसकी हालत इतनी खराब है, जहां तहां से पूरे क्रेक हो चुके हैं, हर तरह से क्रेक मार रहा है, इसके जो 3 ठेकेदार हैं, यह तीनों बहुत ही लापरवाही से इस एनएच-12 को बना रहे हैं. इनके लिये समय सीमा थी 2020 और अभी तक यह पूर्ण नहीं हुआ है. इसमें एक बात और मैं आपके ध्यान में लाना चाहूंगा कि बाड़ी चूंकि मेरी तहसील है उसमें इन्होंने एक एनएच-12 में पुल नहीं बनाया, जब वहां बाढ़ आई तो मेरा सिरवाड़ा ग्राम जो है, पहले पानी खेतों में निकल जाता था और वहां से बाहर चला जाता था, लेकिन बाढ़ आने के कारण जब बरसात अधिक हुई तो एनएच-12 जब ऊंचा उठा तो बाड़ी के बगल का जो गांव सिरवाड़ा है वह पूरा डूब गया था. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं क्योंकि आप मेरे गुरू भी हैं क्योंकि भार्गव मेरे क्षेत्र में सबसे ज्यादा हैं. मैं आपसे निवेदन करूं क्योंकि मैं तो नर्मदाखंडी हूं, मैं आज आपके समक्ष आया हूं, जब से देश आजाद हुआ था मेरे परिवार के मेरे बुजुर्ग, डॉ. शंकर दयाल शर्मा जी के साथ में पहली बार जिला कांग्रेस का चुनाव भोपाल में लड़े थे, जब उस समय भोपाल जिला कांग्रेस था, जब से आज तक हमारा 9वां चुनाव है, हमारे परिवार का 9वां चुनाव है, भले मैं पहली बार सदस्य बनकर आया हूं, लेकिन राजनीति मेरे खून में बसी हुई है, जबसे हमारे आदरणीय दिग्विजय सिंह जी मुख्यमंत्री थे और जब से आज तक मैं राजनीतिक सेवा करता रहा हूं, लेकिन मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं, भार्गव जी क्योंकि रायसेन और होशंगाबाद जिले में यहां जो कांग्रेस के सदस्य हमारे बैठे हैं उनसे भी निवेदन करना चाहता हूं कि मैं रायसेन और होशंगाबाद में कांग्रेस का एकमात्र विधायक हूं. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि पहले आप एनएच-12 पर एक कमेटी बनायें और आप आपके मार्गदर्शन में इसको देखें.
श्री पी.सी. शर्मा-- एनएच-12 भोपाल से जाता है और इसमें कमेटी बननी चाहिये.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल-- उस कमेटी में तत्कालीन अध्यक्ष भी शामिल थे, लेकिन वह कमेटी आज तक नहीं बनाई गई. आप खुद एक बार जाकर देखें, जब सागर जायें तो खुद जाकर देखें बहुत खराब हालत है, उदयपुरा में उसका ओब्हर ब्रिज नहीं बनाया गया, चूंकि उदयपुरा के नाम से मेरा विधान सभा क्षेत्र है. आदरणीय डॉ. शंकर दयाल शर्मा हमारे सम्मानीय पूर्व राष्ट्रपति का विधान सभा क्षेत्र था और उसी विधान सभा से आज मैं हूं. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि पहले तो आप एनएच-12 पर एक कमेटी बनाएं. निश्चित तौर पर आप अपने मार्गदर्शन में इसे देखें. उस तत्कालीन कमेटी में तत्कालीन अध्यक्ष भी शामिल थे लेकिन वह कमेटी आज तक नहीं बनायी गयी. आप खुद सागर एक बार वहां से जाएं तो बहुत खराब हालत है. उदयपुरा में उस पर ओवर ब्रिज नहीं बनाया गया. उदयपुरा के नाम से मेरा क्षेत्र है. आदरणीय डॉ.शंकर दयाल शर्मा हमारे पूर्व सम्मानित राष्ट्रपति जी का क्षेत्र था और उसी विधान सभा क्षेत्र से मैं हूं. मुख्यत: उदयपुरा से निकला है एनएच-12 लेकिन वहां फ्लाई ओवर होना चाहिये. जो फ्लाई ओवर बना है वह फ्लाई ओवर बहुत छोटा बना हुआ है. इससे उदयपुरा के दो भाग हो गये हैं. एक भाग दक्षिण तरफ और एक भाग उत्तर तरफ. इससे उदयपुरा की जनता काफी प्रभावित है. बहुत परेशान है. इसकी जरूर आप जांच करे. आप कमेटी बनाए. जो आपको अच्छा लगे वह आप करने की कृपा करें क्योंकि जब मैं गाड़ी यहां से लेकर चलता हूं तो ऐसा लगता है कि किसी देहाती सड़क पर चल रहा हूं. मैं अपने क्षेत्र की बात पर आता हूं.
अध्यक्ष महोदय - श्री संजीव श्री प्रसाद जायसवाल..
श्री गोपाल भार्गव - यह एन.एच. निर्माण कर रही है या एन.एच.आई. निर्माण कर रही है.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल - मेरे यहां नर्मदा किनारे गांव हैं. 140 कि.मी. नर्मदा मेरे गांव से बहती है. वहां से एक रोड सिर्फ मैंने मांगा है. निमाड़ा से मनकापुर,बुरैला,जैतपुरा से होशंगाबाद तक. उस मार्ग में जो परिक्रमावासी जाएंगे वह 200 कि.मी. घूम कर जाते हैं.
अध्यक्ष महोदय - अभी तय हुआ है समय. आप लिखकर दे दीजिये. आप बैठिये.
श्री देवेन्द्र सिंह पटेल - मैं लिखकर दे रहा हूं उस पर आप संज्ञान लेने की कृपा करें. मैंने आपको पूर्व में भी दिया था. मंत्री जी मैं आपका संरक्षण चाहता हूं.
श्री संजीव श्रीप्रसाद जायसवाल (सुवासरा) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24,53,56 के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं मंत्री महोदय को 460 सड़कें जो 2441 कि.मी. की हैं जो 3200 करोड़ से अधिक की राशि से बन रही हैं. 65 पुल जो लगभग 750 करोड़ से अधिक राशि के होंगे और 105 आरओबी जो लगभग 3 हजार करोड़ से ज्यादा राशि से निर्मित होंगे, इसके लिये उन्हें बधाई देना चाहूंगा. कटनी जिले के साथ-साथ मेरे क्षेत्र में 2 सड़कें इंडस्ट्रियल एरिये में उनके द्वारा स्वीकृत की गईं जिनकी राशि 6 करोड़ 40 लाख रुपये है. बहोरीबंद में हमारे जिले में 3 सड़कें दी गईं जिनकी लागत 9 करोड़ 90 लाख रुपये है. हमारे जिले को 3 ओवरब्रिज प्राप्त हुए हैं जिसमें से एक 36 करोड़ 40 लाख का,दूसरा 34 करोड़ 64 लाख का है. मेरे क्षेत्र में मंगल नगर से छपरवाह के लिये, मंगल नगर से झर्राटिकुरिया के लिये एक रेलवे ओवरब्रिज स्वीकृत किया गया जिसकी लागत 44 करोड़ 30 लाख रुपये है. मेरे क्षेत्र में 2 पुल भी स्वीकृत किये गये हैं. आदर्श कालोनी से शमशान घाट रोड पर और देवरीकला से देवरीखुर्द जिनकी कुल लागत 12 करोड़ 43 लाख है. हमारा कटनी,विशेष रूप से कटनी नगर चारों तरफ रेलवे लाईन से जुड़ा हुआ क्षेत्र है. आज जो ब्रिज हमें प्राप्त हुआ है उससे न केवल वहां के 7-8 वार्ड,बाकी मेरे पड़ोस के बड़वारा के कांग्रेस के विधायक विजय राघवेन्द्र सिंह जी के ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले लोगों को भी सुविधा देगा. इसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और विभागीय मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा लेकिन मैं कहूंगा कि कटनी रेलवे के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है. हमारे यहां चारों दिशाओं के लिये रेलवे लाईन जाती है और चार स्टेशन भी हैं, अगर इस ब्रिज के साथ,जैसा कि मुख्यमंत्री जी ने भी घोषणा में कहा था कि चारों स्टेशनों को जोड़ने के लिये ओवर ब्रिज बनाया जायेगा. हमारे प्रदेश अध्यक्ष, हमारे स्थानीय सांसद वी.डी.शर्मा जी ने भी इस बात को रखा था, अगर गायत्री नगर से सिविल लाईन ओवर ब्रिज भी साथ मे नहीं जोड़ा जायेगा तो यह जो हमारी कल्पना है चारों स्टेशनों को जोड़ने की, वह अधूरी रह जायेगी. चारों स्टेशन को जोड़ने की, तो वह अधूरी रह जायेगी. मैं मंत्री जी से आग्रह करुंगा कि इसके साथ ही उस ओव्हर ब्रिज की स्वीकृति प्रदान की जाये, जिससे लगभग 20 वार्ड और बड़वारा एवं विजयराघवगढ़ क्षेत्र के अनेक ग्रामीण क्षेत्रों को लाभ मिलेगा और चारों स्टेशन आपस में जुड़ जाने से आवागमन को भी फायदा पहुंचेगा. इसके अतिरिक्त मंत्री जी ने मुझे आश्वासन दिया था कि धपई से जरवाही को जोड़ने के लिये नदी में एक पुल के लिये, उनका आशीर्वाद चाहूंगा कि उसकी भी अतिरिक्त स्वीकृति मुझे प्रदान की जाये. पिछले कार्यकाल में आधे कटनी शहर को, आस पास के ग्रामीण क्षेत्र को 3 ओव्हर ब्रिज मिले हैं. लमतरा फाटक पर, मझगवां फाटक पर निर्माणाधीन है और मिशन चौक पर. लेकिन इसके अलावा जैसा कि मैंने बताया कि हम चारों और रेल्वे लाइन से घिरे हुए हैं इसलिये हमारी मांग ज्यादातर ओव्हर ब्रिज और पुल की होती है. मैं चाहूंगा कि अमीरगंज और तखला जो ऐसे हमारे शहरी क्षेत्र के अन्दर फाटक हैं, जहां पर रेल्वे ओव्हर ब्रिज का निर्माण अत्यंत आवश्यक है. मैं चाहूंगा कि भविष्य में इन ओव्हर ब्रिज के निर्माण की ओर भी मंत्री जी ध्यान दें, लेकिन वर्तमान में गायत्री नगर सिविल लाइन का ओव्हर ब्रिज अत्यन्त आवश्यक है, मैं चाहूंगा कि जब आप अपनी बात रखें, हम सबको एक उपलब्धि और मिल सके इस ओव्हर ब्रिज के रुप में. मैंने आपसे चर्चा की थी. हमारे यहां रिंग रोड तीन तरफ बन चुकी है, एक तरफ की अधूरी रिंग रोड है, भविष्य में उसको भी पूर्ण करने के लिये आपका आशीर्वाद चाहूंगा. हरदुआ और कनवारा में पीडब्ल्यूडी के गेस्ट हाउस की अत्यन्त आवश्यकता है, मैं चाहूंगा कि उसकी भी स्वीकृति मिले. इसके अतिरिक्त मैंने आपके समक्ष शिकायत की थी कि कटनी नदी का एक पुल पिछले 10 से अधिक वर्षों से निर्माणाधीन है और जो हमेशा जनता में चर्चा का विषय बना रहता है. हालांकि अब वहां निर्माण कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है. मैं चाहूगा कि एक बार आप स्वयं आकर उसका निरीक्षण करें, संबंधित पर कार्यवाही करने के लिये. इसके अलावा केलवारा एवं बिलहरी की रोड और जो जोहला से चाका बायपास बन रहा है, उसमें बारबार मरम्मत कार्य हो रहा है. एक बार तो ओव्हर ब्रिज में भी ढहने की स्थिति आ गई थी, तो निर्माण कार्य रोका गया था. तो मैंउनकी जांच कराने का आशीर्वाद चाहूंगा. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया और मैंने मुझे लगता है कि निश्चित समय में अपनी बात रखी है, आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- संदीप जी, आपको बहुत बहुत धन्यवाद. आपने समय से पहले समाप्त किया.
श्री पी.सी. शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्चिम) -- अध्यक्ष महोदय, मैं लोक निर्माण विभाग के मंत्री जी की मांग संख्या 24,53 और 56 पर चर्चा के लिये खड़ा हूं. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि 7341 करोड़ का प्रावधान मंत्री जी ने इसमें रखा है. इसमें इन्होंने यह भी दर्शाया है कि 2500 किलोमीटर सड़क बनेगी, 35 पुल, 105 आरओबी और 26 सड़कें भोपाल में बनेंगी. यह प्रावधान किया है. लेकिन मेरा निवेदन है कि इतना प्रावधान होता है आपके बजट में, लेकिन ठेकेदारों को भुगतान नहीं होता है और ठेकेदारों के भुगतान नहीं होते हैं, तो वे काम करते नहीं हैं. यह पीड़ा बता रहा हूं, मैं भोपाल की जब बात करता हूं कि यह काम नहीं हो रहा है, तो ठकेदारों का यही कहना होता है कि भुगतान नहीं हो रहा है. तो आखिर भुगतान क्यों नहीं होते हैं. हम बात करें रातीबढ़ की सड़क, नीलबढ़ की जो सड़क जा रही है, इसका भूमि पूजन सज्जन सिंह वर्मा जी जब मंत्री थे, तब किया था, उस काम को डेढ़ साल हो गया और इतनी धूल और इतना जाम उस रोड पर लगता है, बड़ी महत्वपूर्ण रोड है, इस समय वह सड़क ऐसी है भोपाल की, क्योंकि बाकी जगह तो सड़क बन गई. इन्दौर, होशंगाबाद रोड क्लीयर है. अब यह सड़क चालू हुई है, इसमें पहले यह भी प्लान था कि इसको फोर लेन बनायेंगे. फोर लेन के साथ साथ इसको होशंगाबाद, कोलार और कोलार से जोड़ते हुए यहां जोड़ेंगे. यह एक ऐसी सड़क है कि भोपाल का जो ट्रेफिक है, इसको इस माध्यम से यह सीहोर ले जाकर इन्दौर ले जाने के रुट पर चली जाती है. यह महत्वपूर्ण रोड है, लेकिन इस पर बिलकुल ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जब बात होती है, तो यही होती है कि भुगतान नहीं हो रहा है ठेकेदार का.
अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि भोपाल की कोलार की सड़क, भोपाल की चूना भट्टी की जो सड़क है , यह दिया तले अंधेरा वाली बात है, यह मध्यप्रदेश की राजधानी है, यहां सभी लोग, मंत्री यहां रहते हैं कम से कम यहां उसको प्राथमिकता तो मिले. चूना भट्टी एक मुख्य जगह है वहां की सड़कें, कोलार की सड़कें, वह रुकी हुई है, गड्ढे हो रहे हैं, अब यह तो कहूंगा नहीं कि सड़कों में गड्ढे नहीं है. गड्ढों में सड़क दिख रही है. यह जो सड़कें हैं इनकी क्वॉलिटी हो, एक जमाने में पता नहीं आजकल है कि नहीं सीटी हुआ करती थी जो सड़कों की क्वॉलिटी चेक किया करती थी . वह देखने को नहीं आ रहा है. आरओबी सुभाष नगर फाटक के ऊपर बनना है, जिसकी बात आई कि इतने आरओबी और बनेंगे. लेकिन जो आरओबी आधा कंपलीट है उसको तो पूरा कराएं. वह हो नहीं रहा है. मैंने जो आपसे एक निवेदन किया है कि यह जो सड़क है इसको आप कृपया नोट करें कि होशंगाबाद रोड से कोलार और कोलार से रातीबड़ वाली सड़क है, नीलबड़ है इसको जोड़ा जाय और फोर लेन किया जाय. जो अभी काम चल रहा है, यह काम जल्दी से जल्दी पूरा होना चाहिए. मेरे विधान सभा क्षेत्र में आता है इसका बरखेड़ी क्षेत्र वहां लोग परेशान हो रहे हैं, धूल उड़ती है. वहां पर ट्रैफिक जाम होता है, बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. एक मांग मेरी यह है कि यह जो होशंगाबाद का रोड है इसका काम पूरा हो नहीं रहा है. न जाने कितने साल से काम चल रहा है लेकिन वह अभी तक पूरा नहीं हो रहा है. जब मैं होशंगाबाद का प्रभारी था वहां जाने में बड़ी दिक्कत होती थी. दूसरा जो रेहटी नसरुल्लागंज मुख्यमंत्रीजी का क्षेत्र है, उसमें हरदा जाना हो तो वहां एक पुल भी न जाने कितने समय से बन रहा है और बरसात में चल नहीं पाओगे कमल पटेल जी, मुस्कुरा जरूर रहे हो, लेकिन वह आपकी सड़क बंद हो जाएगी. जो नसरुल्लागंज के आगे रोड है उसमें काफी काम होना बाकी है. बरसात में वह रोड बंद हो जाएगा.
मेरी यह प्रार्थना है मंत्री जी कि भोपाल में सरकारी कर्मचारी रहते हैं, उनको क्वॉटर्स अलाट होते हैं, उनके छोटे छोटे काम जो क्वॉटरों में होना चाहिए, इसमें प्रावधान तो आपने रखा है लेकिन काम होते नहीं है. वह लोग चिट्ठी देते रहते हैं, बात करते रहते हैं लेकिन काम होते नहीं हैं इसमें प्रावधान कुछ बढ़ाएं और शासकीय कर्मचारी जो पूरा काम करते हैं. इसमें विधान सभा के भी बहुत से वहां पर रहते हैं तो यह उन सरकारी कर्मचारियों के छोटे बड़े काम क्वॉटर्स के हैं, वह पूरे होना चाहिए. यह मेरा आपसे निवेदन है, इसका स्पेशल प्रावधान उसमें रखें.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करूंगा कि यह जो रोड है अधिकारी, इंजीनियर इसको देख रहे होंगे कटारा हिल्स का रोड बाकी है, एक 11 मील से जो रोड निकला है वह सड़क है, ये रुकी हुई सड़कें हैं, जिन पर काम चल रहा है, जिसको जल्दी से जल्दी पूरा किया जाय, यह मेरा आपसे निवेदन है और मैं समझता हूं अध्यक्ष महोदय, आपकी जो 5 मिनट की लिमिट है, मैंने अपने यहां की बात की और मैं पूरा कर रहा हूं, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - बहुत बहुत धन्यवाद, शर्मा जी. श्री जसपाल सिंह जज्जी, सब समय का ख्याल रख रहे हैं, आप भी रखिएगा.
श्री प्रहलाद लोधी (पवई) - अध्यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन करना चाहता हूं, मैं कुछ अपनी मांगें लिखकर रखा हूं, यदि आपकी अनुमति हो जाय तो मैं जमा कर दूं.
श्री जजपाल सिंह जज्जी (अशोकनगर) - अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मैं बजट की मांग संख्या 24,53 एवं 56 का समर्थन करता हूं. महोदय किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए वहां की सड़कें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं और निश्चित रूप से मध्यप्रदेश की जो भी सरकार होती है या देश की, वह हमेशा अपना बेस्ट करने का प्रयास करती है, लेकिन माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार ने पिछले 15 वर्षों में सड़कों के मामले में प्रदेश में जो काम किया है, निश्चित रूप से वह बहुत स्वागत योग्य है. इसी बात को आगे बढ़ाते हुए माननीय श्री भार्गव जी ने इस बजट में सड़कों के लिए जो मांग रखी है उसमें उन्होंने पिछले बजट की तुलना में इस बार बढ़ोतरी की है. जबकि पूरी दुनिया की इस कोविड की महामारी के काल में अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है लेकिन ऐसे समय में किसी भी बजट में राशि का बढ़ाया जाना निश्चित रूप से बहुत सराहनीय कार्य है.
अध्यक्ष महोदय इस बजट में सड़कें और 105 फ्लाई ओवर जो रेल्वे ट्रेक के ऊपर बनाये जाने का प्रावधान किया है यह निश्चित रूप से बहुत मानवीय कार्य है क्योंकि मैं खुद भुगतभोगी हूं इस कार्य के लिए हमारे अशोक नगर शहर के मध्य से एक रेल्वे लाइन गुजरती थी और हम लोगों ने लगातार 10 वर्ष संघर्ष किया आंदोलन किये, बाजार बंद किये, ट्रेन रोको आंदोलन किये तब जाकर वहां पर हम अण्डर ब्रिज स्वीकृत करा पाये हैं. वहां पर दो साल से काम चल रहा है. मैं आपके माध्यम से सरकार से मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि पिछले एक माह से अण्डर ब्रिज का काम केवल इसलिए रूका है कि वहां पर रेल्वे के द्वारा ब्लाक, जिसमें ट्रेनों की आवाजाही 8 घंटे के लिए रोकी जायेगी, तब नीचे ब्लाक डाल पायेंगे. उ सके लिए रेल्वे मंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि मंत्री जी या सरकार केन्द्रीय रेल्वे मंत्री जी से बात करके अशोक नगर के उस अण्डर ब्रिज को पूर्ण करने के लिए ब्लाक दिलाने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय मैं माननीय मंत्री जी से यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि अशोक नगर के मध्य में, क्योंकि अशोक नगर के विकास के लिए बहुत जरूरी है कि वहां पर जो प्राचीन स्टेट के समय का पुराने शहर में एक रेस्ट हाऊस है अब वर्तमान में लोक निर्माण विभाग के द्वारा शहर के बाहर एक बड़ा रेस्ट हाऊस बना दिया गया है, इसी तरह से शहर के मध्य में एक अदालत की पुराना भवन है जो कि लोक निर्माण विभाग की है. वहां पर शहर के बाहर अदालत का एक नया भवन बन चुका है और कई वर्षों से वहां पर अदालत शिफ्ट हो गई है वहां पर यह दोनों भवन खाली पड़े हैं. लेकिन वह दोनों भवन नगर पालिका को हस्तांतरित नहीं हुई है लेकिन पिछले 20 साल से मैं संघर्ष कर रहा हूं निवेदन कर रहे हैं नगर पालिका के माध्यम से कई बार प्रस्ताव आ गये हैं कि वह दोनो भवन नगर पालिको हेण्ड ओवर कर दी जाय ताकि शहर का विकास संभव हो सके. शहर के मध्य में वह दोनों भवन हैं इन दोनों भवनों की उपयोगिता विभाग के पास नहीं है लेकिन उसके बाद में भी यह काम नहीं हो पा रहा है तो मैं निवेदन करना चाहूंगा कि वर्तमान में शहर की आवश्यकताओं को देखते हुए यदि लोक निर्माण विभाग पुराना रेस्ट हाऊस और अदालत नगर पालिका को हस्तांतरित कराने की कार्यवाही करें. ये मैं लोक निर्माण मंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि इन पर विचार करते हुए अशोक नगर के विकास के लिए यह बहुत आवश्यक है. मेरा विशेष निवेदन है मेरी यह सबसे महत्वपूर्ण मांग है.
अध्यक्ष महोदय इसके अलावा मैं माननीय मंत्री जी से मेरे क्षेत्र की सड़कों के लिए निवेदन किया था कि यह बहुत महत्वपूर्ण सड़कें हैं शहरसे 3 किलोमीटर दूर एक आंवरी गांव है अशोक नगर शचीन्द्र राणा पार्क है लेकिन बरसात में चारवां नाम का बीच में एक नाला पड़ता है जो तुलसी सरोवर शहर के बीचों बीच एक तालाब है उसकी वेस्ट वीयर के कारण चार माह तक लोगों को 12 किलोमीटर का चक्कर लगाकर आना होताहै. मेरा निवेदन है कि यह सड़क अतिआवश्यक सड़क है, राणा शचीन्द्र पार्क से आंवरी गांव तक उस सड़क और पुल को बनवाने का कष्ट करें.
श्री कुणाल चौधरी -- चुनाव में ले लेते अब कुछ भी नहीं मिलेगा.
श्री जजपाल सिंह जज्जी -- बहुत बहुत बड़े बड़े काम कर दिये हैं लेकिन एक सड़क छूट गई है उसके लिए मेरा निवेदन है. धन्यवाद जय हिन्द.
श्री संजय यादव ( बरगी )-- अध्यक्ष महोदय मैं मांग संख्या 24, 53 और 56 के विरोध में खड़ा हुआ हूं. सबसे पहले मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि पिछले कांग्रेस कार्यकाल में आ दरणीय सज्जन वर्मा लोक निर्माण मंत्री जी ने मुझे 9 सड़क दी थीं. उन सड़कों का वर्क आर्डर हो गया था उसके बाद जैसे ही भाजपा की सरकार आयी चलते काम को रोक दिया गया है. इससे स्पष्ट होता है कि किस तरह से भेदभाव किया जा रहा है. इसी तरह से इस बजट में जबलपुर महाकौशल की घोर उपेक्षा हुई है. मैं देख रहा था कि इतना बड़ा जबलपुर है केवल उसकी 3 सड़कें रखी गई हैं. महाकौशल के साथ में किस तरह से भेदभाव सरकार कर रही है यह बजट से स्पष्ट होता है यह सरकार आदिवासी विरोधी है मण्डला, डिंडौरी, छिंदवाड़ा, जबलपुर या कटनी हो इनके आसपास की किसी भी सड़क को प्रातमिकता नहीं दी गई है. जैसा कि हमारे पूर्व मंत्री वर्णा जी ने बताया 2012 में माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साहब ने यह घोषणा की थी कि हम परिक्रमावासियों के लिए नर्मदा किनारे पथ बनायेंगे. जब आप नर्मदा किनारे पथ नहीं बना पाये तो नर्मदा एक्सप्रेस वे कैसे बना पायेंगे. तो नर्मदा एक्सप्रेस वे कैसे बना पाओगे. आप तो नर्मदा एक्सप्रेस वे की बजट में घोषणा इसलिये करते हो ताकि हमारे माफिया लाईन बता दें कि यहां से नर्मदा एक्सप्रेस वे निकलेगा वहां-वहां जमीनें खरीद लें और जमीनों के भाव बढ़ जाएं, आपकी मंशा यह रहती है. अगर आपकी मंशा नर्मदा के प्रति श्रद्धा की होती तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो वर्ष 2012 में कहा था कि हम नर्मदा पथ बनाएंगे, आज तक क्यों नहीं बना, क्योंकि जब शिवराज जी ने नर्मदा सेवा यात्रा निकाली तो शिवराज जी हेलीकॉप्टर से घूमे और उस-उस घाट जाते रहे जहां रेत का भण्डार रहता रहा. पूरे नर्मदा किनारे नहीं गये. नर्मदा किनारे तो दिग्विजय सिंह जी गये थे. इसलिये आज तक नर्मदा पथ की आवश्यकता नहीं पड़ी.
अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से बरगी विधान सभा क्षेत्र के अंदर हमारे कुछ ऐसे रेस्ट हाउस हैं, हुलकी रेस्ट हाउस है, जिसमें अनावश्यक खर्च आता है, आप पूरा प्रदेश बेच रहे हो तो ऐसे रेस्ट हाऊस को भी बेच दो जिनकी कोई आवश्यकता नहीं है. एक रेस्ट हाऊस और बिक जाएगा तो कम से कम शासन के राजस्व में बढ़ोत्तरी हो जाएगी. तीसरा, यह है कि शहपुरा-नरसिंहपुर मार्ग में हमारे शहपुरा से बाइपास नहीं है. अभी एनएच द्वारा एमपी एसआरडीसी एजेंसी है, बाइपास बनाया जा रहा है, अगर उस राशि से हमारा शहपुरा नरसिंहपुर बाइपास बना दिया जाए तो हमारे शहपुरा के लोगों को सहूलियत होगी. आपसे मेरा यही निवेदन है, मंत्री जी तो हैं नहीं. हमारा महाकौशल कम से कम विकास के मामले में न फड़फड़ाए, मंत्रियों के मामले में तो फड़फड़ा चुका, लेकिन विकास के मामले में न फड़फड़ाए. इतनी कृपा कर दो कि जबलपुर की जो हमारी सड़कें हैं कम से कम उन सड़कों को जोड़ने का काम करें. मैं आपका हमेशा विरोध करूंगा क्योंकि आपने जबलपुर और महाकौशल की घोर उपेक्षा की है.
अध्यक्ष महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद संजय जी, आपने बहुत कम समय लिया.
श्री राज्यवर्द्धन सिंह (नरसिंहगढ़) -- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24 और 53 का समर्थन करता हूं. मुझे कहते हुये अत्यंत हर्ष है और कोई अतिश्योक्ति भी नहीं है कि सड़कों के विकास के लिये विगत 15 वर्षों में जो काम प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी द्वारा किये गये हैं वह अतुलनीय हैं, अद्वितीय हैं तथा सतत रूप से आज भी जारी हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा चौथी बार प्रदेश की सत्ता को संभालने के बाद कोरोना संक्रमण महामारी और राज्य सरकार की बिगड़ी हुई आर्थिक स्थिति के बावजूद माननीय प्रधान मंत्री जी की आत्मनिर्भर भारत संकल्पना को साकार बनाने की दिशा में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का बीड़ा उठाया है, जो उनकी दूरगामी सोच और दृढ़ इच्छाशक्ति से पूर्ण होगा. इस विषम परिस्थिति में भी प्रदेश के मुखिया ने प्रदेश की सड़क, पुल, भवन के विकास के लिये नई गाथा लिखी है. हमारे लोक निर्माण विभाग के माननीय मंत्री गोपाल भार्गव जी द्वारा विभाग की कमान संभालते हुये विकास का रोड मैप भी तैयार कर लिया गया है. मुख्य बजट वर्ष 2021-22 में 2,441 किलोमीटर की नवीन सड़कों के कार्य तथा 65 नवीन पुल निर्माण के साथ-साथ रेलवे क्रॉसिंग पर दुर्घटनाओं को रोकने और सुगम यातायात के दृष्टिगत 105 रेलवे ओव्हर ब्रिज निर्माण के कार्य प्रस्तावित हैं, जो प्रदेश के विकास को नवीन आयाम देंगे.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश को अटल प्रोगेस वे और नर्मदा एक्सप्रेस वे की सौगात भी बजट में मिली है. मेरे राजगढ़ जिले के अंतर्गत 28.5 किलोमीटर लंबाई के 8 मार्गों पर 5,250 लाख की लागत से नवीन सड़कों की स्वीकृति मिली है. जिसमें मेरी विधान सभा नरसिंहगढ़ के अत्यंत महत्वपूर्ण कंतोडा़ बाइपास जो जर्जर हालत में था उसको लगभग 4 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली है एवं बोड़ा से बोरखला मार्ग के ध्वस्त भाग पर सड़क निर्माण की स्वीकृति प्राप्त हुई है. इसके लिए मैं माननीय मंत्री महोदय का आभार व्यक्त करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मेरे क्षेत्र की कुछ विशेष और अत्यन्त महत्वपूर्ण मार्गों पर सड़क निर्माण के लिए माननीय मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ. मगर इसके पहले अध्यक्ष महोदय, आपका सरंक्षण चाहते हुए यह बताना चाहता हूँ कि कल के राजगढ़ जिले के 'पत्रिका' समाचार-पत्र में इस बजट के संबंध में एक खबर प्रकाशित हुई, जिससे एक भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई. उस खबर में यह लिखा हुआ है कि विधान सभा में पारित हुए मुख्य बजट में नरसिंहगढ़ को जिले की अन्य विधान सभा क्षेत्रों के मुकाबले सबसे कम राशि स्वीकृत हुई है, जबकि कांग्रेस विधायकों के क्षेत्रों में भरपूर राशि और कार्यों की स्वीकृति हुई है. विधान सभा नरसिंहगढ़ के लिए सिर्फ 2 सड़कों की स्वीकृति मिली है जो खिलचीपुर और राजगढ़ के लिए स्वीकृत राशि से कम है.
अध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही बॉक्स में एक और खबर छपी है कि अटकेंगे विकास कार्य, विधान सभा में भाजपा का विधायक होने के बावजूद विकास कार्यों के लिए पर्याप्त राशि नहीं मिल पाने से स्थानीय निवासियों सहित भाजपा कार्यकर्ताओं में खासी निराशा है, जिसका असर आगामी नगरीय निकाय के चुनावों पर पड़ने की संभावना है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो अखबार ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी . ..(व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन -- विधायक जी, तो क्या आप कटौती प्रस्तावों का समर्थन कर रहे हैं ? ..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं, वे बोलेंगे अंत में.
श्री राज्यवर्धन सिंह -- मैं तो आपको खबर पढ़कर सुना रहा हूँ, जो कि शायद आपके लोगों ने इस अखबार में राजगढ़ में प्लान्ड करवाई है. ..(व्यवधान)...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- प्लान्ड खबर थी, जिसका वाचन यहां पर किया गया है. वे विरोधी नहीं हैं, विरोध नहीं कर रहे हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय... ..(व्यवधान)...
श्री राज्यवर्धन सिंह -- माननीय प्रियव्रत सिंह जी, आप बोले, मैंने डिस्टर्ब नहीं किया आपको. ..(व्यवधान)...
श्री प्रियव्रत सिंह -- मैं तो यशपाल जी की बात का जवाब दे रहा हूँ. ये आपके भाजपा के लोगों ने ही प्लान्ड किया है.
अध्यक्ष महोदय -- राज्यवर्धन सिंह, अपना भाषण पूरा करिए.
श्री राज्यवर्धन सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान अपने नरसिंहगढ़ विधान सभा की दो मांगों पर आकर्षित करना चाहता हूँ. नरसिंहगढ़ से नगर बोड़ा तक जो 28 किलोमीटर की लंबाई का मार्ग है, यह मार्ग अत्यन्त ही जीर्ण-शीर्ण हालत में हो गया है और उस पर सीमेंट कांक्रीट या डामरीकरण का कार्य किया जाए. दूसरी मांग मेरी यह है कि मेरे क्षेत्र के अंतर्गत भोपाल नरसिंहगढ़ बाइपास से छतरी चौराहे से बाराद्वारी होते हुए सिटी पोर्शन में साढ़े चार किलोमीटर के मार्ग का निर्माण भी करवाया जाए. यही मैं मंत्री महोदय से मांग करता हूँ. आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद, जय हिन्द.
श्री निलांशु चतुर्वेदी (चित्रकूट) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. मैं मांग संख्या 24, 53 और 56 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. चूँकि समय की आपके द्वारा पहले से ही तय सीमा है, इसलिए ज्यादा कुछ न बोलते हुए सिर्फ अपने चित्रकूट क्षेत्र की बात करना चाहूँगा.
आदरणीय अध्यक्ष महोदय, पूरे बजट पीडब्ल्यूडी की जो भी यहां पर स्थिति थी या अन्य किसी भी बजट की स्थिति थी, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि उसमें एक भी काम भगवान राम की तपोभूमि, जहां भगवान राम ने साढ़े 11 साल अपना वनवास का व्यतीत किया है, एक भी रोड, एक भी चीज वहां के लिए रोड के नाम पर नहीं है. दुर्भाग्यपूर्ण बात यह भी है कि जो पहले भी सड़कें स्वीकृत हुई थीं हमारे कांग्रेस की सरकार में, आदरणीय कमलनाथ जी के समय में, पीपीपी मोड, सतना चित्रकूट से संगम व्याहा बरूआ मार्ग, 6.42 किलोमीटर, उसकी स्वीकृति के बाद भी उसका टेण्डर नहीं लगाया जा रहा है. रोक लगा दी गई है. ऊपर के अधिकारियों द्वारा चिट्ठी दे दी गई है कि इसका टेण्डर नहीं लगाया जाना है. इसी प्रकार से पिंडरा से गुरुकुल, वह गुरुकुल ऐसा गुरुकुल हैं, जहां सुधिक्ष्ण और सर्वंग मुनि जैसे ऋषि थे. गुरुकुल परंपरा चलती थी, उस रोड का काम भी स्वीकृत था, जिसका टेण्डर नहीं लगाया जा रहा है. पुरानी खेर से भैरम बाबा मार्ग, इस मार्ग का भी टेण्डर नहीं लगाया जा रहा है. दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है चूंकि माननीय मंत्री जी यहां पर नहीं हैं मैं आपके माध्यम से सदन से यह पूछना चाहूंगा कि क्या भगवान श्रीराम को सिर्फ रसीद कट्टों तक सीमित रखेंगे या भगवान श्रीराम की आस्था के केन्द्र चित्रकूट में भी कुछ विकास के कार्यों को किया जाएगा. आपके माध्यम से मेरा सीधा सवाल सरकार में जो लोग हैं उनसे पूछना चाहता हॅू. चित्रकूट की इंटरनल एक ही रोड स्फटिक शिला से लेकर है. आप अभी थोड़े दिन पहले नानाजी देशमुख की पुण्यतिथि पर चित्रकूट पधारे थे और करीबन 15-16 मंत्री भी पधारे थे. उत्तरप्रदेश के मंत्री और मुख्यमंत्री हों, मध्यप्रदेश के मंत्री हों लगातार चित्रकूट जाते रहते हैं लगातार वहां दीपावली जैसे मेले में, अमावस्या मेले में 25-30 लाख लोग आते हैं वहां तीर्थ का बहुत महत्व है लेकिन स्फटिक शिला से लेकर ग्रामोदय विश्वविद्यालय होते हुए कामतानाथ मंदिर से यूपी बॉर्डर तक की रोड, जिसका एमपीआरडीसी द्वारा एस्टीमेट तैयार किया जा चुका है, वह पूरी जीर्ण-शीर्ण हो चुकी है. उस रोड को जब राज्यसभा सांसद, जिनकी पुण्यतिथि में आप गए थे माननीय उनके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी को बताना चाहूंगा कि उनकी राज्यसभा सांसद निधि से, आदरणीय राजेन्द्र शुक्ला जी के पिताजी भैयालाल शुक्ला जी ने उस रोड का निर्माण कराया था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा चूंकि वह मुझसे बहुत सीनियर हैं इसलिए मैं आपसे ज्यादा सवाल नहीं कर सकता हॅूं, केवल निवेदन कर सकता हॅूं. चित्रकूट का वैसे भी नियम है ""चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध नरेश, जा पर बिपदा परत है सो आवत यह देश". लेकिन मैं नहीं चाहता कि आप पर कभी विपदा पडे़. भगवान न करे कभी विपदा पडे़ और इस माध्यम से आप चित्रकूट पधारें. मेरा तो सिर्फ अनुरोध यह है कि जो हमारी मांगें हैं चित्रकूट के अंदर की जो सड़क है और जो अन्य सड़कों की मैंने बात की है जिसका टेंडर नहीं लगाया जा रहा है] उनका कार्य स्वीकृत कराने की कृपा करें, ताकि वहां आने-जाने वाले लोगों को सुविधा मिल सके.
अध्यक्ष महोदय -- नीलांशु जी एक रोड कामतानाथ से जहां कह रहे हैं, वह लिखवा दीजिए. सीधा लिखवा दीजिए.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी -- जी, माननीय अध्यक्ष महोदय. मैं आपके माध्यम से यह निवेदन करना चाहूंगा कि ग्रामोदय विश्वविद्यालय स्फटिक रजौला से लेकर कामतानाथ मंदिर होते हुए यूपी बॉर्डर पीलीकोठी तक जो चित्रकूट की इंटरनल सड़क है जिसका एमपीआरडीसी से एस्टीमेट वगैरह सारी चीजें आपके यहां तैयार हैं सिर्फ टेंडर की स्थिति है वह रोड बन जाने दीजिए. एकमात्र अंदर की रोड है जिसको आज से 15 साल पहले नानाजी देशमुख जी ने बनाया था.
अध्यक्ष महोदय -- हो गया, हो गया. उन्होंने नोट कर लिया है.
श्री नीलांशु चतुर्वेदी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा निवेदन है कि चित्रकूट में जो कामतानाथ तुलसी मार्ग है वहां पर पिछले 3 साल से ब्रिज कार्पोरेशन द्वारा एक ब्रिज बनाया जा रहा है. वहां पर साधु-संत परिक्रमा के लिये जाते हैं लेकिन 3 साल में वह ब्रिज कम्प्लीट नहीं हो पाया है. लगातार उसमें काम बंद है. इसमें और भी आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा. चित्रकूट का एक बिरसिंहपुर तहसील है जहां पर गैवीनाथ जी का धाम है. सिमरिया विधानसभा और सभी लोगों की आस्था का केन्द्र है. भोलेनाथ का बहुत प्रसिद्ध स्थान है. वहां पर आने जाने वाले लोग, आप जैसे लोग या कोई भी पहुंचते हैं तो वहां कोई भी एक पीडब्ल्यूडी का रेस्ट हाउस नहीं है. इसमें मेरा निवेदन है कि वहां पीडब्ल्यूडी का रेस्ट हाउस बन जाएगा, तो वहां पर बहुत सुविधा हो जाएगी. इसी प्रकार से पन्ना से माननीय मंत्री श्री बृजेन्द्र सिंह जी से भी पूर्व में चर्चा हुई थी. पन्ना से पहाड़ीखेरा होते हुए चित्रकूट तक अगर रोड का निर्माण कराएंगे, चौड़ीकरण कराएंगे तो खजुराहो, पन्ना, चित्रकूट यह बुन्देलखण्ड और विन्ध्य का जो महत्वपूर्ण स्थान है, उससे बहुत सुविधा होगी.
अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहूंगा. इसी प्रकार से एक महत्वपूर्ण रोड है. चित्रकूट विधानसभा की पिंडरा से लेकर बरौंधा होते हुए ढोलबजा यूपी बॉर्डर तक की जो रोड है पिछले 15 साल पहले सड़क बनी थी. डेढ़ साल पहले उसका टेंडर हो चुका है लेकिन ठेकेदार द्वारा उसमें कोई भी कार्य नहीं किया गया. वर्कऑर्डर जारी हो गया है. मेरा आपसे अनुरोध है कि जब वह काम नहीं कर रहा है तो उस टेंडर को रद्द करते हुए या तो एमपीआरडीसी में या पीएमजेएसवाइ में उसको ट्रांसफर करा दें, ताकि वह रोड जो चित्रकूट की लाईफलाइन है वहां के क्षेत्रवासियों की लाईफलाईन है, उसमें कार्य हो सके. यही तीन-चार विषय हैं. मैं पूरी आशा के साथ भगवान श्री राम को साक्षी मानते हुए माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा कि अध्यक्ष महोदय और भगवान श्री राम की जब बात होती है तो सबसे पहले सामने बैठे लोगों की चिन्ता होती है लेकिन असली राम भक्त चित्रकूट में रहते हैं. इसलिए चित्रकूट का ध्यान रखा जाए. क्योंकि जन्म से बड़ा कर्म होता है. जन्मभूमि की बात आप लगातार कर रहे हैं. चित्रकूट भगवान राम की कर्मभूमि है इसलिए कर्मभूमि की ओर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है. इन्ही शब्दों के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- श्री रघुनाथ सिंह मालवीय.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय(आष्टा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 24, 53 और 56 के समर्थन में खड़ा हुआ हूँ और कटौती प्रस्तावों के विरोध में. अध्यक्ष महोदय, मैं इस सदन को बताना चाहता हूँ कि 2003.........
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, आप क्षेत्र तक सीमित रखिए.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय-- जी हाँ उसी पर आ रहा हूँ. मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक भी रोड नहीं थी लेकिन 2004 से 2008 तक पूरे विधान सभा क्षेत्र में कोई भी गाँव ऐसा नहीं बचा जो रोड से नहीं जुड़ा होगा. जब 15 महीने की सरकार में हमारे वर्मा जी मंत्री थे उन्होंने एक भी रोड हमारे विधान सभा क्षेत्र को नहीं दी और जबकि मेरे पड़ोसी विधायक हैं...(व्यवधान)..राम झरुखा झांकिए सबका मुजरा ले जैसी वाकी चाकरी वैसे ही वाको दे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- कमल भाई, कैसी ट्रेनिंग दिला रहे हों असत्य बोलने की भैय्या. सारे विधायकों को असत्य बोलने की ट्रेनिंग दिला रहे हों.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय-- असत्य बोलने का काम तो आपकी पार्टी का है. असत्य बोलना हम नहीं सीख सकते.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- रघुनाथ, तुम्हारे पास लिस्ट भेज दूँगा जो हमने भूमि पूजन किए.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय-- नहीं, नहीं, और भूमि पूजन में भी आपने उस समय भी हमारे साथ पक्षपात किया और हमारी ही सरकार के काम थे, माननीय शिवराज जी चौहान साहब के काम थे, उनका ही आपने भूमि पूजन किया और उनका ही लोकार्पण किया. लेकिन उसमें रघुनाथ मालवीय का कहीं भी नाम आप लोगों ने नहीं लिखवाया. (शेम शेम की आवाज) एक जगह भी नहीं लिखवाया और आज पक्षपात की बात करते हैं. आज आप लोग कहते हैं राम की बात करते हैं. आप लोग कहते थे कि मंदिर वहीं बनाएंगे पर तारीख नहीं बताएँगे और अब तारीख भी बता दी और अब निर्माण कार्य भी चालू हो गया. (मेजों की थपथपाहट) मैं असत्य नहीं बोलता हूँ. ..(व्यवधान)..भाई साहब, बैठ जाइये, मेरी बात सुन लीजिए. आप लोग......
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- एक ट्रेनिंग स्कूल खोलो भैय्या.
श्री सुनील सराफ- पीडब्ल्यूडी से बनवा दो.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- सुनो रघुनाथ, सुप्रीम कोर्ट के उन पाँच महान जजों को धन्यवाद दे दो, जिन्होंने ऐसा फैसला दिया वरना किसी की औकात नहीं थी कि बना पाए...(व्यवधान)..मोदी जी की कोई इसमें मेहरबानी नहीं है...(व्यवधान)..
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय-- राजनीति नहीं है....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- रघुनाथ जी, विषय पर आइये.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय-- ठीक है, तो मैं वही कहना चाहता था कि हमारी सरकार ने, माननीय शिवराज जी चौहान साहब की सरकार ने तीन चीजों पर ज्यादा काम किया, पानी, सड़क और बिजली, अगर किसान को ये तीन चीजें मिल जाती हैं तो निश्चित रूप से हमारा किसान मजबूत होता है. लेकिन आप लोगों ने कभी वह काम नहीं किया और 15 महीने तक आपने कोई विकास का काम नहीं किया और तो और हमारे किसान भाइयों को भी धोखा दिया, न एक रोड आपने बनाई, तो मैं यह कहना चाहता हूँ आप लोगों से कि असत्य बोलने का काम आपका है, असत्य बोलने का काम हमारा नहीं है. असत्य तो असत्य ही होता है, कभी सत्य नहीं होता है--
कि सच्चाई छिप नहीं सकती बनावट के उसूलों से खूशबू कभी आ नहीं सकती कागज के फूलों से अरे खूशबू किसमें आएगी, खूशबू तो कमल के फूल में आएगी, बोलो भैय्या, कमल के फूल में आएगी कि नहीं? (मेजों की थपथपाहट)
डॉ गोविन्द सिंह-- अरे भाई, शाबास, माटी के शेर.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- वाह मुबारक बेगम वाह, क्या बात है.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय-- अच्छा, मैं बेगम दिख रहा हूँ आपको, क्या दिखाऊँ क्या? बेगम दिखाऊँ क्या? अरे यह शेर दिख रहा है शेर. शेर है, रघुनाथ मालवीय शेर है. आप जाकर विधान सभा में मालूम कर लो.
एक माननीय सदस्य-- माननीय सज्जन वर्मा जी के वाह में भी आह दिख रही है.
श्री कमल पटेल-- कमलनाथ जी के कमल में खूशबू नहीं आई कमल के फूल में खूशबू आई है.
अध्यक्ष महोदय-- पूरा करें.
श्री कमल पटेल-- जिस कमल से खूशबू नहीं आई वह मुरझा गया और जिसमें खूशबू आई वह खिल गया.
अध्यक्ष महोदय-- कमल जी, पूरा करने दीजिए.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय-- अध्यक्ष महोदय, मैं ज्यादा गहराई में जाना नहीं चाहता वरना मैं 4-5 पेज का भाषण लिख कर लाया था.
अध्यक्ष महोदय-- आप अपनी मांगों को लिख कर दे दीजिए.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय-- मेरे पास 4-5 पेज का भाषण है लेकिन आप मुझे ज्यादा समय देंगे नहीं इसलिए मैं....
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, हो गया, मांगों को लिख कर दे दीजिए. आपके 5 मिनट खत्म हो गए. एक मिनट में खत्म करिए.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय-- माननीय मंत्री जी से मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि हमारी नदियों पर, हमारे पुराने पुल हैं, उनको आप जल्दी से जल्दी स्वीकृत करें. पडाडा चौहान का है, जाफराबाद का है, कचनारिया का है, बोरखेड़ा का है.कल्याणपुरा का है, भौंरासा का है, आष्टा का है और आष्टा करेराम का है.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- यह पुराने पुल किसने बनाए थे यह बताओ.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय -- यह पुराने पुल अंग्रेजों के शासन के बने हुए हैं, आपने नहीं बनाए हैं यह 50 साल पहले के बने हैं. मैं माननीय लोक निर्माण मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ कि उन्होंने हमें पार्वती का पुल दिया है. (व्यवधान)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- 50 साल पहले तो कांग्रेस की सरकार थी. असत्य इतना बोलो की हजम हो जाए.
श्री कमलेश्वर इन्द्रजीत कुमार (सिंहावल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अनुदानों की मांग संख्या 24,53 और 56 के कटौती प्रस्ताव के संदर्भ में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सड़क और भवन विकास का प्रमुख अंग होते हैं इनका विकास की सीढ़ी चढ़ने में महत्वपूर्ण योगदान योगदान रहता है. बहुत सारी विसंगतियां सामने आती हैं जिसकी वजह से बहुत सारी दुर्घटनाएं घट जाती हैं. बहुत सारी परिस्थितियाँ निर्मित होती हैं. ऐसा ही एक ज्वलंत उदाहरण चुरहट से गोविन्दगढ़ जाते हुए जो मार्ग रीवा और सतना को भी जोड़ता है वह मार्ग बहुत खराब है. विगत दिनों सीधी जिले में बहुत बड़ी घटना घटी जिसमें 54 लोगों की जान चली गई. आए दिन छुइया घाटी में जाम लगा रहता है.
अध्यक्ष महोदय -- सड़क का नाम लीजिए कहां से कहां तक है.
श्री कमलेश्वर इन्द्रजीत कुमार -- यह चुरहट से लेकर चुरहट गोविन्दगढ़ होते हुए, गोविन्दगढ़ से सतना भी जोड़ता है, गोविन्दगढ़ से रीवा भी जोड़ता है. गोविन्दगढ़ से रीवा भी बहुत खराब है. चुरहट से लेकर रीवा तक भी खराब है. गोविन्दगढ़ छुहिया घाटी होते हुए. इसी तरह सतना जाते हैं तो रास्ते में बहुत खराब है. आए दिन छुइया घाटी में जाम लगता है. अभी जो बजट में प्रावधान किया गया है उसमें भी उल्लेख नहीं है. इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी अगर ऐसी महत्वपूर्ण सड़क का जो कि राजमार्ग है, ऐसे मार्ग का भी उल्लेख नहीं है, यह चिन्ता का विषय है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी तरह चुरहट, मोहनिया से लेकर मेरे विधान सभा क्षेत्र बिठौली और बांकी तक जोड़ने वाला मार्ग बड़ा महत्वपूर्ण मार्ग है उसका भी उल्लेख नहीं है. बहुत ही खराब है लोगों को चलने में बहुत कठिनाई होती है बहुत घूमकर जाना पड़ता है. इसी तरह चुरहट से लेकर सिंहावल पहुंच मार्ग जो अब फोर लेन बनाने लायक है, फोर लेन न भी बनाएं तो कम से कम टू लेन बना दें. इस मार्ग पर काफी ट्रेफिक है आए दिन घटनाएं घटती रहती हैं. निवेदन है कि इसको भी मंत्री जी प्रस्तावित करें. आपने मुख्य मार्ग से उसको हटाकर जिले के मार्ग में शामिल कर दिया है. ऐसे ही बहरी से हनुमना पहुंच मार्ग है वह पहले एमपीआरडीसी में था उसका जिला मार्ग में प्रावधान कर दिया है. मुझे इसकी जानकारी नहीं है कि जिला मार्ग में ज्यादा बजट मिलता है कि राजमार्ग में ज्यादा बजट मिलता है. यह बहुत महत्वपूर्ण मार्ग है इस पर काफी ट्रेफिक रहता है. अभी तो बहरी के आसपास सबसे ज्यादा रेत का उत्खनन हो रहा है वहीं खदानें हैं. रीवा जिले में ही नहीं बल्कि यूपी में भी काफी ट्रांसपोर्टेशन होता है, हेवी ट्रेफिक रहता है. इस मार्ग में एक कैमोर घाटी पड़ती है वहां पर आए दिन घटनाएं घटती हैं. हमारी सरकार में सोन नदी पर पुल स्वीकृत हुआ है, बन रहा है. वहां पर दो साल पहले एक दुर्घटना हुई थी और 19 लोगों की जान मौके पर चली गई थी. वे भी हमारे क्षेत्र के लोग थे. पुल स्वीकृत हो गया है पर जिस तेजी से काम चलना चाहिए उस तेजी से काम नहीं चल रहा है. वह 40-50 साल पुराना पुल है इससे भी ज्यादा पुराना हो सकता है. जर्जर है कभी भी घटना घट सकती है. जितना जल्दी उस पुल का निर्माण हो उतना ही अच्छा लोगों के लिए रहेगा. इसी तरह नकझर से सिंहावल पहुंच मार्ग पर पुल स्वीकृत है टेंडर भी हो गया है उसका काम अभी तक शुरु नहीं हुआ है. यह बहुत महत्वपूर्ण है वहां के लोगों को ब्लाक मुख्यालय जाने के लिए 40 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ती है. यह पुल बन जाएगा तो 4-5 किलोमीटर का डिस्टेंस हो जाएगा और लोगों को काफी सुविधा रहेगी.
अध्यक्ष महोदय, इसी तरह हमारा बहरी रेस्ट हाऊस तीन साल पहले बहरी तहसील मुख्यालय है. पीडब्ल्यूडी ने रेस्ट हाऊस पीआईयू ने बनाया परंतु बनाने के बाद उसका पजेशन, उसका लोकार्पण तो हो गया परंतु आज तक वह किसी काम का नहीं है सरकार का पैसा लग गया हमने पहले भी ध्यानाकर्षण और कई बार पत्राचार किया उसमें जो भी त्रुटिया हैं कम से कम उसमें सुधार करें अगर ठेकेदार की गलती है तो ठेकेदार को पनिश करें जो भी संबंधित अधिकारी था उसको पनिश करें. एक तरफ इसी तरह हमारा हिनौती कन्या हायर सेकेण्डरी स्कूल, बहरी हिनौती बॉइज हायर सेकेण्डरी स्कूल, पतुलखी बॉइज हायर सेकेण्डरी स्कूल अतिरिक्त कक्ष पीआईयू ने बनाया था उसमें सरकार का पैसा लग गया है और वह आज तक उपयोग में नहीं आ रहे हैं. जो भी ऐसी अनियमितता करते हैं चाहे ठेकेदार हों, चाहे अधिकारी हों एक तरफ मच्छर काटने पर उपयंत्री निलंबित हो जाते हैं. दूसरी तरफ सरकार का इतना सारा पैसा खर्च हो जाए और लोगों के उपयोग में न आए और आम जनता परेशान हो यह ठीक नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहता हूं. तीन चार मार्ग हैं जठुला से दोहरा पहुंच मार्ग यह कार्य वर्ष 2018 से चल रहा है. भुगतान नहीं होने की वजह से इसी तरह से खौंची से माध्यमिक शाला पहुंच मार्ग खौंचीपुर, झगरौही मेन रोड से झगरौही पहुंच मार्ग यहां पर सेंग्शन होने के बाद, टेंडर होने के बाद भुगतान नहीं होने की वजह से दो-दो, तीन,तीन साल से पेंडिग चल रहा है. मेरा निवेदन है कि जैसा नीलांशु जी भी कह रहे थे कि माननीय मंत्री जी ने प्रावधान तो बहुत किया है परंतु फंड का अभाव है और मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि आप चित्रकूट जरूर जाइए जो आपको बांध के रखा है इसकी मुक्ति वहीं से मिलेगी. ''जिनकर नाम लेत जग माही सकल अमंगल मूल न साहीं'' आप वहीं से शक्तिशाली बनेंगे वहीं से प्रदेश का विकास होगा, सड़कों का विकास होगा. हमारा बहरी और सिहावल में जो रेस्ट हाउस है वह बहुत जर्जर है मेरा आपसे निवेदन है कि अगर रेस्ट हाउस को मुख्यालय बना देते हैं तो बड़ी कृपा होगी. धन्यवाद.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24, 53, 56 का समर्थन करता हूं. माननीय गोपाल भार्गव जी, का लंबा संसदीय अनुभव है. उन्होंने विभिन्न विभागों को संभाला है और निश्चित ही जब वह पंचायत ग्रामीण विकास के मंत्री थे तब भी उन्होंने समस्त विधायकों की चिंता की चूंकि सड़कें किसी एक क्षेत्र का विकास नहीं करती हैं. वह एक क्षेत्र को दूसरे क्षेत्र से जोड़ती हैं इसलिए पूरे मध्यप्रदेश में जहां-जहां आवश्यकता के अनुरूप सरकार ने इस बजट में सड़कें दी हैं उसके लिए मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. मैंने उनसे भी अपने क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के लिए जहां 50 साल से आदिवासी लोग कीचड़ में चलने के लिए मजबूर थे उस क्षेत्र में प्रधानमंत्री सड़क और किसी अन्य योजना से भी सड़कें नहीं पहुंच सकती थीं क्योंकि वह मजरे टोले में रहने वाले आदिवासी भाई हैं वहां पर साढ़े ग्यारह किलोमीटर की सड़क आपने स्वीकृत की इसके लिए मैं माननीय मंत्री जी को और माननीय मुख्यमंत्री जी को पुन: धन्यवाद देता हूं. मैं केवल दो, तीन छोटे से सुझाव देना चाहता हूं. पीडब्ल्यूडी की सड़कों के लिए मेरे यहां पर एक एमडीआर बना हुआ है बिजवाड़ से दिवगांव तक इसमें तीन जगहों पर बाहर निकलने में खासी परेशानी आ रही है. ग्राम थूरिया, ग्राम जियागांव, ग्राम हरणगांव, ग्राम कांकरिया इन चारों जगहों पर रोड पर भयंकर पानी भरा हुआ है. कुसमानिया में तो निकलने की जगह ही नहीं है. मैं विभाग से कई बार पत्र लिखकर अनुरोध कर चुका हूं कि इसका बायपास बना दिया जाए ताकि उस एमडीआर का लाभ लोगों तक पहुंच सके. हरण गांव में बारिश का पानी और गांव के ड्रेनेज का पानी आपके रोड पर जमा हो रहा है जहां से स्कूल के लगभग 500 बच्चे पढ़ने जाते हैं वहां पर भी एक पुलिया का अतिशीघ्र निर्माण होना चाहिए. मेरे यहां शियाघाट कन्नौद आष्टा मार्ग वहां बारिश के दिनों में चट्टानों का भूस्खलन होता है इसलिए वहां पर सुरक्षा की जाली लगवाई जाए ताकि बारिश के समय में जो दुर्घटनाएं होती हैं जो मोटर साइकिल सवार उन पत्थरों के कारण गिर जाते हैं उनको सुरक्षा प्राप्त हो सके. जितने भी मध्यप्रदेश में क्षेत्र हैं जहां से मायनिंग का मार्ग है जहां से रेत की खदानें और खनिज निकलता है वहां पर एक ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था की जाए ताकि जो डंपर हैं उनको एक अलग वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध करा दिया जाए तो जो दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्ग और सड़कों पर हो रही हैं उससे बहुत हद तक निजात मिल सकेगी. एक सुझाव और है कि सड़कें मध्यप्रदेश में बहुत अच्छी गुणवत्ता की बन रही हैं और इसमें कोई संदेह नहीं है कि आवागमन की सुविधा भी लोगों को मिली है लेकिन कई जगह पर जहां सड़कों पर जो पुल बने होते हैं उसका चढ़ने का स्थान या उस पर से गाड़ी चलाते समय गाड़ी जंप करती है. अगर पीडब्ल्यूडी विभाग एमपीआरडीसी विभाग अपनी सड़कों को बनने के बाद समय-समय पर वाहन गति के अनुरूप चलाकर, उनका परीक्षण करते रहें, तो उसके कारण होने वाली दुर्घटनाओं पर भी रोक लग सकेगी. मैं बताना चाहूंगा कि जगह-जगह स्पीड ब्रेकर होने के कारण भी दुर्घटनायें होती हैं. जब कहीं दुर्घटना होती है तो स्पीड ब्रेकर बनाने की मांग होती है. मैंने कुछ दिन पूर्व अखबार में देखा था कि इंदौर की दो बहनों ने थ्रीडी स्पीड ब्रेकर डिज़ाईन किया है, यदि ऐसे कुछ डिज़ाईन हम राष्ट्रीय राजमार्ग और अपने लोक निर्माण विभाग की सड़कों पर लगा सकें तो उसके कारण दुर्घटनाओं में कमी आयेगी. मेरे यहां राष्ट्रीय राजमार्ग इंदौर-बैतूल 59ए गुजर रहा है, जिसमें नगर पालिका चौराहा, धनतालाब घाट और खातेगांव में तीन स्थानों पर चार-चार, आठ-आठ घंटों का एक-एक दिन का जाम लगता है इसलिए धनतालाब पुलिया के चौड़ीकरण का कार्य किया जाये और कन्नौद-खातेगांव का बाईपास अतिशीघ्र बनाया जाये, यह मेरी मांग है. एक-एक किलोमीटर की सड़कें, जिन्हें विभाग अपने स्तर पर या मंत्री जी स्वयं स्वीकृत कर सकते हैं, यदि उन सड़कों को भी समय अनुसार, विधायक की मांग अनुसार, बनाया जाये तो बहुत आभार होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मध्यप्रदेश विकास की एक नई राह पर पहुंचा है, उसका कारण यह है कि हमने लोगों को अच्छी सड़कें दी हैं, यदि बाधारहित आवागमन होगा, बाधारहित परिवहन होगा तो लोगों के काम समय पर होंगे, विद्यार्थी समय से परीक्षा देने पहुंच सकेगा, मरीज को समय से अस्पताल पहुंचाकर उसकी जान बचाई जा सकेगी. किसान भी अपनी उपज खेत से निकालकर मण्डी सुरक्षित पहुंच सकेगा. आपने अच्छी सड़कों के विकास के लिए निश्चित ही अच्छा प्लान बनाया है, हम विश्वास कर सकते हैं कि आने वाले समय में मध्यप्रदेश में आवश्यकता अनुरूप और जो भी सड़कें होंगी, वे आपके द्वारा निर्मित करवाई जायेंगी. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री कुँवर विक्रम सिंह ''नातीराजा'' (राजनगर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सीधे ही मांग संख्या 24, 53 और 56 का विरोध करता हूं और माननीय मंत्री जी से केवल इतना निवेदन करना चाहता हूं कि 3-4 किलोमीटर की सड़कें हैं, जो उनको बता देता हूं. राजनगर-गंज रोड से ललगुवां तक 2.286 किलोमीटर, कररी से बसारी 3 किलोमीटर, खररोही तिराहे से इमलिया-कोण्डा होते हुए 4.760 किलोमीटर की सड़क है. माननीय मंत्री जी इस वर्ष के अपने बजट में इन सड़कों को स्वीकृत करेंगे, ऐसी मैं उम्मीद करता हूं. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, धन्यवाद.
हास-परिहास
श्री गोपाल भार्गव- सड़कें बन जायेंगी तो आप शिकार को नहीं जा पायेंगे, क्यों बेवजह बनवा रहे हैं.
श्री कुँवर विक्रम सिंह (नातीराजा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि पहले आप परमिट तो दिलवा दीजिये, तभी तो हम शिकार खेलेंगे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा- गोपाल भईया, जीव हत्या से अच्छा है कि आप सड़क बनवा दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- नातीराजा से पहले यह तो पूछ लो कि जिनके परमिट हैं, उनका शिकार कर पा रहे हैं क्या ?
श्री कुँवर विक्रम सिंह (नातीराजा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे सदन के मंत्री और इस सदन में ऐसा कहा जाता है कि यहां के, वे ऐश्वर्या राय हैं (हंसी) आदरणीय भईया, ऐसा न करें.
4.59 बजे
वर्ष 2021-2022 की अनुदानों की मांगों पर मतदान..........(क्रमश:)
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात 5 मिनट में पूरी करूंगा.
अध्यक्ष महोदय- 5 मिनट नहीं, आप थोड़ा नातीराजा को देखकर बोलें, उन्होंने कितनी प्वाईंटेड बात रखी है, और समय बचाया है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा कल समय था लेकिन बीच में समाप्त हो गया था तो कल के 1-2 मिनट मिल जायेंगे. मैं मांग संख्या 24, 53 और 56 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मैं दूसरी बार इस सदन में विधायक बनकर आया हूं और इसका श्रेय हमारे मुख्यमंत्री जी को, लोक निर्माण विभाग को और लोक निर्माण विभाग के मंत्री जी को जाता है. जब मैं वर्ष 2013 से 2018 तक विधायक बना तो मेरे क्षेत्र में सड़क नाम की कोई चीज़ नहीं थी क्योंकि जब से देश आज़ाद हुआ, तब से मेरे क्षेत्र में कभी कांग्रेस, कभी बीएसपी के विधायक थे.
डॉ. गोविन्द सिंह- भईया, बाद में तेल लगा लेना, पहले काम की बात कर लो.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा- डॉ. साहब, आप साक्षी हैं, मैं अपनी बात रखूंगा तो आपको मेरी बात में हां कहना पड़ेगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र में नैपुरी और सिकरौदा एमएस रोड है, आप सबलगढ़ गये होंगे, उस नदी पर पुल नहीं थे.
श्री गोपाल भार्गव:- आपकी सूबेदारी चलेगी या नहीं ?
डॉ. गोविन्द सिंह:- यह तो नकद देना भूल गये, पहले यह देते थी थे. (हंसी)
श्री सुबेदार सिंह सिकरवार रजौधा:- अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में मुरैना से सबलगढ़ एमएस रोड, जिला रोड है. उस रोड पर दो जगह पुल नहीं थे और बारातों की लगन निकल जाती और बस में ड्रायवरी हो जाती, इतने चार-चार घण्टे के जाम लगते थे, लेकिन मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और लोक निर्माण मंत्री जी को बहुत-बहुत साधुवाद देता हूं कि आप जो 70 साल में नहीं कर पाये उसे पांच साल में 65 रोड जौरा विधान सभा को दी और 6 पुल जौरा विधान सभा को दिये जो आपकी 70 साल की समस्या थी उसका समाधान किया.
अध्यक्ष महोदय, एक बात कहना चाहता हूं कि कांग्रेस का विकास से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन अधिकारियों पर बेजा अंकुश लगाने में इनको महारत प्राप्त है. मुरैना जिले में एसपी का ट्रांसफर 24 घण्टे में हो जाता है, किसी एक नेता की बात नहीं मानते तब. इसमें महारत प्राप्त है, विकास इनकी प्राथमिकता में नहीं है.
श्री राकेश मावई:- अब वह नेता किसके साथ है ?
श्री सुबेदार सिंह सिकरवार रजौधा:- मुख्यमंत्री जी ने ट्रांसफर किया था वह नेता किसके साथ हैं ?
डॉ. गोविन्द सिंह:- आपने नरेन्द्र सिंह जी का नाम नहीं लिया, जिन्होंने बनवाई है उनसे शिकायत करूंगा कि उनका नाम नहीं लिया जिन्होंने बनवाई है. मैं जाकर बता दूंगा कि आपका नाम नहीं लिया.
श्री सुबेदार सिंह सिकरवार रजौधा:- माननीय, नरेन्द्र सिंह जी तो केन्द्र के नेता हैं और आपके भी नेता है और इस सदन में जो मुखिया है उसी का नाम लिया जायेगा डॉक्टर साहब. आदरणीय साहब मैं यह कह रहा हूं कि मेरे विधान सभा में एक बच्चा जब छोटा था और अब वह 60-65 साल का हो गया, पैरों में खजौरा पड़ जाते थे. गांव में घोटूं घोटूं तक कींच होती थीं और अब गांव में भी पंच परमेश्वर से भी सीसी रोड बनी है. आपने कभी गांव के बारे में नहीं सोचा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा में 65 रोड और 6 पुल बनाये, उसके बाद 2018 के चुनाव में यह तो राजनैतिक घटनाक्रम है कौन कहां चला जाता है, कौन किसका विरोधी हो जाता है लेकिन मेरे मित्र थे वह 15 महीने इस सदन के सदस्य रहे उनके कहने से कांग्रेस के नेताओं ने एक भी काम नहीं किया, आज उनका नाम आ ही गया है तो मैं उनको याद करते हुए अपनी बात कहूंगा..
डॉ. गोविन्द सिंह:- आप हनुमान जी की कसम खाओ की हमने कुछ नहीं किया क्या ? हमने तो जब आपने कहा तो किया, अब आप सदन में नहीं कहो तो अलग है.
श्री सुबेदार सिंह सिकरवार रजौधा:- डॉक्टर साहब आप अपनी बात क्यों कर रहे हो, आपके मुकाबले में हम कहां डॉक्टर साहब.
अध्यक्ष महोदय:- सूबेदार सिंह जी, क्षमा करें आपको बोलते हुए पांच मिनट हो गये हैं.
श्री सुबेदार सिंह सिकरवार रजौधा:- माननीय, अभी मेरी बात ही नहीं आ पायी है. अभी जो बजट आया है उसमें हमारे माननीय मंत्री भार्गव जी ने दिल खोलकर मेरे क्षेत्र को दिया है. कुल 12 रोडें दी हैं, 6 रोड तो इस बजट में दी हैं और 6 रोड इस बजट से पहले की हैं लेकिन उसमें थोड़ी सी चूक हो गयी है. मैं उसमें संशोधन चाहूंगा कि मेरे विधान सभा क्षेत्र की पालगढ़ से सहसराम तक की रोड का नाम बजट में दिया है, लेकिन उसमें दूरी 4 किलोमीटर की लिखी है उसमें मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि उसमें मंत्री जी संशोधन कर लें. उसकी दूरी 40 किलोमीटर है यह 100 गांवों को जोड़ने वाली सड़क है. दूसरा एम.एस.रोड़ से लकेंजरा तक है रोड़ का नाम सही है, लेकिन उसमें रोड़ की दूरी साढ़े तीन किलोमीटर लिखी है. यह रोड़ भी 37 किलोमीटर है इसमें भी आप मंत्री जी संशोधन कर लें. तीसरी एक छोटी सी मांग है हमारे यहां ईश्वरा महादेव जी शिव मंदिर है रात को देवता पूजा करते हैं सवेरे बेलपत्र व फूल चढ़े हुए मिलते हैं. उस स्थान पर 2 किलोमीटर की आधी सड़क बनी है उसमें केवल 1 किलोमीटर की रोड़ बची है. मैं मंत्री जी से आशा करता हूं कि वहां की 1 किलोमीटर की रोड़ और बना दी जाये जिससे यह रोड़ पूर्ण हो जायेगा. धन्यवाद.
श्री सचिन यादव(कसरावद)--अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र की सड़कें हैं जिनका निर्माण कार्य प्रगति पर है. डब्ल्यू.बी.एम. तक काम हो चुका है. पहला रोड़ बामकल खाटे से लेकर रामपुरा, चपटान खाटे से लेकर फुलगांव, तीसरा रोड़ ओझा से लेकर ओझा तांडा तक इन तीनों सड़कों पर डब्ल्यू.बी.एम. तक काम हो चुका है. लेकिन आगे काम नहीं हो पा रहा है. अभी आने वाला बारिश का समय होने वाला है हम चाह रहे हैं कि बारिश के पहले ही वहां का डामरीकरण का काम हो जाये. विभाग का ठेकेदार है उसका 6 करोड़ रूपये का भुगतान अभी बकाया है. मंत्री जी से अनुरोध है कि इनका शीघ्र भुगतान किया जाये ताकि समय रहते सड़कों का काम हो जाये. धन्यवाद.
श्री प्रदीप पटेल(मऊगंज)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 24, 53, 56 का समर्थन करता हूं. इस बार विभाग ने सबसे ज्यादा सड़कों को लिया है इसके लिये लोक निर्माण मंत्री जी का धन्यवाद करता हूं. हमारे यहां पर बहुत पुरानी सड़क है. मऊगंज बदवार मार्ग यह 42 किलोमीटर की सड़क है उसमें रीवा के तीन नेशनल हाईवे निकलते हैं एक नेशनल हाईवे रीवा से सिंगरौली तक जाता है, वहां से लेकर रीवा की मिर्जापुर वाली सड़क नेशनल हाईवे जाती है, यह दोनों को जोड़ने वाला सबसे पुराना मार्ग है. बदवार से मऊगंज बहुत पुराना मार्ग है इसको आप ले लें तो अच्छा रहेगा. दूसरा मऊगंज से हनुमना यह दोनों नगर के बीच से हाईवे था फोर लाईन बन गया तो बायपास चला गया. पुराने शहर के बीच का जो मार्ग है यह 5-6 किलोमीटर का मार्ग है यह शहर के अंदर डिवाईडर रूप से सड़क बना जायेगी तो बहुत अच्छा होगा. धन्यवाद.
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी(हाट पिपल्या)--अध्यक्ष महोदय, मेरी हाटपिपल्या विधान सभा सड़क के मामले में बहुत पिछड़ी हुई थी कई वर्षों से क्षेत्र वासियों की सड़क बनाने की मांग थी उन मांगों को मुख्यमंत्री जी तथा लोक निर्माण मंत्री जी के द्वारा स्वीकृत किया गया है मैं अपनी ओर से और क्षेत्र वासियों की ओर से इनका बहुत धन्यवाद करता हूं. साथ ही मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि हमारा देवास बायपास 19 किलोमीटर का बना हुआ है उस बायपास से देवास जिले की 5 में से 3 विधान सभा के क्षेत्रों का रास्ता जाता है हाटपिपल्या, कन्नोद, खातेगांव, बागली, जिले का 60 प्रतिशत हिस्सा उस रोड़ के द्वारा जुड़ा हुआ है यह रोड़ महत्वपूर्ण रोड़ है जिसका नाम है देवास से बरोठा, नेवरी हाटपिपल्या होते हुए चापड़ा जो 2 महत्वपूर्ण 3 नम्बर 59 ए को दोनों हाईवे को जोड़ने वाली सड़क है. उस समय जब बायपास देवास का बना था उस समय अधिकारियों की गलती के कारण वहां पर जो ओवरब्रिज बनना था उसका न तो प्रस्ताव दिया गया था न ही बनाया गया है.
मेरा अनुरोध है कि वहां पर जो लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं, उनको रोकने के लिए अनिवार्य रूप से उस ब्रिज को बनाया जाना आवश्यक है, उस विधान सभा सहित तीनों विधान सभा के क्षेत्रवासियों की वह महत्वपूर्ण मांग है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करता हूं कि उस ओवरब्रिज की स्वीकृति दी जाए. साथ ही जहां सब लोगों के द्वारा जो मांग की जा रही है हमारा हाटपिपल्या नगर के साथ साथ नया तहसील बना है, उस तहसील में डाक बंगला, रेस्ट हाउस नहीं होने की वजह से कई कार्य रुके हुए हैं, जिसकी वजह से हमारा क्षेत्र आगे बढ़ सकता है वे कार्य रुके हैं, उनकी भी स्वीकृति माननीय मंत्री जी द्वारा दी जाएगी, तो निश्चित रूप से हमारे क्षेत्र में और भी अधिक विकास होगा. फिर से हमें जो सौगातें दी है, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि मेरी राजपुर विधान सभा क्षेत्र बड़वानी जिले की वित्तीय वर्ष 2020-21 की सड़कें लगभग 28 किलोमीटर है, 10-12 सड़कें जो दो, तीन, चार किलोमीटर की है और एकाध पुल है उनके प्राक्कलन बने हैं, आलरेडी एस्टीमेटेड है, सबमिटेड है, मेरे लेटर पेड पर मैं आपको दे चुका हूं, लेकिन माननीय मंत्री जी एक भी सड़क इस बजट में नहीं आई है, मैं चाहता हूं कि आप मेहरबानी कर दें, आदिवासी क्षेत्र हैं और वहां की मांग है. मेरी आपसे मांग है कि आप उन सड़कों को स्वीकृत करें, धन्यवाद अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - सबको समय दिया जाएगा, सभी को एक मिनट मिलेंगे.
श्री विजय पाल सिंह(सोहागपुर) - मैं अपने क्षेत्र की समस्या रखकर अपनी बात खत्म करूंगा. पहले तो मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि मुझे 180 करोड़ रूपए की सड़कें और पुल पुलिया दी गई हैं, उसके लिए धन्यवाद करता हूं. साथ में एक अनुरोध करता हूं कि एनबीडीए योजना के तहत 5 सड़कें स्वीकृत हुई थीं, उन पांच सड़कों पर चार वर्षों से कार्य चल रहा है, वह काम पूरा नहीं हो रहा है, उस कार्य को शीघ्र अतिशीघ्र पूरा करवाएंगे तो अच्छा होगा, उसी में एक सड़क सेमरी से अजबगांव होते हुए साकला तरफ गई है और साकला से भटगांव तक जोड़ने के लिए मैंने आपको पत्र भी लिखा था, निवेदन भी किया था कि उसको वहां तक बढ़ा दें क्योंकि बीच में कुछ प्रधानमंत्री सड़क आ गई है तो सड़क ओवरलेप हो रही है, उसमें बजट की आवश्यकता नहीं है, पैसा नहीं चाहिए लेकिन वह 2 किलोमीटर और आगे बढ़ जाएगी तो वह गांव जुड़ जाएगा और उस पर नर्मदा जी का एक पुल बना है जो रायसेन को जोड़ने का काम भी करेगा, वह हो जाए तो ठीक रहेगा. दो अनुरोध और है मेरे सोहागपुर में बायपास स्वीकृत कर दिया जाए तो अति उत्तम होगा. क्योंकि वह पचमढ़ी, जबलपुर और छिन्दवाड़ा मार्ग है जिसके कारण वहां जाम लगता है और असुविधा होती है और शोभापुर में भी बायपास निर्माण कार्य करवाया जाएगा तो अति उत्तम होगा, धन्यवाद.
श्री सुखदेव पांसे (मुलताई) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि मेरी छोटी छोटी चार सड़कें है, एक तो घाना से उमरी 1 किलोमीटर की, दूसरी पोहर से हिवरखेड़ 1 किलोमीटर, तीसरी बोदलपठार से डोंगरपुर एक किलोमीटर और चौथी सिरसावाड़ी से देवभिलाई. मेरा अनुरोध है कि इनको स्वीकृत करेंगे तो बड़ी मेहरबानी होगी.
श्री दिलीप सिंह गुर्जर (नागदा खाचरोद) - माननीय अध्यक्ष जी, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि आपने पूरे प्रदेश में 105 ब्रिज दिए, 2441 किलोमीटर सड़कें दी हैं. मेरा अनुरोध है कि मेरे क्षेत्र को भी आप लोग ध्यान रखें. मेरा औद्योगिक क्षेत्र है उसमें रिंग रोड है उसमें बायपास की बहुत आवश्यकता है. जितने भी उद्योग हैं ग्रेशिम है और दूसरे उद्योग है बड़े-बड़े जिनके सैकड़ों ट्रक प्रतिदिन शहर के मध्य से होकर जाते हैं, जिसके कारण चक्काजाम की स्थिति और कई दुर्घटना भी होती है. मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि आपने बीस जिला मार्ग घोषित किया है, उसमें मेरे विधान सभा के लिए भी किया है. आर्थिक मद की रोड के अंतर्गत गिदगढ़, नीमपुरा, निवाबड़, झिलमिला, चंदोरा का 22 किलोमीटर सड़क का है, आने वाले बजट में इसकी स्वीकृति इसकी प्रदान करें. दूसरा एडीबीए योजना के अंतर्गत कंचनखेड़ी, गोठरा, बड़ौदा मार्ग तीन किलोमीटर की बचत लंबाई में दो रतलाम ग्रामीण और हम दो विधायकों का क्षेत्र तीन किलोमीटर रोड बनाने का और शासन का कुछ पैसा भी नहीं लगेगा. दूसरा उज्जैन-जावरा रोड को फोर-लेन किया जाए, क्योंकि इसमें लगातार दुर्घटना हो रही है. ब्लैक स्पॉट चौराहा है. आज भी मेरे विधान सभा क्षेत्र में 2 वर्ष में करीब 321 दुर्घटनाएं हुई हैं, उसमें 109 व्यक्ति की मृत्यु हुई और 392 लोग घायल हुए थे, इसलिए वहां पर फोर लेन रोड की आवश्यकता है. सन् 2018-19 में एडीबी योजना 124 किलोमीटर की स्वीकृत थी, 217 करोड़ रुपये जारी किये गये थे और भू-अर्जन के कुछ कारणों से उस रोड का निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि कम से कम 20 किलोमीटर रोड बनाने की स्वीकृति प्रदान कर दें. मंत्री जी, मैं आपको इसको लिखकर दे दूँगा. दूसरा, मेरे क्षेत्र की दो-तीन छोटी-छोटी रोडें हैं, रेरा हनुमान से खाचूमान पांच किलोमीटर, बिचौला से घिनौदा चार किलोमीटर और खुरमुडी से झिरमिरा 6 किलोमीटर और बागड़ी से खिलवानिया 3 किलोमीटर, राजपुर 4 किलोमीटर, आप इन रोडों का भी आने वाले समय में ध्यान रखें. अध्यक्ष जी, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामलाल मालवीय (घट्टिया) - माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से यह अनुरोध करना चाहता हूँ कि उज्जैन-कोटा मार्ग जो रोज उज्जैन से आगर के बीच में 50 किलोमीटर है. उसमें दुर्घटना के कारण प्रतिदिन एक व्यक्ति की मृत्यु होती है. इसलिए मेरा माननीय मंत्री से अनुरोध है कि उज्जैन-कोटा मार्ग को फोर लेन रोड किया जाये, ताकि आने वाले समय में जो रोज घटनाएं होती हैं, वह न हों. इसी प्रकार उज्जैन-जावरा मार्ग है, पिछली बार हमारे माननीय सज्जन सिंह वर्मा जी, जब मंत्री थे, एक ही मोड पर उन्हेल से उज्जैन के बीच में जो दो मोड़ ठीक होने थे, उसमें से एक ही ठीक हुआ था. एक रोड बचा हुआ है, दूसरा, मेरे तीन-चार छोटे-छोटे कार्य हैं- घट्टिया जकोटी मार्ग से घट्टिया चेक तक एक किलोमीटर, खेड़ा चितावलिया से भैंसाखेड़ी एक किलोमीटर, धरना मल्ला से पिपल्या सारंग दो किलोमीटर, पान बिहार से गुनई मार्ग चार किलोमीटर और रामगढ़ से बिहारिया मार्ग आठ किलोमीटर, निपानिया गोयल से उज्जैनिया आठ किलोमीटर. नजरपुर गांव में पुराना रोड एक किलोमीटर बना हुआ है, उसको नया बनाना है और नजरपुर से मालीखेड़ी व्हाया आगर रोड 10 किलोमीटर का मार्ग है. देवनखेड़ी से बकानिया, इनमें सभी में विभाग का पत्र आया है, निविदाएं बुलाये जाने का कार्य है, इसलिए मंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि यह सभी काम बहुत छोटे हैं, कुल मिलाकर 20 किलोमीटर भी नहीं हैं. अगर मैं कहूँगा कि जो घट्टिया विधान सभा है, उसमें अब बढि़या काम करके दें. इसलिए मेरा अनुरोध है कि माननीय मंत्री जी कम से कम इन मार्गों को स्वीकृत करने का कष्ट करें. अध्यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का समय दिया, उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी (खरगोन) - अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ कि कई सदस्य साथियों ने रेस्ट हाउस, सर्किट हाउस बनाने की बात की है. खरगोन जिले में एक सर्किट हाउस तीन कमरे का है और एक रेस्ट हाउस पांच कमरे का था, जो पिछले 3 वर्ष पूर्व डिस्मेंटल करके, वहां नया कलेक्टर भवन बन रहा है. मैं मंत्री जी से निवेदन करता हूँ कि 5 कमरे का नया रेस्ट हाउस मंजूर करके खरगोन को सौगात देने की कृपा करें. धन्यवाद.
श्रीमती लीना संजय जैन (बासौदा) - माननीय अध्यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, उसके लिए धन्यवाद. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि गंजबासौदा की यातायात की सुविधा को मद्देनजर रखते हुए गंजबासौदा में रिंग रोड बनाये जाने की स्वीकृति प्रदान करें. धन्यवाद.
श्री सुनील सराफ (कोतमा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आधे मिनट में अपनी बात समाप्त करूँगा. मैं माननीय मंत्री जी से मेरे क्षेत्र की तीन-चार सड़कों की बात करूँगा- कटकोना से हर्री, कटकोना से पिपराहा, सटनी से लोढ़ी और चपानी से किशोरी, ये चारों ही बहुत आदिवासी गांव की रोड हैं और यहां की यह स्थिति है कि कोल बस्ती में अगर एक घण्टे भी बारिश हो जाये तो वहां के लोगों को साइकिल को अपने कंधे पर लेकर आना-जाना होता है. मैं माननीय मंत्री जी से विनम्रतापूर्वक आग्रह करूँगा कि ये दो-दो, तीन-तीन किलोमीटर की छोटी-छोटी सड़कें हैं, इन्हें यदि शामिल करके बनायें तो आपकी बड़ी कृपा होगी. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र वर्मा (खण्डवा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से एक छोटा सा निवेदन है कि खण्डवा से इच्छापुर रोड नेशनल हाइवे में चला गया है, इस कारण से, उसमें पूर्व में टोल टैक्स लगता था. अब पूरे हाइवे का ट्राफिक उस रोड पर से जा रहा है. मैं आपके माध्यम से, मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि या तो उस पर भारी वाहन प्रतिबंधित करा दें या उस पर पुन: टोल टैक्स चालू कर दें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- (एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने- अपने आसन से कुछ कहने पर) आप सभी लिखकर दे दें, सभी माननीय सदस्य बोलेंगे तो कैसे काम चलेगा, आप सभी लिखकर दे दें.
श्री बापूसिंह तंवर( राजगढ़) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय लोकनिर्माण मंत्री महोदय जी को धन्यवाद देता हूं कि मेरे जिले में पांच विधानसभा हैं और पांच विधानसभा में से तीन विधानसभा में उन्होंने सड़के दी हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप अपनी मांग रखिये. अब बहस और भाषण का समय नहीं है.
श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी मांग तो रख रहा हूं लेकिन राजगढ़ विधानसभा में एक भी सड़क नहीं दी है. मेरा एक बहुत महत्वपूर्ण मार्ग है राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र का जो जालपा माता जी का स्थान है, वहां से बाला जी मांडाखेड़ा का धाम है, वहां पर जाता है और वहां से वह रास्ता पपड़ेल रोड पर जुड़ता है, वहां पर होड़ामाता जी हैं, जहां पर वसुंधरा जी आती हैं, वहां पर उनकी कुल देवी हैं और वह वहां पर आती हैं, यह बालाजी खामखेड़ा धाम से राजस्थान को जोड़ता है. इस प्रकार से यह 15 किलोमीटर का रास्ता बड़ा महत्वपूर्ण रास्ता है मैंने माननीय मंत्री जी को पहले भी लिखित में दिया है, मुख्यमंत्री जी को दिया है, फिर मुख्य सचिव जी को दिया है. मेरा अनुरोध है कि यह एक 15 किलोमीटर की सड़क यह दी जाये.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा एक ओर अनुरोध है कि राजगढ़ शहर के अंदर से जयपुर जबलपुर मार्ग निकलता है. अभी तक दो साल के अंदर दो दर्जन से अधिक उसमें दुर्घटना में मौते हो चुकी हैं, यह बहुत गंभीर मामला है क्योंकि सारे शासकीय आफिस, स्कूल केंद्रीय विद्यालय सभी उस मार्ग पर है. इसलिये मैंने उसमें बायपास की मांग की है और माननीय नितिन गडकरी जी ने भी पत्र लिखा है और एम.पी.आर.डी.सी. के पास उसकी डी.पी.आर. तैयार है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि शहर के बीच से वह मार्ग हटाकर बायपास निर्माण किया जाये और 70 किलोमीटर ब्यावरा से राजस्थान सीमा तक, राजस्थान सीमा में फोर लेन हो रहा है और ब्यावरा से भोपाल फोर लेन हो चुका है, तो 70 किलोमीटर का जो मार्ग टू-लेन है, उसको फोर लेन में परिवर्तित करें और उसी के साथ राजगढ़ में बायपास का निर्माण किया जाये, धन्यवाद.
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे भी कुछ कहना है.
अध्यक्ष महोदय --( एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने-अपने आसन से कुछ कहने पर) आप बोल चुके और भाषण भी दे चुके, अब आप सभी बैठ जायें. जो माननीय सदस्य बोल चुके हैं, वह फिर से कैसे बोलेंगे. श्री उमाकांत शर्मा जी को बोलने दीजिये.
श्री उमाकांत शर्मा (सिरोंज) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत -बहुत धन्यवाद.
''है समय नदी की धार, जिसमें सब बह जाया करते हैं,
पर कुछ ऐसे होते हैं, जो गोपाल भार्गव जी जैसा इतिहास बनाया करते हैं''
मैं माननीय गोपाल भार्गव जी से प्रत्यक्ष में भी मिला था और निवेदन किया था कि सिरोंज भोपाल मार्ग से, बासौदा सिरोंज मार्ग पर बायपास का निर्माण कराया जावे तथा शमशाबाद एवं लटेरी मार्ग से अगरा पठार होते हुए, मुंडेला तक की सड़क का निर्माण कराया जावे, यह दोनों काम बहुत महत्वपूर्ण है धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- ( एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने-अपने आसन से कुछ कहने पर) अब तो सभी माननीय सदस्य बोलने लगे हैं, ऐसे तो फिर से ओपन करना पड़ेगा. आप सभी लिखकर दे दें.
शशांक श्रीकृष्ण भार्गव (विदिशा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि मेरा स्वयं का गृह गांव उसमें मात्र तीन किलोमीटर बहलोठ से बनेरा तक सड़क नहीं है और आज भी बरसात में लोगों को इलाज के लिये घटिया पर लेकर आना पड़ता है तो उसकी स्वीकृति प्रदान करने की कृपा करें. एक बहलोठ से सुमेर तक चार किलोमीटर का रोड है और एक और न्यू आनंद बिहार से बराखेड़ा सोराही तक का 6 किलोमीटर का रोड है, इतने रोडों की स्वीकृति प्रदान कर दें,धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- हो गया, आप लिखकर दे दीजिये. सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि जो भी माननीय सदस्य लिखकर देंगे उसको हम कार्यवाही में शामिल करेंगे. .श्री हीरालाल अलावा जी आप बोलें.
डॉ. हिरालाल अलावा(मनावर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है मेरा मनावर शहर में एक बायपास की बहुत ज्यादा जरूरत है और पिछले साल भी मैंने डी.पी.आर. बनाकर दिया था लेकिन पैसा स्वीकृत नहीं हुआ, उसके कारण नहीं बन पाया था. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि मनावर बायपास को स्वीकृत करें और साथ में जो ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों के बारे में मैं लिख चुका हूं उनको भी शामिल किया जाये. बहुत - बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय -- ( एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने-अपने आसन से कुछ कहने पर) मैंने कहा है कि आप लिखकर दे दें, मैं उसको कार्यवाही में शामिल कर लूंगा.
श्री मुरली मोरवाल (बड़नगर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बदनावर तक फोरलेन कब से मंजूर है और वहां पर रोज दुर्घटना होती हैं और रोज एक्सीडेंट होते हैं, कम से कम 500 लोगों की मृत्यु वहां पर हो चुकी है और वहां पर सर्वे भी हो चुका है, मेरा निवेदन है कि देवास से जो फोरलेन आ रहा है उसको बड़नगर तक किया जाये, यही मेरा निवेदन है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे यहां दो ट्रायबल एरिया की रोड हैं वहां सबसे ज्यादा जनसंख्या ट्रायबलों की है. एक रोड है पाटलया से रोजाबाड़ी जिरात होते हुये हाथीनगर और दूसरा रोड है देवगढ़ का और दोनों जगह सौ प्रतिशत ट्रायबल पापुलेशन है, इसलिये माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि इन दोनों रोडों की स्वीकृति देने की कृपा करेंगे.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है माननीय मंत्री जी का जवाब आ रहा है, मेरा अनुरोध है कि एक नीतिगत निर्णय किया जाये कि जितने नगर के आसपास बायपास की मांग हो रही है, यह बायपास बनाने का एक नीतिगत निर्णय ले लें, इससे दुर्घटनायें भी बचेंगी, यह मेरा अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी को मैं आमंत्रित कर रहा हूं यह कहते हुये कि आपने पहले ही कहा कि कई रूप हैं तो सबको अलग-अलग रूप दिखाना है. माननीय गोपाल भार्गव जी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, आपने जो रूपों की बात की गोपाल भार्गव जी के बारे में..
अध्यक्ष महोदय-- मैंने नहीं कहा उन्होंने खुद कहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उनके और आपके कहने पर मुझे एक शायरी याद आई कि-
चंद लम्हे बनकर कागज पर बिखर जाते हैं ये,
और जिस नजर से इनको देखो वैसे ही नजर आते हैं ये.
लोक निर्माण, कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, यह तो मेरे नाम से ही जाहिर है, जिसने जिस रूप में देखा, वैसा ही मैं हो जाता हूं. अनेकों नाम हैं, अनेकों प्रकार के काम है तो इसमें मैं क्या करूं. माननीय अध्यक्ष जी, आज सदन में लोक निर्माण विभाग की मांगों की चर्चा में लगभग 40 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया, साथ ही मेरे पास में जो दूसरा विभाग है कुटीर ग्रामोद्योग मुझे कहते हुये थोड़ा सा दुख हो रहा है कि हमारे इस गरीब विभाग के ऊपर भी कुछ लोग प्रकाश डाल लेते तो मुझे भी लगता, हमारे अधिकारी लोग भी बैठे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल-- अध्यक्ष महोदय, हम बोलना चाह रहे थे किंतु आपने समय नहीं दिया. हमारे यहां जो पुराने कुटीर उद्योग स्थापित थे वह सब बंद हो गये हैं, हटवा खास, बहरी, मेरा आपसे निवेदन है कि जो बंद हो गये हैं उनको संचालित करायें, इनमें इंफ्रास्ट्रक्चर पहले से मौजूद है.
अध्यक्ष महोदय-- उनके कहने पर आप बोल रहे हैं, पहले बोलना था, अब बैठ जाइये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, जिसने विभाग दिया उसने प्रकाश नहीं डाला तो ये क्या डालेंगे.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, मैंने तो डिमांड की थी, अब कोई नहीं बोला उसमें रोजगार मूलक विभाग था, गरीबों का, मुफलिसों का, बदहालों का, देहात के लोगों का, गांव के लोगों का विभाग था.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हिना कावरे जी ने बोला है.
श्री गोपाल भार्गव-- हिना जी ने बोला है, मैं उनको धन्यवाद दूंगा, वह बालाघाट की हैं, उन्होंने बांस के बारे में कहा, बांस के बर्तनों के बारे में कहा, छोला के पत्ते के बारे में कहा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- आप नोट करना भूल गये. इसमें बजट कितना रखा है.
अध्यक्ष महोदय-- इन सबको विश्वास था कि बिना इनके बोले आप उस विभाग में कितना करोगे इसलिये नहीं बोले.
5.29 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अनुदान की मांग संख्या 24, 53 एवं 56 पर कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष जी, आज की इस महत्वपूर्ण चर्चा में हमारे सदस्यों ने जिनमें हमारे इस विभाग के पूर्व मंत्री जिनके पास इसका प्रभार रहा है श्री सज्जन सिंह वर्मा जी, श्री हरिशंकर खटीक जी, श्री घनश्याम सिंह जी, श्रीमती रामबाई जी, श्री सुरेश राजे जी, श्री शैलेन्द्र जैन जी, श्री प्रियव्रत सिंह जी, श्री देवेन्द्र सिंह पटेल जी, श्री दिलीप सिंह जी परिहार, श्री पांचीलाल मेड़ा जी, श्री प्रदीप लारिया जी, श्री विनय सक्सेना जी, श्री बहादुर सिंह जी चौहान, सुश्री हिना कावरे जी, श्री प्रेमशंकर वर्मा जी श्री कुशवाह जी, श्री योगेश पंडाग्रे जी, श्री संदीप जायसवाल जी, श्री पी.सी. शर्मा जी, श्री जजपाल सिंह जी, श्री नीलांशु चतुर्वेदी जी, श्री संजय यादव जी, श्री मालवीय जी, श्री कमलेश्वर पटेल जी, श्री आशीष शर्मा जी, कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा जी, श्री सूबेदार सिंह जी, श्री सचिन यादव जी, श्री प्रदीप पटेल जी, श्री मनोज चौधरी, सर्वश्री बाला बच्चन जी, विजयपाल सिंह जी, सुखदेव पांसे जी, दिलीप सिंह गुर्जर जी, रामलाल मालवीय जी, रवि रमेशचन्द्र जोशी जी,श्रीमती लीना संजय जैन, सर्वश्री देवेन्द्र वर्मा जी, वीरेन्द्र रघुवंशी जी, बापूसिंह तंवर जी, उमाकांत शर्मा जी, शशांक भार्गव जी, डॉ.हीरालाल अलावा जी, सुनील सराफ जी, डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ.
माननीय अध्यक्ष जी, सभी सदस्यों ने अपने अमूल्य सुझाव,सकारात्मक सुझाव इस विभाग के बारे में दिये, मुख्यत: लोक निर्माण विभाग के बारे में. मुझे खुशी है कि इस सदन में अधिकांश सदस्यों की रुचि राज्य के विकास के मामले में इतनी ज्यादा है. सभी लोग जानते हैं, जैसा सभी सदस्यों ने कहा कि सड़कें, पुल और अन्य जो भी हमारी संरचनाएं हैं. यह एक प्रकार से जिस तरह से मानव शरीर में रक्त होता है, धमनियां होती हैं. सड़कें, उसी प्रकार से राज्य का संचालन करती हैं. राज्य की तरक्की और विकास वास्तव में उसकी सड़कों से ही संभव है. जब हम किसी राज्य में जाते हैं तो सड़कें उस राज्य की आईना होती हैं. उस राज्य की हैसियत बताती हैं कि राज्य वास्तव में प्रगतिशील है अथवा नहीं. मुझे कहते हुए खुशी है कि 2003 के पहले हालांकि मैं ज्यादा इस विषय में नहीं जाऊंगा. सड़कें जैसी थीं, मैं जब सागर से आता था तो मैंने ट्रेन से आना शुरू कर दिया था. गोंडवाना एक्सप्रेस चलने लगी थी उस समय और हम सभी विधायक सागर आते थे और बाद में ट्रेन से हम बीना और बीना में उतरकर यहां आते थे. स्थिति ऐसी थी कि एक सड़क की बात कर रहा हूं. मुझे स्मरण है कि हमारे 10-12 साथी 10-15 सालों तक ट्रेन से आते थे. भोपाल आने में यदि खुद के वाहन से आते थे तो 2-4 घंटे आराम करना पड़ता था लेकिन आज हम बेहतर स्थिति में राज्य में हैं. मैं किसी पर आक्षेप नहीं कर रहा हूं. सभी लोग इस बात को स्वीकार कर रहे हैं. सड़कें किसी एक की नहीं होतीं. न मेरी हैं न बीजेपी की हैं न हमारे साथियों की हैं. सड़कें सभी की हैं. हम लोग भी उस पर चलते हैं और राज्य के बाहर के लोग भी चलते हैं और इसीलिये हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम सभी लोगों के हित को देखते हुए और राज्य की छवि बनाने के लिये, प्रगतिशील राज्य की जो हम बात करते हैं और मध्यप्रदेश को जो अग्रणी राज्य बनाने की बात करते हैं उसमें सड़क,पुल बहुत महत्वपूर्ण हैं. रेलवे ओवर ब्रिज की जो बात है. सज्जन भाई ने बहुत सी बातें कहीं. भारत सरकार से एक सूची मिली, 105 रेलवे ओवर ब्रिज की बात आई. जैसे ही हमें वह सूची प्राप्त हुई. हमने बहुत ही अल्प समय में समय-सीमा में सारे के सारे 105 ओवर ब्रिज लिये. अपने बजट में टोकन प्रावधान कर दिया और यह भी हम कह रहे हैं कि यह अभूतपूर्व स्थिति है. आपको सुनकर आश्चर्य होगा. हमारे अधिकारी बता रहे थे कि जैसे ही हमने 105 आरओबी स्वीकृत किये. बजट में प्रावधान किया तो भारत सरकार के अधिकारी पूछ रहे हैं कि आपने 105 स्वीकृत कर दिये और बाकी राज्यों में होड़ मच गयी. विभाग से पूछ रहे हैं कि आपने यह कैसे संभव किया. यह संभव हो सका तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार के रहते हुए और शिवराज जी के नेतृत्व के कारण संभव हो सका. हमारे साथी सज्जन वर्मा जी ने सीधी दुर्घटना के बारे में जो चर्चा की. मैं बहुत गहराई में नहीं जाऊंगा लेकिन दुर्घटना के बाद मैंने भी जानकारी ली थी. किसी ने कहा कि आप नहीं गये, फायदा होता और दूसरे मंत्री नहीं गये. जब हमारे मुख्यमंत्री जी वहां पर हैं और मुख्यमंत्री जी ने जिन मंत्रीगणों को जाने के लिये निर्देशित किया, वे वहां गये. तो मैंने जाना उचित नहीं समझा. मैंने इस बात पर ज्यादा जोर दिया कि यह समस्या हल हो और इस कारण से हमने सीधी दुर्घटना के फलस्वरूप छुहिया घाट जो है, उसके वैकल्पिक मार्ग हेतु 156 करोड़ रुपये का नया कार्य इस बजट में शामिल कर लिया है. जाने से तो ठीक है. कभी कभी आपके नेता कमलनाथ जी कहते हैं कि जाने से क्या होता है फील्ड में, मंत्रालय से आप काम चला रहे थे. अतिवृष्टि हो जाये, ओले गिर जायें, कुछ भी हो जाये तो, हालांकि मैं इस विचार का नहीं हूं, लेकिन जब हमारे मुख्यमंत्री जी गये थे, इसलिये मैंने ऐसा कहा. एक बात सज्जन भाई ने और कही थी कि जो ब्लैक स्पॉट है, उनके कारण निश्चित रुप से दुर्घटनायें होती हैं. हमने इसके लिये कार्य योजना भी अपने हाथ में ली है और सुधारात्मक कार्य निरन्तर प्रक्रियारत् है और हमने मध्यप्रदेश में जो स्पाट चिह्नित किये हैं, इसमें 154 के लिये दीर्घ उपाय किये हैं, जो पूर्ण हो चुके हैं, 92 के लिये लघु उपाय किये हैं, जो पूर्ण हो चुके हैं. हम आपको बताना चाहते हैं कि और जहां जैसी आवश्यकता होगी, हमारे सर्वे के दौरान यदि आवश्यकता होगी, तो ब्लैक स्पाट हम एक समय सीमा के भीतर नहीं बचने देंगे. सभी के लिये, क्योंकि आदमी की जान की कीमत भी हमारे राज्य का हो या राज्य के बाहर का हो, निश्चित रुप से हम सभी के लिये बहुत महत्वपूर्ण है. आपने एलीवेटेड फ्लाई ओव्हर का कहा. मुझे नहीं मालूम उस समय की क्या बात हुई, लेकिन जहां तक मेरी जानकारी में है कि सुप्रीम कोर्ट में मामला था और मेरे ही सामने इसी कार्यकाल में वह सुप्रीमकोर्ट से ह मामला डिसाइड हुआ. यूपी ब्रिज कार्पोरेशन जो था, उसमें काम्पटीटर था और वह प्रतियोगी था उसमें. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी ब्रिज कार्पोरेशन के पक्ष में कोई आदेश नहीं दिया, इस कारण से उसका मार्ग खुला और जल्दी से जल्दी उसके निर्माण कार्य की शुरुआत हो जायेगी. आपने देवास की उस ब्रिज के बारे में कहा. जैसा मैंने पूर्व में भी कहा कि वहां के जनप्रतिनिधि और वहां के अधिकारी और टेक्नीकल ऑफिसर जो हमारे विभाग के थे, सभी के साथ में बैठक करके देवास के पुलों के बारे में निर्णय लिया गया. एक्सप्रेस वे के बारे में, अटल एक्सप्रेस वे के बारे में, नर्मदा एक्सप्रेस वे के बारे में सभी प्रकार की बातें सामने आईं. मुझे आज कहते हुए खुशी है कि भारत माला परियोजना में हमारा अटल एक्सप्रेस वे भी शामिल नहीं था. लेकिन मुख्यमंत्री जी ने केंद्रीय भूतल परिवार मंत्री, गडकरी जी से चर्चा की और चर्चा के बाद मुझे कहते हुए खुशी है कि मध्यप्रदेश के खासतौर से हमारा जो उत्तरी क्षेत्र है, इस उत्तरी क्षेत्र के विकास को यदि सबसे ज्यादा गति मिलेगी तो इस अटल एक्सप्रेस वे से मिलेगी. इसलिये मैं कहना चाहता हूं कि इसके बारे में हमारी प्रक्रिया चालू है और जल्दी से जल्दी हम डीपीआर बनाकर और लैण्ड एक्वायर करने का काम भी शुरु कर देंगे. इसमें थोड़ा व्यापक परामर्श होना है, इसके बाद में इसकी डीपीआर बनकर उसको एक वर्ष में हम स्वीकृति प्राप्त करने का काम हम इसको कर लेंगे और यह जहां तक मुझे विश्वास है कि श्योपुर, मुरैना और भिण्ड जिले में कायाकल्प हो जायेगा, दोनों तरफ इण्डस्ट्रियल एरिया भी विकसित होगा. सभी प्रकार से रोजगार की भी इसमें व्यवस्था होगी और आवागमन भी, इस तरफ आने के लिये सड़क का आवागमन भी काफी शार्ट हो जायेगा. प्रियव्रत जी ने राष्ट्रीय राजमार्गों की सघन मानीटरिंग के बारे में बात की थी. तो इसका चीफ सेक्रेट्री के द्वारा स्वयं सुपरवीजन किया जा रहा है और जो इन्टर डिपार्टमेंटल है खास तौर से फारेस्ट के द्वारा, तो जल्दी से जल्दी जितने भी काम होते हैं, निपटते जा रहे हैं और मुझे विश्वास है कि कोई भी अब ऐसा विवादास्पद प्रकरण एक भी विवादित प्रकरण मध्यप्रदेश में शेष नहीं है. भू अर्जन को गति मिली है. कोरोना काल में भी 800 करोड़ से अधिक का मुआवजा निर्बाध रुप से बांटा गया है इन कामों के लिये. एनएचएआई कार्यों को गति देने के लिये मध्यप्रदेश शासन ने मिट्टी मुरम की रायल्टी फ्री कर दी है. अनेक विषय हैं. हमारे घनश्याम सिंह जी ने बताया था कि कोरोना काल में भाजपा सरकार द्वारा लेखानुदान लाया गया था, ग्वालियर चम्बल में 400 करोड़ के नये काम स्वीकृत किये थे, इसलिये मुख्य बजट में उसमें कुछ नजर नहीं आ रहा है. कोई आवश्यक नहीं है कि बजट में शामिल हो तो उसी समय उसको ले लिया जायेगा. लेकिन मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं कि 3 गुने काम उसमें मंजूर होते हैं, क्योंकि एक ही वर्ष में बजट में यदि सारी राशि भी शामिल कर ली जाय तो काम पूरे नहीं होंगे राशि लेप्स हो जाएगी, इस कारण से प्रक्रिया यही है कि 3 वर्षों में काम होते हैं और श्री विनय सक्सेना जी ने जबलपुर के बारे में बाते कहीं, वहां के फ्लाई ओव्हर के डीपीआर के बारे में, उन्होंने कहा कि दमोह नाके से तो मैंने कहा कि अभी मैं इसका परीक्षण करा लूंगा, उसके बारे में श्री विनय सक्सेना जी के लिए भी जानकारी दे दूंगा.
हमारे श्री यशपाल सिंह सिसौदिया जी, यह 50-50 होता है भारत सरकार का, मतलब रेलवे विभाग का और राज्य सरकार का तो 4000 करोड़ रुपये के करीब हमें आरओबी बनाने में लगेंगे और राशि की व्यवस्था अपने वित्त विभाग की सहमति से आगे आने वाले वर्षों हमने कर ली है तो जल्दी से जल्दी हमें आरओबी की यह निर्मित स्थिति दिखने लगेगी.
हमारी बहन सुश्री हिना लिखीराम कावरे जी, मुझे यह कहते हुए खुशी है कि आपने हमारे दूसरे विभाग के बारे में चर्चा की. जो कुटीर और ग्रामोद्योग विभाग है, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आपके सुझाव स्वागत योग्य हैं और हम सभी का जोर जो है वह ग्रामोद्योग की तरफ, कुटीर उद्योग की तरफ, रेशम उत्पादन की तरफ, इन सबकी तरफ है.
पिछले वर्षों की तुलना में हमने इसे और एडवांस, कम्प्यूटराईज करने की कोशिश की है. ज्यादा से ज्यादा एक्सपोजर हो. हमने नये एम्पोरियम मृगनयनी इत्यादि खोलने का काम और भी नयी जगहों पर किया है. नागपुर में भी अभी हमारा एक केन्द्र शुरू हुआ. पिछले महीने श्री गडकरी जी ने इसका उद्घाटन किया था, ऐसे ही हम और भी बड़े शहरों में खोलने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि मार्केटिंग की व्यवस्था जब तक नहीं होगी, तब तक हमारी बिक्री नहीं हो सकती है और टर्न ओव्हर भी नहीं बढ़ेगा.
श्री बैजनाथ कुशवाह जी, श्री देवेन्द्र सिंह पटेल जी ने, श्री देवेन्द्र सिंह पटेल जी ने मेरे पास में आकर एनएच 12 जबलपुर भोपाल के विषय में भी बताया था, इसके विषय में श्री देवेन्द्र जी आपको बताना चाहता हूं कि 5 एजेंसियां हमारी काम कर रही हैं और आपने जो क्ववॉलिटी के बारे में कहा है, हम अधिकारी भेजकर उसकी क्वॉलिटी की जांच करा लेंगे और जल्दी से जल्दी आपको इसके बारे में भी अवगत कराएंगे.
श्री पी.सी. शर्मा जी ने भी भोपाल की सड़कों के बारे में कोलार रोड के बारे में नीलबड़, रातीबड़ मार्ग के बारे में समय सीमा में पूर्ण करने का कहा है. इस काम को भी हम जल्दी कराकर आपको सूचित करेंगे. 4000 करोड़ रुपये से अधिक का हमने प्रस्ताव बनाकर कोलार रोड को एलिवेटेड रोड एवं फ्लाई ओव्हर सहित बनाने का प्रस्ताव जो 4000 करोड़ रुपये का है सीआरआईएफ के पास में भेजा है.
श्री संजय यादव जी ने नर्मदा एक्सप्रेस के बदले नर्मदा पथ की मांग की. दोनों अलग अलग कार्य हैं. एक्सप्रेस-वे आर्थिक विकास का है और परिक्रमा पथ आध्यात्मिक है, हम दोनों पर काम कर रहे हैं और मुझे विश्वास है कि दो बहुत कार्य जो बड़े मील के पत्थर हैं और मैं तो कहूंगा कि ऐसे अभूतपूर्व काम जो राज्य में कभी नहीं हुए. एक तो उत्तर दिशा में अटल एक्सप्रेस-वे का, और एक हमारा नर्मदा जी के साथ में नर्मदा एक्सप्रेस-वे, जो हमारे अमरकंटक से लेकर भरुच तक है. मैं मानकर चलता हूं कि जब हमारे कार्य पूरे हो जाएंगे. इसमें हमने राशि का प्रावधान किया है तो निश्चित रूप से आगे आने वाले भविष्य में एकाध दशक के भीतर ही हम कल्पना कर सकते हैं. एक दशक के भीतर हम मध्यप्रदेश का एक नया चहरा देखने के लिए लोक निर्माण विभाग के माध्यम से और एनएचएआई के माध्यम से हमें देखने के लिए मिलेगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - दिल्ली बम्बई की एट लेन सड़क जो है मंदसौर, गरौठ, रतलाम, उज्जैन के बारे में मैंने कहा.
श्री जितु पटवारी - आप उनको मंत्री मत बनाओ परन्तु काम पूरे मंत्री वाले करने की कोशिश कर रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - 1 लाख करोड़ रुपये की सड़क बन रही है.
श्री गोपाल भार्गव - दूसरी एक चिंता आरडीसी की सड़कों की उनकी भौतिक स्थिति के बारे में थी. मैं यह कहना चाहता हूं कि जिन जिन सड़कों के बारे में हमें जानकारी मिली, शिकायतें मिलीं और हमने उनका सर्वे करवाया कि सड़कें ठीक नहीं है लेकिन टोल ले रहे हैं तो ऐसी सड़कों को और ठेके को टर्मिनेट करने का काम भी विभाग ने पहली बार किया है, हमने 4 सड़कों का टर्मिनेशन किया है.
एक जो है जबलपुर वाली सड़क, उस सड़क पर हम 27 करोड़ रूपये व्यय कर रहे हैं और उ सको हम दुरूस्त करवा रहे हैं. अध्यक्ष महोदय अनेकों ऐसी बातें हैं जिनके बारे में मैं संक्षेप में सदस्यों को अवगत कराना चाहता हूं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- हमने भी दो तीन बातें कहीं है आप उधर चले गये थे तो अरविंद जी ने नोट करके आपको दिया था उसका भी थोड़ा उल्लेख कर दें.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय मेरा ऐसा विचार है आज कि हमारे जितने भी सदस्यों ने आज कि हमारे विभाग की चर्चा में भाग लिया है. उसकी विधान सभा से अधिकृत कापी निकलवाकर कल तक उसके बारे में जो भी होने लायक होगा. हम सारे सदस्यों को सूचित करेंगे. आपने यहां पर बैठकर अपना अमूल्य समय दिया है. अध्यक्ष महोदय मेरे विचार से आपने एक प्रकार से हमारे संसदीय लोकतंत्र का सम्मान किया है. इस कारण से आप लोग सबसे पहले अधिकारी है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- मंत्री जी को पूरी विधान सभा की ओर से बहुत बहुत बधाई.
श्री बाला बच्चन -- नहीं, मंत्री जी हंस दिये न.
श्री गोपाल भार्गव -- मेरा कहना है कि यहां पर बैठा करें तो उसका लाभ आपको मिलेगा नहीं तो भाषण देकर घर जाकर सो गये तो उसका किसी को फायदा मिलने वाला नहीं है. आप सच पूछें तो जो हमारा संसदीय लोकतंत्र है उसकी सही सेवा नहीं कर रहे हैं. आपने कुछ सदन में बोला लेकिन उसके बाद में उसका कोई उत्तर नहीं सुना तो कोई फायदा नहीं है. अध्यक्ष महोदय करीब 40 सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया है. यदि मैं यहां पर व्यक्तिश: उत्तर दूंगा तो काफी वक्त लग जायेगा. मुख्य मुख्य बातें जो हैं.
( डॉ नरोत्तम मिश्र जी के बैठे बैठे गोपाल भार्गव जी को कुछ कहने पर )
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष महोदय जैसी भार्गव जी ने वर्डिंग दी है कि मैं विधान सभा के रिकार्ड से निकालकर सबने जो कहा है उसका ध्यान रखूंगा. ऐसा मैंने किसी मंत्री को बोलते नहीं देखा है जब से मैं विधायक बना हूं, मैं मंत्री बना लेकिन ऐसा मैंने भी नहीं कहा. उसके लिए आपकी तारीफ है. हमें आपत्ति नहीं है आपके बोलने पर, लेकिन मिश्रा जी को है मैं करूं तो करूं क्या और हम करें तो करें क्या.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- आप तो कुछ नहीं कर सकते हैं यह बात सही है. इ सलिए आप वहां पर आराम से विपक्ष में बैठें.
श्री गोपाल भार्गव -- मैं इसलिए भी की हमारा यह जो लोकतंत्र है इसको और ज्यादा सम्मानित करें.
श्री जितु पटवारी -- यह तो समय की बात है आज का समय आपका बलवान है कल का सज्जन वर्मा का होगा इस भाव को समझते रहो.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- सज्जन का भले हो जाय आपका कभी नहीं होगा.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय वर्ष 2021-22 में कुल 460 सड़क कार्य कुल लंबाई 2441 किलो मीटर लागत रूपये 3286 करोड़ रूपये कुल 65 पुल लागत 759 करोड़ रूपये 105 नवीन रेल्वे ओवर ब्रिज लागत 3132 करोड़ रूपये 3 नवीन विश्राम गृह लागत 6 करोड़ 21 लाख रूपये स्वीकृति आ चुकी है.
( डॉ नरोत्तम मिश्र जी के बैठे बैठे गोपाल भार्गव जी को कुछ कहने पर )
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- बोलना होगा संसदीय मंत्री जी को, यह सबसे सीनियर विधायक हैं और सबसे अच्छे उत्तर दे रहे हैं, आप तो उत्तर देते नहीं हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- आप तो एक बात बता दो कि इन्होंने कौन सा अंक पढ़ा है. एक ही अंक बता दो यहां पर इतने ज्यादा नीरस होकर बैठते हैं हाऊस में, कि हाऊस को जिंदा करना पड़ता है. सभी में से कोई बता दे कि इन्होंने अभी क्या पढ़ा है. कौन सा आंकड़ा दिया है कोई भी सदस्य बता दें. अरे एक तो बता दें.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय आज की उपस्थिति, इस समय की उपस्थिति मैं समझता हूं कि आज सर्वाधिक है इतने समय तक कभी इतनी उपस्थिति नहीं रही है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- कम से कम एक मंत्री सत्य ब्यान कर रहे हैं तो माननीय संसदीय मंत्री जी को क्यों बुरा लग रहा है, सही बोल रहे हैं अच्छा जवाब दे रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय जी अगर 5.45 बजे इतनी उपस्थिति िहै तो इसका अर्थ यह है कि इस विभाग में हमारे सदस्यों की रूचि भी है सुझाव भी दिये हैं उन्होंने और शासन की तरफ से क्या उत्तर आ रहा है और क्या प्रावधान किये जा रहे हैं उसके बारे में भी वे जानना चाहते हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल -- सरकार को, मुख्यमंत्री जी को चिंता करना चाहिए बजट बहुत कम दिया है. पैसे का अभाव है ठेकेदारो का दो दो तीन तीन साल से भुगतान नहीं हो रहा है यह जरूर बताइयेगा.
श्री गोपाल भार्गव -- देखेंगे. सरकार की वित्तीय स्थिति धीरे धीरे ठीक हो रही है और इस कारण से एक वर्ष तक कोविड के कारण से थोड़ी सी समस्या रही है. अध्यक्ष महोदय राजमार्ग का निर्माण और उन्नयन 11389 किलोमीटर राजमार्ग हैं.11,389 किलोमीटर राजमार्ग हैं. मुख्य जिला मार्ग और कुल मिलाकर सारे के सारे यदि हम अलग अलग प्रकार के मार्गों के बारे में चर्चा करें तो 60 हजार किलोमीटर से ज्यादा हमारे मार्ग होते हैं. इनके मेन्टेनेंस का काम और अन्य प्रकार के अनुरक्षण के काम लगातार हम करते रहते हैं, उसके लिये बजट में भी प्रावधान है. मुख्य बात यह है कि सड़कें तो बनती हैं लेकिन उनकी गुणवत्ता ठीक रहे, मेन्टेनेंस होता रहे, ऐसा बहुत से सदस्यों ने कहा. सड़क निर्माण कार्यों में प्रयोग में लाये जाने वाले डामर की गुणवत्ता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है. अत: इसको सुनिश्चित करने के लिये यह नया प्रयोग है जो अभी इस वर्ष में हम शुरू कर रहे हैं. इसमें किसी प्रकार की मिलावट को रोकने के लिये विभाग द्वारा विस्तृत दिशा निर्देश जारी किये गये हैं, जिनमें प्रयोग में लाये गये डामर को 12 विभिन्न परीक्षण से गुजरने के उपरांत ही उपयोग में लाया जाएगा. डामर जितना बेहतर होगा उतनी अच्छी सड़क बनेगी और इसमें यह भी है कि भारत सरकार की जो पेट्रोलियम कंपनियां हैं उन्हीं से क्रय किया जाएगा, किसी रीटेल में बेचने वालों के साथ में यह व्यवहार नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय, केन्द्रीय सड़क निधि से हमने वर्ष 2021-22 में 580 करोड़ रुपये की राशि प्रावधानित की है. वृहद पुलों के निर्माण के लिये जो नाबार्ड से लोन लिया है 2021-22 में 154 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है. बाह्य वित्त पोषित एनडीबी पुल योजना के अंतर्गत 2021-22 में 180 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है. रेलवे ओव्हर ब्रिज के लिये 56 विधान सभाएं आती हैं, इसके लिये भी हमने शुरुआती तौर पर 14 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है और जैसे ही इसकी डीपीआर बन जाएगी उसके बाद टेण्डर निकालने का काम शुरू कर देंगे. इससे ट्रेनों की गति भी बढ़ेगी और अनावश्यक दुर्घटनाएं भी नहीं होंगी. बीओटी परियोजना में 2021-22 में 30 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है. ईपीसी योजना में होशंगाबाद-पिपरिया मार्ग 70 किलोमीटर, रीवा-ब्यौहारी टेटका मोड़ लंबाई 112 किलोमीटर, ब्यौहारी टेटका मोड़ से शहडोल तक मार्ग लंबाई 52 किलोमीटर और नसरुल्लागंज से कोसमी मार्ग की लंबाई 20 किलोमीटर की स्वीकृति है. राज्य की आय के वृद्धि के मामले में यूज़र फ्री योजना में हम लोगों ने 1,098 किलोमीटर लंबाई के 13 मार्गों की राज्य मंत्री परिषद ने स्वीकृत की है. जिसमें हम लोग टोल कलेक्ट करके सड़कों के मेन्टीनेंस और नई सड़कें बनाने का काम करेंगे. यह आरडीसी के द्वारा संपन्न होगा. परियोजना से एक वर्ष में 162 करोड़ रुपये की प्रत्येक वर्ष की आय अनुमानित है. यह जो राशि इकत्रित होगी इस राशि से एक तो पुरानी सड़कों की जिनकी गारंटी समाप्त हो रही है या फिर जो जर्जर हो गई हैं उनका मेन्टीनेंस होगा और इसके अलावा नई सड़कों का निर्माण भी होगा. यूज़र फ्री 13 सड़कें हैं जिनके बारे में मैं बहुत ब्यौरा नहीं देना चाहता. होशंगाबाद -पिपरिया, होशंगाबाद-टिमरनी, हरदा, खंडवा, सिवनी, बालाघाट, रायसेन, गैरतगंज, राहतगढ़, पिपरिया, नरसिंहपुर, शाहपुर, देवास, उज्जैन, बड़नगर, बदनावर, रीवा, ब्यौहारी, ब्यौहारी, शहडोल, रतलाम, झाबुआ, गोगापुर, महिदपुर, घोसला, मलेहरा, लोनली, चांदला मार्ग, सरवई, गोरिहार आदि हैं.
अध्यक्ष महोदय, दुर्घटना प्रतिक्रिया प्रणाली के बारे में जैसा मैंने पहले बताया कि मेडिकल फैसिलिटी और सारी की सारी चीजें वहां पर हैं. पहली बार जो हमने इस साल अभी दो तीन महीने पहले विभाग को निर्देश दिये हैं पीडब्ल्यूडी में, जैसे पहले मेरे पास 10 वर्षों तक आरआरडी रहा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क जिससे बनती है, मुख्यमंत्री ग्राम सड़क भी हमने जिन गांवों की आबादी कम थी, प्रधान मंत्री सड़क के नॉर्म्स में नहीं आते थे उनके लिये हमने मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू की थी. मेरे पास में जब पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग था, उस समय हमने 19 हजार किलोमीटर लंबी सड़कें बनाने का काम उस योजना के अंतर्गत किया था और लगभग 70 हजार किलोमीटर लंबी सड़कें हमारे, जिनके पास उस समय प्रभार भी रहा, मंत्री जी बैठे हैं, कमलेश्वर जी, अध्यक्ष महोदय, तो इस कारण से मैं यह कह सकता हूँ कि उसमें भी स्टेट क्वालिटी मॉनिटर होते थे, एसक्यूएम होते थे, एनक्यूएम होते थे, सड़कों की गुणवत्ता की जांच करते थे. मैंने यहां पर जब देखा कि यहां पर तो कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है और कहीं-कहीं शिकायतें आती थीं कि ऐसा नहीं हुआ, वैसा नहीं हुआ तो इस कारण से मैंने यह व्यवस्था दी कि रिटायर्ड ईएनसी हों या चीफ इंजीनियर हों, यदि शिकायतें आती हैं, मान लो विधान सभा में कोई प्रश्न आता है या किसी अखबार में कोई खबर आती है कि सड़क जर्जर हो गई, तो उनके लिए एक निश्चित मानदेय भी हम वहां पर करेंगे, जांच के लिए भेजेंगे, वीडियोग्राफी करवाएंगे और जो भी उस जांच की रिपोर्ट आएगी, उसके आधार पर संबंधित एजेंसी के विरुद्ध और अधिकारी के विरुद्ध हम कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, बीओटी टोल परियोजनाओं का सारांश हम बताएंगे तो समय लग जाएगा, लेकिन इसमें हमने 5808 किलोमीटर की 104 राज्य राजमार्ग परियोजनाएं पूरी की हैं, जिसमें 10994 करोड़ रुपये का कार्य इसका, आरडीसी का पूरा हो गया है. 10 परियोजनाओं की लंबाई 1488 किलोमीटर लागत 788 करोड़ की कंसेशन अवधि पूर्ण कर ली गई है और शेष की प्रचलन में है.
अध्यक्ष महोदय, बीओटी परियोजनाओं से 800 करोड़ रुपयों का वार्षिक टोल संग्रहण होता है, बीओटी, एनओटी मार्गों पर लगभग 730 करोड़ रुपये का वार्षिक भुगतान एनओटी के रूप में किया जाता है. सभी बीओटी मार्गों से मध्यप्रदेश आरडीसी को लगभग 53 करोड़ रुपये की वार्षिक आय प्राप्त होती है.
अध्यक्ष महोदय, जो फास्टेग ईटीसी लगाने की योजना है, राज्य सरकार की ओर से सभी प्रकार के वाहनों को टोल नाकों पर लंबे इंतजार से बचने के लिए राज्य में संचालित 66 टोल मार्गों पर स्थित 90 टोल नाकों पर इलैक्ट्रानिक टोल कलेक्शन सिस्टम 'फास्टेग' शुरू किए जाने का निर्णय लिया गया है. इस सुविधा के प्रारंभ होने से टोल लेन-देन में पारदर्शिता होगी तथा इसके परिणामस्वरूप यात्रा समय, ईंधन की बचत, गैस उत्सर्जन में कमी होगी तथा वास्तविक यातायात डेटा का संकलन होगा.
अध्यक्ष महोदय, सीधी की घटना के बारे में, कभी-कभी ऐसा होता है आरडीसी में, मैं कन्क्लूड कर रहा हूँ, जिस आरडीसी का रोड था, जिस कंपनी के पास इसका ठेका था, उस कंपनी का, उसने मुश्किल से अपनी आय ढाई लाख रुपये प्रतिदिन बताई. कुछ शक हुआ तो हम लोगों ने जब उसका सर्वे करवाया तो उसकी आय बढ़कर 12 लाख रुपये प्रतिदिन हो गई. इस प्रकार के प्रसंग भी सामने आ रहे हैं. हमारी कोशिश यह है कि जो वास्तव में उसका है, जो बैंक का लोन लिया है, वह लोन विधिवत भरा जाए, क्योंकि उसमें शासन की भी गारंटी है, मध्यप्रदेश सरकार की.
अध्यक्ष महोदय, ये सारे विषय हैं. अंत में मैं सभी माननीय सदस्यों के लिए पुन: यह दोहराता हूँ कि आप सभी लोगों ने जो भी सुझाव दिए हैं या आपने अपने विधान सभा क्षेत्रों के बारे में या राज्य के बारे में जो भी आपने अपनी इच्छा व्यक्त की है या जो भी अपेक्षा की है, सभी सदस्यों की और जो सदस्य किसी कारण से नहीं भी आ पाए हैं, यदि वे लिखकर भेजेंगे तो एक बार हम उसका परीक्षण करवा के कोशिश यह करेंगे कि आगे आने वाले बजट में या सप्लीमेंटरी में उसको हम उनके लिए शामिल करें. यह प्रयास रहेगा. वित्तीय व्यवस्था जैसी शासन की रहेगी, जो उपलब्धता रहेगी, उसके आधार पर हम इस काम को करेंगे. अध्यक्ष महोदय, सभी सदस्यों ने विभाग की चर्चा में भाग लिया, इसके लिए धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय, एक और विषय आया था, फास्टेग का, शायद आपने कोई निर्देश दिया है.
अध्यक्ष महोदय -- जी हां.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, इसका हम जल्दी परीक्षण करके आपको अवगत कराएंगे.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्यों ने आज चर्चा में भाग लिया और इस समय भी उपस्थिति बहुत है, सबने इसका उल्लेख किया है. उसके लिए विधान सभा के सभी माननीय सदस्यों को, माननीय मंत्रीगण को अपनी ओर से मैं धन्यवाद करता हूँ कि उनका सहयोग मिला. दूसरी बात चर्चा में शायद किसी ने उल्लेख किया नहीं. यह तय हुआ था, ऐसा प्रस्ताव आया था कि वर्तमान विधायकों के लिए दो गाडि़यों का फास्टैग मिले और पूर्व विधायकों को एक के लिए मिलना चाहिए. (मंत्री महोदय से) इसको भी देख लीजिए कि क्या कर सकते हैं.
मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.....
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, यह मांग का प्रस्ताव तो सर्वानुमति से स्वीकृत करना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, विभागीय बजट के लिए सर्वसम्मति से पास हो, तो नया इतिहास बनेगा.
श्री बाला बच्चन -- अनुदान मांगों की जो प्रोसेस है, उसको तो फालो करना पडे़गा. जिनको जो बात रखना था, जिनको मांगों के फेवर में बोलना था या जिनको कटौती प्रस्ताव के फेवर में बोलना था, वह हो चुका है.
अध्यक्ष महोदय, एक निवेदन यह है कि आपने एमएलए के लिए फास्टैग का जो उल्लेख किया है, उसमें प्रोसेस बहुत कठिन है. बहुत ज्यादा प्रोसेस से गुजरना पड़ता है थोड़ा उसको आप सरल करा दें, तो सबको सहूलियत हो जाएगी.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, उसमें यह विचार आया था कि कई बार होता है कि माननीय सदस्य उम्र के कारण उनको लोन नहीं मिलता, तो माननीय सदस्य या उसके परिवार का जो सदस्य कहें, उस तरह की दो गाडि़यों के लिए फास्टैग का इंतेजाम हो जाए. मतलब परिवार का भी हो, तो भी चले क्योंकि विधायक जिस गाड़ी में स्वयं बैठा रहता है उसको तो कोई पूछता नहीं है. बिना फास्टैग वाले निकलेंगे तो भी कोई दिक्कत नहीं आयेगी. शासन द्वारा वर्तमान विधायकों को दो गाडि़यों के लिए फास्टैग की व्यवस्था हो जाए, ऐसा कर दीजिए. अब वह कर लेंगे. शायद मंत्री महोदय के रूप के कारण सदन में आज यह उपस्थिति है.
मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 24, 53 और 56 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किए जाएं.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अध्यक्ष महोदय -- अब मैं मांगों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदया को,
अनुदान संख्या-24 लोक निर्माण कार्य, सड़कें और पुल के लिए छ: हजार पांच सौ छत्तीस करोड़ बयासी लाख इकहत्तर हजार रुपए,
अनुदान संख्या-53 लोक निर्माण भवन के लिए तीन सौ एक करोड़ दस लाख उनतीस हजार रुपए एवं
अनुदान संख्या-56 कुटीर एवं ग्रामोद्योग के लिए एक सौ सात करोड़ चौबीस लाख बीस हजार रुपए तक की राशि दी जाए.
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 15 मार्च, 2021 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 6.03 बजे विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 15 मार्च, 2021 (15 फाल्गुन, शक् संवत् 1942) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल,
दिनांक 9 मार्च 2021 ए.पी.सिंह,
प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा