मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा षोडश सत्र
फरवरी-मार्च, 2018 सत्र
शुक्रवार, दिनांक 09 मार्च, 2018
(18 फाल्गुन, शक संवत् 1939)
[खण्ड- 16 ] [अंक- 6 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
शुक्रवार, दिनांक 09 मार्च, 2018
(18 फाल्गुन, शक संवत् 1939)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
शिकायतों पर कार्यवाही
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
1. ( *क्र. 1936 ) डॉ. मोहन यादव : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जनवरी 2012 से प्रश्न दिनांक तक मलेरिया विभाग उज्जैन, जिला उज्जैन में कुल कितनी सामग्री एवं कितनी मशीनें क्रय की गईं? वर्तमान में स्टॉक में कितनी सामग्री एवं मशीनें शेष हैं? रिकॉर्ड में हेरा-फेरी, भ्रष्टाचार एवं फर्जी भुगतान के संबंध में उक्तावधि में कितनी शिकायतें प्राप्त हुईं? प्राप्त शिकायतों पर क्या कार्यवाही की गई? शिकायतों एवं जाँच प्रतिवेदन की प्रति उपलब्ध कराते हुये उपरोक्तानुसार जानकारी वर्ष 2012 से वित्तीय वर्षवार उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नांश (क) की जानकारी अनुसार क्रय की गई सामग्री एवं मशीनों की संख्या एवं स्टॉक में उपलब्ध मशीनों की संख्या कम होने तथा प्राप्त शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं करने के लिए कौन अधिकारी दोषी हैं? दोषी के विरूद्ध कब तक कार्यवाही की जावेगी?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जनवरी 2012 से प्रश्न दिनांक तक जिला मलेरिया अधिकारी, उज्जैन द्वारा क्रय की गई सामग्री और मशीनों एवं इनके स्टॉक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। प्रश्नावधि में रिकार्ड में हेरा-फेरी, भ्रष्टाचार एवं फर्जी भुगतान के संबंध में कुल 01 शिकायत प्राप्त हुई है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला उज्जैन द्वारा दिनांक 03.11.2016 को 02 सदस्यों की जाँच समिति गठित की गई है एवं जाँच प्रचलन में है। शिकायत की छायाप्रति की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) उत्तरांश (क) अनुसार जाँच प्रचलन में है। जाँच में विलंब हेतु जाँच समिति को इस संबंध में दिनांक 26.02.2018 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। जाँच उपरांत गुण-दोष के आधार पर जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी।
डॉ.मोहन यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मलेरिया से संबंधित है. इसमें जो जांच की गई है उसकी रिपोर्ट मुझे दी गई है परंतु इसमें कुछ बिंदु बाकी रह गए हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि वहां के इंचार्ज पर शिकायतें हैं इसलिए उन्हें वहां से हटाकर, सहायक कोष एवं लेखाअधिकारी से वस्तुस्थिति की जांच, उन बिंदुओं पर करवा ली जाए, जो कि छूट गए हैं ताकि विस्तार से पूरी बात आ जाए.
श्री रूस्तम सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य कह रहे हैं कि जो अधिकारी वहां वर्तमान में पदस्थ है और जांच में कुछ बिंदु छूट गए हैं, हम उनकी जांच करवा लेंगे और इस जांच में वहां पदस्थ अधिकारी कहीं से कहीं तक शामिल नहीं रहेगा.
डॉ.मोहन यादव- बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रोजेक्ट कायाकल्प का क्रियान्वयन
[चिकित्सा शिक्षा]
2. ( *क्र. 1583 ) श्री राजेश सोनकर : क्या राज्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) एम.वाय. हॉस्पिटल इन्दौर में प्रोजेक्ट कायाकल्प कब से प्रारंभ किया गया था? प्रोजेक्ट कायाकल्प में किन-किन कार्यों को किया जाना
प्रस्तावित किया था? क्या चिकित्सा उपकरण/सामग्री क्रय किया जाना भी प्रस्तावित था? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या प्रोजेक्ट कायाकल्प के लिए कोई नीति/बजट का प्रावधान था? कार्यों के संधारण व नवीनीकरण हेतु नोडल अधिकारी/कमेटी कब किसके आदेशों से नियुक्त की गयी? उसकी क्या जिम्मेदारियां हैं? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में क्या प्रोजेक्ट कायाकल्प में एम.वाय. के विभिन्न वार्डों में संधारण नवीनीकरण के कार्य करते समय गैस पाईप लाईन बदली गई थी फिर भी मासूमों की जानें गईं? यदि हाँ, तो क्या कायाकल्प प्रोजेक्ट के तहत उक्त कार्य किया गया था? (घ) प्रश्नांश (ग) के संदर्भ में क्या पी.आय.सी.यू. में भी आग लगने के कारण बच्चों की जानें गईं थीं? क्या वार्ड में आग लगने से धुएं के कारण श्वास लेने में परेशानी होने से 47 से ज्यादा बच्चों की जान पर बन आई थी? क्या पी.आय.सी.यू. में मृत बच्चों की डी.एन.ए. रिपोर्ट भी नहीं प्राप्त हुई है? क्या कायाकल्प प्रोजेक्ट में अनियमितताओं के लिये नोडल अधिकारी/अस्पताल प्रबंधक की कोई जवाबदारी नहीं बनती है?
राज्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा ( एडवोकेट शरद जैन ) : (क) शासकीय स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालय, इन्दौर के एम.वाय. अस्पताल में कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष एवं संभागायुक्त द्वारा दिनांक 02 अक्टूबर, 2014 में प्रोजेक्ट कायाकल्प प्रारंभ किया गया। प्रोजेक्ट कायाकल्प के अन्तर्गत चिकित्सालय में संधारण कार्य तथा सेवा में सुधार कार्यों को प्राथमिकता से लिया गया है। (ख) प्रोजेक्ट कायाकल्प राज्य शासन द्वारा स्वीकृत न होकर स्थानीय स्तर पर प्रारंभ किये जाने से किसी अधिकारी की नियुक्ति अथवा बजट प्रदाय करने की स्थिति नहीं है। (ग) जी नहीं। किसी मासूम की जान नहीं गई। सामान्य संधारण एवं सेवा की गुणवत्ता में सुधार किया गया है। (घ) आग लगने एवं धुएं के कारण किसी बच्चे की मृत्यु नहीं हुई। शार्ट सर्किट से उत्पन्न आग पर तत्परता से काबू करते हुए तत्काल बच्चों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट किया गया, किसी बच्चे की मृत्यु नहीं होने से शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है। अनियमितता की स्थिति नहीं होने से किसी अधिकारी अथवा प्रबंधक के दोषी होने की स्थिति नहीं है।
श्री राजेश सोनकर- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को एक बात बताना चाहता हूं कि मेरे इंदौर के एम.वाय. हॉस्पिटल के संबंध में मैंने प्रश्न किया है, उसका जवाब मुझे प्राप्त हुआ है. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी एम.वाय. हॉस्पिटल को लेकर काफी चिंतित हैं. एम.वाय. हॉस्पिटल मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा शासकीय अस्पताल है. बोनमैरो ट्रांसप्लांट यूनिट लगाकर मुख्यमंत्री जी ने इस अस्पताल को गौरव प्रदान किया है. निश्चित रूप से वहां प्रबंधक के रूप में कार्य कर रहे डॉक्टर एक अच्छे डॉक्टर हो सकते हैं लेकिन एक अच्छे मैनेजर नहीं हो सकते हैं. इसलिए उस अस्पताल की अन्य व्यवस्थाओं को देखने के लिए प्रशासकीय अधिकारी को वहां प्रशासक बनाकर नियुक्त करने का मैंने प्रश्न किया है उसमें मुझे जवाब मिला है कि वहां शासन द्वारा अभी कोई भी प्रशासकीय अधिकारी नियुक्त करने की व्यवस्था नहीं है या इस प्रकार के काई आदेश नहीं हुए हैं. जबकि दिसम्बर, 2017 में, मैंने इसी संदर्भ में जब प्रश्न किया था तो संबंधित अधिकारियों द्वारा जो जवाब दिया गया था...
अध्यक्ष महोदय:- यह इसमें कहां है.
श्री राजेश सोनकर:- इसमें है, एम वाय अस्पताल में प्रशासकीय अधिकारी नियुक्त करने के संबंध में और प्रोजेक्ट कायाकल्प के माध्यम से वहां पर संधारण और नवीनीकरण के क्या-क्या कार्य किये जा रहे हैं, दोनों के संबंध में पूछा है. उसमें यह बताया गया है कि अभी वहां पर प्रशासकीय अधिकारी नियुक्त करने की शासन की इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं है. जबकि दिसम्बर, 2017 में इन्हीं अधिकारियों द्वारा यह जवाब दिया गया था कि वहां पर शासन ने आदेश कर दिये हैं और वहां पर प्रशासकीय अधिकारी नियुक्त किया जाना है और वह व्यवस्था प्रक्रियाधीन है.
अध्यक्ष महोदय, यह मैं पूछना चाहता हूं कि यह अधिकारी सदन को गुमराह करने के लिये मंत्री जी को माध्यम बना रहे हैं और इसमें से दोनों में से कौन सा जवाब सही माना जाये, दिसम्बर में जो उन्होंने कहा था कि वहां आदेश जारी कर दिये हैं उसे सही माना जाये या अभी जो उन्होंने कहा है कि इस प्रकार का कोई आदेश या इस प्रकार की कोई प्रक्रिया विचाराधीन नहीं है, दोनों में से किसे सही माना जाये ?
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र):- अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य को मैं, जैसे उन्होंने बधाई दी, मैं भी वे इंदौर के जनप्रतिनिधि हैं और इंदौर के सभी जनप्रतिनिधियों को मैं बधाई देता हूं कि एम वाय अस्पताल की जिस तरह से व्यवस्थाएं ठीक हुईं, बोन मैरो ट्रांसप्लांट की बात हो, ग्रीन कॉरिडोर की बात हो या आर्गन ट्रांसप्लांट की बात हो इंदौर ने वास्तव में काफी गौरवान्वित होने वाले काम किये हैं. अध्यक्ष महोदय, जहां तक सम्मानित सदस्य का यह कहना है कि अधिकारी गुमराह कर रहे हैं न हम गुमराह हो रहे हैं, थोड़ी सी समझने वाली बात है, वहां पर जो प्रशासनिक अधिकारी वाली बात है, वह प्रक्रिया अभी प्रचलन में है. वहां किसको नियुक्त किया है, ऐसा कोई आदेश तब नहीं हुआ था, अभी भी नहीं हुआ है, इस प्रश्न में भी कोई स्पेसिफिक इस तरह की बात नहीं उठाई थी, पर नियुक्ति प्रक्रियाधीन है. इसमें प्रश्न उद्भूत न होने के बाद भी मैं बता रहा हूं कि हम जल्द ही निकट भविष्य में उसको करने वाले हैं.
श्री राजेश सोनकर :- अध्यक्ष महोदय, मेरा इसी में एक और प्रश्न था कि प्रोजेक्ट कायाकल्प के माध्यम से एम वाय अस्पताल में संधारण और गुणवत्ता के जो काम किये जाने थे, उसी दौरान एक बहुत बड़ा हादसा एम वाय अस्पताल में हुआ, जिसमें बात चर्चा में आयी थी कि (XXX), लेकिन विभाग ने इसमें बताया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- अध्यक्ष जी, मेरी प्रार्थना है, सम्मानित सदस्य हैं, कोई तथ्य नहीं, कोई प्रमाण नहीं, (XXX)
अध्यक्ष महोदय:- इसमें उत्तर में भी मना किया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- नहीं, हुआ ही नहीं है, इसलिये मेरी प्रार्थना है कि बिना तथ्यों के ऐसा न करें. यह कार्यवाही से निकलवा दें.
अध्यक्ष महोदय:- यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री राजेश सोनकर :- अध्यक्ष महोदय, ठीक है, इस प्रकार की कोई घटना नहीं हुई कोई बात नहीं है, लेकिन वहां पर संधारण का काम हुआ है, गुणवत्ता में सुधार का काम हुआ है और उसी के तुरंत बाद यह भी शिकायत आयी है कि वहां शार्ट सर्किट के कारण धुआं, धुआं फैलने के कारण, कुछ बच्चों को वहां से निकालकर दूसरे कमरे में शिफ्ट किया गया तो जहां पर गुणवत्ता और संधारण का काम हो रहा है तो तुरंत अल्प समय में ही शार्ट सर्किट के कारण इस प्रकार की स्थिति बनती है तो क्या आपने उसकी जांच करवायी और जांच में क्या पाया गया ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- जांच में जो पाया गया, वही सम्मानित सदस्य को बताया गया कि शार्ट सर्किट के कारण से हुआ.
अध्यक्ष महोदय:- आपके चार प्रश्न हो गये हैं.
श्री राजेश सोनकर:- अध्यक्ष महोदय, इसी संबंध में एक अंतिम महत्वपूर्ण सवाल है कि वहां पर एक बच्चा, जिसकी डीएनए रिपोर्ट अभी तक नहीं मिल पायी है और उसके माता-पिता लगातार परेशान हो रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय:- यह प्रश्न से उद्भूत कहां हो रहा है.
श्री राजेश सोनकर:- धन्यवाद्.
राजगढ़ जिले में विभागांतर्गत संचालित योजनायें
[आयुष]
3. ( *क्र. 2296 ) श्री अमर सिंह यादव : क्या राज्यमंत्री, आयुष महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिले में क्या आयुष विभाग का कार्यालय संचालित है? यदि हाँ, तो कब से? (ख) उक्त विभाग द्वारा कौन-कौन सी योजनाएं संचालित की जा रही हैं? (ग) उक्त संचालित योजनाओं में से वर्ष 2017-18 में कितने-कितने व्यक्तियों को कौन-कौन सी योजना का लाभ शासन द्वारा दिया गया है? (घ) उक्त विभाग में कौन-कौन से पद रिक्त हैं? उनकी पूर्ति कब तक की जावेगी?
राज्यमंत्री, आयुष ( श्री जालम सिंह पटेल ) : (क) जी हाँ। वर्ष 1980 से। (ख) प्रभावितों को आयुष चिकित्सा सेवायें उपलब्ध कराना। (ग) 2.77 लाख प्रभावितों को आयुष चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई है। (घ) जिला आयुष स्थापना अंतर्गत रिक्त पदों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। पदपूर्ति सतत् प्रक्रिया है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री अमर सिंह यादव:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से मंत्री महोदय से राजगढ़ जिले में आयुष विभाग का कार्यालय कब से चालू हुआ है. माननीय मंत्री महोदय, ने बताया कि वहां 1980 से आयुष विभाग का कार्यालय संचालित है. 34 आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी, 20 आयुर्वेद कम्पाउण्डर, 27 महिला आयुर्वेद स्वास्थ्य कार्यकर्ता एवं एक मुख्य लिपिक, लेखापाल एवं सहायक ग्रेड 2 के एक-एक पद रिक्त हैं. मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करूँगा कि सन् 1980 से आयुर्वेदिक चिकित्सालय संचालित है और इतने पद खाली हैं, पूरे जिले में कहीं भी उनको लाभ नहीं मिल रहा है, तो इन पदों की पूर्ति कब तक होगी ? दूसरा, एक स्वास्थ्य केन्द्र लिम्बोदा में शासन द्वारा आवंटित किया गया है मगर उसका अभी तक कार्य नहीं हुआ है और इसमें एक खुजनेर नगर में एक आयुर्वेदिक चिकित्सालय खोलने की अनुमति प्राप्त है. मैं आपके माध्यम से, माननीय मंत्री महोदय से निवेदन कर रहा हूँ.
श्री जालम सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो पद पूर्ति की बात है तो लगभग 217 आयुष चिकित्सकों को ट्रेनिंग देकर पदस्थ किया गया है और बाकी जो हमारे पद हैं, वे पीएससी के द्वारा और पीईबी के द्वारा भरे जा रहे हैं. जो सम्माननीय विधायक जी ने निवेदन किया है कि लिम्बोदा में भवन का औषधालय वहां उपलब्ध है और अभी वर्तमान में स्वास्थ्य केन्द्र भवन में औषधालय संचालित है, औषधालय भवन के निर्माण के लिए अगर भूमि उपलब्ध होगी तो आगामी वित्त वर्ष में उसमें विचार किया जायेगा. खुजनेर में वर्तमान में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एनएचएम योजना के अंतर्गत आयुर्वेदिक चिकित्सालय संचालित है और इसमें हमारी डॉक्टर दीपा नामदेव हैं, जो वहां पदस्थ हैं.
श्री अमर सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करना चाहता हूँ कि वे वहां पर पदस्थ हैं, मगर उसका अलग केन्द्र बनाया जाये, उसकी अलग बिल्डिंग बनाई जाये. वह अस्पताल में बैठती हैं और उनसे लोगों को लाभ नहीं मिलता है. दूसरा, मेरा यह कहना है कि ये पद लम्बे समय से पूरे जिले में खाली हैं और आयुर्वेदिक चिकित्सक की सेवा नहीं मिल रही है तो मेरा यह निवेदन है कि हमारे डिग्रीधारी और कार्यकर्ता जो बेरोजगार घूम रहे हैं, उनको जिला मुख्यालय पर संविदा नियुक्ति दी जाये.
श्री जालम सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉक्टर के पद पीएससी के द्वारा भरे जाने हैं.
श्री अमर सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, पीएससी के द्वारा तो भरे जाते हैं.
श्री जालम सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, संविदा नियुक्ति के कोई प्रावधान नहीं हैं.
श्री अमर सिंह यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करूँगा कि कुछ विकल्प की व्यवस्था जिले में की जाये. जैसे स्वास्थ्य विभाग के जिला मुख्यालय पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जाती है.
श्री जालम सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं है. पीएससी के द्वारा डॉक्टर भरे जाएंगे एवं पीईबी के द्वारा हमारे बाकी पद भरे जाएंगे.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, क्या पीएससी सरकार के अन्तर्गत नहीं आती है ? पद कब भरेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - आपको मैंने कहां एलाऊ किया है ?
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं पूरे देश में 15 वें नम्बर पर हैं. यह बहानेबाजी थोड़े ही चलेगी. यह एक दिन, 6 महीने या एक वर्ष की सरकार नहीं है, सरकार पन्द्रहवां वर्ष पूरा करने जा रही है.
श्री जालम सिंह पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रक्रिया के हिसाब से भर्ती होगी, उसमें अलग से नियुक्ति नहीं होगी. अभी संविदा नियुक्ति के लिए अलग से कोई आदेश नहीं हैं. जो प्रक्रिया है, पीएससी के द्वारा डॉक्टर नियुक्त किये जाएंगे और पीईबी के द्वारा तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्ति होगी.
श्री अमर सिंह यादव - धन्यवाद, मंत्री जी.
अध्यक्ष महोदय - खुजनेर में भी बनवा दीजिये, जैसे ही आपकी व्यवस्था होती है. वह कह रहे हैं कि अलग अस्पताल बनवा दें, डॉक्टर हैं.
दमोह जिले में निर्माणाधीन कार्य
[जल संसाधन]
4. ( *क्र. 81 ) श्री लखन पटेल : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दमोह जिले में आज दिनांक तक जल संसाधन विभाग से कौन-कौन से कार्य कराये जा रहे हैं? विकास खण्डवार अलग-अलग स्वीकृत राशि, स्वीकृति की दिनांक सहित बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में कितने कार्य निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण हुए एवं कितने कार्य समय-सीमा समाप्त हो जाने पर भी पूर्ण नहीं हो पाये। समय-सीमा में कार्य पूर्ण ना होने की स्थिति में क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या? (ग) प्रश्नांश (क) के परिप्रेक्ष्य में स्वीकृत सभी कार्यों की भुगतान की अद्यतन स्थिति एवं की गई कटौतियों से अवगत करावें एवं गुणवत्ता परीक्षण पर उठाई गई आपत्तियों के निराकरण का विवरण उपलब्ध करावें?
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) से (ग) दमोह जिले में प्रश्नाधीन अवधि तक 08 कार्य प्रारंभ हैं। निर्माणाधीन कार्य यथा शीघ्र पूर्ण कराने के लिए आवश्यक प्रयत्न किये जाने से अधिकारियों पर कार्यवाही करने की स्थिति नहीं है। कार्य गुणवत्ता पूर्ण है। परीक्षण परिणाम संतोषजनक होने से आपत्ति नहीं उठाई गई है। अत: प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री लखन पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने माननीय मंत्री जी से जानना चाहा था कि दमोह जिले में सिंचाई विभाग द्वारा अभी तक कितने काम कराये गये हैं और उसमें से कितने अधूरे हैं ? उसमें से मात्र 8 कामों का जवाब आया है कि 8 काम अभी चल रहे हैं जबकि पूर्व में स्वीकृत कार्य, जिनका मैं उल्लेख करना चाहता हूँ 5 तालाब हैं तो तालाब तो बन गए हैं लेकिन नहरें नहीं बनी हैं, ऐसे तालाब पौढ़ी फतेहपुर, फतेहपुर, परी कनौरा, जांगोपुरा एवं शेजपुरा हैं, एक, मैं यह जानना चाहता हूँ कि इन तालाबों की नहरें कब तक बन जाएंगी ? इनको बने हुए 4- 5 वर्ष हो गए हैं. दूसरा, मेरा एक और प्रश्न था कि पूर्व में स्वीकृत इटवा कोटरा रपटा कम स्टाप डेम, जिसका कार्यादेश भी जारी हो गया है, सारी प्रक्रिया होने के बाद उसका काम आज दिनांक तक शुरू नहीं हुआ है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि इसका काम कब प्रारंभ होगा और जो अधूरे कार्य हैं, वे कब तक पूर्ण हो जाएंगे ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य का प्रश्न ''क'' देख लीजिये कौन-कौन से कार्य कराये जा रहे हैं, जो काम कराये जा रहे हैं वह आठ काम बतायें गये हैं. अब जहां तक सम्मानित सदस्य का यह सवाल है कि काम कब तक पूरा हो जायेंगे, इसका जवाब यह है कि इनकी किसी की भी समय-सीमा अभी नहीं निकली है और इनका पूरे होने का समय अक्टूबर 2019 तक का है. निश्चित रूप से विलंब हुआ है, लेकिन हम इन्हें समय-सीमा के अंदर ही पूर्ण करवा देंगे.
श्री लखन पटेल - क्या माननीय मंत्री जी, इतने महत्वपूर्ण उन तालाबों और नहरों के बारे में कुछ जवाब नहीं देना चाहेंगे? जिसमें सरकार के पैसे लग गये लेकिन एक भी नहर नहीं बन पाई. पांच तालाबों में सिर्फ एक तालाब की नहर बनाई गई है बाकी सभी नहरें ऐसी ही पड़ी हुई हैं, अगर वह पूरी हो जायें तो किसानों को लाभ मिलने लगेगा.
श्री मुकेश नायक - माननीय मंत्री जी जरा आप बुंदेलखंड पैकेज से जो तालाब के निर्माण हुए हैं, उन्हें जाकर देख लेंगे तो आपको सही दिशा मिलेगी कि आगे आपको और क्या काम करने हैं.
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप पहले उनका प्रश्न होने दें.
श्री लखन पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से इटवा कोटरा स्टॉप डेम के बारे में जानना चाह रहा था. उसका कार्य स्वीकृत हो गया है, बाकी सब कुछ भी हो गया है, कार्य का आदेश भी हो गया है लेकिन अभी तक कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है, इसकी क्या वजह है ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी जो तालाब परियोजना थीं, उनकी पूरी नहरें बनी हुई हैं. जहां तक मुख्य रूप से इन्होंने तालाब इटवा कोटरा को दिखवाने का बोला है, निश्चित रूप से हम उसे भी दिखवा लेंगे और मुकेश नायक जी ने जिन तालाबों के बारे में इंगित किया है, उनको भी दिखवा लेंगे.
श्री लखन पटेल- इटवा कोटरा तालाब नहीं है, इटवा कोटरा रपटा कम स्टॉप डेम है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैं उसी का कह रहा हूं, सिंचाई उसी रपटा कम स्टॉप डेम से ही होगी.
श्री लखन पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह जानना चाह रहा हूं कि उसका कार्य का आदेश हो चुका है, लेकिन कार्य कब प्रारंभ होगा ? उसके कार्य के आदेश हुए डेढ़ साल हो गये हैं, अगर आप उस पर कोई समय सीमा दें कि इस समय पूरा हो जायेगा या और कोई बात हो तो वह बता दें.
अध्यक्ष महोदय - कृपया अब आप बैठ जायें, कोई बात नहीं है (हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्मानित सदस्य ने जैसा कहा है कि उसका कार्य का आदेश हो गया है, तो हम अतिशीघ्र उसका काम चालू करवा देंगे.
निर्माण कार्यों की जानकारी
[जल संसाधन]
5. ( *क्र. 2529 ) श्रीमती शीला त्यागी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बाणसागर उद्वहन सिंचाई योजना लिंक नहर को पटवारी हल्का चौखण्डी, तेन्दुनी, बसरेही में किन-किन किसानों की भूमि नहर निर्माण के लिए अधिग्रहीत की गई है? भू-स्वामी का नाम, पटवारी हल्का शुष्क रकबा में अधिग्रहीत रकबा मुआवजे की राशि भुगतान की गई? राशि की सूची देवें तथा सूची में यह भी अंकित करें कि किन-किन किसानों को किन कारणों से राशि का भुगतान नहीं हुआ है? (ख) प्रश्नांश (क) के अधिग्रहीत भूमि में जिन किसानों को भुगतान नहीं हुआ, उनकी राशि वर्तमान में कहाँ है तथा उक्त भुगतान के लिए शासन/विभाग क्या कार्यवाही कर रहा है? (ग) पटेहरा उद्वहन सिंचाई योजना की नहर अठ्इसा से फुरौना लेते हुए गोटता कोठार तक जाने वाली नहर की वर्तमान 3 कि.मी. में नहर काटकर खेती बोई गई, इसमें शासन/विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? क्या उक्त नहर में अधिग्रहीत भूमि किसानों को वापस कर दी गई है? यदि हाँ, तो क्यों? (घ) यदि हाँ, तो नहर का निर्माण पुन: कराया जायेगा या नहीं? यदि नहीं, तो क्यों? यदि हाँ, तो कब तक? साथ ही बतायें कि उक्त नहर के निर्माण में वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक कितनी राशि दी गई एवं व्यय की गई? सहपत्रों के साथ जानकारी देवें।
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) बाणसागर उद्वहन सिंचाई नाम की कोई योजना नहीं है। बाणसागर परियोजना के अधीन त्यौंथर बहाव योजना के लिए क्रय/अधिग्रहीत की गई भूमि के मुआवजा भुगतान संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ख) भू-अर्जन हेतु आवश्यक धनराशि विभाग ने भू-अर्जन अधिकारी एवं अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को जमा की है। भूमि के स्वत्व एवं सीमांकन संबंधी कार्यवाही कर भुगतान की कार्यवाही सतत् है। (ग) प्रश्नाधीन भूमि से कृषकों का अतिक्रमण हटा दिया गया है। जी नहीं। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है। (घ) उद्वहन सिंचाई योजना की नहर के पुनर्निर्माण अथवा पाईप-लाईन बिछाने संबंधी परीक्षण के लिए मुख्य अभियंता को निर्देशित किया गया है। समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है। नहर निर्माण के लिए व्यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है।
श्रीमती शीला त्यागी - माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों के हित में बड़े-बड़े वायदे और उनके हित में घोषणायें करने वाली सरकार के राज में किसानों का इतना दमनकारी रवैया है. मैं आपको यह बतानी चाहती हूं कि अंकित प्रश्न में तहसील जवा, जिला रीवा के पटवारी हल्का चौखण्डी, तेन्दुनी, बवना, बसरेही में नहर विभाग के कर्मचारी, अधिकारी, पटवारी, कानून गो, नायब तहसीलदार एवं एसडीएम श्री के.के.पाण्डे ने मौके पर जाकर उमर मोहम्मद, शंभूप्रसाद, शंकरप्रसाद, रामकिंकर, लक्ष्मीकांत दुबे, बेवा जेमुनिसा, अजीमुल्ला, आलम, अमीस, डॉ. मौजीलाल, हृदयेश मिश्रा, कंचन, धमेंद्र गुप्ता, जैसे सैकड़ों किसानों की खड़ी फसल दिनांक-11 से 20 फरवरी 2018 के मध्य नष्ट कर दी गई..
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, अब इसका कैसे मैं जवाब दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - आप किसानों के नाम मत बताओ, उनको नाम याद करने की जरूरत नहीं है. कृपया आप प्रश्न करिये.
श्रीमती शीला त्यागी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न ही कर रही हॅूं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप बोल नहीं रही हैं, आप पढ़ रही हैं. मेरी बहन को चार साल हो गये हैं. मेरी बहन आप प्रश्न तो पूछ लीजिये.
श्रीमती शीला त्यागी - मैं पढ़कर ही बताउंगी. आपके आर्शीवाद से अभी मुझे पांच साल और सीखना है. (हंसी)
श्री बाला बच्चन - माननीय मंत्री जी कुछ बोलना चाह रहे थे. माननीय मंत्री जी बोलें.(हंसी)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - क्या उन्होंने आपको वकील किया है. मेरी बहन खुद बोल लेती हैं.
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप सीधे प्रश्न कर लें.
श्रीमती शीला त्यागी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न ही कर रही हूं. किसानों की खड़ी फसल दिनांक- 11 से 20 फरवरी 2018 के मध्य नष्ट कर दी गई और किसानों के द्वारा विरोध करने पर उनके साथ मारपीट भी की गई है. जबकि उक्त नहर में 80 प्रतिशत से अधिक भूमि खाली पड़ी हुई है. जिन किसानों की फसल उजाड़ी गई है, उनको दौड़ा-दौड़ा करके मारा गया है, ऐसा रवैया किसानों की हितैषी सरकार का है.
अध्यक्ष महोदय – माननीय सदस्य आपने जो पूछा है, उससे संबंधित पूछिए.
श्रीमती शीला त्यागी – माननीय अध्यक्ष महोदय, वही तो पूछ रही हूं, पूछने तो दीजिए.
अध्यक्ष महोदय – बहुत देर हो गई है. दूसरे को भी पूछना है.
श्रीमती शीला त्यागी – अध्यक्ष महोदय, एक दो मिनट तो बोलने दीजिए.
अध्यक्ष महोदय – नहीं प्रश्नकाल में भाषण नहीं चलता.
श्रीमती शीला त्यागी – अध्यक्ष महोदय, आज दिनांक तक उन पीडि़तों को मुआवजा नहीं दिया गया और साथ ही साथ किसानों से संबंधित जो भी अधिग्रहित भूमि थी उसमें राजस्व विभाग ने जिस क्रूरतापूर्वक तरीके से दमनकारी नीति अपनाई गई. मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगी कि वे राजस्व विभाग की इस क्रूरतापूर्ण कार्यवाही पर रोक लगाए एवं जिन किसानों की भूमि नहर में अधिकृत की गई थी, उन किसानों को मुआवजा उचित समय पर दें और जिन्होंने उनके ऊपर अत्याचार किया उनको सजा दें उनके ऊपर कार्यवाही करें?
अध्यक्ष महोदय – मंत्री जी, किसानों को मुआवजा कब तक दिया जाएगा, मतलब यह है.
श्री दिव्यराज सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेरी विधान सभा का मामला है यह सरासर असत्य बात है.
श्रीमती शीला त्यागी – विधायक जी, आपकी विधान सभा का मामला नहीं है यह त्यौंथर विधान सभा है, आप सिरमौर के हैं.
श्री दिव्यराज सिंह – माननीय सदस्य, चौखंडी मेरी विधान सभा में है, जबा मेरी विधान सभा में है, आप कहां जी रही हैं.
श्रीमती शीला त्यागी – यहीं मध्यप्रदेश में जी रही हूं. (…हंसी)
श्री दिव्यराज सिंह – ऐसा कोई आरोप नहीं है, किसी को मारा नहीं गया है, ये सरासर असत्य बता रही हैं.
श्रीमती शीला त्यागी – माननीय अध्यक्ष महोदय, ये राजा महाराजा है, इनको क्या लेना देना धरातल से, गरीब किसानों से क्या लेना देना ये तो राजपुत्र हैं, राजा महाराजा है.
अध्यक्ष महोदय – आप बैठ जाइए. यह कार्यवाही से निकाल दे, यह आरोप ठीक नहीं है. (....व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान – माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या कांग्रेस में ही राजा महाराजा रहे हैं, क्या हमारी पार्टी में राजा महाराजा नहीं हो सकते क्या, हमारी पार्टी में राजा महाराजा है तो इनको क्या तकलीफ हो रही है.
श्री दिव्यराज सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन को गुमराह कर रहे हैं.
श्री गोपाल परमार – ये तो दिल के राजा है.
श्रीमती शीला त्यागी – सदस्य कभी इनके क्षेत्र में जाते नहीं है, इनकी विधान सभा का प्रश्न है तो क्या मैं प्रश्न नहीं लगा सकती.
अध्यक्ष महोदय – आप सभी बैठ जाए, माननीय सदस्य आपको अपने प्रश्न का उत्तर लेना है या नहीं, या हम फिर आगे बढ़े. माननीय मंत्री जी उत्तर दे दीजिए, मुआवजा कब तक दिलवा देंगे.
डा. नरोत्तम मिश्र – माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी भी किसान से बिना मुआवजे के कब्जा नहीं लिया है.
अध्यक्ष महोदय – माननीय सदस्य, मंत्री जी तो कह रहे हैं मुआवजा मिल गया है.
श्रीमती शीला त्यागी – माननीय अध्यक्ष महोदय, मुआवजा देने का समय तो देख लीजिए, माननीय मंत्री जी ने यहां पर खुद लिखा है.
अध्यक्ष महोदय – उत्तर में सशक्त कार्यवाही लिखा है.
श्री दिव्यराज सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मैं बता देता हूं अगर आपको जानकारी चाहिए.
श्रीमती शीला त्यागी – माननीय अध्यक्ष महोदय, ये असत्य कह रहे हैं.
श्री दिव्यराज सिंह – इसमें मुआवजा पहले से दिया गया था, किसानों की जो फसल लगी थी, उसका भी अलग से मुआवजा सरकार दे रही है 10 हजार रूपए.
श्री सोहन बाल्मिक – इनका जबाव देना कैसे उचित है.
श्रीमती शीला त्यागी – माननीय अध्यक्ष महोदय, ये राजा साहब से कह दीजिए कि किसानों के हित के लिए क्षेत्र में जाया करें. दोबारा जीतना है तो.
श्री सोहन बाल्मिक – इनका जबाव देना कैसे उचित है. मंत्री जी सीधे जवाब दें, विधायक पूरे प्रदेश से प्रश्न कर सकता है, आपको बोलने की क्या जरूरत है.
अध्यक्ष महोदय – बैठ जाए आप. वे भी अपना प्रश्न पूछ लेंगे.
श्रीमती शकुंतला खटीक – माननीय अध्यक्ष महोदय, महिलाओं को बोलने नहीं दिया जाता है, ऐसा क्यों होता है. आप लोग खड़े होकर के महिलाओं की आवाज दबाते हों यह कहां की तरीका है. (…व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय – माननीय मंत्री जी, सदस्य का कहना है मुआवजा नहीं दिया गया और आपने लिखा भी यही है. (...व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र – अध्यक्ष जी, वह दो तरह की बात है मूल रूप से जमीन जिनकी ली गई है उन सभी को मुआवजा दिया गया है, अभी जब कब्जा लिया गया जो पुरानी जगह लिफ्ट एरिगेशन के द्वारा जोत ली गई थी उसको वापस लिया है चूंकि वहां पर सिंचाई का प्रबंध दूसरी नहर से कर रहे थे, जो फसल खड़ी हुई थी उस फसल का जो नुकसान हुआ है उसका मुआवजा देने भर की बात है अभी सिर्फ. जमीन के मुआवजे की बात नहीं है, खड़ी फसल का जो नुकसान हुआ है उसके मुआवजे की बात है. जमीन के मुआवजे की बात नहीं है, दो चीजे एक साथ आ रही है इसलिए भ्रम पैदा हो रहा है.
श्रीमती शीला त्यागी – माननीय मंत्री जी से मैं पूछना चाहती हूं कि जो खाली पड़ी भूमि थी पहले वहां पर नहर क्यों नहीं बनाई गई. जहां किसानों ने जब फसल बुआई कर दी तब कयों वहां पर नहर बनाना शुरू किया गया, यह तो परेशान करने वाली बात हुई न.
अध्यक्ष महोदय – यह कोई प्रश्न नहीं है.
हरदा जिलान्तर्गत योजनाओं का क्रियान्वयन
[पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण]
6. ( *क्र. 1988 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) हरदा जिलान्तर्गत विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ वर्ष 2014-15, 2015-16, 2016-17 एवं वर्ष 2017-18 में कितने हितग्राहियों को प्रदान किया गया? विधानसभा क्षेत्रवार संख्यात्मक जानकारी उपलब्ध करायें। (ख) हरदा जिले के अन्तर्गत पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को शासन द्वारा उक्त वर्षों में कितनी-कितनी राशि का आवंटन प्राप्त हुआ व प्राप्त राशि को कहाँ-कहाँ किस मद में खर्च किया गया? (ग) पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा वर्तमान में कौन-कौन सी योजनाएं संचालित की जा रही हैं और आगामी समय में उक्त वर्ग के लिये शासन की क्या-क्या योजनायें प्रस्तावित हैं?
राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग ( श्रीमती ललिता यादव ) : (क) हरदा जिलान्तर्गत विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं में वर्ष 2014-15, 2015-16, 2016-17 एवं वर्ष 2017-18 में लाभांवित हितग्राहियों की विधानसभा क्षेत्रवार संख्यात्मक जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'क' अनुसार है।(ख) हरदा जिले के अंतर्गत पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को वर्षवार, मदवार प्राप्त आवंटन एवं व्यय की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ख' अनुसार है। (ग) विभाग द्वारा वर्तमान में संचालित योजनाओं की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ग' अनुसार है। आगामी समय में पिछड़ा वर्ग के बालकों के लिए सम्पूर्ण प्रदेश में प्रथम चरण में 10 विकासखण्डों में किराये के भवन में 10 पोस्ट-मैट्रिक छात्रावास संचालित करने की योजना प्रस्तावित है।
डॉ.रामकिशोर दोगने -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जबाव में मंत्री महोदय द्वारा पिछ़ड़ा वर्ग से संबंधित योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराई गई है.पिछड़ा वर्ग के कल्याण हेतु शासन की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति, पिछड़ा वर्ग मेघावी पुरस्कार योजना,पिछड़ा वर्ग सिविल सेवा वर्ग पुरस्कार, पिछड़ा वर्ग स्वरोजगार अनुदान, पिछड़ा वर्ग आर्थिक कल्याण, अल्पसंख्यक हेतु आर्थिक अनुदान राशि दिये जाने की योजनायें संचालित हैं. इन सारी योजनाओं के संचालन हेतु मात्र 3 करोड़ रूपये की राशि हमारे जिले को आवंटित की गई है. अध्यक्ष महोदय, किसी भी जिले की पिछड़े वर्ग की जनसंख्या देखें तो कम से कम 50 प्रतिशत जनसंख्या रहती है. मंत्रीजी क्या यह रूपये 3 करोड़ की राशि इन वर्गों के कल्याण के लिये पर्याप्त है ? क्या मंत्री जी इस राशि को और बढायेंगी. आप यदि जनसंख्या के मान से पूरे प्रदेश का आंकलन करें तो 150 करोड़ रूपये आता है .50 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या को दृष्टिगत रखते हुये यह राशि मंत्री जी बढाने की कृपा करेंगी.
श्रीमती ललिता यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने योजनाओं के बारे में जानकारी मांगी थी इसलिये विभाग के द्वारा जानकारी दी गई है. माननीय विधायक जी की चिंता है कि पिछड़ा वर्ग के कल्याणार्थ यह राशि और बढ़ाई जाना चाहिये. निश्चित रूप से मैं राशि को बढ़ाऊंगी ताकि पिछड़ा वर्ग का कल्याण हो सके.
डॉ.रामकिशोर दोगने- मंत्री जी राशि बढ़ाने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, दूसरा प्रश्न यह है कि विभाग जो 10 पोस्ट मैट्रिक छात्रावास संचालित करने जा रहा है, मेरा हरदा जिला नया जिला है, छोटा जिला है और वहां पर छात्रावासों की बहुत कमी है, क्या मंत्री जी 10 पोस्ट मैट्रिक छात्रावासों में मेरे हरदा जिले को भी शामिल करेंगी ?
श्रीमती ललिता यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय विभाग के द्वारा पूरे प्रदेश में जिला स्तर पर बालक एवं बालिका छात्रावास संचालित हैं. आगामी समय में हमने प्रथम चरण में किराये के भवन में 10 बालक छात्रावास और 10 बालिका छात्रावास संचालित करने की योजनायें प्रस्तावित है. माननीय सदस्य की जैसी चिंता है निश्चित रूप से मैं आपके क्षेत्र में एक छात्रावास दे दूंगी.
डॉ.रामकिशोर दोगने -- मंत्री जी, बहुत बहुत धन्यवाद.
जिला चिकित्सालय बालाघाट का उन्नयन
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
7. ( *क्र. 1907 ) सुश्री हिना लिखीराम कावरे : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बजट सत्र 2017 में विधानसभा में जिला चिकित्सालय बालाघाट को 500 बिस्तरों में अपग्रेड करने की घोषणा पर अब तक अमल न होने का क्या कारण है? अपग्रेड करने की कार्यवाही कब तक कर दी जाएगी? (ख) जिला चिकित्सालय बालाघाट में सी.टी. स्केन की मशीन अब तक क्यों नहीं लगाई गयी है? क्या इस कार्य हेतु कम्पनी के लोग आये थे, किंतु सिविल सर्जन द्वारा स्थान उपलब्ध न कराने की वजह से वे वापस चले गये? सी.टी. स्केन की मशीन कब तक लगा दी जाएगी तथा देरी के लिये जिम्मेदार चिकित्सालय प्रशासन पर शासन क्या कार्यवाही करेगा? (ग) जिला चिकित्सालय में डायलिसिस की लंबी प्रतिक्षा सूची को दृष्टिगत रखते हुए क्या डायलिसिस मशीनें 2 से बढ़ाकर 5 कर दी जायेंगी, साथ ही साथ रविवार के दिन भी डायलिसिस करने की व्यवस्था कर दी जाएगी?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) प्रस्ताव परीक्षणाधीन है। समयावधि बताना संभव नहीं है। (ख) सी.टी. स्केन मशीन आउटसोर्स एजेन्सी के माध्यम से 19 जिला चिकित्सालयों में स्थापित करने हेतु विभाग एवं आउटसोर्स एजेन्सी के मध्य अनुबंध दिनांक 02.02.2018 को निष्पादित किया गया है। एजेन्सी को चिकित्सालय से साईट हैन्ड ओवर दिनांक से 04 से 06 माह में सी.टी. स्केन मशीन चिकित्सालय में स्थापित किये जाने के निर्देश हैं। जी हाँ। जी नहीं, ऐजेन्सी के प्रतिनिधि द्वारा स्थान का निरीक्षण किया गया, परन्तु भवन आधिपत्य नहीं लिया गया। 15 मिनिट में आने का कहकर चले गये एवं लौटकर नहीं आये। यथा संभव शीघ्र, बालाघाट जिला चिकित्सालय में सी.टी. स्केन मशीन स्थापित करने की प्रक्रिया प्रचलन में है। देरी के लिये चिकित्सालय प्रशासन जिम्मेदार नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जिला चिकित्सालय में डायलिसिस मशीनों की संख्या 02 से 05 करने की कार्यवाही प्रचलन में है। जी नहीं, डायलिसिस अनुबंध अनुसार रविवार के दिन डायलिसिस किये जाने का प्रावधान नहीं है।
सुश्री हिना लिखीराम कावरे --माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आपके माध्यम से माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहूंगी कि उन्होंने मेरा प्रश्न (ख) और (ग) जो कि जिला चिकित्सालय,बालाघाट में सी.टी.स्केन की मशीन लगाने से संबंधित था और डायलिसिस की मशीनें बढ़वाने के लिये था, मंत्री जी ने आल मोस्ट इसकी स्वीकृति दे दी है, सहमति दे दी है. इसके लिये मैं उनका बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहती हूं. साथ ही एक बात जरूर कहना चाहूंगी कि मुझे इस बात का विश्वास था कि यदि बिना प्रश्न लगाये भी मैं मंत्री जी से निवेदन करती और यह बात रखती तो वह बिना प्रश्न लगाये भी मेरी बात को मानते.(हंसी) इतना मुझे विश्वास है. लेकिन मेरी इच्छा यह भी थी कि माननीय मंत्री जी विधानसभा के अंदर इस बात को स्वीकार करें, और उन्होंने किया इसके लिये मैं उनको बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहती हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न करने के पहले मैं यह बात जरूर कहना चाहती हूं कि पिछले बजट सत्र में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की अनुदान की मांग पर जब चर्चा चल रही थी..
अध्यक्ष महोदय- पिछली बात न करें , प्रश्न पूछिये, प्रश्न महत्वपूर्ण हैं,.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न से ही संबंधित है.
अध्यक्ष महोदय- आपने अभी यह कहा है कि प्रश्न करने के पहले मैं यह कहना चाहती हूं , मेरा अनुरोध है कि आप कुछ मत कहें, सीधे प्रश्न का जबाव लें.क्योंकि अन्य लोगों के भी प्रश्न लगे हैं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - जी अध्यक्ष महोदय. मै बस इतना कहना चाहती हूं कि पिछली बार बालाघाट जिला अस्पताल को 300 बिस्तरों से 500 बिस्तरों में अपग्रेड करने की घोषणा, मंत्री महोदय द्वारा की गई थी. मैं मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि उसकी प्रशासकीय स्वीकृति, पदों का सृजन तथा उसके लिये बजट का प्रावधान क्या आप इसी सत्र में कर देंगे ? मुझे इस बात का पूरा विश्वास है कि इस पवित्र काम के लिये माननीय वित्त मंत्री जी भी निश्चित रूप से बजट का आवंटन कर देंगे, ऐसा मेरा विश्वास है.
श्री रूस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न बहुत व्यवहारिक और सही है. चूंकि पिछले बजट सत्र में बालाघाट जिला चिकित्सालय को 300 से 500 में अपग्रेड करने की यहां पर चर्चा हुई थी. स्वीकृति भी हुई थी. यह प्रक्रियाधीन है. माननीय युवा विधायक क्षेत्र के काम में बहुत रूची लेती हैं, इन्होंने कहा भी कि मैं बिना प्रश्न लगाये स्वीकृत कर देता, मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं कि मेरे से जो भी विधायक मिले अगर मैं कर सकता हूं तो मैं कर ही देता हूं लेकिन जहां तक हिना जी का सवाल है इनके पिताजी तो हमारे मित्र रहे हैं, उस समय मैं आई.जी. हुआ करता था यह उनकी पुत्री हैं और बहुत अच्छे सवाल करती हैं बहुत अटेंटिव रहती हैं तथा उनकी बात मानी जाती है लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि आपका 500 बिस्तर वाला चिकित्सालय प्रक्रियाधीन है, आपको यह न लगे कि इसका प्रस्ताव डेड हो गया है, डेड कोई प्रस्ताव नहीं हुआ है यह प्रक्रियाधीन है और जरूर बनेगा.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा हमारे यहां बालाघाट जिले में हार्ट पेशेंट बहुत ज्यादा हैं, उनकी संख्या बहुत ज्यादा है और माननीय मंत्री जी को इस बात की पूरी जानकारी होगी तो मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहती हूं कि वहां पर ईको कार्डियोग्राफी जिसको हम लोग सिम्पल भाषा में ईको मशीन बोलते हैं, उस मशीन को क्या आप बालाघाट जिला चिकित्सालय में लगवा देंगे और साथ ही साथ बालाघाट जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सकों के 31 पद में से मात्र 10 पद भरे हैं, 21 पद आज भी खाली हैं, क्या उनकी पूर्ति जल्द से जल्द हो जायेगी.
श्री रूस्तम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे पास विशेषज्ञ बनने लायक डॉक्टर्स की सीनियरिटी है, लेकिन न्यायालयीन प्रक्रियाओं के चलते हम पदोन्नति नहीं कर पा रहे हैं, इसलिये पूरे प्रदेश में पद रिक्त हैं, लेकिन इसके बाद भी हम वरिष्ठ लोगों से विशेषज्ञ जैसा कार्य लें, इस पर चर्चा भी है और प्रक्रियाधीन है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 8 श्री रामलाल सिंह.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अंतिम प्रश्न पूछने की अनुमति दे दें. मेरी विधान सभा का ही मामला है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं अब बहुत हो गया, मंत्री जी सब काम की हां तो कर रहे हैं.
श्री मुकेश नायक-- जो बात माननीय मंत्री जी ने कही है क्या पदोन्नति में एमबीबीएस डॉक्टर एमडी हो जायेगा.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्लीज अंतिम प्रश्न पूछने की अनुमति दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय-- चलिये पूछ लीजिये.
श्री मुकेश नायक-- ईको जो होता है वह तो डीएम कार्डियोलॉजिस्ट करता है.
अध्यक्ष महोदय-- उनको तो पूछ लेने दीजिये.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा क्षेत्र मुख्यालय लांजी में सिविल अस्पताल है जिसमें एक तो डिजीटल एक्सरे मशीन नहीं है और दूसरा अल्ट्रा साउंड की जो मशीन है, वह नहीं है, वह केवल बालाघाट जिला अस्पताल में है और मेरी विधान सभा से बालाघाट की दूरी लगभग 65 किलोमीटर है, तो जितनी गर्भवती महिलायें जिनको सोनोग्राफी करवानी होती है उनको बालाघाट जाना पड़ता है जिससे उनको बहुत दिक्कत होती है.
अध्यक्ष महोदय-- यह प्रश्न में है नहीं.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्न तो जिला चिकित्सालय से संबंधित ही है और अगर मैं आपकी भाषा में कहूं तो उसमें वह उद्भूत होता है. इसमें कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि विभाग में मशीन खरीदी हुई रखी है.
श्री रूस्तम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो बात आई थी वह हमारे विद्वान जो स्वास्थ्य विभाग के बहुत विशेषज्ञ हैं. वह विशेषज्ञों की बात कर रही थीं. ईको तो लग ही नहीं सकता विदाउट डीएम कार्डियोलॉजी ईको हो ही नहीं सकता, वह तो किसी भी जिला चिकित्सालय में संभव नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ वाली बात थी और बाकी चीजें उन्होंने जो कहीं हैं वह हमसे अलग से बात कर लें, जो संभव होगा, जरूर करेंगे.
निर्माण कार्यों की गुणवत्ता का परीक्षण
[जल संसाधन]
8. ( *क्र. 2358 ) श्री रामपाल सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शहडोल जिले में जल संसाधन विभाग द्वारा निर्माण कार्य कराये जाते हैं? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांकित जिले में विगत 02 वर्षों से प्रश्न दिनांक तक विभाग द्वारा कौन-कौन से कार्य कराये गये हैं? कार्य की लागत राशि क्या है एवं कार्य की भौतिक स्थिति क्या है? किस-किस कार्य के लिये कितना-कितना भुगतान किया गया है? कार्यवार निर्माण संबंधी गुणवत्ता का परीक्षण किस अधिकारी/कर्मचारी द्वारा किस-किस दिनांक को किया गया है?
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्न था, शहडोल जिले के जल संसाधन विभाग से स्वीकृत जलाशयों के संबंध में, मैंने यह जानना चाहा कि जलाशयों की भौतिक स्थिति क्या है, किस-किस कार्य के लिये कितना-कितना भुगतान किया गया है. भौतिक स्थिति के संबंध में जो जवाब आया है वह प्रतिशत में बताया गया है और यह जानकारी भ्रामक है, गलत है. शहडोल जिले में कोदारी जलाशय भी इसमें सम्मिलित है. कोदारी जलाशय में आज भी काम बहुत पीछे चल रहा है, फिर भी इसमें शीर्ष काम नहर का कार्य इतना ज्यादा बता दिया गया है जितना नहीं हुआ है. दूसरा प्वाइंट मैं यह कहना चाहूंगा मैंने प्रत्येक कार्य के लिये पूछा कि मजदूरी भुगतान आपने कितना किया, आपने प्रशासनिक व्यय कितना किया, ट्रांस्पोर्टिंग में आपका कितना खर्च हुआ, जैसे आपका सीमेंट भी लगा होगा, शीर्ष काम के लिये, क्रेशर की गिट्टी लगी होगी, रेत लगी होगी, मुरम लगी होगी, पत्थर लगे होंगे, इनकी रायल्टी भी लगी होगी, रायल्टी कितनी जमा हुई है. मैं इस संबंध में जानना चाहता हूं कि यह जो भौतिक स्थिति की जानकारी आपके विभाग के द्वारा दी गई है वह गलत और भ्रामक है, कृपया मंत्री जी इस बारे में बतायें. दूसरी चीज जो प्रत्येक कार्यवार जानकारी चाहिये वह नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष जी, वैसे जानकारी परिशिष्ट 'अ' और 'ब' पर लगा दी है, अगर कार्यवार जानकारी उनको नहीं भी मिली है तो हम उनको कार्यश: पूरी जानकारी पहुंचवा भी देंगे.
श्री रामपाल सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह प्रश्न है कि यह जो भ्रामक जानकारी आ रही है, प्रतिशत में बताया गया है, इस नहर का इतने प्रतिशत काम हो गया, इस बांध का इतना शीर्ष का काम हो गया, आज भी कोदारी जलाशय का अगर भौतिक सत्यापन आप करा लें माननीय मंत्री जी तो समझ में आ जायेगा कि आपका विभाग कितनी सही और गलत जानकारी दे रहा है. मैं यह कहना चाहता हूं कि क्या इसकी आप जांच करवायेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष जी, रेत, गिट्टी, मुरम विभाग नहीं खरीदता, ठेकेदार खरीदता है, हम ठेका देते हैं.
अध्यक्ष महोदय--आप भौतिक सत्यापन करा लें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, करवा लेंगे.
श्री रामपाल सिंह--अध्यक्ष महोदय, इस संबंध में जो गलत जानकारी दे रहे हैं मंत्री जी क्या उन पर कार्यवाही करेंगे?
अध्यक्ष महोदय--करवा लेंगे.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, जो गलत जानकारी दे रहे हैं उसको भी दिखवा लेंगे.
श्री रामपाल सिंह--इसकी विधिवत जांच करा लें, क्योंकि पूरी जानकारियां गलत आ रही हैं.
अध्यक्ष महोदय--करवा लेंगे.
श्री रामपाल सिंह--अध्यक्ष महोदय, ठेकेदार चीजें खरीदता है, लेकिन मैंने तो यह भी जानकारी चाही है कि किस किस काम के लिये, कितनी कितनी राशि मटेरियल तथा मजदूरी के भुगतान में खर्च हुई, यह बताया जाये ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, करवा देंगे.
महिला चिकित्सालय को प्रारंभ किया जाना
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
9. ( *क्र. 2176 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रतलाम जिले के मध्य स्थित जावरा नगर में विभाग द्वारा सिविल हॉस्पिटल जावरा के परिसर में नवीन महिला चिकित्सालय भवन की स्वीकृति प्रदान की है? (ख) यदि हाँ, तो क्या उक्त उल्लेखित जन कठिनाइयों के निराकरण एवं स्वास्थ्य सेवाओं को सुगमता से किये जाने हेतु माननीय मंत्री जी द्वारा विगत वर्ष 2017 के बजट में इसे सम्मिलित कर अतिशीघ्र कार्य प्रारंभ करने की भी स्वीकृति प्रदान की थी? (ग) क्या विगत वर्ष 2017 के बजट भाषण में सदन में बजट पर मांग और चर्चा का उत्तर देते हुए माननीय मंत्री जी ने सिविल हॉस्पिटल परिसर जावरा में महिला चिकित्सालय भवन निर्माण को इस बजट में सम्मिलित करने का कथन किया था? (घ) यदि हाँ, तो शासन/विभाग द्वारा विगत वर्ष के बजट भाषण में एवं सदन में उल्लेखित इस स्वीकृत महिला चिकित्सालय के कार्य को समय पर प्रारंभ किये जाने हेतु स्वीकृति दिनांक से लेकर प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही एवं कार्य किये गये तथा महिला चिकित्सालय का कार्य कब प्रारंभ होगा?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं। (ग) वर्ष 2017 के बजट भाषण में रतलाम में जावरा को 50 बिस्तर का नवीन मेटरनिटी भवन देने के निर्णय से अवगत कराया गया था। (घ) निर्माण एजेन्सी पी.आई.यू. लोक निर्माण विभाग है, मुख्य वास्तुविद लोक निर्माण विभाग द्वारा डिजाईन वास्तुविद एवं पी.एम.सी. सेवाओं के लिये वास्तुविद का चयन दिनांक 27.01.2018 को किया गया है, डी.पी.आर. बनाने की कार्यवाही प्रचलन में है, कार्य प्रारंभ करने की समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय--अध्यक्ष महोदय,मेरे ब्यावरा विधान सभा क्षेत्र के जावरा नगर के महिला चिकित्सालय के संबंध में चर्चा करना चाहूंगा. कल पूरे देश में महिला दिवस भी मनाया गया है. यह महिला चिकित्सालय है यह अंग्रेजों के समय में बनाया गया था, काफी छोटा है. 35 बिस्तरीय अस्पताल था और विगत् वर्ष जैसा कि मेरी बहन हिना कांवरे जी ने भी कहा, निश्चित रूप से हमारे मंत्री जी बहुत ही सहृदय हैं. उन्होंने विगत् वर्ष इसकी स्वीकृति दी थी. मैंने प्रश्न (क) में जो पूछा है कि नवीन महिला चिकित्सालय भवन की स्वीकृति की है. माननीय मंत्री जी ने कहा कि जी हां फिर (ख) में मैंने पूछा था कि माननीय मंत्री जी द्वारा विगत् वर्ष 2017 के बजट में सम्मिलित कर अतिशीघ्र कार्य प्रारंभ करने की स्वीकृति प्रदान की थी. मंत्री जी कह रहे हैं कि जी नहीं. फिर (ग) में माननीय मंत्री जी ने सिविल हॉस्पिटल परिसर जावरा को बजट में सम्मिलित करने का कथन किया था. माननीय मंत्री जी ने फिर स्वीकार किया है कि 50 बिस्तर का नवीन मेटरनिटी भवन से अवगत कराया गया था. मैं जानना चाहता हूं कि विगत् वर्ष माननीय मंत्री जी ने पूरे सहृदयता के साथ घोषणा की और उसे उसकी डीपार बनाने के लिये जनवरी 2018 में इसकी डिजाईन, ड्राईंग का चयन किया है तो इसे कब तक बनाया जायेगा तथा कब इसे प्रारंभ किया जाएगा, क्योंकि एक वर्ष के बाद डिजाईन, ड्राईंग का चयन किया तो इसे बनाना कब प्रारंभ किया जाएगा?
श्री रूस्तम सिंह--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने पिछले वर्ष इसकी स्वीकृति करवाई थी. महिलाओं के लिये अलग से मेटरनिटी की व्यवस्था हो, उसकी व्यवहारिकता भी है और आवश्यकता भी थी. उसकी प्रक्रिया में समय जरूर लगा है. अब तो डिजाईन भी फाईनल हो गई है. हम लोग प्रयासरत् हैं कि जल्दी से जल्दी यह निर्माण शुरू हो जाए, लेकिन इसमें समय सीमा बता पाना व्यवहारिक नहीं है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय--अध्यक्ष महोदय, आप स्वयं विचार करें कि उसको एक वर्ष पहले बजट में सम्मिलित किया गया और एक वर्ष के बाद उसकी डिजाईन, ड्राईंग का चयन किया गया. उसमें कितना इंतजार करना पड़ेगा. लगातार धन्यवाद, आभार भी हमने किये हैं. वह ऐसी जगह है, माननीय मंत्री जी इसको जानते भी हैं मेरा आलोट विधान सभा क्षेत्र तथा रतलाम ग्रामीण क्षेत्र तथा कुछ क्षेत्र सेलाना का भी है. ऐसे करीब तीन विधान सभा क्षेत्रों का यह केन्द्र स्थान है. मेरा पुनः आग्रह है कि आप आश्वासन दें कि इसे अतिशीघ्र प्रारंभ करवाया जाएगा.
श्री रूस्तम सिंह--अध्यक्ष महोदय, मैं स्वयं चाहता हूं कि जावरा में मेटरनिटी हॉस्पिटल का काम अतिशीघ्र शुरू हो जाए.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय--अध्यक्ष महोदय, जब आप स्वयं चाहते हैं, इसलिये आपने इसकी स्वीकृति दी. अब एक वर्ष बीत गया है अब कह रहे हैं कि फिर चाहते हैं. इसमें समय सीमा तो निश्चित कर दीजिये कि महीने दो महीने में इसका कार्य प्रारंभ कर देंगे तो हमारा क्षेत्र भी इससे आश्वस्त हो जाए. बजट सत्र चल रहा है, यह अंतिम बजट सत्र है तो फिर संभावनाओं पर कैसे जिया जा सकता है.
श्री रूस्तम सिंह--अध्यक्ष महोदय, यह जानते भी हैं कि इसके बाद कांट्रेक्ट होगा. कांट्रेक्ट के बाद ठीक रेट नहीं आता फिर पुनः कांट्रेक्ट की बात आती है उसमें समय लगता है मैं कैसे बता दूं कि फलां कांट्रेक्टर है कब से काम शुरू कर देगा, यह व्यवहारिक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--टेन्डर प्रक्रिया कब तक शुरू हो जाएगी.
श्री रूस्तम सिंह--जल्दी से जल्दी शुरू करवा देंगे.
श्री बाला बच्चन--माननीय मंत्री जी आप तो सरकार हो जब सरकार इतनी लाचार है तो प्रदेश के हालात का अंदाजा आप लगा लीजिये.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय--अध्यक्ष महोदय, टेन्डर अतिशीघ्र करवा दें.
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी ने आश्वस्त कर दिया है.
स्थानांतरित कर्मचारियों की कार्यमुक्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
10. ( *क्र. 2446 ) श्री प्रहलाद भारती : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या स्वास्थ्य विभाग शिवपुरी में वर्ष 2017 में नियमित संविदा व एन.एच.एच. अन्तर्गत अधिकारी/कर्मचारियों के स्थानांतरण किए गये थे? (ख) यदि हाँ, तो स्थानांतरित अधिकारी/कर्मचारियों में से किस-किस अधिकारी/कर्मचारी को स्थानांतरण स्थल हेतु कार्यमुक्त नहीं किया गया, उसका नाम, पद, संस्था का विवरण उपलब्ध कराते हुए कार्यमुक्त न किए जाने का कारण स्पष्ट करें? साथ ही कार्यमुक्त न किए जाने हेतु यदि कोई नियम या आदेश है तो उसकी छायाप्रति उपलब्ध करावें? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में क्या स्थानांतरण नीति वर्ष 2017-18 में स्थानांतरित कर्मचारियों को तत्काल कार्यमुक्त किए जाने एवं संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं भोपाल के पत्र क्र./2/अवि/सेल-टी.पी./2017/888, दिनांक 15.09.2017 एवं पत्र क्र./2/अवि/सेल-टी.पी./2017/1191-एफ भोपाल, दिनांक 28.11.2017 द्वारा स्थानांतरित कर्मचारियों को स्थानांतरण स्थल हेतु कार्यमुक्त किए जाने के निर्देश दिए गये थे? यदि हाँ, तो उसके उपरांत भी स्थानांतरित किए गये कर्मचारियों को कार्यमुक्त न करने एवं शासन के आदेशों की अवहेलना करने वाले दोषी अधिकारियों पर शासन क्या कोई कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) स्थानांतरित अधिकारी/कर्मचारियों में से श्रीमती ज्योति जाटव संविदा ए.एन.एम. को न्यायालयीन स्थगन होने के कारण कार्य मुक्त नहीं किया गया है। (ग) जी हाँ। उत्तरांश (ख) के अनुक्रम में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री प्रहलाद भारती - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर आ गया है. धन्यवाद.
नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्रों में पदों की स्वीकृति
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
11. ( *क्र. 2454 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शाजापुर जिले के विकासखण्ड शुजालपुर एवं विकासखण्ड कालापीपल में एकीकृत नवीन उपस्वास्थ्य केन्द्रों में कौन-कौन से पद स्वीकृत किये गये हैं? नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्रों में वर्तमान में कौन-कौन स्वास्थ्य कर्मचारी कहाँ-कहाँ काम कर रहे हैं? क्या रिक्त पदों को भरने की योजना है? यदि हाँ, तो कब तक भरा जावेगा? (ख) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित उप स्वास्थ्य केन्द्र वर्तमान में किस-किस भवन में संचालित हो रहे हैं? ब्लॉकवार सूची देवें। क्या नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्रों एवं भवन निर्माण हेतु राशि का आवंटन किया जा चुका है? यदि नहीं, तो कब तक भवन निर्माण कराया जावेगा?
लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) शाजापुर जिले के विकासखण्ड शुजालपुर एवं विकासखण्ड कालापीपल में नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्रों में ए.एन.एम. (महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता) के पद स्वीकृत किये हैं। वर्तमान में नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्रों में कोई भी कर्मचारी पदस्थ नहीं है। जी हाँ। निश्चित समयावधि बताना संभव नहीं है। (ख) वर्तमान में विकासखण्ड कालापीपल में 06 नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्र भूरिया खजुरिया, अलीसीरिया, खमलाय, खरदौनखुर्द, पाडलिया एवं निपानिया खुर्द किराये के भवन में संचालित किये जा रहे हैं। जी नहीं। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूं कि उन्होंने जो जवाब दिया है. नवीन उप स्वास्थ्य केन्द्रों में कोई भी कर्मचारी पदस्थ नहीं है तो फिर यह कैसे संचालित हो रहे हैं और मेरा दूसरा प्रश्न है कि शुजालपुर और कालापीपल ब्लाक में 17 में से 6 संचालित होने वाले स्थानों की जानकारी दी गई है बाकी 11 की जानकारी नहीं दी गई है तो बाकी 11 कहां संचालित हो रहे हैं या नहीं हो रहे हैं. एक और प्रश्न है ए.एन.एम.(महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता) के पद स्वीकृत किये हैं अभी तक एक भी महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता पदस्थ नहीं हुए हैं. तो इन पदों की भर्ती कब तक उप स्वास्थ्य केन्द्रों में कर दी जायेगी ?
श्री रुस्तम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि आपके यहां उप स्वास्थ्य केन्द्र स्वीकृत हुए हैं और 6 संचालित भी हैं लेकिन कुछ उप स्वास्थ्य केन्द्र इसलिये संचालित नहीं हो पाये क्योंकि उनके लिये गांव में प्रापर जगह उपलब्ध नहीं हो पाई. हमने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे प्रायोरिटी पर यह काम करें. विधायक जी से भी आग्रह है कि वे जगह उपलब्ध करा दें तो जल्दी से जल्दी शुरू हो जाएंगे. ए.एन.एम.की कोई कमी नहीं है जिले में और इनके खण्डों में जितनी आवश्यकता है उतने ए.एन.एम. और स्टॉफ पदस्थ है.
प्रचार-प्रसार में व्यय राशि
[जनसंपर्क]
12. ( *क्र. 2635 ) श्री जयवर्द्धन सिंह : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में दिनांक 01 अप्रैल, 2014 से प्रश्न दिनांक तक विभाग ने शासकीय योजनाओं एवं कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक सहित सभी माध्यमों से कितनी राशि व्यय की है? वर्षवार बतायें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार अवधि में कितनी राशि का भुगतान प्रदेश के बाहर की संस्थाओं को किया गया है? वर्षवार बतायें। (ग) वर्ष 2016 में उज्जैन में संपन्न कुंभ, 2016 से प्रश्न दिनांक तक क्रमश: आयोजित एकात्म यात्रा, नर्मदा यात्रा, भावांतर योजना, फसल बीमा योजना और अन्त्योदय मेलों के प्रचार-प्रसार में कितनी-कितनी राशि व्यय की गई? कार्यक्रमानुसार बतायें।
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
श्री जयवर्द्धन सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में जवाब दिया गया है कि पिछले चार वर्षों में मध्यप्रदेश सरकार ने प्रचार-प्रसार में,विज्ञापन पर लगभग 640 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. साथ में उसमें से 140 करोड़ रुपये प्रदेश से बाहर की संस्थाओं को भुगतान किया गया. इसकी जो जानकारी मुझे मिली है. नर्मदा सेवा यात्रा पर 21 करोड़ रुपये खर्च किये गये और भावांतर योजना में सिर्फ 4 करोड़ रुपये खर्च किये गये.फसल बीमा योजना पर जीरो खर्च किये गये. तो इससे स्पष्ट होता है कि सरकार कहां फोकस कर रही है. एक तरफ माननीय मुख्यमंत्री जी की यात्रा के प्रचार-प्रसार पर 21 करोड़ रुपये और किसान की सेवाओं की जो योजनाएं हैं उनमें निरंक. भावांतर में सिर्फ 4 करोड़ रुपये. माननीय मंत्री जी यह बताएं कि जो 140 करोड़ रुपये प्रदेश से बाहर की संस्थाओं को भुगतान किये गये हैं. ये कौन सी कंपनियां हैं,इतना पैसा क्यों खर्च किया गया. 640 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया पर,अगर सरकार चाहती तो इतने पैसे में खुद का टी.वी. चैनल चालू कर देती यहां पर,खुद का अखबार प्रकाशित कर देती. इस पर माननीय मंत्री जी उत्तर दें कि इतना पैसा क्यों खर्च किया गया है और इससे क्या लाभ पहुंचा है ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो मुख्यमंत्री जी की यात्रा नहीं वह समाज की यात्रा थी. एक जनजागरण यात्रा थी. मैं हर सवाल का जवाब दूंगा. आप शायद किसी और यात्रा से उसकी तुलना कर रहे होंगे. यह यात्रा व्यक्ति के लिये नहीं थी, न मोक्ष के लिये थी. यह यात्रा एक नदी बचाओ यात्रा थी. यह यात्रा एक पर्यावरण बचाओ यात्रा थी.
श्री निशंक कुमार जैन - 6 करोड़ पौधों का क्या हुआ माननीय मंत्री जी वह भी बता दें.
अध्यक्ष महोदय - पहले उत्तर आ जाने दें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - मुख्यमंत्री जी कल इस पर बोले थे. हमारे मुख्यमंत्री जी जो यात्रा निकालते हैं माननीय अध्यक्ष महोदय, चाहे वह बेटी बचाओ यात्रा निकालते हों. चाहे वह नदी बचाओ यात्रा निकालते हों. वह व्यक्ति से जुड़ी नहीं होती, वह समाज से जुड़ी होती है, वह देश से जुड़ी होती है. क्या हो गया? खड़े होकर बोलें, मैं हर एक का जवाब दूंगा. जहां तक दूसरा प्रश्न सम्मानित सदस्य ने भावांतर योजना का किया है. भावांतर योजना अभी प्रारंभ हुई है, यह सतत् चलने वाली योजना है और लगातार उस योजना का लाभ जनता को मिल भी रहा है, उसके लिए विज्ञापन देते हैं और इस तरह से आगे भी देंगे.
श्री जयवर्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, फसल बीमा योजना में निरंक. जबकि वह ऐसी योजनाएं है, उससे किसान को लाभ होता है तो कम से कम किसान को उसकी जानकारी पहुंचनी चाहिए, उसके लिए एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया है.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न क्या है?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार की फसल बीमा योजना है.
श्री जयवर्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, वहीं माननीय मंत्री जी ने यह नहीं बताया कि जो 21 करोड़ रुपए नर्मदा सेवा यात्रा में खर्च हुए, वह कहां पर खर्च हुए? साथ ही मैंने पूछा था कि जो 140 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं प्रदेश की बाहर की संस्थाओं पर, ये कौन-सी कंपनियां हैं, जिन पर सरकार ने पिछले 4 साल में 140 करोड़ रुपए खर्च किये हैं, उनके नाम बताएं?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, नाम में सम्मानित सदस्य को दे दूंगा, ऐसे तो वह बहुत ही बड़ा गट्ठर हो जाएगा, अगर एक-एक अखबार की या एक-एक इलेक्ट्रानिक प्रिंट की जानकारी देंगे? लेकिन जितने की जानकारी सम्मानीत सदस्य चाहेंगे वह दे दूंगा और अभी कोई स्पेसिफिक प्रश्न करें तो उसको निकालकर दे दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - यह जो आप जानकारी चाहते हैं, वह आपको उपलब्ध करा दी जाएगी.
श्री जयवर्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, इस पर जांच भी होनी चाहिए कि इतना पैसा प्रचार-प्रसार में कहां जा रहा है?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, जांच करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय - जानकारी तो ले लें फिर जांच कराएं.
श्री जयवर्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, उस जांच में विधायक भी शामिल रहें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, जांच करा लेंगे. आप कहेंगे तो करा देंगे क्या दिक्कत है.
श्री रामनिवास रावत - आप जांच काहे की कराएंगे?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, जिसकी सदस्य कहेंगे.
श्री जयवर्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, अगर जांच होगी तो उसमें विधायक भी शामिल रहें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह राजा का मामला है, महाराजा का नहीं है आप विराजो.
अध्यक्ष महोदय - अभी तो कुछ है ही नहीं.
श्री रामनिवास रावत - जानकारी तो दिलवा दें. आप संसदीय कार्यमंत्री हैं अभी बताओ.
..(व्यवधान)..
श्री जयवर्धन सिंह - माननीय मंत्री जी, आपने इतनी घोषणा कर दी.
अध्यक्ष महोदय - अभी किस बात की जांच कराएंगे?
श्री जयवर्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, उन्होंने मान लिया है, वे जांच करवा रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, हां-हां, मान रहा हूं. मैं कब मना कर रहा हूं? आप बोलो तो काहे की जांच?
श्री जयवर्धन सिंह - आप जांच में मुझे शामिल कर लीजिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आपको काहे को शामिल करना है?
श्री जयवर्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, स्पेसिफिक प्रश्न पूछा है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न संख्या 13..श्री राजकुमार मेव.
श्री राजकुमार मेव - (अनुपस्थित)
श्री जयवर्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, इतनी बड़ी रकम है. 640 करोड़ रुपए की बात है.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न संख्या 14 श्री जितू पटवारी ..
(व्यवधान)..
श्री सोहनलाल बाल्मीक - कोई यात्रा हो, एकात्म यात्रा में संस्कृति विभाग का पूरा पैसा खर्चा कर दिया गया है. (व्यवधान)..यात्रा होती थी और संस्कृति विभाग को बुलाकर कार्यक्रम कराए जाते थे.
अध्यक्ष महोदय - उनको प्रश्न पूछने दें. वे भी बहुत समझदार हैं. आप बैठ जाओ, वे सब पूछ लेंगे.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, दो बातें हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, दोनों प्रश्न एक जैसे है तो वह भी पूछ लें.
श्री जयवर्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने कहा कि माननीय मंत्री जी तैयार हैं जांच करवाने के लिए, कम से कम उसमें विधायक को शामिल किया जाय.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, दोनों के एक जैसे ही प्रश्न हैं, एक बार श्री जितू का भी प्रश्न आ जाने दें, इकट्ठा जवाब दे देते हैं.
श्री रामनिवास रावत - आप ध्यान से प्रश्नों को सुनकर उत्तर दें, समय जाया नहीं करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - जी. जो आज्ञा आपकी.
अध्यक्ष महोदय - दोनों का प्रश्न एक ही है.
श्री जयवर्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने घोषणा की है कि जांच की जाएगी, जांच कब तक सदन में प्रस्तुत हो जाएगी और क्या उसमें विधायक को शामिल किया जाएगा?
अध्यक्ष महोदय - जांच किस बात की?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, विधायक को शामिल नहीं किया जाएगा और जांच वह बताएं तो कि काहे की जांच करना है, मैं कर लूंगा.
अध्यक्ष महोदय - किस बात की जांच?
श्री जयवर्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, क्यों शामिल नहीं किया जाएगा? क्या हमारा अधिकार नहीं है?
(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - जांच किस बात की, यह बताइए आप.
(व्यवधान)..
श्री जयवर्धन सिंह - अध्यक्ष महोदय, क्या जांच में शामिल होने का हमारा अधिकार नहीं है? जो प्रश्नकर्ता है, क्या उसका अधिकार उसमें शामिल होने का नहीं है? (व्यवधान)..
श्री तरुण भनोत - 140 करोड़ रुपए से काहे का प्रचार हुआ?
अध्यक्ष महोदय - श्री जितू पटवारी अपना प्रश्न करें. (व्यवधान).. सिर्फ जितू पटवारी का लिखा जाएगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (xxx)
श्री तरुण भनोत - (xxx)
श्री सोहनलाल बाल्मीक - (xxx)
श्री दिलीप सिंह परिहार -(xxx)
श्री बहादुर सिंह चौहान - (xxx)
श्री जयवर्धन सिंह -(xxx)
अध्यक्ष महोदय - अब आगे बढ़ गये हैं. एक प्रश्न पर बहुत देर हो गई है. (व्यवधान)..आप सभी बैठ जाइए. श्री जितू पटवारी, कृपया अपना प्रश्न करें. आप प्रश्न कर रहे हैं? आपके ही वे सदस्य हैं, उनको प्रश्न नहीं करने दे रहे हैं. यह बड़ी अजीब बात है. आपके सदस्य को ही आप प्रश्न नहीं करने दे रहे हैं.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, अनुरोध यह था कि माननीय विधायक जी ने यह कहा कि आप जिस चीज की जांच कराएंगे क्या प्रश्नकर्ता को उसमें शामिल करेंगे?
अध्यक्ष महोदय - आप उनका प्रश्न नहीं पूछ सकते. आप अपना प्रश्न पूछिए. आपके प्रश्न के लिए बुलाया है.
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रचार-प्रसार पर व्यय
[जनसंपर्क]
14. ( *क्र. 2573 ) श्री जितू पटवारी : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पिछले 05 वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के प्रचार (शीर्ष 7248) विशेष अवसरों पर प्रचार (शीर्ष 4065) पर कुल कितना खर्च किया गया? (ख) कैलेण्डर वर्ष 2015-16 तथा 2017 में कितने-कितने विज्ञापन जारी किये गये तथा उक्त तीनो वर्षों में कितने पत्रकारों को लैपटाप दिये गये? (ग) पिछले 05 वर्षों में वरिष्ठ पत्रकारों को जो श्रद्धा निधि प्रदान की गई? उन पत्रकारों का नाम, मीडिया का नाम पता, प्रदान की गई राशि सहित सूची प्रदान करें। (घ) वर्ष 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में कुल मिलाकर किस-किस प्रिन्ट मीडिया तथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को कितनी-कितनी राशि का विज्ञापन किस-किस योजना के प्रचार-प्रसार के लिए दिया गया? वर्षवार जानकारी देवें।
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) शीर्ष 7248 पर रूपये 1,19,99,82,879/- तथा शीर्ष 4065 पर रूपये 1,95,43,72,352/- (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार विज्ञापन। 835 राज्य स्तरीय अधिमान्य पत्रकारों को लैपटाप क्रय करने हेतु राशि दी गई। (ग) रूपये 6000 प्रति माह के मान से 127 वरिष्ठ पत्रकारों को, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
अध्यक्ष महोदय -- आप उनका प्रश्न नहीं पूछ सकते. आप अपना प्रश्न पूछ लीजिये. आपको अपने प्रश्न के लिये बुलाया है.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मैं अपना प्रश्न कर रहा हूं, आवाज आ रही है तो मैं कैसे अपना प्रश्न करूंगा ?
अध्यक्ष महोदय -- आप उनकी वकालत कर रहे हैं. आप अपना प्रश्न पूछिये.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, तो आप कंट्रोल करिये...(व्यवधान)..
श्री राम निवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आप पहले जवाब तो दिलवाओ. मध्यप्रदेश की जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा कहां-कहां की कंपनियों को दिया गया है ? ..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि मेरा जो मूल प्रश्न था उस प्रश्न को संशोधित क्यों किया गया ? यह किसकी अनुमति से किया गया ? मेरा यह अनुरोध है कि अगर प्रश्न की आत्मा चली गई तो उत्तर और आंकड़े कैसे मिलेंगे और फिर हम सवाल कैसे करेंगे ? तो यह तो आपका ही विशेषाधिकार है, अध्यक्ष महोदय, यह आपसे सवाल है कि प्रश्न क्यों बदले जाते हैं ? कृपा करके पहले आप ही इसका उत्तर दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- आप मुझसे यहां पर प्रश्न नहीं पूछ सकते. यदि आपको कोई ऐतराज है तो उसको दिखवा लेंगे. आप अपनी बात कह दीजिये.
श्री जितू पटवारी -- यहां पर हमारा संरक्षण तो आप ही करेंगे. एक बार नहीं हुआ, यह मेरे साथ पूर्व में भी हुआ है. इसलिये मेरा अनुरोध है कि जो भी प्रश्न हम करते हैं सरकार एक जगह उत्तर दे देती है और एक जगह कहती है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है.
अध्यक्ष महोदय -- आप अपनी बात लिखकर दे दीजिये और जो यहां पर है अभी उसमें से पूछिये.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि यह प्रश्न पूछने की आवश्यकता क्यों पड़ी ? यह लोकतंत्र की जो मूल धारणा है, जो लोकतंत्र को जर्नलिज्म के जरिये जिंदा रखते हैं, जनता की खून-पसीने की कमाई उनके पास जानी चाहिये, उनके पास नहीं जाते हुये मंत्री जी को किसी ने कह दिया कि आपकी जॉकेट अच्छी है, किसी ने कह दिया आज मूंछ बढि़या लग रही है, तो ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- आप अपना प्रश्न करिये, यह आप क्या पूछ रहे हैं ?
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न का मूल है.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यह आपके प्रश्न का मूल नहीं है, यह आपका प्रश्न नहीं है, आप कुछ भी पूछेंगे ? आप अपना प्रश्न करिये.
श्री गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, अगर कोई सदस्य प्रश्न करता है तो क्या उसको बदलने का अधिकार मंत्री जी को है ?
अध्यक्ष महोदय -- यह अधिकार अध्यक्ष को है. आप वरिष्ठ सदस्य हैं, आपको मालूम है कि अध्यक्ष प्रश्न को संशोधित कर सकते हैं.
श्री गोविंद सिंह – (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है. कुछ भी बोल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय पर आरोप लगा रहे हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आप मंत्री रहे हैं आपको मालूम है कि यह अध्यक्ष महोदय का अधिकार है.
श्री गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह अध्यक्ष का काम है कि विपक्ष को और सदन के सदस्यों को संरक्षण देना चाहिये न कि सत्ता पक्ष को बचाना चाहिये. पहले विधायकों को संरक्षण मिलना चाहिये कि मंत्रियों को संरक्षण मिलना चाहिये ? अध्यक्ष महोदय का कर्तव्य और धर्म बनता है कि विपक्ष को और वास्तव में प्रश्न लगाने वालों को पहले अवसर मिले और जो मंत्री भ्रष्टाचार में फंस रहे हैं उनका बचाव न करें मैं यही निवेदन करना चाहता हूं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, मैं गोविंद सिंह जी से कह रहा हूं कि आसंदी से कभी भी जवाब नहीं मांगा जाता और जो सम्मानित सदस्य जवाब मांग रहे हैं उन्होंने यहां पर कल मुख्यमंत्री जी से सवाल किये कि इस सवाल का जवाब मुख्यमंत्री जी यहां दें, ऐसे सात बार पूछा था, आप कार्यसूची देख लीजिये और जब मुख्यमंत्री जी जवाब देने के लिये खड़े हुये तो आप पूछिये वह कहां थे ? यहां पर जवाब मांगते हैं और जब मुख्यमंत्री जी जवाब दे रहे थे तब उस समय कहां थे ? अभी आसंदी से सवाल पूछ रहे हैं और यहां पर दूसरे की वकालत कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- वह नये सदस्य हैं उनको मालूम नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, उन्होंने एक भावना व्यक्त की है, जो सदस्यों के साथ गलत हो रहा है.
श्री रामेश्वर शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, यह पहली बार के सदस्य बने बने कब तक ऐसे ऐसे प्रश्न करते रहेंगे. कल जब मुख्यमंत्री जी से प्रश्न किये थे, तो उनको सदन में क्यों नहीं होना चाहिये था. क्यों सदन छोड़कर भागते हैं.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध यह था कि अब अगर आपकी कृपा हो तो मैं आऊं अपनी बात पर.
अध्यक्ष महोदय -- मैं तो कह रहा हूं, आप ही बहस कर रहे हैं.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह प्रश्न था, यह बात उद्धृत कहां से हुईं कि मेरा एक कल प्रश्न था, उसमें मैंने पूछा कि नर्मदा सेवा यात्रा पर कुल कितना खर्च हुआ, तो उसमें 1837 लाख कुल खर्च हुआ और उसमें से आज जयवर्द्धन सिंह जी का जो प्रश्न है, उन्होंने पूछा कि आपने इसमें सिर्फ विज्ञापन पर कितना खर्च किया, तो लगभग 21 करोड़ किया. तो यह सरकार की कैसी मोनोपाली है कि एक उत्तर में आपने कहा कि कुल खर्चा प्रचार प्रसार योजना की सभाएं सब पर 18 करोड़ खर्च हुआ और एक उत्तर में आपने कहा कि 21 करोड़ रुपया खर्चा हुआ. तो यह अंतर क्यों. पहला प्रश्न है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, यह कौन से प्रश्न पर चर्चा हो रही है. 12 नम्बर या 14 नम्बर पर. अध्यक्ष जी, किसका जवाब देना है, यह भी तय कर देना आप. बहुत समय दे रहे हैं आप.
अध्यक्ष महोदय -- उनको पूछना ही नहीं है.
श्री रामेश्वर शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, जयवर्द्धन सिंह जी बोलना नहीं जानते हैं क्या.
अध्यक्ष महोदय -- उनको पूछना ही नहीं है.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध यह है कि दो प्रश्न है. इसी सदन के हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा -- जयवर्द्धन सिंह जी, आपने इनको प्रवक्ता बनाकर रखा है क्या.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, एक ही सवाल है कि नर्मदा सेवा यात्रा पर कुल कितना खर्च हुआ है. यह मेरा कल का प्रश्न है. प्रश्न क्रमांक है..
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन(श्री लाल सिंह आर्य) --- अध्यक्ष महोदय, ये सदन में प्रश्न करके बैठते तो हैं नहीं. कल मुख्यमंत्री जी ने नर्मदा सेवा यात्रा पर जवाब दिया था. कल आप कहां थे.
..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी -- ये (XXX) की मंडली है, (XXX) को विज्ञापन देते हैं. यह उत्तर नहीं दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- यह कार्यवाही से निकाल दें.
..(व्यवधान)..
श्री लाल सिंह आर्य -- जवाब तो सुन लो.
..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी – (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- जितू पटवारी जी, कृपया अपनी भाषा ठीक कर लें. ....(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, ये मीडिया को (XXX) कह रहे हैं. ..(व्यवधान).. अध्यक्ष जी, ये मीडिया को (XXX) कहा है.
..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न के दो उत्तर हैं. ये अलग अलग अंतर क्यों है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, यह पत्रकारों को (XXX) कह रहे हैं, यह विलोपित करवाइये, यह किस तरह की बात कर रहे हैं.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, यह मैं उनको कह रहा हूं, (XXX)
..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है. ..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, यह अलग अलग उत्तर क्यों हैं.
..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, यह मीडिया को (XXX) कह रहे हैं. ..(व्यवधान).. (जितू पटवारी की ओर देखते हुए) पहले माफी मांगो, माफी मांगो मीडिया से. अध्यक्ष महोदय, पहले इनको मीडिया से माफी मांगना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय --- कृपया बैठ जायें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, इनको मीडिया से माफी मांगना चाहिये.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- (श्री जितू पटवारी के कागज दिखाने पर ) ये आप कौन से कागज बता रहे हैं. आप ये कौन से कागज बता रहे हैं. यह आपने कौन सा कागज बताया.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मैंने पूछा कि एक सवाल था कल, जिसमें नर्मदा परिक्रमा पर मैंने कुल खर्च प्रचार प्रसार सब मांगा, उसमें 18 करोड़ रुपये खर्चा बताया. आज प्रचार, प्रसार में 21 करोड़ रुपया बताया. यह अंतर क्यों. उत्तर चाहिये.
अध्यक्ष महोदय -- आप इसका उत्तर लेते. आप तो बहस कर रहे थे.
गृह मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, यह आपत्ति जनक है. लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को जिस तरह से (XXX) कहा गया है, यह आपत्तिजनक है.
..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, वह रिकार्ड में रखना था, वह रिकार्ड से विलोपित नहीं करना था. ..(व्यवधान) .. अध्यक्ष महोदय, उस रिकार्ड को विलोपित मत करवाना उस रिकार्ड को जो बोला है, मीडिया को (XXX), वह विलोपित नहीं हो जाये. ..(व्यवधान).. मीडिया के लोग देखेंगे इस बात को. इन्होंने कहा है कि नहीं कहा है, यह रिकार्ड बतायेगा. यह रिकार्ड बतायेगा. यह रिकार्ड से वह विलोपित नहीं होना चाहिये. अध्यक्ष जी, जो बोला है, वह विलोपित नहीं होना चाहिये.
..(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह -- यह लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को कहना, यह घोर आपत्तिजनक है. अध्यक्ष महोदय, इसके लिये विपक्ष की तरफ से खेद व्यक्त होना चाहिये, मेरा आग्रह है.
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरे सवालों के उत्तर नहीं आये हैं. ..(व्यवधान).. सवालों के उत्तर नहीं आये हैं. बहिर्गमन करेंगे. सवालों के उत्तर नहीं आये हैं.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष जी, हमारे सवालों के उत्तर नहीं आए हैं...(व्यवधान)..यह गलत बात है. हमें संरक्षण नहीं मिल रहा है. सवाल के चलते हुए कैसे प्रश्नकाल समाप्त हो गया. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- शून्यकाल की सूचनाएं.. ..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, यह विलोपित नहीं होना चाहिए, जितू पटवारी ने जो बोला है. पत्रकारों के सामने वह जाना चाहिए. ..(व्यवधान)..
12.01 बजे गर्भगृह में प्रवेश
श्री जितू पटवारी सहित इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश
(श्री जितू पटवारी सहित इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा अपनी-अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया गया)
..(व्यवधान)..
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात ठीक है किंतु आपने इस प्रश्न पर हल्ला-गुल्ला मचा करके उसको खत्म कर दिया. इसकी बजाय आप प्रश्न करते. कितने लोग बोल रहे थे. ..(व्यवधान).. अपने-अपने स्थान पर बैठिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, जो सत्य है वह जनता के पास एक बार जाने दो. जो इन्होंने बोला है उसे रिकार्ड से विलोपित मत करना. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- जब आप बोल रहे थे तब आपके दल के कितने लोग खड़े थे. मैंने आपका नाम 6 बार पुकारा कि आप प्रश्न पूछिये, आपने नहीं पूछा, मैं आगे बढ़ गया और आपने उनको भी नहीं पूछने दिया. इस तरह से नहीं चलेगा. ..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष जी, आप उनको करने दीजिए, इधर तो सुनिये, वह विलोपित नहीं होना चाहिए, जो बोला है. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(अपराह्न 12.02 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
12.20 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
श्री के.के.श्रीवास्तव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. सदन के अंदर श्री जितू पटवारी ने मीडिया को (XXX) कहा, यह उनकी व्यक्तिगत खुन्नस हो सकती है. उनके भाई का नाम एक लड़की की आत्महत्या में था. इंदौर में तीन दिन से मीडिया यह खबर छाप रही है, लेकिन इस सदन का उपयोग मीडिया को (XXX) कहने के लिए नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- यह कोई प्रश्न नहीं है. यदि व्यवस्था का प्रश्न हो, तो सदन की कार्यवाही पर हो.
श्री शंकरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चार स्तम्भ हैं, जिसमें मीडिया भी एक स्तम्भ है और सदन में एक विधायक खडे़ होकर पत्रकारों को (XXX) कहें, इसमें खेद व्यक्त करवा दीजिए. यह गलत परम्परा होगी....(व्यवधान)....
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, कल मैंने व्यवस्था का प्रश्न ..(व्यवधान)....बार-बार यह बात क्यों करना चाह रहे हैं. क्या खेद व्यक्त करना चाह रहे है. इन्होंने तो नहीं कहा लेकिन ये लोग बार-बार कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय सदस्य भी यहां नहीं हैं...(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने तो नहीं कहा लेकिन ये लोग बार-बार कह रहे हैं, कितना आपत्तिजनक है.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक बात है आपकी.
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य किसी को कुछ भी कह जाएं और फिर वह सदन में नहीं हैं तो क्या चर्चा नहीं होगी. आखिर कौन खेद व्यक्त करेगा. कांग्रेस पार्टी की तरफ से कौन खेद व्यक्त करेगा. ये लोग कहां हैं. मीडिया चौथा स्तम्भ है...(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- वह विषय अब समाप्त हो गया.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कहा ही नहीं है. कार्यवाही से निकलवाकर दिखवा लो.....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जाएं.
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मीडिया के लोग क्या गालियां सुनने के लिए बैठे हैं.
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब बोला ही नहीं है तो क्यूं माफी मांगे.
श्री रामेश्वर शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, यहां कांग्रेस को माफी मांगनी पडे़गी...(व्यवधान)... मीडिया से कांग्रेस के लोगों को, जितू पटवारी को माफी मांगनी पडे़गी....(व्यवधान)...
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मीडिया के खिलाफ कुछ बोला ही नहीं है.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के खिलाफ कुछ भी बोले जा रहे हैं...(व्यवधान)....
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के लोगों को, जितू पटवारी को माफी मांगनी पडे़गी. मीडिया को आपने (XXX) कहा है...(व्यवधान)...
कुंवर विक्रम सिंह -- बिल्कुल नहीं कहा है...(व्यवधान)...
श्री रामेश्वर शर्मा -- आपने मीडिया को (XXX) कहा है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- यह जो अभी हल्ला मच रहा है इसे निकाल दें. मेरा अनुरोध यह है कि वह विषय अब खतम हो गया है.
श्री शंकर लाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ...(व्यवधान)... विज्ञापन देना क्या कोई अपराध है.
अध्यक्ष महोदय -- वह विषय अब समाप्त हो गया है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह विषय समाप्त कैसे हो गया....(व्यवधान)....
श्री शंकर लाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, क्या विज्ञापन नहीं देना चाहिए....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- एक ही सदस्य बोलेंगे. कृपया बैठ जाएं. सिर्फ माननीय विश्वास सारंग जी बोलेंगे, उसके बाद माननीय रामनिवास रावत जी बोलेंगे. इसके बाद सारे विषय समाप्त, उसके बाद शून्यकाल की सूचनाएं लेंगे. कृपया माननीय विश्वास सारंग जी आप कहें...(व्यवधान).....अब नहीं.
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, फिर मुझे जवाब देना पडे़गा.
अध्यक्ष महोदय -- वह जवाब देंगे. कृपया असंसदीय शब्दों का उपयोग यहां नहीं करेंगे, कृपया इसका भी ख्याल रखें.
राज्य मंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सदन परम्पराओं से चलता है और निश्चित रूप से मध्यप्रदेश की संसदीय परम्पराएं बहुत गरिमापूर्ण रही हैं और यह बात भी सही है जैसा कि श्री तिवारी जी ने कहा कि लोकतंत्र की जब परिकल्पना हुई है तो मीडिया चौथे स्तम्भ के रूप में एक सजगता के साथ समाज को दिशा देना वाला और सरकार को उसके सही रूप को प्रदर्शित करने वाला एक ऐसा साधन है जिसकी हम सब इज्जत करते हैं. यह बात सही है जैसा कि श्री के.के.श्रीवास्तव जी ने बोला, श्री रामेश्वर जी ने बोला कि चाहे वह विश्वास सारंग हो या सदन का कोई भी सदस्य हो, यदि वह अपनी व्यक्तिगत खुन्नस को इस मंच का उपयोग करके निकालता है और उसमें मीडिया का नाम इस ढंग से लेना, यदि कोई पर्टिकुलर समाचार मेरे खिलाफ छपा है और उसको हम इस मंच पर उठाएं और उसमें मीडिया को घेरकर सरकार को इस ढंग से खड़ा करें कि सरकार ने कोई पाप किया. विज्ञापन देना यह हमारा अधिकार भी है और विज्ञापन लेना मीडिया का भी अधिकार है. (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- इसे कार्यवाही से निकाल दीजिए.
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, मीडिया को कहा ही नहीं है.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है आपकी बात आ गई. उतना निकाल लीजिए.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि इन्होंने मीडिया को (XXX) कहा. आप कार्यवाही पढ़वा लीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- चोर शब्द नहीं आएगा इसमें. जहां वे व्यक्तिगत आक्षेप लगा रहे हैं वह आएगा.
श्री विश्वास सारंग -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि आप कार्यवाही पढ़वा लीजिए. अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाएं आप. माननीय मंत्री जी, आपने अनुमति मांगी मैंने अनुमति दी. ...(व्यवधान).... माननीय एक मिनट आप मेरी बात सुनिए...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्यवाही में नहीं होगा तो हम लोग बैठ जाएंगे....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग कृपया बैठ जाएं. मैंने श्री रामनिवास रावत जी को अनुमति दी है. कोई नहीं बोलगा...(व्यवधान)....बैठ जाएं कृपया. कोई नहीं बोलेगा. ...(व्यवधान)....
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- यह बात ठीक नहीं है...(व्यवधान)..आप जब बोल रहे थे तो उन्होंने मर्यादा रखी. ..(व्यवधान)..
श्री शंकरलाल तिवारी-- हमेशा आसन्दी का अपमान और....
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, बैठ जाइये.
श्री शंकरलाल तिवारी-- हमेशा असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- हमको उनकी बात सुनना चाहिए. आप यह ठीक नहीं कर रहे हैं. माननीय रामनिवास रावत जी, आप बोलिए. आप से भी यह अनुरोध है कि कुछ शब्दों को मुझे निकालना पड़ा, तो ऐसे किसी शब्द का उपयोग न करें.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर)-- जी, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं ऐसी कोई भाषा नहीं बोलूँगा. हम पूरी तरह से प्रजातांत्रिक व्यवस्था का पूरा सम्मान करते हैं. अध्यक्ष महोदय, प्रजातांत्रिक व्यवस्था में विधायकों को विधान सभा में प्रश्न लगाने का अधिकार है. विधायक ने प्रश्न लगाया, विधायक अपना पूरक प्रश्न पूछ रहा है, उत्तर नहीं आया. उन्होंने केवल सत्तापक्ष को इंगित करके कुछ कहा है. मीडिया का तो हम पूरा सम्मान करते हैं. हम बहुत अच्छे से जानते हैं कि प्रजातंत्र के चौथे स्तम्भ के रूप में मीडिया को माना जाता है. (मेजों की थपथपाहट) मीडिया है और मीडिया के माध्यम से ही सब लोगों की यह बात जाएगी...(व्यवधान)..माननीय अध्यक्ष महोदय, आसन्दी के प्रति भी हमारा पूरा सम्मान है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- एक शब्द की बात है मीडिया से माफी मांग लो...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- उनकी बात तो पहले हो जाने दें...(व्यवधान)..
श्री शंकरलाल तिवारी-- इतना लम्बा भाषण देने की क्या जरुरत है?
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, कितने बड़े दुर्भाग्य की बात है कि जिस बात को हमारे सदस्य ने कहा ही नहीं है, आप कार्यवाही दिखवा लें और आप बार-बार मीडिया के बारे में जिन शब्दों का प्रयोग कर रहे हों, उकसा रहे हों,(XXX)...(व्यवधान)..(XXX), माफी आपको मांगना चाहिए.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, कार्यवाही निकलवा लीजिए.
श्री रामनिवास रावत-- आप कहना क्या चाह रहे हों?
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष जी, कार्यवाही निकलवा कर दिखवा लीजिए.
श्री रामनिवास रावत-- (XXX)
श्री विश्वास सारंग-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्यवाही निकलवा लीजिए, हम इस पर तैयार हैं. कार्यवाही निकलवा कर पढ़वा दीजिए.
श्री रामनिवास रावत-- (XXX) किस तरह से आप किसी बात को बार-बार ट्विस्ट कर रहे हों...(व्यवधान)...अध्यक्ष महोदय, यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. कोई प्वाईंट आफ ऑर्डर उठा रहा है. कोई मीडिया के बारे में कुछ भी बोला जा रहा है, जिन शब्दों का उपयोग ही नहीं....
श्री विश्वास सारंग-- आप कार्यवाही निकलवा लीजिए और यदि कार्यवाही में यह बोला होगा तो क्या होगा? यदि होगा तो आप क्या करेंगे?
श्री रामनिवास रावत-- निकलवाइये ना, माननीय अध्यक्ष महोदय का अधिकार है, अध्यक्ष महोदय स्वयं देख लेंगे. संसदीय कार्य मंत्री बैठे हुए हैं. वे कार्यवाही निकलवा लें. (XXX) अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकालिए.
श्री रामनिवास रावत-- निकलवा लें कार्यवाही.
श्री विश्वास सारंग-- अध्यक्ष महोदय, निकलवा लीजिए.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष जी, यह कोई बात हुई क्या, वे मंत्री हैं, यह कोई बात हुई क्या उनके पेट में क्यों दर्द हो रहा है.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी, मैंने व्यक्तिगत रूप से भी अनुलेखकों से भी संपर्क किया, मैंने आप से भी निवेदन किया था कि कार्यवाही दिखवा लें...
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष जी, आपने इनको आपने बड़े गरिमामय ढंग से उठाया था, कुछ नहीं बोलेंगे लेकिन पेट में दर्द जैसे शब्द बोल रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत-- मैं पीएस से भी मिला कि कार्यवाही आ रही है, दिखवा लें उसके बाद, यह विषय है ही नहीं और आप जिस तरह से मीडिया को बार बार कह रहे हों, जिन शब्दों का उपयोग कर रहे हों, यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण और आपत्तिजनक है...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, आप बोल लिए अब हमको भी बोलने दीजिए.
श्री रामनिवास रावत-- आप जिस तरह का व्यवहार कर रहे हों मैं उसकी निन्दा करता हूँ.
श्री शंकरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, पटवारी जी असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करते हैं. जब खड़े होते हैं आए दिन आसन्दी का अपमान करते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, रामनिवास जी, आप अभी मुख्य सचेतक हैं ना? हाँ या ना?
श्री बाला बच्चन-- हैं. यह तो संसदीय कार्य मंत्री जी की जानकारी में होना चाहिए कि कौन मुख्य सचेतक है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, मुख्य सचेतक, काँग्रेस ने जो बात कही है, मैं उनकी बात में अपनी सहमति व्यक्त करता हूँ, उन्होंने अनुदेशकों से भी कहा है और आप से भी कहा है कि उस कार्यवाही को निकाल लें, इन्होंने कहा है या नहीं कहा है कि (XXX) को विज्ञापन देते हैं, यह आप देख लें और उस बात को सार्वजनिक करें. (किन्हीं माननीय सदस्य के बैठे बैठे कुछ कहने पर) उन्होंने कहा है, इन्होंने कहा है कि मैंने मिला हूँ, इन्होंने कहा है कि नहीं कहा है, आप उसे देख लें, उसको सार्वजनिक करना चाहिए, मैं काँग्रेस के मुख्य सचेतक से सहमत हूँ. दूसरी बात उन्होंने यह भी कही कि हरेक विधायक का अधिकार है सवाल करने का, सच बात है, मैं उनकी इस बात से भी सहमत हूँ, पर चीफ व्हिप साहब, सवाल विधायक, मंत्री से करता है, आसन्दी से नहीं. उन्होंने सवाल आसन्दी से किया था, मंत्री से नहीं, आसन्दी से सवाल नहीं किया जाता. आप एक ट्रेनिंग कैम्प लगाओ और उस ट्रेनिंग कैम्प में अपने जो नये विधायक हैं उनको कहो कि यह सवाल किससे किया जा सकता है. आपके एक एक सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं.
श्री रामनिवास रावत-- मैं आपकी बात का जवाब दूँगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- माननीय अध्यक्ष जी, सिर्फ, सिर्फ, और सिर्फ, भाषण देने के लिए प्रश्नकाल नहीं होता है. आपने जितना समय दिया इस पूरे के पूरे मामले में, कभी नहीं दिया, अध्यक्ष जी, यहाँ पर खड़े होकर के एक प्रजातंत्र के चौथे स्तम्भ के खिलाफ गलत बयानी करना, यह घोर निन्दा का विषय है. आप हमारी निंदा कर रहे हो, हम आपकी निंदा करते हैं जो आप प्रजातंत्र के बारे में ऐसा बोलते हैं यह बहुत निंदाजनक है, इससे ज्यादा निंदाजनक बात कोई हो नहीं सकती है. (व्यवधान)
कुंवर विक्रम सिंह--आप पूरे सदन को भ्रमित कर रहे हैं और मीडिया को भ्रमित कर रहे हैं. आसंदी व्यवस्था दे. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र--भ्रमित कर रहे हैं तो हम इससे सहमत हैं, आप निकालो रिकार्ड. मैं तो मीडिया के बंधुओं से अपील करुंगा कि रिकार्ड निकालकर देखें यदि हम गलत कह रहे हैं. हम किसी पर व्यक्तिगत आक्षेप नहीं कर रहे हैं. यह एक व्यक्ति है आज एक पर उठाया है अगर आप लोग खामोश रहोगे तो उसके बाद में...(व्यवधान)
कुंवर विक्रम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी भ्रमित कर रहे हैं पूरे सदन को गुमराह कर रहे हैं...(व्यवधान)
12.31 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
श्री रामेश्वर शर्मा--अध्यक्ष महोदय, माफी तो मंगवा लीजिए.
श्री शंकरलाल तिवारी--यदि वह कह रहे हैं हम सम्मान करते हैं तो एक शब्द में माफी मांग लें.
अध्यक्ष महोदय--वह उनके विवेक पर है आप बैठ जाइए. किसी को फोर्स नहीं किया जा सकता है. वह विषय अब समाप्त हो गया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, आप कर सकते हैं, आसंदी सक्षम है. परन्तु यह गलत परम्परा आज डल जाएगी. आज एक अखबार के बारे में बोला है कल को यह दूसरे के बारे में और आसंदी के बारे में बोल सकते हैं (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--आप क्या कहना चाहते हैं, क्या सिद्ध करना चाहते हैं. (व्यवधान)
कुंवर विक्रम सिंह--माननीय मंत्री जी गुमराह कर रहे हैं जबरदस्ती अपनी बात सिद्ध करवाना चाहते हैं. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र--इस तरह से मीडिया के खिलाफ बोलने की परम्परा डल जाएगी मीडिया के खिलाफ (व्यवधान)
कुंवर विक्रम सिंह--माननीय बिलकुल नहीं कहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--नहीं कहा है तो माफी मांगो न. रिकार्ड देखो.
श्री रामेश्वर शर्मा--अध्यक्ष महोदय, वे माफी मांग लें एक लाइन की तो बात है. हम माफी मांगते हैं, मांगो पेपरों से माफी मांगो, माफी मांगने में क्या परेशानी है. भाई माफी तो मांग सकते हो कि नहीं. अरे जितू इसमें नाक नीची नहीं होगी माफी मांग ले मेरे भाई, मांग ले, मांग ले काम आएगी, नहीं तो परेशान रहेगा दादा मेरे, मांग ले. (व्यवधान)
श्री आरिफ अकील--अध्यक्ष महोदय, सदन क्या इनके हिसाब से चलेगा.
अध्यक्ष महोदय--रामेश्वर जी आप बैठ जाइए.
12.33 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मैगनीज ओर इंडिया लिमिटेड (मॉयल लिमिटेड) की 55 वीं वार्षिक रिपोर्ट वर्ष 2016-2017
(2) (क) (i) विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन का 60 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 209216-2017,
(ii) बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल का 45 वां वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017, (iii) रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2016-2017, एवं (iv) देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2017, तथा
(ख) मध्यप्रदेश लोक सेवाओं के प्रदान की गारंटी अधिनियम के तहत निम्न अधिसूचनाएं-- (i) क्र. एफ 2-23-2017-इकसठ-लोसेप्र-पी.एस.जी.44, दिनांक 30 नवम्बर, 2017,
(ii) क्र.एफ 2-13-2012-इकसठ-लोसेप्र-पी.एस.जी.39, दिनांक 02 जनवरी,2018, (iii) क्र.एफ 2-13-2012-इकसठ-लोसेप्र-पी.एस.जी.-44, दिनांक 02 जनवरी, 2018, (iv) क्र.एफ 2-13-2012-इकसठ-लोसेप्र-पी.एस.जी.05, दिनांक 02 जनवरी, 2018,
(v) क्र.एफ 2-13-2012-इकसठ-लोसेप्र-पी.एस.जी. 11, दिनांक 02 जनवरी, 2018,
(vi) क्र.एफ 2-13-2012-इकसठ-लोसेप्र-पी.एस.जी.36, दिनांक 02 जनवरी, 2018, तथा (vii) क्र. एफ 2-13-2012-इकसठ-लोसेप्र-पी.एस.जी., दिनांक 04 जनवरी, 2018
(3) सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के लघु उद्यम फेसिलिटेशन काउन्सिल नियम, 2017
12.30 बजे ध्यान आकर्षण
(1) भिण्ड जिले के मौ नगर की पेयजल योजना हेतु कृषकों की खड़ी फसल नष्ट किया जाना.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार)-- अध्यक्ष महोदय, भिण्ड जिले की नगर परिषद मौ, की पेयजल योजना हेतु ग्राम मडोरी एवं दतिया जिले की सेवढ़ा तहसील के ग्राम जरा के बीच सिंध नदी को रोककर डेम एवं पानी की टंकी ग्राम जरा के किसान रामप्रकाश, प्रेमनारायण, संतराम, गोपाल, अतिबल, घमंडी, धर्मजीत बाथम सहित सैकड़ों किसानों की हरी भरी फसलें उजाड़ कर बनाई जा रही है. मौजा जरा में सिंचित अराजी क्रमांक 114 (अध्यक्ष जी यह मिस प्रिंट हो गया है यह 115 है.) रकबा 0.97 हेक्टेयर एवं अन्य आराजी जिसमें ठेकेदारों द्वारा
12.37 बजे {उपाध्यक्ष महोदय ( डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह)-- अध्यक्ष महोदय,
आराजी सर्वे क्रमांक 114 जिसको कि अभी माननीय विधायक जी कह रहे हैं कि उसकी संख्या के बारे में कि उसको दिखवा लिया जाएगा.
डॉ.गोविन्द सिंह (लहार)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सिंध नदी के पास दतिया में सोढ़ाह से आगे 5 मील की दूरी पर शिवजी का ''नारदेश्वर'' मंदिर है. उस मंदिर का नाम नारदेश्वर इसलिए है क्योंकि पद्म पुराण में ऐसा उल्लेख है कि सिंध नदी के सनकनंद तीर्थ से 5 किलोमीटर की दूरी पर शिवजी ने तपस्या की थी. पहले वह शिवजी का मंदिर जीर्णशीर्ण अवस्था में था. आज से 30-35 साल पहले वहां चौतरफा डकैतों का अड्डा रहता था. हम सभी ने गांव वालों के साथ मिलकर उस मंदिर जीर्णोद्धार करवाया और उसके बाद आस-पास के इलाके के लगभग 50-100 गांवों के लोग वहां शिवरात्रि पर कांवर चढ़ाते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसा कि मंत्री महोदया ने कहा, विभाग के निचले स्तर के अधिकारी, हम ऊपरी स्तर के अधिकारियों के बारे में नहीं कहेंगे क्योंकि उनको जानकारी नहीं है और वे वहां गए नहीं हैं. निचले स्तर के अधिकारी मिलकर भ्रष्टाचार में संलग्न हैं, गलत काम कर रहे हैं, वे जवाब दे देते हैं तो आपका मानना पड़ता है और वही पढ़ना भी पड़ता है. मैं मंत्री महोदया से केवल यह जानना चाहता हूं कि आपने कहा कि वहां सीमांकन हुआ. मैं स्वीकार करता हूं कि हमसे टायपिंग में एक नंबर गलत हो गया है. अभी मेरे पास जो रिपोर्ट है वह 21.02.2018 की है. तहसीलदार, एस.डी.एम. ने जांच करवाई और रामप्रकाश, किसान के खेत में उन्होंने पूरा कब्जा करके डैम बना दिया. डैम बनाने के बाद टंकी का हिस्सा सरकारी जमीन पर है लेकिन उसके बाद में गई हुई पूरी लाईन किसान के खेत के हिस्से में है. यह पटवारी और एस.डी.एम. की 21.02.2018 की रिपोर्ट हमारे पास है. (रिपोर्ट दिखाते हुए.) जब मैं वहां पहली बार गया था, मंत्री महोदया मैं आपको वहां के धरातल की सच्चाई बता रहा हूं. आपने अपने जवाब में लिखा है कि क्रेशर नहीं चले तो आप मुझे यह बतायें कि जब वहां डैम बना तो वहां पत्थर कहां से आये ? वहां पत्थर कहीं पर नहीं हैं या तो सेवढ़ा में हैं या फिर यहां पर हैं. वहां नदी के बड़े-बड़े खण्डहर काटे, जिससे शिव मंदिर की जमीन और किसानों की जमीन कट रही है. जब मैं एक वर्ष पूर्व वहां पर गया, जब ठेकेदार वहां पर काम चालू कर रहा था तो हमने उनसे पूछा कि यहां पर गेहूं कि फसल खड़ी है, तो ठेकेदार ने कहा कि हम इस साल तीन किसानों को 50-50 हजार रूपये देंगे और अगले साल तक कार्य पूर्ण नहीं होता है और यदि इनकी जमीन नापतौल में आ जायेगी तो अगर सरकार मुआवजा नहीं देगी नहीं तो मैं खेती की कीमत दूंगा. उन्होंने डेम बना लिया और जब उन्होंने पैसा मांगा, तब मैं वहां नहीं गया और ठेकेदार ने उन किसानों को ले जाकर तहसीलदार से सांठगांठ करके गिरफ्तार करवाने का नोटिस दिलवा दिया. जो शिवरात्रि के दिन पर्व होता है, जब मैं वहां पर दो दिन रूका तो वहां सब किसान इकट्ठे होकर आ गये और कहने लगे कि हमारी जमीन चली गयी और हमारी बात कोई नहीं सुन रहा है. हमने एसडीएम से अनुरोध किया, जब जांच हुई तो सच्चाई सामने आ गयी.
उपाध्यक्ष महोदय:- आपका प्रश्न क्या है ?
डॉ. गोविन्द सिंह :- मैंने स्वयं देखा है कि वहां पर ऊपर डेम पर क्रेक्स नहीं हैं. उन्होंने वहां ऊपर से गिट्टी तोड़कर उसमें अंदर खंडे लगा दिये और कम से कम एक वर्ष तक क्रेशर लगाकर गिट्टी तो तोड़कर बाहर भेजते रहे, यह सच्चाई है. जब आप यहां से किसी को भेजकर जांच करायेंगे तो सच्चाई सामने आयेगी. गांव वाले सब बता देंगे, असलियत कभी छिपती नहीं है. मैंने स्वयं देखा कि उसमें डेम के बीच-बीच में से, जैसे नल के पाईप से पानी निकलता है, ऐसा डेम के बीच से इतनी तेजी से पानी निकल रहा है, दो जगह तो मैंने स्वयं देखा है. फिर हमने डेम का गेट बंद करा दिया, डेम का पानी खोल रखा था. पानी डेम में भरा नहीं था तो मैंने डेम का पूरा पहिया घुमवाकर उसकी चाबी वहीं मंदिर पर रखवा दी है. वहां पर चौतरफा जंगल है. अब डेम भरा और लगातार यही चलता रहा तो डेम भी चला जायेगा. इसके अलावा पीडब्ल्यूडी की सड़क खोद डाली. आप चाहें तो मौके पर दिखवा लें.
उपाध्यक्ष महोदय:- डॉक्टर साहब, आपका प्रश्न क्या है. आप क्या पूछना चाहते हैं ?
डॉ. गोविन्द सिंह:- मैं जांच की मांग कर रहा हूं. मैं बता तो दूं कि असलियत क्या है, जो कटाव होगा तो वह भगवान शिवजी के मंदिर तक चला जायेगा और अभी पिछले वर्ष जो पत्थर काटे हैं तो उससे आगे बाथम समाज के लोग खेती करते हैं. उनके आगे की जमीन भी कट गयी है. वह अभी सब्जी कर रहे हैं, वहां पर बैंगन वगैरह की खेती कर रहे हैं, लेकिन आधी जमीन उनकी और कट गयी है. मालूम नहीं कौन टेक्निकल आदमी देखने गया था, जहां पर डेम बनाना चाहिये था, वहां बना देते, उसमें कोई दिक्कत नहीं आती और हमें कोई नुकसान नहीं था. अब खेत भी कटेगी, खेत भी डूबेगा और आपके पाईप भी लगे हैं. मैं चाहता हूं कि आप किसी वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर इसकी निष्पक्ष जांच करवायें. गांव वालों से भी चर्चा कर लें. आपको असलियत पता चल जायेगी. अगर वास्तव में किसानों की जमीन गयी है तो आप कह रहे हैं कि कोर्ट में मामला चल रहा है. सेवढ़ा के सिविल कोर्ट में किसानों ने मुकदमा दायर किया है कि हमारी जमीन पर कब्जा हो गया है. वह आज से नहीं करीब एक वर्ष पहले से चल रहा है. अभी तक तो तहसीलदार वगैरह सीमांकन ही नहीं कर रहे थे. आपको गलत जानकारी दी कि सीमांकन किया. सीमांकन अब हुआ है तो असलियत अब सामने आ गयी.
माननीय मंत्री जी हमारा आपसे निवेदन है और हमारा कहना है कि गरीब किसानों को न्याय मिले, उन किसानों के पास दो-दो, तीन-तीन बीघा जमीन है. उसमें वह सब्जी पैदा करते हैं, वह कभी-कभी मछली पकड़कर मछली भी बेच देते हैं. इसके अलावा उनके पास आय का कोई साधन भी नहीं है. मैं मंत्री जी से प्रार्थना कर रहा हूं कि आप किसी को भेजकर पूरी पत्थरों की तुड़ाई, आगे कटाव की संभावना और उसमें किसानों की जो जमीन गयी है, उसकी आप फिर से नापतौल करवा लें और यदि वह उसमें आती है तो उसके मुआवजे की कार्यवाही करें, इसके अलावा जो वहां पर पाईप डाला गया है, वह पूरा ऊपर ही रख दिया गया है. कई जगह नीचे गुणवत्ताहीन काम किया है, वह आपके पैस डूब जायेंगे. अभी जैसे लहार में दस साल पहले नलजल योजना बनी थी, उसके 13 करोड़ रूपये पूरे बर्बाद हो गये हैं. वहां पर 9 बोर किये गये. वहां टंकी में पानी भरते हैं तो फव्वारे जैसे निकलते हैं. इस तरह के पैसे की बर्बादी न हो जाये. हम आपसे चाहते आप किन्हीं वरिष्ठ अधिकारियों को भेजकर उसमें टेक्निकल लोग शामिल हों, उसमें आपके ईएनसी हों वह मौके पर जाकर सच्चाई देख लें कि क्या वास्तविकता है और वास्तविकता के आधार पर जांच करवाकर जो कार्यवाही हो, वह आप करें. यही मेरे आपसे प्रार्थना है और निवेदन है.
श्रीमती माया सिंह - माननीय उपाध्यक्ष जी, माननीय विधायक जी ने जो बातें रखी हैं, उसमें से बहुत सारी बातों का जवाब इसमें है लेकिन इसके बावजूद मैं यह कहना चाहती हूँ कि कुछ तो आपने जो 10 दिन पूर्व जानकारी दी कि वहां के कुछ भाग, कुछ जमीन में जो किसानों की स्वामित्व की भूमि है तो उसकी जांच सक्षम अधिकारी से की जा रही है और जैसे ही हमारे पास सीमांकन रिपोर्ट आ जायेगी तो उस रिपोर्ट के आधार पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी. अगर किसानों के हक में है तो किसानों के हक में निर्णय होगा. लेकिन इसके साथ ही साथ आप फिर भी संतुष्ट नहीं हैं तो हम यहां से वरिष्ठ अधिकारी को भेजकर, ये सारी जो बातें अभी आपने रखी हैं, नियमानुसार जांच करवा लेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह - नहीं, केवल आपने किसानों की बात कही है
श्रीमती माया सिंह - उपाध्यक्ष महोदय,किसानों से संबंधित, गुणवत्ता के ऊपर भी.
डॉ. गोविन्द सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, लेकिन इसके अलावा जो डेम में गड़बड़ी हुई है.
श्रीमती माया सिंह - मैं वही कह रही हूँ कि सक्षम अधिकारी को भेजकर हम जांच करवा लेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय - डॉक्टर साहब, उसमें यह सारी चीजें आ जाएंगी.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग (श्री लाल सिंह आर्य) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह मेरी विधानसभा का मामला है.
डॉ. गोविन्द सिंह - विधानसभा आपकी है, पानी तो हमारा है.
उपाध्यक्ष महोदय - गोविन्द सिंह जी और मंत्री जी, आप बैठ जाएं.
श्री लाल सिंह आर्य - यह मेरी विधानसभा का मामला है.
डॉ. गोविन्द सिंह - अब मंत्री प्रश्न पूछेंगे.
श्री लाल सिंह आर्य - गोविन्द सिंह जी, मैं प्रश्न नहीं पूछ रहा हूँ. मैं आपकी नियत पर शक कर रहा हूँ क्योंकि आप गोहद विधानसभा का भट्टा बैठाल देना चाहते हो. आप गोहद विधानसभा के खिलाफ लगातार विकास के विरुद्ध जा रहे हो.
उपाध्यक्ष महोदय - गोविन्द सिंह जी और मंत्री जी, आप बैठ जाएं.
डॉ. गोविन्द सिंह - हम अपना भट्टा बैठाल रहे हैं. आप एमएलए तक का भट्टा बैठाल रहे हो.
श्री लाल सिंह आर्य - लेकिन यह मेरी विधानसभा का मामला है. मैं आपकी विधानसभा के मामले में नहीं बोलता हूँ.
डॉ. गोविन्द सिंह - मैं आपकी पूरी कलई खोल दूँगा.
श्री लाल सिंह आर्य - खोल लेना, चैलेंज है. कोई दिक्कत नहीं है. मैं आपकी कलई खोल दूँगा.
डॉ. गोविन्द सिंह - हम तो तैयार हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - गोविन्द सिंह जी और मंत्री जी, आप बैठ जाएं. यह कार्यवाही से निकाल दें. मंत्री जी एवं गोविन्द सिंह जी की चर्चा नहीं लिखी जायेगी.
श्री लाल सिंह आर्य - (XXX)
डॉ. गोविन्द सिंह - (XXX)
श्री लाल सिंह आर्य - (XXX)
डॉ. गोविन्द सिंह - (XXX)
श्री लाल सिंह आर्य - (XXX)
डॉ. गोविन्द सिंह - (XXX)
श्री लाल सिंह आर्य - (XXX)
डॉ. गोविन्द सिंह - (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाएं. डॉ. मोहन यादव अपना ध्यानाकर्षण पढ़ें.
12.53 बजे [अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.]
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाएं.
श्री लाल सिंह आर्य - अध्यक्ष महोदय, मैं आग्रह कर रहा हूँ कि मेरी चितौरा से लेकर पिपरसना वाली रोड जो मंजूर हुई थी, कोर्ट में चले गए. वह रोड नहीं बन पाई. आज पहले समस्या पर कोई शिकायत लगा दो फिर नहीं बन पाएगा. इनके मंत्रीकाल में इन गांवों को पानी नहीं मिला. आज शिवराज सिंह के नेतृत्व में पानी मिल रहा है तो दर्द हो रहा है. गोहद को पानी मिल रहा है तो दर्द हो रहा है. यह कौन सा तरीका है ? यह गोहद की जनता के खिलाफ जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं.
श्री लाल सिंह आर्य - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह नहीं लिखा जायेगा.
श्री लाल सिंह आर्य - मुझे दर्द है.
डॉ. गोविन्द सिंह - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह नहीं लिखा जायेगा.
श्री लाल सिंह आर्य - यह क्या बात है ? आप लिखकर दे दीजिए कि आप गोहद का विनाश चाहते हैं. मैं आपके लहार के खिलाफ कभी नहीं बोलता हूँ. आप लगातार गोहद का विनाश चाहते हो.
डॉ. गोविन्द सिंह - यदि आप हमें दखल नहीं देते तो मैं भी नहीं बोलता.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - लाल सिंह जी, हो गया है. आप बैठ जाएं.
डॉ. कैलाश जाटव - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको सुनना पड़ेगा.
अध्यक्ष महोदय - वह विषय समाप्त हो गया है. कृपया आप सहयोग करें और बैठ जायें.
डॉ. कैलाश जाटव - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा विनम्र निवेदन है कि आप मेरा विषय सुन लें. मेरा यह व्यवस्था का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय - अब विषय समाप्त हो गया है. आप बैठ जायें.
श्री गोपाल परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह अनुसूचित जाति के व्यक्ति को कुछ भी नहीं समझते हैं ? (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - डॉ. मोहन यादव जी सिर्फ आप बोलें, बाकी सभी बैठ जायें.
(2) उज्जैन में नर्मदा क्षिप्रा लिंक परियोजना के तहत जल प्रवाह न बनाये जाने से उत्पन्न स्थिति.
डॉ. मोहन यादव(उज्जैन)- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है कि
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास (श्री लाल सिंह आर्य) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ. मोहन यादव - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह एक ऐसी योजना थी, जिसमें माननीय मुख्यमंत्री जी ने उज्जैन में कुंभ मेले के पूर्व तमाम कुंभ यात्रियों के लिये, हम सबके लिये स्नान की व्यवस्था की थी, यह व्यवस्था इस मूल आवश्यकता को देखते हुए बनाई गई थी. हमने पूरे देश में इतनी अच्छी योजना जिसमें नदी जोड़ों के रूप में प्रचार-प्रसार भी किया और यह सिद्ध करके दिखाया है कि एक इच्छाशक्ति के बलबूते पर माननीय मुख्यमंत्री जी जनता के हित में कितना बड़ा काम कर सकते हैं, लेकिन बड़े दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ रहा है कि अधिकारियों की दृष्टि से और व्यवहारिक कठिनाईयों को नजर अंदाज करने के कारण से एक अच्छी खासी योजना का पलीता कैसे लगता है, यह वर्तमान में दिखाई दे रहा है. मैं आपको याद दिलाना चाहूंगा कि इस योजना के माध्यम से हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने भावानात्मक रूप से बहुत अच्छा निर्णय लिया गया है, लेकिन कहीं न कहीं कठिनाई यह आ रही है कि 4 एमसीएम पानी छोड़ने की बात माननीय मंत्री जी ने कही यह बात सही है. मैंने ध्यानाकर्षण के प्रारंभ में कहा है कि पीने का पानी तो मिल रहा है, लेकिन पीने के पानी जैसे त्रिवेणी स्टाप डेम के बाद रामघाट, नरसिंह घाट, सिद्ध नाथ या बाकी मंदिरों के जो देवस्थान के घाट हैं वे सारे खाली पड़े हैं. होली, रंगपंचमी, मकर संक्रांति एवं महाशिवरात्रि जैसे पर्व चले गए लेकिन वहां पानी नहीं छोड़ा गया. उज्जैन की आबादी तो मात्र 6 लाख है, लेकिन 1 करोड़ लोग उसमें प्रतिवर्ष स्नान करने आते हैं और यह योजना स्नान और पानी पीने के लिए बनाई गई थी कि दोनों प्रकार से पानी दिया जाएगा. मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन करना चाहूंगा कि हमारा अभी वर्ष प्रतिपदा का स्नान आने वाला है 17-18 तारीख को जब से नर्मदा के भराव होने के कारण देवास के पास का एक घाट डूब गया तो वहां की जतना भी भूतड़ी अमावश पर उज्जैन आने वाली है तो ये पूरे घाट खाली पड़े हुए हैं. मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि ये 4 एमसीएम पानी छोड़ने की बात करते हैं लेकिन 4 एमसीएम पानी हमारे पीने तक के लिए आता है और हमारे देवास में पानी बंद कर देते हैं. स्नान के लिए सभी नदी के घाट भरने की जरूरत है. केडी पैलेस तक के सारे घाटों पर पानी की आवश्यकता है. यह जो मूल योजना है हमारे लिए स्नान और पीने की पानी की है दोनों के लिए प्रबंध करने की आवश्यकता है. एक तकनीकी बात इसमें और भी है कि पीने का पानी तो पी.एच.ई. देता है, घाट के लिए पानी डब्ल्यूआरडी देता है लेकिन दोनों विभाग में आपस में तालमेल नहीं होने के कारण देवास वाले पानी नहीं छोड़ते हैं, पीएचई वाले पीने के पानी की आपूर्ति करने के बाद हाथ खड़े कर देते हैं और डब्ल्यूआरडी कहता है हमको आपसे मतलब नहीं है तो आखिरकार इस पूरी योजना के लिए जवाबदार कौन है ताकि इस पूरी योजना के लिए ठीक से पानी मिल जाए.
श्री लाल सिंह आर्य – माननीय अध्यक्ष महोदय, मोहन यादव जी की पीड़ा को मैं समझ सकता हूं, वे उस क्षेत्र के प्रतिनिधि हैं, माननीय मुख्यमंत्री जी का इस योजना को बनाने का एक ही उद्देश्य था कि मध्यप्रदेश कलंकित न हो, देश कलंकित न हो क्योंकि महाकुंभ लगाने वाला है. इसलिए छिप्रा में जल प्रवाहित लगातार होना चाहिए इसलिए हमने चार पंप हाउस के माध्यम से इस पानी को 449 फीट ऊपर ले जाकर 36 किलोमीटर दूर लाकर हमने छिप्रा को जोड़ दिया. अटल जी के सपनों को साकार लिया. यह बात सही है कि पेयजल और घाटों को भरने के लिए नर्मदा घाटी विभाग के माध्यम से पानी छोड़ा जाता है. हमारे वहां पर जितने घाट है भरे हुए हैं लबालब, स्थानीय प्रशासन को इसके बारे में निर्णय करना है कि पानी कब छोड़ा जाना है. और कब बंद करना है. मैंने कलेक्टर को आज फोन भी लगाया था आपके ध्यानाकर्षण के बाद लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई, लेकिन मैं उनसे बात करूंगा. हमने लगातार पांच बार पानी छोड़ा है. आवश्यकतानुसार घाटों पर पानी की जितनी जरूरत पड़ेगी पानी छोडे, उसमें हम लोगों को कोई आपत्ति नहीं है. जितने पानी की मांग प्रशासन से होगी उतना पानी हम देंगे और मैं कलेक्टर से भी बात कर लूंगा कि जनहित में वे यह निर्णय करें.
डॉ. मोहन यादव – माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, माननीय मंत्री जी ने ठीक कहा. मैं ध्यान कराना चाहूंगा कि देवास और उज्जैन दोनों के बीच में भी तालमेल कराने की आवश्यकता है. देवास हमारे लिए उस योजना में नहीं था लेकिन वह पानी ले लेता है. देवास के ऊपर से पानी बिलकुल नहीं मिल पा रहा है. एक तालमेल ऐसा होना चाहिए कि उज्जैन का पानी तो उज्जैन में पहुंचे और घाट का पानी घाट तक आ जाए. मैं आपके माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हूं माननीय मंत्री जी को उनकी मंशा अच्छा है. लेकिन एनबीडीए, जिला प्रशासन, पी.एच.ई. और डब्ल्यू.आर.डी. चारों का तालमेल कराने की आवश्यकता है ताकि जहां तक की जो मूल योजना है वहां तक यह काम हो जाए.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) – माननीय अध्यक्ष जी, माननीय मोहन जी ने जो प्रश्न लगाया है वह मैंने भी लगाया था लेकिन वह ग्राह्य नहीं हुआ और मैंने शून्यकाल में भी यह मामला उठाया था.
अध्यक्ष महोदय – माननीय सदस्य सिर्फ प्रश्न पूछे.
श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष जी, नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना 2100 करोड़ से अधिक की बनाई गई थी, इसका पानी उज्जैन में आने के बाद उज्जैन के घाटों से जब पानी छोड़ा जाता है तो 32 किलोमीटर से महिदपुर क्षेत्र लग जाता है और इसका उपयोग हम पीने के पानी के रूप में करते हैं. यह प्रश्न उज्जैन के साथ साथ मेरी विधानसभा से भी जुड़ा हुआ है. गत वर्ष भी पानी को छोड़ा गया था और पर्याप्त पीने का पानी मिला था. जैसा कि माननीय मंत्री जी ने बताया है कि पीएचई, जल संसाधन विभाग के साथ नर्मदा घाटी विकास विभाग के बीच में समन्वय नहीं होने के कारण यह पानी नहीं छोड़ा जा रहा है. मंत्री जी मैं आपसे आग्रह करूंगा कि यह पानी देवास से उज्जैन आयेगा तो महिदपुर की जनता को भी यह पानी प्राप्त होगा. यही मेरा कहना है.
श्री देवेन्द्र वर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मां नर्मदा से जुड़ा विषय है मंत्री जी से अनुरोध है कि जैसा ओंकारेश्वर में डेम बनने के कारण नर्मदा की अविरल धारा पूरी तरह रूक सी गई है. इस बीच में पूर्णिमा और अमावस्या पर लाखो तीर्थयात्री उस तीर्थस्थान पर स्नान करने पहुंचते हैं. मंत्री जी से अनुरोध है कि जैसा ओंकारेश्वर में खेड़ाघाट है जहां तीर्थयात्री आते हैं वहां पर 4 फिट-5 फिट के इस प्रकार के बैराज बनाये जिससे वहां जल का प्रवाह हमेशा बना रहे.
श्री लाल सिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, देवेन्द्र जी को सलाह है कि मेरे विभाग की मांगों पर चर्चा हो, उस पर बात करेंगे तब तक हम विभागीय अधिकारियों से चर्चा भी कर लेंगे. माननीय मोहन यादव और श्री बहादुर सिंह जी द्वारा जो बातें कही गई हैं .देवास से मांग के अनुसार पानी छोड़ा जा रहा है, पेयजल स्नान के लिये हमारे पास पर्याप्त पानी है. मैंने इस संबंध में प्रमुख सचिव, नगरीय प्रशासन से भी बात की है कि वे वहां से पानी छुड़वाने की व्यवस्था करें. मोहन जी वह पानी छूट जायेगा. जनहित में जो भी अच्छा कदम है सरकार उसी के लिये बैठी है, शिवराज सिंह जी की सरकार जनहित के काम के लिये जानी भी जाती है. जनहित में यह निर्णय होगा.
डॉ.मोहन यादव- अध्यक्ष जी, आपको और मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री शंकरलाल तिवारी(सतना)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कोई सवाल नहीं कर रहा हूं. एक विषय है उसको यहां पर उठा रहा हूं. आपका आशीर्वाद, मुख्यमंत्रीजी का आशीर्वाद, स्वास्थ्य मंत्री जी का आशीर्वाद और मेरे मंत्री राजेन्द्र शुक्ल जी और नरोत्तम जी इन सबको आशीर्वाद से मेरा नंबर ध्यानाकर्षण में बोलने में जरूर नहीं है लेकिन ध्यानाकर्षण के उत्तर में यह आया है कि सतना में मेडिकल कॉलेज खोलने के लिये यह सरकार कृत संकल्पित है. मुख्यमंत्री जी की घोषणा का भी वास्ता उत्तर में दिया गया है. इसलिये मैं आपको, मुख्यमंत्री जी को, स्वास्थ्य मंत्री जी को, संसदीय कार्यमंत्री जी को, राजेन्द्र शुक्ला जी को, समूची सरकार को हृदय से धन्यवाद देता हूं कि शीघ्र ही सतना में मेडिकल कॉलेज शुरू हो और वहां पर जो बड़ी भारी कमी थी वह कमी की पूर्ति होने जा रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज ही सतना जिला अस्पताल को नेश्नल क्वालिटी इंश्योरेंस शार्टिफिकट प्राप्त करने का गौरव अकेले सतना जिले को प्राप्त हुआ है. इसके लिये भी धन्यवाद करता हूं.
खनिज साधन मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल)- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय तिवारी जी ने सारी बातें कह दी हैं. मुख्यमंत्री जी जो बातें कहते हैं वह किस तरह से पूरी की जाती हैं इसका एक उदाहरण शंकरलाल जी के ध्यानाकर्षण के जबाव में देखा है. 30 एकड़ जमीन जो कि मेडिकल कॉलेज के लिये आरक्षित की गई थी सतना में , इसकी मांग श्री तिवारी जी और वहां के अन्य जनप्रतिनिधियों ने मजबूती के साथ उठाई थी, ध्यानाकर्षण के जबाव के माध्यम से जिस तरीके से उसकी पूर्ति की जा रही है, मैं मुख्यमंत्री जी को, चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री जी को भी अपनी ओर से बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं.
श्री यादवेन्द्र सिंह - सदन में घोषणा हो तब मानें. आप सदन में घोषणा करवायें न ऐसे ही बिना घोषणा के आप सदन में धन्यवाद दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- अब, मैं कार्यसूची के पद 3 के उप पद (3) से (9) तक सूचना देने वाले सदस्यों के नाम पुकारूंगा, संबंधित सदस्यों की सूचनायें सदन में पढ़ी हुई तथा संबंधित मंत्री द्वारा उन पर वक्तव्य पढ़े माने जायेंगे -
3. श्री आरिफ अकील
4. श्री तरूण भनोत
5. सुश्री हिना लिखाराम कावरे
6. डॉ.कैलाश जाटव
7. श्री शंकरलाल तिवारी
8. श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार
9. श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक.
1.10 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
याचिका समिति का याचिकाओं से संबंधित पचपनवां, छप्पनवां एवं सत्तावनवां प्रतिवेदन.
श्री शंकरलाल तिवारी (सतना)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं याचिका समिति की याचिकाओं से संबंधित पचपनवां, छप्पनवां एवं सत्तावनवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
1.11 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकायें प्रस्तुत की गई मानी जायेंगी.
1.12 बजे वर्ष 2018-2919 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा
अध्यक्ष महोदय-- अब वर्ष 2018-2019 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा प्रारंभ होगी.
श्री मुकेश नायक (पवई)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रिंसीपल सेकेट्री साहब यहां गप्पे लड़ा रहे हैं जरा इनको मना करिये, यह विधान सभा है, इस तरह से यहां व्यवहार न करें.
अध्यक्ष महोदय-- मोहन यादव जी कृपया अपनी सीट पर बैठे.
श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, दो लाख करोड़ से ज्यादा के आकार का बजट राज्य सरकार ने प्रस्तुत किया है और कहा गया है कि प्रदेश की जो जीडीपी है यह 8 लाख करोड़ हो गई है और सबसे मजेदार बात यह है कि वर्ष 2003 से सारे बजट की तुलना की गई है. मुझे तो यह बजट पढ़कर ऐसा लगता है कि यह जो वर्तमान सरकार का बजट है यह वर्ष 2003 के बजट को ध्यान में रखकर बनाया गया है. माननीय वित्त मंत्री जी सदन में बैठे हैं, अगर इस तरह से आप तुलना करेंगे, केन्द्र सरकार ने भी यह किया है. जीडीपी का जो आधार वर्ष 2011 था, केन्द्र सरकार ने उसका वर्ष 2014 कर दिया और उसका परिणाम यह हुआ कि जीडीपी के रेश्यो में 2 प्रतिशत का अंतर आ गया, जो नोटबंदी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री माननीय मनमोहन सिंह जी ने कहा था कि पूरा राजकोषीय घाटा पूरे देश का 2 प्रतिशत होगा, लेकिन इन्होंने आधार वर्ष 2011 की बजाय वर्ष 2014 केन्द्र में कर दिया, उससे जीडीपी 2 प्रतिशत ज्यादा रिफ्लेक्ट हो गई, यह स्टेटिक्स की लग्जरी है, यह बाजीगरी है और ऐसा एक स्वस्थ बजट के लिये, अच्छे आर्थिक प्रबंधन के लिये, अच्छे आर्थिक नियोजन के लिये इस तरह की बाजीगरी करने की कोई आवश्यकता नहीं है. अगर वित्तमंत्री जी यह कहें कि हम वर्ष 1951 और वर्ष 1952 के बजट से मध्यप्रदेश के बजट की तुलना करते हैं तो माननीय वित्तमंत्री जी आप स्वयं जानते हैं कि भारत का वर्ष 1951 और वर्ष 1952 का बजट दो सौ पैतालीस करोड़ रूपये पूरे भारत का था. आज आप मध्यप्रदेश शासन का बजट 2 लाख करोड़ से ज्यादा का आकार आपने बताया, केवल मध्यप्रदेश का बजट और आप वर्ष 2003 के बजट से तुलना करके अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. आपको मालूम है कि शिक्षा, स्वास्थ, कृषि और सिंचाई परियोजनाओं पर आप जितना बजट खर्च कर रहे हो, भारत के 19 राज्य इससे ज्यादा पैसा खर्च करते हैं. जरा दूसरे प्रदेशों का जो जीडीपी है, दूसरे प्रदेशों के जो बजट का आकार है, दूसरे राज्य, शिक्षा पर, स्वास्थ पर, सिंचाई परियोजनाओं पर जो पैसा खर्च करते हैं, उसकी जानकारी आप सदन में रखिये तो आपको पता लग जायेगा कि वर्ष 2003 के बाद दूसरे राज्यों के बजट में कितनी आर्थिक प्रगति हुई है और मध्यप्रदेश के बजट में कितनी आर्थिक प्रगति हुई है. आपने वर्ष 2003 का एक लाख करोड़ की जो जीडीपी है उसको कहा कि पिछले बजट में 8 लाख करोड़ की आपकी जीडीपी हो गई और आपको पता है जो फिजीकल डेफीसिट है माननीय वित्त मंत्री जी आपका, यह 4.4 प्रतिशत पर जा रहा है. आप इसका फिर से आंकलन कर लीजियेगा, मैं आपको जानकारी दे रहा हूं कि राजकोषीय घाटा है जो आपने 27 हजार 500 करोड़ का अपने बजट में दर्शाया है, यह 4.4 प्रतिशत पर जा रहा है. आपने वर्ष 2003 से पूरे बजट की तुलना करते हुये अपनी पीठ थपथपाई है. मैं पूछना चाहता हूं जब 8 लाख करोड़ की जीडीपी आपकी है तो जीवन के अलग-अगल क्षेत्रों में इसका प्रभाव दिखाई क्यों नहीं देता. मैं इस सरकार से यह जानना चाहता हूं कि किसी भी सरकार की नीतियों के क्रियान्वयन के लिये, उसके आर्थिक और सामाजिक विकास के लिये यह बहुत आवश्यक है कि उसके पास एक बुनियादी ढांचा हो. आज मध्यप्रदेश में तहसीलदार, पटवारी, आर.आई., शिक्षक, डॉक्टर नहीं है. मैं एक उदाहरण बताऊं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र की एक तहसील है रायपुरा वहां पर आपने श्री शर्मा जी को तहसीलदार बनाया साल भर वे तहसीलदार रहे. साल भर के बाद उसी सर्किल में उनको आर.आई. बना दिया. इस तरह के फैसले व्यक्तियों को असहज बनाते हैं, आप इसकी कल्पना करिये. हमारे विधान सभा क्षेत्र में दो अनुभाग हैं, दोनों में एस.डी.एम. नहीं हैं वहां पूर्णकालिक एस.डी.एम नहीं है. जब आपके पास में एस.डी.एम, तहसीलदार, आर.आई., पटवारी, शिक्षक, डॉक्टर नहीं है तो आप किस तरह से मैदानी स्तर पर अपनी आर्थिक एवं सामाजिक नीतियों का संदेश एवं प्रभाव लेना चाह रहे हैं, यह कैसे संभव है. मैंने एक स्कूल का विजिट किया मोहिन्दरा के पास हायर सेकेन्ड्री स्कूल का उसमें एक शिक्षक पढ़ा रहे थे. मैंने उनसे पूछा कि यह कौन सी क्लास है तो उन्होंने कहा कि यह 12 वीं क्लास है और यह साईंस की क्लास चल रही है. मैंने कहा कि इसमें पीरियड किसका चल रहा है तो उन्होंने कहा कि यह फिजिक्स का पीरियड चल रहा है. हमने पूछा कि आपकी क्वालिफिकेशन क्या है ? वह कहने लगे कि मैं पॉलिटिक्ल साईंस में एम ए हूं. हमने कहा कि आपका ग्रेज्यूएशन किसमें हुआ है, उन्होंने कहा कि हम बी.ए.पास हैं. मैंने कहा कि आपने फिजिक्स पढ़ी ही नहीं है तो आप फिजिक्स कैसे पढ़ा रहे हैं ? वह कहने लगे कि हमारे पास में टीचिंग मटेरियल आ जाता है हमसे कहा गया है कि बच्चे खाली न बैठें, इसलिये टीचिंग मटेरियल बोल-बोलकर बच्चों को लिखवाते हैं. आप क्या आठ लाख करोड़ की जी.डी.पी. बता रहे हो और अपनी पीठ खुद ही थपथपा रहे हो. इस राज्य की वास्तविक मैदानी स्थिति क्या है आप देखोगे तो आपको हैरानी होगी ? आपके चार हजार स्कूल मध्यप्रदेश में ऐसे हैं जिसमें एक भी शिक्षक नहीं है, आपके 18 हजार स्कूल ऐसे हैं जिसमें केवल एक शिक्षक है. मैं अपने विधान सभा क्षेत्र में पौड़ी गया वहां पर मैंने पूछा कि भईया स्कूल क्यों बंद है ?
लोक निर्माण मंत्री (श्री रामपाल सिंह)--यह तो कल भाषण हो चुका है.
श्री मुकेश नायक--मैंने कल भाषण दिया ही नहीं. आपके विभाग पर भी अभी बोलूंगा थोड़ा आप शांतिपूर्वक बैठें.
श्री रामपाल सिंह--कल यह बात आयी थी.
श्री मुकेश नायक--आयी होगी, लेकिन मूल बजट में यह बात बोलनी पड़ेगी. आप सोचिये कि यह सरकार कितनी (XXX) है कि इतने बार बोलने के बाद भी इसमें कुछ परिवर्तन नहीं हो रहा है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--जीरो बजट के बजाय कम से कम स्कूलों को फंड तो देना शुरू किया है. जीरो बजट के कांग्रेस जैसे स्कूल तो नहीं खोले हैं. जीरो बजट के जैसे न भवन, न पैसा.
श्री शंकरलाल तिवारी--जीरो बजट देते समय (XXX) नहीं आयी.
कुंवर विजय शाह--अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने कहा है कि यह सरकार (XXX) है. यह असंसदीय शब्द है इसको कार्यवाही से निकाल दिया जाये.
अध्यक्ष महोदय--इस शब्द को कार्यवाही से निकाल दिया जाये. बहुत दिनों बाद मुकेश नायक जी ने बोला है.बहुत दिनों बाद इनको इस शब्द को निकालने का अवसर आया है.
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री मुकेश नायक--अध्यक्ष महोदय, इस सरकार ने 2 लाख करोड़ के बजट को और अपनी वास्तविक रेवेन्यू की जो प्राप्तियां हैं और इनके जो वास्तविक बजट के आंकड़े आये हैं. उसमें कुल रेवेन्यू प्राप्तियां हैं, मैं एक उदाहरण बताऊं, देश में दूसरे राज्य मध्यप्रदेश से कितने आगे चल रहे हैं, इसका आकलन यह सरकार कर सके. मध्यप्रदेश की 2016-17 की राजस्व प्राप्तियां हैं माननीय वित्तमंत्री जी, 1 लाख 26 हजार 100 करोड़ , महाराष्ट्र की 2 लाख 20 हजार, 810 करोड़ , उत्तरप्रदेश की 2 लाख 81 हजार करोड़, राजस्थान की 1 लाख 23 हजार 250 करोड़ है. आंध्रप्रदेश की 1 लाख 9 हजार 300 करोड़ है. मैंने यह स्टेस्टिटिक्स इसलिये दी क्योंकि मैं बताना चाहता हूं कि पिछले 10-15 सालों में भारत वर्ष के हर राज्य ने आर्थिक,सामाजिक,शैक्षणिक,स्वास्थ्य,कृषि और सिंचाई परियोजनाओं के क्षेत्र में कम प्रगति नहीं की है. आपसे ज्यादा प्रगति की है और 19 राज्य भारत में ऐसे हैं जो मध्यप्रदेश से इंडेक्स में ऊपर हैं. अब आप एक बात बताईये, आप कहते हैं कि मध्यप्रदेश को आपने बीमारू राज्य से ऊपर निकाल लिया. कुपोषण में भारत पूरी दुनियां में नंबर एक पर है और भारत में भी कुपोषण में मध्यप्रदेश नंबर एक पर है यानी आपका राज्य का 51 प्रतिशत बच्चा कुपोषित है, जो दुनियां में सबसे बड़ा आंकड़ा है और आप कहते हैं कि आपने अपने राज्य को बीमारू राज्य से बाहर निकाल दिया है. कैसे आपने मध्यप्रदेश को बीमारू राज्य से बाहर निकाल लिया जिसके 51 प्रतिशत बच्चे 100 में से कुपोषण के शिकार हैं जो दुनियां में सबसे ब ड़ा रेश्यो है.सबसे बड़ा दुनियां में प्रतिशत है. आप स्वास्थ्य के मामले में 15वें स्थान पर हैं. आप शिक्षा के मामले में 16 वें स्थान पर हैं,कुपोषण के मामले में पहले नंबर पर हैं. आप बलात्कार के मामले में,घरेलू हिंसा के मामले में,कामकाजी महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के मामले में पूरे भारत में नंबर एक पर हैं और आप कहते हैं कि मध्यप्रदेश को हमने बीमारू राज्य से बाहर निकाल लिया. अगर छोटी-छोटी बातों की कहानी कही जाये कि किस तरह से मध्यप्रदेश में एक गरीब राज्य में बजट का मिसयूटिलाईजेशन हुआ है. दुरुपयोग हुआ है तो आपको हैरानी होगी. अभी जितू पटवारी जी के प्रश्न के उत्तर पर इतना बड़ा विवाद विधान सभा में हो गया. कल मुख्यमंत्री जी ने राज्यपाल के अभिभाषण का उत्तर देते समय कहा कि नर्मदा यात्रा में केवल 18 करोड़ रुपये खर्च हुए. अगर राज्य के मुख्यमंत्री विधान सभा के अंदर गलत बयानी करेंगे तो दूसरे सदस्य क्या सीखेंगे. मैं आपको बताऊं,कैसे गलत बयानी की. मध्यप्रदेश विधान सभा के उप नेता माननीय बाला बच्चन जी के प्रश्न क्रमांक 978 दिनांक 20.7.2017 के जवाब में सरकार ने यह कहा विधान सभा के अंदर, कि नर्मदा की जो उनकी यात्रा रही है, हेलीकाप्टर से जो उन्होंने नर्मदा जी की परिक्रमा की इसके प्रचार-प्रसार पर 21 करोड़ 82 लाख रुपये खर्च हुए. दूसरे प्रश्न के उत्तर में गिरीश भण्डारी जी के प्रश्न क्रमांक 1093 के जवाब में सरकार ने यह कहा कि परिवहन में 18 करोड़ रुपये खर्च हुए. अब मुझे एक चीज बताईये माननीय मुख्यमंत्री जी ने नर्मदा जी की यात्रा की. जनजागृति के लिये,अच्छे पर्यावरण के लिए,नर्मदा जी के स्वच्छ जल के लिये, जो भी उनका उद्देश्य रहा हो मुझे तो समझ में नहीं आया. मुझे तो केवल एक ही बात समझ में आई कि नर्मदा किनारे जो लगभग 100 विधान सभा क्षेत्र हैं उन पर एक धार्मिक आस्थाओं का प्रभाव डालने के लिये,धर्म को राजनीति का औजार बनाने के लिये और धार्मिक आस्थाओं का दोहन करने के लिये मुख्यमंत्री जी ने यह यात्रा की और विधान सभा में सरकार ने जो उत्तर दिया कि लगभग 40 करोड़ रुपये नर्मदा यात्रा पर मुख्यमंत्री जी ने खर्च किये उसकी क्या आवश्यकता थी. मुझे एक चीज बताईये कि अनूपपुर में नर्मदा यात्रा पर 160 लाख रुपये,बालाघाट में 20 लाख,सिवनी में 25 लाख,छिन्दवाड़ा में 10 लाख,सागर में 20 लाख,रीवा में 20 लाख,हरदा में 26 लाख,अशोक नगर में 6 लाख,दतिया में 6 लाख,राजगढ़ में 12 लाख,देवास में 84 लाख,पन्ना में 10 लाख,दमोह में 9 लाख खर्च किये गये.माननीय वित्त मंत्री जी, आप तो दमोह से विधायक हैं. दमोह में कौन सी नर्मदा जी की धार निकलती है कि वहां 9 लाख रुपये नर्मदा जी की यात्रा पर खर्च करने की आवश्यकता पड़ी. इंदौर में 85 लाख रुपए, भोपाल में 74 लाख रुपए, उज्जैन में 34 लाख रुपए, सतना में 21 लाख रुपए, सीधी में 10 लाख रुपए, सिंगरौली में 20 लाख रुपए, विदिशा में 10 लाख रुपए, रायसेन में 62 लाख रुपए, गुना में 10 लाख रुपए, ग्वालियर में 18 लाख रुपए, शिवपुरी में 18 लाख रुपए, जबलपुर में 121 लाख रुपए, टीकमगढ़ में 10 लाख रुपए, छतरपुर में 13 लाख रुपए, बैतूल में 13 लाख रुपए, सीहोर में 76 लाख रुपए और होशंगाबाद में 53.23 लाख रुपए, इस तरह से गरीब जनता के पैसे का दोहन करना और इस तरह से सरकारी खजाने को लुटाकर अपने राजनीतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना, यह किसी भी अच्छे सुशासन में, अच्छे प्रशासन में, इस तरह की गतिविधियां होनी चाहिए क्या? इस सरकार की एक आदत पड़ गई है. किसान सम्मेलन हो तो सरकारी खर्चे से, नर्मदा की यात्रा हो तो सरकारी खर्चे से, मुख्यमंत्री ने 53 पंचायतें अपने निवास पर बुलाई हैं और 53 पंचायतों में लोगों को खाना सरकारी पैसे से खिलाया. टेंट सरकारी पैसे से लगाया. माइक सरकारी पैसे से लगाया और अगर उसका हिसाब हम विधान सभा में मांगे तो आपको हैरानी होगी कि इन 15 सालों में सरकार के द्वारा राजनीतिक कार्यक्रम के आयोजन के लिए कितनी विपुल धनराशि का अपव्यय किया गया, इस प्रदेश की गरीब जनता की कितनी भारी धनराशि को खर्च किया गया.
अध्यक्ष महोदय, स्कूल में पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं हैं. अस्पताल में इलाज करने के लिए डॉक्टर नहीं हैं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और यह सरकार पैसे से राजनीतिक कार्यक्रमों का आयोजन करती है. नवाचार की अगर मैं शिक्षा की बात करूं तो एक भी नवाचार उच्च शिक्षा में और स्कूल शिक्षा में इस सरकार ने इन 15 सालों में नहीं किया है. जो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का ब्लू प्रिंट बनाकर मैंने अपने मंत्रित्वकाल में दिया था मॉडल स्कूल का, केवल वह भर इन्होंने क्रियान्वित किया है, कोई नये सबजेक्ट कोई नहीं हैं. पूरी दुनिया में बॉयो-इनफर्मेटिक्स, जेनटिक साइंस, रोबोट टेक्नालॉजी और जीवन को स्पर्श करते हुए इतने विषय स्कूलों में, हायर एजुकेशन में नवाचार के रूप में इंट्रोड्यूस हुए हैं उसमें हमारा मध्यप्रदेश बिल्कुल पिछड़ गया है.
अध्यक्ष महोदय, बड़े दुख के साथ मैं यह कहना चाहता हूं कि हायर एजुकेशन का एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस हमने भोपाल में बनाया था और अपने कार्यकाल शुरू होने के 5 साल के अंदर वह कॉलेज पूरे भारत में पांचवें नम्बर पर आ गया. उसके बाद जिस तरह का कुशासन वहां पर हुआ, जिस तरह का इंटरफियरेंस वहां पर हुआ और जिस तरह के अयोग्य शिक्षक, अयोग्य प्रशासक वहां पर तैनात हुए, उसका परिणाम यह हुआ कि नम्बर ऑफ मेरिट्स पर एडमिशन की जो एक प्रथा थी, सबसे पहले वह खत्म कर दी गई. सिफारिश के आधार पर बैक डोर से ऐसे बच्चों को इंट्री दी गई जो वहां पर डिज़र्व नहीं करते थे. अच्छे बच्चों को बाहर रखा गया और परिणाम यह हुआ कि पांचवें पायदान पर आने वाला जो सेंटर ऑफ एक्सीलेंस है, जो उच्च शिक्षा का उत्कृष्ट मूलक संस्थान है आज उसका पूरे भारत के नक्शे में कहीं अपनी उत्कृष्टता को लेकर कोई नामो-निशान नहीं है. यह हालत की है.
अध्यक्ष महोदय - आप कितना समय और लेंगे?
श्री मुकेश नायक - अध्यक्ष महोदय, एक घंटा और लूंगा. क्योंकि बजट की ओपनिंग इससे कम में कहां होती है? 2 लाख करोड़ रुपए का बजट है, इतना बड़ा आकार है.
1.28 बजे अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होना
अध्यक्ष महोदय - आज भोजनावकाश में भी सदन की कार्यवाही जारी रहेगी. आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा में दोनों प्रमुख दलों के एक-एक सदस्य अपना भाषण देंगे, तदुपरांत कार्यसूची में उल्लेखित अशासकीय कार्य लिया जाएगा. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है. श्री मुकेश नायक जी से अनुरोध है कि वह 10-15 मिनट में अपना वक्तव्य समाप्त कर दें.
1.29 बजे वर्ष 2018-2019 के आय-व्ययक पर सामान्य चर्चा (क्रमश:)
श्री मुकेश नायक - अध्यक्ष महोदय, दुनिया के हर देश में एक नवाचार शिक्षा के क्षेत्र में होता है. विश्वविद्यालयों में नये सबजेक्ट इंट्रोड्यूस होते हैं, अनुसंधान की नई-नई परिभाषाएं गढ़ी जाती हैं. रिसर्च और डिवेलपमेंट के नये-नये क्षेत्र चुने जाते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश का पूरे देश में और पूरे विश्व के मानचित्र पर कोई नवाचार में अनुसंधान में कोई नाम नहीं है. एक भी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इनका संस्थान नहीं है, जो भारत के मानचित्र पर पहले बीसवें स्थान पर भी हो. एक भी स्कूल मध्यप्रदेश में ऐसा नहीं है, चाहे वह सरकारी हो या निजी क्षेत्र में हो, जिसका 20 नंबर तक भारत के मानचित्र पर कोई नाम हो. स्वास्थ्य के क्षेत्र में बजट का आकार थोड़ा बढ़ा हुआ दिखाई देता है, लेकिन इतनी बुरी हालत स्वास्थ्य के क्षेत्र की मध्यप्रदेश में है कि भारत के किसी भी राज्य में नहीं है. स्वास्थ्य मंत्री जी और वित्तमंत्री जी यहां बैठे हैं, मैं एक बात पूछना चाहता हूं कि जब भी किसी हॉस्पिटल में आपरेशन होता है तो एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट होता है. अगर वह नहीं हो तो ऑपरेशन कैसे होगा ? और सबसे ज्यादा नवजात शिशुओं का जो जन्म होता है, डिलेवरी होती है, उसमें एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है. जब आप अपने भाषण में जवाब दें तो कृपापूर्वक यह जरूर बतायें कि कितने एनेस्थीसिया स्पेशलिस्ट आपके मध्यप्रदेश में हैं ? तब आपको पता लगेगा कि मध्यप्रदेश में क्या चल रहा है. आप मुझे एक चीज बताइए कि डायग्नोसिस करने के लिये आपको एंडियोस्कॉपी, सोनोग्राफी, डिजिटल एक्सरे मशीन, पारम्परिक एक्सरे मशीन, सीटी स्केन, एमआरआई मशीन लगती है और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में सबसे ज्यादा रक्त से संबंधित बीमारियां होती हैं जैसे मलेरिया, डेंगू, हेपेटाइटिस बी, सी, ए आदि-आदि. मुझे एक चीज बताइए कि आपके किस मेडिकल कॉलेज में, किस जिला अस्पताल में पैथालॉजी है ? आपके पास पैथालॉजी नहीं हैं, डायग्नोसिस सेंटर्स नहीं हैं, आपके पास स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं हैं.
श्री बाला बच्चन -- स्वास्थ्य मंत्री जी को सुनने दें. सरकार की पढ़ाई हो रही है.
श्री मुकेश नायक -- स्वास्थ्य मंत्री जी, आप इन मंत्री जी के संगत में ज्यादा मत रहना, उनका रिकार्ड अच्छा नहीं है.
कुंवर विजय शाह -- उस समय क्या था और हमारे समय में जिला अस्पताल में क्या सुविधाएं हैं हम दोनों उस पर चिंतन कर रहे हैं.
श्री मुकेश नायक -- स्वास्थ्य मंत्री जी, आपका रिकार्ड अच्छा है. इनके बगल में आप ज्यादा चिपक के मत बैठना आपका रिकार्ड भी बिगड़ जाएगा.
1.32 बजे { उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए }
उपाध्यक्ष महोदय, बहुत गंभीर बात विधानसभा में चल रही है जो जनोपयोगी, जीवन को स्पर्श करने वाली, रोजमर्रा के जीवन से ताल्लुक रखने वाली है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि जब उनका जवाब आये तब कृपा करके यह बताएं कि कितने जिला अस्पताल में पैथालॉजी है ? आपके किस जिला अस्पताल में थायराइड की रिपोर्ट आती है ? मलेरिया की जांच आप करते हैं, उसकी पैथालॉजी आपके पास है, लेकिन जो बीमारियां जीवन को खतरे में डालती हैं उससे संबंधित कोई रिपोर्टिंग आपके हॉस्पिटल में नहीं होती है. आप कल्पना कर सकते हैं कि भोपाल के मेडिकल कॉलेज में सीटी स्केन और एमआरआई नहीं होती है. आप कल्पना कर सकते हैं कि सागर के मेडिकल कॉलेज में सीटी स्केन, एमआरआई और एंडियोस्कॉपी नहीं होती है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय -- उपाध्यक्ष महोदय, मुझे ऐसा लगता है कि कोरम का अभाव है.
श्री राम निवास रावत -- अगर कोरम का अभाव है तो इस सरकार की मंशा, दशा और दिशा पता चलती है सरकार क्या करना चाहती है ? सरकार को बजट चाहिये कि नहीं चाहिये ?
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, ऐसा तो पहली बार देखा है कि जहां व्यक्ति को खुद ही बोलना पड़े और खुद ही सुनना पड़े.
उपाध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित की जाती है.
(1.35 बजे सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित)
1.40 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
उपाध्यक्ष महोदय -- मुकेश जी, अपना भाषण जारी रखें.
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, कोरम पूरा नहीं हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदय -- हो गया है. पहले मैंने गिनती की थी, अभी भी मैं गिनती कर रहा हूं. वह काम आप मुझ पर छोड़ दीजिये.
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य मंत्री जी भी चले गये, उनके विभाग की बात चल रह थी.
उपाध्यक्ष महोदय -- वे आ रहे हैं.
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं बात कर रहा था मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाओं के संदर्भ में. मैं यह कह रहा था कि जिस राज्य में अस्पतालों में डायग्नोस्टिक सेंटर नहीं हो, पैथालॉजी नहीं हो, विषय विशेषज्ञ नहीं हो, सर्जन नहीं हो, एनेसथीसिया स्पेशलिस्ट नहीं हो. तो उस राज्य की चिकित्सा सुविधाओं का आप सहज रुप में ही अंदाज लगा सकते हैं. मध्यप्रदेश में डायलसिस मशीन लगाने का निर्णय राज्य सरकार ने लिया कि जिला स्तर पर डायलसिस मशीन लगाई जायेंगी. किसी भी जिला अस्पताल में अगर एक्सेप्शनल छोड़ दें आप एक दो..
श्री शंकरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, सभी जिला अस्पतालों में डायलसिस मशीन चल रही हैं. मेरे यहां 5 मशीन चल रही हैं, उपाध्यक्ष महोदय, आप स्वयं साक्षी हैं.
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह नहीं कह रहा हूं. आप बात तो सुन लें.
उपाध्यक्ष महोदय -- शंकरलाल जी, क्यों आप बीच बीच में ऐसा बोल देते हैं. आपका जब अवसर आये बोलने के लिये, तब बोलिये.
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा हूं कि जिलों में डायलसिस मशीन चल रही हैं और तिवारी जी, जहां डायलसिस मशीन चलती है, वहां आपको यह पता होना चाहिये कि नेफरालॉजिस्ट जरुरी होता है. नेफरालॉजिस्ट होता है किडनी रोग विशेषज्ञ और बिना किडनी रोग विशेषज्ञ के ..
(श्री शंकरलाल तिवारी, सदस्य के बैठे बैठे कुछ बोलने पर)
उपाध्यक्ष महोदय -- शंकरलाल जी, यह गलत बात है. बैठे बैठे बात नहीं. मुकेश जी, एक नई बीमारी आ गई है सदन के अंदर, वह तिवारी वाली बीमारी. एक नया रोग आ गया है.
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, डायलसिस मशीन जहां होती है, वहां कभी भी जिसकी डायलसिस होती है, उसको अचानक सबसे ज्यादा कार्डिएक अरेस्ट वहीं पर होता है और वहां पर नेफरोलॉजिस्ट हो. अगर नेफरोलॉजिस्ट नहीं है तो कम से कम एक एमडी स्तर का डॉक्टर होना चाहिये डायलसिस के समय, जब मरीज को अगर कोई परेशानी आये, उसको ठण्ड लगने लगे, कोई दूसरी असुविधा हो जाये, तो एटलीस्ट वह एमडी डॉक्टर उसको वहां बैलेंस कर सके, हेंडिल कर सके और उस आपातकालीन स्थिति से रोगी को बाहर निकाल सके. तिवारी जी, मैं यह कह रहा हूं. आपने एक केवल टेक्नीशियन के बल पर डायलसिस मशीन्स लगा दीं और जब कभी आपातकालीन स्थिति आती है, तो एमबीबीएस स्तर का भी डॉक्टर वहां पर नहीं होता है, जिसके कारण मध्यप्रदेश में बहुत भारी दुर्घटनाएं हो रही हैं. दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि सबसे ज्यादा पूरे मध्यप्रदेश में मृत्यु होती है हार्ट अटेक के कारण. आप बताइये कि मध्यप्रदेश में कितने जिला अस्पताल हैं, जिसमें डीएम कोर्डियॉलॉजिस्ट है. अभी एक सम्मानित विधायक महोदया ने यह प्रश्न पूछा था कि हमारे बालाघाट के जिला अस्पताल में ईको मशीन लगा दी जाये. तो मंत्री जी ने ठीक ही कहा कि ईको मशीन इसलिये नहीं लगा सकते कि जब तक डीएम कोर्डियॉलॉजिस्ट नहीं होगा, तब तक हार्ट का जो इरेक्शन लेविल है, उसमें जो रक्त का प्रवाह है, उसके जाने के स्तर का मापदण्ड नहीं तय किया जा सकता, इसलिये वह मशीन नहीं लगाई जा सकती. लेकिन मध्यप्रदेश में 15 साल का शासन हो जाने के बावजूद भी आप जिलों में, जबकि सबसे ज्यादा हार्ट से मरीज मरते हैं, उसके बावजूद भी आप हृदय रोग विशेषज्ञ और हृदय रोग की सुविधाएं ग्रास रुट लेवल पर, जिला स्तर पर नहीं ले जा पाये. यह कितना दुर्भाग्यजनक है. जब आदमी मर जायेगा तो वह आपके 8 लाख करोड़ की जीडीपी का करेगा क्या. जब चिकित्सा सुविधायें नहीं होंगी..
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- उपाध्यक्ष महोदय, 1962 से लेकर 2005 तक कितने मेडिकल कालेज खोले कि डॉक्टर बन सकें. जब डॉक्टर ही नहीं बनेंगे.
श्री मुकेश नायक -- उपाध्यक्ष महोदय, जब आप बोलें, तब आप बोल लेना, आपको अवसर मिलेगा. बात हो रही है मेडिकल कालेजों की. मध्यप्रदेश में लगभग जितने मेडिकल कालेज पुराने और अभी सरकार ने खोले. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने सबको मापदण्ड के अनुरुप नहीं माना और बंद करने तक की चिट्ठी राज्य सरकार को दे दी, इन मेडिकल कालेजों को दे दी, इसलिये दे दी कि मैं जो बात कर रहा हूं, वह मापदण्ड के अनुरुप न तो इनके पास फेकल्टी है, न इनके पास इनफ्रास्ट्रक्चर है, न इनके पास पैथालॉजी है, न इनके पास डायग्नोस्टिक सेंटर है, न इनके पास विषय विशेषज्ञ डॉक्टर्स हैं. तो मापदण्ड के अनुरुप नहीं माना. अगर आपके पास नेफरालॉजिस्ट नहीं होगा, यूरोलॉजिस्ट नहीं होगा, डीएम कार्डियोलॉजिस्ट नहीं होगा, आपके पास डीएम जो स्त्री रोग विशेषज्ञ होते हैं, आपके चाइल्ड स्पेशलिस्ट होते हैं, वह नहीं होंगे, डीएम चेस्ट स्पेशलिस्ट नहीं होगा, तो आपको मापदण्ड के अनुरुप मानेगा कैसे और सबसे ज्यादा जो एलार्मिंग सिचुएशन है.सबसे ज्यादा जो जगाने वाली बात है, वह यह है कि 15 साल से मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार है और 15 साल की सरकार होने के बावजूद भी ये हमारे वर्ष 2003 के कार्यकाल से तुलना करते हैं. चाहे मेडिकल फेसिलिटी हो, चाहे सिंचाई सुविधाएं हों, चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो, चाहे कृषि का क्षेत्र हो, ये वर्ष 2003 से तुलना करने लगते हैं. मैं आपसे एक बात यह कहना चाहता हूँ कि 15 साल में आप इतना तो कर लेते कि एक जिला अस्पताल ऐसा कर लेते, जहां थाइराईड की रिपोर्ट शाम को आ जाती. मैंने एक संस्था, एक हॉस्पिटल भोपाल में बनाया और यह पहला हॉस्पिटल ऐसा बना, जिसने लीवर ट्रांसप्लांट करके बता दिया. जहां रोज किडनी ट्रांसप्लांट हो रही हैं. जहां दो घंटे में थाइराईड की रिपोर्ट मिलती है. अगर इच्छा शक्ति हो तो यह किया जा सकता है. इसको एक रुपये का अनुदान राज्य सरकार ने नहीं दिया, इसको एक रुपये का अनुदान केन्द्र सरकार ने नहीं दिया. लेकिन हमने आऊटसोर्सिंग को प्रमोट करके एक छोटे से परिसर को एक सर्वसुविधायुक्त हॉस्पिटल में कन्वर्ट कर दिया. यह पहला हॉस्पिटल बनाया जिसने लीवर ट्रांसप्लांट किया, जिसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाना पड़ा. लेकिन राज्य सरकार 15 सालों में एक हॉस्पिटल ऐसा नहीं बना पाई, जहां ये किडनी ट्रांसप्लांट करते हों, जहां ये लीवर ट्रांसप्लांट करते हों. कितने लोग मरते हैं, कितनी केजुअलिटीज़ होती हैं, कितनी परेशानियां लोगों को होती हैं, कितना पैसा लगता है, इसकी आप कल्पना कर सकते हैं. जितना पैसा आप रोगी कल्याण समिति में, जो रोग के इलाज के लिए अस्पतालों से चेक बनाकर दे रहे हैं, बहुत विपुल धनराशि जा रही है, आपने अच्छी व्यवस्था की हुई है. लेकिन इतनी ज्यादा धनराशि में तो आप अपने हॉस्पिटल्स को इतना बड़ा रूप दे सकते हैं कि मध्यप्रदेश पूरे भारत में चिकित्सा का एक उत्कृष्ट केन्द्र बन सकता है, परंतु इच्छाशक्ति की कमी है. प्रयासों की कमी है. जानकारी की कमी है और सबसे बड़ी बात यह है कि मध्यप्रदेश में जो वीआईपी कल्चर है, उसके चलते नेता और अधिकारी बड़े-बड़े अस्पतालों में इलाज करवाते हैं. इन्हें यह पता ही नहीं है कि हमारे सरकारी अस्पतालों में जहां गरीब आदमी जाकर इलाज कराता है, वहां कितनी खतरनाक स्थिति है. वहां मरीजों की क्या हालत है और जब ऐसे गंभीर विषय पर चर्चा होती है तो सम्मानित सदस्य बीच में उठकर हमें सपोर्ट करने की बजाय निराश करते हैं कि हम पता नहीं कौन सी बात कर रहे हैं जो कि जनोपयोगी नहीं है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सरकार को बने हुए 15 साल हो गए. आपकी सरकार इतना तो कर सकती थी कि मध्यप्रदेश में राशन की दुकान खुलने का कोई समय निर्धारित कर देती कि 1 से 5 तारीख तक खुलेगी, 5 से 10 तारीख तक खुलेगी, 10 से 15 तारीख तक खुलेगी. 15 सालों में आप यह तय नहीं कर पाए. महीने के आखिरी दिनों में राशन की दुकानें देहातों में खुलती हैं और गरीब आदमियों से 2 महीने के राशन पर अंगूठा लगवाकर एक महीने का राशन बांटते हैं. इन्होंने राशन में शक्कर देना बंद कर दिया. जो फूड सिक्युरिटी बिल बना था, जो भोजन के अधिकार का कानून भारत में बना था, उसकी मंशा यह थी कि अनिवार्य उपभोक्ता सामग्री इस देश के गरीब आदमियों को मिले. भारत की 67 फीसदी आबादी को इसके अंदर लिया गया था, लेकिन मध्यप्रदेश में राशन के वितरण में निकृष्ट किस्म की भ्रष्टाचारी लोग होने के कारण, नियत खराब होने के कारण, बंदरबांट के कारण आज राशन के वितरण में, पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में जो खराबी है, उससे गरीब आदमी को बहुत दु:ख और तकलीफ उठानी पड़ रही है और सरकार सुनने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है. माननीय वित्त मंत्री जी, 15 साल में यह सरकार यह तक तय नहीं कर पाई कि गांवों में गरीब कौन हैं और अमीर कौन हैं ? आप गांवों में चले जाइये, जिनके पास ट्रेक्टर हैं, जिनके पास दुकान हैं, मकान हैं, जमीन है, उनके गरीबी रेखा के कार्ड बन गए हैं, लेकिन गरीब आदमी के गरीबी रेखा के कार्ड नहीं बने हैं. जब माननीय मुख्यमंत्री जी से विधायकों ने शिकायत की कि इसमें बहुत बेईमानी हो रही है, इसमें जांच की आवश्यकता है, इसमें देख-रेख की आवश्यकता है तो पूरे राज्य में ग्रामसभाओं के आयोजन का निर्णय लिया गया. यह निर्देश गए कि वहां बड़े आदमियों के नाम काटें और गरीब आदमियों के नाम जोड़ें, लेकिन दुर्भाग्य से जब पंचायतों में ग्रामसभाएं हुईं तो उसमें जितने और गरीब आदमियों के नाम थे, उन्हें काट दिया गया और बड़े आदमियों के नाम उसमें और जोड़ दिए गए. इस तरह से यह सरकार चल रही है. इस सरकार को यह इल्म ही नहीं है, इस सरकार को यह जानकारी ही नहीं है कि पांव के नीचे से पूरी चादर खिसक चुकी है, पूरी जमीन खिसक चुकी है और इनकी सरकार, इनके मंत्री सत्ता की मद में इतने मूर्छित हैं, मदमस्त हो गए हैं कि छोटे-छोटे मसलों को लेकर मध्यप्रदेश की जनता कितनी परेशान हैं इनको इस बात की जानकारी नहीं है.
राशन डिस्ट्रीब्यूशन के लिए इन्होंने 22 हजार से ज्यादा राशन की दुकानों पर मशीनें लगायीं. एक उदाहरण देखिए. जो मशीनें इन्होंने लगायीं, उसका किराया 1200 रूपए महीने तय किया. 14000 रूपए सालाना एक मशीन का किराया तय किया. उस मशीन की कीमत बाजार में 4000 रूपए से ज्यादा नहीं है. जिस मशीन की कीमत 4000 रूपए है उसको 14000 रूपए सालाना से किराए पर लगाया और 70 फीसदी राशन की दुकानों पर जो मशीनें हैं वह आज खराब चल रही हैं और उन मशीनों का 32 करोड़ रूपए का सालाना भुगतान हो रहा है, यह भुगतान किसको हो रहा है और कौन इसके पीछे है, कौन इसे संचालित कर रहा है इसकी जॉंच होना चाहिए, यह बहुत बड़ा प्रश्न है. गरीबों से संबंधित प्रश्न है. 32 करोड़ रूपए साल का भुगतान हो रहा है और मशीनें काम नहीं कर रही हैं. आज मध्यप्रदेश की यह हालत है. आपने चूंकि 10-15 मिनट का ही कहा था इसलिए मैं केवल 1-2 मिनट और लूंगा कि किस तरह से सरकार अपनी जानकारियां विधानसभा के पटल पर रखती है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछले वर्ष के आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार यह कहती है कि एग्रीकल्चर प्रोडक्शन के मामले में यह मध्यप्रदेश पूरे भारत में सबसे अव्वल स्तर पर है. 40 लाख हेक्टेयर में इसने सिंचाई कर ली है. गेहूं का उत्पादन, दलहन, तिलहन के उत्पादन में यह पूरे भारत में नंबर एक पर है. इन्होंने पिछले वर्ष के आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में कहा. इस बार इसकी रिपोर्ट तो अभी आयी है और माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में कहलवाया कि प्रदेश दलहन, तिलहन, चना, मसूर, सोयाबीन लहसुन एवं टमाटर के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है. यह दावा इस वर्ष माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में दिखाई नहीं देता. क्या प्रदेश इस क्षेत्र में एक वर्ष में पिछड़ गया है. मैं आपको बताना चाहता हॅूं कि वर्ष 2014-15 के आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में यह दावा किया कि लहसुन का उत्पादन प्रदेश में 12.4 लाख मीट्रिक टन हुआ और पूरे देश में लहसुन का जो सकल उत्पादन है वह 12.9 प्रतिशत हुआ. उसमें से अकेले मध्यप्रदेश में 12.4 प्रतिशत हुआ यानि कि पूरे भारत में मध्यप्रदेश ने लहसुन का उत्पादन 99.9 परसेंट प्रोडक्शन किया. आप देखिए, यह कृषि कर्मण पुरस्कार कैसे लिए जाते हैं. दूसरी जानकारी इन्होंने आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट में दी. धना का उत्पादन मध्यप्रदेश में 6.4 लाख मीट्रिक टन हो रहा है. यह अलग बात है कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने हल और बखर नहीं चलाया लेकिन पूरे भारत में उत्पादन सबसे ज्यादा कर लिया. इन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की सरकार ने धना 6.4 लाख मीट्रिक टन पैदा किया और धने के उत्पादन में पूरे भारत का जो आंकड़ा आया वह 3.444 लाख तक है. पता नहीं इन्होंने चाईना में धना की खेती कर ली या बांग्लादेश में धना की खेती कर ली, नेपाल में धना की खेती कर ली. इस तरह के आंकड़े जब विधानसभा के पटल पर सरकार खुद रखती है तो फिर लगता है कि ये ईमानदारी से काम नहीं कर रहे हैं सही आंकडे़ नहीं रख रहे हैं, सच नहीं बोल रहे हैं, सत्य कथन नहीं कर रहे हैं और यही बाजीगरी इनकी चलती रहती है. जब एग्रीकल्चर प्रोडक्शन का पॉवर प्रजेंटेशन होता है तो पॉवर प्रजेंटेशन में एग्रीकल्चर प्रोडक्शन के डिफरेंट आंकड़े रखे जाते हैं और जब दिल्ली सरकार में पुरस्कार लेने के लिए आंकड़े भेजे जाते हैं तो उसमें एक डिफरेंट आंकड़े रखे जाते हैं, इस राज्य में यह चल रहा है. चूंकि न कोई सुनने के लिए तैयार है न कोई बोलने लायक वातावरण है. इसलिए माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी निराशा के साथ इस बजट को देखता हॅूं और मुझे लगता है कि जो आर्थिक प्रगति है उसका सामान्य जीवन पर असर दिखाई देना चाहिए. तो इस बजट का और पिछले 15 सालों के जो बजट इस सरकार ने लागू किये हैं, हमारे कपड़ों पर, हमारे भोजन पर, हमारे रहन-सहन पर, हमारे यातायात पर और जीवन की भिन्न-भिन्न क्रियाओं पर एवं उठते हुए जीवन स्तर पर इस बजट का और आर्थिक प्रगति का कोई प्रभाव दिखाई नहीं देता है इसलिए यह बजट निराशाजनक है और केवल खोखला है. धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा(जावद)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने भाषण में बजट की इस पूरी प्रक्रिया की शुरुआत वास्तव में वर्ष 2004 से ही करना चाहूंगा. वर्ष 2004 में क्या स्थिति थी? क्योंकि कहीं-ना-कहीं, कोई-ना-कोई प्वाइंट शुरु का लेना पड़ता है, जहाँ से हम अपनी तरक्की का आंकलन और तुलनात्मक अध्ययन के बेसिस पर किस दिशा में जा रहे हैं उसको तय करना होता है.वर्ष 2004 में जब पहली बार मैं विधान सभा में बिजली के बारे में चर्चा कर रहा था तब यह आंकड़ा आया था कि मध्यप्रदेश में सालाना बिजली की खपत में प्वाइंट 6 परसेंट की तरक्की और बढ़ोत्तरी की जरूरत है तो मैंने उसी समय पर आपत्ति लगाई थी कि राष्ट्रीय स्तर उस समय 8 प्रतिशत सालाना बिजली की बढ़ोत्तरी का होता था. वहाँ से जो यात्रा शुरु हुई उसको लेकर आज तक की स्थिति की चर्चा मैं करना चाहूंगा अगर बिजली नहीं होती, इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं बनता, सुविधायें नहीं आती तो यह तरक्की आती कहाँ से? अभी चर्चा हो रही थी किसान के बारे में कि खेती में क्या स्थिति है. खेती की स्थिति के आंकलन के बारे में जब मैं सोचता हूँ तो उस समय जो आमदनी थी उसकी तुलना करता हूँ तो खेती में पहले किसान खलिहान से फसल उठाये उसके पहले उसके तीन-चार हिस्सेदार आ जाते थे, किसी ने डीजल उसको फायनेंस किया था, वह अपना हिस्सा लेने आता है, खाद-बीज वाला अपना हिस्सा लेने आता था. ब्याज और मजदूरी के पैसे भी किसान के पास नहीं होते थे.आज अंतर आया है और बहुत तेजी से आया है कि किसान को जीरो प्रतिशत ब्याज पर पैसा मिला, भरपूर बिजली मिली, रात को उसे खेत पर जाने की जरूरत नहीं पड़ी तो उसके बच्चे भी शिक्षित होने लगे और शिक्षा का स्तर बढ़ने से आंकलन में और बढ़ोत्तरी हुई है. प्रोडक्शन की बात करें तो पहले माल बहुत कम होता था और उसके कारण खपत बहुत ज्यादा थी और बाहर से ज्यादा माल आता था आज मध्यप्रदेश हर चीज में सरप्लस है. शायद कई मित्रों को पता ना हो उद्यानिकी विभाग ने एक पोर्टल बनाया जिसमें हर जिले में उद्यानिकी की कौन-कौन सी फसल, किस जिले में कितनी हो रही है, बुवाई हुई है या नहीं और अगले पांच साल उसका ट्रेक क्या होगा, उसका आंकलन भी उसमें दिया है ताकि आप तय कर सको कि आपको कौनसी फसल की बुवाई उद्यानिकी में करनी चाहिए. मैं यहाँ पर थोड़ी-सी हटकर कृषि पर कुछ बातें करना चाहता हूं. कृषि को अभी तक हमने केवल कृषि की निगाह से देखा. कृषि में प्लानिंग किसान ने ना बराबर की है क्योंकि हमने उसके बारे में उसको ज्ञान ही नहीं दिया.कृषि की प्लानिंग कैसे करनी चाहिए उसके बाद उसके प्रोडक्शन के साथ-साथ मैनेजमेंट उसमें क्या होना चाहिए उसमें टेक्नालॉजी का क्या आप इनपुट डाल सकते हो, उसमें फाइनेंस की क्या रिकवायरमेंट आएगी और मार्केटिंग कैसे करेंगे.यह जो खेती के 6 अंग हैं उसमें से हमारे यहाँ का सामान्य किसान दो या तीन से ज्यादा पर सोच नहीं पाता है. अच्छा हुआ कि वह दो चीजों पर एक जगह आकर पिट गया और त्राहि मच गई, पहली बार पूरे भारत में इसके बारे में भावांतर योजना बनी. मिनिमम सपोर्ट प्राईस तय हुई और उस भावान्तर के कारण वह कुछ न कुछ तो करने की स्थिति में आया. मुझे यह बताते हुए बड़ी खुशी होती है कि मध्यप्रदेश में ऐसे भी किसान हैं जो दस लाख रुपये प्रति एकड़, सामान्य खेत से भी कमा सकते हैं और मेरे ही क्षेत्र में मैंने देखे हैं और मैं कल इस विषय को लेकर दो सौ किसानों की ट्रेनिंग करवा रहा हूँ और मेरे विधान सभा के हर गाँव में एक किसान को खड़ा करने का प्रयास कर रहा हूँ.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ओम जी ने अपने ही खेत पर नेट हाउस लगाया है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- और वह केवल नेट हाउस ही नहीं, उसके साथ...
श्री मुकेश नायक-- अफीम की खेती करते हैं....
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- अफीम के अलावा, अफीम की तो न हमने कभी की और अफीम वाले से भी दोगुनी ज्यादा की आमदनी की बात.....
श्री दिलीप सिंह परिहार-- अफीम की तो मुख्यमंत्री जी ने राहत दे दी, डोडे चूरे की, बहुत धन्यवाद की बात है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, खीरा ककड़ी भी पैदा करते हैं.
डॉ मोहन यादव-- अफीम की करते हैं तो वह उनकी क्रॉप है. गलत कुछ नहीं है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- मैं बहुत गंभीरता से और पूरे तथ्यों के साथ बात कर रहा हूँ कि खेती को बहुत सामान्य वे से लेकर हम लोग किसानों को उस स्तर तक की ट्रेनिंग नहीं दे पा रहे हैं, जितने की जरुरत है और उतनी ट्रेनिंग अगर दें और उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपको सिर्फ एक या दो फसल का आँकड़ा बताता हूँ. मेरे फॉर्म पर एक एकड़ के, तीन, एक एक एकड़ के नेट हाउस लगाए हैं. एक एकड़ में हमने 13,500 प्लांट खीरा-ककड़ी के लगाए. एक प्लांट से औसत 5 किलो ककड़ी निकलती है और कितनी ककड़ी का प्रोडक्शन हो गया, 70,000 किलो. 70 टन, 20 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेची, 14 रुपये का यह 4 महीने का आउटपुट का रेश्यो है. गर्मी में इसका रेट और ज्यादा है, साल में तीन फसल बड़ी आसानी से मिल जाती है. लेकिन उसके लिए क्या व्यवस्था, कैसे उसका मैनेजमेंट, कितनी उसकी मार्केटिंग की प्लानिंग, यह सब साथ में ही करना पड़ता है और यह तथ्य पूरे ऑन रिकार्ड हैं और यह एक नहीं, ऐसी मैंने 8 अलग अलग फसलों पर एक्सरसाइज की है. उपाध्यक्ष महोदय, आज हम यहाँ पर बजट के बारे में बात कर रहे हैं. मैं बहुत गंभीरता से कह रहा हूँ और अगर आप चाहें तो आप सब भी आमंत्रित हैं तो इन तथ्यों पर बात करें और इन तथ्यों को कहीं से भी व्हैरीफाय करें....(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदय-- ओम जी, आप अपना भाषण जारी रखें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं बात कर रहा था कि कृषि में कहीं न कहीं हमें पूरे पाँचों एंगल को ध्यान में रखने की जरुरत है. भावान्तर योजना की पूरे भारत में कई जगह उसकी कॉपी हो रही है. उस बात पर हमें गर्व होना चाहिए कि एक प्रदेश का मुख्यमंत्री किसान के बारे में यहाँ तक सोचता है कि जीरो प्रतिशत ब्याज पर पैसा मिला. उसकी फसल का उचित दाम मिला. लेकिन कहीं न कहीं हम सब जनप्रतिनिधियों को इन विषयों पर सोचना चाहिए कि सामान्य किसान को कैसे आगे बढ़ाया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह बात भी कहना चाहता हूँ कि मेडिकल पर अभी बहुत चर्चा हुई. स्वास्थ्य सेवाओं में डॉक्टर्स की कमी को लेकर चर्चा हुई. वास्तव में डॉक्टर्स की बहुत कमी है. लेकिन माननीय पूर्व वक्ता जी, एक डॉक्टर, डीएम बनने तक उसे कितने साल लगते हैं? अभी माननीय मुकेश जी बता रहे थे, कितने वर्ष लगते हैं साहब, 12 वीं के बाद, 6 साल तो एमबीबीएस में लगेंगे, 2 साल हाउस जॉब, उसके बाद पोस्ट ग्रेजुएट, एमडी, फिर डीएम, 10 साल से पहले और 10 साल भी तब जब सभी सीटें एक ही साथ लगातार मिल जाएं. पी.जी. के लिए फिर डी.एम. के लिए बहुत व्यावहारिकता में, अगर 10 से 12 साल बाद डॉक्टर बनता है तो कीजिए वर्ष 2004 की क्षमताओं का आंकलन, डॉक्टर कहां से लाएंगे. ? कोई ऐसी दवाई हो तो बता दें. आप तो बहुत अच्छे आध्यात्मिक भाषण भी करते हैं. आप ऐसा कोई तरीका बता दें कि जिसको वह घूटी पिला दें तो वह डॉक्टर बन जाए और उसको अपाइंट कर दें.
श्री बाला बच्चन--सरकार से कहलवा दो तो हम वह तरीका बता देंगे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--आप बताइए न पूरे भारत में ऐसा कौन-सा तरीका है? आपने 30 साल तक एक मेडिकल कॉलेज नहीं खुलने दिया.
कुंवर सौरभ सिंह सिसोदिया--व्यापमं है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--आप जिस तरह से स्वास्थ्य सेवाओं की चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं, आपकी गंभीरता आपके क्षेत्र के लोग देखेंगे और आपको उसका उत्तर देंगे. आप गलतफहमी में न रहें.
उपाध्यक्ष महोदय--आप खेती की जमीन का 10 लाख रुपए एकड़ का कह रहे हैं तो क्या आप अपनी ही जमीन पर खेती करते हैं या दूसरो की जमीन लीज पर भी लेते हैं?
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--जी लेते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--हम लोगों की जमीन लीज पर लेंगे क्या ?
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--नहीं वह बहुत दूर है. (हंसी)
श्री दिलीप सिंह परिहार--उपाध्यक्ष महोदय, आप तो हमारे लिए रिकमंड कर दें, नीमच वालों की जमीन ले लेंगे. (हंसी)
श्री रामनिवास रावत--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं जो कहना चाहता था वह आपने कह दिया है. यहीं एग्रीमेंट किए देता हूँ. (हंसी)
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करुंगा, आपसे व्यक्तिगत रुप से आग्रह करता हूँ कि आप आइए.
उपाध्यक्ष महोदय--सुनने दीजिए.
श्री मुकेश नायक--This one, one of the expert comment. (हंसी)
श्री ओमप्रकाश सखलेचा--मैं आपसे आग्रह करुंगा कि आप आएं, देखें और उसके री-प्रोडक्शन की बात करें. हम सब किसानों के बारे में चिंतित हैं. आप भी उतने ही चिंतित हैं जितने हम हैं. हर व्यक्ति की आमदनी बढ़ाने का प्रयास करने के लिए हम लोग यहाँ आए हैं. हमें जनता ने अपने बड़े भाई के रुप में यहां भेजा है. अपने प्रतिनिधित्व के रुप में भेजा है. हमें अपने दायित्व निभाने के समय हंसी-मजाक के बजाए उस पर गंभीरता से चर्चा करना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं स्वास्थ्य सेवा के मामले में बात कर रहा था. कम से कम 10 साल डॉक्टर बनने में लगते हैं और एक मेडिकल कॉलेज को खड़ा करने में कम से कम 3 से 4 साल लगते हैं. हम स्वास्थ्य सेवाओं में जितनी भी तकलीफें झेल रहे हैं उसका कारण पुरानी सरकारों की लापरवाही और उनकी कहीं-न-कहीं गंभीरता न होने के परिणाम हैं. मैं बड़ी गंभीरता से यह बात कहना चाहता हूँ कि आज 7 नये मेडिकल कॉलेज हमारे मुख्यमंत्री माननीय शिवराज जी ने विशेष रुप से खोले हैं ताकि कम से कम अगले कुछ वर्षों में हमें इस समस्या में आराम मिले. मेरा एक सुझाव है कि कम से कम जब तक यह पूरे कॉलेज न चलें, क्या हम कुछ ऐसी व्यवस्था कर सकते हैं कि मध्यप्रदेश के बच्चों को 90 प्रतिशत मेडिकल कॉलेज में एडमीशन मिले. बाहर का छात्र यहां आकर डॉक्टरी पढ़ता है तो वह वापिस अपने प्रदेश में जाकर सेवाएं देता है. जितनी हमारे पास सीटें हैं उनका 50 प्रतिशत भी हम रिटेन नहीं कर पाते हैं. समस्या को गंभीरता से हमें समझना पड़ेगा. भाषणबाजी से हटकर व्यावहारिक जीवन में आकर उस पर काम करना पड़ेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं शिक्षा के बारे में भी बात करना चाहता हूँ. शिक्षा में भी पूरी दुनिया में मूलभूत परिवर्तन हो रहे हैं. कॉलेजेज में स्वयं की डिजाइन के कोर्सेस बनने लगे हैं. हमारी सरकार ने मध्यप्रदेश में पहली बार ऐसा नियम बनाया कि बेस्ट ऑफ थ्री सब्जेक्ट 12 वीं में जो लाएगा उसकी रेंकिंग उस हिसाब से होगी. क्योंकि यदि कोई खिलाड़ी है उसे केमेस्ट्री समझ में न आए या उसे मैथ्स समझ में न आए उसका रोज का कनसर्न उससे नहीं है. जो व्यक्ति जो बच्चा जिस विषय में परफेक्ट है उसे उसी दिशा में उसे उसी दिशा में आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए न कि उस पर दूसरे विषय थोपकर कि कैसे उसकी रेटिंग कम या ज्यादा की जाय ऐसी योजना नहीं होना चाहिए. हमने शिक्षा में यह परिवर्तन किया है कि कोई खेल को विषय बना रहा है, कोई इतिहास को विषय बनाना चाहता है तो उसे केमेस्ट्री की जरूरत नहीं है. उसे किसी भी तीन विषय में से उसकी जिस विषय में सबसे ज्यादा परफार्मेंस है उस विषय में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए. मैंने अपने क्षेत्र में एक प्रयोग किया है. मेरे क्षेत्र में 23 हायर सेकेण्डरी स्कूल हैं और 20 हाईस्कूल हैं कुल मिलाकर 43 सरकारी हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल हैं. 43 के 43 स्कूलों को हमने डिजिटलाइज्ड कर दिया है. यह हमें पता है कि शिक्षकों की कमी है लेकिन डिजिटल बोर्ड के माध्यम से 1 शिक्षक 4 शिक्षक जितना काम कर रहा है और वहां मुझे यह देखकर बड़ा ताज्जुब हुआ कि कई स्कूलों में बच्चे यू-ट्यूब से अलग-अलग अपने अध्याय को लाते हैं और वह अपने सामने डाउनलोड करके खुद एक दूसरे से इंटरेक्शन करते हैं. मुझे यह बात बताते हुए बड़ा गर्व है कि जब हम कोई बात देखते और सुनते हैं तो 15 से 20 प्रतिशत रिटेंशन माइंड में सुनने पर होता है और देखने और सुनने पर 60 से 70 प्रतिशत हो जाता है. उतने ही कम समय में बच्चा उसको 3 से 4 गुना ऑब्जर्व करके एक राउंड में उसकी कान्सेप्ट क्ल्यिरटी आ जाती है. उसका रिजल्ट हमें परीक्षा के अंत में दिखेगा. जब केन्द्रीय मंत्री माननीय प्रकाश जावड़ेकर जी आए थे, पूरे स्कूलों को विजिट करने के बाद जब यह रिपोर्ट दिल्ली में गई दिल्ली में भी इस विषय पर गंभीर मंथन के बाद इसी बजट में प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की है कि अगले 5 वर्षों से सभी स्कूलों को डिजिटलाइज्ड करेंगे क्योंकि ''टेक्नालॉजी इन एज्यूकेशन इज ए कम्पलशन'' क्योंकि हमें अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बच्चे हमारे प्रदेश से निकालने हैं. हमें उस स्तर की बात करनी पड़ेगी हम कहां किन विषयों पर बात कर रहे हैं. मुझे यह कहते हुए गर्व के साथ खुशी भी है कि हमारे क्षेत्र के आदिवासी बेल्ट के नौंवीं, दसवीं के बच्चे अंग्रेजी में बात करना शुरू कर देते हैं. मात्र आठ महीने में यह अंतर आया है, क्योंकि हम खुद भी ऑब्जर्व करते हैं कि जब छोटा सा बच्चा पिक्चर देखकर आता है तो वह हर चीज को ऑब्जर्व करता है. ऐसा हमने डिजिटल शिक्षा में परिवर्तन किया है और उसका रिफ्लेक्शन आया है. कहीं न कहीं मध्यप्रदेश का यह अभिनव प्रयोग जिसको पूरा देश ऑब्जर्व कर रहा है उसके लिए मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय वित्त मंत्री जी, शिक्षा मंत्री जी सबका मैं बहुत-बहुत अभिनंदन और आभार मानता हूं कि यह करने का मौका दिया.
श्री मुकेश नायक-- उपाध्यक्ष महोदय, आदिवासी क्षेत्रों में तो सरकारी स्कूलों में हमने ज्यादातर यह देखा है कि लोग अपना भूसा रख देते हैं. वहां बकरी, गाय, बैल बांधते हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- माननीय विधायक जी, बहुत अच्छा, आपके क्षेत्र में आप क्या परमिट करते हैं वह आप जानते हैं. मैं उसके बारे में कोई कमेंट नहीं देना चाहता हूं. मैं उपने क्षेत्र की बात कर रहा हूं और खुले चेलेंज के रूप में कह रहा हूं.
ऊर्जा मंत्री (श्री पारस चन्द्र जैन)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह जो बात कह रहे हैं, मैं वहां देखकर आया हूं वास्तव में पूरे 43 स्कूलों में इन्होंने यह व्यवस्था की है.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपकी बात नोटराइज्ड हो गई.
श्री बाला बच्चन-- उपाध्यक्ष महोदय, हमारे ट्रायबल एरिए का भी आप दौरा कर लीजिए. शिक्षा से संबंधित सरकार का पूरा आईना सामने आ जाएगा. माननीय नायक जी ने जो अभी बोला, मैंने 17 स्कूलों के नाम दर्ज कराए थे, विधान सभा में प्रश्न लगाया था, जिसमें मुर्गा-मुर्गी, बकरा-बकरी गाय, भैंस को लोग स्कूलों में बांधते हैं. 3 साल से स्कूल नहीं खुले हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अपने क्षेत्र की जिम्मेदारी हर विधायक ने अपनी मर्जी से अपने होशो-हवास में ली है. हर व्यक्ति अपने क्षेत्र में अभिनव प्रयोग करने की क्षमता रखता है. हर एक की रूचि के विषय अलग हो सकते हैं. किसकी रूचि के क्या विषय हैं मैं आज उसके बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं. कौन गिलास को आधा पानी से भरा हुआ और कौन गिलास को आधा खाली मानता है, कौन इसे सकारात्मक लेना चाहता है, कौन हर चीज में कमी निकालकर अपने विषय को दूसरे के माथे पर थोपकर एैश करने में अपना जीवन बिताना चाहता है. मैं इसके बारे में कोई टिप्पणी नहीं देना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं थोड़ा सा सिंचाई पर बोलना चाहता हूं कि मुझे इस बात का गर्व है और यह कहते हुए मुझे खुशी भी है कि जिस नर्मदा के पानी का बंटवारा सन् 1979 में हुआ था. उस पानी के 7 प्रतिशत से ज्यादा का उपयोग 30 साल तक किसी सरकार ने नहीं किया. वर्ष 2005 के बाद उसके बारे में चर्चा प्रारंभ हुई. ये लोग किसानों की बात करते हैं, यहां आरोप लगाते हैं. इतने सालों तक उस पानी के उपयोग के बारे में किसने चिंता की ? एक बूंद अतिरिक्त पानी की सेविंग उन्होंने नहीं की और पूरा का पूरा पानी बहकर दूसरे राज्यों में गया. यह तो हमारे मुख्यमंत्री एवं सिंचाई मंत्री जी का योगदान है कि आज हमने 40 लाख हेक्टेयर सिंचित रकबा किया है तो उसमें 60-70 प्रतिशत केवल नर्मदा के पानी का योगदान है. किसने सोचा था कि किसी गांव में कभी 24 घंटे घरों में नलों के माध्यम से पेयजल मिल सकता है, किसने कभी पानी के ग्रिड की परिकल्पना की, किसने कभी उस ग्रिड के माध्यम से हर गांव के घर में पीने का स्वच्छ-साफ पानी पहुंचाने की सोची ? इसी विधान सभा में जब यह बात चर्चा में आई थी तब मैंने कहा था कि पेयजल के पानी की टेस्टिंग की व्यवस्था Sources के बजाय Delivery Point पर होनी चाहिए. यदि इस बारे में किसी ने चिंता की है तो केवल हमारी सरकार ने की है.
उपाध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा- उपाध्यक्ष महोदय, जैसा आप आदेश करें. मैं केवल यह जानना चाहता हूं कि आज आपको जल्दी करना है तो क्या यह संभव है कि मुझे सोमवार को 5-7 मिनट मिल सकें ? मैं कुछ और विषय गंभीरता के साथ सदन में रखना चाहता हूं. मैं कोई भी विषय दोबारा नहीं रखूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय- आप तीन मिनट और ले लें, परंतु अपना भाषण आज ही समाप्त करें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा- नहीं, मैं आपकी ही बात को मान लेता हूं और अपनी बात को यहीं विराम देता हूं. मैं पुन: आपका धन्यवाद करता हूं.
2.18 बजे
अध्यक्षीय घोषणा
कार्यसूची में प्रथम दो संकल्पों के साथ रेल्वे संबंधी-4 अशासकीय संकल्पों को एकजाई कर सम्मिलित किया जाना
उपाध्यक्ष महोदय- विधान सभा नियमावली के नियम-27 (4) के अनुसार एक दिन की बैठक हेतु 5 से अनधिक अशासकीय संकल्प कार्य सूची में सम्मिलित किये जाने का उल्लेख है परंतु विषयों की एकरूपता को देखते हुए सदन की अनुमति की प्रत्याशा में आज की कार्य सूची में प्रथम दो संकल्पों के साथ रेल्वे संबंधी-4 अशासकीय संकल्पों को एकजाई कर सम्मिलित किया गया है.
मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
2.19 बजे
अशासकीय संकल्प.
प्रदेश के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के स्थायी जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाना
उपाध्यक्ष महोदय- श्री रामनिवास रावत अपना अशासकीय संकल्प प्रस्तुत करें.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि ''यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि प्रदेश के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के स्थायी जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाए.''
उपाध्यक्ष महोदय- संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री रामनिवास रावत- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया का सरलीकरण करने के संबंध में इस सरकार ने जितने भी जन-संकल्प बनाये, जितनी भी घोषणायें की, जितने भी चुनावों के घोषणा-पत्रों में इन्होंने वायदे किए हैं लेकिन आज तक हम इसका सरलीकरण नहीं कर पाये हैं. इसका परिणाम हमारे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को कई जगह भुगतना पड़ता है. उन्हें प्रमाण-पत्र बनाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और प्रमाण-पत्र नहीं बन पाते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया में आधार महामहिम राष्ट्रपति जी द्वारा संविधान के अनुच्छेद 341-42 के तहत अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति की सूची दिनांक 06 सितंबर 1950 को जो अधिसूचित की थी, उसे आधार वर्ष माना गया है और उसी के आधार वर्ष के आधार पर मध्प्रदेश राज्य शासन ने एक सर्क्युलर जारी किया है, उसके आधार पर मध्यप्रदेश राज्य में प्रमाण-पत्र बनाये जाते हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 1.8.1996 में जो मध्यप्रदेश शासन द्वारा निर्देश जारी किये गये हैं, एससीएसटी के प्रमाण-पत्र बनाने में. यह बड़ी विडम्बना है कि हमारे देश में, प्रदेश में गरीबी की संख्या भी काफी है. हमारे देश में जो 1950 की स्थिति में राज्य का निवासी होना आवश्यक रखा गया है] तब उसका जाति प्रमाण-पत्र बनेगा. 1950 की स्थिति में राज्य का होना आवश्ययक है, यह सिद्ध करने के लिये, उसके पास चल-अचल सम्पत्ति का कोई न कोई प्रमाण-पत्र होना चाहिये, वह उसे प्रस्तुत करे, तब जाकर उसका प्रमाण-पत्र बन पाता है.
उपाध्यक्ष महोदय, आप और हम भी जानते हैं, आपके क्षेत्र में भी होंगे और प्रदेश के कई विधान सभा क्षेत्रों में ऐसे लोग आज भी निवास करते हैं, जिनकी पीढि़यां निकल गयीं, लेकिन उनके पास उनके नाम से चल और अचल सम्पत्ति या उनके परिवार के नाम से कहीं भी नहीं है. यह हम काफी समय से देख रहे हैं. जब मध्यप्रदेश का पुर्नगठन ही 1956 में हुआ तो आधार 1950 क्यों माना जा रहा है. जब उसके पास छत्तीसगढ़ राज्य का पुर्नगठन हो गया और वह अलग राज्य हो गया तो उसके बाद भी आधार 1950 माना गया है. हम चाहते हैं कि इस प्रक्रिया का सरलीकरण हो और प्रमाण-पत्र बनाने में कोई समस्या न हो. मेरे ही विधान सभा क्षेत्र में सामान्य प्रशासन मंत्री, वहां के प्रभारी मंत्री भी रहे थे. मेरे ही विधान सभा क्षेत्र में अलीराजपुर और झाबुआ से कम से कम दो-तीन हजार परिवार जाकर बस गये हैं. अब उनके बच्चे वहीं पढ़ते हैं, बच्चे वहीं पैदा हुए हैं, उनके बच्चों की शिक्षा वहीं हुई है, लेकिन उनके जाति प्रमाणा-पत्र नहीं बन पाये हैं, यह बड़ी विडम्बना है. अब वह अनुसूचित जनजाति के होते हुए भी, उनके बच्चों को अनुसूचित जनजाति का लाभ नहीं मिल पा रहा है, यह सबसे बड़ा दुर्भाग्य की बात है न तो उनको छात्रवृत्ति मिल रही है, न उन्हें सेवाओं में रिजर्वेशन मिल पा रहा है, सिर्फ इस कारण कि उनके द्वारा एसडीएम, तहसीलदार के यहां पर आवेदन किया जाता है तो एसडीएम लिख देता है कि आप स्थायी 1950 के मध्यप्रदेश के निवासी हो, इस तरह का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करेंगे, तभी माना जायेगा.
वह झाबुआ जाते हैं तो उनके नाम से वहां कोई सम्पत्ति नहीं है. ऐसी कोई प्रापर्टी नहीं है, जिसको वह उसे ला सके. अगर उनके पास सम्पत्ति या प्रापर्टी होती तो वह मायग्रेट ही नहीं होते, मायग्रेट होने के कारण यह स्थितियां बन रही हैं. उपाध्यक्ष महोदय, सभी लोग चिन्तित हैं. माननीय मंत्री जी के सामने यह बात सामने आयी थी. परंतु अभी तक नियमों में प्रक्रिया का कोई सरलीकरण नहीं हुआ है. यह बड़ी विडम्बना है कि मध्यप्रदेश में ही निवास करने वाले लोग, मध्यप्रदेश से जाते हैं और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोग भी जाति प्रमाण पत्र नहीं बनवा पा रहे हैं. यही स्थिति भी कमोवेश भी पिछड़ा वर्ग की भी है, यही स्थिति कई जगह है.
उपाध्यक्ष महोदय, यदि मैं पिछड़े वर्ग की बात करूं तो कई जातियां ऐसी हैं जो प्रदेश के एक जिले में तो एससी में आती है, लेकिन दूसरे जिले में वह सामान्य वर्ग में आती है. जैसे धोबी भोपाल, रायसेन और सीहोर जिले में तो एससी में आती हैं और अन्य जिलों में सामान्य वर्ग में आती हैं. जबकि उनका रोटी का व्यवहार है, बेटी का व्यवहार है. अगर कहीं दूसरे जिले की बेटी जो पिछड़े वर्ग में आती है, वह कहीं भोपाल, रायसेन में धोबियों में आकर ब्याही जाये, तो वह एससी में पहुंच जाती है, लेकिन उसका प्रमाण-पत्र न तो वहां ओबीसी का बनेगा और न ही वह मान्य किया जायेगा,जब कहीं महिला को वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ाने की तैयारी की बात आयेगी, ग्राम पंचायत के पंच या सरपंच के चुनाव लड़ाने की बात आयेगी तो उसका प्रमाण-पत्र नहीं बन पाता है. ऐसी स्थितियां, विसंगतियां हो रही हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, अन्य राज्यों से भी संबंध रहते हैं, अन्य राज्यों से भी कई जगह बेटियां ब्याही जाति हैं. जैसे उत्तरप्रदेश में पूरी धोबी जाति एससी में आती है. लेकिन यहां आने के बाद कई जिलों में ओबीसी में आ जाती हैं तो उनका जो संवैधानिक अधिकार है. उनको चुनाव लड़ने का अधिकार, उनको सरकारी सहायता प्राप्त करने का अधिकार, वे इन अधिकारों से वंचित हो जाती हैं. ऐसी स्थितियां कमोबेश आती हैं. ऐसी कई कुम्हार जातियां भी हैं, पारदी जाति भी है, कोटवाल जाति है और इसी तरह से अन्य राज्यों की भी वे जातियां हैं, जो एक राज्य में एसटी में आती हैं और दूसरे राज्य में ओबीसी में आती हैं. उनसे भी रोटी-बेटी का व्यवहार रहता है, वहां यह व्यवस्था तो दी है कि उनका वहां का एससी का जाति प्रमाण-पत्र तो मान्य किया जायेगा लेकिन इस राज्य में वह एप्लीकेबल नहीं होगा. जबकि इस राज्य में वह ओबीसी के घर में है तो इस राज्य में न वह ओबीसी वर्ग से चुनाव लड़ सकेगी और एससी वर्ग से आप इसलिए चुनाव नहीं लड़ने देंगे कि आपके राज्य में वह एससी कोटे में नहीं आती है, अनुसूचित जाति की सूची में वह नहीं है. वह अब कहां जाये ? भले ही वह एससी की है, भले ही वह एसटी की है, भले ही वह ओबीसी की है, उसके साथ सामान्य वर्ग की तरह व्यवहार किया जाता है. इस तरह की कई विसंगतियां हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ये दोहरे मापदण्ड हैं. आज तो आपकी दोनों ही जगह सरकार है, केन्द्र में भी सरकार है और प्रदेश में भी सरकार है. आप भी चाहते हैं, हम लोग भी चाहते हैं और पूरा प्रदेश चाहता है. मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि आपने प्रयास नहीं किया है, आपने खूब प्रयास किए हैं. अभी तक इस सरकार से 25 पत्र केन्द्र सरकार को चले गए हैं लेकिन वहां आप ही के मंत्री हैं और वे हमारे मध्यप्रदेश के श्री गहलोत जी हैं. वे इस सदन के भी सदस्य रहे हैं. आप अभी उन्हें राज्यसभा में भी नामांकित करने वाले हैं. कम से कम वे चाहेंगे तो यह पूरा काम सामाजिक न्याय मंत्रालय से निपट जायेगा. हम चाहते हैं कि 1950 में निवासरत् होने की शर्त मध्यप्रदेश के संदर्भ में, राज्य के संदर्भ में उचित नहीं है. मध्यप्रदेश का पुनर्गठन सन् 1956 में हुआ है और छत्तीसगढ़ राज्य पृथक से सन् 2000 में बना है तो हम चाहते हैं कि आप व्यक्तिगत रूप से पहल करके केन्द्र सरकार से इसको सन् 2000 में मूल निवास में सरलीकरण कराएं तो ज्यादा अच्छा होगा और दूसरा, जो स्थायी अचल संपत्ति या चल संपत्ति का रिकॉर्ड मांगा जाता है कि आप कैसे सिद्ध करेंगे कि आप यहां के निवासी हैं ? उनसे 64 वर्ष का रिकॉर्ड मांगा जाये तो इसका भी आप शिथिलीकरण करें. मैं देख रहा हूँ कि मेरे क्षेत्र के कई लोग हैं जो झाबुआ, अलीराजपुर से जाकर बसे हैं, अब उनसे कहते हैं कि तुम वहां जाकर अपना प्रमाण-पत्र लाओ तो वे बोलते हैं कि साहब, मेरे पास न तो वहां जमीन थी और न ही मकान था. पंचायतों में मकान का नामांकन तो दर्ज नहीं होता है और जमीन नहीं थी, इसीलिए यहां उठकर आए हैं, माइग्रेट होकर आए हैं. फिर ऐसी स्थिति में क्या किया जाये. इसका क्या उपाय किया जाये ? तो जो व्यक्ति कम से कम लगातार 5 वर्षों से निवासरत् है. यह जानने के प्रशासन के पास पर्याप्त अवसर हैं कि ये इसी प्रदेश का निवासी है और दूसरे जिले से आया है तो ऐसे लोगों के भी प्रमाण-पत्र बनाने के लिए केन्द्र सरकार से अनुमति लेने और यह नियम सरलीकरण कराने का काम जरूर करेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यही विशेष बातें हैं कि सन् 1950 के बाद आकर बसे लोगों के बच्चों के मध्यप्रदेश में जाति प्रमाण-पत्र लेने की पात्रता संबंधी कठिनाई को दूर करें तथा इसका सरलीकरण करें और अन्य वर्गों की भी है, जो एक जगह एससी में आते हैं, दूसरी जगह ओबीसी में आते हैं, इन वर्गों के लोगों की कठिनाइयों का जिस परिवार में जो बेटी पहुँच जाती है, उसका प्रमाण-पत्र उस परिवार से जहां वह रहती है, वहीं से बने. इसी तरह से दूसरे राज्यों में भी, दूसरे राज्यों में अगर एसटी में आते हैं एवं इस राज्य में ओबीसी में आते हैं तो दूसरे राज्यों से आने वाली बेटी का भी प्रमाण-पत्र ओबीसी की तरह प्रमाण-पत्र बनें. इसका सरलीकरण कराने में सरकार पहल करे हालांकि सरकार ने पहल की है. लेकिन आपकी कोई नहीं सुन रहा है. आपके सामाजिक न्याय मंत्री श्री गहलोत जी हैं, आप अभी उन्हें राज्यसभा में चुनकर भेजने वाले हैं. वे मध्यप्रदेश के ही हैं. इसका सरलीकरण जल्दी कराएं, जिससे हमारे प्रदेश की अनुसूचित जनजाति और जाति और पिछड़े वर्ग के बच्चों को शासकीय योजनाओं का लाभ मिले और उनको संवैधानिक हक और अधिकार मिलें. इसका सरलीकरण कराने का कष्ट करें.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विमानन (श्री लाल सिंह आर्य) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ दो मिनट में अपनी बात समाप्त कर दूंगा, ज्यादा नहीं बोलूंगा.
श्री रामनिवास रावत - मैंने ही बता दिया है कि आपने 25 पत्र भेजे हैं.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य की भावना समझ सकता हूं कि इनकी भावना जनहित में ही है. लेकिन विषय यह आया है कि हमारी प्रदेश में और केंद्र में भी सरकार है, तो इस संबंध में मैं कहना चाहता हूं कि वर्ष 1947 से लेकर और उसके बाद फिर 1952 में चुनाव शुरू हुये, लगातार 57 साल केंद्र में इनकी सरकार रही है और 43 साल मध्यप्रदेश में इनकी सरकार रही है. यह वर्ष1950 का कोई निर्णय है, उसके लिये मध्यप्रदेश की सरकार पर दबाव डाल रहे हो. लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि हमने जनभावनाओं के अनुरूप पत्र भी केंद्र में भेजे हैं, उस समय श्री मनमोहन सिंह जी की सरकार थी और दो पत्र अभी वर्तमान में भी भेजी है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जहां तक सरलीकरण का मामला है मैं गौरव के साथ कहना चाहता हूं कि इसी समस्या को देखते हुए कि अनुसूचित जाति,जनजाति पिछड़ा वर्ग, घुमक्कड़, अर्धघुमक्कड़ इन समाज के बच्चों कि लिये प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया कैसे की जाये ? क्योंकि जाति प्रमाण पत्र के लिये बच्च्ो एसडीएम, तहसीलदार, पटवारी के यहां चक्कर लगाते थे, मैंने भी बचपन में ऐसा देखा है. जब तक वर्ष1950 का यह मामला खत्म नहीं होगा तब तक बच्चों के भविष्य को देखते हुए सरकार ने माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में यह निर्णय किया है कि कक्षा 1 से लेकर इंटर तक इन वर्गों के जो बच्चे हैं उनको किसी तहसीलदार, किसी पटवारी, किसी आर.आई., किसी एस.डी.एम. के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं होगी बल्कि प्रवेश के साथ ही वह जाति प्रमाण पत्र का फार्म भरा जायेगा और वह जाति प्रमाण पत्र का फार्म संकुल केंद्र का प्रभारी एस.डी.एम. के पास ले जायेगा और एस.डी.एम. उसे बनायेगा और उस पर डिजीटल युक्त हस्ताक्षर होंगे और वह लेमिनेटेड युक्त होगा. हमने अभी तक सरलीकरण के तहत 1 करोड़ 26 लाख जाति प्रमाण पत्र बिना किसी एसडीएम और पटवारी के यहां चक्कर लगाये दे दिये हैं. क्योंकि जब मैं विपक्ष का विधायक था, तब सज्जन वर्मा जी हमारे मित्र मंत्री थे और तब मैं यह प्रस्ताव लाया था.
श्री रामनिवास रावत - मेरे भईया जो पात्र हैं, उनके तो बन रहे हैं. आप जी.ए.डी. मंत्री हो फिर आप किसलिये कुछ भी बोले जा रहे हो,
श्री लाल सिंह आर्य - मैं गलत नहीं बोल रहा हूं. मैं यह जानकारी देना चाहता हूं कि जाति प्रमाण पत्र के लिये चल, अचल संपत्ति चाही हो, ऐसा नहीं है. यह कहीं भी नहीं लिखा है कि चल अचल संपत्ति बतायेंगे तब ही आपका प्रमाण पत्र बनेगा. दूसरी बात मैं यह बताना चाहता हूं कि किसी का भी प्रमाण पत्र यदि कोई भी यहां से जाकर जबलपुर में बस गया हो तो उसके मां बाप का जो प्रमाण पत्र होगा उसी के आधार पर उसका भी जाति प्रमाण पत्र बन जायेगा. यह कहीं पर रोक नहीं है कि झाबुआ का व्यक्ति अगर श्योपुर में बस गया हो तो उसका प्रमाण पत्र नहीं बनेगा. अगर जो व्यक्ति वहां जाकर बसा है उसके मां बाप का जाति प्रमाण पत्र है, तो उसके आधार पर ही मध्यप्रदेश की सरकार उसका जाति प्रमाण पत्र बनायेगी. मैं यह दो तीन बातें इसलिए साफ करना चाहता हूं ताकि कोई भ्रम न रहे.
श्री रामनिवास रावत - आप श्योपुर में कितने जाति प्रमाण पत्र बने हैं वह बता दें.
श्री लाल सिंह आर्य - मैं आपको बता दॅूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री रावत जी आप आपस में बातचीत नहीं करें.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि यह अनुसूची जो तैयार होती है, इसे कोई राज्य सरकार तैयार नहीं करती है, इसे केंद्र ही तय करती है. आपके समय ही यह तय हुआ था कि धोबी कौन से कहा रहेंगे, प्रजापति कौन से कहां रहेंगे. तब फिर आप मध्यप्रदेश की सरकार पर इसे क्यों फोड़ रहे हो. लेकिन माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं आपके मार्गदर्शन में और एक पत्र माननीय केंद्रीय मंत्री जी और सरकार को लिखूंगा ताकि इसमें कोई यथायोग्य निर्देश प्राप्त हो सकें. मैं माननीय सदस्य महोदय से आग्रह करता हूं कि उनकी भावना के अनुरूप में पत्र लिख दूंगा. आप अपना अशासकीय संकल्प वापस लेने का कष्ट करें.
श्री रामनिवास रावत - क्या सरकार चाहती है कि मैं अपना अशासकीय संकल्प को वापस ले लॅूं ? (डॉ. नरोत्तम मिश्र द्वारा अपने आसन पर बैठे-बैठे कुछ कहने पर) क्या सरकार को अनुसूचित जाति, जनजाति के बच्चों से कोई लगाव नहीं है ?
श्री लाल सिंह आर्य - सरकार को लगाव है तभी 1 करोड़ 26 लाख बच्चों के जाति प्रमाण बनाये हैं, नहीं तो क्यों बनवाती.
श्री रामनिवास रावत - 1 करोड़ 28 लाख अनुसूचित जाति, जनजाति के नहीं है, वह सभी के प्रमाण पत्र है, यह आपकी समझ में नहीं आता है.
श्री लाल सिंह आर्य - मैं सभी का बता रहा हूं. 1 करोड़ 26 लाख एससी, एसटी, ओबीसी, घुमक्कड़, अर्धघुमक्कड़ सभी वर्गों के हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - मेरा सुझाव यह है कि आदरणीय थावरचंद जी आने वाले हैं, तब दोनों दल के लोग माननीय मंत्री जी के नेतृत्व में उनसे मिलकर उनके समक्ष इस बात को रख सकते हैं.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक अनुमति चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय – जितू जी आप बैठ जाए. क्या माननीय सदस्य संकल्प वापस लेने के पक्ष में है? क्या सदन संकल्प वापस लेने की अनुमति देता है.
श्री रामनिवास रावत – जी नहीं, डिवीजन.
उपाध्यक्ष महोदय – अब देख लीजिए नजर डाल दीजिए.
श्री रामनिवास रावत – वह तो पता है मुझे, इनका चेहरा, चाल-चरित्र, पूरे प्रदेश के अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों के सामने उजागर तो हो.
श्री लाल सिंह आर्य – अगर चाल-चरित्र गड़बड़ होता तो कांग्रेस के समय में अंबेडकर के महाकुंभ नहीं लगे, रविदास के महाकुंभ लगे हैं, उनकी दिन भर छुट्टी नहीं होती थी, हमने तो उनको सम्मान देने के लिए सब कुछ किया है.
उपाध्यक्ष महोदय – एक बार और मेरा अनुरोध है कि क्या सदन संकल्प वापस लेने की अनुमति देता है.
श्री रामनिवास रावत – जी नहीं, डिवीजन.
उपाध्यक्ष महोदय – हां की जीत हुई, हां की जीत हुई.
श्री रामनिवास रावत – जी नहीं, डिवीजन. मुझे भी लोग क्या कहेंगे, क्यों संकल्प लगाया, क्यों संकल्प वापस लिया, सरलीकरण तो हुआ नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय – मैंने तो आप लोगों से अनुरोध किया है आप चाहते हो काम हो जाए.
श्री रामनिवास रावत – काम कहां हो रहा है?
उपाध्यक्ष महोदय – श्री थावरचंद जी आ रहे हैं, उनके नेतृत्व में आप सभी उनसे मिल लीजिए. मैं समझता हूं वे इस पर विचार करेंगे यह बहुत महत्वपूर्ण विषय हैं.
श्री रामनिवास रावत – मैं आसंदी का पूरा सम्मान करता हूं. जैसा आसंदी का निर्देश होगा मैं मानूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय – चलिए संकल्प वापस ले लीजिए.
श्री रामनिवास रावत – जी.
उपाध्यक्ष महोदय – क्या सदन माननीय सदस्य को इस संकल्प को वापस लेने की अनुमति देता है?
सदन द्वारा अनुमति प्रदान की गई.
संकल्प वापस हुआ.
श्री जितू पटवारी – उपाध्यक्ष जी, अगर आपकी अनुमति हो तो एक मिनट चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय – गाड़ी आगे चली गई है, दूसरा स्टेशन आ गया है किस चीज पर बोलेंगे, अब नया संकल्प आएगा उस पर बोलना.
श्री जितू पटवारी – उपाध्यक्ष जी, मेरा अनुरोध था कि संसदीय कार्य मंत्री जी ने अभी सदन में मेरे प्रश्नकाल के दौरान कुछ बातें ऐसी हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा कि मैंने गलत शब्दों का चयन किया है. मैंने कार्यवाही देखी पूरे भाव में ऐसी कोई बात नहीं थी. मैं यह अनुरोध कर रहा हूं. संसदीय कार्यमंत्री जी ने गुमराह किया है यह क्षमा मांगनी चाहिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – उपाध्यक्ष जी, मेरा नाम का उल्लेख और आपकी अनुमति से हुआ है इसलिए खड़ा हुआ हूं, एक ऐसा व्यक्ति जो सरासर प्रजांतत्र के चौथे स्तंभ, पत्रकारों को डराकर, धमका कर, इस सदन की गरिमा को तारतार करके या इस सदन का फ्लोर का उपयोग अपनी व्यक्तिगत रंजिश के लिए करने वाला व्यक्ति मुझसे क्षमा की बात कर रहा है. क्षमा उन्हें मांगनी चाहिए थी कार्यसूची देखने के बाद, जिन्होंने मीडिया को चोर कहा.
श्री जितू पटवारी – उपाध्यक्ष जी, मैं सदन की कार्यवाही लेकर आया हूं. इसमें एक भी शब्द ऐसा नहीं है जो मैंने किसी भी जर्नलिज्म के भाव को देखते हुए जो जर्नलिज्म के साथ पक्षपात करता है, मैंने बताने की कोशिश की जो ओरिजनल जर्नलिज्म वाले हैं. क्या कारण था कि मुझे लिस्ट नहीं मिली, क्या कारण था कि मुझे सवाल के उत्तर नहीं मिली, यह सब बातें भी थीं.
उपाध्यक्ष महोदय – अभी यह विषय नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – व्यक्तिगत कारणों के लिए फ्लोर का उपयोग कर रहे हैं.
कुंवर विक्रम सिंह – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह विषय जा चुका है और ऐसा कोई शब्द कहा भी नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र – नहीं कहा है तो सफाई देने की जरूरत क्या थी, अभी क्यों बोलने के लिए खड़े हुए हो.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, भाषण के लिए समय नहीं है, एक बंद विषय पर आप बार बार समय दे रहे हैं, थोड़ी सी पीड़ा हो रही है.
उपाध्यक्ष महोदय – किसको समय दे रहे हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा – अच्छी चर्चा हो रही थी, उसके लिए समय नहीं था कि जल्दी खत्म करें. मुझे पीड़ा हो रही है.
उपाध्यक्ष महोदय – मैंने किसी को समय नहीं दिया है.
2. “मध्यप्रदेश में निवासरत गोवारी जाति को मध्यप्रदेश राज्य के पिछड़ा वर्ग की सूची से विलोपित किया जाना.”.
श्री के.डी. देशमुख (कटंगी) – माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि मध्यप्रदेश में निवासरत गोवारी जाति को मध्यप्रदेश राज्य के पिछड़ा वर्ग की सूची से विलोपित किया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय – संकल्प प्रस्तुत हुआ.
श्री के.डी. देशमुख – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में बालाघाट, सिवनी, छिंदवाडा तथा अन्य जिलों में गोवारी जाति के लोग निवासरत है . गोवारी जाति के लोग गाय, बकरी पालने का काम करते हैं अत्यंत गरीब लोग हैं. भारत सरकार द्वारा मध्यप्रदेश राज्य के लिये घोषित अनुसूचित जनजाति की सूची के क्रमांक 16 पर यह जाति अंकित है. यही जाति मध्यप्रदेश राज्य के लिये घोषित पिछड़ा वर्ग जाति की सूची में क्रमांक 1 पर अंकित है. उपाध्यक्ष महोदय, एक ही जाति दो जगहों पर अंकित है. इसलिये मध्यप्रदेश की गोवारी जाति के लोग और संगठन चाहते हैं कि पिछड़ा वर्ग जाति की सूची से गोवारी जाति को विलोपित किये जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बहुत विलंब हो चुका है, इनकी मांग भी पुरानी है और मध्यप्रदेश में वर्तमान में पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति न होने से यह काम लंबित पड़ा हुआ है. वर्तमान में अनुसंधान अधिकारी, राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में नियुक्त हैं , अध्यक्ष की भी नियुक्ति अभी हो गई है. परंतु दो सदस्य का होना बैंच में बहुत आवश्यक है. दो सदस्य और पिछड़ा वर्ग के नियुक्त हो जायेंगे तब यह बैंच अपना काम शुरू कर सकेगी. मैं तो राज्य शासन से अनुरोध करता हूं कि राज्य पिछड़ा वर्ग की सूची से गोवारी जाति को विलोपित करने का संकल्प यहां से पास होना चाहिये. यही मध्यप्रदेश के गोवारी समाज के लोगों की प्रबल इच्छा है और यह मामला बहुत वर्षो से लंबित पड़ा हुआ है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे(लाजी) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस संकल्प के संबंध में अपने विचार व्यक्त करना चाहती हूं. यह बात बिल्कुल सही है कि गोवारी जाति को मध्यप्रदेश राज्य के पिछड़ा वर्ग की सूची से जब तक विलोपित नहीं किया जायेगा तब तक गोवारी जाति के लोगों को शासन की सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पायेगा. मैंने इस संबंध मे विधानसभा में कई बार ध्यानाकर्षण भी लगाया है, विधानसभा के प्रश्न भी लगाये हैं लेकिन अभी तक इसका कोई रास्ता नहीं निकल पाया है इसलिये हम भी आदरणीय के.डी. देशमुख जी के संकल्प का समर्थन करते हैं और शासन से अनुरोध करते है कि वह इस संकल्प को स्वीकार करें ताकि अनुसूचित जनजाति का जो लाभ गोवारी जाति को मिलना चाहिये वह निश्चित रूप से उनको मिलेगा लेकिन जब तक गोवारी जाति को पिछड़ा वर्ग की सूची से विलोपित नहीं किया जायेगा तब तक उनको किसी अन्य जाति का लाभ नहीं मिल पायेगा. इस बारे में बालाघाट के कलेक्टर भी बहुत ज्यादा कन्फ्यूज हैं वह खुद भी निर्णय नहीं ले पा रहे हैं कि उनको करना क्या है ? ऐसी परिस्थितियों में हमारी गोवारी जाति के लोग हैं, संगठन हैं, बच्चे हैं वह परेशान हो रहे हैं शासन की योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं, बार बार आंदोलन करते हैं, कभी कभी हम लोगों को भी इस संबंध में जागृत करते रहते हैं. इसलिये मैं अनुरोध करना चाहती हूं कि शासन इस पर अमल करे. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
राज्य मंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण(श्रीमती ललिता यादव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछड़ा वर्ग आयोग की बैठक दिनांक 3.6.2017 में निर्णय लिया गया कि पिछड़ा वर्ग की सूची से सरल क्रमांक-एक पर शामिल गोवारी जाति को विलोपित करने के पूर्व आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्था, भोपाल से अनुसंधान टीप प्राप्त की जाये. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दिनांक 04.08.2017 को उक्त निर्देशानुसार अनुसंधान टीप प्राप्त करने हेतु आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान, भोपाल को पत्र लिखा गया. आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान, भोपाल द्वारा पत्र दिनांक 16.11.2017 के माध्यम से अवगत कराया गया कि ग्वारी जाति के संबंध में अध्ययन संबंधी कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. आदिम जाति अनुसंधान एवं विकास संस्थान, भोपाल से प्रतिवेदन प्राप्त होते ही माननीय पिछड़ा वर्ग आयोग के समक्ष प्रकरण अनुशंसा हेतु प्रस्तुत किया जायेगा. वर्तमान में आयोग की पूर्ण पीठ में माननीय अध्यक्ष की नियुक्ति राज्य शासन द्वारा की गई है, लेकिन माननीय सदस्यों के पद रिक्त हैं. आयोग के रिक्त पदों की पूर्ति होते ही आगामी कार्यवाही की जा सकेगी. सदन से मेरा अनुरोध है कि इस अशासकीय संकल्प को वापस करने का मैं अनुरोध करती हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- क्या माननीय सदस्य इस संकल्प को वापस लेने के पक्ष में हैं.
श्री के.डी. देशमुख-- माननीय मंत्री जी ने सदन को आश्वस्त किया है कि जो पिछड़ा वर्ग में दो अशासकीय सदस्य जो पिछड़े वर्ग के नियुक्त होना हैं, उनकी नियुक्ति होने के बाद ग्वारी समाज को पिछड़ा वर्ग की सूची से विलोपित किया जायेगा, उनके आश्वासन के बाद मैं संकल्प वापस लेता हूं.
श्रीमती ललिता यादव-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- क्या सदन माननीय सदस्य को इस संकल्प को वापस लेने की अनुमति देता है.
सदन द्वारा अनुमति प्रदान की गई.
संकल्प वापस हुआ.
(3)
(i) ट्रेन क्रमांक 11039 / 11040 महाराष्ट्र एक्सप्रेस एवं ट्रेन क्रमांक 12105 / 12106 विदर्भ एक्सप्रेस ट्रेन को जिला मुख्यालय बालाघाट से चलाया जाए तथा ट्रेन क्रमांक 18243 / 18244 बिलासपुर भगत की कोठी तथा ट्रेन क्रमांक 18245 / 18246 बिलासपुर बीकानेर का स्टापेज दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे के आमगॉंव स्टेशन पर किया जाना,
(ii) रीवा से नागपुर के बीच चलने वाली साप्ताहिक ट्रेन क्रमांक 22136 को प्रतिदिन चलाया जाना, तथा
(iii) हरदा रेल्वे स्टेशन पर सभी प्रमुख ट्रेनों का स्टॉपेज किया जाना.”.
उपाध्यक्ष महोदय-- एकजाई संकल्पों के बारे में प्रक्रिया यह होगी कि पहले संकल्पों को संबंधित माननीय सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किया जायेगा तदुपरांत प्रस्तुत संकल्पों पर एक साथ चर्चा होगी. अब मैं प्रस्तुतकर्ता सदस्यों के क्रमश: नाम पुकारूंगा. श्री रणजीत सिंह गुणवान.
(1) श्री रणजीत सिंह गुणवान- (अनुपस्थित)
(2) श्री शंकरलाल तिवारी (सतना)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि रीवा से नागपुर के बीच चलने वाली साप्ताहिक ट्रेन क्रमांक 22136 को प्रतिदिन चलाया जाये.
(3) सुश्री हिना लिखीराम कांवरे (लांजी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करती हूं कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि ट्रेन क्रमांक 11039/11040 महाराष्ट्र एक्सप्रेस एवं ट्रेन क्रमांक 12105/12106 विदर्भ एक्सप्रेस ट्रेन को जिला बालाघाट मुख्यालय से चलाया जाये तथा ट्रेन क्रमांक 18243/18244 बिलासपुर भगत की कोठी तथा ट्रेन 18245/18246 बिलासपुर, बीकानेर एक्सप्रेस का स्टॉपेज दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के आमगांव स्टेशन पर किया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय-- संकल्प प्रस्तुत हुआ. संकल्प में एक संशोधन है.
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करती हूं कि संकल्प की प्रथम पंक्ति में शब्दावली ट्रेन क्रमांक 11039, 11040 के पहले शब्दावली दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के बालाघाट स्टेशन को वॉशिंग लाइन स्टेशन बनाते हुये जोड़ा जाये.
उपाध्यक्ष महोदय-- संशोधन प्रस्तुत हुआ. अब मूल अशासकीय संकल्प एवं उस पर प्रस्तुत संशोधन पर एक साथ चर्चा होगी.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- उपाध्यक्ष जी, मैं प्रार्थना यह कर रहा था, आशीष जी हैं, हिना बिटिया है वह भी तैयार है हम भी तैयार हैं यह संकल्प केन्द्र को भेजना है, भेज दो, सभी सहमत हों तो. सभी सदस्य सहमत हैं, केन्द्र को भेज देना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय-- प्रस्तुत कर देने दीजिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- वह प्रस्तुत कर चुके.
उपाध्यक्ष महोदय-- अभी आशीष गोविंद शर्मा हैं.
श्री आशीष गोविंद शर्मा (खातेगांव)-- मैं एक मिनट चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप संकल्प प्रस्तुत भर कर दीजिये.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक एक मिनट बोलने के लिये अवसर दिया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय--संसदीय कार्य मंत्री जी का सुझाव है. सरकार सहमत है तो बोलने का क्या मतलब है. आप संकल्प प्रस्तुत कर दीजिये.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह संकल्प प्रस्तुत करता हूं कि-
"यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि हरदा जिला मुख्यालय है. रेल्वे स्टेशन पर सभी प्रमुख ट्रेनों का स्टॉपेज किया जावे".
डॉ.नरोत्तम मिश्र--उपाध्यक्ष महोदय, जो प्रस्ताव केन्द्र को भेजना हैं हम उनसे सहमत हैं और मैं चाहता हूं कि सर्वसम्मति से इन संकल्पों को भेजने का प्रस्ताव पास करें.
उपाध्यक्ष महोदय--प्रश्न यह है कि-
"यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करता है कि-
(i) दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे के बालाघाट स्टेशन को वॉशिंग लाईन स्टेशन बनाते हुए ट्रेन क्रमांक 11039 / 11040 महाराष्ट्र एक्सप्रेस एवं ट्रेन क्रमांक 12105 / 12106 विदर्भ एक्सप्रेस ट्रेन को जिला मुख्यालय बालाघाट से चलाया जाए, ट्रेन क्रमांक 18243 / 18244 बिलासपुर भगत की कोठी तथा ट्रेन क्रमांक 18245 / 18246 बिलासपुर बीकानेर का स्टापेज दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे के आमगॉंव स्टेशन पर किया जाए,
(ii) रीवा से नागपुर के बीच चलने वाली साप्ताहिक ट्रेन क्रमांक 22136 को प्रतिदिन चलाया जाए, तथा
(iii) हरदा रेल्वे स्टेशन पर सभी प्रमुख ट्रेनों का स्टॉपेज किया जाए."
उपाध्यक्ष महोदय--सहमत हैं?
डॉ.नरोत्तम मिश्र--उपाध्यक्ष महोदय, जी सहमत हैं.
एकजाई संकल्प सर्वसम्मति से स्वीकृत हुए.
उपाध्यक्ष महोदय--विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 12 मार्च, 2018 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपरान्ह्न 2.52 बजे विधान सभा की कार्यवाही सोमवार, दिनांक 12 मार्च, 2018 (21 फाल्गुन, शक संवत् 1939) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : ए.पी.सिंह
दिनांक : 9 मार्च, 2018 प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश विधान सभा