मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
चतुर्दश विधान सभा त्रयोदश सत्र
फरवरी-मार्च, 2017 सत्र
गुरूवार, दिनांक 9 मार्च, 2017
(18 फाल्गुन, शक संवत् 1938 )
[खण्ड- 13 ] [अंक- 12 ]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 9 मार्च, 2017
(18 फाल्गुन, शक संवत् 1938 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रधानमंत्री फसल बीमा राशि का वितरण
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
1. ( *क्र. 5397 ) श्री रमेश पटेल : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा किस तिथि से मान्य किया जाता है? प्रीमियम जमा करने की तिथि या उसके कितने दिन बाद से बीमा मान्य किया जाता है? (ख) इसमें किसान को बीमा पॉलिसी वितरण/रसीद क्यों नहीं दी जाती है? कारण बतावें। (ग) खरीफ मौसम की प्राकृतिक आपदा से हुई क्षति के फलस्वरूप बड़वानी जिलान्तर्गत कितनी बीमा राशि कितने कृषकों को दी गई? शून्य से 100, 100-200, 200-300 रू. की बीमा राशि कितने कृषकों को दी गई? (घ) रबी फसल की जानकारी भी प्रश्नांश (ग) अनुसार देवें। प्रीमियम से कम बीमा राशि देने के लिए दोषी बीमा कंपनियों पर शासन कब तक कार्यवाही करेगा?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत खरीफ मौसम में ऋणी एवं अऋणी कृषकों के बीमांकन एवं प्रीमियम काटने की अवधि 1 अप्रैल से 16 अगस्त तथा रबी में 15 सितंबर से 15 जनवरी है। प्रीमियम जमा करने की तिथि से ही बीमा मान्य किया जाता है। (ख) योजनांतर्गत अऋणी किसानों को रसीद बैंक द्वारा दी जाती है तथा ऋणी कृषकों के प्रीमियम कटौती की जानकारी बैंक पासबुक में होती है। योजनांतर्गत सभी बीमित कृषकों को पॉलिसी के रूप में फोलियो एवं रसीद देने का कार्य प्रक्रियाधीन है। (ग) खरीफ 2016 मौसम में बड़वानी जिले में प्राकृतिक आपदा से जो नुकसान हुआ है तथा जिला स्तर पर गठित सर्वे समिति द्वारा जिन प्रभावित बीमित क्षेत्र का सर्वे किया है उनके दावों की गणना बीमा कंपनी स्तर पर प्रक्रियाधीन है। (घ) रबी 2016-17 में बड़वानी जिले में प्राकृतिक आपदा से नुकसान की कोई सूचना बीमा कंपनी को प्राप्त नहीं हुई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय प्रधानमंत्री किसानों को क्या टोपी पहनाने में लगे हुए हैं? सीहोर जिले के शेरपुर में प्रधानमंत्री जी ने आकर घोषणा की है कि मुख्यमंत्री फसल योजना हम शुरू कर रहे हैं और उसके प्रावधानों को मैंने पढ़ा है कि अगर प्राकृतिक आपदाओं से फसलों का नुकसान होता है तो 25 प्रतिशत राशि तत्काल किसानों को देने का प्रावधान है. खरीफ फसल को करीब चार माह हो गया है, बड़वानी में प्राकृतिक आपदा से फसलों का नुकसान हुआ है. मैंने प्रश्न में पूछा है कि यह राशि अभी तक क्यों नहीं दी गई है, क्या इसकी प्रक्रिया हो गई है, चार महीने के बाद जवाब आता है कि अभी कंपनी अपने स्तर पर उसकी प्रक्रिया पूरी करने में लगी है. जबकि अभी तक 25 प्रतिशत राशि मिल जानी चाहिए थी. अभी तक प्रधानमंत्री फसल बीमा की राशि नहीं दी गई है. आज ही हमारे दूसरे साथी श्री जितू पटवारी के प्रश्न क्रमांक 5313 में यह लिखा गया है कि फसल बीमा योजना की राशि मध्यप्रदेश के केवल दतिया में ही दी गई है वह भी शून्य से हजार रूपए तक का क्लेम 1253 किसानों को एवं 1 हजार से 2 हजार की राशि केवल 3253 किसानों को दिया गया है.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, ये भाषण दे रहे हैं या प्रश्न कर रहे हैं. इस भाषण का जवाब कैसे दें, आप प्रश्न कर ले आप कल तक यह कह रहे थे कि किसान बीमा योजना का एक पैसा नहीं आया है और आज इन्होंने दतिया में पैसा आया यह स्वीकार कर लिया, इसका मतलब है कि राशि आनी शुरू हो गई है.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधा प्रश्न कर लें.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़वानी जिले का मैंने प्रश्न पूछा है, मैं यह जानना चाहता हूं कि अभी तक वहां के किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा की 25 प्रतिशत राशि क्यों नहीं मिली, दूसरा जो 1 हजार और 2 हजार राशि तक ही फसल बीमा के लिए सीमित रखा गया है, क्या जल्दी और बढ़ी हुई राशि किसानों को दी जाएगी और ज्यादा राशि दी जाएगी? प्रीमियम की राशि तो अड़कर के किसानों से जमा करवाई गई है. मैं यह जानना चाहता हूं कि अभी तक बड़वानी जिले के किसानों को फसल बीमा की राशि क्यों नहीं मिली, क्या उनको बढ़कर राशि मिलेगी?
श्री गौरीशंकर बिसेन -- अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दावों के भुगतान के सूत्र हैं और उसके अनुसार ही इसमें भुगतान होता है. हमारे मित्र थोड़ा सा सब्र करें, सारा पैसा मिलेगा जो क्लेम होंगे, उसके लिये समिति बनी है. मैं तो एक बात कहना चाहता हूं कि इसमें थ्रेशोल्ड उपज- (माइनस) अनुमानित उपज उसके बटे (/) होंगे थ्रेशोल्ड उपज . उदाहरण के लिये थ्रेशोल्ड उपज 15 आई और अनुमानित 5 आई, तो (-) माइनस होने पर 10/3 हो गया और इसके आधार पर उसने यदि 1 लाख रुपये का ऋण लिया है, तो उसको 25 प्रतिशत, मतलब जो गणना का 25 प्रतिशत है, 16600 रुपये मिलता है, यह इसका सूत्र है. तो इसमें जब तक हमारा अंतिम क्रॉप कटिंग का एक्सपेरीमेंट नहीं आता,तब तक उसमें भुगतान नहीं होता. जहां तक आपके बड़वानी का विषय है, तो बड़वानी में प्रश्न सिर्फ खरीफ वर्ष 2015-16 का पूछा था, तो खरीफ वर्ष 2015-16 में राष्ट्रीय फसल बीमा योजना थी और इस राष्ट्रीय फसल बीमा योजना के तहत 7.84 करोड़ रुपया किसानों को दिया गया था, जो मैंने अपने उत्तर में भी दिया है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह जानना चाहता हूं कि आपने जो दिया है राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में 30 रुपये और 40 रुपये और 85 पैसे ऐसे चेक दिये हैं..
श्री गौरीशंकर बिसेन -- बच्चन जी, ऐसा नहीं है. आपने जो प्रश्न किया है वर्ष 2015-16 का, वह पैसा राष्ट्रीय फसल बीमा योजना का है, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ 2016 से प्रारंभ हुई है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, आपने देखा है, मेरा जो प्रश्न है, उसमें खरीफ,2016 के बारे में ही मैंने पूछा है और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम से मैंने पूछा है. आप इसको घुमाने का प्रयास न करें. देखिये, किसानों से तो अड़कर राजस्व विभाग ने इसकी प्रीमियम राशि जमा करवाई है, उसके बाद अभी तक जो अंश राज्य सरकार का केंद्र सरकार को जमा होना चाहिये, वह अभी तक जमा नहीं हुआ है. मेरा यह आग्रह है कि किसानों को यह कब तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की राशि मिल जायेगी, जिससे कि किसानों को राहत मिल सके, किसान वैसे ही बहुत तंग एवं परेशान है.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य यदि उत्तर (ग) को गंभीरता से देखें और पढ़ें, तो मैंने साफ साफ कहा है कि खरीफ 2016 मौसम में जिले में प्राकृतिक आपदा से जो नुकसान हुआ है तथा जिला स्तर पर गठित सर्वे समिति द्वारा जिन प्रभावित बीमित क्षेत्र का सर्वे किया है, उनके दावों की गणना बीमा कम्पनी स्तर पर प्रक्रियाधीन है. अब इसमें थोड़ा सा समय लगता है. प्रक्रिया पूरी होते ही पैसा किसानों को दिया जायेगा, जिनका नुकसान हुआ है, वह मिल जायेगा.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, एक तो मंत्री जी अभी खरीफ 2015-16 की बात कर रहे थे. आप देखें, इसमें क्लीयर लिखा है कि खरीफ,2016, इससे सरकार, विभाग और आपकी नीयत का पता चलता है.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न करें और लोगों के भी प्रश्न हैं. 7 मिनट तो एक ही प्रश्न को हो गये हैं.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- अध्यक्ष महोदय, आपने प्रश्न (क) में वर्ष 2015-16 का भी पूछा है, तो मैंने वर्ष 2015-16 (क) का उत्तर दिया है. आपने प्रश्नांश (क) में वर्ष 2015-16 में फसल बीमा के संदर्भ में साफ पूछा है, इसलिये मैंने वर्ष 2015-16 के बारे में आपको बताने का प्रयास किया है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्नांश (क) में 2015-16 कहां है. इसमें वर्ष 2015-16 का कहीं उल्लेख नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या-2 श्री हरदीप सिंह डंग. इस प्रश्न में 10 मिनट हो गये हैं.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह जानना चाहता हूं कि जिस तरह से आपने तत्परता दतिया के किसानों के बारे में दिखाई, मध्यप्रदेश के बाकी और किसानों के बारे में क्यों नहीं दिखाई.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- अध्यक्ष महोदय, देखिये इसमें दो वर्ष है. वर्ष 2015-16 तक सिर्फ राष्ट्रीय फसल बीमा योजना थी और 2016 के बाद प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चालू हुई.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या 2. डंग साहब आप पूछिये. डंग जी के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा.
श्री बाला बच्चन -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न संख्या 3.
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय, ये बोल रहे हैं, तो मैं कैसे बोलूं.
अध्यक्ष महोदय -- आप प्रश्न क्यों नहीं पूछ रहे हैं. मैंने बोल दिया कि आपके अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा. आप पूछिये.
श्री बाला बच्चन -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठिये. दूसरों के प्रश्न भी जरुरी हैं. आप उप नेता प्रतिपक्ष हैं, आपको अपने सदस्यों का संरक्षण करना चाहिये. प्रश्न संख्या -2 , श्री हरदीप सिंह डंग. डंग जी के अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा. पहले ही प्रश्न पर 10 मिनट हो गये हैं.
श्री बाला बच्चन -- (xxx)
मन्दसौर जिले को आवंटित राशि
[लोक निर्माण]
2. ( *क्र. 5610 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग द्वारा मन्दसौर जिले में विगत 1 वर्ष में क्या-क्या विकास कार्य करवाए गए? (ख) विगत वर्ष 2016 के मूल बजट में एवं अनुपूरक बजट में मन्दसौर जिले को आवंटित राशि की जानकारी कार्य का नाम एवं राशि विधानसभा क्षेत्रवार बतावें। (ग) विगत एक वर्ष में प्रश्नकर्ता द्वारा माननीय मंत्री जी को दिये गये मांग पत्रों की जानकारी देवें। (घ) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में विकास हेतु वर्ष 2016-17 के मूल बजट एवं अनुपूरक बजट में कौन-कौन से कार्य जोड़े गए थे? नाम बतावें। यदि नहीं, जोड़े गए थे तो इसका कारण बतावें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ख) बजट/अनुपूरक बजट में जिलेवार आवंटन प्रदाय नहीं किया जाता है। अत: मंदसौर जिले को आवंटित राशि का प्रश्न उपस्थित नहीं होता, शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-स अनुसार है। (घ) श्यामगढ़ सुवासरा परासली मार्ग पर रेल्वे समपार क्र. 46-बी श्यामगढ़ यार्ड (नागदा कोटा सेक्शन कि.मी. 786) के बदले रेल्वे ओव्हर ब्रिज का निर्माण। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री हरदीप सिंह डंग -- अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा जो प्रश्न पूछा गया है, उसमें मैंने यह जानकारी चाही थी कि सुवासरा विधान विधान सभा में कौन कौन सी सड़कों को बजट में लिया गया है. तो मुझे जो उत्तर दिया गया है, उसमें दूसरे क्षेत्रों में तो कामों की लम्बी कतार है, लेकिन उसमें सुवासरा विधान सभा का कहीं भी नाम नहीं है. मै पूछना चाहता हूं कि ऐसा क्या कारण है. मैंने कई बार पत्र लिखे हैं. हमारी जो खस्ताहाल सड़कें हैं, सीतामऊ से खेड़ा मार्ग एक महत्वपूर्ण मार्ग है, सीतामऊ से बहुत से गांव जुड़ते हैं. एक किलोमीटर मार्ग के लिए कई बार पत्र लिखे गए हैं, ऐसी मांग की गई है और ऐसी एक-एक किलोमीटर की सड़कों के लिए भी पत्र लिखे गए हैं. क्या कारण है कि उन्हें बजट में शामिल नहीं किया गया है ?
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग (श्री लाल सिंह आर्य) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है. इनकी विधानसभा में भी ऐसा नहीं है कि मध्यप्रदेश सरकार कोई काम नहीं करवा रही है. हमने आर.ओ.बी. के तहत 35 करोड़ रुपये का श्यामगढ़ में काम स्वीकृत किया है. जो इन्होंने पत्र दिया है, हम उन रोड़ों का परीक्षण करवा रहे हैं. जैसे ही हमारे वित्तीय संसाधन बोलेंगे, हम उनको देख लेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष जी, मेरा कहना है कि जो पुलिया बनाई गई है, जिससे एन.टी.पी.सी. के बड़े-बड़े ट्राले निकल रहे हैं, उनकी सुविधा के लिए आपने जो पुलिया दी है, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं सड़कों की बात कर रहा हूँ. जो एक-एक, दो-दो किलोमीटर की सड़कें हैं, उनकी लम्बी सूची है जैसे बोलिया, खेड़ा, लसूडि़या, हरीपुरा से पीसला, आसपुरा, भड़केश्वर, गेरसासरी माता जी. ये मात्र एक-एक, दो-दो किलोमीटर के रोड़ें हैं. मैं चाहता हूँ कि उनकी जल्दी से स्वीकृति दी जाये. मैं कोई बड़े रोड़ की मांग नहीं कर रहा हूँ. माननीय मंत्री जी, आप सीतामऊ से खेड़ा तक एक किलोमीटर रोड़ की घोषणा कर दें और स्वीकृति दे दें. यह बहुत जरूरी है. आप केवल एक रोड़ दे दें.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य जी की भावना का आदर करता हूँ और यह रोड़ स्वीकृत की जाती है.
लंबित कार्यों की स्वीकृति
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
3. ( *क्र. 1981 ) श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला दमोह में कृषि मण्डी बोर्ड द्वारा वर्ष 2013-14, 2014-15, 2015-16 में कौन से कार्य, कितनी लागत से कराये गये? कार्य एजेंसी सहित जानकारी उपलब्ध करायें। साथ ही यह बतायें कि कितने कार्य शासन स्तर पर स्वीकृति हेतु लंबित हैं? (ख) लंबित कार्य कब तक स्वीकृत हो जावेंगे?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) जिला दमोह में मंडी बोर्ड स्तर से वर्ष 2013-14, 2014-15 एवं 2015-16 में निर्माण कार्यों की जारी प्रशासकीय स्वीकृति के तहत कराये गये कार्यों की प्रश्नगत जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। दमोह जिले के अंतर्गत लगभग 65 सड़क निर्माण कार्यों के प्रस्ताव मंडी बोर्ड को प्राप्त हुये थे, जिन्हें मुख्य सचिव, म.प्र. शासन की नोटशीट क्रमांक 340 दिनांक 15.09.16 के निर्देश संदर्भ में मंडी बोर्ड द्वारा मंडी प्रांगण के बाहर भवन या सड़क के कार्य नहीं कराये जायेंगे, अपितु यह कार्य लोक निर्माण विभाग या म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के माध्यम से कराये जायेंगे, के अनुक्रम में मुख्य कार्यपालन अधिकारी म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण को दिनांक 06.01.17 से आगामी कार्यवाही हेतु प्रेषित किया गया है। इस संबंध में मंडी बोर्ड स्तर पर उल्लेखित सड़क प्रस्तावों की स्वीकृति संबंधी अन्य कोई कार्यवाही लंबित नहीं है। (ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में समय-सीमा बताने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, कृषि मण्डी बोर्ड द्वारा हमारे विधानसभा क्षेत्र की 10 सड़कें व जिले की 65 सड़कें स्वीकृत कराने हेतु विगत 6 वर्षों से प्रयासरत् हैं.
अध्यक्ष महोदय - (विपक्ष के कुछ लोगों के खड़े होने पर) यह बात ठीक नहीं है. आप दूसरों के प्रश्न में इण्टरफेयर करते हैं, आपके प्रश्न में कोई करेगा तो आपको कैसा लगेगा ? आप लोग बैठ जाएं. क्या आप हर प्रश्न में ही खड़े होंगे ?
श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक - चूँकि हमारी सरकार ने उक्त कार्य मण्डी बोर्ड से न करवाकर सी.ई.ओ.,एम.पी.आर.डी.सी. को दिनांक 6/1/2017 को पत्र लिखकर कार्य कराने का लेख किया है. उक्त प्रस्तावित कार्य न कराने हेतु जिस प्रकार मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन ने पत्र जारी किया है. मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन एवं सी.ई.ओ., एम.पी.आर.डी.सी. को भी पत्र जारी करें कि प्रस्तावित कार्य जो मण्डी बोर्ड ने सौंपे हैं, वे शीघ्र करवाये जायें. अध्यक्ष महोदय, हमारी मण्डी में कर्मचारियों की कमी के कारण लगातार डाक न होना एवं अनियमितताएं होना आदि प्रचलन में हैं, इसकी जांच कराएं एवं कर्मचारियों की पदपूर्ति की जावे.
अध्यक्ष महोदय - पहले एक प्रश्न का उत्तर ले लें. वे दोनों अलग-अलग विषय हैं.
श्री गौरीशंकर बिसेन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने प्रश्न के उत्तर के बाद अपना समाधान स्वयं ही कर दिया है कि आर.आर.डी.ए. को प्रस्ताव भेजा जा चुका है और आर.आर.डी.ए. अपनी प्रक्रिया में है, जब उसके बारे में माननीय मुख्यमंत्री जी की बैठक होगी तब उसमें निर्णय होगा.
श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक - मेरा एक प्रश्न और है. अध्यक्ष महोदय, किसान 12,000 रुपये का बीज लेता है और बेचते समय 4-5,000 रुपये का हो जाता है.
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं होता.
श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक - अध्यक्ष महोदय, किसान की लागत के आधार पर उन्हें लाभकारी मूल्य मिले, महंगाई के आधार पर किसानों के अनाज के रेट बढ़ें एवं किसान के लिए एक आयोग बनना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - इससे उद्भूत नहीं होता.
श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान हमारे क्षेत्र में आंदोलित हो रहे हैं.
श्री लखन पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न में जो 64 सड़कें मण्डी बोर्ड से स्वीकृत की गई थीं. मेरी विधानसभा क्षेत्र में करीब 14 सड़कें ऐसी थीं, जिनका टेण्डर हो चुका था, दो बार टेण्डर हुआ और वह स्वीकृत न होने के कारण निरस्त कर दिया गया था. मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूँ कि आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि उनकी स्वीकृति है तो वह उसकी घोषणा कर दें कि वह रोड़ बनाई जाएगी तो बड़ी कृपा होगी.
अध्यक्ष्ा महोदय-- इससे यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री लखन पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह उन्हीं 65 रोडों में से है इसे करवा दीजिए.
अध्यक्ष महोदय-- क्या आपको इसकी कुछ जानकारी है इससे प्रश्न उद्भूत ही नहीं हो रहा है.
बीना से देहरी सड़क मार्ग का निर्माण
[लोक निर्माण]
4. ( *क्र. 5260 ) श्री महेश राय : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बीना से देहरी सड़क मार्ग स्वीकृत हो गया है? (ख) यदि हाँ, तो किस विभागीय मद से कार्य स्वीकृत हुआ है। वर्तमान स्थिति से अवगत करायें। (ग) यदि नहीं, है तो क्या शासन के द्वारा देहरी रोड की कार्य योजना प्रस्तावित है? (घ) प्रश्नांश (क) के अनुसार उक्त सड़क निर्माण कार्य के टेण्डर प्रक्रिया की समय-सीमा से अवगत करावें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) प्रश्नांकित मार्ग म.प्र. ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण के अधीन है, प्राप्त उत्तर संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर अनुसार। (ग) एवं (घ) प्रश्नांश (क) के उत्तर अनुसार।
श्री महेश राय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रधानमंत्री सड़क योजना का प्रश्न ग्रामीण पंचायत विभाग में लगाया था परंतु मेरा प्रश्न पी.डब्ल्यू.डी. विभाग में पहुंच गया है. अब आप ही बताएं कि इसमें मैं क्या करूं?
अध्यक्ष महोदय-- अब पी.डब्ल्यू.डी. मंत्री से उत्तर ले लीजिए. सामूहिक जिम्मेदारी उनकी भी बनती है.
श्री महेश राय-- अध्यक्ष महोदय, उसका उत्तर ही नहीं मिल पाएगा. यह प्रधानमंत्री सड़क योजना का, ग्रामीण एवं पंचायत विभाग का प्रश्न है. आप ही बताएं अब मैं क्या करूं? डेढ़ साल बाकी रह गया है. वह पी.डब्ल्यू.डी. का रोड नहीं है. ग्रामीण एवं पंचायत विभाग का रोड है. इसमें कौन जिम्मेदार होगा, यह आप तय करें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बड़ा गम्भीर विषय है.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग से प्रश्न पूछा था पी.डब्ल्यू.डी. में चला गया.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आधे प्रश्नों के उत्तर सही नहीं आते हैं, कुछ प्रश्नों को रिजेक्ट कर दिया जाता है और कुछ प्रश्नों में पूछा किसी विभाग से जा रहा है और जा किसी और विभाग के पास रहा है. इस पर थोड़ा ध्यान दें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न सबके आते हैं और यदि कोई व्यवधान होगा तो उधर भिजवा देंगे, यह सामूहिक जिम्मेदारी है.
श्री महेश राय-- अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं कि ग्रामीण विकास मंत्री इसके विषय में कुछ आश्वासन दें.
अध्यक्ष महोदय-- आप इसमें ग्रामीण विकास विभाग का परिशिष्ट ''एक'' देखें.
श्री महेश राय-- अध्यक्ष महोदय, उसमें पी.डब्ल्यू.डी. विभाग ने उत्तर दिया है कि वह प्रधानमंत्री सड़क योजना का रोड है. मुझे आज पहली बार तो प्रश्न पूछने का मौका मिला है लेकिन वह भी आधा अधूरा.
अध्यक्ष महोदय-- ग्रामीण विकास के महाप्रबंधक ने लिखा है कि यह 5260 की जानकारी तैयार कर आपकी ओर आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित की जा रही है. आप पी.डब्ल्यू डी. से उत्तर ले लीजिए.
श्री महेश राय-- अध्यक्ष महोदय, प्रेषित तो हो जाएगा, परंतु मुझे बहुत उम्मीद थी कि आज कुछ निराकरण हो जाएगा. शहर से जुड़ा रोड है. 100 गांव के लोगों का आना-जाना है. कई बार उस रोड के कारण आंदोलन हो चुके हैं. लोग हमें घेर लेते हैं.(XXX). (हंसी)
अध्यक्ष महोदय-- आप उत्तर तो ले लीजिए.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि यह सड़क मध्यप्रदेश ग्रामीण विकास प्राधिकरण की ही है. यह बात भी सही है कि यह सड़क क्षतिग्रस्त है लेकिन हमारे अधिकारियों ने ग्रामीण विकास एवं पंचायत के अधिकारियों से बात की है. उसके प्राक्कलन की स्वीकृति प्रक्रियाधीन है और मैं एक पत्र और लिखूंगा ताकि माननीय सदस्य की भावना का आदर हो सके. टेंडर की प्रक्रिया उपरांत यह काम होगा लेकिन मैं उन अधिकारियों अपने यहां से एक पत्र चला जाए, यह निर्देश जारी करूंगा.
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, यह अव्यवस्था का मामला है. यह प्रश्न जिस विभाग को जाना चाहिए था, वह उस विभाग को क्यों नहीं गया, इस पर आप जरूर गौर करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- इसे हम दिखवा लेंगे.
श्री महेश राय-- इस संबंध में मैंने जो भी प्रधानमंत्री सड़क योजना के वरिष्ठ अधिकारी थे उन सबको अवगत करा चुका था. सम्माननीय मंत्री जी से भी इस संबंध में कई बार मिला था, परंतु उस पर आज तक भी कोई अग्रिम कार्यवाही नहीं हुई है.
अध्यक्ष महोदय-- यह प्रश्न आपने लोक निर्माण विभाग से पूछा है आप प्रश्न क्रमांक 4 पर तो नजर डालें. उन्होंने पूछा ही लोक निर्माण विभाग से है. फिर भी ग्रामीण विकास विभाग ने लोक निर्माण विभाग के पास में जानकारी भेजी है. मैं यही कह रहा था कि आपको जानकारी मिल गई है अब आप बोलिए महेश राय जी.
श्री अजय सिंह-- अध्यक्ष महोदय,(XXX).
अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकाल दीजिए जो माननीय सदस्य ने कहा वह भी और जो नेता प्रतिपक्ष जी ने कहा वह भी. विधायक जी पूछिए आप क्या पूछ रहे हैं.
श्री महेश राय-- अध्यक्ष महोदय, हमें यह आश्वासन मिल जाए कि हम जनता के बीच में जाकर बता दें कि दो या तीन महीने में कुछ काम हो जाएगा.
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, जो विधायक की पीड़ा है उसे तो रहने दें आप.
श्री महेश राय-- अध्यक्ष महोदय, उस रोड के कारण बहुत पीड़ा है.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइए अपना उत्तर ले लीजिए.
श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, मैं व्यक्तिगत भी उनसे बात कर लूंगा और माननीय विधायक जी का सम्मान बना रहे और काम हो जाए तो मैं व्यक्तिगत अधिकारियों से बात कर लूंगा.
डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, आप पी.डब्ल्यू.डी. से बनवा दें क्या दिक्कत है. 56 ग्रामीण सड़कें हैं एक-एक किलोमीटर हैं पी.डब्ल्यू.डी. ने बनाईं हैं. जवाब देने के लिए मंत्री जी खड़े हैं. जब आप सामूहिक जिम्मेदारी बोलते हैं तो इसमें भी निविदा दो कि एक महीने में बनकर तैयार हो जाए.
प्रश्न संख्या-5 (अनुपस्थित)
रतलाम बांसवाड़ा मार्ग निर्माण में मापदंडों का उल्लंघन
[लोक निर्माण]
6. ( *क्र. 4003 ) श्रीमती संगीता चारेल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रतलाम बांसवाड़ा मार्ग पर ग्राम घामनोद बायपास मार्ग के निर्माण में शासन के मापदण्डों के अनुरूप कम से कम टर्न हो, इसके विरूद्ध जाकर अत्यधिक 90 डिग्री से अधिक के अनेक मोड़ निर्मित कर सड़क निर्माण किया गया? विभाग के अधिकारियों द्वारा किन नियमों के अनुसार अन्धे मोड़ की स्वीकृति दी गई? (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही होगी? नहीं तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी नहीं। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्रीमती संगीता चारेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूँ. रतलाम-बांसवाड़ा जो सड़क बनाई गई है वह मापदण्डों के अनुसार नहीं बनाई गई है. पिछली बारिश में वहां जो पुलिया बनी थी वह टूट चुकी है. उसके कारण वहां पर दो लोगों की मृत्यु हो चुकी है. पिपलौदा और बोदना सड़क पर दो चौराहे बने हुए हैं. चारों तरफ से सड़क चालू है, आए दिन वहां पर गंभीर दुर्घटनाएं होती रहती हैं. विभाग द्वारा वहां पर स्पीड ब्रेकर नहीं बनाए गए हैं, न वहां विद्युत सुविधा है, न ही यात्री प्रतीक्षालय बना है. कोई भी व्यवस्था नहीं है. माननीय मंत्री जी से निवेदन है इसका कुछ निराकरण करें.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने चिंता जाहिर की है. सड़क पर कोई भी टूट-फूट होती है तो विभाग द्वारा वह काम कराया जाता है और यदि गारंटी पीरियड का काम होता है तो जरुर होता है. जहां तक पुलिया टूटने का सदस्या ने प्रश्न किया है, यदि ऐसी कोई भी पुलिया टूटी होगी तो हम उसका सेफ्टी ऑडिट करा लेंगे और गारंटी पीरियड में कोई चीज है तो उसमें हम पुलिया का जो काम है उसे देख लेंगे, एक्सीडेंट का जहां तक मामला है, उस सड़क पर 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति होना चाहिए परन्तु जब ज्यादा स्पीड होती है, ड्रायवर अनियंत्रित होता है तो कभी-कभी घटना होती है. माननीय सदस्य की जैसी चिंता है उसका हम एक बार परीक्षण करा लेंगे.
श्रीमती संगीता चारेल--माननीय मंत्री जी वहां पर स्पीड ब्रेकर जरुर बनवाएं. वह घाट सेक्शन है वहां काफी घाट है और आए दिन वहां दुर्घटनाएं होती हैं. लोग या तो खाई में गिर जाते हैं या जान से हाथ धो बैठते हैं.
श्री लाल सिंह आर्य--माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा कोई स्थान है जहां लगेगा कि आवश्यक है तो हम उसका एक बार परीक्षण करा लेंगे. अधिकारियों को भेजकर उसको दिखवा लेंगे.
श्रीमती संगीता चारेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन करना चाहती हूँ. सैलाना से रतलाम मात्र 20 किलोमीटर दूर है और बीच में टोल-टैक्स लिया जाता है तो मेरा निवेदन है कि यह 7-8 किलोमीटर की दूरी में टोल-टैक्स की छूट दी जाए. वहां से बच्चों की बसें आती हैं, व्यापारियों के वाहन आने जाने में असुविधा होती है. इसका निराकरण जरुर करें.
अध्यक्ष महोदय--यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं होता है.
नवनिर्मित बनियातारा स्टॉप डेम निर्माण की जाँच
[जल संसाधन]
7. ( *क्र. 3881 ) श्री रामप्यारे कुलस्ते : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मण्डला जिले के अंतर्गत बनियातारा सिंचाई डेम की स्वीकृति कब दी गई थी तथा कितनी राशि स्वीकृत की गई थी? उक्त कार्य का निर्माण किस एजेंसी को दिया गया था तथा कब तक कार्य पूर्ण करना था? (ख) क्या डेम निर्माण का कार्य पूर्ण होने के पहले ही स्लूस गेट एवं स्लूस एप्रोच टूट गये हैं, इसके क्या कारण हैं? (ग) डेम निर्माण में जो पिंचिग का कार्य किया गया है, वह पूर्णत: घटिया है, यह पहली बारिश में ही टूट गया है? (घ) क्या डेम निर्माण का कार्य पूर्ण होने के पूर्व डेम फट चुका है तथा बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं, इसके क्या कारण हैं? (ड.) क्या डेम निर्माण के पूर्व डेम की यह स्थिति निर्मित हुई है, उसमें संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करते हुये कार्यवाही करेंगे?
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति दिनांक 29.05.2013 को रू. 909.68 लाख की प्रदान की गई थी। श्री सुशील दत्त पाण्डे खरगोन। दिनांक 30.05.2016। (ख) स्लूस के एप्रोच स्लेब में निर्माण के दौरान आंशिक टूट-फूट हुई थी। जिसे पुनः निर्माण कर सुधार करा लिया गया है। (ग) पिचिंग कार्य गुणवत्ता पूर्ण कराया गया है। बारिश में कोई क्षति नहीं होना प्रतिवेदित है। (घ) एवं (ड.) जी नहीं। बाँध पूर्णतः सुरक्षित एवं सुदृढ़ है। अतः अधिकारियों पर कार्यवाही करने की स्थिति नहीं है।
श्री रामप्यारे कुलस्ते--माननीय अध्यक्ष महोदय, बनियातारा डेम के निर्माण में जो घटिया काम हुआ है जिसके कारण पहली बारिश में ही बांध में दरारें आईं, स्लूस गेट टूट गया. मेरा माननीय मंत्री जी से स्पेसिफिक प्रश्न है कि यदि स्लूस गेट टूट गया है, डेम में दरारें आई हैं तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध वे कुछ जिम्मेदारी तय करेंगे क्या ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र--माननीय अध्यक्ष महोदय, बांध की जिस समय शिकायत आई थी उस समय पूरी मरम्मत करा दी गई थी. बांध पूरी तरह से अच्छी स्थिति में है, भरा भी था, सिंचाई भी हुई थी. इसके बाद भी सम्मानित सदस्य ने प्रश्न लगाया है और कोई उन्हें शिकायत प्रतीत होती है तो हम भोपाल से अधिकारी को भेजकर जाँच करा देंगे और यदि कोई दोषी पाया जाएगा तो उसे दंडित भी करेंगे.
श्री रामप्यारे कुलस्ते--माननीय मंत्री जी कब तक जांच हो जाएगी ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र--इसी हफ्ते भेज देंगे.
श्री रामप्यारे कुलस्ते--धन्यवाद.
जावरा शहर में फ्लाई ओवर ब्रिज का निर्माण
[लोक निर्माण]
8. ( *क्र. 5150 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जावरा शहर एवं आस-पास के क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या एवं बढ़ते वाहनों की संख्या के कारण शहर के मध्य रेलवे फाटक पर 24 घंटे में कई बार फाटक बंद होने से शहर दो भागों में बंट कर रूक सा जाता है? व्यापारिक, शैक्षणिक, स्वास्थ्य एवं आपातकालीन सेवाएं ठप सी हो जाती हैं। (ख) यदि हाँ, तो क्या विगत वर्ष बजट में शासन/विभाग द्वारा उक्त स्थल पर सेतु विभाग द्वारा फ्लाई ओवर ब्रिज निर्माण किये जाने की बजट में स्वीकृति देकर टेंडर काल एवं वर्क आर्डर की प्रक्रिया भी पूर्ण कर ली गई है? (ग) यदि हाँ, तो क्या संबंधित एजेंसी ठेकेदार द्वारा फ्लाई ओवर ब्रिज निर्माण कार्य को प्रारंभ किये जाने हेतु अपना कैंप लगाकर औपचारिकताएं पूर्ण कर प्रारंभिक कार्यों की शुरूआत भी कर दी थी? (घ) यदि हाँ, तो अवगत कराएं कि शहर एवं क्षेत्र की अत्यंत गंभीर समस्या एवं मुख्य आवश्यकता की इस महती एवं महत्वपूर्ण कठिनाई के निराकरण को शीघ्र किये जाने हेतु निर्देशित किए जाने के बाद अब और कौन सी औपचारिकताएं शेष रही हैं? कब पूर्ण होंगी एवं कब तक निर्माण कार्य निरंतर रूप से प्रारंभ किया जा सकेगा?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी नहीं। जी नहीं। (ख) जी हाँ। (ग) जी हाँ। (घ) रेल्वे की आपत्ति, स्थानीय जनता का विरोध एवं निर्माण में आ रहे अतिक्रमण को हटाया जाना शेष है। बाधाओं के निराकरण उपरांत कार्य को निरंतर रूप से किया जा सकेगा, समय-सीमा बतायी जाना संभव नहीं है।
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से सर्वप्रथम माननीय मुख्यमंत्री जी और शासन का बहुत-बहुत धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूँ कि उन्होंने हमारे क्षेत्र की बहुत महत्वपूर्ण और गंभीर आवश्यकता की पूर्ति के लिए स्वीकृति प्रदान की और उसे बजट में सम्मिलित किया. माननीय अध्यक्ष महोदय, 26 फरवरी, 2016 को यह कार्य बजट में सम्मिलित किया गया. 23 मार्च 2016 को निविदाएं आमंत्रित की गईं. 18 अप्रैल 2016 को निविदाएँ स्वीकृत की गईं. लेकिन 1 वर्ष बीत जाने के बावजूद वहां पर कार्य प्रारंभ नहीं किया गया. दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि मैं मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट नहीं हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जवाब में कहा गया है कि वहां पर स्थानीय जनता का विरोध है. मैं बताना चाहता हूं कि वहां के लोगों में तो सेतु स्वीकृत होने से प्रसन्नता है, वहां पर माननीय मुख्यमंत्री जी एवं शासन को लोगों द्वारा धन्यवाद दिया गया और मिठाइयां बांटकर एक-दूसरे को बधाइयां दी गई कि एक अच्छा कार्य उनके क्षेत्र में स्वीकृत हुआ है, लेकिन जवाब में कहा गया कि वहां पर विरोध है, जबकि वहां किसी प्रकार का विरोध नहीं है. मैं जानना चाहता हूं कि ऐसे कौन से कारण हैं, जिसकी वजह से निर्माण कार्य आज तक प्रारंभ नहीं किया गया है ?
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य के उदबोधन से यह तो स्पष्ट है कि शासन की मंशा अच्छी है और इसी कारण कार्य को स्वीकृत भी किया गया. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास रेल्वे के अधिकारी, मण्डल इंजीनियर ट्रैक, रतलाम का 6.12.2016 का पत्र है. अपने पत्र के माध्यम से उन्होंने कहा है कि जब तक रेल्वे की ओर से सहमति नहीं दी जाती, तब तक काम प्रारंभ न किया जाए. इसी वजह से फ्लाई ओवर ब्रिज निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है. जैसे ही हमें रेल्वे से सहमति प्राप्त हो जाती है, माननीय सदस्य निश्चिंत रहें, हम तत्काल निर्माण कार्य प्रारंभ करवा देंगे.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि कार्य स्वीकृति के पूर्व, बजट में सम्मिलित किए जाने के पूर्व, रेल्वे विभाग एवं लोक निर्माण विभाग के सेतु विभाग द्वारा संयुक्त रूप से एक से अधिक बार सर्वे किया गया था. ड्राइंग, डिजाईन और कार्य की समस्त आवश्यकताओं के संबंध में संयुक्त रूप से चर्चा की गई. चूंकि अंडर ब्रिज वहां नहीं बनाया जा सकता इसलिए इस प्रस्ताव को अस्वीकृत कर ओवर ब्रिज बनाने के प्रस्ताव को सहमति दी गई. रेल्वे विभाग एवं राज्य शासन में परस्पर सहमति होने के बाद, प्रस्ताव को बजट में सम्मिलित किया गया. ऐसी दशा में किसी तरह की आपत्ति शेष नहीं रहती है. इसके अतिरिक्त मैं कहना चाहता हूं कि यदि रेल्वे विभाग को किसी प्रकार की कोई आपत्ति है, तो रेल्वे की पटरी के ऊपर वाले हिस्से पर निर्माण के संबंध में भविष्य में, कार्य प्रारंभ होने के पश्चात् भी निर्णय लिया जा सकता है और शेष कार्य जो कि राज्य शासन को करना है, वह तो प्रारंभ किया ही जा सकता है. माननीय मंत्री जी बताने का कष्ट करें कि वे यह कार्य कब तक प्रारंभ करवायेंगे ?
श्री लाल सिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, रेल्वे विभाग द्वारा अपने पत्र में कहा गया है कि उनकी सहमति के बिना किसी प्रकार का निर्माण कार्य प्रारंभ न किया जाये. सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है. सरकार यह कार्य पूरा करना चाहती है. लेकिन यह रेल्वे ब्रिज का कार्य है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा नहीं है. रेल्वे विभाग एवं राज्य शासन के सेतु विभाग ने एक से अधिक बार वहां का सर्वे किया, उसकी स्वीकृति प्रदान की एवं कार्य बजट में सम्मिलित हुआ. मैं इस बात से सहमत हूं कि रेल्वे विभाग द्वारा यदि कोई आपत्ति ली भी गई है तो रेल्वे का हिस्सा छोड़ दिया जाए, उसके बारे में जो निर्णय होना होगा वह भविष्य में हो जाएगा, लेकिन शेष कार्य तो सरकार को प्रारंभ करना चाहिए. यह एक बड़ा कार्य है. इसे पूर्ण होने में काफी समय लगेगा. ओवर ब्रिज न होने से बड़ी गंभीर समस्या वहां उत्पन्न हो जाती है. 24 घंटों में लगातार कई बार फाटक बंद होने के कारण पूरा शहर दो भागों में विभक्त हो जाता है. वहां की शैक्षणिक संस्थायें, स्वास्थ्य सेवायें, व्यापारी वर्ग और पूरा शहर इससे प्रभावित होता है. सरकार को ब्रिज का कार्य प्रारंभ करने में क्या दिक्कत है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने सदन में रेल्वे के पत्र दिनांक 6.12.2016 का उल्लेख किया. ब्रिज की निविदा अप्रैल 2016 में स्वीकृत हुई है. 8 महीनों बाद मंत्री जी रेल्वे के पत्र को माध्यम बनाते हुए आर.ओ.बी. नहीं बना रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक बहुत ही स्पष्ट रूप कह रहे हैं कि रेल्वे ने पहले परमीशन दी, टेंडर जारी होकर सब कुछ हो गया. अप्रैल 2016 में आपने निविदा स्वीकृत कर दी और दिसंबर 2016 तक कार्य प्रारंभ नहीं करने की जवाबदारी के एवज में मंत्री जी आज रेल्वे का पत्र दिखा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- अजय जी आप बैठ जाईये. मंत्री जी, आप इसका परीक्षण करवा लें और रेल्वे की अनुमति के लिए भी प्रयास करें.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि कार्य प्रारंभ करने का आदेश दिया जाए. राज्य शासन को कार्य प्रारंभ करने का आदेश देने में क्या दिक्कत है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में डी.आर.एम. कार्यालय उस स्थान से मात्र 30 किलोमीटर की दूरी पर है. मंत्री जी कार्य प्रारंभ करवाने का आदेश जारी करें.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी से आप उत्तर ले लीजिए.
श्री लाल सिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे कार्य की डिजाईनिंग रेल्वे के द्वारा ही की गई है. रेल्वे विभाग की अनुमति कार्य प्रारंभ करने हेतु अनिवार्य रूप से चाहिए. हम लगातार उनसे पत्राचार कर रहे हैं. सरकार की मंशा साफ है. हम इस फ्लाई ओवर ब्रिज को बनाना चाहते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे ही हमें रेल्वे से अनुमति प्राप्त होगी हम कार्य प्रारंभ करवा देंगे. डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- नहीं, माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन राज्य शासन....
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 9...
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- अध्यक्ष महोदय, आप से एक मिनट और चाहूँगा.
अध्यक्ष महोदय-- वह तो स्टेगनेशन हो गया.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि जो राज्य शासन का हिस्सा है, उसका तो कार्य प्रारंभ करें, उसको प्रारंभ करने में क्या कठिनाई है? वह कार्य तो प्रारंभ किया जा सकता है. प्रदेश में अन्य स्थान पर भी ऐसा हुआ है, प्रदेश में ऐसा किया गया है, तो वैसा किया जा सकता है. जब कार्य स्वीकृत हुए एक वर्ष हो गया और आप कार्य प्रारंभ नहीं कर रहे, परीक्षण करने की बात कर रहे हैं. मैं सरकार से सहमत नहीं हूँ. आप कार्य कब प्रारंभ करेंगे, उस समयावधि से अवगत करा दें?
अध्यक्ष महोदय-- श्री सूबेदार सिंह रजौधा आप अपना प्रश्न करें.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि रेल्वे विभाग की अनुमति नहीं मिली तो कार्य तो पूरा ही बेकार हो जाएगा.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- यह तो कोई जवाब नहीं होता. इसका मतलब है कि समस्या वहीं खड़ी रहे. शासन कुछ करना नहीं चाहता. यह कोई बात होती है क्या?
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय पाण्डेय जी, हम पुनः उनसे पत्राचार करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- वे रेल्वे से पत्राचार करेंगे.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- नहीं, मुझे समयावधि बताई जाए.
अध्यक्ष महोदय-- जबर्दस्ती थोड़ी ही कर सकते हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- मैं हाथ जोड़कर निवेदन करता हूँ कि मुझे समयावधि बताई जाए. वह कितनी समयावधि में करेंगे?
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब कोई प्रश्न नहीं. अब श्री सूबेदार सिंह रजौधा जी का प्रश्न. डॉ पाण्डेय साहब, आपको बहुत समय दिया. आप गंभीर सदस्य हैं, बहुत समय दिया.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- अध्यक्ष महोदय, अत्यन्त जरूरी है.
अध्यक्ष महोदय-- मालूम है इसलिए सरकार ने स्वीकृत किया. उसमें कुछ अड़चन मंत्री जी बता रहे हैं.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- अध्यक्ष महोदय, समयावधि बता दी जाए.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठ जाएँ. दूसरों के भी प्रश्न हैं. सूबेदार जी, आप तो प्रश्न पूछिए.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय-- अध्यक्ष महोदय, समयावधि बताने में क्या जा रहा है? समयावधि तो बताई जा सकती है कि कितनी समयावधि में कार्य प्रारंभ होगा.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, वह नहीं बता रहे हैं. बैठ जाएँ, अब जिद करने से कोई मतलब नहीं है.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय-- मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन कर चुका.
अध्यक्ष महोदय-- अब श्री रजौधा का लिखा जाएगा. डॉक्टर साहब का नहीं लिखा जाएगा. रजौधा जी, आप तो पूछिए. वही मंत्री उत्तर देंगे. आपके पश्न का उत्तर आएगा आप तो पूछिए.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- (xxx)
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे सामने धर्म संकट है. वे बोल रहे हैं. वे मेरी समिति के चेयरमेन हैं...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- सुनाई पड़ रहा है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- (xxx)
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- अब मैं किसकी बात मानूँ? किसकी नहीं मानूँ?
श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, सहमति 15 दिन के अन्दर मिल जाएगी, काम प्रारंभ हो जाएगा. महीने भर के अन्दर मिल जाएगी, काम प्रारंभ हो जाएगा. दो महीने में मिल जाएगी, काम प्रारंभ हो जाएगा. जब तक अनुमति नहीं मिलेगी ..(व्यवधान)..
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साहब, आप गंभीर सदस्य हैं. इस तरह से जिद नहीं कर सकते.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- श्री रजौधा अपना प्रश्न करें. डॉक्टर साहब का नहीं लिखा जाएगा. रजौधा जी, आप प्रश्न पूछिए आपके प्रश्न का उत्तर आएगा.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय-- (xxx)
अनुबंध के पश्चात् निविदा दरों में परिवर्तन
[लोक निर्माण]
9. ( *क्र. 2975 ) श्री सूबेदार सिंह रजौधा : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लोक निर्माण विभाग में निविदा में प्राप्त दर को अनुबंध करने के पश्चात दरें परिवर्तित करने का अधिकार किस सक्षम अधिकारी को प्राप्त है? सक्षम अधिकारी का पद नाम बतावें? यदि नहीं, तो स्पष्ट करें कि सक्षम अधिकारी के अलावा ऐसा करना वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है या नहीं? (ख) क्या लोक निर्माण विभाग (वि.यां) संभाग ग्वालियर में अनुबंध क्रं. 15/2016-17 में कार्यादेश क्र. 3697/3698, दिनांक 27-06-2016 में अनुबंधित दर से हटकर अन्य दर पर कार्यों का भुगतान किया गया है? यदि हाँ, तो यह नियम संगत है? नियम की प्रति उपलब्ध करावें। (ग) प्रश्नांश (ख) में वर्णित कृत्यों में अनियमितता करने वाले अधिकारी के विरूद्ध जाँच कराई जाकर दण्डात्मक कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो कारण बतावें?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) किसी को नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले मैं यह कहना चाहता हूँ कि कल मैं स्वास्थ्य विभाग की अनुदान मांगों पर बोल रहा था, तो आपने मुझे दो मिनट दिए. मैंने कहा पाँच मिनट बोलूँगा, मैंने यह ठीक नहीं किया उसके लिए क्षमा चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, कोई बात नहीं.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- लेकिन आज के प्रश्न में आप मेरा पूरा सहयोग करेंगे और मंत्री जी से निर्णय कराएँगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्न लगाया है वह इंजीनियर तो हैं ही लेकिन इंजीनियर के साथ-साथ बहुत बड़ा कारीगर है. उनके खिलाफ सांसद ने शिकायत की है, दो विधायकों ने शिकायत की है. मेयर साहब ने शिकायत की है और पार्टी के जिलाध्यक्ष ने शिकायत की है, लेकिन उनकी आज तक कोई जाँच नहीं हुई और उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई. उनके खिलाफ मेरा प्रश्न है. अध्यक्ष महोदय, लोक निर्माण विभाग के एग्जीकेटिव इंजीनियर हैं, मैंने एक प्रश्न पूछा है कि लोक निर्माण विभाग में निविदा में प्राप्त दर को अनुबंध करने के पश्चात् दरें परिवर्तित करने का अधिकार किस सक्षम अधिकारी को प्राप्त है? तो माननीय मंत्री जी ने मेरा जवाब तो दे दिया कि किसी को नहीं, लेकिन फिर मैंने पूछा है एक पेज का, उसमें जी नहीं, जी हाँ, है. अध्यक्ष महोदय, जो कार्यादेश हुए हैं उनको परिवर्तन करके बिना किसी बड़े अधिकारी के, बिना किसी छोटे अधिकारी के, निविदाओं से अधिक भुगतान किया है, उनके बारे में मेरे पास पूरी जानकारी है और जो दो विधायक, सांसद और मेयर साहब ने शिकायत की है, वह कॉपी भी मेरे पास है. मेरा पूरा प्रश्न कर लूँ?
अध्यक्ष महोदय-- अभी आप इसका उत्तर ले लें.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस ईई के बारे में आप बात कर रहे हैं, वहाँ पर जोनल होते हैं. बंगलों का कुछ जोनल होता है, कुछ मजिस्ट्रेट वगैरह रहते हैं, वहाँ का जोनल रहता है. उन जगहों पर काम करने के लिए साल भर का कोई न कोई टेण्डर होता है. छोटे-छोटे काम होते हैं. 20 हजार का, 50 हजार का, 1 लाख का. एक बार ऑनलाईन टेण्डर प्रक्रिया हो गई, किसी ठेकेदार को मिल गई तो फिर उसको कहीं न कहीं कोई नया कार्य करना है तो उसकी सहमति लेनी पड़ती है. उसने सहमति ली है, लेकिन फिर भी माननीय सदस्य की भावना को ध्यान में रखते हुए हमने मुख्य अभियंता, ग्वालियर को जॉंच के निर्देश दिए हैं. अगर कोई दोषी होगा तो कार्यवाही की जाएगी.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय -- आपको अवसर देंगे, आप पूरा उत्तर तो ले लें.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, उत्तर मैंने सुन लिया जो उन्होंने दिया है. एक तो माननीय मंत्री जी, लोक निर्माण विभाग को उस समय जो बताया होगा, उतना बता रहे हैं लेकिन मैं कह रहा हॅूं कि कार्यपालन यंत्री (वि./या.) संभाग, ग्वालियर द्वारा मनमाने तरीके से नियमों की अनदेखी कर अनियमित कार्य कराए जा रहे हैं. कार्यादेश क्रमांक 3697/3698, 5555/8831, 2105/5951, 6232/7069, 7392/7727 इतने कार्यादेशों की निविदा के बाद में उन्होंने ठेकेदार के साथ समझौता करके ज्यादा भुगतान किया है जबकि कोई अधिकार नहीं है. पीडब्ल्यूडी में कम से कम मैंने एक आंगनवाड़ी बन रही थी तो मैंने इंजीनियर को कहा कि ठेकेदार को उसका पेमेन्ट कर दो तो उसने कहा कि पुताई ठीक नहीं हुई है, पीएस खा जाएगा. लेकिन इस अधिकारी के आगे कोई पीएस, मंत्री नहीं लग रहा है. मैं चाहता हॅूं कि इसको हटाने के बाद ही जॉंच की जाए.
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने बहुत स्पष्ट कहा है. शासन की यह प्रक्रिया है कि हम किसी को नोटिस देते हैं, उसका जवाब मांगते हैं. मैंने कहा है कि हमने जॉंच मुख्य अभियंता, ग्वालियर को दी है और उसमें कोई दोषी पाए जाएंगे तो केवल हटाने की कार्यवाही क्या होती है और कोई बड़ी कार्यवाही होगी, तो हम वह भी करेंगे. लेकिन अभी जॉंच तो हो जाए और हम एक महीने के अंदर उसकी पूरी जॉंच करा लेंगे.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- कार्यवाही करेंगे तो उसमें एफआईआर होगी. वह तो पीएस साहब ने मेरा प्रश्न लगने के बाद उसके जॉंच के आदेश कर दिए हैं लेकिन आज सदन में ऐसे अधिकारी के खिलाफ, जिसने कई कार्यादेशों से अधिक भुगतान किया है आप उसको हटाकर जॉंच नहीं करवाना चाहते. ऐसी क्या बात है ? माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे प्रार्थना कर रहा हॅूं मैंने आपसे कहा था कि आप मुझे जवाब दिलवा दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी ने जवाब तो दे दिया है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सस्पेंड नहीं चाह रहा हूँ, मैं कोई कार्यवाही नहीं चाह रहा हॅू. मैं तो स्पष्ट जॉंच चाह रहा हॅूं और हटाकर जॉंच कराने में क्या दिक्कत है ? जो कार्यादेश चेंज कर सकता है उसके आगे क्या जॉंच हो पाएगी ?
अध्यक्ष महोदय -- एक महीने का उन्होंने टाइम लिया है. एक महीने में जॉंच करने की समय-सीमा दी है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय..
अध्यक्ष महोदय -- अब हर सदस्य इसी तरह अडे़ंगे, तो कैसे काम चलेगा. यह श्री डंग जी ने शुरू किया है कि हमारे काम में अभी हॉं ही करो.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अड़ नहीं रहा हॅूं. मैं निवेदन कर रहा हॅूं. उसको हटाकर जॉंच हो जाए, भले ही बाद में उसको पदस्थ कर दीजिए........(व्यवधान).......आप मुझे दंड दे दीजिए, यदि मैं गलत कह रहा हॅूं. भले ही उसको 15 दिन के लिए हटा दीजिए.....(व्यवधान).......
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विपक्ष के इतने सदस्यों की भावनाओं का आदर करते हुए मैं आपके माध्यम से अनुरोध करूंगा कि इतने सारे सत्ता के विधायक खडे़ हैं एक छोटी-सी बात करके उसको हटाकर जॉंच करने में क्या दिक्कत है?
श्री रामनिवास रावत -- यह छोटी-सी बात नहीं है बहुत गंभीर बात है. जब विधायक जी आरोप लगा रहे हैं कि अनुबंध से अधिक भुगतान किया है और आपके पास उसकी कॉपी है. आपकी जानकारी में है फिर जॉंच किस बात की कराएंगे ?
श्री अजय सिंह -- उसको हटाकर जॉंच कराने में क्या दिक्कत है ?
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, दो विधायकों ने लिखा है और मेयर ने लिखा है. भ्रष्टाचार करने वालों को क्यों संरक्ष्ाण दे रहे हैं ?
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सामूहिक दायित्व है आपका. ठीक है अनेक इस तरह की बातें आती हैं लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होती है.
अध्यक्ष महोदय -- इस बात पर उत्तर आएगा, आपका.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हॅूं.
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग बैठ जाएं.
डॉ गोविंद सिंह—(XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यदि पीछे सदस्य खड़े हों तो मर्यादा के खिलाफ है कि आप सामने खड़े होकर बात करें.श्री सुखेन्द्र सिंह अपना प्रश्न करें.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कितनी गंभीर बात है.भ्रष्टाचार करने वालों को इस तरह से संरक्षण मिलेगा तो हाउस का क्या अर्थ होगा इसलिए हाउस में प्रश्न लगाने के बाद भी ऐसे लोग डरते नहीं है.
डॉ गोविंद सिंह-- पूरी हाउस की गरिमा खत्म हो गई है, विधायिका की गरिमा खत्म,सदन की गरिमा खत्म. (XXX) जब प्रमाण सामने आ चुके हैं तो क्या दिक्कत आ रही है...(व्यवधान)..तत्काल सस्पेंड करना चाहिए.अध्यक्ष महोदय, आपसे संरक्षण चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाएं आप लोग. आपके ही सदस्य का प्रश्न है. एक-एक ही प्रश्न में इतना समय नहीं लगाएंगे.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, भ्रष्टाचार प्रथम दृष्टया उजागर हुआ है.
अध्यक्ष महोदय-- परिणाम आ रहे हैं. जाँच करा रहे हैं एक महीने की समय-सीमा में. अब आप लोग बैठिये. ...(व्यवधान)..
डॉ गोविंद सिंह-- अगर आप संरक्षण नहीं देंगे तो कौन देगा संरक्षण. विधायक अपनी फरियाद लेकर आखिर कहाँ जाएं? सदन में सुनवाई नहीं. कहीं पर सुनाई सुनवाई नहीं.. ...(व्यवधान).. मंत्रियों को संरक्षण नहीं मिलना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग बैठ जाएं.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, बहुत गंभीर बात है. यह स्पष्ट है कि उसको संरक्षण मिला है. इस तरह से हाउस का डर समाप्त होता जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग बैठ जाएं कृपया.. ...(व्यवधान).. ऐसे हाथ करने से कुछ नहीं होगा. जो आप कहेंगे वही मानेंगे क्या.
डॉ गोविंद सिंह-- अध्यक्ष महोदय, आखिर यह विधानसभा है किसलिए.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ तो जाएं, जबर्दस्ती करेंगे क्या ...(व्यवधान).. प्रश्न आपका नहीं है, उनका है. आप बैठ जाएं. श्री सुखेन्द्र सिंह अपना प्रश्न करें.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न हाउस का है, हाउस में आ गया तो सबका हो गया है. ...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- लेकिन बोलने का अधिकार अनुमति के बाद है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, विनम्रतापूर्वक निवेदन है कि आप अनुमति प्रदान करें और भ्रष्टाचार को संरक्षण नहीं मिले. इस हाउस में तो कम से कम भ्रष्टाचार को संरक्षण ना मिले.
अध्यक्ष महोदय-- कोई संरक्षण नहीं दे रहे हैं.श्री सुखेन्द्र सिंह प्रश्न करें.
डॉ गोविंद सिंह-- विधानसभा के सदस्यों के ये हाल है तो आम जनता का इस प्रदेश में क्या होगा.
श्री रामनिवास रावत-- उसको संरक्षण ही है. जिस अधिकारी का, जिस व्यक्ति का प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार सिद्ध होता है उसको क्यों संरक्षण दिया जा रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- कोई संरक्षण नहीं दे रहे हैं , इसको कार्यवाही से निकालिये. ...(व्यवधान).. हर प्रश्न पर उठना जरूरी है क्या.
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, सुन लें. मेरा कहना है कि जब माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया, मेरा आपसे अनुरोध है कि उनका व्यक्तिगत प्रश्न नहीं है यह सदन की प्रापर्टी हो गई है और कोई भी सदस्य उसमें अपने विचार प्रकट कर सकता है.
अध्यक्ष महोदय-- आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं. प्रश्नकर्ता सदस्य के अलावा यदि कोई दूसरा सदस्य प्रश्न करता है तो उसको आसंदी की अनुमति की आवश्यकता होती है, यह आप भी जानते हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, सदन परिणाम चाहता है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति से ही प्रश्न करेंगे हम आपकी अनुमति चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- श्री सुखेन्द्र सिंह जी, आप अपना प्रश्न पूछिये नहीं तो मैं आगे का प्रश्न सरस्वती सिंह जी का ले लूंगा.
एन.एच. 7 मऊगंज में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क द्वारा निर्मित मार्ग
[लोक निर्माण]
10. ( *क्र. 3486 ) श्री सुखेन्द्र सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या एन.एच. 7 मऊगंज एम.डी.आर. सड़क से मऊगंज घोघम पहुंच मार्ग हनुमना-बहरी सीधी जिला मार्ग को जोड़ने वाले मार्ग की कुल लंबाई 28.30 किलोमीटर है, जिसमें 10 किलो मीटर प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क द्वारा निर्मित मार्ग है? (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में क्या इस मार्ग में पड़ने वाले गांवों की जनसंख्या लगभग 25817 है, जो मार्ग पूर्णत: ध्वस्त है? (ग) प्रश्नांश (क) (ख) के प्रकाश में यदि हाँ, तो इस मार्ग को एम.डी.आर. घोषित किये जाने हेतु एवं मार्ग की केटेगिरी 'बी' का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है? जिसमें लिखा है कि पुनर्निर्माण कराना आवागम की दृष्टि से नितांत आवश्यक है? (घ) प्रश्नांश (ग) के प्रकाश में यदि हाँ, तो इसे स्वीकृत कर बजट में राशि आवंटन की जावेगी? यदि नहीं, तो क्यों? इसे स्वीकृत करने की समय-सीमा बतावें?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) जी हाँ। (ख) जी हाँ, जी नहीं, आंशिक रूप से ध्वस्त है जो मोटरेबल है। (ग) जी नहीं अपितु विभागीय स्तर पर परीक्षणाधीन है। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होते।
श्री सुखेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में मऊगंज से घोघम पहुंच मार्ग जिसकी लंबाई 28 किलोमीटर है. उस रोड के बारे में मैंने प्रश्न किया है. मेरा कहना यह है कि वह रोड पूरी तरह से ध्वस्त है और विभाग ने जो रीवा और मऊगंज से जानकारी भेजी है, उसमें भी यह आया है कि रोड पूरी तरह से ध्वस्त है लेकिन जो जवाब आया है उसमें यह कहा गया है कि आंशिक रूप से ध्वस्त है. जबकि यह रोड इतनी महत्वपूर्ण है, यह लगभग 25817 की आबादी का क्षेत्र है और इस रोड के बगल से एक बंधा भी है जिसके कारण बरसात में आवागमन अवरूद्ध हो जाता है. मेरा प्रश्न है कि इस रोड को मंजूरी प्रदान की जाये. डीपीआर घोषित की जाये और इसको बजट प्रदान किया जाये यह बहुत ही आवश्यक है मेरा यह आपसे अनुरोध है.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, थोड़ा एक बार और प्रश्न कर देंगे प्लीज.
अध्यक्ष महोदय-- उनका प्रश्न आ गया है आप उनका उत्तर दे दीजिये.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे एक सेकेंड की अनुमति दे दीजिये. अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी उसको हटाकर जाँच करेंगे क्या?
अध्यक्ष महोदय-- वह आपको पूछने नहीं देंगे. मुझे मालूम है सुखेन्द्र सिंह जी, आप फिर से प्रश्न पूछिये.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- (XXX).
अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकालिये यह ठीक बात नहीं है.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से आश्वासन चाह रहा था, वे हाँ कर दें चाहें ना कर दें, मैं बैठ जाऊँगा.
अध्यक्ष महोदय -- श्री सुखेन्द्र सिंह, आप प्रश्न फिर से पूछिए.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने यह प्रश्न लगाया था कि मेरे विधान सभा क्षेत्र की मऊगंज और घोघम सड़क, जो कि 28.30 किलोमीटर की है, पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है लेकिन इसमें विभाग की तरफ से यह जवाब आया है कि यह सड़क पूरी तरह से ध्वस्त नहीं है, आंशिक रूप से ध्वस्त है. यह जानकारी बिल्कुल गलत है, यह बहुत महत्वपूर्ण सड़क है, यह बाँध के पास से होकर निकलती है जिससे कि बरसात के दिनों में आवागमन पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है. यह सड़क इतनी खराब हो गई है कि कई एक्सीडेंट भी हो चुके हैं तो मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि इस सड़क को एम.डी.आर. जिला मार्ग घोषित किया जाए और बजट प्रदान किया जाए.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लालसिंह आर्य) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम उसका परीक्षण करा लेंगे और अगर वह सड़क आवश्यक होगी, प्राथमिकता में आती होगी तो हम करा देंगे.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वह सड़क आवश्यक है, इसको एम.डी.आर. घोषित करने के लिए शासन का पत्र भी गया है. मेरा आपके माध्यम से अनुरोध है कि यह बहुत ही जरूरी रोड है और हम इसको कम से कम एम.डी.आर. घोषित करने के लिए कह रहे हैं बाकी जब आपका बजट एलाऊ करे, आज कल, तब दीजिएगा, कोई दिक्कत नहीं है.
श्री लालसिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ठीक है.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
आयातित दलहन पर मण्डी शुल्क की वसूली
[किसान कल्याण तथा कृषि विकास]
11. ( *क्र. 5036 ) श्रीमती सरस्वती सिंह : क्या किसान कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग द्वारा वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक कब-कब प्रदेश के बाहर से आयातित दलहन पर मण्डी शुल्क एवं निराश्रित शुल्क देय था? अवधिवार विवरण दें। (ख) प्रश्नांश (क) की अवधि में अन्तर्राज्यीय जाँच चौकी 'खवासा' से कटनी मण्डी में कितना-कितना दलहन किस फर्म में किस-किस दिनांक को आया? फर्मवार विवरण दें। (ग) प्रश्नांश (ख) में दर्शाये गए विवरण अनुसार क्या कटनी मण्डी की फर्मों द्वारा मण्डी शुल्क एवं निराश्रित शुल्क उसी दर से जमा किया, जिस दर पर बिल जारी है? यदि नहीं, तो मण्डी शुल्क एवं नि:शुल्क की चोरी का आकलन कब कराया जावेगा। (घ) प्रश्नांश (क), (ख) के परिप्रेक्ष्य में जाँच कराकर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही कब तक करेंगे?
किसान कल्याण मंत्री ( श्री गौरीशंकर बिसेन ) : (क) वर्ष 2013 से प्रश्न दिनांक तक प्रदेश के बाहर से आयातित दलहन पर मंडी शुल्क निम्नानुसार अवधि में देय था, दिनांक 20-07-2013 से 22-08-2013 तक, दिनांक 23-08-2015 से 06-01-2016 तक, दिनांक 07-01-2017 से वर्तमान तक तथा प्रदेश के बाहर से आयातित दलहन पर निराश्रित शुल्क समाज कल्याण विभाग मध्यप्रदेश शासन भोपाल की अधिसूचना दिनांक 27-01-2000 अनुसार प्रश्नांश में उल्लेखित अवधि में देय है। (ख) परीक्षण प्रक्रियाधीन है। (ग) प्रश्नांश के सन्दर्भ में जाँच पूर्व से प्रचलित है, जिसमें इस विषय को भी सम्मिलित किया गया है। (घ) दोषिता निर्धारण हेतु परीक्षण प्रचलित है। समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है।
श्रीमती सरस्वती सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, मेरे प्रश्नांश (ख) में मैंने पूछा था कि प्रश्नांश (क) की अवधि में अन्तर्राज्यीय जाँच चौकी 'खवासा' से कटनी मण्डी में कितना-कितना दलहन किस फर्म में किस-किस दिनाँक को आया ? फर्मवार विवरण दें. इसका माननीय मंत्री जी द्वारा उत्तर दिया गया है कि परीक्षण प्रक्रियाधीन है. यह सही जवाब नहीं है, क्या माननीय मंत्री जी डेट बताएंगे कि किस-किस दिनाँक को कितना-कितना दलहन किस-किस फर्म में दिया गया ?
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, दलहन की या कुछ दालों की जब कमी होती है तो राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर मंडी शुल्क में छूट दी जाती है, उस पीरिएड में हमारे 220 फर्म ऐसे हैं, इनकी संख्या कुछ बढ़ भी सकती है, जिन्होंने वर्ष 2013 से वर्ष 2017 तक की छूट की समयावधि में उनका का जो निराश्रित शुल्क 20 पैसा प्रति सैकड़ा जमा होता है उसको उन्होंने पटाया नहीं. चूँकि इसमें पूरे प्रदेश में निराश्रित शुल्क में लगभग 100 करोड़ रुपया आता है और यहाँ पर निश्चित रूप से 10-15 करोड़ रुपये जब पूरे वर्ष की छूट होगी तो मिलेगा, इसमें व्यापारियों का कहना है कि हमें मंडी शुल्क में छूट थी इसलिए हमने निराश्रित शुल्क नहीं जमा किया, तो हमने एक जाँच-समिति बनाई है, इसमें हमारे उप संचालक, जो राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं, वे इसकी जाँच कर रहे हैं और लगभग 220 एकाउंट्स की जाँच करनी पड़ेगी इसलिए इसमें समय लगेगा तो 90 दिन के अंदर जाँच कर लेंगे, चूँकि मंडी शुल्क और निराश्रित शुल्क दोनों हमारी आय का साधन है, अत: इसमें किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा.
श्रीमती सरस्वती सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं शुल्क के बारे में बात नहीं कर रही हूँ, जो इसका जवाब आया है मैं उससे संतुष्ट हूँ. मैं तो यह पूछ रही हूँ कि कटनी मंडी में कितना-कितना दलहन किस-किस तारीख को आया था ?
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या का प्रश्न मंडी शुल्क में छूट की समयावधि में निराश्रित शुल्क नहीं आने का है, इस संदर्भ में हमने कहा है कि हम जाँच कर रहे हैं, जाँच चूँकि लंबी है, फर्मों में जाकर जाँच करनी पड़ेगी तो समय लगेगा.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, प्रश्नांश (ख) में इनका प्रश्न यह भी है कि कितना-कितना दलहन किस फर्म से किस-किस दिनाँक को आया, आपने इसका उत्तर दिया है कि परीक्षण प्रक्रियाधीन है.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रक्रियाधीन है क्योंकि यह बहुत लंबा विषय है और इसका पूरा परीक्षण जब हो जाएगा तो माननीय सदस्या को पूरी सूची उपलब्ध करा दी जाएगी.
अध्यक्ष महोदय -- कितने दिन में करा देंगे ?
श्रीमती सरस्वती सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, परीक्षण वाली बात ही नहीं है, कितना-कितना दलहन आया, यह बता दें.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, चूँकि छूट का जो पीरिएड था, उस समय का हमारे पास में सीधा रिकॉर्ड नहीं आया, इस कारण से इसमें विसंगति आई है, हम पूरा जाँच दल बना रहे हैं, इसकी 90 दिन के अंदर हम जाँच करा लेंगे, उनके साथ हम और भी वरिष्ट अधिकारियों को भेज रहे हैं, इसकी पूरी जाँच हम 90 दिन में करके सूची उपलब्ध करा देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- क्या माननीय सदस्य को उपलब्ध करवा देंगे.
श्री गौरीशंकर बिसेन -- जी अध्यक्ष महोदय.
श्रीमती सरस्वती सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्नांश (ग) में उत्तर आया है कि जाँच पूर्व से प्रचलित है यानि जाँच कराई जा रही है, मैं पूछना चाहती हूँ कि इस जाँच में कौन-कौन सम्मिलित हैं और अभी तक जाँच क्यों नहीं कराई गई ? माननीय सौरभ भैया का प्रश्न है, भैया जी ने मुझे प्रश्न लगाने के लिए बोला था तो मैं बोल रही हूँ.
श्री गौरीशंकर बिसेन :- माननीय सदस्य को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं. अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है, वह हमारे मंडी बोर्ड के लिये सकारात्मक प्रश्न है, कहीं कोई विषय नहीं है. हमारे आय से संबंधित है, इसमें मैंने अभी कहा है कि 220 कटनी की फर्मों का तो हमने अभी आडिट चालू किया है. अभी सिर्फ आडिट चालू किया है, उसकी रिपोर्ट आयी है, चूंकि 1317 पेड़ों का आडिट है, यह लंबा आडिट है. इसमें हमको समय लगेगा, लेकिन हमारा प्रयास है कि हम 90 दिन में इसका आडिट पूरा करायेंगे.
श्रीमती सरस्वती सिंह :- अध्यक्ष जी, मेरा एक प्रश्न और है.
अध्यक्ष महोदय :- अब आप बैठ जाइये, आपके प्रश्न का उत्तर आ गया है.
लेबड़ नयागांव फोर लेन के अपूर्ण कार्य को पूर्ण किया जाना
[लोक निर्माण]
12. ( *क्र. 4561 ) श्री यशपालसिंह सिसौदिया : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) लेबड़-नयागांव फोर-लेन पर ट्रकों को खड़े करने के लिए अनुबंध के अनुसार कितने ले-बाय कहाँ-कहाँ रखे जाना प्रस्तावित थे? क्या सभी स्थलों पर ले-बाय बनाये गये हैं, इन ले-बाय में क्या-क्या सुविधाएं कन्सेश्नर को दी जाना अनुबंध के अनुसार प्रस्तावित थी? क्या समस्त प्रस्तावित सुविधाएं वर्तमान में दी जा रही हैं? (ख) प्रश्नांश (क) संदर्भित सभी सेंटर पर पानी, छत, शौचालय, विद्युत कनेक्शन उपलब्ध हैं, इसकी जांच कब-कब, किस-किस MPRDC के या अन्य अधिकारी ने की? अधिकारी के नाम सहित जानकारी देते हुए बतायें कि इस संबंध में कितनी शिकायत किस-किस व्यक्ति/संस्था की विभाग को प्राप्त हुईं, उस पर क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या विधानसभा की सरकारी उपक्रम समिति द्वारा इस मार्ग का निरीक्षण कर उक्त सर्विस सेंटर की कमियों को ठीक कर सुविधा चालू करने के निर्देश अधिकारियों को वर्ष 2016 में दिए? क्या उन पर प्रश्न दिनांक तक अमल हुआ? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? (घ) क्या फोरलेन कन्सेश्नर द्वारा उन सम्पूर्ण फोर-लेन पर लगे पौधों का भौतिक सत्यापन (गिनती) करवायी गयी थी? यदि हाँ, तो लेबड़-जावरा तथा जावरा-नयागांव के बीच कितने पौधे लगाए गये, कितने और लगना शेष हैं? क्या इन समस्त पौधों पर मार्किंग या नम्बर प्लेट लगाई गयी है? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) : (क) लेबड़-नयागांव फोरलेन मार्ग को दो भागों में विभाजित होकर प्रथम भाग लेबड़-जावरा फोरलेन मार्ग लम्बाई 125 कि.मी. पर अनुबंधानुसार दांयी/बांयी ओर कुल 10 स्थानों मकनी, नागदा, मुलथान, धराड़, अरनियाफंटा पर एवं द्वितीय भाग जावरा-नयागांव फोरलेन मार्ग लम्बाई 127 कि.मी. पर दांयी/बांयी ओर कुल 8 स्थानों परवलिया, मन्दसौर बायपास, चल्दू, मनासा जंक्शन एवं मलखेड़ा जंक्शन पर ट्रक ले-बाय बनाये जाना प्रस्तावित होकर बनाये गये हैं। जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '1' अनुसार है। जी हाँ, अधिकांशतः। (ख) जी हाँ, अधिकांशतः। उक्त मार्ग का निरीक्षण समय-समय पर एम.पी.आर.डी.सी. एवं अन्य अधिकारियों द्वारा लगातार किया गया, जिनमें श्री नरेन्द्र कुमार मुख्य अभियंता, श्री बी.पी. बौरासी महाप्रबंधक, श्री राकेश जैन संभागीय प्रबंधक, श्री मनोज कुमार गुप्ता सहायक महाप्रबंधक इत्यादि द्वारा दिनांक 15.05.2014, दिनांक 14.06.2016, दिनांक 15.11.2016, दिनांक 16.11.2016 आदि दिनांकों में निरीक्षण किया गया। ट्रक ले-बाय पर सुविधाओं की कमियों के संबंध में निगम को कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। अतः शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) जी हाँ। निवेशकर्ता को निर्देश जारी किये गये एवं पालन सुनिश्चित करने हेतु कार्यवाही प्रगति पर है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) जी हाँ। पौधरोपण की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। जी नहीं। अनुबंध में मार्किंग या नम्बर प्लेट लगाने का प्रावधान न होने के कारण।
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया :- माननीय अध्यक्ष महोदय, लेबड़ से लेकर नयागांव तक का लगभग 260 किलोमीटर लंबा 9 वर्ष पहले निर्मित फोर लेन सड़क मार्ग, जिस पर आये दिन दुर्घटना हो रही है. अध्यक्ष महोदय, 28 फरवरी को रतलाम एडीशन, नई दुनिया में पूरा एक पेज में इसका मौत का फोरलेन करार दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आसंदी से तत्कालीन अध्यक्ष ईश्वर रोहाणी जी ने मुझे संयोजक बनाया था और 9 विधायकों के क्षेत्राधिकार से निकलने वाले इस सड़क मार्ग पर कमी और खामियों को लेकर के माननीय नागेन्द्र सिंह जी नागौद, पूर्व लोक निर्माण मंत्री ने इसका निरीक्षण और अवलोकन किया था. तब की कमियां अभी भी जमीनी हकीकत में नहीं उतरी है. अध्यक्ष महोदय, 15.11.16 और 16.11.16 को सरकारी उपक्रम समिति का सभापति होने के कारण इस मार्ग का निरीक्षण और अवलोकन करने गया था और उस समय जो समस्याएं सामने आयी थी, उसको हमने पुन: रेखांकित किया था. ट्रक ले-बाय, धराड़, मुलथान, परवलिया आदि पर, ट्रक वाहन चालकों को वाहनों को सफाई करना, ड्रायवर फ्रेश हो जायें, नहा धो लें, उनकी व्यवस्था करना. अध्यक्ष महोदय, लेकिन जो ले-बाय बने हैं, वहां पर न तो पानी की व्यवस्था है न ट्यूबवेल की व्यवस्था है न टायलेट की व्यवस्था है और यहां तक की छतें उड़ी हुई हैं. अध्यक्ष महोदय, निवेशकर्ता को MPRDC किसी भी स्थिति में सहमत नहीं कर पा रही है, उन बुनियादी सुविधाओं को लेकर, जहां उन टोल बूथों पर प्रतिदिन एक-एक टोल बूथ पर 30-30 लाख रूपये की राशि निवेशकर्ता को प्राप्त हो रही है.
अध्यक्ष महोदय, मैं अब सीधे प्रश्न पर आता हूं कि क्या निवेशकर्ता को MPRDC द्वारा निर्देश जारी करने के बाद भी पालन सुनिश्चित क्यों नहीं हो पा रहा है. क्या MPRDC निश्चित समय-सीमा में उन कमियों और खामियों को, जो विधान सभा के द्वारा आसंदी से दी गयी व्यवस्था के अंतर्गत सरकारी उपक्रम समिति के अध्ययन दौरे के साथ संपूर्ण की गयी थी, उन खामियों को कब दूर करवा लिया जायेगा ?
श्री लाल सिंह आर्य :- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 2007 से 2030 तक की अवधि का है. उसमें ठेकेदार को अनुबंध के तहत काम करना होता है. माननीय सदस्य जो बता रहे हैं, यदि आप एथेंटिक रूप से बता देंगे कि यह काम हैं. अध्यक्ष महोदय, वहां पर 18 ले-बाय बने हुए हैं. उसमें टेंडरिंग के अनुबंध के तहत ठेकेदार ने वहां पर काम किया है. लेकिन यदि वहां पर कोई काम रहा होगा, ऐसा कोई होगा तो मैं सदस्य को संतुष्ट करना चाहता हूं कि उसको हम दिखवा लेंगे और वह काम समय-सीमा में पूरा हो उसके निर्देश दे देंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया :- अध्यक्ष महोदय, MPRDC के अधिकारी अपने जवाब में कहते हैं कि हमें कोई शिकायत कमी और खामियों को लेकर प्राप्त नहीं हुई है, विशेषकर ट्रक ले-बाय को लेकर. यदि आप उत्तर को देखेंगे कि उसमें 15.11.16 और 16.11.16 को तो सरकारी उपक्रम समिति ने तो स्वयं ने दौरा किया है और ट्रक ले-बाय में कमी को रेखांकित किया है. हमारे साथ तीन -तीन वरिष्ठ अधिकारी हमारे साथ दौरे में मौजूद थे और उन्होंने अभी तक वह टिप्पणी सरकारी उपक्रम समिति को भेजने की कोशिश नहीं करी है तो विभाग के पास कैसे आयेगी. जबकि MPRDC को प्रतिवेदन देना चाहिये था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न है कि 8 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद अभी भी रतलाम जिले का वह पोरशन जहां पर वन विभाग को जीवित पौधों का सत्यापन कर लेना चाहिए था, अभी तक कितने पौधे रोपे जाना था उसकी जानकारी तो आयी है, लेकिन रतलाम का एक प्रापर बेल्ट छूट रहा है, वन विभाग के अधिकारी रतलाम में विराजित हैं, उन्होंने इस बात की कोशिश ही नहीं की है कि वहां पर कितने पौधे रोपे गये हैं, कितने पौधे जीवित हैं, कितने पौधे अजीवित हैं. मैं यहां पर फिर कह रहा हूं कि 7 - 8 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद में 27-1-16 और 24-7-16 को लेबड़ से जावरा और जावरा से नयागांव में जो आकलन किया गया है, वह असत्य आकलन है मैं समझता हूं कि वह नजरिया आकलन है. इसलिए कि रतलाम जिले में अभी भी वन विभाग ने जीवित पौधों का सत्यापन किया ही नहीं है, जबकि निवेशकर्ता के साथ में एक पेड़ काटने पर 10 पेड़ लगाने का अनुबंध था. मैं पूछना चाहता हूं कि वन विभाग कब तक इसका भौतिक सत्यापन कर लेगा, विशेषकर रतलाम की बेल्ट का.
श्री लाल सिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य जो स्थान बता रहे हैं उसका एक माह के अंदर सत्यापन करा लेंगे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरे क्षेत्र का भी मामला है, वन विभाग के डीएफओ ने यह लिखकर दिया हुआ है कि एक भी पेड़ नहीं लगाया गया है, यह समिति को लिखकर दिया गया है. बाद में जब लोक निर्माण विभाग के मंत्री और एमपीआरडीसी के सीएमडी खुद सभी विधायकों के साथ में विजिट कर चुके हैं, उस मिनिट्स में लिखा हुआ है तो यह पूरी असत्य जानकारी देने पर क्या किसी अधिकारी पर कार्यवाही करेंगे और क्या उनको स्पष्ट लाइन पर खड़ा करेंगे.
डॉ राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां पर पूरा फोर लेन जानलेवा बना हुआ है. इस समिति के निरीक्षण के बाद में वहां पर दुर्घटना हुई एक बस पलटी खाकर के गिर गई, वहां पर विभाग सड़क सुधारने को तैयार नहीं है, बार बार निरीक्षण किये जा रहे हैं तो कब तक वह सड़क सुधार ली जायेगी.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, आप दोनों की बात शासन की जानकारी में आ गई.
टेकनपुर हर्सी केनाल रोड का लोक निर्माण विभाग में हस्तांतरण
[जल संसाधन]
13. ( *क्र. 4486 ) श्री लाखन सिंह यादव : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भितरवार विधान सभा क्षेत्र में जल संसाधान विभाग द्वारा 01 अप्रैल, 2015 से प्रश्न दिनांक तक कितनी-कितनी वित्तीय स्वीकृति प्राप्त हुई है? उनमें क्या-क्या निर्माण कार्य किस-किस स्थान पर कराये गये हैं तथा कराये जा रहे हैं? किस ठेकेदार/एजेंसी तथा किस-किस यंत्री के सुपरविज़न में निर्माण कार्य कराये गये हैं? उन निर्माण कार्यों की वर्तमान में भौतिक तथा वित्तीय स्थिति क्या है? निर्माण कार्यों को कब तक पूरा किया जाना था, विलम्ब होने का क्या कारण है? इसके लिये कौन ठेकेदार/एजेन्सी या यंत्री दोषी हैं? सभी निर्माण कार्यों की अलग-अलग जानकारी स्पष्ट करें तथा अधूरे निर्माण कार्यों को कब तक पूरा कर लिया जावेगा? (ख) जल संसाधन विभाग में भितरवार विधान सभा क्षेत्र में कौन-कौन कर्मचारी/अधिकारी पदस्थ हैं? उनका नाम, पद, पदस्थापना, दिनांक, मुख्यालय स्पष्ट करें। (ग) टेकनपुर-हर्सी, केनाल रोड जो पूरी तरह जर्जर हालत में है, क्या जल संसाधन विभाग इस रोड का निर्माण करा रहा है? यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक क्या-क्या कार्यवाही की गई है या लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरण किया जा रहा है तो प्रश्न दिनांक तक हस्तांतरण की क्या-क्या कार्यवाही की गई है। अब कब तक पूरी कार्यवाही कर लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरण कर दिया जावेगा? एक निश्चित समय-सीमा स्पष्ट करें।
जल संसाधन मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ-1'' एवं ''अ-2'' अनुसार है। सभी कार्य समयावधि में पूर्ण किए गए हैं, अथवा प्रगतिरत हैं। अतः विलम्ब होने अथवा किसी के दोषी होने की स्थिति नहीं है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब-1'', ''ब-2'', ''ब-3'' एवं ''ब-4'' अनुसार है। (ग) टेकनपुर-हर्सी केनाल रोड पर भारी वाहनों का आवागमन होने से यह क्षतिग्रस्त हुई है। इस मार्ग को लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरण करने हेतु प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, लोक निर्माण विभाग से दिनांक 12.02.2016 को अनुरोध किया गया था। उक्त के परिप्रेक्ष्य में लोक निर्माण विभाग द्वारा मार्ग के निर्माण हेतु जल संसाधन विभाग से रू. 95 करोड़ की मांग की गई है। सड़क निर्माण हेतु धनराशि का प्रावधान परियोजना प्रस्ताव में नहीं रखा जाता है। लोक-निर्माण विभाग को इस तथ्य से अवगत करा दिया गया है। इस विषय में प्राथमिकता पर आगामी कार्यवाही की जाएगी। समय-सीमा बताना संभव नहीं है।
श्री लाखन सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरे प्रश्न ग में जिस हर्सी टेकनपुर सड़क की चर्चा होने जा रही है, यह वह केनाल रोड है जहां से मंत्री जी को पहली बार यहां की जनता ने चुनकर विधान सभा में भेजा था. यह हर्सी केनाल रोड 65 किलोमीटर लंबा है. इससे 68 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है. मंत्री जी ने मेरे प्रश्न के उत्तर में लिखा है कि इस रोड को लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित करने के लिए प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन को 12-2-2016 को पत्र लिखा है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह निवेदन करना चाहता हूं कि आपने लोक निर्माण विभाग को यह पत्र क्यों लिखा है. आप उनसे इस रोड को क्यों बनवाना चाहते हैं. जबकि पूर्व में आपके विभाग के द्वारा ही इस पर डामरीकरण का काम हुआ था तो मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि आप इस रोड की घोषणा करें कि आप अपने विभाग से ही इस रोड को तत्काल बनवायें.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बार चुनकर नहीं भेजा है उस क्षेत्र की जनता ने मुझे अनेक बार चुनकर भेजा है. जिस समय यह सड़क बनी थी उस समय सड़क विश्व बैंक के माध्यम से बनायी गई थी, जल संसाधन विभाग के द्वार सड़कों का निर्माण नहीं किया जाता है. यह रोड़ उस समय स्पेशली बनी थी, निश्चित रूप से उस रोड की हालत काफी खराब है. लोकनिर्माण विभाग बनाये या जल संसाधन विभाग बनाये. अगला जो अनुपूरक बजट आयेगा उसमें हम इस सड़क को ले आयेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से निवेदन है कि जल संसाधन विभाग से ही बन जाय तो क्या दिक्कत है लोक निर्माण विभाग ने तो 95 करोड़ रूपये का स्टीमेट दिया है.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- आप सड़क से मतलब रखें विभाग से नहीं.
श्री लाखन सिंह यादव -- लोक निर्माण विभाग वाले इस सड़क को नहीं बना रहे हैं. 95 करोड़ रूपये की मांग उनके द्वारा की गई है.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- 95 करोड़ रूपये लगें या 100 करोड़ लगे हम इसे अगले बजट में लायेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव -- बहुत बहुत धन्यवाद्.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
( प्रश्नकाल समाप्त )
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री लाल सिंह आर्य जी को बधाई कि इनका विभाग नहीं था, उसके बाद भी उन्होंने जवाब बहुत ही अच्छे दिये हैं.
12.02बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - निम्नलिखित सदस्यों की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी:-
1. श्री दिनेश
2. पं. रमेश दुबे
3. श्री प्रहलाद भारती
4. श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल
5. श्री घनश्याम पिरौनियां
6. श्री महेन्द्र सिंह
7. श्री नारायण सिंह पंवार
8. डॉ. योगेन्द्र निर्मल
9. श्री सुशील कुमार तिवारी
10. श्री बाला बच्चन
12.03बजे शून्यकाल में उल्लेख
(1) शासकीय योजनाओं और सामाजिक परिस्थितियों में विधवा शब्द का प्रयोग बंद करने विषयक.
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनीस) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आज आपके माध्यम से माननीय सामाजिक न्याय मंत्री जी और समस्त विधायक बंधुओं और बहिनों को यह जानकारी भी देना चाहती हूं और माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार भी मानना चाहता हूं कि कल आपकी उपस्थिति में मैंने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के कार्यक्रम के अवसर पर मुख्यमंत्री जी से निवेदन किया था कि जैसे हमने नि:शक्तजनों के लिये दिव्यांग शब्द का प्रयोग शुरू किया, वैसे ही शासकीय योजनाओं में और सामाजिक परिस्थितियों में भी विधवा शब्द का प्रयोग बंद हो और हम उसके स्थान पर कोई अच्छा, सकारात्मक शब्द प्रयोग करें, जिससे बहिनों में अकेले होने की कुंठा हमेशा नहीं बनी रहे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने कल शाम को ही इस बात का निर्णय लिया और यह घोषणा कर दी कि मध्यप्रदेश में शासन द्वारा अब विधवा शब्द का प्रयोग नहीं किया जायेगा, उसके स्थान पर कल्याणी शब्द का प्रयोग होगा. (मेजों की थपथपाहट) मैं सारी बहिनों और महिलाओं की तरफ से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का बहुत-बहुत धन्यवाद आभार मानती हूं.
2. मध्यप्रदेश में आतंकी संगठनों की बढ़ती हुई गतिविधियों के बारे में सदन में चर्चा करायी जाना.
श्री के.पी.सिंह (पिछोर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि देखने में आया है कि आपके कार्यकाल में आप एक बार आगे बढ़ने के बाद आप पीछे नहीं हटते हैं, यह हम आपका स्वभाव समझ गये हैं. मैंने प्रदेश में आतंकी संगठन की बढ़ती हुई गतिविधियों के बारे में एक स्थगन लगाया था, उसमें आपने कल चर्चा के दौरान सदन में कहा था कि हम इसको चर्चा में ले लेंगे लेकिन आज पूरा हफ्ता गुजर गया है किसी भी रूप में इसको नहीं लिया गया है. मुझे कल शाम को आपकी एक सूचना मिली है, जिसमें आपने लिखा है कि नियम 53 के अधीन माननीय अध्यक्ष महोदय ने आपको उपरोक्त स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत करने की सम्मति प्रदान नहीं की है. इस तरह हम यह तो समझ गयें है कि स्थगन आप नहीं लेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि जिस तरह की घटनाएं अभी हो रहीं हैं. जैसे अभी एक ट्रेन दुर्घटना हो गई है और जिस तरह की गतिविधियां आई.एस.आई. की बार-बार पकड़ी जा रही हैं तो मेरा आपसे अनुरोध है कि स्थगन आप नहीं लेना चाहते हैं तो ध्यानाकर्षण के रूप में चर्चा करा लें, लेकिन आप चर्चा तो जरूर करा लें. आपने यहां सदन में सहमति व्यक्त कर दी पूरा हफ्ता गुजर गया लेकिन अभी तक चर्चा नहीं हुई है.
अध्यक्ष महोदय - किसी न किसी रूप में चर्चा करा लेंगे.
श्री के.पी.सिंह - कब चर्चा करा लेंगे, इसका समय तो तय कर दें ?
अध्यक्ष महोदय - समय बाद में तय करेंगे.
श्री के.पी.सिंह - सोमवार को बात हुई थी, अब तो पूरा हफ्ता गुजर गया है,
अध्यक्ष महोदय - अभी सदन दो हफ्ता का और रह गया है. हम उसको देख लेंगे और उसको किसी न किसी दिन चर्चा में जरूर ले लेंगे.
श्री के.पी.सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस समय मामला लगाया गया था, उस समय यह पैसेंजर ट्रेन दुर्घटना नहीं हुई थी. हो सकता है कि अगर उस समय चर्चा करा लेते तो शायद यह घटना नहीं घट पाती. क्या आप एकाध घटना और घट जायेगी, तब उसे चर्चा में लेंगे ?
अध्यक्ष महोदय - (हंसी)आप कक्ष में आ जायें, इस संबंध में बात कर लेंगे.
श्री के.पी.सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके इलाके से लोग पकड़े गये हैं. आपको चिंता होना चाहिए. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय -(हंसी) वह लोग वहां के नहीं है, वह कानपुर के हैं.
श्री रामनिवास रावत - (हंसी) माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन वह लोग वहां पर सुरक्षित तो महसूस कर रहे हैं. पूरे प्रदेश में आई.एस.आई. की गतिविधि बढ़ रही हैं.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस रूप में सम्मानित सदस्यगण चाहें, उस रूप में चर्चा करा लें, हम भी चाहते हैं कि जैसा नेता प्रतिपक्ष जी ने बताया है, उस विषय पर चर्चा हो,
श्री के.पी.सिंह - आपने तो पहले भी सहमति दी थी.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - मैं तो अभी भी सहमति दे रहा हूं. लेकिन चर्चा तो माननीय अध्यक्ष महोदय ही करायेंगे, मैं थोड़ी ही चर्चा कराउंगा. यही तो मैं भी कह रहा हूं कि जिस रूप में चाहें चर्चा करा लें, सरकार तैयार है. नेता प्रतिपक्ष जी ही बता दें, उस रूप में चर्चा करा लेंगे.
श्री रामनिवास रावत - आप समय बता दें ?
श्री के.पी.सिंह - कब चर्चा करायेंगे यह तो बता दें ?
नेता प्रतिपक्ष( श्री अजय सिंह ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस रूप से भी आप लेना चाहे, इसकी चर्चा करायें. यह एक गंभीर विषय है और यदि स्थगन लेना चाहे तो स्थगन ले सकते हैं. आपने स्थगन अस्वीकृत कर दिया है लेकिन हम स्थगन फिर से लगा देते हैं और फिर से उसे स्वीकृत कर दीजिये
श्री रामनिवास रावत - स्थगन दिया हुआ है.
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने वह स्थगन दूसरे विषय पर दिया है.
डॉ. गोविंद सिंह (लहार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि वह किसी भी रूप में तैयार है तो हमारी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि स्थगन के रूप में इस पर चर्चा करा लें, तो इस विषय पर विस्तार से चर्चा हो जाएगी.
अध्यक्ष महोदय - मैंने भी यही कहा है कि हम किसी न किसी रूप में उस विषय को चर्चा में ले लेंगे. माननीय नेता जी सिर्फ समय की बात है तो उस संबंध में कक्ष में बता कर लेंगे और उसकी सूचना आपको दे देंगे. यह काम हम जल्दी कर लेंगे.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसा तो नहीं होगा कि आपने कह तो दिया है लेकिन पूरा सत्र निकल जाए और इस विषय पर चर्चा ही न हो ?
अध्यक्ष महोदय - सत्र नहीं निकलेगा अभी बहुत दिन बाकी हैं.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत दिन तो हैं लेकिन क्या आप चर्चा करायेंगे ? क्योंकि ऐसा ही सिंहस्थ के मामले में हुआ था, आसंदी से निर्देश आये थे कि हम चर्चा करायेंगे, लेकिन चर्चा नहीं कराई.
अध्यक्ष महोदय - आप कुछ कह रहे हैं?
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - अध्यक्ष महोदय...
डॉ. नरोत्तम मिश्र - जब नेता प्रतिपक्ष खड़े हो तो बैठ जाया करें.
श्री आरिफ अकील - आप क्यों खड़े हो रहे हैं?
श्री अजय सिंह - आप चिंता न करें. मैं बैठ जाता हूं वे बोलेंगे.
श्री आरिफ अकील - जब नेता प्रतिपक्ष खड़े होते हैं तो आप खड़े हो सकते हो?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप जरूर खड़े होना कहीं भी.
श्री आरिफ अकील - हमें आपको देखकर खड़ा होना पड़ता है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप बैठे रहते हो तो खड़े से ही लगते हो.
श्री आरिफ अकील - जब आप खड़े होते हो तो दिल चाहता है कि हम भी आपसे खड़े होकर बात करें.
श्री के.पी. सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे इतना अनुरोध है कि चूंकि आपने सदन में कहा है.
अध्यक्ष महोदय - मैं आपको अभी कक्ष में जानकारी देता हूं, यहां तारीख बताना उचित नहीं है.
श्री के.पी. सिंह - धन्यवाद, अध्यक्ष महोदय.
श्री आरिफ अकील - यह कक्ष वाली पॉलिसी पुरानी है. इसको संशोधित करके यहीं चर्चा कर लिया करें.
अध्यक्ष महोदय - यह चर्चा यहां नहीं होती.
श्री आरिफ अकील - हां, ना, यहीं कर लिया करें.
अध्यक्ष महोदय - हां तो कर दिया है, परन्तु समय नहीं बताया है वह कक्ष में बताएंगे.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, बहुत गंभीर घटना है. प्रदेश में आतंकी गतिविधियां बढ़ रही हैं.
अध्यक्ष महोदय - हम सहमत है. हम कहां मना कर रहे हैं, यह गंभीर नहीं है?
श्री रामनिवास रावत - आप सहमत हैं तो इसे स्थगन के रूप में ही ग्राह्य कर लें. यह आप और बता दें?
अध्यक्ष महोदय - अभी चर्चा कर लेते हैं.
12.08 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का वार्षिक लेखा परीक्षण प्रतिवेदन
वर्ष 2015-2016
पर्यावरण मंत्री (श्री अंतर सिंह आर्य) - अध्यक्ष महोदय, मैं, जल (प्रदूषण
(2) महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय, उज्जैन का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया) - अध्यक्ष महोदय, मैं, महर्षि
12.09 बजे ध्यान आकर्षण
(1) दमोह जिले में शिशु मृत्यु दर में वृद्धि होने से उत्पन्न स्थिति
श्री प्रताप सिंह (जबेरा) - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है -
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री रुस्तम सिंह)- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो वक्तव्य दिया है, उसमें
इसलिए माननीय अध्यक्ष महोदय, यह कहना कि मृत्यु दर बढ़ रही है, यह कहना सही नहीं है. उपरोक्त तालिकाओं में अंकित जानकारी से स्पष्ट है कि जिले एवं विकासखण्ड तेंदूखेड़ा में शिशु बाल मृत्यु एवं गर्भपात की संख्या लगातार गिरावट की ओर जा रही है.
श्री प्रताप सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, अप्रैल से दिसम्बर तक की स्थिति संबंधी पिछले एक साल रिकार्ड बता रहा हूं. हमारे दमोह जिले में शिशुओं की जो मौत हुई है पूरे संभाग में सागर 177, दमोह में 325 एवं टीकमगढ़ में 130, छतरपुर में 89, पन्ना में 241 इसमें भी हमारे दमोह जिले के विकासखण्ड तेन्दूखेड़ा की जिन ग्रामों की आप चर्चा कर रहे हैं वहां 1 जनवरी से 31 दिसम्बर के बीच में बेलधारा में बाल मृत्यु की एक, मृत जन्म हुए बच्चों की दो, शिशु मृत्यु 2 कुल मिलाकर 5 बच्चों की मृत्यु हुई है. इसी प्रकार से बेलधारा में 21.2.17 को मृत जन्म हुए 4, शिशु मृत्यु दर 1, बाल मृत्यु इसमें नगण्य है. पडरई में मृत जन्म हुए 2, शिशु मृत्यु 1, बाल मृत्यु 2, इसी प्रकार बगदरी में 1 जनवरी, से 31 दिसम्बर 2016 तक मृत जन्म 1, शिशु मृत्यु दर 5, बाल मृत्यु नगण्य है. कुल मिलाकर 23 बच्चों की मौतें हमारे तेन्दूखेड़ा विकासखण्ड की चार पंचायतों में हुई हैं. जो आपके आंकड़े कह रहे हैं उस आधार पर यह ठीक नहीं है. इसमें समय रहते इन ग्राम पंचायतों के सरपंचों ने 26 जनवरी को ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर वहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में इसकी सूचना दी कि हमारे जिले की पंचायतों में ऐसा क्यों हो रहा है, लेकिन उस पर भी शासन ने कोई कार्यवाही नहीं की. मेरा निवेदन है कि तेन्दूखेड़ा के नजदीक झलोन पीएचएसी में न तो वहां पर महिला डॉक्टर नहीं हैं वहां पर एएनएम नहीं है झलोन सबसे बड़ा केन्द्र है तो मृत्यु दर घटेगी नहीं बढ़ेगी ही. मैं शासन से जानना चाहता हूं कि वहां महिला डॉक्टर की पूर्ति की जाए वहां पर पानी का भी परीक्षण करवाया जाए कि पंचायतों में क्यों मृत्यु दर बढ़ रही है.
श्री रूस्तम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य का सुझाव उत्तम है कि वहां पर पानी की जांच करा ली जाए कि आखिरकार वजह क्या है? पानी की जांच करा ली जाएगी जहां तक महिला डॉक्टर की पदस्थापना का सवाल है. अभी हाल में हमारे 700 डॉक्टर पीएससी से सिलेक्ट होकर के उपलब्ध हो गये हैं हम शीघ्रताशीघ्र महिला डॉक्टर की पूर्ति कर देंगे. वहां पेरामेडिकल एएनएम उसकी भी 1800 पदों की भर्ती की प्रक्रिया है. व्यापम से निकट भविष्य में होने वाली है जो आपने चाहा है उसकी पूर्ति करवा देंगे.
श्री प्रताप सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मामला 2015 से लंबित है
इसमें समय सीमा बता दें. यदि महिला डॉक्टर की वहां पूर्ति हो जाएगी शायद यह जो घटनाएं घट रही हैं उसमें कमी होगी.
श्री रूस्तम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, पीएससी से सिलेक्ट डॉक्टर्स की लिस्ट आ गई है डॉक्टरों का वेरीफिकेशन होता है, वह जरूरी है उसमें जितना समय लगे वैसे ही डॉक्टर की पदस्थापना हो जाएगी, वहां इसकी पूर्ति कर देंगे.
श्री यादवेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे दो ब्लाक हैं नागौद एवं उचहेरा ब्लाक में भी डॉक्टर नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--ध्यानाकर्षण चल रहा है आप, ऐसे खड़े नहीं हो सकते हैं. ध्यानाकर्षण में यह विषय नहीं आते न ही उनके पास में जानकारी रहती है.
श्री यादवेन्द्र सिंह--दोनों का इकट्ठा मान लें.
अध्यक्ष महोदय--नहीं, बिल्कुल नहीं.
(2) नीमच जिले के मनासा क्षेत्र में कृषकों पर विद्युत अधिनियम के अंतर्गत प्रकरण कायम किए जाने से उत्पन्न स्थिति.
श्री कैलाश चावला (मनासा )-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
ऊर्जा मंत्री, (श्री पारस चन्द्र जैन )-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री कैलाश चावला - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे ध्यानाकर्षण का जो विषय है वह यह है कि पिछली गर्मी में पेयजल की वास्तव में कमी थी और उसी समय सिंहस्थ भी चल रहा था और पी.एच.ई. विभाग के सभी अधिकारी भी सिंहस्थ में लगे हुए थे. जिला योजना समिति की जब बैठक सम्पन्न हुई उसमें सहमति बनी थी कि पंचायत अगर पेयजल की व्यवस्था करती है और किसी कृषक के कुंए से टैंकर भरकर लाती है तो उसके खिलाफ कोई प्रकरण नहीं बनाया जायेगा. अध्यक्ष महोदय, जो काम सरकार को करना चाहिये था वह ग्राम पंचायतों ने किया और जिन किसानों के पास पानी उपलब्ध था उन्होंने पानी देने की सहमति प्रदान की. इस प्रकरण में माननीय मंत्री जी ने जो जवाब दिया है उसमें यह कहा है कि चोरी का प्रकरण कायम किया गया है. चोरी में किसी आदमी का नुकसान होता है और कोई व्यक्तिगत लाभ के लिये चोरी करता है तो हम उसको चोरी कहते हैं परंतु जनहित के लिये अगर कुंए से पानी लेकर जनता को पिलाया गया और इसको हम चोरी मानेंगे तो यह उचित होगा. विवेक का उपयोग नियमों का पालन करने में अवश्य किया जाना चाहिये. इस प्रकरण में जिस अधिकारी ने केस बनाये हैं उसने विवेक का उपयोग नहीं किया. मंत्री जी के जवाब में कहीं भी यह नहीं आया है कि जिन कुंओं से पानी लिया गया उनके पास वैध कनेक्शन नहीं थे. यह बात तो मैंने ध्यानाकर्षण सूचना में स्वीकार की है कि कृषकों के कुंओं से वैध कनेक्शन से पानी लेकर जनता को पानी पिलाया गया. जनता के हित में निर्णय लिया गया और ऐसे केस बनाये गये तो कल किसी गांव में आग लग गई और किसी के कुंए से पानी भरकर आग बुझाने का प्रयत्न किया गया तो क्या ऐसे केस बनाये जायेंगे ? मानवीय आधार पर जनहित में जो काम सरकार को करना चाहिये वह काम सरकार न करे और पंचायत करे और उसको दण्डित किया जाये. उनको तो शाबाशी देनी थी कि सरकार पानी की व्यवस्था नहीं कर पा रही है और पंचायत ने पानी की व्यवस्था की उसको शाबाशी देने के बजाय लाखों रुपये के बिल थमा दिये. 5-10 हजार रुपये के बिल होते तो और बात थी 5-5 लाख रुपये 3-3 लाख रुपये के पंचायतों को बिल दे दिये और इतना ही नहीं जिन कृषकों ने अपने कुंए का पानी दिया उनको भी बिल बनाकर दे दिये गये. उन पर भी जुर्माना कर रहे हैं, दण्डित कर रहे हैं और पंचायतों को भी दण्डित कर रहे हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से यह प्रश्न है कि क्या ग्रीष्मकाल में संकट के समय में किसी कुंए से पानी पंचायत लेती है तो इस काम को आप जनहित में मानते हैं कि नहीं ?
श्री पारसचन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो बात कही है वास्तव में जहां से पानी लिया गया उनके पास कनेक्शन नहीं थे एक भी कनेक्शन वैध नहीं था. इसके बाद भी मानवता की जहां तक बात है मेरा कहना है कि ग्राम पंचायत को विद्युत वितरण कंपनी द्वारा दिनांक 28.2.2017 को सूचित किया था कि वे अपने बिल के विरुद्ध अपील कर सकते थे. इसका प्रावधान भी है. यदि वे अपील करते तो हम उसमें जो भी संशोधन हो सकता कर सकते थे.
श्री कैलाश चावला - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी जो बात कह रहे हैं वह तथ्यों से परे हैं. मेरे पास 2 बिल हैं बाकी के मैं कलेक्ट नहीं कर पाया. बंशीलाल,नाथूलाल जी पटेल यह कंजाड़ा का बिल है. इस कनेक्शन से पंचायत ने पानी लेकर लोगों को पिलाया इसका वैध स्थाई कनेक्शन है. 34 हजार का नोटिस इनको भी दिया गया है और पंचायत को भी लगभग 5 लाख रुपये के 4-5 नोटिस दिये गये. मेरा कहना है कि मंत्री जी किसी अधिकारी से जांच करा लें कि वहां वैध कनेक्शन से पानी लिया गया कि नहीं. अगर वैध कनेक्शन से पानी लिया गया है तो आप कोई समाधान खोज लें और अगर वैध कनेक्शन से नहीं डायरेक्ट लिया गया है तो उन पर जुर्माना करें मुझे कोई ऐतराज नहीं है लेकिन कृषक का वैध कनेक्शन है और केवल पीने का पानी लिया है इस आधार पर उनको दण्डित न किया जाये. मेरा यह अनुरोध है इसका आप कोई समाधान खोजें और इसकी जांच कराएं.
श्री पारसचन्द्र जैन - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो बात माननीय सदस्य कह रहे हैं. यदि वैध कनेक्शन से पानी लिया होगा तो हम पूरे प्रकरण की जांच भी करा देंगे और पूरी सहूलियत देंगे लेकिन यदि वह अवैध कनेक्शन है तो उनको अपील में जाना था.
श्री कैलाश चावला - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में भी कहा है कि जिला योजना समिति में ए.सी. को प्रभारी मंत्री जी ने निर्देश दिये. हम बार-बार कहते हैं कि जिला सरकार होती है. अब जिला सरकार ग्रीष्म काल में कहती है कि पीने के पानी की छूट पंचायत दे सकती है और उस बात को मान्य न करके केस बनाये जायें, तो मेरा यह मानना है कि यह पंचायतों के साथ अन्याय होगा. वह एक संस्था है, उसके पास इतना पैसा नहीं है कि वह पैसा जमा करा सके. इसकी पूरी जांच करा लें. किस पंचायत ने किस कनेक्शन से पानी लिया, अगर स्थाई कनेक्शन उसके पास हो तो उसका बिल माफ करके प्रकरण वापस ले लिया जाये और अगर अवैध कनेक्शन है, डायरेक्ट है, तो मुझे उसके बारे में कुछ नहीं कहना है.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ के यात्रियों को पानी पिलाया है. इस बात पर भी विचार कर लें.
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 12 प्रकरण बने थे उसमें से चार किसानों ने पैसे भी भर दिये. जो सदस्य की मंशा है हम उसकी जांच भी करा लेंगे और यदि वैध है तो हमको कोई दिक्कत नहीं, लेकिन यदि अवैध है जिसके लिये गर्मी के मौसम में पानी सबको मिलना चाहिये इसलिये सरकार भी चिंतित है. इसके लिये हम यह भी कह रहे हैं कि गर्मी प्रारंभ होने वाली है, पेयजल समस्या पूरे प्रदेश में रहती है. ऐसे क्षेत्र जहां पर समस्या है वहां पर वितरण कंपनी द्वारा शिविर लगाकर ग्राम पंचायत को अस्थाई कनेक्शन हम दो दिन में दे देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- अभी समस्या आगे की नहीं है, अभी समस्या पीछे वाली है. आप उसका निराकरण कर दीजिये.
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने कह दिया कि यदि वैध है तो हम उसमें कंसीडर कर लेंगे.
श्री कैलाश चावला-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने जो अभी जवाब दिया एक आखिरी बात मैं कहना चाहता हूं कि ग्रीष्मकाल में जब गांव में पीने के पानी की समस्या आती है तो किसी कुए से एक टेंकर भरता है, किसी कुए से दों टेंकर भरते हैं, किसी से तीन टेंकर भरते हैं. अब यह मंत्री जी कह रहे हैं कि दो दिन में उनको अस्थाई कनेक्शन दे देंगे, तो क्या ग्राम पंचायत 5 कुओं पर कनेक्शन लेकर पानी की सप्लाई करेगी. यह व्यावहारिक नहीं है, पंचायत एक कनेक्शन तो ले सकती है, पर 4 कुओं पर 4 कनेक्शन लेकर पंचायत कैसे बिल भर सकती है, इसके बारे में मंत्री जी को विचार करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, माननीय सदस्य कैलाश चावला जी ने जो कहा है वह बिल्कुल मानवीय आधार है और हर चीज कानून से नहीं चलती और यदि लेट भी हो गये हैं तो condonation of delay होकर अपील भी हो सकती है. मेरा आपसे अनुरोध है कि जो वैध कनेक्शन हैं जिसका आपने अभी कहा है उनको तो आप समाप्त कर दें बाकी केसेस में अपील के लिये उनको समय दें.
श्री पारस चन्द्र जैन-- मैंने अपील का बोला है.
श्री कैलाश चावला-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक आखिरी बात सुभाषित करना चाहता हूं- ''आपात काले, मर्यादा नास्ति'' जब आपातकाल होता है तो कोई नियम कानून नहीं चलता है. इसलिये मेरा निवेदन है कि इसमें सहानुभूतिपूर्वक विचार करें, जांच करा लें और फिर इसका निराकरण करें.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं ठीक बात है उनकी, कल को कोई पानी नहीं देगा पीने के लिये.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ के यात्रियों को पानी पिलाया है, उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है.
अध्यक्ष महोदय-- मैं खुद भी आपकी बात से सहमत हूं.
श्री पारस चन्द्र जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो बात कही है और आपने भी आसंदी से जो कहा है उसके आदेश का हम पालन करेंगे.
12.33 बजे प्रतिवेदन की प्रस्तुति तथा स्वीकृति
गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति का अठारहवां प्रतिवेदन
12.34 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय-- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकायें प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
अध्यक्ष महोदय-- आज भोजनावकाश नहीं होगा, भोजन की व्यवस्था दोपहर 1.00 बजे से सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
श्री के.पी. सिंह (पिछोर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक मिनट लूंगा, कल मैं नहीं था. माननीय मंत्री जी हमारे जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं इसलिये उनके ध्यान में एक बात लाना चाहता हूं. माननीय अनूप मिश्रा जी अब सदन के सदस्य नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- आप कल लाना नहीं तो यह चर्चा शुरू हो जायेगी, फिर सभी बोलेंगे.
श्री के.पी सिंह-- सिर्फ एक लाइन में खत्म कर दूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- आप बीच में व्यवधान करके बोल देना पर अभी शुरू करने दीजिये आप.
श्री के.पी सिंह-- बीच में मुझे अच्छा नहीं लगता.
श्री बाला बच्चन-- क्या बात है माननीय अध्यक्ष महोदय, तरीका भी बता दिया.
12.30 बजे वर्ष 2017-2018 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमश:).
(1) |
मांग संख्या – 19
|
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण.
|
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (श्री रूस्तम सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल स्वास्थ्य विभाग की अनुदान मांगों पर सदन के हमारे 42 माननीय सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया और मैं समझता हूं कि काफी तादाद में सदस्यों ने स्वास्थ्य विभाग की चर्चा में रूचि दिखाई और रात के 8.00 बजे तक चर्चा हुई. स्वास्थ्य विभाग की चर्चा में इनका भाग लेना यह दर्शाता है कि हमारे सदस्य, लोगों के स्वास्थ्य के प्रति चिंतित है. अध्यक्ष महोदय, यह मान्यता है कि पहला सुख निरोगी काया, अंग्रेजी में कहते हैं Health is Wealth. अंग्रेजी Health को Wealth मानते है और हमारी संस्कृति Health को सुख मानती है. स्वास्थ्य को सुख मानती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अनादिकाल से लेकर चाहे भगवान राम का समयकाल हो, चाहे सम्राट अशोक का समयकाल हो, चाहे गुप्तकाल का समय हो, जो भी उस समय के राजा और महाराजा रहे उन्होंने स्वास्थ्य को लेकर के चिंता की और उस समय जो व्यवस्थायें थीं, चरक जी का नाम, धनवंतरी जी का नाम आज भी लोग सम्मान के साथ में लेते हैं तो अपने अपने समय में सबने स्वास्थ्य के प्रति काम किया है . आज के समय में मैं, इतना ही कहना चाहता हूं कि यह जो वर्ष चल रहा है इसको हम पंडित दीनदयाल जी के नाम से शताब्दी वर्ष के रूप में मना रहे हैं. पंडित दीनदयाल जी का जो मूल मंत्र था "अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति को सुविधायें दी जायें" और अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति को, जो पहला सुख निरोगी काया है तो निरोगी काया देने के लिये उनको स्वस्थ्य रखने के लिये मध्यप्रदेश की सरकार, माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, मेरा स्वास्थ्य विभाग और हमारी सरकार दृढ़-संकल्पित है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कल जितनी बातें हुई हैं, उसके बारे में मै कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री जी ने आनंद विभाग का गठन किया. आनंदित व्यक्ति के लिये सबसे पहले जरूरी है उसका स्वस्थ्य रहना. अगर व्यक्ति स्वस्थ है तभी वह आनंद का अनुभव कर पायेगा. उसके अच्छे स्वास्थ्य के लिये जरूरी है धन की आवश्यकता. मैं तुलना नहीं करना चाहता लेकिन अगर बताया नहीं जायेगा तो ज्ञात कैसे होगा इसलिये मैं यह कहना चाहता हूं कि स्वास्थ्य विभाग के लिये साढे़ प्रदेश की सात करोड़ जनता के स्वास्थ्य की चिंता करते हुये कभी 2003 में स्वास्थ्य विभाग का बजट कुल 664 करोड़ रूपये हुआ करता था और अब यह बजट 5670 करोड़ रूपये का है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय मंत्री जी, असत्य आंकड़े बता रहे हैं. मैं स्वयं उस समय स्वास्थ्य मंत्री था .
श्री रूस्तम सिंह -- माननीय हमने देख लिया है तभी हम बता रहे हैं. आप जब मंत्री थे, रिकार्ड आपके पास में होता था लेकिन आज वह रिकार्ड मेरे पास है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- मंत्री जी, तब आपकी आयु क्या थी और आज आपकी आयु क्या हो गई ? क्या आपकी आयु घटी ? आपकी आयु बढ़ी कि नहीं तो इसी तरह से बजट की बात है वह भी बढ़ेगा उसमें नया क्या है. बार बार कहते हैं बजट बढ़ गया-बजट बढ़ गया.(हंसी)
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- अध्यक्ष महोदय, डॉ. गोविन्द सिंह जी ऐसे सदस्य हैं जिनकी हर सत्र में ऊंचाई कम दिखती है. (हंसी)
श्री रूस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय. डॉ.साहब ने मेरे बारे में बोला है तो मुझे बोलना ही पड़ेगा. मैं आदरणीय डॉ.साहब और बाला बच्चन जी जो तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भी थे उनसे यह कहना चाहता हूं कि स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर कुल सिविल अस्पताल 54 हुआ करते थे..
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) --बाला बच्चन जी के पास में शायद चिकित्सा शिक्षा विभाग था, स्वास्थ्य विभाग नहीं था. स्वास्थ्य मंत्री सुभाष कुमार सोजतिया जी थे.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, मैं लोक स्वास्थ्य एवं परिवार विभाग का मंत्री था, सोजतिया जी के बाद लास्ट के विस्तार में मैं स्वास्थ्य मंत्री बना था.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- उस समय चिकित्सा शिक्षा विभाग अलग नहीं था.
श्री बाला बच्चन -- मेडीकल एज्यूकेशन विभाग अलग था. मेरे पास में हेल्थ था इसलिये मेरी जानकारी में सारे फिगर अभी भी हैं. इसीलिये मैं कह रहा हूं कि आंकड़े असत्य हैं. मंत्री जी पता नहीं कहां से आंकड़े निकालकर के ले आये. आपको असत्य आंकडे दिये हैं . मुझे अभी भी मालूम है कि कितना बजट मेरे समय में था.
श्री उमाशंकर गुप्ता- बाला बच्चन जी क्या है कि उस समय का जो घालमेल था वही तो मंत्री जी निकाल रहे हैं.
श्री बाला बच्चन- नहीं. कोई घाल मेल नहीं था. मेरा कहना है कि मंत्री जी को भ्रमित किया जा रहा है.
श्री रूस्तम सिंह -- हम कोई भ्रमित नहीं है हम आपको लिखित में भेज देंगे.तथ्यों के साथ भेज देंगे.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ.नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष जी एक गाना है "याद न जाये बीते दिनों की - जा के न आये वो दिन" (हंसी)
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, याद चली जायेगी तो फिर हम सरकार को कैसे घेर पायेंगे.(हंसी) मंत्री जी के द्वारा असत्य आंकड़े देकर के बात की जा रही है.
श्री रूस्तम सिंह-- अध्यक्ष महोदय, बाला बच्चन जी स्वयं स्वास्थ्य मंत्री थे अपनी विधानसभा की दो मांगे वह पूरी नहीं कर पाये. जो आप सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मांग रहे हैं इसको कर लेते, जो आप पीएचसी मांग रहे हैं इसको कर लेते.वह दोनों काम हम कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन-- प्लीज, आप कर दीजिये उसके लिये हम धन्यवाद करेंगे. अध्यक्ष महोदय, 15 साल पहले की बात थी इसलिये नहीं कर पाये थे.15 साल हो गये हैं इसलिये नये की मांग है. मैं चाहूंगा कि आप कर दीजिये.
श्री रूस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इनकी सरकार में विभाग के पास में बजट ही नहीं था तो यह कर कहां से लेते. कहां से करते (हंसी) इसके लिये बजट तो होना चाहिये.अध्यक्ष महोदय, इनकी दोनों मांगे उप स्वास्थ्य केन्द्र को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हम बना रहे हैं, मै आपकी खुशी के लिये यह कर रहा हूं. बाला बच्चन जी अब तो मेजें थपथपा दें.(हंसी)
श्री बाला बच्चन-- माननीय मंत्री जी आप घोषणा कर दें तो मैं आपका धन्यवाद मेरी तरफ से और मेरे क्षेत्र की जनता की तरफ से भी करूंगा.
श्री रूस्तम सिंह -- यह घोषणा ही तो है भाई. जब मैं कह रहा हूं कि हम बना रहे हैं तो घोषणा ही तो है.
श्री बाला बच्चन -- धन्यवाद लेकिन उनके नाम तो ले लीजिये मडवारा और अंजड़.
श्री रूस्तम सिंह - चलो मड़वारा और अंजड़ दोनों. मड़वारा को हम प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बना रहे हैं यह साध्यता में नहीं आ रहा है लेकिन चूंकि वह वनवासी भाईयों का इलाका है इसलिये बना रहे हैं.
श्री बाला बच्चन-- माननीय मंत्री जी,आपको बहुत बहुत धन्यवाद. आपने हमारी बात को हमारे क्षेत्र की जनता की भावनाओं का ध्यान रखा और मड़वारा सब सेन्टर था उसको आपने पीएचसी करने का और अंजड़ जो पीएचसी थी उसको सब सीएचसी करने की जो घोषणा की है उसके लिये मैं आपको धन्यवाद देता हूं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--लेकिन आपकी सरकार में राजा साहब ने आपका ध्यान नहीं रखा.
श्री के.पी.सिंह(पिछौर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी हमारे जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं इसलिये मैं याद दिलाना चाहता हूं. नरोत्तम मिश्र जी तो हमारे अनूप मिश्रा जी के प्रति पता नहीं कैसा भाव रखते थे.मुझे समझ में नहीं आया.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- जैसा आप सिंधिया जी के प्रति रखते हैं (हंसी)
श्री के.पी.सिंह -- दोनों ही यहां नहीं हैं.(हंसी)
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- लेकिन दोनों इस दुनियां में हैं (हंसी)
श्री के.पी.सिंह -- अध्यक्ष महोदय, अनूप मिश्रा जी माननीय मंत्री जी के क्षेत्र के सांसद भी हैं इसलिये मैं आपसे बात कहना चाहता हूं. हमारे क्षेत्र में दौरे पर जब अनूप मिश्रा जी स्वास्थ्य मंत्री के रूप में गये थे, मेरे साथ एक बैठक भी हुई थी. भोती कस्बा हमारे यहां पड़ता है. भारतीय जनता पार्टी का एक कार्यक्रम था उसमें उन्होंने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि यहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित हो जायेगा और मैं इसको स्वीकृत कर दूंगा. उसके बाद नरोत्तम मिश्र जी स्वास्थ्य मंत्री बन गये, मैंने सदन में एक दिन यह बात रखी कि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जी हमारे यहां एक घोषणा करके आये हैं और चूंकि सरकार की जवाबदारी संयुक्त होती है तो आपको भोती में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को स्वीकृत करना चाहिये, नहीं तो उनकी विश्वसनीयता समाप्त होगी तो नरोत्तम मिश्र जी ने तो उसकी परवाह की नहीं, जैसा इनका भाव था वैसे इन्होंने किया लेकिन माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी आपका भाव उनके प्रति ऐसा नहीं है, आपके वह सांसद भी हैं उनकी विश्वसनीयता जनता में बनी रहे, सरकार की बनी रहे इसलिये मेरा आपसे अनुरोध है कि भोती की घोषणा पूरी करायें. हालांकि मुख्यमंत्री की घोषणायें भी यहां पूरी नहीं होती हैं. आपके जिले के प्रभार का मामला है इसलिये कह रहा हूं कि भोती में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की मांग बहुत पुरानी है कृपा करके क्या इसी बजट में उसको शामिल कर लेंगे ?
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, आप ऐसे एक एक विपक्ष के सदस्य की घोषणा करवायेंगे तो हमारे सत्ता पक्ष के सदस्यों की भी मांगे हैं. हमारे सदस्यों का भी ख्याल रखा जाये.
अध्यक्ष महोदय- घोषणा नहीं कर रहे हैं. उन्होने अपनी बात रख दी है. यह कोई प्रश्नकाल नहीं है.
श्री के.पी.सिंह -- नरोत्तम जी,आपको दिक्कत थी आपने नहीं की कम से कम वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री जी को तो करने दो.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, उस समय अनूप जी ने घोषणा की थी, यदि वे मना करते तो कहते कि बताओ इतनी छोटी सी बात नहीं मानी, जबरन बगैर प्रावधान के घोषणा करवाते हैं तो फल ऐसा ही होगा.
श्री के.पी. सिंह - मैंने घोषणा नहीं करवाई, वह आपकी पार्टी की ही मीटिंग थी.
श्री रूस्तम सिंह - जो श्री के.पी. सिंह ने बोला है उसका आकलन करा लेंगे, केटेगरी में आया तो विचार करेंगे.
श्री सोहन लाल बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक लाइन, मैं घोषणा के संबंध में ही कुछ कहना चाह रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी के सिवाए कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री रूस्तम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की सरकार और हमारे मुखिया अति संवेदनशील है स्वास्थ्य को लेकर और जो अंतिम व्यक्ति के इलाज की बात हम कह रहे थे, उसके स्वास्थ्य की चिन्ता की हम बात कह रहे थे. यह भाव तब तक आ नहीं सकता, जब तक मन में माननीय नरोत्तम जी बोलते हैं, एक चौपाई.
श्री शंकर लाल तिवारी - परहित सरिस धरम नहीं भाई, परपीड़ा सम नहीं अधमाई.
श्री रूस्तम सिंह - अध्यक्ष महोदय, जिसके दिल में यह भाव नहीं आएगा कि दूसरे का दर्द मेरा दर्द है, दूसरा बीमार है, दुखी है वह मेरी चिन्ता है, यह माननीय मंख्यमंत्री जी की चिन्ता है, इसी भाव से मध्यप्रदेश का स्वास्थ्य विभाग काम करता है. कल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस था, उसको लेकर चर्चा भी हुई, कार्यक्रम भी हुए, हकीकत में महिलाओं के स्वास्थ्य की चिन्ता की गई है, जो अक्सर बोलते हैं मोर्टेलिटी रेट अधिक है, लेकिन हमको जो कुछ मिला, उसको ठीक करने में 13 साल हो गए, पूरी मशक्कत लगा दी, इतना खराब मिला कि ठीक करते करते, सूखा पेड़ मिला, समय लगता है उसको ठीक करने में. मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं, ये विपक्ष के सदस्य बाते करते हैं, महिलाओं का संस्थागत प्रसव 22 प्रतिशत, 2003 में थे.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, उस समय बिगाड़ने में आप सीनियर आईपीएस अधिकारी थे, आपने भी बिगाड़ने का काम किया है, जितना भी बिगाड़ किया है सरकार के पदों में बैठकर आपने किया है.
श्री शंकर लाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, गोविन्द सिंह जी जबरन बोल रहे हैं, इनके समय में सरकारी अस्पतालें बूचड़खाना बन गई थी, दवाई के पर्चे मिलते थे.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी बैठे नहीं है, उन्हें बोलने दें, वाद विवाद नहीं चल रहा है इसमें बहुत समय लगेगा. बैठ जाए तिवारी जी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष जी जब से अजय सिंह जी नेता प्रतिपक्ष बने है न तब से गोविन्द सिंह जी इतने ओवरलोडड है कि इन्हें यही नहीं पता कि स्वास्थ्य विभाग में आईपीएस नहीं आता. (हंसी..)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विनम्र प्रार्थना है कि सदन का शुरू का समय हम तो टोकाटाकी और व्यवधान में बर्बाद कर देते हैं, फिर आखिरी में कार्यवाही पूरी करने के लिए समय बढ़ाना पढ़ता है. मेरा कहना है कि पहले से ही हम एहतियात बरतें कि समय पर सभी चीजें हो जाएं ताकि रात में 8-9 बजे तक नहीं बैठना पड़े.
अध्यक्ष महोदय - अब कोई सदस्य नहीं बोलेगा, सिर्फ स्वास्थ्य मंत्री जी बोलेंगे, हम आपसे सहमत है.
श्री रूस्तम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आग्रह करता हूं कि कोई पुलिस अधीक्षक सरकार को महिलाओं की सुविधा नहीं देने देता, सरकार को एक जिले का एसपी महिलाओं की सुविधा नहीं देने देता, यह शोध का विषय है, जैसे गोविन्द सिंह जी ने बोला है (..हंसी..) मैं अपने विषय पर आता हूं, जो बातें मैंने कहीं है कि आखिरकार यह सरकार कैसे चिन्ता कर रही है, कुल मिलाकर जो बैड हुआ करते थे, 19700, आज मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य विभाग जो अस्पताल संचालित करता है, उसमें 28743 बैड हो गए है,5 करोड़ 13 लाख बाह्य रोगी अस्पताल में जाते हैं, भर्ती होने वाले 42 लाख 76 है. मैंने बताया था कि संस्थागत प्रसव 86 प्रतिशत हो रहे है, महिलाओं को लाने की व्यवस्था, डिलीवरी के बाद वापस करने की व्यवस्था, जिन महिलाओं की प्रेगनेंसी हुई है उनको 1400 रूपए देने की व्यवस्था, जो प्रेरित करके उनको लाती है उनके लिए 600 रूपए की व्यवस्था की गई है.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात कहना चाहती हूं कि कल महिला दिवस था और मुख्यमंत्री जी ने विधवा शब्द हटाकर के कल्याणी शब्द का उपयोग किया था, उसी सिलसिले में निवेदन करना चाहती हूं कि जो महिलाएं नि:संतान है, जिनके बच्चे नहीं होते उनके लिए गरीबी रेखा का होना अनिवार्य है, गरीबी रेखा की पात्रता खत्म कर उनके इलाज की सुविधा के लिए भी माननीय मंत्री जी आज घोषणा कर दें उन महिलाओं के लिए अच्छा होगा.
श्री रूस्तम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो प्रश्न उठाया गया है, किलकारी के नाम से माननीय मुख्यमंत्री जी ने यह बीड़ा उठाया, हमको निर्देश दिए कि मध्यप्रदेश में जितनी भी महिलाएं नि:संतान है, किसी कारणवश जिनको संतान नहीं हो पाई, उनके लिए इलाज की पूर्ण व्यवस्था करें एवं ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्हें शादी के कई साल बाद शासन द्वारा इलाज कराने से उनके बच्चे हुए हैं, उनके घरों में बच्चों की किलकारी गूंजी है.
श्रीमती नीना विक्रम वर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, नि:संतान महिलाओं के ऊपर बीपीएल का प्रतिबंध है, वह हटना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - इस तरह से तो मंत्री जी का उत्तर ही नहीं हो पाएगा, आप भी उत्तर मत दीजिए, आप भी एक साथ उत्तर दीजिए.
श्री रूस्तम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय सदस्या ने बोला है उसकी चिन्ता है. मैं यह बताना चाहा रहा हूं कि नि:शुल्क सुविधा वाली बात, नि:शुल्क दवाई देने वाली बात जो पहले नहीं थी, नि:शुल्क जांचें की बात, ब्लड जांच की बात, यह सब अभी हुई है, उसका विस्तृत आंकड़ा मैं देना चाहा रहा था.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - इसमें पुरूषों को भी शामिल करें, जिनको बच्चे नहीं हो रहे हैं.
श्री कैलाश चावला - मंत्री जी, उसमें तिवारी जी को शामिल कर लो.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - हम बिल्कुल शामिल होने को तैयार है, लेकिन रोइएगा नहीं.
श्री रूस्तम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की बात हम कर रहे थे. पहले कैंसर की बात आई थी तो मैं कह रहा हूं कि मध्यप्रदेश ही एक ऐसा प्रदेश है जहां के पूरे 51 जिलों में कीमोथेरेपी सभी को मुफ्त दी जा रही है, उसमें बीपीएल का होना जरूरी नहीं है. मैं उज्जैन जिले में अस्तपाल का विजिट करने गया था, वहां पर कीमोथेरेपी के सेशन चल रहे थे, मैंने उन लोगों से बात की, वे कह रहे थे कि जो कीमोथेरेपी आपकी सरकार हमें मुफ्त दे रही है, इसके लिए हमें इन्दौर, भोपाल या कैन्सर अस्पताल जाना पड़ता तो बहुत परेशानी होती थी, वह मुफ्त में मिल रही है, उन्होंने मुख्यमंत्री जी का आभार माना.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने पूरे प्रदेश के 51 जिलों का नाम लिया है, क्या छिन्दवाड़ा जिले के अस्पताल में कीमोथेरेपी हो रही है.
अध्यक्ष महोदय - यह प्रश्न काल नहीं है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष महोदय, यह असत्य बात क्यों बोली जा रही है. (xxx)
अध्यक्ष महोदय - कुछ नहीं लिखा जाएगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, जो इस तरह के आरोप लगा रहे हैं, वह गलत है, छिन्दवाड़ा जिले में कीमीथेरेपी हो रही है.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपने कल प्रतिवेदन दिया है, उसमें भिण्ड जिले में कीमीथेरेपी नहीं हो रही है, भिण्ड जिले का नाम दर्ज नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - डॉ. साहब यहां कोई क्षेत्रवार चर्चा नहीं हो रही है.
श्री सोहन लाल बाल्मीक - मेरे क्षेत्र में सौ बिस्तर के अस्पताल के लिए मुख्यमंत्री जी की घोषणा थी, वह भी बता दें. (xxx)
अध्यक्ष महोदय - कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री रूस्तम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, ये बीच बीच में खड़े होकर बातें करते हैं, ये कुछ तो सोचे कि इन्होंने क्या किया है, बाते कर रहे हैं कि मेरे यहां नहीं हुआ. क्यों नहीं हुआ, आपकी सरकार 40 साल क्यों नहीं की, यह कोई बात होती है.
डॉ. गोविन्द सिंह - एसपी से आई जी बनाया था.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष जी, एसपी से आईजी प्रक्रिया के तहत बनते हैं, गोविन्द सिंह जी नहीं थे तो अभी बन नहीं रहे क्या.
अध्यक्ष महोदय -- मेरा मंत्रिगण से अनुरोध है कि वे किसी का उत्तर नहीं दें और स्वास्थ्य मंत्री जी से अनुरोध है कि अपना भाषण दें, किसी का उत्तर देने की कोई जरुरत नहीं है. उनको बोलने दीजिये.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, उस समय सीधे एसपी से आईजी बनाते थे, अब एसपी से डीआईजी बनते हैं.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं जननी एक्सप्रेस की बात बताना चाह रहा था. यह पूरे प्रदेश में चल रही है. महिलाओं को लाने की व्यवस्था हम लोग कर रहे हैं. इसी के साथ जो डायलिसिस की बात है, उसमें मैं व्यक्तिगत रुप से हास्पीटल्स में गया हूं, मैंने बात-चीत की है और उन्होंने इसकी काफी प्रशंसा की है और यह हमारे लिये बहुत वरदान सिद्ध हुई है. हमारे यहां जो इतनी योजनायें चल रही हैं,यह जो मातृ मृत्यु दर की बात थी, जो पहले मातृ मृत्यु दर जितनी थी, आंकड़ों में 379 हुआ करती थी, वह 221 हुई है. इससे हम लोग संतुष्ट नहीं हैं. हमको आंकड़ा जो है, अभी और बेहतर करना है.पहले के मुकाबले संतुष्ट हैं, लेकिन हमारा लक्ष्य इसको जीरो पर पहुंचाने का है. हमारा लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर से बेहतर करने का है. अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से बाल मृत्यु दर की चर्चाएं आती हैं. हम लोग पेरामीटर्स में नीचे आये हैं. हिन्दुस्तान में नीचे लाने वालों में अग्रणी प्रदेश में से हम लोग हैं. लेकिन इसको भी हमको और बेहतर करना है. जो मलेरिया या उससे जनित दूसरी जो बीमारियां होती हैं, उसके लिये भी प्रभावी कार्यवाही की गई है. मंडला को सनफ्लावर के जरिये गोद लिया गया है, जो जीरो मलेरिया पहुचांने का वह काम शुरु कर रहे हैं. 5 साल के लिये उसको गोद लिया हुआ है. 13 लाख 70 हजार मेडिकेटेड मच्छरदानियां हमको प्राप्त हुई हैं. वह हम वितरण करा रहे हैं. मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काम हुए हैं, चाहे वह संजीवनी वाली बात हो, चाहे सरदार वल्लभ भाई मुफ्त दवाई वितरण वाली बात हो, यह कुछ मर्चुरी (पीएम) हाउस की बात बताई गई है. हम पूरे मध्यप्रदेश के हर जिला अस्पताल में उसको अपग्रेड कर रहे हैं और जिन हास्पीटल्स में नहीं है, वहां मर्चुरी (पीएम) रुम, पीएम हाउस बनाने की व्यवस्था मध्यप्रदेश सरकार करने जा रही है. इसी तरह से सभी माननीय सदस्य गण रुचि रख रहे होंगे कि कल जो उन्होंने मांग की है, उसमें क्या हुआ है. उसका मैं उल्लेख करना चाहता हूं
श्री रामनिवास रावत -- पीएम हाउस में किस-किसको रखेंगे.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, जो उसके काबिल हो जायेंगे. ..(हंसी)
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अभी आपको नहीं रखेंगे.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आप लोगों ने ही बहुत मांग की थी. मैं इस मौके पर यह जरुर कहना चाहता हूं कि मुझे यह विभाग मिला एक मजबूत और कामयाब स्वास्थ्य मंत्री जी के हाथों से, जो डॉ. नरोत्तम जी यहां बैठे हुए हैं. पिछले वर्ष मैंने इसी सदन में इसी विभाग की अनुदान मांगों पर ओपनिंग की थी और मंत्री जी ने कहा था कि आप ओपनिंग कर दीजिये. मैंने कहा कि मैं मांगूंगा, आप देंगे. बोले देंगे. आपने यह भी नहीं पूछा कि मैं क्या मागूंगा. अध्यक्ष महोदय, मैंने मुरैना हास्पीटल को जो 300 बेड का था, उसको 600 बेड करने की मांग की. मंत्री जी ने 600 बेड का दे दिया.
श्री कैलाश चावला -- मंत्री जी, हम कुछ मांगेंगे तो आप दे देंगे.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, बाला बच्चन जी ने ओपनिंग की थी, उन्होंने जो मांगा, वह दे दिया. माननीय नरोत्तम जी ने जो परम्परा डाली है, मैं तो उसका पालन कर रहा हूं कि चर्चा प्रारम्भ करने वाला जो मांगे, वह दे दो और हमने उसका पालन किया है. अध्यक्ष महोदय, यह मुरैना हास्पीटल 300 बेड का था, वह 600 बेड का हो गया है. ..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, यह समस्या आ गयी है कि हम लोग मांगें तो कहां मांगें और किससे मांगें.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, भार्गव जी हमसे कह चुके हैं और आपकी वाणी का पूरा पालन होगा.
श्री बाला बच्चन -- आप तो अब विपक्ष से मांगो. आप मांगों, हम देंगे.
श्री शंकरलाल तिवारी -- मंत्री जी, मैंने भी सतना में 200 बिस्तर बढ़ाने की विनती की है.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, हमारे मंत्री जी बड़े दयावान हैं. देने वाले तूने सब कुछ ही दे दिया,किसको क्या मिला है,यह मुकदर की बात है.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मुरैना के बामोर में हमने मांगा, पिछली बार मंत्री मंत्री जी ने सिविल हास्पीटल दिया. वह अब हो गया है. इसी तरह से भर्रा के बारे में श्री सूबेदार सिंह, विधायक जी की मांग थी, तो भर्रा को भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किया गया है. मुरैना में नूराबाद को बीमोक किया गया है. इसी तरह से मुरैना के परीछा को पीएचसी किया गया है. करेधाम जो पटिया वाले बाबा हैं, वहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बहुत समय से मांग थी, वहां पर भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किया गया है. शिवपुरी में 300 बेड का हास्पीटल था, हमारी मंत्री जी, यशोधरा जी उसकी मांग करती रहीं, यह 400 बेड किया गया है. यह के.पी. सिंह जी के लिये भी है. के.पी. सिंह जी सुन लीजिये. आपका शिवपुरी जिला चिकित्सालय 300 बेड से 400 बेड किया गया है.
श्री के.पी.सिंह -- मंत्री जी, इसके लिये धन्यवाद, लेकिन हास्पीटल की बाकी व्यवस्थाएं ठीक करा दें.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से श्योपुर में माननीय दुर्गालाल विजय जी ने 100 बेड से 200 बेडेड हास्पीटल करने की मांग की थी, वह 200 बेडेड किया गया है. श्री रामनिवास रावत जी का जो विधान सभा क्षेत्र है, उसमें रघुनाथपुर की इनकी मांग थी, रघुनाथपुर को भी पीएचसी किया गया है.
श्री रामनिवास रावत -- मंत्री जी, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से श्योपुर में मानपुर उप स्वास्थ्य केंद्र को दुर्गालाल विजय जी ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लिये मांगा था, वह किया गया है.
श्री कैलाश चावला -- मंत्री जी, ग्वालियर संभाग के बाहर भी आयेंगे क्या.
..(व्यवधान)..
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, अभी मेरा मांग वाला काम समाप्त नहीं हुआ है. अभी आप पूरा तो सुन लीजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- मंत्री जी, आप पूरे मध्यप्रदेश के मंत्री हैं, आप थोड़ी कृपा मालवा में भी करें. हमने कल मांग रखी है.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि पूरा तो होने दीजिये. ग्वालियर में हस्तिनापुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र था,उसको सीएचसी किया गया है. मुरार जो डिस्ट्रिक्ट हास्पीटल है, उसमें माननीय जयभान सिंह पवैया जी की भी मांग थी और माया सिंह जी, जो मंत्री हैं, उनकी भी मांग थी, बड़ी जगह थी. उसको बढ़ाकर 300 बेड किया गया है. ग्वालियर के डी.डी. नगर में भी माया सिंह जी के आग्रह पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और ग्वालियर में हजीरा, जो सिविल अस्पताल है, 49 बेड का था, उसको माननीय जयभान सिंह पवैया जी बहुत दिनों से मांग कर रहे थे और वहां जरुरत भी थी, उसको 100 बेड किया गया है. ग्वालियर के उप स्वास्थ्य केंद्र, बेहट,जो माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा थी और हमारे माननीय सदस्य, भारत सिंह कुशवाह जी भी चाहते थे, उसका उन्नयन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में किया गया है. दतिया में जो बढ़ोनी है, वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र था, उसको सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र किया गया है .दतिया में ही बढ़ोनीकला, इसका भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उन्नयन किया गया है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, उपाध्यक्ष महोदय की भी पिछली बार तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री जी ने घोषणा की थी, उसका कहीं उल्लेख नहीं हो रहा है.
श्री रुस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, क्या हमारा पूरा भाषण पूरा हो गया, क्या हम बैठ गये. थोड़ा धैर्य तो रखिये. भिण्ड के मालनपुर उप स्वास्थ्य केंद्र को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किया गया है. इसी तरह से दंदरौआ धार्मिक स्थल है, वहां पर लोगों का आना होता है. चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी जी का आग्रह था, वह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है. भिण्ड में गोरमी जो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है, उसका उन्नयन किया गया है, अशोक नगर में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पिपरई का उन्नयन किया गया है, यह आदरणीय श्री कालूखेड़ा जी चाहते थे, इन्दौर में 100 बिस्तर का जिला अस्पताल है, उसको 300 बिस्तर का किया गया है. मैंने तीन गुना किया है.
अध्यक्ष महोदय, इन्दौर में ही शहरी क्षेत्र में मांगीलाल चूरिया को 30 बिस्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है, गौरी नगर शहरी क्षेत्र को भी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है, खण्डवा में पुनासा को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है, खरगौन में बोराबा को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन किया गया है, यह सचिन यादव जी की मांग थी.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे विपक्ष को खड़े होकर आज स्वास्थ्य मंत्री एवं मध्यप्रदेश सरकार को बधाई और धन्यवाद देना चाहिए क्योंकि वे सभी को कुछ न कुछ दे रहे हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - आप धन्यवाद दीजिये. आपने हमारे लिए क्या किया है ? आपने लहार के लिए क्या किया ?
श्री आरिफ अकील - राजधानी भोपाल के लिए भी कोई घोषणा होनी थी. सबको शामिल कर रहे हो.
श्री गोपाल भार्गव –(XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह विलोपित कर दें.
श्री आरिफ अकील - गिन-गिनकर देते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह - अब कौन से नम्बर का चश्मा ले आएं. जिससे आपको लहार दिख जाये. आपको पूरे मध्यप्रदेश के नक्शे में लहार ही नहीं दिखा.
अध्यक्ष्ा महोदय - कृपया माननीय मंत्री जी को बोलने दें. माननीय मंत्रीगण से अनुरोध है कि वे व्यवधान न करें.
श्री रुस्तम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, खरगौन में उप स्वास्थ्य केन्द्र मगरखेड़ी को बी.एस.ई. बनाया गया है. धार में कोद को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाया गया है, बड़वानी में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र अंजड़ का उन्नयन कर सी.एस.ई. बनाया गया है, इसी तरह भोपाल में बैरसिया में जो 30 बिस्तरीय अस्पताल था, उसको सिविल अस्पताल बनाकर 50 बिस्तर का हॉस्पिटल बनाया गया है. भोपाल में जे.पी.हॉस्पिटल जो 300 बेड का है, उसको 400 बेड का किया गया है, रायसेन में मण्डीदीप जो 30 बिस्तरीय अस्पताल था, उसको सिविल अस्पताल कर 50 बिस्तर का किया गया है, सीहोर में 30 बिस्तरीय नसरूल्लागंज को सिविल अस्पताल बनाकर 50 बिस्तरीय किया गया है. सीहोर में ही आबिदाबाद को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है, विदिशा में कागपुर को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है. होशंगाबाद में इटारसी अस्पताल को 160 बेड से 200 बिस्तर का किया गया है, यह माननीय अध्यक्ष महोदय की विधानसभा का अस्पताल है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, धन्यवाद.
श्री रुस्तम सिंह - अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से जिला चिकित्सालय होशंगाबाद के मेटरनिटी वार्ड में बेड बढ़ाते हुए, उसमें 100 बेड और बढ़ाये गये हैं. सागर में मकरोनिया बुजुर्ग जो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है, उसको 30 बिस्तरीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है, यह माननीय विधायक प्रदीप इंजीनियर की मांग थी.
अध्यक्ष महोदय - बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री महेश राय - माननीय मंत्री जी, सागर एवं बीना का बता दें.
अध्यक्ष महोदय - आप धीरज रखें. पूरा हो जाने दें.
श्री रुस्तम सिंह - अध्यक्ष महोदय, पॉलीक्लीनिक चमेली चौक, जो सागर में है, यह शैलेन्द्र जैन जी की मांग पर उन्नयन किया गया है. टीकमगढ़ में उप स्वास्थ्य केन्द्र मवई, जिला टीकमगढ़ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है. पन्ना के उप स्वास्थ्य केन्द्र सुनवानी को भी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है. उप स्वास्थ्य केन्द्र पिपरई जिला रीवा को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है, यह विधायक सुखेन्द्र सिंह की मांग थी.
श्री आरिफ अकील - मैंने विधानसभा में कभी ऐसा नहीं देखा कि कागज लेकर पूरा पढ़कर बताया जा रहा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - ये घोषणाएं हैं.
श्री गोपाल भार्गव - घोषणाएं मिल रही हैं तो आपको तो खुश होना चाहिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आपने कभी इतना घोषणाएं नहीं की हैं. आप लोग कुछ करते ही नहीं थे, आप लोग जो करते थे, वह जीरो बजट पर करते थे.
श्री गोपाल भार्गव - जिसने कुछ किया ही नहीं है. आप कोरी कॉपी रख आए, आपने परीक्षा ही नहीं दी तो आप क्या बांचोगे ?
श्री आरिफ अकील - नरोत्तम जी, क्या आपने ऐसे ही पढ़ा था ?
श्री शंकरलाल तिवारी - ऐसे ही बातें करते रहते हैं.
श्री गोपाल भार्गव - आप 10 वर्ष में एक अस्पताल तो खोल नहीं पाए. अब एक साल में आप 100 अस्पताल देखें. अपग्रेडेशन हो रहा है, नए अस्पताल खुल रहे हैं. साक्षात् धन्वन्तरि जी मध्यप्रदेश में उतर आए हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप जानते ही नहीं हैं कि धन्वन्तरि क्या हैं ? यह आपको बता रहे हैं.
श्री रुस्तम सिंह - अध्यक्ष महोदय, रीवा में श्री सुखेन्द्र सिंह जी के क्षेत्र मऊगंज को सिविल अस्पताल बनाते हुए 30 बिस्तर से 50 बिस्तर किया गया है.
श्री सुखेन्द्र सिंह - आपको बहुत धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - मंत्री जी, श्री सुखेन्द्र सिंह जी धन्यवाद दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - कृपया व्यवधान न करें.
श्री रुस्तम सिंह - हमारे मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल जी के आग्रह पर अजगरा भटाला को उन्नयन कर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है, रीवा में श्री गिरीश गौतम जी के उप स्वास्थ्य केन्द्र मानिकवार, यह माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा थी, उसका उन्नयन रायपुर कलचुरियन विकासखण्ड में किया गया है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को - अध्यक्ष महोदय, अनूपपुर जिले की भी सूची पढ़ दी जाये क्योंकि वह ट्रायबल क्षेत्र है.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, आप तो जारी रखिये. सब अपनी-अपनी बातें कहेंगे.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, अनूपपुर की विवेचना जारी है.
श्री रुस्तम सिंह - अध्यक्ष महोदय, इटमा बड़ा इटमा, जिला सतना को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है, सतना में करथाह यह नारायण त्रिपाठी जी का क्षेत्र है, उसको उन्नयन कर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है, सतना में जरयारी को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन किया गया है, सतना प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र माधवगढ़ का उन्नयन किया गया है.
श्री शंकरलाल तिवारी - माननीय मंत्री जी को हृदय से धन्यवाद देना चाहता हूँ.
श्री रुस्तम सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, उप स्वास्थ्य केन्द्र बहरी, जिला सीधी को भी श्री कमलेश्वर पटेल जी के आग्रह पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है, सीधी में कबरजी को भी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन किया गया है, अनूपपुर में उप स्वास्थ्य केन्द्र खड़ा जिला अनुपपूर को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन किया गया है, देवास में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सतवास, जिला देवास को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाया गया है, देवास का उप स्वास्थ्य केन्द्र अजनास को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, देवास के ही हरण गांव के उप स्वास्थ्य केन्द्र का उन्नयन किया गया है. सागर में सी.एच.सी. गढ़ाकोटा को सिविल हॉस्पिटल बनाकर उसका उन्नयन किया गया है, इसी तरह से सी.एच.सी. रहली को भी उन्नयन किया गया है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, ऐसा तो कभी नहीं हुआ है. इतना शानदार, प्रशंसनीय एवं उल्लेखनीय है. नरोत्तम जी आप पीछे रह गए.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, यह आपको ही सीख लेने की बात है. आप भी मंत्री हैं, आप ऐसा करें.
श्री गोपाल भार्गव - हम लोगों में प्रशंसा का अभाव नहीं रहता. आप लोगों में प्रशंसा का क्या भाव रहता है ? यह मैं नहीं कह सकता.
श्री रुस्तम सिंह - अध्यक्ष महोदय, शाजापुर में उप स्वास्थ्य केन्द्र पोचानेर को भी इन्दर सिंह परमार विधायक जी के आग्रह पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किया गया है
श्री इन्दर सिंह परमार - बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रुस्तम सिंह - उज्जैन में सिविल अस्पताल नागदा, जिला उज्जैन का उन्नयन करके नये भवन के निर्माण की कार्यवाही स्वीकृत की गई है.
डॉ. मोहन यादव - बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रुस्तम सिंह - रतलाम में जावरा को 50 बिस्तर का नवीन मेटरनिटी भवन देने का निर्णय लिया गया है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रुस्तम सिंह - बालाघाट का जिला चिकित्सालय 300 बेड का है, उसके लिए माननीय गौरीशंकर बिसेन जी ने विजिट भी कराई थी, उनकी और सुश्री हिना कावरे जी यहां बैठी हैं, इनकी भी मांग थी. उस हॉस्पिटल को 500 बेड किये जाने का निर्णय लिया गया है.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे - धन्यवाद.
श्रीमती ऊषा चौधरी - मैं तीन सालों से बजट मांग रही हूँ. आपने आज तक रैगांव को एक रुपया भी नहीं दिया है.
श्री रुस्तम सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह पन्ना के संबंध में मांग है, उसका आकलन हो गया है, माननीय मंत्री जी की भी मांग है, हम उसको कर रहे हैं. जहां तक शीला त्यागी जी का है उन्होंने दो मांग की हैं, हम आकलन कर रहे हैं और एक उसमें से करेंगे. इतना कहते हुए मैं अपनी भाषण को विराम दूंगा. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय : मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या- 19 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किए जाएं.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब मैं मांगों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि 31 मार्च 2018 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को-
अनुदान संख्या- 19 लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिए पांच
हजार छह सौ बहत्तर करोड़, साठ लाख,
पचास हजार रुपए
तक की राशि दी जाय.
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ
(2) मांग संख्या -8 भू-राजस्व तथा जिला प्रशासन
मांग संख्या - 9 राजस्व विभाग से संबंधित व्यय
मांग संख्या - 46 विज्ञान और टेक्नालाजी
मांग संख्या - 58 प्राकृतिक आपदाओं एवं सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में राहत पर व्यय.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट ऑफ ऑर्डर है.
अध्यक्ष महोदय-- अब इसमें क्या पाइंट ऑफ आर्डर है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, यह जो मांग संख्या 8 भू-राजस्व तथा जिला प्रशासन इसमें जो अनुदानों की मांग को लेकर जो लेखा जोखा सदन के अंदर प्रस्तुत किया गया है. संभवत: माननीय मंत्री जी ने ध्यान नहीं दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- यह पाइंट ऑफ आर्डर नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, देखें तो इसमें बहस कैसे होगी. मुझे कहने तो दें.
अध्यक्ष महोदय-- यह पाइंट ऑॅफ आर्डर नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- यह दस्तावेज ही जो सदन में पेश किया गया है पूर्णरूपेण गलत है.
अध्यक्ष महोदय-- आप इसे अपनी चर्चा के समय बोलिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- हम निवेदन कर रहे हैं. इसमें हम लोग क्या बात करेंगे.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) --पूर्णरूपेण गलत कैसे कह सकते हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- यही तो मैं निवेदन कर रहा हूं. एक मिनट हमारी बात को सुने तो.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं सुनेंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अभी सवाल आया नहीं है कह दिया कि जवाब नहीं मिलेगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि जो भी दस्तावेज लेखा जोखा प्रस्तुत किया गया है उसके बारे में एक मिनट मुझे अपनी बात कह लेने दें.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी के बाद में अपनी बात कहिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--- अध्यक्ष महोदय, यह पूर्णरूपेण गलत है और आप भी ध्यान नहीं दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आपको चर्चा के लिए समय मिल रहा है उसमें बात करिए आप.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय हम आपसे संरक्षण चाहते हैं कि आप इस तरह के गलत दस्तावेज सदन के अंदर न रखें.
अध्यक्ष महोदय-- आपको चर्चा में समय मिलेगा आप उसमें अपनी बात रखिए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- इसमें जो गलत आंकड़े हैं उसमें बहस क्या होगी उसमें बात क्या होगी उसमें हम क्या कहेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- आप पॉइंट आउट करके बताइए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, वही तो मेरा कहना है कि मैं पॉइंट ऑफ ऑर्डर बता रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- पाइंट आफ आर्डर का विषय नहीं है, आप पढ़े-लिखे हो आप कैसी बातें करते हो.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने विभाग में मांगों का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. विभाग वैसे ही चौपट है तो हम कटौती के लिए क्या जोर दें. सबसे पहले तो आपसे यह अनुरोध है कि राजस्व विभाग में पूरा अराजकता का माहौल बन चुका है. आज अभी तक आपके निर्देश के बावजूद भी नियम है, हमेशा परम्परा रही है कि जब जिस विषय पर विभाग में बहस होती है उसके एक दिन पहले प्रतिवेदन मिलना चाहिए, लेकिन लगातार तीन दिन से आपत्ति करने के बाद हमें अभी दस मिनट पहले उपलब्ध हो पाया है. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि भविष्य में चेतावनी दें या फिर इस विभाग के ऊपर मंत्री पर कोई जुर्माना करें.
अध्यक्ष महोदय-- जुर्माना नहीं, पर माननीय मंत्रियों से मेरा अनुरोध है कि वह जो प्रतिवेदन है वह समय पर प्रस्तुत करें.
डॉ. गोविन्द सिंह-- वैसे भी जहां जहां यह मंत्री रहे हैं उस विभाग का तो इन्होंने बंटाढार करके ही छोड़ा है.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके साथ-साथ एक निवेदन और है कई कई विभागों ने जो पिछले वर्ष के पिछले वर्ष प्रस्तुत हो गए उनको भी प्रस्तुत कर दिया है.
1.17 बजे { उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए }
डॉ. गोविन्द सिंह-- यह नई बात हो गई, यह नई परम्परा है.
श्री रामनिवास रावत-- उपाध्यक्ष महोदय, राजस्व विभाग ने पिछले वर्ष का भी प्रस्तुत किया है आज इस वर्ष का प्रस्तुत किया है. दोनों के.पी.सिंह जी के पास रखे हुए हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, राजस्व विभाग में पूरी तरह अराजकता फैल चुकी है. लगातार आप देखें इस विधानसभा की गरिमा समाप्त करने का काम राजस्व विभाग कर रहा है. प्रजातंत्र का इस विभाग से विश्वास उठ चुका है. यहां के मंत्री से लेकर अधिकारी कर्मचारी तक आंनद विभाग में परमानंद प्राप्त कर रहे हैं. जितने विधानसभा के सवाल आते हैं अधिकांश में केवल यही विभाग सबसे ज्यादा अराजकता वाला है. जिसमें यह आता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है और जानकारी आती है तो असत्य आती है. घोषणाओं पर पूर्ति नहीं होती. आश्वासन अगर दिए जाते हैं तो 14-14 वर्ष तक इस विभाग के आश्वासन को पूरा नहीं किया जा रहा है. जब से आप विराजमान हुए हैं पहले जितने विभाग थे उनकी हालत देख लो अब इसमें यह और आ गए सत्यानाश करने के लिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब-जब सरकार बनी भारतीय जनता पार्टी की आप उठा के देखें जमीनों पर कब्जा करने का काम, जमीनें हड़पने का काम इस विभाग ने पूरे पैमाने पर पूरे प्रदेश में किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, कहावत है मोहम्मद गजनवी हिन्दुस्तान को लूटने आया था. उसने भी रहम किया था वह कुछ सोना तो छोड़ गया था. यह तो उनके ग्रांड फादर हैं. जमीनों को लूटने के मामले में. खूब घोटाले मनोज कुमार कमेटी आपकी सरकार ने माननीय उपाध्यक्ष महोदय खूब घोटाले जांच के लिए माननीय मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार एक सदस्यीय श्री मनोज कुमार कमेटी का गठन हुआ था. उस कमेटी ने धार, कटनी, होशंगाबाद, अशोकनगर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, हरदा जिलों के जांच प्रतिवेदन दिए हैं. पहले भी पटवा जी थे तब जमीनें बंटी, दिल खोलकर जमीनों को लूटा गया. जो शहर के आसपास की जमीनें थीं वे लूटी गईं. जगतपति कमेटी बनी थी उसकी रिपोर्ट आ गई जब तक कमेटी की रिपोर्ट आई तब तक हमारी सरकार चली गई, नहीं तो हम उनका इन्तजाम कर देते, दोबारा वे गड़बड़ नहीं कर पाते. लेकिन दुर्भाग्य था जनता ने हमको हटा दिया तो उसका लाभ इनको मिल गया. ग्वालियर स्टेट के समय डबरा में साढ़े आठ हजार एकड़ जमीन शुगर मिल के लिए उसके सीएमडी जो कि दिल्ली का रहने वाला था वह शुगर मिल का मालिक था उसने जमीन ली फिर शुगर मिल बंद कर दी उसकी लीज़ समाप्त हो गई. उस जमीन को हड़पने का काम सत्ता में बैठे हुए लोगों के द्वारा किया जा रहा है. यह नियम है कि अगर कोई उद्योग खोला जाता है तो उद्योग खोलने के लिए आपने जो लैंड बैंक बनाई है पहले उद्योग विभाग पैसा जमा करेगा परन्तु उस भूमि का 4 फरवरी 2010 को ग्वालियर, उच्च न्यायालय ने आदेश कर दिया कि यह शासकीय जमीन है. अभी तक उसका कब्जा न लेकर इन्वेस्टर्स मीट में सरकारी भूमि को बिना किसी की अनुमति के एमओयू साइन कर लिया. यह साढ़े आठ हजार एकड़ भूमि ग्वालियर और दतिया जिले की 18 गांव की भूमि है. अरबों रुपए की जमीन हड़पने की साजिश अधिकारी और सत्ता में बैठे हुए लोग कर रहे हैं. क्या कारण है जब नियम है तो नियमों की धज्जियां क्यों उड़ाई जा रही है. अगर जमीन लेना ही है तो ओपन-ऑक्शन कराइए अन्यथा पहले आप उद्योग विभाग में यह जमीन वापस करें जब उद्योग विभाग जमीन दे तब आप किसी उद्योग के साथ एमओयू कर सकते हैं अन्यथा आपको एमओयू करने का अधिकार नहीं है. नियम विरुद्ध आपने एमओयू किया है. इसी प्रकार सागर में किया है.
डॉ. मोहन यादव--(XXX)
डॉ. गोविन्द सिंह--(XXX)
उपाध्यक्ष महोदय--दोनों माननीय सदस्यों का यह संवाद रिकार्ड में नहीं आयेगा.
डॉ.गोविन्द सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, सागर में 27 एकड़ जमीन, 5 हजार रुपए स्कवायर फिट की जमीन जो बीच शहर की थी उस जमीन को हड़पने के लिए भी कई भू-माफियाओं द्वारा यहां से अवैध पंजीयन करा दिया है. इसका विधान सभा में प्रश्न भी आ चुका है. इस जमीन की कीमत करीब साढ़े छ सौ करोड़ रुपए थी पैंतीस करोड़ रुपए की राजस्व की जमीन बताकर उसकी रजिस्ट्री कर दी गई. अब यह मामला राजस्व न्यायालय में, हाई कोर्ट में लटका दिया अब यह लटका रहेगा. बाद में जब मामला शांत हो जाएगा तो सत्ता में बैठे लोग और भू-माफिया इसको हड़पने का काम करेंगे. इसी प्रकार इंदौर में इसी महीने श्रीराम गृह निर्माण सहकारी संस्था को 7 हेक्टेयर से अधिक जमीन दी गई है. सोसायटी में जो सदस्य आवासहीन हैं उनको मकान बनाकर दिया जाएगा परन्तु यहां पर बैठे हुए उच्च अधिकारी जो सत्ता की शीर्ष पर बैठे हुए हैं. सत्ता के मठाधीशों के अगल-बगल में रहते हैं उन्हें उस जमीन पर बिना किसी मंजूरी बिना संस्था के प्रस्ताव के सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने मिलकर यह जमीन अधिकारियों में बांट दी है. न इसकी परमीशन है, न टीएनसीपी से परमीशन ली है, न नगर निगम से, बस बँटवारा कर लिया है. यह हालत है. इसी प्रकार ग्वालियर में भी यह मामला है मैंने कई प्रश्न लगाए परन्तु अभी तक जवाब नहीं मिला. सूचना के अधिकार में लगाया अभी तक जवाब नहीं मिला है. मैं आपसे जानना चाहता हूँ कि जब कांग्रेस की सरकार थी. उस समय अनुसूचित जाति, जनजाति के भूमिहीनों को पट्टा देने का काम किया था. उसमें यह नियम था कि जब तक 10 वर्ष नहीं होगा कोई जमीन बेच नहीं सकता है. बेचेगा तो कलेक्टर की परमीशन लगेगी, कारण बताना पड़ेगा और उसका पैसा भी कलेक्टर के कोषालय में जमा होगा. लड़की की शादी के लिए, बीमारी के लिए बेच सकता है अन्यथा वह भूमि नहीं बेची जा सकती है. भूमि बेचेगा तो दूसरी जगह उसे भूमि मिलेगी. यह कितना बड़ा घोटाला हुआ है. 27 अप्रैल, 2015 को शासन ने एक अध्यादेश छह माह के लिए जारी किया और फिर इसको छह महीने के लिए बढ़ा दिया. जबकि बीच में विधान सभा सत्र चला था. जब आपत्ति आई तो इन्होंने 2 दिसंबर 2015 को यहां विधेयक संशोधन के लिए रखा. पांच धाराओं में संशोधन कर दिया. इन अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों की मुम्बई के भू-माफियों ने जमीन खरीद ली, महानगरों, शहरों के आसपास जो ग्रामीण क्षेत्र थे उनकी जमीनें खरीदकर करोड़ों रुपयों की हाउसिंग कॉलोनियां बन रही हैं. सोसायटियां बनाकर जमीनें बेचने का काम कर रहे हैं. जब अध्यादेश आया तो मैंने संशोधन लगाया, रामनिवास रावत जी ने लगाया तो मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की कि हम उसको वापस लेते हैं. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ कि उस दौरान जब आपने दो अध्यादेश जारी किए थे उस समय जो अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों की जमीनें बिक गईं उन जमीनों का क्या होगा. क्या वह जमीन आप वापस कराएंगे, उनको दोबारा दिलवाएंगे, भूमि का मालिक बनाएंगे जो भूमि न होने के कारण भूखों मरने के लिए चले गए हैं. 1-1, 2-2 लाख रुपए बीघा जमीन लेकर 60-60, 70-70 लाख रुपए बीघा के हिसाब से सोसायटी बनाकर जमीन बेचने का काम कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं नहीं कह रहा हूं आप समीक्षा करिए कि क्या कारण है कि आपके विभाग के एक मंत्री के रिश्तेदार लगातार पद पर बैठे हैं. क्यों कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं, आज तक आपका प्रतिवेदन क्यों नहीं आ पा रहा है. जहां घपले-घोटाले होते हैं वहां इनकी पदस्थापना कर देते हैं. वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन में करोड़ों रुपयों के गेहूं में मिट्टी मिला दी गई, उन्हें वहां बैठा दिया गया. शहडोल उप चुनाव हुए उसमें पटवारियों की मीटिंग ली कि भारतीय जनता पार्टी को जिताओ. अब आपने यहां बैठा दिया कि जमीनों का घोटाला करो. वह व्यक्ति पूरी तरह असफल हो चुका है फिर भी सब जगह उसी को बैठाते हो. क्या इसमें आपकी साजिश नहीं है, नहीं है तो आप इस पर कार्यवाही करें जांच कराएं देखें की जमीन घोटाले क्यों हो रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने 119 घोषणाओं की हैं. नामांतरण, बटवारा, सीमांकन, पर्यवेक्षण. धारा 110, 128, 178, 130, 244 और 251 की शक्तियां ग्राम पंचायतों को सौंपने की घोषणा मुख्यमंत्री जी ने की है. मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि मुख्यमंत्री जी की इन घोषणाओं के बाद उसके पालन के लिए आपका विभाग क्या कर रहा है, अधिकारी क्या कर रहे हैं. मुख्यमंत्री की घोषणा का पालन नहीं हो रहा है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में नारदेश्वर मंदिर है जहां नारद जी ने तपस्या की थी, शिवजी की स्थापना हुई ऐसा शास्त्रों में उल्लेख है. उस मंदिर की 175 बीघा जमीन दतिया और भिण्ड जिले में है. मैं लगातार 13 वर्षों से प्रश्न लगा रहा हूं. ध्यानाकर्षण भी लगाया चर्चा भी हुई. तत्कालीन राजस्व मंत्री ने 12 दिसंबर 2015 को सदन में आश्वासन दिया था कि एक माह के अंदर दतिया और भिण्ड जिले की जो मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण किया गया है उसे हटाकर सीमांकन कराएंगे और कब्जा दिलाएंगे. उस आश्वासन का पालन अभी तक नहीं हुआ है. एक महीने का कहा था जबकि आज दो वर्ष से अधिक का समय हो गया है. मैं कहना चाहता हूँ कि जो घोषणाएं हैं उन घोषणाओं का पालन कराएं जो आश्वासन हैं उनका पालन कराएं. भिण्ड जिले का तो एसडीएम से बात करके हाई कोर्ट में मामला ले गए तो हट गई है लेकिन दतिया की जमीन पर अभी भी करीब 75-80 बीघा है. पूरे जिले में मंदिरों की जमीन पर लोग भारी पैमाने पर कब्जा कर रहे हैं और गलत तरीके से पटवारियों से मिलकर, अब तो संशोधन हो गया है जमीनों को बेचने का काम कर रहे हैं. हमारा आपसे अनुरोध है गोहद तहसील में कांटेर मंदिर उसकी भी जमीन में भू-माफिया बड़ा बाला लट्ठ के बल पर जमीन जोते हुए है. एक बड़ा भू-माफिया लठ के बल पर मंदिर की जमीन जोते हुए है. गोहद तहसील के बड़ेरा गांव में मंदिर के पुजारी को भगा दिया गया है. भू-माफिया स्वयं ग्वालियर में रहता है और उसने बंदूक के बल पर जमीन पर कब्जा किया है. प्रतिवर्ष वह हजारों-लाखों का गन्ना बेचकर चला जाता है और मंदिर को कुछ नहीं देता है. अंत में मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के उद्योगों के लिए आपके पास लैण्ड बैंक में सवा लाख हेक्टेयर जमीन है. जबकि आप जो उद्योग स्थापित करने जा रहे हैं, उनके साईन किए हुए एम.ओ.यू. के तहत आपके प्रस्तावों के लिए केवल 25 हजार हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता है. आपके पास लैण्ड बैंक में सवा लाख हेक्टेयर जमीन होने के बावजूद डबरा, सागर और हमारे भिण्ड जिले की जमीन लेने का क्या कारण है. गोहद में मुख्यमंत्री जी ने गोहद चौराहे से लगी जमीन के संबंध में घोषणा की थी कि 138 बीघा जमीन उद्योगों के लिए सुरक्षित की जायेगी. इस घोषणा पर अमल भी हुआ, लेकिन आज वहां रेत, पत्थर की खदानें खुद गई हैं. पूरी जमीन पर सौ-सौ फीट के गड्ढे खुद गए हैं. मैं आप से कहना चाहता हूं कि आप भिण्ड के प्रभारी मंत्री हैं, आप जब वहां के रास्तों से जायेंगे तो आपको दाहिनी ओर क्रेशर लगे दिखेंगे. वह सारी की सारी जमीन मुख्यमंत्री महोदय द्वारा उद्योगों के लिए सुरक्षित करने की घोषणा की गई थी, लेकिन आज उस जमीन पर अवैध कब्जे हो गए हैं. मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि नामांतरण के संबंध में पंचायतों को पूर्व में जो अधिकार प्राप्त थे, इसके संबंध में मुख्यमंत्री जी घोषणा कर चुके हैं. जिन-जिन धाराओं में संशोधन की आवश्यकता हो, संशोधन कर आप तत्काल उनका पालन करवायें और अधिक से अधिक शक्तियां पंचायतों को दें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अंत में मैं एक बात और कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा. आपके राजस्व मंडल के संबंध में कहूंगा कि मैं मानता हूं, राजस्व मंडल में कुछ अधिकारी भ्रष्ट थे. लेकिन ग्वालियर के लिए एग्रीमेंट के तहत राजस्व मंडल स्थापित किया गया था. आपके विभाग में नीचे बैठे हुए कई अधिकारी स्वयं फैसला कर देते हैं, वे राजनैतिक दबाव में भी फैसले कर देते हैं. पटवारी, कलेक्टर के यहां सालों तक सुनवाई ही नहीं होती है. ऐसे में पीडि़त व्यक्ति को कम से कम राजस्व मंडल में न्याय मिल जाता है. राजस्व मंडल का अधिकारी आपके दबाव में नहीं रहता है. मैं अपने क्षेत्र में देखता हूं कि कई नामांतरण के प्रकरण ऐसे हैं, जिन्हें एस.डी.एम. के यहां विवाद में डाल दिया गया है और फिर आगे जाकर वे कमिश्नर के यहां लटके हुए हैं, लेकिन 10-10 वर्ष बीत जाने के बाद भी वहां तारीखें नहीं लगती हैं. इसलिए राजस्व मंडल का रहना बहुत जरूरी है. यदि आप आवश्यक समझें तो कानूनों और नियमों में यथोचित संशोधन करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में पटवारियों के 8000 पद रिक्त हैं. नायब तहसीलदारों के लगभग 300, तहसीलदारों के भी लगभग 200 से ऊपर पद खाली हैं. इसी प्रकार आर.आई. और एल.डी.सी. के भी पद खाली हैं. जब तक आप इन पदों को नहीं भरेंगे तो आपका काम नहीं चल पायेगा. आपके राजस्व विभाग को ''मालवाहक'' विभाग कहा जाता है. विभाग में इतने पद रिक्त होने से आपका पूरा माल चौपट हो जाएगा. आपके विभाग में बैठे हुए जिन लोगों पर आप नियंत्रण नहीं रख पा रहे हैं, उन पर आप अंकुश लगायें और राजस्व विभाग की कमियों की पूर्ति करने का काम करें. इतना कहकर मैं अपनी बात समाप्त करता हूं. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिए धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8, 9, 46 और 58 का समर्थन करते हुए कटौती प्रस्ताव के विरोध में राजस्व विभाग की मांगों पर अपनी बात रखना चाहता हूं. मध्यप्रदेश में अतिवृष्टि हो, अल्प वर्षा हो, सूखा पड़े, आंधी आये, तूफान आये या अन्य किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा आये, तो किसानों और आम आदमी का सीधा-सीधा पाला राजस्व विभाग से पड़ता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश शासन के जितने विभाग हैं, उनमें राजस्व विभाग की एक अलग भूमिका है. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि हमारी सरकार ने आबादी क्षेत्रों में ऐसी ग्राम पंचायतें जहां दलित, गरीब, शोषित और पीडि़त लोगों के पास रहने के लिए भू-खण्ड नहीं थे, उनके लिए 14 लाख 25 हजार के 32 भू-खण्ड अभी तक आबंटित किए हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 32 जिलों में ऑनलाईन वेब जी.आई.एस. सिस्टम लागू हो गया है शेष 19 जिलों में भी यह सिस्टम प्रारंभ होने वाला है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राजस्व न्यायालयों के कम्प्यूटरीकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है. राजस्व न्यायालयों के पीठासीन अधिकारियों के बैठने के दिन भी नियत किए गए हैं. जिले के जिलाधीश, सोमवार को सेकण्ड हाफ में न्यायालय में बैठेंगे. इसी प्रकार जिले के अपर कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार और नायब तहसीलदार को हफ्ते में तीन दिन सेकण्ड हाफ में बैठने की व्यवस्था की गई है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं किसान हूं और कृषि से जुड़ा हुआ हूं. 2003 से पूर्व यदि किसान की फसल पाला गिरने से, इल्ली के प्रकोप से, सूखा पड़ने से या अतिवृष्टि होने से चौपट हो जाती थी तो किसान को एक हेक्टेयर पर कितने रूपये मिलते थे, मैं इस बात का चित्रण नहीं करना चाहता हूं. आज यदि सिंचित भूमि हो और मेरे बताए गए कारणों में से किसी कारण से किसान की फसल खराब होती है तो उसे 13 हजार 500 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से हमारी सरकार मुआवजा दे रही है. यदि भूमि असिंचित है तो एक हेक्टेयर पर 9000 रूपये हमारी सरकार देती है. इसी प्रकार मैं आपके माध्यम से कुछ और महत्वपूर्ण विषय सदन में रखना चाहता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे यह कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि हमारी सरकार ने लोक सेवा गारण्टी कानून बनाया है. उसमें राजस्व विभाग की 16 सेवायें अधिसूचित की गई हैं. अविवादित बंटवारा, अविवादित नामांतरण, किसी दुर्घटना में हाथ-पैर खोने से राहत राशि, इस प्रकार की सभी 16 सेवाओं का चित्रण करना सदन में संभव नहीं है, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि राजस्व विभाग की जिन 16 सेवाओं को लोक सेवा गारण्टी कानून के तहत लिया गया है, उसका उद्देश्य प्रकरणों का त्वरित निराकरण करना है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि वर्ष 2015 में मध्यप्रदेश में खरीफ की सोयाबीन की फसल सूखा पड़ने से खराब हो गई थी. उस समय मध्यप्रदेश के किसानों में बड़ी चिंता फैल गई थी और वे भयभीत हो गए थे. मध्यप्रदेश, हिंदुस्तान का पहला राज्य है, जहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री जी ने अन्नदाताओं के हितों के संरक्षण के लिए एक दिन का विशेष विधान सभा का सत्र बुलाया था. दिनांक 5 नवंबर 2015 को एक दिन का सत्र बुलाया गया था. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सदन के अंदर माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने कहा कि मध्यप्रदेश की सड़कें बाद में बन जायेंगी, मध्यप्रदेश में भवनों के निर्माण बाद में हो जायगा. मध्यप्रदेश के अन्नदाता किसान आज भयभीत और चिंतित हैं क्योंकि सोयाबीन की खड़ी फसल सूखा पड़ने के कारण नष्ट हो गई है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 4 हजार 6 सौ करोड़ रूपये की राहत राशि माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में सरकार द्वारा किसानों में वितरित की गई. इसके अतिरिक्त करोड़ों रूपये की बीमा राशि भी वितरित की गई. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के पहले भी प्रदेश में भूमि थी, पहले भी सरकारें थीं. मैं समझता हूं कि मुझे यह कहने की जरूरत नहीं है कि 2003 में सरकार द्वारा प्रदेश में जितनी भी गोचर भूमि थी, उसे पट्टे पर दे दिया गया. आज गायें यहां-वहां क्यों घूम रही हैं. इसका कारण क्या है ? गोचर की भूमि को पट्टे पर देने से गायों के चरने की मुख्य समस्या शुरू हुई. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि सभी गांवों में 100-200 एकड़ सरकारी भूमि हुआ करती थी. गांवों के लोग अपने मवेशी उस भूमि पर छोड़ दिया करते थे, लेकिन सत्ता के लालच में तत्कालीन सरकार ने सारी जमीन के पट्टे बांट दिए और आज गौ-माता के लिए कोई रिक्त स्थान नहीं बचा है. सभी लोग अपनी जमीनों पर खेती करते हैं. जहां देखो वहां सड़कों पर गौ-माता खड़ी दिखती हैं. यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है और इस समस्या के लिए हम सभी सामूहिक रूप से उत्तरदायी हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से एक और महत्वपूर्ण बात कहना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्राकृतिक आपदाओं के लिए व्यय राशि, प्राकृतिक आपदा आने से, चाहे वह इल्ली के प्रकोप से हो, चाहे वह अतिवृष्टि से हो और किसी भी कारण से यदि आपदा आती है तो जैसा मैंने कहा है कि पूर्व की तुलना में इस बार भी बजट में 967 करोड़ रुपये का प्रावधान इस सरकार ने किया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्राकृतिक आपदाओं में नकद दान देने के लिए तत्काल, त्वरित, अधिकारी हल कर सके, इसके लिए इस बजट में 81 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है. उपाध्यक्ष महोदय, राजस्व पुस्तक परिपत्र 4 (6) के अंतर्गत सूखाग्रस्त राहत राशि के लिए पहले 55 करोड़ रुपये का प्रावधान था. इस बार 110 करोड़ रुपये का प्रावधान, विगत वर्ष की तुलना में दोगुना कर दिया गया है. सूखा फसल शक्ति अनुदान, इसके लिए 568 करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है. उपाध्यक्ष महोदय, पाला तो सोनिया जी समझती ही नहीं थी, पाला क्या होता है, शीतलहर चलने से फसल खराब हो जाती थी, पहले भू-राजस्व परिपत्र में यह नहीं था, उसको जोड़ा गया. यही मुख्यमंत्री जी गए कि पाला पड़ने से भी यदि फसल खराब होती है, शीतलहर से भी फसल खराब होती है, तो इसमें भी किसानों को राहत राशि दी जाती है. उपाध्यक्ष महोदय, इसमें 220 करोड़ रुपये का प्रावधान इस बजट में माननीय मंत्री जी ने रखा है.
उपाध्यक्ष महोदय, टिड्डी दल से या इल्लियों से या कीटनाशक से फसलें खराब हो जाती हैं, उस समय कोई प्रावधान नहीं था. इस बजट में 4 करोड़ रुपये का भी प्रावधान किया गया.
उपाध्यक्ष महोदय, सूचना एवं प्रौद्योगिकी संबंधी कार्य, यह बहुत बड़ा विभाग है, इसको हाईटेक बनाने के लिए इस बजट में माननीय मंत्री जी ने 9 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है.
उपाध्यक्ष महोदय, तहसील कार्यालय बनाने के लिए, जिला कार्यालय बनाने के लिए संभागीय कार्यालय बनाने के लिए, उनके भवनों के निर्माण के लिए इस बजट में 95 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है. मैं आपके सामने भू-राजस्व संहिता जो परिपत्र है, पहले सर्प काटने से या किसी जहरीले कीड़े के काटने से व्यक्ति की जो मृत्यु हो जाती थी तो उसमें 1 लाख रुपये का प्रावधान था, उसको बढ़ाकर हमारी सरकार ने 4 लाख रुपये का प्रावधान किया है. ऐसे ही छोटी दुकान, गुमठी, जल जाने से या किसी कारण से क्षतिग्रस्त होने से पहले उसको 6 हजार रुपये का प्रावधान था, अब उसमें 12 हजार रुपये का प्रावधान किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय, यह मांग संख्या जो प्रौद्योगिकी में की गई है, उसमें हमारे मध्यप्रदेश में आईटी पार्क की स्थापना की गई है. इसमें इस बजट में 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इससे कई कंपनियाँ आएँगी और जो बेरोजगार लोग हैं, उनको रोजगार मिलेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, संवर्धन केन्द्रों की स्थापना के लिए टेक्नालॉजी के क्षेत्र में इस बार पहले की तुलना में 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए, इसके प्रचार-प्रसार के लिए इसमें 3 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. उपाध्यक्ष महोदय, राजस्व परिपत्र 4 (6) 2003 की तुलना आज 2016 से करें तो उसमें बहुत ही परिवर्तन है. संतरे के बगीचे में एक पौधा खराब हो जाता था, तब उस समय पैसे देने का कोई प्रावधान नहीं था. इस सरकार ने उसमें भी प्रावधान किया है. कुल मिलाकर मैं यह कहना चाहता हूँ कि यह बात सत्य है कि अब शासकीय भूमि की कमी है और कौन अधिकारी कहाँ रहेगा, किस अधिकारी की सेवा किस विभाग में ली जाएगी और कौन अधिकारी किस विभाग का एक्सपर्ट है और किसको कहाँ पदस्थ करना, माननीय उपाध्यक्ष जी, आप तो बहुत सीनियर हैं, इसके लिए तो शासन ही अधिकृत है और शासन किसको कहाँ एमडी बनाती है, शासन किसकी सेवाएँ कहाँ लेता है, यह शासन का अपना अधिकार है और मैं सोचता हूँ कि जहाँ-जहाँ भी ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति हुई है, वहाँ पर पहले की तुलना में मण्डी की आय उठाकर देख लें. मैंने पढ़ा है कि कितनी आय बढ़ी है. जहाँ तक राजस्व में प्रमुख सचिव जी या मंत्री जी के आने के बाद, जैसा कि आपने कहा कि इनके आने के बाद सब बँटाढार हो जाएगा. हम तो कह रहे हैं कि समय पर जाते ही नकल मिल रही है. आप चले जाओ, किसी भी तहसील स्थान पर चले जाओ, तत्काल खसरा नकल मिल रही है. बँटाढार तो पहले होता था कि पहले खसरा नकल लेने के लिए एक हफ्ता 15 दिन लग जाता था और उसमें भी पैसा देना पड़ता था, उसमें भी भ्रष्टाचार होता था. लेकिन आज तो कम्प्यूटरीकृत खसरा नकल मिल रही है.
उपाध्यक्ष महोदय, अब मैं मेरे क्षेत्र की बात रख देता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में 244 गाँव हैं और एक ही तहसील है. 120 पंचायतें हैं और मैंने माननीय मुख्यमंत्री जी के वन टू वन कार्यक्रम में भी जो कस्बा झालड़ा क्षेत्र है, बहुत बड़ा क्षेत्र है, थाना क्षेत्र है. वहाँ पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है, वहाँ पर वितरण केन्द्र है, वहाँ पर बैंक आफ इंडिया है और बहुत सारी चीजें हैं, मैं मंत्री जी से चाहता हूँ कि उसकी कार्यवाही मैंने पूरी करवा ली है. मैं चाहता हूँ कि कस्बा झालड़ा को तहसील का दर्जा देने की कृपा करेंगे. यही कह कर मैं अपनी बात को समाप्त करता हूँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद बहादुर सिंह जी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी(गुढ़)-- माननीय उपाध्यक्ष जी, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का मैं ध्यानाकर्षित करना चाहता हूँ. मैंने अध्यक्ष महोदय का भी ध्यानाकर्षित करना चाहा लेकिन उन्होंने अनुमति नहीं दी. उपाध्यक्ष महोदय, यह जो अनुदान की मांगें हैं इनका लेखा जोखा जो आपने सदन में प्रस्तुत किया है, इसके बारे में मैं कहना चाहूँगा कि मांग संख्या 58 पर आप अपना ध्यान दीजिए और इसमें पेज लिखा है 07-40, अब आपका क्या सिस्टम है, यह आप जानें. मांग संख्या 58 पर, अंतर्लेखा अंतरण, 2016 और 2017 में आपने बजट किया था 921 करोड़ रुपये और उसकी जो नेगेटिव इंट्री आपने की थी वह यहाँ पर आपने 921 की थी. नेगेटिव इंट्री जो कहलाती है ऋणात्मक प्रविष्ठि. अब मेरा निवेदन यह है कि पुनरीक्षित बजट में आपने इसको कम कर दिया. 921 से घटाकर आपने इसको 690 करोड़ कर दिया है. लेकिन यहां जो प्रविष्ठि आपने की है वह वही रहने दिया है 921 करोड़, यह कैसे संभव है? पुनप्रार्प्तियों में देख लें, क्या इस तरह बजट बनाया जाता है, बजट पेश किया जाता है. जो भी आपके टेक्नीकल लोग हैं आप उनसे पूछ लें, राय ले लें. पूरा आपका जो कंसोलिडेटेड फण्ड था और जिस कंसोलिडेटेड फण्ड को आपने फण्ड में ट्रांसफर किया और फिर योजनाओं में लिया और कंसोलिडेटेड फण्ड से घटाएंगे तो यह आंकडे़ कैसे व्यवस्थित कर पाएंगे ? यह हमको बताएं, इस सदन को बताएं. जो फर्जी दस्तावेज विधानसभा के अंदर आपने लिखकर दे दिया, इसमें मैंने आपत्ति करने की कोशिश की. पिछली बार भी मैंने कुछ आपत्तियां की थीं जिसका आज तक कोई जवाब नहीं आया है, खैर वह आपका विषय नहीं है. लेकिन मैं यह कहना चाहता हॅूं कि यह कैसे हो सकता है. निगेटिव इंट्री आपने वही पुरानी दे दी. यहां पर आपने कर दिया 690 और यहां आपने 921कर दिया. तो यह पुनरीक्षित बजट का क्या औचित्य रह गया ? आपकी सरकार समायोजन तक सही तरीके से नहीं कर पाती है. यह जो बजट का फार्मूलेशन है यह पूरी तरह से गलत है, असत्य है और इस फर्जी डाक्यूमेंट्स में आप विधानसभा का समय बर्बाद कर रहे हैं. हम लोग उस पर चर्चा कर रहे हैं हम उस आंकडे़ को आज क्या मान लें. सदन में कोई बात करने के समय हम उन आंकड़ों को क्या मान लें तो मैं यह चाहूंगा कि माननीय मंत्री जी इस बिन्दु पर निश्चित रूप से सदन को संतुष्ट करें और सदन को बताएं. आगे मैं कहना चाहता हॅूं कि हमारी प्राकृतिक आपदाओं का जहां तक सवाल है उसमें भी आपने बजट कम कर दिया है.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) -- उपाध्यक्ष महोदय, विधायक और मंत्री साधारण कार्यकर्ता की हैसियत से काम करते हैं कि कौन-सी चीज मंजूर हुई और कौन-सी चीज मंजूर नहीं हुई. जो मंजूर नहीं हुई उसे मंत्री से कह दीजिए कि गलत कर रहे हैं. हमारी मांग मंजूर करो. अब यह पल्ले नहीं पड़ रही है कि आप सरकार के पक्ष में बोल रहे हैं या सरकार के खिलाफ बोल रहे हैं. अच्छा बोलते वक्त यह कह दिया कि पक्ष, और एक बात बोलने के बाद कह दिया कि मैं खिलाफत करता हॅूं. इतना तो बोलो कम से कम. (हंसी).....
उपाध्यक्ष महोदय -- आप श्री सुन्दरलाल तिवारी जी से पक्ष में बोलने की उम्मीद करते हैं ?
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- माननीय मंत्री जी, मैं तो आपको आपकी कमियॉं ही बता रहा हॅूं. अब आप उसको पक्ष मानते हैं तो मान लें. हम तो इसको फर्जी दस्तावेज ही बता रहे हैं जो आपने सदन में दिया है. अब आप इसको पक्ष मानते हैं तो बहुत अच्छी बात है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- यदि सरकार की खिलाफत करना है तो ताकत के साथ एक्सप्रेशन ऐसे होने चाहिए कि वास्तव में खिलाफत कर रहे हैं. यह तो हंसते हुए विरोध कर रहे हैं. कौन मानेगा कि यह आपका विरोध है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम सरकार का विरोध कर रहे हैं. इस सदन के अंदर हम माननीय मंत्री जी से कुश्ती लड़ने का काम नहीं कर रहे हैं. उनके आंकड़ों का हम विरोध कर रहे हैं जो इसमें है. इसी तरह सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पोषण आहार में आपने बजट कम किया है. ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल, परिवहन में आपने काफी कम बजट कर दिया है. इसे देख लीजिए. कीट-प्रकोप से फसल की क्षति में भी आपने अपना बजट कम कर दिया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि बजट कम न किया जाए. जो पूर्व में बजट था उससे ज्यादा बजट देने की कृपा करें. अभी हमारे बहादुर सिंह जी बोल रहे थे इसलिए मैं कह रहा हॅूं कि इन सारे आंकड़ों को देख लीजिए. माननीय मंत्री जी ने इन सब में बजट कम कर दिया गया है. अब आगे मेरा यह कहना है कि ओला-पाला, इल्ली पड़ जाए या कोई प्राकृतिक प्रकोप पड़ जाए तो आपकी सरकार भरपूर मदद करती है और मैं उसका चित्रण करने वाला हॅूं कि आरबीसी रेवेन्यू बुक सरक्यूलर की क्या स्थिति है और किस तरह यह सरकार उसका पालन कर रही है. हमारे रीवा जिले में अभी बाढ़ आयी थी. गरीबों के हजारों-हजार मकान बह गए. माननीय मुख्यमंत्री जी रीवा शहर में गए और अपने भाषण में उन्होंने इस बात की घोषणा की कि जिनके मकान 50 प्रतिशत् से अधिक क्षतिग्रस्त हैं उनको 95 हजार रूपये दिए जाएंगे. उन्होंने घोषणा भी की और आरबीसी 6 (4) में इस बात का प्रोवीज़न भी है लेकिन हमारे यहां एक भी वह दुर्भाग्यशाली व्यक्ति, जिनके मकान 50 प्रतिशत् से अधिक क्षतिग्रस्त हुआ था वह इस बात के लिए भाग्यशाली नहीं हुए कि उनको 95 हजार रूपये यह सरकार रीवा जिले के अंदर एक व्यक्ति को दे सके. मैंने उसमें प्रश्न भी लगाया था और उस प्रश्न का जवाब भी आया है और यह प्रश्न क्रमांक 523 है. उत्तर भेजने की अंतिम तिथि 2.2.2017 थी. अब इसमें हम निवेदन करना चाहते हैं कि आरबीसी 6 (4) में स्पष्ट उल्लेख है कि वास्तविक क्षति के आकलन के आधार पर अधिकतम रूपये 95 हजार दिया जाएगा, जिसका 50 परसेंट से ज्यादा नुकसान हुआ है. हमारे प्रश्न के जवाब में आपने उत्तर दिया कि न्यायालय नायब तहसीलदार, गोविंदगढ़ तहसील हुजूर, यह हमारे क्षेत्र का ही मामला है और यह 50 परसेंट से अधिक क्षतिग्रस्त होने वाले मकान हैं और इनकी एक सूची 46 लोगों की है. फिर इसके आगे भी कई सूचियां हैं ऐसे कम से कम चार-पॉंच सौ लोग हैं जिनकी 50 प्रतिशत् से ज्यादा मकानों की क्षति हुई है. लेकिन इसमें एक भी व्यक्ति को आरबीसी के प्रावधानों के अनुसार सहायता नहीं मिली है. जो 95 हजार रूपये माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी वह हमारे जिले में किसी व्यक्ति को नहीं मिली है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि क्या माननीय मुख्यमंत्री जी जनता के बीच में जाकर मजाक करते हैं जब उनके आंसू बहते रहते हैं जब वे पीड़ा में रहते हैं, कष्ट में रहते हैं, जब हमारे यहां बाढ़ आई तो क्या मुख्यमंत्री जी उन गरीबों से मजाक करने गए थे जब 95 हजार रूपये एक व्यक्ति को नहीं दिया और इतनी ज्यादा भयावह स्थिति थी कि मंत्री और मुख्यमंत्री जी सब लोग रीवा में गए.
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री तिवारी जी, दो मिनट में समाप्त करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 5-5 लोग बह गए. आगे मेरा यह कहना है कि अब यह कम्प्यूटराइजेशन की बात है. दो-तीन बातें गंभीर हैं. हमारे विद्वान मित्र श्री बहादुर सिंह जी कम्प्यूटराइजेशन के बारे में बोल रहे थे. यह स्थिति है मंत्री जी, इसमें जरूरत ध्यान दें कि कम्प्यूटर की इन्ट्री में जैसे कि मान लीजिए खसरे में जो इन्ट्री होना चाहिए, उसमें त्रुटि हो गई. हमारे जिले में यह प्रचलन है कि अगर कोई इन्ट्री गलत हो गई है तो जो उस जमीन का मालिक है, वह तहसीलदार के यहां आवेदन दे, उसके बाद में मुकदमा चले, सालों तक वह तहसील में घसीटता रहे लेकिन तहसीलदार या पटवारी अपनी गलती को स्वमेव सुधारने के लिए तैयार नहीं है और फिर उसको सुधारने के लिए उन पटवारियों, तहसीलदारों को घूस भी देना पडे़, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है ? यह कम्प्यूटर का खेल है. जब पटवारी हाथ से बनाकर खसरे वितरित किया करते थे, उनमें इन्ट्री कभी गलत नहीं होती थी और यह कम्प्यूटर में जान-बूझकर पैसा खाने के लिए गलत किया जाता है. और यह खेल मेरे जिले में तो है और मेरा यह मानना है कि पूरे मध्यप्रदेश में है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से यह कहना है कि एक आदेश जारी कर दें.
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, यह जरूर एक समस्या है और कई जिलों में देखने के लिए मिलती है,इसके लिए कोई रास्ता निकाला जाये.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- धन्यवाद, उपाध्यक्ष महोदय, अब आगे मेरा कहना है कि पेंडेंसी ऑफ केसेस, हर तहसील में कितने मामले पेंडिंग है क्या उसका आंकड़ा माननीय मंत्री के पास है? पाँच सौ, 1 हजार , 2 हजार, 4 हजार इतने मामले हर तहसीलों में पेंडिंग हैं. सीमांकन के, नामांतरण के, डिमार्केशन के, यह सारे मामले हमारे यहाँ पेंडिंग हैं इनको कोई देखने वाला नहीं है और अब हमारे रीवा शहर में एक पीड़ा और है. हमारे रीवा का नाम अब समदड़िया कर दिया जाये तो ज्यादा अच्छा होगा. अभी तो रीवा है लेकिन अब धीरे-धीरे उसको समदड़िया नाम दिया जा रहा है.जितनी सरकारी जमीनें थीं...
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्ति है. ना तो तिवारी नगर होना चाहिए और ना समदड़िया नगर होना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय-- रीवा ही रहना चाहिेए.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- रीवा जो है, वह रीवा ही रहेगा.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- धन्यवाद. अगर इस दिशा में आप कदम बढ़ाएंगे कि नाम बदले ना तो हम आभारी रहेंगे आपके.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- मेरा ऐसा कहना है कि इसके पहले कभी किसी ने नहीं कहा कि तिवारी नगर बनाओ इसको.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- तिवारी नगर वह कभी नहीं रहा, उस नगर में तिवारी जरूर रहते थे और रह रहे हैं और सभी लोग रह रहे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- इसीलिये तो आप बताइए कि समदड़िया नगर क्यों बनाया जाये जब तिवारी नहीं बन सकता है तो समदड़िया भी नहीं बन सकता है.
श्री वैलसिंह भूरिया-- उपाध्यक्ष महोदय,तिवारी जी का बस चलेगा तो व्हाईट टाइगर नगर रखा जाये, ऐसा भी यह लोग करने लग जाएंगे.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहाँ टाइगर बहुत पहले से हैं. दुनिया के कोने-कोने में यदि सफेद शेर गया है तो रीवा की धरती से गया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि पूरे हिंदुस्तान में वर्तमान में जमीन का खेल हो रहा है, ऐसा नहीं है कि केवल मध्यप्रदेश में हो रहा है. जमीनों की कीमत बेतहाशा बढ़ी हैं. चारों तरफ जमीनों की लूट है और उसमें अब सरकार में बैठे जो मंत्रीगण हैं, इनको सबसे जो रेवेन्यू वाले हैं, जिनके पास जमीन का ठेका है, यह जमीनें वितरित करके वहाँ के एक ही ठेकेदार को दे देकर और उसको बोलेंगे लीज है. कंन्सट्रक्ट करो, बिल्ड करो, ऑपरेट करो,कुछ हिस्सा लो दो और निकल जाओ . इस देश में समदड़िया के सिवाय दूसरा कोई भी ठेकेदार नहीं है और हमारे शहर की 30 प्रतिशत से ज्यादा जमीन उसको दे दी गई है और यदि हम सरकारी जमीन का आंकड़ा लें तो 80 परसेंट जमीन समदड़िया को हमारे शहर की दे दी गई है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कहना चाहता हूं कि इस पर भी माननीय मंत्री जी ध्यान दें और एक लीगल बात यह कहना है कि हमारे यहाँ लैंड रेवेन्यू कोर्ट में अपील और रिवीजन का जो सिस्टम था, जो प्रोविजन्स थे, उनमें थोड़ा-सा परिवर्तन कर दिया गया. तहसीलदार यदि कोई इंटर लोकेट्री ऑर्डर करता है तो उसका रिवीजन सीधे अब बोर्ड में होता है उसके नीचे नहीं होता है. अब हमारे रीवा के एक गाँव का रहने वाला आदमी ग्वालियर बोर्ड में जाता है. पहले यही रिवीजनल पॉवर्स कलेक्टर और कमिश्नर के पास हुआ करते थे तो गरीब आदमी भी अपने डिस्ट्रिक्ट लेवल पर आ जाता था और अपनी बात कह देता था.
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, अब समाप्त करिये. आपकी बात आ गई है. आप रिवीजन के पॉवर्स ग्वालियर के बजाय कलेक्टर को माँग रहे हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, केवल दो बात और है. हमारे यहाँ डिमार्केशन के बहुत बड़ी तादाद में प्रकरण लंबित हैं. हर तहसीलों में लंबित हैं उसमें कोई कार्यवाही नहीं हो रही है और अंत में फिर से एक बार कहना चाहता हूं कि 50 प्रतिशत से अधिक क्षति जिन लोगों की बाढ़ में हुई है उनको 95 हजार सौ रुपया दिलवाने की कृपा करें और यह जिन लोगों ने बजट बनाया है. कॉपी पेस्ट किया है अगर यह गलत है तो उनके खिलाफ आप क्या कार्यवाही करेंगे यह भी सदन को बतायें धन्यवाद.
श्री केदारनाथ शुक्ल(सीधी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8, 9, 46, 58 का समर्थन करता हूँ और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक विशेष बात कहना चाहता हूं जिसके लिए मैं खड़ा हुआ हूँ. हमारा जो पुराना विंध्य प्रदेश था,चूँकि विंध्य प्रदेश से जुड़े हुए बहुत सारे लोग सत्ता और विपक्ष में यहाँ हैं. इसीलिए सरकार का और तमाम नेताओं का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. जो पुराना विंध्य प्रदेश था शहडोल, सीधी, रीवा, सतना, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया. इस पूरे क्षेत्र की, अब शहडोल के तीन जिले हो गये हैं. अनूपपुर, शहडोल, उमरिया. इस पूरे क्षेत्र में जो एक समस्या है, वह समस्या है, आबादी भूमि की. हमारे यहाँ जितने रजवाड़े थे, जितने जमींदार थे, इलाकेदार थे, पवाईदार थे. यह लोग बस्तियाँ बसाया करते थे, अपने घरों के इर्द-गिर्द या जहाँ कहीं भी बसाहट करते थे, उस बसाहट का पट्टा किसी भी व्यक्ति को नहीं दिया जाता था. बसाहट का पट्टा ना देने के कारण कभी-कभी खेर उसालने का, अर्थात् यहाँ से बस्ती उठाओ, बस्ती दूसरी जगह जाएगी. यहाँ की जमीन बन गई अब दूसरी जगह जाएगी. ऐसी परिस्थति में देश आजाद हो गया. वर्ष 1955 में जागीरदारी उन्मूलन अंतिम रूप से आया लेकिन वह सारे लोग जहाँ बसे थे, उन सबको उसका स्वामित्व नहीं मिला. कालांतर में पूरी भूमि नजूल हो गई और यह जो बसाहटें हैं यह नगरीय क्षेत्रों में हैं और नगरीय क्षेत्रों में नजूल डिक्लेयर हो गया. आज वह सब लोग, उसमें केवल गरीब ही नहीं हैं उसमें बड़े-बड़े पूँजीपूति भी हैं, व्यापारी भी हैं. नगरीय क्षेत्र में उस समय जागीरदारी उन्मूलन के समय में बसने वाले तमाम लोग हैं. उसमें बड़े-बड़े सेठ भी हैं, बड़े-बड़े महाजन भी हैं और भी अनुसूचित जाति,जनजाति के लोग भी हैं, उन सबको पट्टा नहीं मिल पाया. वह नजूल घोषित हो गया बाद में भी जितने आबादी के नियम बने. उनमें उनको कभी भी पट्टे देने का प्रावधान नहीं किया गया. पूरे विंध्य में सीधी, रीवा, सतना, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया में जो लोग भूमिहीन थे शहरों में जाकर के बसे उनको तो पट्टे दे दिये गये. जो झुग्गी-झोपड़ी बाद में बनाये उनको पट्टे दे दिये गये लेकिन यह लोग यदि झुग्गी-झोपड़ी में हैं तब भी और साधारण घर बनाकर हैं तब भी और तिमंजिला, चौमंजिला है तो भी, परिस्थितियाँ यह है कि इनके पास उसके भूमि स्वामित्व रिकार्ड्स नहीं हैं और इस नाते मेरा आग्रह है कि इस दिशा में प्रयास किया जाना चाहिेए. दूसरी बात विंध्य प्रदेश में जो लोग देरीना कब्जे के आधार पर काबिज थे, शहरी क्षेत्रों में भी, ग्रामीण क्षेत्रो में भी जो देरीना कब्जे के आधार पर काबिज थे. रीवा राज्य मालगुजारी कानून 1935 और उसके बाद विंध्य प्रदेश का राजस्व का कानून 1955, इन में इस बात का प्रावधान था कि देरीना के कब्जे के आधार पर जो लोग काबिज हैं, उनको कॉलम नंबर 3 में राहीमुर्तहीन कहा जाता था. राहीमुर्तहीन पट्टेदार के रूप में कॉलम नंबर 3 में भूमि स्वामी के नीचे उनका नाम अंकित कर दिया जाता था . अर्थात् भूमिस्वामी की श्रेणी में मान लिया जाता था. बाद में क्या हुआ कि पूरे प्रदेश के अंदर जब रिकार्ड ऑफ राइट्स हुए और रिकार्ड ऑफ राइट्स हुए या नहीं हुए भी, जहाँ भी, वहाँ भी कॉलम नंबर 3 से जो नीचे नाम था वह पूरा गायब हो गया जो गरीब, जो पिछड़ी जातियों के लोग, जो अशिक्षित लोग, जो भूमि स्वामित्व अधिकार जागीरदारी उन्मूलन के पहले प्राप्त कर चुके थे . आज वह सब कॉलम नंबर 12 में केवल कब्जेदार में चले गये और कहीं -कहीं तो उनको निष्कासित कर दिया गया. यह सब पुराने विंध्य प्रदेश की समस्या है और हर जगह गरीब बेचारा अदालतों के दरवाजे खटखटा रहा है और कहीं भी उसे न्याय नहीं मिल पा रहा है. इस नाते मैं कहना चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी, इस मसले पर चाहे आप एक समिति बनाएँ, इस समिति में अगर आप नए अधिकारियों को रखेंगे तो वे नहीं समझ पाएंगे, ऐसे लोग जो रीवा राज्य मालगुजारी कानून, 1935 और चरखारी, दतिया स्टेट, छतरपुर, पन्ना स्टेट्स, इन सबके पुराने कानूनों का अध्ययन करेंगे, विंध्य प्रदेश के कानून का अध्ययन करेंगे, ऐसे अधिकारियों की एक समिति बना दीजिए और एक बहुत बड़ी समस्या विंध्य प्रदेश की है, कहीं भी कोई जाता है, किसी की समझ में नहीं आता कि ऐसा क्यों है, असली बात यह है कि इन सबको इसके कारण बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तीसरी बात यह है कि गैर-हकदारी काश्तकार का प्रावधान रीवा राज्य मालगुजारी कानून में भी था और दूसरे स्टेट्स में भी था, इसके बाद जब विंध्य प्रदेश का एक्ट बना, जो दतिया तक लागू था, उसमें भी गैर-हकदार काश्तकारों के हक सुरक्षित रख दिए गए. बाद में वे गैर-हकदार काश्तकार भूमि स्वामी की श्रेणी में माने गए हैं, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता में भी उन्हें भूमि स्वामी की श्रेणी में माना गया है, पर वे बेचारे अशिक्षित होने के कारण उसे ठीक नहीं करा सके और पटवारी, कानूनगो उन्हें कब्जेदार के कॉलम में ही लिखते रह गए. आज बहुत सारी ऐसी परिस्थितियाँ हैं जो गैर-हकदार हैं, जिन्हें भूमि स्वामी का हक आजादी के पहले या जागीरदारी उन्मूलन के पहले मिल गया था, वे बेचारे आज उस भूमि स्वामी हक को खो चुके हैं. इन सब चीजों का एक अच्छा विश्लेषण किया जाना चाहिए. इन सब चीजों का अध्ययन किया जाना चाहिए और विंध्य प्रदेश के सभी किसानों का हम इन तीनों प्वॉइन्ट्स पर अगर अध्ययन करेंगे तो उनको बहुत बड़ी राहत दे पाएंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी हमारे मंत्री जी ने जो बजट रखा है और जो आज राजस्व की स्थिति है, कम्प्यूटराइजेशन वरदान है, इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन जैसा अभी तिवारी जी कह रहे थे कि कहीं-कहीं त्रुटियाँ हुई हैं, त्रुटियों के कारण किसान परेशान हैं, उन त्रुटियों को अगर सुधार दिया जाए तो सेंट्रल सर्वर पर अपलोड कर दिए जाने के कारण किसानों को ऑनलाइन पेमेंट पर नकल मिल जाती है, भूमि स्वामीवार स्मार्ट कार्ड जो दिए जा रहे हैं, यह भी एक स्तुत्य कार्य है. इसके अलावा स्केनिंग, बारकोडिंग, टैगिंग आदि जो कार्य राजस्व रिकॉर्ड्स का किया जा रहा है यह भी एक अच्छा कार्य है. नक्शों के मामले में मैं यह कहना चाहता हूँ कि पुराने विंध्य प्रदेश के जितने नगरीय क्षेत्र हैं उनके आसपास के गाँवों के नक्शे साजिशन गायब कर दिए गए हैं. नक्शों को आप फिर से बनवा रहे हैं, सेटेलाइट से बनवा रहे हैं, यह अच्छा काम है पर इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि भू-माफिया नक्शों में कहीं इस तरह का परिवर्तन न करा लें कि गरीब बेचारे परेशान हो जाएँ. इस मामले में भी आपका कार्य स्तुत्य है, सराहनीय है कि आप नक्शाविहीन ग्रामों की जीर्ण-शीर्ण शीटों को, मजरे-टोलों के नक्शों को, इन सबको ठीक कर रहे हैं. इस बात के लिए मैं आपको साधुवाद देता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक आपने और बहुत बड़ा काम किया है जो पूरे देश के अंदर अभी नहीं हो पा रहा था कि मजरे-टोलों को आप गाँव का दर्जा देने जा रहे हैं, राजस्व ग्राम का दर्जा देने जा रहे हैं. आजादी के बाद आज तक दो चीजों का परिसीमन नहीं हुआ, एक तो जनपद पंचायतों का और दूसरा गाँवों का, जनपद पंचायतों के परिसीमन हेतु मैंने संकल्प भी लाया था, आप ग्राम, मजरे-टोलों का परिसीमन करने जा रहे हैं, नए ग्रामों की स्थापना करने जा रहे हैं इस बात के लिए मैं आपको साधुवाद देता हूँ, परंतु एक बात मैं कहना चाहता हूँ कि अभी जो आपने इसको वर्ष 2017-18 में पूर्ण कर लेने का कहा है, वर्ष 2017-18 लग चुका है लेकिन अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि से कहीं भी अधिकारियों ने इस तरह के संपर्क नहीं किए हैं कि किसी गाँव को अगर विभाजित करना है, किसी मजरे-टोले को अगर राजस्व ग्राम का दर्जा देना है तो आपकी क्या राय है ? क्योंकि जनप्रतिनिधि इस मामले में अधिक व्यावहारिक राय देंगे, इसलिए मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि अधिकारियों को इस बात का निर्देश दिया जाए कि वे जनप्रतिनिधियों की भी राय लें. मान लीजिए बहुत छोटी इकाई पर वे जाते हैं तो विधायक के पास जाएं, विधायक अपने विधान सभा क्षेत्र के गाँवों के परिसीमन की बात, मजरे-टोलों को गाँव का दर्जा देने की बात को अधिक अच्छी तरह से जानते हैं और वे अधिक व्यावहारिक ढंग से कह सकेंगे. मैं आशा करता हूँ कि माननीय मंत्री जी इस दिशा में पहल करेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सीमांकन की गुणवत्ता में जो सुधार की बात आई है, निश्चित रूप से जो आपने उपाय किए हैं उससे सीमांकन की स्थिति बनेगी, पर एक बात जरूर है जैसा कि तमाम् लोगों ने चिंता की है, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, स्वयं आसंदी से भी आपने चिंता व्यक्त की है कि राजस्व न्यायालयों में जो प्रकरण लंबित हैं, उनकी एक समय-सीमा तय करके उनका निराकरण किया जाए, इस बात का विेशेष ध्यान रखा जाए. एक बार पुन: मैं आपका ध्यान विंध्य प्रदेश के उन तीनों बिंदुओं पर आकर्षित करना चाहता हूँ, जो मैंने पहले कहा कि आप विंध्य प्रदेश के लिए एक विशेष समिति बनाकर इस मसले का निराकरण करें, धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- डॉ. शेजवार जी, आप तकनीकी भाषण की बात कर रहे थे किसका ज्यादा तकनीकी भाषण था, कौन भारी है - तिवारी जी का या शुक्ल जी ?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- उपाध्यक्ष महोदय, यह तो आसंदी की भूमिका है, हम लोगों का काम तो कमेंट करना है और कई बार हमारे जो कटाक्ष हैं, यह आवश्यक नहीं है कि वह सही हों, लेकिन निर्णय तो आसंदी को ही देना है.
श्री शंकरलाल तिवारी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझसे पूछा तो नहीं है पर फिर भी मैं बताना चाहता हूँ कि दोनों का थोड़ा-थोड़ा कानूनी था, अब ये कानून राजस्व मंत्री जी मान लें बस.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट लेना चाहता हूँ, माननीय शुक्ल जी ने जो नगर पंचायतों की जमीनों के संबंध में कहा कि वहाँ के रहवासियों के पास पट्टे नहीं हैं, इसका मैं समर्थन करता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी बैठिए.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जल्दी-जल्दी में मैं एक बात नहीं कह पाया था, बस एक मिनट लगेगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, सप्लीमेंट्री एलाउड नहीं है.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय मंत्री जी, जो भूमिहीनों को पट्टे वितरित किए गए हैं, यह 30X30 के पट्टे जो आपने दिये हैं, इनकी इंट्री राजस्व रिकॉर्ड में नहीं होती. खसरे में तहसीलदार, पटवारी उसकी इंट्री नहीं करते हैं जिसकी वजह से वे गरीब अगर किसी बैंक में या कहीं जाते हैं तो उनका दस्तावेज ऐसा माना जाता है कि यह तुम्हारा दस्तावेज सही नहीं है इसके आधार पर हम आपको कोई सहायता नहीं देंगे.
उपाध्यक्ष महोदय -- चलिए अब आपकी बात आ गई.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट.
उपाध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, यह गलत बात है, ऐसा इंटरवेंशन नहीं होता है. मैं एलाऊड नहीं कर रहा हूँ. ऐसा भाषण नहीं होता है.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष जी, इतने में तो बात खत्म हो जाती.
उपाध्यक्ष महोदय -- यह गलत बात है, आप गलत परम्परा डाल रहे हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी जो कह रहे हैं वह नहीं लिखा जाएगा, गलत परंपराएँ न बनाएँ, इंटरवेंशन एक-दो लाइन का होता है.
श्री के.पी. सिंह (पिछोर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, डॉ. गोविन्द सिंह जी ने जब भाषण की शुरुआत की तो मुझे थोड़ा भ्रम हो गया. माननीय मंत्री जी हमारे पड़ोसी हैं और अभी तक मैं ऐसा मानता रहा कि गुप्ता जी, आप जिस विभाग में रहते हैं वहाँ आपका दबदबा रहता है, अब डॉ. साहब का अनुभव कैसा था और कैसा निकला, वह अलग बात है लेकिन चूँकि मैं आपसे कुछ उम्मीद रखता हूँ, चाहे पड़ोसी के नाते मान लें या चाहे जो आपका क्रियाकलाप देखा उसके नाते, तो मैं कोई लंबा भाषण नहीं दूंगा लेकिन दो-तीन बातें आपके ध्यान में लाना चाहूँगा जिसमें कुछ काम करने की आवश्यकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक बात जो कि तिवारी जी ने कही कि कम्प्यूटरीकरण में जो गलतियाँ हुई हैं, मैं कहना चाहता हूँ कि वास्तव में उसमें किसान की तो कोई गलती नहीं है. किसान की जमीन थी, सरकारी दर्ज हो गई, अब किसान का तो इसमें कोई अपराध है नहीं, इसको सुधारने के लिए वह आवेदन लगाए, फिर पटवारी, तहसीलदार के महीनों चक्कर काटे, उल्टी-सीधी जो उनकी डिमांड हो, उसको पूरी करे तब जाकर वह अपनी खुद की जमीन को अपने नाम करा पाता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहाँ तो और विचित्र प्रक्रिया है, तिवारी जी कह रहे थे कि उनके यहाँ तो शायद जिले में हो जाती है या तहसीलदार कर देता है, हमारे यहाँ तो एक अलग व्यवस्था बना रखी है कि तहसीलदार के यहाँ आवेदन करेंगे और तहसीलदार सारे डॉक्यूमेंट्स मय प्रमाण के इकट्टे कर कमिश्नर कार्यालय, ग्वालियर भेजेंगे. ग्वालियर से जब अनुमति मिलेगी तब जाकर सुधार होगा. मैं यह जो बात कह रहा हूँ वह ऐसे ही नहीं कह रहा हूँ कि बिना आधार की बात हो. हमारे यहाँ जब तहसीलदार से बात करते हैं कि साहब, इसमें किसान का क्या दोष है, तो वे कहते हैं कि साहब, कमिश्नर साहब का ऑर्डर है और कोड उनके पास है, जब तक वे कोड उसमें नहीं डालेंगे तब तक वह संशोधन नहीं होगा. यह और विचित्र व्यवस्था है, अत: मैं माननीय मंत्री महोदय से कहना चाहता हूँ कि चूँकि किसानों ने कोई अपराध नहीं किया है और जिसने अपराध नहीं किया है वह दण्ड क्यों भुगते, वह किसान मारा-मारा जब घूमता है तो हमारी समझ में भी नहीं आता कि उसकी क्या मदद करें, अत: मेरा आपसे अनुरोध है कि यदि पूरे मध्यप्रदेश में यह दिक्कत होगी तो इसमें कोई एक ऐसी व्यवस्था करें कि उसका संशोधन का अधिकार वहीं तहसीलदार को प्राप्त हो जाए जिससे संशोधन तत्काल हों और इसकी समय-सीमा भी तय हो जाए. आपने जो लोक सेवा गारंटी अधिनियम, 2010 की व्यवस्था की है उसमें इसे डाल दें और यह तय कर दें कि अगर किसान के पास प्रमाण हैं, पुरानी किताब अगर उसके पास है, पुरानी नकल अगर उसके पास है और उसे किसान प्रस्तुत कर रहा है और अगर किसी को कोई आपत्ति नहीं है तो 15 दिन के अंदर उसमें संशोधन कर दें. अभी उसे महीनों का समय लग रहा है और बेवजह लेन-देन का वह शिकार होता है, अत: मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि इस बारे में कोई निर्देश जारी कर दें, स्थाई नियम बना दें. दूसरा आपने अभी एक संशोधन 2014 में किया है. आपने जो सहमति के बंटवारे थे आपने उसमें 15 दिन का समय निश्चित किया था. अभी आपने 26 मई, 2014 को एक संशोधन किया है, जिसके अनुसार बंटवारे में 90 दिन लगेंगे, जब हम सहमति से बंटवारा कर रहे हैं तो इसमें 90 दिन की क्या जरूरत है. मतलब तीन महीने तक वह बंटवारा पड़ा रहेगा, जब तक तहसीलदार और पटवारी मिल मिलाकर सेटिंग नहीं कर लेंगे तब तक उसका बंटवारा नहीं होगा. आप क्या सोचते हैं कि जितना समय आपने तक कर दिया तो उतने समय में वास्तव में उसका काम हो जाता है. हकीकत यह है कि मैं बहुत सारे उदाहरण आपको दे दूंगा और बहुत सारे सदस्य भी इस बात से वाकिफ होंगे, आपने समय भले ही 15 दिन का निर्धारित किया है, लेकिन 15 दिन में किसी भी बंटवारे का, सीमांकन का और नामांकन का निराकरण नहीं होता है और उसमें सालों लग जाते हैं, यह हकीकत है. मैं अकेला इससे पीडि़त नहीं हूं, सारे सदस्य जब क्षेत्रों में दौरे पर जाते हैं तो जनता बोलती है कि हमारी जमीन का नामांतरण है, हमारी पिता की मृत्यु हो गयी है तो हमारे नाम से जमीन का नामांतरण हो. इसमें सालों का समय क्यों लगता है. हमारा सहमति का बंटवारा है तो उसमें इतना समय क्यों लगता है. आपने जो व्यवस्था की है इसमें धरातल पर क्रियान्वयन में सही नहीं है. इसके लिये क्या उचित व्यवस्था हो सकती है, इस बारे में आप थोड़ा विचार विमर्श करें और इसमें जवाबदेही तय कर दें. आपने इसमें जो लोक सेवा गारण्टी अधिनियम है, इसमें आपने जुर्माने की बात कही है. हकीकत में आप जब अपना वक्तव्य देंगे, अगर आपके पास रिकार्ड होगा, वैसे मैं समझता हूं कि आपके पास रिकार्ड नहीं होगा. अभी तक कितने लोगों पर जुर्माना हुआ, कितने आर.आई., कितने तहसीलदार या जिनकी जवाबदारी है, कितने लोगों पर जुर्माना हुआ है और कितनी राशि आपको जुर्माने में प्राप्त हुई. इसमें या तो आप बहुत बड़ी पेनल्टी निर्धारित करें, जो उनको देने में अखरे. आपने यदि किसी पर दौ-चार सौ रूपये का जुर्माना कर दिया तो उसका क्या अर्थ है. आप उसको दण्डनीय अपराध बनाये तब जाकर सही मायने में लागू हो पायेगा और इससे लोगों को मुक्ति मिल पायेगी.
माननीय मंत्री जी, एक बात और आपके ध्यान में लाना चाहता हूं कि हर गांव में लगभग चौकीदार नियुक्त हैं. अब चौकीदारों की व्यवस्था बड़ी विचित्र हो गयी है. पहले तो यह माना जाता था कि यदि चौकीदार की मृत्यु हो जायेगी तो उसके बच्चे को हम भर्ती कर देते थे. अब इस समय चौकीदारों की जमीने जो सिंचित हो गयी हैं, जहां पर नहरों की व्यवस्था हो गयी, वहां पर बड़ी दिक्कत है, जैसे चौकीदार की पांच या 10 बीघे जमीन है तो वहां हो यह रहा है कि चौकीदारों के लिये पंचायत से प्रस्ताव मांगा जाता है, बिना पंचायत के प्रस्ताव के तहसीलदार नियुक्ति नहीं करता है. अब जब 5-10 बीघे जमीन सिंचित है तो जमीन की लाखों की कीमत हो गयी, वहां हो यह रहा है कि पंचायत ले देकर या उसकी पंसद का कोई है तो वह ऐसा प्रस्ताव देती है कि वह अच्छे पैसे वाला है, वह पंचायत और तहसीलदार को भी पैसा देता है तो फिर उसकी नियुक्ति हो जाती है और उस चौकीदार का कोई दोष नहीं है जिसने ईमानदारी से काम किया. मेरा आपसे आग्रह है कि इस बारे में विचार करें, क्योंकि हम पटवारी या तहसीलदार के बच्चे को अनुकंपा नियुक्ति दे सकते हैं तो फिर चौकीदार के बच्चे के लिये अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान क्यों नहीं है ? चौकीदार के लिये भी अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान होना चाहिये. जिससे उसकी अगली पीढ़ी की व्यवस्था ठीक से चल सके, वरना आपने पंचायतों और तहसीलदारों को अधिकार दे दिया है इससे तो वास्तव में जो गरीब काम करने वाले हैं, इसके शिकार हो रहे हैं. ऐसे मैं कई उदाहरण आपको दे सकता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपकी जानकारी में एक बात और लाना चाहता हूं कि जो डायवर्सन का मामला है. यदि डायवर्सन में मैं अपने खेत में मकान बनाकर रह रहा हूं या मैंने अपनी जमीन 100, 200 या 400 फीट किसी को बेच दी, अब यदि उसमें उसने डायवर्सन नहीं कराया है तो तहसील से उसके पास बड़ा लंबा-चौड़ा नोटिस आता है. क्योंकि आपने इसमें कोई ऐसी व्यवस्था नहीं की है कि जिसमें निर्धारण होगा. अब उस पर पेनल्टी लगा कि आप 1 लाख रूपये जमा करो तो वह एक लाख रूपये कहां से जमा करेंगे. मेरा आपसे इस बारे में आग्रह है कि यह डायवर्सन ऑटोमेटिक जो जाये. मैं अपनी जमीन पर रह रहा हूं या गांव में अपनी जमीन को थोड़ा सा टुकड़ा किसी बेच देता हूं और वह उसमें मकान बनाकर रहता है तो उसको अगर किसी के नाम होना है तो उस पर एक नॉमीनल फीस लेकर उसके नाम कर दिया जाये. पूरे मध्यप्रदेश में हर जगह यह हालत है, सभी किसानों की यह परेशानी है. जब पटवारी को वसूली करना होती है तो वह एक तहसील से नोटिस दे देता है. किसान घबराता है कि मेरा मकान टूट जायेगा, यदि उसने पक्का मकान बना लिया और बनाने में एक या दो लाख रूपये का अगर मकान हो गया तो मकान टूटेगा. दस बीस हजार की वसूली उससे हो जाती है. मंत्री जी मेरा आपसे अनुरोध है कि आप इस तरफ ध्यान देंगे. एक व्यवस्था और है पट्टों के अमल की, शायद उसके अभी निर्देश जारी हुए हैं.
{2.25 बजे सभापति महोदया(श्रीमती नीना विक्रम वर्मा) पीठासीन हुईं.}
श्री दुर्गालाल विजय :- माननीय सभापति महोदया, आपको बधाई.
सभापति महोदया :- धन्यवाद.
श्री के.पी.सिंह :- माननीय सभापति महोदया, जब पिछले सत्र में जब वर्मा जी मंत्री थे, उन्होंने अपने उत्तर में कहा था कि मध्यप्रदेश में कोई भी पट्टों पर अमल शेष नहीं है. उस समय संख्या भी 100-200 के आसपास बतायी थी. मैं अपने ही विधान सभा के 500 पट्टों की दी थी जो सिर्फ अनुसूचित जनजाति के थे. बाकी पट्टे फर्जी होंगे, मैं नहीं जानता. लेकिन इतना समझता हूं कि अनुसूचित जनजाति का जो गरीब व्यक्ति है, वह पट्टे के हेरफेर में नहीं पड़ा है.
श्री वेल सिंह भूरिया :- माननीय सभापति महोदया, मैं धार जिले का विधायक हूं इसलिये मेरा सीना 56 इंच का हो गया है. इसलिये मैं माननीय सभापति महोदया को बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूं.
श्री सुखेन्द्र सिंह :- पहले आप अपनी हाईट बढ़ाओ.तब 56 इंच का सीना बनेगा.
श्री के.पी.सिंह :- सभापति महोदया, तो यह अनुसूचित जनजाति के जो पट्टे हैं, जिन पर अमल नहीं हुआ, जिनकी संख्या हजारों की है. उनके बारे में स्पष्ट निर्देश नहीं है और जब हम तहसीलदार या एस.डी.एम से बात करके हैं तो वह कहते हैं कि रिकार्ड नहीं मिल रहा है, इसमें आदिवासी की क्या गलती है. वह रिकार्ड कहां से लेकर आये, वह पट्टे लेकर घुम रहा है तो उसके पट्टे के आधार पर आप अमल कर दो. आपको शंका है तो जो पहले तहसीलदार रहा था उससे पता लगा लें कि हस्ताक्षर सही है या गलत हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि आप इस बारे में स्पष्ट निर्देश दे दें कि जो आदिवासी पट्टे लिये घुम रहे हैं और उनकी जमीनें सरकारी नकल में निकलती है तो आप उनका अमल तो कम से कम करा दें. पिछले सत्र में नहीं हुआ अभी नहीं हुआ. एक बात शुक्ला जी अभी चले गये, चर्चा में एक बात अभी आयी थी कि आप मंजरे टोले का आप गांव में परिवर्तन करने वाले हैं. मैंने एक संकल्प पिछले सत्र में इसी विधान सभा में लगाया था. नरोत्तम मिश्रा जी उस समय जवाब दे रहे थे, उन्होंने कहा था कि हम 6 महीने में कलेक्टर को निर्देश जारी कर रहे हैं और 6 महीने के अंदर एक संख्या निर्धारित करके 200-300 या 400 या कोई भी संख्या निर्धारित करके निर्देश जारी कर देंगे और सारे मंजरे-टोले राजस्व ग्राम में तबदील हो जायेंगे. उन मंजरे-टोले का तबदील होने का क्या उपयोग है. आज प्रधानमंत्री सड़क को मंजरे-टोले में नहीं बना सकते हैं. उसमें सीधा प्रावधान है कि आप गांव को ही जोडेंगे.ऐसी बहुत सारी योजना है कि जहां पर ग्राम नहीं होने से उन मंजरे-टोले में सड़क नहीं बन पायी है. माननीय मंत्री जी आज कई मंजरे-टोले की स्थिति गांव से बड़ी हो गयी है.
सभापति महोदया:- के.पी.सिंह जी अब आप समाप्त करें, आपका समय पूरा हो गया है.
श्री के.पी.सिंह :- मंत्री जी आप उनके बारे में वर्ष 2017-18 की सीमा है तो बहुत अच्छी है. अन्यथा जो शुक्ला जी चर्चा कर थे, उस बारे में आपको योजनाबद्ध तरीके से अभियान चलाकर इसका पालन कराना पड़गा नहीं तो यदि आप कलेक्टर के ऊपर आप आधारित रहे कि कलेक्टर प्रस्ताव भेजेंगे तो हम करेंगे. जैसा मैंने देखा है कि पांच दस सालों में दो-चार-दस गांव होते हैं, बाकी तो नहीं होते हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि मैंने जो बातें की है, इस संबंध में आप विचार करेंगे और मेरी जो उम्मीद आपसे है कि आप इस बारे में कोई सकारात्मक निर्णय करेंगे. इसी आशा के साथ आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया:- माननीय सभापति महोदया, कल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का अवसर था और आप आज आसंदी पर मौजूद हैं. यह असर है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का.
सभापति महोदया :- धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी :- सभापति महोदया, इसके लिये तो आप बधाई के पात्र हैं. परन्तु आपका सम्मान तो बहुत पहले और बहुत ऊंची जगह होना था. इस भाव को भी यदि आप उनके मन में और कहीं पहुंचा सकें तो पहुंचा दें.
श्रीमती ऊषा चौधरी :- माननीय सिसौदिया जी , आप यह क्यों जताते रहते हैं कि महिलाएं कमजोर हैं. हम समानता का अधिकार रखने वाले हैं, इसलिये बैठीं हैं.
श्री दिलीप सिंह परिहार :- हम तो उनका सम्मान कर रहे हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया :- यह तो मैं मेरे विचार आपके माध्यम से सब दूर पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. हमने तो उनकी प्रशंसा की है.
श्रीमती ऊषा चौधरी :- हमारे लिये जब माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि हर दिन ही महिला दिवस है.
श्री दिलीप सिंह परिहार :- जब रोज ही महिला दिवस है तो आप कल के महिला दिवस का क्यों उलाहना क्यों दे रहे हैं. आप क्यों अहसास कराते हैं कि हम कमजोर हैं, हम कमजोर नहीं हैं.
श्री दिलीप सिंह परिहार :- आप तो बहुत मजबूत हैं, आप तो बहुत सशक्त हैं.
सभापति महोदया :- कोई कमजोर नहीं है, दुर्गालाल जी आप अपनी बात जारी रखें.
श्री दुर्गालाल विजय ( श्योपुर ) -- सभापति महोदय, मध्यप्रदेश में भूमि का प्रबंधन राजस्व विभाग के माध्यम से किया जाता है. यह विभाग हमारे प्रदेश में बहुत महत्वपूर्ण विभाग है. क्योंकि हमारे प्रदेश में गांव में रहने वाले लोग जिनका सीधा वास्ता खेती किसानी से है. वह सभी राजस्व विभाग से जुड़े रहते हैं. बात छोटी हो अथवा बड़ी, चाहे गांव के पटवारी से ताल्लुक हो, गांव में कोटवार से ताल्लुक हो, गांव के अंदर किसान की अपनी जमीन के कागजात से संबंधित बात हो, खसरा, खतौनी, ऋण पुस्तिका और इसके साथ साथ जब कभी भी घर परिवार में बंटवारे की बात आती है,अथवा किसी की मृत्यु हो जाती है या कोई जमीन खरीद लेता है तो उसके नामांतरण की बात हो या फिर किसी भी प्रकार का विवाद होता है तो सीमांकन कराने की बात आती है या मेड़ों का कहीं पर कोई विवाद आता है या इसके बाद में भूमि का निस्तारी उपयोग भी गांव में ठीक से हो जाय. इसके साथ साथ गांव की अन्य अनेक प्रकार की भूमियां जो कि आरक्षित हैं, सुरक्षित हैं वह सुरक्षित बनी रहें, यह सब देखने के काम राजस्व विभाग के माध्यम से जो प्रमुख राजस्व आयुक्त होते हैं उनके नियंत्रण में यह काम नीचे तक होता है.
सभापति महोदय, इसके अलावा रिकार्ड को रखने का काम, बंदोबस्त का काम, यह भू अभिलेख बंदोबस्त के माध्यम से कराया जाता है, अन्य कोई विवाद होते हैं तो उनको न्यायालय के माध्यम से हल करने का काम करते हैं. इसमें मध्यप्रदेश की सरकार ने और राजस्व मंत्री जी ने धीरे धीरे करके गांव में किसानों को जो कठिनाई आ रही थी उन कठिनाइयों का निवारण करने की दृष्टि से विभाग में उत्कृष्ट कार्य करने के प्रयत्न किये हैं. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से उनको बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि बहुत लंबे समय से सीमांकन के विवादों को लेकर जहां भी विवाद उत्पन्न हो रहे थे. उनमें पटवारी राजस्व निरीक्षक कहीं न कहीं, किसी न किसी प्रकार से नापतौल में कमी करे या उनका पक्ष किसी तरफ चला जाय तो किसान की जमीन का सही सीमांकन नहीं हो पाता था. अब मशीन के माध्यम से सीमांकन करने के लिए हर जिले में मशीनें पहुंचाई गई हैं. बड़े जिलों में 10 - 10, 12- 12 मशीनें गई हैं. छोटे जिलों में एक या दो मशीनों के माध्यम से सीमांकन का कार्य कराया जाता है. इसके कारण से अब किसी भी प्रकार का पक्षपात होने की संभावनाएं कम हो गई हैं. इसके कारण से सीमांकन करने में समय कम लगता है और सही सीमांकन भी होता है.
सभापति महोदय, अभी विभाग के माध्यम से गांव के अंदर आबादी क्षेत्र में रहने वाले लोगों के प्रमाण पत्र देने का काम किया है वह भी बहुत प्रशंसनीय कार्य है.अभी तक प्रमाण पत्र न हो पाने के कारण से या पट्टा न हो पाने के कारण से बैंकों से ऋण लेने में अपने अधिकारों को जताने की दृष्टि से उसके पास में किसी भी प्रकार का कोई कागज नहीं होता था. इस कारण गांव में संपत्ति होने का कोई लाभ नहीं मिल पाता था. इस कारण अब यह जो प्रबंध किया है इसमें पट्टों और प्रमाण पत्रों का वितरण किया गया है यह वास्तव में यह बहुत प्रशंसनीय कार्य मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा, राजस्व विभाग के द्वारा किया गया है.
सभापति महोदय, यह जो डिजिटाइलेशन का काम चल रहा है. यह बहुत प्रशंसनीय काम है. कहीं कहीं पर किसी व्यक्ति की नीयत खराब होने के कारण कोई दिक्कतें सामने आयें वह अलग बात है, उसके लिए अलग से प्रावधान भी रखा गया है लेकिन सामान्य रूप से यह जो डिजिटाइलेशन हुआ है, इससे किसानों को निश्चित रूप से बड़ी राहत प्राप्त हुई है. मैं राजस्व मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि कम्पयूटर में कहीं न कहीं थोड़ी बहुत दिक्कतें उत्पन्न की जा रही हैं, उन कठिनाइयों में आप समाधान करने की दृष्टि से अधिकारियों के साथ में बैठकर कोई समाधान निकालेंगे क्योंकि किसानों के सामने कभी कभी यह बात आती है कि किसी जमीन को सिंचित लिख देते हैं, जो जमीन सिंचित है उसे असिंचित लिख देते हैं, आवेदन देने के बाद में फिर से उसे सिंचित लिख देते हैं. यह कठिनाई आती हैं कई बार कोई भूमि किसी भूमि स्वामी की है लेकिन उसे किसी शासकीय पट्टेदार के रूप में अंकित कर देते हैं फिर बाद में बातचीत होती है कोई ध्यान दिलाता है तो फिर से शासकीय पट्टेदार को हटा देते हैं. यह कमी व्यावहारिक दृष्टि से सामने आयी हैं और उसका समाधान करने की तरफ आप आगे बढ़ेंगे.
सभापति महोदय, मैं अंत में यह बात कहना चाहता हूं कि हमारे श्योपुर जिला सबसे पहला जिला है जो राजस्व अभिलेख में कम्प्यूटरीकृत हुआ है. हमारे कलेक्टर साहब को दिल्ली में पुरस्कृत भी किया गया था. उसके बाद में यह सब काम आगे बढ़ा है. हम यह चाहते हैं कि जो जमीनें निस्तार के लिए आरक्षित की गई हैं वह तालाब की जमीन, खेल कूद के मैदान के लिए जमीन, विद्यालय के लिए अथवा वह कोई शमशान घाट के लिए या फिर अन्य कार्य के लिए निस्तारी आबादी के अंदर जमीनें हैं, उनको अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता है. वर्तमान समय में मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा चलाये गये संपूर्ण कामों के माध्यम से गांवों में भी बहुत तेजी के साथ में विकास हो रहा है. तेजी के साथ में विकास हो रहा है उसमें यह सब किये जाने की जरूरत है कि वह निस्तार के जितने स्थान हैं और खासकर तालाब जो कि पीने के पानी के काम आता है,पशुओं के पीने के पानी के काम आते हैं, उन स्थानों पर लोगों ने कब्जे कर लिये हैं तालाबों में खेती करना प्रारम्भ कर दिया है उनको मुक्त कराने की आवश्यकता है. सभापति महोदय, यह जो मंदिरों में जमीन पहले से उनके नाम से दर्ज है. पहले पुजारी लोग किसी अन्य व्यक्ति से खेती कराते थे अब वह उसके मालिक ही बन बैठे हैं. मंदिरो की जमीनों पर भी काबिज हैं इस कारण से मंदिरों का रख रखाव नहीं हो पाता है, उनको आवश्यकता होती है तो उनको राशि नहीं मिलती है, ऐसे कब्जों को भी हटाये जाने की बहुत बड़ी आवश्यकता है, पूरे प्रदेश में भी यह स्थिति होगी, लेकिन हमारे जिले में तो यही स्थिति बन गई है. इस कारण मैं यह निवेदन करता हूं कि इसे मुक्त कराया जाय. सभापति महोदय आपने बोलने के लिए समय दिया धन्यवाद्.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) - माननीय सभापति महोदय, मैं राजस्व विभाग की अनुदान मांगों पर जो चर्चा हो रही है, उसके विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूँ. मुझे इस समय श्री धमेन्द्र कुमार सिंह की चार लाईनें याद आ रहीं हैं मैं उन्हें पढ़ना चाहता हूं :-
'' देख तेरे संसार की हालत सब्र छूटने लगता है,
जिसको ताकत मिल जाती है वह लूटने लगता है,
सरकारी खाते से फौरन बड़े घडे़ आ जाते हैं,
बेघर हो जो जाते हैं मुफलिस तेरे घर बढ़ते जाते हैं ''
राजस्व विभाग एक ऐसा विभाग है, जिससे आम आदमी और खासकर ग्रामीण परिवेश पूरी तरीके से जुड़ा हुआ है क्योंकि हम सभी लोग किसान हैं और पूरा मध्यप्रदेश खेती किसानी से जुड़ा हुआ है और उनके रिकार्ड रखने की जो व्यवस्था है वह राजस्व विभाग के पास ही होती है. इस प्रकार जितनी जमीन महत्वपूर्ण हैं उससे ज्यादा उसके रिकार्ड संभालना होते हैं. लेकिन बड़ा अफसोस इस बात का है माननीय मंत्री जी बड़े गौर से सुन रहे हैं कि राजस्व विभाग में अभी बहुत कुछ काम करने की संभावना है और बहुत कुछ काम करना बाकी है क्योंकि अभी भी लैंड रिकार्ड जिस तरीके से होना चाहिए वास्तविक में वैसे नहीं हैं. किसान के पास जमीनें हैं, उसका मालिक वह है, लेकिन उससे रिकार्ड पूछेंगे तो शायद ही कोई भी ऐसा किसान आप प्रदेश में ढूंढ निकाल पायेंगे कि वह पूरे रिकार्ड दे देगा तो ऐसा संभव नहीं है.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि इसके बारे में विचार विमर्श करके कोई नया रास्ता बनाईये क्योंकि जमीनों के पीछे लड़ाईयों बहुत होती हैं, अपराध बढ़ते हैं. छोटी छोटी बातों के कारण गांवों में झगड़े हो जाते हैं. इस प्रकार जब तक रिकार्ड की दुरूस्ती नहीं होगी तब तक यह सारे काम नहीं होंगे. मैं इस अमले की एक वैचारगी और सबसे बड़ी बात आपके सामने लाना चाहता हूं कि वाकई इस अमले में बहुत कमी है क्योंकि अमला बहुत छोटा है. जिस हिसाब से बढ़ती हुई जनसंख्या है और जमीनों के बंटवारे हो रहे हैं, उस हिसाब से यह अमला उसको संभाल नहीं पा रहा है.इस प्रकार कहीं न कहीं ऊपर से लेकर नीचे तक अमले की बढ़ोत्तरी होना चाहिए क्योंकि सारे काम में राजस्व के बिना कोई काम नहीं होता है और सब कामों में इनकी आवश्यकता होती है और अगर अधिकारी कर्मचारी कम होंगे तो काम कैसा होगा यह बहुत बड़ा यक्ष्य प्रश्न खड़ा होता है.
माननीय सभापति महोदय, दूसरी बात सभापति महोदय मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि इस विभाग ने एक रिकार्ड बनाया था कि पिछले सात,आठ,दस वर्षों में लगभग दस प्रमुख सचिव परिवर्तित हुए हैं, अब नये प्रमुख सचिव आये हैं. अब नये प्रमुख सचिव आये हैं उनको अगर थोड़ा समय मिलेगा तो शायद कुछ काम करेंगे. नहीं तो हर छ: महीने, साल भर में प्रमुख सचिव यह विभाग छोड़कर चला जाता था. न जाने क्या बात इस विभाग में थी ? मैंने पिछली बार भी यह बात उल्लेखित की थी.
माननीय सभापति महोदय, एक जो हम सबसे जुड़ी बी.पी.एल. कार्ड की बात है. बी.पी.एल. कार्ड को बनाने का जिम्मा तहसीलदार को दे रखा है. माननीय मंत्री महोदय कहीं न कहीं आज इसकी आवश्यकता है कि जिस तरीके से आवास योजना के अंतर्गत बिजली का काम हो गया और जो पहले बिंदु दिये गये थे उन बिंदुओं की नये तरीके से विवेचना होना चाहिए. लेकिन पुराने सर्वे से ही सारा का सारा काम हो रहा है और ऐसा हो रहा है कि जो पात्र हैं उनको वह लाभ नहीं मिल रहा है, अपात्रों को बहुत लाभ हो रहा है. इसके बारे में सरकार को वोट की चिंता करने को छोड़कर, उस पर काम करने की आवश्यकता है.
माननीय सभापति महोदय, निश्चित रूप से जिनके नाम कटेंगे, उसमें एक विरोध तो होगा लेकिन जो वास्तविक हकदार है, उसे उसका हक नहीं मिल रहा है और हम सबका काम है कि हकदार को हक दिलायें और इस बारे में विचार विमर्श करें कि जो पुराने 2001 के सर्वे से काम हो रहा है उसका नये सर्वे से काम हो और उसके सारे बिंदुओं को हम बनायें.
माननीय सभापति महोदय, बंदोबस्त नहीं हो पा रहा है उसके कारण रोज नई नई बात होती है और आई.टी सेन्टर की जो बात यहां पर कही गई है मैं उसके बार में कहना चाहता हूं कि वाकई आई.टी सेन्टर में बहुत गड़बडि़या हैं. मैं आपको पहले भी अवगत करा चुका हूं और जो साफ्टेवयर है जो जिला लेवल से उपलब्ध कराये गये है और जिला कार्यालय से उनमें सरकारी जमीन तो लिखी है लेकिन उनकी नोइत नहीं लिखी है. जैसे यह गौचर की है कि आबादी की है, नदी की है या नाले की है. अगर नोइत नहीं लिखी होगी तो नीचे काम करने में पटवारियों को भी बहुत-बहुत दिक्कत आ रही है तो इसमें यह कमी रह गई है, इस कमी को दूर करें.
माननीय सभापति महोदय, दूसरी बात है जो किसानों के शामिल खसरें है मैं बिंदुवार कहना चाहूंगा क्योंकि मैं वह बात कहना चाह रहा हूं जो शायद कहीं ओर से नहीं आ पाई है और किसी के मन में है तो आ जायेगी. किसानों के शामिल खसरे नंबर कम्प्यूटरों में अपलोड नहीं हो पाते हैं. उदाहरण के लिये 101,102 शामिल खाते हैं, वह आपका जो साफ्टेवयर है, वह अपलोड नहीं कर पा रहा है, इससे भी बहुत ज्यादा दिक्कत आती है. सर्वर डाउन होना एक बहुत बड़ी समस्या है. सर्वर डाउन होता है तो काम ही नहीं हो पाता है और जो पटवारी होता है वह रिकार्ड को अपडेट नहीं कर पाता है. जैसे कोई बंटवारा हो गया, अब आपका रिकार्ड चला गया, अब फौरन नीचे यह हुआ कि बंटवारा हो गया या और कोई बदलाव आ गये तो पटवारी के हाथ में नहीं है कि वह उसको अपडेट या अपग्रेड कर सके, जो फीडेड होता है वही चलता आता है. उसमें नई तब्दीली का इंद्राज नहीं हो पाता है. इस बारे में भी विचार उस साफ्टेवयर को ठीक करने के लिये करना चाहिए और जो ज्यादा नाम वाले खसरें हैं, उसका भी इंद्राज उसमें नहीं हो पा रहा है और साफ्टवेयर बहुत लंबा है, उसको भी कहीं न कहीं टुकड़ों में करना चाहिए, उससे भी बहुत दिक्कत आती है.तहसीलदार की आई.डी. से काम होता है. अब तहसीलदार एक है और पटवारी अनेक है तो कैसे उसमें आईडी के लिये बदलाव ला सकते हैं क्या काम उठा सकते हैं, उसकी आवश्यकता है. नक्शा जो कम्प्यूटर से मिलता है, वह बहुत महंगा मिलता है और एक एक कॉपी के खसरे खतौनी के तीस-तीस रूपये लेते हैं.
सभापति महोदय - श्री शैलेन्द्र जी बोलने वाले बहुत लोग हैं. आपके पांच मिनिट हो गये हैं.आप अपने क्षेत्र की बात खत्म करके समाप्त करें.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय सभापति महोदय, मैं बस दो मिनिट में समाप्त कर दूंगा. यह सभी के क्षेत्र की बात है. एक-एक पटवारी के पास छ: छ:, सात सात हल्के हैं. मैं माननीय मंत्री जी को इस बात का जरूर धन्यवाद देना चाहता हूं कि जो मृत्यु उपरांत पूर्व में जो राशि दी जाती थी, उसको सरकार ने एकजाई किया है, उसके लिये मैं सरकार को धन्यवाद देना चाहता हूं कि मृत्यु के उपरांत आर.बी.सी. एक्ट में जो संशोधन किया है, उसके लिये आप बधाई के पात्र हैं. लेकिन दो चीजों की गुंजाइश और भी बाकी है, जब आगजनी की घटना होती है और किसी का मकान और घर जल जाता है तो बहुत कम राशि मिलती है. किसी जमाने वह राशि ठीक रही होगी, लेकिन आज उसे बढ़ाने की आवश्यकता है.
माननीय सभापति महोदय, दूसरी बात यह कहना चाहता हूं कि फसल नुकसानी हो जाती है, आग लग जाती है उसमें भी बहुत न्यूनतम राशि मिलती है इसमें भी कहीं न कहीं बदलाव की आवश्यकता है. तीसरी बात यह है कि आर.बी.सी. एक्ट के अंतर्गत जो मुआवजा मिलता है, वह भी काफी लेट पहुंचता है उसमें भी आप नियम बनाइये की कोई प्रकरण दर्ज होता है तो एक महीने के भीतर वह राशि मिल जाए. यह आप सुनिश्चित करेंगे तो किसानों को लाभ मिलेगा
माननीय सभापति महोदय, बहुत सारी बातें है लेकिन मैं अंत में एक ही बात कहकर अपनी बात समाप्त करूंगा कि माननीय मंत्री जी पटवारियों की जो तनख्वाह है वह बहुत कम है और इसलिए भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा है, उनका जो पे-स्केल है वह 5200- 20000 तक है. किसी पटवारी को पंद्रह हजार मिल रहे हैं, किसी पटवारी को बीस हजार मिल रहे हैं, इस पर भी विचार करना चाहिए कि उनको उचित तनख्वाह मिले ताकि जो भ्रष्टाचार की शिकायतें आप तक आती हैं, वह निश्चित रूप से कम होगी.
माननीय सभापति महोदय, दूसरी बात यह है कि पटवारी की भर्ती तीन बार कैंसिल हो गई है. उस भर्ती पर बार-बार प्रश्न खड़े होते हैं कि वह भर्ती बार-बार कैंसिल क्यों हो रही है. अब जो भर्ती निकली है, उसको आप जरूर पूरी करवायें ताकि पटवारियों की भर्ती इस प्रदेश में हो सके और किसानों का उसमें हित साधा जाये. माननीय सभापति महोदय आपने बोलने का मौका दिया
बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री मुरलीधर पाटीदार ( सुसनेर) - माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि राजस्व अमला बड़ा ही महत्वपूर्ण अमला है. एक सबसे बड़ी व्यावहारिक दिक्कत यह आती है कि पटवारियों की कमी है. एक पटवारी के पास तीन हल्के, चार हल्कें हैं या तो हल्कों को बड़ा कर दिया जाए या पटवारी की भर्ती कर ली जाए ताकि यह व्यावहारिक दिक्कत खत्म हो जाए. पटवारी की अगर कहीं ड्यूटी लगाई जाए तो वह बोलता है कि मैं फलानी जगह हूं, डिमकी जगह हूं, इस प्रकार के बहाने वह बनाता रहता है और आये दिन की बात हो गई है. वह कहीं भी किसी हल्के में नहीं मिलेगा. लेकिन बहाना मिल जायेगा कि मैं इस हल्के की बजाय, फलाने हल्के में हूं. चूंकि समय कम है इसलिए मैं मेरे क्षेत्र के बारे में कहना चाहता हूं. मेरा आग्रह है कि मेरा क्षेत्र बहुत बड़ा है और टप्पा कार्यालय, सोयतकला और बड़ा गांव दो टप्पे हैं. दोनों में अगर तहसील कार्यालय खोल दिये जायेंगे तो थोड़ा यह काम सुचारू रूप से हो जायेगा क्योंकि वहां से एक ब्लॉक में चालीस किलोमीटर की दूरी पड़ती है और एक ब्लॉक में तीस किलोमीटर की दूरी पड़ती है.
माननीय सभापति महोदय, मेरा दूसरा एक और आग्रह है, जो कि आपके विभाग से सीधे तो नहीं लेकिन जुड़ा हुआ मामला है. मेरे यहां पर प्रसिद्ध मां बगलामुखी का मंदिर है और इसी प्रकार से एक बालाजी पिपलिया का मंदिर है जहां मैं पूरे सदन को आमंत्रित करना चाहता हूं. माननीय मंत्री जी भी हमारे बगलामुखी माता मंदिर के दर्शन करने के लिये आते रहते हैं वहां पर अभी भी व्यवस्थित तरीके से जमीन नहीं है. कोर्ट कचहरी का मामला जबर्दस्ती का लटका रखा है तो कोर्ट कचहरी का मामला दूर हो और संबंधित पार्टी से बातचीत करके प्रशासनिक स्तर पर और उसका निपटारा होगा तो मंदिर का विकास होगा. वहां नवरात्रि में यह स्थिति हो जाती है कि एक दिन में माता जी के दर्शन करने के लिये एक लाख लोग आते हैं और गाड़ी चार किलोमीटर दूर ही खड़ी करना पड़ती है तो उस ओर विशेष ध्यान दें. यही मेरा आग्रह है आपने बोलने का मौका दिया इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि आप आज जरूर सुसनेर के बारे में अपने भाषण में घोषणा करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह(मऊगंज) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 8,9,46,58 के कटौती प्रस्ताव पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. जैसा कि मध्यप्रदेश सरकार लगातार किसानों के बारे में बात करती है कि पूरे प्रदेश में किसान खुशहाल है और यह किसानों से जुड़ा विभाग है, लेकिन मैं समझता हूं कि कितना किसान खुशहाल है सत्ता पक्ष्ा और विपक्ष के विधायक भी इस बात को महसूस कर रहे हैं और अपनी अपनी बातों में सब जिक्र भी कर रहे हैं. जैसा कि पटवारियों की बात आई हर जगह पटवारियों की कमी है.
सभापति महोदय - श्री सुखेन्द्र सिंह जी कृपया अपने क्षेत्र की बात करिये,आपके पास सिर्फ दो मिनिट है बोलने के लिये.
श्री सुखेन्द्र सिंह -आपके पास विधायक ज्यादा है, वह अपने अपने क्षेत्र की बात कर सकते हैं हमारे यहां विधायक कम है.
सभापति महोदय - दोनों तरफ के बराबर हैं, आप अपने विधानसभा क्षेत्र की बात करके समाप्त करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह -माननीय सभापति महोदय, हम लोग जिला स्तर की बात तो कर ही सकते हैं. मेरे विधानसभा क्षेत्र में ही पटवारियों की स्थिति बड़ी खराब है. यह बड़ा इंटीरियल क्षेत्र है तो कम से कम जैसा कि और विधायकों ने बात की है मैं उसी बात का समर्थन करता हूं कि कम से कम पटवारी बढ़ाये जाएं, इसमें किसान लगातार लुट रहे हैं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि हमारा एक आदिवासी क्षेत्र पिपराही पड़ता है वहां लगभग 25-30 हजार की जनसंख्या है. वहां किसान को तहसील हनुमना में आने में काफी दूर पड़ता है अभी स्वास्थ्य मंत्री जी ने वहीं के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी दिया है. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि वहां कम से कम उप तहसील उन आदिवासियों के लिये इस बजट सत्र में बनाने की घोषणा करेंगे तो निश्चित रूप से बड़ी कृपा होगी.
दूसरी बात, हमारे रीवा जिले के वरिष्ठ विधायक श्री सुन्दरलाल तिवारी ने समदड़िया की बात की. निश्चित रूप से यह हमारे रीवा शहर के लिए बड़ा गंभीर विषय है. जब समदड़िया की बात आई तो उधर से बात आने लगी श्री तिवारी की, वह अलग विषय है, क्या तिवारी है क्या समदड़िया है. लेकिन हमारे रीवा शहर के व्यापारी इस बात से काफी क्षुब्ध हैं कि जबलपुर और बड़े शहर के बड़े उद्योगपति समदड़िया आकर सारी जमीनों को हड़प लिये हैं और हमारे यहां के व्यापारियों को पेटी कांट्रेक्टर बना दिया है. एक-एक दुकानें बेची जा रही हैं.
सभापति महोदया, आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से अनुरोध है कि यह बड़ा गंभीर विषय है. हमारे रीवा को समदड़िया के हाथों बेचा न जाय. इस पर रोक लगाई जाय. इसी कड़ी में मैंने अपने मऊगंज क्षेत्र की एक तहसील के बारे में ध्यानाकर्षण भी लगाया था. प्रशासन ने जबर्दस्ती जहां पुरानी तहसील थी, उसको उठाकर 4-5 कि.मी. दूरी पर कर दिया है. आज भी वहां जाने में इतनी परेशानियां हैं. मेरा अनुरोध है कि उसको जंगल विभाग को दे दिया जाय, इसलिए कि वह जंगल से लगा हुआ मामला है और एक नया भवन जो पुरानी तहसील थी, वहां पर बना जाय. मेरा आपसे व्यक्तिगत अनुरोध है. लेकिन ध्यानाकर्षण में उस दिन हल्ला-गुल्ला हो गया, इसलिए मैं आपसे पूरी बात नहीं कह पाया था तो मैं इस बात का जिक्र करना चाहता हूं कि वह जरूर है कि करोड़ों रुपए की बिल्डिंग बनी है तो आपका कहना वाजिब है. लेकिन उसको उठाकर जंगल विभाग को देकर एक नया भवन मंजूर कर दें. एक हमारे हनुमना नगर में बस स्टेण्ड का मामला इसी तरीके से आया है, जिस पर मौखिक रूप से आपसे चर्चा भी की है. पत्रों के माध्यम से भी कहा है तो जो आरटीओ की जमीन है, वहां पर आरटीओ आफिस उठकर दूसरी ओर चला गया है तो मेरा आपसे अनुरोध है कि जो प्रस्तावित बस स्टेण्ड है, उसको आरटीओ वाली जगह पर कर दिया जाय ताकि जो व्यापारियों में वहां पर असंतोष फैल रहा है, वह नहीं होगा. यह एक गंभीर मामला है, यह मैं आपके माध्यम से अनुरोध करना चाहता हूं.
सभापति महोदया, हमारा रीवा जिला सूखाग्रस्त घोषित हुआ था. मुआवजा भी बंटा, लेकिन किसानों को जो उचित मुआवजा मिलना चाहिए, वह नहीं मिला. जैसी एक बात आई कि जब बाढ़ आई थी मुख्यमंत्री जी उस दौरे पर गये थे. उन्होंने तब 94000 रुपए की बात की, लेकिन यह वास्तव में बड़ी गंभीर बात है कि एक भी व्यक्ति को 2000-3000 से ज्यादा का मुआवजा नहीं मिल पाया है. सबसे बड़ी बात है कि वहां पर एक वकियाबरा है, जिसका मामला हमने विधान सभा में भी उठाया था और जब मुख्यमंत्री जी गये थे तो हमने उनसे यह बात कही थी कि 5 लोग प्रशासन की लापरवाही से बह गये. लेकिन आज भी उसमें 2-3 लाशें नहीं मिली हैं, 2 लाशें मिली थीं, उसमें 3-3 लाख रुपए की घोषणा की गई. वह भी मुआवजा नहीं मिल पाया. जो 3 लोग और बह गये थे, उनका पता नहीं चला. मैं समझता हूं कि जब इतने दिन हो गये तो उन 5 लोगों को उचित मुआवजा दिलाया जाय. तमाम तरह की बातें हैं. जैसा सभापति महोदया कह रही हैं कि समय कम है. मैं और ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता हूं. तहसीलदारों की संख्या भी कम है, पटवारियों की संख्या भी कम है. आरआई की संख्या कम है.
सबसे बड़ी बात यह है कि जो प्राकृतिक आपदा की बात है, चाहे सांप के काटने की बात हो, चाहे खलिहान जलने की बात हो, चाहे डूबने की घटना हो. ऐसे प्रकरणों में 3-3, 4-4 लाख रुपए की सदन से बताया जाता है कि यह घोषणा हो गई, इतना मुआवजा मिला है. लेकिन दावे के साथ कहता हूं कि इसका हमने विधान सभा में प्रश्न भी लगाया. हमारे हनुमना और मऊगंज तहसील में दोनों 3-3 साल से प्रकरण पेंडिंग हैं, लेकिन उनको जो मुआवजा मिलना चाहिए, वह आज भी पेंडिंग है. कम से कम उस पर निगरानी कर दी जाय कि जो तहसीलों में प्रकरण पेंडिंग हैं, उस पर कार्यवाही हो. सभापति महोदया, आपने जो बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री इन्दर सिंह परमार (कालापीपल) - सभापति महोदया, मैं मांग संख्या 8,9,46 एवं 58 का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं. हमारे प्रदेश में विशेषकर किसानों को जो राजस्व विभाग में परेशानी आ रही थी, उन सब परेशानियों को दूर करने के लिए निरंतर सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है. पारदर्शिता का व्यवहार किया जा रहा है, उसके तहत विभिन्न प्रकार के प्रयोग मध्यप्रदेश ने किये हैं. चूंकि समय कम है. मैं हमारे राजस्व मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि लंबे समय से जो पटवारियों के कार्यालय और उनके आवास के लिए पटवारी हल्का मुख्यालयों पर भवन निर्माण करने के लिए जो पहल चल रही थी, 320 भवनों के लिए उसका पहली बार प्रावधान किया गया है. मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं. यह एक अच्छी पहल है.
मैं और कुछ सुझाव देना चाहता हूं जो मध्यप्रदेश की दृष्टि से भी है और मेरे क्षेत्र की दृष्टि से भी है. हमारे यहां पर स्कूलों के खेल के मैदानों और ऐसे सार्वजनिक स्थानों की जो जगह सुरक्षित है, उन पर लंबे समय से अतिक्रमण हो रहा है, चाहे उसमें तालाब हों, खेल के मैदान हो, उन सबको एक बार सीमांकन करके अतिक्रमण से मुक्त कराने की आवश्यकता है क्योंकि वहां पर जिला प्रशासन के पास बार-बार वहां के अधिकारी आवेदन करते हैं, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं होती है. इसलिए मैं चाहता हूं कि इसको अनिवार्य रूप से कर दिया जाय.
दूसरी एक बहुत बड़ी परेशानी हमारे यहां पर आने वाली है. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जितनी सड़कें बन चुकी हैं, उन सड़कों की रिकॉर्ड राजस्व विभाग में दर्ज नहीं है. कई जगहों पर निजी जमीनों पर सहमति से अभी तो सड़कें निकाल दी हैं. लेकिन भविष्य में वह किसान उस पर आपत्ति लेंगे, इसलिए फिर वह सड़कों को खोद भी सकते हैं, और हम उनके खिलाफ किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं कर सकेंगे, इसलिए यह भी राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हो जाय तो मैं समझता हूं कि यह बहुत बड़ा काम होने वाला है. एक और बड़ा महत्वपूर्ण विषय यह है कि हमारे यहां पर इस वर्ष पाले का नुकसान हुआ. पाले का सर्वे इस वर्ष नहीं किया गया, जबकि आरबीसी 6 (4) में पाले में राहत, मुआवजा देने का प्रावधान है. लेकिन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम से उसका सर्वे नहीं किया गया. मेरा निवेदन है कि पाला उसमें भी छूटा हुआ है. माननीय मंत्री जी उस सर्वे को आप निरंतर रखें. किसानों को जो शासन से राहत मिल सकती है, विशेषकर चने, मसूर का इसमें आकलन नहीं किया गया है उसको जारी रखें ताकि किसानों को मुआवजा मिल सके. हमारे मध्यप्रदेश के विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र में जो राजस्व न्यायालय हैं. राजस्व न्यायालय के कारण जो कठिनाई आती है, उसमें आपने पारदर्शिता लाने के लिए ऑन-लाइन व्यवस्था की है. लेकिन एक और बड़ी कठिनाई यह है कि हमारे यहां पर जो शासकीय जमीन है. चाहे वह मंडी की अर्द्ध शासकीय हो या शासकीय हो, उन जमीनों पर लोग अतिक्रमण कर रहे हैं. बड़े बड़े लोग अतिक्रमण कर रहे हैं. यदि पटवारी ने, तहसीलदार ने उस पर कोई निर्णय दिया है, सीमांकन का भी कोई निर्णय दिया है या फिर कोई भूमि-स्वामित्व का निर्णय किया है तो राजस्व न्यायालय ग्वालियर में उस पर तत्काल स्टे मिल जाता है. इसमें शासन का हित भी कई बार प्रभावित हो रहा है, इसलिए मेरा निवेदन है कि जो राजस्व मंडल ग्वालियर की व्यवस्था है उसको तो लगभग समाप्त ही कर देना चाहिए. जो भी कुछ प्रक्रिया हो, वह कलेक्टर और अधिकतम राजस्व आयुक्त तक ही उसको सीमित रखना चाहिए. राजस्व मंडल में प्रकरण जाने के कारण से लंबे लंबे समय तक शासन की योजनाएं पेंडिंग हो रही है. मेरी विधान सभा क्षेत्र में वहां की कृषि उपज मंडी समिति पर, सन् 1954 का जिसका नोटिफिकेशन था, उसका अतिक्रमण नहीं हटा और अतिक्रमण नहीं हटने के कारण तहसीलदार ने सीमांकन देरी से किया और उसको अतिक्रमण हटाने का इतना अवसर दे दिया कि वहां से व्यक्ति ने स्टे ले लिया. इस कारण से पूरे मंडी परिसर में अतिक्रमण हो चुका है. मेरी मंत्री जी से इसलिए प्रार्थना है कि इस पर जरूर ध्यान देकर संशोधन करने की कृपा करें. मेरा क्षेत्र कालापीपल है. वहां की लंबे समय से मांग है. हमारा अनुभाग अभी शुजालपुर पड़ता है. वहां से 20 कि.मी. दूर मुख्यालय पड़ता है. वहां पर 40-40, 45-45 कि.मी. दूर से किसान आते हैं, इसलिए राजस्व अनुभाग कालापीपल करने का कष्ट करेंगे तो मैं सोचता हूं कि हमारे क्षेत्र के किसानों को, सारे लोगों को काफी राहत मिलेगी. सभापति महोदया, आपने जो समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद और माननीय मंत्री जी को भी धन्यवाद.
3.00 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8 का विरोध करती हूं कटौती प्रस्तावों का समर्थन करती हूं. मेरे सतना जिले की तहसील अमर पाटन में जो एनएच 7 सतना से रीवा मार्ग जाता है उसमें ग्राम करही है वहां सैकड़ो अनुसूचित जाति के लोग 70 साल से बसे हुए थे उनको अतिक्रमण से हटाकर बेघर कर दिया गया है, जबकि उनके पीछे ही आवंटित जमीन है जिस पर दबंगों का कब्जा है उनको आज तक बसाहट नहीं दी गई है, इस पर गौर किया जाए. उनके घर अतिक्रमण के चपेट में आ गये थे इसके नंबर हैं 191/1 आबादी घोषित जमीन है उसी जमीन के आराजी परिवारों को प्लाट आवंटित कर पट्टे दे दिये जाएं. उक्त जमीन पर दबंगों के कब्जे हैं उनको अतिक्रमण से मुक्त कराया जाये, यह गंभीर समस्या है. पिछले साल मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को पत्र भी लिखा था, मेरा इस मामले में ध्यानाकर्षण भी लगा है, यह एक गंभीर समस्या है. ग्राम सीधी जिले के तहसील मंझौली के ग्राम मूसामूड़ी एवं बरका के 10 आदिवासी किसान जिनको जमीन आवंटित की गई थी जिनकी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा मेसर्स आयरन कम्पनी के नाम से रजिस्टर्ड कर दी गई. इन आदिवासी भाईयों का पट्टा निरस्त कर दिया गया है, जबकि निगरानी के अधिकार कलेक्टर को होते हैं. अपर कलेक्टर सीधी द्वारा जांच प्रतिवेदन में तत्कालीन एसडीएम को भी दोषी माना गया है, किन्तु उनको जमीन वापस नहीं की गई है इस कारण से 24.2.15 से आदिवासी किसान आमरण अनशन पर बैठे हुए है, लेकिन प्रशासन के लोगों को कान में आज तक झूं नहीं रेंगी है तथा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है. वह लोग बदहाली की जिन्दगी जी रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जमीन घोटालों के मामले प्रदेश में अव्वल हैं 16 सौ एकड़ जमीन सतना की पूरे मध्यप्रदेश की सुनाहरा गांव का मामला चल रहा है उसमें भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में मांग की थी कि तमाम अतिक्रमण चल रहे हैं. मैंने मांग की थी कि संत रविदास जी के आश्रम जो बाराकलॉ रोड़ के किनारे जमीन है उसको संत रविदास आश्रम को आवंटित कर दी जाये. ग्राम मनकहरी में एक तुलसीदास नाम का व्यक्ति जो अपनी आवंटित जमीन पर घर बना करके रह रहा है. वहां पर एक ब्राह्मण परिवार फौज में है उन्होंने एक एकड़ जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया है, लेकिन तुलसीदास जी को आये दिन परेशान कर घर को गिराने का बोला जा रहा है, इसमें भी शासन कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है. इसी तरह से विदिशा जिले का एक मामला है जो दलितों की आबादी से जुड़ा हुआ है. पूरे मध्यप्रदेश के अंदर माननीय मुख्यमंत्री जी इस बात को कहते हैं दलितों की आबादी घोषित करेंगे और उनको आवास देंगे. जिन दलितों के नाम से आबादी घोषित करायी गई उनको वहां से हटाकर वहां आबादी भूमि में टीकाराम तिवारी जी के भाई के द्वारा दुकानें तथा शोरूम बना दिये गये हैं. उनको काफी प्रताड़ित किया गया है जबकि आबादी की भूमि मात्र आवास के लिये होती है. यह भूमि व्यवसायिक गतिविधियों के लिये नहीं दी जा सकती है. इसी तरह से कथौरा में भूमि का सर्वे नंबर 303 2-3 रकबा 372 पर मुकेश कुमार पुत्र देवकीनन्दन जाति ब्राह्मण का स्टोर क्रेशर स्वीकृत है. उससे स्टोर पत्थर का उत्खनन न किया जाकर 303/483 रकबा उक्त क्रेशर हेतु अवैध उत्खनन हेतु दिया जा चुका है. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय--बोलने वालों माननीय सदस्यों की संख्या अधिक है. अभी तीन विभागों पर और चर्चा होना है.माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि 2 से चार मिनट में अपने क्षेत्र की समस्याओं को रखकर अपना भाषण समाप्त करेंगे.इस नियम का गंभीरता के साथ पालन करेंगे.
श्री आर.डी.प्रजापति (चन्दला)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं राजस्व विभाग मांगों का समर्थन करता हूं. मेरी विधान सभा में तीन तहसीलें एवं चार उप तहसीलें हैं. तीन तहसीलों में केवल एक तहसीलदार है. उप तहसील में तहसील है लेकिन न तो वहां तहसील भवन है और न ही नायब तहसीलदार को रहने का स्थान है. वहां से 40 किलोमीटर दूर लवकुश नगर में जाना पड़ता है. जिससे किसान बहुत परेशान होते हैं. मेरे यहां पर तीन तहसीलों में से 2 तहसीलों में सब रजिस्ट्रार नहीं है इसके कारण वहां से रजिस्ट्री नहीं होती है और सबसे दुर्गम स्थान है, वहां से करीबन 50 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है इसलिये चन्दला या गोहरियार में सब रजिस्ट्रार अथवा रजिस्ट्रार को पदस्थ किया जाए. मेरे यहां पर 10-10 पटवारियों की कमी है उसकी पूर्ति की जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, जो रजिस्ट्री होती है उसमें रजिस्ट्रार को ही सुनने का पॉवर होता है, लेकिन हमारे यहां तहसीलदार, नायब तहसीलदार द्वारा रजिस्ट्री के नामांतरण में 6-7 माह लगा देते हैं. मेरे व्यक्तिगत उदाहरण है.मेरी रजिस्ट्री ग्राम बवारी नायब तहसीलदार चंदनगर तहसील राजनगर में रजिस्ट्री हुई. 15 दिन के अंदर नामांतरण होना चाहिये आज 8 माह हो गये हैं इसमें तीन पेशियों से ज्यादा नहीं होना चाहिये, लेकिन इसमें 30 पेशियां हो चुकी हैं. मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है तो आम आदमी के साथ कैसा व्यवहार किया जाता रहा होगा. मेरे यहां पर गरीबों के बहुत पट्टे बने हैं उनको आज तक अधिकार नहीं दिया गया है. मेरे यहां पर 50 साल से राजस्व विभाग ने पट्टे दिये हैं, लेकिन उन पट्टों को वन विभाग कहता है मेरी जमीन है राजस्व विभाग कहता है जमीन हमारी है. पूर्व में क्यों नहीं बताया है कि किसकी जमीन है. उनको राजस्व के पट्टे दिये हैं उनको बहाल किया जाए और उसके बदले जो राजस्व विभाग की भूमि है वह वन विभाग को दी जाए. गरीबी रेखा के जो राशन कार्ड बनते हैं वहां पर तहसीलदार की पदस्थापना न होने के कारण वहां पर जिनके पास में ट्रेक्टर ट्राली है वह गरीबी रेखा के कार्ड का लाभ ले रहा है जो वास्तव में गरीब हैं उनके गरीबी के कार्ड नहीं बनाये जा रहे हैं इसकी भी जांच होनी चाहिये. राजस्व विभाग की कंडिका 4.6 में जंगली जानवारों द्वारा किये गये नुकसान का मुआवजा तहसीलदार कार्यालय से देने का प्रावधान है, लेकिन 2010-11, 20011-12 में करीबन 10 हजार से ज्यादा आवेदन दिये गये, लेकिन आज तक उनको मुआवजा नहीं दिया गया.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे यहां सूर्यमणि मांझी, आरआई और सुखराम मिश्रा ये निलंबित कर दिए गए और फिर उसी जगह बहाल कर दिए गए. उपाध्यक्ष जी, जो व्यक्ति भ्रष्ट्राचार के कारण निलंबित हुआ है और उसी जगह उसको बहाल कर दिया जाए.
उपाध्यक्ष महोदय, एक निवेदन और करना चाहता हूं. मेरे यहां एसडीएम बैठते हैं. सुबह स्टे देते हैं और शाम को वेकेट कर देते हैं. ऐसे करीब 3-4 साल से हो रहा है. आप उसकी जांच कराएं कि कितने स्टे उन्होंने खुद दिए और किस आधार पर खोल दिए. ऐसे अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होना चाहिए जिनको दंडाधिकारी कहते हैं, उनके खिलाफ भी दंडात्मक कार्रवाई होना चाहिए. मेरा व्यक्तिगत निवेदन है. माननीय मंत्री जी इसकी जरुर जांच करा लें कि जो स्टे दिया जाता है और खोला जाता है. धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी)--उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 8,9,46 और 58 का मैं समर्थन करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में जब गरीबी रेखा के कार्ड बनने जाते हैं तो दुनिया भर के नियम-कानून उसको बताये जाते हैं. वह गरीब मुश्किल से तो फार्म भरता है उसके बाद जब उसको पटवारी के सुपुर्द किया जाता है तो वह पटवारी घर बैठे ही उसको निरस्त कर देता है.
उपाध्यक्ष महोदय, नामांतरण प्रक्रिया का भी आप सरलीकरण कर दें. सिवनी विधान सभा क्षेत्र में पहाड़ी एवं पथरीला क्षेत्र काफी है और यहां भू राजस्व काफी लगता है. मैं चाहूंगा कि उसमें कमी हो.
उपाध्यक्ष महोदय, राजस्व विभाग में पदों की काफी कमी है. पटवारी से लेकर दूसरे अन्य स्टाफ हैं उनकी कमी है.
उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार प्राकृतिक आपदा का खेत वार सर्वे कर,मुआवजा राशि वितरित करें. क्योंकि अभी खेत छोड़ कर पूरा रकबा ले लेते हैं. एसडीएम न्यायालय में धारा 92 के प्रकरण कई दिनों से लंबित हैं. उनका निराकरण नहीं हो रहा है. हमारे यहां एसडीएम बैठते भी नहीं है. हमारे यहां प्रशासन चुस्त-दुरुस्त कर दें. एसडीएम में काम करने शैली करा दें.
उपाध्यक्ष महोदय, शासकीय भूमि पर जो अवैध कब्जा है उसको राजस्व विभाग कभी हटाता नहीं है. हमारे यहां खनिज विभाग तो कुछ करता नहीं है. क्रेशर खदानों में विस्फोट होता लेकिन कभी राजस्व का अमला उनको पकड़ने नहीं जाता, रोकने नहीं जाता. उसके कारण कई मकान गिर गए, क्रेक हो गए.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा में गरीब झुग्गी बस्ती में लोग रहते हैं, उनके समुचित विस्थापन करने के लिए मैं आपसे निवेदन करता हूं. रेलवे द्वारा 300 से 400 झुग्गीवासियों को हटाया जा रहा है. उनको कहीं न कहीं विस्थापित करने की कृपा करें.
उपाध्यक्ष महोदय, विज्ञान एवं टेक्नालॉजी विभाग में बोलना चाहूंगा कि हमारे यहां पहाड़ी क्षेत्र में बीएसएनएल का नेटवर्क मिलता ही नहीं है. हमारे यहां-चमारी,बखारी,कलारवादी,केकड़ा चार ऐसे सेक्टर हैं, जहां पर 50-50,100-100 गांव आते हैं. वहां बीएसएनएल के टॉवर लगाए गए हैं लेकिन नेटवर्क मिलता ही नहीं इससे वहां के लोग संपर्क में नहीं है तो आपका ई-पंजीयन और ई-पंचायत करने का कोई फायदा होगा नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय, सूचना एवं प्रौद्योगिकी केन्द्र स्थापित करने का मैं आपसे आग्रह करता हूं. मैं, सिवनी में आईटी पार्क स्थापित करने की भी आपसे मांग करता हूं.
उपाध्यक्ष जी, हमारा क्षेत्र आपदाग्रस्त और सूखाग्रस्त की श्रेणी में आ रहा है. मैं चाहूंगा कि वहां वसूली न की जाए. सिवनी में प्राकृतिक आपदा केन्द्र खोला जाए. आगजनी में बहुत कम राशि मिलती है इसको भी बढ़ाने का निवेदन करता हूं.
उपाध्यक्ष जी, अभी खेल ग्राउंड के लिए राशि मिली है किन्तु शहर से लगा हटक क्षेत्र ग्राम पंचायत है, वहां एक किसी व्यक्ति को 6 एकड़ का पट्टा दे दिया है लेकिन उसको हटाने में हीला-हवाला हो रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार नगरपालिका चाहे सिवनी हो, चाहे लखनादौन हो, वहां भी नगर परिषद, नगर पालिका जमीन मांगते हैं तो हीला-हवाला करते हैं. अगर आप जमीनें नहीं देंगे तो नगरीय क्षेत्र में विकास कैसे करेंगे?
इसी प्रकार छपारा में एसडीएम बैठते हैं, 34 पंचायतें हैं. वह लखनादौन से आते हैं, एक दिन बैठते हैं. इसी प्रकार एडीएम को लखनादौन में बैठने को कहा गया लेकिन वह भी सप्ताह में बैठते नहीं हैं. लखनादौन को जिला बनाने की बात आयी लेकिन उसको जिला नहीं बनाया, एडीएम दिया तो कम से कम वह तो बैठें. मेरा विनम्र आग्रह है सिवनी को संभाग बनाने की पूरी अर्हता है. इसलिए सिवनी को आप जरुर संभाग बनाइये. सब-डाक्यूमेंटली में सिवनी आ गया. अगर नहीं बना पा रहे हैं तो आप बता दें कि हमें हड़ताल पर बैठने से मिलेगा. भूख हड़ताल से, नगर बंद करने से, रोड़ जाम करने से, आप घर घेरने से, मुख्यमंत्री का या विधान सभा घेरने से मिलेगा. किस स्तर से संभाग बनेगा? कृपया इसका निराकरण जरुर कर दें सिवनी को संभाग बना दें. इसके लिए बड़ा जनाक्रोश हैं.आप सिवनी को संभाग बनाइये अन्यथा जनाक्रोश सहना पड़ेगा. सरकार हट जाने से भी नहीं बनेगा, मैं उम्मीद नहीं करता हूं.धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी(मनगवां )-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, मांग संख्या 8 एवं 9 का विरोध एवं कटौती प्रस्ताव के समर्थन में अपनी बात रख रही हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, भू-राजस्व एवं जिला प्रशासन में जो न्याय प्रक्रिया है वह बहुत ही जटिल है. प्रकरण बहुत लंबे समय तक लंबित रहते हैं. सबसे बड़ी समस्या है कि पटवारी अपने हल्के में नहीं रहते. वे मोबाइल नंबर प्रतिदिन बदलते रहते हैं. मैं मंत्री जी से निवेदन करुंगी कि सप्ताह में कम से कम एक दिन वह गांव में जरुर आमजन, किसानों की समस्याओं को सुने.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा एक सुझाव है. मेरा सरकार से कहना भी है कि यदि आप चाहते हैं कि मध्यप्रदेश में प्रशासन सुदृढ़ तरीके से चले. किसान खुशहाल रहे, उसको सुविधाएं मिलें. आप जनता खुश रहे. आपने बहुत सारे अधिनियम बना रखे हैं जैसे लोक सेवाओं के प्रदाय की गारंटी अधिनियम 2014-15 है इसमें बहुत सारी गड़बड़ियां हैं. यह अधिनियम व्यवसाय बन चुका है. आम जनता का खून चूसने वाला अधिनियम है. पहले नकल शाखा में 10 रु से लेकर 50 रु तक का फार्म भर कर जिन किसानों के प्रकरण होते थे, वह नकल ले लेते थे. नक्शा, खसरा,खतौनी आदि की नकल मिल जाती थी लेकिन जब से अधिनियम बन गया तब से एसडीएम,कलेक्टर, पटवारी और तहसीलदार इन लोगों ने आम जनता को पूरी तरह से चूस कर रख दिया है. मैं आपको बता रही थी कि जो पटवारी होता है उसमें शासन का नियम है कि ग्राम सभा में वह ग्राम में लेकर रजिस्टर्ड नामांतरण, बंटवारा और अविवादित वारिसान होते हैं, इन सबको पटवारी गांव में नकल देगा. बंटवारी करेगा लेकिन पटवारी, तहसीलदार से सांठगांठ करके, किसानों को चूना लगा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र की बहुत सारी समस्याएं हैं. मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि जो जहां बसा है उसको आबादी पट्टे दिए जाएंगे लेकिन अभी तक नहीं दिए गए. जाति प्रमाण पत्र में लोग पैसा ले रहे हैं. भ्रष्टाचार का आलम है. मैं आपसे निवेदन करती हूं और यह मेरा मानना भी है कि राजस्व विभाग सरकार का कमाऊ पूत है इसलिए इसमें भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है. लॉ एंड ऑर्डर कंट्रोल में नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 58 में प्राकृतिक आपदाओं के संबंध में कहना चाहता...
उपाध्यक्ष महोदय--आप बैठिये. मैंने पहले ही अनुरोध कर लिया है कि 3 विभाग और लिए जाने हैं. समय की बहुत कमी है. राजस्व विभाग पर बहुत ज्यादा चर्चा हो चुकी है. समाप्त करिए.
श्रीमती शीला त्यागी-- धन्यवाद.
श्री वेलसिंह भूरिया(सरदारपुर)--उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार निरन्तर किसानों,जनता और समाज के लिए बेहतर काम कर रही है.
उपाध्यक्ष महोदय. राज्य सरकार द्वारा राजस्व पुस्तक परिपत्र 6(4) के अंतर्गत दी जाने वाली राहत राशि में नियमानुसार वृद्धि की गई है. कांग्रेस के राज में प्राकृतिक आपदा से कुम्हारों के ईंट भट्टे, मिट्टी बरतनों की क्षति पर 3 हजार रुपये दिए जाते थे लेकिन हमारी भाजपा की सरकार में 10 हजार रुपये दिए जाते हैं. इसी प्रकार हमारी सरकार में जितना रुपया प्राकृतिक आपदा में बढ़ाया है उतना कांग्रेस के राज में नहीं बढ़ा था. मैं पुरानी सूची को देखता हूं तो पाता हूं कि अग्नि या बाढ़ से दुकानदारों को हुए नुकसान पर 6 हजार रुपये दिए थे लेकिन हमारी सरकार में 12 हजार रुपये दिए जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, सर्प,गोहरा या अन्य जहरीले जन्तु के काटने से या बस या अन्य ट्रांसपोर्ट वाहन के नदी में गिरने या पहाड़ से खाई में गिरने से इन वाहनों में सवार व्यक्तियों की मृत्यु हो जाने पर पहले 50 हजार रुपये दिए जाते लेकिन अब हमारी सरकार ने इसको बढ़ा कर 4 लाख रुपये कर दिया है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इसको बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया है. 4 लाख रुपये बहुत बड़ी राशि होती है परिवार के भरण पोषण के लिये यह राशि पर्याप्त होती है. पानी में डूबने अथवा नाव दुर्घटना से मृत्यु होने पर 1 लाख रुपये दिये जाते थे उसको बढ़ाकर मंत्री जी ने 4 लाख रुपये कर दिये हैं इसके लिये हम अपनी सरकार और विभागीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहेंगे. इसी प्रकार से प्राकृतिक प्रकोप से निजी कुंए या नलकूप आदि टूटफूट होने या धंस जाने पर क्षति के आकलन के आधार पर 6 हजार रुपये पूर्व में दिये जाते थे उसको बढ़ाकर मंत्री जी ने 25 हजार रुपये कर दिया है. यह एक ऐतिहासिक काम है और किसानों से जुड़ा हुआ मामला है. मैं मेरे क्षेत्र की कुछ बातें कहना चाहता हूं. अभी मैं सुझाव दे रहा हूं. मध्यप्रदेश भू-बंदोबस्त 1971-72 में हुआ था उस समय राजस्व की जमीन फारेस्ट में चली गई थी और फारेस्ट की जमीन राजस्व में चली गई थी. बड़ी लड़ाई का प्रदेश में यह विषय है. दोनों विभागों को लेकर तो इसका सीमांकन होना चाहिये. फारेस्ट वाले जहां कहीं भी अपना मुनारा बना देते हैं भले राजस्व की जमीन हो वह जमीन फारेस्ट की हो जाती है. इससे हमारे आदिवासी किसानों को बड़ी दिक्कत होती है. इसमें सुधार होना चाहिये. प्रदेश में हजारों एकड़ जमीन मंदिरों के नाम की है उसमें अवैध रूप से पुजारियों ने कब्जा कर रखा है वह जमीन पुजारियों से लेकर सरकार के अधीन कर ली जाये और हर साल उस जमीन की नीलामी होना चाहिये यह मेरा मंत्री जी को और सरकार को सुझाव है. इससे जो आय होगी उससे मंदिरों का जीर्णोद्धार होगा. सरकार को अलग से पैसे देने की जरूरत नहीं होगी और 1980 से गैर आदिवासी लोगों ने आदिवासियों की जमीनों पर कब्जा कर रखा है वह जमीन आदिवासियों को दी जानी चाहिये. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिये बहुत-बहुत बधाई.
कुंवर सौरभ सिंह(बहोरीबंद) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे यहां एक रीठी ब्लाक है उसमें बिलहरी भी है और वहां 8-10 गांव ऐसे पड़ते हैं जो भौगोलिक दृष्टि से दूर हैं. प्रशासन के पास इसका प्रस्ताव लंबित है. मंत्री जी इस पर ध्यान दें. हमारे क्षेत्र में तहसीलदार और पटवारियों की संख्या दूसरी जगहों से बहुत कम है. कृपया इस पर ध्यान दें. मुख्यमंत्री जी की घोषणा थी सलीमनाबाद को तहसील बनाने की वह आज तक घोषित नहीं हुई है. सूखे से मुआवजे के लिये सदन में घोषणा की गई थी कि जिन किसानों का सौ प्रतिशत नुकसान होगा उनकी बेटियों की शादियों में सरकार सहयोग करेगी. मेरे विधान सभा क्षेत्र में काफी लोगों की यह राशि बची हुई है. हमारे पत्रों के जवाब आपके विभाग से नहीं आते हैं. जो मुआवजे का वितरण हुआ है वह हमारे यहां संतोषप्रद नहीं है. एन.एच.-7 मेरे विधान सभा क्षेत्र से निकल रहा है जहां लोगों के घर तोड़ दिये गये हैं और उनको हटा दिया गया है और उनको आज दिनांक तक उनको मुआवजा नहीं मिला है. रीठी बाजार से अतिक्रमण है उसे हटाया जाये. गरीबी रेखा के नीचे वाले कार्डों में पात्र लोगों के नाम नहीं हैं. मैं चाहूंगा कि इसमें थोड़ा नरमी बरतते हुए जो भूमिहीन हैं उन पर ध्यान दिया जाये. जो भी किसान जमीन धारक होता है उसके पास लगान बकाया में आती है जबकि हर किसान हमेशा लगान हर साल चुकता कर देता है तो यहां साफ्टवेअर में कमी है. राजस्व विभाग में तो यह है कि राम नाम की लूट है,लूट सके तो लूट तो जनता त्रस्त है. आपने बोलने का अवसर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बलबीर सिंह डण्डौतिया - अनुपस्थित
श्री नारायण सिंह पवार(ब्यावरा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8,9,46,58 के समर्थन में खड़ा हुआ हूं. मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र ब्यावरा राजगढ़ जिले का सबसे बड़ा स्थान है इसमें अस्थाई राजस्व अनुविभागीय कार्यालय लगभग 30 वर्षों से काम कर रहा है इसमें स्थाई राजस्व अनुविभागीय कार्यालय स्थापित किया जाये और अभी 31 जनवरी को मुख्यमंत्री जी ब्यावरा प्रवास पर आये थे उन्होंने इसकी घोषणा की थी. मेरे क्षेत्र में टप्पा सुखालिया है जो मुख्यालय से 25-30 कि.मी. दूर है और विधान सभा का जो क्षेत्रफल है वह टप्पा कार्यालय से भी लगभग 35-40 किलोमीटर दूर पड़ता है और मुख्यमंत्री जी की घोषणा भी है मैं मंत्री जी से चाहूंगा कि ये दोनों कार्य इसी सत्र में स्वीकृत किये जायें. हमारे यहां लखनवास गांव है, सुखालिया को जो टप्पा बनाने वाले हैं उसके स्थान पर लखनवास को टप्पा घोषित किया जाये. साथ ही साथ मेरे यहां कुछ मजरे,टोले इस प्रकार हैं जिनकी आबादी 500-1000 हो गई है और मैं पिछले तीन वर्षों से लगातार विधान सभा के माध्यम से,कलेक्टर के माध्यम से इस बात को उठाता रहा हूं. उन मजरे,टोलों में आदिवासी बाहुल्य गांव हैं उनको राजस्व ग्राम घोषित करना चाहिये. कई बार थोड़ी बहुत भूमि का हेरफेर होता है 5-10 एकड़ कम ज्यादा जमीन आती है जो राजस्व विभाग का नियम है कि 200 हेक्टेयर जमीन राजस्व की उसमें आनी चाहिये लेकिन आसपास वन भूमि है लेकिन वहां की आबादी 500 से 1000 है ऐसे जो गांव हैं उनको तत्काल मजरे,टोले घोषित करें. जैसे मेरे यहां सीलखेड़ा गांव का लोधापुरा है,पहाड़गढ़ पंचायत में शेखपुरा और कोटरा है, आगर पंचायत में हत्थाखोह है, बैरसिया पंचायत में गोलेपुरा है, सोनकच्छ पंचायत में पूरा सोनकच्छ हैं ये सारे गांव अगर राजस्व ग्राम घोषित होंगे तो इनको निश्चित रू प से सुविधाओं का लाभ मिल सकेगा. एक और समस्या हमारे जिले में आ रही है कि सिंचाई विभाग के तहत् जो बड़े टैंक हमारे जिले में बन रहे हैं मोहनपुरा तालाब और कुंडालिया तालाब इसमें जमीनों के मुआवजे को लेकर बहुत समस्या आ रही है. वहां राजस्व रिकार्ड में जमीनें सिंचित लिखी हुई हैं लेकिन मौके पर असिंचित हैं बड़ी मात्रा में वहां हेरफेर हो रहा है. कई अधिकारियों,कर्मचारियों पर कार्यवाही हो रही है. राजस्व अधिकारियों को इसके लिये निर्देश दिये जायें क्योंकि किसान कई बार किसान क्रेडिटकार्ड बनवाने के लिये असिंचित भूमि को सिंचित लिखवा लेते हैं लेकिन मौके पर वह असिंचित पाई जाती है इस कारण मुआवजे में परेशानी आ रही है और किसान और सरकार के बीच विवाद हो रहा है.आए दिन वहां हड़तालें हो रही हैं और डेमों का काम बंद हो रहा है. जो गांव की निस्तार भूमि होती है खासकर तालाब की भूमि,शमशान की भूमि पर बड़ी मात्रा में अतिक्रमण है. एक अभियान चलाकर इस अतिक्रमण को हटाया जाये ताकि निस्तार की भूमि मुक्त कराई जा सके. अभी पंचायत विभाग शमशान के शेड,उनके रास्ते पहुंच मार्ग बनाने के लिये प्रयत्नरत् हैं लेकिन चूंकि रास्ते भी अतिक्रमण से अवरूद्ध हैं ऐसे अतिक्रमण हटाये जायें. धन्यवाद.
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जैसे पिछले वर्ष शहडोल जिला सूखाग्रस्त घोषित था लेकिन वहां सूखे की राशि आज भी कई लोगों को नहीं मिल पाई है. कई चेक बाऊंस हो गये हैं या लोगों के खाते गलत थे या जो भी कारण हो भुगतान आज तक नहीं हो पाया है. भू-राजस्व संहिता धारा-50 में जो निगरानी का अधिकार पूर्व में जिला कलेक्टर को था उसे अब संशोधन करके राजस्व मण्डल को दे दिया गया है. पहले अगर निगरानी,सीमांकन या व्यवस्थापन गलत हुआ है या किसी राजस्व अधिकारी के आदेश के विरुद्ध जिला कलेक्टर को सुलभता,सहजता के साथ निगरानी का न्याय प्राप्त कर लिया जाता था लेकिन अब राजस्व मण्डल निगरानी करने नहीं पहुंच पाते हैं, चूंकि राजस्व मण्डल ग्वालियर जाना पड़ता है इससे गरीबों को काफी नुकसान होता है. धारा-248 में पूर्व में तहसीलदार को मात्र 1500 रुपये अतिक्रमण के जुर्माने का प्रावधान था,उसे अब संशोधित करके भूमि के शासकीय बाजार रेट का 20 प्रतिशत कर दिया है. इसमें सुधार की आवश्यक्ता है. पहले एस.डी.ओ को 45 दिन ,कलेक्टर को 60 दिन,कमिश्नर को 90 दिन में रेवेन्यू बोर्ड में अपील करने की जो समय-सीमा थी उसको घटाकर 30,45 और 60 दिन कर दिया गया है. इस समय-सीमा को बढ़ाया जाना चाहिये. सीमांकन और नामांतरण के आज भी कई प्रकरण मेरी तहसील ब्यौहारी और जयसिंह नगर में जिन्हें शीघ्रता से करवाई जाना चाहिये उससे किसान काफी परेशान है. आगजनी से बाढ़, ओला, पाला, पेयजल, सूखा, कीट प्रकोप अन्य अतिवृष्टि, बाढ़ से जो नुकसानी हुई है उसकी जो समय सीमा है, उस समय-सीमा में इसकी नुकसानी नहीं मिल पाती है. मेरे विधान सभा में दो उप तहसील आमडीह एवं पपोंद की घोषणा आज नहीं बहुत पहले माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा कर दी गई थी, किंतु वह आज भी संचालित नहीं हैं. मैं चाहता हूं कि यह तहसीलें संचालित होनी चाहिये और राजस्व अमले में सबसे अधिक तो पटवारी, आरआई दोनों की कमी है इसे भी पूरा किया जाना चाहिये. एक बात मैं और कहना चाहूंगा कि भूमि अधिग्रहण के अंतर्गत जिले में जो मुआवजा जिले की गाइड लाइन के आधार पर दिया जाता है उसकी अधिकतम राशि प्रति एकड़ निर्धारित कर दी जानी चाहिये और उसके अनुसार उसका भुगतान कराया जाना चाहिये. अभी शहडोल लोकसभा चुनाव में कुछ लोगों को क्या, अधिकतर लोगों को सरकार के द्वारा भूस्वामित्व यानी मकान बनाने का अधिकार पत्र दिये गये थे. मैं यह चाहता हूं कि यह अधिकार पत्र तो आपने ठीक दिया है, किंतु अधिकार पत्रों को आप खसरे पर एंट्री कराईये तब तो उनको लगेगा कि यह हमने पाया, उसमें कहीं पर भी किसी खसरे में इसकी एंट्री नहीं है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया. धन्यवाद.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल (वारासिवनी)-- उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का मैं धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में दोनों तहसीलों में पटवारी भी आपने भेजे, आरआई भी भेजे, नायब तहसीलदारों की भी नियुक्ति हुई और तहसीलदार भी हैं और काम ने कुछ गति भी पकड़ी है. कुछ पुराने मामलों का कार्य स्टॉफ आ जाने से ठीक हो रहा है, लेकिन वर्ष 1975-76 से मेरे वारासिवनी नगर पालिका में नजूल निर्धारित हुई. मेरा शहर 60 प्रतिशत नजूल में चला गया, लेकिन आज तक नजूल के पट्टे नहीं दिये गये । कर निर्धारण भी अधिकारियों ने नहीं किया. अधिकारियों के सामने जनता बार-बार आवेदन कर रही है, लेकिन कभी कहा जाता है कि आप वारिस लाओ । अब 40 साल पहले जिसके वारिस मर गये हों वह कहां नरक से या स्वर्ग से वारिस लायेंगे, यह एक मुद्दा है और इसमें जब निर्धारण होना था तब यह 15 से 18 रूपये होना था । आज 3 हजार से 4 हजार रूपये का निर्धारण हो गया. गरीब व्यक्ति कहां से 3 से 4 हजार रूपये लायेगा, यह एक सोचने का विषय है इसमें जो स्थिति निर्मित हो रही है उसमें 1992 के बाद वारासिवनी शहर में नगर पालिका क्षेत्र में एक भी नजूल का पट्टा नहीं दिया गया. हाईकोर्ट बार-बार फैसला दे रही है कि अब नजूल के पट्टे दिये जायेंगे. बार-बार आदेश के बावजूद भी अधिकारियों के कान में जूं नहीं रेंग रही है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा आपके माध्यम से कि वारासिवनी नगर के नजूल मे बसने वाले जो 100-100 सवा-सवा सौ वर्षों से बसे हैं उनको पट्टे दिये जायें, यह मेरा आग्रह है. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, इसके लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती सरस्वती सिंह-- (अनुपस्थित)
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8, 9, 46, और 58 की कटौती के समर्थन में और मांग के विरोध में यहां पर कुछ बोलना चाहता हूं. राजस्व विभाग सबसे महत्वपूर्ण विभाग होता है और यह विभाग ऐसा होता है जिसमें 2 कानून होते हैं, वह कानून ऐसा है कि अगर अधिकारी चाहें तो नामांतरण हो और अधिकारी चाहें तो नामांतरण नहीं हो. कागज वही, व्यक्ति वही, एक दिन मना कर दें और दूसरे दिन वह कैसे हो जाता है यह बात समझ में नहीं आती है । चाहे वह नामांतरण हो, बंटवारा हो, परिसीमन का मामला हो, राजस्व ग्राम घोषित का मामला हो, अतिक्रमण करवाने या रूकवाने का मामला हो, जाति प्रमाण पत्र देना न देने का मामला हो, फसलों का सर्वे का नुकसान का हो या न हो, मकान के गिरने या उसका बाढ़ में जो सर्वे होता है गरीबी रेखा का कूपन जब एक दिन तो मना कर देते हैं कि नहीं बनेगा और दूसरे दिन कैसे बन जाता है ? यह कानून मुझे समझ में नहीं आ रहा. सबसे बड़ी बात है कि जो अतिक्रमण की पेनाल्टी करते हैं, कभी 10 हजार कर देते हैं और कभी 1 हजार में ही मामला निपट जाता है, यह अंदर की बात जो है वह समझ नहीं आ रही है. राजस्व कोर्ट में फैसले बहुत विलंब से होते हैं और इसमें सबसे ज्यादा किसान परेशान होते हैं, राजस्व कोर्ट में जो लगातार तारीखें चलती हैं, तारीख पर तारीख तो इन तारीखों को कम करें जिससे किसानों का भला हो सके. यह स्टे देना या न देना, और इसमें भी यदि कोई कोर्ट से स्टे ले आता है तो राजस्व विभाग माने या न माने यह उनकी मर्जी का फैसला होता है, यह दो कानून राजस्व विभाग में हैं, इनको एक कानून के दायरे में लायें क्योंकि 2 दिन में कानून चेंज कैसे होता है यह बात समझ में नहीं आ रही है. जैसा कि सभी ने कहा है कि हमारे यहां पटवारियों की संख्या कम है । मैं अपने क्षेत्र में आ जाता हूं, हमारे सीतामऊ में 74 हल्के हैं और मात्र 27 पटवारी हैं, श्यामगढ़ में 44 हल्के हैं मात्र 15 पटवारी हैं, सुवासरा में 35 हल्के हैं और 14 पटवारी है. एक गर्दनखेड़ी की घटना है । एक किसान जब अपनी फसल देखने जाता है । उसका नाम है रतन उपाध्याय । वहां उसकी मृत्यु हो जाती है । उसको अस्पताल ले जाते हैं, राजस्व विभाग की टीम जाती है कि भई इसको कोई मुआवजा दिया जाये । वहां पर वह गरीब व्यक्ति यह नहीं समझते हैं कि हमारा पोस्टमार्टम होना चाहिये या नहीं होना चाहिये, पूरे गांव वाले कह रहे हैं कि यह फसल देखने गया और इस किसान की मृत्यु हो गई तो कम से कम मानवता के नाते उसको मुआवजा मिलना चाहिये था यह रिपोर्ट वहां से आना चाहिये थी. हमारे यहां पर कुछ समस्यायें हैं, मंत्री जी मैं आपका ध्यान चाहूंगा 102 व्यक्तियों ने शासन से 102 प्लाट लिये थे । वह हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, नीचे की कोर्ट, सभी कोर्टों से जीत गये और एक तहसीलदार ने कहा कि अगर आप यह काम कर दोगे तो मैं यहां पर नपती करा दूंगा, और वह खानापूर्ति नहीं हुई, वह लेटर कलेक्टर के यहां से पीएस महोदय के यहां आया हुआ है, उनका फैसला अभी तक नहीं हुआ. मेरा निवेदन है कि उसका फैसला जल्द करवायें. बागली, फतेहपुर, चीकली और बडोद के तालाबों का मुआवजा जो जल संसाधन विभाग दे चुका है, उसको तुरंत दें और श्यामगढ़ में रजिस्ट्रार को जरूर बिठायें वहां पर बहुत रजिस्ट्री होती हैं. धन्यवाद.
डॉ. मोहन यादव-- (अनुपस्थित)
उपाध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी.
श्री सतीश मालवीय-- उपाध्यक्ष महोदय, हम लोग भी थे, कम से कम एक-एक मिनट तो दो.
श्री शंकरलाल तिवारी-- मुझे अपने क्षेत्र की एक-दो बातें कहनी थीं मैंने अध्यक्ष महोदय से शुरू में निवेदन किया था.
उपाध्यक्ष महोदय-- आज कार्यसूची में 3 विभाग और हैं, सहयोग करिये, आप लोगों के सहयोग के बिना सदन कैसे चलेगा. दल ने आप लोगों का नाम नहीं दिया है. अगर 1-1 मिनट बोलना हो तो अनुमति दी जाती है.
श्री शंकर लाल तिवारी (सतना)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8 एवं 9 की चर्चा में शामिल होने के लिये खड़ा हुआ हूं. सतना में अरबों रूपये की शासकीय जमीन जो वर्ष 1958-59 की खतौनी में शासकीय थी उसे पिछले समय में और तमाम षड़यंत्र कर कूट रचनायें कर और गड़बड़झाला करके प्राइवेट लोगों के नाम कर दी गई हैं. मैंने इस संबंध में विधान सभा प्रश्न भी लगाये कि भू-माफिया ने यह जमीन कभी अनुसूचित जाति, जनजाति के नाम कराकर के फिर अपने नाम करा ली. यह वर्ष 1958-59 की खतौनी में शासकीय जमीन थी. मंत्री जी ने इसमें जांच के भी निर्देश दिये. सतना में कलेक्टर ने कमेटी भी बनाई, उसमें एक पटवारी पकड़ा गया. मैं चाहता हूं कि अन्य अधिकारी तहसीलदार और जो अन्य लोग हैं उन्हें पकड़ा जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहते हुये कहना चाहता हूं कि सतना शहर में शेख बब्बू के बांध के नाम पर 38 एकड़ जमीन है जो खुर्द-बुर्द की जा रही है, बेची जा रही है. रेवेन्यू बोर्ड का फैसला शासन के पक्ष में आया. खसरे में मध्यप्रदेश शासन दर्ज है. मेरी विधानसभा क्षेत्र मे तालाब और चारागाह पर सतना के दबंग लोगों ने कब्जा कर रखा है उनको खाली कराकर के सार्वजनिक उपयोग में लिया जाये. आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र फूलचन्द्र वर्मा(सोनकच्छ)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8 और 9 का समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं. उपाध्यक्ष महोदय,आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में भोरासा नगर पंचायत है, मुख्यमंत्री जी ने भी बॉयपोल इलेक्शन के समय और उसके बाद भी कहा था कि उसको तहसील का दर्जा देंगे चूंकि मुख्यमंत्री जी ने चुनाव के समय घोषणा की थी इसलिये मुख्यमंत्री जी की घोषणा में वह आ नहीं पाया है. जब मंत्री जी अपना वक्तव्य दें तो मंत्री जी से अपेक्षा करता हूं कि भोरासा को तहसील का दर्जा देने की घोषणा करें. कोई भी राष्ट्रीय बैंक मेरे विधानसभा क्षेत्र के पिपलरावां में नहीं है उसका प्रस्ताव भी राजस्व विभाग से चला जायेगा तो उचित होगा. उपाध्यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया, उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा(जावद) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 8 और 9 के समर्थन में बोलने के लिये मैं खड़़ा हुआ हूं. 5-7 पाईंट बहुत शार्ट में कहना चाहता हूं. मेरी विधानसभा क्षेत्र में 7 नगर पंचायते हैं, सातों नगर पंचायत के 5 से 6 किलोमीटर की आसपास की जमीनों की सेल बिल्कुल बंद हो गई है क्योंकि जो नया नियम है उसमें नगर पंचायत के पास के क्षेत्र के खेती की जमीन बेचने में आगे के फ्रंट रो का जो वेल्यूवेशन करते हैं वह असंभव है इसके कारण काफी अव्यवस्था हो रही है. आधा क्षेत्र ग्रामीण है 6-6 हजार वोट की कुल नगर पंचायत है और उसके पास के 10 गांव में खेतों की कोई भी सेल, बिक्री होना बंद हो गई है, शासन उस पर गंभीरता से ध्यान दे.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा पाईंट यह है कि औसत एक पटवारी के जिम्मे एक नगर पंचायत में 200 से 250 परिवार रहते हैं और 200-300 के खेत होते हैं, अतिक्रमण जब होता है तब वह पटवारी उसको रिकार्ड में क्यों नहीं चढ़ता है और अतिक्रमण भी वही करवाते हैं फिर तोड़ते भी वही हैं और जब अतिक्रमण तोड़ते है तो बड़ी विचित्र स्थिति का हम लोगों को सामना करना पड़ता है. क्यों न उन पटवारियों को उसके बारे में एकाउन्टेबल किया जाये, केवल अथार्टी बिदाउट एकाउन्टेबल्टी, क्या यह सही है. मंत्री जी इस पर विचार करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय-- सखलेचा जी कृपया समाप्त करें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं केवल पाईंट रख रहा हूं. व्याख्या भी नही कर रहा हूं. बहुत तेजी से आदिवासियों की जमीनों का विनिमय और बेचने की अनुमति नीमच में दी जा रही है. मैं विषय रखना चाह रहा था किंतु आपकी अनुमति नहीं है. बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ.कैलाश जाटव(गोटेगांव)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी सदन में गोटेगांव के अनुविभागीय राजस्व अधिकारी की घोषणा की गई थी उसका पालन करा दें और सदन में मंत्री जी ने जो आश्वासन इसके बारे मे दिया था उसको पूरा करा दें. धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार(नीमच) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे नीमच में कृषि मंडी की जमीन राजस्व विभाग की है वह कृषि मंडी को सौंप दें, एक नंबर की मंडी है,उस जमीन को यदि आप सौंप देंगे तो हमारी मंडी का काम प्रारंभ हो जायेगा. इतना ही निवेदन है.
श्री सतीश मालवीय(घट्टिया) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 8 और 9 के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. मेरी विधानसभा क्षेत्र घट्टिया में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के स्थाई कार्यालय की व्यवस्था की जाये. साथ ही मेरा विधानसभा क्षेत्र 3 अनुविभागों में बंटा हुआ है क्षेत्रफल की दृष्टि से बहुत ज्यादा बड़ा है और पटवारियों की बहुत कमी है जितनी भी पटवारियों की कमी है उसकी पूर्ति की जाये. घट्टिया में कम्प्यूटर आपरेटर और बाबू की कमी है, इसकी भी पूर्ति की जाये. साथ ही सीमांकन के लिये जो मशीनों की व्यवस्था की गई है उसकी भी कमी है अगर उसकी भी पूर्ति की जायेगी तो बहुत ज्यादा आसानी रहेगी.एक बात और कहना चाहता हूं कि जिन पटवारियों को प्रोटोकॉल की दृष्टि से कहीं न कहीं ड्यूटी पर लगा दिया जाता है, तो उनको प्रोटोकॉल से दूर रखा जाए, यह भी नियत किया जाए कि राजस्व अधिकारी प्रत्येक हल्के में निर्धारित तारीख के दिन ग्राम पंचायत में बैठकर किसानों से मिले, साथ ही ग्राम पंचायत में अधिकारियों के नंबर, नाम सहित अंकित हो ताकि किसान उनसे मिल सके, बात कर सके, धन्यवाद.
श्री के.के. श्रीवास्तव - माननीय उपाध्यक्ष जी, विधान सभा क्षेत्र घट्टिया नाम राजस्व से संबंधित है, इस विधान सभा क्षेत्र का नाम बदल जाए तो अच्छा होगा.
उपाध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाए.
श्री दिलीप सिंह शेखावत (नागदा खाचरौद) - माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं माननीय मंत्री जी से इतना ही निवेदन करना चाहता हूं कि वर्ष 2004 में नागदा को एसडीएम कार्यालय घोषित किया गया था, एसडीएम भी हैं, लेकिन पद सृजित नहीं है, स्टाफ भी सृजित नहीं है, मंत्री जी यह करवा देंगे तो कृपा होगी.
श्री सतीश मालवीय - मंत्री जी विधान सभा क्षेत्र घट्टिया का नाम भी परिवर्तित किया जाए, के. के. साहब ने मेरी बात रखी इसके लिए मैं उनका धन्यवाद करता हूं.
श्री जितू पटवारी (राऊ)- आदरणीय उपाध्यक्ष जी, मैंने हमारे परिवार के पक्ष एवं विपक्ष के माननीय सदस्यों की सभी बातें सुनी. मैं उपनाम से पटवारी हूं, सभी ने पूरी ताकत से पटवारी को करप्ट कहने की कोशिश की, उपाध्यक्ष जी राजस्व विभाग करप्शन का पर्याय बन गया है, यह बात तो मंत्री जी भी मानते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं, मैं कहता हूं कि वे उनके वक्तव्य में यह स्वीकार भी करें. पटवारियों की अभी हड़ताल चल रही है. मेरे पास 20-25 लोग आए थे, मैंने उनसे पूछा कि आप इतना करप्शन क्यों करते हो, मेरा नाम बदनाम होता है, तो उन्होंने मुझसे जो व्यथा कही, वह मैं मंत्री जी के सामने कहना चाहता हूं उन्होंने कहा कि भैया हमारा वेतन कम है और चार हल्के में आने जाने में ही पेट्रोल में पैसा चला जाता है, जीवन की बाकी गतिविधियां हम कैसे निकाले, उसके बाद तहसीलदार को बिना पैसे दिए सिग्नेचर नहीं होती, आर.आई. को भी देना पड़ता है. फिर मैंने तहसीलदार से पूछा कि ऐसा क्यों तो तहसीलदार कहते हैं कि बिना पैसे दिए मेरी भी नियुक्ति नहीं होती है, मेरा इसमें कोई आरोप नहीं है, आरोप इसलिए नहीं है कि (...व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान - उपाध्यक्ष महोदय, ये हाउस के अंदर अभी आए हैं, सुबह से गायब थे, आप तीन दिन से गायब हैं. आप बिल्कुल असत्य बोल रहे हैं, यहां कहानी सुनाने की जरूरत नहीं है.
श्री जितू पटवारी - उपाध्यक्ष जी, मेरा आपसे अनुरोध यह है और मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है. पटवारी का हल्का तय करना या तहसीलदार की तहसील तय करना रेण्डमली आप लॉटरी सिस्टम से चालू करें तो शायद करप्शन थोड़ा कम हो जाएगा, अन्यथा यह करप्शन का पर्याय है कोई माने या न माने, लेकिन अंतर्रात्मा से सभी मानते हैं, धन्यवाद.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- उपाध्यक्ष महोदय, जाकि रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी. इस विभाग की चर्चा में सर्वश्री आदरणीय गोविन्द सिंह जी, बहादुर सिंह चौहान जी, सुन्दरलाल तिवारी जी, केदारनाथ शुक्ल जी, के.पी. सिंह जी, दुर्गालाल विजय जी, शैलेन्द्र पटेल जी, मुरलीधर पाटीदार जी, सुखेन्द्र सिंह जी, इन्दर सिंह परमार जी,श्रीमती ऊषा चौधरी जी, आर.डी.प्रजापति जी, दिनेश राय जी,श्रीमती शीला त्यागी जी, वैलसिंह भूरिया जी, सौरभ सिंह जी, नारायण सिंह पंवार जी, रामपाल सिंह जी, योगेन्द्र निर्मल जी, हरदीप सिंह डंग जी,शंकरलाल तिवारी जी, राजेन्द्र वर्मा जी, ओमप्रकाश सखलेचा जी, कैलाश जाटव जी, दिलीप सिंह परिहार जी, सतीश मालवीय जी, दिलीप सिंह शेखावत जी और जो सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं जितू पटवारी जी, मैं इन सभी माननीय सदस्यों का हृदय से धन्यवाद करता हूं. अनेक सुझाव आये हैं. आदरणीय तिवारी जी ने ऐसा सारा माहौल खड़ा करने की कोशिश की कि न जाने क्या फर्जी..
डॉ. गोविन्द सिंह -- मंत्री जी, हमने आपकी आलोचना की, फिर भी आप धन्यवाद दे रहे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- जी, निन्दक नियरे राखिये आंगन कुटि छबाये, मैं तो इस बात को मानता हूं. के.पी. सिंह साहब, अभी आप एक प्रश्न कर रहे थे कि गोविन्द सिंह जी को क्या हो गया है, जब से मैं भिण्ड का प्रभारी मंत्री बना हूं, तब से थोड़ी दिक्कत हो गई है. वैसे तो गोविन्द सिंह जी मेरे प्रशंसक और मार्गदर्शन रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, तिवारी जी ने ऐसा कहा, जैसे ऐसा लगा सब न जाने फर्जीवाड़ा हो गया है, अब जिसको जिस बात की समझ नहीं हो, उसको उस पर नहीं बोलना चाहिये. हमको बहुत सी बातों की समझ नहीं है, हम उस पर नहीं बोलते. अब एकाउंट्स, आंकड़े के मामले हैं, अब इसमें जिसको समझ हो, वही बोले तो ज्यादा ठीक होता है. कितना केंद्रांश है, कितना राज्यांश है, कहां राज्यांश दिखाया जायेगा, कहां केंद्रांश दिखाया जायेगा, इसका कुछ हिसाब कितना नहीं लगाकर जरा कहीं दिखा और उस पर एक वाह-वाही लूटने के लिये कुछ न कुछ बोलने के लिये बोलना किसी वरिष्ठ सदस्य को जो संसद सदस्य भी रहा हो, मुझे लगता है कि शायद शोभा नहीं देता. तिवारी जी, सारे आंकड़े सही हैं और आप बाद में भी कहेंगे, तो वह सारे प्रमाण आपको दे दिये जायेंगे. (श्री सुन्दरलाल तिवारी, सदस्य के खड़े होने पर) कृपया आप बैठ जायें. मैं 921 का भी बात दूंगा, कागज है, हां यह अभी आप ले जाओ.
उपाध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, आप बैठ जायें.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- उपाध्यक्ष महोदय, 2016-17 में एक सबसे बड़ा काम इस सदन ने जो किया है, मध्यप्रदेश भू-स्वामी एवं बंटईदार के हितों का संरक्षण विधेयक,2016, मुझे लगता है कि हिन्दुस्तान में पहली बार हमने यह पास करके भेजा है और हमें उम्मीद है कि बहुत जल्दी इसको स्वीकृति मिलेगी, क्योंकि अभी तो भू-स्वामी जो बंटाई पर या लगान पर या विभिन्न नामों से जमीन को किसी को करने के लिये देता है, वह भी संशय में रहता है और जो जमीन लेता है, वह भी संशय में रहता है. उन दोनों के अधिकारों को सुनिश्चित करने वाला विधेयक हिन्दुस्तान में पहली बार इस विधान सभा ने पारित करके भेजा है तथा हमें उम्मीद है कि बहुत जल्दी केंद्र से इसकी अनुमति मिलेगी और यह संशय दूर हो जायेगा. एक बहुत बड़ा जो काम है, इसका उल्लेख अनेक सदस्यों ने भी किया है कि आरसीएमएस परियोजना, जिस पर हर जिले में काम शुरु हो गया है. इसके अंतर्गत सभी तरह के राजस्व प्रकरण चाहे नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, कोई विवाद हो, अतिक्रमण के मामले, वृक्ष काटने की अनुमति, नोइयत परिवर्तन का काम, डायवर्शन, वसूली का मालमा, नक्शा सुधार का मामला, कोटवार या पटेल की नियुक्ति का मामला हो, अब यह आवेदन कोई व्यक्ति चाहे तो घर बैठकर अपने लेपटॉप या कम्प्यूटर से कर सकेगा, यह व्यवस्था लागू हो गई है. इसके अलावा वह चाहे अगर उसके पास कम्प्यूटर नहीं है, लोक सेवा केंद्र में जाकर के कर दे, एमपी ऑन लाइन पर जाकर कर दे या कोई डायरेक्ट दफ्तर में जो अभी पद्धति है, वैसी जाकर दे, यह चार व्यवस्था हमने इस बार की है, ताकि यह समस्या नही आये कि हमारा आवेदन नहीं है और रजिस्ट्रेशन का नम्बर उसको तत्काल मिल जायेगा और उस वेब साइट पर उस रजिस्ट्रेशन नम्बर के आधार पर अपने प्रकरण की क्या स्थिति है, वह घर बैठकर देख सकता है. मैं सोचता हूं कि यह व्यवस्था मध्यप्रदेश ने पहली बार देश में की है. यह सब जिलों में लागू हो गई है. अगर आवेदक ने अपना मोबाइल नम्बर दिया है और उसके वकील का मोबाइल नम्बर है तो उसकी पेशी दिनांक वह वेबसाइट पर जाकर देख सकता है, लेकिन अब हम उसके मोबाइल नम्बर पर एस.एम.एस. से भी पेशी की तारीख सूचित करेंगे ताकि प्रकरण पेण्डिंग पड़ा है, उसमें तारीख नहीं लग रही है, कहां कितना विलम्ब हो रहा है, यह घर बैठकर देखा जा सकता है और उसकी मॉनीटरिंग भी हो सकती है. अभी कलेक्टर-कमिश्नर कान्फ्रेस में माननीय मुख्यमंत्री जी ने निश्चय किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे राजस्व विभाग के जो अधिकारी हैं, इन पर काम इतना हो गया है कि कई बार राजस्व के काम पीछे छूट जाते हैं, अभी पटवारी, आर.आई., तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार हैं. अभी बहुत से सदस्यों ने जैसे कहा कि गरीब रेखा का कार्ड बनाना, प्रोटोकॉल है, अन्य विभागों के सोशल सर्विसेस के काम हैं, आधार, इन कामों में पटवारी, नायब तहसीलदार और तहसीलदार ही लगे होते हैं, लेकिन हमने कहा है कि यह मूल काम नहीं छोड़ा जाये. कलेक्टर को कहा है कि वह प्रत्येक सोमवार तथा अपर कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी, तहसील अधिकारी एवं नायब तहसीलदार ये सप्ताह में 3 दिन राजस्व न्यायालय लगाकर बैठेंगे और प्रकरणों का निपटारा करेंगे. किसी माननीय सदस्य ने सुझाव दिया था कि राजस्व निरीक्षक और पटवारी इसके लिए भी हम तय कर रहे हैं कि तहसील मुख्यालय में सप्ताह में एक दिन और जो उनका मुख्यालय गांव है, जहां साधारणत: हाट बाजार लगता है तो उस दिन वह मुख्यालय पर अनिवार्य रूप से बैठें, हम इस व्यवस्था को सुनिश्चित कर रहे हैं. लोक सेवा प्रदाय गारण्टी अधिनियम में 16 सेवाएं ली हैं और इनमें जो इसका पालन नहीं करते, उन पर जुर्माना भी हो रहा है और अब हमने डायवर्शन के मामलों को भी लोक सेवा प्रदाय गारण्टी अधिनियम में ले लिया है. अगर एक निश्चित समय सीमा में डायवर्शन नहीं करेगा तो अधिकारी को भी जुर्माना भरना पड़ेगा. एक बहुत बड़ी समस्या अनेक माननीय सदस्यों ने इस सदन में उठाई है, आबादी क्षेत्र के भूखण्डधारकों को प्रमाण-पत्र, हमने यह शुरू कर दिया है और करीब 54,088 आबादी पट्टे अभी तक 14,56,451 भूखण्डधारकों के प्रमाण-पत्र विभाग ने जारी किये हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, नायब तहसीलदार और तहसीलदार की कमी है, मैं इसको स्वीकार करता हूँ. तहसीलदार का पद चूँकि प्रमोशन का है और इसलिए हम तैयारी होने के बाद भी नहीं कर पा रहे हैं. हमने अब तय किया है कि जो वरिष्ठ नायब तहसीलदार हैं, जिनके प्रमोशन संभावित हैं, हमने केबिनेट में 5 साल की समय सीमा को घटाकर 3 साल किया है ताकि हमें तहसीलदार मिल जाएं. जो वरिष्ठ नायब तहसीलदार उपलब्ध हैं, उनको हम तहसीलदार का चार्ज देकर पदस्थ करेंगे और तहसीलदार उपलब्ध नहीं हो रहे हैं तो हम इस पर विचार कर रहे हैं कि क्या कुछ तहसीलदारों के पद सीधी भर्ती से भरकर उस कमी को पूरा कर लें ?
उपाध्यक्ष महोदय, हम नायब तहसीलदार के केडर का भी रिवीजन कर रहे हैं. जैसे पटवारियों के करीब अब 7,000 हल्के बढ़ा दिए हैं क्योंकि हल्के बड़े-बड़े हैं और वह पद भी केबिनेट से स्वीकृत हो गए हैं. पहले के कुछ पद खाली हैं और ऐसे मिलाकर करीब 9,200 पटवारियों की भर्ती की प्रक्रिया हम बहुत जल्दी शुरू कर रहे हैं और यह जो हमने केडर रिवीजन का प्रस्ताव बनाया है, इसमें 911 नायब तहसीलदार के अतिरिक्त पद स्वीकृत कराने की कोशिश कर रहे हैं. मैंने जैसा बताया कि पदोन्नति के लिये 5 वर्ष नायब तहसीलदार का अनुभव या एस.एल.आर. चाहिए, वे हमें नहीं मिल रहे थे इसलिए वन टाइम छूट केबिनेट ने दी है और हम 3 वर्ष की सेवा वालों को भी प्रमोशन देंगे. इससे हमारे 149 नायब तहसीलदार, तहसीलदार बन जायेंगे और जो 36 सहायक अधीक्षक, भू-अभिलेख के हैं, उनकी पूर्ति हो जायेगी. हम नायब तहसीलदार पद सीधे भर सकते हैं. इस वर्ष हमने पी.एस.सी. से चयनित 149 नायब तहसीलदार के पद भरे हैं और 36 सहायक अधीक्षक, भू-अभिलेख के पदों पर हमने नियुक्ति की है. हमने डी-सेंट्रलाइजेशन का बड़ा
कई बार सरकारी विभाग को ही जमीन देने के प्रकरण यहां पर आते थे और उसके कारण काफी समय लगता था. जिले में शासकीय विभाग को अगर शासकीय भूमि देनी है तो कलेक्टर दे सकेंगे. जो संभाग केन्द्र हैं वहां आयुक्त की अनुमति से कलेक्टर वहीं की वहीं जमीन दे देंगे. अब भोपाल में सारे प्रकरण आने की जरूरत नहीं है और उसके कारण मुझे लगता है कि जो बहुत से मामले डिले होते थे वह अब डिले नहीं होंगे. हमने तय किया है मध्यप्रदेश राज्य के युद्ध अथवा आतंकवादियों से मुठभेड़ में अभी तक केवल सेना के जवानों को सुविधा मिलती थी, लेकिन इस बार हमने यह निर्णय किया है अब अर्द्धसैनिक बलों के शहीदों को भी, उनके आश्रितों को भी, उनके गृह जिले में आवासीय प्लॉट हम उपलब्ध कराएंगे. पंचायतों को नामांतरण देने की बात आई थी. इसे कई माननीय सदस्यों ने उठाया था. जून 2016 से यह अधिकार पंचायतों को दे दिए गए हैं कि जो अविवादित नामांतरण हैं वह पंचायत कर सके, और अगर नहीं कर रही है तो करवाना पड़ेंगे. यह आदेश निकले जा चुके हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- राजस्व विभाग का रिकार्ड है वह पंचायत को तो पहुंचे.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- रिकार्ड की जरूरत नहीं है. नामांतरण करके भेज दें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- पंचायत में तो आ ही नहीं रहे हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- पंचायत नहीं कर रही है तो पंचायत मंत्री जी से बात करेंगे.
श्री के.के. सिंह-- पटवारी पंचायतों की सुनते ही नहीं हैं. पंजी भरकर आते ही नहीं हैं, यही समस्या है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- उपाध्यक्ष महोदय, इसको भी हमने लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम में ले लिया है कि पंचायत जिस दिन यह नामांतरण के प्रस्ताव हमें भेजेगी उसकी निश्चित समय सीमा में वह नामांतरण करना मजबूरी होगा. किसी पटवारी के पास जाने की जरूरत नहीं है. ऑन लाइन पंचायत यह कह देगी कि हमने नामांतरण किए हैं उसमें हमारे यहां किसी अधिकारी को अक्ल लगाने की जरूरत नहीं है. वह नामांतरण हो जाएंगे और कहीं नहीं होंगे, तो कार्यवाही करेंगे. आप सब जानते हैं कि बहुत सी विसंगतियां हैं. जैसे केदारनाथ शुक्ला जी ने विंध्य का मामला उठाया था. क्योंकि जब मध्यप्रदेश बना विभिन्न स्टेट के, ग्वालियर स्टेट और इन सबको ठीक करने के लिए विशेषकर भूदान की जमीन का लफड़ा और वन राजस्व के पट्टे दिए गए. बाद में यह वन भूमि घोषित हो गई. इस पर सुझाव देने के लिए, निराकरण करने के लिए हमने भू-सुधार आयोग का गठन किया है. आयोग ने काम करना भी शुरू कर दिया है. भूदान से संबंधित जमीनों के मामले की रिपोर्ट भी आयोग के अध्यक्ष हमारे रिटायर्ड ए.सी.एस. दाणी जी ने शासन को सौंप दी है. हम उनके सुझावों पर करने लायक काम शीघ्र करेंगे. प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़े इसलिए हमने अनेक केन्द्रीय संस्थानों को भी जमीन उपलब्ध कराई है. उसमें डी.आर.डी.ओ. को मुरैना में और उन्होंने कहा है कि हम एक सैनिक स्कूल भी खोलेंगे. हमने जमीन उपलब्ध कराई है ऐसे ही दमोह में जमीन उपलब्ध कराई है. भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस बल को भी और निश्चित ही उससे उस क्षेत्र का विकास होगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. इस वर्ष हमने एक रिकार्ड काम किया है . अनेक सदस्य यह बात उठा रहे थे कि मंडी को जगह नहीं मिल रही है. वहां प्रकरण पेंडिग पडे हैं. करीब 170 प्रकरण ऐसे लंबित थे. हमने 170 प्रकरण चाहे उसमें नेशनल थर्मल पॉवर वाला मामला हो, रेलवे का रक्षा संस्थान का, हाउसिंग बोर्ड का, नेशनल हाइवे का, नगरीय निकाय का, मंडी के 170 मामलों का निराकरण करके उनको जमीन का आवंटन दो तीन महीने में कर दिया जाए, हमने यह आदेश कर दिए हैं. सी.एम. हेल्पलाइन में भी जो शिकायतें प्राप्त होती हैं. हमें फरवरी 2017 तक 3 लाख 24 हजार 42 आवेदन मिले थे. इनमें से 3 लाख 10 हजार 732 आवेदनों का निराकरण किया जा चुका है. किसानों के भू-अभिलेख की समस्या आई थी कि रिकार्ड, खसरा, नक्शा हम 32 जिलों में तो कम्प्यूटराइज्ड दे रहे हैं उसमें समस्याएं हैं. कुछ समस्याएं बताई हैं उसके लिए कुछ स्तरीय कमेटी भी बनाई है. दो बार हम कमेटी के साथ भी बैठ चुके हैं और बहुत जल्दी उन समस्याओं को मैं स्वीकार करता हूं. लेकिन आप हम जानते हैं कि इस प्रकार की कोई नई व्यवस्था जब शुरू होती है एकदम फुल प्रूफ नहीं हो सकती. कुछ न कुछ समस्याएं आती हैं और कई बार जानबूझकर भी इस सिस्टम को लोग सफल नहीं होने देना चाहते हैं. इन सारी परिस्थितियों में और त्रुटियों में सुधार करेंगे. इसमें एक सुधार हम और कर रहे हैं, अभी इस व्यवस्था में भी किसानों को काउंटर पर जाना पड़ता है वहां लाइन में लगते हैं और 30 रुपए देते हैं. हम ऑनलाइन पेमेंट से भी नकल प्राप्त करने की व्यवस्था बहुत जल्दी लागू कर रहे हैं फिर पैसा जमा करने के लिए काउंटर पर जाने की जरुरत नहीं होगी. इसी कंपनी के द्वारा स्मार्ट कार्ड प्रदान करने की भी हमारी योजना है. हर किसान को उसके भू-अधिकार, ऋण पुस्तिका के स्थान पर स्मार्ट कार्ड देंगे. अभी बाकी जिलों में एनआईसी सेंटर से हम खसरा नकल दे रहे हैं. नक्शों का डिजिटलाइजेशन भी हम तेजी से कर रहे हैं. जो रिमोट सेंसिंग इमेजरी इंटरनेशनल सेंटर, हैदराबाद है उससे 28 जिलों की इमेज प्राप्त हो चुकी है, उस पर काम कर रहे हैं. शेष जिलों की भी प्राप्त करने की हम कोशिश कर रहे हैं. पूरे प्रदेश के डिजीटल नक्शे हमारे पास उपलब्ध हो जाएंगे इन नक्शों का अन्य विभागों में भी प्लानिंग करने में भी फायदा मिलेगा. कई गांव नक्शा विहीन थे उनमें हमने काम किया है. 1200 ग्राम ऐसे थे इसमें से 1169 के नक्शे हमने बना लिए हैं केवल 31 गांव रह गए हैं जिनके नक्शे अभी नहीं हैं वह भी इस वर्ष पूरे कर लेंगे. कोई गांव ऐसा नहीं रहने देंगे जिसका हमारे रिकार्ड में नक्शा न हो. इसी प्रकार से नक्शे की जो सीट थीं करीब 3511 जीर्णशीर्ण थीं उनमें से 2919 सीटों का नया निर्माण कर लिया है. कुल 592 सीटें रह गई हैं जो कि जीर्णशीर्ण हैं उनको भी इस वर्ष में हम पूरा कर देंगे. मजरे टोले की बात आई है. 666 मजरे टोले के जो प्रस्ताव थे उसमें से 548 को राजस्व ग्राम बनाया जा चुका है और 111 मजरे-टोलों का प्रस्ताव है उसको जल्दी पूरा कर लेंगे. मजरे को राजस्व ग्राम बनाने में कुछ समस्या आ रही है इसकी जो शर्तें हैं उसके सरलीकरण के बारे में हम विचार कर रहे हैं, और अधिक राजस्व ग्राम हम कैसे बनाएं ताकि किसी सुविधा से वे वंचित न रहें. चाहे वह प्रधानमंत्री सड़क हो, साइकिल वितरण हो या अन्य सुविधा हो. सीमांकन की जो समस्या रहती थी अब हमने सीमांकन ईटीएस मशीन से करना शुरु किया है इस बार करीब 15198 सीमांकन ईटीएस मशीन से हुए हैं. हम मशीनों की संख्या भी बढ़ा रहे हैं इस बार करीब 100-125 मशीनें हमें बजट में मिली हैं. हम इस सदन से आग्रह करेंगे और भी हमें मशीनें मिल जाएंगी ताकि सीमांकन का पूरा काम इस मशीन से हम कर सकें. मीनारों के कंट्रोल पाइंट की बहुत समस्या थी सीमांकन के लिए यह बहुत जरुरी है. मैं बड़ी प्रसन्नता के साथ इस सदन को बता सकता हूँ. हमने सभी 51 जिलों में कंट्रोल पाइंट स्थापना का काम पूरा कर लिया है कहीं यह समस्या नहीं बची है. 9106 पटवारियों की भर्ती हम कर रहे हैं. राहत राशि में बड़ी बढ़ोतरी की गई है. कुम्हारों को ईंट, भट्टी, मिट्टी में 3 हजार रुपए मिलता था उसको 10 हजार रुपए किया है. अग्नि या बाढ़ से हुए नुकसान में छोटे दुकानदारों को 6 हजार रुपए मिलता था उसको 12 हजार रुपए किया. सर्प, गोहेरा या अन्य जहरीले जंतु के काटने से अथवा बस या अन्य अधिकृत अन-पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नदी में गिरने, पहाड़ी आदि से गिरने से मृत व्यक्तियों को अभी तक 50 हजार रुपए मिलता था. इसको बढ़ाकर 4 लाख रुपए कर दिया है. यह बात आई थी कि यह राशि मिलने में देर होती है. हमने अब ग्लोबल बजट कर दिया है अब यह स्वीकृति के लिए हमारे पास नहीं आएगा. ऐसी घटनाओं में जो मुआवजा देना है, कलेक्टर तत्काल वहीं ड्रा करके दे देगा. यह बजट अब निकलना भी शुरु हो गया है. हमने बजट का ग्लोबलाईजेशन कर दिया है और राशि निकलना भी शुरू हो गई है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्राकृतिक प्रकोप से निजी कूप, नलकूप टूट जायें या धंस जायें तो 6 हजार की जगह अब 25 हजार मुआवजा हमने कर दिया है. इसी प्रकार आग अथवा अन्य प्राकृतिक आपदाओं से कृषक की बैलगाड़ी या अन्य कृषि उपकरणों के नष्ट होने पर पहले 4 हजार रूपये का मुआवजा मिलता था, जिसे हमने बढ़ाकर 10 हजार रूपये कर दिया है. पिछले वर्ष भी हमने काफी राशि बांटी थी और इस वर्ष भी जहां ओले गिरने से नुकसान हुआ था वहां 151.17 करोड़ की राशि वितरित की गई है. वर्ष 2016-17 में विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के लिए 1 हजार 35 करोड़ 46 लाख 68 हजार रूपये की राशि विभिन्न जिलों हेतु उपलब्ध कराई गई है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शासकीय प्रेस भी मेरे ही अंतर्गत आती है. इसके बारे में मैं केवल एक-दो लाईन कहना चाहूंगा. हम प्रेस को आधुनिक करने का प्रयास कर रहे हैं. जितने स्टाफ की आवश्यकता है, केवल उतना ही स्टाफ रख रहे हैं और जहां जरूरत नहीं है, उन पदों को हम समाप्त कर रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे पास विज्ञान और टेक्नालाजी विभाग भी है. इसके बारे में भी मैं कहना चाहूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, कृपया संक्षेप में कहें.
श्री उमाशंकर गुप्ता- महोदय, मैं संक्षेप में ही कहूंगा. मध्यप्रदेश ने आई.टी. के क्षेत्र में काफी काम किया है. इसके परिणामस्वरूप हमारे एम.पी.ऑनलाईन सिस्टम को कई अन्य राज्यों ने भी अपनाया है और देश में हमें अपने इस सिस्टम के लिए काफी सम्मान भी मिला है. मध्यप्रदेश, देश का एक ऐसा राज्य बन गया है, जहां इसके दो बड़े शहरों भोपाल और जबलपुर में इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर्स का निर्माण किया जा रहा है. जिससे कि हम आई.टी. के क्षेत्र में काम कर सकेंगे. भोपाल में 50 एकड़ में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सेंटर और जबलपुर में 25 एकड़ में यह सेंटर बनाया जा रहा है. इनके प्लॉट बुक किए जा चुके हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में निवेश एवं रोजगार को प्राथमिकता प्रदान करते हुए रोजगारोन्मुखी '' म.प्र. आईटी, आईटीईएस एवं ईएसडीएम निवेश प्रोत्साहन नीति-2016'' जारी की गई है. जिसमें निजी भूमि पर आईटी निवेश क्षेत्र स्थापित करने के प्रावधान किये गये हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम सी.पी.सी.टी. टेस्ट आयोजित कर रहे हैं. राज्य में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की मैप-आई.टी., भारत की ऐसी पहली संस्था है जिसका शासकीय वेबसाईट की गुणवत्ता की पहचान के लिए भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित Cert-In इम्पेनलमेंट किया गया है. यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. ऐसे कई कामों में हमारा स्टेट डाटा सेंटर बहुत ही सुदृढ़ है और इसमें 26 विभागों के 317 एप्लीकेशन्स संधारित किए जा रहे हैं. यह काम निरंतर जारी है. इसमें कभी कोई परेशानी खड़ी होने की स्थिति से बचने के लिए हमने इसका एक रिकवरी सेंटर दिल्ली में स्थापित किया है. यह डिजास्टर रिकवरी सेंटर हम दिल्ली में स्थापित कर चुके हैं. इसे ISO : 27001-13 Certification प्रदाय किया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश की जनता को विभिन्न योजनाओं की जानकारी मोबाईल पर एसएमएस SMS के माध्यम से दी जा रही है. अब तक इस प्रणाली का उपयोग करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में 58 करोड़ विभिन्न विभागों से एसएमएस SMS देने की सुविधा हमने प्रदान की है. चूंकि समय की कमी है इसलिए मैं अपनी बाकी की बातों पर विराम लगा रहा हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, डबरा शुगर मिल हमने अभी किसी को नहीं दी है. मैं बताना चाहता हूं कि यह सीलिंग की अतिशेष भूमि है. सागर की भूमि के प्रश्न पर भी बहुत बहस हुई है. कलेक्टर ने इसे रोका है. हाईकोर्ट में आज इस प्रकरण की पेशी थी. वहां भी हम इसे ठीक ढंग से रख रहे हैं. सरकारी जमीन को हम कहीं नहीं जाने देंगे. शायद के.पी.सिंह जी ने सदन में कहा था कि डायवर्सन ऑटोमैटिक हो जाए इसकी व्यवस्था की जानी चाहिए. इसे हम कर रहे हैं. इसके लिए क्या कानून बनाया जा सकता है, इस पर हम कार्य कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, राजस्व मण्डल के बारे में बात हुई है. माननीय गोविन्द सिंह जी पक्ष में भी बोले हैं. बाकी सदस्य विपक्ष में भी बोले हैं. इसका हम परीक्षण करा रहे हैं. इसकी उपयोगिता, इसको बंद करना है, ऐसा अभी टारगेट नहीं है. लेकिन अगर गड़बड़ियाँ हैं और इसको ठीक करना है तो कैसे ठीक करना है और अगर बंद करना ही विकल्प है तो इसके काम का विकल्प क्या होगा? इस सब में भू-सुधार आयोग हमें परीक्षण करके विभिन्न राज्यों की स्थिति देखकर इसमें सुझाव देगा उसके हिसाब से हम निर्णय लेते है.
उपाध्यक्ष महोदय, एक बात उठाई गई थी कि त्रुटियों के लिए ग्वालियर तक सुधार के लिए, ये जो कोई कर रहा है तो गलत कर रहा है, ऐसा आदेश नहीं है और शासन से हो गई है तो उसके लिए तहसीलदार अपने स्तर पर करेगा और इसको हम सुनिश्चित करेंगे और उसके लिए अगर शासन के स्तर पर कम्प्यूटराइजेशन में कोई गलती हुई है तो किसान को आवेदन देने की जरुरत नहीं है. अगर जानकारी में आता है तो ये सो-मोटो लिया जाना चाहिए और यह जो कहा है कि बाहर जाता है तो इसको और हम निर्देश जारी करेंगे.
श्री के.पी.सिंह-- किसान सिर्फ साधारण आवेदन लगा दे, बस इतना काफी है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- बिल्कुल उतना ही करेंगे. ..(व्यवधान)..अगर है तो इसको ठीक करेंगे. निर्देश भी जारी करेंगे और इसमें केवल इतना है कि कोई अधिकारी शासकीय जमीन को निजी न कर दे इसलिए केवल इसमें हमने कहा है कि अगर इसको निजी किया जा रहा है तो कलेक्टर की अनुमति के बिना कोई नीचे का अधिकारी इसको नहीं कर पाएगा और सीएलआर, ग्वालियर का ऐसा कोई प्रकरण आज तक अनुमति के लिए नहीं आया है और अगर कोई भेजता है तो हम उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे. ..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय, पटवारी के जो अतिरिक्त हलके हम दे रहे हैं. जैसा मैंने कहा कि हम भर्ती कर रहे हैं. फिर यह स्थिति बनेगी ही नहीं. लेकिन अगर कहीं देना पड़ेगा तो हम उसको..(व्यवधान)..बढ़ा हुआ मानदेय कैसे दे सकते हैं ..(व्यवधान)..प्रस्ताव भेजा है. उस पर बात करेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- मंत्री जी, इसका (हाथ में किताब दिखाते हुए) जवाब दे दीजिएगा जो हमने उठाया था.
श्री प्रदीप अग्रवाल-- माननीय मंत्री जी, इसमें एक बहुत बड़ी विसंगति है पटवारियों ने कम्प्यूटर में गलत फीड किया है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- लिख कर दे दें. पटवारियों की भर्ती में हम उनकी योग्यता प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम में बदलाव कर रहे हैं और अब जो पटवारी के नवीन पद भरे जाएँगे वह हम राज्य कैडर के भरेंगे. जो पुराने पटवारी काम कर रहे हैं, वे जिला कैडर के ही यथावत रहेंगे. अभी तक पटवारी की पदोन्नति परीक्षा के अलावा नहीं होती उनकी वरिष्ठता के आधार पर, हम उस पद्धति को भी लागू कर रहे हैं कि पटवारी की सीनियरटी के हिसाब से भी उनके प्रमोशन होना चाहिए नहीं तो कई बार पटवारी के पद पर ही वे रिटायर हो जाते हैं. इसको हम कर रहे हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, जवाब नहीं आया.
श्री लाल सिंह आर्य-- उपाध्यक्ष महोदय, हमारे एक पत्रकार हैं सरमन नगेले जी उनकी किताब "डिजिटल मध्यप्रदेश" तोक्यो में रिलीज हुई. इसको एशिया उत्पादकता संगठन के महासचिव ने भारत के डिजिटल परिदृश्य को समझने के लिए बढ़िया बताया है.
उपाध्यक्ष महोदय-- मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूँगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 8,9 46 तथा 58 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किए जाएँ.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं, मांगों पर मत लूँगा.
जेल मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करती हॅूं कि 31 मार्च, 2018 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को-
अनुदान संख्या - 5 जेल के लिए दो सौ सतानवे करोड़,
छत्तीस लाख, सत्ताइस हजार रूपये,
तथा
अनुदान संख्या - 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के लिए तीन हजार एक सौ अठहत्तर करोड़, उनतीस लाख, तीन हजार रूपये
तक की राशि दी जाय.
उपाध्यक्ष महोदय :- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
उपाध्यक्ष महोदय - अब, इन मांगों पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने हेतु सहमति देंगे, उनके ही कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जायेंगे.
मांग संख्या - 5 - जेल
क्रमांक
श्री दिनेश राय (मुनमुन) 1
डॉ.गोविन्द सिंह 4
श्री मुकेश नायक 5
श्री आरिफ अकील 8
श्री शैलेन्द्र पटेल 9
मांग संख्या - 20 - लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी
क्रमांक
श्री दिनेश राय (मुनमुन) 1
श्री सचिन यादव 3
श्री कमलेश्वर पटेल 4
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया 5
कुंवर विक्रम सिंह 6
श्री नीलेश अवस्थी 7
श्री सुखेन्द्र सिंह 8
श्री सुन्दरलाल सिंह तिवारी 10
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को 11
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी) 12
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर 15
श्री आरिफ अकील 18
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री मुकेश नायक (पवई) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बहुत संक्षिप्त में जेल विभाग के बारे में मुझे कहना है. जेल विभाग लोगों की सजा काटने का केन्द्र तो है ही, इसके साथ-साथ जो जेल विभाग है यह व्यक्ति में परिवर्तन की यात्रा, उसके भीतर अपराध-बोध का जागरण, पश्चाताप की भावना और भविष्य को लेकर एक अच्छे इंसान बनने की यात्रा को अपने भीतर संजोकर रखता है. संयोग ऐसा रहा कि भोपाल की जेल में छोटी-मोटी अनदेखी की वजह से एक बड़ी घटना हो गई और बड़े दुर्धर्ष आतंकवादियों को जेल से भागने का अवसर मिल गया. यह प्रशासनिक सतर्कता के कारण एनकाउंटर हुआ और सिमी के आतंकवादी मारे गए. जब आतंकवादी भागे और मारे गए, तब जेल विभाग की एक-एक परतें जनता के सामने खुलना शुरू हुईं. यह भी चर्चा हुई कि अलग-अलग सेक्टर में बंद थे. बाहर भी ताला था, अंदर भी ताला था. अंदर से ताला खुल नहीं सकता. यह भी चर्चा हुई कि पुरानी रोटियां इकट्टी करके कैदियों ने ईंधन बना लिया. उनको जलाकर, सुखाकर टूथब्रश बनाकर पिघलाकर चाबियॉं बना लीं और ताले खोलकर ये आतंकवादी जेल तोड़कर चले गए. यह भी चर्चा में आया कि निगरानी के लिए क्लोज़ सर्किट टेलीविजन थे, वह बंद पडे़ थे. दीपावली का दिन होने के कारण अधिकांश जिम्मेदार अधिकारी छुट्टी पर थे और सुरक्षा के लिए, सतर्कता के लिए जितना पर्याप्त पुलिस बल होना चाहिए, वह उस दिन जेल में मौजूद नहीं था. यह भी चर्चा हुई कि उसके बाद कि जेल के प्रहरी बडे़-बड़े अधिकारियों के घरों में, बगीचों में घास छीलते रहते हैं. उनके किचन गार्डन में काम करते हैं.
4.25 बजे {सभापति महोदय (श्रीमती नीना विक्रम वर्मा) पीठासीन हुई}
श्री मुकेश नायक -....बच्चों को स्कूल ले जाते हैं. उनकी गाड़ियाँ चलाते हैं. तरह-तरह की बातें हुई और जिसके कारण जो अमला जेल की सुरक्षा में रहना चाहिए उसमें कमी आई और इसके चलते वह सारे कारण मिलाकर आतंकवादी जेल से फरार हो गये. जब आतंकवादी जेल से फरार हुए. उसके बाद मध्यप्रदेश के सारे जेल एक व्यक्ति के जीवन में, अपराधियों के जीवन में अपराध बोध, आत्मग्लानि और परिवर्तन की यात्रा तो दूर मध्यप्रदेश के सारे के सारे जेल आज गहन प्रताड़ना के केंद्र बन चुके हैं. पहले जेलों में उपदेशक का एक पद होता था वह ह्रदय परिवर्तन के लिए जेल के बंदियों को उपदेश देता था. जितने एनजीओ महाराष्ट्र में, दिल्ली में और दूसरे राज्यों में जेलों में काम करते हैं उसकी तुलना में मध्यप्रदेश के जेलों में लगभग नणग्य हस्तक्षेप एनजीओज का है. स्किल डेवलपमेंट के लिए, कौशल विकास के लिए एनजीओ जो छोटी-मोटी चीजें कैदियों को सिखाते हैं उसका भी स्कोप मध्यप्रदेश में बहुत कम है और महाराष्ट्र की जेलों में तो नियमित क्लासेस होती हैं. उनका शेड्यूल होता है, टाइम-टेबल होता है और राज्य की परीक्षाओं के साथ विश्वविद्यालयों में, स्कूलों में उनके कैदी परीक्षा भी देते हैं.
सभापति महोदया, सबसे बड़ी बात यह है कि जो मातायें जेल में चली जाती हैं, उनके बच्चे जो उनके साथ जेल के अंदर चले जाते हैं, उनकी बहुत दुर्दशा जेल के अंदर होती है. महिला कैदियो को लेकर भी तरह-तरह की बातें जेल के अंदर होती हैं. आज मध्यप्रदेश की जेलों की यह हालत है कि एक जेल में अगर 200 कैदी रखने की व्यवस्था है तो उस जेल में 300, 400 कैदी रह रहे हैं. रायसेन में एक जेल बना है. दूसरे कई जिलों में जेल हैं, कोई दरवाजा निकाल कर ले जा रहा है, कोई खिड़की निकाल कर ले जा रहा है, इतना बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर अनुपयोगी पड़ा हुआ है तो मंत्री महोदया से मेरा निवेदन है कि सुचारू रूप से इन सारी चीजों की एकीकृत व्यवस्था करें और जेल में जो प्रताड़ना के केंद्र बन गये हैं इसको सुधार और ह्रदय परिवर्तन के साथ जोड़कर सुरक्षा को भी ठीक करें. कैदियों को वहाँ रहने हेतु उचित वातावरण दें और जो दमघोंटू वातावरण आज मध्यप्रदेश की जेलों में हो गया है इससे कैदियों को मुक्त करायें. सुरक्षा का यह मतलब नहीं है कि तिल-तिल घुटने के लिए मनुष्य को छोड़ दिया जाये. सुरक्षा का यह भी मतलब नहीं है कि लोगों को सुबह से शाम तक प्रताड़ित किया जाये. सुरक्षा का यह भी मतलब नहीं है कि जो पहली बार बेचारे कैदी जेलों में गये हैं इनको लंबी-लंबी सजा काट रहे कैदियों के साथ बैरकों में रख दिया जाता है. मैं एक उदाहरण बताता हूं कि एक क्रिकेट खिलाड़ी एक हिरन के शिकार में जेल में चला गया पहली बार उसने जेल देखा. वह रहली की जेल में था उस समय बैनर्जी साहब थे, जो जेल के बड़े अधिकारी थे, आईपीएस आफिसर थे. मुझे एक सूचना मिली, एक सीडी मिली. जब रहली जेल से वह बच्चा सागर जेल में ट्रांसफर हुआ तो मुझे एक सीडी दी गई. वह सीडी लेकर जो पत्रकार आया उसने मुझे अपने साथ बिठाकर वह सीडी दिखाई, वह सीडी देखकर रोंगटे खड़े हो गये. मैंने बैनर्जी साहब को फोन किया कि जेल में किस तरह से लोगों को प्रताड़ित किया जाता है. किस तरह से पैसे वसूले जाते हैं, किस तरह से तकलीफें दी जाती हैं ताकि बड़े आदमी जो जेल में बंद हैं, जल्दी-जल्दी जेल के अधिकारियों को लोगों को पैसे दें इस तरह के प्रताड़ना केंद्र. सुरक्षा के नाम पर आप भी प्रताड़ित कर रहे हैं. पैसा वसूली के नाम पर अधिकारी भी प्रताड़ित कर रहे हैं और यहाँ से मध्यप्रदेश के सारे जेलों को एक बहुत बड़ा कोटा वसूली के लिए दिया गया है कि यह वसूली करके लाओ. यह टारगेट दिया गया है टारगेट आज यह नहीं है कि जेल की सुरक्षा रहे.यह बड़ा दुर्भाग्यजनक है. मैं मंत्री महोदया के संज्ञान में यह बात लाने की दृष्टि से यह बात कह रहा हूं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- आप नाम बताएं कि टारगेट किसने दिया है आप नाम बतायें. हम कार्यवाही करेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय सभापति महोदया, क्या कोई टारगेट दिया जा रहा है.
श्री मुकेश नायक -- अगर आप इसके समर्थन में हैं तो मुझे कुछ कहना ही नहीं है.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- नहीं, नहीं, समर्थन और विरोध का कोई सवाल नहीं है. सवाल इस बात का है कि क्या कोई इस प्रकार की धनराशि इकट्ठी की जा रही है या कोई टारगेट दिया जा रहा है, कहाँ किस आधार पर है. ...(व्यवधान) ....
सभापति महोदया -- मुकेश जी, आप अपनी बात जल्दी खत्म करें.
श्री मुकेश नायक -- बिना तथ्यों के बात नहीं कर रहा हूँ.
सभापति महोदया -- विषय पर बोलें, अपनी बात जल्दी खत्म करें. ...(व्यवधान) ....
श्री मुकेश नायक -- आप जैसे विधायक जब इस तरह की बातों का समर्थन करते हैं तो फिर लगता है कि आप अपने उद्देश्य से ही भटक रहे हैं. ...(व्यवधान) ....
सभापति महोदया -- मुकेश जी, आप तो बजट पर कन्सन्ट्रेट करें और अपनी बात करें. ...(व्यवधान) ....
श्री मुकेश नायक -- और मैं आपसे इस तरह की उम्मीद नहीं करता. ...(व्यवधान) ....
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- मामला यह है कि अगर आपने आरोप लगाया है तो आप सिद्ध करें हम कार्यवाही करेंगे. ...(व्यवधान) ....
सभापति महोदया -- (यशपाल सिंह सिसोदिया के कुछ कहने पर) यशपाल जी, आप सीधे बात न करें. ...(व्यवधान) .... मुकेश नायक जी, आप अपने क्षेत्र की बात करके खत्म करें. ...(व्यवधान) ....
श्री मुकेश नायक -- सभापति महोदया, हमारी जो मंत्री महोदया हैं, ये बहुत सीधी हैं. इन्हें पता ही नहीं है. ...(व्यवधान) ....
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- सभापति महोदया, सीधे होने का क्या मतलब है, बेवकूफ होना थोड़ी होता है.
सभापति महोदया -- आप सीधे संवाद न करें. ...(व्यवधान) ....
श्रीमती ममता मीना -- माननीय सभापति महोदया, ये पैसे वाली बात का बार-बार उल्लेख कर रहे हैं, यह ठीक बात नहीं है, अगर प्रमाण हों तो वे दें और इसके अलावा जो अपराधी होते हैं वे जेल में जाते हैं, उनको बेचारा शब्द बोल रहे हैं, यह भी ठीक बात नहीं है, यह भी कार्यवाही से निकालना चाहिए. ...(व्यवधान) .... यह गलत बात है, बार-बार भ्रष्टाचार का इस तरह से आरोप लगाना, यह ठीक बात नहीं है. ...(व्यवधान) ....इनके पास प्रमाण हो तो माननीय मंत्री जी को लिखकर ये दे सकते हैं.
श्री प्रदीप अग्रवाल -- यह कांग्रेस की परम्परा रही है. ...(व्यवधान) ....
श्रीमती ममता मीना -- क्योंकि यह कांग्रेस की परम्परा रही होगी, शायद इनको इनके ही दिन याद हैं, ऐसा मुझे लगता है. ...(व्यवधान) ....
श्री मुकेश नायक -- मेरे पास ऐसे प्रमाण हैं ...(व्यवधान) ....
श्रीमती ममता मीना -- माननीय सभापति महोदया, ये बार-बार भ्रष्टाचार की बात का उल्लेख कर रहे हैं ...(व्यवधान) ....
सभापति महोदया -- मुकेश जी, आप अपनी बात जारी रखें.
श्रीमती ममता मीना -- सभापति महोदया, ये बार-बार भ्रष्टाचार की बात का उल्लेख कर रहे हैं, इस चीज को कार्यवाही से निकालिए. बेचारा शब्द का भी बार-बार उल्लेख किया है उसे भी कार्यवाही से निकलिए. ...(व्यवधान) ....
श्री सुखेन्द्र सिंह -- यह तो प्रमाण तभी मिलेगा जब आप लोग सब एक बार जेल जाकर देखो, तब समझ में आएगा. ...(व्यवधान) ....
सभापति महोदया -- मुकेश जी, आप अपनी बात जारी रखें.
श्री मुकेश नायक -- ये तो ऐसे रिएक्ट कर रही हैं जैसे ये उसमें शामिल हों.
श्री प्रदीप अग्रवाल -- मेरे पिताजी ने दो साल जेल में यातनाएँ झेली हैं, मैंने देखा है उस समय आपने कितनी यातनाएँ दी हैं. ...(व्यवधान) ....
श्री दिलीप सिंह परिहार -- कई बार जेल गए हैं साहब.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदया, जब कांग्रेस का शासन था उस समय भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को कितना जेल में ठूँसा है. क्या-क्या यातनाएँ आपके शासन में मिली हैं. ...(व्यवधान) ....
श्री मुकेश नायक -- सभापति महोदया, क्या इन लोगों को बोलने के लिए आपने एलाऊ किया है. ...(व्यवधान) ....
श्री सुखेन्द्र सिंह -- ऐसा लग रहा है जैसे आजादी की लड़ाई में आप लोग हिस्सा ले रहे हैं.
सभापति महोदया -- मुकेश जी, आप अपनी बात जारी रखें.
श्री मुकेश नायक -- एक सच बात सुनने के लिए तैयार नहीं हैं.
सभापति महोदया -- आप विषय पर बात करिए.
श्री मुकेश नायक -- कोई सच बात बोले तो ऐसी प्रतिक्रिया होती है जैसे इनके बारे में बात हो रही हो और विधायक महोदया, जो आप कह रही हैं न प्रमाण तो जल्दी प्रमाण रख दूंगा, बोलता हूँ तो करता हूँ. ऐसे प्रमाण रखूंगा कि आपको पता लग जाएगा कि प्रमाण क्या होते हैं. ज्यादा इस तरह की बातें करने की आवश्यकता नहीं है. ...(व्यवधान) ....
सभापति महोदया -- मुकेश जी, आप बात करिए.
श्रीमती ममता मीना -- सभापति महोदया, माननीय सदस्य मुझे इंगित करके बात कर रहे हैं तो आप बिल्कुल प्रमाण दीजिए, क्योंकि अधिकारियों पर सीधे-सीधे आप पैसों के लेन-देन का आरोप लगा रहे हैं. हमारी सरकार पर आप आरोप लगा रहे हैं.
सभापति महोदया -- ममता जी, आप तो बैठ जाइये.
श्रीमती ममता मीना -- माननीय सभापति महोदया, उन्होंने मुझे इंगित करके कहा, जो इन्होंने सही बात नहीं की उसका मैंने विरोध किया. इसके अलावा प्रमाण हों तो वे दें....(व्यवधान) ....
श्री मुकेश नायक -- इस तरह से सदन चलता है क्या. ...(व्यवधान) ....
श्रीमती ममता मीना -- माननीय सभापति महोदया, प्रमाण हों तो वे दें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप क्या मंत्री हो ? आपको क्या अधिकार है ?
श्रीमती ममता मीना -- हम सदस्यों को अधिकार है अपनी बात को रखने का.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आपको क्या अधिकार है प्रमाण मांगने का. ...(व्यवधान) ....
श्रीमती ममता मीना -- हमारी सरकार है और हमारी सरकार पर इस तरह के आरोप लगाए जाएं. ...(व्यवधान) ....
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप एम.एल.ए. हैं, मंत्री नहीं हैं. आपको कोई अधिकार नहीं है. ...(व्यवधान) ....
श्रीमती ममता मीना -- हम गलत चीज का समर्थन नहीं कर सकते. ...(व्यवधान) ....
डॉ. गोविन्द सिंह -- कोई अधिकार नहीं है आपको. ...(व्यवधान) ....
श्रीमती ममता मीना -- हम बिल्कुल इस चीज का विरोध करेंगे, आपको प्रमाण देने चाहिए.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप कौन हैं प्रमाण मांगने वाली.
श्रीमती ममता मीना -- आप सदस्य हो, मैं भी सदस्य हूँ. ...(व्यवधान) ....सदस्य होने के नाते मुझे मेरी बात को रखने का अधिकार है. ...(व्यवधान) .... आप मेरे अधिकारों को नहीं छीन सकते. ...(व्यवधान) ....सरकार इतने विकास कार्य कर रही है उसकी बात करिए ना.
श्री मुकेश नायक -- एक तो चोरी और सीनाजोरी.
श्रीमती ममता मीना -- ये कोई बात है, ...(व्यवधान) .... ऐसे कैसे, आप प्रमाण दीजिए ना. ...(व्यवधान) .... आप सरकार के काम की बात को याद रखिए. ...(व्यवधान) .... आपकी सरकार के समय क्या था उन बातों को याद रखिए. ...(व्यवधान) .... इतने काम होने के बाद इस तरह की बात कर रहे हैं आप ...(व्यवधान) ....आप हमको प्रमाण दीजिए. ...(व्यवधान) ....बिल्कुल आपके पास प्रमाण हों तो जरूर दीजिए. ...(व्यवधान) ....
सभापति महोदया -- सभी लोग बैठ जाएं. ...(व्यवधान) ....
डॉ. गोविन्द सिंह -- प्रमाण मांगने वाली ये कौन हैं. ...(व्यवधान) ....
श्री वैलसिंह भूरिया -- माननीय सभापति महोदया, मुकेश भैया कितनी बार जेल गए हैं. ...(व्यवधान) ....
एक माननीय सदस्य -- सब लोग आसंदी का सम्मान करें. ...(व्यवधान) ....
सभापति महोदया -- मुकेश जी, आप अपनी बात जारी रखें, सीधे वार्तालाप न करें. ...(व्यवधान) ....
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- सभापति महोदया, मेरा समय आपको बढ़ाना पड़ेगा, ये मेरा समय खराब कर रहे हैं. ...(व्यवधान) ....
सभापति महोदया -- आप समय खराब नहीं करें. आपस में बात नहीं करें. ...(व्यवधान) ....
डॉ. गोविन्द सिंह -- इनको प्रमाण दें, ये बड़ी अधिकारी हैं. ...(व्यवधान) ....
श्री मुकेश नायक -- आप तो ऐसे प्रमाण की बात कर रही हैं जैसे भगवान राम के वंशज हरिशचन्द्र का सारा ठेका आपने ले रखा है. ...(व्यवधान) ....इधर गले-गले तक परिवार के लोग भ्रष्टाचार में डूबे हैं, आप प्रमाण मांग रही हैं.
श्रीमती ममता मीना -- आपको मेरे परिवार के बारे में बोलने का अधिकार नहीं है. ये मेरे परिवार के बारे में क्या बोलना चाहते हैं, क्या आप हमारे परिवार की हिस्ट्री रखते हैं. आप हमारे परिवार के जानकार हैं क्या. ...(व्यवधान) ....
श्री मुकेश नायक -- आप बैठो, आपको बोलने के लिए एलाऊ किया है क्या.
श्रीमती ममता मीना -- आप कैसे बोल सकते हो मेरे परिवार के बारे में. ...(व्यवधान) ....
श्री मुकेश नायक -- बिना वजह बीच में खड़े होकर इंटरप्शन कर रही हैं. अनुदान मांगों पर चर्चा चल रही है. ...(व्यवधान) ....
{4.35 बजे अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा)पीठासीन हुए}
अध्यक्ष महोदय:- ममता मीना जी आप बैठ जाइये. मुकेश नायक जी आप बहुत वरिष्ठ विधायक हैं, मंत्री रह चुके हैं. आप जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी अपनी बात सकें.
डॉ. गोविन्द सिंह :- अध्यक्ष महोदय, क्या माननीय सदस्या को प्रमाण मांगने का अधिकार है ?
अध्यक्ष महोदय :- प्रमाण मांगने का अधिकार नहीं है.
श्री मुकेश नायक :- जब अपनी बारी आये, तब आप बात बोलियेगा. क्या मैंने कभी आपके बीच में बोला ?
अध्यक्ष महोदय :- मुकेश जी, अब कृपा करके नहीं बोलें और सीधे तो नहीं बोलें, आप ईधर मुखातिब हो जायें तो फिर समस्या हल हो जायेगा.
श्री मुकेश नायक :- माननीय अध्यक्ष, मैं यह कहने जा रहा हूं कि जेल में व्यवस्थाओं को सुधारने की आवश्यकता है. जेल में ऊपर से नीचे तक अधिकारियों का जो एक नेक्सेस बन गया है, जो नेटवर्क है, यह जो जेल में सुविधाएं हैं, जिसके पास पैसा है उसको जेल में सुविधाएं लेने का विशेष अधिकार बन गया है. वह टेलीफोन पर अपने परिजनों से बात कर लेते हैं और जो गरीब आदमी हैं, वह प्रताडि़त हो रहे हैं, वह जेलों में प्रताड़ना झेल रहे हैं. जेलों में पड़े हुए हैं और यह पुलिसवालों और जेल के अधिकारियों की मिलीभगत है. दोनों की मिलीभगत से यह हो रहा है. राजगढ़ जिले में आपके जिले में पुलिस अधीक्षक क्या करे हैं उसकी भी पूरी जानकारी आगे चलकर मैं दूंगा. दूसरी बात मुझे यह कहना है कि PHE विभाग में माननीय मंत्री महोदया जानती हैं. उस समय वह मंत्री नहीं थी. बुंदेलखंड पैकेज से 1200 नलजल योजनाएं स्वीकृत हुई थीं. बुंदेलखंड पैकेज पर जब चर्चा होगी तो मैं विस्तार से सिंचाई परियोजनाओं के बारे में और नल जल योजनाओं के बारे में और जंगल विभाग में होने वाले निर्माण के बारे में, जो लगभग चार हजार करोड़ से ज्यादा बजट का नियोजन हुआ है, उस पर विस्तार से बात करूंगा. इसलिये मैं केवल सांकेतिक रूप से कहना चाहता हूं कि पूरे बुंदेलखंड में 1200 नल जल योजनाएं बनी थीं और जब सब का तकनीकी परीक्षण हुआ उसकी रिपोर्ट मेरे पास है. मैं उसे बुंदेलखंड पैकेज पर जब चर्चा होगी तो रख दूंगा. 1200 नल जल योजनाओं में से 996 नल जल योजनाएं बंद पड़ी हैं. अभी सुधार की प्रक्रिया शुरू हुई है. एक अच्छी योजना भी बनायी गयी है कि जो नल जल योजनाएं बंद हैं उन नल जल योजनाओं के लिये आपने दस दस लाख रूपये स्वीकृत किये हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले :- अगर अच्छी योजना है तो आप उसकी तारीफ तो करिये.
अध्यक्ष महोदय :- उन्होंने बोला तो है कि अच्छी योजना है. यह बड़ी मुश्किल से निकलता है.
श्री मुकेश नायक :- तारीफ कर तो रहे हैं.आपके नारे थोड़े ही लगाने लगेंगे. अध्यक्ष महोदय, असल में समस्या यह है कि लम्बे समय तक जब कोई व्यक्ति पावर में होता है तो वह जनप्रतिनिधि बनने की बजाय राजा हो जाता है, शासक हो जाता है. जरा सी आलोचना सहन नहीं कर सकता है. जरा सा जागृत करने का काम करें, जरा सी विभाग की कमजोरियां उजागर करने का काम करें तो ऐसे सदस्य बीच में खड़े हो जाते हैं, जिसको जानकारी ही नहीं है. बीच में इंट्रप्शन करने लगते हैं.
श्री सुबेदार सिंह रजौधा :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुकेश जी बीच में टोक रहे हैं. माननीय नायक जी, मैं निवेदन कर रहा हूं कि दस साल राजा तो आप रहे हो, इसका परिणाम यह है कि आपको बीस साल वहीं रहना पड़ेगा.
श्री मुकेश नायक :- हम राजा रहे हैं तभी तो अपोजिशन में आ गये. अब आप राजा हो गये तो अब आप तैयारी कर लो.
अध्यक्ष महोदय :- मुकेश जी आप कृपया अपनी बात जारी रखें. राजौधा जी आप बैठ जायें.
श्री मुकेश नायक :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यही कहना चाहता हूं कि PHE जैसे गंभीर विभाग में जहां पहाड़ी एरियाओं में, जंगली एरियाओं में जहां पर जमीन का स्ट्रेटा इस तरह का है, जहां पर नल जल योजना सफल नहीं है. वहां पर स्थायी पानी के स्त्रोत हैं वहां से गांव में पानी लाने का काम करेंगे तो जो धनराशि का नियोजन हम नल कूपों में कर रहे हैं और जो धनराशि बेकार जा रही है. बीस हैंडपंप खोदे, बीसों असफल हो गये. तब इक्कीस करने की जरूरत नहीं है. ऐसे जमीन के भूगर्भीय स्ट्रेटा जहां पर हैं, वहां पर जहां स्थायी जल के स्त्रोत हैं, वहां से आप गांव में पानी लाने का काम करेंगे तो ज्यादा अच्छा होगा. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद्.
श्री के. के. श्रीवास्तव ( टीकमगढ़ ) --माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 5 और 20 का समर्थन करता हूं. अध्यक्ष महोदय, अभी यहां पर जेल विभाग के बारे में चर्चा हो रही थी. मैं तो कांग्रेस के समय में भी जेल गया हूं और फिर व्यवस्थाएं कैसी चल रही हैं इसलिए अपनी सरकार में भी जेल गया हूं. यह दोनों अनुभव मेरे पास हैं. एक बार फर्जी बम काण्ड के लिए मैं जेल गया था और दूसरे अभी फिर से गया था. मैं व्यवस्थाएं देखकर आया हूं तब की व्यवस्थाएं और अब की व्यवस्थाएं. अध्यक्ष महोदय यह बिल्कुल न डरें, जेल जायें सारी व्यवस्थाएं वहां पर ठीक हैं. जेल विभाग में बंदियों को सुरक्षित अभिरक्षा में रखने का निर्वहन करना...
श्री जितू पटवारी -- के के भईया मैं आपसे सहमत हूं, आप बहुत अच्छे इंसान हैं आप जब भी जेल गये, इस बार जब आप गये तब हम आपके साथ थे और पहले जब आप गये थे तब तो हम थे ही नहीं. जैसे भी हैं आप अच्छे आदमी हैं, बोलो आप हम आपके साथ हैं.
श्री के. के. श्रीवास्तव -- अध्यक्ष महोदय, आपसे मुझे प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है. हम अच्छे है या नहीं हैं, हम अच्छे हैं, मध्यप्रदेश की सवा सात करोड़ जनता ने भाजपा की सरकार इसीलिए बनायी है कि हम अच्छे हैं.
श्री बाला बच्चन -- श्रीवास्तव जी, फिर आप जेल क्यों गये थे.
श्री के. के. श्रीवास्तव -- व्यवस्थाएं देखने के लिए, आप लोगों के कारण वहां पर जो गड़बड़ियां थीं उनको हमारी सरकार ने ठीक किया है. वह व्यवस्थाएं मुकम्मल ठीक हुई या नहीं इसलिए हम गये थे. माननीय अध्यक्ष महोदय, विभाग द्वारा जेलों की सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने के साथ साथ आवास की क्षमता भी विकसित की जा रही है. अभी कहा गया कि जितनी जेलों में कैदी रखने की क्षमता है उससे ज्यादा कैदी जेलों में हैं. यह सही बात है जो काम आप लोगों को पहले करना चाहिए था वह दोनों काम हमें करना पड़ रहे हैं. पदों की पूर्ति भी हमें करना पड़ रही है और इंफ्रास्ट्रक्चर भी खड़ा करना पड़ रहा है. आपने तो कुछ किया नहीं था केवल आरोप लगाना जानते हैं. अध्यक्ष महोदय जेलों में 36 नये बैरक, सुरक्षा गार्ड रूम, सी सी टीवी, कण्ट्रोल रूम, वाच टावर केन्द्रीय जेलों में दोहरी दीवार बनाना भी प्रस्तावित किया गया है. इसके लिए लोक निर्माण विभाग के बजट में 20 करोड़ रूपये का प्रावधान भी किया गया है. बुरहानपुर और इंदौर में नई जेल..
श्री लाल सिंह आर्य --अध्यक्ष महोदय इनको जेल परामर्शदात्री समिति का सदस्य बनाना चाहिए. इनको बहुत अनुभव है...(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी -- आदमी जेल जाकर वापस आये तो जेल में कैसे सुधार हों. इस समिति का इनको अध्यक्ष बना देना चाहिए.
नेता प्रतिपक्ष( श्री अजय सिंह ) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा सुझाव है इनको जेल मंत्री बना देना चाहिए.
श्री के के श्रीवास्तव -- फिर आप यहां पर थोड़ी बैठे होंगे.
श्री अजय सिंह -- अभी जो एक साल आपका बचा हुआ है उसके लिए उसके बाद में तो हम आपको जेल में ही भेजेंगे.
श्री के. के. श्रीवास्तव -- अभी यहां पर पीएचई के बारे में बात हो रही थी. मानसून के उतार चढ़ाव हम सबने देखे हैं. अब घटते भूजल के कारण यह निश्चित है कि हम कुआं और हैण्ड पंप पर आधारित जल संरचनाओं पर निर्भर नहीं रह सकते हैं. इसलिए जरूरी हो गया है कि हमें सतही जल की व्यवस्था करना होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, सतही जल को सहेजना और संरक्षित करना, सतही जल आधारित नलजल योजनाओं को बनाना होगा. हमारी सरकार की दूरदर्शिता का परिणाम है कि हमने सिंचाई के लिए एक तरफ बड़े बांध बनाये हैं तो उन्हीं बांधों से हमने समूह नलजल योजनाओं की भी योजना बनायी है. मुझे प्रसन्नता है कि मेरी खुद की मांग पर टीकमगढ़ जिले में बानसुजारा बांध में 526 गांवों को पानी देने के लिए 975 करोड़ रूपये की समूह नल जल योजना की स्वीकृति दी है. इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय पीएचई मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. टीकमगढ़ जिले के 4 विधान सभा क्षेत्र इसमें आयेंगे. कुल 526 गांव इस योजना में सम्मिलित किये गये हैं. इस योजना में हमें 29 एमसीएम पानी की जरूरत है इतना पानी हमें इस बांध से मिलेगा तो हमारी यह योजना आगे बढ़ जायेगी. लेकिन अभी हमें 10 एम.सी.एम. पानी जल संसाधन विभाग से मिला है. मैं पी.एच.ई. मंत्री कुसुम जिज्जी से अनुरोध करता हूं कि वह सिंचाई मंत्री से मुलाकात करें.
श्री जितू पटवारी - मैं समझ नहीं पा रहा हूं कृपया आप एम.सी.एम. का फुल फार्म क्या होता हैं यह दें ?
श्री के.के.श्रीवास्तव - श्री पटवारी जी आप बैठ जाएं. आप पटवारी हो हम तहसीलदार और कलेक्टर हैं(हंसी..)
अध्यक्ष महोदय - आप अपनी बात करिये, उनके प्रश्न का जवाब नहीं दीजिये.
श्री के.के.श्रीवास्तव - अगर कोई व्यक्ति बीच में खड़ा होगा तो हम कैसे अपनी बात करेंगे ? हम तो किसी को टोकते नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय - आप अपनी बात करिये.
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री जितू पटवारी ठीक नहीं कर रहे हैं यह हमारे समधियाने का समधी आदमी है और यह मेरे समधी का अपमान कर रहे हैं. (हंसी....)
श्री के.के.श्रीवास्तव - (हंसी..) कम से कम आप हमारे बड़े समधी का सम्मान रखिये. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें 29 एम.सी.एम. पानी चाहिए, उसमें से 10 एम.सी.एम. मिला है. हमें 19 एम.सी.एम. मिल जायेगा तो हमारे 526 गांवों जिनमें सिंचाई भले ही कम हो जाए लेकिन पीने का पानी जरूरी है, उस पानी से उनका कंठ तर हो जाएगा, इसलिए बहुत जरूरी है कि वह व्यवस्था हो जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी काम की चर्चा चल रही थी कि पी.एच.ई. में काम नहीं हुआ है. मैं मानता हूं कि अमला कम है और स्टाफ की कमी है. उसके बावजूद भी पूरे क्षेत्र में खास तौर पर मैं अपने टीकमगढ़ की बात कर रहा हूं. मैं जिस समय नगरपालिका अध्यक्ष था, उस समय टीकमगढ़ नगर में मात्र चार पानी की टंकी बनी थी. साढ़े तीन एम.एल.डी. का वॉटर फिल्टर प्लांट वहां लगा था, जबकि सात एम.एल.डी. का वॉटर फिल्टर प्लांट वहां चाहिए था. मैं पांच साल वहां नगर पालिका अध्यक्ष रहा. हमने वहां 16 एम.एल.डी. का फिल्टर प्लांट 11-12 करोड़ का स्वीकृत कराया. आज पांच नई पानी की टंकी वहां बनकर तैयार हो गई है, 29 किलोमीटर डिस्ट्रीब्यूशन लाईन.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां पूरे 50-60 सालों में चार पानी की टंकी है, जिसमें ढाई-ढाई साल करके हमारी भी सरकार बीच में आई, एक टंकी उसमें से हमने भी बनवाई थी. इनके समय में मात्र तीन टंकियां और हमने पांच साल में नई पांच टंकियां खड़ी की है, माननीय अध्यक्ष महोदय यह हमारे काम करने की गति है. अगर अंगुलियां हम पर उठा रहे हैं, तो चुल्ली भर पानी में डूब मरना चाहिए जिन्होंने 60 सालों तक पीने का शुद्ध पानी भी प्रदेश की जनता को मुहैया नहीं कराया है, वह अंगुली उठातें हैं और बीच बीच में टोका टाकी करते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय यह तरीका है, हम ऐसे ही नहीं कहते हैं कि
''मेरे पैरों में घुंघरू बंधा दो, फिर मेरी चाल देख लो''
डॉ. गोविन्द सिंह - (हंसी..)शाबाश. (XXX).
श्री के.के.श्रीवास्तव -(हंसी..) समधी जी टोका टाकी मत कीजिए. (हंसी..)(XXX).
अध्यक्ष महोदय - श्री के.के.श्रीवास्तव जी कृपया आप समाप्त करें. .यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री के.के.श्रीवास्तव - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने समय दे दिया लेकिन बीच में जिन्होंने टोका उनका भी धन्यवाद, क्योंकि वह नहीं टोकते तो मुझे जोश नहीं आता. माननीय अध्यक्ष महोदय आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद. (हंसी..)
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को(पुष्पराजगढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 5 और 20 के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. जेल से उत्पन्न परिस्थितियों के संबंध में काफी विस्तृत चर्चा माननीय श्री मुकेश नायक जी ने की है और जिस तरीके से घटनाएं घटित हुई है उसकी मैं निंदा भी करता हूं. हमारे शांतिप्रिय मध्य प्रदेश को बीच-बीच में जो तमाम आतंकवादी अस्थिर और अशांत करने का प्रयास कर रहे हैं, इस दिशा में सरकार को और प्रशासन को सक्रियता से काम करना चाहिए ताकि प्रदेश में जिस तरीके से वर्तमान में भय व्याप्त है जबकि सरकार अपने कार्यों पर, अपने ऊपर जो महिमामंडित करने का जो प्रयास कर रही है. यह दो-तीन दिन के भीतर जो घटनाएं घटी उससे जनमानस में काफी भय व्याप्त है और मैं ऐसा अपेक्षा करता हूं कि सरकार उस पर सक्रिय कार्य करें.
……………………………………………….
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
जेल मंत्री (सुश्री कुसुमसिंह महदेले) - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जेल विभाग की चर्चा है, यह गृह विभाग की चर्चा नहीं है.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को - माननीय मंत्री महोदय जी यह प्रदेश की जनता के लिये मैं बात कर रहा हूं आप कृपया शांत रहिये आप बड़ी वरिष्ठ मंत्री और मैं पी.एच.ई. पर बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय, पुष्पराजगढ़ विधान सभा की पेयजल व्यवस्थाओं के संबंध में मैं बात करना चाहता हूं. तरगी नल जल प्रदाय योजना का पिछले 2 वित्तीय वर्षों में हमने प्रस्ताव रखा. दमहेड़ी का प्रस्ताव रखा, उस समय इन जल प्रदाय योजनाओं में क्रमशः 23 और 32 गांवों को शामिल किया गया था, जबकि इन दो वित्तीय वर्षों में विभाग वहां पानी की व्यवस्था नहीं कर सका है और इस बार एक और नयी कार्य योजना आपने प्रस्तावित कर दी है. समूह पेयजल योजनांतर्गत राजेन्द्र ग्राम के आसपास पाइन लाइन द्वारा पानी पहुंचाने के लिए 51 गांवों में 66 करोड़ 10 लाख रुपए का प्रस्ताव प्रचलन में है. दूसरा, समूह पेयजल योजनांतर्गत दमहेड़ी के आसपास के 83 गांवों में 116 करोड़ रुपए की कार्य योजना का प्रस्ताव प्रचलन में है. तीसरा, तुलरा में नल जल प्रदाय योजना का डीपीआर प्रचलन में है. यह कब तक प्रचलन में रहेगा, माननीय मंत्री जी यह आप आपने भाषण में बताएंगे?
अध्यक्ष महोदय, यह प्रचलन में है, डीपीआर बनाई जी रही है, जबकि यह तीसरा वित्तीय वर्ष हो गया. आपने नल जल योजना के लिए बजट प्रावधान किया है. समूह नल जल योजना में 552 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. मैं आपसे निवेदन करता हूं कि यदि यह छूट गया हो तो इस वित्तीय वर्ष में इसको शामिल करने की कृपा करेंगे क्योंकि जब लोकसभा का शहडोल में उप चुनाव हुआ, सबके साथ सबका विकास, यह जो घोषणा पत्र छपा. इसको बड़ी तेजी से प्रचारित किया गया कि इतने गांव नल जल योजना में शामिल किये गये हैं, जबकि यह तीसरा वित्तीय वर्ष हो गया और स्वीकृति आपकी प्रचलन में ही रहती है? मेरे पुष्पराजगढ़ में करीब 500 मजरे-टोले हैं. जो समूहों में निवास कर रहे हैं. मैं पूरे प्रदेश में व्यवस्था चाहता हूं कि ऐसे जो समूहों के गांव हैं, जहां घनी बस्ती है, वहां तो आप पेयजल और हैंडपंप खनन की व्यवस्था करते हैं. लेकिन जो लोग कबीलों में बसे हैं. 10-15 घर जहां पर निवास कर रहे हैं, ऐसे जगहों की बढ़िया योजना बनाकर उन गांवों में हैंडपंप का खनन कराएं ताकि जो ऐसे घर पानी से वंचित हुए हैं, नदी, नाला, जंगल, पहाड़ का पानी पीते हैं ऐसे लोगों को भी शुद्ध जल मिल सके.
माननीय मंत्री महोदया, जब आप उद्बोधन दें तो इस बार मैं चाहूंगा कि यह तीसरा वित्तीय वर्ष है और इस बार अपने उद्बोधन में इसे शामिल नहीं करें नहीं तो मैं यहीं धरना दूंगा, यह मैं आपको कहना चाहता हूं. इन्हीं शब्दों के साथ माननीय अध्यक्ष महोदय जो आपने मुझे बोलने का अवसर दिया है, मैं धन्यवाद देता हूं.
श्री पुष्पेन्द्रनाथ पाठक (बिजावर) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 5 जेल विभाग और मांग संख्या 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की मांगों के समर्थन में अपना मंतव्य प्रस्तुत करने के लिए आपके समक्ष उपस्थित हूं. अध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में सतही जल को संग्रहित करके जो पेयजल की व्यवस्था बनाने की योजना प्रस्तुत की है, यह बहुत उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण है. धरती को छेद-छेद कर हमने जितना पानी निकाला है, उससे वाटर लेवल जितना नीचे जा रहा है, उसको रोकने का सतही जल के माध्यम से जो यह प्रयास हो रहा है, यह अपने आपमें बहुत उल्लेखनीय है. मैं विभाग के इन प्रयासों की सराहना करता हूं और विभाग की मांगों का समर्थन करता हूं. नयी नीति के अनुसार 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के मान से पेयजल की व्यवस्था करने की योजना विभाग ने बनाई है. इसके लिए भी मैं विभाग का समर्थन करता हूं, उनकी मांगों को अपना पूरा समर्थन देता हूं.
वित्तीय वर्ष 2016-17 में नवम्बर 2016 तक 4980 बसाहटों में हैंडपम्प लगाने की व्यवस्था हुई. इसी अवधि में 321 ग्रामीण शालाओं में, 552 आंगनवाड़ी केन्द्रों में हैंडपम्प के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था हुई है इसके लिये विभाग की मंत्री जी उनके साथ सहयोगी अधिकारियों की टीम की अभिनन्दन के साथ सराहना करता हूं. बुंदेलखण्ड के छः जिलों में दीर्घकालीन योजना बनी है इसमें 1 हजार 287 नज-जल योजनाओं की स्वीकृति हुई है जिसमें 103.45 करोड़ रूपये का प्रावधान हुआ है. इसमें 1 हजार 198 पूर्ण हुई हैं जिसमें 99.67 करोड़ रूपये का व्यय होकर यह जनहित में कार्य प्रारंभ हुआ है. नवीन नीतिगत निर्णय जो हुए हैं इसमें बंद या अपर्याप्त नल-जल योजनाओं में जिनमें 2 लाख से अधिक का खर्च है उनको विभाग के द्वारा ठीक करने अथवा पुनर्द्धार करने की व्यवस्था विभाग ने सोची है. यह अपने आप में उल्लेखनीय है इसके लिये मैं इनके विभाग की मांगों का समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, ग्राम पंचायत में 2 लाख से कम की लागत वाले कामों को सौंपकर ग्राम पंचायतों के माध्यम से यह काम होना है इसके लिये भी विभाग की सराहना करता हूं. एक और उल्लेखनीय बात विशेषकर बुंदेलखण्ड क्षेत्र के लिये हुई है. समूह नल-जल योजना के माध्यम से कई सारे गांवों को एक साथ लाभांवित होने के लिये परियोजना आयी है. केन बेतवा लिंक परियोजना केन्द्र सरकार से स्वीकृत होकर आने वाले दिनों में प्रारंभ होगी उसका जो ढोढ़न बांध है वहां से समूह नल जल योजना प्रस्तावित है जिसमें बिजावर विधान सभा क्षेत्र के 149 गांव लाभांवित होने वाले हैं इसमें छतरपुर विकासखण्ड के 21, राजनगर विकासखण्ड के 29 और बिजावर के 99 गांव हैं यह इतनी महत्वपूर्ण योजना है. जब यह कारगर होगी लाभांवित होने वाले ऐसे गांव भी हैं जहां अभी पेयजल की उतनी व्यवस्था नहीं है जितनी इनके माध्यम से होगी इसीलिये मैं विभाग की मंत्री, माननीय मुख्यमंत्री जी की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, जेल विभाग की मांग संख्या 5 के समर्थन में मैं कहना चाहता हूं कि अभी समुचित जेल में व्यवस्थाएं बनी हैं, लेकिन एक ओर व्यवस्था के तहत विभाग का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि सागर सर्किल में कुछ जेल हैं जिनमें जिला जेल टीकमगढ़ उप जेल जतारा एवं निवाड़ी हैं इनकी दूरी वहां से ज्यादा पड़ती है. सतना सर्किल में जिला जेलों छतरपुर, उप जेल नौगांव, उप जेल लवकुश नगर एवं बिजावर यदि सागर के इन तीन जिलों को टीकमगढ़ जिले की तथा सतना जिले में सम्मिलित छतरपुर जिले की इन चार जिलों को मिलाकर बनायें और नौगांव को सेन्टर जेल के रूप में गठित करके एक नयी जेल देंगे तो दोनों जिलों के लिये समुचित व्यवस्था हो जाएगी. मुझे लगता है कि यह एक व्यवस्था बनाने से काफी लोग लाभांवित होंगे विशेषकर के परिजनों को ज्यादा सुविधा हो जाएगी. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्रीमती चन्द्र सुरेन्द्र सिंह गौर (अनुपस्थित)
श्री दिलीप सिंह शेखावत (नागदा-खाचरौद)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 5 एवं 20 के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. निश्चित रूप से मैं कहना चाहूंगा कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने विगत् वर्षों के अंदर जन भावनाएं थीं उन जनभावनाओं के हिसाब से काम किया है. उन्होंने आने वाले वर्षों में इस वित्तीय वर्ष में बजट भी बढ़ाया है. मेरी जानकारी है लगभग 200 करोड़ रूपये सामूहिक नल-जल योजनाओं में इस वर्ष प्रावधान किया है. मेरे क्षेत्र में भी माननीय मंत्री जी ने 22 गांवों की बहुत महत्वपूर्ण योजना थी उस 29 करोड़ की योजना को स्वीकृत करके टेन्डर लगाया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से एक निवेदन करना चाहूंगा कि लोक स्वास्थ्य विभाग पूर्व में छोटे-छोटे स्टाप डेम बनाती थी लेकिन अब लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग उन डेमों को नहीं बनाती है. अगर आप छोटे डेम बनाएंगे तो निश्चित रुप से भू जल स्तर में सुधार होगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से एक निवेदन और करना चाहूंगा कि नागदा एक औद्योगिक क्षेत्र है. औद्योगिक क्षेत्र होने के साथ वहां पर वर्तमान में जितने भी डेम बने हैं वह एशिया का सबसे बड़ा उद्योग समूह बिरला के द्वारा वह बनाए गए हैं. आपने 22 गांवों की जो सामूहिक नल जल योजना बनायी है. उस योजना को मूर्तरुप देने में निश्चित रुप से जितनी पानी की आवश्यकता होगी, अगर आप चम्बल नदी पर निनावट खेड़ा पर एक डेम जल संसाधन विभाग द्वारा प्रस्तावित किया गया था लेकिन फीजिबिलिटी के कारण वह डेम निरस्त किया गया है. मैं चाहूंगा कि जल संसाधन विभाग से सामंजस्य करके कुछ कांट्रिब्यूशन लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग करेगा तो निश्चित रुप से उस पूरे क्षेत्र में लोगों को पीने के लिए पानी मिलेगा.
अध्यक्ष महोदय, मेरे एक तारांकित प्रश्न में मैंने पूछा था कि- क्या नागदा-खाचरौद विधान सभा क्षेत्र डेंजर ज़ोन में है तो माननीय मंत्री जी आपने उत्तर दिया था कि - डेंजर ज़ोन नहीं, क्रिटिकल ज़ोन में है. वहां जल स्तर एक हजार फीट नीचे चला गया है. ऐसी परिस्थितियों में अगर सामूहिक नल जल योजनाओं के लिए कुछ डेम, कुछ तालाब विशेष कर चम्बल, कुडैल, बागड़ जो नदियां बहतीं हैं, उन नदियों पर इस प्रकार की कोई योजना बनाएंगे तो निश्चित रुप से ठीक होगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं एक और निवेदन करना चाहूंगा कि आप प्रत्येक विधान सभा में बहुत कम ट्यूब वेल और हैंड पंप देते हैं. पिछले वर्ष भी मेरे यहां काफी गंभीर समस्या थी. मेरी आधी विधायक निधि की राशि मैंने ट्यूब वेल खनन में लगाई है. आप जो सिंगल फेस की मोटर देते हैं, वह सिंगल फेस के मोटरों की संख्या भी बहुत कम रहती हैं. उनकी संख्या आप बढाएंगे तथा साथ में थ्री फेस की मोटर भी देंगे तो निश्चित रुप से ठीक होगा.
अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को इस बात के लिए धन्यवाद देता हूं और एक विशेष आग्रह करता हूं कि 1% और 3% जन सहयोग राशि जमा करने पर नल जल योजनाएं पूर्व में प्रारंभ की थी उसमें मैंने मेरे यहां लगभग 15 नल जल योजनाओं में 1% और 3% क शेयर भी जमा कर दिया. मुझे कहते हुए प्रसन्नता है कि इसके लिए आपने कहा है उन 15 नल जल योजनाओं को स्वीकृति मिल जाएगी. आगे भी इस प्रकार की योजनाएं चलाएंगे तो ठीक होगा क्योंकि आगे आने वाले समय में गांव में पेयजल का भयानक संकट आने वाला है. उस संकट को पहले ही ध्यान में रखते हुए भविष्य की कोई योजना बनाएंगे तो ठीक होगा. धन्यवाद.
कुंवर सौरभ सिंह(बहोरीबंद)-- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 5 और 20 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, पिछले सत्र में पीएचई विभाग पर मेरा प्रश्न लगा था. मेरा मंत्री जी से पूछना था कि- कटनी जिला विगत 3 वर्षों से सूखे की श्रेणी में है या नहीं? इसमें जवाब आया कि- नहीं है.
अध्यक्ष महोदय, बड़ा खेद का विषय है कि हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी और पूरा सदन जिले में सूखे की राहत राशि बांट रहा है फिर भी सरकार यह मानने को तैयार नहीं है खासकर पीएचई विभाग की कटनी में जल स्तर गिरा है. अब पता नहीं सदन गलत कह रहा है या माननीय मंत्री जी के अधिकारी गलत कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं सीधे अपने क्षेत्र बहोरीबंद की बात कहना चाहता हूं. हमारे ब्लाक का शहर रीठीखास है. रीठी कस्बे में नल जल योजना बंद है. वहां पर्याप्त पानी नहीं है. हमारे यहां रीठी ब्लाक में पठार और बहोरी बंद में जहां लगभग 60 से 70 ..
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- नगर पंचायत की पेयजल योजना स्वायत्त शासन विभाग देखता है.
कुंवर सौरभ सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन पीएचई विभाग से है कि बहोरीबंद में लगभग 60-70 गांव आते हैं और 50 से 60 गांव रीठी विकास खंड में जहां पानी की त्राहि-त्राहि है. वॉटर लेवल बहुत नीचे है. पिछली ग्रीष्म ऋतु में 15 टेंकर देने पड़े थे और अपनी विधायक निधि से लगभग 60 से अधिक मोटरें मैंने दी हैं जिससे पानी लोगों तक पहुंच सके.
अध्यक्ष महोदय, विभाग की मेंटेनेंस के लिए गाड़ियां चलती है, उनके पास डीज़ल नहीं है. ग्राम पंचायत में लोग 100-100 रुपये इकट्ठा करते हैं. इसके लिये आपका विभाग पता नहीं क्या कर रहा है और लगातार हमारा जल स्तर गिर रहा है. मैं इस बात से सहमत हूं. आपके 50 प्रतिशत से ऊपर हैंडपंप सूखे हुए हैं लेकिन आपका विभाग उसको मानता नहीं है. आपकी जो भी तकनीकी कमी हो, हकीकत यह है कि हर ग्राम पंचायत में 50 प्रतिशत हैंडपंप बंद हैं. हमारे पास इसकी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. मेरा मानना है कि पहले बहुत से बांध ग्रामीण क्षेत्रों में होते थे अब जमीनों का बंटवारा होने से, जमीनें कीमती होने से लोग खेती ज्यादा करने लगे हैं, इसीलिये बांध खत्म हो रहे हैं. इसीलिये पानी की कमी हो रही है. विगत कई वर्षों से हम लोग रिजर्व वायर बना रहे हैं, वह चाहे पीएचई विभाग का रिजर्व वायर प्रोजेक्ट हो या किसी भी विभाग का रिजर्व वायर प्रोजेक्ट हो, वह सब कागजों में ही है. वास्तव में यह काम होता तो वाटर लेबल इतना नीचे नहीं गिरता. आप लेबर टेंडर कर रहे हैं, भोपाल से टेंडर होता है, तब तक गर्मी निकल जाती है, वहां मेकेनिक नहीं पहुंच पाता न लेबर पहुंच पाती है. आपने 70 लीटर प्रतिदिन का जो मानक रखा है यह सिर्फ मानक ही है किसी को इसका लाभ नहीं पहुंच रहा है, खासकर हमारे यहां ऐसी स्थिति है. हमारे जिले का पिछले साल का कोटा लगभग 450 हैंडपंप का था जो घटाकर 100 हैंडपंप का कर दिया गया है. वाटर लेबल कम होने से वहां हैंडपंप सूख रहे हैं. कटनी जिले में कम से कम 600 हैंडपंप दिये जायें ताकि वहां पानी की पूर्ति हो सके. पठार क्षेत्र में साधारण बोर काम नहीं करता है वहां बड़ी वाली डी.टी.एच मशीनें ही चलती हैं. वहां 600 फुट से ऊपर वाली मशीनें चलेंगी. मैंने एक फिल्म देखी थी शोले, उसमें अमिताभ बच्चन जैसे धर्मेन्द्र की तारीफ करता है बसंती की शादी के लिये, कि मौसी सब ठीक है लेकिन कभी-कभी जुआ खेल लेता है, सब ठीक है लेकिन कभी-कभी शराब पी लेता है, लेकिन लड़का बड़ा अच्छा है. उसी तरह हमारे साथी विधायक अमिताभ बच्चन की तरह सत्ता की तारीफ करते हैं, कहते हैं सब ठीक है पर शादी तो वहीं करनी पड़ेगी. आपने बोलने का अवसर दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री इन्दर सिंह परमार - अनुपस्थित
श्री यादवेन्द्र सिंह - अनुपस्थित
श्री दिनेश राय मुनमुन(सिवनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग सख्या 5 और 20 का समर्थन करता हूं. आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहूंगा कि किस्मत से मैं भी साल में दो बार 15 अगस्त और 26 जनवरी को जेल में झंडा फहराने जाता हूं तो वहां व्यवस्थाएं वास्तव में अच्छी हैं और कैदियों में भी प्रसन्नता है. उसके साथ-साथ कुछ समस्याएं भी वहां हैं क्योंकि कैदियों की संख्या ज्यादा है,बैरेक छोटी पड़ जाती हैं उस पर आप ध्यान दें और महिलाओं के लिये महिला चिकित्सक की व्यवस्था आप जेलों में करा दें. जेलों में पहले परिवार के लोग कुछ लेकर जाते थे एक-दो घटनाओं की वजह से सभी जेलों में आपने पाबंदी लगा दी है. परिवार के लोग बड़ी उम्मीदों से जाते हैं, हाथ से कुछ बनाकर या कुछ सूखा सामान लेकर तो वह सामान नहीं ले जा पा रहे हैं. आपसे आग्रह है उसे पुन: चालू कराएं. जेलों में कौशल उन्नयन के कार्यक्रम चलाए जाएं. सिवनी जेल का उन्नयन करने के लिये मैं आपसे निवेदन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के बारे में कहना चाहता हूं कि आपने हमारे यहां 171 गांवों की सामूहिक नलजल योजना स्वीकृत की गई है उसको शीघ्र प्रारंभ करा दें. ग्रामों में नलजल योजनाएं जो बंद पड़ी हुई हैं उन्हें चालू रा दें. आपने उनमें से कुछ को स्वीकृति दी है, उसके लिये आपको धन्यवाद देता हूं और उसके लिये राशि भी आपने दी है. मैं देख रहा हूं कि विधायक बनने के बाद पहली बार आपने इतनी राशि दी है, उसके लिये माननीय मंत्री जी को मैं धन्यवाद देता हूं. बमनी,तिलसा,मुवारी,भेड़की,माहुलपानी,टांडेटोला,सिंगरई,अटामा,ओरिया,रईया,ईमली पठार गांवों में बोर कराकर आप तत्काल वहां नलजल योजना प्रारंभ करा दें. सिवनी शहर में अधिकतर कालोनियां ऐसी हैं, जहां पानी की समस्या है. वहां पानी की टंकियां नहीं हैं. वहां पानी की समस्या दूर की जाये. धन्यवाद.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी(मेहगांव) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 5 एवं 20 के समर्थन में अपनी बात कहने के लिये खड़ा हुआ हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, निरंतर प्राकृतिक स्थितियां कहीं न कहीं मानव के प्रयासों से कमजोर होती जा रही हैं. भूजल स्तर निरंतर नीचे जा रहा है. हमारे क्षेत्र में मैं उदाहरण के लिये बताना चाहता हूं कि कई हेण्डपम्प इस स्थिति में हो गये हैं कि उनसे पानी नहीं निकाल सकते, इतनी गहराई में पानी चला गया है. शासन जो नई व्यवस्था कर रहा है, माननीय मंत्री महोदया, माननीय मुख्यमंत्री जी ने जो सतही जल को रोकने की, बारिश के जल को रोकने की व्यवस्था जो पीएचई विभाग द्वारा की जायेगी, उसके तहत मैं अपने विधान सभा क्षेत्र के लिये माननीय मंत्री महोदया से निवेदन करूंगा कि हमारे यहां लगभग 30 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां खारे पानी की समस्या से वहां के लोग निरंतर जूझते हैं. वहां हेण्डपम्प खनन भी किया जाता है, खारा पानी निकलता है और बहुत जल्द वह हेण्डपम्प खारे पानी के कारण जंग लगकर या गलकर खराब हो जाता है और पानी पीने योग्य भी नहीं रहता है. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदया से आपके माध्यम से निवेदन करना चाहूंगा कि हमारे विधान सभा में उन गांवों के बीच से दो नदियां निकलती हैं, एक बेसली नदी है और एक झिलमिल नदी है. हमारे माननीय मंत्री लाल सिंह जी भी उस समस्या से पीडि़त हैं, उनका क्षेत्र भी उस समस्या से पीडि़त है. इन दोनों नदियों पर अगर स्टॉप डेम बनाकर इन पंचायतों में नल जल योजना लागू कर दी जाये, टेप वाटर सप्लाई सिस्टम लागू कर दिया जाये जिसके द्वारा प्रत्येक घर में नल के द्वारा अगर पानी उपलब्ध करया जायेगा तो निश्चित रूप से वहां के वाशिंदें, वहां के लोग, वहां के नागरिक अत्यंत प्रसन्न होंगे और भूरि-भूरि प्रशंसा माननीय मंत्री महोदया की खुले दिल से करेंगे. हम कोशिश करेंगे अगर मंत्री महोदया घोषणा कर देंगी तो उनको वहां ले जाकर उनका अभिनंदन भी करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने बताया कि जल स्तर बहुत नीचे चला गया है. शासन की ओर से, विभाग की ओर से मेहगांव विधान सभा में यदि कुछ मोटरों की व्यवस्था कर दी जाये, एक-एक बस्ती के हैण्डपम्प में अगर एक-एक मोटर डाल दी जाये तो उससे भी पानी सप्लाई हो सकता है. पानी इतना गहरा चला गया है कि महिलायें और बच्चे उस हैण्डपम्प से पानी निकाल नहीं पाते हैं. मेरा अनुरोध है कि माननीय मंत्री महोदया इस पर भी ध्यान देंगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह भी बताना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश में मेरी विधान सभा एरियावाइज सबसे बड़ी है, क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ी विधान सभा है और यह विडंबना है कि इतने वर्षों से वहां पीएचई का सब डिवीजन नहीं है.
5.13 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्नों के माध्यम से माननीय मंत्री महोदया का ध्यान आकर्षित कर चुका हूं. मैं पुन: उनका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि मेहगांव विधान सभा को एक सब डिवीजन दिया जाये जिससे कि पीएचई की सारी गतिविधियां वहीं से संचालित हों, नहीं तो कभी हमें गोहद की तरफ देखना पड़ता है, कभी लहार की तरफ देखना पड़ता है. हमारे जो गांव लहार सब डिवीजन के अंतर्गत आते हैं उनमें सुविधायें नहीं पहुंच पाती हैं क्योंकि डॉ. गोविंद सिंह जी वरिष्ठ विधायक हैं वह सारी सुविधायें अपने लहार क्षेत्र में समेट कर ले जाते हैं.
डॉ. गोविंद सिंह-- आज के बाद मैं पूरा अधिकार आपको देता हूं, आप जहां कहेंगे मैं अंगूठा लगाता जाऊंगा. मुझे पीएचई से कोई मतलब नहीं जो आप चाहो सो कराओ मैं एक पत्र भी नहीं लिखूंगा.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- मैं आपसे दस्तखत कराऊंगा, आप पढ़े लिखे विद्वान डॉक्टर हैं.
डॉ. गोविंद सिंह-- मुझे पीएचई से कोई मतलब नहीं जो आप चाहो सो कराओ मैं एक पत्र भी नहीं लिखूंगा.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- जैसा आप मार्गदर्शन करते रहे हैं वैसा ही करते रहें, लेकिन मेरी साढ़े 13 पंचायतें आपके डिवीजन में हैं उनका भी ख्याल रखा जाये. मेरा पुन: अनुरोध है माननीय मंत्री महोदया कि एक सब डिवीजन मेहगांव विधान सभा को दिया जाये. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जेल विभाग के संबंध में मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि मेरे विधान सभा मेहगांव में उप जेल है, उस पर वॉच टावर नहीं है, तो मुझे वहां के कई संभ्रांत लोगों ने शिकायत की थी कि चार वॉच टॉवर वहां पर लगने चाहिये जिससे कि उसकी निगरानी प्रॉपर की जा सके. माननीय मुनमुन राय जी अभी यहां बोल रहे थे और वह सरकार की भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे थे. उनकी राय मैं तटस्थ मानता हूं. चाहे हम प्रशंसा करें या वह आलोचना करें, उनकी राय तटस्थ है. अगर वह प्रशंसा कर रहे हैं तो निश्चित रूप से सरकार बहुत अच्छी चल रही है और बहुत अच्छा काम कर रही है. माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय पीएचई मंत्री जी हमारी जिज्जी बहुत अच्छा काम कर रही है, मैं पुन: आपको धन्यवाद देता हूं. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया. धन्यवाद.
डॉ.रामकिशोर दोगने-- (अनुपस्थित)
श्रीमती शीला त्यागी(मनगवां) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के विरोध में अपनी बात कहने के लिये मैं खड़ी हुई हूं.जैसा कि हम जानते हैं कि जल ही जीवन है. मेरी मनवगां विधानसभा क्षेत्र में ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र है.मेरा विधानसभा क्षेत्र सूखग्रस्त क्षेत्र की परिधि में आता है. ग्रीष्म ऋतु आ गई है. भू-जल का स्तर निरंतर घटता जा रहा है. पेयजल की बड़ी समस्या है. हमारे क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं जहां पर पीने के पानी के लिये 3 से 4 किलोमीटर तक लोगों को जाना पड़ता है और पूरा परिवार सुबह से लेकर के शाम तक पानी के लिये परेशान रहता है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में पनगढ़ी, अतरैला, हड़िया, सुनवरसा, कोटकुसास, हकरिया, रामपुर,अकोरी आदि ऐसे गांव हैं जहां पर गंभीर रूप से पेयजल का संकट है.
उपाध्यक्ष महोदय, हैण्डपम्प पर निर्भरता को कम करने के लिये नल जल योजनाओं के माध्यम से पेयजल का साधन बनाये जाने का प्रावधान शासन द्वारा किया गया है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करती हूं कि जो 552 करोड़ की राशि इसके लिये है उसमें मनगवां विधानसभा क्षेत्र में जो बंद पड़ी नल जल योजनायें हैं उनके लिये भी कुछ अंश दिया जाना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय, एक व्यथा में बताना चाहती हूं. मनगवां विधानसभा क्षेत्र में मैंने अपनी अधिकांश विधायक निधि पेयजल संकट को दूर करने के लिये दी है लेकिन विधायक निधि पेयजल की समस्या को देखते हुये ऊंठ के मुंह में जीरा साबित हो रही है.जिसके कारण स्थिति यह है कि पूरी विधायक निधि देने के बाद भी मनगवां विधानसभा में पेयजल का संकट निरंतर बना हुआ है. मनगवां विधानसभा क्षेत्र में गंगेव, ब्लाक मुख्यालय है वहां पर 88 पंचायतें हैं, नईगढ़ी की 38 पंचायतें हैं, सिरमोर की 13 पंचायतें हैं . कुल मिलाकर के 125 करीब पंचायतें हैं .
उपाध्यक्ष महोदय, एक पंचायत में छोटे-बड़े, मजरा-मोहल्ला मिलाकर 10 से 12 मोहल्ले होते हैं. अगर मैं एक वित्तीय वर्ष में प्रत्येक पंचायत में यदि एक-एक हैण्डपम्प भी देती हूं तो 5 वर्ष में सिर्फ 500 हैण्डपम्प ही होते हैं इतनी विधायक निधि है इससे पेयजल संकट दूर नहीं किया जा सकता, जिसकी वजह से हमारे विधानसभा क्षेत्र में जो भी पेयजल की समस्या है उसके लिये मुझे स्वयं चिंता हो रही है इसलिये मैं सरकार से और माननीय मंत्री जी से निवेदन करती हूं कि हमारे विधानसभा क्षेत्र के जो नवीन हैण्डपम्प के प्रस्ताव पीएचई विभाग के माध्यम से भेजे गये हैं उनको स्वीकृत करने की कृपा करेंगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, रीवा के पीएचई विभाग में बहुत ज्यादा अनियमिततायें हैं. राइजर पाईप की कमी बताई जाती है. जो वहां पर जो विभागीय इंजीनियर और मैकेनिक पदस्थ हैं यह गांव में भ्रमण नहीं करते हैं, ग्रामीणों के पीएचई के कार्यालय में जाने पर उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया जाता है जिसके कारण वहां के ग्रामीणों में विभाग के कर्मचारियों के प्रति असंतोष की भावना व्याप्त है. चूंकि समयसीमा है इसलिये अंतिम बात कहकर मैं अपनी बात को समाप्त करूंगा. उपाध्यक्ष महोदय मेरे विधानसभा क्षेत्र में 6 बड़े कस्बे हैं जैसे लालगांव, कनैला, रामपुर, अकोरी, देवास और गंगेव . इन कस्बों में नल जल की योजनायें बंद पड़ी हैं. लेकिन इसके बाद भी बिजली विभाग की तरफ से लगातार बिजली के बिल आ रहे हैं. जब नल जल योजनायें चालू नहीं हैं तो विभाग के द्वारा बिल क्यों दिये जा रहे हैं. बिजली विभाग का तो कहना ही क्या है लेकिन उसमें अब यह पीएचई विभाग भी शामिल हो गया है जिससे आम जनता को परेशानी हो रही है. ग्रीष्म ऋतु में जो पेयजल का संकट है मंत्री जी इसके लिये कुछ प्रावधान करेंगी जिससे वहां की आम जनता को पेयजल की समस्या से छुटकारा मिल जाये. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय सीमा में अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया इसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 5 और 20 का समर्थन करते हुये समय सीमा में अपनी बात को रखने का प्रयास करूंगा. उपाध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा दो तरह के हैण्डपम्प का खनन किया जाता है. एक डीडीएच किया जाता है एक काम्बीनेशन किया जाता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से और विभाग के लोगों से मैं सदन में यह कहना चाहता हूं कि डीटीएच मशीन से जो वर्क किया जाता है वह पूरी तरह से फेल है इसलिये इसको बंद कर दिया जाना चाहिये. आप विभाग के लोगों से इस बात का परीक्षण करवा सकती हैं कि अगर 10 बोर का खनन हुआ है तो इसमें से एक ही खनन चालू रहता है. यदि काम्बीनेशन बोर 10 किये हैं तो उसमें से 9 चालू मिलेंगे. उसमें मोटर रह जाती है, राईजर पाईप अंदर रह जाता है, एमएस केसिंग रह जाता है, जेआई केसिंग रह जाता है और किस क्षेत्र का फार्मेशन कैसा है, किस क्षेत्र का स्ट्रेटा कैसा है .किस क्षेत्र का फार्मेशन कैसा है, मालवा का अलग स्ट्रेटा है, अन्य क्षेत्रों का अलग स्ट्रेटा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं, आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि इनके पास जो मशीन है वह बहुत पुरानी है, अब लेटेस्ट मॉडिफिकेशन की मशीनें आ गई हैं, 11300 आ गई है, एक घंटे में 120 फीट बोर खोदने वाली मशीनें आ गई है. जिले में ज्यादा मशीनें तो नहीं, लेकिन अगर दो-दो मशीने भी विभाग खरीद लें और उसमें अच्छा स्टाफ दिया जाए. आजकल तो ऑटोमेटिक मशीनें आ गई है, स्टाफ की आवश्यकता ही नहीं है, सिर्फ ड्रायवर और आपरेटर की जरूरत है, ज्यादा कर्मचारियों का वेतन भी नहीं लगेगा, उस वेतन में ही मशीन खरीदी जा सकती है और मशीनों से काम किया जा सकता है. करोड़ों रूपए बोर खोदने में व्यय किए जा रहे हैं. मैं कह सकता हूं कि आजादी के बाद मध्यप्रदेश के एक एक गांव का परीक्षण किया जाए तो वहां 40 से 50 बोर होती हैं, फिर भी पानी की समस्या बनी रहती है. मेरा पीएचई विभाग को महत्वपूर्ण सुझाव है कि जहां पर नदियां बहती हैं, वहां पर जो जल निगम बना है यह बहुत महत्वपूर्ण है. इसमें 552 करोड़ का प्रावधान भी रखा गया है. जहां नदियां हैं वहां के 20 से 25 गांवों के लिए योजना बनाकर ऊंचाई पर टैंक बनाकर पानी सप्लाई दे एवं पांच साल की गारंटी ठेकेदार से भी लें तो सफलता मिल सकती है. एक बात और कहना चाहता हूं कि एक गांव में एक टंकी बनती है, लेकिन उस कार्य के लिए पाइप बिछाने वाली एजेंसी अलग है, टंकी बनाने वाली एजेंसी अलग है, खोदने वाली एजेंसी अलग है, नल फिट करने वाली एजेंसी अलग है. इस तरह से कहीं रेत जाती है तो कहीं गिट्टी जाती रहती है कोई परिणाम नहीं आता. मेरा महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि यदि एक या दो करोड़ की योजना बनती है तो सारा कार्य एक ही एजेंसी को दिया जाए, सभी काम एक ही एजेंसी से कराया जाए, कम से कम तीन वर्ष की गारंटी भी ठेकेदार द्वारा दी जाए तो इस तरह से योजना का अच्छा परिणाम आएगा. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से निवेदन है कि विभाग ने अभी पाइप हेतु 800 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा है, इसमें सबसे अधिक पैसा है. मैं सरकार की समीक्षा तो नहीं कर सकता हूं, सिर्फ सुझाव दे रहा हूं कि पाइप के संबंध में ठेकेदार बहुत खेल करतें हैं, इसमें जरूर पाबंदी लगानी होगी बोर खुदते हैं तो ठेकेदार 40 फीट पाइप डालता है और 80 फीट की राशि ले लेता है और उसके परिणाम भी अच्छे नहीं आते और 50 से 60 हजार रूपए ऐसे ही खर्च हो जाते हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री से मेरे क्षेत्र के लिए निवेदन करना चाहता हूं कि मेरी विधान सभा ग्रामीण क्षेत्र है और वहां 244 गांव हैं, मेरे यहां पर सबडिवीजन नहीं है, मैं चाहता हूं कि आज जब माननीय मंत्री बोले तो मेतुर के लिए सबडिवीजन की घोषणा करें तो बड़ी कृपा होगी, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया (दिमनी)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र दिमनी, जिला मुरैना में पीएचई विभाग की मांग संख्या 20 को लेकर चर्चा करना चाहता हूं. जल ही जीवन है इसके अनुसार मेरे क्षेत्र की स्थिति अन्य क्षेत्रों से हटकर है, मेरे क्षेत्र में जंगल है, वहां पर चम्बल और क्वारी नदी है, अधिकांश लोग गांव को छोड़कर खेतों में निवास कर रहे हैं, जिन्हें पानी की अत्यंत आवश्यकता रहती है. मेरे क्षेत्र में मेरे कार्यालय में जनसम्पर्क के दौरान मेरे पास 80 प्रतिशत शिकायत पानी को लेकर ही रहती है. मुझे लोग सुबह से लेकर रात तक घेरे रहते हैं. मैंने तीन वर्ष की विधायक निधि का 80 प्रतिशत हिस्सा हैण्डपम्पों में दिया हुआ हूं, इसलिए शेष कार्यों में राशि नहीं दे पा रहा हूं. पीएचई विभाग मुरैना द्वारा केवल दिमनी क्षेत्र में प्रतिवर्ष 10 या 12 हैण्डपम्प लगाए जाते हैं जबकि अन्य विधान सभा क्षेत्रों में इनकी संख्या बहुत ज्यादा होती है. मेरे क्षेत्र में कुल गांव में जल योजनाओं के प्रस्ताव भी मैंने प्रस्तुत किए हैं जो आज तक मंजूर नहीं हुए हैं. मैं मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे यहां पर शासन स्तर से जो हैण्डपम्प लगाये गए हैं, उनमें विद्युत मोटर लगाई जाये, जिससे जन समुदाय को फायदा हो. मेरे क्षेत्र में हैण्डपम्पों की संख्या बढ़ाई जाये, क्योंकि मेरा क्षेत्र चम्बल के किनारे है. मैं वहां पीएचई विभाग में जाता हूं, तो उनसे कहता हूं कि छड़ या पाइप दे दें, तो वह कहते हैं कि भोपाल से आये नहीं हैं . साथ में वह यह भी बोलते हैं कि ये भोपाल में ही खरीदे जाते हैं और वहीं बेच दिये जाते हैं. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि जिस जिले में समस्या हो, वहीं पर छड़, पाइप और हैंडपम्प का सामान खरीदा जाये, क्योंकि वह कहते हैं कि भोपाल में ही यह खरीदे गये और वहीं पर पूरा कमीशन में बेच दिये गये. यहां से मुरैना जिले में एक साल से एक छड़ और पाइप तक नहीं भेजा गया है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे पूरे क्षेत्र में पानी की ही समस्या है. मेरे क्षेत्र की जो नल योजनाएं हैं, उनको मंजूर किया जाये. उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- उपाध्यक्ष महोदय, बहुत सारे विधायक साथियों ने अपनी बातें रखी हैं. मैं मंत्री जी को सिर्फ एक सुझाव देना चाहता हूं कि पूरे मध्यप्रदेश में बहुत तेजी से जल स्तर गिरता हुआ नजर आ रहा है, खासतौर से बुन्देलखण्ड और रीवा संभाग में. मंत्री जी अपने उद्बोधन में यह सुनिश्चित कर दें, यह आश्वासन दे दें कि अप्रैल माह के अंत तक मध्यप्रदेश में जितनी बंद नल जल योजनाएं हैं, खासतौर से इन दो अंचलों में, उनको आप चालू कराने की घोषणा कर दें. धन्यवाद.
श्रीमती ममता मीना(चाचौड़ा) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 5 एवं 20 के समर्थन में बोलने के लिये खड़ी हुई हूं. मैं मंत्री जी को इस बात के लिये धन्यवाद देना चाहती हूं कि उन्होंने मेरे यहां जो बंद पड़ी योजनाएं थीं, उनके लिये विशेष राशि दी, उससे हमारी बंद पड़ी योजनाएं वापस चालू होंगी. मध्यप्रदेश की सरकार और मंत्री जी ने पेयजल के लिये जितनी चिंता की है, वह गांव- गांव में, मजरे-टोलों में,हर जगह पहुंची है. लेकिन मैं मंत्री जी को एक सुझाव के तौर पर कहना चाहती हूं कि मेरा जो चाचौड़ा विधान सभा क्षेत्र है, वह पूरा ड्राई एरिया है. उसके कारण से पूरा जल स्तर नीचे चला गया है. जैसे पिछली बार मंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी ने प्रावधान रखा था कि जहां- जहां सूखे की स्थिति है, वहां पंचायतें अलग से मोटर खरीदकर हैंडपम्प में डालें और उसके आधार पर गांव वालों को पानी पिलायें. इस तरह का प्रावधान मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी ने रखा था. तो मेरा यह सुझाव है कि यह प्रावधान मंत्री जी रखें. साथ ही मेरा निवेदन है कि पहले जो मुख्यमंत्री नल जल योजना चलती थी, वह वापस चालू होनी चाहिये. कुछ जगह वह बंद हो गई है. हमारे यहां भी कम से कम 18 जगह की 3 प्रतिशत राशि जमा है और 3 प्रतिशत जिन पंचायतों की जमा है, वहां पर बहुत ज्यादा जल स्तर नीचे गिरा हुआ है और दूर से पानी लाने का उसमें प्रावधान रखा है. मैं चाहती हूं कि इसमें एक प्रावधान वापस हो जाये कि जिन जिन नल जल योजनाओं की राशि जो रखी हुई है, उनमें यह योजना चालू की जाये, क्योंकि हमारे यहां की ऐसी 18 पंचायतें हैं. 18 में जैसे मृगवास है, भेसूहा, मकसूदनगढ़, गुंजारी आदि ऐसी 18 पंचायतें हैं. मैं मंत्री जी को पत्र के माध्यम से यह 18 पंचायतों की सूची उपलब्ध करा दूंगी. साथ ही मेरे विधान सभा का जो ड्राई एरिया है, तो उसमें मंत्री जी से चाहूंगी कि हमारे यहां चाचौड़ा में वैसे एक गाड़ी चल रही है, लेकिन 2 गाड़ी भेजें, तब जाकर के हम लोग ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिये पानी की व्यवस्था कर पायेंगे.
5.29 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
उपाध्यक्ष महोदय -- आज की कार्य सूची के पद क्रमांक 6 के उप पद क्रमांक 3 का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
श्रीमती ममता मीना - उपाध्यक्ष महोदय, जैसे गांव-गांव में शहरी मुख्यमंत्री पेयजल योजना चल रही है, उसी तरह से ग्रामीण मुख्यमंत्री पेयजल योजना पुरजोर तरीके से चलाना चाहिए, यह मेरा सुझाव है. यह इसलिए भी चलाना चाहिए क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्तर नीचे गिरता जा रहा है, हैंडपम्प ज्यादा खनन होते हैं, उसके कारण जल स्तर नीचे गिरता जा रहा है. जो गांवों एवं खेतों में लोग ट्यूबवेल लगाते हैं, उसके कारण जल स्तर नीचे गिर रहा है क्योंकि कुएं उतना पानी नहीं दे सकते हैं. कुछ जगह ड्राय एरिया होते हैं, किसी क्षेत्र में तालाब नहीं हैं तो उसके कारण वाटर लेवल उतना नहीं बढ़ पाता है लेकिन उसके लिए पुरजोर तरीके से प्रयास करने के लिए, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहूँगी. मुख्यमंत्री पेयजल योजना का मेरा विशेष सुझाव है और इसको जल्द से जल्द लागू करें. आपने बोलने का समय दिया, उसके लिए धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - विभिन्न दलों से जो नाम आए थे, वे सभी माननीय सदस्य बोल चुके हैं. आप एक मिनट में बात समाप्त करें.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं नीमच से आता हूँ, जो भोपाल से अंतिम छोर है. नीमच डार्क जोन घोषित हो गया है, यहां जल स्तर बहुत नीचे जा रहा है. मैं आपके माध्यम से, माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करूँगा कि जो मालवा और मेवाड़ की भूमि है, वहां सी.आर.पी.एफ. की जन्मस्थली नीमच है और वहां 1.50 लाख की आबादी है. वहां जल निगम से स्टेज वन का सर्वे हो गया है. जब गांधी सागर बना था, वहां नीमच और मन्दसौर की भूमि डूब में गई थी तो मेरे यहां जल निगम से नीमच तहसील के 188 गांव और 652 गांव नीमच जिले में हैं. यदि गांधी सागर, चम्बल का पानी यदि नीमच में आ जायेगा तो हमारे यहां की जल समस्या का निराकरण हो जायेगा एवं कई बार सामाजिक संगठनों ने रैलियां निकाली हैं और बंद किया है, कृति वगैरह संगठन ने भी मांग की है. मेरा आपसे यही निवेदन है कि गांधी सागर से नीमच पानी आये तो इसकी स्वीकृति प्रदान कर दें. दूसरा, नीमच विधानसभा में थ्री फेज की 25 मोटरें दे दें. जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है, आप जो 600 फीट पर ट्यूबवेल करवाते हैं, मेरे जिले में 800 फीट पर करवा दें तो उससे जल स्तर बढ़ जायेगा और अड़मारिया और चीताखेड़ा में जो नल-जल योजनाएं बन्द पड़ी हैं, आप उन्हें स्वीकृत कर दें या खुमान सिंह, शिवाजी या ठीकरिया डेम से जो 38 गांवों हेतु पीने के पानी की योजना बनी थीं, उसको स्वीकृति दे दें. आप कुछ न कुछ जरूर कर दें क्योंकि नीमच जिला आखिरी छोर पर है. यह मेवाड़ और मालवा के क्षेत्र में है. यहां जल स्तर बहुत नीचे है. इसलिए आज कोई न कोई योजना आदरणीय दीदी जरूर मंजूर कर दें और आपने जेल में सुधार कार्य किया है. मेरा आपसे निवेदन है कि आप जेल में योग करने के लिए या ध्यान करने के लिए स्थान बनवा दें. जब, मैं रक्षाबन्धन पर जेल में गया था तो मैंने अपनी विधायक निधि से कुछ राशि दी थी. वहां के लोगों की मांग रहती हैं, उन्हें सुधारने के लिए कुछ करें. आप गांधी सागर के पानी की स्वीकृति नीमच जिले को दें और शहरी क्षेत्र में दें क्योंकि वहां भी बहुत लोग निवास करते हैं. वहां 5 दिन में पानी मिलता है, वहां फ्लोराइड की समस्या है, घुटने अकड़ जाते हैं, दांत खराब हो जाते हैं तो उससे भी उन्हें मुक्ति दिलायें. आपने बोलने के लिए समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री प्रताप सिंह (जबेरा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जबेरा विधानसभा क्षेत्र के मुख्यालय जबेरा की जनसंख्या 12,000 है लेकिन वहां पर गर्मियों में पेयजल की विकराल समस्या रहती है. आज तक वहां टंकियां नहीं हैं. मैं चाहूँगा कि वहां इतनी बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद, यदि टंकी की भी इसी बजट में दीदी घोषणा करेंगी तो उस क्षेत्र एवं गांव के लोगों के लिए बहुत बड़ी राहत होगी, साथ ही कुछ पहाड़ के क्षेत्र भी हैं. इमलीडोल, जामोन, हर्रई, चन्ना एवं पलवा इन क्षेत्रों में 25 किलोमीटर तक कहीं पानी नहीं है, हमने वहां के गांवों में 1,000 फीट तक बोर करवाये लेकिन वहां पानी नहीं निकलता है और पास ही एक नदी जो जबलपुर जिले से निकलती है. हरण्या नदी, वह सिर्फ 5 किलोमीटर दूर है, भाट है. वहां पर काफी पानी है, यदि 5 किलोमीटर दूर से पानी लिफ्ट किया जाये तो करीब 20-25 गांवों की पेयजल की समस्या हल होंगी. यदि माननीय मंत्री जी इसकी भी घोषणा करेंगे तो उस क्षेत्र के लोगों को बहुत खुशी होगी.
श्री नारायण सिंह पॅवार (ब्यावरा) -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा, अत्यंत पेयजल संकटग्रस्त क्षेत्र है. माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के बाद वहां एक 141 करोड़ रुपए की सतही नलजल योजना 120 गांव की तैयार की है. योजना की मंजूरी भी हो गई है. मुझे लगता है उसके टेंडर की प्रक्रिया चल रही होगी उसके लिए मैं धन्यवाद करता हूं. एक और 106 करोड़ की योजना पार्वती नदी के ऊपर विचाराधीन है. वह शायद तकनीकी स्वीकृति के लिए दिल्ली गई है. जो भी प्रक्रिया में हो उसे शीघ्र करें. लेकिन ब्यावरा राजगढ़ जिले का सबसे बड़ा विकासखण्ड है. माननीय से निवेदन है कि उस विकासखण्ड में अभी तक सब डिवीजन नहीं है एक सब-डिवीजन अगर घोषित करेंगे तो निश्चित रूप से लाभ मिलेगा. 275 गांव मेरे क्षेत्र में आते हैं. राजगढ़ में मुख्यालय पर डिवीजन होने के कारण ब्यावरा में कुछ मेंटेनेंस की व्यवस्था नहीं हो पाती है. संकट बना रहता है इसलिए एक सब-डिवीजन जरूर घोषित करें, ऐसा माननीय मंत्री जी से निवेदन है. धन्यवाद.
श्री मुरलीधर पाटीदार (सुसनेर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं संक्षिप्त में मेरे विधानसभा क्षेत्र की बात करना चाहता हूं. मैं मांग संख्या 5 और 20 का समर्थन करता हूं. मैं सबसे पहले तो मंत्री महोदया को और मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. मेरे यहां आगर जिले में 610 करोड़ की समूह नलजल योजना उन्होंने स्वीकृत की है. मेरा आग्रह है कि शाजापुर जिले की 19 पंचायतें भी इसमें शामिल हैं. वह गांव इसमें छूट गए हैं. मेरा निवेदन है कि वह गांव भी इसमें शामिल कर लिए जाएं. मेरा दूसरा आग्रह यह है कि वास्तव में वॉटर लेवल सबसे ज्यादा कम है तो मालवा बेल्ट में ही है और मेरे विधानसभा क्षेत्र में तो बहुत ही ज्यादा कम है. कोई बड़े तालाब, कोई नदी या कोई डेम नहीं है. कुंडलिया डेम बनने में अभी टाइम लगेगा. मेरा आग्रह है कि हर गांव में 8-8 इंच के बोर और एक मोटर सिंगल फेस की दिलवाई जाए तो निश्चित तौर पर लोगों को गर्मी में राहत मिलेगी. मेरा अंतिम आग्रह यह है कि 45 इंच बारिश इस साल हुई 85 इंच पिछले साल हुई और कलेक्टर बोर खनन पर प्रतिबंध लगा देते हैं. प्रतिबंध केवल कागज पर लगता है और उसमें थाने वाले एस.डी.एम. तहसीलदार कहीं न कहीं अपनी मनमानी करते हैं. पीछे के रास्ते से खनन करवाते हैं या तो खनन पर रोक ही न लगे और रोक लगे तो पूर्णत: रोक लगे. धन्यवाद.
श्री मानवेन्द्र सिंह (महाराजपुर) -- उपाध्यक्ष महोदय, निश्चित ही बुंदेलखंड में जल स्तर काफी नीचे जा रहा है. मैं माननीय मंत्री जी को आपके माध्यम से धन्यवाद देना चाहूंगा कि काफी बड़ी जल योजना के अंतर्गत उन्होंने पीने के पानी की व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्रों में भी की है, परंतु जो जल स्तर की बात है उसमें मेरा एक सुझाव है कि अन्य विभाग का सहयोग लेते हुए छोटे-छोटे नालों के चेक डेम्स और जो जलाशय, प्राकृतिक जलाशय जो ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, जंगलों में हैं उनका गहरीकरण किया जाए तो जल स्तर के मेंटेनेंस में काफी सहयोग मिलेगा. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री लखन पटेल ( पथरिया) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को आपके माध्यम से धन्यवाद देना चाहूंगा कि 565 करोड़ रुपए की मेरे विधानसभा क्षेत्र में समूह नल-जल योजना स्वीकृत हुई है. मेरा अनुरोध है कि उनका शीघ्र टेंडर करवाकर काम प्रारंभ करा दें. दूसरा ग्राम नगरई में टंकी स्वीकृत है. जिसका काम चल रहा है, परंतु पेमेंट न होने की वजह से वह काम काफी दिनों से बंद पड़ा हुआ है. इसी प्रकार मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक सबसे बड़ा गांव बासा है. जिसकी जनसंख्या 15 हजार है. वहां पर टंकी बनी हुई है परंतु जो उसका पानी का सोर्स था वह लेप्स हो गया है. अब वहां कोई सोर्स नहीं है. तत्काल में पथरिया नगर पंचायत में वॉटर सप्लाई करीब 23 करोड़ रुपए की स्वीकृत होकर काम चल रहा है. मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि वहां से ढाई किलोमीटर दूर बासा गांव लगा हुआ है. अगर वहां से सिर्फ पाइप लाइन वॉटर फिल्टर से ले जाकर उस टंकी में पाइप लाइन जोड़ देंगे. तो मुझे लगता है कि पूरे गांव की जनसंख्या का पानी का समाधान हो जाएगा. मैंने इसका एस्टीमेट बनवाया है. इसमें लगभग 83 लाख रुपए की लागत है. मैं मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि अगर इसकी स्वीकृति दे देंगी तो बहुत कृपा होगी इससे 15 हजार लोगों के लिए पानी की व्यवस्था हो सकेगी. आपने समय दिया बहुत बहुत धन्ययवाद.
श्री कुंवर जी कोठार (सारंगपुर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सारंगपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत हैंडपंप का वाटर लेवल बहुत नीचे चला गया है जिसके कारण ग्राम पंचायतों में हैंडपंप के लिए 15-20 सिंगल फेस मोटरें उपलब्ध कराई जाती हैं लेकिन मेरी माननीय मंत्री महोदय से मांग है कि इस बजट में कम से कम सारंगपुर विधान सभा क्षेत्र में कम से कम 100 मोटरें प्रदाय करने का प्रस्ताव बजट में जोड़ देंगी तो ग्रामवासियों को सरलता से जल आपूर्ति हो सकेगी. आपने बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल (वारासिवनी)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करुंगा कि वारासिवनी विधान सभा क्षेत्र में जागपुर ग्राम पंचायत से बेनगंगा नदी बहती है. वहां की समूह योजना का डीपीआर दो वर्ष से दिया हुआ है. 18 करोड़ रुपए की वह योजना है. उससे लगभग 20 गांवों को पीने का शुद्ध पानी मिल सकेगा. वहां का स्ट्रेटा बहुत हार्ड है इसलिए बोर भी सक्सेस नहीं होते हैं. इस तरफ मैं माननीय मंत्री महोदय का ध्यान आकर्षित कराता हूँ. आपने बोलने का समय दिया, उसके लिए धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं जेल एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की मांगों का समर्थन करता हूँ. श्योपुर जिले में, श्योपुर विधान सभा क्षेत्र में चंबल नदी से कुछ गांवों को पानी देने के लिए योजना बनाई गई थी. सर्वे कार्य होकर भोपाल स्तर पर भेजा गया लेकिन अभी तक वह योजना मंजूर नहीं हो पाई है. श्योपुर में अभी से जल स्तर बहुत नीचे चला गया है. वहां पर अधिकांश आदिवासी क्षेत्र है उस क्षेत्र में पेयजल की समस्या निरंतर बनी रहती है. इस समस्या के समाधान के लिए चंबल की जो योजना बनाई है उसकी स्वीकृति जल्दी किए जाने की आवश्यकता है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करता हूँ कि उस योजना को मंजूरी देकर उस कार्य को कराएं. एक निवेदन यह है कि पेयजल के लिए सरकारी खनन तो करते हैं लेकिन कई बार पूर्ति नहीं हो पाती है. जब खनन पर प्रतिबंध लग जाता है, निजी स्तर पर अगर कोई पेयजल के लिए खनन करना चाहता है तो ऐसी स्थिति का परीक्षण करके उनको बोर खनन करने की अनुमति दी जाना चाहिए. गर्मी के समय जब पानी का संकट रहता है और कोई निजी स्तर पर खनन कराकर पानी की सप्लाई के लिए तैयार रहते हैं, गांव में ऐसे कई लोग होते हैं उनको प्रतिबंध से मुक्त रखा जाना चाहिए. अगला मेरा निवेदन यह है कि अभी श्योपुर में 40 बोर खनन की अनुमति मिली है यह बहुत कम है. 40 खनन से श्योपुर विधान सभा क्षेत्र में कुछ हो नहीं सकता है. इसको बढ़ाकर कम से कम 150 या 200 खनन करने की अनुमति दी जानी चाहिए ताकि वहां पर पेयजल की समस्या से निजात मिल जाए. जहां आवश्यकता है वहां मोटर भी दी जानी चाहिए. पीएचई विभाग से जो मोटरें जाती हैं उनको व्यवस्थित तरीके से उन स्थानों पर जहां पानी का संकट है वहां पर लगाया जाए. वहां पर अधिक से अधिक मोटर देने के लिए माननीय मंत्री जी आदेशित करेंगी, यही मेरा निवेदन है. धन्यवाद.
श्रीमती उमादेवी लालचंद खटीक (हटा)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और प्रभारी मंत्री कुसुम जिज्जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूँ. उन्होंने समूह नलजल योजना के अन्तर्गत हमें जो योजना दी है वह वास्तव में तारीफ-ए-काबिल है. मैं क्षेत्र की जनता की ओर से भी उन्हें साधुवाद देती हूं. हटा नगर की जल आवर्ध्दन योजना का कार्य लगभग पूर्ण हो चुका है. मैं शासन से निवेदन करती हूँ कि जल आवर्ध्दन योजना, नगर पालिका हटा को हैंडओव्हर कर दी जावे जिससे 15 वार्डों को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सके. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में विभाग के कर्मचारियों की बहुत ही कमी है जिसकी पूर्ति की जावे एवं हैंडपंप सुधार हेतु हैंडपंप टेक्नीशियन को प्रशिक्षित कर भर्ती की जावे जिससे क्षेत्र का कार्य सुगमता से चले. आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री वैलसिंह भूरिया (सरदारपुर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे केवल एक मिनट बोलने के लिए दे दीजिए. मैं भाषण नहीं दूंगा केवल अपने क्षेत्र की समस्या सदन में रखना चाहता हूं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, संसदीय कार्य मंत्री जी ने कल और परसों सदन में एक बहुत ही अच्छी व्यवस्था प्रस्तुत की थी. नेता प्रतिपक्ष, बाला बच्चन जी, डॉ.गोविंद सिंह जी एवं स्वयं मुकेश नायक जी ने भी उसमे सहमति दर्ज कराई थी. जब विभाग की मांगों पर चर्चा शुरू होती है तो ओपनर पूरे समय सदन में बैठेगा. माननीय नरोत्तम जी की चिंता स्वाभाविक थी. आज मुकेश नायक जी शुरूआत करके चले गए हैं और तब से लेकर अब तक नहीं आए हैं.
डॉ. गोविंद सिंह- मुकेश नायक जी नहीं हैं तो क्या हुआ. हम तो बैठे ही हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- आसंदी ने एक व्यवस्था देते हुए इसे स्वीकार किया था. यह दो दिन पहले तय हुआ था.
कुँवर विजय शाह- माननीय उपाध्यक्ष जी, जैसा कि यशपाल जी ने अपनी बात रखी, मुकेश नायक जी शुरू करते हैं और भाग जाते हैं. इनकी पहले से ही आदत है. महर्षि विद्यालय शुरू किया और फिर वहां से भाग गए. फिर न जाने किस दूसरी पार्टी में गए और वहां से भाग गए. शुरू करके भागने बहुत पुरानी आदत मुकेश नायक जी की है.
डॉ. गोविंद सिंह- मुकेश नायक जी के स्थान पर मैं हूं. हम संसदीय कार्य मंत्री जी के आदेश से बंधे हुए नहीं हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- यह एक बेहतर व्यवस्था थी. आसंदी ने उसे स्वीकार किया था. नेता प्रतिपक्ष और बाला बच्चन जी ने भी इसे स्वीकार किया था और आज ही डिमांड पर मुकेश नायक जी अपना भाषण देकर चले गए हैं. नरोत्तम जी के सुझाव का आसंदी ने इसे स्वीकार किया था. मैं ओपनर की बात कर रहा हूं. सब्सीट्यूट की बात नहीं कर रहा हूं. सब्सीट्यूट तो हम सभी हैं. ओपनर को बैठना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय- यशपाल जी, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह- मैं आप सभी को एक खुशखबरी देता हूं. आपके संसदीय कार्य मंत्री जी आज ''दादा'' बन गए हैं. उनके पुत्र को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है. क्या आप लोग इनसे पार्टी नहीं लेंगे ?
उपाध्यक्ष महोदय- डॉ. गोविंद सिंह जी, आप बैठ जाईये और पहले मेरी बात सुनिये. कल माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने ये प्रस्ताव रखा था और आसंदी से यह व्यवस्था दी गई थी. कृपया सभी दल के लोग यह सुनिश्चित करें कि जो लोग ओपन करते हैं, वे सदन में रहें.
डॉ. गोविंद सिंह- मुकेश नायक जी मुझे बोलकर गए हैं कि उनके मेहमान जर्मनी से आए हैं.
कुँवर विजय शाह- महर्षि योग विद्यालय वाले तो नहीं थे ?
उपाध्यक्ष महोदय- भूरिया जी, आप कृपया जल्दी से अपनी बात रखिये.
श्री वैलसिंह भूरिया- मैं माननीय मंत्री महोदया को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने मेरे क्षेत्र में रिगनोद जल समूह योजना तो स्वीकृत कर दी है, लेकिन राजोद जल समूह योजना भी अत्यंत आवश्यक है. मैं माननीय मंत्री महोदया से निवेदन करूंगा कि वे राजोद जल समूह योजना को भी स्वीकृत करें एवं हमने दसई जल समूह योजना बनाकर भेजी थी, उस पर भी यदि मंत्री महोदया विचार करके स्वीकृति प्रदान करेंगी तो मेरे क्षेत्र में गरीबों और किसानों को पीने का पानी उपलब्ध हो सकेगा. उपाध्यक्ष महोदय, बोलने का समय देने के लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री आर.डी.प्रजापति (चन्दला)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं केवल एक मिनट लूंगा. मेरा मंत्री महोदया से निवेदन है कि मेरी चंदला विधान सभा में चंदला नगर पंचायत में पानी की टंकी पूरी तरह से जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में है. मंत्री जी कृपया नई टंकी बनवा दें और पुरानी टंकी को गिरवा दें. इसके अलावा मेरे यहां हैण्डपंप की सबसे ज्यादा कमी है. मेरी विधान सभा में कम से कम 100 हैण्डपंप देने की कृपा करें. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बाला बच्चन- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ये बहुत ही अच्छी खबर सुनने को मिली है कि हमारे संसदीय कार्य मंत्री जी दादा बन गए हैं. हम उन्हें बधाई और शुभकामनाएं देते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय- मैं आसंदी की तरफ से माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं. (मेजों की थपथपाहट)
डॉ. नरोत्तम मिश्र- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप सभी का आर्शीवाद है. आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद. लेकिन मैं डॉ. गोविंद सिंह जी से यह जानना चाहता हूं कि उन्होंने मेरे नाम का उल्लेख किया है. व्यवस्था आसंदी की ओर से आई थी, मैंने कहां व्यवस्था दी थी. मैंने तो केवल व्यवस्था का प्रश्न उठाया था.
उपाध्यक्ष महोदय- मैं आपकी बात से सहमत हूं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- डॉ.गोविंद सिंह जी ने कहा कि मुकेश नायक जी के प्रतिनिधि के रूप में, वे सदन में हैं. क्या गोविंद सिंह जी बतायेंगे कि मुकेश नायक जी उनके नेता हैं और क्या वे मुकेश नायक जी को अपना नेता स्वीकार करते हैं. गोविंद सिंह जी आप खड़े होकर बोलिये कि आप मुकेश नायक जी को अपना नेता मानते हैं.
डॉ. गोविंद सिंह- विपक्ष में जो सदस्य हैं, वे सब हमारे नेता हैं, हम उन्हीं के अनुयायी हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- आप तो केवल मुकेश नायक जी के बारे में बताईये.
कुँवर विजय शाह- नरोत्तम जी आप चाहते क्या हैं ? कल आपने गोविंद सिंह जी को सिंधिया जी के नाम पर फंसा दिया और आज मुकेश नायक जी के नाम पर.
डॉ. नरोत्तम मिश्र- गोविंद सिंह जी कभी झूठ नहीं बोलते हैं.
श्री बाला बच्चन- नरोत्तम जी, हमारे डॉ. साहब को हमेशा फंसाना ही चाहते हैं.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विभाग की...
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- एग्जिक्ट पोल में नेता जी यू पी में फँस गए आप. यू पी में बीजेपी लीडिंग पार्टी हो रही है. एग्जिट पोल आ रहे हैं.
श्री बाला बच्चन-- एक दिन के इंतजार की बात है परसों सब पता चल जाएगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- मैं तो सिर्फ एग्जिट पोल की बात कर रहा हूँ. उसमें फँस गए आप.
श्री बाला बच्चन-- कोई सरकार नहीं बना रहे हैं. सरकार बनेगी तो हमारे गठबंधन की ही सरकार बनेगी. यह ध्यान रखना.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- नेताजी बहुत पीछे हों.
उपाध्यक्ष महोदय-- बड़ा मुश्किल है, सूत न कपास, जुलाहों में लठा-लठी है. माननीय मंत्री जी आप बोलिए.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विभागों की चर्चा में माननीय 23 सदस्यों ने भाग लिया है और मैं उन सभी का धन्यवाद करती हूँ और उन्होंने बहुत बढ़िया सुझाव दिए हैं और मुझे अपने विभागों को चलाने में उन सुझावों से काफी मदद मिलेगी तथा मैं भरसक प्रयास करूँगी कि सदस्यगण ने जो भी अपेक्षाएँ रखी हैं, मांगें रखी हैं, उनको मैं पूरा करने का भरसक प्रयास करूँगी और पहले मैं समझती हूँ कि उन्हीं की बातों का जवाब दे दूँ. उसके बाद मैं अपने विभाग की चर्चा करूँगी.
उपाध्यक्ष महोदय, मुकेश नायक जी से मैं कहना चाहती हूँ, जो सदन में नहीं हैं, हमेशा इसी प्रकार चले जाते हैं. इस वित्तीय वर्ष में उनको 65 नवीन हैण्डपंप दिए हैं और उनके क्षेत्र में 54 सिंगल फेस मोटर पंप लगाए गए हैं. 55 नल जल योजनाओं में से 12 योजनाएँ चालू कर ली गई हैं और बाकी की प्रक्रियाधीन हैं. उपाध्यक्ष महोदय, 3394 स्थापित हैण्ड पंपों में से उनके क्षेत्र में 3313 हमने चालू कर दिए हैं. मझगवां बाँध स्रोत पर आधारित 118 ग्रामीण समूह जल प्रदाय योजना की निविदा आमंत्रित की गई है, जिसके लिए उन्हें मुझे धन्यवाद देना चाहिए. उपाध्यक्ष महोदय, चौधरी मुकेश सिंह जी के लिए मैं कहना चाहती हूँ कि मेहगाँव में शीघ्र ही उप खण्ड कार्यालय खोला जाएगा. वे भी गायब हो गए. उपाध्यक्ष महोदय, जिन हैण्ड पंपों में जल स्तर नीचे चला गया है वहाँ सिंगल फेस मोटर पंप की स्थापना कर पेयजल व्यवस्था की जाएगी. उपाध्यक्ष महोदय, श्रीमती शीला त्यागी जी ने कहा कि मनगवां विधान सभा क्षेत्र की 15 बंद नल जल योजनाओं में से 2 चालू कर दी गई है, शेष को चालू करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. वे भी चली गई हैं. इस वित्तीय वर्ष में 65 सिंगल फेस पंप की स्थापना उनके क्षेत्र में की गई है और इस वित्तीय वर्ष में 77 नवीन हैण्ड पंप स्थापित किए गए हैं. बहादुर सिंह जी से मैं कहना चाहती हूँ कि पीएचई में अब एक ही ठेकेदार के द्वारा योजना का निर्माण और संधारण किया जाएगा और माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुसार अब जो भी ठेकेदार काम करेगा. अब वह पूरे पाँच साल काम करेगा. जिससे कभी कोई गड़बड़ी की आशंका ही नहीं रहेगी और पाँच साल तक बढ़िया काम चलेगा. (मेजों की थपथपाहट)
श्री बहादुर सिंह चौहान-- मैंने सब डिवीजन का कहा था.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- बहादुर सिंह जी चौहान, आपका कह दिया ना कि आपके यहाँ भी हम कार्यालय खोलेंगे, सब डिवीजन खोलेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान-- धन्यवाद.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- उपाध्यक्ष महोदय, पाइपों के माध्यम से जल प्रदाय का तात्पर्य नल जल योजनाओं के माध्यम से जल प्रदाय है और बलवीर सिंह डण्डौतिया जी दिमनी से...(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदय-- वेल सिंह जी, इसमें प्रश्नोत्तर नहीं है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- आपका भी नंबर आएगा. आपने आखरी में बोला है. श्री बलवीर सिंह जी डण्डौतिया, दिमनी विधान सभा की 23 बंद नल जल योजनाओं को चालू करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है और दिमनी विधान सभा के 945 हैण्ड पंप सुधारे गए हैं और 141 हैण्ड पंपों में से 723 मीटर राइजर पंप बढ़ाया गया है. नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह जी से निवेदन करना चाहती हूँ, वे चले गए हैं, आपने बंद नल जल योजनाओं को चालू करने का अनुरोध किया है. विशेषकर दो क्षेत्रों में बुंदेलखण्ड एवं रीवा संभाग में, मैं आपको आश्वस्त करती हूँ कि हमने सभी खराब नल जल योजनाओं के सुधार हेतु योजना बनाई है और 991 योजनाओं के सुधार हेतु ग्राम पंचायतों को राशि हमने दे दी है. यह मैं गर्व के साथ कह रही हूँ तो लगभग दो हजार योजनाओं के सुधार हेतु राज्य शासन स्तर से स्वीकृति दी गई है और इस कार्य के टेण्डर लगाए जाकर शीघ्र ही प्रारंभ किए जा रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, दिलीप सिंह जी परिहार से मैं कहना चाहती हूँ कि नीमच एवं मंदसौर जिले के ग्रामीण क्षेत्र में गाँधी सागर बाँध से 1735 ग्रामों हेतु तीन हजार करोड़ की योजना दी है और ..(मेजों की थपथपाहट)
श्री दिलीप सिंह परिहार-- बहुत बहुत धन्यवाद.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- इसकी डीपीआर तैयार की गई है. वित्तीय व्यवस्था होने पर शीघ्र ही कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा. श्री नारायण सिंह पँवार ब्यावरा से कहना चाहती हूँ कि ब्यावरा विधान सभा क्षेत्र की 76 ग्रामों की पहाड़गढ़ समूह जल प्रदाय योजना को 89.21 करोड़ रुपये की तैयार की गई है और वित्तीय संयोजन उपरान्त तत्काल इसमें काम चालू कर दिया जाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- (व्यवधान).....श्री नारायण सिंह जी, आप बैठ जाएं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसका भी हम परीक्षण करा लेंगे. आप तो बाद में मिलकर मुझसे जानकारी ले लीजिए.
उपाध्यक्ष महोदय -- जवाब देना जरूरी नहीं है. आप आगे जारी रखें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कुंवर सौरभ सिंह जी से कहना चाहती हॅूं कि कटनी जिले में 9904 हैंडपम्प में से 9786 चालू हैं और 289 नल-जल योजनाओं में से 259 चालू हैं. बंद नल-जल योजनाओं में से 12 योजनाएं हाल ही में चालू कर दी गई हैं और शेष पर कार्यवाही प्रक्रियाधीन है. भले ही विपक्ष के विधायक हैं लेकिन हमने आपकी पूरी चिन्ता की है. मन में कोई भेदभाव नहीं है. माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार में कहीं कोई भेदभाव नहीं होता, छोटे से बडे़ तक आखिरी में खडे़ होकर शुरू में खडे़ होने वाले तक हम कोई भेदभाव नहीं करते, सबका समान भाव से कार्य करते हैं.
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुंवर विजय शाह) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जीजी सबको पानी पिला रही हैं. जब कांग्रेस की सरकार थी, हमने 10 साल भुगता है. एक नल-जल योजना नहीं दी थी हमको.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- उपाध्यक्ष महोदय, तब भी हम पानी पिलाते थे. भाषण देकर पानी पिलाते थे.
कुंवर विजय शाह -- अरे जीजी, आप बहुत महान हैं.
श्री बाला बच्चन -- अभी माननीय मंत्री जी आप रूकिए. आपका विभाग आने वाला है. कल आपके विभाग की चर्चा होना है. हम आएंगे उस पर.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से श्री सौरभ सिंह जी से कहना चाहती हॅूं कि बंद नल-जल योजनाओं में से 12 योजनाएं हाल ही में चालू कर दी गई हैं और जून 2017 तक के लिए 110 नवीन हैंडपम्प आपके विधानसभा क्षेत्र में लगाए जाएंगे और हैंडपम्प सुधारों के लिए हमने 1 करोड़ 35 लाख की धनराशि भी आपके विधानसभा को दी है. कम से कम अब तो मेज थपथपा दीजिए. (मेजो की थपथपाहट)..वह नहीं थपथपाएंगे. श्री फुन्देलाल सिंह मार्को जी राजेन्द्र ग्राम की समूह जल प्रदाय योजना लागत 53.33 करोड़ की स्वीकृत कर दी गई है इस योजना से 51 ग्राम लाभान्वित होंगे और निविदा स्वीकृत हो गई है और कार्य शीघ्र प्रारम्भ किए जाएंगे. श्री दुर्गालाल जी विजय जून 2017 तक के लिए 100 नवीन हैंडपम्प श्योपुर में लगाएं जाएंगे.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) -- माननीया मंत्री महोदया जी, किरगी जल प्रदाय योजना की आपने जो स्वीकृति दी है, उसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हॅूं.
कुंवर विजय शाह -- देखिए यह बात होती है. सही आदिवासी यह होता है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- बिल्कुल, मन साफ होता है. आपको धन्यवाद देती हॅूं.
श्री बाला बच्चन -- वे भी तो हमारे ही विधायक हैं. उनके मन से हमारे मन का भी अनुमान लगा लीजिए.
कुंवर विजय शाह -- देखिए, श्री फुन्देलाल जी के बराबर आप नहीं कर सकते. (हंसी)......
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- श्री आर.डी.प्रजापति जी, आप तो हमारे अपने हैं सभी अपने हैं लेकिन आप विशेष अपने हैं. (हंसी)......जून 2017 तक के लिए छतरपुर जिले में 150 नवीन हैंडपम्प स्वीकृत किए गए हैं और आपके क्षेत्र में जितने कहेंगे, उतना लगवा दूंगी.(हंसी)...श्री वैलसिंह भूरिया जी, जिग्नोद समूह योजना लागत 66 करोड़ एवं राजौद समूह योजना रूपये 112 करोड़ की व्यवस्था होने पर स्वीकृत कर दी जाएगी.
श्री आर.डी.प्रजापति (चंदला) -- माननीया मंत्री जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अब अपने विभागों की थोड़ी-सी चर्चा करने की अनुमति देंगे ?
कुंवर जी कोठार (सारंगपुर) -- माननीय मंत्री जी, सारंगपुर का भी बता दीजिए.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- वहां पहले ही कर दिया.
श्री दिलीप सिंह शेखावत (नागदा-खाचरौद) -- माननीया मंत्री जी, मैंने कहा, उसमें पानी कहां से देंगे ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- हमने नागदा की सारी योजनाएं स्वीकृत कर दी हैं. (कई सदस्यों के एक साथ बोलने पर) आप सबका काम कर दूंगी. आपको तो मैंने ऐसे ही चर्चा में कह दिया था, कर दूंगी आपका.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, खारे पानी के संबंध में, हमने जो पंचायतों का जिक्र किया था...
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- अभी भाषण में जिक्र करूंगी.
उपाध्यक्ष महोदय -- माननीया मंत्री जी, आप अपना भाषण जारी रखें.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जिनका रह गया है, वे बाद में मुझसे चर्चा कर लेंगे. मैं सबका कर दूंगी. मैं आपको एक जानकारी देना चाहती हॅूं कि सत्र के पहले ही मैंने सभी माननीय विधायकगण को पत्र लिखे थे और सबको कुछ न कुछ दिया था. अगर आप लोगों ने वह पत्र न पढ़ा हो, तो कृपा करके पढ़ लें और 230 में से 230 माननीय सदस्यों का हमने ध्यान रखा है. उनको कोई न कोई योजना में लाभ दिया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे लिए प्रसन्नता की बात है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की मांग पर आज अनेक सदस्यों ने चर्चा की है और श्री वैलसिंह भूरिया जी के प्रति भी आभार प्रकट करती हॅूं उनका मैं काम कर दूंगी. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में वर्ष 2017-18 के लिए कुल रूपये 3670 करोड़ का प्रावधान किया गया है इस राशि में से रूपये 1149 करोड़ का प्रावधान मध्यप्रदेश जल निगम के लिए किया गया है.जल निगम सतही जल, याने धरती का सीना नहीं चीरेंगे बल्कि हम सतह के जल का उपयोग करके नल जल योजनायें बनाएंगे तो हमने 1149 करोड़ का प्रावधान मध्यप्रदेश जल निगम के लिये सतही स्त्रोत आधारित नल जल योजनाओं के लिए क्रियान्वित किया है और आपसे मैं यह निवेदन करना चाहती हूं कि राज्य योजना आयोग से हमने 398 करोड़ का उपयोग इस कार्यक्रम के अंतर्गत किया है. माह फरवरी 2017 तक रुपये 313 करोड़ का हमने व्यय कर लिया है. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाली 5.25 करोड़ की आबादी के लिये पेयजल उपलब्ध कराने का कार्य करती है. पूर्व में प्रदेश में पेयजल व्यवस्था मूल रूप से हैंड पंप पर आधारित रही है लेकिन अब हम प्रदेश की अधिकांश क्रियान्वित नल जल योजनायें भी भू-जल पर आधारित ही बनाएंगे जिससे कि धरती माता को बार-बार नहीं खोदना पड़े और जो धरती आधारित जल है उसमें कमी नहीं हो,जल स्तर कम नहीं हो, इसकी हम चिंता करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, पेयजल व्यवस्था के संबंध में राष्ट्रीय नीति, अब हैंडपंपों के स्थान पर नल जल प्रदाय योजनाओं से घरेलू कनेक्शन देकर पेयजल उपलब्ध कराने हेतु भारत शासन द्वारा वर्ष 2022 में 90 प्रतिशत उपभोक्ताओं को घरेलू कनेक्शन के माध्यम से जल उपलब्ध कराने का प्रावधान रखा गया है. प्रदेश में नल जल योजनाओं के माध्यम से पेयजल प्रदाय करने की योजनाओं के वृहद स्वरूप में मय क्रियान्वयन और विद्यमान पेयजल योजनाओं के संधारण हेतु इस बजट में एक नवीन कार्यक्रम का प्रावधान किया गया है जिससे मैं गर्व से कह सकती हूं कि वर्ष 2017-18 हेतु इस कार्यक्रम में 900 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है और यह कार्यक्रम पूर्ण रूप से राज्य मद से पोषित है, केंद्र से हमने इसमें पैसा नहीं लिया है. प्रदेश की कुल 1 लाख 27 हजार 552 बसाहटों में से 1 लाख 5 हजार 78 बसाहटों में से 55 लीटर प्रति व्यक्ति के हिसाब से हम आज भी पानी दे रहे हैं और व्यवस्था हमने कर दी है और वित्तीय वर्ष 2016-17 में हम 5500 ग्रामीण बसाहटों के विरुद्ध 5072 बसाहटों में उपरोक्ताअनुसार पेयजल की व्यवस्था की जा चुकी है. वित्तीय वर्ष के अंत तक हम लक्ष्य से अधिक बसाहटों में पेयजल व्यवस्था करने में सफल रहेंगे. वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य मद के अंतर्गत 10 हजार बसाहटों के हैंडपंप के माध्यम से आच्छादन करते हुए रुपये 120 करोड़ का प्रावधान किया गया है और मुझे बताते हुए गर्व है कि हमारे मुख्यमंत्री जी ने 8 हजार हैंडपंप लगाने की अनुमति दी है. वर्ष 2016-17 में माह फरवरी में 2017 तक कुल 400 लक्षित नल जल योजनाओं के विरुद्ध 371 नल जल योजनाओं को हमने पूर्ण कर लिया है और ग्रामीण क्षेत्र की जल प्रदाय की राष्ट्रीय नीति अब घरेलू नल कनेक्शनों के माध्यम से जल प्रदाय करने की है. प्रदेश सरकार द्वारा इस नीति के अनुसार कार्य करने हेतु वित्तीय वर्ष 2017-18 में राष्ट्रीय एवं राज्य कार्यक्रमों के अंतर्गत 5 हजार बसाहटों को पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है और 2016-17 में पेयजल स्त्रोतविहीन 629 ग्रामीण शालाओं में हमने पेयजल दे दिया है और वर्ष 2017-18 में सब की सब शासकीय भवनयुक्त शालाओं में पेयजल उपलब्ध करा देंगे. इसी प्रकार से हमने शासकीय भवनयुक्त 526 ग्रामीण आंगनवाड़ियों में भी पेयजल उपलब्ध करा दिया है और जो बची हैं उन सबमें अगले साल हम पेयजल उपलब्ध करा देंगे. अभी फ्लोराइड वाले पानी के लिए आप कह रहे थे कि उसके लिए व्यवस्था नहीं है उसके लिए मैं निवेदन करना चाहती हूं कि प्रदेश के 28 जिलों में से 9183 बसाहटों में फ्लोराइड, लौह तत्व, खारे पानी की अधिकता पाई गई है जिसके कारण उनका जल पीने के लिए उपयुक्त नहीं है इसीलिए हमने व्यवस्था की है इनमें से 1638 बसाहटों में स्थाई एवं 7392 बसाहटों में वैकल्पिक पेयजल स्त्रोतों की व्यवस्था हमने कर दी है और शेष 153 बसाहटों में वैकल्पिक व्यवस्था वित्तीय वर्ष 2017-18 में करने हेतु कुल रुपये 25.50 करोड़ का प्रावधान हमने कर दिया है. मुझे उम्मीद है कि 2018 तक हम खारे पानी की समस्या का समाधान कर लेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जहाँ एक ओर पेयजल की मात्रात्मक उपलब्धता सुनिश्चित कर जल प्रदाय के स्तर में बढ़ोतरी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर जीवन स्तर में भी उन्नयन का प्रयास कर रहा है. हमें यह कहते गर्व है कि अभी तक राज्य में पेयजल की जाँच करने के लिए कोई भी अनुसंधानशाला नहीं थी तो अभी एक हफ्ते पूर्व ही हमने उसका लोकार्पण किया है. विभाग द्वारा राज्य स्तर पर एक राज्य अनुसंधान प्रयोगशाला बनाई गई है और प्रदेश के सभी 51 जिलों में पानी की टेस्टिंग की प्रयोगशालाएँ हैं और 104 उपखण्ड स्तर पर भी हमने प्रयोगशालाएँ बनाई हैं. उनकी गुणात्मकता, शुद्धता सुनिश्चित की जाती है, फरवरी, 2017 तक 4 लाख से अधिक जल नमूनों का परीक्षण उपरोक्त प्रयोगशालाओं में किया गया है. इतना ही नहीं, आसपास के राज्यों में जहाँ प्रयोगशालाएँ नहीं हैं वे पड़ोसी राज्य भी हमारे यहाँ की प्रयोगशालाओं से अपने यहाँ के जल की शुद्धता का मापन करवा सकते हैं. यह भी हर्ष का विषय है कि विभाग की राज्य अनुसंधान प्रयोगशाला को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की संस्था द्वारा राष्ट्रीय स्तर का एन.बी.एल. प्रमाणीकरण इस वित्तीय वर्ष में हमें प्राप्त हुआ है, यह हमारे प्रदेश के लिए और हमारे लिए गर्व की बात है. इस प्रकार का प्रमाणीकरण देश के किसी भी राज्य को प्राप्त नहीं है जो हमें प्राप्त हो गया है. मैं यह बताना चाहती हूँ कि जल परीक्षण प्रयोगशालाओं में 144 रसायनज्ञ हमारे पास हैं और 56 प्रयोगशालाओं में सहायकों को संविदा आधार पर हमने नियुक्त किया है और जरूरत पड़ेगी तो हम और भी नियुक्त करेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह भी निवेदन करना चाहती हूँ कि गिरते भूजल स्तर को दृष्टिगत रखते हुए यह अत्यंत आवश्यक है कि भूजल संवर्धन के प्रयास बड़े पैमाने पर किए जाएँ, हमने माह-फरवरी, 2017 तक 4287 भूजल संवर्धन संरचनाओं का निर्माण किया है. जो भी माननीय सदस्यगण इस संबंध में सलाह देंगे, उसको हम सहर्ष स्वीकार करेंगे और उस पर हम काम करने का प्रयास करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, आप कितना समय और लेंगी ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुश्किल से 15 मिनट और लूंगी. दो विभाग हैं और काम बहुत किया है.
उपाध्यक्ष महोदय -- कृपया 5 मिनट में समाप्त करें, और आप तो अमरपाटन क्षेत्र से भी विशेष लगाव रखती हैं, उसका कहीं उल्लेख आया नहीं है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रयास करती हूँ.
डॉ. गोविन्द सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, सब अपनी-अपनी बात कहते हैं लेकिन आपकी बात कौन कहेगा.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- उनकी बात आप कह दो.
डॉ. गोविन्द सिंह -- आप अधिकृत कर दो तो आज से मैं कहने लगूँगा.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- आप कह देंगे, हम मान लेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- उपाध्यक्ष जी का जो प्रस्ताव आए उसको मंजूर कर देना.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- बिल्कुल, आपकी बात को मानती हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- विशेष लगाव रखती हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2017-18 के बजट में हमने रुपये 70.75 करोड़ की लागत से लगभग 2 हजार संरचनाओं का निर्माण प्रस्तावित किया है जिससे भूजल आधारित पेयजल योजनाओं के स्रोतों को स्थायित्व मिल सके और वे अधिक विश्वसनीय हो सकें. प्रदेश में वर्तमान में लगभग 5.23 लाख हैण्ड पंप स्थापित हैं और इनमें से लगभग 5.08 लाख हैण्ड पंप यानि 97.2 प्रतिशत हैण्ड पंप चालू हैं, लगभग 15 हजार हैण्ड पंप बंद हैं जिनको हम जल्दी ही सुधारने का प्रयास कर रहे हैं. इतना ही नहीं, हमने लोक सेवा गारंटी के अंतर्गत हैण्ड पंपों के रख-रखाव को रखा है. हैण्ड-पंपों का रख-रखाव मध्य प्रदेश लोक सेवा प्रदाय गारंटी अधिनियम के दायरे में है और जो भी शिकायत करेगा, उसकी शिकायत का निराकरण होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हैण्ड पंपों के समुचित रख-रखाव एवं कलपुर्जों हेतु हमने 127.50 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा है और हैण्ड पंप सुधारने के लिए हमारे पास नियंत्रण-कक्ष है, नियंत्रण-कक्ष में जो भी शिकायतें आएंगी, उनका हम निराकरण करेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अक्टूबर माह के प्रथम पखवाड़े में ''नल से जल, आज और कल'' कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश में स्थापित समस्त नल-जल योजनाओं का विभाग द्वारा संयुक्त सर्वेक्षण कर लिया जाएगा. उपाध्यक्ष महोदय, पंचायतों का भी जिक्र करना बहुत जरूरी है इसलिए आपका सरंक्षण चाहती हूँ. इस सर्वेक्षण में कुल 3474 योजनाएँ बंद पाई गई हैं जिनमें से लघु सुधार से बंद 991 हैं और हमने 14.7 करोड़ रुपये की राशि ग्राम पंचायतों को उपलब्ध करवा दी है जिससे इन 991 बंद नल-जल योजनाओं में से 534 चालू कर ली गई हैं और शेष को चालू करने का युद्ध स्तर पर काम चल रहा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बोलने के लिये तो बहुत है, लेकिन मैं कहना चाहती हूं कि सारी बंद नल जल योजनाएं जल्दी सुधार लेंगे और किसी को कोई शिकायत नहीं रहने देंगे और निविदा प्रणाली में भी हमने संशोधन किया है और 6 निविदा प्रकोष्ठों का हमने गठन किया है और जो क्षतिग्रस्त टूटे-फूटे प्लेटफार्म हैं, उनको भी सुधारने का भी हमने काम किया है. पांच हजार में से तीन हजार सत्तर प्लेटफार्मों को हम सुधार चुके हैं. विभाग के पास नलकूप खनन के लिये यह बताना बहुत आवश्यक है, क्योंकि सभी सदस्यों की मांग थी कि अच्छी मशीनें नहीं है. मैं बताना चाहती हूं कि 102 क्रियाशील मशीनें हमारे पास हैं. वर्तमान में इन मशीनों से प्रदेश के विभिन्न जिलों में नल कूप खनन किये जा रहे हैं और आठ हजार नल कूप कम नहीं होते हैं. सब के हिस्सों में कुछ न कुछ नल कूप अवश्य आयेंगे. इनकी समस्त निगरानी के लिये हमने ग्राम समितियों का भी गठन किया है. मुझे यह बताते हुए गर्व है कि अभी तक PHE विभाग के पास में कोई कार्यालय नहीं था तो हमने एक जल भवन के नाम से बड़ा भारी भवन तैयार किया है और उसमें 230 सीटर का ऑडीटोरियम भी है और राज्य अनुसंधान प्रयोगशाला तो है ही, इस हेतु मैंने आपसे पहले ही निवेदन किया है. जल के प्रति जागरूकता के प्रचार-प्रसार के लिये हमने 1850 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. इसमें दीवार लेखन, नुक्कड़ नाटक, स्कूल रेली, मेरा रेली और विज्ञापन जैसी गतिविधियां होंगी. जिससे लोगों में जागरूकता आयेगी. लोग पानी बर्बाद नहीं करेंगे और स्वच्छ पानी का उपयोग करेंगे.
मेरा निवेदन है कि इस वित्तीय वर्ष में 14 समूह जल प्रदाय की निविदा प्रक्रिया प्रचलित है और उसमें 1382 ग्राम सम्मिलित हैं, इन योजनाओं की लागत रूपये 18094.65 करोड़ है और जल निगम द्वारा वित्तीय समूह जल परियेजनाओं का सर्वेक्षण और डी.पी.आर बनाने का कार्य प्रगति पर है और दो योजनाओं की निविदा स्वीकृत कार्यादेश जारी कर दिये गये हैं. इससे 100 ग्राम लाभाविंत होंगे और समूह जल प्रदाय योजना के क्रियान्वयन हेतु नाबार्ड राज्य माईनिंग फंड एवं अन्य बाह्य वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से भी वित्तीय संयोजन के प्रयास किये जा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहती हूं कि जेल विभाग अपने मुख्य दायित्व बंदियों की सुरक्षित अभिरक्षा में रखने का निर्वहन करने के साथ साथ उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रशिक्षण के संबंध में उन्हें विभिन्न सेवायें प्रदान कर समाजोपयागी बनाता है. उपाध्यक्ष महोदय, सुरक्षा आडिट- अधिकांश सदस्यों ने इस बात पर आपत्ति की थी कि सुरक्षा में कमी है तो मैं कहना चाहती हूं कि केन्द्रीय जेल भोपाल का सी.आई.एस.एफ द्वारा सुरक्षा आडिट कराया गया है एवं सभी केन्द्रीय जेलों का राज्य स्तर से अतिरिक्त महानिरीक्षक, जेल की अध्यक्षता में गठित समिति के माध्यम से सुरक्षा आडिट कराया गया है. सुरक्षा आडिट में प्राप्त सुझाव के अनुसार आवश्यक कार्यवाही की जा रही है.उपाध्यक्ष महोदय, अभी तक यह होता था कि जेल में क्या हो रहा है या नहीं हो रहा है किसी को पता ही नहीं चलता था, कैदी आपस में साजिश रचते रहते थे और बाद में दुर्घटना हो जाती थी और उसी के परिणामस्वरूप सिमी के जो कैदी भागे, वह उसी का परिणाम था. उसको कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है, जो गलती हुई है, हुई है. लेकिन उसके सुधार का हमने प्रयास किया है; उसकी तारीफ की जानी चाहिये. कैदियों के भागते ही उनका निपटारा कर दिया. इससे बड़ी उपलब्धि क्या हो सकती है, नहीं तो कहीं और भाग कर जाते और कोई वारदात करते, हमने उसके पहले ही उनको निपटा दिया, इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है. इसीलिये हमें जेल के अंदर की सूचनाएं हमें मिलती रहे, इसके लिये हमने प्रयास किया है. इसके लिये हमने जेल गुप्तचर शाखा का गठन किया है, इस संबंध में अधिकारियों और कर्मचारियों को हमने आवश्यक प्रशिक्षण की दिया है. जेल के अंदर कैदियों के अंदर जो गुपचुप गतिविधियां चल रही होती है उनकी हमको जानकारी मिल जाये.
उपाध्यक्ष महोदय, अधिकांश सदस्यों ने शिकायत की कि हमारे पास बल की कमी है तो हमने इस संबंध में प्रयास किया है और मध्यप्रदेश प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के द्वारा जेल संयुक्त परीक्षा के माध्यम से 2016-17 में 871 प्रहरी भर्ती किये हैं, 46 सहायक जेल अधीक्षकों की भर्ती की है, और 805 अन्य संवर्गों के 22 रिक्त स्थानों की पूर्ति की है. हमने सुरक्षा अमले में भी वृद्धि की है, 36 सहायक जेल प्रहरी, 184 मुख्य प्रहरी, 670 प्रहरी, और प्रहरी संवर्ग के 500 अतिरिक्त पद एवं राजपत्रित अधिकारियों के 25 पदो भरे गये हैं. जेल के आधुनिकीकरण के लिए हमने 19 एम्बूलेंस क्रय की है, 15 जेलों में सीसीटीव्ही कैमरे लगाने का कार्यवाही चल रही है. सुरक्षा व्यवस्था के लिए वाच टावर, वाकी टाकी, इलेक्ट्रानिक फेंसिंग, बाड़ी स्कैनर, बैगेज स्कैनर, सायरन, बायो मैट्रिक डिवाइस, हाई मास्क, लाइट, ताले, जीपीएस ट्रेकिंग सिस्टम, बुलैट प्रूफ जैकेट एवं हाई बायो मैट्रक डोर लगाये जाना प्रक्रियाधीन हैं.
उपाध्यक्ष महोदय हमने अधिकारियों एवं कर्मचारियों के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की है. यह केन्द्रीय जेल प्रबंधन से और मध्यप्रदेश प्रशासनिक अकादमी से कराते हैं. 1185 अधिकारियों को जनवरी से लेकर दिसम्बर तक प्रशिक्षण प्रदान किया गया है. 2017-18 के लिए हमने सुरक्षा निर्माण कार्य भी प्रावधानित किये हैं. 36 नये बैरेक, सुरक्षा गार्ड रूम, सीसीटीव्ही, कण्ट्रोल रूम, वाच टावर, केन्द्रीय जेलों में दोहरी दीवार का निर्माण कार्य प्रस्तावित है. इसकेलिए लोक निर्माण विभाग के बजट में 20 करोड़ रूपये की राशि हमने दी है. इंदौर में 20 करोड़ रूपये से नया जेल बन रहा है, अधूरा जेल पूरा किया जा रहा है. 9 करोड़ रूपये से हम बुरहानपुर में नया जेल बना रहे हैं, जो भी खामियां अभी तक थी वह हमारी की हुई तो नहीं थीं लेकिन जो भी थी नई और पुरानी को हम सभी को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन -- दो बार जेल ब्रेक हुए हैं भोपाल और मुरैना, भोपाल के बाद में मुरैना भी हुआ है लेकिन बजट में कहीं पर भी जेलों के आधुनिकीकरण की बात नहीं कही गई है.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले -- मुरैना जेल में कोई खामी नहीं है. यह हुआ था कि वह कैदी सफाई करने के लिए जाते थे तो उन्होंने सीढ़ियों की दीवार तोड़ी और फलांग गये, उसको अब हमने बंद कर दिया है, सुरक्षा व्यवस्था वहां पर चाक चौबंद कर दी है. उनको ढूंढने का प्रयास बराबर किया जा रहा है. वह मिल जायेंगे तो उनको सजा भी होगी.
श्री रजनीश हरवंश सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आज पहली बार हमारी बुआ जी को फील गुड होते हुए देख रहा हूं. हमने तो आज तक कभी बुआ जी के चेहरे पर कभी इतनी खुशी नहीं देखी है. आज बुआ जी बहुत प्रसन्न हैं. आपके माध्यम से बुआ जी को धन्यवाद देता हूं,आभार व्यक्त करता हूं कि हमारे जिले में 5 समूह नलजल योजना मंत्री महोदय जी ने स्वीकृत की हैं. बुआ जी मेरा आपसे अनुरोध है कि मेरे मुख्यालय केवलारी में 77 करोड़ की जो प्रशासकीय स्वीकृति हो गई है, लेकिन उसकी निविदा नहीं बुलायी गई है मेरा आपसे अनुरोध है कि उसका भी टेण्डर लगवा दें तो अति दया होगी.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले -- उपाध्यक्ष महोदय, बुआ जी के चेहरे पर प्रसन्नता देखने के लिए धन्यवाद देती हूं. जेल विभाग के द्वारा किये गये प्रयासों में बंदियों के आचरण उनके स्वास्थ्य और सकारात्मक प्रभाव के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. भोज विश्वविद्यालय से हमने अटैच कर रखा है तो जो अशिक्षित बंदी कैदी हैं उनके पढ़ाने की भी व्यवस्था की गई है. बंदियों को भोजन, वस्त्र दवा आदि की सुविधा दी जाती है. जेल कर्मचारी कल्याण कोष के लिए हमने 50 लाख रूपये का प्रावधान कारपस फण्ड से करने की कार्यवाही चल रही है, साथ ही शहीद जेल कर्मियों के परिवार को पुलिस विभाग के समकक्ष सम्मान राशि एवं सुविधाएं उपलब्ध करायेंगे. बंदियों ने इस वर्ष झांकियां बनाई थी 26 जनवरी पर. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 26 जनवरी को बंदियों ने नमामि देवी नर्मदे अभियान पर झांकी बनाई थी. हमारे बंदियों की उन झांकियों को प्रथम, द्वितीय पुरूस्कार प्राप्त हुए हैं. इस योजना के अंतर्गत शिवपुरी, भिंड, अनूपपुर, बुढ़ार में नई जेलों का निर्माण हो रहा है. सतना में 28 बैरिकों का निर्माण कार्य प्रगति पर है और इसके लिये हमने दस करोड़ रूपये का प्रावधान किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वर्तमान में कई जेल पुरानी हैं. अभी माननीय सदस्य चिंता जता रहे थे, मैं उसका जवाब देना चाहती हूं कि 21 पुरानी जेल शहर की घनी आबादी में आ चुकी हैं. हम मध्यप्रदेश गृहनिर्माण एवं अधोसंरचना मंडल के माध्यम से पुनर्घनत्वीकरण की योजना में 17 जेलों को शहरों के बाहर सुरक्षित रूप से बनवाने का प्रयास कर रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक बात और मैं बता देना चाहती हूं जिस पर श्री मुकेश नायक जी ज्यादा चिल्ला रहे थे. हमने 3348 बंदियों को औद्योगिक प्रशिक्षण प्रदान किया है और प्रदेश की जेलों में बंदियों के प्रशिक्षण हेतु बुनाई,सूती दरी, आसन, कालीन, निवाड़, बढ़ई गिरी, प्रिटिंग एवं रसायन उद्योग, सिलाई, लोहार,बर्तन उद्योग, पावर लूम आदि जैसे उद्योग चलाये जा रहे हैं. प्रदेश में आदिवासी बहुल दो जिला जेल हैं. हमने बैतूल और धार को आई.टी.आई. से संचालित किया है, जो कारपेंट्री, वायरमेन, और ट्रेक्टर मैकेनिक आदि के ट्रेड का प्रशिक्षण देती हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमने 2016-17 में केंद्रीय जेल उज्जैन में आई.टी.आई. स्थापित की और भोपाल जेल में महिला बंदियों के लिये भी आई.टी.आई. का प्रशिक्षण प्रारंभ किया है, जो टेलरिंग, कारपेंट्री, बुनाई, कुकिंग, प्रिटिंग, खिलौने आदि बनाने का काम करती है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमने 2016 में 4183 बंदियों को पेरोल की सुविधा दी है. हमें बताते हुए गर्व है कि हमने होशंगाबाद में खुली जेल को प्रारंभ किया है और वर्तमान में वहां पर 25 बंदी रह रहे हैं. यह प्रयोग हम सतना में भी करने जा रहे हैं. वहां भी जल्दी ही 25 कैदी अपने परिवार सहित रहेंगे और इससे यह फायदा होगा कि जब वह समाज में वापस आयेंगे तो सुधर के आयेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आखिरी में एक बात और बता देना चाहती हूं कि हमने वर्ष 2016-17 में जेल उद्योग में कार्य में लगे कुशल बंदियों के लिये 55/- रूपये से बढ़ाकर 110/- रूपये प्रतिदिन किया है और अकुशल बंदियों को 50/- रूपये से बढ़ाकर 62/- रूपये किया है और कृषि कार्य में लगे बंदियों का पारिश्रमिक 55/- रूपये से बढ़ाकर 62 /-रूपये किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जेल में कृषि एवं अन्य उद्योग से जो आमदनी हुई है, उसकी कोई कल्पना ही नहीं कर सकता है. लेकिन हमारे बंदियों ने जो कुशलता का परिचय दिया है और जो हुनर सीखा है, उससे जेल विभाग को 4 करोड़ 10 लाख 86 हजार रूपये की और कृषि और बागवानी से 21 लाख 51 हजार की आमदनी हुई है, जो सराहनीय है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम निराश्रित और गरीब बंदियों को विधिक सहायता भी देते हैं. हमने 4112 बंदियों को विधिक सहायता दी है. चिकित्सकों के पद हमारे जेल विभाग में बहुत सारे खाली थे, तो हमने संविदा से उन्हें लेने का निर्णय किया है. हमने उनका पारिश्रमिक भी बढ़ाकर 500/-रूपये से बढ़ाकर 700/-रूपये प्रतिदिन किया है. हम जेल में योग शिक्षा भी देते हैं और जेलों में निरक्षर बंदियों को साक्षर बनाया जा रहा है. हमने इसके साथ ही इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय चित्रकूट से बंदियों को नि:शुल्क शिक्षा की व्यवस्था की है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदया यह उल्लेख कर दें, जेल में दु:खद प्रसंग पर जब उनके परिवार का कोई सदस्य दिवगंत हो जाता है, कैदियों को पेरोल नहीं मिलता है और खुशी के प्रसंग पर भी कैदियों को पेरोल नहीं मिलता है, तब बहुत तकलीफ होती है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पेरोल मिलता है और मैंने खुद अनेकों के पेरोल मंजूर किये हैं. यदि ऐसा कोई प्रकरण आपके पास है तो आप मुझे बतायेंगे मैं मंजूर कर दूंगी.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 12-12, 15-15 दिन निकल जाते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -(हंसी.) आपने जिज्जी से ब्लेंक चेक ले लिया है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम उस प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने का प्रयास करेंगे. योग से और अन्य तरीके से साक्षर बनाने से बंदियों के आचरण में बहुत अंतर पड़ा है. हमारा प्रयास है कि वह अच्छे समाज में जाकर अच्छे नागरिक बने.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अंत में मैं पुन: आपको बहुत बहुत धन्यवाद देती हूं कि आपने मुझे बोलने के लिये पर्याप्त समय दिया और सभी सदस्यों ने जो सुझाव दिये हैं, उनमें से जो अच्छे सुझाव होंगे उनका हम पालन करने का प्रयास करेंगे. आपने इतना समय दिया और सभी सदस्यों ने जिन्होंने चर्चा में भाग लिया, सबको बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं. (मेजों की थपथपाहट)
उपाध्यक्ष महोदय - डॉ. गोविन्द सिंह जी, आपको जानकारी दे दें. जीजी के पिताजी और हमारे पिताजी, दोनों पुलिस में थे और छतरपुर जिले में साथ-साथ उन्होंने काम किया है. मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी जल समूह योजना 1600 करोड़ रुपए की अमरपाटन क्षेत्र में ही आ रही है.
डॉ. गोविन्द सिंह - धन्यवाद.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - उपाध्यक्ष महोदय, यह जो डॉ. गोविन्द सिंह जी को जो जीजी के पिताजी पुलिस में थे, यह जानकारी दे रहे हैं या धमकी दे रहे हैं? (हंसी)...
डॉ. गोविन्द सिंह - आपकी पहले से ही सेटिंग थी.
कुंवर विजय शाह - जो जेल तोड़कर भागेंगे, वे बचेंगे नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय - मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 5 तथा मांग संख्या 20 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जाय.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं, मांगों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2018 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को -
मांग संख्या - 5 जेल के लिए दो सौ सतानवे करोड़, छत्तीस लाख, सत्ताईस हजार रुपए,
तथा
मांग संख्या - 20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के लिए तीन हजार एक सौ अठहत्तर करोड़, उनतीस लाख, तीन हजार रुपए,
तक की राशि दी जाय.
मांगों का प्रस्ताव का स्वीकृत हुआ.
उपाध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 10 मार्च, 2017 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 6.27 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनाँक 10 मार्च, 2017 (19 फाल्गुन, 1938) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक : 9 मार्च, 2017 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा