मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा दशम् सत्र
फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र
बुधवार, दिनांक 9 मार्च, 2016
(19 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
[खण्ड- 10 ] [अंक- 11]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 9 मार्च, 2016
(19 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
विधान सभा पूर्वाह्न 10. 33 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आरिफ अकील जी 5 दिन से परेशान हैं. गौर साहब उनकी शंका का समाधान नहीं कर रहे हैं. मैं चाहता हूँ कि गौर साहब आरिफ अकील जी की शंका का समाधान करें.
श्री आरिफ अकील- अध्यक्ष महोदय, गौर साहब 5 दिन से गले में मफलर डाल के आ रहे हैं. यह माफलर का राज क्या है, यह कहां से भेंट आयी है, किसने भेंट किया. हमें बताओं, हमें भी तो जानकारी दो, हम लोग भी तो चेले हैं आखिर आपके.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- ये गुरु हैं! (हंसी)
श्री आरिफ अकील-- हाँ ये गुरु. हमारे तो हैं मगर तुम नहीं मानोगे.
गृह मंत्री(श्री बाबूलाल गौर)-- अध्यक्ष महोदय, कोई विशेष बात नहीं है. एक संत हैं, उज्जैन में मैं भूमिपूजन में गया था तो संत जी ने यह गले में डाल दिया कि इसे डाले रहो तो 100 साल तक विधायक बने रहोगे (हंसी)
श्री रामनिवास रावत-- आप सही सही बताओ, मुख्यमंत्री बनने के लिए डाला है.
श्री बाबूलाल गौर-- नहीं, विधायक बनने के लिए. मैं मुख्यमंत्री बनने के लिए ज्यादा इच्छुक नहीं हूँ, विधायक रहूंगा, वह ज्यादा अच्छा रहता है.
श्री आरिफ अकील-- मतलब मान लिया कि अगली बार मुख्यमंत्री का चांस नहीं है, इधर ही आआोगे.
श्री रामनिवास रावत-- आत्मा की बात कह दी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- इसका तो सोचना ही नहीं, 100 साल इधर ही रहने वाले हैं.
श्री बाबूलाल गौर-- 100 साल में 13 साल ही बचे हैं तो 13 साल तक तो रहूंगा ही
अनुसूचित जाति बस्ती विकास योजनांतर्गत निर्माण कार्य
1. ( *क्र. 838 ) श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले के अंतर्गत जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग भिण्ड के द्वारा अनुसूचित जाति बस्ती विकास योजनांतर्गत जनवरी, 13 से 31 जनवरी, 2016 तक किन ग्राम पंचायतों को किनकी अनुशंसा से निर्माण कार्य के लिए राशि जारी की गई है? (ख) क्या ग्राम पंचायतों में 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति निवासरत ग्रामों में बस्ती विकास के लिए राशि जारी की जावेगी? यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) में जारी की गई राशि के ग्रामों में कितने प्रतिशत जनसंख्या निवासरत है? कितने अनुसूचित जाति के लोगों को लाभ हुआ है? (ग) क्या प्रश्नांश (क) के अंतर्गत राशि जारी करने में नियमों के विपरीत विभाग द्वारा कार्य करके अनुसूचित जाति के लोगों के विकास कार्य संबंधित अधिकारियों द्वारा किये जा रहे हैं? यदि हाँ, तो प्रश्नांश दिनांक तक क्या कार्यवाही की गई? (घ) प्रश्नांश (क) अंतर्गत प्रश्नकर्ता द्वारा अनुमोदित ग्राम पंचायतों में किन ग्राम पंचायतों को कब कितनी राशि किस निर्माण के लिए जारी की गई? क्या भिण्ड विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत बस्ती विकास और अनुसूचित जाति बस्ती विद्युतीकरण के लिए राशि जारी नहीं की गई? यदि हाँ, तो क्यों कौन से प्रकरण विचाराधीन हैं? कब तक राशि जारी हो जायेगी?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ अनुसार है। (ख) 40 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति की आबादी में या 20 अनुसूचित जाति के परिवार निवासरत होने पर बस्ती विकास योजना में कार्य कराने का प्रावधान है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है। (ग) नियमों के विपरीत विभाग द्वारा कार्य करने का प्रकरण संज्ञान में नहीं है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) प्रस्तावित ग्रामों की सूची व उनमें आबादी के प्रतिशत की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘स’ अनुसार है। कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। विद्युतीकरण के कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुए हैं। परीक्षणाधीन कार्य पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘द’ अनुसार है।
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न आदिम जाति कल्याण विभाग से संबंधित था कि भिण्ड जिले के अंतर्गत जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग भिण्ड के द्वारा अनुसूचित जाति बस्ती विकास योजना के अंतर्गत 13 जनवरी से 31 जनवरी 2016 तक किन ग्राम पंचायतों को किनकी अनुशंसा से निर्माण कार्य के लिए राशि जारी की गयी. माननीय मंत्री महोदय ने जो जवाब दिया है कि 4 करोड़ की राशि बांटी गयी है. इसमें बहुत बड़े पैमाने पर घपला हुआ है. भिण्ड जिले में 4 विधायक हैं, एक भी विधायक की अनुशंसा पर दो साल में दो लाख की राशि नहीं बांटी गयी.इसमें परिशिष्ट में जो बताया गया है उसमें पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री, लेकिन एक भी विधायक के नाम से एक भी विधायक के नाम से अनुशंसा पर 2 लाख की राशि नहीं बांटी गई है यह बहुत बड़ा घोटाला हुआ है , 4 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है वहाँ कोई अधिकारी है नहीं.
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न कर दें.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह—अध्यक्ष महोदय, जो घोटाला हुआ है पहले उन अधिकारियों को सस्पेंड किया जाये जो तीस-तीस साल से वहीं के निजी जमे हुए हैं, इसका क्राइटेरिया क्या है.
श्री ज्ञान सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहूंगा कि वर्ष 2013-14 और 2014-15 में जिला कलेक्टर भिंड के द्वारा बस्ती विकास योजना के मद से जो राशि अनुशंसा करने का जिनको अधिकार है, अधिकांशतः माननीय विधायकों की जो सूची मेरी पास है यदि माननीय सदस्य संतुष्ट नहीं हैं उनको ऐसा लगता है.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--- अध्यक्ष महोदय, सूची माननीय मंत्री जी ने जारी की है इसमें एक भी वर्तमान विधायक का नाम बतायें यह. चाहे भिंड हो, मेहगांव हो, अटेर हो और फिर हमारी विधानसभा में एक रुपये भी नहीं दिया गया यह बहुत बड़ा घोटाला , इसका क्राइटेरिया क्या है, अब जीरो परसेंट जहाँ अनुसूचित जाति के लोग हैं वहाँ आप राशि दे रहे हैं और जहाँ 50 परसेंट अनुसूचित जाति के लोग हैं, हरिजन बस्ती है वहाँ नहीं दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- उत्तर ले लें.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- माननीय, जब उत्तर ही गलत आएगा तो प्रश्न क्या करेंगे. मेरा निवेदन है कि यह जानकारी इन्होंने ही दी है विभाग की जानकारी है. इसमें पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, पूर्व अध्यक्ष , वर्तमान जिलाध्यक्ष का भी नाम नहीं है. जानकारी तो इनकी आई है.
अध्यक्ष महोदय--- आप चाहते क्या हैं.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--- मैंने पहले भी प्रश्न किया था तब भी यही जवाब दिया था. हम चाहते हैं कि वहाँ जो दोनों अधिकारी हैं, लोकल के हैं. इनको सस्पेंड किया जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से पूछना चाहते हैं कि अनुसूचित जाति बस्ती के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी की जो योजनायें हैं वह बस्ती में खर्च क्यों नहीं की जा रही है. हमारी विधानसभा में आज तक एक रुपया भी खर्च क्यों नहीं किया गया .
श्री ज्ञान सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी के क्षेत्र में 14 कार्य स्वीकृत हुए हैं.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--- यह उन अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी पढ़ रहे हैं, जिन्होंने घपला किया है . हमारी विधानसभा है क्या वह हमसे ज्यादा जानते हैं, मंत्री जी गलत जवाब दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- जवाब तो आने दें आप.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--- उल्टे सीधे जवाब का मतलब क्या है.
अध्यक्ष महोदय--- आप जवाब आने तो दे उसके बाद आप पूछ लेना.
श्री ज्ञान सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य के विधानसभा क्षेत्र में काम हुए हैं और जहाँ तक गलत तरीके से राशि स्वीकृत हुई है जहाँ पर आबादी नहीं है उस रेश्यों के बाहर जाकर के जो काम स्वीकृत हुए हैं मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहूंगा जिन कर्मचारियों की वह बात कर रहे हैं कि 25-30 साल से वहाँ पर हैं ,मैं आज ही घोषणा करता हूं कि उन अधिकारियों को निलंबित करने की.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह--- बहुत बहुत धन्यवाद मंत्री जी.
डॉ. गोविंद सिंह--- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूर्व में यह नियम था कि जिला समिति की कमेटी थी , उसमें विधायक भी थे और स्वयं मीटिंग बुलाकर तब निर्णय लिया जाता था क्या मंत्री जी पुरानी समय के अनुसार नीतिगत ऐसी कमेटी निर्धारित करेंगे जिसमें विधायक भी सम्मिलित हो और विधायकों की अनुशंसा के आधार पर निर्णय हो. उसमें जरूरी नहीं है कि विधायकों की ही सारी बात मान लो उसमें कमेटी निर्णय लेगी ऐसा आप निर्देश जारी करेंगे और इसमें घपला हुआ है , इस विषय में मैंने भी कई चिट्ठी लिखी है, एक रुपया भी नहीं मिला.
अध्यक्ष महोदय--- आगे से भविष्य में, जो कमेटी पहले हुआ करती थी उसके निर्णय अनुसार जारी करेंगे और माननीय विधायकों को भी उस कमेटी में लेंगे क्या.
श्री ज्ञान सिंह--- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, यह बहुत सामयिक सुझाव है और अवश्य इसमें व्यवस्था में परिवर्तन करने की हमारे विभाग की एक सोच है . मैं आश्वस्त करना चाहूंगा कि हमारे सम्मानीय विधायकों को जो वर्तमान में व्यवस्था या प्रावधान हैं, उसमें जो कठिनाई आती है उसमें सुधार किया जायेगा.
अध्यक्ष महोदय-- (माननीय सदस्य श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह जी के खड़े होने पर) माननीय सदस्य, आपकी सारी बात मान ली. अब आगे से आप से राय भी करेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- अब तो धन्यवाद भी दे दिया.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह-- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूँ कि अधिकारियों की नासमझी के कारण इसमें 2 वर्ष में 2 करोड़ 28 लाख राशि लैप्स हुई है. यह गंभीर मुद्दा है. अनुसूचित जाति की बस्ती में काम नहीं हो पा रहा है.
श्री हर्ष यादव-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी के द्वारा यह नहीं कहा गया है कि कमेटी में विधायकों को रखा जाएगा. मंत्री जी आश्वस्त करें.
डॉ गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, हमको आश्वस्त करो, रखोगे. आप विधायकों को रखोगे कि नहीं रखोगे?
अध्यक्ष महोदय-- माननीय विधायक कमेटी में रहेंगे कि नहीं?
श्री ज्ञान सिंह-- रखेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- रहेंगे.
डॉ गोविन्द सिंह-- धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग कमेटी में रहेंगे. बैठ जाइये. श्री रामनिवास रावत पूछें.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष जी, इतना और कहलवा दो कि किनकी सिफारिशों पर ये पैसे देते हैं और किस तरीके से देते हैं? वह तरीका हम लोगों को मालूम हो जाए तो हम भी इनसे ले लें.
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, यह रहस्य की बातें हैं.
श्री आरिफ अकील-- टेबल के नीचे वाली बातें तो नहीं है ये.
विधान सभा क्षेत्र केवलारी अंतर्गत शालाओं का उन्नयन
2. ( *क्र.
4049 )
श्री
रजनीश सिंह :
क्या स्कूल
शिक्षा
मंत्री महोदय
यह बताने की कृपा
करेंगे कि (क)
सिवनी जिले के
विधान सभा
क्षेत्र
केवलारी अंतर्गत
कितने कौन-कौन
से माध्यमिक
स्कूलों एवं
हाइस्कूलों
का विगत 05
वर्षों में
उन्नयन किया
गया है? (ख)
केवलारी
विधान सभा
क्षेत्र के
अंतर्गत स्कूलों
के उन्नयन
हेतु किन-किन
ग्राम
पंचायतों से
प्रस्ताव
आये एवं
किन-किन
जनप्रतिनिधियों
ने उन्नयन
हेतु विभाग को
पत्र लिखा? प्रस्ताव
एवं पत्र
दिनांक का
विवरण देवें? (ग)
विधान सभा
क्षेत्र
अंतर्गत
किन-किन माध्यमिक/हाईस्कूल
का उन्नयन इस
सत्र में होना
है?
(घ)
क्या ग्राम
अलौनी खापा, अहरवाड़ा
सादक सिवनी
माध्यमिक
शाला का उन्नयन
होना है? यदि
हाँ, तो कब
तक?
स्कूल
शिक्षा
मंत्री ( श्री
पारस चन्द्र
जैन ) : (क)
जानकारी
संलग्न
परिशिष्ट
के
प्रपत्र-एक
अनुसार। (ख) जानकारी
संलग्न
परिशिष्ट के
प्रपत्र-दो
अनुसार। (ग)
उन्नयन की
कार्यवाही
प्रक्रियाधीन
है। सीमित वित्तीय
संसाधनों के
दृष्टिगत
अंतिम निर्णय
उपरांत ही
शालाओं के नाम
ज्ञात हो
सकेंगे।
समय-सीमा
बताना संभव
नहीं है। (घ)
अहरवाड़ा
पूर्व से ही
हाईस्कूल
है। मा.शा.
अलौनीखापा
एवं मा.शा.
सादक सिवनी
निर्धारित
मापदण्ड की
पूर्ति नहीं
करते हैं। उन्नयन
की कार्यवाही
प्रक्रियाधीन
है। सीमित वित्तीय
संसाधनों की
वजह से सभी
पात्र शालाओं
का उन्नयन
संभव नहीं हो
पाता है।
समय-सीमा बताना
संभव नहीं है।
परिशिष्ट – ''एक''
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने यह प्रश्न पूछने के लिए मुझे अधिकृत किया है. माननीय सदस्य द्वारा केवलारी विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत माध्यमिक स्कूलों से हाई स्कूल और हाई स्कूल से इंटर कॉलेज का उन्नयन करने के संबंध में प्रश्न पूछा था. अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य एवं माननीय सदस्य के पिताजी स्वर्गीय श्री हरवंश सिंह जी ने भी, जो पूर्व विधान सभा उपाध्यक्ष रहे थे. अपनी विधान सभा के ग्राम अलौनी खापा में माध्यमिक शाला से हाई स्कूल में उन्नयन करने के लिए उल्लेख किया है, अनुशंसा की है और माननीय सदस्य भी यही चाहते हैं कि अलौनी खापा एक ऐसा गाँव है, जिसकी आबादी काफी है और जहाँ से हाई स्कूल की दूरी भी 10 किलोमीटर से अधिक है. अगर सीधे एयर डिस्टेंस में नापेंगे तो एक गाँव जरूर ऐसा पड़ता है कि जिसकी दूरी 3 किलोमीटर है. लेकिन वहाँ वेनगंगा नदी है. नदी पर न पुल है, न रपटा है और नदी पर सामान्यतः निकल नहीं पाते. जिस गाँव के हाई स्कूल का विभाग जिक्र करता है कि वहाँ से 3 किलोमीटर दूरी है उस गाँव में, अलौनी खापा से उस गाँव तक पहुँचने के लिए 16 किलोमीटर की यात्रा तय करनी पड़ती है तो इस चीज को ध्यान में रखते हुए माननीय मंत्री जी से भी अनुरोध करूँगा और माननीय हमारे पूर्व विधान सभा उपाध्यक्ष, जिनका भी प्रस्ताव था, उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए, अलौनी खापा में माध्यमिक स्कूल से हाई स्कूल में उन्नयन करने के आदेश प्रसारित करने की कृपा करेंगे?
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक जोशी)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसी माननीय सदस्य की भावना है, हम परीक्षण करवा लेंगे और यदि कुछ विशेष परिस्थितियाँ बनती हैं तो इस हाई स्कूल को मंजूरी के लिए प्रस्तावित करेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, इसमें यह कह दें कि अगर नदी बीच में है और रास्ता नहीं है तो हम स्वीकृत कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, आपके कहने से कैसे कहेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- विशेष परिस्थितियाँ यही हैं, मैं ही बता रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, उनको भी परीक्षण करवा लेने दीजिए.
श्री रामनिवास रावत-- विशेष परिस्थिति वाला जिक्र कर लें. माननीय मंत्री जी, अगर वहाँ 3 किलोमीटर जाने का सुगम रास्ता नहीं है 10 किलोमीटर से अधिक है तो आप हाई स्कूल में उन्नयन कर देंगे. यह कह दें.
अध्यक्ष महोदय-- ऐसे कैसे कह देंगे.
श्री दीपक जोशी-- अध्यक्ष महोदय, विशेष परिस्थितियों में पहले भी निर्णय लिए गए हैं इसलिए हम परीक्षण करवा लेते हैं. विशेष परिस्थितियाँ निर्मित होंगी उसके बाद हम आपके आश्वासन, चूँकि माननीय पूर्व उपाध्यक्ष जी से जुड़ा हुआ है इसलिए उस सम्मान को दृष्टिगत रखते हुए हम पूर्व तरीके से आपको आश्वस्त करते हैं कि हम करेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- इससे कब तक अवगत करा देंगे?
अध्यक्ष महोदय-- अतिशीघ्र.
श्री दीपक जोशी-- अध्यक्ष महोदय, हमारी नई प्रक्रिया अभी प्रचलित है अगर उसमें जुड़ जाएगा तो ठीक नहीं तो अगले वर्ष में हम ले लेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- धन्यवाद.
शाला भवन तक पहुंच मार्ग का निर्माण
3. ( *क्र. 5234 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन के तहत विद्यालय भवनों तक पहुंच मार्ग निर्माण के क्या निर्देश हैं? पुरवार कन्या हाई स्कूल, इंदिरा गांधी वार्ड कटनी के पहुंच मार्ग निर्माण हेतु वर्ष 2013-14 से किन-किन जनप्रतिनिधियों ने नगर पालिक निगम, कटनी को कब-कब पत्र लिखे? पत्रों पर क्या कार्यवाही की गई। क्या की गई कार्यवाही से संबंधितों को अवगत कराया गया? यदि हाँ, तो कब-कब? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) में कलेक्टर कटनी के पत्र क्रमांक आर.एम.एस.ए./शिक्षा/ 2013-14/6595, दिनांक 23.12.2013 द्वारा आयुक्त नगर पालिक निगम, कटनी को दिये गये निर्देश के पालन में क्या कार्यवाही की गई एवं क्या की गई कार्यवाही से कलेक्टर महोदय को अवगत कराया गया? साथ ही बतायें कि अब तक मार्ग निर्माण न होने के क्या कारण हैं? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) में बतायें कि जनप्रतिनिधियों के पत्रों और शासन तथा वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना कर विद्यालय के मार्ग का निर्माण नहीं करने का कौन-कौन जिम्मेदार हैं? क्या इन पर कार्यवाही की जायेगी? यदि हाँ, तो क्या और कब तक, यदि नहीं, तो क्यों? साथ ही यह भी बतायें कि विद्यालय मार्ग का निर्माण किस प्रकार एवं कब तक किया जायेगा?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत विद्यालय भवनों तक पहुँच मार्ग का कोई प्रावधान नहीं है। अतः राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान से जिला कलेक्टर को जिला स्तर पर संचालित विभिन्न योजनाओं के माध्यम से कार्यवाही हेतु पत्र क्र./भवन/आर.एम.एस.ए./भोपाल/ 2013-14/2019 दिनांक 22.4.2013 से लेख किया गया था। पुरवार कन्या हाईस्कूल, इंदिरा गाँधी वार्ड, कटनी के पहुँच मार्ग निर्माण हेतु वर्ष 2013-14 से जनप्रतिनिधियों द्वारा लिखे गये पत्र एवं उन पर की गई कार्यवाही का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। संलग्न परिशिष्ट में उल्लेखित जानकारी के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) कार्यालय कलेक्टर, जिला कटनी का पत्र क्र./आर.एम.एस.ए./शिक्षण/2013-14 /6505 कटनी, दिनांक 23.12.2013 द्वारा प्रश्नाधीन मार्ग को बी.आर.जी.एफ. योजनांतर्गत निर्माण कराये जाने हेतु पत्र लिखा गया है, लेकिन प्रस्तावित पहुँच मार्ग अवैध कॉलोनी क्षेत्र के अंतर्गत है। मध्यप्रदेश नगरपालिका नियम अधिनियम 1956 के अंतर्गत बनाये गये मध्यप्रदेश नगरपालिका (कॉलोनाईजर का रजिस्ट्रीकरण निबंधन तथा शर्तें) नियम 1998 में वर्णित प्रावधानों के अनुसार अवैध कॉलोनी क्षेत्र में निर्माण कार्य नहीं कराये जा सकते हैं, इसलिये प्रस्तावित पहुँच मार्ग का निर्माण कार्य नहीं कराया गया है। (ग) प्रश्नांश ‘‘ख‘‘ के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
परिशिष्ट - ''दो''
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कटनी में शिव नगर क्षेत्र में एक पुरवार कन्या हाई स्कूल निर्मित हुआ था. पिछले 5 से अधिक वर्षों से वहाँ पर पहुँच मार्ग निर्मित न होने से बच्चों को अत्यधिक कठिनाई हो रही है. नगर निगम द्वारा उसे अवैध कॉलोनी का क्षेत्र बताकर सड़क निर्माण नहीं किया जा रहा है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूँगा कि वहाँ पर सड़क मार्ग का निर्माण कराया जाए और अगर अवैध कॉलोनी का क्षेत्र है तो अवैध कॉलोनी पहले से घोषित थी स्कूल बाद में बना है और शासकीय भूमि पर बना है ऐसी विषम परिस्थिति में माननीय मंत्री महोदय से अनुरोध है कि वहां सड़क मार्ग का निर्माण कराया जाए.
अध्यक्ष महोदय--शिक्षा विभाग कैसे करेगा ?
राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक जोशी)--माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सही है कि कॉलोनी वर्ष 2007 में निर्मित हुई और विद्यालय का निर्माण वर्ष 2009 में शुरु हुआ लेकिन वर्तमान में जो रास्ता है चल तो रहा है परन्तु कॉलोनी के लोगों द्वारा बाधा उत्पन्न करने के कारण कभी कभी यह अवरुद्ध हो जाता है इसलिए नगर निगम कमिश्रर और कलेक्टर को पत्र लिख दिया है कि इन बाधाओं को दूर करके रास्ते की सुगम रुप से चलने के लिए व्यवस्था करें और साथ ही आगे के लिए निर्माण कार्य के लिए बाधाएं दूर करने का प्रयास करें.
श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल--माननीय अध्यक्ष महोदय, नगर निगम फिर कहेगा कि अवैध कॉलोनी का क्षेत्र है अब प्रश्न यह है कि अगर अवैध कॉलोनी पहले से थी तो शासन के किन जवाबदार अधिकारियों ने शासकीय भूमि पर ऐसी जगह पर 70 लाख रुपये से अधिक राशि व्यय करके स्कूल बना दिया कि वहां पर बच्चे पहुंच ही नहीं पा रहे हैं. सैंकड़ों की संख्या में बच्चे पढ़ रहे हैं. शासन के आदेश भी है पूर्व में कि स्कूल पहुंच मार्गों का निर्माण किया जाए अगर ऐसा एक आदेश यहां से विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर और नगर निगम के आयुक्त को हो जाएगा तो निश्चित रुप से वहां पर व्यवस्था हो जाएगी.
श्री दीपक जोशी--माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसी माननीय सदस्य की भावना है हमने कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त दोनों को पत्र लिख दिया है और पूरी कोशिश है कि बाधाओं को दूर करते हुए वहां मार्ग निर्माण हो सके.
हरदा जिलांतर्गत नलकूप खनन
4. ( *क्र. 4443 ) डॉ. रामकिशोर दोगने : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, हरदा द्वारा हरदा जिले में विगत 3 वर्षों में कुल कितने नलकूप खनन कार्य कराये गये हैं? विधान सभा क्षेत्रवार बताएं? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार किये गये खनन कार्यों में से कितने कार्य शासकीय मशीन द्वारा एवं कितने खनन प्राइवेट मशीन से ठेकेदार द्वारा कराये गये हैं? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार किये गये खनन कार्यों का भौतिक सत्यापन किस अधिकारी द्वारा कराया गया है? (घ) प्रश्नांश (क) अनुसार किये गये खनन कार्य की वर्तमान स्थिति क्या है? कितने खनन चालू हालत में हैं व कितने खनन बंद हैं, उसका क्या कारण है?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) से (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
डॉ. रामकिशोर दोगने--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा मंत्रीजी से नलकूप खनन के संबंध में तीन साल की जानकारी मांगी गई थी वह जानकारी अधूरी आई है ढाई साल की जानकारी आई है इसके साथ ही नलकूप खनन के जो पाइंट पूछे गये थे कि किस-किस पाइंट पर खनन किया गया जिससे कि हम भी सत्यापन कर सकें क्योंकि अधिकारी बिल बना रहे हैं लोगों के खेतों में या घरों में बोरिंग कर रहे हैं और सार्वजनिक जगह पर बोरिंग नहीं कर रहे हैं इसलिये पाइंट पूछे गए थे पाइंट स्पष्ट नहीं बताये गए हैं उसमें सिर्फ गांव के नाम बताए गए हैं यह जानकारी मुझे चाहिए.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, सारी जानकारी परिशिष्ट में लगी है यदि आप अनुमति दें तो मैं पढ़कर सुना दूं.
अध्यक्ष महोदय-- पढ़कर मत सुनाइये उन्होंने पढ़ लिया होगा. माननीय सदस्य आपको कुछ स्पेसिफिक प्रश्न पूछना है तो पूछ लीजिए.
डॉ. रामकिशोर दोगने--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी ने जो जानकारी दी है वह मेरे पास भी है इसमें लिखा है पवरदीमाल, बख्तापुर, कानपुरा, चौखड़ी, नीमसराय, कुसिया इनमें पाइंट नहीं बताये गये हैं. क्या गांव में एक नलकूप से काम चल रहा होगा.
अध्यक्ष महोदय--आप सीधा प्रश्न कर दें कि आप क्या चाहते हैं.
डॉ. रामकिशोर दोगने-- मुझे पाइंट स्पष्ट बताये जाएं कि किस-किस गांव में कहां-कहां बोरिंग हुई है मुझे जानकारी ढाई साल की दी गई है मैंने तीन साल की जानकारी मांगी है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, पाईप की जानकारी,गांव की जानकारी और खनन की जानकारी सब कुछ परिशिष्ट में है.
अध्यक्ष महोदय-- हां है परिशिष्ट में.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी कहें तो मैं प्रश्नकाल के बाद उपलब्ध करा दूंगी सब कुछ है मेरे पास.
डॉ. रामकिशोर दोगने--मंत्री महोदया, मेरे पास आप का ही लिखित जवाब है मेरा सीधा-सीधा प्रश्न है मुझे पाइंटवार जानकारी चाहिए और तीन साल की जानकारी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय--मंत्री महोदया आपको प्रश्नकाल के बाद जानकारी दे देंगी.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो अभी बता रही हूं. कॉलम क्रमांक 7 में पढ़ लें माननीय सदस्य से मेरा निवेदन है कृपा करके सुन लें विनम्र निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय--आप तो एक सीधा प्रश्न पूछ लें कि आप क्या चाहते हैं.
डॉ. रामकिशोर दोगने--मेरे पास पूरी लिस्ट है मुझे पाइंटवार जानकारी चाहिये कि गांव में किस पाइंट पर बोरिंग हुआ है और छह महीने की जानकारी कम है वह जानकारी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्रीजी वह जानकारी आपको दे देंगी.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो अभी जानकारी दे रही हूँ. मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहती हूँ कि कॉलम क्रमांक-7 में जानकारी दी गई है आप कृपा करके पढ़ लें जो भी कमी है और जहां भी आप खनन कराना चाहते हैं वह स्थान बतायें मैं करवा दूंगी. पानी हमें देना है और पानी देने के लिए हम बाध्य हैं.
शाला भवन के गुणवत्ताहीन कार्य की जाँच
5. ( *क्र. 5376 ) पं. रमेश दुबे : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छिंदवाड़ा जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बडोसा विकासखण्ड बिछुआ जिला छिंदवाड़ा का निर्माण कार्य कब प्रारंभ हुआ? लागत राशि क्या थी, ठेकेदार कौन थे और किस तकनीकी अधिकारी के पर्येवेक्षण में इस भवन का निर्माण कार्य कब पूर्ण हुआ? (ख) क्या उक्त भवन का निर्माण कार्य गुणवत्ताहीन होने से लोकार्पण के दिन वर्षा होने के कारण छत टपकने लगी, जिसके गवाह तत्कालीन शिक्षक व शिक्षणरत बच्चे थे, जिसकी शिकायत तत्समय व उसके पश्चात की गयी थी? (ग) क्या शासन उक्त गुणवत्ताहीन भवन की जाँच प्रश्नकर्ता की उपस्थिति में कराकर दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही तथा उक्त भवन की मरम्मत कराये जाने का आदेश देगा? यदि नहीं, तो क्यों?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) छिन्दवाड़ा जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा शासकीय उच्चतर माध्यमिक शाला बडोसा विकासखण्ड बिछुआ जिला छिन्दवाड़ा का निर्माण कार्य वर्ष 2005-06 से प्रारम्भ हुआ, भवन की लागत राशि 26.53 लाख थी। ठेकेदार श्री चन्द्रभूषण यादव निवासी ग्राम चंदनगांव जिला छिन्दवाड़ा एवं श्री एम.के. विश्वकर्मा तथा श्री जी.पी. सोनी उपयंत्री लोक निर्माण विभाग छिन्दवाड़ा एवं प्रभारी सहायक यंत्री, आदिवासी विकास छिन्दवाड़ा के तकनीकी पर्यवेक्षण में वर्ष 2008-09 में पूर्ण हुआ। (ख) जी नहीं। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बडोसा विकासखण्ड बिछुआ की छत लोकार्पण के समय भवन में किसी प्रकार से छत टपकने की शिकायत तत्समय प्राप्त नहीं हुई थी। लोकार्पण के पश्चात भवन में गुणवत्ताहीन कार्य होने की शिकायत की गई थी। (ग) जी हाँ। उक्त भवन में गुणवत्ताहीन कार्य के लिये तत्कालीन तकनीकी अमले के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किये जाने की कार्यवाही की जा रही है एवं भवन में हुई तकनीकी त्रुटि के कारण आवश्यक मरम्मत एवं सुधार का कार्य कराये जाने की कार्यवाही की जा रही है।
पं. रमेश दुबे--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के भाग (ख) के उत्तर में माननीय मंत्रीजी ने बताया है कि लोकार्पण के समय भवन की छत टपकने की शिकायत प्राप्त नहीं हुई थी. मेरे द्वारा 19.8.2008 को इस भवन को लोकार्पित करते वक्त बरसात हो रही थी और लोकार्पण के पश्चात् जब मैं लोकार्पण के पश्चात जब मैंने भवन के अन्दर प्रवेश किया तो तभी अध्यक्ष महोदय, पानी छत से टपक रहा था. लोकार्पण के समय संबंधित विभाग के अधिकारी मेरे साथ थे, मैंने उसकी शिकायत की थी और उत्तर में आया है कि मेरे को उस प्रकार की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है. पिछले सत्र में 10.12.2015 को भी मेरे द्वारा इस संबंध में प्रश्न लगाया गया था. आज भी प्रश्न लगाया गया है. मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि पिछले सत्र में आपने आश्वासन दिया था कि मेरी उपस्थिति में अधिकारियों को पहुंचाकर आप जांच करायेंगे. लेकिन 2015 के सत्र में मेरे प्रश्न के जवाब के बाद भी अभी तक किसी भी अधिकारी की उपस्थिति में कोई जांच नहीं करायी है. आपने स्वयं इस बात को स्वीकार किया है कि भवन गुणवत्ताहीन निर्माण हुआ है. जिन के कारण इस गुणवत्ताहीन भवन का निर्माण कराया गया है. क्या उनके खिलाफ आप कार्यवाही करेंगे. साथ ही आप उस भवन के मरम्मत की समय सीमा बताईये कि कब तक आप इस भवन की मरम्मत करायेंगे.
श्री ज्ञान सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने अतिमहत्वपूर्ण के माध्यम से शिक्षा क्षेत्र से जुड़ा हुआ प्रश्न है, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहूंगा कि अभी अनुशासनहीनता की कार्यवाही प्रचलन में है. मैं यह कहना चाहता हूं कि संबंधित उपयंत्री के ऊपर कार्यवाही तो होगी ही, उनसे राशि की वसूली भी कि जायेगी और बरसात के पहले स्कूल की व्यवस्था दुरूस्त करा दी जायेगी.
अध्यक्ष महोदय :- ठीक है.
अनुत्पादक पशुओं के हितार्थ गौशालाओं का निर्माण
6. ( *क्र. 520 ) श्रीमती ऊषा चौधरी : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या म.प्र. शासन पशुपालन विभाग द्वारा गौ एवं पशु हत्या पर कानून बनाकर हत्या करने वालों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही का प्रावधान किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो शासन से ऐरा प्रथा समाप्त करने के बावजूद पशु मालिकों द्वारा अपने वृद्ध मवेशियों को खुला छोड़ देने के कारण वे किसानों की खेती को नुकसान पहुँचा रहे हैं? क्या ऐसे पशु मालिकों के विरूद्ध कार्यवाही का प्रावधान किया गया है? यदि नहीं, तो क्यों कारण सहित बताएं? (ग) क्या आवारा पशुओं के कारण आए दिन सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जाने जा रही हैं? यदि हाँ, तो क्या पशुपालन विभाग द्वारा पूरे प्रदेश के अंदर ग्राम पंचायत मुख्यालय में गौशाला बनवाकर आवारा पशुओं के ठहरने एवं खाने आदि की व्यवस्था हेतु ग्राम पंचायतों में बजट उपलब्ध कराया जावेगा?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जी हाँ। प्रदेश में गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम (संशोधित) 2010 प्रभावशील है। (ख) जी नहीं। पशु पालकों द्वारा स्वयं के पालित पशु, जिनमें अधिकांश गौवंश है, अनुत्पादक हो जाने पर पशुओं को घर पर बांधा नहीं जाता है, बल्कि घर से छोड़ दिया जाता है और यही गौवंश आवारा रूप में विचरण करते हैं। जी हाँ। (ग) आवारा पशुओं के कारण सड़क दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। गौवंश के संरक्षण हेतु समाजसेवी संस्थाओं के माध्यम से संचालित पंजीकृत, क्रियाशील गौशालाओं को गौवंश के भरण पोषण हेतु आर्थिक सहायता म.प्र. गौपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के द्वारा जिला गौपालन एवं पशुधन संवर्धन समितियों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती है। गौशालाओं की देखभाल एवं भरण पोषण की व्यवस्था गौशाला समिति द्वारा की जाती है।
श्रीमती ऊषा चौधरी:- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से प्रश्न के ''ग'' में पूछा था और ''ग'' के संबंध में मंत्री जी ने जो जवाब दिया है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि गौशाला कहां पर चल रहे हैं और कौन चला रहा है इसका जवाब स्पष्ट नहीं आया है और वह किन किन संस्थाओं द्वारा चलाया जा रहा है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले :- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने प्रश्न के ''क'' भाग में पूछा है कि मध्यप्रदेश शासन पशुपालन विभाग द्वारा गौ एवं पशु हत्या कानून बनाने बनाकर हत्या करने वाले के विरूद्ध ...
अध्यक्ष महोदय:- माननीय सदस्य ने प्रश्न के ''ग'' भाग के बारे में पूछा है. वह ''ग'' का उत्तर मांग रही हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले:- ''ख'' के बारे में पूछ रही हैं. ख में भी आप जो पूछ रही हैं, वह नहीं है. यदि हां तो शासन ऐसी प्रथा समाप्त कर मालिकों के विरूद्ध प्रथा समाप्त कर मालिकों को यानि वृद्ध पशुओं के बारे में पूछ रही हैं.
श्री जीतू पटवारी :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी क - कमल का, ख- खरगोश का और ग- गमले का उन्होंने ग का उत्तर मांगा है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले :- अच्छा अब आप मुझे ककहरा पढ़ायेंगे.
अध्यक्ष महोदय :- वह गौशालों की जानकारी चाह रही हैं. आपका प्रश्न यही है न.
श्रीमती कुसुम सिंह महदेले :- आवारा पशुधन हेतु विभाग की वर्तमान में ऐसी कोई योजना नहीं है कि वह गौशाला बनवाये, आप गौशाला बनाना चाहते हैं तो गौशाला बनवायें, हम मदद करेंगे. प्रायवेट संस्थाएं गौशाला बनवाती है. सरकार गौशाला नहीं बनवाती है.
श्रीमती ऊषा चौधरी :- अध्यक्ष महोदय, लेकिन माननीय मंत्री जी ने प्रश्न के ''ग'' भाग में जवाब दिया है कि आवारा पशुओं के कारण आये दिन सड़क दुर्घटनाओं में लोगों के आने जाने में पशुपालन विभाग द्वारा प्रदेश के अन्दर ग्राम पंचायत मुख्यालय में गौशाला बनवाकर आवारा पशुओं को ठहरने की एवं खाने आदि की व्यवस्था हेतु ग्राम पंयायतों में बजट आदि के लिये बजट उपलब्ध कराया जायेगा, मैंने यह पूछा था और उन्होंने जवाब दिया है कि आवारा पशुओं के कारण सड़क दुर्घटना की आशंका बनी रहती है, गौशाला में संरक्षण हेतु समाज सेवा संस्थाओं के माध्यम से संचालित की जाती है.
अध्यक्ष महोदय :- यह तो आ गया है, यह इसमें लिखा हुआ है.
श्रीमती ऊषा चौधरी :- मेरा कहना यही है कि कहां पर चल रही है.
अध्यक्ष महोदय :- नहीं चल रही है, ऐसा उन्होंने लिखा भी नहीं है. उन्होंने लिखा है कि यदि कोई चलाता है, तो वह मदद करेंगे. अगर अब आपको इसमें कुछ पूछना है तो पूछ लें.
श्रीमती ऊषा चौधरी :-अध्यक्ष महोदय, कोई मदद नहीं हो रही है. मैं आपको बताना चाहती हूं कि मैंने खुद पांच लाख रूपये विधायक निधि से वर्ष 2013-14 में रोण ग्राम पंचायत में दिया था, उसमें से ढाई लाख रूपये मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने जानबूझकर लेप्स कर दिया इससे ग्रामीणों में इतनी ज्यादा समस्या किसानों को हो रही है कि सड़क दुर्घटनाएं तो हो ही रही है और किसानो की पूरी खेती आवारा पशु चर जाते हैं. इसकी आप क्या व्यवस्था करेंगे.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले:- अध्यक्ष महोदय, आवारा पशु हमारे और आप के होते हैं और हम और आप अपनी जिम्मेदारी नहीं निभायेंगे तो आवारा पशु तो ऐसे ही घुमेंगे. यह सरकार की जिम्मेवारी थोड़े ही है कि आवारा पशुओं की देखभाल करे. आवारा पशु आप अपने घर में बांधे, वह आपके पशु हैं वह आप अपने घर पर बांधे. यहां पर सारे सदस्य बैठे हैं, उन सबसे मैं निवेदन करना चाहती हूं कि आप अपने अपने पशु अपने घर पर बांधे.
(..व्यवधान..)
श्री सुखेन्द्र सिंह - आपका मंत्री जी यह जवाब ठीक नहीं है.
श्रीमती ऊषा चौधरी - मैं पूछना चाहती हूं कि सरकार की जिम्मेदारी नहीं है.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले - सरकार की आवारा पशु बांधने की कोई नीति नहीं है और न हम बांधेंगे. सब लोग अपने-अपने आवारा पशु बांधें और सारे सदस्यगण जनता को इस बात के लिये प्रेरित करें कि वे अपने-अपने आवारा पशु घर में बांधें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक विनम्र निवेदन है कि (XXX) श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX) अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दीजिये.
श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय मंत्री महोदया से मैं पूछना चाहती हूं कि क्या इस पर कोई कानून व्यवस्था बनाने का काम करेंगे कि जिनके पशु हैं वे अपने पशु को घर में रखें और पालन पोषण करें या तो आप इस व्यवस्था को खत्म कर दें. गौहत्या का जो कानून है.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य से मैं निवेदन करना चाहती हूं कि वे सदन में संकल्प लायें हम उस पर विचार करेंगे.
प्रश्न क्र.7 अनुपस्थित.
महिदपुर वि.स. क्षेत्रांतर्गत गौशालाओं का विकास
8. ( *क्र. 5525 ) श्री बहादुर सिंह चौहान : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) महिदपुर वि.स. क्षेत्र में कितनी गौशालाएं हैं? इनके पास कितना भूमि रकबा है? शासकीय एवं निजी पृथक-पृथक बतावें? (ख) विगत 5 वर्षों में इन्हें कितना अनुदान दिया गया वर्षवार, गौशाला के नाम सहित बतावें। अकाउंट नंबर भी बतावें? (ग) गौशाला विकास के लिए जो सुविधाएं एवं अनुदान दिए जाते हैं, उनकी सूची प्रक्रिया सहित देवें?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) महिदपुर विधान सभा मे कुल 2 पंजीकृत गौशालाएं हैं। गोपाल गौशाला कटन, महिदपुर के पास 5.76 हेक्टेयर गौशाला समिति की निजी भूमि है तथा श्री कृष्ण गौशाला रावतखेडी के पास 7 हेक्टेयर शासकीय भूमि है, जिसमें 18 आरा विवादित हैं। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ‘ अनुसार। (ग) म.प्र. गौपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड द्वारा पंजीकृत क्रियाशील गौशालाओं को जिला गौपालन एवं पशुधन संवर्धन समितियों के माध्यम से गौवंश के भरण पोषण हेतु आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। गौशालाओं में उपलब्ध गौवंश के भरण पोषण की व्यवस्था एवं देखरेख गौशाला समिति द्वारा की जाती है। म.प्र. गौपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड से प्राप्त राशि को गौशाला में उपस्थित पशु संख्या के अनुपात में जिला गौसंवर्धन समिति की बैठक में अनुमोदन उपरांत चेक के माध्यम से प्रदाय किया जाता है। पशु चिकित्सा विभाग की नज़दीकी संस्था द्वारा पशुओं का टीकाकरण एवं स्वास्थ परीक्षण कार्य किया जाता है। निर्देश की प्रति संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब‘ अनुसार है।
परिशिष्ट - ''तीन''
श्री जसवन्त सिंह हाड़ा - (XXX) .
श्री बहादुर सिंह चौहान - क्या आप सिखाओगे बोलने के लिये. आपसे सीनियर हैं हम. तीन बार चुनाव लड़ लिये हाड़ा जी. आप तो कभी बोलते नहीं. प्रश्न लगाते नहीं. हाऊस की कार्यवाही में भाग भी नहीं लेते.
अध्यक्ष महोदय - उनका उत्तर मत दीजिये. हाड़ा जी की बात कार्यवाही से निकाल दीजिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, मेरा गौशाला से जुड़ा हुआ प्रश्न है. दो गौशालाएं हैं. गोपाल गौशाला और श्रीकृष्ण गौशाला. मैंने पूछा था कि यहां कितनी-कितनी भूमि है. यह महत्वपूर्ण प्रश्न है क्योंकि गोपाल गौशाला निजी भूंमि पर है कमेटी बनी हुई है और श्रीकृष्ण गौशाला शासकीय भूमि पर है. श्रीकृष्ण गौशाला में 7 हेक्टेयर जमीन है परन्तु उत्तर में यह भी आया कि 18 आरा विवादित है उसमें से. मैं दोनों गौशालाओं के लिये क्योंकि निजी भी ट्रस्ट की है निजी व्यक्ति की नहीं है उस पर प्रभावशाली लोगों ने कब्जा कर लिया. आप परिशिष्ट पढ़ेंगे तो अनुदान की संख्या धीरे-धीरे कम होती गई है यानि गायों की संख्या कम हो गई है उस भूमि पर व्यक्तिगत अतिक्रमण कर लिये निर्माण कर लिये खेती कर रहे हैं. इन दोनों गौशालाओं का अतिक्रमण मंत्री जी हटवाएंगी.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से हम वहां के जिले के कलेक्टर को लिखेंगे और आग्रह करेंगे कि उस अतिक्रमण को वे हटाएं और गौशाला की भूमि गौशाला को दी जाये.
श्री बहादुर सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, एक प्रश्न और पूछना चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी इस कार्यवाही को कितने समय में करवा देंगी.
सुश्री कुसुमसिंह महदेले - अध्यक्ष महोदय, आज इसी वक्त तत्काल यहां से जाने के बाद कलेक्टर को पत्र लिखूंगी.
श्री बहादुर सिंह चौहान - धन्यवाद. मंत्री जी.
पशुओं के उपचार हेतु दवाईयों का क्रय
9. ( *क्र. 3894 ) श्री दिनेश राय : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सिवनी जिले में उपसंचालक पशु चिकित्सा द्वारा पशुओं के उपचार हेतु दवाइयों का क्रय वर्ष 2011-12 से प्रश्न दिनांक तक में कितनी-कितनी किस एजेंसी के द्वारा किया गया तथा इस मद में उक्त वर्षों में कितना-कितना बजट प्राप्त हुआ? वर्षवार जानकारी दें। (ख) सिवनी जिले के अंतर्गत पशु चिकित्सक द्वारा प्रश्नांक (क) में वर्णित वर्षों के दौरान कहाँ-कहाँ पर भ्रमण कार्यक्रम किये गये हैं और उनके द्वारा कितने व्यय के बिल प्रस्तुत किये गये? (ग) प्रश्नांश (क) में दर्शित वर्षों में क्रय दवाइयों को स्टॉक रजिस्टर में दर्ज कर कितनों को कितनी-कितनी दवाइयां वितरित की गई तथा कितना व्यय किया गया? (घ) सिवनी विधानसभा क्षेत्र में किस-किस ग्राम में कहाँ-कहाँ कैम्प आयोजित कर पशुओं का इलाज किया गया? यदि नहीं, तो क्यों?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘अ‘‘ अनुसार। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘ब‘‘ अनुसार। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘स‘‘ अनुसार। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘‘द‘‘ अनुसार। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री शैलेन्द्र पटेल - अध्यक्ष महोदय, मुझे माननीय सदस्य ने यह प्रश्न करने के लिये अधिकृत किया है और इस प्रश्न के माध्यम से पशुपालन विभाग का सिवनी जिले का उत्तर प्राप्त हुआ है. इस पशुपालन विभाग को हमारे गांव में ढोर डिपार्टमेंट भी कहते हैं और उसी डिपार्टमेंट का यह प्रश्न है. इस प्रश्न का जो जवाब दिया गया है मेरी भी आंखें खुल गईं जब उसका इतना मोटा उत्तर आया कि 47 लाख 90 हजार रुपये की दवाईयां अकेले सिवनी जिले में वेटनरी डिपार्टमेंट ने पशुपालन के लिये दी हैं. दवाईयां मिलीं तथा इनके सत्यापन की क्या प्रक्रिया अपनाई गई, क्योंकि दवाईयां खरीदी गई उसकी जानकारी है क्या वाकई पशु-पालकों को यह दवाई मिली ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, परिशिष्ट में सारी जानकारियां दी हैं और इतना मोटा जवाब देने का मतलब ही यह है कि जो माननीय सदस्य ने प्रश्न किया है हमने उसके बिन्दुवार जवाब दिये हैं. आप कहें तो मैं इसको पटल पर रख दूं या उसको पढ़कर के सुना दूं.
अध्यक्ष महोदय--आप स्पेसिफिक प्रश्न पूछ लें कि दवाईयां नहीं पहुंची हैं तो क्यों नहीं पहुंची ?
श्री शैलेन्द्र पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, सिवनी जिले में दवाईयां नहीं है इसके अलावा प्रदेश के कहीं पर यह दवाईयां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं, इस बात से पूरे सदस्य सहमत होंगे. दूसरा मुझे जो जवाब दिया गया है (ख) का कितने भ्रमण कार्यक्रम डॉक्टरों द्वारा किये हैं तो किसी डॉक्टर ने पांच से लेकर 20 भ्रमण किये हैं और प्रश्न यह भी आया है कि कुल उन 19 डॉक्टरों में से 11 डॉक्टरों ने तो यात्रा भत्ता भी नहीं लगाया है, क्या वे इतने सक्षम हो गये हैं कि उनको यात्रा भत्ते की जरूरत नहीं है या उन्होंने यहां पर फर्जी आंकड़े पेश कर दिये कि हम इतने गांवों में गये हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉक्टरों ने यात्रा भत्ता नहीं लगाया था यह कोई प्रश्न है ?
श्री शैलेन्द्र पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह संभव है कि कोई काम पर जाए और वह यात्रा भत्ता न लें, क्या उसे पैसे की जरूरत नहीं है इसका मतलब यह है कि क्या मंत्री महोदय उनके सत्यापन की जांच करवाएंगे ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से इसकी जांच करवाऊंगी तथा उसका सत्यापन भी करवाऊंगी.
प्रश्न संख्या 10
व्याख्याताओं की मूल विभाग में वापसी
10. ( *क्र. 4364 ) डॉ. कैलाश जाटव : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आदिवासी विकास विभाग के कितने व्याख्याता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में पदस्थ हैं ओर क्यों? (ख) प्रश्नांश (क) के अनुसार क्या इन व्याख्याताओं की आदिवासी विकास विभाग में आवश्यकता नहीं है? इनको मूल विभाग में वापिस बुलाने हेतु क्या प्रयोजन किये गये? (ग) इस विभाग के कितने व्याख्याता वर्षों से डाइट्स में बिना अनापत्ति प्रमाणपत्र के प्रतिनियुक्ति/पद विरूद्ध कार्यरत हैं, जिसके कारण शिक्षा विभाग के व्याख्याता/वरिष्ठ व्याख्याताओं का डाइट संस्थाओं में पदांकन/पदोन्नति नहीं हो पा रही है? (घ) प्रश्नांश (ग) अंतर्गत व्याख्याताओं को कब तक मूल विभाग में वापिस भेजा जावेगा?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) आदिवासी विकास विभाग के 10 व्याख्याता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों में पदस्थ हैं। पदस्थ व्याख्याताओं के द्वारा आदिम जाति कल्याण विभाग के शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जाता है। (ख) जी हाँ। रिक्त पदों पर विभाग में पदस्थ समान सामर्थ्य एवं समान वेतनमान में न्यूनतम अर्हताधारी कार्यरत शिक्षकों की निर्धारित चयन प्रक्रिया द्वारा अवसर दिये जाने संबंधी विभागीय सहमति प्रदान की गई है। डाईट प्रशिक्षण में विभाग के शिक्षक भी प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। (ग) विभाग के 10 व्याख्याता बिना अनापत्त्िा प्रमाण पत्र के डाईट में कार्यरत हैं। पदोन्नति पर शिक्षा विभाग से पदस्थापना होने पर कार्यरत व्याख्याताओं को मूल विभाग में वापस किया जा सकता है। (घ) उत्तरांश 'ग' के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
डॉ.कैलाश जाटव--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे सवाल के जवाब में माननीय मंत्री जी ने (क) में कहा है कि व्याख्यता जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में पदस्थ हैं, वहां पर कितने लोग पदस्थ हैं ?
श्री ज्ञानसिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, 10 व्याख्याता अभी पदस्थ हैं 33 व्याख्याता वापस विभाग में आ रहे हैं.
डॉ.कैलाश जाटव--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि आपके विभाग को इनकी आवश्यकता नहीं है यह व्याख्याता दूसरे विभाग में पदस्थ किये गये हैं.
श्री ज्ञानसिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय,आवश्यकता अवश्य है 10 व्याख्याता वहां पर पदस्थ हैं दूसरी व्याख्याताओं की सेवाएं आज ही वापस की जाती है.
प्रश्न संख्या -11
अतिथि शिक्षकों का नियमितीकरण
11. ( *क्र. 3728 ) श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश में अतिथि शिक्षक, नियमित शिक्षक के समान ही कार्य कर रहे हैं। यदि कर रहे हैं, तो क्या इन्हें समान काम का समान वेतन दिया जा रहा है? (ख) क्या अतिथि शिक्षकों को आगामी संविदा नियुक्ति में किसी प्रकार का लाभ दिया जावेगा? (ग) यदि दिया जावेगा तो क्या लाभ दिया जावेगा। क्या सभी अतिथि शिक्षकों को संविदा शिक्षक बनाने की शासन द्वारा कोई कार्यवाही की जा रही हैं? यदि नहीं, तो क्या भविष्य में की जाएगी?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी नहीं। अत: शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी हाँ। (ग) संविदा शाला शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया हेतु शैक्षणिक योग्यता एवं शिक्षण प्रशिक्षण धारित अतिथि शिक्षकों को पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने पर प्रावीण्य सूची में कार्य दिवसों के अनुभव के आधार पर बोनस अंक देने का प्रावधान किया गया है। जी नहीं शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री राजेन्द्र वर्मा--माननीय अध्यक्ष महोदय, आज का प्रश्न महत्वपूर्ण है, क्योंकि मध्यप्रदेश के 30 से 35 हजार अतिथि प्रश्नों का प्रश्न हैं. मैं माननीय मंत्री जी को वह हमारे जिले के गौरव हैं मैं उनको जानता हूं कि अतिथि शिक्षकों से माला भी नहीं पहनते हैं. आप जानते हैं कि प्रदेश में शिक्षा को लेकर के बात चल रही है. यह अतिथि शिक्षक 2500-3500 तथा 4500 रूपये वेतन पाने के उपरांत जो शिक्षा देनी चाहिये वह नहीं दे पा रहे हैं जिसमें इस प्रकार के नारे लगते हों कि भारत की बर्बादी तक आजादी जारी रहेगी इंशा अल्लाह यह शिक्षा नहीं देना है.
श्री राजेन्द्र वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से स्पेस्फिक प्रश्न है, जिस प्रकार इन्होंने गुरूजी को अतिरिक्त दिया है, उसी प्रकार क्या अतिथि शिक्षकों के लिए कोई योजना बना रहे हैं और दूसरा क्या अतिथि शिक्ष्ाकों को अतिरिक्त कुछ देंगे, मेरे दो प्रश्न हैं, उसके बाद मैं अलग से प्रश्न करूंगा।
श्री दीपक जोशी- माननीय अध्यक्ष महोदय, संविदा शाला शिक्षक नियोजन प्रक्रिया हेतु शैक्षणिक योग्यता एवं शैक्षणिक प्रशिक्षण धारी अतिथि शिक्षकों को पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने पर, प्रावीण्य सूची में कार्य दिवसों में, अनुभव के आधार पर बोनस अंक प्रदान किए जाने का प्रावधान किया गया है । यदि वह 200 दिवस से 399 दिवस पर कार्य करते हैं तो 5 अंक, 400 से 599 दिवस कार्य करते हैं तो 10 अंक और 600 से अधिक दिन कार्य करते हैं तो 15 अंक बोनस के रूप में दिए जाने का प्रावधान शासन द्वारा किया गया है ।
श्री राजेन्द्र वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो शिक्षक होते हैं,इनका प्रमाणीकरण नहीं होता है, इनका रजिस्टर भी अलग से होता है, मेरा माननीय मंत्री से स्पेस्फिक अनुरोध है कि क्या इनको नियमितीकरण करने के लिए सरकार की कार्यवाही प्रचलित है, दूसरा इसकी पालसी के बारे में पूछा था क्या इनके संबंध में कोई पॉलसी बनाएंगे ।
श्री दीपक जोशी- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे आर.टी. के नियम हैं, उन नियमों का पालन करना आवश्यक है, अभी उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा मित्र के लिए जो निर्णय लिया, उसको उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने पलट दिया, उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने भी यही कहा कि आर.टी.के नियमों का पालन करते हुए ही आप आगामी कार्यवाही कर सकते हैं, उसी परिप्रेक्ष्य में हम भी चूंकि इन्होंने रिकार्ड रखने के लिए कहा है, हम रिकार्ड संधारण के लिए कोई व्यवस्था कर सकते हैं तो हम करने का प्रयास करेंगे ।
श्री सुंदर लाल तिवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी विषय में मैंने ध्यानाकर्षण दिया है ।
अध्यक्ष महोदय- नहीं किसी को अनुमति नहीं है । आपका मूल प्रश्न है आपको पूछना हो तो पूछ सकते हैं ।
श्री राजेन्द्र वर्मा- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या इनका अध्यापक वर्ग में संविलियन किया जाएगा । दूसरा यह जो शिक्षक हैं, इनका प्रमाणीकरण भी नहीं होता है और अप्रैल मई के बाद बंद कर दिया जाता है तो क्या आगे इनको निरन्तर करेंगे ।
श्री दीपक जोशी- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न नहीं उठता क्योंकि परीक्षा उत्तीर्ण करना आवश्यक है, उसके बाद ही कार्यवाही हो सकती है ।
श्री ओमप्रकाश सखलेचा- माननीय अध्यक्ष जी, स्पेशल परीक्षा करके अतिथि शिक्षकों का पहले किया था ।
अध्यक्ष महोदय- आपको अनुमति नहीं दी गई है और भी अन्य सदस्यों ने हाथ उठाएं हैं, उनका अधिकार पहले बनेगा ।
राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन अंतर्गत ट्रैक्टर का प्रदाय
12. ( *क्र. 4471 ) श्री लखन पटेल : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन के अंतर्गत 20 HP से अधिक एवं 20 HP से कम ट्रैक्टर दिए जाने का प्रावधान है? यदि हाँ, तो इसके लिए क्या मापदण्ड निर्धारित हैं? (ख) विगत 03 वर्षों में इस योजना के अंतर्गत पथरिया विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत कितने कृषकों को 20 HP तथा इससे अधिक के ट्रैक्टर प्रदान किए गए? (ग) शासन द्वारा विधानसभावार अथवा क्षेत्रवार कोई लक्ष्य निर्धारित किया गया? विगत 03 वर्षों की लक्ष्य पूर्ति का ब्यौरा दिया जावे?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) 20 अश्वशक्ति से अधिक के ट्रैक्टर पर वर्ष 2013-14 तक अनुदान का प्रावधान था। वर्तमान में 20 अश्वशक्ति तक के ट्रैक्टर पर अनुदान का प्रावधान है। कृषक उद्यानिकी फसलों का उत्पादन करता हो। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-अ अनुसार है। (ग) जी नहीं। लक्ष्य जिलेवार निर्धारित किये जाते हैं। विगत 03 वर्षों की लक्ष्य पूर्ति की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है।
परिशिष्ट - ''चार''
श्री लखन पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट हूं,परन्तु मैं एक जानकारी चाहता हूँ पिछले वर्षों में जो लक्ष्य पूरा नहीं हुआ उसका क्या कारण था, क्या इसकी जानकारी उपलब्ध करा देंगे ।
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- माननीय अध्यक्ष महोदय, जानकारी हमने परिशिष्ट में... कृपया एक बार फिर से प्रश्न करें ।
श्री लखन पटेल - पिछले वर्षों में जो लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है मैंने तीन वर्ष का मांगा था कि तीन वर्ष में कितना लक्ष्य था, उसकी क्या पूति हुई है आपने दो वर्षों का दिया है और लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है इसकी जानकारी चाहता हूँ कि क्या कारण था कि लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया क्या इसकी जानकारी उपलब्ध करा देंगे ।
सुश्री कुसुम सिंह महदेले- माननीय अध्यक्ष महोदय, जितने आवेदन आए हमने उस पर कार्यवाही की अब आवेदन ही नहीं आए तो क्या कार्यवाही करें ।
एरिया एजूकेशन ऑफिसर के पद का सृजन
13. ( *क्र. 3046 ) श्री इन्दर सिंह परमार : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या म.प्र. में राज्य शिक्षा सेवा गठन के पश्चात् कक्षा 1 से 8 तक के विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता एवं निरीक्षण के लिए एरिया एजूकेशन ऑफिसर के पद सृजित किये जा रहे हैं? यदि हाँ, तो क्या इन पदों की पूर्ति विभाग परीक्षा आयोजित करके करेगा? (ख) क्या म.प्र. में शिक्षा विभाग द्वारा एरिया एजूकेशन ऑफिसर के पद की पूर्ति के लिए अध्यापक संवर्ग को भी पात्र माना गया है? यदि हाँ, तो विभाग में उपलब्ध प्रधानाध्यापक की पदोन्नति का मार्ग छोड़कर एरिया एजूकेशन ऑफिसर के पद की पूर्ति के लिए परीक्षा का आयोजन करने का क्या औचित्य है? (ग) क्या शासन द्वारा माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापकों को वरिष्ठता के आधार पर विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी बनाने के पश्चात् शेष रहे प्रधानाध्यापकों को एरिया एजूकेशन ऑफिसर बनाने पर विचार किया जायेगा? (घ) प्रश्नांश (क) में उल्लेखित एरिया एजूकेशन ऑफिसर के पदों की पूर्ति के लिए परीक्षा आयोजित करके पदस्थ करने पर शासन का कितना व्यय होगा?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) शासन द्वारा एरिया एजूकेशन ऑफिसर के कुल 3286 पद सृजित किये गये हैं। ए.र्इ.ओ. की पद पूर्ति हेतु परीक्षा आयोजित हो चुकी है। वर्तमान में ए.ई.ओ. की भर्ती से संबंधित न्यायालयीन प्रकरण प्रचलित है, न्यायालय निर्णय के अनुक्रम में कार्यवाही की जावेगी। (ख) अध्यापक संवर्ग में मात्र अध्यापक को पात्रता है। ए.ई.ओ. का पद सीधी भर्ती का है एवं प्रधानाध्यापक माध्यमिक शाला को भी चयन परीक्षा में शामिल होने की पात्रता है। अत: शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) प्रश्नांश ''ख'' के उत्तर के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (घ) उक्त पद की चयन परीक्षा हेतु शासन द्वारा व्यय नहीं किया गया है।
श्री इन्दर सिंह परमार- अध्यक्ष महोदय,मेरा एरिया एजूकेशन ऑफिसर से संबंधित प्रश्न था, पर इसमें न्यायालय का उल्लेख किया गया है । मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि आपने पद सृजन भी कर दिया, परीक्षा भी आयोजित कर ली, इनकी नियुक्ति कितने वर्ष के लिए की जाएगी, दूसरा यदि नियुक्ति की कोई निश्चित समय अवधि दो साल पांच साल है तो इसके बाद इनको कहां पर भेजा जाएगा, मूल विषय था कि प्रधान अध्यापक को प्रमोशन के द्वारा, इन पदों पर पदोन्नति करना चाहिए, लेकिन इनका अलग से पद सृजन करने के लिए परीक्षा आयोजित करना यह मुझे समझ में नहीं आ रहा है, यह जानकारी चाहिए ।
श्री दीपक जोशी- माननीय अध्यक्ष महोदय,विभाग में पूर्व से ए.डी.आई. के पद होते थे, जिन पर हम हेड मास्टर और शिक्षक को नियुक्त करते थे बाद में जब अध्यापक संवर्ग भी इनके समकक्ष आ गए, चूंकि एरिया एजूकेशन का पद अभी हमने सृजित किया है और इसी परिप्रेक्ष्य में किया है, ए.डी.आई. के पद के समकक्ष ,इसलिए हमने सोचा कि क्यों न इसमें अध्यापक को भी जोड़ लिया जाए । इसलिये अध्यापकों को भी जोड़ा गया. लेकिन मामला कोर्ट में जाने के कारण लगातार इसमें विलम्ब हुआ और वर्तमान में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में प्रकरण प्रचलित है. जब तक माननीय न्यायालय से फैसला नहीं होगा तब तक प्रकरण विचाराधीन रहेगा.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधानाध्यापक का जो पद है, सेकेण्ड क्लास गजेस्टेड ऑफिसर का पद है. अध्यापक और उसमें अन्तर है, उनको समक्ष नहीं हैं.
श्री दीपक जोशी - चूँकि शिक्षक और अध्यापकों की पदोन्नति के रास्ते आगे बन्द हो जाते हैं इसलिए उनके लिए, ये पद पहले से ही रहित हैं. इसलिए अभी भी हमने रखने का विचार किया है.
शिक्षकों के अनियमित निलंबन की जाँच
प्रश्न 14. ( *क्र. 5468 ) श्री संजय पाठक : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या कटनी जिले में सर्वशिक्षा अभियान के तहत प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में वर्ष 2015 में शौचालय निर्माण कराये गये? यदि हाँ, तो कितने और कहाँ-कहाँ जानकारी देवें? (ख) क्या उक्त के दौरान जून 2015 में अनेक शिक्षकों/जनशिक्षकों/अध्यापक/सहायक अध्यापक/सहायक शिक्षकों को शौचालय निर्माण न करने के कारण निलंबित किया गया? यदि हाँ, तो क्या शौचालय निर्माण का दायित्व शाला प्रबंधन समिति का है या उक्त शिक्षकों का? उक्त निलंबन किसके द्वारा प्रस्तावित किया गया? क्या संबंधित निलंबित कर्मचारी को पहले कोई कारण बताओ सूचना पत्र देकर पक्ष रखने का अवसर दिया गया, इसमें आरक्षित श्रेणी के शिक्षकों को भी दण्डित किया गया है? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में संबंधित का निलंबन किस जाँच के आधार पर निरस्त किया गया? यदि संबंधित अधिकारी जाँच में निर्दोष पाये गये तो निलंबन प्रस्तावित करने वाले अधिकारी पर क्या कार्यवाही होगी? यदि जाँच नहीं हुई तो क्या उक्त निलंबन छिपाने के लिये किया गया?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( श्री पारस चन्द्र जैन ) : (क) जी हाँ। स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय 2015-16 के अंतर्गत प्राथमिक/माध्यमिक शाला परिसरों में 315 बालक शौचालय, 189 बालिका शौचालय, इस प्रकार कुल 504 शौचालयों का निर्माण किया गया। शालावार स्वीकृत एवं निर्मित शौचालयों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जून 2015 में शिक्षक/जन शिक्षक/ अध्यापक/सहायक अध्यापक/सहायक शिक्षकों को स्वच्छ भारत स्वच्छ विद्यालय अभियान के अंतर्गत शालाओं में शौचालय निर्माण कार्य प्रारंभ न करने के कारण निलंबित किया गया। शौचालय निर्माण का दायित्व शाला प्रबंधन समिति का है एवं इस समिति में शाला के प्राधानाध्यापक/प्रभारी अध्यापक पदेन सचिव होते हैं तथा शासन के आदेशों का पालन समय-सीमा में किये जाने हेतु उनका मुख्य दायित्व होता है। जन शिक्षक का मॉनिटरिंग का दायित्व होता है। शिक्षकों का निलंबन विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक द्वारा प्रस्तावित किया गया था। संबंधित निलंबित कर्मचारियों को पहले कोई कारण बताओ सूचना पत्र नहीं दिया गया, इसमें आरक्षित श्रेणी के शिक्षकों को भी दंडित किया गया है। (ग) उत्तरांश ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में संबंधितों का निलंबन विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक के प्रतिवेदन के आधार पर निरस्त किया गया। प्रकरण की जाँच करवाई जा रही है एवं प्रतिवेदन प्राप्त होने पर आगामी कार्यवाही की जाएगी।
श्री संजय पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न में पूछा था कि कटनी जिले में शौचालय निर्माण में विलम्ब के कारण बगैर कारण बताओ नोटिस जारी किये 14 शिक्षकों को निलंबित किया गया है. क्या उनके ऊपर शौचालय निर्माण की जवाबदारी थी ? और अगर निलंबित भी किया गया है तो उनको कोई कारण बताओ नोटिस जारी हुआ था या उनको किस प्रतिवेदन के आधार पर निलंबित किया गया था ? मैं माननीय मंत्री जी से इसका जवाब चाहता हूँ.
राज्यमंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक जोशी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा अगस्त, 2014 को 'स्वच्छ भारत अभियान' के आगाज की घोषणा की गई थी. तत्संबंध में, विभाग ने त्वरित करते हुए जून, 2015 तक हमारे सभी विद्यालयों को शौचालय शुरू करने का फैसला लिया था. जब कलेक्टर ने समीक्षा की तो समीक्षा के दौरान 4 दिन की रिपोर्ट आई कि प्रश्नांकित विद्यालयों में शौचालय की कार्यवाही आरम्भ नहीं की गई. कलेक्टर द्वारा 8 दिन की समीक्षा बैठक में वी.आर.सी. को निर्देशित किया गया कि इनके विरुद्ध कार्यवाही की जाये और वी.आर.सी. ने तत्संबंधी कार्यवाही की थी.
श्री संजय पाठक - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यहां पर यह जानकारी देना चाहूँगा कि जिन 14 शिक्षकों को बगैर कारण बताओ नोटिस के ही निलंबित कर दिया गया है, इनमें से किसी के भी ऊपर शौचालय निर्माण की जिम्मेदार एवं जवाबदारी नहीं थी. शौचालय निर्माण की जिम्मेदारी/जवाबदारी, जो होती है वह प्रचार की होती है या प्रभारी प्रचार की होती है या प्रभारी अध्यापक, जो भी हो, उसकी होती है. ये न कहीं पर प्रभारी प्रचार थे, न प्रभारी अध्यापक हैं. ये वहां पर केवल शिक्षक थे और इनको बलि का बकरा इसलिए बना दिया गया है कि जो प्रभारी प्रचार लोग थे, वे डायरेक्ट डी.पी.सी. से कनेक्टेड लोग हैं. कलेक्टर ने बोला कि जिनने विलम्ब किया, उन्हें निलंबित करो.
अध्यक्ष महोदय - आप सीधे प्रश्न करें. सब री-इन्सटेट हो गए हैं न सब.
श्री संजय पाठक - ठीक है. लेकिन जिनकी जवाबदारी/जिम्मेदारी नहीं थी. मेरा सीधा प्रश्न यह है कि बगैर गलती के जिन शिक्षकों को निलंबित किया गया है, ऐसे निलंबित करने वाले अधिकारी डी.पी.सी. के विरुद्ध आप क्या कार्यवाही करेंगे ? कितनी समय-सीमा में करेंगे ? इतना बता दीजिये.
श्री दीपक जोशी - माननीय अध्यक्ष महोदय, निलंबित सहायक शिक्षक, तत्समय प्रभारी प्रधान अध्यापक थे एवं शाला प्रबन्धन समिति के पदेन सचिव थे, इस कारण से उनको निलंबित किया गया था. फिर भी माननीय सदस्य को संशय है तो उसकी हम जांच करा लेंगे और यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही करेंगे.
श्री संजय पाठक - अध्यक्ष महोदय, सिर्फ समय-सीमा चाहता हूँ और यह चाहता हूँ कि कितने दिन के अन्दर करवा लेंगे और उसमें चूँकि पारदर्शिता चाहता हूँ. तो उस कमेटी में क्या मेरी उपस्थिति में जांच होगी ? समय-सीमा बताएं और यह भी बता दें कि जांच में डी.पी.सी. दोषी पाया जाता है तो उस पर तत्काल कार्यवाही होगी कि नहीं होगी.
श्री दीपक जोशी - अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक महोदय की जैसी भावना है. हम माननीय विधायक जी को भी कागज उपलब्ध करा देंगे और जांच के इस दायरे में, अगर वे स्वयं को सम्मिलित करना चाहते हैं तो उनको पत्र परीक्षण करने के लिए उपलब्ध करा देंगे.
श्री संजय पाठक - समय-सीमा बता दें. 15 दिन में.
श्री दीपक जोशी - चूँकि समय-सीमा बतलाना उचित नहीं रहेगा, शीघ्र करवा लेंगे.
प्रश्नकर्ता के पत्रों पर कार्यवाही
प्रश्न 15. ( *क्र. 2118 ) कुँवर सौरभ सिंह : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता द्वारा माह मई, 2015 से प्रश्न दिनांक तक सचिव माध्यमिक शिक्षा मण्डल, भोपाल को लिखे गये पत्रों पर क्या कार्यवाही की गई? पत्र के माध्यम से चाहे गए अभिलेख उपलब्ध करावें। (ख) अभी तक उपलब्ध न कराने के लिए कौन उत्तरदायी हैं एवं उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही करेंगे?
स्कूल शिक्षा मंत्री (श्री पारस चन्द्र जैन) -
कुँवर सौरभ सिंह - अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न एक संविदा के विषय में था, उत्तर आया उसके लिए धन्यवाद, संशोधन भी करवाया, उसके लिए पुन: धन्यवाद. मेरा सीधा प्रश्न यह है कि सेवा वृद्धि हो रही है कि नहीं हो रही है और दूसरा, वेतन 2016 तक मिल रहा है कि नहीं मिल रहा है.
श्री दीपक जोशी - माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रश्नांकित कर्मचारी का वेतन हमने 2016 तक देने का निर्णय ले लिया है और आगामी सेवावृद्धि भी उनकी 30 सितम्बर, 2016 तक कर दी गई है.
कुँवर सौरभ सिंह - माननीय मंत्री जी, धन्यवाद.
राजनगर विधानसभा क्षेत्र में कार्यों की स्वीकृति
16. ( *क्र. 1630 ) कुँवर विक्रम सिंह : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में अनुसूचित जाति, जनजाति की बस्तियों में निर्माण हेतु शासन द्वारा कितने प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई? उनकी कितनी संख्या है तथा कितनी राशि व्यय हुई? (ख) छतरपुर जिले के कितने प्रस्ताव आयुक्त आदिवासी विकास हेतु भेजे गये? क्या उनकी स्वीकृतियां की गई? यदि हाँ, तो कब, नहीं तो क्यों? (ग) राजनगर विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत क्या आदिवासी बस्तियों में नाली निर्माण/रोड निर्माण/भवन निर्माण के प्रस्ताव विभाग में प्राप्त हुए? यदि हाँ, तो स्वीकृति में क्या समस्या उत्पन्न हुई? शासन प्रावधानों की गाइड लाईन की प्रति उपलब्ध करावें।
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (ख) छतरपुर जिले के 03 प्रस्ताव, आयुक्त, आदिवासी विकास को भेजे गये। जी नहीं। अनुसूचित जनजाति बस्ती विकास योजना मद अंतर्गत प्रावधानित राशि की 80 प्रतिशत राशि जिलों को अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या के मान से आवंटित किये जाने के कारण जिले से प्राप्त प्रस्ताव जिले को प्राप्त आवंटन अंतर्गत नियमानुसार स्वीकृति हेतु मूलत: जिले को भेजे गये। (ग) जिला स्तर पर प्राप्त हुए हैं। 01 कार्य की स्वीकृति प्रदान की गयी है। शेष के प्राक्कलन एवं तकनीकी स्वीकृति अपेक्षित होने से स्वीकृति की कार्यवाही नहीं हो सकी है। शासन प्रावधानों की गाईड लाईन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘ब’ अनुसार है।
कुँवर विक्रम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि प्रश्नांश (ख) के उत्तर के अनुसार जो जिले से प्रस्ताव भेजे गये हैं, क्या उन्हें इस वर्ष के आवंटन में स्वीकृति प्रदान की जायेगी.
श्री ज्ञान सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहूंगा कि स्वीकृतियां मिल जायेंगी.
कुँवर विक्रम सिंह -- अध्यक्ष महोदय, प्रश्नांश (ग) के संबंध में मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत, राजनगर ने फरवरी,2016 को प्राक्कलन सहित प्रस्ताव जनसंख्या प्रमाणित कर संयोजक, आदिम जाति कल्याण विभाग, छतरपुर को भेजे हैं, उनकी स्वीकृति की जायेगी कि नहीं.
श्री ज्ञान सिंह -- अध्यक्ष महोदय, उत्तर में तो स्पष्ट है, लेकिन मैं माननीय सदस्य के ध्यान में लाना चाहूंगा कि आदिवासी बस्ती विकास मद से 25 लाख 57 हजार, अनुसूचित जाति बस्ती विकास मद से 1 करोड़ 66 लाख स्वीकृत हुए हैं, जो आपके विधानसभा क्षेत्र में भी हैं और जिनका आप जिक्र कर रहे हैं, माननीय सदस्य की भावनाओं का आदर करते हुए हैं, जो प्रस्ताव आये हैं, उनकी स्वीकृति दी जायेगी.
कुँवर विक्रम सिंह -- मंत्री जी, धन्यवाद.
अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं को जारी प्रमाण पत्र
17. ( *क्र. 4997 ) श्री आरिफ अकील : क्या श्रम मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या राज्य शासन द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार संस्थाओं को अल्पसंख्यक दर्जा प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं? यदि हाँ, तो किन मूलभूत नियम एवं आधारों पर प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं और भोपाल संभाग में वर्ष 2014 से प्रश्न दिनांक तक में कितने अल्पसंख्यक दर्जा प्रमाण पत्र जारी किए गए, कितने प्रकरण/प्रस्ताव वर्तमान में लंबित हैं? (ख) क्या अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त शैक्षणिक संस्थाओं में अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को अन्य समुदायों से अधिक प्रतिशत में प्रवेश दिये जा रहे हैं? यदि नहीं, तो वर्ष 2012 से प्रश्न दिनांक की स्थिति में भोपाल जिला अंतर्गत वर्षवार अल्पसंख्यक समुदाय व अन्य समुदायों के छात्रों की संख्या बतावें? (ग) प्रश्नांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में राज्य शासन एवं नेशनल कमिशन फॉर मायनोरिटी एज्यूकेशन इंस्टीट्यूशन भारत सरकार के दिशा निर्देशानुसार यथोचित संख्या में अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को जिन संस्थाओं/स्कूलों में प्रवेश नहीं दिया, उनकी मान्यता समाप्त कर वैधानिक कार्यवाही की जावेगी? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों कारण सहित बतावें?
श्रम मंत्री ( श्री अंतरसिंह आर्य ) : (क) जी हाँ। अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं को मान्यता एवं अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र देने के लिए मार्गदर्शी सिद्धांत एवं प्रक्रिया 2007 यथा संशोधित 2015 के आधार पर आवेदक संस्थाओं के आवेदनों का निराकरण किया जाता है, नियम की प्रति पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। भोपाल संभाग में वर्ष 2014 से आज दिनांक तक 10 अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं को प्रमाण-पत्र जारी किये गये। 07 आवेदन प्रक्रियाधीन हैं। (ख) जी नहीं। अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं को मान्यता एवं अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र देने के लिये मार्गदर्शी सिद्धान्त् एवं प्रक्रिया 2007 संशोधित 2015 में अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त शैक्षणिक संस्था में अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को अन्य समुदायों से अधिक प्रतिशत में प्रवेश दिये जाने का कोई बंधन नहीं है, उक्त मार्गदर्शी सिद्धांत की कण्डिका 19.12 में अल्पसंख्यक समुदायों के आवेदकों को प्रवेश में प्राथमिकता देने का प्रावधान है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) प्रश्नांश ‘ख’ भाग के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जिन संस्थाओं को मान्यता दी गयी है, क्या वह केन्द्र सरकार के निर्देशानुसार हैं और जिन पर भ्रष्टाचार का मामला चल रहा था, उन संस्थाओं को मान्यता दी गई है, तो उनकी क्या मान्यता समाप्त करेंगे. एक बात इसी में और है कि जिनको अनुदान दिया गया है, उन संस्थाओं में अल्पसंख्यक समुदाय के जितने छात्रों को होना चाहिये था, क्या उनमें उतने छात्र हैं और अगर नियमानुसार नहीं हैं, तो क्या उनका अनुदान समाप्त करके उनके विरुद्ध कार्यवाही करेंगे.
श्री अंतर सिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का प्रश्न अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं को मान्यता से संबंधित है. अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थाओं को मान्यता एवं अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था का मान्यता प्रमाण पत्र प्रदाय किये जाने हेतु राज्य शासन द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग अधिनियम,2004 सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देश से ..
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न आपने सुना है. मैंने सीधा पूछा है कि केन्द्र सरकार के जो निर्देश हैं, उसके अनुसार मान्यता दी है.
अध्यक्ष महोदय -- आप उनकी सुन लें.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, लम्बा हो जायेगा, फिर आप बाद में मुझे प्रश्न पूछने नहीं देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं पूछने देंगे. सुन लें उनकी. वह निर्देशानुसार ही बता रहे हैं, पर वह उसकी डिटेल दे रहे हैं.
श्री अंतर सिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपको थोड़ा बता रहा हूं. मान्यता अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र देने के लिये मागर्दर्शी सिद्धांत प्रक्रिया 2007 संशोधित 2015 प्रभावशील है. मैं विधायक जी को बताना चाहूंगा कि यदि कोई इस प्रकार से अनियमितता हुई है, तो आप लिखित में दे दें, जरुर उसकी हम जांच करेंगे.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, हमने पूछा कुछ, मंत्री जी ने जवाब कुछ दिया है. हम आपके माध्यम से पूछना चाहते हैं कि जिन संस्थाओं को अनुदान दिया गया है, उस समिति में ऐसे भ्रष्ट प्रवृत्ति के लोग थे, जिनके विरुद्ध ईओडब्ल्यू और आपके विभाग में कार्यवाही चल रही है. उनको उस समिति में रख करके उनको अनुदान दिलवाया गया और पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक के आयुक्त जब अवकाश पर थे, तो अपर आयुक्त के माध्यम से इस काम को कराया गया, ताकि इसमें और लम्बा चौड़ा भ्रष्टाचार हो सके. क्या इसकी जांच करायेंगे कि उनके अवकाश होने के समय में, अवकाश पर जाने के बाद ही उसमें उनको नजर अंदाज करके क्यों ऐसे अपर आयुक्त ने इस काम को किया, क्या इसकी जांच करायेंगे. दो सवाल के बारे में बता दें, फिर मैं तीसरा अंतिम सवाल और पूछूंगा.
श्री अंतरसिंह आर्य--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय विधायक जी को आश्वस्त करता हूं कि इसकी हम जांच करा लेंगे.
श्री आरिफ अकील-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जॉच करायेंगे ? मामला नॉलेज में है. EOW में कैस चल रहा है. 15-20 प्रेम पत्र तो मेरे भी मंत्री जी के पास में होंगे उनके भ्रष्टाचार के मामले के जो मैंने उनको दिये हैं. अदालतों में कैस चल रहा है लेकिन पता नहीं आप उनसे क्यों मोहब्बत करते हो कि उनके खिलाफ कार्यवाही भी करने को आप तैयार नहीं होते हो.(XXX)
श्री अंतरसिंह आर्य--ऐसी कोई मोहब्बत नहीं है.गलत किया होगा तो उसकी हम जॉंच करवायेंगे.
श्री आरिफ अकील-- विभाग में जांच चल रही है. मामूली पैसों में जमीनें बेच दी, उनके खिलाफ जांच चल रही है (XXX).
अध्यक्ष महोदय-- उसको कार्यवाही से निकाल दीजिये.
श्री आरिफ अकील-- सर इसमें क्या असंसदीय हो गया.
गृह मंत्री(श्री बाबूलाल गौर) -- अध्यक्ष महोदय, आप बताईये. आरिफ भाई प्रेम पत्र और भ्रष्टाचार का क्या संबंध है और मोहब्बत.
श्री आरिफ अकील -- गौर साहब..जो प्रेम से भ्रष्टाचार करता है.
श्री अंतरसिंह आर्य-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो जांच की मांग की है उसकी हम जांच करवा लेंगे.
श्री आरिफ अकील-- अंतिम सवाल. अनुदान प्राप्त संस्थाओं में अल्पसंख्यक समुदाय के कम बच्चों के आने की शिकायत के आधार पर आयोग के द्वारा किन किन संस्थाओं को नोटिस जारी किये गये हैं, क्या उसको भी जांच में शामिल करेंगे.
श्री अंतरसिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो जांच मांगी है उसकी भी हम जांच करा लेंगे.
श्री आरिफ अकील-- धन्यवाद.
जिला खरगोन अंतर्गत निर्माण/मरम्मत कार्य
18. ( *क्र. 3163 ) श्री सचिन यादव : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला खरगोन में शिक्षा विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक छात्रावासों, आश्रमों, प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल, हायर सेकेण्ड्री स्कूलों के मरम्मत कार्य, फर्शीकरण, बाउण्ड्रीवाल, अतिरिक्त कक्ष, मूत्रालय, शौचालय तथा अन्य कार्यों के लिये कितनी राशि प्राप्त हुई? (ख) उक्त राशि में से कौन-कौन से निर्माण कार्य कहाँ-कहाँ कराए गए? क्या उक्त कार्यों का प्राक्कलन सत्यापन एवं कार्य की आवश्यकतानुसार ही कार्य स्वीकृत किए गए और कार्य की पूर्णता के आधार पर ही मापांक कराया गया? (ग) क्या प्रश्नांश (क) में दर्शित कार्यों की भुगतान प्रक्रिया पूर्ण कर दी गई है? यदि हाँ, तो किस प्रकार की गई है? उक्त निर्माण कार्यों के संबंध में क्या कोई शिकायत प्राप्त हुई है? यदि हाँ, तो प्रश्न दिनांक तक किस प्रकार की कार्यवाही की गई? शिकायतवार जानकारी दें। (घ) प्रश्नांश (क) अनुसार कसरावद विधानसभा क्षेत्रांतर्गत कितनी-कितनी राशि के कितने-कितने कार्य कहाँ-कहाँ कराये गये एवं प्रश्न दिनांक तक कौन-कौन से कार्य शेष हैं? शेष के क्या कारण हैं और इन कार्यों को कब तक पूर्ण कर दिया जायेगा? प्रश्नांश (ख) एवं (ग) अनुसार भी कोई कार्यवाही की गई है, तो उसकी अद्यतन स्थिति की जानकारी से अवगत करावें?
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा (श्री दीपक जोशी):-
श्री सचिन यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय,मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि मेरे विधानसभा में ऐसे कई विद्यालय हैं जहां पर वाउन्ड्रीवाल नहीं है, ऐसे कई विद्यालय हैं जहां पर भवनों की आवश्यकता है और बाकी सारी चीजों की भी आवश्यकता है. क्या माननीय मंत्री जी उन सारी चीजों को एक बार परीक्षण करवा करके क्या आने वाले समय में उन कार्यों को पूर्ण करने का आश्वासन देंगे ?
श्री दीपक जोशी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य को हमने सारी जानकारी उपलब्ध करा दी है लेकिन फिर भी उनका एक स्पेसिफिक पत्र रेगांव हाईस्कूल के लिये आया था हमने इस साल की योजना में उसको सम्मलित करने का पूरा पूरा प्रयास किया है और हम माननीय सदस्य को आश्वस्त करते हैं कि हाई स्कूल रेगांव के लिये भवन उपलब्ध करायेंगे.
श्री सचिन यादव- इसके लिये मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद. मंत्री जी एक निवेदन यह भी करना चाहता हूं कि हम जब क्षेत्र में दौरा करते हैं तो स्कूल में वाउन्ड्रीवाल के निर्माण की बात लगातार सामने आती है. मंत्री जी इस मांग को भी पूरा करने का आश्वासन सदन में देने का कष्ट करें.
श्री दीपक जोशी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, बजट की उपलब्धता के आधार पर हम वाउन्ड्रीवाल का निर्माण कराते हैं. यदि संभव हुआ तो वाउन्ड्रीवाल का निर्माण कर देंगे.
श्री सचिन यादव-- बहुत बहुत धन्यवाद.
पेयजल संकट के निदान हेतु तैयार कार्ययोजना
19. ( *क्र. 3962 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या पशुपालन मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या म.प्र. सरकार द्वारा रीवा जिले को पूर्ण रूप से सूखाग्रस्त घोषित किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो शासन द्वारा इस स्थिति से निपटने के लिए क्या कार्ययोजना तैयार की है, का पूर्ण विवरण देते हुये बतावें कि नये हैण्डपम्प खनन, हैण्डपंपों हेतु राइजर पाइपों की खरीदी, बंद नल जल योजनाओं के संचालन सहित अन्य कार्यों हेतु कितनी राशि व्यय करने की कार्ययोजना सरकार की है? (ग) प्रश्नांश (ख) के संदर्भ में सरकार द्वारा पेयजल संकट से निपटने के लिये कार्य योजना तैयार की है, तो उसका क्रियान्वयन कब तक किया जाकर मौके पर दिखाई देने लगेगा? अगर कार्य योजना तैयार नहीं की गयी है, तो कब तक तैयार कर कार्यरूप में परिणीत किया जावेगा? अगर नहीं, तो क्यों?
पशुपालन मंत्री ( सुश्री कुसुम सिंह महदेले ) : (क) जी हाँ। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के अनुसार है। (ग) पेयजल संकट निवारण हेतु बनाई गई आकस्मिक कार्य योजना में दर्शाये गये कार्य आवश्यकतानुसार करवाये जा रहे हैं। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता।
परिशिष्ट - ''पाँच''
श्री बाबूलाल गौर-- सुंदरलाल जी तिवारी प्रश्न पूछ रहे हैं बड़ा आश्चर्य हो रहा है. यह तो प्रश्नों के अंदर गड़बड़ी ज्यादा पैदा करते हैं. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय-- अब उनको पूछ लेने दें.
श्री घनश्याम पिरौनिया --अध्यक्ष महोदय, यह तो बिना कहे खड़े हो जाते थे.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय तिवारी जी आप तो अपना प्रश्न करें.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, रीवा जिला मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा सूखाग्रस्त जिला घोषित किया गया है. वहां पर पेयजल की स्थिति बहुत दयनीय है. वैसे भी पूरे मध्यप्रदेश की पेयजल की स्थिति बहुत खराब .यह तथ्य पत्रक संदर्भ सेवा द्वारा संकलित यह विधानसभा के द्वारा तैयार किया गया है. जिसमें हमारी मध्यप्रदेश की स्थिति यह है कि केन्द्र सरकार 30%की उम्मीद करती है कि शुद्ध पेयजल दिया जाये. इसमें गुजरात 55 % पर है, महाराष्ट्र 50% पर है...
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करें.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- प्रश्न में ही आ रहे हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- यह तो भाषण दे रहे हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- मैं भाषण नहीं कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- यह प्रश्न में कहां है ?
श्री सुंदरलाल तिवारी-- जब हालत खराब है तो जो राशि आप दे रही हैं उस राशि से क्या होगा यह मेरा कहना है.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य प्रश्न इसलिये पूछते हैं कि उनका निराकरण हो, इससे कोई निराकरण नहीं होगा, आप तो अपना सीधा प्रश्न पूछें.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- मेरा कहना यह है कि जो योजना इन्होंने बनाई है, जो राशि दर्शाई है, वह ऊंट के मुंह में जीरा है, इसलिये यह स्थिति मैं स्पष्ट कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- स्पष्ट मत करिये. आप तो सीधे पूछिये न.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- तो मेरा कहना यह है हमारी स्थिति यह है कि गुजरात 55 प्रतिशत, महाराष्ट्र 50 और मध्यप्रदेश 9.9 प्रतिशत पर है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले (पशुपालन मंत्री)-- अध्यक्ष महोदय यह हो क्या रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न क्या है.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- हमारा प्रश्न यह है कि जब पहले से हालत खराब है और जो स्थिति इन्होंने बताई है...
अध्यक्ष महोदय-- आप प्रश्न करें और भी सदस्यों के प्रश्न हैं, भाषण नहीं. आप तो यह बतायें कि इसके निराकरण के लिये आप क्या चाहते हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- निराकरण के लिये जो जानकारी दी गई है वह जानकारी पूर्णत: अपर्याप्त है और रीवा जिले का जलसंकट उससे दूर होने वाला नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- तो आप जानकारी लो न, उनसे पूछो न.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- मेरा यह कहना है कि आपने यह लिखा है कि बंद नल योजनाओं का संचालन, मेरा पूरा दावा है, अध्यक्ष महोदय कि 90 प्रतिशत नल जल योजनायें रीवा जिले की बंद हैं और मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि मेरा विधानसभा क्षेत्र गुड़ है. आप इन योजनाओं को कब तक शुरू कर देंगे, यह मेरा आपसे निवेदन है, घोर जल संकट वहां पर है.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाइये, उत्तर तो आने दीजिये.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो पुरानी नल जल योजनायें हैं वह ग्रामीण विकास के अंतर्गत हैं, ग्रामीण पंचायत विभाग हमको आदेश देगा और बजट उपलब्ध करायेगा तो हक तत्काल सुधरवा देंगे.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, माननीया मंत्री जी के जवाब से यह स्पष्ट हो गया है कि इनके पास वित्तीय संकट है, अब सवाल मेरा यह है कि रीवा जिले के रहवासियों को जल कैसे मिलेगा क्या यह सरकार की चिंता का विषय नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं आप प्रश्न तो पूछिये.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- प्रश्न तो मेरा यही है.
अध्यक्ष महोदय-- जल कैसे मिलेगा, पूछ रहे हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- आपका कहना यह है कि जब हमको पंचायत बजट देगी, आप यह कहिये कि हमारे पास बजट ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- आप उत्तर तो लें. .... (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- विभागीय मंत्री.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण विकास विभाग हमें पैसा दे रहा है और हम उन नल जल योजनाओं को सुधारेंगे.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय मेरा यह निवेदन है कि यह नल जल योजनायें कब तक शुरू हो जायेंगी, इतना ही मेरा निवेदन है.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- अभी मार्च का महीना है, अभी गर्मी शुरू नहीं हुई, गर्मी शुरू होने के पहले हम सुधरवा देंगे.
श्री रामनिवास रावत-- यह चिंता प्रदेश के लगभग सभी सदस्यों की है, जैसा कि कहा दोनों पंचायत मंत्री भी बैठे हैं और पीएचई मंत्री भी बैठे हैं, आप आपस में इसका संधारण दोनों अपने हाथ में ले लें तो ज्यादा अच्छा है, नहीं तो ऐसे तो प्रश्न होते रहेंगे.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले-- हममें आपसी सहमति है, आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. हम सारी नल जल योजनायें सुधरवा देंगे.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय मंत्री जी 90 प्रतिशत मेरे यहां भी खराब है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 100 करोड़ रूपये पंचायत विभाग की तरफ से पीएचई में ट्रांसफर कर दिये गये हैं, बिजली के बिल के 50 करोड़ रूपये उसके तीनों कंपनी में जमा करा दिये गये और हमने जो 14वे वित्त आयोग की राशि की उसमें हमने प्राथमिकता से उनके लिये निर्देशित किया, हर ग्राम पंचायत में 5-6 लाख रूपये भेजे हैं, अब मैं समझता नहीं हूं कि कोई समस्या है.
श्री रामनिवास रावत-- संधारण कौन के पास है.
अध्यक्ष महोदय-- रावत जी उनका प्रश्न आने दें.
शालाओं में शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण
20. ( *क्र. 40 ) श्री वेलसिंह भूरिया : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधान सभा क्षेत्र सरदारपुर जिला धार के विभिन्न शालाओं में प्राचार्य, संविदा वर्ग 1, 2 एवं 3 तथा अध्यापकों के कितने पद कब से रिक्त हैं? (ख) उक्त पदों को भरने के लिए क्या कार्यवाही की जा रही है तथा कब तक रिक्त पदों की पूर्ति कर दी जायेगी? (ग) क्या शासन यह सुनिश्चित करेगा कि युक्तियुक्तकरण के अनुसार शिक्षकों को शालाओं में पदस्थ किया जाये, जिससे छात्रों के अध्ययन के कार्य में व्यवधान न हो?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्राचार्यों के रिक्त पदों की पूर्ति पदोन्नति द्वारा किये जाने की कार्यवाही प्रचलन में है। संविदा वर्ग 1, 2 एवं 3 के पदों की पूर्ति प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा के माध्यम से की जावेगी। समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ग) जी हाँ। 15 शैक्षणिक संस्थाओं में 30 मई, 2015 में युक्तियुक्तकरण किया जाकर पदपूर्ति की कार्यवाही की गई है।
श्री वेलसिंह भूरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तिवारी जी और रावत जी हमेशा मुझे डिस्टर्व करते हैं, मेरा प्रश्न यह है कि माननीय मंत्री जी से मैं यह पूछना चाहता हूं कि जो रिक्त पद पड़े हैं प्राचार्य के उनको कब तक भर दिये जायेंगे.
श्री ज्ञान सिंह (आदिम जाति कलयाण मंत्री)-- माननीय अध्यक्ष महोदय जी, विभाग में पदों की कमियां उनकी पूर्ति के लिये विभाग की ओर से प्रयास जारी हैं, माननीय न्यायालय में हमारे प्रदेश के अभ्यार्थी अपील किये थे, इस कारण से देरी हुई है, वह अपील उनकी वापसी हो गई है, अध्यक्ष महोदय जी मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को आश्वस्त करना चाहूंगा कि जुलाई सत्र के पहले जो पदों की कमी है वह पूर्ति हो जायेगी.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल समाप्त.
श्री वेलसिंह भूरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय ....
अध्यक्ष महोदय-- वेलसिंह जी प्रश्न काल समाप्त हो गया, आपको अनुमति दूसरे सदस्यों को बिठाकर दी है, आप भी सहयोग करिये, यह बात ठीक नहीं है.
प्रश्नकाल समाप्त.
शून्यकाल में उल्लेख
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, हमने कल स्थगन दिया था कि बारहवीं की परीक्षा में 5 तारीख को सामान्य हिन्दी के पेपर में जातिगत आधार पर आरक्षण देश के लिए घातक विषय पर निबंध लिखने का प्रश्न आया था. स्थगन प्रस्ताव दिये 24 घंटे हो गये हैं. शासन का उत्तर आ जाना चाहिए. मेरा निवेदन है कि इस पर चर्चा करा लें.
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ नरोत्तम मिश्र)--अध्यक्षजी, मैं जवाब दे रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय-- ( श्री रामनिवास रावत सदस्य के कहे जाने पर)आपने जो कहा अब उनकी भी सुन लें.
डॉ नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, प्रश्न पत्र की सेटर थी वंदना व्यास, उन पर कार्रवाई कर दी है. श्री संतोष स्वर्णकार, मॉडरेटर थे, उनको निलंबित कर दिया गया. उस प्रश्न को शून्य कर दिया गया. इस तरह की जितनी कार्रवाई हो सकती थी, सारी की सारी कार्रवाई कर दी गई.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, यह स्थगन क्यों ग्राह्य किया जाना चाहिए. कई ऐसे विषय हैं. यदि ग्राह्य नहीं किये गये या ग्राह्यता पर चर्चा नहीं की गई तो छूट जायेंगे. मेरा निवेदन है कि ग्राह्यता पर ही चर्चा करा लें.
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)--अध्यक्ष महोदय, आप और हम सब यह जानते हैं कि प्रश्न पत्र बहुत गोपनीय होते हैं. प्रश्न पत्र जो बनाता है और जो मॉडरेटर है, उसके अलावा तीसरे को पता नहीं होता है. उसके बाद भी विषय आया है, उसमें जबरन का इश्यू बनाया जा रहा है. इसमें चर्चा का सवाल ही नहीं है.(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--यह आपकी सोच और मानसिकता को प्रदर्शित करता है. आपको चर्चा कराने में क्या दिक्कत है.(व्यवधान)
श्री उमाशंकर गुप्ता-- आप सुनिये तो. दोनों के खिलाफ कार्रवाई कर दी गई है. शासन की कोई मंशा नहीं है. प्रश्न पत्र आपके समय देख कर बनाये जाते होंगे. (व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र-- वे विषय की गंभीरता बता रहे हैं. विवाद वाली कोई बात ही नहीं है.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- जिसने प्रश्न पत्र गलत बनाया उसके खिलाफ कार्रवाई कर दी गई.
श्री सत्यप्रकाश सखवार--अध्यक्ष महोदय, यह कोई कार्रवाई नहीं है. ऐसे व्यक्ति को बर्खास्त करना चाहिए.
श्री उमाशंकर गुप्ता--आप सुनिये तो. आप क्यों नहीं सुनना चाहते.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, माननीय संसदीय कार्यमंत्रीजी ने जो उत्तर दिया, उसमें एक बहुत बड़ा प्रश्न उद्भूत हो गया है कि आपने उस निबंध लेखन को निरस्त कर दिया. उनके अंक भी नहीं जुडेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- इस पर बहस नहीं हो रही है.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्षजी, बहस इसलिए है कि बेचारे उन बच्चों को जो किसी भी वर्ग के हों, उन्होंने लिखा, उनका क्या दोष. उनको कौन से अंक जोडोगे.
श्री उमाशंकर गुप्ता--जब उस प्रश्न को ही हटा दिया गया. न वेल्यूएशन में होगा, न टोटल नंबर में होगा, न जांच में होगा तो क्या अंतर पड़ेगा वकील साहब.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- उस प्रश्न को शून्य घोषित किया है.
श्री रामनिवास रावत-- पूरा प्रश्न शून्य घोषित किया है?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- हां शून्य घोषित किया है.
श्री रामनिवास रावत-- क्या 90 नंबर को टोटल माना जायेगा?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- हां हां.
श्री रामनिवास रावत-- 100 नंबर का प्रश्न पत्र नहीं जंचेगा. 100/ प्राप्तांक नहीं होंगे?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- आपको जरा देर से समझ में आती है.
श्री रामनिवास रावत-- मैं तो बहुत समझता हूं. आप लोग आरक्षण को समाप्त नहीं कर सकते.(व्यवधान)आप अनुसूचित जाति,जनजाति के वर्गों को दबा नहीं सकते.(व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, टोटल 90 नंबर का ही प्रश्न पत्र है.(व्यवधान) जैसा आपने कहा वैसा ही है. टोटल 90 नंबर का ही है.
श्री रामेश्वर शर्मा--अध्यक्ष जी, आरक्षण कभी खत्म नहीं होगा. यह प्रदेश के मुखिया की घोषणा है. प्रधानमंत्रीजी की घोषणा है. आरक्षण तो कांग्रेस खत्म कराना चाहती है.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आप लोग बैठ जायें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, एक छोटा-सा हमारा सवाल है.
अध्यक्ष महोदय - (कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होकर बोलने पर) आप लोग बैठ जाएं.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, हम कांग्रेस के मनसूबों को कभी पूरा नहीं होने देंगे, आरक्षण कभी खत्म नहीं होगा, नहीं होगा, यह हमारी घोषणा है, हमारे मुख्यमंत्री की घोषणा है. हमारे प्रधानमंत्री की घोषणा है.(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत - मोहन भागवत को अपना संविधान मानते हो. आपको संविधान में भरोसा नहीं है.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - (व्यवधान)..राहुल गांधी केन्द्र में बैठे हैं, उसके देश द्रोह के मामले से आप सहमत हैं या नहीं हैं? (व्यवधान)..जो देश द्रोह का केस लगा है, उससे कांग्रेस सहमत है या नहीं है? (व्यवधान)..जो देश द्रोह का केस लगा है उससे कांग्रेस नाराज है, आहत है.
श्री रामनिवास रावत - ..तभी तो यह बात आई है. हमें आपसे नहीं लेना राष्ट्रभक्ति का पाठ, आपके सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. तुम लोगों ने क्या क्या कहा है, तुम किनके वंशज हो. सबको मालूम है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -(व्यवधान).. देश द्रोहियों से आप सहमत हो या नहीं हो?
अध्यक्ष महोदय - आप लोग कृपया बैठ जाएं. रावत जी, कृपया बैठ जाइए. आप लोग भी कृपया बैठ जाइए.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, यह क्या सत्ता पक्ष का व्यवहार है?
श्री लाखन सिंह यादव - यह इस तरह का कौन-सा व्यवहार है?
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, आप बैठ जाइए.
श्री रामनिवास रावत - आप पूरी शैक्षणिक व्यवस्था में परिवर्तन करना चाहते हो.(व्यवधान). आप शिक्षा का भगवाकरण करना चाहते हो.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (व्यवधान)..(XXX)... (यह कहते हुए माननीय सदस्य, श्री सुन्दरलाल तिवारी अपने आसन से हटकर गर्भ गृह की ओर आकर बोलने लगे.)
अध्यक्ष महोदय - आप लोग भी कृपया बैठ जाइए. तिवारी जी आप भी बैठ जाइए. तिवारी जी को तो बैठा दीजिए, हम सबको बैठाल देंगे. यह नहीं चलेगा, यह कार्यवाही से निकाल दीजिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -राहुल गांधी के देश द्रोह के मामले से आप सहमत हैं या नहीं हैं? अफजल गुरु के मामले पर आप सहमत हैं कि नहीं हैं?
श्री रामनिवास रावत - किसी के व्यक्तिगत विचारों पर कोई बात नहीं होती. मोहन भागवत के बयान से तुम सहमत हो. आज वह (व्यवधान)..बाहर आ गया, रोहित की हत्या करवा रहे हो (व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र - (व्यवधान)..कांग्रेस जरा इस बात को बताए, देश द्रोह के मामले से आप सहमत है कि नहीं हैं? (व्यवधान)..ये देश द्रोहियों से आप सहमत हैं कि नहीं हैं? देश द्रोहियों से आप सहमत है या नहीं हैं? (व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत - जो व्यक्ति यहां का सदस्य नहीं है. जो व्यक्ति यहां पर जवाब नहीं दे सकता, उनके बारे में आप यहां पर बोल रहे हो. (व्यवधान).. आपके प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आंतकवादियों के समर्थकों, आंतकवाद का आप लोग समर्थन करते हो (व्यवधान)...मोहन भागवत.. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया शून्यकाल हो जाने दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -...राष्ट्रभक्त के ऊपर उंगली उठाते हो. देश द्रोहियों राष्ट्र भक्तों के ऊपर ऊंगली उठाते हो.
अध्यक्ष महोदय - शून्यकाल और ध्यानाकर्षण हो जाने दें.
(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र - देश द्रोह करने वाले राष्ट्र भक्तों पर ऊंगली उठाएंगे?
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी, बैठ जाएं. तिवारी जी आप अपनी जगह पर बैठें. तिवारी जी अखबार रख लें पास में.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -(व्यवधान)..राष्ट्र भक्त है, राष्ट्र भक्त. आप राष्ट्र द्रोही लोगों की पार्टी से हो. आपके उपाध्यक्ष पर देश द्रोह का मुकदमा चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी अखबार पास में रख लें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मोहन भागवत देश भक्त हैं, आप लोग देश द्रोही लोगों की पार्टी से हो.
अध्यक्ष महोदय - कृपा करके सब अपने अपने स्थान पर बैठ जाएं. मंत्री जी, माननीय सदस्यगण बैठ जाएं. आप लोग भी कृपया बैठ जाएं. कृपया शून्यकाल होने दें. तिवारी जी आप बैठें तो, जितू पटवारी जी कृपया बैठें. लाखन सिंह जी कृपया बैठें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - देशद्रोहियों, राष्ट्र भक्त के ऊपर ऊंगली उठाते हैं. देश द्रोही पार्टी के लोग जिनके उपाध्यक्ष पर देश द्रोह का केस चल रहा है. देश द्रोह का मामला चल रहा है, ये अफजल गुरु का समर्थन करते हैं.
श्री रामनिवास रावत - देश द्रोही तुम हो, तुमसे सर्टिफिकेट, प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(11.38 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
समय 11.52 बजे.
{ अध्यक्ष महोदय ( डॉ. सीतासरन शर्मा ) पीठासीन हुए }
अध्यक्ष महोदय -- आप सभी लोग बैठ जायें. श्री रावत जी बोलें. आपकी बात आ गई है और आपकी भी आ गई है और आप सभी मेरी बात सुन लें...( श्री सुन्दरलाल तिवारी जी के बोलने के लिए खड़े होने पर ) तिवारी जी सदन चलने देना है या नहीं. रावत जी को कहा है वह बोलेंगे. सदस्यों से अनुरोध है कि कोई नहीं बोलेगा और आप संक्षेप में अपनी बात रखेंगे.
श्री रामनिवास रावत --अध्यक्ष महोदय सरकार का जवाब आ गया है. हम चाहते हैं कि यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है, बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है. जिस तरह से संविधान के अनुच्छेद 330 से लेकर 342 तक कुछ विशेष जातियों के लिए विशेष आरक्षण की सुविधा प्रदान की गई है. उस संविधान के भाग को लेकर के उस प्रश्न पत्र में निबंध का लेख किया गया है कि जातिगत आधार पर आरक्षण देश के लिए घातक है यह संविधान की मूल भावना के विरोध में है. जिस तरह से सत्तापक्ष राष्ट्रवाद और राष्ट्रद्रोह अफजल गुरू.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं यह भाषण का विषय नहीं है.
श्री रामनिवास रावत -- अफजल को फांसी किसने दी है यह बता दें..(व्यवधान) अजहर मसूद को कौन छोड़कर आया...(व्यवधान)..( सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष के अनेक माननीय सदस्य लगातार जोर जोर से बोलते रहे)
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय यह ओले पाले पर चर्चा नहीं करेंगे हमारे मुख्यमंत्री जी उस पर चर्चा कराना चाहते हैं..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- हम भी उस पर चर्चा करना चाहते हैं उसके लिए भी स्थगन के रूप में दिया है..(व्यवधान)..
डॉ नरोत्तम मिश्र -- एक भी नेता किसानों के बीच में नहीं पहुंचा है...(व्यवधान).. किसानों के मुद्दे पर चर्चा नहीं कराना चाहते हैं..(व्यवधान)..एक भी व्यक्ति ने किसान की बात नहीं उठाई है.
नियम 267-क के अधीन विषय.
अध्यक्ष महोदय -- निम्नलिखित सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ी हुई मानी जायेंगी.
1. श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा
2. श्री संजय पाठक
3. श्री दिलीप सिंह परिहार
4. श्री रामकिशोर दोगने
5. श्री संजय शर्मा
6. श्री संजय उइके
7. श्री हितेन्द्र सिंह सोलंकी
8. श्री कालूसिंह ठाकुर
9. श्री भारत सिंह कुशवाह
10. श्री रामनिवास रावत
डॉ नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय इनके एक भी सदस्य ने नहीं कहा कि ओले पर ध्यानाकर्षण ले लें, इनके एक भी सदस्य ने नहीं कहा कि ओले पर स्थगन प्रस्ताव ले लें..(व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय इनकी बात का जवाब दे दिया है. आपने कहा कि सरकार का जवाब आना चाहिए तो सरकार ने जवाब दे दिया है....(व्यवधान).. ओले पाले पर कोई चर्चा नहीं करना चाहते हैं . ओले पर किसान परेशान है, गांवों में ओले गिर गये हैं एक भी सदस्य ने नहीं कहा कि ओले पर स्थगन ले लें...(व्यवधान).. एक भी सदस्य ने नहीं कहा कि ओले पर ध्यानाकर्षण ले लें लेकिन राजनीतिक रोटियां नहीं सेंकने देंगे...(व्यवधान).. अध्यक्ष महोदय आपने कहा कि जवाब दें तो हमने जवाब दिया या नहीं,
गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
( श्री रामनिवास रावत जी एवं श्री सुंदरलाल तिवारी जी अपनी बात कहते हुए वेल में आये एवं अध्यक्ष महोदय की समझाइश पर वापस अपने आसन पर गये)
डॉ नरोत्तम मिश्र -- मैंने एक एक बात का जवाब दिया है और यह भी गुजारिश की कि जिनकी गलती है यह गंभीर बात है, हमने इसको गंभीर माना है हमने कहा है कि जिसकी गलती है वह दण्डित कर दिये गये हैं बच्चों को कोई दिक्कत नहीं हो तो वह भी जवाब दिया है इनको प्रश्न पत्र 90 अंक का ही है उस प्रश्न को शून्य घोषित कर दिया है..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महदोय -- मेरा सभी सदस्यों के अनुरोध है कि बैठ जायें. कक्ष में बात कर लेंगे, बात हो गई है, पत्रों का पटल पर रखा जाना, श्री जयंत मलैया. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय ... (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- आपने जो बात कही है उसका माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी ने जो उत्तर दिया है, इस सब पर विचार करने के लिए कक्ष में चर्चा कर लेंगे. आपसे अनुरोध है कि इस बारे में कक्ष में बात कर लें.
(व्यवधान)
श्री जितु पटवारी -- अध्यक्ष जी, यह तो गलत बात है, ये दोनों विचार कल भी हुए थे.
अध्यक्ष महोदय -- कक्ष में कोई विचार नहीं हुआ. आज मैंने बोला है कल मैंने बोला भी नहीं था. कृपा करके आप अपनी बात तो मेरी जबान पर न डालें. श्री जयंत मलैया.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, अग्राह्य तो नहीं किया ?
अध्यक्ष महोदय -- नहीं किया. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- अब आगे बढ़ गए माननीय मंत्री जी.
श्री रामनिवास रावत -- गोपाल जी, शून्यकाल में फिर व्यवस्था. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, जब शासन की तरफ से उत्तर आ गया तो मेरा कहना यह है कि .. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- अभी मैंने न हां की है न ही ना की है, इसलिए उस पर कोई बात करने का अर्थ नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव -- अब शासन का उत्तर आ गया तो इसके बाद... (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- उत्तर आ गया तो विचार कर रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय, यह नई व्यवस्था शुरू हो जाएगी.
श्री रामनिवास रावत -- आप आसंदी पर दबाव बनाएंगे. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- कोई दबाव नहीं बना रहे हैं. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव -- जब शासन का उत्तर आ गया है तो अब आप क्या चर्चा करवाएंगे इस पर, नई परंपरा शुरू करवाना चाहते हैं. ऐसा नहीं चलेगा. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत -- हमेशा यही परंपरा रही है, स्थगन से उठाकर देख लो. आप आसंदी पर दबाव बना रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- अभी चर्चा के लिए हां नहीं की है, कक्ष की बात हुई है, सदन की तो कोई बात हुई नहीं है. (व्यवधान)
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय के अधिकारों को भी आप छीनना चाहते हैं. श्री गोपाल भार्गव -- मैं किसी के अधिकार नहीं छीनना चाहता. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, आप बैठ जाइये. (व्यवधान)
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय ने अपना निर्णय सुना दिया.
अध्यक्ष महोदय -- आपको ज्यादा मालूम हैं अध्यक्ष के अधिकार, आप बैठ जाइये. आपको बहुत ज्ञान है उसका. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव -- विषय खत्म हो गया है, शासन की तरफ से उत्तर आ गया है.
अध्यक्ष महोदय -- आप सब लोग बैठ जाएं. (व्यवधान)
श्री सुंदरलाल तिवारी --(XXX). (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी की बात निकाल दीजिए कार्यवाही से. माननीय मंत्रिगणों से अनुरोध है कि बैठ जाएं, उन्हें चिल्लाने दें. श्री सुंदरलाल तिवारी जो बोलेंगे वह कुछ भी लिखा नहीं जाएगा.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- सभी लोग बैठ जाइये, माननीय वित्त मंत्री जी कृपया पढ़ें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- मेरी शून्यकाल की सूचना महत्वपूर्ण थी.
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइये, कल दे देना.
11.58 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा का 43वां, 44वां एवं 45वां प्रगति प्रतिवेदन
वर्ष 2010-2011, 2011-2012 तथा 2012-2013
11.59 बजे ध्यान आकर्षण
(1) स्वकराधान योजना के तहत पंचायतों को राशि न मिलना
श्रीमती अर्चना चिटनिस (बुरहानपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)---अध्यक्ष महोदय,
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय मंत्री जी कह रहे हैं वह वही कह रहे हैं जो मैंने अपनी ध्यानाकर्षण सूचना में आपके सामने विषय प्रस्तुत किया है. 2010-11 में जो इनका स्वकराधान का सर्क्यूलर था उसके अंतर्गत राशि सम्पूर्ण प्रदेश में उपलब्ध करायी गयी. 2011-12 और 2012-13 में भी राशि उपलब्ध करायी गयी. 2013-14 और 2014-15 में राशि उपलब्ध नहीं करायी गयी. 2015-16 का विषय ही नहीं है और यह योजना बहुत अच्छी योजना माननीय मंत्री जी ने स्वयं बनायी थी और एक प्रकार से जो ग्राम स्वराज हासिल करना हमारी आजादी का मुख्य मकसद था, हम अपने गांव को स्वावलम्बी बनाये, हम अपने गांव को स्वाभिमानी बनाये, हम अपने नागरिकों में अपनी खुद को जिम्मेदारी के प्रति उनको कांशीयस् करें, उनको अवेयर करें. इस योजना के अंतर्गत मैंने अपने विधानसभा क्षेत्र में बहुत मेहनत की और मेरे सभी जनप्रतिनिधियों ने, महिलाओं ने, पुरुषों ने सब ने मिलकर इस प्रकार के रजिस्टर का असिसमेंट प्रत्येक पंचायत का किया, व्यक्तिवार किया और कर आरोपण कर, कर का एकत्रीकरण भी किया. जो योजना का सर्क्यूलर पंचायत राज संचालनालय से निकला था, उस योजना के सर्क्यूलर के निकलने के बाद उसमें जो 5 लाख की राशि एकत्रित करेगा, उसे क्या दिया जाएगा, 1 लाख की राशि एकत्रित करेगा उसे क्या दिया जाएगा, से लेकर 10 हजार तक का कर अगर इकट्ठा हुआ तो इतना इतना पैसा स्वकराधान में मिलेगा. माननीय मंत्री जी द्वारा या विभाग द्वारा इसके निरस्तीकरण का आगे कोई ऐसा दूसरा सर्क्यूलर जारी नहीं हुआ और लोग शासन के भरोसे, विभाग के भरोसे कि हम अपना टैक्स इकट्ठा करेंगे तो हमारे गांव का विकास होगा, इस भरोसे से गरीब लोग खराब मौसम, खराब फसलों में भी अपना टैक्स कलेक्शन करते रहे. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रहपूर्वक निवेदन है कि स्वकराधान की योजना उसके प्रावधानों के अनुसार चालू रखें और यहां उपस्थित सभी हमारे जितने विधायकबंधु और बहने हैं. वह भी गांव-गांव जाकर , पंचायत-पंचायत जाकर के उस पंचायत को जो पढ़ाई भी कराये, सफाई भी कराये, निर्माण कार्य भी करे, आंगनवाड़ी भी देखे,सामाजिक न्याय भी देखे क्या हमारी जनता ने एक परिवार ने एक दिन में एक रुपया रोज पंचायत को नहीं देना चाहिए. पंचायतें भी रिस्पॉन्सिबल हों और सरकार अपने प्रॉमिस पर कायम रहे.
श्री गोपाल भार्गव--- माननीय अध्यक्ष महोदय , अर्चना जी बहुत जागरूक विधायक हैं. 1993 में मध्यप्रदेश ग्राम स्वराज अधिनियम के अंतर्गत यह प्रावधान किया गया था त्रिस्तरीय पंचायतीराज संस्थाओं के लिए कि वह स्वकराधान करें. जब हमारा 73 वाँ संविधान संशोधन संसद में मंजूर हुआ था उस समय यही भावना थी कि पंचायतें स्वतंत्र हों, स्वायत्तशासी हों, अपने कर्तव्यों के सहित अधिकारों का निर्वहन करें और अधिकारों के साथ कर्तव्यों का भी निर्वहन करें. यही मूल भावना गांधी जी के ग्राम स्वराज की थी, यही मूल भावना दीनदयाल जी की थी, यही मूल भावना आज हमारी भी है और इस कारण से पिछले वर्षों में लगातार हमने जो स्वकराधान किया है उन पंचायतों के लिए, राशि प्रावधानित करके तीसरे वित्त आयोग की जो अनुशंसा थी उसके आधार पर हमने राशि आवंटित की है. प्रत्येक वर्ष के हिसाब से जैसे भवन कर, प्रकाश कर, सफाई कर, व्यवसाय कर, वैकल्पिक कर,जल कर, मनोरंजन कर यह अधिरोपित करते हैं और एक अच्छी भावना है कि अधिरोपित करके उसके एवज में सरकार उनको प्रोत्साहित करें ताकि नागरिकों में जिम्मेदारी की भावना पैदा हो और वह कुछ राशि पब्लिक इंटरेस्ट में, गांव के हित में भी, समाज हित में भी खर्च करें इसी उद्देश्य के साथ में यह योजना शुरु की गई थी . अध्यक्ष महोदय, 2010-11 में जिन ग्राम पंचायतों द्वारा स्वकराधान किया गया था और वसूल किया गया ऐसी 2100 ग्राम पंचायतों में 33 करोड़ 70 लाख रुपये की राशि वितरित की गई थी. 2011-12 में इसी तरह 591 ग्राम पंचायतों में 63 करोड़ 99 लाख रुपये की स्वकराधान की राशि प्रोत्साहन रूप में वितरित की गई थी क्योंकि हमें उस वर्ष अधिक राशि शासन के द्वारा वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार उपलब्ध कराई गई थी. वर्ष 2012-13 में 700 ग्राम पंचायतों को 42 करोड़ 25 लाख रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई थी, जिन्होंने स्वकराधान किया था और उस क्राइटेरिया में आए थे, नानसो नियम के अंतर्गत . वर्ष 2013-14 में 13 वें वित्त आयोग के अंतर्गत स्वकराधान की राशि भारत शासन से प्राप्त न होने से राज्य मद में कुल उपलब्ध रुपया 10 करोड़ एवं वर्ष 2014-15 राज्य मद की राशि 10 करोड़ रुपया, कुल 20 करोड़ रुपये की राशि के विरुद्ध ग्राम पंचायतों द्वारा वसूल की गई राशि का 150 प्रतिशत स्वकराधान प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत देने हेतु प्रस्तावित है. माननीय सदस्य की 13 ग्राम पंचायतो के लिए पिछले वर्ष में हमने 295 लाख रुपये की राशि उपलब्ध करवाई है. इस वर्ष भी जो आपकी 6 ग्राम पंचायतें इस क्राइटेरिया में आ रही हैं और राज्य के एक ही विधानसभा क्षेत्र या एक ही ब्लाक की नहीं जो भी राज्य की जनपदें हैं, जहाँ जहाँ हैं, हमारे पास में रिपोर्ट आ गई है और वहाँ का ऑडिट हो गया है, उन सभी ग्राम पंचायतों के लिये जिन्होंने स्वकराधान किया है हम मध्यप्रदेश में जो 10 करोड़ रुपये की राशि हमें उपलब्ध है, हम अनुपातिक आधार पर, हम सभी पंचायतों के लिए राशि शीघ्र अतिशीघ्र दो-तीन दिन में उपलब्ध करा देंगे.
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहती हूं जो उत्तर माननीय मंत्री जी ने दिया है , अभी जो उन्होंने कहकर भी बताया , वह यह परिलक्षित करता है कि यह योजना कितनी प्रभावी है . 700 ग्राम पंचायतें भी अगर कराधान करके, कर वसूल करके यह पैसा ले रही हैं इसका मतलब है कि यह डाउन द लाइन परकोलेट हो रहा है. लोग उसका असर अपने ऊपर ले रहे हैं.माननीय वित्तमंत्री जी भी यहाँ उपस्थित हैं, माननीय ग्रामीण विकास मंत्री जी भी यहाँ उपस्थित हैं, ऐसा कहना उचित नहीं होगा कि 10 करोड़ हमारे पास हैं तो हम उसको इक्वली बांट देंगे. जो आपने कहा कि आपने जो उस योजना के अंतर्गत प्रावधान बनाये थे उस प्रावधान के लिए अगर 50 करोड़ रुपया खर्च होकर लोगों में ग्रामीण क्षेत्र में टैक्स को देने की प्रवृत्ति पनपती है तो वह नेशन बिल्डिंग है, वह महत्वपूर्ण है. लोगों को जिम्मेदारी के प्रति सरकार प्रोत्साहन दे रही है.
अध्यक्ष महोदय--- आप अपना प्रश्न कर दें.
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि मेरे क्षेत्र में मात्र 6 पंचायतें इस वर्ष की नहीं हैं, उससे अधिक पंचायतें हैं पर ये जो लिखित जवाब दे रहे हैं, उसमें कह रहे हैं कि 50 प्रतिशत कर वसूली की गई, ऑडिट करवाया गया, वहीं हम देंगे. जबकि योजना का जो प्रावधान है वह 10,000 रुपये तक की भी अगर कर वसूली की गई है तो भी योजना में प्रावधान है. आपने इतनी अच्छी योजना बनाई, कितनी सकारात्मक आपकी सोच है, वह लगातार चलती रही. वह योजना यथावत प्रावधानों के अनुरूप चलती रहे और माननीय वित्त मंत्री जी भी ग्रामीण विकास मंत्री जी की इस योजना में अपना सहयोग दें, आशीर्वाद दें.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी आप बोल दीजिए, माननीय सदस्य की जो भावना है.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, योजना के नियमों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. जैसा मैंने कहा वित्त आयोग के माध्यम से, उनकी सिफारिश से, जो भी राशि हमें उपलब्ध होती है. हम उसी हिसाब से इसे बाँटते हैं. जहाँ तक 50 प्रतिशत का चूँकि नियम है, मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूँ कि इस नियम के अंतर्गत आपकी 6 पंचायतें आती हैं. बाकी 10 पंचायतें इस नियम के अंतर्गत नहीं आ रही हैं. चूँकि इसमें यह बाध्यता है कि 1993 में...
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- अध्यक्ष महोदय, मैं आधा मिनट और लूँगी.
अध्यक्ष महोदय-- पूरा उत्तर आ जाय.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं माननीय सदस्य की ग्राम पंचायतों के लिए, माननीय सदस्य ने जिन ग्राम पंचायतों के बारे में उल्लेख किया है उनके लिए भी और राज्य में जो ऐसी ग्राम पंचायतें हैं, जहाँ करारोपण हुआ है, उन सबका 2 दिन में परीक्षण कराकर उनके खातों में राशि हम जमा करा देंगे.
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- अध्यक्ष महोदय, 50 प्रतिशत का नियम तो है ही वह पहला बिन्दु है. उसका अगला बिन्दु है 1 लाख से 5 लाख तक कर वसूली, उसका जो तीसरा बिन्दु है वह 50 हजार रुपये तक की कर वसूली पर, उसका जो चौथा बिन्दु है, यह मेरा लिखा हुआ नहीं है, यह माननीय मंत्री जी के विभाग द्वारा है और...
अध्यक्ष महोदय-- वे तो एग्री हैं. वे मान रहे हैं कि वह सर्क्यूलर है.
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- क्रायटेरिया के अनुसार 10 हजार रुपये तक की स्वकराधान वसूली पर ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. यह समस्त कलेक्टर्स को....
अध्यक्ष महोदय-- वे उस पर एग्री हैं. वे परीक्षण भी कराने को तैयार हैं.
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- वे 50 प्रतिशत की बात कर रहे हैं. वे योजना के समस्त नियमों की बात नहीं कर रहे.
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने कहा कि योजना चालू है.
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- योजना के प्रावधानों के अंतर्गत केवल पहले बिन्दु के अनुसार नहीं, समस्त बिन्दुओं के अनुसार.
श्री रामनिवास रावत(विजयपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे काफी बातें आ गईं. काफी महत्वपूर्ण योजना है कि स्वशासी संस्थाओं को स्ववित्तीय पोषण की तरफ किस तरह से उन्हें अग्रेषित किया जाए, किस तरह से उनमें एक जागृति पैदा की जाए. जिससे वे स्व वित्त की भी व्यवस्था कर सकें, स्वकराधान लगाकर, माननीय मंत्री जी, आपने केवल 13 वें वित्त का जिक्र किया है. जैसा कि माननीय हमारी सदस्य महोदया ने कहा बहुत अच्छी योजना है हम चाहते हैं कि आप, कहीं से भी राशि की व्यवस्था हो, चाहे तो वित्त आयोग से व्यवस्था हो, चाहे पंचायत विभाग व्यवस्था करे, मांग लो ना, हाथ कर रहे हों, मांग लो, वित्त मंत्री जी से, सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है.
अध्यक्ष महोदय-- आप तो सीधा प्रश्न कर लीजिए और भी सदस्यों के नाम हैं.
श्री रामनिवास रावत-- इस तरह की व्यवस्था क्या माननीय मंत्री जी करेंगे, जिससे प्रदेश की सभी पंचायतें स्वकराधान वसूल करने के लिए उत्साहित हों?
वन मंत्री (डॉ गौरीशंकर शेजवार)-- अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन कर रहा था कि आपने कहा कि कहीं से भी पैसे लाओ पैसे निकालो, जंगल में चले जाओ यह कैसी भाषा बोल रहे हैं? कहीं से भी कैसे लाएँगे पैसा?
श्री रामनिवास रावत-- विभाग की अन्य स्कीमों से, वित्त विभाग से....
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- आप ऐसा तो मत बोलिए. मलैया जी ने यह बात कही कि कहीं से भी मतलब कहाँ से, तो पीछे से आवाज आई कि बन्दूक उठा लो, जंगल में चले जाओ, ऐसा नहीं होता.
श्री रामनिवास रावत-- केन्द्र से ले आओ.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- वह वित्त मंत्री हैं. खर्च के लिए पैसे की व्यवस्था करना पड़ती है और जो नियम कानून हैं उनका पालन करना पड़ता है. ऐसे प्रश्न नहीं आना चाहिए कि कहीं से भी व्यवस्था करो.
श्री रामनिवास रावत-- आपको वित्त की जानकारी है? आप तो जंगली आदमी हों. जंगल के मालिक हों.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, यह राज्य के द्वारा प्रवर्तित और राज्य के द्वारा ही तैयार की गई योजना है. भारत सरकार के द्वारा जो हमें 14 वें, 13 वें, वित्त आयोग की राशि मिलती है, यह तो उस ग्राम की जनसंख्या के आधार पर समानुपातिक रूप से सभी राज्य की लगभग 23 हजार पंचायतों में वितरित की जाती है. इस कारण से हम स्वकराधान के हेड में इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं. लेकिन हम प्रयास यह करेंगे कि इस वर्ष से या अगले वर्ष से, स्वकराधान जो पंचायतें करती हैं, उस मद में और अधिक राशि का प्रावधान किया जाए. फिलहाल जो हमारे पास में राशि उपलब्ध है, सभी ग्राम पंचायतों में जहाँ स्वकराधान हुआ होगा, ऑडिट हो गया होगा, सी ए की रिपोर्ट आ गई होगी, सभी के लिए हम राशि दो दिन के अन्दर भिजवाने का कार्य करेंगे.
श्री रामनिवास रावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी से निवेदन है कि प्रचार-प्रसार, सभी सदस्यों को इसके सर्कुलर की कॉपी और गांवों में उत्साहित व प्रोत्साहित करने की व्यवस्था बनाने के लिए कुछ करें.
श्री गोपाल भार्गव--माननीय अध्यक्ष महोदय, अच्छा सुझाव है जब प्रचार प्रसार होगा तो इससे निश्चित रुप से ग्राम पंचायतों का स्वावलंबन भी बढ़ेगा, विकास के लिए ज्यादा राशि उपलब्ध हो सकेगी और मेरी स्वयं यह मान्यता है कि गांव स्वत: के साधनों से जितने ज्यादा आत्मनिर्भर होंगे उतना ही ज्यादा वास्तविक विकास होगा और ग्राम स्वराज्य की जो वास्तविक कल्पना है आत्मनिर्भरता की वह निश्चित रुप से साकार होगी.
डॉ. गोविन्द सिंह(लहार)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी ने जवाब दिया है कि पात्रतानुसार सभी जिलों में राशि वितरण की गई और कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. मैं माननीय मंत्रीजी से जानना चाहता हूँ कि क्या अगर कहीं गड़बड़ी हुई है तो आप जांच करायेंगे. भिण्ड जिले में कई पंचायतें ऐसी हैं जिनमें कराधान लगा ही नहीं है यहां से विभाग के दो अधिकारी गए उन्होंने पंचायत से पैसा इकट्ठा किया वहीं रसीद काटी और आकर पैसे का दुरुपयोग कर लिया और वहां कोई विकास का काम नहीं हुआ. वर्ष 2010-11, 2011-12, 2012-13 में आपके उत्तर के विपरीत भिण्ड जिले में जो कार्य हुआ है उसकी जांच करायेंगे क्या ? वे लोग हमारे पास आए भी थे कि हमें माफ कर दो हमारे पीछे क्यों पड़े हो. मैंने उनसे कहा कि पैसा क्यों खा गये सबको दो. क्या आप भिण्ड जिले में जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करेंगे.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, भिण्ड जिले की पंचायतों ने स्व-कराधान किया है जब मैंने इस रिकार्ड को देखा तो मुझे स्वयं आश्चर्य हुआ कि भिण्ड जिले के लोग स्व-कराधान करें इससे बड़े आश्चर्य की कोई बात नहीं हो सकती है.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, जांच अलग विषय है लेकिन यह आपत्तिजनक है भिण्ड जिले के लोगों को आप क्या कहना चाहते हो.
डॉ.गोविन्द सिंह--मंत्रीजी सही कह रहे हैं (हंसी) स्व-कराधान हुआ नहीं है फर्जी हुआ है. (हंसी).
डॉ. नरोत्तम मिश्र--यह गोविन्द सिंह जी हैं.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, यह बात हम मानते हैं कि नहीं हुआ है लेकिन जिस तरह से मंत्रीजी कह रहे हैं उस पर आपत्ति है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--तरीका कोई भी हो कह एक ही बात रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, भिण्ड जिले की दो ग्राम पंचायतों को 12 लाख रुपया दिया है और सीए की ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर दिया है लेकिन माननीय सदस्य जैसा कह रहे हैं यह बात सही है कि हमारे यहां परम्परा नहीं है और इस कारण से आप इसका ऑडिट करवा लें और इसकी जांच करवा लें. हम निश्चित रुप से इसकी जांच करवा लेंगे.
(2) श्योपुर जिले में भू-जल स्तर नीचे गिरने से उत्पन्न स्थिति
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है --
वित्त मंत्री, (श्री जयंत मलैया):- अध्यक्ष महोदय,
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि मेरी ध्यानाकर्षण सूचना से ही स्पष्ट है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में तीन तहसील हैं, विजयपुर, कराहल और वीरपुर आपने 37 छोटे ग्राम है. अध्यक्ष महोदय, आप तो जानते हैं कि किसी भी विधान सभा में कितने ग्राम होते हैं, 37 ग्राम एक पार्ट है, आपने सिंचाई का हवाला दिया है. उसमें मुझे आपत्ति नहीं है, मैं स्वीकार कर रहा हूं कि वीरपुर तहसील के कुछ ग्रामों में सिंचाई होती है. मेरी दूसरी तहसील विजयपुर है, विजयपुर और कराहल तहसील में ट्यूबवेलों से सिंचाई है और वहां पर वाटर लेवल है लेकिन वह बहुत नीचे 300-350 फीट नीचे जाकर है. विजयपुर तहसील एक ऐसी तहसील है, इसका जो भूगर्भ स्टेटा है, वह इस तरह का स्टेटा है कि 180 और 200 फीट तक पानी है उसके बाद वह पानी समाप्त हो जायेगा. 1200 फीट तक दो तीन बोर मैं ही करा चुका हुं, उसके बाद काला स्लेट आ जाता है और वह खत्म नहीं होता है. वहां पर भूगर्भ जल पूरी तरह से समाप्त हो चुका है. इसके लिये आपने सर्वे भी कराया है. मैं आज निश्चित रूप से इसको स्वीकार करता हूं कि सहरिया आदिवारी परिवार कूनोपालपर अभ्यारण्य के कारण विस्थापित हुए और विस्थापन के बाद से वहां की पेयजल की स्थिति इतनी खराब है कि अगर आप आज चलकर के पूरा परीक्षण करा लेंगे तो वहां के 70 प्रतिशत सहरिया परिवार विस्थापित हो चुके हैं. वह वहां से चले गये हैं उनका पलायन हुआ है. आप पलायन के लिये मना करेंगे तो मैं पलायन का आरोप लगाऊंगा. इससे अच्छा यह है कि हाथ कंगन को आरसी क्या, अच्छा तो यह है कि आप भेज दो मैं साथ जाऊंगा और आप पलायन की स्थिति का परीक्षण करा लें तो स्पष्ट हो जायेगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि मैंने निवेदन किया था कि हमारी कुछ योजनाएं इनको आप स्वीकार कर लें.
अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि आपने सहरिया परिवारों के दूसरे अनिवार्य विस्थापन पर यूपीए सरकार के तत्कालीन केन्द्रीय समाज कल्याण मंत्री द्वारा आपत्ति लेते हुए परियोजना को निरस्त करने का राज्य शासन से अनुरोध किया. मैं मानता हूं लेकिन यह कौन सी परियोजना के संबंध में निरस्त की बात है. जब यह परियोजना जिसका जिक्र मैं कर रहा हूं वह तो स्वीकृत ही नहीं हुई तो निरस्त की बात कहां से आ गई. तीसरा मेरा निवेदन है मैं आपकी बात से पूरी तरह से सहमत हूं. मेरे ही विधान सभा क्षेत्र जागदा जागीर में 4 हजार हेक्टेयर जमीन कलेक्टर ने अभी भू-माफियाओं से मुक्त कराई है. कलेक्टर भी तैयार है कलेक्टर से भी मेरी चर्चा हो चुकी है उसका कहना है मैं भूमि देने के लिये तैयार हूं. आप ग्राम सभा भी करा चुके हो. 80 प्रतिशत लोगों से आप सहमति भी ले चुके हो मैं समझता हूं यहां पर न उन्हें खेती करा पा रहे खेती की जमीन जरूर दे दी है लेकिन खेती हो नहीं रही है आज चले चलिये उन गांवों में से एक गांव में भी गेहूं, सरसों की फसल नहीं खड़ी है. एक तो यह बता दें कि कौन सी परियोजना को निरस्त करने का केन्द्र शासन ने अनुरोध किया था. पैरा 3 की प्रथम लाईन है कि सहरिया परिवारों के दूसरे अनिवार्य विस्थापन पर यूपीए सरकार की तत्कालीन केन्द्रीय समाज कल्याण मंत्री द्वारा आपत्ति लेते हुए परियोजना को निरस्त करने का राज्य शासन से अनुरोध किया. यह कौन सी परियोजना है मेरी तो स्वीकृत नहीं हुई और मेरा यह निवेदन है भूमि कलेक्टर उपलब्ध कराने को तैयार है. पूरी भूमि वन विभाग को जरूरत पड़ेग वन विभाग को उपलब्ध कराएंगे और सहरिया परिवारों को विस्थापित करने की जरूरत पड़ेगी हम उपलब्ध कराएंगे. माननीय मंत्री जी से सहृदयतापूर्वक निवेदन है वहां भूजल स्तर समाप्त हो गया है. आप भूगर्भ शास्त्रियों से परीक्षण करा लें.
श्री जयंत मलैया - अध्यक्ष महोदय, 2012 में जब चिट्टीखेड़ा परियोजना का सर्वेक्षण चलरहा था तब वहां पर सहरिया आदिवासियों ने केन्द्र सरकार के समाज कल्याण मंत्री जी के पास संभवत: एप्रोच किया होगा किसी के माध्यम से कि हम लोग पहले भी एक बार विस्थापित किये गये हैं अब दूसरी बार हमको विस्थापित किया जा रहा है तो उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया था कि इस चिट्टीखेड़ा परियोजना को निरस्त करें.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, वह जमीन न उपजाऊ है जिस पर सहरिया बसे हुए हैं. उससे अच्छी जमीन मैं मेरे विधान सभा क्षेत्र में दे सकते हैं उपजाऊ जमीन दे सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय - पुनर्विचार करेंगे क्या मंत्री जी वे यह पूछ रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत - मैं यह निवेदन करूंगा कि आप जियोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया से यह सर्वे करा लें कि वहां भूगर्भ जल है कि नहीं. जल पूरी तरह से समाप्त हो चुका है दूसरा एक कमेटी बनाकर भेज दें कलेक्टर को बुलाकर चर्चा करा लें वह जमीन और विस्थापन के लिये तैयार हैं तो.
श्री जयंत मलैया - मैं यहां निवेदन करना चाहता हूं कि किन कारणों से मुझे यह परियोजना बनाना संभव प्रतीत नहीं होता. पहला कारण यह है कि प्रत्येक सहरिया परिवार को भूअर्जन एवं पुनर्वास अधिनियम 2013 के प्रावधानों के तहत भूमि के बदले भूमि देना पड़ेगी और इतनी बड़ी कृषि भूमि एक जगह उपलब्ध नहीं हो पायेगी और सहरिया आदिवासी लोगों की बिना सहमति के उनको वहां से नहीं हटा सकते हैं उनकी सहमति भी आवश्यकता है इसके साथ-साथ शहरिया परिवारों के विस्थापन होने से पुनर्वास योजना की स्वीकृति केन्द्रीय समाज कल्याण मंत्रालय से लेना पर्यावरण स्वीकृति के लिये आवश्यक है इसके साथ-साथ केन्द्रीय वन मंत्रालय वन भूमि के उपयोग की अनुमति समाज कल्याण मंत्रालय से पुनर्वास योजना की स्वीकृति के बगैर नहीं करेगा. चौथा कारण यह है कि परियोजना में डूब क्षेत्र से प्रभावित आबादी वर्ष 2012 में 4560 थी. इतनी अधिक आबादी के विस्थापन के लिये 8500 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई परियोजना की अनुमति केन्द्रीय समाज कल्याण मंत्रालय एवं पर्यावरण मंत्रालय से मिलना बहुत मुश्किल का कार्य है और अंतिम बात यह है कि पुनर्वास लागत लगभग 200 करोड़ से अधिक आयेगी और इस अनुमान के हिसाब से यह योजना लागत प्रति हेक्टेयर सिंचाई के लिये बहुत अधिक हो जायेगी इसलिये यह योजना साध्य नहीं होगी. एक गांव में गेहूं व सरसों की फसल खड़ी हो. तो मैं दोबारा चेट्टी खेड़ा बांध बनाने के लिये नहीं कहूंगा. एक हैक्टेयर शहरिया आदिवासियों की जमीन पर फसल नहीं है तथा पानी नहीं है, आप उसका परिक्षण करवा लें. यह लोग विस्थापन्न होने के लिये अपनी व्यवस्था बनाएंगे. मेरे विधान सभा क्षेत्र में जमीन देने की बात कर रहा हूं. वह भी उपजाऊ एवं खेती योग्य जमीन पर खेती हो सके वहां पर भी खेती नहीं हो रही है. शहरिया जाति के लोगों को विस्थापित करने की जरूरत न पड़े माननीय मंत्री जी से सहृदयतापूर्वक कहना चाहता हूं.
श्री जयंत मलेया--अध्यक्ष महोदय, हम इसका परीक्षण करवा देंगे.
12:36 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय- आज की कार्यसूची में उल्लेखित माननीय सदस्यों की याचिकाएं प्रस्तुत की गई मानी जाएंगी ।
12:37 बजे वर्ष 2016-2017 की अनुदानों की मांगों पर मतदान(क्रमश:)
अध्यक्ष महोदय- पूर्व परंपरा अनुसार वित्त विभाग से संबंधित मांग संख्या 6 पर चर्चा नहीं की जाती है,परंपरा का पालन करना पड़ेगा ।
श्री सुन्दर लाल तिवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो बजट प्रस्तुत किया गया है और उसमें जो अनुदान की मांगे आई हैं, उस सबंध में माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपका विशेष तौर से ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा मुझे नहीं मालूम था कि वित्त मंत्री जी नेता, समाज सेवी के साथ-साथ जादूगर भी हैं, आपने बजट प्रस्तुत करके 6.5 करोड़ मध्यप्रदेश की जनता को दिगभ्रमित किया है और इसके साथ- साथ मध्यप्रदेश विधान सभा को भी दिगभ्रमित किया है, यह सारी चीजें स्पष्ट हैं ।
12:41 बजे उपाध्यक्ष महोदय(डॉं. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय जो अनुमानित बजट प्रस्तुत किया गया है, वह काल्पनिक बजट है और बजट फॉरमूलेशन का जो मैथड था, वह पुरानी ट्रेडीशन, कन्वेन्शन सब को तोड़ते हुए माननीय वित्त मंत्री जी ने इसको बनाया है, मेरा यह कहना है कि पुरानी रीति -नीति सबको माननीय वित्त मंत्री जी ने बलाय - ताक रख दिया है और एफ.आर.बी.एम. एक्ट में जो आपने यहां संशोधन कराया है, उसके माध्यम से आपने समूचे सदन को भ्रमित किया है, आपने केन्द्र सरकार के मार्गदर्शन को न मानकर 14वें पे - कमीशन की राय को आपने स्वीकार किया, वह राय जिसको आज तक भारत सरकार ने स्वीकार नहीं किया है और वह भारत सरकार के समक्ष अभी लंबित है, वह स्वीकार नहीं की गई है, लेकिन मध्यप्रदेश एफ.आर.बी.एम. एक्ट 2015 में जो आपने संशोधन किया है, वह विधि विरूद्व है और उसमें जो उद्देश्य आपने बताएं हैं, उसमें कारण आपने बताएं हैं, वह असत्य हैं,झूठे हैं और वह संशोधन अपने आप में गलत हैं ।
उपाध्यक्ष महोदय- झूठा शब्द निकाल दिया जाए, असत्य रहेगा ।
श्री सुन्दर लाल तिवारी – माननीय उपाध्यक्ष महोदय,इस बजट में घोर वित्तीय अनुशासन हीनता भी प्रदर्शित हो रही है, इसमें छलावा भी है, कपटपूर्ण बजट का निर्माण किया गया है ,सही तथ्यों को छिपाया गया है । मैं माननीय वित्त मंत्री जी से इन तमाम चीजों के बारे में चाहूंगा कि विधान सभा के समक्ष यह स्पष्ट करें ।
डॉं. गौरीशंकर शेजवार- माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, गालियां दी जा रही हैं ।
श्री सुन्दर लाल तिवारी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, गालियां नहीं दी जा रही हैं, मुझे प्रमाणित करने दीजिए और मेरा ख्याल है कि वित्त मंत्री जी भी इस बात को समझ गए हैं ।
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रमाणिकरण के लिए गालियां आवश्यक नहीं हैं, बिना गालियों के भी भाषण हो सकते हैं, आप किसी तथ्य को प्रमाणित करना चाहते हैं तो गालियों का इस्तेमाल न करें तो ज्यादा अच्छें से प्रमाणित कर पाएंगे ।
उपाध्यक्ष महोदय- डॉं. साहब वह कड़े शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं, गालियां नहीं दे रहे हैं, यदि गालियां होंगी तो मैं विलोपित कर दूंगा ।
श्री सुन्दर लाल तिवारी- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बजट के पैरा 9 में आपने लिखा है वित्त आयोग की अनुशंसा अनुसार मध्यप्रदेश राज्य कोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट कोषीय प्रबंधन अधिनियम 2015 द्वारा राजकोषीय घाटे की उच्चतम सीमा को जी.एस.डी.पी. के 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 3.5 प्रतिशत किया गया है ।
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि 14वें वित्त आयोग के द्वारा केन्द्र को सिफारिश की गई है कि जिन राज्यों की वित्तीय स्थिति नियंत्रण में है, उनको राजकोषीय घाटे का 3.5 प्रतिशत सीमा बढ़ाने की अनुमति दी जाए, यह अभी लंबित है और राज्य शासन ने इसको माना, केन्द्र सरकार ने अभी इसको नहीं माना है ।लेकिन इसके बावजूद भी हमारे मंत्री जी ने आज जो संशोधन पेश किया है और उस संशोधन के बारे में, हम सदन और आपका ध्यान आकर्षित करना चाहेंगे. मध्यप्रदेश राजकोषीय एवं बजट प्रबन्धन संशोधन विधेयक 2015 उद्देश्य और कारणों में कथन, भारत के 14 वें वित्तीय आयोग की अनुशंसाओं के अनुसरण में भारत सरकार ने राज्य सरकारों की उधार लेने की अधिकतम सीमा आरोपित की है. इस अनुशंसा को राज्य के राजकोषीय उत्तरदायित्व तथा बजट प्रबन्धन अधिनियम में समाविष्ट की जाना है. अतएव यह विनिश्चय किया जाता है कि भारत सरकार द्वारा निर्धारित उधार लेने की सीमाओं को समाविष्ट करते हुए मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन अधिनियम 2005 की धारा 9 को यथा उचित रूप से संशोधित किया जाये.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह वित्त मंत्री जी से निवेदन होगा कि वह सदन को यह बतायें कि भारत सरकार ने 14 वें वित्त आयोग की सिफारिश को कब मान लिया और गाईड लाईन्स में उसे स्वीकार करके मध्यप्रदेश सरकार को लिखकर भेजा है और वह कोई आपके पास आदेश है तो सदन को बतायें, नहीं तो यह एक्ट एमेन्डमेन्ट किया गया है. इस एक्ट में झूठी बातें करके, आपने यह एमेन्डमेन्ट किया है. भारत सरकार ने वित्त आयोग की सिफारिश को आज तक स्वीकार नहीं किया गया है. इसलिए मैं कह रहा हूँ कि वित्त मंत्री जी ने समूचे सदन को दिग्भ्रमित कर दिया है और इसलिए ये साहस नहीं कर सके कि ये लिखें. इन्होंने अपने बजट भाषण में यह बात कही है कि हमने अनुमति मांगी. आपने यह बात कही है लेकिन अभी आपने जब अनुमति मांगी है तो आपको अनुमति नहीं मिली, तब यह एमेन्डमेन्ट कैसे आ गया ? यह एमेन्डमेन्ट से आपने सदन को क्यों दिग्भ्रमित किया ? अगर किसी के दिल और दिमाग में, यह बात नहीं भी आई या सदन में इस बात पर चर्चा नहीं उठी तो यह क्या आपकी जिम्मेदारी नहीं है. सबसे बड़ी जिम्मेदारी आपकी है और यह आपके एक्ट में लिखा है. आपकी इन्टीग्रिटी डाउटफुल बजट पेश करते समय नहीं होनी चाहिए. यह एक्ट में आपने प्रोविजन कर रखा है. इसके बारे में भी, हम आपका ध्यान आकर्षित करेंगे. यह आपकी इन्टीग्रिटी, जो मैंने बात कही है, वह हमने क्यों कहा है. मध्यप्रदेश राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबन्धन अधिनियम 2005 की धारा 4 पर हम आते हैं, धारा 4 की उपधारा 'सी' पर आते हैं. रिस्पोर्न्रस्बिलिटी इन द मैनेजमेन्ट ऑफ पब्लिक फाइनेन्स इनक्लुडिंग इन्टीग्रिटी इन बजट फॉर्मुलेशन, आपकी इन्टीग्रिटी डाउटफुल है कि नहीं है. यह सदन को कृपया बताने का कष्ट करें. यहां पर पूरे प्रदेश को आपने भ्रमित किया है और अपने ही बनाये हुए कानून का आपने उल्लंघन किया है. यह मेरा आपसे निवेदन है कि इस तरह के कानून बनाकर, और विशेषकर वित्तीय मामले में कम से कम सदन को धोखा देने की परम्परा तो नहीं शुरू होनी चाहिए, नहीं चलनी चाहिए और जिसने इसको फॉर्मुलेट किया है. जिस किसी ने बनाया है, उस अधिकारी के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए. जिन उद्देश्यों एवं कारणों को यहां बनाकर, सदन के सामने प्रस्तुत किया.
उपाध्यक्ष महोदय, अब मेरा निवेदन यह है कि अगर वित्त आयोग की सिफारिश को केन्द्र सरकार ने स्वीकार नहीं किया तब आपके बजट की क्या स्थिति होगी ? यह जो जादूगरी के आंकड़े आपने यहां दिये हैं, तब इसकी स्थिति क्या आयेगी? आपने वित्तीय घाटे का 3.5 ले लिया, अभी तक जो है केन्द्र सरकार की 3 प्रतिशत की अनुमति है और 3.5 को मानकर, आपने यह पूरा बजट बनाया है और अभी यह स्थिति स्पष्ट नहीं है. अब आप यह कह सकते हो कि यह हमारा स्टीमेट है. स्टीमेट आपके रूपये में हो सकते हैं लेकिन कानून बनाने में स्टीमेट नहीं चलेगा, कानून बनाने के कुछ नॉर्मस हैं, उन नॉर्मस को आपको फॉलो करना चाहिए था, जिसको आपने नहीं किया है और मध्यप्रदेश में यह नहीं किया गया है. यह इसलिए, मैं आपको आरोपित कर रहा हूँ कि आपने मध्यप्रदेश की 6.5 करोड़ जनता को दिग्भ्रमित कर रखा है. क्षमा कीजिये 7.5 करोड़ है.
श्री शंकर लाल तिवारी - मैं जान रहा हूँ कि बी.जे.पी. के सदस्यों को आप प्रदेश की जनता नहीं मानते हैं.
श्री सुन्दर लाल तिवारी - उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह एक प्रश्न विधानसभा के सामने आकर खड़ा हो गया है कि अगर केन्द्र सरकार ने फायनेन्स डिपार्टमेन्ट की सिफारिश को नहीं माना तब इस बजट की क्या स्थिति होगी ? और यह बजट माननीय मंत्री जी ने यहां प्रस्तुत किया है, इसके आधार पर डिमांड्स ऑफ ग्रान्ट्स, जो विभिन्न विभागों के तैयार किये हैं, उस बजट का क्या होगा ? राज्य की वास्तविक वित्तीय स्थिति क्या होगी ? यह प्रदेश की जनता को कैसे मालूम पड़ पायेगा, इसको बताने का बीच में कष्ट करेंगे और क्या यह बजट में भी एमेन्डमेन्ट करेंगे ? क्योंकि एप्रोप्रिएशन बिल के बाद तो यह एक्ट बन जायेगा और आपकी वित्तीय स्थिति उल्टी हो जायेगी तो मध्यप्रदेश सरकार के पास क्या जवाब रहेगा ?
उपाध्यक्ष महोदय - सुन्दर लाल जी, आप क्या केवल वित्त विभाग पर ही बोलेंगे. आपको 12 मिनिट्स हो गए हैं. जल संसाधन विभाग भी है.
श्री सुन्दर लाल तिवारी - उपाध्यक्ष महोदय, थोड़ा समय ज्यादा लगा होगा क्योंकि मैं शरीर के बारे में बात कर रहा हूँ. जब शरीर ही डेड है तो अंग को कहां से जिन्दा रखेंगे तो अंग की क्या बात की जाये. यह हालत मध्यप्रदेश की है. मैं विशेष तौर पर, पूरे सदन का ध्यान आकर्षण करना चाहता हूँ और आपका भी ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ. कानून बनाते वक्त, कानून में झूठी बातें न प्रदर्शित की जायें, न उसमें उनके ऑब्जेक्ट्स, विज़न, गलत बातें की जायें. झूठी बातें कर, कानून का निर्माण न किया जाये.
वित्त मंत्री (श्री जयन्त मलैया) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं क्षमा चाहता हूँ, बीच में बोलने के लिए. यह तो परम्परा कभी भी नहीं रही है कि सामान्य चर्चा के बाद, जब विभागीय चर्चा आये तो उसमें वित्त के ऊपर चर्चा की जाये. चूँकि श्री तिवारी जी ने मामला उठाया है. उसके बारे में, मैं यहां स्पष्टीकरण देना चाहता हूँ कि यह बात सही है कि हम एफ.आर.बी.एम. एक्ट से बँधे हैं, जिसका 3 प्रतिशत है. अब फोरटिन्थ पे कमीशन आया तब हमने चर्चा की. हमारे अलावा और भी कई प्रदेशों में चर्चा की कि जिनका फायनेन्स में अच्छा परफॉरमेन्स है, उनके लिये इसको बढ़ाकर 3 की जगह 3.5 प्रतिशत कर दिया. उनने उसकी 3 श्रेणी बनाईं. उन्होंने कहा कि पहली श्रेणी कि उनका स्टेट का ब्याज 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, हमारा 8.11 प्रतिशत ब्याज की दर थी, दूसरा, जो आपका जी.एस.डी.पी. है, उसका 25 प्रतिशत से अधिक कर्ज नहीं होना चाहिए, वह भी हम पूरा करते हैं. इसके बाद तीसरी कंडीशन यह थी कि राजस्व आधिक्य होना चाहिए. हम लगातार, जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है, हम लगातार राजस्व आधिक्य में रहे हैं और निवेदन यह है कि परम्पराओं को तोड़ा न जाये और जहां तक फोरटिन्थ पे कमीशन की सिफारिशों को अमूमन केन्द्र सरकार मानता है और इसी के लिये, उसके आधार के ऊपर, हमने केन्द्र सरकार को दी है और हमारी जो मौखिक चर्चा हुई है, उसके हिसाब से हमें 3.5 प्रतिशत की अनुमति मिल जायेगी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, वही बात तो मैं कह रहा था.
श्री जयन्त मलैया-- मैंने जो उत्तर दिया वह पर्याप्त है.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप वही चीज कह रहे थे जो मंत्रीजी ने कही.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्षजी, मंत्रीजी ने बिलकुल सही बोला. मंत्रीजी ने यहां पर जो बात कही है वह बिलकुल सत्य है. चौदहवें वित्त आयोग के अनुसार ही आपने फिस्कल रिस्पांसबिलिटी एक्ट में संशोधन भी किया. और वित्त आयोग ने सिफारिश भी की. मेरा इसमें सिर्फ इतनी आपत्ति है कि अगर केन्द्र सरकार चौदहवें वित्त आयोग की सिफारिश को नहीं मानेगा तब आपके बजट की क्या स्थिति होगी? आपने बोला है इसलिए मैं चाहता हूं कि आप यह भी बता दें कि जो बजट आपने पेश किया उसकी क्या स्थिति होगी अगर केन्द्र सरकार नहीं माने.
अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि केन्द्र सरकार के बिना माने आपने कानून में संशोधन किया और बजट पेश किया तो यह पूरा बजट गलत है.
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारीजी, आपकी आपत्ति अभी काल्पनिक है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, काल्पनिक नहीं है. मेरा यह निवेदन है कि जब केन्द्र सरकार ने सिफारिश नहीं की तो आपका कहना है कि हमने मौखिक, केवल बातचीत करके स्वीकार कर लिया, और हमने मान लिया. मेरा कहना है कि हिंदुस्तान के किसी भी राज्य में इस तरह बजट में प्रावधान नहीं किया जो आपने किया है. यह राज्य पहला है जो कानून से, कायदे से, कन्वेंशन्स से, ट्रेडिशन से हटकर,,,
उपाध्यक्ष महोदय--तिवारी जी, मेरी बात सुन लीजिए. यह बात आप संज्ञान में ले आये हैं और सामान्यतः वित्त पर चर्चा भी नहीं होती. आप जो प्रश्न कर रहे हैं या शंका जाहिर कर रहे हैं, वास्तव में काल्पनिक ही है. अगर कोई समस्या आती है तो सरकार उसका निदान करेगी. अब आप दूसरे विषय पर आ जायें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी से इतना ही जानना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- यह उत्तरदायित्व सरकार का है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन सुन लें. मेरा कहना है कि अगर वित्त आयोग की सिफारिश को केन्द्र सरकार ने नहीं माना तो क्या माननीय मंत्रीजी यह कहेंगे कि यह पूरा बजट गलत हो गया है और यह बिलकुल आधारहीन है. इसकी कोई नींव नहीं है. पूरा बजट गलत है. यही बता दें.
उपाध्यक्ष महोदय-- If लगा हुआ है ना. यदि...
श्री जयन्त मलैया--उपाध्यक्ष महोदय, विधानसभा का इतनी कीमती समय क्यों खराब किया जा रहा है. मुझे समझ में नहीं आ रहा है. आपको इतनी समझ होना चाहिए कि यहां पर बजट के लिए जो डिमांड्स पर चर्चा हो रही है, यह चर्चा इसके लिए नियत हुई है, इनकम के ऊपर तो नहीं हुई है ना. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, अब हमारा कहना है. मैंने वित्त मंत्रीजी से पहले ही निवेदन किया कि अगर शरीर की चर्चा नहीं होगी तो अंगों की चर्चा हो नहीं सकती.
उपाध्यक्ष महोदय-- You have made your point अब आप आगे बढ़िये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यही कहना है कि इस तरह से इस बात का जवाब मंत्रीजी नहीं दे पाये हैं कि केन्द्र सरकार ने जिन सिफारिशों को स्वीकार नहीं किया, उसके आधार पर आपने जो यह बजट बनाया है, तो क्या यह Method of Formulation of budget की बात सही है.
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, आपको 16-17 मिनट बोलते हुए हो गये हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्षजी, जो बजट का निर्माण हुआ है और सदन में पेश किया है यह पूर्णतः गलत है, असत्य है. इस बात को मंत्रीजी ने भी सदन में स्वीकार कर लिया कि केवल बातचीत के आधार पर आपने कानून बना दिया. केन्द्र सरकार द्वारा कोई आदेश, कोई गाईड लाईन नहीं दी गई.
उपाध्यक्ष महोदय--तिवारी जी, मेरी बात भी सुन लीजिए. कांग्रेस पक्ष के लिए कुल समय जो आवंटित है वह 42 मिनट है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्षजी, मैं आपके अधिकारों पर कोई टीका-टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं. कभी कभी कुछ सवालात ऐसे खड़े हो जाते हैं, जिनमें थोड़ा समय ज्यादा लेना आवश्यक होता है. यह पूरे राज्य का सवाल है. यह वित्तीय मामला है. मंत्रीजी यह स्वीकार कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- मैं, यह पूछना चाहता हूं कि अगर आप ज्यादा समय लेंगे तो दूसरे माननीय सदस्य हैं विपक्ष के वह नहीं बोलेंगे? 15 लोगों ने बोलने के लिए नाम दिये हैं. कुल आवंटित समय 42 मिनट है. आप करीब 18 मिनट ले चुके हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--बस 2 मिनट में समाप्त करता हूं. मेरा वित्तमंत्रीजी से निवेदन है कि यह जो विधायक निधि है.
अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के भोजन की व्यवस्था विषयक.
उपाध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्षजी, माननीय वित्तमंत्रीजी से हमारा निवेदन है कि जैसे MP LED की निधि होती है, वह PD अकाऊंट की वजह से अगले साल के लिए ट्रांसफर हो जाती है. वह व्यवस्था आप मध्यप्रदेश में भी लागू कर दें. मान लीजिए कोई विधायक अस्वस्थता के कारण या किसी अन्य कारण से अपना पैसा खर्च नहीं कर सके तो अगर उस पैसे आप PD अकाऊंट में रख लेंगे तो अगले वर्ष ऑटोमेटिक जो हमारी विधायक निधि आयेगी उसमें जुड़ जायेगी. इस तरह की व्यवस्था करें. लोकसभा में केन्द्र सरकार ने ऐसी व्यवस्था कर रखी है. एक्स एमपी की वजह से थोड़ा सा मुझे अनुभव है, यदि मैं गलत न हूं तो हम लोगों को जो वहां पर MP LED मिलता था अगर वह इस साल शेष रह गया तो वह अगले साल के लिए ट्रांसफर हो जाता था तो उसमें भी थोड़ा सा सुधार कर लें.
उपाध्यक्ष महोदय, बस अंतिम बात कह रहा हूं. इस बजट में जो आपने दिया और डिमांड्स ऑफ ग्रांट्स जो आपने किया उसमें गरीब की किसी प्रकार सुध नहीं ली गई. वृद्धा पेंशन, निराश्रित पेंशन, विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन आदि सामाजिक सुरक्षा की योजना है, इस पर हमारी मध्यप्रदेश सरकार ने एक रुपया भी बढ़ाकर उन गरीबों को नहीं दिया. अभी समय है, सदन है, अभी इस पर बहस चल रही है, अभी सुधार करने की गुंजाईश है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्रीजी से कहना चाहता हूं कि पूंजीपतियों का खूब ख्याल किया गया है. पैसे वालों का ख्याल किया गया. लेकिन गरीबों का कोई ख्याल नहीं किया गया. एक रुपया नहीं बढ़ाया. अंतिम बात....
उपाध्यक्ष महोदय--आपकी बात इतनी लंबी हो जाती है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--लंबी नहीं है, हमारी बात इतनी छोटी है. यह जो राजकोषीय घाटे का प्रतिशत GSGP से आपने 2014-15 में 2.9 प्रतिशत खर्च किया. आपका लक्ष्य 2.29 तक ही पहुंचा है. इसके बाद आपकी ग्रोथ 3.5 जो आपके पास है और 3 में आप पहुंचे नहीं और 3.5 का आप बजट प्रस्तुत कर रहे हैं. आपने यह अनुमानित किया है कि इस वर्ष आप 3.94 पर पहुंचेंगे. मेरा कहना है कि इसको ध्यान में रखा जाये. पूरे प्रदेश को कम से कम आर्थिक मामले में भ्रमित नहीं किया जाये. आप एक विद्वान फायनेंस मिनिस्टर हैं. आपका लंबा राजनैतिक अनुभव है. लेकिन आज मुझे मालूम पड़ा कि आप एक बहुत बड़े जादूगर भी हैं. बजट बता रहा है. आपको इस जादूगरी के लिए धन्यवाद लेकिन इससे राज्य के लोगों का नुकसान हुआ है. धन्यवाद.
श्री बहादुरसिंह चौहान(महिदपुर)--उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 7,23,31,45,57,60 और 61 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार के जितने विभाग हैं उसमें जल संसाधन विभाग अति महत्वपूर्ण विभाग है. यह विभाग सीधा सीधा किसानों से, कृषि और उर्जा से जुड़ा विभाग है. अब चूंकि इसमें उर्जा और कृषि विभाग नहीं है लेकिन इस विभाग का संबंध इन दोनों विभागों से अति महत्वपूर्ण है.
उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2003-04 में इस प्रदेश का सिंचाई का रकबा साढ़े सात लाख हेक्टर था. इन 10-11 वर्षों में माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार ने, हमारे लोकप्रिय जल संसाधन मंत्री, मलैया जी के प्रयास से आज मध्यप्रदेश का सिंचाई का रकबा 36 लाख हेक्टेयर हो गया. लगभग चार गुना से भी अधिक हुआ है. अब इससे रिलेवेंट यह भी बात है कि ऊर्जा विभाग ने भी इसमें महत्वपूर्ण कार्य किया है. 3 हजार मेगावाट से उनकी बिजली 16116 मेगावाट हुई है. कई जगह नहरों से पानी गया है, तो कई जगह बिजली विभाग ने लिफ्ट करके पानी दिया है. जैसे मुझे एक उदाहरण याद आ रहा है कि भूत भावन महाकाल की नगरी उज्जैनी में 12 वर्षों में सिंहस्थ महापर्व आता है और 22 अप्रैल से सिंहस्थ प्रारंभ हो रहा है. मां क्षिप्रा में पानी की कमी है. इस कारण 432 करोड़ की योजना ओंकारेश्वर जलाशय से उद्वहन कर बिजली के द्वारा 5 क्यूसिक पानी प्रवाहित किया जा रहा है. इस पानी को एकत्रित किया गया है. कहीं डेम में, जहां से मां नर्मदा का पानी डला है, डेम बनाकर उसको एकत्रित किया गया है. जब भी डेम के गेट खोलेंगे, तो क्षिप्रा प्रवाहीमान हो जायेगी. पूर्व सरकार के समय जब योजना को बनाने का वक्त आया था, तो तत्कालीन सरकार के मुखिया जी ने कह दिया था कि यह असंभव है. माननीय मुख्यमंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान ने इसको संभव किया है. मध्यप्रदेश के जल संसाधन विभाग ने 563 लघु योजनाएं 5372 करोड़ की लागत से दिसम्बर,2015 में पूर्ण कर ली हैं, जिससे लाखों हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो रही है. यहां तक ही नहीं, नर्मदा जो है हमारी मध्यप्रदेश की एक महत्वपूर्ण नदी है और उससे मध्यप्रदेश का विकास 80 प्रतिशत संभव है. यह अमरकंटक से निकल कर गुजरात की खम्भात की खाड़ी में जाकर अरब सागर में समाहित हो जाती है. कुल 1312 किलोमीटर में यह नदी बहती है, उसमें से 1077 किलोमीटर मात्र मध्यप्रदेश में बहती है. 162 किलोमीटर जो बहती है, वह सिर्फ गुजरात में बहती है और 39 किलोमीटर महाराष्ट्र में बहती है. तो नर्मदा 1077 किलोमीटर हमारे मध्यप्रदेश में बहती हुई जाती है. हमें 18.25 एमएएफ पानी नर्मदा जी का आवंटित हुआ है. उसका दोहन हम अभी तक नहीं कर पाये. लेकिन भाजपा एवं शिवराज सिंह जी की सरकार ने यह तय किया है कि 18.25 एमएएफ पानी मध्यप्रदेश को जिसका आवंटन हुआ, मध्यप्रदेश को उपयोग करना है. वर्ष 2024 तक इसका पूरा उपयोग कर लिया जायेगा. उस समय मध्यप्रदेश की स्थिति सिंचाई की क्या होगी, मध्यप्रदेश का बहुत कम ही रकबा बचेगा, जो सिंचाई के लिये बच जायेगा. मैं मन की बात कहना चाहता हूं कि पानी है, बिजली है और काश्त करने योग्य जब भूमि नहीं होगी, तो इन योजनाओं का महत्व क्या रहेगा. मैं इस ओर आपका ध्यान आकर्षित इसलिये करना चाहता हूं कि धीरे धीरे मध्यप्रदेश में काश्त करने योग्य भूमि का रकबा कम होता जा रहा है और यह अति चिंता का विषय है, यह बड़ा गंभीर विषय है. बड़ी बड़ी मल्टियां तो पहाड़ी पर भी बनाई जा सकती हैं. लेकिन पत्थरीली जमीन पर कभी कृषि नहीं की जा सकती है. आज मध्यप्रदेश की जनसंख्या 7.50 करोड़ है. आने वाले समय में जनसंख्या का विस्फोट हो रहा है. जिस अनुपात में जनसंख्या बढ़ रही है और जिस अनुपात में कृषि की काश्त योग्य भूमि कम होती जा रही है, यह हमारे सब के लिये चिंता का विषय है. इस पर गंभीरता से शासन को कोई न कोई निर्णय अवश्य करना चाहिये. बड़े बड़े शहरों में 20-25 किलोमीटर तक काश्त करने योग्य जो भूमि है, उसमें मल्टियां बनाई जा रही हैं. लेकिन बाद में जब जमीन कम हो जायेगी, आज हम उत्तर प्रदेश को देख लें. जनसंख्या बहुत अधिक है और क्षेत्रफल वहां का कम है. हम सौभाग्यशाली हैं कि जनसंख्या के अनुपात में हमारे मध्यप्रदेश का क्षेत्रफल बहुत बड़ा है. मां नर्मदा का 98795 वर्ग किलोमीटर कछार क्षेत्र है. इतना बड़ा क्षेत्र, जिसका जितना दोहन किया जाये, उतना कम है. मैं मंत्री जी से निवेदन करुंगा, चूंकि जल संसाधन मंत्री जी वित्त मंत्री भी है. जल संसाधन में और अधिक राशि का प्रावधान करना चाहिये. जब अधिक राशि का प्रावधान होगा, तो प्रदेश में सिंचाई का रकबा निश्चित रुप से बढ़ेगा. मुझे कहने में अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है कि यह 432 करोड़ की नर्मदा क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना तो संचालित हो रही है, लेकिन मां नर्मदा से एक और महत्वपूर्ण योजना हमारे शिवराज सिंह जी और जल संसाधन मंत्री जी ने नर्मदा मालवा गंभीर लिंक योजना, जिसमें 2187 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति दी जा चुकी है. इस योजना के बनने से मालवा में एक कहावत थी कि मालव माटी गहन गंभीर. पग पग रोटी डग डग नीर. अब नीर के दर्शन नहीं होते. पानी वहां पर 300-400 फीट नीचे चला गया है और जब यह 2187 करोड़ की योजना बनकर हमारे मालवा में आयेगी, तो इन्दौर और उज्जैन जिले में 50 हजार हेक्टेयर इस योजना से सिंचाई का रकबा बढ़ेगा, जिससे मालवा के किसान लाभान्वित होंगे. आगे जाकर पार्वती और बड़ी काली सिंध को भी जोड़ने की योजना सरकार की है. मैं आग्रह करना चाहता हूं कि जल संसाधन विभाग आने वाले 10 वर्षों में सिंचाई का रकबा 36 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 60 लाख हेक्टेयर करने जा रहा है. जब मध्यप्रदेश का रकबा 60 लाख हेक्टेयर सिंचाई का हो जायेगा, तो जो लगातार चार बार कृषि कर्मण अवार्ड मध्यप्रदेश की सरकार को मिल रहा है, 60 लाख हेक्टेयर का रकबा जब सिंचाई का हो जायेगा, तो भूत भावन महाकाल बाबा की कृपा से हमेशा कृषि कर्मण पुरस्कार मध्यप्रदेश सरकार को ही मिलता रहेगा. ..
श्री सुखेन्द्र सिंह -- कागजों में है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- क्या बात है, अब बढ़ेगा तो फिर अनाज पैदा होगा कि नहीं होगा. जब 36 लाख से हम 60 लाख हेक्टेयर तक पहुंच जायेंगे और नर्मदा का पूरा आवंटित पानी का उपयोग कर लेंगे, तो क्या पैदावार नहीं बढ़ेगी. यह कागजों में है. यह 36 लाख हेक्टेयर जो सिंचाई हो रही है, यह भी कागजों में है. वित्त विभाग की मांगों पर चर्चा नहीं करनी थी, हमारे वरिष्ठ विधायक, श्री सुन्दरलाल तिवारी जी ने चर्चा कर ली.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अभी वित्त विभाग भी उसका जवाब नहीं दे पाया.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- वित्त विभाग पर हमको बोलना ही नहीं है और मैंने उसकी स्टडी नहीं की है. मुझे जानकारी भी नहीं है. मुझे उस पर बोलना नहीं था, इसलिये मैंने उसको पढ़ा भी नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप उनका जवाब नहीं दे, आप चर्चा जारी रखें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- सुखेन्द्र जी, काल्पनिक बात पर वित्त मंत्री जी जवाब नहीं देते हैं. क्योंकि कल्पना की सीट पर बैठने वाला व्यक्ति काल्पनिक बात करेगा.
श्री सुन्दर लाल तिवारी -- यह आप गलत बोल रहे हैं. मैंने कानून के आधार पर बोला है. अगर वित्त मंत्री जी बोल दें कि मैंने कानून से हटकर बात की है, तो मैं अपनी सारी बहस को वापस लेता हूं. यह मैं सदन में बोल रहा हूं . ऐसा आप मत बोलिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- उपाध्यक्ष महोदय, जिस सदन के अन्दर आज तक वित्त विभाग की मांगों पर बोलने की परम्परा नहीं रही, उस पर कांग्रेस पार्टी के लोग बोल रहे हैं. इसमें और भी विषय हैं, उन पर बोला जा सकता है. उन पर विचार रखे जा सकते हैं. यह इस सदन की परम्परा नहीं रही है. जो परम्परा नहीं है, उस पर हमारे कांग्रेस के माननीय सदस्य सदन में अपनी बता कह रहे हैं. मुझे उस पर चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है. मैं अपनी बात कहना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- बहादुर सिंह जी, आप विषय पर आ जाइये. आप आपस में चर्चा कर रहे हैं.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय--उपाध्यक्ष महोदय, बहादुर सिंह जी किसान आदमी हैं, वह खेती किसानी पर पर ज्यादा बोलेंगे, वित्त पर कहां से बोलेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान--अरे हम तो गेहूं चने पैदा करने वाले हैं, हम व्यापारी नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय--बहादुर सिंह जी, आप विषय पर आ जायें. 2 मिनिट में समाप्त करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- बहादुर सिंह जी एक बार आप घिरे थे (हंसी)
श्री बहादुर सिंह चौहान- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं नहीं घिरा हूं, जिन्होंने मुझे घेरने की कोशिश की थी उनको भी मैंने घेर दिया. फारेन्सिक लेब चन्डीगढ़ से जांच करवाकर मंगा ली, उस जांच को बाकी नहीं रखा. मैं कभी भी नहीं घिरता हूं. मेरे घिरने का तो सवाल ही नहीं उठता है.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में अरण्या डेम है यह 1982-83 में बना था एक योजना है जिसका नाम याद नहीं आ रहा है. उस योजना में आधुनिक रूप से नहरों को सीमेंट से बनाते हैं, अनुरोध है कि उस योजना के तहत, क्योंकि उज्जैन जिले का सबसे बड़ा डेम है जिससे 4000 से 5000 हेक्टेयर में अरण्या डेम से सिंचाई होती है. बहुत पुराना डेम है आरआर योजना के तहत यदि इस डेम का आधुनिकीकरण किया जायेगा तो उस डेम से सिंचाई का रकवा लगभग 7000 हेक्टेयर तक हो जायेगा. किसानों को और लाभ होगा. मैं सौभाग्यशाली हूं कि मां क्षिप्रा उज्जैन से बहती हुई, मेरे विधानसभा क्षेत्र में लगभग 55 किलोमीटर में बहती है. हरबाखेडी डेम मैंने प्रस्तावित किया था यह 60 से 70 लाख की लागत से बनने वाला है. सबसे अधिक पानी जहां पर रूकता है डेम वहीं बनाना चाहिये. कम पैसा खर्च करके अधिक पानी एकत्रित करना मात्र बैराज और स्टाप डेम से ही संभव है. जहां जहां पर उच्च स्तरीय बैराज मध्यप्रदेश की नदियों में बनाये जा सकें वहां पर जल संसाधन विभाग को बैराज बनाना चाहिये. हरबाखेडी बैराज की साध्यता हो गई है और वह बनने की तैयारी में है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में छोटी कालीसिंध नदी बहती है वह भी 50 किलोमीटर बहती है. उस पर डेम बनाने की बात आई तो 22 फिट ऊंचाई पर उसकी साध्यता नहीं आ रही थी, मेरे द्वारा विभाग से चर्चा के बाद जब उसकी ऊंचाई बढ़ा दी गई तो उसका साध्यता आ गई है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं जल संसाधन मंत्री जी से उम्मीद करता हूं कि जब वे विभाग की मांग का उत्तर दें तो मेरे क्षेत्र की मांगों पर निश्चित रूप से उनका आशीर्वाद मिलेगा. आपने बोलने का समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकाम(डिण्डोरी) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 6, 7, 23, 31, 45, 57, 60 और 61 के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश की जनता के परिश्रम से दिन रात भूखे रहकर उनके परिश्रम और श्रम से, किसानों के परिश्रम से प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था बजट के रूप में वित्त मंत्री जी ने जो बजट के रूप में प्रस्तुत तो की है. परंतु मंत्री जी, आपने अपने बजट में गरीबों के प्रति एक प्रतिशत भी चिंता जाहिर नहीं की है. वर्तमान समय में प्रदेश के गरीबों को न वृद्धा पेंशन, न मजदूरी, न विकलांग पेशन नहीं मिल रही है, गरीब इंतजार करते रहते हैं कि हमारा पैसा हमें मिले तो हम जरूरतों की रोजमर्रा की आवश्यकता की चीजें लें परंतु मंत्री जी ने बजट में कोई ध्यान गरीबों का नहीं रखा है, क्योस्क बैंक से 2,000 लोगों को एक दिन में पेमेन्ट देने की व्यवस्था कर रहे हैं और कहते हैं कि हमारे अच्छे दिन आ गये हैं. आपके अच्छे दिन हो सकते हैं, आपसे जुड़े हुये लोगों के, आपकी पार्टी के अच्छे दिन हो सकते हैं, परंतु गरीब लोग आज भी भूखे सोने को मजबूर हैं. वास्तविक स्थिति अगर आपको देखना हो तो किसी गांव का दौरा कर लें आपको प्रदेश की वास्तविक स्थिति का पता चल जायेगा. मंत्री जी, प्रदेश के अंदर अतिथि विद्वान अपना पारिश्रमिक बढ़ाने की मांग को लेकर के आंदोलन कर रहे है, जिले में जायें तो पता चलता है कि स्वास्थ्य विभाग के लोग अपनी मांगों को लेकर के आंदोलन कर रहे है, रोजगार सहायक आंदोलन कर रहे हैं, सचिव आंदोलन कर रहे है, कलम बंद किये हुये हैं और वित्त मंत्री जी गरीब विरोधी बजट प्रस्तुत करके कह रहे हैं कि अच्छे दिन आ गये हैं. आपके काम करने वाले कर्मचारी तो सब आंदोलन कर रहे हैं, कोई काम हो नहीं रहा है इस पर आपने कोई ध्यान नहीं दिया है. इसके बाद आप कहते हैं कि हम बहुत बेहतर बजट प्रस्तुत कर रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं वित्त मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि वह लोग जो अपना काम छोड़कर के आंदोलन में हैं, वह गरीब जो रोटी के लिये आपकी तरफ मजदूरी भुगतान के लिये टकटकी लगाये बैठा है, वह वृद्ध जो अपने अंतिम समय में चाह रहा है कि जो वृद्धावस्था पेंशन उसको मिलती है वह मिल जाये, उस पर आपने बजट में कोई नया प्रावधान नहीं किया है फिर भी कहते हैं कि बजट गरीबों के हित में बनाया है. मंत्री जी ने जो बजट यहां पर प्रस्तुत किया है देखने में वह बड़े लोगों के हित का बजट है, पूंजीपति लोगों के हित का वर्ग है, गरीब आज भी मजदूरी भुगतान के लिये तरस रहा है. यह कोई आरोप-प्रत्यारोप की बात नहीं है. हकीकत बयान कर रहा हूं, जिनको मजदूरी नहीं मिल रही है उनसे पूछो, वो भुगतान के लिये कितना तरस रहा है उस पर वित्त मंत्री जी को ध्यान देने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, जल संसाधन विभाग के बारे में कहना चाहूंगा कि मैं स्वयं सिंचाई करता हूं, कृषि करता हूं, चना गेहूं अरहर की फसल हम स्वयं पैदा करते हैं, रोपा लगाई - मताई का काम करते हैं. सच्चाई में देखेंगे तो यह विभाग पूरी तरह से काल्पनिक रिकार्ड तैयार करता है. रोजगार गारन्टी के माध्यम से जो मेढ़ बंधान के कारण से कृषि का उत्पादन बढ़ा है उसके उत्पादन को यह अपना उत्पादन बताते हैं. इसके द्वारा निर्मित सिंचाई रकवे को यदि देखा जाये तो जल संसाधन विभाग के जितने भी डेम बने हुये हैं मंत्री जी उनका आप वास्तविक वेल्यूवेशन करा लीजिये , जो आपका डीपीआर है जो आपका सीएसआर रेट है जितनी क्यूबिक मीटर क्वांटिटी पर वहां पर जो आईटम लगता है अगर हिम्मत है तो सदन के विधायकों की एक समिति बनाकर के आप जांच करा लें , आपको पता लग जायेगा कि जल संसाधन विभाग 3 करोड़ के डेम को 43 करोड़ में बनाता है और उसमें जो गरीब जनता को मजदूरों को मिलने वाला पैसा है उसका भी भुगतान 120 रूपये मिलती है, 110 रूपये मजदूरी मिलती है. मैंने कई बार आपसे निवेदन किया है कि कम से कम गरीबों की मजदूरी तो बढ़ा दी जाये लेकिन उस पर भी विभाग कोई ध्यान नही दे रहा है. सिंचाई का रकवा जो आपका विभाग बता रहा है , विभाग के जो पुराने डेम बने हैं उनके बारे में बखान करते रहते हैं, आपने जो डेम बनाये हैं, जो लघु डेम बनाये हैं, आपने जो स्टाप डेम कन्वरजेन्स के बनाये हैं उसके बारे में मैं कहना चाहता हूं क्योंकि मैं उस विद्वान को भी जानता हूं जो मेरे यहां डिण्डोरी में कार्यपालन यंत्री के पद पर थे, जो आज आपके विभाग के ईएनसी के पद पर हैं, उनकी सोच और उनके विचार को भी मैं जानता हूं. अगर डिण्डोरी जैसी जगह में उनके 3-3 स्टापडेम कम डायवर्सन फेल हो रहे हैं तो मैं कहना चाहता हूं कि मंत्री जी आपको मूल्यांकन करके देखने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, जल संसाधन विभाग के माध्यम से मंत्री जी एक नया फरमान जारी किये कि जिला सेक्टर का कोई भी काम जल संसाधन विभाग नहीं करेगा. अब आपने फरमान जारी कर दिया उसके लिये धन्यवाद, उसमें हमें दिक्कत नहीं है पर आप विभागीय बजट में नहरों के सुदृढीकरण के लिये, पानी को बांध में पहुंचाने के लिये एक पैसे का प्रावधान बजट में नहीं है. तो किस तरफ आप विभाग को ले जा रहे हैं, पैसा भी नहीं दे रहे हैं और प्रतिबंध भी लगा रखे हैं. रोजगार गारन्टी योजना के माध्यम से डिण्डोरी जिले में हमने 400-500 मीटर दूरी पर नहरों का सुदृढीकरके पानी को पहुंचाने का प्रयास किया है , मंत्री जी को और विभागीय अधिकारियों को यह बात अच्छी नहीं लगी, उन्होंने लाईन खींच दिया कि आप काम नहीं कर सकते हैं. उपाध्यक्ष महोदय, हमने अनुरोध किया कि आप नहीं कर पा रहे हैं तो राशि की व्यवस्था कर दें, भोपाल से भी पैसा नहीं दे रहे हैं. पूरी तरह से जल संसाधन विभाग जो आंकड़े प्रस्तुत कर रहा है यह आंकडे काल्पनिक है , जमीनी हकीकत से इन आंकडों का कोई लेना देना नहीं है. रोजगार गारंटी के मेढ बंधान से जो किसान अनाज पैदा करता है, उसको अपना रिकार्ड बताते हैं. सिंचाई के मामले में विभाग जितना खर्चा किया है उसके एवज में सिंचाई का रकवा नहीं बढ़ा है. आज लघु सिंचाई और मध्यम सिंचाई की बात की जा रही है . मैं कहना चाहता हूं हमारे विधानसभा क्षेत्र में बेलगांव में जाकर के मैंने देखा है कि वहां पर साढ़े 4 लाख क्यूबिक मीटर कुल मिट्टी लगी है, 51 रूपये प्रति क्यूबिक मीटर की दर से, पर भुगतान ठेकेदार को कर दिया 23 करोड़ का जबकि वास्तव में उसका भुगतान 5 करोड़ होना चाहिये. इसके बाद भी विभाग सुनने को तैयार नहीं है. मैंने जब जाकर के देखा और मैंने कहा तो कहते हैं कि हार्डराख ज्यादा लग गई, मैंने कहा कि एमएएस में दर्ज कहां है, तो उस पर मंत्री जी ध्यान नहीं दे रहे हैं. और कह रहे हैं कि मेरा बहुत बेहतर काम हो गया.
श्री ओमकार सिंह मरकाम (जारी)-- माननीय मंत्री जी ध्यान नहीं दे रहे हैं और कह रहे हैं काम हो गया.
उपाध्यक्ष महोदय-- ओमकार जी एक मिनट में समाप्त करें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- जी माननीय उपाध्यक्ष जी एक मिनट, हमारे वित्तमंत्री जी भी हैं, मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि वर्तमान समय में गरीबों को सही समय में मजदूरी नहीं मिल रही है, इस प्रक्रिया में आप समीक्षा करा लीजिये और जो आपके विश्वसनीय हों उनसे जानकारी लीजिये और गरीबों तक मजदूरी भुगतान करने के लिये कोई आपका कार्यक्रम हो ताकि समय पर उनको मिले और जो आंदोलन कर रहे हैं, शिक्षाकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी और जो हमारे अतिथि विद्वान और रोजगार सचिव यह सब लोग किस तरह से काम में लग जायें माननीय मंत्री जी अगर आपके प्राइमरी स्टेज में काम करने वाले लोग निरंतर यह मांग करते रहेंगे तो आप कैसे व्यवस्था को ग्राउंड तक पहुंचायें, इसके लिये माननीय मंत्री जी को सोचना चाहिये और मैं आपसे पुन: निवेदन करना चाहता हूं यह जो बजट बड़े अमीरों का पेश हुआ है, उसमें गरीबों के हित का भी ध्यान रखा जाये और माननीय उपाध्यक्ष महोदय जी आपने बोलने का समय दिया आपको मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद ओमकार सिंह जी.
डॉ. गोविंद सिंह (लहार)-- माननीय उपाध्यक्ष जी.
उपाध्यक्ष महोदय-- मैंने गोविंद सिंह पटेल बोला.
डॉ. गोविंद सिंह-- नहीं आज बोलना नहीं है.
श्री नरोत्तम मिश्र-- नहीं आपको बोलना पड़ेगा, आपका नाम है.
डॉ. गोविंद सिंह-- नहीं हमारा नाम नहीं है, हमने उपाध्यक्ष जी से समय मांग लिया. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं सांसद निधि, विधायक निधि इनमें हमने देखा है जो टेंकर देते हैं, सामान देते हैं उन पर अपनी पार्टी का निशान लगाते हैं और उसके बाद नाम लिखते हैं, यह सांसदों की, विधायकों की निजी सम्पत्ती नहीं है इसलिये इस पर रोक लगाई जाये और ....
श्री वेलसिंह भूरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, डॉ. गोविंद सिंह जी गलत बोल रहे हैं, आपकी पार्टी के लोग भी लगा रहे हैं कोई हमारी पार्टी के लोग नहीं लगा रहे.
डॉ. गोविंद सिंह-- बैठ जाइये आप, खड़े हो जाते हो बीच में.
श्री वेलसिंह भूरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह गलत है, मेरी आपत्ति है, डॉ. गोविंद सिंह जी कुछ भी बोल जाते हैं यहां पर ऐसा थोड़ी चलेगा.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- आप सीनियर विधायक हो, डाटोगे नहीं, आग्रह कर सकते हो हमारे विधायक जी से.
डॉ. गोविंद सिंह-- हमारा अनुरोध है माननीय मंत्री जी आप नोट कर लें और इस पर रोक लगा दें, यह हमारा सुझाव है इस पर अमल करें.
श्री वेलसिंह भूरिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के लोगों ने परंपरा डाली है सबसे पहले टेंकर के उपर नाम लिखने की सांसदों और विधायकों ने.
उपाध्यक्ष महोदय-- वेलसिंह जी आप बैठ जाइये. जब मौका आयेगा तब बोल लीजिये. गोविंद सिंह जी उनका उत्तर न दें आप बात करें.
डॉ. गोविंद सिंह-- दूसरा, जमीन के जो रेट हैं बहुत बड़ गये, पंजीयन बेहड़ी जमीन, सिंचाई वाली सिंचित जमीन और दूसरा पड़त इनके अलग-अलग रेट हैं, कहीं जगह बेहड़ी जमीन जो खेती की कीमत है 20-20 फीट ऊंचे बीहड़ हैं, 20 हजार, 15 हजार रूपये प्रति बीघा और आप उस पर सिंचाई के हिसाब से लेते हैं, एक गांव में दो-दो प्रकार की जमीन होती है तो इसमें भी जहां आपकी सिंचित जमीन है उसकी दर अलग कर दें और बेहड़ी जमीन और पड़त जमीन और जो ऊसर जमीन है उसका रेट अलग करें, मतलब वास्तविकता के आधार पर जो बाजारी मूल्य है उसके मूल्य पर कर दें. इसके साथ एक बात अंतिम माननीय मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जी ने और शिवराज सिंह जी ने घोषणा की थी करधन तालाब है बहुत बड़ा कि हम इसका जीर्णोद्धार करायेंगे, उनकी घोषणा पर अमल आज 10-12 साल हो गये, नहीं हो रहा, कृपया अमल करा दें.
श्री गोविंद सिंह पटेल (गाडरवारा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 7, 23, 31, 45, 57, 60 और 61 के समर्थन में अपनी बात रखना चाहता हूं. पहले मैं जल संसाधन विभाग के बारे में बात करना चाहता हूं. जल संसाधन विभाग की जो आज भूमिका है उसके द्वारा सिंचाई का रकबा 7 लाख हेक्टेयर से बढ़कर और 36 लाख हेक्टेयर क्षेत्र हुआ है उसमें सिंचाई विभाग की बहुत बड़ी भूमिका है, क्योंकि सिंचाई विभाग ने अभी तक 142 मध्यम परियोजनाओं के विरूद्घ 116 का कार्य पूर्ण करके 3.88 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी सिंचाई की क्षमता बढ़ाई. मध्यम परियोजना भी लघु परियोजना 220 लघु परियोजना के विरूद्ध 200 बाण्ड पूर्ण करके ऐसे 22 जिलों में 241 लघु परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है, ऐसा काम जल संसाधन विभाग ने किया है और सिंचाई का रकवा जो बढ़ा है उसमें जल संसाधन विभाग की भूमिका बहुत अधिक है. मेरे क्षेत्र में जल संसाधन विभाग द्वारा पहले एक नलकूप विभाग जिसको ट्यूबबेल कंस्ट्रक्शन ग्राउंड वाटर सर्वे एक विभाग था जिसमें लगभग दो ढाई सौ नलकूप चलते थे, लेकिन आज उन नलकूपों की उपयोगिता समय के हिसाब से कम हो गई है और विभाग खत्म कर दिया गया है. तो वह विभाग हस्तांतरण करके राजगढ़ पहुंचा दिया गया है पूरा अमला तो वह जो विचारे छोटे-छोटे कर्मचारी, आपरेटर, चौकीदार वगैरह बहुत ज्यादा परेशान हो रहे हैं तो मेरा कहना है कि आज केन्द्र सरकार भी हमारी चाह रही है, प्रदेश सरकार भी चाह रही है कि पुराने जो जलस्रोत हैं उनको रीचार्ज किया जाये.
1.30 बजे सभापति महोदय (डॉ. गोविंद सिंह) पीठासीन हुये.
तो वही पुराने नलकूप उनका रखरखाब, उनकी मरम्मत करके जो ठेकेदारों को दिये हैं, पुन: उस विभाग को चालू करके जो मजदूर जो राजगढ़ जाने में बहुत मानसिक परेशानी का सामना कर रहे हैं, उनको वहीं उस विभाग को चालू करें, उनकी नहरें भी हैं जो कि लोगों ने अपने कब्जे में कर ली हैं, नलकूप पर भी उन लोगों ने कब्जे कर लिये हैं तो वह उनके अधीन आ जाये और वह विभाग फिर से काम करने लगे यह मैं जल संसाधन मंत्री से कहना चाहता हूं, क्योंकि वैसे ही पुराने जलस्रोत को चालू करने की योजना है, बांकी व्यापार उद्योग बढ़ावा करने के लिये भी वाणिज्य कर विभाग ने बहुत काम किया है.
आज सोयाबीन उद्योग की बात आती है, सोयाबीन हमारे क्षेत्र में बहुत पैदा होती थी, लेकिन उस समय से उसके पैदावार में कमी आई है, बड़े-बड़े सोयाबीन उद्योग बंद हुये हैं तो हमारे यहां भी बहुत बड़ा सोया रूचि का प्लांट है वह बंद होने की कगार में हैं, लेकिन उसको बढ़ावा देने के लिये उसको तेल खली, तेल रहित खली की अंतर्राज्यीय विक्री करने पर विक्रय कर में जो छूट दी है तो वह डूबते हुये उद्योग को एक सहारा मिलेगा और लगभग तेल की जो सबसे बड़ी आवश्यकता है उसमें भी काम आयेगा.
एक जो ई-पंजीयन की व्यवस्था है, इसके द्वारा एक जो रजिस्ट्रीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता आई है और एक बहुत अच्छी व्यवस्था उसकी हुई है जो कि कभी कभी दस्तावेजों के रजिस्ट्रीकरण कानूनन आवश्यक नहीं हैं उनको प्रोवाइडर द्वारा एक स्टाम्प भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं, गलत तरीके से कभी-कभी बिक्री की जाती थी, डबल बिक्री हो जाती थी, लेकिन इस व्यवस्था के द्वारा कोर्ट कचहरी के मामले लोगों के आते थे, लोग परेशान हो जाते थे लेकिन ई-पंजीयन के द्वारा अब जो व्यवस्था हुई है, उसमें जो गलत तरीके से डबल जो रजिस्ट्री हो जाती थीं उन पर अंकुश लगा है और लोगों को मुकदमे बाजी से राहत मिली है. इसमें जो सर्विस प्रोवाइडर हैं उनको कुछ परेशानी आई हैं क्योंकि वह कम लागत में काम करते हैं, उनके पास पूंजी कम रहती है, कभी-कभी पंजीयन का पैसा जमा करने के बाद भी एक रजिस्ट्री प्रक्रिया के तहत नहीं हो पाती है तो कुछ सर्विस प्रोवाइडरों ने मेरे सामने अपनी समस्यायें रखी थीं उन्हें कई समस्यायें आ रही हैं तो मैं वित्त मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि उन समस्याओं को खत्म करने का भी प्रयास करें और संपदा ई-पंजीयन, प्रशासनिक सुधारों की दिशा में मध्यप्रदेश एक पहला राज्य है जिसके द्वारा काम किया गया है, इसमें जो राजस्व विभाग और नगरीय निकाय विभाग की भी लिंकिंग कर दी जाये जो कि इनके जो रिकार्ड हैं वह अपडेट हो सकें इस व्यवस्था के द्वारा तो और ज्यादा सुधार के लिये पहल होगी और इसी वित्त विभाग द्वारा हमारी एक जनभागीदारी योजना है जो कि विभिन्न विभागों द्वारा जो काम चलते हैं उसमें जनभागीदारी होती है. जनभागीदारी द्वारा भी बहुत से काम जैसे जो राशियां रहती हैं उनमें जनभागीदारी के काम हो जाते हैं. जैसे हमारे महाविद्यालय की जनभागीदारी का पैसा रहता है, या और कई जनभागीदारी का पैसा रहता है उस पैसे के द्वारा जनभागीदारी करके भी हम काम करा सकते हैं, लेकिन उसमें कहीं-कहीं लोगों ने ऐसा काम करना शुरू किया है कि नकली जनभागीदारी बता दी, जैसे पंचायत में पंच परमेश्वर हैं उसकी जनभागीदारी नहीं होती है तो पंच परमेश्वर की राशि खाते में जमा करके पंचायतों ने उसके पैसा जमा करके और जनभागीदारी के 4 लाख रूपये जमा कर दिये और 4 लाख वहां से ले लिये, एस्टीमेट बना 8 लाख का लेकिन 8 लाख का वह कहां से काम करेगा, 4 लाख का ही करेगा. इसीलिये जनभागीदारी करते समय जनभागीदारी या तो एकत्र की हो या किसी संस्था की जनभागीदारी हो. उसके द्वारा भी जनभागीदारी हो, फॉल्स जनभागीदारी न हो, यह सुझाव मैं इसके तहत देना चाहता हूं. सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र में कुछ समस्याएं हैं, उसके बारे में कहना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र में सिंचाई ग्राउंड वॉटर पर निर्भर है. कोई भी सिंचाई परियोजना गाडरवारा क्षेत्र में नहीं है. नर्मदा मैया की कृपा से अभी हमारे यहां ग्राउंड वॉटर अच्छा है. बिजली की उपलब्धता है. ऊर्जा मंत्री जी की एक बहुत अच्छी व्यवस्था हमारे यहां पर चल रही है, इसलिए सिंचाई होरही है. लेकिन कोई भी बांध, कोई भी डेम, कोई भी तालाब, कोई भी वृहद या लघु सिंचाई परियोजना मेरे क्षेत्र में नहीं है. मेरा निवेदन है कि वहां पर दो डेम की बात आती है, वह बहुत दिन से आ रही है, दुधीसक्कर में उसमें कोई काम शुरु नहीं हुआ है. लेकिन लघु परियोजनाओं में एक उमर नदी है, सीता रेवा नदी है, इनमें कोई लघु परियोजनाएं बनाएं, उस क्षेत्र में तालाब क्योंकि जंगल का इलाका भी है, वहां तालाब बनाकर सिंचाई की परियोजनाएं चालू की जाएं. नलकूप विभाग जो हमारे यहां पर संचालित था, ट्यूबवेल कंस्ट्रक्शन ग्राउंड वॉटर सर्वे, उसका जो काम बंद हो गया है, उसे भी चालू करवाएं और एक सिंचाई परियोजना यदि चालू की जाए तो इससे क्षेत्र में सुधार होगा. सभापति महोदय, आपने जो बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
कुँवर सौरभ सिंह - (अनुपस्थित)
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) - सभापति महोदय, मैं आज विशेषकर जल संसाधन विभाग के जो कटौती प्रस्ताव हैं उसके समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मुझे अथर्ववेद की कुछ पंक्तियां याद आती है, जिसमें जल के महत्व को बताया गया है -
'ॐ आपो हि ष्ठा मयोभुवः ता न ऽऊजेर् दधातन। महे रणाय चक्षसे।
ॐ यो वः शिवतमो रसः, तस्य भाजयतेह नः। उशतीरिव मातरः।
ॐ तस्मा अरंगमाम वो, यस्य क्षयाय जिन्वथ। आपो जनयथा च नः।'
इसमें कहा गया है कि हे आप, मतलब जल, आप निश्चय ही सुख कारक हो, बल और प्राण शक्ति से हमें पुष्ट करें, जिससे हम बड़े बड़े संग्रामों को देख सके, जिस प्रकार माताएं अपने पुत्रों को दूध पिलाकर पालन पोषण करती है, उसी प्रकार हे आप, आपका जो अत्यंत कल्याणकारी रस है, उसका हमें भागी बनाइए. हे आप, हम इसी जीवन रस को प्राप्त करने के लिए आपकी शरण में आते हैं, जिसके धन्नार्थी आपकी सत्ता है और जिसके द्वारा आप हमें उत्पन्न करते हैं. यह जल का महत्व है. सभापति महोदय, और उसी जल को संभालने का काम हमारे वित्त मंत्री और जल संसाधन मंत्री करते हैं.
सभापति महोदय, इस जल की वैज्ञानिक महत्वता भी है. वैज्ञानिक तथ्य है कि 10 लाख पानी की सूक्ष्म बूंदों के वाष्पीकरण से एक बारिश की बूंद मिलती है और एक बारिश बूंद देने के लिए प्रकृति को कितनी मेहनत करनी होती है, उसका संसाधन करना निश्चित रूप से एक बड़ा कठिन काम है.
सभापति महोदय, हम गांव से खेती वाले क्षेत्र से आते हैं, हमारे गांव में कहावत है कि 'पानी बिना सब सून.' अगर सिंचाई के लिए पानी नहीं हो तो सारी खेती कोई मतलब की नहीं होती है. मैं आज कितना रकबा बढ़ा, कैसे बढ़ा, उसके बारे में बात नहीं करना चाहता हूं. मेरे तो कुछ प्रश्न हैं आदरणीय जल संसाधन मंत्री जी से कि क्या यह जो क्षेत्रफल बढ़ा है, यह यूनिफॉर्मली बढ़ा है, समान भाव से सभी क्षेत्रों में बढ़ा है? क्योंकि सभी क्षेत्रों में खेती किसानी होती है. एक ओर तो कुछ क्षेत्रों में सिंचाई का रकबा बढ़ा है, लेकिन बहुत से दूसरे क्षेत्र सिंचाई की क्षमताओं से, सिंचाई के क्षेत्र से पीछे छूट गये हैं. कहीं तो 50-60-70 परसेंट तक हो गया है और कुछ जगह 10 से 20 परसेंट तक हुआ है. जब तक उन कम सिंचाई वाले क्षेत्रों को हम नहीं देखेंगे, तब तक प्रदेश का यूनिफॉर्मली विकास नहीं हो सकता, क्योंकि विकास एक तरफ ही जाएगा. इस ओर आज निर्णय करने की आवश्यकता है कि हम यूनिफॉर्म तरीके से सिंचाई का क्षेत्र बढ़ाएं चाहे उसके लिए लागत कितनी भी नहीं बढ़े. क्या क्षेत्र की जो उर्वरकता है, जो जमीन की आवश्यकता है कि कहीं एक पानी में काम चल जाता है, कहीं दो पानी में, कहीं पर बहुत अच्छा प्रोडक्शन निकलकर आता है और उसकी क्वॉलिटी भी बहुत अच्छी निकलकर आती है. ऐसे क्षेत्रों के लिए हम जब तक योजना नहीं बनाएंगे, तब तक वह पुराना ढर्राशाही जैसा ही काम चलेगा. सिर्फ सिंचाई का रकबा बढ़ाने से काम नहीं चलेगा. जिसकी जितनी जरूरत है, जहां पर जितनी आवश्यकता है उस ओर भी हमें ध्यान देना पड़ेगा. एक और बात है कि जो फॉर्मूला साध्यता का बना हुआ है, वह शायद बहुत आऊट डेटेड हो गया है. क्योंकि उस फॉर्मूले में तालाब की लागत, जमीन की लागत और रकबा कितना आता है उसका जोड़ घटाना होता है. लेकिन जब कीमत कृषि भूमि की बढ़ गई है तो बहुत से तालाब साध्यता में नहीं आ पाते हैं और साध्यता में नहीं आने के कारण जो छोटे और मध्यम तालाब हैं, उनका निर्माण नहीं हो पाता है. आज इस ओर आवश्यकता है कि उस फॉर्मूले को हम बदले क्योंकि सिंचाई विभाग से यह बदलना है. उसको बदलकर जो छोटे-छोटे तालाबा साध्यता में नहीं आ पा रहे हैं, उनको साध्य करें. चाहे नहर बने या न बने, उतना महत्वपूर्ण नहीं है, अगर आज तालाब बन जाएगा तो किसान पाईप लाईनों के माध्यम से उस पानी को अपने खेत तक ले जाने में सक्षम है, उसको ले जा पाएंगे. लेकिन तालाब ही नहीं होगा तो वह पानी वहां पर कैसे लेकर जाएंगे? दूसरा, क्या राजस्थान की तर्ज पर जो वहां पर बावड़ियां बन रही हैं, वह बावड़ियां गहरी भी होती हैं और तालाब जैसी भी होती हैं. उन बावड़ियों के माध्यम से छोटे-छोटे रकबों को हम सिंचित कर सकें और प्राईवेट जमीन पर भी वह तालाब बना सकें, इसकी बहुत ज्यादा आवश्यकता है क्योंकि सरकारी पैसा लगने के अलावा जब उन किसानों को उस तलाई का, उस बावड़ी का फायदा मिलेगा तो हमारे प्रदेश का सिंचित रकबा बढ़ जाएगा.
सभापति महोदय, जो पुराने तालाब हैं, खासकर मेरी विधान सभा क्षेत्र में बहुत से तालाब नवाबकाल के समय के हैं. उनके संधारण और संरक्षण की आवश्यकता है क्योंकि आज से 60-70 साल पुराने वह तालाब हैं, ऐसे तालाबों को लेकर उनके गहरीकरण और मरम्मत की सख्त आवश्यकता है.
सभापति महोदय, मैं इछावर विधान सभा क्षेत्र से आता हूं और मेरा क्षेत्र भोपाल से लगा हुआ है. मेरी एक ही पीड़ा है कि हम चाहे कोलांस या उलझावन के माध्यम से भोपाल के बड़े तालाब को पानी का पानी देते हैं. चाहे कोलार डेम के माध्यम से हम भोपाल के पीने के पानी की व्यवस्था करते हैं. लेकिन इछावर का गला सूखा है, वहां पर सिंचाई की आवश्यकता है. टोपोग्रॉफिकली वह शायद थोड़ा ऊपर आता है, इसलिए वहां पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है और मैने पूर्व में भी यह जिक्र किया है कि नर्मदा और पार्वती के माध्यम से उस इलाके को सिंचित नहीं करेंगे, तब तक वहां सिंचाई की संभावना नहीं आ पाएगी, जबकि वहां पर पार्वती नदी, अजनाल नदी, सीप नदी और कोलार नदी, ऐसी महत्वपूर्ण नदियां वहां से जाती हैं. इन नदियों के माध्यम से इछावर और सीहोर के जो बाकी क्षेत्र छूटे हुए हैं, उन्हें भी सिंचाई के रकबे में जोड़ा जाए.
सभापति महोदय, अंत में एक छोटी-सी बात कहना चाहता हूं कि क्योंकि मैं सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का सदस्य हूं, उसके माध्यम से दोनों साल पिछले वर्ष हम बम्बई गये थे और इस वर्ष हम केरल गये थे. वहां जो हमारी सरकार की प्रापर्टी है, उस प्रापर्टी को हम वहां पर देखकर आए थे और निश्चित रूप से हमारा आग्रह है कि उस प्रापर्टी को हम बचाकर रखें क्योंकि जो हमारे पूर्वज हैं वह कहते हैं कि एक बार प्रापर्टी अगर बेच दी तो हमारे हाथ में कुछ नहीं रहेगा और प्रापर्टी रही तो निश्चित रूप से वह हमारे लिए एक असेट रहेगा. जो केरल की प्रापर्टी है, वह बहुत अच्छा एक तरह से टूरिस्ट प्लेस बन सकती है. मध्यप्रदेश से भी टूरिज्म के लिए अपने लोगों को केरल भेज सकते हैं और बम्बई की प्रापर्टी है, वहां पर केस भी प्रदेश के फेवर में आया है. वहां कर्मचारियों, अधिकारियों ने निश्चित रूप से मेहनत करके सरकार के पक्ष में काम किया है. इसके लिए वे बधाई के पात्र हैं. मेरा आज इस वक्तव्य के माध्यम से गुजारिश है कि हमारे इस प्रदेश की प्रापर्टी को सेल-ऑफ नहीं करें. उसको बचाकर रखें तो आगे जाकर उसमें और ज्यादा संभावनाएं हो सकती हैं. सभापति महोदय, आपने जो बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) - सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 6,7,25,31,45,57,60 और 61 का समर्थन करता हूं. सभापति महोदय, प्रदेश में कृषि उत्पादन में यदि 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है तो इसके पीछे सिंचाई के जो साधन बढ़े हैं, मैं समझता हूं कि उसके कारण से सिंचाई उत्पादन बढ़ा है. बाण सागर, रानी अवंती बाई सागर, इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर, राजघाटा, मंडीखेड़ा जैसी विशाल योजनाएं ने मूर्त रूप लिया है. सभापति महोदय, ग्रेविटी फ्लो का विकल्प इस सरकार ने खोज लिया है माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में माननीय सिंचाई मंत्री, जल संसाधन मंत्री श्री जयंत मलैया जी के प्रयासों से. भूमिगत पाईप से इसी बजट में सिंचाई योजनाओं को मूर्त रूप देते हुए मोहनपुरा बांधसुझार, कुंडलिया, पंचमनगर, चंदेरी, पारसडोह तथा मंदसौर जिले के गरोठ में यह व्यवस्था सुनिश्चित की है.
सभापति महोदय, माननीय वित्तमंत्री जी का धन्यवाद देना चाहता हूं कि पहली बार गांधी सागर, जिसका निर्माण 50-60 वर्षों के पहले हुआ था. लेकिन गांधी सागर का असली आनंद, असली मजा या लाभ यदि कोई ले रहा था तो वह राजस्थान के रावतभाटा और कोटा क्षेत्र के ले रहे थे. भिंड, मुरैना में भी इसका पानी नहरों के माध्यम से मिलता है. लेकिन पहली बार इस बजट में 50000 हैक्टेयर क्षेत्र में मंदसौर जिले में इस सूक्ष्म सिंचाई योजना के माध्यम से 9 करोड़ रुपए की राशि आपने प्रावधानित की है. माननीय मंत्री जी मैं हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करना चाहता हूं. इसी में 3 करोड़ 60 लाख 20 हजार रुपए की 21400 हैक्टेयर क्षेत्र में सूक्ष्म सिंचाई परियोजना के माध्यम से यह महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए आपने जो प्रावधान किया है, पूरे मंदसौर जिले में इसी बजट में 12 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, मैं आपका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं, जिससे 71000 हैक्टेयर भूमि क्षेत्र में सूक्ष्म प्रणाली के माध्यम से सिंचाई हो सकेगी.
माननीय सभापति महोदय मैं एक सुझाव देना चाहता हूं सिंचाई से संबंधित मंदसौर को लेकर के पूरा जिला गांधी सागर से सिंचित हो जाय इसके लिए सूक्ष्म सिंचाई योजना मंदसौर जिला और मेरी विधान सभा क्षेत्र और माननीय जगदीश देवड़ा जी का विधान सभा क्षेत्र मल्हारगढ़ तक यह पानी पहुंचाया जा सकता है, पहुंच सकता है. इसकी व्यवस्था आप आगामी बजट में करेंगे तो बड़ी कृपा होगी.
सभापति महोदय श्री शैलेन्द्र पटेल जी ने जिस समिति की ओर से वक्तव्य दिया है उस सरकारी उपक्रम समिति का मैं सभापति हूं और मैं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि आपने हमको बिनाची स्टेट की वह संपत्ति देखने का और कुछ समझने का अवसर उपलब्ध कराया है. हम मुन्नार गये थे उस व्यवस्था को देखने के लिए, यह बात सही है कि एक लाख पेड़ कॉफी के कहीं पर नहीं हैं सरकारी संपत्ति में केरल राज्य के पास में भी इतनी बड़ी संपत्ति नहीं है, जहां पर एक लाख पेड़ कॉफी के हों और 500 एकड़ के क्षेत्र में वह बिनाची स्टेट की हमारी संपदा है. मुझे यह कहने में अचरज नहीं है कि केरल राज्य की निगाह उस संपत्ति को प्राप्त करने की है और स्थानीय स्तर पर हमें वह सहयोग नहीं कर रही है, कुछ अतिक्रामक वहां पर बैठे हुए हैं, उनको भी वहां से हटाया जाना आवश्यक है. वह भूमि नेश्नल हाइवे पर काबिज है अगर वहां पर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाय और वहां पर एक अच्छी होटल पर्यटन विभाग के माध्यम से खोली जाय तो यह संपत्ति प्रदेश की बच सकती है, पर्यटन वहां पर हो सकता है. प्रोविडेंट इंवेस्टमेंट कंपनी इसको देख रही है और यह जो संपदा है यह ग्वालियर स्टेट के समय पर उनके हक में थी यह बाद में शासन को स्थानांतरित हुई है.
सभापति महोदय मैं वित्तमंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं यह जो विधायक स्वेच्छाअनुदान मिलता है. यह सीधा हितग्राहियों के खाते में जा रहा है वह उनके खाते में जाय अच्छी बात है लेकिन उसमें हो क्या रहा है कि उस हितग्राही का उस बैक में जिस बैंक में सीधे पैसा जा रहा है. यदि वहां पर वह खातेदार ऋणी है तो सरकार की वह निधि सीधे बैंक वाले 5 या 10 हजार रूपये की राशि काट लेती है. हमने तो दिया था उसके बेटे की पढ़ाई के लिए, हमने दिया था उसकी बीमारी के लिए, उसकी पत्नी के उपचार केलिए और उसके खाते में जाने पर बैंक उसकी उस राशि को लोन के अगेंस्ट में समायोजित कर रहा है, जबकि यह समायोजित नहीं होना चाहिए.
सभापति महोदय -- वैसे यह काटने का अधिकार बैंक को नहीं है. माननीय मंत्री जी इसे देखें और इसके बारे में निर्देश दें.
श्री जयंत मलैया -- जैसा आपने आदेश दिया है मैं अपने भाषण में उसका उल्लेखकरूंगा.
श्री रामनिवास रावत -- प्राकृतिक आपदा की राशि में जो राशि उसके खाते में पहुंच जाती है उसको भी वहऋण में समायोजित कर लेते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- सभापति महोदय मैं अपने क्षेत्र की दो तीन छोटी छोटी योजना पर बात करता हूं जो कि साध्यता में आ गई हैं. जब वह साध्यता में आ गई हैं तो मेरा उत्साह और बढ़ रहा है कि मैं माननीय वित्त मंत्री जी से इन गांवों की उन सिंचाई योजनाओं को प्राप्त कर लूं - सिवना और सोमली नदी पर जो साध्यता आयी है वह ग्राम माऊखेड़ी, नंदावता, पाडल्या लालमूंहा तथा पिपलखेड़ी यह कुल मिलाकर के 12 करोड़ रूपये की छोटी छोटी योजनाएं स्टाप डेम के रूप में इसकी तकनीकि स्वीकृति हो गई है साध्यता हो गई है मैं चाहूंगा मंत्री जी शीघ्र ही इसको घोषित कर देंगे माननीय सभापति महोदय आपने बोलने के लिए समय दिया धन्यवाद्.
कुँवर सौरभ सिंह ( बहोरीबंद ) -- माननीय सभापति महोदय मैं पहले एक विषय पर माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. डब्ल्यू आर डी में प्रमुख अभियंता पद पर पुनर्नियुक्ति अपने आप में एक घोटाला है. छानबीन समिति में एक वर्ष के लिए संविदा पर नियुक्त किये जाने के लिए मुख्य अभियंता पद पर अनुशंसा की गई किंतु विभाग परिषद ने मंत्रिपरिषद को गुमराह करते हुए, संक्षेपिका में प्रमुख सचिव के पद पर 29-2-12 को कर दिया गया है. छानबीन समिति ने मुख्य अभियंता की सिफारिश की ओर संक्षेपिका में यह पद प्रमुख हो गया और यह लगातार चार बार से हो रहा है. दिसम्बर 2015 के एक प्रश्न के उत्तर में और अभी जो फरवरी में अपूर्ण उत्तर आया है, शासन ने माना है कि संबंधित के विरूद्ध परिनिंदा की शास्ति अधिरोपित की गई है और आपने संविदा नियुक्ति किये जाते समय इसका उल्लेख नहीं किया, असत्य जानकारी दी गई. संविदा कर्मचारियों के पास में वित्तीय अधिकार नहीं है. मध्यप्रदेश कार्य संहिता 1983 के एपेंडिक्स1.33 बुक आफ फायनेंशियल पावर 1995 तथा मध्यप्रेदश के वित्त विभाग के ज्ञापन क्रमांक 1/95/c/4 दिनांक 8-3-96 में प्रशासकीय एवं वित्तीय अधिकार दिये गये हैं जबकि प्रश्न क्रमांक 1099 दिनांक 25-2-16 को मधु भगत के उत्तर में आपने स्पष्ट उत्तर दिया है कि विभागीय संरचना में स्वीकृति पदनाम के लिए है किसी व्यक्ति के लिए नहीं है. यहां पर सभी लोगों को कंफ्यूज किया जा रहा हैदिनांक 15-12-15 के प्रश्न क्रमांक 1157 में संबंधित को संविदा नियुक्ति दिये जाने के कारण सदस्य श्री नायक जी के जवाब में जीएडी ने कहा है कि तकनीकि ज्ञान होने के कारण इनको संविदा नियुक्ति दी गई है. जबकि यह मुख्य अभियंता के पद पर कार्य करने का अनुभव मात्र 16 माह काहै और प्रमुख अभियंता के पद पर काम करने का अनुभव मात्र 2 माह का है. 2 माह का अनुभव बहुत बड़ा नहीं होताहै जिसका कि यहां पर उल्लेख नहीं किया गया है. इसी तरह से प्रश्न क्रमांक 1011 में दिनांक 25-2-16 के उत्तर में शासन ने यह स्वीकार किया है कि संविदा कर्मी को वित्तीय अधिकार नहीं दिये जा सकते हैं.
एक सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में भारत सरकार विरूद्ध सोमसुंदर विश्वनाथन एआईआर 1998 क्रमांक 2255 में यह निर्णय लिया गया है कि संविदा कर्मियों की नियुक्ति नियमों के आधार पर की जा सकती है ना कि शासन के परिपत्रों पर .
मेरा इसमें सिर्फ उद्देश्य यह था कि जिस तरह से सदन को और पूरे शासन को गुमराह किया गया है. इसी तरह से जल और सिंचाई के आंकड़ों में भी गुमराह किया गया है. सामान्य बजट में केवल कोटा निर्धारित नहीं किया है केवल संयोजन पर रख रहे हैं. सरकार का प्रतिवेदन यह है कि औसत आय 5000 से बढ़कर 22674 हो गई है जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है. पेज नंबर दो में यह भी स्पष्ट है कि दो पद खाली हैं. वास्तविकता में तीन पद खाली हैं अगर तीन हो जायेंगे तो आरक्षण का लाभ मिल जायेगा. इस कारण से इसको अलग किया गया है.
माननीय मेरे क्षेत्र बहोरीबंद में सिंचित रकबा बहुत कम है. सिलपुरी बांध 1910 का बना है, रूपना 2001 का बना है, मसंदा 1917 का बना है, छपरी 1997 का बना है, बहोरीबंद के लिए लाइनिंग का प्रस्ताव आज दिनांक तक लंबित है.बिरूली जलाशय को ब्रेकइवन की साध्यता के आधार पर नहीं कर पा रहे हैं. निवेदन है कि इस पर फिर से विचार किया जाय. वसुधा भेड़ा बड़गांव नयाखेड़ा सगोड़ी कैथाटोला, बरी पटना अलोनी नदी पर जलाशय की आवश्यकता है. नऊआपटी में डेम के एक्सटेंशन की आवश्यकता है,पलटुआ नाला बकलेटा में डायवर्सन स्कीम की आपश्यकता है आपको यह जलाशय को सरलता में लाना पड़ेगा
माननीय नहर के अगल बगल के 300 हिस्सो को डांट डांट कर सिंचित करवा लिया है. जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है इससे सिंचाई का रकबा बढ़ रहा है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि राज्य शासन के मंत्रालय राज भवन सचिवालय एवं अन्य सचिवालय के कार्यरत लिपिक संवर्ग से इतर अधिकारियों कर्मचारियों को 4200 ग्रेड पे और उच्चतर ग्रेड पे 5400 दिनांक 1 जुलाई 2014 को दिया गया है. जबकि इन्हीं के समकक्ष लिपिकीय संवर्ग द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों को इन्हीं कार्यालयों में ग्रेड रूपये 5400 के स्थान पर 4200 दी गई है.
माननीय हमारे कटनी का विषय है कि कृषि उपज मंडी में दो प्रतिशत की आपने आयात पर छूट दी थी लेकिन उसके बाद में भी आप इसमें 20 प्रतिशत निराश्रित कर ले रहे हैं जब छूट दी है तो क्यों ले रहे हैं. मनरेगा में एक बहुत बड़ा विषय है इसमें पूरे प्रदेश में क्रय हो रहा है लेकिन उसमें टैक्स चोरी किया जा रहा है. उसमें सरकार को टीडीएस नहीं मिल रहा है झूठे बिल बन रहे हैं, जो भी पंचायत स्तर पर खरीदी हो रही है उसमें कर की चोरी हो रही है. फार्म 49 एक स्टेट से दूसरे स्टेट के लिए है लेकिन अभी आपने कटनी और अन्य जिलों के लिए ट्रांजिट पास कर दिया है. अगर एक छोटा व्यापारी भी दो टीन तेल उमरिया जिले में देगा तो ट्रांजिट पास देगा. मेरा निवेदन है कि यह व्यवस्था उचित नहीं है कृपया इस पर विचार करेंगे . सभापति महोदय आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद्.
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार -- अनुपस्थित
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया -- अनुपस्थित
श्रीमती शीला त्यागी -- अनुपस्थित
श्री के.के. श्रीवास्तव (टीकमगढ़) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग 7, 23, 45, 57, 60 एवं 61 के समर्थन में अपनी बात रखने के लिए उपस्थित हुआ हूँ. मध्यप्रदेश को चार बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला, कृषि उत्पादन में निरंतर 10 प्रतिशत की वृद्धि, यह कोई ऐसे ही नहीं हो गया, अगर यह संभव हुआ है तो मध्यप्रदेश में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार, बिजली की उपलब्धता, समय पर उच्च मानक के रासायनिक खाद और बीज के कारण संभव हुआ है.
माननीय सभापति महोदय, बार-बार सिंचाई रकबा साढ़े सात लाख हेक्टेयर से बढ़कर 36 लाख हेक्टेयर हो गया है यह कहकर हम पूर्ववर्ती सरकारों के गाल पर तमाचा नहीं मारना चाहते. मैं तो यह चाहता हूँ कि '' हाथ कंगन को आरसी क्या और पढ़े-लिखे को फारसी क्या'', आंकड़ों की बात कर रहे थे कि केवल कागजों में हुआ है, अगर कागजों में हुआ होता तो मध्यप्रदेश में अन्न का उत्पादन इतना आगे नहीं बढ़ जाता. यह केवल आंकड़े नहीं हैं, नवीन वृहद परियोजनाओं पर काम हो रहा है, मध्यम लघु सिंचाई योजनाओं पर भी वृहद स्तर पर स्वीकृतियां हुई हैं. पुरानी सिंचाई परियोजनाओं के भी जीर्णोद्धार और रख-रखाव का काम मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है. पहले जो नहरें थीं उनमें पानी सीपेज हो जाता था आज उन नहरों की लाइनिंग और उन्हें पक्की करने का कार्य, जीर्णोद्धार का कार्य, मरम्मतीकरण का कार्य, सुदृढ़ीकरण करने का कार्य पूरे मध्यप्रदेश में एक साथ चल रहा है. वाटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग की दिशा में भी योजनाएं बनाकर कहीं न कहीं मध्यप्रदेश की सरकार ने कार्य किया है. नई नीति बनाकर एक अनुभव, एक अनूठी योजना, बड़े बांधों को न बनाकर पाइप-लाइनों के माध्यम से कैसे किसानों के खेत तक हम पानी भेजें इसकी भी रचना की जा रही है. नदियों से भूमिगत पाइप-लाइन बिछाकर नहरों का विस्तार किया जा रहा है. नदी जोड़ो अभियान महत्वपूर्ण है जो देश के पूर्व प्रधानमंत्री माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेई का सपना था और उस सपने को साकार करने का कार्य अगर किसी प्रदेश में पहले हुआ है तो वह मध्यप्रदेश की धरती पर किया गया है और वह भागीरथी प्रयास मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और हमारे यशस्वी जल संसाधन मंत्री माननीय श्री जयंत मलैया ने किया है.
माननीय सभापति महोदय, पुरानी जो सरकारें थीं, हम कहना नहीं चाहते लेकिन केवल नारों पर चलती थी. गरीबी हटाओ, गरीबी नहीं हटी. पानी रोको, मध्यप्रदेश में देखा कि पानी रोको अभियान, मुख्यमंत्री ने उस समय कह दिया तो सीएस ने कह दिया, पीएस ने कह दिया, कलेक्टर बोले और सब बोले कि पानी रूक गया. मध्यप्रदेश में सूखा पड़ गया था उस समय. पानी रोको, खेत का पानी खेत में रोको और पेट का पानी, पता नहीं कौन-कौन से नारे बनते थे लेकिन हमारी पानीदार सरकार ने हर दृष्टि से पानी राखने का काम किया है '' रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून, पानी गए ऊबरे, मोती मानस चून''. तालाबों को जोड़ने का अभियान भी मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. पहली योजना बनी कि तालाबों को कैसे भरा जाए, बाढ़वाली नदियों से तालाबों को भरने की योजना बनी. हमारे बुंदेलखंड में हरपुरा पिकअप नहर योजना, नदी तालाब योजना, मैं बधाई देना चाहता हूँ माननीय सिंचाई मंत्री जी को कि जिन्होंने इतना महत्वपूर्ण कार्य करवाया और खुद पहुँचकर उस योजना का शुभारंभ किया. लेकिन कहीं-कहीं एक कष्ट कभी-कभी होता है कि कुछ लापरवाही और मनमानीपूर्ण कार्य जो वहां पर रहते हैं उनके द्वारा किया गया है और गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया है. मैं कहना चाहता हूँ कि उस पर भी हमारी मॉनिटरिंग होनी चाहिए और ज्यादा मॉनिटरिंग करने की जरूरत है.
माननीय सभापति महोदय, धसान नदी और जामनी नदी, ये बुंदेलखंड की दो महत्वपूर्ण नदियां हैं. जामनी नदी तो उत्तरप्रदेश की सीमा से बहती है और धसान नदी हमारे टीकमगढ़ जिले से जाती है. धसान नदी पर अभी बांधसुधारा बांध का कार्य प्रारंभ हो गया है और निर्माणाधीन है लेकिन उसके ऊपर 25 किलोमीटर दूर एक ककरबाहा पिकअप वियर परियोजना का भी बहुत पहले सर्वे हुआ था जिसमें प्रारंभिक सर्वे में कुल जल ग्रहण क्षेत्र 2762. 50 वर्ग किलोमीटर है उसमें मध्यप्रदेश का भी 2219 वर्ग किलोमीटर उस नदी का आता है और उत्तरप्रदेश का 543 आता है, हम चाहते हैं कि उत्तरप्रदेश की भूमि को हम नहीं ले पाएं तो यह बड़ी योजना बनेगी और मामला केन्द्र स्तर तक जाएगा. अगर हम अपने बांध की ऊँचाई का फिर से एक बार सर्वे करा लें और अगर उस बांध की ऊँचाई एक मीटर या दो मीटर कम कर दें तो उत्तरप्रदेश का जो क्षेत्र है उससे हमारे मध्यप्रदेश में ही जलभराव रहेगा और हमें बहुत देर तक इस योजना का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. इससे टीकमगढ़ विधान सभा क्षेत्र और जतारा के कम से कम 10 तालाब के भरे जा सकते हैं और 3400 हेक्टेयर क्षेत्र में इससे सिंचाई की जा सकती है. एक स्थान हम स्वयं देखने गए थे अधिकारियों के साथ में जो इससे थोड़ा सा नीचे पर है, वहां के वीरनगर का स्थल निरीक्षण हम सबने किया है और मैं चाहता हूँ कि अगर इसका सर्वे एक बार कराने के आदेश हो जाएं तो बुंदेलखण्ड के सूखा क्षेत्र में हमारी धसान नदी का उपयोग भी पूरा हो जाएगा और टीकमगढ़ क्षेत्र की कम से कम ढाई हजार हेक्टेयर भूमि हम सिंचित कर पाएंगे.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से जल संसाधन मंत्री जी से अनुरोध करता हूँ कि एक राजेन्द्र सागर बांध है जो कि डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी के नाम पर है, इसको भरे जाने के लिए एक नहर का निर्माण धसान नदी से करा दिया जाए, बहुत बड़ा तालाब है. दूसरा, महेन्द्र सागर से वृंदावन तालाब की एक फीडर लाइन है उस पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है, अगर उस फीडर लाइन को पक्का करा देंगे तो एक महत्वपूर्ण कार्य वृंदावन तालाब की भलाई के लिए हो जाएगा. कारी तालाब को भरने के लिए एक सेमरझोर से नहर का निर्माण हो जाएगा. जामनी नदी पर बरी घाट के अपस्ट्रीम में एक नवीन स्टॉपडैम बनाया जाना चाहिए जिससे न केवल सिंचाई की क्षमता में वृद्धि होगी बल्कि टीकमगढ़ शहर के पेयजल संकट का भी समाधान हो जाएगा. एक बगाज माता जलाशय आपने हमारे यहां बनाया है उस जलाशय पर एक घाट निर्माण की भी आवश्यकता है.
माननीय सभापति महोदय, आबकारी नीति के बारे में अपनी बात करके मैं अपनी बात समाप्त कर दूंगा. इस नीति के बारे में मैं केवल एक सुझाव देना चाहता हूँ कि नियमानुसार धार्मिकस्थलों या स्कूलों के पास, व्यस्ततम चौराहों या बाजारों पर डेढ़ सौ मीटर तक शराब की दुकान नहीं होना चाहिए. अब डेढ़ सौ मीटर के बाद अगर 151 मीटर यदि दूरी हो गई तो उनको कहने के लिए हो जाता है कि हम तो 151 मीटर पर बैठे हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है. माननीय सभापति महोदय, इसकी तो दूरी 300 मीटर कम से कम होनी चाहिए. इसलिए मेरा निवेदन है कि डेढ़ सौ मीटर को संशोधित करके 300 मीटर कर दिया जाए.
माननीय सभापति महोदय, एक और सुझाव मैं विधायक निधि के संबंध में देना चाहता हूँ कि विधायक निधि के निर्माण कार्यों को भी ई-टेंडरिंग में सम्मिलित करा दिया गया है, तो अब दो लाख का यदि कोई कार्य है तत्काल में कहीं किसी धार्मिक स्थान के पहुँच मार्ग के निर्माण के लिए हमें दो लाख रुपये देने हैं तो कैसे काम चलेगा. अत: मैं समझता हूँ कि इसको ई-टेंडरिंग से मुक्त किया जाना चाहिए.
सभापति महोदय -- धन्यवाद आपका.
श्री के.के. श्रीवास्तव -- माननीय सभापति महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं आपको प्रणाम करता हूँ. आप जब यहां बैठते हैं तो खूब बोलते हैं और वहां बैठते हैं तो टोकते हैं. (हंसी)
श्री प्रताप सिंह (जबेरा) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 23, 45 के कटौती प्रस्तावों के विरोध में बोलना चाहता हूँ. मैं जल संसाधन मंत्री जी का ध्यान अपने क्षेत्र की समस्याओं आकर्षित कराना चाहता हूँ कि मेरे क्षेत्र में वर्ष 2003-04 में जो कलूमर तालाब बना था उस तालाब का लाभ वहां के कई गांवों के लोगों को नहीं मिला है. उन्हें बड़ी आशा थी कि इस तालाब का लाभ उन्हें भी मिलेगा, पानी हमारे खेतों तक पहुँचेगा, लेकिन तालाब बनने के बाद एक साल तो वह भरा, लेकिन बाद में ऐसा रिसाव हुआ कि वह रिसाव आज तक दूर नहीं हो पा रहा है. न तो तालाब भर पा रहा है और न ही खेतों तक पानी पहुँच पा रहा है. इसी प्रकार दमोह जिले का माला तालाब सबसे बड़ा तालाब है उससे सबसे बड़े रकबे पर सिंचाई होती है लेकिन आखिरी छोर पर अभी भी कुछ गांव हैं जहां पर पानी नहीं पहुँच पाता है जैसे लखनी, डूमर, बड़गवां, इन गांवों तक नहरें तो जरूर हैं और वहां के लोगों को जलकर भी देना पड़ता है लेकिन पानी उन गांवों में नहीं पहुँच पाता है. इसी प्रकार भजिया तालाब की नहरों का पानी सिंगपर, पटनाकुआं और पुनकड़ आदि गांवों को नहीं मिल पा रहा है जिसका डीपीआर बनकर हमारे ईएनसी महोदय के यहां लंबित है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि इसी वित्तीय बजट में यदि उसको सम्मिलित कर लें तो उक्त योजना का लाभ करीब 10 गांवों को और बढ़ जाएगा. बारना जलाशय की घोषणा जब जबेरा में उपचुनाव हुआ था तभी माननीय मुख्यमंत्री जी ने की थी और बारना जलाशय में कई बार भूमिपूजन हुआ लेकिन वहां वन क्षेत्र होने के कारण शायद नहीं हो पा रहा है तो हम यह चाह रहे हैं कि राजस्व भूमि के बदले क्योंकि वहां राजस्व भूमि मिल जाएगी तो राजस्व भूमि वन विभाग को देकर उस परियोजना को जरूर पूर्ण कराने की कोशिश करें. साथ ही नरगवां तालाब की नहरों का कार्य गुणवत्ताविहीन हो रहा है उसको ठीक करावें और जिस ग्राम में यह तालाब बना है उस ग्राम के लोगों को, नरगवां गांव के लोगों को, झरौली ग्राम के लोगों को नहरों का पानी नहीं पहुँच पा रहा है तो मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि उस गांव के खेतों तक भी सर्वे करवाएं जिससे उन लोगों के खेतों तक पानी पहुँचे. पौंड़ी जलाशय के नजदीक ही एक किलोमीटर दूरी पर आदिवासी गांव माझा ग्राम है माझा गांव के लोगों को भी उस जलाशय का पानी नहीं मिल पाता है. मात्र एक किलोमीटर दूर यदि नहरें उसकी हो जाएं तो उस गांव के लोगों के खेतों तक पानी पहुंचेगा. इसी प्रकार लघु परियोजनाओं के बारे में भी मैं अपने क्षेत्र की बात रखूंगा जिसमें कुछ वनांचल के ग्राम हैं, हर्रई चना, खारी, जरुआ, हाथीरोल, बोरखा, ओरयामाल, बेराग के निपानिया नाले पर यदि नवीन तालाब का सर्वें करें और यहां पर पहले से ही पंचायत के द्वारा बनाये हुए स्पॉट हैं, बढ़िया कैचमेंट एरिया है तो यदि इनको लघु तालाबों में लघु परियोजना निर्मित्त की जाएं तो इन वनांचल के गांवों में खेतों तक पानी भी पहुंचेगा और साथ में पेयजल की व्यवस्था भी हल हो जाएगी. मेरे निर्वाचन क्षेत्र में नौरादेही अभ्यारण्य भी आता है. वहां पर एक पुतपरा तालाब के पास एक वन विभाग का बहुत बड़ा डेम है. यदि वह डेम जल संसाधन विभाग अपने में शामिल करता है तो उस तालाब से करीब 20 गांवों की सिंचाई क्षमता बढ़ जाएगी कि उस एरिया में एक भी तालाब नहीं है. इसी प्रकार सांगाग्राम के नजदीक वन जलाशय में सिंचाई विभाग उक्त तालाब को भी शामिल करता है तो सांगा, परड़ई, पांजी के लोगों के लिए पीने के पानी की समस्या भी हल होगी और सिंचाई एरिया भी बढ़ जाएगा. सबसे महत्वपूर्ण बात एक और है, पूरे दमोह जिले में पेयजल का संकट होता है और वहां पर एक ब्यारमां नदी है, जो जीवनदायिनी है उसी से सिंचाई होती है, उसी से पेयजल की समस्या भी हल होती है तो वह जवैरा विधानसभा से बहती हुई दमोह क्षेत्र को कव्हर करती हुई हटा विधानसभा क्षेत्र तक पहुंचती है तो मैं चाहूंगा कि यदि नर्मदा की परियोजना हर नदियों में यदि लिंक कर रहे हैं यदि ब्यारमां नदी में भी लिंक की जाए तो दमोह जिले का पूरे बुन्देलखण्ड के लोगों का उससे उद्धार होगा और वो जीवित हो जाएगी. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि चोपड़ा के पास पौंड़ी के पास 6 चैन जब से शुरु से तालाब बना है तब से बांध के ऊपर से टूट गयी हैं, उसको भी यदि इसी बजट में शामिल करें तो उक्त योजना का लाभ चोपड़ा के लोगों तक पहुंचेगा. सभापति महोदय, जो आपने मुझे बोलने का समय दिया, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
पंडित रमेश दुबे(चौरई)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 6,7,23,31,45,57,60 एवं 61 के समर्थन में खड़ा हुआ हूँ. जिसमें में विशेष रुप से मांग संख्या 23, 45 और 57 के विषय में अपनी बात रखना चाहता हूँ. माननीय सभापति महोदय, प्रदेश का यदि कोई आर्थिक आधार किसी पर भी निहित है तो वह कृषि पर है और कृषि वास्तविक रुप से पानी पर निर्भर है. हमारे प्रदेश का जो भौगोलिक क्षेत्रफल है 300 लाख हेक्टेयर है और हमारे मध्यप्रदेश की कृषि भूमि जिस पर कृषि आधारित व्यवस्थाएँ हो रही हैं वह लगभग 155 लाख हेक्टेयर मध्यप्रदेश में हैं. जैसे कि मेरे पूर्व वक्ताओं ने और विभाग के द्वारा जो यह प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया कि 2003 के पहले साढ़े 7 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचाई योग्य थी जो आज 36 लाख हेक्टेयर में हम पहुंच चुके हैं. मध्यप्रदेश की जो कृषि जोत है वह लगभग 155 लाख हेक्टेयर है. आज बहुत ज्यादा संभावना और बहुत ज्यादा आवश्यकता है कि वास्तविक रुप से हम अपने कृषि को और कैसे हम सिंचित कर सकें, कैसे सिंचित बना सकें. इस विषय में यदि हम तुलनात्मक रुप से अध्ययन करें तो हमारा अपना जो जल संसाधन विभाग है वह वृहद् सिंचाई योजना,मध्यम और लघु सिंचाई योजना के माध्यम से यह विभाग संचालित हो रहा है. मुझे कहने में बहुत हर्ष है कि हमारे प्रदेश की जो वृहद् 24 सिंचाई योजनाएँ हैं जिसमें हमने 14 पूर्ण की हैं और जो 10 वृहद सिंचाई योजनाएँ हैं वह लगभग 2018-19 तक उनको पूर्ण करने जा रहे हैं. यहीं तक नहीं मध्यम सिंचाई योजनाएँ भी हम लगभग तीव्र गति से पूर्ण करने जा रहे हैं. हमारे इस विभाग ने पानी को सिंचाई को जो महत्व दिया है उस दृष्टिकोण से हम देखें तो 2014-15 में जो लघु सिंचाई का जो हमारा लक्ष्य था वह 220 था जिसके विरुद्ध हमने 252 लघु सिंचाई योजनाओं को पूर्ण किया है. यह अपने आप में इस बात को सिद्ध करता है कि वास्तविक रुप से हमारी जो सरकार है, हमारे जल संसाधन मंत्री हैं, हमारा जो विभाग है इस सिंचाई के दृष्टिकोण से, पानी के दृष्टिकोण से कितना सजग और सतर्क है क्योंकि आपके हमारे मध्यप्रदेश की आबादी लगभग कृषि पर 72 प्रतिशत आश्रित है और जो कृषक परिवार हैं, परिवार के बंटवारे के साथ साथ हमारे अपने परिवार की कृषि जोत कम होती जा रही है और कृषि जोत यदि कम हो रही है तो पानी का कृषि के आधार पर बहुत आवश्यक है, क्योंकि उसके आधार पर यदि कृषि जोत कम होगी, हम पानी की उपलब्धता करा पायेंगे तो हमारे अपने किसान को उस परिवार का उत्पादन निश्चित रुप से बढ़ेगा और उसकी आर्थिक स्थिति निश्चित तौर पर ठीक हो पाएगी और इस दिशा में हमारी सरकार ने काम करने का प्रयास किया है.माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार से इस बात का आग्रह करना चाहता हूँ कि हमारे छिंदवाड़ा जिले में एक बहुत बड़ी वृहद् परियोजना पेंच प्रवर्तन योजना जिसका बहुत ज्यादा स्वप्न छिंदवाड़ा जिले के लोगों ने देखा था बल्कि छिंदवाड़ा जिले के लोग, जैसी कि मुझे जानकारी है 1971 से चलने वाली यह परियोजना थी और 1971 से चलते चलते कई बार उसका शिलान्यास भी हुआ लेकिन उसका काम प्रारम्भ नहीं हुआ लेकिन मुझे कहने में इस बात की प्रसन्नता है,2003 में जिस मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और जब हमने इस बात की व्यवस्था करने की बात की थी कि छिंदवाड़ा जिले में इस परियोजना को जिन्होंने स्वप्न देखा है उसको साकार करने का काम करेंगे. मैं इस बात को कह सकता हूँ कि पेंच परियोजना जो वृहद सिंचाई योजना है, 24 सितम्बर 2008 को हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने उसका शिलान्यास किया और मैं इस बात को कह सकता हूँ कि आज 2016 में इन 8 वर्षों में इस परियोजना को लगभग 75 प्रतिशत पूर्ण कर लिया है और मुझे विश्वास है कि 2017-18 तक नहरों के माध्यम से छिंदवाड़ा जिले की लगभग 90 हजार हेक्टेयर जमीन को हम सिंचित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. मैं कहना चाहता हूँ, चर्चा करना चाहता हूँ, हमने सुना था भागीरथ को कि भागीरथ जी ने अपनी सात पीढ़ियों को तारने के लिए आकाश से गंगा को पृथ्वी लोक पर लेकर आये थे इसीप्रकार की चर्चा और स्वप्न छिंदवाड़ा जिले के लोगों ने पेंच परियोजना के माध्यम से देखा था बल्कि लोग तो इस बात के नारे लगा रहे थे- पेंच बांध करे पुकार, आकाश में उड़ने वाला एक बार, छिंदवाड़ा जिले के लोगों ने 35 वर्ष आकाश में उड़ाने का प्रयास किया, पेंच परियोजना का स्वप्न दिखाने का लोगों ने काम किया लेकिन स्वप्न को साकार करने का काम नहीं किया. अरे, स्वप्न को साकार करने का काम किसी ने किया तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान जी ने और हमारे जल संसाधन मंत्री जी ने काम किया,
सभापति महोदय-- कृपया समाप्त करें. (बीच में जितू पटवारी के बोलने पर)
पंडित रमेश दुबे-- जितू पटवारी जी, जब कभी आप बोलते चर्चा करते हैं, मैं कभी इस बात को नहीं कहता और मैं तो आपको आमंत्रण देना चाहता हूँ कि आप वास्तविक रुप से यदि छिंदवाड़ा आयें.
सभापति महोदय-- दुबे जी, आप अपना भाषण दें और समाप्त करें.
पंडित रमेश दुबे- सभापति महोदय, मैं इस बात को कहना चाहता हूँ कि छिंदवाड़ा जिले का जो जल स्तर है, जरा उसको देखें,आंकलन करें. जैसा कि इन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा जिले में तीन तीन नाथ हुए लेकिन पेंच परियोजना अनाथ होकर रह गयी है और यह हमारे पास उदाहरण है 11 संचालनालय, 4 मंत्रालय का, यदि हमें एनओसी भी प्राप्त हुई तो जब प्रदेश में जब भाजपा की सरकार बनी तब हमको एनओसी प्राप्त हुई और 24 फरवरी को भारत योजना आयोग से मंजूरी के बाद हमने इस बात का शुभारंभ किया है ,जब 2005-06 में इसकी एनओसी भारत सरकार से प्राप्त हुई है. इससे स्पष्ट हो जाता है कि उन्होंने वास्तविक रूप से स्वप्न दिखाने के अलावा और छलावा करने के अलावा वास्तविक रूप से छिंदवाड़ा जिले के लिए कुछ करने का काम उन्होंने नहीं किया है. माननीय सभापति महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि पेंच परियोजना के विषय में मैंने चर्चा की है . पेंच परियोजना के साथ साथ मैं इस बात का भी आग्रह सिंचाई मंत्री जी से करना चाहता हूं कि पेंच परियोजना में हमारे अपने छिंदवाड़ा जिले के लगभग 31 गांव डूब में आ रहे हैं, हमें व्यवस्थापन की भी चिंता करनी होगी कि जिनको हम विस्थापित कर रहे हैं उनका हम व्यवस्थापन भी करें. हालांकि विभाग और सरकार इसके प्रयास कर रही है. लेकिन मानवीय दृष्टिकोण से जिनके खेत और घर डूब रहे हो उनको भी व्यवस्थित रूप से विस्थापित कर सके यह आग्रह मैं सरकार से करना चाहता हूं. साथ ही साथ ही मैं सिंचाई मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि जिनकी पूरी जमीन डूब में आ चुकी है लेकिन मकान और एक दो एकड़ की बाड़ी बची है तो वह किसान कह रहे हैं कि एक-दो एकड़ की बाड़ी और मकान लेकर कहाँ जाएंगे कम से कम इसको भी अधिग्रहण किया जाये ताकि अन्य स्थान पर हम विस्थापन के माध्यम से जमीन लेकर हम खेती कर सके. मैं आग्रह करना चाहता हूं कि मानवीय दृष्टिकोण से हम विस्थापन का कार्य करें. मैं यह भी कहना छिंदवाड़ा जिले का जलस्तर आठ सौ और एक हजार फुट नीचे जा रहा है सिंचाई की बात तो बहुत दूर है, पीने के पानी समस्या हमारे सामने आकर खड़ी होने वाली है . हमको प्रकृति ने ऐसी नदियाँ दी है, कन्हान नदी दी, कुलबेहरा नदी दी है,जाम नदी दी है, शक्कर नदी दी है,वर्धा नदी दी . इन नदियों पर भी हम विचार करें और इनमें वर्षा का जल रोककर हम वहाँ काम कर सकते हैं.साथ ही साथ छोटी सिंचाई योजनाओं के माध्यम से भी मैं आपसे आग्रह करना चाहूंगा . एक आपका चोरबत्ती जलाशय है, बमनीटूरा जलाशय है, कुरई जलाशय, झामटा जलाशय है,आमकोल जलाशय , कुड्डम नाला है,गोलाबाड़ी जलाशय है, इन प्राकृतिक जलाशयों पर जो हमारी चिन्हित योजनायें हैं, उनको हम बनाने का प्रयास करें पानी को हम रोके और जो एक हजार फीट के आसपास पानी जा रहा है उसको हम सामान्य पर लाने का प्रयास करें ताकि मानवीय दृष्टिकोण से आपको , हमको, हमारे जीवजन्तुओं को पानी मिल सके. सभापति महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज)-- माननीय सभापति महोदय, मांग संख्या 6,7,23,31,45,57,60, 61 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्तावों के पक्ष में बोलने जा रहा हूं. इस समय पूरे प्रदेश में सूखा पड़ा हुआ है हमारे रीवा जिले में भी सूखा पड़ा है, मैं सीधे रीवा जिले से होते हुए अपने क्षेत्र मऊगंज की ओर जाना चाहता हूं. लगातार सत्ता पक्ष विपक्ष द्वारा यहाँ पर सदन में चर्चा हो रही है. सत्ता पक्ष यह कह रहा है कि कृषि कर्मण पुरस्कार मिला, सिंचाई का रकबा बढ़ा. लेकिन जब मैं अपने क्षेत्र को देखता हूं तो लगता है कि फर्जी पुरस्कार मिला. माननीय सभापति महोदय, हमारा क्षेत्र मध्यप्रदेश का सबसे ऊंचाई का क्षेत्र है. पेयजल के संकट के साथ साथ सिंचाई का संकट हमारे क्षेत्र में है. मैं जब पहली बार विधायक बनकर आया हमारे बीच में हमारे माननीय मंत्री जी बैठे हुए हैं, मैंने उनसे अपने क्षेत्र की बात की. मेरे यहाँ रीवा,सतना, शहडोल जिले के बीच में जो बाण सागर परियोजना चल रही है उसका पानी लगभग सीधी , रीवा हर जगह मिल रहा है. यहाँ तक की उत्तर प्रदेश और बिहार उसका पानी जा रहा है और वह मेरे क्षेत्र से होकर के ही जा रहा है लेकिन बड़े दुर्भाग्य के साथ यह कहना पड़ रहा है कि आपके विभाग के जो प्रमुख सचिव जुलानिया जी से से भी कई बार अनुरोध किया और उन्होंने यह कहा था, जब हमारी केंद्र में सरकार थी, कि आप केंद्र से पैसा लाओ , हम पानी देंगे. हमने बोला कि मंत्री जी बोले हैं कि इसको मैं कराऊँगा तो उन्होंने यह तक कह दिया था कि वह कौन होते हैं बोलने वाले, अब क्यों कहा था मैं नहीं जानता. लेकिन मेरा अनुरोध है कि मैं दो तीन बार आपसे अनुरोध किया और बाणसागर का पानी यदि लिफ्ट के माध्यम से कैलासपुर परियोजना जो हैं, उसमें लिफ्ट के माध्यम से पानी ऊपर चढ़ जाएगा तो पूरे हमारे क्षेत्र के 50 गांवों में पानी पहुंच जाएगा और 200 पंचायतों को उसका पानी मिलेगा तो जो आज पेयजल का गंभीर संकट है, वह भी दूर होगा और सिंचाई का रकबा बढ़ेगा, उसी दिन साकार होगा कि कृषि कर्मण पुरस्कार पूरे मध्यप्रदेश को मिल रहा है. माननीय सभापति महोदय, मैं इसमें दूसरी बात एड करना चाहता हूं कि जो उत्तर प्रदेश को पानी जा रहा है वहाँ पर आदिवासी अंचल पिपराही,सर्दवन,नकवार,जड़कुर हैं, वहाँ पर लगभग दस-बीस हजार आदिवासी किसान हैं, वहाँ तक छोटी छोटी नहरों से पानी दिया जा सकता है तो माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि अगर छोटी छोटी नहरों का निर्माण कर दिया जाए तो हमारा आदिवासी वर्ग वहाँ छोटी नहरों से पानी लेकर के फलीभूत हो जाएगा. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से बताना चाहता हूं कि बहुत पुराने समय में एक गुरमा डैम हमारे क्षेत्र में बना था और भी छोटे छोटे एक दो डैम बने हैं, जहाँ सिंचाई का साधन है लेकिन वहाँ की नहरें अत्यंत खराब हो चुकी हैं जिससे पानी इधर उधर हो जाता है तो उन नहरों का सुधार कर दिया जाये तो जो पानी इधऱ उधर जाता है , वह भरपूर खेतों में जाएगा. मेरा आपसे अनुरोध है कि बहुत सारी पड़त औऱ उपजाऊ भूमि पड़ी हुई है, उसमें खेती नहीं हो पा रही है तो उसके लिए कई छोटे छोटे बांध बनाये जा सकते हैं, जिसका निचले स्तर से प्रस्ताव शासन की ओर मैंने भिजवाया है यदि उस पर आपका विचार हो जाएगा तो ठीक होगा, इसमें गोपला, गेदुरहट, लासा, अलवा तालाब हैं इन पर छोटे बांधों का निर्माण हो जाएगा तो हमारे क्षेत्र में पर्याप्त सिंचाई का साधन बढ़ सकता है. इसी कड़ी में एक गुढ़ और मऊगंज उद्वहन सिंचाई परियोजना चल रही थी लेकिन पता नहीं किस कारण से उसको रोक दिया गया है. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि उससे लगभग 50 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकती थी और उससे पानी सीधे तीन चार विधानसभा गुढ़,देवतालाब,मऊगंज में पहुंच सकता था, लेकिन वह काम कतिपय कारणों से रोक दिया गया है यह मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं. धन्यवाद,जयहिंद.
श्री दिलीप सिंह परिहार(नीमच)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 6,7,23,31,45,57,60, 61 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. जल संसाधन विभाग की जो जल की संरचनायें बनी हैं, वह अभूतपूर्व हैं, क्योंकि जब मैं 2003 में यहाँ आया था उस समय नीमच जिले का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा था. मैं जब संघ में काम करता था तो मोटर साइकिल से प्रवास करता था तो सर पर रेत के इतने कण आते थे तो मैं सोचता था कि मंदसौर और नीमच जिला कहीं राजस्थान न बन जाये. मगर हमारे जल संसाधन मंत्री और माननीय मुख्यमंत्री जी की इच्छाशक्ति की वजह से आज नीमच जिले में भरपूर तालाब बने हैं मैं इसके लिए आपको धन्यवाद देता हूं. मुझे याद है कि मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी और हमारे जल संसाधन मंत्री जी माननीय अनूप मिश्रा जी ,सभी लोग वहाँ आए थे और उन्होंने गांव दुधरसी में जलाभिषेक का कार्यक्रम किया था. खेत का पानी खेत में रुके , गांव का पानी गांव में रुके और छोटी छोटी जल संरचनायें बनाई थीं उसके वजह से आज नीमच जिले का लगातार जलस्तर बढ़ रहा है और मध्यप्रदेश में जो हम पहले देखते थे कि नर्मदा के पानी का जो बँटवारा हुआ था उस समय हमारे गुजरात के मुख्यमंत्री कच्छ, भुज तक इस पानी को ले गए थे. मगर हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी की इच्छा शक्ति की वजह से जो नर्मदा का पानी है आज वह क्षिप्रा मैय्या तक जाने का काम हुआ है और हम देखते हैं कि 2024 तक जो हमारा बँटवारा हुआ है नर्मदा के पानी का, वह निश्चित ही मध्यप्रदेश के खेत में, गाँव के खेत में, पहुँचने का काम हमारा जल संसाधन विभाग करेगा. मैं इस अवसर पर यही कहूँगा जैसा कि रहीम ने कहा है, "बिन पानी सब सून, मोती मानस चून" यह जो कहावत है, यह चरितार्थ होना चाहिए और मालवा की जो धरती है, "मालव माटी गहन गंभीर, पग पग रोटी, डग डग नीर." की जो कहावत है वह चरितार्थ हो रही है. कहीं न कहीं मालवा में आज पानी हुआ है और पानी की वजह से ही हमारा मध्यप्रदेश दिन दूनी, रात चौगुनी, तरक्की करता हुआ बढ़ रहा है और कृषि के संबंध में हम लोग चार बार पुरस्कार प्राप्त कर रहे हैं. उसके पीछे पानी का बहुत बड़ा महत्व है. यदि व्यक्ति का पानी उतर जाता है तो व्यक्ति की कोई कीमत नहीं होती है और संसार से पानी चला जाए तो संसार मसाना, वैराग्य, होगा इसलिए इस पानी को संचय करने का काम हमारे जल संसाधन मंत्री जी ने किया है और उसका उदाहरण मेरे यहाँ, जब मैं 2003-04 में जब विधायक बना था उस समय इन्होंने हमारे यहाँ 3-4 डेम दिए. उन डेमों में चाहे गाडगिल सागर ले लो, उस गाडगिल सागर की वजह से आज बहुत पानी संचय है. जहाँ अटल सरोवर, जो रेतम् बैराज पर बना है, उसकी वजह से भी, इसके अलावा हमेरा डेम दिया है, जिसकी वजह से 11 सौ हैक्टेयर सिंचाई मेरे क्षेत्र में हो रही है और वहाँ जो खेती जो डूब में गई थी उन किसानों को भी पर्याप्त जमीन का मुआवजा मिला है, किसान प्रसन्न है. उसके अलावा जो ठिकरिया डेम है. उसमें लगभग आज 3 हजार हैक्टेयर की सिंचाई हो रही है और सिंचाई ही नहीं हुई, इतना पानी था, मैं कहता था, पहले समझता था, इस पानी पर केवल नीमच जिले का ही अधिकार है. मगर जब अभी पानी आया और पानी की कमी पड़ी तो ठिकरिया डेम के हमारे माननीय चावला जी,देवड़ा जी ने मांग की तो मेरे क्षेत्र के लोगों ने आँदोलन किया तो मुझे जब जल संसाधन मंत्री जी ने बताया कि पानी प्रकृति का है, सबका अधिकार है तो आज हमने वहाँ मनासा और मल्हारगढ़ में भी इस पानी को दिया है. उसकी वजह से वहाँ भी फसलें हुई हैं. कहीं न कहीं हम यह चाहते हैं कि ठिकरिया के पानी के क्षेत्र में जो 3 हजार हैक्टेयर की जो सिंचाई हुई है उसके अलावा मेरे क्षेत्र में एक हरवाह डेम है. जहाँ अभी तक भी डेम नहीं है वह छोटा डेम है. यदि माननीय जल संसाधन मंत्री उसकी ऊँचाई बढ़ा देंगे तो हमारे उस क्षेत्र के किसानों को भी पर्याप्त लाभ होगा और डेढ़ दो सौ हैक्टेयर की वहाँ सिंचाई हो जाएगी और उनको ऐसा लगेगा कि हमारा क्षेत्र वंचित नहीं है. सभापति महोदय, एक दारू, जो गाँव का नाम है दारू, मैं पीने वाली दारू की बात नहीं कर रहा. माननीय मलैया जी, एक गाँव है दारू, उस क्षेत्र में हमारे यहाँ जल संरचनाएँ नहीं बनी हैं तो यदि उस नदी पर भी यदि आप कोई जल संसाधन के माध्यम से कोई डेम बनाएँगे तो हमारे क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलने वाला है और पीने का पानी, जो आपने ठिकरिया में उद्योग, जो हमारा औद्योगिक कॉरिडोर नीमच बनने वाला है उसमें भी इस पानी की कमी आएगी. सवा लाख की आबादी नीमच में है उसमें हमारे मुख्यमंत्री जी ने पीने के पानी के लिए पाइप लाइन मंजूर की है तो निश्चित ही ठिकरिया डेम से हमारे किसानों को बहुत लाभ हुआ है. वहाँ लगभग 95 प्रकार की जींस पैदा होती है. हमारे वहाँ अफीम भी पैदा होती है. अभी अफीम की खेती पर कहीं न कहीं संकट आया है. मगर हमारे केन्द्रीय वित्त मंत्री जी और यहाँ के हमारे वित्त मंत्री मलैया जी उसमे कहीं न कहीं कुछ प्रावधान करेंगे जिससे कि वह डोडा ले सके और उसका पोस्ता दाना ले सके. उसके लिए भी मैं आप से मांग करता हूँ. साथ ही यदि हरवाह डेम की आप ऊँचाई बढ़ाएँगे तो हमारे किसानों को लाभ मिलने वाला है. जीरम तालाब और हमारा एक और तालाब है मालखेड़ा उसमें आप नहरों के सुदृढ़ीकरण का काम कर रहे हैं. यदि लायनिंग के माध्यम से किसान के खेत में पानी चला जाएगा तो जो पानी वेस्टेज होता है वह पानी किसान के खेत में उपयोग होगा इसलिए आप हमारे नीमच विधान सभा में भी नहर सुदृढ़ीकरण के काम में बजट देने का काम करें. जल ही जीवन है और जल के बिना व्यक्ति की कोई भी कीमत नहीं है. जब जब भी जल का संकट आया है और इस बात को हमारे देश के प्रधानमंत्री मान्यवर अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा है कि पानी का संचय करना पड़ेगा. आने वाले समय में यदि युद्ध होगा तो वह पानी पर होगा इसलिए इस जल संसाधन विभाग के माध्यम से पूरे मध्यप्रदेश में पानी संचय के लिए...
सभापति महोदय-- अब कृपया समाप्त करें.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- बड़े-बड़े डेम बनाए गए हैं. 21 वृहद्, 30 मध्यम और 24 के लगभग लघु सिंचाई योजनाएँ बनाई गई हैं. कहीं न कहीं देश के प्रधानमंत्री जी को भी मैं धन्यवाद दूँगा कि हमारे प्रधानमंत्री जी ने 51 जिलों को लिया है. उसमें हमारे मंदसौर, उज्जैन और नीमच जिले को भी लिया है तो मैं इसके लिए भी उन्हें धन्यवाद देता हूँ.
सभापति महोदय, आबकारी नीति के संबंध में भी माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि जो शराब की दुकानें खुलती हैं उनको कहीं न कहीं मंदिर, स्कूल, धर्मशाला, इनसे दूर खोलना चाहिए. दुर्भाग्य है कि जो तरूण ताल नीमच में है माननीय स्वर्गीय वीरेन्द्र कुमार सखलेचा जी ने बनाया था. उस तरूण ताल में आज दारू की दुकान खुली हुई है. जहाँ बच्चे व्यायाम के लिए आते हैं, तैराकी प्रतियोगिता के लिए आते हैं, यदि वहाँ दूध मिलने की जगह दारू मिल रही है तो आप से निवेदन है कि इस बात की आप जाँच कराकर तरूण ताल में जो दारू की दुकान खुली है उसको बंद कराएँ. जहाँ सरस्वती शिशु मंदिर में बच्चे विद्या अध्ययन करने जाते हैं कॉलेज में बच्चे जहाँ विद्या अध्ययन करने जाते हैं वहाँ भी आपके कुछ इस प्रकार से लायसेंस दे रखे हैं, जहाँ दारू की दुकानें खुली हुई हैं. उनकी भी आप जाँच करवा कर बंद करवाने की कृपा करें. माननीय सभापति महोदय, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपने मुझे बोलने का अवसर दिया और माननीय जल संसाधन मंत्री जी से भी मैं मांग करूँगा कि मेरी बात पर ध्यान दें और मेरे क्षेत्र में हरवार में जरूर डेम की ऊँचाई बढ़ाने का कष्ट करें. धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा)-- माननीय सभापति महोदय, जो वर्तमान में यहाँ पर बजट पेश किया जा रहा है उसमें मेरे क्षेत्र के बारे में मैं बहुत ही दिल से यह प्रार्थना करता हूँ कि जब सिंचाई के मामले में पूरे मध्यप्रदेश में जो योजनाएँ यहाँ पर सुनने को और देखने को मिलती है तो कहीं न कहीं सुवासरा विधान सभा की जो चर्चा करने को आती है उसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जो वहाँ पर 50 किलोमीटर जो नदी हमारे यहाँ निकलती है चंबल की नदी और वहाँ पर चंबल डेम जो कई सालों पहले बनाया उसका पानी हमारी विधान सभा में इकट्ठा होता है लेकिन उसका लाभ अभी तक सुवासरा विधान सभा को नहीं मिल पाया है. अभी माननीय वित्त मंत्री जी ने गरोठ में जो माइक्रो इरीगेशन सिस्टम की जो अनुमति वहाँ पर दी है, जो बजट दिया है. मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि 45 से 50 हजार हैक्टेयर की भूमि अगर सिंचित हो सकती है और आपने सर्वे का भी वहाँ पर बोला है. इस बजट में अगर चंबल से सिंचाई के लिए किसानों को पानी मिलेगा, तो उस क्षेत्र के लिए, किसानों के लिए, बहुत राहत की बात होगी. इसको इसी बजट में इस योजना को यहाँ पर मंजूरी मिले. यह निवेदन करना चाहता हूँ. वहाँ पर बहुत पुराने टाइम से सिंचाई उद्वहन योजना के तहत रणायरा, बसई, लारनी रहीमगढ़ और भगोर उद्वहन सिंचाई योजना की वहाँ पर जो सिंचाई योजना चलती थी. वहाँ पर सब मोटर है, सब साधन हैं,सब पाइप लाइनें डली हुई हैं पर कुछ कारण से कई सालों से वह उद्वहन सिंचाई योजना बंद है. उस पर अगर आप कुछ एक्शन लेंगे तो वहाँ पर भी अगर वह सिंचाई योजना चालू हो जाएगी तो किसानों को इसका लाभ प्राप्त होगा. वहाँ पर कई सालों से इन स्टाप डेमों की मांग है. यहाँ पर अभी कुछ किसान आदरणीय मुख्यमंत्री जी और वित्त मंत्री जी से भी मिले थे. माननीय मुख्यमंत्री जी की ढाबला महेश तालाब की घोषणा है. अगर उसकी मंजूरी मिल जाती है तो उस क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी सौगात होगी. उसमें काकड़सेमली, बंजारी, भटूनी, रेठड़ी, अजयपुर, झांगरिया, सेदराकरनाली एवं किशोरपुरा. ये बहुत बड़ी जगह है. यहाँ पर स्टाप डेम और तालाब भी बन सकते हैं. एक लदूना तालाब है जो बहुत ही पुराना है उसमें पानी की क्षमता बहुत है. पर एक नदी से झांगरिया, वहाँ पर एक नदी है, झांगरिया के पास, वहाँ से अगर पानी मिलाया जाए तो वहाँ पर पानी उसका पर्याप्त भराया जा सकता है और पुराने तालाब जो रिपेयर हो सकते हैं और उनका गहरीकरण हो सकता है तो सभी को फायदा मिल सकता है. मेरा मानना है कि जो स्टाप डेम वहाँ पर बनाए गए हैं.
2.34 बजे {सभापति महोदय (श्री रामनिवास रावत) पीठासीन हुए.}
सभापति महोदय, एक गाँव में जो स्टाप डेम बना है. वह अगले गाँव को पानी नहीं लेने दे रहा है. ऐसे एक रहीमगढ़ और लोगनी के बीच में आपस में दोनों ही गाँव के झगड़े हो रहे हैं. मेरा मानना है कि प्रशासन को हस्तक्षेप करके जिस गाँव में तालाब बना है तो दूसरे का भी अधिकार रहता है. उसको वहाँ पर पानी पहुँचाया जाए और जहाँ पर पुराने तालाब बने हुए हैं. आज तक उनको मुआवजा नहीं मिला है, बड़ोद और पानपुर, वहाँ के किसान आज भी मुआवजे के लिए तरस रहे हैं. इसकी भी जाँच कराई जाए और एक और निवेदन है कि एलवी महादेव,जहाँ पर शिवना और चंबल नदी का मिलन होता है. वहाँ से मंदसौर पेयजल के लिए मंदसौर की एक योजना बनी है और आने वाले दिनों में जो पूरे मंदसौर जिले की पेयजल योजना बनी है उसको भी इसी बजट में स्वीकृत किया जाए. क्योंकि मंदसौर की पूरी योजना बनकर तैयार है और नीमच में भी उसकी मांग की जा रही है अगर नीमच भी हो जाए तो बहुत अच्छी बात है परन्तु मंदसौर की जो योजना पूरी हो चुकी है उसको इसमें मंजूरी मिल जाए तो यह उस क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी सौगात होगी. अफीम की खेती के बारे में वहां पर उग्र आन्दोलन हो रहे हैं उसके लिए अगर आप कोई निर्णय लेंगे तो उचित होगा. वहां पर जो डोडा चूरा है उस पर न मशीन चलाई जाए न उसको तोड़ा जाए उसमें किसानों की जो लागत लगी है वह उन किसानों को प्राप्त हो सके यही निवेदन है. धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र वर्मा (खण्डवा)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 6, 7. 23, 31, 45, 57, 60 एवं 61 के पक्ष में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
माननीय सभापति जी, हमारे मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने व माननीय मंत्रीजी ने देश की सीमाओं पर रक्षा करने वाले सैनिकों की चिन्ता की है वहीं दूसरी ओर किस प्रकार से पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं इसके लिए भी कर निर्धारण में ध्यान रखा गया है. व्यापारियों के लिए स्वकर निर्धारण हो सके इस प्रकार की व्यवस्था भी माननीय मंत्रीजी ने बजट में की है. निमाड़ के एक बेल्ट में एक समय कपास पैदा होता था जिसके कारण निमाड़ को सफेद कटोरा अर्थात् कपास का सबसे अधिक उत्पादक क्षेत्र माना जाता था जिसके परिणामस्वरुप अनेक ऑयल मिल्स व कॉटन मिल्स इस क्षेत्र में हुआ करती थीं. पूर्व की सरकारों की गलत नीतियों के कारण यह मिलें कम हुई हैं. ऑयल मिलें कम हुई हैं कॉटन का उद्योग महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों में चला गया है. हमारी सरकार प्रयास कर रही है कि इन्हें किस प्रकार से प्रोत्साहित कर सकें. वर्तमान बजट में कॉटन व ऑइल मिल्स के लिए टीपी (ट्रांजेक्शन पास) की व्यवस्था लागू की गई है. इस प्रकार की व्यवस्था जो प्रतिबंधित उद्योग धंधे होते हैं जैसे दारू या लकड़ी के उनमें इस तरह की व्यवस्था पूर्व में लागू रही है यह व्यवस्था यदि कॉटन पर लागू कर दी जाएगी तो इससे इस क्षेत्र का पूरा कॉटन उद्योग प्रभावित होगा.
माननीय सभापति जी, फार्म 49 की अनिवार्यता कॉटन मिलों के लिए की गई है. हमारे यहां के व्यापारी या उद्योगपति कॉटन शीड की खरीदी केन्द्र की संस्था सीसीआई के माध्यम से ऑनलाइन करते हैं यह खरीदी वे आन्ध्रप्रदेश या कर्नाटक से भी करते हैं. यदि फार्म 49 की अनिवार्यता करेंगे तो इससे पूरी ऑइल मिलों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा. जो दूरदराज के क्षेत्र में इस व्यवसाय को करते हैं वे फार्म 49 नहीं भर सकते हैं इससे बहुत बड़ा वर्ग प्रभावित होगा. ट्रांसपोर्टर्स का भी एक बहुत बड़ा वर्ग इससे जुड़ा हुआ है पूरा निमाड़ जुड़ा हुआ है. यह दोनों जो प्रावधान किए गए हैं इन्हें यदि शिथिल किया जाता है तो निमाड़ के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी और यहां के उद्योगों के लिए बहुत बड़ी सौगात होगी.
सभापति महोदय, मैं जल संसाधन के विषय में निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे क्षेत्र में लगभग 30 से 35 हजार हेक्टयर की भगवंत सागर परियोजना है उस परियोजना से खंडवा के पेयजल के लिए लगभग 175 से 200 एमसीएफ पानी प्रतिवर्ष लिया जाता था लेकिन माननीय मुख्यमंत्रीजी ने खण्डवा को नर्मदा जल की सौगात दे दी है जिसके माध्यम से शहर में नर्मदा जल वितरित हो रहा है. मैं निवेदन करना चाहता हूं कि भगवन्त सागर परियोजना का 175 से 200 एमसीएफ पानी जो शेष रह रहा है उसको टेल एरिए तक ले जाएं और उसका कमांड एरिया बढ़ाने का काम करेंगे तो हमारे क्षेत्र में और ज्यादा रकबा सिंचित हो जाएगा. प्रतिवर्ष जो अतिरिक्त जल शेष रह रहा है उसमें प्रतिवर्ष विवाद की स्थिति बन रही है इसका निराकरण करेंगे तो बहुत बड़ी उपलब्धि होगी. हमारे क्षेत्र में नागचून का बहुत बड़ा तालाब है वह भी शहर के पेयजल का स्त्रोत था लेकिन अब उसका जल भी पूरी तरह सुरक्षित है उसको सिंचाई तालाब में परिवर्तित करेंगे तो 500 से 1000 हेक्टयर में उससे सिंचाई हो सकेगी. शहर के पास ब्रह्मगीर सागर डेम है जो कि जनभागीदारी, रोजगार गारंटी व मनरेगा द्वारा 50 लाख की राशि से बनाया गया था उससे लगभग 1000 हेक्टयर क्षेत्र सिंचित होता है इसको जल संसाधन विभाग में शामिल करके उसकी मरम्मत करने का काम करें. सुकता का भगवंत सागर डेम 40 साल पुराना है उसकी नहरें कच्ची है उन्हें पक्का करें इसका कमांड एरिया 35000 हेक्टयर है लेकिन उससे मात्र 20000 हेक्टयर क्षेत्र में सिंचाई होती है अगर उसकी नहरें पक्की करेंगे तो टेल क्षेत्र में जो गांव हैं जैसे बडगांव गूजर, छोटा बोरगांव, पांजरिया, सिलोधा लगभग 25 गांव इससे सिंचित हो जायेंगे.
सभापति महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर (खरगापुर)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 6, 7. 23, 31, 45, 57, 60 एवं 61 का विरोध करते हुए अपनी बात रख रही हूँ.
माननीय सभापति महोदय, खरगापुर विधान सभा में बहुत सारी परियोजनाएं लंबित पड़ी हैं जिनको वित्त विभाग द्वारा बजट स्वीकृति नहीं दी गई है जिससे यहां का पूरा विकास रुक गया है. मैंने बार-बार पत्रों के माध्यम से शासन को लिखा है. खरगापुर विधान सभा के ग्राम नारायणपुर के खरिया नाले का डायवर्सन किया जाए जिससे नारायणपुर का तालाब, लडवारी का तालाब और अहार के दोनों तालाबों का जल भराव हो सकता है और अहार लडवारी तालाबों से निकली हुई नहरों से किसानों को लाभ मिलेगा. मंत्रीजी से इस निदान की मुझे जरुर अपेक्षा है. बुंदेलखंड पैकेज के अधूरे निर्माण कार्य पूरे कराए जायें. खरगापुर विधान सभा में लंबित जिला परियोजनाओं को पूर्ण कराया जाए. मेरा एक सुझाव माननीय मंत्रीजी को है जिससे सभी विधायकगण भी सहमत होंगे विधायक विकास निधि जिला योजना अधिकारी के माध्यम से कोषालय में न दी जाए सांसदों की तरह जिला कलेक्टरों के खातों में दी जाए जिससे विधायक निधि लेप्स होने से बचे. सभापति महोदय आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह शेखावत (नागदा-खाचरौद)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 6, 7. 23, 31, 45, 57, 60 एवं 61 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं.
माननीय सभापति महोदय, जल संसाधन विभाग में 24 वृहद, 142 मध्यम और 220 लघु सिंचाई योजनाएं बनाई हैं उसके कारण आज मुझे कहते हुए गर्व है कि 7-7.50 लाख हेक्टयर भूमि से हम 36 लाख हेक्टयर भूमि तक सिंचाई करने में सफल हुए हैं. यह माननीय मुख्यमंत्रीजी और जल संसाधन मंत्रीजी की दृढ़ इच्छाशक्ति थी जिसके कारण यह संभव हो पाया है. मैं मंत्रीजी को इस बात के लिए भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपकी सिंचाई योजनाओं के कारण जहां 11 क्विंटल कृषि उत्पादन था वह बढ़कर 19 क्विंटल प्रति एकड़ हुआ है और कई बार हमारे विपक्ष के भाई कहते हैं कि कृषि कर्मण अवार्ड चार चार बार मिलना, यह वास्तव में बार बार सदन में लाना और मैं यह कहूंगा कि केवल हमारी माननीय नरेन्द्र मोदी जी कि सरकार में नहीं आपकी सरकार में भी दो दो बार पुरस्कार मिला है और बार बार यह बात कहकर और किसानों का अपमान करना मैं यह ठीक नहीं समझता हूं . माननीय जल संसाधन मंत्री जी को इसलिये भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि जहां पर आपने नर्मदा- सिंहस्थ-श्रिप्रा योजना के लिये 432 करोड़ रूपये का प्रावधान करके उस योजना को पूर्ण किया है. आपने नर्मदा मालवा गंभीर लिंक के लिये 2187 करोड़ रूपये का प्रावधान करा है लेकिन मंत्री जी का इस ओर भी ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि मैंने पहले भी कहा है कि नर्मदा जी को चम्बल के उदगम स्थल पर मिलाने की अगर आप कोई योजना बनाओगे तो लाभ होगा लेकिन इसके साथ में एक चीज और जोड़ना चाहता हूं कि नर्मदा गंभीर लिंक को आप मिला रहे हो और आप गंभीर में उनहेल के पास में चम्बल की दूरी मात्र 12-13 किलोमीटर है और अगर उस योजना को चम्बल में वहां पर मिलायेंगे तो जहां पर ग्रेसिम उद्योग लगभग डेढ़ महीने बंद होता है तो उससे करोड़ों रूपये की राजस्व की हानि सीधे सीधे मध्यप्रदेश शासन को होती है. अगर यह योजना जिसमें हम गंभीर को चम्बल से मिलायेंगे तो निश्चित रूप से महू, नीमच और गांधी सागर तक इस योजना का लाभ होगा तो मैं चाहूंगा कि आप इस योजना को निश्चित रूप से बहुत गंभीरता के साथ विचार करें. आपने तालाबों और नहरों के लिये काफी पैसे दिये हैं. मेरे क्षेत्र में भी आपने अन्तलवासा के लिये साढ़े तीन करोड़ रूपये दिये हैं. बाचाखेड़ी के लिये एक नया तालाब दिया है. राजगढ़ की योजना पूर्ण हो गयी हे. ब्राहम्णखेड़ी पूर्ण हो गया है. लेकिन मंत्री जी मैं आपके ध्यान में एक ओर चीज लाना चाहता हूं कि मेरे यहां पर चम्बल नदी पर चामुण्डामाता के डाऊन स्टीम में लगभग आठ दस साल पहले डेम स्वीकृत हो गया था और टेण्डर भी हो गये थे लेकिन वहां कि नगर पालिका ने वहां कि जल आवर्धन योजना को पूर्ण करने के लिये कहा था कि हम वहां पर डेम बनायेंगे लेकिन वहां का जो ग्रेसिम उद्योग है, जिसने चम्बल पर डेम बना रखा है चम्बल नदी पर उनसे समझौता होने के कारण उन्होंने डेम नहीं बनाया है. पिछले सत्र में माननीय मंत्री जी आपने आश्वासन दिया था कि वहां पर चामुण्डा माता के चम्बल नदी पर डाऊन स्टीम में डेम बना दिया जायेगा, लेकिन इस बजट में उसका कोई प्रावधान नहीं है. मैं आपसे चाहूंगा कि इस बजट में उसका प्रावधान किया जाए. उस डेम के बनने के कारण जहां नागदा, खाचरौद और रेलवे को जल प्रदाय तो होगा ही,लेकिन ग्रेसिम जैसा महत्वपूर्ण उद्योग बंद होने से भी बचेगा और सिंचाई का रकबा भी बढ़ेगा.
मैं माननीय मंत्री जी से एक चीज की ओर आपका ध्यान दिलाना चाहूंगा कि पिछले सत्र में मुझे आपने आश्वासन दिया था कि बागेड़ी नदी पर चन्दवासला में और श्रीवच्छ में साध्यता डल गयी है, लेकिन उसका भी कोई बजट प्रावधान नहीं हुआ है. मैं प्रमुख सचिव जी से भी निवेदन करूंगा कि उन दोनों को जल्दी से जल्दी स्वीकृति दें और जल्दी से जल्दी मुख्यमंत्री जी को जो घोषणा है कि बागेड़ी नदी पर पारसुतिया, पचलासी, भीकमपुर और बागेड़ी इन डेमों की भी हम जल्द से जल्द साध्यता डलवाकर और अगर साध्य होगी तो मैं उसको स्वीकृत करूंगा और इसी प्रकार से हमारी जो कुड़ेल नदी है, उस कुड़ेल नदी पर भी डेम बनेगा तो निश्चित रूप से सिंचाई का रकबा बढ़ेगा. मैं कुछ तालाबों की और आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि नन्दवासला, केसरिया, बरखेड़ा, सकतखेड़ी, दिवेल, झिरमिरा और कमठाना इन पर भी अगर तालाब बनायेंगे तो बहुत ठीक होगा. मैं माननीय मंत्री जी का इस ओर भी ध्यान दिलाना चाहूंगा कि कई सड़कें बनती हैं और कई पुराने तालाब बने हुए हैं, अगर उन सड़कों पर रॉ मटेरियल की आवश्यकता होती है और अगर जहां पर सड़क बनती है तो उसके आसपास मुरम की और जो उसमें लगने वाली सामग्री की आवश्यकता होती है और तालाबों की खुदाई के लिये हम परमीशन देंगे तो तालाब गहरीकरण होगा और उसमें काफी लाभ होगा. मैंने जो चीजें अपने क्षेत्र की निवेदन करी है.
माननीय मंत्री जी मैं आपसे एक और चीज का निवेदन करना चाहता हूं कि आप वित्त मंत्री जी भी हैं हमारे यहां पर जो ग्रेसिम इंडस्ट्री है, वह फाईबर का उत्पादन करता है और उस फाईबर के उत्पादन में विद्युत प्रदाय लगातार होना चाहिये नहीं तो विस्कोस और फाईबर की लाईनें जाम हो जाती है, उस कोयले पर जो इंट्री टैक्स है उस इंट्री टैक्स के कारण जो बिजली का उत्पादन होता है उसकी कास्ट इतनी बढ़ गयी है कि हमें कई बार फाईबर का चाइना से काम्पीटशन करना पड़ता है और उत्पादन लागत ज्यादा होने के कारण ग्रेसिम उद्योग काफी संकट से गुजर रहा है इसलिये अगर एक बार आप चर्चा करेंगे . अंत मैं एक निवेदन करता हूं कि प्राफेशनल टैक्स का मैं बार बार निवेदन करता हूं, उन मजदूरों के प्राफेशनल टैक्स पर अगर आप गंभीरता से विचार करेंगे तो 11 लाख श्रमिकों का फायदा होगा और अंत में जितनी भी पेंशन होती है चाहे वह विकलांग हो, वृद्ध हो इन सबको एक हमार रूपये करने का कष्ट करें. आपने मुझे बोलने का समय दिया धन्यवाद.
डॉ रामकिशार दोगने (हरदा):- माननीय सभापति मैं मांग संख्या 6, 7, 23, 31, 45, 57 ,60 और 71 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. वित्त विभाग में जो योजनाओं के संबंध में बात की गयी है उसमें किसानों का कर्ज माफ करने का कोई जिक्र नहीं किया गया है. प्रदेश के बेरोजगार युवकों के लिये कोई बेरोजगारी भत्ते की बात नहीं की गयी है. प्रदेश में जीवनोपयोगी वस्तुओं में प्रति सप्ताह वृद्धि होती है उसके संबंध में कोई बात नहीं की गयी है.
सभापति महोदय:- दोगने जी आप अपने क्षेत्र की बात कर दीजिये. बाकी सब बातें तो आ गयी हैं. आप अपने क्षेत्र की समस्याएं बता दो, वह सब चीजें आ गयी हैं.
डॉ रामकिशार दोगने:- माननीय सभापति महोदय, एक मुख्य समस्या कर्मचारियों की समस्या है. कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है, कर्मचारियों के साथ में अन्याय हो रहा है. उस पर कोई बात नहीं की जा रही है. हम अगर देखें तो पूरे प्रदेश में कर्मचारी आंदोलनरत हैं और वेतन विसंगतियां भी बहुत भारी हैं. मध्यप्रदेश शासन के सचिवालयीन और मंत्रालय में पदस्त अनुभाग अधिकारी जो पूर्व से ही राजपत्रित अधिकारी हैं, जिनका पूर्व का वेतनमान 6500 से 10500 था, उनका वेतनमान 8000 से 13500 में उन्नयन नहीं किया जाकर वित्त विभाग द्वारा जो कर्मचारी राजपत्रित नहीं थे तथा जिनका वेतनमान 6500 से 10500 था उन्हें 8500 से 13500 स्वीकृत किया जाकर छठवें वेतनमान में वेतन बैंड 15600 एवं ग्रैड-पे 5400 रूपये में उन्नयन कर दिया गया है. अत: सभापति महोदय, के माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से यह बात कहना चाहता हूं कि इस भारी वेतनविसंगति को दूर कर पूर्व से ही राजपत्रित अनुभाग अधिकारियों का भी वेतनमान में वेतन बैंड 15600 एवं ग्रेड पे 5400 रूपये स्वीकृत किया जाकर इस बजट में प्रावधान किया जाए. मैं बताना चाहता हूं कि जहां टैक्स की बात आती है टैक्स के संबंध में हम देखें तो टैक्स में भी काफी विसंगतियां है. अगर हम वर्तमान में देखें तो हमारे सरार्फा व्यापारी हमारे हरदा में तो क्या पूरे मध्यप्रदेश में भी सरार्फा व्यापारियों का आंदालन चल रहा है. इंस्पेक्टर राज फिर से वापस आ रहा है, वह भी दूर किया जाना चाहिये और टैक्स का सरलीकरण हो अगर वह किया जायेगा तो निश्चित ही उद्योग धंधे फलेंगे और व्यापारी आगे बढ़ेगे और प्रदेश का विकास होगा. जल संसाधन विभाग के संबंध में बताना चाहता हूं कि हमारे क्षेत्र में जो नहरे हैं, वहां पर नहरें तो बहुत अच्छी चल रही हैं. सुविधा बहुत हैं पर उसके साथ में उसका पानी पूरा नदी और नालों में बहता है तो मेरा जल संसाधन मंत्री से निवेदन है कि हर नदी नालों में स्टाप डेम बना दिये जायेंगे तो उसका और सदुपयोग होगा और पानी का सही उपयोग कर किसान अपना फायदा ले सकते हैं और तीसरी मूंग की फसल ले सकते हैं.
सभापति महोदय, योजना एवं सांख्यिकी के संबंध में बताना चाहता हूं कि जैसे हमारी विधायिका जी ने बोला है कि विधायक निधि के चक्कर में भी बहुत परेशानियां होती हैं. कभी बजट नहीं आता तो कभी कोई अन्य परेशानी आ रही है. योजना विभाग कें पचास कागज मांगते हैं. नक्शा और खसरा मांगते हैं, इन सब चीजों को देखते हुए जब आपने हम लोगों को विधायक निधि दी है तो इसका सरलीकरण किया जाए जिससे विधायकों को सुविधा हो ओर पैसे देने में सुविधा हो. हम क्षेत्र में बोलकर आते हैं और वहां पर 6-6 महीने तक पैसा नहीं पहुंचता है. उससे कहीं न कहीं हमारे मान सम्मान कम होता है और जनता को सुविधा देने के लिये जो आपने विधायक निधि तय की है उसका भी उपयोग सही नहीं हो पाता है इसलिये उससे कभी कभी हमको प्रताडि़त भी होना पड़ता है. जब हमारे गांव के लोग मिलते हैं तो वह कोरा आश्वासन मांगते हैं और लोग राजनीतिक लोगों पर वैसे ही विश्वास नहीं करते हैं. इसलिये विधायक निधि में सुधार करना बहुत ही आवश्यक है. मैं लघु सिंचाई के संबंध में बोल रहा था कि यदि नदी नालों में डेम बना दिये जायेंगे तो हमारे हरदा क्षेत्र में काफी डेम हैं अगर वह बनायेंगे तो निश्चित ही सफल होगी और सिंचाई योजना बढ़ेगी. क्योंकि हमारे यहां पर बेक वाटर का काफी एरिया है, तो उससे पानी रूकेगा और पानी रूकेगा तो लोगों को फायदा होगा. क्योंकि आजकल पानी के पीने की भी दिक्कतें आने लगी है. इसी के साथ मैं अपनी बात को विराम देता हूं. जल संसाधन मंत्री हमारी तरफ ध्यान देंगे और मूंग की फसल में पानी दिलवाने का बार बार निवेदन कर रहा हूं और पुन: निवेदन कर रहा हूं कि मूंग की फसल में तवा डेम से पानी दिलवायेंगे तो अच्छा होगा. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद्. जय हिन्द.
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर) - माननीय सभापति महोदय, मैं जल संसाधन,वाणिज्यिक कर विभाग की मांगों के बारे में समर्थन के लिये खड़ा हुआ हूं. मध्यप्रदेश के जल संसाधन विभाग ने पिछले वर्षों में हमारे प्रदेश को बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि दिलाई है. पिछले समय में हमारा जो कृषि उत्पादन बढ़ा और कृषि उत्पादन की वृद्धि दर दस प्रतिशत हुई. हमारी कृषि विकास दर 20 प्रतिशत पहुंची जो पूरे देश में अव्वल है. गेहूं के उत्पादन में पहला स्थान हमने प्राप्त किया इसमें जल संसाधन विभाग का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. इसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और हमारे जल संसाधन मंत्री जी और हमारे प्रदेश के अधिकारियों को बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूं. पिछले समय में जलसंसाधन विभाग में जो पद्धति चल रही थी उसमें दो-तीन बातें बहुत अच्छी हुई हैं. एक तो सूक्ष्म जल परियोजनाओं के माध्यम से ऐसे असमतल क्षेत्र में जहां पर खुली नहरों के माध्यम से पानी देना संभव नहीं था. अण्डरग्राउण्ड पाईप लाईन देने के कारण से जो सिंचाई केलिये जल की उपलब्धता की आवश्यक्ता होती थी जल बेकार जाता था उस जल का संरक्षण करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण काम हुआ है दूसरी बात जो पुरानी जल संरचनाएं थीं उनका सुदृढ़ीकरण करने की दृष्टि से और लाईनिंग करने का जो काम हुआ है उससे हमारे प्रदेश को और विशेषकर श्योपुर जिले को इसका लाभ मिला है. अपने क्षेत्र के बारे में कहना चाहूंगा कि हमारे श्योपुर क्षेत्र में सभापति महोदय उसमें कुछ क्षेत्र आपका भी आता है. वहां के वनवासी और सामान्य वर्ग के रहवासी एक बड़े डेम को बनाने की मांग कर रहे हैं उसका नाम मूजरी डेम है और इस डेम के बनने से लगभग दस हजार हेक्टेयर वनवासी क्षेत्र में सिंचाई का लाभ किसानों को प्राप्त हो सकेगा. इसके बारे में पिछले समय में कुछ सर्वे हुआ है काम भी आगे बढ़ा है. मेरा मंत्री जी से बहुत विनम्रतापूर्वक आग्रह है आपने पूरे प्रदेश की स्थिति को ठीक किया है नदियों को जोड़ा है ऐसे स्थानों पर आपने पानी पहुंचाने का काम किया है जिनके बारे में सोचा नहीं जा सकता था. बड़ा भारी लक्ष्य बनाकर काम किया और आपके विभाग के प्रमुख सचिव हमारे जिले में रहे हैं और उन्होंने भी उस क्षेत्र को देखा है हमारा आपसे आग्रह है कि इस मूजरी डेम को मंजूरी कराकर प्रारम्भ कराएं इसमें जो भूमि की कठिनाई थी बताया यह गया था कि वह हल हो गई है नहीं हुई है तो अभी वहां के जिलाधिकारियों ने लगभग दस हजार हेक्टेयर भूमि का चयन कर लिया है और जो लोग उस पर कब्जेधारी थे उनसे पांच हजार हेक्टेयर भूमि उन्होंने मुक्त भी कराई है और वह जमीन वनीकरण के लिये उपयुक्त और अच्छी जमीन है यह अदलाबदली भी हो सकती है. दूसरा हमारा निवेदन है कि पार्वती लिफ्ट इरीगेशन योजना के माध्यम से 35-40 गांवों को पानी देने के लिये बार-बार उस क्षेत्र के लोग मांग करते हैं पानी की पर्याप्त उपलब्धता भी है और उसके बारे में प्रारंभिक रूप से सर्वे भी हो चुका है. इस योजना को मंजूरी मिलने के बाद उस क्षेत्र में दस हजार हेक्टेयर भूमि के सिंचित होने की पूरी-पूरी संभावना है तो इस योजना को मंजूरी दिलाएं. मैं जल संसाधन मंत्री जी का ध्यान इस ओर भी आकृष्ट करना चाहता हूं कि चंबल नहर से पूरे श्योपुर जिले का ही नहीं, मुरैना,भिण्ड जिले का पूरे चंबल संभाग का कृषि उत्पादन निर्भर करता है और यह हमारी जीवन दायिनी नहर है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इस नहर में पानी संचालन में कठिनाई महसूस की जा रही है और उसका कारण राजस्थान है. राजस्थान से हमको करार के मुताबिक पानी न मिल पाने से जब किसानों को सिंचाई के लिये पानी की आवश्यक्ता होती है ऐसे समय किसान पानी से वंचित हो जाते हैं क्योंकि 3900 क्यूसिक पानी करार के मुताबिक हमें प्राप्त होना चाहिये वह प्राप्त नहीं हो पाता है. 2600-2700-2800क्यूसिक पानी चलता है. इस कारण तीनों जिलों में पानी की व्यवस्था लड़खड़ा जाती है. मंत्री जी इस विषय पर गंभीरता के साथ राजस्थान सरकार से बातचीत करके कुछ ऐसा तय कर लिया जाये कि समय पर यहां के किसानों को जरूरत के मुताबिक समय पर पानी उप लब्ध हो सके तो बहुत बड़ा कृषि उत्पादन क्षेत्र चंबल संभाग का वहां के किसान वंचित न हो पाए. एक और बात मैं मंत्री जी के ध्यान में लाना चाहता हूं. हमने तो लाईनिंग कर दी है हमारी नहर बन गई है लेकिन राजस्थान की नहर अभी भी कच्ची है और कच्ची होने के कारण उसमें तमाम झाड़ झंखाड़ आ जाते हैं इसके कारण जल का प्रवाह जो हमारे मध्यप्रदेश के लिये होता है वह ठीक से संचालित नहीं हो पाता है राजस्थान तो अपने हिस्से का पानी पर्याप्त ले लेते हैं लेकिन मध्यप्रदेश में पानी आने में कठिनाई होती है इस कारण उन नहरों की सफाई समय पर हो जाए और वहां भी लाईनिंग का कार्य हो जाये इस विषय पर आपकी राजस्थान सरकार से चर्चा हो और इसका समाधान निकले. भले इस समय अधिकारियों ने बहुत प्रयत्न किये. कोशिश की. नीचे तक पानी ले जाने की बात हुई लेकिन किसान फिर भी परेशान रहा और परेशानी का एक ही कारण है कि राजस्थान ने मनमानी की और करार के मुताबिक हमारे प्रदेश को पानी संचालित नहीं किया और इसकेकारण किसानों को बड़ी भारी कठिनाई का सामना करना पड़ा और वे लगातार वे परेशान बने रहे यद्यपि पानी मिला लेकिन कठिनाईयों और संकटों के बाद मिला इसलिये मेरा आपसे आग्रह है कि इस विषय पर गंभीरता के साथ राजस्थान के साथ केन्द्र की सरकार के साथ बातचीत करके इसका समाधान करेंगे. यह मेरा आपसे निवेदन है. एक बात मैं सचिवालय के बारे में कहना चाहूंगा.
सभापति महोदय - कृपया समाप्त करें. सचिवालय के बारे में कोई बात नहीं होगी.
श्री दुर्गालाल विजय - प्रदेश के सचिवालयों में पदस्थ अनुभाग अधिकारियों के वेतन में तो वृद्धि की है लेकिन अन्य जो द्वितीय श्रेणी पद के कर्मचारी हैं उनका समानता के साथ वेतन लागू नहीं किया है. इस विसंगति को दूर करने के लिये माननीय वित्त मंत्री जी से मेरा निवेदन है. सभापति जी आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री जतिन उईके(पाँढुर्ना) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 23,45 और 57 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. तकरीबन आज से दस साल पहले माननीय मुख्यमंत्री महोदय का मेरे पांढुर्ना में दौरा था और आपके द्वारा घोषणा की गई थी कि पांढु्र्ना विधान सभा क्षेत्र में यदि सरकार मेरी बनती है तो मैं यहां की पेयजल समस्या को हल करने के लिये परसोली डेम का निर्माण करूंगा लेकिन दस साल हो गये अभी तक मेरे पांढुर्ना में वह डेम नहीं बन पाया है और पेयजल समस्या हल नहीं हुई है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि मेरे पांढुर्ना विधान सभा क्षेत्र में परसोली डेम का निर्माण करके समस्या को हल करने का कष्ट करें. मैं चूंकि ट्रायवल क्षेत्र से आता हूं और वाकई में सरकार अगर बुनियादी तौर पर तरक्की करना चाहती है तो अधिक से अधिक जलाशयों का निर्माण आदिवासियों के क्षेत्र में करने का कष्ट करें. मेरे आदिवासी क्षेत्र में एक भी जलाशय नहीं है. समूचा पांर्ढुना चूंकि संतरे का क्षेत्र कहलाता है. ओरेंज सिटी हमारा सौंसर और पांढुर्ना है.
श्री जतन उइके (जारी)--ओरेंज सिटी हमारा सोंसर एवं पाण्डुर्ना कहलाता है. नागपुर तो संतरे के नाम से जाना है, लेकिन सही मायने में संतरा सोंसर एवं पाण्डुर्ना में होता है. पिछली बार माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा घोषणा की गई थी कि यदि ओलावृष्टि से संतरे का नुकसान हुआ है तो प्रत्येक पेड़ को मैं पांच-पांच सौ रूपये का मुआवजा दूंगा, लेकिन अभी तक उनको मुआवजा नहीं दिया गया है इस पर थोड़ा गौर करें तथा विचार करके संतरांचल में हुए नुकसान की भरपाई करने की कृपा करें. मेरे गांव पाठ्या में तीन-चार बार जलाशय के लिये सर्वे किये गये वहां से करीबन 12 प्रस्तावों को भोपाल पहुंचाया, लेकिन अभी तक मेरे पाण्डुर्ना विधान सभा क्षेत्र में किसी भी जलाशय अथवा सिंचाई की परियोजना को मंजूरी नहीं मिली है. मैं आपके द्वारा जानना चाहता हूं कि मेरे पाण्डुर्ना आदिवासी क्षेत्र है वहां की जमीन ऊबड़-खाबड़ है तथा पहाड़ी इलाका है वहां पर जल्दी से जल्दी परसोड़ी डेम का निर्माण करके माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा को पूर्ण करने का कष्ट करेंगे. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री कुँवर सिंह टेकाम (धौहनी)--माननीय सभापति महोदय, माननीय मुख्यमंत्री तथा जल संसाधन मंत्री जी को बधाई देते हुए उन्होंने सिंचाई के क्षेत्र में बहुत अच्छे काम किये हैं इसलिये वह धन्यवाद के पात्र हैं. मैं क्षेत्र के बारे में कहना चाहता हूं हमारी धौहनी विधान सभा ट्राईबल विधान सभा है यहां पर छोटे-छोटे नदी नाले बहुत ज्यादा जीवित हैं जिनसे सिंचाई की व्यवस्था अपार संभावनाएं हैं. हमारे क्षेत्र में मवई, महान, डायवर्शन योजना नेहरी हटा, जलपानी हटा सिंचाई की परियोजना, एवं उमरावबाद की योजनाओं के सर्वे का काम पूरा हो गया है. हमारे जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव महोदय तीन बार उस क्षेत्र का दौरा भी किये हैं मैं उनसे मिला भी था उस क्षेत्र के नदी-नालों से सिंचाई की अपार संभावनाएं उन्होंने पायी हैं इसलिये मैं सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव गाड़ी के अलावा पैदल भी क्षेत्र में गये हैं उनके निर्देशन पर माननीय मुख्यमंत्री जी एवं सिंचाई मंत्री जी कई हमारी छोटी-छोटी लघु एवं मध्यम सिंचाई योजनाओं में सर्वे का काम चल रहा है इसलिये मैं सरकार को बधाई देते हुए इनको शीघ्र स्वीकृति प्रदान करें जिससे किसानों को पानी मिल सके. एक छोटा सा सुझाव देना चाहता हूं हमारा ट्रायबल एरिया है इसमें फजीवलटी के लिये आपका मापदंड है उसमें आपने उदारतापूर्वक कार्य करेंगे तो सिंचाई परियोजनाओं को साध्यता मिलने में कठिनाई नहीं होगी. हमारे यहां जर्जर सिंचाई की परियोजनाएं, जिसमें बखिया बांध, देवरी बांध जिनकी नहरे बहुत ही टूटी-फूटी हैं उसको ट्रपल आर में शामिल कर लें उसमें लाईनिंग का काम हो जाए ताकि उस पानी का सदपयोग हो जाए. अटल सरोवर तालाब सिंचाई विभाग के माध्यम से दुखड़ी-बीड़ा-झाड़ा में सर्वे कराया जा रहा था जो कि अभी भी अधूरा है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि इन अधूरे तालाबों का निर्माण पूरा कराया जाता है तो सिंचाई का काम काफी हो जाएगा. अंत में माननीय मुख्यमंत्री, तथा सिंचाई मंत्री जी को बधाई देते हुए वाणी को विराम देता हूं.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव)--माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2016 की अनुदानों की मांगों के विरोध में खड़ी हुई हूं सीधे अपने क्षेत्र की बात करना चाहती हूं. 2016-17 के मुख्य बजट में नवीन-मध्यम परियोजनाओं में खरगौन जिले की एक भी परियोजना को शामिल नहीं किया गया है. मेरी विधान सभा भीकनगांव का 80 प्रतिशत क्षेत्र सूखा है जिससे किसानों को सिंचाई के स्रोत उपलब्ध नहीं है. कम वर्षा से तीन वर्षों से लगातार सूखे की स्थिति बनी हुई है इस भीषण सूखे की स्थिति से निपटने हेतु जल संसाधन विभाग द्वारा उप संभाग भीकनगांव में निराकरण के वर्तमान में कोई उपाय नहीं किये गये हैं. भीकनगांव क्षेत्र में तालाब निर्माण हेतु पर्याप्त स्थल उपलब्ध है, पूर्व में भी एनव्हीडीए द्वारा सर्वे कर चिन्हित 14 परियोजनाओं की डीपीआर पूर्ण कर जल संसाधन विभाग को सुपुर्द किया गया था जिसमें प्रमुख रूप से सस्वर,नच्छवरा,तीर्थपानी,ग्वला,नामखेड़ा,क्यूटी, दुड़वा, छेंडिया टेंक एवं अन्य डसलगांव एवं खामखेड़ा इस तरह की परियोजनाएं हैं जो कि बहुत ही उपयोगी एवं सिंचाई के लिये पानी अच्छी मात्रा में इकट्ठा हो सकता है. इन टेंकों में विभाग के द्वारा पांच जलाशयों के निर्माण हेतु साध्यता प्रदान की गई, परन्तु पांच में से डीपाआर विभाग के द्वारा शासन को एक की ही प्रस्तुत की गई है, बाकी अभी शेष हैं उसकी भी डीपीआर जल्दी से जल्दी तैयार कर शासन को भेजें ताकि इनका निर्माण हो सके. यह 6 परियोजनाएं हैं उनको मंत्री जी से आग्रह करती हूं कि जल्दी से जल्दी पूरा करें उन परियोजनाओं को बजट में शामिल करें, क्योंकि यह बड़ी योजनाएं नहीं हैं बहुत ही छोटी-छोटी योजनाएं हैं, किन्तु इसका लाभ बहुत अधिक है हमारा सूखे का क्षेत्र है इससे किसानों को लाभ बहुत ज्यादा होगा जिसके कारण किसानों की जमीनें सिंचित हो पाएंगी. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री सुदर्शन गुप्ता--माननीय सभापति महोदय, मैं अनुदानों की मांगों का समर्थन करता हूं मैं सीधे अपने क्षेत्र के संबंध में बात करता हूं. मैं मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहूंगा कि आपके विभाग के द्वारा अभी इसी माह मार्च में शराब की दुकानें नीलाम होंगी एवं 1 अप्रैल से पुनः दुकानें आवंटित की जाएंगी मेरा आग्रह है कि अंग्रेजी, देशी तथा शराब की कलारियों को दुकानें, ऐसी जगहों पर न खोलें जहां पर मंदिर-मस्जिद-गुरूद्वारे हों अथवा रहवासी क्षेत्र हों या कि स्कूल कॉलेज हो विशेषकर जहां पर लड़कियों के स्कूल-कॉलेज हैं उनके पास में तो बिल्कुल ही नहीं खोलें. इन्दौर के अनेक रहवासी क्षेत्रों में लड़कियों के स्कूल-कॉलेज के पास मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे तथा वीआईपी रोड़ पर शराब की दुकानें खुल गई हैं जिसके कारण आये दिन शराबियों के द्वारा हड़दंग किया जाता है जिसके कारण झगड़े एवं विवाद होते हैं. शराब की दुकानों एवं कलारियों के बाहर शराब पीने का प्रचलन प्रारंभ हो गया है और यह शराबी शराब की दुकानों के बाहर खड़े होकर शराब पीते हैं तथा खाली बोतलें सड़क, राहगीरों, वाहन चालकों पर तथा वहां पर आसपास रहने वाले रहवासियों के घरों के बाहर उनके मकानों पर फेंक देते हैं जिससे आये दिन विवाद की स्थिति होती है. इसी प्रकार से शराब की दुकानों एवं कलारियों पर नियमित रूप से शाम को वाहनों का जमघट लग जाता है जिससे वाहन चालकों एवं राहगीरों का काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है वहां ट्रेफिक जाम की स्थिति तक बन जाती है. शराब दुकानदारों से पार्किंग व्यवस्था को सुनिश्चित करने की अनिवार्यता के बारे में मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि अगली बार जब भी यह नीलामी हो उसमें यह अनिवार्यता करें वहां पर पार्किंग की व्यवस्था को सुनिश्चित करें. इसी प्रकार इन्दौर के क्षेत्र क्रमांक 1 में राज-मोहल्ला चौराहा तथा कालानगर चौराहा स्थित शराब की दुकानें स्कूल-कालेज एवं मंदिर के पास में खोल दी गई हैं यह वीआईपी मार्ग है वहां से एयरपोर्ट जाने वाले यात्रियों को शाम को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है जिससे यातायात जाम हो जाता है जिसके कारण कई बार तो फ्लाईट्स छूट भी जाती हैं अतः इन दोनों दुकानों को माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि अन्य कहीं पर शिफ्ट करें.
श्री सुदर्शन गुप्ता- माननीय सभापति जी, मध्यप्रदेश शासन द्वारा ई- रजिस्ट्री की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है, इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और वित्त मंत्री जयंत मलैया जी को बधाई दूंगा, इससे निश्चित ही जाल-साजी में कमी आएगी तथा पारदर्शिता बनी रहेगी । मैं आपके माध्यम से मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि इंदौर सहित पूरे प्रदेश में छोटे स्टाम्प की कमी के कारण नागरिकों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है, छोटे स्टाम्प 50 रूपए, 100 रूपए, 500 रूपए और 1000 रूपए के स्टाम्प की आवश्यकता विक्रय के अनुबंध में, किरायेदारी के अनुबंध में, विद्युत मण्डल के कनेक्शन लेने में तथा पॉवर ऑफ अटार्नी में आदि में आवश्यकता पड़ती है, किन्तु इंदौर सहित पूरे प्रदेश में छोटे स्टाम्प का अभाव है, नागरिक स्टाम्प होल्डरों के यहां चक्कर लगा रहे हैं, किन्तु उन्हें स्टाम्प नहीं मिल पा रहे हैं, एक ओर जहां नागरिक परेशान हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शासन को इन स्टाम्पों से होने वाली आय नहीं मिल पा रही है । मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से निेवदन है कि यह जो स्टाम्प हैं, उनको शीघ्र ही इंदौर सहित पूरे मध्यप्रदेश में उपलब्ध कराएं, माननीय सभापति जी, आपने बोलने का अवसर दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
श्रीमती सरस्वती सिंह(चितरंगी)- माननीय सभापति महोदय मैं मांग संख्या 23,45 के विरोध में बोलने के लिए खड़ी हुई हूं, माननीय सभापति महोदय, जी सिंगरौली जिले में सूखे के मामले में सबसे ज्यादा मेरे विधानसभा क्षेत्र में मुआवजा बांटा गया है, इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत बधाई देना चाहती हूँ, 14 करोड़ रूपए मेरे विधान सभा में बांटा गया है ।
माननीय सभापति जी मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहती हूं मेरे चितरंगी विधानसभा में जल,पानी का संकट है । माननीय मंत्री जी मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक अभ्यारण का क्षेत्र है, दो वर्ष से बेल्दाहा बांध का मुआवजा भी बांटा गया है, बांध बनने की शुरूआत हुई है, परन्तु वन विभाग के द्वारा उसमें रोक लगाई गई है, मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि उस बांध में तत्काल काम प्रारंभ कराया जाए,ताकि लोगों की समस्या दूर हो सके और सबसे ज्यादा जो पानी की समस्या है, हेंडपंप खराब हो गए हैं, पानी का जलस्तर नीचे चला गया है, उसके लिए हेंडपंपों में पाईप बढ़ाए जाएं, पड़री क्षेत्र में जो बांध बनवाया गया है, उससे सिंचाई का रकवा बढ़वाया जाए, पक्की नालियों का निर्माण कराया जाए, जिससे लोगों की समस्या दूर हो सके ।
माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहती हूं मेरे यहां कई नाले ऐसे हैं, जिनमें बारह मासी पानी का बहाव होता है, उसमें छोटे छोटे बांध एवं स्टाप डेम बनवाए जाए ताकि लोगों की पानी पीने की समस्या दूर हो सके, खासकर जानवरों के लिए पानी की समस्या आ रही है, मेरे विधानसभा में 50 साल से एक बांध बना हुआ है जो बहुत ही कम गइराई का है, कम गहराई होने के कारण उसमें पानी की रूकावट नहीं होती है, जिससे लोगों के पानी पीने की समस्या एवं सिंचाई की समस्या आती है, मैं आपसे निवेदन करना चाहती हूं कि उक्त बांध में गहराई कराने के लिए इस बजट में प्रावधान किया जाए, आपने बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
वेलसिंह भूरिया(सरदारपुर)- माननीय सभापति महोदय, वाकई में यह हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी किसानों के प्रति और आदिवासी भाईयों के प्रति बहुत अति-संवेदनशील हैं । माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं, इस साल धार और झाबुआ में बहुत सारी परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं, हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार के द्वारा धार और झाबुआ में 5 हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गई है । माननीय सभापति महोदय, मैं हमारे जल संसाधन मंत्री जी को धन्यवाद इस बात के लिए देना चाहता हूं और हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी को भी धन्यवाद इस बात के लिए देना चाहता हूं कि अलीराजपुर के रास्ते झाबुआ में नर्मदा आ रही है, मेरे सरदारपुर से माही नदी का उदगम हो रहा है, मनावर क्षेत्र में नर्मदा बह रही हैं, मेरे क्षेत्र से नर्मदा की लंबाई 40 किलोमीटर है, यदि नर्मदा को मनावर से सरदारपुर में लाकर माही नदी में प्रवाहित किया जाए तो हमारे धार जिले में सरदारपुर, बदनावर और रतलाम का एरिया झाबुआ का धार क्षेत्र इससे सिंचित होगा तो मेरा यह निवेदन है कि नर्मदा को हमारे सरदारपुर में माही नदी में प्रवाहित किया जाए ।
माननीय सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र के कुछ तालाब हैं, उनके बारे में बता देना चाहता हूं, अगर आपके बजट में में स्वीकृत हो जाएं तो बहुत बढि़या रहेगा । माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा एक घोषणा की गई है, रीनौद तलाशय उसको बनाया जाना अति आवश्यक है, रीनौद तलाशय मेरी सरदारपुर विधानसभा का बहुत बड़ा क्षेत्र है, लगभग 40-50 ग्राम पंचायतें, लगभग 100 हेक्टेयर जमीन इससे सिंचित होगी, माननीय प्रमुख सचिव महोदय जुलानिया साहब के संज्ञान में भी है । यह बनाना अति आवश्यक है, क्योंकि मेरे क्षेत्र में पानी का जल स्तर बहुत नीचे जा चुका है ।
माननीय सभापति महोदय, ग्राम पंचायत कुशलपुरा में अम्बा वाले नाले पर नवीन तालाब निर्माण,ग्राम पंचायत बिछा में मोहणी वाले नाले पर नवीन तालाब निर्माण,ग्राम पंचायत बड़ोदया में धोबड्या नाले पर तालाब निर्माण, बरमण्डल में जीवाजिरी तालाब निर्माण,ग्राम पंचायत गुमानपुरा मजरा मोड़ी गुराडि़या वाले नाले पर निर्माण, ग्राम पंचायत कुशलपुरा में भड़कला वाले नाले पर बैराज निर्माण, ग्राम पंचायत कुशलपुरा बिहड़ा वाले नाले पर नवीन तालाब निर्माण , ग्राम पंचायत उमरीया वाले पर मोडि़या वाले नाले पर नवीन डेम निर्माण ग्राम पंचायत सेम्लया खाटे अम्बा वाले नाले पर नवीन बैराज निर्माण, ग्राम पंचायत अंजनवाल पोसिया में नवीन तालाब निर्माण, यह माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा भी है, ग्राम कपासतल में मरगारूंडी नाले पर नवीन तालाब निर्माण, ग्राम पंचायत दसई में छोटे बालौद मार्ग पर तालाब निर्माण, ग्राम पंचायत नरसिंह देवलाद,अहमद में दो इमली वाले अम्बा वाले नाले पर डेम निर्माण, माही नदी के ऊपर है, ग्राम पंचायत पटलौदिया में झिरनेश्वर धाम में पुलिया कम स्टाप डेम निर्माण, ग्राम पंचायत आमल्या खुर्द में तालाब निर्माण, माननीय सभापति महोदय, यह जो मैंने बताएं हैं, यदि परीक्षण करा लेंगे तो यह साइडें बन जाएंगी, समाज और जनता का भला होगा ।
माननीय सभापति महोदय, मैं एक चीज और बता देना चाहता हूं, माननीय मंत्री जी को भी ध्यान में लाना चाहता हूं कि हमारे चुनार बांध का काम जल्द ही प्रारंभ कराया जाए, चुनार बांध के ऊपर ही एक नई साईड है, बिल्ली वाली घाटी,मानगढ़ बिल्ली वाली घाटी, साध्यता भी आ चुकी है, माननीय मंत्री महोदय से निवेदन है कि इसको इसी साल स्वीकृत कर चालू कराया जाए, हमारे सरदारपुर क्षेत्र में एक कुण्डया डेम आता है जो गंधवानी ब्लाक में बनेगा लेकिन सरदारपुर क्षेत्र में उसका पानी आएगा वह भी माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है, कुण्डया डेम को भी आप स्वीकृत करें
सभापति महोदय- कृपया समाप्त करें,सहयोग करें, आप पूरे क्षेत्र की बात रख चुके हैं ।
श्री वेलसिंह भूरिया- माननीय सभापति महोदय,मैं कुछ बातें बताना चाह रहा था, धार और झाबुआ में जितना विकास आजादी के 50 साल में आज तक कभी नहीं हुआ है, जितना कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह जी, हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार में हुआ है, माननीय सभापति महोदय, मेरे द्वारा जो बताया गया है, माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि मुख्यमंत्री की घोषणा है रीनौद जलाशय उस पर विचार कर इसी साल बजट में स्वीकृति प्रदान करने का कष्ट करें, माननीय सभापति महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया, उसके लिए माननीय मंत्री जी और आपको बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं ।
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी) - माननीय सभापति महोदय, मैं, वर्ष 2016-17 की अनुदान मांगों 6,7,23,31,45,57,60 एवं 61 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
माननीय सभापति महोदय, शहडोल जिले के विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ब्यौहारी के बाण सागर परियोजना, जो एक वृहद परियोजना है. उस परियोजना से पास के जिले रीवा, सतना एवं सीधी सिंचाई हेतु पानी दिया जा रहा है. इसके अलावा जैसा कि विदित है, अन्य राज्यों को भी पानी बाण सागर परियोजना से दिया जा रहा है. शहडोल जिले के गुड़वा क्षेत्र को छोड़कर अन्य क्षेत्र भी सिंचित हो सकते हैं. बाण सागर परियोजना से लगे गांव सपता, जमनी, पपोंद, निपनियां एवं विजय स्रोता लगभग-लगभग 30 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं, जहां पर अगर माननीय मंत्री जी चाहें तो बड़ा अच्छा हो सकता है, लिफ्ट के माध्यम से या अन्य कोई सोर्स से. कोई ऐसी तैयारी की जाये, जिससे एक क्षेत्र विशेष का कल्याण होगा और बिल्कुल बाण सागर परियोजना से लगा हुआ है.
सभापति महोदय, दूसरी बात मैं यह कहना चाहूँगा कि बाण सागर परियोजना से जो सिंचाई हो रही है- चचाई, गुड़वा, रमपुरवा, जनकपुर, सतनी एवं चौरी, जो टेल की एरिया हैं, वहां तक पानी आज भी नहीं पहुँच पाता. हमने बाण सागर परियोजना में इस बात को कई बार लिखकर भी दिया है लेकिन आज तक पानी नहीं पहुँच पा रहा है. हम आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि उन नहरों की हाईट बढ़ा दी जाये, साथ में, उन नहरों में बहुत सीपेज हैं, उसकी भी ऐसी व्यवस्था की जाये जिससे सीपेज रूके एवं हाईट बढ़ जाये और टेल तक पानी जाये. वहां के लोगों को एक अच्छी सुविधा प्राप्त हो, साथ में जो छोटी-छोटी नहरें हैं, लघु सिंचाई योजनायें हैं, जो छोटे बांध हैं, उनकी नहरों की स्थिति और बद से बदतर है. वो काफी बेकारी स्थिति में हैं.
सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से ऐसा निवेदन करना चाहूँगा कि उन नहरों की भी मरम्मत करवा कर सुदृढ़ीकरण का कार्य हो सके. साथ में, तीसरा निवेदन यह करना चाहूँगा कि बाण सागर परियोजना से सबसे अधिक प्रभावित मेरे विकासखण्ड ब्यौहारी के लोग हुए हैं. आज भी वहां के लोग जहां बसे हुए हैं, जहां निवास कर रहे हैं. उन्हें आज दिनांक तक पट्टा या मालिकाना हक नहीं दिया गया है. जब कभी ऐसी स्थिति आती है या वहां कोई भवन बनना है, तालाब बनना है, अन्य विस्तारीकरण होना है, हमेशा उनको वहां से हटा दिया जाता है.
सभापति महोदय, मैं ऐसा आपके माध्यम से कहना चाहूँगा कि उनको मालिकाना हक प्रदान दिया जाये. बाण सागर में जितने दुकानदार हैं, आज भी उनमें किसी के पास पट्टे नहीं हैं. मैं निवेदन करना चाहॅूगा कि उन्हें भी पट्टे दिलवाये जाने की बात की जाये.
सभापति महोदय - कृपया संक्षिप्त करें.
श्री रामपाल सिंह - सभापति महोदय, चौथी बात, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आबकारी की बात करूँगा. मेरी विधानसभा क्षेत्र में जो शराब की दुकानें हैं, कॉलेज परिसर, कॉलेज परिसर के सामने, बस स्टैण्ड के सामने, मन्दिर के ठीक बगल में ऐसी शराब की दुकानों को बन्द करवाई जायें, एवं उनको कहीं अन्यत्र इस्टेबलिश करें/दुकान खोलें. मैं बार-बार आपसे निवेदन करना चाहूँगा कि ऐसी दुकानों को तत्काल हटाये जाने की कार्यवाही आपके माध्यम से होगी. मैं ज्यादा न बोलते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय - बहुत-बहुत धन्यवाद. सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों पक्षों से नामों की संख्या और बढ़ गई है. वे सीधे अपनी बात 2-2 मिनिट में कहकर समाप्त करने में सहयोग करेंगे.
श्री आर. डी. प्रजापति (चन्दला) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 61 और जितनी मांग संख्याएं हैं, सभी के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मेरा निवेदन है कि मेरा क्षेत्र 3 वर्ष से लगातार सूखे से ग्रसित है और उस क्षेत्र में पानी की व्यवस्था नहीं है.
सभापति महोदय, आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जो हमारे यहां बुन्देलखण्ड में ज्यादा तालाब हैं, मेरी विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा तालाब हैं- अगर उनकी खुदाई कर दी जायेगी तो आज भी पानी उपलब्ध हो सकता है, जल-स्तर बहुत नीचे गिर रहा है, कई तालाबों में जल-सहयोग से हम लोगों ने खोदा है तो वहां आज भी पानी भर गया है, जिससे जानवर और मानव के अन्य कार्यों के लिये पानी की जरूरत पड़ती है, उससे हो रहा है. बुन्देलखण्ड पैकेज से जो निर्माण कार्य हमारे स्टॉप डेम बने हुए हैं, उनको भरने की व्यवस्था की जाये और उनमें अधिकांश स्टॉप डेमों में फाटक नहीं लगे हुए हैं, उनमें फाटक लगवाने की माननीय मंत्री जी व्यवस्था करवायें. मैं निवेदन करना चाहता हूँ कि मेरे क्षेत्र में बांई नहर, बयारपुर बांई नहर है. अगर उस नहर से तालाबों में कुछ जगह पानी भर दिया जाये तो जानवरों को पानी पीने के लिये सुविधा हो जायेगी और जन-जीवन अच्छा रहेगा. जैसे कुछ तालाब ऐसे हैं, जहां उनका गहरीकरण अगर कर दिया जाता है.
माननीय सभापति महोदय, बड़ा तालाब मुड़ेरी सिजई, मुनविया तालाब, चौंरा-भौंरा, शाहपुर तालाब, चन्दला के सभी तालाब, बारीगढ़ के तालाब, बदौराकलां के तालाब, पैरा तालाब, पलटा तालाब, मुड़हैरा तालाब, बजरंगपुर तालाब, धवारी तालाब, बहुरायर के उमरीखैरा तालाब, हितैयाबाबा का तालाब, धंधागिरी तालाब, बरसनिया तालाब, मंदेला तालाब, गोयरा तालाब, तिलयानी तलैया, छोटी भगोई तालाब, थड्डी का तालाब, महोई कला, महोईखुर्द का तालाब, एवं नदोता का तालाब, ये तालाब बिल्कुल सूख गए हैं. अगर इन तालाबों की खुदाई कर दी जाये तो आज भी पानी निकल सकता है. तीन वर्ष से लगातार सूखा पड़ा है.
सभापति महोदय - आप समाप्त करें.
श्री आर. डी. प्रजापति - सभापति महोदय, मेरा एक ही निवेदन है कि तालाबों में पानी की व्यवस्था की जाये और स्टॉप डेम बनवाये जायें एवं जो अधूरे कार्य बुन्देलखण्ड पैकेज से पड़े हुए हैं तथा नहर का जो पानी है, मेरा माननीय मंत्री जी से व्यक्तिगत निवेदन है कि नहर का पानी इन छोटे-छोटे स्टॉप डेमों एवं तालाबों में छोड़ दिया जाये, जिससे पानी के संकट से उबरा जा सकता है. आपने बोलने का मौका दिया, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती ममता मीना(चाचौड़ा) -- सभापति महोदय, मैं सीधे सीधे मेरे क्षेत्र की समस्याओं के बारे में बात करुंगी. मैं वित्त मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मांगों का समर्थन करते हुए कटौती प्रस्तावों का विरोध करती हूं. मेरे क्षेत्र में लगातार 2-3 वर्षों से पानी नहीं गिरने के कारण काफी सूखा है और वाटर लेविल काफी नीचे चला गया है. इसके कारण समस्या इस प्रकार है कि अगर वहां पर तालाब होते, तो हो सकता है कि वाटर लेविल इतना डाउन नहीं होता. अभी सरकारी हैंडपम्प और घरों के जो बोर हैं, वह पूरी से सूखे हैं. लोग दूर दूर से पानी ले जाने के लिये मजबूर हो रहे हैं. मैं मंत्री जी से पूर्व में भी निवेदन कर चुकी हूं, फिर निवेदन करती हूं और लम्बी चौड़ी तालाबों की सूची इसलिये देती हूं कि मेरा आदिवासी बेल्ट है. आदिवासी बेल्ट में अगर तालाब बन जायेंगे, जो कि राजस्थान सीमा से लगा हुआ मेरा क्षेत्र है, पूरा पत्थरीला और लाल मुरम वाला एरिया है. अगर वहां पानी नहीं होगा, तो खेती भी नहीं हो सकती. अगर वहां पानी नहीं होगा, तो वाटर लेविल भी डाउन होगा. मैंने अपने क्षेत्र के तालाबों की मांगें कुछ याचिकाओं के माध्यम से भी रखी थीं. याचिकायें भी लगाई थीं, लेकिन उसमें आगे कोई कार्यवाही नहीं हुई. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि घाटीगांव मजरा लम्बाचक यह कुम्भराज तहसील में आता है. यह काफी उपयुक्त तालाब है, यह मध्यम तालाब रहेगा, इससे मेरा काफी क्षेत्र सिंचित होगा. इसी तरह से बारोद, उकावद तथा सिंगरापुर यह तीन एरिया मिलाकर मकसूदनगढ़ तहसील में यह तालाब बनेगा, इससे भी काफी एरिया सिंचित होगा. इसी तरह से कुलम्बे, मांगरोल के बीच में, यह चाचौड़ा तहसील में तालाब का निर्माण होगा, तो इससे भी काफी एरिया सिंचित होगा. इसी तरह तरह से कुम्भराज तहसील में खेजड़ारामा और लामाखेड़ा के बीच में तालाब बनेगा, तो इससे काफी एरिया सिंचित होगा और जो ड्राई एरिया है, यह सिंचित एरिये में तब्दील हो जायेगा. इसी तरह से कढ़इया, यह तहसील कुम्भराज में ही है, यह भी काफी ड्राई एरिया है, लाल पत्थर और मुरम वाला एरिया है, यहां पर भी तालाब बनेगा, तो सिंचित हो जायेगा. इसी तरह से आतखेड़ी, यह भी कुम्भराज तहसील में ही आता है. यह लघु तालाब में आयेगा. इसी तरह से गुंजारी,ब्रह्मपुरा यह तहसील चाचौड़ा में आता है. कालापीपल, मेड़ाखेड़ी के बीच में यह चाचौड़ा में आता है, कोन्याडांग यह चाचौड़ा में आता है. यह कोन्याडांग में जो तालाब बनेगा, तो इससे भी काफी आदिवासी बेल्ट सिंचित होगा. इसी तरह से कुम्भराज तहसील के मृगवास में डूमराखोह, अगर यहां पर तालाब बना दिया जाये, तो काफी एरिया सिंचित होगा. इसमें बंजारे, भील और गुर्जर समाज के लोग निवास करते हैं. मृगवास में तेलीखोह है, वहां तालाब बना दिया जाये,तो हमारा आदिवासी बेल्ट काफी सिंचित हो जायेगा. इसी तरह से याचिका के माध्यम से बंजारीखुर्द आ चुका है, इसकी साध्यता भी आ चुकी है, याचिका में भी आ गया है, लेकिन अभी तक इस पर आगे कार्यवाही नहीं हुई है. बंजारीखर्द तालाब बहुत आवश्यक है, इसमें बंजारा समाज के लोग पूरी तरह से निवास करते हैं. इसी तरह से खजूरिया और कोलंबिआ के बीच तालाब बन जायेगा, तो काफी एरिया सिंचित हो जायेगा. इसी तरह से बांसाहेड़ा, जो नरसिंह घाटी, यह राजस्थान सीमा से लगा हुआ है. मैं इसके संबंध में मंत्री जी से कहूंगी कि थोड़ा राजस्थान सरकार से भी बात करके यह तालाब बनना बहुत आवश्यक है. यह काफी ड्राई एरिया है, यह बहुत आवश्यक है. इसी तरह से बकानिया, घोलियाखाल में तालाब बनाया जाये. बापचावीरान, दांतचक इसकी भी याचिका आ चुकी है. यह भी बनना बहुत आवश्यक है. एक याचिका और आई थी आलमपुरा, यह रपटा कम स्टापडेम के निर्माण के संबंध में लगाई गई थी. मैं मंत्री जी से निवेदन करुंगी कि इसका भी निर्माण कराया जाय. साथ ही हमारे यहां पार्वती बहुत बड़ी नदी बह रही है और पार्वती नदी के कारण से आवागमन में काफी समस्या आती है. तो मैंने एक घोघड़ाघाट के लिये मंत्री जी से निवेदन किया था. अनुपूरक बजट में भी इसके संबंध में बोली थी. घोघड़ाघाट जो एक ब्यावरा एवं चाचौड़ा विधान सभा गुना जिला और राजगढ़ जिला दोनों को बीच में जोड़ता है. अगर यह घोघड़ाघाट का पुल बन जायेगा, तो कम से कम 70 किलोमीटर की दूरी कम हो जायेगी और किसानों को मंडी में आने जाने में बहुत बड़ी सुविधा होगी. इसके साथ साथ मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि हमारे यहां गन्ने की खेती होती है, क्योंकि गन्ने की भी फैक्ट्री है और एनएफएल है, इसी तरह से भमावत पर जो पार्वती नदी है. उसमें अगर पुल और रपटा बन जायेगा, तो 40 किलोमीटर की दूरी भी बच जायेगी और नेशनल हाइवे पर जाम रहता है. तो नेशनल हाइवे पर जाम भी बच जायेगा. इसलिये भमावत में पार्वती नदी पर पुल और स्टापडेम बनवाने की कृपा करें. सभापति महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया, धन्यवाद.
श्री सचिन यादव (कसरावद) -- सभापति महोदय,मैं मांग संख्या 6,7,23,31,45,57,60 और 61 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. जैसा कि हम सबको मालूम है कि हमारा प्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है. हमारे प्रदेश की लगभग 7.50 करोड़ की आबादी है, उसमें से 72 प्रतिशत आबादी कृषि पर आधारित है और खेती किसानी करके अपने और अपने परिवार का पालन पोषण करती है. हमारे मध्यप्रदेश में लगभग 155.25 लाख हेक्टेयर की कृषि भूमि है और जो सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि लगभग 26 लाख हेक्टेयर भूमि में पिछले वर्ष 2015-16 में सिंचाई की गई. अगर हम देखें, तो हमारी कुल कृषि का जो रकबा है, यह उसका मात्र 6 प्रतिशत होता है. जो कि मैं समझता हूं कि हमारे जैसे प्रदेश के लिये या किसी भी प्रदेश के लिये यह जो प्रतिशत है, बहुत कम है. अगर इसमें हम उस आंकड़े को को हटा दें, जिसमें कि हमारे जल संसाधन विभाग के जो लोग हैं, उन्होंने 67 प्रतिशत सिंचाई कुओं से और नलकूपों के माध्यम से जो हुई है, अगर उस आंकड़े को हम हटा दें, तो यह आंकड़ा बहुत कम हो जाता है. दूसरा, पूर्व में जो व्यवस्थाएं होती थीं, पूर्व में जो नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण होता था, उसके और जल संसाधन विभाग के जो सिंचाई के आंकड़े होते थे, वह अलग अलग प्रस्तुत किये जाते थे. तो इस लिहाज से बहुत सारा काम जल संसाधन विभाग को करने की आवश्यकता है. अब मैं अपने क्षेत्र की बात करना चाहता हूं. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे क्षेत्र में एक अम्बक नाला बांध बना हुआ है. उस बांध में चूंकि इंदिरा सागर परियोजना का पानी उसमें डालने की व्यवस्था है और वह तालाब जो है अब कैसी भी परिस्थिति आ जाये, कभी सूखने वाला नहीं है. इसलिये हमने वहां के जो स्थानीय हमारे अधिकारी लोग हैं, उनसे चर्चा करके वहां की जो नहरें हैं और जो गांव सिंचाई से वंचित रह गये हैं, उन गांवों तक नहरों के माध्यम से पानी पहुंचाया जाये. इसके लिये हमने वहां के स्थानीय अधिकारियों से चर्चा की थी. मैं समझता हूं कि उसका पूरा एक प्रोजेक्ट बन चुका है और प्रोजेक्ट यहां पर विभाग में आ चुका है. मैं सदन के माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे इस क्षेत्र की जो एक बहुत बड़ी मांग हैं, उसको ध्यान में रखते हुए उसको इसी वर्ष स्वीकृत करने का कष्ट करें. हमारी जो इंदिरा सागर परियोजना की नहरें हैं, उन नहरों के आस पास कई सारे हमारे जल संसाधन विभाग के सिंचाई के तालाब वहां पर बने हुए हैं. मैं मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि ऐसी कोई नीति, कार्य योजना बनाई जाये, जिनके माध्यम से जो मेरी जानकारी में है कि इंदिरा सागर की जो नहरें हैं, उसमें पर्याप्त, एक्सेस पानी है. वह पानी हम उन तालाबों को दे सकते हैं, जिससे हम लोग वहां की सिंचाई का रकबा बढ़ा सकते हैं. साथ ही साथ अंतिम बात में कहना चाहता हूं कि हमारे क्षेत्र में बहुत सारे सिंचाई के तालाब बने हुये हैं उन तालाबों के गहरीकरण के लिये न तो विभाग के पास में कोई बजट है और न ही कोई कार्ययोजना है . मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि ऐसी कोई नीति या कार्ययोजना बनाये जिससे किसान स्वयं के खर्च से, स्वयं के संसाधन से वहां पर जो गहरीकरण उपरांत तालाबों की जो मिट्टी है उसको ले जाकर के खेतों में डाल सके , इससे तालाब का गहरीकरण भी हो जायेगा और खेतों में मिट्टी आयेगी तो पैदावार भी बढ़ेगी. सभापति महोदय, आपने मुझे अपनी बात को रखने का अवसर प्रदान किया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
वन मंत्री (डॉ.गौरीशंकर शेजवार) -- माननीय सभापति महोदय, क्षमा चाहता हूं. मैंने जानकारी प्राप्त की है 1 बजकर 3 मिनिट से वित्त मंत्री श्री मलैया जी की मांगों पर चर्चा प्रारंभ हुई है, 3 बजकर 46 मिनिट होने को आ रहे हैं, इसके लिये निर्धारित 3 घंटे थे और अभी मंत्री जी को भी पर्याप्त समय बोलने के लिये चाहिये. मेरी प्रार्थना है कि दलों की तरफ से जो नाम आयें उनमें भी यदि हम समय का विभाजन अनुपातिक दृष्टि से करेंगे तो बेहतर रहेगा अन्यथा बाकी और विभागों पर भी चर्चा होना है फिर आखिरी में जो विभाग बचेंगे आप कहेंगे कि मंत्री अपना भाषण कम कर दें, मंत्री न बोले फिर मंत्रियों पर दबाव आता है और वे अपनी बात को रख नहीं पाते हैं. अब जैसे ही मलैया जी के विभाग की मांग पर 3 घंटे में मंत्री जी का भी भाषण शामिल था.
सभापति महोदय-- 5 मिनिट तो आपने ही ले लिये.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- मेरे विभाग के 3 घंटे में से और दल की तरफ से आप 5 मिनिट कम कर देंगे.
सभापति महोदय-- माननीय मंत्री जी, निश्चित रूप से आनुपातिक समय रहता है,लेकिन आपके सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या लगभग 24 है .विपक्ष के भी सदस्य हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-सभापति महोदय, आप तो आसंदी पर विराजमान हैं. यहां आपके और पराये कोई नहीं हैं. आपके लिये तो सब समान हैं. तो मेरा कहना यह है कि आसंदी पर विराजमान होकर के क्या अपने और क्या पराये. आप तो आसंदी पर हैं अच्छा आसंदी का सुख लीजिये. और हम लोगों को डांटिये फटकारिये ऐसा कुछ करके और समय की बचत करें.
सभापति महोदय-- मैं दोनों का ही बोल रहा हूं. आप सुन ही नहीं रहे हैं. आपकी बात को गंभीरता को लेते हुये दोनों पक्षों के सदस्यों से ही अनुरोध कर रहा हूं. कि नाम कम करे, आप इसको अन्यथा न लें.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- सभापति महोदय, महत्वपूर्ण विषय है, थोड़ा समय बढ़ भी जायेगा तो क्या दिक्कत हो जायेगी.
श्री मुकेश नायक-- सभापति महोदय, अभी तो इसके बाद के विषय पर 1 घंटे का भाषण मेरा बचा हुआ है. (हंसी) (डॉ.शेजवार से) आपके विभाग का नंबर तो शायद कल आयेगा.
सभापति महोदय-- नायक जी डॉक्टर शेजवार जी की मांगों पर बोलेंगे.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--सभापति महोदय, मेरा मन नहीं है लेकिन मैं नायक जी के बारे में कुछ कहना चाहता हूं. अब आपने बात शुरू की है तो सुनना पड़ेगा. इनके (श्री नायक) बारे में जो चर्चा होती है, तो लोग यह कहते हैं कि इतना ज्ञान है इनको और इतने आध्यात्मिक हैं फिर पापुलर्टी क्यों नहीं मिली. तो दूसरे सज्जन बैठे थे वे कहने लगे कि ज्ञान तो है, मानस भी पढ़ा है और गीता भी पढ़ी है वेद पुराण भी पढ़े हैं और बोलते भी अच्छा हैं पर आध्यात्म की जो पहली सीढ़ी है, वह नम्रता और दया है जो इनमें नहीं है तो मेरा तो ज्यादा कुछ कहना नहीं है यह हवा में बहुत उड़ते हैं. यह जमीन पर चलें और जमीन पर जब चलेंगे तो कोई ट्रक इन्हें आगे मिलेगा और उस पर लिखा होगा "जलो मत बराबरी करो."(हंसी).
श्री लखन पटेल(पथरिया) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 6, 7, 23, 31, 45, 57, 60 और 61 का समर्थन करता हूं. सभापति महोदय, मैं कृषि कर्मण अवार्ड या 7 लाख से 36 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो गई इसकी बात न करते हुये कहना चाहूंगा कि मेरे यहां क्षेत्र में समस्यायें भी बहुत कम बची हैं क्योंकि माननीय मंत्री जी ने सारे सिंचाई के काम मेरे क्षेत्र में कर दिये हैं.
सभापति महोदय- तो फिर धन्यवाद करते हुये सहयोग करें.
श्री लखन पटेल -- सभापति महोदय, मैं मंत्री जी का बहुत बहुत धन्यवाद और आभार मानता हूं कि उन्होंने मेरे क्षेत्र में सिंचाई के इतने काम कर दिये कि मेरा क्षेत्र लगभग 85 प्रतिशत 2018 तक सिंचित हो जायेगा. मैं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद और आभार इसलिये देना चाहता हूं कि 50 साल पुरानी पंचम नगर परियोजना, इस पंचम नगर परियोजना की हर चुनाव में बात होती है, हर चुनाव में इसका जिन्न बाहर निकलकर के आता था, परंतु उस पर काम कभी नही हुआ लेकिन हमारे जयंत मलैया जी जब जल संसाधन मंत्री बने उन्होंने उस परियोजना को हाथ में लिया और 2013 में उसका भूमि पूजन करके , मुझे कहते हुये प्रसन्नता है कि 2016 में हम उस परियोजना से लगभग 10 हजार एकड़ क्षेत्र में सिंचाई करेंगे. ऐसी ही मेरे क्षेत्र में 3 परियोजनायें और स्वीकृत हो गई, जूड़ी, साजली और दमोह जिले में सपधरू. मुझे लगता है कि पहले बुंदेलखंड में मात्र 4 प्रतिशत सिंचाई होती थी. इन 10 वर्षों मे बढ़कर वह 25 प्रतिशत हो गई. जिस दिन मेरे जिले की यह सारी परियोजनायें पूरी हो जायेंगी उस दिन लगभग 30 प्रतिशत बुंदेलखंड का सिंचित हो जायेगा.
माननीय सभापति महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र में लगभग 23 रपटा कम स्टापडेम हैं और कुछ दिन पूर्व 14 स्टापडेम और स्वीकृत हुये है जिसमें से 6 मेरे विधानसभा क्षेत्र में हैं, इसके लिये मैं मंत्री जी का धन्यवाद और आभार व्यक्त करता हूं. मेरा निवेदन है कि स्टाप डेम पूरे प्रदेश में बने हुये हैं. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि जैसे मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना बनाई गई इसी प्रकार से यदि मुख्यमंत्री स्टाप डेम योजना बनायेंगे तो पूरे प्रदेश में जितने नदी और नाले हैं उन पर हर 3 किलोमीटर पर अगर हम स्टाप डेम बनायेंगे तो प्रदेश के किसानों को पानी का लाभ मिलेगा वहीं जल स्तर भी बढेगा.
श्री वेलसिंह भूरिया-- सभापति महोदय, माननीय सदस्या का सुझाव बहुत अच्छा है.
श्री लखन पटेल -- माननीय सभापति महोदय, एक और निवेदन मैं मंत्री जी से करना चाहता हूं कि हमारे जिले में बहुत सारे स्टाप डेम बने हैं लगभग 89 स्टाप डेम मेरे जिले में बन चुके हैं . परंतु बरसात के बाद उसको बंद करने की बात आती है तो लोग बगले झांकते हैं. पंचायत सोचती है कि मैं क्यों बंद करूं, जल संसाधन विभाग सोचता है कि मैं क्यों बंद करूं.इस कारण से कई जगह स्टाप डेम खुले रह जाते हैं और उनमें पानी नहीं रुक पाता है. मैं मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं कि आप कोई योजना बनाकर के ग्रामीण विकास विभाग को दे दिया जाये. बुंदेलखंडी कहावत के साथ में एक निवेदन और करना चाहता हूं. घर का परसैया और अंधियारी रात . यह कहावत बुन्देलखण्ड में बहुत प्रसिद्ध है. मंत्री जी भी बुंदेलखंड से आते हैं, इस सदन में जितने भी बुंदेलखंड के विधायक बैठे हैं, मैं सबकी तरफ से और बुंदेलखंड की जनता की तरफ से आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि जैसे आपने नर्मदा-क्षिप्रा लिंक, नर्मदा- गंभीर लिंक को जोड़ा है. बुंदेलखंड में बहुत सारी नदियां हैं किंतु वह 12मासी नदियां नहीं है, अगर उसमें नर्मदा को जोड़ देंगे तो बेहतर होगा. मेरे यहां मुर्गाटोला नाम की एक जगह है वहां से मात्र 3 किलोमीटर दूर नर्मदा ब्यार्म नदी में जोड़ी जा सकती है. मैं मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि जब मंत्री जी मांगों पर अपना वक्तव्य दें तो इस बात को जरूर उसमें सम्मलित करेंगे. अंतिम बात कहकर के मैं अपनी बात को समाप्त करूंगा.
3.54 बजे {अध्यक्ष महोदय(डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए }
माननीय अध्यक्ष महोदय, आचार्य विद्यासागर जी महाराज का अगले साल 50वां दीक्षांत समारोह है. मैं मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि बुंदेलखंड की जो बड़ी बड़ी परियोजनायें हैं उन परियोजनाओं में से किसी भी परियोजना का नाम चाहे बरियारपुर हो, चाहे साजली-जूड़ी कोई भी परियोजना हो, उसमें अगर आचार्य विद्यासागर जी के नाम पर रखेंगे तो बहुत अच्छा होगा. मैं मंत्री जी का इसलिये भी धन्यवाद करना चाहता हूं कि मेरे यहां जो पहले लगभग 10 हजार हेक्टेयर जमीन सिंचित होती थी अभी 44 हजार हेक्टेयर है .
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री लखन पटेल -- अध्यक्ष महोदय अंतिम बात कहकर मैं अपनी बात को समाप्त करूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- अब 10 हजार से 44 हजार जमीन सिंचित हो गई. अब क्या कहना है.
श्री लखन पटेल -- अरे साहब डेढ़ लाख होने वाली है इसलिये मैं माननीय मंत्री महोदय का धन्यवाद करना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर प्रदान किया. इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
कुँवर हजारीलाल दांगी (खिलचीपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 6, 7, 23, 31, 45, 57, 60, 61 के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हूं. मध्यप्रदेश में जो सिंचाई का रकवा बढ़ा है, उस पर सारी बातें चल रही हैं. मैं आपसे अनुरोध कर दूं कि मध्यप्रदेश में 80 प्रतिशत जनता गांवों में निवास करती है और 80 प्रतिशत जनता ही खेती का काम करती है और अगर खेती का धंधा बढ़ाने के लिये मध्यप्रदेश की सरकार के मुखिय आदरणीय शिवराज सिंह जी चौहान और सिंचाई मंत्री माननीय मलैया जी ने जो काम किया है, वास्तव में यह दोनों बधाई के पात्र हैं कि इन्होंने साढ़े 7 हजार से इतने लंबे समय से पुरानी सरकार ने साढ़े 7 हजार हेक्टेयर में सिंचाई कराई थी उसको बढ़ाकर 36 हजार हेक्टेयर की है तो इन्होंने जो किसानों के लिये काम किया है इसलिये माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय सिंचाई मंत्री जी और सिंचाई विभाग के सारे अधिकारी वास्तव में बधाई के पात्र हैं कि जिन्होंने इतनी अच्छी योजनायें बनाकर जो सिंचाई का रकबा बढ़ाया है और उसी की बदौलत है कि मध्यप्रदेश को चौथी बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है.
माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपसे अनुरोध कर दूं कि आज जो नर्मदा जी को क्षिप्रा जी में लाकर मिलाया है, नर्मदा मैया की कृपा है आज इस साल सिंहस्त में अगर पानी की इतनी भयंकर कमी थी तो नर्मदा मैया से पूरी की. नर्मदा मालवा लिंकन जो परियोजना है, नर्मदा जी का पानी मालवा लिंक परियोजना में जोड़ा और मैं राजगढ़ जिले की ओर से अनुरोध करना चाहता हूं कि हम मालवांचल के लोग तो किस्मत वाले हैं कि इतने साल से राजस्थान से लगा हुआ क्षेत्र हमारा, लेकिन सिंचाई के साधन कीइतनी कमी थी, पहाड़ी एरिया है, सिंचाई की बहुत कमी थी तो हम सब लोग परेशान थे, बहुत पहले सरकार ने हमारी राजगढ़ जिले की बड़ी योजना बनाई थी, उसका सर्वे कराया, करोड़ो रूपये खर्च किये, कुंडलिया डेम के नाम से, लेकिन योजना जब सरकार के पास गई तो उस जमाने में उस कुंडलिया परियोजना को निरस्त कर दिया, हम बहुत निराश हुये कि राजगढ़ जिले का क्या होगा और राजगढ़ जिले का कुंडालिया डेम और मोहनपुरा दो योजनायें स्वीकृत हुई हैं माननीय अध्यक्ष महोदय आपके आशीर्वाद से. माननीय मुख्यमंत्री जी ने और सिंचाई मंत्री जी ने जो राजगढ़ जिले के किसानों पर मेहरबानी की है, मैं आपसे अनुरोध करूं ...
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
कुँवर हजारीलाल दांगी-- अभी शुरू ही तो की है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं अब समय नहीं है, आप तो जो समस्यायें हैं वह बतला दें, सुझाव दे दें.
कुँवर हजारीलाल दांगी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसलिये कहना जरूरी है कि एक जमाना था कि कुंडलिया डेम का सर्वे किया और निरस्त हो गई और उसी योजना को आज मूर्त रूप देकर के मोहनपुरा और कुंडलिया राजगढ़ जिले में तीन इतनी बड़ी नदियां हैं पार्वती, नेवट और कालीसिंध 3 नदी राजगढ़ जिले में निकलकर जाती हैं और इसके बावजूद में भी राजगढ़ जिला सूखा था, आज हम राजगढ़ जिले के लोग किस्मत वाले हैं कि आज हमारे यहां मोहनपुरा और कुंडलिया, राजगढ़ जिला ही नहीं इन योजनाओं से आगर जिले की सुसनेर विधानसभा क्षेत्र, खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र, राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र, सारंगपुर और ब्यावरा चार-पांच विधानसभा क्षेत्र की ढाई हजार जमीन में सिंचाई होगी. आज चौथी बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला मध्यप्रदेश शासन को और इतना सिंचाई का रकवा जब बढ़ेगा तो हमेशा ही कृषि कर्मण अवार्ड मिलता रहेगा.
अध्यक्ष महोदय-- अब समाप्त करें, कृपया.
कुँवर हजारीलाल दांगी-- बोल तो दूं, थोड़ा सा और है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो यह अनुरोध करूंगा सिंचाई मंत्री जी से कि इतनी बड़ी योजना मुझे स्वीकृत की है और आज वास्तव में जमीन में वाटर लेवल इतना गिर गया है कि हर जगह पानी की कमी है, राजगढ़ जिले में सिंचाई के साधन इतने बढ़ सकते हैं कि जगह जगह बांध छोटे-छोटे डेम की जो साध्यता जारी की है, जो सर्वे कराया है, माननीय सिंचाई मंत्री जी से अनुरोध करूंगा माननीय मुख्यमंत्री जी से भी हमने निवेदन किया है, एरीगेशन विभाग के सारे अधिकारियों से भी सारे राजगढ़ जिले के विधायकों ने अनुरोध किया है कि राजगढ़ जिला राजस्थान से लगा हुआ है, वाटर लेबल बहुत नीचे जा चुका है, इसीलिये बड़े डेम जो बने हैं उसका पानी छोटे डेमों में डाला जाये और जितनी योजनायें जो साध्यता आपने जारी की हैं छोटे डेम और बैराज की सारे की प्रशासकीय स्वीकृति जारी कराकर निर्माण करा दिया जाये ताकि राजगढ़ जिले के किसानों का भविष्य उज्जवल हो जायेगा और आपकी भी जयजयकार करते रहेंगे. आपने मुझे समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री इन्दर सिंह परमार (कालापीपल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 6, 7, 23, 31, 45, 57, 60, 61 के पक्ष में अपनी बात रखूंगा, उनका समर्थन करता हूं. हम सब जानते हैं कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने नई शराब नीति में नई दुकानों पर रोक लगाने का काम किया है, जो पुरानी चल रही हैं आगे बढ़ाने की नीति को रोका है. लेकिन मेरा सुझाव है माननीय मंत्री जी यहां बैठे हैं, गांव-गांव में जो अधिकृत दुकानें हैं उनके अलावा हर गांव में 2-2, 3-3 दुकानें संचालित हो रही हैं. न पुलिस विभाग उसको रोकने का काम करता है न आबकारी विभाग रोकने का काम करता है, इसके कारण गांव में बहुत बर्बादी हो रही है. मैं सोचता हूं कि जो अधिकृत दुकानें हैं उन अधिकृत दुकानों के अलावा बांकी दुकानों पर जो अवैध है वास्तव में उन पर रोक लगानी चाहिये ताकि गांव के जो झगड़े, झंझट और विवाद के विषय बन रहे हैं वह कम हों.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आगे का विषय जल संसाधन विभाग से संबंधित है. मैं केवल अपने क्षेत्र की मांग रख रहा हूं, उसमें कुछ सुझाव हैं. सरकार ने बड़ी योजना बनाकर के और बड़े क्षेत्र को सिंचित करने का काम किया है, लेकिन आज भी क्योंकि हम मालवा में निवास करने वाले लोग हैं, हमारा शाजापुर जिला ऐसी स्थिति हो गई है कि वाटर लेबल 500-600 फीट नीचे जमीन में चला गया है और हमारे यहां दो तीन नदियां बहती हैं उन पर कोई बड़ी योजना नहीं होने के कारण से कालीसिंध पर भी नहीं है, नेवट पर है तो छोटे-छोटे 12-12, 13-13 फीट के डेम वहां बने हुये हैं, पार्वती नदी पर भी छोटे डेम बने हैं, बड़ा कोई प्रोजेक्ट वहां पर नहीं होने के कारण से आज पानी की बहुत हालत खराब हो गई है, इस वर्ष किसानों का जो सिंचिंत एरिया था वह कम हो गया है, मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि मेरे क्षेत्र की नेवट नदी के 4 डेम वहां पर साध्यता सूची में हैं उनकी ऊंचाई कम है, उनको जब स्वीकृत करें तो उनकी ऊंचाई बढ़ाकर के क्योंकि यहां पर्याप्त गुंजाइश है बढ़ाने की और सिंचाई का जो रकवा बढ़ेगा वह अच्छा बढ़ सकता है. इसी प्रकार से एक बलेठी नदी है, छोटी नदी है लेकिन यदि उस पर श्रृंखलाबद्ध डेम निर्माण किया जाता है तो मैं सोचता हूं कि बड़े डेम की पूर्ति वह कर सकता है. विभाग के द्वारा बार-बार यह कहा जाता है कि हम केवल बड़ी योजनायें लेंगे, 70 हेक्टेयर से कम अगर सिंचाई एरिया है तो हम डेम स्वीकृत नहीं करेंगे. मेरा निवेदन है कि 30-40 हेक्टेयर भूमि भी जहां सिंचित हो सकती है, ऐसी योजनाओं को भी स्वीकृति प्रदान करें. मैं सोचता हूं कि उसमें 4 स्थान ऐसे हैं जिसका पंचदेरिया गांव के पास, खेजड़ा के पास, निशाना के पास और आन्याखुर्द के पास 4 स्टॉपडेम बनने से एक बड़े डेम की पूर्ति आसानी से की जा सकेगी.
इसी प्रकार की और छोटी नदियां हैं नैनावती नदी है पालया के पास में वह भी काफी लंबे एरिये में सिंचाई का यदि डेम बनता है तो उसमें काम होगा पूरा. ऐसे बड़े नाले हैं जो नदियों के जैसे हैं लेकिन नाले के नाम से जाने जाते हैं नादनी के पास का नाला, नसूलियामलक के पास का नाला, मछनई के पास पारवा नाला, बड़बेली के पास वही पारवा नाला, इन नालों पर यदि डेम बनते हैं तो मैं सोचता हूं कि हमारे यहां जो वाटर लेबल की प्राब्लम है वह खत्म होगी, सिंचाई का रकवा भी बढ़ेगा. एक और मेरा निवेदन है पहले से अवंतिपुर बड़ौदिया के पास में एक डेम है उसकी ऊंचाई यदि बढ़ाई जाती है तो मैं सोचता हूं कि वह किसानों को काफी राहत देने का काम करेगा. एक और निवेदन है हमारे जो पुराने तालाब हैं, पुराने तालाबों की गहरीकरण की योजना जरूर बनायें क्योंकि उससे काफी कुछ समस्या का हल होगा, दूसरा इन तालाबों की नहरें बनी हैं वह कच्ची हैं और कच्ची होने के कारण से पूरे कमांड एरिया तक पानी नहीं पहुंच पाता है और किसानों को पर्याप्त पानी नहीं मिला है, इसलिये मेरा माननीय मंत्री महोदय से निवेदन है कि पक्की नहर का निर्माण करायें ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों का खेती का रकवा सिंचित हो सके. माननीय मंत्री महोदय जी को धन्यवाद, माननीय अध्यक्ष महोदय जी को धन्यवाद.
श्री जालम सिंह पटेल(नरसिंहपुर)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मांग संख्या 6,7,23,31,45,57,60 और 61 का समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग द्वारा सुचारु रुप से योजना चलाने का काम प्रदेश की सरकार और हमारे वित्त मंत्रीजी कर रहे हैं. योजना आयोग के माध्यम से पूरे प्रदेश की योजना बनती है. उसमें जिला योजना आयोग भी है. उसके माध्यम से जिले की समस्याएं प्रदेश स्तर तक आती हैं. इसके अलावा जनभागीदारी के क्षेत्र में भी हमारी सरकार बहुत आगे है. उस क्षेत्र में भी बहुत अधिक काम कर रही है.
अध्यक्ष महोदय, जन अभियान परिषद के माध्यम, जन भागीदारी के माध्यम से पूरे प्रदेश में लोग काम कर रहे हैं. जब तक लोगों में सामाजिक सरोकार नहीं होगा, तब तक विकास संभव नहीं है. जन अभियान परिषद बहुत सारे ऐसे काम कर रहा है. इसमें नर्मदा सफाई और पंच महाभूतों का संरक्षण का काम भी हाथ में लिया है. समाज में नेतृत्व क्षमता विकास के क्षेत्र में भी उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है. वह हमारे इस विभाग द्वारा संचालित है.
अध्यक्ष महोदय, निर्वाचित सरकारों का काम कुशल प्रबंधन करना है, व्यापार करना नहीं है. मैं ऐसा मानता हूं कि 2003 के पूर्व जो सरकारें हुआ करती थीं, वह अकुशल कु-प्रबंधन के कारण बहुत सारी व्यवस्थाएं बिगड़ी थीं. 2003 के बाद प्रदेश में लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार और हमारे मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान ने कुशल प्रबंधन के साथ जितने भी विभाग हैं, या क्षेत्र हैं, प्रत्येक क्षेत्र में उन्होंने बड़ी कुशलता से काम किया है. उसी का परिणाम है कि पिछले 12 सालों में राज्य की अर्थव्यवस्था 10 प्रतिशत की औसत वृद्धि से आगे बढ़ी है.
अध्यक्ष महोदय, सिंचाई के क्षेत्र की यदि हम बात करें तो सिंचाई के क्षेत्र में 2018 तक 40 लाख हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई होना थी जो 2015-16 में ही पूर्ण कर ली गई. आने वाले 10 सालों में 60 लाख हेक्टर क्षेत्र में सिंचाई का लक्ष्य रखा है. जो हमारी योजनाएं बनी है उसे देखते हुए मुझे लगता है कि यह लक्ष्य 10 वर्षों के पूर्व ही प्राप्त कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के सभी बड़ी एवं मध्यम सिंचाई योजनाओं की नहरों पर लाईनिंग का कार्य चल रहा है. हमारे जिले में बहुत दिनों से नहरों पर लाईनिंग के कार्य नहीं हो रहे थे. लेकिन हमारी सरकार खेत तक पानी लाने का कार्य कर रही है. प्रधानमंत्री सिंचाई योजना बहुत अच्छी अवधारणा है. हमारे देश के प्रधानमंत्रीजी ने एक एक बूंद पानी का उपयोग करने की योजना बनायी है. उससे मैं यह मानता हूं कि हमारे प्रदेश का भी विकास होगा और देश का भी विकास होगा.
अध्यक्ष महोदय--कृपया समाप्त करें.
श्री जालम सिंह पटेल-- अध्यक्ष महोदय, कुछ सुझाव देना चाहता हूं. अगर हम नहरों के किनारे वृक्षारोपण करेंगे तो जीवित रह सकते हैं. नहरों के किनारे फलों की खेती की जा सकती है. प्रदेश में जितनी भी नहरें हैं उनकी टेल या तो किसी तालाब में है या किसी स्टाप डेम या पोखर या अन्य जल भराव के क्षेत्र में करेंगे तो जो पानी बह जाता है या उसका दुरुपयोग होता है, वह नहीं होगा.
अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में आदरणीय मुख्यमंत्रीजी ने गाड़रवारा में नीलकुंड घाट पर तटबंध कार्य के लिए 1.86 करोड़ रुपये स्वीकृत किया था. उसकी जो डिजाईन की थी, उसमें त्रुटि होने के कारण वह पिछली बार बह गया था. अभी भी वह काम अधूरा है. मैं मंत्रीजी से निवेदन करता हूं कि उसमें कांक्रीट और लोहे से अगर वह तटबंध बनता है तो उसमें बच सकता है.
अध्यक्ष महोदय--समाप्त करें.
श्री जालम सिंह पटेल--अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र रिछाई बांध है, उसका जो मेन गेट उससे जो पानी निकलता, उसकी नहरें भी खराब है. इसके अलावा 4-5 बांध और हैं. जो छोटे बांध हैं. जैसे माचाबो डाटाडोंगरी स्टाप डेम बहुत पुराना है. इसकी मरम्मत जरुरी है. ग्वारीकला में किशनपुर स्टापडेम, किरपाली स्टापडेम, बंधी स्टापडेम, हरदेवगांव-गोवरगांव स्टापडेम ये सभी पुराने हैं, इनमें सुधार कराने का कार्य करायेंगे. धन्यवाद.
अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्ष महोदय--अनेक माननीय सदस्यों ने, जिसमें बहुत वरिष्ठ सदस्य भी हैं, अपने नाम भेजे हैं. मेरा उनसे अनुरोध है. समय की अपनी सीमा है. जो समय सीमा विभाग के लिए थी, उससे ज्यादा समय हो चुका है. अभी माननीय मंत्रीजी का वक्तव्य आना है. मेरा अनुरोध है कि आप सब सहयोग करें. अभी बहुत से अनुदान मांगों के विषय हैं, उनकी चर्चा में आप भाग लेंगे तो ठीक रहेगा. माननीय मंत्रीजी.....भार्गव साहब कुछ कह रहे हैं. गुणवान जी आप बैठ जाईये. आप भी बहुत सीनियर मेम्बर हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी--अध्यक्ष महोदय....
अध्यक्ष महोदय--आपका नाम पुकारा था.आप उस समय नहीं थीं.
श्रीमती ऊषा चौधरी--हमने अपना नाम दिया था. हमारे दल से एक भी व्यक्ति नहीं बोला. एक सदस्य को तो बोलने दीजिए.
श्री रामनिवास रावत--( माननीय मंत्री श्री गोपाल भार्गव की ओर संकेत करते हुए) आप लोगों की भी यह स्थिति है. यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, मैं, माननीय जल संसाधन मंत्रीजी को बहुत धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने पिछले 7-8 वर्षों में जितना सिंचाई का विस्तार वह काबिले तारीफ है. मेरे बुंदेलखंड क्षेत्र के विधायकों ने यह आग्रह किया है. मैं भी आग्रह करना चाहता हूं.
श्रीमती ऊषा चौधरी--हमारे एक भी सदस्य का नाम नहीं पुकारा.
अध्यक्ष महोदय--आप उस समय नहीं थीं.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- मैं थी. मैं कब से बैठी हूं. यह अन्याय है.
श्री गोपाल भार्गव-- मैं माननीय मंत्रीजी से आग्रह करना चाहता हूं. वह मेरे पड़ोस के जिले के हैं. मेरे विधानसभा क्षेत्र के गांव से गांव लगे हैं. एक विषय आया था. माननीय लखन पटेल जी ने उठाया था. यदि नर्मदा जी का सागर जिले में, दमोह जिले में किसी तरह से प्रवाह हो जाये. नदियों के माध्यम से या नालों के माध्यम से जैसा हमारे मुख्यमंत्रीजी की मंत्रीजी की बहुत अच्छी योजना है. आपके सभी अधिकारी बड़े सक्षम हैं. सभी की अच्छी योजना है कि अंडर ग्राऊंड पाईप लाईन के माध्यम से निश्चित रुप से अभी दमोह,सागर जिले में 40 हजार हेक्टर का बताया था. मैं किसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी करता हूं. इस कारण से मंत्रीजी से आग्रह करुंगा कि कृपया इस बात पर भी विचार करें. मैं मानकर चलता हूं कि निश्चित रुप से उन्होंने जितना विस्तार किया है तो मेरे रहली, देवरी सभी में नर्मदाजी के प्रवाह को वे लायेंगे. ऐसी उम्मीद है.
अध्यक्ष महोदय-- चूंकि आपके दल का कोई सदस्य नहीं बोला इसलिए आप 2 मिनट बोल कर समाप्त करेंगी और सहयोग करेंगी.
श्रीमती ऊषा चौधरी(रैगांव)--अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 6,7,23,31,45,57,60 और 61 का विरोध करती हूं और कटौती प्रस्ताव का समर्थन करती हूं.अध्यक्ष महोदय, जिस तरह आज मेरे सतना जिले में हर जगह पानी की किसी न किसी प्रकार से व्यवस्था है लेकिन रैगांव विधानसभा में कोई ऐसी जगह नहीं है, जहां जल स्रोत हो. हमारे यहां कि सुहावल नदी भी सूखी पड़ी है. चिनपुर में एक छोटी नदी है, वह भी सूखी पड़ी है. छोटे छोटे नाले, डेम भी सूख पड़े हैं. हैंड पंपों में जलस्तर 300-400 फीट नीचे चला गया है. मेरे क्षेत्र में पानी की भीषण समस्या है. क्षेत्र के लोग अगर फोन करते हैं और मिलने आते हैं तो केवल पानी की ही बात करते हैं. मैं मंत्रीजी से निवेदन करना चाहती हूं कि मेरे जनपद पंचायत सुहावल के अंतर्गत सुहावल नदी की गाद निकलवाकर, उसमें मिनी डेम बनवा दिया जाये और नर्मदा, बरगी का पानी जो स्कीम बनी है, उसको जल्द से जल्द पूरा कर उसको सुहावल नदी में डाल दिया जाये तो उससे कम से कम 50 गांव लाभांवित होंगे.
अध्यक्ष महोदय, मोहार में भी नाला है, उस पर मिनी डेम बनवा दिया जाये. इसी तरह नागौद जनपद पंचायत में सहपुराबंधान है जिसमें कभी पानी सूखता नहीं था लेकिन इस बार उसका भी जल स्तर नीचे चला गया है. उसमें लिफ्ट इरीगेशन करा दिया जाये तो कई गांव के लोगों को पानी मिल सकता है. सिंगपुर तहसील में नंदगरा पंचायत है, वहां भी एक बड़ा नाला है, जो नदी की तरह है अगर उसमें मिनी डेम की व्यवस्था करा दी जाये तो वहां के लोगों को भी लाभ होगा.
अध्यक्ष महोदय - अब आप समाप्त करें.
श्रीमती ऊषा चौधरी - अध्यक्ष महोदय, केवल एक बात कहना चाहती हूं. हमारे क्षेत्र में कई ऐसे तालाब हैं, जैसे अमलिया जो 58 एकड़ का तालाब है, रामपुरा चौरासी में एक ऐसा तालाब है कि यदि एक अच्छी वर्षा हो जाय तो एक दिन में वह तालाब भर जाता है. लेकिन वहां पर खनिज माफियाओं के द्वारा उस तालाब की मिट्टी ली गई तो बड़े-बड़े सुरंग हो गई है तो जब भी वर्षाकाल में पानी आता है, वह उस सुरंग में चला जाता है. उस तालाब की बैठाई कराकर उसकी व्यवस्था भी अगर करा दी जाय तो बड़ी कृपा होगी. अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि सब जगह काम हो रहे हैं तीसरा यह बजट सत्र है. हर बार हर बजट सत्र में वर्ष 2013-14 में, 2014-15 में और 2015-16 में मैं इन्हीं कामों को बार-बार कहती हूं. लेकिन मैं माननीय मंत्री महोदय से यह जानना चाहती हूं कि माननीय मंत्री महोदय बड़े सरल स्वभाव के बड़े सरल, सीधे हैं और मिलते भी बड़े अच्छे से हैं. परन्तु ऐसी कौन-सी खता हुई जो रैगांव की तरफ इनकी नजर नहीं जाती है. मैं चाहती हूं कि इन कामों में माननीय मंत्री महोदय ध्यान दे दें और सीधपुरा ग्राम में हाईस्कूल के पास एक शराब की दुकान खुली हुई है, उसको बंद करा दें. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - अध्यक्ष महोदय, वाणिज्यिक कर में आबकारी विभाग है इससे भारी भरकम आय होती है. लेकिन मेरा निवेदन है कि इसकी बिक्री को, इसकी दुकानों को हतोत्साहित करने की आवश्यकता है. कल ही यह घटना है कि वह मासूम तो बाबा कहती थी, उसी को रौंद डाला. अपने पापा की शराब को छुड़ाने के लिए एक 12 वर्ष की बच्ची मंदिर तेल का दीपक रखने जा रही थी..
अध्यक्ष महोदय - वह वाणिज्यिक कर का विषय नहीं है. नहीं.
श्री रामनिवास रावत - और उस पुजारी ने..शराब बिक रही है गांव-गांव, गली-गली मोहल्ले-मोहल्ले.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी. आप बैठ जाए वरिष्ठ सदस्य हैं, रावत जी सहयोग करिए.
श्री रामनिवास रावत - यह 12 वर्ष की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार कर दिया. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पूरे प्रदेश में शराबबंदी लागू कर दें. क्या बुराई है? गुजरात में हो गई, बिहार में हो गई.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) - अध्यक्ष महोदय, वाणिज्यिक कर से अपनी चर्चा प्रारंभ करना चाहता हूं. भारतीय जनता पार्टी की सरकार व्यापार एवं उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कृतसंकल्पित है.
श्री रणजीत सिंह गुणवान (आष्टा) - अध्यक्ष महोदय, मुझे भी दो मिनट का समय दे दें. मैं भी अपनी बात कहना चाहता हूं.
श्री जयंत मलैया - आप मुझे बता दीजिएगा. अध्यक्ष महोदय, व्यापार एवं उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए इसके पक्ष में वातावरण बनाने का कार्य विगत 12 वर्षों से हमारी सरकार ने किया है. सरकार को इन सारे विकास कार्यों के लिए वित्त की व्यवस्था करना आवश्यक होता है. हमने व्यवसाइयों में व्यवसाय की भावना को बढ़ाया है. इसके फलस्वरूप जहां पुरानी सरकार में वर्ष 2003-04 में आप देखेंगे कि प्राप्त राजस्व मात्र 3952 करोड़ रुपया होता था, यह बढ़कर वर्ष 2015-16 में जनवरी तक 23350 करोड़ रुपया हुआ है. आर्थिक मंदी के बावजूद भी वाणिज्यिक करों में जनवरी 2016 तक 9 प्रतिशत से अधिक राजस्व पूर्व वर्ष की तुलना में प्राप्त हुआ है. व्यवसाय करना सुगम हो, जैसा माननीय सदस्यों ने चर्चा की है, इसके लिए 'ease of doing business' की अवधारणा के अंतर्गत व्यवसाइयों के लिए जारी की जाने वाली पंजीयन व्यवस्था को सुगम और सरल बनाया जा रहा है. वेट अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत व्यवसाइयों के लिए यूनिक आईडी की व्यवस्था की जा रही है. इससे व्यवसायी द्वारा डाऊनलोड किये गये विभिन्न वैधानिक घोषणा पत्रों, अन्य व्यवसाइयों के साथ किये गये क्रय-विक्रय एवं अन्य गतिविधियों की जानकारी ऑन-लाईन प्राप्त कर सकेंगे. इससे कर निर्धारण के समय होने वाली मिसमैच से बचा जा सकेगा. ई-पेमेंट को और सुविधाजनक एवं सुदृढ़ बनाए जाने के कारण गेट-वे को ट्रेज़री के साथ लिंक किया जाएगा. इससे वर्तमान में भुगतान हेतु उपलब्ध बैंकों के अतिरिक्त अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों से भी कर का भुगतान किया जा सकेगा. बहुत सी जगह हमारे वाणिज्यिक कर के कार्यालय दूर थे, जिससे वहां के असेसमेंट कराने वालों को असुविधा होती थी. इसके लिए हम दो नये वाणिज्यिक कर कार्यालय खोल रहे हैं, एक तो श्योपुर में और दूसरा, पन्ना जिले में खोल रहे हैं. इसी तरीके से मालनपुर औद्योगिक क्षेत्र का, उद्योगपतियों और व्यवसाइयों को भिण्डवृत्त के स्थान पर ग्वालियर-1 से तथा पीथमपुरवृत्त को इंदौर संभाग 1 से संबद्ध किया जा रहा है. यह व्यापारियों द्वारा जब मैं ग्वालियर और इंदौर गया था, तब इसकी मांग की गई थी. छोटे व्यापारियों को सुविधा के उद्देश्य से वार्षिक विवरण प्रस्तुत करने की सीमा 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 40 लाख रुपए की जा रही है. इसी प्रकार कंपोजिशन करने वाले व्यवसाइयों के लिए टर्न ओव्हर की सीमा 1 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए की जा रही है. वर्तमान में विवरण पत्र संशोधित करने की सीमा नियत है. इस सीमा को समाप्त किया जा रहा है, जिससे व्यवसायी निर्धारित तिथि के पूर्व विवरण पत्र संशोधित कर सकेंगे. प्रदेश के व्यवसाइयों के व्यापार पर ई-कॉमर्स के कारण विपरीत प्रभाव पड़ा है एवं उनके व्यापार में कमी हुई है. ई-कॉमर्स से प्रदेश को होने वाले राजस्व नुकसान को रोकने के उद्देश्य से ई-कॉमर्स के माध्यम से आने वाली वस्तुओं पर 6 प्रतिशत की दर से प्रवेश कर लगाया जाएगा. पुरानी बकाया वसूली में एक बड़ी राशि निहित होती है. कई वर्षों तक लोगों के पास एक जगह अपील है, कहीं कोर्ट में है, कहीं ट्रिब्यूनल में है, इसके लिए हमारी बहुत बड़ी राशि है. जो हम व्यापारियों से ले सकते हैं, उद्योगपतियों से ले सकते हैं. परन्तु वह अलग-अलग है और उनको भी दिक्त होती है और हमारे विभाग में भी अससमेंट में भी विलंब होता है. इसलिए कर विवादों को समाप्त करने एवं पुराने बकाया समाप्त हो, इस उद्देश्य से कर विवाद सरल समाधान योजना लाई जा रही है. इससे वित्तीय वर्ष 2011-12 तक की बकाया वसूली के बकायादार इस योजना का लाभ उठा सकेंगे एवं सुगमता से व्यापार कर सकेंगे.
अध्यक्ष महोदय, जैसे मैंने भी उल्लेख किया था कि देश की सीमा पर तैनात अधिकारियों एवं जवानों तथा सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी एवं जवानों का देश की अखंडता और एकता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान है. उनकी सेवाओं का हमारी सरकार सम्मान करती है. इस हेतु कैंटीन स्टोर डिपार्टमेंट से खरीदी पर भी रियायती दर लागू होगी. यह रियायती दर 15 प्रतिशत के स्थान पर 4 प्रतिशत होगी. यह व्यवस्था सुविधा सीएसडी के अनुरूप ही केन्द्रीय पुलिस कैंटीन के माध्यम से बीएसएफ के जवानों, अधिकारियों को भी दी जाएगी. कृषि हमारी अर्थव्यवस्था रीढ़ है. माननीय मुख्यमंत्री जी, कृषि को लाभ का धंधा बनाना चाहते हैं. कृषि की उत्पादन लागत में कमी आए, इस उद्देश्य से पूर्व में अनेक प्रकार के कृषि यंत्रों को कर मुक्त किया गया है. इसी क्रम में जैविक कीटनाशक एवं ...
श्री सुन्दरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, यह बात तो बजट में पढ़ चुके हैं. कई बार बोला है.
श्री रामनिवास रावत - अभी वेट संशोधन अधिनियम भी लाएंगे, यह बजट में भी आ चुका है, अब यह फिर.
श्री जयंत मलैया - आपकी इच्छा है तो मैं इसे टेबल करता हूं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - नहीं, नहीं. कुछ सवाल आए हैं अध्यक्ष महोदय.
श्री जयंत मलैया - मैं जरूर उसकी बात करूंगा. अध्यक्ष महोदय, हमारे 36-37 माननीय सदस्यों ने चर्चा में भाग लिया है और बड़ी अच्छी चर्चाएं की हैं. कई अच्छे सुझाव भी दिये हैं. इनमें कुछ माननीय सदस्य तो यहां पर उपस्थित हैं और कुछ नहीं हैं. इसमें एक तो श्री यशपाल जी आपने चर्चा की थी कि विधायकों के लिए जो निर्वाचन क्षेत्र विकास योजना के तहत राशि प्राप्त होती है, उसमें से जो स्वैच्छानुदान की राशि है, स्वैच्छानुदान की राशि पर आरटीजीएस के माध्यम से जाते हैं तो उससे संवाद नहीं हो पाता है, जिसको राशि देते हैं. अब इसको आरटीजीएस से मुक्त किया जाएगा और पूर्ववत् व्यवस्था चैक के द्वारा मांग करने की रहेगी. (मेजों की थपथपाहट)..(माननीय सदस्य श्री सुन्दरलाल तिवारी द्वारा अपने आसन से कुछ कहने पर) आप इस तरह से कहकर किन्हीं माननीय सदस्य को बदनाम नहीं कर सकते. सदस्य को चैक देने का अधिकार है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय मंत्री जी, मेरी बात सुनें. यह सीईओ के पास चैक जाएंगे, अभी डायरेक्ट हितग्राही के पास चैक जाते हैं और सीईओ के यहां भ्रष्टाचार मचेगा.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय मंत्री जी, मेरा उसमें यह सब्मिशन था, श्री तिवारी जी उस समय आप नहीं थे, जो चैक हितग्राहियों के बैंक में जा रहे हैं, उस हितग्राही के बालक को शिक्षा के लिए चाहिए, या पत्नी के उपचार के लिए या स्वयं के उपचार के लिए हमने 5000 रुपए दिये. अब उस बैंक में यदि उस हितग्राही का यदि कहीं कर्जा है तो बैंक वाले सीधे सीधे उसको काट रहे थे, इसलिए इस व्यवस्था को ठीक करने के लिए मैंने माननीय मंत्री से आग्रह किया है.
श्री कालू सिंह ठाकुर - तिवारी जी, आपको क्या दिक्कत है?
श्री सुन्दरलाल तिवारी - ऐसा नहीं हो सकता है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया हस्तक्षेप न करें, तिवारी जी, शायद आप उस विषय को समझ नहीं पाए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- मंत्री जी हमारा इसमें यह कहना है कि अभी भ्रष्टाचार कम हुआ है यह मैं स्वीकार करता हूं जो सिस्टम आपने एडाप्ट किया है. जैसे ही आप उसको जनपद में भेजना शुरू करेंगे, सीईओ के पास भेजना शुरू करेंगे. वहां पर फिर से पैसे का लेनदेन शुरू हो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप समझ नहीं पा रहे हैं.
श्री जयंत मलैया -- विधायक के पास में कोई नहीं आ रहा है विधायक और हितग्राही के बीच में सीधा संवाद होगा.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- आपके ऊपर से कई बातें निकल जाती हैं इसलिए आप बोलते रहते हैं. आप समझ तो लें कि उसमें कहीं पर भी सीईओ का रोल ही नहीं है. यह विधायकों से जुड़ा हुआ मामला है विधायक अपने स्वेच्छानुदान निधि के पैसे को सीधा चैक के द्वारा हितग्राही को देगा. इतनी सी बात है.
श्री रामनिवास रावत -- अगर अब मैं यह कहूं कि यशपाल सिंह सिसौदिया जी ने जो बात कही है उस पर चर्चा हो ही नहीं रही है सबके ऊपर से निकल रही है.
डॉ नरोत्तम मिश्रा -- जी नहीं. सब समझ रहे हैं. मंत्री जी ने जो बोला है सब समझ रहे हैं आप दोनों को छोड़कर.
डॉ गोविन्द सिंह -- चैक सिस्टम ठीक है जो मंत्री जी ने कहा है वह सही है.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- मैं जो कह रहा हूं वहही सही है. विधायक अपने स्वेच्छानुदान का चैक हितग्राही को दे सकता है...(व्यवधान)..
श्री शंकर लाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय घृतकुमारी का तेल आता है वह बहुत ठण्डा होता है. सुंदरलाल जी को प्रिसक्राइब्ड करिये क्योंकि अभी गर्मी भी आ रही है. नहीं तो अनावश्यक विधायक निधि का पैसा इनकी ही दवाई में चला जायेगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- तिवारी जी का वैसे ही पूरा साफ है ( सिर की तरफ इशारा करते हुए) तेल की जरूरत है ही नहीं हैं क्यों परेशान हो रहे हैं. जिस बीमारी की दवा आप जानते नहीं है उसको क्यों बता रहे हैं.
श्री जयंत मलैया -- माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय श्री गोविंद सिंह पटेल जी ने सर्विस प्रोवाइडर की समस्या के बारे में चर्चा की थी. मैं उनको निवेदन करना चाहता हूं कि ई पंजीयन की व्यवस्था जब प्रारम्भ हुई थी इसमें कुछ कठिनाईयां थीं. जिनको अब सुधार लिया गया है कुछ पुराने सर्विस प्रोवाइडर की अभी समस्या रह गई है वह भी जल्दी ही पूरी हो जायेगी. आगे भविष्य में इस प्रकार की कोई समस्या नहीं आने वाली है. इ सके साथ साथ यह भी है कि भू अभिलेख डाटा और पंजीयन डाटा का हम एकीकरण करने जा रहे हैं. वर्ष 2016-17 का कार्य योजना में इसको शामिल कर लिया है.
अध्यक्ष महोदय सुदर्शन गुप्ता जी ने इंदौर जिले में छोटे मूल्य के स्टाम्प की कमी की बात की थी. माह अगस्त से स्टांपिंग चालू होने के कारण 100 से अधिक के स्टाम्प की ही स्टाम्पिंग की जाती है. अब तक 16 करोड़ 57 लाख के 27057 ई स्टाम्प जारी किये जा चुके हैं. यह अकेले इंदौर जिले की बात कर रहा हूं. 100 रूपये से कम मूल्य के भौतिक स्टाम्प का पर्याप्त स्टाक जिले में है. माननीय सुदर्शन जी और कुछ अन्य माननीय सदस्यों ने आबकारी की दुकान के बारे में चर्चा की है कि आबकारी की दुकान कहीं पर धार्मिक स्थल या स्कूल के पास है. इसकी पहले से हमारी बनी हुई नीति है जो भी दुकान हमारी इस नीति के बाहर की है उ सको हम हटवा देंगे.
श्री रामनिवास रावत -- आप देख लें गांव गांव दारू बिक रही है. गुमटियों में रखकर लोग दारू बेच रहे हैं.
श्री जयंत मलैया -- अध्यक्ष महोदय बाण सागर से सिंचाई करने के बारे में बात की थी इ सका हम परीक्षण करा लेंगे...(व्यवधान.. अनेक माननीय सदस्य जोर जोर से बोलते रहे..).. यदि यह साध्य होगी तो हम इसको आगे करने की बात करेंगे.
श्री रामपाल सिंह जी का कहना था कि पुनर्वास में विस्थापितों को मालिकाना हक नहीं दिया गया है. पुनर्वास नीति के तहत पूरा लाभ दिया गया है और आवासीय भूमि पट्टे पर देने की हमारी नीति है.
श्री प्रजापति जी चंदला से विधायक हैं. उन्होंने बरियारपुर नहर को तालाबों में लाने की बात की है. इसका हम परीक्षण करा लेंगे और तालाबों के भू जल स्तर चूंकिनहरों से ऊपर है तो इसको देखना होगा. सिंहपुर बरार परियोजना पूरी हो गई है इससे लगभग 10 हजार हेक्टेयर में सिंचाई हो रही है.
श्री दिलीप सिंह शेखावत जी ने चंबल में नर्मदा जी का पानी लाने की मांग की है. गांधी सागर डेम जो है यह इंटरस्टेट प्रोजेक्ट है, हमारा उनके साथ में अण्डरस्टेंडिंग है, इसलिए हम गांधी सागर अंतर्राज्यीय बांध के साथ नर्मदा चंबल को जोड़ने का मुद्दा आता है, यह लग बात हो जाती तो इसमें यह संभव नहीं है.
श्री दुर्गालाल विजय ने मंजूरी बांध की स्वीकृति की बात की है. इसमें अत्यधिक वन भूमि डूब में आ रहीहै और वेकल्पिक वृक्षारोपण के लिए अतिरिक्त भूमि उपलब्धनहीं हो पा रही है इ सकी प्रति हेक्टेयर सिंचाई की लागत है यह भी 6 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर से ज्यादा जो कि अधिक है. एक बात और दुर्गालाल जी ने कही कि इस बार हमें राजस्थान से पर्याप्त पानी नहीं मिला है. मैं यहां पर यह निवेदन करना चाहता हूं कि राजस्थान से पिछले 3 - 4 वर्षों से हमे लगातार पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है. इस वर्ष नहर में चोई आ जाने के कारण, आखिरी के जो 20 - 22 दिन रहे हैं, इसमें जरूर निश्चित रूप से पानी कम आया है जहां तक चोई हटाने की बात है, इ सको चलते पानी में हटाना संभव नहीं है यह बात मैंने रामनिवास रावत जी के एक प्रश्न में भी बतायी है. जैसे ही यह सिंचाई का काम समाप्त हो जायेगा तो राजस्थान में और मध्यप्रदेश में दोनों जगह पर चोई हटाने का काम किया जायेगा.
श्रीमती झूमा सोलंकी जी ने एनवीडीए द्वारा चिन्हित 10 परियोजनाओं को बनाने की बात की थी. साध्य पायी गई 5 परियोजनाओं की साध्यता के आदेश हमने जारी कर दिया हैं सर्वे एवं डीपीआर में 4 माह का समय लगता है. उसकी डीपीआर शीघ्र बनवायेंगे और साध्य परियोजनाओं को हम स्वीकृत करेंगे.
पाण्ढूर्ना के विधायक जी ने चर्चा की थी कि परकोली डेम पाण्ढूर्ना के पेयजल के लिए बनाया जाय. प्रस्तावित डेम नगरीय निकाय द्वारा बनाये जाने की डीपीआर बन चुकी है और इसकी लागत लगभग 3 करोड़ रूपये है.
श्री वेलसिंह भूरिया जी हमारे मित्र हैं. इन्होंने नर्मदा जी का जल माही में लाने की बात की थी. एनवीडीए को नर्मदा मालवा परियोजना के तहत परीक्षण के लिए कह रहे हैं इसके साथ ही रिंगनौद बांध में बनाये जाने की बात की थी. इसमें डूब क्षेत्र काफी आ रहा है इसकी लागत भी काफी है इसलिए यह योजना असाध्य है और इसको कर पाना संभव नहीं है.
श्री वेलसिंह भूरिया -- माननीय इसे विशेष पैकेज में बनाया जाय क्षेत्र की जनता की मांग के अनुसार बहुत बड़ी समस्या है पानी का जल स्तर बहुत नीचे चला गया है. आदिवासी उपयोजना के विशेष पैकेज सेइसे बनाया जाय.
श्री जयंत मलैया-- श्री सचिन यादव जी ने अपनी बात रखी थी उन्होंने कहा था कि भौगोलिक क्षेत्र का मात्र 6 प्रतिशत ही हमारे प्रदेश में सिंचित है. मैं यहां पर आपके माध्यम से उनसे निवेदन करना चाहता हूं कि सिंचित क्षेत्र जब भी होता है यह कृषि भूमि का होता है पूरी भूमि का नहीं होता है.
श्री जतन उइके -- धन्यवाद् आपको अध्यक्ष जी आपके लिए दो लाइन कहना चाहता हूं का तुमसे कहूं ए होशंगाबाद के कुँवर तुम जानत हो पाण्ढूर्ना की बतियां.
श्री जयंत मलैया -- मैं यहां पर सचिन जी से निवेदन करना चाहता हूं कि वर्ष 2018 तक हम 40 लाख की अपनी सिंचाई क्षमता बनाने की कर रहे हैं. उसके सारे निर्माण के काम तेजी से चल रहे हैं. वर्ष 2025 तक हमने अपना लक्ष्य रखा है कि हम 60 लाख हेक्टेयर तक इसकी सिंचाई कर सकें. हमारे बुंदेखण्ड के नेता पंडित गोपाल भार्गव जी ने एक..
श्री गोपाल भार्गव -- मैंने तो यह कहा था कि औरों को पिलाते रहते हैं और खुद प्यासे रह जाते हैं.
श्री जयंत मलैया -- उन्होंने नर्मदा से बुंदेलखण्ड में पानी लाने के बारे में चर्चा की है. इसमें परीक्षण कराने के निर्देश देते हैं इसका परीक्षण करायेंगे कि क्या इसमें हो सकताहै.
डॉ गोविन्द सिंह -- हमने आपके लिये लिखकर दिया था आप यहां थे नहीं शेजवार जी ने आपको स्लिप नहीं दी है.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- माननीय मंत्री गंजाल मोरा डैम के बारे में भी बता दें कि क्या स्थिति है.
श्री जयंत मलैया -- अध्यक्ष महोदय, कल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस था और इसे हमने बड़े उत्साह के साथ मनाया. नारी के शौर्य, संघर्ष और साहस को रेखांकित करने वाली दो फिल्मों नीरजा और जय गंगाजल को मैं आज मनोरंजन कर से मुक्त करने की घोषणा करता हूँ. ये दोनों फिल्में कर्तव्यपराणता की भी हैं जिनमें कर्तव्य को निभाने के लिए सर्वस्व उत्सर्ग कर देने को प्रस्तुत नायिकाओं की तेजस्विता सामने आई है.
अध्यक्ष महोदय, मैं पुन: एक बार फिर से सभी माननीय सदस्यों का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ कि उन्होंने बहुत अच्छे-अच्छे सुझाव दिए. जहां तक डॉ. गोविंद सिंह जी ने करधन तालाब की बात की है तो उसकी मरम्मत करा देंगे. सभी लोगों को बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, जो असली बात थी उसका मंत्री जी ने जवाब नहीं दिया. मैंने एक सवाल किया था कि जो मैथड ऑफ फार्मुलेशन ऑफ बजट था, यह पूरी तरह गलत है, उसका तो जवाब दिया नहीं.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी जो बोल रहे हैं यह कुछ नहीं लिखा जाएगा.
अध्यक्ष महोदय -- अनुदानों की मांग के बारे में प्रस्ताव, डॉ. गौरीशंकर शेजवार.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- ये जान-बूझकर बोल रहे हैं और छपवाना चाह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- जो तिवारी जी ने बोला है यह कुछ नहीं आएगा.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, आप कृपा करके बैठ जाइये.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- जी नहीं, आधा मिनट भी नहीं.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- इस तरह से बिना अनुमति के नियमों के विरुद्ध बोलने वालों को संरक्षण नहीं देंगे.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई है. डॉ. गौरीशंकर शेजवार.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- मेरा सुंदरलाल तिवारी जी से अनुरोध है कि वे कृपया अपने स्थान पर बैठ जाएं और सदन को चलने दें. कृपा करके मुझे कोई कड़ा एक्शन लेने के लिए बाध्य न करें.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- आप सदन को नहीं रोक सकते. वैधानिक बात आपकी आ गई है. आप जबरदस्ती नहीं कर सकते. बैठ जाइये.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये, कृपा करके.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- आपका एक भी निवेदन नहीं सुना जाएगा. आप कृपा करके अपनी मर्यादा रखें.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- आपको उसकी बहुत ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए, यह कोई आप ठीक काम नहीं कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए, अब मांग और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
XXX : आदेशानुसार रिकॉर्ड से निकाला गया.
04.42 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
कुँवर विक्रम सिंह (राजनगर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सबसे पहली बात मैं माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि वन विभाग के द्वारा 25 फरवरी, 2016 को जो आदेश दिया गया है नाइट सफारी और उसके साथ में अपनी कैंपिंग व्यवस्था जो वन क्षेत्र मतलब रिजर्व फारेस्ट से बाहर हैं, क्या इस तरीके से वन्य प्राणियों के हैबिटेट पर एक अप्राकृतिक तरीके से दबाव नहीं पड़ेगा और क्या वन्य प्राणी हैबिटेट छोड़ने पर मजबूर नहीं होंगे. मेरा माननीय मंत्री जी से यह निवेदन है कि इसकी जांच करवाएं, यह जो आपका आदेश है इसको केन्द्र की नामंजूरी हुई है और मैं चाहता हूँ कि नाइट राइड व्यवस्था से मुक्त रखा जाए नहीं तो नाइट सफारी के और नाइट कैंपिंग की आड़ में लोग शिकार भी करेंगे, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि मध्यप्रदेश में और खासतौर से यहां के जंगलों में जितनी संख्या शेरों की संख्या है तो शेरों की संख्या से भी कुछ कम एशियाटिक वुल्फ की संख्या हो चुकी है. एशियाटिक वुल्फ अपने आप में एक लुप्त होती प्रजाति हो गई है और फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, देहरादून ने भी इसे लुप्त होने की कगार पर पाया है. मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि इस वुल्फ प्रजाति को, भेड़िया प्रजाति को बचाने के कोई उपाय मध्यप्रदेश की सरकार या वन विभाग करे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, साथ ही साथ मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत केनघड़ियाल सेंक्चुरी आती है. इस सेंक्चुरी में घड़ियालों की संख्या कभी गेंजेटिक क्रोकोडलीन की संख्या कभी 50 से ऊपर हुआ करती थी आज मात्र दो देखने के लिए मिल रहे हैं एक बुल क्रोकोडाइल और एक फिमेल क्रोकोडाइल. मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि चंबल से घड़ियालों के कुछ बच्चे मंगवाकर वहां पर फिर से रिलीज करवाए जाएं और केन नदी में जो बढ़ती हुई मार्श क्रोकोडाइल की जो संख्या है उसको थोड़ा कम करवाएं, उनको अन्यत्र जगहों पर छुड़वाया जाए क्योंकि जहां मार्श क्रोकोडाइल रहेगा वहां गेंजेटिक क्रोकोडलीन घड़ियाल वहां पर न रह पाएगा. उसका हेबीटेट(Habitat) नष्ट हो जाएगा, वह वहां पर नहीं रह पायेगा, यह आप अपने वन विभाग के आला अधिकारियों से पूछ लीजिए, यह मैं बिलकुल तर्क की बात कह रहा हूँ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में 561 वर्ग किलोमीटर के एरिया में प्रत्येक टाइगर को एक अपने हेबीटेट के लिए 40 किलोमीटर कम से कम जगह चाहिए होती है, अपना हेबीटेट बनाने के लिए, अपनी टेरेटरी मार्किंग करने के लिए. माननीय मंत्री जी, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान में बढ़ती टाइगरों की संख्या को देखते हुए क्या उपाय किये जा रहे हैं , क्या बफर्स जोन में थोड़ा सा और एरिया उसका एक्सटेंड करके लिया जाएगा क्योंकि अभी केन बेतवा लिंक जो परियोजना अभी शुरु होने जा रही है, जिसको सरकार ने हरी झंडी दे दी है उसमें से 180 वर्ग किलोमीटर कोर एरिया का उसमें जाना तय है यदि यह होती है तो टाइगर हेबीटेट और कम हो जाएगा. मेरा माननीय मंत्री जी से यही पूछना है, क्योंकि यह पन्ना के टाइगर एक बार लुप्त हो चुके हैं उसको दुबारा से वहां पर लाकर के और उस समय पर जो अधिकारी वहां पर थे मूर्ति साहब, उन्होंने बड़े अच्छे कदम उठाये ताकि वहां पर इस प्रजाति को फिर से जीवनयापन करने का मौका मिला है. माननीय मंत्री जी, आप मध्यप्रदेश में चाहे जहां भी चले जाएँ, रोड के किनारे पर तो आपको, अगर जंगल है तो अच्छे वृक्ष मिलेंगे लेकिन अगर रोड से थोड़ा सा अन्दर घुसेंगे आप या हवाई जहाज से यात्रा करेंगे तो वन क्षेत्र में आप देखेंगे कि कटाई इस कदर हो चुकी है, फारेस्ट की पाकेट्स ही बची है, बाकी मैदान पड़े हैं और मैदान को भी घेर लिया एक लेन्टाना जैसी बीमारी ने, जिसे गुलमेहंदी कहा जाता है. गुलमेहंदी या लेन्टाना जिस क्षेत्र में हो जाती है अंडरग्रोथ किसी भी प्रकार की वहां पर नहीं हो पाती है और अंडरग्रोथ न होना, जैसे करौंदा हुआ, बैरी हुई, जरिया हुई, यह जो पत्तियां हैं, यह herbivores जानवरों का खाना है और इसके लिए क्या उपाय वन विभाग द्वारा किये गये हैं. मैं माननीय मंत्री जी, आपसे यही पूछना चाहता हूँ. हमारे यहां पर पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के पार्क एरिया में कई गांव ऐसे हैं जो नेशनल पार्क के चारों तरफ से घिरे हुए हैं जैसे खरियानी, मैनारी, ललार, भंवरकुआं, ढोणन, पलकुआं, सुकवाहा, पाठापुर, नरौली. यहां पर और भी गांव हैं टपरियन राजगढ़, अवधपुरा, नांदिया बैहर, बाहरपुरा, पाटन, बरबसपुरा इन गांवों में पानी की कोई भी सुविधा नहीं है, मात्र एक नदी है जहां से पानी लाया जा सकता है और वह नेशनल पार्क के क्षेत्र में आती है. माननीय मंत्री जी, आदमी तो अपना काम चला लेगा, किसी तरीके से पानी ले आएगा, बाल्टी दो बाल्टी में अपना काम चलायेगा परन्तु मवेशी तो पानी पीने के लिए जायेंगे ही जायेंगे. मेरा आपको सुझाव है कि आप अपने अधिकारियों से सम्पर्क करें, उनसे कहें कि इस भीषण सूखे के साल में कम से कम मवेशियों के लिए एक-एक घाट, जैसे अवधपुरा और टपरियन के लिए महांधो घाट खोला जाए. बरबसपुरा, पाटन, बाहरपुरा, नांदिया बैहर के लिए राजापाल का घाट खोला जाए. माननीय मंत्री जी, मेरी बात से शायद आप सहमत होंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से एक बात और कहना चाहता हूँ कि सेंचुरी एरिया में आने वाले कुछ ग्राम हैं जहां पर केन घरियाल सेंचुरी की मैं खासतौर से बात कर रहा हूँ, ग्राम पंचायत धौगुआं वहां पर पड़ती है. नारायणपुरा, धौगुआं,सिंगरौ, बराई, पारापुरवा, करियाबीजा, अकोना, पहाड़ीसपौहा इन ग्रामों की खेती कुछ जमीनें इस वन क्षेत्र में है. वहां पर यदि एक साल सूखे के कारण खेती नहीं हो पायी तो अगले साल वहां पर वन विभाग के कर्मचारी, अधिकारी यह कहते हैं कि आपने पिछले साल सूखे के समय पर खेती नहीं की.अब आपको वहां पर खेती नहीं करने दी जाएगी और उनसे भ्रष्टाचार भी होता है ऐसे में 10 हजार, 15 हजार रुपये भी ठहराये जाते हैं, बरेदियों से भी ठहराये जाते हैं और यह बातें उजागर होती हैं, हम तक पहुंचती हैं,ऐसा नहीं है, मैं तथ्यों के आधार पर आपसे बात कर रहा हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक ज्वलंत समस्या जो वन विभाग की है. वन विभाग में जो अमला फायर वाचर्स (fire watchers) का लगाया जाता है उस फायर वाचर्स के अमले में शासन का जो अतिरिक्त खर्च होता है उससे बेहतर है कि उन फायर वाचर्स की संख्या को कुछ कम करके परमानेंट व्यवस्था कर दी जाए, कुछ लोगों की भर्तियां करवा दी जाएं लेकिन उनको क्रमिक भर्ती के तरीके से रखा जाए, वह परमानेंट रहें. अपने 6 महीने का पीरियड जनवरी से लेकर जुलाई तक जब फायर वाचर्स का यह समय आता है, उस समय पर वह कार्यरत रहें, बाकी अपना काम करें, ऐसा मेरा सुझाव है क्योंकि एक बार एक व्यक्ति को लगाया जाता है, एक बार दूसरे को लगाया जाता है और फिर रेंजर साहब वहीं हैं उसी गांव के दो व्यक्ति हैं उनमें से नहीं लगाया, तीसरे को लगा लिया, तरह तरह की शंकाएं और बातें आती हैं. मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूँ कि टाइगर हेबीटेट और टाइगर की पापुलेशन को डेव्हलप कर रहे हैं, नेशनल पार्क को डेव्हलप कर रहे हैं परन्तु नेशनल पार्क में जहां herbivores हैं जैसे चीतल हुए, सांभर हुए, रोज हुए, चिंकारे हुए.
उपाध्यक्ष महोदय-- कृपया दो मिनट में समाप्त करें.
कुँवर विक्रम सिंह-- उपाध्यक्ष महोदय, बड़ा लम्बा सा विषय है और अभी आधा भी नहीं हो पाया है.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप तो एक विशेषज्ञ की तरफ बोल रहे हैं, ऐसे में तो बहुत शाम हो जाएगी. बोल बहुत अच्छा रहे हैं लेकिन सीमित करें.
कुँवर विक्रम सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सारी बातें छोड़ के अपने इसपर आ जाता हूं रोज, सुअर और ब्लैक बक(Black Buck) (हंसी) माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से माननीय वन राज जी से यह निवेदन है कि वन विभाग के द्वारा ऐसी कोई नीति बनायी जाए ताकि यह जो रोज है,सुअर हैं, Black Buck जहां पर बहुतायत में हो गये हैं इनको वर्मिन की श्रेणी में लिया जाए, वर्ग-5 में लिया जाए जो वर्ग-4 में हैं अभी,सुरक्षित जातियों में, सुरक्षित प्रजातियों में, संरक्षित प्रजातियों में उसमें से हटाकर के इनको वर्मिन में लिया जाए सबसे पहले, दूसरी बात मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहगा कि वन विभाग और राजस्व दोनों विभाग आपस में तय कर लें और जैसे पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा इसमें सुअर और रोज के परमिट देने की बात उल्लेखित की गयी है, पेपरों में आया है वहां पर लोगों ने परमिट लिये हैं और मेरे कई दोस्तों ने वहां पर जाकर इस साल शिकार भी खेला है. परमिट यदि जारी कर दिये जाएंगे, सरकार के ऊपर कोई एक्सट्रा बोझ नहीं पड़ रहा है. परमिट जारी होने से जो व्यक्ति आयेगा, आपको रेवेन्यू डिपाजिट करेगा,आपको परमिट की जो फीस डिपाजिट करेगा, उससे रेवेन्यू जनरेशन भी होगा.आपके रोज का समाधान हो गया. किसान भी खुश, जनता भी खुश. माननीय मंत्री जी, प्रदेश में सुअर और रोज के लिए परमिट की व्यवस्था कीजिए और एक बात कहना चाहता हूँ कि चिन्कारा और भेड़की भी उसी जाति के जानवर है जिसके Black Buck और रोज हैं एंटीलोप जाति के और यह चिन्कारा और भेड़की वन क्षेत्रों में कम होते जा रहे हैं, मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इनको भी संरक्षित श्रेणी में चूंकि यह जानवर आते हैं इनको भी अपना जीवन जीने का अधिकार है, वन क्षेत्रों में यह टोटली नाइट सफारी प्रतिबंधित करें, मेरा आपसे आग्रह है. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री जालम सिंह पटेल(नरसिंहपुर)--- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10 का समर्थन करता हूं . हमारे प्रदेश में बहुत बड़े एरिया में वन हैं और वन से ही हमारी प्रदेश की पहचान भी है और इन वनों में जो हमारे जंगली जानवर भी हैं, हमारी आबादी भी वहाँ बसती है . उसके अलावा पर्यटन के क्षेत्र में भी वन के माध्यम से पूरे विश्व में हमारे प्रदेश का नाम है. चाहे वह कान्हा नेशनल पार्क हो, चाहे बांधवगढ़ नेशनल पार्क हो, इसके अलावा और भी नर्मदा के क्षेत्र में तटीय इलाकों में वन विभाग के माध्यम से बहुत सारे अभ्यारण्य बनाये जा रहे हैं. हमारे प्रदेश के सम्मानीय वनमंत्री जी बहुत सीनियर हैं , अनुभवशील हैं और जिस जिस विभाग में भी रहे हैं उसका कुशल प्रबंधन उन्होंने किया है. वन विभाग के माध्यम से आज पूरे प्रदेश में जितने भी क्षेत्र हैं, सारे क्षेत्रों में विकास हो रहा है और मैं ऐसा मानता हूं कि हमारे पंचतत्वों में वन की विशेष भूमिका है, वन नहीं होंगे तो जितने भी जीव हैं, वह जीवित नहीं रहने वाले हैं. इसलिए इसका संरक्षण हमारे प्रदेश में बखूबी निभाया जा रहा है. जन, जंगल ,जमीन,जानवर के संरक्षण हेतु पंचज योजना हमारे प्रदेश में संचालित है. जब कभी बात आती है कि सुअरों का आतंक है, जानवरों का आतंक है और जो यह हमारा ईको सिस्टम है , सारी जितनी भी योनियाँ हैं, जितने भी जीव-जन्तु हैं , वह एक सिस्टम में है. अगर उससे कोई भी जानवर कम हो जाएगा तो मैं ऐसा मानता हूं कि हमारा ईको सिस्टम बिगड़ जाएगा और असंतुलन की स्थिति में बहुत सारी बीमारियाँ फैलती जाती हैं, हमको पता नहीं रहता है कि यह बीमारियाँ क्यों आ गई. ईको सिस्टम से जो भी जीव बाहर होता है , उसके कारण यह बीमारियाँ पैदा होती है. हमारे आचार्य जी की वाणी है कि जीव, जीव का आधार है, आहार नहीं है . यह एक दूसरे के पूरक हैं, जितने भी जीव हैं एक दूसरे के पूरक हैं, उनका संरक्षण होना चाहिए. मध्यप्रदेश में बहुत सारी योजनाएं चल रही हैं उसमें मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम के द्वारा जो भी हमारे कमजोर वर्ग के लोग हैं, उनके लिए वह काम कर रहे हैं, उनको बढ़ाने हेतु बहुत सारे काम किये जा रहे हैं, गुणात्मक सुधार किये जा रहे हैं. मध्यप्रदेश राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा एससी, एसटी , ओबीसी के कमजोर वर्ग के गरीबों को आर्थिक और सामाजिक विकास किया जा रहा है. राज्य वन अनुसंधान संस्थान द्वारा वन, वनस्पित, वृक्ष , बीज सुधार के लिए बहुत सारे कार्यक्रम किये जा रहे हैं. जैव विविधता बोर्ड बना हुआ है उसके माध्यम से जंगलों में हमारे बहुत सारे काम हो रहे हैं. मध्यप्रदेश ईको पर्यटन विकास बोर्ड के माध्यम से भी बहुत सारे कार्य किये जा रहे हैं. मध्यप्रदेश राज्य बांस मिशन द्वारा प्रदेश में बांस आधारित बहुत सारे छोटे-छोटे उद्योग चलाये जा रहे हैं. बिगड़े वनों का सुधार किया जा रहा है बांसरोपण हो रहा है. शिल्पकारों की दक्षता को उजागर करने के लिए बहुत सारी योजनायें हमारे प्रदेश में चल रही हैं, बहुत सारी कार्यशालायें चलाई जा रही है, छोटे छोटे गरीब भाईयों के लिए कौशल विकास के लिए बहुत सारी योजनायें पंचायत स्तर पर और वन समितियों के माध्यम से चल रही हैं. इसी प्रकार से वनसुरक्षा समिति, ग्राम वन समिति , ईको विकास समितियों द्वारा भी पूरे प्रदेश में जो भी हमारे जंगल के क्षेत्र हैं उनसे 5 किलोमीटर की सरहद में भी योजनायें चलाई जा रही है. वनों के विकास की यदि हम बात करें और वहाँ रहने वाले ग्रामीणों के विकास के लिए भी हमारी सरकार लगातार काम कर रही है. निस्तार डिपो के सुचारू रूप से संचालन के लिए भी हमारे प्रदेश में मंत्री जी ने प्रावधान किया है कि लगभग ग्रामीणों को बाजार मूल्य की तुलना में निस्तार के लिए 16 करोड़ रुपये से ज्यादा की निस्तार रियायत देते हुए बांस ,बल्ली और जलाऊ लकड़ी प्रदाय की गई है.वन समितियों को पिछले वर्ष की काष्ठ एवं बांस विदोहन के लिए 41 करोड़ से ज्यादा का लाभांश दिया गया है. तेंदूपत्ता संग्राहकों को 152 करोड़ रुपये से ज्यादा का पारिश्रमिक दिया गया है. एकलव्य शिक्षा विकास योजना के संग्राहकों के 4129 होनहार बच्चों को ढाई करोड़ से ज्यादा की छात्रवृत्ति उच्च शिक्षा के लिए दी गई है. इसी प्रकार प्रदेश में पहली बार गिद्धों की गणना का कार्यक्रम इसी जनवरी में संपन्न हुआ है. प्रदेश के टाइगर रिजर्व बफर क्षेत्र में 93 करोड़ से ईको पर्यटन विकास कार्य स्वीकृत किये गये हैं. इसी प्रकार से और भी हमारे प्रदेश में बहुत सारी योजनायें चल रही हैं. जिसमें ऊर्जा चारा रोजगार स्थापना हुई है. इसके अलावा कुछ हमारे विभागों में जो काम करते हैं जो हमारे ग्रामीण क्षेत्र के लोग वन बचाने के लिए , वन को सुरक्षित करने के लिए,चाहे अधिकारी हो , चाहे कर्मचारी हो, चाहे वन समिति के सदस्य हो, ग्रामीण हो, यह सब सामाजिक समरसता के साथ और जन भागीदारी के साथ काम करते हैं. इसके लिए शहीद अमृतादेवी विश्नोई पुरस्कार की भी व्यवस्था है. उसमें प्रथम पुरस्कार में 1 लाख रुपया, द्वितीय 50 हजार, तृतीय 50 हजार रुपये . इसी प्रकार बसामन मामा स्मृति वन्य प्राणी सुरक्षा पुरस्कार की भी प्रदेश में व्यवस्था की गई है उसके माध्यम से भी हमारे जो भी भाई हैं, जो जंगल में रहते हैं,वन्य जीवों का संरक्षण करते हैं, उनके लिए भी विंध्य क्षेत्र पुरस्कार हेतु 2 लाख रुपये का प्रथम पुरस्कार है, द्वितीय 1 लाख रुपया है और तृतीय 50 हजार रुपया है.राज्य स्तरीय पुरस्कार में 2 लाख रुपये का प्रथम पुरस्कार है, द्वितीय 1 लाख रुपये और तृतीय 50 हजार का है. वन्य प्राणी पुरस्कार जो हमारे अधिकारी और कर्मचारी वन्य प्राणियों का संरक्षण करते हैं, जंगली जानवरों का संरक्षण करते हैं उनके लिए भी पुरस्कार की व्यवस्था हमारी प्रदेश सरकार ने की है उसमें चार पुरस्कार हैं और 50-50 हजार रुपये की राशि पुरस्कार के रूप में दी जाती है. इसके अलावा भी हमारे स्थानीय रूप से विलुप्त प्रायः प्रजातियों का पुनर्वास कराने के लिए भी प्रदेश सरकार ने और केंद्र सरकार ने योजना लेकर आए हैं, उसमें एक बाघ पुनर्वास कार्यक्रम है उसके माध्यम से जो प्रजातियाँ लुप्त होने की स्थिति में है उनके लिए कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. बारहसिंगा पुनर्वास कार्यक्रम में बारहसिंगा कहीं कहीं कम हो रहे हैं उनके लिए यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है. सिंह पुनर्वास कार्यक्रम है, इसमें सिंहों के पुनर्वास के लिए हमारी सरकार लगातार उसके लिए कार्य कर रही है. कार्बन फ्लाक्स टावर की स्थापना हमारे इस प्रदेश में है. मैंने पहले ही कहा कि अगर जब कभी सीओटू कार्बन डायआक्साईड बढ़ती है तो उसके कारण बहुत सारी विसंगितयाँ बढ़ती है, सांस लेने संबंधी बीमारियाँ बढ़ती हैं, इसके लिए हमारी केंद्र की सरकार और प्रदेश की सरकार संयुक्त रूप से मिलकर उस क्षेत्र में काम कर रही हैं. राष्ठ्रीय औषधीय पादप बोर्ड प्रवर्तित कुटीर उद्योग योजना के माध्यम से हमारे जंगलों में जो औषधीय हैं उनको संरक्षित करने के लिए और कुटीर उद्योगों के रूप में परिवर्तित कर रहे हैं. इन औषधियों को कैसे हम लोगों तक पहुंचाये इसके लिए बहुत बड़ी कार्ययोजना बनी है उस माध्यम से लोगों तक इसका लाभ पहुंच रहा है. निजी भूमि पर उगाई गई 53 वृक्ष प्रजातियों को मध्यप्रदेश अभिवहन (वनोपज) नियम 2000 के तहत परिवहन अनुज्ञा से मुक्त किया गया है हमारे निजी क्षेत्र में लगभग 53 प्रकार की प्रजातियां को हमारे मुख्यमंत्री जी ने वनमंत्रीजी ने उसके लिए एक योजना बनाई है कि उसमें उनको जो लायसेंस देना पड़ता था वह लायसेंस नहीं लेना पड़ेगा तो इस प्रकार की प्रदेश की सरकार और क्षेत्र में लगातार काम कर रही है कि वनभूमि व्यपवर्तन के माध्यम से हमारे पहले ऐसा हुआ करता है कि हम सभी विधायकगण भी इससे वाकिफ होंगे कि जब हम कभी क्षेत्र में जाते हैं , खासकर वनांचल क्षेत्र में जाते हैं तो वहां सड़क निकलने की व्यवस्था नहीं है , कहा जाता है कि यहाँ से अनुमति नहीं मिलेगी , यहाँ बांध नहीं बन सकता, स्कूल नहीं बन सकता , अस्पताल नहीं बन सकती तो इस प्रकार से उसमें भी प्रदेश की सरकार ने बहुत सारी संशोधन किये हैं. वनक्षेत्रों में गुजर रहे मार्गों के उन्नयन हेतु 25 अक्टूबर 1980 के पूर्व के कच्चे मार्गों के उन्नयन हेतु सशर्त अनुमति जारी करने के लिए वनमंडलाधिकारी के अधिकार दिये गये हैं.
अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के स्वल्पाहार विषयक
उपाध्यक्ष महोदय--- माननीय सदस्यों के लिए स्वल्पाहार की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है . माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वह सुविधानुसार स्वल्पाहार ग्रहण करने का कष्ट करें. जालमसिंह जी कितना समय और लेंगे.
श्री जालम सिंह पटेल-- उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार के विकास कार्यों के लिए भी अब एक हैक्टेयर से कम वन भूमि के व्यपवर्तन की स्वीकृति के अधिकार वनमंडलाधिकारी को दिए गए हैं. इससे काफी बड़ी राहत मिली. ग्रामों की सड़क मरम्मत के अलावा, स्कूल, अस्पताल, विद्युत, संचार लाइनें, पेयजल की व्यवस्था आदि मांगों के संबंध में स्थानीय स्तर पर स्वीकृति मिलने से विकास कार्य हो पा रहे हैं. इसके तहत अब पाठशाला भवन, चिकित्सालय, आँगनवाड़ी, उचित मूल्य की दुकान, विद्युत लाइन, पेयजल हेतु पाईप लाईन आदि कार्य हो पा रहे हैं. इसके पहले बहुत सारी विसंगतियाँ होती थीं. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन कर दूँ कि एक लंबे समय से वन क्षेत्रों में विकास कार्य रुके पड़े थे. शासन के इन प्रावधानों से निश्चय ही इन क्षेत्रों में विकास के कार्यों को तेजी से किया जा सकेगा. मेरा माननीय वन मंत्री जी से अनुरोध है कि इन नियमों का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों को मिल सके, यह सुनिश्चित करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आजीविका के जंगली क्षेत्र में भी बहुत सारे ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ आने जाने की बहुत सारी विसंगतियाँ होती हैं और रोजगार के अवसर कई बार नहीं मिल पाते इसलिए हमारे वन विभाग ने और प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह जी चौहान ने, माननीय मंत्री जी ने, जो हमारे वहाँ रहने वाले जितने भी वहाँ वनाँचल में जो लोग रहते हैं उनके लिए बहुत सारी सुविधाएँ दी हैं. अभी हमारे माननीय एक सदस्य बात कर रहे थे कि जब हम कभी जानवरों को जंगल में ले जाते हैं तो समस्याएँ बहुत पैदा होती हैं. जंगल में हमारे जानवरों को चराने की व्यवस्था नहीं होती तो मंत्री जी ने एक अभी उसमें छूट दी है कि वनों के समीप बसे ग्रामवासी पालतू मवेशियों को वनों में चरने के लिए छोड़ देते हैं, जिससे वनों का पुनरुत्पादन प्रभावित होता है. चराई के इस बढ़ते दबाव को कम करने के लिए ग्रामों से लगे वन क्षेत्रों में चारागाह विकास की गतिविधि चलाई जा रही है. चारागाह पहले नहीं हुआ करते थे. मैं ऐसा भी मानता हूँ कि हमारे वनों में, हमारे जो भी पालतू जानवर हैं, अगर वह जाते रहेंगे तो उससे खाद से लेकर उनको गौमूत्र से बहुत सारा खाद्य वहाँ पैदा होने वाले हैं और बहुत सारी औषधि अगर वे खाकर आएँगे, जंगल के बहुत सारे पेड़, पौधे, खाएँगे और जब लौटकर वे आते हैं तो हमको भी उसका लाभ होने वाला है इसलिए वह योजना हमारी प्रदेश की सरकार ने उसमें की है. वन विभाग द्वारा संयुक्त वन प्रबंधन के तहत गठित समितियों को काष्ठ के लाभांश की राशि उपलब्ध कराई गई. जैसा मैंने पहले भी कहा कि किस प्रकार से इनको लाभ पहुँचा है और कई वन समितियाँ जिन्होंने बहुत सारे छोटे-छोटे उद्योग भी लगाए हैं जिसमें जैसे सिलाई मशीन है, साईकिल मरम्मत की दुकान है, किराना दुकान है, छोटे छोटे उद्यम चलाए जा रहे हैं. इस प्रकार से हमारे प्रदेश में लगातार जो उपेक्षित क्षेत्र है, जो दूरस्थ क्षेत्र है, उसको लाभ पहुँचाने का प्रयास हमारे प्रदेश की सरकार लगातार उसमें काम कर रही है.
उपाध्यक्ष महोदय-- दो मिनट में समाप्त करें.
श्री जालम सिंह पटेल-- इसके अलावा भी अभी एक और बात हो रही थी कि जब कभी आग लग जाती है, कई प्रकार की ऐसी समस्याएँ जंगलों में आ जाती हैं और जंगल के क्षेत्र में हर कोई व्यक्ति भी प्रवेश नहीं करता इसलिए प्रदेश की सरकार ने एक अग्नि सचेतन संदेश प्रणाली (फॉयर एलर्ट मैसेजिंग सिस्टम) में सुदूर संवेदन के माध्यम से जंगल में लगी आग का पता लगाकर इसकी भू-स्थानिक स्थिति समेत सूचना संबंधित अधिकारियों को मोबाईल फोन पर दी जाती है. यह एप्लीकेशन अग्नि सुरक्षा कार्यों का अनुश्रवण करने में अत्यंत सहायक सिद्ध हुआ है. इस प्रकार से प्रदेश में इसके अलावा भी बहुत सारी योजनाएँ संचालित हैं. मेरा माननीय वन मंत्री जी से अनुरोध है कि सूचना प्रौद्योगिकी का वनों के प्रबंध में अधिक से अधिक उपयोग किया जाए. इससे वन अपराधों को नियंत्रित किया जा सकेगा. इसके साथ ही वनों का विकास और संरक्षण भी हो सकेगा. उपाध्यक्ष जी, आपने बोलने का अवसर दिया आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद जालम सिंह जी.
श्री सुखेन्द्र सिंह(मऊगंज)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का अवसर दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद. उपाध्यक्ष महोदय, हमारे क्षेत्र में वन विभाग का बहुत कम क्षेत्र है. लेकिन इसके बावजूद कुछ गाँव ऐसे हैं जो वन विभाग के अन्दर फँसे हैं. उनके आने जाने का रास्ता बहुत ही परेशानी में है, जिसका मैं जिक्र करना चाहता हूँ. माननीय वन मंत्री जी बैठे हुए हैं. एक हाटा जलकुर के बीच में गदहखुर मार्ग है. दूसरा, हर्रईप्रताप सिंह गाँव है, तीसरा, बीरादेही पसुधा मार्ग, ये गाँव आपस में मात्र वन विभाग के अवरोध के कारण जुड़ नहीं पाते. अतः मंत्री जी से अनुरोध है कि इन गाँवों में आने जाने के लिए अनुमति प्रदान करें. वहाँ पर वन समितियाँ हैं या तो उनके माध्यम से राशि भी उपलब्ध कराएँ, अपने विभाग से, जिससे कि रास्ता बन सके. नहीं तो ऐसी अनुमति हो कि हम लोग उसमें अपना बजट और कुछ मनरेगा के पैसे से वहाँ पर आने जाने का रास्ता सुगम करा सकें. दूसरी बात, नील गायों का प्रकोप बढ़ रहा है. अभी हमारे वरिष्ठ विधायक नातीराजा ने बड़े विस्तार से इस मुद्दे पर चर्चा की है. जो दिक्कत उनको है, वही दिक्कत हमारे क्षेत्र में भी, नील गायों को लेकर के है इसलिए इस पर एक नीति बनाने की आवश्यकता है. तीसरी बात, हमारे क्षेत्र में कुछ एरिया में बेक-बक भी हैं जिनका की आए दिन शिकार होता है. पहले तो ज्यादा मात्रा में थे लेकिन अब खतम होते जा रहे हैं. अतः कुछ अभ्यारण्य जैसी व्यवस्था बनाई जाए जिससे उनकी सुरक्षा हो सके. ज्यादा कुछ न बोलते हुए, आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद सुखेन्द्र सिंह जी.
श्री आर डी प्रजापति(चन्दला)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10 के समर्थन में अपने विचार रख रहा हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, जंगल और जानवरों को बचाने के लिए हमारा सबका कर्त्तव्य है और उसकी सुरक्षा करने के लिए भी, जब तक जंगल नहीं रहेंगे, जानवर नहीं रहेंगे, तो पर्यावरण समाप्त हो जाएगा और जब पर्यावरण समाप्त हो जाएगा तो इन्सान भी नहीं रहेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में करीब 9 सौ हैक्टेयर जमीन जंगल विभाग की पड़ी हुई है. ठकुर्रा ग्राम में जो आज पूरा अतिक्रमण में है. वहाँ जंगली लकड़ी सब काट ली जाती है. जंगली जानवर नहीं रह पाते हैं और पूरी तरह से अतिक्रमण है. मेरे क्षेत्र में नील गायों और सुअर का बहुत बड़ा आतंक है. उपाध्यक्ष महोदय, पहले तो इन्सान रहेगा तो फिर जानवर रहेंगे. मेरे यहाँ एक फसली फसल बोई जाती है और तीन साल से लगातार सूखा है. मेरे क्षेत्र में लगभग 10 से 20 हजार नील गाय हैं और मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूँगा कि जब कभी भी यह नील गायों लिखा गया है एक्चुअली यह गाय की श्रेणी में आती ही नहीं है. यह जो बकरी होती है. बर्रु बकरी उसकी श्रेणी में आती है. 1 नील गाय 6 माह में 2 बच्चे देती है और गाय 10 माह में 1 बच्चा देती है तो अगर 1 साल में, मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि अगर 1 हजार ही मादा नील गाय है तो 4 हजार बढ़ना है और अगर वह 10 हजार है तो 4 गुना मान लीजिए और ये बढ़ती हैं क्योंकि मारने के आदेश नहीं हैं. उपाध्यक्ष महोदय, बहुत गंभीर मामला है और मैं आप से निवेदन कर रहा हूँ कि मैं आज जो 38 हजार वोट से जीतकर आया हूँ केवल नील गाय की बदौलत कि किसानों को हम इससे छुटकारा दिलाएँगे. किसी भी कीमत पर. मेरे यहाँ लगातार 3 साल से सूखा पड़ रहा है और सूखा तो पड़ा अगर सूखा नहीं पड़ता है तो 50 से 70 प्रतिशत तक खाना नीलगाय खा लेती हैं. मेरे यहां 8 माह तक नीलगाय खाना खाती हैं एक नीलगाय 4-5 क्विंटल की होती है यदि एक नीलगाय 24 घंटे में 50 किलो खाना ही खाती है तो 10 से 20 हजार नीलगाय 32 लाख क्विंटल 8 माह के अन्दर खाना खा लेती है. लोग कहते हैं कि क्या वह चारा नहीं चरेगी मैंने उन्हें कहा कि बापू की कुटिया में आपको भेज दिया जाए या फुटपाथ पर भेज दिया जाए पैसा नहीं लगना है तो आप कहां खाना खाएंगे ? तो आप तो अच्छी जगह खाना खाएंगे. इसी तरह से यदि नीलगाय को भी दाना, भुट्टा मिल रहा है तो वह चारा क्यों चरेगी ? अभी माननीय विक्रम सिंह जी ने कहा कि यह नीलगाय, गाय नहीं है. मैं इसी के दम पर चुनाव जीतकर आया हूँ. यह बहुत गंभीर मामला है.
उपाध्यक्ष महोदय--इससे पूरा सदन सहमत है.
श्री आर.डी. प्रजापति--सहमत तो है, हमारे यहां एक कहावत है कि कहा पंच सही पेनरधा बही तो वहीं से बही. सही तो कहना है लेकिन काम होना ही नहीं है तो काम कैसे चलेगा. 900 हेक्टेयर शासकीय जमीन पड़ी हुई है उस जमीन पर आयरन चेनलिंक फेंसिंग करवाई जाए इसका प्रस्ताव मैंने शासन के वन विभाग को भिजवा दिया है इसका जावक क्रमांक 438 दिनांक 18.6.2014 है. 900 हेक्टेयर, इसका कक्ष क्रमांक है पी 731, 732 और 733 जो कि 20 किलोमीटर में है. इसमें बहुत जंगल की संभावना है इसमें बीच में नदी है. जंगली जानवर विशेषकर नीलगाय वहां जायेंगी तो नुकसान नहीं करेंगी इनके चरने की व्यवस्था हो जायेगी छोटे-मोटे जानवरों को रुकने की व्यवस्था हो जाएगी. नदी बीच में बह रही है इससे पानी की व्यवस्था हो जाएगी. इससे बहुत बड़ा लाभ है जो जंगली क्षेत्र है वह अतिक्रमण से बच जाएगा, लकड़ी मिलने लगेगी, जो जंगली जानवर पत्ती खाते हैं वह पेड़ पौधे बच जाएंगे वन विभाग को इससे बहुत लाभ हो जाएगा और हमारा जंगल सुरक्षित हो जाएगा, पर्यावरण के साधन होंगे, प्रदूषण से मुक्त होगा, हरा-भरा होगा और 80 प्रतिशत फसल जो नीलगाय द्वारा खा ली जाती है जिसके कारण लोग पलायन कर रहे हैं. 100-100 एकड़ के काश्तकार नीलगायों के कारण दिल्ली, जम्मू कश्मीर चले जाते हैं अगर इस समस्या का निराकरण नहीं हुआ तो मैं आपको बता देना चाहता हूँ चाहें तो मंत्रीजी सर्वे करवा लें मेरे क्षेत्र में एक भी व्यक्ति नहीं रहेगा और सिर्फ नीलगाय ही नीलगाय दिखाई देंगी रहने के लिए जगह नहीं मिलेगी. प्रस्ताव आ गया है 4 करोड़ की लागत का प्रस्ताव है जिससे अरबों रुपयों का वन, वन्यप्राणी, फसल, चारा, घास, लकड़ी, इमारती लकड़ी सब बच जाएगी लोगों को रोजगार मिल जाएगा. वन विभाग के कर्मचारी लग जाएंगे क्षेत्र में पर्यावरण का माहौल बनेगा और सभी किसान सुखी रहेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे यहां सिंचाई की सुविधा दी जाए या जो भी सुविधाएं दी जाएं अगर नीलगाय पर प्रतिबंध नहीं लगता है तो कुछ नहीं होने वाला है. मेरा निवेदन है कि नीलगाय, सुअर और सेही को धारा 4 से हटाकर बर्मिन घोषित किया जाए फिर आपकी जरुरत नहीं है लोग खुद नियंत्रण कर लेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10 का विरोध करती हूँ. मैं अपने क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं पर अपनी बात रखना चाहती हूं. मेरे विधान सभा क्षेत्र में 25 पंचायतें लगभग वनग्राम की हैं वनक्षेत्र में वहां के आदिवासी विगत 50 वर्षों से अधिक समय से निवासरत हैं कृषि कार्य कर रहे हैं उनको अभी तक शत-प्रतिशत पट्टे नहीं दिए गए हैं उन्हें पट्टों के अभाव में शासन द्वारा संचालित जितनी भी जनकल्याणकारी योजनाएं हैं उनका लाभ नहीं मिलता है, उन्हें शत-प्रतिशत पट्टे मिलें ऐसा मैं अनुरोध करती हूँ जिनको पट्टे मिले हैं उनको फसल की नुकसानी का मुआवजा नहीं दिया जाता है. राजस्व विभाग कहता है कि हमारे द्वारा इसका सर्वे नहीं होगा इस तरह से वे छूट जाते हैं. इस बार भी मिर्ची और सोयाबीन का मुआवजा इन लोगों को नहीं मिला इनका सर्वे किया जाए और जब भी अनावृष्टि, अतिवृष्टि या सूखे से नुकसान होता है तो उनका सर्वे कराकर मुआवजा दिया जाए. वनग्राम के पट्टेधारियों को बैंकों से ऋण उपलब्ध नहीं हो पाता है इसकी व्यवस्था शासन की ओर से होना चाहिए. वनग्राम के विकास कार्यों में अनुमति लेने की जो प्रक्रिया है वह सरल होना चाहिए ताकि सड़क, भवन, स्कूल, सामुदायिक भवन, आंगनवाड़ी भवन, मंदिर, तालाब, विद्युत ग्रिड निर्माण, मोबाइल टॉवर निर्माण एवं मवेशियों के चरने हेतु चरनोई स्थल है यह अनुमति न मिलना इन कार्यों के विकास में बहुत बड़ी बाधक है.
उपाध्यक्ष महोदय, इस क्षेत्र में मात्र एक ही फसल ली जाती है उनमें सिंचाई के साधनों का बहुत-बड़ा अभाव है चूंकि वनग्राम के नियमों में यह आता है जिससे बड़े तालाबों के निर्माण की अनुमति नहीं मिलती है तो मैं अनुरोध करती हूँ कि छोटे-छोटे तालाबों का निर्माण हो, छोटे जलाशय, स्टाप डेम का निर्माण हो यह हर पंचायत में बनें ताकि सिंचाई के साधन उन्हें उपलब्ध हो सकें और किसान दूसरी फसल भी ले सकें और उनका विकास हो. ज्यादा न बोलते हुए मैं अपनी बात यहीं समाप्त करती हूँ. धन्यवाद.
श्री प्रदीप अग्रवाल (अनुपस्थित)
श्री वैलसिंह भूरिया (सरदारपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 10 का समर्थन करते हुए मैं मेरी बात को रखता हूँ. जिस प्रकार से भारतीय जनता पार्टी की सरकार श्री शिवराज सिंह जी की सरकार वनों के प्रति और वन में रहने वाले आदिवासी भाइयों के प्रति प्रतिबद्ध है जिसका परिणाम है कि 3 लाख से अधिक पट्टे मध्यप्रदेश सरकार ने आदिवासी क्षेत्र में रहने वाले भाइयों को बांटे हैं. अभी हम रोज़ की बात कर रहे थे रोज़ की समस्या तो सभी जगह है इसके लिए भी कोई उचित प्रबंध किया जाए.
दूसरा मैं यह कह रहा था कि वन्य प्राणी के द्वारा हमारे जंगल में रहने वाले आदिवासियों भाईयों के ऊपर हमला हो जाता है और उसका मुआवजा जल्दी से नहीं मिलता है. मैं टी वी में देख रहा था कि होशंगाबाद में आदिवासी भाई के बच्चे को बाघ के द्वारा घायल कर दिया गया है. उसका समय पर उपचार नहीं होता है, उसमें भी वन विभाग की तरफ से कोई उचित प्रबंधन किया जाए. उपाध्यक्ष महोदय, जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार मध्यप्रदेश में बनी है, तब से इन 12 सालों में हम कहते हैं कि खेती का रकबा बढ़ा है तो वाकई में खेती का रकबा बढ़ा है लेकिन वन का भी रकबा बढ़ा है. वन का भी विकास हुआ है वन के विकास के साथ में हजारों लाखों आदिवासी भाईयों का भी विकास हुआ है. हमारा धार जिले के सरदारपुर विधान सभा मेरा क्षेत्र आता है वहां पर वन एरिया में बड़ी बड़ी परियोजनाएं स्वीकृत हैं. वन विभाग ने काफी पौधे लगायें हैं, पहले जब कांग्रेस का राज था तो सब जानवर मार कर खा गये यह सारे के सारे गुर्जर और दरबार लोग सारे जानवरों को मार मार कर खा गये हैं.
श्री रामनिवास रावत:- उपाध्यक्ष महोदय, यह तो कार्यवाही से निकलवा दें.
उपाध्यक्ष महोदय :- यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री वैल सिंह भूरिया :- उपाध्यक्ष महोदय, यह नील गायें यह तो डर के मारे जानवर बढ़ रहे हैं. अगर हमें इनको मारने की अनुमति हो गयी तो एक साल के अन्दर हम इन्हें खत्म कर देंगे. मैं आदिवासी भील समाज से आता हूं. भीलों और राजपूतों का तो चोली दामन का साथ है. मैं मेरे विषय पर आता हूं समय काफी हो गया है. यह कोई ऐसी बात नहीं है हंसाने वाली. उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार में तालाब बनाने के लिये वन विभाग में फारेस्ट एरिया में 5 हैक्टेयर तक अनुमति देने का प्रावधान है. इसको बढ़ाकर कम से कम 10 हैक्टेयर किया जाए. इससे जंगल में रहने वाले आदिवासी क्षेत्र का विकास होगा, परियोजनाएं बनेगी जिस प्रकार से हमारी बहन झूमा सोलंकी जी बता रही थीं कि आदिवासी क्षेत्र में वन ग्रामों में बिजली लगाना है तो वन विभाग अनुमति नहीं देता है. उससे बड़ी दिक्कत आती है उसके लिये भी अनुमति दे दी जाये. हमारे सरदारपुर में माचलिया घाट है, माचलिया का जो जगंल सरदारपुर क्षेत्र में आता है वहां पर अनुमति नहीं मिलने से देश को आजाद हुए 59 साल हो गये हैं इन सालों में आज तक वन विभाग की तरफ से आज तक लाईट नहीं लगी है. हमने मंजूर कर दी है फिर भी बिजली नहीं लगी है. इसकी अनुमति वन विभाग से मिल जाये तो बहुत अच्छा होगा. उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार यहीं पर नहीं रूकी हमारी सरकार दिनों दिन बहुत काम कर रही है. उपाध्यक्ष महोदय मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि लोक वाणिकी योजना और और व्यापक बनाते हुए और अधिक से अधिक किसानों को इससे जोड़ा जाए. इसके ग्रामीणों को उनकी मांग के अनुसार कम दरों पर पौधे उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाये. मुफ्त में पौधे बिल्कुल न दिये जायें. क्योंकि फिर पौधों के प्रति मोह पैदा नहीं होगा. विभाग को ग्रामीण किसानों के रोपण के समीप पौधे पहुंचाने की भी व्यवस्था करना चाहिये. यदि यह सुविधा दी गयी तो गांव में वृक्षारोपण होगा और हरित क्रांति देश क अन्दर आयेगी. हमारी सरकार निरन्तर काम कर रही है, कृषि के क्षेत्र में जिस प्रकार से काम कर रही है, उसी प्रकार हमारा वन विभाग भी जंगल के प्रति प्रतिबद्ध है, कहीं घटना हो गयी होगी, वह बहुत बड़ी बात नहीं है, लेकिन हमारी सरकार जब से बनी है तो तब से लगाकर अभी तक देखें तो वाकई में जो जंगल से जो आय होती है वह बढ़ी है और हमारे जंगल भी सुरक्षित हमारी सरकार के द्वारा बचा है. इसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और वन मंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहूंगा. जंगल जो बचा है सिर्फ भारतीय जनता पार्टी की सरकार के कारण बचा है और कांग्रेस की सरकार ने जंगल को बेच दिया, जंगल को तो बेचा ही बेचा, लेकिन जंगल में रहने वाले जानवरों का भी सौदा कर दिया था कांग्रेस की सरकार ने. हमारी सरकार ने यदि हरित क्रांति को बचाया है तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बचाया है. उपाध्यक्ष महोदय, वन ग्रामों को सशक्त किया जाये, वन ग्रामों के माध्यम से कई निर्माण कार्य भी होते हैं तो हमारे वन विभाग में मनरेगा के अंतर्गत जो काम होते हैं यदि उसका अधिकार हमारे वन विभाग को तालाब और सड़क बनाने की अनुमति दी जाये औरअलग से इसका बजट में भी पांच दस हजार करोड़ की भी व्यवस्था यदि हमारे वन विभाग को मनरेगा के अंतर्गत काम करने की अनुमति दी जाये तो वन विभाग के द्वारा आदिवासियों के जो वन ग्राम हैं उनको कनेक्टिविटी से जोड़ा जायेगा तो आदिवासी क्षेत्र का विकास होगा और आदिवासी क्षेत्र में डेम बनाने की अनुमति दी जाये जिससे वन्य प्राणी को भी पानी पीने की आवश्यकता होगी. यही मेरा निवेदन था मैं आपको और मंत्रीजी और पूरे वन विभाग को भी धन्यवाद देता हूं कि मध्यप्रदेश की सरकार में आपने बहुत अच्छा काम करके दिखाया है, उसके लिये आप बधाई के पात्र हो. वन्दे मातरम.
श्रीमती सरस्वती सिंह (चितरंगी):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10 के विरोध में बोलना चाहती हूं. माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि मेरे चितरंगी विधान सभा के कुल 11 वन ग्राम हैं, जैसे कि अमरापान, अमसी, दुरदुरा बगडेवा, महुंगड़ी, कोठार, गीरापान इत्यादि मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि शासन द्वारा जो योजनाएं चलायी जाती है तो वन ग्राम होने के कारण इनको योजना का लाभ नहीं मिल पाता है, मेरा निवेदन है कि इनको वन ग्राम घोषित किया जाये. मैं एक निवेदन और करना चाहती हूं कि जो कसर से चितरंगी और चितरंगी से झगरोंहा जो सड़क मंजूर हुआ है जो राजस्व विभाग का जमीन फंस रही है वहां पर सड़क बन चुकी है और जहां वन विभाग की जमीन फंस रही है, वहां पर रोक लगायी गयी है. मैं निवेदन करना चाहती हूं कि इस रूकावट को जल्द ही हटाया जाये ताकि सड़क बन सके और आने जाने की जो समस्या है, वह दूर हो सके और मंत्री से एक निवेदन और है कि जो मेरा अभ्यारण क्षेत्र बगदरा क्षेत्र में पड़ता है जो हर योजना से लाभांवित नहीं हो पाता है चाहे वहां पर बिजली की समस्या हो, पानी की समस्या हो वहां पर वन विभाग वाले रोक लगाते हैं. पहले से ही उस क्षेत्र में लाईट पहुंच गयी है. सिर्फ टाले में लाईट पहुंचाना है. मेरा मंत्री जी निवेदन है कि वहां से अभ्यारण शब्द हटाया जाये और उसको राजस्व विभाग घोषित किया जाये और वहां के लोगों को हर योजना का लाभ मिलना चाहिये. मेरा कहना है कि अभी पत्ती तुड़ाई का जो बोनस बांटा गया है जो सीधी हितग्राहियों के खाते में डाला गया है जैसे कि 500-600 रूपये हैं वह डाला गया है. बैंकों मे उनको बहुत सारी कठिनाईयां आती है, जैसे कि उनके खातों का मिलान नहीं हो पाता है, वह बोनस लेने जाते हैं तो उनको दिन भर लग जाता है. इस संबंध में मेरा निवेदन है कि पुन: वही नियम किया जाए उनको हाथ में पैसा दिया जाए ताकि लोगों को आसानी से पैसा मिल सके, आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद् .
श्रीमती शीला त्यागी(मनगंवा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी का ध्यान आकृष्ट कराना चाहती हूं कि वन विभाग में वन भूमि के पट्टे वितरण में अनुसूचित जाति के साथियों को प्रेक्टिकल प्राबलम हैं उनको दूर करने का प्रयास इस बजट में करेंगे साथ ही साथ तेंदू पत्ते के जो संग्रहण ठेके हैं वह एस.सी.,एस.टी. के लोगों को आरक्षण दिया जाये क्योंकि पत्ता संग्रहित करने का काम इसी वर्ग के लोग करते हैं. जैसे रीवा जिले के सिरमौर,डभौरा,अतरैला एवं चाकघाट परिक्षेत्रों में जो वृक्षारोपण कराया गया था वह वन विभाग के द्वारा पन्नो में कराया गया है उसका धरातल में कहीं पता नहीं है और साथ ही साथ वन विभाग के द्वारा एस.सी.,एस.टी. एवं सर्वसमाज के लोगों के लिये जो रोजगारोन्मुखी कार्यक्रम चलाये जाते हैं उद्योग धंधे स्थापित करने के लिये कोई भी प्रावधान नहीं है. साथ ही साथ जो मुख्य समस्या मनगंवा विधान सभा की वह है कम से कम 35 गांव नीलगाय और रोज़ों से प्रभावित हैं. अभी-अभी मैं जब हाऊस में आ रही थी उसके पहले किसान भाई का फोन आया था उन्होंने कहा कि हमें सरकार से कुछ नहीं चाहिये हमें अपने खेतों की सुरक्षा चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय - विक्रम सिंह जी आप एक रोज़ पीड़ित एसोसियेशन बना लीजिये.
कुँवर विक्रम सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, जो आज्ञा आपकी.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - सभापति जी, उसके विक्रम सिंह जी अधिष्ठाता होंगे.
श्रीमती शीला त्यागी - एक तो वे प्रकृति की मार झेल ही रहे हैं. उपाध्यक्ष महोदय, आपका सुझाव अच्छा है मैं भी चाहती हूं कि इसका कोई पुख्ता इंतजाम किया जाये. साथ ही साथ जैसा कि हम सब लोग यह कहते हैं कि जल ही जीवन है लेकिन वन ही जीवन है कहना ज्यादा उचित होगा क्योंकि जब हमारे वन होंगे तभी हमारा जल होगा तभी पर्यावरण संतुलन बना रहेगा. तभी हम सभी लोग सुरक्षित रह पायेंगे और यह धऱती भी सुरक्षित र पायेगी. साथ ही मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि ग्रीन इंडिया कार्यक्रम जो सरकार द्वारा ईमानदारी से नहीं किया गया उसके तहत गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में इन्होंने जो नाम दर्ज कराया वह पौधे धरातल में कहीं नहीं हैं. बस रीवा विधान सभा क्षेत्र में राजेन्द्र शुक्ल जी यहां बैठे हए हैं इनके यहां ईमानदारी से वृक्षारोपण हो रहा है लेकिन हमारे विधान सभा क्षेत्र में नहीं हो रहा और मैं खासकर अपने रीवा जिले के यशस्वी ऊर्जा मंत्री विकास पुरुष माननीय राजेन्द्र शुक्ल जी एवं अपने जिले के प्रभारी मंत्री आदरणीय शेजवार जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं क्योंकि उन्होंने रीवा संभाग में बहुत ही अच्छा अभ्यारण्य कहना चाहिये टाईगर सफारी दी. वह बहुत बड़ी सौगात है उसके लिये मैं उनको धन्यवाद देती हूं. वैसे मैं हमेशा विपक्ष में बोलती हूं लेकिन आज वन विभाग के समर्थन में बोल रही हूं. ब्यौहारी के पश्चिम क्षेत्र पपौंद के आसपास संपूर्ण ग्रामों में जो जलाऊ लकड़ी नहीं मिल पाती है जिसके लिये वहां के क्षेत्रवासियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है अत: वहां निस्तार डिपो खोले जाने की बहुत जरूरत है और मेरे मनगंवा विधान सभा क्षेत्र में भी सरई,रझौरी,कोलई,अतरैला,पनगढ़ी,पताई,बांसबनौआ,मदरी आदि गांवों में भी विस्तार डिपो खोलने की बहुत आवश्यक्ता है साथ हीसाथ कुटीर और लघु उद्योग धंधों को बढ़ावा देने के लिये जो टोकनी,टट्टे बनाने वाले लोग हैं इनको सस्ते दाम पर बांस,बल्ली उपलब्ध कराये जायें. जंगलों को आग से बचाने के लिये प्रभावी नियम बनाये जाएं जो अभी आने वाले समय में बहुत बड़ी समस्या आने वाली है जंगली जानवरों के लिये जो हमारे पर्यावरण को संतुलित बनाने में अहम् भूमिका निभाते हैं तो जंगलों में जानवरों को पीने के लिये पानी नहीं है तो मंत्री जी छोटे-छोटे जल स्त्रोत को विकसित करें जिससे जंगल के जो वन्य प्राणियों को पानी मिल सके. साथ ही साथ पुन: यह कहना चाहती हूं कि नीलगायों और रोज़ के लिये हमारे किसानों की जो मस्या है उसके लिये आप जरूर प्रबंध करवाएंगे. यह मंत्री जी से विशेष रूप से गुजारिश है कि हमारे जो पच्चीस गांव हैं अगर मैं उनको यह सुरक्षा नहीं दिलवा पायी तो अगली बार मेरे ख्याल से वे फेल कर देंगे. यह समस्या मंत्री जी हल कर दें ताकि उनकी फसल सुरक्षित रह सके और वे खुशहाल रह सकें आपने समय दिया धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री सतीश मालवीय,श्री आशीष शर्मा जी, (अनुपस्थित)
कुँवर सौरभ सिंह(बहोरीबंद) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10 के विरोध में खड़ा हुआ हूं. सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहता हूं कि जंगल उजड़ रहे हैं और आप बजटकम कर रहे हैं. पहले आपने 31 करोड़ का प्रावधान रखा था इस बार 25 करोड़ का रखा है. कंडिका नंबर 2536 में लिखा हुआ है. जंगलों पर दबाव बढ़ रहा है और हम लगातार बजट कम करते जा रहे हैं. विगत दो-तीन वर्षों से सूखा पड़ रहा है. अगर जंगल नहीं होंगे तो पानी कैसे गिरेगा. इस पर ध्यान देने की जरूरत है. कंडिका क्रमांक 2901 में बांस मिशन के लिये लिखा है क्या यह स्कीम वाकई में चालू है. अगर चालू है तो आपने 31 करोड़ में से 19 करोड रुपये कर दिया. कोई बांस नहीं लगाएगा. हम मध्यप्रदेश को टाईगर स्टेट बना रहे हैं और बजट इसमें लगभग 50 परसेंट कम कर रहे हैं. कंडिका क्रमांक 6349 में संरक्षित क्षेत्र के वन्य प्राणी प्रबंधन में 72 करोड़ रुपये से कम करके 10.50 करोड़ कर दिया गया. यह अनुचित है. वाटर कंजर्वेशन पर कोई पैसा नहीं है बजट में कोई एलोकेशन नहीं है जानवरों के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. पहले जब मैं जिला पंचायत कटनी में था तो हमने एक सोलर पेनल लगाकर बोर करके जंगल में पानी की व्यवस्था की थी और वह भी वन विभाग की ढिलाई के कारण बंद पड़ा है. गांव के किनारे पर किसानों की फसलों का नुकसान होता है. जंगली जानवरों से नातीराजा जी और सभी विधायकों का कहना है कि रोझ और जंगली सुअर से काफी नुकसान होता है. मेरा मंत्री जीसुझाव है कि वहां फेंसिंग होना चाहिये. जंगली जानवरों के जो ढर्रे हैं उनको चिन्हित करके चाहे चेन फेंसिंग हो या खखरी हो कुछ इंतजाम होना चाहिये. जहां नुकसान होता है प्रावधान यह है कि वहां पर मुआवजा मिलेगा परंतु बहुत कम किसानों को मिल पाता है उनके जूते घिस जाते हैं. किसान की जमीन पर लगे हुए पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं मिलती. किसान लोग पेड़ क्यों लगाएंगे. पेड़ को जिस तरह हम गेहूं या किसी भी अन्य प्रजाति को बेच सकते हैं अगर उस तरह हम मंडी में ले जाकर पेड़ बेचेंगे तभी पेड़ लगेगा वरना सारे आंकड़े किताबों में रह जायेंगे. कंडिका क्रमांक 7691 में आपने बजट कम कर दिया. अगर किसी किसान ने किसी भूमि पर कोई पेड़ काट लिया तो भूमि मालिक जिसका पेड़ कटा है उसके जूते घिस जाते हैं उसका पेड़ उसको वापस नहीं होता और उसके ऊपर ईल्जाम होता है कि वह चोर पकड़वाये इस तरह कोई भी सीधा साधा आदमी वन विभाग के चक्कर काटते काटते थक जाता है जबकि उसका मजा चोर मारते हैं. जंगलों में आग लग रही है जब भी आप ट्रेन से गुजरें या कहीं से गुजरें आपको आग लगी दिख जायेगी खासकर तेंदू पत्ता का समय आ रहा है. आपके पास कोई विकल्प नहीं है. आपका कोई फायर का सिस्टम नहीं है. आपके रिकार्ड सालों पुराने हैं. उनमें वन लिखा हुआ है. वास्तव में व हां वन है ही नहीं. जब भी कोई जनप्रतिनिधि डैम के लिये प्रपोजल बनाता है तो बता दिया जाता है कि वहां पर असाध्य है वन भूमि है और जब भी कोई खनन वाला माईनिंग लीज एप्लाई करता है तो आप उसको एनओसी दे देते हैं. प्रिज्म सीमेंट,जे.पी.,विंड एनर्जी इसका ज्वलंत उदाहरण है. नियम यह होना चाहिये कि अगर एक पेड़ काटना हो तो पहले आप दस पेड़ लगाकर दिखाईये तो आम लोग तैयार होंगे पेड़ काटने के लिये. आपके कहने से कोई पेड़ नहीं लगाता. इस तरह के नियम कनाडा में है. वहां लोग पेड़ लगाते हैं उसके बाद उनको काटने की अनुमति मिलती है. जंगल से लेकर गांव तक वन समितियों के माध्यम से रसोई गैस देना चाहिये. जब मां,बहनों को गैस चूल्हे की आदत हो जाये गी तो वे लकड़ी के चूल्हे पर खाना नहीं बनाएंगी. सबसे ज्यादा नुकसान निस्तार के नाम से वन से लगे हुए ग्रामों को होता है. इन वन समितियों के माध्यम से मेरा निवेदन है कि वहां गैस चूल्हे देना चाहिये. कार्बन क्रेडिट, लगातार हम क्या इसका लाभ ले रहे हैं. लगातार पढ़ने में आता है कि मध्यप्रदेश सरकार को कार्बन क्रेडिट का लाभ मिल रहा है. अगर सरकार लाभ लेरही है उसका जनता को फायदा कैसे हो रहा है. जानवर शहर के लोगों को देखने के लिये जंगलों में रखे जा रहे हैं. जानवर शहर के लोगों को देखने के लिये रखे गये हैं तो जान हमारी जाये,फसल हमारी जाये और सुविधा उनको देखने को मिले यह अनुचित है इसमें एक कोई बीच का रास्ता निकालना पड़ेगा. प्रायवेट लोगों को वाईल्ड लाईफ पालने की अनुमति मिलना चाहिये जिससे बड़े लोगों के पैसे का उपयोग होगा और जानवर भी हमारे बचेंगे. चाईना में टाईगर बीडिंग फार्म होते हैं वहां लोग ब्रीडिंग करते हैं और टाईगर को पालते हैं. हमारे क्षेत्र बहोरीबंद में ब्लाक रीठी में नहगंवा,कुड़ाई,अलमपुरा,कुसरा,बहोरीबंद में बरबसपुरा,नहगंवा,नयागांव आदि वन ग्राम हैं. इन गांवों में यहां तक कि जंगल की सड़कें भी नहीं है. मेरा निवेदन हैकि वन विभाग कच्ची सड़कें बनवाए जिससे आनेजाने में सहूलियत हो. हमारे क्षेत्र में जो निस्तार डिपो हैं उनमें लकड़ी ससिर्फ तब दी जाती है जब कोई मर जाता है तो सब लोगों को लकड़ी मिले. आपने समय दिया धन्यवाद. श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 10 के विरोध में कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. वन विभाग के माध्यम से जहां सबका जीवन अच्छे से चले तथा अच्छी स्वच्छ हवा मिले उसके लिये वन विभाग का बहुत बड़ा योगदान है. जहां एक तरफ बहुत सारे ऐसे भी अधिकारी हैं जो बहुत अच्छा काम करते हैं वह अपना नाम गिनीज बुक में दर्ज भी करवाते हैं और कुछ ऐसे भी अधिकारी हैं जो कि सरेआम भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं माननीय मंत्री जी के संज्ञान में लाने के बाद भी ऐसे अधिकारियों को क्यों संरक्षण दिया जा रहा है, यह बड़ा चिन्ता का विषय है. ऐसा नहीं है कि जंगल विभाग में बजट की बहुत ज्यादा व्यवस्था होती है. अभी तक वृक्षारोपण के नाम पर तथा अन्य मदों में हमारे सीधी सिंगरौली जिले में भारी भ्रष्टाचार हुआ है इस बारे में माननीय मंत्री जी से हमने व्यक्तिगत रूप से भी तथा ध्यानाकर्षण के माध्यम से भी ध्यान दिलाया था, उसके बाद भी आरटीआई के माध्यम से या कोई पत्रकार साथी या विभाग का कोई कर्मचारी-अधिकारी सही बात अगर बोलता है तो हमारे यहां के जो वन-मंडला अधिकारी हैं पता नहीं उनको माननीय मंत्री जी का संरक्षण है या किसी बड़े नेता का संरक्षण है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--उपाध्यक्ष महोदय, एक बात बोलना चाहता हूं कि आपको किसका-किसका संरक्षण है, यह मैं बताना नहीं चाहता हूं यदि ज्यादा आवश्यक हुआ तो यह भी बता दूंगा कि आपका किसको संरक्षण हैं आप कब किसके पक्ष में बोलते हैं और कब किसके खिलाफ बोलते हैं. सबसे पहले तो आप अपने आप को स्थिर करें केवल भ्रष्टाचार को मिटाने की बात करें. मैंने आपके ऊपर आरोप नहीं लगाया कि आप लोगों को संरक्षण देते हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल--उपाध्यक्ष महोदय, माननीय वन मंत्री जी किसी भी विभाग पर चर्चा होती है और उनको वनराज के नाम से सारे सदस्यगण संबोधित करने लगे हैं वह कहीं पर भी हस्तक्षेप करते हैं हम विनम्रतापूर्वक आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--कोई भी बात बोलें सचे मन से बोलें उसमें फिर पक्ष पात को भूल जाएं उसमें चाहे आपका हो या दूसरे का हो या गैरों का हो यदि कोई गलत काम कर रहा है उसका साथ मत दीजिये यह आपसे विनम्र प्रार्थना है. आप तो तय ही नहीं कर पा रहे हैं कि आप किसके साथ हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--माननीय सदस्यगण से निवेदन है कि जब भी वह माईक से बोलें एक ही बार बटन को दबाकर के छोड़ दें. कृपया दोबारा बटन को न दबाएं दोबारा बटन दबाने से माईक बंद हो जाता है इससे पुनः माईक चालू करने में विलंब होता है.
श्री शंकरलाल तिवारी--एक बार दबाते हैं तो हरा-हरा इंडीकेशन आता है और कई बार तो नहीं आता है. अगर उचित लगे मैं इसका जानकार नहीं हूं आप इस सिस्टम को ठीक करवाएं जो पूर्व में सिस्टम लगा था वह ही ठीक था.
श्री कमलेश्वर पटेल--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने कहा कि हम भ्रष्ट लोगों को संरक्षण दे रहे हैं.
डॉं गौरीशंकर शेजवार- मैंने तो यह कहा है कि आप स्थिर नहीं है, कभी भ्रष्ट लोगों के साथ हो जाते हैं और कभी आलोचना करते हैं । भोपाल में आपका अलग वर्जन रहता है और सीधी में जब जाते हैं तो आप अलग बात बोलते हैं ।
उपाध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी, वो नए सदस्य हैं,बोलने दें ।
श्री रामनिवास रावत- वो भी क्या करें, मन से विभाग नहीं संभाल रहे हैं ।
श्री कमलेश्वर पटेल- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम, जब भी, जो भी बात रखें, चाहे सदन में रखें या सदन के बाहर रखें, बात सोच समझकर रखते हैं और एक ही बात रखते हैं । यह बात सच है कि हमारे सीधी जिले में जंगल विभाग में भारी भ्रष्टाचार है और भ्रष्ट वनमण्डलाधिकारी को माननीय मंत्री जी और यह सरकार संरक्षण दे रही है, ऐसे भ्रष्ट अधिकारी की वजह से अभी सीधी में इतनी शर्मिन्दगी वाली घटना घटी है । वनमण्डलाधिकारी के कक्ष में अधिकारियों द्वारा लड़ाई लड़ी जाती है, रिवाल्वर खोले जाते हैं और उसके बाद भी ऐसे वनमण्डलाधिकारी को नहीं हटाया जाता है, ऐसे क्या कारण हैं, क्या वजह है कि ऐसे अधिकारी को नहीं हटा रहे हैं क्या कोई आई.एफ.एस. अधिकारी नहीं है, क्या प्रदेश में कोई और अधिकारी नहीं है, जब पहले से इस तरह की घटनाएं घट चुकी हैं ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक पत्रकार साथी को चिंकारा के असत्य प्रकरण में फसाया गया, उसके दो भाईयों को फसाया गया और अभी भी जिस अधिकारी ने आपत्ति जताई, जिस अधिकारी ने भ्रष्टाचार उजागर करने की कोशिश की, जबरजस्ती फसाया गया, मेरा किसी अधिकारी से लेना देना नहीं है । माननीय मंत्री जी के माध्यम से निवेदन है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को तत्काल आप अपने पास बुला लीजिए, विशेष सहायक बना लीजिए या आप अपने जिले में रख लीजिए, आपके संरक्षण में और अच्छा काम होगा पर ऐसे अधिकारियों के ऊपर लगाम लगाईए, जो अधिकारी अच्छा काम कर रहे हैं, आप उनको प्रशस्ति पत्र दीजिए, उसके लिए हम सारे लोग आपके साथ में हैं, बहुत सारे अधिकारी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे सीधी और सिंगरौली जिले में तेंदू पत्ता का बोनस अभी तक नहीं बटा है, कई जगह विसंगतियां हैं, मजदूरी के भुगतान में विसंगतियां हैं । माननीय उपाध्यक्ष महोदय आए दिन जंगल विभाग में जो लोग कई वर्षों से काबिज हैं, उनको खाली कराने के नाम पर परेशान किया जा रहा है, गरीब लोगों को परेशान कर रहे हैं, कहीं - कहीं उनका रास्ता अवरूद्व कर देते हैं । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि व्यवस्था बनाएं, इस तरह से अनावश्यक गरीबों को परेशान न करें ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय एक निवेदन और है, हमारे सीधी जिले में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना हुई है, जो गरीब आदिवासी वहां पर बसे हुए हैं, उनका रास्ता पूरी तरह से अवरूद्व कर दिया गया है, यहां तक कि विद्युतीकरण तक का भी काम नहीं हो पा रहा है तो ऐसे लोगों को जो विस्थापित नहीं हो पा रहे हैं, माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि अधिग्रहण के बाद उनको जो राशि दी जाए, जो भूमि अधिग्रहण का नया बिल आया है, उसके तहत दी जाए और उनको जो वहां पर आदिवासी लोग बसे हुए हैं, उनको जो व्यवस्थाएं हैं, उनकी जो सुविधाएं हैं उनको उनसे वंचित नहीं किया जाए । माननीय मंत्री जी मुझे विश्वास है, माननीय मंत्री जी हंसी में नहीं लेंगे, नहीं तो माननीय मंत्री महोदय, अब हम सड़क पर लड़ेंगे, सदन के अंदर तो लड़ ही रहे हैं, मेरा निवेदन है कि आप इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करेंगे और भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी को संरक्षण नहीं देंगे इसी आशा और उम्मीद के साथ सरकारी धन का सही सदुपयोग हो, इसकी आप व्यवस्था बनाएंगे धन्यवाद ।
श्री पन्नालाल शाक्य(गुना)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय जी, अभी अपने साथियों ने रोज़ और सुअरों की समस्या बताई थी, ऐसी समस्या हमारे गुना जिले में हिरणों की भी है । माननीय मंत्री जी से हमारा निवेदन है कि जिन स्थानों पर वन भूमि कम है, वहां छोटे छोटे अभ्यारण्य बनाए जाएं, दूसरा निवेदन है, अभी मैं बहुत देर से यहां बैठा हूं तो यहां 2-3 प्रकार की समस्याएं आई जैसे जल की समस्या आई है, एक जंगल की आई है तो मैं सभापति महोदय के माध्यम से और अध्यक्ष जी के माध्यम से और अपने मंत्री जी बैठे हैं, उनको एक निवेदन करूंगा, जैसे नीरजा और गंगाजल को टैक्स मुक्त किया है । वैसे ही सारे सदस्यों को बुलाकर मांझी दशरथ की फिल्म दिखाई जाये कि उसने 14-15 वर्ष में कैसे एक पहाड़ को काट कर रास्ता बना दिया ? वैसे ही हम सब जन-मानस को तैयार करें. अपने-अपने स्थानों पर तालाब खोदें, तालाब का निर्माण करने की बातें करें. जंगलों को लगाने की बातें करें, हमारी तो यह हालत हो गई है कि हम सब सरकार के ही भरोसे हो गए हैं तो कैसे काम चलेगा ? हम भी तो चेतो. पानी की समस्या हमारी है, सरकार कहां से लायेगी ? जमीन तो 1,000 फीट गहरी होती जा रही है. इसलिए हम भी कुछ चेतो. हम अपने स्थानों पर पानी रोकने की व्यवस्था करो. नालों में, झोरे में, तालाब में, तलैयों में, बोरी- बंधान करो, हम भी दशरथ मांझी के समान फावड़ा उठाकर ले जाएं. ऐसा मेरा आपसे निवेदन है, धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय - धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं केवल माननीय वित्त मंत्री जी की मांग का विरोध करते हुए, बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मैं कुछ बातें कहना चाहूँगा कि मेरी विधानसभा में काफी बड़ा वन क्षेत्र हैं, जंगल हैं. माननीय मंत्री जी से एक यही अनुरोध करूँगा कि आज से कई वर्ष पूर्व सन् 1960 में, वन क्षेत्र के 42 ग्राम लगभग राजस्व में ट्रांसफर कर दिये गये हैं. उन्हीं वन क्षेत्रों के बारे में भी, मैं आपसे भी मिला हूँ. विधानसभा प्रश्न भी लगाया है. आपके यहां श्री भदौरिया एक एस.डी.ओ. है. वह कभी भी उन ग्रामों में पहुँच जाता है और कभी भी नोटिस दे देता है, कभी भी हटाने पहुँच जाता है, कभी मकान हटाने, कभी गुमठी हटाने पहुँच जाता है. मैंने एक प्रश्न भी लगाया था कि आपके वन अधिकारी भी बैठे होंगे, सी.सी.सी.एफ. भी बैठे होंगे. मेरे उस प्रश्न के जवाब में आपने दिया है कि कोई नोटिस नहीं दिये गये हैं. उन नोटिसों की कॉपी और प्रश्न की गलत जानकारी के बारे में, विधानसभा में भी प्रश्न लगाऊँगा और आपको भी एक लिखित में दूँगा और उसका इतिहास है कि वह जहां भी रहा है, वह लड़ा ही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक मेरा निवेदन यह है कि वन संरक्षण अधिनियम लागू हो, इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है. वन बचें, इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन पुराने मंदिर बने हैं, उन पर पुराने मंदिर का जीर्णोद्धार करके, किसी ने प्लास्टर निकालकर, ईंटें लगवा दी हैं. अब डी.एफ.ओ. साहब पहुँच गए और बोले कि इस पर प्लास्टर नहीं होगा, इस पर वन संरक्षण अधिनियम लागू होता है. उसके प्लास्टर नहीं होने से पेड़ थोड़े ही लग जायेंगे. संरक्षण करें या तो पहले से ही नहीं बनने देते. हमें कोई आपत्ति नहीं थी, न हमने बनवाने की जबरदस्ती की. कम से कम ऐसी जगह, कुछ गांव हैं, मैं कहूँगा- मेरे क्षेत्र में कुछ गांव हैं, चिलमलानी से पटपरा और कावली के लिये, लाईट के खम्भे तैयार हो गए हैं, लाईट स्वीकृत हो गई है, कोई जंगल नहीं है, किसी भी तरह का पेड़ नहीं है और मेरे ख्याल से प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट की श्रेणी में आता है इसलिए तार नहीं लगने दे रहे हैं कि हमारे क्षेत्र में आता है. उसमें आपका कोई जंगल कटे, कोई पेड़ कटे. आप गांवों को विस्थापित नहीं कर सकते हैं तो कम से कम ऐसी चीजों के बारे में आपत्ति तो न लगायें. एक वन ग्राम नहीं है. वन ग्राम से ट्रांसफर हुआ राजस्व ग्राम है- खूटका. यहां मैंने 12 वर्ष पहले शाला भवन स्वीकृत कराया था, लेकिन उस शाला भवन को नहीं बनने दे रहे हैं. यह स्थिति इनकी है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा, मैं आपको ध्यान दिलाना चाहूँगा कि मेरे यहां एक क्रूनो अभ्यारण्य है. अगर आप चाहो, आप वनराज बन जाओ. आप चाहो तो आप ठान लो, आपकी प्रतिबद्धता इस क्रूनो अभ्यारण्य के माध्यम से मध्यप्रदेश को अन्तर्राष्ट्रीय नक्शे पर लाया जाता है. यह क्रूनो अभ्यारण्य, गिर फॉरेस्ट के शेर लाने के लिए विकसित की गई थी और गिर फॉरेस्ट में अब तो काफी संख्या भी हो गई है. अब तो आपके पास फीड करने के लिए भी है कि कितना पानी गिरा था, उसमें गिर फॉरेस्ट के कितने शेर बाढ़ के पानी में मर गये ? वहां अगर कोई व्यवस्था ऐसी बन गई तो पूरी प्रजाति समाप्त हो जायेगी. आज आप गिनती भी करा लें, उस अभ्यारण्य में शेरों को छोड़कर चीतल, हिरण, सांभर, सुअर, बारहसिंगा, इस तरह के सभी जंगली जानवर हैं, सबसे ज्यादा संख्या में क्रूनो अभ्यारण्य में हैं. वहां से 12 गांवों का विस्थापन हुआ, 28 गांवों को विस्थापित करके, दूसरी जगह भी बसा दिया. वह पूरी तरह से तैयार है, आप अपनी प्रतिबद्धता बढ़ायें. आप मोदी जी से मत डरो, मुझे भी पता है मोदी जी नहीं लाने दे रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है. आप बोल ही लेना, बता देना, सुप्रीम कोर्ट में भी. सुप्रीम कोर्ट ने भी समिति बनाने के आदेश दिये. समिति ने रिपोर्ट दे दी है, अब कुछ और क्षेत्र बढ़ाने को कहा है. उसका भी प्रस्ताव चला गया. अब तो आप शेर ले आओ.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) - हम तो आपसे नहीं कह रहे हैं कि सोनिया गांधी जी से मत डरो.
श्री रामनिवास रावत -- हम अपनी बात अच्छे से कहते हैं और उनका हमें पूरा आशीर्वाद प्राप्त है और हमारी बात को वे मानते भी हैं. लेकिन आपकी तरह नहीं कि डिक्टेटर के यहां जा नहीं सकते.
उपाध्यक्ष महोदय -- यह शब्द कार्यवाही से निकाल दें.
श्री रामनिवास रावत -- उपाध्य्क्ष महोदय, तो शेर ही ले आयें. मैं अपने शब्द वापस ले लूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं, मैंने उसको कार्यवाही से निकाल दिया है.
श्री रामनिवास रावत -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं दूसरा निवेदन जरुर करना चाहूंगा कि जो वन संरक्षण अधिनियम के कारण हम छोटे छोटे जलाशय वन क्षेत्र में नहीं बना पा रहे हैं. इसका दुष्प्रभाव यह होगा कि पेड़ तो समाप्त हो ही रहे हैं, जो नये पेड़ अंकुरित,उत्पादित होते हैं, उन पेड़ों के लिये भी माइश्चर और पानी नहीं मिल पाता, वह तो समाप्त हो ही रहे हैं, आपके वन्य प्राणियों पर भी पीने के पानी का संकट जबरदस्त रुप से आ गया है, इसके लिये आप व्यवस्था करें. केवल वन संरक्षण के नाम पर किसी को उसमें पेड़ न रखने दें. तो यह बड़ी विडम्बना है. कम से कम वन्य प्राणियों को भी संरक्षित करने के लिये डेम, चेक डेम बनायें. यह व्यवस्था करें. पेड़ों को संरक्षित करने के लिये पानी की व्यवस्था नहीं होगी, तो पेड़ भी नहीं लगेंगे. (मंत्री जी द्वारा बैठे बैठे किसी सदस्य से बात करने पर) उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी सुन नहीं रहे हैं, इसलिये मैं अपनी बात समाप्त करता हूं. यह मेरा आरोप है. आप सुन नहीं रहे हैं, इसलिये मैं अपनी बात समाप्त करता हूं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया(मंदसौर ) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 10 का समर्थन करता हूं. मैं आपके माध्यम से वन मंत्री जी और ऊर्जा मंत्री जी दोनों का यहां पर संयुक्त रुप से ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि 13वीं विधान सभा में जब मैं चुनकर के आया था, तो मेरे विधान सभा क्षेत्र के रेवास देवड़ा के वन विभाग के एक बड़े जंगल में आम लोगों का भी वहां पर निकलना प्रतिबंधित हुआ करता था. जैसा कि रावत जी ने बताया, वहां पर एक मंदिर है धुंधलीपार शिवजी का, उस पर अगर कोई निर्माण कार्य भी करता था, तो उसको रोक दिया जाता था. मैं दोनों मंत्रीगण से जानना चाहूंगा और मैं चाहूंगा कि इसका निकाल, व्यवस्था भी करें. इसको निश्चित करें. जहां आम किसान, जनता का आना जाना प्रतिबंधात्मक था. वहां पर उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज होते थे. अगर कोई पुराना मंदिर है, तो वहां पर निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता था. ऐसी कौन सी व्यवस्था सुनिश्चित हो गई कि उस रेवास देवड़ा के मगरे पर सौ टावर पवन ऊर्जा के लग गये हैं और उसके कारण सौ रास्ते बन गये हैं. जहां एक रास्ते पर भी जाने के लिये अनुमति नहीं होती थी, वहां पर 100 रास्ते बन गये और उन रास्तों के कारण से वन्य प्राणियों को निकलने, विचरण करने में दिक्कत आ रही है और 30-30 फीट चौड़े रास्ते होने के कारण से उनको जो घास खीने को मिलती थी, वह भी समाप्त हो गई है. उन्हीं कम्पनी वालों ने वन विभाग के सहयोग से फिर मंदिर तो बनवा दिया या मंदिर में रिपेयरिंग तो करवा दी. यह जो एक स्थिति बन रही है कि सारे पावर के लिये हम जो काम कर रहे हैं, अच्छी बात है, प्रगति की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन वनों को कम करते हुए मगरों पर रास्ते बना करके जो काम किया जा रहा है, उससे वन्य प्राणी कहीं न कीहीं असुरक्षित हैं. मैं फिर निवेदन करना चाहता हूं कि यदि वन विभाग के संज्ञान में यह नहीं आया हो, तो वन विभाग के अधिकारी भी यहां बैठे हैं. एक जांच दल, मंत्री जी ने मुझे परसों ध्यान आकर्षण में कहा भी है. और मैं फिर दोहराना चाहूंगा कि ऐसे विण्ड पावर के जो काम हो रहे हैं, जो बड़े बड़े टावर लग रहे हैं, उसमें जिस प्रकार से उन जंगलों के रास्तों को जिस प्रकार से तैयार किया जा रहा है और एक टावर लगाने के लिये 10-10,15-15 वाहन उन कम्पनियों के चल रहे हैं. जिसके कारण सम्पूर्ण क्षेत्र कहीं न कहीं वन्य प्राणियों के संरक्षण की दृष्टि से प्रभावित हो रहा है. मैं समझता हूं कि इस मामले में भी विचार करके कोई अच्छा निर्णय आप करें, बहुत-बहुत धन्यवाद.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)-- उपाध्यक्ष महोदय, चर्चा में भाग लेने वाले सभी सदस्यों का मैं हृदय से आभार मानता हूं और उनको धन्यवाद देता हूं. सबसे पहले सर्वश्री कुँवर विक्रम सिंह, जालम सिंह पटेल, सुखेन्द्र सिंह, आर.डी. प्रजापति,श्रीमती झूमा सोलंकी, प्रदीप अग्रवाल, वैल सिंह भूरिया, श्रीमती सरस्वती सिंह, श्रीमती शीला त्यागी, कुँवर सौरभ सिंह, कमलेश्वर पटेल, पन्नालाल शाक्य, रामनिवास रावत एवं यशपाल सिंह सिसोदिया. जो महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये हैं, मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि बिना किसी पार्टी लेवल के भेदभाव के उन सभी सुझावों का विभाग पूरी तरीके से स्वागत करता है और सभी के सुझाव अच्छे हैं यथासंभव अधिक से अधिक उन पर हम निश्चित रूप से कार्यवाही करेंगे, यह मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वन का अर्थ है वृक्ष, वन्य प्राणी और वनों में रहने वाले ग्रामीण बंधु. वनों में रहने वाले ग्रामीण बंधुओं के सहयोग से वनों का संरक्षण होता है, वनों का पुनरूत्थान होता है, और वनों में पुनर्उत्पादन होता है. वन विभाग एक ऐसा विभाग है जो वनों के क्षेत्र में वो सब विकास के कार्य करता है जहां सरकार के दूसरे विभाग की आखिरी सीमा होती है. जब मेरे पास यह विभाग आया तो लोगों ने कहा कि यह जनता से जुड़ा हुआ विभाग नहीं है. यह अकेले जनता की बात नहीं है. यह ऐसे लोगों से जुड़ा हुआ विभाग है , ऐसे प्राणियों से जुड़ा हुआ विभाग है, ऐसे जीवों से जुड़ा हुआ विभाग है जो स्वयं अपनी कभी शिकायत नहीं करते. आप वृक्ष को काट दो, अवैध कटाई कर दो, बगल का वृक्ष कभी एफआईआर लिखवाने नहीं जाता. जब वन्य प्राणियों का शिकार होता है तो झुण्ड में दूसरे वन्य प्राणी जब रहते हैं तो वह चुपचाप भाग जाते हैं अपनी जान बचाकर कोई थाने की तरफ नहीं जाते, ऐसे ही स्वभाव हमारे वनों में रहने वाले ग्रामीणजनों का हो गया है. वर्षों से जिन्हें विकास नहीं मिल पाया, जिनकी उन्नति नहीं हो पाई, चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो, चाहे स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो, अन्य कई क्षेत्रों में वनवासी पिछड़े रहे लेकिन शहरों में रहने वाला व्यक्ति तो तत्काल समूह बनाकर आंदोलन पर उतारू हो जाता है लेकिन जो वन में रहने वाला व्यक्ति है वह कभी आंदोलन नहीं करता, कभी शिकायत भी नहीं करता.
श्री रामनिवास रावत-- उनसे भी आंदोलन कराने की इच्छा है क्या ? नेतृत्व तो आप कर रहे हैं और आपके नेतृत्व में ही वे आंदोलन कर सकते हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- मैं उनकी तरफ से आंदोलन करूंगा.
6.07 बजे {अध्यक्ष महोदय( डॉ.सीतासरन शर्मा )पीठासीन हुए}
श्री रामनिवास रावत-- स्वागत है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- और आंदोलन की आवश्यकता नहीं आयेगी, मैं स्वयं काम कर रहा हूं. और आपसे भी निवेदन करता हूं कि इन तीनों श्रेणियों के मित्र बने आप मित्र. आप वृक्षों के मित्र बने, आप वन्य प्राणियों के मित्र बने, आप वनवासियों के मित्र बने. सदन से मेरा यह अनुरोध है क्योंकि यह बोलते नहीं हैं. अपनी शिकायत स्वयं नहीं करते. ऐसा विभाग जब मुझे मिला और इसमें मुझे काम करने का बड़ा आनंद मिला.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्रीजी की मैं यहां पर प्रशंसा करना चाहूंगा कि उन्होंने कहा कि जो वन में वनवासी रहते हैं मैं उनसे मुखातिब होना चाहता हूं, उनसे मिलना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने योजना बनाई कि हमारे जो तेंदूपत्ता संग्राहक हैं वह और हमारी ग्राम वन समितियां हैं वह इनके सभी सदस्यों को हम भोपाल में बुलायेंगे, जब बांकी सभी लोग भोपाल आ सकते हैं, जम्बूरी मैदान देख सकते हैं जिनकी पंचायतें बुलाई जा सकती हैं तो वनों में रहने वालों की क्यों पंचायत नहीं बुलाई जा सकतीं. मुख्यमंत्री जी के आग्रह पर 70 हजार लोग भोपाल में आये और मुख्यमंत्री जी की मैं फिर से यह प्रशंसा करना चाहता हूं, उन्होंने कहा कि मैं प्रत्यक्ष रूप से लोगों से बात करना चाहता हूं और उनसे मिलना चाहता हूं तो 200 लोगों को उनके नेताओं को हमने एकत्र करके एक पंडाल में बिठाला, मुख्यमंत्री जी ने एक घंटे से ज्यादा समय दिया और जिसने भी हाथ उठाया उसकी बात सुनी और उनकी बात सुनकर और वन विभाग के मामले में, वानिकी के वृद्धि और विकास के लिये उन्होंने तत्काल ऐसी घोषणायें की जिनकी वजह से निश्चित रूप से वनों की जो संवहनीयता बढ़ेगी, वनों का संरक्षण बढ़ेगा, वनों का उत्पादन बढ़ेगा, वनों का पुनरोत्थान होगा.
अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से वानिकी योजनाओं को अधिक व्यवहार बनाने के लिये माननीय मुख्यमंत्री जी ने हम सबको वहां घोषणायें की हैं. मध्यप्रदेश जो है वह प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है. राज्य के कुल भू-भाग का 31 प्रतिशत वन क्षेत्र है, देश के कुल वन क्षेत्र का जो 12 प्रतिशत से अधिक है, राज्य सरकार द्वारा वनों के संरक्षण, संवर्द्धन हेतु प्रभावी कदम उठाये गये हैं और यही कारण है कि वन्य जीवों, वनों में रहने वाले आदिवासियों की स्थिति में सुधार आया है. वनों को संवहनीय बनाये रखने हेतु बिगड़े वनों में सुधार किया गया है, पौधा रोपण के माध्यम से विकास कार्य किये जाते हैं. वर्ष 2015-16 में कार्ययोजना के क्रियान्वयन में संरक्षण, पुनर्स्थापना और पुनरोत्थान से संबंधित हमने सभी कार्य किये हैं. संबंधित वानिकी कार्य 3 लाख 30 हजार हेक्टेयर में उपचार तथा इसमें वृक्षारोपण कराया गया है.
वर्ष 2015 में हरियाली महोत्सव मनाया गया, इस हरियाली महोत्सव में 6 करोड़ 48 लाख पौधों का रोपण किया गया. हमेशा माननीय सदस्यों की तरफ से और जनता की तरफ से यह बात आती रही है कि वृक्षारोपण तो होता है लेकिन विभाग या सरकार इस बात का पता नहीं लगा पाती कि कितने पौधे जीवित रहते हैं और कितने पौधे मर जाते हैं. इस पारदर्शिता के लिये हमने स्थलवार जानकारी के लिये वेबसाइट पर हमने इसको उपलब्ध करया है, वन विभाग के वेबसाइट पर आप इसे देख सकते हैं और पता लगा सकते हैं कि फलां सन में कितना वृक्षारोपण हुआ था और कितने आज पौधे जीवित हैं. 21 जुलाई 2014 को किये गये 1 करोड़ 43 लाख पौधारोपण गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में मान्यता प्रदान की गई है और अधिकारिक रूप से विभाग को इसका प्रमाण पत्र दिया गया है. यह हमारी बड़ी सफलता है.
एक बात और माननीय सदस्यों की तरफ से और माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी विशेष रूप से इस बात को कहा है कि हम निजी भूमि पर वृक्षारोपण की योजना बनायें और इसको हम संचालित करें और इसका ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार करके निजी भूमि पर वृक्षारोपण की पूरी तैयारी करें. इसके पीछे उद्देश्य यह है कि जितने ज्यादा वृक्ष होंगे उतना ज्यादा भू-जल संरक्षण होगा. दूसरी बात जब गैर वानिकी क्षेत्र में वृक्षारोपण ज्यादा होगा, ज्यादा वृक्ष रहेंगे तो जो शासकीय वनों पर इससे दवाब कम होगा. और जनता के उपयोग के लिए यह वन और लकड़ियां आयेंगी. इसके लिए हमने खंड पौधारोपण और मेड़ों पर पौधारोपण की योजना बनायी है.
अध्यक्ष महोदय, निजी भूमि पर वृक्षारोपण की प्रोत्साहन योजना चल रही है. इसमें प्रथम दो वर्ष में 3 रुपये और तीसरे वर्ष में 4 रुपये इस प्रकार से कुल 10 रुपये प्रति पौधा दिया जाता था. माननीय मुख्यमंत्रीजी ने घोषणा की है कि 10 रुपये से बढ़ाकर इसको 25 रुपये प्रति पौधा किसानों को और निजी भूमि पर वृक्षारोपण करने वालों को प्रदाय करेंगे. इसी तरह विभाग ने निजी भूमि पर वृक्षारोपण योजना के अंतर्गत वनदूत योजना चलायी है. हमने कुछ लोगों का पंजीकरण किया है. जिनके माध्यम से हम पौधों की बिक्री करते हैं. वृक्षारोपण भी इनके माध्यम से करते हैं. इनको 7 रुपये प्रति पौधे के हिसाब से कमीशन देते थे. इसको भी माननीय मुख्यमंत्रीजी ने बढ़ाकर 10 रुपये प्रति पौधा कर दिया है.
अध्यक्ष महोदय, वृक्षारोपण के प्रोत्साहन के लिए 53 प्रजातियों को TP मुक्त किया गया है. कुछ वृक्ष इसमें ऐसे आ गये थे जिनके संबंध में आलोचना हुई. कहने लगे आपने पीपल को TP मुक्त कर दिया. अध्यक्षजी, वृक्ष काटने की अनुमति राजस्व विभाग देता है. हम परिवहन के लिए TP देते हैं. इसके बाद भी विभाग में हम सबने बैठकर माननीय मुख्यमंत्रीजी के निर्देश पर हमने यह विचार किया है कि जो जो धार्मिक महत्व के वृक्ष हैं, हम उनको TP मुक्त नहीं करेंगे. जो 53 प्रजातियों को TP मुक्त किया गया है, उनकी लिस्ट में से उनको हम कम कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय, विकास का काम, संरक्षण का काम और मानव संसाधन विकास का काम ये हमारे विभाग ने पूरी क्षमता के साथ किये हैं. विभाग में अधोसंरचना विकास के लिए नये परिक्षेत्र कार्यालय भवन का निर्माण किया है. दूरस्थ अंचलों में वन निरीक्षण कुटीर बनायी हैं. इनसे जो चोरी, अवैध कटाई या अवैध शिकार हैं, पर अंकुश लगेगा.
अध्यक्ष महोदय, अधिकारी तथा कर्मचारियों के लिए हमने पूरे प्रदेश में 650 भवन निर्मित किये हैं. भोपाल में वन अकादमी स्थापित करने का निर्णय लिया है. इसमें वन अधिकारी तथा ग्रामीणों का नवीनतम जानकारी तथा प्रशिक्षण हो सकेगा. इस वर्ष हम इसकी शुरुआत करेंगे. केन्द्र से हमें 700 लाख रुपये की स्वीकृति मिली है. इसमें केन्द्रांश 560 लाख रुपये है. कर्मचारियों हेतु इसमें 17 भवन बनाये हैं.
अध्यक्ष महोदय, मुनारे इधर से उधर होने या मुनारे नहीं होने के कारण संयुक्त सीमांकन में बाधा उत्पन्न होती थी. किसान कहते थे कि यह भूमि हमारी है.वन विभाग के सर्वे में वह भूमि वन विभाग की निकलती थी. और विवाद होते थे फिर वन संरक्षण अधिनियम इसमें कहीं न कहीं लागू करना पड़ता था. अध्यक्षजी, इसके निराकरण के लिए हमने प्रदेश में जो केन्द्र से हमें मदद मिली थी, उससे 3112 मुनारे बनाये हैं.
अध्यक्ष महोदय, इसमें हमने 3 वन जल चौकियां भी बनायी हैं. बहुत बड़े बड़े डेम बने हैं. इंदिरा सागर डेम है, औंकारेश्वर डेम है इन डेमों में बीच में कहीं टापू छूट गये हैं और वह टापू आज भी वनों से आच्छादित हैं. सामान्य वनों से ज्यादा आच्छादित हैं. धीरे धीरे वहां वाईल्ड लाईफ भी बढ़ रहे हैं. इन सबकी सुरक्षा के लिए आवश्यक था कि कोई न कोई वन विभाग का अमला वहां उनके निरीक्षण के लिए जाये तो ऐसे टापूओं पर अभी फिलहाल हमने 3 वन जल चौकियों का निर्माण किया है. पर्यटन के क्षेत्र में भी इसमें विकास की हमें उम्मीदें हैं. पदोन्नति एवं सीधी भर्ती से हमने कुछ पोस्ट को भरने को प्रयास किया है. रेंजरों के पद हमारे पास ज्यादा मात्रा में कम थे. लगभग 300 पद हमारे पास में खाली थे. सीधी भर्ती के ये पद हैं, इनको पीएससी के माध्यम से भरने का प्रयास करते तो बहुत लम्बी प्रक्रिया हो जाती, फिर एक साल का सीधा प्रशिक्षण और एक साल प्रॉविजनल पीरियड इनका होता.लगभग ढ़ाई तीन साल में हमें इन रेंजरों के पद मिलते. विभाग ने प्रयास करके 300 में से 200 पदों को पदोन्नति से भरने के लिए प्रक्रिया प्रारंभ की. हमने मंत्रिमंडल से इसकी अनुमति ली. 200 पद सीधे सीधे रेंजरों के मिले, जो आज प्रशिक्षित भी रहेंगे, अनुभवी रहेंगे और जिनकी शैक्षणिक योग्यता भी रहेगी. ऐसे लोगों को प्रमोट करके हम रेंजरों के पदों पर बैठालेंगे. निश्चित रूप से वनों के संधारण में और उनके संरक्षण में यह वन विभाग की जो रेंजर की-पोस्ट है, इनके भरने से हमको लाभ मिलेगा. 100 पदों की सीधी भर्ती के लिए भी हमने प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है. 252 वन रक्षक के ऐसे पद हैं, इनके लिए भी मंत्रिमंडल से स्वीकृति ली है. जो जाति विशेष के बैकलॉग से भरे जाना थे, बैगा, सहरिया और भारिया जाति के जो लोग हैं, इनको इसमें हमने प्राथमिकता दी है. इसमें आधार हमने यह बनाया था कि ..
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - माननीय मंत्री जी, एक निवेदन करना चाहता हूं. प्रदेश के पीटीजी ग्रुप, सहरिया, बैगा और भारिया जाति का माननीय मंत्री जी ने उल्लेख किया. सामान्य प्रशासन विभाग के सर्क्यूलर के अनुसार इन लोगों के लिए किसी भी प्रतियोगी परीक्षा से छूट प्रदान की गई है. सहरिया, बैगा और भारिया जाति के लोग उनकी पात्रता के अनुसार सीधे आवेदन करने के लिए सक्षम हैं, उनके सीधे आवेदन प्राप्त होने के बाद उनको नौकरी लगाई जाती है, उनको नियुक्ति आदेश दिया जाना चाहिए. लेकिन आपने व्यापम की परीक्षा भी इन लोगों से करवाई. अगर आज चाहे तो इसके लिए निर्देश जारी कर दें कि इन लोगों को रखें. ये ज्यादातर वनवासी हैं, इनके लिए सरकार के आदेश भी हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अध्यक्ष महोदय, दो अलग-अलग बातें हैं. एक तो कुल पदों के लिए व्यापम से भरना, और उन पदों के अलग-अलग श्रेणियों के रोस्टरवार आरक्षण की नीति, उसमें यदि बैगा, सहरिया, और पढ़े-लिखे लोग भरते हैं तो उन्हें कहीं कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन आदिवासी श्रेणी में अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में उनको उसमें पात्रता है. जितने पद उनके लिए आरक्षित हैं, वह उनसे भरे जाएंगे. यह मैं दूसरी बात कह रहा था. आगे यदि मैं पूरी बात कर लेता तो आप यह प्रश्न नहीं उठाते.
श्री रामनिवास रावत - मैं आपकी बात से सहमत हूं. लेकिन अनुसूचित जनजाति के अन्य वर्ग और पीटीजी वर्ग दोनों में अंतर है. पीटीजी वर्ग के लिए परीक्षा पात्रता की आवश्यकता नहीं है और अन्य सभी लोगों के लिए परीक्षा पात्रता की बाध्यता है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - आपके ज्ञान की मैं प्रशंसा करना चाहता हूं.
श्री रामनिवास रावत - आपकी सरकार का सर्क्यूलर है, आप कहेंगे तो मैं उपलब्ध करा दूंगा.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - नहीं, मुझे जरूरत पड़ेगी तो मैं मंगा लूंगा.
श्री रामनिवास रावत - क्योंकि आपको इन लोगों से बैगा, सहरिया, भारिया से लगाव नहीं है, इसलिए जरूरत पड़ना नहीं है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -ऐसा नहीं है. मैं आपसे वही आगे कहना चाहता हूं. हमने कुछ ग्राम और कुछ बीट ऐसे चिह्नित किये, यह विज्ञापन दिया, सूचनाएं करवाईं कि यदि इन ग्रामों में इस जाति के लोग हैं और यहां तक उनकी क्वॉलिफिकेशन है तो वे आवेदन दे दें और उनकी नियुक्ति बिना किसी इंटरव्यू के कर दी जाएगी. ऐसे हमने 252 वन रक्षकों के पदों को बिना इंटरव्यू के, साधारण आवेदन लेकर, उनकी योग्यता का प्रमाण पत्र लेकर वहीं के वहीं उनको नियुक्तियां दे दी हैं. अब मेरे ख्याल से आपको मेरी बात समझ में आ गई होगी, मैं कोशिश भी नहीं करता, मैंने कहा कि क्या फायदा कोशिश बेकार जाय.
श्री रामनिवास रावत -यह भी बता दें कि ऐसे कितने लोगों ने आवेदन किये और कितनों को नौकरी दी गई?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -नहीं, अभी समय है, वन विभाग के प्रश्न आएंगे.
श्री रामनिवास रावत - मेरी जानकारी के अनुसार कहना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र में सहरिया बहुत हैं, न ही उनसे सीधे आवेदन लिये गये, न ही उन्हें मेरी जानकारी के अनुसार सीधी नियुक्ति दी गई.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -वहां चिह्नित नहीं किये गये होंगे कि एक डेन्स फॉरेस्ट वाले क्षेत्र में जहां दूसरे लोग जाकर काम नहीं कर सकते, सामान्य तौर पर ऐसे पद खाली रहते हैं, इनके प्रयास के लिए हमने ऐसे 252 पद भरे हैं. आपके यहां पद भरे होंगे, खाली नहीं होंगे. अन्य दूसरी जाति के लोग कार्य रहे होंगे, इसलिए वहां यह प्रयास नहीं हुआ.
अध्यक्ष महोदय वन रक्षक, वनपाल और वन क्षेत्रपाल को प्रशिक्षण बराबरा दिया जा रहा है. प्रशासनिक सुदृढीकरण के लिए हमको वर्ष 2015-16 में 41 करोड़ रूपये प्राप्त हुए थे जिसमें हमने बहुत महत्वपूर्ण काम किये हैं. हमने अवैध उत्खनन की रोकथाम के लिए काम किये हैं. अब आप कहेंगे कि मुरैना में ऐसा हो गया है.
श्री रामनिवास रावत -- अभी निश्चित रूप से बहुत ही विभत्स घटना हुई है एक वनरक्षक पर ट्रेक्टर चढ़ा दिया है उसकी हत्या हो गयी है राजेन्द्र शर्मा की हत्या हुई है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- हमें उस घटना पर बहुत दुख है. एक हमारा वन रक्षक मारा गया है उसके लिए तत्काल हमारे पीसीसीएफ चीफ सेक्रेटरी से मिले और हम खुद मुख्यमंत्री जी से मिले और उनसे निवेदन किया मुख्यमंत्री जी ने तत्काल घोषणा की कि उस पीड़ित परिवार को 5 लाख रूपये दिये जाये जायेंगे शायद वह पैसे उस परिवार तक पहुंच भी गये हैं. साथ में यह भी घोषणा की है कि यदि आश्रितों में कोई पात्र व्यक्ति मिलता है तो और वह सरकारी नौकरी करना चाहता है तो उसको यथाउचित सरकारी नौकरी भी दी जायेगी . लेकिन हम प्रशंसा करना चाहते हैं कि हमारे वन अधिकारी और जो नीचे के कर्मचारियों का अमला है जो कि फील्ड में काम करता है. इन सब घटनाओं के बाद में भी उनका जो मोराल है और उत्साह है उसमें कहीं पर कमी नहीं होने दी जायेगी. जो भी आवश्यकता होगी वह सब साधनों से हम इनको सुसज्जित करेंगे. ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं न हो सकें.
अध्यक्ष महोदय हमने अवैध उत्खनन की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाये हैं. हमने पेयजल व्यवस्था के लिए कदम उठाये हैं, जहां पर आवश्यकता है वहां पर बाउण्ड्रीवाल का निर्माण कराया गया है. अग्नि सुरक्षा की बात आयी थी कि अग्नि सुरक्षा के कहीं परकोई इंतजाम नहीं है. सेटेलाइट इमेज से हम सूचना प्राप्त करते हैं. हमने प्रत्यक्ष रूप से देखने के लिए टावर बनाये हैं.
कुँवर सौरभ सिंह -- मंत्री जी अगर आप ट्रेन के रास्ते से अमरकंटक जायेंगे तोरास्ते में आपको जंगल में आग लगी हुई मिलेगी.
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- आग लगना एक अलग विषय है पतझड़ होता है उसमें पत्ते गिरते हैं, हालांकि हम आग रोधक पट्टी बनाते हैं, हम उसरी पूरी चिंता करते हैं. लेकिन पूरे वन के पत्तों को समेटना तो संभव नहीं है. मानवीय चूक के कारण या अन्य किसी गलती के कारण कहीं पर जंगल में आग लगती है लेकिन उसके लिए हमने फायर ब्रिगेड की भी व्यवस्था की है टैंकरों की भी व्यवस्था की है. इन सबके लिए हमने खर्च किया है और संसाधन बढ़ाये हैं. हमने देखने के लिए जगह जगह पर टावर भी लगाये हैं ताकि हम सूचना प्राप्त कर सकें. सैटेलाइट से भी हम पूरी जानकारी लेते हैं. तत्काल आग बुझाने के लिए अधिकतम जो भी प्रयास कर सकते हैं हम जंगलों को बचाने केलिए करते हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह --पेड़ पौधों को छिपाने के लिए भी आग लगाई जाती है जो प्लांटेशन हो रहा है उसे छिपाने के लिए भी आग लगा दी जाती है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- देखिये जंगलों में छुटपुट घटनाएं हो सकती है जो 10 - 12 साल के ठूठ मिल जायें आपको, अब पुराने ठूंठों के लिए हमारी जिम्मेदारी नहीं है कि कैसे छिपायें उनको. मतलब 10 साल पुराने ठूंठ हैं तो वह तो उजागर करना हमारा काम है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- मंत्री जी हम तो अभी 2 - 3 साल पुराने ठूंठों की बात कर रहे हैं बहुत पुरानी बात नहीं कर रहे हैं. अभी तो हम आपके जमाने की बात कर रहे हैं.
डॉ गौरीशंकर शेजवार -- अब क्या बताऊं मैं कभी कभी बोलने में संकोच करता हूं यहां पर बहुत, कभी कभी तो मैं सोचता हूं क्योंकि कितने लोग आ गये हैं जिनके पिताजी मेरे साथ में थे. संकोच में कुछ बोल नहीं पाता हूं हमारे बगल वाले कहते हैं कि क्या बच्चों से उलझ रहे हों.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष जी, क्या पिताजी साथ में अगर विधायक थे तो सही बात नहीं कर सकते हैं हम लोग.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- नहीं, आपके लिए भी सम्मान की बात है और मेरे लिए तो गर्व की बात है कि मेरे एक मित्र का बेटा आज इतना अच्छा परफार्मेंस दे रहा है लेकिन तुम डुबोना मत यार. (हंसी)
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष जी, हम माननीय मंत्री जी की चिंता पूरी करते हैं और उनके विश्वास पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे, पर भ्रष्ट लोगों को ये सरंक्षण न दे बस.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- बिल्कुल नहीं, हम आपसे सहमत हैं और आपका जिन लोगों के लिए इशारा है हम वहां की पूरी व्यवस्था ही सुधार देंगे. आपको शिकायत नहीं रहेगी, इससे स्पष्ट कोई नहीं बोलेगा लेकिन फिर आप कागज लेकर मत आना कि यह तो धोखे से हो गया था साहब, सबके सामने मुझे मजबूरी में कहना पड़ा, वास्तव में तो मैं इसे चाहता ही हूँ.
श्री कमलेश्वर पटेल -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तक मंत्री जी कह दें कि कोई भी कागज लेकर आया हूँ.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- अब कहने-सुनने को मत जाओ, आप तो बैठो, आपके हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं और बने रहेंगे.
श्री कमलेश्वर पटेल -- आप तो जो भी गड़बड़ कर रहे हैं सबको हटा दो.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- ठीक बात है मंजूर. माननीय अध्यक्ष महोदय, वन चौकियों के संधारण के लिए व्यय किया है. कार्यालयीन सामग्री, कंप्यूटर, सिम किराया इत्यादि सबकी हमने व्यवस्थाएं की हैं. वानिकी कार्यों के सुचारू रूप से संपादन हेतु अधोसरंचना का सुदृढ़ीकरण किया है. गोपनीय सूचना एकत्र करने के लिए मुखबिर तंत्र को हमने डेव्लप किया है और यही कारण है कि तत्काल हम अपराधियों को, आरोपियों को पकड़ पाते हैं. चाहे वह अवैध कटाई का मामला हो चाहे अवैध शिकार का मामला हो इसमें सरकार ने बहुत ज्यादा सफलता प्राप्त की है. सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से हम इस सबकी मॉनिटरिंग करते हैं. अतिक्रमण की रोकथाम के लिए हमने सीसीएफ स्तर पर अलग से उड़नदस्ता बनाया है, यदि स्थानीय तौर पर किसी को कोई शंका है तो वह सीसीएफ के यहां सूचना कर सकता है, बिना उनको खबर किए हुए सीधे जाकर अपराधियों को उड़नदस्ता पकड़ेगा. यह सब हमने व्यवस्था की है.
अध्यक्ष महोदय, वन चौकी 327 बैरियर 387 अंतर्राज्यीय बैरियर 53 बारह बोर की नई बंदूकें 3127 बाइनाकुलर 900 वायरलेस सेट 4266 मोबाईल सिम 5500 मोबाईल हैंडसेट 2966 पीडीए 900 वनक्षेत्रपालों को हमने 136 रिवाल्वरें दी हैं और इसके साथ-साथ विशेष सशस्त्र बल की हमारे यहां 3 कंपनियां कार्यरत हैं इन सबके माध्यम से हम वनों की सुरक्षा करते हैं, वन्य प्राणियों की सुरक्षा करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, अब मैं मुख्यमंत्री जी की वनों के संबंध में मूल धारणा पर आना चाहता हूँ कि वनों पर रहने वाले जो लोग हैं उन्हें हम कैसे सहायता करें.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- मंत्री जी, हमारे यहां हंडिया में एक बाघ घूम रहा है उसको तो पकड़वा दें, वह तीन दिन से पकड़ में नहीं आ रहा है. वह कैमरे में आ रहा है लेकिन पकड़ में नहीं आ रहा है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- यदि वह कैमरे में आ रहा है तो अच्छी बात है. हमें खुश होना चाहिए कि हमारे क्षेत्र में बाघ है. यदि बाघ और मनुष्य में द्वंद्व हो रहा है तो हमें उसे पकड़ने की बात करनी चाहिए. ये स्वयं कह रहे हैं कि पकड़ में नहीं आ रहा है इसका मतलब अध्यक्ष महोदय, वह मनुष्य से द्वंद्व नहीं कर रहा है. ऐसे बाघ को पकड़ना चाहिए या नहीं पकड़ना चाहिए, क्यों भाई कुँवर साहब, बताइये कि क्या करना चाहिए.
कुँवर विक्रम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब मंत्री जी ने पूछा है तो मैं एक चीज कहना चाहूंगा कि उस बाघ को वहां से किसी सुरक्षित स्थान में पहुँचवाना चाहिए.
श्री प्रदीप अग्रवाल -- मंत्री जी, उसे हमारे क्षेत्र में भिजवा दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- ये सेवढ़ा से विधायक हैं, इनके क्षेत्र में 4 साल से एक बाघ है वहां भिजवा दीजिए.
श्री प्रदीप अग्रवाल -- वहां एक मादा बाघ चाहिए जिससे हम वहां उन्हें सरंक्षित कर सकें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मादा बाघ मांग रहे हैं वंश बढ़ाना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, कितना समय लेंगे.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- इस पर हम विचार करेंगे. यदि अनुमति हमें लेनी पड़ेगी उसके लिए हम ट्रांसलोकेशन के लिए हम उसकी प्रक्रिया को प्रारंभ कर देंगे और जहां हमें आवश्यकता पड़ती है जैसे भोपाल में एक बाघ आ गया था और उसे नहीं मालूम था, वह एक मकान पर कूद गया और किस्मत की बात थी कि वह एस्बेस्टस शीट थी तो वह टूट गई और वह बंद हो गया, उसको पकड़ा, सफलतापूर्वक उस आपरेशन को पूरा किया. एक वहां बाघ को पकड़ना एक समस्या थी, दूसरा जनता को रोकना दूसरी समस्या थी. बाघ यदि विचलित हो जाए और जनता पर आक्रमण कर दे, तो वन विभाग के सामने नयी समस्या खड़ी हो जाएगी लेकिन हमारे अधिकारियों ने पूरे अनुभव के साथ पूरी युक्ति लगाकर उस बाघ को पकड़ा और रेस्क्यू करके हमने उसको पन्ना टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं संयुक्त वन प्रबंधन के बारे में बोलना चाहता हूँ. संयुक्त वन प्रबंधन का अर्थ यह है कि वहां के रहने वाले वन ग्राम के वासी और सरकार दोनों मिलकर प्रबंधन करें और वनों का संरक्षण करें. हमारे यहां 15 हजार ग्राम वन समितियां हैं जो प्रोटेक्टेट फारेस्ट में, बिगड़े वनों में काम करती है. वन सुरक्षा समिति जो रिजर्व फारेस्ट में जिनका गठन हुआ है और ईको समिति जो नेशनल पार्क में काम करती हैं. वनोपज का पहला अधिकार वनों में रहने वाले निवासियों का है. ऐसा माननीय मुख्यमंत्री जी और विभाग की और सरकार की धारणा है. वन समितियों को प्रतिवर्ष लाभांश दिया जाता है. काष्ठ में लाभांश 10 प्रतिशत दिया जाता था जिसको अभी बढ़ाकर माननीय मुख्यमंत्री जी ने जम्बूरी मैदान में घोषणा की थी उसको 20 प्रतिशत कर दिया है. बांस कटाई में जो श्रमिक लगे रहते हैं उनका जो बांसों का शुद्ध लाभ होता है उसका 100 प्रतिशत श्रमिकों को नगद बांटा जाता है. 2014-15 में 41 करोड़ 08 लाख रुपये हमने उनको दिया. 2015-16 में 45 करोड़ 40 लाख वितरण किया. वन संरक्षण एवं विकास में ग्रामों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए निर्णय लिया गया कि वन समितियों द्वारा जो संरक्षित क्षेत्र में विकसित किये जा रहे हैं. वनों से उत्पादित बांस पर संबंधित वन समितियों का अधिकार रहेगा, यह वन समितियों को ही उसका पूरा अधिकार दिया गया है. इसके अंतर्गत मध्यप्रदेश ग्राम वन नियम मंडला में इसकी घोषणा की थी, यह संरक्षित वन में भी लागू होगा. ग्राम वन प्रबंधन ग्राम वन समितियों के हाथ में दिया जाएगा. ग्राम वन समितियों द्वारा इसकी पूरी व्यवस्था की जाएगी. वन विभाग केवल समितियों की मदद के लिए रहेगा.
कुँवर विक्रम सिंह-- माननीय मंत्री जी, मंडला से हरसा बंगवां की एक रोड तो बनवा दें. डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- जी. वन विभाग समितियों का सहयोग करेगा. ग्रामवासी वनों का प्रबंधन करें और उनका अधिक से अधिक लाभ उठायें. उनको लकड़ी, जलाऊ या अन्य जो आवश्यकताएँ हैं वह वन समिति के माध्यम से ही उनके ही प्रस्ताव पर इन सब को उपलब्ध कराया जाएगा.यह वन नियम 15 में हमने इसकी घोषणा की है. अब वनों की सुरक्षा के लिए और अधिक वृक्षारोपण के लिए कुछ हमारे और वाइल्ड लाइफ की रक्षा के लिए कुछ पुरुस्कार भी विभाग द्वारा दिये जाते हैं. वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण में उत्कृष्ट कार्य करने वाली संस्थाओं को दिया जाता है. अब यह पुरुस्कार अच्छा कार्य करने वाली वन समितियों को भी नगद दिया जाएगा, यह वन विभाग ने घोषणा की है. इसमें वन समितियों के साथ साथ तेन्दूपत्ता की जो समितियां हैं उनको भी पुरुस्कार दिया जाएगा. यह माननीय मुख्यमंत्री जी की नयी घोषणा है. अब बांस बल्ली और जलाऊ लकड़ी की व्यवस्था के लिए माननीय कुछ सदस्यों ने हमारे सामने बात रखी थी इसके लिए बाजार मूल्य की तुलना में 16 करोड़ 37 लाख की रियायत हमने 2015-16 में दी है. और अध्यक्ष महोदय, भविष्य में भी इसको हम चालू रखेंगे. 1814 निस्तार डिपो हमने खोले हैं. 470 बांस डिपो खोले हैं. बांस एवं काष्ठ का विक्रय और क्रय केंद्र हमने प्रारंभ किया है.अध्यक्ष महोदय, बहुत से किसानों ने अपनी मेढ़ों पर बांस लगा रखे हैं लेकिन उनका कोई खरीददार नहीं है और इस कारण से वह बांस बरबाद भी हो रहे हैं उनका सही उपयोग नहीं हो रहा है. दूसरा जो बांस शिल्पकार हैं, उनको समय पर बांस नहीं मिल रहा है तो हमने यह क्रय विक्रय डिपो बनाये हैं कि किसान आकर वहाँ बांस बेच सकता है और उस किसान को उचित मूल्य मिलेगा. जो बाजार मूल्य है उससे किसानों से बांस खरीदा जाएगा लेकिन बांस शिल्पकारों को और गरीबी की रेखा से नीचे जो लोग बांस को चाहते हैं उनको रियायती दर पर बांस दिया जाएगा और जो दोनों कीमतों का डिफरेंस है उसको सरकार वहन करेगी, यह हमारा एक बहुत महत्वाकांक्षी निर्णय है जिसमें किसान भी खुश और बांस शिल्पकार भी खुश. अध्यक्ष महोदय, मौसी भी खुश और बसंती भी खुश.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके साथ साथ वनों से आने वाला जो राजस्व है उसमें भी हमने वृद्धि की है. 2006-07 में 500 करोड़ की जो हमारी आय थी वह 2014 -15 में 1 हजार 73 करोड़ 54 लाख की हो गई है और 2015-16 में दिसंबर तक यह आय हमारी 8 सौ 1 करोड़ 32 लाख की हो गई है, बचे हुए तीन महीने का अभी हमारी आय का आंकलन बाकी है. जिसको बाद में हम घोषणा करेंगे. वन संरक्षण अधिनियम के बारे में बहुत माननीय सदस्यों ने चिंता व्यक्त की है. वन संरक्षण अधिनियम जितना कठिन है नहीं उतना उसको बना दिया गया है.
श्री रामनिवास रावत--- किसी को दोष नहीं देते हैं .
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--- हम किसी को दोष नहीं देते हैं, जो दोषी पाया जाता है उसके खिलाफ सख्ती से कार्यवाही करते हैं, हम उसमें सुधार भी करेंगे , हम सब पर सहमत हैं लेकिन कुल मिलाकर विकास के काम रुकना नहीं चाहिए. पहल किसी की भी तरफ से चाहे वह विधायको की तरफ से, चाहे मंत्री के तरफ से हो, चाहे अधिकारी की तरफ से हो और चाहे जनता की तरफ से हो.
कुँवर विक्रम सिंह--- आपके पछारे मंत्री जी बैठी हैं, उनकी रोड नहीं बन पा रही हैं मंडला से सलैया तक.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--- माननीय अध्यक्ष महोदय, वन संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत किसी भी भूमि को गैर वानिकी उपयोग के लिए परिवर्तित करने के लिए कुछ छोटे छोटे नियम हैं. इन नियमों में पांच हेक्टेयर से नीचे की भूमि ट्रांसफर करने का अधिकार डीएफओ को दिया गया है और नक्सली क्षेत्र के 11 जिलों को, आदिवासी जिलों को हमने चिन्हित किया है इन जिलों में पांच हेक्टेयर से कम की जमीन को डीएफओ परिवर्तित कर सकता है, ट्रांसफर कर सकता है . अध्यक्ष महोदय, इसके ऊपर यदि कहीं कोई भूमि का गैरवानिकी उपयोग के लिए परिवर्तन होना है तो यह कागज केंद्र सरकार की अनुमति के लिए जाएंगे. केंद्र सरकार से दो बार अनुमति आएगी . एक बार अनुमति के साथ उनकी कुछ शर्तें रहेंगी, उन शर्तों का परिपालन जब कर लिया जाएगा तो हम इसको तत्काल केंद्र सरकार के पास फिर से भेज देंगे और इसके बाद केंद्र सरकार से जब दूसरी बार जैसे ही अनुमति आएगी तो वह भूमि गैरवानिकी उपयोग के लिए उपलब्ध हो जाएगी. अध्यक्ष महोदय मैं जब मंत्री बना तो जब मेरे सामने यह बात आई कि वन संरक्षण अधिनियम की, तो सबसे पहले जो विभाग हैं, जो इस क्षेत्र में काम करते हैं, विकास के क्षेत्र में, जैसे विद्युत मंडल, आरईएस, रोड डेवपलपमेंट कारपोरेशन, इरीगेशन विभाग और वर्क्स के जितने भी डिपार्टमेंट थे इनके दो-दो, तीन-तीन अधिकारियों को बुला के डीएफओ कार्यालय में हमने इस बात के लिए कार्यशाला रखी और प्रशिक्षण दिया गया कि वन संरक्षण अधिनियम को हौव्वा मत मानो. बहुत आसान है लेकिन आप इसकी इसकी पूर्ति करते जाइए और तत्काल समयसीमा में आपको इसकी अनुमति मिलेगी. अब छोटे-छोटे स्कूल की बात कही है. स्कूल में जरा सी जमीन लगती है. एक लंबी लाइन की बात कही है. जिसमें पेड़ नहीं कट रहे और वहाँ से रास्ता है. लाइन खींच सकते हैं उसमें कहीं कोई....
श्री रामनिवास रावत-- रोक रहे हैं.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- नहीं रोकेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- धन्यवाद.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- आप तो ज्ञानी हैं, आपको जब सब इतना ज्ञान है आप जब हमें पूरा ज्ञान बता सकते हैं तो...
श्री रामनिवास रावत-- आपको नहीं बता रहा हूँ. आप से ले रहे हैं.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- आपके ज्ञान का लाभ वहाँ के अधिकारियों को क्यों नहीं मिल रहा. हम उम्मीद करते हैं कि रावत जी अपने ज्ञान का लाभ पूरा उनको देंगे और ये छोटी-छोटी समस्याएँ जो आप इतने बड़े सदन में लाते हैं इनका निराकरण आप वहीं करवाएँगे. आप मुझे फोन पर बताइये. मैं निश्चित रूप से कहीं न कहीं कोई किसी से गलती हुई है तो उसे ठीक करूँगा.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय मंत्री जी, बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- सड़क मरम्मत, शाला भवन, अस्पताल, पेयजल, आदि कार्यों की स्वीकृति डी एफ ओ को एक हैक्टेयर का सब अधिकार है, 2015 में 158 से 140 की स्वीकृति हुई है. नक्सली क्षेत्र में 5 हैक्टेयर से कम तक की सड़क उन्नयन के लिए 65, प्रधानमंत्री सड़क के लिए 141, मुख्यमंत्री सड़क के लिए 50 और ऑप्टिकल फायबर्स के लिए 56 प्रकरण में अभी तक भारत सरकार से और स्थानीय कार्यालय डी एफ ओ से स्वीकृति मिल चुकी है. यह मैं आपको बताना चाहता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब पर्यटन के बारे में बात करें. वन्य जीव पर्यटन, मध्यप्रदेश के पर्यटन विभाग में या पर्यटन से होने वाली आय में एक बहुत बड़ा हिस्सा प्रदान करता है.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, एक तथ्य की ओर आपका ध्यानाकृष्ट करना चाहूँगा कि वन भूमि का जो हस्तांतरण होता है और आपको राजस्व भूमि दी जाती है, बड़ी बड़ी योजनाओं में, छोटी छोटी योजनाओं में, चाहे वह सिंचाई की योजना हो या अन्य योजना हो. हस्तांतरित हो जाता है योजना बन जाती है. लेकिन आपके विभाग द्वारा उसके बदले में राजस्व भूमि प्राप्त करने के बाद भी उसका डी-नोटिफिकेशन नहीं होता है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, डी-नोटिफिकेशन एक अलग विषय है और भूमि हस्तांतरण.....
श्री रामनिवास रावत-- विषय तो यही है. आपने उस जमीन के बदले दूसरी जमीन ली.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- डी-नोटिफिकेशन एक अलग विषय है और भूमि का हस्तांतरण एक अलग विषय है. ऐसे प्रकरणों में डी-नोटिफिकेशन की आवश्यकता इसलिए नहीं पड़ती कि वह जमीन पहले से ही प्रस्तावित रहती है और प्रकरण केन्द्र सरकार के पास जाता है और केन्द्र सरकार यह सुनिश्चित कर लेती है कि जितनी भूमि डूब क्षेत्र में या अन्य प्रयोजन के लिए परिवर्तित हो रही है. उतने से दुगनी भूमि उनको वृक्षारोपण की लागत जो है वह यह फला-फला रकबा, फला-फला खसरा जो मिल रही है तब जाकर कहीं उसकी अनुमति देती है. डी-नोटिफिकेशन एक अलग विषय है. किसी जमाने में...
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, मैं इसलिए निवेदन कर रहा था, आपने बिल्कुल सही कहा लेकिन जिस तरह की इस बड़े बड़े बाँधों में भूमि डूब में आने के बाद वह भूमि कहीं निकल आती है अगर किसान खेती करने पहुँचता है या इरीगेशन उसे नीलाम करना चाहता है तो फॉरेस्ट नहीं होने देता. कहता है डी-नोटिफिकेशन नहीं हुआ. भले ही आपने हमें भूमि दे दी.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- नहीं, नहीं. ऐसे प्रकरण जहाँ भी आएँगे हम उनको दिखवाते हैं और जहाँ जहाँ ऐसी शिकायतें प्राप्त हुई हैं.....
श्री रामनिवास रावत-- आप जब जमीन के बदले जमीन ले चुके और वनीकरण के लिए पैसा भी ले चुके तो डी-नोटिफिकेशन होना चाहिए. नहीं रोका जाना चाहिए.
कुँवर विक्रम सिंह-- माननीय मंत्री जी, स्वयं की जमीन पर तो जाने नहीं देते और दूसरे की जमीन पर क्या जाने देंगे.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया व्यवधान न करें.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, बस 5 मिनट और लूँगा. अध्यक्ष महोदय, वन्य जीव पर्यटन मध्यप्रदेश में बहुत बड़ा आकर्षण है. दुनिया में हमारे यहाँ के जो नेश्नल पार्क हैं, उनकी ख्याति है. दूसरे, विदेशों में जो नेश्नल पार्क हैं उनमें प्रकृति और वृक्ष तथा बायो डायव्हर्सिटी जिसको जैव विविधता है, वह नहीं है, लेकिन हमारे नेश्नल पार्क हैं, ये जैव विविधता से भरपूर हैं. यहाँ पक्षी हैं, यहाँ वाइल्ड लाइफ है, यहाँ वृक्ष हैं, वृक्षों की प्रजातियाँ हैं और इतना आकर्षण है हमारे यहाँ के नेश्नल पार्क और वनों का कि दुनिया में हम बहुत आगे हैं, पर्यटन के क्षेत्र में भी हमारे कान्हा, बाँधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना टायगर रिजर्व, दुनिया में ख्याति प्राप्त हैं. प्राकृतिक धरोहर वन्य प्राणियों से भरपूर है तथा मैंने जैसा कहा कि जैव विविधता से भी भरपूर है. बेहतर सुविधा के कारण हम पर्यटकों को आकर्षित कर पाए हैं. 5 वर्षों में पर्यटक बढ़े हैं. 5 लाख से संख्या बढ़कर 14 लाख पर्यटकों की हो गई है. इनमें से 1 लाख विदेशी पर्यटक हैं और अभी जैसी मैं बात कर रहा था मानव और वन्य प्राणियों का द्वंद्व दो प्रकार से है एक तो जनहानि या जनों को घायल करना जिसमें खासतौर से बाघ, तेंदुआ इत्यादि हैं इनकी घटनायें हमारे सामने आती हैं और दूसरा कुँवर साहब की तरफ से बात आई है सदन में यह विषय कई बार आया है जो रोजड़ , ब्लेक बक और सुअर इनके कारण बहुत ज्यादा क्षति हुई है इसके लिए सोलर फेंसिंग की एक योजना कुछ जिलों में हमने लागू की है वहां हमें इन्हें रोकने में सफलता मिली है हम प्रावधान करके और राशि का इंतजाम करके जहां-जहां रोजड़ से हानि हो रही है इसको हम रोकेंगे. प्रजापतिजी ने एक बात बहुत अच्छी बात कही है जो समाज में बताने वाली बात है नीलगाय को मारने की अनुमति के बारे में जैसा एक भ्रम है कि गाय लिखा है गाय को मार नहीं सकते हैं तो उन्होंने सदन में जो तुलनात्मक बात बताई है मैं उसकी तारीफ करना चाहता हूं उन्होंने कहा कि यह बकरी की प्रजाति है.
कुँवर विक्रम सिंह--यह बकरी की प्रजाति नहीं है यह हिरण की प्रजाति है यह एन्टीलोप (Antelope) प्रजाति का जानवर है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--आपको उपाध्यक्ष महोदय ने आसंदी से आज यह काम्पलीमेंट दिया है कि आप विशेषज्ञों की तरह भाषण कर रहे हैं. मैं भी बड़ा परेशान था कि हमारे सदन में वन्यप्राणी विशेषज्ञ मौजूद हैं और मैं भी मानता हूँ कि आपका भाषण निश्चित रुप से विशेषज्ञों जैसा था. अब आपसे से तो कोई पार पा ही नहीं सकता है कुल मिलाकर वह बकरी की प्रजाति थी या हिरण की थी उन्होंने (श्री आर डी प्रजापति) कहा कि बकरी की थी तो हम मान गये आप कह रहे हो हिरण की तो आपकी बात सही. जिला एक ही है आप दोनों का और पीड़ित दोनों व्यक्ति हैं यह आपस में तय कर लेंगे कि यह बकरी की प्रजाति है या हिरण की प्रजाति है. (हंसी)
अध्यक्ष महोदय, इकोटूरिज्म के माध्यम से हमने प्रदेश के लिए बहुत लाभ अर्जित किया है. मेरे ख्याल से रोजड़ के बारे में और तो नहीं बोलना है कुल मिलाकर आपसे सहमत हूं और सरकार चाहती है कि फसलों का नुकसान नहीं होना चाहिए और हर जो संभव प्रयास होगा वह हम करेंगे वह चाहे एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट से हो या सोलर फेंसिंग की व्यवस्था हमको अपने बजट से करना पड़े लेकिन किसानों को...
6.53 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय-- वन विभाग की मांगों पर कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूँ सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति व्यक्त की गई
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--वन्य प्राणियों की भी अजब लीला है यह मनुष्य को भ्रमित करते हैं. एक बार जब मनुष्य नेशनल पार्क में और सेंक्चुरी में जाता है और जैसा कि रावत जी वर्णन कर रहे थे कि कूनों में इतने जानवर हैं ऐसा लग रहा था जैसे कूनों में ही खड़े हैं यह और वहीं का विवरण दे रहे हैं और इतने प्रसन्न और आल्हादित थे कि जिसका जवाब नहीं. नेशनल पार्क में जानवर मनुष्य को दुनिया की सब चीजें भुला देता है एकाग्रता, प्रसन्नता और आल्हादित कर देता है वही जानवर जब खेत में खेत चरता है तब बंदूक उठाने का मन होता है कुँवर साहब का. जानवर के भी दोनों स्वरुप हैं.
कुँवर विक्रम सिंह--नीलगाय को देखकर कोई प्रसन्न नहीं होता है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--खेत में देखकर प्रसन्न नहीं होता लेकिन जब नेशनल पार्क में देखता है तो कहता है वाह नीलगाय, नीलगाय. अरे हम तो कहते हैं सुअर को भी देखते हैं लोग और कहते हैं क्या प्लाविंग कर रहा है यह (हंसी) जो लोग साथ में गाड़ी में रहते हैं जब सुअर जमीन को खोदता है और कंद खाता है अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि वह शाकाहारी है या मांसाहारी है आप बतायें.
कुँवर विक्रम सिंह--क्योंकि वह हड्डे भी खाता है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--ऐसे तो मनुष्य भी दोनों श्रेणी में है वह भी दोनों खाता है (हंसी)
कुवंर विक्रम सिंह--प्रकृति का एक नियम था जो चूसकर पानी पीते हैं वे शाकाहारी माने जाते हैं और जो लेप करके पानी पीते हैं वे मांसाहारी है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार :- मेरा विनम्र निवेदन है कि हमें प्रयास यह करना चाहिये कि सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे. हम वन्य प्राणियों को सुरक्षित भी रखें और संरक्षित भी रखें.
श्री रामपाल सिंह :- डाक्टर साहब क्या सांप और गोहिले भी आपके विभाग में आते हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार :- हां शायद, कहीं पर चुक हो रही है.
श्री रामनिवास रावत:- नहीं नहीं यह चूक नहीं हो रही है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार :-अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहावत वापस लेता हूं. लेकिन यह बिल्कुल सही है मुझे यह कहावत नहीं कहनी चाहिये. लेकिन इस समय में फीट यही हो रही है. दूसरी मेरे समझ में नहीं आ रही है. मैं कुल मिलाकर यही चाहता हूं कि वन्य प्राणी बढ़े और हमारे नेशनल पार्क अच्छे हों. जैव विविधता बरकरार बनी रहे और फसलों और किसानों का भी नुकसान न हो. कुल मिलाकर हम सदन के सदस्यों से और जो वैज्ञानिक हैं, जो विद्धान हैं, हम चाहते हैं कि वह ऐसा रास्ता निकालें.बारहसिंघा का हमने पुन:स्थापन किया है.उसमें हमको तकलीफ जा रही थी उसका हमने नया तरीका निकाला है, बोमा सिस्टम से उनको केज में लाते हैं और इसके बाद यहां पर लायें हैं, एक सतपुड़ा टायगर रिजर्व में सफल रहा है और वन विभाग में भी सफल रहा है. इसी प्रकार हमने चीतल को हमने वन विहार से संजय राष्ट्रीय उद्यान में ले गये हैं. गिद्धों की गणना में हम सफल रहे हैं. 32 जिलों में 876 स्थानों पर 6700 गिद्ध मिले हैं. सदन की यह चिन्ता थी कि गिद्धों की संख्या कम हो रही है लेकिन उसको भी संरक्षित करने का वन विभाग द्वारा पूरा पूरा प्रयास किया गया है. पेंगोलिन का एक शिकार हुआ था, पेंगोलिन के शिकार में भी आरोपी पकड़े गये हैं. मुकुन्दपुर जू हमारे शुक्ला जी का बड़ा एक स्वप्न उनका था और वास्तव में उन्होंने ही इसकी शुरूआत की है मैंने तो उसको फालोअप किया है. हर जगह वह देखते रहे चाहे वह परमीशन की बात हो या डी पी आर का मामला हो, सब चीजों के मामले में और अब वह चाहते हैं कि उसका बहुत अच्छा लोकार्पण होना चाहिये. लोकार्पण में आप उसमें अतिथि के रूप में आमंत्रित हैं और उपाध्यक्ष जी भी उसमें आमंत्रित हैं. शुक्ला जी आपने तारीख क्या रखी है. तारीख भी शुक्ला जी ने तय की है. कुल मिलाकर प्रस्ताव शुक्ला जी का ही था. लेकिन यह मुकुन्द जू एण्ड रेस्क्यू सेंटर मध्यप्रदेश के लिये ..
श्री शंकरलाल तिवारी :- अध्यक्ष महोदय, मुकुन्दपुर सतना जिले में है. आपकी वेबसाईड में रीवा जिला बता रहे हैं. राजेन्द्र जी से कृपया करके कहीं कि उसे सही करवायें.
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- अब राजेन्द्र जी ने ऐसा क्यों करवाया मुझे नहीं मालूम है. अब सफेद भी रीवा का ही कहलाता है, रहेगा सतना में.
श्री रामनिवास रावत:- अब आप यह जानकारी उपाध्यक्ष जी से ले लें कि वह कहां पर है.
डॉ गौरीशंकर शेजवार :- माननीय अध्यक्ष महोदय, ईको टूरिज्म वेव बोर्ड के माध्यम से हम तीन ऐसे काम करने वाले हैं, इसमें हम तीन टाईगर रिजर्व बना रहे हैं. एक टाईगर रिजर्व बना रहे हैं बांधवगढ़ में, एक टाईगर रिजर्व पेंच में बना रहे हैं और एक टाईगर रिजर्व बना रहे हैं कान्हा में. सामान्य रूप में प्रकृति के ऊपर टूरिस्ट का ज्यादा दबाव बढ़ता है और ज्यादा संख्या में टूरिस्ट नेशनल पार्क के कोर जोन में न रहे और अपना कुछ समय कोर जोन के बाहर भी बिताये ताकि जो वन्य प्राणियों पर और प्रकृति पर जो मानव का दबाव हैउसमें कमी आ सके इसके लिये हमने यह योजना बनायी है और इसमें हम केन्द्र सरकार का बहुत बहुत आभार मानते हैं जिन्होंने हमें स्वदेश दर्शन की स्किम के अन्तर्गत 93 करोड़ रूपये मध्यप्रदेश को इन सब के लिये आवंटित किया है और इसके अंतर्गत नौका नयन वगैरह जो एक बोट सफारी कहलाती है. सामान्य रूप से जहां पर नेशनल पार्क होते हैं जहां पर बड़ी बड़ी जल परियोजनाएं होती हैं वहां पर बोट के माध्यम से वाईल्ड लाईफ के दर्शन करवाना इसका अपने आप में आकर्षण है और इसको हम काबिनी में हम देखकर आये हैं. हमारे यहां पर पेंज में इसकी संभावनाओं को देख रहे हैं और सतपुड़ा में भी देख रहे हैं. मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम हमारे यहां पर काम कर रहा है. इसमें कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के क्षेत्र में इसको ग्रीनटेक फाउंडेशन से स्वर्ण पदक मिला है 2015 में यह छोटे-छोटे गरीबों के हित में भी काम करता है. मछली पालन,बोरी बंधान,सामुदायिक भवन को प्रोत्साहित करता है. राज्य लघु वनोपज हमारी ऐसी संस्था है संभवत: इसकी तुलना कहीं नहीं है. यह तेंदू पत्ता और लघु वन उपज का संग्रहण करवाती है. सबसे पहले जो ग्रामीण क्षेत्र और वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को बहुत बड़ी मात्रा में रोजगार देती है. इससे उनकी निश्चित रूप से क्रय शक्ति बढ़ी है. इस पर जो टोटल खर्च होता है उसको काटकर जो शुद्ध लाभ होता है वह पूरा का पूरा तेंदू पत्ता समितियों और वन क्षेत्र में उसका व्यय करते हैं और उसका एक रूपया भी और कहीं नहीं खर्च करते. शुद्ध आय का 70 प्रतिशत संग्राहकों को बोनस के रूप में वितरित किया जाता है 15 प्रतिशत वन समितियों को 15 प्रतिशत मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिये किया जाता है. 2015 में 152 करोड़ 47 लाख रुपये का बोनस बाटा है. प्रति मानक बोरा जो मजदूरी थी मैं सदन को बताना चाहता हूं मुख्यमंत्री जी की घोषणा बताना चाहता हूं. एक मानक बोरा तोड़ने पर एक हजार गड्डियों पर अभी तक जो तेंदू पत्ता के संग्राहक थे उनको 950 रुपया मिलता था और माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की है कि इसको बढ़ाकर हमने 1250 रुपये कर दिया है. निश्चित रूप से इससे उनको फायदा होगा. इसमें हम सामाजिक सुरक्षा समूह बीमा जो तेंदू पत्ता का संघ है इसमें हम देते हैं. दुर्घटना में मृत्यु अथवा अपंगता में अभी तक 25 हजार रुपये मिलते थे माननीय मुख्यमंत्री जी ने इसको बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपये कर दिया है. राज्य शासन द्वारा एक लाख रुपया अतिरिक्त इनको दिया जायेगा. विगत दस वर्षों में 73 हजार 900 संग्राहकों को 36 करोड़ 32 लाख रुपये हम बांट चुके हैं. इन्हीं के लिये शिक्षा के क्षेत्र में एकलव्य शिक्षा एवं विकास योजना जोछात्रों के लिये लागू की है. 4129 छात्रों को 250 लाख 42 हजार का आवंटन हमने किया है. 2014-15 में 748 छात्रों को 61 करोड़ 70 लाख रुपये की छात्रवृत्ति दी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे भाषण के समय आप स्वयं पधारे, माननीय उपाध्यक्ष जी भी सदन में मौजूद हैं. मैं अपने आपको धन्य मानता हूं कि सदन के संचालन की जिन पर जिम्मेदारी है उन्होंने स्वयं ने मेरा भाषण सुना. विपक्ष की तरफ से हमारे रावत जी भी रहे. समय-समय पर उन्होंने मेरा ज्ञानवर्धन किया उनका मैं धन्यवाद मानता हूं. सभी सदस्यों को भी धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं. आपसे निवेदन है कि मेरे विभाग की अनुदान मांगों को पारित करने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय - मैं, पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या 10 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं, मांग पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि 31 मार्च,2017 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को--
अनुदान संख्या - 10 वन के लिए दो हजार एक सौ सत्तर करोड़,पैंतालीस
लाख,नौ हजार रुपये
तक की राशि दी जाय.
मांग का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय - विधान सभा की कार्यवाही गुरुवार दिनांक 10 मार्च,2016 के प्रात: 10.30 बजे तक के लिये स्थगित.
सायं 7.05 बजे विधान सभा की कार्यवाही गुरुवार, दिनाँक 10 मार्च, 2016 (20 फाल्गुन, शक संवत् 1937) के पूर्वाह्न 10.30 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, भगवानदेव ईसरानी
दिनांक : 9 मार्च,2016 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा