मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा द्वादश सत्र
दिसंबर, 2016 सत्र
गुरुवार, दिनांक 8 दिसंबर , 2016
(17 अग्रहायण, शक संवत् 1938 )
[खण्ड- 12 ] [अंक- 4]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 8 दिसंबर, 2016
(17 अग्रहायण, शक संवत् 1938 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा ) पीठासीन हुए.}
श्री जितू पटवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बहुत महत्वपूर्ण बात थी ,मुख्यमंत्री जी ने और सारे मंत्रियों ने कल स्थगन पर जो चर्चा हुई थी उस पर कहा था..
अध्यक्ष महोदय-- यह बात प्रश्नकाल के बाद कर लेंगे, प्रश्न क्रमांक 1.
श्री जितू पटवारी-- उस पर कहा था कि कर्ज घटेगा,सस्ता होगा. सारे आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि सब महंगा हुआ है.
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र)—माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह गलत परंपरा नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- उनको मैंने अनुमति नहीं दी है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- सवाल इतना सा नहीं है कि आपने उनको रोका है विपक्ष यह परंपरा ही गलत डाल रहा है, कौनसी बात कब कहना है यह उनको समझ ही नहीं आता.
अध्यक्ष महोदय-- धीरे-धीरे समझ में आएगी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- कौनसी बात कब कैसे कही जाती है और यह सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है.
अध्यक्ष महोदय—क्या बात है.
वन मंत्री(डॉ. गौरीशंकर शेजवार)—अध्यक्ष महोदय, प्रश्न यह है कि यह जानते हैं कि प्रश्नोत्तरकाल में व्यवधान नहीं करना चाहिए. इसके बाद व्यवधान करने की यह इनकी हठधर्मी है और एक बार नहीं, हर बार यह हो रहा है.
श्री सुदंरलाल तिवारी-- कौन व्यवधान कर रहा है. अध्यक्ष महोदय, यह कहने का अधिकार आपको है, शेजवार साहब बाधा क्यों पैदा कर रहे हैं.
श्री बहादुर सिंह चौहान--- हमारे नेताजी की बात पूरी सुनी आपने कल ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- यह इनकी पुरानी आदत है जब आपके पिताजी अध्यक्ष थे तब इससे ज्यादा बाधा करते थे.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि प्रश्नकाल में कोई-सा भी विषय न उठाये.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, अनुरोध से नहीं यह प्रताड़ना से सुधरेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, मैं तो अनुरोध ही कर सकता हूं. ..(हंसी)..
श्री सुंदरलाल तिवारी--- (XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है, चुनकर आया हुआ व्यक्ति है.आपकी कृपा से आया है क्या.
अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री सुदंरलाल तिवारी--- चुने हुए को भी बाहर निकालने का अधिकार अध्यक्ष महोदय के पास है, आपके पास नहीं है.
श्री कैलाश चावला-- अध्यक्ष महोदय, अगर निकालना है तो पहले इन्हीं को निकाला जाये.
अध्यक्ष महोदय---- जो सबसे अधिक व्यवधान डालते हैं उनको निकालने का नियम बना है.
श्री सुदंरलाल तिवारी--- अध्यक्ष महोदय, आपको निकालने का पूरा अधिकार है.
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, किसी को न निकाला जाये. (हंसी)..
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
भिण्ड जिले में स्वीकृत रेत खदानें
[खनिज साधन]
1. ( *क्र. 1671 ) चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) भिण्ड जिले के विकासखण्ड मेहगांव, रौन, लहार के अतंर्गत कुल कितनी स्वीकृत रेत खदाने हैं? विधानसभा क्षेत्रवार, नामवार, रकबावार जानकारी दी जावे। (ख) उक्त खदानों में से वर्तमान में कौन-कौन सी खदानों से शासन की स्वीकृति से रेत उत्खनन का कार्य किया जा रहा है? क्या उक्त स्वीकृत संचालित खदानों का सीमांकन विधानसभा में लिये निर्णय के अनुसार क्षेत्रीय विधायक को साथ में लेकर किया गया है? यदि हाँ, तो किस-किस खदान पर नामवार, खदानवार जानकारी दी जावे। (ग) क्या विकासखण्ड लहार अंतर्गत डुबका खदान जिसकी अनापत्ति पर्यावरण विभाग से जारी नहीं की गई है, से रेत का उत्खनन कर नदी की दूसरी और मेहगांव विकासखण्ड, मेहगांव बरेठी गांव से रेत का परिवहन किसकी अनुमति से और किन परिस्थितियों में किया जा रहा है? क्या प्रशासन उक्त नियम विरूद्ध रेत उत्खनन कार्य करने वाले ठेकेदार का ठेका निरस्त करेगा?
खनिज साधन मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट में दर्शित है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट में दर्शित है। माननीय प्रश्नकर्ता द्वारा किस विधानसभा सत्र का प्रश्न में संदर्भ लिया गया है, स्पष्ट नहीं होने के कारण जानकारी दिया जाना संभव नहीं है। खदानों का सीमांकन कलेक्टर कार्यालय द्वारा किया जाता है। (ग) प्रश्नानुसार डुबका रेत खदान हेतु समस्त वैधानिक अनुमतियां प्राप्त हो गईं हैं। अत: नियमानुसार खदान का संचालन किया जा रहा है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता।
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी —माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे जो जवाब मिला है उसमें शासन ने यह कहा है कि इस तरह का कोई प्रश्न उत्पन्न नहीं होता है जबकि पिछले जुलाई सत्र में माननीय प्रदीप अग्रवाल जी की ध्यानाकर्षण सूचना में माननीय मंत्री महोदय ने स्वयं कहा था कि जनप्रतिनिधि की उपस्थिति में सभी संबंधित खदानों का सीमांकन कराया जाएगा. मेरा आपसे अनुरोध है मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि क्या जो चिह्नित खदानें हैं और जो ऑक्शन्ड खदानें हैं उनका सीमांकन कराया जाएगा और जो अवैध रूप से खनन कर रहे हैं अन्यत्र जगह से उनको रोका जाएगा और अगर ऐसा कोई ठेकेदार जो ऑक्शन्ड खदान लिए हुए है और वह अगर अन्यत्र खदान से खुदाई कर रहा है तो क्या उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि स्वीकृत खदान के बाहर कोई रेत निकालने का काम करेगा तो सिर्फ कार्यवाही ही नहीं बहुत कड़ी कार्यवाही की जाएगी और जहां तक सीमांकन का सवाल है आमतौर पर जिला प्रशासन की ड्यूटी है कि कोई खदान ऑक्शन में स्वीकृत हुई है तो उसका सीमांकन कराकर उसको भूप्रवेश उपलब्ध कराए. जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में सीमांकन कराने की व्यवस्था नहीं है और आमतौर पर यह उचित भी नहीं होगा लेकिन स्पेसिफिक कहीं जनप्रतिनिधि की इच्छा है कि उस सीमांकन में पर्टिकुलर उस एरिया के सीमांकन में मझे रहना आवश्यक है तो जैसा मैंने पिछली बार किया था उस प्रकार से किया जा सकता है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी —माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो माननीय मंत्री जी ने बहुत अच्छी बात कह दी है लेकिन थोड़ा सा और स्पष्ट हो जाता कि कोई भी प्रतिनिधि की उपस्थिति रहेगी तो हम आपके आभारी रहते.
श्री राजेन्द्र शुक्ल— माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी भी प्रतिनिधि का रहना उचित नहीं है लेकिन माननीय सदस्य मुकेश जी के क्षेत्र में यदि किसी खदान में उन्हें यह शंका है कि सीमांकन जो प्रशासन ने किया है वह सही नहीं हुआ है तो उस पर्टिकुलर क्षेत्र का सीमांकन मुकेश जी की उपस्थिति में या उनके प्रतिनिधि की उपस्थिति में हो जाएगा.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी —बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय—आप बैठ जाएं वैसे प्रश्न उद्भूत नहीं होता है पर आप पूछ लीजिए.
श्री विजयपाल सिंह—गलत जगह से जो रेत उठ रही है उसका सीमांकन करा लें तो ज्यादा उत्तम होगा और जो ठेकेदार गलत तरीके से रेत उठा रहा है तो उस पर कार्यवाही भी होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय—माननीय मंत्री जी प्रश्न दूसरे जिले का है प्रश्न उद्भूत नहीं होता है पर माननीय विधायक जी ने जो कहा है उसको ध्यान में दे लें आपको कुछ कहना है तो कह भी दीजिए.
श्री राजेन्द्र शुक्ल—माननीय अध्यक्ष महोदय, जो नई खनिज रेत नीति आपने बनाई है मुझे सदन को यह जानकारी देते हुए बड़ी प्रसन्नता है और आपको भी बड़ी खुशी होगी माननीय अध्यक्ष महोदय, कि सेंड की रायल्टी से जो 130 करोड़ के आसपास शासन के खजाने में एतिहासिक रूप से आता रहा है नई जो खनिज रेत नीति हम लोगों ने बनाई है उससे ऑक्शन के रूट में हम लोग गए हैं उससे लगभग 1500 करोड़ रुपए से ज्यादा शासन के खजाने में रेत के माध्यम से आएगा. राजस्व के माध्यम से इसका मतलब कि लंबे समय से जो माननीय सदस्य इस बात को लेकर चिन्तित रहते थे कि रेत की मात्रा ज्यादा है लेकिन शासन के खजाने मे रायल्टी कम आती है तो उस कमी को भी दूर करने में नई रेत नीति के माध्यम से हम लोगों ने उस पर काफी सफलता प्राप्त की है और जहां तक आपके क्षेत्र के सीमांकन का सवाल है मैंने कहा ही है कि यदि किसी एक जिले में 50 खदाने हैं उसमे से किसी खदान में यदि अवैध उत्खनन की शंका होती है तो जो आप जो जानकारी मुझे देंगे उस पर सीमांकन की दुबारा व्यवस्था सुनिश्चित कर देंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान—तिवारी जी माननीय अध्यक्ष जी ने मुझे समय दिया है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय—उन्हें अलाऊ किया है और अब इसके बाद किसी को अलाऊ नहीं करेंगे. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--लैंड रेवेन्यू कोर्ट में क्या मंत्री जी को यह अधिकार है कि किसी विधायक को अनुमति दे दें कि वह सीमांकन में जाए, सीमांकन के तो नियम हैं.
अध्यक्ष महोदय--मनाही भी कहा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--मंत्री जी कह रहे हैं कि हम जनप्रतिनिधि को एलाउ कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय--एलाउ कर देंगे. उन्होंने नापने के लिए थोड़ी बोला है. (व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान--तिवारी जी इसमें गलत क्या हो रहा है (व्यवधान)
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--माननीय अध्यक्ष महोदय, कृपा करके थोड़ा सा स-कोप बोलिए. यह उस तरह के नहीं है जिस तरह के आप समझ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--तिवारी जी यह ठीक बात नहीं है. (व्यवधान) इसमें लेंड रेवेन्यू कोर्ट कहां से आ गया. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--सीमांकन कौन करेगा (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--सीमांकन अधिकारी करेंगे. उसमें विधायक उपस्थित रहे तो कोई एतराज है क्या आपको (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--सीमांकन पटवारी, आरआई, तहसीलदार करेंगे और जो पार्टी इनवाल्व है..(व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जनता से जुड़ा हुआ प्रश्न है (व्यवधान)
जल संसाधन मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- अध्यक्ष महोदय, कौन जाएगा कौन नहीं जाएगा क्या तिवारी जी तय करेंगे या मंत्री तय करेगा. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--लेकिन आप भी तय नहीं करेंगे..(व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र--सरकार ही तय करेगी, कानून यहीं बनता है इसी विधान सभा में अधिकारी उस पर अमल करते हैं (व्यवधान)
श्री शैलेन्द्र जैन--विधायकों के अधिकार की बात करते हैं अब आप विधायकों के अधिकार के हनन की बात कर रहे हैं. आप क्या करना चाहते हैं (व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान--तिवारी जी आप विधायक के खिलाफ बोल रहे हो (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--बैठ जाइए बाद में पढ़वा देंगे (व्यवधान) तिवारी जी बैठ जाइए.
श्री बहादुर सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है उसकी मैं प्रशंसा करता हूँ. देखने में यह आ रहा है कि जो ठेकेदार अपनी रायल्टी से ठेका लेता है सीमांकन सही नहीं होने पर जो अवैध उत्खनन करता है वह कहता है कि मेरी रेत यहां से आती है इस कारण मारपीट और हत्याएं हो जाती हैं. खनिज विभाग में सीमांकन अति महत्वपूर्ण है. इसमें जनप्रतिनिधि उपस्थित रहने से सीमांकन सही हो जाता है. रेत माफिया के कारण...
अध्यक्ष महोदय--वे तो सहमत हैं. आप अपनी बात कह दीजिए.
श्री बहादुर सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के संबंध में मैंने खनिज विभाग से संबंधित प्रश्न किया था.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)--तिवारी जी आप किसी ठेकेदार की तरफ से तो नहीं बोल रहे हैं न (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी बहादुर सिंह जी का प्रश्न आ जाने दें. उनका प्रश्न आ जाए फिर आप जो कहना चाहें कह लें.
श्री बहादुर सिंह चौहान--मेरे विधान सभा क्षेत्र के संबंध में मैंने चार बार खनिज विभाग का प्रश्न लगाया था उसमें शासन द्वारा 30 करोड़ 29 लाख की रिकवरी कर दी. माननीय मंत्री जी के लगातार परस्यू करने से यह वसूली हुई. मेरा आग्रह यह है कि यह खनिज से जुड़ा हुआ मामला है तो केवियट लगाकर बाकी वसूली करवा लें.
अध्यक्ष महोदय--यह प्रश्न इससे उद्भूत नहीं होता है. माननीय मंत्री जी आप कुछ कह रहे थे.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--अध्यक्ष महोदय, मैं यह बोल रहा था कि तिवारी जी बहुत रुचि लेकर इस विषय पर बात कर रहे थे.
अध्यक्ष महोदय--यह कोई बात नहीं है. तिवारी जी बैठ जाइए बिलकुल नहीं उठेंगे आप. बहादुर सिंह जी आप अपनी बात लिखकर मंत्री जी को दे दीजिए आपकी बात आ गई है पर उसका उत्तर नहीं आएगा. प्रश्न उद्भूत नहीं होता है.
श्री बहादुर सिंह चौहान--सरकार के खजाने में 30 करोड़ रुपए आए हैं. पहली बार इतनी बड़ी वसूली हुई है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार--यदि कोई ठेकेदार आउट एरिया में खनन कर रहा है जैसे ही आउट एरिया वाली बात आई तो क्या आप ठेकेदार का पक्ष तो नहीं ले रहे हैं यहां पर ?
अध्यक्ष महोदय--तिवारी जी बैठ जाइए. अब कृपा करके तिवारी जी की बात पर कोई भी माननीय सदस्य और माननीय मंत्री कमेंट न करें. अभी पंचायत मंत्री जी ने भी अपनी बटन दबाई थी. वे फिर मानते नहीं हैं प्लीज.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)--अध्यक्ष महोदय, तिवारी जी चाहते हैं कि.
श्री रामनिवास रावत--भार्गव जी भी तिवारी जी से कम नहीं पड़ते हैं.
अध्यक्ष महोदय--इस तरह से आप उनके लिए नहीं कह सकते हैं. बैठ जाएं.
श्री गोपाल भार्गव--रावत जी आप बैठ जाएं, मैं बंदूक लेकर बीहड़ में नहीं उतर रहा हूं. आप बंदूक लेकर बीहड़ में जाने की बात करते थे मैं नहीं जा रहा हूँ. मैं तिवारी जी से यह कहना चाहता हूँ कि अब यह तय करेंगे कि संसद में और विधान सभाओं में क्या होगा. अब यह भी पूछेंगे कि संसदीय कार्य मंत्री जी लाल, हरी, नीली पीली जैकेटें क्यों पहनकर आते हैं.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--अध्यक्ष महोदय,(XXX)
अध्यक्ष महोदय--यह कार्यवाही से निकाल दें.
सड़क निर्माण में अनियमितता
[नगरीय विकास एवं आवास]
2. ( *क्र. 1651 ) श्री जालम सिंह पटेल : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) गोटेगांव नगरपालिका परिषद् में वर्ष 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में विभिन्न वार्डों में सड़क नाली, पुलियों के कितने निर्माण हुए, विवरण स्वीकृत बजट सहित देवें। (ख) उपरोक्त निर्माण में कितने निर्माण अंडर इस्टीमेट एवं कितने ओवर इस्टीमेट हुए? (ग) क्या ओवर इस्टीमेट निर्माणों की तकनीकी प्रशासनिक एवं वित्तीय अनुमतियां समय पर नियमानुसार ली गईं थी? यदि नहीं, तो दोषी कौन है? दोषियों पर क्या कार्यवाही कब तक की जाएगी? (घ) ओवर इस्टीमेट निर्माण करने हेतु क्या नियम हैं? नियमावली सहित जानकारी देवें। (ड.) क्या प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा गोटेगांव की मॉडल रोड निर्माण में हुई अनियमितताओं की जानकारी कलेक्टर नरसिंहपुर को पत्र द्वारा दी गई थी? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की गई?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) 12 कार्यों पर स्वीकृत प्राक्कलन राशि से कम एवं 8 कार्यों पर स्वीकृत प्राक्कलन राशि से अधिक व्यय हुआ है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। प्राप्त जानकारी की जाँच किए जाने के आदेश दिए गए हैं। जाँच परिणामों के अनुसार आगे की कार्यवाही नियमानुसार की जावेगी। (घ) यदि किसी कार्य की लागत स्वीकृत अनुमानित लागत से अधिक आने की संभावना हो या अधिक आवे तो कार्य की पुनरीक्षित स्वीकृति सक्षम प्राधिकारी से लिए जाने का प्रावधान है। (ड.) जी हाँ। कार्यवाही कलेक्टर जिला नरसिंहपुर के पास प्रचलित है।
श्री जालम सिंह पटेल--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने अपने उत्तर के भाग (ख) और (ग) में लिखा है कि 12 कार्य ओव्हर इस्टीमेट हुए हैं. 2015-16 में जो निर्माण कार्य हुए उसमें किसी भी प्रकार की तकनीकी स्वीकृति नहीं ली गई. मैंने एक और शिकायत की है जो (घ) में है. गोटेगांव में मॉडल सड़क बन रही है उसकी शिकायत की है. उसकी जांच चल रही है. वर्तमान में जो उपयंत्री वहां है वह लगभग 9-10 साल से वहां पर पदस्थ है. वह 216 दिन अनुपस्थित रहा है उसके पश्चात् भी उसको 3 लाख रुपए का भुगतान हो गया है. उस पर एससी एसटी एक्ट का एक मामला चल रहा है. एक महिला उत्पीड़न का मामला चल रहा है. एक महीने से वह भी फरार है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि मैंने लगभग चार बार शिकायत की है, एक शिकायत 18.3 में की है, 31.3 में एक शून्यकाल लगाया था, 7.5 में एक शिकायत की है, 29. 7 में एक शिकायत की है और नगरपालिका उपाध्यक्ष ने भी 30.12 में और 4.4 में एक शिकायत की है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि मैंने जो शिकायत की है तो उसको हटाकर या निलंबित करके जांच करायेंगे क्या ?
श्रीमती माया सिंह :- सम्माननीय अध्यक्ष जी, माननीय सदस्य ने जो सवाल पूछा है इस सवाल में वह जो उपयंत्री के बारे में पूछ रहे हैं, वह अलग है. यहां पर जो उन्होंने कहा है कि तकनीकी और प्रशासनिक वित्तीय अनियमितता के बारे में प्रश्न ''ग'' के बारे में बता रहे हैं और दूसरा उन्होंने जांच के बारे में कहा है. जांच के बारे में जो कलेक्टर को कहा गया था तो वह जांच पूरी हो गयी है और उसमें कोई अनियमितता नहीं पायी गयी है. जब जांच की थी उस वक्त मॉडल रोड का निरीक्षण किया गया था तो उस वक्त निरीक्षण के समय में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पार्षद उपस्थित थे. उनकी उपस्थिति में निविदा की शर्तों के अनुरूप उसमें गुणवत्ता पायी गयी है. दूसरी बात आपने उपयंत्री की बात कही है, वह आप हमें बता दीजिये, वह आपका एक अलग मसला है.
श्री जालम सिंह पटेल :- माननीय अध्यक्ष महोदय, उपयंत्री वहां पर लगातार अनियमितता कर रहा है. मैंने 7.5.16 को कलेक्टर को जो पत्र लिखा है, उसी के ''घ'' में जो उसका जवाब है, उसी में यह बिंदु है कि 216 दिन तक वह अनुपस्थित रहा है. मॉडल सड़क जो बन रही थी, उसमें जो वहां नाली बनना थी, उसमें 20 लाख रूपये की नाली बन चुकी थी, उसको तोड़ कर फिर से 35 लाख रूपये की नाली बना थी. मुख्यमंत्री जी ने जो मॉडल सड़क वहां के लिये दी थी उसमें आज तक डामर नहीं हुआ है, उसके लिये पैसा नहीं है. आपने जवाब दिया है कि 67 लाख रूपये का ओवर एस्टीमेट है, इसलिये सड़क नहीं बन रही है. वहां पर धूल उड़ रही है. मैंने इतने सारे बिंदु दिये है, आपको भी पत्र लिखा है, पूर्व मंत्री जी को पत्र लिखा है.लेकिन अभी तक जांच नहीं हुई है
अध्यक्ष महोदय :- इनके दो विषय हैं, एक तो ओवर एस्टीमेट है, दूसरा मॉडल सड़क की क्वालिटी ठीक नहीं है.
श्री जालम सिंह पटेल :- अध्यक्ष महोदय, वह 216 दिन अनुपस्थित रहा है तो उसका भुगतान कैसे होगा. मैंने कलेक्टर को पत्र दिया है, उसमें यह बिंदु है. आपने कहा है कि जांच हो गयी है, आप इसकी जांच करायें न ?
श्रीमती माया सिंह :- अध्यक्ष महोदय, जो मॉडल सड़क बनायी है, उसकी जांच हो चुकी है उसमें जांच के समय सारे लोग उपस्थित थे , कलेक्टर ने जांच करायी है उसमें सड़क की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं पायी गयी है, रही बात नाली निर्माण की तो जो नाली का निर्माण कराया गया था वह क्षतिग्रस्त हो गयी थी और पानी की समुचित निकासी नहीं हो पा रही थी इसलिये मॉडल सड़क के साथ ही साथ पानी की समुचित निकासी के लिये इस नाली के निर्माण को उसमें सम्मिलित किया गया है.
श्री जालम सिंह पटेल :- अध्यक्ष महोदय, नाली फाईनल हुई ही नहीं और फिर से तोड़कर बना दी. मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि क्या नाली का निर्माण फाईनल हो गया था क्या ?
अध्यक्ष महोदय :- मंत्री जी, क्या आप फिर से इसकी जांच करा लेंगे ?
श्रीमती माया सिंह :- अध्यक्ष जी, मैं फिर से इसकी जांच करा लूंगी. इसके साथ ही साथ दूसरा जो अधिकारी के खिलाफ भी जांच की बात कर रहे हैं, मैं उसकी दोबारा जांच करवा लूंगी. वैसे इसकी जांच हो चुकी है.
अध्यक्ष महोदय :- विधायक जी, आप मंत्री जी को डिटेल्स दे दें, जो आपको एतराज है या उसमें जो अनियमिता हुई है, उसका विवरण दे दें, वह जांच करवा लेंगी.
श्री जालम सिंह पटेल :- धन्यवाद्.
शासकीय महाविद्यालयों को भवन की सुविधा
[उच्च शिक्षा]
3. ( *क्र. 20 ) श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य) : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश में कई शासकीय महाविद्यालय भवन के अभाव में किराये के भवन में संचालित होते हैं? यदि हाँ, तो जिलावार सूची उपलब्ध करावें? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार किराये के भवन में संचालित शासकीय महाविद्यालयों के स्वयं के भवन के लिये शासन द्वारा क्या कार्यवाही की जा रही है? (ग) शासन द्वारा कब तक समस्त शासकीय महाविद्यालयों को स्वयं का भवन उपलब्ध कराने संबंधी कार्यवाही पूर्ण कर ली जावेगी?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जयभान सिंह पवैया ) : (क) प्रदेश के 11 शासकीय महाविद्यालय किराये के भवन में संचालित हैं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट पर है। (ख) संलग्न परिशिष्ट के रिमार्क कालम में जानकारी अंकित है। भवन निर्माण हेतु भूमि उपलब्ध होने पर निर्माण कार्य का प्रस्ताव प्राप्त होने पर निर्णय हेतु स्थायी वित्तीय समिति के समक्ष प्रस्तुत किए जाते हैं। समिति के निर्णय अनुसार प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जाती है। तदोपरांत निर्माण कार्य की प्रक्रिया निर्माण एजेंसी द्वारा की जाती है। उपलब्ध आवंटन के आधार पर भवनों का निर्माण किया जाता है। (ग) समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री सुदर्शन गुप्ता :- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से बताना चाहता हूं यह पूरे प्रदेश के महाविद्यायलों के विद्यार्थियों के हित का मामला है. प्रायवेट स्थान पर महाविद्यालय लगने से पढ़ाई का माहौल नहीं बन पाता है. शिक्षा का स्तर नहीं बन पाता है. खेलकूद व सांस्कृतिक गतिविधियां नहीं हो पाती है. प्रदेश भर के केवल 20 महाविद्यालय हैं, जो प्रायवेट भवनों में चल रहे हैं. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि वहां पर भूमि उपलब्ध नहीं है तो क्या सरकार वहां पर भूमि खरीदकर नये भवन बनायेंगी और कब तक ?
श्री जयभान सिंह पवैया :- मान्यवर अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने भवनविहीन महाविद्यालय के बारे में प्रश्न किया है. मैं यह बताना चाहूंगा कि 161 महाविद्यालयों के भवन निर्माण होने हैं. 45 महाविद्यालयों के भवन निर्माणाधीन प्रक्रिया में हैं. 50 के लिये विश्व बैंक से सहायता मिल गई है उसको इस वर्ष से शुरू कर रहे हैं. 66 महाविद्यालय जो बचेंगे उनको औसतन 15 महाविद्यालय प्रति वर्ष के मान से उनका निर्माण शासन की ओर से यथाशीघ्र पूरा कर दिया जाएगा.
श्री सुदर्शन गुप्ता--अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद मैं मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट हूं.
श्री मुरलीधर पाटीदार--अध्यक्ष महोदय, मेरा आग्रह है कि प्रायवेट स्कूल तो एक-एक अथवा दो-दो बिल्डिंग में चल रहे हैं उनके लिये ग्राऊंड की व्यवस्था की जाए.
अध्यक्ष महोदय--आपकी बात आ गई है.
प्रश्न संख्या--4
4. ( *क्र. 1724 ) श्री सुरेन्द्रनाथ सिंह : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग के कितने अधिकारियों को ए.सी.ई.ओ. जिला पंचायत बनाया है? उनको विभाग के कौन से आदेशों, निर्देशों से कार्य सौंपे हैं? (ख) किन जिला पंचायतों ने विभागीय निर्देशों का पालन कर ए.सी.ई.ओ. को कार्य दिये हैं और किनने नहीं दिये हैं? उनके नाम बतायें। (ग) विभागीय अधिकारी जैसे ए.सी.ई.ओ. जिला पंचायत, सी.ई.ओ. जनपद पंचायत, बी.डी.ओ. डी.ई.ओ., ए.डी.ई.ओ. को जल ग्रहण क्षेत्र मिशन एवं आजीविका परियोजना में क्या दायित्व सौंपे गये हैं? यदि दायित्व सौंपे गये हैं तो आदेश, निर्देश की प्रति उपलब्ध करायें? नहीं सौंपे गये हैं तो कब से विभागीय अधिकारियों से काम लिया जायेगा? (घ) विभाग में किस-किस विभाग के अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर कब से कार्यरत हैं? कितने अन्य विभाग से प्रतिनियुक्ति पर हैं? संविदा वाले कितने अधिकारी ए.सी.ई.ओ. के जि.पं. के पद से वेतन लेने वाले हैं?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) 32 अधिकारियों को अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी बनाया गया है. विभाग के पत्र क्रमांक 2991, दिनांक 06.03.2013 एवं 7866, दिनांक 05.07.2013 द्वारा कार्य सौंपे गए हैं. जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है. (ख) समस्त जिला पंचायतों में उपरोक्त पत्रानुसार पालन किया जाकर अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी को कार्य दिए गए हैं. शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता. (ग) राजीव गांधी जल ग्रहण मिशन द्वारा उत्तरदायित्व सौंपे जाने संबंधी कोई आदेश पृथक से जारी नहीं किए गए हैं. मुख्य कार्यपालन अधिकारी अपने स्तर से दायित्व संबंधी कार्यादेश जारी करते हैं. (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है.
श्री सुरेन्द्र नाथ सिंह--अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का जो जवाब दिया गया है वह गलत है, क्योंकि अनेक जिलों में निर्देशानुसार कार्य नहीं दिया गया है. यह जवाब आधा-अधूरा है कुछ जिलों में कार्य-विभाजन आदेश ही जारी नहीं किये गये हैं उसके अलावा अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को समस्त योजनाओं का प्रभारी अधिकारी बनाया है तो वित्तीय नस्तियां सीईओ सीधे संविदा पीओ तथा ए.पी.ओ द्वारा भेजी जाती है जिससे अनेक जिलों में वित्तीय अनियमितता संभावित है. स्थापना जैसे महत्वपूर्ण कार्य भी अनेक जिलों में अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी को न देकर संविदाकर्मियों से कराया जा रहा है. शासन द्वारा दिया गया उत्तर जिलों द्वारा दिये गये उत्तरों के विपरीत है इसीलिये जिले द्वारा दिये गये उत्तरों में अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी के कार्य-विभाजन आदेश की छाया प्रति उपलब्ध करायी जाए. अनेक जिलों द्वारा वास्तविकता से हटकर गलत उत्तर दिये गये हैं इसीलिये एक माह में भोपाल स्तर से जांच करायी जाए.
अध्यक्ष महोदय--आप स्पेसिफिक कुछ पूछ लीजिये.
श्री सुरेन्द्र नाथ सिंह--अध्यक्ष महोदय, पंचायत विभाग में जो अधिकारी लोग हैं उनको प्रापर काम नहीं मिल रहा है, साथ-ही-साथ वहां पर प्रतिनियुक्ति पर इतने अधिकारी आ गये हैं कि वहां के लोग अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं इनका निराकरण किया जाए.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य जी ने प्रश्न किया है उसमें विभाग के पत्र क्रमांक 2991 दिनांक 6.3.2013 को और 5.7.2013 को जो एडिशनल सीईओ इनके लिये अधिकार सौंपे गये थे और इसमें यह भी उल्लेख है कि जो जिला पंचायत का सीईओ होगा वह अपनी इच्छा-औचित्य एवं आवश्यकता के अनुसार एडिशनल सीईओ के लिये कार्य-विभाजन कर सकेगा यह परिपत्र है और जैसा कि माननीय सदस्य ने कहा है कि उसकी प्रति मुझे दे दें तो मैं उसकी प्रति भी उपलब्ध करवा दूंगा, क्योंकि मुख्य रूप से इनका काम प्रशासकीय शाखा एवं प्रशासनिक काम को देखना है. इसके अलावा भी समय समय पर जैसा कि उन्होंने कहा है कि हाऊसिंग के या आई.डब्ल्यू.एम.पी. के या दूसरे भी काम है उनको क्यों नहीं दिया जाते हैं. सेक्शन अलग अलग हैं जैसी उसकी उपयोगिता होती है उसके हिसाब से काम दिये जाते हैं.
श्री सुरेन्द्र नाथ सिंह--अध्यक्ष महोदय, इसमें जो अतिरिक्त अधिकारी हैं उनको काम दिया ही नहीं गया है वह फालतू बैठे रहते हैं उनके पास में कोई साधन जैसे गाड़ी व बैठने तक की व्यवस्था नहीं है और इसमें आजीविका संबंधी प्रश्न का उत्तर भी नहीं दिया गया है.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, यह एडिशनल सीईओ की पोस्ट है इसमें डिप्टी कमिश्नर रहते हैं. जो जनपद पंचायत के सीईओ थे जो प्रमोट हुए थे डिप्टी कमिश्नर थे और उनकी पोस्टिंग जिला पंचायतों में की गई थी. अभी हमारे पास में जनपदों में सीईओ के पद कम हैं इस कारण से हमने करीब 40 से ज्यादा जो हमारी जनपदे हैं वहीं पर डिप्टी कमिश्नरों की पोस्टिंग की है ताकि वह सीईओ का प्रभार भी देखें और कहीं कहीं पर वह जिले का भी काम देख रहे हैं. जहां तक माननीय सदस्य ने जो प्रश्न किया है आजीविका का काम अथवा दूसरा काम तो मैंने जैसा कहा कि जिला पंचायत सीईओ स्वविवेक के आधार पर आवश्यकता के अनुरूप जो कुछ भी समय समय पर काम होता है वह उनके लिये आवंटित कर देते हैं. मैं जैसा कि सदस्य जी की इच्छा है कि जिला पंचायत सीईओ ज्यादा से ज्यादा कामों का एडिशनल सीईओ के लिये आवंटन करें इस बारे में भी हम जो भी ज्यादा स्पष्ट होगा उसके लिये दिशा-निर्देश दे देंगे.
श्री सुरेन्द्र नाथ सिंह--अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री निशंक कुमार जैन – अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय जी से अनुरोध करना चाहूँगा कि कुछ शासन से ऐसे स्पष्ट निर्देश दे दें कि एडीशनल सी.ई.ओ., जिला पंचायत को कुछ न कुछ काम का आवंटन जरूर कर दें क्योंकि जब हम बात ए.सी.ई.ओ. से करते हैं तो वे कहते हैं कि उनके पास कुछ भी अधिकार नहीं हैं एवं काम सफर होता है. हम सी.ई.ओ. से बात करें तो वे अधिकतर समय या तो मीटिंग्स में रहते हैं या दौरों पर रहते हैं. कुछ काम बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय – यह कोई प्रश्न नहीं है.
श्री कमलेश्वर पटेल – माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX).
अध्यक्ष महोदय – यह कार्यवाही से निकाल दें.
प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना प्रस्तावित सड़कों का निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
5. ( *क्र. 888 ) श्रीमती रंजना बघेल (किराड़े) : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) मनावर विधान सभा क्षेत्र में 91 मार्गों पर सड़क निर्माण के प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए थे, जिनकी स्वीकृति की जानकारी देवें। उक्त सड़कें कब तक स्वीकृत हो जावेंगी? (ख) विधानसभा क्षेत्र में प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना में मिसिंग रोड अधूरे पड़े हैं, क्या उन्हें पूर्ण किया जावेगा? यदि हाँ, तो कब तक निम्न रोड यथा- 1. साला से पडाला, 2. लुन्हेरा से बायखेड़ा, 3. अहेरवास कुटीर से रणदा, 4. उमरबन रोड से बडीया, 5. धौलीबावड़ी से मालविहार आदि को पूर्ण किया जावेगा। (ग) विधानसभा क्षेत्र मनावर के निम्नलिखित राजस्व ग्राम अभी भी सड़क मार्ग से नहीं जुडे है :- 1. बनेडिया, 2. उरदना, 3. सरिकपुरा, 4. गोपालपुरा, 5. पेरखड़, 6. पिपलटोका, 7. लिम्दापुरा, 8. जलखेड़ा, 9. दगडपुरा, 10. निलदा, 11. सावलाखेड़ी, 12. फरसपुरा, 13. निरगुडियापुरा, 14. बालीपुरखुर्द। उपरोक्त गांवों की पहुँच हेतु सड़क निर्माण की स्वीकृति प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना अथवा मुख्य मंत्री सड़क योजना में होगी। (घ) यदि हाँ, तो कब तक?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत/मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत वर्तमान में मिसिंग लिंक के अंतर्गत सड़क निर्माण करने का कोई प्रावधान नहीं होने से उक्त योजनांतर्गत स्वीकृत नहीं किया जा सकता है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) उत्तरांश (ग) के प्रकाश में प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्रीमती रंजना बघेल – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा क्षेत्र की सड़कें, जो प्रधानमंत्री सड़क योजना में बनी हुई है, उसमें कुछ मिसिंग रोड़ें हैं, जो अभी तक नहीं बनी हैं. इसमें माननीय मंत्री जी का जवाब आया है कि उसमें एक ही तरफ से कनेक्टिविटी है और वह नहीं बन पायेगी, उसमें प्रावधान नहीं है, लेकिन मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूँ कि अगर प्रधानमंत्री सड़क योजना में एक ही तरफ से कनेक्टिविटी होने के कारण, जो रोड़ बन चुकी है लेकिन जो रोड़ मिसिंग रोड़ हैं, जो विकासखण्ड को जोड़ती हैं, जो दूसरी तरफ से मुख्य-मुख्य पंचायत के ग्रामों को जोड़ती हैं तो क्या उन रोड़ों के लिए माननीय मंत्री जी डब्ल्यू.आर.डी. या मुख्यमंत्री सड़क योजना से उनको बनाने के लिए प्रावधान रखेंगे ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तो नियम यही है कि सिंगल कनेक्टिविटी होना चाहिए, वह चाहे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हो या मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना हो. हम सर्वे करवा लेंगे और जैसे ही हमारी वित्तीय स्थितियां अनुमति देंगी या फिर हम भारत सरकार के नियम बदलेंगे, नये-नये नियम बनते रहते हैं. हम उसके आधार पर विचार कर लेंगे.
श्रीमती रंजना बघेल – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूँ कि जैसे एक तरह की कनेक्टिविटी तो है लेकिन वह विकासखण्ड से विकासखण्ड को जोड़ रही है. एक किलोमीटर की रोड़ से अगर वह डब्ल्यू.आर.डी. से या मुख्यमंत्री सड़क योजना से जोड़ी जाती है तो विकासखण्ड से विकासखण्ड जुड़ती है. प्रधानमंत्री सड़क योजना की जो प्लानिंग बनी है तो उसमें एक गांव तो जुड़ रहा है लेकिन आगे बहुत बड़ा पहाड़ी इलाका दूसरा विकासखण्ड आता है तो इस तरह की दो-तीन मिसिंग रोड़ें तो क्या आप प्रयास करेंगे कि शीघ्रता से उनको मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना या डब्ल्यू.आर.डी. से कोई प्रावधान करके, उनको जोड़ा जाये.
श्री गोपाल भार्गव – अध्यक्ष महोदय, मैं डब्ल्यू.आर.डी. के बारे में तो नहीं कह सकता हूँ लेकिन मैं इस पर विचार कर लूँगा तथा इस पर जो कुछ भी संभव हो सकेगा, मैं करने का प्रयास करूँगा.
श्रीमती रंजना बघेल – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक अंतिम प्रश्न है कि भैंसावद, मनावर, चीखलदा व्याहा, बनेडि़या मार्ग 9 किलोमीटर है. इसके लिए निविदा आमंत्रण की कार्यवाही प्रचलन में है. मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहूँगी कि यह प्रचलन में है तो कितने दिन में काम हो जायेगा ?
श्री गोपाल भार्गव – अध्यक्ष महोदय, शीघ्र करवा लेंगे. बारिश के पहले काम पूरा हो जायेगा.
श्रीमती रंजना बघेल – धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो सड़कें ग्रामीण क्षेत्र की बनी हैं. चाहे वह प्रधानमंत्री सड़क योजना के माध्यम से, सुदूर ग्राम सड़क योजना के माध्यम से, मुख्यमंत्री सड़क योजना के माध्यम से, मुख्यमंत्री खेत सड़क योजना के माध्यम से बनी हैं किन्तु इन सबके बावजूद अनेक ऐसे मुख्य मार्ग हैं, जो किसी भी कार्य योजनाओं में नहीं आने के कारण ग्रामीण क्षेत्र का आवागमन अवरूद्ध रहता है और इतनी सड़कें बन जाने के बावजूद भी, जो एक सुगम यातायात होना चाहिए, वह नहीं हो पा रही है. क्या ऐसी लिंक सड़कों को बनाये जाने के लिए शासन विचार करेगा या इस पर कोई कार्यवाही करेगा ?
अध्यक्ष महोदय – यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत भारत सरकार ने हमें स्वीकृति प्रदान की है और जो नई योजनाओं के नॉमर्स हैं. 500+ से ऊपर के जितने भी गांव हैं, सभी गांव हम प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत पक्की सड़क के साथ एवं पुल पुलियों के माध्यम से जोड़ रहे हैं, जो 500 की आबादी से कम वाले गांव है, उसके लिए हमने मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू की थी. प्रत्येक राजस्व ग्राम मध्यप्रदेश के सभी 52 हजार गांव चाहे वे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत हो या मुख्यमंत्री ग्राम संडक योजना के अंतर्गत हो, अनिवार्य रूप से इस वर्ष के अंत तक पूरे के पूरे गांव मय पुल पुलियों के जोड़ दिए जाएंगे, सभी 52 हजार गांवों को जोड़ दिया जाएगा, एक भी गांव बाकी नहीं रहेगा. (मेजों की थपथपाहट)
श्री मुरलीधर पाटीदार - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो एक जगह जोड़ा गया है, कम से कम 10 से 15 किलोमीटर का चक्कर लगाकर आना पड़ता है.
अध्यक्ष महोदय - मंत्री जी ने बहुत स्पष्ट उत्तर दिया है, इससे ज्यादा स्पष्ट उत्तर नहीं आ सकता.
श्री निशंक कुमार जैन - मेरा छोटा सा आग्रह है कि जो मजरे टोले हैं, उनने क्या बिगाड़ा, वहां भी तो इंसान रहते हैं. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - सदस्य जी ने जो कहा है, उसका परीक्षण करवा लेंगे.
100 सीटर कन्या छात्रावास की स्वीकृति
[उच्च शिक्षा]
6. ( *क्र. 323 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता के अता. प्रश्न संख्या-85 (क्रमांक 2943), दिनांक 28 जुलाई 2016 के उत्तर की कंडिका (क) में बताया गया था कि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ब्यावरा में 100 सीटर कन्या छात्रावास निर्माण हेतु राशि रूपये 234.28 लाख का प्रस्ताव स्थायी वित्त समिति के समक्ष प्रस्तुत कर दिया गया है, स्वीकृति हेतु कार्यवाही प्रक्रियाधीन है? यदि हाँ, तो क्या प्रश्न दिनांक तक स्थायी वित्त समिति द्वारा उक्त प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी गई है अथवा नहीं? (ख) क्या शासन विधानसभा क्षेत्र ब्यावरा सहित आसपास के क्षेत्र की कमजोर एवं सामान्य निर्धन वर्ग की छात्राओं को आवासीय सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से उक्त प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान करेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जयभान सिंह पवैया ) : (क) जी हाँ। प्रस्ताव स्थायी वित्तीय समिति की बैठक में प्रस्तुत किया गया, किन्तु समिति द्वारा भवन विहीन महाविद्यालयों में भवनों के निर्माण को प्राथमिकता दी है। (ख) प्रश्नांश (क) के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में समय-सीमा बतायी जाना संभव नहीं है। ब्यावरा नगर में पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा 50 सीटर कन्या छात्रावास संचालित किया जा रहा है, जिसमें महाविद्यालयीन छात्राओं को भी प्रवेश दिया जाकर लाभांवित किया जा रहा है।
श्री नारायण सिंह पवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि ब्यावरा शहर राजगढ़ जिले का 70 हजार आबादी का, सबसे बड़ा शहर है, यहां पर एक महाविद्यालय मात्र गुना और सिंरोज के बीच में पड़ता है, लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तक भी कोई महाविद्यालय नहीं है, गुना व विदिशा जिले के छात्र भी उसी महाविद्यालय में पढ़ते हैं, जिससे अधिक समस्या होती है, लगभग 1000 छात्र वहां अध्ययनरत हैं. वहां के लिए पिछले साल से मैं एक कन्या छात्रावास की मांग कर रहा हूं. पिछले सत्र में भी मुझे आश्वासन दिया गया था कि प्रस्ताव स्थायी वित्त समिति को भेज दिया गया है, फिर भी माननीय मंत्री जी का जबाव आया कि प्रस्ताव स्थायी वित्त समिति को भेज दिया गया है, किन्तु साधनों के अभाव में अभी कह पाना संभव नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि ब्यावरा के लिए अनिवार्य रूप से 100 सीटर कन्या छात्रावास की व्यवस्था की जावें एवं उसकी घोषणा की जावें.
श्री जयभान सिंह पवैया - मान्यवर अध्यक्ष महोदय, मैंने सदस्य के आग्रह पर उनका प्रस्ताव स्थायी वित्त समिति को भेजा है, लेकिन स्थायी वित्त समिति ने शासन के नियमानुसार ये तय किया है कि भवन विहीन महाविद्यालय को प्राथमिकता देनी है, शासकीय मद से जिसका निर्माण होना है. ब्यावरा में अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण की ओर से 50 सीटर छात्रावास है, उसमें भी कुछ महाविद्यालय की छात्राएं लाभ लेती हैं, लेकिन मान्यवर सदस्य की भावनाओं का सम्मान करते हुए. हम यह तय कर रहे हैं कि यूजीसी इस तरह के कन्या छात्रावासों के लिए अनुदान देती है, हम ब्यावरा में कन्या छात्रावास के लिए शासन की ओर प्रस्ताव यथाशीघ्र भेजेंगे और यूजीसी से कन्या छात्रावास के लिए हमें स्वीकृति मिलेगी, हम आगामी सत्र में उनकी इस मांग पर अवश्य विचार करेंगे.
श्री नारायण सिंह पंवार -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी का जो उत्तर आया है, यह सही है कि 50 सीटर कन्या छात्रावास आदिम जाति कल्याण विभाग का ब्यावरा में संचालित है. लेकिन ब्यावरा की छात्राओं की परिस्थितियों को देखते हुए पोस्ट मेट्रिक छात्रावास और महाविद्यालय छात्राओं की संख्या अत्यंत अधिक है. दो हजार के आस-पास बैठती है. इसलिये उसमें फिर आदिम जाति की छात्राओं की संख्या इतनी अधिक है कि कालेज की छात्राएं उसमें आ नहीं सकतीं. मेरा फिर अनुरोध यही रहेगा कि शासन दोनों तरफ से विचार करे. मंत्री जी ने जो कहा है कि यूजीसी से मिल सकता है और शासन के स्थाई फंड से भी प्रयास चलता रहेगा, तो मुझे लगता है कि इस मांग की पूर्ति संभव होगी. यह बहुत अनिवार्य है, इसलिये मेरी मंत्री जी से पुनः प्रार्थना आपके माध्यम से है.
श्री जयभान सिंह पवैया-- अध्यक्ष महोदय, मैंने पूर्व में ही निवेदन किया कि हम आगामी सत्र में यूजीसी के सहयोग से अवश्य विचार करेंगे और शासन भी विचार करेगा, आपकी मांग का सम्मान करते हुए.
श्री नारायण सिंह पंवार -- मंत्री जी, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सोहन लाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, मेरा इसी से जुड़ा हुआ मामला है. मेरे विधान सभा क्षेत्र परासिया में शासकीय महाविद्यालय है, वहां यूजीसी के द्वारा कन्याओं के लिये छात्रावास स्वीकृत किया गया है. चूंकि उस छात्रावास निर्माण में बहुत समय लग गया, लगभग 3-4 साल लग गये. पहले उसकी कास्ट जो 74 लाख रुपये यूजीसी से स्वीकृत हुई थी, आज उसकी लगभग डेढ़ करोड़ रुपये कास्ट हो गई है. मेरा प्रश्न यह है कि जो कॉस्ट बढ़ी है, अब यूजीसी ने पैसा दे दिया, अब यूजीसी पैसा देगा नहीं. क्या बाकी निर्माण कार्य के लिये सरकार उसमें पैसा देगी.
अध्यक्ष महोदय -- यह प्रश्न से उद्भूत नहीं होता.
श्री सोहन लाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, यह छात्रावास का मामला है,वहां कन्या छात्रावास बन रहा है.
अध्यक्ष महोदय -- उनका कहना यह है कि जो पैसा स्वीकृत था, उससे वह पूरा बन नहीं पायेगा, उसका प्राक्कलन बढ़ गया है. तो आप कुछ उसका उत्तर दे सकें, तो दे दें.
श्री जयभान सिंह पवैया -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न ठीक से समझ नहीं पाया.
श्री सोहन लाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न रिपीट कर देता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, उनका कहना यह है कि 74 लाख रुपये स्वीकृत हुए थे, अब प्राक्कलन डेढ़ करोड़ रुपये का हो गया है. बचा हुआ पैसा क्या शासन देगा, यह उनका प्रश्न है, क्योंकि यूजीसी से पैसा आया है. यही प्रश्न है न आपका.
श्री सोहन लाल बाल्मीक -- जी हां. यूजीसी से पैसा आया है, उसका निर्माण कार्य चालू हो गया है. लेकिन निर्माण कार्य अधूरा है, चूंकि उसकी लागत ज्यादा बढ़ गयी है, पैसा कम पड़ रहा है और यूजीसी बढ़ा हुआ पैसा नहीं दे रही है.
अध्यक्ष महोदय -- इस प्रश्न से उद्भूत नहीं होता है, पर आप यदि ठीक समझें तो उत्तर दे देंगे. लेकिन उनका प्रश्न ठीक है.
श्री जयभान सिंह पवैया --- अध्यक्ष महोदय, चूंकि प्रश्न ब्यावरा से संबंधित था, उससे यह उद्भूत तो नहीं होता है, लेकिन आप मुझे यह जानकारी दे देंगे, तो मैं उसका परीक्षण कराकर आपको व्यक्तिगत रुप से दे दूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप लिखकर दे दीजिये.
श्री सोहन लाल बाल्मीक -- जी हां.
पी.एच.डी. परीक्षा में अनियमितता
[उच्च शिक्षा]
7. ( *क्र. 144 ) श्री पन्नालाल शाक्य : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) परि. अतारांकित प्रश्न संख्या 41 (क्र. 6799), दिनांक 29.03.2016 के उत्तरांश (क), (ख), (ग) एवं (घ) प्रबंध विषय में अंग्रेजी माध्यम का पर्चा वितरित किया व उत्तर में उक्त विषय का अध्ययन व अध्यापन अंग्रेजी माध्यम में होना बताया, जबकि वास्तविकता में ग्वालियर-चंबल संभाग के अधिकांश महाविद्यालय में मात्र हिन्दी माध्यम से प्रबंध विषय का अध्ययन-अध्यापन कराया जाता है व कुछ में दोनों भाषाओं में? (ख) क्या उक्त (क) में वर्णित कार्य हिन्दी माध्यम के ग्रामीण अंचल व पृष्ठभूमि के तथा दलित वर्ग के शोधार्थियों के खिलाफ सुनियोजित षडयंत्र था? यदि नहीं, तो उक्त विषय में मात्र सामान्य वर्ग के ही छात्र क्यों उत्तीर्ण हुए? (ग) क्या प्रश्नांश (क) में सदन को गुमराह करने वाले अधिकारी/कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही करेंगे तथा उक्त विषय की परीक्षा को पुन: आयोजित कराने की घोषणा करेंगे?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जयभान सिंह पवैया ) : (क) जी हाँ। जी नहीं। प्रबंध विषय के अध्यापन का कार्य अध्यादेश-24 के सेक्शन 37 (ii) एवं 39 (i) परीक्षा के बिन्दु 5 अनुसार अंग्रेजी में ही होता है। (ख) जी नहीं। क्योंकि परीक्षा में कुल 317 परीक्षार्थी सम्मिलित हुए थे। परीक्षा में सामान्य श्रेणी के 251 छात्र बैठे थे, जिसमें से मात्र 07 छात्र ही उत्तीर्ण हुए। अनु. जाति/जनजाति श्रेणी के 27 तथा अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी के 39 छात्र बैठे थे, जिसमें कोई भी छात्र उत्तीर्ण नहीं हुआ है। (ग) जी नहीं। प्रश्नांश (क), (ख) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री पन्नालाल शाक्य -- अध्यक्ष महोदय, आप मुझे क्षमा करेंगे, मैं आज तैयारी से नहीं आया हूं.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है.
सिंहस्थ 2016 में विभाग द्वारा खर्च की गई राशि
[नगरीय विकास एवं आवास]
8. ( *क्र. 1779 ) श्री जितू पटवारी : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) सिंहस्थ 2016 के मद में किस-किस विभाग द्वारा कितनी-कितनी राशि खर्च की गई और कुल कितनी राशि खर्च हुई? (ख) सिंहस्थ 2016 में प्रशिक्षण के मद में किस-किस विभाग द्वारा कितनी राशि खर्च की गई प्रशिक्षण के मद में खर्च का विस्तृत ब्यौरा उपलब्ध करावें? (ग) सिंहस्थ 2016 में गठित समिति की अनुशंसा पर किस-किस विभाग द्वारा कितनी-कितनी राशि किस-किस मद में कार्य में खर्च की गई, उक्त समिति के गठन संबंधी विवरण उपलब्ध करावे तथा बतावे कि उक्त समिति को खर्च संबंधी निर्देश देने के वित्तीय अधिकार किस नियम से प्राप्त हुये? नियम की प्रति देवें। (घ) सिंहस्थ 2016 के दौरान वैचारिक कुंभ किसके आदेश से आयोजित किया गया उस आदेश की प्रति देवें तथा बतावें कि वैचारिक कुंभ पर किस-किस मद में किस-किस विभाग द्वारा कितनी-कितनी राशि खर्च की गई? उक्त खर्च की स्वीकृति किसके द्वारा किस अधिकार से दी गई?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) :
श्री जितू पटवारी -- अध्यक्ष महोदय, मैंने एक ही प्रश्न तीन बार किया और तीनों बार अलग अलग उत्तर आया. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि मेरा प्रश्न था कि सिंहस्थ 2016 के मद में किस किस विभाग द्वारा कितनी कितनी राशि खर्च की गई और कुल कितनी राशि खर्च हुई. आपने जो उत्तर दिया है, मैंने यही प्रश्न क्र. 803, दिनांक 19.7.16 को किया था, उस राशि में और आज जो उत्तर दिया है, एक तो उसमें अंतर है. क्योंकि एक ही प्रश्न है और आप ही के विभाग ने, मध्यप्रदेश शासन ने यही उत्तर केंद्र सरकार, संसद में भी दिया, उसमें भी अंतर है. 3 अलग अलग उत्तर, तीनों में अलग अलग राशि का व्यय, आवंटन और व्यय तीनों में अंतर आया है. दूसरा इसी के अंतर्गत, चूंकि मैंने सारे खर्चे अलग अलग आपसे मांगे थे, तो नर्मदा विकास घाटी में जो संसद में आपने इसका खर्चा बताया है, वह 432 करोड़ है और मुझे जो आज उत्तर मिला है, वह 12.90 करोड़ है. ऐसे ही मध्यप्रदेश सड़क विकास में मुझे उत्तर दिया है, वह जीरो जीरो है और जो संसद को दिया है, वह 131 करोड़ है. ऐसे ही वन विभाग में मुझे जो उत्तर दिया है, उसमें 7 लाख और जो संसद में आप ही ने प्रतिलिपि भेजी है, वह 3.93 करोड़, यह अंतर क्यों है स्पष्ट करें.
श्री सतीश मालवीय -- अध्यक्ष महोदय, भाषण हो रहा है, कृपया प्रश्न करवा दें. बाकी के प्रश्न भी महत्वपूर्ण हैं.
अध्यक्ष महोदय- वह विवरण दे रहे हैं. चलिये आप प्रश्न पूछ लें.
श्री जितू पटवारी --अध्यक्ष महोदय पूछ लिया न कि यह अंतर क्यों है शासन स्पष्ट करे.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य स्वयं कह रहे हैं कि तीसरी बार प्रश्न पूछा है तो एक ही प्रश्न को तीन बार विधानसभा में पूछने के लिये एलाऊ करना चाहिये या नहीं करना चाहिये.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, ऐसा है कि मैंने पूछा एक बार, एक बार संसद में किसी सांसद ने पूछा फिर एक बार रामनिवास रावत ने पूछा तीन लोगों ने पूछा इतने वरिष्ठ सदस्य हैं मंत्री जी. इतनी भी जानकारी नहीं है तो मैं ज्यादा बोल नहीं पाऊंगा.
अध्यक्ष महोदय- जो प्रश्न पहले आ जाते हैं उनको दुबारा लिया नहीं जाता यह बात सही है.
श्री गोपाल भार्गव -- मैं आसंदी से यही व्यवस्था चाहता था.
अध्यक्ष महोदय- किंतु प्रश्नों की भाषा में या उनके विवरण में कुछ फर्क होगा इसलिये उसको स्वीकार किया गया.
श्री उमंग सिंघार- अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय- प्रश्नकाल में यह नहीं उठता.
श्री उमंग सिंघार- अध्यक्ष महोदय, चलिये इन्हीं के प्रश्न पर बात कर लें. परसों भी प्रश्न था उस प्रश्न में भी असत्य जानकारी दी गई. माननीय जितू पटवारी जी को भी असत्य जानकारी दी जा रही है, विधायकों को शासन की तरफ से बार बार असत्य जानकारी दी जा रही है. इस पर आपकी तरफ से कोई व्यवस्था आनी चाहिये.
अध्यक्ष महोदय--व्यवस्था स्थाई है कि सही जानकारी देना चाहिये.
श्री उमंग सिंघार- इसके बाद भी तो असत्य जानकारी लगातार दी जा रही है.विधायक को एक बार में अगर सही जानकारी मिल जाये तो वह दुबारा प्रश्न ही नहीं लगायेगा. आपसे अनुरोध है कि सरकार को आप इसके लिये निर्देशित करें कि सही जानकारी समय पर विधानसभा में दी जाये.
अध्यक्ष महोदय- गलत जानकारी की भी व्यवस्था है. प्रश्न एवं संदर्भ समिति इसके लिये विधानसभा के सदस्यों की समिति बनी हुई है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, यदि किसी प्रश्न का उत्तर सही नहीं आया है तो प्रश्न एवं संदर्भ समिति है और अन्य सदन की समितियां हैं, उसमें जाकर के चर्चा कर सकते हैं. यहीं पर दुबारा उत्तर देना, कैसे संभव है.
अध्यक्ष महोदय- आपकी बात ठीक है.
श्री उमंग सिंघार- क्या एक सदस्य एक ही प्रश्न के पीछे भागता रहे. समिति में और विधानसभा में. शासन सही उत्तर क्यों नहीं देता ?
श्री गोपाल भार्गव- फिर हाउस की समितियों को भंग कर दो. अगर शासन की समझ में आ रहा है कि सही जवाब है और आपकी समझ में आ रहा है कि गलत जवाब है तो उसके लिये विधानसभा में समितियों के माध्यम से व्यवस्था है.नहीं तो विधानसभा की समितियां भंग कर दी जायें, यह फोरम किसलिये बने हैं ? संसद और विधानसभा की समितियां इसीलिये बनी हुई हैं.
अध्यक्ष महोदय- मूल प्रश्नकर्ता को तो प्रश्न पूछने दें.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि आंकड़ों में अंतर क्यों है ? इसका उत्तर मंत्री जी दे दें ?
श्री कैलाश चावला-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसमें निवेदन करना चाहता हूं कि जब सदस्य प्रश्न पूछते हैं और विभाग की तरफ से उत्तर आता है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है और जानकारी आखिरी तक मिलती नहीं तो सदस्य वास्तव में क्या करे.
अध्यक्ष महोदय- आप वरिष्ठ सदस्य हैं पहले मूल प्रश्नकर्ता के प्रश्न का उत्तर आ जाने दें.
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सम्माननीय विधायक जी ने कहा है कि नर्मदा घाटी विकास विभाग का खर्च 432 करोड़ और ज्यादा है. मैं कह रही हूं कि यह राशि उनके विभागीय बजट से खर्च की गई है. सिंहस्थ 2016 से खर्च हुई राशि नहीं है. सिंहस्थ के मद से खर्च का विवरण वह आपके प्रश्न के उत्तर में दे दिया गया है. इसके साथ साथ दूसरी बात माननीय सदस्य ने जो कही है उनके प्रश्न की सारी जानकारी परिशिष्ट के रूप में उत्तर मे दे दी गई है. आपके सारे प्रश्न व्यय संबंधी हैं उसकी भी जानकारी दे दी गई है. यहां पर इस तरह के आरोप लगाने का कोई औचित्य नहीं है. सारी जानकारी परिशिष्ट में है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय सदस्य ने विधानसभा के...
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, अब क्या प्रश्नकाल बाधित नहीं हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- मैंने उनको अनुमति दी है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार- अध्यक्ष महोदय, सदस्य ने विधानसभा के उत्तर में और प्रश्न करते समय संसद के आंकड़े बताये हैं. तो यह आंकड़े कोड करने के लिये क्या माननीय सदस्य ने आपसे अनुमति ली है ?
अध्यक्ष महोदय- अनुमति नहीं ली गई परंतु वे कर सकते हैं. पटल पर नहीं रखा है उनके पास कुछ आंकड़े हैं उन्होंने कोड कर दिये हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- आखिर सरकार को जवाब देने के लिये तैयारी करनी पडेगी और आप एकदम से कोई भी आंकड़े यहां पर प्रस्तुत कर दें तो सरकार एक मिनट में कहां से जवाब लायेगी.
श्री रामनिवास रावत-- उनके आंकडे नहीं है . यह मध्यप्रदेश सरकार के आंकड़े हैं.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार -- अध्यक्ष महोदय, मैं प्रेक्टिकल बात कह रहा हूं कि यदि इनको संसद के उत्तर को कोड करना था तो पहले आपसे अनुमति लेते ताकि सरकार उसकी पहले से तैयारी करती.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- उत्तर नहीं आंकड़े कोड कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--मूल प्रश्नकर्ता प्रश्न करिये.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, जी आप शेजवार साहब को थोड़ा समझा दो.(हंसी)
श्री जितू पटवारी-- मैं फिर से अपना प्रश्न दोहरा देता हूं माननीय मंत्री जी, आपसे मैंने जो प्रश्न किया था वह यह था, आपने कहा कि वह उनके विभाग से खर्च किये हैं, नर्मदा घाटी विकास विभाग ने खर्च किये है, आपने यह उत्तर दिया है. मेरा प्रश्न था जो मैंने विभाग से पूछा था सिंहस्थ 2016 के मद में किस-किस विभाग द्वारा कितनी-कितनी राशि खर्च की गई और कुल कितनी राशि खर्च हुई. आपने मुझे नर्मदा विकास घाटी का उत्तर दिया है कि इतना हमने खर्च किया. विभाग ने किया वह, संसद में जो दिया और इससे पहले भी 2-3 बार विवरण अलग-अलग सदस्यों के आये, वह भी आये हैं. मेरा अनुरोध यह है कि यह सच बात है कि नर्मदा घाटी विकास का आपने मुझे जो बजट दिया है वह 12.90 और वहां पर जो हुआ है वह 432 करोड़, 400 करोड़ का घपला है, मुझे ऐसा लगता है. इसका आप उत्तर देने की कृपा करें, यह अंतर क्यों है.
श्रीमती माया सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, यह जो बजट की राशि है, यह 2011 से 2016 तक की सारी जानकारी इसमें दी गई है जो आप अलग-अलग बात पूछ रहे हैं. आवंटन की आवश्यकतानुसार विभागों को आवंटन किया जाता है. जैसे-जैसे कार्य शुरू होता है तो 2011 से 2016 तक के काम चले हैं यह, खर्च अद्यतन दिये गये हैं और आपने जो कहा है, मैं फिर कह रही हूं कि सिंहस्थ के अलावा, जो राशि खर्च की है, वह अलग-अलग विभागों ने की है. नर्मदा से क्षिप्रा नदी का खर्चा उनके विभाग ने किया है. 13 घाटों पर व्यय हुआ है, वह अलग हुआ है. एमपीआरडीसी की सड़कें बनी हैं वह विभाग ने बनाई हैं, वन विभाग ने अपना खर्चा अलग किया है और उसकी सारी विस्तृत जानकारी आपको परिशिष्टों में उपलब्ध कराई गई है. अब आप एक साथ सारे विभागों की कहेंगे तो मैं यह कहना चाहूंगी अध्यक्ष जी कि इतने सारे विभागों के काम इसमें समाहित हैं तो जो जानकारी आपने मांगी थी वह जानकारी विस्तृत परिशिष्ट में दी गई है. इसके अलावा भी इनकी कोई क्वेरीज हों, या इन्हें लगता है, और बड़ी ईमानदारी के साथ इतना अच्छा कार्य सिंहस्थ में हुआ है जिसकी तारीफ हमारे प्रदेश और देश नहीं दुनिया में हो रही है ..(मेजों की थपथपाहट).... और आप यह कह रहे हैं तो मैं एक मीटिंग अपने अधिकारियों के साथ करा देंगे, आप आ जायें, क्योंकि आज इस वक्त सारे विभागों के बारे में जो यह सवाल उठा रहे हैं उनका जवाब अभी देना मुश्किल है, लेकिन इन्होंने जो व्यय का सवाल पूछा था उसकी सारी जानकारी इसमें उपलब्ध कराई गई है.
श्री जितू पटवारी-- पहले दो बातें हैं आपने पूरी बात फिर से यह कही, पूरे सवाल का उत्तर मैं यह समझ पाया कि हमने जो समयबद्ध आपको उत्तर दिया है उसमें इतना खर्च हुआ और उसके बाद जो बढ़ता गया वह बढ़ता गया, यह आपने बताने की कोशिश की. संसद में जो उत्तर मध्यप्रदेश शासन ने दिया था यह आज के उत्तर से पहले दिया था.
अध्यक्ष महोदय-- एक मिनट.
श्री जितू पटवारी-- मेरा अनुरोध है अध्यक्ष जी, मैं समझना चाहता हूं, हमारा है मध्यप्रदेश, मैं आरोप प्रत्यारोप पर नहीं जा रहा. मेरा यह कहना है कि आंकड़ों में जो अंतर है, इसका मतलब है कि कहीं न कहीं गड़बड़ है तो क्या एक संसदीय भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के सदस्यों की कोई समिति बनाकर इसकी जांच करायेंगी और अधिकारियों को बैठाकर कोई ऐसी समिति बनाकर इसकी जांच कराने की कृपा करेंगे क्या ?
अध्यक्ष महोदय-- माननीय जितू पटवारी जी, जो आप संसद के आंकड़े पढ़ रहे हैं, क्या आपने माननीय मंत्री जी को उपलब्ध कराये हैं.
श्री जितू पटवारी-- अभी करा देता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- अभी आप करायेंगे तो उसका उत्तर कैसे देंगी ? उसे आपको या तो पहले उपलब्ध कराना था और अनुमति मांगना था कि सदन के पटल पर यह रख रहे हैं, चूंकि अभी के अभी आपने यह आंकड़े पढ़े हैं इसलिये उसकी सच्चाई के बारे में भी उनको पता नहीं है और इसीलिये अब इस विषय पर आगे कोई चर्चा नहीं की जा सकती, क्योंकि वह आंकड़े आपके पास हैं, उनके पास नहीं हैं. ...(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत-- आंकड़े राज्य सरकार ने भेजे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, परंतु उनको नहीं मालूम न. ये आंकड़े यहां उपलब्ध करा देते पटल पर ...(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत-- सरकार एक बार आंकड़े भेजने के बाद इस जिम्मेदारी से नहीं बच सकती कि हमें मालूम ही नहीं है और आंकड़े चले गये.
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, सम्मानीय सदस्य यह कह रहे हैं कि लोकसभा में पूछा गया प्रश्न और विधान सभा में पूछा गया प्रश्न यह अलग-अलग नहीं हैं, अगर यह अलग-अलग नहीं हैं तो इसके उत्तर अलग-अलग क्यों आ रहे हैं, यह पूछ रहे हैं माननीय सदस्य.
अध्यक्ष महोदय-- तो आप वह उपलब्ध तो कराईये.
श्री जितू पटवारी-- एक मिनट लगेगा, सरकार का ही उत्तर है, सरकार के उन्हीं अधिकारियों ने जो उत्तर संसद में भेजा है और उन्हीं अधिकारियों ने आपको और हमको उपलब्ध कराया है, इसमें अंतर क्यों है ? यह कौन सी बात हो गई. ....( व्यवधान)... अध्यक्ष जी मेरा स्पष्ट मानना है कि यह सब भाषा करप्शन की ओर लेकर जाती है. ... (व्यवधान)...
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, आधे घंटे की चर्चा करा लें. ...(व्यवधान)...
(..व्यवधान..)
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय,सिंहस्थ में अरबों रुपये का घोटाला हुआ है. सरकार के अलग-अलग उत्तर देने से भ्रम की स्थिति है. मैं आपको बताना चाहता हूं कि हमारे बहुत सारे विधायक साथियों ने बहुत सारे प्रश्न लगाये थे और लगभग एक ही ईश्यू और एक ही मुद्दे पर सरकार अलग-अलग उत्तर दे रही है आप कम से कम सिंहस्थ घोटाले पर आधे घंटे की चर्चा करवा दें तो दूध का दूध और पानी हो जायेगा. मेरे पास भी बहुत सारे आंकड़े हैं.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - प्रश्न क्रमांक 9 श्री शैलेन्द्र पटेल.
ग्राम उदय से भारत उदय अभियान का संचालन
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
9. ( *क्र. 1834 ) श्री सुरेन्द्र सिंह बघेल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 14 अप्रैल से 31 मई 2016 तक सरकार द्वारा ग्राम उदय से भारत उदय अभियान चलाया गया था? उसमें किन-किन विभागों के कितने-कितने आवेदन ग्राम स्तर से लगाकर जिले स्तर के हितग्राही मूलक योजनाओं के प्राप्त हुए? धार जिले के संबंध में उपरोक्त जानकारी विधानसभा क्षेत्रवार, विकासखण्डवार उपलब्ध करावें.(ख) प्राप्त आवेदनों में से कितने आवदेन पात्र पाये गए एवं कितने आवेदन अपात्र पाये गए? विभागवार एवं ग्राम पंचायतवार जानकारी देवें। (ग) क्या पात्र लोगों को लाभान्वित कर दिया गया है एवं उनको सूचित किया गया है? धार जिले के संबंध में जानकारी जनपद पंचायतवार, पंचायतवार उपलब्ध करावें। लाभान्वितों को प्रदाय राशि की जानकारी भी उपलब्ध करावें। (घ) अपात्र लोगों की किस कारण से अपात्र किया, उनको जानकारी दी गयी या नहीं? धार जिले के संबंध में जनपद पंचायतवार, पंचायतवार जानकारी देवें।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : -
(क) जी हां. कुल 44724 आवेदन प्राप्त हुए,जानकारी परिशिष्ट-"अ" पर पुस्तकालय में रखे अनुसार.
(ख) कुल प्राप्त 44724 आवेदनों में से 20515 पात्र तथा 24209 अपात्र पाये गये. जानकारी परिशिष्ट-"ब" पर पुस्तकालय रखे अनुसार.
(ग) जी हां. वांछित जानकारी परिशिष्ट-"ब" पर पुस्तकालय में रखे अनुसार.
(घ) जी हां. वांछित जानकारी परिशिष्ट-"ब" पर पुस्तकालय में रखे अनुसार.
(..व्यवधान..)
( श्री शैलेन्द्र पटेल,सदस्य द्वारा व्यवधान के कारण प्रश्न न पूछा जा सका.)
श्री बहादुर सिंह चौहान - मैं कहना चाहता हूं कि विधान सभा में लोक सभा की बात करने का अधिकार ही नहीं है. आप सदन को गुमराह कर रहे हो. आप असत्य बयानबाजी कर रहे हो. सिंहस्थ के अंदर 2770.93 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.(..व्यवधान..) यह कुछ भी कहेंगे. यह सिंहस्थ को लेकर सदन में कुछ भी कहेंगे.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष जी, यह गलत बात है.हमें चार प्रश्न पूछने का अधिकार है.
अध्यक्ष महोदय - आप नियम तो पढ़िये. दो प्रश्न का अधिकार है.
(..व्यवधान..)
श्री बाला बच्चन - यह बड़ा घोटाला है.(..व्यवधान..) अध्यक्ष महोदय, इस पर आपको आधे घंटे की चर्चा करवाना चाहिये या जितू पटवारी जी के प्रश्न का उत्तर दिलवाएं.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाईये सभी लोग. मंत्री जी कुछ कहना चाह रही हूं.
श्रीमती माया सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी ने जो जानकारी मांगी उस जानकारी की सारी विस्तृत रिपोर्ट इसमें दी गई है लेकिन आवंटन और खर्चे की जो आप पूर्व की बात कर रहे हैं, संसद की बात उठा रहे हैं, मैं कहना चाहती हूं कि जानकारी अद्यतन दी गयी है और यह जानकारी पूर्व की तिथि में दी गयी जानकारी से स्वाभाविक ही अलग होगी. पूरा डिटेल दिया हुआ है. आरोप लगाने का कोई औचित्य नहीं है.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष जी,उन्होंने कहा कि पहले और अब के आंकड़ों में स्वाभाविक अंतर होगा. मुझे यह बता दें कि पहले जो जवाब दिया गया उसमें आंकड़े ज्यादा हैं और आज जो उत्तर दिया उसमें अलग है यह कैसे संभव है. पहले खर्चा आपने ज्यादा कर दिया अब कम कर दिया. किये हुए खर्चे को आप कम कैसे कर सकते हैं ? पहले जहां आपने 4 करोड़ खर्च किया उसको अब 2 करोड़ कर दिया, यह कैसे संभव है ?
(..व्यवधान..)
श्री बहादुर सिंह चौहान - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आग्रह करना चाहता हूं कि भूतभावन महाकाल की नगरी में सिंहस्थ महापर्व 12 साल में एक बार आता है और 2770.93 करोड़ का जो उत्तर विधान सभा में दिया गया वह सही उत्तर है. मैं कहना चाहता हूं कि खान नदी का 90 करोड़ का कार्य जो सिंचाई विभाग कर रहा है उसमें अभी 30 करोड़ का पैसा देना बाकी है और कार्य चल रहा है तो उत्तर अभी अलग है और आगे भी उत्तर अलग-अलग आयेंगे. अभी बहुत सारे उसमें खर्चे हैं. आप गलत बोल रहे हो. उत्तर अलग-अलग आते हैं.
अध्यक्ष महोदय - आपकी बात आ गयी.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ का आयोजन हुआ. सिंहस्थ में भारी व्यय हुआ है और खरीदी और व्यय के संबंध में कई प्रश्न उठाये गये. पिछले विधान सभा सत्र में भी हमने स्थगन लगाया था. आपने आश्वासन दिया था कि हम इस पर किसी न किसी रूप में चर्चा कराएंगे. इस बार भी कई सदस्यों ने स्थगन लगाये हैं इस पर भी चर्चा कराने की बात कही है. मेरी एक मांग है कि माननीय मंत्री महोदया सिंहस्थ में हुए भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिये किसी सक्षम समिति से इसकी जांच कराएंगी ?
(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, मेरी एक मांग है मैं मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए सदन के सदस्यों की समिति बनाकर सारे आय-व्यय और खरीदी की जांच करा लें. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी-- सदन के विधायकों की कोई समिति बनाकर जो आंकड़ों में हेरफेर है इसकी जांच करवायेंगे क्या? (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष जी, सदन के सदस्यों की समिति बनाकर सिंहस्थ में हुए भ्रष्टाचार या सिंहस्थ में हुए आय-व्यय की जानकारी, खरीद-फरोख्त की जांच करा लें. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- मुकेश जी आप कहिए.
श्री जितू पटवारी-- जांच कराईये और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- मुकेश नायक जी और कह लेने दीजिए. नायक जी जल्दी कहिए फिर समय समाप्त हो रहा है. (व्यवधान)
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, अभी खान नदी की चर्चा सदन में की गई.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, यह विषय नहीं है. माननीय मंत्रीजी बोलें.
श्री मुकेश नायक-- यह प्रश्न से उद्भूत होता है.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाईये. यह बात उन सदस्य ने उठायी थी. (व्यवधान)
श्री मुकेश नायक-- यह अप्रासंगिक प्रश्न नहीं है. यह उद्भूत होता है. खान नदी की चर्चा की गई.
अध्यक्ष महोदय-- खान नदी का विषय बहादुर सिंह चौहान जी ने उठाया और रावत जी ने आपत्ति ली कि वह इस बात उठाने वाले कौन होते हैं. अब आप उसी पर प्रश्न करने लगे.
श्री जितू पटवारी--मुकेश भैया, मंत्री जी जवाब दे रही हैं.
श्री मुकेश नायक-- सिंहस्थ के मेले की मेरे पास पूरी जानकारी है. आप सदन में चर्चा करा देंगे. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष जी, मेरे प्रश्न का जवाब दिलवा दें. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- श्री बाला बच्चन...
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ में अरबों रुपये का घोटाला हुआ है और उसको उजागर करने के लिए जितू पटवारी जी ने प्रश्न लगाया है. अध्यक्ष महोदय, आप उसका उत्तर दिलवायें. मैंने भी आपको 60 पेज की एक रिपोर्ट अभी दो दिन पहले ही सबमीट की है. सिंहस्थ में अलग अलग कामों में और जो खरीदी गई उनमें भ्रष्टाचार हुआ है. करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है. 60 बिंदुओं की मैंने आपको रिपोर्ट सौंपी है. इसमें हम जांच चाहते हैं. (व्यवधान) जितू पटवारी जी के प्रश्न पर आपको विधायकों के साथ कोई जांच समिति बैठाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 10 श्री विष्णु खत्री ....
स्पेशल कनेक्टिविटी के तहत सड़क निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
10. ( *क्र. 1897 ) श्री विष्णु खत्री : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्राम उदय से भारत उदय कार्यक्रम के दौरान बैरसिया से ग्राम बरखेड़ा मौजी तक स्पेशल कनेक्टिविटी योजनांतर्गत मार्ग को जोड़ने हेतु प्रश्नकर्ता द्वारा प्रभारी मंत्री जिला भोपाल को दिये गये पत्र पर विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गयी है? (ख) प्रश्नांश (क) के तारतम्य में यदि अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है, तो इस पर कब तक कार्यवाही करेंगे?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) राज्य में स्पेशल कनेक्टिविटी में सड़क निर्माण योजना संचालित नहीं है। (ख) शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री विष्णु खत्री--अध्यक्ष महोदय, बैरसिया विधान सभा के बरखेड़ा मौजी गांव मुख्यालय से ढ़ाई किलोमीटर की दूरी पर है. माननीय मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित कराना चाहता हूं. वह गांव सड़क मार्ग से नहीं जुड़ा होने के कारण ग्रामीणों और छात्र-छात्राओं को बैरसिया आने-जाने में दिक्कत होती है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि उक्त मार्ग सुदूर संपर्क ग्राम तथा मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में लेने की कृपा करेंगे?
अध्यक्ष महोदय-- पंचायत मंत्री जी से बोलें कि वे श्री विष्णु खत्री जी के प्रश्न का उत्तर दे दें. (व्यवधान)
गृह एवं परिवहन मंत्री(श्री भूपेन्द्र सिंह)-- अध्यक्ष जी, विपक्ष यह बात पिछले 8 महीने से कह रहा है कि सिंहस्थ में भ्रष्टाचार हुआ है. आज सदन में चर्चा हो रही है. विपक्ष के पास एक भी प्रमाण इस बात का नहीं है कि सिंहस्थ में भ्रष्टाचार हुआ है. एक भी प्रमाण नहीं है. अगर प्रमाण हैं तो पटल पर रखें. (व्यवधान) विपक्ष बिना तथ्यों के आरोप लगा रहा है कि भ्रष्टाचार हुआ है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- ईओडब्ल्यू से जांच करा लें. (व्यवधान)
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष जी, मेरा कहना है कि अगर विपक्ष के पास एक भी प्रमाण हो. इतना सफल सिंहस्थ हुआ है और आप आरोप लगाने का काम कर रहे हैं. अगर एक प्रमाण हो तो आप पटल पर रखिये. (व्यवधान) आपके साथी ने कहा कि सरकार ने इतना अच्छा काम किया है. आप भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, श्री विष्णु खत्री जी के प्रश्न का उत्तर दे दें.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, बहुत जल्दी उस सड़क की स्वीकृति हो जायेगी.
श्री रामनिवास रावत-- ईओडब्ल्यू में प्रकरण किन पर दर्ज हुआ है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- खत्री जी, आपने मंत्री जी का उत्तर सुन लिया ? (व्यवधान) आपकी सड़क स्वीकृत कर रहे हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- विपक्ष 8 महीने से यही बात कह रहा है. यदि एक प्रमाण हो तो आप पटल पर रख दो.. भ्रष्टाचार का अगर एक प्रमाण हो तो आप पटल पर रख दो. (व्यवधान)
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष जी, मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया. यह क्या तरीका है?
अध्यक्ष महोदय--आप लोग उत्तर कहां लेना चाहते हैं. सब तो एक साथ खड़े हो जाते हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह--अध्यक्ष जी, यदि विपक्ष के पास एक प्रमाण हो तो पटल पर क्यों नहीं रखते. अगर आपके पास भ्रष्टाचार का प्रमाण है तो आप प्रमाण पटल पर रखिये ना. पिछले 8 महीने में एक प्रमाण नहीं रख पाये. (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, हमारे पास प्रमाण है इसलिए हमने आपको 60 पेज की रिपोर्ट सौंपी है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- खत्री जी, आपके प्रश्न का उत्तर दे दिया है. आप रिकार्ड में देख लीजिए.
(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - (व्यवधान).. सब तो खड़े हो जाते हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह - एक प्रमाण नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय - (व्यवधान)..आप इस तरह से प्रश्न रोक नहीं सकते हैं, दूसरों का भी अधिकार है.
12.01 बजे गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य श्री जितू पटवारी द्वारा गर्भगृह में प्रवेश एवं कुछ समय पश्चात् श्री मुकेश नायक एवं श्री जितू पटवारी द्वारा पुनः गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य श्री जितू पटवारी अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में आसंदी के समक्ष आए और थोड़ी देर के बाद वापस चले गए एवं कुछ समय पश्चात् श्री मुकेश नायक एवं श्री जितू पटवारी शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर पुनः गर्भगृह में आए एवं अपनी बात कहकर कुछ देर पश्चात् अपने स्थान पर वापस गए.)
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर (क्रमशः)
नरसिंहपुर जिले में शौचालय निर्माण
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
11. ( *क्र. 1530 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहपुर जिले में प्रश्न दिनांक तक कितनी पंचायतों में बाह्य शौच मुक्त करने के लिए कितने शौचालय का निर्माण हो चुका है तथा कितनों का निर्माण शेष है, वह कब तक पूर्ण हो जाएगा? (ख) नरसिहंपुर जिले में प्रश्न दिनांक तक कितनी पचायतें बाह्य शौच से मुक्त हो चुकी हैं तथा कितनी पंचायतें अभी बाह्य शौच मुक्त होना बाकी हैं? अलग-अलग पंचायतों के नाम सहित जानकारी दें। (ग) गाडरवारा विधान सभा क्षेत्र में वर्ष 2008-09 से अभी तक कितने शौचालयों का निर्माण हो चुका है? किस ग्राम में कितने-कितने शौचालयों का निर्माण किया गया है? ग्रामवार/संख्यावार स्पष्ट जानकारी दें। (घ) क्या 23 जुलाई, 2016 के बाद सीधे हितग्राही के खाते में राशि दी जाएगी? क्या इस स्थिति में शौचालय निर्माण में पंचायतों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है? यदि हाँ, तो क्या ऐसी स्थिति में पूर्व की तरह व्यवस्था पर शासन विचार करेगा?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) नरसिंहपुर जिले में प्रश्न दिनांक तक 446 ग्राम पंचायतों को बाह्य शौच मुक्त करने के लिए 80697 शौचालयों का निर्माण हो चुका है एवं वास्तविक सर्वे अनुसार 17757 शौचालयों का निर्माण शेष है, जिन्हें 2 अक्टूबर 2019 के पूर्व पूर्ण कराये जाने का लक्ष्य है। (ख) नरसिहंपुर जिले में प्रश्न दिनांक तक 227 ग्राम पंचायतें बाह्य शौच से मुक्त हो चुकी हैं तथा 219 ग्राम पंचायतें बाह्य शौच मुक्त होना बाकी हैं। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) गाडरवारा विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2008-09 से अभी तक 31464 शौचालयों का निर्माण हो चुका है। शेष जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत दिनांक 01-07-2016 से शौचालय निर्माण की प्रोत्साहन राशि सीधे हितग्राही के खाते में दी जा रही है। वर्तमान में शौचालय निर्माण स्वयं हितग्राही द्वारा किया जा रहा है। अत: शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री गोविन्द सिंह पटेल - अध्यक्ष महोदय, मैं यह पूछना चाहता हूं कि हितग्राहियों के खाते में जो राशि दी जाती है, क्या पंचायतों को पूर्व व्यवस्था के तहत दी जाएगी?
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.02 बजे शून्यकाल में उल्लेख
कुपोषण एवं सिंहस्थ के संबंध में चर्चा कराए जाने की मांग किया जाना
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) - यह मुद्दा समाप्त नहीं हुआ है, हमारे पास में प्रमाण हैं, सिंहस्थ में जो घोटाले हुए हैं, जो भ्रष्टाचार हुआ है, उसके बड़े प्रमाण है, इसलिए इस पर अध्यक्ष महोदय, आपको कम से कम आधे घंटे की चर्चा विधान सभा में कराना चाहिए.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - अध्यक्ष महोदय, कुपोषण के संबंध मैंने स्थगन दिया था, नियम 139 की चर्चा दी थी और आपने स्वीकार भी किया था कि नियम 139 में चर्चा कराएंगे, लेकिन उस पर चर्चा नहीं करा रहे हैं. अभी सिंहस्थ का प्रश्न का उठाया गया. सिंहस्थ की बात पिछले विधान सभा सत्र में भी उठाई गई थी, आपने कहा था कि मैं चर्चा कराऊंगा. इस पर हमारे स्थगन प्रस्ताव लगे हैं. अध्यक्ष महोदय, हम सदस्यों की बात या सदस्य जो चर्चा कराना चाहते हैं प्रदेश की समस्याओं के बारे में क्या उस पर चर्चा नहीं कराएंगे?
अध्यक्ष महोदय - अभी प्रश्न पर क्या चर्चा हुई? वह सिंहस्थ की चर्चा थी या और कुछ थी?
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, जवाब आना चाहिए था.
अध्यक्ष महोदय - जवाब आ रहा था, आप तो सब खड़े हो जाते हैं.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, व्यवधान पैदा कर देते हैं, मंत्री जी कह रहे हैं कि भ्रष्टाचार का प्रकरण बता दो. मंत्री जी, ईओडब्ल्यू में बिजली विभाग ने सिंहस्थ में जो ट्रांसफार्मर लगाये थे, वह प्रकरण दर्ज है. वह क्या भ्रष्टाचार के नहीं हैं तो किस बात के हैं?
श्री विश्वास सारंग - अध्यक्ष महोदय, जब चर्चा होती है, तब तो बहिर्गमन कर देते हैं. कल भाग गये. ये सुन नहीं सकते.
श्री रामनिवास रावत - वह प्रकरण भ्रष्टाचार के ही हैं, आप ही देख लो. आपके ही जवाब में भ्रष्टाचार के प्रकरण दर्ज हैं. आप जांच करा लो. अध्यक्ष महोदय, कुपोषण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर मैं चाहता हूं कि आप स्थगन लें और चर्चा कराएं, मेरा व्यक्तिगत रूप से निवेदन है.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, आदरणीय श्री रामनिवास रावत जी ने जिस तरह से बोला है, मेरा भी आग्रह है और माननीय मंत्री जी ने भी बोला है, जो सिंहस्थ के प्रभारी मंत्री रहे हैं. हमारे पास में बहुत सारे सबूत हैं कि सिंहस्थ में अरबों रुपयों का घोटाला हुआ है और उसकी आधे घंटे की चर्चा विधान सभा ने स्वीकार करना चाहिए और यहां पर उसकी चर्चा होनी चाहिए. (व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य - जिस दिन आप लोग अपनी जवाबदारी के प्रति गंभीर हो जाओगे, आपको जवाब मिल जाएगा.
श्री वैलसिंह भूरिया - अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के जो सदस्य हैं वे किसी बात को सुनने के लिए तैयार नहीं हैं. (व्यवधान)..
12.04 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाएं. शून्यकाल की सूचनाएं. नियम 267-क के अधीन लंबित सूचनाओं में से 15 सूचनाएं नियम 267 क (2) को शिथिल कर आज सदन में लिये जाने की अनुज्ञा मैंने प्रदान की है. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
अब मैं सूचना देने वाले सदस्यों के नाम पुकारूंगा.
अध्यक्ष महोदय - शून्यकाल की सूचनाएं, श्री सुखेन्द्र सिंह बना..
(1) रीवा की हनुमना नगर पंचायत में कार्यालय क्षेत्र में एक भी हैंडपंप न होना
(श्री सुखेन्द्र सिंह बना, सदस्य द्वारा अपनी शून्यकाल की सूचना नहीं पढ़ी गई.)
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, चर्चा होनी चाहिए, हमारा यह आग्रह है.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, व्यवस्था नहीं आई.
अध्यक्ष महोदय - व्यवस्था बाद में देंगे.
श्री रामनिवास रावत - बाद में नहीं, कल तो सत्र निपट ही जाएगा. इसी तरह से अगर सदन चलाना है तो आप बुला लिया करें और एक ही दिन में पारित करा लिया करें.
अध्यक्ष महोदय - आप कक्ष में आ जाएं, वहां बात कर लें.
श्री रामनिवास रावत -यह कोई तरीका नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - यह भी कोई तरीका नहीं है, जो आप कह रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत -कल इसकी भी चर्चा ग्राह्य की, वह भी आपने नहीं होने दी. स्थगन भी दिया है, सिंहस्थ के बारे में आपने ही कहा था कि मैं चर्चा कराऊंगा.
अध्यक्ष महोदय - उस पर चर्चा कराएंगे. आप कक्ष में आ जाएं. अभी समय है.
श्री रामनिवास रावत -कब कराएंगे? आज सदन का सत्र समाप्त हो जाएगा.
अध्यक्ष महोदय - आज नहीं समाप्त हो रहा है.
श्री रामनिवास रावत - अगर हम इंट्रप्ट करेंगे तो आज ही सत्र समाप्त करने के लिए तैयार हो.
श्री बाला बच्चन - कुपोषण और सिंहस्थ दोनों महत्वपूर्ण मुद्दे हैं इन पर हम चर्चा चाहते हैं, अध्यक्ष महोदय, आपको व्यवस्था देना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - यह कोई पाईंट ऑफ आर्डर नहीं है जो उसकी व्यवस्था दें.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए, इस पर हम चर्चा चाहते हैं. कुपोषण में भी लगातार जो बच्चों की मौतें हुई हैं, लगातार मौतें हो रही हैं और सिंहस्थ में बड़ा भ्रष्टाचार है.
श्री वैलसिंह भूरिया - अध्यक्ष महोदय, सरकार जो जवाब देती है, विपक्ष के सदस्य उसको सुनना ही नहीं चाहते हैं तो किस बात का स्थगन? सुनने की ताकत नहीं है. सुनना चाहते नहीं हैं, भग जाते हैं तो किस बात का स्थगन?
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि क्या मेरे अधिकारों से आप मुझे वंचित रखना चाहते हैं?
अध्यक्ष महोदय - आपके प्रश्न में 25 मिनट चर्चा हुई है. दूसरे सदस्यों के प्रश्नों का क्या होगा?
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, 25 मिनट हुई या 40 मिनट चर्चा हुई, लेकिन रिजल्ट क्या निकला? मैंने कहा कि आंकड़े अलग-अलग हैं, सरकार इस बारे में क्या समिति बनाकर जांच करवाएगी क्या?
अध्यक्ष महोदय - एक ही प्रश्न पर क्या पूरा एक घंटा दे दें? उसके बाद भी रिजल्ट न निकले तो क्या दिन भर दे दें? उसके अन्य तरीके हैं.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा क्या कसूर है?
अध्यक्ष महोदय - आप कृपा करके नियम पढ़िए. दूसरे सदस्यों का क्या कसूर है, जिनके प्रश्न आपने आने ही नहीं दिए हैं.
श्री जितू पटवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा क्या कसूर है ? मंत्री और सरकार की मंशा ही ठीक नहीं है.
अध्यक्ष महोदय- आप बैठ जाईये. शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ने दीजिए.
श्री जितू पटवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब तक मेरे सवाल का उत्तर नहीं मिलेगा, तब तक सदन में कुछ नहीं होगा, यह कांग्रेस पार्टी की मांग है. सिंहस्थ के (XXX) को छोड़ेंगे नहीं. सिंहस्थ के मुद्दे का दूध का दूध और पानी का पानी होगा.(XXX).
(व्यवधान........)
अध्यक्ष महोदय- श्री सुदर्शन गुप्ता शून्यकाल की सूचना पढ़े.
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आप से विनम्र निवेदन है. हमें आसंदी से संरक्षण की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय- आपको संरक्षण दिया जाएगा.
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, कब संरक्षण दिया जायेगा. हमारे द्वारा कार्यमंत्रणा में दे दिया गया, स्थगन आ गया, आसंदी से आपने व्यवस्था दी है. पिछले सत्र में भी हमने ये मुद्दा रखा था. कुपोषण से बच्चे मर रहे हैं. हमारा प्रदेश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुपोषण के मामले में कलंक है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप सरकार में है. आप चर्चा नहीं कराना चाहते हैं, आप चर्चा से बच रहे हैं.
(व्यवधान...........)
(2) इंदौर के 50 सहित प्रदेशभर के 500 से ज्यादा शूटर को एयरगन लाइसेंस की अनिवार्यता को समाप्त करने संबंधी
श्री सुदर्शन गुप्ता (इंदौर-1)-
अध्यक्ष महोदय- आप कक्ष में चर्चा कर लें.
श्री रामनिवास रावत- चर्चा हमारा अधिकार है. माननीय अध्यक्ष महोदय, कक्ष में क्या चर्चा कर लें. कार्यमंत्रणा में नहीं हुई, 139 में नहीं हुई, कक्ष में क्या चर्चा होगी. आपने पिछले सत्र में भी कहा था, सिंहस्थ पर चर्चा करायेंगे.
(व्यवधान........)
श्री बाबूलाल गौर (गोविंदपुरा)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने भी शून्यकाल की 2 सूचनाएं दी थी. वे अभी तक आई नहीं हैं. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस हेतु आप मुझे स्वीकृति प्रदान करें.
अध्यक्ष महोदय- लिखित सूचनाएं पहले पढ़ ली जायें फिर आपको अनुमति दी जायेगी.
श्री बाबूलाल गौर- धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- श्रीमती ऊषा चौधरी, कृपया अपनी शून्यकाल की सूचना पढ़े.
(3) सतना के ग्राम पंचायत रामपुर चौरासी में खेलकूद मैदान निर्माण संबंधी
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव)-
श्री बाला बच्चन- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम ये दोनों चर्चाएं चाह रहे हैं. कुपोषण से लगातार बच्चों की मौतें हो रही हैं. सिंहस्थ में अरबों रूपये का घोटाला हुआ है.
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे निवेदन है, आप व्यवस्था दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- रावत जी ने और अन्य सदस्यों ने जो बात कही है आज अनुपूरक पर भी चर्चा है, अनुपूरक पर आप सभी वरिष्ठ सदस्य हैं, यह जानते हैं कि सभी विषयों पर चर्चा हो सकती है.....( व्यवधान )..
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय फिर अनुपूरक ही ले आयें बाकी किसी चीज की जरूरत ही नहीं है. .....( व्यवधान )..
अध्यक्ष महोदय -- जरा धीरज भी तो रखें आप.
श्री रामनिवास रावत -- आप जो चुपचाप कहते हैं उसे आसंदी से कह दें. .....( व्यवधान )..
अध्यक्ष महोदय -- उस पर भी चर्चा कर सकते हैं इसके बाद में भी यदि माननीय सदस्यों को असुविधा या किसी प्रश्न के संबंध में आपत्ति है तो नियमों में अन्य प्रावधान भी हैं कृपया उनका भी उपयोग करें, उन पर विचार करके तद्नुसार निर्णय किया जायेगा. .....( व्यवधान )..
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय हमने नियमों के अंतर्गत 139 की चर्चा के लिए सूचना दी है, कुपोषण के मामले में और कार्य मंत्रणा समिति ने उसको एक्सेप्ट किया है,आपको समय आवंटित करना था, सरकार कुपोषण पर चर्चा कराने से बचना चाहती है.
अध्यक्ष महोदय -- कोई नहीं बचना चाहता है. .....( व्यवधान )..
श्री रामनिवास रावत -- तो आप कह दें कि चर्चा करायेंगे,
अध्यक्ष महोदय -- नहीं यहां पर नहीं कहेंगे. .....( व्यवधान )..
श्री रामनिवास रावत -- आपने चुपचाप बुलाकर तो कह दिया है वह बात आसंदी से कह दें, अध्यक्ष महोदय सरकार भागना चाहती है. .....( व्यवधान )..
अध्यक्ष महोदय -- यहां पर कुछ नहीं कहेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय कुपोषण जैसा महत्वपूर्ण मुद्दे के कारण हमारा पूरा मध्यप्रदेश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कलंकित हो रहा है. .....( व्यवधान )..
अध्यक्ष महोदय -- फिर आप बिना चर्चा के ही सब कुछ कह लो.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय हमारा कहना है कि अगर प्रश्नों का जवाब ही नहीं आयेगा तो क्या होगा. दूसरा यह है कि रावत जी जो कह रहे हैं यह तो कार्यमंत्रणा की बैठक में भी तय हो चुका है.. .....( व्यवधान )..
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, लेकिन कृपा करके अभी काम तो होने दें..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- क्या चर्चा होने दें, आपने पिछली बार कहा था लेकिन आपने मना कर दिया है...(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन -- सिंहस्थ का इतना महत्वपूर्ण मुद्दा, आपको इस सिंहस्थ के मुद्दे पर आधे घंटे की चर्चा देना थी..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- सिंहस्थ पर चर्चा कराने के लिए आपने पिछली बार कहा था कि चर्चा कराऊंगा लेकिन नहीं हुई है..(व्यवधान)... और सदन समाप्त हो गया.
अध्यक्ष महोदय -- हर सत्र में उस पर चर्चा हो रही है...(व्यवधान).. फिर भी आप लोगों को संतोष नहीं हो रहा है...(व्यवधान)..
(4) श्री मानवेन्द्र सिंह -- ( अनुपस्थित )
(5) देवास जिले के नेमावर में नर्मदा तट पर पक्का शमशान घाट व शेड निर्माण संबंधी.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा( खातेगांव) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय सिंहस्थ पर भी स्थगन दिया हुआ है उसके बारे में हमारा निवेदन है कि उसको स्वीकार करें...(व्यवधान).. अगर आपका संरक्षण नहीं मिलेगा तो कैसे काम चलेगा.
समय 12.14 बजे. गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य श्री जितू पटवारी द्वारा गर्भगृह में प्रवेश एवं वापसी
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय आप सिंहस्थ पर चर्चा करायें.
( इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य श्री जितू पटवारी सिंहस्थ पर चर्चा कराने की मांग को लेकर गर्भगृह में आये एवं कुछ समय पश्चात् अपने आसन पर वापस चले गये ) .....( व्यवधान )..
अध्यक्ष महोदय -- यहां पर कुछ बात नहीं होगी. ( श्री जितू पटवारी सदस्य द्वारा सिंहस्थ पर चर्चा कराने की बात कहने पर ). .....( व्यवधान )..
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय सिंहस्थ पर भी स्थगन दिया हुआ है उसके बारे में हमारा निवेदन है कि उसको स्वीकार करें...(व्यवधान).. अगर आपका संरक्षण नहीं मिलेगा तो कैसे काम चलेगा.
(6)नरसिंहपुर में रेत का अवैध उत्खनन
श्री जालमसिंह पटेल ( नरसिंहपुर ) --
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय यह हमारे जो दो मुद्दे हैं इन पर आप बिल्कुल विचार नहीं कर रहे हैं और चर्चा नहीं कराना चाहते हैं. हम तो यह ही चाहते हैं कि आप चर्चा करायें. .....( व्यवधान )..
अध्यक्ष महोदय -- आपसे कहा गया है कि आपसे चर्चा करेंगे. .....( व्यवधान )..
श्री बाला बच्चन -- आपके शब्द पर तुरंत ध्यान दिया है हम तो यह चाहते हैं कि दोनों पर आप चर्चा करायें. .....( व्यवधान )..
अध्यक्ष महोदय -- माननीय नेता जी आपसे कहा है कि आपसे चर्चा कर लेंगे.
श्री बाला बच्चन --कुपोषण से लगातार बच्चों की मौत हो रही है, सिंहस्थ में अरबों रूपये का घोटाला हो गया है. .....( व्यवधान )..
अध्यक्ष महोदय -- मैंने ना मना किया है ना ही हां कहा है.
श्री बाला बच्चन – (XXX)..(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- यह सब कार्यवाही से निकाल दीजिए...(व्यवधान)..
डॉ नरोत्तम मिश्र -- आप चर्चा के लिए कहते हैं कि ध्यानाकर्षण लें, स्थगन लें और उसके बाद में आप सदन से भाग जायें....(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष महोदय कितनी दयनीय स्थिति है प्रतिपक्ष की प्रश्नकर्ता विधायक जी एक एक सीट पर जा रहेहैं, कृपया करके बहिर्गमन के लिए तैयार हो जायें..(व्यवधान).. मैं देख रहा हूं आप एक एक सीट पर जा रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन -- आज यहां पर हमारे 56 एमएलए हैं,दयनीय स्थिति विपक्ष की संसद में थी 1984 में केवल दो सांसद जीतकर आये थे, हम तो आज भी मजबूत स्थिति में हैं संसद में आज भी हमारे 45 सांसद हैं और यहां पर हम आज 56 एमएलए हैं..(व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- बच्चन जी, तब भी वहां पर नेता प्रतिपक्ष था और आज वहां नेता प्रतिपक्ष नहीं है. (...व्यवधान...)
श्री बाला बच्चन -- दयनीय स्थिति संसद में 1984 में आप लोगों की थी, हम तो आज भी मजबूत हैं लेकिन हमारे मुद्दों को सुना क्यों नहीं जा रहा है. हम जो मुद्दे उठाकर दे रहे हैं, माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से हम चर्चा चाहते हैं. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- श्रीमती चंदा सुरेन्द्र सिंह गौर अपनी शून्यकाल की सूचना पढ़ें. श्री सतीश मालवीय अपनी शून्यकाल की सूचना पढ़ें. (...व्यवधान...)
श्री बाला बच्चन -- सिंहस्थ में अरबों रुपये के घोटाले की रिपोर्ट हमने आपको दे दी है. आप उसी पर चर्चा करवा लें. (...व्यवधान...)
श्री गोपाल भार्गव -- मैं 1984-85 में किसी सीट पर हाथ जोड़ने नहीं गया.
(7) कटनी के बहोरीबंद विकासखण्ड अंतर्गत माध्यमिक स्कूलों के हाईस्कूल में उन्नयन संबंधी
कुँवर सौरभ सिंह -- (अनुपस्थित)
(8) उज्जैन जिले के घटिया विधानसभा क्षेत्र में स्थापित पवन ऊर्जा संयंत्र से उत्पन्न समस्या
श्री सतीश मालवीय (घटिया) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है :-
उज्जैन जिले के घटिया विधानसभा क्षेत्र में स्थापित पवन ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के बाद किसानों एवं आमजन की जानमाल का खतरा उत्पन्न हो गया है. पवन चक्की के निर्माताओं ने स्कूल ग्राम आबादी तथा सार्वजनिक सड़क मार्गों के नजदीक इन संयंत्रों को स्थापित कर दिया है जिससे आमजन में भय व्याप्त है. दुर्घटनाओं की संभावनाओं के चलते नागरिकगण असुरक्षा का भाव महसूस कर रहे हैं. चरवाहे जंगल में पशुओं को लेकर चराने के लिए जा रहे हैं. खुली एवं असुरक्षित डीपियां, झूलते हुए कम ऊँचाई वाले तारों के कारण अनेकों दुर्घटनाएं भी हो रही हैं. कंपनी निर्माताओं ने अपने टॉवर स्थापित कर दिए, अब किसानों को अपने खेतों तक जाने के लिए रास्ते अवरुद्ध कर दिए हैं. धनबल एवं बाहुबल के कारण प्रशासन किसानों एवं आमजनों की शिकायतों का निराकरण करने में असमर्थता व्यक्त कर रहे हैं. (...व्यवधान...)
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे विनम्र प्रार्थना है कि सिंहस्थ और कुपोषण पर किसी न किसी तरीके से चर्चा कराएं. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- बाद में बात कर लेंगे. आपकी बात स्वीकार है किंतु कक्ष में बात करेंगे. निर्णय कक्ष में करेंगे. (...व्यवधान...) श्रीमती चंदा सुरेन्द्रसिंह गौर अपनी शून्यकाल की सूचना पढ़ें.
(9) खरगापुर विधान सभा क्षेत्र के नगर बल्देवगढ़ में बायपास मार्ग निर्माण न हो पाना.
श्रीमती चंदा सुरेन्द्रसिंह गौर (खरगापुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है :-
खरगापुर विधान सभा-47 के नगर बल्देवगढ़ से टीकमगढ़-छतरपुर मुख्य मार्ग निकला हुआ है. उक्त मार्ग के दोनों तरफ बस्ती है, दुकानें, अस्पताल हैं, शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल एवं हाई स्कूल एवं अशासकीय स्कूल संचालित हैं. भारी-भरकम वाहनों, ट्रकों, बसों का संचालन इसी मार्ग से होता है तथा रविवार के दिन हाट-बाजार भी लगता है जिस कारण उक्त सड़क से आने-जाने वाले वाहनों की भरमार रहती है. ग्रामीणों, क्षेत्र वासियों एवं नगर वासियों तथा छात्र-छात्राओं को आने-जाने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है तथा उक्त रोड पर हमेशा जाम की स्थिति बनी रहती है. मरीजों को भी कठिनाई उठानी पड़ती है. इसलिए बल्देवगढ़ में बाईपास सड़क निर्माण किये जाने हेतु शासन को पत्रों के माध्यम से अवगत भी कराया गया है परंतु आज तक बाईपास सड़क निर्माण नहीं हो पाया है. आम जनता की परेशानियों को ध्यान में नहीं रखा जा रहा है जिसके कारण क्षेत्र की तथा नगर की आम जनता में रोष व आक्रोश व्याप्त है तथा घटनाओं की आशंका बनी रहती है.
(...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- क्या सब निर्णय यहीं करा लेंगे. नेताजी, कक्ष में बात कर लेंगे.
(...व्यवधान...)
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष जी, यह माइक चालू नहीं होता है, मैंने सचिव महोदय को भी कहा है. (...व्यवधान...)
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष जी, व्यवस्था दीजिए. (...व्यवधान...)
अध्यक्ष महोदय -- यहां बात नहीं करेंगे, श्री रामपाल सिंह... (...व्यवधान...)
12.18 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य सर्वश्री बाला बच्चन,
रामनिवास रावत, हरदीप सिंह डंग, मुकेश नायक, ओमकार सिंह मरकाम, सचिन यादव,
जितू पटवारी, मधु भगत आदि द्वारा सिंहस्थ के घोटाले की जांच कराने की
बात कहते हुए गर्भगृह में प्रवेश
(इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य सर्वश्री बाला बच्चन, रामनिवास रावत, हरदीप सिंह डंग, मुकेश नायक, ओमकार सिंह मरकाम, सचिन यादव, जितू पटवारी, मधु भगत आदि सिंहस्थ के घोटाले की जांच कराने की बात कहते हुए गर्भगृह में आए एवं ''सिंहस्थ की जांच कराओ '' के नारे लगाने लगे.)
... (...व्यवधान...)...
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित.
(12.18 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई.)
12.35 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{ अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
अध्यक्ष महोदय -- शून्यकाल की जो सूचनाएं हैं इनको हो जाने दें, उसके बाद में बात कर लेंगे. श्री सुखेन्द्र सिंह बन्ना, श्री मानवेन्द्रसिंह, कुंवर सौरभ सिंह, श्री रामपाल सिंह, श्री मुकेश नायक, श्री वीरसिंह पवार, श्री संजीव छोटेलाल उइके, श्री उमंग सिंघार, श्री सचिन यादव, सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ी हुई मानी जाएंगी. ( ...व्यवधान.....)
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि एक तो आपने बहुत छोटा-सा सत्र बनाया. दूसरा नियम 139 में हमने महिला बाल विकास और अन्य मामले दिए थे उसके बजाए आपने एक छोटा-सा मामला ले लिया, एक जिले का जो कि शून्यकाल में आना था. ध्यानाकर्षण के भी लायक नहीं था. अब आपसे अनुरोध है कि हमारे अधिकारों का संरक्षण आपके हाथ में है और हम लोग महिला बाल विकास और सिंहस्थ के मामले में चर्चा चाहते हैं और आपसे अनुरोध है कि आप इस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का कष्ट करें क्योंकि आपने पिछले विधानसभा सत्र में यह कहा था, रिकार्ड में भी है कि अगली बार आप सिंहस्थ पर चर्चा करवाएंगे तो हम एक कदम पीछे हटते हैं ये भी एक कदम पीछे हटें. हम महिला बाल विकास का अगले सत्र में ले लेंगे. कम से कम सिंहस्थ के मामले में आप हमें किसी भी तरह से चर्चा का मौका दें.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) -- अध्यक्ष महोदय, स्थगन लगे हुए हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- अध्यक्ष महोदय, ध्यानाकर्षण भी है. कोई-सा भी स्वीकार कर लें.
अध्यक्ष महोदय -- कक्ष में इस पर बात कर लेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कक्ष में ही क्यों ? आपने पिछली बार पिछले सत्र में आसंदी से कहा था कि सिंहस्थ पर चर्चा कराएंगे, हम अगले सत्र में करा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- इन विषयों में यहां बात नहीं होती.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, क्यों नहीं होती बात. हम आसंदी से संरक्षण चाहेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, सब बातों का उत्तर यहां नहीं दिया जाता.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, हमारे भी तो कुछ अधिकार हैं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- विधान सभा के पटल पर आपका आश्वासन है.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, आप यह भी नहीं कर सकते, आप यह भी नहीं कर सकते, आप सक्षम हो.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आपकी जो अंतरात्मा कहती है आप वह नहीं कर पाते.
श्री आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप शक्तिशाली हैं, आप सब कर सकते हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आप जो चाहते हो, वह नहीं कर पाते. मुझे बड़ा कष्ट होता है.
अध्यक्ष महोदय -- आप कृपया बैठ जाएं. श्री दिनेश राय मुनमुन.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, आप अपनी अंतरात्मा से जो चाहते हैं वहीं कर दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए बैठ जाइए, हो गई बात.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप नहीं चाहते कि चर्चा हो.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया आप बैठ जाइए.
श्री रामनिवास रावत -- चर्चा के लिए हमारा निवेदन है. यह भी अच्छा मैसेज नहीं जाता कि आसंदी से एक बार निर्देश दे दिया हो, कि हम अगले सत्र में सिंहस्थ पर चर्चा कराएंगे फिर आप उस चर्चा से मुकर जाएं. यह अच्छी बात नहीं है. यह आसंदी के सम्मान के लिए यह अच्छी बात नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- चर्चा करने के लिए भी चर्चा करना पडे़गा. चर्चा करने के लिए तैयार हैं. चर्चा कर लेंगे.
12.36 बजे गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा गर्भगृह में प्रवेश
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य सिंहस्थ पर चर्चा कराए जाने की मॉंग करते हुए गर्भगृह में आए एवं नारेबाजी करने लगे.)
श्री दिनेश राय (सिवनी) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ऑनलाइन प्रश्न लगाने की व्यवस्था हुई है. ऑनलाइन प्रश्न लगा रहे हैं. ( व्यवधान ........) इसमें जो क्वेश्चन लगाएं हैं पूरे मध्यप्रदेश के विधायको और सांसदों ने कितने रूपयों में (व्यवधान.....) उनकी जानकारी मंत्री जी नहीं दे रहे हैं और क्वेश्चन को बदल दिया है और सिवनी जिले के विधायकों की जो सूची दी है उसमें मेरा भी नाम है. मध्यप्रदेश के विधायक, सांसदों ने (व्यवधान......) उसमें कहीं न कहीं मंत्री जी भी गोलमाल कर रहे हैं. सांसदों, विधायकों को बचा रहे हैं. भारी भ्रष्टाचार हुआ है. (व्यवधान......)
नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सब विधायको की मांग है कि सिंहस्थ पर चर्चा की जाए.
12.37 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
1. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, संविधान के अनुच्छेद 151 के खण्ड (2) की अपेक्षानुसार भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक के वित्त लेखे खण्ड-I एवं खण्ड-II वर्ष 2015-2016 तथा विनियोग लेखे वर्ष 2015-2016 पटल पर रखता हॅूं.
2. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016
जनसम्पर्क मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, अधिनियम, 1990 (क्रमांक 15 सन् 1990) की धारा 36 की उपधारा (4) की अपेक्षानुसार माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016 पटल पर रखता हूँ.
....व्यवधान...
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा गर्भगृह से नारे लगाये जाते रहे)
श्री बाला बच्चन--- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी सभी विधायकों की मांग है कि सिंहस्थ पर चर्चा कराई जाये...(व्यवधान)....
3. म.प्र. राज्य महिला आयोग, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-2014
एवं 2014-15
महिला एवं बाल विकास मंत्री(श्रीमती अर्चना चिटनिस)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग अधिनियम, 1995(क्रमांक 20 सन् 1996) की धारा 17 की उपधारा(3) की अपेक्षानुसार म.प्र. राज्य महिला आयोग, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-2014 एवं 2014-15 पटल पर रखती हूं.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ पर चर्चा हो यह हमारी मांग है...(व्यवधान)... लोकतंत्र का गला घोंटने का काम आप न करें.हम यह चाहते हैं कि चर्चा हो.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, आप हमको संरक्षण नहीं दे रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री दिनेश राय-- अध्यक्ष महोदय, कांग्रेस और भाजपा की मिली हुई यह सरकार है.
4. मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम मर्यादित का ग्यारहवाँ वार्षिक लेखा एवं प्रतिवेदन वर्ष 2014-15
लोक निर्माण मंत्री(श्री रामपाल सिंह)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 395 की उपधारा(1) (ख) की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम मर्यादित का ग्यारहवाँ वार्षिक लेखा एवं प्रतिवेदन वर्ष 2014-15 पटल पर रखता हूं.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है. इसमें जांच कमेटी बनना चाहिए और जांच होनी चाहिए....(व्यवधान)...
5. एन.एच.डी.सी. लिमिटेड की 16 वीं वार्षिक रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2015-16
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास(श्री लालसिंह आर्य)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 395 की उपधारा(1) (ख) की अपेक्षानुसार एन.एच.डी.सी. लिमिटेड की 16 वीं वार्षिक रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2015-16 पटल पर रखता हूं...(व्यवधान)..
12.42 बजे ध्यानाकर्षण
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
श्री बाला बच्चन—माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सिंहस्थ की रिपोर्ट(प्रदर्शन करते हुए) है जिसको हमने आपको सौंपा है.100 पेज की यह रिपोर्ट है. लगभग 60 बिंदु इसमें है,इसमें जो करप्शन,भ्रष्टाचार सिंहस्थ में हुआ है उसकी यह पूरी रिपोर्ट मेरे हाथ में है और हम यह चाहते हैं ...(व्यवधान)..बड़ी मात्रा में सरकार के द्वारा जो भ्रष्टाचार हुआ है उसका खुलासा होना चाहिए उस पर चर्चा होना चाहिए...(व्यवधान)... जो घोटाल हुआ है उस पर चर्चा होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- मेरा यह अनुरोध है कि आज 4 ध्यानाकर्षण लिये हैं, कम से कम ध्यानाकर्षण हो जाने दें. माननीय सदस्यों के आग्रह पर 4 ध्यानाकर्षण लिये हैं ताकि माननीय सदस्यों के विषय चर्चा में आ जाये, कृपा करके इसको हो जाने दें.बाकी जो विषय है उसके बारे में चर्चा कर लेंगे.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपसे विनम्रतापूर्वक अनुरोध है कि सदस्यों के अधिकारों का संरक्षण करिये.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया आप सभी अपने स्थान पर बैठ जायें. श्री सुखेन्द्र सिंह बन्ना अपने ध्यानाकर्षण की सूचना पढ़ें...(व्यवधान)..नेता जी, आपके ही सदस्य हैं उनको सूचना पढ़ लेने दें, वह भी जनता के अधिकार की बात है.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ में घोटाल और भ्रष्टाचार हुआ है, उस पर विधानसभा में चर्चा होना चाहिए जिससे कि दूध-का-दूध और पानी-का-पानी का हो सके.
1.रीवा जिले के मऊगंज नवीन तहसील कार्यालय में मूलभूत सुविधाओं का अभाव होना
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री लालसिंह आर्य—माननीय अध्यक्ष महोदय, इनकी असत्य रिपोर्ट है, जाने कहाँ से मनगढ़न्त बातें करके मध्यप्रदेश जनता को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गलत है. यह लोकतंत्र का पूरा गला घोंट दिया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप हमारी एक बात मानने को तैयार नहीं हैं . हम आपके माध्यम से चर्चा मांग रहे हैं . आप चर्चा नहीं करा रहे हैं. यह देखिये हमारे पास सिंहस्थ में जो घोटाला हुआ है उसकी पूरी रिपोर्ट है...(व्यवधान)...
राजस्व, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)—अध्यक्ष महोदय,
(व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन—हम आपसे आग्रह कर रहे हैं कि सिंहस्थ में बड़ा घोटाला हुआ है उसकी जांच हो. (व्यवधान)... माननीय अध्यक्ष महोदय, हम आपसे आग्रह कर रहे हैं आप हमारे आग्रह को मान नहीं रहे हैं. (व्यवधान)... सिंहस्थ में बड़ा घोटाला हुआ है. आप हमारी मांग को स्वीकार करें. आप हमारी मांग पर चर्चा नहीं करने दे रहे हैं. (व्यवधान)...इस पर जांच होना चाहिए जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. (व्यवधान)... सिहंस्थ पर चर्चा करो. (व्यवधान)...
श्री सुखेन्द्र सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय मंत्री जी के द्वारा जवाब आया है कि जनता में असंतोष नहीं है वह बिलकुल असत्य है. आज भी असंतोष है. जबरन पुलिस के बल पर जो आमरण अनशन तुड़वाया गया, मेरा आपसे अनुरोध है कि जनता, अधिवक्ता और वहां के आक्रोश को देखते हुए तहसील को वापस लाया जाए और मेरा विनम्र निवेदन है कि उसकी न्यायिक जांच कराई जाए. मंत्री जी ने जो उत्तर दिया है मैं इस बात से सहमत नहीं हूं. (व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र—माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सभी मंत्रियों की राय ऐसी है. (व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- ध्यानाकर्षण पढ़ रहे हैं और उनके उत्तर आ रहे हैं. (व्यवधान)...
श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 13.10.2016 से लगातार तहसील कार्यालय वहां चल रहा है. अनशन भी समाप्त हो गया है. अधिवक्ताओं की मांग थी रोड की और मूलभूत सुविधाओं की, वह भी पूरी की जा रही है. वह विकसित क्षेत्र है, आबादी भी वहां पर है. आईटीआई चल रहा है 300 छात्र उसमें पढ़ रहे हैं. इसलिए परिवर्तन की कोई जरुरत नहीं है. दिनांक 13.10..2016 से नये भवन में तहसील कार्यालय ठीक ढंग से काम कर रहा है.
अध्यक्ष महोदय--आप माननीय सदस्य से मिलकर ठीक ढंग से उनकी समस्या का समाधान कर दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय सदस्य जो कठिनाई बताएंगे उसको हम दूर कर देंगे.
श्री सुखेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, तहसील वापस कराई जाए. जब सारी सुविधाएं हो जाएंगी तब हो जाएंगी. बिना जनता को, बिना हमको और बिना अधिवक्ताओं को विश्वास में लिए कैसे तहसील चली गई. मेरा आपसे अनुरोध है कि तहसील वापस कराई जाए. मैंने मंत्री जी से बात की है लेकिन वे मानने के लिए तैयार नहीं हैं. जनता में आक्रोश है. मेरा अनुरोध है कि क्या वहां अधिवक्ता फांसी पर झूल जाएं उसके बाद तहसील वापस होगी. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--माननीय मंत्री जी कुछ कह दें.
श्री उमाशंकर गुप्ता--माननीय अध्यक्ष महोदय, पुरानी तहसील जर्जर हो गई थी. यह काम वर्ष 2014 से चल रहा है. वहां नए तहसील भवन और अन्य भवन बने हैं. ऐसी कोई स्थिति नहीं है. (व्यवधान)
श्री सुखेन्द्र सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या तहसील को छात्रों के लिए वहां ले जाया गया है. (व्यवधान) मेरा अनुरोध है कि इसमें न्याय दिलाइए जनता को (व्यवधान) वहां अधिवक्ता फांसी पर झूल जाएंगे क्या तब तहसील वापस की जाएगी, वहां पर 26 एकड़ जमीन उपलब्ध है. मैं पूछना चाहता हूं कि क्या वहां पर तहसील वापस लाई जाएगी ?..(व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, (XXX) … (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन--आप चर्चा को हाउस में स्वीकार कर लें. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी—(XXX)….. (व्यवधान)
(2) नागदा-खाचरौद क्षेत्र के अनेक ग्रामों में केमिकल युक्त पेयजल का प्रदाय होना
श्री दिलीप सिंह शेखावत (नागदा-खाचरौद)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री (सुश्री कुसुम सिंह महदेले)--माननीय अध्यक्ष महोदय,
(व्यवधान)
श्री बाला बच्चन--हमारे पास सिंहस्थ की 100 पेज की रिपोर्ट है आप समय दीजिए, चर्चा हो जाने दीजिए. सारी चीजें साफ हो जाएंगी (व्यवधान) आप इस रिपोर्ट पर विचार नहीं कर रहे हैं. लोकतंत्र की हत्या यहां हो रही है, हमारी आवाज दबा दी है जीरो कर दी है.सिंहस्थ पर चर्चा हो, जांच कमेटी बने. दूध का दूध और पानी का पानी हो. केवल विपक्ष इतना चाहता है. इस पर चर्चा होनी चाहिए यह हमारा आपसे आग्रह है. आप हमारी बात को अनदेखा कर रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आपकी बात सुनेंगे ना, तैयार हैं चर्चा कराने के लिए. (व्यवधान)
श्री दिलीप सिंह शेखावत--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को यह बताना चाहूंगा पहले तो आपने जो योजना मंजूर की है उसके लिए धन्यवाद दूंगा. यह जानकारी असत्य है कि वहां पर पीने योग्य पानी है. 22 गांवों में आपके विभाग द्वारा परमारखेड़ी में पानी पीने योग्य नहीं होने के कारण, खुद ने सील किया है, और 22 गांवों में लोग 5-5 किलोमीटर से पानी भरकर ला रहे हैं. आपने एक चीज और कही है कि ग्रेसिम उद्योग से सहमति नहीं मिली है. मैंने आपको पत्र दिया है मेरा बहुत विनम्रता से आपसे निवेदन है कि सरकार की पानी पिलाने की जिम्मेदारी है. इसलिये अगर डेम बनाने की आवश्यकता है तो आप डेम बनाएं. हम कब तक उद्योगों के रहमो-करम पर पानी पीने के लिए उनसे भीख मांगते रहेंगे. अगर 14 गांवों को पानी दे रहे हैं तो एक निवेदन और है कि यदि आप 70 लीटर पानी की व्यवस्था करते हैं तो उसको थोड़ा बहुत कम ज्यादा कर दें, लेकिन इस योजना के टेंडर करके इस योजना को प्रारंभ करा दें, क्योंकि यह काफी गंभीर समस्या है.यदि इस योजना को पानी कम या ज्यादा करके सदन में घोषणा करें तो मैं आपका बहुत-बहुत आभारी रहूंगा.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य का आग्रह है विभाग ने 14 ग्रामों के लिए उपलब्ध पानी को समानुपातिक रुप से 22 गांवों में बांटने की योजना बनाई है और इस पानी को हम 22 गांव में बांट देंगे.
श्री दिलीप सिंह शेखावत-- क्या योजना चालू कर देंगे ?
सुश्री कुसुम सिंह महदेले--माननीय अध्यक्ष महोदय, चालू कर देंगे.
श्री दिलीप सिंह शेखावत--बहुत बहुत धन्यवाद.
(3) श्योपुर जिले के सहरिया आदिवासी क्षेत्र में विद्युतीकरण कार्य न किये जाना.
श्री रामनिवास रावत, सदस्य द्वारा ध्यानाकर्षण की सूचना नहीं पढ़ी गयी.
(4) प्रदेश में डीबीटी योजना से कृषकों को लाभ न मिलना
सर्वश्री अनिल फिरोजिया(तराना) (सुखेन्द्र सिंह ''बन्ना'') :-माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है:-
राज्य मंत्री, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण (सूर्य प्रकाया मीणा):- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री अनिल फिरोजिया :- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री का ध्यानाकर्ष्ंण कराना चाहता हूं कि जब से मध्यप्रदेश में डीबीटी लागू की है. तब से आप यह बता दें कि कहां-कहां पर पौधे लगें है. गरीब किसानों को यदि पौधे खरीदने हैं तो गरीब किसान को पौधे खरीदने के लिये नागपुर या दूसरे प्रांत में जाना पड़ेगा. अनुसूचित या अनुसूचित जनजाति वर्ग के जो किसान हैं जिनकी दो-दो या तीन-तीन बीघा की जमीन है वह कहां से व्यवस्था करेंगे. अभी इन्होंने धनिया और आलू खरीदने के लिये दो कम्पनियों को आर्डर दिये हैं. अध्यक्ष जी,मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि यह भ्रष्टाचार नहीं है. जब डीबीटी लागू है तो इन्होंने आर्डर कैसे दे दिये. एक इंदौर की कंपनी है और अन्य कंपनी को आर्डर दिया है तो क्या माननीय मंत्री जी यह आश्वासन देंगे कि जिन अधिकारियों ने आर्डर दिये हैं. क्या मंत्री जी जांच करा कर उन अधिकारियों पर कार्यवाही करेंगे ?
श्री सूर्य प्रकाश मीणा :- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि कोई ऐसा विषय है कि सीधी खरीदी किसी संस्था को दी गयी है, डीबीटी नियमों के विपरीत, तो किस स्तर पर खरीदी के
आदेश जारी हुए हैं इसकी जानकारी एकत्रित कर जांच करवा लेंगे.
श्री अनिल फिरोजिया :- माननीय मंत्री जी, आपके डायरेक्टर ने आदेश दिये हैं, उसकी कापी मेरे पास है. क्या आप डायरेक्टर के विरूद्व जांच करके कार्यवाही करेंगे ?
श्री सूर्य प्रकाश मीणा :- आपके पास जो पेपर है वह मुझे दे दें. किस स्तर पर खरीदी हुई है, उसको देखकर फिर हम जांच करवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय :- मेरा माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि नियम प्रक्रिया के तहत ही बातचीत हो सकती है और निर्णय हो सकते हैं. आपसे अनुरोध है कि आप अपने स्थान पर वापस जायें.
श्री बाला बच्चन :- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम नियम प्रक्रिया के अंतर्गत ही चर्चा चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय :- परन्तु आप सब निर्णय यहीं कराना चाहते हैं, यह उचित नहीं है.
श्री बाला बच्चन :- हम तो नियम प्रक्रियाओं के अंतर्गत ही हैं.
1.00 बजे अध्यक्षीय घोषणा
काले धन की व्यवस्था को समाप्त करने के लिये कैशलेस लेनदेन का बढ़ावा देने संबंधी प्रशिक्षण
अध्यक्ष महोदय:- शासन द्वारा संचालित कल्याणकारी योजनाओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम की श्रंखला के अंतर्गत माननीय सदस्यों के समक्ष '' काले धन की व्यवस्था को समाप्त करने के लिये कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा देने संबंधी प्रशिक्षण '' का प्रस्तुतिकरण कार्यक्रम आज गुरूवार, दिनांक 8 दिसम्बर, 2016 को अपराह्न 2.00 बजे विधान सभा भवन स्थित ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया है.
प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा संस्थागत वित्त, मध्यप्रदेश शासन द्वारा तैयार की गई है, जिसकी अवधि 30 मिनट रहेगी.
माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि उक्त कार्यक्रम में पधारने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय :- सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिये स्थगित.
(1.00 बजे से 3.00 बजे तक अन्तराल )
समय--03.07 बजे
3.07 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
(1) गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति का सोलहवां प्रतिवेदन
प्रतिवेदनों की प्रस्तुति.
(2) सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का एक सौ दो वां से एक सौ बाईस वां प्रतिवेदन
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(सभापति)--अध्यक्ष महोदय, मैं सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति का एक सौ दो वां से एक सौ बाईस वां प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, यह कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि जो विश्वास एवं जिम्मेदारी आपने हमारी इस समिति को दी है. समिति के पास 2001 से प्रतिवेदन लंबित थे जिनके लिये लगातार बैठकें हम लोगों ने कीं. मैं धन्यवाद देना चाहता हूं समिति के 10 माननीय सदस्यों जो हर बैठकों में आये हैं और उन्होंने बहुत ही तलीनता के साथ काम किया है. विधान सभा के प्रमुख सचिव एवं सचिवालय के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी साथी हैं उन्होंने भी रात-दिन परिश्रम करके प्रतिवेदनों को पटल पर पहुंचाने का काम किया है.
अध्यक्ष महोदय--सभापति जी आपको तथा आपके सदस्यों एवं सचिवालय के अधिकारी/कर्मचारियों को मेरी ओर से बधाई आप इसी प्रकार से काम निरंतर बना रहे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- अध्यक्ष महोदय बहुत बहुत धन्यवाद.
(3) प्रश्न एवं संदर्भ समिति का पन्द्रहवां, सोलहवां, सत्रहवां एवं अठारहवां प्रतिवेदन
श्री अंचल सोनकर (सभापति)--अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रश्न एवं संदर्भ समिति का पन्द्रहवा, सोलहवां, सत्रहवां एवं अठारहवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
3.10 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय – आज की कार्यसूची में उल्लेखित सभी याचिकाएं पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
3.10 बजे शासकीय विधि विषयक कार्य
(1) मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी (संशोधन) विधेयक, 2016 (क्र. 27 सन् 2016) का पुर:स्थापन
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा आयुष मंत्री (श्री रूस्तम सिंह) – अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी (संशोधन) विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी (संशोधन) विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाये.
अनुमति प्रदान की गई
श्री रूस्तम सिंह – अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक, यूनानी तथा प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी (संशोधन) विधेयक, 2016 का पुर:स्थापन करता हूँ.
(2) मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक, आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2016 (क्र. 28 सन् 2016) का पुर:स्थापन
राज्यमंत्री चिकित्सा शिक्षा (श्री शरद जैन) – अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाये.
अनुमति प्रदान की गई
श्री शरद जैन – अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान परिषद् (संशोधन) विधेयक, 2016 का पुर:स्थापन करता हूँ.
(3) मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक, 2016 (क्र. 29 सन् 2016) का पुर:स्थापन
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री जयभान सिंह पवैया) – अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाये.
अनुमति प्रदान की गई
श्री जयभान सिंह पवैया – अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश निजी विश्वविद्यालय (स्थापना एवं संचालन) तृतीय संशोधन विधेयक, 2016 का पुर:स्थापन करता हूँ.
(4) मध्यप्रदेश उपकर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016 (क्र. 31 सन् 2016)
का पुर:स्थापन
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) – अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश उपकर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश उपकर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाये.
अनुमति प्रदान की गई
श्री जयंत मलैया – अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश उपकर (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2016 का पुर:स्थापन करता हूँ.
(5) मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2016 (क्र. 32 सन् 2016)
का पुर:स्थापन
परिवहन मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) – अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय – प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2016 के पुर:स्थापन की अनुमति दी जाये.
अनुमति प्रदान की गई
श्री भूपेन्द्र सिंह – अध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश मोटरयान कराधान (संशोधन) विधेयक, 2016 का पुर:स्थापन करता हूँ.
3.14 बजे वर्ष 2016-2017 के द्वितीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान
अध्यक्ष महोदय – अब, अनुपूरक अनुमान की मांगों पर चर्चा होगी, सदन की परम्परा के अनुसार सभी मांगें एक साथ प्रस्तुत की जाती हैं और उन पर एक साथ चर्चा होती है. अत: वित्त मंत्री जी सभी मांगें एक साथ प्रस्तुत कर दें. मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) – अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूँ कि –
‘‘दिनांक 31 मार्च, 2017 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 1, 2, 3, 4, 6, 8, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 24, 26, 29, 30, 31, 32, 34, 35, 36, 37, 39, 40, 41, 42, 43, 44, 45, 46, 47, 48, 50, 52, 54, 55, 56, 64, 65, 70, 72, 73, 74 तथा 75 के लिए राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को कुल मिलाकर नौ हजार तीन सौ सैंतालीस करोड़, छियालीस लाख, अड़तीस हजार, सतासी रूपये की अनुपूरक राशि दी जाये.’’
अध्यक्ष महोदय – प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
श्री रामनिवास रावत - माननीय मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत अनुपूरक बजट रूपए नौ हजार तीन सौ सैंतालीस करोड, छियालीस लाख, अड़तीस हजार सतासी, का मैं विरोध करता हूं. विरोध के कई कारण हैं, अनुपूरक बजट की आवश्यकता होती है, प्रदेश की जनता के विकास के लिए, लेकिन इसमें अनुपूरक बजट क्यों चाहते हैं, इसका कारण नहीं दर्शाया गया. आपने प्रथम बजट प्रस्तुत किया 2016-2017 का एक लाख अटठावन हजार सात सौ तेरह करोड़ का, प्रथम सप्लीमेंट्री लाए चौदह हजार तीन सौ सड़सठ करोड़ का, द्वितीय सप्लीमेंट्री भी लाए नौ हजार 431 करोड़ का. अब आपने फिर द्वितीय सप्लीमेंट्र प्रस्तुत किया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जानना चाहता हूं कि आज प्रदेश की राजस्व इन्कम की स्थिति क्या है और आपके जीडीपी से राजस्व के घाटे की स्थिति क्या है, उसका प्रतिशत क्या है. जब उस समय बजट प्रस्तुत करने और ऋण लेने की बात आई थी, तब तिवारी जी ने भी यह बात उठाई थी कि आपकी जो सीलिंग थी, तीन प्रतिशत थी, सीलिंग बढ़ाने की प्रत्याशा में केन्द्र सरकार से 3.5 फीसदी तक के घाटे का ऋण लिया और आज आप उस घाटे की जीडीपी से तुलना करें तो उस घाटे की क्या स्थिति है, इसको स्पष्ट करने की जरूरत है. यह आपने अनुपूरक बजट की मांग तो की है, लेकिन आप इसको कहां से लाएंगे, कहां से राशि की व्यवस्था करेंगे, कितना कर्ज लेंगे, कितना आपके पास उपलब्ध है, ये जरूर स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे तो महती कृपा होगी. नहीं तो पूरे प्रदेश की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाएगी, जिस तरह से प्रदेश का किसान बेहाल और परेशान है, वह बेहाली और परेशानी लगातार बढ़ती जाएगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं वर्ष 2003 से इनकी सरकार को लगातार देख रहा हूं, मैं भी वर्ष 2003 से लगातार विधायक हूं. कभी कभी बड़ा संकोच होता है यह कहने में, यह बड़ा दुर्भाग्य है, मैं समझता हूं सभी लोग इनको पत्र लिखते होंगे, मैं भी पत्र लिखता हूं, प्रस्ताव भी बनवाता हूं. प्रस्ताव सरकार तक भी आते हैं, लेकिन मेरे बजट में, कुछ एकाध मंत्री को छोड़ दे, जो सहृदयता पूर्वक हमको राशि देते हैं, एकाध को छोड़कर.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)- रावत जी आप नाम भी बता दें, कौन है.
श्री रामनिवास रावत - अब आप खुद ही समझ जाए कि एकाध कौन है, आपने तो कभी दिया नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज तक कभी न ही मुख्य बजट और न ही अनुपूरकों में मेरी विधानसभा के तालाब या सड़क का नाम आज तक नहीं आ पाया है.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)- रावत जी आप कसम खाकर कहो कि आपकी विधानसभा क्षेत्र में कोई भी काम नहीं हुआ.
श्री रामनिवास रावत - प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत, मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत जो नार्म्स के अनुसार सड़क गई है वह तो है, लेकिन लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत इस बजट में जो मद आते हैं, या सिंचाई विभाग के अंतर्गत इस बजट में जो मद आते है, वह आज तक कभी नहीं आए. रेग्यूलर जो बजट आता है वही आता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को यह भी कहना चाहूंगा कि जो आप अनुपूरक बजट प्रस्तुत करते हो. यह आपके भारत नियंत्रक महालेखा परीक्षक का प्रतिवेदन है. इन्होंने कहा है कि मूल अनुपूरक अनुदानों के अंतर्गत बढ़ते हुए प्रावधान पूरी तरह से फेल, वित्तीय प्रबंधन में सरकार फेल. यह आपके अनुपूरक बजट बेकार साबित हुए. यह केग की रिपोर्ट में दिया हुआ है. तो यह हमें संतुष्ट करने की कोशिश करें कि आप अनुपूरक लाये क्यों, कैसे ला रहे हैं. वित्तीय प्रबंध में सरकार फेल. यह आपका केग कह रहा है कि 2014-15 के दौरान कुल बजट प्रावधान 1,48500 करोड़ के विरुद्ध 1,13,052 करोड़ रुपये व्यय हुए, परिणाम स्वरुप 35453 करोड़ रुपये की समग्र बचतें हुईं और जो 19541 करोड़ मूल प्रावधान का 15.12 प्रतिशत के सम्पूर्ण अनुपूरक प्रावधान अनावश्यक सिद्ध हुए. 37 प्रकरणों में प्रत्येक मद में 100 करोड़ से अधिक की कुल 28334 करोड़ की बचतें हुईं. यह केग की रिपोर्ट में है. अध्यक्ष महोदय, इन चीजों को स्पष्ट करें कि जब अनुपूरक अनुमान, अनुपूरक बजट, अनुपूरक प्रावधान, अनुपूरक राशि आप ले रहे हैं, ये अनावश्यक सिद्ध हो रहे हैं. जब आप खर्च करने की स्थिति में नहीं हैं, तो आप इसको क्यों ले रहे हैं. दूसरा हमारा सवाल है कि जो राशि आप ले रहे हैं, उस राशि का सदुपयोग तो करें. आप केग की रिपोर्ट में ही देखें. पेंशन भुगतान में विलम्ब. 2015 के दौरान 14 चयनित जिलों में से 6 जिलों में समग्र सामाजिक सुरक्षा पेंशन, जो कि इस समाज के अंतिम पंक्ति की पेंशन से संबंधित है, सामाजिक सहायता कार्यक्रम 1 लाख 49 हजार हितग्राहियों को 7 करोड़ 74 लाख की राशि का भुगतान नियत तिथि से 16 माह विलम्ब से हुआ. इसी तरह से 16 लाख 16 हजार व्यक्ति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना हेतु पात्र थे, लेकिन वे योजना का लाभ प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं. ऐसी कई स्थितियां हैं. एससी,एसटी के छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिल पाना, आवंटित जिला स्तर पर निधि का अवरुद्ध रहना. एसी,एसटी के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति 2015 के अंत में नमूना जांच किये गये 15 जिलों के सहायक आयुक्त, आदिम जाति कल्याण जिला संयोजक, आदिम जाति कल्याण के बैंक खातों में 71 करोड़ 93 लाख अव्ययित शेष थे, जो कि शासन को वापस नहीं किये गये. छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है, छात्रवृत्ति घोटाला भी सबके सामने है. कितना बड़ा छात्रवृत्ति घोटाला हुआ है. तो इस राशि का उपयोग किस तरह से हो और जो सहरिया,बैगा,भारिया जातियां, जिनके लिये केंद्र से विशेष राशि आती है, उनकी राशि का भी उपयोग नहीं किया गया. आज आप तमाम राशि ले रहे हैं, पोषण आहार के लिये, कुपोषण मिटाने के लिये. महिला बाल विकास के लिये भी आपने राशि की मांग की है. कुपोषण मिटाने के लिये भी आप राशि ले रहे हैं. लगभग आपका 1700 करोड़ रुपये का बजट है और सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में निर्देश दिये थे कि पोषण आहार का वितरण, ठेकेदारी प्रथा समाप्त करके सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से कराया जाये. 2004 से लेकर अब तक इनकम टैक्स के भी छापे पड़े, कुपोषण के मामले में आपने पूरे प्रदेश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम कर दिया, लेकिन आप उन ठेकेदारों की ठेकेदारी प्रथा समाप्त नहीं कर पाये, क्या कारण है. आज प्रदेश में प्रति दिन औसत जीरो से लेकर 5 वर्ष तक और 6 से लेकर 12 वर्ष तक 61 बच्चे प्रतिदिन काल के गाल में समाहित हो रहे हैं. यह प्रदेश के लिये, हम सब लोगों के लिये केवल सरकार के लिये नहीं, हम भी इस प्रदेश के जिम्मेदार नागरिक हैं. हम सब के लिये बड़े शर्म की बात है और इस पर बिना किसी संकोच के चिंतन करने की आवश्यकता है. आप हम से अनुपूरक बजट मांग रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग की स्थिति जो अभी अभी नरोत्तम जी ने छोड़ा है, पता नहीं किधर चले गये. प्रथम श्रेणी विशेषज्ञों के 3266 पद स्वीकृत हैं और भरे कितने हैं 1222, खाली 2044 हैं. जहां आधे से अधिक 70 प्रतिशत पद डाक्टर्स के रिक्त होंगे, तो उस प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के बारे में मैं समझता हूं कि कहने की ज्यादा आवश्यकता नहीं है कि स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल होगा. इसी तरह से चिकित्सा अधिकारियों की 4800 स्वीकृत पद, कार्यरत् 2934 और 1926 पद आज भी रिक्त हैं. कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं, जो चिकित्सक विहीन हैं, केवल कम्पाउंडर चला रहे हैं. और कम्पाउन्डर भी समय़ पर बैठे या न बैठें कोई जरूरी नहीं है. मंत्री जी, आप किसानों के लिये बजट लेते हैं अच्छी बात है. अभी आपकी सरकार ने 4 दिसम्बर 2016 को मुख्यमंत्री जी के कार्यकाल के 11 वर्ष पूर्ण होने पर कार्यक्रम किया, उनके 11 वर्ष सफलतापूर्वक पूर्ण हुये, हम भी इसकी बधाई देते हैं लेकिन इसका आशय यह तो नहीं था कि कृषक भ्रमण के नाम की राशि से आप भारतीय जनता पार्टी का आयोजन करें. यदि आयोजन करना था तो भारतीय जनता पार्टी को करना था. क्या एक दिन में आपने कितने कृषकों को प्रशिक्षण दिया ? लेकिन करोड़ों रूपये उस कृषक प्रशिक्षण के नाम पर आपने व्यय किये,लेकिन प्रशिक्षण जैसी कोई चीज कहीं पर देखी नहीं गई.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में रोज चार किसान आत्महत्या कर रहा है. प्रदेश के सभी वर्गों के लगभग 25 व्यक्ति रोज आत्महत्यायें कर रहे हैं इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात मैं समझता हूं कि दूसरी कोई हो नहीं सकती है. औसत रोज 2 छात्र भी आत्महत्या कर रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका भी काफी लंबा राजनैतिक जीवन है और हमारा भी काफी लंबी राजनैतिक जीवन है. कभी यह बात सरकार की तरफ से नहीं आई है कि किसान ने कर्ज के बोझ से दबकर के आत्महत्या की हो, लेकिन कल ही एक प्रश्न के उत्तर में सरकार ने इस बात को स्वीकार किया है कि सागर संभाग के टीकमगढ़ और छतरपुर जिले में कर्ज से किसान ने आत्महत्या की है, कर्ज के बोझ से दबकर के किसान आत्महत्या की है, कल की ही प्रश्नोत्तर सूची की मैं बात बता रहा हूं. इससे बड़ी कोई दुर्भाग्य की बात नहीं हो सकती है. ढोल पीटते हैं कि हम किसानों को जीरो परसेंट पर ब्याज दे रहे हैं ,यदि आपने जीरो परसेंट पर ब्याज दिया तो कर्ज के बोझ से दबकर के किसान कैसे आत्महत्यायें कर रहे हैं. यह सोचनीय विषय है. मंत्री जी इसको आप दिखवायें कि कहीं बीच में कोई घालमेल तो नहीं हो रहा है , सहकारी बैंकों में बड़े बड़े घोटाले तो नहीं हो रहे हैं. सुन्दरलाल तिवारी जी आपको बतायेंगे रीवा के को-आपरेटिव बैंक में कितना बड़ा घोटाला हुआ. आज भी किसान की स्थिति जस की तस है, रोज 4 किसान प्रदेश में आत्महत्यायें कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में कानून व्यवस्था को बनाये रखने की दृष्टि से आपने 100 नंबर के वाहन किराये पर लिये, जितना आप उन वाहनों का किराया दे रहे हैं उस किराये से तो 2 साल में आप पूरे वाहन खरीद सकते थे, इस सरकार ने किस कंपनी को यह ठेका दिया, मैं ज्यादा नहीं कहूंगा कि किसकी यह कंपनी है और किसको लाभ देना चाहते हो, किस तरह से लाभ देना चाहते हैं यह तो आप ही जाने. आपने वाहन कानून और व्यवस्था को चुस्त दुरस्त बनाने के लिये ही दिये हैं. लेकिन आज हम देखें बड़ी छोटी छोटी चीजे हैं, मानव तस्करी. मानव तस्करी में प्रतिदिन 67 महिलायें इस प्रदेश में गायब हो रही हैं. और आप महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करते हैं, महिलाओं की सुरक्षा की बात करते हैं. जहां पर एक तरफ लेंगिग अनुपात में भारी कमी आ रही है वहीं महिलाओं की सुरक्षा के प्रति हम चिंतित नहीं हैं. 67 महिलायें प्रतिदिन गायब हो रही हैं. टोटल 75 लोग मानव तस्करी के प्रभाव से बच नहीं पा रहे हैं. आपकी सरकार को प्रदेश में 11 वर्ष कार्य करते हुये हो गये हैं लेकिन महिलाओं का जो सम्मान होना चाहिये वह नहीं हो रहा है और महिलाओं के अपराध में जरूर लगातार वृद्धि होती जा रही है. प्रतिदिन 13 महिलाओॆ के साथ में प्रदेश में बलात्कार हो रहे हैं, लेकिन आपकी सरकार इन अपराध को रोक नहीं पा रही है. प्रति तीन दिन में दो सामूहिक बलात्कार हो रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कर्मचारी भी इस प्रदेश में सुरक्षित नहीं है. क्योंकि आपकी जो संस्कृति है वह (XXX). इस तरह से प्रतिदिन औसत 7 कर्मचारियों के साथ में मारपीट हो रही है. आप यह नहीं कहेंगे यह आंकड़े कहां से दिये, यह सरकार के आंकडे हैं, मेरे प्रश्न के जवाब में सरकार ने आंकडे दिये हैं 1 जनवरी 2015 से 30 जून 2016 तक की स्थिति में कुल 544 दिन होते हैं 3007 घटनायें हो गई. 7 कर्मचारी औसत प्रतिदिन (XXX) इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात कोई दूसरी हो नहीं सकती.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन(श्री लाल सिंह आर्य) -- यह आंकड़ा आप कहां से ला रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत- यह आंकड़ा आपका ही है.
श्री लाल सिंह आर्य-- आर.एस.एस. पीटने का काम नहीं करती है.जनसेवा का काम करती है .राष्ट्र सेवा का काम करती है.
श्री कमलेश्वर पटेल -- मंत्री जी आपको याद दिला दें अभी बालाघाट में क्या हुआ है.
श्री लाल सिंह आर्य-- अध्यक्ष महोदय, इसको कार्यवाही से निकाला जाना चाहिये.
श्री के.के. श्रीवास्तव- अध्यक्ष महोदय, यह बार बार आर.एस.एस. का नाम न लें.
श्री रामनिवास रावत- एक एडिशनल एस.पी. को, एक टी.आई. को बिना कारण के सस्पेंड कर दिया और प्रकरण भी कायम करा दिया 307 का.
श्री कमलेश्वर पटेल -- आई.जी., डी.आई.जी. सबका स्थानांतरण कर दिया.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- गांधी जी को मार डाला, गांधी जी की हत्या कर दी और यहां बोल रहे हैं..
श्री लाल सिंह आर्य-- लंबे समय तक सरकार तो आपकी रही है गिरफ्तार कर लेते न. पंडित जवाहर लाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक आपकी सरकार रही है गिरफ्तार करके दिखा दो न अगर मारा है तो.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--सजा दिलवाई है, गोड़से को सजा हुई है.
श्री यशपाल सिंह सिसोजिया-- अध्यक्ष जी, गांधी जी के हत्यारों कहा गया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी—(XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह कार्यवाही से निकाल दें.
नर्मदा घाटी विकास मंत्री (श्री लाल सिंह आर्य)-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी जो कह रहे हैं वह निकाल दें.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यहां चर्चा का विषय नहीं है.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- (XXX).
अध्यक्ष महोदय-- इसको निकालिये, उचित नहीं है यह.
श्री रामनिवास रावत-- कितनी गंभीर बातें कर रहे हैं, सुनना चाहिये.
श्री लाल सिंह आर्य—(XXX), इसका मतलब है.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)-- मैं तिवारी जी की तारीफ करना चाहता हूं कि पहले तो बहुत अकड़ रहे थे इन सबसे, फिर आखिरी में आरएसएस वालों के सामने हाथ जोड़े इन्होंने.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- हम सबके जोड़ रहे हैं, लेकिन जब आप अपने आरएसएस में उतर आओगे तब नहीं जोड़ेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- आप तो बैठ जाओ.
श्री कमलेश्वर पटेल-- वह आसंदी का सम्मान कर रहे हैं, आसंदी सबकी है.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चर्चा कर रहा था कि प्रतिदिन 7 कर्मचारियों को औसतन पीटा जा रहा है और मैं बता ही चुका किसके द्वारा पीटा जा रहा है, आप दिखवा लें, कौन-कौन रिपोर्टर हैं. इसी तरह से योजनाओं के बारे में कुछ नहीं कहना, आपकी योजनायें अच्छी हैं लेकिन योजनाओं की धरातल पर क्रियान्वयन की क्या स्थिति है यह किसी से छिपा नहीं है. प्रदेश में पिछले वर्ष सूखा पड़ा, लेकिन रोजगार के काम पूरे प्रदेश में कहीं नहीं चल रहे. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार आर्थिक भ्रष्टाचार के मामले में महाराष्ट्र के बाद देश के दूसरे नंबर पर मध्यप्रदेश आ गया और इसी तरह से ट्रांसपेरेंसी ऑफ इंटरनेशनल इंडिया की ओर से किये जा रहे सर्वे में भी मध्यप्रदेश का नंबर भ्रष्टाचार के मामले में दूसरे नंबर पर है, भ्रष्टाचार के मामले में आपने सारे रिकार्ड तोड़ दिये. व्यावसायिक परीक्षा मंडल घोटाला किसी से छिपा नहीं है, आपने प्रोफेशनल एग्जॉमिनेशन बोर्ड बनाया, अभी पुलिस सब इंस्पेक्टर की परीक्षायें कराई, कराने के बाद लोगों के रिजल्ट भी निकाल दिये, स्टूडेंट को इंटरव्यू के लिये कॉल भी कर दिया. उसके बाद पता नहीं 100 स्टूडेंट के लिये न जाने कितने स्टूडेंट्स को पुन: रिव्यू करके रिवाइज रिजल्ट निकाल दिया कि आपका वह इंटरव्यू का काल लेटर भूल से चला गया. अब दोबारा आपको फेल किया जाता है, आपकी जगह किसी दूसरे को लिया जाता है. इस तरह के लड़के मुझे मिले, मुझे दोनों तरह के इंटरव्यू कॉल लेटर भी दिखाये उन्होंने, वह इंटीमेशन जिसमें सिलेक्ट करके इंटरव्यू के लिये बुलाया गया, और वह भी इंटीमेशन जिसमें उसे अयोग्य घोषित किया गया, इस तरह से हो रहा है माननीय अध्यक्ष महोदय. पीडीएस में किस तरह से गेहूं में मिट्टी निकली यह किसी से छिपा नहीं है, और आज भी सड़े, घुने गेहूं बांटे जा रहे हैं.
सिंहस्थ की बात आई थी, सिंहस्थ आयोजन कराया, अच्छा आयोजन हुआ, हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सिंहस्थ के नाम पर जिस तरह से व्यय किया गया है, जिस तरह से खर्च किया गया है, उसमें हमें आपत्ति है, पैसा लुटाया गया और उसमें भारी बड़ा भ्रष्टाचार सिंहस्थ के नाम पर हुआ. सिंहस्थ के नाम पर सफाई के लिये, सफाई के नाम पर, ट्रेनिंग के नाम पर न जाने किस-किस नाम पर पैसे खर्च किये गये, क्या-क्या खरीदी गई, यह किसी से छिपा नहीं है, इसकी चर्चा के लिये हम आपसे निवेदन कर रहे थे. आपने पिछले सत्र में आसंदी से भी आश्वासन दिया था, रिकार्ड उठाकर दिखवा लें. मैं तो इसलिये ध्यान दिलवा रहा हूं कि कम से कम आसंदी से जो आश्वस्त करें उसका तो पूरा करायें, इनके दवाब में ज्यादा न आयें माननीय अध्यक्ष महोदय, अन्यथा लगे तो मैं माफी मांगता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- आपके दबाव में ज्यादा रहते हैं.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हर विभाग में भ्रष्टाचार है. डीमेट घोटाला, डीमेट घोटाला भी अपने आप में एक बहुत बड़ा घोटाला था, लेकिन अब इनकी किस्मत है, जब तक बच रहे हैं, तब तक बच रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जेल में व्याप्त भ्रष्टाचार, जेलें भी भ्रष्टाचार से अछूती नहीं रहीं, आप और हम सब जानते हैं कि अभी जो जेल ब्रेक हुआ है इससे पहले के जेल अधीक्षक और डीआईजी गांधी के साथ क्या स्थिति हुई, सोमकुंवर क्या था, उस पर कितने भ्रष्टाचार के आरोप लगे, किसने इसकी जांच की और जेलों में सुधार के लिये चतुर्वेदी जी ने एक समीक्षा करके सरकार को रिपोर्ट भी भेजी कि जेलों में सुधार किया जाये नहीं तो कभी भी जेल ब्रेक हो सकती हैं और बहुत बड़ा खतरा जेलों का बना हुआ है, लेकिन आपने कोई कार्यवाही नहीं करते हुये बल्कि जेलों के प्रहरी अधिकारियों के बंगलों पर, मंत्रियों के बंगलों पर लगे रहे. और इतना बड़ा जेल ब्रेक का काण्ड हो गया और इतना बड़ा काण्ड होने के बाद आप उसको कोई भी नाम देते हो कुछ भी करते हो लेकिन अपनी जिम्मेदारी को कभी स्वीकार नहीं करते. आज भी जेलों की खराब स्थिति है. यह सब हुआ तो भ्रष्टाचार के कारण हुआ. पोषण आहार जो तीन कंपनियां ठेके पर चला रही हैं. इन्कम टैक्स का छापा पड़ने के बाद भी आज भी मेरे किसी दोस्त के प्रश्न के जवाब में मैंने पढ़ा, सुप्रीम कोर्ट आर्डर कर चुका. केन्द्र सरकार पांच बार पत्र लिख चुकी. केन्द्र सरकार प्रस्ताव दे चुकी कि आप ऐफिडेविड प्रस्तुत करें कि आप सेल्फ हेल्प ग्रुप से बटवाएंगे और माननीय मुख्यमंत्री जी भी घोषणा कर चुके कि हम पोषण आहार में ठेकेदारी की व्यवस्था बंद करेंगे लेकिन अभी तक वह पोषण आहार ठेकेदारी व्यवस्था के माध्यम से ही बांटा जा रहा है. मुख्यमंत्री जी भी बौने पड़ गये हैं ठेकेदारी व्यवस्था के सामने. माननीय अध्यक्ष महोदय, सहकारी बैंकों का घोटाला किसी से छिपा नहीं है. माननीय मंत्री जी मैं आपसे विनम्रतापूर्वक निवेदन करूंगा कि आप प्रति माह रेवेन्यू इन्कम की स्थिति और बता दें. नवम्बर माह की रेवेन्यू में कितनी बढ़त और कितनी गिरावट आई वह और बता दें तो ज्यादा अच्छा होगा. सरकारें भिन्न-भिन्न आयोजन पूरे प्रदेश में करती हैं उससे हमें कोई आपत्ति नहीं. तीन संस्थाएं हैं जो पूरे प्रदेश में हर कार्यक्रम का आयोजन करती हैं. वैचारिक कुम्भ का भी आयोजन इन्हीं संस्थाओं ने किया है और इन्हीं संस्थाओं को चाहे वह प्रदेश के महू में आयोजन हो तब भी यही संस्था काम करेगी और इन्हीं को भुगतान किया जायेगा. इस तरह से करोड़ों की हेराफेरी कार्यक्रम करने के नाम पर यह करते हैं. हम चाहते हैं कि कई ऐसे विषय हैं, कुपोषण जैसा विषय कि इस पर आप अलग से चर्चा कराएं. यह विधान सभा प्रश्न का जवाब है.(कागज दिखाते हुए) जवाब में जानकारी दी गयी है. जवाब में प्रोपराईटर के भी नाम दिये गये हैं कि कौन-कौन प्रोपराईटर हैं. अभी बात आ रही थी विचार महाकुम्भ की, इस पर 19 करोड़ 53 लाख 54 हजार 204 रुपये व्यय किये गये. यह किस-किस ने व्यय किया ? विजन फोर्स,भोपाल, भोपाल ग्लास एण्ड टेस्ट स्टोर ने यह व्यय किया. महू में आयोजन हो तब भी यही संस्था,भोपाल में आयोजन हो तब भी यही संस्था,इन्वेस्टर मीट हो तब भी यही संस्था. मैं मंत्री जी से यही निवेदन करूंगा कि आप अनूपूरक बजट लें लेकिन अनुपूरक बजट का उपयोग इस संकल्प के साथ करायें कि हमारे प्रदेश में कुपोषण से कोई बच्चा मौत के गाल में न जाये. अनुपूरक बजट का उपयोग इस ढंग से करायें कि पूरे प्रदेश में हमारा कोई किसान आत्महत्या न करे. प्रदेश की कानून-व्यवस्था की स्थिति ठीक रहे, किसी महिला का अपहरण न हो,किसी महिला का बलात्कार न हो और आंकड़े प्रस्तुत करें कि आपका जो जीडीपी का घाटा है उस घाटे की सीमा के अंतर्गत ही आप ऋण ले रहे हैं और जो सीलिंग थी उसकी आपको अनुमति मिल पाई है या नहीं. इन सारे तथ्यों के साथ आप अपना उत्तर दें तो बड़ी कृपा होगी इसीलिये माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस अनुपूरक अनुमान का विरोध करता हूं और इसलिये विरोध करता हूं कि आप समानुपातिक रूप से सबकी तरफ एक निगाह से नहीं देखते. यदि हम बजट को देखेंगे तो सामान्यत: विभागों में खर्च के अलावा कुछ ही जिलों में कार्यों के मद इसमें लिये गये हैं. आप ऐसे भी देख लें कि तेरह साल से जो विधायक हैं उनके भी काम कभी बजट में देखने को मिल जायें तो मैं आभार मानूंगा. धन्यवाद.
श्री दिनेश राय ‘मुनमुन’ (सिवनी)-- अध्यक्ष महोदय, द्वितीय अनुपूरक बजट के 1 से लेकर 75 अनुदानों का मैं समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं, अपने क्षेत्र की छोटी-मोटी समस्याओं के लिए मैं माननीय वित्त मंत्री जी से चाहूंगा कि उस पर ध्यान दें. हमारे यहां ट्रामा सेन्टर खुले एक साल हो गया है किन्तु अभी डॉक्टर और स्टाफ की नियुक्ति नहीं हुई है. हमारे यहां अधिकांश स्कूलों में अतिथि शिक्षक पढ़ा रहे हैं उनकी भी भर्ती कराएं. वर्तमान में अतिथि शिक्षक अपनी मांगों को लेकर, वेतन को लेकर हड़ताल पर बैठे हैं. उनकी मांग पूर्ण करें. उनको कहीं न कहीं पूर्ण रोजगार प्रदान करें.
अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी हमारे यहां कि माझाघोरा बांध की जो नहर है उसमें पूर्व में काफी राशि दी है किन्तु अभी भी हमारे क्षेत्र के काफी लोग असंतुष्ट हैं. पूर्व में जो स्वीकृत कार्य थे वह किन कारणों से नहीं हो पा रहे हैं चाहे वह गोपाल गंज क्षेत्र हो, चाहे बखारी का बचा हुआ क्षेत्र हो चाहे परासिया से लगे हुए 30-40 गांव हैं उसके लिए राशि प्रदान करेंगे तो बड़ी कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय, सिवनी जिले में राज्य बीमारी सहायता में तीन माह से राशि नहीं आयी है. उसको भी पहुंचाने की व्यवस्था करें. 27 मरीज बहुत गंभीर अवस्था में थे, उसमें से 3 मरीज अब हमारे बीच में नहीं रहे. कहीं न कहीं कोई समस्या है उसको दूर करने की कृपा करें. मैं, आपसे आग्रह करता हूं कि युवाओं के लिए रोजगार के साधन हों.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से एक और आग्रह है कि हमारे जिले की नमिता चन्देल जो वॉटर स्पोर्ट्स की खिलाड़ी है. इसको मध्यप्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार ने भी सम्मानित किया वह बच्ची विदेश में जाकर ट्रेनिंग लेना चाहती है. लगभग 35 लाख रुपये का उसमें खर्च है. मैं चाहता हूं कि मप्र सरकार उसकी ट्रेनिंग में खर्च करे. ऐसी प्रार्थना है. मैं माननीय अध्यक्ष जी और माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि मेरे जिले की तरफ ध्यान दें. धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया(मंदसौर)-- अध्यक्ष महोदय, माननीय वित्त मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत वर्ष 2016-17 के द्वितीय अनुपूरक अनुमान का मैं समर्थन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में आम बजट और अनुपूरक बजटों में जन कल्याण कारी योजनाएं, किसानों की सुविधाएं, पुलिस अधिकारियों, जवानों और सैनिकों का सम्मेलन, श्रम कल्याण जैसी अनेक बातें हैं. वे बातें जो सम-सामयिक होती हैं और तात्कालिक परिस्थितियों के अंतर्गत जब वह चर्चाओं में आती, मांग में आती और जब पंचायत, महा पंचायत के सम्मेलन होते हैं, उसके माध्यम से आती है. तब यह प्रासंगिक हो जाता है कि इनको कहीं न कहीं बजट में मूर्त रुप दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय, हिंदुस्तान के अकेले मध्यप्रदेश में और मध्यप्रदेश में केवल भोपाल में शौर्य स्मारक का निर्माण किया जावे और देश के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी उसका लोकार्पण करने आवे तो इसी अनुपूरक बजट में सैनिकों का सम्मेलन के लिए राशि का प्रावधान रखना भी उसी से उद्भूत हो जाता है. यह निरन्तरता है. पंचायतों के अच्छे काम, पंचायतों को स्वच्छता अभियान से जोड़ने को लेकर घर-घर में शौचालय हो, उसके लिए यदि वातावरण का निर्माण होता है तो मैं समझता हूं अनुपूरक बजट में पंचायतों को पुरस्कृत करने, ग्रामीण विकास में निर्मल भारत अभियान को लेकर जो मांगें रखी गई हैं, यह उसका समर्थन हो जाता है.
अध्यक्ष महोदय, विदेशों में जाकर माननीय मुख्यमंत्री महोदय और माननीय उद्योग मंत्री महोदय और तत्कालीन उद्योग मंत्री महोदया मध्यप्रदेश में निवेश करने के लिए वातावरण बनाने का मन बनाते हैं तो सरकार की जिम्मेदारी, जवाबदेही हो जाती है कि अनुपूरक बजट में युवा उद्यमों को कहीं न कहीं स्थान मिले और उसका समाविष्ट भी इस अनुपूरक बजट में किया जाता है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश कृषि प्रधान प्रदेश है. इसमें जो खेती-किसानी करने वाले किसान हैं वे अपने कुंओं के लिए, ट्यूब वेल के लिए विद्युत कनेक्शन लेते हैं.और उनको दोनों फसलों में अस्थाई कनेक्शन लेना पड़ते थे. जब यह बात सामने आई कि क्यों न इन सबको स्थाई कर दिया जाय, अस्थाई का मामला ही समाप्त कर दिया जाय. माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस बात को अपनी दृढ़-संकल्पना में लिया और कहा कि अब हम स्थाई कनेक्शन ही देंगे. अस्थाई का झंझट समाप्त कर दिया जाएगा. स्थाई कनेक्शन को देकर राष्ट्रीय कृषि में मध्यप्रदेश का स्थान और अधिक बढ़े क्योंकि कृषि कर्मण पुरस्कार बार-बार मध्यप्रदेश को मिल रहे हैं. ऐसे में अनुपूरक बजट में स्थाई कनेक्शन की सदन से मांग की जावे तो मैं समझता हूं कि ऐसे हजारों सैकड़ों किसान हैं, जो अस्थाई कनेक्शन का आर्थिक भार, आर्थिक मार झेल रहे थे, यदि यह अनुपूरक बजट में समाविष्ट हो जाएगा तो उनको निश्चित रूप से इस बात की आश्वस्ति होगी कि अब वे स्थाई कनेक्शनधारी हो गये हैं.
अध्यक्ष महोदय, तकनीकी का युग है और तकनीकी शिक्षा और कौशलता को लेकर भी इस अनुपूरक बजट में कहीं न कहीं माननीय मुख्यमंत्री जी की दृढ़-संकल्पना परिलक्षित हुई है. मैं माननीय वित्तमंत्री जी का आभार व्यक्त करना चाहता हूं कि तकनीकी के क्षेत्र में और तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास को लेकर आपने इस अनुपूरक बजट में एक विशेष स्थान दिया है, जिसको मैंने पढ़ा भी है. अध्यक्ष महोदय, नित्य नये नवाचार हमारे सामने आते हैं. विभिन्न विभागों की मांगें हमारे सामने आती हैं, उनको केबिनेट में पास कराकर फिर बजट का इंतजार किया जाता है, फिर अनुपूरक बजट जैसी बात आती है तो अनुपूरक बजट में इस सारी चीजों का समावेशन हो जाता है.
अभी मैं बहुत ध्यान से श्री रामनिवास रावत जी को सुन रहा था. एक नहीं, दो नहीं, तीन-तीन बार उन्होंने तारीफ भी की. सरकार के अच्छे कामों को उन्होंने प्रोत्साहित भी किया, धन्यवाद भी दिया, लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि एक तरफ प्रतिपक्ष के द्वारा तारीफ, प्रशंसा भी हो जाती है और दूसरी तरफ आलोचना भी हो जाती है. अभी इसमें बीच का रास्ता कैसे निकले? अभी भी प्रतिपक्ष किसी न किसी दुविधा में है. तारीफ भी करना और आलोचना भी करना? या तो तारीफ-तारीफ होना चाहिए या आलोचना-आलोचना होना चाहिए. लेकिन तारीफ के बीच में आलोचना और आलोचना के बीच में तारीफ, यह कुछ समझ से परे है?
श्री बाला बच्चन - जब आप विपक्ष में बैठेंगे, आपका पाला विपक्ष से पड़ा नहीं है. जब आप विपक्ष में बैठेंगे, तब आप सब समझ जाएंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अब तो पाला पड़ना नहीं है क्योंकि पाला तो प्रतिपक्ष में रहने का आपका पड़ गया है. हमें तो सरकार चलाने का दायित्व मिल गया है. बाला तो बाला ही है, पाला तो पाला है और डॉ. मनमोहन सिंह जी मानते नहीं थे कि पाला कोई प्राकृतिक आपदा होती है क्या? प्राकृतिक आपदा में पाला होता क्या है यह पहले कभी डॉ. मनमोहन सिंह जी ने बताया ही नहीं था. ओला, पाला वे जानते ही नहीं थे.
अध्यक्ष महोदय, योजना की तारीफ भी माननीय रावत जी ने की है. जब योजना अच्छी होती है तो उसके लिए बजट तो चाहिए होता है क्योंकि सम सामयिक परिस्थितियों का सामना करते हुए जब कोई बात आती है और उस बात को रखने के लिए जब बजट की आवश्यकता होती है तो बजट आता है. जितना बजट बढ़ेगा, मैं समझता हूं कि उतनी आवश्यकता हो रही है, उतनी योजनाएं जमीनी हकीकत में बदल रही हैं. अब योजनाएं जब भोपाल से चलती हैं तो चौपाल तक जाती है. पहले योजनाएं बनती थीं, मात्र हजारों करोडों के बजट में भी इतने जनकल्याणकारी, इतने लोककल्याणकारी, इतने हितग्राही मूलक काम नहीं होते थे. यह दूर की कोढ़ी थी. जब कोई हितग्राही सम्मेलन हो जाये, कोई गरीब सम्मेलन हो जाय, इस प्रकार के जो आयोजन हो रहे हैं, यह माननीय मुख्यमंत्री जी की दूरदर्शिता है, उसके आधार पर वह जानते हैं कि गरीब क्या है, किसान क्या है, बालक-बालिकाएं क्या हैं. समस्त प्रकार की समस्याएं जो बार-बार सामने आती हैं, दौरों के दौरान सामने आती हैं उनको कहीं न कहीं स्थान देने के लिए यह सब बातें आती हैं. किसानी के क्षेत्र में सरकार ने अनुकरणीय काम किये हैं. जो आत्महत्या के संबंध में श्री रावत जी ने बातें कहीं, वे घटनाएं निश्चित रूप से सबके लिए तकलीफदेह होती हैं कि कोई आत्महत्या करे. लेकिन आत्महत्या का कोई एक कारण सिर्फ यही नहीं होता है कि वह किसान कर्ज में दबा था, कुछ और भी उसके कारण हो सकते हैं. लेकिन मैं उन कारणों की गहराई में नहीं जाना चाहता हूं. परन्तु प्रतिपक्ष का काम है, उसको किस प्रकार से प्रस्तुत करे, किस प्रकार से परोसे, लेकिन यह बात सही है कि जितनी राहत, जितनी मदद श्री शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश के किसानों को मिली, अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर मिली, वे तारीफे-काबिल है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपनी सोच को उड़ान की तरह भरा है और शायद इसी कारण से मध्यप्रदेश में निरंतर विकास हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - अध्यक्ष महोदय, अभी शुरुआत ही हुई है. श्री रामनिवास रावत जी को 35 मिनट का समय दिया गया. मैं सत्ताधारी पक्ष की ओर से ओपनर हूं, अभी 10 मिनट भी नहीं हुए हैं.
श्री रामनिवास रावत- आपको करना क्या है, केवल तारीफ ही तो करनी है. आप मंत्री नहीं है. फिर भी तारीफ कर रहे हैं. हमें दर्द है कि अच्छे लोगों को मंत्री नहीं बना रहे हैं. हमारी सद्भावनायें और शुभकामनायें दोनों ही आपके साथ हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया- बहुत-बहुत धन्यवाद. तारीफ तो आपने भी की है. तीन बार तारीफ की है, रिकॉर्ड में है. आपने तारीफ भी की और आलोचना भी की है. माननीय अध्यक्ष महोदय, किसान कल्याण एवं कृषि क्षेत्र में राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के अंतर्गत इस अनुपूरक बजट में 845.89 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. इस हेतु मैं वित्त मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं. यह वही बात उद्भूत हुई है, जब सीहोर के पास शेरपुर में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी पधारे थे और उन्होंने राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना के अंतर्गत फसल बीमा योजना को लेने की घोषणा की थी, तत्समय के बाद आज इसकी आवश्यकता हुई है. इसमें निरंतरता बनी हुई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, कृषि के उपकरणों एवं यंत्रों हेतु इस बजट में 10 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. स्वाईल हेल्थ मैनेजमेंट योजना के लिए भी माननीय मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री जी ने इस बजट में 36 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. मैं इसका स्वागत एवं अभिनंदन करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिवासी क्षेत्र उपयोजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष में 35.45 लाख का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में किया गया है. जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर को अनुदान दिए जाने के लिए 34.80 करोड़ रूपये का प्रावधान स्वागत योग्य है. इसी प्रकार राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय को अनुदान के रूप में 5 करोड़ रूपये की स्वीकृति इस द्वितीय अनुपूरक बजट में दी गई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, नेशनल ऑइल सीड एवं पाम ऑईल मिशन योजना के अंतर्गत बनी व्यापक नीति में केंद्र के 60 प्रतिशत अंशदान के साथ राज्य सरकार का 40 प्रतिशत अंशदान अपेक्षित है. राज्य सरकार के अंशदान हेतु अनुपूरक बजट में 3 करोड़ रूपये के प्रावधान को समाविष्ट किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, किसानों से जुड़ा हुआ एक और मुद्दा है. हम कहते हैं कि खेती को लाभ का धंधा बनाया जाए. सिर्फ खेती करके ही किसान लाभ की स्थिति में नहीं आयेगा. इस हेतु मत्स्यपालन, मुर्गीपालन और अन्य ऐसे कारोबार हैं, जो किसान अपनी खेती-बाड़ी के साथ कर सकता है. इसके लिए किसान को आत्मनिर्भर बनाने हेतु पशुपालन, दुग्ध के व्यवसाय, मत्स्यपालन जैसे व्यवसायों हेतु बजट में 2 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, पशुपालन विभाग के अंतर्गत पशु प्रजनन प्रशिक्षण हेतु भी 4 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, एक समय था जब इसबगोल जैसी फसल को फसल ही नहीं माना जाता था. मैं जिस जिले का प्रतिनिधित्व करता हूं वहां इसबगोल की खेती होती है. इसबगोल को राजस्व पुस्तिका आर.बी.सी. की धारा 6 (4) के तहत खेती ही नहीं मानते थे. यदि इसकी फसल ओला, पाला या पानी गिरने से क्षतिग्रस्त हो जाती थी, तो सरकार इसकी ओर ध्यान ही नहीं देती थी. जबकि इसबगोल उद्यानिकी के तहत एक फसल है. इस फसल को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा फसल बीमा योजना के अंतर्गत उद्यानिकी विभाग को 14 करोड़ रूपये का आवंटन इस द्वितीय अनुपूरक बजट में किया गया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, पंचायतों में अच्छे काम करने वाली पंचायतों को राष्ट्रीय ग्राम स्वराज त्रिस्तरीय पुरस्कार योजना के अंतर्गत 18.59 करोड़ रूपये का प्रावधान इस बजट में इसलिए किया गया है ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े. जब प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी तो एक पंचायत दूसरी पंचायत के श्रेष्ठ कामों को देखकर पुरस्कार प्राप्त करने हेतु आगे बढ़कर लोकहित में काम करेंगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, पंचायत विभाग के अंतर्गत स्थानीय निकायों को मूलभूत सुविधाओं हेतु एकमुश्त अनुदान हेतु 100 करोड़ रूपये का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में किया गया है. इसके अतिरिक्त समग्र स्वच्छता अभियान, जो कि माननीय प्रधानमंत्री जी का एक सपना है. इसे समूचे देशवासियों ने स्वीकार किया है. देशवासियों ने इसे स्वीकार किया है तो इस योजनांतर्गत 60 फीसदी केंद्रांश है और यदि भारत सरकार की ओर से 40 प्रतिशत के राज्यांश की अपेक्षा की जाती है तो मध्यप्रदेश की सरकार का यह दायित्व बन जाता है कि इस अनुपूरक बजट में योजना को मूर्त रूप देने के लिए, इस योजना की निरंतरता को बनाये रखने के लिए 400 करोड़ रूपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है. जो कि प्रशंसनीय है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इंदिरा आवास योजना को निरंतरता प्रदान करते हुए भारत सरकार ने जहां 60 प्रतिशत अंशदान दिया है वहीं 40 प्रतिशत अंशदान राज्य सरकार की ओर से सुनिश्चित होना था. इस हेतु वित्तीय वर्ष में 375 करोड़ रूपये का प्रावधान इस अनुपूरक बजट में चाहा गया है. मैं समझता हूं कि यह स्वागत योग्य कदम है. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एक मील का पत्थर साबित हुई है. श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी ने यह सपना देखा था. आज सुदूर गांव में, 250, 500 से नीचे की आबादी वाले गांवों में जो सड़कें बनी हैं उन सड़कों की निरंतरता अभी भी बनी हुई है, उनके नवीनीकरण एवं सुदृढ़ीकरण को लेकर के, उनके उन्नयन के लिए द्वितीय अनुपूरक में 125 करोड़ रूपये का प्रावधान चाहा गया है वह स्वागत योग्य है. ग्रामीण सड़क कनेक्टिविटी को लेकर भी 50 करोड़ का प्रावधान भी इसमें मांगा गया है, और आज ही अध्यक्ष महोदय प्रश्नकाल में ध्यानाकर्षण में कनेक्टिविटी छूट रही है इससे इसको मूर्तरूप दिया जा सकेगा. अ ध्यक्ष महोदय, इस प्रकार की अनेक योजनाएं इस द्वितीय अनुपूरक बजट में शामिल की गई हैं.
अध्यक्ष महोदय, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास को लेकर भी बजट में जो 3.49 लाख का जो प्रावधान किया गया है वह स्वागत योग्य है. पालिटेक्निक कालेजों के उन्नयन को लेकर के भारत सरकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय जो अपेक्षा मध्यप्रदेश की सरकार से करता है और उसके तहत इस बजट में तकनीकी शिक्षा को भी आगे बढ़ाने के लिए शामिल किया गया है यह भी स्वागत योग्य है.
उच्च शिक्षा विभाग में महाविद्यालयों के सेवानिवृत्त शिक्षकों को नियमित पेंशन भुगतान के लिए 20 करोड़ रूपये का प्रावधान कर्मचारियों के हित में किया गया है. आयुष विभाग को भी इसमें बढ़ावा देने का काम किया गया है. चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में भी 76 लाख का प्रावधान इस बजट में किया गया है.
अध्यक्ष महोदय, मुंबई स्थित एडवर्ड विला भवन जो अति महत्वपूर्ण है और उसके अतिथि गृह के निर्माण को लेकर के और उसकी मरम्मत और परिवर्तन के लिए भी 1.50 करोड़ रूपये की मांग की गई है, इसका भी हम स्वागत और अभिनंदन करते हैं.
अध्यक्ष महोदय राजस्व न्यायालयों में जो कम्प्यूटराइज सिस्टम लागू किया गया है, उसके माध्यम से जो आवश्यक दस्तावेज निकाले जाने है वह तहसील कार्यालय में और अन्य कार्यालयों में, उसके लिए भी प्रावधान अपेक्षित था और इसके लिए 1.50 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. मैं इस द्वितीय अनुपूरक बजट का दिल से हृदय से स्वागत करता हूं, और आपने जो बोलने का अवसर दिया है मैं हृदय से आपका आभार व्यक्त करता हूं बहुत बहुत धन्यवाद्.
अध्यक्ष महोदय -- 3 मिनट में अपनी बात को समाप्त करेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी ( गुढ़) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने सोचा कि यह कहेंगे मंत्री जी जो बात सुंदरलाल तिवारी जी कहेंगे उसका जवाब देने की जरूरत नहीं है. लेकिन आपने नहीं बोला, मैं डरा था कि यही आप कहेंगे.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- हमारे विधान सभा अध्यक्ष आपकी तरह नहीं हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- बहुत अच्छे हैं मैं कह तो रहा हूं.
श्री रामनिवास रावत -- आपसे तो बहुत ही ज्यादा अच्छे हैं.
डॉ नरोत्तम मिश्र -- मुझसे तो बहुत अच्छे हैं, पर आप दोनों कैसे हैं सोचो.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- अध्यक्ष महोदय सुबह तिवारी जी नारा लगा रहे थे, अध्यक्ष जी की तानाशाही नहीं चलेगी.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- वह तो हम अभी भी कह रहे हैं कि तानाशाही न चले, प्रजातंत्र है देश में,
डॉ नरोत्तम मिश्र -- क्या है बाल्मीक जी जब इनके पिताजी अध्यक्ष थे तब यह दर्शक दीर्घा में बैठकर सुना करते थे इस तरह के नारे.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय आपके माध्यम से हमारा मंत्री जी से यह कहना है और मैं निवेदन कर रहा हूं कि अंधेरे में तीर चल रहा है. माननीय वित्त मंत्री जी आपने वह आंकड़े नहीं बताये कि वर्ष 2015-16 में डेफिसिट की पोजीशन मध्यप्रदेश में क्या थी. ना तो आपने जो अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया है उसमें यह बात है और न ही जो प्रतिवेदन कल आपने सदन में प्रस्तुत किया है उसमें भी वह बात देखने को नहीं मिली है. आपने जो एफ.आर.बी.एम.(फिजिकल रिसपोंसिब्लिटी एण्ड बजट मैनेजमेंट एक्ट) एक्ट में जो संशोधन किया था और 3.5 डेफिसिट की रेंज जो आपने रख दी थी और आपने कहा था कि हमने फोन से दिल्ली में बात की है और वित्त आयोग ने रिकमण्ड किया है और दिल्ली की सरकार उसको मंजूरी दे देगी, उसकी क्या स्थिति है, आज भी इतना समय बीतने के बाद में भी आपने उसके बारे में नहीं बताया है कि उसकी क्या स्थिति है, क्या 3.5 डेफिसिट की अनुमति आपको केन्द्र सरकार ने दे दी है. मैं पहले भी बोल रहा था और आज भी बोल रहा हूँ कि जितने आंकड़े आप पेश कर रहे हैं इन आंकड़ों की चर्चा जरूर सदन में होती है लेकिन यथार्थ चर्चा सदन के अंदर नहीं हो पाती. अगर आप बताने की कृपा करें तो आगे कुछ कहने के पहले मैं जानना चाहूंगा कि गत वर्ष 2015-16 में आपकी क्या पोजीशन थी, कितना डेफिसिट था, क्या वित्त मंत्री जी बताएंगे जिससे हम आगे चर्चा कर सकें. सदन में बेहतर चर्चा हो सके, हम आपको कुछ सुझाव दे सकें तथा हमारी और आपकी इस सदन में खुली चर्चा हो सके. मुझे लगता है कि आप नहीं बताएंगे. बताने को पहले भी आप तैयार नहीं थे और आज भी तैयार नहीं हैं.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- अध्यक्ष महोदय, मैं जब उत्तर दूंगा तो रामनिवास जी का भी उत्तर दूंगा और आदरणीय तिवारी जी के प्रश्न का भी उत्तर दूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, आप उत्तर सुनने के लिए बैठना.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- बैठेंगे साहब.
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) -- अध्यक्ष महोदय, यह तो तय हो जाए कि इनके बैठने से फायदा है या बाहर जाने से फायदा है. (हंसी)
श्री बाला बच्चन -- हमारा फायदा कि आपका ?
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- गाली हुजूर की तो लगती दुआओं जैसी.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, वर्ष 2015-16 में मुख्य बजट और सप्लीमेंट्री बजट के माध्यम से जिस राशि की स्वीकृति सरकार ने इस सदन से प्राप्त की थी, राज्य सरकार उस राशि का 70 प्रतिशत भी खर्च नहीं कर पाई. सारे आंकड़े वास्तविकता के नहीं रहते और आज भी जो यह सेकंड सप्लीमेंट्री बजट आया है. अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहता हूँ कि यह भी राशि जनता को केवल असत्य आंकड़े दिखाने के लिए पेश की जा रही है. अभी राज्य सरकार ने यह भी नहीं बताया कि कितनी राशि इन्होंने आज तक किस हेड में खर्च की है और इनको क्यों जरूरत है, इस बात की जानकारी सदन को नहीं है. ये सदन को कोई जानकारी देते नहीं हैं इसलिए अध्यक्ष महोदय, जो वास्तविक बहस बजट के इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर सदन में हो सकती है वह इसके अभाव में नहीं हो पाती है. वही होता है कि जैसे सिसौदिया जी ने शुरू किया कि 100 करोड़ इस विभाग को, 200 करोड़ उस विभाग को, 500 करोड़ अमुक विभाग को, इस तरह 1 लाख करोड़ इन विभागों को दिया गया है लेकिन खर्च कितना हुआ, खर्च भी आपने कुछ किया है या नहीं ?
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय तिवारी जी भोजनावकाश के बाद बड़ी शालीन बातें करते हैं जबकि फर्स्ट हॉफ में बड़ा गुस्सा करते हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, इसमें देख लें, जनसंपर्क में 123 करोड़ रुपये मांगे गए हैं, माननीय वित्त मंत्री जी, ये काहे के लिए आपने मांगा है. क्या 123 करोड़ रुपये तीन महीने में प्रदेश के मुख्यमंत्री जी की फोटो दिखाने के लिए मांगे हैं या काहे के लिए मांगे हैं. अगर 123 करोड़ रुपये राज्य के किसानों के ऋण के रूप में माफ कर दिए गए होते या किसी और रूप में अगर उनकी सहायता कर दी गई होती तो हम भी इस पक्ष से आपको धन्यवाद देते.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और बड़ा दु:खद प्रश्न है कि सिंहस्थ में ट्रेन के डिब्बों में, सड़कों में केवल मुख्यमंत्री जी की फोटो देखने को मिली. यहां तक मुख्यमंत्री जी की फोटो इन्होंने ऐसे-ऐसे स्थानों में चिपकाया था कि उसका नाम यहां पर लेना उचित नहीं होगा. (हंसी) अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि जहां किसान आत्महत्या कर रहे हों, जिस राज्य में गरीब के पास बीमारी में दवाई न हो, जो राज्य कुपोषण का शिकार हो, उसमें 123 करोड़ रुपये अतिरिक्त मांगे जा रहे हैं वह भी मुख्यमंत्री की फोटो के लिए मांगे जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, समाप्त करें.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, दो मिनट का समय और दे दें.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, दो मिनट नहीं. पॉंच-छ: मिनट हो गए हैं. आठ मिनट हो गए. आपका समय इनको दे दें. फिर आप मत कहना.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, 8 कैदी जेल से बाहर भागे, जो विचाराधीन कैदी थे. एक बेचारा प्रहरी जो था उसकी भी हत्या हुई. अभी तो जो रिकार्ड में आया मैं वही बात करूंगा. आगे बढ़कर मैं अभी आगे क्या हुआ, वह तो रिपोर्ट आएगी. एक प्रहरी की भी हत्या हुई उस बात की भी हमको पीड़ा है. लेकिन राज्य में इस तरह का खेल खेला गया कि उस प्रहरी की हत्या किसने की, ये राज्य सरकार आज तक बताने की स्थिति में नहीं है. क्यों नहीं है. ( XXX )
अध्यक्ष महोदय -- यह रिकार्ड में नहीं आएगा. कृपया समाप्त करें.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा ....
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लालसिंह आर्य) -- कांग्रेस का जो चेहरा आंतकवादियों के पक्ष का है आज फिर उजागर हो गया है.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मेरा आतंकवादियों के पक्ष का नहीं है. मनुष्य कोई भी हो, अगर उसकी हत्या जबरदस्ती की जाती है ....
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें. श्री सूबेदार सिंह रजौधा.
श्री कमलेश्वर पटेल -- अध्यक्ष महोदय, आतंकवादियों को छोड़ने पाकिस्तान कौन-सी सरकार लेकर गई थी.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में लोग सुरक्षित हैं या नहीं हैं. ये बात मैं कह रहा हॅूं. अगर आंतकवादी हैं और आपके पास अधिकार था तो जिस दिन आप जेल में ले गए थे उसी दिन ....
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- प्रदेश की जनता की तुलना आप आतंकवादियों से कर रहे हो.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- बिल्कुल नहीं कर रहे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- इससे आपकी मानसिकता उजागर हो रही है कि आप आतंकवादियों के साथ हो.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- आपकी सरकार की तुलना कर रहे हैं. आपकी सरकार आतंकवादियों की है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- आप आतंकवादियों के साथ हो.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- आपकी सरकार आतंकवादियों की है. (व्यवधान......)
अध्यक्ष महोदय -- श्री बहादुर सिंह चौहान.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- एनकाउंटर को आप हत्या बताते हो. आतंकवादियों का एनकाउंटर हुआ है.
श्री रामनिवास रावत -- उन लोगों का हुआ हो या नहीं हुआ हो, लेकिन विधानसभा में तुम जरूर आतंकवादी हो.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- यह उजागर हो गया है कि कांग्रेस के बैठे हुए लोग आतंकवादियों का पक्ष ले रहे हैं यहां पर.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- किसी आतंकवादी का पक्ष नहीं ले रहे हैं.
4.07 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय..
श्री सुंदरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय, हम किसी आतंकवादी का पक्ष नहीं ले रहे हैं. क्या किसी अदालत ने यह प्रमाणित किया कि वे अपराधी थे. क्या किसी अदालत में प्रमाणित हुआ ?
उपाध्यक्ष महोदय -- सुंदरलाल तिवारी जी, पहले सुन लीजिए, मंत्री जी क्या कह रहे हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- मैं उनका पक्ष नहीं ले रहा हॅूं.
उपाध्यक्ष महोदय -- सुंदरलाल तिवारी जी.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- उपाध्यक्ष महोदय, वकालत कर रहे हो, वकालत.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- मैं वकालत नहीं कर रहा हॅूं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- आप आतंकवादियों के वकील हो वकील.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- मैं उसकी वकालत कर रहा हॅूं जिस प्रहरी की हत्या हुई है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- कांग्रेस यदि आंतकवादियों के साथ में नहीं है तो तिवारी को पार्टी से बाहर करिए आज आप. तब आप बचेंगे और नहीं तो आप भी आतंकवादियों के साथ में हैं पूरी कांग्रेस....
उपाध्यक्ष महोदय -- डॉ. शेजवार जी, बैठ जाएं. आप समाप्त करें तिवारी जी. श्री बहादुर सिंह चौहान.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय, तिवारी जी ने बहुत गंभीर विषय उठाया है. उपाध्यक्ष जी यह हल्का विषय नहीं था कि प्रदेश की जनता की तुलना कोई आतंकवादी से कर दे. वो कह रहे हैं कि वो हत्या कि तुम कहोगे कि आठों आतंकवादी मार दिए. ये बता दें कि किसने किसको मारा. इनके पास कोई प्रमाण है क्या ?
श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ये कतई नहीं कहा.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- प्रमाण की जिम्मेदारी आपके ऊपर है सरकार आप हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश की जनता की तुलना आतंकवादियों से कर रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत -- आप सरकार चला रहे हो. इसके जिम्मेदार आप हो.
उपाध्यक्ष महोदय -- रावत जी आप तो इसमें बात मत करें.
श्री रामनिवास रावत -- इसके जिम्मेदार आप हो.
(व्यवधान......)
उपाध्यक्ष महोदय -- आपस में बात न करे.
( व्यवधान......)
श्री रामनिवास रावत -- आप रिकार्ड में देख लीजिए, आतंकवादियों को निर्दोष बता रहे हैं. जिन्होंने जेलों को लूटा है उन्हें आप आतंकवादी नहीं कह रहे हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी -- उपाध्यक्ष महोदय,(XXX). आप मंत्री हो और इस तरह की जेल है कि 8-8 लोग भाग रहे हैं और (XXX). ये प्रशासन है. ( व्यवधान......)
श्री लालसिंह आर्य – (XXX) तो आपको आनी चाहिए. (व्यवधान.....)
उपाध्यक्ष महोदय – इसे विलोपित कर दीजिए.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – (XXX) तो तुम्हें आना चाहिए. वकालत कर रहे हो.
उपाध्यक्ष महोदय -- शेजवार जी.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार -- उपाध्यक्ष महोदय, (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आप बैठ जाइए. बजट पर चर्चा होने दीजिए. (व्यवधान.....)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आम आदमी को आतंकवादी यह कह दें, प्रदेश की जनता को आतंकवादी कह दें.यह गंभीर विषय है यह हल्का विषय नहीं है...(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी, आप बैठ जाएं, माननीय मंत्री जी चर्चा होने दें,बहादुर सिंह चौहान अपनी बात प्रारंभ करें.
एक माननीय सदस्य-- आतंकवादियों का समर्थन करने वाले तिवारी तुमको धिक्कार है. ..(व्यवधान)..
श्री सुंदरलाल तिवारी—हम कतई समर्थक नहीं हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप लोग बैठ जाएं.कृपा करके बैठ जाएं.
श्री लाल सिंह आर्य-- उपाध्यक्ष महोदय, तिवारी जी को माफी मांगना चाहिए.(XXX).(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, आप बैठ जाएं, तिवारी जी आप बैठ जाएं.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- यह प्रशासन करने का तरीका है.
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्रीगण यह कर रहे हैं..(व्यवधान)..यह सब कार्यवाही में नहीं आएगा, यह लोग जो बोल रहे हैं, रिकार्ड में नहीं आएगा.कोई भी चीज कार्यवाही में नहीं आएगी यह गलत है आप सब बैठ जाइए..(व्यवधान)... माननीय रुस्तम सिंह जी बैठ जाएं. यह क्या बात है. आप मंत्री लोग इधर आसंदी की तरफ देखते नहीं हैं और आपस में बात करते हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- आसंदी को संबोधित करिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- (XXX)
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया—(XXX)
श्री सचिन यादव—(XXX)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- (XXX)
डॉ. राजेन्द्र पांडे—(XXX)
श्री लाल सिंह आर्य—(XXX).
उपाध्यक्ष महोदय—मुझे यह बताइए कि आप लोग सीधे बात कर सकते हैं, आप आसंदी को संबोधित करिये. क्या आप लोग सीधे बात कर सकते हैं, ऐसा कोई नियम है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—(XXX)
श्री सुंदरलाल तिवारी—(XXX)
श्री लाल सिंह आर्य-- (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय-- वह अलग बात है लेकिन आप आपस में बात क्यों कर रहे हैं..(व्यवधान)... लाल सिंह जी कृपया बैठ जाएं. यह गलत बात है, अब आगे कार्यवाही बढ़ने दीजिये. बात खत्म हो गई है. तिवारी जी, बैठ जाएं. श्री बहादुर सिंह चौहान जी आप शुरु करें.सचिन जी, यशपाल जी आप बैठ जाएं...(व्यवधान)...
श्री बहादुर सिंह चौहान--- उपाध्यक्ष जी, तिवारी जी समय मांग रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- उनका हो गया है. अध्यक्ष महोदय, उनका भाषण समाप्त करवा गये हैं...(व्यवधान)..
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--- उनको बोलने का हक नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय-- उनको बोल लेने दीजिये जो बोल रहे हैं, जो असंसदीय होगा निकाल दिया जाएगा.
डॉ गौरीशंकर शेजवार-- इनको बोलने का हक नहीं है इनकी कोई बात नहीं सुनी जाएगी.
श्री सुंदरलाल तिवारी--- उपाध्यक्ष महोदय, मैं दो मिनट लूंगा.(XXX)...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- उपाध्यक्ष महोदय, यह क्या बोल रहे हैं,(XXX).. यह बोल रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--- यह गलत है इसको कार्यवाही से निकाल दें. इसको निकलवा दिया है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- इनकी सदन में कोई बात नहीं सुनी जाएगी..(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- दोनों तरफ से वही चीज हो रही है.जो असंसदीय है वह मैंने कार्यवाही से निकाल दिया है....(व्यवधान)... आप लोग बैठ जाएं. रुस्तम सिंह जी, लाल सिंह जी, बैठ जाइए..(व्यवधान) अरे, बड़ा मुश्किल है, सारंग जी भी खड़े हो गये हैं, बैठ जाइए आप, बात खत्म होने दीजिये. तिवारी जी, आप कन्क्लूड करेंगे. चलिये एक मिनट ले लें, बस.
श्री सुंदरलाल तिवारी--- एक मिनट मंत्री जी, हमारी बात तो खत्म हो जाने दीजिये.
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, आप कार्यवाही आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं. आप मंत्री हैं, समझने की कोशिश करिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—(XXX)...(व्यवधान)...
श्री सुंदरलाल तिवारी-- मंत्री जी, आप बोलने नहीं दे रहे हो.
श्री लाल सिंह आर्य-- (XXX).
उपाध्यक्ष महोदय-- नरोत्तम जी ने जो कहा है वह विलोपित किया जाये...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्रा—(XXX).
उपाध्यक्ष महोदय--- इसको सबको विलोपित कर दीजिये...(व्यवधान)...अब आप सभी लोग बैठ जाएं, वह सब मैंने कार्यवाही से विलोपित कर दिया.तिवारी जी, आप कनक्लूड करेंगे.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है मैंने यह बात कही है कि लॉ एंड ऑर्डर खराब है...(व्यवधान)...9 आदमी मरे हैं, 1 व्यक्ति शहीद हुआ है...(व्यवधान)..
उपाध्यक्ष महोदय-- आप लोग आसंदी की अवमानना करते हैं, समझ में नहीं आ रहा है. ..(व्यवधान)....तिवारी जी, आपका भाषण समाप्त हो गया है. . बहादुर सिंहजी आप शुरु करें...(व्यवधान)....बैठ जाएं, हो गया. तिवारी जी आप बैठें...(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदय— तिवारी जी यह गलत बात है. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी— (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय— आप भी बैठिए. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी— (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय— नहीं यह गलत हो रहा है. यह सही नहीं है. यह ठीक नहीं है. सुखेन्द्र सिंह जी आप क्यों खड़े हो गए. आप बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी— (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय— तिवारी जी आप भी बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी— (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय— बड़ा मुश्किल है. आप बैठ जाइए. अब वह बैठ गए हैं आप भी बैठ जाइए. बात खत्म हो गई है. बहादुर सिंह जी आप शुरू करिए. बड़ी मुश्किल की बात है. आप मंत्री होकर इस तरह करते हैं. सारंग जी आप बैठ जाइए रुक जाइए बात खत्म हो गई है. सारंग जी अब आप मंत्री हो गए हैं अब आप विधायक नहीं हैं. यह गलत बात है अब बात खत्म हो गई है आप बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय—आप बैठ जाइए. आप यही बात को दोहराते चले जा रहे हैं. (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी— (xxx)
डॉ. नरोत्तम मिश्र— (xxx)
श्री सुन्दरलाल तिवारी— (xxx)
डॉ. नरोत्तम मिश्र – (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय—तिवारी जी हम खड़े हुए हैं आप लोग आसंदी का सम्मान नहीं करते हैं यह क्या बात है मंत्री जी यह गलत है बैठ जाइए आप. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय—दोनों तरफ से गलत बातें हो रही हैं. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय—बैठ जाइए आप लोग बैठते नहीं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय— तिवारी जी और मंत्री जी यह जो भी कह रहे हैं कार्यवाही में नहीं लिखा जाएगा. गलत बात है आप बैठ जाइए. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय—आप संसदीय कार्य मंत्री हैं आपको सहयोग करना चाहिए बैठिए. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय—नहीं आप बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय—आप बैठ जाइए आप फिर खड़े हो गए आप प्रवोक करते हैं यह कौन सी बात है. सारंग जी जो भी कहेंगे कोई भी चीज कार्यवाही में नहीं लिखी जाएगी. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाइए क्या आप आसंदी की बात नहीं मानेंगे. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय—आप बैठ जाइए अब बात बहुत हो गई.
श्री विश्वास सारंग-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय—गलत बात है आप सुनते नहीं हैं.
श्री विश्वास सारंग-- (xxx)
उपाध्यक्ष महोदय—वह खड़े हो जाते हैं फिर वह भी खड़े हो जाते हैं. तिवारी जी कृपया बैठ जाइए. सचिन जी बैठिए, यादव जी बैठ जाइए. संसदीय कार्य मंत्री जी क्या हो रहा है. बड़ा मुशिकल है (व्यवधान).. शेजवार जी आप लोग नहीं चाहते कि बजट पास हो? (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन-- (xxx) (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय— हो गया करिए जो करना है. (व्यवधान)
श्री आरिफ अकील-- (xxx) (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय—बेकार है, क्या मतलब है यह. (व्यवधान) विधानसभा की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित.
( 4.18 बजे विधानसभा की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित की गई)
4.26 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई.
उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी अब वह समाप्त हो गया है. तिवारी जी यह गलत बात है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, मंत्रीगणों ने बोलने नहीं दिया. बात नहीं कहने दी है.
उपाध्यक्ष महोदय--अब आप बैठ जाएं. (व्यवधान) बहादुर सिंह जी. अब आप बैठ जाइये आगे बढ़ने दीजिये.
श्री रामनिवास रावत--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ऐसा मैं पहली बार देख रहा हूँ कि सत्तापक्ष के मंत्रियों ने विधान सभा की कार्यवाही को स्थगित कराने का काम किया है..(व्यवधान) हमारे विपक्ष का एक सदस्य अपनी बात रख रहा था और समाप्त करने जा रहा था..(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय--रावत जी आपने अपना भाषण कर लिया अब दूसरों को बोलने दीजिए (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र का मामला है.
उपाध्यक्ष महोदय--मैंने सब बातें विलोपित कर दी हैं. माननीय मंत्रियों की भी और इधर की भी. (व्यवधान)
श्री विश्वास सांरग--शहीद के घर में एक भी कांग्रेस का नेता नहीं गया, हमारे मुख्यमंत्री जी गये. (व्यवधान)
श्री लाल सिंह आर्य--शादी के एक दिन पहले (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय--तिवारी जी बैठ जाइए.
श्री विश्वास सारंग--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कल उस शहीद की बेटी की शादी है (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय--बहादुर सिंह चौहान के अलावा किसी की बात रिकार्ड में नहीं आएगी. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--(xxx)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--(xxx)
उपाध्यक्ष महोदय--कुछ भी रिकार्ड में नहीं आ रहा है (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--(xxx)
उपाध्यक्ष महोदय--तिवारी जी, रावत जी. आप लोग बात क्यों नहीं मानते हैं (व्यवधान) बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग--(xxx)
श्री रामनिवास रावत--(xxx)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--(xxx)
उपाध्यक्ष महोदय--सारंग जी बैठ जाइए. (व्यवधान) कार्यवाही में कुछ नहीं आ रहा है (व्यवधान) बहादुर सिंह चौहान जो बोलेंगे वही कार्यवाही में आएगा. (व्यवधान) बैठ जाइए. तिवारी जी यह अनुचित है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--(xxx)
उपाध्यक्ष महोदय--आप बात नहीं सुनते हैं यह कौन सी बात हुई (व्यवधान)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--(xxx)
उपाध्यक्ष महोदय--तिवारी जी आप बैठ जाएं. आप 10 बार यही चीज बोल चुके हैं (व्यवधान) एक मिनट तो बैठिए. तिवारी जी वे बैठ गए हैं.
श्री विश्वास सारंग--(xxx)
श्री सुन्दरलाल तिवारी--(xxx)
उपाध्यक्ष महोदय--तिवारी जी बैठ जाए (व्यवधान) वे बैठ गए अब आप भी बैठ जाइए (व्यवधान) आपकी बात खत्म हो गई.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--(xxx)
उपाध्यक्ष महोदय--नहीं, नहीं यह गलत बात है (व्यवधान) बजट पास करना है. समय की सीमा भी है. वह बात खत्म हो गई.बहादुर सिंह चौहान का शुरु हो गया है (व्यवधान) आप सभी बैठ जाइए. (व्यवधान)
श्री शरद जैन :- उपाध्यक्ष महोदय, यह सदन का अपमान है. (व्यवधान)
श्री विश्वास सारंग :- उपाध्यक्ष जी, आप माफी मंगवाईये. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय :- शरद जी, विश्वास जी आप बैठ जाईये. आप लोग सुनते ही नहीं हैं. हाऊस आर्डर में आया है, कार्यवाही चलने लगी है.
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर) :- उपाध्यक्ष महोदय, मैं अनुदान मांगों का समर्थन करते हुए, शासन के जितने भी विभाग हैं, उसमें पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अति महत्वपूर्ण विभाग है जो इस प्रदेश के 75 प्रतिशत जनता के लिये काम करता है. उसके लिये इस द्वितीय अनुपूरक बजट में वित्त मंत्री जी ने एक हजार, सात सौ, तिरालिस करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. इतनी राशि देने से लघु, सीमांत कृषक और सी.सी.रोड और अन्य कार्य इस बजट से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग कर पायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, साथ ही कृषि विभाग भी बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है, उसके लिये वित्त मंत्री ने द्वितीय अनुपूरक बजट में 952 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है. कल खाद,बीज और दवाई पर चर्चा हो रही थी. कल माननीय मुख्यमंत्री जी ने बताया था तो इस बजट से जो कृषि विभाग के जो बचे हुए कार्य हैं वह संपूर्ण हो पायेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे देश के जो लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो स्वच्छ भारत अभियान चलाया है उसको प्रभावी बनाने के लिये, उसमें और अच्छा कार्य करने के लिये 843 करोड़ रूपये का प्रावधान इस द्वितीय अनुपूरक बजट में किया गया है. यहां तक ही नहीं हमारे प्रधानमंत्री जी और हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी चाहते हैं कि वर्ष 2022 तक हिन्दुस्तान और प्रदेश के अंदर ऐसे लोग जिनको रहने के मकान नहीं हैं, उनके रहने के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना के लिये 548 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. जिससे गरीबों को मकान मिल सकेगा.
उपाध्यक्ष महोदय, एक और महत्वपूर्ण योजना है, मुख्यमंत्री कृषि स्थायी सिंचाई पम्प योजना. उपाध्यक्ष महोदय, यह मध्यप्रदेश में अभी तक जितनी भी योजनाएं बनी हैं , उसमें सबसे महत्वपूर्ण एक योजना है. मुख्यमंत्री कृषि स्थायी पंप योजना के अंतर्गत 141.71 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है. इस योजना का तात्पर्य यह है कि ऐसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के जो लोग हैं जिनके पास 8 बीघे या 8 बीघे से कम जमीन हैं जो लघु, सीमांत कृषक हैं उनको 25 हजार और 35 हजार रूपये में 7 पोल, 5 पोल लगाकर एक वर्ष के लिये एक स्थायी कनेक्शन, जो इसमें शामिल है. इस प्रकार वे बिजली ले पायेंगे और उसमें 25 हार्सपॉवर के ट्रांसफार्मर लगा कर देंगे. इसके बाद 8 बीघे से ऊपर अनूसूचित जाति या सामान्य वर्ग का होगा तो अनुसूचित जाति के लिये 35 हजार रूपये और उससे अधिक के लिये 65 हजार रूपये दिये जायेंगे. उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि इस समय 17 हजार मेगावॉट से ऊपर बिजली है, लेकिन यह बिजली किसानों के खेत तक नहीं पहुंच पा रही है. उसका कारण है कि जितने ट्रांसफार्मर स्थापित होना चाहिये उतने ट्रांसफार्मर स्थापित नहीं हैं. यह मुख्यमंत्री कृषि स्थायी पंप योजना स्थापित होने के बाद भारतीय जनता पार्टी की सरकार 2018 तक कोई भी अस्थायी कनेक्श्ान नहीं रहेगा. संपूर्ण कनेक्शनों को स्थायी कनेक्शन में बदलने की जिम्मेदारी हमारी सरकार ने ली है. निश्चित रूप से इसका लाभ हमारे किसानों को मिलेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से कुछ और भी महत्वपूर्ण बातें कहना चाहता हूं. (एक माननीय सदस्य के शेर कहने पर ) अब शेर तो पहले 17000 थे अब वहां तो 17 शेर रह गये हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क के लिये भी 415 करोड़ रूपये का प्रावधान इस द्वितीय अनुपूरक में माननीय वित्तमंत्री जी ने रखा है, इसके लिये मैं माननीय वित्तमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि गांव से गांव तो जुड़ गये हैं पर मिसिंग के कारण 15 किलोमीटर घूमकर एक किलोमीटर एवं आधा किलोमीटर दूरी के लिये कनेक्टिविटी रह जाती है उसके लिये इस बजट में 50 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है इसके लिये भी उनको धन्यवाद देना चाहता हूं. अंत में यह बात कहना चाहता हूं कि सबसे बड़ा महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्रधानमंत्री फसल कृषि बीमा योजना के तहत हमारी मध्यप्रदेश की सरकार ने 845.89 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है. मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि इस सदन में कहने के लिये कि आज से दो तीन माह पूर्व 4600 करोड़ रूपये की राहत राशि शिवराज सिंह जी की सरकार ने किसानों को वितरित की है और यह 10 दिसम्बर, को पुनः 4516 करोड़ रूपये की बीमा राशि 51 जिलों में एक साथ राशि का वितरण करने जा रही है उसमें हमारे प्रभार मंत्री एवं अन्य माननीय सदस्यगण भी उपस्थित होने वाले हैं और यह सब शासकीय कार्यक्रम होने वाले हैं. मैं स्वयं किसान हूं, अधिकांश लोग यहां पर किसान हैं. पहले इतनी बड़ी बीमा राशि 2003 के पहले नहीं बंटती थी. मैं माननीय प्रधानमंत्री जो को सदन के माध्यम से बधाई देना चाहता हूं कि पूरे देश के लिये उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जो बनाई है उसमें मध्यप्रदेश को पांच भागों में विभाजित किया गया है और इसका लाभ दतिया में इस वर्ष करोड़ रूपये की राशि का वितरण माननीय शिवराज सिंह जी की उपस्थिति में किया गया है. मैं कहना चाहता हूं कि प्रदेश में जब बिजली-पानी की व्यवस्था तथा सिंचाई की व्यवस्था में भी कृषि में करोड़ो रूपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है. जब बिजली एवं पानी की व्यवस्था पर्याप्त मात्रा में हो जाएगी तो लगातार हमको चार-पांच बार कृषि कर्मण अवार्ड मिला है और फिर से पुनः भी मिलेगा. मध्यप्रदेश में कृषि एवं सिंचाई का रकबा लगातार बढ़ता जा रहा है और यदि गांवों का विकास हो जाएगा तो देश का विकास होगा. भारत की आत्मा गांवों में विराजित है. अगर गांव का विकास होगा तो मध्यप्रदेश भी एक स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित होगा. आपने समय दिया इसके लिये धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय--अनुपूरक बजट पर बोलने वाले सदस्यों की संख्या अधिक है माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वह अपनी बात दो मिनट में रखने का कष्ट कर सहयोग प्रदान करेंगे.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया (दिमनी)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय वित्तमंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि मेरी विधान सभा का कार्यकाल 3 साल पूरा होने के बाद भी मेरी विधान सभा दिमनी में कोई भी निर्माण कार्य नहीं किया गया है और न ही बजट ही स्वीकार किया गया है. मेरे द्वारा समय-समय प्रश्नों के माध्यम से क्षेत्र में सड़कों की समस्या को लेकर उठाये गये प्रश्नों में कई प्रकार के बहाने बना-बनाकर के उत्तर दे दिये गये हैं और मेरी कई सड़कें तो अस्वीकृत कर दी गई हैं आज बजट के माध्यम से जिसमें एक-एक जिले में 10-10 एवं 15-15 सड़कें स्वीकृत की गई हैं पर मेरी विधान सभा में एक भी सड़क स्वीकृत नहीं की गई है. मेरी विधानसभा में एक भी सड़क स्वीकृत नहीं की गई है. मुख्यमंत्री जी के द्वारा कहा जाता है कि पूरे देश में सब क्षेत्रों के विधायक एक समान माने गए हैं लेकिन मेरे क्षेत्र में भेदभाव क्यों किया गया है ?
मेरा वित्त मंत्री जी से निवेदन है कि मेरी जो सड़क अस्वीकृत की हैं, उनको स्वीकृत करने की कृपा करें. मुरैना जिले में 2 सीट बहुजन समाज पार्टी की हैं और 4 सीटें भाजपा की हैं, फिर भी मेरी विधानसभा क्षेत्र से सबसे ज्यादा भेदभाव किया गया है. मुझे कहते हुए और प्रश्न लगाते हुए 3 वर्ष हो गए हैं पर मेरी विधानसभा में एक भी सड़क नहीं बनाई गई है. मेरी विधानसभा क्षेत्र में एक-दो सड़कें बनवाने का कष्ट करें. मेरा विधानसभा क्षेत्र चम्बल से लगा हुआ है, वहां पानी की बहुत अधिक किल्लत है. मैं दो बार पहले भी कह चुका हूँ कि पी.एच.ई. मध्यप्रदेश में फेल हो चुकी है. मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि दो वर्ष हो गए हैं, मैंने अपना विधायक फण्ड दिया है. मेरे क्षेत्र में पानी की परेशानी है, आप इसका प्रावधान करें. आपने समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद. आप वहां जाकर देखें कि खेतों में किसानों को क्या परेशानी हो रही है ?
श्री कमलेश्वर पटेल (सिहावल) – उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार का यह दूसरा अनुपूरक बजट आया है, मुझे लगता है कि तीसरा और चौथा अनुपूरक बजट भी जल्दी ही आ जायेगा. जिस तरह से द्वितीय अनुपूरक बजट आया है, उससे यह साफ जाहिर हो गया है कि सरकार का वित्तीय कुप्रबंधन अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया है. सरकार पर कर्जा लगातार बढ़ता जा रहा है और उस पर सवा लाख करोड़ रूपये से ज्यादा का कर्जा हो चुका है. जब सरकार को कर्ज लेकर ही सरकार चलाना है तो अनुपूरक बजट लाने की औपचारिकता क्यों करने की जरूरत है? यह औपचारिकता मात्र रह गया है. कम से कम जनता की जेब का पैसा ही बचेगा. उपाध्यक्ष महोदय, यदि बजट की राशि से विकास के काम ठीक होते तो मैं समझता हूं कि मुख्यमंत्री जी जिस तरह से भाषण देते हैं, कहीं भी जाते हैं मंच पर पहुंचते हैं, भाषण देते हैं और भाषण देकर चले जाते हैं और जो वस्तुस्थिति है, जो जमीनी हकीकत है, वह माननीय मुख्यमंत्री जी से बहुत परे हैं. नोटबंदी से जिस तरह की स्थितियां उत्पन्न हुई है, उसको देखते हुए जो बजट में अनुपुरक बजट का प्रावधान किया गया है, उसमें किसी प्रकार का कैशलेस का प्रशिक्षण का प्रावधान नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय - कमलेश्वर जी अब आप समाप्त करें, दो मिनट हो गए हैं, आपके.
श्री कमलेश्वर पटेल - अभी तो शुरू किया है, माननीय उपाध्यक्ष महोदय आपका संरक्षण चाहिए, कोई बजट से बाहर की बात नहीं करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय - मेरा संरक्षण चाहिए तो आप मेरी बात सुनिए.
श्री कमलेश्वर पटेल - मेरा निवेदन है कि जो अभी ज्वलंत मुद्दा है, उसी से संबंधित बात हम कर रहे हैं. नोटबंदी से जिस तरह से पूरे देश में, मध्यप्रदेश में मध्यप्रदेश की ही बात कर रहे हैं जिस तरह के हालात पैदा हुए है, जिस तरह से कैशलेस होने की बात कर रहे हैं, उसका कहीं भी प्रशिक्षण का कोई प्रावधान इस बजट में नहीं किया गया है.
उपाध्यक्ष महोदय - कमलेश्वर जी आपका समय हो गया.
श्री कमलेश्वर पटेल - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 11 में रोजगार निर्माण का कोई जिक्र नहीं है, कैसे युवाओं को रोजगार मिलेगा, माननीय मुख्यमंत्री जी बड़ी बड़ी बात करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - कमलेश्वर जी आपका समय हो गया, आपकी सब बात आ गई, बैठ जाइए. आपका नहीं लिखा जाएगा. आप चार मिनट बोल चुके है, बैठ जाइए, कमलेश्वर जी उनको भी अपनी बात कहने दीजिए, सूबेदार सिंह जी अपनी बात रखें.
श्री कमलेश्वर पटेल - क्यूं अनुपूरक बजट पर चर्चा करवा रहे हैं, रहने दीजिए.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा (जौरा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पुराने सदस्यों को दो मिनट तो नए सदस्यों को चार मिनट तो मिलेंगे ही, क्योंकि मैं पहली बार बोल रहा हूं. मैं वर्ष 2003 से कुछ पहले की थोड़ी सी बात करके अपनी बात शुरू करूंगा, पूरे प्रदेश के बजाए, मुरैना जिले के बजाए मैं अपने विधानसभा क्षेत्र की बात करूंगा.
4:48 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य, श्री कमलेश्वर पटेल द्वारा सदन से बहिर्गमन
श्री कमलेश्वर पटेल - कुछ सुझाव देना चाहता थे, जहां कमियां हैं वह बताना चाहते थे, लेकिन हमें समय नहीं दिया गया, इसलिए असंतुष्ट होकर अनुपूरक बजट का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन कर रहे हैं.
4:49 बजे वर्ष 2016-17 की द्वितीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान(क्रमश:)
श्री सूबेदार सिंह रजौधा - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं वर्ष 2003 से कुछ पहले की थोड़ी सी बात करके अपनी बात शूरू करूंगा. मैं मुरैना जिले की बात नहीं करूंगा, मैं मध्यप्रदेश की बात नहीं करूंगा. मैं केवल अपने विधानसभा क्षेत्र की ही बातें करूंगा. वर्ष 2003 में, रावत जी बैठे हैं, मुरैना से सबलगढ़ तक जो रोड जाती है, दो घंटे में आदमी जाता था, 24 घंटे में से 2 घंटे भी बिजली नहीं रहती थी, पानी का कहीं कोई साधन नहीं था, ऐसी अराजकता फैली हुई थी, उसके बाद में 11 साल में से बाकी साल छोड़ दें, मैं सिर्फ तीन साल की बात कर रहा हूं, तीन साल में मेरे विधानसभा क्षेत्र में 40 वर्ष कांग्रेस के एमएलए रहे, 20 वर्ष जनता दल के रहे, लेकिन जौरा विधानसभा में ऐसा कोई काम नहीं है, जिसको मैं गिना सकूं. तीन साल के कार्यकाल में 80 करोड़ की लागत से पगारा डेम से पानी उठाकर के 32 गांव को, हर गांव में टंकी बनाकर पानी का शोधन करके बिसलेरी का पानी पिलाने का काम, 35 गांव में, मध्यप्रदेश की सरकार, मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह जी कर रहे हैं. आदमी तो बिसलेरी का पानी पियेगा ही, लेकिन वहां भैंस भी बिसलेरी के पानी से स्नान करेंगी. मैं कोटि कोटि धन्यवाद देता हूं अपने मुख्यमंत्री जी को. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुरैना जिले में 2 जिला सड़कें हैं, एक तो एम.एस. रोड के नाम से जानी जाती है. 146 करोड़ की लागत से मेरे 3 साल के कार्यकाल में, जिसमें आधा क्षेत्र जौरा विधान सभा में पड़ता है. 146 करोड़ की लागत से सड़क बन रही है. वह इतनी चिकनी रोड है कि जैसे लालू प्रसाद यादव जी ने कहा, वह तो नहीं कह रहा हूं. लेकिन वह बहुत ही अच्छी रोड बन रही है. उस पर दो पुल बनाये जा रहे हैं. 130 करोड़ की लागत से दूसरी जो ग्रामीण सड़क है, सबलगढ़ से मुरैना तक, उसको सीसी रोड, मैं यह कह सकता हूं कि मध्यप्रदेश में ऐसी पहली या दूसरी रोड होगी,जो 78 किलो मीटर की सीसी रोड बनाई जा रही हो. 3 साल के कार्यकाल का यह मैं काम बता रहा हूं. दूसरा, मेरे कैलारस में अस्पताल नहीं था, पुरानी बिल्डिंग थी. मैं एक दिन कलेक्टर को ले गया. मैंने कहा कि यह बिल्डिंग गिर जायेगी, इसमें मरीज मर जायेंगे. मैंने मुख्यमंत्री जी से भी उसके लिये आग्रह किया, उस बिल्डिंग को डिसमेंटल करके 3.65 करोड़ की नई बिल्डिंग बन रही है. 6 सड़कें ऐसी बन रही हैं.. (श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया के खड़े होने पर) डण्डौतिया जी, जब आप बोल रहे थे, तब मैं नहीं बोल रहा था.
उपाध्यक्ष महोदय -- डण्डौतिया जी, वह कह रहे हैं कि जब आप बोल रहे थे, तब उन्होंने टोका-टाकी नहीं की, आप उनको बोलने दीजिये.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- उपाध्यक्ष महोदय, सरसेनी पहुंच मार्ग, 1980 में माननीय जवाहर सिंह जी लोक निर्माण मंत्री बने थे, तब वह रोड बनी थी. रोड का नाम खत्म हो गया. मैंने लोक निर्माण एवं वित्त मंत्रीगण से आग्रह किया था, 6 करोड़ की लागत से वह सरसेनी पहुंच मार्ग बन रहा है और मार्च,2017 तक बनकर तैयार हो जायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आप समाप्त करिये.
फरवरी,2017 में जब मुख्य बजट आयेगा, तब उसमें बोलियेगा.
श्री सूबेदार सिंह रजौधा-- उपाध्यक्ष महोदय, काम तो मेरे बहुत हैं. मेरा एक आग्रह है कि जब शासक की मंशा ठीक होती है, तो परमात्मा उसकी मदद करता है. जिस प्रकार धर्म युद्ध हो रहा था, तो अर्जुन के रथ पर भगवान श्री कृष्ण विराजमान थे, उसी प्रकार शिवराज सिंह जी के शासन में उनकी नीयत ठीक है, उनकी जनता के प्रति संवेदना है, इसलिये प्रकृति और प्रवृत्ति उनका साथ दे रही है. मैं गारंटी के साथ यह बात कह सकता हूं कि ये कुछ भी कहें,यह जानते हैं, जनता जानती है कि चौथी बार मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी.
4.54 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, मैं एक उदाहरण देकर अपनी बात समाप्त करुंगा. एक गांव में किसान की बुढ़िया मां चरखी का काम करती थी,गर्मी में कोई रास्ते से जाता, तो वह गन्ने का रस पिलाती थी. तो एक दिन राजा भेष बदलकर गये कि प्रजा का हाल कैसा है. तो उन्होंने माता से कहा कि माता जी एक ग्लास बनाओ. तो उन्होंने एक गन्ना लगाया, तो ग्लास भर गया. राजा ने ग्लास पी लिया. उसके बाद राजा बैठे रहे, उसकी बहुत ग्राहकी हो रही थी. राजा ने कहा कि माता जी एक ग्लास और दे दो. जब दूसरा ग्लास लगाया, तब राजा ने सोचा कि यह तो बहुत कमाती है, इस पर टैक्स लगना चाहिये. फिर वह जब ग्लास भर रही थी, तो 10 गन्ना उसमें लगा दिये,लेकिन वह ग्लास नहीं भरा. तब उस राजा ने पूछा कि क्या बात है, ग्लास नहीं भर रहा है. उन्होंने कहा कि बेटा अब तक राजा की नीयत ठीक थी, अब राजा की नीयत में खोट है,कल्याण की बजाय टैक्स की बात कर रहा है, इसलिये यह ग्लास 10 गन्ना नहीं 100 गन्ना में भी नहीं भरेगा. हमारे मुख्यमंत्री जी की नीयत साफ है, जन कल्याणकारी है, इसलिये आप कहते हैं कि कर्जा लेकर बना रहे हैं, आपको कर्जा लेने से किसने मना किया था. जब मैंने पहला प्रश्न लगाया था, तब 147 गांव में बिजली नहीं थी, आज 147 गांव में बिजली होकर के 24 घण्टे बिजली मिल रही है. मैं इसके लिये मुख्यमंत्री जी एवं वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने के लिये समय दिया, धन्यवाद.
श्री शैलन्द्र पटेल (इछावर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं द्वितीय अनुपूरक बजट का इन पंक्तियों के साथ में विरोध करता हूं .
अध्यक्ष महोदय- पटेल साहब अनुरोध है कि संक्षेप में क्योंकि समय कम है.
श्री शैलेन्द्र पटेल- पंकज सुबीर की यह चार पंक्तियां हैं :-
हमें मत यह सुनहरा कल दिखाये, हमारी मुश्किलों का हल दिखायें.
पिला दो बस हमें दो घूंट पानी, हमें सपनों में मत बादल दिखायें.
(मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट पेश करना सदन की एक परम्परा रही है, बजट पेश होता है, इसके बाद में अनुपूरक बजट पेश होते हैं.
श्री वैलसिंह भूरिया-- भारतीय जनता पार्टी में आ जाओ. फायदा ही फायदा है.उधर कोई फायदा नहीं है, परेशान होते रहोगे जिंदगी भर.
श्री ओमकार सिंह मरकाम-- भूरिया जी, लगता है कि काले धन में बीजेपी वालों को कुछ ज्यादा ही फायदा मिल गया है.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष जी, मुख्य बजट 1लाख 58 हजार 713 करोड़ का इस सदन से पेश हुआ .प्रथम अनुपूरक 14 हजार 367 करोड़ का हुआ और फिर यह द्वितीय अनुपूरक बजट 2,431 करोड़ का पेश हो रहा है.अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी से यह है कि यह राशि कहां से आयेगी. क्या प्रदेश में नये आय के स्त्रोत बढ़ गये हैं, वहां से यह राशि आयेगी. क्या सरकार फिर कर्ज लेगी जहां से यह राशि लेकर के यह सारे काम करेंगे क्योंकि हमारे जो वित्त मंत्री हैं बड़े ही बुद्धिमान हैं, काफी चतुर हैं और आंकड़ों की बाजीगिरी करके यह बजट हमारे सामने पेश करते हैं. क्योंकि जब मैंने यह बजट पढ़ा तो मांग संख्या-24 के मद क्रमांक (3) में न्यूनतम जो आवश्यक कार्यक्रम ग्रामीण सड़कों के थे, जब उनको देखा तो 15 सड़कें स्वीकृत हुई हैं. उन 15 सड़कों में से 5 सीहोर जिले के बुधनी विधानसभा क्षेत्र की थीं और 8 सड़कें रायसेन की थीं क्योंकि वहां से लोक निर्माण विभाग के मंत्री जी चुनकर के आते हैं. तो मुझे लगा कि यह मध्यप्रदेश का अनुपूरक बजट नहीं है शायद सिर्फ बुधनी और रायसेन जिले के लिये ही अनुपूरक बजट पेश किया जा रहा है. सीहोर जिले में बुधनी विधानसभा है और इछावर भी इसी जिले में आता है, यह बात अलग है कि हमारे यहां की एक भी सड़क इसमें नहीं है. अगर इस तरह का बजट पेश होता है तो कथनी और करनी का अंतर साफ दिखता है कि जिले में क्या हाल हो रहा है, प्रदेश में क्या हाल हो रहा है. किसी से कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आपने खुद यह आन रिकार्ड बताया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जनसंपर्क निधि की बात आई है 123 करोड़ का प्रावधान किया है निश्चित रूप से कहीं न कहीं यह मार्केटिंग परपज से किया गया है क्योंकि आजकल प्रदेश में और देश में मार्केटिंग का जमाना आ गया है कि काम भले ही कितना कम करो अपनी मार्केटिंग किस हिसाब से कर सकते हैं उस पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दिया जाये. अभी हमारे माननीय सदस्य श्री बहादुर सिंह चौहान और यशपाल सिंह सिसोदिया जी बोल रहे थे कि जो अस्थाई पंप कनेक्शन के स्थाई पंप कनेक्शन की योजना में बदलाव की बात है तो यह निश्चित रूप से स्वागत योग्य बात है. लेकिन उसमें हो क्या रहा है पिछले वर्ष अप्रैल और मई में किसानों से यह बात कहकर कि आपके कनेक्शन स्थाई कर दिया जायेंगे और उनसे राशि जमा करवा ली और इस वर्ष उन्हें लगा कि हमारे कनेक्शन स्थाई हो जायेंगे तो उनके खिलाफ चौरी के प्रकरण दर्ज हो गये. किसानों को एक तरीके से दिग्भ्रमित किया गया. किसानों का इससे बहुत बड़ा नुकसान पूरे प्रदेश में हुआ है. जो 36 करोड़ रूपया मांग संख्या 13 मद क्रमांक (1) में स्वाईल हैल्थ कार्ड के लिये मांगे जा रहे हैं, बन तो रहे हैं लेकिन क्या यह देखा जा रहा है कि स्वाईल हैल्थ कार्ड की जो रिकमंडेशन है क्या उनको पूरा किया जा रहा है, क्या किसान उसका उपयोग कर रहा है कि सिर्फ हम यह बात करके कि हमने सबके स्वाईल हैल्थ कार्ड बना दिये उससे इतिश्री नहीं होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नई फसल योजना की जो बात है , शेरपुर जो कि मेरी विधानसभा है वहां पर देश के प्रधानमंत्री आये थे लेकिन नई फसल बीमा योजना इस तरीके से है कि एक पंचायत में चार सर्वे किये जायेंगे चाहे उसमें दो गांव हो, तीन गांव हो और अगर उसमें क्राप कटिंग में अगर नुकसान नहीं आयेगा तो उससे किसान को फायदा नहीं मिलेगा. आने वाले समय में आपको और हमको विचार करना होगा अगर यही फसल बीमा योजना रही तो किसान को लाभ मिलने की बिल्कुल आप उम्मीद छोड़ दें.
अध्यक्ष महोदय- कृपया समाप्त करें.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, कल मुख्यमंत्री जी ने सदन में बड़ी अच्छी अच्छी बातें कही हैं. प्रदेश मेरा मंदिर है, उसमें रहने वाली जनता मेरी भगवान है और मैं उस भगवान का पुजारी हूं. जबकि प्रदेश के किसान बेहाल हैं. उन्होंने कहा कि हम ऐतिहासिक बीमा किसानों को दे रहे हैं, उन्होंने क्या यह कहा कि ऐतिहासिक नुकसान भी हुआ है. अगर ऐतिहासिक नुकसान नहीं होता तो क्या ऐतिहासिक बीमा दिया जा सकता था. यह नुकसान के बाद का बीमा है अगर नुकसान होगा तो निश्चित रूप से बीमा की राशि इस तरह से बढ़ी हुई दी जायेगी. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सिंचाई के आंकड़े राजा-नवाब और अंग्रेज तो वे यही बता देते कि अंग्रेज के जमाने में क्या तनख्वाह मिलती थी, नवाब के जमाने में क्या तनख्वाह मिलती थी, जब जब जैसे जैसे साल आगे जाते हैं इस प्रकृति का नियम है कि हमेशा विकास होता है और विकास के साथ सारे के सारे कार्य आगे बढ़ते हैं लेकिन उन्हीं में महिमामंडित करते रहेंगे तो काम नहीं चलेगा. उद्योग आ नहीं रहे हैं, एमओयू साईन हो रहे हैं और प्रदेश में बेरोजगारी बढ़ रही है. माननीत वित्त मंत्री जी अगर रोजगार सृजन नहीं होगा तो आपकी आय कैसे बढ़ेगी जब तक आय नहीं बढ़ेगी मुझे नहीं लगता कि विकास के कार्य होंगे. अंत में अपने क्षेत्र की बात कहकर के अपनी बात को समाप्त करूंगा. मुझे इसलिये लगता है कि मेरी विधानसभा में 30 बेडे अस्पताल आज तक 50 बेड का नहीं हो पाया है, जो सड़के हैं वह नहीं हो पाई, कालेज का उन्नयन नहीं हो पाया और हर बार यह उत्तर मिलता है कि बजट की कमी है. निश्चित रूप से प्रदेश में बजट की स्थिति बहुत ज्यादा नाजुक है कृपया उसे सुधारने का प्रयास करें. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी (मनगवां)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, कल माननीय मुख्यमंत्री जी यह कह रहे थे कि प्रदेश की जनता मेरी भगवान है. मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी से कहना चाहती हूं कि क्या मनगवां विधान सभा मध्यप्रदेश में नहीं आता. मनगवां विधान सभा की जनता क्या मुख्यमंत्री की भगवान नहीं है, अगर है तो जो यह बजट आया है 9 हजार 347 करोड़ 86 लाख 48 हजार 87 रूपये, इसमें जो राशि है इस राशि में से हमारी विधान सभा में भी कुछ अंश खर्च किया जाये. साथ ही मैं यह कहना चाहती हूं कि मुझे उम्मीद है कि जिस प्रकार से जो प्रदेश के विकास का जो बजट था वह सिंहस्थ मेले की भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया था. उम्मीद है यह राशि किसी भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ेगी और साथ ही साथ मैं अपनी मनगवां विधान सभा में जो रामपुर आर.आई. सर्किल है, जैसे नईगढ़ी, खर्रा, रामपुर राजस्व क्षेत्र हैं, इनमें आज भी नहरें नहीं हैं और हम बार-बार मुख्य बजट, अनुपूरक बजट लेते जा रहे हैं, लेकिन हमारी विधान सभा मनगवां के साथ हमेशा से ही पक्षपात होता आ रहा है. मुझे विधायक बने 3 साल हो गये हैं, लेकिन आज तक कोई भी विकास कार्य नया नहीं जुड़ा है, जो पुराने थे वह भी अधूरे पड़े हैं जिससे किसानों की जो फसलें हैं, सूख जाती हैं. जल स्तर घटने के कारण नलकूप बंद हो जाते हैं. इसलिये मेरी माननीय वित्त मंत्री महोदय से मांग है कि बाण सागर की नहरें हमारी विधान सभा की नईगढ़ी राजस्व सर्किल में पहुंचाई जायें.
दूसरी जो बात है हमारी मनगवां विधान सभा में पेयजल की बहुत ही ज्यादा समस्या है, जैसे जम्हेरा से बंधुआकोठार, पिपरा एवं पइकन गांव की जो मुख्यमंत्री पेयजल योजना के अंतर्गत जो एक योजना आई थी उसके तहत अधूरी पड़ी है उनको भी चालू किया जाये. साथ ही लोक निर्माण विभाग की तरफ से जो सड़कें और पुल बनाये जा रहे हैं उनमें कुछ हमारी विधानसभा की 3 जो सड़कें हैं जैसे बेला से खांच पहुंच मार्ग, इसमें निर्माण कार्य कराया जाये. सुहाईमोड़ से गहीरा पहुंच मार्ग जम्हेरा से बंधुआकोठार पहुंच मार्ग और साथ ही साथ एक हमारी विधान सभा में खेल कूद का जो स्टेडियम बनाया जाना है वहां शासकीय जमीन 8 एकड़ 27 डिस्मिल जो 22/1, 22/2 जो सरकारी जमीन है, जहां पहले से स्कूल भवन, आंगनबाड़ी भवन एवं शांतिधाम बने हुये हैं, जो खाली पड़ी हुई जमीन है उसमें खेल मैदान बनाये जाने की कृपा करें. देवरियन गांव, बंधुआकोठार एवं सोनवर्षा में जो उचित मूल्य की सरकारी दुकानें हैं आज तक वह किराये के भवन में संचालित हैं जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है. साथ ही साथ जो अनुसूचित जाति उप योजना अंतर्गत पंचायती राज संस्थाओं को जो वित्तीय सहायता दी जाती है, उसके तहत हमारी विधान सभा में बहुत ही ज्यादा भ्रष्टाचार व्याप्त है. एससी एसटी की जो बस्तियां हैं, वहां पर अभी भी पहुंच मार्ग नहीं हैं और जिन बस्तियों में पहुंचने के लिये जो गांव के संभ्रांतजन हैं, जमींदार हैं उनकी कुलिया से जाना पड़ता है और वह लोग उनको वहां से जाने नहीं देते. अत जो एससी एसटी योजना के जो उप योजना बनाई गई है जिसमें करोड़ों का बजट हर वर्ष दिया जाता है उसके तहत पहुंच मार्ग बनवाया जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, पेयजल के निदान के लिये भी हैण्डपम्प के खनन की जो राशि है उसको भी बढ़ाया जाये और जो नलजल योजनायें बंद पड़ी हैं, जिनके नाम से अभी भी बहुत सारा बजट है जो पीएचई में है वह संचित है उसमें से थोड़ा-बहुत खर्च करके पेयजल की जो समस्या है उसका निदान किया जा सकता है. बिजली की समस्या के लिये हमारी विधान सभा में बहुत सारे ट्रांसफार्मर जले हुये हैं, उसे भी इस बजट में शामिल किया जाये. आपने बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ.मोहन यादव( उज्जैन-दक्षिण ) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस अनूपूरक अनुमान का पूर्णत: समर्थन करता हूं. मेरे मित्रों ने और विरोधी दल के लोगों ने कई तरह की बातें कहीं लेकिन यह अनूपूरक बजट जिस प्रकार से प्रस्तुत हुआ और इसमें मैं खास तौर पर नर्मदा घाटी विकास योजना की नर्मदा-मालवा गंभीर लिंक योजना का उदाहरण देना चाहूंगा. यह वाकई में अद्भुत योजना है जिसके लिये 100 करोड़ रुपये की योजना द्वितीय अनुपूरक में किया गया है.हमारे लिये और खासकर मालवा क्षेत्र के लोगों के लिये उज्जैन,इन्दौर दोनों संभागों के लिये हमारी नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना के बाद 1882 करोड़ रुपये का जो दूसरा प्रस्ताव बनाया है जिससे इस योजना के माध्यम से इस क्षेत्र को मरुस्थल होने से बचाया जा सकेगा बल्कि क्षेत्र के सभी किसानों को जैसे अभी हमें घरों में नल के कनेक्शन मिलते हैं उसी तरह से किसानों को उनके खेत में कनेक्शन देकर बगैर ट्यूबवेल के, बगैर किसी कुंए से पानी लेने के बजाय सीधे-सीधे पाईप लाईन से किसानों को अपने स्प्रिंकलर सिस्टम के माध्यम से या ट्यूब इरीगेशन के माध्यम से पानी देने की जो योजना बनायी गयी है उसके लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी, वित्त मंत्री जी का,सिंचाई मंत्री जी का मैं स्वागत करना चाहूंगा.ऐसी योजनाओं के भरोसे ही हमारा इस विधान सभा में आना सार्थक होता है. मैं समझता हूं कि जिस प्रकार से पांच नदियों को पुनर्जीवित करने की सरकार ने योजना बनाई है. नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना,नर्मदा-गंभीर योजना,पार्वती योजना,चंबल योजना और कालीसिंध योजना. मुझे लगता है कि आने वाले समय में कई-कई साल तक ऐसा लगता है भागीरथ ने तो अकेली गंगा को पुर्नजीवित किया था. इन पांच नदियों को पुनर्जीवित करने से हमारा पूरा पश्चिमी मालवा का पूरा बेल्ट वाकई अद्भुत हो जायेगा. मैं समझता हूं कि इसके साथ-साथ जो बाकी योजनाओं को जिस ढंग से धनराशि दी गयी है. खासकर आपने कहा है कि हमारे अपने विभिन्न प्रकार के जल संसाधन के माध्यम से मोहनपुरा योजना,बीना परियोजना,पवई परियोजना,मझगंवा परियोजना,पारसडोह योजना के लिये लगभग 415 करोड़ रुपये की व्यवस्था अपने अनुपूरक बजट के माध्यम से की गयी है. लोक निर्माण विभाग के माध्यम से लगभग 500 करोड़ की मांग यहां जो की गयी है वह वाकई में काबिले तारीफ है. जो विकास के नये-नये आयाम छूने का काम करेगी. स्मार्ट सिटी में उज्जैन सहित जो सात शहरों को भारत सरकार ने लिया है इसके लिये 400 करोड़ का प्रावधान अनुपूरक में किया गया है उससे वह पूरे प्रदेश की एक नयी तस्वीर बनाने में सहायक रहेगा. इस अनुपूरक में दैनिक वेतन भोगियों का भी ध्यान रखा गया है. सफाई कामगारों का भी ध्यान रखा गया है जिनके समूह बीमा के लिये लगभग 65 लाख रुपये का प्रावधान किया है. दैनिक वेतन भोगियों के लिये सब मिलाकर 75 करोड़ रुपये का जो प्रावधान किया गया है उसके लिये मैं माननीय वित्त मंत्री जी को बधाई देना चाहूंगा. अध्यक्ष जी, जो अच्छी बातें हुई हैं उनका उल्लेख इस सदन में होना आवश्यक है लेकिन दो-तीन बातें मैं अपने क्षेत्र की बात और कहना चाहूंगा. खासकर प्रधानमंत्री सड़क योजना के माध्यम से सड़कों को जोड़ने की बात आती है मेरे विधान सभा क्षेत्र में ग्राम झिरौलिया का दूसरा ग्राम है रमजानखेड़ी जो इन्दौर जिले की दो तहसीलों को पार कर हमारे उज्जैन जिले में लोग आ पाते हैं तो गंभीर नदी पर एक छोटा डैम बनाने का एक प्रस्ताव हमने दिया है जिसकी लागत 2 करोड़ से भी कम है मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि वे हमें आशीर्वाद देंगे तो हमारा यह काम हो जायेगा. इसी प्रकार ग्राम झिरौलिया से फतेहाबाद को जोड़ने के लिये प्रस्ताव भी मैं इसमें जोड़ना चाहूंगा. मैं उम्मीद करता हूं कि सदन की जो गरिमा है लेकिन अत्यंत दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ेगा कि कांग्रेस के लोगों ने जिस ढंग से आज सदन की गरिमा गिराई है.(XXX).
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, यह गलत कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - इसे कार्यवाही से निकाल दें.
डॉ.मोहन यादव - बाला बच्चन जी आपके रहते हुए यह अत्यंत काला दिन इतिहास का रहेगा जब कांग्रेस ने सीधे-सीधे आतंकवादियों का समर्थन किया है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री ओमकार सिंह मरकाम( डिण्डोरी)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, इस अनुपूरक बजट का विरोध करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने बजट में वृहद योग में मतदेय मद की राशि है उसके संबंध में अपने वक्तव्य में कहा है. जबकि वृहद योग में मतदेय और भारित ये दोनों मिलाकर मंत्री जी को सदन में चर्चा करना चाहिए थी. माननीय मंत्रीजी ने नौ हजार तीन सौ करोड़ रुपये से शुरु किया है. मेरा ऐसा मानना है कि नौ हजार चार सौ करोड़ रुपया वृहद योग का है. अगर इतनी बड़ी गलती होगी तो यह गलती के कारण प्रदेश के लिए माननीय वित्त मंत्री जी की जो सोच है इन आंकड़ों से उसमें कहीं न कहीं चिन्ताजनक है.
अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट में माननीय मंत्री जी ने जितनी धनराशि की मांग की है. मैं सरकार से और माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं. यह बात अलग है कि आज आप बजट पेश कर रहे हैं लेकिन आपके इस बजट से इस प्रदेश और देश का कहीं न कहीं भविष्य जुड़ा हुआ है. आप लोगों के एक गलत निर्णय से आने वाले भविष्य में गंभीर परिणाम आते हैं और उन परिणामों से देश और प्रदेश की जनता को बहुत संकट हो जाता है. आपने जो बजट पेश किया है. अध्यक्ष महोदय, व्यक्ति के विकास की प्रथम इकाई शिक्षा होती है. गरीबों को ऊंचाई तक ले जाने में शिक्षा सबसे मददगार इकाई है. वह अमूल्य धरोहर होती है. प्रदेश में आज प्राथमिक स्तर की,माध्यमिक स्तर की और हाई स्कूल स्तर की शिक्षा के वर्तमान में सर्व शिक्षा अभियान के आंकडे देखेंगे तो प्रदेश में लगभग 70 प्रतिशत स्कूलों में, प्राथमिक शालों की जर्जर स्थिति है. शौचालयों की स्थिति अच्छी नहीं है. पेयजल व्यवस्था उपयुक्त नहीं है. माध्यमिक शालों के भवन उपयुक्त नहीं है. अगर आपको आंकड़े ही देखना है तो कृपा कर मेरे जिले, मेरे विधान सभा से इसकी शुरुआत करने की कृपा करें. ट्रायबल एरियाज़ में हायर सेकण्डरी, हाई स्कूल की बिल्डिंग्स नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय, पिछले कई वर्षों से लगातार यह सरकार आदिवासी योजना मद राशि का लगातार दुरुपयोग कर रही है. आदिवासी उपयोजना के नार्म्स हैं कि जहां पर ट्रायबल की पापुलेशन के हिसाब से बजट खर्च करना चाहिए. आप गलत मद में बजट देकर खर्च कर रहे हैं. आप चेक करा लीजिए. जो पीडब्ल्यूडी का, डब्ल्यूआरडी का प्लान है , वहां ट्रायबल पापुलेशन कितनी है? मेरा तो मानना है कि यह सरकार लगातार आदिवासियों के हित की जो राशि है, उसके खिलाफ निर्णय लेकर, उनके विकास को बाधित करने कोशिश कर रही है.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह बजट देख रहा था. मुझे लग रहा था कि यह बजट माननीय मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में होगा. 11 तारीख से माननीय मुख्यमंत्री अमरकंटक से नर्मदा यात्रा शुरु कर रहे हैं उसमें डिण्डोरी जिले में मुख्यमंत्री की यात्रा के लिए चंदा वसूला जा रहा है और ये सम्पन्न प्रदेश की बात करते हैं. हम कहते हैं कि हम सहयोग करेंगे. आपने आदिवासी क्षेत्र मानकर वहां धनराशि नहीं दी. सिंहस्थ में आप छः हजार करोड़ रुपया दे सकते हैं लेकिन कोई मुख्यमंत्री आदिवासी क्षेत्र से यात्रा पर जा रहा है तो वहां पर एक रुपया नहीं दिया है. माननीय मंत्री जी अगर वाकई आप मुख्यमंत्री जी के साथ हैं तो मेरे डिण्डोरी क्षेत्र के लिए कम से कम 100 करोड़ रुपये का बजट मुख्यमंत्री के पास दे दीजिए ताकि नर्मदा नदी के शुद्धिकरण की बात करेंगे तो वास्तविक प्लान देकर, हम भी नर्मदा भक्त हैं, हम नर्मदा नदी की वास्तविकता पर मुख्यमंत्री जी से अनुरोध करेंगे. लेकिन अगर मुख्यमंत्री जी चंदा लेकर वहां के हमारे गरीब आदिवासियों के बीच जा रहे हैं तो यह सरकार की मानसिकता को प्रदर्शित करता है कि कहीं न कहीं राजनीति का आपका बहुत बड़ा षडयंत्र है. अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहूंगा कि-
संकट में फंसते जा रहा है मेरा प्रदेश और देश,
किससे क्या हम बात करें.
घमण्ड से भरी है सरकार की सोच,
न्याय की हम क्या उम्मीद करें.
आपने समय दिया. उसके लिए धन्यवाद.
श्री सुखेन्द्र सिंह ‘बना’(मऊगंज)--अध्यक्ष महोदय, लगभग तीन सालों से हम लोग भी बजट पर चर्चा कर रहे हैं. लेकिन अब जाकर थोड़ी बहुत बात समझ में आयी कि बजट का मतलब क्या है. बजट से क्या अर्थ निकलता है.
अध्यक्ष महोदय, बजट में 9347 करोड़ 46 लाख 48 हजार रुपये का प्रावधान किया गया है. इस बजट में बहुत सारी त्रुटियां हैं. मैं ज्यादा कुछ न कहते हुए इतना कहना चाहता हूं कि किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं लेकिन उनके लिए सरकार के द्वारा कोई बजट नहीं दिया गया. इस समय नोटबंदी का मामला चल रहा है. पूरे देश में लाइनों में लोग मर रहे हैं. उनके लिए उत्तरप्रदेश की सरकार ने बजट रखा है, लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार को इस बारे में कहीं कोई चिंता नहीं है. मध्यप्रदेश सरकार को भी इसके बारे में सोचना चाहिए. अभी भाई ओमकार सिंह मरकाम जी ने शिक्षा के जगत में काफी चिंता व्यक्त की. निश्चित रूप से मेरा मध्यप्रदेश शिक्षा के स्तर में पिछड़ता जा रहा है. मैं अपने जिले की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा कि वहां पर 750 स्कूल तोड़ दिये गये हैं, यह क्या कारण है? शिक्षा का स्तर गिर रहा है, मास्टरों की कमी है, यह क्या दिक्कत है, इस पर विचार किया जाना चाहिए. मैं ज्यादा कुछ न बोलते हुए मैं सीधे अपने विधान सभा क्षेत्र की ओर जाना चाहूंगा. 3 वर्षों में लगातार हमने सिंचाई के क्षेत्र में, सड़कों के क्षेत्र में 2-3 महत्वपूर्ण बातें रखीं, लेकिन आज तक उस पर कोई विचार नहीं हुआ. बाण सागर का पानी पूरे रीवा जिले को मिलता है, लेकिन मेरे विधान सभा क्षेत्र को नहीं मिल पा रहा है. अभी पिछली गर्मी में हमने एक बहुत बड़ा प्रदर्शन किया था, जिसमें हमारे क्षेत्र की लगभग 30 हजार जनता धरने पर बैठी थी. 470 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है उसका डीपीआर बनकर तैयार होकर वह सरकार की तरफ आया है. मैंने उम्मीद की थी कि शायद इस बजट में उसको जोड़ा जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र के लिए कैलाशपुर उद्वहन सिंचाई योजना की जो डीपीआर बनकर तैयार है, इसके लिए बजट देने का अनुरोध है. हमारे विधान सभा क्षेत्र में एक चौराघाट है, जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिसका भी डीपीआर तैयार है. सिर्फ पैसे की बात है, अगर उसके लिए पैसा उपलब्ध हो जाए क्योंकि वह मेरे क्षेत्र की सड़क की बहुत बड़ी योजना है. इसके मिल जाने से इलाहाबाद और हनुमना-सिंगरौली मार्ग जुड़ जाएगा, इसलिए इसके लिए बजट उपलब्ध कराया जाय. अध्यक्ष महोदय, जो आपने समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) - अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय वित्त मंत्री द्वारा जो द्वितीय अनुपूरक बजट वर्ष 2016-17 प्रस्तुत किया गया है, उसका मैं समर्थन करता हूं. मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा जो जनकल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, उन जनकल्याणकारी योजनाओं को पूरा करने के लिए यह बजट लाया गया है और इसके माध्यम से मध्यप्रदेश में काम हो रहे हैं. मुझे तो यह भी समझ में नहीं आता है कि इस अनुपूरक बजट का ये लोग विरोध क्यों करते हैं ? इस बजट में अनुसूचित जाति, जनजाति के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति और शिष्यवृत्ति हेतु 74 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है. जो लोग हमेशा कहीं न कहीं वंचित रह जाते हैं, उनके लिए भी इस बजट में प्रावधान है. वही राष्ट्रीय स्थाई कृषि मिशन योजना के अंतर्गत उद्यानिकी विभाग को प्रोत्साहन देने के लिए 41 करोड़ रुपए का योगदान दिया गया है. वन जीवों के संरक्षण के लिए भी 27.93 करोड़ रुपए का योगदान किया है. वहीं सामाजिक वानिकी को बढ़ावा देने केलिए भी इस बजट में प्रावधान किया गया है तो कहीं न कहीं जो मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना है, जो युवा बेरोजगार रहते हैं स्वरोजगार के माध्यम से उनको रोजगार मिले. इसके लिए कैंप लगते हैं वहां से उनको रोजगार, उद्योग मिलते हैं. इसके लिए माननीय वित्तमंत्री जी ने प्रावधान किया है.
अध्यक्ष महोदय, यह एक ऐसा बजट है जो सबको लेकर चलने वाला है. वहीं निःशुल्क विद्युत प्रदाय हेतु 256 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, वहीं टैरिफ में सब्सिडी हेतु भी 300 करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में किया गया है. हम देखते हैं कि यह जो बजट है उसमें हितग्राही योजना के माध्यम से जो गरीब हैं, वंचित है, उनको अधिक से अधिक लाभ मिल रहा है. हमारा देश कृषि प्रधान देश है. 80 प्रतिशत जनता गांवों में निवास करते हैं. उन किसानों को कोई भी लाभ मिलता है, चाहे वह सूखा राहत हो, इसबगोल का लाभ की बात हो, मुझे याद है जब हमारे यहां ओला, पाला गिरा. हमारे यहां माननीय मुख्यमंत्री सावन में आए, किसान के खेत में गये, उनको सीने से लगाया और उनके आंसू पोछने का काम किया. यह सब लोगों को मालूम नहीं होता है कि इसबगोल में कैसे नुकसान होता है, माननीय मुख्यमंत्री जी स्वयं किसान हैं और उन्होंने इस बात का ध्यान रखकर बजट में प्रावधान रखा है. 10 तारीख को भी हमारे नीमच जिले में जो प्रधानमंत्री बीमा योजना है, उस योजना के माध्यम से भी अनेक लोगों को लाभ देने का काम चालू हो रहा है. वहीं गौ पालन, मत्स्य पालन के लिए भी 2 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है. गौ पालन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में प्रोत्साहन दिया जा रहा है. अन्न उत्पादन के क्षेत्र में हमने 4-4 बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त किया है. मैं चाहता हूं कि दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर रहे. इसके लिए अनुपूरक बजट में 2 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है. मेरे क्षेत्र में छोटे-छोटे तालाब बने हैं. माननीय वित्त मंत्री जी जब जल संसाधन मंत्री थे तो उन्होंने मेरे क्षेत्र में अनेक तालाब दिए हैं. इसके अतिरिक्त मैं अपने क्षेत्र की एक छोटी सी बात रखना चाहता हूं. मेरे क्षेत्र में हरवार डेम है. जिसकी मैं लंबे समय से मांग करता आ रहा हूं. हमेशा इस डेम का पूरा प्रोसिजर होकर आपके विभाग में आता है, परंतु वह पूरा नहीं हो पाता है. आपको जब भी कभी संभव हो, कृपया इस हरवार डेम को पूरा करवायें. मैं और नीमच जिले की संपूर्ण जनता इस हेतु आपकी आभारी रहेगी. आपने राज्य में सड़कों का जाल तो फैला ही दिया है. मेरे नीमच क्षेत्र में एक बायपास रोड निकलने वाली है. जो कि नीमच से पिपलीयाबाग होते हुए जयसिंहपुरा जाने वाला है. आपसे निवेदन है कि इस हेतु भी आप प्रावधान करें. आपने राज्य में मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत सड़कों का जाल फैलाया है. इसी तरह मेरे यहां एक बैलारी सड़क है. निवेदन है कि इसे मुख्यमंत्री सड़क योजना या प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत जोड़े. उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए आपने झांझरवाड़ा क्षेत्र में उद्योग केंद्र नीमच में दिया है, इस हेतु मैं आपको धन्यवाद देता हूं. आपने मेरे क्षेत्र में ट्रामा सेंटर बनवाया. ट्रामा सेंटर हेतु उपकरण भेजकर कृपया उसे शीघ्र प्रारंभ करवायें. अंत में मैं माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने लोकहित में इस बजट को पेश किया है. वाकई में तो यह बजट सर्वानुम्मति से पास होना चाहिए. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इस हेतु धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- अब आप बैठ जाईये. सुश्री हिना कावरे.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी)- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे ही बजट की किताब हमारे हाथ में आती है, मैंने बचपन से देखा है कि सबसे पहले बजट की किताब को हम पीछे से देखना शुरू करते हैं कि हमारी कौन सी रोड बजट में आई है. कौन सी पुलिया हमारी स्वीकृत हुई है. जब हमें अपने विधान सभा क्षेत्र का कुछ नहीं मिलता है तो हम सोचते हैं कि जिले का देख लें. जब जिलेवार भी कुछ हाथ नहीं आता है तो सोचते हैं कि संभाग ही देख लिया जाए. परंतु जब संभागवार भी कुछ नहीं मिलता है तो फिर हम क्या करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज सुबह प्रश्न काल के दौरान भी हमने देखा कि राज्य में सड़कों की स्थिति को आपने भी बहुत ही गंभीरता से लिया है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी का ध्यान आपके माध्यम से आकृष्ट करना चाहती हूं कि सभी विधान सभा क्षेत्रों के अंतर्गत बहुत सी ऐसी सड़कें हैं, जो प्रधानमंत्री सड़क योजना, मुख्यमंत्री सड़क योजना या किसी अन्य सड़क योजना के अंतर्गत भी नहीं आती हैं. मैं इस बात को समझती हूं कि 230 विधायकों में से हर एक विधायक को सड़क उपलब्ध करा पाना संभव नहीं है. लेकिन माननीय वित्त मंत्री जी, ऐसी कोई व्यवस्था करें कि जिससे एक वर्ष में एक विधायक अपने क्षेत्र में कम से कम 20 किलोमीटर की ऐसी सड़क का निर्माण करवा सके जो किसी अन्य योजना के अंतर्गत न आती हो. यदि प्रत्येक विधायक हेतु संभव न हो या कोई आपत्ति हो तो कम से कम हमारे प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर इन सड़कों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान करें. मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे वित्त मंत्री जी इतने सक्षम हैं कि विशेष रूप से विधायकों हेतु बजट में इसके लिए वित्त की व्यवस्था करवा सकते हैं. मुझे याद है कि जब पी.एम.जी.एस.वाय. की परिकल्पना की गई थी तो उस हेतु भी वित्त की अलग से व्यवस्था करवाई गई थी. इसी प्रकार मनरेगा हेतु भी अलग से बजट की व्यवस्था हुई थी. यदि सड़क निर्माण के मेरे इस प्रस्ताव पर वित्त मंत्री जी विचार करेंगे और इसे सुयोग्य मान लेंगे तो वे इस हेतु भी बजट की व्यवस्था करवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय, मैं जानती हूं कि समय की सीमा है. इसलिए मैं विस्तार में न जाकर बिंदुवार ही अपनी बात रखूंगी. सौभाग्य से आदरणीय जयंत मलैया जी जब हमारे जिले के प्रभारी मंत्री थे तो उनके पास जल संसाधन मंत्रालय भी था. उन्होंने जल संसाधन मंत्री रहते हुए इस सदन में घोषणा की थी कि हम जल उपभोक्ता संस्था को मिलने वाली मेंटेनेंस की राशि को दुगुना करेंगे. मैं उस समय की आपकी स्थिति को समझ सकती हूं क्योंकि आपके पास वित्त एवं जल संसाधन दोनों ही विभाग थे. आपके पास कार्य का बोझ अधिक था परंतु आज ऐसी स्थिति नहीं है. आज आपके पास से जल संसाधन विभाग हस्तांतरित हो चुका है. अब ऐसी कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए. मुझे पूरा विश्वास है कि जो घोषणा आपने की है, उसे आप इस सदन में पूरा करेंगे. आज सभी माननीय विधायक कह रहे थे कि हमें लगभग 3 साल पूरे हुए हैं. आज 8 दिसंबर को हमने 3 साल ही पूरे किए हैं. आज ही के दिन हमने प्रमाण-पत्र प्राप्त किया था. दूसरी बात यह है कि हमारे यहां की एक पुलिया बहुत महत्वपूर्ण है. यह सावरीखुर्द से डोंगरगांव के बीच है. इस रोड पर पुलिया का निर्माण होना है. वहां की जनता जो कि उस मार्ग से आवागमन करती है.उनका विश्वास जनप्रतिनिधियों पर से उठ गया है क्योंकि इतनी बार उसका भूमि पूजन हो चुका है कि लोगों ने भरोसा करना बंद कर दिया है यहां तक की मैं अभी उन गावों में गई थी तो मुझे यह बोलना पड़ा है कि मैं इस पुलिया को किसी भी माध्यम से बनवाने का पूरा प्रयास करूंगी, लेकिन अगर यह पुलिया नहीं बन पाई तो मैं अपनी अंतिम वर्ष की पूरी विधायक निधि इस पुलिया के निर्माण के लिए दे दूंगी.
अध्यक्ष महोदय एटीएम कीलाइन की चिंता सभी को है कि बहुत लंबी भीड़ है, लेकिन उस भीड़ का क्या करे जो हमारी महिलाएं सुबह 5 बजे से पानी भरने के लिए हैण्ड पंप की लाइन में लग रही हैं. वित्त मंत्री जी जब हमारे यहां पर जिला योजना की बैठक ले रहे थे तो उस समय एक कार्य योजना पेयजल की समस्या को लेकर बन रही थी तब भी मैंने कहा था कि आप यह बतायें कि यह योजना इस गर्मी के लिए है या अगली गर्मी के लिए है क्योंकि योजना बनते बनते और उसको कार्य रूप में परिणित होते होते अगली गर्मी आ जाती हैं. इसलिए अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से वित्त मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि आप अभी से ही जो योजना बनी हुई है उसके लिए बजट में प्रावधान करवा लीजिए यह बहुत आवश्यक योजना है. जिस तरह से आपने आंगनबाड़ी भवन के सामने हैण्ड पंप का खुदना सुनिश्चित किया है उसी तरह से सभी जगह पर जहां मोक्षधाम है तो वहां पर भी हैण्डपंप अनिवार्य रूप से महत्वपूर्ण है. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद्.
श्री प्रताप सिंह (जबेरा ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस अनुपूरक बजट के विरोध में खड़ा हुआ हूं और अध्यक्ष महोदय से संरक्षण चाहता हूं कि हमारे ही जिले माननीय वित्त मंत्री जी हैं मैं लगातार 3 वर्ष से देख रहा हू्ं कि हमारे क्षेत्र के 3 - 4 प्वाइंट ऐसे हैं हम सोचते हैं कि यह अनुपूरक बजट या मुख्य बजट में ये पुल, तलैया एवं स्वास्थ्य विभाग की समस्याएं आयेंगी लेकिन अभी तक किसी बजट में कोई प्रावधान नहीं हुआ है. सर्वप्रथम मुख्यमंत्री सड़क योजना का चौथा चरण है तो पूरे प्रदेश में चौथे चरण की सड़कें पूरी हो गई हैं लेकिन दमोह जिले में अभी भी चौथा चरण शुरू नहीं हुआ है, वह कहां पर लंबित है उसके लिए कहां पर बजट की कमी आ गई है मैं चाहूंगा उसको देखकर उसे बजट में शामिल किया जाय, साथ ही हमारे जबेरा विधान सभा में जो पीएचसी हैं दोनों में दो साल से एम्बूलेंस बंद पड़ी हैं, मैंने कई बार स्वास्थ्य मंत्री जी से पत्र लिखकर उसकी मांग की है वह दोनों एम्बूलेंस उपलब्ध कराई जायें, मैं वित्त मंत्री जी से आशा करूंगा कि इस बजट में उसका प्रावधान किया जाय.
अध्यक्ष महोदय, मेरा यह भी कहना है कि वन विभाग दो तीन अपूर्ण तालाब हैं गोरखा, ओरियामाल और बैरागढ़ इन तालाबों को पूर्ण कराने के लिए इस वित्तीय बजट में प्रावधान होना चाहिए, साथ ही जबेरा विधान सभा का मुख्यालय जो कि 12 हजार की जनसंख्या से ऊपर पहुंच गया है. लेकिन वहां पर पेयजल की टंकी नहीं है. मैं चाहूंगा कि उसके लिए भी इस बजट में प्रावधान किया जाय.
अध्यक्ष महोदय, लोक निर्माण विभाग के भी 3 पुल हमारे क्षेत्र में ऐसे हैं जिनके बजट प्रावधान के बारे में हम हर बजट में देखते हैं लेकिन वह नहीं हो पा रहा है, एक तो तेजगढ़ में गौरेया नदी पर, खर्राघाट में ब्यारमा नदी पर और तीसरा धुनगीनाला यह तीन पुल अगर बजट में शामिल हों तो जो हमारे क्षेत्र में 4 माह आवागमन बंद रहता है वह सुचारू रूप से चल सकेगा.
समय 05.29 अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची के कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
समय 05.29 वर्ष 2016-17 के द्वितीय अनुपूरक अनुमान की मांगों पर मतदान क्रमश:
श्री प्रताप सिंह -- अध्यक्ष महोदय एक बात और कहना चाहता हूं कि झलोन में एक हाई स्कूल स्वीकृत हुआ है वहां पर केवल तीन अतिरिक्त कक्ष हैं वहां पर बच्चों की संख्या 600 से ऊपर है उसमें एक और नया कक्ष या हाई स्कूल भवन का प्रावधान हो तो हमारे यहां पर जो बच्चे दालान में बैठते हैं उनको भी उसमें शामिल किया जा सकता है. आपने इस अनुपूरक बजट पर बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद्.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने के लिए समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद. हर बजट में मांग संख्या आती हैं, चाहे वह अनुपूरक बजट हो या मुख्य बजट, और हम लोग मांग करते हैं. इसी विधान सभा के अंदर हमने कई बार बजट पर चर्चा के दौरान मांगें की हैं लेकिन सतना जिले की रैगांव विधान सभा में आज तक कोई भी काम पूरा नहीं हुआ है. जो है वह तो ठीक है लेकिन मध्यप्रदेश की विधान सभा इतनी गरीब है कि इस सदन के अंदर संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के छायाचित्र लगाने की बात हमने की थी, इसके अलावा विधायक निधि और स्वेच्छानुदान भी बढ़ाने की बात कही थी, विधायक निधि 77 लाख रु. से बढ़ाकर 1 करोड़ 85 लाख रु. कर दी गई, स्वैच्छानुदान भी 8 लाख रु. से बढ़ाकर 15 लाख रु. कर दिया गया, लेकिन हमने एक पत्र भी लिखा था जिसमें 48 विधायकों ने अपने दस्तखत किए थे कि मध्यप्रदेश विधान सभा के अंदर बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी का छायाचित्र लगाया जाए लेकिन आज तक इस काम को नहीं किया गया है, कहीं न कहीं यह सरकार भेदभाव कर रही है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम मांग कर रहे हैं लेकिन सतना जिले की रैगांव विधान सभा में आज तक न किसी प्राथमिक शाला का माध्यमिक शाला में उन्नयन किया गया है न तो माध्यमिक शाला को हाईस्कूल में बदला गया है और न ही मेरे विधान सभा क्षेत्र में कोई कॉलेज बनवाया गया है. मैंने कई बार मांग की कि जिस तरह से रैगांव विधान सभा मुख्यालय का नाम है रैगांव के मुख्यालय में न तो कोई हॉस्पिटल है, न ही कोई सर्किट-हाऊस है, न ही कोई कॉलेज है और न ही कोई तहसील है जबकि सतना जिले की हर विधान सभा में विधान सभा के नाम से तहसील भी है, सर्किट-हाऊस भी है और हॉस्पिटल भी है. इसलिए मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूँ कि मेरे रैगांव विधान सभा क्षेत्र में भी सर्किट-हाऊस और कॉलेज खुलवाया जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी विधान सभा में बिजली की भी बहुत समस्या है. अभी सरकार के तमाम लोग इस सदन के अंदर कह रहे थे कि 24 घंटे बिजली मिलती है. मैं कहती हूँ कि मेरी विधान सभा में डेढ़-डेढ़ महीने से ट्रांसफार्मर जले पड़े हुए हैं लेकिन जब ट्रांसफार्मर नहीं बदले जाते तो 24 घंटे बिजली की क्या बात करें. किसान समय से अपनी बोवाई नहीं कर पाता है, अपनी खेती की सिंचाई नहीं कर पाता और करे भी कैसे, बिजली ही नहीं है. सतना जिले में हर जगह नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के आधार पर नहर गई है लेकिन रैगांव विधान सभा में नहीं है. अगर हम योजना समिति की बैठक में इस बात को रखते हैं तो माननीय मंत्री जी द्वारा और अधिकारियों द्वारा कहा जाता है कि वर्ष 2018 में पूरा कर लेंगे. हर काम में 2018 या 2013 क्यों कहा जाता है जब चुनाव का समय आता है. मेरी विधान सभा के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जाता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात और कहना चाहती हूँ कि बिजली के बिल किसानों को बिना मीटर लगाए ही दिए जा रहे हैं, कहीं अगर मीटर लगाए भी गए हैं तो वे खराब पड़े हुए हैं और मीटर चेक किए बगैर बिजली का बिल दिया जा रहा है. ज्यादा कुछ नहीं, मैं इतना कहती हूँ कि मेरे घर का बिजली का बिल 5000 रु. या 6000 रु. आता है,(XXX).
अध्यक्ष महोदय -- यह कार्यवाही से निकाल दीजिएगा.
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या के बारे में कहना चाहती हूँ कि रैगांव मुख्यालय में कॉलेज खुलवा दें, मौहारी में माध्यमिक शाला खोल दी जाए और एक रामपुर चौरासी ग्राम है जहां पर स्कूल की बिल्डिंग गिर गई है वह बिल्डिंग बनवा दी जाए और मेरे विधान सभा क्षेत्र में कोठी में एक स्टेडियम बना हुआ है जिसकी जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है वहां पर बाऊंड्रीवॉल का निर्माण करवा दिया जाए. इसके अलावा एक और निवेदन है कि मुझे पता है कि मांग संख्या के बारे में हम मांग कर रहे हैं लेकिन हमें कुछ नहीं मिलने वाला है पर माननीय मंत्री जी से मैं एक निवेदन करना चाहूंगी कि सिर्फ एक चीज मुझे दे दें. हमारे सिदपुरा में एक पानी की टंकी बनवा दें, वह कम से कम 20-25 लाख की बनवा दें, मैं माननीय मंत्री जी से पूछना चाहती हूँ कि वह टंकी देंगे कि नहीं देंगे ?
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें, यह प्रश्नकाल नहीं है.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, अनुपूरक बजट में मैं पूरे प्रदेश के बजट पर चर्चा नहीं करूंगा, चूंकि आपका समय कम है. मैं कुछ अपने क्षेत्र के संबंध में इस बजट में जरूर बोलना चाहूंगा. इस बजट की जब मुझे पुस्तक मिली तो मैंने बहुत उसको अच्छे से गौर से देखा परन्तु बहुत खेद का विषय है, दु:ख का विषय है कि इन 3 वर्षों में मेरे विधानसभा क्षेत्र में आज तक बजट में निर्माण कार्यों के लिए, विकास कार्यों के लिए कोई प्रावधान नहीं रखा गया, जिसका मुझे अत्यंत दु:ख हो रहा है. चूंकि मैं भी एक निर्वाचित सदस्य हूँ और निश्चित रूप से मेरी भी अपनी जवाबदारियॉं हैं. जनता को बहुत सारे जवाब मुझे भी देना पड़ता है और मुझे इस सरकार से बहुत सारी उम्मीदें हैं. कहीं न कहीं निर्माण के कार्य के लिए, विकास के कार्य के लिए मेरे विधानसभा क्षेत्र में बजट रखेंगे, प्रस्ताव रखेंगे ताकि हम लोगों की सुविधाओं के लिए काम कर सकें. मैंने जो बात कही बजट मुझे नहीं मिल पाया.
मैं आपके माध्यम से माननीय वित्त मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि लगातार 3 वर्षों से मैं अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए कन्या महाविद्यालय खोलने के लिए प्रस्ताव दे रहा हॅूं. माननीय मुख्यमंत्री जी से भी कहा, आपको भी दिया और संबंधित विभाग के मंत्री जी को भी दिया परन्तु मुझे इस बात का दु:ख हो रहा है कि बजट में आज भी इस बात का प्रस्ताव नहीं रखा गया. साथ ही साथ इस बजट के अंदर मैंने देखा कि पेंशन का प्रावधान बजट में बहुत कम रखा है. इसमें लिखा जरूर है कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन की बढ़ोत्तरी के लिए बजट रखा जाएगा मगर जिस तरीके से आज प्रदेश के अंदर जो पेंशन हितग्राही हैं उनको जो पेंशन मिल रही है निश्चित रूप से डेढ़ सौ रूपये में किसी का परिवार नहीं चलता है तो इसमें प्रावधान होना चाहिए कि आने वाले समय में पेंशन में बढ़ोत्तरी हो. साथ ही साथ मैं वित्त मंत्री जी का ध्यान दिलाना चाहूंगा कि माननीय मुख्यमंत्री जी ने वर्ष 2011 में मेरी विधानसभा क्षेत्र के मोरडोंगरी गांव में इस बात की घोषणा की थी कि परासिया विधानसभा क्षेत्र में 100 बिस्तर का अस्पताल का निर्माण किया जाएगा, परन्तु अभी तक इसमें कोई कार्यवाही नहीं की गई है और न ही बजट में प्रावधान रखा गया है तो मेरा आपसे निवेदन है कि माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है 100 बिस्तर का अस्पताल परासिया विधानसभा में प्रस्तावित हो. मैं माननीय डॉ. नरोत्तम मिश्र जी से मिला था जब वे स्वास्थ्य मंत्री थे. मैंने उनसे भी पत्र व्यवहार किया था परन्तु अभी तक उसमें नहीं आ पाया. साथ ही साथ मेरे विधानसभा क्षेत्र में बहुत जलाशय के निर्माण नहीं हो पाए हैं मात्र दो जलाशय के निर्माण की स्वीकृति मिली है और चूंकि मेरा ज्यादा से ज्यादा विधानसभा क्षेत्र किसानों से खेती वाला विधानसभा क्षेत्र है जिसमें किसानों को जलाशय न बनने से अनेक परेशानियॉं हो रही है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में ऐसे कोई जलाशय नहीं बने हैं जहां से सीधे तौर पर किसानों के खेत में नहर पहुंच जाए और नहरों से वह अपनी खेती करें और खेती करके अपनी आर्थिक स्थिति सुधारें.
अध्यक्ष महोदय, एक सुझाव और देना चाहता हॅूं कि जलाशय का जिस तरीके से जो प्रावधान रखा है कि साढ़े तीन लाख रूपये हेक्टेयर से यदि ज्यादा कास्ट आती है तो उस जलाशय को स्वीकृति प्रदान नहीं की जाती है चूंकि आज की जो परिस्थितियॉं निर्मित हो रही हैं पूरे देश के अंदर कहीं न कहीं जल को रोकने की व्यवस्था हमको बनानी चाहिए और जिस तरीके का इसके अंदर प्रावधान है, उस प्रावधान को बढ़ाना चाहिए. साढ़े तीन लाख रूपये प्रति हेक्टेयर का जो एस्टीमेट बनता है उससे ऊपर यदि कोई जलाशय की स्कीम जाती है तो वह स्कीम रोक दी जाती है. कम से कम सात लाख रूपये का प्रावधान होना चाहिए ताकि जल को रोकने के लिए हम लोग कहीं न कहीं इस व्यवस्था को बना सकें.
मैं इस मौके पर यह भी कहना चाहता हॅूं कि मेरे छिंदवाड़ा जिले में मेडीकल कॉलेज का प्रावधान है, स्वीकृत भी है मगर मेडीकल कॉलेज के लिए क्या इस बजट के अंदर में बजट का प्रोवीजन रखा गया है ? मुझे तो नहीं दिख पा रहा है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी से कहूंगा कि चूंकि वहां मेडीकल कॉलेज स्वीकृत है और मेडीकल कॉलेज का प्रावधान बजट के अंदर नहीं है तो निश्चित रूप से यह चिन्ता का विषय है. इस पर आप जरूर ध्यान देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री सोहनलाल बाल्मीकी -- अध्यक्ष महोदय, दो-तीन बातें.
अध्यक्ष महोदय -- दो बात तो आपने पहले बोल दी. एक मिनट में समाप्त करें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहता हॅूं. मैं इस मौके पर आपके माध्यम से यह कहना चाहता हॅूं कि मेरे क्षेत्र में बहुत सारी प्रतिभाऍं हैं जो खेल के प्रति बड़ी रूचि रखती हैं और खेलों में अपना नाम कमाया है. मेरे क्षेत्र में कुश्ती का आयोजन ज्यादा होता है. कुश्ती के आयोजन में बहुत सारी लड़कियॉं, बच्चियॉं भी भाग लेती हैं. एक बच्ची शिवानी पँवार है. उसने तुर्की में ओपन रेसलिंग में भाग लिया और भाग लेने के बाद रजत पदक प्राप्त किया, परन्तु आज उसकी कोचिंग के लिए जो खर्च आ रहा है वह हरियाणा राज्य में जाकर कोचिंग लेना चाहती है लेकिन ऐसा प्रावधान नहीं है जहां उस बच्ची को मदद मिल सके और आगे जाकर वह इंडिया का नाम कमा सके. मेरा आपसे निवेदन है कि सरकार इसमें इसके लिए प्रावधान रखें .
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- मैं समाप्त ही कर रहा हूं. मेरा वित्तमंत्री जी से निवेदन है कि यदि सरकार ऐसे प्रावधान नहीं रखती है तो विधायकों के बजट में यह प्रावधान रखा जायें कि जो बच्चे उनके विधानसभा क्षेत्र में अच्छे खिलाड़ी हैं यदि विदेश में उनका सलेक्शन होता है, उनको ओपन टूर्नामेंट में खेलने को मिलता है तो विधायकों के पास इतना बजट हो ताकि वह उनके जाने-आने की व्यवस्था और पार्टिसिपेशन करने की सुविधा उपलब्ध करवा सके.अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि मेरे क्षेत्र में अतिरिक्त सत्र न्यायालय खोलने का प्रस्ताव पारित किया गया है. परन्तु उसमें बजट नहीं आ पाया है तो मेरा आग्रह है कि उसमें बजट का प्रावधान किया जाये ताकि अतिरिक्त सत्र न्यायालय खोलने में परेशानी न हो. आपका बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री जतन उइके( पांढुर्णा)--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अनुपूरक बजट के विरोध बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मैं कहना चाहता हूं कि मेरा क्षेत्र टोटल ट्राइबल क्षेत्र है और सबसे ज्यादा वहाँ पर एजुकेशन की आवश्यकता है. चूंकि शिक्षा के बारे में आज की जो नीतियाँ हैं, खास तौर पर प्राइमरी और मिडिल स्कूल्स की, प्राइमरी बुनियादी शिक्षा होती है किन्तु सरकार की नीति ऐसी है कि 1 से लेकर 8वीं कक्षा तक लगातार बच्चों को पास किया जाता है, बच्चे को पढ़ते बने तो पास करना है, नहीं पढ़ते बने तब भी पास करना है, वह स्कूल आए तो पास करना है, न आए तो पास करना है. वह बच्चा 8 से 9 वीं पास हो जाता है. चूंकि 9वीं कक्षा लोकल होती है इसलिए 9वीं में पालक ने कहा कि गुरुजी मेरे बेटे को पास कर दीजिये, गुरुजी को दया आ गई तो उन्होंने पास कर दिया और वह बच्चा 10 वीं में पहुंच जाता है और जब दसवीं में वह बच्चा पहुंचता है तो निश्चित तौर पर वह बच्चा 10 साल तक फेल होगा ही होगा क्योंकि उसकी बुनियाद खराब है. आप मध्याह्न भोजन,छात्रवृत्ति और साइकिल दे रहे हैं यह बहुत अच्छा कर रहे हैं . अध्यक्ष महोदय, हम आदिवासी क्षेत्र के लोग हैं हमारे पास इतना पैसा नहीं होता. हम बच्चों को प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ा सकते हैं इसलिए आपसे गुजारिश है कि आदिवासी क्षेत्र में अच्छे से अच्छे शिक्षक पहुंचवायें और प्राइमरी में 5 वीं कक्षा को और मिडिल में 8वीं कक्षा को आप बोर्ड कीजिये. जब बच्चा छनकर निकलेगा तब कहीं जाकर आगे 9वीं औऱ 10 वीं में अच्छा परफार्मेंस करके वह 11वीं और 12 वीं जाएगा और तब कहीं जाकर जो सीएम साहब उच्च शिक्षा की बात करते हैं कि मैं उनको अमेरिका पहुंचा रहा हूं, वह सही होगी. मेरा निवेदन है कि इसको जरूर बजट में शामिल करें.
अध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र की बात पर आऊँगा. मेरे क्षेत्र में कई बार ब्रिज कारपोरेशन को तीन –तीन बार लैटर दिया है.जामघाट, कौड़िया, लोनादेवी, बेलगांव, कोकाढाना में पुल के लिए लैटर दिया है. लेकिन उसके लिए अभी तक बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है. वित्तमंत्री जी इसको बजट में जरूर ले लें तो मेहरबानी होगी और मेरे पांढुर्णा में विगत 13 साल पहले सीएम साहब द्वारा घोषणा की गई थी उस जलाशय को भी अतिशीघ्र पूरा किया जाये. अध्यक्ष महोदय, एक इंजीनियरिंग कॉलेज पांढुर्णा में देने का कष्ट करें तो मेहरबानी होगी और रजौधा जी ने, शैलेन्द्र भाई ने बढ़िया चन्द लाइनें कहीं थी मैं भी चन्द लाइन कहना चाहता हूं कि “ एक बादशाह था उसने दरबार लगाया, वहाँ माहौल बनाने के लिए एक गायक कलाकार को बुलाया गया, गायक को बोला गया कि चलो गाना गाइए, गायक ने गाना शुरु किया, बादशाह बहुत खुश हुआ और ऐलानात करते गये कि हम तुम्हें हीरे देते हैं. गाने वाले और खुश हुआ. राजा और खुश हुआ और कहा कि तुमको हीरे देते हैं, मोती देते हैं, पैसा, जायदाद, खेती-बाड़ी देते हैं. राजा खूब घोषणा करते गये. वह गाने वाला बड़ा खुश हुआ. वह गायक घर गया अपने बीबी,बच्चों,गांव वालों को बताया वह सब भी बहुत खुश हुए. एक दिन गुजरा, दो दिन गुजरा, दस दिन गुजरा उसके बाद वह बादशाह के पास गया और कहा कि बादशाह आपने ऐलानात करते गये कि मुझे यह दे रहे हैं, वह दे रहे हैं लेकिन इतने दिन गुजर गये आपने मुझे कुछ नहीं दिया. तो बादशाह कहते हैं कि यह लेने-देने की बात कहाँ से आ गई, आपने मेरे कान को खुश किया, मैंने आपके कान को खुश किया”. आपने समय दिया, धन्यवाद.
श्री वैल सिंह भूरिया (सरदारपुर) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं 16-17 द्वितीय अनुपूरक अनुमान की मांगों का समर्थन करता हूं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार में आदिवासी भाईयों का, किसान भाइयों का, दीन, दुखी, दरिद्रों का चेहरा कमल की तरह खिल रहा है. अनुसूचित जनजाति के लोगों को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत अपना उद्योग अथवा व्यवसाय स्थापित करने हेतु आदिवासी वित्त विभाग निगम के माध्यम से अनुदान एवं बैंक से ऋण उपलब्ध कराए जाने हेतु आदिवासी उपयोजना अंतर्गत 57 करोड़ का प्रावधान द्वितीय अनुपूरक अनुमान में किया गया है. आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित छात्रावासों, आश्रमों में प्रवेश न पा सकने वाले विद्यार्थियों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से छात्रगृह योजना संचालित है. इस हेतु आदिवासी क्षेत्र उप योजना में वित्तीय वर्ष में प्रावधानित राशि अतिरिक्त 20 करोड़ रुपए का प्रावधान द्वितीय अनुपूरक में किया गया है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार गरीबों के लिए काम कर रही है, आदिवासी भाइयों के लिए काम कर रही है, किसानों के लिए काम कर रही है. देश आजाद हुए 68 साल हो गए हैं यदि हमारी सरकार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के 11 वर्ष के कार्यकाल का काम और 50 साल के कांग्रेस के कार्यकाल के काम को तराजू के एक पलड़े पे तौला जाए तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान के 11 साल के कार्यकाल का पलड़ा भारी होगा और कांग्रेस की सरकार के जो 50 साल का जो पलड़ा है वह हवा में उड़ जाएगा. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज जी ने कई प्रकार की जनकल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं. आज गरीब आदमी भूखा नहीं मर सकता है. एक रुपए किलो गेहूं, एक रुपए किलो चावल की योजना हमारे मध्यप्रदेश के लाड़ले मुख्यमंत्री माननीय शिवराज जी ने लागू की है और अभी हितग्राही प्रशिक्षण शिविर में भी मध्यप्रदेश के लाड़ले मुख्यमंत्री शिवराज जी ने पांच रुपए में गरीब को एक थाली पेटभर भोजन देने का जो एलान किया है वह मध्यप्रदेश के लिए अनुकरणीय व प्रशंसनीय बात है. माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं एक शेर बोलकर मेरे क्षेत्र की समस्या बताना चाहूंगा.
‘’जिसके मन में मैल नहीं वह कभी फेल नहीं’’
वाकई में जनता का चेहरा कमल के फूल की तरह खिल रहा है.
अध्यक्ष महोदय—आप अपनी समस्या जल्दी जल्दी बताएं.
श्री वैल सिंह भूरिया—माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र सरदारपुर में कचनारिया पुल है. वह कचनारिया पुल दो करोड़ की लागत का है यदि माननीय मंत्री जी इसे अनुपूरक बजट में इसे जोड़ देंगे तो बहुत अच्छा होगा. आदिवासियों को आने जाने में सुविधा होगी. यह कोटोश्वरी नदी के ऊपर झाबुआ और धार के बीच का पुल है. 8,9 महीने पहले माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा एक घोषणा की गई थी कि प्रोजेक्ट तैयार है. जल संसाधन विभाग में रिनोद जलाशय जो स्पेशल पैकेज में स्वीकृत किया जाए. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे दत्तीगांव क्षेत्र में एक बालक खेल परिसर स्वीकृत किया जाए. मेरी दो समस्याएं और हैं. सरदारपुर एक आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और वहां पर शिक्षा का बहुत अभाव है मेरी विधानसभा पिछड़ी हुई है इसलिए मेरे आदिवासी तिबला क्षेत्र में 4 बालक छात्रावास और 4 बालिका छात्रावास स्वीकृत किए जाएं यही मेरा अनुरोध है. मुझे बोलने का मौका दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती झूमा सोलंकी (भीकनगांव)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मेरे विधान सभा क्षेत्र की बात करुंगी क्योंकि आपने दो मिनट का समय दिया है. खरगोन जिले में जनभागीदारी निधि का जो बजट आता है वह बहुत कम है. अन्य विधायकों द्वारा व मेरे द्वारा भी कई महत्वपूर्ण सड़कें जो इसके माध्यम से पूरी हो सकती थीं वे नहीं हो पा रही हैं. मेरे भी 10 से 12 प्रस्ताव हैं उन्हें भी मंजूरी मिल जाए यह सड़कें ऐसे क्षेत्र में हैं जहां यह बन जाएंगी तो बहुत से आवागमन के रास्ते खुल जाएंगे. जब से विधान सभा शुरु हुई है तब से मैं दो सड़कों की मांग कर रही हूँ. सिवना से आभापुरी और खोई से लाईखेड़ी मार्ग क्योंकि पूर्व में अपरवेदा डेम के बनने से यह दोनों सड़कें डूब में आने से एनवीडीए के द्वारा दूसरा मार्ग बनाया गया था. अब इसे पूर्ण करने की मांग को रख-रख के क्षेत्र के लोगों की आशा ही छूट गई है कि यह कभी बनने वाली नहीं है. एनवीडीए से पीडब्ल्यूडी को हेंडओवर हुई है. इन मार्गों को पूर्ण किया जाए. बजट में ले लिया जाया, ज्यादा खर्च नहीं है. वित्त मंत्री जी इस बजट में इसे पूर्ण कर देंगे तो बहुत अच्छा होगा.
अध्यक्ष महोदय, साथ ही आदिवासी परियोजना जिसका 50-60 लाख रुपये का हम लोग साल भर में देते हैं. बीआरजीएफ योजना भी बंद हो गई है और इस परियोजना में भी पैसा बिलकुल नहीं आ रहा है. इसका बजट बढ़ाया जाए. मेरे क्षेत्र के अन्तर्गत ज्यादातर फसलें कपास और मिर्ची की होती हैं. पिछले दिनों नोटबंदी की वजह से किसानों के साथ बड़ा छलावा हो रहा है. बेड़िया मिर्ची मंडी में किसानों से बड़ा धोखा हो रहा है. मंडी का प्रशासन देख रहा है कि पुराने नोट बंद होने के बाद भी उनकी देखरेख में धोखा हो रहा है. कहा जाता है कि 110 से 130 रुपये किलो पुराने नोट में दे दीजिए और नया नोट लेना है तो 70 रुपए किलो, यह कितना बड़ा अन्तर है. 40 से 50 रुपए किलो का अन्तर हो रहा है. यह बंद होना चाहिए. बड़े दुख की बात यह है कि प्रशासन देख रहा है और यह काम हो रहा है. बिंजल परियोजना जो कि उद्वहन नहर की है इसकी मंजूरी तो मिली है परन्तु बजट में अभी नहीं आई है यह जल्दी से जल्दी पूरा हो ताकि मेरे क्षेत्र की जो अधिकतम असिंचित जमीनें हैं वे पूर्ण रुप से सिंचित हो सकें. यह मेरी सबसे बड़ी महत्वपूर्ण मांग है यह पूरी हो ऐसी आशा है.
अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
प्रभारी नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं वर्ष 2016-17 के द्वितीय अनुपूरक बजट का विरोध करता हूँ उसका कारण यह है कि मध्यप्रदेश सरकार की आर्थिक हालत बहुत खराब हैं. बहुत बुरी स्थिति से मध्यप्रदेश गुजर रहा है और इसका कारण माननीय मुख्यमंत्री जी और आदरणीय वित्त मंत्री जी हैं. मैं आपकी जानकारी में यह लाना चाहता हूँ कि जुलाई वाले सत्र में आपने 7400 करोड़ रुपए इसी विधान सभा में पास करवाए थे. जुलाई में 7400 करोड़ पास करवाए वह कहां खर्च किए ? उसके तुरंत बाद आपने 5 अगस्त से 8 नवंबर तक सात बार बाजार से फिर कर्ज लिया. इस दौरान आपने 10500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है. आज मध्यप्रदेश को आपने डेढ. लाख करोड़ रुपए के कर्ज में लाकर खड़ा कर दिया है. इसलिए मैंने आपका और मुख्यमंत्री जी का नाम लिया है. इस दौरान जो आपने कर्ज लिया है और किस तारीख को कितना कर्ज लिया है वह मैं बताना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, 5 अगस्त को 1500 करोड़ रुपए, 19 अगस्त को 1000 करोड़ रुपए, 8 सितंबर को 1500 करोड़ रुपए, 23 सितंबर को 1000 करोड़ रुपए, 6 अक्टूबर को 2000 करोड़ रुपए, 21 अक्टूबर को 2000 करोड़ रुपए और 8 नवंबर को 1500 करोड़ रुपए. इस तरह से आपने 10500 करोड़ रुपए कर्ज लिया है. मध्यप्रदेश पर डेढ. लाख करोड़ रुपए कर्ज हो चुका है.और एक साल में 6 हजार करोड़ रूपये का सरकार ने जो कर्ज लिया है, उसकी ब्याज की अदायगी हर वर्ष सरकार करती है और राज्य का राजकोषीय घाटा 6 प्रतिशत हो गया है, जबकि मैं समझता हूं कि बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिये 3 प्रतिशत या उसके अंदर ही होना चाहिये. वह बेहतर वित्तीय प्रबंधन माना जाता है. मेरी जानकारी में है कि 6 प्रतिशत राजकोषीय घाटा हो गया है. माननीय वित्त मंत्री जी आप इस पर ध्यान दें. इस बार फिर आपने नौ हजार तीन सौ तैंतालीस करोड़, छयालीस लाख, अड़तीस हजार सतासी रूपये का यह द्वितीय अनुपूरक बजट आप लाये हैं. आप यह कह रहे हैं कि हम जो बाजार से कर्ज विकास कार्यों के लिये लेते हैं और इसी से हम इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्य करवाते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह जो राशि आपने ली है वह इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्य के लिये नहीं बल्कि आपने जो कर्ज लिया है उस कर्ज की अदायगी के लिये आप कर्ज लेते हो और उस कर्ज की अदायगी आप करते हो. इसके लिये आप बार-बार कर्ज लेते जा रहे हैं. केन्द्र सरकार अलग-अलग सैस लेती है, सैस एक टैक्स है जिसका हिस्सा मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों को नहीं मिलता है. मेरा आपसे आग्रह है कि माननीय मुख्यमंत्री नीति आयोग की उप समिति के अध्यक्ष हैं. उनको यह बात केन्द्र सरकार को जंचाना चाहिये और नीति आयोग की उस समिति के अध्यक्ष होने के नाते यह जो अलग-अलग सेवाओं का सैस कर के रूप में टैक्स मिलता है, उसकी राशि मध्यप्रदेश और अन्य राज्यों को भी मिलना चाहिये. हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री नीति आयोग की उप समिति के अध्यक्ष हैं. जिससे कि उसका लाभ हमें और मध्यप्रदेशवासियों को होगा. अगर ऐसा होगा तो हम सबका फायदा ही होना है. माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार ने अभी तक सिंहस्थ पर जो व्यय हुआ है कितना व्यय हुआ है उसको सरकार अभी तक स्पष्ट नहीं कर पायी है. दो हजार सात सौ इकहत्तर करोड़ पैंसठ लाख बजट के अगेंस्ट आपने हमारे प्रश्न के उत्तर में यह जवाब दिया है कि सिंहस्थ पर अभी तक व्यय दो हजार करोड़ तिरानवे लाख रूपये हुआ है. यह जवाब हमारे प्रश्न के जवाब में आया है. वहीं 15 अगस्त के मुख्यमंत्री जी के संदेश में यही आंकड़ा तीन हजार तीन सौ करोड़ रूपये होता है. माननीय वित्त मंत्री जी आप इसको स्पष्ट करें कि सही क्या है. इससे ही संबंधित संसद में प्रश्न लगता है तो वहां का जवाब आता है कि चार हजार चार सौ करोड़ रूपये व्यय हुआ, तो यह तीनों एक ही प्रश्न के अलग-अलग जवाब आ रहे हैं तो आप इसको स्पष्ट करें. इसका आप एकजाई उत्तर दें. इसके बारे में आप अवगत करायेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा. अभी भी जैसे 2000 करोड़ रूपये खर्च हुए, 2731 करोड रूपये में से उसमें से 771 करोड़ 65 लाख रूपये बाकी थे उसके बावजूद भी आपने जुलाई वाले सत्र में आपने 403 रूपये सिंहस्थ की देनदारियों के हमसे फिर आपने पास करवाये. लगभग आपके पास 800 करोड़ रूपये मेन बजट में से बचे हुए थे. आपने फिर हमसे 403 करोड़ रूपये फिर आपने लिये तो लगभग 1200 करोड़ रूपये का अभी कोई अता-पता नहीं है तो माननीय वित्त मंत्री जी हमारा अंदेशा इसलिये होता है और हमारे अलग-अलग साथी एक ही ईश्यू के प्रश्न लगाते हैं तो उनका अलग-अलग उत्तर आते हैं. इसलिये आज प्रश्नकाल में यह स्थिति बनी थी. अध्यक्ष महोदय, मैं इसी कारण से आपको बताना चाहता हूं कि इस पर अलग से स्पेशल चर्चा करायें, क्योंकि जो भ्रम बना है इसको आप समाप्त करायें. बात यहीं समाप्त नहीं होती है, आगे मैं आपको बताना चाहता हूं कि मटके रखने के स्टेण्ड वह 4000 का एक स्टेण्ड खरीदा है. आपने 500 स्टेण्ड खरीदे हैं, कुल 20 लाख रूपये के स्टेण्ड खरीदे हैं. यह प्रश्नों के जवाब में आया है. यह इसलिये मैं बता रहा हूं कि सिंहस्थ पर सरकार ने अभी तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है. 25 हजार नीम की गोलियां, 30 हजार सेनेटरी नेपकीन, सिंहस्थ गर्मी के समय में हुआ है.आपने 34 हजार वैसलीन जो लगभग 100 रूपये की एक लेना बताया है. आपने 34 लाख रूपये की वैसलीन गर्मी के समय में आपने खरीदी है, उसकी क्या जरूरत पड़ गयी. वह किनको दी है, कोई टेण्डर प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया है. यह सब विधान सभा के प्रश्नों के जवाब में है. यह विधान सभा की प्रापर्टी है. जब तक आप चर्चा करके स्पष्ट नहीं कराएंगे तब तक यह अंदेशा बना रहेगा, बात यहीं समाप्त नहीं होती है. शौचालय से संबंधित हमारे विधायक साथियों ने प्रश्न लगाये थे एक जयवर्द्धन सिंह जी के प्रश्न के जवाब में नंबर ऑफ शौचालयों की बात आयी थी तो 53 हजार 259 शौचालयों की संख्या बतायी थी. वहीं जीतू भाई पटवारी जी ने प्रश्न लगाया था उन्होंने भी यही बात पूछी थी तो 57 हजार 686 शौचालयों की बात आयी थी. 4 हजार 427 शौचालयों का आज तक भी पता नहीं है दो दिन तीन दिन पहले श्री अरूण यादव जी के साथ एक रिपोर्ट आपको समिट की थी और हम यही उम्मीद कर रहे थे कि हमको चर्चा के लिये अवसर दें आपको रिपोर्ट सौंप चुके हैं इसकी बात बता रहा हूं कि 4 हजार 427 शौचालय जिसमें एक शौचालय 21 हजार से लेकर 35 हजार 20 बीस रूपये का एक शौचालय है तो 4 हजार 427 शौचालयों का आज तक पता नहीं है, जो प्रश्नों के जवाब आये हैं उन्हीं का ही मैं उल्लेख कर रहा हूं. इसीलिये हम लोग चाहते थे इस पर चर्चा हो जाए जिससे कि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके. दूसरा 25 फर्मों ने यह शौचालय सप्लाई करना बताया है जब मैंने खुद ने वाणिज्यिक कर विभाग से इसकी जानकारी ली कि क्या इनके पंजीयन थे तो सुनकार आप हम सब हैरानी में पड़ जाएंगे कि और मैं उन कम्पनियों के नाम भी बताना चाहता हूं. 25 कम्पनियों में से मेरे प्रश्न क्रमांक 1589 दिनांक 6.12.16 को बताया कि मैं कंस्ट्रक्शन उज्जैन, अशोक कुमार जैन उज्जैन, महेन्द्र जैन उज्जैन, अर्जुन कंस्ट्रक्शन इन्दौर, उनका किसी भी सेल टैक्स के किसी भी कार्यालय में उनका पंजीयन नहीं है. दूसरा कनिष्का सप्लायर उज्जैन का पंजीयन भी 1.4.2015 को निरस्त हो चुका था तो फिर इन कम्पनियों ने यह शौचालय कैसे सप्लाई किये उसमें माननीय वित्तमंत्री जी हैरानी की बात तो यह है कि यह सब प्रश्नों के जवाब आपके विभाग ने हमको दिये हैं, आप इसको दिखवाएं. आप प्रदेश को किस ओर ले जाना चाहते हैं. आपके विभाग ने जो कि वित्त मंत्रालय के अलावा आपके पास में जो सेल टैक्स विभाग भी है उन्होंने यह जवाब दिये हैं जिनका मैं उल्लेख कर रहा हूं, इसका जवाब आपके विभाग के अधिकारियों से लेकर हमें अवगत करायें कि आपने यह फर्जीवाड़ा क्यों करवाया, यह जवाब आपके विभाग ने हमको दिया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हो चुकी हूं मैं उसका एक उदाहरण दे रहा हूं माननीय शरद जैन जी यहां पर बैठे हैं वह 12 नवम्बर, 2016 को इन्दौर के एम.वाय हास्पीटल में गये थे वहां पर आपका बी.पी. चैक नहीं हो पा रहा था, यह स्थिति एम.वाय हास्पीटल की थी.
श्री शरद जैन--अध्यक्ष महोदय, यह तो आप मानते हैं कि हम वहां पर गये थे. वहां पर हमने पूरा निरीक्षण भी किया, वहां पर जो गलती थी उनका सुधार भी करवाया आपको तो धन्यवाद देना चाहिये, तथा उसकी प्रशंसा करना चाहिये आप तो आलोचना कर रहे हैं.
श्री बाला बच्चन--आपकी आलोचना नहीं इसको आप धन्यवाद ही समझिये कि वहां पर आपने बी.पी. चैक करवाया था.
श्री शरद जैन--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके क्षेत्र बड़वानी में भी गया था वहां पर एक दुर्घटना हुई थी उसमें आश्चर्य की बात यह है कि क्षेत्रीय विधायक वहां अस्पताल नहीं पहुंचे थे और इस प्रदेश का स्वास्थ्य मंत्री वहां पहुंच गया था वहां पर पूरी हॉस्पीटल का निरीक्षण किया था उस मामले में आपने थोड़ा बड़प्पन दिखाकर धन्यवाद भी दिया था.
श्री बाला बच्चन--अध्यक्ष महोदय, खण्डवा में नवजात सघन चिकित्सा इकाई में दो माह पहले लगभाग 25 बच्चों की मौत हो गई, बालाघाट में दो बच्चो की मौत हो गई, सतना एवं उज्जैन में सैकड़ो बच्चों की मौत हुई है, यह हालात हैं. आगे मैं स्वास्थ्य मंत्री जी का उल्लेख करना चाहता हूं कि 22 नवम्बर, 2016 को जे.पी.अस्पताल में बच्चो की इमरजेंसी यूनिट का शुभारंभ करने गये थे उस समय स्वास्थ्य मंत्री जी ने बोला था कि डाक्टरों में बेवजह से रेफर करने की यह प्रथा बन गई है, वह ठीक नहीं है. वह ठीक नहीं है. यह शर्मनाक स्थिति है, यह शब्द माननीय हेल्थ मिनिस्टर जी को बोलना पड़ा था. इसी से हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य स्थिति का क्या हाल है ? जननी एम्बूलेंस 108 समय पर नहीं पहुँचने से प्रदेश में प्रदेशवासियों की मौतें हुई हैं. माननीय मंत्री जी, आप सरकार में कसावट लाइये और आगे इस तरह की पुनरावृत्ति न हो.
अध्यक्ष महोदय, 6 सितम्बर, 2016 को आदरणीय मुख्यमंत्री जी ने मंत्रियों की और प्रमुख सचिवों की बैठक ली थी कि हम पोषण आहार पर श्वेत-पत्र लायेंगे. माह-सितम्बर, अक्टूबर और नवम्बर निकल गया है, 3 महीने बाद भी जिस बैठक में माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा था और निर्णय लिया था कि हम श्वेत-पत्र लायेंगे, जिसमें मंत्रीगण एवं प्रमुख सचिव थे. उसमें यह जवाब आता है कि श्वेत-पत्र लाने की कार्यवाही प्रचलन में है, उसकी तैयारी की जा रही है और एक जवाब में यह आया है कि बच्चों की कुपोषण से कोई मौतें नहीं हो रही हैं. आप पहले इस पर विचार करें. यह जो कम से कम आपका मंत्रिमण्डल और मुख्यमंत्री जी जो निर्णय करते हैं और व्यवस्थाएं देते हैं, इसको तो ठीक ढंग से लागू करवायें और उसको अमल में लायें. मैं समझता हूँ कि इससे ज्यादा गुमराह करने वाली और क्या बात हो सकती है जबकि श्योपुर में केन्द्र से जांच के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम आई, उसके बाद यह जवाब आ रहा है कि कुपोषण से कोई मौत नहीं हो रही है तो मैं समझता हूँ कि यह गुमराह करने वाली बात ही है.
अध्यक्ष महोदय, भोपाल जेल ब्रेक की घटना ने सरकार की लापरवाहियों की पोल खोल दी है. वहां कैमरे बन्द मिले, प्रहरियों की ड्यूटी अधिकारियों के यहां और अन्य जगहों पर लगी हुई थी. मैं बताना चाहता हूँ कि खण्डवा जेल ब्रेक का रीप्ले भोपाल जेल ब्रेक हो गया. फरवरी, 2016 में हत्या के दो आरोपी फरार हुए हैं, वे आज तक नहीं पकड़ाये गये हैं. यह सरकार की कितनी बड़ी लापरवाही है. मैं यह सब बातें सरकार की पोल खोलने वाली बता रहा हूँ. उसके बावजूद भी सरकार अभी तक नहीं जागी है.
अध्यक्ष महोदय, मार्च, बजट 2016-17 में मेट्रो के लिए 100 करोड़ रूपये आदिम जाति विभाग से लिए थे. 3 सितम्बर, 2016 को श्री कैलाश विजयवर्गीय जी का ट्वीट आता है कि इन्दौर-भोपाल में मेट्रो ट्रेन नहीं, बैलगाड़ी आ रही है. उसके बाद मैं आपको बताना चाहता हूँ कि भोपाल की मेट्रो ट्रेन के लिए जायका कम्पनी फायनेन्स कर रही थी, उसने फायनेन्स करना बन्द कर दिया है. अब मेट्रो ट्रेन छोडि़ये, बैलगाड़ी भी छोडि़ये अब तो मुझे लगता है कि बैल भी नहीं आ पायेंगे. यह आपके नेताजी ने ट्वीट किया है. मैं याद दिलाना चाहता हूँ कि सरकार क्या निर्णय लेती है ? और उस पर अमल होता है कि नहीं.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- नेताजी, शरद जी सरकारी अस्पताल में गये, रूस्तम जी सरकारी अस्पताल में गए, केन्द्र का दल श्योपुर में गया और श्री कैलाश विजयवर्गीय जी ने ट्वीट किया. हमने जो किया, आप उसको इतनी देर से बता रहे हैं. विपक्ष ने क्या किया है ? वह तो बताइये.
श्री बाला बच्चन – हम वही तो बता रहे हैं. विपक्ष ने बेलगाम सरकार को लगाम लगाने का काम किया है. आप जो 13 साल की सरकार लेकर बैठे हैं, हम वह याद दिलाना चाह रहे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – आपने कभी लगाम देखी है. वह कैसी होती है? आपको कब लगी ?
श्री बाला बच्चन – हां, लगाम देखी है. हम किसान के बेटे हैं एवं बैलों को लगाम लगाते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, पीडएस के अंतर्गत जो साढ़े तेरह रूपए की शक्कर को 50 प्रतिशत कीमत बढ़ाकर बीस रूपए किलो आपने कर दी है. आपको ध्यान देना पड़ेगा, व्हीकर सेक्शन के लोग पीडीएस में जुड़े रहते हैं, वहां जो साढ़े तेरह रूपए की शक्कर को 50 प्रतिशत कीमत बढ़ाकर बीस रूपए किलो आपने कर दी है. अपने छोटे लोगों को शक्कर लेने से और खाने से वंचित कराने का जो फैसला लिया है, मैं समझता हूं कि प्रदेश की जनता के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री युवा कॉन्ट्रेक्टर योजना में जो प्रशिक्षण दिया जा रहा है, मैं समझता हूं कि वह प्रशिक्षण पूरी तरह से लापरवाही की भेंट चढ़ गया है, इस योजना के तहत जिन भी बेरोजगार युवकों ने, इंजीनियरों ने जो प्रशिक्षण लिया है, किसी को कोई ठेका नहीं मिल पा रहा है. मैं समझता हूं कि यह बेरोजगार युवाओं के साथ एक प्रकार का छलावा है, ऐसा आप क्यों करते हैं. ऐसे ही माननीय अध्यक्ष महोदय, नीट 2016 की काउंसलिंग फर्जीवाड़ा की मिसाल है. आपके चिकित्सा शिक्षा विभाग के पूरी तरह से भ्रष्टाचार के 37 एडमिशन अधिक हो गए, जो भ्रष्टाचार का उदाहरण है, जितनी सीटें थी, उससे 37 एडमिशन ज्यादा कर दिए हैं.
राज्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा (श्री शरद जैन) - आप सभी को मालूम है कि नीट के द्वारा जो परीक्षा ली गई, पहली बार ऐसा हुआ है कि पूरी पारदर्शिता के साथ सब काम हुआ है. इस मामले में, जब बहुत से मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में फैसले हुए हैं, काउंसलिंग के संबंध में और अन्य संबंध में, तो मैं समझता हूं कि इस संबंध में जो ज्यादा उल्लेख आप कर रहे हैं, वह उचित नहीं है.
श्री बाला बच्चन - माननीय मंत्री जी, यह स्पष्ट हो गया सरकार के जवाब से कि पहली बार जो फैसला लिया गया पारदर्शिता का, इसके पहले पारदर्शिता नहीं होती थी, क्या? 37 एडमिशन किस नियम के अंतर्गत किया.
श्री शरद जैन - आपके समय क्या होता रहा, ये बताईए.
श्री सुंदरलाल तिवारी- 6 हजार मुलजिम, व्यापम में है, सीबीआई और कोर्ट के पास मामला है, आप तो नहीं है, उसमें.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाए, तिवारी जी, आपने कहां इनको जगा दिया, वे शुरू हो गए तो रात के 8 बज जाएंगे, बैठ जाइए.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के मजदूरों का भुगतान अभी तक नहीं हो पा रहा है, काम भी सब बंद पड़े हुए हैं, मजदूरों का भुगतान किया जाना चाहिए, बहुत सारे मनरेगा में जो घोटाले और घपले हुए है. मैं मेरे जिले का उदाहरण देना चाहता हूं कि बड़वानी जिले में जिस सीईओ ने घपले किये हैं वह आपके माध्यम से सरकार की जानकारी में लाना चाहता हूं कि जो घपले मनरेगा में बड़वानी जिले में हुए है, वह मनरेगा की स्थापना का काम यहां देख रहे हैं, इस पर आपको विचार करना पड़ेगा. एक और कर्मचारियों ने 28 नवम्बर को मुख्यमंत्री जी का खूब स्वागत किया था कि सातवां वेतनमान उनको मिल जाएगा, लेकिन कर्मचारियों को हताशा ही हाथ लगी है. मेरे पास अभी माननीय अध्यक्ष महोदय, बहुत सारे मुद्दे हैं, लेकिन आप समय सीमा में बांध रहे हैं, ये किताब मुद्दों से भरी है. मैं आपसे आग्रह करना चाहता हूं कि मैंने और हमारे विधायक साथियों ने, चाहे सत्ता पक्ष के हों या विपक्ष के विधायक साथियों ने जो सुझाव सुझाए हैं, आप हमने जो बजट ले रहे हों, हमसे जो राशि पास करवाते हैं, कम से कम उसको भ्रष्टाचार का शिकार न होने दे, जिस योजना और हेड के लिए ये बजट पास करवाते हों, उसी के विकास के लिए ठीक ढंग से उपयोग करेंगे तो मैं समझता हूं यह बहस भी सार्थक होगी और जो फंड हम दे रहे हैं, उसकी खुशी हम लोगों को भी होगी और प्रदेशवासियों के काम भी होंगे, जिन समस्याओं से वे जूझ रहे हैं, इससे उनको छुटकारा भी मिलेगा. इसी उम्मीद के साथ मैं मेरी बात समाप्त करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय आपने मुझे समय दिया, उसके लिए धन्यवाद.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) -- अध्यक्ष महोदय, मुझे यह बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि हमारी सरकार द्वारा राज्य के चहुंमुखी विकास के लिये द्वितीय अनुपूरक अनुमान 2016-17 में कुल 14571 करोड़ रुपये के प्रस्ताव निहित हैं. उपरोक्त में से रुपये 5140 करोड़ की राशि पुनर्विनियोजन द्वारा उपलब्ध कराई जायेगी. इस प्रकार शेष अनुपूरक मांग की राशि रुपये 9431 करोड़ होगी. इसके अतिरिक्त अनुपूरक मांग के लिये स्वीकृत बजट से राशि रुपया 382 करोड़ समर्पित होने एवं भारत शासन तथा अन्य स्रोतों से उपलब्ध हुई राशि रुपये 2579 करोड़ के फलस्वरुप द्वितीय अनुपूरक अनुमान 2016 में राज्य की संचित निधि पर शुद्ध अतिरिक्त भार लगभग 6470 करोड़ रुपया आयेगा.
अध्यक्ष महोदय, रामनिवास रावत जी और अन्य सदस्यों ने बात की कि द्वितीय अनुपूर अनुमान 2016-17 को लाने का औचित्य क्या है. मैं उसमें निवेदन करना चाहता हूं कि वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता अपेक्षा से कम होने के बावजूद संविधान के अनुच्छेद 205 के अंतर्गत निम्न कारणों से वित्तीय वर्ष में द्वितीय अनुपूरक अनुमान की मांगों को रखा गया- आकस्मिकता निधि से स्वीकृत किये गये अग्रिमों की प्रतिपूर्ति का प्रावधान किये जाने के लिये, कतिपय अप्रत्याशित अनिवार्य एवं प्रतिबद्ध स्वरुप के व्यय के प्रावधान के लिये शासन की प्राथमिकता वाली नई योजनाओं के लिये, केंद्र प्रवर्तित, केंद्र क्षेत्रीय एवं अन्य स्रोतों की योजनाओं से संबंधित केंद्रांश एवं राज्य शासन के अंश का प्रावधान किये जाने हेतु कुछ ऐसी मदें हैं, जिन पर व्यय के लिये पुनर्विनियोजन द्वारा राशि उपलब्ध कराई जा सकेगी. ऐसी मदों के लिये केवल प्रतिकात्मक प्रावधान किये जाने हेतु उक्त कारणों से द्वितीय अनुपूरक 2016-17 में अनुपूरक मांगें रखी गई हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं यहां निवेदन करना चाहता हूं कि हमारा जो मूल बजट था, वह मूल बजट 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपये का था और हमारा प्रथम अनुपूरक अनुमान और जो द्वितीय अनुपूरक अनुमान है, इन सबको भी हम अगर मिला लें, तो यह राशि हमारे मूल बजट की मात्र 8 प्रतिशत होती है. तो मैं नहीं समझता हूं कि यह अधिक है. अध्यक्ष महोदय, बहुत से आवश्यक कार्यों के लिये समय समय के ऊपर हम लोगों को अपने अनुपूरक अनुमान लाना पड़ते हैं. इसमें कृषि एवं किसान कल्याण में एक हमारी घोषणा थी और प्रधानमंत्री जी ने भी घोषणा की थी. उसी के अंतर्गत हमने किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना अंतर्गत राशि 445.89 करोड़ का प्रावधान किया है और पूरा द्वितीय अनुपूरक अनुमान में कृषि विभाग के लिये रुपये 996 करोड़ के प्रावधान प्रस्तावित हैं. अधोसंरचना व्यय लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम अंतर्गत राशि 53.29 करोड़ रुपये की लागत की 73.79 किलोमीटर लम्बाई की 15 नवीन कार्यों को क्रियान्वित किया जाना प्रस्तावित है. ग्रामीण सड़कों के निर्माण अंतर्गत 59 नवीन सड़क कार्य के लिये कुल राशि रुपये 316.55 करोड़ लागत की 341.41 किलोमीटर लम्बाई की सड़कों के निर्माण प्रस्तावित हैं. 12 वृहद पुलों के निर्माण कार्य हेतु रुपया 59.16 करोड़ की लागत से किया जाना प्रस्तावित है. नर्मदा घाटी विकास विभाग के लिये रुपया 100 करोड़,लोक निर्माण के लिये रुपया 500 करोड़, उद्योग के लिये रुपया 234 करोड़, नगरीय विकास एवं पर्यावरण के लिये रुपया 516 करोड़ के प्रावधान सम्मिलित हैं. जल संसाधन विभाग के लिये कुल मिलाकर 570 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्र के अंतर्गत रुपये 948 करोड़ का प्रावधान है. ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत समग्र स्वच्छता अभियान के अंतर्गत रुपये 1767 करोड़, इंदिरा आवास के लिये रुपये 1370 करोड़,राज्य ग्रामीण विकास कनेक्टिविटी योजना मद में 50 करोड़,राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना में रुपये 87.44 करोड़, प्रधानमंत्री सड़क योजना मद में रुपये 430 करोड़, प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत निर्मित सड़कों का नवीनीकरण एवं उन्नयन मद में रुपये 200 करोड़ के प्रावधान प्रस्तावित हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, यह सब चीजें तो बजट में हैं. हम लोगों न जो सवाल किये हैं उसके बारे में मंत्री जी बताये, उसके जवाब तो आये ही नहीं है.
श्री जयंत मलैया-- इसके अतिरिक्त खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति हेतु रूपये 190 करोड, उद्यानिकी हेतु रूपया 112 करोड, पशुपालन, मछली पालन हेतु 20 करोड़ का प्रावधान किया है. अब मैं आपके प्रश्नों के जवाब देता हूं. जैसा कि आपने कहा था कि हमारे यहां का फिजिकल डेफिसिट कितना अंतिम वर्ष का तो अंतिम वर्ष का फिजिकल डेफिसिट हमारा 2015-16 का 2.49 था. इसको आप नोट कर लें.
अध्यक्ष महोदय- पहले आराम से आप टिककर के बैठ जायें. उठने की मुद्रा में आप मत रहो.
श्री जयंत मलैया- 2016-17 के लिये हमारा फिजिकल डेफिसिट 3.5 है. और जैसा आपने निवेदन किया है हमारा फिजिकल डेफिसिट जितनी भी हमारी सीमा है उसके बाहर कभी भी नहीं गया है और अभी भी नहीं गया है. आज कर्जे की बात कर रहे थे, यह बात सही है कि हमने कर्जे लिये हैं और हम कर्जे आगे भी लेने से इन्कार नहीं कर रहे हैं, कर्जा हम हमेशा लेते हैं और कर्जा पिछले वर्ष हमारे ऊपर 97 हजार 386.45 करोड़ था इस बार हमने अपना अनुमानित अनुमान रखा है कि 1 लाख 37 हजार करोड़ रूपये परंतु मैं यहां पर निवेदन करना चाहता हूं कि इस वर्ष हमारा इस वित्तीय वर्ष में भी हमने जितना कर्जा लिया है उसको मिलाकर के लगभग 1 लाख 20 हजार करोड़ से कम होगा औऱ जो भी हमारे फिजिकल डेफिसिट में रहेगा . एक बात श्री रामनिवास रावत जी पूछकर के चले गये, वे कह रहे थे कि हमारे राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का कितने प्रतिशत कर्ज है. मैं आज यहां पर बताना चाहता हूं कि जब आप सत्ता में थे वर्ष 2003-04 में तो वर्ष 2003-2004 की स्थिति में कुल ऋण का जीएसडीपी के प्रतिशत का 33.74 प्रतिशत था. और आज का जानना चाहते होंगे , कि आज कितना है तो 30.3.2016 की स्थिति में 20.03 है और जो हमारा 14वां पे कमीशन है वह रिकमंड करता है .
श्री सुन्दरलाल तिवारी- ब्याज कितने प्रतिशत आप दे रहे हैं और जब कांग्रेस की सरकार थी तब कितना ब्याज लगता था. यह भी बता दें.
श्री जयंत मलैया- यह भी बता देता हूं. जब आपकी सरकार थी आप 17 प्रतिशत से ऊपर ब्याज देते थे, और हमने पिछले वर्ष 7.67 प्रतिशत ब्याज दिया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- बाजार में ब्याज दर कितनी नीचे आई है.
श्री जयंत मलैया- यह हमारी सरकार की हिकमत है कि हमने आरबीआई से कम दर के ऊपर पैसा लिया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- वर्ल्डबैंक 2 से 3 प्रतिशत पर पैसा दुनियां को दे रहा है. आप मंहगा ब्याज दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- आप कृपया बैठ जायें और बैंक का नाम मंत्री जी को बतला दें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- मैं मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं...
श्री जयंत मलैया- अध्यक्ष महोदय जिन माननीय सदस्यों ने इस चर्चा में भाग लिया है मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं. अपनी बात को समाप्त करता हूं. बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि दिनांक 31 मार्च 2017 को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में अनुदान संख्या 1,2,3,4,6,8,10,11,12,13,14,15,16,17,18,21,22, 23,24,26,29,30,31,32,34,35,36,37,39,40,41,42,43,44,45,46,47,48,50,52,54,55,56,64,65,70,72,73,74 तथा 75 के लिये राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को कुल मिलाकर नौ हजार तीन सौ सैंतालीस करोड़, छियालीस लाख, अड़तीस हजार सतासी रूपये की अनुपूरक राशि दी जाये.
अनुपूरक मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
शासकीय विधि विषयक कार्य
मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-6) विधेयक, 2016
वित्त मंत्री, (श्री जयंत मलैया)-- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-6) विधेयक, 2016 का पुर:स्थापन करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, मैं, प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-6) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाये.
अध्यक्ष महोदय-- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-6) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाये.
प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश विनियोग (क्रमांक-6) विधेयक, 2016 पर विचार किया जाये.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
अध्यक्ष महोदय-- विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 9 दिसम्बर, 2016 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 6.26 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 9 दिसम्बर, 2016 ( 18 अग्रहायण, शक संवत् 1938 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक- 8 दिसम्बर, 2016 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा