मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा नवम सत्र
दिसम्बर, 2015 सत्र
मंगलवार, दिनांक 08 दिसम्बर, 2015
(17 अग्रहायण, शक संवत् 1937)
[खण्ड- 9 ] [अंक- 2 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 08 दिसम्बर, 2015
(17 अग्रहायण, शक संवत् 1937)
विधान सभा पूर्वाह्न 10.33 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
प्रश्न संख्या(1)
देवरी विधान सभा क्षेत्र में विद्युत व्यवस्था
1. ( *क्र. 474 ) श्री हर्ष यादव : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) ग्रामीण एवं कृषि उपभोक्ताओं के जले ट्रांसफार्मर बदले जाने हेतु क्या नियम नीति निर्देश लागू हैं? क्या देवरी वि.स. क्षेत्र में इन नियमों का पालन विभाग द्वारा किया जा रहा है? (ख) किन-किन ग्रामों में 07 दिवस की सीमा में फैल ट्रांसफार्मर बदले गये हैं? एक वर्ष की अवधि की जानकारी दें। (ग) क्या ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू उपयोग के लिये 24 घंटे एवं कृषि उपयोग हेतु 10 घंटे विद्युत प्रदाय की नीति है? यदि हाँ, तो इसका पालन देवरी विधान सभा क्षेत्र में न होने के क्या-क्या कारण हैं? नियम विरूद्ध विद्युत कटौती के लिये कौन-कौन उत्तरदायी है? (घ) देवरी विधान सभा क्षेत्र में विद्युत प्रदाय व्यवस्था सुधारने हेतु क्या-क्या कार्य व प्रयास किये जा रहे हैं?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) ग्रामीण क्षेत्र में जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को पहुंच मार्ग उपलब्ध होने पर सूखे मौसम में 3 दिवस के अन्दर तथा वर्षाकाल (जुलाई से सितम्बर) में 7 दिवस के अन्दर बदलने के नियम लागू है। जी हाँ, देवरी विधानसभा क्षेत्र में भी जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को बदलने हेतु उक्त नियम का पालन किया जा रहा है। (ख) देवरी विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत विगत एक वर्ष में 72 ग्रामों के 80 जले/खराब वितरण ट्रांसफार्मरों को नियमानुसार बकाया राशि का भुगतान प्राप्त होने पर निर्धारित समय-सीमा में बदला गया है, जिसकी ग्रामवार सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जी हाँ। देवरी विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत घरेलू एवं मिश्रित उपभोक्ताओं के फीडरों पर 24 घण्टे तथा कृषि उपभोक्ताओं के फीडरों पर 10 घण्टे विद्युत प्रदाय किया जा रहा है। तथापि कतिपय अवस रूप से आई प्राकृतिक आपदाओं यथा-आंधी/तूफान/तेज बारिश के कारण अथवा अन्य कारणों से तकनीकी व्यवधान आ जाने के कारण विद्युत प्रदाय प्रभावित होता है, किन्तु तत्काल आवश्यक सुधार कार्य कर विद्युत व्यवस्था शीघ्रातिशीघ्र बहाल कर दी जाती है। किसी प्रकार की विद्युत कटौती नहीं की जा रही है, अत: किसी के उत्तरदायी होने का प्रश्न नहीं उठता। (घ) समय-समय पर तकनीकी दृष्टि से साध्य पाये जाने पर विद्युत प्रदाय व्यवस्था में सुधार हेतु विद्यमान विद्युत अधोसंरचना के सुदृढ़ीकरण के कार्य किये जाते हैं। देवरी विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2015-16 में एक नग 25 के.व्ही.ए., 13 नग 63 के.व्ही.ए. एवं 6 नग 100 के.व्ही.ए. के वितरण ट्रांसफार्मरों की क्षमता वृद्धि एवं 3 नग 100 के.व्ही.ए. क्षमता के अतिरिक्त ट्रांसफार्मरों की स्थापना इत्यादि के कुल 23 कार्य स्वीकृत किये गये हैं। उक्त में से 13 कार्य पूर्ण किये जा चुके हैं जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। शेष 10 क्षमता वृद्धि/अतिरिक्त वितरण ट्रांसफार्मरों की स्थापना के कार्य वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के अनुसार पूर्ण किये जाएँगे जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। इसके अतिरिक्त ग्राम जमुनिया चिखली में दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजनान्तर्गत 01 नग 5 एम.व्ही.ए. क्षमता के 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र की स्थापना का कार्य प्रस्तावित है।
श्री हर्ष यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे मूल प्रश्न के जवाब में विभाग के द्वारा जो जानकारी दी गई है वह पूरी तरह से भ्रामक और तथ्यों से परे है. मैने यह पूछा था कि हमारे क्षेत्र में कितने ट्रान्सफार्मर कितनी समय सीमा में बदले गये हैं. उसके जवाब में एक साल का जो इन्होंने रिकार्ड दिया है उसके अनुसार 80 ट्रान्सफार्मर बदले गये हैं. उसमें भी आंकड़े की बाजीगरी की गई है. मैं बताना चाहता हूं. 19/11 में एक साथ 14 ट्रान्सफार्मर फेल हुए. यह संभव नहीं है. 14/12 में 9 ट्रान्सफार्मर फेल हुए, 15/12 में 7 ट्रान्सफार्मर फेल हुए, 13/1 में 13 ट्रान्सफार्मर फेल हुए. 15/1 में 6 ट्रान्सफार्मर फेल हुए. ऐसे करीब 50 प्रतिशत ट्रान्सफार्मर इन 5-6 तारीखों में फेल हुए है. अध्यक्ष महोदय, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति यह होती है कि ट्रान्सफार्मर एक साथ फेल नहीं होते हैं. और इन्होने जो बदलने की प्रक्रिया दी है कि दो या तीन में बदले हैं , 3 दिन से लेकर 7 दिन का समय बताया गया है. यह पूरी जानकारी भ्रामक और तथ्यों से परे है. मेरा निवेदन यह है कि इसकी जांच करवाई जाय. चूंकि यह ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ा हुआ मामला है और यहा सदन में जितने विधायक बैठे हैं उनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. और ग्रामीण क्षेत्रों में आज यदि सबसे ज्यादा समस्या है तो वह बिजली की है. मेरा कहना यह है कि जो ट्रान्सफार्मरों की जानकारी दी गई है इसकी एक समिति के माध्यम से जांच करवाई जाय.
वित्त मंत्री (श्री जयन्त मलैया) – अध्यक्ष महोदय, मेरे पास जो प्राप्त जानकारी है उसके अनुसार अभी इनके यहां पर 28-10-2015 तक 17 ट्रान्सफार्मर बदलने के लिए थे. परन्तु जब माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा हुई और 50 प्रतिशत की राशि को घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया उसके बाद 13 ट्रान्सफार्मर बदले हैं. और अभी बदलने के लिए शेष ट्रान्सफार्मर 4 हैं.
श्री हर्ष यादव—अध्यक्ष महोदय, जो जानकारी माननीय मंत्रीजी द्वारा दी गई वह पूरी तरह भ्रामक है. ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति यह है कि 10 प्रतिशत बिल भरने की बाध्यता के बावजूद भी बिजली चालू नहीं हो पा रही है. तारों में करंट तो है लेकिन बिजली नहीं है. वोल्टेज की समस्या है. मोटरें जल रही हैं, उसके बाद भी विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों की स्थिति यह है कि ट्रांसफार्मर लेने से लेकर लगवाने तक की जिम्मेदारी किसान की होती है. विभाग के पास अमला नही है.
अध्यक्ष महोदय—आप चाहते क्या हैं?
श्री हर्ष यादव—मैं मूल प्रश्न पर आ रहा हूं. मेरा कहना है कि विभाग की तकनीकी जानकारी के आधार पर ट्रांसफार्मर लगे. जब विभाग के पास अमला नहीं है. किसान मजबूर होकर एमपीएसईबी के चक्कर काटता है. आजकल सबसे ज्यादा यदि भीड़ कहीं हो रही है तो वह विद्युत वितरण कंपनी के कार्यालयों में हो रही है. ट्रांसफार्मर की किल्लत है.
अध्यक्ष महोदय—आप क्या चाहते हैं?
श्री हर्ष यादव—मैं यह चाहता हूं कि इसकी जांच करवायी जाये और ट्रांसफार्मर बदलने की जो प्रक्रिया है वह गलत बतायी जा रही है. हमारे विधानसभा क्षेत्र की गलत जानकारी दी जा रही है. मेरा निवेदन है कि सदन के विधायकों की एक समिति बनाकर जांच करा ली जाये.
अध्यक्ष महोदय—मंत्रीजी, क्या जांच करायेंगे?
श्री जयंत मलैया—अध्यक्ष महोदय, मैं जहां तक समझता हूं जांच कराने की कोई आवश्यकता नहीं है फिर भी माननीय विधायक चाहते हैं तो हम किसी बड़े अधिकारी से इसकी जांच करा लेंगे.
श्री हर्ष यादव—बिजली कटौती पर भी मेरा प्रश्न था.
अध्यक्ष महोदय—इसमें नहीं है. आपके 2 प्रश्न हो गये हैं. ज्यादा की अनुमति नहीं दे सकते.
प्रश्न क्रमांक—2
राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना का क्रियान्वयन
2. ( *क्र. 21 ) श्री महेन्द्र सिंह कालूखेडा : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण पहले फेस की योजना में कुल कितने ग्रामों में कार्य हुआ? कितने ट्रांसफार्मर, खम्बे व तार अशोकनगर जिले में कितनी धनराशि के स्वीकृत होकर काम हुआ तथा इनमें कितने किलोमीटर तार और ट्रांसफार्मर चोरी हुए हैं तथा इनमें से कितने ग्रामों में तार व डी.पी. पुन: लगा दिये गये हैं? (ख) मुख्यमंत्री जी की डी.पी. ट्रांसफार्मर तत्काल ठीक किये जाने की घोषणा के बाद कितने डी.पी. ट्रांसफार्मर कहां-कहां ठीक किये व कितने किस अवधि से खराब हैं, वे कब तक सुधरेंगे तथा विभाग जो तार व डी.पी. ले गये हैं, कब तक लौटायेंगे? (ग) अशोक नगर जिले के लिये दोबारा दूसरे फेस की योजना में कुल कितनी धनराशि स्वीकृत हुई तथा इस योजना में प्रश्नकर्ता द्वारा जुलाई 2014 में अनुसूचित जाति, जन जाति बंजारा चक व बस्तियों में दिये गये कौन-कौन से प्रस्ताव शामिल किये हैं? दूसरे फेस में क्या-क्या कार्य हो चुके हैं व क्या-क्या कार्य योजना में शामिल हैं, कितना कार्य हो चुका है, बाकी कार्य कब तक पूरा होगा? (घ) अशोक नगर जिले में फीडर सेपरेशन योजना में कितना खर्च हुआ व कितना कार्य हुआ तथा गुणवत्ता का क्या ख्याल रखा गया?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) अशोकनगर जिले के अंतर्गत दसवी पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में कुल 783 ग्रामों में कार्य किया गया है। योजना के अंतर्गत कुल रू. 85.12 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई थी। स्वीकृत राशि के अंतर्गत 1549 ट्रांसफार्मर, 1207.75 कि.मी. 11 के.व्ही. लाईन एवं 602.05 कि.मी. एल.टी. लाईन का कार्य किया गया है। उक्त में से 208.38 कि.मी. तार तथा 277 ट्रांसफार्मर चोरी हुए हैं। चोरी हुए सामान के विरूद्ध 45 ग्रामों में 208.38 कि.मी. तार एवं 225 ग्रामों में 277 ट्रांसफार्मर पुन: लगाये गये है। (ख) माननीय मुख्यमंत्री जी के प्रश्नाधीन निर्णय के बाद जिला अशोकनगर में दिनाँक 19.11.15 तक 62 ट्रांसफार्मर ठीक किये गये/बदले गए है। ट्रांसफार्मर खराब होने की एवं बदले जाने की दिनाँकवार/स्थानवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ-1 अनुसार है। बदलने हेतु शेष 84 ट्रांसफार्मरों एवं तार उपभोक्ताओं द्वारा नियमानुसार 10 प्रतिशत बकाया राशि जमा करने के उपरांत बदले जावेंगे। उक्त बदलने हेतु शेष 84 ट्रांसफार्मरों के फेल होने की दिनाँकवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-अ-2 अनुसार है। (ग) अशोकनगर जिले के लिये 12 पंचवर्षीय योजना में स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में कुल 47.38 करोड़ रूपये की राशि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में स्वीकृत हुई है। इस योजना में माननीय विधायक महोदय द्वारा जुलाई 2014 में उठाए गए प्रश्न में उल्लेखित सभी प्रस्तावों सहित कुल 363 अनुसूचित जाति/जनजाति, बंजारा चक व बस्तियों को शामिल किया गया है, जिनकी सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र-ब अनुसार है। उक्त योजना में 9 नंबर 33/11 के.व्ही. उपकेन्द्र, 60.95 कि.मी. 33 के.व्ही. लाईन, 335 वितरण ट्रासंफार्मर, 240.41 कि.मी. 11 के.व्ही. लाईन एवं 197.81 कि.मी. निम्नदाब लाईन के कार्य प्रस्तावित किये गये है। उक्त में से 11 बस्तियों में 380 पोल इरेक्शन का कार्य पूर्ण हो चुका है। शेष कार्य टर्न की ठेकेदार एजेंसी मेसर्स ईनरगो-एब्सलुट, नई दिल्ली द्वारा अनुबंध दि. 11.03.15 से 24 माह के अंदर किया जाना है। (घ) अशोक नगर जिले में फीडर सेपरेशन योजना अंतर्गत रूपये 43.12 करोड़ की राशि खर्च हुई हैं। योजनांतर्गत 712 ग्रामों में 853.52 कि.मी. 11 के.व्ही. लाईन, 802 वितरण ट्रांसफार्मर एवं 727.45 कि.मी. एल.टी.लाईन का कार्य किया गया है। प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग कंसल्टेंट मैसर्स आई.सी.टी. प्रायवेट लिमिटेड दिल्ली को उक्त कार्य की मॉनिटरिंग व गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये नियुक्त किया गया था। साथ ही मुख्य सामग्री के नमूनों की जॉच एन.ए.बी.एल. लेब से कराई गई है।
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा—अध्यक्ष महोदय, मेरी विधानसभा क्षेत्र में और अशोक नगर जिले में चूंकि हमारे सांसद उर्जा मंत्री थे तो उन्होंने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण की पहली योजना 85 करोड़ रुपये की और दूसरी योजना 47 करोड़ रुपये की स्वीकृत करायी. लेकिन उसके बाद भी वहां पर बिजली में कोई सुधार नहीं हुआ है. तार चोरी चले गये हैं. खंभे खड़े हैं तो तार नहीं हैं. उन तारों की चोरी का पता नहीं चल रहा है. पिछले 7 साल से तार चोरी जा रहे हैं. उनको बदला नहीं जा रहा है. मुख्यमंत्री जी का एक वीडियो वायरल हुआ है. वह कह रहे हैं कि 1200 रुपये में हम किसानों को भरपूर बिजली दे रहे हैं. विद्युत विभाग और प्रशासन का मजाक बन रहा है. मेरा आपसे अनुरोध हैं कि कहीं 5 से 6 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं मिल रही है और वोल्टेज़ बिलकुल नहीं मिल रहा है. मेरे पास क्षेत्र से रोज फोन आते हैं कि वोल्टेज़ नहीं है साहब सिंचाई कैसे करें. सूखा पड़ गया है और सूखा पड़ने के कारण अगर आप सिंचाई करने देंगे तो उत्पादन मे वृद्धि होगी और लोग अपना पेमेंट भी वापस कर देंगे. मेरा प्रश्न यह है कि क्या आप वोल्टेज़ ठीक करने के लिए सख्ती से कदम उठायेंगे और जो सूखा प्रभावित क्षेत्र है चूंकि बहुत ज्यादा सूखा पड़ा है इसलिए बिजली के बिल अभी न लें. बिजली के बिल 10 प्रतिशत लेने के बजाय पूरा स्थगित कर दें. वे लोग सिंचाई कर लें और जब फसल आ जाये, उनका गेहूं आ जाये तब आप बिजली का बिल ले लें. यह मेरा अनुरोध है. क्या आप इस बारे में आदेश देंगे?
श्री जयंत मलैया—अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायकजी ने पहली बात तो यह कही की सामग्री चोरी हुई है. यह बात सही है. 208 किलोमीटर तार और 277 ट्रांसफार्मर समय समय पर चोरी हुए हैं. परंतु मैं यहां यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा इन सबको बदला गया है और बदल कर तार भी लगाये गये हैं और ट्रांसफार्मर्स भी लगाये गये हैं. यह जो चोरी हुई है यह वर्ष 2013 में हुई है. जब चोरी हुई तो विभाग ने समय समय पर FIR भी दर्ज करायी है. इसके साथ-साथ लगातार मॉनीटरिंग भी कर रहे हैं. पेट्रोलिंग भी हो रही है जिससे चोरियां कम हो सके या ना हो सके.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा—मैंने आपसे यह पूछा था कि क्या आप यह सुनिश्चित करेंगे कि किसानों को वोल्टेज़ अच्छा मिल जाये और क्या इस बात पर विचार करेंगे कि सूखे की स्थिति है इसलिए किसान सिंचाई करके अपनी फसल का उत्पादन कर ले, उसके बाद आप बिजली के बिल की वसूली करें.
श्री जयंत मलैया—अध्यक्ष महोदय, जहां तक वोल्टेज़ का सवाल है अधिकारियों को निर्देशित किया जा रहा है कि लगातार ठीक वोल्टेज़ पूरे प्रदेश में हर जगह पर मिलना चाहिए. दूसरी बात जो आपने कही उसके संबंध में मैं निवेदन करना चाहता हूं कि बहुत सारे ट्रांसफार्मर्स जले हुए थे. हमारे प्रदेश में लगभग 5 लाख ट्रांसफार्मर्स हैं जिसमें से करीब छः-साढ़े छः हजार और सात हजार भी हो सकते हैं. यह जो कुल स्थापित ट्रांसफार्मर्स हैं इसका यह मात्र डेढ़ प्रतिशत होता है. इसको हम लगातार बदलते जा रहे हैं. 28.10.2015 के बाद जब माननीय मुख्यमंत्रीजी ने घोषणा की थी तो हमने बिजली के बिल की राशि घटाकर 50 प्रतिशत से 10 प्रतिशत कर दी. मैं समझता हूं कि यह पर्याप्त है.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)-- अगर माननीय विधायक एक-एक करके प्रश्न पूछेंगे तो मैं सबका जवाब दूंगा.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली)-- अध्यक्ष महोदय मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि फीडर सेपरेशन में बहुत ज्यादा घटिया काम हुआ है, खंबे उखड़ गये हैं, क्या आप फीडर सेपरेशन में हुये कार्य की गुणवत्ता की जांच करेंगे, और बिहार में मुख्यमंत्री जी ने कहा था कि 1200 रूपये में भरपूर बिजली दे रहे हैं तो क्या मुख्यमंत्री जी ने जो कहा है उसकी आप पूर्ति करेंगे ।
श्री जयंत मलैया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जहां तक आपने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में गुणवत्ता की जांच की बात की है, मैं यहां आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत कार्यों हेतु त्रिस्तरीय व्यवस्था की गई है. प्रथम स्तर पर वितरण कंपनी द्वारा नियुक्त तृतीय पक्ष एजेंसी द्वारा कार्यों का शतप्रतिशत निरीक्षण किया जाता है. द्वितीय स्तर पर आर.ई.सी. लिमिटेड द्वारा नियुक्त एजेंसी द्वारा 10 प्रतिशत कार्यों एवं सामग्री की गुणवत्ता का निरीक्षण किया जाता है, इसके बाद तृतीय स्तर पर विद्युत मंत्रालय द्वारा नियुक्त एजेंसी द्वारा अपने स्तर पर 1 प्रतिशत गांव की जांच की जाती है. इसके साथ-साथ अगर कहीं कोई और दिक्कत आती है तो भारत सरकार के उपक्रम बीकोलारी कोलकाता को तृतीय पक्ष एजेंसी नियुक्त किया गया है. जिसके द्वारा सामग्री की शतप्रतिशत जांच की जाती है. इसके साथ-साथ प्राप्त केवल और कंडेक्टर की सामग्री को जांच करने के लिये भी एन.ए.बी.एल. की लेब है जहां पर इसकी जांच होती है. उपरोक्त के अतिरिक्त भी और किसी प्रकार की प्रतिकूल जानकारी और शिकायत आती है तब विद्युत वितरण कंपनी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा जांच कराती है. फीडर विभक्तिकरण योजनांतर्गत कार्यों की सामग्री की गुणवत्ता की जांच हेतु प्रोजेक्ट मॉनीटरिंग कंसल्टेंसी की नियुक्ति की जाती है जिसके द्वारा कार्य का निरीक्षण किया जाता है. वितरण कंपनियों के नोडल अधिकारी भी फीडर विभक्तिकरण के कार्यों के निरीक्षण हेतु नियुक्त हैं. यह मैं आपसे निवेदन करना चाहता था और आपने बिजली की बात की है, अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से पूरे सदन को बतना चाहता हूं कि म.प्र. के इतिहास में आज सुबह 9.00 बजे 10 हजार 300 मेगावाट से अधिक किसानों के लिये दी गई है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 03, श्रीमती शकुंतला खटीक.
डॉ. गोविंद सिंह (लहार)-- अध्यक्ष महोदय, प्रश्न अभी पूछ रहा हूं, विधायकों को बिड़ला मंदिर के पास जाम लगाकर रोक दिया, हम पैदल आये हैं आधा घंटे में, चौहान साहब भी साथ थे, कोई विधायक, पूरा सदन खाली है । पुलिस की तानाशाही, विधानसभा के सदस्यों को रोका जा रहा है. .....(व्यवधान).... एक किलोमीटर पैदल हम लोगों को आना पड़ा. ...(व्यवधान)....वहां पर रोक दिया गया, पुलिस लगी हुई है, वेरीकेट्स लगाकर रोक दिया गया है. और कहां से रास्ता लायें. .....(व्यवधान).... सरकार की यह तानाशाही, विधानसभा में नहीं आने देगी. .....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय-- अभी जानकारी लेते हैं. ऐसी कोई बात नहीं है .....(व्यवधान).... प्रश्न क्रमांक-03
नगरीय विकास विभाग द्वारा देयक सुविधायें
3. ( *क्र. 419 ) श्रीमती शकुन्तला खटीक : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नगरीय विकास विभाग द्वारा नगरीय क्षेत्र में जनहित के कार्यों हेतु कौन-कौन सी लाभकारी कार्यों हेतु हितग्राहियों को राशि दिये जाने का प्रावधान है? (ख) जिला शिवपुरी को आवंटित राशि में से नगर परिषद नरवर एवं करैरा को कितनी राशि दी गई? वह राशि किन-किन योजनाओं में व्यय की गई? जानकारी वर्षवार, योजनावार, शीर्षवार दी जावे।
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग द्वारा हाथठेला एवं साइकिल रिक्शा चालक कल्याण योजना, केश शिल्पी कल्याण योजना, पथ पर विक्रय करने वाले शहरी गरीबों की कल्याण योजना, मुख्यमंत्री शहरी घरेलू कामकाजी महिला कल्याण योजना एवं स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना अंतर्गत स्वरोजगार स्थापित करने हेतु ऋण प्रकरणों में बैंक के माध्यम से अनुदान दिया जाता है। वर्तमान में स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना समाप्त हो चुकी है एवं वर्ष 2015-16 से उक्त योजनाओं को समाहित कर मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना एवं मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना प्रारंभ की गयी है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्रीमती शकुंतला खटीक (करैरा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री द्वारा जो जानकारी दी गई है उसमें विगत दो वर्षों से जो राशि दी गई है वह बहुत कम है, .....(व्यवधान).... मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना में नरवर में केवल 5 हजार रूपये राशि दी गई. मुख्यमंत्री स्वरोजगार में कोई राशि नहीं दी गई, यह भेदभाव पूर्ण है, क्या माननीय मुख्यमंत्री जी भविष्य में नरवर और करैरा को आर्थिक राशि का बजट में प्रावधान करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग (श्री लालसिंह आर्य)-- नगरीय निकाय के द्वारा जो भी हितग्राहियों के आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं उसके अनुसार कहीं न कहीं प्रस्ताव पास होता है और मांग की जाती है, भविष्य में भी अगर हितग्राहियों की संख्या ज्यादा होगी और आवंटन की दृष्टि से जो भी उपयुक्त होगा, माननीय अध्यक्ष महोदय करेंगे.
श्रीमती शकुन्तला खटीक-- माननीय मुख्यमंत्री जी ऐसा भेदभाव क्यों होता है कि क्या नरवर, करैरा मेरी विधानसभा नहीं है, क्या उधर कोई गरीब लोग नहीं है.
श्री लालसिंह आर्य-- सवाल ही नहीं है, यह राशि मेरे पास पूरा पत्र है, चाहें तो मैं पढ़ सकता हूं. राशि हमने विभिन्न हितग्राही मूलक योजनाओं में दी है, लेकिन अब कोई प्रस्ताव आयेगा और उस हिसाब से हम विचार कर लेंगे. माननीय सदस्या को मैं आश्वस्त करता हूं.
सिवनी जिले में संचालित सिंचाई परियोजनाएं
4. ( *क्र. 163 ) श्री दिनेश राय : क्या जल संसाधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सिवनी जिले में संचालित सिंचाई परियोजनाएं कितनी हैं? कितनी योजनाएं चालू हैं एवं कितनी बंद हैं? कारण बतायें। बन्द योजनाओं को चालू करने के लिए शासन स्तर पर क्या कार्यवाही की जा रही है? (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में संचालित योजनाओं में कितने बांधों की नहरों के मरम्मत कार्य की आर.आर.आर. के अन्तर्गत स्वीकृति प्रदान की गई है? नहरों का मरम्मत कार्य कब तक पूर्ण कर लिया जावेगा? (ग) सिवनी जिले में कितनी सिंचाई परियोजनाएं प्रस्तावित हैं? प्रस्तावित योजनाओं की स्वीकृत कब तक प्रदान कर दी जावेगी? (घ) सिवनी जिले के अन्तर्गत पूर्व से संचालित एनिकेट सिंचाई योजनाओं की नहरों के जीर्णोद्धार हेतु क्या कोई योजना प्रस्तावित है? यदि हाँ, तो जानकारी देवें? यदि नहीं, तो क्या प्रस्ताव में शामिल किया जावेगा?
जल संसाधन मंत्री ( श्री जयंत मलैया ) : (क) सिवनी जिले में 01 वृहद, 06 मध्यम एवं 59 लघु सिंचाई परियोजनाएं निर्मित होकर सभी संचालित है। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) सिवनी जिले की कोई परियोजना स्वीकृति हेतु विचाराधीन नहीं है। प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होता है। (घ) जी नहीं। कोई परियोजना प्रस्ताव स्वीकृति हेतु विचाराधीन नहीं है। शेष प्रश्नांश उत्पन्न नहीं होते है।
श्री दिनेश राय – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे सिवनी विधानसभा के बारे में जो मैंने जानकारी मांगी थी उस पर माननीय मंत्री जी ने 6 बांधों की जानकारी मुझे दी है जिसमें एक बांध में अभी कार्य चल रहा है. मेरी जानकारी के अनुसार चीजमन तालाब, गोशाला टेंक बंजारी, बरेली डेम, सागर जलाशय और ढबेरा नाला सड़क एनीकट इनकी नहरें बहुत क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं, इनकी मरम्मत के लिये न स्वीकृति प्रदान की गई है न ही इसके लिये कोई राशि की व्यवस्था की गई है. दूसरी बात हमने चाही थी कि सिंचाई योजनाओं की नहरों के जीर्णोद्वार हेतु क्या कोई योजना प्रस्तावित है. मंत्री जी ने उत्तर में कहा है कि कोई योजना प्रस्तावित नहीं है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि रामगढ़ टेंक छपारा विकासखंड में 909 लाख का, दरबई टेंक की लागत है 470 लाख और तिनसा टेंक है 682 लाख का. मंत्री जी बड़े उदार हैं, पूर्व में भी हमारे यहां माछागौरा बांध की सौगात आपने दी है उसके लिये आपको बधाई देता हूं और निवेदन करता हूं कि इनके लिये भी आप राशि उपलब्ध करा दें जिससे मेरे क्षेत्र का विकास होगा और हमारे क्षेत्र के किसान भी पंजाब और हरियाणा राज्य जैसे विकसित हो सकेंगे.
श्री जयंत मलैया – माननीय अध्यक्ष महोदय, सिवनी जिले में एक घेवरा नाला एनीकट संचालित होता है जिसमें 195 हेक्टेयर में सिंचाई होती है. इसकी सामान्य स्थिति है इसका रख रखाव का काम पीआईएम फंड(pepper investment management fund) के द्वारा जल उपभोक्ता संस्थान गोशाला के माध्यम से कराया जाता है. यह बात सही है कि सिवनी जिले में निर्मित रेग्यूलेटर जो डायवर्सन वियर, पिकअप वियर हैं इनकी स्थिति बहुत खराब है .यह 50 वर्ष पुराने हैं और इससे इनके रिपेयर होने से काम नहीं चलेगा. इसलिये मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि इनकी मरम्मत का काम हम हाथ में नहीं ले रहे हैं. एक बात आपने परियोजनाओं के बारे में कही है. अगर आप उनके बारे में मुझे लिखकर के दे देंगे तो मैं उसका परीक्षण करा लूंगा. अभी साध्यता प्राप्त 12 परियोजनायें थीं इसमें से 8 परियोजनाओं में किसानों का विरोध होने के कारण उनके निरस्तीकरण का प्रस्ताव आया है इसके साथ साथ दरबई और गाडरवारा इन दोनों का हम डीपीआर (Detail Project Report) तैयार करवा रहे हैं और धूपघटा और पाट कनेरा के सर्वेक्षण का कार्य हो रहा है.
श्री दिनेश राय—मंत्री जी इसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद. अंतिम निवेदन है कि माछागोरा बांध की जो नहर आ रही है, ऐसे ही गोपाल गंज एक लाल माटी है वहां पर न नलकूप सफल हैं न कुंआ सफल है न वहां पर कोई बांध है, उस क्षेत्र को पूर्व में जोड़ा गया था आप पुन: इसका सर्वे करवा लें ऐसा मेरा आग्रह है अगर सर्वे की रिपोर्ट में आता है तो आप उस क्षेत्र को सिंचित करने की कृपा करें.
श्री जयंत मलैया –उसका सर्वे करा लिया जायेगा.
निर्माण कार्यों एवं क्रय की गई सामग्री में अनियमितता
5. ( *क्र. 93 ) श्रीमती ममता मीना : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) गुना जिले में कुंभराज नगर पंचायत में वर्ष 2003 से 2008 तक किये गये निर्माण कार्य, क्रय की गई सामग्री एवं पेयजल में हुई शिकायतों की जाँच में कौन-कौन दोषी पाये गये, उन पर क्या कार्यवाही की गई है? (ख) यदि कार्यवाही नहीं की गई तो क्या विभाग दोषी पाये गये अधिकारी कर्मचारी एवं ठेकेदारों पर कार्यवाही करेगा? क्या आपराधिक प्रकरण दर्ज करेगा? (ग) नगर पंचायत कुंभराज के तत्कालीन अध्यक्ष, सी.एम.ओ. एवं कर्मचारी तथा निर्माण एजेन्सी के विरूद्ध जाँच प्रतिवेदन कार्यपालन यंत्री, नगरीय प्रशासन ग्वालियर के पत्रांक 06/583 ग्वालियर दिनाँक 22.07.2006 के बिल क्रमांक 1 लगायत 5 तक में दोषी पाये गये पदाधिकारियों पर कब तक कानूनी कार्यवाही होगी एवं राशि कब तक वसूल होगी?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) गुना जिले की नगर परिषद, कुम्भराज में वर्ष 2003 से 2008 तक किये गये निर्माण कार्य एवं क्रय की गई सामग्री एवं पेयजल में हुई शिकायतों की प्रारंभिक जाँच में नगर परिषद, कुम्भराज के तत्कालीन अध्यक्ष श्रीमती निर्मला राजपूत एवं श्री वी.आर. कामले, तत्कालीन मुख्य नगर पालिका अधिकारी, कुम्भराज उत्तरदायी पाये गये हैं। उन पर नियमानुसार कार्यवाही प्रचलित है। (ख) एवं (ग) जाँच अधिकारी के जाँच प्रतिवेदन अनुसार उत्तरदायी पाये गये के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही प्रचलित है। गुणदोष के आधार पर नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्रीमती ममता मीना – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को उनके सफलतम 10 वर्ष के कार्यकाल की शुभकामनायें देती हूं. मैं शासन द्वारा दिये गये उत्तर से पूर्णत: संतुष्ट हूं. किंतु एक निवेदन करना चाहती हूं कि यह पूरा मामला गबन से संबंधित है, लंबी अवधि से जांच प्रचलित है. मंत्री जी से अनुरोध है कि ऐसे अधिकारी और तत्कालीन अध्यक्ष नगर परिषद कुंभराज के विरूद्ध अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है. क्या मंत्री जी गबन के दोषियों के विरूद्ध अविलंब एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश देंगे.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य,)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्या की भावना से बिल्कुल सहमत हूं, उनको दोषी पाया भी गया है वह सेवानिवृत्त भी हो गया है लेकिन मैं आश्वस्त करता हूं कि उनके खिलाफ जो भी आवश्यक ज्यादा से ज्यादा जो भी कार्यवाही नियमानुसार हो सकती है मैं करूंगा. यह मैं आपको आश्वास्त करता हूं.
श्रीमती ममता मीना – माननीय अध्यक्ष महोदय, चूंकि जांच 2006 में हो चुकी है वे जांच में दोषी भी पाये गये हैं. मैं सिर्फ यह आश्वासन चाहती हूं कि संबंधित चाहे अध्यक्ष हो या सीएमओ हो, गबन का मामला है, जिन्होंने भी गबन किया है उनके खिलाफ कब तक एफआईआर दर्ज हो जायेगी, यह मैं आपसे आश्वासन चाहती हूं.
श्री लाल सिंह आर्य- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले ही यह कहा है कि जो उन्होंने कृत्य किया है उसके मापदंड की दृष्टि से जो भी समान होगा उससे अधिक उनको दंडित करने की कार्यवाही हम करेंगे.
विद्युत ताप गृहों को कोयले की आपूर्ति
6. ( *क्र. 65 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश की म.प्र.पा.ज.कं.लि. के ताप विद्युत गृह कहां-कहां स्थापित हैं? इन ताप विद्युत संयंत्रों से कब-कब से विद्युत उत्पादन प्रारंभ हुआ? संयंत्रवार पिछले 3 वर्षों के विद्युत उत्पादन की जानकारी देवें। (ख) म.प्र.पा.ज.क.लि. के ताप विद्युत गृहों में कोयले की आपूर्ति कहां-कहां से और कितनी-कितनी,किन-किन ताप विद्युत गृहों को होती है? (ग) क्या प्रदेश की कोयला खदानों से प्रदेश की म.प्र.पा.ज.कं.लि. के स्थापित ताप विद्युत गृहों को कोयले की आपूर्ति होती है? अगर हां, तो कहां-कहां से? विद्युत गृहवार मात्रावार वित्तीय वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 की आपूर्ति की जानकारी देवें। (घ) म.प्र.पा.ज.कं.लि. के ताप विद्युत गृहों में कोयला आपूर्ति प्रदेश के बाहर से होने के कारण कितना खर्च अधिक बैठता है? क्या कायेले की गुणवत्ता में अंतर है?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) म.प्र.पा.ज.कं.लि. के ताप विद्युत गृहों की स्थापित क्षमता, स्थान एवं इन ताप विद्युत संयंत्रों से वाणिज्यिक विद्युत उत्पादन प्रारंभ होने की तिथि से संबंधित जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र “अ” अनुसार है। विद्युत गृहवार, संयंत्रवार पिछले 3 वर्षों के विद्युत उत्पादन की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र “ब” अनुसार है। (ख) म.प्र.पा.ज.कं.लि. के स्थापित ताप विद्युत गृहों में देशी कोयले की आपूर्ति साउथ ईस्टर्न कोलफील्डस लि. एवं वेस्टर्न कोलफील्डस लि. की प्रदेश एवं प्रदेश से बाहर स्थित विभिन्न कोयला खदानों से किया जाता है जिसके लिये विद्युत गृहवार वार्षिक अनुबंधित मात्रा का निर्धारण संबंधित ताप विद्युत गृह हेतु किये गये कोयला प्रदाय अनुबंध के अनुसार किया गया है। प्रश्नांश में चाही गई जानकारी निम्न तालिका अनुसार है :-
विद्युत् गृह |
वार्षिक
अनुबंधित
मात्रा |
वास्तविक प्राप्त मात्रा ला.मी.टन में |
कोयला प्रदाय के स्त्रोत |
|
2013-14 |
2014-15 |
|||
अमरकंटक ताप विद्युत गृह, चचाई |
20 |
19.64 |
15.60 |
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों से |
संजय गाँधी ताप विद्युत गृह, बिरसिंहपुर |
64 |
59.23 |
52.28 |
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों से |
सतपुड़ा ताप विद्युत गृह, सारनी |
66 |
45.17 |
48.37 |
वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों से |
सतपुड़ा
ताप विद्युत
गृह, सारनी |
18.513 |
0.48 |
2.91 |
वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों से |
श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना, खण्डवा |
49.939 |
2.23 |
14.72 |
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की खदानों से |
(ग)
जैसा
कि प्रश्नांश “ख” में
वर्णित है, म.प्र.पा.ज.कं.लि.
के स्थापित
ताप विद्युत
गृहों को
प्रदेश के
अंदर एवं बाहर
की कोयला
खदानों से
कोयले की
आपूर्ति की
जाती है।
विद्युत
गृहवार
वित्तीय वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 में
प्रदेश के
अंदर स्थित
खदानों से
म.प्र.पा.ज.कं.लि.
के ताप
विद्युत
गृहों को की
गई कोयले की
आपूर्ति की
जानकारी निम्न
तालिका में
दर्शाए
अनुसार है :-
विद्युत गृह |
म.प्र. में स्थित खदान |
||
खदान/क्षेत्र का नाम |
प्राप्त
कोयले की
मात्रा |
||
2013-14 |
2014-15 |
||
अमरकंटक ताप विद्युत गृह, चचाई |
संगमा साइडिंग |
10.51 |
8.80 |
संजय गाँधी ताप विद्युत गृह, बिरसिंहपुर |
बिजुरी |
6.60 |
6.00 |
बुढ़हार |
0.08 |
1.37 |
|
गोविंदा |
7.15 |
5.28 |
|
जमुना ओ.सी. एम. |
1.75 |
0.08 |
|
राजनगर आर. ओ. |
1.37 |
5.42 |
|
न्यू राजनगर |
1.64 |
0.65 |
|
नौरोजाबाद |
0.19 |
3.43 |
|
योग |
18.78 |
22.23 |
|
सतपुड़ा
ताप विद्युत
गृह, सारनी |
पाथाखेड़ा क्षेत्र |
25.28 |
26.08 |
पेंच क्षेत्र |
6.01 |
9.27 |
|
कन्हान क्षेत्र |
3.05 |
3.63 |
|
योग |
34.34 |
38.98 |
|
सतपुड़ा
ताप विद्युत
गृह, सारनी |
इन इकाइयों को कोयले की आपूर्ति म.प्र. में स्थित कोयला खदानों से न होकर महाराष्ट्र में स्थित खदानों से हो रही है। |
||
श्री सिंगाजी ताप विद्युत परियोजना, खण्डवा |
नंदन वाशरी |
0.14 |
--- |
पालाचोरी |
0.28 |
0.20 |
|
गोविंदा |
--- |
0.20 |
|
नौरोजाबाद |
--- |
0.16 |
|
रावनवारा ख़ास |
--- |
0.12 |
|
योग |
0.42 |
0.68 |
(घ) म.प्र.पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप विद्युत गृहों को एसईसीएल एवं डब्ल्यूसीएल की खदानों से कोयला प्रदाय किया जाता है। इन कोयला कंपनियों की खदानों में कुछ खदाने प्रदेश में स्थित हैं एवं कुछ प्रदेश के बाहर। कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा एसईसीएल एवं डब्ल्यूसीएल की विभिन्न श्रेणियों (ग्रेड) /गुणवत्ता के कोयले हेतु, कोयले की आधारभूत दर अधिसूचित की गई है। यह दर इन कंपनियों की प्रदेश में स्थित खदानों एवं प्रदेश के बाहर स्थित खदानों हेतु एक ही है। इस प्रकार विद्युत गृहों को कोयला प्रदेश में स्थित अथवा प्रदेश के बाहर स्थित खदानों से प्रदाय करने पर एक श्रेणी (ग्रेड) अथवा गुणवत्ता के कोयले के लिए आधारभूत दर एक ही रहती है। ताप विद्युत गृह को प्राप्त कोयले की कुल लागत में खदान से दूरी तथा परिवहन खर्च में अंतर तथा अलग-अलग क्षेत्र में लग रहे करों की दर से अंतर आता है। कोयला प्रदेश में तथा प्रदेश के बाहर स्थित विभिन्न खदानों से जो कि विस्तृत क्षेत्र में फैली है, से प्रदाय किया जाता है। अत: उक्त परिप्रेक्ष्य में प्रदेश के ताप विद्युत गृहों के लिए प्रदेश के अंदर तथा प्रदेश के बाहर से प्राप्त कोयले के खर्च में अंतर की गणना संभव नहीं है। हर खदान से कोयले के एक निर्धारित बैण्ड में श्रेणी/ग्रेड अथवा गुणवत्ता का कोयला उत्पादित किया जाता है। अत: अलग-अलग खदानों से प्रदाय किए जाने वाले कोयले की गुणवत्ता में अंतर रहता है तथा तदानुसार ही कोयला कंपनी को भुगतान किया जाता है।
श्री शैलेन्द्र पटेल – अध्यक्ष महोदय, मेरा ताप विद्युत गृहों से बिजली उत्पादन के बारे में प्रश्न था. पिछले 10 वर्षों में 5 नई यूनिट्स की स्थापना प्रदेश में हुई है. उसके बाद में जो उत्तर प्राप्त हुआ है, उसके अनुसार पिछले वर्ष लगभग 4500 मिलियन यूनिट इन ताप विद्युत गृहों से बिजली का उत्पादन कम हुआ है . एक ओर तो अभी सदन में कहा गया कि हम 10 हजार मेगावॉट रिकार्ड स्तर पर बिजली सप्लाई कर रहे हैं और दूसरी ओर ताप विद्युत गृहों से पिछले वर्ष लगभग 4500 मिलियन यूनिट का उत्पादन कम हुआ है. दूसरा, उत्तर में यह स्पेसीफाई नहीं किया गया है कि प्रदेश के भीतर से मध्यप्रदेश विद्युत उत्पादन कम्पनी को कितना कोयला मिल रहा है और मध्यप्रदेश के बाहर से कितना कोयला मिल रहा है. यह मुझे मेरे उत्तर में प्राप्त नहीं हुआ है.
अध्यक्ष महोदय – आपका प्रश्न क्या है.
श्री शैलेन्द्र पटेल – अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि जो बिजली का उत्पादन होता है, उस ताप विद्युत गृह में कोयले की जरुरत होती है. मुख्यमंत्री जी ने दो वर्ष पहले पदयात्रा भी की थी, सत्याग्रह भी किया था और उन्होंने कहा था कि प्रदेश के बाहर से कोयला मिल रहा है. हमें प्रदेश के भीतर की खदान से कोयला मिलना चाहिये. लेकिन आज दो वर्षों के बाद भी जस की तस की स्थिति है. पहले यूपीए की सरकार थी, अब एनडीए की सरकार है. अब स्थिति ऐसी क्यों है.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया) – अध्यक्ष महोदय, कोयला चाहे प्रदेश के भीतर का हो या प्रदेश के बाहर अन्य जगहों से आने वाला हो. यह कोयले के ग्रेड के हिसाब से हर जगह के दाम एक होते हैं और इसके दाम एक होने के कारण जो फर्क कोयले के दाम में तो नहीं आता, परंतु अलग अलग प्रदेशों में जो टैक्स लगते हैं, उसका और जो डिस्ट्रेंथ का फर्क रहता है, उसका जरुर उसके ऊपर आता है. हमने केन्द्र सरकार से निवेदन किया है और भी कई प्रदेशों ने किया है कि हमें एक ही राज्य के विभिन्न ताप गृहों द्वारा कोयले का उपयोग अधिक क्षमता से करने हेतु उनको प्राप्त होने वाली वार्षिक अनुबंध मात्रा विद्युत गृहवार न होकर पूरी मात्रा राज्य सरकार के लिये आवंटित की जाय, जिससे हमें सुविधा होगी.
श्री शैलेन्द्र पटेल – अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यही था कि हमारे मुख्यमंत्री जी, जो इस सदन के नेता हैं. उन्होंने दो वर्ष पहले इसके लिये आंदोलन भी किया था, लेकिन उसका परिणाम अभी तक क्यों नहीं आया.
श्री जयंत मलैया – अध्यक्ष महोदय, अतिशीघ्र ही केन्द्र सरकार इसके बारे में निर्णय करने जा रही है.
सूखाग्रस्त क्षेत्रों में बिजली बिल की वसूली
7. ( *क्र. 300 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या रीवा जिला पूर्ण रूप से सूखाग्रस्त घोषित हो चुका है। क्या किसानों से जबरन बिजली के बिल की वसूली एवं कनेक्शन काटने के लिए विद्युत मण्डल द्वारा टीम गठित की गई? यह टीम शहर एवं ग्रामीण आंचलों में एक साथ मुहिम चलाकर कार्यवाही कर रही है, ऐसे विज्ञप्ति के.एल. वर्मा अधीक्षण अभियंता एम.पी.ई.बी. ने दिनाँक 02.11.2015 को दैनिक भास्कर समाचार पत्र के माध्यम से दी है? (ख) यदि हाँ, तो इस तरह के अमानवीय व्यवहार पर रोक लगाकर जबरन बिजली बिल की वसूली बंद कराएंगे? क्या 5 एच.पी. के मोटर पंप धारक किसानों से 8 एवं 10 एच.पी. का मोटर पंप बताकर जबरन ज्यादा बिजली के बिल की वसूली की जा रही है, जबकि कनेक्शन लेते समय किसानों से आवेदन पत्र के साथ पंप खरीदी की रसीद की छायाप्रति ली जाती है? (ग) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के संदर्भ में किसानों के साथ जबरन बिल वसूली के आदेश जारी करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए मनमानी बिल वसूली पर रोक लगाएंगे? साथ ही ऐसा आदेश जारी करने वाले अधिकारियों के विरूद्ध भी कार्यवाही करेंगे अथवा नहीं?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) जी हाँ। (ख) जी नहीं, अपितु टीम का गठन रीवा शहर संभाग के विभिन्न फीडरों में लाईन लॉस एवं बकाया राशि में हो रही वृद्धि को कम करने हेतु किया गया है। उक्त हेतु ही गठित टीमों द्वारा कार्यवाही की जा रही है, अत: तत्संबंध में अन्य किसी विज्ञप्ति/कथन का कोई औचित्य नहीं है। (ख) प्रश्नांश ''क'' के उत्तर के परिप्रेक्ष्य में रोक लगाने का प्रश्न नहीं उठता। समय-समय पर किये गये भौतिक सत्यापन अनुसार विद्युत पंपों के भार की वास्तविक गणना के आधार पर ही नियमानुसार बिजली के बिल जारी किये जा रहे हैं। (ग) उत्तरांश ''क'' एवं ''ख'' के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न नहीं उठता।
श्री सुन्दरलाल तिवारी – अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. आपने हमारा माइक तो शुरु करवाया. ..(हंसी).. आपके आदेश से यह परमानेन्ट बंद रहता है. बड़ी मुश्किल से खुलता है, आपने खुलवा दिया.
गृह मंत्री (श्री बाबूलाल गौर) ‑ अध्यक्ष महोदय, क्या इनका आरोप यह सही है कि इनका माइक बंद किया जाता है. वह गलत आरोप लगा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय – उनका आरोप गलत है. उनका बोलना कभी बंद ही नहीं होता है. ..(हंसी).. अब आप प्रश्न करिये.
पंचायत मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- अध्यक्ष महोदय, तिवारी जी का खुद का वॉल्यूम इतना ज्यादा है कि उनको माइक की जरुरत ही नहीं रहती, इसलिये बंद हो जाता है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि रीवा जिले की बड़ी विषम स्थिति है. आपकी सरकार ने उसको सूखाग्रस्त जिला घोषित किया है. दूसरी तरफ आप टीम गठित करके वे किसान, जो राहत के हकदार हैं, उनके घरों में बिजली की टीमें जाकर छापे मार रही हैं. जबरन बिजली के बिल वसूल कर रही हैं. मुकदमें दायर कर रहे हैं. वह फरार हैं. इधर-उधर घूम रहे हैं और कुर्कियां हो रही हैं (XXX).
अध्यक्ष महोदय – इसको कार्यवाही से निकाल दें. आप सीधा प्रश्न करें. आप भाषण न दें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – ..कि हम किसानों को राहत देंगे. मेरा यह कहना है कि यह जो जवाब दिया है, यह अपने जवाब को पढ़ लें. यह कहते हैं कि हमने जो टीम गठित की है, वह बिजली की लॉस के जांच के लिये गठित की हैं. मेरा यह कहना है कि अगर इस तरह की टीम गांवों में जाकर कोई छापा मारकर इस तरह के प्रकरण बनाये होंगे किसानों के विरोध में और वह प्रमाणित होते हैं, तो क्या उनके विरुद्ध आप कार्यवाही करेंगे.
श्री जयंत मलैया – अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह है कि जो टीम का गठन किया गया है. वह सिर्फ रीवा नगर के लिए किया गया है और यह बात भी सही है कि शहर संभाग के फीडरों में लाईन लॉस को कम करने और बकाया राशि की वसूली हेतु किया गया है. टीम को मात्र रीवा शहर के लिए कार्य करने का आदेश दिया गया है. अध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही यह भारत सरकार की एक योजना है कि जिन शहरों में जो लॉसेस कम करके 15 प्रतिशत हो जायेगा.
श्री सुन्दर लाल तिवारी – अध्यक्ष महोदय, मैं गांव की बात कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय – आप उत्तर तो सुन लें.
श्री जयन्त मलैया – इन्होंने शहर का भी पूछा है इसलिए मैं उसका उल्लेख कर रहा हूँ. वहां से हमको राशि मिल रही है और उसके माध्यम से हम सुदृढ़ीकरण का कार्य नगरीय क्षेत्र में कर रहे हैं. जहां तक ग्रामीण क्षेत्र की बात कर रहे हैं, वहां पर इस तरह की कोई भी टीम का गठन नहीं किया गया है. यह बिल्कुल सत्य है. इस तरीके से, न किसी के घर में जाकर वसूली की जा रही है, यह बिल्कुल गलत है और किसी ने अगर बिजली का बिल जमा नहीं किया है तो उसके खिलाफ एफ.आई.आर. भी नहीं की जा रही है.
श्री सुन्दर लाल तिवारी – अध्यक्ष महोदय, हमारा यह पहला ही सवाल था कि अगर इस तरह की टीम ने किसी गांव में किसी उपभोक्ता के विरूद्ध अगर कार्यवाही की है और यह सत्य पाया जाता है तो क्या उनके विरूद्ध आप कार्यवाही करेंगे ? उसका एक भाग यह भी था. दूसरा प्रश्न अध्यक्ष महोदय, यह देखा जा रहा है कि जो पम्प के उपभोक्ता हैं. किसी ने 2 एच.पी. का पम्प लगा रखा है, उसने 2 एच.पी. के लिए एम.पी.ई.बी. से कांटेक्ट किया. जब बिजली का बिल आता है तो उनको यह कहा जाता है कि आपका जो यह पम्प लगा हुआ है, यह 4 एच.पी. का वोल्टेज़ ले रहा है और उससे 4 या 5 हॉर्सपॉवर के पम्प का बिल लिया जाता है. मेरा आपसे निवेदन यह है कि एक तरफ आप कहते हैं कि हॉर्सपॉवर के आधार पर आप बिजली का बिल देंगे, दूसरी तरफ आप बोलते हैं कि हम वोल्टेज भी चैक करेंगे. जबकि यह बात आपके कॉन्ट्रेक्ट (संविदा) में नहीं लिखी है.
अध्यक्ष महोदय – आप प्रश्न पूछिये.
श्री सुन्दर लाल तिवारी – यह टेक्नीकल प्राब्लम पूरे प्रदेश में है. अध्यक्ष महोदय, मेरा कहना है कि जो 2 एच.पी. की मोटर, 3 एच.पी. की मोटर तथा 5 एच.पी. की मोटर बनाई गई है, वह किसान नहीं बनाता है. वह तो बाजार में जाता है और उसको खरीद लेता है. उसकी रसीद उसके पास रहती है. रसीद आपको देता है, तो मेरा यह कहना है कि कम्पनी भी अगर वह गलत है, आई.एस.आई. मार्क का अगर वह पम्प है, उस कम्पनी ने ज्यादा वोल्टेज या ज्यादा एच.पी. का बनाकर 2 हॉर्सपॉवर के नाम पर दिया है तो कार्यवाही उस कम्पनी के नाम पर होना चाहिए न किसान के नाम होना चाहिए. जब आपने वोल्टेज के आधार पर कांट्रेक्ट ही नहीं किया है तब आप किसान से वह वोल्टेज के नाम पर एच.पी. बढ़ाकर बिल कैसे ले रहे हैं ? और क्या इसकी जांच करायेंगे और क्या इसको रूकवायेंगे ?
श्री जयंत मलैया – अध्यक्ष महोदय, आदरणीय विधायक जी ने बिल्कुल सही बात कही है. बहुत लम्बे समय के बाद, मैंने सुना है कि सुन्दरलाल जी बिल्कुल सही बात विधानसभा में रख रहे हैं.
श्री सुन्दर लाल तिवारी – यही बात मुख्यमंत्री जी ने भी एक बार कही थी. आप सुनते नहीं हो.
अध्यक्ष महोदय – लम्बे समय बाद कहा है. पहली बार थोड़ी ही बोला है उन्होंने.
श्री सुन्दर लाल तिवारी – आप सुनते ही नहीं हो.
अध्यक्ष महोदय – बैठ जाइये. उत्तर लीजिये.
श्री जयंत मलैया – माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि कोई भी किसान पम्प की मैन्यूफैक्चरिंग नहीं करता है. वह आई.एस.आई. मार्क का पम्प बाजार से लेकर आता है, यह बात सही है. इसमें कोई दिक्कत नहीं है. जब किसी ट्रांसफॉर्मर के ऊपर ज्यादा लोड आता है, लगता है कि हमने जितना इसके ऊपर लोड किया था, उससे ज्यादा आता है तो फिर चैक किया जाता है. असल में, ये मोटरें गड़बड़ नहीं होतीं परन्तु जब इन मोटरों की रिबाइन्डिंग की जाती है और रिबाइन्डिंग होने के बाद, उसकी गुणवत्ता में मानक स्तर का ख्याल नहीं रखा जाता है तब उसके कारण वह करेन्ट ज्यादा ड्रा करती है. इसके कारण यह आता है. अध्यक्ष महोदय, मेरा सुझाव है कि तिवारी जी आप अपने यहां के किसानों को बताएं कि जो रिबाइन्डिंग कराते हैं, वे किसी अधिकृत एजेन्सी से कराएं. जिससे मोटर उतना ही करेन्ट ड्रा कर सके.
अग्रेषित प्रस्तावों पर कार्यवाही
8. ( *क्र. 456 ) श्री राजेन्द्र पाण्डेय : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जावरा नगरपालिका परिषद जावरा एवं पिपलौदा नगर परिषद एवं प्रश्नकर्ता द्वारा अनेक जन आवश्यकताओं के प्रस्ताव स्वीकृति हेतु अग्रेषित किए हैं? (ख) यदि हाँ, तो क्या इसी के साथ सिंहस्थ 2016 की व्यवस्था हेतु भी प्रस्ताव उपरोक्तानुसार प्राप्त हुए हैं? (ग) यदि हाँ, तो वर्ष 2013-14 एवं वर्ष 2014-15 के प्रश्न दिनाँक तक किन-किन प्रस्तावों की स्वीकृति होकर कितना बजट स्वीकृत हुआ? (घ) साथ ही उक्त नगरपालिका एवं नगर परिषद को उक्त वर्षों में विकास कार्यों हेतु कितना बजट स्वीकृत होकर क्या-क्या कार्य किए गए?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) एवं (ख) जी हाँ। (ग) नगर पालिका परिषद, जावरा में 4791.46 लाख रूपये की लागत से 11 कार्य तथा नगर परिषद, पिपलौदा में 1304.89 लाख रूपये की लागत से 17 कार्य स्वीकृत किए गए हैं, जिनकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’अ’’ अनुसार है। (घ) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ‘’ब’’ एवं ‘’स’’ अनुसार है।
(माननीय सदस्य सर्वश्री श्री सुंदरलाल तिवारी,अजय सिंह, विक्रम नातीराजा, रामनिवास रावत, शैलेन्द्र पटेल, डॉक्टर रामकिशोर दोगने, रजनीश हरवंश सिंह एवं अन्य सदस्यगण गर्भगृह में आए । )
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया सहयोग करें आप सभी को बहुत समय दिया है । दूसरे माननीय सदस्यों के प्रश्न भी इम्पार्टेंट हैं । सारी बातें आ चुकी हैं । रिकार्ड पर । डॉ.साहब आप वरिष्ठ सदस्य हैं । कृपया बैठ जाएं । यह कुछ नहीं लिखा जाएगा ।
(माननीय अध्यक्ष महोदय के निर्देशानुसार सदस्यगण अपने आसन पर वापस गए.)
अध्यक्ष महोदय - श्री राजेन्द्र पाण्डेय अपना प्रश्न करें ।
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय मंत्री जी ने सदन को गुमराह किया है । उन्होंने कहा है किसी भी किसान पर एफ.आई.आर. दर्ज नहीं हुई है ।
अध्यक्ष महोदय - सारे उत्तर आ गए हैं, आप बैठ जाइए ।
डॉ. गोविन्द सिंह - हमारे क्षेत्र में 60-70 किसानों पर एफ.आई.आर. दर्ज की गई है ।
अध्यक्ष महोदय - आपके क्षेत्र का प्रश्न नहीं है आप बैठ जाइए । तिवारी जी आप भी बैठ जाइए, आपको बहुत समय दिया । आप सहयोग करें । सभी सदस्यों के प्रश्न इम्पारटेंट होते हैं । एक ही प्रश्न पर गाड़ी नहीं अटकेगी । प्रश्न क्रमांक 8 श्री राजेन्द्र पाण्डेय कृपया अपना प्रश्न करें ।
श्री राम निवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसे स्पष्ट करें यह प्रदेश के किसानों से जुड़ा मामला है । हम सत्ता पक्ष के उत्तर से संतुष्ट नहीं है । माननीय मंत्री जी घोषणा करें कि प्रदेश के किसी किसान को जेल नहीं भेजेंगे । किसी की बिजली नहीं काटेंगे ।
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए रावत जी । आप पार्टी के मुख्य सचेतक हैं आप ही ऐसा करेंगे तो कैसे काम चलेगा । आप कृपया सदस्यों को व्यवस्थित करिए यह बात ठीक नहीं है ।
डॉ. गोविन्द सिंह - एफ.आई.आर. दर्ज हुई है । तमाम किसान जेल में गए हैं । मंत्री जी गलत जबाव दे रहे हैं ।
डॉं. राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय.
अध्यक्ष महोदय - एक मिनिट श्री अजय सिंह जी .
श्री अजय सिंह - माइक बंद है ।
अध्यक्ष महोदय - माइक चालू है आप जरा जोर से बोलिए ।
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय मैंने यह कहा कि प्रदेश का मुख्य मंत्री किसान का बेटा है । अभी कोई विधायिका महोदय कह रही थीं , बधाई दे रहीं थीं ।
अध्यक्ष महोदय - नहीं. उससे संबंधित नहीं । कोई तथ्य परक बात करिए, आप भाषण देते हैं ।
श्री राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मेरे क्षेत्र का अत्यन्त महत्वपूर्ण है । माननीय अध्यक्ष महोदय, वरिष्ठ सदस्य अगर इस तरह का व्यवधान करेंगे, तो अत्यन्त दुख की बात है ।
अध्यक्ष महोदय - आपको बहुत समय दिया ।
डॉ. गोविन्द सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी कह रहे हैं एक भी किसान जेल में नहीं गया एफ.आई.आर. दर्ज नहीं हुई, जबकि सैकडों किसान जेल में गए हैं ।
अध्यक्ष महोदय - यह बात ठीक नहीं है । कृपया बैठें ।
श्री सुन्दर लाल तिवारी - जबाव गलत दिया है ।
अध्यक्ष महोदय - अगर आप उत्तर से संतुष्ट नहीं है तो प्रश्न पूछने के और भी तरीके हैं । आप इस तरह से सदन को बाधित नहीं कर सकते हैं । आपसे अनुरोध है प्रश्नकाल चलने दें । क्या दूसरे सदस्यों के प्रश्न इम्पारटेंट नहीं हैं । आप वरिष्ठ सदस्य हैं, कृपया अपने स्थान पर बैठें । बहुत समय दिया है उनको एक ही प्रश्न पर 15 मिनिट दिया है । आप रिकार्ड देख लीजिए । दूसरों के प्रश्न को आप बाधित नहीं कर सकते ।
श्री राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह व्यवधान बंद कराया जाए बहुत ही अत्यन्त प्रश्न है । माननीय अध्यक्ष महोदय, हम प्रश्नों में कभी व्यवधान नहीं करते हैं । मेरा अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रश्न है, यह कोई तरीका नहीं है ।
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी, आप अपने स्थान पर बैठिए । ठाकुर साहब, कुंवर साहब आप बैठ जाएं । दूसरे प्रश्न आने दें । यह भी जनता के लिए ही हैं तिवारी जी बैठिए । तिवारी जी आप वरिष्ठ सदस्य हैं ।
श्री राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह व्यवधान बंद कराया जाए । मेरे विधानसभा क्षेत्र के जनता के हित का जुड़ा हुआ अत्यन्त गंभीर और आवश्यक मामला है ।
अध्यक्ष महोदय - सीधी बात नहीं होगी डॉं. राजेन्द्र पाण्डेय आप प्रश्न करें ।
श्री राजेन्द्र पाण्डेय - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा नगर पालिका जावरा और नगर परिषद पिपलौदा के कार्यों की स्वीकृति के बारे में और प्रस्ताव के बारे में जानकारी चाही गई थी ।
श्री रामनिवास रावत—पूरे प्रदेश के किसानों से जुड़ा हुआ मुद्दा है, किसानों से जबरन बिल की वसूली की जा रही है, किसानों के बिजली के कनेक्शन काटे जा रहे हैं.
श्री अजय सिंह—ऐसे मामलों की क्या आप मंत्री जी जांच करा देंगे.
श्री जयंत मलैया—माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय तिवारी जी बहुत उत्तेजित हो जाते हैं. माननीय अजय सिंह जी ने मुझसे अच्छे से पूछ लिया कि आप इसकी जांच क्यों नहीं करा लेते हैं. अगर इन्होंने भी जांच की मांग की गई होती तो मैं जांच के लिये आदेश कर देता ? अगर रिवाईंडिंग में ऐसी कोई गड़बड़ी पायी जाती है तो उसकी जांच कैसे की जा सकती है.
अध्यक्ष महोदय—आप बैठिये उत्तर तो ले लीजिये. आपको उत्तर लेना है कि नहीं लेना है, सिर्फ अपनी बात कहना है. माननीय मंत्री जी आपने इनकी तारीफ क्यों की ?
श्री जयंत मलैया— अध्यक्ष महोदय,मैं तारीफ को वापस ले लेता हूं.
अध्यक्ष महोदय—मंत्री जी जांच के लिये कह रहे हैं अब क्या चाहते हैं ? प्रश्न क्रमांक 8 श्री राजेन्द्र पाण्डेय.
श्री बाबूलाल गौर—आपकी मंत्री जी तारीफ करें, उसके बाद भी कह रहे हैं कि तारीफ न करें, यह बड़ा ही आश्चर्य है, आपकी अच्छी बातों की तारीफ की जा रही है.
श्री राजेन्द्र पाण्डेय—तारीफ उस खुदा की जिसने इनको बनाया. अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा जावरा, पिपलोदा नगर-पालिका परिषद् के प्रस्तावित कार्यों के बारे में जानकारी चाही गई थी, कुछ कार्य तो निश्चित रूप से स्वीकृत हुए हैं उनका मैं स्वागत करते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी तथा माननीय मंत्री जो को धन्यवाद देना चाहता हूं. एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य जावरा नगर की जनता वहां पर गंभीर प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों को लेकर एक पीलिया ख्याल को प्रदूषण से मुक्त करने हेतु सीवरेज योजना है. विगत् दो वर्षों तथा तात्कालिक वर्षों में भी लगभग 10-15 वर्षों से नगर इस समस्या से जूझ रहा है. इसमें बहने वाला जो नाला है, नदी न होकर के एक प्रकार का नाला हो गया है उसमें शहर भर का गंदा पानी तथा शहर तथा आसपास की सारी गंदगी उसी में बहकर के जाती है, वहां पर घनी आबादी है तात्कालिक समय में मैं संदर्भ देना चाहता हूं लगभग 116 बच्चे इस प्रदूषित जल को पीने से मजबूर होकर के विकलांग होकर पोलियोग्रस्त हो गये थे तथा उन बच्चों को गंभीर बीमारियां हो गई थीं. यह कार्य योजना हमने लगातार प्रयास करते हुए निचले स्तर पर काफी कोशिशों के बावजूद बनवाने की कोशिश की गई, उसमें डीपीआर बन गई है, ऐसा उन्होंने बताया गया है. तो मैं यह जानना चाहता हूं कि कहा जा रहा है कि कार्यपालन यंत्री नगरीय प्रशासन विकास उज्जैन द्वारा पत्र क्रमांक- 2313 दिनांक 6.10.15 से आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास को अग्रेषित की गई है और इसी के साथ यह भी बताया जा रहा है कि कार्यपालन यंत्री द्वारा अग्रेषित पत्र एवं डीपीआर निकाय द्वारा संचालनालय को प्रेषित की जाना है, इसकी क्या स्थिति है, यह बहुत ही गंभीर तथा महत्वपूर्ण मामला है, इसे विभाग इतने लापरवाहीपूर्ण ढंग से क्यों ले रहा है और उसकी सम्पूर्ण कार्यवाही कब तक करके इसकी स्वीकृति दी जाएगी, यह मंत्री जी से जानना चाहता हूं.
श्री लालसिंह आर्य, राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन—माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वीकृत किये गये कार्यों की माननीय सदस्य ने प्रशंसा की है इसके लिये माननीय सदस्य को धन्यवाद देता हूं.
श्री राजेन्द्र पाण्डेय—मंत्री जी आपको भी पुनः धन्यवाद देता हूं.
श्री लालसिंह आर्य—माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पुलियाखाल नाले के बारे में बता रहे हैं, उसकी डीपीआर बन चुकी है, उसका परीक्षण भी हो रहा है, परीक्षण उपरांत जो भी स्थिति बनेगी आपकी भावनाओं से हम भी सहमत हैं, उस पर हम विचार करेंगे.
श्री राजेन्द्र पाण्डेय—माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका बजट में प्रावधान करना अत्यंत आवश्यक है, इतना गंभीर मामला है. मैं निवेदनपूर्वक आपसे कहना चाहता हूं, इसके कारण 116 बच्चे पोलियोग्रस्त हुए, इसका कारण भी यही रहा और मध्य शहर में है लगभग 50 हजार की आवासीय आबादी इससे लगी हुई है, उसका जल स्तर कम होते-होते छोटा नाला का रूप धारण कर लिया है, इसमें काफी कठिनाई है उसका काम अतिशीघ्र किया जाये, उसकी स्वीकृति दी जाये तथा उसे बजट में सम्मिलित किया जाये.
अध्यक्ष महोदय – उसका परीक्षण अतिशीघ्र कर लें.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय - परीक्षण तो हो चुका माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य की तमाम मांगों के आधार पर माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस विभाग ने दोनों ही नगर पालिका नगर निगम में चावरा में लगभग 11 कार्य और पिपलौदा में 17 विकास कार्य स्वीकृत किये हैं और कई कार्य प्रगति पर भी हैं. एक काम आपका है इसका परीक्षण हो जाने दो. जो आप चाहते हैं और आम जनता चाहती है. अगर परीक्षण के बाद वह हमारे नार्म्स में आता है तो हम विचार करेंगे.
श्री राजेन्द्र पाण्डेय – माननीय अध्यक्ष महोदय, यह गलत जानकारी है. जब डीपीआर विभाग बना चुका है. उसमें परीक्षण की कहां आवश्यक्ता बचती है.
अध्यक्ष महोदय – विषय आ गया ना आपका. वह भी सहमति दे रहे हैं.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय – सिंहस्थ की जो कार्य योजना स्वीकृत की गई है.
अध्यक्ष महोदय – सहयोग करें कृपया. अपना प्रश्न दूसरे बाधित कर रहे थे तो दिक्कत हो रही थी ना. आप कृपया बैठ जाएं.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय – एक मिनट दे दें.
अध्यक्ष महोदय – आप वरिष्ठ सदस्य हैं. नहीं. हो गई ना बात. वही बात फिर बोलेंगे आप. उनके ध्यान में आ गई बात. अब जबर्दस्ती नहीं कर सकते. डॉ. साहब, आप कृपया बैठ जाएं. दूसरों के प्रश्न भी महत्वपूर्ण हैं.
श्री राजेन्द्र पाण्डेय – दो प्रश्न तो मुझे करने दें.
अध्यक्ष महोदय - दो कर दिये आपने.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय – एक ही किया मैंने.
अध्यक्ष महोदय – दो से ज्यादा कर दिये आपने. आप बैठ जाएं.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय – वह कार्य जल्दी करवा दें मेरा इतना ही कहना है.
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना का क्रियान्वयन
9. ( *क्र. 91 ) श्री ओमकार सिंह मरकाम : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) 11 वीं पंचवर्षीय राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत प्रथम चरण में डिण्डौरी जिले के कितने ग्रामों में विद्युतीकरण किया गया है? कृपया विकासखण्डवार बी.पी.एल. परिवार की संख्या, वितरण ट्रांसफार्मर, 11 के.व्ही. लाईन की लंबाई, एल.टी. लाईन की लंबाई की स्वीकृती प्राप्त हुई तथा कितना कार्य पूर्ण किया गया तथा जिले हेतु स्वीकृत राशि, व्यय की गई राशि बतावें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार क्या सभी ग्रामों का विद्युतीकरण नियमानुसार निर्धारित मापदण्ड से हुआ है, कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है? (ग) प्रश्नांश (क) अनुसार गड़बड़ी की शिकायत कब-कब मिली, क्या-क्या कार्यवाही हुई?
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) 11वीं पंचवर्षीय योजना के प्रथम-चरण में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनांतर्गत स्वीकृत डिण्डौरी जिले की योजना में सम्मिलित सभी 844 ग्रामों के सघन विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। योजनांतर्गत स्वीकृत बी.पी.एल. कनेक्शनों तथा वितरण ट्रांसफार्मरों की संख्या स्वीकृत 11 के.व्ही. लाईन एवं एल.टी. लाईन की लम्बाई तथा इनके विरूद्ध पूर्ण किये गये कार्य की विकासखण्डवार जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। उक्त योजना में डिण्डौरी जिले हेतु रू 39.91 करोड़ की राशि स्वीकृत हुई थी जिसके विरूद्ध रू. 35.75 करोड़ की राशि व्यय की जा चुकी है। (ख) जी हाँ। जी नहीं। (ग) डिण्डौरी जिले हेतु 11वीं पंचवर्षीय योजना के प्रथम चरण में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजनांतर्गत स्वीकृत डिण्डौरी जिले की योजना के अंतर्गत कराये जा रहे विद्युतीकरण के कार्यों के संबंध में माननीय विधायक महोदय के पत्र दिनाँक 25.08.2015 के माध्यम से शिकायत प्राप्त हुई थी जिसकी जाँच कर पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के पत्र दिनाँक 15.10.2015 द्वारा माननीय विधायक महोदय को अवगत करा दिया गया है। माननीय विधायक महोदय का उक्त पत्र एवं उस पर की गई कार्यवाही की पूर्व क्षेत्र कंपनी के पत्र दिनाँक 15.10.2015 से प्रेषित की गई जानकारी का विवरण संलग्न परिशिष्ट के क्रमश: प्रपत्र ब-1 एवं ब-2 अनुसार है।
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने उत्तर दिया है कि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण के कार्य सभी जगह नियमानुसार निर्धारित मापदण्ड से हुए हैं. कहीं गड़बड़ी नहीं हुई और आपके ही उत्तर में है कि कुछ स्थानों पर जांच कराई गई. जहां खम्बे की गहराई कम पाई गई तार नीचे झुके हुए पाए गए. तो मंत्री जी स्पष्ट करें कि आप कौन सी चीज को सही मान रहे हैं. क्या आपने कहा है वह सही है या आपका जो उत्तर आया है वह सही है.
वित्त मंत्री(श्री जयंत मलैया) – माननीय विधायक जी ने जो दोनों बाते कही हैं वह दोनों ही सही हैं. पहले मैंने श्री महेन्द्र सिंह जी के प्रश्न के उत्तर में जवाब दिया था कि राजीव गांधी विद्युतीकरण के लिये हमने थ्री टायर मानीटरिंग कमेटी बनाई है पर उससे भी कुछ चीजें बच जाती हैं तो जो शिकायतें करने वाले लोग रहते हैं उसका निराकरण किया जाता है. माननीय विधायक जी ने जो दि.28.5.2015 को पत्र लिखा था उसमें आपने इसकी जांच कराने के लिये कहा था. आपका पत्र मिलने के बाद इसकी जांच कराई गई और जो निराकृत कार्य हैं जो निर्धारित ऐजेंसी थी उससे वह कार्य कराया गया. कार्य पूरा होने के बाद पत्र के माध्यम से आपको अवगत भी कराया गया. इस सबके लिये चूंकि आपने त्रुटि की ओर ध्यान दिलाया है इसके लिये मैं आपको धन्यवाद भी देता हूं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का उत्तर पूरी तरह से गड़बड़ है. यह पूरी तरह से जांच का विषय है. एक तरफ आप उत्तर में कह रहे हैं कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई और जांच में आप ही स्वीकार कर रहे हैं कि उसमें गड़बड़ी पाई गई.(XXX) अध्यक्ष महोदय – बिना कोई प्रमाण के यह बात नहीं करना चाहिये.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय,(XXX).
अध्यक्ष महोदय – यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय,(XXX).
अध्यक्ष महोदय – यह बात रिकार्ड से निकाल दें. यह बात आपकी ठीक नहीं है. प्रश्न करिये आप. भाषण की जरूरत नहीं है.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन माननीय मंत्री जी से यह है कि क्या ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना के तहत डिण्डौरी जिले में जो राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण के काम कराये गये थे क्या मेरी उपस्थिति में आप वहां जांच कराएंगे और कितने दिन में जांच कराएंगे यह बताने का कष्ट करें.
श्री जयंत मलैया – माननीय विधायक जी के पत्र के बाद उस कार्य को ठीक किया गया. अगर वह अभी भी संतुष्ट नहीं है तो जो भी ऐसी बात वह बताएंगे उसकी जांच करा दी जायेगी.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय, आदिवासी जिला है.
अध्यक्ष महोदय – आपकी बात मान तो ली उन्होंने. आपके पत्र पर भी कार्यवाही हुई और आपकी बात पर भी कार्यवाही के लिये तैयार हैं. आप क्या चाहते हैं अब. प्रश्न क्र.10 श्री नारायण सिंह पवार.
श्री ओमकार सिंह मरकाम - माननीय अध्यक्ष महोदय, (XXX) मेरी ससुराल थी.
अध्यक्ष महोदय – इसे कार्यवाही से निकाल दें. कुछ नहीं लिखा जायेगा. बैठ जाईये आप.
श्री रामनिवास रावत:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक निवेदन है कि यह जो माईक की व्यवस्था ठीक कराईये या कंट्रोल करने के लिये इस तरह का सिस्टम बनाया गया है. यह व्यवस्था ठीक नहीं है. आप हमारे निवेदन पर विचार करिये. माननीय सदस्य बोल रहे हैं और बोलते बोलते माईक बंद हो जाता है. माईक को चालू करने पर कहीं ग्रीन लाईट जलती है कहीं लाल लाईट जलती है.
अध्यक्ष महोदय:- माईक की व्यवस्था बिल्कुल ठीक है. एक साथ 10 लोग माईक चालू करेंगे तो कैसे काम करेगा.
श्री मुकेश नायक:- अध्यक्ष महोदय, यहां पर मुर्गा-मुर्गी चोरों की बात होती है तो आप माईक बंद करवा देते हैं.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, पहले का माईक सिस्टम ठीक था.
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग बैठ जाईये, दूसरे सदस्यों के प्रश्न आने दें.
(श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्य गर्भगृह में आकर अपनी बात कहने लगे)
अध्यक्ष महोदय :- आपकी बात आ गयी है, आप और क्या चाहते हो. मंत्री जी आपकी बात पर जांच के तैयार है.आप पूरा उत्तर सुनते ही नहीं हो. मंत्री जी ने जांच के लिये बोल दिया है. आप अपने आसन पर वापस जायें.
श्री बाला बच्चन :- अध्यक्ष महोदय, आप जांच करवाने के लिये बोल दीजिये.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, आप माननीय सदस्य के प्रश्न का उत्तर दिलवा दीजिये. आप मंत्री जी से जांच करवाने का बोल दीजिये.
अध्यक्ष महोदय:- माननीय मंत्री जी ने जांच के लिये बोल दिया है. आप लोग बैठ जाईये. उनकी मांग मान ली है और क्या चाहते हैं. आप दूसरे सदस्यों को क्या नहीं बोलने देंगे.
(श्री बाला बच्चन एवं श्री रामनिवास रावत द्वारा माननीय सदस्य को अपने आसन पर ले जाया गया)
श्री बाला बच्चन:- अध्यक्ष महोदय, शायद वह आपके पास आ गये थे, वह सुन नहीं पाये हैं.
अध्यक्ष महोदय:- यह बात ठीक नहीं है, आप अन्य सदस्यों को भी प्रश्न करने दीजिये. आप इस तरह से बाधित नहीं कर सकते हैं.
(श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्य द्वारा मंत्री जी के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया)
नगर परिषद सुठालिया में सामुदायिक भवन निर्माण की स्वीकृति
10. ( *क्र. 108 ) श्री नारायण सिंह पँवार : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के विधानसभा प्रश्न क्रमांक 2057 दिनाँक 30 जुलाई 2015 के कंडिका (ग) में बताया गया था कि नगर परिषद सुठालिया जिला राजगढ़ द्वारा भूमि आवंटन संबंधित जानकारी दिनाँक 04.07.2015 को प्रस्तुत किया गया है, सर्वसुविधायुक्त सामुदायिक भवन निर्माण हेतु राशि आवंटन का प्रस्ताव परीक्षणाधीन है? तो क्या उक्त प्रस्ताव के परीक्षण उपरांत नगर परिषद सुठालिया को सर्वसुविधायुक्त सामुदायिक भवन निर्माण प्राक्कलन अनुसार राशि रूपये 26.98 लाख उपलब्ध करा दी गई है? यदि हाँ, तो कब? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) उपरोक्तानुसार क्या शासन माननीय मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त निर्देशों के परिपालन में शीघ्र नगर परिषद सुठालिया को उक्त राशि उपलब्ध कराकर सामुदायिक भवन का निर्माण कार्य करवायेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। निकाय को दिनाँक 30-10-2015 को राशि रूपये 26.98 लाख उपलब्ध करा दिये गये है। (ख) राशि उपलब्ध करा दी गई है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री नारायण सिंह पँवार :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी को और मुख्यमंत्री जी को पहले धन्यवाद् देता हूं. मेरी विधान सभा क्षेत्र के सुठालिया विधान सभा क्षेत्र में मैंने एक सर्वसुविधायुक्त सामुदायिक भवन की मांग की थी, वह स्वीकृत हो चुका है. लेकिन मेरा इसमें प्रश्न यह है कि वह भवन तो दे दिया गया है लेकिन नगर पंचायत की विशेष निधि से काटकर दिया गया है. मेरी नगर पंचायत बहुत छोटी वहां पर 10-12 हजार आबादी है. इसमें जो विशेष निधि थी उसमें बाकी कार्य बाधित होंगे इसलिये मेरा इसमें आग्रह है कि नगर पंचायत को जो विशेष निधि का कोटा है वह यथावत रखा जाये.
राज्य मंत्री,नगरीय विकास एवं पर्यावरण (श्री लाल सिंह आर्य):- माननीय अध्यक्ष महोदय,राशि तो मध्यप्रदेश सरकार की है, आपने जो मांग की थी विभाग ने उस मांग को पूरा कर दिया है. इसके लिये आपने धन्यवाद भी दिया है. हमारे नगरीय प्रशासन विभाग ने तो 2001की जनसंख्या के अनुमान से क्षतिपूर्ति अनुदान दिया जा रहा था उसको हमने 2011 के मान से भी कर दिया है. वह राशि भी आपको बढ़कर मिलेगी.
श्री नारायण सिंह पॅवार:- अध्यक्ष महोदय मेरा एक और निवेदन है कि सुठालिया नगर पंचायत को दो वर्ष से मुख्यमंत्री आत्म संरचना पैसा भी प्राप्त नहीं हुआ है उसको भी इसमें जोड़ने की कृपा करें,दो वर्ष का पैसा एक साथ प्राप्त हो ताकि उस नगर पंचायत का विकास हो सके.
श्री लाल सिंह आर्य:- अध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न उद्भूत ही नहीं होता है.
प्रदेश में बिजली का उत्पादन/क्रय/विक्रय
11. ( *क्र. 337 ) श्री जितू पटवारी : क्या उर्जा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दिनाँक 01.04.2012 से दिनाँक 30.9.2015 तक प्रदेश में पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा कितनी बिजली उत्पादित की गई है, एम.पी.पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा कितनी बिजली म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के अलावा अन्य स्त्रोतों से किस औसत दर पर क्रय की गई है एवं कितनी बिजली प्रदेश के बाहर किस औसत दर से विक्रय की गई है? वर्षवार जानकारी देवें। (ख) उपरोक्त समयावधि में केन्द्रीय पूल से कितनी बिजली आवंटित की गई है? स्पष्ट करें। (ग) उपरोक्त समयावधि में कितने कृषकों पर बिजली बिल नहीं भरने के कारण प्रकरण दर्ज किये गये हैं? जिलेवार राशि एवं कृषकों की संख्या बतावें। (घ) उपरोक्त समयावधि में कितने उद्योगों पर बिजली बिल नहीं भरने के कारण प्रकरण दर्ज किये गये हैं? जिलेवार राशि एवं उद्योगों की संख्या बतावें। (ड.) प्रकरण दर्ज होने के बाद भी कितने कृषकों एवं उद्योगों द्वारा राशि जमा नहीं की गई है एवं शासन द्वारा क्या कार्यवाही की गई है? वर्गवार पृथक-पृथक जानकारी देवें।
उर्जा मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) दिनाँक 01.04.2012 से दिनाँक 03.09.2015 तक प्रदेश में म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड द्वारा उत्पादित बिजली से संबंधित वर्षवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। म.प्र. पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा म.प्र. पॉवर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के अलावा अन्य स्त्रोतों से क्रय की गई एवं विक्रय की गयी बिजली की औसत क्रय एवं विक्रय दर सहित वर्षवार जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) उपरोक्त समयावधि में केन्द्रीय पूल से आवंटित की गयी बिजली की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। (ग) उपरोक्त समयावधि में किसी भी कृषक पर बिजली बिल नहीं जमा कर पाने के कारण प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है। (घ) उपरोक्त समयावधि में किसी भी उद्योग पर बिजली का बिल नहीं जमा कर पाने के कारण प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है। (ड.) कृषकों एवं उद्योगों द्वारा विद्युत बिल की राशि जमा नहीं किए जाने पर प्रकरण दर्ज नहीं किए गए हैं, अत: प्रश्न नहीं उठता।
श्री जितू पटवारी :- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि मैंने दो प्रश्न जो क्रय और विक्रय की बात कही थी उससे मैं तो असंतुष्ट हूं और उसका जवाब भी नहीं चाहता हूं. वह इसलिये कि उसमें इतने घोटाले हैं और वह जगजाहिर हैं. वह आदरणीय सुन्दरलाल तिवारी जी के प्रश्न में भी आयी थी कि समयावधिके अन्दर आपने प्रकरण बनाया था तो उसमें मंत्री जी का उत्तर है कि एक भी प्रकरण किसानों पर और प्रश्न के घ के उत्तर में बताया है कि किसी भी उद्योगपति पर और उद्योग वालों पर हमने प्रकरण नहीं बनाये हैं. यह कौरा असत्य है और मैं आपके माध्यम से अदालत के जो प्रकरण बना और सजा हुई, इस समयावधि के अंतर्गत सागर जिले में और किस पर हुई. मैं इस बात को सभी सदस्यों को भी बताना चाहता हूं सजा हुई यशवंत वह 6 वर्ष का लड़का है, यहां पर लोकअदालत के कागज लेकर आया हूं आप आदेश करेंगे तो सदन के पटल पर भी रखूंगा. मंत्री जी का जवाब कई मामलों में असत्य होता है. 14 वर्ष का यशवंत उसके दादा का नाम दयाराम मिश्रा है यह सागर जिले के बंडा का केस है अखबारों में इसके बारे में खूब छपा है “दैनिक भास्कर” अखबार की मेरे पास कटिंग भी है. मैं मंत्रीजी से पूछना चाहता हूँ कि अदालत के दिये हुए कागज असत्य हैं या आपका दिया हुआ जवाब असत्य है. छह वर्ष का बच्चा जिसे स्कूल में होना था वह जमानत के लिये अदालत के चक्कर लगा रहा है. मेरा मंत्रीजी से सीधा प्रश्न है कि इन्होंने कहा है कि इस समयावधि में हमने बिजली के बकाया पैसों के लिये कोई प्रकरण नहीं बनाये हैं यह कई प्रश्नों के उत्तर में आया है. प्रश्न यह है कि छह वर्ष का बच्चा यशवंत जिसको स्कूल में होना था वह अदालत में जमानत करवाने गया उसके साक्ष्य मेरे पास हैं क्या मंत्रीजी यह बताने की कोशिश करेंगे कि माननीय लोक अदालत मध्यप्रदेश शासन गलत थी या आपने जो जवाब दिया है वह गलत है और जवाब के लिये मैं यह डाक्यूमेंट देना चाहता हूँ.
वित्त मंत्री (श्री जयंत मलैया)—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि आप स्वयं ही देखें जो प्रश्न इन्होंने किया है क्या उससे इसका औचित्य साबित होता है क्या यह उद्भुत होता है ? माननीय सदस्य ने जो प्रश्न पूछा है उसका जवाब दिया है यदि वे पर्टिकुलर सागर का कोई केस पूछते तो हम उसकी जानकारी इकट्ठी करके दे सकते थे परन्तु जहां तक मेरा कहना है मैं पुन: दोहरा रहा हूँ कि किसी भी व्यक्ति के खिलाफ जिसने बिजली का बिल नहीं भरा है उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हुई है उसको जेल नहीं भेजा गया है परन्तु अगर किसी ने अवैध बिजली ली है गड़बड़ तरीके से ली है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की गई है.
डॉ. गोविन्द सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी सदन में असत्य जानकारी दे रहे हैं, आप अगर आदेश दें तो मैं इसके प्रमाण दूंगा कि एफआईआर भी हुई है और लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है.
अध्यक्ष महोदय—आप लोग पहले मंत्रीजी का उत्तर सुन लें.
श्री जितू पटवारी—अध्यक्ष महोदय, मैं लोक अदालत के कागज लेकर आया हूँ.
श्री जयंत मलैया—पहले आप मेरी बात तो सुनिये कुछ भी बोलते जायेंगे क्या, आप इस तरह से बात नहीं कर सकते हैं. लोक अदालत में कोई भी बिजली के ऐसे प्रकरण जिसमें बिजली का बिल नहीं भरा गया है ऐसे प्रकरण नहीं जाते हैं सिर्फ बिजली चोरी के प्रकरण जाते हैं.
डॉ. गोविन्द सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन लोगों ने बिल नहीं दिये हैं ऐसे सैंकड़ों लोगों को विद्युत अधिनियम की धारा 135 के तहत जेल भेजा गया है और आपको जानकारी नहीं है. इसके मैं आपको प्रमाण दूंगा.
अध्यक्ष महोदय—डॉक्टर साहब मैंने आपको अनुमति नहीं दी है जितू पटवारी का मूल प्रश्न है वे अच्छे और समझदार विधायक हैं उनको पूछ लेने दीजिये.
श्री जितू पटवारी—अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है मैंने आपसे अनुमति मांगी है मैं लोक अदालत के कागजात लेकर आया हूँ.
अध्यक्ष महोदय—उसकी अनुमति नहीं है.
श्री जितू पटवारी—अध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी ने कहा है कि स्पेसिफिक किसी एक का पूछते तो हम उसकी जानकारी दे देते.
अध्यक्ष महोदय—आपने उनका उत्तर ही नहीं सुना है आप भाषण दे रहे हैं.
श्री जितू पटवारी—मैं साक्ष्य लेकर आया हूँ आप पटल पर रखने की अनुमति दें.
अध्यक्ष महोदय—यह प्रश्नकाल है आप पाईंटेड प्रश्न पूछें.
श्री जितू पटवारी—हमने पूछा कि पूरे मध्यप्रदेश में ऐसे कितने प्रकरण बने हैं उन्होंने कहा है कि एक भी प्रकरण नहीं बना है मैं साक्ष्य लेकर आया हूँ छह वर्ष के बच्चे को जेल हुई है.
अध्यक्ष महोदय—तो उनसे उसकी जांच का पूछिये, सीधा पाईंटेड प्रश्न पूछिये कि मैं यह साक्ष्य लाया हूँ क्या इसकी आप जांच करा लेंगे, क्या आपको भी यह बताना पड़ेगा.
श्री जितु पटवारी—अध्यक्ष महोदय, मैं यह साक्ष्य लाया हूँ क्या यह मैं पटल पर रखूं मेरे पास यह दैनिक भास्कर की कटिंग है इसमें बच्चे का पूरा विवरण है सागर के अखबारों में छपा है यह गलत जानकारी देने के लिये कौन जवाबदार है. मैं यही प्रश्न पूछ रहा हूं इन्होंने कहा है कि एक भी प्रकरण ऐसा नहीं बना है मैं कह रहा हूँ कि मैं साक्ष्य लाया हूँ कि छह वर्ष के बच्चे को आपने जेल की है.
श्री मुकेश नायक—अध्यक्ष महोदय, वे प्रमाण दे रहे हैं कि मंत्रीजी असत्य कथन कर रहे हैं वे यह कहना चाहते हैं.
अध्यक्ष महोदय—तो वे माननीय मंत्रीजी से पूछें न कि क्या वे इसकी जांच करायेंगे.
श्री मुकेश नायक—अगर मंत्रीजी चाहें तो इस विषय पर उत्तर दे सकते हैं वे प्रमाण दे रहे हैं कि मंत्रीजी असत्य कथन कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय—तो वे माननीय मंत्रीजी का उत्तर तो सुनें. आप बैठ जाइये उत्तर लीजिये.
श्री जितू पटवारी—अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्रीजी से यह निवेदन है मैं आपसे स्पेसिफिक प्रश्न पूछ रहा हूं मेरे प्रश्न का जवाब आपने यह दिया है कि ऐसे कोई प्रकरण नहीं बने हैं कि जिसमें बिजली के बिल का बकाया नहीं चुकाया है हमने उनके विरुद्ध कोई प्रकरण दर्ज नहीं किये हैं या सजा नहीं दी है. मैंने इसमें पूछा है कि मेरे पास लोक अदालत, मध्यप्रदेश शासन की, जो सागर में लगी थी, तारीखवार, कि यह हुआ था 07 सितंबर 2013, इसी समयावधि का मैंने आप से पूछा है, उसमें एक 6 वर्ष का बच्चा, जिसके नाम से जमीन थी, उस पर प्रकरण दर्ज हुआ, गाँव का नाम है, एम पी ई बी पावर जनरेटिंग कंपनी ने यह विजयपुरा गाँव का नाम है, सागर तहसील के, वहाँ पर एक बच्चे को जब स्कूल जाना था तब वह गया अदालत में, उसको पता है नहीं है क्यों लाए, उसका दादा है दयाराम, उससे उसने पूछा क्यों लाए, वे बोले तेरी जमानत कराने.
अध्यक्ष महोदय-- अब आप प्रश्न का उत्तर तो लेंगे कि नहीं लेंगे?
श्री जितू पटवारी-- ये साक्ष्य हैं मैं देना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, नहीं, आप बैठ जाइये, पहले उसका उत्तर लीजिए.
श्री जितू पटवारी-- इसका जवाब दें आप, इसमें क्या कार्यवाही करेंगे, गलत जवाब है.
श्री जयन्त मलैया-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन यह है कि इस प्रश्न से यह, जो आपने पूछा है यह उद्भूत नहीं होता. अगर उनको जवाब चाहिए तो पूरी जानकारी मुझे दें उसके बाद फिर मैं आपके लिए उत्तर देने के लिए तैयार हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- उनका प्रश्न यह था कि जो बिजली के बिल जमा नहीं किए, उनके खिलाफ कोई केस बनाए, आपने कहा नहीं बनाए. वे कह रहे हैं कि बनाए हैं, तो उसकी जाँच करा लें.
श्री जयन्त मलैया-- मैं जाँच करा लूँगा.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है, अब क्या रह गया? प्रश्न क्रमांक 12 श्री चंपालाल देवड़ा....
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, मूल प्रश्न अब आया है...(व्यवधान)..
डॉ गोविन्द सिंह-- एक नहीं अध्यक्ष जी, अगर मैं 200 प्रकरणों की जानकारी..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी-- प्लीज अब आपके लिए है...
अध्यक्ष महोदय-- मूल प्रश्न कहाँ से आ गया?
श्री जितू पटवारी-- मेरा अनुरोध यह है कि अगर गलत जानकारी पाई गई तो इसकी जवाबदारी किसकी होगी?
अध्यक्ष महोदय-- उसकी प्रक्रिया है. आप नियम पढ़िए. प्रश्न क्रमांक 12....(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, मैं तो आपके लिए कर रहा हूँ सब.
डॉ गोविन्द सिंह-- (XXX)..(व्यवधान)..एक नहीं है..(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी-- क्या हो रहा है ये?..(व्यवधान)..मैं जवाब से संतुष्ट नहीं हूँ बाला भैय्या आप हों क्या?..(व्यवधान)..तो खड़े हो जाओ. यह क्या तरीका है?..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आपस में बात मत करिए…(व्यवधान)..माननीय सदस्य, आपका यह कोई तरीका नहीं है. इस तरह से आप व्यवहार नहीं करेंगे...(व्यवधान)..
डॉ गोविन्द सिंह-- एक नहीं सैकड़ों जवाब मिल गए हैं....(व्यवधान)..(XXX)..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- यह निकालिए कार्यवाही से, डॉक्टर साहब...(व्यवधान)..
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)-- आपने अभी आसंदी के लिए कहा कि कागज पढ़ देते हों ये आरोप आप आसंदी पर लगा रहे हों गोविन्द सिंह जी...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- डॉक्टर साहब बैठ जाइये. प्रश्न क्रमांक 12....(व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य-- यह जवाब गलत है...(व्यवधान)..
11.28 बजे
बहिर्गमन.
इंडियन नेश्नल काँग्रेस के सदस्यों द्वारा शासन के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन.
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन)-- मंत्रियो से..(व्यवधान)..हम इसमें बहिर्गमन करते हैं..(व्यवधान)..
(उप नेता प्रतिपक्ष श्री बाला बच्चन के नेतृत्व में इंडियन नेश्नल काँग्रेस के अनेक सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया.)
अध्यक्ष महोदय-- आप अपने स्थान पर बैठें. आप लोग उत्तर नहीं सुनना चाहते...(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी-- (XXX)...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप लोग उत्तर नहीं सुनना चाहते हैं, आप कृपया अपने स्थान पर बैठें...(व्यवधान).. आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं यह बात उचित नहीं है. आपका प्रश्न भी नहीं था इसके बाद भी आप बिना अनुमति के बराबर बोले जा रहे हैं. ..(व्यवधान)..आप वरिष्ठ सदस्य हैं आप कृपया बैठ जाएँ...(व्यवधान)..
डॉ गोविन्द सिंह-- मुझे अधिकार नहीं है क्या..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- डॉ. साहब आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं कृपया बैठिए...(व्यवधान)..नहीं यह बिल्कुल एलाऊ नहीं करेंगे. आप बैठ जाइये, उसके लिए और नियम हैं. आप उसमें ला सकते हैं ये विषय.
डॉ गोविन्द सिंह-- गलत जानकारी दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, प्लीज, समय हो रहा है दूसरे सदस्यों को प्रश्न पूछने दीजिए...(व्यवधान)..प्रश्न क्रमांक 12...
डॉ गोविन्द सिंह-- समय हो रहा है, आप तो बिल्कुल...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठिए. प्रश्न क्रमांक 12...(व्यवधान)..आप बैठ जाइये. प्रश्न क्रमांक 12….(व्यवधान).. आप दूसरे सदस्यों को नहीं पूछने देंगे क्या? नये सदस्यों को भी आप नहीं पूछने देना चाहते. श्री चंपालाल देवड़ा अपना प्रश्न करें....(व्यवधान)..किसी का कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री रामनिवास रावत-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- जाँच का बोल दिया है मंत्री जी ने. देवड़ा जी आप प्रश्न करिए. ..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत-- (xxx)
श्री बलवीर सिंह डंडौतिया-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- नहीं बोलने देंगे किसी को.
श्री बलवीर सिंह डंडौतिया-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- देवड़ा जी आप प्रश्न करिए.
श्री बलवीर सिंह डंडौतिया-- (xxx) ..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- डंडौतिया जी, आप बैठ जाइये. देवड़ा जी प्रश्न करिए. समय हो गया पूरा. कुछ नहीं लिखा जाएगा किसी का. देवड़ा जी प्रश्न करिए. कृपा करके सदस्य को प्रश्न पूछने दीजिए. नये सदस्यों को आप लोग प्रश्न नहीं पूछना देना चाहते. यह बात अत्यन्त खराब है रावत जी. आप बैठ जाएँ. बहिर्गमन के बाद में आप उसी बात को फिर उठा रहे हैं. दिस इज़ नॉट प्रॉपर.
श्री रामनिवास रावत-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- इस तरह से व्यवहार नहीं किया जाएगा.
श्री रामनिवास रावत-- (xxx) ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, आप बैठ जाइये. श्री रामनिवास रावत जी से अनुरोध है कि बैठ जाएँ और दूसरे सदस्यों को प्रश्न करने दें.
डॉ गोविन्द सिंह-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- कुछ नहीं लिखा जाएगा. मंत्री जी ने जाँच के लिए बोल दिया है. देवड़ा जी, आप प्रश्न करिए.
डॉ गोविन्द सिंह-- (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- देवड़ा जी, प्रश्न करिए.
औंकारेश्वर परियोजना के डूब प्रभावितों को मुआवजा
12. ( *क्र. 135 ) श्री चम्पालाल देवड़ा : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) देवास जिले के बागली विकास खण्ड में औंकारेश्वर परियोजना में डूब प्रभावित ग्राम धारडी के (1) कैलाश पिता मांगीलाल (2) रामकरण पिता शोभाराम (3) महेश पिता हरिसिंह (4) नर्मदा प्रसाद पिता हरेसिंह (5) मनोज पिता अर्जुन (6) पप्पू हरिसिंह (7) तेरसिंह देवीलाल (8) ससोता देवीलाल (9) गेंदाबाई हरेसिंह जो उक्त ग्राम के मूल निवासी हैं, जिन्हें भू-अर्जन अधिनियम 1894 की धारा 5 नियम (1) सहपठित धारा 4 (1) , धारा-12 एवं धारा 9 (3) का नोटिस प्राप्त हुआ था? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांकित अ.ज.जा. वर्ग के पात्र लोगों को शासन की ओर से अभी तक मुआवज़ा राशि क्यों प्राप्त नहीं हुई और न ही इन्हें विस्थापित किया गया? (ग) प्रश्नांकित प्रकरण में किन अधिकारियों ने भौतिक सत्यापन किस आधार पर किया तथा इन्हें शासन की सुविधाओं से क्यों वंचित किया गया है? उक्त प्रकरण में दोषी व्यक्तियों पर कब तक कार्यवाही कर प्रभावितों को मुआवज़ा दिलाया जायेगा?
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) : (क) जी हाँ। उल्लेखित 09 व्यक्तियों को धारा 5 व 9 (3) के तहत नोटिस दिये गये थे तथा इनमें से 02 व्यक्तियों (1) कैलाश पिता मांगीलाल, (2) रामकरण पिता शोभाराम को धारा-12 के नोटिस दिये गये थे। (ख) उपरोक्त उल्लेखित 09 प्रभावित परिवारों में से श्री कैलाश पिता मांगीलाल को भूखंड का रूपये 8431 तथा मकान का रूपये 37602 कुल रूपये 46033 मुआवजा एवं श्री रामकरण पिता शोभाराम को भूखंड का रूपये 7510 तथा मकान का रूपये 27474 कुल रूपये 34984 मुआवजा का भुगतान किया गया है। शेष 07 (1) महेश पिता हरिसिंह (2) नर्मदा प्रसाद पिता हरेसिंह (3) मनोज पिता अर्जुन (4) पप्पू-हरिसिंह (5) तेरसिंह-देवीलाल (6) ससोता देवीलाल (7) गेंदाबाई हरेसिंह के मकान धारा 04 के पश्चात निर्मित होने तथा पात्रता नहीं होने से अवार्ड में शामिल नहीं किया गया, जिसके कारण मुआवजा भुगताना किया जाना संभव नहीं है। (ग) उपरोक्त ''ख'' के प्रकाश में कोई कार्यवाही की आवश्यकता नहीं है।
श्री चम्पालाल देवड़ा--- माननीय अध्यक्ष महोदय, देवास जिले के बागली में ओंकारेश्वर परियोजना में धारडी गांव के जो 9 अऩुसूचित जनजाति के परिवार डूब में आए हैं, वह बीच गांवों में वर्षों से निवासरत् हैं, ऐसे 9 परिवारों को विभाग ने मुआवजा देने से इंकार कर दिया और बोल दिया कि धारा 40 के अंतर्गत यह नहीं आ रहे हैं मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इन परिवारों को जो वर्षों से वहाँ पर निवास कर रहे हैं, क्या इनको मुआवजा राशि देने में शामिल करेंगे.
राज्यमंत्री सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य)—माननीय अध्यक्ष महोदय, नार्म्स के हिसाब से दो किसानों को राशि उपलब्ध करा दी गई है. शेष सात उस मापदंड में नहीं आ रहे थे उनको राशि उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है.
श्री चम्पालाल देवड़ा--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न है कि वह परंपरागत वर्षों से वहाँ निवासरत् हैं उन सात परिवारों को विभाग मुआवजा राशि नहीं दे रहा है. ओंकारेश्वर परियोजना को लगभग दस वर्ष हो गये हैं और दस अनुसूचित जनजाति के परिवारों को मुआवजा राशि नहीं दी जा रही है.
अध्यक्ष महोदय—उन्होंने उसका उत्तर दे दिया है. अब आप बैठ जाएं आपकी बात रिकार्ड में आ गई है. समय हो गया है. मंत्री जी आप माननीय सदस्य को बुलाकर उनका समाधान कर दीजियेगा.माननीय वित्तमंत्री जी ने आज ऊर्जा मंत्री जी के विभाग के उत्तर बड़े अच्छे से और सौजन्यता से दिये हैं वह बधाई के पात्र हैं. प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
श्री आरिफ अकील(भोपाल उत्तर) --- अध्यक्ष महोदय, मैंने एक स्थगन दिया है.(XXX).( अखबार की छायाप्रति हाथ में लहराई)
श्री विश्वास सारंग--- यह आपत्तिजनक है.
श्री आरिफ अकील-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय—इस पूरी बात को कार्यवाही से निकाल दें.बैठ जाइए..(व्यवधान)..आरिफ अकील जी आपके दल का स्थगन प्रस्ताव आया है.
गर्भगृह में प्रवेश
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य सर्वश्री आरिफ अकील,बाला बच्चन,रामनिवास रावत,अजय सिंह, कुं. विक्रम सिंह द्वारा गर्भगृह में प्रवेश
(इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्य सर्वश्री आरिफ अकील,बाला बच्चन,रामनिवास रावत, अजय सिंह, कुं. विक्रम सिंह ने अपनी बात कहते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया एवं कुछ समय पश्चात वापस अपने आसन पर गये) ....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप सभी बैठ जाइए, आप इस तरह से कागज नहीं लहरा सकते हैं. यह कुछ भी कार्यवाही में नहीं आएगा. आप बैठ जाइए कक्ष में आकर के बात कर लें. यहाँ कुछ मत दिखाइए, आप वरिष्ठ सदस्य हैं, आपका यह व्यवहार उचित नहीं है. ...(व्यवधान)...
श्री अंचल सोनकर-- आरिफ भाई, अपने आपको देखो दूसरों पर आरोप मत लगाओ.
श्री विश्वास सारंग--- यह आपत्तिजनक हैं.
श्री अजय सिंह--- क्या आपत्तिजनक है एक विधायक अपनी पीड़ा बता रहा है .
अध्यक्ष महोदय—आप लोग बैठ जाइए. आपके ही दिये हुए स्थगन प्रस्ताव पर अभी चर्चा होना है.आप लोग मर्यादा रखें , सदन के नेता कुछ कहना चाह रहे हैं आप सभी अपने अपने स्थान पर बैठ जाइए .
मुख्यमंत्री(श्री शिवराज सिंह चौहान)—माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन के माननीय सदस्य और बहुत वरिष्ठ सदस्य श्रीमान आरिफ अकील जी ने एक बात कही है. मैं विनम्रता के साथ कहना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री निवास पर हम सब धर्मों के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं.आप जानते हैं कि वहां रोजा इफ्तार भी होता है, वहां क्रिसमिस का पर्व भी मनाया जाता है, क्षमावाणी का पर्व भी होता है और वैसे प्रकाशोत्सव गुरु नानक जी के जन्म के उपलक्ष्य में सिख समाज का वह कार्यक्रम हम आयोजित करते हैं, मनाते हैं. उस समय जब गुरु ग्रंथ साहब आदर के साथ मुख्यमंत्री निवास में आते हैं तो मुझे ग्रंथी साहब ने और सिख समाज ने मुख्यमंत्री निवास के अंदर कहा कि यह उनकी परम्परा है कि तलवार हाथ में ले के आगे आगे मैं चलूं. उन्होंने मुझ पगड़ी भी पहनायी. वह पगड़ी भी मैंने पहनी तो मैंने एक परम्परा का निर्वाह किया है. यह सर्वधर्म सम्भाव की, जो भारत का भाव है उसके अनुरुप है( मेजों की थपथपाहट ) उससे अन्यथा कोई अर्थ निकलने का सवाल नहीं है. आप जानकारी ले सकते हैं, मुख्यमंत्री निवास का वह कार्यक्रम था. मैं सब धर्मों का आदर करता हूँ. यह भारत की परम्परा है और इसलिए उसी उत्साह से, रोजा इफ्तार के समय जो भाई आते हैं, उनको भी हम दोनों बाहें फैला के गले से लगाते हैं. ईसाई भाई आते हैं. उनके साथ भी उसी प्रेम के साथ उस कार्यक्रम का आयोजन करते हैं और इसलिए मुझे लगा कि मेरा नाम लिया गया है इसलिए मैं स्थिति स्पष्ट कर दूं. सिख धर्म की, सिख पंथ की जो परम्परा है उस परम्परा का मैंने निर्वाह किया है. इसका और कोई अन्यथा अर्थ नहीं है.
श्री आरिफ अकील—x x x
अध्यक्ष महोदय—अब कुछ अलाऊ नहीं किया जायेगा. श्री आरिफ अकील की कोई बात नोट नहीं की जायेगी(व्यवधान)ये कौन सा वातावरण बनाना चाहते हैं.(व्यवधान) सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित.
(11. 37 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गयी)
(xxx) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
11.48 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई
{अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
स्थगन प्रस्ताव
बड़वानी शासकीय जिला चिकित्सालय में ऑपरेशन के दौरान मरीजों की आंखों की रोशनी चले जाना.
मुख्यमंत्री ( श्री शिवराज सिंह चौहान ) – माननीय अध्यक्ष महोदय बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और मेरी आपसे प्रार्थना है कि स्थगन को ग्राह्य करें और इस पर चर्चा करायें.
अध्यक्ष महोदय – शासन द्वारा स्थगन ग्राह्य करने का अनुरोध किया गया है. अत: मैं स्थगन प्रस्ताव ग्राह्य करता हूं.
श्री रामनिवास रावत( विजयपुर ) – माननीय अध्यक्ष महोदय माननीय मुख्यमंत्री जी को उनकी सहृदयता को हम धन्यवाद् देते हैं कि उन्होंने की बड़वानी की इतनी भयावह घटना पर लाये गये स्थगन प्रस्ताव को सहृदयता से स्वीकार किया है. यह बड़वानी की भयावह घटना , एक मानवीय संवेदना से भरा हुआ विषय है, यह जो घटना हुई है इससे पूरा देश स्तब्ध है, तमसो मां ज्योतिर्गमया का उद्घोष जिस धरती के कण कण में गूंज करता हैं. हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलें, माननीय मुख्यमंत्री जी भी अंधकार से प्रकाश की ओर प्रदेश को ले जाने की बात करते हैं. उ स राज्य में निरीह बुजुर्ग, लगभग इस स्थिति से 70 से 80 प्रतिशत लोगों को गुजरना पड़ता है, मोतियाबिंद, लगभग 60 वर्ष की आयु के ऊपर के व्यक्तियों की आंखों में सामान्यत: मोतियाबिंद आता है. उस राज्य में निरीह बुजुर्ग और सर्वहारा की सरकार प्रकाश से अंधकार में ले जाये तो मैं समझता हूं कि इससे बड़ी विडंबना और कोई नहीं हो सकती है. हम अपने जीवन में सपने संजोने का काम करते हैं प्राकृतिक सुंदरता के भी सपने संजोते हैं और जीवन को सुंदर बनाने के भी सपने संजोते हैं लेकिन उनका अर्थ तब ही है जब हमारे पास आंखें हों हम उनका एहसास तब ही कर पाते हैं जब हमारे पास आंखें होंगी और जब किसी व्यक्ति की आंखें चली जाय तो उसके सामने अंधकार छा जाता है, उसके पास में फिर कितनी भी बड़ी सुविधा हो कितनी भी बड़ी व्यवस्था हो उ सका जीवन शून्य की स्थिति में पहुंच जाता है वह अपने आप को बदनसीब मानने लगता है और वह चाहता है कि अपने जिस्म की दो खूबसूरत आंखें जो भगवान ने दी हैं अगर वह किसी की गलती से चली जाय तोवह निश्चित रूप से इस तरह की अमानवीय घटना के लिए कहीं न कहीं हम सब दोषी हैं.
हम सबको यह विचार करना होगा. हम प्रतिपक्ष में हैं प्रतिपक्ष में रहकर आरोप लगाना बड़ा आसान काम है और सत्तापक्ष में रहकर अपनी वाह वाही करना भी बड़ा आसान काम है लेकिन सत्तापक्ष में रहकर सत्य को स्वीकार करना और प्रतिपक्ष में रहकर सही बात को कहना बहुत मुश्किल काम है. मैं समझता हूं कि इस बात को स्वीकार करने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी से अपेक्षा करूंगा कि वह सहृदयता से स्वीकार करें. पूर प्रदेश में यह पहली घटना नहीं है. इसके पहले भी कई बार घटनाएं हुई हैं. हम बात करते हैं अगर किसी भी प्रदेश को स्वर्णिम भविष्य की ओर अगर प्रदेश को स्वर्मिण मध्यप्रदेश बनाने की आप बात करते हैं. किसी भी प्रदेश के विकास को मापने का कोई आंकलन है तो वह उस प्रदेश की मानव विकास की स्थिति है और मानव विकास में मुख्य रूप से आते हैं स्वास्थ्य,शिक्षा और स्वस्थ्य से जुड़े हुए मुद्दे जैसे मातृ मृत्यु दर,शिशु मृत्यु दर एवं अन्य चीजें. लेकिन आज हमारे प्रदेश की स्वास्थ्य से संबंधित व्यवस्थाओं की क्या हालत है वह लगातार आज बड़वानी काण्ड से हमें देखने को मिल रही हैं. यह पहली घटना नहीं है. सामान्यतः राष्ट्रीय अन्धत्व निवारण के तहत राष्ट्र द्वारा चलायी गई योजनाएं, प्रदेश सरकार द्वारा चालाई गई योजनाएं, सभी लोग इसमे सहभागी बनते हैं. एनजीओज भी इसमे बढ़ चढ़ कर योगदान देती हैं. लोगों की संस्थाएं भी नेत्रदान कराने के लिए सहयोग करती हैं. अंधेरे से रोशनी दिलाने का संस्थाएं और व्यक्ति ,सभी लोग अपने अपने ढंग से प्रयास करते हैं. लेकिन हमारी कमियों के कारण,हमारी अव्यवस्थाओं के कारण अगर ये स्थिति बने तो निश्चित रूपसे हम सबके लिए बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है.
अध्यक्ष महोदय, नवम्बर की दिनांक 16 तारीख से 21 तारीख तक बड़वानी में आपरेशन किये जा रहे थे. इससे पहले भी इन्दौर के आई(eye) हॉस्पिटल में भी 2011 में आपरेशन हुए थे. उस समय वहां भी आपरेशन के बाद लगभग 18 मरीजों की आँखों में संक्रमण हुआ था. उस समय के तत्कालीन संयुक्त संचालक डॉक्टर के.के.ठस्सु द्वारा एक आदेश निकाला गया था कि मोतियाबिन्द के आपरेशन के पश्चात् रोगियों की जो आँखें गई हैं ,उन सब ओ.टी. को तत्काल बन्द करवाया जाय. और इस व्यवस्था में जितने भी लोग दोषी हों उन सबके खिलाफ अपराधिक प्रकरण भी दर्ज कराये जायें. तत्काल अस्पताल प्रबंधन,संबंधित चिकित्सक एवं अन्य कर्मचारियों के विरूद्ध पुलिस में प्रथम सूचना रिपोर्ट दायर करें एवं उसकी एक प्रति मुझे उपलब्ध करायें. और इसी प्रकार से एल.टी.टी.आपरेशन भी होते हैं , इन आपरेशनों में भी कई महिलाओं का जीवन कालकवलित हो जाता है. मेरे क्षेत्र की ही घटनाएं थीं. पूरे प्रदेश की लगभग यही स्थिति है. यहां पर 94 लोगों की आँखों के आपरेशन किये. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपरेशन करना यह लगातार चलने वाली प्रक्रिया है.क्योंकि मोतिया बिन्दु वाले लोग आते हैं और आपरेशन होते रहते हैं और इस डॉक्टर ने भी आपरेशन किये होंगे. इस अस्पताल में बड़ी संख्या में आपरेशन किये जाते रहे होंगे. लेकिन आपरेशन के बाद धीरे धीरे लोगों की आँखों में फंगस आ गया,संक्रमित होती गईं और लोगों की आँखें खराब होती गयी. लोग वापिस दिखाने आते गये और लोगों के आँखों की रोशनी जाती रही. सरकार ने कदम तो उठाये. उनको इन्दौर के अस्पताल रिफर किया गया. उसके बाद माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा भी की कि उनके इलाज की समुचित व्यवस्था सरकार करेगी, उनको दो दो लाख रूपये का मुआवजा भी देगी. मैं समझता हूं कि इस बात को वे अपने जवाब में भी बतायेंगे. लेकिन मैं समझता हूं कि इसको आपको अपने जवाब में कहने की जरूरत नहीं है. पूरे प्रदेश को पता है कि आप पीड़ितों के आँखों के इलाज की भी व्यवस्था कर रहे हैं और 2-2 लाख रूपये का मुआवजा देने की व्यवस्था कर रहे हैं. हम यह उत्तर सुनना चाहेंगे कि प्रदेश में भविष्य में इस तरह से किसी की आँखें खराब न हों ऐसी व्यवस्था आप करें और इस घटना के लिए मुख्यतः कौन कौन दोषी हैं ,कौन कौन जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज हो और उनके खिलाफ कार्यवाही हो. जब इस घटना की बात सामने आयी ,आपने आनन फानन में वहां के डॉक्टर और 4-5 नर्सों को ससपेण्ड किया. क्या डॉक्टर आपरेशन करना नहीं जानता था? मुझे डॉ़क्टर की वकालत नहीं करना है. मुझे वहां के पैरामेडिकल स्टाफ की वकालत नहीं करना है. आपने सी.एम.एच.ओ. को भी निलंबित किया. मैं उसकी भी वकालत करना नहीं चाहता. लेकिन आप स्पष्ट करें कि इनका क्या क्या दोष था जिसके लिए इनको निलंबित किया गया. जबकि आपने एम्स (AIMS ) से भी डॉक्टरों की टीम बुलाई . एम्स की टीम का साफ कहना है कि इन मरीजों की आंखें फंगस के कारण खराब हुई हैं न कि आपरेशन की असावधानी के कारण. अध्यक्ष महोदय, आंखों को साफ करने के लिए जो फ्ल्यूड ( fluid ) सप्लाई किया गया उसके कारण इनकी अँखों का खराब होना बताया गया. अध्यक्ष महोदय, बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण विषय है. माननीय मुख्यमंत्रीजी, दवा की खरीदी प्रदेश में किस तरीके से की जाती है, इसकी कभी आपने समीक्षा की? डॉक्टर तो दवाई देगा लेकिन खरीदी हम करेंगे. जिसके बारे में हम जानते ही नहीं कि कौन सी दवाई किस मरीज को देना है. आपके आयुक्त तय करेंगे, प्रमुख सचिव तय करेंगे, माननीय मंत्रीजी करेंगे. आप केन्द्रीकृत सप्लाय ऑर्डर देंगे कि इस दवा कंपनी से दवा खरीदें और पैसा आप उनको भेज देंगे और सीएमएचओ को भी मजबूर करेंगे कि फलां फलां दवाईयां भेज रहे हैं आपको भुगतान करना है. यह सुनिश्चित कर दिया कि ये ये दवाईयां आपके अस्पताल में भेजेगा. इन्हीं को चलाना है और आपको भुगतान करना है. आप कैसे निर्धारण कर सकते हैं कि वह दवाईयां ठीक थी या नहीं थी.
अध्यक्ष महोदय, यह बात पहले भी आयी है. इसमें स्पष्ट लिखा है कि जिस दवा कंपनी ने बेरिल लिक्विड( Beryl liquid) दवाई सप्लाय की थी उसके मालिक कौन हैं? माननीय मुख्यमंत्रीजी बेरिल लिक्विड दवा का भी परीक्षण करा लें कि 2007 में इसको भी सप्लाय ऑर्डर दिये गये थे. सप्लाय ऑर्डर देने के बाद ठीक से सप्लाय न कर पाने के कारण एक इंदौर की कंपनी है जो धार में दवा बनाती है, इसको प्रतिबंधित भी किया गया था. उसके बाद किस तरह से पुनः सप्लाय के ऑर्डर दिये गये और दवा कंपनी लगातार अपनी दवा सप्लाय करती रही.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के कई अस्पतालों में यह बात देखने को मिलती है की ये एक्सपायरी डेट की दवा सप्लाय करते हैं. ये दवाईयां अस्पतालों के बाहर नाले में पटकते देखे गये हैं. नालो में, गड्डों में दवाईयां मिलती हैं. डॉक्टर इन दवाईयों का उपयोग नहीं करना चाहते लेकिन डॉक्टरों को आपने मजबूर कर दिया कि आपको यही दवाई देना पड़ेगी. आपको केवल एक ही चिन्ता है. आपने जीरो टॉलरेंस, भ्रष्टाचार की बात कही है. हम चाहते हैं कि आप उस भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए उठाये गये कदम को सच करके दिखायें. सत्य के पथ पर चल कर दिखायें. लेकिन होता क्या है. आप हो सकता है कि ईमानदारी से कहते हो लेकिन हमें शंका है. आप जिस चीज को कहना शुरु करते हैं हम लोगों को लगता है कि आपके कदम उल्टे चल पड़ते हैं. इसको कहने की जरुरत नहीं है. हम चाहते हैं जनता आपके बारे में यह कहे कि आप ही नहीं आपकी सरकार में बैठे हुए मंत्री, प्रशासन चलाने वाले प्रशासनिक अधिकारी और नीचे तक का व्यक्ति जब भ्रष्टाचार नहीं करेगा तब जनता अपने आप कहने लगेगी कि आप भ्रष्टाचार मिटाने की बात कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, क्या यह दवा सप्लाय का ऑर्डर माननीय मंत्रीजी की जानकारी में नहीं था. दवा खरीदी की प्रक्रिया क्या थी. दवा सप्लाय का ऑर्डर देने की प्रक्रिया क्या थी. क्या आप इस तथ्य को छुपायेंगे. अध्यक्ष महोदय, इतनी बड़ी दुर्घटना हो गई. पूरा देश स्तब्ध है. इतनी बड़ी दुर्घटना के बाद भी हम यह चाहते हैं कि बेरिल नाम की जो दवाई है जिसकी वजह से आंखें खराब होना बताया गया है और अभी और रिपोर्ट आना बाकी है, क्या इसके मालिक के खिलाफ तुरंत आपरादिक प्रकरण दर्ज करायेंगे? दवा सप्लाय का आदेश करने वाले अधिकारी के विरुद्ध तुरंत प्रकरण दर्ज करायेंगे? अगर माननीय मंत्रीजी की सहमति से हुआ है तो उनकी सहभागिता से भी इंकार नहीं किया जा सकता है. क्या आप उनसे तुरंत इस्तीफा लेंगे? इस तरह की घटनाएं भविष्य में घटित न हो उन्हें रोकने के लिए क्या क्या कदम उठायेंगे?
अध्यक्ष महोदय, कई बातें हैं. किस तरह से प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग ने जिस कंपनी से दवा खरीदी है, उस कंपनी को 3 जनवरी 2009 से लेकर 2 जनवरी 2014 के लिए ब्लेक लिस्टेड कर दिया गया था. पांच साल के लिए ब्लेक लिस्टेड कर दिया था. जब ब्लेक लिस्टेड कर दिया तो उसके बाद दवाई क्यों ली गई? इस कंपनी का मालिक कौन था? मालिकों के नाम आप जानते हैं. मैं कहूं कोई मतलब नहीं है. आप मालिकों के नाम लेकर उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई करें.
अध्यक्ष महोदय, मैं चाहता हूं कि दवा खरीदी की पूरी प्रक्रिया सामने आये. पूरी जांच हो. खरीदी का फैसला नीतिगत होता है. इसमें कोई एक अधिकारी नहीं करता. इसमें पूरी सरकार सम्मिलित रहती है और सरकार इसके लिए पूर्णरुपेण जिम्मेदार है.
अध्यक्ष महोदय, जिन व्यक्तियों कि रोशनी गई है उनकी आंखों की रोशनी गंवाने के लिये सरकार पूरी तरी से जिम्मेदार है, मैं तो चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी नैतिकता के रूप में जिस तरह से कभी हमारे स्वर्गीय प्रधानमंत्री माननीय लाल बहादुर शास्त्री जी ने रेलमंत्री रहते हुये जरा सी दुर्घटना में इस्तीफा दे दिया था. आप भी अपने जमीर को जगाओ, अपनी आत्मा को जगाओ और कहीं न कहीं अपने आप को इसके लिये स्वीकार.......
एक माननीय सदस्य-- xxx
श्री रामनिवास रावत-- xxx
माननीय अध्यक्ष महोदय-- इसे कार्यवाही से हटा दें.
स्वास्थ मंत्री (श्री नरोत्तम मिश्र)—मैं पूरी कोशिश करूंगा भाई रामनिवास रावत जी की शंका का समाधान करने के लिये.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शंका आपके उपर नहीं है, क्या आप आंख के बदले आंख देंगे. हमारे गौरीशंकर शेजवार जी, मैं ही कह देता हूं, उन्होंने एक हमें सलाह दी थी, उन्होंने कहा था कि मैं इस बात को उठा सकता हूं कि जिन व्यक्तियों की आंख के मोतियाबिंद का आपरेशन होता है, उसका फ्लूड के इंफेक्शन के कारण रेटीना खराब हो गया है और जो दान में हमें आंखें मिलती है.....
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)-- कुछ भी कहे जा रहे हो आप.
श्री रामनिवास रावत-- मैंने आपके माध्यम से ही कहा है.
(12.06 बजे माननीय उपाध्यक्ष महोदय डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह पीठासीन हुये)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा नाम लिया इसलिये बोलना जरूरी है, देखो भाई हर आदमी क्वालीफाइड एमबीबीएस ग्रेजुएट नहीं है, इसका अर्थ यह नहीं है कि आप कुछ भी कहे जाओ. मैंने कहा कि कार्निया खराब हो गया वह मैंने अखबार में पढ़ा था, एम्स के डाक्टर ने यह रिपोर्ट दी थी कि इनके कार्निया में इंफेक्शन हो गया है अब मैं कह रहा हूं कार्निया यह कह रहे हैं रेटीना. रेटीना और कार्निया में बहुत अंतर है, भईया.
श्री रामनिवास रावत-- मैंने आपके माध्यम से ही कहा था.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- हम यह कह रहे हैं कि हम डाक्टर नहीं हैं तो यह जरूरी नहीं कि हम टेक्नीकल टर्म यूज करें ।
उपाध्यक्ष महोदय-- अब उन्होंने स्वीकार कर लिया है अपनी भूल को, बात समाप्त हो गई.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- देखिये आप डाक्टर नहीं है तो आप ले-मैन टाइप की बात करिये, आप रावत जी जैसी बात करिये.
श्री अजय सिंह-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज शेजवार जी ने बहुत अच्छी बात कही, यदि क्वालीफाइड न हो तो बात नहीं करना चाहिये, लेकिन बहुत सारे ऐसे भी एम.बी.बी.एस. क्वालीफाइड डाक्टर हैं उनको आज तक समझ में नहीं आया कि कैसे उन्होंने पास कर लिया. ...(हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय-- सदन में तो नहीं हैं न.
श्री गोपाल भार्गव-- उपाध्यक्ष महोदय, हमारे अध्यक्ष महोदय क्वालीफाइड एमबीबीएस हैं, इस कारण से पूरे सदन को विश्वास होना चाहिये, इस विषय पर जो चर्चा होगी वह पूर्णत: वैज्ञानिक तरीके से चिकित्सीय पारंगता के साथ होगी.
उपाध्यक्ष महोदय-- यह बात तो सही है...
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- उपाध्यक्ष महोदय, अजय सिंह जी ने यह कहा कि कौन ने कैसे पास किया है, विधि तो आपको मालूम है, इस विधा में आप ज्यादा पारंगत हैं ...(हंसी)..
श्री अजय सिंह-- व्यापम घोटाला आपके समय में ही हो रहा है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- व्यापम घोटाले में आप कुछ कर ही नहीं पाये, आपके पास कुछ है ही नहीं. मैं यह कह रहा था कि बात कार्निया की थी और यह कह रहे हैं रेटीना. देखिये मैं भी बहुत सालों से राजनीति में हूं तो मैं भी लगभग नॉन प्लेइंग केप्टन टाइप की बात करता हूं, लेकिन जब चीज मेरे समझ में नहीं आती तो बहुत ज्यादा टेक्नीकल बात नहीं करता मैं, लेकिन इनके तो बिलकुल ही समझ में नहीं आ रही, कहें खेत की सुने खलिहान की, मैंने बात कार्निया की कही, यह कह रहे हैं रेटीना.
उपाध्यक्ष महोदय-- डॉ. साहब, यह बात उन्होंने स्वीकार कर ली है, अब आगे क्यों बढ़ा रहे हैं. रेटीना कार्निया के बारे में उन्होंने बता दिया है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- मेरे नाम से कहा इन्होंने, मैंने ऐसा नहीं.
श्री रामनिवास रावत-- उपाध्यक्ष महोदय, जब तक यह बोलना चाहें, बोलने दिया जाये, यह इनकी संवेदनाओं का प्रतीक है.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- मैं यह ही कहना चाहता हूं कि विषय बहुत गंभीर है और मैं गंभीरता से बात कर रहा हूं और बात आपने जो कही थी उसको मैं दोहराना चाहता हूं. एम्स के डाक्टरों ने ऐसा कहा कि कार्निया में इंफेक्शन हो गया है, उपाध्यक्ष महोदय आप भी वहां मौजूद थे, मैंने सहज में यह बात कही थी कि कार्निया में यदि इंफेक्शन हो गया है और ओबेसिटी उसमें आई है तो हम कार्निया का ट्रांसप्लांटेशन करवा सकते हैं, क्या यह संभव है, यह बात मैंने कही थी और यदि यह संभव है तो सरकार से हम बात करेंगे, आपने भी यह बात कही थी कि इतने लोगों की आंखें यदि कार्निया के ट्रासप्लांटेशन से वापस आ सकती हैं और उनको रोशनी मिल सकती है और उनको ज्योति मिल सकती है तो हमें इसमें पहल करना चाहिये, यह बात थी, अब आप कह नहीं पाये उस बात को. लेकिन हमारे भीतर जो भावनायें हैं वो आना चाहिये. अभिव्यक्ति का तरीका कुछ भी हो लेकिन वास्तव में उसमें संवेदना होना चाहिये. मेरी ऐसी अपेक्षा है.
श्री मुकेश नायक—आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं, अगर नरोत्तम जी के जाने के बाद में किसी के चांस बनता है तो जो टेक्निकल परफेक्शन आप शो कर रहे हैं इसके बाद तो आपका ही चांस बनता है.(हंसी)
डॉ.गौरीशंकर शेजवार—क्यों साहब, आप रेडक्रास में कुछ हैं. मेरे बाद आपका और आपके बारे में भी लोग यह कह रहे हैं कि यह भी यहीं (भारतीय जनता पार्टी) आ रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय—प्रश्नकाल न बनायें. स्थगन पर चर्चा हो रही है. रावत जी संक्षेप में अपनी बात को कहकर के समाप्त करें. अध्यक्ष महोदय समय नोट करके गये हैं 11.52 बजे से आपने भाषण प्रारंभ किया है.
श्री रामनिवास रावत—उपाध्यक्ष महोदय, अन्य विषय तो है नहीं हम बैठने के लिये तैयार हैं इसको चलने दिया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय—कई वक्ता और भी हैं. आप 2 मिनिट में समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत—उपाध्यक्ष महोदय, जिस कंपनी की दवाईयों को वहां पर डालने की बात कही गई है जो बेरिल लिक्विड(Brryl liquid) था उस कंपनी के बारे में आज के पत्रिका पेपर ने लिखा है, “”उस कंपनी का मालिक सुधीर सेठी है, उसके चेयरमेन से भी बात की है, यह कंपनी धार में दवाई बनाती है, कंपनी के ब्लेक लिस्टेड होने की बात मुझे याद नहीं आ रही है लेकिन इस कंपनी ने वर्ष 2009 में छोटे इंजेक्शन सप्लाई किये थे, आर्डर रोकने जैसी कुछ कार्यवाही हुई होगी अभी दवा के सेंपल शासन ने नहीं लिये हैं, जांच रिपोर्ट आना बाकी है”. यह भयावह और कितनी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि हम दवाईयों के सेंपल उस कंपनी के व्यक्ति से , उस कंपनी के मालिक से कहें कि तू सेंपल दे जा, क्या उसकी दवाईयां कभी अमानक निकल सकती है. ? हमें सेंपल लेना चाहिये उस समय के जब आपरेशन के समय जो दवाई डाली गई थी, जो दवाई शेष बचीं, जो दवाई भण्डार ग्रह में थी, जो दवाई उस हास्पीटल में थीं उसके सेंपल लेना चाहिये थे तब हमें खुशी होती, असल स्थिति सामने आती. मुख्यमंत्री जी यह आपके स्वास्थ्य विभाग की स्थिति है. तीर्थयात्रियों को दी गईं एक्सपायरी डेट की आई-ड्राप. ऐसा क्यों हो रहा है, किस कारण से ऐसा हो रहा है. क्या हम इसमें सुधार कर पाने की बात सोचते हैं या केवल हम भाषणों तक ही सीमित रहेंगे. हम आरोपों तक सीमित रहेंगे. दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि जब एक दूसरे के प्रति दुर्भावना का मन बन जाये , सत्तापक्ष हमेशा यह सोचे कि हमें विपक्ष की बात सुनना ही नहीं है, विपक्ष जो बात कहता है उसे हमें गलत साबित करना है, विपक्ष जब यह सोचने लगे कि हमें तो कोई भी आरोप लगाना है तो स्थिति स्पष्ट कर दूं कि इस तरह के आरोप न को कांग्रेस ने कभी लगाये हैं और न लगायेंगे लेकिन मुख्यमंत्री जी से यह अनुरोध जरूर करूंगा कि आप स्वास्थ्य विभाग की जमीनी हकीकत को तो देखें. लोग शासकीय अस्पताल में इलाज हेतु जाने से कतराते हैं, आपकी पार्टी के कई विधायक और मंत्री बता सकते हैं कि उनके पास में अगर कोई इलाज के लिये आता है वह कह दें कि आप सरकारी अस्पताल में चले जाओ हम मदद करेंगे तो वे लोग तैयार नहीं होते हैं. मुख्यमंत्री खुद भी ज्यादातर सरकारी अस्पताल में भेजने की बजाए प्रायवेट अस्पतालों में ही भेजने का प्रयास करते हैं. आप देख लें मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान निधि को, अधिकतम जितनी भी राशि इलाज के लिये दी गई है प्रायवेट हास्पीटल को ही दी गई है. आप भी स्वयं प्रायवेट हास्पीटल में ही मरीज भेजने के लिये प्रेफर करते हैं. इस बात को हमें स्वीकार करना पडेगी, इसकी चिंता करना पड़ेगी .
उपाध्यक्ष महोदय—रावत जी कृपया समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं 2 मिनट में अपनी बात को समाप्त करूंगा.मुख्यमंत्री जी ने पीड़ितों को 2-2 लाख रूपये देने की घोषणा कर दी लेकिन क्या उन्होंने इस बात की चिंता की, कि भविष्य के जीवन में उनका सहारा कौन बन पायेगा. मां-बार और बच्चों की आज क्या स्थिति है. हम चाहते हैं कि इसके लिये जो जिम्मेदार व्यक्ति हैं चाहे वो कंपनी का दवा मालिक हो, स्वास्थ्य मंत्री जिम्मेदार हों, संचालक स्वास्थ्य जिम्मेदार हों, चाहे प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य जिम्मेदार हों इन पर दंड अधिरोपित करना चाहिये. इनको व्यवस्था करने के निर्देश देना चाहिये कि जब तक यह पीड़ित लोग जीवित रहेंगे तब तक इनको 5 हजार रूपये प्रतिमाह पेंशन की व्यवस्था सरकार के साथ साथ यह लोग भी करें क्योंकि यह भी दंड के सहभागी हैं. इन पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिये. आप और हम सब जानते हैं कि दवा कम्पनी जब दवा बनाने का लायसेंस लेती है, तो आपकी क्या व्यवस्था है, यह भी स्पष्ट करें. उनकी समुचित जांच की क्या व्यवस्था है, वह स्तर की दवा का निर्माण कर रही है कि नहीं कर रही है, वह बाजार में जाना चाहिये कि नहीं जाना चाहिये. यह बड़ी विडम्बना है. इन सब चीजों की व्यवस्था करें और मेरा मानना है कि ऐसे लोगों की जो डॉक्टर साहब ने कहा, अब मैं कोर्निया और रेटिना में नहीं जाना चाहूंगा. मैंने आपकी बात कही और आपकी सहृदयता की बात कही.
उपाध्यक्ष महोदय -- कोर्निया और रेटिना में बात लम्बी खिच जायेगी, अब आप समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत -- मुख्यमंत्री जी, इस तरह की आप व्यवस्था करें कि उनकी आंखों की रोशनी पुनः वापस आ सके. इससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि अभी तक आपके द्वारा जितने भी आपरेशन हुए, उनमें से केवल 45 लोग जो हॉस्पीट्लस में आते गये, उन्हीं की समुचित इलाज की व्यवस्था की है. अभी उनको नहीं दिखाया गया,जो 45 और बचे हैं, उनकी आंखों के क्या हाल हैं. क्या उन्हें जलन हो रही है कि नहीं हो रही है. क्या उनके घर तक कोई पहुंचा है कि नहीं पहुंचा है, यह बात अभी नहीं आ पाई है, इसके लिये कौन जिम्मेदार है, मैं इसका भी निवेदन करना चाहता हूं. और मैं चाहता हूं कि दवा खरीदी की पूरी प्रक्रिया सामने आये, सरकार इसके लिये पूरी तरह से जिम्मेदार है. स्वास्थ्य मंत्री जी को तुरन्त इस्तीफा देना चाहिये. मुख्यमंत्री जी, आपको भी अपनी संवेदनाओं को जगाने के लिये आप मध्यप्रदेश को विकास के पथ पर आगे ले जाने की बात करते हैं. आप हृदय से कहते हैं, कभी पीड़ा से कहते हैं, अपने दिल में पीड़ा महसूस करते हैं. अगर मध्यप्रदेश के साढ़े 5 करोड़ लोग, जिन्होने शहरों के हॉस्पीटल नहीं देखे, उनके लिये अगर आपके दिल में पीड़ा है तो स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्थाओं को सुधारने की बात करें. आज भी साढ़े पांच करोड़ लोग ऐसे हैं, जो स्वास्थ्य सेवायें हैं, वह उनकी पहुंच से बहुत दूर हैं. डेढ़ करोड़ लोग ऐसे हो सकते हैं, जो शहरों में रहते हैं या शासकीय अधिकारी, कर्मचारी हैं, स्वास्थ्य सेवायें मध्यप्रदेश की इनकी हद में हो सकती हैं. ये अपना स्वास्थ्य इलाज ठीक ढंग से करा सकते हैं. लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले, मजदूरी करने वाले, ऐसे लोग जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग, साढ़े पांच करोड लोग, इनकी हद में स्वास्थ्य सेवायें नहीं हैं. स्वास्थ्य सेवायें इनसे दूर हैं. मैंने इसलिये साढ़े पांच करोड़ का हवाला दिया. लेकिन मुख्यमंत्री जी कहेंगे कि हमने अन्त्योदय उपचार योजना चलाई है. लेकिन उसकी स्थिति क्या है. मेरा यह कहना है कि इन सभी लोगों को पेंशन देने की व्यवस्था सरकार करे. इन सभी लोगों की आंखों की रोशनी वापस लाने की व्यवस्था सरकार करे. मैं समझता हूं कि प्रदेश के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का परीक्षण और इनकी व्यवस्था बनाने के लिये सरकार सुविधा करे. सरकार इनको विकसित करे. एलटीटी के आपरेशन, मोतियाबिंद के आपरेशन तब तक रोक दिये जायें, जब तक कि आपके पूरे प्रदेश की ओटी, पूरे प्रदेश के अस्पतालों में लगने वाली दवाओं की जांच और परीक्षण एक समिति बनाकर न करा लें. इसके लिये मुख्यमंत्री जी तो घोषणा करेंगे ही, मैं चाहता हूं कि एक विधान सभा के विधायकों की समिति, दल बनाकर के इस पूरे प्रकरण की जांच करवाई जाये, जिसमें दवा खरीदी की प्रक्रिया की स्थिति, दवा सप्लाई करने वाले की स्थिति, क्या दवा पहले प्रतिबंधित की गई थी, इसकी स्थिति, इसकी गहराई से जांच हो सके और संबंधित दवा कम्पनी के अधिकारी, अगर यह जांच रिपोर्ट आपके पास आ गयी है, तो हम चाहते हैं कि आपके द्वारा उन पर कार्यवाही हो, तभी आपकी निष्पक्षता साबित होगी कि दवा कम्पनी का मालिक कितना ही बड़ा क्यों न हो और अधिकारी कितना ही बड़ा क्यों न हो, उसके खिलाफ आज ही आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिये. उसके डायरेक्टर, कौन इसके लिये दोषी हैं, उनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज हो. मुख्यमंत्री जी, हम चाहते हैं कि आप प्रदेश को अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जायें, आप प्रदेश को प्रकाश से अंधेरे में पुनः मत पहुंचाओ, यह मेरी आपसे अपेक्षा है, विनती है और प्रदेश के इन गरीबों को समुचित मुहैया इलाज करवायें, जिससे उन्हें अपनी रोशनी न गवाना पड़े. उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय – श्री बाला बच्चन जी.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम आपको धन्यवाद और माननीय मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद कि कल हम लोगों ने जो बड़वानी जिले के करीब 43 – 44 मरीजों की आंखों की जो रोशनी चली गई है, उसके संबंध में हमने स्थगन दिया था. सरकार ने उसको स्वीकार किया और माननीय मुख्यमंत्री जी ने ग्राह्य कर हमको जो चर्चा के लिये स्वीकृति दी है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करता हूँ और यह अच्छी बात है कि माननीय मुख्यमंत्री यहां पर बैठे हुए हैं और हमको सुन रहे हैं. यह क्यों हुआ है ? ऐसी परिस्थितियां क्यों बनी हैं ? पहले भी बनती आई हैं. उसका रिपीटेशन न हो, इस पर मेरा ध्यान रहेगा. माननीय रावत जी जो बोल लिये, मैं कोशिश इस बात की करूँगा कि उसका रिपीटेशन न हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, ये ऑपरेशन ओ.पी.डी. में नहीं किये जा रहे थे. ये ऑपरेशन मोतियाबिन्द के ऑपरेशन लक्ष्यपूर्ति के लिये शिविर लगाकर किये जा रहे थे. एक तो सरकार की जानकारी में आ जाये और लक्ष्यपूर्ति के लिये डॉक्टर एक-एक दिन में 20 से 25 - 25 आंखों के ऑपरेशन करते हैं. मेरे हिसाब से शायद यह सम्भव नहीं है. यहां काफी एम.बी.बी.एस. डॉक्टर बैठे हैं, वे इस बात को जानते हैं. 20 से 25 तक एक दिन में ऑपरेशन करना, मैं समझता हूँ कि वह सम्भव नहीं है. डॉ. पलोड जिनको सस्पेन्ड किया है, वह काफी ऑपरेशन कर चुके हैं. एक तो यह कि शिविर लगाकर मोतियाबिन्द के ऑपरेशन किये जा रहे थे माननीय मुख्यमंत्री जी और जब ऑपरेशन बिगड़े तो उनको ओ.पी.डी., जिला चिकित्सालय बड़वानी में उनको लाया गया और लाने के बाद और क्या हुआ ? यह मैं आपको बताना चाहता हूँ. एक तो सर्जिकल उपकरण जिला चिकित्सालय में जो स्टरलाईज़ होना चाहिए. जो सर्जिकल उपकरण स्टरलाईज़ होना चाहिए थे, वे स्टरलाईज़ नहीं थे. दूसरी चीज जो बिटाडीन सांद्र सॉल्यूशन मानक स्तर का नहीं था और जितना जो डालना चाहिए. आंखों को जितने प्रतिशत में लगना चाहिए, उतने प्रतिशत में नहीं डाला गया. इसलिए आंखें ड्राई हो गईं. आंखें ड्राई होने के कारण, यह स्थिति मरीजों की बनी है, माननीय मुख्यमंत्री जी. मैं यह कहना चाहता हूँ, मेरा अपना बड़वानी जिला है और वहां न पैरामेडिकल परफेक्ट है कि वो हीमोग्लोबिन की जांच भी ठीक ढंग से नहीं कर सकते, चिकित्सकों की कमी है. 50 प्रतिशत से ज्यादा डॉक्टरों की कमी है, पैरामेडिकल स्टॉफ की कमी है, ओ.टी. 60 वर्ष पुरानी है तो इन कारणों से यह स्थिति बनी है. जहां तक मेरी जानकारी में है कि बिटाडीन सांद्र सॉल्यूशन का 7.5 प्रतिशत उपयोग करना चाहिए था, वह 5 प्रतिशत ही किया गया है. अब यह स्थिति बन गई है 43 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है. हम इस बात को भी बहुत अच्छे से जानते हैं कि बॉडी ऑर्गन्स हॉट का ट्रान्सप्लान्ट हो जाता है, लीवर का ट्रान्सप्लान्ट हो जाता है लेकिन आंख का नहीं होता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह वर्ष 2013 में भी बड़वानी में यह स्थिति बनी थी तब 10 मरीजों के आंखों की रोशनी गई थी. इन्दौर में 18 मरीजों के आंखों की रोशनी गई है. 43 मरीजों के आंखों की रोशनी गई है तो मैं यह जानना चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी अपनी कमी के कारण, माननीय मुख्यमंत्री जी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण जब मरीजों के आंखों की रोशनी जा रही है, वे अन्धकारमय हो गए हैं. सरकार उनकी रोशनी लौटाए. उसके लिए सरकार एक-एक, दो-दो लाख मुआवजे की जो घोषणा कराने की जो बात कर रहे हैं. यह तो वैसा ही होगा जिस तरह से प्रधानमंत्री जी बिहार चुनाव में गए थे और घोषणा की थी कि एक हजार करोड़ दे दूँ, दो हजार करोड़ दे दूँ, एक लाख करोड़ दे दूँ. तो दो लाख.
श्री बाबूलाल गौर – इस विषय से संबंधित नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय – यह विषय से संबंधित नहीं है, इसको निकाल दो.
श्री बाला बच्चन – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह जानना चाहता हूँ कि माननीय मुख्यमंत्री जी यहां बैठे हों. इसमें स्वास्थ्य सेवाओं में कसावट हो. मैं वह आपको बताना चाहता हूँ. मेरा एक प्रश्न 3269 नम्बर का हेल्थ से संबंधित दि. 24/07/2015 का है. गोपाल मेडिकल स्टोर शहडोल में है ही नहीं. हॉस्पिटल एजेन्सी गोपाल के नाम से कोई एजेन्सी है ही नहीं. उनके न प्रोपराईटर के न एड्रेस हैं, न उनके ड्रग लाइसेन्स हैं. ऐसे – ऐसे काम यह सरकार और स्वास्थ्य सेवाएं जो स्वास्थ्य विभाग देखने का महकमा है, वह कर रहा है. मैं इस बात को जानता हूँ कि हेल्थ मिनिस्टर के पास में संसदीय कार्य विभाग का भी वे काम देख रहे हैं. उस कारण से, हो सकता है कि उनकी व्यस्तता ज्यादा होने के कारण वे नहीं देख पाते हों. लेकिन उसके बाद का अमला क्या करता है. आपने सिविल सर्जन को सस्पेन्ड किया है. अन्धत्व निवारण शिविर का अध्यक्ष कौन होता है, उसका सचिव कौन होता है, अध्यक्ष और सचिव पर आपने कुछ भी नहीं किया. सिविल सर्जन 1 नवम्बर से 20 नवम्बर तक छुट्टी पर था और यह 16 नवम्बर की घटना है. आप आनन-फानन में कुछ भी डिसीजन कर रहे हैं, निर्णय कर रहे हैं. अन्धत्व निवारण शिविर के अध्यक्ष और सचिव उनकी भी जिम्मेदारी बनती है और फिर आये दिन हम लोग प्रश्न लगाते हैं और उसके बाद रिव्यू मीटिंग्स होती हैं, हेल्थ की डिस्ट्रिक्ट में. हम लोग वहां इन मुद्दों को उठाते हैं और आपके भोपाल तक आपके डिपार्टमेन्ट तक, कमिश्नर और प्रिसिंपल सेकेट्री, सेकेट्री और आप तक यह जानकारी आती है. आप इसमें क्यों नहीं कसावट करते हैं.
श्री बाला बच्चन - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह आग्रह है। हम इस मुद्दे के ऊपर कोई राजनीति नहीं कर रहे हैं . मैंने जैसा आपको बोला है कि बॉडी आर्गन्स में आरा ट्रांसप्लांट नही होता है कि नई आंख लगाकर उनकी रोशनी लौटा दें . जिस तरह से माननीय रामनिवास रावत जी ने बोला है या तो 5 हजार रूपया प्रतिमाह या कम से कम 10 लाख रूपए की घोषणा होना चाहिए, माननीय मुख्यमंत्री जी आपकी तरफ से .माननीय मंत्री जी आप अपने दूसरे विभाग के अलावा इस तरफ भी ध्यान दें । हम लोग एक दम रिमोर्ट एरिया से, ट्रायवल एरिया से इंटीरियर एरिया से आते हैं स्वास्थ्य संबंधी न पैरामैडिकल स्टाफ, न भवन, न दूसरी सेवाएं हैं । मैं आपको बताना चाहता हूँ बड़वानी जैसी घटना कहीं दतिया में न हो जाए. 3 साल पहले सर्जिकल उपकरण आपके यहां गए हैं । मानक स्तर के नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं हो रहा है । हाइड्रोलिक टेबल जो कि ओ.टी. के लिए गई है, उसका उपयोग आपके यहां नहीं हो रहा है । आप इसको दिखवाएं । यह आपके यहां की स्थिति मैं आपको बताना चाहता हूँ ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन इतना है कि पीडि़तों के परिवारों को आर्थिक लाभ मिले, या तो 5 हजार रूपए के रूप में प्रतिमाह या फिर 10 लाख रूपए की घोषणा आदरणीय मुख्यमंत्री जी करें और भविष्य में इस प्रकार की पुनरावृत्ति न हो यह मेरा आपके माध्यम से सरकार से आग्रह है । माननीय मंत्री जी आप विभाग को रिव्यू कीजिए, कसावट लाइए या फिर सर्वप्रथम आप नहीं कर सकते हैं तो आप इस्तीफा दें,लेकिन तंत्र को हावी न होने दें । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सी.एम.एच.ओ. सब प्रभारी हैं, सब इन्चार्ज हैं मानक स्तर की दवाईयों को चेक करने के लिए परफेक्ट हैं, नहीं हैं । आप स्वास्थ्य के तमाम प्वाइंट आफ व्यूह से इसमें कसावट लाएं और प्रदेश में यह जो डिसीज है,या इस तरह से जो लोग अंधे होते हैं,मानक स्तर की दवाईयां नहीं होने के कारण, परफेक्शन हेण्ड नहीं होने के कारण, आप इसमें कसावट करें । मैंने और रामनिवास जी ने जो मांग की है 10 लाख की. उसकी माननीय मुख्यमंत्री जी घोषणा करें या 5 हजार रूपए प्रतिमाह की घोषणा करें । माननीय मंत्री जी इसमें कसावट नहीं होती है तो आप अपना इस्तीफा दें और इस तरह से कहीं पुनरावृत्ति न हो यह मेरा निवेदन है धन्यवाद ।
उपाध्यक्ष महोदय - धन्यवाद बाला जी । . शेजवार इनको एम.बी.बी.एस. की मानद उपाधि दी जा सकती है कि नहीं ।
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं इतना जानता हूँ कि मैं एक ऐसा आदमी हूँ कि जिसने पहले एम.बी.बी.एस किया है और बाद में नेता बना हूँ और मैं सामने के कई ऐसे उदाहरण बता सकता हूँ कि जो एम.एल.ए. पहले नेता बने हैं और बाद में एम.बी.बी.एस. किया है ।
श्री बाला बच्चन - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, डॉ साहब एम.बी.बी.एस. मैं इंजीनियर हूँ लेकिन मैंने पैरामेडिकल विषय पढ़ा है । वह बाद की चीज हैं, पर अभी आप सरकार में हैं । इसलिए मैंने जो बिन्दु हाईलाइट किए हैं, उन पर कंट्रोल कराएं और सरकार से व्यवस्थाएं दिलाएं ।
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- आज की तारीख में तो हम सब यहां सदन के सदस्य हैं ,यहां डिग्रियों की जरूरत तो किसी को पड़ती नहीं है कि कौन के पास क्या डिग्री है और जब हम फार्म भरते हैं तब भी रिटर्निग आफिसर हमसे कोई डिग्री नहीं मांगता कि आप हायर सेकेण्ड्री पास हैं,पांचवी पास हैं या एम.बी.बी.एस. हैं हमारी आज की तारीख में जो क्वालिफिकेशन है वह यह है कि हम सदन के सदस्य हैं और चुनाव जीतकर आए हैं । इसलिए यहां बैठे हैं तो मेरे ख्याल से आज की तारीख में इससे बड़ी क्वालिफिकेशन नहीं है ।
उपाध्यक्ष महोदय - यहां बैठने के लिए । डॉ. गोविन्द सिंह जी शुरू करें ।
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) - माननीय उपाध्यक्ष जी .मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से ऐसे व्यक्ति के हाथ में जिसको स्वास्थ्य से कोई मतलब ही नहीं है । हनुमान जी भगवान राम के संकट मोचक थे और मुख्यमंत्री के संकट मोचक हैं माननीय नरोत्तम मिश्रा जी . जितना कहीं गड़बड़ घोटाले फसते हैं तो बचाव में, विपक्ष को मैनेज करना, इधर उधर से सब काम उनका रहता है, लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी हनुमान जी भगवान राम के संकट को निवारण करने का काम करते थे ऐसा उन्होंने कोई भी काम नहीं किया ।
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - आप खुद स्वीकार कर रहे हैं कि विपक्ष मैनेज है.
डॉ.गोविन्द सिंह (जारी)—एक भी कार्य हनुमान जी ने ऐसा नहीं किया है, जिससे भगवान रामजी को ठेस पहुंची हो, या उनकी कोई बदनामी हुई हो. लेकिन माननीय नरोत्तम मिश्रा जी ने अपने संकट का निवारण करते हैं, मुख्यमंत्री को फंसाते हैं, कई ऐसे कृत्य करते हैं जिससे सरकार कहीं न कहीं उलझन में रहती है. हमारे तो मित्र हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता—आप नरोत्तम जी के मित्र हैं, या दुश्मन हैं ?
डॉ.गोविन्द सिंह—बिल्कुल मित्र हैं, लेकिन(XXX)
उपाध्यक्ष महोदय—डॉ.साहब फर्क है कि यह शिव के संकटमोचक हैं, भगवान रामजी के नहीं हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह—हमारा तो संकट बढ़ाने वाले हैं, संकटमोचक तो हैं ही नहीं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं इसलिये कह रहा हूं कि पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य की घटनाएं हो रही हैं, तो कहीं व्यापम की घटनाएं कहीं कुछ कहीं कुछ लगातार घटनाएं चल रही हैं, (XXX) मुख्यमंत्री जी मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आप इनको ऐसा कोई माल-पानी वाला विभाग दे दें, लेकिन इनसे कैसे मुक्ति दिलवाएं , ताकि प्रदेश के लोगों की जान सुरक्षित रहे, उनका जीवन बचे ऐसा काम कर दो, ऐसी आपसे विनम्र प्रार्थना है. हमें मालूम है कि हमारी सिफारिश चलेगी नहीं, लेकिन मैं आपके हित में कह रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय—आप जवाब सुनने के लिये सदन में जरूर बैठेंगे.
डॉ.गोविन्द सिंह—जी हां उपाध्यक्ष महोदय, जरूर बैठूंगा. मैं ज्यादा लंबी बात न कहते हुए मुद्दे की बात कहना चाहता हूं कि पूरे प्रदेश में 51 जिले हैं, उसमें से करीबन 36-37 ऐसे जिले हैं जिनमें 15-15, 20-20 साल से अयोग्य सिविल सर्जन बैठे हैं. आखिर उसी जिले में योग्य एवं अनुभवी डॉक्टर बैठे हैं उनको हटाकर के इतने जूनियर एवं अयोग्य डॉक्टरों को बैठाने का काम क्यों चल रहा है ? यह काम बरसों से चल रहा है इससे कहीं न कहीं संदेह की सुई जाती है, इस पर भी माननीय मुख्यमंत्री जी को विचार करना चाहिये. कांग्रेस के समय में दवाईयां खरीदी के लिये जिला सरकार के माध्यम से खरीदी जाती थीं उस पर कमेटी भी बनी हुई थी, दवाईयों का परीक्षण होता था किस कम्पनी की दवाईयां हैं, उसके बाद ही पैसे का भुगतान होता था. अभी क्यों सेन्ट्रल परचेज हो रहा है, सेन्ट्रल परचेज का कारण क्या है, यह प्रदेश जानता है.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा—चवनी की दवाईयों का भी सेन्ट्रल परचेज नहीं हो रहा है, यह बात आपके ध्यान में डाल रहा हूं.
डॉ.गोविन्द सिंह—उपाध्यक्ष महोदय, इन्होंने इसमें सुधार किया है, इसके लिये आपको धन्यवाद देता हूं. दूसरी बात लोक निर्माण विभाग का क्या काम है इसमें एनआरएच ने करोड़ों रूपये दिये स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने के लिये दिये, लेकिन अस्पतालों के भवन, रख-रखाव की जिम्मेदारी थी लोक निर्माण विभाग की, लेकिन इन्होंने नया तरीका ईज़ात कर लिया है एक चीफ इंजीनियर बिठाकर के करोड़ो रूपयों का बजट जो भारत सरकार दे रही है वही दो-तीन इंजीनियर प्रदेश की बिल्डिंगे बनवा रहे हैं, आखिर क्या कारण है. क्या स्वास्थ्य विभाग का कार्य भवन बनवाना है, या फिर चिकित्सा की देखभाल देखना है ? अगर स्वास्थ्य विभाग का अमला भवन बनवाने में लगा हुआ है और यह मंत्री जी की कृपा से चलता रहेगा तो फिर स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था कभी सुधरेगी नहीं. आज मध्यप्रदेश की एम.सी.आई की रिपोर्ट है सरकार की लापरवाही के कारण दोयम दर्ज के डॉक्टर बन रहे हैं. आज ग्वालियर में न्यूरोलॉजी सुपर किस जिले के हैं और तो छोड़ो कम से कम थोड़ा बहुत तो लिहाज करो, (XXX) , लेकिन मानवीय संवेदना के चलते आज ग्वालियर में एक मेडिकल कालेज है, सुपर न्यूरोलॉजी कहीं पर प्रदेश में नहीं है, उसमें भी एक डॉक्टर है. कोई है नहीं मरीजों की इतनी भीड़ लगी है उत्तरप्रदेश, राजस्थान आसपास के एक ख्याति प्राप्त था न्यूरोलॉजी के मामले में उसमें झांसी से भी मरीज आ रहे थे सैकड़ों मरीज जमीनों पर महीनों से पड़े हुए हैं, लेकिन वहां पर कोई चिकित्सा की व्यवस्था नहीं है. आपके वर्तमान माननीय राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी साहब ने 50 लाख रूपये दिये थे, हर टीम उसमें स्थापित की आप उसमें भी थोड़े तीन-चार लाख रूपये के औजार नहीं ला पाये, जिसके कारण स्वास्थ्य विभाग में दिक्कतें आ रही हैं, जिसके कारण पूरे स्वास्थ्य की व्यवस्था चरमरा गई है. अध्यक्ष महोदय, साढ़े चार हजार के करीब डाक्टर्स के पद खाली पड़े हैं और गांवों के आयुर्वेदिक अस्पतालों में 80 प्रतिशत डाक्टर्स के पद खाली हैं. 20 वर्ष से कोई भर्ती नहीं हुई है. माननीय मंत्री जी कहते हैं कि डाक्टर्स मिलते नहीं हैं. आप डाक्टरों का ट्रांसफर करो. सैकड़ों अस्पतालों में डाक्टरों के पद खाली पड़े हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी, आप कभी-कभी जब समीक्षा बैठक करते हो तो आपकी कृपादृष्टि स्वास्थ्य विभाग पर क्यों नहीं पड़ती. स्वास्थ्य विभाग के नटबोल्ट आप क्यों नहीं कसते कि कहां कमी है. इसके साथ-साथ मैं यह भी कहना चाहता हूं कि आप व्यवस्था सुधारें. प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था वास्तव में चरमरा चुकी है बिल्कुल भंग हो चुकी है और स्वास्थ्य विभाग में पूरी अराजकता की स्थिति मध्यप्रदेश में निर्मित है. जैसा रामनिवास रावत जी ने बताया कि जब उस दवाई बैरिल को पांच वर्ष पहले आपने उसको ब्लेक लिस्ट घोषित किया. दोबारा उसको 12 करोड़ की दवाएं मिल गईं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र – उसे ब्लेक लिस्ट नहीं किया था .
डॉ.गोविन्द सिंह – नहीं किया था. वही नकली दे रहे थे.
श्री रामनिवास रावत – विधान सभा के सदस्यों की समिति बनाओगे.
उपाध्यक्ष महोदय – रामनिवास जी आप बीच में क्यों पड़ते हो. यह इन दोनों की मिलीजुली लड़ाई है.
डॉ.गोविन्द सिंह – माननीय उपाध्यक्ष जी, स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था को सुधारने में आप अक्षम साबित हो रहे हो और स्वयं कह रहे हो कि मध्यप्रदेश के 16 ऐसे जिले हैं जहां स्वास्थ्य विभाग नहीं संभाल सकता. आप एनजीओ से बात कर रहे हैं. हमें तो यह भी जानकारी मिली है कि आपने गुजरात का एनजीओ है गुजरात का दीपक फाउंडेशन एनजीओ है उसको ग्रामीण क्षेत्रों में डाक्टर्स भेजने के लिये सवा लाख रुपये देने का कहा है. हमारे जो मध्यप्रदेश के एमबीबीएस डाक्टर्स पढ़े हुए हैं उनको हम पचास हजार दे रहे हैं उनको सवा लाख देंगे. आखिर कहीं न कहीं यह
गोलमाल,काला धब्बा मध्यप्रदेश पर क्यों लगा रहे हो. हमारे चिकित्सक प्रदेश छोड़कर बाहर जा रहे हैं. मेरा आपसे अनुरोध है जो बड़वानी का मामला है उसके बारे में कहना चाहता हूं कि इसमें डाक्टर्स दोषी नहीं हैं. क्योंकि जो आई स्पेशलिस्ट है उसका काम है आपरेशन करना लेकिन आपरेशन करने के लिये जो चीजें आवश्यक हैं जैसे खराब ओ.टी. नहीं हो, खराब इन्स्टुलाईजेशन न हो, खराब सोल्यूशन नहीं हो, खराब लैंस न हो, खराब एंटीबायोटिक और अन्य दवाएं न हों यह व्यवस्थाएं नेत्र विशेषज्ञ की नहीं है यह जिम्मेदारी सरकार की है कि हम अच्छी दवाएं दे रहे कि नहीं दे रहे. एक्सपायरी डेट की दवाएं तो नहीं हैं. आखिर जवाबदारी सरकार की पहले है और जो सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री जी की भी जिम्मेदारी बनती है कि जब आप यश लूटते हो तो अपयश भी आपको लेना पड़ेगा. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का निर्देश है कि कोई भी चिकित्सक पूरे विश्व में 20 से ज्यादा आंख के आपरेशन नहीं करेगा लेकिन हमारे यहां लक्ष्य दे दिये. सरकार का दबाव है. एक-एक नेत्र विशेषज्ञ 100-150 आपरेशन कर रहा है. केम्प लगा रहा है. हम मरीजों को पर्चा बांटते हैं कि नि:शुल्क केम्प लग रहा है. दवाईयां फ्री देंगे. लेंस फ्री देंगे और हम उनको मेहमान के रूप में बुलाते हैं और जब अतिथि हमारे यहां आता है तो सरकार की जवाबदारी है कि उनकी सुरक्षा करें. अच्छा दवाएं उनको दें. अच्छा खान-पान दें. हम अतिथि के साथ इस तरह का अपमान करते हैं. कहीं भी विश्व में अतिथि को घर बुलाकर आंख फोड़ने का काम नहीं होता लेकिन मध्यप्रदेश की सरकार यह काम भी कर रही है. इसके साथ ही मैं यह भी कहना चाहता हूं कि इसके लिये माननीय मुख्यमंत्री जी विचार करें कि इसके लिये कौन दोषी है और एनजीओ को जो काम दे रहे हैं मैं तो इसका विरोध करूंगा. आप उनको सवा लाख रुपये दे रहे हैं. पूरे प्रदेश में कम से कम एक हजार डाक्टर गवर्नमेंट और प्रायवेट कालेजों से पढ़कर निकल रहे हैं. जब आपके पास चिकित्सक के पद खाली पड़े हैं. 12-12 वर्ष से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खाली हैं. लहार का सिविल अस्पताल 14 डाक्टर के पद हैं 7 विशेषज्ञ के पद हैं. अभी 2 लड़के पहुंचे हैं जो पीएससी से सलेक्ट हुए हैं. जब आपके पास डाक्टर्स नहीं हैं तो संविदा में जितनी तनख्वाह आप देते हों. कई बच्चे हमसे संपर्क करते हैं कि हमें रख लो. कहते हैं कि एस.सी.,एस.टी. का पद है. मेरा कहना है कि जब तक आपके पास व्यवस्था नहीं है आप उनको टेम्परेरी रख लें, आप जो राशि दे रहे हैं उस राशि में रख लो. आप भर्ती में यह शर्त लगा दो की अगर आपने पांच साल में पीएससी पास नहीं की तो आपको नौकरी से पृथक कर दिया जायेगा. आपने प्रदेश में अतिथि प्रथा चलायी है, इसलिये आप अतिथि डॉक्टर को संविदा पर रख लीजिये. लेकिन पीएससी न होने कारण आपने पद खाली रख हैं. प्रदेश में ऐसे तमाम चिकित्सक हैं कि हम नौकरी पर आने के लिये तैयार हैं. इसके साथ ही मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि बड़वानी में आंखों के आपरेशन के दौरान जो इंफेक्शन हुए हैं उसमें नेत्र चिकित्सक है और जो सीएमओ का इसमें कोई दोष नहीं है. उनका कार्य आपरेशन करना था उन्होंने आपरेशन किया और उसमें कोई गड़बड़ी नहीं पायी गयी है. आपकी जो एम्स की टीम है जो दिल्ली से आयी है उसने भी प्रमाणित किया है इंफेक्शन साल्यूशन में गड़बड़ी और खराब दवाईयों के कारण हुआ है. खराब दवा किसने खरीदी है, खराब दवा खरीदी जो कमेटी हो उसके भी सदस्य हों उनकी यह जवाबदारी बनती है. उनके ऊपर एफआईआर दर्ज करें और मध्यप्रदेश के जो स्वास्थ्य मंत्री हैं उनको तत्काल इस पद से मुक्त करें इनको कोई मालपानी वाला विभाग दें जिससे यह संतुष्ट रहेंगे. इनके बस को स्वास्थ्य विभाग नहीं हैं, इनके रहते स्वास्थ्य विभाग का सत्यानाश हो जायेगा. यह हम सलाह दे रहे हैं. इसी में प्रदेश की भलाई है अगर आप प्रदेश के शुभचिंतक हैं तो तत्काल उनको इस विभाग से दूसरा विभाग दे दो. इनको स्वास्थ्य विभाग से मुक्त करो. इसी के साथ मैं पुन: विनम्र आग्रह करता हूं कि माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी आप विभाग को पूरा समय दें और ध्यान दें कि जहां पर गड़बडि़यां हैं उन पर कठोर कार्यवाही करें और प्रत्येक महीने में एक बार समीक्षा बैठक करें कि कहां पर चिकित्सक हैं और कहां पर गड़बडि़यां हैं, इस पर ध्यान दें अन्यथा जिस प्रकार प्रदेश का ग्राफ बढ़ रहा था वह निचे गिरना चालू हो गया है. धन्यवाद्.
श्री गोपाल भार्गव :- डॉक्टर साहब आपने कहा कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी है, डॉक्टरों की कमी इसलिये है कि आप लोग राजनीति में आ गये हैं,चाहे वह आयुष वाले हों या एमबीबीएस हो.आप लोग राजनीति छोड़कर जनसेवा करें.
उपाध्यक्ष महोदय:- इस प्रकार तो दोनों तरफ सदस्यों की कमी हो जायेगी.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर):- अध्यक्ष महोदय, बड़वाली जिला अस्पताल में जिस तरह की यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है, यह निश्चित रूप से पूरे प्रदेश के कष्टदायी घटना है. इससे हम सारे लोग निश्चित रूप से द्रवित हैं,दुखी हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय अंधत्व निवारण के कार्यक्रम के अंतर्गत प्रतिवर्ष ऐसे कार्यक्रम किये जाते हैं, लगभग पांच लाख मोतियाबिंद के आपरेशन इन शिविरों के माध्यम से पूरे प्रदेश में किये जाते हैं. इस तरह के आपरेशन के अलावा स्कूली स्तर पर भी छात्र छात्राओं के भी निशुल्क परीक्षण करने की भी शासन की व्यवस्था है. यह व्यवस्था भी बहुत लंबे समय से चली आ रही है. लेकिन यह जो घटना हुई है. इस घटना में माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने बहुत ही संवेदनशीलता का परिचय देते हुए आल इंडिया इंस्टीट्टीयूट के डाक्टरों को भेजने का निर्णय लिया और 6 सदस्यीय डॉक्टरों का जांच दल मध्यप्रदेश में आया और इंदौर में रेफर किये ऐसे लगभभ 86 लोग थे जिनका मोतियाबिंद का आपरेशन किया गया था उनमेंसे 60 लोगों में संक्रमण पाया गया था. उन मरीजों को वहां पर रखा गया है.उनकी विशेषज्ञ दलों के द्वारा जांच की जा रही है और कोशिश की जा रही है कि किस तरह से उनकी आंखों की रोशनी वापस आये. इस तरह से माननीय मुख्यमंत्री जी से जिस संवेदनशीलता का परिचय दिया है वह निश्चित रुप से सराहनीय है, प्रशंसनीय है. इस सारे के सारे मामले के घटनाक्रम की जांच के लिये डॉ. बी.एन. चौहान, संचालक, स्वास्थ्य सेवाओं के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई है उस टीम के द्वारा इस तरह की घटना क्यों हुई, क्या कारण हैं, कौन दौषी हैं इन सारे विषयों को लेकर जांच जारी है. जांच में यह जरुर पाया गया है कि जो इक्वीपमेंट थे वे प्रापर स्टरलाइज्ड नहीं थे वहां पर जो व्यवस्थायें थीं वे बहुत मानक स्तर की नहीं पायी गई हैं इस तरह से जांच टीम के द्वारा जवाबदेही निश्चित करते हुए प्रत्यक्ष रुप से श्रीमती माया चौहान, कुमारी विनीता चौकसे, श्रीमती शबाना मंजूरी, स्टाफ नर्स और श्री प्रदीप चौकड़े जो नेत्र सहायक हैं दोषी पाये गये और इनको निलंबित कर दिया गया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक विषय और आया है कि हमारे यहां इस तरह के ऑपरेशन में जो दवाओं का और जिस फ्लूड का इस्तेमाल किया गया है वह फ्लूड अमानक स्तर का था इस तरह का आरोप हमारे प्रतिपक्ष के साथियों द्वारा लगाया गया है. मैं सदन को आपके माध्यम से बताना चाहता हूँ कि आपरेशन के द्वारा कम्पाउंडरिंगर लेक्टेक बेच का यहां उल्लेख है S6 B5 M15 और कम्पाउंडरिंगर लेक्टेक बैच नंबर 32050771 यह पहला वाला बेच बैरिल ड्रग्स, धार का है और दूसरा वाला अमंता हेल्थकेयर, गुजरात का है. इन दोनों फ्लूड की सिविल सर्जन द्वारा राज्य शासन की NABL लैब से जांच कराई गई जांच में दोनों फ्लूड मानक स्तर के पाये गये इसमें कहीं कोई कमी नहीं पायी गई है. इस तरह का आरोप लगाना की अमानक स्तर की दवायें उपयोग करने से इस तरह की घटना हुई है यह गलत है. यह मानक स्तर के पाये गये हैं जिन बेच नंबर का मैंने उल्लेख किया है.
श्री मुकेश नायक—इनकी मेनुफेक्चरिंग डेट और एक्सपायरी डेट क्या थी यह बता दें.
श्री शैलेन्द्र जैन—यह सारी की सारी जानकारी आपको जांच रिपोर्ट में मिल जायेगी.
उपाध्यक्ष महोदय—वे सत्तापक्ष के सदस्य जरुर हैं लेकिन वे निजी सदस्य ही कहलाते हैं सही तकनीकी जवाब जो आप चाहते हैं वह माननीय मंत्रीजी ही देंगे.
श्री शैलेन्द जैन—माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश में औषधि खरीदने के लिये बहुत ही पारदर्शी व्यवस्था हमारे यहां प्रचलन में है इस व्यवस्था की WHO एवं GMP ने भी प्रशंसा की है. मध्यप्रदेश देश का प्रथम राज्य है जहां WHO एवं GMP औषधि का क्रय किया जा रहा है. इसकी गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये त्रि-स्तरीय औषधि परीक्षण व्यवस्था हमारे यहां प्रचलन में है. मान्यता प्राप्त आउटसोर्स NABL लैब से हो रही है इसका सतत् परीक्षण हमारी इस लैब के द्वारा किया जा रहा है. मध्यप्रदेश में औषधीय सामग्री और उपकरण का क्रय करने के लिये सितंबर 2013 में मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड का गठन किया गया है उसके ही मार्गदर्शन में कार्पोरेशन द्वारा राज्य स्तर पर ई-टेंडरिंग व्यवस्था से औषधीय सामग्रियों और उपकरणों का क्रय किया जाता है. ऐसी पारदर्शी व्यवस्था हमने की है. इस सारे मामले में किसी तरह की कोई कोताही नहीं हुई है किसी को बचाने का प्रयास नहीं किया जा रहा है. एक बात मैं आपके समक्ष रखना चाहता हूँ, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी तक जो जाँच आई है उसमें मरीजों में फंगल इन्फेक्शन जरूर पाया गया है. सावधानी के तौर पर इन सारे के सारे मरीजों को 21 तारीख को, जो लास्ट हमारी ऑपरेशन की डेट थी, 21 तारीख के बाद उनको लगभग आगामी 21 दिनों तक के लिए लगभग 16.12.2016 तक निरंतर बड़वानी में निरंतर उनकी सतत् निगरानी में, डॉक्टर्स की निगरानी में उनका इलाज किया जा रहा है और मध्यप्रदेश की सरकार इस सारे विषय को लेकर बहुत गंभीर और संवेदनशील है और किसी तरह की कोताही, किसी भी तरह के, किसी भी व्यक्ति को बचाने के कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं और जिस हिसाब से माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने और माननीय चिकित्सा शिक्षा मंत्री जी ने जिस तरह से सारे मामले में कार्यवाही की है, मैं उसकी प्रशंसा करता हूँ. हालाँकि इस तरह की घटना जो है, वह निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है और माननीय रामनिवास रावत जी जो कह रहे थे, मैं समझता हूँ यह उचित नहीं है. एन आई फॉरेन आई विल लीड द होल कंट्री इन टू ब्लाइंडनेस, इस तरह की इनकी जो भावना है वह उचित नहीं है और जो कुछ भी संभव है सरकार के लिए, वह उन्होंने निश्चित रूप से किया है, मैं उनकी प्रशंसा करता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो इसकी दशा में सरकार निश्चित रूप से कदम उठाएगी. आपने हमें बोलने का अवसर दिया इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद.
श्री मुकेश नायक(पवई)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य किया इसके लिए मैं उनको धन्यवाद नहीं दूँगा इसलिए कि यह विधान सभा की अपनी लोकतांत्रिक शक्ति है, यह प्रतिपक्ष का अधिकार है और ऐसी भीषण त्रासदी तथा घटनाएँ जब होती हैं तो विपक्षी दल का यह दायित्व बनता है कि वह सरकार को जागृत करने का काम करे और उनकी कमजोरियों को उजागर करने का काम करे और इस दृष्टि से इस प्रस्ताव पर आज सदन में चर्चा हो रही है. इस पूरे मध्यप्रदेश में मैं यह कहना चाहूँगा कि यह पूरी घटना मानवीय गरिमा के पतन में जन्म लेने वाली है. एक ऐसी अमानवीय घटना और कृत्य है जो मध्यप्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं में अराजकता, भ्रष्टाचारी, लापरवाही एवं अनदेखी का यह एक बड़ा मिलाजुला पैकेज है और इसके लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं और उसका कारण यह है कि 10 साल हो गए माननीय मुख्यमंत्री जी को, मुख्यमंत्री बने हुए और इतने लंबे समय तक जब कोई सत्ता और शासन में होता है तो एक बहुत स्वाभाविक रूप से होता है तो कहा जाता है ना, “ प्रभुता पाए काहे मद नाहि” यह बहुत स्वाभाविक रूप से होता है कि व्यक्ति ऐसे अधिकारियों से घिर जाता है, ऐसे आसपास अपने मंत्रियों से घिर जाता है कि उन्हीं के कान से सुनने लगता है, उन्हीं की आँखों से देखने लगता है, उन्हीं के मुँह से बोलने लगता है. ये मुख्यमंत्री जी जो हैं आज मध्यप्रदेश में, इसी त्रासदी का शिकार हैं. मुझे आश्चर्य होता है कि मध्यप्रदेश में कैसी अराजकता चिकित्सा सुविधाओं में फैली हुई है और माननीय मुख्यमंत्री जी को इसकी जानकारी नहीं है, वे संज्ञान में नहीं लेते, कोई निर्देश नहीं देते, कोई सख्ती नहीं दिखाते, कोई आदेश जारी नहीं करते और कोई आक्रोश प्रकट नहीं करते, यह कैसे हो सकता है, कोई भी एक संवेदनशील व्यक्ति कभी अपने जीवन में इस तरह की लापरवाही नहीं कर सकता. माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि मध्यप्रदेश में 7-7 लाख महिलाओं के बीच में महिला डॉक्टर नहीं है. एक-एक साल से, दो-दो साल से आपके ऑपरेशन थियेटर की फ्यूमिगेशन की आपने फैसेलिटी क्रिएट नहीं की, आउट सोर्स नहीं की, किसी को जिम्मेदारी नहीं दी, किसी को ठेका नहीं दिया, स्टरलायजेशन की कोई मशीनें जिला अस्पतालों में नहीं है. आप देखिए काम करने वाली बाई आपके औजार माँजती हैं उसके बाद ऑपरेशन जिला अस्पतालों में होते हैं. किसी अस्पताल में मध्यप्रदेश में आपकी ठीक उन्नत पैथालॉजी नहीं है. 4-4 दिन में थायराइड की जाँच होकर जिला अस्पतालों में आती है. आप रक्त का नमूना दे दीजिए 4 दिन लगते हैं मध्यप्रदेश में आपके थायराइड की जाँच रिपोर्ट आने में और जिसका थायराइड ज्यादा बढ़ जाए 4 दिन में माननीय मुख्यमंत्री जी आदमी मर जाता है, आपको इतना संवेदनशील होना चाहिए. मध्यप्रदेश में 8-8 साल से माननीय मुख्यमंत्री जी सिटी स्केन, मध्यप्रदेश में आठ-आठ साल से सीटी स्कैन मंडला जिले में पैक डला रहा किसी ने उसकी पैकिंग नहीं खोली. मध्यप्रदेश में किसी भी जिला अस्पताल में एमआरआई की सुविधा नहीं है. आपके भोपाल के मेडीकल कॉलेज की यह हालत है कि वहाँ एमआरआई की और सीटी स्कैन की सुविधा नहीं है.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा‑माननीय उपाध्यक्ष महोदय, नायक साहब से यह तो कहिये कि बड़वानी कब आएंगे.
श्री मुकेश नायक-- अभी आएंगे तो आपको पता लग जाएगा ,शांति से बैठिये.वहीं आ रहे हैं. माननीय शैलेन्द्र जैन जी ,आप सागर से जन प्रतिनिधि हैं मेरा आपसे कहना है कि जब आप अगला चुनाव लड़ेंगे तो सागर के लोग आपसे पूछेंगे कि मेडीकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने सागर मेडीकल कालेज की मान्यता क्यों रद्द कर दी. आपको मालूम है क्यों रद्द कर दी? मेडीकल काउंसिल ऑफ इंडिया के किसी भी मापदंड पर आपका मेडीकल कॉलेज खरा नहीं उतरता है इसलिए आपकी मान्यता खत्म हो गई . स्वास्थ्य मंत्री जी का वहाँ पर ध्यान नहीं है, उस तरफ उनकी देख-रेख नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी, आपको यह पता नहीं है कि स्वास्थ्य मंत्री जी का ध्यान कहाँ है ? आप दस साल से सरकार चला रहे हैं, आपको पता नहीं है .
श्री शैलेन्द्र जैन—उपाध्यक्ष महोदय, एमसीआई ने जो अभी मान्यता के लिए एक माह का समय दिया है,डेफिशियेन्सी का स्तर जो 60 से 70 प्रतिशत था वह घटाकर 10 प्रतिशत हम ले आए हैं, उसमें वह फैकल्टी जिनके ट्रांसफर यहाँ से हुए हैं, चूंकि वहाँ पर हेड काउन्ट होते हैं , हैड काउन्ट के दौरान वह वहाँ उपस्थित नहीं थे . माननीय मुख्यमंत्री महोदय जी ने स्पेशियली उसके लिए हमारी बैठक बुलाई और दिशा निर्देश दिये. आप मेरी बात सुनिये, डेफिशियेन्सी इज बिलो दैन टेन परसेंट और उन्होंने एक माह का समय दिया है कि आप यह डेफिशियेन्सी पूरी कर लीजिये हेड काउन्ट हम पूरे करा देंगे एक माह के अंदर सागर के मेडीकल कॉलेज को मान्यता मिल जाएगी.
समय 12.57 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
श्री मुकेश नायक—आपको पता है क्या कि सागर के मेडीकल कॉलेज में नेफ्रालॉजिस्ट नहीं हैं, जानते हो नेफ्रालॉजिस्ट क्या होता है .न्यूरोलॉजिस्ट नहीं है. डीएम कार्डियोलॉजिस्ट नहीं है. क्या इलाज होता होगा मेडीकल कॉलेज में. एमआरआई नहीं है, सीटी स्कैन नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- सीधी बात न करें.
श्री शैलेन्द्र जैन—अध्यक्ष महोदय, ये किसी हॉस्पिटल के चेयरपर्सन हैं लेकिन एक हॉस्पिटल मैं भी चलाता हूं . नेफ्रालॉजिस्ट और न्यरोलॉजिस्ट में फर्क मैं जानता हूं और उनकी क्वालीफिकेशन भी जानता हूं.
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि किसी भी एक संस्था को या अस्पताल को पूर्व में विकसित होने के लिए जिस तरह की मशीनें लगना चाहिए, जिस तरह के चिकित्सक होना चाहिए वह मध्यप्रदेश में उपलब्ध नहीं हैं. इसको सरकार को रचनात्मक ढंग से लेना चाहिए, संवेदनशील ढंग से लेना चाहिए. आपके देहाती एरिया में जितनी भी मिनी पीएससी हैं,वहाँ डाक्टर नहीं हैं. मैंने अभी मंत्री जी को कहा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र में 5 अस्पताल हैं, जिसमें 4 में डॉ. ही नहीं हैं. उन्होंने कृपापूर्वक अभी चार दिन पहले 3 अस्पतालों में डॉ.भी भेजे लेकिन मध्यप्रदेश में लगभग 40 प्रतिशत मिनी पीएससीज ऐसी हैं जिसमें डॉ. नहीं हैं,नर्सेस नहीं हैं ताले लगे हुए हैं. अध्यक्ष महोदय, आप स्वयं एमबीबीएस डॉ. हैं और इस पूरे क्षेत्र को आप समझते हैं. मैं आपसे और मुख्यमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि बड़वानी की जो घटना हुई है उसका मूल कारण है अमानक दवाईयाँ. मुख्यमंत्री जी , आपने 2012-13 की सीएजी रिपोर्ट पढ़ी ? उसमें चिकित्सा सुविधाओं के बारे में टिप्पणी की गई है कि “ 147 जो अमानक दवाईयाँ पकड़ी गई थी उन दवाईयों के निर्माताओं के ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की गई, यह मध्यप्रदेश के नागरिकों के साथ अन्याय है, यह अमानवीय है”. इस तरह की गंभीर टिप्पणी सीएजी की 2012-13 की रिपोर्ट में की गई है. लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया, कोई देना भी नहीं चाहता है . सबसे बड़ी विडम्बना की बात यह है कि जिस तरह से चिकित्सा विभाग चलाया जा रहा है , माननीय मुख्यमंत्री जी, आप विश्वास नहीं करेंगे कि प्रिंसीपल सेक्रेटरी से मैं चार माह से मिलने के लिए टाइम मांग रहा हूं. आपने कहीं अधिकारियों को इस तरह के निर्दे्श दे रखे हैं कि फोन पर बात नहीं करना है, जन प्रतिनिधियों से मिलना नहीं है ? यह इसलिए हुआ है कि विधानसभा की शक्ति मध्यप्रदेश में कम हो गई है.
अध्यक्ष महोदय—स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय. मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है?
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
श्री मुकेश नायक—अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदश में कोई अंग्रेजों का राज चल रहा है कि अधिकारी जनप्रतिनिधि से फोन पर बात नहीं करेगा, अधिकारी मिलने के लिए समय नहीं देगा और ऐसा इसलिए होता है माननीय मुख्यमंत्री जी कि आपके नेतृत्व में मध्यप्रदेश में अधिकारियों का शासन चल रहा है, अधिकारियों का राज चल रहा है. आप गलत अधिकारियों से घिर गये हैं. आप गलत मंत्रियों से घिर गये हैं. आप अराजकता को अनदेखा करते हैं, आप गलत लोगों को प्रोत्साहन देते हैं और इसलिए इस तमाम् अराजकता के पीछे माननीय मुख्यमंत्री जी, केवल इस मध्यप्रदेश में आप जिम्मेदार हैं, दूसरा कोई व्यक्ति जिम्मेदार नहीं है और इसलिए मैं यह कहना चाहता हूँ कि बड़वानी जैसी घटना जो हुई है, मुझे अपने जवाब में बतायें कि सीएजी की रिपोर्ट में जो कहा गया उसको आप संज्ञान में लेंगे, उस पर कार्यवाही करेंगे. एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. चार पेशियां भी हो गयी हैं और चार पेशियों के बाद हाई कोर्ट उस पर संज्ञान ले रहा है लेकिन सरकार ने संज्ञान नहीं लिया.
श्री गोपाल भार्गव—सीएजी की रिपोर्ट वित्तीय प्रतिवेदन पर होती है क्या कोई तकनीकी विषयों पर भी होती है क्या?
श्री मुकेश नायक—जी हां. मैं तो आपको स्पेसीफिक उल्लेख कर रहा हूँ.
अध्यक्ष महोदय—आप उसके डिटेल्स दे दीजिए.
श्री मुकेश नायक—सबसे ज्यादा तो अगर आपने अपने विभाग पर ध्यान दिया होता तो सीएजी ने सबसे ज्यादा तो ग्रामीण विकास विभाग के ऊपर टिप्पणियां की हैं.मतलब है कि आपने रिपोर्ट देखी ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय—उसकी रिपोर्ट के डिटेल्स दे दीजिए.
श्री गोपाल भार्गव—हमारे यहां इन्टरनल ऑडिट की व्यवस्था है.
श्री मुकेश नायक— माननीय भार्गव जी, एक बात बतायें, आप मध्यप्रदेश में नरोत्तम से कम बड़े महारथी नहीं हैं (हंसी)
डॉ नरोत्तम मिश्र—सीएजी ने जो रिपोर्ट दी थी वह 147 दवायों की नहीं थी, वह प्रायवेट दवाओं की थी. कुल 4 दवाओं की अमानक होने की बात कही थी वह भी कलर डिफरेंस था. यह मैं इनको बता दूं कि 147 की नहीं थी.
श्री मुकेश नायक—आप सीएजी की रिपोर्ट पढ़कर सुनाइये न,जब हम स्पेसीफिक बात कर रहे हैं कि सीएजी ने क्या लिखा है. बुलाइये सीएजी की रिपोर्ट और विधानसभा के अन्दर पढ़िये, सब को पता लग जाएगा कि सीएजी ने क्या प्रतिक्रिया दी है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, मुकेश भाई ने कहा कि हम नरोत्तम से कम महारथी नहीं हैं. अब मुकेश भाई मेरे खिलाफ चुनाव लड़े और चुनाव जैसे हार गये तो अब इसमें मैं रथी-महारथी क्या हो गया यदि इसी रिफरेंस में कह रहे हैं तो मैं नहीं कहना चाहता लेकिन मैं अन्य विषय नहीं जानता, मैं आपको अवगत कराना चाहता हूं.
श्री विश्वास सारंग(नरेला)—माननीय अध्यक्ष महोदय,बहुत गंभीर विषय पर यहां चर्चा चल रही है और निश्चित रुप से जैसा पूर्व वक्ताओं ने भी बताया कि जो भी घटना बड़वानी में हुई वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और यह बात भी सही है कि यदि शिविर आयोजित किया गया था तो उसकी भावना अच्छी थी. रोगियों को उपचार मिल सके, मोतिया बिंद के आपरेशन हो सकें, और उसके माध्यम से ग्रामीण और ऐसे लोग जो मोतिया बिंद से पीड़ित हैं उनको कहीं न कहीं इलाज में सुविधा मिल सके, उस उद्देश्य से इस शिविर का आयोजन किया गया पर यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि बड़वानी में जो शिविर आयोजित हुआ जो एक स्वयंसेवी संस्थान और सरकार का मिलाजुला प्रयास था. उसमें 86 में से 60 जो रोगी थे जिनका आपरेशन हुआ,उनकी संक्रमण के कारण दृष्टि में कहीं न कहीं दिक्कत आयी, पर मैं यह बात कहना चाहता हूँ, जैसा मैंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण तो है परन्तु आज सदन में जो चर्चा हो रही है. चाहे पक्ष के सदस्य हों या विपक्ष के सदस्य हों, स्थगन लाने वाले हों या स्थगन पर चर्चा करने वाले हों, सब का उद्देश्य यही होना चाहिए कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो और मुझे लगता है मेरी बात से सब लोग सहमत होंगे और इसलिए मैं भी चर्चा में भाग ले रहा हूँ. मुझसे पहले या मुझसे बाद में जो भी सदस्य चर्चा में भाग लेंगे उनका भी उद्देश्य यही रहा होगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दुर्घटना हुई उससे कोई इन्कार नहीं कर रहा पर दुर्घटना के बाद जिस प्रकार से सरकार ने कदम उठाये, जिस प्रकार से माननीय मुख्यमंत्री जी ने अपनी संवेदनशीलता दिखायी, जिस प्रकार से इस घटना की जांच और पुनरावृत्ति न हो इसके लिए सरकार ने जो कदम उठाये, मुझे लगता है कि सदन को माननीय मुख्यमंत्री जी की इस मामले में भूरि-भूरि प्रशंसा करनी चाहिए. मुझे ऐसा ज्ञान है, ज्यादा मुझे बहुत ज्ञान नहीं है लेकिन मेरी जो जानकारी है, मुझे लगता है कि पहली बार ऐसा हुआ कि यदि ऐसी कोई घटना हुई तो उसकी जांच के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जी से व्यक्तिगत तौर पर फोन पर बात की कि एम्स की टीम यहां पर आए, इसकी पूरी जांच करे और केवल जांच तक ही सीमित नहीं उस टीम में ऐसे डॉक्टर भी आएं कि यदि कोई पीड़ित हैं जिनकी दृष्टि में कहीं न कहीं कोई दिक्कत आई है उनका इलाज यदि हो सके तो उसकी व्यवस्था भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने की है और मुझे लगता है यह बहुत स्वागत योग्य कदम माननीय मुख्यमंत्री जी ने उठाया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा पूर्व वक्ताओं ने बताया कि इस पूरे मामले में माननीय मुख्यमंत्री जी ने आगे कदम बढ़ाते हुए जांच समिति बुलाई और 6 सदस्यीय जांच समिति आई, एम.वाय. हॉस्पिटल और अरबिंदो हॉस्पिटल, इंदौर में पीड़ितों का इलाज शुरू हो गया. जांच में यह भी आया कि अधिकतर रोगियों की आगे दृष्टि आने में दिक्कत आएगी, उसके लिए भी सरकार ने आश्वासन दिया कि उनका देश में कहीं भी इलाज होगा तो उसका पूरा खर्चा मध्यप्रदेश की सरकार वहन करेगी. दो लाख रुपये पीड़ित परिवार को देने की बात भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने की. अध्यक्ष महोदय, पुनरावृत्ति न हो और जो व्यक्ति इसके लिए जिम्मेदार है उनके खिलाफ भी सरकार की तरफ से समुचित कार्यवाही की गई, डॉ. पलोड़ जिन्होंने इस पूरी सर्जरी को किया, यह अलग बात है कि उनके निलंबन पर भी विपक्षी सदस्यों को आपत्ति है. मुझे आश्चर्य होता है कि एक तरफ बात होती है कि जो दोषी हैं उनके खिलाफ कार्यवाही हो, दूसरी तरफ यदि कोई निलंबन हुआ है तो उसके खिलाफ भी हमारे सदस्य बोलते हैं. मुझे लगता है कि यह ठीक नहीं है.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) – विश्वास भाई, आपको मालूम है किसे सस्पेंड होना चाहिए था और किसे सस्पेंड किया गया है. वह मेरा डिस्ट्रिक्ट है और मेरी जानकारी में है, सिविल सर्जन छुट्टी पर थे, उनका कोई रोल नहीं, अंधत्व निवारण समिति का अध्यक्ष और सचिव कौन होता है, जिनके नेतृत्व में ये सारे ऑपरेशन किए जा रहे थे ?
श्री विश्वास सारंग – आपने जो बात बोली, पर मुझे ऐसा लगता है कि जो भी सदस्य या बाकी लोग सुन रहे हैं उसमें यही लगता है कि जो भी सरकार कदम उठा रही है उसके खिलाफ बोलना है इसलिए उस निलंबन का विरोध आप कर रहे हैं मेरा ऐसा मानना है.
श्री रामनिवास रावत – सारंग भाई, खिलाफ नहीं बोल रहे हैं, ईमानदारी से आत्मा पर हाथ रख के सोच के बताओ कि क्या स्वास्थ्य मंत्री जिम्मेदार नहीं हैं. उन्हें निलंबित कर दें हमें खुशी है कोई दिक्कत नहीं है.
श्री विश्वास सारंग – आप बहुत संवेदनशीलता की बात कर रहे हैं. मैंने जैसा बोला कि मैं बहुत राजनीतिक बात नहीं करना चाहता, पर यदि आप संवेदनशीलता की बात कर रहे हैं तो मैं भोपाल का विधायक हूँ. भोपाल में गैस कांड में हजारों लोग मर गए थे, क्या आप बता सकते हैं कि उस समय की सरकार ने एंडरसन को अपने हवाई-जहाज में अमेरिका छुड़वाया था. आप यदि संवेदनशीलता की बात कर रहे हैं तो बात करिए, बताइये कि उस समय के कलेक्टर और एसपी ने क्यों एंडरसन को छुड़वाया था. आपमें यदि ताकत है और संवेदनशीलता है तो आज बोलिए.
श्री बाला बच्चन – माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या इश्यू से हटकर नहीं बोल रहे हैं.
डॉ. गोविंद सिंह (लहार) – अध्यक्ष महोदय, उस समय जो घटना घटी तो आप क्या दस हजार लोगों को मरवाना चाहते हो तब शांति मिलेगी आपको.
श्री बाला बच्चन – बड़वानी ट्राइबल डिस्ट्रिक्ट है. वहां पर 12 साल में सरकार एक डॉक्टर नहीं पहुँचा पाई है. प्रदेश में 50 प्रतिशत से ऊपर चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है.
अध्यक्ष महोदय – विश्वास जी, अपनी बात जल्दी समाप्त करें.
श्री सुंदर लाल तिवारी (गुढ़) – अध्यक्ष महोदय, इन्होंने एंडरसन का नाम लिया है.
अध्यक्ष महोदय – तिवारी जी, बैठ जाइये, आपका नाम है. नहीं तो फिर आपका नाम हम नहीं पुकारेंगे, यदि आप बीच में इंटरवीन करेंगे तो आपको फिर हम समय नहीं देंगे. सब समय नोट हो रहा है आपका कि कितना समय आप ले रहे हैं.
श्री विश्वास सारंग – माननीय अध्यक्ष महोदय, श्री बाला बच्चन जी भी मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं और उस समय की इबारत और उस समय की कहानी भी हमें मालूम है कि कब क्या हुआ और कैसा इन्होंने मंत्रालय चलाया.
श्री बाला बच्चन – उस समय का आंख फोड़ बताओ.
अध्यक्ष महोदय – आप लोग कृपया बैठ जाइये. यहां वादविवाद नहीं हो रहा है.
श्री सुंदर लाल तिवारी – अध्यक्ष महोदय, तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री जैसा कोई मध्यप्रदेश में नहीं है.
अध्यक्ष महोदय – तिवारी जी, बैठ जाइये. आपके बोलने के दो मिनट गए.
श्री विश्वास सारंग – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मानना है कि इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
श्री सुंदर लाल तिवारी – आप कर रहे हो, आप बंद करो, आप केवल हमको दोषी ठहराते हो.
अध्यक्ष महोदय – आप बैठ जाएं तब तो वे बैठें.
श्री विश्वास सारंग – माननीय अध्यक्ष महोदय, मुकेश नायक जी लोकतंत्र में अधिकारों की बात कर रहे थे. लोकतंत्र में अधिकार है तो कर्तव्य भी है. अभी मैं आ रहा था अपने घर के सामने से मैंने देखा कि कांग्रेस के कुछ हमारे एक युवा विधायक के नेतृत्व में आंख पर पट्टी बांध कर आ रहे हैं और तो और सदन के अंदर भी छड़ी लेकर घुस गए और अजय सिंह जी उनका हाथ पकड़े हुए हैं, सामने फोटोग्राफर खड़े हैं, यह संवेदनशीलता है ? कल फोटो छप जाए, बड़वानी के मुद्दे पर मैं आगे बढ़ जाऊँ, दिल्ली में मेरी अच्छी रिपोर्ट चली जाए और कहीं बिल्ली के भाग से छींका फूट जाए और मैं नेता प्रतिपक्ष बन जाऊँ. इसकी दौड़ में माननीय अध्यक्ष महोदय अगर स्थगन आयेगा तो मुझे नहीं लगता कि यह अधिकार और कर्तव्य की बात है, मुकेश भाई अगर आप अधिकार की बात कर रहे हैं तो दमदारी से कर्तव्य की भी बात करें, स्थगन में राजनीति नहीं आनी चाहिए आप कह रहे हैं कि स्वास्थ्य मंत्री जी इस्तीफा दें, वह क्यों इस्तीफा दें, यहां पर जबरदस्ती राजनीति करने की बात न हो. मैं यहां पर सदन में कहना चाहता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में और स्वास्थ्य मंत्री जी के नेतृत्व में स्वास्थ्य की सुविधाओं में उत्तरोत्तर उन्नति हुई है, कहीं पर कोई इस्तीफा देने की बात नहीं है. यदि कहीं पर कोई घटना हुई है तो हमने जिम्मेदारी ली है और उसके खिलाफ में कार्यवाही भी की है.
अध्यक्ष महोदय मेरा ऐसा मानना है कि यह बात सही है कि सरकार को और हम सबको इस बात की जरूर चिंता है और हमको चिंता जरूर करना चाहिए कि अगर इस तरह की कोई घटना हुई है तो उसकी पुनरावृत्ति नहीं होना चाहिए ऐसे अगर कोई उदाहरण सामने आते हैं तो उनसे हमें सीख लेकर उनकी समीक्षा करके हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मध्यप्रदेश में इस तरह की दुर्घटनाएं आगे न हों मैं यहां पर विपक्ष के सदस्यों से इस बात का विनम्र अनुरोध करना चाहता हूं क्योंकि यहां पर शिविर का आयोजन एक स्वयं सेवी संस्था ने किया था हमें यहां पर जिम्मेदारी का निर्वहन जरूर करना पड़ेगा कहीं ऐसा न करें हम कि इस मुद्दे पर राजनीति करें और आगे कोई स्वयं सेवी संस्था आगे से इस तरह के शिविर का आयोजन न करें. इसलिए मुझे लगता है हमारे वक्तव्य में हमारे इल्जाम में हमारे आरोप में जरूर इस बात की सीमा रखनी चाहिए कि हम किसी को हतोत्साहित न कर दें कि आगे इस तरह के शिविरों का आयोजन ही होना बंद हो जाय, ऐसे शिविर हों पर उसमें पूरी तरह से उसकी गुणवत्ता की उसमें कोई दुर्घटना न हो इ सकी जिम्मेदारी को समझते हुए शिविर हों. मैं यहां परएक बार और मध्यप्रदेश सरकार को इस बात की बधाई देता हूं कि संवेदनशीलता के साथ में कदम उठाये और हम सबको इस बात की भी जिम्मेदारी लेनी होगी कि ऐसे प्रकरण आगे न हों. माननीय अध्यक्ष महोदय आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद्.
श्री बाला बच्चन – अध्यक्ष महोदय आप देखें सरकार हैंकहां पर अधिकारी दीर्गा में देखें.
अध्यक्ष महोदय – नहीं इस तरह की बात को कहना जरूरी नहीं है माननीय मुख्यमंत्री जी स्वयं यहां परबैठे हैं.
श्री कमलेश्वर पटेल ( सिहावल ) – माननीय अध्यक्ष महोदय मैं यहां पर बहुत कम शब्दों में अपनी बात को रखूंगा क्योंकि मुझे पता है कि समय की कमी है. मैं यहां पर कम शब्दों में अपनी बात को रखना चाहूंगा. यह जो घटना घटी है बड़वानी में इसके लिए सरकार की और प्रशासन की जितनी निंदा की जाय उतना कम है. यहां पर उन गरीबों की आंखें गई हैं जो वास्तव में बहुत गरीब होते हैं ऐसे शिविरों में वह ही लोग आपरेशन कराने के लिए जाते हैं जो कि एकदम से बेसहारा होते हैं जिनके आगे पीछे कोई नहीं होता है जो आर्थिक रूप से तंगी में गुजर रहे होते हैं. ऐसे लोगों की आंखें चली जाना आप अंदाज लगा सकते हैं कि उनके परिवार के साथ में कितनी बड़ी त्रासदी हुई है और सरकार गंभीर होती तो इससे पहले भी स्वास्थ्य से संबंधित कई घटनाएं प्रदेश में हो चुकी हैं, यहां पर अमानक दवाइयों की घटना घटी है, हमारे ही वन राज्यमंत्री जी हैं उन्हीं के जिले में जिला चिकित्सालय में एक मरीज के साथ में बहुत अमानवीय व्यवहार हुआ था वहां पर मवेशियों को जो बाटल चढ़ायी जाती है वह बाटल उसे चढाई गई थी, यह बात इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में भी आयी थी उसकी जानकारी हमने भी ली थी, हो सकता है कि और भी बहुत सारे लोगों ने देखा होगा. 2 – 3 साल पहले हमारे सीधी जिले में मुख्यमंत्र जी का दौरा था उस समय एक्सपायरी तिथि की दवाएं थी आपके साथ में जो अमला चल रहा था उनको वह दवाइयां मिली थीं. आज यह क्या हो रहा है. मध्यप्रदेश में जो भी पेपर हैं आज उन्होंने जिलों की स्थितियों को बताया है चाहे वह दैनिक भास्कर हो पत्रिका हो या हरि भूमि हो,. अभी कुछ दिन पहले आपका जो खाद्य और औषधि विभाग का दफ्तर है वहां पर अमानक दवाइयां बनती हैं उनकी जांच होती है वहां पर आग लग गई थी इसके बारे में हरि भूमि ने सीधे सीधे लिखा है कि आग लगाई गई थी खाद्य एवं औषधि के दफ्तर में हरि भूमि में सीधे सीधे लिखा है खाद्य एवं औषधि दफ्तर में आग लगाई गई थी. क्या हो रहा है? उसके बाद क्या कार्यवाही हुई. अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी भी बैठे हैं, स्वास्थ्य मंत्री जी भी बैठे हैं , सिर्फ हम इतना जानना चाहेंगे कि जो खाद्य एवं औषधि संचालनालय में आग लगी थी उसके लिए कौन दोषी है,क्या कार्यवाही हुई थी, किसने यह हरकत की थी. इस बारे में भी, जब मुख्यमंत्री जी अपना जवाब दें तब यह जरूर बतायें कि इस तरह की जो घटना घटी थी इसके पीछे कहीं षडयन्त्र तो नहीं था. जो अमानक स्तर की दवाईयां मध्यप्रदेश में लगातार सप्लाई हो रही हैं कहीं ऐसा तो नहीं था कि सबूत नष्ट करने के लिए इस तरह की घटना घटित की गई थी. अध्यक्ष महोदय, मेरा एक और निवेदन मुख्यमंत्री जी से है कि इन दो तीन सालों में जितने भी पूरे प्रदेश में नेत्र शिविर के केम्प लगे हैं ,मेरा आपसे निवेदन है, क्योंकि आज भी दैनिक भास्कर ने प्रकाशित किया है कि जहां जहां शिविर लगे थे ,हर शिविर में कही दो या तीन लोग, आपरेशन असफल होने के कारण अंधे हुए हैं. तो इस तरह के जितने भी शिविर लगे हैं और उसमें जितने भी पीड़ित परिवार हैं उनको ज्यादा से ज्यादा मदद देनी चाहिेये.अध्यक्ष महोदय, इसमें कोर्ई पक्ष या विपक्ष की बात नहीं है, इस तरह की घटना भविष्य में न घटे इसके लिए सरकार की तरफ से इसमें पहल होनी चाहिये और मेरा आपके माध्यम से सरकार से अनुरोध है कि जो भी इसके लिए दोषी हो, जिन अधिकारियों ने अमानक स्तर के सेम्पल पास किये और जो भी इसके निर्माता हैं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए. क्योंकि लोगों की जान के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए. गरीबों के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए. आज पूरे प्रदेश में सरकारी अस्पतालों से, स्वास्थ्य सेवा से सबका विश्वास पूरी तरह से उठ गया है. सारे लोग प्रायवेट अस्पतालों में जाना पसन्द करते हैं. हमारे विन्ध्य क्षेत्र में तो सारे लोग इलाहबाद,वाराणासी,नागपुर इलाज के लिए जाते हैं . कोई भी सरकारी अस्पताल में जाना पसन्द नहीं करता. अध्यक्ष महोदय, आपने जो मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय( श्योपुर )—माननीय अध्यक्ष महोदय, बड़वानी जिले में नेत्र आपरेशन के दरमियान जिन मरीजों की आंखें प्रभावित हुई हैं वह घटना वास्तव में बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण और हृदय को दुख और पीड़ा पहुंचाने वाली घटना है. अध्यक्ष महोदय, इस घटना में सरकार को जो करना चाहिए था वह किया गया है और जितनी त्वरित गति से माननीय मुख्यमंत्री जी ने निर्णय लेकर जितने नेत्र रोगी प्रभावित हुए थे उनको तुरन्त इन्दौर भिजवा कर और वहां पर एम.वाय.अस्पताल में और दूसरे बड़े अस्पताल के अंदर उनको भर्ती करा कर ठीक से उपचार कराने की प्रथम व्यवस्था कराई गई थी. अध्यक्ष महोदय, दूसरा जो काम करने का था उसको त्वरित माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया कि इस घटना के लिए एक जांच दल बिठा कर और उस जांच दल के माध्यम से तुरन्त प्रारंभिक जांच रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए निर्देश जारी किये. अध्यक्ष महोदय, जो बात सामने आई जांच के दरमियान और उपचार करने की दृष्टि से एक और काम माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया कि दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्री जी से आग्रह करके तुरन्त विशेषज्ञों की एक टीम मध्यप्रदेश में बुलाई उस टीम ने इन्दौर में जो उपचार चल रहा था उस पर संतोष प्रकट किया और आगे उपचार किस प्रकार से चले इसके लिये यह विशेषज्ञ दल 16 दिसम्बर तक यहीं मध्यप्रदेश में रखने का निर्णय भी किया ,ताकि उन मरीजों का ठीक से उपचार हो सके, ये विशेषज्ञ बराबर उन पर निगरानी रख सकें. ये काम भी मुख्यमंत्री जी ने किया है, इसके कारण से उन सभी मरीजों को धीरे धीरे कुछ लाभ प्राप्त हो रहा है. अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे मित्रों ने कहा कि सिविल सर्जन को निलंबित नहीं करना चाहिए था. सही बात यह है कि जो प्रारंभिक जांच में तथ्य आयें हैं उसमें यह बात सिद्ध हुई है कि आपरेशन थियेटर को जिस मानक अवस्था में रखना चाहिए और जिस परिस्थितियों में होना चाहिए उस परिस्थिति में वह आपरेशन थियेटर नहीं था. भले ही सिविल सर्जन अवकाश पर हों लेकिन यह उनकी जिम्मेदारी और दायित्व है कि वहां पर जो आपरेशन थियेटर है, उसका रखरखाव ठीक से हो. आपरेशन थियेटर के लिए जो मापदंड तय किये गये हैं उन मापदंडों को ठीक तरीके से समय समय पर वह देखें. मापदंड ठीक नहीं हो पाने के कारण आंखों में जो संक्रमण हुआ है. यह बात प्रारंभिक जांच में सामने आयी है.
अध्यक्ष महोदय, इसके कारण से सिविल सर्जन को भी निलंबित किया गया और अन्य अधिकारियों को जो इसके लिए जिम्मेदार थे, उनको माननीय मुख्यमंत्रीजी ने निलंबित किया है.
अध्यक्ष महोदय—कृपया समाप्त करें.
श्री दुर्गालाल विजय—अध्यक्ष महोदय, जैसा मैंने पहले कहा कि घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. लेकिन प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्रीजी की, सरकार की संवेदनशीलता में कहीं किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है. मध्यप्रदेश में लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने का प्रयास किया जा रहा है. आगे आने वाले समय में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके इसके लिए प्रयास किये जा रहे हैं. धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत—अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी निवेदन करुंगा कि श्योपुर में भी मौतें हुई हैं.
श्री दुर्गालाल विजय—अध्यक्ष महोदय, श्योपुर जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण कोई मौत नहीं हुई है.
अध्यक्ष महोदय—आप बैठ जायें. उनकी बात का उत्तर देना जरुरी नहीं है. श्री जितू पटवारी जी....माननीय विधायकजी संक्षेप में.
श्री जितू पटवारी(राऊ)—अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद. आपने कम से कम यह नहीं कहा कि “बैठ जाओ”. अध्यक्ष महोदय, जिस संवेदनशील विषय पर आज चर्चा के लिए समय दिया. पूरे सदन को इस गंभीर विषय पर बात करने का अवसर दिया. सत्ता पक्ष और विपक्ष के सम्मानीय सदस्यों ने अपना-अपना पक्ष रखने की शुरुआत की. मैं इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्रीजी को धन्यवाद इसलिए देना चाहता हूं कि उन्होंने 2-2 लाख रुपये उनको दिये हैं. एक आंख की कीमत दो लाख रुपये ! एक शरीर की कीमत क्या हुई? पेटलावद में जिस तरह से सौ लोगों से ज्यादा की हत्या हुई उनको क्या दिया? इधर दो लाख रुपये दिये, उधर क्या दिया यह हिसाब उनके पास है.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्व काल के 10 वर्ष होने पर दिनांक 29 तारीख को सब जगह जश्न मनाये गये. होर्डिंग लगाये गये. पोस्टर लगाये गये. ‘शिवराज सिंह अजेय’ हों के नारे लगाये गये. अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य घोटाला इन्हीं 10 वर्षों में हुआ. डीमेट घोटाला इन्हीं 10 वर्षों में हुआ. व्यापम घोटाला इन्हीं 10 वर्षों में हुआ. छात्रवृत्ति घोटाला इन्हीं 10 वर्षों में हुआ.
अध्यक्ष महोदय—कृपया विषय पर बोलें. स्थगन प्रस्ताव है.
श्री जितू पटवारी—अध्यक्ष महोदय, मैं कभी भी विषय से नहीं भटकता हूं.
अध्यक्ष महोदय—आज भटक रहे हैं.
श्री जितू पटवारी—मुझे पता है कि आप मुझे ज्यादा बोलने का अवसर देंगे. क्योंकि आप मुझसे ज्यादा स्नेह करते हैं.
अध्यक्ष महोदय—कृपया विषय पर बोलें. रिपीटेशन न हो.
श्री जितू पटवारी—अध्यक्ष महोदय, आप मुझे नसीहत भी देते हैं. मेरा अनुरोध है कि इसी 10 वर्षों में 75 प्रतिशत बच्चे खून की कमी से इस प्रदेश में जूझ रहे हैं. मुख्यमंत्रीजी यदि थोड़ी देर और बैठें तो मेहरबानी होगी. मुझे भी इज्जत मिलेगी. पांच मिनट सुनें. हम भी आपके जैसे जब आप पहली बार विधायक बने थे.
मुख्यमंत्री(श्री शिवराज सिंह चौहान)—अध्यक्ष महोदय, मैं केवल भोजन के लिए जा रहा था. लेकिन अगर इज्जत बढ़ाने का सवाल है तो मैं तो सबकी इज्जत बढ़ाना चाहूंगा. जितू भाई की भी इज्जत बढ़ाना चाहूंगा.
श्री जितू पटवारी—मुख्यमंत्रीजी, बात मेरी इज्जत की नहीं है. उस भाव की इज्जत की है जिसमें 45 लोगों की आंखे चली गई. मैं ही एक ऐसा एमएलए हूं, पीछे से आवाज आयी थी कि कौन लोग बड़वानी गये और उन लोगों से मिले, मुझे पता है कि स्वास्थ्य मंत्री नहीं मिले. मुझे यह भी पता है कि मुख्यमंत्रीजी भी नहीं मिले. इंदौर संभाग के कितने विधायक भारतीय जनता पार्टी के या कांग्रेस के गये यह भी न मैंने पढ़ा या सुना. मुख्यमंत्रीजी, मैं उन लोगों से मिला वह वेदना आपको बताना चाहता हूं. इसीलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप थोड़ी देर मेरी बातें सुनें.
अध्यक्ष महोदय, मैं कोई आलोचना नहीं कर रहा हूं या ऐसी कोई बात नहीं कर रहा हूं जो आपको बुरी लगे, सम्मानीय सदस्यों को अच्छी नहीं लगे, वह नहीं करना चाहता. मैं उन लोगों से जब मिला तो एक व्यक्ति 80 साल का था, मुख्यमंत्री जी मैंने उनसे कहा कि दादा आपकी एक आंख से दिख रहा है कि दोनों आंखों से नहीं दिख रहा, कहा कि भैया आधा-आधा इस आंख से दिख रहा है, भगवान की कृपा हुई कि दोनों आंख के आपरेशन मोतियाबिंद के एक साथ नहीं होते, नहीं तो पूरा ही अंधा हो जाता. ऐसे ही अलग-अलग लोगों की अलग-अलग कहानियां थीं. मुख्यमंत्री जी स्वास्थ्य विभाग के अमले की बात मुकेश नायक जी ने कही. मध्यप्रदेश में 7 हजार रिक्तियां हैं, हम डाक्टरों की भर्ती नहीं कर पा रहे. 15 हजार से ज्यादा डाक्टरों की मध्यप्रदेश को आवश्यकता है. 80 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में कोई डाक्टर, नर्स या स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा कार्यकर्ता नहीं है । शहरों में भोपाल जैसी जगहों में 80 प्रतिशत, 20 प्रतिशत डाक्टरों की कमी है. मैं आपसे यह भी अनुरोध करना चाहता हूं मुख्यमंत्री जी कि मध्यप्रदेश में यह जो घटना हुई जिसमें लोग अंधे हुये, उस घटना के बाद 2 लोगों को सस्पेंड किया या 3 को, मुझे पक्की जानकारी नहीं है, पर अपने मन पर या दिल पर हाथ रखकर यह बात कहो कि क्या उनको सस्पेंड करना बाजिव था, डाक्टरों को, कर्मचारियों को, सरकार का इन पर दोष मढ़ना कहां तक उचित है, कुछ घटना होती नहीं है कि संबंधित विभाग के अधिकारी, कर्मचारी उसके लिये दोषी हो जाते हैं और राजनीतिक लोग जो उसके मुखिया होते हैं, जो मंत्री होते हैं, उन पर आंच नहीं आती, स्वास्थ्य मंत्री का क्या दायित्व है. स्वास्थ्य विभाग में सीधा निर्देश है मध्यप्रदेश शासन का कि कोई भी सरकारी अस्पतालों में बाहर से दवाई नहीं खरीदेगा, फिर डॉक्टर जब सरकारी दवाईयां जो कमीशन के माध्यम से या और सरकारी हिल डुल कर जितना भी बचता है, जितनी खराब से खराब दवा सप्लाई हो सकती है वह वहां पर सप्लाई होती है और उसी का उपयोग करना होता है, उसमें आंखे नहीं जायेंगी तो क्या होगा, उसमें लोग अंधे नहीं होंगे तो क्या होगा. विश्वास सारंग जी हैं नहीं, सम्मानीय शैलेन्द्र जी ने भी यही बात कही कि पुनरावृत्ति न हो. सीधी आदिवासी क्षेत्र है, सीधी में भी एक घटना हुई थी आज से दो साल पहले, चौपाई गांव में 24 बच्चों की इस घटना में मौत हो गई थी, उसके बाद भी यही बात हुई थी, कि पुनरावृत्ति न हो, फिर हुई. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं मुख्यमंत्री जी ज्यादा कुछ न बोलते हुये इतना जरूर है कि जितने भी दोष हैं वह कर्मचारी पर देना, आपकी सरकार बंद करे, मैंने सम्मानीय अध्यक्ष जी का कथन पढ़ा था, एक दिन कि मुख्यमंत्री के आदेशों पर ही भ्रष्टाचार के, लोकायुक्त के छापे डलते हैं. इसी प्रकार कोई एक भी राजनीतिक व्यक्ति पर छापा क्यों नहीं डला आपके कहने पर, सारे कर्मचारी ही क्यों पकड़ाये गये, उनके पास ही घोटाला क्यों निकला, और जिस विभाग के कर्मचारी के पास अरबों रूपये निकले, करोड़ो रूपये निकले उसके मंत्री की क्या हालत होगी, यह बात आपके संज्ञान में क्यों नहीं आई.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी मेरा आपसे अनुरोध है, अभी तो मैंने चालू ही किया है.
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा (सोनकच्छ)-- अध्यक्ष महोदय, यह स्थगन की विषय वस्तु है क्या.
श्री जितू पटवारी-- स्वास्थ्य के मामले में पढ़ना लिखना पड़ता है राजेन्द्र भैया. मेरा आपसे अनुरोध यह है कि जिस तरीके से अध्यक्ष जी कर्मचारियों की वजाय विभाग का, तंत्र का और मंत्री का दोष है, उनको सस्पेंड करें, उनसे इस्तीफा लें तभी जाकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी, अन्यथा होती रहेगी. मुझे बोलने का मौका दिया, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- श्री गिरीश गौतम.
श्री गिरीश गौतम (देवतालाब)-- मैं सबसे पहले माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने आगे बढ़कर के इस स्थगन ग्राह्यता पर स्वीकारोक्ति दी कि चर्चा करना चाहिये इस पर, और मैं भाई रामनिवास रावत को भी धन्यवाद देना चाहता हूं, उन्होंने भी इस बात का धन्यवाद दिया इसलिये देना चाहता हूं. मैं केवल दो बात कहना चाहता हूं, इसको हम सत्ता पक्ष या प्रतिपक्ष का युद्ध नहीं बनायें. सत्ता पक्ष जीते या प्रतिपक्ष जीते इस दृष्टिकोण से हमको बहस में हिस्सा नहीं लेना चाहिये. हमको इस दृष्टिकोण से यहां विचार करना चाहिये और इस संकल्प के साथ हमें यहां से जाना चाहिये कि यदि इस तरह की कोई घटना होती है तो वाकई में वह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और प्रदेश के माथे पर एक कलंक साबित होती है. इसलिये हम सबको मिलकर के इस बात का प्रयास करना चाहिये. कर्मचारियों को सस्पेंड करना तो मैं इसमें एक सवाल जरूर करना चाहता हूं कि आखिरकार सरकार के मुखिया माननीय मुख्यमंत्री जी, हमारे स्वास्थ्य मंत्री जी घटना स्थल पर मौजूद नहीं है, हम केवल व्यवस्थायें दे सकते हैं, सरकार व्यवस्था दे सकती है. पर वहां पर काम करने वाले तो व्यक्ति ही होंगे. मैं एक उदाहरण के साथ में आपसे कहना चाहता हूं कि यदि हम कोई बहुत अच्छी व्यवस्था कर दें और उसको चलाने वाला गड़बड़ हो जाये तो निश्चित तौर पर जो मंशा है, व्यवस्था देने की वह ठीक नहीं हो सकती है तो कार्यवाही तो उन्हीं पर होगी जिनने इस बात की गड़बड़ी की, जिनके कारण यह हादसा हुआ, जिनके कारण यह परेशानी हुई , हमारे इतने लोगों को अंधेपन का शिकार होना पड़ा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इतना निवेदन करना चाहता हूं कि निश्चित तौर पर जो कार्यवाही हुई वह हुई अब हमें इस बात का फिर से यहां पर निर्णय करना चाहिये कि इस तरह की घटना दुबारा न हो. मैं इतना जरूर आग्रह करना चाहता हूं माननीय मुख्यमंत्री जी से स्वास्थ्य मंत्री जी से कि एक बात का विचार जरूर करें जो भाई रामनिवास रावत जी ने और डॉ. गोविंद सिंह जी ने कही है कि आखिरकार जो लोग अंधे हो गये हैं उनको यदि पेंशन योजना का लाभ हो सकता है तो वह तमाम क्राईटेरिया हटा कर के जो सामाजिक सुरक्षा पेंशन के होते हैं कि गरीबी की रेखा में नाम होना चाहिये, 60 साल से ऊपर होना चाहिये, उनको भी विकलांग की श्रेणी में मानकर उन सारी चीजों को हटाकर के उनको भी इस तरह की पेंशन की व्यवस्था करनी चाहिये. यदि उनकी आंख को आपरेशन के माध्यम से फिर से ठीक किया जा सकता हो, उसे करना चाहिये. मुझे आपने बोलने का अवसर प्रदान किया मैं धन्यवाद देते हुये माननीय मुख्यमंत्री जी को अपनी बात को समाप्त करता हूं और हमारे प्रतिपक्ष के साथियों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि वह बहस में सार्थक हिस्सा ले रहे हैं , सार्थक बात कह रहे हैं, उसको भी स्वीकार करने की आवश्यकता है. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय गिरीश गौतम जी को भी धन्यवाद दूंगा उन्होंने जिस तरह से भाषण प्रस्तुत किया निश्चित रूप से कहीं न कहीं अच्छी बातें आई हैं. पूरे सत्ता पक्ष से केवल इन्हीं के भाषण में बड़वानी की घटना पर पीड़ा दिखाई दी है. पॉजेटिव भाषण था.
अध्यक्ष महोदय- उन्होंने पॉजेटिव बात की, ठीक बात है आपकी. वे बधाई के पात्र हैं.
श्रीमती झूमा सोलंकी(भीकनगांव) –माननीय अध्यक्ष महोदय, काफी बातों पर चर्चा हो गई है पर मैं सीधे महत्वपूर्ण बातें कहूंगी चूंकि घटना दुख:द है . अध्यक्ष महोदय, निम्न स्तर की सामग्री के उपयोग की वजह से जो सबसे बड़ी मानव त्रुटि हुई इसके लिये उनके खिलाफ तो कार्यवाही होनी चाहिये और इस प्रकरण में अभी तक जो बात सामने नहीं आई है वह मैं कहना चाहती हूं कि लघु उद्योग निगम के माध्यम से सरकार जो दवाई खरीदती है वह दवाईयां पूरी तरह से उपयोगी नहीं होती हैं. दवा खरीद की नीति में ब्रांडेड कंपनियां जिनकी दवाईयां बहुत अच्छी होती है, सामग्री अच्छी होती है , औजार अच्छे होते हैं उन कंपनियों की दवाईयां खरीदना चाहिये, इसलिये दवा नीति में बदलाव किया जाना चाहिये. नीति में परिवर्तन किया जाना चाहिये. दूसरी जो बड़ी बात है, मरीज की एक आंख गई है. दूसरी आंख उसकी सलामत है तो उसकी दूसरी आंख का यदि आपरेशन होता है यदि उसको मोतियाबिंद है चूंकि बुजुर्ग व्यक्ति है और उसकी दूसरी आंख का आपरेशन होना भी आवश्यक है तो उस व्यक्ति की दूसरी आंख की देख-रेख हो और अच्छी जगह पर उसका आपरेशन होना चाहिये और जो लापरवाही इसमें हुई है ऐसी लापरवाही न होते हुये उसकी देख-रेख बेहद जरूरी है ताकि उसकी दोनों आंखों की रोशनी न जाये, ऐसी व्यवस्था सरकार को करना चाहिये. बड़वानी जिला खरगोन जिले के पास में ही है,आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. जहां पर यह घटना घटी है सरकार का यह दायित्व हो कि ऐसी घटना अन्य जिलों में नहीं घटे, तहसील या ब्लाक स्तर पर अस्पताल में शिविर के माध्यम से आंखों के आपरेशन होते हैं. शिविर में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसलिये आवश्यक है कि विभाग की तरफ से सरकार की तरफ से ऐसे दिशा निर्देश जारी हो कि ऐसी लापरवाही कतई न हो और जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया है यह सब जिम्मेदार व्यक्ति थे, डॉक्टर, स्टाफ और आयोजक सभी . उनको मालूम था कि इस तरह की लापरवाही से ऐसी घटना निर्मित हो सकती है उसके बाद भी उन्होंने आपरेशन किये और अत्याधिक आपरेशन किये एक दिन में 100 आपरेशन, यह भी ज्यादा हो गये , इतनी तादाद में आपरेशन समय सीमा में नहीं होना चाहिये, एक संख्या निश्चित होना चाहिये कि एक डॉक्टर एक दिन में 25 या 30 आपरेशन से ज्यादा नहीं करेगा, ऐसे निर्देश भी सरकार को जारी करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय, बार बार इस तरह की घटनायें आदिवासी क्षेत्रों में ही क्यों होती हैं. मुझे इस बात को बड़े ही दुख के साथ में कहना पड़ता है कि सरकार इस ओर ध्यान दे क्योंकि आदिवासी आवाज उठाने के लिये आगे आते नहीं हैं, अपनी बात रखते नहीं है इसलिये सरकार को ऐसे जिलों को चिह्नित करके ध्यान देना चाहिये. मुझे अपनी बात को आपने सदन में रखने का अवसर प्रदान किया इसके लिये अध्यक्ष जी आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) – अध्यक्ष महोदय, इस पर काफी लम्बी चर्चा हो चुकी है. घटना वास्तव में बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, स्थगन पर चर्चा चल रही है और स्वास्थ्य मंत्री जी या मुख्यमंत्री जी में से एक को तो सदन में रहना चाहिये.
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (श्री शरद जैन) – अध्यक्ष महोदय, मैं सदन मैं बैठा हूं और सुझाव नोट कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय – राज्यमंत्री जी बैठे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार – अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी दो मिनिट के लिये सदन से बाहर गये हैं और मुझसे कह कर गये हैं सुझाव नोट करने के लिये.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत कम शब्दों में अपनी बात रखना चाहता हूं. इस घटना का सबको दुख है, लेकिन मैं अभी काफी देर से चर्चा सुन रहा था. घटना के विषय में तो मुश्किल से 10 प्रतिशत माननीय सदस्य बात कर रहे हैं. बाकी अलग अलग विषयों पर काफी कटाक्ष हो रहे हैं. कहीं न कहीं ऐसे जब अति महत्वपूर्ण और अति सेंसेटिव्ह विषय पर बात हो तो विषय के बाहर किसी को भी नहीं जाना चाहिये और यह चर्चा करना चाहिये कि क्या घटना में दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही हो रही है या इस घटना की पुनरावृत्ति न हो, उसके बारे में क्या योजना है. क्या इस बारे में हम सोच रहे हैं कि जिस दवाई या जो भी स्टरलाइजेशन है और उसमें जिन डॉक्टर्स की और जो व्यवस्था जिनके जिम्मे थी उनके खिलाफ कार्यवाही हुई या नहीं. अगर उस आंकलन से मैं देखूं, तो वास्तव में तुरन्त जिसकी जिम्मेदारी थी कि उस भवन की ओर उस जगह की व्यवस्था को स्टरलाइज्ड प्रॉपर रखना, उसमें जिसने चूक की, तो उस पर कार्यवाही हुई. तो हमें दो ही दृष्टिकोण से इसको देखना चाहिये. पुनरावृत्ति न हो, भविष्य में जो भी ये प्रायवेट कोई भी आकर केम्प लगाये, वह हतोत्साहित न हो, लेकिन साथ में उनके पास पूरे उपकरण हों या न हों, उस पर भी चिंता साथ में करनी चाहिये. जो घटना है, इसमें दोषियों पर तुरन्त कार्यवाही हो और जो मरीज उससे पीड़ित हैं, उनको तुरन्त आगे क्या सुविधायें दे रहे हैं. उनकी आंख के दूसरे आपरेशन के लिये कितनी सरकार ने चिंता की, वह हुई और उस पर कार्यवाही हुई. एम्स के डॉक्टरों की टीम पहुंची. तो कहीं न कहीं जागरुकता और सरकार की तुरन्त प्रतिक्रिया इसमें हुई है. मेरा यह कहना है कि जिन भी लोगों के साथ यह घटना घटित हुई, उनको तुरन्त जितना संभव मनुष्य के लिये है, उतनी सुविधायें दे दी जायें. इससे ज्यादा लम्बी बात का राजनीतिक दृष्टिकोण हो सकता है. लेकिन समय और चर्चा के हिसाब से सिर्फ इतना ही जरुरी है कि पुनरावृत्ति न हो, दोषियों को सजा मिले और उसमें सरकार ने तुरन्त कार्यवाही की. मैं अपनी बात इतनी ही कहना चाहता हूं, बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. मोहन यादव (उज्जैन-दक्षिण) – अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो एक सार्थक चर्चा की दिशा अब आखिरी आखिरी में बनने लगी है. पहले तो लगा कि मुख्यमंत्री जी ने जिस सहृदयता से इस बात को प्रारम्भ करने के लिये अपने दल की तरफ से परमीशन दी और जब इस पर चर्चा प्रारम्भ हुई, तो शुरु शुरु में वह भटकती रही. लेकिन महत्व की, एक बहुत जवाबदारी से बोलना चाहता हूं कि पूरे प्रदेश में वर्तमान में जिस प्रकार से अलग अलग और भी नये नये विषयों को लेकर के चिकित्सालयों का जो सम्मान बढ़ाने का मुख्यमंत्री जी एवं स्वास्थ्य मंत्री जी ने प्रयास किया है. मैं उदाहरण देना चाहूंगा कि हमारे उज्जैन संभाग में कैंसर से संबंधित किसी प्रकार की कोई जांच की व्यवस्था आजादी के बाद से कभी नहीं थी. पहली बार लगातार गये साल से कैंसर के मामले में हमारे जिला चिकित्सालय में उस सुविधा से लोग लाभान्वित होने लगे हैं. इतना ही नहीं इतना अच्छा वहां प्रयोग हुआ कि न केवल उज्जैन बल्कि आस पास के दूसरे संभागों से भी लोग आने लगे हैं. मैं इसी प्रकार से और अलग अलग बाकी बातों पर नहीं जाना चाहता हूं, क्योंकि विषय और समय, दोनों की हमारी मर्यादा है. न चाहते हुए भी, एक बड़ी घटना दुर्भाग्य से हुई है. हम सब उससे दुखी हैं और यह सार्थक विषय हमारे बीच में आया है कि ऐसी घटना दोबारा न हो. इसके प्रबन्धन पर जाना चाहिए. एक जांच कराइये. जांच में संतुष्टि न होने के बाद कोलकाता लैब में भी इसकी जांच के लिए फ्ल्यूड को भेजा है. यह उल्लेख किया है सेन्ट्रल ड्रग लैब कोलकाता में इस फ्ल्यूड को भेजा है तो शासन की मंशा इसमें स्पष्ट हो रही है कि जब हमारे अपने जिस लैब से पहले यहां जांच करा ली गई है उस दवाई की. उसके बावजूद भी एन.ए.बी.एल. से जांच हुई थी. उसमें भी इस बात की पुष्टि की गई कि इसमें मानक स्तर पाया गया है. उसके बावजूद भी कलकत्ता अगर भेजा गया है तो माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय स्वास्थ्य मंत्री की मंशा बताती है कि इससे संबंधित कोई छेड़छाड़ या कोई दूसरी दुर्भावना नहीं है. एक और बात जो महत्व की है कि जो स्टॉफ इसमें लगा हुआ है. उस स्टॉफ के मामले में निश्चित रूप से जांच जो प्राथमिक स्तर पर की गई है और उसमें पुष्टि पाई गई है कि अगर इन्होंने लापरवाही की है तो किसी प्रकार की कार्यवाही अगर होती है तो उस कार्यवाही के बारे में भी अगर हम राजनैतिक दृष्टि से सोचेंगे तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होगा. जो दोषी हैं, उस पर कार्यवाही होना चाहिए. इसमें कुछ गलत नहीं है. लेकिन जिस प्रकार से राजनैतिक दृष्टि से एक अच्छे गम्भीर विषय को हल्केपन से लेना, दुर्भाग्य से मैं उनका नाम नहीं लेना चाहूँगा. लेकिन माननीय श्री गोविन्द सिंह जी ने, माननीय श्री मुकेश नायक जी ने विषय को पलटाने का प्रयास किया. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. हम सब इस बात के लिए कोशिश करें कि जो पीडि़त पक्ष है, जिनकी आंखें गयी हैं. वाकई, उनके बारे में हमारी संवेदना आनी चाहिए. उनको विकलांगता की श्रेणी में रखकर, उनको लाभ दिलाएं और दुनिया के किसी भी स्थान पर जाकर, अगर उनकी आंखों की रोशनी आ सकती है तो वह लाने का जरूर प्रयास होना चाहिए. इससे हम सब सहमत हैं और उसी प्रकार से जो संवेदनशील विषय पर, भविष्य में ऐसी घटना कभी न हो अन्यथा हमारे ज्यादा हल्ला करने से ऐसा न हो कि दोबारा से स्वयं सेवी संस्थायें, शासन का अमला ये ऑपरेशन करने से डरने लगें. ऐसे माहौल को बनाने के बजाय वास्तव में हमको प्रोत्साहित करते हुए, जो गलत है उसका विरोध करना चाहिए और जो सही है, हम उसके साथ खड़े दिखाई दें. मैं अपनी बात को यहीं समाप्त करता हूँ. मैं उम्मीद करता हूँ कि अन्धत्व निवारण के जो बड़े गम्भीर मामले, खासकर के मोतियाबिन्द और ऐसे ऑपरेशन को लगातार बढ़ाना चाहिए और हमारा सबका मनोबल बढ़ाने में चिकित्सा विभाग के साथ हम खड़े हैं. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिए समय दिया आपका धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय – श्री तिवारी जी. आप दो मिनिट में. दोबारा आपका नाम ले रहा हूँ और चूँकि आप आकर बैठ गए हैं तो श्री सुखेन्द्र सिंह बना जी ने आपको खबर कर दी है. आप 3 मिनिट व्यवधान में ले चुके हैं, अब 2 मिनिट में.
श्री राम निवास रावत – श्री तिवारी को समय पूरा-पूरा दे दें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – अध्यक्ष महोदय, विषय गम्भीर है, अमानवता की पराकाष्ठा है. 43 व्यक्तियों की आंखें गई हैं. सरकार अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि इसका दोषी कौन है ? सरकार जिम्मेदार है कि नहीं. यह एक प्रश्न खड़ा है पूरे प्रदेश के सामने, सरकार इससे बच रही है. यह कहते हुए कि सी.एम.एच.ओ. या सिविल सर्जन, इसके लिए जिम्मेदार हैं. जैसा हमारे साथी श्री मुकेश नायक जी ने कहा कि सी.ए.जी. की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि मानक – अमानक दवाईयां मध्यप्रदेश में वितरित की जा रही हैं. यह सी.ए.जी. की रिपोर्ट है. सी.ए.जी. रिपोर्ट “distribution of poor quality drugs by state health department”, यह सी.ए.जी. की रिपोर्ट को अखबारों में भी दिया गया है. अब सवाल है कि इस रिपोर्ट के आने के बाद सरकार ने क्या कदम उठाये ? क्या सी.ए.जी. की रिपोर्ट में जो दोष निकाले गये थे, उसको दूर करने का प्रयास किया गया है ? मैं यह मानता हूँ कि अगर सरकार समय रहते सी.ए.जी. की रिपोर्ट पर कार्यवाही करती तो इस तरह का हादसा नहीं होता. इन्फेक्शन से, संक्रमण से 43 लोगों की आंखें गईं. यह समाचार-पत्रों में छपा है. हम तो डॉक्टर नहीं हैं, हम उसको देख नहीं सकते । सवाल इस बात का है कि जिन दवाईयों में इन्फेक्शन था, क्या किसी डॉक्टर ने इन्फेक्शन डाला है या पैरामैडिकल स्टाफ ने इन्फेक्शन डाला है । ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है । दवाईयों में सी.एम.एच.ओ. ने या सी.एस.एच. ने कोई गड़बड़ी की है, इस बात की भी रिपोर्ट नहीं आई है । सवाल सीधा है जैसा कहा जाता है जो दवाईयां उनकी आंख में डाली गई उसमें फंगस डेवलप था, यह दवाईयां गई कहां से, किसने दिया है, न तो डॉक्टर,न सी.एम.ओ. न कोई अधिकारी को उन दवाईयों की क्वालिटी को जांच करने का, जिला स्तर पर या संभागीय स्तर पर सरकार के द्वारा कोई व्यवस्था निर्धारित नहीं की गई । वो किस बात के दोषी हैं । अगर दवाईयों में गड़बड़ी है और उनकी जांच करने की व्यवस्था नहीं है और न ही जिम्मेदारी है और न ही उसके पास व्यवस्था है । जो दवाईयां सप्लाई की जाएंगी वहीं दवाईयां वह आंख में डालकर देगा । अब यह सप्लाई शुरू कहां से हुई । यह अमानक दवाईयों गई कहां से वो जिम्मेदार होगा अगर यह स्टेट ने खरीदी है तो उसके लिए सचिव, प्रमुख सचिव,माननीय मंत्री जी, जिन जिन के दस्तखत दवाई खरीदी में होंगे, वह सारे दोषी हैं । निर्दोषों को क्यों सजा दे रहे हैं । यह जनता को संतुष्ट करने वाली बात है कि एक अधिकारी को सस्पेंड कर दो और पूरा मामला दब जाए, यह हो जाए कि सरकार ने बड़ा भारी स्टेप लिया है ।
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि बड़ी गहराई से इस जांच की जरूरत है । इसमें लोकायुक्त से यह जांच कराई जाए कि यह भ्रष्टाचार की बजह से काम हुआ है, गड़बड़ी हुई है । अमानक दवाईयों में किसने कितना पैसा खाया । सी.ए.जी. की रिपोर्ट पर कार्यवाही नहीं हुई । अगर ऊपर से इसकी जांच नहीं की जाएगी तो एक डॉक्टर को बेवजह निलंबित कर देने से इसका कोई हल निकलने वाला नहीं है ।
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें ।
श्री सुन्दर लाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा यह कहना है कि इसको और बड़े स्पेक्ट्रम में देखने की आवश्यकता है । आप देखें हर क्षेत्र में हमारे जिले में अभी बच्चों को जो दूध दिया जाता है वह एक्सपायरी डेट का दूध वितरित किया गया था । अध्यक्ष महोदय, मैं बता रहा हूँ कि यह घटना हुई क्यों है । एक्सपायरी डेट का दूध वितरित किया जा रहा था ।
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें ।
श्री सुंदर लाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, बड़ा गंभीर विषय है एक मिनट सुन लें ।
अध्यक्ष महोदय - एक मिनट में समाप्त करें ।
श्री सुदरलाल तिवारी – मेरा कहना है एक्सपायरी डेट का दूध जा रहा है, प्राचार्य शिकायत कर रहा है । हमने स्वयं कलेक्टर, कमिश्नर से टेलीफान पर बात की.दोषियों के खिलाफ आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई । अगर देखा जाए तो यह मध्यप्रदेश के भ्रष्टाचार की बजह से यह गड़बडियां हो रही हैं । आपके डॉक्टर जेल में बंद हैं, दवाई कौन करे, व्यापम में कितने डॉक्टर जेल में हैं ।
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें, विषय बदल दिया आपने ।
श्री सुदंरलाल तिवारी – विषय बदल नहीं दिया, अध्यक्ष महोदय, यह भ्रष्टाचार ही इसकी मूल जड़ है ।
अध्यक्ष महोदय - बड़ी मुश्किल से आप पटरी पर थे,गाड़ी फिर उतर गई
श्री सुंदरलाल तिवारी - अध्यक्ष महोदय, इस गंभीर विषय पर . वहां बच्चों को सड़ा भोजन दे दिया वह मर जाएंगे, वह भ्रष्टाचार की वजह से नहीं हो रहा है ।
अध्यक्ष महोदय - जो स्थगन प्रस्ताव का विषय है ।
श्री सुंदरलाल तिवारी - आंख फूटने की जो बात आई है ।
अध्यक्ष महोदय - आप इतनी देर से उसी पर बोल रहे हैं ।
एक माननीय सदस्य - डॉक्टर से संबंधित हमारी व्यवस्था।
अध्यक्ष महोदय - आप उनको सपोर्ट मत करिए आपको भी मालूम है वह गलत कह रहे हैं ।
श्री सुंदरलाल तिवारी - हमारा कहना है जो व्यवस्था है, अगर व्यवस्था पर आप इंगित नहीं करेंगे, व्यवस्था को दुरूस्त करने की बात नहीं करेंगे तो यह घटनाएं कभी भी नहीं रूकेंगी । अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे कहना है कि मुख्यमंत्री जिम्मेदार नहीं हैं यह मैं कह रहा हूँ, मंत्री जी जिम्मेदार हो ही नहीं सकते, सवाल ही नहीं है । जब व्यापम जैसे मामले में यह लोग जिम्मेदार नहीं हुए तो इसमें यह कैसे जिम्मेदार हो जाएंगे ।
अध्यक्ष महोदय - श्री अजय सिंह.
श्री सुंदरलाल तिवारी- मेरा यह कहना है कि इसमें उन बेचारे डॉक्टरों को बहाल किया जाए ।
अध्यक्ष महोदय - श्री अजय सिंह, आप उठेंगे नहीं तो बैठेंगे नहीं. आप अजय सिंह की सदाशयता को देखिये आप बैठ नहीं रहे हैं, वह बोलने के लिये खड़े नहीं हो रहे हैं. आप बैठिये.
श्री सुंदरलाल तिवारी—अध्यक्ष महोदय, आज वृद्धावस्था पेंशन गरीबों को नहीं दी जा रही है. मैं अंतिम बात कहना चाहता हूं कि इस घटना की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज के माध्यम से कराई जाए और जब गंभीरता से इसकी जांच होगी तो आगे चलकर के पुनरावृत्ति में इसमें रूकावट आयेगी और जैसा कि रावत जी ने कहा कि पांच-पांच हजार रूपये पेंशन के रूप में उन पीड़ित परिवारों को दिया जाए. यह जो 1-2 लाख, 10 लाख अथवा 100 लाख रूपये देने की घोषणाएं सरकार करती है,
अध्यक्ष महोदय—आपकी बात आ गई है. आप कृपया बैठ जाएं. इनको बोलने के बाद भी बैठते ही नहीं हैं.
श्री सुंदरलाल तिवारी—अध्यक्ष महोदय, कोई मर गया, उसकी आंख फूट गई, यह अमानवीयता है, अखबारों में इस तरह के विज्ञापन देकर के आप इनको चुपचाप में चैक दीजिये. अगर मंत्री आपमें थोड़ा भी पानी हो तो अभी सदन में इस्तीफा दें.
अध्यक्ष महोदय—आप कृपया बैठिये अजय सिंह जी आप बोलिये. आपने इस बारे में कह दिया है.
श्री सुंदरलाल तिवारी—अध्यक्ष महोदय, अगर मनुष्यता की जिम्मेदारी लेते हैं तो आप तुरंत सदन में इस्तीफा दें.
श्री अजय सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, दो ढाई घंटे से स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है विपक्ष एवं सत्तापक्ष के साथियों ने अपनी-अपनी बातें रखी हैं. सबने अपने उदबोधन में चाहे रामनिवास रावत जी हों, बाला बच्चन हों, चाहे मुकेश नायक अथवा तिवारी जी हों, एवं सत्तापक्ष के साथियों से भी कहा गया कि पुनरावृत्ति की बात न करें, यह बहुत अच्छी बात है. मैं आदरणीय तिवारी जी की बात से सहमत हूं कि आखिर में इन्होंने कहा कि इसकी जांच एक स्तरीय होना चाहिये ? अमानक दवाईयां आयी कैसे, इसमें किसका हाथ था पीछे ? कौन इन कम्पनियों को प्रोत्साहित करता है आज बड़वानी में घटना हुई है, कुछ दिन पहले कहीं और घटनाएं हुई हैं, कुछ दिन पहले मलेरिया की घटना हमारे जिले में हुई है. एम.वाय.आई हॉस्पीटल इन्दौर में घटना हुई है. मैं आपके माध्यम से एक बात कहना चाहता हूं हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी के 10 वर्ष उनके खुद के पूरे हो गये हैं और यह वर्ष सेवा का पर्व मनाया जा रहा है और करीब‑करीब तीसरे उदबोधन में माननीय मुख्यमंत्री जी कहते हैं कि प्रदेश की जनता मेरी भगवान मैं उसका पुजारी हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय यह कैसा पुजारी है कि प्रदेश की जनता ही नहीं बच रही है. मैंने पढ़ा कि घटना के बाद ओटी के ऑडिट की बात आ गई कि ऑपरेशन थियेटर का ऑडिट होगा. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी तथा स्वास्थ्य मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि पिछले 12 साल में कितने ऑपरेशन थियेटरों का ऑडिट हुआ. माननीय मुकेश नायक जी ने बहुत अच्छी बात कही थी बाईंयां औजारों को साफ करती हैं. क्या शासन इस दिशा में जा रहा है कि आने वाले समय में सरकारी अस्पतालों को निजी हाथों में देने के लिये उसकी शुरूआत हो गई है. आप डॉक्टर हैं माननीय अध्यक्ष महोदय हर आदमी निजी अस्पताल में अपना इलाज नहीं करवा सकता है. एक गरीब, मजदूर, किसान व किस आशा एवं विश्वास के साथ सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने जा रहा है, ऐसी घटनाएं जब होती रहेंगी तो प्रदेश में जनता जो इस सदन में नहीं आ सकती. तो प्रदेश की जनता जो सदन में नहीं आ सकती. कोई उसके पास नेता नहीं जाता वह क्या सोचेगी. यह घटना बड़वानी में एक आदिवासी जिले में हुई. सबसे दुर्भाग्यजनक बात तो यह है कोई सामान्य जिले में इस तरह की घटना नहीं हो सकती. ऐसी घटनाएं जब-जब होंगी कोई आदिवासी जिलों में होंगी. उस दिशा में कभी आपने सोचा कि उन आदिवासी जिलों में पर्याप्त मात्रा में डाक्टर हैं. क्या उन जिलों में सही दवाई जा रही है. मैं भी आदिवासी जिले का हूं. बाला बच्चन जी भी हैं लेकिन आदिवासी जिलों के साथ जैसा सौतेला व्यवहार होता है. यह परंपरा यदि हो जायेगी तो प्रदेश में दो तरह के जिले होंगे. एक सम्पन्न जिला एक गैर सम्पन्न जिला. माननीय अध्यक्ष महोदय, इस दिशा में हमें सोचना होगा. बहुत सारी बातें हमारे सत्ता पक्ष के दल के सदस्यों ने कही कि मुख्यमंत्री जी बहुत ही संवेदनशील हैं. मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि बड़वानी की घटना के बाद क्या स्वास्थ्य मंत्री जी, मुख्यमंत्री जी बड़वानी गये. हाड़ा जी ने वहां से टिप्पणी की जब मुकेश नायक जी यहां से बोल रहे थे कि आप बड़वानी कब जाओगे. मैं सदन और आपके माध्यम से पूछना चाहता हूं कि घटना के बाद क्या स्वास्थ्य मंत्री जी, मुख्यमंत्री जी बड़वानी गये. पेटलावद की घटना हुई अपरिहार्य कारणों से वहां घटना हुई क्योंकि वहां चुनाव था तीन दिन मुख्यमंत्री जी वहां गये. सड़क पर बैठे. एक-एक आदमी के घर गये.
श्री शंकरलाल तिवारी - तो बुरा क्यों लगा आपको.
श्री रामनिवास रावत – बुरा नहीं लगा.
श्री शंकरलाल तिवारी – अगर वह पेटलावद गये तीन दिन नहीं तेरह दिन गये तेरह हजार लोगों से मिले तो इतना चीखने की क्या बात हो गई.
श्री अजयसिंह – तिवारी जी, आप मेरी बात समझ ही नहीं पा रहे हो. मैं तो कह रहा हूं कि मुख्यमंत्री जी बहुत ही संवेदनशील हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी - (XXX).
श्री रामनिवास रावत – कुछ तो शर्म करो कैसे बोल रहे हो.
अध्यक्ष महोदय - कार्यवाही से निकाल दें.
श्री रामनिवास रावत – यह आदिवासियों का अपमान है. यह बहुत आपत्तिजनक है.
श्री मुकेश नायक – अध्यक्ष महोदय, यह बहुत आपत्तिजनक है. पीड़ित व्यक्तियों को यह अंधा कह रहे हैं. इन्हें पूरे सदन से माफी मांगना चाहिये और खेद प्रकट करना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय – अब आप उसको रिपीट मत करिये. उसे कार्यवाही से निकाल दिया है.
श्री रामनिवास रावत – माननीय अध्यक्ष महोदय, यह क्या कह रहे हैं. इतने वरिष्ठ हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी –(XXX).
अध्यक्ष महोदय - इसे कार्यवाही से निकाल दें. तिवारी जी कृपया बैठ जाएं.
श्री मुकेश नायक – आपको ऐसी स्तरहीन टिप्पणियां नहीं करनी चाहिये सदन में.
श्री अजय सिंह - तिवारी जी के बारे में कुछ नहीं कहूंगा. उनका स्वभाव है.
राज्य मंत्री,पर्यटन,(श्री सुरेन्द्र पटवा) – मुख्यमंत्री जी पेटलावद गये यह अच्छी बात है कि नहीं.
श्री रामनिवास रावत – गये अच्छी बात है पर क्यों गये सुन तो लो.
वन मंत्री(डॉ.गौरीशंकर शेजवार) – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि प्रभारी मंत्री पूरे समय वहां रहे और सब लोगों से मिले. पीड़ित व्यक्तियों से मिले उनके परिवारों से मिले. तो प्रभारी मंत्री अपने आप में एक हैसियत होती है. एक जिम्मेदार व्यक्ति कहलाता है. तो रहा सवाल पेटलावद जाने का तो यह आप स्पष्ट करें कि क्या मुख्यमंत्री जी को वहां नहीं जाना था ?
अध्यक्ष महोदय – कृपया विषय पर चर्चा करें. आप वरिष्ठ विधायक हैं.
श्री अजय सिंह – विषय पर ही कर रहा हूं. संवेदनशीलता उससे दिखायी देती है. माननीय मुख्यमंत्री जी बहुत ही संवेदनशील हैं लेकिन यदि पेटलावद एरिये में संवेदनशीलता उन्होंने दिखाई तो बड़वानी में दिखाने में क्या दिक्कत थी सवाल इस बात का है. क्या वहां चुनाव हो रहा था यहां चुनाव नहीं है सिर्फ इतनी बात है. हम सिर्फ इतना ही कहना चाहते हैं. मैं सिर्फ इतना ही कहना चाहता हूं.मुख्यमंत्री महोदय रोज हवाई जहाज और हैलिकाप्टर से उड़ते हैं, आज भी शायद सदन में नहीं हैं, क्योंकि हो सकता है कि कहीं चले गये होंगे. लेकिन संवेदनशील हैं, मैं तारीफ करता हूं क्योंकि दस साल से मुख्यमंत्री है, कौन तारीफ नहीं करेगा. लेकिन अगर मुख्यमंत्री संवेदनशील हैं तो बड़वानी क्यों नहीं गये. उनको छोड़ दीजिये माननीय शेजवार जी कह रहे हैं कि प्रभारी मंत्री वहां गये थे. थोड़ा तो शर्म कीजिये इतनी बड़ी घटना हो गयी है. वहां पर स्वास्थ्य मंत्री क्यों नहीं गये. मान भी लिया जाये कि मुख्यमंत्री जी दिक्कत में थे तो स्वास्थ्य मंत्री जी वहां पर क्यों नहीं गये. अभी बीच में जो बात आ रही है इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं. मैं डाक्टर साहब जैसा नहीं हूं कि कोई बात कर दी और हंसने लग गये. लेकिन कुछ दिन पहले हमारे सारंग साहब नहीं हैं उनको मैं बताना चाहता था कि हमीदिया अस्पताल के कचरे दान से नेत्र मिला था. नेत्रदान अपने धर्म में सबसे बड़ा दान माना जाता है, वह नेत्र कचड़े के डब्बे से मिले इससे बड़ा दुर्भाग्य इस प्रदेश के लिये क्या हो सकता है.
अध्यक्ष महोदय, जो मांग हम लोगों ने की है कि कितनी राशि दी जाये न दी जाये यह अलग बात है. लेकिन आप मूल स्वास्थ्य संबंधी व्यवस्था मध्यप्रदेश में सुविधाएं बेहतर करना चाहते हैं तो आप इस घटना से सीखें और एक उच्चस्तरीय जांच आयोग को बैठाये, जिसमें चाहे सीटिंग जज हो या जिससे हो एक उच्चस्तरीय जांच बैठायें. यह दवाई मध्यप्रदेश में किस तरह से खरीदी जा रही है क्या लेन देन हो रहा है. यह बोरिल कंपनी कौन सी है किसी एक सदस्य ने कहा कि इस कंपनी को ब्लेकलिस्ट कर दिया है तो तुरन्त मंत्री जी खड़े हो गये कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है. यदि हम सब चिन्तित हैं कि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार अच्छी तरह से हो, डॉक्टर और नर्सें कब आयेंगी यह अलग विषय है.लेकिन व्यवस्था को सुधारने के लिये एक बार चाहे वह सीऐजी की रिपोर्ट के माध्यम से जिक्र आया हो या जिस तरह से हो,एक बार जांच हो जाये. यह मेरा आपसे अनुरोध है. मेरा कहना है कि इस घटना पर स्वास्थ्य मंत्री को पहले ही इस्तीफा दे देना चाहिये था. लेकिन अध्यक्ष महोदय बड़े दुख की घड़ी होती है कि जब हम लोग बोलते हैं तो वह मुस्करा कर मुण्डी हिलाते हैं. आज तो थोड़ा शांत चेहना बना लो. धन्यवाद्.
स्वास्थ्य मंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र):- माननीय अध्यक्ष महोदय, जिन्होंने इस गंभीर घटना पर सारगर्भीत विचार रखे हैं उसमें हमारे प्रतिपक्षी सदस्य आदरणीय रामनिवास रावत जी, उप नेता आदरणीय बाला बच्चन जी, डॉ गोविन्द सिंह जी, हमारे दल के शैलेन्द्र जैन जी, मुकेश नायक जी, विश्वास सारंग जी, कमलेश्वर पटेल जी, दुर्गालाल विजय जी, आदरणीय जितू भाई जी, गिरीष गौतम जी, सुन्दरलाल तिवारी जी,आदरणीय अजय सिंह जी और सदस्यों ने जो विचार रखें हैं.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी कहीं चले गये हैं क्या ?
डॉ नरोत्तम मिश्र:- अभी आ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय—आप बैठ जायें कृपया सुनें.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा— ऐसी परम्परा भी नहीं है कि वे स्थगन का जवाब दें हमारा विभाग है हम ही जवाब देते हैं.
श्री रामनिवास रावत—इस पूरी घटना की सुई आपकी तरफ दिशा कर रही है.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा—ठीक है, इसमें कोई बात नहीं है आप सब ने एक जैसी मांग की है सभी सम्मानित सदस्यों ने इस्तीफे की मांग की है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी—(XXX).
अध्यक्ष महोदय—तिवारी जी आप बैठ जायें,उत्तर सुनना है कि नहीं. इसे कार्यवाही से निकाल दें, आपने फैसला ही कर दिया. यह रिकार्ड नहीं किया जायेगा.
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण (श्री शरद जैन)—अध्यक्ष महोदय, यह अपराधी शब्द का प्रयोग किया है यह गलत है. आप पहले क्षमा मांग लो.
अध्यक्ष महोदय—उन्होंने क्षमा मांग ली.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा—लगभग सभी वक्ताओं ने आखिरी राहुल भैय्या तक सभी ने मुझसे इस्तीफा मांगा.
श्री बाला बच्चन—इस तरह से शायद कमिटेड था कि मुख्यमंत्रीजी सदन में रहेंगे, सुनेंगे और जवाब भी देंगे.
अध्यक्ष महोदय—यह कोई बात नहीं है न कोई बहस का विषय है आप लोगों को उत्तर सुनना है कि नहीं सुनना है.
श्री बाला बच्चन—अध्यक्ष महोदय, हम लोग मुख्यमंत्रीजी को सुनना चाहते हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा—यह किसने कहा आपसे कि मुख्यमंत्रीजी जवाब देंगे.
श्री बाला बच्चन—आपके पास विभाग रहते हुए जितना अस्त-व्यस्त हुआ है उसको व्यवस्थित करने के लिये कम से कम माननीय मुख्यमंत्रीजी को यहां रहना चाहिये.
श्री मुकेश नायक—जो स्वयं पूरी अव्यवस्था के मूड में हैं जिम्मेदार है वह क्या जवाब देंगे वे क्या बतायेंगे हमें.
अध्यक्ष महोदय—आप बैठ तो जायें सुन लें कि वे क्या जवाब दे रहे हैं.
श्री मुकेश नायक—हम नहीं सुनेंगे उनकी बात, माननीय मुख्यमंत्रीजी ने आकर स्थगन प्रस्ताव ग्राहय किया है.
श्री बाला बच्चन—माननीय मुख्यमंत्रीजी को आना चाहिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा—आ तो रहे हैं वे आने का मना नहीं है वे आ रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय—सिर्फ प्रश्न उठायेंगे बस जवाब नहीं सुनेंगे. आपने अपनी बात कह ली शासन को अपनी बात कहने दीजिये, आपने फैसला ही कर दिया.
श्री मुकेश नायक—माननीय मुख्यमंत्रीजी जवाब देंगे तो हम सुनेंगे.
अध्यक्ष महोदय—यह आपका व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है आप स्वतंत्र हैं आप बैठ जायें कृपया.
2:07 बजे
बहिर्गमन
मुख्यमंत्री द्वारा स्थगन प्रस्ताव का जवाब न देने के विरोध में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा बहिर्गमन.
श्री मुकेश नायक—हम सब लोग नहीं सुनेंगे हम सब लोग सदन से बाहर जा रहे हैं.
(मुख्यमंत्री द्वारा स्थगन प्रस्ताव के जवाब न देने के विरोध में इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यों द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया)
डॉ. नरोत्तम मिश्रा—माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या इन सब लोगों ने भोपाल गैस काण्ड के समय इस्तीफे दे दिये थे. भोपाल गैस काण्ड के समय आपके कितने इस्तीफे आये थे. अपनी बारी आई तो जाओ मत, शुरुआत तो सुन लो आप, कितने इस्तीफे दिये थे भोपाल गैस काण्ड के समय में. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गलत परम्परा बन जायेगी.
श्री उमाशंकर गुप्ता—लगाये आरोप और चल दिये. यह गंभीरता है आप लोगों की ?
डॉ. नरोत्तम मिश्रा—यह इस बात का द्योतक है कि कांग्रेस के लोग सुनना नहीं चाहते हैं यह बहुत गलत परम्परा है. इससे समझ में आता है कि यह कितने गंभीर हैं, रामनिवास जी मैंने कहा था कि एक-एक शंका का समाधान करुंगा, मुख्यमंत्रीजी उस वक्त बैठे थे. शंका का समाधान सुनने की क्षमता नहीं है, यह पूरी तरह से लिप्त लोग हैं यह कांग्रेस के लोग असत्य और मिथ्या आरोप लगाते हैं यह कांग्रेस की संस्कृति बन गई है इस सदन के समय को जाया कर रहे हैं और इस तरह से जाया करना यह लोग सिर्फ एकपक्षीय कार्यवाही चाहते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे बड़ा खेद है, मुझे दुख भी है इस तरह से एक बार और हुआ था जब इनके नेता कालूखेड़ा जी ने कहा कि कांग्रेस के लोगों ने मुख्यमंत्री को नहीं बोलने दिया यह कांग्रेस के लोगों ने गलती की है यह दूसरी बड़ी गलती कर रहे हैं. हमने ईमानदारी से इनकी बात को सुना कोई तथ्य न होने पर एक प्रमाण न होने पर इस्तीफे की मांग की.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्रीजी ने वैसे भी आपको लंच के बाद का लिखित में दिया हुआ है.
पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)—माननीय अध्यक्ष महोदय, यह हिट और रन जैसा मामला है. जब स्थगन सूचना दी गई मुख्यमंत्रीजी ने चर्चा के लिये ग्राह्य किया. अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि आगे आप ऐसी व्यवस्था दें कि जब आरोप लगाये जायें तो सदस्य सुनने के लिये सामने उपस्थित रहें. यह हिट एंड रन जैसा मामला है यह नहीं होना चाहिये यह संसदीय लोकतंत्र का अपमान है आप कुछ भी आरोप लगाकर चले जायें और सुनना नहीं चाहते हैं.
श्री उमाशंकर गुप्ता—माननीय अध्यक्ष महोदय, सारे काम रोककर स्थगन ग्राह्य किया गया सारे काम रोके आज, ध्यानाकर्षण रोके सरकार की बाकी बातें सरकार रोकीं. ..(व्यवधान)..
श्री रणजीत सिंह गुणवान-- सुनना चाहते नहीं, सुनने की क्षमता है नहीं, खड़े हो गए और चल दिए...(व्यवधान).. आपने जो जवाब मांगा है उत्तर चाहिए तो उत्तर तो लीजिए. माननीय स्वास्थ्य मंत्री आपको उत्तर देना चाह रहे हैं आपकी उत्तर सुनने की क्षमता ही नहीं है.
सहकारिता मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- अध्यक्ष महोदय, मेरी आप से प्रार्थना है कि आगे से आप व्यवस्था दें कि जब ऐसा स्थगन स्वीकार किया जाए तो माननीय विपक्ष के सदस्य महोदय बैठेंगे या नहीं बैठेंगे. यदि वे बैठने के लिए तैयार हों तभी आप चर्चा के लिए ग्राह्य करें अन्यथा आगे से आप यह परंपरा बनाएँ कि हम इसको ग्राह्य नहीं करेंगे.
परिवहन मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इतना मानवीय विषय था इस मानवीय विषय पर जो विपक्ष का आचरण है वह बहुत ही निंदनीय है और इतने मानवीय विषय पर जो विपक्ष बाहर गया है इसका मतलब सीधा सीधा यह है कि उनको कोई संवेदना नहीं है. जो घटना हुई है उसमें उनको जरा भी कोई किसी प्रकार से मानवीयता नहीं है और विपक्ष के इस मानवीय विषय पर जो आचरण है उसकी हम लोग घोर निंदा करते हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी(सतना)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, विपक्ष ने जिस तरह से बिना सुने इस गंभीर विषय पर बहिर्गमन किया है मैं अपेक्षा करता हूँ कि काँग्रेस पार्टी के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव इस विधान सभा में पास होना चाहिए कि ये विधान सभा की मर्यादा खराब करते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी, आप अपनी बात जारी रखें.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, मैं तो आपका निर्देश है तो जारी रखूँगा ही...(व्यवधान)..
श्रीमती अर्चना चिटनिस(बुरहानपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रकार का आचरण विधान सभा में जनहित में उचित नहीं है. अध्यक्ष महोदय, मैं आप से विनम्र अनुरोध करती हूँ कि आप कोई ऐसी व्यवस्था दें कि जितने प्रश्न उठे, जितनी शंकाएँ उठीं, जितने उन्होंने सुझाव दिए, उन सबके बारे में जब भी, जो भी माननीय मंत्री अपना विषय रखे विपक्ष को सुनने के लिए उपस्थित रहना चाहिए. चाहे माननीय मंत्री जी आज इसका उत्तर दें, चाहे कुछ देर बाद दें, पर विपक्ष की उपस्थिति को सुनिश्चित करना.....
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, यह व्यवस्था आपकी तरफ से आना चाहिए कि हम आपकी स्थगन सूचना तभी लेंगे या ग्राह्य करेंगे या चर्चा के लिए..(व्यवधान)..उसका औचित्य देखेंगे, जब आप लोग बैठकर सुनेंगे. 3 घंटे का समय हो गया अध्यक्ष महोदय, यदि ये नहीं सुनना चाहते तो इसका क्या लाभ होगा.
श्रीमती अर्चना चिटनिस-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं तो माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूँगी कि वे जब...(व्यवधान)..
डॉ नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष महोदय, यह चरित्र हत्या की राजनीति काँग्रेस करती है...(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, आगे से आप व्यवस्था बनाएँ. नियम और प्रक्रिया के संचालन में आप संशोधन करें. आप व्यवस्था बनाएँ. यह आवश्यक है.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने एक एक सदस्य को सुना. मुख्यमंत्री जी यहाँ पूरे समय बैठे और विपक्ष के सदस्य के कहने पर वे भोजन करने जा रहे थे रुक कर, भोजन छोड़कर, यहाँ पर बैठे, इससे ज्यादा और संवेदना क्या हो सकती है. (भारतीय जनता पार्टी के अनेक माननीय सदस्यों के खड़े होने पर)
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया सभी बैठ जाएँ.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- उसके बाद भी विपक्ष राजनीति कर रहा है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- बैठ तो जाएँ, आप बैठें जब तो बोलेंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- यहाँ बैठकर एक एक बात को सुना और उसके बाद भी विपक्ष राजनीति कर रहा है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठ जाएँ.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है एक व्यवस्था आपकी तरफ से आसंदी से यह व्यवस्था आना चाहिए कि ऐसी स्थगन सूचनाएँ...(व्यवधान)..हम तभी लेंगे जब सदस्य सुनेंगे. स्थगन सूचना जिन्होंने दी है वे सदस्य जब यहाँ मौजूद रहेंगे तब ही....
उच्च शिक्षा मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता)—अध्यक्ष महोदय, इस कृत्य के लिए निंदा प्रस्ताव पारित होना चाहिए...(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, विपक्ष सिर्फ राजनीति करना चाहता है...(व्यवधान)..राजनीति के अलावा कुछ नहीं करना चाहते. इतने लोगों की आँखें खराब हो गईं...(व्यवधान)..इसलिए पहले विपक्ष के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित होना चाहिए. उसके बाद माननीय मंत्री जी का जवाब आए.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- हम निंदा प्रस्ताव प्रस्तुत करते हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- यह जो विपक्ष का आचरण है इसके विरुद्ध हम लोग निंदा प्रस्ताव प्रस्तुत करते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठ जाएँ.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, यह संसदीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी सेवा होगी. यदि आप इस मामले में व्यवस्था देंगे कि स्थगन सूचना तभी ली जाएगी जब आप सुनेंगे अन्यथा समय खराब नहीं किया जाएगा. (माननीय मंत्री गणों व भारतीय जनता पार्टी के अनेक माननीय सदस्यों के खड़े होने पर)
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री गणों से अनुरोध है कि वे बैठ जाएँ, माननीय सदस्य भी बैठ जाएँ. प्रतिपक्ष के माननीय सदस्यों ने जो स्थगन प्रस्ताव दिया था उसको शासन ने चर्चा के लिए स्वीकार किया था और सारी चर्चा भी हुई. अब प्रतिपक्ष यहाँ नहीं है आप लोगों की ओर से कुछ आपत्ति आई है. मेरा मत यह है कि उनकी इस बात को उनके विवेक पर ही छोड़ा जाता है कि वे कोई बात जो उठाते हैं उसका उत्तर सुनना चाहते हैं कि नहीं. इसमें कोई नियम या किसी प्रकार की जोर-जबर्दस्ती नहीं की जा सकती. अपनी गैर जिम्मेदारी और जिम्मेदारी को वे स्वयं ही समझेंगे, ऐसा मुझे भरोसा है. माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी अपनी बात रखेंगे उसके पहले कैलाश चावला जी....(व्यवधान)...
डॉ नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, इस फ्लोर का उपयोग चरित्र हत्या के लिए किया जा रहा है..(व्यवधान)..यह आपकी जिम्मेदारी है माननीय अध्यक्ष जी. वे इस फ्लोर का उपयोग कर रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री भूपेन्द्र सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, स्थगन प्रस्ताव विपक्ष ने दिया है...
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- अध्यक्ष महोदय, यह पहली घटना नहीं है, यह पुनरावृत्ति है.
श्री भूपेन्द्र सिंह-- अध्यक्ष महोदय, स्थगन प्रस्ताव विपक्ष की तरफ से आया है और ऐसा कभी नहीं होता है कि जो स्थगन प्रस्ताव लेकर आए वही बहिर्गमन करके चले जाए.
श्री कैलाश चावला(मनासा)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से एक बात कहना चाहता हूं कि विपक्ष द्वारा एक महत्वपूर्ण घटना पर स्थगन प्रस्ताव यहाँ पर दिया गया . ढाई-तीन घंटे से उस पर बहस चल रही है अब वह बहिर्गमन करके चले गये . मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि पिछले दिनों आपने आचरण समिति का गठन किया, क्या यह प्रश्न कि उनको इस तरह का आचरण करना चाहिए या नहीं, आप आचरण समिति को संदर्भित करने का कष्ट करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय-- यदि ऐसा कोई प्रस्ताव आएगा तो उस पर जरूर विचार करेंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह—माननीय अध्यक्ष महोदय, स्थगन विपक्ष लेकर आया हम नहीं लेकर आए हैं.यह विपक्ष का विषय था.
श्री गोपाल भार्गव--- माननीय अध्यक्ष महोदय, चावला जी ने बहुत अच्छा सुझाव दिया है. आचरण समिति में भी और हमारी विधानसभा के जो कार्य प्रक्रिया संचालन के नियम हैं इन नियमों में भी इस बात का समावेश किया जाना चाहिए कि जिन लोगों ने स्थगन सूचना दी है तो उनको उसका जवाब सुनने के लिए यहाँ पर मौजूद रहना चाहिए अन्यथा तीन घंटे का समय यहाँ पर व्यर्थ बर्बाद करना , मैं मानकर चलता हूं कि यह उचित नहीं है.
श्री भूपेन्द्र सिंह--- सरकार को जो कार्यवाही करना था वह सरकार कर रही है विपक्ष स्थगन लेकर आया है तो क्या विपक्ष की यह जिम्मेदारी नहीं बनती कि वह सरकार का जवाब सुने. क्या इस तरह की परंपरा हमारे मध्यप्रदेश में बनेगी कि आप आरोप लगाकर चले जाएंगे और सरकार का जवाब नहीं सुनेंगे.
अध्यक्ष महोदय—कृपया बैठ जाएं. यह विषय आ गया, इसका रिपीटेशन हो रहा है. यह विषय आ चुका है. आपकी सारी बात आ चुकी है.
श्री गोपाल भार्गव--- अध्यक्ष महोदय, इतनी बड़ी कार्यसूची आपने और सचिवालय ने मंजूर की हम लोगों को सर्कुलेट की. हमने प्रश्नों के उत्तर बनाये . इसमें ध्यानाकर्षण भी है , विधेयक भी है सारी चीजें रोककर आपने स्थगन सूचना पर चर्चा करवाई और विपक्ष जवाब नहीं सुनना चाहता, यह तो बहुत बड़ा संवैधानिक अपराध है, यह नैतिक अपराध भी है, यह विधाई अपराध भी है इसलिए इसकी निंदा होनी चाहिए.
अध्यक्ष महोदय-- आपकी बातें आ चुकी हैं.
सुश्री कुसुम सिंह महदेले—मेरा निवेदन है कि विपक्ष को इस तरह से सदन का समय बरबाद करने की इजाजत नहीं होना चाहिए . यह मामला आचरण समिति को जाना चाहिए और इनके आचरण की निंदा भी होना चाहिए.
श्री भूपेन्द्र सिंह--- अध्यक्ष जी, मैंने निंदा प्रस्ताव रखा है.
अध्यक्ष महोदय--- अभी स्थगन प्रस्ताव का उत्तर नहीं आया उसके बीच में कोई दूसरी बात नहीं होगी .आप सभी कृपया बैठ जाएं . सभी सदस्यों औऱ मंत्रीगणों ने बात रखी है . माननीय कैलाश चावला जी ने जो बात अभी रखी और माननीय मंत्री गोपाल भार्गव जी ने उसका समर्थन भी किया है यदि यह विषय आचरण समिति के सामने विधिवत् लाया जाता है तो उस पर जरूर विचार किया जाएगा और आपने जो सुझाव दिया है उस पर भी विचार किया जाएगा अभी मंत्री जी से अनुरोध है कि वह प्रस्ताव का उत्तर दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- अध्यक्ष महोदय, उत्तर तो दे दूंगा आपके निर्देश पर लेकिन आनंद नहीं आएगा.आप तो मुझे लिखित उत्तर रखने की अनुमति दे दें. जवाब देने में मुझे आनंद नहीं आएगा. उन्होंने सारे आरोप निराधार लगायें.
अध्यक्ष महोदय--- पर किसी को भी सुनने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है यह उनके विवेक पर हमको छोड़ना पड़ेगा.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--- अध्यक्ष महोदय, मेरा लिखित में जवाब है मुझे अनुमति दे दें मैं लिखित जवाब रख देता हूं.
अध्यक्ष महोदय--- आप संक्षेप में बोल दें, सदन आपकी बात सुन रहा है. सदन केवल उतने सदस्यों से गठित नहीं हुआ है.
डॉ . नरोत्तम मिश्र- सवाल यह है कि जिनको मैंने कहा था कि मैं बिंदुवार उत्तर दूंगा...
अध्यक्ष महोदय--- ठीक है, वह नहीं सुनना चाहते हैं, पर सदन आपकी बात सुन रहा है . आपकी बात प्रदेश की जनता तक जाएगी. आप कृपया अपनी बात रखें. किसी दूसरे के आचरण से अपना आचरण तय न करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र—माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी आज्ञा से मैं दो तीन मिनट बोल लेता हूँ. यह जो सम्मानित सदस्य जो एक साथ मुझसे इस्तीफे की मांग कर रहे थे बड़वानी की घटना पर. न लय न रिदम, फिर भी मैं राहुल भैय्या से पूछना चाहता था, क्या उनके पिताश्री ने इस्तीफा दे दिया था भोपाल गैस काण्ड पर? वह हमसे इस्तीफा मांग रहे हैं जिसमें एक भी मौत नहीं हुई है. जहां भोपाल शहर लाशों से पट गया था, क्या उनके पिताश्री ने इस्तीफा दिया था? उस वक्त क्या किसी मंत्रिमण्डल के सदस्य ने इस्तीफा दिया था? हमसे इस्तीफा मांग रहे हैं (XXX).
अध्यक्ष महोदय—यह कार्यवाही से निकाल दें.
(XXX) : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
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डॉ.नरोत्तम मिश्र—माननीय अध्यक्ष महोदय, भले निकाल दें, मैं भी मान लेता हूँ कि निकाल दें लेकिन यह इस्तीफा किस बात पर मांग रहे थे. यह अगर सुनते तो शायद में एक एक बताता कि इनके समय में कितने लोग प्रभावित हुए और इन्होंने एक का इलाज तक नहीं कराया. यह माननीय मुख्यमंत्री जी की सदाशयता है कि तत्काल प्रभारी मंत्री जी को उन्होंने मौके पर भेजा. यह मुख्यमंत्री जी की सदाशयता है कि उसी वक्त उन्होंने उनका सारे इलाज का खर्चा राज्य सरकार से कराने का कहा. दूसरी जो उनकी आंख है उसका भी पूरा खर्चा राज्य सरकार से है और दो दो लाख रुपया उसके बावजूद भी उनको दिये. इसमें हम कोई उपकार की बात नहीं कर रहे हैं, यह घटना ऐसी थी, जो द्रवित करती थी, जो परेशान करती थी लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवायें चौपट हो गयीं तो चौपट हो गयीं. मेरे भाई सचेतक राम निवास रावत जी ने इसकी शुरुआत की. वह कह रहे थे कि लोग सरकारी अस्पतालों में जाने से कतराते हैं. यह मध्यप्रदेश वह प्रदेश हैं जहां 4 लाख लोगों को रोज नि:शुल्क दवा दी जाती है. एक करोड़ 20 लाख लोगों को हर महीने हम नि:शुल्क दवा दे रहे हैं. 15 करोड़ के लगभग लोगों को हर साल दवा दे रहे हैं. आप भी अब समाचार पढ़ते होंगे तो यह पढ़ते होंगे कि अस्पतालों में एक पलंग पर दो मरीज लेटे हैं, इतने लोग अब सरकारी अस्पताल में जा रहे हैं. यह प्रदेश वो प्रदेश है जहां पर इस प्रदेश के अन्दर हम नि:शुल्क जांच कर रहे हैं. हिन्दुस्तान के अन्दर कहीं नहीं है, यह मध्यप्रदेश के अऩ्दर है. हम अब कीमियोथेरेपी भी, डायलेसिस भी 26 जनवरी तक माननीय मुख्यमंत्री जी ने 15 अगस्त के अपने भाषण में कह दिया कि 26 जनवरी तक इस मध्यप्रदेश में डायलेसिस नि:शुल्क होगी तो यह हिन्दुस्तान के अन्दर वह प्रदेश होगा कि जहां डायलेसिस भी नि:शुल्क होगी, जहां केंसर की कीमियोथेरेपी भी नि:शुल्क होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने लंगर बहुत सुने होंगे लेकिन यह मध्यप्रदेश है जहां नि:शुल्क नाश्ता, नि:शुल्क दोनों समय का भोजन,सिर्फ और सिर्फ मध्यप्रदेश में दिया जाता है और एक भी सदस्य यहां पर बोलते समय न तो नि:शुल्क दवा के बारे में आरोप लगा पाया, न इन्होंने एक भी आरोप हमारी जांचों के ऊपर ऊंगली उठा पाये, न एक भी आरोप, आपने भी अध्यक्षी जी सुना, अब तो सारी बात रिकार्ड पर है, न किसी ने यह कहा कि भोजन गुणवत्तापूर्ण नहीं मिल रहा या इल्ली निकल रही है या उसमें कोई कीटनाशक निकल रहा है. यह आपने भी सुना. बेबुनियाद आरोप लगाते रहे कि दवा खरीदी यहां सेन्ट्रल से होती है. मैंने बीच में भी कहा था, चवन्नी की भी दवा खरीद सेन्ट्रल खरीदी नहीं होती है, न भुगतान हम यहां से करते हैं और न खरीदी यहां से करते हैं. सारी की सारी खरीदी भी जिले स्थान पर होती है और भुगतान भी जिला स्थान पर होता है. हमने तो तमिलनाडु पेटर्न जो था, जो पहले हम तमिलनाडु पेटर्न से खरीदते थे उऩ्होंने जब मना किया तो हमारे प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में यहां पर उसी पेटर्न का गठन कर दिया और उसी पेटर्न के तहत् सिर्फ यहां पर उन दवाओं की सूची हम लेते हैं और वह सूची हम जिलों के अन्दर भेज देते हैं जिस दवा का आर्डर उसको चाहिए, वे देते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय,यह बड़वानी के आपरेशन जो चल रहे थे वह 8 दिन से चल रहे थे. एक दिन से नहीं चल रहे थे, यह 8 दिन से वहां पर आपरेशन चल रहे थे. एक दिन ऐसी घटना घटित हुई. अब वो घटना क्यों घटित हुई, यही जांच का विषय है. चूंकि वह जो बोतल का प्रयोग, जो फ्लूड का प्रयोग बता रहे हैं वह 9 हजार बोतल थी और 7 हजार बोतलों का उसमें से उपयोग हुआ था लेकिन कौन सी उसमें ऐसी कमी रह गयी या कौन सा पाइजन उसके अन्दर आया और इसलिए हमने तत्काल उसकी स्लाइज लेकर के राष्ट्रीय स्तर की लेब कलकत्ता जांच के लिए भेजी हुई है. अकेले हमने यही नहीं किया है, हमने तो गॉज ली है, रुई ली है और जितनी औषधियां उसमें प्रयोग में लायी गयीं, सब की हम जांच करा रहे हैं और जैसे हमने कहा कि जो भी दोषी होगी, हमारा आदमी हैण्ड टू हैण्ड लेने के लिए साथ गया हुआ है. उसमें जो भी दोषी होगा. चाहे वह दवा कंपनी हो, चाहे कोई मेडिकल का डॉक्टर हो या कर्मचारी हो, जो भी दोषी होगा, यह शिवराज सिंह जी की सरकार है दोषी कोई भी किसी भी कीमत पर नहीं बख्शा जाएगा. हमारे लिए वह संवेदनाओं से जुड़ा हुआ मामला है. इस तरह की कोई भी घटना हो, प्रदेश में हो, मन को पीड़ा तो पहुँचाती है और इसलिए हमने इस दवा खरीदी की प्रक्रिया को भी सार्वजनिक किया है और मैं उस पूरी प्रक्रिया को अपने साथ में लाया था क्योंकि रामनिवास जी मांग रहे थे. एक-एक चीज जो इन्होंने बताई थी मैंने अपने साथ में लाया है लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर आरोप लगता है तो पीड़ा तो होती है और स्वाभाविक रूप से पीड़ा होगी क्योंकि कांग्रेस चरित्र हत्या की राजनीति करती है डर्टी पॉलिटिक्स करती है यह पीड़ा देती है. मुझे पीड़ा इस बात की भी है कि वह इसके लिए इस फ्लोर का उपयोग करती है और इसलिए मैं कहता हूँ कि लोकतंत्र के लिए एक सुनहरा दिन आप लाइये, ऐसे लिखित में आदेश जारी करें कि ये इस तरह से उठकर नहीं जाएं और अगर फिर भी जाते हैं तो आगे से विपक्ष के इस हथियार को भी छीन लेना चाहिए कि इनका स्थगन नहीं लिया जाना चाहिए. ये कौन सी परंपरा इन्होंने नई डाली है. मैं उस वक्त भी कह रहा था कि मुख्यमंत्री जी आएंगे और मुख्यमंत्री जी आपके सामने हैं परंतु क्या आज तक आपने कभी देखा कि जिस विभाग का मंत्री है उस विभाग के लिए मुख्यमंत्री जवाब दें. पूर्व में भी ऐसी परंपरा आई थी और इसलिए हमारे माननीय परिवहन मंत्री ने निंदा प्रस्ताव रखा है. मैं उस बात का समर्थन भी करता हूँ और आपसे निवेदन भी करना चाहता हूँ कि जो आरोप इन्होंने लगाए हैं ये सारे के सारे बेबुनियाद हैं और मैं अपना लिखित उत्तर पटल पर रखता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन करना चाहूंगा कि माननीय मुख्यमंत्री जी भी आ गए हैं तो मैं उनसे भी आग्रह करूंगा कि वे अपनी बात को रखें.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) – माननीय अध्यक्ष महोदय, सवेरे जब मैंने सरकार की ओर से यह कहा था कि ग्राह्यता पर चर्चा नहीं होना चाहिए स्थगन पर चर्चा होना चाहिए तो यह केवल इसलिए नहीं कहा था कि हम चर्चा के लिए चर्चा चाहते हैं बल्कि यह मैंने इसलिए कहा था कि हम इस सदन को लोकतंत्र का मंदिर मानते हैं. अगर कोई ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है जिसने हमें अंदर से व्यथित किया है जिससे कुछ भाइयों की, कुछ बहनों की आंखों की रोशनी चली गई है तो सरकार ऐसी घटना पर लीपा-पोती नहीं चाहती, चर्चा के लिए चर्चा नहीं चाहती, हम सार्थक चर्चा चाहते थे. हम चाहते थे कि प्रतिपक्ष के मित्रों के मन में भी अगर कोई सवाल है कोई जानकारी है कोई तथ्य है तो वह तथ्य सामने रखे जाएं और केवल इसलिए नहीं रखे जाएं कि हम उनको सुनेंगे नहीं, नकार देंगे, चर्चा नहीं करेंगे. लोकतंत्र के इस मंदिर में मैं तो आज अत्यंत प्रसन्न था कि प्रतिपक्ष ने सार्थक पहल की है चर्चा की है. सदन चल रहा है यह खुशी की बात है. सदन केवल इसलिए नहीं हो सकता कि हम केवल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहें, नारेबाजी करते रहें और बाहर चले जाएं. इस सदन में जो सार्थक चर्चा हो उसको निष्कर्ष तक पहुँचाने की जवाबदारी मैं अपनी मानता हूँ मेरी सरकार की मानता हूँ. इसी भाव से हमने सोचा कि इसके सारे तथ्य सामने आने चाहिए, नहीं तो ग्राह्यता पर ही बहस हो सकती थी. लेकिन मैं यह मानता हूँ कि ऐसी घटनाएं दु:खद हैं. हमारे मंत्री जी ने उत्तर दिया कि एक नहीं अनेकों उपलब्धियां स्वास्थ्य विभाग की हैं. उन्होंने अपनी चर्चा में बताया लेकिन इसके बावजूद भी अगर कहीं कोई कमी है खामी है, अगर पांच लाख ऑपरेशन हर साल मोतियाबिंद के होते हैं, ऐसे शिविरों के माध्यम से होते हैं, सफलतापूर्वक होते हैं और लोग अंधेरे से प्रकाश की ओर आते हैं. लेकिन कुछ इक्का-दुक्का घटनाएं होती हैं बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होती हैं. परंतु उन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को भी हम सहजता से नहीं ले सकते और इसलिए मंत्री जी ने उत्तर दिया है सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं लेकिन मैं मानता हूँ कि जिसकी नेत्र ज्योति गई है उसे परेशानी है, थोड़ी सी राहत की बात यह है कि एक आंख का ऑपरेशन हुआ है दूसरी आंख में संभावनाएं बाकी हैं और सरकार बेहतर से बेहतर यह प्रयास करेगी कि उनकी दूसरी आंख का मोतियाबिंद का ऑपरेशन ठीक हो और उनकी नेत्र ज्योति बनी रहे, बढ़ जाए, यह हम हर संभव कोशिश करेंगे. दूसरा माननीय अध्यक्ष महोदय अनेकों स्वयं सेवी संस्थाएं हैं उनको मैं धन्यवाद देता हूं आभारी हूं उनका , हर साल कई स्वयं सेवी संस्थाएं समाज सेवी संस्थाएं जो इ स तरह के नेत्र शिविर लगाती हैं. सरकार और समाज मिलकर काम करते हैं और सफलता पूर्वक काम होते हैं. लेकिन इसके बाद में भी आगे कोई इस तरह की घटना न हो इसलिए हम निर्देश दे रहे हैं कि तत्काल कोई ऐसे आंखों के आपरेशन नहीं होंगे, ओटी और बाकी सभी व्यवस्थाओं को देखने के बाद में ही नेत्र शिविर लगेंगे और आपरेशन होंगे यह विभाग और सरकार सुनिश्चित करेगी ताकि फिर से बड़वानी जैसी घटना न हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय मैं यह मानता हूं कि संपूर्ण प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की आवश्यकता है यह बात सच है कि कहीं न कहीं तो लापरवाही हुई है. प्रारम्भिक कार्यवाहियां हमने की हैं प्रथम दृष्टया सरकार और विभाग के जो समझ में आया है वैसे कदम उठाये हैं कुछ लोग निलंबित किये गये हैं. लेकिन मैं आज सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसकी उच्चस्तरीय जांच होगी. जांच में अगर यह आता है कि ओटी में दिक्कत थी तो वह तथ्य भी जांच में शामिल किये जायेंगे, अगर जो दवा डाली गई थी उसमें कोई कमी है वह अमानक थी तो उसकी भी जांच होगी, दवा किसने खरीदी है मापदण्ड क्या थे खरीदने के, क्या वह मापदण्ड पूरे करते थे, अगर वह दवा अमानक थी तो यह भी देखा जायेगा कि वह दवा कहां पर बनी, कौन उसके लिए जिम्मेदार है बनाने वाले फेक्टरी वाले यह जांच संपूर्ण तथ्यों को देखते हुए होगी और मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जो भी दोषी पाया जायेगा उसको किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ा जायेगा. हम एक उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते हैं. आगे आइन्दा कोई इसको इतनी आसानी से न ले कि बहस हो गई और सरकार ने भी जवाब दे दिया है तो मामला समाप्त हो गया है. यह मेरे लिए मेरी सरकार के लिए समाप्त होने वाला मामला नहीं है. तब तक जब तक की इस लापरवाही के पीछे, या गड़बड़ी के पीछे जो हाथ हैं उन हाथों को हम पकड़ नहीं लेते हैं और उनको सजा नहीं देते हैं तब तक यह मामला समाप्त नहीं होगा. मैं चर्चा करके इस मामले को समाप्त नहीं करूंगा. इसकी उच्चस्तरीय जांच अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी करेंगे, डीन मेडीकल कालेज इंदौर, और एम्स भोपाल द्वारा नामांकित विशेषज्ञ इन तीन विशेषज्ञों की टीम इसकी जांच करेगी इसके पीछे जो भी है उसके हर एक तथ्य तक जायेंगे और तथ्यों के आधार पर जो भी दोषी पाया जायेगा तो एफआईआर करने से लेकर जो भी सख्त से सख्त कार्यवाही आवश्यक होगी वह की जायेगी, इसे हम उदाहरण बना देंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय आंख जाने का दर्द कैसा होता होगा यदि यह मेरे साथ होता तो मेरे दिल पर क्या गुजरती, क्योंकि जब मैं कहता हूं कि 7.5 करोड़ लोगों का परिवार है हमारा, उनका सुख हमारा सुख है उनका दुख हमारा दुख है तो उनके दुख को केवल हम सांत्वना देकर इलाज करवाकर, हम अपनी जिम्मेदारी से बरी नहीं हो सकते हैं. अध्यक्ष महोदय आज मैं यह फैसला कर रहा हूं कि जिन मरीजों की इस प्रकरण में आंख गई है उनको 5 हजार रूपये प्रतिमाह पेंशन दी आजीवन दी जायेगी. उनका भरण पोषण की जवाबदारी हमारी है, सरकार अपनी जवाबदारी से बच नहीं सकती है जो दो लाख रूपये की राशि दी है वह अलग से दी है, उ सके अतिरिक्त जब तक वह जीवित रहेंगे तब तक यह पेंशन दी जायेगी. इस पूरी घटना को एक सबक के तौर पर हमारी सरकार ले रही है. हम व्यथित हैं दुखी हैं केवल शब्दों से नहीं हैं हम अंतर्मन से हृदय से और फिर से कोई ऐसी घटना न हो यह हर हालत में सुनिश्चित करने का काम हम करेंगे. अच्छा होता कि प्रतिपक्ष के हमारे मित्र भी यहां पर होते. क्योंकि मैंने जैसा कि पहले प्रारम्भ में कहा कि बहस के लिए बहस नहीं है सार्थक चर्चा हो और चर्चा के आधार पर लगता है कि कोई फैसला सरकार को करना चाहिए तो इस सदन को फैसले के लिए मंदिर के रूप में उपयोग करना चाहते हैं जनकल्याण के लिए फैसला इस सदन में हो यह हमारी सदइच्छा है.
अध्यक्ष महोदय सचमुच में मुझे कहते हुए कोई संकोच नहीं है मन में न केवल कष्ट है पीड़ा है बल्कि मैं इस घटना को मैं एक कलंक के रूप में भी ले रहा हूं आगे कोई ऐसी घटना न घटे इ सके लिए पर्याप्त रूप से सरकार सावधानी बरतेगी पीड़ित परिवारों के साथ हम खड़े हैं और जैसा कि मैंने कहा कि उनके भरण पोषण की उपयुक्त व्यवस्था जैसा कि अभी मैंने घोषणा की है वह हम करेंगे उनके साथ में न केवल संवेदनाएं हैं बल्कि सरकार खड़ी है फिर से ऐसी घटना न हो इसके लिए जो भी आवश्यक कदम और सावधानियां होंगी वह उठाई जायेंगी. बहुत बहुत धन्यवाद्.
अध्यक्ष महोदय – विधान सभा की कार्यवाही बुधवार दिनांक 9 दिसम्बर,2015 को प्रात: 10.30 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 02.35 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनाँक 9 दिसम्बर 2015 ( 18 अग्रहायण, शक संवत् 1937 ) के प्रात: 10.30 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, भगवानदेव ईसरानी
दिनांक : - 8 दिसम्बर,2015 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधानसभा