मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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पंचदश विधान सभा तृतीय सत्र
जुलाई, 2019 सत्र
सोमवार, दिनांक 08 जुलाई, 2019
(17 आषाढ़, शक संवत् 1941)
[खण्ड- 3 ] [अंक- 1 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 08 जुलाई, 2019
(17 आषाढ़, शक संवत् 1941)
विधान सभा पूर्वाह्न 11:01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नर्मदा प्रसाद प्रजापति (एन.पी.) पीठासीन हुए.}
राष्ट्रगीत
राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्'' का समूह गान.
अध्यक्ष महोदय-- अब राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्'' होगा. सदस्यों से अनुरोध है कि वे कृपया अपने स्थान पर खड़े हो जाएं.
( सदन में राष्ट्रगीत ''वन्दे मातरम्'' का समूहगान किया गया.)
11:03 निधन का उल्लेख
(1) श्री मनोहर पर्रिकर, गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री,
(2) कुमारी विमला वर्मा, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(3) श्री शिवनारायण मीणा, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(4) श्री सुन्दरलाल तिवारी, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(5) श्रीमती गंगाबाई उरैती, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(6) श्री विजय कुमार पाटनी, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(7) श्री सतीश कुमार चौहान, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(8) श्रीमती मीरा धुर्वे, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(9) श्री बलराम सिंह ठाकुर, भूतपूर्व सदस्य विधान सभा,
(10) नक्सली एवं आतंकी हमले में शहीद प्रदेश के जवान तथा,
(11) स्वामी सत्यमित्रानंद जी, भारत माता मंदिर, हरिद्वार के संस्थापक.
चूंकि विमला जी का क्षेत्र मेरे जिले से लगा हुआ था और उनसे मेरे पारिवारिक संबंध भी थे इसलिए मैं उन्हें बुआजी के नाम से संबोधित करता था. निश्चित रूप से अपने परिवार को ऊपर उठाने के लिए उन्होंने अपने आपको परिवार के लिए झोंक दिया. राजनीति में एक कड़क प्रशासक के रूप में वे, आज भी मानी जाती है. निश्चित रूप से उनके निधन से प्रदेश ने एक लोकप्रिय नेत्री, कुशल प्रशासक एवं कर्मठ समाजसेवी को खो दिया है.
निवृत्तमान भानपुरा पीठाधीश्वर, पद्मभूषण समन्वय सेवा फाउंडेशन तथा भारत माता मंदिर, हरिद्वार के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानंद जी दिनांक 25 जून को हमारे बीच नहीं रहे. स्वामी जी के अचानक परलोकगमन से प्रदेश ही नहीं देश के लिये अपूर्णीय क्षति हुई है. हम उनके प्रति श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं.
मुख्यमंत्री(श्री कमलनाथ):- माननीय, हमने दुख: प्रकट किया है. हमारे कुछ तो साथी रहे, कईयों से तो करीबी संबंध रहा पर सबका समय आता है, ऊपर वाले की आज्ञा होती है. हमारे शहीद जवानों ने मध्यप्रदेश के नाम को अपने जीवन में उन्होंने रोशन किया.
मैं अपनी ओर से और अपनी पार्टी की ओर से उन्हें संवेदना प्रकट करता हूं और श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री गोपाल भार्गव):- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज हम ऐसी अनेक शख्शियतों, अनेक व्यक्तित्वों के लिये जो हमारे बीच में नहीं रहे. विधान सभा के पिछले सत्र से लेकर इस सत्र की अवधि के बीच में, ऐसे सारे महापुरूषों के लिये जिन लोगों ने अपने विधायी जीवन में इस राज्य और देश की सेवा की है, ऐसे सभी लोगों के लिये अपनी भाव-भीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मनोहर पर्रिकर जी, जो गोवा के मुख्यमंत्री थे, बीच में देश के रक्षा मंत्री भी रहे, यदि इनके जीवन के बारे हम चर्चा करें तो वास्तव में हमें यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं होगा कि ऐसे राजनैतिक व्यक्ति और व्यक्तित्व इस समय देश की राजनीति में दुर्लभ हैं, देश के सामाजिक और सार्वजनिक जीवन में दुर्लभ हैं. वह सादगी की प्रतिमूर्ति थे, लेकिन कर्तव्यनिष्ठा में और अपने दायित्व के निष्पादन में शायद मनोहर पर्रिकर जी का कोई समकक्ष व्यक्ति उपलब्ध होना आज के समय में दुर्लभ है. उनका जीवन हम सभी राजनीतिक लोगों के लिये हमेशा प्रेरणा देता रहेगा. मैं जब एक दो बार गोवा में गया तो मैं, जहां पर रूका हुआ था, उनसे मेरा परिचय था, वह जब मुझसे मिलने के लिये आये तो स्कूटर से आये. इससे बड़ी और कुछ नहीं हो सकती कि वह पूरे गोवा में स्कूटर से घूमा करते थे और उनका आम आदमी से सरोकार इतना ज्यादा था कि वहां का हर व्यक्ति इस प्रकार से उनको पहचानता, जानता था कि जैसे एक मोहल्ले का पार्षद लोगों के संपर्क में रहता है. सादा जीवन और काम को पूरा करना. इसी बात को दृष्टिगत रखते हुए, हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने उन्हें भारत का रक्षा मंत्री बनाया था. लम्बी बीमारी के बाद वह हमारे बीच में नहीं रहे, लेकिन आज भी उनकी यह प्रेरणा पूरे राज्य, देश के लिये बहुत बड़ा उदाहरण है खास तौर से सादा जीवन जीने की, उच्च विचारों की. हम मानकर चलते हैं कि यदि हमने एक अंश भी पर्रिकर जी के जीवन को ग्रहण कर लिया तो मैं मानकर चलता हूं कि हमारे राजनीतिक जीवन में बहुत अच्छी एक परम्परा शुरू हो जाएगी.
अध्यक्ष महोदय, माननीय विमला वर्मा जी आज हमारे बीच में नहीं हैं उनका दीर्घकालीन राजनैतिक जीवन इस राज्य की एक धरोहर, पूंजी है. जब मैं शुरू में विधान सभा सदस्य के रूप में यहां पर आया था माननीय विमला जी एक मंत्री जी के रूप में यहां पर काम कर रही थीं. उनका बहुत ही स्नेह, मुझे तथा अन्य सदस्यों को मिला. हमारे महाकौशल क्षेत्र की वह बड़ी नेता थीं. आज वह हमारे बीच में नहीं हैं. मैं उनके प्रति अपनी शोक श्रद्धांजलि उनके चरणों में अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, श्री शिवनारायण मीणा जी हमारे साथ में विधायक भी रहे जहां तक मुझे जानकारी है कि वह तीर्थयात्रा पर गये थे, उस दौरान उनका हृदय गति रूक जाने के कारण स्वर्गवास हुआ वह चाचौड़ा क्षेत्र के अच्छे विधायक थे वह वहां का प्रतिनिधित्व करते थे. जहां तक मुझे स्मरण है माननीय दिग्विजय सिंह जी का जब कार्यकाल शुरू हुआ तब मुख्यमंत्री बनने के बाद उनको विधायक बनना था तो चाचौड़ा से उप चुनाव में दिग्विजय सिंह विधायक बने थे. उन्होंने अपने विधायक पद का त्याग किया इस कारण से वह हमेशा स्मरण किये जाते रहेंगे.
अध्यक्ष महोदय, श्री सुन्दरलाल जी तिवारी बहुत ही जुझारू और संघर्षमय नेता थे जब इस सदन में बैठते थे उनकी बुलंद आवाज तर्कसंगत किताबों के सहित संविधान के सहित होती थी. हमारे सुभाष कश्चप जी कॉल एवं शकधर का किताब है, उस किताब के साथ उसके तर्क देकर तथा विधान सभा की कार्य तथा प्रक्रिया की संचालन समिति के नियम हैं उनके साथ तर्कसंगत बात करते थे. अच्छे सुझाव हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के भी उनके पास होते थे. हम लोगों के ज्ञान में अभिवृद्धि का काम भी माननीय सुन्दरलाल जी तिवारी किया करते थे. अचानक उनका भी देहावसान हो गया है. मैं मानकर के चलता हूं कि उनके निधन से कांग्रेस पार्टी की क्षति तो है ही लेकिन उसके साथ ही विन्ध्य प्रदेश का एक बहुत बड़ा नेता मध्यप्रदेश की राजनीति से चला गया है. मैं उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय,श्रीमती गंगाबाई उरैती मंत्री थीं, मेरे साथ में विधायक भी रही हैं. जनजाति के क्षेत्र में उन्होंने काम किया है इसके लिये वह हमेशा स्मरण की जाती रहेंगी. मैं उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, श्री विजय कुमार पाटनी जी छिन्दवाड़ा के ही नहीं वरन् महाकौशल के भी एक अच्छे नेता थे हमारे शासन में सड़क परिवहन निगम था वह उसके अध्यक्ष भी रहे थे. मैं मानकर के चलता हूं कि उनका व्यक्तित्व सरल एवं सुलझा हुआ था. मैं उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, श्री सतीश कुमार चौहान जी मेरे साथ में विधायक रहे हैं वह आज हमारे बीच में नहीं हैं मैं उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, श्रीमती मीरा धुर्वे जी मेरे साथ में विधान सभा में रहीं मैं उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. जनजाति वर्ग के उत्थान के लिये तथा उनकी आवाज को बुलंद करने के लिये उन्होंने काम किया है इसके लिये उनको हमेशा स्मरण किया जाता रहेगा.
अध्यक्ष महोदय, श्री बलराम सिंह जी ठाकुर भी मेरे साथ में विधायक रहे वह जुझारू नेता थे वह उप चुनाव में जीत कर आये थे. मैं उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, छत्तीसगढ़ के धमतरी में तथा कश्मीर के अनन्तनाग में आतंकी हमलों में हमारे राज्य के लोग शहीद हुए हैं उन सबके लिये मेरी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. मैं आशा एवं उम्मीद करता हूं कि मध्यप्रदेश की भूमि वीरों की भूमि है. इस वीरों की भूमि में और अधिक से अधिक लोग इस देश की सीमाओं के खातिर तथा देश में आतंकवाद को समाप्त करने के लिये चाहे वह नक्सलवाद हो, या अन्य प्रकार का आतंकवाद हो, इसी प्रकार से अपनी प्राणों की आहुति देकर राज्य का सिर देश में हमेशा ऊंचा करते रहेंगे. इन सबके प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, भारत माता का बहुत बड़ा धार्मिक केन्द्र था हरिद्वार में उसके जो संस्थापक हैं, वे आज हमारे बीच में नहीं हैं. सारे देश में उनकी मान्यता थी, वह अविवादास्पद थे और देश के प्रति बड़ा प्रेम रखते थे. ऐसे देश प्रेमी लोगों के लिए और राष्ट्रवादी लोगों के लिए और भारत माता के प्रति जो समर्पित है. भारत माता के लिए सबसे पहला मंदिर यदि किसी ने बनाया था तो उन्होंने बनाया था. ऐसे सभी महामानवों के लिए मेरी श्रद्धांजलि है. भगवान उनकी आत्मा को शांति दें. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शिवराज सिंह चौहान (बुधनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, स्व. मनोहर पर्रिकर जी मेरे घनिष्ठ मित्र थे. हम साथ साथ मुख्यमंत्री रहे, वे चार बार गोवा के मुख्यमंत्री थे. जब भी मैं उनसे मिलता था एक नई प्ररेणा प्राप्त करता था, वे सरल थे, सहज थे, सादगी के प्रतीक थे, फक्कड़ थे, जैसे अभी माननीय नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि मुख्यमंत्री रहते हुए गोवा की सड़कों पर स्कूटर से घूमते थे, आमजन से मिलते थे, गोवा की प्रगति और विकास में मुख्यमंत्री रहते हुए, उन्होंने अतुलनीय योगदान दिया. गोवा का टूरिज्म कैसे बढ़े इस पर भी ध्यान दिया. माननीय अध्यक्ष जी, मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने एक बार एक ही झटके में पेट्रोल के दाम 10 रूपए प्रति लीटर कम किए थे. हम जैसे लोगों के सामने संकट आ गया था. बाकी मुख्यमंत्रियों के सामने लोग गोवा का उदाहरण देते थे. लेकिन वह कोई बड़ा फैसला लेते समय कभी हिचकिचाते नहीं थे. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय प्रधानमंत्री ने जब उन्हें रक्षामंत्री बनाया था तो एक बड़ी चुनौती थी वन रैंक, वन पेंशन की. वन रैंक, वन पेंशन को उन्होंने अपने सैनिकों के लिए लागू करने का काम किया. सेना के आधुनिकीकरण के लिए हथियारों की खरीद और दूसरी चीजों में जटिल प्रक्रिया के कारण जो बाधाएं आती थी, उनके सरलीकरण का उन्होंने प्राणप्रण से प्रयास किया वे लीक पर चलने वाले नहीं थे. वह बहाव के विपरीत तैरते थे और नए आदर्श उपस्थित करने का प्रयास करते थे. बहादुर इतने थे कि लगातार मौत से लड़ते रहे. मैंने ऐसा इंसान नहीं देखा कि जिसको पता हो कि जिंदगी अब लंबी नहीं है, लेकिन बिना जिन्दगी की परवाह किए वे गोवा के विकास में लगे रहे. सदन के माननीय सदस्यों ने भी कई बार देखा होगा, वे वैसी ही स्थिति में नाक में नली डली है और बाकी सभी चीजें है और विकास के कामों का निरीक्षण करने निकल जाते थे. मैं उनसे मिलने अस्पताल गया था तो उनके मन में एक ही भाव था कि जब तक सांस है, तब तक काम करूंगा, रक्षा मंत्री रहते हुए गोवा के मुख्यमंत्री इसलिए बने थे कि वहां के विधायकों ने जिद की थी कि पर्रिकर जी आएंगे तो ही हम समर्थन करेंगे. वे गोवा के जन जन के मन में बसे थे, देश को उनसे बड़ी उम्मीद थी.
''बड़े गौर से सुन रहा था जमाना, तुम ही सो गए दास्तां कहते-कहते''.
उनके रूप में हमने एक ऐसे राजनेता को खोया है जो अजातशत्रु थे, दृढ़ संकल्प के धनी थे. मैं अपने ऐसे मित्र और देश के लोकप्रिय नेता मनोहर पर्रिकर जी के चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कुमारी विमला वर्मा जी, महाकौशल में विशेषकर सिवनी जिले में और आसपास कांग्रेस के काम को बढ़ाने में उन्होंने अपने आपको झोंक दिया, वे जनता की बहुत लोकप्रिेय नेता थीं, कुशल प्रशासक थीं. ऐसी समाजसेवी जिनके मन में गरीबों के लिए हमेशा दर्द और उनकी सेवा की तड़प सदैव उनके मन में रहती थी और केन्द्र और राज्य में मंत्री रहते हुए उन्होंने अपनी प्रशासनिक दक्षता का लोहा देश और प्रदेश दोनों को मनवाने का काम किया था, उनके चरणों में भी मैं श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय शिवनारायण मीणा जी हम सबके परम मित्र थे. जब वे तीर्थ यात्रा पर थे, तभी हमारे बीच से वे बिछड़ गए. श्री सुन्दरलाल तिवारी जी हमें सदैव याद आएंगे. हमारी उनसे नोक-झोंक चलती रहती थी क्योंकि तिवारी जी अगर बोलने के लिए खड़े होते थे तो फिर उनको रोक पाना लगभग असम्भव सा था, सारा सदन भी उनके जुझारूपन से परिचित था. यदि उन्हें अपनी बात कहनी है तो कहनी है, चाहे जैसे भी कहनी पड़े. इसलिए मैं उनको दृढ़-संकल्प का धनी कहूँगा. ऐसी विरासत और परम्परा वे लेकर आए थे, उन्होंने विंध्य प्रदेश की बड़ी सेवा की है, मैं उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ.
श्रीमती गंगाबाई उरैती जी, श्री विजय कुमार पाटनी जी, श्री सतीश कुमार चौहान, श्रीमती मीरा धुर्वे जी, श्री बलराम सिंह ठाकुर जी, उनके चरणों में भी, मैं अपने श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, हमने उन अमर शहीद जवानों के चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित किए हैं, जिनकी शहादत के कारण देश आराम से चैन की नींद सोता है, हमारा देश लम्बे समय से आतंकवाद और नक्सलवाद से जूझ रहा है, मेरा विश्वास है कि अब आतंकवाद और नक्सलवाद अंतिम सांसें गिन रहा है. लेकिन उनसे जूझते हुए हमारे अमर शहीद श्री हरीशचन्द्र पाल जी, जो सीआरपीएफ के जवान थे, वे नक्सली हमले में शहीद हुए और कांस्टेबल श्री संदीप यादव ने अनन्तनाग में आतंकवाद से लड़ते हुए अपने प्राणों की बलि दी.
श्री शिवमंगल सिंह सुमन, अपने प्रदेश के ऐसे कवि थे, जिनका हम सब आदर करते थे. उन्होंने दो पंक्तियां कही थीं- 'मैं अमर शहीदों का चारण, उनके यश गाया करता हूँ, जो कर्ज राष्ट्र ने खाया है, मैं उसे चुकाया करता हूँ.' उनको श्रद्धांजलि देकर, उनका जो कर्जा राष्ट्र के ऊपर है, उसे उतारने का विनम्र प्रयास करते हैं.
अध्यक्ष महोदय, सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज के चेहरे पर तेज और वाणी में ओज था, उनकी जिह्वा पर सरस्वती विराजती थीं. 'आत्मनोमोक्षार्थ जगत हिताय च', आत्मा के मोक्ष और जगत के हित के लिए ही जैसे उन्होंने यह देह धारण की थी. वे भगवान की पूजा तो करते थे लेकिन उन्होंने देश को एक दिशा दी थी कि राष्ट्र की पूजा करो, भारतमाता की पूजा करो और भारतमाता की पूजा के लिए उन्होंने भारतमाता का मंदिर हरिद्वार में बनवाया था, उसमें अमर शहीद जवानों से लेकर भारत के गौरवशाली इतिहास को चित्रित किया गया है. उस मंदिर को देखने पर सहज ही भारतमाता के प्रति श्रद्धा और भक्ति उत्पन्न होती है, नित्य वहां भारतमाता की पूजा की जाती है. ऐसे श्रेष्ठ संत जिनका पूरा देश सम्मान करता है, उनके चरणों में भी मैं श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूँ. मैं परम पिता परमात्मा से यह प्रार्थना करता हूँ कि वह दिवंगत आत्माओं को शांति दे, उनके परिवारों, सहयोगियों, अनुयायियों को यह गहन दु:ख सहन करने की क्षमता दे. ओउम् शांति.
अध्यक्ष महोदय - मैं, सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूँ. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)
दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 9 जुलाई, 2019 प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
पूर्वाह्न 11.29 बजे विधानसभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनांक 9 जुलाई, 2019 ( 18 आषाढ़, शक संवत् 1941 ) के प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल अवधेश प्रताप सिंह
दिनांक: 8 जुलाई, 2019 प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा