मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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पंचदश विधान सभा                                                                            एकादश सत्र

 

 

मार्च, 2022 सत्र

 

मंगलवार, दिनांक 8 मार्च, 2022

 

(17 फाल्गुन, शक संवत्‌ 1943 )

 

 

[खण्ड- 11 ]                                                                                                             [अंक- 2]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

मंगलवार, दिनांक 8 मार्च, 2022

 

(17 फाल्गुन, शक संवत्‌ 1943 )

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.02 बजे समवेत हुई.

{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

 

विशेष उल्लेख

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर बधाई

 

संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, एक मिनट चाहता हूं. मार्शल के रूप में हमारी बहन है. आपके पीछे हमारी बेटी खड़ी है. आज महिला दिवस है और इस महिला दिवस के रूप में आज यहां जिसको हम लोग जो वेल बोलते हैं, पूरे में नारी शक्ति विराजमान है. (मेजों की थपथपाहट)..अध्यक्ष जी, कहा जाता है कि - " यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता: " या नारी का सम्मान जहां है, संस्कृति का उत्थान वहां है और यह सिर्फ हमारी धरा पर ही मिलता है और कहीं नहीं मिलता है. हम हैं जो सिर्फ भारत को माता कहते हैं. कोई भी विश्व के अंदर ऐसा देश नहीं है जिसको 'मां' का दर्जा मिला हो. आपने कभी नहीं सुना होगा पाकिस्तान फादर है, इंग्लैंड डैडी है. सिर्फ 'भारत माता' है. हमारी संस्कृति में इस तरह कहा है कि अगर हमें ताकत चाहिए तो हम दुर्गाजी के पास जाते हैं. विद्या चाहिए तो सरस्वती माता के पास जाते हैं. पैसा चाहिए तो लक्ष्मी जी के पास जाते हैं. ममता चाहिए तो यशोदा मां के पास जाते हैं और मातृत्व चाहिए तो गौरी के पास जाते हैं, प्रचण्ड शक्ति चाहिए तो काली के पास जाते हैं. यह सिर्फ हमारे यहां पर ही है. (मेजों की थपथपाहट)..यह सिर्फ हमारे यहां पर ही है. हम कहते हैं कि "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी" जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है, जिसके वास्ते यह तन है, मन है और प्राण हैं.

जिसकी गोद में हजारों गंगा जमुना झूलतीं और जिसके पर्वतों की चोटियां गगन को चूमतीं, भूमि यह महान है, निराली इसकी शान है, स्वतंत्र यह वसुंधरा, स्वतंत्र आसमान है.

अध्यक्ष महोदय, यह वह धरा है और इसलिए हम मां को नमन करते हैं. हम मानते हैं कि ईश्वर सब जगह नहीं पहुंच सकता था, इसलिए उसने मां को बनाया. स्वयं गीले में रहकर अपने बच्चे को सूखे में सुलाने की ताकत अगर इस पृथ्वी पर किसी में है तो वह मां में है. अध्यक्ष महोदय, आज भी हम अपनी पूजा में आराधना में इस सृष्टि में आप देखेंगे, सीताराम पहले सीता, राधेश्याम पहले राधे, गौरीशंकर पहले गौरी, लक्ष्मीनारायण पहले लक्ष्मी, यह इसी संस्कृति में है. अध्यक्ष जी, विश्व में यह किसी संस्कृति में नहीं है और हमारे यहां शायरों ने बहुत अच्छी अच्छी बातें कही हैं कि -

"बुलंदियों का बड़ा से बड़ा मकां छुआ,

ऊछाला गोद में मां ने तब आसमान छुआ."

यह हमारी संस्कृति में ही है. क्या सूरत, क्या सीरत थी, मां ममता की मूरत थी, पावं छुए और काम हुए, मां तो एक महूरत थी. ऐसी मातृ शक्ति को प्रणाम करने का दिन है और आज मैं आपके माध्यम से समस्त मातृ शक्ति को प्रमाण करता हूं.

अध्यक्ष महोदय, आज हमारे माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी, माननीय मुख्यमंत्री जी भी देवास में हैं, वैसे तो आपसे अनुमति लेकर गये हैं. आपको विधिवत् सूचना दी है. स्वयं मध्यप्रदेश में इसकी शुरुआत करने वाले हैं. जैसे आपने आज पूरे के पूरे सचिवालय में मातृ शक्ति का सम्मान किया है. हमने भी जीवन को गति देने वाली अपनी बेटियों को, अनियंत्रित गति को नियंत्रित करने के लिए पूरे प्रदेश में आज ट्रैफिक व्यवस्था बेटियों के हाथ में दी है. मैं सभी को बधाई देता हूं, प्रमाण करता हूं. (मेजों की थपथपाहट)..

श्री कमलेश्वर पटेल - अध्यक्ष महोदय, एक ही दिन क्यूं, यह हमेशा व्यवस्था होना चाहिए.

            नेता प्रतिपक्ष (श्री कमलनाथ)--  माननीय अध्यक्ष जी, आज  मातृ दिवस है,  मैं मातृ दिवस कहना चाहता हूं.  मैं  सब   माताओं और बहनों को  प्रणाम करता हूं.  भारत की पहिचान  हमारी संस्कृति से है,  हमारी सभ्यता से है. पर भारत की पहिचान  हमारे देवी, देवताओं  से भी है  और ऐसा कोई देश नहीं है पूरे विश्व में, जहां इतनी देवियां हों.  ऐसा कोई देश नहीं है.  मुझसे एकदफा विदेश में  पूछा गया कि आप अपने देश को  कैसे पुकारते हो.  मैंने कहा कि मदर इण्डिया.  (मेजों की थपथपाहट) मदर इण्डिया करके हम पुकारते हैं. तो जब यह प्रश्न  पूछा गया कि क्यों मदर इण्डिया आप कहते  हैं.  बाकी सब देश तो अपने आपको अलग अलग  नामों से पुकारते  हैं.  मैंने कहा, क्योंकि यही भारत की पहिचान है.  आज  हम सब इनको  इस दिवस पर प्रणाम करते हैं, बधाई देते हैं. आज हम  श्रीमती कस्तूरबा गांधी जी को भी  याद करते हैं. केवल घर में ही नहीं,  हमारा घर ही नहीं सम्भाला,  हमारी  माताओं और बहनों ने.  अगर हम देश का इतिहास  देखें, तो कितनी सारी हमारी  महिलाओं  का योगदान था.  आज अगर हम  यहां इस सदन में खड़े हैं,  इस   सदन में हम  अपने प्रजातंत्र  के कारण खड़े हैं  और यह प्रजातंत्र की लड़ाई हमारी कितनी माताओं और बहनों ने लड़ी थी.  यह भी बात आज  हमें याद रखनी चाहिये.  तो आज  एक ऐसा दिन है, दिवस तो बहुत सारे आते हैं, पर महत्वपूर्ण  दिवसों  में से एक  सबसे महत्वपूर्ण दिवस जो  है, वह है आज  हमारी माताओं और बहनों  का दिवस है.  यह कहना कि यह महिला दिवस है, मैं सोचता हूं कि यह  इसमें परिवर्तन होना चाहिये.  आज हमारी माताओं और बहनों  का दिवस है. (मेजों की थपथपाहट)  मैं उन्हें प्रणाम करता हूं.  हम सब इस सदन की ओर से, मैं तो सोचता हूं, अध्यक्ष जी, मेरा आपको सुझाव है कि  आज के दिन  ऐसी परम्परा नहीं रही है, पर आज के दिन यह सदन एक छोटा सा  दो लाइन का प्रस्ताव भी पास करे.  (मेजों की थपथपाहट)

                   अध्यक्ष महोदय -- आज  अन्तर्राष्ट्रीय  महिला दिवस है.  मैं मातृ शक्ति को नमन करता हूं.  प्रति वर्ष 8 मार्च  को  आर्थिक, राजनैतिक,  सामाजिक  क्षेत्रों में  महिलाओं के द्वारा  किये गये उत्कृष्ट कार्यों के लिये  उनके प्रति सम्मान  की  अभिव्यक्ति हेतु  पूरे विश्व में  महिला दिवस  मनाया जाता है.  हमारी संस्कृति में  महिलाओं का स्थान सदैव ही ऊंचा रहा है.  हमारे ग्रंथों में  इस तरह के तमाम  वर्णन हैं.  हमारी परम्पराएं तथा लोकाचार यह सिखाता  है कि नारी के प्रति  आदर, सम्मान, श्रद्धा, कृतज्ञता का भाव हमेशा रहना चाहिये.  आज महिलाएं आत्मनिर्भर  और स्वतंत्र हैं.  समाज में उनका महत्वपूर्ण स्थान  है.  उनकी भूमिका है.  अपने गुणों के आधार पर  वे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र  में सशक्त होकर  स्वयं  के,  समाज के और  राष्ट्र के  विकास में महती   भूमिका का   निर्वहन और  उत्कृष्ट  प्रदर्शन  कर रही हैं.  आज मैं इस अवसर पर  अपनी और  पूरे  सदन की ओर से  इस सदन की सम्मानीय  महिला सदस्यों सहित  इस प्रदेश की  समस्त महिलाओं  को बधाई तथा शुभकामनाएं देते हुए  उनकी चहुंमुखी प्रगति की कामना करता हूं.  हमारे यहां पर जो  महिलाएं  बैठी हैं,  इनको भी प्रणाम करता हूं  और यह भी जानकारी देना चाहता हूं कि  आज हमारी  वाहन  चालक भी  हमारी महिला  शक्ति,  नारी शक्ति  मुझे लेकर के  विधान सभा के भीतर आई हैं. (मेजों की थपथपाहट)

11.10 बजे

                                                निधन का उल्लेख

 

            (1)       श्री लक्ष्मीनारायण गुप्त,भूतपूर्व विधान सभा सदस्य

          (2)       श्री रमेश वर्ल्यानी,भूतपूर्व विधान सभा सदस्य

          (3)       श्री मदन सिंह डहरिया,भूतपूर्व विधान सभा सदस्य

          (4)       श्री तिलक राज सिंह,भूतपूर्व संसद सदस्य तथा

          (5)     सुश्री लता मंगेशकर,सुप्रसिद्ध पार्श्व गायिका

 

         

         

          संसदीय कार्य मंत्री (डॉ.नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ ऐसे लोग जो आज हमारे बीच नहीं हैं. अपूरणीय क्षति है. उनका स्मरण सदैव की परंपरा अनुसार सदन में किया जाता है. किसी शायर ने कहा है कि -

          " जमीं पर चाहने वालों की क्या कमीं थी तेरी, जो उठाके ले गये आसमां वाले "

          श्री लक्ष्मीनारायण गुप्ता जी के साथ में मैं सदन में विधायक रहा हूं. 1990 में वे राजस्व मंत्री थे. हमारे ग्वालियर-चंबल अंचल से वे थे और उनका कार्य करने का अपना एक तरीका था और विनम्रता और सादगी उनके रग-रग में समाई हुई थी. वे मध्यप्रदेश विधान सभा के सबसे पहले सदस्य भी निर्वाचित हुए थे. मध्य भारत में जब मध्यप्रदेश नहीं बना था तब भी हमारे मध्य भारत की विधान सभा के सदस्य थे. आदरणीय राजमाता साहब के काफी निकटस्थ लोगों में वे आते थे. लगातार चार-पांच बार वे इस सदन के सम्मानित सदस्य रहे. अभी जब माननीय प्रधानमंत्री जी, रानी कमलापति स्टेशन के उद्घाटन के जीर्णोद्धार के अवसर पर आए थे तब माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी उनसे आशीर्वाद लिया था. इतने वयोवृद्ध वे हमारी पार्टी के थे. आज वे हमारे बीच में नहीं हैं. मैं उनके चरणों में अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, रमेश वर्ल्‍यानी जी छठवीं विधान सभा में अवि‍भाजित मध्‍यप्रदेश में रायपुर जब, शामिल था, वहां के सदस्‍य रहे हैं और उनका भी समाज सेवा का अपना एक इतिहास था, आपातकाल के दौरान वह मीसा के अंदर बंद भी रहे और संघर्ष भी किया, मैं उन्‍हें भी अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मदन सिंह डहरिया जी, ये भी छत्‍तीसगढ़ से थे और मध्‍यप्रदेश विधान सभा के भी सदस्‍य थे. श्री तिलक राज सिंह जी, मैं उनको भी श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, आज यह संयोग है कि महिला दिवस है और महिला दिवस पर आज हम इस सदन में श्रद्धेय सुश्री लता मंगेशकर जी को भी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, संगीत की देवी अपने धाम को चली गईं, ऐसा लगता है. भारत के अंदर इतने पुरस्‍कार शायद ही किसी संगीतकार को मिले हो, जितने आदरणीया लता जी को मिले हैं. यह भारत रत्‍न थीं, यह पद्म विभूषण थीं, पद्म भूषण थीं. माननीय अध्‍यक्ष महोदय, इन्‍हें फ्रांस की सरकार ने भी 'लीजन ऑफ द ऑनर' के नाम से सम्‍मानित किया था. अनेक विश्‍वविद्यालयों के द्वारा इनको उपाधि दी गई और हमारे यहां पर मध्‍यप्रदेश की सरकार द्वारा वर्ष 1984-85 से संगीत के क्षेत्र में लता मंगेशकर के नाम पर पुरस्‍कार से नवाजा जा रहा है. हमारे प्रदेश से जुड़ी हुई थीं, उनका इंदौर के अंदर 28 सितम्‍बर, 1929 को जन्‍म हुआ और उसके बाद में उनकी जो यात्रा प्रारंभ हुई तो विश्‍व के क्षितिज पर दैदीप्‍यमान दीप की तरह वह लगातार जब तक जिंदा रहीं, तब तक दैदीप्‍यमान दीप की तरह चमकती रहीं, उनके भी चरणों में मैं विनम्र श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं और परम पिता परमात्‍मा से और मां पीताम्‍बरा से प्रार्थना करता हूं कि इन सभी को वह अपने चरणों में स्‍थान दें. ओम शांति.

        नेता प्रतिपक्ष (श्री कमल नाथ)--  अध्‍यक्ष जी, सबका समय आता है, यह तो लिखा हुआ है पर इसे कभी स्‍वीकार करना कठिन होता है, साथियों को, परिवार के सदस्‍यों को, समाज को और हम जब इस सदन में श्रृद्धांजलि अर्पित करते हैं, हमें भी कठिन लगता है कभी, खासकर के जिनसे हमारा संपर्क रहा, जिनसे हमारे रिश्‍ते रहे, पर यह एक जीवन की सच्‍चाई है, जन्‍म से शुरुआत और उसके बाद अंत

यह एक लिखी हुर्इ बात है. स्‍व.श्री लक्ष्‍मीनारायण गुप्‍त जी हमारे एक प्रतिष्ठित समाज सेवक थे, उन्‍होंने अपने जीवन में राजनीतिक क्षेत्र में अपना स्‍थान बनाया, मेरा उनसे संपर्क नहीं था, पर मैंने बहुत कुछ सुना था और वे जिस प्रकार पांच दफे निर्वाचित हुए, यह भी उस समय का एक रिकार्ड था. आज तो बहुत समय बीत गया है, लोग कहते हैं कि हम दस दफे से रहे हैं, कोई कहेगा कि हम नौ दफे से रहे हैं, आठ दफे से रहे हैं, पर उस समय जो कहे कि पांच दफे मैं रहा, यह एक बहुत बड़ी बात थी, उन्‍होंने अपना यह स्‍थान राजनीतिक क्षेत्र में बनाया. मैं, उनको अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और प्रार्थना करता हूं कि उनके परिवार को शांति मिले उनके परिवार को इसे सहन करने की शक्ति दे.

हमारे स्‍व. श्री तिलकराज सिंह जी, तिलक राज सिंह जी सीधी से लोकसभा के सदस्‍य थे. वह मेरे साथ लोकसभा में थे, मेरे साथ लोकसभा में रहे. मेरा उनसे बहुत संपर्क था, समय-समय पर हमारी मुलाकात होती थी और जब भी वह मिलते थे, वह किसी गरीब और समाज की तकलीफ, मुश्किल उनके प्रति वह आवेदन लाते थे, ऐसे सरल स्‍वभाव के व्‍यक्ति जिन्‍होंने मुझे राजनीतिक योगदान दिया. वह मेरे सलाहकार रहे, आज वह हमारे बीच में नहीं है, हम उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.

 स्‍व. श्री रमेश वर्ल्‍यानी जी हमारे मध्‍यप्रदेश के विधानसभा में सदस्‍य रहे और वह एडवोकेट भी थे, वह हमारे बीच में नहीं रहे, वह छत्‍तीसगढ़ रायपुर से निर्वाचित हुए थे और एक प्रसिद्ध समाज सेवक थे, मैं इन्‍हें भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.

स्‍व.श्री मदन सिंह डेहरिया जी, यह छत्‍तीसगढ़ राज्‍य में विधानसभा क्षेत्र मस्‍तूरी से आठ साल विधायक रहे और यह डेहरिया समाज के और डेहरिया सत्‍नामी विचारधारा के थे, मैं इन्‍हें भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.

सुश्री लता मंगेशकर जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बहुत कष्‍ट होता है. मैं उन्‍हें व्‍यक्तिगत रूप से जानता था, करीब 30 साल पहले पहली दफे मैं उनसे मिला था और अनेक कार्यक्रमों में उनसे मुलाकात होती थी. मैं तो ऐसी प्रसिद्ध गायिका जिनके बारे में पाकिस्‍तान में कोई अपने देश भारत के बारे में न जाने पर लता मंगेशकर जी को जरूर जानते थे, यह एक बहुत बड़ी जीत थी. सौ से अधिक पुरूस्‍कारों से उन्‍हें सम्‍मानित किया और उन्‍होंने देश एवं विदेश की 20 से अधिक भाषाओं में हजारों गाने गाये केवल एक भाषा में नहीं, बीस भाषाओं में उन्‍होंने गाना गाया है. मैं मेरे साथ जुड़ी हुई बहुत सारी बातें हैं, जो उनके साथ की हैं, जो बात करते हुए याद आती है. मैंने उन्‍हें आमंत्रित भी किया था कि आप आईये, वह इंदौर की थी और मैंने उनसे एक दफे कहा था और यह करीब दस, बारह साल पहले की बात है कि आप छिंदवाड़ा में कार्यक्रम करिये तो वह मेरी तरफ देखने लगी और वह कहती हैं कि छिंदवाड़ा? मैंने उनसे कहा कि आप इंदौर की हैं, आप छिंदवाड़ा नहीं जानती हैं? तो वह चुप हो गईं कि उस समय पंद्रह साल पहले उन्‍हें शायद छिंदवाड़ा याद नहीं था, तो आज वह हमारे बीच में नहीं रही, उनके चरणों में मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उन्‍हें प्रणाम करता हूं. धन्‍यवाद.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह - माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष और संसदीय कार्यमंत्री जी ने हमारे सभी पूर्व माननीय सदस्‍यों का निधन के संबंध में अपना शोक संदेश व्‍यक्‍त किया. मैं श्री लक्ष्‍मीनारायण गुप्‍त, जिनका क्षेत्र हमारे क्षेत्र से लगा हुआ था और उनकी हमारे क्षेत्र में रिश्‍तेदारियां थीं. सन् 1990 में श्री लक्ष्‍मीनारायण गुप्‍त जी राजस्‍व मंत्री थे और उन्‍होंने अपने राजस्‍व पत्र में किसानों के लिए सुधार किए, कई नीतियां बनाई थीं. उन्‍होंने हमारे क्षेत्र में मैथिलीशरण गुप्‍त जी की जयंती के शुभ अवसर पर, हमारे समाज के साथियों को बुलाया था, वहां मुख्‍यमंत्री जी भी थे. मैं भी उस कार्यक्रम में शरीक हुआ था. उन्‍होंने सहज रूप से कहा कि वह हमें नाम से पुकारते थे कि गोविन्‍द आप यहां पर लक्ष्‍मीनारायण जी की एक मूर्ति क्‍यों नहीं लगवाते? आप मैथिलीशरण गुप्‍त जी के कार्यक्रम में हमेशा भाग लेते हो, लेकिन यादगार के लिए आप उनकी मूर्ति बनवाइये और मैंने उस समय नगर पालिका से उनके आग्रह पर स्‍टेच्‍यू भी लगवाया था. वास्‍तव में वह बहुत सरल थे, वह विधान सभा में कूपन वगैरह लेने आते थे तो उनकी हमसे मुलाकात होती थी वह बड़ा स्‍नेह करते थे. आज की जो परिस्थिति, आज की जो राजनीति है, उससे वह बड़े दु:खी भी थे. मैं उनके चरणों में श्रद्धां‍जलि अर्पित करता हूँ.

          श्री रमेश वर्ल्‍यानी, हमारे साथी रहे हैं. बरसों तक वह समाजवादी आंदोलन में रहे, मीसा में जेल में बन्‍द रहे. वह बहुत प्रतिष्ठित एडव्‍होकेट थे. आज भी छत्‍तीसगढ़ राज्‍य में कांग्रेस पार्टी के प्रवक्‍ता के रूप में, प्रखर वक्‍ता के रूप में उनकी ख्‍याति है. उनका राजनैतिक जीवन निस्‍वार्थ, निष्‍कलंक रहा है.

          श्री मदन सिंह डहरिया जी, दो बार इस सदन के साथी रहे हैं और हमारे मित्र भी रहे हैं. छोटी-मोटी समस्‍या को बड़ी मजबूती के साथ उठाने की उनकी महानता थी.

          सुश्री लता मंगेशकर जी, मध्‍यप्रदेश की गौरव थीं. हिन्‍दुस्‍तान में अगर कोई दो गायक और गायिका हुई हैं, जिनका नाम रोशन हुआ है एक मध्‍यप्रदेश के संगीत सम्राट तानसेन जी थे उनका जन्‍म ग्‍वालियर के बेहट गांव में हुआ था. उन्‍होंने पूरे विश्‍व में अपना नाम रोशन किया. यह कहावत भी है कि तानसेन की तान सुनकर शेषनाग भी हिल जाते थे, धरती डोलने लगती है उसी प्रकार यह हमारा सौभाग्‍य है कि स्‍वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर जी का

 

 

 

जन्‍म मध्‍यप्रदेश में हुआ था. उन्‍होंने लगातार कई भाषाओं में तीस हजार से अधिक गाने गाए हैं. आज अमेरिका में भी अनेक वैज्ञानिकों ने कहा है कि लता मंगेशकर स्‍वर कोकिला थीं और बचपन से ही इन्‍हें संगीत का शौक पारिवारिक तौर पर पिता जी से मिला था. पूरे परिवार की रहन-सहन और संगीत में रुचि थी. उन्‍होंने शास्‍त्रीय संगीत सीखा और अमेरिका के अनेक वैज्ञानिकों ने भी कहा है कि अभी तक लता मंगेशकर जी जैसा स्‍वर पैदा नहीं हुआ है और न ही होगा. मैं इन सभी मृत आत्‍माओं को, जो हमारे साथी रहे हैं, परिचित भी रहे हैं वह सभी आज हमारे बीच में नहीं हैं मैं इन सभी को अपनी ओर से, अपने दल की ओर से, सदन में श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, उनके चरणों में प्रणाम करता हूं और ईश्‍वर से प्रार्थना करता हूं कि वह उन्‍हें अपने चरणों में स्‍थान दें और उनके परिवार को इस दुख को सहन करने की क्षमता प्रदान करें.

          अध्‍यक्ष महोदय-- मैं, सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.

(सदन द्वारा दो मिनट मौन खड़े होकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.)

          अध्‍यक्ष महोदय--दिवंगतों के सम्‍मान में सदन की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 9 मार्च, 2022 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्‍थगित.

          पूर्वाह्न 11.28 बजे विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 9 मार्च, 2022 (फाल्‍गुन 18, शक संवत् 1943) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्‍थगित की गई.

 

भोपाल:                                                                                       ए. पी. सिंह

दिनांक: 8 मार्च, 2022                                                           प्रमुख सचिव,

                                                                                        मध्‍यप्रदेश विधान सभा