मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
__________________________________________________________
पंचदश विधान सभा अष्टम सत्र
फरवरी-मार्च, 2021 सत्र
सोमवार, दिनांक 8 मार्च, 2021
(17 फाल्गुन, शक संवत् 1942)
[खण्ड- 8 ] [अंक- 10 ]
__________________________________________________________
मध्यप्रदेश विधान सभा
सोमवार, दिनांक 8 मार्च, 2021
(17 फाल्गुन, शक संवत् 1942)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.00 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
अंतर्राषट्रीय महिला दिवस पर शुभकामना उल्लेख
गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र )-- अध्यक्ष महोदय कितना मनोहारी दृश्य है. आज मार्शल के रूप में आपके न्याय के दण्ड को लेकर, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, महिला मार्शल को साथ में लाये हैं. एक नई परंपरा आपने डाली है. मैं आपको बधाई देता हूं, आपको शुभकानमा देता हूं.
अध्यक्ष महोदय अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आज मुख्यमंत्री जी ने भी महिला सफाई कर्मियो तथा महिला पत्रकारों के साथ मिलकर एक अद्भुत संदेश देने का कार्य किया है. मैंने भी गृह मंत्री की कुर्सी पर हमारी महिला कांस्टेबल बिटिया को बैठाया. इस तरह से एक संदेश देने की कोशिश की. हमारा यह भारत देश है. यहां की संस्कृति ऐसी है कि यहां पर नारी को पूजा जाता है. कहा जाता है कि यत्र नारी पूज्यंते रमंते तत्र देवता. या नारी का सम्मान जहां पर है, संस्कृति का उत्थान वहां है.
अध्यक्ष महोदय विश्व में एक मात्र भारत देश ऐसा है जो कि अपनी भूमि को भारत माता के नाम से पुकारता है. इस तरह का विश्व में कोई देश नहीं है. पाकिस्तान फादर नहीं कहता है, चीन डैडी नहीं कहता है, होनोलूलू फादर नहीं कहता है. केवल भारत देश है जो मानता है कि जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है. यह हमारा देश है जहां पर हमें अगर ताकत चाहिए तो हम मां दुर्गा के पास जाते हैं, विद्या चाहिए तो मां सरस्वती के पास जाते हैं, पैसा चाहिए तो मां लक्ष्मी के पास जाते हैं. हमें इस देश के अंदर इस संस्कृति को और मजबूत आपने किया कि विधान सभा में धर्म स्वातंत्र विधेयक नारियों के लिए शक्ति के लिए, उत्थान के लिए यह आपने आज के ही दिन लिया है, उसके लिए मैं आपको बहुत बहुत साधुवाद देता हूं, आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं.
अध्यक्ष महोदय मां की पूजा करना हमारी संस्कृति में है. कहावत है न कि मां महात्मा और परमात्मा. इस भारतीय संस्कृति में तीनों का अलग प्रकार का महत्व है. मैं तो कहा करता था कि जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है, मां दुआ करती हुई मेरे ख्वाब में आ जाती है. या बहुत रोते हैं लेकिन दामन नम नहीं होता, और इन आंखों के बरसने का कोई मौसम नहीं होता, मैं अपने दुश्मनों के बीच भी महफूज रहता हूं, मेरी मां की दुआओ का खजाना कम नहीं होता.
अध्यक्ष महोदय आपने आज ऐसा महिला सशक्तिकरण का दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन आपने धर्म स्वातंत्रय विधेयक लिया है उसके लिए आपका आभार माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार और अध्यक्ष महोदय महिला सशक्तिकरण के दिन पूरे देश की मात्रशक्ति का वंदन अभिनंदन धन्यवाद्.
श्री सज्जन सिंह वर्मा (सोनकच्छ)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे सदन की ओर से मध्यप्रदेश ही नहीं, भारत ही नहीं पूरे जगत का माता बहनों को हम लोग अपनी अनंतकोटी शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं. नरोत्तम मिश्र जी जैसा शब्द संयोजन शायद दूसरा कोई नहीं कर सकता है. मैं उनको बधाई देता हूं. वास्तव में जादूगर हैं शब्दों के.
अध्यक्ष महोदय मुख्यमंत्री जी को बधाई की उन्होंने महिला सफाई कर्मी के साथ अपने दिन की शुरूआत की. माननीय अध्यक्ष जी ने सहयोगी के रूप में आज महिला मार्शल को साथ लिया. हम इन सारी बातों के बाद महिला और मां का महिमा मंडन इसलिए करते हैं कि वह वास्तव में यथार्थ है.
अध्यक्ष महोदय मैं एक छोटी सी दो लाइन की कहानी सुना देता हूं. एक स्कूल में मास्टर ने कहा कि सारे बच्चे 100 शब्दों में महिलाओं पर मां पर एक निबंध लिख दो. सभी बच्चे निबंध लिखने लगे. सभी बच्चों ने कॉपी जमा कराई. उन्होंने सारी कॉपियां चेक की. एक लड़की की कॉपी में सिर्फ मॉं लिखा था. उन्होंने उसको पहला नंबर दिया कि बेटा मैं तुम्हें प्रथम ईनाम देता हूं. तेरी भावना क्या है, तो उसने बोला गुरू जी मॉं शब्द में सारा संसार समाया हुआ है और वह मेरी मॉं जब मैं छोटा सा था, बिस्तर गीला कर देता था तब मेरी मॉं इस करवट आ जाती थी, मुझे उस करवट सुलाती थी, तो मॉं से बड़ा, एक शब्द में सारा संसार समाया है. आज महिलाओं का महिमा मंडन शाब्दिक रूप से करने के साथ-साथ मैं सदन से अनुरोध करता हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी कहीं भी किसी प्रोग्राम में, आज बड़ा प्रोग्राम है उसमें घोषणा करें कि जिस तरह हमने राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया है, स्थानीय निकाय में, मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरियों में भी 50 परसेंट आरक्षण हम महिलाओं को देंगे तो यह हमारा सही समर्पण उनके प्रति होगा. बहुत-बहुत धन्यवाद.
कुँवर विक्रम सिंह नातीराजा -- अध्यक्ष महोदय, मैं विश्व की, देश की और अपने प्रदेश की सभी महिलाओं को आज महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और अपनी मॉं साहब को चरण छूकर आज यहां सदन से आपके माध्यम से निवेदन करता हूं. अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक पत्रकार के साथ में बहुत गलत हुआ.उसके साथ में मारपीट की गई.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यह विषय अभी नहीं, ऐसे तमाम अवसर आएंगे. आज कम से कम इसको नहीं उठाएं.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक मिनट. माननीय मंत्री नरोत्तम मिश्र जी ने विस्तार से व्याख्या की, आज के इस अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, मैं कार्यसूची को भी देख रहा था, जहां धर्म स्वातंत्र्य विधेयक आया है, सामान्य प्रशासन विभाग के साथ-साथ आज देखिये अद्भुत संयोग है, महिला एवं बाल विकास विभाग की अनुदान मांगों को भी आपने चर्चा में सम्मिलत किया है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं भी आज महिला दिवस पर सभी माताओं- बहनों को बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहता हूं और निश्चित तौर पर आज जो आपने यहां पर महिला मार्शल और जो भी विषय रखे हैं उसके लिये आपको बधाई देना चाहता हूं, लेकिन नरोत्तम मिश्र जी ने कहा कि मॉं का खजाना, मैं समझता हूं कि खजाना और बढ़ जाएगा आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन, महिला अगर जुड़ी होती है तो रसोई से जुड़ी होती है, तो रसोई गैस पर 10 परसेंट कम हो जाए.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, शर्मा जी, कृपया इस विषय को नहीं, बहुत सारे मौके आएंगे. कम से कम आज इसको विवादित मत कीजिये. .(व्यवधान)..
कॅुंवर विजय शाह -- कभी तो राजनीति छोड़ दिया करो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, एक प्रबोधन कार्यक्रम हो जाए. सदन के विधायक के रूप में सीनियर हो गये हैं, महिलाओं के विषय पर थोड़ा और सीनियर हो जाएं.
श्री पी.सी. शर्मा -- आज कांग्रेस कार्यालय में महिला कुम्भ है. मेरा गृह मंत्री जी से निवेदन है कि उसमें कोई बल प्रयोग महिलाओं पर न हो. ...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- मेरा आप सबसे आग्रह है कि आज आप कार्यवाही बाधित मत करिये. डॉ. गोविंद सिंह जी बोलेंगे.
श्री विश्वास सारंग -- पूरे किस्से सुना दीजिये इन्होंने क्या किया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, ठीक है गोविंद सिंह जी बोलेंगे, लेकिन यह जो ट्विस्ट करते हैं न, ट्विस्ट हम भी कर सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, नहीं बिलकुल नहीं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- अध्यक्ष महोदय, मेरी बात सुन लीजिये, आप रिकार्ड में रखे हुये हैं इसलिये मैं यह बात कह रहा हूं. आज महिला दिवस है, नारी के पूजने का भारत की संस्कृति में हर दिन होता है, वैसे तो बारह महीने पूजी जाती है, परंतु नवदुर्गा अलग होती है. हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा त्यौहार लक्ष्मी मां का दीवाली का होता है उससे बड़ा कोई त्यौहार नहीं होता, वैसे बारह महीने लक्ष्मी को पूजा जाता है, लेकिन आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है, क्या हम ऐसा नहीं कर सकते कि हम इस बात को प्रश्नकाल के बाद उठा दें, कौन रोकता है इस बात को उठाने में ? आज ही के दिन प्रदर्शन रख दिया. क्या जरूरत थी बेलन हाथ में लिवाने की, क्या यह बात सही नहीं थी आज हम सिर्फ पूजन करते कल बेलन का कार्यक्रम कर लेते, कल नारी का प्रदर्शन कर लेते, कल गैस पर प्रदर्शन करते ? अध्यक्ष महोदय, जब तक पाश्चात्य संस्कृति की महिला कोई भी, किसी पार्टी की अध्यक्ष रहेगी, यही विसंगति आएगी इस देश के अंदर.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं माननीय मंत्री जी. माननीय गोविंद सिंह जी.
डॉ. गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह गलत बात है. आप औरों को रोक रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- आप लोग बैठ जाइये मैंने किसी को अनुमति नहीं दी है. गोविंद सिंह जी संक्षेप में अपनी बात कहेंगे.
डॉ. गोविंद सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मैं समूचे देश और प्रदेश की महिलाओं को शुभकामनाएं देता हूं और ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि हर क्षेत्र में राजनैतिक, आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र में वह आगे बढ़ें. अध्यक्ष जी, एक और निवेदन आपसे करना चाहता हूँ कि आपने जिस प्रकार नए विधायकों को एक दिन सदन में प्रश्नकाल में प्रश्न करने के लिए कहा है, आदेश दिया है, इसी प्रकार आपसे निवेदन है कि एक दिन महिलाओं के लिए प्रश्नकाल सुरक्षित करें, यही आपसे हमारी प्रार्थना है.
अध्यक्ष महोदय -- आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. इस अवसर पर मैं अपनी ओर से, पूरे सदन की ओर से इस सदन की सम्मानित महिला सदस्यों एवं प्रदेश, देश, संपूर्ण विश्व की समस्त महिलाओं को बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ.
यह विधान सभा का गौरव है कि हमारे बीच में श्रीमती रक्षा संतराम सरौनिया जी, श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया जी, श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह जी, श्रीमती मनीषा सिंह जी, कुमारी मीना सिंह मांडवे जी, श्रीमती नंदनी मरावी जी, सुश्री हिना लिखीराम कावरे जी, श्रीमती सुनीता पटेल जी, श्रीमती लीना संजय जैन जी, श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह जी, श्रीमती कृष्णा गौर जी, श्रीमती गायत्री राजे पवार जी, श्रीमती सुमित्रा देवी कास्डेकर जी, श्रीमती झूमा डॉ. ध्यानसिंह सोलंकी जी, डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ जी, सुश्री चंद्रभागा किराड़े जी, सुश्री कलावती भूरिया जी, श्रीमती नीना विक्रम वर्मा जी, श्रीमती मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ जी एवं सुश्री उषा ठाकुर जी, ये सभी सम्मानित महिला सदस्य यहां हैं.
हमारी संस्कृति में महिलाओं का स्थान सदैव ही ऊँचा रहा है. हमारे ग्रंथों में इस तरह के तमाम वर्णन हैं. हमारी परम्पराएं तथा लोकाचार यह सिखाता है कि नारी के प्रति आदर, सम्मान, श्रृद्धा, कृतज्ञता का भाव हमेशा रहना चाहिए. आज महिलाएं आत्मनिर्भर और स्वतंत्र हैं. समाज में उनका महत्वपूर्ण स्थान है. उनकी भूमिका है. अपने गुणों के आधार पर वे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सशक्त होकर स्वयं के, समाज के और राष्ट्र के विकास में महति भूमिका का निर्वहन और उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रही हैं. मैं आशा करता हूँ कि अपनी क्षमताओं के अनुरूप भविष्य में भी सफलता के लिए प्रतिमान स्थापित करने में सफल होंगी. एक बार पुन: देश दुनिया की आधी आबादी को उनके सुनहरे, वर्तमान तथा उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूँ तथा महिला दिवस पर अभी सदन में आपने देखा कि हमारी महिला मार्शल दंड के साथ यहां आईं हैं, इस बात का अवसर पहली बार दिया गया है. (मेजों की थपथपाहट).
अब मैं सदन के संचालन के लिए सभापति तालिका की सदस्या श्रीमती झूमा सोलंकी जी को आमंत्रित करता हूँ कि वे आएं और सदन का संचालन करें. आप सबसे आग्रह है कि चूँकि आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हम मना रहे हैं, अत: मेरी तमाम माननीय सदस्यों से प्रार्थना है कि जब महिला सदस्य आसंदी पर बैठेंगी, तो आज उस तरह की कोई स्थिति निर्मित न हो, जिससे प्रदेश के भीतर गलत संदेश जाए. इतनी आप सबसे प्रार्थना करता हूँ और श्रीमती झूमा सोलंकी जी को आमंत्रित करता हूँ कि वे आसंदी ग्रहण करें. प्रश्नकाल चलाएं और अन्य भी संचालन का जो काम है, आज उनके हाथों में सौंपता हूँ. (मेजों की थपथपाहट).
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- अध्यक्ष महोदय, हर दिन महिला दिवस होना चाहिए, आज ही क्यों.
अध्यक्ष महोदय -- इनको संबोधित करके बोलिए.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- हर दिन महिला दिवस.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आपके तो बारह महीने हैं बहना.
11.13 बजे {सभापति महोदया(श्रीमती झूमा सोलंकी) पीठासीन हुईं}
सभापति महोदया -- प्रश्न क्रमांक 1, श्री मेवाराम जाटव.
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
विधानसभा क्षेत्र मेहगांव में रिक्त पदों की पूर्ति
[स्कूल शिक्षा]
1. ( *क्र. 3794 ) श्री मेवाराम जाटव : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र मेहगांव जिला भिण्ड के अंतर्गत शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय/हाईस्कूल में कितने-कितने पद स्वीकृत हैं एवं स्वीकृत पद के विरूद्ध कितने पद भरे हैं एवं कितने पद रिक्त हैं? विद्यालयवार बताएं। (ख) उक्त प्रश्नांश के परिप्रेक्ष्य में रिक्त पदों को कब तक भरा जाएगा? (ग) मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ऐसे कितने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय/हाईस्कूल हैं, जो भवन विहीन हैं एवं उन्हें कब तक भवन उपलब्ध करा दिया जाएगा?
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) पद पूर्ति एक सतत् प्रक्रिया है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ग) शासकीय हाईस्कूल बिरगवां, कुटरौली, निवसाई, मेंहदा एवं बहादुरपुरा भवन विहीन हैं। स्कूल भवन निर्माण बजट प्रावधान एवं सक्षम स्वीकृति पर निर्भर करता है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री मेवाराम जाटव -- माननीय सभापति महोदया, मैं प्रथम बार का विधायक हूँ. इस प्रश्न के माध्यम से सदन में मुझे बोलने का पहला अवसर मिल रहा है. मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. मैं माननीय स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री महोदय से आपके माध्यम से यह पूछना चाहता हूँ कि मेरा प्रश्न, जो कि विधान सभा क्षेत्र मेहगांव, जिला भिण्ड से संबंधित है, इसमें शासकीय हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूलों के स्वीकृत एवं रिक्त पदों की जानकारी चाही थी. जिसके उत्तर में माननीय मंत्री जी ने बताया कि 562 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से 125 पद रिक्त हैं तथा 5 शासकीय हाई स्कूल ऐसे हैं जो कि भवन विहीन हैं. मैं माननीय मंत्री जी से पहला प्रश्न यह पूछने हेतु अनुमति चाहता हूँ कि
इन रिक्त पदों को कब तक भरा जाएगा एवं भवन विहीन शालाओं के भवन हेतु स्वीकृति कब तक प्रदान की जाएगी ? इसके साथ ही मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र गोहद में भी कमोबेश यही स्थिति है. अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों के पद रिक्त हैं तथा कई स्कूल भवन विहिन हैं. गोहद विधानसभा क्षेत्र में कब तक रिक्त पदों की पूर्ति की जाएगी एवं कब तक भवनों को स्वीकृति प्रदान की जाएगी ?
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय सभापति महोदया, माननीय सदस्य ने भर्ती प्रकिया से संबंधित प्रश्न पूछा है. शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया के निर्देश हम जारी करने वाले हैं. अगले सत्र में हम वेरीफिकेशन का काम और बाकी प्रक्रिया पूरी करेंगे. जहां तक स्कूल भवनों का सवाल है हम अभी जो नई हमारी मध्यप्रदेश सरकार की "सीएम राइज योजना" है उसके तहत छंटनी का कार्यक्रम चल रहा है, उसमें कौन-कौन से स्कूल क्राइटेरिया के अनुसार आने वाले हैं उन स्कूलों को पात्रता के अनुसार पहले उसमें हम भवन की प्रक्रिया पूरी करेंगे, क्योंकि जहां तक भवन की राशि का प्रश्न आता है वह बजट में आवंटन के आधार पर मिलता है. उसको हम एक नये रुप में प्रारम्भ करने जा रहे हैं. पूरे प्रदेश में एक नयी व्यवस्था बनाने का प्रयास शुरु करने जा रहे हैं, उसमें जो-जो स्कूल आते जाएंगे, हम प्राथमिकता के साथ में उन भवनों को और स्वीकृति में लाते जाएंगे.
माननीय सभापति महोदया, मेहगांव विधानसभा में भी जो स्कूल इसी प्रक्रिया में आएंगे, हम प्राथमिकता के साथ उनको तय करेंगे और शिक्षकों की भर्ती के काम में भी जो प्रक्रिया पूरे प्रदेश में अपनायी जाएगी, उसी प्रक्रिया को मेहगांव विधानसभा के लिए भी हम करने वाले हैं.
श्री मेवाराम जाटव -- माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हॅूं कि पहले से चयनित जो शिक्षक हैं, उनको उसमें क्यों नहीं रखा जा रहा है ?
श्री इन्दर सिंह परमार -- सभापति महोदया, जो चयनित शिक्षक हैं उन्हीं का अभी वेरीफिकेशन का काम होना है. उसके लिए शासन स्तर पर निर्देश जारी हो रहे हैं. उन्हीं को हम पहले प्राथमिकता के साथ में जो पात्र हैं उनकी हम भर्ती करेंगे. उनकी नियुक्ति करेंगे और उसके बाद शेष जो पद बचेंगे, उसके लिए आगे की प्रक्रिया करेंगे लेकिन अभी पहले जो अधूरी प्रक्रिया रुकी हुई है, उसी को आगे बढ़ाने का काम करने वाले हैं.
श्री मेवाराम जाटव -- माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हॅूं कि उसकी क्या समय-सीमा होगी ? यह तो उनको एक साल हो गया है. अभी तक उनका चयन नहीं हो पाया है.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय सभापति महोदया, हम सब को जानकारी होना चाहिए कि माननीय उच्च न्यायालय में प्रकरण होने के कारण कुछ प्रक्रिया रुकी हुई थी. हम उस प्रक्रिया को, माननीय न्यायालय का भी जो प्रकरण चल रहा है उसको भी ध्यान में रखकर के आगे करने वाले हैं लेकिन वह प्रक्रिया बहुत जल्दी शुरु होने वाली है. शासन निर्देश जारी कर रहा है.
सभापति महोदया -- प्रश्न क्रमांक-2, श्री कॅुंवरजी कोठार.
राजगढ़ जिलांतर्गत संचालित दुग्ध सहकारी समितियां
[पशुपालन एवं डेयरी]
2. ( *क्र. 3419 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राजगढ़ जिला अंतर्गत वर्तमान में संचालित अर्द्धशासकीय/अशासकीय दुग्ध संयंत्र/दुग्ध शीत केन्द्र/दुग्ध सहकारी समितियों के नाम, पता तथा मालिक के नाम एवं प्रतिदिन संकलित दुग्ध की मात्रा, गुणवत्ता, दुग्ध पदार्थ की दर की जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार संचालित दुग्ध संयत्र/शीत केन्द्र/समितियों को दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद आदेश 1992 के अधीन पंजीयन किया जाना आवश्यक है? जिला राजगढ़ अंतर्गत पंजीकृत संस्थाओं/समितियों के पंजीयन क्रमांक/दिनांक की जानकारी देवें। किन-किन संस्थाओं के द्वारा प्रदूषण बोर्ड से अनापत्ति प्राप्त की गई है? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार जिन संस्थाओं के द्वारा दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद आदेश 1992 के अधीन पंजीयन नहीं कराया गया है तथा प्रदूषण बोर्ड से अनुमति प्राप्त नहीं की है, उन पर क्या कार्यवाही की जा सकेगी? (घ) प्रश्नांश (क) अंतर्गत समितियों पर संस्थावार नियुक्त गुणवत्ता नियंत्रक के नाम/पदनाम की जानकारी से अवगत करावें। यदि गुणवत्ता नियंत्रक नियुक्त नहीं हैं तो दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों की जांच गुणवत्ता, कैसे नियंत्रण होती है? (ड.) प्रश्नांश (घ) अनुसार किसानों/ग्रामीणों द्वारा उत्पादित दुग्ध की जांच एवं गुणवत्ता का निर्धारण ठीक ढंग से नहीं होने से आय पर विपरित प्रभाव पड़ता है? यदि हाँ, तो विभाग द्वारा डेयरी गतिविधियों का सर्वेक्षण, विस्तार एवं विकास के लिये क्या योजना तैयार की गई है?
पशुपालन मंत्री ( श्री प्रेमसिंह पटेल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' एवं ''ब'' अनुसार है। (ख) एवं (ग) राजगढ़ जिला अंतर्गत दुग्ध शीतकेन्द्रों के पंजीयन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' अनुसार है। दुग्ध सहकारी समितियों के लिए पंजीयन आवश्यक नहीं है। सहकारिता विभागांतर्गत पंजीकृत दुग्ध सहकारी समिति के पंजीयन/दिनांक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' में उल्लेखित है। राजगढ़ जिले में संचालित दुग्ध शीतकेन्द्र हेतु प्रदूषण बोर्ड से अनुमति प्राप्त करने की कार्यवाही प्रचलन में है। (घ) समिति स्तर पर दूध की गुणवत्ता की जाँच दुग्ध समिति के प्रशिक्षित टेस्टर एवं सचिव द्वारा की जाती है, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' में उल्लेखित है। (ड.) किसानों/ग्रामीणों द्वारा उत्पादित दूध की जाँच एवं गुणवत्ता का निर्धारण दुग्ध समिति स्तर पर प्रशिक्षित टेस्टर एवं सचिव द्वारा निर्धारित मानकों के विरूद्ध की जाती है। डेयरी गतिविधियों के सर्वेक्षण विस्तार एवं विकास का कार्य दुग्ध संघ द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों द्वारा संपादित किया जाता है। शीतकेन्द्र पर संकलित दूध का पुन: गुणवत्ता का परीक्षण किया जाता है।
श्री कुँवरजी कोठार -- माननीय सभापति महोदया, मेरा प्रश्न यह है कि मेरे प्रश्न के (ख) एवं (ग) में माननीय मंत्री जी द्वारा जो उत्तर दिया गया है उसमें राजगढ़ जिले में संचालित दुग्ध शीत केन्द्र हेतु प्रदूषण बोर्ड से अनुमति प्राप्त करने की कार्यवाही प्रचलन में है तो मैं माननीय मंत्री महोदय से यह पूछना चाहता हॅूं कि जब तक प्रदूषण बोर्ड से अनुमति प्राप्त नहीं हो जाती है, तब तक संचालित दुग्ध शीत केन्द्र के विरूद्ध आपके द्वारा या विभाग के द्वारा क्या कार्यवाही की जाएगी ? यह अवगत कराने का कष्ट करें.
श्री प्रेमसिंह पटेल -- माननीय सभापति महोदया, राजगढ़ जिले में भोपाल सहकारी दुग्ध संघ से संबधित दुग्ध सहकारी समितियों की जानकारी परिशिष्ट एक" पर व दूध से बनी चीजों की दरों की जानकारी परिशिष्ट "दो" पर है.
श्री कुँवर जी कोठार-- माननीय सभापति महोदया, मेरा प्रश्न केवल इतना ही है कि जिन संचालित दुग्ध शीत केन्द्र को प्रदूषण बोर्ड से अनुमति प्राप्त करने की कार्यवाही प्रचलन में है, कार्यवाही प्रचलन में है, अभी अनुमति मिली नहीं है. अनुमति नहीं मिल जाती तब तक उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की जाएगी, माननीय मंत्री जी यह अगवत कराने का कष्ट करें.
सभापति महोदया-- माननीय मंत्री जी कार्यवाही चाह रहे हैं.
श्री प्रेमसिंह पटेल-- कार्यवाही की जा रही है.
श्री कुँवर जी कोठार-- सभापति महोदया, मेरे प्रश्न का उत्तर प्राप्त नहीं हुआ. अनुमति की कार्यवाही प्रचलन में है. मेरा प्रश्न यह है कि जब तक अनुमति नहीं मिल जाती है तब तक उन जो संचालित दुग्ध केन्द्र हैं उनके विरुद्ध कुछ कार्यवाही की जाएगी क्या?
सभापति महोदया-- माननीय मंत्री जी, कार्यवाही करेंगे?
श्री प्रेमसिंह पटेल-- सभापति महोदया, जिस प्रकार से माननीय विधायक जी चाहते हैं इसी प्रकार से हम दिखवा लेंगे.
श्री कुँवर जी कोठार-- धन्यवाद.
पशु पालकों को योजना का लाभ
[पशुपालन एवं डेयरी]
3. ( *क्र. 1820 ) श्री बैजनाथ कुशवाह : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पशु पालन विभाग द्वारा किन-किन क्रियाकलापों/गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है? क्या इस हेतु शासन (विभाग) द्वारा कोई नीति नियम निर्मित हैं? यदि हाँ, तो नियमों की प्रति सहित जानकारी दी जावे। (ख) क्या किसानों की आय में वृद्धि हेतु पशुपालन विभाग का योगदान भी है? (ग) प्रश्नांश (ख) में वर्णित उल्लेखित गतिविधियों में विगत 3 वर्ष में जनपद पंचायत कैलारस, सबलगढ़ जिला मुरैना में क्या-क्या गतिविधियों का संचालन किया गया व कितने पशु पालकों को योजना का क्या लाभ दिया गया? वर्षवार, मांग संख्या, लेखाशीर्ष सहित जानकारी दी जावे।
पशुपालन मंत्री ( श्री प्रेमसिंह पटेल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) जी हाँ। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''स'' एवं ''द'' अनुसार है।
श्री बैजनाथ कुशवाह-- माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय जी से यह जानना चाहता हूँ कि मैंने पशुपालन विभाग में यह कौन कौन सी क्रियाकलाप और गतिविधियाँ संचालित हैं उनकी जानकारी मांगी थी क, ख तथा ग में, ख में मैंने यह जानकारी चाही गई थी कि विगत 3 वर्ष में कैलारस और सबलगढ़ ब्लाक में कितने पशुपालकों को इस योजना का लाभ मिला, माननीय मंत्री महोदय ने जो मुझे जानकारी दी है क, ख, की जो जानकारी दी है वह तो उन्होंने लिखित में मुझे दे दी है, लेकिन ग में मुझे जो जानकारी दी गई है वह गलत है, भ्रामक है, जिसमें मैंने हितग्राहियों का नाम मांगा, वह उन्होंने नहीं दिए हैं तो मैं मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हूँ कि वह सूची मुझे कब तक उपलब्ध करा देंगे?
श्री प्रेमसिंह पटेल-- सभापति महोदया, जानकारी पत्र ख एवं ग अनुसार है.
सभापति महोदया-- परिशिष्ट में जवाब है, ऐसा कहना है माननीय मंत्री जी का.
श्री बैजनाथ कुशवाह-- सभापति महोदया, इसमें नहीं है. मेरे पास जो जानकारी आई है, उसमें किसी भी हितग्राही का नाम नहीं है और न वर्षवार है, न ब्लाक वाइज, है.
सभापति महोदया-- मंत्री जी, आप से माननीय सदस्य पूछ रहे हैं, बताएँ.
श्री प्रेमसिंह पटेल-- सभापति महोदया, हमने लिखित में दिया है, देख लें अगर नहीं होगा तो हम लोग कार्यवाही करवाएँगे.
श्री बैजनाथ कुशवाह-- ठीक है.
प्रदेश में संचालित गौशालाएं
[पशुपालन एवं डेयरी]
4. ( *क्र. 3735 ) श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में दिसम्बर 2018 से मार्च 2019 तक कितनी नवीन गौशालाएं खोली गईं? गौशालाओं को कितना अनुदान देने का प्रावधान उक्त अवधि में था? वर्तमान में कितना अनुदान गौशालाओं को देने का प्रावधान है? (ख) वर्तमान में प्रदेश में कितनी गौशालाएं संचालित हैं? क्या पूर्व में गौशालाओं को अनुदान ज्यादा मिल रहा था? वर्तमान में अनुदान कम कर दिया गया है? क्या कारण है? (ग) वर्ष 2003 से वर्ष 2018 तक 15 वर्षों में प्रदेश में कुल कितनी गौशालायें शासकीय स्तर पर खोली गईं थीं एवं प्रति गाय क्या राशि दी जाती थी? वर्ष 2018 दिसम्बर से 21 मार्च 2020 तक के शासन में कितनी गौशालायें स्वीकृत की गईं एवं प्रति गाय क्या राशि स्वीकृत की गई? (घ) वर्तमान में सभी गौशालाओं की क्या स्थिति है एवं भविष्य की इस वर्ष में क्या योजना है? (ड.) मान. पशुपालन मंत्री जी द्वारा 10 अतिरिक्त गौशालायें पृथ्वीपुर विधान सभा क्षेत्र हेतु खोलने की घोषणा कब तक पूर्ण की जावेगी?
पशुपालन मंत्री ( श्री प्रेमसिंह पटेल ) : (क) प्रदेश में दिसम्बर 2018 से मार्च 2019 तक प्रथम चरण में चयनित पंचायतों में 1000 गौशालाओं के निर्माण का लक्ष्य शासन द्वारा निर्धारित कर निर्देश जारी किए गए थे। गौशालाओं में उपलब्ध गौवंश के लिए रू. 20.00 प्रतिगौवंश प्रतिदिवस के मान से भरण पोषण हेतु राशि उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया था तथा वर्तमान में भी गौशालाओं में उपलब्ध गौवंश के लिए रू. 20.00 प्रतिगौवंश प्रति दिवस के मान से भरण पोषण हेतु राशि उपलब्ध कराने का प्रावधान है। (ख) वर्तमान में प्रदेश में अशासकीय स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा 627 गौशालाएं संचालित हैं तथा मुख्यमंत्री गौसेवा योजना अंतर्गत 905 गौशालाएं संचालित हैं। पूर्व वर्ष 2018-19 में गौशालाओं में उपलब्ध गौवंश के लिए भरण पोषण हेतु राशि रू. 20.00 प्रतिगौवंश प्रतिदिवस के मान से प्रावधान था तथा वर्तमान में भी रू. 20.00 प्रतिगौवंश प्रतिदिवस के मान से प्रावधान है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ग) वर्ष 2003 से वर्ष 2018 तक प्रदेश में शासकीय स्तर पर गौशालाएं नहीं खोली गईं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। वर्ष 2018 दिसम्बर से 21 मार्च 2020 तक शासन द्वारा 1000 गौशालाएं स्वीकृत की गईं हैं एवं गौशालाओं में उपलब्ध गौवंश के लिए रू. 20.00 प्रति गौवंश प्रति दिवस के मान से भरण पोषण हेतु राशि स्वीकृत की गई थी। (घ) स्वीकृत 1000 गौशालाओं में से वर्तमान में 963 गौशालाओं का कार्य पूर्ण होकर 905 गौशालाओं का संचालन प्रारंभ हो चुका है तथा वर्ष 2020-21 में 2365 गौशालाओं के निर्माण कार्य स्वीकृत किए गए हैं। (ड.) मान. पशुपालन मंत्री जी द्वारा 10 अतिरिक्त गौशालाएं पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र में खोलने संबंधी कोई घोषणा विभाग में प्राप्त नहीं हुई है। शेष प्रश्न ही उपस्थित नहीं होता।
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- माननीय सभापति महोदया, मैंने माननीय मंत्री जी से पूछा था कि वर्ष 2003 से 2018 तक कुल कितनी शासकीय गौ शालाएँ खुली थीं, जब आपका ही शासन था? मैं आपकी बात से संतुष्ट हूँ, आपने कहा जीरो, खाता नहीं खुला था. फिर 2018 से 2019, जब इधर की सरकार थी तो उसका आपने उत्तर दे दिया कि एक हजार गौ शालाएँ, मैं इस बात से सहमत हूँ. अब मेरा प्रश्न आप से केवल इतना है कि माननीय तत्कालीन मंत्री जी ने जो घोषणा निवाड़ी जिले के लिए की थी, उसके, आप चाहें तो ये प्रमाण रखे हैं, आपके अधिकारियों ने जवाब दे दिया कि विभाग में कोई जानकारी नहीं है. कलेक्टर की कॉपी आपको मिल जाएगी, अखबार की चाहें तो यह मिल जाएगी और माननीय तत्कालीन मंत्री जी का भाषण जिसमें उन्होंने उद्बोधन में घोषणा की है, आप चाहें तो वह भी मैं पटल पर रखवा दूँगा, तो इस संबंध में क्या उस घोषणा को पूर्ण करने का काम आप करेंगे?
श्री प्रेमसिंह पटेल-- सभापति महोदया, माननीय हमारे विधायक जी मंत्री भी रह चुके हैं, मैं उनको कहना चाहता हूँ कि निवाड़ी जिले में 18 गौ शालाएँ स्वीकृत की गई हैं और भी कमी पड़ेगी तो हम और बैठ-जुट कर, कर लेंगे.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- सभापति महोदया, मैं केवल आप से यह प्रश्न कर रहा हूँ, जो स्वीकृत की गई हैं वह तो रुटिन में सब जगह की गई हैं और माननीय मंत्री जी, जो आपको पर्ची देकर बता रहे हैं, ये भी उपस्थित थे, उस कार्यक्रम में, इसलिए मैं आप से कह रहा हूँ कि जो घोषणा की थी, उसके अतिरिक्त, उसको आप पूर्ण करेंगे कि नहीं करेंगे? और उस वक्त के मंत्री जी भी बैठे हैं, उन्हें भी जानकारी है.
श्री प्रेमसिंह पटेल-- सभापति महोदया, जिस प्रकार से समस्या आएगी उसको हम लोग हल करेंगे.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- सभापति महोदया, मैं यह मानकर चलूँ कि उसको करेंगे? हाँ बोल दीजिए.
श्री प्रेमसिंह पटेल-- जी.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- धन्यवाद.
टास्क फोर्स कमेटी की रिपोर्ट पर कार्यवाही
[वन]
5. ( *क्र. 2287 ) श्री ब्रह्मा भलावी (श्री धरमू सिंग सिरसाम, डॉ. अशोक मर्सकोले) : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अतिरिक्त मुख्य सचिव वन श्री ए.पी. श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स कमेटी की दिनांक 6 फरवरी, 2020 को विभाग के समक्ष प्रस्तुत रिपोर्ट पर किस विभाग के किस अधिकारी के हस्ताक्षर हैं? रिपोर्ट में मुख्य रूप से किस मुद्दे पर क्या-क्या सुझाव दिए जाकर सिफारिश की गई है? (ख) दिनांक 06 फरवरी, 2020 से प्रश्नांकित दिनांक तक सामान्य प्रशासन विभाग ने रिपोर्ट से संबंधित किस-किस दिनांक को क्या-क्या कार्यवाही की? किस सुझाव एवं सिफारिश से संबंधित किस दिनांक को आदेश या निर्देश जारी किए? प्रति सहित बतावें। (ग) दिनांक 06 फरवरी, 2020 को प्रस्तुत रिपोर्ट पर विभाग क्या कार्यवाही कर रहा है? कब तक आदेश निर्देश जारी किए जावेंगे?
वन मंत्री ( श्री कुंवर विजय शाह ) : (क) टास्क फोर्स समिति की रिपोर्ट पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है, जिसके पृष्ठ क्रमांक 31 पर अधिकारियों के हस्ताक्षर दर्शित हैं। (ख) सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा केवल समिति का गठन किया गया है। समिति की रिपोर्ट के संबंध में कार्यवाही प्रशासकीय विभाग द्वारा की जाती है। (ग) दिनांक 06 फरवरी 2020 को समिति से प्राप्त रिपोर्ट दिनांक 12 फरवरी 2020 को मुख्य सचिव को प्रेषित की गई थी, जो विचाराधीन है। अधिकांश बिंदुओं पर विधि संबंधी जटिल मुद्दे होने से विचारोपरांत प्रभावी कार्यवाही की जाएगी, अत: समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री ब्रह्मा भलावी -- माननीय सभापति महोदया, मैं प्रथम बार का विधायक चुनकर आया हूँ आपने मुझे सदन में बोलने का मौका दिया उसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदया, मेरा मंत्री महोदय से प्रश्न है कि क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अतिरिक्त मुख्य सचिव वन श्री ए.पी. श्रीवास्तव की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स कमेटी की दिनांक 6 फरवरी, 2020 को विभाग के समक्ष प्रस्तुत रिपोर्ट पर किस विभाग के किस अधिकारी के हस्ताक्षर हैं? रिपोर्ट में मुख्य रूप से किस मुद्दे पर क्या-क्या सुझाव दिए जाकर सिफारिश की गई है? (ख) दिनांक 06 फरवरी, 2020 से प्रश्नांकित दिनांक तक सामान्य प्रशासन विभाग ने रिपोर्ट से संबंधित किस-किस दिनांक को क्या-क्या कार्यवाही की? किस सुझाव एवं सिफारिश से संबंधित किस दिनांक को आदेश या निर्देश जारी किए? प्रति सहित बतावें। (ग) दिनांक 06 फरवरी, 2020 को प्रस्तुत रिपोर्ट पर विभाग क्या कार्यवाही कर रहा है? कब तक आदेश निर्देश जारी किए जावेंगे?
सभापति महोदय-- माननीय सदस्य, यह प्रश्न तो आपका लिखा हुआ है और इसका उत्तर भी लिखा हुआ है. क्या आप इसके अतिरिक्त माननीय मंत्री जी से कुछ पूछना चाहते हैं.
श्री ब्रह्मा भलावी -- माननीय सभापति महोदया, अधिकांश बिंदुओं पर विधि संबंधी जटिल मुद्दे होने से विचारोपरांत प्रभावी कार्यवाही की जाएगी, अत: समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। यह जानकारी उपलब्ध कराने की कृपा करें.
कुंवर विजय शाह -- माननीय सभापति महोदया, माननीय विधायक जी ने प्रश्न के माध्यम से जो जानकारी चाही है. पूरे मध्यप्रदेश में राजस्व विभाग और वन विभाग के सीमा विवाद या लेंड विवाद को हम लोग ओरेंज लेंड के रुप में मानते हैं. प्रश्न में ही उद्भूत है कि 6 फरवरी, 2020 से समिति ने 15 बिन्दुओं पर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है. उस पर हम लोग यह विचार कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश में रेवेन्यू और फारेस्ट के जितने झगड़े हैं उनको धीरे-धीरे निपटाएं. वर्ष 1972 से यह विवाद चल रहा है. तात्कालिक रुप से इसमें तुरन्त कुछ नहीं हो सकता है. हमने छतरपुर से इसकी शुरुआत कर दी है. एक डिप्टी कलेक्टर को इसी काम के लिए रिजर्व किया हुआ है. धीरे-धीरे शासन से हर जिले में एक डिप्टी कलेक्टर की डिमांड करके शनै:शनै: इस मामले को निपटाने का प्रयास करेंगे.
श्री ब्रम्हा भलावी -- आदरणीय मंत्री महोदय, कब तक यह समस्या हल हो जाएगी इसकी समय-सीमा बताइए.
कुंवर विजय शाह -- माननीय सभापति महोदया, यथा संभव, यथाशीघ्र.
श्री ब्रम्हा भलावी -- माननीय मंत्री जी, थैंक यू.
सभापति महोदया -- दूसरे माननीय सदस्य क्या कोई प्रश्न पूछना चाहेंगे.
श्री धरमू सिंग सिरसाम -- माननीय सभापति महोदया जी, टास्क फोर्स से संबंधित प्रश्न के उत्तर के लिए मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ क्योंकि उन्होंने कार्यवाही को शीघ्र से शीघ्र करने की अनुमति प्रदान की है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदया -- डॉ. अशोक मर्सकोले, सदस्य भी क्या कोई प्रश्न पूछना चाहेंगे क्योंकि उनका भी नाम इस प्रश्न में शामिल है. क्या वे सदन में उपस्थित नहीं हैं.
डॉ. अशोक मर्सकोले -- (अनुपस्थित)
इंदौर संभाग की शालाओं में प्राचार्य के रिक्त पदों की पूर्ति
[स्कूल शिक्षा]
6. ( *क्र. 3801 ) श्री पाँचीलाल मेड़ा : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर संभाग के किस-किस जिले में कुल कितने-कितने शासकीय हायर सेकेण्ड्री स्कूल संचालित हैं, इन स्कूलों के लिये प्राचार्य के कुल कितने पद स्वीकृत हैं, जिनमें से कितने पद किन कारणों से कब-कब से रिक्त हैं तथा इन रिक्त पदों की पूर्ति कब तक कर दी जायेगी? (ख) धार जिले की धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत किन-किन शासकीय स्कूलों में अतिरिक्त कक्ष की आवश्यकता है? (ग) जिन स्कूलों में अतिरिक्त कक्ष की आवश्यकता है, उनकी स्वीकृति दी जाकर निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ किया जायेगा?
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '1' अनुसार है। पद रिक्त एवं पद पूर्ति एक सतत् प्रक्रिया है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '2' अनुसार है। (ग) अतिरिक्त कक्षों का निर्माण बजट प्रावधान एवं सक्षम स्वीकृति पर निर्भर करता है। राज्य शिक्षा केन्द्र की प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में अतिरिक्त कक्ष की आवश्यकता है उनके प्रस्ताव भारत सरकार को वार्षिक कार्ययोजना वर्ष 2021-22 में प्रेषित किये जा रहे हैं। स्वीकृति प्राप्त होने पर यथाशीघ्र निर्माण कार्य प्रारंभ किए जाएंगे। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री पांचीलाल मेड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा से यह पूछना चाहता हूँ कि इंदौर संभाग के 8 जिलों में 275 हायर सेकेण्डरी स्कूल के लिए प्राचार्य के 275 पद स्वीकृत हैं. मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि इन 275 स्वीकृत पदों में से 275 पद स्वीकृत हैं. मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि इन 275 स्वीकृत पदों में से 175 स्कूलों में प्रार्चाय के पद रिक्त हैं. बच्चों का भविष्य कैसे बनाया जाएगा? प्रार्चाय के रिक्त पदों को अभी तक नहीं भरे जाने के क्या कारण हैं? माननीय मंत्री जी यह बताएं कि यह रिक्त पद कब तक दिए जाएंगे?
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदया, प्रार्चाय के पद प्रमोशन के पद हैं वह पदोन्नति से भरे जाते हैं. चूंकि यह प्रकरण न्यायालय में है और प्रकरण न्यायालय में होने के कारण से प्रमोशन नहीं कर पाए हैं. यह पद लंबे समय से खाली हैं. लोकसेवा आयोग नियम में आरक्षण के संबंध में राज्य शासन की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में दायर जो सिविल अपील है उसके संबंध में जो बैठक दिनांक 8 फरवरी 2020 को संपन्न हुई थी उसके संबंध में कार्यवाही विचाराधीन है और उस कार्यवाही को करके हम इस समस्या का निराकरण करेंगे.
श्री पांचीलाल मेड़ा-- माननीय सभापति महोदया, मंत्री जी यह बताएं कि पद पूर्ति एक सतत् प्रक्रिया है और यह सतत् प्रक्रिया कब तक पूरी हो जाएगी?
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदया, उसमें सीधी भर्ती के पद नहीं हैं इस कारण से अभी उनकी भर्ती पर रोक है इसलिए हम यह प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रहे हैं.
श्री पांचीलाल मेड़ा-- माननीय सभापति महोदया, मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि धार जिले के हायर सेकेण्ड्री स्कूलों में प्रार्चाय के 29 पद स्वीकृत हैं जिसमें से 22 पद रिक्त हैं और मात्र सात प्रार्चायों के पद भरे हैं जबकि धार जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है उसके बावजूद वहां बड़ी संख्या में प्राचार्यों के पदों को रिक्त रखा जाना चिंता का विषय है. माननीय मंत्री जी निश्चित समय-सीमा बताने का कष्ट करें कि यह रिक्त पद कब तक भर दिए जाएंगे.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदया, समय-सीमा बताना संभव नहीं है क्योंकि यह विषय न्यायालय का है और जब तक न्यायालय में इस विषय का निराकरण नहीं होगा तब तक हम इसकी समय-सीमा नहीं बता सकेंगे. न्यायालय का फैसला आने के बाद ही हम आगे की प्रक्रिया को पूरा कर पाएंगे.
श्री पांचीलाल मेड़ा-- माननीय सभापति महोदया, मेरा अंतिम प्रश्न यह है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र धरमपुरी नालसा विकासखण्ड के प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में 103 अतिरिक्त कक्षों की आवश्यकता है इस संबंध में लंबे समय से मांग की जा रही है. मंत्री जी कब तक इन अतिरिक्त कक्षों की स्वीकृति प्रदान करेंगे.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदया, अतिरिक्त कक्षों के संबंध में सदस्य की विधान सभा क्षेत्र का प्रश्न है. हमने ''सीएम राइज योजना'' में मिडिल स्कूल का भी चयन किया है, हाई स्कूल का चयन कर रहे हैं और हायर सेकेण्ड्री तक के स्कूलों का चयन भी कर रहे हैं. उसमें जो स्कूल आएंगे वहां के भवन बनाने का काम, स्वीकृत करने का काम शासन स्तर पर किया जाएगा और उनका काम हम प्राथमिकता से भवन बनाने में करेंगे बाकी भवनों का काम बजट न होने के कारण हम उसमें नहीं कर रहे हैं लेकिन ''सीएम राइज योजना'' में जो आएंगे उनको हम करेंगे.
श्री पांचीलाल मेड़ा-- माननीय सभापति महोदया, मेरा विधान सभा क्षेत्र पूरा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है और बार-बार हम यह मांग रखते आए हैं. मंत्री जी का यही कहना है कि बाकी हम सतत् प्रक्रिया में करेंगे, लेकिन मैं इस प्रश्न से संतुष्ट नहीं हूं कि आप रखेंगे या उसके बाद बजट में रखेंगे आप कम से कम यह आश्वासन दीजिए कि क्या आप इसको जल्द से जल्द स्वीकृति में लेंगे.
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदया, मैं माननीय सदस्य को यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हम प्रक्रिया कर रहे हैं क्योंकि अभी हमें ''सीएम राइज योजना'' में जो स्कूलों का चयन करना है उसका अनुमोदन जनपदों से, जिला पंचायतों से होना है वह अनुमोदित होकर आएंगे और आपके जो स्कूल उसमें आ रहे हैं उनको हम प्राथमिकता के साथ करेंगे.
श्री पांचीलाल मेड़ा-- माननीय सभापति महोदया, मैं यह कहना चाहता हूं कि माननीय मंत्री महोदय, समय-सीमा बताएं कि समय-सीमा क्या रहेगी?
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदया, समय-सीमा बताना संभव नहीं है क्योंकि वह अभी प्रक्रिया में है और प्रक्रिया पूर्ण होने के तत्काल बाद हम उसको प्राथमिकता के साथ करेंगे.
श्री पांचीलाल मेड़ा- माननीय सभापति महोदया, मुझे आपके माध्यम से यह विश्वास चाहिए कि इसकी समय-सीमा क्या होगी, क्योंकि मैंने पहले भी यह प्रश्न किया था और मुझे पहले भी आश्वासन मिला था कि हम कर देंगे. मैं यह जानना चाहता हूं कि आखिर इसकी समय-सीमा क्या रहेगी ?
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय सभापति महोदया, समय-सीमा बता पाना संभव नहीं है.
सभापति महोदया- मंत्री जी, आप समय-सीमा बता दीजिये.
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय सभापति महोदया, इस संबंध में हमारी योजना चल रही है, चयन की प्रक्रिया चल रही है, चयन की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद, जो मापदण्ड के अनुसार चयन प्रक्रिया हो रही है, उसमें जो स्कूल चयनित होंगे, उनको हम स्वीकृत कर, बनाने का कार्य करेंगे.
श्री पांचीलाल मेड़ा- मंत्री जी, समय-सीमा क्यों नहीं बता रहे हैं ?
सभापति महोदया- माननीय सदस्य, आप पहले मंत्री जी का जवाब सुन लीजिये.
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय सभापति महोदया, क्योंकि संपूर्ण मध्यप्रदेश के विभिन्न विकासखण्डों का चयन इसमें हमारे द्वारा किया जा रहा है, इसमें बड़ी संख्या में स्कूल शामिल होने वाले हैं इसलिए मैं माननीय सदस्य को विश्वास दिलाता हूं कि उनकी विधान सभा के भी जो स्कूल इसमें शामिल होंगे, हम उन्हें पूरा करेंगे.
श्री पांचीलाल मेड़ा- माननीय सभापति महोदया, मैं केवल समय-सीमा जानना चाहता हूं. मंत्री जी, समय-सीमा क्यों नहीं बता रहे हैं ? सतत्-प्रक्रिया, सतत्-प्रकिया बहुत समय से चल रही है.
सभापति महोदया- मंत्री जी, माननीय सदस्य बार-बार केवल समय-सीमा पूछ रहे हैं, आप इसे प्राथमिकता में ले लें.
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय सभापति महोदया, मैं इसकी समय-सीमा अभी नहीं बता सकता हूं क्योंकि मिडिल स्कूल का पैसा भारत सरकार से आता है या तो फिर हम कहें कि जब हम भारत सरकार से मांग करेंगे और जब वहां से पैसा आयेगा तब करेंगे.
श्री पांचीलाल मेड़ा- माननीय सभापति महोदया, मैं स्पष्ट कहना चाहता हूं कि मंत्री जी मेरे प्रश्न का घुमा-फिराकर जवाब दे रहे हैं.
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय सभापति महोदया, मध्यप्रदेश सरकार की जो योजना है, ''सी.एम. राइस योजना'' उसके तहत प्रदेश के सभी स्कूलों का परीक्षण करवा रहे हैं, पात्रता के अनुसार इसमें जो स्कूल आयेंगे, क्योंकि हमने 15-20 किलोमीटर के बीच में एक अच्छा स्कूल स्थापित करने की योजना बनाई है, इसमें मिडिल एवं हाई, दोनों प्रकार के स्कूल हैं और पहली प्राथमिकता के साथ उन स्कूलों के भवनों के निर्माण का कार्य किया जायेगा, शेष स्कूलों का कार्य बाद में किया जायेगा.
श्री पांचीलाल मेड़ा- माननीय सभापति महोदया, मैं यह पूछना चाहता हू्ं कि क्या भारत सरकार ने इसके लिए आपको पैसा नहीं दिया है, आप इस स्कूल को इसी बजट में शामिल करके, पूरा करवाइये.
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय सभापति महोदया, समय-सीमा बता पाना संभव नहीं है.
श्री पांचीलाल मेड़ा- मंत्री जी, आप समय-सीमा नहीं बता पा रहे हैं और यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि आपने मेरे प्रश्न का जवाब दिया या नहीं. बस हो रहा है, चल रहा है, यही है. माननीय सभापति महोदया, मुझे जो उत्तर प्राप्त हुआ है मैं उससे बिल्कुल संतुष्ट नहीं हूं.
सभापति महोदया- माननीय सदस्य, आप अपने क्षेत्र में यदि कोई विशेष स्थान, जहां आप प्राथमिकता चाह रहे हैं तो आप मंत्री जी से संपर्क करके उन्हें अपनी समस्या बता दीजिये.
श्री पांचीलाल मेड़ा- माननीय सभापति महोदया, मंत्री जी मुझे समय-सीमा तो बतायें, तब तो मैं उन्हें अपने क्षेत्र की वास्तविकता बताऊं. मेरे क्षेत्र में ऐसे कई जर्जर स्कूल हैं जहां अतिरिक्त कक्षों की आवश्यकता है.
सभापति महोदया- मंत्री जी, आप माननीय सदस्य के क्षेत्र में ऐसा कोई विशेष स्थान, जहां वे स्कूल के अतिरिक्त कक्ष बनवाना चाह रहे हैं, आप सदस्य से मिलकर उनकी समस्या का हल निकालें.
श्री इन्दर सिंह परमार- माननीय सभापति महोदया, पूरे मध्यप्रदेश के लिए एक जैसी योजना बन रही है. हम किसी विशेष विधान सभा क्षेत्र या ब्लॉक के लिए नहीं कर रहे हैं लेकिन स्कूलों के परीक्षण उपरांत, जैसे ही चयन की प्रक्रिया पूर्ण होगी, मैं माननीय सदस्य से व्यक्तिगत बात करके, उनकी जो प्राथमिकता होगी, हम उसे पहले करवा लेंगे.
श्री पांचीलाल मेड़ा- माननीय सभापति महोदया, मुझे निश्चित समय-सीमा इसलिए चाहिए क्योंकि मेरे क्षेत्र में कई स्कूल जर्जर हालात में हैं, बच्चे बाहर पढ़ाई कर रहे हैं, उनके पास बैठने की व्यवस्था नहीं है इसलिए मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि क्या मंत्री जी, मुझे आश्वस्त करते हुए समय-सीमा बतायेंगे ?
सभापति महोदया- माननीय मंत्री जी ने आपको आश्वस्त किया है, आप उनसे मिलकर इस संबंध में चर्चा कर लें.
जनजातीय वर्ग के युवा उद्यमियों को ऋण का प्रदाय
[जनजातीय कार्य]
7. ( *क्र. 2656 ) डॉ. हिरालाल अलावा : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) जनजातीय वर्ग के सदस्यों को ऋण देने एवं व्यवसायों के प्रति आकर्षित करने के लिए शासन द्वारा कौन-कौन से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं? (ख) किस योजना के तहत कितनी राशि किस व्यक्ति/संस्था को किस मद में देने का प्रावधान है? (ग) जनजातीय क्षेत्रों की बेरोजगारी दूर करने एवं पलायन रोकने के लिए शासन द्वारा क्या कार्यक्रम वर्तमान में संचालित हैं? क्या-क्या प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है? (घ) जनजातीय सदस्यों को व्यवसाय से जोड़ने एवं पलायन रोकन के लिए जनवरी 2018 से प्रश्न दिनांक तक धार जिला अंतर्गत किस दिनांक को किस जगह किसके द्वारा कितने प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए? प्रशिक्षण कार्य के लिए कितनी राशि किसके द्वारा जारी की गई? आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम से संबंधित समस्त ब्यौरा उपलब्ध कराएं। (ड.) जनवरी 2018 से प्रश्न दिनांक तक जनजातीय वर्ग के किस व्यक्ति को कितनी राशि किस मद में किस व्यवसाय/कार्य के लिए विभाग द्वारा जारी की गई?
जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्डवे ) : (क) म.प्र. जनजातीय वित्त एवं विकास निगम के माध्यम से प्रदेश के अनुसूचित जनजाति वर्ग हेतु निम्नानुसार योजनायें संचालित हैं :-1. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना। 2. मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना। 3. मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना। 4. मुख्यमंत्री कृषक उद्यमी योजना। म.प्र. रोजगार एवं प्रशिक्षण परिषद् के माध्यम से कौशल विकास कार्यक्रम अंतर्गत रोजगार मूलक प्रशिक्षण आयोजित किये जाते हैं। (ख) म.प्र.जनजाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा संचालित योजनाओं में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये बैंकों द्वारा ऋण प्रदाय किया जाता है। निगम द्वारा जिलों में राशि प्रदाय नहीं की जाती है। निगम द्वारा केवल अनुदान राशि नोडल बैंकों को प्रदान की जाती है। निगम द्वारा संचालित निम्नानुसार योजनाओं में बैंकों के माध्यम से ऋण दिये जाने का प्रावधान है :- 1. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना-रू. 50,000 से 10.00 लाख तक, 2. मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना-अधिकतम रू. 50 हजार तक, 3. मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना-रू. 10.00 लाख से 2.00 करोड़ तक, 4. मुख्यमंत्री कृषक उद्यमी योजना- रू. 50 हजार से 2.00 करोड़ तक। (ग) म.प्र. रोजगार एवं प्रशिक्षण परिषद् भोपाल के द्वारा कौशल विकास कार्यक्रम अंतर्गत रोजगार मूलक प्रशिक्षण आयोजित किये जाते हैं। (घ) धार जिले में वर्ष जनवरी 2018 से वर्तमान तक संचालित प्रशिक्षण की जानकारी निम्नानुसार है :-
संस्था का नाम |
स्थान/प्रशिक्षण केन्द्र एवं जिला |
प्रशिक्षणार्थियों की संख्या |
राशि लाख में |
अडानी स्किल डेव्हलपमेंट सेंटर, अहमदाबाद |
बदनावर, धार |
130 |
23.37 |
वोकार्ड फाउन्डेशन मुंबई |
मगजपुरा धार, खलघाट धार |
151 145 |
18.84 15.86 |
नालंदा इंस्टीट्यूट फॉर कम्प्यूटर एण्ड वोकेशनल ट्रेंनिंग इंदौर |
धार मनावर, धार |
80 80 |
10.37 10.64 |
आई.टी.आर.सी. टेक्नालॉजीस प्रा.लि. इंदौर |
धार |
80 |
16.62 |
(ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
डॉ. हिरालाल अलावा- माननीय सभापति महोदया, आपने मुझे सदन में अपनी बात रखने का अवसर दिया, इस हेतु धन्यवाद. सर्वप्रथम मैं आज आपको और इस सदन में उपस्थित हमारी समस्त नारी शक्ति को ''अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस'' की शुभकामनायें देता हूं और सभापति महोदया, आज के दिन आपको यह अवसर मिला कि आप इस सदन की अध्यक्षता करें.
माननीय सभापति महोदया, मेरा प्रश्न बेरोजगारी, पलायन और युवाओं में उद्यमिता से संबंधित है. मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदया को सुझाव भी देना चाहता हूं और प्रश्न भी करना चाहता हूं कि बेरोजगारी प्रदेश में प्रमुख समस्या हैं. प्रदेश में 30 लाख से अधिक बेरोजगार युवा हैं. यह बेरोजगारी आदिवासी क्षेत्रों में आज चरम पर है. इस बेरोजगारी के कारण युवाओं में दिनों-दिन असंतोष बढ़ता जा रहा है. बेरोजगारी के कारण आदिवासी गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और अन्य राज्यों में जा रहे हैं. इस पलायन की वजह से उनकी संस्कृति, उनकी भाषा धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है.
माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदया को बेरोजगारी दूर करने के लिए सुझाव देना चाहता हूं कि प्रदेश के पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में, प्रदेश के पेसा (पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) विधेयक (The Provisions on the Panchyats Extension to the Scheduled Areas Bill) क्षेत्रों में पिछले 18 सालों से एसटी और एससी के बैकलॉग पदों पर भर्ती नहीं हुई है, उन पदों पर जल्दी से जल्दी भर्ती की जाये. दूसरा, मेरा सुझाव है कि अनुसूचित जिले जहां पर पेसा कानून के प्रावधान लागू हैं, वहां पर स्थानीय स्तर पर, जनपद स्तर पर और जिला पंचायत स्तर पर बेरोजगार युवाओं का विशेष भर्ती अभियान चलाया जाये और मेरा तीसरा सुझाव यह है कि अनुसूचित क्षेत्रों में माइनिंग में, रेत खदानों में और गैर-सरकारी संस्थाओं में जहां उद्योग स्थापित हों वहां पर आदिवासी युवाओं की विशेष भागीदारी सुनिश्चित की जाये.
सभापति महोदया, मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया से प्रश्न है कि जो आदिवासी क्षेत्रों में बेरोजगारी दूर करने के लिये और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये मध्यप्रदेश सरकार के माध्यम से चार योजनाएं संचालित की जा रही हैं, उसमें जो प्रमुख योजना है वह है मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, जून, 2016 से यह योजना शुरू हुई और मेरे धार जिले में 2016 से लेकर 2021 तक सिर्फ तीन युवाओं को इस योजना का फायदा मिला यह फायदा इसलिये सिर्फ तीन युवाओं को इसलिये मिला, वह सिर्फ इसलिये नहीं कि बेरोजगार युवाओं ने उद्योग के लिये अप्लाई नहीं किया, इसलिये नहीं कि आदिवासी युवा उद्योग के क्षेत्र में काम नहीं करना चाहते हैं, इसलिये क्योंकि इस योजना के अंतर्गत बैंकों से लोन लेने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि एक आम व्यक्ति का, आम बेरोजगार का बैंकों से लोन लेने बहुत कठिन काम है, तो मैं, आपके माध्यम से मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूं कि क्या इस योजना का फायदा युवाओं को ज्यादा से ज्यादा मिले, इस योजना का सरलीकरण करने के लिये आपके माध्यम से कोई प्रयास होंगे, वह प्रयास कम होंगे और कितने समय में होंगे उसके बारे में अवगत कराने का कष्ट करें ?
सुश्री मीना सिंह माण्डवे:- माननीय सभापति महोदया, आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है, इस पावन अवसर पर हमारी महिला विधायकों को और यहां पर उपस्थित हमारी जो भी महिला बहनें हैं देश से लेकर दुनिया तक सभी महिला बहनों को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं और बधाई देती हूं और हमारे जो पुरूष विधायक हैं उनकी पत्नियां भी महिलाएं हैं तो उन सभी हमारे विधायकों के घरों में जो पत्नियां हैं उन सभी महिला बहनों को भी बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित करना चाहती हूं.
सभापति महोदया, माननीय विधायक जी का जो प्रश्न है उन्होंने तो बहुत सारे सुझाव दिये हैं, जैसा कि आपने भी सुने हैं, रोजगार की बात का इस प्रश्न में कहीं भी उल्लेख नहीं है, उन्होंने सिर्फ प्रशिक्षण की जानकारी मांगी थी, वह उत्तर के माध्यम से दे दी गयी है.
डॉ. हिरालाल अलावा:- सभापति महोदया, प्रशिक्षण, बेरोजगार और योजनाएं जो आदिवासी क्षेत्रों में पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में बेरोजगारों को रोजगार मिले, तो मेरा मूल प्रश्न पूछने का उद्देश्य यह था कि योजनाओं का फायदा आम लोगों, गरीब, बेरोजगार युवाओं तक कैसे पहुंचाया जाये. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया से सिर्फ इतना जानना चाहता हूं कि जो आपने कहा है उद्यमिता के इसकी गारेन्टर बनेगी तो क्या आप इस बात के लिये मुझे आश्वस्त करेंगी कि जो बेरोजगार युवा उद्यमिता के लिये बैंकों से लोन लेना चाहते हैं, उसके लिये जिला स्तर पर जो टॉस्क फोर्स कमेटी बनी है वहां तक पहुंचने के लिये एक बेरोजगार युवा को कई चैनलों से होकर गुजरना पड़ता है, एक सीए रखना पड़ता है.
सभापति महोदया:- आप सीधे पूछिये की आप क्या चाहते हैं.
डॉ. हिरालाल अलावा:- सभापति महोदया, मैं यह चाहता हूं क्या इस लोन प्रक्रिया जो आसान बनाने के लिये आपके माध्यम से ऐसे कदम उठाये जायेंगे कि उनका निराकरण जिला पंचायत स्तर पर या जनपद स्तर पर ही किया जा सके ?
सुश्री मीना सिंह माण्डवे:- माननीय सभापति महोदया, माननीय सदस्य ने जो जानकारी चाही है बिन्दु पर विचार करेंगे.
डॉ. हिरालाल अलावा:- सभापति महोदया, मेरा आखिरी सवाल है यह बेरोजगारी से जुड़ा हुआ मुद्दा है. मैं मंत्री महोदया से पूछना चाहता हूं कि आदिवासी क्षेत्रों में जो बैकलॉग के पद हैं जो वर्ष 2003 के बाद से अभी तक नहीं भरे गये हैं और जो बैकलॉग के पद थे वह 2018 अदर्स भर्ती नियम के तहत जो एसटीएससी के पद थे उनको कई मेडिकल कॉलेजों में सामान्य पदों से भर दिया गया जो कि संवैधानिक व्यवस्था के बिल्कुल खिलाफ है और माननीय मंत्री महोदया मुझे आश्वस्त करें कि उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगी और कार्यवाही करेंगी तो निश्चित ही जो बेरोजगार युवा हैं उनको रोजगार मिलेगा मेडिकल कॉलेजों में इंजीनियरिंग कॉलेजों में और प्रदेश के समस्त कॉलेजों में उनको रोजगार मिलेगा. बैकलॉग के पदों पर गलत तरीके से भर्ती हुई है. क्या उनके ऊपर कार्यवाही करने का मंत्री जी आप आश्वस्त करती हैं?
सुश्री मीना सिंह माण्डवे--सभापति महोदया, जो माननीय विधायक जी प्रश्न कर रहे हैं वह मूल प्रश्न से उद्भूत नहीं होता है.
डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, यह बेरोजगारी का गंभीर सवाल है. आप अगर युवाओं को रोजगार नहीं देंगे. आज वह डिग्री लेकर के घूम रहे हैं चाहे उसमें डॉक्टर हों, इंजीनियर हो, चाहे डिग्री कॉलेज के युवा हों, आज महिला दिवस है उसमें मंत्री जी आश्वस्त करें कि आदिवासी क्षेत्रों में बेरोजगारी द्वारा ह्यूमन ट्रेफिकिंग जैसी घटनाएं हो रही हैं उसके लिये जिम्मेदार कौन है ? अगर मंत्री जी यह आश्वस्त नहीं करेंगी कि हम लोन प्रक्रिया को आसान नहीं करेंगे. आज बेरोजगारों का आसानी से लोन नहीं मिल रहा है. बैंक में उनको रिश्वत खिलानी पड़ती है. कई स्तरों पर भ्रष्टाचार है उसको आसान करने के लिये सरकार जिम्मेदारी नहीं ले सकती है ?
सभापति महोदया--यह आपके प्रश्न में नहीं आया है. आप सीधा पूछिये कि क्या चाह रहे हैं.
डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, मैं चाहता हूं कि लोन प्रक्रिया को आसान बनाया जाये ताकि बेरोजगारों युवाओं को रोजगार आसानी से मिले.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे--सभापति महोदया, जो नियम है उसके तहत ही कार्य किये जाते हैं. जो नियम बने हैं उसके तहत ही काम किये जायेंगे.
डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि नियम बनाना आपके हाथ में है. आप सरकार में हैं. आप चाहें तो नियमों में संशोधन करें. ऐसे नियम बनाये जिससे युवाओं को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो तथा बेरोजगारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिले.
सभापति महोदया--इस प्रश्न पर पर्याप्त चर्चा हो गई है. प्रश्न क्रमांक 9 श्री दिलीप सिंह परिहार.
डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, मेरे सवाल का जवाब नहीं मिला.
सभापति महोदया--मंत्री जी ने आश्वस्त कर दिया है.
डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है इस पर सदन गंभीर नहीं होगा तो आने वाले समय में संघर्ष होगा तो उसके लिये जिम्मेदार कौन होगा ?
श्री दिलीप सिंह परिहार-- सभापति महोदया, आदिवासी भाईयों को लोन लेने के लिये उनकी चप्पल घिस जाती है, लेकिन उनका लोन नहीं होता है.
डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, आदिवासी लड़कियां गायब हो जा रही हैं ह्यूमन ट्रेफिकिंग के कारण तथा बेरोजगारी के कारण उनको गुजरात एवं महाराष्ट्र जाना पड़ा रहा है. मैं सिर्फ इतना पूछना चाहता हूं कि क्या युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के लिये लोन प्रक्रिया को सरकार के माध्यम से आसान बनाया जायेगा.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे--सभापति महोदया, यह प्रश्न उद्भूत ही नहीं होता है तो मैं जवाब किस बात का दूं ?
डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, यह प्रश्न उद्भूत नहीं है, लेकिन वहां की गंभीर समस्या है. आप हमारी मंत्री हैं आपको आदिवासी क्षेत्रों के लिये गंभीर होना पड़ेगा. आप ही यह जवाब देंगी तो हम किनसे उम्मीद करेंगे कि बेरोजगारों का रोजगार मिले ?
सुश्री मीना सिंह माण्डवे--सभापति महोदया, रोजगार के बारे में मूल प्रश्न में पूछा ही नहीं गया था. प्रश्न से हटकर के जवाब मांगा जा रहा है.
डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया,माननीय मंत्री जी आप पूरा प्रश्न पढ़िये कि बेरोजगार युवाओं को रोजगार स्थानीय स्तर पर मिले.
सभापति महोदया--जब मांगों पर चर्चा होगी तब आप विस्तृत रूप से अपनी बात रखियेगा.
पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना का क्रियान्वयन
[पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण]
8. ( *क्र. 3586 ) श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन द्वारा संचालित पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, पिछड़ा वर्ग के छात्रों को प्रदान की जाती है या उस शिक्षण संस्थान को जहां वह अध्ययनरत हैं? (ख) यदि छात्र को प्रदान की जाती है तो सत्र 2019-20 में सतना जिले में शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों में छात्रवृत्ति के भुगतान का अलग-अलग मापदण्ड क्यों? (ग) यदि उपरोक्त खण्ड स्वीकारात्मक है तो क्या छात्रवृत्ति के भुगतान का दोहरा मापदण्ड का नियम है? यदि हाँ, तो अवगत करावें। यदि नहीं, तो उन शिक्षण संस्थानों पर क्या कार्यवाही कब तक होगी?
राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण ( श्री रामखेलावन पटेल ) : (क) जी हाँ। विभाग द्वारा संचालित पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति पिछड़ा वर्ग के छात्रों को प्रदान की जाती है। प्रदेश की शासकीय संस्थाओं में संचालित केवल बी.ई./एम.बी.एस. एवं शासकीय पॉलीटेक्निक संस्थाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों को योजना अंतर्गत स्वीकृत शिक्षण शुल्क, परीक्षा शुल्क एवं अन्य शुल्कों का भुगतान सीधे शासकीय संस्थाओं के खाते में ऑनलाइन करते हुए अनुरक्षण भत्ते का भुगतान सीधे विद्यार्थियों के एकल बैंक खाते में हस्तांतरित किया जाता है। (ख) सत्र 2019-20 में सतना जिले में शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों में छात्रवृत्ति का भुगतान पिछड़ा वर्ग मैट्रिकोत्तर योजना को शासित करने वाले नियमों के अनुसार किया गया है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा-- सभापति महोदया, विश्व महिला दिवस पर माननीय गृहमंत्री जी को छोड़कर बाकी सबको शुभकामनाएं. गृहमंत्री जी को इसलिये नहीं क्योंकि हमारी राष्ट्रीय अध्यक्ष को...
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- सभापति महोदया,आपको एक घंटे के बाद में बात समझ आयी.
सभापति महोदया--आप प्रश्न करिये.
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा-- सभापति महोदया, हमारे जिले में बच्चे हैं जिनको शासन के द्वारा छात्रवृत्ति मिलती है उन बच्चों के साथ भेदभाव हुआ है. यह भेदभाव अधिकारियों के द्वारा किया गया है. आज जिले में बहुत सारे बच्चे हैं जिनको छात्रवृत्ति न मिलने के कारण पढ़ाई छोड़ने की कगार पर पहुंच गये हैं. वह लॉक डॉऊन की वजह से गांव से आकर शहरों में छोटे-मोटे काम करके छात्रवृत्ति के भरोसे वह पढ़ाई कर रहे थे, उनके साथ भेदभाव हुआ है. मेरा प्रश्न यह है कि क्या शासन द्वारा संचालित पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति योजना पिछड़ा वर्ग के छात्रों को प्रदान की जाती है. या शिक्षण संस्थान को जहां वह अध्ययनरत् हैं. इसका जवाब मिला है जी हां. विभाग द्वारा संचालित पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति उत्तर विदाउट डी.एस.सी. क्या है ? पिछड़ा वर्ग के छात्रों को प्रदान की जाती है. यहां तक तो ठीक है. लेकिन प्रदेश की शासकीय संस्थाओं में संचालित केवल बी.ई/एम.बी.एस. एवं शासकीय पॉलिटेक्निक संस्थाओं में अध्ययनरत् विद्यार्थियों को योजना के अंतर्गत स्वीकृत शिक्षण शुल्क, परीक्षा शुल्क एवं अन्य शुल्कों का भुगतान सीधे शासकीय संस्थाओं के खाते में ऑनलाइन करते हुए अनुरक्षण भत्ते का भुगतान सीधे विद्यार्थियों के एकल बैंक खाते में हस्तांतरित किया जाता है.
सभापति महोदया - माननीय सदस्य, सीधे प्रश्न पूछ लें, पढ़कर न सुनाएं.
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा - मेरा विषय सिर्फ इतना था, हमारे पास कुछ प्रमाणित रिकार्ड है, जिसमें एक ही सब्जेक्ट पर पढ़ाई करने वालो दो अलग अलग छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई है. ऐसे कई गंभीर मुद्दे हैं, हमारे जिले में एक छात्र है अंजनी यादव जो ओबीसी का है और एमएससी का विद्यार्थी है फर्स्ट ईयर में है, उसको 26 हजार 283 रूपए छात्रवृत्ति मिलती है, वहीं धीरज कुमार सेन जो ओबीसी का है, और प्रायवेट कॉलेज में पढ़ता है, वह भी एमएससी कर रहा है और उसको 11 हजार 64 रूपए छात्रवृत्ति मिल रही है, तो यह भेदभाव क्या है और क्यों हैं. जब यह बातें आईं तो हमने अधिकारियों से पूछा तो अधिकारियों ने कहा यह शासन का नियम है, जबकि शासन के नियम में एक जैसा है. सम्माननीय सरकार जो ओबीसी के लिए, बच्चों के लिए, अपने भांजे-भांजियों के लिए न्याय की बात करती है तो यह अन्याय कब तक चलेगा और इसका क्या उपाये हैं?
श्री रामखेलावन पटेल - माननीय सभापति महोदय, शासकीय शैक्षणिक संस्थाओं में पूर्ण शिक्षण शुल्क सहित अन्य अनिवार्य शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाती है. अशासकीय शिक्षण संस्थाओं में शासकीय शिक्षण संस्थाओं के बेसिक पाठ्यक्रम के समतुल्य फीस का भुगतान किया जाता है, शासकीय शिक्षण संस्थाओं में गुणवत्तापूर्ण शिक्षण होने के साथ ही शुल्क की दर न्यूनतम होने से अधिक से अधिक विद्यार्थियों द्वारा शासकीय शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लिया जा सके, इसलिए शासकीय शिक्षण संस्थाओं में फीस ज्यादा दी जा रही है. अशासकीय संस्थाओं में शुल्क अधिक होने तथा भिन्न भिन्न संस्थाओं में पृथक-पृथक दर होने के कारण शासकीय संस्थानों में न्यूनतम दर को आधार बनाया जाता है. शासकीय संस्थाओं की फीस को आधार बनाने से शासन पर अपेक्षाकृम कम वित्तीय भार आता है इसलिए ऐसी व्यवस्था सरकार ने कर रखी है.
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा - माननीय सभापति महोदय, जब सरकार सारे बच्चों को नहीं पढ़ा पाती या एडमिशन नहीं दे पाती तो बच्चे प्रायवेट कालेज में जाते हैं, प्रायवेट शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर होते हैं, तो वहां का खर्च भी ज्यादा होता है और उन बच्चों की छात्रवृत्ति में भी कटौती हो जाती है तो यह न्यायसंगत नहीं है, क्या इसकी व्यवस्था की जाएगी, क्या इसमें सुधार होगा और कब तक होगा, ताकि जो पिछला सत्र निकल गया और आने वाला सत्र बच्चों का खराब न हो, उनका भविष्य खराब न हो, क्या उनके लिए सरकार गंभीरता से निर्णय लेगी.
श्री रामखेलावन पटेल - माननीय महोदया, अशासकीय संस्थाओं को शासकीय संस्थाओं के बेसिक कोर्स के अनुरूप भुगतान किया जाता है. 8994, इसी तरह शासकीय कॉलेजों में भी इसी तरह का भुगतान किया जाता है. शासकीय कॉलेजों में कुछ अन्य सुविधाओं के कारण वहां ज्यादा फीस दी जाती है. महोदया, मैं माननीय सदस्य के सुझावों पर विचार करूंगा, आप हमारे साथ बैठ लिजिएगा, हम अधिकारियों को बैठाकर के प्रयास करेंगे कि आपके सुझावों में हमारी और आपकी सहमति हो जाए और आगे उसमें सरकार कार्यवाही करें.
श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा - धन्यवाद .
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ - माननीय सभापति महोदया, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि क्या प्रदेश के बाहर जो बच्चे पढ़ते हैं, पिछड़ा वर्ग के क्या उनको भी आप छात्रवृत्ति देते हैं. मेरी विधान सभा के झांसी के अंदर कृषि विश्वविद्यालय में बच्चे पढ़ रहे हैं, उनको स्कालरशिप नहीं मिल रही है, यह थोड़ा बता दें.
जिला परियोजना समन्वयकों की प्रतिनियुक्ति समाप्त करना
[स्कूल शिक्षा]
9. ( *क्र. 3327 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा अपने आदेश क्रमांक 2494, दिनांक 01.04.2016 के द्वारा कितने वर्ष के लिये प्राचार्य उ.मा.वि./हाई स्कूल संवर्ग को जिला परियोजना समन्वयक के पद पर प्रतिनियुक्ति पर रखा गया है? क्या प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने के उपरान्त शासन द्वारा प्रतिनियुक्ति अवधि बढ़ाने के कोई आदेश प्रसारित किये हैं? यदि नहीं, तो कब तक इनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त कर इनकी सेवाएं मूल विभाग को सौंपी जायेंगी? (ख) प्रश्नाधीन आदेश के परिप्रेक्ष्य में ऐसे कितने आवेदन शासन को प्राप्त हुए हैं, जिसमें प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए स्थानान्तरण की मांग की गई है? क्या ऐसे आवेदनों पर शासन विचार कर संबंधितों की सेवाएं मूल विभाग को सौंपने की कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) क्या नीमच जिले से भी जिला परियोजना समन्वयक के पद पर प्रतिनियुक्ति पर जाने के संबंध में कोई प्रस्ताव शासन को प्राप्त हुए हैं? यदि हाँ, तो प्राप्त प्रस्ताव अनुसार कब तक आदेश प्रसारित कर दिये जावेंगे।
राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) राज्य शिक्षा केन्द्र के आदेश क्रमांक 2494, दिनांक 01.4.2016 द्वारा 25 प्राचार्य संवर्ग की सेवायें प्रतिनियुक्ति पर जिला परियोजना समन्वयक के पद पर दो वर्ष के लिए ली गईं थीं, जिसमें से वर्तमान में उक्त आदेश के तहत तीन प्राचार्य संवर्ग के अधिकारी जिला परियोजना समन्वयक के पद पर पदस्थ हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र क्रमांक सी-18/94/3/1, दिनांक 12.12.1994 में प्रतिनियुक्ति अवधि सामान्यतः चार वर्ष। इससे अधिक अवधि तक रखा जाना आवश्यक है तो दोनों विभागों की आपसी सहमति से अवधि बढ़ाई जा सकती है। लोक शिक्षण संचालनालय के पत्र क्रमांक/स्था.1/राज/जी/194/प्रति.नि./2017/798, दिनांक 9.6.2017 के माध्यम से स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यालय तथा उसके अनुशांगिक कार्यालयों में पदस्थ ऐसे शिक्षक संवर्ग के कार्यरत कर्मचारियों को भारमुक्त न किये जाने के निर्देश हैं। पत्र की प्रति संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) जिला परियोजना समन्वयक, पन्ना एवं जिला परियोजना समन्वयक, नीमच का स्थानांतरण किये जाने संबंधी आवेदन प्राप्त हुआ। लोक शिक्षण संचालनालय के पत्र क्रमांक/स्था.1/राज/जी/ 194/प्रति.नि./2017/798, दिनांक 9.6.2017 के प्रकाश में सेवायें मूल विभाग को वापिस किये जाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन न होने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं, बल्कि जिला परियोजना समन्वयक, नीमच का स्थानांतरण संबधी आवेदन प्राप्त हुआ है।
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से मान्यवर राज्य मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि शासन के पत्र दिनांक 9.6.2017 के अनुसार, शिक्षा संवर्ग के कार्यरत कर्मचारियों को भारमुक्त नहीं करने के निर्देश हैं तो फिर श्री गहलोत और श्री सोलंकी को कलेक्टर नीमच और आपके माध्यम से क्यों हटाया गया ? जो प्रतिनियुक्ति पर रहना चाहता था, उसको हटाया गया है. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से यह मेरा मूल प्रश्न है.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय सभापति महोदया, माननीय सदस्य के जिले का जहां का यह उल्लेख कर रहे हैं, 4 वर्ष तक के लिये प्रतिनियुक्ति पर डीपीसी के पद पर जा सकते हैं, 2 वर्ष फिर बढ़ाई जा सकती है और यदि दोनों विभागों की सहमति हो तो उसके आधार पर 2 वर्ष और बढ़ाई जा सकती है. आप जिन गोयल का उल्लेख कर रहे हैं, उनका 4 वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - सभापति महोदया, माननीय मैंने तो आपको यह लिखा है कि आपने प्रतिनियुक्ति पर जो रखे थे, उनको तो हटा दिया बाकि उनको नहीं हटाया, जबकि मैंने एक पत्र दिया है कि गोयल की जगह मदन सिंह की डीपीसी बनाने के लिये, उसका कोई पालन ही नहीं हुआ है.
श्री इन्दर सिंह परमार - इसका प्रस्ताव आपके द्वारा विभाग के पास अभी नहीं आया है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय, मैं स्वयं लेकर गया था.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय सभापति महोदया, लेकिन हम परीक्षण करेंगे. यदि वह आया होगा और पात्र होगा तो हम उस पर विचार करेंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार - वह पात्र है.
श्री इन्दर सिंह परमार - तो ठीक है. हम परीक्षण करके उसपर विचार करके, कार्यवाही करेंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय सभापति महोदया, जब वे शिक्षा के क्षेत्र में इतना अच्छा कार्य कर रहे हैं तो यदि प्रतिनियुक्ति कोई लेना चाहता हो तो उनको तो हटा देते हैं, जो हटना चाहता है, आपने उनको रखा हुआ है, तो कम से कम वहां डीपीसी की नियुक्ति हो जाये, आप इतना आश्वासन दे दें.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय सभापति महोदया, अभी वहां पर डीपीसी है. मैं उनसे बात करके, आप जो नाम बोल रहे हैं, उसका विभाग के पास कोई प्रस्ताव नहीं आया है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय, मैंने स्वयं ने शिक्षा विभाग को दिनांक 24.7.2020 को प्रस्ताव भेजा है.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय सभापति महोदया, जो माननीय सदस्य जी उल्लेख कर रहे हैं. वास्तव में तो उस सदस्य को ही, जो स्वयं संबंधित कर्मचारी है, लोक सेवक है, उसी को ही स्वयं को आवेदन करना पड़ता है. इसलिए माननीय का प्रस्ताव उसके सपोर्ट में हो सकता है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - उन्होंने मूल आवेदन किया है. मेरे पास उसकी दिनांक है.
श्री इन्दर सिंह परमार - उन्होंने मूल आवेदन नहीं किया है और मूल प्रश्न से इसका कोई अर्थ भी नहीं है. इसका कोई तालमेल नहीं है, यह मूल प्रश्न से उद्भूत नहीं हो रहा है. मैं फिर भी इसलिए कह रहा हूँ कि यदि उन्होंने आवेदन किया होगा कि हम हटना चाहते हैं तो विभाग उनको जरूर हटायेगा. यदि संबंधित ने आवेदन दिया है तो हम तत्काल हटा देंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय, ठीक है, तो आप उनको प्रतिनियुक्ति से हटाकर कर देंगे, यह आपने आश्वासन दिया है. इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ. आप जो 24,200 पदों पर नियुक्ति करें, उनमें बहनों का भी ध्यान रखें. आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत-बहुत बधाई.
मृत शासकीय सेवक के स्वत्वों के भुगतान में विलंब
[जनजातीय कार्य]
10. ( *क्र. 3797 ) श्री जालम सिंह पटैल : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) आदिवासी विकास विभाग के सतपुड़ा भवन में क्षेत्र संयोजक के पद पर कार्यरत रहते हुए मृत स्व. श्री जे.के. श्रीवास्तव, जिनकी मृत्यु को 10 वर्ष से भी अधिक समय हो गया है, के जी.पी.एफ, 240 दिन के स्वीकृत अवकाश एवं अन्य कौन से स्वत्वों का भुगतान आज दिनांक तक शेष है? (ख) कर्मचारी की जी.पी.एफ. की पासबुक का संधारण कौन करता है, विभाग या कर्मचारी? मृत शासकीय सेवक का 10 वर्षों के उपरांत भी उनके स्वत्वों का भुगतान न करना और उसका आधार यह लेना कि मृत शासकीय सेवक द्वारा नियमित सेवा में उपस्थित न रहने के कारण सेवापुस्तिका/जी.पी.एफ. पासबुक का नियमित संधारण नहीं हुआ, को विभाग किस प्रकार उचित मानता है? (ग) शासकीय कर्मचारी की मृत्यु उपरांत उनकी सेवापुस्तिका तथा जी.पी.एफ. संबंधी अभिलेख प्राप्त करने हेतु किन-किन कार्यालयों को कब-कब पत्र लिखा गया, पत्र क्रमांक/दिनांक बताएं तथा छायाप्रतियां भी प्रदाय करें। (घ) जी.पी.एफ. के साथ ही 240 दिन के स्वीकृत अवकाश एवं शेष अन्य कौन-कौन से स्वत्वों के भुगतान आज दिनांक तक शेष हैं, विवरण देवें तथा भुगतान में विलंब के लिए क्या संबंधितों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाएगा? यदि नहीं, तो क्यों? (ड.) मृत शासकीय सेवक के उक्त सभी स्वत्वों के भुगतान की निश्चित समय-सीमा बताएं।
जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्डवे ) : (क) जी.पी.एफ. पासबुक अपूर्ण होने से पदस्थापना स्थानों से जानकारी प्राप्त की जा रही है जिसमें से 04 जिलों से जानकारी प्राप्त हो चुकी है, शेष 02 जिलों से जानकारी अप्राप्त है। वेतन नियमन उपरांत वेतन अंतर की राशि जिसमें 240 दिवस स्वीकृत अवकाश अवधि का वेतन भी शामिल है। भुगतान की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ख) जी.पी.एफ. की पासबुक के संधारण का उत्तरदायित्व कार्यालय प्रमुख का है, परंतु द्वितीय पासबुक संबंधित शासकीय सेवक के पास रहने संबंधी निर्देश है। पासबुक में प्रविष्टियां शासकीय सेवक की सुविधा अनुसार हर महिने या कुछ अंतराल बाद लेकिन वर्ष में कम से कम एक बार अवश्य प्रमाणित की जावेगी। (ग) कार्यालय द्वारा लिखे गये पत्रों की प्रतियां पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) प्रश्नांश (क) एवं (ख) के उत्तर उपरांत शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ड.) निराकरण हेतु प्रक्रिया प्रचलन में है जिसकी निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री जालम सिंह पटेल - माननीय सभापति महोदया, मेरे प्रश्न के लिये समय कम है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जो मेरा प्रश्न है, उसमें जीपीएफ की राशि का कब तक भुगतान हो जायेगा ? आप निश्चित अवधि बताने की कृपा करें. मेरा दूसरा प्रश्न यह है कि जो मृतक कर्मचारी है, उसने कोई अवकाश नहीं लिया था और उसको 1009 मृतक दिवस एवं 973 दिवस के अवैतनिक किये गये वेतन का भुगतान कब तक होगा ? उसको अवैतनिक कर दिया है. मेरे दो प्रश्न हैं.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे - माननीय सभापति महोदया, माननीय विधायक जी का जो प्रश्न जीपीएफ भुगतान के संबंध में है, तो पूरा प्रकरण बनाकर महालेखाकार, ग्वालियर भेज दिया गया है और वहां से जैसे ही आदेश आयेगा तो उसका भुगतान हो जायेगा.
श्री जालम सिंह पटेल - सभापति महोदया, मैं जानकारी देना चाहूँगा कि उसको अवैतनिक कर दिया गया था. मैं चिट्ठी बनाकर आपको दे दूँगा, तो आप अधिकारियों को निर्देश देकर उसमें जो कमी रह गई है, आप उसकी जांच करवा लें, मैं ऐसा आश्वासन चाहता हूँ.
सुश्री मीना सिंह माण्डवे - जी, करा लेंगे.
प्रश्न क्रमांक - 11 (अनुपस्थित)
सभापति महोदया - प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
----------
12.00 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर था. मेरा व्यवस्था का प्रश्न है. ..(व्यवधान..)
श्री जितु पटवारी -- आदरणीय सभापति महोदया जी बहुत महत्वपूर्ण मामला है. ..(व्यवधान..)
सभापति महोदया -- शून्यकाल की सूचनाएं आ जायें, उसके बाद आपको बोलने का मौका दिया जायेगा. ..(व्यवधान..)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय सभापति महोदया,मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर है. ..(व्यवधान..)
श्री जितु पटवारी -- आदरणीय सभापति महोदया, यह बहुत महत्वपूर्ण मसला है और यह पहली बार मध्यप्रदेश के इतिहास में हो रहा है कि सदन के अंदर मंत्री अलग आयेंगे और राजेन्द्र शुक्ला, रामपाल सिंह, पूर्व विधानसभा के अध्यक्ष ये अलग आयेंगे. यह दो तरह का विचार, मंत्रियों के लिये अलग दरवाजा और विधायकों के लिये अलग दरवाजा, सदन में सदस्य आने के बाद एक होते हैं, दो नहीं होते हैं, यह कौन सा अग्रेंजों का कानून हम लागू कर रहे हैं. ..(व्यवधान..)
कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय सभापति महोदया, मेरे विधानसभा क्षेत्र राजनगर में एक पत्रकार की बेरहमी से मारपीट हुई है..(व्यवधान..) यह बहुत गंभीर मामला है. ..(व्यवधान..)
सभापति महोदया -- शून्यकाल की सूचनाएं आ जाये, उसके बाद आप आपको बोलने का मौका दिया जायेगा. ..(व्यवधान..) आप अपनी जगह बैठ जायें. ..(व्यवधान..)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय सभापति महोदया, मेरा प्वाइंट आफ आर्डर है. ..(व्यवधान..)
श्री जितु पटवारी -- ..(व्यवधान..) जो मंत्री नहीं बोला, वह योग्य नहीं होगा ऐसा नहीं था, कई अयोग्य लोग भी मंत्री हो सकते हैं, पर दो दरवाजे कैसे हैं. ..(व्यवधान..)
सभापति महोदया -- श्री जितु जी आप बैठ जायें. ..(व्यवधान..)
श्री जितु पटवारी-- माननीय सभापति महोदया, क्या दो दरवाजे होने चाहिये? एक दरवाजे से मंत्री जी आयेंगे और विधायक इधर से आयेंगे, यह दोहरी नीति कैसी है. ..(व्यवधान..)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय सभापति महोदया, मेरा प्वाइंट ऑफ आर्डर है.
..(व्यवधान..)
सभापति महोदया -- ( एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने अपने आसन से कुछ कहने पर) गृहमंत्री जी कुछ बात कर रहे हैं, आप सभी बैठ जायें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय सभापति महोदया, दो विषय हैं, पहले तो सम्मानित सदस्य ने जवाब का कहा है. यह व्यवस्था अध्यक्ष जी ने की है और ऐसा नहीं है कि ये गेट अलग-अलग होते हैं, चूंकि वहां पर अनेक विधायकों को लंच टाईम में काफी देर रूकना पड़ता था और लोकसभा में इस तरह की व्यवस्था है कि सभी के द्वार उन्होंने अलग-अलग किये हुए हैं, उसी लोकसभा की व्यवस्था अनुसार किया गया है. ( श्री जितु पटवारी, सदस्य के अपने आसन से कुछ कहने पर) हम बहस नहीं कर रहे हैं, आपकी बात रिकार्ड पर आ गई है और आप अध्यक्ष जी से भी कह सकते हैं. उसमें सिर्फ इतना सा किया गया है, ऐसा ही पार्किंग की भी व्यवस्था की है और ऐसे ही सिक्योरिटी गार्ड की भी व्यवस्था की गई है. अगर सम्मानित सदस्यों को कोई सुझाव देना है या आसंदी की व्यवस्था है तो जाकर अध्यक्ष जी से कहें उनके सुझावों को भी अंगीकार करेंगे, स्वीकार करेंगे इसमें अस्वीकारिता की बात कहां से आ गई है, यह एक बात है.
माननीय सभापति महोदया, दूसरा विषय मेरा यह है कि मेरे चीफ कांग्रेस के मुख्य सचेतक डॉ. गोविन्द सिंह जी ने दतिया के अतिक्रमण के संबंध में विषय उठाया था, मैंने यहां कहां था कि हम स्थगन पर चर्चा के लिये तैयार हैं. चूंकि वह असत्य और निराधार आरोप थे, इसलिये मैं चाहता हूं कि सदन में स्थगन स्वीकार करके उस पर चर्चा कराई जाये और इस पर चीफ विहिप की राय ले ली जाये की वह क्या चाहते हैं ?
सभापति महोदया -- इस संबंध में माननीय अध्यक्ष महोदय जी निर्णय लेंगे, वही तय करेंगे कि क्या करना है. (व्यवधान..) शून्यकाल की सूचनाएं हो जाने दें. डॉ. गोविन्द सिंह जी आप बोलें. (व्यवधान..)
श्री नीरज विनोद दीक्षित -- माननीय सभापति महोदया, छतरपुर जिले के बमीठा में एक वी.एन.सी. कंपनी में भारत के चौथे स्तंभ पत्रकार को बीच सड़क पर मारते हैं (व्यवधान..)
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय सभापति महोदया, ने मेरा नाम लिया है, आप बैठ जायें, यह क्या कोई तरीका है. (व्यवधान..) सदन के प्रस्ताव में आपने नाम उठाया है, मुझे जवाब देना है. (व्यवधान..)
सभापति महोदया -- (एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने आसन से कुछ कहने पर) बाकी माननीय सदस्य बैठ जायें. (व्यवधान..)
श्री जितु पटवारी -- माननीय सभापति महोदया, जवाब मांगा है. (व्यवधान..)
डॉ. गोविन्द सिंह -- आपने कहा कि स्वीकार है कि नहीं, हम स्वीकार करने को तैयार हैं, तो मैं जवाब तो दूं. (व्यवधान..)
सभापति महोदया -- (एक साथ कई माननीय सदस्यों के अपने आसन से कुछ कहने पर) बाकी माननीय सदस्य बैठ जायें.डॉ. गोविन्द सिंह जी आप बोलिये, आप क्या कह रहे हैं?
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आप अपने दल के लोगों को समझाओ.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय सभापति महोदया, आज चूंकि अध्यक्ष महोदय जी ने कहा कि ऐसा कोई काम न करें जिसमें व्यवधान हो, इसलिये महिला दिवस का सम्मान करते हुए इस बारे कल जवाब देंगे. आपने स्वीकार किया है तो मैं कल उत्तर दूंगा. दूसरा हमारा निवेदन है जो श्री जितु पटवारी जी ने अभी बात रखी है कि सामान्य विधायकों के लिये अलग दरवाजा और मंत्रियों के अलग दरवाजा. मैं आज 32 साल से विधायक हूं, मैं मंत्री भी रहा हूं और हमारी सरकार भी रही 12 -13 वर्ष रही है, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि कभी भी ऐसा भेद-भाव हमने नहीं किया है. यह माननीय समाजवादी अध्यक्ष जी की विचारधारा के बाद, इन्होंने निर्णय लिया है और इस निर्णय को हम तोड़ेंगे, हम यहां पर आपका तानाशाही कानून नहीं चलने देंगे. विधायकों का अपमान नहीं होगा. (व्यवधान..) विधायकों का अपमान नहीं होने देंगे. आप जगह-जगह पर विधायकों का अपमान करा रहे हैं, जगह -जगह विधायकों पर हमले हो रहे हैं, (व्यवधान..)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- यह कोई कानून नहीं है, यह बे फालतू के चिल्ला रहे हैं, जब मैं कह रहा हूं कि आप आओ और अपनी बात रखो, इसमें काहे का चिल्लाना (व्यवधान..) जब आपकी बात मान रहे हैं, जवाब दे दिया है, फिर भी चिल्ला रहे हैं, कोई भी नॉन इश्यू का इश्यू बनाना. (व्यवधान..) आप चर्चा करो अतिक्रमण पर (व्यवधान..) आपको लगता है कोई दिक्कत है तो हम दूर करेंगे इतनी सी बात है कितनी जोर से कह रहे हो, इसके लिये हाथ फेंक रहे हो (व्यवधान..) आज एक बहन आसंदी पर बैठी है, आपकी पार्टी की बहन आसंदी पर बैठी है, कुछ तो भी मुद्दा उठाना है. (व्यवधान..)
डॉ. गोविन्द सिंह-- लगातार विधायकों का अपमान हो रहा है. ...(व्यवधान)...
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- पार्लियामेंट के अंदर भी एक ही गेट से सब लोग जाते हैं, प्रधानमंत्री जी को छोड़कर. ...(व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव-- आप संसदीय कार्य मंत्री रहे हैं, मेरी बात सुन लें विषय यह है कि एक-डेढ़ घंटे का लंच होता है. ...(व्यवधान)...
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- माननीय सभापति महोदया, मेरा निवेदन है कि मेरे पुष्पराजगढ़ महाविद्यालय के 3 वर्ष से ... ...(व्यवधान)...
सभापति महोदया-- भार्गव जी आप बोलिये. ...(व्यवधान)...
श्री गोपाल भार्गव-- सभापति महोदया, डेढ़ घंटे का लंच होता है, कभी-कभी उसमें से भी समय कम हो जाता है और विषय यह है जहां तक डॉक्टर साहब गोविन्द सिंह जी कह रहे हैं मिंटो हॉल में जब विधान सभा लगती थी तब आपकी सरकार थी, दिग्विजय सिंह जी के समय, अर्जुन सिंह जी के समय, वोरा जी के समय, श्यामाचरण जी के समय, सभी के समय पीछे से ही मंत्रियों के आने की और जाने की व्यवस्था होती थी, आप लोग याद करो. ...(व्यवधान)... मैं किसी बात का न समर्थन कर रहा हूं न विरोध कर रहा हूं, मुझे समर्थन और विरोध से कुछ लेना देना नहीं है. ...(व्यवधान)... यह कोई विषय ही नहीं है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- सभापति महोदया, हम खुद 1990 में विधायक थे ...(व्यवधान)... हम सभी एक ही रास्ते से आते थे ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- सभापति महोदया, यह अकारण का विषय है, मैंने पहले ही स्वीकार किया, कमलनाथ जी केन्द्र सरकार के मंत्री थे, लंबे समय मंत्री रहे हैं, यह जब जाते थे ...(व्यवधान)...
डॉ. गोविन्द सिंह-- आप तानाशाही चला रहे हो. ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- गोविन्द सिंह जी जोर से बोलने से ...(व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- माननीय गृह मंत्री जी उचित सलाह मानने में दिक्कत क्या है. ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- कांग्रेस के पास अब कोई मुद्दा बचा नहीं है ...(व्यवधान)... खनिज का मुद्दा है नहीं, महिलाओं का मुद्दा है नहीं, बेफिजूल का विषय, यह कोई विषय है ...(व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- सरकार विधायकों का अपमान कर रही है. ...(व्यवधान)...
सभापति महोदया-- कृपया सभी लोग बैठ जायें, मैं खड़ी हूं तो कम से कम आज के दिन मेरा तो सम्मान कीजिये ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- बेफिजूल का विषय उठा रहे हैं, अरे आज कम से कम महिलाओं पर बोलते, उनकी समस्याओं पर बोलते ...(व्यवधान)... जिस मुद्दे को हम स्वीकार कर रहे हैं, उस पर बोल रहे हो. अब मुद्दाविहीन कांग्रेस है, मुद्दाविहीन. कोई मुद्दा नहीं है कांग्रेस के पास ...(व्यवधान)... बेफिजूल के मुद्दे उठाकर इस सदन का समय खराब करते हैं ...(व्यवधान)...
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- जब विधायकों का अपमान होगा तभी तो मुद्दे उठाये जायेंगे. ...(व्यवधान)...
श्री जितु पटवारी-- रामपाल सिंह जी आप अयोग्य हो क्या, राजेन्द्र शुक्ल जी आप अयोग्य हो क्या, ये आपके विधायक हैं, ...(व्यवधान)... इनको अलग रास्ते से भेजोगे. ...(व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अपनी पीड़ा बताओ कि यहां से वहां कैसे पहुंच गये. ...(व्यवधान)... इसके लिये इस फोरम का उपयोग करोगे. ...(व्यवधान)... खत्म कर दिया तुम्हारी सल्तनत को. ...(व्यवधान)...
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- खरीदकर सरकार बना ली अब तानाशाही चलाओगे क्या. ...(भारी व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- ऐसे ही चलेगी ...(भारी व्यवधान)... और ऐसे ही चलायेंगे. ...(भारी व्यवधान)...
एक माननीय सदस्य-- हम भी ऐसे ही तोड़ेंगे. ...(भारी व्यवधान)...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- तोड़कर दिखाओ, तुम्हारी सरकार तोड़ दी ...(भारी व्यवधान)...
सभापति महोदया-- विधान सभा की कार्यवाही 05 मिनट के लिये स्थगित.
12.09 बजे (विधान सभा की कार्यवाही 05 मिनट के लिये स्थगित)
12.16 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई.
{सभापति महोदया (श्रीमती झूमा सोलंकी) पीठासीन हुईं.}
नेता प्रतिपक्ष ( श्री कमलनाथ ) - माननीय सभापति महोदया, यह प्रश्न इस सदन के सम्मान का, विधायकों के सम्मान का है. विधान सभा और विधायकों के सम्मान का इतिहास है. हर हाऊस, लोक सभा हो या राज्यों की विभिन्न विधान सभाएं हों, सबसे बड़े रक्षक हम खुद होते हैं, विधायकों के सम्मान के लिये. उस तरफ का हो या इस तरफ का, अगर हम एक-दूसरे का सम्मान नहीं करेंगे तो बाकी कौन सम्मान करेगा और इसमें शासन की प्रथम जिम्मेदारी होती है कि इस साईड के विधायक हों, उस साईड के विधायक हों दोनों के सम्मान की रक्षा करे. तभी यह जो हमारी बनी हुई एक परम्परा है. विधायकों का यदि हम order of Precedence देखें. हम विधायकों के सम्मान का इतिहास देखें. हम सब गुजरे हैं इससे. यह परम्परा हमें कायम रखनी चाहिये. यही मेरा सबसे निवेदन है.
संसदीय कार्य मंत्री ( डॉ.नरोत्तम मिश्र ) - माननीय सभापति महोदया, माननीय नेता प्रतिपक्ष ने बहुत सही विषय की ओर ध्यान आकर्षित किया है. मैंने प्रारम्भ में भी कहा था कि यह शासन की व्यवस्था नहीं है. इस परिसर के अंदर माननीय अध्यक्ष की व्यवस्था चलती है. सम्मानित नेता प्रतिपक्ष, सम्मानित अध्यक्ष जैसा तय करेंगे उसमें सभी की सहमति है उसमें किसी की असहमति है ही नहीं. सम्मानित सदस्यों के सम्मान का पूरा ध्यान रखा जायेगा. मैं अभी तक नहीं समझ पाया कि इस गेट की जगह उस गेट से आएंगे तो सम्मान में वृद्धि कैसे होगी और कमी कैसे होगी. हम जिस गेट से आते हैं ये सारे विधायक उस गेट से आ जाएंगे हम उस गेट से आ जाएंगे जिससे विधायक आते हैं. हमें इसमें भी कोई आपत्ति नहीं. जैसी परम्परा नेता प्रतिपक्ष ने लोकसभा में देखी हो बहुत अनुभवी हैं. मैंने उस दिन भी कहा था कि बहुत अनुभवी नेता प्रतिपक्ष हमें मिले हैं. आप अध्यक्ष के साथ तय करें हमारी सहमति है, हमारी असहमति कहीं है ही नहीं.
सभापति महोदया - आपस में विचार कर लें कि माननीय अध्यक्ष जी के अधिकार क्षेत्र का मामला है. मैं चाहूंगी कि आप आपस में चर्चा करके जो सही है वह हो जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा.
श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय सभापति महोदया, माननीय संसदीय कार्य मंत्री अध्यक्ष जी के संज्ञान में जाकर लाएं और अपनी टिप्पणी उस पर दें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - चूंकि आज महिला दिवस हैं इसीलिये माननीय सभापति महोदया आसंदी पर विराजमान हैं. सारी बात को सम्मानित अध्यक्ष महोदय स्वयं भी सुन रहे हैं. उसके बावजूद भी जैसा हमारे वरिष्ठ सदस्य सज्जन सिंह वर्मा जी ने कहा है जब नेता प्रतिपक्ष जी कहेंगे मैं उनके साथ चलकर उनका पक्ष रखने को तैयार हूं. इसमें असहमति हमारी कहीं भी नहीं है. सभापति महोदया, एक बात और है एक विषय नेता प्रतिपक्ष ने मेरे ध्यान में लाया था. उन्होंने दतिया के अतिक्रमण के संबंध में बात कही थी. उन्होंने स्थगन स्वीकार के लिये कहा था. उस पर चर्चा कर लें. दूध का दूध पानी हो जाये जिससे.
डॉ.गोविन्द सिंह - माननीय सभापति महोदया, मैंने जो स्थगन दिया है वह अकेले दतिया का नहीं है. मैंने समूचे प्रदेश का लिखा है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - आपने जो दिया है उस पर चर्चा लो.
डॉ.गोविन्द सिंह - मैंने पूरे प्रदेश का दिया है. आप पूरे प्रदेश पर चर्चा के लिये तैयार हो मैं तत्काल चर्चा करूंगा. आप पूरे प्रदेश का स्वीकार करिये.
सभापति महोदया - इस संबंध में जानकारी मंगाई गई है. जो बेहतर होगा अध्यक्ष जी,उस पर विचार करके फैसला लेंगे.
12.19 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
सभापति महोदया - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी :-
1. श्री दिलीप सिंह गुर्जर
2. इंजी.प्रदीप लारिया
3. श्री दिलीप सिंह परिहार
4. श्री बहादुर सिंह चौहान
5. श्री देवेन्द्र पटेल
6. श्री आलोक चतुर्वेदी
7. श्री प्रणय प्रभात पाण्डे
8. श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा
9. श्री शरद जुगलाल कोल
10. श्री संजय यादव
..(व्यवधान)..
12.20 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश राज्य खाद्य आयोग, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021.
(2) (क) मध्यप्रदेश भोज विश्वविद्यालय (मुक्त) विश्वविद्यालय, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020
(ख) (i) अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा(म.प्र.) का 52वां प्रगति प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020.
(ii) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर(म.प्र.) का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020.
12.22 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
(3) नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स कम्पनी लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020.
अध्यक्ष महोदय -- सबसे पहले तो प्रश्नकाल में महिला दिवस के अवसर पर आसंदी पर हमारी महिला साथी बैठीं, तो कम से सदन की ओर से मेजे थपथपाकर स्वागत किया जाना चाहिये. ( सदन में मेजों की थपथपाहट)
12.23 बजे अध्यक्षीय घोषणा
नियम को शिथिल करके आज की कार्यसूची में 4 सूचनाएं सम्मिलित किये जाने की अनुज्ञा प्रदान की जाना.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
12.24 बजे ध्यान आकर्षण
अध्यक्ष महोदय -- गोविन्द सिंह जी, यह भी महत्वपूर्ण है. ध्यान आकर्षण में मैंने पहला नाम श्रीमती गायत्री राजे पवार, सदस्या का लिया है. फिर से कम से कम एक बार सदन से निवेदन है कि मेजे थपथपाकर स्वागत करें. (सदन में मेजों की थपथपाहट) श्रीमती गायत्री राजे पवार, अपनी ध्यान आकर्षण की सूचना पढ़ें.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, हमने आपसे निवेदन किया था कि आज महिला दिवस है, तो एक दिन महिलाओं को ही चर्चा करने का अवसर दिया जाये.
श्रीमती गायत्री राजे पवार (देवास) -- अध्यक्ष महोदय, मैं आज सबसे पहले तो आपको धन्यवाद दूंगी कि आसंदी ने आज एक महिला विधायक को मौका दिया ध्यान आकर्षण के लिये सबसे प्राथमिकता पर और सदन में उपस्थित सभी भाइयों को एवं बहनों को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बहुत बहुत शुभकामनायें देना चाहती हूं. ऐसे ही इस दिन महिला दिवस के अवसर पर जो महान विभूतियां रही हैं हमारी, उनको भी याद करके नमन करती हूं. चाहे वह देवी अहिल्या बाई हों, रानी दुर्गावती हों, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई हों या माननीय विजयाराजे सिंधिया जी हों. इन लोगों ने अपने बलिदान और दृढ़ संकल्प से भारत वर्ष को एक नया दृष्टिकोण दिया है, एक नई दिशा दी है. मैं इन सबके चरणों में नमन करती हूं और सभी को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत बहुत शुभकामना और बधाई देती हूं.
अध्यक्ष महोदय -- श्रीमती गायत्री राजे जी, अपनी ध्यान आकर्षण सूचना पढ़िये.
12.25 बजे (1) देवास विधान सभा क्षेत्र में नर्मदा काली सिंध परियोजना के तहत माइक्रो लिफ्ट सिंचाई योजना का लाभ न दिया जाना
श्रीमती गायत्री राजे पवार (देवास) - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना इस तरह से है, देवास तहसील में नर्मदा सिंचाई योजना के लाभ प्रदाय करने के बाबत् मैं अध्यक्ष महोदय, आपके द्वारा मंत्री जी को बताना चाहती हूं कि देवास जिले में यह सिंचाई योजना जो माइक्रो इरिगेशन परियोजना है और जो नर्मदा बहुउद्देशीय परियोजना है, इन दोनों का कम से कम 240 गांव के लिए प्रस्तावित कार्य चालू है.
अध्यक्ष महोदय - ध्यान आकर्षण सूचना पढ़ें.
श्रीमती गायत्री राजे पवार- अध्यक्ष महोदय,
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास (श्री भारत सिंह कुशवाह)- अध्यक्ष महोदय,
श्रीमती गायत्री राजे पवार- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि हाटपिपल्या के डीपीआर में देवास विधान सभा के 72 गांवों जो छूट रहे हैं, हाटपिपल्या के 500 से अधिक गांवों का डीपीआर तैयार हो रहा है, उसमें क्या मेरी विधान सभा के 72 गांव जोड़े जा सकते हैं?
श्री भारत सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने अपने ध्यान आकर्षण में नर्मदा क्षिप्रा बहुउद्देशीय एवं नर्मदा कालीसिंध परियोजना का जिक्र किया है. माननीय सदस्या को मैं यह बताना चाहूंगा कि नर्मदा क्षिप्रा में देवास जिले का कोई क्षेत्र नहीं आता है. दूसरा, कालीसिंध का जो आपने जिक्र किया है उसमें लगभग 53 प्रतिशत काम उस परियोजना का हो चुका है, इसलिए दोनों परियोजनाओं से आपका क्षेत्र जोड़ा जाना संभव नहीं है. अध्यक्ष महोदय यदि सदस्य चाहें तो तीसरे विकल्प के तौर पर आप कोई सुझाव दें हम अन्य जगह से उसका परीक्षण करके सर्वे का कार्य करा लेंगे.
अध्यक्ष महदोय -- मंत्री जी आज महिला दिवस है और आज ध्यानाकर्षण में पहली सूचना महिला सदस्य की है. इतना निराश न करें.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय यह बात सही है कि आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. मेरा माननीय सदस्य से अनुरोध है कि इन दोनों परियोजनाओं में सर्वे संभव नहीं है हम तीसरी जो परियोजना है हाटपिपल्या माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना आप एक पत्र लिख दें हम उसका परीक्षण करवाकर, सर्वे का काम पूरा करवाकर आपके क्षेत्र को जोड़ने का काम किया जायेगा.
श्रीमती गायत्री राजे पवार -- अध्यक्ष महोदय मैं मंत्री जी को धन्यवाद ज्ञापित करती हूं. मेरा कहना है कि किसी भी योजना से दें लेकिन सिंचाई की योजना मेरे 72 गांव को मिल जाय अगर इसकी समय सीमा बता सकें तो ज्यादा अच्छा होगा.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय यह बड़ी परियोजना है इसमें परीक्षण कराने में समय लगता है यह निश्चित है कि आपके क्षेत्र का सर्वे करायेंगे.
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी ( हाटपिपल्या)-- अध्यक्ष महोदय आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर समस्त मात्र शक्ति को नमन करते हुए शुभकामना देताहूं और धन्यवाद देता हूं कि आपने ऐसे संवेदनशील विषय पर मुझे बोलने का मौका दिया है. हमारी देवास की विधायक गायत्री राजे जी के द्वारा जो ध्यानाकर्षण यहां पर लाया गया है. उसके संदर्भ में मंत्री जी का जो जवाब आया है. उ समें हाटपिपल्या माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना का जिक्र किया गया है. हमारा आसंदी के माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि जो हाटपिपल्या माइक्रो सिंचाई परियोजना जो कि 20-7 को नए सिरे से स्वीकृत की गई है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं साथ ही हाटपिपल्या विधान सभा के समस्त किसानों की ओर से भी धन्यवाद देता हूं. लेकिन उसमें जो जवाब मंत्री जी का आया है उसमें हाटपिपल्या तहसील के ही गांवों को जोड़ा गया है. जबकि हाटपिपल्या विधान सभा में देवास तहसील की 48 ग्राम पंचायतें आती हैं और साथ में देवास विधान सभा की 28 ग्राम पंचायतें आती हैं उन समस्त ग्राम पंचायत के किसानों को उसका लाभ नहीं मिलेगा इसका हमें दुख है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करता हू कि जो पूर्व में जो हाटपिपल्या के लिए सिंचाई योजना बनी थी उसका लाभ हमारे उस हाटपिपल्या तहसील के उन गांवों को मिल चुका है अब जो नई योजना स्वीकृत की गई है. उस स्वीकृत योजना को देवास तहसील के समस्त ग्रामों के लिए इस योजना का सर्वे करवाकर प्रस्तावित किया जाय, पूरे देवास तहसील के समस्त ग्रामों को जोड़ा जाय मेरा यह ही अनुरोध है. इससे देवास और हाटपिपल्या विधान सभा के किसानों को लाभ होगा.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय जैसा कि माननीय सदस्य ने चिंता व्यक्त की है सर्वे में जो संभव होगा अच्छे से अच्छा हम करेंगे.
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी -- अध्यक्ष महोदय यह जो स्वीकृति दी गई थी यह हाटपिपल्या विधान सभा के जो गांव छूटे हुए थे लेकिन वह छूटे हुए गांव देवास तहसील में आते हैं तो उऩको देवास तहसील में जोड़ा जाय.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई है.
श्री आशीष गोविंद शर्मा ( खातेगांव )-- अध्यक्ष महोदय नर्मदा जी के जल को देवास जिले की विभिन्न तहसीलों में किसानों को सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि यह योजना मेरे विधान सभा क्षेत्र से निकलकर जा रही है. वहां के किसान बहुत लंबे समय से मांग कर रहे हैं. यदि रास्ते में पड़ने वाले गांव के किसानों को भी इससे सिंचाई सुविधा मिल सके तो बहुत अच्छा होगा.
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी दिखवा लिजियेगा
12.29 बजे. अध्यक्षीय घोषणा
भोजनावकाश न होने विषयक
अध्यक्ष महोदय -- आज भोजनावकाश नहीं होगा. माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लाबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
श्री पी.सी. शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्चिम) -- अध्यक्ष महोदय,
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री पी.सी. शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह बताना चाहूंगा कि यह पूरा जो स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट चल रहा है यह मेरी विधान सभा में है. यह प्रोजेक्ट पहले शिवाजी नगर और तुलसी नगर में बनना था, इसके बाद वहां जब जन आक्रोश हुआ तो यह शिफ्ट हुआ, मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की कि यह नॉर्थ टी.टी. नगर में होगा, लेकिन नॉर्थ टी.टी. नगर के साथ-साथ साऊथ टी.टी.नगर को भी उसमें ले लिया गया. इसमें सबसे बड़ी परेशानी यह है कि जवाहर चौक और स्मार्ट रोड से जिन लोगों को हटाया है, जो अभी आपने कहा कि उनको ट्रांजिट कैम्प में दे दिया गया है, लेकिन इनको 2-3 साल हो गये हैं इनके पूरे आश्रय पत्र और एचएफए हैं, जिनको प्रधान मंत्री आवास योजना में मकान मिलना था, यह आपने ठीक कहा कि जो लोग वहां से हैं उनको ट्रांजिट कैम्प में डाल दिया, लेकिन उनको इतना समय हो गया और जहां पर यह लोग रह रहे हैं वहां एक जगह पार्किंग के लिये है, क्योंकि वह स्लम एरिया है, हस्थनाथ नगर, प्रताप नगर पूरा का पूरा, तो वहां एक पार्किंग डेव्हलप होनी थी, वह डेव्हलप नहीं हो पाई, जिससे सड़क पर, स्मार्ट रोड पर लोगों की गाडि़यां खड़ी होती हैं, क्योंकि और कोई जगह नहीं है, दूसरा यह हुआ कि जो आर्कब्रिज बना है उस आर्कब्रिज की वजह से सिविल लाईन में जहां मुख्यमंत्री जी और पूर्व मुख्यमंत्री जी के निवास तरफ रास्ता जाता है वहां हमेशा जाम लगा रहता है क्योंकि जो मुझे जानकारी है वहा अंडरब्रिज बनना था. दूसरी बात जो बुलवर्ड रोड है, जो जवाहर चौक से गुमटियां हटी थीं उनको निश्चित तौर पर आपने जिन लोगों की संख्या बताई उनको वहां पर किया गया है लेकिन उसमें बहुत से लोगों के छूट गये हैं, उनके आश्रय पत्र मेरे पास हैं और इन लोगों को जब मैं मंत्री था, कमलनाथ जी की सरकार थी तब भी यह प्रोजेक्ट चल रहे थे, 10-10 हजार रुपये जनसंपर्क निधि से मैंने उनको दिये थे. उसके बाद लॉक डाउन हो गया. आपने जितनी भी बातें यहां पर कहीं हैं एक-एक हम उसका पूरा परीक्षण कराएंगे और परीक्षण करवाकर जितना बेहतर से बेहतर हो सकता है क्योंकि यह निश्चित रुप से व्यवस्थापन अच्छा होना चाहिए. आप भी यही चाहते हैं, हम भी यहीं चाहते हैं. जितना बेहतर से बेहतर उनके लिये कर सकते हैं, जरुर करेंगे. माननीय आरिफ भाई ने जो कहा है यह बात सही है कि ट्रांजिट हाउस जो है वह एक अस्थाई व्यवस्था है और जो सुविधाएं जितनी अच्छी होना चाहिए, वह नहीं होती हैं. यह स्वाभाविक है और अस्थायी है. इसलिए हम कोशिश कर रहे हैं कि उनके लिए भी हम लोग जल्दी स्थायी आवास की व्यवस्था कर सकें. उसके लिए हम लोग प्रयास कर रहे हैं, जिससे उनको कठिनाई न हो.
श्री आरिफ मसूद -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी थोड़ा इसकी डेट बता देते.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आपका नाम इसमें नहीं था, फिर भी मैंने आपको समय दिया. शर्मा जी आप पूछें.
श्री पी.सी.शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा एक सवाल यह था कि इसमें 342 एकड़ जमीन है इसका फिजिकल वेरीफिकेशन नहीं हुआ और जो वहां दशहरा मैदान बनना है, बहुत महत्वपूर्ण है. उसके आसपास रजिस्ट्री, लीज़ वाली दुकानें हैं उनका अभी तक कुछ नहीं हो पाया और वहां छोटे-छोटे दुकानदार भी 30-40 साल से हैं. उनका भी सर्वे होकर वहां से उनका ठीक से व्यवस्थापन हो, यह मैं आपसे चाहूंगा. दूसरा यह कहना चाहॅूंगा कि जो मंत्रालयीन कर्मचारी हैं इन लोगों ने एक जगह मांगी थी क्योंकि उनका कहीं ट्रांसफर नहीं होना है. स्मार्ट सिटी कंपनी से भी इनका पत्राचार हुआ है. वह पत्र मेरे पास है. उनका यह मानना है कि जमीन उनको मिली नहीं है और मंत्रालय से कैंसिल हो गई तो जो यह शासकीय आवास बन रहे हैं उसमें मंत्रालयीन कर्मचारियों के लिये कुछ 500-600 आवास रिजर्व हो जाएं क्योंकि इन लोगों का ट्रांसफर नहीं होना है इनको यहीं रहना है तो वह व्यवस्था भी स्मार्ट सिटी में कर लें, यह मेरा आपसे निवेदन है.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसको दिखवा लूंगा और जो संभव है, जरुर करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- श्री सुखदेव पांसे जी, अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढे़ं.
12.47 बजे
(3) बैतूल जिले के मुलताई क्षेत्र में भू-जल स्तर गिरने से स्थिति उत्पन्न होना.
श्री सुखदेव पांसे (मुलताई) -- अध्यक्ष महोदय,
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी (श्री बृजेन्द्र सिंह यादव) -- अध्यक्ष महोदय,
आपने जितनी भी बातें यहां पर कहीं हैं एक-एक हम उसका पूरा परीक्षण कराएंगे और परीक्षण करवाकर जितना बेहतर से बेहतर हो सकता है क्योंकि यह निश्चित रुप से व्यवस्थापन अच्छा होना चाहिए. आप भी यही चाहते हैं, हम भी यहीं चाहते हैं. जितना बेहतर से बेहतर उनके लिये कर सकते हैं, जरुर करेंगे. माननीय आरिफ भाई ने जो कहा है यह बात सही है कि ट्रांजिट हाउस जो है वह एक अस्थाई व्यवस्था है और जो सुविधाएं जितनी अच्छी होना चाहिए, वह नहीं होती हैं. यह स्वाभाविक है और अस्थायी है. इसलिए हम कोशिश कर रहे हैं कि उनके लिए भी हम लोग जल्दी स्थायी आवास की व्यवस्था कर सकें. उसके लिए हम लोग प्रयास कर रहे हैं, जिससे उनको कठिनाई न हो.
श्री आरिफ मसूद -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी थोड़ा इसकी डेट बता देते.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, आपका नाम इसमें नहीं था, फिर भी मैंने आपको समय दिया. शर्मा जी आप पूछें.
श्री पी.सी.शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, इसमें मेरा एक सवाल यह था कि इसमें 342 एकड़ जमीन है इसका फिजिकल वेरीफिकेशन नहीं हुआ और जो वहां दशहरा मैदान बनना है, बहुत महत्वपूर्ण है. उसके आसपास रजिस्ट्री, लीज़ वाली दुकानें हैं उनका अभी तक कुछ नहीं हो पाया और वहां छोटे-छोटे दुकानदार भी 30-40 साल से हैं. उनका भी सर्वे होकर वहां से उनका ठीक से व्यवस्थापन हो, यह मैं आपसे चाहूंगा. दूसरा यह कहना चाहॅूंगा कि जो मंत्रालयीन कर्मचारी हैं इन लोगों ने एक जगह मांगी थी क्योंकि उनका कहीं ट्रांसफर नहीं होना है. स्मार्ट सिटी कंपनी से भी इनका पत्राचार हुआ है. वह पत्र मेरे पास है. उनका यह मानना है कि जमीन उनको मिली नहीं है और मंत्रालय से कैंसिल हो गई तो जो यह शासकीय आवास बन रहे हैं उसमें मंत्रालयीन कर्मचारियों के लिये कुछ 500-600 आवास रिजर्व हो जाएं क्योंकि इन लोगों का ट्रांसफर नहीं होना है इनको यहीं रहना है तो वह व्यवस्था भी स्मार्ट सिटी में कर लें, यह मेरा आपसे निवेदन है.
श्री भूपेन्द्र सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इसको दिखवा लूंगा और जो संभव है, जरुर करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- श्री सुखदेव पांसे जी, अपनी ध्यानाकर्षण की सूचना पढे़ं.
12.47 बजे
(3) बैतूल जिले के मुलताई क्षेत्र में भू-जल स्तर गिरने से स्थिति उत्पन्न होना.
श्री सुखदेव पांसे (मुलताई) -- अध्यक्ष महोदय,
राज्यमंत्री, लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी (श्री बृजेन्द्र सिंह यादव) -- अध्यक्ष महोदय,
श्री सुखदेव पांसे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कल आपकी रीवा की प्रेस कॉन्फ्रेंस बड़े ध्यान से सुन रहा था और आपने वहाँ बोला, पक्ष, विपक्ष, निष्पक्ष और जहाँ जनहित के मुद्दों पर मैं संरक्षण दूँगा, आत्मा और दिल से.
अध्यक्ष महोदय-- अभी तो दे ही रहा हूँ ना भैय्या.
श्री सुखदेव पांसे-- मुझे इसमें इसलिए संरक्षण चाहिए.....
अध्यक्ष महोदय-- अभी उसमें प्रश्न चिह्न मत लगाओ, अभी तो दे ही रहा हूँ.
श्री सुखदेव पांसे-- जी. लेकिन इसमें रिजल्ट भी निकालिए क्योंकि पानी के बिना जीवन अधूरा है. हवा की जरुरत से ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है. खाना एक बार नहीं भी मिले लेकिन पानी जरुरी है और मैं इसमें माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि मैं स्वयं पीएचई मंत्री था, जब 11 दिसम्बर को चुनाव का रिजल्ट आया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने ये पाँच योजना, ब्यावरा एक, ब्यावरा दो, पायली, जबलपुर- सिवनी, कंदेला-रीवा, गढ़ाकोटा-सागर, ये चार योजना लगभग 1606 करोड़ की, 11 दिसम्बर को रिजल्ट आया, 12 दिसम्बर को टेण्डर एप्रुवल कर दिए और 13 दिसम्बर को वर्क ऑर्डर जारी कर दिए, जिस दिन इनकी सरकार चली गई थी, उस दिन. ये मेरी योजना जो थी, चाहते तो उस समय भी बदले की भावना से ये सारी योजनाएँ कैंसिल कर देते क्योंकि रिजल्ट आने के बाद एप्रुवल हुआ, टेण्डर हुआ. लेकिन माननीय पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने बड़ा दिल रखकर, बदले की भावना से पानी पर राजनीति नहीं करने के लिए, ये सारी योजनाएँ, जब 2019 को एक बोर्ड की, जल निगम की, बैठक हुई थी, उसमें एप्रुवल किया और पानी की राजनीति नहीं की. मेरा इसमें यह निवेदन था कि यह विभाग का जो जवाब आया, इतना बड़ा असत्य, यह 32.22 मीटर, यह लगभग 100 फिट के करीब होता है. वहाँ ये जाँच करा लें कि अगर 100, 200, 300 फिट पर भी मुलताई और बैतूल जिले तथा छिन्दवाड़ा जिले में पानी मिले तो आप जैसा चाहें वैसा करने के लिए तैयार हूँ. अध्यक्ष महोदय, इतना असत्य उत्तर ! लगभग वहाँ 500 से ऊपर, 700, 800 1000 फिट के नीचे पानी नहीं मिलता, यह इनके विभाग की रिपोर्ट आप देख लीजिए, पीएचई विभाग के ट्यूबवेल और बोर की इसीलिए तो समूह नल जल योजना, बाँध पर आधारित और अभी जो जल जीवन मिशन के माध्यम से जो योजनाएँ सेंक्शन कर रहे, आपका जब स्थायी बोर ही नहीं रहेगा, पानी ही नहीं रहेगा, जब तक स्थायी स्रोत नहीं रहेगा, तब तक वह पाइप लाइन, किस काम की, वह टंकी किस काम की? हम बोर कराते वह बोर सूख जाता है, तो इस तरीके से करोड़ों, अरबों रुपये की जल जीवन मिशन के माध्यम से वह योजनाएँ बर्बाद हो जाएँगी. जैसे बुन्देलखण्ड पैकेज 1000 करोड़ का मनमोहन सिंह जी ने दिया था. आज वह पूरा भ्रष्टाचार की बलि चढ़ गया.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, यहीं तक सीमित रखिए.
श्री सुखदेव पांसे--मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूँ कि लोग पेयजल के लिए प्याऊ खुलवाते हैं. हमारी माताएं-बहनें पानी के लिए परेशान होती हैं. एक स्थायी समाधान के लिए समूह नल-जल योजना घोघरी और वर्धा का निर्माण किया गया था. केबिनेट ने मंजूरी दी थी, उसकी प्रशासकीय स्वीकृति दी थी. क्या आप आज उसकी घोषणा करेंगे कि उसका टेंडर कब लग जाएगा और कब उसकी प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जाएगी. पानी के नाम पर बदले की भावना न रखें यह मेरी इच्छा है.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब श्री पांसे साहब मंत्री थे तो मैंने आग्रह किया था कि गांव-गांव में जो तालाब हैं पहले इनकी चिंता कर लें तब ट्यूबवेल्स में पानी आएगा. पांसे साहब ने न तब ध्यान दिया न आज ध्यान दे रहे हैं. हम ट्यूबवेल 700 फिट भी खोद दें तो पानी नहीं मिलने वाला है. जमीन में पानी नहीं है, गांव के तालाब खत्म हो गए हैं.
श्री सुखदेव पांसे -- शर्मा जी मैं आपकी बात से सहमत हूँ इसीलिए तो डेम आधारित समूह नल-जल योजना स्वीकृत की थी ताकि पैसे का दुरुपयोग न हो.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ कि वे वर्धा और घोघरी की बात कर रहे हैं जिसकी उन्होंने उनके समय में स्वीकृति दी थी. आपने 16 अगस्त 2019 को केबिनेट में स्वीकृति दी थी जबकि 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने यह घोषणा की थी कि देश के हर एक गांव में, हर एक घर में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराएंगे. इसको जल-जीवन मिशन के तहत जोड़ेंगे. इसमें 50 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार देगी और 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार देगी. जब 15 तारीख को यह घोषणा हुई तो आपने 16 तारीख को केबिनेट में मंजूरी दी. आपकी वह योजना 70 लीटर प्रति परिवार के हिसाब से पानी देने की बनी थी जबकि माननीय प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की थी कि 55 लीटर पानी प्रति परिवार के हिसाब से जल जीवन मिशन के तहत दिया जाएगा. आपने राज्य सरकार के मद से स्वीकृति दी थी तब केन्द्र सरकार का कोई मद नहीं था लेकिन जब 15 अगस्त को घोषणा हुई तो माननीय मुख्यमंत्री जी और हमारी सरकार चाहती थी कि जब केन्द्र सरकार 50 प्रतिशत राशि दे रही है, 50 प्रतिशत राज्य सरकार लगाएगी तो क्यों न जल जीवन मिशन के तहत पूरे मध्यप्रदेश की योजना बनाई जाए. इसके तहत उस योजना को निरस्त किया गया व उसके बदले में हमने मध्यप्रदेश में 3-4 योजनाएं स्वीकृत की हैं. केवल घोघरी और वर्धा की ही बात नहीं है. माननीय सदस्य से कहना चाहूँगा कि यह पूरे मध्य प्रदेश की बात है. मध्य प्रदेश के हर एक गांव में और हर एक घर तक वर्ष 2023 तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय, सदस्य कह रहे थे कि नल-जल योजनाएं बंद पड़ी हैं, उनको दोबारा से चालू कर रहे हैं. चूंकि माननीय सदस्य आप भी इस विभाग के मंत्री रहे हैं आप जानते हैं कि इन योजनाओं को बनाने में कम से कम 2-3 साल का समय लगता है. तब तक जनता को पानी तो चाहिए ही होगा, पानी कहां से उपलब्ध होगा. आप यह समझ लें कि यह एक प्रायवेट व्यवस्था है कि जब तक योजना बनेगी और चालू होगी तब तक हम यह योजना बंद नहीं कर सकते हैं. इसको सुचारु रुप से चालू रखना पड़ेगा. मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूँ कि आप चिन्ता न करें घोघरी और वर्धा को भी जल्दी से जल्दी जुड़वाने का प्रयास करेंगे.
श्री सुखदेव पांसे --माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य बोल रहे हैं कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने 15 अगस्त को घोषणा की थी.
अध्यक्ष महोदय -- वह बात तो आ गई है, आपकी योजना भी ले रहे हैं.
श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, उसके पहले आदरणीय पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ जी पानी के अधिकार की घोषणा कर चुके थे कि हर घर नल पहुंचाएंगे. वह कोई बात नहीं है, मैं पानी के लिए राजनीति में नहीं जाना चाहता हूँ. मेरा निवेदन यह है कि माननीय मंत्री जी ने कहा है कि जल जीवन मिशन के मापदण्ड आ गए हैं. हमने इस योजना को 70 लीटर प्रति परिवार के हिसाब से डिजाइन किया था. अब जल जीवन मिशन के हिसाब से जैसा आप बोल रहे हैं कि 55 लीटर प्रति परिवार के हिसाब से पानी दिया जाना है, मुझे कोई आपत्ति नहीं है. जिस योजना की पहले प्रशासकीय स्वीकृति हो गई जिसके टेंडर लग चुके हैं, जिसकी केबिनेट ने मंजूरी दे दी है उसकी प्रशासकीय स्वीकृत की तारीख की घोषणा कर दीजिए और टेंडर की घोषणा कर दीजिए कि कितने दिनों में कर देंगे.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- अध्यक्ष महोदय, इस विषय से संबंधित मेरा भी प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय-- पांसे जी का प्रश्न आ गया है. जब विभागों की चर्चा आएगी तब आप बोलिएगा.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि आपका कहना सही है और यह ठीक है कि आप अपने विधान सभा क्षेत्र की बात कर रहे हैं, चूंकि मैं पूरे मध्यप्रदेश की बात कर रहा हूं.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- अध्यक्ष महोदय, मेरा भी यही विषय है जब हमारी सरकार थी.
अध्यक्ष महोदय-- यादव जी, आप कृपया करके बैठ जाइए. जब विभागों की चर्चा आएगी आप तब अपनी बात कह लीजिएगा.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- अध्यक्ष महोदय, जब हमारी सरकार थी तब निमरानी सामूहिक नल-जल योजना स्वीकृत हुई थी 140 गांवों की योजना स्वीकृत हुई थी लेकिन सरकार बदलने के बाद उस योजना को...
अध्यक्ष महोदय-- यादव जी यह आपका प्रश्न नहीं है. आप पांसे जी को पूछने दीजिए. उन्होंने अपना प्रश्न सीमित करके रखा है.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को यह बताना चाहता हूं कि जब आपने जो योजना स्वीकृत की थी तब यह जल अधिकार अधिनियम के तहत थी और अब जल जीवन मिशन आ गया है तो मैं आपसे पुन: यही कहना चाहता हूं और मैं केवल आपकी बात नहीं कर रहा हूं मैं पूरे मध्यप्रदेश की बात कर रहा हूं और आपकी योजना भी उस योजना में जुड़ेगी और स्वीकृत भी की जाएगी. आप इस बात से बिलकुल निश्चिंत रहें.
अध्यक्ष महोदय-- पांसे जी आपका जवाब आ गया है अब आप विभाग की चर्चा में बोल लीजिएगा.
श्री सुखदेव पांसे-- अध्यक्ष महोदय, मैं केवल इतना निवेदन करना चाहता हूं कि आप जल जीवन मिशन के अनुरूप, उसके मापदण्ड के अनुरूप केवल उसकी तारीख बता दीजिए कि आप उसकी प्रशासकीय स्वीकृति कब जारी करेंगे.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- माननीय मंत्री जी हमारा जवाब बता दीजिए.
श्री सुखदेव पांसे-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी मेरा कहना केवल यही है कि जब आप इसे करना ही चाहते हैं और पहले से ही यह योजना मंजूर है..
अध्यक्ष महोदय-- पांसे जी, मेरा आग्रह सुन लीजिए, कृपया आप बैठ जाइए. सदस्यों की यह इच्छा थी कि ज्यादा से ज्यादा ध्यानाकर्षण लिए जाएं. अभी तक एक हफ्ते में हर दिन चार ध्यानाकर्षण आते हैं पहले दो ही ध्यानाकर्षण आते थे. मैं यह प्रयास कर रहा हूं कि चार ध्यानाकर्षण आ जाएं और हमारे सदस्यों की बात भी आ जाए यह नवाचार है. अब इसमें भी पुरानी स्थिति निर्मित होगी तो यह ठीक नहीं होगा इसीलिए विभाग की चर्चा जब आएगी तब आप करिएगा. अभी आपकी बात आ गई है.
श्री सुखदेव पांसे-- अध्यक्ष महोदय, मैं केवल इतना चाहता हूं कि आप केवल इतना बता दीजिए कि आप प्रशासकीय स्वीकृति कब तक जारी कर दी जाएगी.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी कह तो रहे हैं कि वह जल्दी ही कर देंगे.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को बताना चाहता हूं कि मैंने बोल दिया है कि प्रशासकीय स्वीकृति जल्दी से जल्दी करवा दी जाएगी.
श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव-- माननीय मंत्री जी हमारा भी ध्यान रखिएगा.
1:03 बजे
(4) सागर स्थित बुंदेलखंड चिकित्सा महाविद्यालय में मरीजों को सुपरस्पेशियलिटी सुविधा न मिलना
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
चिकित्सा शिक्षा मंत्री ( श्री विश्वास सारंग)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री शैलेन्द्र जैन- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि बड़े संघर्ष के बाद वर्ष 2009 में चिकित्सा महाविद्यालय बुंदेलखण्ड की जनता को मिला. जनता ने वर्षों तक संघर्ष किया. प्रदेश में, पूर्व में केवल 5 चिकित्सा महाविद्यालय थे और 6 चिकित्सा महाविद्यालय बनने में हमें 35 वर्ष लग गये अर्थात् 35 वर्षों के संघर्ष का इतिहास है, तब जाकर हमें चिकित्सा महाविद्यालय मिला, क्योंकि बुंदेलखण्ड की जनसंख्या बहुत अधिक है और वहां मजदूर और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की बहुतायत है, उन्हें इस चिकित्सा महाविद्यालय से अपेक्षा थी कि उन्हें सभी तरह की चिकित्सा सुविधायें, इस चिकित्सा महाविद्यालय में उपलब्ध होंगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कार्डिक एलमिन इस समय बहुत ही प्रचलित समस्या है. इस तरह की सुविधायें वहां नहीं होने के कारण उन्हें कभी भोपाल, जबलपुर या नागपुर जाना पड़ता है. इससे वहां बहुत कठिनाइयां हो रही हैं. ऐसे तमाम विषय हैं, आज शुगर की बीमारी बहुत ही सामान्य हो गई है और इसकी वजह से किडनी रोगों से ग्रसित मरीजों की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. हमारे यहां नेफ्रोलॉजी के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. इन चीजों की यदि वहां व्यवस्था नहीं होगी तो हमारी जो अपेक्षायें चिकित्सा महाविद्यालय से थीं, वे पूर्ण नहीं हो पायेंगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है और इसी सरकार ने सागर में बुंदेलखण्डवासियों को यह चिकित्सा महाविद्यालय दिया है, हम चाहते हैं कि चाहे तो केंद्र सरकार से जो योजना है, वह अभी चल रही है या नहीं, यह देखना होगा. मध्यप्रदेश सरकार ने बुंदेलखण्ड को दो चिकित्सा महाविद्यालय दमोह और छतरपुर में 5-5 सौ करोड़ रुपये के दिए हैं. मेरा कहना है कि ऐसे ही सौ करोड़ रुपये में हमारे यहां सुपरस्पेशियलिटी सुविधायें शुरू हो सकती हैं या फिर पीपीपी मॉडल के तहत इसे किया जा सकता है. आप किसी भी तरीके से, वहां ये सुविधायें शुरू करवायें और कब तक ?
श्री विश्वास सारंग- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्य ने कहा, वर्ष 2009 के पूर्व मध्यप्रदेश में केवल 5 चिकित्सा महाविद्यालय थे और यह भारतीय जनता पार्टी की बड़ी उपलब्धि है, जिसका माननीय सदस्य ने यहां जिक्र भी किया है कि वर्ष 2009 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सागर में छठवां चिकित्सा महाविद्यालय दिया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब यह चिकित्सा महाविद्यालय स्वीकृत हुआ था, तो हमें 100 एमबीबीएस की सीटें मिली थीं, जिसके साथ हमने जिला चिकित्सालय को संबद्ध किया था और वर्ष 2014 तक 750 बिस्तर का चिकित्सालय वहां बना है, जो सुचारू रूप से चल रहा है. यदि हम देश भर की स्वास्थ्य सेवाओं को देखें तो चिकित्सा महाविद्यालय से टर्शरी केयर की स्वास्थ्य सुविधायें अपेक्षित हैं, जो हमें आम जनता को उपलब्ध करवानी हैं. सदस्य ने जो सुपरस्पेशियलिटी की बात कही है तो मैंने अपने जवाब में उल्लेखित किया था केंद्र सरकार की योजना के तहत, वे मध्यप्रदेश के चार स्थानों पर स्वीकृत की गई थीं, जो सुचारू रूप से चल रही हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमें यह कहते हुए कोई संकोच नहीं है कि पूरे देश में डॉक्टरों की बहुत कमी है. केवल चिकित्सालय बना देने से काम नहीं चलेगा, हमें सभी बातों पर विचार करना होता है. जैसा कि माननीय सदस्य ने कहा कि सौ करोड़ रुपये मिल जाये तो सुविधायें मिल जायेंगी परंतु इसके साथ ही साथ हमें वहां सुपरस्पेशियलिटी के लिए डॉक्टरों की भी आवश्यकता होगी और अभी ऐसी फिजि़बिलिटी एवं डिज़ायबिलिटी नहीं बनती है कि हम सभी जगहों पर सुपरस्पेशियलिटी हेतु डॉक्टर ला सकें लेकिन जैसा मैंने अपने उत्तर में जिक्र किया है कि जितने भी विभागों का जिक्र ध्यान आकर्षण में माननीय सदस्य द्वारा किया गया है, उन सभी का प्राथमिक उपचार हम वहां कर रहें हैं और इसमें यदि कोई सुपरस्पेशियलिटी की जरूरत होती है, तो हम उसे हायर सेंटर में रेफर करते हैं और दुनिया के किसी भी बड़े से बड़े शहर में यही व्यवस्था है, यदि उस शहर में किसी तरह की स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं है तो उसको रेफर किया जाता है इसलिए हमने सागर में भी इस तरह की व्यवस्थायें की हैं. जहां तक माननीय सदस्य का कहना है कि इस तरह की व्यवस्थायें वहां हों, तो इस हेतु भविष्य में विचार किया जा सकता है परंतु सबसे महत्वपूर्ण बात यह है हम सागर में चिकित्सा महाविद्यालय से, जो अपेक्षित व्यवस्थायें हैं, वे हम वहां सुचारू रूप से दे रहे हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन:- अध्यक्ष महोदय, मेरा जो विषय था कि सुपर स्पेशियलिटी, इसके पहले तो हमारे डिस्ट्रिक्ट हास्पिटल यह सब इलाज कर रहे थे और अगर सुपर स्पेशियलिटी के लिये हमें फिर भी बाहर जाना पड़ेगा तो इस तरह के मेडिकल कॉलेज पूरे प्रदेश में खोले तो फिर उनका क्या महत्व रह जायेगा.
अध्यक्ष महोदय, बड़ा विनम्र निवेदन है कि चाहे तो पीपीपी मोड में वह सुविधा शुरू की जा सकती है. अनेक महानगरों में इस तरह के प्रयोग हुए हैं. मैं आपके माध्यम से निवेदन है कि शुरूआती दौर में एकाध फेसिलिटी की शुरूआत की जाए ताकि यह सुविधाएं मिलनी शुरू हो जायें.
श्री विश्वास सारंग:- माननीय अध्यक्ष महोद, माननीय सदस्य ने जो कहा है कि मेडिकल कॉलेज से संबंध अस्पताल से संबंद्ध अस्पताल की यह ड्यूटी जरूर है कि वह इलाज दे, परन्तु सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम डॉक्टर्स का निर्माण करते हैं. हमें जिला अस्पताल से मेडिकल कॉलेज की तुलना नहीं करना चाहिये. अध्यक्ष महोदय, बेसिकली एक दिक्कत यही आयी है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग का जब जिक्र आता है तो वह केवल और केवल चिकित्सालय तक ही सीमित हो जाता है, जबकि हमारा जो मुख्य काम है वह चिकित्सकों का निर्माण करना है. इसलिये मैं, केन्द्र सरकार में इस समय माननीय प्रधान मंत्री जी जो बहुत धन्यवाद दूंगा कि नीति आयोग के माध्यम से उन्होंने यह संकल्प लिया है कि देश में ज्यादा से ज्यादा चिकित्सा महाविद्यालय शुरू हों जिससे कि ज्यादा से ज्यादा डाक्टर्स का निर्माण हो और माननीय मुख्यमंत्री जी का भी यही मंतव्य है और इसीलिये पहले अभी तक 13 मेडिकल कॉलेज थे अब हमने 9 और मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा की है , जिसमें से हमें 6 केन्द्र सरकार से अनुदान के साथ मिल रहे हैं पर 3 हम अपने स्टेट बजट से खोल रहे हैं, जिन दो का जिक्र माननीय सदस्य ने किया छतरपुर और दमोह वह हम स्टेट बजट से शुरू कर रहे हैं. हमारा जो मंतव्य मेडिकल कॉलेज शुरू करने का है, स्थापित करने का उस मंतव्य को, उस उद्देश्य को मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूरी तरह से स्वीकार भी करती है और उसका पालन भी करती है और सफलतापूर्वक हमने उसको ग्रहण भी किया है. जहां तक अस्पताल की बात है तो मैंने बताया कि टर्शरी केयर हमसे एक्सपेक्टेड है और वह हम दे रहे हैं.
श्री शैलन्द्र जैन:- माननीय अध्यक्ष महोदय...
अध्यक्ष महोदय:- अब आप बैठ जाइये, अब विभाग की चर्चा के समय बोलियेगा. नहीं अब तो हो गया है.
श्री शैलेन्द्र जैन:- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी भी मेडिकल कॉलेज का सुचारू रूप से संचालन करने के लिये पीजी कोर्सेस की जरूरत होती है, पीजी की अनुमति की आवश्यकता होती है. सागर में मेडिसिन और सर्जरी इन दोनों विषयों में पीजी की अभी हमें तक मान्यता नहीं मिल पायी है. इसका मुख्य विषय जो बताया गया है वह यह बताया गया है कि इन दोनों विभागों में चार-चार असिस्टेंट प्रोफेसर्स की कमी है, जिसको दिल्ली से आयी हुई टीम ने भी रेखांकित किया है, अगर वह डेफीशियेंसी हमारी पूर्ण हो जायेगी तो निश्चित रूप से हमें पीजी की मान्यता दो विषयों में मिल जायेगी. अध्यक्ष महोदय, एक विषय और है कि सागर मेडिकल कॉलेज मे अभी तक ब्लड बैंक शुरू नहीं हो पाया है, बगैर ब्लड बैंक के मेडिकल कॉलेज के संचालन में असुविधा हो रही है. मंत्री महोदय, से निवेदन है कि वह इस विषय पर भी जरूर बात करें.
श्री विश्वास सारंग:- माननीय अध्यक्ष, जैसा कि हमारे विधायक जी ने पीजी कोर्स के बारे में कहा है, मैं एक मिनट इस बात का जिक्र अवश्य करना चाहता हूं कि हमारी इस सरकार ने ही जो हमारी एनएमसी की गाइड लाइन के हिसाब से जितने पीजी कोर्स हैं उसको हमने अग्रणी रहते हुए अप्लाइ किया है. मेडिसिन और सर्जरी के पीजी कोर्स के लिये भी हमने पूरी तरह से हमारे यहां से प्रस्ताव भेजा है, जहां यह यह जो गैप की बात कर रहे हैं, जैसा मैंने पहले जिक्र किया था कि डॉक्टर्स की कमी है, वह जल्दी से जल्दी भरवा दिये जायेंगे और माननीय सदस्य ने ब्लड बैंक की बात की है, हम 100 से 250 की सीट का जो अपग्रेडेशन करने वाले हैं उसमें हम मेडिकल कालेज में हम ब्लड बैंक भी लायेंगे, पर अभी ब्लड बैंक की जो सुविधा है वह जिला अस्पताल से सुचारू चल रही है और उसका हमारे पूरा को-आर्डिनेशन है, कहीं कोई दिक्कत नहीं है.
श्री शैलेन्द्र जैन:- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि कैथ लैब की सुविधा शुरू हो जायेगी तो बड़ा अच्छा होगा. अध्यक्ष महोदय यह बहुत आवश्यक है.
अध्यक्ष महोदय:- आपका हो गया. आप भी विद्वान हो और मंत्री जी भी विद्वान है आप दोनों आपस में बात कर लें.
श्री विश्वास सारंग:- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा विधायक जी का मंतव्य है, क्योंकि सागर संभागीय मुख्यालय है और मुख्यमंत्री जी का और हमारी सरकार का यह मंतव्य है कि हम अच्छी से अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं तो मैं माननीय अध्यक्ष महोदय, सागर में मेडिकल कॉलेज में हम कैथ लैब बना देंगे, इसका मैं उनको आश्वासन देता हूं.
श्री शैलेन्द्र जैन:-अध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद माननीय मंत्री महोदय के लिये.
1.15 बजे
याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय:- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्यों की याचिकाएं प्रस्तुत की हुए मानी जायेंगी.
शासकीय विधि विषयक कार्य
1. 15 बजे (1) मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021 (क्रमांक 15 सन् 2021) का पुरःस्थापन
1.16 बजे (2) मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक, 2021 (क्रमांक 1 सन् 2021)
अध्यक्ष महोदय--प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक, 2021 पर विचार किया जाये.
मैं फिर आदरणीय श्रीमती झूमा सोलंकी को आमंत्रित करता हूं.
1.17 बजे {सभापति महोदया (श्रीमती झूमा सोलंकी) पीठासीन हुईं}
डॉ.गोविन्द सिंह (लहार)--सभापति महोदया, मैं धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक का विरोध करता हूं. विरोध इसलिये कर रहा हूं कि इसको लाने की कोई आवश्यकता नहीं थी. सरकार के पास कोई कार्य है नहीं बैठे-ठाले कुछ न कुछ करना है, इसलिये जब मन में आये कोई न कोई शगूफा लाने का काम करती है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि इस विधेयक को लाने का न तो कोई औचित्य था, न ही कोई मंशा थी, न ही इसमें किसी का हित होने वाला है. जान-बूझकर आम लोगों को जो अपना स्वतंत्र जीवन जीना चाहते हैं उनका जीवन दूभर बनाने का प्रयास इस विधेयक के माध्यम से है. इसमें जितने भी कानून व धाराएं हैं जो आपने लगाई हैं जहां तक अन्याय की बात है अगर कोई व्यक्ति गलत काम करता है धार्मिक प्रलोभन या दबाव में धोखाधड़ी करके किसी का धर्म परिवर्तन कराता है तो उसके लिये पहले से ही भारतीय दण्ड संहिता 1860 एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के अंतर्गत प्रावधान हैं. जब पूर्व से ही प्रावधान हैं तो इसकी आवश्यकता पूर्व के विधेयक को निरस्त करके लाने की आवश्यकता नहीं थी. परन्तु इस विधेयक को उत्तरप्रदेश तथा उत्तराखण्ड की सरकारों ने पारित कर दिया. तो माननीय गृहमंत्री जी को इसमें अमित शाह की दरबार में वाहवाही लूटना थी.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--जब जवाब बोलेंगे तब तो आप सुनेंगे ना.
डॉ.गोविन्द सिंह--सभापति महोदया, माननीय अमित शाह को खुश करने के लिये मध्यप्रदेश के इस बहादुर वीर और हां में हां मिलाने वाला उत्तरप्रदेश एवं उत्तराखण्ड की नकल करके विधेयक बनाने वाला गृहमंत्री साबित करना चाहते हैं. मैं पूछ रहा हूं क्या इसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है या नहीं. क्योंकि व्यक्तिगत स्वतंत्रता, स्वैच्छा से धर्म का अनुसरण करना, धर्म चुनने का अधिकार इससे बाधित होता है. यह अलग से बना दिया तो उससे स्वतंत्रता, स्वैच्छा से अपनी अभिव्यक्ति से समाज में रहने का जो संविधान में अधिकार है वह भी बाधित होता है. हम चाहे तो अपनी इच्छा से 10 बार धर्म परिवर्तन कर सकते हैं, लेकिन इसमें भी कई बंदिश लगाई है, ताकि स्वैच्छा से धर्म परिवर्तन करने वाला व्यक्ति भी इन बंदिशें के तहत अपनी इच्छा से इस मुल्क में न रह सके. क्योंकि इसमें 60 दिन का प्रावधान कर दिया. अगर कोई स्वैच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो वह आवेदन दें और 60 दिन तक जिला दण्डाधिकारी उसको अपने पास रखे रहेगा, उसके बाद आप विचार होगा, 60 दिन की आवश्यकता क्या है, इधर अगर कोई व्यक्ति बिना आवेदन के धर्म परिवर्तन कर भी लेता था, पहले भी प्रावधान था, लेकिन उसमें समय कम था और कोई व्यक्ति बिना आवेदन मंजूरी और आवेदन के बिना धर्म परिवर्तन कर लेता था, तो अपराध नहीं माना जाता था, इन्होंने उसको अपराध में शामिल कर दिया और पूरे प्रशासनिक अधिकारी जो जिला मजिस्ट्रेट है वह जांच कराएगा, विवेचना करेगा और अपनी इच्छा से निर्णय देगा, वह चाहे तो न दें. यह सब सरकार के दबाव में होगा, जिला दंण्डाधिकार निष्पक्ष निर्णय नहीं कर सकता, क्योंकि मैं देख रहा हूं, आज के प्रशासन के अधिकारी सरकार के इतने दबाव में है कि जो ऊपर से निर्देश आया उसका आंख बंद करके पालन कर रहे है. उक्त अधिनियम में प्रावधान होने से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और 25 का भी उल्लंघन है. अनुच्छेद की धारा 15 और 16 को भी बाधित करता है, बिना किसी दबाव के अथवा प्रभाव के कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करता है और वापस उसी धर्म में आ जाता है तो वापस आने पर उसका पूर्व का धर्म परिवर्तन और दोबार एक व्यक्ति ने दूसरा धर्म अपनाया और पुन: अपने धर्म में वापस आ गया तो उसको धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा, शून्य माना जाएगा, यह कौन सा नियम है, क्या इसकी सोच है, क्या नियम है. इस विधेयक के आने से, इस विेधेयक के पारित होने से भारतीय हिन्दू विवाह अधिनियम एवं विशेष विवाह अधिनियम दोनों पर भी रोक लगती है. धारा 3 में दो प्रावधान है, अभी तक जितने भी कानून बने है परन्तु इसमें यह दिया है कि अगर कोई सामान्य वर्ग का व्यक्ति नाबालिग, अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को प्रलोभन देकर या प्रभावित करके अगर विवाह संपन्न कर लेता है तो उस पर कम से कम 2 साल से लेकर 10 साल तक की सजा और 50 हजार रूपए जुर्माना होगा और अगर कोई सामान्य वर्ग और पिछड़े वर्ग के साथ इस प्रकार का कोई विवाह कर लेता है तो उसके साथ 5 से 10 वर्ष की सजा और 1 लाख तक का जुर्माना, तो इसमें भी जात-पात के आधार पर इसको बनाया गया है, इसलिए कानून की मंशा साफ नहीं है. कोई भी कानून विभिन्न विचारों से अलग अलग धाराओं से काम नहीं करता है. ठीक है कोई बात नहीं इसको विशेष न्यायालय में करें आप एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज या डिस्ट्रिक्ट जज के द्वारा सुनवाई हो, परन्तु सजा में भी कम और ज्यादा सजा का प्रावधान किया है. अगर कोई एक व्यक्ति, सामूहिक धर्म परिवर्तन उसको माना जायेगा. माननीय सभापति महोदया जी, दो व्यक्ति अगर एक हों, सामूहिक धर्म परिवर्तन में बड़ी सभाएं होती हैं, धर्म परिवर्तन सम्मेलन होते हैं. लेकिन अगर दो व्यक्तियों द्वारा धर्म परिवर्तन करके शादी-ब्याह किया है तो वह माना जायेगा, उसकी सजा भी बढ़ा दी है. उसकी सजा भी दोनों से ज्यादा कर दी है. जब एक कानून है, एक नियम है तो सजा भी एक समान होनी चाहिए. सजा में भी भेदभाव कर दिया है, एससी-एसटी, ओबीसी और जनरल के लिए अलग-अलग सजा नहीं होनी चाहिए. इसके साथ ही साथ, अगर धारा 3 का उल्लंघन करते हुए विवाह के बाद धर्म परिवर्तन करके, उसके यहां कोई बच्चा पैदा होता है और फिर उसको छोड़कर यदि दूसरी शादी कर ली, तो उस बच्चे को उसकी संपत्ति में पूरा अधिकार दिया गया है, इसमें तो कोई बात नहीं है. इससे तो मैं भी सहमत हूँ कि अगर वह इस तरह की शादी करते हैं, जिससे बच्चा या बच्ची पैदा हो जाये, उसको लावारिस छोड़ दिया जाये तो उसमें उसकी संपत्ति में अधिकार होना चाहिए. इसी प्रकार धर्म परिवर्तन के बाद, कानून में क्या प्रावधान था कि हिन्दू विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम कि अगर कोई धर्म परिवर्तन करता है तो फिर उसमें यह था कि धर्म परिवर्तन की इजाजत मिल जाती थी. अगर कोई अब ऐसा करेगा तो अपराध माना जायेगा. अगर कोई अपराध करता है तो उसको सिद्ध करने का अधिकार अभियोजन को था. इसमें पूरा अपराध निर्दोष को सिद्ध करने का काम, पूरा का पूरा अधिकार धर्म परिवर्तन वाले को व्यक्ति को दिये गये हैं और जब उसमें जमानत थी, जब वह गिरफ्तार हो जायेगा और गिरफ्तारी होने के बाद जमानत का प्रावधान नहीं है तो वह अपने आपको कैसे निर्दोष सिद्ध करेगा, वह जेल में रहकर कहां से कर लेगा. इस प्रकार उसको जबरदस्ती फंसाकर और जो षड्यंत्र अभी चल रहा है, वह चलेगा. इस सरकार की अल्पसंख्यक समाज को धमकाने और भयभीत करने की पूरी-पूरी मंशा है अन्यथा इस पूरे-पूरे कानून में कहीं भी इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है और यही इसके मुख्य कारण हैं इसलिए मैं यह कहना चाहता हूँ कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है, न ही आवश्यकता थी, समय पुराने जो पुराने कानून बने हैं, भारतीय दण्ड संहिता, कानून में पूर्व से प्रावधान है, पूर्व से ही धाराएं हैं, उनमें भी सजा के प्रावधान हैं, तो इसमें वाह-वाही लूटने के लिये, वर्ग-विशेष के लोगों को दबाव डालने, भयभीत करने के लिये यह कानून लाया गया है. इसीलिये मैं इस कानून का घोर विरोध करता हूँ और इसकी निंदा करता हूँ. मैं सरकार से चाहता हूँ कि वह अच्छे काम करे. इस प्रकार के कानून लाकर जनता को भयभीत न करें, प्रदेश में 7.5 - 8 करोड़ जनता को स्वछन्दता से, जो हमें संविधान में अधिकार दिये गये हैं, मैं उन प्रदत्त अधिकारों के तहत निष्पक्ष भाव से प्रदेश में रहने, आने-जाने, संपत्ति का अधिकार सभी अधिकारों को सुरक्षित करने की जवाबदारी सरकार की होती है परन्तु यह सरकार अल्पसंख्यकों को डराकर-धमकाकर इस प्रदेश से भगाने का प्रयास कर रही है. यही इमें इसका उद्देश्य प्रतीत होता है. अत: मैं इस विधेयक का पुरजोर विरोध करता हूँ.
डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) - माननीय सभापति जी, रामचरितमानस में एक चौपाई है -
जब जब होई धर्म कै हानि । बाढ़ई असुर, अधम अभिमानी ।।
तब तब प्रभु धरि, विविध शरीरा । हरहों कृपा निधि, सज्जन पीरा ।।
मैं माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय गृह मंत्री जी और विधि मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ
माननीय सभापति महोदया, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को, हमारे माननीय गृहमंत्री जी और विधि मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि जिन्होंने कमजोर की, सज्जन की पीड़ा हरने के लिये इस विधेयक को लाये हैं. सभापति महोदया जी, डॉ. गोविन्द सिंह जी ने बहुत सी बातें रखी हैं, मैं उन पर भी आऊंगा किंतु इसके पहले मैं विधेयक से संबंधित जो कुछ बाते हैं, वह कहना चाहता हूं.
डॉ. गोविन्द सिंह -- सभापति महोदया जी ऐसा क्यों है कि अध्योध्या में रहना है तो राम-राम कहना है, यह तो इनको जो ऊपर से निर्देश मिला है, अगर वही गुणगान करना है तो आप गुणगान करिये (हंसी.)
श्री उमाकांत मिश्रा -- आप क्या साहब लंका में रहते हैं(हंसी..)
डॉ सीतासरन शर्मा -- (हंसी..) सभापति महोदया, माननीय डॉ.गोविन्द सिंह जी वरिष्ठ सदस्य हैं और वर्षों मंत्री रहे हैं, किंतु वास्तव में मन में तो वह इसका समर्थन कर रहे हैं, परंतु उनको ऊपर से निर्देश नहीं है. डॉ. गोविन्द सिंह जी ने संविधान की बात की है, आर्टिकल 21 जीने का अधिकार है, आर्टिकल 25 से 28 धर्म के प्रति स्वतंत्रता का अधिकार है. यदि उस स्वतंत्रता के अधिकार को कानून से मजबूत कर रहे हैं तो इसमें क्या तकलीफ होना चाहिये. यदि संविधान ने कोई गारंटी दी है, आपको मालूम है भारत के संविधान में आर्टिकल 14 में कुछ अध्याय हैं, जिनमें मौलिक अधिकार भी हैं, उन मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिये फिर संविधान के पांच उपचार दिये हैं, उनको कहा जाता है कांस्टीट्यूशनल रेमेडीज, उनको अदालत जाने के उपचार हैं. इसी प्रकार से जो धर्म स्वतंत्रता का अधिकार आर्टिकल 25 से 28 में दिया है, उसको प्रोटेक्ट करने के लिये यदि कोई कानून बनाया जा रहा है, तो इसमें दिक्कत क्या है. वास्तव में तो यह संविधान की भावनाओं के अनुरूप ही है.
सभापति महोदया, समय बदल रहा है, धर्म स्वातंत्र्य का डॉ. गोविन्द जी कह रहे थे कि पहले से कानून है. उन्होंने आई.पी.सी. और सी.आर.पी.सी. का तो उल्लेख किया किंतु एक धर्म स्वातंत्र्य विधेयक वर्ष 1968 में भी आया था और मैं सदन के सामने गर्व से कहना चाहता हूं कि तब भी माननीय वीरेन्द्र कुमार सखलेचा जो उस समय उपमुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने यह विधेयक लेकर आये थे और तब भी सामने के पक्ष के लोगों ने इसका विरोध किया था( मेजों की थपथपाहट) यदि वास्तव में इस देश की संस्कृति की इस देश के संविधान की और इस देश के धर्म स्वातंत्र्य की कोई रक्षा करने की बात करता है तो वह भारतीय जनता पार्टी या जनसंघ करती है और इसलिये पहला विधेयक भी वर्ष 1968 में आया था, जो सखलेचा जी लेकर आये थे. धर्मनिरपेक्षता की बात बार-बार की जाती है, हम उसको सर्वधर्म सम्भाव बोलते हैं और यही इस विधेयक में भी लिखा है और संविधान भी यही कहता है.
सब नर करहिं परस्पर प्रीति, चलहिं स्वधर्म निरत सुत नीति.
हमने किसी से नहीं कहा कि इस धर्म पर चलो कि उस धर्म पर चलो, सब आपस में प्रेम से रहो और अपने-अपने धर्म पर चलो, यही हमारी संस्कृति सिखाती है. अब डॉक्टर साहब कहते हैं कि भय बना देंगे, यह डर क्यों है, यह भय क्यों हैं इसका मतलब है कि कानून का उल्लंघन करने वाले को ही कानून का भय होता है, जिसको कानून का उल्लंघन करना ही नहीं है, जिसको जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराना ही नहीं है, जिसको थ्रेट इंड्यूसमेंट और मिस रिप्रेजेंटेशन से धर्म परिर्वतन नहीं कराना है, वह डर क्यों रहा है? वह क्यों ऐसा कहता है कि जैसे इसे किसी के खिलाफ उपयोग किया जायेगा, वह सीना तानकर बोले कि हां हम कन्वेंस करके धर्म परिर्वतन करेंगे और इसीलिये 60 दिन का नोटिस देने को हम तैयार हैं, पर वह कहते हैं कि नोटिस मत देना. कांग्रेस की सरकार में इस धर्म स्वातंत्र्य विधेयक जो वर्ष 1968 में आया था, उसके पहले जस्टिस नियोगी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी. सभापति जी, यह कांग्रेस की सरकार ने बनाई थी, देखिये जस्टिस नियोगी की रिपोर्ट क्या कहती है, डॉ. गोविन्द सिंह जी भी कृपया ध्यान दें.
Conversions are mostly brought about by under influence misrepresentation, etc., or in other words not by conviction but by various inducements offered for proselytization in various forms. यह आपकी सरकार के समय 1954 में बनी थी और 1956 में इसने अपनी रिपोर्ट दी थी. आपने उस समय कानून क्यों नहीं बनाया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अब उनको समझ में ही नहीं आया, वह जवाब क्या देंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- वह डॉक्टर हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- अब आप इतनी क्लिस्ट इंग्लिस पढ़ रहे हैं, उधर स्लीपिंग प्वाइंट है, वह पकड़ नहीं पाते.
श्री के.पी. सिंह-- इसका हिन्दी अनुवाद आप कर दो यार.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मैं तो आपका भी स्लीपिंग प्वाइंट देखकर हड़बड़ा गया था. मैं तो कर ही नहीं पाता. .. (व्यवधान)..
डॉ. सीतासरन शर्मा-- Suitable control on conversions brought about through illegal means should be imposed if necessary Legislative measures should be enacted. कानून बनाना पड़ेगा, यह नियोगी कमेटी ने आज से 40-50 साल पहले कहा था और उसी के कारण आपने तो नहीं बनाया, क्योंकि आप तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं. आप नहीं चाहते कि इस देश की संस्कृति बची रहे और इसीलिये आपने कानून नहीं बनाया 1968 में माननीय सखलेचा जी को, परंतु वह कानून थोड़ा सरल था, अब परिवर्तन आ गया है. यह मेरे पास 1968 का रखा है, उसमें पूरे प्रावधान नहीं थे, उस समय की जरूरत के हिसाब से थे, किंतु अब इंटरनेट का युग आ गया है, अब सोशल मीडिया है, अब आदमी अपनी पहचान आसानी से छुपा सकता है और इसीलिये वह धर्म किसी का होता है और कोई धर्म का नाम लिख लेता है. हमारे यहां एक फेक्ट्री पकड़ी गई, नकली घी बनाती थी, नाम था नर्मदांचल घी फेक्ट्री और उसके संचालक थे अल्पसंख्यक, तो यह धोखा देने के लिये और इसलिये misrepresentation इस इंटरनेट युग में बहुत ज्यादा होने लगा है, सोशल मीडिया से बहुत ज्यादा होने लगा है और इसीलिये इस एक्ट में परिवर्तन आवश्यक था और इसीलिसे वर्ष 1968 की जगह आज वर्ष 2020 का अध्यादेश और वर्ष 2021 में यह एक्ट लाया गया है. मैं सोचता हूं कि डॉ. साहब ने जो कहा है उनकी बात निर्मूल है, कुछ एक्ट के प्रावधानों पर बात जरूर करेंगे, उसके बाद मैं अपनी बात समाप्त करूंगा.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आप तो एक लाइन बोलकर चुप हो गये, हमने कहा उसका भी तो वन बाई वन बताओ.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- क्या बोले डॉक्टर साहब.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- थोड़ा बहुत हमारे लिये भी तो छोड़ेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन-- डॉ. साहब के जवाब तो डॉ. साहब ही दे पायेंगे.
डॉ. सीतासरन शर्मा-- वह भी डॉ. हैं, पीएचडी हैं. सभापति जी, इसमें ऐसी कौन सी बात है जिसमें इनको ऐतराज है, दुर्व्यपदेशन, प्रलोभन, धमकी या बल प्रयोग, असम्यक, असर, प्रपीड़न इसमें से आपको किस चीज पर ऐतराज है, क्या आप यह चाहते हैं कि misrepresentation से धर्म परिवर्तन हो जाये. अब इसमें एक समस्या और आजकल आ रही है और वह है कि नाम बदलकर के और misrepresentation करके सोशल मीडिया के माध्यम से विवाह कर लिया जाता है और उसके बाद में विवाहित महिला का बलपूर्वक धर्म परिवर्तन करवाया जाता है. सभापति जी, सिर्फ हम यह बात नहीं कह रहे, केरल हाईकोर्ट ने, अब वहां पर तो कोई भारतीय जनता पार्टी की सरकार है नहीं, केवल एक सदस्य जीता है, वहां या तो यूडीएफ आता है या एलडीएफ आता है. पर वहां भी हाईकोर्ट ने इस बात को माना है कि इस तरह से बहलाया,फुसलाया और धमकी दी जा रही है और इस तरह से गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है और इसीलिये कानून लाना जरूरी था. एक-दो सुझाव है. एक तो विधि मंत्री जी आपसे अनुरोध है धारा-4 में इसमें जो कम्पलेंट एक्ट परिवाद के जो आपने व्यक्ति लिखे हैं - " रक्त,विवाह या दत्तक ग्रहण,संरक्षकता और अभिरक्षा " इसमें सामाजिक संस्थाएं भी जुड़नी चाहिये क्योंकि कई बार ऐेसे लोग भय के कारण क्योंकि हमारे सामने ऐसे बहुत से लोग बैठे हैं जो धर्म परिवर्तन करवाने वालों के पक्ष में खड़े हो जायेंगे इसीलिये सामाजिक संस्थाओं को भी अधिकार देना चाहिये कि वे परिवाद प्रस्तुत कर सकें. धारा-5 के अंतिम परन्तुक में यह तो लिखा है कि- " परन्तु यह भी इस धारा में उल्लिखित दूसरे या उत्तरवर्ती अपराध की दशा में, कारावास पांच वर्ष से कम का नहीं होगा परन्तु दस वर्ष तक का हो सकेगा तथा जुर्माने का भी दायी होगा." जुर्माने की राशि नहीं लिखी. ऊपर के पूरे परन्तुकों में लिखी है. इसमें जुर्माने की राशि आनी चाहिये. इनको संशोधित करने में बहुत समस्याएं नहीं हैं क्योंकि धारा-15 में आपने यह प्रावधान किया है कि छोटे-मोटे विषय हैं उनको राज्य शासन संशोधित कर सकता है. धारा-7 में है कि- धारा 6 के अधीन किसी विवाह को शून्य किया जायेगा. उसमें बाकी सब बातें तो हैं किन्तु समय-सीमा नहीं है. इसमें समय-सीमा भी जुड़नी चाहिये ताकि एक निश्चित समय-सीमा में जो पीड़ित व्यक्ति है उसको न्याय मिल सके. वह अपने धर्म में अपने आप वापस हो जायेगा. विवाह ही शून्य हो जायेगा किन्तु उसको कानूनी जामा इस धारा के तहत मिलेगा. यह भी मेरा अनुरोध है. सभापति महोदया, मैं पुन: माननीय गृह मंत्री जी को, विधि मंत्री जो को और माननीय मुख्यमंत्री जी को इस सदन के माध्यम से बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने धर्म स्वतंत्रता विधेयक को लाया. इससे प्रदेश के पीड़ित और शोषित व्यक्ति हैं उनको कानून का प्रोटेक्शन मिल सकेगा. मैं सामने वाले सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि इसको सर्वसम्मति से पारित करें. धन्यवाद.
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) - माननीय सभापति महोदया, जो धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक विचार के लिये लाया गया है. निश्चित ही हमारा देश धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और सभी व्यक्तियों को अपना धर्म चुनने का अधिकार है लेकिन यदि यह विधेयक विचार के लिये लाया है तो पूरी तैयारी से लाया गया है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि आपको यह लाना ही पड़ा तो आपने पूरे प्रदेश का सर्वे करवाया ही होगा कि आखिर इस संबंध में जो अपराध, एफआईआर दर्ज हुई हैं तो पूरे प्रदेश का आंकड़ा निकलवाया होगा. इसकी जरूरत क्यों पड़ रही है. यदि कानून पहले से है, नियम पहले से है, अधिनियम प हले से है तो फिर इसकी जरूरत क्यों है. इसका मतलब है कि अपराध बढ़े हैं. तो आपके पास एफआईआर भी होंगी. जब मंत्री जी जवाब दें तो हम यह अपेक्षा करते हैं कि वे इसका जवाब दें. यदि शिकायतें हुई हैं कि जबरन धर्म परिवर्तन की बात हुई है और शिकायत हुई है तो उसका जिक्र मंत्री जी यहां करें क्योंकि जिस समय हमारी माननीय विधायक कलावती भूरिया जी यह बात रख रहीं थीं कि मुझे डराया जा रहा है. जान से मारने की धमकी दी जा रही है .उस समय माननीय गृह मंत्री जी ने सदन में कहा था कि इस तरह की कोई भी शिकायत हमारे पास नहीं आई है. इसका मतलब है कि जब तक लिखित शिकायत किसी थाने में या किसी अधिकारियों के पास यदि शिकायत नहीं पहुंची है, तो सरकार इस पर कार्यवाही तो नहीं करेगी, क्योंकि मैं भी उस समय सदन में मौजूद थी. विधायक सदन के अंदर चिल्ला रहा था, बोल रहा था, लेकिन उस विधायक का कोई महत्व नहीं था और यदि ये विधेयक यहां पर आया है, जिसकी वास्तव में कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन अगर आया है तो निश्चित रुप से इसके पीछे कारण भी होंगे. मैं चाहूंगी कि मंत्री जी इसका सारगर्भित उत्तर देंगे. और एक बात यदि आर्थिक,मानसिक दबाव के कारण या प्रलोभन के कारण जो भी कारण इसमें स्पष्ट किये गये हैं कि यदि इन सब कारण के चलते यदि धर्म परिवर्तन हो रहा है, तो सजा तो आप दो, सजा तो देना ही है, लेकिन इसके पीछे उत्पन्न कारणों को भी हमको देखना पड़ेगा कि क्यों हमको इन सब चीजों की जरुरत पड़ती है. यदि आप युवाओं को, युवाओं का मतलब लड़के और लड़कियां दोनों होते हैं, यदि युवाओं को आप रोजगार देंगे, यदि उनको आप उनकी क्षमता के अनुरुप काम सौंपेंगे, तो निश्चित रुप से अपराधों में कमी आयेगी और बहुत सारे कारण ऐसे होते हैं, जो केवल और केवल बेरोजगारी के चलते आते हैं. इसलिये आप आर्थिक रुप से मजबूत बनाइये हमारे युवाओं को, फिर आप देखिये ऐसे कानूनों में संशोधन करने की आपको आवश्यकता कभी भी नहीं पड़ेगी. सभापति महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया, धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) -- सभापति महोदया, मैं गृह मंत्री जी का, मुख्यमंत्री जी का एक ऐसे विषय पर जिसकी आवश्यकता पड़ती जा रही थी, पड़ रही थी. विधेयक संशोधन के साथ आया है, मैं रामेश्वर शर्मा जी को भी स्मरण करुंगा, हमारे सम्मानित वरिष्ठ सदस्य हैं. जिन्होंने 2-3 माह पहले मुखर होकर के प्रिण्ट एवं इलैक्ट्रानिक मीडिया में इस बात को उद्वेलित किया था कि इस विधेयक पर व्यापक विचार विमर्श भी होना चाहिये और इसमें सजा के कड़े प्रावधान भी होने चाहिये. जब यह बात चली और जब ये टेबल हुआ गृह मंत्री जी के द्वारा, हम ग्रामीण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं,हम जब क्षेत्र में गये, अब इस पक्ष के आंखों पर तो पता नहीं कौन सा चश्मा चढ़ा हुआ है, लेकिन जन सामान्य की आवाज आई, मुख्यमंत्री जी एवं गृह मंत्री जी का धन्यवाद, आपने हजारों बेटियों की जिंदगी बचा ली है, जबकि चर्चा में तो आज आया है, इसकी व्यापक चर्चा क्षेत्र में, गांव में, शहरों एवं कसबों में हो गई है. जब से यह टेबल हुआ और जब सरकार की मंशा जाहिर हुई मैं गृह मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि कोरोना के इस काल में मुझे अच्छी तरह से याद है कि एक महीने में आपने लगभग 24 से 25 एफआईआर दर्ज हुईं, जो कभी नहीं होती थी जिसको इलेक्ट्रानिक और प्रिण्ट मीडिया ने लव जेहाद का नाम दिया है. गरोठ भानपुरा क्षेत्र में श्यामगढ़ सुवासरा क्षेत्र में भी हमारे हरदीप सिंह जी विराजित हैं, हमारे छोटे से जिले में लव जेहाद की, धर्म परिवर्तन की जब एफआईआर दर्ज होती है, वह बिटिया आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है, मैं इधर से भी अपेक्षा करुंगा कि आज का यह मेटर, विधेयक अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर चर्चा में आ रहा है, तो पूरे राष्ट्र के विधान सभा, पूरी लोकसभा, सांसद और पूरे विश्व के लोग जो जनप्रतिनिधि हैं, जो विधायिका को समझते हैं, जो कानून बनाते हैं, आज इसकी प्रशंसा किये बिना रहेंगे नहीं. इसलिये कि हम बेटी को बचा रहे हैं. बेटियों की सुरक्षा के लिये ही यह सबसे बड़ा काम है, (श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य के बैठे बैठे कुछ कहने पर) जैसा रामेश्वर जी कह रहे हैं. एक षडयंत्र का हिस्सा है. यह कहां लिखा है कि एक वर्ग विशेष को लेकर कानून बनाया है? मैंने एक-एक पन्ना पलटाया. आदरणीय श्री शर्मा जी ने भी उसको देखा है, पढ़ा है. एक वर्ग विशेष की कहां बात आ रही है क्यों उन लोगों की सहानुभूति बंटोरने के लिए आप लोग उस गरीब और असहाय बिटिया के लिए, महिला के लिए जिसको प्रलोभन दिया गया है, उससे जाति छिपाई गई है, वर्ग छिपाया गया है और अगर आप जिस समाज की बात कर रहे हैं, अल्पसंख्यक समाज के काजी साहब की मौजूदगी में भी शादी नहीं हुई, निकाह नहीं हुआ. जैसा आदरणीय श्री शर्मा जी ने कहा कि यह इलेक्ट्रानिक युग है, यह प्रिंट मीडिया का युग है, यह सोशल मीडिया का युग है, उसमें जिस प्रकार से चर्चा और चर्चाओं में रफीक, रवि बन जाता है और जब सोशल मीडिया पर वह चैटिंग करता है, उस अबोध बालिका के साथ, उस गरीब बालिका के साथ वह प्रलोभन में आ जाती है, वह षडयंत्र में आ जाती है. रफीक, रवि बनकर संवाद करता है. कोर्ट में जाकर लव मैरिज हो जाती है, तब भी छिपाया जाता है. जब वह कोर्ट में जाकर विवाह हो जाता है, निकाह हो जाता है, उस समय तो वह विवाह की प्रक्रिया में आता है, तब तक बिटिया समझ नहीं पाती है. परिदृश्य ऐसे भी सामने आए हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर)- सभापति महोदया, इसमें सबसे बड़ा नुकसान आदिवासी और अनुसूचित जाति की बेटा, बेटियों के लिए है, अनुसूचित जाति की बेटियों का धर्म परिवर्तन करके उन्हें ईसाई और मुसलमान जबरन बनाया जाता है और वहां आरक्षण का लाभ लिया जाता है, जबकि आरक्षण मूल अनुसूचित जाति को मिलना चाहिए, अनुसूचित जनजाति को मिलना चाहिए, उनका आरक्षण का हक भी छिनता है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - तब तक छिपाया जाता है. सभापति महोदया, मैं पुनः माननीय गृह मंत्री जी को, विधि मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. विचार तो करना पड़ेगा, चिंतन तो करना पड़ेगा. शकील, सूरज बनकर आ जाता है, यह नाम परिवर्तन करके, धोखा देकर मात्र एक माह में 24 प्रकरण प्रकाश में आए. 5 मिनट और 22 सेकण्ड का एक वीडियो वायरल हुआ है. आप कहें तो मैं उसको पटल पर रख दूंगा. उसमें जो चित्रण किया है, 5.22 मिनट में परिदृश्य बताया गया है कि किस प्रकार से उसको बहला-फुसलाकर लाया गया है, घर में जाती है बिटिया, किस प्रकार से वातावरण बदला हुआ नजर आता है, किस प्रकार से उसको वेषभूषा बदलने के लिए कहा जाता है, किस प्रकार से उसको धर्म परिवर्तन के नाम पर जो उनकी इबादत है, उसको पढ़ने पर मजबूर किया जाता है. तब जाकर उस बिटिया का, उस विवाहिता का माथा ठनकता है कि मेरे साथ में यह क्या हो गया! 5.22मिनट में अंतत्वोगत्वा वह आग के हवाले हो जाती है और आईसीयू में जाकर दम तोड़ देती है. 5.22 मिनट का यह वीडियो अगर आप कहेंगी तो मैं यहां पर पटल पर रख दूंगा.
सभापति महोदया, प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करना, मैं माननीय गृह मंत्री जी का फिर धन्यवाद देना चाहता हूं. आपने उन लोगों को भी शामिल किया, जो षडयंत्र में हिस्सेदारी कर रहे हैं, उनकी निगाह में उनकी जानकारी में है, उनको भी आपने अपराधी की श्रेणी में लिया है. अगर धर्म परिवर्तन करके किसी दूसरे के धर्म को स्वीकार अंगीकार करना है, आपने समय दिया है. कलेक्टर को आवेदन देना पड़ेगा, उसकी निश्चित समयावधि है. लेकिन बस बर्गलाने की बात है. धर्म परिवर्तन करने के लिए लक्षित करने के लिए प्रेम ढोंग रचना वर्ष 2009 में पहली बार भारत में राष्ट्रीय क्षितिज पर केरल और बाद में कर्नाटक में यह मामला प्रकाश में आया है.
सभापति महोदया, जैसा कि आदरणीय श्री शर्मा जी ने कहा कि केरल के हाईकोर्ट में दिये गये फैसले में सत्य पाया गया, न्यायामूर्ति श्री के.टी. शंकरन ने अपना निष्कर्ष दिया कि जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन के संकेत हैं. माननीय उच्च न्यायालय ने इसको पाया है. केरल हाईकोर्ट ने भी वर्ष 2009 में लव जिहाद पर, धर्म परिवर्तन पर सुनवाई में कहा था झूठी मोहब्बत के जाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन का खेल केरल में वर्षों से संगठित रूप से चल रहा है.
सभापति महोदया, यह न्यायालयीन प्रक्रियाओं में रिकॉर्ड में है, उसी को लेकर मध्यप्रदेश के इस पवित्र सदन में आज के दिवस "अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस" के अवसर पर अगर इसकी बातचीत होती है तो मैं इसका स्वागत करता हूं. सभापति महोदया, 2017 में केरल के उच्चन्यायालय ने एक फैसले में धर्म परिवर्तन को लेकर लव जिहाद के आधार पर एक मुस्लिम पुरूष ने एक हिन्दु महिला के विवाह को अमान्य तक घोषित किया है. जब वहां पर अमान्य घोषित हुआ है तो हमारे मुख्यमंत्री जी और गृह मंत्री जी कहते हैं कि नहीं, इसे और आगे बढ़ाया जाना चाहिए संपत्ति में उसका अधिकार होना चाहिए. सभापति महोदया यह कोई डिस्पोजेबल ग्लास नहीं है कि यूज एण्ड थ्रो, और बाद में उसकी कोख से जो बच्चा पैदा हो वह दर दर की ठोकरें खाये, नाम परिवर्तन करके विवाह कर लिया तो आखिर बेटे के पिता का नाम क्या होगा, उसका धर्म क्या होगा, यह केवल वहीं तक सीमित नहीं है कि एक लड़के ने लड़की के साथ में मोहब्बत कर ली, धर्म परिवर्तन के बाद में जो श्रंखला चलेगी उसका क्या होगा. इसलिए मेरा निवेदन है सभापति महोदया यह जो आज का विधेयक है जो कि आदरणीय गृह और विधि मंत्री जी ने यहां पर प्रस्तुत किया है. मैं पूरे मध्यप्रदेश की जनता की ओर से 8 करोड़ जनता की ओर से यहां का सदस्य होने के नाते माननीय गृह मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं स्वागत करता हूं बहुत बहुत धन्यवाद्.
श्री विनय सक्सेना ( जबलपुर उत्तर ) -- माननीय सभापति महोदया आपको मैं धन्यवाद देना चाहता हूं और आपको महिला दिवस के लिए बधाई भी देता हूं. यह जो विधेयक यहां पर हमारे सामने प्रस्तुत है जिसमें मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2021 का नाम दिया गया है. जिसमें दुर्व्यपदेशन, प्रलोभन, धमकी या बल प्रयोग, असम्यक असर, प्रपीड़न, विवाह या किसी अन्य कपटपूर्ण साधन द्वारा एक धर्म से दूसरे धर्म में संपरिवर्तन का प्रतिषेध कर धार्मिक स्वतंत्रता के उपबंध के लिए यह विधेयक लाया गया है.
माननीय सभापति महोदया यह जो विधेयक लाएं हैं यह उनको भी पता है कि इस विधेयक को लाने की कोई आवश्यकता नहीं थी केवल संशोधन की आवश्यकता थी. वैसे भी ऐसा नहीं है कि यह कोई नया विधेयक आया है. अगर इसके नाम में यह कहते कि उस विधेयक में हमने संशोधन किया है तो मुझे लगता है कि यह ज्यादा उचित होता. क्योंकि यह जो विधेयक लाये हैं यह संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 के अधीन समस्त नागरिकों धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को प्रत्याभूत करता है. यानि भारत का जो संविधान है उसके अनुरूप यह लाया गया है और यह संविधान मध्यप्रदेश के भी धर्म स्वातंत्र अधिनियम1968 के क्रमांक 27 और 1968 में 52 वर्ष पूर्व भी यह अधिनियमित किया गया था तो फिर इस विधेयक को लाने का और नया नाम देने का लव जिहाद के नाम से इसमें प्रसिद्धि पाने का काम क्यों किया जा रहा है. ऐसा लगता है कि सरकार इसको इतनी जल्दबाजी में लाई है, कोरोना काल के चलते हुए भी, यह बताया गया है कि विधान सभा का सत्र चालू नहीं था इसलिए इसको लाना बहुत आवश्यक था.
सभापति महोदया आदरणीय शर्मा जी और सिसौदिया जी बहुत सीनियर हैं और उन्होंने कहा कि बल पूर्वक ले जाते हैं कोई कानून नहीं था अपहरण कर लेते हैं कोई कानून नहीं था. नाम बदल लेते हैं उसके लिए कोई कानून नहीं था. हमारे हिन्दुस्तान के संविधान में अपहरण के लिए, बलपूर्वक के लिए, नाम परिवर्तन के लिए धारा 420 है, ऐसा नहीं है कि कोई कानून नहीं था लेकिन अपनी पीठ थपथपाने के लिए लगातार इसमें शब्दावली का हेरफेर करके, इस पूरे विधेयक में जिस बात के लिए सरकार पीठ थपथपा रही है लव जिहाद का कहां नाम है, मैं यहां पर एक बात के लिए आदरणीय सीतासरन शर्मा जी हमारे बहुत ही सीनियर विधायक हैं उनकी एक बात विलोपित कराना चाहता हूं उन्होंने कहा कि सामने पक्ष के लोग जाकर दवाब बनाते हैं, एक दो का नाम लेकर बतायें कि किसने दवाब बनाया है. सभापति महोदय मैं इस बात पर आपत्ति लेना चाहता हूं कि इस सदन में एक दूसरे का सम्मान करने का प्रावधान है हम लोग तो पहली बार आये हैं आप लोग तो बहुत वरिष्ठ हैं. आप बैठे बैठे और खड़े होकर किसी पर भी आरोप लगा दें कि सामने पक्ष के लोग ऐसा करते हैं. ऐसा कौन हिन्दुस्तानी है जो चाहेगा कि मेरी मां और बेटी और मेरे भाई बहनों का धर्म परिवर्तन जबरदस्ती कर दिया जाय. ऐसा कौन व्यक्ति है जो चाहेगा कि उसके पड़ौस में जिसको हम भाई बहन मानते हैं, ऐसा कौन विधायक होगा जो कि अपने क्षेत्र में जो कि बच्चियां हैं उनको भांजी बोलते हैं और बेटी बोलते हैं तो उनके लिए चाहेगा कि..
श्री दिलीप सिंह परिहार -- ( X X X )
श्री विनय सक्सेना -- भईया मेरे गिरेबान में, गृह मंत्री जी सामने बैठे हैं, अगर मेरे गिरेबान में कोई कालिख लगी हो तो अभी अपराध में मुझे जेल भेज दिया जाय, इस तरह के आरोप न लगाये जाय, और इसको या तो विलोपित कराया जाय.
सभापति महोदया -- यह विलोपित किया जाय.
श्री विनय सक्सेना -- मैं यहां पर पहली बार का विधायक हूं संरक्षण देने की बात हो रही है और कहते हैं कि धमकाने की प्रथा चल रही है. मैं आज आदरणीय गृह मंत्री जी से भी कहना चाहता हूं कि उनका पूरा सदन सम्मान करता है उनकी बात हर आदमी सुनना चाहता है, हम लोग भी सुनना चाहते हैं लेकिन वह जब धमकाने पर आते है तो कहते हैं कि हमने सबको तोड़ दिया तुमको भी तोड़ देंगे. आदरणीय गोविंद सिंह जी को कह रहे थे अभी थोड़ी देर पहले, जब विधायकों और मंत्रियों को लाने की बात कह रहे थे, मैं यह कहना चाहता हूं कि सेम ऐसे ही हालात इस विधेयक के हैं, डराने और धमकाने के लिये लाया गया है. अभी सिसौदिया जी किसी का नाम लेकर बोल रहे थे, किसी जाति विशेष का, मैं पूछना चाहता हूं अल्पसंख्यक क्या एक ही जाति है ? उसमें तो कई अन्य जातियां भी आती हैं, परंतु यह बहन बेटी हैं हमारी, हिन्दुस्तान का संविधान स्पष्ट कहता है, हमारा अनुच्छेद 25, 26, 27, 28 कहता है कि समस्त नागरिक एक बराबर हैं, धर्म निरपेक्ष की बात है.
श्री रामेश्वर शर्मा -- सभापति महोदया, विनय जी बहुत समझदार हैं, जबलपुर से हाईकोर्ट जहां बसता है वहां से यह जन प्रतिनिधित्व करते हैं. इसमें मुसलमान शब्द कहां लिखा है ?
श्री विनय सक्सेना -- नहीं, हम समझदार नहीं हैं, आप समझदार हैं. मैंने कहां कहा है ?
श्री रामेश्वर शर्मा -- इसमें मुसलमान कहां लिखा है ? इसमें मुसलमान नहीं लिखा है.
श्री विनय सक्सेना -- तो मैंने कहां कहा है ? मैंने कब कहा है ? ...(व्यवधान)...
श्री रामेश्वर शर्मा -- आप इस तरह की बात मत करो.
श्री प्रियव्रत सिंह -- रामेश्वर जी, पहले हेडफोन पहन लो तो थोड़ा सुनाई देगा. ..(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा -- यह कानून इस बात के लिये लाया गया है कि धर्म परिवर्तन कराने का धंधा हिन्दुस्तान से बंद होगा. ..(व्यवधान)..
सभापति महोदया -- कृपया सब लोग बैठ जाएं. उनको अपनी बात करने दें. माननीय सदस्य आप अपनी बात पूरी करें.
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदया, मुझे एक बात आपसे जरूर निवेदन करना है कि परम आदरणीय जो बीच में हमारे प्रोटेम स्पीकर भी थे, क्या रामेश्वर शर्मा जी का नाम भारतीय जनता पार्टी की तरफ से इस विषय पर बोलने के लिये नहीं दिया गया है या उनको दबाकर रखा जा रहा है कि जिससे उनको बीच बीच में बोलना पड़ता है ? उनका नाम स्वतंत्र है वह भी अपना नाम लिखा लें, क्योंकि वह इस विषय पर वाहवाही लूट रहे हैं जबसे मध्यप्रदेश में, जिस समय प्रोटेम स्पीकर थे उनको तो स्वतंत्र रूप से सबको एक बराबर व्यवहार करना था प्रदेश से, लेकिन तब भी वह विशेष रूप से अपने लिये काम कर रहे थे, किसी एक विशेष जाति के लिये काम कर रहे थे. मैं आपसे कहना चाहता हूं, हमारे गृह मंत्री साहब से मैं निवेदन करना चाहता हूं कि सदन में हम लोगों को डराने, धमकाने का काम मत किया करो. जब आप डराते हो, गुस्से में आ जाते हो तो हम लोगों को लगता है प्रदेश गुस्से में आ गया है. उनका जो स्वरूप है आदरणीय एन.पी. प्रजापति जी कहते थे कि इतना नूरानी चेहरा है कि हंसते ही रहते हैं, खुश रहते हैं, लेकिन पता नहीं गोविंद सिंह साहब का नाम लेकर आज वह इतना गुस्सा दिखा रहे थे, लग रहा था यहीं ...
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- विनय बाबू, अरे हम लोग डरने वाले नहीं हैं, लेकिन हमें आपके स्वास्थ की चिंता है, जिस तरीके से आप दोपहर को थे हमें आपके स्वास्थ्य की चिंता लग रही थी, आप थोड़ा ध्यान रखा करो.
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदया, न सिर्फ 1968 इन्हीं के विधेयक में संज्ञेय अपराध के अन्वेषण के लिये जो पैरा लाया गया है उसी में धारा 2 कहती है कि मध्यप्रदेश समान खण्ड अधिनियम 1957 का क्रमांक (7), 1958 की धारा 10 की प्रयोज्यता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, मतलब हमारा जो 1958 का कानून है उस पर कोई भी अतिक्रमण नहीं करते हुये, यानी उसको मानते हुये इस कानून में संशोधन लाया गया है, तो इसका अर्थ क्या हुआ कि पहले से यह कानून है और उसके ऊपर कोई प्रभाव नहीं डाल रहा है. मैं यही कहना चाहता हूं कि इस विधेयक को जबरदस्ती सिर्फ सरकार अपनी पीठ थप-थपाने के लिये लेकर आयी है. इसमें अगर यह लेकर आते कि हम इसमें संशोधन कर रहे हैं, आप इसको पढि़ये इसमें जितने भी सजा के प्रावधान हैं उसमें कहीं ऐसा नहीं है जो स्पष्ट हो.
सभापति महोदया -- माननीय सदस्य, समाप्त करें. मांगों पर चर्चा होनी है.
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदया, समाप्त तो करें लेकिन मैं जो बात कह रहा हूं वह गंभीर हो तो सुन लें जिससे इसमें कोई चर्चा हो सके, क्योंकि अध्यक्ष महोदय ने कहा था कि चर्चा तर्क के साथ हो तो उचित है. लेकिन जब बीच बीच में बोला जाता है तो उतना समय तो मुझको मिलना ही चाहिये क्योंकि मैं पहले बार का विधायक हूं. अध्यक्ष जी ने कहा था कि पहली बार वाले विधायकों को संरक्षण दिया जाएगा और आज तो महिला दिवस पर आपकी कृपा हम लोगों के ऊपर होनी ही चाहिये.
सभापति महोदया -- कृपा तो ऊपर वाले की होती है.
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदया, आदरणीय शर्मा जी कह रहे थे कि सामाजिक संगठनों को भी आपत्ति लगानी चाहिये. मैं कहना चाहता हूं कि सामाजिक संगठनों का इसमें क्या लेना-देना है, बल्कि इसमें कानून बनना चाहिये कि जिस तरह से एस.डी.एम. कार्यालयों और थानों में जा-जाकर सामाजिक संगठन गुण्डागर्दी करके, जबरदस्ती अपना प्रभाव जमाते हुये धारायें लगवाते हैं उस पर रोक लगनी चाहिये.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- सभापति महोदया, सामाजिक संगठन, गुण्डागर्दी यह शब्द तो कोई ...
श्री विनय सक्सेना -- सामाजिक संगठन ही गुण्डागर्दी करते हैं. चाहें तो मेरे खिलाफ एक अपराध दर्ज करा दें. ..(व्यवधान)...
..(व्यवधान)..
श्री अनिरूद्ध मारू -- ये बिल्कुल गलत बात है. ..(व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह -- सभापति महोदया, जब सामाजिक संगठनों की बात हुई और गुंडा गर्दी की बात हुई तो ये चार लोग ही क्यों खड़े हुए..(व्यवधान)..
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदया, मेरा स्पष्ट आरोप फिर से है कि आप देश के कानून की धाराएं निकलवा लें, कई थानों में कई सामाजिक संगठनों ने गुंडा गर्दी करके धाराएं लगवाईं. हम लोग अखबारों में पढ़ते हैं, अखबार गलत नहीं कहते... ..(व्यवधान)..
श्री अनिरूद्ध मारू -- ये उनके पक्षधर हैं. ..(व्यवधान)..
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदया, कई बार हुआ है. कई संगठनों ने दबाव बनाकर धाराएं लगवाईं. जहां एक धारा लगनी थी, पांच-पांच धाराएं लगीं. मैं कहना चाहता हूँ कि जो अच्छे संगठन हैं, वे ऐसा काम नहीं करते, लेकिन संगठनों की आड़ में जो कुछ हो रहा है, ये पूरा देश जानता है. ..(व्यवधान)..
श्री अनिरूद्ध मारू -- हम भी यही कह रहे हैं अच्छे संगठन ये काम नहीं करते. ..(व्यवधान)..
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी -- आप क्या चाहते हैं, जैसा यशपाल जी ने कहा कि अगर इस कारण का बाद में पता चलता और वह आत्मदाह कर लेती है तो उसको जवाबदार कौन होगा, क्या आप होंगे, अगर सामाजिक संगठन ... ..(व्यवधान)..
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदया, मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूँ कि भारतीय जनता पार्टी के जो सचेतक महोदय हैं, कृपया कर इनके नाम नोट करा दें. भारतीय जनता पार्टी के सचेतक महोदय, इतने अच्छे-अच्छे वक्ता आपके पास हैं, उनका नाम नोट करा लीजिए तो कम से कम एक दूसरे के ऊपर अतिक्रमण नहीं करना पड़ेगा. हम लोगों के ऊपर भी कृपा बनाए रखें. आप ही के साथी हैं. मैं किसी पार्टी या विचारधारा के विरोध में नहीं हूँ. मैं इस तरह के कानून के विरोध में हूँ, जो पीठ थपथपाने के लिए लाया जाता है. यह विधेयक अगर संशोधन के रूप में लाया जाता तो बात समझ में आती, सब एक साथ करते, लेकिन सरकार को यह बताना चाहिए कि इसमें ऐसा कौन सा प्रावधान है जो पहले से नहीं था. ऐसा कौन सा प्रावधान है कि पहले की सरकारें, आपने खुद कहा कि सखलेचा जी के समय कानून बनाया गया, तो क्या सखलेचा के समय पर, क्या उनके ऊपर भी प्रश्न चिह्न लगाया जाएगा. हमारे माननीय ने अभी अभी कहा, इसका मतलब अगर उस समय वह कानून बनाया गया और सही बनाया गया तो फिर उसपर भी आपत्ति लगा रहे हैं. मैं यह कहना चाहता हूँ कि अपने ही वरिष्ठों को, अपनी ही पार्टी के लोगों को नीचा दिखाते हुए अगर सरकार के कुछ नुमाइन्दे अपनी पीठ थपथपाने का काम कर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि ये जो कानून है, सिर्फ सरकार ने अपनी पीठ थपथपाने के लिए लाया है. इसमें एक नाम, जो हमारे रामेश्वर शर्मा जी कहते थे, मैं पेपर में पढ़ता था, लव जेहाद, एक है इंग्लिश नाम, जो अंग्रेजों से लिया गया, एक नाम है जेहाद, जो अरबी शब्द है. ये भारतीय जनता पार्टी की संस्कृति कब से हो गई, अंग्रेजों की और अरबियों की ..(व्यवधान)..
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी -- तो क्या आप लव जेहाद के पक्षधर हैं माननीय सदस्य महोदय.. ..(व्यवधान)..
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदया, मैं यह कहना चाहता हूँ कि .. (व्यवधान)..
श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी -- हां या ना में जवाब दो. .. (व्यवधान)..
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदया, आदरणीय शर्मा जी ने कहा जस्टिस नियोगी की रिपोर्ट, 1954 और 1956 में, जब 1957 में आपके ही लोग उस कानून को ले आ चुके तो फिर आज आपत्ति उठाने की जरूरत क्यों पड़ गई. आखिर ऐसी कौन सी नई चीज ले आए. एक-एक कानून के बारे में कह रहे हैं, 5 साल या 10 साल की सजा हो सकती है. हमने तो आज तक कानून में पढ़ा है कि अगर 302 है तो 20 साल की सजा होगी या किसी विशेष अपराध पर 10 साल की सजा होगी, तो इस कानून में इतना लचीलापन क्यों है. जिसको आप दण्ड देना चाहते हैं, स्पष्ट कहते कि 10 साल की सजा होगी. स्पष्ट कहते कि 7 साल की सजा होगी. ये क्यों आपको लिखना पड़ रहा है कि 2 साल की भी हो सकती है और 5 साल की भी हो सकती है. कहीं न कहीं आप किसी को मदद भी पहुँचाना चाहते हैं. ये भी इस कानून में, विधेयक में गलती है.
सभापति महोदया -- समाप्त करें.
श्री विनय सक्सेना -- आदरणीय सभापति महोदया, आप समय नहीं दे रही हैं. मैं यह भी कहना चाहता हूँ कि बहुत सारी गंभीर बातें और बहुत सारी कमियां इस विधेयक में हैं.
सभापति महोदया -- आपको काफी समय हो गया.
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदया, वास्तविक रूप से यह कोई विधेयक नहीं है. यह सिर्फ संशोधन है, जिसमें सजा में परिवर्तन किया गया. आदरणीय बाबा साहब आंबेडकर ने हमारे हिन्दुस्तान के संविधान में ये सब कानून पहले से बना रखे हैं कि किसी भी व्यक्ति की जो धार्मिक स्वतंत्रता है, वह आजाद है, अपने धर्म परिवर्तन की बात हो, चाहे कोई और, सब चीजों के लिए कानून बने हुए हैं. उसमें संशोधन का शब्द अगर आता तो हमको भी आज इस पर विरोध में खड़े नहीं होना पड़ता. लेकिन अगर सरकारों का काम यही बचा है कि रोजगार मत दो, नौकरियां मत दो, हमारे यहां दुष्कर्म हो रहे हैं, उस पर हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं. खुद हमारे राज्यपाल के अभिभाषण में लिखा है कि 5200 बच्चियां हम लोग एक साल में ले आए, तो मैं पूछना चाहता हूँ कि सुशासन में 5200 बच्चियों का अपहरण कैसे हो गया, हमारी प्रदेश सरकार का सुशासन कैसा है. बच्चियों के साथ गलत हो रहा है, निर्भया काण्ड हो रहे हैं, इसी के साथ उस मामले में भी कोई अच्छा विधेयक लाया जाता तो मुझे लगता कि कोई संजीदगी है. क्या दुष्कर्म से ज्यादा धर्म परिवर्तन के और अपहरण के प्रकरण आ रहे हैं ? आप ही ने माना है कि 24 प्रकरण हैं, साल भर में कितने हुए, 200 के आसपास, दुष्कर्म हो रहे हैं 10 हजार के आसपास, उसके मामले में सरकार संजीदा नहीं है. यही मेरा आपसे आग्रह है.
सभापति महोदया -- कृपया समाप्त करें, मांगों पर भी अभी मतदान होना है.
श्री विनय सक्सेना -- सभापति महोदया, मैं कहना चाहता हूँ कि बहुत सारी इसमें कमियां हैं, इस विधेयक को अगर संशोधन के रूप में लाया जाए तो मुझे लगता है यह प्रामाणिक भी होगा, उचित भी होगा और बाबा साहब आंबेडकर के ऊपर आपका अतिक्रमण नहीं होगा. बाबा साहब आंबेडकर जो हमको व्यवस्था दे गए, उनसे बड़ा न कोई नेता हुआ है और न कोई नेता होगा. चाहे सरकार कितनी भी अपनी पीठ थपथपा ले, ये लोग उनसे ज्यादा समझदारी से कोई भी अपना विधेयक बनाकर पेश नहीं कर सकते, यह मेरा आपसे निवेदन और आग्रह है.
सभापति महोदया -- धन्यवाद आपको, माननीय मंत्री जी..(व्यवधान)..
श्री पी.सी.शर्मा -- माननीय सभापति महोदया, मेरा नाम था. ...(व्यवधान)..
सभापति महोदया -- आपका नाम आया था, आप उपस्थित नहीं थे...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय सभापति महोदया, एक बहुत महत्वपूर्ण...(व्यवधान)..
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- विनय जी, नाम लिखवा देते..(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय सभापति महोदया, आज यह धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक, 2021...(व्यवधान)..
श्री पी.सी.शर्मा -- माननीय सभापति महोदया, कुछ भी नहीं है इसमें. विनय सक्सेना जी ने सही कहा है. केवल ..(व्यवधान)..
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय सभापति महोदया, मेरा नाम अंकित है. हर बार मुझे काट दिया जाता है...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- सभापति महोदया, आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है...(व्यवधान)..
श्री उमाकांत शर्मा -- सभापति महोदया, मेरा नाम अंकित था, मैं लिस्ट में देखकर आया हॅूं....(व्यवधान)..
श्री सुखदेव पांसे -- आपके भाई को भी काट रहे हैं और आपको भी काट रहे हैं यह लोग..(व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह -- उमाकांत जी के साथ जो अन्याय हो रहा है..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- सभापति महोदया, आसंदी पर आप विराजमान हैं..(व्यवधान)..
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय सभापति महोदया, अवसर देने का कष्ट करें...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय सभापति जी, यह ऐसी स्थिति में हैं आज, जहां लोकतंत्र का ..(व्यवधान)..
श्री पी.सी.शर्मा -- माननीय सभापति महोदया, दोनों शर्माओं को काटा जा रहा है...(हंसी)
श्री उमाकांत शर्मा -- नाम अंकित होने के बाद मुझे अवसर नहीं दिया गया. मैं पहली बार का विधायक हॅूं. कृपया संरक्षण दें...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- सभापति महोदया, लोकतंत्र के मंदिर में हम..(व्यवधान)..
श्री पी.सी.शर्मा -- हम भी खडे़ हैं...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- सभापति महोदया, मन पीड़ा में जरुर भरा है और पीड़ा से इसलिए भी भरा है क्योंकि जब डॉ.गोविन्द सिंह जी ने भाषण दिया..(व्यवधान)..
श्री उमाकांत शर्मा -- माननीय सभापति महोदया, मेरा सामान्य प्रशासन की चर्चा से भी नाम हटा दीजिएगा...(हंसी)
श्री पी.सी.शर्मा -- उमाकांत शर्मा जी का सही विरोध आया है.(हंसी)
डॉ.गोविन्द सिंह -- यह नोट करो पहले, शर्मा जी की बात को नोट करो...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- उनकी बात सर आंखों पर है..(व्यवधान)..
श्री सुखदेव पांसे -- उनके भाई को भी पहले आपने काटा और अब उनके साथ भी यही किया....(हंसी).
श्री पी.सी.शर्मा -- गलत है यह...(हंसी)
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- आप इतनी महत्वपूर्ण चर्चा पर जो पीरियड गुल करते हो ना, आपको कायदे से बेंच पर खड़ा करना चाहिए, पर आपका नेता जो है जब 54 लोग मर जाएं तो जितु पटवारी जी स्थगन देकर गायब हो जाएं. आपके नेता प्रतिपक्ष 54 लोगों की मौत पर इस हाउस के अंदर एक शब्द भी नहीं बोले. सीधी जिले में इतनी बड़ी घटना हो जाए, ऐसे ही आप करते हैं...(व्यवधान)...
श्री पी.सी.शर्मा -- माननीय सभापति महोदया...
श्री जितु पटवारी -- सभापति महोदया, हमने कहा कि 1 करोड़ रुपए की डिमांड के पक्ष में ..(व्यवधान)..आप आरोप-प्रत्यारोप लगाओ तो, आप पंडित जी हैं भई..(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- मैं कभी अपनी ओर से नहीं बोलता, जब उधर से कोई बोलता है तब ही बोलता हॅूं. सभापति जी, मैं यह कह रहा था आज मन हर्षित है एक ऐसे विधेयक पर, महिला दिवस पर जब आसंदी पर सभापति के रुप में महिला सदस्या विराजमान हैं, हम धर्म स्वातंत्र्य विधेयक लेकर आए हैं जिससे इस प्रदेश की तमाम बहन-बेटियों का उद्धार होगा. मन पीडि़त भी है इस विषय को लेकर, पर उसके पहले मैं यह जरुर चाहूंगा कि मैं हर सम्मानित सदस्य, विपक्ष के जिन सदस्यों ने यह बात रखी है, उसका जवाब दॅूं, पर उसकी भूमिका पर भी मैं जाना चाहूंगा. आज कांग्रेस पार्टी के नेता आदरणीय डॉ. गोविन्द सिंह जी ने, मेरे काबिल दोस्त ने इसकी शुरुआत की. शुरुआत का शब्द बोला गया कि हम इसका विरोध करते हैं. स्वाभाविक रुप से पीड़ा हुई. उन्होंने अपने भाषण में जो बोला है मैंने वह भाषण निकलवाया है. उन्होंने कहा है कि मुस्लिम लोगों को डराने के लिये. उन्होंने कहा कि एक वर्ग को...
डॉ.गोविन्द सिंह -- अरे, अकेले मुस्लिम नहीं, हमने मुस्लिम शब्द नहीं कहा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- आप उसे पढ़ लें.
डॉ.गोविन्द सिंह -- हमने अल्पसंख्यक, ईसाई, जैन, उसमें सब आ रहे हैं...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- आप उसे पढ़ लें. आप पढ़ लें पहले, मैंने निकलवाया है. हॉ, मैंने मान लिया, यह भी मान लेता हॅूं. माननीय सभापति महोदया जी, भारतीय जनता पार्टी ने कभी तुष्टीकरण की राजनीति नहीं की. भारतीय जनता पार्टी ने जब जो कहा, सो किया. हमने जो कहा, अपने घोषणा पत्र में लिखा कि हम 370 हटाएंगे, हटाई. हम 35-ए करेंगे, हम लाए. हमने अपने घोषणा पत्र में कहा कि हम सीएए लाएंगे, हम लेकर आए. ट्रिपल तलाक हटाएंगे, हमने अपने घोषणा पत्र में कहा. हमने कांग्रेस की तरह कभी भी तुष्टीकरण की राजनीति नहीं की. यह पीड़ा वोटों की राजनीति के कारण से मैं डॉ.गोविन्द सिंह जी का दर्द और बिटिया हिना कांवरे का दर्द समझता हॅूं. जिस कारण से यह बोल रहे हैं यह विसंगति आयी क्यों, कि आज धर्म निरपेक्ष राष्ट्र कहना पड़ रहा है इसको, जबकि इस देश का धर्म के आधार पर विभाजन हो गया. पाकिस्तान धर्म के नाम पर बन गया तो हम धर्म निरपेक्ष क्यों बने रहें. क्योंकि तुष्टीकरण की राजनीति थी नेहरु जी के कारण से, यह धर्म निरपेक्ष राष्ट्र हो गया. अकेले उसके कारण से ही यह पीड़ा समाप्त नहीं हुई...
2.14 बजे { सभापति महोदय (श्री लक्ष्मण सिंह) पीठासीन हुए }
डॉ.गोविन्द सिंह -- जब आप सत्ता में बैठे हैं तो बदलोगे नहीं..(व्यवधान)..
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- माननीय सभापति महोदय, नेहरु जी अब नहीं हैं तो क्या उनके नाम का उपयोग किया जा सकता है. ..(व्यवधान)....
डॉ.गोविन्द सिंह -- अरे,आप बदल दीजिए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अगर उन्होंने अमित शाह जी का नाम लिया, वह सदन में नहीं हैं क्या मैंने कुछ कहा था.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, तो विलोपित कर दो. ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- अब आप पर आयी तो विलोपित कर दो, तब बोलते ना. ..(व्यवधान)..
डॉ.गोविन्द सिंह -- रहने दो, कोई बात नहीं है..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- आप बोलते कि ऐसा जवाब दिया जा रहा है.. ..(व्यवधान)..
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- सभापति महोदय, अब नेहरु जी जवाब देने तो आएंगे नहीं.. ..(व्यवधान)..
श्री पी.सी.शर्मा -- सभापति महोदय, अमित शाह जी तो वैसे ही विलोपित हो जाएंगे आगे चलकर.. ..(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय सभापति महोदय, पूरी कांग्रेस पार्टी तुष्टीकरण की राजनीति करते हुए इस देश को उन्होंने आग में झोका और एक भ्रम की राजनीति और भय की राजनीति इस देश के अन्दर की. एक वर्ग विशेष को टारगेट किया गया और आज भी जो हो रहा है वह भ्रम और भय के कारण से हो रहा है. जिस जेएनयू में, भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशा अल्लाह, इंशा अल्लाह, भारत की बर्बादी तक जंग हमारी जारी रहेगी, अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिन्दा हैं......
सभापति महोदय-- अब ये.....
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- तुम कितने अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा. मुझे क्या बोलना है, मुझे तय करना है, सभापति जी. मुझे बोल लेने दें पूरे.
सभापति महोदय-- इन बातों का इस बिल से क्या संबंध है?
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- सभापति जी, मैं उसी विषय पर आ रहा हूँ जिस विषय पर बोला गया है. सम्माननीय सदस्यों द्वारा बोला गया है.
सभापति महोदय-- मुझे भी बोलने दीजिए थोड़ा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- आप बोलिए ना.
श्री रामेश्वर शर्मा-- आप तो आसन्दी पर हैं सर.
सभापति महोदय-- आप केवल इस बिल पर जो माननीय सदस्यों ने जो सवाल उठाए उनके उत्तर दे दीजिए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- सम्माननीय सदस्यों ने जो विषय उठाए होंगे मैं उस विषय पर, मैं मंत्री हूँ और जो विषय उठेगा, उस विषय पर जवाब दूँ, यह मुझे ज्ञान है इसलिए जिन्होंने देश के टुकड़े टुकड़े.....
सभापति महोदय-- आप जरूर बोलिए.
श्री शैलेन्द्र जैन-- माननीय सभापति महोदय, जवाब देना आवश्यक है उन्होंने खुद बोला है, इसका जवाब दीजिए, अब जवाब सुनना चाहिए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- आपने सुना, मैंने देखा, आप उनको भी सुन रहे थे और मैंने कहा कि जिसमें विधेयक पर टुकड़े टुकड़े के नारे लगे, जिसने कहा कि अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिन्दा हैं, उनसे सबसे पहले मिलने काँग्रेस पार्टी के उस समय के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी गए थे. जो देश तोड़ने की बात करता है, यहीं से हमारा वैचारिक मतभेद है. ..(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- राहुल गाँधी जी विधान सभा के सदस्य नहीं हैं उनका नाम लेना उचित नहीं है.
..(व्यवधान)..
श्री पी सी शर्मा-- मोदी जी भी तो गए थे नवाज शरीफ से मिलने. ..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी-- पाकिस्तान कौन गया बिरयानी खाने? ..(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- सब बैठिए.. ..(व्यवधान)..
श्री कुणाल चौधरी-- पाकिस्तान के टुकड़े किसने किए इसका भी उल्लेख कर देते...(व्यवधान)..
श्री विनय सक्सेना-- आदरणीय नरेन्द्र मोदी जी भी नवाज शरीफ से मिलने गए थे. वे भी वहाँ कुछ करने गए थे क्या?..(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- जल्दी समाप्त करिए...(व्यवधान)..
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- माननीय सभापति महोदय, पूरा समय लूँगा मैं. सभापति जी, यह वैचारिक दो धाराएँ वहीं से पैदा हुईं, जब उन्होंने कहा कि तुम कितने अफजल मारोगे, हर घर से अफजल निकलेगा, हमने कहा, हम घर में घुसकर मारेंगे जिस घर में अफजल निकलेगा. (मेजों की थपथपाहट) सभापति जी, यहाँ से सीएए का विरोध शुरू हुआ. सीएए का विरोध क्यों शुरू हुआ, सीएए का विरोध क्या था, यह उसी तरह का विरोध है जैसा आज धर्म स्वातंत्र्य विधेयक का विरोध हो रहा है. पूरे देश के अन्दर तुष्टिकरण की राजनीति ने भ्रम फैलाया और इस भ्रम के अन्दर क्या स्थिति की कि तीन पीढ़ियों के कागज दिखाने पड़ेंगे, जो भ्रम अभी है इनको इस विधेयक के बारे में, धर्म स्वातंत्र्य पर, तीन पीढ़ी के कागज दिखाने पड़ेंगे. तरह तरह के वॉट्सएप पर चुटकुले प्रसारित किए भ्रम फैलाने के लिए कि हमारी तो तीन पीढ़ी के कागज बकरी खा गई, बकरी को अब्बू खा गए, अब कहाँ से लाएँ. एक साल हो गया उस विधेयक को आए किसी एक आदमी ने किसी एक आदमी से तीन पीढ़ी के कागज मांगे क्या? नहीं मांगे. सभापति महोदय, एक आदमी भी कोई पाकिस्तान गया क्या, नहीं गया. लेकिन सभापति जी, यह तुष्टिकरण की राजनीति में अगर आप फ्रांस के अन्दर नवी की कोई गलती हुई है तो यहाँ मध्यप्रदेश के भोपाल के अन्दर आग लगाने की बात करोगे हम विरोध करेंगे. (मेजों की थपथपाहट) आप मध्यप्रदेश को जलाने की बात करोगे, अरे आप इतने मीर हों, इतने बड़े समर्थक हों तो जाओ फ्रांस में किसने रोका है. यहाँ तो आप पाँच टाइम की नमाज पढ़ रहे हों ना, आप रोज कुराने पढ़ो मगर हमको भी वेद पढ़ाने दो. चंदा से बैर नहीं लेकिन सूरज प्यार भी चढ़ाने दो. हम सागर हैं पर मत भूलो बावानल बनकर तपते हैं और बर्फीली...........
सभापति महोदय-- कृपया बिल के संदर्भ में ही बोलें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- माननीय सभापति महोदय, मैं संदर्भ उसी से ले रहा हूँ, संदर्भ इन्होंने उद्भूत किए हैं. मैंने उद्भूत नहीं किए हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन-- सभापति महोदय, पृष्ठभूमि तो बतानी पड़ेगी.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- सभापति महोदय, अगर इन्होंने कहा है कि एक वर्ग को टारगेट किया जा रहा है तो यह बताना पड़ेगा कि एक वर्ग को टारगेट नहीं किया जा रहा है.
2.20 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- यह इनके भ्रम फैलाने की राजनीति है, यह इनकी तुष्टिकरण की राजनीति है. यह जानबूझकर मुसलमानों के अन्दर भय पैदा करना चाहते हैं इसलिए यह बात बताना पड़ेगी. अगर डॉ गोविन्द सिंह जी, चीफ व्हिप ने यह बात उठाई है तो लगातार यह बात कहनी पड़ेगी कि पूरे देश के अन्दर अगर विभाजनकारी काम किसी ने किया है तो एकमात्र कांग्रेस पार्टी ऐसी पार्टी थी जिसने देश को विभाजित करने का काम किया, जिसने जातियों में विभाजित करने का काम किया, इन्होंने धर्म को विभाजित करने का काम किया. यह कभी भी पसंद नहीं किया जाएगा. आज मेरी बहन, बिटिया पूछ रही थी कि कितने मामले हो गए हैं. बताया गया कि 23 मामले एक महीने में हो गए हैं. मेरी बेटी को....
श्री विनय सक्सेना -- अध्यक्ष महोदय, इसको विलोपित कराइए कांग्रेस ने देश को कब विभाजित कराया. कांग्रेस ने पाकिस्तान बना दिया यह काम जरुर किया लेकिन देश को कभी विभाजित नहीं किया. अध्यक्ष जी, इसको विलोपित कराइए.
अध्यक्ष महोदय -- इसको विलोपित किया जाए. (इशारे से)
सुश्री हिना लिखीराम कावरे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी यह बताएं कि अध्यादेश आने के पहले, बाद में नहीं..(व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी -- पाकिस्तान के तो टुकड़े करना ही थे..(व्यवधान)
एक माननीय सदस्य -- तुम लोगों के कारण हुआ नहीं तो भारत अखंड होता, कांग्रेस की नीति नहीं होती तो..(व्यवधान)
एक माननीय सदस्य -- अगर ऐसा है तो इस पर चर्चा कर लें (व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी -- पाकिस्तान के सामने घिघ्घी बंधती है और टुकड़े हमने..
अध्यक्ष महोदय -- कुणाल जी बैठ जाइए.
श्री धर्मेन्द्र भावसिंह लोधी -- कोई घिघ्घी नहीं बंधती है, घर में घुसकर मारते हैं.
श्री पी.सी. शर्मा -- शहनवाज जी, भागीरथ प्रसाद यह किसमें आएंगे..(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी का जवाब आ रहा है, आप लोग बैठ जाइए. शर्मा जी आप बैठ जाइए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- शर्मा जी हम लव के खिलाफ नहीं हैं हम जेहाद के खिलाफ हैं और कोई भी लव जो जेहाद की तरफ ले जाएगा, हम उसके खिलाफ हैं. यह ध्यान रखिएगा आप. यह भारतीय जनता पार्टी है और यह भारतीय जनता पार्टी आपकी तुष्टिकरण की राजनीति को सफल नहीं होने देगी.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय अध्यक्ष जी, एक मिनट. पहले इन्होंने कहा लव जेहाद.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैंने नहीं कहा है उन्होंने कहा है. (व्यवधान)
श्री पी.सी. शर्मा -- मैंने नहीं कहा (व्यवधान)
श्री कुणाल चौधरी -- आपने इसके बारे में एक भी शब्द लिखा हो तो बताओ (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह -- यह बताओ जहां लव होगा वहां जिहाद नहीं होगा. (व्यवधान)
श्री रामेश्वर शर्मा -- पी.सी. शर्मा जी बोल रहे हैं लव जिहाद, वे सुनते ही नहीं हैं. विनय भाई ने बोला.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- यस, हम यही चाहते हैं. हम यही चाहते हैं. यह धर्म परिवर्तन कराना और क्या है 23 मामले आए हैं. इन 23 मामलों में माननीय अध्यक्ष जी अजहर जो है आशू बन गया, काहे को बना आशू. अजहर बने रहते ना इसमें क्या बुराई थी. रफीक अगर रवि बन जाएगा तो हमें आपत्ति होगी. शकील अगर सूरज बन जाएगा और सूरज बनकर हमारी बेटियों को छलेगा तो हमको आपत्ति होगी. इनको आपत्ति नहीं हो रही है क्योंकि यह सिर्फ बोटों की राजनीति करते हैं. यह सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं. भारतीय जनता पार्टी सबका साथ सबका विकास पर काम करती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, हिन्दुस्तान में रहकर अगर कोई पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाएगा तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे, किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे (मेजों की थपथपाहट). इसी तरह से अगर कोई रफीक रवि बनकर हमारी बेटी को छलेगा, अध्यक्ष जी कितनी मार्मिक स्थितियाँ पैदा होती हैं. मेरे पास बंगले पर आई बेटी, गोद में दो महीने का बच्चा था, धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाल रहे थे. सबसे ज्यादा मामले इस भोपाल में थे. मैं आपको विश्वास दिला रहा हूँ कि हमारी बेटी में इस विधेयक के पारित होने के बाद एक आत्मबल बढ़ेगा, एक संबल बढ़ेगा. जैसे तीन तलाक से बढ़ा था, जैसे सीएए से बढ़ा था. जैसे 370 से बढ़ा था. वही संबल, वही आत्मबल.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह वही पार्टी के लोग हैं, राज्य सभा के अन्दर इनके उस समय के नेता प्रतिपक्ष, गुलाम नबी आजाद खड़े होकर कहते कि अगर धारा 370 हटाएंगे तो देश में आग लग जाएगी. आज माननीय अध्यक्ष महोदय, कश्मीर में शांति है. कश्मीर के अन्दर एक पत्थर नहीं फिंक रहा है, एक मच्छर नहीं मरा. आतंकी गतिविधियों पर लगाम लग गई. इनकी आशंकाएं इसी तरह की रहती हैं. यही आशंका इनकी सीएए पर थी. यही आशंका जिन लोगों ने आज भाषण दिया है उनकी इस धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक पर है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे सम्मानित सदस्य और काबिल दोस्त पूछ रहे थे कि इस विधेयक में और उसमें अन्तर क्या है. मैं एक मिनट में आपको बोलकर दिखाता हूँ. विवाह कानून, पहले इसमें शून्य का प्रावधान नहीं था. अब उस विवाह को शून्य करने का इसमें प्रावधान है. पहले यह जुर्म जमानती था. जमानती था तो थाने से छूट जाता था और थाने से छूटने के बाद फिर वही हरकत करता था. फिर वही उस तरह के परिणाम होते थे. हमको आम आदमी से भी जानकारी मिलती थी. इंटेलीजेंस से भी जानकारी मिलती थी. अब यह जुर्म गैर जमानती हो गया है. अब इसकी थाने में जमानत नहीं होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले बच्चों को उसके जो बच्चे उत्तराधिकारी थे जिसका मेरे काबिल दोस्त गोविन्द सिंह जी ने भी कहा कि यह तो ठीक बात है वैसे ही अगर उन पर ऊपर का, दिल्ली का दवाब नहीं होता तो निश्चित रूप से वह पूरे विधेयक का समर्थन करते. मैं मानता हूं कि इटली के दवाब में वह इस तरह की बात कर रहे हैं. उन्होंने इसके एक खण्ड का समर्थन किया मैं उनका एक खण्ड के लिए ही सही पर आभार व्यक्त करता हूं. इसमें पहले महिला के भरण पोषण के लिए कोई प्रावधान नहीं था अब इसके अंदर यह प्रावधान है कि महिला को भरण पोषण भी दिया जाए. सजा का जो प्रावधान था उसे दो साल से बढ़कार दस साल तक का किया गया है. सामूहिक धर्म परिवर्तन पर भी सजा का प्रावधान किया गया है. पहले न्यायालय में सुनवाई हो जाती थी अब यह सुनवाई सत्र न्यायालय के अंदर होगी. जिला दण्डाधिकारी अभियोजन स्वीकृति उस समय आवश्यक थी, अब नहीं है एक पैरा कम किया है. सबूत को नष्ट करने के लिए भी था अब इस सबूत का भार अभियुक्त और आरोपी पर होगा इसमें यह अंतर किया है. शैक्षिक धर्म परिवर्तन के प्रावधान पहले नहीं थे अब इसको साठ दिन के अंदर अनुमति लेना होगी यह प्रावधान किया गया है. पहले कहीं भी इस तरह की संस्थाएं उग आईं थीं जो इस तरह के एनजीओ में जाते थे रजिस्टर्ड करा दिया और शादी कर देते थे. शादी करने के बाद रजिस्ट्रेशन किया और उसके बाद बेटी जिन्दगीभर नारकीय जीवन भोगती थी. अब हमने इसमें प्रावधान किया है कि उन संस्थाओं को जो इस तरह के काम को प्रोटेक्शन देती हैं, इस तरह की शादी कराती हैं उन पर भी कानूनी कार्यवाही होगी. अब जो एनजीओ इनको इस तरह की आर्थिक सहायता, उपलब्ध कराते थे उन पर भी कानूनी कार्यवाही होगी इस तरह के जो धर्म परिवर्तन के मामले आते थे उनमें भी हमने प्रावधान किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने इसके माध्यम से अनेक बदलाव किए हैं. पहले कई माननीय सदस्यों ने पूछा कि यह पहले था तो अब क्यों लाए. अब इसलिए लाए हैं कि पहले जो था उसमें वर्तमान दौर में हम देख रहे थे कि उसका दुरुपयोग हो रहा है. वह थाने से छूट जाते हैं और इसलिए इसमें कड़े प्रावधान किए हैं. एक सजा का भय प्रदेश के अंदर हो लेकिन उसको भी राजनैतिक चश्मे से देखेंगे. हर अच्छी चीज जो देश के अंदर आ जाएगी उसको राजनैतिक चश्मे से देखेंगे, किसान विधेयक आएगा उसे राजनैतिक चश्मे से देखकर भ्रम फैलाएंगे, सीएए आएगा तो भ्रम फैलाएंगे, धारा 370 आएगी तो भ्रम फैलाएंगे. यह भारतीय जनता पार्टी को बर्दाश्त नहीं होता है और इसलिए मैं सम्मानित सदस्यों से निवेदन करूंगा कि यह विधेयक हमारी बेटियों के लिए बहुत आवश्यक है, यह उन काफिरों के लिए बहुत आवश्यक है जो छलते हैं, जो नाम बदलकर छलते हैं और धर्म बदलने का दवाब डालते हैं. इसलिए मेरी आपसे यह प्रार्थना है कि इसे सर्वानुमति से पारित करें अन्यथा आज कांग्रेस बेनकाब होगी,
माननीय अध्यक्ष महोदय, जब आपने इस विधेयक पर बोलने के लिए महिला सदस्य को आसंदी पर बैठाया था तब कांगेस पार्टी के डॉ. गोविन्द सिंह जी ने खडे़ होकर इसका विरोध किया. यह कांग्रेस के लिए शर्म का दिन होगा और भारतीय जनता पार्टी इस विधेयक को ला रही है इसलिए उसके लिए उत्साह का दिन होगा. माननीय अध्यक्ष महोदय इस विधेयक को परित करें.
अध्यक्ष महोदय:- प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक, 2021 पर विचार किया जाए.
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा.
श्री रामेश्वर शर्मा-- सरकार के लिए, सभी के लिए बहुत-बहुत बधाई.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- आज का दिन विधान सभा के इतिहास में नारी शक्ति की रक्षा के रूप में याद किया जाएगा. मैं माननीय मुख्यमंत्री और गृह मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं.
2.30 बजे
वर्ष 2021-2022 की अनुदानों की मांगों पर मतदान
(1) मांग संख्या-1 सामान्य प्रशासन
मांग संख्या-2 सामान्य प्रशासन विभाग से संबंधित अन्य व्यय
मांग संख्या-20 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी
मांग संख्या-32 जनसम्पर्क
मांग संख्या-41 प्रवासी भारतीय
मांग संख्या-45 लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन
मांग संख्या-48 नर्मदा घाटी विकास
मांग संख्या-55 महिला एवं बाल विकास
मांग संख्या-65 विमानन
2.33 बजे
{सभापति महोदय (श्री लक्ष्मण सिंह) पीठासीन हुए.}
सभापति महोदय- उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी. मांग संख्या 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55 एवं 65 पर चर्चा हेतु 2 घण्टे 30 मिनट का समय नियत है. तदानुसार दल संख्यावार चर्चा हेतु भाजपा के लिए 1 घण्टा 18 मिनट, इंडियन नेशनल कांग्रेस हेतु 57 मिनट, बसपा के लिए 5 मिनट, समाजवादी के लिए 4 मिनट, एवं निर्दलीय सदस्यों हेतु 6 मिनट का समय आवंटित है. इस समय में माननीय मंत्री जी का उत्तर भी सम्मिलित है. मेरा बोलने वाले सदस्यों से अनुरोध है कि वे समय-सीमा को ध्यान में रखकर संक्षेप में अपने क्षेत्र की समस्यायें रखने का कष्ट करें.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार)- माननीय सभापति महोदय, हमारे राज्यमंत्री जी द्वारा प्रस्तुत बजट के बारे में, मैं सर्वप्रथम सामान्य प्रशासन विभाग के बारे में चर्चा करूंगा. आज मध्यप्रदेश में सबसे गंभीर समस्या नौजवानों के साथ है. बेरोजगारी चरम सीमा पर है और बेरोजगारी का हल निकालने के लिए सरकार की ओर से जो आर्थिक सर्वेक्षण आया, राज्यपाल महोदया का जो अभिभाषण आया, उसमें कुछ ज्यादा उल्लेख नहीं किया गया और न ही बजट में कोई उल्लेख किया गया. हम लगातार नौजवानों को बेरोजगार करते जा रहा हैं, रोगजार के लिए नए संसाधन पैदा नहीं करेंगे तो वे युवा जो आज रचनात्मक कार्यों की ओर बढ़ना चाहते हैं, वे विद्रोह की ओर बढ़ेंगे और तमाम अनैतिक कार्यों की ओर बढ़ेंगे.
माननीय सभापति महोदय, आर्थिक सर्वेक्षण, जिसमें सरकार ने उल्लेख किया है कि 25 लाख पढ़े-लिखे युवा, आज बेरोजगार हैं. ये वे बेरोजगार हैं, जिनके नाम रोजगार कार्यालयों में दर्ज हैं, इनके अतिरिक्त कई ऐसे लोग हैं जो रोजगार कार्यालय में अपना नाम दर्ज नहीं करवाते हैं.
सभापति महोदय- माननीय संसदीय मंत्री जी, कोई नोट कर लें, हमारे सचेतक जी बोल रहे हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)- हमारे मंत्री जी पीछे नोट कर रहे हैं.
सभापति महोदय- जो नोट कर रहे हैं, कृपया यहां सूचित कर दें, जिससे हमें पता चल जायेगा.
डॉ. गोविन्द सिंह- माननीय सभापति महोदय, इसी प्रकार गांव में रहने वाले कम पढ़े-लिखे युवा भी गांवों में काम के लिए भटक रहे हैं. काम नहीं है इसलिए नौजवानों के हाथ बेकार हैं. मैं मंत्री जी को सुझाव देना चाहता हूं कि हमने सामान्य प्रशासन विभाग में सुधार किया था और अंत में नियमों के बनते-बनते हमारी सरकार चली गई. अब आप वहां हैं, हमने उस विभाग में रहते जिन सुधारों की रूपरेखा तैयार की थी, आप उन्हें ही लागू कर दें, आपको अलग से कुछ करना नहीं है, हमारी की हुई मेहनत पर केवल आदेश निकालने हैं.
माननीय सभापति महोदय, मैं सबसे पहले आपको बता दूं कि पहले व्यापम था और अब वह पी.ई.बी. (प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड) है. यह बोर्ड भी आज भ्रष्टाचार का चरम अड्डा बन चुका है. जिस प्रकार व्यापम में भारी घोटाला हुआ है, तमाम लोग आज जेलों में सड़ रहे हैं, ऐसा ही घोटाला अब पी.ई.बी. में भी चालू हो गया है. अभी भर्तियां हुईं कृषि विभाग में,जो ग्राम सेवक लोग होते हैं एसएडीओ, जिनको पहले गांव में ग्राम सेवक बोलते थे, अब उसका नाम बदलकर दूसरा आ गया है, उनकी भर्ती हुई है, केवल एक जिले के विद्यार्थी उसमें पास हुए हैं, जो पांच-पांच साल में बीएससी की डिग्री नहीं ले पाये, कृपांक के नंबरों से पास होते रहे वह लोग केवल एक जिले, एक जाति विशेष के लोगों के 200 में से 198, 199 नंबर आये हैं इसलिये यहीं से आपकी पीईबी में यहीं से प्रश्न चिन्ह लगता है. आप प्रतिवर्ष पीईबी के माध्यम से विज्ञापन निकालते हो, अभी आपने राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में कहा कि हम 24400 के करीब शिक्षकों की भर्तियां करेंगे. आप पहले से तीन वर्ष से जो लोग भटक रहे हैं तीस हजार से ज्यादा आपने पहले ही भर्तियों के रिजल्ट आऊट कर दिये हैं उनसे आपकी क्या नाराजगी है, वह लोग भटक रहे हैं कि हमें रोजगार दो हमने पात्रता परीक्षा पास कर ली है और उनको रोजगार नहीं दे रहे हैं. फिर आपने 24000 भर्तियां निकाल दी. इसी प्रकार पुलिस विभाग में पहले 6000 और अब फिर 4000 भर्तियां निकाल दीं, केवल आपको काम बेरोजगार नौजवानों के परिवारों को लूटना और उनकी जेबें खाली करके पीईबी बोर्ड के लिये धन इकट्ठा करके अधिकारी और सत्ता में बैठे लोग विदेश यात्रा में खर्चे कर रहे हैं. मैं कहना चाहता हूं कि आपके पास करोड़ों रूपये जमा है तो आपको बेरोजगारों से फीस लेने की क्या आवश्यकता है और फिर आप परीक्षा कहां करा रहे हैं, ग्वालियर की परीक्षा भोपाल में हो रही है, भोपाल की इंदौर में हो रही है और इंदौर की झाबुआ में हो रही है और जब एक बेरोजगार नौजवान परीक्षा देने के लिये जाता है तो उसका चार से पांच हजार रूपये खर्च हो जाते हैं. आखिर आप उनको क्यों लूटना चाहते हैं, आखिर आप क्यों उनके पैसे का अपव्यय करा रहे हैं, यह हमारा आपसे कहना है. एक चीज और कहना चाहता हूं कि जो जिले के पद हैं उनको जिले स्तर पर ही भरा जाये. वहां अगर आप पारदर्शिता करना चाहते हैं तो आपकी कौन सी पारदर्शिता हो रही है, कौन सी इमानदारी हो रही है, लगातार घोटाले नजर आ रहे हैं. अभी मुख्यमंत्री जी ने आदेश दिया और हमारी मांग है कि इसमें आप सीबीआई की मांग करायें, इससे कम प्रारंभिक जांच से कुछ होने वाला नहीं है. क्योंकि घोटाले करने वाले ही सत्ता के शार्ष में बैठे हुए लोग हैं इसीलिये वह जांच होगी नहीं. हमारा आपसे साफ स्पष्ट कहना है कि आप जिला स्तर पर भर्ती कराइये. जिले पर जब भर्ती होगी तो जैसे पहले जब आरक्षकों की भर्ती होती थी तो वह जिले पर होती थी और जिले की भर्ती में मैंने एक प्रावधान और किया था कि भर्ती में प्रदेश के बाहर के लोग आ जाते हैं, आपने प्रदेश के बाहर के लोगों को छूट दे रखी है, वह यहां पर भृत्य पद पर भी आ सकते हैं, जबकि हरियाणा और कई प्रांतों ने इस प्रकार की भर्ती पर रोक लगाई है, लेकिन हमारे प्रांत में पदोन्नति पर रोक लगी है, वह इसलिये क्योंकि उच्च न्यायालय का भी आदेश था. लेकिन हमने उसका भी रास्ता निकाला था.
सभापति महोदय, आप जिले के रोजगार कार्यालय समाप्त कर रहे हैं. जिले के रोजगार कार्यालयों में नियम है कि जो जिस जिले का बेरोजगार होगा उसका उसी जिले में नाम दर्ज होगा. अभी आपने 17-18 जिलों के रोजगार कार्यालय समाप्त करने का निर्णय लिया, आप उनको मजबूत करिये जिससे पढ़े लिखे नौजवान, बेरोजगार वहां अपना नाम दर्ज करायें और उसमें जिले के बाहर का कोई आदमी रजिस्ट्रेशन नहीं करा सकता है इसलिये मध्यप्रदेश के बाहर के आदमी आकर बिहार, पंजाब और उत्तरप्रदेश के लाखों लोग यहां पर नौकरी पा रहे हैं उन पर रोक लग सकेगी और सवाल इस बात का और हमने देखा भी और मुझे जो अनुभव सामान्य प्रशासन मंत्री रहते हुए हुआ, वह यह कि यहां के जो अधिकारी हैं उनको अपने प्रदेशों से प्रेम है, वह वहां से इसलिये और नियमों का सरलीकरण कर देते हैं ताकि वहां के लोगों की यहां भर्ती हो सके और मध्यप्रदेश के लोगों को बेरोजगार करना और बाहर के लोगों को यहां पालना, यह काम भी उच्च स्तर पर चल रहा है, इस पर भी रोक लगायी जाये. सभापति महोदय, पहले जिला स्तर पर आरक्षकों की भर्ती के लिये दौड़ होती थी, जिले के लोग आकर दौड़ करते थे और वह आरक्षक की भर्तियों में आगे निकल जाते थे और उनको रोजगार मिल जाता था, बाहर के लोग आ नहीं पाते थे यदि दो-चार लोग आ गये तो आ गये. आप पुन: पीईबी समाप्त करके जिला स्तर पर भर्ती कराइये, यह जिला स्तर के पद हैं. आप जो पब्लिक सर्विस कमीशन के पद हैं उनकी भर्ती पीएससी से करें. जहां तक जो छोटे पद हैं जैसे भृत्य हैं उनकी जिला स्तर पर ही भर्ती करें. ऐसा कौन सा विभाग है जहां 40 से 50 प्रतिशत खाली न पड़े हों; हमारे यहां नगर पालिका में 150 पद खाली हैं, एक क्लर्क अभी बचा है, सीएमओ नहीं है, स्वास्थ्य कर्मचाही नहीं है और राजस्व निरीक्षक भी कोई नहीं है सब पद खाली पड़े हैं. ऐसा आपका कौन सा शासकीय और अशासकीय विभाग है जिसमें 40 से 45 प्रतिशत खाली न हों, करीब साढ़े तीन से चार लाख पद खाली पड़े हुए है, वह तो आप नहीं भर रहे हैं, आप उनको तो भरे ताकि बेरोजगारों को रोजगार मिले.
(व्यवधान)
सभापति महोदय:- आप बैठ जाइये, डॉक्टर साहब वरिष्ठ सदस्य हैं, उनको मालूम है कि क्या बोलना है, आप बैठ जाइये.
डॉ. गोविन्द सिंह:- आपने जो गड़बड़झाला किया था उसको हमने साल भर में साफ किया है. आप वहां जो गंदगी फैला गये थे उस गंदगी को हमने साल भर में साफ किया है. बाद में एक-एक बात पर चर्चा कर लेंगे जो हमने किया है.
सभापति महोदय, इसीलिये मेरा अनुरोध है कि जिला स्तर पर भर्तियां हो ताकि अपने प्रदेश के नौजवान का हित होगा, जिससे बाहर के लोगों के आने पर रोक लगेगी. इसके साथ ही यह भी कहना चाहता हूं कि अभी पदोन्नतियों पर रोक है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से 27 प्रतिशत आरक्षण पिछड़े वर्ग को सरकार ने दिया. 27 प्रतिशत आरक्षण लागू का वचन कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में दिया था और उसको निभाया. लेकिन माननीय सर्वोच्च न्यायालय के कारण कर्मचारियों की की पदोन्नति नहीं हो पा रही है और लाखों की संख्या में मध्यप्रदेश के पात्र लोग जो पदोन्नति की पात्रता रखते थे, सभी वर्गों के, जो बिना पदोन्नति के निराश होकर रिटायर हो रहे हैं. करीब तीन-चार साल से केस चल रहा है, वहां पर हर महीने तारीख बढ़ती गयी ऐसे प्रस्तावित अधिकारी बनाये गये, केस में 7 करोड़ रूपये फीस चली गयी, हर पेशी पर 20 लाख, 40 रूपये जाते थे और ढाई तीन साल कुछ नहीं हुआ. हमने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों को बुलाया सभी अधिकारियों को बैठाया और उसमें रास्ता निकाला, उसमें एक रास्ता निकला, मैंने प्रस्ताव रखा की आईपीस,आईएएस,डिप्टी कलेक्टर,डीएसपी इनके प्रमोशन लगातार हो रहे हैं तो इनके प्रमोशन की क्या नीति है, जो लगातार डिप्टी कलेक्टर से ज्वाइंट कलेक्टर और एडिशनल कलेक्टर और एडिशनल कलेक्टर से सचिव तक पहुंच रहे हैं लेकिन हमारे जो प्रदेश सरकार के कर्मचारी हैं वह कर्मचारी पदोन्नति से वंचित हो रहे हैं, ऐसे कर्मचारियों की तादाद लाखों में है, तो पता चला कि उनकी पदोन्नति नहीं है, उनकी क्रमोन्नति है. हमने फिर कर्मचारियों की क्रमोन्नति करने का आदेश निकाला, हमने उसको मंत्रालय में पास कराया, हमने सामान्य प्रशासन विभाग से सभी विभागों को निर्देश दिया कि जैसे उनकी क्रमोन्नति होती है उसी प्रकार हमारे भृत्य से लेकर जो नॉन गजेटेड कर्मचारी हैं और गजेटेड कर्मचारी भी हैं उनकी भी उसी प्रकार से क्रमोन्नति करो. जब वहां हो सकती है, वहां सुप्रीम कोर्ट का बंधन नहीं है, सुप्रीम कोर्ट का जो बंधन है वह पदोन्नति में आरक्षण पर है, लेकिन यदि आप यह क्रमोन्नति करोगे तो उनको भी लाभ मिलेगा और लाखों सब इंजीनियर हैं जो एक्जीक्टिव इंजीनियर और एसई तक का वेतन प्राप्त कर रहे हैं परन्तु वह चाहते हैं कि उन्होंने यदि जीवन में 30-35 साल की सेवा की है तो कम से कम हमारे बेटे या समाज के लोग जाने की यह इंजीनियर कार्यपालन यंत्री या सहायक यंत्री बनकर इसने पदोन्नति प्राप्त की है.
सभापति महोदय, आदेश है आप केवल आदेश जारी करा दो, अभी पुलिस विभाग ने किया है, हमने डीजीपी से बात की थी, उन्होंने कहा कि हम कर रहे हैं और उन्होंने किया है. अब उन्होंने किया लेकिन एक गलती कर दी, वह उस आदेश को पूरा नहीं कर पाये, जब सरकार का निर्देश होगा तब करेंगे अभी उन्होंने किया है पदोन्नति प्रभारी. प्रभारी नहीं आप क्रमोन्नति करिये. आरक्षक को प्रधान आरक्षक इसी प्रकार से आप हर विभाग में पदोन्नति करें. अब आपने वेतन बचाने के लिये कर तो दिया लेकिन आधा-अधूरा काम किया है. उसका आप सख्ती से पालन करें. जो आदेश पहले का है आपको उसमें मेहनत नहीं करनी है, कुछ नहीं करना है. ताकि प्रदेश के लाखों कर्मचारी आपको धन्यवाद देंगे.उनके परिवार को भी प्रसन्नता मिलेगी, उसका लाभ मिलेगा. अभी समाचार पत्रों में अनुकम्पा नियुक्ति के बारे में छपा है आपने भी पढ़ा होगा कि जो हमने पूर्व में आदेश कर दिये थे, वह पर्याप्त है. उसमें आप संशोधन न करें. अभी 10 हजार के करीब अनुकम्पा नियुक्ति के पद खाली पड़े हैं. तमाम शिक्षक जो 18-20 साल पहले भर्ती हुए थे हमारे क्षेत्र के विजय पाल सिंह उसको केंसर हो गया है उनकी दो बच्चियों की शादी हुई है. एक लड़का उनका बी.एस.सी.में पढ़ रहा है. तीन बीघा जमीन को बेचकर अपनी बच्ची की शादी को तय कराया था. उनको अचानक केंसर हुआ और वह समाप्त हो गये. अब उनको अनुकम्पा के लिये कोई रास्ता नहीं है, उनकी भर्ती नहीं हो रही है. हमने कहा कि क्यों नहीं हो रही है शिक्षक की भर्ती? बोले इसमें नियम आ गया है कि पहले आप पी.ई.बी. पात्रता परीक्षा पास करो तब उसकी शिक्षक की भर्ती लायक हो जायेगा. आप बताईये कि जब पी.ई.बी.करना है तो उसमें अनुकम्पा भर्ती काहेकी ? अनुकम्पा है सरकार की कृपा जब आप सरकार की कृपा कर ही रहे हो करें. मैंने प्रयास किया था तब बताया कि दिल्ली के शिक्षा विभाग से परमीशन लेनी पड़ेगी हमने उनको पत्र लिखा था, लेकिन उनके यहां से कोई जवाब नहीं आया. हमारा अनुरोध है कि आप दोबारा इसमें प्रयास करें, यह छूट हटायें. जिस प्रकार से दिग्विजय सिंह जी की सरकार में क्लर्क वर्ग अथवा सहायक ग्रेड-3 के लिये टायपिंग परीक्षा 3 साल में पास करना जरूरी है. उसमें पहले उसकी अनुकम्पा नियुक्ति कर देते थे फिर उसको टायपिंग पास के लिये 3 वर्ष का समय देते थे. 3 वर्ष में जो टायपिंग सीख लेता था अथवा टायपिंग पास कर देता था तो वह क्लर्क बना रहता था. अब जिसको नौकरी करना होगी तो वह टायपिंग पास होगा. इसी प्रकार मेरा अनुरोध है कि डी.एड. की आप अनुकम्पा नियुक्ति दें डीएड वालों को आप छोड़िये जो सामान्य भर्ती है उसमें नहीं करना है वह नहीं करें, लेकिन कम से कम जो अनुकम्पा नियुक्ति करें जिसके कारण लोग बेरोजगार हैं, भूखो मरने की स्थिति में हैं, उनके परिवार के लोग मूंगफली बेचने का काम कर रहे हैं. कई परिवारों की लड़कियां हैं जो शादी के लिये तैयार बैठी हैं, वह बेसहारा हो गई हैं उनके लिये मानवीय आधार पर आप प्रयास करें. सभापति महोदय, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग हैं एस.टी.ए.सी.ओ.बी.सी.वर्ग को छोड़कर उनके लिये भारत सरकार ने 10 प्रतिशत का आरक्षण किया है. आरक्षण में भी कई प्रकार से ऐसे बंधन लगा दिये थे. उस बंधन से कई लोग मुश्किल से वंचित हो गये थे. जो महानगर में रहता है उसको 1800 वर्गफिट का प्लाट हो वह आरक्षण की पात्रता में नहीं है. जिस नगर पालिका में 1500 वर्गफिट का प्लाट होगा वह पात्र नहीं है. आप बतायें कि जो नगर परिषद् ग्रामीण ऐसी हैं जहां पर आधे से ज्यादा लोग नगर परिषदों में किसान हैं. छोटी छोटी नगर परिषदें जो नई बनी हैं, पुरानी भी हैं. आप बताईये कि वहां भैंस बांधने के लिये एक से चार बीघा जमीन चाहिये. दो तीन भैंसे बांधने के लिये 4 अथवा 5 हजार वर्गफिट जमीन चाहिये हमने सारी चाजी हटा दी हैं. उसमें रख दिया 8 लाख रूपये की पात्रता उसमें हमने विधान सभा में संशोधन किया जब राजस्थान के मुख्यमंत्री आदरणीय गेहलोत जी को पता चला कि उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार से फोन करके मांगा कि आपने जो संशोधन किया है वह हमें भी भेजिये. यहां से पूरा ड्राफ्ट भेजा तो राजस्थान में भी संशोधन जारी कर दिया है. हमने आयु सीमा में भी छूट दी. मैं कहना चाहता हूं कि कम्प्यूटर में भी आपने जो पात्रता क्लर्क के लिये रखी है उसकी भी समय सीमा 3 अथवा 4 वर्ष के लिये दें उसमें जिला रोस्टर बनायें. हमने उसमें जिला रोस्टर बना दिया था. आज आपने पूरे प्रदेश में उसमें रोस्टर लगा दिया है इसलिये कई जिलों में खाली पदों पर लोगों की भर्ती नहीं हो पा रही है. मैं पूछना चाहता हूं कि भिण्ड जिले में इसमें 0.1 प्रतिशत एस.टी. है. अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग भिण्ड जिले में नहीं हैं. आप पूरे प्रदेश में आरक्षण का रोस्टर क्यों किये हो. जिला रोस्टर वहां की संख्या के आधार पर आबादी के हिसाब से करें ताकि वहां के लोग भी वंचित नहीं रह पायें. अब धार, झाबुआ के लोग वहां पर पहुंच जाते हैं वहां पर परिवार के लिये तड़पते हैं वह कहते हैं कि हमारा तबादला करवा दो. माननीय तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ जी से निवेदन किया था और उन्होंने स्वीकार किया था कि शिक्षक लोग जो झाबुआ, धार, मंडला, डिंडोरी के ग्वालियर चंबल संभाग के इलाके में हैं जो यहां के नहीं हैं भारी तादाद में वहां पहुंच गये थे वह अपने घर वापस आना चाहते थे. तय कर दिया कि वह ऑन लाईन 35 से 36 हजार लोगों ने वह ट्रांसफर के लिये आवेदन करेगा उसको बिना किसी सिफारिश के ऑन लाईन ट्रांसफर कर दिये, वह लोग अपने घर पहुंच चुके हैं. अब वही स्थिति फिर से चालू हो जायेगी आपने पूरे प्रदेश का रोस्टर बना दिया. हमने जिला रोस्टर बना दिया है आप उसमें क्रियान्वयन करें ताकि पढ़े लिखे बेरोजगार लोगों की एक समस्या का निदान हो सके. आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि तमाम् विकास कार्य जिले के रूके हुए हैं. 1वर्ष से आपने प्रभारी मंत्री जिले के नहीं बनाये हैं.तब तक कई विकास कार्यों की जिले में बैठक नहीं हो पा रही है. इसमें हमारा सुझाव है कि आप जल्दी से जल्दी प्रभारी मंत्री बनायें उनको काम दें ताकि जिले के विकास कार्य में दिक्कत आ रही है उसका हल हो सके. हमारी सरकार में राज्य मंत्रियों को स्वैच्छा निधि का पावर था आप कर दो हम उसको नहीं कर पाये. राज्यमंत्रियों को 10 लाख रूपये था उसको कर दिया 60 लाख, मंत्रियों को 20 लाख था उनका 1 करोड़ रूपये कर दिया. मुख्यमंत्री जी का 50 लाख रूपये था उसको डेढ़ करोड़ कर दिया. लेकिन आप विधायकों की स्वैच्छा निधि उनसे अलग कर दें. मंत्रियों को तो मिलेगी उसके अतिरिक्त भी मिलेगी. आपसे अनुरोध है यह व्यवस्था कर दें, क्योंकि विधायक विकास निधि है उसमें भी 15 प्रतिशत कम कर दिये हैं. उसी समानता से कर दें या फिर बढ़ायें. कई हमारे विधायक साथियों की मांग है कि इसलिये आपसे अनुरोध कर रहा हूं. माननीय सभापति जी सीएम हेल्प लाईन दिसम्बर तक बढ़ा दी है उसमें आपने सीएम जन सेवा योजना दिसम्बर 2020 में इसमें भी 181, महिला सहायता सेवा टोलफ्री नंबर 181, सीएम हेल्प लाईन भी 181 तीनों एक ही में कर दिये हैं इसमें कई दिक्कतें आ रही हैं. आपसे अनुरोध है कि आप इसको अलग अलग कर दें ताकि लोगों को सुविधाएं मिलनी चाहिये जिसमें व्यवधान उत्पन्न हो गया है उसमें सुधार हो. इसके साथ मध्यप्रदेश के तीन भवन बने हैं मुम्बई, दिल्ली में तथा वहां दूसरा भी बन रहा है. दिल्ली का मध्यप्रदेश भवन दिल्ली सरकार वापस ले रही है ऐसा कोई एग्रीमेंट हुआ है. आपकी दिल्ली में भी सरकार है आपसे मेरा अनुरोध है कि जो मध्यप्रदेश भवन मध्यप्रदेश के इतिहास से जुड़ा हुआ है. उसको आप न जाने दें. आपको और भी जगह बनाने के लिये मिली है अन्य व्यापार क्षेत्र में उसमें कार्यालय खुल जायेंगे उसका भी आप प्रयास करें. दोबारा दिल्ली सरकार में उसको न जाने दें ऐसा आपसे अनुरोध है. मुम्बई में मध्य लोग बना हुआ है उसमें भी आप सुधार करें उसको पूरा पर्यटन विभाग को दे दिया है. वहां पर विधायक तथा मंत्री जी ठहरेंगे तो मंत्री जी को उसकी प्रतिपूर्ति हो जाती है. कई विधायक साथी जो हैं जिनको बड़ी बीमारियां हैं जैसे केंसर है उनको वहां पर जाना पड़ता है. उनको भी सस्ते दर पर सुविधा देने के लिए हमने कहा था, भवन के उद्घाटन के समय हम गए थे और हनी बघेल जी भी गए थे, वह पर्यटन विभाग को दे दिया और उस समय घोषणा की थी कि जो विधायक लोग हैं या उनके परिवार के लोग जो वहां जाते हैं इलाज के लिए, तो उन्हें अलग से डोरमेट्री के तीन चार कमरे अलग रखेंगे ताकि उन्हें सस्ते में सुविधा मिल सके, लेकिन वह लागू नहीं है. इसलिए आपका ध्यान उस ओर आकर्षित करना चाहते हैं कि आप उस व्यवस्था को भी लागू करवाएं. सुधार के लिए दो-तीन बातें और कहना चाहता हूं, लोक सेवा गारंटी, इसमें आप जरा सुधार करें एक तो इसकी फीस बहुत बढ़ा दी है, और जिन लोगों को काम दे रखा है, उन्हें देखें ये वर्षों से एक ही जगह जमे रहते हैं और महीनों तक किसानों को चक्कर लगवाते हैं, लोक सेवा नहीं यह लूट सेवा बन चुकी है, इसलिए लूट सेवा को कंट्रोल करें, उसमें सुधार करवाएं, कोई ऐसी व्यवस्था करें जिससे चालान से फीस जमा हो सके और फीस कम करें ताकि किसानों को जो परेशानी हो रही है उस पर रोक लग सके. एक बात के लिए मैंने बहुत प्रयास किए, आप पुराने दस्तावेज देख लें लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू, सी.टी.ई ये तीनों का ऐसे किस्सा हो गया जैसे सभापति जी आपने गांवों में देखा होगा कि बिच्छू छोड़ दो जब वह भागता है तो बच्चे भी भागते हैं, फिर उसके दांत कांटकर जिसमें जहर होता है उसको काट दो तो उसी बिच्छू को बच्चे हाथ पर लेकर घूमते हैं, उनसे पूछो क्यों आपको डर नहीं लगा रहा तो वे कहते हैं, डंक कटा है. अभी सरकार ने इन तीनों विभागों के डंक काट दिए हैं, बिना डंक के बिच्छु है, बिना पॉवर के हैं. हमने पूरा प्रयास किया, दस्तावेज रखे हैं लेकिन हम सफल नहीं हो पाए, इसका हमें खेद है, आप इनमें डंक लगवाओ, क्योंकि जो भी आता है विभाग से और भ्रष्टाचार करने वाले ही उसकी परमीशन देंगे जो अधिकारी भ्रष्टाचार में पकड़ा गया, उसको लोकायुक्त ईओडब्ल्यू, में भेज देते हैं कि आप जाकर के कार्यवाही करों, वे सालों परमीशन नहीं देते हैं. अधिकारी बैठे भ्रष्टाचार करवा रहा है. भ्रष्टाचार नीचे से नहीं होता, ऊपर से चलता है, भ्रष्टाचार की गंगोत्री ऊपर से नीचे बहकर आती है. इसलिए जो भ्रष्टाचार की जड़ है, जो लोग करोड़ों के घोटाले करते हैं उन पर कार्यवाही नहीं होती उन्हें परमीशन, चालान पेश करने के अधिकार दे रखे हैं. हमने काफी प्रयास किया और खेद भी व्यक्त कर रहा हूं कि मैं इसमें सफल नहीं हो पाया. इसलिए आपसे अनुरोध है आप इसमें बहादुरी दिखाएं, आप इसका पालन करो, हमने सब तैयार दस्तावेज छोड़कर आए थे. मैंने तो उसमें बड़े बड़े चीफ सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी के खिलाफ लंबी-चौड़ी नोटशीट है उसमें, वे क्या करिश्मा, खेल करना चाहते थे, हमने उसको रोका है. आप पढ़ लेना हम लिखकर आए हैं, आप उसकी जांच करवाइए. निकलवा लेना वह नोटशीट और पूरे दस्तावेज, केवल हमारा इतना अनुरोध है.
श्री जितू पटवारी - विषय क्या था.
डॉ. गोविन्द सिंह - विषय अब अकेले में बताएंगे.
सभापति महोदय - अकेले में बताएंगे इसको विलोपित कर दे. (..हंसी)
डॉ. गोविन्द सिंह - लास्ट में पीएचई के बारे में एक लाइन बोलना चाहता हूं. पेयजल की योजना चल रही ग्रामीण क्षेत्र में उन योजनाओं में बहुत ठेकेदार बाहर के हैं, पीएचई मंत्री यह देख लें, वे जाकर के क्या कर रहे हैं कि गांव में लाइन खोद गए, ग्रामीण क्षेत्र की बात कर रहा हूं लाइनें खोद गए और कीचड़ है, मिट्टी भी ऊपर ही डाल गए सुधार नहीं करते हैं, कम्पलीट लाइन हो गई हैं चालू करने वाले हैं, लेकिन हम जहां जहां गांवों में जाते हैं वहां पीएचई की लाइनों में जबकि एग्रीमेंट में है और सरकार से भुगतान ले रहे हैं पूरा सड़क खोदने का और उसे ठीक करने का लेकिन वह ठीक नहीं कर रहे हैं, इस पर आप खुद दौरा करें, आप अपने क्षेत्र का ही दौरा कर ले, आपको पता चल जाएगा. हमारा अनुरोध है कि आप प्रयास करके इसमें रोक लगाए, सभापति जी धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55 तथा 65 का समर्थन करता हूं तथा कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूं.
श्री जितु पटवारी - सभापति जी, यहां विभाग से संबंधित सभी अधिकारी शायद उपस्थित नहीं है. मैं सबकी आंखे पढ़ रहा हूं, यहां सम्मानित विधायक कोई बात कह रहे हैं तो संबंधित विभाग के अधिकारी यहां उपस्थित तो रहे.
सभापति महोदय - मैं समझता हूं अधिकारी, दीर्घा में बैठे हैं.
श्री जितु पटवारी - सारे अधिकारी नहीं बैठे हैं.
सभापति महोदय - अधिकारी बैठे होंगे, देख लेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - सभापति जी, अभी अनुदान मांगों की चर्चा के ठीक पहले और इन अनुदान मांगों में जहां एक और महिला एवं बाल विकास विभाग का उल्लेख है, उस पर भी चर्चा होनी है. मैं संयोग की इसलिए बात कर रहा हूं कि आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अभी थोड़ी देर पहले हमने पूरे मध्यप्रदेश की उन महिलाओं को, बिटियाओं को संरक्षण देने का कार्य किया है जो धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की बात पर और उसको लेकर के जो दबाव और प्रभाव और गुमराह किया जाता था, उसका अभी हाल ही में हमने उस विधेयक को पारित किया.
माननीय सभापति महोदय, बड़ी जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग के हाथों में हैं. जनप्रतिनिधियों की अपेक्षा भी सामान्य प्रशासन की ओर लगती है. पूरे प्रदेश के सारे अधिकारी-कर्मचारी, सारे प्रदेश की जनता व जनार्दन जो सामान्य प्रशासन विभाग से अपेक्षा करती हैं, इसलिए जो अनुदान मांगें हैं, उस पर शासन का सबसे बड़ा जिम्मेदार और सबसे महत्वपूर्ण और सारे विभागों का समन्वय करने वाला और समन्वय के साथ साझेदारी निभाने वाला यह विभाग है. विभाग के साथ साथ लोकायुक्त, मानव अधिकारी, लोक सेवा आयोग, राज्य सूचना आयोग जैसे संवैधानिक संस्थाओं के साथ साथ राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, मुख्य तकनीकी परीक्षक विभागीय जांच आयुक्त जैसी संस्थाओं साथ आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासनिक जैसे राष्ट्रीय स्तर की प्रशिक्षण संस्था का यह विभाग सिरमौर्य है. जिसका कुशल प्रबंधन, कुशल संचालन माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी के कुशल नेतृत्व के साथ साथ कुशल हाथों में समाविष्ट है. अनुदान की मांगों में माननीय मुख्यमंत्री जी का स्वैच्छा अनुदान 150 करोड़ रूपए है. आदरणीय मंत्रीगण का स्वैच्छा अनुदान, पूरे प्रदेश में भ्रमण होते हैं, विधायक अपने क्षेत्र तक सीमित रहता है, लेकिन मंत्री पूरे प्रदेश का होता है. एक करोड़ रूपए की राशि का प्रावधान किया गया है. राज्यमंत्री का भी एक प्रभाव है, उसकी भी जिम्मेदारी है उन पर 60 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है. वर्ष 2020-21 में मुख्यमंत्री स्वैच्छा अनुदान मद से अभी 110 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है. ये जो गरीबों के लिए यह अनुदान संजीवनी बूटी की तरह है. और वह हजारों मरीजों को लाभान्वित करने के काम में आता है. हम जनप्रतिनिधिगण हमारे क्षेत्र के उन गरीब, असहाय लोगों का जो भर्ती हो जाते हैं, वे चिन्हित अस्पताल जहां पर सीधे राशि ट्रांसफर हो जाती है, उसका एस्टीमेट बनता है, प्राक्कलन बनता है. मैं अतिशयोक्ति वाली बात नहीं कर रहा हूं. कई बार हम माननीय मुख्यमंत्री जी को आवेदन देकर आते हैं, अगले ही दिन हमको विभाग के माध्यम से एसएमएस प्राप्त होता है कि वह राशि कलेक्टर को ट्रांसफर कर दी गई है. आधार कार्ड भिजवा दीजिए और वह पैसा प्राप्त कर लें वह पैसा अस्तपाल चला जाता है. माननीय सभापति महोदय, यह इतनी अच्छी योजना है तो मैं माननीय मंत्री जी से एक निवेदन करना चाहता हूँ. आप कृपा करके नोट कर लीजिये. उनके लिये थोड़ी सी दिक्कत आ जाती है, जो पत्राचार के लिये और जानकारी के अभाव में, वे अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं और भर्ती होने के साथ ही, जब हम जन-प्रतिनिधि, विधायक माननीय मुख्यमंत्री जी, विभाग तक पहुँचते हैं, इस बीच मरीजों की अस्पताल से छुट्टी हो जाती है, फिर उस अस्पताल में पैसा ट्रांसफर नहीं होता है. जब उसने एडमिशन कार्ड दे दिया, उसने एस्टीमेट दे दिया और वह प्रक्रिया के दौरान विलंबित हो जाता है तो मेरा माननीय सभापति महोदय, आपका संरक्षण चाहते हुए मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूँगा, प्रार्थना करूँगा कि उस गरीब के परिवार में, मरीज के नाम के खाते में वह राशि ट्रांसफर हो जानी चाहिये, यह कहकर मना नहीं कर देना चाहिए कि चूँकि अस्पताल से छुट्टी हो गई है तो आपका प्रकरण निरस्त किया जाता है. यह थोड़ी सी दिक्कत की बात है. हालांकि इसमें हमें काफी सफलता प्राप्त हो रही है, 90 प्रतिशत, 95 प्रतिशत इसमें सफलता प्राप्त हो जाती है.
माननीय सभापति महोदय, आज 8 मार्च है और ग्वालियर में 8 मार्च से 17 मार्च तक तैराकी (स्वीमिंग) को लेकर एक कैम्प का आयोजन है. मैं इसलिए उल्लेख कर रहा हूँ कि एक 13 वर्षीय रतलाम का बालक श्री अब्दुल कादिर, भोपाल में अपने नाना-नानी के यहां आया था, उसकी उम्र तब 5 वर्ष थी. आज उसकी उम्र 13 वर्ष हो गई है. यह 13 वर्षीय बालकश्री अब्दुल कादिर ग्वालियर के बाद 20 मार्च से 24 मार्च को बैंगलोर में आयोजित नेशनल तैराकी प्रतियोगिता में अपने कृत्रिम हाथों से, जिसके दोनों हाथ हाई टेंशन लाईन से, जो भोपाल में अपने नाना-नानी के यहां छुट्टियों में आया था, वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. विद्युत के करंट से उसके दोनों हाथ चले गये. माननीय सभापति महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने लगभग 14 लाख रुपये की राशि मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से देकर उस बेटे के कृत्रिम हाथ लगवाये (मेजों की थपथपाहट). मेरे मंदसौर जिले के पास में ही, रतलाम ज्यादा दूर नहीं है. मैंने आज ही उस बच्चे को तलाश किया था कि उस बच्चे के क्या हाल हैं? इसलिए कि मुझे इस विषय को यहां पर रेखांकित करना था. आज वह बालक तैराकी में गोल्ड मैडल प्राप्त कर रहा है, उसके दोनों हाथ नहीं हैं (मेजों की थपथपाहट). उसका हमदर्द कौन बना ? उसको संबल किसने प्रदान किया, यह मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान है.
माननीय सभापति महोदय, यह वही बच्चा है. जिसको डॉ. राघवेन्द्र जी, जो आईएएस हैं. उन्होंने बाल आयोग के अध्यक्ष के रूप में डमी के रूप में, एक दिन के लिये श्री अब्दुल कादिर को भोपाल में अध्यक्ष के रूप में बाल आयोग का एक दिन का अध्यक्ष बनाया था (प्रस्तुतिकरण के लिये) कि आज की अध्यक्षता श्री अब्दुल कादिर करेंगे. यह माननीय सभापति महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी का स्वेच्छानुदान, माननीय मंत्री का स्वेच्छानुदान या माननीय राज्य मंत्री का स्वेच्छानुदान नहीं मिलता तो मैं समझता हूँ कि उसकी जिंदगी खराब हो जाती. अभी तो वह 14 वर्ष का है. सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से सड़क दुर्घटनाओं में कलेक्टरों को ग्लोबल बजट घोषित किया गया है. सड़क दुर्घटना में मृतक परिजनों के साथ-साथ घायलों को 15,000 रुपये और क्रमश: 7,500 रुपये आर्थिक सहायता दी जाती है. मैं माननीय मंत्री जी से थोड़ा सा निवेदन करूँगा कि जो काल-कलवित हो जाते हैं, मृतक के परिजनों के लिये वह राशि कम पड़ती है, दुर्घटनाग्रस्त व्यक्तियों को 4 लाख रुपये, जो गरीब होता है, जिसका संबल में नाम होता है, उसको 4 लाख रुपये मिलते हैं, लेकिन ऐसे लोग जो कहीं किसी योजना में शामिल नहीं होते हैं, 15,000 रुपये की राशि और गंभीर घायलों को 7,500 रुपये की राशि को बढ़ाये जाने की कृपा करें.
माननीय सभापति महोदय, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सम्मान निधि, अगर बढ़ाने का किसी को अवसर प्राप्त हुआ है तो वह भारतीय जनता पार्टी की सरकार को हुआ है. दिनांक 12 अप्रैल, 2016 में 25,000 रुपये प्रतिमाह स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों जिन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी, दिये गये. पहले 250 रुपये, 300 रुपये, 400 रुपये, 500 रुपये मिलती थी, उस राशि को 25,000 रुपये किया और अंत्येष्टि के लिये 4,000 रुपये किये गये. सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करूँगा कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार में दिवंगत के बाद उसकी पत्नी को भी कहीं न कहीं मान-सम्मान मिलता है और ऐसे में जो 4,000 रुपये की राशि आप अंत्येष्टि की दे रहे हैं, इस राशि को थोड़ी बढ़ाने की कृपा करें क्योंकि सामान्य रूप से अभी संबल योजना के अंतर्गत कफन और दफन के लिये 5,000 रुपये की राशि दी जा रही है. जब उन लोगों को 5,000 रुपये की राशि दी जा रही है तो मैं समझता हूँ कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार को भी अंत्येष्टि की राशि में इजाफा करना चाहिए. मृत सेनानी के परिवारों के लिये शासकीय सेवाओं में प्राथमिकता, शहीद होने पर 1 करोड़ रुपये की राशि, पुत्र-पुत्रियों को कृषि विश्वविद्यालय में प्रवेश, मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए स्थान आरक्षण, इंजीनियरिंग कॉलेज में स्थान का आरक्षण, शासकीय महाविद्यालय के सभी पॉलीटेक्निक उच्चतर माध्यमिक, तकनीकी विद्यालय, कला निकेतन जबलपुर की उच्चतर माध्यमिक तकनीकी एवं प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी में आरक्षण तथा गृह निर्माण मण्डल के भूखण्डों में आवंटनों का उन सेनानियों के परिवारों को विशेष प्राथमिकता दी गई है. सभापति महोदय, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को 50,000 रुपये की चिकित्सा सहायता जिला कलेक्टर एवं कमिश्नर के माध्यम से बढ़ाये जाने का प्रावधान करते हुए इस बजट में 24 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया है.
माननीय सभापति महोदय, लोकतंत्र के सेनानी, जिन्होंने आपातकाल की लड़ाई लड़ी, उनको मीसाबंदी कहते हैं. यह अलग बात है कि उधर से नागवार गुजरता है लेकिन हम इस बात को लेकर गौरवान्वित हैं कि लोकतंत्र के सेनानियों के लिए, जो एक माह से कम अवधि वाले हैं, उनको 8,000 रुपये प्रतिमाह, एक माह या इससे अधिक होने वाले को 2,500 रुपये प्रतिमाह, इसमें 80 करोड़ रुपये का इसमें प्रावधान किया गया है. लोकतंत्र की लड़ाई लड़ने वाले को सामान्य प्रशासन विभाग ने, माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस के अवसर पर उन्हें उचित सम्मान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ-साथ, उनका भी हम शॉल-श्रीफल देकर सम्मान करने का लगातार प्रयास करते हैं, यह अलग बात है. मुझे दु:ख हुआ कि पिछली सरकार में उनको निमंत्रण देना तक उचित नहीं समझा गया. एक कालखंड में श्री कमलनाथ जी की सरकार के समय में जब अवसर आया, हमने इधर-उधर मंदसौर के मुख्य समारोह पर जब नजर दौड़ाई तो लोकतंत्र के जो सिपाही, लोकतंत्र के जो सेनानी थे, उनको निमंत्रण तक नहीं दिया गया, उनका अपमान किया गया.
माननीय सभापति महोदय, इस वर्ष अभी 26 जनवरी को कोविड के चलते सामान्य प्रशासन विभाग ने माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर लोकतंत्र के सेनानियों को और स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदार को उनके घर भेजकर, उनको शॉल-श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया. यह सरकारों की विचारधारा का अन्तर है, यह अन्तर साफ दिखलाई पड़ता है.
माननीय सभापति महोदय, आरक्षण को लेकर अनुसूचित जाति के लिये 16 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिये 20 प्रतिशत, अन्य पिछड़े वर्ग के लिये 27 प्रतिशत, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिये 10 प्रतिशत के आरक्षण का प्रावधान सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा किया गया है. उनका आभार व्यक्त करते हुए, उनकी प्रशंसा करता हूँ. सभापति महोदय, सीधी भर्ती में भी महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत की आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है, सूचना का अधिकार पारदर्शिता लेकर आया है, एक जिम्मेदारी लेकर आया है, उनकी सुनिश्चितता प्रदान की गई है. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग 2021 में 474 पदों हेतु 5 विज्ञापन जारी किये जा चुके हैं, नरोन्हा प्रशासन अकादमी (आरसीव्हीपी) शासन के विभिन्न विभागों के लिये प्रशिक्षण होते हैं, यह प्रदेश का शीर्षस्थ प्रशिक्षण संस्थान है. सन् 1999 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अकादमी में सैटकॉम केन्द्र की स्थापना की गई थी. इस संस्था ने 2 राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किये हैं, मैं इसके लिये विभाग को बधाई देता हूँ, आभार व्यक्त करता हूँ और धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ.
सभापति महोदय, राज्य सूचना आयोग का कार्य सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 द्वितीय अपीलों की सुनवाई करने को लेकर शिकायतों का निराकरण करने को लेकर सुनिश्चित प्रदान की है. लोकायुक्त संगठन में दिनांक 1.1.20 से दिनांक 31.12.20 तक 4,579 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, उसमें से 4,053 शिकायतों का निराकरण किया गया है, 526 जांच हेतु पंजीबद्ध की गई है. 3 करोड़ 58 लाख 28 हजार 65 रुपये की लोकायुक्त द्वारा वसूलियां भी की गई हैं. जो राजकीय कोष में जमा की गई है. आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) दिसम्बर, 2020 तक 51 प्रकरणों में प्रकरण पंजीबद्ध हुआ है, 24 प्रकरणों का निराकरण हुआ है, 25 प्रकरण प्रारंभिक जांच में हैं तथा इसमें 30 मामले निराकृत हो चुके हैं.
माननीय सभापति महोदय, अनुदान मांगों में महिला एवं बाल विकास का भी उल्लेख है. मैं विभाग के बारे में बताना चाहूँगा कि महिला एवं बाल विकास विभाग बहुत जिम्मेदारी के साथ काम कर रहा है. कोविड-19 का असर इस विभाग के ऊपर भी पड़ा है, सेवाएं बाधित हुई हैं. कोविड के चलते और इसमें मध्यम एवं गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या में माननीय सभापति महोदय, 1.99 लाख बच्चे सामान्य पोषण श्रेणी में परिवर्तित भी हुए हैं. हम सबने 24 जनवरी 2012 को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया. माननीय मुख्यमंत्री जी ने किशोरी बालिकाओं की सुरक्षा, जागरूकता, पोषण, ज्ञान, स्वास्थ्य एवं स्वच्क्षता को लेकर पंख अभियोजन की शुरूआत की है. मैं मंदसौर के नूतन स्कूल में था और पंख अभियान के उस अभियान को देखते हुए, उस कार्यक्रम को देखकर जो बिटियाओं में, महिलाओं में, महिला बाल विकास विभाग में सबमें जो एक प्रसन्नता का भाव प्रकाशित हुआ, दिखाई दिया, उससे निश्चित रूप से शासन की इस योजना से, बिटियाओं के पंख लगे हैं.
माननीय सभापति महोदय, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, दसवीं और बारहवीं उत्कृष्ट परिणाम देने वाली बालिकाओं को सम्मानित किया गया है. 8 मार्च बालिकाओं के लिये मार्शल आर्ट के रूप में जोड़ा गया है. विभिन्न विद्यालयों में बालिकाओं को आत्मरक्षार्थ के लिये मार्शल आर्ट से जोड़े जाने का कार्यक्रम विद्यालयों में जारी है, चल रहा है.
माननीय सभापति महोदय, कोविड-19 के अंतर्गत महिला बाल विकास के माध्यम से जो संभव नहीं हो पा रहा था, जो हमारे सामने बिल्कुल एक चुनौती थी, महिला बाल विकास विभाग के माध्यम से महिलाओं के स्व-सहायता समूह ने मास्क बनाने का काम किया, सेनेटाइजर बनाने का काम किया और उसके आधार पर वह आत्मनिर्भर भी हुई हैं. हमारे पूरे मध्यप्रदेश की जनता के ऊपर अचानक जो आवश्यकता आ पड़ी थी, उसको बखूबी निभाने का काम महिला बाल विकास विभाग के द्वारा किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, आंगनबाडि़यों में आंगनबाडि़यों कार्यकर्ता की भूमिका इस कोविड के कालखण्ड में और वैसे भी घर -घर दस्तक देने का काम और पूरी तरह से स्थानीय स्तर पर, जो जिला प्रशासन के काम होते हैं, उसमें सहभागिता करने का काम हेल्थ डिपार्टमेंट को मदद करने काम, अगर आज के समय में कोई कर रहा है तो वह आंगनवाड़ी की हमारी बहन कर रही हैं.
माननीय सभापति महोदय, इन अनुदान मांगों में आंगनवाड़ी से संबंधित पर्यवेक्षकों के रिक्त 50 प्रतिशत जो पद होंगे वह योग्यता रखने वाली उन बहनों को पदोन्नति के अवसर उपलब्ध करायेंगी जो आंगनबाड़ी के रिक्त पदों पर कार्यरत होकर के 25 प्रतिशत पदों पर उन सहायिकाओं को भी जोड़ने का काम किया गया है. कोविड आंगनबाड़ी की किसी कार्यकर्ता की मृत्यु होने पर क्योंकि वह भी योद्धा थी और उनकी मृत्यु होने पर पात्रता रखने वाली उस परिवार की सदस्या को आंगनबाड़ी कार्यकता या आंगनबाड़ी सहायता के रूप में कोरोना में दिवंगत होने वाली उस आंगनबाड़ी परिवार के किसी व्यक्ति को अनुकंपा दिये जाने का उल्लेख किया गया है. माननीय सभापति महोदय, मैं पहले भी कह चुका हूं कि आंगनबाड़ी कार्यकताओं को, सहायिकाओं को कोरोना योद्धा के रूप में घोषित किया गया है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- माननीय सभापति महोदय, श्री यशपाल सिंह सिसोदिया जी महिला बाल विकास विभाग की जब अनुदान की मांग आयेगी तब जोरदारी से बोल लेंगे, अभी इसमें महिला बाल विकास है क्या ?
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- हां इसमें है, हम आपसे ही सब सीख रहे हैं. महिला बाल विकास अनुदान मांगों में है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- मैं केवल एक बात कह रहा हूं कि राजपूतों में इस तरह का XXX का गुण नहीं है, आपने इसको कहां से सीख लिया है ?
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय सभापति महोदय, मुझे लगता है यह उचित शब्द नहीं होगा.
सभापति महोदय -- चापलूसी शब्द को विलोपित कर दें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय सभापति महोदय, यह उचित शब्द नहीं होगा, इसे राजपूत समाज के साथ जोड़ रहे हैं, हमने कभी चापलूसियाँ नहीं की है और विशेषकर सिसोदियाओं ने तो नहीं की है, आप इसे विलोपित करवा दें.
माननीय सभापति महोदय, आंगनबाडी़ कार्यकताओं और सहायिकाओं को कोरोना के रूप में घोषित किया गया है. सर्वोच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति ने मध्यप्रदेश को मॉडल मानते हुए, इसकी सराहना की है, वह हेल्प लाईन से संबंधित होकर, समेकित बालक संरक्षण के अंतर्गत विपरीत एवं कठिन परिस्थितियों में भी ऐसे बच्चे जिन्हें देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता होती है, उस दिशा में बच्चों के कल्याण और पुर्नवास को लेकर महत्वपूर्ण कार्य महिला बाल विकास के द्वारा किये गये हैं. मैं विभाग का स्वागत करते हुए माननीय मंत्री को धन्यवाद देना चाहता हूं.
माननीय सभापति महोदय, अधोसंरचना विकास में आंगनबाडि़यों का विकास उसका निर्माण कार्य बहुत आवश्यक है. इसमें आंगनबाड़ी कार्यकताओं में जो वातावरण बच्चों को मिलना चाहिये, जो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, जो सहायिका हैं उसको जिस प्रकार का वातावरण मिलना चाहिये.
सभापति महोदय -- आप कितना समय और लेंगे, अभी काफी वक्ता हैं. कांग्रेस की तरफ से 17 वक्ता हैं और भाजपा की तरफ से 15 वक्ता हैं, आप जल्दी समाप्त करें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- माननीय सभापति महोदय, मैं जन संपर्क पर बात करके समाप्त कर दूंगा. माननीय सभापति महोदय, तीन हजार दो भवनों के लक्ष्य के विपरीत 1845 भवनों में 61 प्रतिशत कार्य पूर्ण हुआ है. वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री ने 1102 आंगनबाड़ी भवनों का लोकार्पण किया है.
माननीय सभापति महोदय, वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिसंबर 2020 तक 226 पत्रकारों को उनके स्वयं के एवं परिजनों के उपचार के लिये 94 लाख 50 हजार रूपये की आर्थिक सहायता, अधिमान्य पत्रकारों को जनसंपर्क विभाग के माध्यम से प्रदत्त की गई है. मान्यता प्राप्त श्रमजीवी पत्रकारों की मृत्यु पर उनके पर आश्रित पत्नी और नाबालिग बच्चों को आर्थिक सहायता देने की अधिकतम सीमा राशि 4 लाख रूपये स्वीकृत की गई है, इसमें 14 दिवगंत पत्रकारों के परिजनों को लगभग 54 लाख रूपये की राशि की आर्थिक सहायता दी गई है.
माननीय सभापति महोदय, मध्यप्रदेश शासन द्वारा एवं जन संपर्क विभाग द्वारा प्रदेश के वरिष्ठ एवं बुजुर्ग पत्रकारों को दी जाने वाली सम्मान निधि की राशि 7 हजार रूपये से बढ़ाकर 10 हजार रूपये की राशि की गई है, मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि यह राशि थोड़ी कम पड़ती है क्योंकि पत्रकार बड़ा परिश्रमी होता है और उसके परिवार की जो स्थिति होती है, वह किसी से छिपी हुई नहीं है, इसको बढ़ाने की आप कृपा करेंगे, चूंकि मैं भी दस साल तक पत्रकार रहा हूं. माननीय सभापति महोदय, अधिमान्य पत्रकारों के लिये जो राशियों में इजाफा किया गया है, बैंकों से ब्याज का अनुदान तक देने का काम सरकार ने किया है. 16 लाख 94 हजार 241 रूपये का ब्याज अनुदान विभाग के माध्यम से उन पात्र अधिमान्य पत्रकारों के आवास के लिये भी उल्लेखित किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, मैं एक बात को लेकर विशेष रूप से जन संपर्क विभाग का धन्यवाद देना चाहूंगा. हितग्राहियों को जानकारी देने के लिये, किसानों को जानकारी देने के लिये हिंदी एस.एम.एस. के माध्यम से जो सूचनाओं का आप आदान प्रदान कर रहे हैं, फिर चाहे उनका पंजीयन का मामला हो, चाहे गेहूं उपार्जन का मामला हो, चाहे किसी भी प्रकार से किसानों के खातों में पैसे जा रहे हैं, उसको लेकर जन संपर्क विभाग ने जिस प्रकार से अपनी महती भूमिका निभाई है, इसके लिये भी में माननीय सभापति महोदय, मैं जन संपर्क विभाग का हृदय से धन्यवाद ज्ञापित करता हूं और माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया है, उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री जितु पटवारी (राऊ) -- माननीय सभापति महोदय, श्री यशपाल सिंह सिसोदिया बहुत त्यागी आदमी हैं और बहुत अच्छे वक्ता हैं, उन्होंने अपनी बात को बड़े त्याग के साथ कहा है. मंत्री बनने में भी सीनियरिटी में उनका नाम दो,दो तीन-तीन बार चला (हंसी.) तब भी उन्होंने संयम से, धैर्य से अपनी एक विचारधारा रखी. (श्री यशपाल सिंह सिसोदिया, सदस्य के अपने आसन से कुछ कहने पर) मैं आपकी तारीफ कर रहा हूं, आप बैठ जायें. धैर्य से अपनी विचारधारा और अपनी पार्टी को सहयोग करते हुए एक अच्छे प्रतिनिधि की भावनाओं के रूप में अपने आपको प्रदर्शित किया, उससे उनका सम्मान भी बढ़ा है और हमारी नजरों में भी उनका सम्मान बढ़ा है. उन्होंने अभी फिर से सरकार की तरफ से मांग संख्या, 1,2, 20,32, 41,45,48,55 और 65 की चर्चा करते हुए शुरूआत में जो उन्होंने बात की है कि मंत्रियों के स्वेच्छानुदान बढ़ाये गये, आपको धन्यवाद कि मंत्रियों के स्वेच्छानुदान इस कोरोना काल के संकटकाल में बढ़ाने गये. फिर उन्होंने बात की सी.एम. के स्वेच्छानुदान की बात की है, बिल्कुल सही बात है सी.एम. का भी स्वेच्छानुदान बढ़ना चाहिये, सारे विधायक हम लेकर आते हैं, बीमारी सहायता के लिये, सबके अपने-अपने क्षेत्र की अपेक्षाएं होती हैं, स्वेच्छानुदान बढ़ना चाहिये, वो भी अच्छी बात है फिर उन्होंने कहा कि राज्यमंत्री के भी बढ़ना चाहिये, उनके भी बढ़े अच्छी बात है, उसकी कोई आपत्ति नहीं है पर ये त्यागी आदमी विधायक है, विधायक के स्वेच्छानुदान की बात नहीं कर पाया. यह XXX ही तो थी(मेजों की थपथपाहट) यह सत्ता और विपक्ष की बात थोड़ी थी.
सभापति महोदय -- चापलूसी शब्द को विलोपित कर दें.
श्री जितु पटवारी-- माननीय सभापति महोदय, जब विधायक के सम्मान और प्रोटोकाल की बात आती है. सुबह भी कमलनाथ जी कह रहे थे कि हम सबको एक दूसरे की इस पर रक्षा भी करना चाहिये और एक दूसरे के लिये काम भी करना चाहिये. इसी जगह जहां आज कमलनाथ जी बोल रहे थे, उसी जगह जब हमारी 15 महीने की सरकार थी, तब एक दिन शिवराज सिंह चौहान जी बोल रहे थे कि विधायकों के प्रोटोकाल के सम्मान की हमें रक्षा करनी है, शायद जब हम गलत हो सकते हैं, पर आज पांच सौ प्रतिशत शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार इसमें गलत है. बहुत जगह से शिकायतें आती हैं, मेरा ख्याल है सब सत्ता पक्ष के और विपक्ष के माननीय सदस्य इससे परिचित हैं. इसका ध्यान सभी को सर्वसम्मति से रखना चाहिये मेरा अनुरोध है. अभी जब यह बजट पेश किया गया तो सुशासन की बात की गई, महिला दिवस है उसका भी हम सभी ने स्वागत किया, सबने एक दूसरे को महिलाओं के सम्मान की शपथ भी ली, अंतरआत्मा से ली, होना चाहिये. मैं मानता हूं जब सुशासन की बात आई और जब बजट के पहले राज्यपाल जी के अभिभाषण की बात आई तो राज्यपाल जी के अभिभाषण में एक-
मंजिलें भी जिद्दी हैं, रास्ते भी जिद्दी हैं,
हम सफल होंगे, क्योंकि हमारे हौंसले भी जिद्दी हैं.
जिद्दी शब्द, मैं मानता हूं बजट पर, जिद्दी शब्द में एक बहुत बड़ी बात 10 ट्रिलियन डॉलर, 10 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था 24-25 में करेंगे, यह चूंकि सामान्य प्रशासन और भाग क्रमांक की बातों की बात आ रही है. वित्त मंत्री जी अभी कितने ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है क्या आप सदन को इस वक्त खड़े होकर बता सकते हैं.
वित्त मंत्री (श्री जगदीश देवड़ा)-- इसमें विषय ही नहीं है, इस पर चर्चा ही नहीं हो रही है.
श्री जितु पटवारी-- विषय है और चर्चा हो रही है, जिद्दी की बात की आपने और 10 ट्रिलियन डॉलर देश के प्रधानमंत्री ने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात की और आपने 10 ट्रिलियन डॉलर बनाने की कर दी.
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री (श्री ओमप्रकाश सखलेचा)-- उसमें डॉलर नहीं रूपया लिखा हुआ है. 10 ट्रिलियन रूपीज लिखा हुआ है.
सभापति महोदय-- आप समान्य प्रशासन विभाग पर ही बोलें.
श्री
जितु पटवारी--
अच्छा रूपया
भी लिखा है,
चलो हो गया,
अब कितने
ट्रिलियन
रूपये की
अर्थव्यवस्था
है यह बता दो,
बताओ, खड़े हो
जाओ वित्तमंत्री
जी बहादुरी
करो,
बताओ. यह है
हालात, समझने
की बात है
सिर्फ. इसके
पीछे मेरा कोई
निगेटिव थॉट
नहीं है, न कोई
राजनीतिक पुट
है पर सच है यह
मध्यप्रदेश
के भविष्य के
लिये, बातें
इतनी है कि जब
हम सामान्य
प्रशासन की
बात करते हैं,
सुशासन की बात
करते हैं तो
आम जनता को
नागरिकों की
सेवायें,
संवेदनशील,
पारदर्शिता
एवं सहजता से
समय सीमा में
प्राप्त
होने वाला
सुशासन, इसकी
बात करते हैं,
जब इसकी बात
करते हैं और
जब व्यवस्थाओं
को देखते हैं
तो यह दोनों
चीजें अलग-अलग
हैं. जिले में
सुशासन लाना
है,
एक साल में
प्रभारी
मंत्री की
नियुक्ति
नहीं करना है,
क्या यह अच्छे
सुशासन की व्यवस्था
है. हमें
सुशासन लाना
है,
पारदर्शिता
लाना है,
ईमानदारी और
जीरो प्रतिशत
टॉलरेंस
भ्रष्टाचार
में हो पर 50
प्रतिशत उत्तरों
में जानकारी
एकत्रित की जा
रही है, पूर्व
अध्यक्ष जी
(डॉ. सीतासरन
शर्मा जी की
ओर इशारा करते
हुये) जानकारी
एकत्रित की जा
रही है. क्या
यह सुशासन का
पाठ है.
कर्मचारियों
के हितों के
लिये अगर कोई
दोषी था तो 20
साल पहले
दिग्विजय
सिंह की सरकार
थी,
यह 20 साल से
सुनते आ रहे
हैं,
22 साल से,
दिग्विजय
सिंह
कर्मचारी
विरोधी थे,
वह सारे
कर्मचारी
रिटायर्ड ही
हो गये होंगे
जो उस समय
थे,
थोड़े बहुत
बचे हों तो
बचे हों. अभी 5
प्रतिशत डीए
की घोषणा
हमारी सरकार
ने की थी, यही
मंत्रिमंडल
में पी.सी.
शर्मा लड़ रहे
थे,
आज तक झुनझुना
बजा रहे हैं,
सालभर हो गया,
कर्मचारी
हितैषी सरकार
है आपकी.
कर्मचारियों
को 7वें वेतन
का एरियर्स
नहीं दिया,
अरे खजाना भरा
है,
कमी किसी की
नहीं है
कर्मचारियों
के लिये भी दिल
खोल के दूंगा
और दिया कुछ
नहीं, यह है
सरकार का असली
चेहरा. इंदिरा
ज्योति
योजना सरकारी
कर्मचारियों
को हटा दिया,
यह मध्यप्रदेश
के 100 प्रतिशत
बच्चे थे
जिनका हक है,
यह सारे मध्यप्रदेश
के ही थे, इनके
परिवार का क्या
होगा,
माता-पिता का
क्या होगा,
पता ही नहीं
है. अतिथि
विद्वान सड़क
पर आ जायेंगे,
अतिथि शिक्षक
सड़क पर ला
देंगे, एक
सीएम हाउस चला
गया,
दूसरा महल में
चला गया, राज्यसभा
चला गया, सब हो
गया और वह
रोड़ पर ही हैं,
उनका कुछ नहीं
हुआ,
एक शब्द भी
नहीं बोलते और
खजाना भरा है,
भगवान ही
मालिक है,
बातें बहुत
हैं. सभापति
महोदय, मेरे
पास समय कितना
है,
नहीं तो बीच
में ही बिठा
दो,
फिर काट-पीटकर
बोलना चालू
करूं.
सभापति महोदय-- वक्ता काफी है, समय की सीमा हमेशा रहती है.
श्री जितु पटवारी-- सभापति महोदय, फिर भी 20 मिनट, 40 मिनट, 50 मिनट, एक घंटा.
सभापति महोदय-- दो मिनट, जल्दी समाप्त कीजिये.
श्री जितु पटवारी-- माननीय फिर मैं समझता हूं अगर ऐसा है तो फिर मैं नहीं कर पाऊंगा, फिर मेरा अनुरोध है कि मेरा हो गया.
सभापति महोदय-- चलिये बोलिये, जल्दी बोलिये.
श्री जितु पटवारी-- तो कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने वाली एक सरकार है. बार-बार सेवानिवृत्त हो रहे जितने भी कर्मचारी हैं, उनके जितने भी हक और अधिकार हैं, अभी सरकार के पास उसके लिये कोई समय भी नहीं है, क्योंकि उनसे कुछ पा नहीं सकते हैं और उनको देने के लिये खजाने में कुछ है, वह बजुर्ग लोग बेचारे अपने-अपने विभागों में रोते रहते हैं, मैं समझता हूं अधिकारी लोग मुझसे बेहतर समझते होंगे, उन पर ध्यान देना चाहिये, हमारे बुजुर्गों की क्या स्थिति है इस सरकार में, यह इंदौर के उस कांड ने बता दिया जब बुजुर्गों को क्षिप्रा में बहाने के लिये छोड़ आये थे, यह हालात हैं इस सरकार के, सोच केवल सत्ता में बैठना है. अभी अनुकंपा नियुक्ति की डॉक्टर साहब ने बात की, मैं मानता हूं कि बैकलॉग के डेढ़ लाख पद 20 साल इस सरकार के सुशासन का चेहरा है, 20 साल में बैकलॉग के पदों के हितग्राहियों के लिये आपने क्या किया, भविष्य के लिये युवाओं के लिये दिखता है. पीएससी के एग्जाम, कई विभागों के 20-20 साल से नहीं कराये, 15-15 साल से नहीं कराये लोग जवान थे, इन्हीं अधिकारियों के बच्चे-बच्चियों ने तैयारियां कीं वह एग्जाम देने की समय-सीमा लांघ गये, ऐसे हालात कर दिये आपने, एक-दो की संख्या नहीं है, लाखों की भी नहीं है, यह करोड़ों की संख्या है, इस सरकार का यह असली चेहरा है. शासकीय विभागों में सामान्यत: हर विभाग में 50 प्रतिशत पद खाली हैं ऐवरेज निकालिये, सभी विभागों में तो यह 20 साल का शिवराज सिंह जी नहीं हूं, मैंने वो किया, मैंने ये किया, इसमें एक नंबर, दूसरा नंबर, तीसरा नंबर, चौथा नंबर मैं थक गया इन पांच सालों में सुन-सुनकर. बात इतनी है कि यह सब बातें मध्यप्रदेश के असली चेहरे को बताती हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- जितु जी.
श्री जितु पटवारी-- आपने सब बातें की लेकिन आपसे त्यागी पुरूष मैंने नहीं देखा, प्रणाम आपको बैठ जाओ.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया-- आप गुस्से में मत बोलो.
श्री जितु पटवारी-- नहीं बोलूंगा, मुस्कुरा के बोलूंगा. कभी कभी गुस्सा आता है. आपका बेटा जब पीएससी देना चाहता था, तब उसने मुझसे बात की, जब उसने बात की तो मुझे दर्द हुआ कि आखिर यह माजरा क्या है. मुख्यमंत्री जी घोषणायें करते हैं, पता ही नहीं होता है कि कितनी घोषणायें कीं और इसका प्रमाण भी दे दिया, अभी एक पॉलीटिकल बयान आया, यह बयान है आदरणीय सभापति महोदय, मैंने प्रश्न पूछा कि आप मुख्यमंत्री बने फिर से, पीछे के रास्ते से तब से लेकर आज तक आपने कितनी 28 विधान सभाओं में घोषणायें कीं, एक बार पूछा, दो बार पूछा, तीन बार पूछा, तीनों बार एक ही उत्तर, जानकारी एकत्र की जा रही है. जब मुख्यमंत्री का पूरा विभाग लग जाये, उनको पता न चले कि मुख्यमंत्री कहां-कहां घोषणा कर आये तो फिर भगवान ही मालिक है. मैंने पूछा की मुख्यमंत्री जी सुशासन देना चाहते हैं, मैंने पूछा की आपने स्थानांतरण कितने किये, एक बार पूछा, दो बार पूछा, तीन बार पूछा कि आईएएस, आईपीएस कितने बदले ...(XXX)... मैंने जानकारी निकाली, कमलनाथ जी की सरकार में 1300 और कुछ पदों पर ट्रांसफर हुये थे, इनकी सरकार में 4100 और कुछ पदों पर ट्रांसफर हुये हैं. ...(XXX)... यह वास्तविक स्थिति है और जब उत्तर मांगता हूं तो उत्तर निरंक, नहीं है, यह सुशासन है इस सरकार का, प्रोटोकाल का उल्लंघन, जैसे अभी बात हुई.
सभापति महोदय-- इसको विलोपित कर दें. स्थानांतरण की नीति कोई दलाली से संबंधित नहीं होती, यह सामान्य प्रक्रिया है.
श्री जितु पटवारी-- मैंने नहीं कहा दलाली, जो आरोप लगाया उसका उल्लेख किया और मैंने नहीं कहा यह तय करें, मैंने यह कहा, मेरे ख्याल से उसको निकालना भी उचित नहीं होगा. मेरा अनुरोध है जैसा मैंने पहले भी कहा, कई बार कहा प्रोटोकॉल की बात हुई है, मैंने कहा विधायकों के प्रोटोकॉल का संज्ञान सबको होना चाहिये और यह समय आती जाती माया है, जैसा हमने सोचा ही नहीं था 5 साल, हम हट जायेंगे, फिर गया, समय था, माया थी, ऐसे कब इधर से उधर कुछ हो जाये यह सब हलचल चलती रहती है, चिंता मत करो. याद रखना इस बात को. अंत में नहीं तो ढाई साल बचे हैं कभी भी कुछ हो सकता है. हमें भी ऐसा ही अहसास था कि नहीं हटेंगे. सब माया का खेल है. तुलसी भईया बोल दो. मेरे पिता के दोस्त हो आप.
श्री तुलसीराम सिलावट - इनको नींद नहीं आ रही है सरकार चली गई तो.
सभापति महोदय - यह बातें बाहर हो जायेंगी. जल्दी समाप्त करें. अगली वक्ता महिला हैं और पड़ोस के जिले देवास की हैं.उनका सम्मान करते हुए जल्दी समाप्त करें.
सभापति महोदय - महिलाओं का सम्मान होना चाहिये लेकिन तुलसी भईया ने जो नींत की बात कही तो नींद आ कैसे सकती है. हम तो खुली आंखों से सपने देखने वाले हैं. नरेन्द्र मोदी जी की उस कहावत का ध्यान रख रहे हैं. हम तो खुली आंखों से सपने देख रहे हैं और तुलसी भईया आप बहुत अच्छे इंसान हो लेकिन महाराज के चक्कर में फंस गये हो वह अलग बात है मैं आपका ध्यान रखता हूं. मेरा अनुरोध यह भी है एक व्यापम का काण्ड हुआ. देश,दुनियां के किसी हिस्से में चले जाओ तो मध्यप्रदेश का जब संदर्भ आता है तो यह आता है कि व्यापम का एक कांड जो बच्चों के भविष्य को लीलता है. अध्ययन और साहित्य को लीलता है. मेहनत,ईमानदारी को, करप्शन आर्थिक रूप से हो जाए चल जायेगा लेकिन भविष्य का करप्शन, जिसने अपने आप में, मध्यप्रदेश को काला किया. हमने सोचा कि यह सरकार गई है हमारी आई है, हम कुछ सुधार करेंगे. नहीं कर पाए. फिर यह सरकार आई. फिर दस पदों पर एक जैसे नाम, कृषि विस्तार अधिकारी, सबके गलत तो सबके गलत. दस के नंबर एक जैसे. फिर गलत जिस प्रश्न के नंबर आए वह एक जैसा और सारे टाप. एक जाति के, एक जिले के, एक कालेज के. फिर व्यापम, थोड़ी बहुत लज्जा आती है इस सरकार को. आप बताएं शर्मा जी, गलत है कि सही है.
सभापति महोदय - जितु, सम्मानजनक भाषा होनी चाहिये.
डॉ.सीतासरन शर्मा - आपके पास कोई तथ्य नहीं हैं. बिना तथ्यों के आप बोल रहे हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह - मेरे पास तथ्य यह रखे हुए हैं. इसका ध्यानाकर्षण भी लगाया है. जब लगेगा तब तथ्य भी देंगे.
श्री जितु पटवारी - सभापति महोदय, मेरा असम्मान का इरादा नहीं अगर कोई ऐसी बात हुई तो खेद व्यक्त करता हूं परंतु यह दर्द तो है. मेरा अनुरोध है कि विधायकों की स्वेच्छा निधि बढ़नी चाहिये. मंत्रियों की बढ़ी कोई बात नहीं. सारे मंत्रियों ने स्वेच्छा निधि का उपयोग चुनाव में इधर भी बांटने में कर दिया उधर भी बांटने में कर दिया. सब मेरे पास रिकार्ड है पर करते रहो. मेरा अनुरोध है प्रोटोकाल का, विधायकों का प्रोटोकाल रहना चाहिये. जहां आज भी कोई उद्घाटन किसी विधान सभा क्षेत्र में होता है तो पार्टी और राजनीति की बात होती है. यह विशेषाधिकार जनप्रतिनिधि का होता है. उसमें हम सब सहयोग करें. सबका धन्यवाद. कोई चूक हुई हो तो क्षमा चाहता हूं.सभापति महोदय, आपसे विशेषकर चाहता हूं. धन्यवाद.
श्रीमती गायत्री राजे पवार (देवास) - माननीय सभापति महोदय, धन्यवाद, जो आपने मुझे बोलने का मौका दिया और सभी को सम्मान देने को बोला लेकिन आपसे आग्रह है, केवल एक दिन का सम्मान नहीं कि आज महिला दिवस है इसलिये, हमेशा के लिये महिलाओं के सम्मान के लिये सबको बोला जाये. सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 1,45,48,55 और 56 का समर्थन करती हूं. मैं आपको धन्यवाद ज्ञापित करती हूं कि आपने मुझे बोलने का मौका दिया. माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने उल्लेखनीय तरह के मील के पत्थर गढ़े हैं और हमारे 2021-22 के बजट में जो हमारे ओजस्वी वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा जी ने पेश किया और विभागीय बजट जो राज्यमंत्री इन्दर सिंह जी भाई साहब ने पेश किया उसके समर्थन में हूं. यह बजट भाजपा के मूल सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है. अन्त्योदय का सिद्धांत, अन्तयोदय का सिद्धांत आखिरी व्यक्ति तक पहुंचने का सिद्धांत. हर गरीब और आखिरी पंक्ति के व्यक्ति को ध्यान में रखकर बनाया है. जरूरतमंदों को,गरीबों को जरूरतमंद स्थिति से बाहर आते हुए और गरीबी से ऊबरे लोगों को बहुत जरूरी है इस बात का ध्यान रखना क्योंकि यही है जिसमें गरीबी रेखा से नीचे लोअर मिडिल क्लास,मिडिल क्लास और हमारी उन बहनों के बारे में सोचा जाता है जिन्होंने खासकर कोरोना महामारी की मार सबसे ज्यादा इन लोगों ने सही है. तो इन लोगों का ध्यान इस बजट में रखा है. न तो कोई कर बढ़ाया है और न कोई नया कर इन लोगों पर लगाया है. इसके लिये मैं हमारे वित्त मंत्री जी और हमारे राज्यमंत्री जी और हमारे मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद ज्ञापित करती हूं. मैं बहुत ज्यादा आंकड़ों पर नहीं जाऊंगी क्योंकि आंकड़ों का विश्लेषण बहुत विस्तार से हो चुका है. मैं इस बजट के प्रभाव पर बात करना चाहूंगी. माननीय सभापति महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग के विभागीय बजट के बारे में अगर हम बात करते हैं तो इस बजट में इस विभाग को कुल आवंटित राशि है एक हजार पंद्रह करोड़ नवासी लाख रुपये जो पिछले साल की तुलना में 240 करोड़ 11 लाख अधिक है.यह बहुत ही उल्लेखनीय है. मुख्यमंत्री और मंत्रियों के स्वेच्छानुदान के बारे में अभी काफी चर्चा हुई. जैसे जितु भाई ने बोला कि विधायकों की स्वेच्छानुदान नहीं बढ़ायी गयी. लेकिन मैं मानती हूं कि अगर मुख्यमंत्री जी की स्वेच्छानुदान बढ़ाई गई है और मंत्रियों की बढ़ाई गई है तो अपने आप विधायकों की कहीं न कहीं बढ़ी है क्योंकि हम विधायक माननीय मुख्यमंत्री जी के पास अपने स्वेच्छानुदान की चिट्ठियां भेजते हैं. मंत्रियों के पास भेजते हैं. मंत्रियों की तो दोगुनी कर दी है. 20 हजार से लेकर 40 हजार की है और जो मुख्यमंत्री जी के पास चिट्ठियां जाती हैं. जैसे सिसोदिया जी ने बोला कि बहुत बार तो दूसरे दिन स्वीकृत हो जाती हैं. मेरा व्यक्तिगत अनुभव यह रहा है कि मैंने महीने में कम से कम 10 चिट्ठियां लिखी हों तो 9 चिट्ठियों को ये स्वेच्छानुदान माननीय मुख्यमंत्री जी की तरफ से जरूर मिलता है भले वह 15 हजार से शुरू हो 2 लाख रुपये तक मिलता है पर मिलता जरूर है. मेरे क्षेत्र में मैंने ऐसे-ऐसे व्यक्तियों को स्वेच्छानुदान दिलवाया है जो बच्चे जिंदगी भर डायलिसिस पर हैं. जो किडनी ट्रांसप्लांट के लिये रुके हुए थे. उन लोगों को स्वेच्छानुदान से मदद देकर हमने बच्चों को नयी जिंदगी दी है. बुजुर्गों को नयी जिंदगी दी है और ऐसे परिवारों को जिनको मालूम नहीं होता है कि वे अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे बड़ी बीमारी की आपदा में इस अनुदान ने बहुत ही फायदा पहुंचाया है. मैं सामान्य प्रशासन विभाग की इस योजना को बजट में उचित स्थान देने के लिये मैं सभी को बहुत-बहुत साधुवाद देती हूं. माननीय सभापति महोदय, सड़क दुर्घटना और गंभीर रूप से घायल जो सड़क दुर्घटना में होते हैं अभी चर्चा हो चुकी है उसको मैं फिर से नहीं दोहराऊंगी पर उनके लिये भी प्रावधान रखा है उसके लिये मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं. माननीय सभापति महोदय, स्वतंत्रता सेनानियों और मीसाबंदियों की सम्मान निधि को 25 हजार रुपये प्रतिमाह जो हमेशा से उनको मिलती थी उसको यथावत रखने के लिये भी मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं. इस सरकार के नर्मदा घाटी विभाग द्वारा 5 हलाख 66 हजार हेक्टेयर क्षमता की 13 सिंचाई परियोजनाएं पूर्ण कर ली गई हैं तथा 12 लाख 92 हजार हेक्टेयर की 33 सिंचाई परियोजना पर कार्य जारी है. पूर्व में जारी परियोजना के कार्य प्राथमिकता से पूर्ण किये जा रहे हैं. वर्ष 2021-22 में 13 निर्माणाधीन परियोजनाओं के कार्य पूर्ण खरने कालक्ष्य भी है. इन परियोजनाओं से लगभग 1 लाख 75 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता निर्मित होगी जो बहुत ही उल्लेखनीय है क्योंकि हमारे किसान भाई एक बहुत ही अह्म जिंदगी की कड़ी हैं और जब उनको सिंचित खेत मिलते हैं तो वह एक अलग तरह का उत्पादन दे सकते हैं. उनकी जिंदगी बहुत ही अलग हो जाती है. हमारी सरकार में जल भंडारण हेतु नीवन बांधों के कार्य भी प्राथमिकता से चल रहे हैं. आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोड मेप के अंतर्गत नर्मदा कछार में 2.85 मिलियन एकड़ फीट जल भण्डारण हेतु 10 परियोजनाएं लागत रुपये 22081 करोड़ रुपये के निर्माण हेतु निविदा आमंत्रण की कार्यवाही प्रचलन में है व परियोजनाओं के निर्माण में 225 मेगावाट विद्युत उत्पादन भी होगा. मैं वित्त मंत्री जी को साधुवाद देती हूं कि इसे बजट में जगह दी. 2019-20 में 5.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित हुआ. 2020-21 में 6.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु नहरों में जल प्रवाह जारी है और वर्ष 2021-22 में रुपये 3680 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया है. वह लाखों हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचित करने में मदद करेगा, इसके लिये मैं आपको खासा धन्यवाद देती हूं. इसी कड़ी में हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी के अथक प्रयासों से जहां नदी से नदी जोड़ो अभियान उनका जो दिल के बहुत ही करीब वाला अभियान है, उन्होंने शुरु किया है, जिसके तहत बहुत सारी सूखी हुई नदियों को भी फिर से जीवन मिला है. उस जल के सदुपयोग के लिये माइक्रो सिंचाई परियोजनाओं को प्राथमिकता से क्रियान्यवन किया जा रहा है. इस योजना में नर्मदा नदी से उस पर निर्मित बांधों इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर जलाशय से दबावयुक्त पाइप प्रणाली, पद्धति से उन क्षेत्रों में भी सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराया जायेगा, जहां भौगोलिक दृष्टि से सिलो इरीगेशन पासिबल नहीं है. मैंने आज ध्यान आकर्षण जो उठाया था, वह इसी क्षेत्र में था. मेरा क्षेत्र भी भौगोलिक दृष्टि से बिलकुल टोपोग्राफी ऐसी है कि वहां पर फ्लेट टोपोग्राफी है. तो वहां पर सिंचाई की यह योजना मिलने के लिये आज ही माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा और राज्य मंत्री जी द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है. तो मैं उनको भी बहुत बहुत धन्यवाद देती हूं. सभापति महोदय, मेरे गृह जिले में माइक्रो सिंचाई परियोजना तहत कम से कम 241 गांव में असंख्य किसानों को सिंचाई सुविधा का लाभ मिलेगा. कृषि उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी और असंख्य किसानों को इसकी सुविधा मिल रही है और खतरे से नीचे गये हुए वाटर लेवल भी उससे सुधरेंगे. नर्मदा क्षिप्रा बहुद्देशीय परियोजना के तहत ओंकारेश्वर जलाशय में 15 क्यूमेक्स जल उद्वहित कर उज्जैन जिले की 2 तहसीलों तराना तहसील में 26372 हेक्टेयर क्षेत्र में, शाजापुर जिले में 2728 हेक्टेयर क्षेत्र को मिलाकर कुल 30 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रस्तावित है. साथ ही मक्सी, शाजापुर, तराना, झांगरिया, घट्टिया व कुराड़िया बुजुर्ग में भी पेयजल और उज्जैन जैसी नागदा में औद्योगिक फैक्ट्रीज को भी पानी देना प्रस्तावित है. देवास अपने आप में एक मिसाल है, देवास में पेयजल का संकट इतना गहरा हुआ था कि लोगों को पलायन करना पड़ रहा था. यह मुख्यमंत्री जी की दूरदर्शिता थी कि उन्होंने नर्मदा को क्षिप्रा से जोड़ा और क्षिप्रा से पाइप लाइन से पानी देवास तक पहुंचाया. देवास में एक स्थिति ऐसी थी कि जब लोग पीने का पानी खरीदकर पीते थे और आज बहुत गर्व के साथ खड़े होकर बोल सकती हूं कि मुख्यमंत्री जी के प्रयासों से, स्वर्गीय तुकुजीराव साहब के प्रयासों से आज देवास में नर्मदा लिंक योजना के तहत हम रोज पानी दे पा रहे हैं और यह इसी योजना के तहत है. इन योजनाओं को आपने सम्मिलित किया, उसके लिये मैं आपको कोटि कोटि धन्यवाद देती हूं.
सभापति महोदय, महिला एवं बाल विकास बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. बालिकाओं और महिलाओं के लिये सरकार की तरफ से यही एक विभाग है, जो उनके संरक्षण व सहायता के लिये महत्वपूर्ण योजनाएं क्रियान्वित करता है. मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में महिलाओं व बालिकाओं को एक नया सम्मान प्राप्त हुआ है. चाहे वह बेटी के जन्म होते से योजना हो लाडली लक्ष्मी की, जिसमें पैदा होते से उसे सर्टीफिकेट दिया जाता है 1 लाख 18 हजार का और उसके बाद 18 वर्ष की आयु में उसे 1 लाख मिलते हैं या फिर उसकी शिक्षा में मदद स्वरुप वित्तीय सहायता हो, छात्रवृत्ति हो, लेपटाप सुविधा हो दूरदराज के स्कूल में अगर बिटिया पढ़ रही है, तो उसे जाने के लिये, एक स्कूल जाने के लिये साइकिल की सुविधा हो, बेटी के विवाह के लिये कन्या दान व निकाह योजना, अगर कोई बेटी विधवा होकर पुनः विवाह करती है, तो 2 लाख रुपये सहायता. गर्भवती अवस्था में भी वित्तीय प्रावधान है , ताकि वह मां अपने आपका भरण पोषण कर सके. जो उसका परिवार नहीं कर पा रहा है. इसी तरह से मातृत्व अवकाश जो 6 महीने की छुट्टी एक महिला को मिलती है, वह डिलेवरी से पहले हो या बाद में हो वह उसको च्वाइस है. ऐसी महत्वपूर्ण योजनाओं को इस विभाग द्वारा संचालित किया जाता है और इन्हें यथावत रखा गया है, उसके लिये मैं बहुत धन्यवाद देती हूं. उसके अलावा वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, तीर्थदर्शन योजना और यहां तक कि अंत्येष्टि के लिये भी 5 हजार रुपये दिये जाते हैं. एक महिला, बालिका को सबसे बड़ा सम्मान मुख्यमंत्री जी ने तब दिया था, जब उसके साथ दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति को सीधे फांसी की सजा सुनाने की बात कही थी और इसका कानून बनाने के लिये पहल मुख्यमंत्री जी ने की थी. वन स्टाप सेंटर के अंतर्गत सभी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिला व बालिकाओं को एक स्थान पर स्थाई आश्रय, पुलिस डेस्क, विधिक सहायता, चिकित्सा व कौंसलिंग सभी उपलब्ध हैं. इस वन स्टाप सेंटर उषा किरण केंद्रों में उपलब्ध कराया गया है. मुख्यमंत्री जी के मुख्य आतिथ्य में किशोरी बालिकाओं को सुरक्षा, जागरुकता, पोषण, ज्ञान, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने एवं उनके बहुमुखी विकास के लिये पंख अभियान का शुभारम्भ किया गया है. पंख शब्द में बालिका के संबंध में सभी आयामों का समावेश है. एक स्वस्थ समाज की परिकल्पना के आधार पर प्रत्येक बालिका को सशक्त एवं सम्बल जीवन की आधारशिला रखने हेतु पंख अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम के अंतर्गत है. हिंसा से पीड़ित महिलाएं, जिसमें 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाएं भी सम्मिलित हैं, को सहायता प्रदान करना, 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं की सहायता हेतु लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम,2012 एवं किशोर न्याय बालकों की देख-रेख और संरक्षण अधिनियम,2015 के अंतर्गत गठित संस्थाओं को सेंटर से जोड़कर रखा है. ग्राम, नगरीय क्षेत्रों में विशेष अधिकार से कुपोषित बच्चों के कुपोषण सुधार हेतु पोषण वाटिका की स्थापना की जा रही है. अब तक 65500 आंगनवाड़ी केन्द्रों में पोषण वाटिका की स्थापना हो चुकी है. हमारी सरकार ने समस्त आंगनवाड़ियों के लिये उपयुक्त भवन उपलब्ध कराने का निश्चय किया है. वर्ष 2021-22 में 1 हजार भवनों का निर्माण प्रारम्भ किये जाने का लक्ष्य है. इस सरकार ने प्रदेश की महिलाओं के लिये भय मुक्त वातावरण निर्मित करने के लिये इस दिशा में प्रयत्न किया है कि प्रत्येक जिले में एक महिला पुलिस थाना प्रारम्भ करने का प्रस्ताव है. यह निर्भया फण्ड से महिलाओं के सम्मान एवं सुरक्षा के बारे में जागरुकता लाने के लिये सेफ सिटी कार्यक्रम के अंतर्गत कार्य किया जा रहा है. इसकी वार्षिक थीम का विषय है लड़कियों व महिलाओं के प्रति सम्मानपूर्वक नजरिया व व्यवहार को बढ़ावा देना तथा छेड़- छाड़ मुक्त शहर निर्माण करना. मध्यप्रदेश राज्य अंतर्गत विभिन्न विभाग एवं एजेंसियों के आधिपत्य में महत्वपूर्ण शासकीय परिसम्पत्तियां हैं. विभागों के पास अनुपयोगी परिसम्पत्तियों का व्यावसायिक उपयोग करने की दक्षता न होने के कारण शासन को अप्रत्यक्ष रुप से राजस्व की हानि होती है. ये परिसम्पत्तियां ऐसी है, जो एनक्रोच्ड हैं, जिनके ऊपर अतिक्रमण है, जिनके ऊपर इलीगल एक्टीविटीज होती हैं या गंदगी से भरी पड़ी हुई हैं, ऐसी सम्पत्तियों का मेनेज करने का निश्चय किया गया है. लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन विभाग का गठन किया है 26.8.2020 को. अब इस सम्पत्ति को जो मेनेज किया जायेगा, उसके लिये बहुत ही ट्रांसपेरेंट पालिसी रखी गई है, जिसमें ई टेंडरिंग होंगा. अगर ऑक्शन होगा, तो ऑक्शन होगा. अगर आपको कोई दूसरे विभाग में उसको हस्तांतरित करना है, तो वह होगा, पर उस सम्पत्ति का प्रापर यूज हो और उसका वित्तीय फायदा मंत्रालय को मिले, ऐसा निश्चय किया गया है. सभापति महोदय, मांग संख्या 68 अंतर्गत बजट वर्ष 2020-21 में रुपये 4 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है. दिनांक 8.3.21 कुल 10 परिसंपत्तियों का निर्वतन किया जा चुका है, जिनकी ऑफसेट मूल्य राशि कुल 110 करोड़ रुपये है के विरुद्ध निविदा बोली मूल्य राशि 183 करोड़ रुपये प्राप्त हुई है. इस विभाग को भी शुरू करने के लिए मैं मानती हूं कि माननीय मुख्यमंत्री जी की दूरदर्शिता है और उन्होंने इसको बजट में शामिल किया है, उसके लिए मैं उन्हें बहुत बहुत साधुवाद देती हूं.
सभापति महोदय, बजट में प्रदेश स्थित हवाई पट्टियों का पायलट प्रशिक्षण, एयरो स्पोर्ट, हेलिकॉप्टर एकेडमी आदि सुविधाएं विकसित करने के लिए रीवा, दतिया, रतलाम, उज्जैन, मंदसौर, छिंदवाड़ा, उमरिया, बालाघाट, सागर, गुना एवं सिवनी हवाई पट्टियां निर्धारित शुल्क पर आवंटित की गई हैं, जिससे राजस्व में वृद्धि होगी. इंदौर विमान तल को भी कस्टम नोटिफाईड एयरपोर्ट घोषित किया गया है. साथ ही अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें भी शुरू की गई हैं, जिससे 100 प्रतिशत राजस्व में वृद्धि होगी, इन सभी चीजों को राजस्व बजट में जोड़ने के लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को, माननीय श्री जगदीश देवड़ा जी को, माननीय श्री इन्दर सिंह परमार जी को, माननीय श्री भारत सिंह कुशवाह जी को, सभी को बहुत बहुत धन्यवाद देती हूं और सभापति महोदय, आपको धन्यवाद देती हूं कि आपने मुझे बोलने का मौका दिया. धन्यवाद. (मेजों की थपथपाहट)..
श्री पी.सी. शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्चिम) - सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 1,2,20,32,41,45,48,55 एवं 65 जो अलग अलग विभागों की मांग रखी गई है, मैं इसका विरोध करता हूं. उसकी वजह यह है.
ऊर्जा मंत्री (श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर) - समर्थन कर दो.
श्री पी.सी. शर्मा - समर्थन कर देंगे, कुछ हो तो जाय. सभापति महोदय, जब आदरणीय गोविन्द सिंह जी अपनी बात रख रहे थे तो उन्होने एक बात रखी कि रोजगार की सबसे बड़ी समस्या है. 35 लाख के करीब लोग मध्यप्रदेश में इस समय बेरोजगार हैं और कोरोना काल के इस 10-11 महीने में यह 14 लाख लोग जिनके पास में नौकरी थी, जिनके पास में व्यवसाय था वह बेरोजगार हो गये.
4.03 बजे {सभापति महोदया (श्रीमती झूमा सोलंकी) पाठासीन हुईं.}
सभापति महोदया, इस सरकार के समय पुलिस की भर्तियां निकलीं लेकिन पुलिस की भर्तियां जब उनको बुलाने की बात आई, उनको भर्ती करने की बात आई तो इस पर रोक लगा दी गई. कमलनाथ जी की जब सरकार थी तो 34 हजार शिक्षकों का चयन हुआ उनकी परीक्षाएं हुईं और उनके पूरे कागजात भी सब उन्होंने सबमिट कर दिये, लेकिन उनका आदेश आज तक नहीं निकला. यह अगर हम बात करें तो 90 हजार ऐसे पद हैं जिनको सरकार भर सकती थी. ये अलग अलग विभागों के हैं लेकिन वह पद भरे नहीं जा रहे हैं. अगर बात करें कर्मचारियों की तो मध्यप्रदेश का कर्मचारी जितना आज परेशान है, मैं समझता हूं कि इससे पहले कभी नहीं रहा, जिस दिन बजट आया, आदरणीय वित्त मंत्री जी ने बजट रखा तो भोपाल के जितने कर्मचारी संगठन थे, मध्यप्रदेश के जितने कर्मचारी संगठन थे, इन लोगों ने मीटिंग की कि आखिर इस बजट से कर्मचारियों को क्या मिल रहा है? श्री जितु पटवारी जी ने ठीक कहा कि कमलनाथ जी की सरकार ने 5 प्रतिशत का डीए जो कर्मचारियों को स्वीकृत किया था वह आज तक उनको मिला नहीं. अनुकंपा नियुक्ति पूरी तरह से बंद हो गई है. किसी भी विभाग में अनुकंपा नियुक्ति हो नहीं रही है और छोटे से छोटे पद के लिए उनको भागना दौड़ना पड़ता है लेकिन उसका कोई रिजल्ट नहीं आ रहा है.
होमगार्ड्स जो कि पुलिस बल के साथ अपनी सेवा पूरी ताकत से देते हैं और जो कि नौकरी में थे, इनको 2 महीने घर में बैठा दिया जाता है, जो होमगार्ड काम कर रहा है, पुलिस के बराबर काम कर रहा है, उसको 2 महीने घर में बैठा देंगे तो उसका घर खर्चा चलेगा कैसे? लेकिन उसके बारे में हमने कई बार ध्यान आकर्षण लगाया, कोई उसका जवाब आता नहीं. कर्मचारी संगठनों की बात करें तो तृतीय वर्ग कर्मचारी संगठन है उसकी मान्यता रद्द कर दी, जो प्रदेश स्तर पर जिला स्तर पर कमेटियां बनी हैं उसकी कभी मीटिंग होती नहीं तो कुल मिलाकर वह कर्मचारी जो इस सरकार के या विधान सभा में जो चीजें पारित होती हैं, सरकार के जो आदेश होते हैं उनका पालन करते हैं. कोरोना समय में राजस्व विभाग और प्रदेश के प्रशासनिक जो अधिकारी थे, एसडीएम हों, तहसीलदार हों, इन लोगों ने भी काम किया. राजस्व विभाग के सभी कर्मचारियों ने काम किया, लेकिन उनको कोरोना वारियर्स के रूप में नहीं लिया गया और जो कोरोना वारियर्स थे, जिनको संविदा नियुक्ति दी गई थी, हजारों की तादाद में उनको नौकरी से निकाल दिया गया. पिछले महीने के पहले वह काम करते रहे, लेकिन जब काम निकल गया तो उनको वहां से हटा दिया गया.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - आदरणीय आज आपकी बात में जोश कुछ नहीं है क्या आप सही आंकड़ें नहीं दे रहे हैं, इसलिए अंतरात्मा से सही ढंग से बोल नहीं पा रहे हो? ईमानदारी से सही सही बोलो.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - मध्यप्रदेश में आपके आने के बाद करंट गायब हो गया है.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - पता नहीं जोश नहीं है, अब अंतरात्मा से यह सही बोल नहीं पा रहे. सही बोलें.
श्री पी.सी. शर्मा - इन्होंने ठीक कहा, ऊर्जा विभाग ठीक चल नहीं रहा है, इसलिए ऊर्जा बची नहीं है.
श्री बाला बच्चन - माननीय मंत्री जी, आपने जितु पटवारी जी का जोश नहीं देखा, उसको आप काउंट नहीं करते हैं, उस बारे में नहीं बोलते हैं, उसका जवाब दो. उस समय आप यहां पर थे नहीं, रिकार्ड को निकाल कर देखना, उसको सुनना, पढ़ना.
श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर - मैं बता रहा हूं कि उनका जवाब उसी जोश के साथ मैं सदन को, बाहर जो कहा है उसका जवाब वक्त पर परफेक्ट मिलेगा.
श्री पी.सी. शर्मा -हमने आपका जोश देखा है जब आप इधर थे, तब भी जोश देखा है और उधर हो तब भी जोश देखा है. वहां कुछ (XXX) हो गया है. सभापति महोदया, प्रोटोकॉल की बात आई.
श्री विजयपाल सिंह - इधर (XXX) नहीं हुआ, इधर और जोश बढ़ गया है. उधर जोश कम था, इधर जोश ज्यादा हो गया है.
श्री पी.सी. शर्मा - आपका जोश तो हमने देखा है होशंगाबाद में हर तरह का जोश, नर्मदा किनारे का सब जोश देखा है.
श्री विजयपाल सिंह - हमने भी होशंगाबाद में आपका जोश देखा है.
किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री (श्री कमल पटेल) - आपको (XXX) कर दिया है प्रद्युम्न ने.
श्री पी.सी. शर्मा - नहीं, हमें (XXX) नहीं किया.
श्री कमल पटेल - अरे दादा, (XXX) तो हो और क्या हो?
श्री पी.सी. शर्मा - ये हमारे मित्र हैं.
सभापति महोदया - इस शब्द को विलोपित करें.
श्री पी.सी. शर्मा - सभापति महोदया, मैंने कोरोना की बात की कि कोरोना के जो वारियर्स थे, जिन्होंने लगातार 10 महीने तक काम किया. एक परिवार मेरे पास में आया. पति और पत्नी दोनों आए, वे बोलें कि हम दोनों स्वास्थ्य विभाग में नौकरी में थे. हमको नौकरी से हटा दिया गया हमारे दो दो छोटे बच्चे हैं, नौकरी जाने के बाद हम क्या करें? वापस लिया नहीं जा रहा है क्या हम आत्महत्या करें, यह आज स्थिति है. आज मध्यप्रदेश बेरोजगारी चरम सीमा पर है और रोजगार एक सबसे बड़ी समस्या है.
मैं बात करना चाहूंगा यहां मैं प्रोटोकॉल की बात कर रहा था. हम लोगों के विधान सभा क्षेत्र में आदरणीय वेल जी ने भी एक सवाल लगाया था जिसका जवाब नहीं आया. यह मेरे पास में सामान्य प्रशासन विभाग का यह आदेश है कि मध्यप्रदेश शासन सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा क्रमांक 1922/2006 यह आदेश निकाला गया कि जिस क्षेत्र में भी विधायक के कार्यक्रम हो उसको
------------------------------------------------------------------------------------------
( X X X ) -- आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
बुलाया जाय, उसको आमंत्रित किया जाय, उसका नाम पट्टिका में होना चाहिए, लेकिन पूर्व विधायकों के नाम आ जाते हैं, लेकिन अगर विपक्ष के या कांग्रेस के विधायक हैं तो न तो उनको बुलाया जाता है न प्रोटोकॉल मिलता है. हनी भाई ने भी इस पर ध्यान आकर्षण लगाया, हम लोगों ने भी लगाया. आज सामान्य प्रशासन विभाग की यह स्थिति है. इनका जो सर्क्यूलर है उस सर्क्यूलर पर भी काम नहीं हो रहा है.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल शर्मा - सभापति महोदया, मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं. मैं विधायक था, झंडा फहराने के लिए इन्होंने मना किया कि आप झंडा नहीं फहरा सकते हैं.
श्री कमल पटेल - आपने मुझे नहीं बुलाया, आपने पूर्व विधायक को बुलाया. शुरुआत आपने की है.
श्री रघुनाथ सिंह मालवीय - श्री शर्मा जी, आपकी सरकार में भी हमको नहीं बुलाया गया है न हमारे कोई शिला पर नाम आते थे.
श्री पी.सी. शर्मा - नहीं, पूरे नाम आते थे.
श्री प्रेमशंकर कुंजीलाल शर्मा -आप असत्य बोल रहे हैं. स्कूलों में झंडा फहराने के लिए मना करते रहे.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा - आपने पूर्व विधायकों से भूमि पूजन, लोकार्पण कराया है, जिम्मेदार जनप्रतिनिधि के होते.
(व्यवधान)..
श्री पी सी शर्मा --हमारी सरकार में विधायकों को पूरा सम्मान दिया जाता था(..व्यवधान) .. मैं अभी बेरोजगारी की बात कर रहा था 35 जिलों में रोजगार कार्यालय हैं वह बंद पड़े हुए हैं. इनका तो सीधा यह नारा है कि न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी, जब रोजगार कार्यालय ही नहीं रहेगा तो वहां पर पंजीयन नहीं हो पायेंगे तो पता ही नहीं चलेगा कि कितने लोग बेरोजगार हैं. कमलनाथ जी की सरकार थी तो 70 प्रतिशत प्रायवेट नौकरियों में आरक्षण किया गया था लेकिन इस बजट में उस बात को नहीं लिया गया है. यह बताता है कि यह सरकार बेरोजगारों के प्रति कितनी संवेदनहीन है.
सभापति महोदय दूसरी बात मैं पत्रकारों के बारे में कहना चाहता हूं. पत्रकारों को जो सम्मान निधि मिलना चाहिए,उसके लिए हमने प्रोग्राम बना दिये थे लेकिन उसके कार्यक्रम करके उनको सम्मान निधि दी जाना थी लेकिन वह नहीं किया गया है उनका चयन भी हो गया था. हमने पत्रकार प्रोटेक्शन एक्ट भी बनाकर रख दिया था लेकिन यह सरकार विगत एक साल से पत्रकारों के प्रोटेक्शन एक्ट के बारे में कोई चर्चा नही हुई है. इसी तरह से वकीलों के प्रोटेक्शन एक्ट के बारे में भी चर्चा नहीं की गई है. हमारी कैबिनेट ने इन सब चीजों को पारित कर दिया था. सभापति महोदया पत्रकारों की अधिमान्यता के बहुत सारे प्रकरण पड़ रहते हैं उनको कोई छूने वाला नहीं है, उनके बारे में कोई चर्चा नहीं होती है, पत्रकार यहां वहां घूमते रहते हैं लेकिन उसके बारे में कोई देखने वाला नहीं है. लेकिन एक बात जरूर होती है कि अगर किसी समाचार पत्र में या किसी न्यूज चैनल में कांग्रेस जनों की कोई खबर आ गई तो उसको कैसे दबाया जाय. कोई ऐसी बात जो कि सरकार या बीजेपी के बारे में निगेटिव है उसे कैसे दबाया जाय और वह लोगों को पता नहीं चले. इन सब बातों पर सरकार का ध्यान जरूर जाता है. साथ ही विज्ञापनों में जितना पैसा खर्च हुआ है पिछले एक साल में मैं समझता हूं कि अगर वह पैसा लोगों को रोजगार देने में लग जाता या जो कोरोना वारियर्स जिनको नौकरी से बाहर निकाला गया है तो वह वहीं पर अपनी नौकरी में लगे रहते लेकिन केवल विज्ञापन की बात हो रही है केवल झूठी पब्लिसिटी इसके अलावा यह सरकार मैं समझता हूं कुछ नहीं कर रही है.
सभापति महोदया आपकी सरकार के द्वारा बेरोजगारों के लिए नई मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना चालू की है. जहां पर 35 लाख लोग बेरोजगार हों उ सके लिए केवल 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है, इसमें 100 करोड़ से क्या होगा लेकिन यह केवल नाम के लिए यह मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना है. 10 हजार रूपये लोगों को रोजगार के लिए लोन दिया जा रहा है वह भी ऋण के रूप में दिया जा रहा है. अरे जो लोग कोरोना काल में मर गये हैं उनकी स्थिति कोरोना काल में खराब हो गई है तो उसको 10 हजार रूपये का अुनदान तो दे देते, लेकिन उसको ऋण दिया जा रहा है कि भई यह हम आपसे वापस लेंगे, यह हालत तो है इस सरकार की और इस बजट की. पूर्व में भी सरकार के द्वारा बेरोजगारों के लिए प्रारम्भ की गई योजनाएं बंद कर दी गई हैं जैसे स्वरोजगार योजना,आर्थिक कल्याण योजना, युवा उद्यमी योजना की सब्सिडी यह सब बंद कर दी गई है.
सभापति महोदया मध्यप्रदेश के युवा उद्यमी करीब 60 हजार हैं, जिन्होंने इस सरकार के भरोसे बैंकों से ऋण ले लिया है और युवा उद्यमी भूखों मरने की स्थिति में हैं. इस तरह का छल किया है कि सब्सिडी जो कि आज की तारीख में 800 करोड़ रूपये ड्यू है, वह लोगों को नहीं मिल पा रही है जिससे लोगों के उद्योग धंधे बंद होते जा रहे हैं.
सभापति महोदया दूसरी बात मैं कहना चाहता हूं कि विमानन विभाग यह सरकार 15 साल रही है इनके विमान कण्डम होते चले गये हैं. लेकिन यह नया विमान नहीं ले पाये. लेकिन कमलनाथ जी की सरकार आयी और हमने नया विमान यहां पर लिया क्योंकि उसके पहले किराये पर विमान लेते थे और किराया इतना दे दिया कि उतने पैसे में दो विमान आ जाते, लेकिन किराये में क्या एडजस्टमेंट होता था पता नहीं. विमान खरीदा जा सकता था और प्रदेश की जनता का जो पैसा है उ सको बचाया जा सकता था.
सभापति महोदया यहां पर अन्य लोगों के द्वारा भी स्वेच्छानुदान की बात की है.विधायकों का स्वेच्छानुदान बढ़ना बहुत जरूरी है. मेडम पवार ने कहा जरूर है लेकिन हर आदमी मुख्यमंत्री जी के पास तर नहीं पहुंच सकता है. लेकिन विधायक के पास में आज की तारीख में कोरोना के समय में इतने पीड़ित लोग आते हैं किसी की फीस का मामला है किसी का रोजगार चला गया है उसका मामला है किसी का बीमारी का मामला है. इ न सब चीजों के लिए आज पहले के समय से ज्यादा आवश्यकता है. मैं समझता हूं कि उसको बढ़ाया जाना चाहिए यह मेरा निवेदन है. एक बात और है कि विकलांग लोगों को ट्राय सायकिल के लिए बहुत परेशानी होती है. ट्राय सायकिल हाथ वाली नहीं मोटर से चलने वाली चाहिए लेकिन वह विभाग को या कलेक्टर को आवेदन देते हैं लेकिन वह मिल नहीं पा रही है, यह बहुत बड़ी आवश्यकता है इसके लिए ऐसा कोई प्रावधान हो कि इस तरह के जो लोग हैं उनको चिन्हित करके उऩको वह सायकिल दी जाय. अंत में मैं आपका आभार मानकर एक बार फिर आप यहां पर विराजमान हैं. आज विश्व महिला दिवस है आज पीसीसी में हजारों महिलाएं वहां पर एकत्रित हुई थी जिनको आदरणीय कमलनाथ जी ने संबोधित किया और यह जो मात्र शक्ति है निश्चित तौर पर आज हम उसको प्रणाम करते हैं धन्यवाद्.
श्री रवि रमेशचन्द्र जोशी -- सभापति महोदया मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. विधायक के प्रोटोकाल पर चर्चा हो रही है. आज शाम को 5 बजे खरगौन के सांसद, कल दिनांक तक कोई जानकारी में नहीं था कि वे सड़कों का भूमि पूजन करेंगे वह आज भूमि पूजन कर रहेहैं. मैं आपके माध्यम से शासन को प्रशासन को चेताना चाहता हूं कि विधायक का प्रोटोकाल ध्यान में रखते हुए ऐसे भूमि पूजनों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाय.
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ -- सभापति महोदया माननीय रवि जोशी सदस्य ने जो बात उठाई है तो मेरे क्षेत्र में भी बरई नगर पंचायत में भी इसी तरह का कृत्य सांसद महोदय के द्वारा किया जा रहा है. चूंकि यहां पर विधान सभा का सत्र चल रहा है. हमारी व्यस्तताएं यहां पर हैं, हम अपने क्षेत्र की मांग यहां पर उठा रहे हैं, विभागीय मांगों पर चर्चा कर रहे हैं और यह राजनीतिक द्वेष वश, यहां पर विधायकों के मान और अपमान की बात हो रही थी और जिस तेजी से गृह मंत्री जी और संसदीय कार्य मंत्री जी यहां पर पहले हाफ में जो बोल रहे थे उस कृत्य से क्या साबित होता है कि विधायकों का मान सम्मान कहां रह गया है. हमारे विधान सभा क्षेत्र में वहां के लोगों ने हमे चुनकर भेजा है तो हमारे मान सम्मान को परे रखते हुए राजनीतिक द्वेषता के वश विधान सभा का सत्र चलते हुए इस तरह का कृत्य अगर किया जाता है तो मैं सत्ता पक्ष के मंत्रीगणों से पूछना चाहती हूं यहां पर अभी संसदीय कार्य मंत्री जी नहीं हैं. हम विधायकों का सम्मान कौन देखेगा. सत्तापक्ष बताने की कृपा करे.
श्री विश्वास सारंग -- इससे पहले भी इस पर चर्चा हुई है और जैसा आसंदी से आपने कहा था कि नेता प्रतिपक्ष जी इस संबंध में बात करेंगे पर मेरी इस बात पर जरूर थोड़ी सी आपत्ति है कि अगर विधान सभा का सत्र चलेगा तो क्या जनता के काम नहीं होंगे.(...व्यवधान... अनेक माननीय सदस्य एक साथ बोलने पर ) . यह बहुत ही आश्चर्यजनक बात है सभापति महोदया यह कह रहे हैं हम यहां पर बैठे हैं इसलिए वहां पर न हो आपका मान सम्मान तब होगा जब जनता के काम होंगे..(व्यवधान).. जनता के काम को रोकिये नहीं, सभापति महोदय यह अच्छी बात है कि हमारी सरकार के समय मे जनता के काम हो रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय सभापति महोदया विभागीय मांगों पर चर्चा जारी रखें बजाय इस बहस के ..(व्यवधान)...
श्री संजय यादव -- मेरे यहां पर एक तहसील तीन माह से बंद पड़ी है.(व्यवधान)..
डॉ विजय लक्ष्मी साधौ -- नगरीय निकाय के चुनाव कभी भी घोषित हो सकते हैं इसलिए जानबूझकर यह हरकतें सांसद के द्वारा की जा रही हैं...(व्यवधान),, इस कारण से राजनीतिक द्वेषता के कारण यह काम किया जा रहा है...(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन -- सभापति महोदया यह हर जगह ऐसा हो रहा है आदरणीय रवि भाई और डॉक्टर साहब की बात से मैं सहमत हूं. मेरी विधान सभा और बड़वानी जिले में राजपुर विधान सभा क्षेत्र में भी वहां के सांसद और वहां के जनप्रतिनिधि इस पार्टी के ऐसा कर रहे हैं जो कि हम लोगों का अपमान है और सदन के अन्य जो विधायक चुने हुए हैं. अगर आपके विधान सभा क्षेत्र में कोई जाकर इस तरह के भूमि पूजन करेंगे, उद्घाटन करेंगे तो सरासर गलत है...(व्यवधान)... विधान सभा चल रही है और सभी विधायक यहां पर हैं तो ऐसा नहीं चाहिए..(व्यवधान).. जब यहां पर विधान सभा चल रही है तो भूमि पूजन और लोकार्पण कैसे करेंगे..(व्यवधान)..
सभापति महोदया -- आप लोग बैठ जाइये. आप सभी के नाम इसमें हैं सभी को बोलने का अवसर मिलेगा, जिसका जब-जब अवसर आये उस समय अपनी बात रखें. इधर से भी माननीय मंत्री जी, उनको बोलने दें.
श्री इन्दर सिंह परमार -- सभापति महोदया, शुरुआत उधर से होती है, हमको जवाब देना पड़ेगा.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- समापति महोदया, हमारे मान और सम्मान का यह सत्ता पक्ष ध्यान नहीं रख रहा है. हम सदन से बहिर्गमन करते हैं.
4.20 बजे बहिर्गमन
इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन
(डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ, सदस्य के नेतृत्व में विधायकों के प्रोटोकॉल का पालन न
होने के कारण इंडियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन किया गया.)
4.21 बजे वर्ष 2021-2022 की अनुदानों की मांगों पर मतदान. (क्रमश:)
श्री इन्दर सिंह परमार -- सभापति महोदया, विपक्ष को संविधान के तहत प्रश्न पूछना चाहिये. यह अनुदान की मांगों पर व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- सभापति जी, यह अच्छा है. आज महिला दिवस है और महिला के नेतृत्व में आज वॉक आउट किया है.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) -- सभापति महोदया, उपरोक्त मांगों का समर्थन करते हुये मैं अपनी बात रखता हूं. लोक स्वास्थ्य एवं यांत्रिकी विभाग से मैं अपनी चर्चा प्रारंभ कर रहा हूं. यह मध्यप्रदेश सरकार का बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है जो ग्रामीण अंचल में पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करता है. वर्ष 2021-22 के लिये 11 समूह योजनाएं स्वीकृत की गई हैं जिसके तहत 4,428 गांवों को नल दिये जाएंगे. जिसका मूल्य 6,128 करोड़ रुपये होगा. साथ ही एकल ग्राम एक गांव की सिंगल योजना बनती है, उसके तहत 9,800 एकल ग्राम योजना बनाई गई है, जिसकी लागत 5,000 करोड़ की स्वीकृति दी गई है. इन दोनों योजनाओं से वर्ष 2020-21 में 26 लाख नल कनेक्शन ग्रामीण क्षेत्रों में दिये जाएंगे और 2021-22 में 33 लाख नल कनेक्शन इन दोनों योजनाओं से दिये जाएंगे. इस प्रकार दोनों योजनाओं से जो स्वीकृति हुई है 59 लाख नल कनेक्शन पूरे मध्यप्रदेश के गांवों में दिये जाएंगे. गांव में मोटे तौर पर देश की आजादी के बाद अभी तक नल कूप खनन से पानी दिया जाता है, हैण्ड पम्प लगाकर दिया जाता है. इस विभाग में दो प्रकार के कार्य होते हैं डीडीएच वर्क और कॉम्बिनेशन वर्क, विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी बैठे हैं, मैं कुछ महत्वपूर्ण सुझाव देना चाहता हूं, अगर 100 डीडीएच बोर लगाये जाते हैं और उनका भौतिक सत्यापन करवा लिया जाय तो 5 साल में 100 में से 50 बोर बंद हो जाते हैं. किसी में राइज़र पाईप गिर जाता है, किसी में मोटर गिर जाती है, कोई कोलेप्स हो जाता है. यदि कॉम्बिनेशन वर्क करवाया जाय तो उसका भौतिक सत्यापन करवा लिया जाय. मेरा अपना मानना है कि 95 से 98 प्रतिशत कॉम्बिनेशन बोर 10 साल, 20 साल, 25 साल तक वर्क करता है, क्योंकि उसका डाईमीटर बड़ा होता है, वह 8 इंच का होता है और डीडीएच वर्क बोर 6 इंच का होता है इसलिये वह सफल नहीं है. मेरा सुझाव है कि हम 100 बोर नहीं करें, हम 40 बोर करें, हम 30 बोर करें, उससे उस गांव की परमानेंट समस्या हल हो जाएगी.
सभापति महोदया, पूर्व में वर्ष 2020-21 में जो पूर्व की सरकार ने इस विभाग को बजट आवंटित किया था वह 1,364 करोड़ था और 2021-22 में हमारी सरकार ने 5,962 करोड़ 337 प्रतिशत से अधिक बजट इस विभाग को दिया है. अक्टूबर 2020 में 100 दिवस की कार्य योजना बनाई गई थी जिसमें स्कूलों और आंगन बाडि़यों को हैण्ड पम्प लगाकर नल दिया जाय. 15,700 नल कनेक्शन स्कूलों को दिये गये और आंगन बाडि़यों को 8,300 से अधिक नल कनेक्शन दिये गये हैं. मेरा अपना मानना है कि मेरी विधान सभा क्षेत्र में 244 गांव हैं उसमें एक समूह योजना अरन्या डेम से बनाई गई है. 27 गांवों में वह योजना स्वीकृत हुई है. सुबह ठेकेदार मोटर का बटन दबाता है और 27 गांवों में पीने का साफ पानी उनको मिलता है. 15 साल तक उस योजना को चलाने के लिये उस ठेकेदार को अधिकृत कर दिया गया है. हम देश की आजादी के बाद लगातार बोरों का खनन करते जा रहे हैं, अरबों रुपये इस पर खर्च होते जा रहे हैं, मैं आपके माध्यम से विभाग के जो हमारे अपर मुख्य सचिव ने बहुत ही सक्रियता के साथ जल मिशन के इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया है और पूरा अमला ताकत से काम कर रहा है, मेरा अपना मानना है कि भविष्य में आपका विभाग पूरे मध्यप्रदेश में गंभीरता से विचार करे, भौतिक सत्यापन करके कहां-कहां पर पानी उपलब्ध है, कहां-कहां पर जल संसाधन के डैम हैं, कहां-कहां नदियों से हम पानी ले सकते हैं, आप यदि समूह योजना बनाएंगे तो भविष्य में उनका बहुत बड़ा लाभ होगा और रुपयों का जो बेहद खर्च लगातार बोरिंग में हो रहा है वह नहीं होगा.
दूसरा, किसी क्षेत्र में स्ट्रैटा बहुत हार्ड है, बहुत हैवी राख है, तो वहां खनन करने में बहुत समय लगता है और किसी क्षेत्र में स्ट्रैटा बहुत सॉफ्ट है तो वहां बोर खनन बहुत सुविधा जनक हो जाता है. आपके विभाग की बहुत पुरानी मशीनें हो गई हैं और उन मशीनों को आप ऑक्शन करके अब बहुत लेटेस्ट मशीनें आ गई हैं एटलस पोको है, आईआर है, इलेवन 300 है, उनसे बड़ी हजार फुट, पन्द्रह सौ फुट तक खनन करने वाली मशीनें आ गई हैं और एक जिले में बहुत ही हाई प्रेशर मशीन आप खरीदें और एक दिन में दो-दो बोर, 800- 800 फुट तक के कर सकती हैं ताकि विभाग के द्वारा अच्छा से अच्छा कार्य करवाया जा सके.
सभापति महोदया, मुझे पीएचई में बहुत सारी बातें करनी थीं, साथ में मेरी विधान सभा क्षेत्र की एक मांग रखकर, कुछ नर्मदा घाटी में छोटी-छोटी सी मांगें हैं, मेरे विधान सभा क्षेत्र में चूंकि पानी पिलाने के लिये योजना निकली हुई है, नागदा के लिये, तराना के लिये बनी है, माननीय मुख्यमंत्री जी ने 20 सितम्बर, 2020 को घोषणा भी की है और 244 गांवों के पीने के पानी की बात भी कही है, उसमें सर्वे भी हो गया है, डीपीआर भी बन गई है, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि यह 244 गांवों की योजना भोपाल स्तर पर जल निगम में आ चुकी है, उसे आप करेंगे.
सभापति महोदया, नर्मदा घाटी का बड़ा महत्वपूर्ण विषय है. चूंकि नर्मदा नदी मध्यप्रदेश में 1,312 किलोमीटर में बहती है और अनूपपुर के अमरकंटक से निकलती है और गुजरात में खम्भात की खाड़ी में जाकर अरब सागर में समाहित हो जाती है. इन 1,312 किलोमीटर में से 1,077 किलोमीटर मध्यप्रदेश में बहती है और 25 जिलों से होकर मॉं नर्मदा बहती है और इस नर्मदा से हमारे प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने 12 वर्ष में एक बार सिंहस्थ महावर्प भूतभावन महाकाल की नगरी उज्जैन में किया है और उन्होंने नर्मदा-क्षिप्रा सिंहस्थ लिंक परियोजना प्रारंभ की है, जो वर्ष 2016 में सिंहस्थ हुआ है वहां मॉं नर्मदा के पानी से ही 8 करोड़ लोगों ने उसमें स्नान किया है. बहुत महत्वपूर्ण योजना लगभग 2 हजार करोड़ रुपये की बनी थी.
सभापति महोदया -- माननीय सदस्य, अपनी बात समाप्त करें और भी सदस्यों की बात आनी है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- सभापति महोदया, मेरे क्षेत्र की मांग करके अपनी बात समाप्त कर दूंगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र में नर्मदा मालवा गंभीर लिंक परियोजना आती है. माननीय मंत्री जी, आप मेरे मित्र भी हैं और ग्वालियर से आते हैं, ग्वालियर वाले, चम्बल वाले लोग बात के बड़े पक्के होते हैं. मैं आग्रह करना चाहता हूं कि नर्मदा मालवा गंभीर लिंक परियोजना का अभी लगभग 40 परसेंट कार्य हुआ है. उज्जैन जिले की 5 विधान सभाएं ग्रामीण हैं. चार में कांग्रेस पार्टी से लोग जीतकर आए हैं, वहां पर ये योजना लागू हो रही है और मैं बीजेपी से एक ही व्यक्ति हूँ, मेरे क्षेत्र में ही यह योजना नहीं है. जबकि मेरे क्षेत्र से ही होकर पाइप निकल रहा है. मेरा आपसे निवेदन है कि ये नर्मदा मालवा गंभीर लिंक परियोजना जो बनी है, मैं चाहता हूँ कि जब भी आप खड़े होकर जवाब दें तो मेरा माननीय सभापति महोदया के माध्यम से आग्रह है कि नर्मदा मालवा गंभीर लिंक परियोजना से महिदपुर विधान सभा के 244 गांवों को कृषि के लिए पानी देने की आप घोषणा करें. यह मैं उम्मीद रखता हूँ. एक बार पुन: समस्त मांगों का समर्थन करते हुए मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ. समय का अभाव है और बहुत से विभाग हैं, महिला एवं बाल विकास विभाग है, सामान्य प्रशासन विभाग है, सब विभागों पर मैं बोलना चाहता हूँ लेकिन समय के अभाव के कारण मैं अपनी वाणी को यहीं विराम देता हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- (अनुपस्थित)
श्री सुखदेव पांसे (मुलताई) -- माननीय सभापति महोदया, मैं मांग संख्या 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55 एवं 65 का विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मैं मांग संख्या 20, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग पर जरूर चर्चा शुरू करूंगा. पानी के बिना जीवन अधूरा है, बिन पानी सब सून. जिस पानी के महत्व को सबसे पहले समझना था, बहुत लंबे समय बाद पानी के महत्व को लोगों ने समझा और हमारी सरकार ने उसको जानने का प्रयास किया.
माननीय सभापति महोदया, पिछले 15 सालों में ग्रामीण पेयजल व्यवस्था पूरी तरीके से चौपट हो चुकी थी और उसके कारण बीमारियां थीं. यदि आम जनता को पानी शुद्ध मिले तो आधी बीमारियां खत्म हो जाती हैं. ग्रामीण अंचलों में सबसे ज्यादा अगर बीमारियों का प्रकोप होता है तो दूषित पानी की वजह से होता है. इसी महत्व को हमारे पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी ने गंभीरता से लिया था. इसलिए 'राइट टू वाटर' 'पानी का अधिकार' की शुरुआत करके प्रदेश में ही नहीं, पूरे देश में इस पेयजल के महत्व को समझाने का प्रयास किया और उसी के बाद इस देश में पानी के ऊपर चर्चा हुई और देर आए, दुरुस्त आए, देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी उसके बाद इसको संज्ञान में लिया और महत्वपूर्ण 'जल जीवन मिशन' की शुरुआत की. चाहे कोई करे, हम करें या वे करें, पक्ष करे या विपक्ष करे, लेकिन सबसे पहले जिस चीज को महत्व देना चाहिए था, वह पेयजल उपेक्षा का शिकार रहा. बिजली की व्यवस्था राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के माध्यम से हुई, जिसके कारण गांव का फीडर अलग हुआ, खेती का फीडर अलग हुआ. इसके कारण आज पूरे देश में बिजली की व्यवस्था सुधरी है. सड़कों की व्यवस्था, जब पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय कमलनाथ जी सड़क परिवहन मंत्री थे, तब सबसे ज्यादा बजट इस प्रदेश को कमलनाथ जी ने दिया. लेकिन पेयजल उपेक्षा का शिकार रहा. आज मैं पेयजल पर, चाहे वह देश की सरकार हो, चाहे प्रदेश की सरकार हो, 'राइट टू वाटर' के माध्यम से, 'पानी के अधिकार' के माध्यम से एक माहौल बनाने का काम किया, मैं साधुवाद देता हूँ, लेकिन जिस तरीके से केन्द्र की सरकार प्रदेश को बजट देना चाहती है...(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- सभापति महोदया, मैं एक बात पूछना चाहता हूँ. कई वक्ताओं ने 'राइट टू वाटर' की बात कही है. 'राइट टू वाटर' में आपने सवा साल में क्या किया है. मैं जल निगम का उपाध्यक्ष था, जो मैंने गठन किया था, मुख्यमंत्री जी अध्यक्ष थे, एमडी और सेक्रेटरी वगैरह भी थे. भारत सरकार के जो हमारे प्रधानमंत्री जी हैं, उन्होंने यह मिशन शुरू किया, आपकी सरकार में कौन सा ऐसा काम हुआ, उसके बारे में आप बता दें.
श्री बाला बच्चन -- माननीय सभापति महोदया, मैं बताता हूँ. हमने 'राइट टू वाटर' के अंतर्गत जो प्रोविजन किया था, हमने अपने इरादों को स्पष्ट कर दिया था कि हम इस लाइन पर आगे काम करने वाले हैं कि वाटर का स्टोरेज किस तरह से किया जाएगा, मध्यप्रदेश में, मध्यप्रदेश की जनता को पानी कैसे यूज में आए, उसके लिए हमने पूरी प्लानिंग कर ली थी, बजट का पूरा प्रावधान कर लिया था. आपने हमारी सरकार चलने कहां दी, अभी तक यदि हमारी सरकार होती तो आपको उसका महत्व पता चल जाता कि राइट टू वाटर क्या है और कमलनाथ जी इसको किस तर्ज पर किस तरह से आगे ले जाना चाह रहे थे और कैसे काम करना चाह रहे थे. अभी तक आपको स्पष्ट हो जाता और आपको उसकी समझ भी बढ़ जाती.
श्री गोपाल भार्गव -- आपकी सरकार आने के दो साल पहले जल निगम का गठन हो गया था श्रीमान जी. उसका पंजीयन हो गया. कंपनी एक्ट में पंजीयन हो गया. मैं आपको बताना चाहता हूँ कि आपने एक रुपये का भी काम नहीं किया, प्रावधान नहीं किया.
श्री सुखदेव पांसे -- सभापति महोदया, मैं आदरणीय भार्गव जी का बहुत सम्मान करता हूँ. उनको पहली लिस्ट में कैबिनेट मंत्री बनना चाहिए था, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने विपक्ष के नेता को दूसरी लिस्ट में कैबिनेट मंत्री बनाया. इससे बड़ा दुर्भाग्य कोई नहीं हो सकता है, लेकिन मैं आपका दिल से सम्मान करता हूँ.
श्री गोपाल भार्गव -- जो आदमी लगातार 18 सालों से मंत्री हो या मंत्री का दर्जा जिसके पास हो, मध्यप्रदेश के इतिहास में तो कोई नहीं मिलेगा, आप क्यों चिंता कर रहे हैं.
श्री सुखदेव पांसे -- जो प्रोटोकाल है, उसमें विपक्ष का नेता मुख्यमंत्री बनता है, जब सरकार बनती है, लेकिन आपको तो इंतजार करवा दिया.
श्री विश्वास सारंग -- आप इनकी चिंता मत करो, आप कमलनाथ जी की चिंता करो, तभी आपकी चिंता होती रहेगी.
श्री गोपाल भार्गव -- अभी 4 चुनाव हम और लड़ेंगे, आप चिंता न करें.
श्री सुखदेव पांसे -- मार्गदर्शक मण्डल में आ जाएंगे, अपने बेटे के लिए खाली कर दें तो अच्छा रहेगा.
श्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह -- गोपाल जी, कोई माने चाहे नहीं माने, हम आपको ही मानते हैं.
सभापति महोदया -- पांसे जी, आप अपनी बात जारी रखें.
श्री सुखदेव पांसे -- माननीय सभापति महोदया, आदरणीय भार्गव जी ने बोला तो मैं बताना चाहता हूँ, चूँकि उन्होंने चर्चा निकाल दी इसलिए, मैं बताना चाहता हूँ कि 11 दिसंबर, 2018 को विधान सभा चुनावों का रिजल्ट आया था. 12 दिसंबर, 2018 को आपने आनन-फानन में 6 करोड़ रुपये के टेण्डर सेंक्शन कर दिए. उसमें आपकी भी योजना है गढ़ाकोटा-सागर और आपने हमारे साथ क्या किया, पक्षपातपूर्वक रवैया किया. आपकी सरकार ने जो यह परम्परा डाली है, यह बहुत ही गलत है, क्योंकि जो हमने 8 हजार करोड़ रुपये के टेण्डर लगाए थे, कैबिनेट से प्रशासनिक स्वीकृति मिल गई थी, उसको आपने निरस्त कर दिया, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है. यह बहुत गलत परम्परा है. आने वाली सरकारें आपके विकास कार्यों को बदल देगी. इससे बड़ा दुर्भाग्या हो ही नहीं सकता..(व्यवधान)..
श्री अनिरूद्ध मारू -- आपकी सरकार ने भी यही किया था. सारी योजनाएं निरस्त करके छिंदवाड़ा ले गए थे. इसलिए मत बताइये परिपाटियां.. ..(व्यवधान)..
श्री सुखदेव पांसे -- वैसे ही मत बोला करो, मैं तथ्यात्मक बोल रहा हूँ, कुछ भी हवा में बोल देते हो, जब तुम्हारा नंबर आएगा, तब बोलना. ..(व्यवधान)..
श्री अनिरूद्ध मारू -- सदन के अंदर बोल रहा हूँ, हवा में नहीं बोल रहा हूँ कि आपकी सरकार ने सारे प्रोजेक्ट्स कैंसिल करके डायवर्ट कर दिये थे. ..(व्यवधान)..
श्री सुखदेव पांसे -- एकाध नाम बता दो. ..(व्यवधान)..
श्री प्रियव्रत सिंह -- माननीय सभापति महोदया, जब भी कोई तथ्यात्मक बात हमारे पक्ष का सदस्य बोलने लगता है तो यहां बैठे साथियों को पता नहीं क्यों इतनी दिक्कत होती है. सामने बैठे लोगों को दिक्कत होती है, फिर पीछे वाले सदस्यों को दिक्कत होने लग जाती है. सभापति महोदया, कम से कम अपनी बात रखने का अधिकार हर किसी को होता है. ..(व्यवधान)..
श्री गोपाल भार्गव -- प्रियव्रत जी, मैं तो सिर्फ तथ्यों की जानकारी दे रहा था. मैं स्वभावत: बहस में पड़ता नहीं हूँ. मैं तथ्यों की जानकारी सुखदेव जी के लिए दे रहा था. इसके अलावा कुछ नहीं.
श्री प्रियव्रत सिंह -- आपके तथ्य उन्होंने स्वीकार कर लिए हैं.
श्री सुखदेव पांसे -- आपका मार्गदर्शन शिरोधार्य है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि आपके जैसा सीनियर, जो एक चीफ मिनिस्टर की दावेदारी में है, वह भी यह देखे कि हमने आपकी योजनाओं को निरस्त नहीं किया, जो कि आपने सरकार का रिजल्ट आने के बाद सेंक्शन किेए, ब्यावरा-1, ब्यावरा-2, पायली, जबलपुर, कंदला, रीवा, गढ़ाकोटा, सागर, जब सरकार बदली, उसके बाद इसको आपने सेंक्शन किया, ब्यावरा-1 और ब्यावरा-2, 12 हजार वोट से हारी है सीट. ..(व्यवधान)..
श्री विजयपाल सिंह -- हमारे यहां की 5-5 सड़कें निरस्त की थी, उसके टेण्डर लग गए, वर्क ऑर्डर हो गये, उसके बाद भी 5 सड़कें निरस्त की थी. ..(व्यवधान)..
सभापति महोदया - बैठ जाइये. माननीय सदस्य अपना वक्तव्य जारी रखें.
श्री सुखदेव पांसे -- कमलनाथ जी चाहते तो बोर्ड की बैठक में इसको निरस्त कर सकते थे, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आपने मेरी खुद की मुलताई विधान सभा की, पीएचई मंत्री रहा और कैबिनेट ने मंजूरी दी, प्रशासनिक मंजूरी दी और उसके बावजूद आपने उसको निरस्त कर दिया. मैं उम्मीद करता हूँ कि ये परम्परा को खत्म करें. जो योजनाएं पिछली सरकार ने स्वीकृत की हैं, उसको चलने दें. विकास कार्यों में राजनीति न करें, पानी पर राजनीति न करें, यह मेरा आप लोगों से अनुरोध है. मैं इस अवसर पर यह भी कहना चाहता हूँ कि जब पेयजल के लिए पैसा भारत सरकार देने के लिए तैयार है तो कम से कम 3 साल में लगभग 70 हजार करोड़ रुपये की योजना, मध्यप्रदेश का 50 प्रतिशत, केन्द्र सरकार का 50 प्रतिशत, लेकिन इस बजट में 5962 करोड़ रुपये का प्रावधान मध्यप्रदेश सरकार ने किया है. जबकि इसी वर्ष 10 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान जब तक मध्यप्रदेश सरकार करेगी, तब तक तीन सालों में पूरे मध्यप्रदेश में हर घर में नल के माध्यम से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की आपकी जो इच्छाशक्ति है, वह पूरी हो सकती है.
माननीय सभापति महोदया, बड़ी तेज रफ्तार से, अच्छी बात है, खूब टेण्डर लगे, प्रदेश सरकार की मंशा है, केन्द्र सरकार की मंशा है कि 'जल जीवन मिशन' के माध्यम से काम हों और उसके लिए तेज रफ्तार से काम हो लेकिन वही हाल होगा, जो बुन्देलखण्ड पैकेज का हुआ. पहले हमारे माननीय मनमोहन सिंह जी ने बुन्देलखण्ड पैकेज के लिए करोड़ों रुपए दिए थे. खूब टंकिया बनीं, पाईप लाईनें बनीं, लेकिन जब पानी का स्थायी स्त्रोत ही नहीं रहेगा तो आपकी यह टंकियां शो-पीस बनकर रहेंगी. पाईप लाईंस खाली दिखेंगी, घरों में नल नहीं आएगा तो यह सब मिथ्या साबित होगा और हम वहीं के वहीं रहेंगे. हमारी बेमानी होगी. हम आम जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं करा पाएंगे और इसलिए मैं चाहता हॅूं कि समूह नल-जल योजना, जो माननीय भार्गव जी ने बोला वह बहुत अच्छी बात है उसी पर आधारित योजना बननी चाहिए तो स्थायी समाधान होगा और हमारे मित्र बहादुर सिंह चौहान जी अभी बोल रहे थे कि ट्यूबवेल आधारित योजना है. करोड़ों, अरबों रुपए वर्षों से हम ट्यूबवेल पर खर्च कर रहे हैं. बहादुर सिंह चौहान जी हम वर्ष 2003 से साथ में एमएलए हैं. मैं आपकी बात से सहमत हॅूं.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपकी अच्छी बात का सम्मान करता हॅूं और यह जो करोड़ों, अरबों रुपए ट्यूबवेल, बोर पर खर्च होते हैं बोरिंग होती है, जहां पर पाईप लाईन होती है पता लगा वह बोर खत्म हुआ तो वहां बिजली का कनेक्शन भी खत्म हो जाता है. मेरा आपसे अनुरोध है कि बोर की जगह वहां 24 घंटे वाली बिजली लाईन का भी बजट में प्रावधान होना चाहिए. नहीं तो वह बोर बंद हुआ, पानी सूखा फिर दूसरी जगह बोरिंग होती है तो वहां बिजली का कनेक्शन ही नहीं मिलता है जिससे पूरी योजना ठप्प पड़ी रहती है. टंकी दिखाई देती है, पाईप लाईन दिखाई देती है. हम बोलते हैं हमारे यहां अधिकारी लिखकर दे देते हैं कि हमारी इतनी नल-जल योजनाएं हैं, इतने हैंड पंप चालू हैं लेकिन धरातल पर सूखा-सूखा नजर आता है.
माननीय सभापति महोदया, बंद नल-जल योजना के लिए बजट किसने बनाया, कैसा बनाया. इसके लिए पीएचई मंत्री महोदय से मेरा निवेदन है कि बंद नल-जल योजना में आपने मुश्किल से 35-40 करोड़ रुपए दिए हैं और जब तक बंद नल-जल योजना में आप पैसा नहीं देंगे, हमने अपनी सरकार के समय 120 करोड़ रुपए का बजट में प्रावधान किया था जिसके कारण पेयजल में दिक्कत नहीं आयी थी और मध्यप्रदेश में सुचारु व्यवस्था थी. उतना हो-हल्ला नहीं मचा था. जब तक आप बंद नल-जल योजना में प्रावधान नहीं करेंगे, जबकि पिछले साल 150 करोड़ रुपए का प्रावधान होना चाहिए था, इस साल 150 करोड़ रुपए का प्रावधान होना चाहिए था. उसके लिए 300 करोड़ रुपए का प्रावधान होगा, तब ही इस गर्मी में हम लोग व्यवस्थित सुचारु रुप से बंद नल-जल योजना के माध्यम से अपनी योजनाओं को संचालित कर सकते हैं और पुरानी जो बकायदा देनदारी है, नहीं तो आने वाले समय में बोरिंग मशीनें बंद हो जाएंगी, ठप्प हो जाएगीं और फिर आप देखते रहेंगे. इसलिए आज से ही उसकी व्यवस्था शुरु करें.
4.45 बजे { सभापति महोदय (श्री लक्ष्मण सिंह) पीठासीन हुए }
सभापति महोदय, जो समूह नल-जल योजनाएं हैं हमारे आदरणीय कमल पटेल जी का हरदा, होशंगाबाद है, नरसिंहपुर है यहां ग्राउंड वाटर है लेकिन बाकी पूरे मध्यप्रदेश में ग्राउंड वाटर नहीं है और इसलिए मैं आपसे निवेदन करना चाहता हॅूं कि यह जो जल जीवन मिशन का पैसा है इसको आप समूह नल-जल योजना में उसके नॉर्म्स के अनुसार, मापदण्डों के अनुसार उसमें कन्वर्ट करके यदि उपयोग करेंगे, तो वह हश्र नहीं होगा जो बुन्देलखण्ड पैकेज का हुआ. यह आने वाले समय में यह योजनाएं हमें स्थायी दूरगामी परिणाम देंगी तो मेरा आपसे निवेदन है कि समूह नल-जल योजना की तरह ही इस योजना को पैसे का सदुपयोग करने में योगदान करेंगे.
सभापति महोदय, फ्लोराइड के लिए आपने बजट में कोई व्यवस्था नहीं की है. आज हमारे बच्चे वह पानी पीते हैं. फ्लोराइड से दांत खराब हो जाते हैं. इस बजट में मैंने देखा, फ्लोराइड के लिये आपने कोई प्रावधान नहीं किया है. फ्लोराइड के लिये आपको बहुत सारी व्यवस्थाएं करनी चाहिए. क्वालिटी पर ध्यान देना आवश्यक है नहीं तो आनन-फानन में आगे पाठ, पीछे सपाट है. योजनाएं बनाते जाएं और पता लगे कि उन योजनाओं पर पानी नहीं मिला, घर में नल नहीं आए तो उस योजना का क्या मतलब है. इसलिए माननीय सभापति महोदय मेरा आपके माध्यम से यह कहना है कि इस गंभीर पेयजल के मसले पर लांग टाईम इसके परिणाम मिले, आप गंभीरता से ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करें. अंत में मैं यही चाहूंगा कि जो आपने गलत परिपाटी की शुरुआत की है, जो हमने योजनाएं सेंक्शन की हैं उसको तत्काल जल जीवन मिशन के माध्यम से आप कन्वर्ट कराना चाहते हैं तो जब आप भाषण दें तो उसकी एक तारीख बता दें कि कब टेंडर करेंगे और यह सौतेले व्यवहार की जो परम्परा आपने शुरु की है उसको खत्म करने के लिए भी आप निश्चित करेंगे. जब आप भाषण देंगे तो मुलताई में, वर्धा और घुघरी जलाशय की जो समूह नल-जल योजनाएं, जो आपके पास बनी-बनाई हैं केवल उसका फॉरमेट यह करना है कि आपको 70 लीटर प्रति व्यक्ति की जगह 55 लीटर करना है. वह तीन दिन के अंदर कोई भी अधिकारी कम्प्यूटर पर बैठकर कर सकता है. उसे जल जीवन मिशन के खाके में लाना है और आपको हमें तारीख बताना है तो जब आप जवाब दें, तो मुझे यह बता दें कि टेंडर और प्रशासकीय स्वीकृति कब जारी करेंगे?
सभापति महोदय -- फ्लोराइड की समस्या वाकई बहुत गंभीर है. आपने अच्छा पांइट उठाया है.
श्री सुखदेव पांसे -- बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय -- धन्यवाद. श्री हरिशंकर खटीक.
श्री हरिशंकर खटीक (जतारा) -- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55 और 65 के समर्थन में खड़ा हुआ हॅूं. सबसे पहले तो मैं सामान्य प्रशासन विभाग के बारे में बताना चाहता हॅूं. वर्ष 2020-21 में इसका बजट आठ सौ सत्तावन करोड़ नब्बे लाख रुपए था. हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने, माननीय वित्त मंत्री जी ने और सामान्य प्रशासन मंत्री जी ने इस बजट को बढ़ाकर के एक हजार सोलह करोड़ रुपए करने का प्रावधान किया है. हम सब जानते हैं कि सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत इस विभाग के माध्यम से नियम और निर्देश बनाने के साथ ही सभी विभागों को समन्वय के रुप में काम करने का अधिकार दिया जाता है. इसमें लोकायुक्त संगठन भी होता है, मानव अधिकार आयोग, लोक सेवा आयोग, राज्य सूचना आयोग जैसे संवैधानिक संस्थाओं के साथ ही इसमें राज्य आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ का गठन भी इसमें है. जब किसी भी जिले में सड़क दुर्घटना हो जाती है और कोई व्यक्ति जो मृत हो जाता तो उस जिले के कलेक्टर होते हैं तो उसके लिए तत्काल 15000 रुपए देने का प्रावधान इसमें है. कोई व्यक्ति घायल हो जाता है तो उसको 7500 रुपए देने का प्रावधान इसमें किया गया है. हम चाहते हैं कि यह प्रावधान बढ़ाकर के 20000 रुपए और जो घायल हैं उसको 10000 रुपए की आर्थिक सहायता राशि देने का प्रावधान किया जाए.
माननीय सभापति महोदय, हम सब जानते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, जिन्होंने हमारे देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह किया और हमें देश में आजादी दिलाने का काम किया, ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों जो इस दुनिया से चले जाते हैं उसकी अन्त्येष्टि के लिये जो 4000 रुपए का प्रावधान किया गया है उसमें 1000 रुपए बढ़ाकर के, जैसे संबल योजना में 5000 रुपए का प्रावधान किया गया है वैसे ही 5000 रुपए करने का प्रावधान इसमें किया जाए. अभी रोजगार कार्यालयों की बात आ रही थी. कई हमारे कांग्रेस के वरिष्ठ वक्ताओं ने अपनी-अपनी बातें रखीं कि रोजगार कार्यालय मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में बंद कर दिये गए हैं लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है मध्यप्रदेश के रोजगार कार्यालय बंद नहीं हुए बल्कि ऑनलाईन उनके पंजीयन का काम चालू हो गया है. इसलिए इनको लगता है कि रोजगार कार्यालय बंद हो गए हैं. एक भी रोजगार कार्यालय बंद नहीं हुए हैं. रोजगार कार्यालय कम्प्यूटर के माध्यम से पंजीयन करने का प्रावधान किया गया है. अपने घर बैठकर कर भी जो बच्चे 12वीं पास कर रहे हैं या स्नातक, स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, मेडीकल की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं तो वह बच्चे घर बैठकर ऑनलाईन पंजीयन करवा रहे हैं. इसके साथ-साथ एक और चीज बताना चाहता हॅूं कि यह कह रहे हैं कि बेरोजगारी बढ़ी है. मैं आपको बताना चाहता हॅूं कि मध्यप्रदेश के हर जिलों में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के द्वारा रोजगार मेलों का आयोजन किया जा रहा है जो बच्चे 8वी, 10वी, 12वीं पास हैं ड्रायविंग लाइसेंस उनके पास है स्नातक, स्नातकोत्तर हैं जैसी उनकी शिक्षा है या पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग किए हुए हैं या आईटीआई से पढे़ हुए हैं हर जिले में रोजगार मेलों का आयोजन किया जा रहा है. हमारे टीकमगढ़ जिले में भी हर महीने रोजगार मेलों का आयोजन किया जा रहा है और जो प्रतिभाशाली बच्चे हैं उनको कंपनी वाले 10 हजार, 20 हजार, 40 हजार, 50 हजार रुपए मानदेय के आधार पर सेलेक्ट किया जा रहा है. मैं एक और चीज आपको बताना चाहता हॅूं क्योंकि अधिकांश वक्ता बोल चुके हैं वही चीजें बार-बार रिपीट नहीं करना चाहता हॅूं.
माननीय सभापति महोदय, हमारे मध्यप्रदेश में जो विमान एवं विमान तल संचालनालय, यह विभाग 1 जून 1982 से हमारे मध्यप्रदेश में आधिपत्य में आया और विमानन विभाग के माध्यम से प्रदेश के नागरिकों को सस्ती विमान सेवा उपलब्ध कराई जाए इसके लिए हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी और विभाग दृढ़ संकल्पित है.
सभापति महोदय, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए औद्योगिक गतिविधियों को भी बढ़ाने के लिए इस विभाग के माध्यम से प्रयास किया जा रहा है. प्रदेश के शहरों से देश के अन्य शहरों के लिए विमानन सेवाएँ संचालित की जा रही हैं. इसके अन्तर्गत अभी पूरे मध्यप्रदेश में विमानिक संस्थाओं के द्वारा ग्वालियर से दिल्ली, इन्दौर, बंगलौर, कलकत्ता, जम्मू तथा हैदराबाद, प्रदेश की शासकीय हवाई पट्टियाँ भी बनाई जा रही हैं. यहाँ से विमानन सेवा भी जारी की जा रही है.
सभापति महोदय, कोविड 19 के माध्यम से हम सबको पता है कि विमान सेवा के ऊपर भी प्रभाव पड़ा है. इसके बावजूद भी हमारे मध्यप्रदेश में एक करोड़ उन्तीस लाख की आय भी विमानन विभाग में प्राप्त हुई है. सभापति महोदय, विमानन सेवा और आगे कैसे बढ़े इसके लिए हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने 13 दिसम्बर 2020 को वर्चुअल शिलान्यास सिंगरौली या जिला सिंगरौली में नवीन हवाई पट्टी बनाए जाने के लिए किया है. सभापति महोदय, यह मध्यप्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक प्रयास है. सभापति महोदय, इन्दौर विमानन तल की अगर बात करें तो इन्दौर विमानन तल को कस्टम नोटिफाइड एयरपोर्ट घोषित किया गया है. अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें, दुबई के लिए भी यहाँ से संचालित होने लगी हैं.
सभापति महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि सिंचाई के क्षेत्र में हर घर में नल जल योजना की बारी, बात अभी आप सब लोगों के बीच में आई थी, तो पीएचई विभाग के माध्यम से एक सार्थक प्रयास क्योंकि हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने एक सपना संजोया है कि जो भी राज्य हमारे देश में हैं उन राज्यों के हर जिले के, हर गाँव के, हर घर में, नल की टोंटी के माध्यम से पानी पहुँचे और नलों के माध्यम से पानी पहुँचे. उसी संकल्प को पूरा करने के लिए हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने और लोक स्वास्थ्य मंत्री जी ने इस मध्यप्रदेश के लिए एक सार्थक पहल की है. उसके लिए जल जीवन मिशन के माध्यम से पीएचई में जो 2020-21 में 4827 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया था उसको लगभग दुगना करके 8658 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान इस वर्ष किया गया है.
सभापति महोदय-- खटीक जी, कितना समय और लेंगे क्योंकि अगली वक्ता महिला है और आज महिला दिवस है तो हम लोग महिलाओं को......
श्री हरिशंकर खटीक-- थोड़ा सा समय और दे दीजिए.
सभापति महोदय-- जल्दी समाप्त करिए.
श्री हरिशंकर खटीक-- सभापति महोदय, हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी ने टीकमगढ़ जिले की धसान नदी पर बाँध सुजारा बाँध दिया और बाँध सुजारा बाँध, मध्यप्रदेश की धरती के लिए और हमारे बुन्देलखण्ड की धरती के लिए, सिंचित करने के लिए, 75,000 हैक्टेयर भूमि सिंचित करने के लिए एक सौभाग्य मिला. सभापति महोदय, उसमें 280 एमसीएम पानी रहता है. उसमें 4 एमसीएम पानी हमेशा उसमें रहेगा. लेकिन 6 एमसीएम पानी बड़ा मलहरा विधान सभा क्षेत्र के लिए नल जल योजना के माध्यम से पहुँचेगा. 270 एमसीएम पानी में 250 एमसीएम पानी 75000 हैक्टेयर भूमि सिंचित करने के लिए उसमें प्रावधान किया गया है कि आपको 183 गाँव 75000 हैक्टेयर भूमि सिंचित करना है. 20 एमसीएम पानी उस बाँध सुजारा बाँध में बचता है. सभापति महोदय, हम लोग मांग करते हैं कि पीएचई विभाग को मात्र 19 एमसीएम पानी दे दिया जाए जिससे टीकमगढ़ जिले के 560 गाँव जो हैं, मजरा, टोला, सभी गाँव में पानी पहुँच सकता है. माननीय सभापति महोदय, हमारा अनुरोध है और जल संसाधन मंत्री भी यहाँ पर बैठे हैं और पीएचई विभाग के मंत्री भी बैठे हैं कि पीएचई विभाग भी ऐसा प्रयास करे जिससे बाँध सुजारा बाँध के माध्यम से उनको पानी मिल जाए, 19 एमसीएम पानी मिल जाए, जिससे पूरे टीकमगढ़ जिले में सिंचित हो सकते हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- माननीय सभापति महोदय, हरिशंकर जी का बहुत अच्छा सुझाव है. हम चाहते हैं कि आज मंत्री जी यहाँ घोषणा करें. हम भी इसका समर्थन कर रहे हैं क्योंकि पानी है लेकिन सूखे की वजह से सच में ही टीकमगढ़ और निवाड़ी में बहुत पेयजल संकट है, तो इस पर आज घोषणा कर दें.
सभापति महोदय-- पूरे बुन्देलखण्ड में ही बहुत संकट है.
श्री हरिशंकर खटीक-- सभापति महोदय, बुन्देलखण्ड में एक बार वर्षा होती है और दूसरी बार सूखा आ जाता है. प्राकृतिक आपदाएँ भी आ जाती हैं इसलिए हमने यह सुझाव दिया है, जिले से प्रयास भी चालू हो गया है. पीएचई विभाग के मंत्री भी बैठे हैं और जल संसाधन मंत्री भी बैठे हैं. हमारा अनुरोध है कि इस सुझाव को बहुत गंभीरता से लेने का कष्ट करें. सभापति महोदय, हमारे टीकमगढ़ जिले में पिछले साल सूखा पड़ा था और पानी नल जल योजना के माध्यम से मिलना बंद हो गया था तो हमारा अनुरोध है कि जब जल जीवन मिशन चल रहा है तो टीकमगढ़ जिले के हमारे चन्हेरा में, पहाड़ी बुजुर्ग में, जिओर में और पुरावा में, ऐसे अनेकों गाँव हैं जहाँ भीषण पेयजल संकट हर वर्ष व्याप्त हो जाता है तो हम आपके समक्ष उनको लिस्ट दे देंगे जो पीएचई के मंत्री हैं तो वे हमारी नल जल योजनाएँ जरूर स्वीकृत कराने का कष्ट करें. सभापति महोदय, महत्वपूर्ण सुझाव हमें आप सब लोगों के बीच में जो देना थे वह हमने आपके बीच में दिए हैं, लेकिन हमारा एक व्यक्तिगत अनुरोध है कि टीकमगढ़ जिले की जो नल जल योजनाएँ हैं, उन नल जल योजनाओं के लिए अभी से आप चिन्ता कर लें, बरसात के पहले पहले, गर्मियों में इस बार भी भीषण पेयजल संकट व्याप्त होने की स्थिति है इसलिए पीएचई विभाग अलर्ट रहे और अधिकारियों को निर्देशित करने का कष्ट करें. सभापति महोदय, आपने बोलने का मौका दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय-- धन्यवाद.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ(महेश्वर)-- धन्यवाद सभापति महोदय. सभापति महोदय, सबसे पहले तो आपका संरक्षण चाहूँगी.
सभापति महोदय-- समय सीमा महिलाओं के लिए भी है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- सभापति महोदय, आज छूट दे दीजिए. महिला दिवस है इसलिए सभी महिलाओं को बधाई देती हूँ, सभी भाइयों को भी, उनकी बेटियों के लिए, उनकी पत्नियों के लिए, उनकी बहनों के लिए और इस सदन के माध्यम से प्रदेश की सभी महिलाओं को बहुत बहुत बधाई देती हूँ कि आज महिला दिवस है. मैं चाहती तो यह थी कि महिला दिवस एक दिन ही क्यों हर दिन होना चाहिए क्योंकि आधी आबादी देश की, प्रदेश की, महिलाओं की है. एक ही दिन करके आप क्यों छुट्टी पा लेते हैं? मेरी इस बात से महिलाएँ....
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- हर दिन ही होता है बहना. ये गोपाल भार्गव जी से पूछो आज सबेरे लेट क्यों हो गए?
श्री तुलसीराम सिलावट-- लक्ष्मी जी आपकी तो रोज पूजा करते हैं हम.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- आज सबेरे पूज के आया बिल्कुल.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- आपके पड़ोसी हैं आप ही पूछ सकते हैं, मैं तो नहीं पूछ सकती बड़े भाई हैं इसलिए नहीं पूछ सकती.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- आप विजय की नहीं लक्ष्मी की पूजा करते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- हम तो आपकी पीड़ा देख देख कर ही खुश होते हैं, पड़ोस में बैठे हों.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- बात तो सही है दोस्त.
श्री गोपाल भार्गव-- वैसे आज तो यह होना था कि विधान सभा की कार्यवाही में जैसे अध्यक्ष की सभापति तालिका में आज महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान किया है. टोकाटोकी भी महिलाएँ करतीं और प्रश्न भी महिलाएँ उठातीं, हम लोग सुनते. लेकिन आज यह प्रावधान भर नहीं हो पाया.
श्री सज्जन सिंह वर्मा-- आपकी बात से सहमत हूँ पंडित जी की बात से कभी इन्कार हो ही नहीं सकता.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय सभापति महोदय, आज के इस दिन लौह महिला इंदिरा गाँधी का स्मरण करना बहुत जरूरी हो जाता है. इस देश में वेदों और पुराणों में विसंगतियाँ हमेशा रही हैं. एक तरफ कहा जाता है, “ यत्र पूज्यन्ते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता.” जहाँ नारियों की पूजा होती है वहाँ देवता विचरण करते हैं और दूसरी ओर यह कहा जाता है, “ढोर गवार शुद्र पशु नारी ये हैं तारन के अधिकारी”.
सभापति महोदय-- अब बजट पर आ जाइये. ..(व्यवधान)..
श्री उमाकान्त शर्मा-- ये वेद और पुराण का नहीं है मैडम. दूसरा ये समुद्र प्रार्थना कर रहा है, डरा हुआ पीड़ित व्यक्ति....(व्यवधान)..
श्री इन्दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदय, पूरी चौपाई का ही गलत अर्थ लगाया जा रहा है...(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- बजट पर बोलिए. ..(व्यवधान)..
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- मैंने तो वेदों और पुराणों का उल्लेख किया..(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- महिलाओं का सब आदर करते हैं...(व्यवधान)..केवल बजट पर बोलिए...(व्यवधान)..
श्री उमाकान्त शर्मा-- भारतीय संस्कृति को बदनाम मत करिए. नारी पूजनीय थी, पूजनीय है और पूजनीय रहेगी. ..(व्यवधान)..
सभापति महोदय-- उमाकान्त जी, बैठ जाइये. विजय लक्ष्मी जी, अपना भाषण जारी रखें और बजट पर बोलें. ..(व्यवधान)..
श्री जालम सिंह पटेल-- बहन जी, ताडना से मतलब तारना है, मारना नहीं है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- तारना और मारना में क्या फर्क है.
श्री उमाकान्त शर्मा-- और यह तुलसीदास का नहीं था. यह पीड़ित समुद्र कह रहा है.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्यगण, देखिए बहुत सारे वक्ता हैं, सबको बोलना है जरा समय का ध्यान रखें.
श्री जालम सिंह पटेल -- सभापति महोदय, चौपाई का वह अर्थ नहीं है.(व्यवधान)
सभापति महोदय -- वे नारी हैं, नारी को बोलने दीजिए. विजयलक्ष्मी जी आप अपना संबोधन बजट पर रखें. (व्यवधान)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधो -- जालम सिंह जी आपका नाम ही जालम है. (व्यवधान)
सभापति महोदय -- वे टोकेंगे आपका समय खराब हो रहा है. आप अपना बहुत सारा समय गवां चुकी हैं. आप विषय पर बोलिए. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय सभापति महोदय, जो भी वक्ता हैं यदि सहमत हों तो क्षेत्र के सुझाव ले लें.
सभापति महोदय -- वे जानबूझकर टोककर आपका समय खराब कर रहे हैं, आप ध्यान रखें.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- उन्होंने शुरुआत ही खराब की अहिल्या देवी जी का नाम लेतीं तो शुरुआत ठीक होती.
सभापति महोदय -- आप समय पर अपना भाषण समाप्त करें.
श्री गोपाल भार्गव -- मैं समय बचाने की बात कह रहा हूँ.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- सभापति महोदय, मुझ पर ही यह रोका-रोकी क्यों.
श्री गोपाल भार्गव -- सभापति महोदय, जिसकी जो मांग हो वह भर रख दें.
सभापति महोदय -- आप अपने सुझाव रख दें.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- मुझे ही क्यों सिर्फ सुझाव देने के लिए कहा जा रहा है. आज के महिला दिवस पर क्या मैं न बोलूं.
श्री गोपाल भार्गव -- आप खूब बोलें.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- गोपाल भैय्या, यह क्या है महिला बाल विकास विभाग की मंत्री रही हैं, इमरती देवी तो हैं नहीं तो वे पूरे प्रदेश पर बोलेंगी.
श्री उमाकांत शर्मा -- इमरती देवी सदन में नहीं हैं, उनका अपमान मत करिए. क्या मंशा है आपकी.
सभापति महोदय -- आप बैठ जाइए.
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- जी व्यापम जी.
श्री अनिरुद्ध (माधव) मारू -- आप महेश्वर की हैं एक बार अहिल्या बाई को भी याद कर लें.
सभापति महोदय -- आप भाषण चालू रखिए.
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- सभापति महोदय, आज के दिन मैं स्वर्गीय राजीव गाँधी जी को भी याद करना चाहूँगी. उन्होंने पंचायती राज में 33 प्रतिशत का आरक्षण महिलाओं को दिया, उनको आज याद करना बहुत जरुरी है.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय शिवराज सिंह जी ने 50 प्रतिशत आरक्षण दिया. (व्यवधान)
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- सभापति महोदय, नहीं तो कोई भी महिलाओं को आगे आने नहीं दे रहा था. मैं अपना भाषण दूं या न दूं. सबको याद कर लेंगे. 33 प्रतिशत का आरक्षण दिया और महिलाओं की सत्ता में भागीदारी निहित की और सत्ता में उनको मौका दिया. आज महिला दिवस भी है और आज विभागों में महिला बाल कल्याण के ऊपर बोलने का मौका मुझे मिला है. मुझ पर हर्डल भी लगा दिया है कि आपको सिर्फ अपने एरिए की बात बोलनी है. माननीय सभापति महोदय, मेरे अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, आज माननीय मुख्यमंत्री को धन्यवाद कि उन्होंने महिला सफाई कर्मियों के साथ फोटो सेशन किया. भोपाल हाट में जाकर खाना खाया. यह और अच्छा होता यदि महिलाएं टेबिल पर बैठकर खाना खातीं और मुख्यमंत्री जी उनको परोसते. सफाई कर्मचारियों के साथ फोटो सेशन न करवाते हुए झाड़ू लगाते तो और भी ज्यादा अच्छा होता. (व्यवधान)
माननीय सभापति महोदय, महिलाओं के लिए बहुत योजनाएं हैं. सबला योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना, लाडो अभियान, शौर्य दल, मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण, उदिता योजना, लालिमा योजना, ऊषा किरण योजना, जबाली योजना. 9 योजनाएँ हैं. अब यह योजनाएँ कहां हैं, किधर हैं, कुछ पता नहीं है कुशासन, सुशासन की चर्चा पिछले दो-तीन दिनों से बहुत हो रही हैं. मेन बजट में भी चर्चा हुई. इस प्रदेश के अन्दर सुशासन कहां रहा, वह भी महिलाओं के संदर्भ में. महिला अत्याचार में वापस हम एक नंबर पर पहुंच रहे हैं. भोपाल जैसी राजधानी जहां राज्यपाल महोदया का भवन है, मुख्यमंत्री जी निवास करते हैं, जहाँ मंत्रीगण निवास करते हैं. प्रशासन के आईएएस, आईपीएस निवास करते हैं. 16 जनवरी को एक लड़की के साथ घटना हुई, उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई, उसके साथ गैंगरेप हुआ. जैसे तैसे करके कुछ लोग उसे अस्पताल ले गए. एक महीने तक उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई. रिपोर्ट लिखी गई तो क्या हुआ, क्या नहीं हुआ. यह मैं प्रदेश की राजधानी की बात कर रही हूँ और जगह की तो भूल ही जाइए कि क्या हो रहा है. कुशासन, सुशासन महिलाएं कहाँ जाएंगी. निर्भया काण्ड जो हुआ था, निर्भया फण्ड आ रहा है, निर्भया फण्ड का क्या हुआ क्या नहीं हुआ न तो मेन बजट में वित्त मंत्री जी ने बताया, न ही राज्यपाल महोदया के भाषण में आया. अब जो विभागीय मंत्री हैं उनसे मेरी अपेक्षा है वे बताएं कि क्या करने जा रहे हैं. थानों की बात की गई कि सब जगह महिला थाने बनाए जाएंगे, लेकिन थाने आप बना भी देंगे लेकिन कार्यवाही तो हो, धरातल पर चीजें तो दिखें. महिलाएं सुरक्षित तो हों. महिला कैसे सशक्त होगी. जब यह अत्याचार होंगे तो महिला अपने परिवार का सशक्तिकरण करने के लिए बाहर कैसे निकलेगी. आधी आबादी महिलाओं की है. स्त्री और पुरुष गाड़ी के दो पहिए हैं, अगर एक पहिया लड़खड़ा जाएगा तो गाड़ी गंतव्य स्थान पर नहीं पहुंचेगी. हम विपक्ष में हैं आप सत्ता में हो, यह कब तक खेल चलता रहेगा. महिलाओं के ऊपर बहुत गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है. दस-दस योजनाएं हैं लेकिन क्या वे योजनाएं धरातल पर दिखाई दे रही हैं. क्या उन योजनाओं का लाभ महिलाओं तक पहुंच पा रहा है. अगर लाभ पहुंचता तो इस तरह की घटनाएं घटित नहीं होतीं. विभाग के परिचय में बताया गया कि यह विभाग प्रदेश की महिलाओं और बच्चों के सर्वांगीण विकास एवं सामाजिक, आर्थिक, स्वास्थ्य, पोषण की स्थिति में सुधार लाने के लिए योजनाएं संचालित कर रहा है. यह किधर से आएगा जब तक हम लोग गंभीरता से विचार नहीं करेंगे. योजनाओं के नाम आपने अच्छे अच्छे रख दिए हैं जैसा लालिमा योजना, उदिता, लाडो. लेकिन समाज के अन्दर जो कुत्सित मानसिकता है उसमें कब बदलाव आएगा. वह धरातल पर कब दिखाई देगी. महिलाओं को लाभ कब मिलेगा. आप लोगों की भी बहन, बेटियाँ हैं क्या वे सुरक्षित हैं. क्या आज लड़कियाँ बाहर जा सकती हैं रात को समय पर घर आ सकती हैं. मैं पक्ष और विपक्ष की बात नहीं करती हूँ, मैं समाज की बात कर रही हूँ. समाज में इन चीजों को लाने के लिए हम और आप क्या करेंगे. इस पर गंभीरता से सोचने और विचार करने की जरुरत है. नीति बन जाती है, नियम बन जाते हैं लेकिन उनको धरातल पर लाना सरकार की जवाबदारी है और विपक्ष की भी भूमिका है कि समय समय पर आपको जागृत करता रहे.
सभापति महोदय, शहडोल की एक घटना आई. मैं सिर्फ एक जिले का उदाहरण देना चाह रही हूँ. दिसम्बर में 12 बच्चों की मौतें हुईं. 16314 बच्चे सिर्फ एक जिले में कुपोषित हैं. इसमें से 1328 बच्चे गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं. देशों की स्थिति में यदि देखेंगे तो हम 107 देशों की सूची में 94 वें स्थान पर आते हैं. पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका यह देश भी हमसे ऊपर हैं. जबकि विकासशील देशों में इनकी कहीं गिनती नहीं होती है यह भी हमसे ऊपर हैं. यह स्थितियाँ हमको कहीं न कहीं सोचने पर मजबूर कर रही हैं. इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है. अभी लॉक डॉउन के अन्दर सरकार की तरफ से कहा गया था कि आंगनवाड़ी बच्चों के लिए कच्चा भोजन उपलब्ध कराया जाएगा, तेल उपलब्ध कराया जाएगा लेकिन हम समाचार पत्रों में पढ़ते हैं कि क्या बंदरबांट हुई. कितने लोगों ने उस पर आक्रोश व्यक्त किया. बच्चों तक, घरों तक सामान नहीं पहुंचा. कई जिलों के ऐसे उदाहरण हैं जो आए दिन हम समाचार-पत्रों में पढ़ते रहते हैं. आज तो स्कूल नहीं लग रहे हैं लेकिन पिछली सरकार ने आदरणीय कमल नाथ जी ने जो दो ड्रेस बच्चों की दी जाती हैं उसमें यह कहा गया था कि इसको स्व-सहायता समूह बनाते हैं. यह राशि बच्चों के एकाउन्ट में चली जाना चाहिए, लेकिन वापस वह स्थितियां बदल गईं. अधिकारियों द्वारा यह कहा जा रहा है कि संबंधित दुकान से ही कपड़ा लाओ. स्व-सहायता समूहों पर प्रेशर बनाया जा रहा है. कहीं-न-कहीं इन चीजों को सुधारने की आवश्यकता है. आंगनवाड़ी में कौन सा बच्चा जाता है, सरकारी स्कूलों में कौन से बच्चे जाते हैं जो बहुत ही गरीब हैं. उन बच्चों को जर्जर कपड़े देंगे एक दो धुलाई में वे कपड़े खराब हो जाएंगे. इस पर विचार करने की जरुरत है.
सभापति महोदय, मैं नर्मदा घाटी के ऊपर बोलना चाहती हूँ क्योंकि मैं जिस क्षेत्र से वास्ता रखती हूँ वह नर्मदा जी का किनारा है. माँ नर्मदा का आशीर्वाद है. मैंने जैसे पहले कहा कि सरस्वती में सात दिन नहाने से, यमुना में तीन दिन नहाने से,गंगा में डुबकी लगाने से जो पुण्य मिलता है. वह नर्मदा माँ के दर्शन मात्र से मिलता है. ऐसे शहर से मैं आती हूँ. अभी जो नर्मदा घाटी विकास में एक न्यायाधिकरण द्वारा अवार्ड पारित हुआ है, उसके अनुसार चारों उसके अनुसार चारों राज्यों के पानी के बंटवारे और बिजली के बंटवारे की बातें यहां पर बताईं हैं कि कितना मिलियन एमएफ कितना पानी उनको जाएगा और कितना नहीं जाएगा इसमें एक चीज यह भी बताई है कि न्यायाधिकरण द्वारा संबंधित राज्यों को आवंटित जल का पुनरीक्षण अवार्ड घोषित होने के 45 वर्ष के पश्चात् अर्थात् दिसम्बर 2024 के बाद किए जाने का प्रावधान है इसमें यह कहा गया है कि नर्मदा जल के मध्यप्रदेश को आवंटित हिस्से का समय-सीमा में उपयोग किए जाने हेतु परियोजनाओं का निर्माण वर्ष 2024 तक पूरा किया जाना आवश्यक है. वर्ष 2024 तक अगर यह नहीं करेंगे तो यह जो अवार्ड पारित हुआ है इसमें कहीं न कहीं मुश्किलें आएंगी. नर्मदा नदी के ऊपर जो आखिरी बांध है महेश्वर हाइडल प्रोजेक्ट जो कि हमारे मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी का आखिरी बांध है उसके बाद सरदार सरोवर गुजरात का आ जाता है. महेश्वर हाइडल प्रोजेक्ट मेरे पिताजी जब विधायक होते थे वर्ष 1980-1985 के समय क्योंकि उस वक्त कहीं न कहीं स्वीकृति का था जब उसकी कीमत 2200 करोड़ थी. आज उसकी कीमत अरबों, खरबों में हो गई है और धरातल पर देखेंगे तो वह वहीं का वहीं एक स्ट्रक्चर के रूप में एक मॉन्यूमेंट के रूप में खड़ा हुआ है. उस मॉन्यूमेंट से आम लोगों को बहुत परेशानियां हो रही हैं. इसमें जो गेट लगाए हैं उसका एक गेट भी टूट कर नीचे गिर गया है. कभी भी बहुत बड़ी गंभीर दुर्घटना हो सकती है. एनएचडीसी जो इनका मेरे ख्याल से भारत सरकार की पब्लिक अंडरटेकिंग है उसके माध्यम से इनका जो अनुपात है 49 प्रतिशत और 51 प्रतिशत की जो भागीदारी है उसमें महेश्वर हाइडल प्रोजेक्ट को लिया है कि नहीं लिया है नहीं लिया है तो क्यों नहीं लिया और उस एसेट्स का क्या होगा वहां जो कर्मचारी काम करते हैं उनको दो-दो, तीन-तीन साल से तनखाएं नहीं मिली हैं. वह बहुत छोटे-छोटे कर्मचारी हैं. पुनर्वास की जो पॉलिसी थी उसको अख्तियार नहीं किया गया. वह पूरा एसेट्स ऐसे ही मॉन्यूमेंट की तरह पड़ा हुआ है. उसके ऊपर भी मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगी कि कहीं न कहीं इसको भी ठीक करने की जरूरत है. दूसरा बिंदु यह है कि रेत माफियाओं ने नर्मदा नदी को इतना खोखला कर दिया है कि इससे आपके जो बांध हैं चाहे वह इंदिरा सरोवर हो, ओमकारेश्वर हो या महेश्वर हो कभी न कभी नदियां अपना रास्ता इधर-उधर कर लेती हैं वहां इतनी खाइयां कर दी हैं उसके ऊपर भी एनजीटी को ध्यान देने की आवश्यकता है. एनजीटी का रोल भी इसमें कहीं न कहीं है और नर्मदा घाटी विकास इसको देखिए क्योंकि इनके बड़े-बड़े बांध बने हुए हैं यह उनको भी डेमेज कर सकते हैं जो आपका अवैध उत्खनन हो रहा है बांधों को भी इससे क्षति पहुंचेगी और इसके कारण वहां पर जो हमारी बड़ी-बड़ी पुरातत्व की नगरियां हैं चाहे महेश्वर हो, चाहे मण्डलेश्वर हो उनके घाटों को भी क्षति पहुंच रही है.
सभापति महोदय-- मंत्री जी यह गंभीर विषय है नर्मदा जी का अत्यधिक खनन हो रहा है इसको आप जरूर संज्ञान में लें.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय सभापति महोदय, ओमकारेश्वर परियोजना जब मैं वर्ष 2001-2002 में एनवीडीए की मंत्री थी उस वक्त मैंने राइट बैंक में 95 लाख रुपए सिंचाई के सर्वे के लिए करवाएं थे. बाद में वर्ष 2003 में सरकार चली गई. आप लोग आए वह सर्वे जितना हुआ था जिन गांवों को पानी मिलना था उसको छोटा कर दिया शायद पैसों की कमी रही हो. छोटा करने के बाद आधे क्षेत्र को वह पानी मिल रहा है या नहीं मिल रहा है. अब उसमें जो क्षिप्रा लिंक है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक ससल्या तालाब है नर्मदा का पानी उस तालाब में डालते हैं, उस तालाब का पानी लेकर क्षिप्रा लिंक में डालते हैं और क्षिप्रा लिंक से उज्जैन, महू, पीथमपुर, देवास तक पानी पहुंच रहा है. एक और गंभीर लिंक परियोजना भी वह उससे जोड़ रहे हैं. गंभीर लिंक परियोजना से तुलसी भाई के एरिए में पानी जाएगा.
सभापति
महोदय, मैंने
या मेरे
क्षेत्र के
लोगों ने क्या
गुनाह किया है
कि हमारे
क्षेत्र से
बड़े-बड़े
पाइपों में
मां नर्मदा जा
रही है और
उसका लाभ
महेश्वर
विधान सभा के
लोग नहीं ले
पा रहे हैं. आप 100
किलोमीटर, 150
किलोमीटर तक
ले जा रहे है
और वहां से
नर्मदा मां जा
रही हैं.
उसमें आपने
पीने के पानी
की भी व्यवस्था
की है आपने
पीने के पानी
का भी
प्रोवीजन रखा
है. हमारे
क्षेत्र की
महिलाएं
दूर-दूर तक पानी
लेने जाती
हैं. न तो उसकी
कोई योजना
आपने रखी है न
तो हमें इससे
कितना लाभ
मिलेगा आपने
सिर्फ यह किया
है कि क्षिप्रा
लिंक
परियोजना के
थ्रू
ग्रेविटी
पानी मेरे
विधान सभा
क्षेत्र में
जाएगा. उसमें
एक बड़ा भारी
गेट लगा दिया
है जब इनका
पानी उसमें भर
जाता है जितने
भी यह चार पंप
चलाते हैं तो
क्षिप्रा में
चार पंप भेज
देते हैं और
हमारा फाटक
बंद कर देते
हैं. उसको
थ्रू
ग्रेविटी जाना
है और जब फाटक
ही बंद हो गया
तो कैसे
जाएगा. मेरे
यहां किसान की
जब फसल खड़ी
हो जाती है जब उसको
पानी की आवश्यकता
है तो पानी
नहीं पहुंच
पाता है और
हमें इसमें और
मुश्किल होती
है कुक्षी से
एक बाई साहब
आती हैं, महिला
जो हमारी
पूर्व जो भी
रह चुकी हैं
वह एनवीडीए के
पुलिस वालों
को लेकर आती
हैं और हमारे
यहां के जो
किसान हैं
उनके ऊपर
एफआईआर दर्ज
करती हैं. वह
किस हैसियत से
आती हैं,
एफआईआर क्यों
दर्ज करवाती
हैं. मेरे
क्षेत्र में
इस कारण बहुत
ही असंतोष है.
नदियों में जो
पानी छोड़ना
था वह भी नहीं
छोड़ा जा रहा
है कुक्षी
वाले आकर
उसमें मिट्टी
भरकर जाते हैं
यह सारी
परिस्थितियां
बहुत ही गंभीर
हैं मैं यहां इस
सदन के माध्यम
से आपको अवगत
कराना चाहती
हूं कि अब
महेश्वर
विधान सभा के
किसानों के
सिर से पानी
ऊपर जा रहा है.
मेहरबानी करके
उन किसानों की
स्थितियों को
सुधारने के
प्रयास करें
मेरे यहां का
किसान बहुत
बड़ी वैज्ञानिक
खेती करता है.
वहां के एमए
पास पीजी लड़के,
इंजीनियर
लड़के अपनी
नौकरियां
छोड़कर वहां खेती
करतेहैं.
सभापति
महोदय-- आपका
भाषण
सारगर्भित
रहा. धन्यवाद
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ-- माननीय सभापति महोदय, इसके ऊपर बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है.यह एक गंभीर मसला है. इसके ऊपर आपसे निवेदन करना चाहती थी नर्मदा मालवा तुलसी भाई के क्षेत्र में जा रही है लाभ आप लोग ले रहे हैं पानी ओवरफ्लो हो जाता है, पंप फूट रहे हैं. पाइपलाइनें फूट रही हैं. मेरे यहां का किसान नुकसान में है. मेरे यहां के किसान को पानी नहीं मिल रहा है पर नुकसानी जरूर मिल रही है. ओवरफ्लो होकर आसपास के खेत में पानी आ रहा है पंप फूट रहे हैं तो उसका पानी आ रहा है. मेरे क्षेत्र के किसानों की जमीन दलदल हो रही है, उनको सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल रहा है. इसको गंभीरता से लेने की जरूरत है. पीएचई में नल-जल योजना जल निगम के माध्यम से जो दी जा रही हैं उनमें बहुत खामियां हैं. गांवों को यह लोग लेते हैं गांव के एक गली को यह पूरा करके लाइन बिछाकर छोड़ देते हैं और इनका कार्य हो जाता है कि वह गांव पूरा हो गया है. जो एससीएसटी की बस्तियां हैं वह बहुत दूरस्थ होती हैं एक गांव के एक कोने में होती हैं वहां तक पानी नहीं पहुंचा जाता जब तक आपका गांव नल-जल योजना से पूरा नहीं हो जाए मेहरबानी करके उसको पूरा नहीं माने.
श्री देवेन्द्र वर्मा (खण्डवा)-- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55, 65 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं एवं कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूं. जब हम बात करते हैं नर्मदा घाटी विकास की तो निश्वित ही मां नर्मदा के तट पर ओमकारेश्वर महाराज के स्थान पर आदिगुरू शंकराचार्य ने इन पंक्तियों के साथ मां नर्मदा की स्तुति की थी--
''सबिंदु सिंधु सुस्खल तरंग भंग रंजितम द्विषत्सु पाप जात जात कारि वारि संयुतम कृतान्त दूत काल भुत भीति हारि वर्मदे त्वदीय पाद पंकजम् नमामि देवी नर्मदे'' निश्चित ही हमारे ग्रंथों में ऐसा कहते हैं कि मां नर्मदा के दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है. और मां नर्मदा एक मात्र ऐसी नदी है, जिसकी परिक्रमा की जाती है. वर्ष 1981 में नर्मदा घाटी विकास की स्थापना की गई थी, जिससे उसका समुचित विकास हो, दोहन हो, इसलिए इसकी एक विस्तृत कार्य-योजना बनाई गई लेकिन उससे संबंधित जो प्रोजेक्ट शुरू हुए तो उनकी चाल को देखकर ऐसा लगता था कि ये कभी पूर्ण नहीं होंगे. हमारे निमाड़ क्षेत्र में लगभग 250 गांव इंदिरा सागर परियोजना में और लगभग 75 ओंकारेश्वर परियोजना में डूब क्षेत्र में आये थे, उसके इतने वर्षों के पश्चात् हमारे माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में नर्मदा घाटी की लगभग सभी सिंचाई परियोजनायें पूर्णता की ओर अग्रसर हैं और निमाड़ के सभी जिले लगभग शत-प्रतिशत सिंचित होने की ओर अग्रसर हैं और इसी कड़ी में मध्यप्रदेश का हमारा नर्मदा क्षेत्र ही नहीं, अपितु निमाड़ से आगे बढ़कर धार, देवास और दूर-सुदूर क्षेत्रों तक मां नर्मदा पहुंच रही हैं.
माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि खण्डवा जिले की एकमात्र ''खण्डवा माइक्रो उद्वहन सिंचाई योजना'' प्रस्तावित है, कृपया इसे भी बजट में शामिल करें, जिससे हमारा खण्डवा जिला शत-प्रतिशत सिंचित होने की ओर अग्रसर हो.
माननीय सभापति महोदय, इसी प्रकार जनसंपर्क विभाग के अंतर्गत दादा माखनलाल चतुर्वेदी की खण्डवा में प्रेस हुआ करती थी और उन्होंने संभवत: खण्डवा में ही ये पंक्तियां लिखी होंगी कि-
मुझे तोड़ लेना वनमाली, उस पथ पर तुम देना फेंक I
मातृभूमि को शीश चढ़ाने, जिस पथ जायें वीर अनेक II
माननीय सभापति महोदय, शासन द्वारा, हमारे मुख्यमंत्री जी द्वारा, हमारे खण्डवा में माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है. यदि वहां विश्वविद्यालय के साथ-साथ उसका अपना कैंपस, भवन, वहां होगा तो निश्चित रूप से दादा माखनलाल को यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी.
माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर (पृथ्वीपुर)- माननीय सभापति महोदय, थोड़ा पता चल जाये कि नोट कौन कर रहा है, जवाब कौन देगा, तो उसी ओर देखकर अपनी बात रखी जाये.
सभापति महोदय- तीन मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई है, वे नोट कर रहे हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर- माननीय सभापति महोदय, धन्यवाद. समय की नज़ाकत को देखते हुए, मैं कोई भूमिका नहीं बांधते हुए, सीधे अपनी बात रखूंगा.
माननीय सभापति महोदय, वर्ष 2016 से प्रदेश के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों की पदोन्नति बंद है. मंत्री जी, इससे यह हो रहा है कि ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जो रिटायर्ड हो गए और उनकी पदोन्नति हो ही नहीं पाई इसलिए आपसे आग्रह है कि जो प्रभार की स्थिति है, जो प्रभार दिए जाते हैं तो उसके लिए आपने कोई कमेटी बनाई है या नहीं बनाई है, मुझे नहीं मालूम लेकिन यदि नहीं बनाई है तो आप कृपया इसे बनाइये. इसके अतिरिक्त कई बार कनिष्ठ तो उस जगह पहुंच जाते हैं लेकिन वरिष्ठ रह जाते हैं इसलिए भविष्य में ऐसी व्यवस्था हो ताकि वरिष्ठों का मान-सम्मान बना रहे और उनका हक उनको मिल सके.
माननीय सभापति महोदय, अनुकंपा नियुक्ति की प्रदेश में बहुत समस्या है. मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि ऐसे लोग जो नियम नहीं होने की वजह से या जिनके प्रकरण लंबित पड़े हैं और उनकी अनुकंपा नियुक्ति नहीं हो पा रही है तो इस बाबत् थोड़ा-सा नियमों में सरलीकरण हो जाये. यदि एक विभाग में जगह नहीं है तो दूसरे विभाग में उनकी अनुकंपा नियुक्ति हो जाये. ऐसे ही जिला स्तर पर, हमारे ऐसे कुछ नियम हों, ताकि लोगों को दर-दर की ठोकरें न खानी पड़ें और जिला स्तर पर ऐसे लंबित प्रकरणों का निराकरण हम जल्दी से जल्दी कर सकें. ऐसी कोई निगरानी समिति आप जिला स्तर पर गठित करेंगे तो मैं समझता हूं कि बहुत अच्छा होगा.
माननीय सभापति महोदय, आज सदन में मुख्यमंत्री जी नहीं हैं. हम जब गांव में दौरा करने के लिए जाते हैं तो देखते हैं और बड़ी तकलीफ के साथ कहना पड़ता है कि आज भी ऐसे हजारों लोग हैं, जिनके पास ठीक से रहने को घर नहीं है, दो वक्त के लिए खाने को रोटी नहीं है लेकिन उनका नाम आई.आर.डी. लिस्ट में नहीं है और वहां ऐसे भी बहुत से लोग हैं, जिनके पास पांच-पांच ट्रैक्टर हैं, गाड़ी-घोड़े की व्यवस्था है, पक्के मकान हैं लेकिन उनके नाम आई.आर.डी. की लिस्ट में हैं. वहां जब बात होती है तो यह बात आती है कि वहां का सरपंच लिखे कि इनके नाम काट दो और इनके नाम जोड़ दो. ग्राम पंचायत में चुनाव होते हैं तो आप भी जानते हैं और हम भी जानते हैं कि कोई भी बुराई लेना नहीं चाहता है. सभापति महोदय, मैं, आपके माध्यम से आग्रह करता हूं कि जो भी आपको समिति बनाना हो, जिस स्तर पर बनाना हो, एक बार आप पूरा सर्वेक्षण आप जरूर करायें कि उनको आवास में भी और आईआरडी में भी, क्योंकि एक दूसरे के भी पूरक हैं वह छूट जाते हैं तो आप उनकी व्यवस्था बनाने का कष्ट करेंगे.
सभापति महोदय, हमने लोक सेवा केन्द्र बहुत अच्छी मंशा से खोले थे लेकिन उनका दुरूपयोग हो रहा है और वहां पर आम आदमी को राहत मिलने की बजाय बहुत सी जगह तकलीफ हो रही है, तो डॉ. गोविन्द सिंह जी ने भी यह बात उठायी थी, हम चाहते हैं कि आप फिर से इसके ऊपर बार फिर से विचार करें और उसमें जहां गड़बड़ी है उसको ठीक करने का आप काम करेंगे.
सभापति महोदय, बिजली विभाग के संबंध में कहना चाहता हूं, मैं कल ही अपने क्षेत्र का दौरा करके लौटा हूं एक ही नहीं सैकड़ों ऐसे लोग हैं, जिनके 40-50 साल पुराने बिजली के बिल निकाले जा रहे हैं. मतलब जिनका 30-35 साल पहले निधन हो गया, उनके नाम से कोई जमीन नहीं है वहां पर कुछ भी नहीं है, लेकिन उनको डेढ़-दो लाख रूपये के बिल थमाये जा रहे हैं और उनकी जबरदस्ती कुर्की की जा रही है. अभी राम बाई नहीं हैं जो दमोह का बता रही थीं कि दमोह में आज एक की मृत्यु हो गयी, ऐसे कितनी सारी घटनाएं हो रही हैं और उसमें लोग बड़े बेइज्जत हो रहे हैं, बिजली विभाग का बहुत बुरी तरह से दमन चल रहा है किसी की सायकिल, किसी की मोटर सायकिल किसी का बैल जिसके पास जो है वह सामान उठा कर ले जा रहे हैं, तो कृपा करके आप थोड़ी से ऐसी व्यवस्था बनाइये कि यदि सच में कोई पैसे वाले हैं यदि उनका बिल हैं तो उनके ऊपर तो आप कार्यवाही करिये उसमें कोई दिक्कत की बात नहीं है, लेकिन जिनके घर में खाने को नहीं है और आप अगर डेढ़-डेढ़ हजार रूपये के बिल उन्हें पकड़ायेंगे तो फिर आत्म हत्या की घटनाएं भी घटेंगी, हम नहीं चाहते की ऐसी घटना आगे आये. इसलिये कृपा करके इसके ऊपर भी आप ध्यान देने की कृपा करेंगे.
सभापति महोदय, पीएचई विभाग, मंत्री जी मैं आपसे निवेदन कर रहा हूं कि जल निगम वाले जो काम कर रहे हैं, जैसे हमारे निवाड़ी जिले में एलएण्डटी ग्रुप काम कर रहा है, एक इंदौर की जैन कंपनी है वह पृथ्वीपुर तहसील में काम कर रही है, ऐसे मध्यप्रदेश में कई जगह हालात हैं, यह लोग क्या करते हैं कि पाइप लाइन डालते हैं तो पहली बात तो पीडब्ल्यूडी की सड़क हो या ग्रामीण विकास की प्रधान मंत्री सड़क योजना की सड़क हो वह बिल्कुल एक फुट के गैप से खोदकर पाइप लाइन डाल देते हैं, नतीजा यह होता है कि जिस दिन वह सड़क चौड़ी करना पड़ती है तो वहां पर फिर तमाम गाडि़यां गिरती हैं क्योंकि वहां पर गड्डे रह जाते हैं, जिससे बरसात में या तो उसमें गाड़ी गिरती है या फिसलती है और फिर कभी सड़क चौड़ी करना होती है तो सारी पाइप लाइन फूटती है, तो आप एक गाईड लाइन तैयार करिये विभाग कोई भी हो, सड़क कोई भी हो वह कम से कम 2-3 या 4 मीटर जो भी आपको सीमा तय करना है उसको तय करिये कि जो भी पाइप लाइन डलेगी वह सड़क से इतनी दूरी पर डलेगी.ताकि आने वाले कल में पुनरावृत्ति न हो कि फिर खुदाई हो, फिर पाइप टूटे उसको फिर हम बदले. दूसरी बात, जो पंचायत के अंदर पाइप लाइन डल रही है वह डल जाती है लेकिन बड़े मुश्किलों से तो हमने गांव की सड़कें बनवायीं , अब पाइप लाइन डलती है तो पूरी सड़क खुद कर बराबर हो जाती है और आप आज 90 प्रतिशत गांवों में जाकर देख लीजिये की जल निगम के जो भी ठेकेदार या जो भी कंपनी काम कर रही है, उन्होंने उनकी सड़कों को व्यवस्थित नहीं किया है, नतीजा लोगों को परेशानी हो रही है. जब गाईड लाइन में है कि फिर से सड़क को दुरूस्त करके देना है तो आप कोई एक मानिटरिंग का सिस्टम ऐसा बनाइये ताकि ऐसी कोई लापरवाही न हो,उन गांवों की सड़कें जो खराब हुई हैं उनको दुरूस्त करने का काम फिर से हो जाये.
माननीय सभापति महोदय, अभी हमारे बहुत सारे साथियों ने प्रोटोकाल के बारे में बात की, अच्छा नहीं लगता कि हम लोग अपने मुंह से अपनी बात करें लेकिन एक बहुत सीनियर पत्रकार महोदय हैं मध्यप्रदेश के, एक दिन में उनके साथ चाय पर बैठा हुआ था, उन्होंने मुझे यह सुझाव दिया तो हमने उनसे कहा कि हम अगर यह बात कहेंगे तो लोग कहेंगे कि यह अपने लिये बात कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि सवाल आपका नहीं है, सवाल है प्रजातंत्र का अगर हमारा प्रजातंत्र सुरक्षित है लोकतंत्र सुरक्षित है तब सारा सिस्टम सुरक्षित है. आज चाहे विधायक हो, मंत्री हो, चाहे पूर्व मंत्री हो चलिये मंत्री के नाते तो फिर भी प्रोटोकाल रह जाता है, आज आपकी सरकार बदलती है और एक दिन तक तो आप मंत्री रहते हैं .
5.14 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
सभापति महोदय:- माननीय मुख्यमंत्री से संबंधित विभागों की अनुदान मांगों पर कार्यवाही पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये, मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गयी.
5.15 बजे
वर्ष 2021-2022 की अनुदानों की मांगों पर मतदान(क्रमश:)
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर:- सभापति महोदय, इतने बदत्तर हालात बनते हैं कि एक दिन पहले तक आप सरकार के अंग होते हो और जिस दिन सरकार बदल जाती है तो दो कर्मचारी आकर आपके सामान को उठाकर सड़क के ऊपर रख देते हैं या तो ऐसी कोई व्यवस्था हो कि एक बार अगर आप बहुत सीनियर हो, विधायक हो, मंत्री भी रह लिये हो तो आप उनको भले ही ई-टाईप का दीजिये, डी.टाईप का दीजिये, सी. टाईप का दीजिये, यह प्रबंध होना चाहिये. आप विधायक के नाते घर दे ही रहे हैं. आप क्यों नहीं यह व्यवस्था करते कि कम से कम इस स्तर का घर हम आपको देंगे, यह व्यवस्था हमारी होनी चाहिये. अगर आप पी.ए.दे रहे हो आप कहते हैं कि बाबू लेना आजकल बाबू तैयार नहीं होता, क्योंकि आप भी समझते हैं कि वह अच्छी जगह पर बैठे हैं तो वह जाना नहीं चाहते हैं. दूसरा कर्मचारी आप दे नहीं सकते हैं और वह कर्मचारी मिलता ही नहीं है. आप क्लास थ्री का जिसको चाहिये हो उसके लिये आप उसको थोड़ी छूट दे दीजिये. अगर आप रेस्ट हाऊस या सर्किट हाऊस में जाते हैं कहते हुए खराब लगता है आप में से कोई हमारे लिहाज में कर दे तो वह अलग बात है, लेकिन ऐसे मित्र जो मेरी इस बात से सहमत होंगे कि सवाल इसमें पक्ष-विपक्ष का नहीं है. अगर वह रेस्ट हाऊस में जाते हैं उनको वह रूम नहीं मिलता. अगर हमसे नीचे कोई प्रोटोकॉल का अधिकारी जाता है उसके लिये पहले रूम दिया जाता है कि आज तो वहां के कलेक्टर जी आ रहे हैं या कोई और आ रहे हैं इसलिये उनको रूम रहेगा. वह भी हमारे सभी मित्र हैं. लेकिन उसमें एक मर्यादा होनी चाहिये. जब प्रोटोकॉल आपने तय किया है. तो हम चाहते हैं.
श्री उमाकांत शर्मा--सभापति महोदय, मैं भी इसका समर्थन करता हूं. कई जगहों पर ए.डी.जे.लोग महीनों से ठहरे रहते हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर-- धन्यवाद शर्मा जी.
श्री हरिशंकर खटीक--पहली बार हमारे शर्मा जी को चढ़ाकर के वह पहली बार नहीं बोल रहे हैं, वह हमेशा से ही सही बोलते हैं. आपने क्यों ऐसा बोला कि पहली बार सही बोल रहे हैं. आज राठौर साहब भी सोच सोच के बिल्कुल सही बोल रहे हैं.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--सभापति महोदय इनको आज पहली बार समझ में आया कि हम सही बोल रहे हैं. यह जो स्थिति है. मैं चाहता हूं कि एक बार सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से आप प्रोटोकॉल जारी करिये और हिदायत दीजिये कि जो भी नियम हैं. अगर है तो ठीक है, नहीं हैं तो कोई बात नहीं या उसमें सुधार करना है तो आप समझ लीजिये. लेकिन प्रोटोकॉल जारी करिये ताकि उसका विधिवत् पालन हो. अगर कोई गलती करता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही करने की हमारी नियत भी हो.
सभापति महोदय, अभी स्वैच्छानुदान की बात हुई. स्वैच्छानुदान की मांग का किसी को शोक नहीं है कि हमारा पैसा बढ़े. जब हम लोग क्षेत्र में जाते हैं वहां इतने गरीब लोग के सामने खड़े होकर दया आ जाती है. अगर उनको 4-5 हजार रूपये मिल जाते हैं तो ऐसा है कि हमें 20 लाख रूपये से कोई फर्क नहीं पड़ता है लेकिन उन्हें 4-5 हजार रूपये से फर्क पड़ता है. किसी की मां बीमार है तो किसी का एक्सीडेन्ट हो गया है, किसी का कुछ हो गया है. उस समय उस पैसे का सही मायने में उपयोग होता है. स्वैच्छानुदान का पैसा मुख्यमंत्री, मंत्री जी का कितना बढ़ा उसमें हम नहीं जाना चाहते हैं, लेकिन यह राशि निश्चित रूप से बढ़ायी जानी चाहिये. ताकि प्रदेश के गरीब लोग हैं उनके साथ हम न्याय कर सकें.
सभापति महोदय, हमारे मित्र ने कहा कि विमानन विभाग बहुत अच्छी योजनाएं बना रहा है. नई नई सेवाएं शुरू हो रही हैं यह निश्चित रूप से स्वागत योग्य है. मध्यप्रदेश को विकास के रास्ते पर ले जाना है तो हमें यह सब द्वार खोलने पड़ेंगे पर्यटन के रास्ते को भी आगे बढ़ाना पड़ेगा उसके लिये जरूरी है कि बेसिक सुविधाएं हम वहां पर दें. ओरछा राम राज्य सरकार की नगरी है आप सब लोग भी मानते हैं आप लोगों के भी आराध्य हैं ही. वहां पर हवाई पट्टी न होने की वजह से बहुत कुछ पर्यटन बुंदेलखंड एवं बघेलखंड का मारा जाता है. हमारी बहिन जी सामने बैठी हैं आज महिला दिवस है, यह भी चाहती हैं कि वहां पर पर्यटन को बढ़ावा मिले. पिछली बार नमस्ते ओरछा का बहुत बड़ा कार्यक्रम हुआ था. देश और दुनिया के बड़े से बड़े कलाकार जो हैं वहां पर आये थे और मध्यप्रदेश को भी बहुत बड़ा प्रमोशन उससे मिला था.
श्री हरिशंकर खटीक--नमस्ते ओरछा नाम से कार्यक्रम हुआ था. भगवान राम राजा के दरबार में गये. नमस्ते ओरछा करने के लिये गये.
सभापति महोदय--आप बैठें आप उन्हें ओरछा का ज्ञान न दें.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--सभापति महोदय, हमारे जिले के खटीक जी सबसे ज्यादा विद्वान विधायक है. माननीय सभापति महोदय, आज हम चाहते हैं कि हमारी बहन जी महिला दिवस के ऊपर ताकत लगाकर कहें की वह पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती हैं और सबसे बड़ी बात है कि राजराम की नगरी है. अयोध्या में आप देखिए कितना काम हो रहा है, बिल्कुल कायाकल्प हो रहा है आयोध्या का, वहां बचपन का रूप है और यहां राजा के रूप में स्थापित है.
श्री दिलीप सिंह परिहार - आप जरा प्रतिपक्ष की ओर से बधाई प्रेषित कर दें.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - जी, धन्यवाद. ओरछा में तो साक्षात् राजा के रूप में हैं इसलिए आप वहां पर हवाई पट्टी और नमस्ते ओरछा का पुन: आयोजन करिए, ताकि फिर से हमारे पर्यटक को बढ़ावा मिल सके. आखिर में, पीएचई मिनिस्टर साहब यहां बैठे हैं, हमारे नाम राशि भी है और इनके रिश्तेदारी भी हमारे विधान सभा क्षेत्र में हैं और जहां इनकी रिश्तेदारी है, सबसे ज्यादा पानी की समस्या भी वहीं है, वहां रिश्तेदार भी है और नामराशि भी है तो आज कहो कि दिगौड़ा और मोहनगढ़ तहसील को घर घर में पानी देना है और यह भारत सरकार भी चाहती है. जल निगम से मोहनगढ़ तहसील और दिगौड़ा तहसील दोनों की योजना को कृपा करके आप बनवाइए, अतिशीघ्र उसको प्रारंभ करवाइए और शासन और प्रधानमंत्री जी की भी मंशा पूरी हो और आप सभी का काम हो. बहुत सारी बातें हैं, हमारे पत्रकार भाई, वकील लोग के बारे में बहुत सारी बातें हैं, हमारे मित्रों ने कही है, हम भी उनका समर्थन करते हैं, उनसे संबंधित बातें हैं और भी काफी बातें क्षेत्र की हैं, उनको सभापति जी आप कहें तो मैं पढ़ दूं या अगले सत्र में पढ़ दूंगा कोई समस्या नहीं है, महोदय जी आपने मुझे बोलने का समय दिया, मैं आपका हृदय से बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं बहुत बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय - आप लिखित में दे दीजिए, रिकार्ड में ले लेंगे.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर - माननीय मंत्री जी, जो बातें हमने कही है, विश्वास है कि आपने नोट भी किया होगा और जब आप उद्बोधन देंगे तो इस पर बोलेंगे, धन्यवाद.
श्री शरदेन्दु तिवारी(चुरहट) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55 और 65 के समर्थन के लिए खड़ा हुआ हूं. बहुत सारी बातें आ गई हैं और मुझे मालूम है आप थोड़ी देर में बोलने वाले हैं कि कम शब्दों में अपनी बातें रखें तो मैं पाइंट पर ही बोलता हूं. सामान्य प्रशासन विभाग में हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और लोकतंत्र सेनानियों की सम्मान निधि और चिकित्सा सुविधा के लिए जो 22 करोड़ रूपए, 24 करोड़ रूपए और 80 करोड़ रूपए का प्रस्ताव किया है, वह काबिल-ए-तारीफ है. मैं माननीय वित्त मंत्री जी को इसके लिए बहुत बहुत साधुवाद देता हूं, धन्यवाद देता हूं. जल जीवन मिशन पानी के लिए मध्यप्रदेश में व्यापक पैमाने पर शुरू किया जा रहा है और इस सरकार को इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद है कि उन्होंने नल की टोटी के माध्यम से गांव के हर घर तक पानी पहुंचाने का संकल्प लिया है और वास्तव में यह जेंडर सेंसिट्विटी की हम बात करें तो सबसे अधिक महिलाओं के लिए फायदे का काम है, पानी को पहुंचाना क्योंकि दूर तक पोहरी में, नदी, तालाब तक उनको पानी लेने जाना पड़ता है. मैंने भी अभी दो महीने पहले माननीय मुख्यमंत्री जी को अपनी चुरहट विधान सभा के लिए एक पत्र लिखा था कि हमारे यहां भी गांव तक टोटी के माध्यम से नल के माध्यम से पानी पहुंचे और फिर मैंने एक प्रश्न भी लगाया और जो जवाब आया कि डीपीआर तैयार हो रहा है, यहां विभाग के अधिकारी भी बैठे हैं, उनसे अपेक्षा करूंगा कि उसको और तेज कर दें और कितनी तेज गति से सरकार इस दिशा में काम कर रही है, इसका भी एक उदाहरण यह है कि तुरंत डीपीआर कार्यवाही सरकार के द्वारा की जा रही थी. बजट में 337 प्रतिशत की अभूतपूर्व बढ़ोतरी पीने के पानी देने के लिए लोगों को हुई है. इसका वृहद विवरण माननीय बहादुर सिंह जी दे चुके हैं. वित्तमंत्री जी जब अपना उद्बोधन दे रहे थे तो उन्होंने पीने के पानी देने की जिद पर एक शेर कहा था और मैं उनकी इस जिद के लिए उन्हें धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने ऐसी जिद रखी है जिससे गांव के गरीब तबके तक, टोले तक, मजरे तक पानी पहुंचने का काम होने वाला है. हमारे बगल की विधान सभा धौहनी के विधायक कुंवर सिंह जी अभी बता रहे थे कि 116 करोड़ की बनास नदी की समूह नल जल योजना से लगभग 32 गांवों के मंझौली क्षेत्र के सीधी जिले के पानी मिलने वाला है, इसमें भी गति देने काम माननीय मंत्री जी करेंगे, ऐसी मैं अपेक्षा रखता हूं, क्योंकि यह पानी ऐसे क्षेत्र के लिए है जो आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं और एक बड़ी परियोजना बनारस से लेकर हम आए हैं. बाणसागर से भी चुरहट क्षेत्र के लिये जल जीवन मिशन के माध्यम से पानी पहुँचेगा. मेरी विधान सभा क्षेत्र में लगभग 71 नल-जल योजनाएं चल रही हैं, उसमें एक दिक्कत हो रही है. नल-जल योजनाएं बनने के बाद पंचायत विभाग को सौंपी जाती हैं और कई बार उसका मेंटेनेंस प्रॉपर न होने के कारण, वे योजनाएं बंद पड़ जाती हैं या चल नहीं पा रही हैं. आपसे अनुरोध है कि विभागीय समस्या के कारण लोगों को पानी नहीं मिल पाता है क्योंकि गांव के लोगों को अभी शुल्क देने की आदत नहीं है और ग्राम पंचायतें इतनी सक्षम नहीं रहती हैं, जब उनको शुल्क नहीं मिल पाता है. वह उसका मेंटेनेंस कर पाएं तो उसके मेंटेनेंस पर भी ध्यान दिया जायेगा. जो हैंडपम्प हैं, उनको प्रायवेट एजेंसियों के माध्यम से हम मेन्टेन कराते हैं, वह भी प्रॉपर नहीं हो पाता है, कई जगह उसमें हम पीछे रह जाते हैं तो मैं निवेदन करूँगा कि इसके संबंध में माननीय मंत्री जी और यहां अधिकारी बैठे हुए हैं, वे ध्यान देंगे.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य आप कितना समय लेंगे ? बहुत सारगर्भित भाषण है, आप जल्दी समाप्त करें.
श्री शरदेन्दु तिवारी - मैं केवल 2 मिनट लूँगा. मैंने आपसे पहले ही निवेदन किया था, इसीलिये मैं प्वाइंट पर ही बोल रहा हूँ.
सभापति महोदय, लाड़ली लक्ष्मी योजना में 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का व्यय किया गया है. 1.80 लाख से अधिक महिलाओं एवं बालिकाओं को छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 880 करोड़ रुपये दिये गये हैं, प्रत्येक आंगनवाड़ी को 7.80 लाख रुपये से उसकी राशि को बढ़ाई जाकर 9 लाख रुपये किया गया है ताकि हैंडपम्प और कम्पाउंड वॉल का प्रावधान हो सके (मेजों की थपथपाहट). इसके लिये मैं माननीय वित्त मंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ. एक-दो विषय आये थे, गंभीर थे क्योंकि विपक्ष के लोगों ने कुछ कहा था तो मैं उस पर बोलना चाहता हूँ कि आपस में परस्पर विरोधाभासी बातें की गईं थी. हमको यह कहा गया था कि जानकारी एकत्रित की जा रही है, जब हम ट्रांसफर के बारे में पूछ रहे हैं, फिर दूसरी तरफ आंकड़े दिये जा रहे थे कि पिछली सरकार में 1300 ट्रांसफर हुये थे और हमारे यहां 4100 ट्रांसफर हुए. यह समझ में नहीं आ रहा है कि जब जानकारी एकत्रित करने का जवाब तीन-तीन बार आया है तो इसमें 4100 ट्रांसफर की संख्या कहां से आ गई ? तो मेरे पूर्व वक्ताओं के द्वारा इस सदन को असत्य जानकारी दी गई थी. इसलिए मैं इस तरफ ध्यान आकृष्ट कराना चाह रहा था.
सभापति महोदय, मैंने सन् 1994 में इंजीनियरिंग की थी, सन् 2003 से पहले मैं विद्यार्थी था, तो कभी पीएससी की परीक्षा नहीं हुई. राम जी यहां बैठे हुए हैं, कभी पीएससी की जगह नहीं आई, न वन विभाग में जगह निकली, न पुलिस विभाग में वैकेंसी निकली और सन् 2003 के बाद से प्रतिवर्ष पीएससी और अन्य विभागों में वैकेंसी निकली हैं. रोजगार सहायक, आंगनवाड़ी में जो लोग भर्ती किये गये थे, वे सही ढंग से नाम तक नहीं लिख पाते थे एवं शिक्षक और सेकेट्री जो उस जमाने में भर्ती हुए थे. शिक्षाकर्मी घोटाला हमारे विन्ध्य क्षेत्र में बहुत फेमस है, यह उस समय हुआ था. अन्त में, सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55 एवं 65 का समर्थन करता हूँ. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) - माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55 एवं 65 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूँ.
सभापति महोदय, सामान्य प्रशासन का एक आदेश है कि कोई भी अधिकारी कर्मचारी को 3 वर्ष से अधिक संभव हो तो एक जगह न रखा जाये, एक उदाहरण बता रहा हूँ. मेरे विधान सभा क्षेत्र में श्री सुमेर सिंह, उपयंत्री, जल संसाधन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आरईएस विभाग में गये थे. 26 वर्ष से एक ही विकासखण्ड में वह पदस्थ है. हमने पिछली सरकार में उसकी प्रतिनियुक्ति समाप्त करके, जल संसाधन विभाग को वापस कर दिया था. जब यह सरकार पुन: छल-कपट से बनी, तो वह सांठ-गांठ तथा जुगाड़ जमाकर एक ही आदेश में उसकी प्रतिनियुक्ति को निरस्त करते हुए पुन: जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ में पदस्थ कर दिया गया. मैं इस सरकार के माध्यम से यह जानना चाहता हूँ कि वह 26 वर्षों तक आदिवासी क्षेत्र में रहकर आदिवासी समाज का शोषण कर रहा है. भोले भाले सरपंचों को वह दबाव देकर वहां पर ठेकेदारी कर रहा है. वहां के सरपंच परेशान हैं, शिकायतें हुईं, जाचें होती हैं, लेकिन इतना पावरफुल वह उपयंत्री है कि किसी भी पार्टी की सरकार हो वह पुष्पराजगढ़ में ही पदस्थ रहता है. मैं चाहता हूं सम्माननीय मंत्री जी से कि क्या वह अभी वहीं से रिटायर होगा, क्या सामान्य प्रशासन के आदेश निर्देश का पालन होगा कि नहीं होगा ? आप यह अपने उद्बोधन में कृपा करके बोलने की कृपा करेंगे.
माननीय सभापति महोदय, अगला विषय लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और जल से संबंधित हैं, चूंकि मैं पहाड़ी क्षेत्र का रहने वाला हूं और जनजाति समुदाय और आदिवासी समाज के बीच से आता हूं और हम जानते हैं कि पानी की समस्या कैसी है, उन 89 विकासखण्डों में जहां जंगल और पहाड़ों में निवास कर रहे लोग गर्मी के दिनों में कैसे शुद्ध जल से जूझते हैं ? कैसे दो-दो किलोमीटर, चार-चार किलोमीटर से पानी लेकर अपना गुजारा करते हैं ? हमारे बजट बनते हैं, योजनाएं तैयार होती हैं, लेकिन अंतिम छोर पर जंगल में बसा वह व्यक्ति शुद्ध पानी के लिये तरस जाता है, चाहे वह गुना का सहरिया हो और चाहे बैगा जनजाति हो, भरिया हो, तमाम जनजाति के लोग जो जंगलों में निवास करते हैं. माननीय सभापति महोदय, आज वनों की कटाई जिस तरीके से हो रही है और हमारा सतही जल बड़ी तेजी से नीचे जा रहा है. हम आज भी जो हैंडपंप स्थापित करते हैं, वह हमारे पर्याप्त नहीं हैं और वह दो महीने चार महीने के बाद सूख जाते हैं. मैं सदन के माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं और सुझाव भी देना चाहता हूं कि जहां जंगल में, पहाड़ों में निवास कर रहे हैं और जैसे ये पहाड़ी क्षेत्र हैं, जब तक हम समूह जल प्रदाय योजना वहां लागू नहीं करेंगे, तब तक उन लोगों को शुद्ध जल नहीं मिलेगा. आज भी लोग नदी के नाले, झिरियों का पानी पी रहे हैं. मैं यह कहना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र में हमारी पिछली सरकार ने हम लोगों ने समूह जल प्रदाय योजना का कुछ प्रोजेक्ट बनाया था और उसमें लगभग ढाई सौ ग्रामों को शुद्ध नल जल योजना के माध्यम से हम जल पहुंचाते. पिछले सत्र में हमने करीब दो जल प्रदाय योजनाओं को स्वीकृत कराया था. नर्मदा दमहेड़ी का समूह जल प्रदाय योजना से 71 गांवों को और किरगी जल प्रदाय योजना से 51 गांवों को सफलतापूर्वक जनजाति समूह के घर-घर में पानी पहुंचाने का काम हुआ और वह पूर्णतया सफल भी रहा है. मैं चाहता हूं कि हमारी पुष्पराजगढ़ विधानसभा चूंकि पहाड़ी क्षेत्र है, मां नर्मदा की तराई है और मैकल में लोग बसे हुए हैं तो वहां की चार ऐसी जल प्रदाय योजनाएं हैं. वहां पर तिपान नदी से आधारित जल प्रदाय योजना, करोंदा टोला नर्मदा नदी से आधारित जल प्रदाय योजना, बसही जोहुला नदी से जल प्रदाय योजना है और चौथी कुमुहिनी जल प्रदाय योजना है, यदि ये जल प्रदाय योजना मेरे विधानसभा में स्वीकृत हो जाती हैं तो लगभग मेरे पूरे विधानसभा में हम मजरा टोला में शुद्ध नल से जल पहुंचाने में कामयाब होंगे. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री से चाहता हूं कि इसको स्वीकृत करने की कृपा करें ताकि वहां पर जनजाति समुदाय के लोग शुद्ध जल पीने का उनका भी हक बनता है क्योंकि आजाद भारत में वह भी निवास कर रहे हैं और उनका भी अधिकार है, ऐसा मैं मानता हूं.
माननीय सभापति महोदय, हमारे यहां पर चूंकि सिंचाई के बिना तो कुछ काम होना संभव नहीं है. चूंकि समय कम है, मैं मेरे क्षेत्र की कुछ योजनाओं का नाम पढ़ दूंगा. लपटी जलाशय की नहर का विस्तारीकरण किया जाये, बहपुर जलाशय की नहर का निर्माण किया जाये, लपटी जलाशय का निर्माण किया जाय, नवगवां जलाशय की नहर का निर्माण किया जाये, करपा जलाशय का भी नहर निर्माण किया जाये ताकि सिंचाई की सुविधा कृषकों को मिले. लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत एक मेरा बहुत महत्वपूर्ण मार्ग है पटना, करपा, सरई, किलवनिया जो करीब 60 किलामीटर का है, कई बार उसके प्रस्ताव भी आये हैं, लेकिन बजट अभाव के कारण एक बार तो सिंगल निविदा आने के कारण निरस्त कर दिया गया है, मैं चाहता हूं कि उसे इस बजट में जोड़कर स्वीकृति प्रदान करने की कृपा करें. दूसरा मुख्य मार्ग से गूजर नाला तक डामरीकृत मार्ग निर्माण, सेमरा से तिलवनडाढ़, पगड़ीपानी तक मार्ग निर्माण, कोयलारी नाला में रपटा निर्माण, अचलपुर से बसनिया जुलिया नदी में रपटा निर्माण, अंजनी नाला में पुलिया निर्माण और बगहाट नाला में रपटा निर्माण किया जाये जिससे वहां के लोगों को सुविधा मिल सके. हमारे टांकी टोला से धर्मसिंह के घर तक का मार्ग अति जर्जर है उसको भी बनवाने की कृपा की जाये और माननीय सभापति महोदय, मैं यह निवेदन करना चाहूंगा जो पिछली बार टीवियों में छाया रहा कि वन विभाग से 7 लाख रोजगार श्रृजन किये जा रहे हैं, यह माननीय मुख्यमंत्री जी का उद्बोधन था जो टी.वी. में छाया हुआ था, लेकिन मुझे कहीं भी वह देखने को नहीं मिला, न कहीं राज्यपाल जी के उद्बोधन में आया और न कहीं बजट में दिख रहा है, वित्त मंत्री जी ने भी उसको नहीं पढ़ा कि वन विभाग के द्वारा 7 लाख बेरोजगारों को हम रोजगार देने जा रहे हैं वह कहीं भी उल्लेखित नहीं है. मुझे ऐसा लगता है कि माननीय मुख्यमंत्री जी इस प्रदेश के युवाओं को असत्य बोलकर के भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं और मैं चाहता हूं कि जब वह अपने उद्बोधन में बोलें तो कृपया इसको स्पष्ट करने का कष्ट करें कि वह 7 लाख रोजगार जो उन्होंने वन विभाग में श्रृजन किये हैं उसको कृपया स्पष्ट करनें की कृपा करें और ज्यादा न बोलते हुये, सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
सभापति महोदय-- जब वन विभाग के चर्चा होगी न तब बताईये, यह बहुत महत्वपूर्ण बिंदु है.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को-- जी हां.
सभापति महोदय-- माननीय मुख्यमंत्री से संबंधित विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा एवं मतदान हेतु 2 घंटे 30 मिनट का समय निर्धारित था, अब तक 3 घंटे 15 मिनट चर्चा हो चुकी है जिसमें 13 माननीय सदस्य भाग ले चुके हैं. अत: अब माननीय मंत्री चर्चा का उत्तर देंगे. श्री इन्दर सिंह परमार, माननीय राज्यमंत्री.
कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा-- माननीय सभापति महोदय, मेरा नाम फिर कट गया.
श्री अशीष गोविंद शर्मा-- माननीय सभापति महोदय, दो-दो मिनट का समय दे दिया जाये.
सभापति महोदय-- दोनो पार्टियों का सामूहिक फैसला है. अब मंत्री जी का नाम ले लिया. ... (व्यवधान).. मंत्री जी बोलें. ... (व्यवधान).. आप लोग लिखकर दे दें वह रिकार्ड में आ जायेगा.
कुंवर विक्रम सिंह नातीराजा-- संपूर्ण बजट पुस्तिका में राजनगर विधान सभा क्षेत्र का नाम कहीं पर भी नहीं है.
सभापति महोदय-- जो माननीय सदस्य नहीं बोल पाये हैं, आप लिखकर दे दीजिये वह रिकार्ड में आ जायेगा, ... (व्यवधान).. आप बोलें तो बोलें न बोलें तो भी रिकार्ड में आ जायेगा. ... (व्यवधान).. माननीय मंत्री जी बोलेंगे और कोई नहीं बोलेगा.
श्री उमाकांत शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आसंदी को नये सदस्यों को मौका देना चाहिये, दोनों तरफ के वरिष्ठ और निरंतर बोलने वाले लोग बोलते हैं, हम लोगों को अवसर नहीं मिलता है.
सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री( श्री इन्दर सिंह परमार) - माननीय सभापति महोदय, मेरे विभाग की अनुदान मांगों पर भाग लेने वाले सदस्यों सर्वश्री डॉ.गोविन्द सिंह,यशपालसिंह सिसौदिया,जितु पटवारी,श्रीमती गायत्री राजे पवार, श्री बहादुर सिंह चौहान,श्री देवेन्द्र वर्मा, श्री शरदेन्दु तिवारी, श्री सुखदेव पांसे, डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ,श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर,श्री फुन्देलाल मार्को जी ने आज की चर्चा में भाग लिया. महत्वपूर्ण विषयों पर महत्वपूर्ण सुझाव आए हैं, इसके लिये मैं उनको धन्यवाद देता हूं.
सभापति महोदय - मंत्री जी,जो माननीय सदस्य भाषण नहीं दे पाए हैं. वे लिखित में देंगे. वह रिकार्ड में आयेगा उस पर और गंभीरता से आप संज्ञान लें. उसमें कोई अंतर न समझें बोलने वाला या लिखने वाला. कल तक सदस्य अपना लिखित वक्तव्य दे सकते हैं.
श्री उमाकांत शर्मा - सभापति महोदय, विधान सभा की कार्यवाही में आएगा वह.
सभापति महोदय - इसीलिये तो कह रहे हैं. बैठिये.
श्री इन्दर सिंह परमार - सभापति महोदय, सामान्य प्रशासन विभाग आम आदमी की सेवा से सीधा नहीं जुड़ा है परन्तु प्रत्यक्ष रूप से सुशासन की स्थापना और उसको लागू करने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि शासन के जितने भी निर्देश जारी होते हैं वे सभी सामान्य प्रशासन विभाग से ही जारी होते हैं और इसीलिये सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समय-समय पर निर्देश जारी होते हैं. उन निर्देशों का पालन करवाना, अन्य विभागों के साथ समन्वय का काम भी सामान्य प्रशासन विभाग करता है. सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत मानव अधिकार आयोग, लोक सेवा आयोग, राज्य सूचना आयोग जैसे संवैधानिक संस्थाओं के साथ ही राज्य के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, मुख्य तकनीकी परीक्षक, विभागीय जांच आयुक्त जैसी जायज संस्थाओं के अलावा मध्यप्रदेश आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी जैसी राष्ट्रीय स्तर की प्रशिक्षण संस्था का प्रशासकीय विभाग भी सामान्य प्रशासन विभाग ही है. माननीय सभापति महोदय, हमारे मध्यप्रदेश में जब माननीय शिवराज सिंह चौहान पहली बार मुख्यमंत्री बने. उसके पहले मुख्यमंत्री का स्वेच्छानुदान था वह कम था लेकिन जब से वह मुख्यमंत्री बने उन्होंने निरंतर जो गरीब लोगों के ईलाज के प्रकरण आते हैं उनको आगे बढ़ाने का काम किया और आयुष्मान कार्ड जिनके पास नहीं हैं. जिनके पास बीपीएल कार्ड नहीं हैं. ऐसे जो मरीज होते हैं,उन परिवारों के लिये अधिकतम राशि का प्रावधान उसमें किया गया था. उसी के अनुसार इस वर्ष के बजट में भी वही प्रावधान किया गया है. मैं समझता हूं इसमें ऐसे लोग जो किसी योजना का लाभ नहीं ले सकते शासन की , उनको इसका लाभ आज मिल रहा है. मैं मुख्यमंत्री जी की इस संवेदनशीलता को धन्यवाद देता हूं. उन्होंने इसके लिये 5 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये अधिकतम की सीमा तय की है. मंत्रियों को भी स्वेच्छानुदान है. विधायकों को भी स्वेच्छानुदान है. उसमें स्वेच्छानुदान की राशि के लिये कुछ सुझाव आए हैं. हम सरकार में विचार करेंगे. हमारे मध्यप्रदेश में कई प्रकार के पारितोषिक और अलंकरण कीव्यवस्था है. पिछले समय में 5 प्रकार के ऐसे पुरस्कार मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा दिये जाते थे. दुर्भाग्य से कमलनाथ जी की सरकार में 8 जो हमारे पुरस्कार हैं जो विभिन्न महापुरुषों के नाम से हैं उनको बंद कर दिया गया था. हमारी सरकार ने ऐसे पुरस्कारों को देने का निर्णय किया है जो आगे भी निरंतर रहने वाला है. जिसके अंतर्गत किसी पुरस्कार में 50 हजार रुपये का, किसी में 25 हजार रुपये का है, किसी में एक लाख रुपये तक का प्रावधान किया गया है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के साथ-साथ उनके परिवारों को सुविधा देने का काम लगातार चल रहा है. साथ-साथ मीसाबंदियों की सम्मान निधि जो बीच में बंद कर दी गयी थी. वापस उनको सम्मान निधि देने का काम मध्यप्रदेश की सरकार ने प्रारंभ किया है. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की तरफ बार-बार जो प्रश्न आ रहे थे तो मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग की तरफ से जो नौकरियों के लिये पद खाली हैं. उनके लिये प्रयास किये जाते हैं, विज्ञप्तियां जारी की गई हैं, लेकिन कई प्रकरणों में न्यायालय के स्थगन के कारण से, न्यायालय में प्रकरण चलने के कारण से वह काम नहीं बढ़ा है. सरकार ने अपना पक्ष मजबूती से रखते हुए कोशिश की जा रही है कि जल्दी से जल्दी उन न्यायालय के प्रकरणों का निराकरण हो जाये, ताकि जो पद रिक्त हैं, उनकी हम पूर्ति कर सकें. हमारे मध्यप्रदेश में मुख्य तकनीकी परीक्षक जो सतर्कता सीटीई है, उसमें कई प्रकरण आते हैं, जिनका निराकरण भी लगभग होता है, लेकिन बड़ी बात यह है कि अभी तक उसमें कोई प्रभारी अधिकारी ही नियुक्त होता था..
श्री प्रियव्रत सिंह (खिलचीपुर)-- सभापति महोदय, मुख्यमंत्री जी स्वेच्छा अनुदान में पिछले दो हफ्ते से प्रतिपक्ष के सदस्यों के जो पत्र हैं, उनको निरस्त किया जा रहा है. ऐसा कहा गया है कि प्रतिपक्ष के विधायक के जो पत्र हैं, उनको संज्ञान में न लिया जाये. मैं मंत्री जी से निवेदन करुंगा कि कम से कम इलाज में तो राजनीति न हो, मुख्यमंत्री स्वेच्छा अनुदान में कोई राजनीति न हो.
श्री इन्दर सिंह परमार -- मैं जवाब दे रहा हूं. सभापति महोदय, वैसे स्वेच्छा अनुदान मंत्री या मुख्यमंत्री जी की स्वेच्छा पर निर्भर करता है, लेकिन हमने इलाज के मामले में किसी भी प्रकार के कोई भी व्यक्ति हो, उनमें मंत्री, किसी विधायक का भी पत्र नहीं होगा, सामान्य जनता ने भी यदि आवेदन किया है, परन्तु उसके कुछ मापदण्ड तय किये हैं. मापदण्ड ऐसे हैं कि यदि मरीज है, तो चिह्नित अस्पतालों में इलाज कराने जाता है, जो सूचीबद्ध है विभाग में, उनमें मिलता है और उसके बाद में वह उस समय तक भर्ती रहना चाहिये अस्पताल में और भर्ती नहीं रहने के कारण से मैं माननीय सदस्य को अवगत करा देना चाहता हूं कि हमारे भी प्रकरण रोज कुछ न कुछ, क्योंकि मरीज आता है, वह आवेदन करता है और वह अपने पास कागज भेजता है, तब तक उसकी छुट्टी हो जाती है. ऐसे प्रकरण ज्यादातर निरस्त हो रहे हैं. बाकी प्रकरणों को हम ..
श्री प्रियव्रत सिंह -- सभापति महोदय, मेरा अनुरोध है कि जो मापदण्ड पूर्ण करे, जो आपके मापदण्ड हैं, उन मापदण्डों को जो प्रकरण पूर्ण करें, उनमें भेदभाव न हो,यह सुनिश्चित किया जाये.
श्री इन्दर सिंह परमार -- उनमें कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है.
श्री रामलाल मालवीय (घट्टिया) -- मंत्री जी, इसमें भेदभाव हो रहा है. एक सदस्य को दिया जाता है और दूसरे उसी अस्पताल में दूसरे को नहीं दिया जाता है.
सभापति महोदय -- भेदभाव नहीं होगा, वह कह रहे है.
श्री इन्दर सिंह परमार -- मैंने बोल दिया है, उसमें कोई भेदभाव नहीं हो रहा है. यदि वह पात्रता रखेगा और वह मरीज भर्ती है और जो चिह्नित अस्पताल में इलाज करा रहा है, तो हमारे मुख्यमंत्री जी का निर्देश है कि ऐसे सारे लोगों को जितना हम पैसा दे सकते हैं, उतना हम देने की कोशिश करते हैं.
श्री रामलाल मालवीय -- मंत्री जी, मेरा इतना भर अनुरोध है कि एक ही अस्पताल, जो आपकी चिह्नित सूची में है, एक को दिया जाता है और दूसरे के बारे में अगर कांग्रेस का विधायक अनुशंसा करके भेज रहा है, तो उसको रिजेक्ट किया जाता है, इसलिये मैं आपसे अनुरोध कर रहा हूं.
श्री इन्दर सिंह परमार -- सभापति महोदय, अब मेरे बोलने के बाद भी आप बोल रहे हैं, तो मेरा एक निवेदन कि जरा अपने समय का सवा साल का भी रिकार्ड उठाकर देख लें.
सभापति महोदय -- अब आप सवा साल छोड़िये, अपनी बात करिये. अपना संबोधन जारी रखिये.
श्री इन्दर सिंह परमार -- सभापति महोदय, सवाल इस बात का है कि कांग्रेस का विधायक, बीजेपी, कांग्रेस का विधायक हम नहीं करते हैं, हमारे हिसाब से. लेकिन यदि है, तो अपने भी समय का अवलोकन कर लीजिये, रिकार्ड मेरे पास है. मैं सबसे ज्यादा वह काम करता हूं.
सभापति महोदय -- आपने कह दिया, आप फर्क नहीं करेंगे, आपने जो कहा है, वह पर्याप्त है. चलिये, आप जारी रखिये.
श्री इन्दर सिंह परमार -- सभापति महोदय, मुख्य तकनीकी परीक्षक जो संगठन है हमारा, इसमें अभी तक हमारे पास जो परीक्षक का पद था, वह प्रभारी करके नियुक्त करते हैं, फुलफ्लेश कोई होता ही नहीं था. इस कारण से विभाग में जो कठिनाई आती थी, लेकिन उसको अभी हमने स्थाई पद पर नियुक्ति कर कर दी है, जिसके कारण प्रकरणों के निराकरण में जल्दी होगी. प्रशासनिक अकादमी के बारे में सब जानते हैं, लेकिन फिर भी हमारे पास एक ऐसी संस्था है प्रशिक्षण के लिये, जो एक प्रकार से विश्व स्तरीय यहां पर प्रशिक्षण देने का काम करती है. कोरोना काल में भी ऑन लाइन वहां पर अलग अलग विषय को लेकर के प्रशिक्षण देने के काम किये गये हैं. आज एक उल्लेख इसलिये कर रहा हूं कि जो हमारा वल्लभ भवन का विस्तार हुआ, वह वल्लभ भवन का विस्तार जो भवन बना है, वह निर्णय पिछली शिवराज सिंह जी की सरकार ने ही किया था. उसका लोकार्पण जरुर कमलनाथ जी ने किया. लेकिन वह एक बहुत बड़ी, अच्छी बिल्डिंग एक प्रकार से पूरे देश में सबसे अच्छा हमारे पास एक प्रशासनिक भवन है और मंत्रालय के रुप में आज हमारे सामने है. एक विषय बार-बार डॉ. गोविन्द सिंह जी ने भी उठाया था. काफी लोगों ने उस पर बोला है. उच्च पदों पर शासकीय सेवकों को प्रभार सौंपे जाने के संबंध में था, इस संबंध में दिनांक 9 दिसम्बर, 2020 को महानिदेशक, आरसीवीपी नरोह्ना प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी, उस समिति की अनुशंसा का प्रतिवेदन दिनांक 15 जनवरी, 2021 को शासन को प्राप्त हो गया है. समिति की अनुशंसा पर सरकार जल्दी कार्यवाही करने वाली है.
डॉ. गोविन्द सिंह - सभापति महोदय, जब मंत्रिमंडल ने, कैबिनेट ने फैसला दे दिया था तो मंत्रिमंडल से बड़ी अधिकारियों की समिति नहीं होती है, इसलिए तो कहना चाह रहा हूं कि आप यदि उनसे ही पूछोगे तो वह फिर टांग अड़ाएंगे. कितने दिक्कतें आती है मैं समझता हूं.
श्री इन्दर सिंह परमार - सभापति महोदय, आपको जब मंत्रिमंडल में निर्णय करना था तो उसी समय कर देना था, जब उस समय सवा साल तक आप इंतजार करते रहे, हमारा ही इंतजार करते रहे.
डॉ. गोविन्द सिंह - आदेश जारी है आपको कुछ नहीं करना है. आदेश आपने रोक दिया है वह जारी होने दो. आपके पास वह रखा है. आदेश तो है आप मान कहां रहे हैं?
श्री इन्दर सिंह परमार - सभापति महोदय, मेरा केवल यह आग्रह है कि हम उस ओर आगे बढ़ रहे हैं वैसे तो मध्यप्रदेश में जो हमारे आईएएस अधिकारी हैं उनके लिए कोई प्रमोशन पर रोक नहीं है परन्तु बाकी नीचे तक अधिकारियों, कर्मचारियों पर है और वह आप भी जानते हैं कि न्यायालय के कारण है, लेकिन उसमें से कुछ रास्ता निकल सकता है क्या, उस पर रास्ता निकालने का काम हम कर रहे हैं, उसकी प्रक्रिया है और प्रक्रिया आगे बढ़ने वाली है.
सभापति महोदय, एक बड़ा काम जिसके कारण से पारदर्शिता और हमारे अधिकारियों कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ने वाली है और अधिकारियों, कर्मचारियों का उसमें हित भी है, ऐसी व्यवस्था सामान्य प्रशासन विभाग के द्वारा की जा रही है, एक ई-मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली बनाई गई है, मैप आईटी के माध्यम से उसको किया गया है, उसमें जितने भी हमारे शासकीय कर्मचारी हैं, अधिकारी हैं, उन सबकी सेवा पुस्तिका को ऑन-लाइन करेंगे, एक प्रकार से अब उनकी सीआर से लेकर सारी चीजें ऑन-लाइन हो जाएगी और वह काम हम पहले मंत्रालय से करने जा रहे हैं ताकि कर्मचारियों को इधर उधर भटकना नहीं पड़े और कर्मचारियों को जो परेशानी आती है अपनी समस्याओं को लेकर, उनकी सब व्यवस्था ऑनलाइन करने का काम किया जा रहा है. ऐसी ई-ऑफिस व्यवस्था पर भी मंत्रालय में काम चल रहा है. सबसे पहले मंत्रालय को एक ई-ऑफिस की व्यवस्था में परिवर्तन करने का काम करेंगे ताकि धीरे धीरे करके आने वाले समय में हम पेपरलेस व्यवस्था पर पहुंच जाय और सारी व्यवस्थाएं इसी व्यवस्था से संचालित होने लगें.
गोपनीय प्रतिवेदन, अचल संपत्ति को भी हम उसमें डाल रहे हैं ताकि किसी भी अधिकारी के बारे अचल संपत्ति की पूरी जानकारी मिल सकती है. बहुत सारे प्रश्न इस संबंध में उठाए थे उनमें कुछ बातों का मैं उत्तर देना चाहता हूं. अनुकंपा नियुक्ति के बारे में शासन स्तर पर कोई रोक नहीं है लेकिन पद खाली नहीं होने के कारण से अनुकंपा नियुक्ति नहीं हो पाती है और वह जिला स्तर से उनकी नियुक्ति करने का प्रावधान है, वह यहां भोपाल से नहीं होती है. जो भोपाल के विभाग हैं केवल उनकी नियुक्ति केवल भोपाल से होती है लेकिन सभी विभागों में जिला स्तर पर ही वह काम करने का प्रावधान किया गया है. केवल इतना सा उसमें है कि यदि वहां खाली पद नहीं है तो उनको भोपाल स्तर पर भेजकर दूसरे विभाग को कलेक्टर के माध्यम से भेजने का प्रावधान है, वह पहले से ही चल रहा है, वही प्रावधान है लेकिन निराकरण करने का काम जिला स्तर पर ही किया जा रहा है.
6.10 बजे { सभापति महोदया ( श्रीमती झूमा सोलंकी ) पीठासीन हुईं }
माननीय सभापति महोदया, एक उल्लेख गोविंद सिंह जी ने किया था, हालांकि वह इस विषय से संबंधित नहीं है. भर्तियों को लेकर भी किया था, मैं भर्तियों के बारे में यह बता देना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश मे हमारी पहले जो शिक्षक भर्ती की परीक्षा हुई थी उ स शिक्षक भर्ती पात्रता परीक्षा में हमारे परीक्षार्थी पास हुए थे उनके वेरीफिकेशन का काम हमने प्रारम्भ किया था परंतु आरक्षण को लेकर के क्योंकि सरकार ने 27 प्रतिशत आरक्षण के माध्यम से पिछड़े वर्ग को देने का निर्णय लिया है. हम उसी आधार पर भर्ती करना चाहते थे लेकिन कुछ पिटीशन आ गई तो उसके कारण हम उस पर आगे बढ़ने का काम नहीं कर पाये थे लेकिन अब हम उस पर रास्ता निकालकर हम उस प्रक्रिया को जल्दी पूरा करना चाहते हैं मैं समझता हूं कि उ सके कारण हमारे शिक्षा विभाग में तो कम से कम शिक्षकों की जो कमी है उसकी पूर्ति हो जायेगी.
सभापति महोदया -- माननीय मंत्री जी दो माननीय मंत्री जी और भी हैं उनको भी अपना जवाब देना है. अब आप जल्दी दो मिनट में पूरा करें.
श्री इन्दर सिंह परमार -- हमारी सरकार एक और बड़ा काम करने जा रही है कि अब जितनी भी सरकारी नौकरियां होंगी उसमें हम मध्यप्रदेश के नागरिकों को प्राथमिकता देंगे. उसके लिए हमारी प्रक्रिया चल रही है आगे आने वाले समय में उसका परिणाम सबके सामने आने वाला है. लोक सेवा ग्यारंटी केन्द्रों में भी ऐसे बहुत सारे विषय आये हैं, वैसे वह अच्छे चल रहे हैं लेकिन कहीं से अगर शिकायत आयेगी तो हम जरूर उसमें व्यवस्था सुधारने का काम जरूर करेंगे.
सभापति महोदया ट्रांसफर नीति के बारे में भी यहां पर चर्चा कीथी इसलिए मैं इस पर अपनी थोड़ी सी बात रखना चाहता हूं. जो ट्रांसफर कांग्रेस की सरकार के समय पर किये गये थे और जिसका परिणाम विशेषकर शिक्षा विभाग में यह है कि जो हमारे ट्रायबल जिले हैं अलीराजपुर में 223 स्कूल शिक्षक विहीन हैं एक भी शिक्षक वहां पर नहीं है, झाबुआ जिले में 203 स्कूल ऐसे हैं जहां पर एक भी शिक्षक नहीं है ऐसे ही खरगौन, बड़वानी जिले में बड़ी संख्या में शिक्षक विहीन विद्यालय कर दिये गये हैं. इसलिए ट्रासफर नीति व्यवस्थित बनाने की जरूरत थी जो कि उस समय पर नहीं बनाई गई. मैं सभापति महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि हम बहुत सोच समझकर ट्रांसफर नीति पर काम करने जा रहे हैं. ताकि आने वाले समय में जो कर्मचारी हैं उनको भी परेशानी न हो और स्कूल शिक्षा विभाग या अन्य विभाग में भी ऐसी खाली स्थान की स्थिति पैदा न हो इस प्रकार की एक आदर्श ट्रांसफर पालिसी बनाने पर हमारी सरकार काम कर रही है.
सभापति महोदया, हमारे विमानन विभाग की भी काफी उपलब्धि रही है. हमने कई ऐसे स्थानों पर जहां कोरोना काल में विमान हवाई पट्टा बंद हो गई थी उनको फिर से प्रारंभ कर दिया है. उनको आगे भी बढ़ाने की हमारी योजना है जिसमें हम 7 नये स्थानों पर नई हवाई पट्टी शुरू करने जा रहे हैं. इसमें हमें रोजगार सृजन करने का भी अवसर प्राप्त हो रहा है. हमारा एक लोक सेवा परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग यह बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है इसके बारे में कई लोगों ने बहुत भ्रांति फैलाने की कोशिश की है लेकिन सभापति महोदय मैं बता देना चाहता हूं कि इस विभाग की आवश्यकता इसलिए पड़ी कि हमारी मध्यप्रदेश सरकार की कई प्रकार की अचल संपत्ति कई राज्यो में हैं और उसका किसी भी प्रकार का उपयोग नहीं हो रहा है. इसलिए सरकार ने उसके लिए समिति बनाकर समीक्षा करके एक विभाग बनाकर उन सारी संपत्तियों का उपयोग दूसरे विभाग करें. एक विभाग बनाकर उन सारी संपत्तियों का उपयोग दूसरे विभाग करें या फिर उसका कहीं उपयोग नहीं हो, आखिरी स्थिति में हम उसको सेल करने का काम करेंगे, लेकिन हमने उज्जैन, ग्वालियर, कटनी की जो चुनिंदा परिसंपत्तियां हैं उनको विकसित करने का काम किया है. राजस्व विभाग, जिला कलेक्टरों के माध्यम से उनकी कार्यवाही हम करा रहे हैं. इसी प्रकार जिला इंदौर में भी गाडराखेड़ी और कस्बा इंदौर रेसीडेंसी परिसंपत्तियों को इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित किया जाकर समुचित प्रबंधन किया जाना प्रस्तावित किया गया है. यानी इस विभाग के बारे में लोगों ने जो तरह-तरह की भ्रांतियां फैलाने की कोशिश की थी कि सरकार महत्वपूर्ण संपत्ति को बेच रही है, तो सरकार उनको बेच नहीं रही, सरकार उनका उपयोग कर रही है और जो हमारे उपयोग में नहीं है, जैसे कई राज्यों में ऐसा है कि राज्य सरकारों का हमारी जमीन पर कब्जा है, कई जगह ऐसा है जहां पर हमारी संपत्तियों पर लोगों ने अतिक्रमण, कब्जा कर रखा है और एक बार उसका सारा रिकार्ड निकालकर क्योंकि अभी तक उस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया था, हमारी सरकार ने ऐसी सारी संपत्तियों को फिर से लिस्टेड करके उनका ठीक उपयोग हो जाय और उससे सरकार को आमदनी हो जाय, राजस्व में वृद्धि हो जाय, इस प्रकार के सारे प्रस्ताव तैयार किये गये हैं, उसी को लेकर हमारा काम किया जा रहा है. सभापति महोदया, मैं आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं.
सभापति महोदया -- माननीय मंत्री, भारत सिंह जी कुशवाह 5 मिनट में अपनी बात समाप्त करें.
राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास (श्री भारत सिंह कुशवाह) -- सभापति महोदया, मैं मांग संख्या 32, 48 और 55 पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. जिस प्रकार से मेरी तीनों मांग संख्या हैं उन पर जो माननीय सदस्यों ने विचार रखे, जो उनकी राय उन्होंने व्यक्त की है, मैं निश्चित रूप से यह कहना चाहूंगा कि उनके जो भी सुझाव हैं उनका हम परीक्षण कराकर निश्चित रूप से जो सार्थक होंगे उन पर हम अवश्य कार्यवाही करेंगे.
सभापति महोदया, जन संपर्क विभाग का मुख्य दायित्व है सरकार की नीतियों, निर्णय, योजना, कार्यक्रम और उपलब्धियों की जानकारी विभिन्न प्रचार-प्रसार माध्यम से आम लोगों तक पहुंचाकर उन्हें सूचना संपन्न बनाना. जनसंपर्क विभाग शासन, प्रशासन, आम लोगों के बीच एक संपर्क सेतु की तरह है इसलिये जनसंपर्क विभाग का अमला निरंतर काम करता है. जनसंपर्क विभाग के उद्देश्य में मीडिया के सहयोग की महत्पूर्ण भूमिका रहती है. प्रदेश के विकास की प्रक्रिया में हम मीडिया को भी सहयोगी की भूमिका में देखते हैं. हमने मीडिया को पत्रकारिता की स्वस्थ परम्पराओं को निभाने में प्रेरित करने के लिये कई कदम भी उठाये हैं जिसका उल्लेख मैं आगे अपने भाषण में करूंगा.
सभापति महोदया, मीडिया के साथियों और उनके परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य को लेकर सरकार संवेदनशील है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिसम्बर 2020 तक 226 पत्रकारों को उनके स्वयं के एवं परिजनों के उपचार के लिये 94 लाख, 5 हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है. मैं यह भी बताना चाहूंगा कि अधिमान्यता प्राप्त श्रमजीवी पत्रकारों की मृत्यु पर उन पर आश्रित पत्नी और नाबालिग बच्चों को आर्थिक सहायता देने की अधिकतम सीमा राशि 4 लाख रुपये है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में दिसम्बर माह तक दिवंगत पत्रकारों के परिजनों को रुपये 54 लाख की आर्थिक सहायता दी गई है. आपके माध्यम से मैं सदन को यह बताना चाहूंगा कि प्रदेश के वरिष्ठ एवं प्रतिष्ठित पत्रकारों को 10 हजार रुपये की सम्मान निधि प्रतिमाह दी जा रही है.
डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ -- सभापति महोदया, मंत्री जी का भाषण पढ़ा हुआ मान लिया जाये, तो समय की बचत हो जाएगी, हम लोग पढ़ लेंगे.
श्री भारत सिंह कुशवाह -- माननीय सभापति महोदया, इसका लाभ देने के लिए प्रदेश सरकार ने पत्रकारों की आयु सीमा 62 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष कर दी है.
माननीय सभापति महोदया, मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि अधिमान्य पत्रकारों को 25 लाख रुपये तक के आवास ऋण पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान 5 वर्ष तक दिए जाने की योजना का प्रभावी क्रियान्वयन किया जा रहा है. चालू वित्तीय वर्ष में इस योजना में 18 पत्रकारों को राशि रुपये 16,94,241 के ब्याज अनुदान का भुगतान किया गया है.
माननीय सभापति महोदया, सोशल मीडिया के माध्यम से कोरोनाकाल और लॉकडाऊन के दौरान सरकार के प्रयासों और कार्यवाहियों से संबंधित सही जानकारी आसानी से आम जन तक पहुँचाई गई है. प्रदेश के बाहर फंसे लोगों को भी सोशल मीडिया पर मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराई गई है.
माननीय सभापति महोदया, पारदर्शिता और सुगमता की दृष्टि से अब सभी वर्गीकृत तथा प्रदर्शन विज्ञापन सामग्री विज्ञापन आदेश ऑनलाइन जारी किए जा रहे हैं. विज्ञापन देयकों के ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था की गई है.
माननीय सभापति महोदया, हमने अप्रामाणिक और भ्रामक फेक न्यूज का खण्डन करने के लिए नवाचारी प्रयास करते हुए जनसंपर्क फैक्ट चेक के नाम से पोर्टल तैयार किया है. इस पोर्टल के माध्यम से सोशल मीडिया एकाउंट से वाइरल हो रहे फेक न्यूज के फैलाव को रोककर आमजन को सही और प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी.
माननीय सभापति महोदया, हमारा विभाग एनएमएमएसए न्यूज मीडिया मॉनिटरिंग एंड सेंटीमेंट एनॉलिसिस एप्लिकेशन का उपयोग कर रहा है. इसमें प्रतिदिन प्रदेश के सभी जिलों से प्राप्त होने वाले समाचार-पत्रों की न्यूज क्लिपिंग्स के परीक्षण और विश्लेषण की व्यवस्था की गई है.
माननीय सभापति महोदया, मैदानी प्रचार कार्यों को और ज्यादा प्रभावी बनाने, नए प्रचार माध्यमों का समुचित उपयोग करने के लिए क्षेत्र प्रचार नीति तैयार की गई है. इससे कार्य दक्षता तो बढ़ेगी, साथ ही पारदर्शिता भी बढ़ेगी.
सभापति महोदया -- मंत्री जी, समाप्त करें क्योंकि एक माननीय मंत्री जी और हैं.
श्री प्रियव्रत सिंह -- सभापति महोदया, पढ़ा हुआ मान लिया जाए. ..(व्यवधान)..
डॉ. गोविन्द सिंह -- ऐसा है कि पहली बार मंत्री बने हैं, बोल लेने दो. ..(व्यवधान)..
श्री भारत सिंह कुशवाह -- माननीय सभापति महोदया, मैं जनसंपर्क विभाग में वित्तीय वर्ष 2021-22 हेतु राजस्व मद में राशि 353 करोड़ 84 लाख 84 हजार, पूंजीगत मद में राशि 5 करोड़, इस प्रकार से कुल राशि रुपये 358 करोड़, 84 लाख 84 हजार का बजट प्रस्ताव सदन के समक्ष प्रस्तुत करता हूँ.
सभापति महोदया -- माननीय मंत्री जी, लिखित में दे दें, कार्यवाही में आ जाएगा. अगले माननीय मंत्री श्री बृजेन्द्र सिंह यादव जी अपनी बात रखेंगे. आप भी संक्षिप्त में अपनी बात रखें.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- माननीय सभापति महोदया, नर्मदा मालवा गंभीर लिंक परियोजना का लाभ हमारी विधान सभा महिदपुर को भी मिलने का विषय हमने उठाया था, मैं चाहता हूँ कि चूँकि माननीय मंत्री जी, नर्मदा घाटी विकास विभाग के भी मंत्री हैं तो वे आश्वासन दे दें.
सभापति महोदया -- माननीय मंत्री जी, प्रारंभ करें. ..(व्यवधान)..
डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय मंत्री महोदय, पहले हमारे यहां का पानी तो हमें मिले, उसके बाद आगे ले जाना.
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी राज्य मंत्री (श्री बृजेन्द्र सिंह यादव) -- माननीय सभापति महोदया, मेरे लिए प्रसन्नता की बात है कि लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की मांग पर आज चर्चा में सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के माननीय विधायकगण ने उत्साह से भाग लिया एवं अपने अमूल्य सुझाव दिए. चर्चा में भाग लेने वाले सभी माननीय विधायकगण के प्रति मैं आभार प्रकट करता हूँ कि उनके द्वारा विभाग के लिए जो सकारात्मक सुझाव दिए गए हैं, उन पर गहराई से विचार किया जाएगा. मैं यह भी आश्वस्त करता हूँ कि स्थानीय एवं क्षेत्रीय समस्याओं के बारे में जो बिंदु उठाए गए हैं, उन पर विभाग पूरी गंभीरता से कार्यवाही करेगा. कार्यों के प्रति संतोष प्रकट किया गया है तथा हमारे माननीय सदस्यों ने बड़े महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं. जल हमारी पृथ्वी का प्रकृति प्रदत्त सबसे मूल्यवान संसाधन है, जीवन का आधार जल ही है. जल के बिना जगत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. भूमि, गगन, वायु, अग्नि और पानी ऐसे पंचतत्व हैं जिनके बिना जीवन की कल्पना व्यर्थ है. हमारी संस्कृति में इन सभी को किसी न किसी स्वरुप में पूजा जाता है. 15 अगस्त, 2019 को लाल किले के प्राचीर से माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा गांवों में जल जीवन मिशन के माध्यम से शुद्ध पेयजल, नल के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को पहुंचाने का संकल्प लिया गया है.
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- माननीय सभापति महोदया, इनका भाषण भी पढ़ा हुआ मान लिया जाए.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव -- हमारी सरकार के गठन के पश्चात ही इस मिशन के कार्यों को प्राथमिकता से प्रारम्भ कराया गया है. जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रदेश के समस्त ग्रामीण परिवार को वर्ष 2023-24 तक घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा गया था. तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा इस मिशन के कार्यों में रुचि नहीं लिये जाने के कारण जेजेएम के कार्य वर्ष 2019 में प्रारम्भ नहीं हो सके. हमारी पार्टी द्वारा सरकार बनाने के मात्र दो माह की अवधि में ही विशेष प्रयास कर माह जून 2020 से फील्ड पर जेजेएम के कार्य प्रारम्भ कराये गये.
श्री बाला बच्चन -- माननीय सभापति महोदय, यह सरकार का वक्तव्य है, पार्टी का वक्तव्य नहीं है. माननीय मंत्री जी, एक्सप्रेस गाड़ी को बंद करें. यह पार्टी का वक्तव्य नहीं है. मेरी पार्टी, तेरी पार्टी, कांग्रेस पार्टी और भाजपा पार्टी का नहीं है.शासन का वक्तव्य होना चाहिए...(व्यवधान)..
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- बाला भाई, जैसा मंत्री जी को लिखकर दिया होगा, वैसा वह पढ़ रहे हैं. उनका क्या दोष है, लिख-लिख कर पढ़ रहे हैं...(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन -- माननीय मंत्री जी, विधायकों को पढ़ना अलाऊ नहीं है, आप तो मंत्री हैं..(व्यवधान)..
डॉ.विजयलक्ष्मी साधौ -- क्या हर समय अलाऊ करेंगे पढ़कर बोलने के लिए...(व्यवधान)..
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव -- सभापति जी, एक ओर जहां तत्कालीन कांग्रेस सरकार केन्द्र सरकार से राशि प्राप्त न होने का बहाना बनाती रही वहीं दूसरी ओर कांग्रेस द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 में केन्द्र सरकार से प्राप्त राशि का शत प्रतिशत् उपयोग नहीं किया जा सका, जिससे लगभग राशि रुपये 246 करोड़ की राशि शेष रह गयी. हमारी सरकार के सत्ता में आते ही हमने जल जीवन मिशन के कार्यों को व्यवस्थित रुप से निर्धारित समयावधि में पूर्ण करने के लिये आगामी 04 वर्षों (दिसम्बर 2023 तक) की कार्ययोजना तैयार की गई तथा इसका भारत सरकार से अनुमोदन प्राप्त किया गया...
श्री सुखदेव पांसे -- पानी के लिये कोई इतना बड़ा पाप नहीं करता, जो आपने किया है...(व्यवधान)..
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव -- माननीय सभापति महोदय, दिनांक 1.4.2020 की स्थिति में प्रदेश में कुल 17.72 लाख एफएचटीसी यानी क्रियाशील घरेलू नल कनेक्शन थे. 11 माह की अल्प अवधि में वर्तमान तक 17.04 लाख नवीन एफएचटीसी प्रदान किये गये हैं....
श्री बापूसिंह तंवर -- माननीय सभापति महोदय, यह प्रदेश में पूरी किताब अगर पढ़कर...(व्यवधान)...
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- आपकी राष्ट्रीय अध्यक्ष आज तक पढ़ रही हैं, हमने कुछ कहा?..(व्यवधान)..
श्री लक्ष्मण सिंह -- अरे, वह ठीक है लेकिन यहां इस सदन में..(व्यवधान)..
श्री बाला बच्चन -- माननीय सभापति महोदय, सदन में मंत्री जी को, विधायकों ने जो मुद्दे उठाये हैं, उन मुद्दों पर जवाब देना चाहिए.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव -- मैं जवाब दूंगा, जरुर दूंगा आप चिन्ता न करें. एक-एक मुद्दे पर जवाब दूंगा.
डॉ.गोविन्द सिंह -- अरे, आप तो बोलो. सिंधिया जी ने आपको लिखकर दे दिया होगा..(हंसी)..
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव -- माननीय सभापति महोदय, प्रदेश में दिनांक 15.8.2019 की स्थिति में कुल 12 प्रतिशत एफएचटीसी थे तथा दिनांक 28 फरवरी 2021 की स्थिति में एफएचटीसी का प्रतिशत 28 हो गया है. इस वित्तीय वर्ष के अंत तक इस प्रतिशत को 36 प्रतिशत तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है....
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- डॉ.गोविन्द सिंह जी को सोते में भी सिंधिया जी दिखते हैं. सोते में भी. बेचारे को यहां मेरी जगह से मेरी जगह पहुंचा दिया...(हंसी)
डॉ.गोविन्द सिंह -- अरे भई, सपोर्ट कर रहे हैं. पढि़ए आप. जो आईएएस ने आदेश दिया है वह तो उनको पढ़ना पडे़गा.पढ़ने दो उसको..(हंसी)..
श्री सज्जन सिंह वर्मा -- पहला पैरा और आखिरी पैरा पढ़ा हुआ मान लिया जाए...(हंसी)
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- माननीय सभापति जी, शत् प्रतिशत छोड़कर सीधे जवाब जो हैं जिनके प्रश्न हैं उनके उत्तर दे दीजिए.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव -- चलिए ठीक है, आप उत्तर ले लीजिए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- हो गया, अब बैठो.
सभापति महोदया -- बात खत्म हो गई.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव -- माननीय मंत्री जी, दो मिनट में इन सबके उत्तर देने दीजिए.
डॉ.गोविन्द सिंह -- ठीक है, पढ़ लेने दीजिए.
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव -- माननीय सभापति महोदया, आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत जल जीवन मिशन की अवधारणा के अनुरूप ग्रामीण क्षेत्रों में ही रोजगार सृजन करने हेतु मिशन प्लम्बर, फिटर, इलेक्ट्रिशियन को प्रशिक्षण दिया जा रहा था तथा नल जल योजनाओं के निर्माण में स्थानीय श्रमिकों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. अत: मैं सदन से अनुरोध करता हॅूं कि सर्व सम्मति से विभाग के बजट का अनुमोदन करें. (मेजों की थपथपाहट)
सभापति महोदया -- धन्यवाद.
श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर -- जो मांग की है वह तो कुछ बोलिए.
अध्यक्ष महोदय -- मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगी.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या- 1, 2, 20, 32, 41, 45, 48, 55 एवं 65 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
श्री बाला बच्चन -- आप सब ने कटौती प्रस्ताव का समर्थन किया है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- ना बोला है.
श्री बाला बच्चन -- आप सबने कटौती प्रस्ताव के समर्थन में हॉं बोला है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- ना बोला है. आप देखो इसको, मिट्टी का तेल डालकर आग दिखाओं...
श्री बाला बच्चन-- पहले कटौती प्रस्तावों पर माननीय सभापति जी ने मत लिया है. उसमें आप सब ने हाँ बोला है. पीछे मंत्री जी से पूछो.
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
सभापति महोदया-- विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनाँक 9 मार्च, 2021 को प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित
अपराह्न 6.32 बजे विधान सभा की कार्यवाही मंगलवार, दिनाँक 9 मार्च, 2021 (18 फाल्गुन, शक संवत् 1942) के प्रातः 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल, |
ए.पी.सिंह, |
दिनाँक 8 मार्च, 2021
|
प्रमुख सचिव, |
|
मध्यप्रदेश विधान सभा. |