मध्यप्रदेश विधान सभा

 

की

 

कार्यवाही

 

(अधिकृत विवरण)

 

 

 

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 पंचदश विधान सभा                                                                     अष्‍टम सत्र

 

 

फरवरी-मार्च, 2021 सत्र

 

सोमवारदिनांक 8 मार्च, 2021

 

(17 फाल्‍गुनशक संवत्‌ 1942)

 

 

[खण्ड- 8 ]                                                                                           [अंक- 10 ]

 

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मध्यप्रदेश विधान सभा

 

सोमवारदिनांक 8 मार्च, 2021

 

(17 फाल्‍गुनशक संवत्‌ 1942)

 

विधान सभा पूर्वाह्न 11.00 बजे समवेत हुई.

 

{अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

 

अंतर्राषट्रीय महिला दिवस पर शुभकामना उल्लेख

 

          गृह मंत्री ( डॉ. नरोत्तम मिश्र )-- अध्यक्ष महोदय कितना मनोहारी दृश्य है. आज मार्शल के रूप में आपके न्याय के दण्ड को लेकर, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, महिला मार्शल को  साथ में लाये हैं. एक नई परंपरा आपने डाली है. मैं आपको बधाई देता हूं, आपको शुभकानमा देता हूं.

          अध्यक्ष महोदय अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आज मुख्यमंत्री जी ने भी महिला सफाई कर्मियो    तथा महिला पत्रकारों के साथ मिलकर एक अद्भुत संदेश देने का कार्य किया है. मैंने भी गृह मंत्री की कुर्सी पर हमारी महिला कांस्टेबल बिटिया को बैठाया. इस तरह से एक संदेश देने की कोशिश की. हमारा यह भारत देश है. यहां की संस्कृति ऐसी है कि यहां पर नारी को पूजा जाता है. कहा जाता है कि यत्र नारी पूज्यंते रमंते तत्र देवता. या नारी का सम्मान जहां पर है, संस्कृति का उत्थान वहां है.

          अध्यक्ष महोदय विश्व में एक मात्र भारत देश ऐसा है जो कि अपनी भूमि को  भारत माता के नाम से पुकारता है. इस तरह का विश्व में कोई देश नहीं है. पाकिस्तान फादर नहीं कहता है, चीन डैडी नहीं कहता है, होनोलूलू फादर नहीं कहता है. केवल भारत देश है जो मानता है कि जननी जन्म भूमि स्वर्ग से महान है. यह हमारा देश है जहां पर हमें अगर ताकत चाहिए तो हम मां दुर्गा के पास जाते हैं, विद्या चाहिए तो मां सरस्वती के पास जाते हैं, पैसा चाहिए तो मां लक्ष्मी के पास जाते हैं. हमें इस देश के अंदर इस संस्कृति को और  मजबूत आपने किया कि विधान सभा में धर्म स्वातंत्र विधेयक नारियों के लिए शक्ति के लिए, उत्थान के लिए यह आपने आज के ही दिन लिया है, उसके लिए मैं आपको बहुत बहुत साधुवाद देता हूं, आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूं.

          अध्यक्ष महोदय मां की पूजा करना हमारी संस्कृति में है. कहावत है न कि मां महात्मा और परमात्मा. इस भारतीय संस्कृति में  तीनों का अलग प्रकार का महत्व है. मैं तो कहा करता था कि जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है, मां दुआ करती हुई मेरे ख्वाब में आ जाती है. या बहुत रोते हैं लेकिन दामन नम नहीं होता, और इन आंखों के बरसने का कोई मौसम नहीं होता, मैं अपने दुश्मनों के बीच भी महफूज रहता हूं, मेरी मां की दुआओ का खजाना कम नहीं होता.

           अध्यक्ष महोदय आपने आज ऐसा महिला सशक्तिकरण का दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन आपने धर्म स्वातंत्रय विधेयक लिया है उसके लिए आपका आभार माननीय मुख्यमंत्री जी का आभार और अध्यक्ष महोदय महिला सशक्तिकरण के दिन पूरे देश की मात्रशक्ति का वंदन अभिनंदन धन्यवाद्.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा (सोनकच्छ)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे सदन की ओर से मध्यप्रदेश ही नहीं, भारत ही नहीं पूरे जगत का माता बहनों को हम लोग अपनी अनंतकोटी शुभकामनाएं प्रेषित करते हैं. नरोत्तम मिश्र जी जैसा शब्द संयोजन शायद दूसरा कोई नहीं कर सकता है. मैं उनको बधाई देता हूं. वास्तव में जादूगर हैं शब्दों के.

          अध्यक्ष महोदय मुख्यमंत्री जी को बधाई की उन्होंने महिला सफाई कर्मी के साथ अपने दिन की शुरूआत की. माननीय अध्यक्ष जी ने सहयोगी के रूप में आज महिला मार्शल को साथ लिया. हम इन सारी बातों के बाद महिला और मां का महिमा मंडन इसलिए करते हैं कि  वह वास्तव में यथार्थ है.

          अध्यक्ष महोदय मैं एक छोटी सी दो लाइन की कहानी सुना देता हूं. एक स्कूल में मास्टर ने कहा कि सारे बच्चे 100 शब्दों में महिलाओं पर मां पर एक निबंध लिख दो. सभी बच्‍चे निबंध लिखने लगे. सभी बच्‍चों ने कॉपी जमा कराई. उन्‍होंने सारी कॉपियां चेक की. एक लड़की की कॉपी में सिर्फ मॉं लिखा था. उन्‍होंने उसको पहला नंबर दिया कि बेटा मैं तुम्‍हें प्रथम ईनाम देता हूं. तेरी भावना क्‍या है, तो उसने बोला गुरू जी मॉं शब्‍द में सारा संसार समाया हुआ है और वह मेरी मॉं जब मैं छोटा सा था, बिस्‍तर गीला कर देता था तब मेरी मॉं इस करवट आ जाती थी, मुझे उस करवट सुलाती थी,  तो मॉं से बड़ा, एक शब्‍द में सारा संसार समाया है. आज महिलाओं का महिमा मंडन शाब्दिक रूप से करने के साथ-साथ मैं सदन से अनुरोध करता हूं कि माननीय मुख्‍यमंत्री जी कहीं भी किसी प्रोग्राम में, आज बड़ा प्रोग्राम है उसमें घोषणा करें कि जिस तरह हमने राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया है, स्‍थानीय निकाय में, मध्‍यप्रदेश में सरकारी नौकरियों में भी 50 परसेंट आरक्षण हम महिलाओं को देंगे तो यह हमारा सही समर्पण उनके प्रति होगा. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          कुँवर विक्रम सिंह नातीराजा -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं विश्‍व की, देश की और अपने प्रदेश की सभी महिलाओं को आज महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और अपनी मॉं साहब को चरण छूकर आज यहां सदन से आपके माध्‍यम से निवेदन करता हूं. अध्‍यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में एक पत्रकार के साथ में बहुत गलत हुआ.उसके साथ में मारपीट की गई.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, यह विषय अभी नहीं, ऐसे तमाम अवसर आएंगे. आज कम से कम इसको नहीं उठाएं.

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया -- अध्‍यक्ष महोदय, सिर्फ एक मिनट. माननीय मंत्री नरोत्‍तम मिश्र जी ने विस्‍तार से व्‍याख्‍या की, आज के इस अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, मैं कार्यसूची को भी देख रहा था, जहां धर्म स्‍वातंत्र्य विधेयक आया है, सामान्‍य प्रशासन विभाग के साथ-साथ आज देखिये अद्भुत संयोग है, महिला एवं बाल विकास विभाग की अनुदान मांगों को भी आपने चर्चा में सम्मिलत किया है. बहुत-बहुत धन्‍यवाद.

          श्री पी.सी. शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं भी आज महिला दिवस पर सभी माताओं- बहनों को बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहता हूं और निश्चित तौर पर आज जो आपने यहां पर महिला मार्शल और जो भी विषय रखे हैं उसके लिये आपको बधाई देना चाहता हूं, लेकिन नरोत्‍तम मिश्र जी ने कहा कि मॉं का खजाना, मैं समझता हूं कि खजाना और बढ़ जाएगा आज अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस के दिन, महिला अगर जुड़ी होती है तो रसोई से जुड़ी होती है, तो रसोई गैस पर 10 परसेंट कम हो जाए.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, शर्मा जी, कृपया इस विषय को नहीं, बहुत सारे मौके आएंगे. कम से कम आज इसको विवादित मत कीजिये. .(व्‍यवधान)..

          कॅुंवर विजय शाह -- कभी तो राजनीति छोड़ दिया करो.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, एक प्रबोधन कार्यक्रम हो जाए. सदन के विधायक के रूप में सीनियर हो गये हैं, महिलाओं के विषय पर थोड़ा और सीनियर हो जाएं.

          श्री पी.सी. शर्मा -- आज कांग्रेस कार्यालय में महिला कुम्‍भ है. मेरा गृह मंत्री जी से निवेदन है कि उसमें कोई बल प्रयोग महिलाओं पर न हो.  ...(व्‍यवधान)..

          अध्‍यक्ष महोदय -- मेरा आप सबसे आग्रह है कि आज आप कार्यवाही बाधित मत करिये. डॉ. गोविंद सिंह जी बोलेंगे.

          श्री विश्‍वास सारंग -- पूरे किस्‍से सुना दीजिये इन्‍होंने क्‍या किया है.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, ठीक है गोविंद सिंह जी बोलेंगे, लेकिन यह जो ट्विस्‍ट करते हैं न, ट्विस्‍ट हम भी कर सकते हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय - नहीं, नहीं बिलकुल नहीं.                

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- अध्‍यक्ष महोदय, मेरी बात सुन लीजिये, आप रिकार्ड में रखे हुये हैं इसलिये मैं यह बात कह रहा हूं. आज महिला दिवस है, नारी के पूजने का भारत की संस्‍कृति में हर दिन होता है, वैसे तो बारह महीने पूजी जाती है, परंतु नवदुर्गा अलग होती है. हिन्‍दुस्‍तान का सबसे बड़ा त्‍यौहार लक्ष्‍मी मां का दीवाली का होता है उससे बड़ा कोई त्‍यौहार नहीं होता, वैसे बारह महीने लक्ष्‍मी को पूजा जाता है, लेकिन आज अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस है, क्‍या हम ऐसा नहीं कर सकते कि हम इस बात को प्रश्‍नकाल के बाद उठा दें, कौन रोकता है इस बात को उठाने में ? आज ही के दिन प्रदर्शन रख दिया. क्‍या जरूरत थी बेलन हाथ में लिवाने की, क्‍या यह बात सही नहीं थी आज हम सिर्फ पूजन करते कल बेलन का कार्यक्रम कर लेते, कल नारी का प्रदर्शन कर लेते, कल गैस पर प्रदर्शन करते ? अध्‍यक्ष महोदय, जब तक पाश्‍चात्‍य संस्‍कृति की महिला कोई भी, किसी पार्टी की अध्‍यक्ष रहेगी, यही विसंगति आएगी इस देश के अंदर.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, नहीं माननीय मंत्री जी. माननीय गोविंद सिंह जी.                 

           डॉ. गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, यह गलत बात है. आप औरों को रोक रहे हैं.

          अध्‍यक्ष महोदय -- आप लोग बैठ जाइये मैंने किसी को अनुमति नहीं दी है. गोविंद सिंह जी संक्षेप में अपनी बात कहेंगे.

               डॉ. गोविंद सिंह -- अध्‍यक्ष महोदय, आज अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस पर मैं समूचे देश और प्रदेश की महिलाओं को शुभकामनाएं देता हूं और ईश्‍वर से प्रार्थना करता हूं कि हर क्षेत्र में राजनैतिक, आर्थिक व सामाजिक क्षेत्र में वह आगे बढ़ें. अध्‍यक्ष जी, एक और निवेदन आपसे करना चाहता हूँ कि आपने जिस प्रकार नए विधायकों को एक दिन सदन में प्रश्‍नकाल में प्रश्‍न करने के लिए कहा है, आदेश दिया है, इसी प्रकार आपसे निवेदन है कि एक दिन महिलाओं के लिए प्रश्‍नकाल सुरक्षित करें, यही आपसे हमारी प्रार्थना है.

               अध्‍यक्ष महोदय -- आज अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस है. इस अवसर पर मैं अपनी ओर से, पूरे सदन की ओर से इस सदन की सम्‍मानित महिला सदस्‍यों एवं प्रदेश, देश, संपूर्ण विश्‍व की समस्‍त महिलाओं को बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ.

                यह विधान सभा का गौरव है कि हमारे बीच में श्रीमती रक्षा संतराम सरौनिया जी, श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया जी, श्रीमती रामबाई गोविंद सिंह जी, श्रीमती मनीषा सिंह जी, कुमारी मीना सिंह मांडवे जी, श्रीमती नंदनी मरावी जी, सुश्री हिना लिखीराम कावरे जी, श्रीमती सुनीता पटेल जी, श्रीमती लीना संजय जैन जी, श्रीमती राजश्री रूद्र प्रताप सिंह जी, श्रीमती कृष्‍णा गौर जी, श्रीमती गायत्री राजे पवार जी, श्रीमती सुमित्रा देवी कास्‍डेकर जी, श्रीमती झूमा डॉ. ध्‍यानसिंह सोलंकी जी, डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ जी, सुश्री चंद्रभागा किराड़े जी, सुश्री कलावती भूरिया जी, श्रीमती नीना विक्रम वर्मा जी, श्रीमती मालिनी लक्ष्‍मण सिंह गौड़ जी एवं सुश्री उषा ठाकुर जी, ये सभी सम्‍मानित महिला सदस्‍य यहां हैं.

               हमारी संस्‍कृति में महिलाओं का स्‍थान सदैव ही ऊँचा रहा है. हमारे ग्रंथों में इस तरह के तमाम वर्णन हैं. हमारी परम्‍पराएं तथा लोकाचार यह सिखाता है कि नारी के प्रति आदर, सम्‍मान, श्रृद्धा, कृतज्ञता का भाव हमेशा रहना चाहिए. आज महिलाएं आत्‍मनिर्भर और स्‍वतंत्र हैं. समाज में उनका महत्‍वपूर्ण स्‍थान है. उनकी भूमिका है. अपने गुणों के आधार पर वे जीवन के प्रत्‍येक क्षेत्र में सशक्‍त होकर स्‍वयं के, समाज के और राष्‍ट्र के विकास में महति भूमिका का निर्वहन और उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन कर रही हैं. मैं आशा करता हूँ कि अपनी क्षमताओं के अनुरूप भविष्‍य में भी सफलता के लिए प्रतिमान स्‍थापित करने में सफल होंगी. एक बार पुन: देश दुनिया की आधी आबादी को उनके सुनहरे, वर्तमान तथा उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए शुभकामनाएं देता हूँ तथा महिला दिवस पर अभी सदन में आपने देखा कि हमारी महिला मार्शल दंड के साथ यहां आईं हैं, इस बात का अवसर पहली बार दिया गया है. (मेजों की थपथपाहट).

               अब मैं सदन के संचालन के लिए सभापति तालिका की सदस्‍या श्रीमती झूमा सोलंकी जी को आमंत्रित करता हूँ कि वे आएं और सदन का संचालन करें. आप सबसे आग्रह है कि चूँकि आज अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस है और अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस हम मना रहे हैं, अत: मेरी तमाम माननीय सदस्‍यों से प्रार्थना है कि जब महिला सदस्‍य आसंदी पर बैठेंगी, तो आज उस तरह की कोई स्‍थिति निर्मित न हो, जिससे प्रदेश के भीतर गलत संदेश जाए. इतनी आप सबसे प्रार्थना करता हूँ और श्रीमती झूमा सोलंकी जी को आमंत्रित करता हूँ कि वे आसंदी ग्रहण करें. प्रश्‍नकाल चलाएं और अन्‍य भी संचालन का जो काम है, आज उनके हाथों में सौंपता हूँ. (मेजों की थपथपाहट).

               डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- अध्‍यक्ष महोदय, हर दिन महिला दिवस होना चाहिए, आज ही क्‍यों.

               अध्‍यक्ष महोदय -- इनको संबोधित करके बोलिए.   

               डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ -- हर दिन महिला दिवस.

               डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- आपके तो बारह महीने हैं बहना.

 

11.13 बजे               {सभापति महोदया(श्रीमती झूमा सोलंकी) पीठासीन हुईं}

 

               सभापति महोदया -- प्रश्‍न क्रमांक 1, श्री मेवाराम जाटव.

 

                                         तारांकित प्रश्‍नों के मौखिक उत्‍तर

 

          विधानसभा क्षेत्र मेहगांव में रिक्‍त पदों की पूर्ति

[स्कूल शिक्षा]

1. ( *क्र. 3794 ) श्री मेवाराम जाटव : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विधानसभा क्षेत्र मेहगांव जिला भिण्‍ड के अंतर्गत शासकीय उच्‍चतर माध्‍यमिक विद्यालय/हाईस्‍कूल में कितने-कितने पद स्‍वीकृत हैं एवं स्‍वीकृत पद के विरूद्ध कितने पद भरे हैं एवं कितने पद रिक्‍त हैं? विद्यालयवार बताएं। (ख) उक्‍त प्रश्‍नांश के परिप्रेक्ष्‍य में रिक्‍त पदों को कब तक भरा जाएगा? (ग) मेहगांव विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ऐसे कितने शासकीय उच्‍चतर माध्‍यमिक विद्यालय/हाईस्‍कूल हैं, जो भवन विहीन हैं एवं उन्‍हें कब तक भवन उपलब्ध करा दिया जाएगा?

राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्‍दर सिंह परमार ) : (क) जानकारी पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) पद पूर्ति एक सतत् प्रक्रिया है। समय-सीमा बताना संभव नहीं है। (ग) शासकीय हाईस्कूल बिरगवां, कुटरौली, निवसाई, मेंहदा एवं बहादुरपुरा भवन विहीन हैं। स्कूल भवन निर्माण बजट प्रावधान एवं सक्षम स्वीकृति पर निर्भर करता है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

          श्री मेवाराम जाटव -- माननीय सभापति महोदया, मैं प्रथम बार का विधायक हूँ. इस प्रश्‍न के माध्‍यम से सदन में मुझे बोलने का पहला अवसर मिल रहा है. मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ. मैं माननीय स्‍कूल शिक्षा राज्‍य मंत्री महोदय से आपके माध्‍यम से यह पूछना चाहता हूँ कि मेरा प्रश्‍न, जो कि विधान सभा क्षेत्र मेहगांव, जिला भिण्‍ड से संबंधित है, इसमें शासकीय हाई स्‍कूल, हायर सेकेण्‍डरी स्‍कूलों के स्‍वीकृत एवं रिक्‍त पदों की जानकारी चाही थी. जिसके उत्‍तर में माननीय मंत्री जी ने बताया कि 562 पद स्‍वीकृत हैं, जिसमें से 125 पद रिक्‍त हैं तथा 5 शासकीय हाई स्‍कूल ऐसे हैं जो कि भवन विहीन हैं. मैं माननीय मंत्री जी से पहला प्रश्‍न यह पूछने हेतु अनुमति चाहता हूँ कि

इन रिक्‍त पदों को कब तक भरा जाएगा एवं भवन विहीन शालाओं के भवन हेतु स्‍वीकृति कब तक प्रदान की जाएगी ? इसके साथ ही मेरा दूसरा प्रश्‍न यह है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र गोहद में भी कमोबेश यही स्थिति है. अधिकांश स्‍कूलों में शिक्षकों के  पद रिक्‍त हैं तथा कई स्‍कूल भवन विहिन हैं. गोहद विधानसभा क्षेत्र में कब तक रिक्‍त पदों की पूर्ति की जाएगी एवं कब तक भवनों को स्‍वीकृति प्रदान की जाएगी ?

          श्री इन्‍दर सिंह परमार -- माननीय सभापति महोदया, माननीय सदस्‍य ने भर्ती प्रकिया से संबंधित प्रश्‍न पूछा है. शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया के निर्देश हम जारी करने वाले हैं. अगले सत्र में हम वेरीफिकेशन का काम और बाकी प्रक्रिया पूरी करेंगे. जहां तक स्‍कूल भवनों का सवाल है हम अभी जो नई हमारी मध्‍यप्रदेश सरकार की "सीएम राइज योजना"  है उसके तहत छंटनी का कार्यक्रम चल रहा है, उसमें कौन-कौन से स्‍कूल क्राइटेरिया के अनुसार आने वाले हैं उन स्‍कूलों को पात्रता के अनुसार पहले उसमें हम भवन की प्रक्रिया पूरी करेंगे, क्‍योंकि जहां तक भवन की राशि का प्रश्‍न आता है वह बजट में आवंटन के आधार पर मिलता है. उसको हम एक नये रुप में प्रारम्‍भ करने जा रहे हैं. पूरे प्रदेश में एक नयी व्‍यवस्‍था बनाने का प्रयास शुरु करने जा रहे हैं, उसमें जो-जो स्‍कूल आते जाएंगे, हम प्राथमिकता के साथ में उन भवनों को और स्‍वीकृति में लाते जाएंगे.

          माननीय सभापति महोदया, मेहगांव विधानसभा में भी जो स्‍कूल इसी प्रक्रिया में आएंगे, हम प्राथमिकता के साथ उनको तय करेंगे और शिक्षकों की भर्ती के काम में भी जो प्रक्रिया पूरे प्रदेश में अपनायी जाएगी, उसी प्रक्रिया को मेहगांव विधानसभा के लिए भी हम करने वाले हैं.

          श्री मेवाराम जाटव -- माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से यह पूछना चाहता हॅूं कि पहले से चयनित जो शिक्षक हैं, उनको उसमें क्‍यों नहीं रखा जा रहा है ?

          श्री इन्‍दर सिंह परमार -- सभापति महोदया, जो चयनित शिक्षक हैं उन्‍हीं का अभी वेरीफिकेशन का काम होना है. उसके लिए शासन स्‍तर पर निर्देश जारी हो रहे हैं. उन्‍हीं को हम पहले प्राथमिकता के साथ में जो पात्र हैं उनकी हम भर्ती करेंगे. उनकी नियुक्ति करेंगे और उसके बाद शेष जो पद बचेंगे, उसके लिए आगे की प्रक्रिया करेंगे लेकिन अभी पहले जो अधूरी प्रक्रिया रुकी हुई है, उसी को आगे बढ़ाने का काम करने वाले हैं.

          श्री मेवाराम जाटव -- माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हॅूं कि उसकी क्‍या समय-सीमा होगी ? यह तो उनको एक साल हो गया है. अभी तक उनका चयन नहीं हो पाया है.

          श्री  इन्‍दर सिंह परमार -- माननीय सभापति महोदया, हम सब को जानकारी होना चाहिए कि माननीय उच्‍च न्‍यायालय में प्रकरण होने के कारण कुछ प्रक्रिया रुकी हुई थी. हम उस प्रक्रिया को, माननीय न्‍यायालय का भी जो प्रकरण चल रहा है उसको भी ध्‍यान में रखकर के आगे करने वाले हैं लेकिन वह प्रक्रिया बहुत जल्‍दी शुरु होने वाली है. शासन निर्देश जारी कर रहा है.

          सभापति महोदया -- प्रश्‍न क्रमांक-2, श्री कॅुंवरजी कोठार.

          राजगढ़ जिलांतर्गत संचालित दुग्ध सहकारी समितियां

[पशुपालन एवं डेयरी]

2. ( *क्र. 3419 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि                                         (क) राजगढ़ जिला अंतर्गत वर्तमान में संचालित अर्द्धशासकीय/अशासकीय दुग्ध संयंत्र/दुग्ध शीत केन्द्र/दुग्ध सहकारी समितियों के नाम, पता तथा मालिक के नाम एवं प्रतिदिन संकलित दुग्ध की मात्रा, गुणवत्ता, दुग्ध पदार्थ की दर की जानकारी देवें (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार संचालित दुग्ध संयत्र/शीत केन्द्र/समितियों को दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद आदेश 1992 के अधीन पंजीयन किया जाना आवश्यक है? जिला राजगढ़ अंतर्गत पंजीकृत संस्थाओं/समितियों के पंजीयन क्रमांक/दिनांक की जानकारी देवें। किन-किन संस्थाओं के द्वारा प्रदूषण बोर्ड से अनापत्ति प्राप्त की गई है? (ग) प्रश्नांश (ख) अनुसार जिन संस्थाओं के द्वारा दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद आदेश 1992 के अधीन पंजीयन नहीं कराया गया है तथा प्रदूषण बोर्ड से अनुमति प्राप्त नहीं की है, उन पर क्या कार्यवाही की जा सकेगी? (घ) प्रश्नांश (क) अंतर्गत समितियों पर संस्थावार नियुक्त गुणवत्ता नियंत्रक के नाम/पदनाम की जानकारी से अवगत करावें। यदि गुणवत्ता नियंत्रक नियुक्त नहीं हैं तो दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों की जांच गुणवत्ता, कैसे नियंत्रण होती है? (ड.) प्रश्नांश (घ) अनुसार किसानों/ग्रामीणों द्वारा उत्पादित दुग्ध की जांच एवं गुणवत्ता का निर्धारण ठीक ढंग से नहीं होने से आय पर विपरित प्रभाव पड़ता है? यदि हाँ, तो विभाग द्वारा डेयरी गतिविधियों का सर्वेक्षण, विस्तार एवं विकास के लिये क्या योजना तैयार की गई है?

पशुपालन मंत्री ( श्री प्रेमसिंह पटेल ) : (‍क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' एवं '''' अनुसार है। (ख) एवं (ग) राजगढ़ जिला अंतर्गत दुग्‍ध शीतकेन्‍द्रों के पंजीयन की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। दुग्‍ध सहकारी समितियों के लिए पंजीयन आवश्‍यक नहीं है। सहकारिता विभागांतर्गत पंजीकृत दुग्‍ध सहकारी समिति के पंजीयन/दिनांक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' में उल्‍लेखित है। राजगढ़ जिले में संचालित दुग्‍ध शीतकेन्‍द्र हेतु प्रदूषण बोर्ड से अनुमति प्राप्‍त करने की कार्यवाही प्रचलन में है। (घ) समिति स्‍तर पर दूध की गुणवत्‍ता की जाँच दुग्‍ध समिति के प्रशिक्षित टेस्‍टर एवं सचिव द्वारा की जाती है, जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' में उल्‍लेखित है। (ड.) किसानों/ग्रामीणों द्वारा उत्‍पादित दूध की जाँच एवं गुणवत्‍ता का निर्धारण दुग्‍ध समिति स्‍तर पर प्रशिक्षित टेस्‍टर एवं सचिव द्वारा निर्धारित मानकों के विरूद्ध की जाती है। डेयरी गतिवि‍धियों के सर्वेक्षण विस्‍तार एवं विकास का कार्य दुग्‍ध संघ द्वारा नियुक्‍त पर्यवेक्षकों द्वारा संपादित किया जाता है। शीतकेन्‍द्र पर संकलित दूध का पुन: गुणवत्‍ता का परीक्षण किया जाता है।

          श्री कुँवरजी कोठार -- माननीय सभापति महोदया, मेरा प्रश्‍न यह है कि मेरे प्रश्‍न के (ख) एवं (ग) में माननीय मंत्री जी द्वारा जो उत्‍तर दिया गया है उसमें राजगढ़ जिले में संचालित दुग्‍ध शीत केन्‍द्र हेतु प्रदूषण बोर्ड से अनुमति प्राप्‍त करने की कार्यवाही प्रचलन में है तो मैं माननीय मंत्री महोदय से यह पूछना चाहता हॅूं कि जब तक प्रदूषण बोर्ड से अनुमति प्राप्‍त नहीं हो जाती है, तब तक संचालित दुग्‍ध शीत केन्‍द्र के विरूद्ध आपके द्वारा या विभाग के द्वारा क्‍या कार्यवाही की जाएगी ? यह अवगत कराने का कष्‍ट करें.

          श्री प्रेमसिंह पटेल -- माननीय सभापति महोदया, राजगढ़ जिले में भोपाल सहकारी दुग्‍ध संघ से संबधित दुग्‍ध सहकारी समितियों की जानकारी परिशिष्‍ट एक" पर व दूध से बनी चीजों की दरों की जानकारी परिशिष्‍ट "दो" पर है.

श्री कुँवर जी कोठार--  माननीय सभापति महोदया, मेरा प्रश्न केवल इतना ही है कि जिन संचालित दुग्ध शीत केन्द्र को प्रदूषण बोर्ड से अनुमति प्राप्त करने की कार्यवाही प्रचलन में है, कार्यवाही प्रचलन में है, अभी अनुमति मिली नहीं है. अनुमति नहीं मिल जाती तब तक उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की जाएगी, माननीय मंत्री जी यह अगवत कराने का कष्ट करें.

          सभापति महोदया--  माननीय मंत्री जी कार्यवाही चाह रहे हैं.

          श्री प्रेमसिंह पटेल--  कार्यवाही की जा रही है.

          श्री कुँवर जी कोठार--  सभापति महोदया, मेरे प्रश्न का उत्तर प्राप्त नहीं हुआ. अनुमति की कार्यवाही प्रचलन में है. मेरा प्रश्न यह है कि जब तक अनुमति नहीं मिल जाती है तब तक उन जो संचालित दुग्ध केन्द्र हैं उनके विरुद्ध कुछ कार्यवाही की जाएगी क्या?

            सभापति महोदया--  माननीय मंत्री जी, कार्यवाही करेंगे?

            श्री प्रेमसिंह पटेल--  सभापति महोदया, जिस प्रकार से माननीय विधायक जी चाहते हैं इसी प्रकार से हम दिखवा लेंगे.

          श्री कुँवर जी कोठार--  धन्यवाद.

पशु पालकों को योजना का लाभ

[पशुपालन एवं डेयरी]

3. ( *क्र. 1820 ) श्री बैजनाथ कुशवाह : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पशु पालन विभाग द्वारा किन-किन क्रियाकलापों/गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है? क्‍या इस हेतु शासन (विभाग) द्वारा कोई नीति नियम निर्मित हैं? यदि हाँ, तो नियमों की प्रति सहित जानकारी दी जावे। (ख) क्‍या किसानों की आय में वृद्धि हेतु पशुपालन विभाग का योगदान भी है? (ग) प्रश्नांश (ख) में वर्णित उल्‍लेखित गतिविधियों में विगत 3 वर्ष में जनपद पंचायत कैलारस, सबलगढ़ जिला मुरैना में क्‍या-क्‍या गति‍विधियों का संचालन किया गया व कितने पशु पालकों को योजना का क्‍या लाभ दिया गया? वर्षवार, मांग संख्‍या, लेखाशीर्ष सहित जानकारी                               दी जावे।

पशुपालन मंत्री ( श्री प्रेमसिंह पटेल ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' अनुसार है। (ख) जी हाँ। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '''' एवं '''' अनुसार है।

 

          श्री बैजनाथ कुशवाह--  माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय जी से यह जानना चाहता हूँ कि मैंने पशुपालन विभाग में यह कौन कौन सी क्रियाकलाप और गतिविधियाँ संचालित हैं उनकी जानकारी मांगी थी क, ख तथा ग में, ख में मैंने यह जानकारी चाही गई थी कि विगत 3 वर्ष में कैलारस और सबलगढ़ ब्लाक में कितने पशुपालकों को इस योजना का लाभ मिला, माननीय मंत्री महोदय ने जो मुझे जानकारी दी है क, ख, की जो जानकारी दी है वह तो उन्होंने लिखित में मुझे दे दी है, लेकिन ग में मुझे जो जानकारी दी गई है वह गलत है, भ्रामक है, जिसमें मैंने हितग्राहियों का नाम मांगा, वह उन्होंने नहीं दिए हैं तो मैं मंत्री महोदय से यह जानना चाहता हूँ कि वह सूची मुझे कब तक उपलब्ध करा देंगे?

          श्री प्रेमसिंह पटेल--  सभापति महोदया, जानकारी पत्र ख एवं ग अनुसार है.

          सभापति महोदया--  परिशिष्ट में जवाब है, ऐसा कहना है माननीय मंत्री जी का.

          श्री बैजनाथ कुशवाह--  सभापति महोदया, इसमें नहीं है. मेरे पास जो जानकारी आई है, उसमें किसी भी हितग्राही का नाम नहीं है और न वर्षवार है, न ब्लाक वाइज, है.

          सभापति महोदया--  मंत्री जी,  आप से माननीय सदस्य पूछ रहे हैं, बताएँ.

          श्री प्रेमसिंह पटेल--  सभापति महोदया, हमने लिखित में दिया है, देख लें अगर नहीं होगा तो हम लोग कार्यवाही करवाएँगे.

          श्री बैजनाथ कुशवाह--  ठीक है.

प्रदेश में संचालित गौशालाएं

[पशुपालन एवं डेयरी]

4. ( *क्र. 3735 ) श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर : क्या पशुपालन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में दिसम्‍बर 2018 से मार्च 2019 तक कितनी नवीन गौशालाएं खोली गईं? गौशालाओं को कितना अनुदान देने का प्रावधान उक्‍त अवधि में था? वर्तमान में कितना अनुदान गौशालाओं को देने का प्रावधान है? (ख) वर्तमान में प्रदेश में कितनी गौशालाएं संचालित हैं? क्‍या पूर्व में गौशालाओं को अनुदान ज्‍यादा मिल रहा था? वर्तमान में अनुदान कम कर दिया गया है? क्‍या कारण है? (ग) वर्ष 2003 से वर्ष 2018 तक 15 वर्षों में प्रदेश में कुल कितनी गौशालायें शासकीय स्‍तर पर खोली गईं थीं एवं प्रति गाय क्‍या राशि दी जाती थी? वर्ष 2018 दिसम्‍बर से 21 मार्च 2020 तक के शासन में कितनी गौशालायें स्‍वीकृत की गईं एवं प्रति गाय क्‍या राशि स्‍वीकृत की गई? (घ) वर्तमान में सभी गौशालाओं की क्‍या स्थिति है एवं भविष्‍य की इस वर्ष में क्‍या योजना है? (ड.) मान. पशुपालन मंत्री जी द्वारा 10 अतिरिक्‍त गौशालायें पृथ्‍वीपुर विधान सभा क्षेत्र हेतु खोलने की घोषणा कब तक पूर्ण की जावेगी?

पशुपालन मंत्री ( श्री प्रेमसिंह पटेल ) : (क) प्रदेश में दिसम्‍बर 2018 से मार्च 2019 तक प्रथम चरण में चयनित पंचायतों में 1000 गौशालाओं के निर्माण का लक्ष्‍य शासन द्वारा निर्धारित कर निर्देश जारी किए गए थे। गौशालाओं में उपलब्‍ध गौवंश के लिए रू. 20.00 प्रतिगौवंश प्रतिदिवस के मान से भरण पोषण हेतु राशि उपलब्‍ध कराने का प्रावधान किया गया था तथा वर्तमान में भी गौशालाओं में उपलब्‍ध गौवंश के लिए रू. 20.00 प्रतिगौवंश प्रति दिवस के मान से भरण पोषण हेतु राशि उपलब्‍ध कराने का प्रावधान है। (ख) वर्तमान में प्रदेश में अशासकीय स्‍वयंसेवी संस्‍थाओं द्वारा 627 गौशालाएं संचालित हैं तथा मुख्‍यमंत्री गौसेवा योजना अंतर्गत 905 गौशालाएं संचालित हैं। पूर्व वर्ष 2018-19 में गौशालाओं में उपलब्‍ध गौवंश के लिए भरण पोषण हेतु राशि रू. 20.00 प्रतिगौवंश प्रतिदिवस के मान से प्रावधान था तथा वर्तमान में भी रू. 20.00 प्रतिगौवंश प्रतिदिवस के मान से प्रावधान है। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ग) वर्ष 2003 से वर्ष 2018 तक प्रदेश में शासकीय स्‍तर पर गौशालाएं नहीं खोली गईं। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। वर्ष 2018 दिसम्‍बर से 21 मार्च 2020 तक शासन द्वारा 1000 गौशालाएं स्‍वीकृत की गईं हैं एवं गौशालाओं में उपलब्‍ध गौवंश के लिए रू. 20.00 प्रति गौवंश प्रति दिवस के मान से भरण पोषण हेतु राशि स्‍वीकृत की गई थी।                      (घ) स्‍वीकृत 1000 गौशालाओं में से वर्तमान में 963 गौशालाओं का कार्य पूर्ण होकर 905 गौशालाओं का संचालन प्रारंभ हो चुका है तथा वर्ष 2020-21 में 2365 गौशालाओं के निर्माण कार्य स्‍वीकृत किए गए हैं। (ड.) मान. पशुपालन मंत्री जी द्वारा 10 अतिरिक्‍त गौशालाएं पृथ्‍वीपुर विधानसभा क्षेत्र में खोलने संबंधी कोई घोषणा विभाग में प्राप्‍त नहीं हुई है। शेष प्रश्‍न ही उपस्थित नहीं होता।

          श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--  माननीय सभापति महोदया, मैंने माननीय मंत्री जी से पूछा था कि वर्ष 2003 से 2018 तक कुल कितनी शासकीय गौ शालाएँ खुली थीं, जब आपका ही शासन था? मैं आपकी बात से संतुष्ट हूँ,  आपने कहा जीरो, खाता नहीं खुला था. फिर 2018 से 2019, जब इधर की सरकार थी तो उसका आपने उत्तर दे दिया कि एक हजार गौ शालाएँ, मैं इस बात से सहमत हूँ. अब मेरा प्रश्न आप से केवल इतना है कि माननीय तत्कालीन मंत्री जी ने जो घोषणा निवाड़ी जिले के लिए की थी, उसके,  आप चाहें तो ये प्रमाण रखे हैं, आपके अधिकारियों ने जवाब दे दिया कि विभाग में कोई जानकारी नहीं है. कलेक्टर की कॉपी आपको मिल जाएगी, अखबार की चाहें तो यह मिल जाएगी और माननीय तत्कालीन मंत्री जी का भाषण जिसमें उन्होंने उद्बोधन में घोषणा की है, आप चाहें तो वह भी मैं पटल पर रखवा दूँगा, तो इस संबंध में क्या उस घोषणा को पूर्ण करने का काम आप करेंगे?

            श्री प्रेमसिंह पटेल--  सभापति महोदया, माननीय हमारे विधायक जी मंत्री भी रह चुके हैं, मैं उनको कहना चाहता हूँ कि निवाड़ी जिले में 18 गौ शालाएँ स्वीकृत की गई हैं और भी कमी पड़ेगी तो हम और बैठ-जुट कर, कर लेंगे.

          श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--  सभापति महोदया, मैं केवल आप से यह प्रश्न कर रहा हूँ, जो स्वीकृत की गई हैं वह तो रुटिन में सब जगह की गई हैं और माननीय मंत्री जी, जो आपको पर्ची देकर बता रहे हैं, ये भी उपस्थित थे, उस कार्यक्रम में, इसलिए मैं आप से कह रहा हूँ कि जो घोषणा की थी, उसके अतिरिक्त, उसको आप पूर्ण करेंगे कि नहीं करेंगे? और उस वक्त के मंत्री जी भी बैठे हैं, उन्हें भी जानकारी है.

          श्री प्रेमसिंह पटेल--  सभापति महोदया, जिस प्रकार से समस्या आएगी उसको हम लोग हल करेंगे.

          श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--  सभापति महोदया, मैं यह मानकर चलूँ कि उसको करेंगे? हाँ बोल दीजिए.

          श्री प्रेमसिंह पटेल--  जी.

          श्री बृजेन्द्र सिंह राठौर--  धन्यवाद.

 

टास्‍क फोर्स कमेटी की रिपोर्ट पर कार्यवाही

[वन]

5. ( *क्र. 2287 ) श्री ब्रह्मा भलावी (श्री धरमू सिंग सिरसाम, डॉ. अशोक मर्सकोले) : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अतिरिक्‍त मुख्‍य सचिव वन श्री ए.पी. श्रीवास्‍तव की अध्‍यक्षता में गठित टास्‍क फोर्स कमेटी की दिनांक 6 फरवरी, 2020 को विभाग के समक्ष प्रस्‍तुत रिपोर्ट पर किस विभाग के किस अधिकारी के हस्‍ताक्षर हैं? रिपोर्ट में मुख्‍य रूप से किस मुद्दे पर क्‍या-क्‍या सुझाव दिए जाकर सिफारिश की गई है? (ख) दिनांक 06 फरवरी, 2020 से प्रश्‍नांकित दिनांक तक सामान्‍य प्रशासन विभाग ने रिपोर्ट से संबंधित किस-किस दिनांक को क्‍या-क्‍या कार्यवाही की? किस सुझाव एवं सिफारिश से संबंधित किस दिनांक को आदेश या निर्देश जारी किए? प्रति सहित बतावें। (ग) दिनांक 06 फरवरी, 2020 को प्रस्‍तुत रिपोर्ट पर विभाग क्‍या कार्यवाही कर रहा है? कब तक आदेश निर्देश जारी किए जावेंगे?

वन मंत्री ( श्री कुंवर विजय शाह ) : (क) टास्क फोर्स समिति की रिपोर्ट पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है, जिसके पृष्ठ क्रमांक 31 पर अधिकारियों के हस्ताक्षर दर्शित हैं। (ख) सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा केवल समिति का गठन किया गया है। समिति की रिपोर्ट के संबंध में कार्यवाही प्रशासकीय विभाग द्वारा की जाती है। (ग) दिनांक 06 फरवरी 2020 को समिति से प्राप्त रिपोर्ट दिनांक 12 फरवरी 2020 को मुख्य सचिव को प्रेषित की गई थी, जो विचाराधीन है। अधिकांश बिंदुओं पर विधि संबंधी जटि‍ल मुद्दे होने से विचारोपरांत प्रभावी कार्यवाही की जाएगी, अत: समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

            श्री ब्रह्मा भलावी -- माननीय सभापति महोदया, मैं प्रथम बार का विधायक चुनकर आया हूँ आपने मुझे सदन में बोलने का मौका दिया उसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.

          सभापति महोदया, मेरा मंत्री महोदय से प्रश्न है कि क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अतिरिक्‍त मुख्‍य सचिव वन श्री ए.पी. श्रीवास्‍तव की अध्‍यक्षता में गठित टास्‍क फोर्स कमेटी की दिनांक 6 फरवरी, 2020 को विभाग के समक्ष प्रस्‍तुत रिपोर्ट पर किस विभाग के किस अधिकारी के हस्‍ताक्षर हैं? रिपोर्ट में मुख्‍य रूप से किस मुद्दे पर क्‍या-क्‍या सुझाव दिए जाकर सिफारिश की गई है? (ख) दिनांक 06 फरवरी, 2020 से प्रश्‍नांकित दिनांक तक सामान्‍य प्रशासन विभाग ने रिपोर्ट से संबंधित किस-किस दिनांक को क्‍या-क्‍या कार्यवाही की? किस सुझाव एवं सिफारिश से संबंधित किस दिनांक को आदेश या निर्देश जारी किए? प्रति सहित बतावें। (ग) दिनांक 06 फरवरी, 2020 को प्रस्‍तुत रिपोर्ट पर विभाग क्‍या कार्यवाही कर रहा है? कब तक आदेश निर्देश जारी किए जावेंगे?

          सभापति महोदय-- माननीय सदस्य, यह प्रश्न तो आपका लिखा हुआ है और इसका उत्तर भी लिखा हुआ है. क्या आप इसके अतिरिक्त माननीय मंत्री जी से कुछ पूछना चाहते हैं.

          श्री ब्रह्मा भलावी -- माननीय सभापति महोदया, अधिकांश बिंदुओं पर विधि संबंधी जटि‍ल मुद्दे होने से विचारोपरांत प्रभावी कार्यवाही की जाएगी, अत: समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। यह जानकारी उपलब्ध कराने की कृपा करें.

          कुंवर विजय शाह -- माननीय सभापति महोदया, माननीय विधायक जी ने प्रश्न के माध्यम से जो जानकारी चाही है. पूरे मध्यप्रदेश में राजस्व विभाग और वन विभाग के सीमा विवाद या लेंड विवाद को हम लोग ओरेंज लेंड के रुप में मानते हैं. प्रश्न में ही उद्भूत है कि 6 फरवरी, 2020 से समिति ने 15 बिन्दुओं पर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है. उस पर हम लोग यह विचार कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश में रेवेन्यू और फारेस्ट के जितने झगड़े हैं उनको धीरे-धीरे निपटाएं. वर्ष 1972 से यह विवाद चल रहा है. तात्कालिक रुप से इसमें तुरन्त कुछ नहीं हो सकता है. हमने छतरपुर से इसकी शुरुआत कर दी है. एक डिप्टी कलेक्टर को इसी काम के लिए रिजर्व किया हुआ है. धीरे-धीरे शासन से हर जिले में एक डिप्टी कलेक्टर की डिमांड करके शनै:शनै: इस मामले को निपटाने का प्रयास करेंगे.

          श्री ब्रम्हा भलावी -- आदरणीय मंत्री महोदय, कब तक यह समस्या हल हो जाएगी इसकी समय-सीमा बताइए.

          कुंवर विजय शाह -- माननीय सभापति महोदया, यथा संभव, यथाशीघ्र.

          श्री ब्रम्हा भलावी -- माननीय मंत्री जी, थैंक यू.

          सभापति महोदया -- दूसरे माननीय सदस्य क्या कोई प्रश्न पूछना चाहेंगे.

          श्री धरमू सिंग सिरसाम -- माननीय सभापति महोदया जी, टास्क फोर्स से संबंधित प्रश्न के उत्तर के लिए मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ क्योंकि उन्होंने कार्यवाही को शीघ्र से शीघ्र करने की अनुमति प्रदान की है. बहुत-बहुत धन्यवाद.

          सभापति महोदया -- डॉ. अशोक मर्सकोले, सदस्य भी क्या कोई प्रश्न पूछना चाहेंगे क्योंकि उनका भी नाम इस प्रश्न में शामिल है. क्या वे सदन में उपस्थित नहीं हैं.

          डॉ. अशोक मर्सकोले -- (अनुपस्थित)

इंदौर संभाग की शालाओं में प्राचार्य के रिक्‍त पदों की पूर्ति

[स्कूल शिक्षा]

6. ( *क्र. 3801 ) श्री पाँचीलाल मेड़ा : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) इंदौर संभाग के किस-किस जिले में कुल कितने-कितने शासकीय हायर सेकेण्‍ड्री स्‍कूल संचालित हैं, इन स्‍कूलों के लिये प्राचार्य के कुल कितने पद स्‍वीकृत हैं, जिनमें से कितने पद किन कारणों से कब-कब से रिक्‍त हैं तथा इन रिक्‍त पदों की पूर्ति कब तक कर दी जायेगी? (ख) धार जिले की धरमपुरी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत किन-किन शासकीय स्‍कूलों में अतिरिक्‍त कक्ष की आवश्‍यकता है? (ग) जिन स्‍कूलों में अतिरिक्‍त कक्ष की आवश्‍यकता है, उनकी स्‍वीकृति दी जाकर निर्माण कार्य कब तक प्रारंभ किया जायेगा?

राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्‍दर सिंह परमार ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '1' अनुसार है। पद रिक्त एवं पद पूर्ति एक सतत् प्रक्रिया है। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र '2' अनुसार है। (ग) अतिरिक्त कक्षों का निर्माण बजट प्रावधान एवं सक्षम स्वीकृति पर निर्भर करता है। राज्य शिक्षा केन्द्र की प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में अतिरिक्त कक्ष की आवश्यकता है उनके प्रस्ताव भारत सरकार को वार्षिक कार्ययोजना वर्ष 2021-22 में प्रेषित किये जा रहे हैं। स्वीकृति प्राप्त होने पर यथाशीघ्र निर्माण कार्य प्रारंभ किए जाएंगे। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

                   श्री पांचीलाल मेड़ा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा से यह पूछना चाहता हूँ कि इंदौर संभाग के 8 जिलों में 275 हायर सेकेण्डरी स्कूल के लिए प्राचार्य के 275 पद स्वीकृत हैं. मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि इन 275 स्वीकृत पदों में से 275 पद स्‍वीकृत हैं. मुझे बड़ा आश्‍चर्य हो रहा है कि इन 275 स्‍वीकृत पदों में से 175 स्‍कूलों में प्रार्चाय के पद रिक्‍त हैं. बच्‍चों का भविष्‍य कैसे बनाया जाएगा? प्रार्चाय के रिक्‍त पदों को अभी तक नहीं भरे जाने के क्‍या कारण हैं? माननीय मंत्री जी यह बताएं कि यह रिक्‍त पद कब तक दिए जाएंगे?

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदया, प्रार्चाय के पद प्रमोशन के पद हैं वह पदोन्‍नति से भरे जाते हैं. चूंकि यह प्रकरण न्‍यायालय में है और प्रकरण न्‍यायालय में होने के कारण से प्रमोशन नहीं कर पाए हैं. यह पद लंबे समय से खाली हैं. लोकसेवा आयोग नियम में आरक्षण के संबंध में राज्‍य शासन की ओर से सर्वोच्‍च न्‍यायालय में दायर जो सिविल अपील है उसके संबंध में जो बैठक दिनांक  8 फरवरी 2020 को संपन्‍न हुई थी उसके संबंध में कार्यवाही विचाराधीन है और उस कार्यवाही को करके हम इस समस्‍या का निराकरण करेंगे.

          श्री पांचीलाल मेड़ा-- माननीय सभापति महोदया, मंत्री जी यह बताएं कि पद पूर्ति एक सतत् प्रक्रिया है और यह सतत् प्रक्रिया कब तक पूरी हो जाएगी?

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदया, उसमें सीधी भर्ती के पद नहीं हैं इस कारण से अभी उनकी भर्ती पर रोक है इसलिए हम यह प्रक्रिया पूरी नहीं कर पा रहे हैं.

          श्री पांचीलाल मेड़ा-- माननीय सभापति महोदया, मेरा दूसरा प्रश्‍न यह है कि धार जिले के हायर सेकेण्‍ड्री स्‍कूलों में प्रार्चाय के 29 पद स्‍वीकृत हैं जिसमें से 22 पद रिक्‍त हैं और मात्र सात प्रार्चायों के पद भरे हैं जबकि धार जिला आदिवासी बाहुल्‍य जिला है उसके बावजूद वहां बड़ी संख्‍या में प्राचार्यों के पदों को रिक्‍त रखा जाना चिंता का विषय है. माननीय मंत्री जी निश्चित समय-सीमा बताने का कष्‍ट करें कि यह रिक्‍त पद कब तक भर दिए जाएंगे.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदया, समय-सीमा बताना संभव नहीं है क्‍योंकि यह विषय न्‍यायालय का है और जब तक न्‍यायालय में इस विषय का निराकरण नहीं होगा तब तक हम इसकी समय-सीमा नहीं बता सकेंगे. न्‍यायालय का फैसला आने के बाद ही हम आगे की प्रक्रिया को पूरा कर पाएंगे.   

          श्री पांचीलाल मेड़ा-- माननीय सभापति महोदया, मेरा अंतिम प्रश्‍न यह है कि  मेरे विधान सभा क्षेत्र धरमपुरी नालसा विकासखण्‍ड के प्राथमिक एवं माध्‍यमिक विद्यालयों में 103 अतिरिक्‍त कक्षों की आवश्‍यकता है इस संबंध में लंबे समय से मांग की जा रही है. मंत्री जी कब तक इन अतिरिक्‍त कक्षों की स्‍वीकृति प्रदान करेंगे.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदया, अतिरिक्‍त कक्षों के संबंध में सदस्‍य की विधान सभा क्षेत्र का प्रश्‍न है. हमने ''सीएम राइज योजना'' में मिडिल स्‍कूल का भी चयन किया है, हाई स्‍कूल का चयन कर रहे हैं और हायर सेकेण्‍ड्री तक के स्‍कूलों का चयन भी कर रहे हैं. उसमें जो स्‍कूल आएंगे वहां के भवन बनाने का काम, स्‍वीकृत करने का काम शासन स्‍तर पर किया जाएगा और उनका काम हम प्राथमिकता से भवन बनाने में करेंगे बाकी भवनों का काम बजट न होने के कारण हम उसमें नहीं कर रहे हैं लेकिन ''सीएम राइज योजना'' में जो आएंगे उनको हम करेंगे.

          श्री पांचीलाल मेड़ा-- माननीय सभापति महोदया, मेरा विधान सभा क्षेत्र पूरा आदिवासी बाहुल्‍य क्षेत्र है और बार-बार हम यह मांग रखते आए हैं. मंत्री जी का यही कहना है कि बाकी हम सतत् प्रक्रिया में करेंगे, लेकिन मैं इस प्रश्‍न से संतुष्‍ट नहीं हूं कि आप रखेंगे या उसके बाद बजट में रखेंगे आप कम से कम यह आश्‍वासन दीजिए कि क्‍या आप इसको जल्‍द से जल्‍द स्‍वीकृति में लेंगे.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदया, मैं माननीय सदस्‍य को यह विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि हम प्रक्रिया कर रहे हैं क्‍योंकि अभी हमें ''सीएम राइज योजना'' में जो स्‍कूलों का चयन करना है उसका अनुमोदन जनपदों से, जिला पंचायतों से होना है वह अनुमोदित होकर आएंगे और आपके जो स्‍कूल उसमें आ रहे हैं उनको हम प्राथमिकता के साथ करेंगे.

          श्री पांचीलाल मेड़ा-- माननीय सभापति महोदया, मैं यह कहना चाहता हूं कि माननीय मंत्री महोदय, समय-सीमा बताएं कि समय-सीमा क्‍या रहेगी?

            श्री इन्‍दर सिंह परमार-- माननीय सभापति महोदया, समय-सीमा बताना संभव नहीं है क्‍योंकि वह अभी प्रक्रिया में है और प्रक्रिया पूर्ण होने के तत्‍काल बाद हम उसको प्राथमिकता के साथ करेंगे.

            श्री पांचीलाल मेड़ा-  माननीय सभापति महोदया, मुझे आपके माध्‍यम से यह विश्‍वास चाहिए कि इसकी समय-सीमा क्‍या होगी, क्‍योंकि मैंने पहले भी यह प्रश्‍न किया था और मुझे पहले भी आश्‍वासन मिला था कि हम कर देंगे. मैं यह जानना चाहता हूं कि आखिर इसकी समय-सीमा क्‍या रहेगी ?

            श्री इन्‍दर सिंह परमार-  माननीय सभापति महोदया, समय-सीमा बता पाना संभव नहीं है.

          सभापति महोदया-  मंत्री जी, आप समय-सीमा बता दीजिये.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-  माननीय सभापति महोदया, इस संबंध में हमारी योजना चल रही है, चयन की प्रक्रिया चल रही है, चयन की प्रक्रिया पूर्ण होने के बादजो मापदण्‍ड के अनुसार चयन प्रक्रिया हो रही है, उसमें जो स्‍कूल चयनित होंगे, उनको हम स्‍वीकृत कर, बनाने का कार्य करेंगे.

          श्री पांचीलाल मेड़ा-  मंत्री जी, समय-सीमा क्‍यों नहीं बता रहे हैं ?

          सभापति महोदया-  माननीय सदस्‍य, आप पहले मंत्री जी का जवाब सुन लीजिये.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-  माननीय सभापति महोदया, क्‍योंकि संपूर्ण मध्‍यप्रदेश के विभिन्‍न विकासखण्‍डों का चयन इसमें हमारे द्वारा किया जा रहा है, इसमें बड़ी संख्‍या में स्‍कूल शामिल होने वाले हैं इसलिए मैं माननीय सदस्‍य को विश्‍वास दिलाता हूं कि उनकी विधान सभा के भी जो स्‍कूल इसमें शामिल होंगे, हम उन्‍हें पूरा करेंगे.

          श्री पांचीलाल मेड़ा-  माननीय सभापति महोदया, मैं केवल समय-सीमा जानना चाहता हूं. मंत्री जी, समय-सीमा क्‍यों नहीं बता रहे हैं ? सतत्-प्रक्रिया, सतत्-प्रकिया बहुत समय से चल रही है.

          सभापति महोदया-  मंत्री जी, माननीय सदस्‍य बार-बार केवल समय-सीमा पूछ रहे हैं, आप इसे प्राथमिकता में ले लें.         

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-  माननीय सभापति महोदया, मैं इसकी समय-सीमा अभी नहीं बता सकता हूं क्‍योंकि मिडिल स्‍कूल का पैसा भारत सरकार से आता है या तो फिर हम कहें कि जब हम भारत सरकार से मांग करेंगे और जब वहां से पैसा आयेगा तब करेंगे.

          श्री पांचीलाल मेड़ा-  माननीय सभापति महोदया, मैं स्‍पष्‍ट कहना चाहता हूं कि मंत्री जी मेरे प्रश्‍न का घुमा-फिराकर जवाब दे रहे हैं.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-  माननीय सभापति महोदया, मध्‍यप्रदेश सरकार की जो योजना है, ''सी.एम. राइस योजना'' उसके तहत प्रदेश के सभी स्‍कूलों का परीक्षण करवा रहे हैं, पात्रता के अनुसार इसमें जो स्‍कूल आयेंगे, क्‍योंकि हमने 15-20 किलोमीटर के बीच में एक अच्‍छा स्‍कूल स्‍थापित करने की योजना बनाई है, इसमें मिडिल एवं हाई, दोनों प्रकार के स्‍कूल हैं और पहली प्राथमिकता के साथ उन स्‍कूलों के भवनों के निर्माण का कार्य किया जायेगा, शेष स्‍कूलों का कार्य बाद में किया जायेगा.

          श्री पांचीलाल मेड़ा-  माननीय सभापति महोदया, मैं यह पूछना चाहता हू्ं कि क्‍या भारत सरकार ने इसके लिए आपको पैसा नहीं दिया है, आप इस स्‍कूल को इसी बजट में शामिल करके, पूरा करवाइये.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-  माननीय सभापति महोदया, समय-सीमा बता पाना संभव नहीं है.

          श्री पांचीलाल मेड़ा-  मंत्री जी, आप समय-सीमा नहीं बता पा रहे हैं और यह स्‍पष्‍ट नहीं हो रहा है कि आपने मेरे प्रश्‍न का जवाब दिया या नहीं. बस हो रहा है, चल रहा है, यही है. माननीय सभापति महोदया, मुझे जो उत्‍तर प्राप्‍त हुआ है मैं उससे बिल्‍कुल संतुष्‍ट नहीं हूं.

          सभापति महोदया-  माननीय सदस्‍य, आप अपने क्षेत्र में यदि कोई विशेष स्‍थान, जहां आप प्राथमिकता चाह रहे हैं तो आप मंत्री जी से संपर्क करके उन्‍हें अपनी समस्‍या बता दीजिये.

          श्री पांचीलाल मेड़ा-  माननीय सभापति महोदया, मंत्री जी मुझे समय-सीमा तो बतायें, तब तो मैं उन्‍हें अपने क्षेत्र की वास्‍तविकता बताऊं. मेरे क्षेत्र में ऐसे कई जर्जर स्‍कूल हैं जहां अतिरिक्‍त कक्षों की आवश्‍यकता है.

          सभापति महोदया-  मंत्री जी, आप माननीय सदस्‍य के क्षेत्र में ऐसा कोई विशेष स्‍थान, जहां वे स्‍कूल के अतिरिक्‍त कक्ष बनवाना चाह रहे हैं, आप सदस्‍य से मिलकर उनकी समस्‍या का हल निकालें.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार-  माननीय सभापति महोदया, पूरे मध्‍यप्रदेश के लिए एक जैसी योजना बन रही है. हम किसी विशेष विधान सभा क्षेत्र या ब्‍लॉक के लिए नहीं कर रहे हैं लेकिन स्‍कूलों के परीक्षण उपरांत, जैसे ही चयन की प्रक्रिया पूर्ण होगी, मैं माननीय सदस्‍य से व्‍यक्तिगत बात करके, उनकी जो प्राथमिकता होगी, हम उसे पहले करवा लेंगे.

          श्री पांचीलाल मेड़ा-  माननीय सभापति महोदया, मुझे निश्चित समय-सीमा इसलिए चाहिए क्‍योंकि मेरे क्षेत्र में कई स्‍कूल जर्जर हालात में हैं, बच्‍चे बाहर पढ़ाई कर रहे हैं, उनके पास बैठने की व्‍यवस्‍था नहीं है इसलिए मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि क्‍या मंत्री जी, मुझे आश्‍वस्‍त करते हुए समय-सीमा बतायेंगे ?

          सभापति महोदया-  माननीय मंत्री जी ने आपको आश्‍वस्‍त किया है, आप उनसे मिलकर इस संबंध में चर्चा कर लें.

जनजातीय वर्ग के युवा उद्यमियों को ऋण का प्रदाय

[जनजातीय कार्य]

7. ( *क्र. 2656 ) डॉ. हिरालाल अलावा : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) जनजा‍तीय वर्ग के सदस्‍यों को ऋण देने एवं व्‍यवसायों के प्रति आकर्षित करने के लिए शासन द्वारा कौन-कौन से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं? (ख) किस योजना के तहत कितनी राशि किस व्‍यक्ति/संस्‍था को किस मद में देने का प्रावधान है? (ग) जनजातीय क्षेत्रों की बेरोजगारी दूर करने एवं पलायन रोकने के लिए शासन द्वारा क्‍या कार्यक्रम वर्तमान में संचालित हैं? क्‍या-क्‍या प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है? (घ) जनजातीय सदस्‍यों को व्‍यवसाय से जोड़ने एवं पलायन रोकन के लिए जनवरी 2018 से प्रश्‍न दिनांक तक धार जिला अंतर्गत किस दिनांक को कि‍स जगह किसके द्वारा कितने प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए? प्रशिक्षण कार्य के लिए कितनी राशि किसके द्वारा जारी की गई? आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम से संबंधित समस्‍त ब्‍यौरा उपलब्‍ध कराएं। (ड.) जनवरी 2018 से प्रश्‍न दिनांक तक जनजातीय वर्ग के किस व्‍यक्ति को कितनी राशि किस मद में किस व्‍यवसाय/कार्य के लिए विभाग द्वारा जारी की गई?

जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे ) : (क) म.प्र. जनजातीय वित्‍त एवं विकास निगम के माध्‍यम से प्रदेश के अनुसूचित जनजाति वर्ग हेतु निम्‍नानुसार योजनायें संचालित हैं :-1. मुख्‍यमंत्री स्‍वरोजगार योजना। 2. मुख्‍यमंत्री आर्थि‍क कल्‍याण योजना। 3. मुख्‍यमंत्री युवा उद्यमी योजना। 4. मुख्‍यमंत्री कृषक उद्यमी योजना। म.प्र. रोजगार एवं प्रशिक्षण परिषद् के माध्‍यम से कौशल विकास कार्यक्रम अंतर्गत रोजगार मूलक प्रशिक्षण आयोजित किये जाते हैं।                                                       (ख) म.प्र.जनजाति वित्‍त एवं विकास निगम द्वारा संचालित योजनाओं में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये बैंकों द्वारा ऋण प्रदाय किया जाता है। निगम द्वारा जिलों में राशि प्रदाय नहीं की जाती है। निगम द्वारा केवल अनुदान राशि नोडल बैंकों को प्रदान की जाती है। निगम द्वारा संचालित निम्‍नानुसार योजनाओं में बैंकों के माध्‍यम से ऋण दिये जाने का प्रावधान है :- 1. मुख्‍यमंत्री स्‍वरोजगार योजना-रू. 50,000 से 10.00 लाख तक, 2. मुख्‍यमंत्री आर्थिक कल्‍याण योजना-अधिकतम रू. 50 हजार तक, 3. मुख्‍यमंत्री युवा उद्यमी योजना-रू. 10.00 लाख से 2.00 करोड़ तक, 4. मुख्‍यमंत्री कृषक उद्यमी योजना- रू. 50 हजार से 2.00 करोड़ तक। (ग) म.प्र. रोजगार एवं प्रशिक्षण परिषद् भोपाल के द्वारा कौशल विकास कार्यक्रम अंतर्गत रोजगार मूलक प्रशिक्षण आयोजित किये जाते हैं। (घ) धार जिले में वर्ष जनवरी 2018 से वर्तमान तक संचालित प्रशिक्षण की जानकारी निम्‍नानुसार है :-

संस्‍था का नाम

स्‍थान/प्रशिक्षण केन्‍द्र एवं जिला

प्रशिक्षणार्थियों की संख्‍या

राशि लाख में

अडानी स्किल डेव्‍हलपमेंट सेंटर, अहमदाबाद

बदनावर, धार

130

23.37

वोकार्ड फाउन्‍डेशन मुंबई

मगजपुरा धार, खलघाट धार

151 145

18.84 15.86

नालंदा इंस्‍टीट्यूट फॉर कम्‍प्‍यूटर एण्‍ड वोकेशनल ट्रेंनिंग इंदौर

धार मनावर, धार

80 80

10.37 10.64

आई.टी.आर.सी. टेक्‍नालॉजीस प्रा.लि. इंदौर

धार

80

16.62

 

(ड.) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।

          डॉ. हिरालाल अलावा-  माननीय सभापति महोदया, आपने मुझे सदन में अपनी बात रखने का अवसर दिया, इस हेतु धन्‍यवाद. सर्वप्रथम मैं आज आपको और इस सदन में उपस्थित हमारी समस्‍त नारी शक्ति को ''अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस'' की शुभकामनायें देता हूं और सभापति महोदया, आज के दिन आपको यह अवसर मिला कि आप इस सदन की अध्‍यक्षता करें.

          माननीय सभापति महोदया, मेरा प्रश्‍न बेरोजगारी, पलायन और युवाओं में उद्यमिता से संबंधित है. मैं आपके माध्‍यम से मंत्री महोदया को सुझाव भी देना चाहता हूं और प्रश्‍न भी करना चाहता हूं कि बेरोजगारी प्रदेश में प्रमुख स‍मस्‍या हैं. प्रदेश में 30 लाख से अधिक बेरोजगार युवा हैं. य‍ह बेरोजगारी आदिवासी क्षेत्रों में आज चरम पर है. इस बेरोजगारी के कारण युवाओं में दिनों-दिन असंतोष बढ़ता जा रहा है. बेरोजगारी के कारण आदिवासी गुजरात, महाराष्‍ट्र, राजस्‍थान और अन्‍य राज्‍यों में जा रहे हैं. इस पलायन की वजह से उनकी संस्‍कृति, उनकी भाषा धीरे-धीरे समाप्‍त होती जा रही है.

          माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्‍यम से मंत्री महोदया को बेरोजगारी दूर करने के लिए सुझाव देना चाहता हूं कि प्रदेश के पांचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में, प्रदेश के पेसा (पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) विधेयक (The Provisions on the Panchyats Extension to the Scheduled Areas Bill)  क्षेत्रों में पिछले 18 सालों से एसटी और एससी के बैकलॉग पदों पर भर्ती नहीं हुई है, उन पदों पर जल्‍दी से जल्‍दी भर्ती की जाये. दूसरा, मेरा सुझाव है कि अनुसूचित जिले जहां पर पेसा कानून के प्रावधान लागू हैं, वहां पर स्‍थानीय स्‍तर पर, जनपद स्‍तर पर और जिला पंचायत स्‍तर पर बेरोजगार युवाओं का विशेष भर्ती अभियान चलाया जाये और मेरा तीसरा सुझाव यह है कि अनुसूचित क्षेत्रों में माइनिंग में, रेत खदानों में और गैर-सरकारी संस्‍थाओं में जहां उद्योग स्‍थापित हों वहां पर आदिवासी युवाओं की विशेष भागीदारी सुनिश्चित की जाये.

          सभापति महोदया, मेरा आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री महोदया से प्रश्‍न है कि जो आदिवासी क्षेत्रों में बेरोजगारी दूर करने के लिये और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये मध्‍यप्रदेश सरकार के माध्‍यम से चार योजनाएं संचालित की जा रही हैं, उसमें जो प्रमुख योजना है वह है मुख्‍यमंत्री युवा उद्यमी योजना, जून, 2016 से यह योजना शुरू हुई और मेरे धार जिले में 2016 से लेकर 2021 तक सिर्फ तीन युवाओं को इस योजना का फायदा मिला यह फायदा इसलिये सिर्फ तीन युवाओं को इसलिये मिला, वह सिर्फ इसलिये नहीं कि बेरोजगार युवाओं ने उद्योग के लिये अप्‍लाई नहीं किया, इसलिये नहीं कि आदिवासी युवा उद्योग के क्षेत्र में काम नहीं करना चाहते हैं, इसलिये क्‍योंकि इस योजना के अंतर्गत बैंकों से लोन लेने की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि एक आम व्‍यक्ति का, आम बेरोजगार का बैंकों से लोन लेने बहुत कठिन काम है, तो मैं, आपके माध्‍यम से मंत्री महोदय से पूछना चाहता हूं कि क्‍या इस योजना का फायदा युवाओं को ज्‍यादा से ज्‍यादा मिले, इस योजना का सरलीकरण करने के लिये आपके माध्‍यम से कोई प्रयास होंगे, वह प्रयास कम होंगे और कितने समय में होंगे उसके बारे में अवगत कराने का कष्‍ट करें ?

            सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे:- माननीय सभापति महोदया, आज अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस है, इस पावन अवसर पर हमारी महिला विधायकों को और यहां पर उपस्थित हमारी जो भी महिला बहनें हैं देश से लेकर दुनिया तक सभी महिला बहनों को अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं और बधाई देती हूं और हमारे जो पुरूष विधायक हैं उनकी पत्नियां भी महिलाएं हैं तो उन सभी हमारे विधायकों के घरों में जो पत्नियां हैं उन सभी महिला बहनों को भी बधाई और शुभकामनाएं प्रेषित करना चाहती हूं.

          सभापति महोदया, माननीय विधायक जी का जो प्रश्‍न है उन्‍होंने तो बहुत सारे सुझाव दिये हैं, जैसा कि आपने भी सुने हैं, रोजगार की बात का इस प्रश्‍न में कहीं भी उल्‍लेख नहीं है, उन्‍होंने सिर्फ प्रशिक्षण की जानकारी मांगी थी, वह उत्‍तर के माध्‍यम से दे दी गयी है.

          डॉ. हिरालाल अलावा:- सभापति महोदया, प्रशिक्षण, बेरोजगार और योजनाएं जो आदिवासी क्षेत्रों में पांचवीं अनुसूचित क्षेत्रों में बेरोजगारों को रोजगार मिले, तो मेरा मूल प्रश्‍न पूछने का उद्देश्‍य यह था कि योजनाओं का फायदा आम लोगों, गरीब, बेरोजगार युवाओं तक कैसे पहुंचाया जाये. मैं आपके माध्‍यम से माननीय मंत्री महोदया से सिर्फ इतना जानना चाहता हूं कि जो आपने कहा है उद्यमिता के इसकी गारेन्‍टर बनेगी तो क्‍या आप इस बात के लिये मुझे आश्‍वस्‍त करेंगी कि जो बेरोजगार युवा उद्यमिता के लिये बैंकों से लोन लेना चाहते हैं, उसके लिये जिला स्‍तर पर जो टॉस्‍क फोर्स कमेटी बनी है वहां तक पहुंचने के लिये एक बेरोजगार युवा को कई चैनलों से होकर गुजरना पड़ता है, एक सीए रखना पड़ता है.

          सभापति महोदया:- आप सीधे पूछिये की आप क्‍या चाहते हैं.

          डॉ. हिरालाल अलावा:- सभापति महोदया, मैं यह चाहता हूं क्‍या इस लोन प्रक्रिया जो आसान बनाने के लिये आपके माध्‍यम से ऐसे कदम उठाये जायेंगे कि उनका निराकरण जिला पंचायत स्‍तर पर या जनपद स्‍तर पर ही किया जा सके ?

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे:- माननीय सभापति महोदया, माननीय सदस्‍य ने जो जानकारी चाही है बिन्‍दु पर विचार करेंगे.

          डॉ. हिरालाल अलावा:- सभापति महोदया, मेरा आखिरी सवाल है यह बेरोजगारी से जुड़ा हुआ मुद्दा है. मैं मंत्री महोदया से पूछना चाहता हूं कि आदिवासी क्षेत्रों में जो बैकलॉग के पद हैं जो वर्ष 2003 के बाद से अभी तक नहीं भरे गये हैं और जो बैकलॉग के पद थे वह 2018 अदर्स भर्ती नियम के तहत जो एसटीएससी के पद थे उनको कई मेडिकल कॉलेजों में सामान्‍य पदों से भर दिया गया जो कि संवैधानिक व्‍यवस्‍था के बिल्‍कुल खिलाफ है और माननीय मंत्री महोदया मुझे आश्‍वस्‍त करें कि उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगी और कार्यवाही करेंगी तो निश्चित ही जो बेरोजगार युवा हैं उनको रोजगार मिलेगा मेडिकल कॉलेजों में इंजीनियरिंग कॉलेजों में और प्रदेश के समस्त कॉलेजों में उनको रोजगार मिलेगा. बैकलॉग के पदों पर गलत तरीके से भर्ती हुई है. क्या उनके ऊपर कार्यवाही करने का मंत्री जी आप आश्वस्त करती हैं?

            सुश्री मीना सिंह माण्डवे--सभापति महोदया, जो माननीय विधायक जी प्रश्न कर रहे हैं वह मूल प्रश्न से उद्भूत नहीं होता है.

          डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, यह बेरोजगारी का गंभीर सवाल है. आप अगर युवाओं को रोजगार नहीं देंगे. आज वह डिग्री लेकर के घूम रहे हैं चाहे उसमें डॉक्टर हों, इंजीनियर हो, चाहे डिग्री कॉलेज के युवा हों, आज महिला दिवस है उसमें मंत्री जी आश्वस्त करें कि आदिवासी क्षेत्रों में बेरोजगारी द्वारा ह्यूमन ट्रेफिकिंग जैसी घटनाएं हो रही हैं उसके लिये जिम्मेदार कौन है ? अगर मंत्री जी यह आश्वस्त नहीं करेंगी कि हम लोन प्रक्रिया को आसान नहीं करेंगे. आज बेरोजगारों का आसानी से लोन नहीं मिल रहा है. बैंक में उनको रिश्वत खिलानी पड़ती है. कई स्तरों पर भ्रष्टाचार है उसको आसान करने के लिये सरकार जिम्मेदारी नहीं ले सकती है ?

          सभापति महोदया--यह आपके प्रश्न में नहीं आया है. आप सीधा पूछिये कि क्या चाह रहे हैं.

          डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, मैं चाहता हूं कि लोन प्रक्रिया को आसान बनाया जाये ताकि बेरोजगारों युवाओं को रोजगार आसानी से मिले.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे--सभापति महोदया, जो नियम है उसके तहत ही कार्य किये जाते हैं. जो नियम बने हैं उसके तहत ही काम किये जायेंगे.

          डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि नियम बनाना आपके हाथ में है. आप सरकार में हैं. आप चाहें तो नियमों में संशोधन करें. ऐसे नियम बनाये जिससे युवाओं को ज्यादा से ज्यादा फायदा हो तथा बेरोजगारों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिले.

          सभापति महोदया--इस प्रश्न पर पर्याप्त चर्चा हो गई है. प्रश्न क्रमांक 9 श्री दिलीप सिंह परिहार.

          डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, मेरे सवाल का जवाब नहीं मिला.

          सभापति महोदया--मंत्री जी ने आश्वस्त कर दिया है.

          डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, बेरोजगारी एक गंभीर समस्या है इस पर सदन गंभीर नहीं होगा तो आने वाले समय में संघर्ष होगा तो उसके लिये जिम्मेदार कौन होगा ?

          श्री दिलीप सिंह परिहार-- सभापति महोदया, आदिवासी भाईयों को लोन लेने के लिये उनकी चप्पल घिस जाती है, लेकिन उनका लोन नहीं होता है.

          डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, आदिवासी लड़कियां गायब हो जा रही हैं ह्यूमन ट्रेफिकिंग के कारण तथा बेरोजगारी के कारण उनको गुजरात एवं महाराष्ट्र जाना पड़ा रहा है. मैं सिर्फ इतना पूछना चाहता हूं कि क्या युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के लिये लोन प्रक्रिया को सरकार के माध्यम से आसान बनाया जायेगा.

          सुश्री मीना सिंह माण्डवे--सभापति महोदया, यह प्रश्न उद्भूत ही नहीं होता है तो मैं जवाब किस बात का दूं ?

          डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया, यह प्रश्न उद्भूत नहीं है, लेकिन वहां की गंभीर समस्या है. आप हमारी मंत्री हैं आपको आदिवासी क्षेत्रों के लिये गंभीर होना पड़ेगा. आप ही यह जवाब देंगी तो हम किनसे उम्मीद करेंगे कि बेरोजगारों का रोजगार मिले ?

            सुश्री मीना सिंह माण्डवे--सभापति महोदया, रोजगार के बारे में मूल प्रश्न में पूछा ही नहीं गया था. प्रश्न से हटकर के जवाब मांगा जा रहा है.

          डॉ.हिरालाल अलावा-- सभापति महोदया,माननीय मंत्री जी आप पूरा प्रश्न पढ़िये कि बेरोजगार युवाओं को रोजगार स्थानीय स्तर पर मिले.

          सभापति महोदया--जब मांगों पर चर्चा होगी तब आप विस्तृत रूप से अपनी बात रखियेगा.

         

 

 

पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना का क्रियान्‍वयन

[पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण]

8. ( *क्र. 3586 ) श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) शासन द्वारा संचालित पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, पिछड़ा वर्ग के छात्रों को प्रदान की जाती है या उस शिक्षण संस्थान को जहां वह अध्ययनरत हैं? (ख) यदि छात्र को प्रदान की जाती है तो सत्र 2019-20 में सतना जिले में शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों में छात्रवृत्ति के भुगतान का अलग-अलग मापदण्ड क्यों? (ग) यदि उपरोक्त खण्ड स्वीकारात्मक है तो क्या छात्रवृत्ति के भुगतान का दोहरा मापदण्ड का नियम है? यदि हाँ, तो अवगत करावें यदि नहीं, तो उन शिक्षण संस्थानों पर क्या कार्यवाही कब तक होगी?

राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण ( श्री रामखेलावन पटेल ) : (क) जी हाँ। विभाग द्वारा संचालित पोस्‍ट मैट्रिक छात्रवृत्ति पिछड़ा वर्ग के छात्रों को प्रदान की जाती है। प्रदेश की शासकीय संस्‍थाओं में संचालित केवल बी.ई./एम.बी.एस. एवं शासकीय पॉलीटेक्निक संस्‍थाओं में अध्‍ययनरत विद्यार्थियों को योजना अंतर्गत स्‍वीकृत शिक्षण शुल्‍क, परीक्षा शुल्‍क एवं अन्‍य शुल्‍कों का भुगतान सीधे शासकीय संस्‍थाओं के खाते में ऑनलाइन करते हुए अनुरक्षण भत्‍ते का भुगतान सीधे विद्यार्थियों के एकल बैंक खाते में हस्‍तांतरित किया जाता है। (ख) सत्र 2019-20 में सतना जिले में शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों में छात्रवृत्ति का भुगतान पिछड़ा वर्ग मैट्रिकोत्‍तर योजना को शासित करने वाले नियमों के अनुसार किया गया है। (ग) जी नहीं। शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता।

 

          श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा-- सभापति महोदया, विश्व महिला दिवस पर माननीय गृहमंत्री जी को छोड़कर बाकी सबको शुभकामनाएं. गृहमंत्री जी को इसलिये नहीं क्योंकि हमारी राष्ट्रीय अध्यक्ष को...

          श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- सभापति महोदया,आपको एक घंटे के बाद में बात समझ आयी.

          सभापति महोदया--आप प्रश्न करिये.

          श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा-- सभापति महोदया, हमारे जिले में बच्चे हैं जिनको शासन के द्वारा छात्रवृत्ति मिलती है उन बच्चों के साथ भेदभाव हुआ है. यह भेदभाव अधिकारियों के द्वारा किया गया है. आज जिले में बहुत सारे बच्चे हैं जिनको छात्रवृत्ति न मिलने के कारण पढ़ाई छोड़ने की कगार पर पहुंच गये हैं. वह लॉक डॉऊन की वजह से गांव से आकर शहरों में छोटे-मोटे काम करके छात्रवृत्ति के भरोसे वह पढ़ाई कर रहे थे, उनके साथ भेदभाव हुआ है. मेरा प्रश्न यह है कि क्या शासन द्वारा संचालित पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति योजना पिछड़ा वर्ग के छात्रों को प्रदान की जाती है. या शिक्षण संस्थान को जहां वह अध्ययनरत् हैं. इसका जवाब मिला है जी हां. विभाग द्वारा संचालित पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति उत्तर विदाउट डी.एस.सी. क्या है ? पिछड़ा वर्ग के छात्रों को प्रदान की जाती है. यहां तक तो ठीक है. लेकिन प्रदेश की शासकीय संस्‍थाओं में संचालित केवल बी.ई/एम.बी.एस. एवं शासकीय पॉलिटेक्‍निक संस्‍थाओं में अध्‍ययनरत् विद्यार्थियों को योजना के अंतर्गत स्‍वीकृत शिक्षण शुल्‍क, परीक्षा शुल्‍क एवं अन्‍य शुल्‍कों का भुगतान सीधे शासकीय संस्‍थाओं के खाते में ऑनलाइन करते हुए अनुरक्षण भत्‍ते का भुगतान सीधे विद्यार्थियों के एकल बैंक खाते में हस्‍तांतरित किया जाता है.

          सभापति महोदया - माननीय सदस्‍य, सीधे प्रश्‍न पूछ लें, पढ़कर न सुनाएं.

          श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा - मेरा विषय सिर्फ इतना था, हमारे पास कुछ प्रमाणित रिकार्ड है, जिसमें एक ही सब्‍जेक्‍ट पर पढ़ाई करने वालो दो अलग अलग छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई है. ऐसे कई गंभीर मुद्दे हैं, हमारे जिले में एक छात्र है अंजनी यादव जो ओबीसी का है और एमएससी का विद्यार्थी है फर्स्‍ट ईयर में है, उसको 26 हजार 283 रूपए छात्रवृत्ति मिलती है, वहीं धीरज कुमार सेन जो ओबीसी का है, और प्रायवेट कॉलेज में पढ़ता है, वह भी एमएससी कर रहा है और उसको 11 हजार 64 रूपए छात्रवृत्ति मिल रही है, तो यह भेदभाव क्‍या है और क्‍यों हैं. जब यह बातें आईं तो हमने अधिकारियों से पूछा तो अधिकारियों ने कहा यह शासन का नियम है, जबकि शासन के नियम में एक जैसा है. सम्‍माननीय सरकार जो ओबीसी के लिए, बच्‍चों के लिए, अपने भांजे-भांजियों के लिए न्‍याय की बात करती है तो यह अन्‍याय कब तक चलेगा और इसका क्‍या उपाये हैं?

            श्री रामखेलावन पटेल - माननीय सभापति महोदय, शासकीय शैक्षणिक संस्‍थाओं में पूर्ण शिक्षण शुल्‍क सहित अन्‍य अनिवार्य शुल्‍क की प्रतिपूर्ति की जाती है. अशासकीय शिक्षण संस्‍थाओं में शासकीय शिक्षण संस्‍थाओं के बेसिक पाठ्यक्रम के समतुल्‍य फीस का भुगतान किया जाता है, शासकीय शिक्षण संस्‍थाओं में गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षण होने के साथ ही शुल्‍क की दर न्‍यूनतम होने से अधिक से अधिक विद्यार्थियों द्वारा शासकीय शिक्षण संस्‍थानों में प्रवेश लिया जा सके, इसलिए शासकीय शिक्षण संस्‍थाओं में फीस ज्‍यादा दी जा रही है. अशासकीय संस्‍थाओं में शुल्‍क अधिक होने तथा भिन्‍न भिन्‍न संस्‍थाओं में पृथक-पृथक दर होने के कारण शासकीय संस्‍थानों में न्‍यूनतम दर को आधार बनाया जाता है. शासकीय संस्‍थाओं की फीस को आधार बनाने से शासन पर अपेक्षाकृम कम वित्‍तीय भार आता है इसलिए ऐसी व्‍यवस्‍था सरकार ने कर रखी है.

          श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा - माननीय सभापति महोदय, जब सरकार सारे बच्‍चों को नहीं पढ़ा पाती या एडमिशन नहीं दे पाती तो बच्‍चे प्रायवेट कालेज में जाते हैं, प्रायवेट शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर होते हैं, तो वहां का खर्च भी ज्‍यादा होता है और उन बच्‍चों की छात्रवृत्ति में भी कटौती हो जाती है तो यह न्‍यायसंगत नहीं है, क्‍या इसकी व्‍यवस्‍था की जाएगी, क्‍या इसमें सुधार होगा और कब तक होगा, ताकि जो पिछला सत्र निकल गया और आने वाला सत्र बच्‍चों का खराब न हो, उनका भविष्‍य खराब न हो, क्‍या उनके लिए सरकार गंभीरता से निर्णय लेगी.

          श्री रामखेलावन पटेल - माननीय महोदया, अशासकीय संस्‍थाओं को शासकीय संस्‍थाओं के बेसिक कोर्स के अनुरूप भुगतान किया जाता है. 8994, इसी तरह शासकीय कॉलेजों में भी इसी तरह का भुगतान किया जाता है. शासकीय कॉलेजों में कुछ अन्‍य सुविधाओं के कारण वहां ज्‍यादा फीस दी जाती है. महोदया, मैं माननीय सदस्‍य के सुझावों पर विचार करूंगा, आप हमारे साथ बैठ लिजिएगा, हम अधिकारियों को बैठाकर के प्रयास करेंगे कि आपके सुझावों में हमारी और आपकी सहमति हो जाए और आगे उसमें सरकार कार्यवाही करें.

          श्री सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा - धन्‍यवाद .

          डॉ. विजयलक्ष्‍मी साधौ - माननीय सभापति महोदया, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि क्‍या प्रदेश के बाहर जो बच्‍चे पढ़ते हैं, पिछड़ा वर्ग के क्‍या उनको भी आप छात्रवृत्ति देते हैं. मेरी विधान सभा के झांसी के अंदर कृषि विश्‍वविद्यालय में बच्‍चे पढ़ रहे हैं, उनको स्‍कालरशिप नहीं मिल रही है, यह थोड़ा बता दें.

जिला परियोजना समन्वयकों की प्रतिनियुक्ति समाप्त करना

[स्कूल शिक्षा]

        9. ( *क्र. 3327 ) श्री दिलीप सिंह परिहार : क्या राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा अपने आदेश क्रमांक 2494, दिनांक 01.04.2016 के द्वारा कितने वर्ष के लिये प्राचार्य उ.मा.वि./हाई स्कूल संवर्ग को जिला परियोजना समन्वयक के पद पर प्रतिनियुक्ति पर रखा गया है? क्या प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने के उपरान्त शासन द्वारा प्रतिनियुक्ति अवधि बढ़ाने के कोई आदेश प्रसारित किये हैं? यदि नहीं, तो कब तक इनकी प्रतिनियुक्ति समाप्त कर इनकी सेवाएं मूल विभाग को सौंपी जायेंगी? (ख) प्रश्नाधीन आदेश के परिप्रेक्ष्य में ऐसे कितने आवेदन शासन को प्राप्त हुए हैं, जिसमें प्रतिनियुक्ति पर रहते हुए स्थानान्तरण की मांग की गई है? क्या ऐसे आवेदनों पर शासन विचार कर संबंधितों की सेवाएं मूल विभाग को सौंपने की कार्यवाही करेगा? यदि हाँ, तो कब तक? (ग) क्या नीमच जिले से भी जिला परियोजना समन्वयक के पद पर प्रतिनियुक्ति पर जाने के संबंध में कोई प्रस्ताव शासन को प्राप्त हुए हैं? यदि हाँ, तो प्राप्त प्रस्ताव अनुसार कब तक आदेश प्रसारित कर दिये जावेंगे।

        राज्य मंत्री, स्कूल शिक्षा ( श्री इन्‍दर सिंह परमार ) : (क) राज्य शिक्षा केन्द्र के आदेश क्रमांक 2494, दिनांक 01.4.2016 द्वारा 25 प्राचार्य संवर्ग की सेवायें प्रतिनियुक्ति पर जिला परियोजना समन्वयक के पद पर दो वर्ष के लिए ली गईं थीं, जिसमें से वर्तमान में उक्त आदेश के तहत तीन प्राचार्य संवर्ग के अधिकारी जिला परियोजना समन्वयक के पद पर पदस्थ हैं। सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र क्रमांक सी-18/94/3/1, दिनांक 12.12.1994 में प्रतिनियुक्ति अवधि सामान्यतः चार वर्ष। इससे अधिक अवधि तक रखा जाना आवश्यक है तो दोनों विभागों की आपसी सहमति से अवधि बढ़ाई जा सकती है। लोक शिक्षण संचालनालय के पत्र क्रमांक/स्था.1/राज/जी/194/प्रति.नि./2017/798, दिनांक 9.6.2017 के माध्यम से स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यालय तथा उसके अनुशांगिक कार्यालयों में पदस्थ ऐसे शिक्षक संवर्ग के कार्यरत कर्मचारियों को भारमुक्त न किये जाने के निर्देश हैं। पत्र की प्रति संलग्‍न परिशिष्‍ट अनुसार है। अतः शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।                                                 (ख) जिला परियोजना समन्वयक, पन्ना एवं जिला परियोजना समन्वयक, नीमच का स्थानांतरण किये जाने संबंधी आवेदन प्राप्त हुआ। लोक शिक्षण संचालनालय के पत्र क्रमांक/स्था.1/राज/जी/ 194/प्रति.नि./2017/798, दिनांक 9.6.2017 के प्रकाश में सेवायें मूल विभाग को वापिस किये जाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन न होने से शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) जी नहीं, बल्कि जिला परियोजना समन्वयक, नीमच का स्थानांतरण संबधी आवेदन प्राप्त हुआ है।

परिशिष्ट - "एक"

          श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय सभापति महोदया, मैं आपके माध्‍यम से मान्‍यवर राज्‍य मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि शासन के पत्र  दिनांक 9.6.2017 के अनुसार, शिक्षा संवर्ग के कार्यरत कर्मचारियों को भारमुक्‍त नहीं करने के निर्देश हैं तो फिर श्री गहलोत और श्री सोलंकी को कलेक्‍टर नीमच और आपके माध्‍यम से क्‍यों हटाया गया ?  जो प्रतिनियुक्ति पर रहना चाहता था, उसको हटाया गया है. मेरा आपके माध्‍यम से मंत्री जी से यह मेरा मूल प्रश्‍न है.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार - माननीय सभापति महोदया, माननीय सदस्‍य के जिले का जहां का यह उल्‍लेख कर रहे हैं, 4 वर्ष तक के लिये प्रतिनियुक्ति पर डीपीसी के पद पर जा सकते हैं, 2 वर्ष फिर बढ़ाई जा सकती है और यदि दोनों विभागों की सहमति हो तो उसके आधार पर 2 वर्ष और बढ़ाई जा सकती है. आप जिन गोयल का उल्‍लेख कर रहे हैं, उनका 4 वर्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है.

          श्री दिलीप सिंह परिहार - सभापति महोदया, माननीय मैंने तो आपको यह लिखा है कि आपने प्रतिनियुक्ति पर जो रखे थे, उनको तो हटा दिया बाकि उनको नहीं हटाया, जबकि मैंने एक पत्र दिया है कि गोयल की जगह मदन सिंह की डीपीसी बनाने के लिये, उसका कोई पालन ही नहीं हुआ है.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार - इसका प्रस्‍ताव आपके द्वारा विभाग के पास अभी नहीं आया है.

          श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय, मैं स्‍वयं लेकर गया था.       

          श्री इन्‍दर सिंह परमार - माननीय सभापति महोदया, लेकिन हम परीक्षण करेंगे. यदि वह आया होगा और पात्र होगा तो हम उस पर विचार करेंगे.

          श्री दिलीप सिंह परिहार - वह पात्र है.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार - तो ठीक है. हम परीक्षण करके उसपर विचार करके, कार्यवाही करेंगे.

          श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय सभापति महोदया, जब वे शिक्षा के क्षेत्र में इतना अच्‍छा कार्य कर रहे हैं तो यदि प्रतिनियुक्ति कोई लेना चाहता हो तो उनको तो हटा देते हैं, जो हटना चाहता है, आपने उनको रखा हुआ है, तो कम से कम वहां डीपीसी की नियुक्ति हो जाये, आप इतना आश्‍वासन दे दें.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार - माननीय सभापति महोदया, अभी वहां पर डीपीसी है. मैं उनसे बात करके, आप जो नाम बोल रहे हैं, उसका विभाग के पास कोई प्रस्‍ताव नहीं आया है.

          श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय, मैंने स्‍वयं ने शिक्षा विभाग को दिनांक 24.7.2020 को प्रस्‍ताव भेजा है.      

          श्री इन्‍दर सिंह परमार - माननीय सभापति महोदया, जो माननीय सदस्‍य जी उल्‍लेख कर रहे हैं. वास्‍तव में तो उस सदस्‍य को ही, जो स्‍वयं संबंधित कर्मचारी है, लोक सेवक है, उसी को ही स्‍वयं को आवेदन करना पड़ता है. इसलिए माननीय का प्रस्‍ताव उसके सपोर्ट में हो सकता है.

          श्री दिलीप सिंह परिहार - उन्‍होंने मूल आवेदन किया है. मेरे पास उसकी दिनांक है.

          श्री इन्‍दर सिंह परमार - उन्‍होंने मूल आवेदन नहीं किया है और मूल प्रश्‍न से इसका कोई अर्थ भी नहीं है. इसका कोई तालमेल नहीं है, यह मूल प्रश्‍न से उद्भूत नहीं हो रहा है. मैं फिर भी इसलिए कह रहा हूँ कि यदि उन्‍होंने आवेदन किया होगा कि हम हटना चाहते हैं तो विभाग उनको जरूर हटायेगा. यदि संबंधित ने आवेदन दिया है तो हम तत्‍काल हटा देंगे.

          श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय, ठीक है, तो आप उनको प्रतिनियुक्ति से हटाकर कर देंगे, यह आपने आश्‍वासन दिया है. इसके लिए मैं आपको धन्‍यवाद देता हूँ. आप जो 24,200 पदों पर नियुक्ति करें, उनमें बहनों का भी ध्‍यान रखें. आपको बहुत-बहुत धन्‍यवाद. अन्‍तर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस की बहुत-बहुत बधाई.

          मृत शासकीय सेवक के स्‍वत्‍वों के भुगतान में विलंब

[जनजातीय कार्य]

        10. ( *क्र. 3797 ) श्री जालम सिंह पटैल : क्या जनजातीय कार्य मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) आदिवासी विकास विभाग के सतपुड़ा भवन में क्षेत्र संयोजक के पद पर कार्यरत रहते हुए मृत स्‍व. श्री जे.के. श्रीवास्‍तव, जिनकी मृत्‍यु को 10 वर्ष से भी अधिक समय हो गया है, के जी.पी.एफ, 240 दिन के स्‍वीकृत अवकाश एवं अन्‍य कौन से स्‍वत्‍वों का भुगतान आज दिनांक तक शेष है? (ख) कर्मचारी की जी.पी.एफ. की पासबुक का संधारण कौन करता है, विभाग या कर्मचारी? मृत शासकीय सेवक का 10 वर्षों के उपरांत भी उनके स्‍वत्‍वों का भुगतान न करना और उसका आधार यह लेना कि मृत शासकीय सेवक द्वारा नियमित सेवा में उपस्थित न रहने के कारण सेवापुस्तिका/जी.पी.एफ. पासबुक का नियमित संधारण नहीं हुआ, को विभाग किस प्रकार उचित मानता है? (ग) शासकीय कर्मचारी की मृत्‍यु उपरांत उनकी सेवापुस्तिका तथा जी.पी.एफ. संबंधी अभिलेख प्राप्‍त करने हेतु किन-किन कार्यालयों को कब-कब पत्र लिखा गया, पत्र क्रमांक/दिनांक बताएं तथा छायाप्रतियां भी प्रदाय करें। (घ) जी.पी.एफ. के साथ ही 240 दिन के स्‍वीकृत अवकाश एवं शेष अन्‍य कौन-कौन से स्‍वत्‍वों के भुगतान आज दिनांक तक शेष हैं, विवरण देवें तथा भुगतान में विलंब के लिए क्‍या संबंधितों का उत्‍तरदायित्‍व निर्धारित किया जाएगा? यदि नहीं, तो क्‍यों?   (ड.) मृत शासकीय सेवक के उक्‍त सभी स्‍वत्‍वों के भुगतान की निश्चित समय-सीमा बताएं

        जनजातीय कार्य मंत्री ( सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे ) : (क) जी.पी.एफ. पासबुक अपूर्ण होने से पदस्‍थापना स्‍थानों से जानकारी प्राप्‍त की जा रही है जिसमें से 04 जिलों से जानकारी प्राप्‍त हो चुकी है, शेष 02 जिलों से जानकारी अप्राप्‍त है। वेतन नियमन उपरांत वेतन अंतर की राशि जिसमें 240 दिवस स्‍वीकृत अवकाश अवधि का वेतन भी शामिल है। भुगतान की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। (ख) जी.पी.एफ. की पासबुक के संधारण का उत्‍तरदायित्‍व कार्यालय प्रमुख का है, परंतु द्वितीय पासबुक संबंधित शासकीय सेवक के पास रहने संबंधी निर्देश है। पासबुक में प्रविष्टियां शासकीय सेवक की सुविधा अनुसार हर महिने या कुछ अंतराल बाद लेकिन वर्ष में कम से कम एक बार अवश्‍य प्रमाणित की जावेगी। (ग) कार्यालय द्वारा लिखे गये पत्रों की प्रतियां पुस्‍तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (घ) प्रश्‍नांश (क) एवं () के उत्‍तर उपरांत शेष प्रश्‍न उपस्थित नहीं होता। (ड.) निराकरण हेतु प्रक्रिया प्रचलन में है जिसकी निश्चित समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।

          श्री जालम सिंह पटेल - माननीय सभापति महोदया, मेरे प्रश्‍न के लिये समय कम है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि जो मेरा प्रश्‍न है, उसमें जीपीएफ की राशि का कब तक भुगतान हो जायेगा ? आप निश्चित अवधि बताने की कृपा करें. मेरा दूसरा प्रश्‍न यह है कि जो मृतक कर्मचारी है, उसने कोई अवकाश नहीं लिया था और उसको 1009 मृतक दिवस एवं 973 दिवस के अवैतनिक किये गये वेतन का भुगतान कब तक होगा ? उसको अवैतनिक कर दिया है. मेरे दो प्रश्‍न हैं.

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे - माननीय सभापति महोदया, माननीय विधायक जी का जो प्रश्‍न जीपीएफ भुगतान के संबंध में है, तो पूरा प्रकरण बनाकर महालेखाकार, ग्‍वालियर भेज दिया गया है और वहां से जैसे ही आदेश आयेगा तो उसका भुगतान हो जायेगा.

          श्री जालम सिंह पटेल - सभापति महोदया, मैं जानकारी देना चाहूँगा कि उसको अवैतनिक कर दिया गया था. मैं चिट्ठी बनाकर आपको दे दूँगा, तो आप अधिकारियों को निर्देश देकर उसमें जो कमी रह गई है, आप उसकी जांच करवा लें, मैं ऐसा आश्‍वासन चाहता हूँ. 

          सुश्री मीना सिंह माण्‍डवे - जी, करा लेंगे.      

          प्रश्‍न क्रमांक - 11 (अनुपस्थित)    

          सभापति महोदया - प्रश्‍नकाल समाप्‍त.

(प्रश्‍नकाल समाप्‍त)

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           12.00 बजे            शून्‍यकाल में मौखिक उल्‍लेख

संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्‍तम मिश्र) -- मेरा प्‍वाइंट ऑफ आर्डर था. मेरा व्‍यवस्‍था का प्रश्‍न है. ..(व्‍यवधान..)

श्री जितु पटवारी -- आदरणीय सभापति महोदया जी बहुत महत्‍वपूर्ण मामला है. ..(व्‍यवधान..)

          सभापति महोदया -- शून्‍यकाल की सूचनाएं आ जायें, उसके बाद आपको बोलने का मौका दिया जायेगा. ..(व्‍यवधान..)

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- माननीय सभापति महोदया,मेरा प्‍वाइंट ऑफ आर्डर है. ..(व्‍यवधान..)

          श्री जितु पटवारी -- आदरणीय सभापति महोदया, यह बहुत महत्‍वपूर्ण मसला है और यह पहली बार मध्‍यप्रदेश के इतिहास में हो रहा है कि सदन के अंदर मंत्री अलग आयेंगे और राजेन्‍द्र शुक्‍ला, रामपाल सिंह, पूर्व विधानसभा के अध्‍यक्ष ये अलग आयेंगे. यह दो तरह का विचार, मंत्रियों के लिये अलग दरवाजा और विधायकों के लिये अलग दरवाजा, सदन में सदस्‍य आने के बाद एक होते हैं, दो नहीं होते हैं, यह कौन सा अग्रेंजों का कानून हम लागू कर रहे हैं. ..(व्‍यवधान..)

कुंवर विक्रम सिंह -- माननीय सभापति महोदया, मेरे विधानसभा क्षेत्र राजनगर में एक पत्रकार की बेरहमी से मारपीट हुई है..(व्‍यवधान..)  यह बहुत गंभीर मामला है. ..(व्‍यवधान..)

सभापति महोदया -- शून्‍यकाल की सूचनाएं आ जाये, उसके बाद आप आपको बोलने का मौका दिया जायेगा. ..(व्‍यवधान..) आप अपनी जगह बैठ जायें. ..(व्‍यवधान..)

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- माननीय सभापति महोदया, मेरा प्‍वाइंट आफ आर्डर है. ..(व्‍यवधान..)

श्री जितु पटवारी -- ..(व्‍यवधान..) जो मंत्री नहीं बोला, वह योग्‍य नहीं होगा ऐसा नहीं था, कई अयोग्‍य लोग भी मंत्री हो सकते हैं, पर दो दरवाजे कैसे हैं. ..(व्‍यवधान..)  

सभापति महोदया -- श्री जितु जी आप बैठ जायें. ..(व्‍यवधान..)

श्री जितु पटवारी-- माननीय सभापति महोदया, क्‍या दो दरवाजे होने चाहिये? एक दरवाजे से मंत्री जी आयेंगे और विधायक इधर से आयेंगे, यह दोहरी नीति कैसी है. ..(व्‍यवधान..)

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- माननीय सभापति महोदया, मेरा प्‍वाइंट ऑफ आर्डर है.

                                                ..(व्‍यवधान..)

सभापति महोदया -- ( एक साथ कई माननीय सदस्‍यों के अपने अपने आसन से कुछ कहने पर) गृहमंत्री जी कुछ बात कर रहे हैं, आप सभी बैठ जायें.

डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- माननीय सभापति महोदया, दो विषय हैं, पहले तो सम्‍मानित सदस्‍य ने जवाब का कहा है. यह व्‍यवस्‍था अध्‍यक्ष जी ने की है और ऐसा नहीं है कि ये गेट अलग-अलग होते हैं, चूंकि वहां पर अनेक विधायकों को लंच टाईम में काफी देर रूकना पड़ता था और लोकसभा में इस तरह की व्‍यवस्‍था है कि सभी के द्वार उन्‍होंने अलग-अलग किये हुए हैं, उसी लोकसभा की व्‍यवस्‍था अनुसार किया गया है. ( श्री जितु पटवारी, सदस्‍य के अपने आसन से कुछ कहने पर) हम बहस नहीं कर रहे हैं, आपकी बात रिकार्ड पर आ गई है और आप अध्‍यक्ष जी से भी कह सकते हैं. उसमें सिर्फ इतना सा किया गया है, ऐसा ही पार्किंग की भी व्‍यवस्‍था की है और ऐसे ही सिक्‍योरिटी गार्ड की भी व्‍यवस्‍था की गई है. अगर सम्‍म‍ानित सदस्‍यों को कोई सुझाव देना है या आसंदी की व्‍यवस्‍था है तो जाकर अध्‍यक्ष जी से कहें उनके सुझावों को भी अंगीकार करेंगे, स्‍वीकार करेंगे इसमें अस्‍वीकारिता की बात कहां से आ गई है, यह एक बात है.

माननीय सभापति महोदया, दूसरा विषय मेरा यह है कि मेरे चीफ कांग्रेस के मुख्‍य सचेतक डॉ. गोविन्‍द सिंह जी ने दतिया के अतिक्रमण के संबंध में विषय उठाया था, मैंने यहां कहां था कि हम स्‍थगन पर चर्चा के लिये तैयार हैं. चूंकि वह असत्‍य और निराधार आरोप थे, इसलिये मैं चाहता हूं कि सदन में स्‍थगन स्‍वीकार करके उस पर चर्चा कराई जाये और इस पर चीफ विहिप की राय ले ली जाये की वह क्‍या चाहते हैं ?

          सभापति महोदया -- इस संबंध में माननीय अध्‍यक्ष महोदय जी निर्णय लेंगे, वही तय करेंगे कि क्‍या करना है. (व्‍यवधान..) शून्‍यकाल की सूचनाएं हो जाने दें.  डॉ. गोविन्‍द सिंह जी आप बोलें. (व्‍यवधान..)

श्री नीरज विनोद दीक्षित -- माननीय सभापति महोदया, छतरपुर जिले के बमीठा में एक वी.एन.सी. कंपनी में भारत के चौथे स्‍तंभ पत्रकार को बीच सड़क पर मारते हैं (व्‍यवधान..)

डॉ. गोविन्‍द सिंह -- माननीय सभापति महोदया, ने मेरा नाम लिया है, आप बैठ जायें, यह क्‍या कोई तरीका है. (व्‍यवधान..) सदन के प्रस्‍ताव में आपने नाम उठाया है, मुझे जवाब देना है. (व्‍यवधान..)

सभापति महोदया -- (एक साथ कई माननीय सदस्‍यों के अपने आसन से कुछ कहने पर) बाकी माननीय सदस्‍य बैठ जायें. (व्‍यवधान..)

श्री जितु पटवारी -- माननीय सभापति महोदया, जवाब मांगा है. (व्‍यवधान..)

डॉ. गोविन्‍द सिंह -- आपने कहा कि स्‍वीकार है कि नहीं, हम स्‍वीकार करने को तैयार हैं, तो मैं जवाब तो दूं. (व्‍यवधान..)

 

सभापति महोदया -- (एक साथ कई माननीय सदस्‍यों के अपने आसन से कुछ कहने पर) बाकी माननीय सदस्‍य बैठ जायें.डॉ. गोविन्‍द सिंह जी आप बोलिये, आप क्‍या कह रहे हैं?

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- आप अपने दल के लोगों को समझाओ.

डॉ. गोविन्‍द सिंह -- माननीय सभापति महोदया, आज चूंकि अध्‍यक्ष महोदय जी ने कहा कि ऐसा कोई काम न करें जिसमें व्‍यवधान हो, इसलिये महिला दिवस का सम्‍मान करते हुए इस बारे कल जवाब देंगे. आपने स्‍वीकार किया है तो मैं कल उत्‍तर दूंगा. दूसरा हमारा निवेदन है जो श्री जितु पटवारी जी ने अभी बात रखी है कि सामान्‍य विधायकों के लिये अलग दरवाजा और मंत्रियों के अलग दरवाजा. मैं आज 32 साल से विधायक हूं, मैं मंत्री भी रहा हूं और हमारी सरकार भी रही 12 -13 वर्ष रही है, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि कभी भी ऐसा भेद-भाव हमने नहीं किया है. यह माननीय समाजवादी अध्‍यक्ष जी की विचारधारा के बाद, इन्‍होंने निर्णय लिया है और इस निर्णय को हम तोड़ेंगे, हम यहां पर आपका तानाशाही कानून नहीं चलने देंगे. विधायकों का अपमान नहीं होगा. (व्‍यवधान..) विधायकों का अपमान नहीं होने देंगे. आप जगह-जगह पर विधायकों का अपमान करा रहे हैं, जगह -जगह विधायकों पर हमले हो रहे हैं, (व्‍यवधान..)

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र -- यह कोई कानून नहीं है, यह बे फालतू के चिल्‍ला रहे हैं, जब मैं कह रहा हूं कि आप आओ और अपनी बात रखो, इसमें काहे का चिल्‍लाना (व्‍यवधान..) जब आपकी बात मान रहे हैं, जवाब दे दिया है, फिर भी चिल्‍ला रहे हैं, कोई भी नॉन इश्‍यू का इश्‍यू बनाना. (व्‍यवधान..) आप चर्चा करो अतिक्रमण पर  (व्‍यवधान..) आपको लगता है कोई दिक्‍कत है तो हम दूर करेंगे इतनी सी बात है कितनी जोर से कह रहे हो,  इसके लिये हाथ फेंक रहे हो (व्‍यवधान..) आज एक बहन आसंदी पर बैठी है, आपकी पार्टी की बहन आसंदी पर बैठी है, कुछ तो भी मुद्दा उठाना है. (व्‍यवधान..)                                                     

          डॉ. गोविन्‍द सिंह--  लगातार विधायकों का अपमान हो रहा है. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ-- पार्लियामेंट के अंदर भी एक ही गेट से सब लोग जाते हैं, प्रधानमंत्री जी को छोड़कर. ...(व्‍यवधान)...

          श्री गोपाल भार्गव-- आप संसदीय कार्य मंत्री रहे हैं, मेरी बात सुन लें विषय यह है कि एक-डेढ़ घंटे का लंच होता है. ...(व्‍यवधान)...

          श्री फुन्‍देलाल सिंह मार्को--  माननीय सभापति महोदया, मेरा निवेदन है कि मेरे पुष्‍पराजगढ़ महाविद्यालय के 3 वर्ष से ... ...(व्‍यवधान)...

          सभापति महोदया--  भार्गव जी आप बोलिये. ...(व्‍यवधान)...

          श्री गोपाल भार्गव-- सभापति महोदया, डेढ़ घंटे का लंच होता है, कभी-कभी उसमें से भी समय कम हो जाता है और विषय यह है जहां तक डॉक्‍टर साहब गोविन्‍द सिंह जी कह रहे हैं मिंटो हॉल में जब विधान सभा लगती थी तब आपकी सरकार थी, दिग्विजय सिंह जी के समय, अर्जुन सिंह जी के समय, वोरा जी के समय, श्‍यामाचरण जी के समय, सभी के समय पीछे से ही मंत्रियों के आने की और जाने की व्‍यवस्‍था होती थी, आप लोग याद करो. ...(व्‍यवधान)...  मैं किसी बात का न समर्थन कर रहा हूं न विरोध कर रहा हूं, मुझे समर्थन और विरोध से कुछ लेना देना नहीं है. ...(व्‍यवधान)... यह कोई विषय ही नहीं है.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह-- सभापति महोदया, हम खुद 1990 में विधायक थे ...(व्‍यवधान)... हम सभी एक ही रास्‍ते से आते थे ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  सभापति महोदया, यह अकारण का विषय है, मैंने पहले ही स्‍वीकार किया, कमलनाथ जी केन्‍द्र सरकार के मंत्री थे, लंबे समय मंत्री रहे हैं, यह जब जाते थे ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. गोविन्‍द सिंह--  आप तानाशाही चला रहे हो. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  गोविन्‍द सिंह जी जोर से बोलने से ...(व्‍यवधान)...

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा--  माननीय गृह मंत्री जी उचित सलाह मानने में दिक्‍कत क्‍या है. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  कांग्रेस के पास अब कोई मुद्दा बचा नहीं है ...(व्‍यवधान)... खनिज का मुद्दा है नहीं, महिलाओं का मुद्दा है नहीं, बेफिजूल का विषय, यह कोई विषय है ...(व्‍यवधान)...

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा--  सरकार विधायकों का अपमान कर रही है. ...(व्‍यवधान)...

          सभापति महोदया--  कृपया सभी लोग बैठ जायें, मैं खड़ी हूं तो कम से कम आज के दिन मेरा तो सम्‍मान कीजिये ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  बेफिजूल का विषय उठा रहे हैं, अरे आज कम से कम महिलाओं पर बोलते, उनकी समस्‍याओं पर बोलते ...(व्‍यवधान)... जिस मुद्दे को हम स्‍वीकार कर रहे हैं, उस पर बोल रहे हो. अब मुद्दाविहीन कांग्रेस है, मुद्दाविहीन. कोई मुद्दा नहीं है कांग्रेस के पास ...(व्‍यवधान)... बेफिजूल के मुद्दे उठाकर इस सदन का समय खराब करते हैं ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. विजय लक्ष्‍मी साधौ--  जब विधायकों का अपमान होगा तभी तो मुद्दे उठाये जायेंगे. ...(व्‍यवधान)...

          श्री जितु पटवारी-- रामपाल सिंह जी आप अयोग्‍य हो क्‍या, राजेन्‍द्र शुक्‍ल जी आप अयोग्‍य हो क्‍या, ये आपके विधायक हैं, ...(व्‍यवधान)... इनको अलग रास्‍ते से भेजोगे. ...(व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  अपनी पीड़ा बताओ कि यहां से वहां कैसे पहुंच गये. ...(व्‍यवधान)... इसके लिये इस फोरम का उपयोग करोगे. ...(व्‍यवधान)... खत्‍म कर दिया तुम्‍हारी सल्‍तनत को. ...(व्‍यवधान)...

          श्री सज्‍जन सिंह वर्मा--   खरीदकर सरकार बना ली अब तानाशाही चलाओगे क्‍या. ...(भारी व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  ऐसे ही चलेगी ...(भारी व्‍यवधान)... और ऐसे ही चलायेंगे. ...(भारी व्‍यवधान)...

          एक माननीय सदस्‍य--  हम भी ऐसे ही तोड़ेंगे. ...(भारी व्‍यवधान)...

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  तोड़कर दिखाओ, तुम्‍हारी सरकार तोड़ दी ...(भारी व्‍यवधान)...

          सभापति महोदया--  विधान सभा की कार्यवाही 05 मिनट के लिये स्‍थगित.

 

12.09 बजे            (विधान सभा की कार्यवाही 05 मिनट के लिये स्‍थगित)    

 

 

12.16 बजे                         विधान सभा पुन: समवेत हुई.

                             {सभापति महोदया (श्रीमती झूमा सोलंकी) पीठासीन हुईं.}

 

          नेता प्रतिपक्ष ( श्री कमलनाथ ) - माननीय सभापति महोदया, यह  प्रश्न इस सदन के सम्मान का, विधायकों के सम्मान का है. विधान सभा और विधायकों  के सम्मान का इतिहास है. हर हाऊस, लोक सभा हो या राज्यों की विभिन्न विधान सभाएं हों, सबसे बड़े रक्षक हम खुद होते हैं, विधायकों के सम्मान के लिये. उस तरफ का हो या इस तरफ का, अगर हम एक-दूसरे का सम्मान नहीं करेंगे तो बाकी कौन सम्मान करेगा और इसमें शासन की प्रथम जिम्मेदारी होती है कि इस साईड के विधायक हों, उस साईड के विधायक हों दोनों के सम्मान की रक्षा करे. तभी यह जो हमारी बनी हुई एक परम्परा है. विधायकों का यदि हम order of Precedence देखें. हम विधायकों के सम्मान का इतिहास देखें. हम सब गुजरे हैं इससे. यह परम्परा हमें कायम रखनी चाहिये. यही मेरा सबसे निवेदन है.

          संसदीय कार्य मंत्री ( डॉ.नरोत्तम मिश्र ) - माननीय सभापति महोदया, माननीय नेता प्रतिपक्ष ने बहुत सही विषय की ओर ध्यान आकर्षित किया है. मैंने प्रारम्भ में  भी कहा था कि यह शासन की व्यवस्था नहीं है. इस परिसर के अंदर माननीय अध्यक्ष की व्यवस्था चलती है. सम्मानित नेता प्रतिपक्ष, सम्मानित अध्यक्ष जैसा तय करेंगे उसमें सभी की सहमति है उसमें किसी की असहमति है ही नहीं. सम्मानित सदस्यों के सम्मान का पूरा ध्यान रखा जायेगा. मैं अभी तक नहीं समझ पाया कि इस गेट की जगह उस गेट से आएंगे तो सम्मान में वृद्धि कैसे होगी और कमी कैसे होगी. हम जिस गेट से आते हैं ये सारे विधायक उस गेट से आ जाएंगे हम उस गेट से आ जाएंगे जिससे विधायक आते हैं. हमें इसमें भी कोई आपत्ति नहीं. जैसी परम्परा नेता प्रतिपक्ष ने लोकसभा में देखी हो बहुत अनुभवी हैं. मैंने उस दिन भी कहा था कि बहुत अनुभवी नेता प्रतिपक्ष हमें मिले हैं. आप अध्यक्ष के साथ तय करें हमारी सहमति है, हमारी असहमति कहीं है ही नहीं.

         

          सभापति महोदया - आपस में विचार कर लें कि माननीय अध्यक्ष जी के अधिकार क्षेत्र का मामला है. मैं चाहूंगी कि आप आपस में चर्चा करके जो सही है वह हो जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

          श्री सज्जन सिंह वर्मा - माननीय सभापति महोदया, माननीय संसदीय कार्य मंत्री अध्यक्ष जी के संज्ञान में जाकर लाएं और अपनी टिप्पणी उस पर दें.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - चूंकि आज महिला दिवस हैं इसीलिये माननीय सभापति महोदया आसंदी पर विराजमान हैं. सारी बात को सम्मानित अध्यक्ष महोदय स्वयं भी सुन रहे हैं. उसके बावजूद भी जैसा हमारे वरिष्ठ सदस्य सज्जन सिंह वर्मा जी ने कहा है जब नेता प्रतिपक्ष जी कहेंगे मैं उनके साथ चलकर उनका पक्ष रखने को तैयार हूं. इसमें असहमति हमारी कहीं भी नहीं है. सभापति महोदया, एक बात और है एक विषय नेता प्रतिपक्ष ने मेरे ध्यान में लाया था. उन्होंने दतिया के अतिक्रमण के संबंध में बात कही थी. उन्होंने स्थगन स्वीकार के लिये कहा था. उस पर चर्चा कर लें. दूध का दूध पानी हो जाये जिससे.

          डॉ.गोविन्द सिंह - माननीय सभापति महोदया, मैंने जो  स्थगन दिया है वह अकेले दतिया का नहीं है. मैंने समूचे प्रदेश का लिखा है.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र - आपने जो दिया है उस पर चर्चा लो.

          डॉ.गोविन्द सिंह - मैंने पूरे प्रदेश का दिया है. आप पूरे प्रदेश पर चर्चा के लिये तैयार हो मैं तत्काल चर्चा करूंगा. आप पूरे प्रदेश का स्वीकार करिये.

          सभापति महोदया - इस संबंध में जानकारी मंगाई गई है. जो बेहतर होगा अध्यक्ष जी,उस पर विचार करके  फैसला लेंगे.

         

 

 

 

 

 

12.19 बजे                                  नियम 267-क के अधीन विषय

          सभापति महोदया - निम्नलिखित माननीय सदस्यों की शून्यकाल की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जायेंगी :-

            1.       श्री दिलीप सिंह गुर्जर

          2.       इंजी.प्रदीप लारिया

          3.       श्री दिलीप सिंह परिहार

          4.       श्री बहादुर सिंह चौहान

          5.       श्री देवेन्द्र पटेल

          6.       श्री आलोक चतुर्वेदी

          7.       श्री प्रणय प्रभात पाण्डे

          8.       श्री सूबेदार सिंह सिकरवार रजौधा

          9.       श्री शरद जुगलाल कोल

          10.     श्री संजय यादव

 

 

 

..(व्यवधान)..

 

 

 

 

 

 

12.20  बजे                        पत्रों का पटल पर रखा जाना

          (1) मध्यप्रदेश राज्य खाद्य  आयोग, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2020-2021.

 

        (2) (क) मध्यप्रदेश भोज विश्वविद्यालय (मुक्त) विश्वविद्यालय, भोपाल का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020

                (ख) (i) अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा(म.प्र.) का 52वां                              प्रगति प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020.

                             (ii) जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर(म.प्र.) का वार्षिक                             प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020.

12.22 बजे           {अध्यक्ष महोदय (श्री गिरीश गौतम) पीठासीन हुए.}

 

        (3)   नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स कम्पनी लिमिटेड का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष                        2019-2020.

                   अध्यक्ष महोदय --  सबसे पहले तो प्रश्नकाल में   महिला दिवस के अवसर पर आसंदी पर हमारी महिला साथी बैठीं, तो कम से  सदन  की ओर से  मेजे थपथपाकर स्वागत किया जाना चाहिये. ( सदन में मेजों की थपथपाहट)

12.23 बजे                                    अध्यक्षीय घोषणा

नियम को शिथिल करके आज की कार्यसूची में 4 सूचनाएं सम्मिलित किये जाने की अनुज्ञा प्रदान की जाना.

(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)

 

12.24 बजे                                  ध्यान आकर्षण

                अध्यक्ष महोदय -- गोविन्द सिंह जी,  यह भी महत्वपूर्ण है.  ध्यान आकर्षण में  मैंने पहला नाम  श्रीमती गायत्री राजे पवार, सदस्या का लिया है.  फिर से कम से कम एक बार  सदन से निवेदन है कि मेजे थपथपाकर  स्वागत करें.  (सदन में मेजों की थपथपाहट) श्रीमती गायत्री राजे  पवार, अपनी ध्यान आकर्षण की सूचना पढ़ें.

                   डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय,  हमने आपसे निवेदन किया था कि  आज  महिला दिवस है, तो एक  दिन  महिलाओं को ही  चर्चा करने का अवसर दिया जाये.

                   श्रीमती गायत्री राजे पवार (देवास) -- अध्यक्ष महोदय, मैं  आज सबसे पहले तो आपको धन्यवाद दूंगी कि   आसंदी ने आज  एक महिला  विधायक को मौका दिया ध्यान आकर्षण के लिये  सबसे प्राथमिकता पर और  सदन में उपस्थित सभी भाइयों को  एवं  बहनों को  अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस  के अवसर पर  बहुत बहुत  शुभकामनायें देना चाहती हूं.  ऐसे ही इस दिन महिला दिवस के अवसर पर  जो महान विभूतियां  रही हैं हमारी,  उनको भी याद करके नमन करती हूं. चाहे वह देवी अहिल्या बाई हों,  रानी दुर्गावती हों, झांसी  की रानी लक्ष्मी बाई हों या  माननीय विजयाराजे सिंधिया जी हों.  इन लोगों ने  अपने  बलिदान और दृढ़ संकल्प  से  भारत  वर्ष को एक नया  दृष्टिकोण दिया है,  एक नई दिशा दी है.  मैं इन  सबके  चरणों में नमन करती हूं और सभी  को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस  की  बहुत बहुत शुभकामना और बधाई देती हूं.

                   अध्यक्ष महोदय -- श्रीमती गायत्री राजे जी,   अपनी ध्यान आकर्षण सूचना पढ़िये.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.25 बजे      (1) देवास विधान सभा क्षेत्र में नर्मदा काली सिंध परियोजना के तहत                                               माइक्रो लिफ्ट सिंचाई योजना का लाभ न दिया जाना

 

श्रीमती गायत्री राजे पवार (देवास) - अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण की सूचना इस तरह से है, देवास तहसील में नर्मदा सिंचाई योजना के लाभ प्रदाय करने के बाबत् मैं अध्यक्ष महोदय, आपके द्वारा मंत्री जी को बताना चाहती हूं कि देवास जिले में यह सिंचाई योजना जो माइक्रो इरिगेशन परियोजना है और जो नर्मदा बहुउद्देशीय परियोजना है, इन दोनों का कम से कम 240 गांव के लिए प्रस्तावित कार्य चालू है.

अध्यक्ष महोदय - ध्यान आकर्षण सूचना पढ़ें.

 

श्रीमती गायत्री राजे पवार- अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

राज्यमंत्री, नर्मदा घाटी विकास (श्री भारत सिंह कुशवाह)- अध्यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

 

श्रीमती गायत्री राजे पवार- अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से पूछना चाहती हूं कि हाटपिपल्या के डीपीआर में देवास विधान सभा के 72 गांवों जो छूट रहे हैं, हाटपिपल्या के 500 से अधिक गांवों का डीपीआर तैयार हो रहा है, उसमें क्या मेरी विधान सभा के 72 गांव जोड़े जा सकते हैं?

श्री भारत सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने अपने ध्यान आकर्षण में नर्मदा क्षिप्रा बहुउद्देशीय एवं नर्मदा कालीसिंध परियोजना का जिक्र किया है. माननीय सदस्या को मैं यह बताना चाहूंगा कि नर्मदा क्षिप्रा में देवास जिले का कोई क्षेत्र नहीं आता है. दूसरा, कालीसिंध का जो आपने जिक्र किया है उसमें लगभग 53 प्रतिशत काम उस परियोजना का हो चुका है, इसलिए दोनों परियोजनाओं से आपका क्षेत्र जोड़ा जाना संभव नहीं है. अध्यक्ष महोदय यदि सदस्य चाहें तो तीसरे विकल्प के तौर पर आप कोई सुझाव दें हम अन्य जगह से उसका परीक्षण करके सर्वे का कार्य करा लेंगे.

          अध्यक्ष महदोय -- मंत्री जी आज महिला दिवस है और आज ध्यानाकर्षण में पहली सूचना महिला सदस्य की है. इतना निराश न करें.

          श्री भारत सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय यह बात सही है कि आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. मेरा माननीय सदस्य से अनुरोध है कि इन दोनों परियोजनाओं में सर्वे संभव नहीं है हम तीसरी जो परियोजना है हाटपिपल्या माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना आप एक पत्र लिख दें हम उसका परीक्षण करवाकर, सर्वे का काम पूरा करवाकर आपके क्षेत्र को जोड़ने का काम किया जायेगा.

          श्रीमती गायत्री राजे पवार -- अध्यक्ष महोदय मैं मंत्री जी को धन्यवाद ज्ञापित करती हूं. मेरा कहना है कि किसी भी योजना से दें लेकिन सिंचाई की योजना मेरे 72 गांव को मिल जाय अगर इसकी समय सीमा बता सकें तो ज्यादा अच्छा होगा.

          श्री भारत सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय यह बड़ी परियोजना है इसमें परीक्षण कराने में समय लगता है यह निश्चित है कि आपके क्षेत्र का सर्वे करायेंगे.

          श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी ( हाटपिपल्या)-- अध्यक्ष महोदय आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर समस्त मात्र शक्ति को नमन करते हुए शुभकामना देताहूं और धन्यवाद देता हूं कि आपने ऐसे संवेदनशील विषय पर मुझे बोलने का मौका दिया है. हमारी देवास की विधायक गायत्री राजे  जी के द्वारा जो  ध्यानाकर्षण यहां पर लाया गया है. उसके संदर्भ में मंत्री जी का जो जवाब आया है. उ समें हाटपिपल्या माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना का जिक्र किया गया है. हमारा आसंदी के माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि जो हाटपिपल्या माइक्रो सिंचाई परियोजना जो कि 20-7 को नए सिरे से स्वीकृत की गई है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं साथ ही हाटपिपल्या विधान सभा के समस्त किसानों की ओर से भी धन्यवाद देता हूं. लेकिन उसमें जो जवाब मंत्री जी का आया है उसमें हाटपिपल्या तहसील के ही गांवों को जोड़ा गया है. जबकि हाटपिपल्या विधान सभा में देवास तहसील की 48 ग्राम पंचायतें आती हैं और साथ में देवास विधान सभा की 28 ग्राम पंचायतें आती हैं उन समस्त ग्राम पंचायत के किसानों को उसका लाभ नहीं मिलेगा इसका हमें दुख है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करता हू कि जो पूर्व में जो हाटपिपल्या के लिए सिंचाई योजना बनी थी उसका लाभ हमारे उस हाटपिपल्या तहसील के उन गांवों को मिल चुका है अब जो नई योजना स्वीकृत की गई है. उस स्वीकृत योजना को देवास तहसील के समस्त ग्रामों के लिए इस योजना का सर्वे करवाकर प्रस्तावित किया जाय, पूरे देवास तहसील के समस्त ग्रामों को जोड़ा जाय मेरा यह ही अनुरोध है. इससे देवास और हाटपिपल्या विधान सभा के किसानों को लाभ होगा.

          श्री भारत सिंह कुशवाह -- अध्यक्ष महोदय जैसा कि माननीय सदस्य ने चिंता व्यक्त की है सर्वे में जो संभव होगा अच्छे से अच्छा हम करेंगे.

          श्री मनोज नारायण सिंह चौधरी -- अध्यक्ष महोदय यह जो स्वीकृति दी गई थी यह हाटपिपल्या विधान सभा के जो गांव छूटे हुए थे लेकिन वह छूटे हुए गांव देवास तहसील में आते हैं तो उऩको देवास तहसील में जोड़ा  जाय.

          अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात आ गई है.

          श्री आशीष गोविंद शर्मा ( खातेगांव )-- अध्यक्ष महोदय नर्मदा जी के जल को देवास जिले की विभिन्न तहसीलों में किसानों को सिंचाई के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि यह योजना मेरे विधान सभा क्षेत्र से निकलकर जा रही है. वहां के किसान बहुत लंबे समय से मांग कर रहे हैं. यदि रास्ते में पड़ने वाले गांव के किसानों को भी इससे सिंचाई सुविधा मिल सके तो बहुत अच्छा होगा.

          अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी दिखवा लिजियेगा

 

 

 

 

 

12.29 बजे.                                   अध्यक्षीय घोषणा

                                             भोजनावकाश न होने विषयक

          अध्यक्ष महोदय -- आज भोजनावकाश नहीं होगा. माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लाबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.

 

 

 

 

 

 

          श्री पी.सी. शर्मा (भोपाल दक्षिण-पश्चिम) -- अध्‍यक्ष महोदय,

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

            नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री भूपेन्‍द्र सिंह) -- अध्‍यक्ष महोदय,

          श्री पी.सी. शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से यह बताना चाहूंगा कि यह पूरा जो स्‍मार्ट सिटी का प्रोजेक्‍ट चल रहा है यह मेरी विधान सभा में है. यह प्रोजेक्‍ट पहले शिवाजी नगर और तुलसी नगर में बनना था, इसके बाद वहां जब जन आक्रोश हुआ तो यह शिफ्ट हुआ, मुख्‍यमंत्री जी ने घोषणा की कि यह नॉर्थ टी.टी. नगर में होगा, लेकिन नॉर्थ टी.टी. नगर के साथ-साथ साऊथ टी.टी.नगर को भी उसमें ले लिया गया. इसमें सबसे बड़ी परेशानी यह है कि जवाहर चौक और स्‍मार्ट रोड से जिन लोगों को हटाया है, जो अभी आपने कहा कि उनको ट्रांजिट कैम्‍प में दे दिया गया है, लेकिन इनको 2-3 साल हो गये हैं इनके पूरे आश्रय पत्र और एचएफए हैं, जिनको प्रधान मंत्री आवास योजना में मकान मिलना था, यह आपने ठीक कहा कि जो लोग वहां से हैं उनको ट्रांजिट कैम्‍प में डाल दिया, लेकिन उनको इतना समय हो गया और जहां पर यह लोग रह रहे हैं वहां एक जगह पार्किंग के लिये है, क्‍योंकि वह स्‍लम एरिया है, हस्‍थनाथ नगर, प्रताप नगर पूरा का पूरा, तो वहां एक पार्किंग डेव्‍हलप होनी थी, वह डेव्‍हलप नहीं हो पाई, जिससे सड़क पर, स्‍मार्ट रोड पर लोगों की गाडि़यां खड़ी होती हैं, क्‍योंकि और कोई जगह नहीं है, दूसरा यह हुआ कि जो आर्कब्रिज बना है उस आर्कब्रिज की वजह से सिविल लाईन में जहां मुख्‍यमंत्री जी और पूर्व मुख्‍यमंत्री जी के निवास तरफ रास्‍ता जाता है वहां हमेशा जाम लगा रहता है क्‍योंकि जो मुझे जानकारी है वहा अंडरब्रिज बनना था. दूसरी बात जो बुलवर्ड रोड है, जो जवाहर चौक से गुमटियां हटी थीं उनको निश्चित तौर पर आपने जिन लोगों की संख्‍या बताई उनको वहां पर किया गया है लेकिन उसमें बहुत से लोगों के छूट गये हैं, उनके आश्रय पत्र मेरे पास हैं और इन लोगों को जब मैं मंत्री था, कमलनाथ जी की सरकार थी तब भी यह प्रोजेक्‍ट चल रहे थे, 10-10 हजार रुपये जनसंपर्क निधि से मैंने उनको दिये थे. उसके बाद लॉक डाउन हो गया. आपने जितनी भी बातें यहां पर कहीं हैं एक-एक हम उसका पूरा परीक्षण कराएंगे और परीक्षण करवाकर जितना बेहतर से बेहतर हो सकता है क्‍योंकि यह निश्चित रुप से व्‍यवस्‍थापन अच्‍छा होना चाहिए. आप भी यही चाहते हैं, हम भी यहीं चाहते हैं. जितना बेहतर से बेहतर उनके लिये कर सकते हैं, जरुर करेंगे. माननीय आरिफ भाई ने जो कहा है यह बात सही है कि ट्रांजिट हाउस जो है वह एक अस्‍थाई व्‍यवस्‍था है और जो सुविधाएं जितनी अच्‍छी होना चाहिए, वह नहीं होती हैं. यह स्‍वाभाविक है और अस्‍थायी है. इसलिए हम कोशिश कर रहे हैं कि उनके लिए भी हम लोग जल्‍दी स्‍थायी आवास की व्‍यवस्‍था कर सकें. उसके लिए हम लोग प्रयास कर रहे हैं, जिससे उनको कठिनाई न हो.

 

          श्री आरिफ मसूद -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी थोड़ा इसकी डेट बता देते.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, आपका नाम इसमें नहीं था, फिर भी मैंने आपको समय दिया. शर्मा जी आप पूछें.

          श्री पी.सी.शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, इसमें मेरा एक सवाल यह था कि इसमें 342 एकड़ जमीन है इसका फिजिकल वेरीफिकेशन नहीं हुआ और जो वहां दशहरा मैदान बनना है, बहुत महत्‍वपूर्ण है. उसके आसपास रजिस्‍ट्री, लीज़ वाली दुकानें हैं उनका अभी तक कुछ नहीं हो पाया और वहां छोटे-छोटे दुकानदार भी 30-40 साल से हैं. उनका भी सर्वे होकर वहां से उनका ठीक से व्‍यवस्‍थापन हो, यह मैं आपसे चाहूंगा. दूसरा यह कहना चाहॅूंगा कि जो मंत्रालयीन कर्मचारी हैं इन लोगों ने एक जगह मांगी थी क्‍योंकि उनका कहीं ट्रांसफर नहीं होना है. स्‍मार्ट सिटी कंपनी से भी इनका पत्राचार हुआ है. वह पत्र मेरे पास है. उनका यह मानना है कि जमीन उनको मिली नहीं है और मंत्रालय से कैंसिल हो गई तो जो यह शासकीय आवास बन रहे हैं उसमें मंत्रालयीन कर्मचारियों के लिये कुछ 500-600 आवास रिजर्व हो जाएं क्‍योंकि इन लोगों का ट्रांसफर नहीं होना है इनको यहीं रहना है तो वह व्‍यवस्‍था भी स्‍मार्ट सिटी में कर लें, यह मेरा आपसे निवेदन है.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इसको दिखवा लूंगा और जो संभव है, जरुर करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री सुखदेव पांसे जी, अपनी ध्‍यानाकर्षण की सूचना पढे़ं.

12.47 बजे          

          (3) बैतूल जिले के मुलताई क्षेत्र में भू-जल स्‍तर गिरने से स्थिति उत्‍पन्‍न होना.

          श्री सुखदेव पांसे (मुलताई) -- अध्‍यक्ष महोदय,

 

 

 

 

          राज्‍यमंत्री, लोक स्‍वास्‍थ्‍य एवं यांत्रिकी (श्री बृजेन्‍द्र सिंह यादव) -- अध्‍यक्ष महोदय,

                                                               

आपने जितनी भी बातें यहां पर कहीं हैं एक-एक हम उसका पूरा परीक्षण कराएंगे और परीक्षण करवाकर जितना बेहतर से बेहतर हो सकता है क्‍योंकि यह निश्चित रुप से व्‍यवस्‍थापन अच्‍छा होना चाहिए. आप भी यही चाहते हैं, हम भी यहीं चाहते हैं. जितना बेहतर से बेहतर उनके लिये कर सकते हैं, जरुर करेंगे. माननीय आरिफ भाई ने जो कहा है यह बात सही है कि ट्रांजिट हाउस जो है वह एक अस्‍थाई व्‍यवस्‍था है और जो सुविधाएं जितनी अच्‍छी होना चाहिए, वह नहीं होती हैं. यह स्‍वाभाविक है और अस्‍थायी है. इसलिए हम कोशिश कर रहे हैं कि उनके लिए भी हम लोग जल्‍दी स्‍थायी आवास की व्‍यवस्‍था कर सकें. उसके लिए हम लोग प्रयास कर रहे हैं, जिससे उनको कठिनाई न हो.

 

          श्री आरिफ मसूद -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी थोड़ा इसकी डेट बता देते.

          अध्‍यक्ष महोदय -- नहीं, आपका नाम इसमें नहीं था, फिर भी मैंने आपको समय दिया. शर्मा जी आप पूछें.

          श्री पी.सी.शर्मा -- अध्‍यक्ष महोदय, इसमें मेरा एक सवाल यह था कि इसमें 342 एकड़ जमीन है इसका फिजिकल वेरीफिकेशन नहीं हुआ और जो वहां दशहरा मैदान बनना है, बहुत महत्‍वपूर्ण है. उसके आसपास रजिस्‍ट्री, लीज़ वाली दुकानें हैं उनका अभी तक कुछ नहीं हो पाया और वहां छोटे-छोटे दुकानदार भी 30-40 साल से हैं. उनका भी सर्वे होकर वहां से उनका ठीक से व्‍यवस्‍थापन हो, यह मैं आपसे चाहूंगा. दूसरा यह कहना चाहॅूंगा कि जो मंत्रालयीन कर्मचारी हैं इन लोगों ने एक जगह मांगी थी क्‍योंकि उनका कहीं ट्रांसफर नहीं होना है. स्‍मार्ट सिटी कंपनी से भी इनका पत्राचार हुआ है. वह पत्र मेरे पास है. उनका यह मानना है कि जमीन उनको मिली नहीं है और मंत्रालय से कैंसिल हो गई तो जो यह शासकीय आवास बन रहे हैं उसमें मंत्रालयीन कर्मचारियों के लिये कुछ 500-600 आवास रिजर्व हो जाएं क्‍योंकि इन लोगों का ट्रांसफर नहीं होना है इनको यहीं रहना है तो वह व्‍यवस्‍था भी स्‍मार्ट सिटी में कर लें, यह मेरा आपसे निवेदन है.

          श्री भूपेन्‍द्र सिंह -- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं इसको दिखवा लूंगा और जो संभव है, जरुर करेंगे.

          अध्‍यक्ष महोदय -- श्री सुखदेव पांसे जी, अपनी ध्‍यानाकर्षण की सूचना पढे़ं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

12.47 बजे          

          (3) बैतूल जिले के मुलताई क्षेत्र में भू-जल स्‍तर गिरने से स्थिति उत्‍पन्‍न होना.

          श्री सुखदेव पांसे (मुलताई) -- अध्‍यक्ष महोदय,

 

 

 

          राज्‍यमंत्री, लोक स्‍वास्‍थ्‍य एवं यांत्रिकी (श्री बृजेन्‍द्र सिंह यादव) -- अध्‍यक्ष महोदय,

 

 

            श्री सुखदेव पांसे--  माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कल आपकी रीवा की प्रेस कॉन्फ्रेंस बड़े ध्यान से सुन रहा था और आपने वहाँ बोला, पक्ष, विपक्ष, निष्पक्ष और जहाँ जनहित के मुद्दों पर मैं संरक्षण दूँगा, आत्मा और दिल से.

          अध्यक्ष महोदय--  अभी तो दे ही रहा हूँ ना भैय्या.

          श्री सुखदेव पांसे--  मुझे इसमें इसलिए संरक्षण चाहिए.....

          अध्यक्ष महोदय--  अभी उसमें प्रश्न चिह्न मत लगाओ, अभी तो दे ही रहा हूँ.

          श्री सुखदेव पांसे--  जी. लेकिन इसमें रिजल्ट भी निकालिए क्योंकि पानी के बिना जीवन अधूरा है. हवा की जरुरत से ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है. खाना एक बार नहीं भी मिले लेकिन पानी जरुरी है और मैं इसमें माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि मैं स्वयं पीएचई मंत्री था, जब 11 दिसम्बर को चुनाव का रिजल्ट आया और भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने ये पाँच योजना, ब्यावरा एक, ब्यावरा दो, पायली, जबलपुर- सिवनी, कंदेला-रीवा, गढ़ाकोटा-सागर, ये चार योजना लगभग 1606 करोड़ की, 11 दिसम्बर को रिजल्ट आया, 12 दिसम्बर को टेण्डर एप्रुवल कर दिए और 13 दिसम्बर को वर्क ऑर्डर जारी कर दिए, जिस दिन इनकी सरकार चली गई थी, उस दिन. ये मेरी योजना जो थी, चाहते तो उस समय भी बदले की भावना से ये सारी योजनाएँ कैंसिल कर देते क्योंकि रिजल्ट आने के बाद एप्रुवल हुआ, टेण्डर हुआ. लेकिन माननीय पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने बड़ा दिल रखकर, बदले की भावना से पानी पर राजनीति नहीं करने के लिए, ये सारी योजनाएँ, जब 2019 को एक बोर्ड की, जल निगम की, बैठक हुई थी, उसमें एप्रुवल किया और पानी की राजनीति नहीं की. मेरा इसमें यह निवेदन था कि यह विभाग का जो जवाब आया, इतना बड़ा असत्य, यह 32.22 मीटर, यह लगभग 100 फिट के करीब होता है. वहाँ ये जाँच करा लें कि अगर 100, 200, 300 फिट पर भी मुलताई और बैतूल जिले तथा छिन्दवाड़ा जिले में पानी मिले तो आप जैसा चाहें वैसा करने के लिए तैयार हूँ. अध्यक्ष महोदय, इतना असत्य उत्तर !  लगभग वहाँ 500 से ऊपर, 700, 800 1000 फिट के नीचे पानी नहीं मिलता, यह इनके विभाग की रिपोर्ट आप देख लीजिए, पीएचई विभाग के ट्यूबवेल और बोर की इसीलिए तो समूह नल जल योजना, बाँध पर आधारित और अभी जो जल जीवन मिशन के माध्यम से जो योजनाएँ सेंक्शन कर रहे, आपका जब स्थायी बोर ही नहीं रहेगा, पानी ही नहीं रहेगा, जब तक स्थायी स्रोत नहीं रहेगा, तब तक वह पाइप लाइन, किस काम की, वह टंकी किस काम की? हम बोर कराते वह बोर सूख जाता है, तो इस तरीके से करोड़ों, अरबों रुपये की जल जीवन मिशन के माध्यम से वह योजनाएँ बर्बाद हो जाएँगी. जैसे बुन्देलखण्ड पैकेज 1000 करोड़ का मनमोहन सिंह जी ने दिया था. आज वह पूरा भ्रष्टाचार की बलि चढ़ गया.

          अध्यक्ष महोदय--  नहीं, यहीं तक सीमित रखिए.

          श्री सुखदेव पांसे--मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूँ कि लोग पेयजल के लिए प्याऊ खुलवाते हैं. हमारी माताएं-बहनें पानी के लिए परेशान होती हैं. एक स्थायी समाधान के लिए समूह नल-जल योजना घोघरी और वर्धा का निर्माण किया गया था. केबिनेट ने मंजूरी दी थी, उसकी प्रशासकीय स्वीकृति दी थी. क्या आप आज उसकी घोषणा करेंगे कि उसका टेंडर कब लग जाएगा और कब उसकी प्रशासकीय स्वीकृति जारी की जाएगी. पानी के नाम पर बदले की भावना न रखें यह मेरी इच्छा है.

          श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर)  -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जब श्री पांसे साहब मंत्री थे तो मैंने आग्रह किया था कि गांव-गांव में जो तालाब हैं पहले इनकी चिंता कर लें तब ट्यूबवेल्स में पानी आएगा. पांसे साहब ने न तब ध्यान दिया न आज ध्यान दे रहे हैं. हम ट्यूबवेल 700 फिट भी खोद दें तो पानी नहीं मिलने वाला है. जमीन में पानी नहीं है, गांव के तालाब खत्म हो गए हैं.

          श्री सुखदेव पांसे -- शर्मा जी मैं आपकी बात से सहमत हूँ इसीलिए तो डेम आधारित समूह नल-जल योजना स्वीकृत की थी ताकि पैसे का दुरुपयोग न हो.

          श्री बृजेन्द्र सिंह यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्य को बताना चाहता हूँ कि वे वर्धा और घोघरी की बात कर रहे हैं जिसकी उन्होंने उनके समय में स्वीकृति दी थी. आपने 16 अगस्त 2019 को केबिनेट में स्वीकृति दी थी जबकि 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने यह घोषणा की थी कि देश के हर एक गांव में, हर एक घर में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराएंगे. इसको जल-जीवन मिशन के तहत जोड़ेंगे. इसमें 50 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार देगी और 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार देगी. जब 15 तारीख को यह घोषणा हुई तो आपने 16 तारीख को केबिनेट में मंजूरी दी. आपकी वह योजना  70 लीटर प्रति परिवार के हिसाब से पानी देने की बनी थी जबकि माननीय प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की थी कि 55 लीटर पानी प्रति परिवार के हिसाब से जल जीवन मिशन के तहत दिया जाएगा. आपने राज्य सरकार के मद से स्वीकृति दी थी तब केन्द्र सरकार का कोई मद नहीं था लेकिन जब 15 अगस्त को घोषणा हुई तो माननीय मुख्यमंत्री जी और हमारी सरकार चाहती थी कि जब केन्द्र सरकार 50 प्रतिशत राशि दे रही है, 50 प्रतिशत राज्य सरकार लगाएगी तो क्यों न जल जीवन मिशन के तहत पूरे मध्यप्रदेश की योजना बनाई जाए. इसके तहत उस योजना को निरस्त किया गया व उसके बदले में हमने मध्यप्रदेश में 3-4 योजनाएं स्वीकृत की हैं. केवल घोघरी और वर्धा की ही बात नहीं है. माननीय सदस्य से कहना चाहूँगा कि यह पूरे मध्य प्रदेश की बात है. मध्य प्रदेश के हर एक गांव में और हर एक घर तक वर्ष 2023 तक शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा.

          अध्यक्ष महोदय, सदस्य कह रहे थे कि नल-जल योजनाएं बंद पड़ी हैं, उनको दोबारा से चालू कर रहे हैं. चूंकि माननीय सदस्य आप भी इस विभाग के मंत्री रहे हैं आप जानते हैं कि इन योजनाओं को बनाने में कम से कम 2-3 साल का समय लगता है. तब तक जनता को पानी तो चाहिए ही होगा, पानी कहां से उपलब्ध होगा. आप यह समझ लें कि यह एक प्रायवेट व्यवस्था है कि जब तक योजना बनेगी और चालू होगी तब तक हम यह योजना बंद नहीं कर सकते हैं. इसको सुचारु रुप से चालू रखना पड़ेगा. मैं माननीय सदस्य को अवगत कराना चाहता हूँ कि आप चिन्ता न करें घोघरी और वर्धा को भी जल्दी से जल्दी जुड़वाने का प्रयास करेंगे.

          श्री सुखदेव पांसे --माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य बोल रहे हैं कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने 15 अगस्त को घोषणा की थी.

          अध्यक्ष महोदय -- वह बात तो आ गई है, आपकी योजना भी ले रहे हैं.

          श्री सुखदेव पांसे -- अध्यक्ष महोदय, उसके पहले आदरणीय पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ जी पानी के अधिकार की घोषणा कर चुके थे कि हर घर नल पहुंचाएंगे. वह कोई बात नहीं है, मैं पानी के लिए राजनीति में नहीं जाना चाहता हूँ. मेरा निवेदन यह है कि माननीय मंत्री जी ने कहा है कि जल जीवन मिशन के मापदण्ड आ गए हैं. हमने इस योजना को 70 लीटर प्रति परिवार के हिसाब से डिजाइन किया था. अब जल जीवन मिशन के हिसाब से जैसा आप बोल रहे हैं कि 55 लीटर प्रति परिवार के हिसाब से पानी दिया जाना है, मुझे कोई आपत्ति नहीं है. जिस योजना की पहले प्रशासकीय स्वीकृति हो गई जिसके टेंडर लग चुके हैं, जिसकी केबिनेट ने मंजूरी दे दी है उसकी प्रशासकीय स्वीकृत की तारीख की घोषणा कर दीजिए और टेंडर की घोषणा कर दीजिए कि कितने दिनों में कर देंगे.                                                                          

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव-- अध्‍यक्ष महोदय, इस विषय से संबंधित मेरा भी प्रश्‍न है.

          अध्‍यक्ष महोदय-- पांसे जी का प्रश्‍न आ गया है. जब विभागों की चर्चा आएगी तब आप बोलिएगा.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह यादव-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्‍य को बताना चाहता हूं कि आपका कहना सही है और यह ठीक है कि आप अपने विधान सभा क्षेत्र की बात कर रहे हैं, चूंकि मैं पूरे मध्‍यप्रदेश की बात कर रहा हूं. 

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव-- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा भी यही विषय है जब हमारी सरकार थी.

          अध्‍यक्ष महोदय-- यादव जी, आप कृपया करके बैठ जाइए. जब विभागों की चर्चा आएगी आप तब अपनी बात कह लीजिएगा.

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव-- अध्‍यक्ष महोदय, जब हमारी सरकार थी तब निमरानी सामूहिक नल-जल योजना स्‍वीकृत हुई थी 140 गांवों की योजना स्‍वीकृत हुई थी लेकिन सरकार बदलने के बाद उस योजना को...

          अध्‍यक्ष महोदय-- यादव जी यह आपका प्रश्‍न नहीं है. आप पांसे जी को पूछने दीजिए. उन्‍होंने अपना प्रश्‍न सीमित करके रखा है.

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह यादव-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्‍य को यह बताना चाहता हूं कि जब आपने जो योजना स्‍वीकृत की थी तब यह जल अधिकार अधिनियम के तहत थी और अब जल जीवन मिशन आ गया है तो मैं आपसे पुन: यही कहना चाहता हूं और मैं केवल आपकी बात नहीं कर रहा हूं मैं पूरे मध्‍यप्रदेश की बात कर रहा हूं और आपकी योजना भी उस योजना में जुड़ेगी और स्‍वीकृत भी की जाएगी. आप इस बात से बिलकुल निश्चिंत रहें.

          अध्‍यक्ष महोदय-- पांसे जी आपका जवाब आ गया है अब आप विभाग की चर्चा में बोल लीजिएगा.

          श्री सुखदेव पांसे-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं केवल इतना निवेदन करना चाहता हूं कि आप जल जीवन मिशन के अनुरूप, उसके मापदण्‍ड के अनुरूप केवल उसकी तारीख बता दीजिए कि आप उसकी प्रशासकीय स्‍वीकृति कब जारी करेंगे.

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव-- माननीय मंत्री जी हमारा जवाब बता दीजिए.

          श्री सुखदेव पांसे-- अध्‍यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी मेरा कहना केवल यही है कि जब आप इसे करना ही चाहते हैं और पहले से ही यह योजना मंजूर है..

          अध्‍यक्ष महोदय-- पांसे जी, मेरा आग्रह सुन लीजिए, कृपया आप बैठ जाइए. सदस्‍यों की यह इच्‍छा थी कि ज्‍यादा से ज्‍यादा ध्‍यानाकर्षण लिए जाएं. अभी तक एक हफ्ते में हर दिन चार ध्‍यानाकर्षण आते हैं पहले दो ही ध्‍यानाकर्षण आते थे. मैं यह प्रयास कर रहा हूं कि चार ध्‍यानाकर्षण आ जाएं और हमारे सदस्‍यों की बात भी आ जाए यह नवाचार है. अब इसमें भी पुरानी स्थिति निर्मित होगी तो यह ठीक नहीं होगा इसीलिए विभाग की चर्चा जब आएगी तब आप करिएगा. अभी आपकी बात आ गई है.

          श्री सुखदेव पांसे-- अध्‍यक्ष महोदय, मैं केवल इतना चाहता हूं कि आप केवल इतना बता दीजिए कि आप प्रशासकीय स्‍वीकृति कब तक जारी कर दी जाएगी.

          अध्‍यक्ष महोदय-- मंत्री जी कह तो रहे हैं कि वह जल्‍दी ही कर देंगे.       

          श्री बृजेन्‍द्र सिंह यादव-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्‍य को बताना चाहता हूं कि मैंने बोल दिया है कि प्रशासकीय स्‍वीकृति जल्‍दी से जल्‍दी करवा दी जाएगी.

          श्री सचिन सुभाषचन्‍द्र यादव-- माननीय मंत्री जी हमारा भी ध्‍यान रखिएगा.

         

 

1:03 बजे

 

(4) सागर स्थित बुंदेलखंड चिकित्‍सा महाविद्यालय में मरीजों को सुपरस्‍पेशियलिटी सुविधा न मिलना

 

 

          श्री शैलेन्‍द्र जैन (सागर)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

         

 

 

 

 

 

 

 

          चिकित्‍सा शिक्षा मंत्री ( श्री विश्‍वास सारंग)-- माननीय अध्‍यक्ष महोदय,

 

 

           

          श्री शैलेन्‍द्र जैन-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मैं आपके माध्‍यम से मंत्री जी का ध्‍यान आकर्षित करना चाहता हूं कि बड़े संघर्ष के बाद वर्ष 2009 में चिकित्‍सा महाविद्यालय बुंदेलखण्‍ड की जनता को मिला. जनता ने वर्षों तक संघर्ष किया. प्रदेश में, पूर्व में केवल 5 चिकित्‍सा महाविद्यालय थे और 6 चिकित्‍सा महाविद्यालय बनने में हमें 35 वर्ष लग गये अर्थात् 35 वर्षों के संघर्ष का इतिहास है, तब जाकर हमें चिकित्‍सा महाविद्यालय मिला, क्‍योंकि बुंदेलखण्‍ड की जनसंख्‍या बहुत अधिक है और वहां मजदूर और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की बहुतायत है, उन्‍हें इस चिकित्‍सा महाविद्यालय से अपेक्षा थी कि उन्‍हें सभी तरह की चिकित्‍सा सुविधायें, इस चिकित्‍सा महाविद्यालय में उपलब्‍ध होंगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, कार्डिक एलमिन इस समय बहुत ही प्रचलित समस्‍या है. इस तरह की सुविधायें वहां नहीं होने के कारण उन्‍हें कभी भोपाल, जबलपुर या नागपुर जाना पड़ता है. इससे वहां बहुत कठिनाइयां हो रही हैं. ऐसे तमाम विषय हैं, आज शुगर की बीमारी बहुत ही सामान्‍य हो गई है और इसकी वजह से किडनी रोगों से ग्रसित मरीजों की संख्‍या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. हमारे यहां नेफ्रोलॉजी के लिए कोई व्‍यवस्‍था नहीं है. इन चीजों की यदि वहां व्‍यवस्‍था नहीं होगी तो हमारी जो अपेक्षायें चिकित्‍सा महाविद्यालय से थीं, वे पूर्ण नहीं हो पायेंगी.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से निवेदन है और इसी सरकार ने सागर में बुंदेलखण्‍डवासियों को यह चिकित्‍सा महाविद्यालय दिया है, हम चाहते हैं कि चाहे तो केंद्र सरकार से जो योजना है, वह अभी चल रही है या नहीं, यह देखना होगा. मध्‍यप्रदेश सरकार ने बुंदेलखण्‍ड को दो चिकित्‍सा महाविद्यालय दमोह और छतरपुर में 5-5 सौ करोड़ रुपये के दिए हैं. मेरा कहना है कि ऐसे ही सौ करोड़ रुपये में हमारे यहां सुपरस्‍पेशियलिटी सुविधायें शुरू हो सकती हैं या फिर पीपीपी मॉडल के तहत इसे किया जा सकता है. आप किसी भी तरीके से, वहां ये सुविधायें शुरू करवायें और कब तक ?

          श्री विश्‍वास सारंग-  माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा माननीय सदस्‍य ने कहा, वर्ष 2009 के पूर्व मध्‍यप्रदेश में केवल 5 चिकित्‍सा महाविद्यालय थे और यह भारतीय जनता पार्टी की बड़ी उपलब्धि है, जिसका माननीय सदस्‍य ने यहां जिक्र भी किया है कि वर्ष 2009 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने सागर में छठवां चिकित्‍सा महाविद्यालय दिया.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जब यह चिकित्‍सा महाविद्यालय स्‍वीकृत हुआ था, तो हमें 100 एमबीबीएस की सीटें मिली थीं, जिसके साथ हमने जिला चिकित्‍सालय को संबद्ध किया था और वर्ष 2014 तक 750 बिस्‍तर का चिकित्‍सालय वहां बना है, जो सुचारू रूप से चल रहा है. यदि हम देश भर की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को देखें तो चिकित्‍सा महाविद्यालय से टर्शरी केयर की स्‍वास्‍थ्‍य सुविधायें अपेक्षित हैं, जो हमें आम जनता को उपलब्‍ध करवानी हैं. सदस्‍य ने जो सुपरस्‍पेशियलिटी की बात कही है तो मैंने अपने जवाब में उल्‍लेखित किया था केंद्र सरकार की योजना के तहत, वे मध्‍यप्रदेश के चार स्‍थानों पर स्‍वीकृत की गई थीं, जो सुचारू रूप से चल रही हैं.

          माननीय अध्‍यक्ष महोदय, हमें यह कहते हुए कोई संकोच नहीं है कि पूरे देश में डॉक्‍टरों की बहुत कमी है. केवल चिकित्‍सालय बना देने से काम नहीं चलेगा, हमें सभी बातों पर विचार करना होता है. जैसा कि माननीय सदस्‍य ने कहा कि सौ करोड़ रुपये मिल जाये तो सुविधायें मिल जायेंगी परंतु इसके साथ ही साथ हमें वहां सुपरस्‍पेशियलिटी के लिए डॉक्‍टरों की भी आवश्‍यकता होगी और अभी ऐसी फिजि़बिलिटी एवं डिज़ायबिलिटी नहीं बनती है कि हम सभी जगहों पर सुपरस्‍पेशियलिटी हेतु डॉक्‍टर ला सकें लेकिन जैसा मैंने अपने उत्‍तर में जिक्र किया है कि जितने भी विभागों का जिक्र ध्‍यान आकर्षण में माननीय सदस्‍य द्वारा किया गया है, उन सभी का प्राथमिक उपचार हम वहां कर रहें हैं और इसमें यदि कोई सुपरस्‍पेशियलिटी की जरूरत होती है, तो हम उसे हायर सेंटर में रेफर करते हैं और दुनिया के किसी भी बड़े से बड़े शहर में य‍ही व्‍यवस्‍था है, यदि उस शहर में किसी तरह की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था नहीं है तो उसको रेफर किया जाता है इसलिए हमने सागर में भी इस तरह की व्‍यवस्‍थायें की हैं. जहां तक माननीय सदस्‍य का कहना है कि इस तरह की व्‍यवस्‍थायें वहां हों, तो इस हेतु भविष्‍य में विचार किया जा सकता है परंतु सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है हम सागर में चिकित्‍सा महाविद्यालय से, जो अपेक्षित व्‍यवस्‍थायें हैं, वे हम वहां सुचारू रूप से दे रहे हैं.  

          श्री शैलेन्‍द्र जैन:- अध्‍यक्ष महोदय, मेरा जो विषय था कि सुपर स्‍पेशियलिटी, इसके पहले तो हमारे डिस्ट्रिक्‍ट हास्पिटल यह सब इलाज कर रहे थे और अगर सुपर स्‍पेशियलिटी के लिये हमें फिर भी बाहर जाना पड़ेगा तो इस तरह के मेडिकल कॉलेज पूरे प्रदेश में खोले तो फिर उनका क्‍या महत्‍व रह जायेगा.

           अध्‍यक्ष महोदय, बड़ा विनम्र निवेदन है कि चाहे तो पीपीपी मोड में वह सुविधा शुरू की जा सकती है. अनेक महानगरों में इस तरह के प्रयोग हुए हैं. मैं आपके माध्‍यम से निवेदन है कि शुरूआती दौर में एकाध फेसिलिटी की शुरूआत की जाए ताकि यह सुविधाएं मिलनी शुरू हो जायें.

          श्री विश्‍वास सारंग:- माननीय अध्‍यक्ष महोद, माननीय सदस्‍य ने जो कहा है कि मेडिकल कॉलेज से संबंध अस्‍पताल से संबंद्ध अस्‍पताल की यह ड्यूटी जरूर है कि वह इलाज दे, परन्‍तु सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि हम डॉक्‍टर्स का निर्माण करते हैं.  हमें जिला अस्‍पताल से मेडिकल कॉलेज की तुलना नहीं करना चाहिये. अध्‍यक्ष महोदय, बेसिकली एक दिक्‍कत यही आयी है कि चिकित्‍सा शिक्षा विभाग का जब जिक्र आता है तो वह केवल और केवल चिकित्‍सालय तक ही सीमित हो जाता है, जबकि हमारा जो मुख्‍य काम है वह चिकित्‍सकों का निर्माण करना है. इसलिये मैं, केन्‍द्र सरकार में इस समय माननीय प्रधान मंत्री जी जो बहुत धन्‍यवाद दूंगा कि नीति आयोग के माध्‍यम से उन्‍होंने यह संकल्‍प लिया है कि देश में ज्‍यादा से ज्‍यादा चिकित्‍सा महाविद्यालय शुरू हों जिससे कि ज्‍यादा से ज्‍यादा डाक्‍टर्स का निर्माण हो और माननीय मुख्‍यमंत्री जी का भी यही मंतव्‍य है और इसीलिये पहले अभी तक 13 मेडिकल कॉलेज थे अब हमने 9 और मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा की है , जिसमें से हमें 6 केन्‍द्र सरकार से अनुदान के साथ मिल रहे हैं पर 3 हम अपने स्‍टेट बजट से खोल रहे हैं, जिन दो का जिक्र माननीय सदस्‍य ने किया छतरपुर और दमोह वह हम स्‍टेट बजट से शुरू कर रहे हैं. हमारा जो मंतव्‍य मेडिकल कॉलेज शुरू करने का है, स्‍थापित करने का उस मंतव्‍य को, उस उद्देश्‍य को  मध्‍यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूरी तरह से स्‍वीकार भी करती है और उसका पालन भी करती है और सफलतापूर्वक हमने उसको ग्रहण भी किया है. जहां तक अस्‍पताल की बात है तो मैंने बताया कि टर्शरी केयर हमसे एक्‍सपेक्‍टेड है और वह हम दे रहे हैं.

          श्री शैलन्‍द्र जैन:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय...

          अध्‍यक्ष महोदय:- अब आप बैठ जाइये, अब विभाग की चर्चा के समय बोलियेगा. नहीं अब तो हो गया है.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, किसी भी मेडिकल कॉलेज का सुचारू रूप से संचालन करने के लिये पीजी कोर्सेस की जरूरत होती है, पीजी की अनुमति की आवश्‍यकता होती है. सागर में मेडिसिन और सर्जरी इन दोनों विषयों में पीजी की अभी हमें तक मान्‍यता नहीं मिल पायी है. इसका मुख्‍य विषय जो बताया गया है वह यह बताया गया है कि इन दोनों विभागों में चार-चार असिस्‍टेंट प्रोफेसर्स की कमी है, जिसको दिल्‍ली से आयी हुई टीम ने भी रेखांकित किया है, अगर वह डेफीशियेंसी हमारी पूर्ण हो जायेगी तो निश्चित रूप से हमें पीजी की मान्‍यता दो विषयों में मिल जायेगी. अध्‍यक्ष महोदय, एक विषय और है कि सागर मेडिकल कॉलेज मे अभी तक ब्‍लड बैंक शुरू नहीं हो पाया है, बगैर ब्‍लड बैंक के मेडिकल कॉलेज के संचालन में असुविधा हो रही है. मंत्री महोदय, से निवेदन है कि वह इस  विषय पर भी जरूर बात करें.

          श्री विश्‍वास सारंग:- माननीय अध्‍यक्ष, जैसा कि हमारे विधायक जी ने पीजी कोर्स के बारे में कहा है, मैं एक मिनट इस बात का जिक्र अवश्‍य करना चाहता हूं कि हमारी इस सरकार ने ही जो हमारी एनएमसी की गाइड लाइन के हिसाब से जितने पीजी कोर्स हैं उसको हमने अग्रणी रहते हुए अप्‍लाइ किया है. मेडिसिन और सर्जरी के पीजी कोर्स के लिये भी हमने पूरी तरह से हमारे यहां से प्रस्‍ताव भेजा है, जहां यह यह जो गैप की बात कर रहे हैं, जैसा मैंने पहले जिक्र किया था कि डॉक्‍टर्स की कमी है, वह जल्‍दी से जल्‍दी भरवा दिये जायेंगे और माननीय सदस्‍य ने ब्‍लड बैंक की बात की है, हम 100 से 250 की सीट का जो अपग्रेडेशन करने वाले हैं उसमें हम मेडिकल कालेज में हम ब्‍लड बैंक भी लायेंगे, पर अभी ब्‍लड बैंक की जो सुविधा है वह जिला अस्‍पताल से सुचारू चल रही है और उसका हमारे पूरा को-आर्डिनेशन है, कहीं कोई दिक्कत नहीं है.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, यदि कैथ लैब की सुविधा शुरू हो जायेगी तो बड़ा अच्‍छा होगा. अध्‍यक्ष महोदय यह बहुत आवश्‍यक है.

          अध्‍यक्ष महोदय:- आपका हो गया. आप भी विद्वान हो और मंत्री जी भी विद्वान है आप दोनों आपस में बात कर लें.

          श्री विश्‍वास सारंग:- माननीय अध्‍यक्ष महोदय, जैसा विधायक जी का मंतव्‍य है, क्‍योंकि सागर संभा‍गीय मुख्‍यालय है और मुख्‍यमंत्री जी का और हमारी सरकार का यह मंतव्‍य है कि हम अच्‍छी से अच्‍छी स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं तो मैं माननीय अध्‍यक्ष महोदय, सागर में मेडिकल कॉलेज में हम कैथ लैब बना देंगे, इसका मैं उनको आश्‍वासन देता हूं.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन:-अध्‍यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्‍यवाद माननीय मंत्री महोदय के लिये.

 

 

 

1.15 बजे

याचिकाओं की प्रस्‍तुति

          अध्‍यक्ष महोदय:- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी माननीय सदस्‍यों की याचिकाएं प्रस्‍तुत की हुए मानी जायेंगी.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

शासकीय विधि विषयक कार्य

1. 15 बजे  (1) मध्यप्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (संशोधन) विधेयक, 2021 (क्रमांक 15 सन् 2021) का पुरःस्थापन

 

 

 

 

 

 

 

1.16 बजे (2)  मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक, 2021 (क्रमांक 1 सन् 2021)

       अध्यक्ष महोदय--प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक, 2021 पर विचार किया जाये.

              मैं फिर आदरणीय श्रीमती झूमा सोलंकी को आमंत्रित करता हूं.

          1.17 बजे     {सभापति महोदया (श्रीमती झूमा सोलंकी) पीठासीन हुईं}

         

                   डॉ.गोविन्द सिंह (लहार)--सभापति महोदया, मैं धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक का विरोध करता हूं. विरोध इसलिये कर रहा हूं कि इसको लाने की कोई आवश्यकता नहीं थी. सरकार के पास कोई कार्य है नहीं बैठे-ठाले कुछ न कुछ करना है, इसलिये जब मन में आये कोई न कोई शगूफा लाने का काम करती है. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि इस विधेयक को लाने का न तो कोई औचित्य था, न ही कोई मंशा थी, न ही इसमें किसी का हित होने वाला है. जान-बूझकर आम लोगों को जो अपना स्वतंत्र जीवन जीना चाहते हैं उनका जीवन दूभर बनाने का प्रयास इस विधेयक के माध्यम से है. इसमें जितने भी कानून व धाराएं हैं जो आपने लगाई हैं जहां तक अन्याय की बात है अगर कोई व्यक्ति गलत काम करता है धार्मिक प्रलोभन या दबाव में धोखाधड़ी करके किसी का धर्म परिवर्तन कराता है तो उसके लिये पहले से ही भारतीय दण्ड संहिता 1860 एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 के अंतर्गत प्रावधान हैं. जब पूर्व से ही प्रावधान हैं तो इसकी आवश्यकता पूर्व के विधेयक को निरस्त करके लाने की आवश्यकता नहीं थी. परन्तु इस विधेयक को उत्तरप्रदेश तथा उत्तराखण्ड की सरकारों ने पारित कर दिया. तो माननीय गृहमंत्री जी को इसमें अमित शाह की दरबार में वाहवाही लूटना थी.

          डॉ.नरोत्तम मिश्र--जब जवाब बोलेंगे तब तो आप सुनेंगे ना.

          डॉ.गोविन्द सिंह--सभापति महोदया, माननीय अमित शाह को खुश करने के लिये मध्यप्रदेश के इस बहादुर वीर और हां में हां मिलाने वाला उत्तरप्रदेश एवं उत्तराखण्ड की नकल करके विधेयक बनाने वाला गृहमंत्री साबित करना चाहते हैं. मैं पूछ रहा हूं क्‍या इसमें भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 21 का उल्‍लंघन है या नहीं. क्‍योंकि व्‍यक्तिगत स्‍वतंत्रता, स्‍वैच्‍छा से धर्म का अनुसरण करना, धर्म चुनने का अधिकार इससे बाधित होता है. यह अलग से बना दिया तो उससे स्‍वतंत्रता, स्‍वैच्‍छा से अपनी अभिव्‍यक्ति से समाज में रहने का जो संविधान में अधिकार है वह भी बाधित होता है. हम चाहे तो अपनी इच्‍छा से 10 बार धर्म परिवर्तन कर सकते हैं, लेकिन इसमें भी कई बंदिश लगाई है, ताकि स्‍वैच्‍छा से धर्म परिवर्तन करने वाला व्‍यक्ति भी इन बंदिशें के तहत अपनी इच्‍छा से इस मुल्‍क में न रह सके. क्‍योंकि इसमें 60 दिन का प्रावधान कर दिया. अगर कोई स्‍वैच्‍छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो वह आवेदन दें और 60 दिन तक जिला दण्‍डाधिकारी उसको अपने पास रखे रहेगा, उसके बाद आप विचार होगा, 60 दिन की आवश्‍यकता क्‍या है, इधर अगर कोई व्‍यक्ति बिना आवेदन के धर्म परिवर्तन कर भी लेता था, पहले भी प्रावधान था, लेकिन उसमें समय कम था और कोई व्‍यक्ति बिना आवेदन मंजूरी और आवेदन के बिना धर्म परिवर्तन कर लेता था, तो अपराध नहीं माना जाता था, इन्‍होंने उसको अपराध में शामिल कर दिया और पूरे प्रशासनिक अधिकारी जो जिला मजिस्‍ट्रेट है वह जांच कराएगा, विवेचना करेगा और अपनी इच्‍छा से निर्णय देगा, वह चाहे तो न दें. यह सब सरकार के दबाव में होगा, जिला दंण्‍डाधिकार निष्‍पक्ष निर्णय नहीं कर सकता, क्‍योंकि मैं देख रहा हूं, आज के प्रशासन के अधिकारी सरकार के इतने दबाव में है कि जो ऊपर से निर्देश आया उसका आंख बंद करके पालन कर रहे है. उक्‍त अधिनियम में प्रावधान होने से भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 21 और 25 का भी उल्‍लंघन है. अनुच्‍छेद की धारा 15 और 16 को भी बाधित करता है, बिना किसी दबाव के अथवा प्रभाव के कोई व्‍यक्ति धर्म परिवर्तन करता है और वापस उसी धर्म में आ जाता है तो वापस आने पर उसका पूर्व का धर्म परिवर्तन और दोबार एक व्‍यक्ति ने दूसरा धर्म अपनाया और पुन: अपने धर्म में वापस आ गया तो उसको धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा, शून्‍य माना जाएगा, यह कौन सा नियम है, क्‍या इसकी सोच है, क्‍या नियम है. इस विधेयक के आने से, इस विेधेयक के पारित होने से भारतीय हिन्‍दू विवाह अधिनियम एवं विशेष विवाह अधिनियम दोनों पर भी रोक लगती है. धारा 3 में दो प्रावधान है, अभी तक जितने भी कानून बने है परन्‍तु इसमें यह दिया है कि अगर कोई सामान्‍य वर्ग का व्‍यक्ति नाबालिग, अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को प्रलोभन देकर या प्रभावित करके अगर विवाह संपन्‍न कर लेता है तो उस पर कम से कम 2 साल से लेकर 10 साल तक की सजा और 50 हजार रूपए जुर्माना होगा और अगर कोई सामान्‍य वर्ग और पिछड़े वर्ग के साथ इस प्रकार का कोई विवाह कर लेता है तो उसके साथ 5 से 10 वर्ष की सजा और 1 लाख तक का जुर्माना, तो इसमें भी जात-पात के आधार पर इसको बनाया गया है, इसलिए कानून की मंशा साफ नहीं है. कोई भी कानून विभिन्‍न विचारों से अलग अलग धाराओं से काम नहीं करता है. ठीक है कोई बात नहीं इसको विशेष न्‍यायालय में करें आप एडिशनल डिस्ट्रिक्‍ट जज या डिस्ट्रिक्‍ट जज के द्वारा सुनवाई हो, परन्‍तु सजा में भी कम और ज्‍यादा सजा का प्रावधान किया है. अगर कोई एक व्‍यक्ति, सामूहिक धर्म परिवर्तन उसको माना जायेगा. माननीय सभापति महोदया जी, दो व्‍यक्ति अगर एक हों, सामूहिक धर्म परिवर्तन में बड़ी सभाएं होती हैं, धर्म परिवर्तन सम्‍मेलन होते हैं. लेकिन अगर दो व्‍यक्तियों द्वारा धर्म परिवर्तन करके शादी-ब्‍याह किया है तो वह माना जायेगा, उसकी सजा भी बढ़ा दी है. उसकी सजा भी दोनों से ज्‍यादा कर दी है. जब एक कानून है, एक नियम है तो सजा भी एक समान होनी चाहिए. सजा में भी भेदभाव कर दिया है, एससी-एसटी, ओबीसी और जनरल के लिए अलग-अलग सजा नहीं होनी चाहिए. इसके साथ ही साथ, अगर धारा 3 का उल्‍लंघन करते हुए विवाह के बाद धर्म परिवर्तन करके, उसके यहां कोई बच्‍चा पैदा होता है और फिर उसको छोड़कर यदि दूसरी शादी कर ली, तो उस बच्‍चे को उसकी संपत्ति में पूरा अधिकार दिया गया है, इसमें तो कोई बात नहीं है. इससे तो मैं भी सहमत हूँ कि अगर वह इस तरह की शादी करते हैं, जिससे बच्‍चा या बच्‍ची पैदा हो जाये, उसको लावारिस छोड़ दिया जाये तो उसमें उसकी संपत्ति में अधिकार होना चाहिए. इसी प्रकार धर्म परिवर्तन के बाद, कानून में क्‍या प्रावधान था कि हिन्‍दू विवाह अधिनियम और विशेष विवाह अधिनियम कि अगर कोई धर्म परिवर्तन करता है तो फिर उसमें यह था कि धर्म परिवर्तन की इजाजत मिल जाती थी. अगर कोई अब ऐसा करेगा तो अपराध माना जायेगा. अगर कोई अपराध करता है तो उसको सिद्ध करने का अधिकार अभियोजन को था. इसमें पूरा अपराध निर्दोष को सिद्ध करने का काम, पूरा का पूरा अधिकार धर्म परिवर्तन वाले को व्‍यक्ति को दिये गये हैं और जब उसमें जमानत थी, जब वह गिरफ्तार हो जायेगा और गिरफ्तारी होने के बाद जमानत का प्रावधान नहीं है तो वह अपने आपको कैसे निर्दोष सिद्ध करेगा, वह जेल में रहकर कहां से कर लेगा. इस प्रकार उसको जबरदस्‍ती फंसाकर और जो षड्यंत्र अभी चल रहा है, वह चलेगा. इस सरकार की अल्‍पसंख्‍यक समाज को धमकाने और भयभीत करने की पूरी-पूरी मंशा है अन्‍यथा इस पूरे-पूरे कानून में कहीं भी इस प्रकार का कोई प्रावधान नहीं है और यही इसके मुख्‍य कारण हैं इसलिए मैं यह कहना चाहता हूँ कि इसकी कोई आवश्‍यकता नहीं है, न ही आवश्‍यकता थी, समय पुराने जो पुराने कानून बने हैं, भारतीय दण्‍ड संहिता, कानून में पूर्व से प्रावधान है, पूर्व से ही धाराएं हैं, उनमें भी सजा के प्रावधान हैं, तो इसमें वाह-वाही लूटने के लिये, वर्ग-विशेष के लोगों को दबाव डालने, भयभीत करने के लिये यह कानून लाया गया है. इसीलिये मैं इस कानून का घोर विरोध करता हूँ और इसकी निंदा करता हूँ. मैं सरकार से चाहता हूँ कि वह अच्‍छे काम करे. इस प्रकार के कानून लाकर जनता को भयभीत न करें, प्रदेश में 7.5 - 8 करोड़ जनता को स्‍वछन्‍दता से, जो हमें संविधान में अधिकार दिये गये हैं, मैं उन प्रदत्‍त अधिकारों के तहत निष्‍पक्ष भाव से प्रदेश में रहने, आने-जाने, संपत्ति का अधिकार सभी अधिकारों को सुरक्षित करने की जवाबदारी सरकार की होती है परन्‍तु यह सरकार अल्‍पसंख्‍यकों को डराकर-धमकाकर इस प्रदेश से भगाने का प्रयास कर रही है. यही इमें इसका उद्देश्‍य प्रतीत होता है. अत: मैं इस विधेयक का पुरजोर विरोध करता हूँ.

          डॉ. सीतासरन शर्मा (होशंगाबाद) - माननीय सभापति जी, रामचरितमानस में एक चौपाई है -

          जब जब होई धर्म कै हानि । बाढ़ई असुर, अधम अभिमानी ।।   

          तब तब प्रभु धरि, विविध शरीरा । हरहों कृपा निधि, सज्‍जन पीरा ।।

          मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी, माननीय गृह मंत्री जी और विधि मंत्री जी को धन्‍यवाद देता हूँ

 माननीय सभापति महोदया, मैं माननीय मुख्‍यमंत्री जी को, हमारे माननीय गृहमंत्री जी और विधि मंत्री जी को धन्‍यवाद देना चाहता हूं कि जिन्‍होंने कमजोर की, सज्‍जन की पीड़ा हरने के लिये इस विधेयक को लाये हैं. सभापति महोदया जी, डॉ. गोविन्‍द सिंह जी ने बहुत सी बातें रखी हैं, मैं उन पर भी आऊंगा किंतु इसके पहले मैं विधेयक से संबंधित जो कुछ बाते हैं, वह कहना चाहता हूं.

डॉ. गोविन्‍द सिंह -- सभापति महोदया जी ऐसा क्‍यों है कि अध्‍योध्‍या में रहना है तो राम-राम कहना है, यह तो इनको जो ऊपर से निर्देश मिला है, अगर वही गुणगान करना है तो आप गुणगान करिये (हंसी.)

श्री उमाकांत मिश्रा -- आप क्‍या साहब लंका में रहते हैं(हंसी..)

डॉ सीतासरन शर्मा -- (हंसी..) सभापति महोदया, माननीय डॉ.गोविन्‍द सिंह जी वरिष्‍ठ सदस्‍य हैं और वर्षों मंत्री रहे हैं, किंतु वास्‍तव में मन में तो वह इसका समर्थन कर रहे  हैं, परंतु उनको ऊपर से निर्देश नहीं है. डॉ. गोविन्‍द सिंह जी ने संविधान की बात की है, आर्टिकल 21 जीने का अधिकार है, आर्टिकल 25 से 28 धर्म के प्रति स्‍वतंत्रता का अधिकार है. यदि उस स्‍वतंत्रता के अधिकार को कानून से मजबूत कर रहे हैं तो इसमें क्‍या तकलीफ होना चाहिये. यदि संविधान ने कोई गारंटी दी है, आपको मालूम है भारत के संविधान में आर्टिकल 14 में कुछ अध्‍याय हैं, जिनमें मौलिक अधिकार भी हैं, उन मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिये फिर संविधान के पांच उपचार दिये हैं, उनको कहा जाता है कांस्‍टीट्यूशनल रेमेडीज, उनको अदालत जाने के उपचार हैं. इसी प्रकार से जो धर्म स्‍वतंत्रता का अधिकार आर्टिकल 25 से 28 में दिया है, उसको प्रोटेक्‍ट करने के लिये यदि कोई कानून बनाया जा रहा है, तो इसमें दिक्‍कत क्‍या है.  वास्‍तव में तो यह संविधान की भावनाओं के अनुरूप ही है.

सभापति महोदया, समय बदल रहा है, धर्म स्‍वातंत्र्य का डॉ. गोविन्‍द जी कह रहे थे कि पहले से कानून है. उन्‍होंने आई.पी.सी. और सी.आर.पी.सी. का तो उल्‍लेख किया किंतु एक धर्म स्‍वातंत्र्य विधेयक वर्ष 1968 में भी आया था और मैं सदन के सामने गर्व से कहना चाहता हूं कि तब भी माननीय वीरेन्‍द्र कुमार सखलेचा जो उस समय उपमुख्‍यमंत्री थे, तब उन्‍होंने यह विधेयक लेकर आये थे और तब भी सामने के पक्ष के लोगों ने इसका विरोध किया था( मेजों की थपथपाहट) यदि वास्‍तव में इस देश की संस्‍कृति की इस देश के संविधान की और इस देश के धर्म स्‍वातंत्र्य की कोई रक्षा करने की बात करता है तो वह भारतीय जनता पार्टी या जनसंघ करती है और इसलिये पहला विधेयक भी वर्ष 1968 में आया था, जो सखलेचा जी लेकर आये थे. धर्मनिरपेक्षता की बात बार-बार की जाती है, हम  उसको सर्वधर्म सम्‍भाव बोलते हैं और यही इस विधेयक में भी लिखा है और संविधान भी यही कहता है.

          सब नर करहिं परस्‍पर प्रीतिचलहिं स्‍वधर्म निरत सुत नीति.

          हमने किसी से नहीं कहा कि इस धर्म पर चलो कि उस धर्म पर चलो, सब आपस में प्रेम से रहो और अपने-अपने धर्म पर चलो, यही हमारी संस्‍कृति सिखाती है. अब डॉक्‍टर साहब कहते हैं कि भय बना देंगे, यह डर क्‍यों है, यह भय क्‍यों हैं इसका मतलब है कि कानून का उल्‍लंघन करने वाले को ही कानून का भय होता है, जिसको कानून का उल्‍लंघन करना ही नहीं है, जिसको जबरदस्‍ती धर्म परिवर्तन कराना ही नहीं है, जिसको थ्रेट इंड्यूसमेंट और मिस रिप्रेजेंटेशन से धर्म परिर्वतन नहीं कराना है, वह डर क्‍यों रहा है?  वह क्‍यों ऐसा कहता है कि जैसे इसे किसी के खिलाफ उपयोग किया जायेगा, वह सीना तानकर बोले कि हां हम कन्‍वेंस करके धर्म परिर्वतन करेंगे और इसीलिये 60 दिन का नोटिस देने को हम तैयार हैं, पर वह कहते हैं कि नोटिस मत देना. कांग्रेस की सरकार में इस धर्म स्‍वातंत्र्य विधेयक जो वर्ष 1968 में आया था, उसके पहले जस्टिस नियोगी की अध्‍यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी. सभा‍पति जी, यह कांग्रेस की सरकार ने बनाई थी, देखिये जस्टिस नियोगी की रिपोर्ट क्‍या कहती है, डॉ. गोविन्‍द सिंह जी भी कृपया ध्‍यान दें.

          Conversions are mostly brought about by under influence misrepresentation, etc., or in other words not by conviction but by various inducements offered for proselytization in various forms. यह आपकी सरकार के समय 1954 में बनी थी और 1956 में इसने अपनी रिपोर्ट दी थी. आपने उस समय कानून क्‍यों नहीं बनाया.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  अब उनको समझ में ही नहीं आया, वह जवाब क्‍या देंगे.

          डॉ. सीतासरन शर्मा-- वह डॉक्‍टर हैं.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  अब आप इतनी क्लिस्‍ट इंग्लिस पढ़ रहे हैं, उधर स्‍लीपिंग प्‍वाइंट है, वह पकड़ नहीं पाते.

          श्री के.पी. सिंह--  इसका हिन्‍दी अनुवाद आप कर दो यार.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र--  मैं तो आपका भी स्‍लीपिंग प्‍वाइंट देखकर हड़बड़ा गया था. मैं तो कर ही नहीं पाता. .. (व्‍यवधान)..

          डॉ. सीतासरन शर्मा--  Suitable control on conversions brought about through illegal means should be imposed if necessary Legislative measures should be enacted. कानून बनाना पड़ेगा, यह नियोगी कमेटी ने आज से 40-50 साल पहले कहा था और उसी के कारण आपने तो नहीं बनाया, क्‍योंकि आप तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं. आप नहीं चाहते कि इस देश की संस्‍कृति बची रहे और इसीलिये आपने कानून नहीं बनाया 1968 में माननीय सखलेचा जी को, परंतु वह कानून थोड़ा सरल था, अब परिवर्तन आ गया है. यह मेरे पास 1968 का रखा है, उसमें पूरे प्रावधान नहीं थे, उस समय की जरूरत के हिसाब से थे, किंतु अब इंटरनेट का युग आ गया है, अब सोशल मीडिया है, अब आदमी अपनी पहचान आसानी से छुपा सकता है और इसीलिये वह धर्म किसी का होता है और कोई धर्म का नाम लिख लेता है. हमारे यहां एक फेक्‍ट्री पकड़ी गई, नकली घी बनाती थी, नाम था नर्मदांचल घी फेक्‍ट्री और उसके संचालक थे अल्‍पसंख्‍यक, तो यह धोखा देने के लिये और इसलिये misrepresentation इस इंटरनेट युग में बहुत ज्‍यादा होने लगा है, सोशल मीडिया से बहुत ज्‍यादा होने लगा है और इसीलिये इस एक्‍ट में परिवर्तन आवश्‍यक था और इसीलिसे वर्ष 1968 की जगह आज वर्ष 2020 का अध्‍यादेश और वर्ष 2021 में यह एक्‍ट लाया गया है. मैं सोचता हूं कि डॉ. साहब ने जो कहा है उनकी बात निर्मूल है, कुछ एक्‍ट के प्रावधानों पर बात जरूर करेंगे, उसके बाद मैं अपनी बात समाप्‍त करूंगा.

          डॉ. गोविन्‍द सिंह--  आप तो एक लाइन बोलकर चुप हो गये, हमने कहा उसका भी तो वन बाई वन बताओ.

          डॉ. सीतासरन शर्मा--  क्‍या बोले डॉक्‍टर साहब.

          डॉ. नरोत्‍तम मिश्र-- थोड़ा बहुत हमारे लिये भी तो छोड़ेंगे.

          श्री शैलेन्‍द्र जैन--  डॉ. साहब के जवाब तो डॉ. साहब ही दे पायेंगे.

          डॉ. सीतासरन शर्मा--  वह भी डॉ. हैं, पीएचडी हैं. सभापति जी, इसमें ऐसी कौन सी बात है जिसमें इनको ऐतराज है, दुर्व्‍यपदेशन, प्रलोभन, धमकी या बल प्रयोग, असम्‍यक, असर, प्रपीड़न इसमें से आपको किस चीज पर ऐतराज है, क्‍या आप यह चाहते हैं कि misrepresentation से धर्म परिवर्तन हो जाये. अब इसमें एक समस्‍या और आजकल आ रही है और वह है कि नाम बदलकर के और misrepresentation करके सोशल मीडिया के माध्‍यम से विवाह कर लिया जाता है और उसके बाद में विवाहित महिला का बलपूर्वक धर्म परिवर्तन करवाया जाता है. सभापति जी, सिर्फ हम यह बात नहीं कह रहे, केरल हाईकोर्ट ने, अब वहां पर तो कोई भारतीय जनता पार्टी की सरकार है नहीं, केवल एक सदस्‍य जीता है, वहां या तो यूडीएफ आता है या एलडीएफ आता है. पर वहां भी हाईकोर्ट ने इस बात को माना है कि इस तरह से बहलाया,फुसलाया और धमकी दी जा रही है और इस तरह से गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है और इसीलिये कानून लाना जरूरी था. एक-दो सुझाव है. एक तो विधि मंत्री जी आपसे अनुरोध है धारा-4 में इसमें जो कम्पलेंट एक्ट परिवाद के जो आपने व्यक्ति लिखे हैं - " रक्त,विवाह या दत्तक ग्रहण,संरक्षकता और अभिरक्षा " इसमें सामाजिक संस्थाएं भी जुड़नी चाहिये क्योंकि कई बार ऐेसे लोग भय के कारण क्योंकि हमारे सामने ऐसे बहुत से लोग बैठे हैं जो धर्म परिवर्तन करवाने वालों के पक्ष में खड़े हो जायेंगे इसीलिये सामाजिक संस्थाओं को भी अधिकार देना चाहिये कि वे परिवाद प्रस्तुत कर सकें. धारा-5 के अंतिम परन्तुक में यह तो लिखा है कि-    " परन्तु यह भी इस धारा में उल्लिखित दूसरे या उत्तरवर्ती अपराध की दशा में, कारावास पांच वर्ष से कम का नहीं होगा परन्तु दस वर्ष तक का हो सकेगा तथा जुर्माने का भी दायी होगा." जुर्माने की राशि नहीं लिखी. ऊपर के पूरे परन्तुकों में लिखी है. इसमें जुर्माने की राशि आनी चाहिये. इनको संशोधित करने में बहुत समस्याएं नहीं हैं क्योंकि धारा-15 में आपने यह प्रावधान किया है कि छोटे-मोटे विषय हैं उनको राज्य शासन संशोधित कर सकता है. धारा-7 में है कि- धारा 6 के अधीन किसी विवाह को शून्य किया जायेगा. उसमें बाकी सब बातें तो हैं किन्तु समय-सीमा नहीं है. इसमें समय-सीमा भी जुड़नी चाहिये ताकि एक निश्चित समय-सीमा में जो पीड़ित व्यक्ति है  उसको न्याय मिल सके. वह अपने धर्म में अपने आप वापस हो जायेगा. विवाह ही शून्य हो जायेगा किन्तु उसको कानूनी जामा इस धारा के तहत मिलेगा. यह भी मेरा अनुरोध है. सभापति महोदया, मैं पुन: माननीय गृह मंत्री जी को, विधि मंत्री जो को और माननीय मुख्यमंत्री जी को इस सदन  के माध्यम से बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने धर्म स्वतंत्रता विधेयक को लाया. इससे प्रदेश के पीड़ित और शोषित व्यक्ति हैं उनको कानून का प्रोटेक्शन मिल सकेगा. मैं सामने वाले सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि इसको सर्वसम्मति से पारित करें. धन्यवाद.

      सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) -  माननीय सभापति महोदया, जो धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक विचार के लिये लाया गया है. निश्चित ही हमारा देश धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और सभी व्यक्तियों को अपना धर्म चुनने का अधिकार है लेकिन यदि यह विधेयक विचार के लिये लाया है तो पूरी तैयारी से लाया गया है. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना चाहती हूं कि आपको यह लाना ही पड़ा तो आपने पूरे प्रदेश का सर्वे करवाया ही होगा कि आखिर इस संबंध में जो अपराध, एफआईआर दर्ज हुई हैं तो पूरे प्रदेश का आंकड़ा निकलवाया होगा. इसकी जरूरत क्यों पड़ रही है. यदि कानून पहले से है, नियम पहले से है, अधिनियम प हले से है तो फिर इसकी जरूरत क्यों है. इसका मतलब है कि अपराध बढ़े हैं. तो आपके पास एफआईआर भी होंगी. जब मंत्री जी जवाब दें तो हम यह अपेक्षा करते हैं कि वे इसका जवाब दें. यदि शिकायतें हुई हैं कि जबरन धर्म परिवर्तन की बात हुई है और शिकायत हुई है तो उसका जिक्र मंत्री जी यहां करें क्योंकि जिस समय हमारी माननीय विधायक कलावती भूरिया जी यह बात रख रहीं थीं कि मुझे डराया जा रहा है. जान से मारने की धमकी दी जा रही है .उस समय माननीय गृह मंत्री जी ने सदन में कहा था कि इस तरह की कोई भी शिकायत  हमारे पास नहीं आई है.  इसका मतलब है कि   जब तक लिखित शिकायत  किसी थाने में या किसी  अधिकारियों के पास  यदि शिकायत नहीं पहुंची  है, तो सरकार  इस पर कार्यवाही तो नहीं करेगी,  क्योंकि मैं भी उस समय सदन में मौजूद थी.  विधायक सदन के अंदर चिल्ला रहा था, बोल रहा था, लेकिन उस विधायक का कोई महत्व नहीं था  और  यदि ये विधेयक  यहां पर आया है,  जिसकी वास्तव में कोई आवश्यकता नहीं है,  लेकिन अगर आया है तो निश्चित रुप से   इसके पीछे कारण भी  होंगे. मैं  चाहूंगी कि  मंत्री जी इसका  सारगर्भित उत्तर देंगे.  और एक बात यदि आर्थिक,मानसिक दबाव के कारण या प्रलोभन के कारण जो भी  कारण  इसमें स्पष्ट किये गये हैं कि यदि  इन सब कारण के चलते यदि धर्म परिवर्तन  हो रहा है, तो सजा तो आप  दो, सजा तो देना ही है, लेकिन  इसके पीछे उत्पन्न कारणों को  भी हमको देखना  पड़ेगा कि क्यों हमको इन  सब चीजों की जरुरत पड़ती है.  यदि  आप युवाओं को,   युवाओं का मतलब लड़के और लड़कियां दोनों  होते हैं,  यदि युवाओं को आप रोजगार  देंगे, यदि उनको आप  उनकी  क्षमता के अनुरुप काम सौंपेंगे, तो निश्चित रुप से  अपराधों में कमी आयेगी और बहुत सारे कारण ऐसे होते हैं, जो केवल   और केवल बेरोजगारी के चलते  आते हैं. इसलिये आप  आर्थिक रुप से मजबूत बनाइये हमारे युवाओं  को, फिर आप देखिये  ऐसे कानूनों में संशोधन  करने की  आपको आवश्यकता   कभी भी नहीं पड़ेगी.  सभापति महोदय, आपने बोलने के लिये समय  दिया,  धन्यवाद.

           श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर) --  सभापति महोदया,  मैं  गृह मंत्री जी का,  मुख्यमंत्री जी का एक ऐसे विषय पर  जिसकी आवश्यकता पड़ती जा रही थी, पड़ रही थी.  विधेयक संशोधन के साथ आया है, मैं  रामेश्वर शर्मा जी को भी  स्मरण करुंगा, हमारे सम्मानित वरिष्ठ सदस्य हैं.  जिन्होंने 2-3 माह पहले  मुखर होकर के   प्रिण्ट एवं इलैक्ट्रानिक मीडिया में  इस बात को उद्वेलित किया था कि  इस विधेयक पर व्यापक   विचार विमर्श भी होना चाहिये  और इसमें सजा के कड़े प्रावधान भी होने चाहिये.  जब यह बात चली और  जब ये  टेबल हुआ गृह मंत्री जी के द्वारा, हम ग्रामीण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं,हम जब क्षेत्र में गये, अब इस पक्ष के  आंखों पर तो पता नहीं  कौन सा चश्मा चढ़ा हुआ है,  लेकिन जन सामान्य की आवाज  आई,  मुख्यमंत्री जी एवं गृह मंत्री जी का धन्यवाद, आपने हजारों बेटियों की जिंदगी बचा ली है,  जबकि चर्चा में तो आज आया है,  इसकी व्यापक चर्चा  क्षेत्र में, गांव में, शहरों एवं कसबों में हो गई है.  जब से यह  टेबल हुआ और  जब सरकार की मंशा जाहिर  हुई  मैं गृह मंत्री  जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि  कोरोना के इस काल में मुझे अच्छी तरह से याद है कि  एक महीने में आपने लगभग   24 से 25  एफआईआर दर्ज हुईं, जो कभी  नहीं  होती थी जिसको  इलेक्ट्रानिक और प्रिण्ट मीडिया  ने  लव जेहाद का नाम दिया है.  गरोठ भानपुरा क्षेत्र में   श्यामगढ़ सुवासरा क्षेत्र में  भी हमारे  हरदीप  सिंह  जी विराजित हैं, हमारे छोटे से जिले में लव जेहाद की,  धर्म परिवर्तन की  जब  एफआईआर दर्ज होती है, वह बिटिया   आज  अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है, मैं इधर से भी  अपेक्षा करुंगा कि  आज का यह मेटर, विधेयक अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर  चर्चा में आ रहा है,  तो पूरे राष्ट्र के  विधान सभा,  पूरी लोकसभा, सांसद और  पूरे विश्व के लोग  जो जनप्रतिनिधि हैं, जो   विधायिका को समझते हैं,   जो कानून बनाते हैं,  आज इसकी प्रशंसा  किये बिना रहेंगे नहीं.  इसलिये  कि हम बेटी को बचा रहे हैं.  बेटियों की सुरक्षा के लिये ही यह सबसे बड़ा  काम है,  (श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य के बैठे बैठे कुछ कहने पर) जैसा रामेश्वर  जी कह रहे हैं.  एक षडयंत्र का हिस्सा है. यह कहां लिखा है कि एक वर्ग विशेष को लेकर कानून बनाया है? मैंने एक-एक पन्ना पलटाया. आदरणीय श्री शर्मा जी ने भी उसको देखा है, पढ़ा है. एक वर्ग विशेष की कहां बात आ रही है क्यों उन लोगों की सहानुभूति बंटोरने के लिए आप लोग उस गरीब और असहाय बिटिया के लिए, महिला के लिए जिसको प्रलोभन दिया गया है, उससे जाति छिपाई गई है, वर्ग छिपाया गया है और अगर आप जिस समाज की बात कर रहे हैं, अल्पसंख्यक समाज के काजी साहब की मौजूदगी में भी शाद