मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा षोडश सत्र
फरवरी-मार्च, 2018 सत्र
गुरूवार, दिनांक 08 मार्च, 2018
(17 फाल्गुन, शक संवत् 1939 )
[खण्ड- 16 ] [अंक- 5 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरूवार, दिनांक 08 मार्च, 2018
(17 फाल्गुन, शक संवत् 1939 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
शपथ
उप चुनाव में, निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 27- कोलारस से निर्वाचित सदस्य, श्री महेन्द्र रामसिंह यादव 'खतोरा' तथा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 34-मुंगावली से निर्वाचित सदस्य,
श्री बृजेन्द्र सिंह यादव द्वारा शपथ ग्रहण
अध्यक्ष महोदय -- उप चुनाव में, निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 27-कोलारस से निर्वाचित सदस्य, श्री महेन्द्र रामसिंह यादव 'खतोरा' तथा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 34-मुंगावली से निर्वाचित सदस्य, श्री बृजेन्द्र सिंह यादव शपथ लेंगे. सदस्यों की नामावली में हस्ताक्षर करेंगे और सभा में अपना स्थान ग्रहण करेंगे -
(1) श्री महेन्द्र रामसिंह यादव 'खतोरा' (कोलारस) - ( शपथ )
(2) श्री बृजेन्द्र सिंह यादव (मुंगावली) - ( शपथ )
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
रसोईयों के मानदेय में वृद्धि
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
1. ( *क्र. 654 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासनादेश के तहत् ग्रामीण क्षेत्रों में शासकीय शालाओं में कार्यरत स्व-सहायता समूहों में रसोईयों को भोजन बनाने, भोजन स्थल की सफाई, बच्चों के हाथ धुलाना, छात्रों को भोजन परोसना, बर्तन साफ करना इत्यादि कार्य रसोईयों द्वारा किया जाता है? इस संबंध में शासनादेश क्या हैं? (ख) क्या प्रश्नांश (क) में रसोईयों द्वारा किये जाने वाले कार्यों हेतु मासिक मानदेय मात्र एक हजार रूपये दिया जाता है, जबकि इन रसोईयों को सम्पूर्ण शाला समय में उपस्थित रहना होता है, रसोईयों के मानदेय एवं इनकी समयावधि के संबंध में शासनादेश उपलब्ध करायें। (ग) इस मंहगाई के दौर में मात्र एक हजार रूपये मानदेय दिये जाने से परिवार के पालन पोषण में आ रही समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए क्या इन रसोईयों को शासन द्वारा मानेदय वृद्धि किये जाने के संबंध में आदेश प्रदान किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक, यदि नहीं, तो क्यों?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''क'' अनुसार है। (ख) जी हाँ। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ख'' अनुसार है। (ग) जी नहीं। प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय, माननीय मुख्यमंत्री महोदय और प्रदेश सरकार का धन्यवाद करना चाहूंगा, जो मेरे प्रश्न की मूल मंशा थी उसको स्वीकार किया गया और पूर्व में इस मध्यप्रदेश शासन द्वारा केंद्र शासन को रसोईयों के मानदेय में वृद्धि करने का पत्र लिखा जा चुका था.मैं ध्यानाकृष्ट करना चाहूंगा कि पत्र दो हैं दोनों में अलग-अलग मानदेय राशि की माँग की गई है एक पत्र में 3 हजार की मांग की गई है, एक में 4 हजार रुपये की माँग की गई है और शासन द्वारा यह भी स्वीकार किया गया है कि दिन भर रसोईयों को वहाँ काम करना पड़ता और काम के घंटे इतने ज्यादा होते हैं कि उन्हें कोई और अतिरिक्त कार्य करने का समय नहीं बचता है और आज के जमाने में 1 हजार रुपये में उन रसोईयों का जीवन हम नहीं मान सकते हैं कि चल सकता है. इसीलिये मैं चाहूंगा कि राज्य शासन की ओर से 4 हजार रुपये उनका मानदेय किये जाने के संबंध में केंद्र शासन को गंभीरतापूर्वक पत्र लिखकर एकरूपता के साथ उसका निराकरण किया जावे.
श्री गोपाल भार्गव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य ने स्वयं स्वीकार किया है कि राज्य सरकार ने भारत सरकार को इस संबंध में तीन बार पत्र लिखे हैं. यह बात सही है कि हम रसोईयों के लिए जो मानदेय देते हैं वह 1 हजार रुपया है और राज्य सरकार ने स्वतः इस बात को पहल करते हुए भारत सरकार को लिखा है. अध्यक्ष महोदय, जो 3 हजार और 4 हजार रुपये की राशि के अंतर की बात यह बता रहे हैं चूंकि महंगाई बढ़ी है इसी कारण हमने पुनरीक्षित पत्र 4 हजार रुपये करने के लिए लिखा था. मुझे विश्वास है कि भारत सरकार जल्दी-से-जल्दी इस पर विचार करेगी और माननीय सदस्य की जो भावना है उसका सम्मान होगा.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय,एक पत्र और नये सिरे से मंत्री जी की ओर से चला जाये तो मुझे लगता है कि ठीक होगा क्योंकि मुझे लगता है कि बहुत कठिन विषय है एक हजार रुपये में दिन भर काम और जवाबदारी का काम.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, आज ही पत्र भेज देंगे.
श्री रामनिवास रावत-- अध्यक्ष महोदय, पत्रों से इनकी कोई सुनने वाला नहीं है यह खुद चले जायें तो अच्छा रहेगा.
श्री गोपाल भार्गव--- पूर्व में मैं स्वयं गया था और सत्र की समाप्ति की बाद मैं फिर से चला जाऊँगा.
भवन निर्माण की अनुमति की वैधता अवधि
[नगरीय विकास एवं आवास]
2. ( *क्र. 556 ) श्री कालुसिंह ठाकुर : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) विभाग द्वारा भवन निर्माण या नर्सिंग होम निर्माण के लिये जारी की गई अनुमति कितने वर्षों तक वैध रहती है? समयावधि बतावें। (ख) यदि कोई फर्म या व्यक्ति भवन निर्माण एवं नर्सिंग होम निर्माण आदि की दो भाग (ब्लॉक) की अनुमति लेता है एवं उसमें से भवन का केवल एक ही भाग बनाता है तो क्या 8-10 वर्षों के बाद बचे हुए भाग की वापस अनुमति लेना अनिवार्य है? (ग) क्या पूर्व अनुमति प्राप्त बचे हुए भाग (ब्लॉक) के निर्माण की अनुमति नगर पालिका से वापस लेना अनिवार्य है? इस संबंध में शासन के क्या दिशा निर्देश हैं?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) म.प्र. भूमि विकास नियम, 2012 के नियम 23 (i) के प्रावधान अनुसार प्रदाय की गई भवन अनुज्ञा 03 वर्ष तक विद्यमान होती है, जिसे नियम 23 (ii) के अनुसार एक-एक वर्ष की दो लगातार अवधियों के लिये पुनर्विद्यमान कराया जा सकता है। (ख) जी हाँ। (ग) जी हाँ। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है।
श्री कालुसिंह ठाकुर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न था कि भवन निर्माण हेतु नगर पालिका से, जो भी प्राईवेट या कॉलोनी के निर्माण होते हैं उसमें संबंधितों द्वारा अनुमति नहीं ली जाती हैं. थोड़ी-बहुत आधे-अधूरे भवन की अनुमति ले लेते हैं बाकी बाद पूरा बना लेते हैं और इस कारण अलग-अलग पूरे खेतों में, अपने-अपने खेतों में कॉलोनी या भवन बन जाते हैं इसके बाद में वहाँ नाली, रोड, बिजली आदि की व्यवस्था हेतु बहुत परेशानी होती है इस कारण जनता का आक्रोश जन प्रतिनिधि को झेलना पड़ता है.
श्रीमती माया सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी ने जो सवाल पूछे हैं उसके जवाब दे दिए गए हैं. अभी शायद वे कह रहे हैं कि जो कॉलोनियां बनती हैं उनकी शायद इजाजत नहीं लेते हैं लेकिन इसमें इन्होंने भवन और नर्सिंग-होम के संबंध में सवाल पूछा है. इसमें इन्होंने यह भी कहा है कि इसकी अनुमति 3 साल के लिए विद्यमान रहती है और उसके बाद एक-एक वर्ष के लिए इसे पुनर्विद्यमान किया जा सकता है. लेकिन यदि कोई व्यक्ति भवन या नर्सिंग-होम का एकमुश्त पूरा निर्माण करती है उसके पूरे भाग की अनुमति लेता है और बनाता सिर्फ एक ब्लाक है दूसरा ब्लाक वह नहीं बनाता है और 8-10 साल बाद दूसरा ब्लाक बनाना चाहेगा तो उसे नियम के तहत इसकी अनुमति लेना अनिवार्य है. यह सारी बातें इसमें लिखी गई हैं. आपकी बात इस प्रश्न से संबंधित नहीं है.
श्री कालूसिंह ठाकुर--अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदया के जवाब से संतुष्ट हूँ. मेरा अनुरोध है कि आसपास जो भी किसान होते हैं वे प्लाट बेच देते हैं वहां पर होटल आदि बना लेते हैं उससे पूरे क्षेत्र में आवागमन , बिजली और पानी की परेशानी होती है. बाद में थोड़ी बहुत अनुमति ले लेते हैं और कहते हैं कि इसकी अनुमति है. इससे व्यवस्था में थोड़ी दिक्कत होती है.
श्रीमती माया सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय विधायक जी से आग्रह करना चाहती हूँ यदि वे इस तरह की कोई शिकायत है तो मुझे लिखकर दे दें मैं उसकी जांच करा लूंगी.
श्री कालूसिंह ठाकुर--अध्यक्ष महोदय, ठीक है मैं पूरी जानकारी लिखकर दे दूंगा. धन्यवाद.
श्री निशंक कुमार जैन--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से इस संबंध में एक पिन पाइंट क्योश्चन है. आपके माध्यम से मैं अनुरोध करना चाहता हूँ कि जैसा माननीय सदस्य ने कहा कि जो अवैध कॉलोनियां हैं उससे हम सब परेशान हो रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय--यह इससे संबंधित प्रश्न नहीं है.
श्री निशंक कुमार जैन--अध्यक्ष महोदय, इससे उद्भूत नहीं होता है यह बात सही है परन्तु अवैध कॉलोनियों की वजह से हम सबको कोपभाजन बनना पड़ता है.
अध्यक्ष महोदय--निशंक जी यह प्रश्न नहीं है.
श्री निशंक कुमार जैन--अध्यक्ष महोदय, इससे उद्भूत नहीं होता है यह बात सही है.
अध्यक्ष महोदय-- इससे उद्भूत नहीं होता है तो नहीं पूछने देंगे. बैठिए.
पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति स्वीकृति के अधिकार
[उच्च शिक्षा]
3. ( *क्र. 1619 ) एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) आदिवासी, अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति स्वीकृत करने के महाविद्यालय के प्राचार्यों को क्या वित्तीय अधिकार प्रदत्त हैं? अधिकार प्रत्यायोजन की प्रति उपलब्ध करावें। वित्तीय अधिकार पुस्तिका में प्राइवेट कॉलेजों के लिये पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति स्वीकृति के अधिकार किसे प्रदत्त हैं? (ख) क्या अधिकारों के प्रत्यायोजन में शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य को अशासकीय महाविद्यालयों के विद्यार्थियों की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति/आवास भत्ता स्वीकृत करने के भी अधिकार हैं? यदि नहीं, तो वे किस आधार पर नोडल प्राचार्य के रूप में अशासकीय महाविद्यालयों के लिये पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति स्वीकृत कर रहे हैं? (ग) क्या उच्च शिक्षा विभाग के प्रचार्यों को आदिम जाति कल्याण विभाग या जिला कलेक्टर, इस प्रकार से नोडल प्राचार्य के रूप में वित्त विभाग की स्वीकृति के बिना अशासकीय महाविद्यालयों के विद्यार्थियों के लिये पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति/आवास भत्ता स्वीकृत करने हेतु अधिकृत कर सकते हैं? (घ) उज्जैन, इंदौर, भोपाल तथा रीवा जिले के किस-किस शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य को नोडल प्राचार्य होने के कारण लोकायुक्त के द्वारा छात्रवृत्ति स्वीकृति में अनियमितता के लिये अपराधी बनाया है? प्रत्येक का विवरण दें।
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री जयभान सिंह पवैया ) : (क) आदिवासी, अनुसूचित जाति तथा पिछड़ा वर्ग की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति स्वीकृत करने का अधिकार प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय को तथा भुगतान करने का अधिकार जिला कलेक्टर को प्रदत्त है। प्राइवेट कॉलेजों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति स्वीकृत एवं भुगतान के अधिकार जिला कलेक्टर को प्रदत्त हैं। वित्तीय शक्ति पुस्तिका की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "अ" अनुसार है। (ख) पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति नियम/वित्तीय शक्ति पुस्तिका भाग-दो की कंडिका-6 (बी) अनुसार अशासकीय महाविद्यालय के विद्यार्थियों की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के मंजूरी के अधिकार जिला कलेक्टर को हैं। नवीनीकरण की मंजूरी तथा पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति देयकों पर प्रतिहस्ताक्षर के अधिकार जिला स्तरीय अधिकारी एवं शैक्षणिक संस्था के प्रमुख को है। तत्संबंधी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "ब" अनुसार है। आवास भत्ता योजना नियम, 2016 की कंडिका 06 (01) के तहत् आवास भत्ता स्वीकृति के अधिकार शासकीय संस्थाओं के प्राचार्य एवं अशासकीय संस्थाओं हेतु संबद्ध शासकीय संस्था के नोडल प्राचार्य को अधिकार प्रत्यायोजित किये गये हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "ब" अनुसार है। (ग) 1. पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति की स्वीकृति के अधिकार के संबंध में प्रश्नांश (क) में दिये गये उत्तर अनुसार 2. आवास सहायता योजना 2016 को (डी.पी.आर. के रूप में) वित्त विभाग द्वारा स्वीकृति प्राप्त है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र "अ" अनुसार है। (घ) उज्जैन, इन्दौर, भोपाल तथा रीवा जिले के किसी भी प्राचार्य को लोकायुक्त संगठन द्वारा छात्रवृत्ति स्वीकृति में अनियमितता के लिए अपराधी नहीं बनाया गया है। जानकारी निरंक है।
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति की स्वीकृति के संबंध में है. जो जानकारी दी गई है वह गलत दी गई है. आदिवासी और अनुसूचित जाति पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति स्वीकृति के अधिकार आदिम जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक सहायक संयोजक, और सहायक आयुक्त को हैं. दिए गए उत्तर पर आदिम जाति कल्याण विभाग के द्वारा जारी नियमों के परिप्रेक्ष्य में जांच कराई जाए. आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए प्राचार्यों को छात्रवृत्ति की स्वीकृति के अधिकार दिए हैं जो नियम विरुद्ध हैं. दूसरी बात इंदौर लोकायुक्त द्वारा छात्रवृत्ति स्वीकृति में अनियमितता को लेकर आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों के खिलाफ 34 प्रकरण दर्ज हैं. यह प्रकरण प्राचार्य पर दर्ज होना चाहिए थे. क्या माननीय मंत्री जी इसकी जांच कराएंगे और दोषियों को दंड देंगे.
श्री जयभान सिंह पवैया--माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे उत्तर में बहुत स्पष्ट लिखा गया है. पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति स्वीकृति के अधिकार शासकीय महाविद्यालय में वहां के प्राचार्य को हैं और निजी महाविद्यालय में कलेक्टर को अधिकार दिए गए हैं. आवास भत्ते के लिए शासकीय महाविद्यालय में प्राचार्य को और शासकीय महाविद्यालय के जो नोडल प्राचार्य होता है उनको निजी महाविद्यालयों के अधिकार दिए गए हैं. मध्यप्रदेश की वित्तीय शक्ति पुस्तिका में अधिकार देने के जो प्रावधान हैं उसी के अनुसार यह अधिकार दिए गए हैं. प्रथम वर्ष की स्वीकृति के उपरांत 50 प्रतिशत अंक लाने वाले विद्यार्थियों के लिए आगामी वर्ष के नवीनीकरण का कार्य शासकीय महाविद्यालय में प्राचार्य के द्वारा होता है और निजी महाविद्यालय में आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों के द्वारा किया जाता है. वर्ष 2015 में कलेक्टर, इंदौर के जांच प्रतिवेदन के आधार पर वर्ष 2011 से 3 वर्ष की छात्रवृत्ति का ऑडिट और त्रुटिकर्ता संस्थाओं पर विभागीय कार्यवाही प्रचलित है. बड़वानी जिले की सेंधवा और निवाली की संस्थाओं की कक्षा 8 से 12 वीं की छात्रवृत्ति वितरण की जांच की गई थी वह पूर्ण होकर उसमें अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रचलित है. एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्राईवेट कॉलेजों की स्वीकृति प्राईवेट कॉलेजों को न होकर जिला कलेक्टर या आदिम जाति कल्याण को होना चाहिए थी. प्राईवेट प्राचार्यों को देकर, प्राईवेट स्कूलों को देकर इसमें बहुत सारी अनियमितताएं हुई हैं. क्या माननीय मंत्री जी इसकी जांच कराएंगे?
श्री जयभान सिंह पवैया-- निजी महाविद्यालयों को किसी प्रकार के अधिकार नहीं दिए गए हैं. छात्रवृत्ति स्वीकृति का अधिकार कलेक्टर को है और आवास भत्ते का नोडल सरकारी प्राचार्य को है.
एडवोकेट सत्यप्रकाश सखवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह 34 प्रकरण इंदौर में दर्ज हुए हैं. यह प्रकरण प्राचार्यों पर दर्ज होने चाहिए थे यह आदिम जाति कल्याण विकास विभाग के अधिकारियों के खिलाफ हुए हैं. जिन्होंने यह अनियमितता की है उनके खिलाफ दर्ज होना चाहिए थे.
श्री जयभान सिंह पवैया-- अध्यक्ष महोदय, मैं यह निवेदन करूंगा कि प्राईवेट कॉलेज के नवीनीकरण का अधिकार आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों को है और जिनको अधिकार है कार्यवाही उन्हीं के खिलाफ प्रचलित होती है.
मुआवजे का नियमानुसार निर्धारण
[नगरीय विकास एवं आवास]
4. ( *क्र. 484 ) श्री सुन्दरलाल तिवारी : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) क्या विधान सभा प्रश्न क्रमांक 2569, दिनांक 29.07.2017 के उत्तर के संदर्भ में नगर पंचायत क्षेत्र की निर्धारित दर रूपये 9.30 प्रति वर्ग मी. मान से किसानों की जमीनों का मुआवजा देने का आदेश जारी करावेंगे? यदि हाँ, तो कब तक? (ख) प्रश्नांश (क) के संदर्भ में क्या किसानों को मुआवजें की राशि में बढ़ोत्तरी के साथ क्या ब्याज का भी भुगतान करने के आदेश जारी करेंगे, जिससे किसानों की क्षति पूर्ति हो सके? (ग) प्रश्नांश (क) पर अंकित बिन्दु अनुसार कार्यवाही कर नवीन दरों से मुआवजे के भुगतान के आदेश जारी करने के साथ क्या नियम विरूद्ध मुआवजे के आदेश जारी कर किसानों को आर्थिक क्षति पहुँचाने के जिम्मेवारों पर क्या कार्यवाही करेंगे? अगर नहीं तो क्यों?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) नगर परिषद गुढ़ में राष्ट्रीय राज्य मार्ग 75 रीवा सीधी सड़क निर्माण में सड़क निर्माण हेतु किसानों की अधिग्रहीत की गई भूमि का मुआवजा अनुविभागीय अधिकारी अनुभाग गुढ़ जिला-रीवा द्वारा कलेक्टर गाईड लाईन वर्ष 2015-16 में दिये गये निर्देशों के तहत् न्यूनतम मूल्य के आधार पर तैयार किया गया। किसानों द्वारा मुआवजे संबंधी प्रकरण माननीय न्यायालय आयुक्त (राजस्व) रीवा संभाग रीवा में विचाराधीन है। (ख) एवं (ग) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में न्यायालयीन प्रकरण के निर्णय के उपरांत नियमानुसार कार्यवाही की जावेगी।
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी द्वारा जो जवाब दिया गया है उस जवाब का संबंध इस प्रश्न से नहीं है. जवाब दिया गया है कि मुआवजे संबंधी प्रकरण माननीय न्यायालय आयुक्त राजस्व रीवा संभाग, रीवा में विचाराधीन है. अत: न्यायालयीन प्रकरण के निर्णय के उपरांत नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी. पूरे न्यायालय का नाम लेकर पूरे प्रश्न पर विराम लगा दिया गया है. मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि यह भू-अर्जन एवं पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिक्रमण पारदर्शिता का अधिकार इसमें एस.डी.ओ. और राजस्व आयुक्त न्यायालय की भूमिका कहां और कैसे आ जाती है? अगर यह बता दें तो तब हम आगे प्रश्न पूछें. क्योंकि मुझे मालूम है एस.डी.ओ. भू-अर्जन अधिकारी होता है. एस.डी.ओ. रेवेन्यू कमिश्नर वर्ड है लेकिन वह न्यायालय के रूप में नहीं आर्बीट्रेटर के रूप में कमिश्नर का है. न्यायालय में तो यह मामला कहीं है ही नहीं. अधिकारियों ने जबर्दस्ती यह जवाब दे दिया है कि यह मामला न्यायालय में है. माननीय मंत्री जी पहले इसको स्पष्ट कर दें. तब मैं अपना सवाल पूछ सकूंगा कि यह क्या जवाब दे दिया है.
श्रीमती माया सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी से कहना चाहती हूं कि यह प्रश्न मेरे विभाग से संबंधित नहीं है, राजस्व और पी.डब्ल्यू.डी. से संबंधित है. इससे संबंधित आपका कोई और सवाल या समस्या है तो आप संबंधित विभाग को लिखकर दे दें वह आपको जवाब देंगे. आपने जो सवाल यहां पूछा है उसका जवाब इसमें लिखित मैं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न विधान सभा के सामने रखा है. माननीय मंत्री महोदया का कहना है यह प्रश्न मेरे विभाग से संबंधित है ही नहीं तो इस प्रश्न का जवाब कौन देगा ? जिससे संबंधित हो वह जवाब दे दे.
अध्यक्ष महोदय-- आपने सवाल नगरीय विकास विभाग से पूछा था.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न का संबंध कई विभागों से है. सवाल इस बात का है कि यह कहा गया है कि यह मामला न्यायालय में लंबित है इसीलिए इसका जवाब नहीं दिया जा सकता है. हमारा सवाल इस बात का है कि यह कहां किस न्यायालय में लंबित है ?
वन मंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार) -- किन विभागों से संबंधित है तो हम अलग-अलग विभागों से पूछ सकते हैं. प्रश्न बनाते समय इतने सीनियर सदस्य को यह ध्यान रखना चाहिए कि कौन से विभाग से कैसे प्रश्न पूछे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- माननीय मंत्री जी आप सीनियर हैं आप ही जवाब दे दीजिए.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय तिवारी जी का जो प्रश्न है उसके बारे में माननीय मंत्री महोदया जी ने कहा कि प्रश्न हमारे विभाग से संबंधित नहीं है. मैं यह जानना चाहता हूं कि यदि प्रश्न इनके विभाग से संबंधित नहीं था तो फिर इन्होंने अपने विभाग से जवाब क्यों भेजा ? यदि इनके विभाग से प्रश्न संबंधित नहीं था तो उसी समय विधान सभा सचिवालय को प्रश्न लौटा देतीं और यदि उन्होंने प्रश्न ले लिया है तो मंत्रिपरिषद की सामूहिक जवाबदारी के तहत मंत्री होने के नाते उन्हें पूरा जवाब देना चाहिए.
श्री रामनिवास रावत- मंत्री महोदया के बगल में राजस्व मंत्री भी बैठे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार- नेता प्रतिपक्ष जी मैं आपसे सहमत हूं. लेकिन आप तिवारी जी को भी नसीहत दें कि इन्हें मालूम था कि तीन विभागों का जवाब एक विभाग से नहीं मिल सकता. (...व्यवधान...)
श्री सुन्दरलाल तिवारी- अध्यक्ष महोदय, मैंने बिल्कुल सही प्रश्न लगाया है. प्रश्नों की स्क्रूटनी विधान सभा सचिवालय में होती है. अगर विधान सभा सचिवालय से कोई आपत्ति उठाई गई होती तो मैं सुधार करता परंतु विधान सभा सचिवालय से कोई आपत्ति नहीं उठाई गई इसलिए मेरे द्वारा उसमें किसी सुधार का प्रश्न ही नहीं उठता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप कृपया मेरे प्रश्न का जवाब दिलवायें.
अध्यक्ष महोदय- आपने जो प्रश्न पूछा था, वह नगरीय विकास विभाग से पूछा था. जमीन नगर पंचायत क्षेत्र की निर्धारित दर की थी. आपका प्रश्न वहीं से था और नगर पंचायत की दर के संबंध में आपने पूछा था.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न मुआवजे के संबंध में है. जमीनें नगर पंचायत में हैं और इसे Rural Area मानकर किसानों को मुआवजा दिया गया है. मेरा यह कहना है कि जब वह नगर पंचायत है तो वह क्षेत्र Urban Area है और जो दर कलेक्टर द्वारा मुआवजे हेतु निर्धारित की गई है या जो बिक्री का रेट तय किया गया है, किसानों को उसके अनुसार मुआवजा मिलना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अतिरिक्त मैं यह भी कहना चाहता हूं कि जो नया एक्ट 2013 में यू.पी.ए. सरकार द्वारा केंद्र में बनाया गया है उसके अनुसार किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए और यदि इस एक्ट का पालन नहीं किया गया है तो दोषी अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ 6 माह से लेकर 3 वर्ष तक की सजा का प्रावधान इस एक्ट में है. यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है. यह प्रदेश के गरीब किसानों का मामला है. इस तरह सरकार अपना पल्लू झाड़कर नहीं जा सकती है कि यह मेरे विभाग से संबंधित नहीं है. यहां सदन में इतनी बड़ी केबिनेट बैठी है और कोई भी मेरे प्रश्न का जवाब दे पाने की स्थिति में नहीं है. किसान रो रहा है,वह कहां जाए ?
अध्यक्ष महोदय- राजस्व मंत्री जी.
श्री गोपाल भार्गव- तिवारी जी, आपने अपने प्रश्न में प्रश्न क्रमांक 2569 का संदर्भ दिया है. आपने जुलाई 2017 में अपना प्रश्न किस विभाग से किया था ?
श्री सुन्दरलाल तिवारी- मुझे उस प्रश्न का जवाब ही प्राप्त नहीं हुआ.
श्री अजय सिंह- पहले आप लोग तय कर लें कि कौन जवाब देगा. तीन-तीन मंत्री खड़े हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- तीन-तीन मंत्री है. जवाब कौन देगा, पहले ये बतायें?
अध्यक्ष महोदय- आपने नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जी से प्रश्न पूछा है, वही उत्तर दे रही हैं.
श्रीमती माया सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, नेशनल हाइवे एक्ट के अंतर्गत भारत सरकार के माध्यम से भू-अर्जन की कार्यवाही की गई है और विधान सभा सचिवालय को पत्र लिखा गया था. नया एक्ट नेशनल हाइवे पर लागू नहीं है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये लोग कितनी गलत जानकारी दे रहे हैं. मैं नेशनल हाइवे एक्ट से संबंधित जानकारी भी साथ लाया हूं. नेशनल हाइवे ने यह स्वीकार किया है. पूरा पत्र पढ़ना तो मुश्किल है लेकिन मैं इससे संबंधित हिस्सा सदन में पढ़कर सुना रहा हूं.
''It is, therefore, seen from the legal opinion accepted by the Ministry that wherever award of compensation under section 3G of NH Act, 1956 was declared by CALA on or before 31.12.2014 but compensation in respect of majority of the land area notified in the relevant 3A notification was not deposited in the accounts of the beneficiaries on or before 31.12.2014. Then all the beneficiaries shall be entitled to compensation in accordance with the provisions of RFCTLARR Act, 2013.''
ये नेशनल हाइवे अथॉरिटी का आदेश है जो सभी राज्यों को दिया गया है.
श्रीमती माया सिंह- माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय विधायक जी ने सदन में इतना पढ़कर सुनाया है लेकिन वे भी जानते हैं कि उन्होंने जो सवाल पूछा है और इसका जवाब हालांकि दूसरे विभाग ने देना है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- फिर वही बात आ गई.
श्रीमती माया सिंह -- मैं आपकी जानकारी के लिए बता रही हूँ.आप एक मिनट मुझे सुनेंगे ?
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे ज्ञान नहीं बढ़ाना है.
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, आप एक मिनट बैठ तो जाएं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मुझे जवाब चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- जवाब दे रहे हैं, आप बैठें तो.
श्रीमती माया सिंह -- अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो मैं सोच रही थी कि आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर इनकी तरफ से हमें बधाई मिलेगी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, जवाब पूरा आ जाए, हम हृदय से बधाई देंगे.
श्रीमती माया सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी तरफ से हमारे प्रदेश की आधी आबादी को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई देती हूँ और साथ ही साथ आपके सवाल का जवाब भी देती हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- हम सबकी ओर से भी बधाई.
श्रीमती माया सिंह -- अध्यक्ष महोदय, इन्होंने जो सवाल पूछा है, मैं यह कहना चाहती हूँ कि उसमें 107 खातेदारों की भूमि अर्जित की गई और उसमें 96 खातेदारों ने 4.59 करोड़ रुपये का आहरण कर लिया. इसके बाद 82 अपील में गए, उनका केस चल रहा है, जो आप कह रहे थे कि न्यायालय का बार-बार क्यों हम जिक्र कर रहे हैं. मैं यह कहना चाहती हूँ कि 11 खातेदारों के द्वारा जो 53.46 लाख रुपये की धनराशि आहरण नहीं की गई, उसका कारण है कि उनके आपसी विवाद हैं और टाइटल के जो विवाद हैं, इसकी वजह से नहीं की गई है, यह आप जान लें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, यह मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं है. हमने विधान सभा में अगर प्रश्न लगाया है, उसका उत्तर आया है जिसे मैंने पढ़कर सुनाया है. इन्होंने कह दिया कि न्यायालय में मामला पेंडिंग है. जब इस प्रोविजन में कोई न्यायालय नहीं है तो न्यायालय में पेंडिंग होने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, कमिश्नर के यहां अपील होती है.
राजस्व मंत्री (श्री उमाशंकर गुप्ता) -- अध्यक्ष महोदय, टाइटल के निर्धारण के मामले का तो राजस्व न्यायालय में निपटारा होता है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, टाइटल का झगड़ा ही नहीं है, कम्पेन्सेशन का झगड़ा है.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- अध्यक्ष महोदय, स्वामित्व का विवाद है. अभी मंत्री महोदया ने कहा कि 11 लोगों के स्वामित्व का विवाद है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, सरकार के द्वारा प्रश्न का विधिवत् जवाब देने की तैयारी नहीं की गई है. इसलिए इसका जवाब कोई मंत्री दे नहीं पा रहे हैं. इसलिए इसके जवाब को टालामटोला जा रहा है. अदालत के ऊपर डाल दिया.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, अब बिल्कुल स्पष्ट हो गया. श्री कुँवरजी कोठार अपना प्रश्न करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, मुझे जवाब दिलवाएं.
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्न क्रमांक 5, श्री कुँवरजी कोठार.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, प्रजातांत्रिक व्यवस्था है. सदन में हम आपसे आग्रह कर रहे हैं. तानाशाही रवैया न अपनाया जाए. क्या आप मंत्री जी के जवाब से संतुष्ट हैं ?
अध्यक्ष महोदय -- इसकी और प्रक्रियाएं हैं. एक ही प्रश्न पर मैंने बहुत समय दिया.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, सवाल समय का नहीं है, सवाल जवाब का है.
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, बैठ जाएं. यदि आप इससे संतुष्ट नहीं हैं तो इसकी और प्रक्रियाएं हैं. (श्री सुन्दरलाल तिवारी के खडे़ होने पर) पहले आप सुन लें, आप एकदम खड़े हो जाते हैं, इसलिए मुश्किल होती है. इसकी और प्रक्रियाएं हैं. अन्य माननीय सदस्यों के भी प्रश्न हैं. एक ही प्रश्न पर मैंने बहुत समय दिया और एक ही प्वॉइंट पर डेडलॉक हो रहा है, इसलिए आपको यदि इससे अंसतुष्टि है तो आप अन्य प्रक्रियाएं अपनाएं. श्री कुँवरजी कोठार अपना प्रश्न करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय, सवाल मेरे संतोष होने का नहीं है.
अध्यक्ष महोदय -- डिस्एलाउड. श्री तिवारी का कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- आप मेरे से नहीं पूछ सकते.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- आसंदी से कुछ नहीं पूछ सकते. आप बैठ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- श्री कुँवरजी कोठार अपना प्रश्न करें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मामला गंभीर है. शायद एक ही जगह की बात हो, लेकिन भू-अधिग्रहण में कौन से रेट से मुआवजा दिया जाता है, उसका भी विषय शायद तिवारी जी कहना चाहते थे. मैं आपसे अनुरोध करता हूँ, इस विषय पर आधे घंटे की चर्चा किसी दिन करा लें.
अध्यक्ष महोदय -- वे विधिवत् दें. मैं यही तो उनसे कह रहा था, तो वे सुनने को तैयार नहीं थे.
श्री अजय सिंह -- तिवारी जी, आप आधे घंटे की चर्चा का लिखकर दे दें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- वह हम दे देंगे. (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- अब दूसरे माननीय सदस्यों को प्रश्न पूछने दीजिए. इनका कुछ नहीं लिखा जाएगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- आप आसंदी से कुछ नहीं पूछ सकते. आप बैठ जाएं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (XXX)
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाएं. श्री कुँवरजी कोठार प्रश्न करें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- (XXX)
नगर परिषद पचोर द्वारा संपादित कार्य
[नगरीय विकास एवं आवास]
5. ( *क्र. 1510 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) वित्तीय वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक नगर परिषद पचोर द्वारा निविदा आमंत्रित कर कौन-कौन से निर्माण कराये गये हैं? वर्षवार कार्य का नाम, एजेन्सी का नाम, राशि एवं कार्य की अद्यतन स्थिति की जानकारी से अवगत करावें। (ख) प्रश्नांश (क) के अंतर्गत कराये गये निर्माण कार्य का सत्यापन किन-किन तकनीकी अधिकारियों/कर्मचारीयों के द्वारा कराया गया है?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) वित्तीय वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक नगर परिषद पचोर द्वारा निविदा आमंत्रित कर कराये गये कार्यों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार कराये गये निर्माण कार्य का सत्यापन निकाय में पदस्थ उपयंत्रियों द्वारा किया गया है, नाम एवं दिनांक की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है।
श्री कुँवरजी कोठार -- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय मंत्री जी द्वारा परिशिष्ट में जो जानकारी दी गई है, उसके सरल क्रमांक 19 में प्राक्कलित राशि टेंडर राशि 9 लाख 73 हजार के अगेन्स्ड 10 लाख 7 हजार का काम कराया. सरल क्रमांक 22 में 12.39 लाख रुपये के विरुद्ध 13.94 लाख रुपये का कार्य, सरल क्रमांक 26 में 8.29 लाख रुपये के विरुद्ध 13.71 लाख रुपये एवं सरल क्रमांक 29 में 12.49 लाख रुपये के विरुद्ध 14.29 लाख रुपये का कार्य कराया गया है.
अध्यक्ष महोदय - आप क्या पूछना चाहते हैं ?
श्री कुँवरजी कोठार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह आधार बता रहा हूँ कि जो श्री सी.एल.चौरे, उपयंत्री हैं, जिन्होंने ये 7-8 काम कराये हैं, उनमें 10 प्रतिशत से लेकर 63 प्रतिशत तक अप्रत्याशित वृद्धि करके इनका भुगतान करवाया है और सरल क्रमांक 21 में 9.28 लाख रुपये की निविदा बुलाई गई, उसका मात्र 3.29 लाख रुपये का काम कराया है क्योंकि इस ठेकेदार से उसकी कुछ सांठ-गांठ नहीं हुई तो इसको सस्ते में निपटा दिया. जिससे उनकी सांठ-गांठ है, उसको आगे बढ़ाते हुए अधिकारी से काम कराये गये.
अध्यक्ष महोदय - आपने पढ़ लिया है, आप प्रश्न कीजिये.
श्री कुँवरजी कोठार - अध्यक्ष महोदय, इनको दिनांक 28 मार्च, 2017 में 10,000 रुपये की राशि रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त द्वारा पकड़ा गया था. उस उपयंत्री को विभाग द्वारा आज दिनांक तक न तो निलंबन किया गया है और न ही उसको उस पद से वहां से हटाया गया है. मैं आपके माध्यम से, माननीय माननीय मंत्री महोदया से पूछना चाहता हूँ कि इस उपयंत्री का आप कब तक निलंबन करेंगी और यदि निलंबन करेंगी तो कब तक ?
श्रीमती माया सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न पूछा है, उसका जवाब इसमें दिया गया है. अभी तो ई-नगरपालिका के माध्यम से नगरीय निकायों की जो निधि विकास कार्यों पर खर्च की जाती है, उसकी एन्ट्री होने लगी है और अब हम इन सब कामों की मॉनिटरिंग कर सकते हैं. पहले ये सारी व्यवस्थाएं नहीं थीं, ये सन् 14 एवं 15 के हैं, जो सवाल इन्होंने पूछे हैं. लेकिन मैं यह कहना चाहती हूँ कि पहले निकाय की निधियों से किये गये कार्यों की मॉनिटरिंग नहीं होती थी, अब यह सारी मॉनिटरिंग ई-नगरपालिका के माध्यम से होने लगी है. आपने जो उपयंत्री के बारे में सवाल पूछा है कि उसके खिलाफ लोकायुक्त प्रकरण है तो उसे तत्काल निलंबित किया जाता है.
श्री कुँवरजी कोठार - माननीय मंत्री महोदया जी आपको बहुत-बहुत धन्यवाद. मेरा एक प्रश्न और है. वर्ष 2014-2015 से प्रश्न दिनांक तक 35 कार्य स्वीकृत हैं और जिनकी लागत 9,51,88,594 रुपये है, उनमें से मात्र 16 कार्य पूर्ण हैं, जिसकी लागत 1,71,41,000 है तो शेष अपूर्ण एवं अप्रारंभ कार्यों को विभाग जांच कराकर कब तक शुरू करवायेगा और उन कार्यों को कब तक प्रारंभ करवाकर, क्षेत्रवासियों को सुविधाओं का लाभ देगा.
श्रीमती माया सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, हम जांच करवा लेंगे.
श्री कुँवरजी कोठार - धन्यवाद.
जबेरा विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत संचालित मनरेगा योजनाएं
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
6. ( *क्र. 1405 ) श्री प्रताप सिंह : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) दमोह जिले के जबेरा विधानसभा क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2014-15 से प्रश्न दिनांक तक मनरेगा योजनांतर्गत कौन-कौन से विकास कार्य प्रारंभ होकर अपूर्ण हैं? विकासखण्डवार संख्या बतावें। (ख) कार्यों की पूर्णता के लिए कब-कब कितनी-कितनी राशि का आवंटन शासन से जिले को प्राप्त हुआ है? वर्षवार बतलावें। (ग) क्या वर्ष 2017-18 में पिछले 6 माह की अवधि के दौरान मनरेगा योजना के अन्तर्गत प्रारम्भ विकास कार्यों (सामग्री एवं मजदूरी) हेतु राशि का भुगतान न किये जाने से निर्माण कार्य अवरूद्ध हैं? यदि नहीं, तो प्रारम्भ कार्यों की पूर्णता हेतु कितना आवंटन उल्लेखित अवधि के दौरान जिले को उपलब्ध कराया गया है?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) वांछित जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत कार्यवार राशि आवंटन का प्रावधान नहीं होने से प्रश्नांकित अवधि में उत्तरांश (क) के कार्यों हेतु जिले को कोई आवंटन नहीं किया गया है। (ग) जी नहीं, वित्तीय वर्ष 2017-18 में 23 जनवरी से भारत सरकार से आवंटन प्राप्त नहीं होने के कारण सामग्री मद में भुगतान लंबित है। इसी प्रकार मजदूरी मद में दिनांक 23.02.2018 से आवंटन उपलब्ध नहीं है। उत्तरांश (ख) के परिप्रेक्ष्य में शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैंने जो प्रश्न पूछा था तो उसमें माननीय मंत्री जी का जो उत्तर आया है, मैं उससे संतुष्ट हूँ लेकिन 'ग' का जो उत्तर आया है, मैं उससे असंतुष्ट हूँ. इसमें बताया गया है कि जो मनरेगा की मजदूरी लंबित है, वह भारत सरकार से दिनांक 23 जनवरी के बाद कोई भी फण्ड नहीं आने के कारण लंबित है, लेकिन सामग्री मद में भुगतान लंबित है. इसी प्रकार मजदूरी मद में दिनांक 23/02/2018 से आवंटन उपलब्ध नहीं है. लेकिन मैं कहना चाहूँगा कि मेरी जानकारी के अनुसार पूरे प्रदेश में 3 लाख मजदूरों की मजदूरी एफटीओ के माध्यम से, जो पोस्ट ऑफिस के माध्यम से दी जाती है, वह लंबित है. इसी प्रकार हमारे दमोह जिले में 1,000 एफटीओ की 24,000 मजदूरों की मजदूरी अभी भी बकाया है. हमारे विधानसभा क्षेत्र में जो हमने जानकारी मांगी थी, उसमें भी सबसे ज्यादा 9,800 मजदूरों की मजदूरी बकाया है. जबकि माननीय मंत्री जी ने बताया है कि दिनांक-23.02.2018 से आवंटन उपलब्ध नहीं है. लेकिन मैं जो आंकड़े बता रहा हूं यह दिनांक- 23.02.2018 के पहले के आंकड़े हैं, जिसमें इन लोगों की इतनी मजदूरी बकाया है. मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि इनकी मजदूरी कब भुगतान होगी ?
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय सदस्य जानते हैं कि यह मांग आधारित योजना है. इस योजना में जिस-जिस प्रकार की मांग ग्राम पंचायतों के द्वारा की जाती है, उसके आधार पर काम स्वीकृत होते हैं और वह काम करवाते हैं. यह बात सही है कि अभी लगभग 15 दिन से जबेरा और तेंदुखेड़ा विकासखंड में कुछ मजदूरों को मजदूरी नहीं मिली है, क्योंकि अभी भारत सरकार का बजट प्रस्तुत हुआ है, जैसे ही बजट पारित हो जायेगा और किश्त मिल जायेगी तो हम जल्दी से जल्दी मजदूरी का भुगतान कर देंगे इसमें एक दिन का भी विलंब नहीं होगा. इस प्रकार चूंकि यह राशि हमें भारत सरकार से ही प्राप्त होती है, इस कारण से मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है. बाकी संपूर्ण राज्य में किसी भी प्रकार की मजदूरी का बहुत लंबे से कोई भी भुगतान प्रतीक्षित नहीं है.
श्री प्रताप सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सिर्फ यही कहना है कि आपके अधिकारियों ने जो आपके लिये यहां उत्तर उपलब्ध करवाया है, उसमें दिनांक-23.02.2018 के बाद कोई भी मजदूरी लंबित नहीं हैं, जबकि हमारे यहां दिनांक- 23.02.2018 के पहले से 10 हजार लोगों की मजदूरी अभी भी लंबित है. मैं इसके बारे में माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसका बकायदा एफ.टी.ओ. भी होता है और इसमें रोजाना का जो काम होता है उसकी फीडिंग और एम.आई.एस. भी होता है, जिसकी जानकारी राज्य और भारत सरकार तक जाती है. हमारे रिकार्ड के अनुसार मजदूरी नहीं मिली हो ऐसा दर्शित नहीं है, फिर भी हम इस संबंध में देख लेंगे और यदि जैसा आप बता रहा हैं कि दस हजार लोगों को मजदूरी नहीं मिली है, तो हम इस संबंध में जानकारी प्राप्त करके शीघ्र भुगतान करवा देंगे.
श्री प्रताप सिंह - धन्यवाद.
रेत का अवैध भण्डारण/निकासी
[खनिज साधन]
7. ( *क्र. 947 ) श्री गिरीश गौतम : क्या खनिज साधन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा जिले के थाना लौर तहसील मऊगंज अंतर्गत रेत भण्डारण का लायसेंस कितने लोगों को दिया गया है? उनके नाम, पता सहित बतावें कि कितनी क्षमता के भण्डारण का लायसेंस किस तारीख को दिया गया है? (ख) यदि रेत भण्डारण का लायसेंस दिया गया है, तो लायसेंस की शर्तों का पालन किया जा रहा है या नहीं, इसकी जाँच कब-कब, किस-किस अधिकारी ने की है? (ग) क्या देवतालाब रेत के स्टाक को उत्तर प्रदेश के निवासी के लिए भी लायसेंस/परमिट दिया गया? यदि हाँ, तो कब-कब? उ.प्र. के लिए रेत का परिवहन कितने ट्रकों से किया गया? उसकी सूची विवरण के साथ देवें। यदि रेत निकासी का लायसेंस/परमिट नहीं दिया गया, तो प्रतिदिन सैकड़ों की तादाद में ट्रकों से रेत परिवहन किया जाकर शासन के राजस्व का नुकसान पहुँचाए जाने के लिए कौन-कौन अधिकारी जिम्मेवार हैं एवं उनके विरूद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी और रेत की अवैध निकासी को रोके जाने के लिए क्या कार्यवाही की जायेगी?
खनिज साधन मंत्री ( श्री राजेन्द्र शुक्ल ) : (क) प्रश्नानुसार जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी हाँ। शर्तों का पालन किया जा रहा है। भण्डारण स्थलों की जाँच समय-समय पर खनि निरीक्षक द्वारा की जाती है। (ग) जी नहीं। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। प्रश्नाधीन क्षेत्र की जाँच के दौरान यह पाया गया कि रेत का परिवहन समीपस्थ जिलों में स्वीकृत रेत खदानों/व्यापारिक अनुज्ञप्तियों के अभिवहन पार-पत्रों के माध्यम से किया जाता है। प्रश्नाधीन क्षेत्र में खनिजों के अवैध भण्डारण तथा अवैध परिवहन के प्रकरण प्रकाश में आने पर इन्हें पंजीबद्ध कर राशि रूपये 2,93,500/- का अर्थदण्ड वसूल किया गया है। अत: शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। खनिजों के अवैध परिवहन की जाँच किया जाना सतत् प्रक्रिया है, जिसके अधीन प्रकरण प्रकाश में आने पर नियमानुसार कार्यवाही की जाती है।
श्री गिरीश गौतम - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह था कि रेत के बारे में सरकार ने काफी चिंता की है कि लोगों को रेत मिले क्योंकि रेत के रेट महंगे होने से घर बनाना मुश्किल हो गया है. मेरा अपने विधानसभा क्षेत्र से मतलब था और इसके संबंध में मैंने प्रश्न ''ख'' में यह पूछा था कि किन-किन अधिकारियों ने जांच की तो उसका जवाब आया है कि निरीक्षक द्वारा समय-समय पर जांच की जाती है. जबकि मैंने पूछा था कि किस-किस अधिकारी ने कौन-कौन सी तारीख में जांच की है, लेकिन इसके संबंध में जवाब नहीं आया है. विभाग के अधिकारियों ने हमारे मंत्री जी को गलत तथ्यों के आधार पर जवाब दिलवाया है. दूसरा इसी में अतंर्विरोध का उत्तर है जिसमें यह जवाब आया है कि रेत परिवहन समीपस्थ जिलों में स्वीकृत रेत खदानों/व्यापारिक अनुज्ञप्तियों के अभिवहन पार-पत्रों के माध्यम से किया जाता है. यदि परमिट से आया है तो फिर इसी के जवाब में लिखा हुआ है कि प्रश्नाधीन क्षेत्र में खनिजों के अवैध भण्डारण तथा अवैध परिवहन के प्रकरण प्रकाश में आने पर इन्हें पंजीबद्ध कर राशि रूपये 293500/- रूपये की वसूली की गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब इसके संबंध में कबीरदास की सूक्ति है जिसमें उन्होंने कहा है कि - ''तुम कहते कागज की लेखी और मैं कहता आंखन की देखी'' तो मैं कैसे संतुष्ट हो जाउं ''तेरा मेरा मनवा कैसे एक होय रे'' सवाल यह है कि मैं जब उस क्षेत्र से निकलता हूं तो सैकड़ों की तादाद में ट्रक जेसीबी से लदकर निकलते हुये देखता हूं. एक तो यह जवाब आ जाये कि यह परिवहन के भण्डारण का जुर्माना है या ट्रकों से परिवहन का है. इस प्रकार की भी जानकारी मिल जाये कि 293500/- का जो जुर्माना किया गया और इसमें 10-12 ट्रक पकड़े गये और 12 ट्रकों का जुर्माना, परिवहन
का भी जुर्माना है या किस प्रकार का जुर्माना है?
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा आग्रह यह है कि लोगों को सस्ती रेत मिले उसका तरीका यह है कि जिले के भीतर ज्यादा रेत उपलब्धता हो. उत्तरप्रदेश में पूरी तरह से प्रतिबंध होने के कारण सैकड़ों की तादाद प्रतिदिन ट्रक लादकर निकल जाते हैं, इसके कारण से हमको रेत 40 हजार रूपये,45 हजार रूपये, 50 हजार रूपये प्रति डम्पर मिल रहा है. क्या माननीय मंत्री जी इसमें ऐसी व्यवस्था करेंगे कि हमारे क्षेत्र से ही सड़क उत्तरप्रदेश को जाती है इसलिए वहां पर कोई चैकिंग का प्रावधान करेंगे, जिससे यह अवैध रूप से रेत का परिवहन न हो? क्योंकि मैं यह कहना चाहता हूं कि जिन ट्रकों को पकड़ा है वह सब अवैध थे. यदि वह अवैध नहीं तो जुर्माना ही क्यों होता. मतलब अवैध तरीके से रेत की निकासी हो रही है. क्या माननीय मंत्री जी उनकी जांच कराकर उस पर कार्यवाही करेंगे ? जिससे सरकार को भी फायदा और लोगों को सस्ते रेट पर रेत मिले.
श्री राजेन्द्र शुक्ल – माननीय अध्यक्ष महोदय, एम.पी. एवं यू.पी. की सीमा में जहां तक चेकिंग का सवाल है तो इन्टर स्टेट चेकिंग बेरियर्स लगे हुए हैं, जहां पर सारे टैक्सेस एवं रायल्टी जमा करके कोई ट्रक जब दस्तावेज दिखाता है, उसके बाद ही उसकी निकासी संभव हो पाती है. दूसरा माननीय सदस्य ने जो पूछा है, 2 लाख 93 हजार का जो अर्थदंड वसूल किया गया है इसमें 56 हजार रूपए तो अवैध भंडारण का है, हालांकि दो महीने पहले भंडारण का आवेदन लगाया गया है, लेकिन कुछ एनओसी नहीं मिलने के कारण भंडारण का लायसेंस नहीं मिल सका था और वहां पर रेत कुछ पाई गई थी, जिस पर पेनाल्टी लगाई गई है और 56 हजार रूपए अवैध भंडारण के कारण उस रेत पर बाजार के रेट से 10 गुणा जुर्माना लगाया गया है. शहडोल और सीधी से जो रेत आती है और रीवा होते हुए यू.पी. जाती है चूंकि दूसरे राज्यों में रेत भेजने में कहीं कोई प्रतिबंध नहीं है और हमारे यहां पर सरप्लस रेत रहती है और उस आधार पर यदि सरकार के खजाने में कोई ज्यादा राशि जमा करके रेत निकालता है तो यूपी ले जा सकता है, तो उस ट्रांसपोर्टेशन के दौरान जो चेकिंग होती है उस चेकिंग में यदि बिना पास के कोई ट्रक पकड़ा जाता है तो उस पर पेनाल्टी लगती है और वह पेनाल्टी लगभग 2 लाख 93 हजार रूपए लगाई गई है.
श्री गिरीश गौतम – माननीय अध्यक्ष जी, भारत सरकार का इसी संबंध में एक आदेश भी है, उस आदेश में यह है कि आपके बिना परमिट के यदि कोई ट्रक अवैध परिवहन करते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ पुलिस में चोरी का भी मामला कायम होता है, क्योंकि इसमें रेवेन्यु, माइनिंग और पुलिस विभाग शामिल होते हैं, तो क्या जिन ट्रकों को पकड़ा गया उनके खिलाफ उस आदेश के परिप्रेक्ष्य में 379 का चोरी का मुकदमा भी कायम किया जाएगा.
श्री राजेन्द्र शुक्ल – माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को उससे भी आगे बढ़कर यह सूचना देना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी के निर्देश में हम लोगों ने राजसात करने का नियम बना दिया है. यदि कोई गाड़ी अवैध रेत लेकर कहीं पकड़ी जाती है तो सिर्फ रेत जप्त नहीं होगी, बल्कि पूरी की पूरी गाड़ी राजसात हो जाएगी, यह बहुत ही कड़ा नियम है. चूंकि यह मामला बहुत पुराना है उसके बाद नये नियम आने के बाद अभी कोई गाड़ी बिना पिटपास के अभी पकड़ी नहीं गई है, लेकिन अभी तक पूरे मध्यप्रदेश में आप देखेंगे तो बड़ी संख्या में गाडि़यां और ट्रेक्टर और जेसीबी राजसात की गई है.
श्री गिरीश गौतम – अध्यक्ष जी, एक निर्देश आप कर दें मेरे क्षेत्र से ही गाड़ी जाती है वहां उत्तरप्रदेश बार्डर पर चैक नहीं करवाइए, हमारे नईगढ़ी थाने के पास से जो सड़क इलाहबाद जाती है एक बार बिना बताए आप वहां पर चैकिंग करवा दीजिए 4-6 दिन के लिए बहुत सारे ट्रक मिल जाएंगे, माननीय अध्यक्ष जी इतना आदेश हो जाए.
श्री राजेन्द्र शुक्ल – अध्यक्ष महोदय, ठीक है जैसी माननीय सदस्य की इच्छा है उस प्रकार से कार्य हो जाएगा.
श्री गिरीश गौतम – अध्यक्ष जी, धन्यवाद.
प्रधानमंत्री आवास योजना का क्रियान्वयन
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
8. ( *क्र. 2427 ) श्री हरदीप सिंह डंग : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत् ग्रामों में आवास किश्त देने के क्या नियम हैं एवं कितने कार्य के लिए कितनी राशि जारी की जाती है? (ख) सुवासरा विधानसभा क्षेत्र में ग्राम पंचायतों के अन्तर्गत ऐसे कितने व्यक्ति हैं, जिन्हें प्रथम किश्त का कार्य पूर्ण होने के बाद दूसरी किश्त एवं दूसरी किश्त का कार्य पूर्ण होने के बाद तीसरी किश्त प्राप्त नहीं हुई है? व्यक्ति के नाम, ग्राम एवं पंचायत के नाम सहित जानकारी देवें। (ग) ऐसे कितने व्यक्ति हैं, जिन्हें माह दिसम्बर 2017 में प्रथम किश्त जारी की गई थी, उसके बाद द्वितीय किश्त जारी नहीं की गई तथा द्वितीय के बाद तृतीय किश्त प्रश्न दिनांक तक जारी नहीं की गई? (घ) जिन व्यक्तियों द्वारा ठण्ड के मौसम में मकान तोड़कर आवास निर्माण करवाया जा रहा है, उन व्यक्तियों को ठण्ड से बचाने हेतु शासन द्वारा क्या-क्या सुविधाएं प्रदान की गईं?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के अन्तर्गत आवास निर्माण हेतु हितग्राही को वर्तमान में 4 किश्तों में राशि प्रदाय की जाती है। आवास स्वीकृति उपरांत प्रथम किश्त रू. 40,000/- कुर्सी स्तर तक का कार्य पूर्ण होने पर, द्वितीय किश्त रू. 40,000/- छत स्तर तक कार्य पूर्ण होने पर, तृतीय किश्त रू. 25,000/- तथा आवास निर्माण का कार्य पूर्ण होने के पश्चात् रू. 15,000/- की राशि एफ.टी.ओ. के माध्यम से हितग्राही के खाते में हस्तांतरित की जाती है। किश्त का भुगतान आवास निर्माण की निर्धारित प्रगति का जियोटैंग फोटो आवास सॉफ्ट पर अपलोड होने के उपरांत ही देय होती है। (ख) निरंक। निर्धारित कार्य पूर्ण करने पर जियोटैंग करते हुए सभी को समय से राशि जारी की गई। (ग) माह दिसम्बर 2017 में किसी भी हितग्राही को प्रथम किश्त जारी नहीं की गई है। (घ) हितग्राही द्वारा स्वमेव अस्थाई व्यवस्था की गई है।
श्री हरदीप सिंह डंग – माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा प्रधानमंत्री आवास के मामले में 3 प्रश्न आज लगाए गए थे और तीनों के जो उत्तर आए हैं, उसमें आठवें नंबर आज तारांकित में है और दो अतारांकित में है 145 और 153 पर. मेरा प्रश्न है कि हितग्राही को जो किश्तें दी जाती है 40-49 हजार, 25 हजार और 15 हजार के बारे में जो जानकारी दी गई है जहां तक ग्रामीण क्षेत्र में जो अधिकारी द्वारा बताया गया है कि 70 और 80 प्रतिशत तक जो लक्ष्य दिया गया है जैसे 100 आवास है तो उसमें से जब तक 70 लोग मकान नहीं बना लेते जब तक दूसरी किश्त जारी नहीं की जाएगी और जो प्रथम किश्त लेकर जिन्होंने मकान बना लिया और ठंड में तीन तीन महीने बाहर बैठे रहे क्योंकि उन्हें दूसरी किश्त इसलिए नहीं दी गई कि जब 70 प्रतिशत मकान बनेंगे तब ही दूसरी किश्त जारी की जाएगी, तो यह जो जानकारी मुझे दी गई है, इसके बारे में स्पष्ट जानकारी मेरे पास नहीं आई है.
श्री गोपाल भार्गव – माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जैसा कहा है यह सत्य नहीं है. सदस्य स्वयं कह रहे हैं कि पहली एवं दूसरी किश्त 40 हजार रूपए, तृतीय किश्त 25 हजार और अंतिम किश्त 15 हजार रूपए है. अध्यक्ष महोदय, हमारे मध्यप्रदेश में जैसी पारदर्शी व्यवस्था है वैसी व्यवस्था शायद देश में कहीं नहीं है, सुचारू रूप से पूरा काम और हमारा लक्ष्य पूरा हो जाए, राज्य में हम लोगों ने ऐसी व्यवस्था प्रचलित की है. प्लिंथ मतलब नींव के लिए हम 40 हजार रूपए देते हैं, जैसे ही प्लिंथ तैयार हो जाती है उसके बाद हम 40 हजार रूपए की दूसरी किश्त देते हैं.
अध्यक्ष महोदय – सदस्य का प्रश्न यह नहीं है, सदस्य का कहना यह है कि प्रथम किश्त दे दी लेकिन अगली किश्त इस आधार पर रोकी जा रही है कि दूसरे लोग मकान नहीं बना रहे हैं तो आपको भी अगली किश्त नहीं दी जाएगी, सदस्य का यह प्रश्न है.
श्री गोपाल भार्गव-- मतलब दूसरे लोग नहीं बना रहे हैं !!
अध्यक्ष महोदय- 70 प्रतिशत तक जब लोग बना लेंगे तो ही दूसरी किश्त जारी होगी, ऐसा सदस्य का कहना है.
श्री हरदीप सिंह डंग --कोई व्यक्ति लक्ष्य के 70 या 80 प्रतिशत तक प्रधानमंत्री आवास का काम चालू नहीं कर देते तब तक दूसरी किश्त नहीं दी जायेगी.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, यह सदस्य का प्रश्न है . क्या ऐसा कोई नियम है कि सबको ही एक साथ बनाना पड़ेगा.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, ऐसा कोई नियम नहीं है. आप तो बनाते जायें और हम क्रमश: उसकी किश्त देते जायेंगे.इंडीविजुवली.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी का कहना है कि इंडीविजुवली. ऐसा कोई ग्रुप नहीं है. अब आप पूछें.
श्री हरदीप सिंह डंग --अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि नगरीय क्षेत्र में नगर पंचायत में तो आदेश दे दिया गया है कि जब तक लक्ष्य का 70 प्रतिशत तक व्यक्ति काम नहीं कर लेंगे तब तक द्वितीय किश्त नहीं दी जायेगी. यही ग्रामीण क्षेत्र में हो रहा है वहां के सीईओ और अन्य अधिकारियों का कहना है कि जब तक सब नहीं बना लेते हैं 70 प्रतिशत तब तक हम दूसरी और तीसरी किश्त नहीं देंगे, ऐसा क्षेत्र में हो रहा है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष जी, ऐसा बिल्कुल भी सही नहीं है. 6 लाख आवास बन गये है. मध्यप्रदेश में हम हिन्दुस्तान में अव्वल नंबर पर हैं. यदि ऐसा होता तो हमारा एचीवमेंट कैसे संभव होता. आप लिखकर के दे दें हो सकता है कि कहीं कोई कन्फ्यूजन हो. यदि आपके क्षेत्र में ऐसा हो रहा है, आपकी विधानसभा क्षेत्र के आजू बाजू में ऐसा हो रहा है , पूरे जिले की हम जानकारी ले लेंगे और विधिवत जितना स्पष्टीकरण हो सकता है वह भी निकाल लेंगे इसके बाद भी यदि कोई अधिकारी शासन की बात को नहीं मान्य करेगा तो हम कार्यवाही करेंगे.
अध्यक्ष महोदय-- ठीक है.
श्री रामनिवास रावत- अध्यक्ष महोदय, जिलों में ऐसा हो रहा है. लक्ष्य को पाने के लिये अधिकारी मौखिक रूप से निर्देश देकर के रोक लगा देते हैं तो ऐसी स्थिति नहीं बननी चाहिये. जिस व्यक्ति ने काम कर लिया उसको किश्त जारी करें.यह दर्द है.
श्री गोपाल भार्गव-- रावत जी ऐसा ही है. जैसा आप कह रहे है ऐसा ही है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी बहुत अच्छी तरह से विभाग को चला रहे है लेकिन विधायक जी की जानकारी भी सत्य है. हमारे क्षेत्र में भी ऐसा हो रहा है. उपाध्यक्ष महोदय के क्षेत्र में भी दूसरी किश्त मुश्किल से जारी कर रहे हैं. मकान आधे अधूरे पड़े हैं, अंदर से कुछ नहीं है, बाहर बोर्ड लगा दिया कि प्रधान मंत्री आवास. इसकी भी आप जिला स्तर पर जांच करा लें.
श्री गोपाल भार्गव- माननीय नेता प्रतिपक्ष जैसा कह रहे हैं, आज वह बता दें कि कहां कहां पर ऐसा हो रहा है हम आज ही अधिकारी को भेजकर के जांच करा लेगे.
अध्यक्ष महोदय- हरदीप सिंह जी के यहां की आप जांच करा लें और यदि पेमेंट नहीं हो रहे हैं तो पेमेंट करायें.
श्री गोपाल भार्गव-- प्रश्न ही पैदा नहीं होता है.
अध्यक्ष महोदय- डंग जी आप आज ही मंत्री जी को लिखित मे जानकारी दीजिये.
श्री हरदीप सिंह डंग --अध्यक्ष महोदय, आज भी शौचालय और मनरेगा की राशि हमारे यहां नहीं पहुंची है.
श्री गोपाल भार्गव-- नहीं, शौचालय और मनरेगा कि विषय अलग है. जहां तक यह प्रश्न है कि 70 प्रतिशत ..
श्री अजय सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय ने अमरपाटन विधानसभा क्षेत्र के ग्राम गौरा के मामले में फोटो सहित प्रकरण आपको दिया कि नहीं दिया.
श्री गोपाल भार्गव -- दी होगी तो मैं दिखवा लूंगा.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी बैठ जायें, प्रश्न हो गया.
श्री हरदीप सिंह डंग --अभी मेरा प्रश्न बाकी है साहब.
अध्यक्ष महोदय- आपके प्रश्न का निराकरण हो गया है.
श्री हरदीप सिंह डंग -- बाकी है . अभी तक शौचालय के और मनरेगा की मजदूरी की राशि उन पंचायतों में नहीं पहुंचे हैं जिसके कारण परेशानी है. प्रधान मंत्री आवास पर 1 लाख 50 हजार रूपये लिखे जा रहे हैं जबकि 1 लाख 47 हजार रूपये उनको दिये जा रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय प्रधान मंत्री आवास योजना के अंतर्गत बने मकानों में प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्री का नाम किन नियमों के तहत लिखवाया जा रहा है. बतायें.
अध्यक्ष महोदय- आपस में बहस नहीं. प्रश्न का उत्तर आने दें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री जी का जबरिया गरीबों के मकानों पर नाम लिखा जा रहा है. किस नियम के तहत.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी श्री डंग जी के प्रश्न का उत्तर दें. तिवारी जी आप बैठ जायें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- नाम क्यों लिखे जा रहे हैं. यह बतायें.
अध्यक्ष महोदय-तिवारी जी आप बैठ जायें. दूसरे के प्रश्न पर डिस्टर्ब कर रहे हैं आपको किसी ने डिस्टर्ब किया था क्या . तिवारी जी का कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री गोपाल भार्गव- अध्यक्ष महोदय, आसंदी से जो व्यवस्था हुई है. उसके हिसाब से मैं प्रश्न का उत्तर दे रहा हूं.
श्री हरदीप सिंह डंग --अध्यक्ष महोदय 15 ऐसे बड़े बड़े गांव हैं जिसमें एक भी प्रधान मंत्री आवास नहीं आया है.
अध्यक्ष महोदय- यह प्रश्न नहीं है.
श्री हरदीप सिंह डंग --मंत्री जी, एक और प्रश्न है कि जो अंग्रेजी में सूची जारी की गई है उसको हिन्दी मे जारी करे.
अध्यक्ष महोदय- मैंने कहा कि यह प्रश्न उद्भुद नहीं हो रहा है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, मैं डंग जी के एक एक प्रश्न का उत्तर दे रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय- अब नहीं, प्रश्न क्रमांक 9
श्री हरदीप सिंह डंग -- मेरे प्रश्न का उत्तर तो दिलायें.
अध्यक्ष महोदय- नहीं, आपका प्रश्न उद्भुद नहीं हो रहा है.
श्री हरदीप सिंह डंग -- मेरे प्रश्न का उत्तर तो दिला दें.
अध्यक्ष महोदय-- अब कोई उत्तर नहीं आयेगा. अब आगे बढ़ गये. ...(व्यवधान)..
श्री हरदीप सिंह डंग-- अध्यक्ष जी, कम से कम मेरा उत्तर तो दिलायें. ...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आ गया उत्तर. उससे उद्भूत नहीं हो रहा. ...(व्यवधान)...
श्री हरदीप सिंह डंग-- मैंने सिर्फ एक ही प्रश्न किया है. ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- उससे उद्भूत नहीं हो रहा है. प्रश्न क्रमांक 9 पूछिये आप. ...व्यवधान... कहां लिखा है प्रश्न में.
श्री हरदीप सिंह डंग-- लिखा है इसमें ...व्यवधान... मंत्री जी उत्तर दे रहे हैं. उत्तर तो दिला दें कम से कम. ...व्यवधान...
अध्यक्ष महोदय-- अब सिर्फ गोविंद सिंह जी का लिखा जायेगा.
श्री हरदीप सिंह डंग-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- डंग जी का कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री हरदीप सिंह डंग-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- मैं अनुमति नहीं दे रहा हूं. श्री गोविंद सिंह पटेल. ...व्यवधान...
विभागांतर्गत संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन
[सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण]
9. ( *क्र. 2163 ) श्री गोविन्द सिंह पटेल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) विभाग द्वारा जनता के कल्याण के लिए कौन-कौन सी योजनाएं संचालित की जा रही हैं? योजनाओं के नाम सहित विवरण दें। (ख) विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की चयन प्रक्रिया एवं पात्रता क्या होती है तथा आवेदन करने की प्रक्रिया क्या होती है? (ग) चयन प्रक्रिया में कौन-कौन अधिकारी, कर्मचारी सदस्य होते हैं? पदवार/कार्यानुसार स्पष्ट विवरण देवें। (घ) नरसिंहपुर जिले में विभिन्न प्रकार की पेंशनों में किस-किस प्रकार के हितग्राहियों को पेंशन दी जाती है?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) विभाग द्वारा 21 योजनाएं संचालित हैं। योजनाओं का विवरण पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''दो'' अनुसार है। (घ) पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''एक'' अनुसार जिले में पात्रता मापदण्ड के अनुसार हितग्राही को पेंशन दी जाती है।
श्री गोविंद सिंह पटेल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सामाजिक न्याय विभाग द्वारा बहुत सी योजनायें चल रही हैं और जनहितैषी हैं, उनके लिये मैं पंचायत मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. एक राष्ट्रीय परिवार सहायता योजना है इसमें पात्रता है कि ऐसे गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाला 18 से 60 वर्ष का व्यक्ति जो परिवार का मुख्य कमाऊ सदस्य है उसकी मौत के बाद 20 हजार रूपये आश्रित को दिये जाते हैं, लेकिन इसमें कमाऊ गरीब परिवार में महिला और पुरूष दोनों होते हैं, लेकिन इसमें सिर्फ पुरूष की मृत्यु होने पर परिवार सहायता की राशि दी जाती है. मैं मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं कि गरीब परिवार में महिला भी कमाऊ सदस्य होती हैं तो महिला की मृत्यु के बाद क्या परिवार सहायता की राशि दी जायेगी.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, यदि रिकार्ड में यह होगा कि वह महिला परिवार का पालन पोषण करती थी और उसकी मृत्यु हो गई, उस कारण से परिवार असहाय हो गया है तो राशि दी जायेगी.
श्री गोविंद सिंह पटेल-- मंत्री महोदय, मैं चाहता हूं कि आदेश हो जाये, अधिकांश सभी परिवारों में महिला भी कमाऊ सदस्य होती है. उसकी मृत्यु पर भी परिवार सहायता की राशि मिलना चाहिये.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, इसका बहुत व्यापक है, मैंने तो यह तक व्यवस्था कर दी है कि उस परिवार में यदि कोई लड़के हैं, कभी-कभी यह होता है कि पिता का नाम जुड़ा होता है और परिवार का वही मुखिया माना जाता है, जबकि पिता की आयु होती है 58 साल, 60 साल, 65 साल यह होती है, उसके लड़के होते हैं 40 साल के, लड़के की शादी भी हो गई होती है, 35 साल के होते हैं, 30 साल के होते हैं तो बेटे जो शादीशुदा है यदि उनकी मृत्यु होती है तो उनके लिये भी हमने 20 हजार रूपये की सहायता के निर्देश जारी कर दिये हैं और वह दिये भी जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- उसकी कापी दे देंगे उनको, वह कह रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत-- निर्देशों की कापी सभी विधायकों को दिलवा दें.
श्री गोविंद सिंह पटेल-- अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा प्रश्न है एक मुख्यमंत्री निकाह योजना के अंतर्गत हम जो राशि देते हैं वह सम्मेलन में जो विवाह होते हैं उनमें देते हैं. हमारे प्रदेश में और पूरे देश में वैदिक पद्धति से विवाह होते हैं तो अलग-अलग समय अलग-अलग लोगों के विवाह होते हैं और सम्मेलन के बाद ही वह राशि मिलती है. सम्मेलन में कभी-कभी कोई परिवार नहीं जाना चाहता क्योंकि उसको एक वैदिक पद्धति के द्वारा पंडित लोग कहते हैं कि आपकी शादी नहीं बन रही है इसलिये कई लोग वंचित रह जाते हैं. मेरा कहना है कि जो पात्रता रखते हैं, जो गरीब परिवार हैं, बीपीएल कार्डधारी हैं, वैसे उसमें बंधन नहीं है. गरीब परिवार के लोगों की घर से भी शादी होती है तो भी मुख्यमंत्री विवाह सहायता की राशि मिलना चाहिये. मंत्री महोदय, क्या ऐसा आदेश पारित करेंगे ?
श्री गोपाल भार्गव-- हमारी यह जो कन्यादान योजना है यह सिर्फ कन्यादान के लिये नहीं, शादी के लिये बल्कि उसको शादी शब्द देकर हम उसका अवमूल्यन करेंगे. यह सामाजिक समरसता के क्षेत्र में सबसे बड़ा यज्ञ है और इस कारण से हम लोग समूहों में, सभी समाजों के, सभी जातियों के लोग एकत्रित होकर इसे कन्यादान समारोह के लिये आयोजित करते हैं, इसका नामकरण कुछ भी करें, मुख्यमंत्री कन्यादान या कुछ भी. अध्यक्ष महोदय, इस कारण से व्यक्तिगत रूप से यदि हम इसको देंगे तो वह भाव नहीं रहेगा जो सामूहिक रूप से शादियों का होता है और इससे सामाजिक समरसता का भाव खत्म होता है इस कारण से इस योजना के लिये इसी तरह से जैसा अभी प्रचलन में है इसी तरह से चलाया जाये.
श्री शंकरलाल तिवारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बात मैं इसमें कहना चाहता हूं, मजदूरों को मजदूरी के कार्ड में यदि घर में शादी करो तो 25 हजार रूपये मिलता है, अगर इस ढंग का करें जिसा विधायक जी ने चाहा है तो यह उचित होगा.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, वह श्रम विभाग की योजना है, वह अलग है.
श्री गोविंद सिंह पटेल-- वह मजदूर सुरक्षा के तहत मिलता है, अगर इसके तहत भी मिलने लगे तो कोई वंचित न रहे. मेरा तीसरा प्रश्न यह कि आपके सामाजिक न्याय विभाग द्वारा बहुत सी योजनाएं चलाई जा रही हैं उसके लिये धन्यवाद. आपका पंचायत सचिव होता है, रोजगार सहायक होता है, सरपंच होता है. हम जनप्रतिनिधि जब गांव में पहुंचते हैं तो पता चलता है कि कई लोग जो पेंशन के पात्र हैं वे वंचित होते हैं. उनकी ड्यूटी नहीं बनती है कि इतनी योजनाएं चल रही हैं अगर कोई भी व्यक्ति जानकारी के अभाव में यदि आवेदन नहीं कर पाता है तो आपका पंचायत सचिव अथवा रोजगार सहायक जो पात्र लोग हैं उनको उन योजनाओं का लाभ दिलाएं. गांव में जनप्रतिनिधि अथवा अधिकारी पहुंचते हैं तो कोई पात्र व्यक्ति वहां पर खड़ा न हो उनके लिये आप आदेशित करें. उनको योजना का लाभ अपनी तरफ से भी दिलाएं.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार ने तय किया है कि जहां पर सूखा है. सूखाग्रस्त किसानों के लिये उनको उनके घर पर ही 25 हजार रूपये की राशि दी जाएगी. यह पिछले वर्ष भी था, इस वर्ष में यही नियम हमने लागू करके रखा है. दूसरी बात जैसा माननीय सदस्य ने कहा कि कुछ लोग अभी भी वंचित हैं, जो नहीं जा पाते हैं अथवा दफ्तरों में एप्रोच नहीं कर पाते हैं उनके घरों पर हमारे ग्राम पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक, या अन्य कर्मचारी हैं वे उनको चिन्हित करके उनको पेंशन की पात्रता होती है अथवा जो पात्र हैं उनको पेंशन दी जानी चाहिये. इसके लिये हम लगातार अंत्योदय मेले भी लगाते हैं उस पर अभियान भी चलाते हैं. उसमें विभिन्न कार्यक्रम लोक सेवा गारंटी जो हमारी योजना है इसके अंतर्गत भी काम होते हैं. इसके बावजूद भी अगर कोई शेष हों तो देख लेंगे. इस मामले में एक बात और कहना चाहता हूं कि यह हम सभी की जिम्मेवारी है कि हम लोग ग्रामों,बस्तियों में भ्रमण करते हैं तो उसमें हम लोग भी पात्र लोगों को चिन्हित कर उनको यथास्थान पहुंचायें तथा उनका मार्गदर्शन करें तो यह समस्या शून्य पर आ जायेगी.
प्रश्न संख्या 10 (अनुपस्थित)
नगरीय निकायों में भूमि का आवंटन
[नगरीय विकास एवं आवास]
11. ( *क्र. 1444 ) श्री मुरलीधर पाटीदार : क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) नगरीय निकायों द्वारा दुकान निर्माण हेतु निर्माण से पूर्व नजूल अधिकारी से अनापत्ति लेकर एवं निर्धारित प्रब्याजी एवं भू-भाटक शासन मद में जमा करे बिना ही निर्माण कार्य करने संबंधी विगत 03 वर्षों में आगर एवं शाजापुर जिला अंतर्गत कितनी शिकायतें प्राप्त हुई हैं एवं क्या कार्यवाही की गई? शिकायतवार पूर्ण विवरण देवें। (ख) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्रमांक 3608, दिनांक 26 जुलाई, 2016 के उत्तरांश (ख) में नगर परिषद् नलखेड़ा द्वारा अपने पक्ष में भूमि आवंटन कराए बिना ही निर्माण कार्य कराया जाना बताया गया हैं एवं उत्तरांश (घ) अनुसार परीक्षण उपरांत शीघ्र कार्यवाही किया जाना बताया था? इसके उपरांत क्या कार्यवाही की गई? पूर्ण विवरण देवें। (ग) उज्जैन संभाग अंतर्गत विगत 03 वर्षों में प्रश्नांश (ख) में उल्लेखित अनुसार क्या कोई प्रकरण संज्ञान में आए हैं? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की गई? (घ) विधानसभा क्षेत्र सुसनेर अंतर्गत विगत 03 वर्षों में नजूल अधिकारी की अनापत्ति के आधार पर कौन-कौन सी भूमि का आवंटन किया गया है? सर्वे नम्बर वार पूर्ण जानकारी देवें। क्या इसके विपरीत भूमि आवंटन के कोई तथ्य संज्ञान में आए हैं? यदि हाँ, तो क्या कार्यवाही की गई? यदि नहीं, तो क्या इसकी समीक्षा की जाकर उचित कार्यवाही की जावेगी?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ( श्रीमती माया सिंह ) : (क) नगरीय निकायों द्वारा दुकान निर्माण से पूर्व नजूल अधिकारी से अनापत्ति प्रमाण पत्र एवं निर्धारित प्रब्याजी एवं भू-भाटक शासन मद में जमा किये बिना निर्माण कार्य करने संबंधी विगत् 03 वर्षों में आगर एवं शाजापुर जिला अन्तर्गत कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है, परन्तु विधानसभा अता. प्रश्न क्रमांक 3608, जुलाई 2016 के परिप्रेक्ष्य में नगर परिषद् नलखेड़ा में निर्मित दुकानों के संबंध में कार्यालय कलेक्टर जिला आगर में जाँच संबंधी कार्यवाही प्रचलन में है। (ख) कार्यालय कलेक्टर जिला आगर में नगर परिषद् नलखेड़ा में निर्मित दुकानों के संबंध में जाँच संबंधी कार्यवाही प्रचलन में है। (ग) नगर परिषद् नलखेड़ा जिला आगर के अतिरिक्त उज्जैन संभाग अन्तर्गत कोई प्रकरण संज्ञान में नहीं आया है। (घ) विधानसभा क्षेत्र सुसनेर अन्तर्गत विगत् 03 वर्षों में नजूल अधिकारी की अनापत्ति के आधार पर किसी भूमि का आवंटन नहीं किया गया है, शेषांश की जानकारी निरंक है।
श्री मुरलीधर पाटीदार--अध्यक्ष महोदय, मेरा मंत्री जी से आग्रह यह है कि जो नरखेड़ा में 2 सालों से दुकानों की जांच चल रही है वह एकाध महीने में पूरी हो जाएगी उसमें जो दोषी होंगे उनके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज होगी ? जांचकर्ता भी ढुलमुल नीति अपना रहे हैं उनके खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिये ?
श्रीमती माया सिंह--अध्यक्ष महोदय, जांच को एक महीने के अंदर पूरा करवा लेंगे. उसमें जो दोषी होगा उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी.
श्री मुरलीधर पाटीदार--अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी एक और आग्रह है कि सारे शहर में अतिक्रमण हो रहा है उसको भी हटवाया जाये वहां की सड़कें व्यवस्थित की जाएं. वहां पर जब भी जायें वहां पर वाहन ही नहीं निकल पाता है.
श्रीमती माया सिंह--अध्यक्ष महोदय, यह सवाल इससे संबंधित नहीं है. लेकिन यह जो समस्य माननीय सदस्य जी ने उठायी है, यह समस्या कई शहरों में है, उसके निराकरण के लिये एक पूरी योजना तैयार करेंगे.
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत स्वीकृत सड़कें
[पंचायत और ग्रामीण विकास]
12. ( *क्र. 1789 ) श्री वेलसिंह भूरिया : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) सरदारपुर विधान सभा क्षेत्र में कितनी प्रधानमंत्री सड़कें स्वीकृत हैं, इनमें से कितनी पूर्ण एवं कितनी अपूर्ण हैं? (ख) 250 की आबादी तक के ग्रामों एवं मजरे टोलों को प्रधानमंत्री सड़क से कब तक जोड़ा जायेगा? (ग) क्या प्रश्नकर्ता द्वारा इन सड़कों की गुणवत्ता ठीक न होने एवं रिनीवल कोट की घटिया गुणवत्ता की जाँच की मांग की गई थी? (घ) यदि हाँ, तो क्या विभाग इनकी गुणवत्ता की जाँच क्षेत्रीय विधायक के समक्ष करवायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
पंचायत मंत्री ( श्री गोपाल भार्गव ) : (क) कुल 86 सड़कें स्वीकृत हैं, इनमें से 78 सड़कें पूर्ण हैं, 03 मार्ग प्रगतिरत एवं 05 मार्ग स्वीकृत होकर निविदा प्रक्रिया में हैं। (ख) प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अंतर्गत 250 से कम आबादी के ग्रामों एवं मजरे टोलों को जोड़ने का प्रावधान नहीं है. (ग) जी नहीं। (घ) उत्तरांश (ग) के परिप्रेक्ष्य में प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री वेलसिंह भूरिया--अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से प्रश्न है कि हमारे धार जिले के सरदारपुर विधान सभा में प्रधानमंत्री सड़क कितनी स्वीकृत हैं, कितनी पूर्ण हैं. पंचायत एवं ग्रामीण विकास की सड़कें कितनी पूर्ण हैं और कितनी अपूर्ण हैं और कितनी सड़कें स्वीकृत हुई थीं? पहले तो प्रधानमंत्री सड़क के बारे में बता दें कि कितनी स्वीकृत हैं उसमें कितनी पूर्ण हैं और कितनी अपूर्ण हैं ?
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, यह क्षेत्र अथवा जिले का पूछ रहे हैं.
श्री वेलसिंह भूरिया--अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ सरदारपुर विधान सभा क्षेत्र का पूछ रहा हूं.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, विधान सभा क्षेत्र सरदारपुर में 384 किलोमीटर की लम्बाई के कुल 86 मार्ग जिनकी लागत 122 करोड़ 93 लाख रूपये है. स्वीकृत की गई हैं जिनकी लम्बाई 331 किलोमीटर है. 78 मार्ग लागत 79.85 करोड़ रूपये से पूर्ण हो गये हैं. 8.10 किलोमीटर के शेष तीन मार्ग रूपये 3 करोड़ 73 लाख लागत के मार्ग प्रगतिरत हैं जिनकी कुल लम्बाई 44.65 किलोमीटर है. शेष 5 मार्ग जिनकी लागत 33.65 के हैं, वह निविदा प्रक्रिया में हैं.
श्री वेल सिंह भूरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि शासन के नियमानुसार 250 की आबादी तक राजस्व ग्राम एवं मजरे,टोलों में कब तक प्रधानमंत्री सड़क बना दी जायेगी और पंचायत ग्रामीण विकास विभाग से भी कब तक सड़क बना दी जायेगी ? दोनों विभाग आपके पास है.
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय,ट्रायवल इलाकों तक हम यह कर चुके हैं. जो जनजाति के गांव हैं उनमें हम यह कनेक्टिविटी कर चुके हैं.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल समाप्त
श्री वेल सिंह भूरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अधूरा प्रश्न रह गया है.
अध्यक्ष महोदय - आपका प्रश्न आ गया.
श्री वेल सिंह भूरिया - गलत बात है माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरा निवेदन है कि प्रश्न मुश्किल से लगता है. सुन्दरलाल तिवारी या कोई और होता तो आप 20 मिनट दे देते हैं. मेरे लिये एक मिनट नहीं है. मैं यह जानना चाहूंगा कि मेरी सरदारपुर तहसील में 800 मजरे,टोले हैं. 216 गांव हैं. 216 गांव में से आज भी 50 ग्रामों में कनेक्टिविटी नहीं है. रोडों से जुड़ा नहीं है. तो शेष गांवों को कब तक प्रधानमंत्री सड़क और मुख्यमंत्री सड़क योजना से जोड़ा जायेगा.
अध्यक्ष महोदय - बैठ जाएं. समय हो गया. समय के बाद भी आपको समय दिया. प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद भी आपको समय दिया. अब आप मत लड़िये और बैठ जाईये कृपा करके.
(प्रश्नकाल समाप्त)
12.02 बजे विशेष उल्लेख
(1) अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जबलपुर की लड़की द्वारा एशिया कप में गोल्ड मैडल जीतने पर बधाई
खेल एवं युवक कल्याण मंत्री(श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज महिला दिवस के अवसर पर खुशखबरी हमारे विभाग की यह है कि मुस्कान किरार जो जबलपुर की लड़की है और हमारे मध्यप्रदेश आर्चरी एकेडमी की लड़की है. 16 साल की उम्र में सबजूनियर होकर सीनियर में जाकर एशिया कप में जाकर इंडीवीजुअल गोल्ड मैडल लेकर आयी है. एशिया कप विश्व मंच में बहुत बड़ा काम्पटीशन रहता है. मैं इस सदन के माध्यम से पूरे मध्यप्रदेश को बधाई देना चाहता हूं कि वाकई में हम खेल एवं युवक कल्याण विभाग के माध्यम से हमारी बच्चियों को हम एक ऐसे विश्व स्तर के मंच पर लेकर आए हैं. गोल्ड मैडल जीतकर बच्ची आई है. आप सबको बहुत-बहुत बधाई.
बधाई
(2)अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को बधाई
अध्यक्ष महोदय - आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. हमारी संस्कृति में महिलाएं हमेशा सम्मानित रही हैं और समाज में उनका महत्वपूर्ण स्थान और भूमिका है. वे अपने गुणों के आधार पर इस धरा पर उत्तरोत्तर इतिहास रचती आयी हैं. मुझे विश्वास है कि वे भविष्य में सफलता के नए प्रतिमान स्थापित करेंगी. महिला दिवस के अवसर पर मैं अपनी और पूरे सदन की ओर से हमारी समस्त महिलाओं,बहनों को बधाई और शुभकामना देता हूं और बेटी मुस्कान को भी सदन की ओर से बधाई देता हूं और माननीय मंत्री जी को भी साधुवाद जिनके नेतृत्व में यह हो रहा है.
श्री गोपाल भार्गव - माननीय अध्यक्ष महोदय, अगले साल तो निजाम बदल जायेगा. नहीं तो महिला दिवस पर महिला सदस्य प्रश्न करें और महिला मंत्री उत्तर दें तो ज्यादा अच्छी परम्परा हो जाये.
12.03 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
1. प्रदेश की आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को उन्नत वेतनमान दिये जाने
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर) माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरी शून्यकाल की सूचना इस प्रकार है :-
2.श्योपुर विधान सभा क्षेत्र के ग्राम कूण्ड,कनापुर,कठौदी सहित 35 ग्रामों में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी जाने
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना की सूचना इस प्रकार है :-
इंजीनियर प्रदीप लारिया (नरयावली) - (अनुपस्थित)
( 3) सिवनी शहर के नेताजी सुभाष चन्द्र बोस कन्या महाविद्यालय में उर्दू विषय के शिक्षकों के पद सृजित करना
श्री दिनेश राय (सिवनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री प्रदीप अग्रवाल (सेंवढ़ा) - (अनुपस्थित)
श्री आशीष गोविन्द शर्मा (खातेगांव) - (अनुपस्थित)
(4) रेत के खनन के चलते वन्य प्राणी घड़ियालों की वंश वृद्धि समाप्त होना
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
(5) पोहरी विधान सभा क्षेत्र में अल्पवर्षा के कारण पेयजल समस्या होना
श्री प्रहलाद भारती (पोहरी) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
(6) छतरपुर तहसील के नौगांव, महाराजपुर, गौरिहार लवकुश नगर में ओलावृष्टि से नष्ट हुई फसलों का मुआवजा न मिलना
श्री मानवेन्द्र सिंह (महाराजपुर) -- अध्यक्ष महोदय,
(7) कटनी जिले के बहोरीबंद अंतर्गत संचालित हायर सेकेण्डरी स्कूल भवन विहीन होना
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद) -- अध्यक्ष महोदय,
12.11 बजे शून्यकाल में मौखिक उल्लेख
(1) भाण्डेर नगर परिषद के जल आवर्द्धन के कार्यों में भ्रष्टाचार होना
श्री घनश्याम पिरौनिया (भाण्डेर) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मेरी विधानसभा भाण्डेर में नगर परिषद को शासन के द्वारा 14 करोड़ रुपये आवंटित किये थे. पार्षदों एवं स्थानीय नागरिकों ने शिकायत की है कि वहां जल आवर्द्धन के जो काम चल रहे हैं, टंकी बन रही है उसमें भारी भ्रष्टाचार हो रहा है. निवेदन है कि माननीय मंत्री महोदय इस पर विचार करें और कार्यवाही करें.
अध्यक्ष महोदय -- आप लिखकर दे दीजिये.
(2) ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के ग्रामों में खदानें बंद होने से मजदूरों का बेरोजगार होना
श्री भारत सिंह कुशवाह (ग्वालियर ग्रामीण) -- अध्यक्ष महोदय, ग्वालियर ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र में ग्राम महेश्वरा, महेन्द्रपुर, परसी में पत्थर की खदान बंद किये जाने के कारण मजदूरों को गंभीर आर्थिक हानि हुई है और मजदूर बेरोजगार हो गये हैं. उनका भरण-पोषण बहुत मुश्किल हो गया है. खदान शीघ्र प्रारंभ नहीं करने के कारण मजदूरों में असंतोष व्याप्त है. उक्त खदान को शीघ्र प्रारंभ किये जाने की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय -- आप बैठ जाइये. आप लिखकर दे दीजिये.
12.13 बजे पत्रों का पटल पर रखा जाना
(1) मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की अधिसूचना क्रमांक 1629/म.प्र.वि.नि.आ. /2017, दिनांक 15 नवम्बर, 2017
(2)- (क) अधिसूचना क्रमांक एफ 44-23-15-बीस-2, दिनांक 03 जून, 2017
(ख) अधिसूचना क्रमांक एफ 44-23-2015-बीस-2, दिनांक 24 अगस्त, 2017
(3) मध्यप्रदेश स्टेट टेक्सटाइल कार्पोरेशन लिमिटेड, भोपाल (म.प्र.) का 40 वां वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखा (वर्षान्त 31 मार्च, 2011)
12.14 बजे ध्यानाकर्षण
(1) श्योपुर जिले के विजयपुर क्षेत्र में जल स्तर वृद्धि हेतु बांध निर्माण की स्वीकृति न दिया जाना
श्री राम निवास रावत (विजयपुर) -- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना इस प्रकार है-
12.15 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
जल संसाधन मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- उपाध्यक्ष महोदय,
श्री रामनिवास रावत -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि पहले कोई दूसरा वक्तव्य प्रस्तुत किया गया था. अभी कोई दूसरा वक्तव्य पढ़ रहे हैं. ये अलग अलग हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं जो पढ़ूंगा, वही सही माना जायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय -- जी हां. मंत्री जी, आप पढ़ें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष महोदय,
रामनिवास रावत जी, क्या पहले वाले जवाब में मेरे दस्तखत हैं ? जो पढ़ा है उसी जवाब पर दस्तखत हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव) -- माननीय मंत्री महोदय जी, जिस तरह आपने कहा कि प्रदेश के हर कोने में संकट नहीं है. मेरे सतना जिले में लोग प्यासे मर रहे हैं, किसानों की बात ही छोड़ दीजिए. बाणसागर का पानी नहीं छोड़ा जा रहा है. वर्ष 2017-18 में बरगी बांध की घोषणा भी आपके द्वारा की गई थी लेकिन वह भी पूरी नहीं हुई है.
उपाध्यक्ष महोदय -- आप राज्यपाल जी के अभिभाषण पर बोलने वाली हैं, उस समय अपनी बात कह लीजिएगा. मंत्री जी, अपने वक्तव्य में एक सुधार कर लीजिए. इसके प्रथम पैरा के अंत में लिखा है कि ''रबी में तथा 2.35 हेक्टेयर में खरीफ में सिंचाई की गई है.'' इसमें 'लाख' शब्द जोड़ लीजिए. यह दस्तखत के साथ मेरे पास है.
श्री रामनिवास रावत -- जो पढ़ा है वही इन्होंने प्रस्तुत किया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आप जब-जब आंख बंद करके इनकी मानेंगे तो ऐसे ही गलत साबित होंगे.
श्री रामनिवास रावत -- असल में मेरे पास दो विभागों से उत्तर आया है, पेयजल संकट का भी हवाला देने के कारण लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से भी उत्तर आ गया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- रामनिवास जी, आपने एक दर्जन बांध का ध्यानाकर्षण किया है..(हंसी)..
श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जल संसाधन विभाग के मंत्री महोदय डॉ. नरोत्तम मिश्र जी काफी सक्षम मंत्री हैं. ये ताकतवर भी हैं और जो चाहते हैं वह कर लेते हैं. आपके विभाग के एसीएस और अन्य अधिकारी भी बहुत ताकतवर हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने अपना ध्यानाकर्षण श्योपुर जिले के विजयपुर क्षेत्र से शुरू किया है. मैं श्योपुर क्षेत्र से बाहर नहीं गया. माननीय मंत्री जी ने ध्यानाकर्षण के उत्तर में पूरे प्रदेश में सिंचाई की सुविधाओं का विस्तार, सिंचाई सुविधाओं की क्षमता के बारे में बताया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- रामनिवास जी, क्या आप इसे गलती मानते हैं ?
श्री रामनिवास रावत -- नहीं नहीं, मैं इसे गलती नहीं मान रहा हूँ. मैं आपको धन्यवाद दे रहा हूँ कि आपने सिंचाई क्षमताओं का विस्तार किया. जितना विस्तार किया उतनी आप सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, तुम डाल-डाल तो हम पात-पात.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी, हमारा इनका काफी लंबा साथ है.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं पूरे प्रदेश की बात नहीं करना चाहूँगा, फिर भी आप देख लें कि आपकी सिंचाई क्षमता 42 लाख हेक्टेयर है और आप 27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई कर पा रहे हैं. 15 लाख हेक्टेयर का पानी कहां जा रहा है, क्षमताओं का विस्तार तो चाहे जितना हो जाए, लेकिन सिंचाई एरिया भी उतना ही होना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय -- मूल उत्तर में ले लिया है.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा ध्यानाकर्षण केवल मेरे क्षेत्र से संबंधित है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा, चाहे तो आप किसी को भेजकर दिखवा लें, मेरे क्षेत्र में यह स्थिति उत्पन्न हो गई है कि 30-30 किलोमीटर तक पेयजल के लिए पानी नहीं है. हजार-हजार फुट तक बोर करवा चुके हैं, पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है. नदियां सब सूख गई हैं, सिंचित क्षेत्र सूख गए हैं. रबी की बोवनी पूरे विधान सभा क्षेत्र में किसी किसी के यहां मुश्किल से 5 या 10 प्रतिशत हुई होगी, अन्यथा पूरी तरह से सूखा पड़ा हुआ है. नगर में भी पेयजल के लिए 55 बोर थे, 50 बोर लगभग सूख गए हैं, अभी 2-3 बोर नदी में कराए हैं, उनमें पानी मिला है. मेरा निवेदन केवल सिंचाई क्षमताओं के विस्तार से है. एक बारधा बांध भी था, वह बना, टूट गया, आपने उसकी राशि भी स्वीकृत कर दी, उसे ठेकेदार छोड़कर भाग गया, कृपया इसको भी दिखवा लें. अपने अधिकारियों को निर्देशित कर दें कि इसको बनवाने की व्यवस्था करें. ठेकेदार भाग गया है तो विभागीय स्तर पर व्यवस्था करें. चेटीखेड़ा बांध के लिए पिछली विधान सभा में अनुदान मांगों के दौरान 21 मार्च, 2017 को आपने घोषणा की थी कि, ''चेटीखेड़ा बांध की 9950 हेक्टेयर की परियोजना 330 करोड़ रुपये की स्वीकृति की घोषणा करता हूँ.'' उपाध्यक्ष जी, घोषणा हुए एक साल हो गया लेकिन अभी तक इसकी प्रशासकीय स्वीकृति जारी नहीं हुई है. इस बार भीषण जलसंकट उत्पन्न हो गया है, अभी भी मेरे क्षेत्र में 25 दिनों से धरना चल रहा है और 5-6 दिनों से लोग भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. हम चाहते भी हैं कि क्षेत्र का विकास हो, क्षेत्र में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हो और मंत्री जी ने पिछले वर्ष के बजट भाषण में सहृदयता से इसे स्वीकार भी किया था, लेकिन अभी तक प्रशासकीय स्वीकृति जारी नहीं हुई है. माननीय मंत्री जी ने यह भी उल्लेख किया है कि परियोजना के लिए बजट में भी प्रावधान किए गए हैं. माननीय मंत्री जी से मेरा सीधा-सीधा एक प्रश्न है कि इस परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति कब तक जारी कर दी जाएगी और बजट में प्रावधान किए गए हैं तो आपकी बजट पुस्तक के कौन-से पृष्ठ पर कितनी राशि का प्रावधान चेटीखेड़ा बांध बनाने के किया गया है ? आपने जो प्रमुख सहरिया जनजाति के द्वितीय विस्थापन की बात कही है केवल दो गांवों के कुछ परिवार आते हैं उन्होंने भी अपनी लिखित सहमति ग्राम सभा के प्रस्ताव के माध्यम से अन्य जगह विस्थापन होने के लिए प्रदान कर दी है तो इसमें कोई आपत्ति नहीं है और स्थानीय स्तर पर स्थानीय प्रशासन ने उनके लिए जमीन भी देख ली है विस्थापन के लिए जमीन भी देख ली है और अब जमीन के बदले जमीन देने की भी कार्यवाही सरकार कराएगी.
उपाध्यक्ष महोदय -- अब आप अपना उत्तर ले लीजिए.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह निवेदन करना चाहता हॅूं कि इन सारी चीजों का, इन सारी परेशानियों का हल निकालते हुए चेटीखेड़ा बांध की परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति जारी करने की घोषणा करें.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय रावत जी ने कुल 17 प्रश्न किए हैं. मैं पहले प्रश्न से शुरू करता हॅूं और 17 प्रश्नों का जवाब देना चाहता हॅूं.
श्री रामनिवास रावत -- अभी एक ही प्रश्न है. अभी एक-दो हैं. ठीक है, 17 प्रश्नों के ही जवाब दे दीजिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- क्योंकि रिकॉर्ड में तो 17 प्रश्न ही आ गए होंगे. माननीय रावत जी ने कहा कि 42 लाख का रकबा था और कुल 32 लाख की है. सिंचाई का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी, जो आवश्यक हैं उन्हीं का ही जवाब दे दीजिए.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय मंत्री जी, मुझे केवल मेरी विधानसभा क्षेत्र का ही उत्तर दे दीजिए. बाकी का नहीं.
उपाध्यक्ष महोदय -- आपकी विद्वता पर कोई शक नहीं है और दोनों अति विद्वान लोग आमने-सामने हैं.(हंसी..)
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- माननीय उपाध्यक्ष जी, मैं सिर्फ इतनी ही प्रार्थना कर रहा हॅूं कि दरअसल यह जो चेटीखेड़ा बांध है यह सच है कि मैंने पिछले बजट सत्र के दौरान ऐसा कहा था. उसके बाद में उसकी स्वीकृति भी हुई, बाकी चीजें हमने कीं क्योंकि वह पुनर्स्थापन का था. एक बार कूनो के कारण से हमारे जनजाति भाई सहरिया लोग वहां विस्थापित हुए थे उन्हें दूसरी जगह विस्थापित करना था और पर्यावरण की तकनीकी स्वीकृति केन्द्र सरकार पर लंबित थी. हमने बजट में प्रावधान किया है यह भी सच है लेकिन श्री रावत जी ने एक और प्रश्न किया कि वह कौन-से पृष्ठ पर है क्या है. आज बताने की स्थिति में नहीं हॅूं जितना आज बताने की स्थिति में था, उतना लिखित में आपको जवाब दे दिया है. चूंकि विभाग का बजट आने वाला ही है. पुस्तक आपके पास भी आएगी. प्रतिवेदन आप स्वयं भी देख लेंगे. आप काफी पढे़-लिखे व्यक्ति हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, श्री रावत जी से मेरी प्रार्थना है चूंकि केन्द्र की अनुमतियां आनी हैं अगर हमने आज जो यह चाहते हैं जारी करने का, मैं आज भी घोषणा कर सकता हॅूं लेकिन उससे उसमें व्यवधान आ जाएगा. सरकार ईमानदारी से उसका निर्माण चाहती है. इसीलिए यह उसमें लिखा कि बजट में प्रावधानित हो गई है. थोड़ा-सा समय दें, हो सकता है कि हम इसी मास में उसे पूरी कर लें. जो केन्द्र की अनुमतियां हैं, हो सकता है वह अगले मास तक हो जाएं. अगर दें तो ठीक है अन्यथा मैं आज भी कह सकता हॅूं कि हम एक हफ्ते में जारी कर सकते हैं. लेकिन फिर अगर न बन पाए तो अगले सत्र में इन्हें वादा करना पडे़गा कि ये प्रश्न नहीं लगाएंगे. मैं वैसे ही नहीं कह रहा हॅूं. श्री रावत जी, मैं एक सवाल का जवाब और दूंगा. माननीय रावत जी बहुत जागरूक विधायक हैं लंबे समय से इनका और हमारा साथ है. उस समय ऐसे ही जैसे आज डॉ. नरोत्तम मिश्र, जल संसाधन, मंत्री को इन्होंने घेरा, उस समय जब ये मंत्री थे उस समय के जल संसाधन मंत्री को घेर लेते तो वहां पर एकाध तो बन जाती. इन्होंने एक भी नहीं बनवाई.
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री रावत जी, उस शर्त से आप तैयार हैं. माननीय मंत्री जी ने जो शर्त लगायी है कि घोषणा कर देंगे लेकिन अगर अनुमति नहीं आयी.
श्री रामनिवास रावत -- नहीं, माननीय उपाध्यक्ष महोदय. माननीय मंत्री जी ने अभी जो उत्तर दिया था उसमें मेरे ख्याल से या तो मैं सुन नहीं पाया या रिकॉर्ड में निकलवाकर देख लें. मंत्री जी ने यह कहा था कि इस मार्च तक या अगले मार्च तक.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- इस मार्च में या अप्रैल तक ऐसा कहा है मैंने यही दो महीने कहा है. ज्यादा लंबा समय नहीं खीचा. एक माह या दो माह के अंदर हमारी वे अनुमतियां कंपलीट हो जाएंगी.
श्री रामनिवास रावत -- आपने अगला मार्च बोल दिया था. आप रिकॉर्ड उठाकर देख लीजिए.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- देख लीजिए. मैंने अगला मार्च नहीं कहा.
उपाध्यक्ष महोदय -- श्री रामनिवास जी, माननीय मंत्री जी ने अगले मार्च नहीं कहा. इसी मार्च में या एक-दो महीने.
डॉ.नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी भी तो सुन रहे हैं. श्री रावत जी, थोड़ा-बहुत तो यहां ध्यान रखा करो. हमेशा वहीं ध्यान रखते हो..(हंसी...)
श्री रामनिवास रावत -- ध्यान तो रहता है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदय, वह एक कहावत है कि " सर हो सजदे में मगर दिल में हो दुनिया का ख्याल" तो फिर इबादत हो ही नहीं सकती है.(हंसी)
उपाध्यक्ष महोदय-- अभी तो इनको सिंचाई का ही ख्याल है.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी तो केवल सिंचाई का ख्याल है. परियोजना में बजट प्रावधान के लिए माननीय मंत्री जी कह ही दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय-- चेटीखेड़ा का तो आपका हो ही गया है.
श्री रामनिवास रावत-- लिख कर दिया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- मैंने कहा नहीं है, मैंने इनको लिखकर दिया है.
श्री रामनिवास रावत-- लिखकर दिया है तो हो ही जाएगा लेकिन अभी जो बजट पुस्तक प्रस्तुत की थी मैंने वह भी पढ़ी है उसमें इसका जिक्र नहीं है इसलिए मैं कह रहा हूँ.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक बार फिर दोहरता हूँ कि मेरे विभाग का बजट आने वाला है उसमें हो जाएगा थोड़ा-सा तो धैर्य रखें.
श्री रामनिवास रावत-- इसके लिए धन्यवाद है और धैर्य भी है.दूसरा मेरा प्रश्न था आपने लिखा है कि साध्य परियोजनायें मिलने पर स्वीकृतियाँ दी जा रही हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र की सिंचाई का रकबा बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा हूँ और बात कर रहा हूँ मैं ईड़न नदी पर लोढ़ी के बांध के लिए भी लगातार प्रयास कर रहा हूँ इसमें उसका हवाला दिया गया है, उत्तर में नहीं आया है.आपके मध्यप्रदेश शासन के जल संसाधन विभाग का, वल्लभ भवन का मेरे पास एक पत्र है जो कि 5 अक्टूबर 2007 का है. यह मेरे नाम से आया है कि रामनिवास रावत, विधायक, ग्राम गांवड़ी में ईड़न नदी पर बाँध बनाने बाबत्. उपरोक्त संदर्भित पत्र के परिप्रेक्ष्य में विषयांकित प्रकरण से संबंधित वस्तु स्थिति यह है कि दिनाँक 6.8.2007 को मैदानी अधिकारियों द्वारा बाँध निर्माण हेतु किये गये स्थल निरीक्षण के दौरान बाँध हेतु स्थल साध्य पाया गया. उक्त योजना हेतु उनके द्वारा सर्वेक्षण का प्रस्ताव तैयार किया जाना है.इसके बाद ईएनसी का भी पत्र है कि यह योजनायें साध्य पाई गईं और इसके लिए भी मैं लगातार प्रयासरत् हूँ. पिछली बार 28 दिसंबर को इसको लेकर के लोगों ने आंदोलन किया था और मुख्यमंत्री जी से आकर मिले थे और उन्होंने आश्वासन दिया था तो क्या इस योजना को भी जो कि साध्य पाई गई है इसकी स्वीकृति प्रदान करने की भी कृपा करेंगे? इसकी घोषणा कर दें इसमें तो कोई आपत्ति नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदय, साध्यता जारी कर दी गई है अभी रामनिवास जी मुझसे साध्यता की अनुमति ले लें लेकिन.. ठीक है ना ? संतुष्ट ?
श्री रामनिवास रावत-- क्या कह रहे हैं?
उपाध्यक्ष महोदय-- इसमें कुछ किन्तु परन्तु भी हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदय, नहीं-नहीं, वह दूसरी चीज है वह पॉलिटिकल है.
श्री रामनिवास रावत-- क्या चीज, क्या है?
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदय, इसका जवाब आपका दे दिया कि साध्यता जारी कर दी गई है.
श्री रामनिवास रावत-- स्वीकृति की बात है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- स्वीकृति की ही तो कह रहा हूँ. स्वीकृति जारी कर दी गई है आपको कागज भी दे देता हूँ.
श्री रामनिवास रावत--साध्यता की स्वीकृति या प्रशासकीय स्वीकृति जारी कर दी गई है?
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदय, साध्यता की स्वीकृति का कह रहा हूँ. आपने जो पत्र पढ़ा है उसमें साध्य शब्द पढ़ा है.आपने जो पढ़ा है मैं उसका जवाब दे रहा हूँ.इन्होंने जो साध्य शब्द पढ़ा है वह साध्यता जारी कर दी गई है यह जवाब मैंने उसका दिया है. वह वकील हैं. शब्दों के जादूगर हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- वह भी बहुत चतुर हैं.
श्री रामनिवास रावत-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, साध्यता का तो 2007 में ही मध्यप्रदेश शासन का मेरे पास पत्र आ गया. यह मेरे पास पत्र है.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपने साध्यता पूछी थी तो उन्होंने साध्यता का बताया.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदय, इन्होंने पूछी नहीं थी. इन्होंने कहा कि साध्य पाई गई है उस पत्र में यही लिखा है.
श्री रामनिवास रावत--आपने लिखा है कि साध्य परियोजनायें मिलने पर स्वीकृतियाँ दी जा रही हैं क्या आप इसकी प्रशासकीय स्वीकृति या इसको बनाने की स्वीकृति जारी करेंगे?
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदय,डीपीआर तो सर्वे के बाद ही जारी होगी ना, वह जारी हो जाएगी.
श्री रामनिवास रावत--डीपीआर बनाने के निर्देश जारी कर देंगे इसे स्वीकृत करवाएंगे?
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदय,करवाएंगे.
श्री रामनिवास रावत-- बहुत-बहुत धन्यवाद.
पंचायत मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)-- रावत जी, दो प्रकार की साध्यतायें होती हैं एक तो यह टेक्नीकल है दूसरी है राजनीतिक साध्यता, उसमें हमारे नरोत्तम जी माहिर हैं.
श्री रामनिवास रावत-- उपाध्यक्ष महोदय , मैं केवल प्रशासकीय स्वीकृति की बात कर रहा हूं.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपकी दो योजनाओं की स्वीकृतियाँ हो गई हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष महोदय, फिर भी नहीं बैठ रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत-- मेरा आखिरी निवेदन है.
श्री दुर्गालाल विजय-- उपाध्यक्ष महोदय, इस पर मैंने भी दिया है.
उपाध्यक्ष महोदय-- हम आपको भी एक प्रश्न पूछने का अवसर देंगे.
श्री रामनिवास रावत--उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में कुछ लोग 25-30 दिन से धरने पर बैठे हैं और 25 तारीख से भूख हड़ताल पर हैं. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि वे प्रशासन के अधिकारियों को भेजकर उन लोगों का आन्दोलन समाप्त करवा दें. सर्वदलीय आन्दोलन है, इन्हें मैंने नहीं बैठाया है, स्वप्रेरित है, महिलाएं भी बैठी हैं. सिर्फ पानी की पीड़ा के कारण बैठे हैं. आप अपने प्रशासनिक अधिकारियों को भेजकर धरना समाप्त करवा दें.
श्री गोपाल भार्गव--आप यहां आ जाओ आपको आन्दोलन की जरुरत ही नहीं पड़ेगी (हंसी)
कुंवर विजय शाह--नरोत्तम जी जो बोलते हैं वह होता है आपको लिमिट के बाहर दे दिया है.
श्री रामनिवास रावत--मंत्री जी आप क्यों बैठ गए.
डॉ. नरोत्तम मिश्रा--उपाध्यक्ष महोदय, मुझसे सीनियर दो मंत्री खड़े थे इसलिए बैठ गया था. यह परम्परा हमारे यहां है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उन लोगों से आज सुबह चर्चा हो गई है. अभी मुझे लोक निर्माण मंत्री जी ने बताया है, जैसा माननीय रामनिवास जी ने कहा है वह भी निपट जाएगा. परन्तु एक बार मैं और दोहराउंगा कि इतना जागरुक उन्हें उस वक्त भी रहना था.
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 35 गांवों में सिंचाई की व्यवस्था करने की दृष्टि से चंबल नहर से पानी देने की जो प्राथमिक रुप से सहमति दी है उसकी डीपीआर भी बन गई है. इन 35 गांवों में से 12 गांव छोड़ दिए गए हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि उन 12 गांवों के लिए सिंचाई की क्या व्यवस्था करेंगे ? दूसरी बात मुजरी बांध की जो डीपीआर तैयार कराई गई है वह डीपीआर अभी यहां प्रस्तुत हुई है या नहीं हुई है यदि नहीं हुई है तो कब तक हो जाएगी और होगी तो उसे कब तक स्वीकृति दे देंगे ?
डॉ. नरोत्तम मिश्रा--उपाध्यक्ष महोदय, पहली बात का तो ध्यानाकर्षण के उत्तर में उल्लेख है माननीय विधायक जी को इसकी एक प्रति भिजवा देता हूँ और दूसरे प्रश्न का भी उल्लेख है. विधायक जी ने बहुत गंभीर व्यवस्था की तरफ ध्यान आकर्षित किया है. अतिशीघ्र इस पर कार्यवाही कर देंगे.
(2) मंदसौर एवं समीप के जिलों में मादक पदार्थों की तस्करी होना
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय,
गृह मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह)--उपाध्यक्ष महोदय,
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया (मंदसौर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने अपने विभागीय प्रतिउत्तर में यह स्वीकार किया है कि नित नए प्रयोग तस्करों द्वारा किए जा रहे हैं. लगभग तीन दशक पूर्व की बात बता रहा हूं एक तस्कर शनिवार के दिन मंदसौर, रतलाम के रेलवे स्टेशन से मुंबई, शनिदेव की अफीम की मूर्ति बनाकर उस पर प्लास्टिक का लेप लगाकर बाल्टी में लेकर उसकी तस्करी करता है, ऐसा मामला प्रकाश में आया था. मंदसौर, रतलाम, नीमच जिले के तस्कर इसमें गरीब लोगों का भी इस्तेमाल करते हैं. मंदसौर के बस स्टेण्ड से रेलवे स्टेशन की तरफ एक अंधी महिला जो कि भिखारी थी उसको भी अफीम की थैली देकर स्टेशन तक भेजने का मामला प्रकाश में आया था. लगभग दो दशक पूर्व मंदसौर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, पन्नालाल ने सार्वजनिक रूप से पत्रकार वार्ता में इस बात को स्वीकार करते हुए कहा था जब मैं पत्रकारिता करता था तब मंदसौर जिले का हर चौथा व्यक्ति कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में तस्करों से जुड़ा हुआ है या तस्करों के साथ उसका उठना-बैठना होता है. उस समय मंदसौर पत्रकार वार्ता में यह रिकार्ड में आया था. नित नए प्रयोग किये जा रहे हैं. अभी एम्बूलेंस राजस्थान से चलकर आती है, खरीदना बताई जाती है, पीली बत्ती होती है, एम्बूलेंस लिखा जाता है. सहानुभूति के आधार पर, मानव अधिकार के नाम पर हम टोल नाकों पर उनको रोक नहीं सकते हैं. आप और हम सब जब चलते हैं तो हमको लगता है कि कोई बीमार होगा हम तत्काल उसको साईड भी दे देते हैं. यह हमारा मानव स्वभाव है लेकिन हमारे मंदसौर, रतलाम, नीमच जिले में जो मादक द्रव्य पदार्थों की तस्करी हो रही है उसमें कुकरमुत्तों की तरह एम्बूलेंस रोज बढ़ती जा रही हैं. अगर जिला चिकित्सालय मंदसौर के अंदर दो एम्बूलेंस ऑलरेडी है तो उसकी बाउन्ड्री के बाहर 15 एम्बूलेंसों की क्या आवश्यकता है? यदि मंदसौर में चार प्रमुख बडे़ अस्पताल हैं जो कि निजी अस्पताल हैं उनकी खुद की एम्बूलेंस है तो टेक्सी स्टेण्ड पर टेम्पो-ट्रेक्स, बोलेरो, मारुति-वेन इन सबको वहां पर एम्बूलेंस के रूप में कैसे परमिट किया जाता है? इस पर कहीं न कहीं नियंत्रण लगना चाहिए. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री महोदय ने जो 29 मार्च की घटना बताई है 26.03.2015 को स्वास्थ्य विभाग की मीटिंग में मैंने विधायक होने के नाते इस बारे में आगाह किया था कि मंदसौर-नीमच जिले में एम्बुलेंस को थोड़ी अधिक सतर्कता के साथ देखा जाए. 29.03.2015 को इस मीटिंग के चार दिन बाद नीमच के पास केसरपुरा में, जिस घटना की जानकारी मंत्री जी ने सदन में अभी दी है. एम्बुलेंस क्रमांक एमपी-44-एनऐ-0681 की टक्कर कंटेनर से हो गई और गाड़ी में आग लग गई. उस गाड़ी में डोडाचुरा था.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जवाब में यह नहीं आया कि उस गाड़ी में मरीज नहीं था. उस गाड़ी में तीन व्यक्ति थे- दिनेश पुत्र मदनलाल निवासी मंदसौर उम्र 33 वर्ष, ईश्वर निवासी मंदसौर उम्र 35 वर्ष और प्रशांत निवासी मंदसौर उम्र 32 वर्ष. ये तीनों उस एम्बुलेंस में बैठकर राजस्थान की ओर जा रहे थे और उस एम्बुलेंस में वे जलकर स्वाहा हो गए. वे तीनों तस्कर आग की भेंट चढ़ गए और इस संबंध में प्रकरण भी दर्ज हुआ, यह बात सही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 13.01.2018 को राजस्थान की जिस गाड़ी का उल्लेख मंत्री जी द्वारा किया गया है. गाड़ी क्रमांक आरजे-03-पी-1856 में 1 क्विंटल 53 किलो डोडाचुरा लेकर जाया जा रहा था जिसमें आरोपी उदयलाल और देवीलाल को संदेह के दृष्टिकोण से पुलिस द्वारा पकड़ा गया है और तो और इस एम्बुलेंस के आगे वाहन क्रमांक आरजे-27-यूबी-4198 पायलेटिंग कर रहा था. ये तो अच्छा रहा कि पुलिस ने शंका की दृष्टि से इस वाहन को रोका और उसमें से 1 क्विंटल 53 किलो डोडाचुरा जब्त किया गया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय से निवेदन करूंगा कि हमारा मंदसौर-रतलाम-नीमच जिला मादक द्रव्य पदार्थों के मामले में कुख्यात है. एम्बुलेंस के माध्यम से डोडाचुरा और अफीम का जो परिवहन हो रहा है इसके लिए मंत्री महोदय क्या इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि आखिर इन तीनों जिलों में कितने अस्पताल हैं और कितनी एम्बुलेंस की आवश्यकता है ? क्या लोग रोज अपने मरीजों को लेकर गुजरात और राजस्थान जाते हैं ? इसके बारे में एक नीति बननी चाहिए और इस पर नियंत्रण होना चाहिए. दूसरी बात यह है कि इन वाहनों का रजिस्ट्रेशन और इन वाहनों को चलाने वाले ड्रायवरों का वेरीफिकेशन कैसे होगा, यह विभाग तय करे और इसके अतिरिक्त मेरा मंत्री जी से यह भी आग्रह है कि स्वास्थ्य विभाग, परिवहन विभाग, पुलिस और पुलिस का नार्कोटिक्स विंग ये सभी मिलकर एक संयुक्त टीम बनायें और एक नीति बनायें जिससे पिछले दो सालों में एम्बुलेंस के माध्यम से तस्करी की जो घटनायें हुई हैं, इन्हें रोकने के लिए एक कारगर और ठोस प्रावधान हो सके.
श्री भूपेन्द्र सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, विधायक जी की मादक द्रव्य पदार्थों की तस्करी को लेकर जो चिंता है, मैं उससे सहमत हूं. यह बात सही है कि वहां पर अलग-अलग तरह से तस्करी करने का प्रयास लोग करते हैं. इसमें एम्बुलेंस के माध्यम से तस्करी होना भी पाया गया है और पुलिस ने कुछ एम्बुलेंस पकड़ी भी हैं. यह बात भी सही है कि मंदसौर-रतलाम-नीमच में एम्बुलेंस की तादाद् पिछले कुछ समय में अचानक से बढ़ी है और इससे यह शंका निश्चित रूप से होती है कि एम्बुलेंस का उपयोग तस्करी में लोग कर रहे होंगे, इसलिए हमने यह निश्चित किया है कि जितनी भी एम्बुलेंस इन तीनों जिलों में है, उन सभी का हम वेरीफिकेशन करवायेंगे और हम जांच करवायेंगे कि एम्बुलेंस का वास्तविक उपयोग क्या हो रहा है, कितनी एम्बुलेंस की आवश्यकता है, कहां पर ये एम्बुलेंस अटैच हैं ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसके अतिरिक्त हमारे बॉर्डर के जिलों से एम्बुलेंस सामान्यत: उदयपुर, राजस्थान जाती हैं. वहां अस्पताल होने के कारण मंदसौर-रतलाम-नीमच के लोग उनका उपयोग करते हैं. इसलिए बॉर्डर के थानों पर भी हम औचक निरीक्षण करवायेंगे जिससे कि इस तरह की एम्बुलेंस के माध्यम से हो रही तस्करी या अन्य माध्यमों से हो रही तस्करी, न होने पाये. इसे भी हम सुनिश्चित करेंगे. इसके अलावा अभी एम्बुलेंस के उपयोग, परमिट, फिटनेस का कोई बहुत स्पष्ट नियम नहीं या कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है. कोई भी एम्बुलेंस का परमिट ले लेता है और वह फिर क्या उपयोग कर रहा है, क्या उपयोग नहीं कर रहा है, इसका हम लोगों के पास कोई सिस्टम नहीं है. उपाध्यक्ष महोदय, इसलिये हम लोग एक ज्वाईंट कमेटी बना रहे हैं, जिसमें होम विभाग भी होगा, स्वास्थ्य विभाग भी होगा और ट्रांसपोर्ट विभाग भी होगा और हम यह तय करेंगे कि एम्बुलेंस के संबंध में कोई एक ऐसी नीति बने कि यह जो एम्बुलेंस का अपराध में दुरूपयोग हो रहा है, यह दुरूपयोग न हो पाये, इसलिये इस समिति के रिपोर्ट के आधार पर जो ट्रांसपोर्ट विभाग में हम लोगों को जो नियम लागू करना है वह हम वहां करेंगे, जो हेल्थ विभाग से मदद चाहिये वह उनसे लेंगे और जो होम विभाग से इसमें करना है, वह हम करेंगे. इस प्रकार से तीनों विभागों की एक ज्वाईंट टीम की मीटिंग करके, इसमें जल्द ही एक नीति बनायेंगे. जिससे की इस तरह का दुरूपयोग न हो पाये.
उपाध्यक्ष महोदय:- आंकलन कर लिया जाये कि कितनी संख्या में एम्बुलेंस की जरूरत है.
श्री भूपेन्द्र सिंह:- जी. तात्कालिक रूप से हम इस बात की जांच करायेंगे, जो हमारे डीआईजी, नारकोटिक्स हैं वह और हमारे जो स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हैं उनको भी हम लिखेंगे और हमारे गृह विभाग के अधिकारी हैं, हम लोग इसकी ज्वाईंट रूप से जांच करेंगे कि वहां पर ऐसी कितनी एम्बुलेंस की आवश्यकता है, वहां पर कितनी एम्बुलेंस रजिस्टर्ड हैं, उनका वास्तव में कितना उपयोग हो रहा है और किस तरह से उपयोग हो रहा है, यह सारी जांच भी हम लोग करेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को आपके माध्यम से धन्यवाद देना चाहता हूं कि इस गंभीर विषय पर माननीय गृह मंत्री जी ने बहुत गंभीरता दिखायी और अगली नीति और रणनीति बनेगी उस पर प्रकाश डाला.
उपाध्यक्ष महोदय, नयी तकनीक और नये-नये संसाधन के साथ जीपीएस सिस्टम से भी इसको जोड़ने का अगर आप प्रयत्न करेंगे और यदि जीपीएस सिस्टम इसमें हो जाता है तो काफी कुछ कारगर मदद हो सकेगी, ऐसी मेरी एक बार पुन: निवेदन के साथ प्रार्थना है,बहुत-बहुत धन्यवाद्.
श्री भूपेन्द्र सिंह:- उपाध्यक्ष महोदय, काफी अच्छा सुझाव है, हम इनको जीपीएस से भी जोड़ देंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया:- बहुत-बहुत धन्यवाद्.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय(जावरा):- माननीय उपाध्यक्ष मंदसौर,रतलाम और नीमच जिला चूंकि संसदीय क्षेत्र है. वह मादक पदार्थों में काफी चर्चित भी रहा है और इससे इंदौर और उज्जैन संभाग भी काफी प्रभावित रहा है. एक बड़े पैमाने पर विगत वर्षों में एक हथियार कांड हुआ था और झिरन्या में नागदा के पास में एके-47 से लेकर से अनेक अवैध हथियार पकड़े गये थे.
उपाध्यक्ष महोदय:- परन्तु यह इस विषय से रिलेटेड नहीं है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय:- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह इस विषय से रिलेटेड है. मैं थोड़ी सी बात कहना चाहता हूं, मैं विस्तार में नहीं जाऊंगा. मेरा निवेदन यह है कि वह अफीम, हिरोइन और स्मेक के बदले नकदी और हथियार प्राप्त करके, ऐसा करके उस समय घटनाक्रम घटित हुआ था. हथियार कांड की पुनरावृत्ति आप देख लें.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा निवेदन है कि यह जो पूरा क्षेत्र है वह गुजरात और राजस्थान से लगा हुआ क्षेत्र है. वहां से भी अपराधियों का भी आवागमन होता है, लेकिन लगातार जो टोल नाके आते हैं, वहां पर जितने सीसीटीव्ही कैमरे लगे होना चाहिये, उतने नहीं लगे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने अन्य विभागों की जो कमेटी बनाने की बात कही है मैं उसका स्वागत करता हूं. इसमें फूड विभाग को भी जोड़ा जाना चाहिये. अगर आप ध्यान देंगे और रतलाम से प्रारंभ करेंगे और नयागांव से चितौड़गढ़ तक पहुंच जायेंगे तो सड़क के दोनों और अनगिनत हजारों की संख्या में अवैध ढाबे संचालित किये जाते हैं, जहां देर रात्रि को इस तरह के वाहन रूकते हैं और उन ढाबों के पीछे गड्डे खोदकर के, जगह बनाकर के अफीम भी रखी जाती है, डोडाचुरा भी रखा जाता है, वहां पर कई हत्याएं भी हुई हैं.
इसमें मेरा प्रश्न यह है कि दुखद बात यह होती है कि जब अपराधी पकड़े जाते हैं और जब अपराधियों का नाम सामने आता है, उनके गांव में, उनकी गली में और उनके निवास तक यदि पहुंचा जाता है तो वह आदमी फटेहाल पाया जाता है, गरीब-मजदूर पाया जाता है. बड़े तस्करों तक पहुंचने की कोशिश नहीं की जाती है, उस लिंक तक पहुंचा जाना अत्यंत आवश्यक है. 20 करोड़ रूपये तक की अफीम पकड़ी गयी, 20 करोड़ रूपये की स्मेक पकड़ी गयी.
श्री वेलसिंह भूरिया - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दारू में भी ऐसा ही किया जाये.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - उपाध्यक्ष महोदय, वह जो अपराधी है, वह गरीब है, जिसकी झोपड़ी तक नहीं है, जिसके पास कोई वाहन तक नहीं है. उसके पास आखिरकार 20 करोड़ रुपये की अफीम कहां से आई ? कुछ नाम तो चिन्ह्ति हैं, कुछ नाम तो चर्चित हैं, बहुचर्चित नाम हैं. जो विभिन्न राजनीतिक दलों में नेतागिरी भी कर रहे हैं. ऐसे अधिकारियों का एवं राजनेताओं का गठजोड़ है लेकिन उन ढाबों पर एवं उनमें रात में जो गतिविधियां होती हैं, उसमें खाद्य विभाग को भी जोड़ा जाये. गुजरात पुलिस, राजस्थान पुलिस और मध्यप्रदेश पुलिस ऐसी एक संयुक्त टीम बनाई जाये. सोराबउद्दीन का जो घटनाक्रम हुआ था.
उपाध्यक्ष महोदय - आपका यह सुझाव है. आपने प्रश्न नहीं पूछा है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - उपाध्यक्ष महोदय, मेरा मानना है कि तीनों राज्यों की एक संयुक्त कमेटी बने.
उपाध्यक्ष महोदय - राजेन्द्र जी, अपराधी पुलिस से एक कदम तो आगे रहता ही है पर कानून के हाथ लम्बे होते हैं, वह पल में पकड़ा जाता है. आप यही कहना चाहते हैं कि आप बड़े-बड़े लोगों को पकड़ें.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - उपाध्यक्ष महोदय, मैं सदन, शासन और सबकी मर्यादा के अंतर्गत रहकर यह कहना चाहता हूँ कि कई बार तो नारकोटिक्स विभाग के वाहन भी इसमें उपयोग होते हैं, पुलिस विभाग के वाहन का भी इसमें उपयोग किया जाता है. एम्बुलेंस की जो बात आई है, वह सब आपके सामने है, इसमें सूक्ष्मता में जाने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय - यह आपका सुझाव है. तिवारी जी, आपके यहां तो डोडाचुरा होता ही नहीं है, न ही अफीम होती है. भूमिका बहुत बांधी जा चुकी है, यशपाल जी एवं राजेन्द्र जी ने भी बांधी है. परिहार जी, आप प्रश्न पूछ लें.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं नीमच का विधायक हूँ. अभी जिस दिन होली थी, उस दिन नीमच के बाहर एक ढाबे पर, जिसके यहां 2 किलो दाल नहीं बनती और वे इतने बड़े-बड़े ढाबे हैं, वहां पर अभी डोडाचूरा पकड़ा गया. डोडाचुरा पकड़ने के बाद अधिकारी वहां पर गए तो उन्होंने उस ढाबे का नाम ही दूसरे के नाम पर नामान्तरण कर दिया. उसने चार दिन में इसलिए ढाबा नामान्तरण कर दिया कि वह उन तक न पहुँच पाये तो मेरा माननीय मंत्री महोदय जी से निवेदन है कि उसके जो पीछे हैं, जिसका मूल ढाबा है, उन लोगों की जांच की जायेगी और लगातार नीमच में भी पहले इस प्रकार के प्रकरण हुए हैं और जो यह किसान आन्दोलन हुआ है, इसके पीछे भी बहुत बड़े तस्कर और माफिया लोग रहे हैं, यह हमेशा वातावरण बिगाड़ने के लिए तथा लॉ एण्ड ऑर्डर को खराब करने के लिए भी इस प्रकार की घटनाएं करते हैं. नीमच से नयागांव तक जो ढाबे हैं, उनको भी चैक किया जाये, उनके मालिकों को भी चिन्ह्ति किया जाना चाहिए. मेरा यही निवेदन है और जिनके खिलाफ डोडाचुरा की कार्यवाही हुई, उनके नीचे तक पहुँचनी चाहिए. वैसे एस.पी. साहब ने वहां कार्यवाही की है मगर मूल आदमी को पकड़ना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय - आपका सुझाव था. प्रश्न तो कोई पूछ ही नहीं रहा है. मुझे ऐसा लगता है कि सब इस विषय के विशेषज्ञ हैं. ओम प्रकाश जी बोलिए.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) - उपाध्यक्ष महोदय, प्रश्न यह है कि जितने भी काण्ड हो रहे हैं, उनकी गहराई में न जाकर, क्या ऐसा कोई निर्देश करेंगे कि जो बड़े मूल व्यापारी हैं, जो चिन्ह्ति हैं, जिनके नाम जग जाहिर हैं, कई बार अखबारों में पब्लिश हो चुके हैं, उन तक पहुँचने का पुलिस प्रयास करेगी और यदि प्रयास करेगी तो वह कैसे करेगी ? दूसरा प्रश्न यह है कि जैसा राजेन्द्र जी ने कहा कि छोटे आदमियों को पकड़कर पुलिस वहीं पर चौथ वसूली कर छोड़ देती है और किसी का भी नाम देकर, उन्हें जेल में डाल देते हैं. यह प्रक्रिया कब बन्द होगी ? एक और प्रश्न है.
उपाध्यक्ष महोदय - मूल ध्यानाकर्षण आपका नहीं है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - उपाध्यक्ष महोदय, एक आखिरी विषय यह है कि इन सबके बाद जो प्रकरण वहां दर्ज होते हैं, उन प्रकरणों पर जो चिन्ह्ति वहां ऑफिसर्स कई वर्षों से इन तीन जिलों में कार्यरत् हैं, चाहे वे सिपाही से लेकर टी.आई. और एडीशनल एस.पी. तक हैं तो क्या उनको रोटशन में वहां से हटाने का तुरन्त निर्देश देंगे ? बिना उनके समन्वय अथवा बिना उनकी सहमति के यह नहीं हो सकता है.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय उपाध्यक्ष जी, माननीय सदस्यों ने जो अपनी चिंता व्यक्त की है, उस संबंध में मैं कहना चाहता हूं कि पूर्व में भी पुलिस के द्वारा काफी लोगों पर कार्यवाही हुई है और काफी बड़े-बड़े तस्कर जिनके बड़े नाम हैं, उनको भी पुलिस ने गिरफतार किया है. राजस्थान से भी पुलिस बड़े-बड़े लोगों को गिरफतार करके लाई है, इस प्रकार पुलिस की जानकारी में जो भी लोग हैं, उन पर कार्यवाही लगातार पुलिस के द्वारा हो रही है, परंतु उसके बाद भी यदि माननीय सदस्यों के ध्यान में कोई ऐसे नाम हैं, जो लगता है कि इस काम में सलंग्न हैं और उन पर कार्यवाही नहीं हो रही है, यदि वह नाम मुझे दे देंगे, तो मैं तत्काल कार्यवाही करवा दूंगा.
(मेजों की थपथपाहट)
उपाध्यक्ष महोदय - (एक साथ कई सदस्यों के खड़े होने पर) आप सभी बैठ जायें. आप लोगों के प्रश्नों का समाधान हो गया है. आप लोग यही कह रहे थे कि छोटे लोग पकड़े जाते हैं और बड़े लोग रह जाते हैं. आप लोग मंत्री जी को नाम दे दीजिये, वह कार्यवाही कर देंगे. (व्यवधान)
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने प्वाइंटेड प्रश्न का बोला है. तीन प्वाइंटेड प्रश्न आये हैं, लेकिन सिर्फ एक के बारे में ही उत्तर आया है, दो के बारे में उत्तर नहीं आया है.
उपाध्यक्ष महोदय - (एक साथ कई सदस्यों के खड़े होने पर) डॉ राजेन्द्र पाण्डेय जी आप बैठ जाएं. श्री कैलाश चावला जी खड़े हैं, आप सभी बैठ जायें. (व्यवधान)
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तस्करी के कारण कई युवाओं की मृत्यु हुई है. कई सैकड़ों युवा मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं और लगातार मर रहे हैं. स्मैक, हीरोइन, डोडा-चूरा के अवैध सेवन के कारण लगातार मृत्यु हो रही है. यह बहुत ही दु:खद स्थिति है. मानवीय आधार पर भी यह संवेदनशील मामला है.
उपाध्यक्ष महोदय - डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय जी आप बैठ जायें. मैं आपसे सहमत हूं. आप बैठ जायें. (व्यवधान)
श्री दिलीप सिंह परिहार - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो मूल व्यक्ति हैं. वह बड़े-बड़े होते हैं उन्हें नहीं पकड़ा जाता है. (व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय - (एक साथ कई सदस्यों के खड़े होने पर) श्री कैलाश चावला जी वरिष्ठ सदस्य हैं, उन्हें भी प्रश्न पूछने दें. आप सभी लोग बैठ जायें. (व्यवधान)...
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछले पांच साल से लगातार दंगे हो रहे हैं, उसके पीछे मूल कारण कारण भी यही है. क्या मंत्री जी इस साल दंगा न हो उसके लिये भी कोई व्यवस्था करेंगे ? क्योंकि पिछले पांच साल में नीचम, मंदसौर और रतलाम जिलों में जितने भी दंगे हुए हैं, उन सभी के पीछे मूल रोग यही है.
उपाध्यक्ष महोदय - श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी, आप लिखित में सुझाव दे दीजिये. आप बैठ जाएं. श्री कैलाश चावला जी आप बोलें.
श्री कैलाश चावला (मनासा) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मंदसौर, नीमच एवं रतलाम जिले पर इस तस्करी के बारे में बहुत गंभीर चर्चा हो रही है. मैं इस पर आग्रह करना चाहूंगा कि हमने विभिन्न विभागों की समितियां बनाने की सहमति की है, परंतु इसका मूल कारण क्या है, उस पर हम नहीं गये हैं. मूल कारण यह है कि डोडा-चूरा की डिस्पोजल नीति अभी तक बनी नहीं है, इस पर गृह मंत्री जी और वाणिज्यिक कर मंत्री जी दोनों मिलकर कोई समाधान निकालें कि इसका डिस्पोजल कैसे हो. यह डोडा-चूरा पहले शासन के द्वारा परमिट देकर खरीदवाया जाता था और ठेकेदार खरीदते थे और परमिट के आधार पर उसका एक्सपोर्ट होता था, किंतु अभी पिछले दो सालों से इसके बारे में कोई स्पष्ट नीति नहीं है. अगर इस तस्करी को रोकना है तो शासन को डोडा-चूरा किसानों से क्रय करके स्वयं नष्ट करना होगा. तब जाकर तस्करी रूकेगी. मैं माननीय मंत्री जी से यह आग्रह करते हुए पूछना चाहूंगा कि वाणिज्यिक कर मंत्री जी और आप बैठकर कोई ऐसी नीति बनायेंगे कि किसानों का नुकसान भी न हो और यह तस्करी भी रूक जाये? क्या आप इस बारे में कोई कमेटी बनाकर उसके सुझाव लेकर कोई कार्यवाही करेंगे?
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस संबंध में हम लोग माननीय वाणिज्यिक कर मंत्री जी के साथ बैठक कर लेंगे. हम लोग बैठक के बाद जो भी शासन के स्तर पर कर सकते हैं और जो हम लोगों के अधिकार क्षेत्र में होगा, वह हम करेंगे, क्योंकि इसमें काफी कुछ नीति भारत सरकार भी तय करती है.
श्री कैलाश चावला - मंत्री जी अगर आप विचार करें तो आप इन क्षेत्रों के विधायकों को भी बैठक में बुला लें और उनके सुझाव भी ले सकते हैं.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय सदस्य, हम एक ज्वाइंट बैठक कर लेंगे और उसमें आप सभी को भी बुला लेंगे और उसके बाद आप लोगों के जो सुझाव होंगे, उन सुझावों के आधार पर जो भी शासन कर सकता है, वह हम जरूर करेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस संबंध में जरूरी यह है कि मार्च अप्रैल के बाद अफीम आने वाला है, उसके बाद फिर नया डोडा-चूरा आने वाला है, इसलिए यह कार्य जितनी जल्दी हो जाये, उतना अच्छा है.
श्री भूपेन्द्र सिंह - हम अभी इसी सत्र में मीटिंग बुला लेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - धन्यवाद.
01:05 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति एवं स्वीकृति.
(1) गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति का बाइसवां प्रतिवेदन.
2. नियम समिति का तृतीय प्रतिवेदन.
3. याचिका समिति का याचिकाओं से संबंधित बावनवां, तिरेपनवां एवं चौवनवां प्रतिवेदन.
4. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के कल्याण संबंधी समिति का चतुर्थ प्रतिवेदन
01:06 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति.
उपाध्यक्ष महोदय – आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत की हुई मानी जाएगी.
01:07 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य द्वारा दिनांक 26 फरवरी, 2018 को प्रस्तुत प्रस्ताव पर चर्चा .......(क्रमश:)
उपाध्यक्ष महोदय - अब राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा पुन: प्रारंभ होगी
श्री वेल सिंह भूरिया (सरदारपुर) – माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में विगत 14 साल से हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार निरंतर समाज और जनता के हित में काम कर रही है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार सबका साथ सबका विकास की अवधारणा से कार्य कर रही है. हमारी सरकार की निगाहों से कोई भी वर्ग, तबका छूटा नहीं है, जाति, धर्म, वर्ग से परे सरकार की योजनाओं का लाभ सभी के लिए सुनिश्चित किया गया है. वर्ष 2017 को पंडित दीनदयाल जनशताब्दी वर्ष के रूप में गरीब कल्याण को समर्पित किया गया है. हमारी सरकार ने जिस प्रकार से गरीबी के क्षेत्र में, आदिवासी भाइयों के हित में, किसानों के हित में, सर्वधर्म सम्भाव के साथ में हर समाज को जोड़ने का काम किया है. इस देश में, इस प्रदेश में जाति धर्म से ऊपर उठकर हमारी सरकार दिनों दिन प्रदेश के विकास में निरन्तर कार्य कर रही है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, देश को आजाद हुए 70 साल हो गये. लगभग 50 साल तक इस प्रदेश में कांग्रेस ने काम किया किया और 50 साल के कार्यकाल को हमारे प्रदेश के प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के कार्यकाल को यदि तौला जाए तो यह दीन, दुखी, गरीबों का, आदिवासी भाईयों का मसीहा माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी का पलड़ा भारी होगा और यह 50 साल के कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों का पलड़ा हवा में उड़ेगा. उपाध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार से हमारे वित्त मंत्री आदरणीय मलैया जी ने बजट प्रस्तुत किया है, उसके लिये वे धन्यवाद के पात्र हैं.
श्री शंकर लाल तिवारी--भूरिया जी ने कहा कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री का पलड़ा उड़ जायेगा, वह उड़ चुका है . मेरे भाई अपना वाला वजनदार बनाये रखें.
श्रीमती शकुंलता खटीक -- इसी साल आपके मुख्यमंत्री का पलड़ा भी उड़ने वाला है. ध्यान रखे.
श्री वेल सिंह भूरिया-- उपाध्यक्ष महोदय, 2018-19 में भी कांग्रेस का प्रदेश से सफाया हो जायेगा. कांग्रेस ने बहुत कोशिश की गरीबों को रूलाने की मगर जिम्मेदारी ली हिन्दुस्तान के प्रधान मंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने और मध्यप्रदेश के लाड़ले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गरीबों को हंसाने की.आज मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक ऐसी योजना बनाई सुदूर ग्रामीण आदिवासी क्षेत्र में, धार, झाबुवा, अलीराजपुर, शहडोल, मंडला,अनूपपूर, बालाघाट आदिवासी जिलों के लिये 100 की आबादी तक, 50 की आबादी तक 24 घंटे बिजली देने का काम हमारी सरकार ने किया है.
श्रीमती उषा चौधरी-- आपने प्रश्न लगाया था कि सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र मे एक भी सड़क नहीं बनी है.
श्री वेल सिंह भूरिया -- उपाध्यक्ष महोदय, वित्त मंत्री जी ने जो 2 लाख हजार करोड़ का बजट पेश किया है, कांग्रेस को मलाई खाने को नहीं मिल रही है इसलिये कांग्रेस खिसियानी बिल्ली की तरह व्यवहार कर रही है.
श्रीमती उषा चौधरी -- काम तो कुछ हो नहीं रहा है मलाई तो आप लोग खा रहे हैं. विषय पर बोलें.
श्री वेल सिंह भूरिया -- उपाध्यक्ष महोदय, इस प्रदेश के अंदर अमन-चैन-शांति, कानून व्यवस्था बहुत अच्छी चल रही है. (XXX)
डॉ. गोविंद सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के विधायक के ऊपर आरोप लगाये हैं, इसको विलोपित किया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय --विलोपित
श्री वेल सिंह भूरिया -- किसान आंदोलन में भी कांग्रेस के नेताओं का हाथ था.हमारी सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है. मैं राज्यपाल महोदय को, मुख्यमंत्री महोदय को, वित्त मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद और बधाई देना चाहता हूं.आज नर्मदा का पानी अलीराजपुर में जा रहा है, मेरे धार जिले के बदनावर में जा रहा है. इस योजना को मुख्यमंत्री द्वारा बनाया गया था, मां नर्मदा का पानी थांदला में जा रहा है, सरदारपुर में आ रहा है. कुक्षी में आ रहा है.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल -- मां नर्मदा का पानी, गुजरात और राजस्थान में चला गया है. सरदारपुर, धार और कुक्षी को मां नर्मदा का पानी नहीं मिलेगा. आपको पानी के लिये आंदोलन करना पड़ेगा.
श्री वेल सिंह भूरिया -- उपाध्यक्ष महोदय, 5 हजार करोड़ से अधिक का विकास कार्य शिवराज सिंह जी ने सरदारपुर तहसील में किया है, इसके लिये वित्त मंत्री जी को और संसदीय कार्य मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद.पहले गरीबों को पीने के लिये पानी नसीब नहीं होता था इसके लिये हमारी सरकार ने नल जल समूह योजना स्वीकृत की. 24 घंटे बिजली गांव में अनवरत रूप से मिल रही है.पानी मिल रहा है..
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल- उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के लोगों को न सिंचाई के लिये पानी मिल रहा है न पीने के लिये मिल रहा है.
श्री वेल सिंह भूरिया -- हनी भाई बैठ जायें. 6 माह के लिये क्यों विरोध कर रहे हैं, 6 माह के बाद आपको भाजपा में आना पड़ेगा. कांग्रेस के बारे में दो लाईन कहना चाहता हूं :
(XXX)
उपाध्यक्ष महोदय- इसको विलोपित करें. मीठी मीठी बातें करें.
श्री वेलसिंह भूरिया -- माननीय उपाध्यक्ष जी, चाय में शक्कर नहीं, तो पीने का क्या मजा और सदन में यदि तिवारी जी जैसे और हमारे नाम भूल गया हमारे वरिष्ठ सदस्य, यदि विरोध नहीं करें, तो विधान सभा में क्या मजा.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- उपाध्यक्ष महोदय, यहां क्या कवि सम्मेलन हो रहा है. ..(व्यवधान)..
श्री वेलसिंह भूरिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बोलने ही नहीं दे रहे ..(व्यवधान).. यह एक आदिवासी विधायक का विरोध कर रहे हैं, सदन के अंदर बोलने नहीं दे रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- वैसे आप भी लोगों को बहुत डिस्टर्ब करते हो. ...(हंसी)...
श्री रामनिवास रावत-- वेल सिंह जी, जैसा नाम है हूबहू वैसे ही गुण भरे हुये हैं.
श्री वेलसिंह भूरिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जिस प्रकार से हमारे ऊर्जावान प्रधानमंत्री, माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने देश और समाज के निर्माण में कार्य किया है, उससे हमें केन्द्र सरकार का भरपूर सहयोग मिल रहा है. हमें विश्वास है कि सरकार सभी क्षेत्रों में प्रदेश को देश का अग्रणी राज्य बनाने में सफल होगी. हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने सबसे ज्यादा, लाखों की तादाद में प्रधानमंत्री आवास दिये. देश आजाद हुये 70 साल हो गये, 70 साल में 50 साल तक कांग्रेस का राज था. मैं पूछना चाहता हूं कि पहले इंदिरा आवास योजना आती थी उसमें 20 हजार की राशि आती थी, 25 हजार की राशि आती थी, कच्ची, पक्की के नाम से 12 हजार, 15 हजार रूपये मिलते थे, वह 20 हजार रूपये सरपंच की भेंट चढ़ जाया करता था, 20 हजार में से 2 हजार सरपंच ले लिया करता था, 1 हजार रूपये पंचायत का सचिव ले लिया करता था. ..(व्यवधान)...
उपाध्यक्ष महोदय-- सुरेन्द्र सिंह जी बैठ जाइये, आपका नंबर आयेगा तब बोल लीजियेगा. ..(व्यवधान)... बघेल साहब जो बोल रहे हैं, यह नहीं लिखा जायेगा.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- (XXX)
श्री वेलसिंह भूरिया-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कांग्रेस के राज में सरपंच, मंत्री, विधायक, सांसद के चक्कर लगाते थे, आज हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार में ऐसा नहीं होता है, पंच परमेश्वर योजना के अंतर्गत हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार में पंचायतों को ही निधि दे दी. जनसंख्या के आधार पर हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार गांव के विकास के लिये रूपया दे रही है, क्षेत्र के विकास के लिये, गली-गली, मोहल्ले-मोहल्ले में नाली निर्माण के लिये, सीमेंट कांक्रीट रोड के लिये दे रही है, हनी भैया बोल रहे हैं, मैं मानता हूं, लेकिन इस बात को स्वीकार करो.
श्री सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल-- (XXX)
श्री वेलसिंह भूरिया-- आपके पापा एक रूपया नहीं देते थे, लेकिन हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार में, हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी जी की सरकार में ऐसा नहीं होता. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सबका साथ, सबका विकास के साथ में हमारी सरकार चल रही है. मध्यप्रदेश के लाडले मुख्यमंत्री जी ने गरीबों का ध्यान रखा, दीन, दुखी एवं दरिद्रों का ध्यान रखा, गरीब की थाली में भोजन देने का काम किया. आज एक गरीब, आदिवासी विदेश पढ़ने के लिये जा रहा है. यह 50 साल पहले भी हो सकता था. मैं इस सदन में सीना ठोककर कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के लाडले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी के कार्यकाल में जितने डिप्टी कलेक्टर बने, जितने डीएसपी बने और जितनी आदिवासी भाईयों की नौकरी लगी, किसी की सरकार में नहीं लगी.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गरीब आदिवासी महिला वर्ग पर ध्यान दिया है. उन्होंने दीन-दुखी-दरिद्र का ध्यान दिया. देश के अंदर सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत आवास दिये तो हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने दिये. कांग्रेस बात करती है, कांग्रेस को मलाई खाते नहीं आ रही है, उनको मलाई मिल ही नहीं रही है. मलाई इसलिये नहीं मिल रही है कि माननीय शिवराज तथा माननीय जयंत मलैया जी ने एक कानून बनाया. एक बार 1990 में राजीव गांधी जी ने संसद के अंदर बोला था कि मैं केन्द्र से 100 रूपये भेजता हूं विकास के लिये तो 15 पैसे पहुंचते हैं. उस समय मैं सातवीं क्लास में पढ़ता था. मैंने उस समय राजीव गांधी जी को एक चिट्ठी लिखी थी. प्रदेश में आपकी सरकार, जिले में आपकी सरकार, तहसील में आपकी सरकार है तो 100 रूपये में से 15 पैसे मौके पर पहुंचते हैं तो बाकी पैसे कहां जाते हैं. कहीं न कहीं आपके विधायक, सांसद और आपकी सरकार और आपके मंत्री की भेंट चढ़ जाते थे मेरे पास उसका जवाब भी आया था कि उसमें हम सुधार भी करेंगे, ऐसा राजीव गांधी जी ने बोला था. माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा केन्द्र से जो पैसे भेजे जाते हैं वह पूरे के पूरे जमीन पर लगते हैं. हम उसकी मॉनिटरिंग करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--आपको 13 मिनट हो गये हैं आप बैठ जाएं. अब अनुमति नहीं है.
श्री वैलसिंह भूरिया--एक मिनट और दे दीजिये.
उपाध्यक्ष महोदय--वैल सिंह द्वारा अब जो बोला जाएगा उसको नहीं लिखा जाएगा. आपको 14 मिनट हो गये लगातार बोल रहे हैं. बैठ जाएं.
श्री वैलसिंह भूरिया-- (XXX)
श्रीमती शीला त्यागी (मनगवां)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं चौदहवीं विधान सभा के पांचवें महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के संबंध में कहना चाहती हूं कि यह एक संवैधानिक प्रक्रिया है, विधान सभा की प्रक्रिया है कि जब कभी भी बजट भाषण होगा तो राज्यपाल महोदया जी ने जिस तरह से अभिभाषण दिया है इससे यह प्रतीत होता है कि सरकार का यशगान महोदया जी से करवाया गया है. यह सरकारी की आंकड़ेबाजी है और जादूगरी है. धरातल में इसका कोई लेना-देना नहीं है. चुनावी वर्ष है सरकार के 14 वर्ष पूरे हो चुके हैं. मैं यही कहना चाहती हूं कि अभिभाषण का जो पत्रक है इसमें भी यही लिखा हुआ है कि सरकार गरीब कल्याण वर्ष मना रही है, लेकिन गरीबों का कितना कल्याण हो रहा है, यह योजनाओं के क्रियान्वयन से पता चलता है. गरीबों का उनकी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. पात्र लोग अभी भी योजनाओं से वंचित हैं और अपात्र लोग बड़ी होशियारी से सरकार की योजनाओं का
लाभ उठा रहे हैं और मलाई छान रहे हैं. अभी भी गरीबों के नाम गरीबी की रेखा में नहीं जुड़े हैं. आज भी गरीब लाल-पीले कार्ड लेकर हाथों में सरकारी दफ्तरों में चक्कर काट रहे हैं. एक तरफ सरकार यही नारा लगा रही है कि सबका साथ, सबका विकास, लेकिन यह नारा धरातल पर नहीं है. सरकार की मंशा है कि गरीब का कल्याण हो उनको योजनाओं का लाभ मिले, लेकिन अमीरों और गरीबों की खाई मध्यप्रदेश में इन 14 वर्षों में और बढ़ गई है. राज्यपाल महोदया के द्वारा सरकार का जो यशगान कराया गया है उसमें बेरोजगारी का कहीं भी कोई उल्लेख नहीं है. 14 वर्षों में आज भी बेरोजगार गली-गली घूम रहे हैं उनको आरक्षण का भी कोई लाभ नहीं मिला है. जितने भी सरकारी अधिकारी-कर्मचारी हैं उनकी पदोन्नति में आरक्षण का लाभ उनको नहीं मिल पा रहा है. नई भर्ती हो नहीं रही है. पूरी प्री प्लानिंग के तहत एस.टी. एस.सी.ओ.बी.सी. की जो भर्तियां थीं उनको खत्म करने का प्लान किया है. यहां तक मैं यह भी बता दूं कि सरकार ने जो भी एस.टी.ए. सी.ओ.बी.सी. के नाम से जो कल्याण विभाग बना रखे हैं उन कल्याण विभागों में आज भी कागजों में ही उनका कल्याण हो रहा है. जो अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के छात्रावास हैं, हॉस्टल्स हैं वहां पर फर्नीचर नहीं है, बिजली नहीं है. मेरी विधान सभा में गंगेव जैसे मुख्यालय में एक अनुसूचित जाति का छात्रावास है वहां पर बिजली ढाई सालों से कटी हुई है. मैंने सौर ऊर्जा प्लांट के नाम से वहां पर 7 लाख रुपये की लागत से सौर ऊर्जा का प्लांट दिया था वहां उससे लाईट जल रही है. न अतिरिक्त कक्ष हैं. आप सरकार के जो मंत्रीगण है सरकार उन होस्टलों में जाकर देखे तो वहां इतनी गंदगी का अंबार है और यह सरकार कह रही है कि हम गरीबों का कल्याण कर रहे हैं. सबका साथ ले रहे हैं सबका विकास कर रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है बड़े-बड़े पूंजीपति देश को चूना लगाकर उनको इस देश से भगा दिया जाता है और गरीब किसान,मजदूरों को बैंक के द्वारा उनकी कुर्की की जाती है यह सरकार की मंशा सही नहीं है. गरीबों का साथ इस तरह से नहीं दिया जाता.सरकार चाहती तो गरीबों के कल्याण के लिये जो ईमानदार आफीसर है उनको लाईन अटैच नहीं करती. ईमानदार आफीसरों को फील्ड में उनकी नियुक्ति देती और जब जाकर सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन होता. नर्मदा बचाओ अभियान के तहत करोड़ों रुपये खर्च कर दिये गये. 4 करोड़ रुपये जो हेलीकाप्टर पर खर्च किये गये,सरकार चाहती है कि समाज में समरसता स्थापित हो तो एस.सी.,एस.टी. बस्तियों में जाकर उनकी नाली,उनके पेयजल,उनके स्वास्थ्य के लिये शौचालय के लिये अगर यही पैसा खर्च किया जाता तो हो सकता था कि सामाजिक समरसता आती. यह जो गरीबी और अमीरी की खाई है इसको भी पाटने में दिक्कत नहीं होती. मैं बताना चाहती हूं लाड़ली लक्ष्मी योजना,यह सरकार बहुत ढिंढोरा पीट रही है कि लाड़ली लक्ष्मी योजना के माध्यम से मध्यप्रदेश की बच्चियों को हम बहुत बड़ा लाभ दे रहे हैं बहुत बड़ा खजाना दे रहे हैं लेकिन उपाध्यक्ष महोदय, बच्चियां कह रही हैं कि मामा के इस झूठे जाल से हमें निकालिये. हमें पैसा नहीं चाहिये लेकिन इस तरह से हमें भ्रम जाल में नहीं फंसना है. बच्चियां कह रही हैं कि यह असत्य बोलने वाले मामा जी से हमें बचाईये. नकली परियोजना अधिकारी के माध्यम से नकली शपथपत्र दिये जा रहे हैं. जब वह परियोजना अधिकारी रिटायर हो जायेगा तो वह झूठा पत्रक लिये वे लाड़ली लक्ष्मी कहां घूमेंगी. दर-दर भटकेंगी. किस बैंक में जायेंगी. साथ ही साथ मैं यह कहना चाहती हूं सरकार ने एकात्म यात्रा निकाली. धर्म के नाम पर कब तक भोले-भाले लोगों को आप लूटते रहेंगे. उनको भ्रम में डालते रहेंगे. मैं किसी धर्म के खिलाफ नहीं हूं. मैं खुद हिन्दू धर्म को मानती हूं. सभी धर्मों को मानती हूं. मानव धर्म सबसे बड़ा धर्म होता है,अगर मानव का असली कल्याण सरकार करना चाहती है तो ऐसी झूठी एकात्म यात्राओं को निकालकर लोगों को दिग्भ्रमित करने का काम नहीं करती. सरकार गरीबों की बस्तियों में जाकर देखे आज गर्मी का समय है आज गरीब लोग सुबह से शाम तक 4 से 5 कि.मी. तक पानी के लिये भटकते रहते हैं. मजदूरी करने के लिये टाईम नहीं मिलता. जल ही जीवन है. जल नहीं रहेगा तो इंसान मर जायेगा,अगर गांव का कोई संभ्रांत और बड़ा आदमी उनको अपने बोर से पानी नहीं दे तो गांव के गांव प्यासे मर जायेंगे. एकात्म यात्रा की जगह एक-एक गांव में एक-एक नल,जल योजना दी जाती, जो 20-20 लाख रुपये दिये गये हैं उसके लिये, उन योजनाओं को अभी तक चालू नहीं किया गया है. अभी भी 20-20 लाख रुपये का दुरुपयोग हो रहा है और साथ ही साथ जो यह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो भ्रष्टाचार मेरे मनगंवा में तो है ही पूरे मध्यप्रदेश में इस प्रधानमंत्री आवास योजना का आलम है. सचिव,पटवारी और वहां के दलाल टाईप के लोग आज भी 20-20 हजार रुपये लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना को ये लोग पलीता लगा रहे हैं चूना लगा रहे हैं. हमारी बहन कु.मायावती जी जब उत्तर प्रदेश में 4 बार सरकार बनाईं थीं तो उन्होंने साढ़े तीन लाख रुपये नहीं दिये. लड़ाई का काम नहीं किया. उन्होंने अलग से सरकारी जमीनों पर कालोनियां बनाकर दीं. कालोनी ही बनाकर नहीं दी स्वास्थ्य,बिजली,पानी की सारी समस्याओं को दूर करके उन कालोनियों में उन्होंने एक अच्छा सा संदेश दिया और आज उत्तर प्रदेश में जाकर देख लें इन कालोनियों में कितना अच्छा संचालन हो रहा है. इसी तरह मध्यप्रदेश की सरकार को करना चाहिये था. लड़ाने का काम नहीं करना चाहिये था. भ्रष्टाचार का काम नहीं करना चाहिये था.
1.29 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
सदन के समय में वृद्धि विषयक
उपाध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य का वक्तव्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री रामेश्वर शर्मा,सदस्य द्वारा दिनांक 26 फरवरी,2018 को प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा (क्रमश:)
श्रीमती शीला त्यागी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बिजली विभाग में जितना भ्रष्टाचार है शायद ही किसी और विभाग में हो. बिजली विभाग के जितने भी अधिकारी,कर्मचारी हैं गरीब किसानों को फर्जी बिल देकर उनको तंग करते हैं और ट्रांसफार्मर बदलने की प्रक्रिया तेज नहीं करते जितना कि फर्जी बिल न देने पर लोगों को परेशान किया जाता है. मेरा भी 4 साल का कार्यकाल बीत गया और 14 वर्षों से भाजपा की सरकार मध्यप्रदेश में है. मैं यही कहना चाहती हूं कि जनता इस बार आपको सबक सिखाकर रहेगी. जिस प्रकार से अभी आपने उपचुनाव में देख लिया है और आप कह रहे हैं कि एससी, एसटी, ओबीसी की जितनी बस्तियां हैं उन बस्तियों को हम आत्मनिर्भर बनाएंगे. आप कैसे आत्मनिर्भर बनाएंगे, जब उनको रोटी, कपड़ा और मकान की मूलभूत जो आवश्यकताएं हैं उनको अभी तक आपने पूरा नहीं किया है?
श्री सूबेदार सिंह रजौधा - उपाध्यक्ष महोदय, आज महिला दिवस है. हमारी बहन जी को अच्छी बात करना चाहिए, किसको ठिकाने लगाना है? आपका पूरा सदन सम्मान कर रहा है, आप सम्मान की बात करिए.
श्रीमती शीला त्यागी - माननीय सदस्य महोदय, आप हमसे बहुत सीनियर हैं, पितातुल्य हैं. मैं जितनी बात कर रही हूं. आपने अभी विधान सभा में प्रश्न लगाया था कि हमारी विधान सभा में पेयजल की समस्या है..
श्री गोपाल परमार - उपाध्यक्ष महोदय, बीएसपी ने अपने आपको कांग्रेस के यहां गिरवी रख दिया है.
श्री कुंवर विक्रम सिंह - एकदम सत्य बात बोली है.
श्रीमती शीला त्यागी -.. जब आपकी विधान सभा में समस्याएं नहीं हैं तो आपने सरकार के खिलाफ विधान सभा में प्रश्न क्यों लगाया? आप सरकार के विधायक हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - आप उनकी बात का जवाब न दें. आप अपनी बात खत्म करें.
श्रीमती शीला त्यागी - उपाध्यक्ष महोदय, मैं अब ज्यादा कुछ न कहते हुए आपने मुझे बोलने का जो इतना समय दिया, उसके लिए मैं धन्यवाद देती हूं. मैं इतना ही कहना चाहती हूं कि सरकार को चाहिए कि सारे विभागों में जो लंबित प्रकरण पड़े हुए हैं.
श्री गोपाल परमार - और तो और समाजवादी पार्टी के वहां पर गिरवी हो गये.
उपाध्यक्ष महोदय - अब आप अपनी बात कहकर समाप्त करिए.
श्रीमती शीला त्यागी - उपाध्यक्ष महोदय, एक आखिरी बात कहना चाहती हूं कि नर्मदा किनारे की जो शराब की दुकानें थीं, सरकार ने तो वह बंद कर दीं. लेकिन जो गांव-गांव में पैकारियां चल रही हैं, क्या सरकार उनको बंद करना चाहेगी? उनको बंद कर देना चाहिए, नहीं तो जो बेरोजगार युवक हैं, वे नशे में धुत होकर, जो इस देश की नींव हैं, वे नशे से बर्बाद हो रहे हैं और हमारा प्रदेश ही नहीं, देश भी नशे की गर्त में समा रहा है. मैं यह कहना चाहती हूं कि नर्मदा के किनारे जैसी और भी पैकारियां बंद कर दी जाएं, जिससे हमारे नौजवान युवा नशे की गर्त में न जाकर समाज की तरक्की, खुशहाली के लिए और समाज के विकास के लिए अपनी हिस्सेदारी भी निभाएं. उपाध्यक्ष महोदय, जो आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय- सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिए स्थगित.
(1.33 बजे से 3.00 बजे तक अन्तराल)
3.10 बजे { उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए }
श्री के.पी. सिंह (पिछोर) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण पर अपनी बात रखने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं अपनी बात की शुरुआत करता हूं. महिलाओं की उपस्थिति कम है. आज महिला दिवस है इस मौके पर महिला सशक्तिकरण के लिये मेरी बहुत सारी शुभकामनायें कि इनका भविष्य उज्जवल हो और हमारे पुरुष प्रधान समाज में विधानसभा में बहुमत रखकर जो विधानसभा चला रहे हैं, भविष्य में इनकी उपस्थिति यहां पर और भी ज्यादा हो.
उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में बिन्दु क्रमांक 5 में नर्मदा सेवा यात्रा का जिक्र है. उसके सबसे नीचे लिखा गया है नशामुक्त समाज का निर्माण. अब नशामुक्त समाज के निर्माण की बात हम राज्यपाल जी के अभिभाषण में करते हैं और 66 दुकानें नर्मदा के किनारे से बंद करने की बात भी पिछले समय से हुई है. मैं इस विधानसभा में पिछले समय से लगातार एक संकल्प लगा रहा हूं शराब बंदी के ऊपर चर्चा के लिये. नरोत्तम जी ने सहमति व्यक्त की थी कि हम उस पर चर्चा करायेंगे, लेकिन यह इस सरकार का आखिरी बजट सत्र है.आज तक उस संकल्प पर चर्चा नहीं हो पाई. मैं राज्यपाल जी के इस अभिभाषण के माध्यम से सिर्फ संसदीय कार्य मंत्री जी से इतना कहना चाहता हूं, भले ही ये चूंकि आगे पीछे डिप्टी सीएम बनने की स्थिति में हैं, पता नहीं 6 महीने में बनें न बनें, क्योंकि सारी जवाबदारी इनको निर्वाह करना पड़ रही है. तो मेरा निवेदन है कि उस संकल्प पर चर्चा तो करा लें, कम से कम यह तो जान लें कि सदन क्या चाहता है. आप बंद करेंगे, नहीं करेंगे, यह आपका निर्णय है, लेकिन कोई विषय चर्चा के लिये आया है, तो उस पर सरकार को चर्चा कराना चाहिये. सरकार को उससे भागना नहीं चाहिये. आज एक बड़े अच्छे विषय पर चर्चा हुई. सिसोदिया जी ने शुरुआत की और मालवांचल पर चर्चा यहां हुई और लगभग सत्ता पक्ष के ही सारे विधायकों ने वस्तु-स्थिति बयान की. तो ऐसे विषयों पर एक तो सदन में कम से कम चर्चा हो कि आखिरकार हम चुनकर जो प्रतिनिधि आये हैं, जो हमसे लोग उम्मीद करते हैं, उस पर चर्चा होना चाहिये. चूंकि अभिभाषण की चर्चा के शुरुआत में इसलिये कह रहा हूं कि मैं एक संयमित आचरण वाला व्यक्ति हूं, ज्यादातर मैं सोचता हूं कि मर्यादाओं, सीमाओं में रहकर ही कोई बात रखी जाये और संसदीय परम्परा का अनुसरण किया जाये. मलैया जी और ससंदीय कार्य मंत्री जी मौजूद हैं. मुझे उम्मीद है कि आप इस बजट सत्र में उस पर चर्चा करायेंगे और अपने विधायकों की और साथ में हमारे साथियों की भी आप एक राय तो समझें कि आखिरकार है क्या. हम आपके सामने माकूल बात रखेंगे और साथ में आपके रेवेन्यू के नुकसान की बात बारबार हम चर्चा में सुनते हैं. मलैया जी एक बार चर्चा कर रहे थे कि रेवेन्यू की भरपाई कहां से होगी. हम उस पर भी आपको समाधान देंगे. लेकिन आपको चर्चा तो कराना ही चाहिये, क्योंकि आप बात सिर्फ नर्मदा सेवा मिशन के माध्यम से या नर्मदा के आस पास दुकानें बंद करके करना चाहते हैं. तो मैं समझता हूं कि ऐसे नशा मुक्त समाज का निर्माण प्रदेश में संभव नहीं हो सकता. सिर्फ नर्मदा जी के किनारे, मैं तो मानता हूं कि नर्मदा जी के किनारे भी इस तरह से, जिस तरह से आप कर रहे हैं, वह हो नहीं पायेगा. लेकिन पूरे प्रदेश की चिंता हमें करना चाहिये और उसी तरह से हमारी नर्मदा सेवा की बात है, उसी तरह से तमाम हमारी कालीसिंध नदी का किनारा भी है, चम्बल नदी का किनारा भी है और बहुत सारी नदियां पूरे प्रदेश में हैं, उनकी बात भी सामने आये. तो मलैया जी, मेरा बड़ी गंभीरता से आपसे आग्रह है कि आप इस पर चर्चा कराइये. आप चर्चा करायेंगे तो बहुत सारे समाधान अपने आप हमारे सामने आयेंगे. आप 7 वर्ष से कोई नई दुकान नहीं खोल रहे हैं. बात सही है, ऑफिशियली तो आपने कोई दुकान नहीं खोली, लेकिन प्रदेश में ऐसा कोई मजरा, टोला, गांव, मोहल्ला नहीं बचा है, अब तो होम डिलीवरी तक हो रही है. हकीकत है. यह आप भी मानते हैं, आप कहें न कहें, लेकिन सिर्फ कागजों में हम दुकान न खोलें, सरकारी आदेश में दुकान न खोले और गली मोहल्ले हरेक कहीं ऐसी जगह नहीं बची है, जहां शराब की उपलब्धता न हो. किस तरफ हम समाज को ले जाना चाहते हैं और इसका शिकार हो रहा है सबसे गरीब आदमी. पैसे वालों को कोई अंतर नहीं पड़ता. लेकिन गरीब आदमी जो 200-400 रुपये मजदूरी कमाता है, उसके परिवार की क्या हालत है, इस बात का अंदाजा जो ग्रामीण क्षेत्र से लोग चुनकर आते हैं, उनको इसका अच्छी तरह से अंदाजा होगा. नरोत्तम मिश्र जी भी ग्रामीण क्षेत्र से चुनकर आते हैं. वे घूमते-घामते काफी हैं, तो उन्हें अंदाज होगा कि उन परिवारों की हालत हो क्या रही है. इसलिये मेरा आग्रह है कि इस पर चर्चा होना चाहिये. मलैया जी, मैं एक बात कहना चाहता हूं कि एक संकल्प आया था, इसी के लिये हाउस बुलाया गया था. नर्मदा जी को जीवित इकाई माना था और उसमें डॉ. गोविन्द सिंह जी एवं तमाम हमारे सदस्यगण बोले कि नर्मदा मां का सीना कहें कि क्या कहें,जिस तरह से वहां गतिविधिया संचालित हो रही हैं, जिस तरह से अभी आज आपकी ही पार्टी के माननीय सदस्य, श्री गिरीश गौतम जी ने बात की और जवाब भी बड़े विचित्र आते हैं, तो जब आपने जीवित इकाई मान लिया और उसके बाद वहां पर अपराध घटित हो रहे हैं, तो फिर कार्यवाहियां नहीं हो पाती हैं, यह मुझे सरकार की दोहरी नीति समझ में नहीं आती है. कथनी कुछ और करनी कुछ. यह कथनी और करनी का अंतर जब तक आप सही नहीं करेंगे, तब तक मैं समझता हूं कि यह अभिभाषण के माध्यम से जो भी बात आप करते हैं, उसका कोई अर्थ रह नहीं जाता है और उसका परिणाम यह हो रहा है कि हमारी उपस्थिति, चाहे सत्ता पक्ष की हो या विपक्ष की, कम हो रही है. कोरम के लिए बार-बार घंटी बजती रहती है और सदस्यगण नहीं आते हैं, वे क्यों नहीं आते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि जो बात यहां हो रही है, उस पर कुछ होना ही नहीं है. यहां पर सिर्फ चर्चा होगी, चर्चा के बाद कुछ होना जाना नहीं है. यह संसदीय परम्परा की बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति हो रही है कि जनता का विधायकों पर से भरोसा उठ रहा है. इस बारे में आपको विचार करना चाहिए. माननीय संसदीय मंत्री जी, यह व्यंग्य वाली बात नहीं है, यह हकीकत है. आप गंभीरता समझें न समझें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- उपाध्यक्ष जी, मैंने तो कुछ कहा ही नहीं.
श्री के.पी. सिंह -- उपाध्यक्ष जी, ये मुस्करा रहे हैं. इसमें मुस्कराने वाली क्या बात है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मुस्कराने पर भी प्रतिबंध है ?
श्री के.पी. सिंह -- आज आपको बार-बार घंटी बजानी पड़ती है, सदस्यगण आते नहीं हैं, कोरम पूरा नहीं होता है. कल पहला दिन था और पहले दिन यह स्थिति बनी.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- उपाध्यक्ष जी, इतने अच्छे दिन और क्या आएंगे कि आज के.पी. सिंह जी अवैध माइनिंग पर बात कर रहे हैं, शराबबंदी पर बात कर रहे हैं..(हंसी) इससे अच्छे दिन और क्या आएंगे कि आज जय श्रीराम के नारे कांग्रेस के लोग लगा रहे हैं. इससे अच्छे दिन और क्या आएंगे कि परम पूज्य दिग्विजय सिंह जी नर्मदा परिक्रमा कर रहे हैं. इससे अच्छे दिन और क्या आएंगे कि राहुल गांधी जनेऊ धारण कर रहे हैं. और कितने अच्छे दिन की उम्मीद हम करेंगे.
श्री के.पी. सिंह -- आपको तो खुश होना चाहिए.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- मैं खुश हूँ. मैं इसी पर तो खुश था और आपने टोक दिया कि बैठे-बैठे मुस्करा रहे हैं. उपाध्यक्ष जी, मुझे बोलने नहीं दिया जा रहा है, बैठे-बैठे मुस्कराने नहीं दिया जा रहा है, आप इन दोनों की सीट अलग करवा दें.
श्री के.पी. सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, हमारे दाढ़ी वाले तिवारी जी यहां मौजूद नहीं हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- आज जब पोश्त, चूरा, डोढ़ा की बात हो रही थी तो आपने हमारे तिवारी जी को बोलने नहीं दिया. क्या यह जरूरी है कि उनके इलाके में यह पैदा नहीं होता तो उसके सेवन के बारे में, उसके ज्ञान के बारे में वे न बता सकें.
श्री के.पी. सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, श्री शंकरलाल तिवारी जी यहां मौजूद नहीं हैं. वे आवारा पशुओं के बारे में यहां संकल्प लेकर आए थे. चूँकि सरकार ने राज्यपाल के अभिभाषण के बिंदु क्रमांक-21 में पशुपालन संरक्षण की बात की है, दूध की बढ़ोतरी की बात भी की गई है, यह अच्छी बात है. लेकिन चाहे रीवा संभाग हो, चाहे ग्वालियर संभाग हो, चाहे बुंदेलखण्ड संभाग हो, सभी संभागों में पशु संरक्षण की ऐसी हालत हो रही है कि सारे के सारे पशु रात को आपको रोड पर मिलेंगे. गांव में बैठे हुए मिलेंगे. हम जब पशु संरक्षण की बात करते हैं तो क्या हमारी जवाबदारी उन पशुओं के लिए नहीं है जिनकी हत्या रोकने की बात हम करते हैं. गौमाता की हत्या रोकने की बात हम करते हैं. जगह-जगह पर कहीं ट्रक पकड़े जाते हैं, कहीं कुछ होता है, तो क्या हम उनके लिए कोई व्यवस्था न करें. हालांकि तिवारी जी ने इस बात को लेकर यह चर्चा की थी कि किसान परेशान हैं. मेरा कहना यह है कि किसान तो परेशान हैं ही, पशु सबसे ज्यादा परेशान हैं, उनके लिए जमीन ही नहीं बची. वे कहां जाएं, क्या करें. उनके संरक्षण की बात तो हम करते हैं, गौशालाएं भी बना देते हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- गोचर भूमि बची ही नहीं है.
श्री के.पी. सिंह -- सिसोदिया जी, प्लीज सब्जेक्ट मत बदलो.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा -- गोचर की सबसे ज्यादा जमीनें दिग्विजय सिंह जी ने काटी थी.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया -- जमीन कहां से लाएं.
श्री के.पी. सिंह -- 14 साल से आप सरकार में हैं. 14 साल बाद भी आप यह कहेंगे कि हम क्या करें, आपके मामले में मंत्री जी का यही जवाब आया था कि असहाय हैं. गृह मंत्री जी ने कहा था क्या करें, क्या न करें. 14 साल बाद कमेटी बनाने की बात आप कर रहे हैं, जब 4-6 महीने चुनाव के बचे.
उपाध्यक्ष महोदय -- के.पी. सिंह जी, आप अपनी बात कहें.
श्री के.पी. सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात कह रहा हूँ. पशु संरक्षण के बारे में भी सरकार को सोचने की जरूरत है.
उपाध्यक्ष महोदय -- दो मिनट में अपनी बात समाप्त भी करें.
श्री के.पी. सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, दो मिनट में, मैं अभी समाप्त कर देता हूँ.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं नहीं, ऐसा नहीं, दो मिनट में समाप्त करें.
श्री के.पी. सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया, धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- नहीं नहीं, दो मिनट और बोल लें.
श्री के.पी. सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, बोलना कोई जरूरी नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय -- प्रसन्न हैं, नाराज तो नहीं हो गए.
श्री के.पी. सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, नहीं, मैं प्रसन्न हूँ.
श्री राजेन्द्र मेश्राम (देवसर) -- उपाध्यक्ष महोदय, बहुत-बहुत धन्यवाद. मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कुछ निवेदन करना चाहता हूँ. चूँकि आज सदन में श्रद्धेय नेता प्रतिपक्ष जी नहीं हैं. कल नेता प्रतिपक्ष जी कह रहे थे कि वर्तमान सरकार को अपने 14 साल के कार्यों की जानकारी होनी चाहिए. मैं यह निवेदन करना चाहता हूँ कि वे बिल्कुल सही कह रहे थे, लेकिन तुलनात्मक चर्चाएं भी इस सदन में होनी चाहिए. जब देश आजाद हुआ और आजादी के बाद जब लोकतांत्रिक पद्धति का संचालन हुआ तो मुझे लगता है कि आजादी के बाद लगभग साढे़ अड़तालीस साल एक लंबे कार्यकाल में कांग्रेस के लोगों ने राज किया. साढे़ अड़तालीस साल राज किया और साढे़ अड़तालीस साल भी उन्होंने क्या कार्य किए और चौदह सालों में हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने और हमारे प्रदेश के लाड़ले मुख्यमंत्री जी ने क्या कार्य किए, इसकी तुलनात्मक जानकारी सदन में जरूर होनी चाहिए और इसकी चर्चा भी होनी चाहिए. डॉ. गोविन्द सिंह जी बडे़ वरिष्ठ और विद्वान नेता हैं. कल वे कह रहे थे कि वर्तमान सरकार माननीय श्री शिवराज सिंह जी की सरकार ऋण लेकर काम कर रही है. बिल्कुल सही कह रहे थे. मैं सदन के माध्यम से डॉ.गोविन्द सिंह जी से पूछना चाहता हॅूं कि जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी, तो क्या वह ऋण नहीं लेती थी ? ऋण लेती थी लेकिन उनके लोग सिर्फ अपना विकास करते थे. आज फर्क यह आ गया है कि भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रावादी विचारों के लोग होने की वजह से एक-एक जनकल्याणकारी योजनाओं को प्रदेश तक पहुंचा रहे हैं और जिस एकात्म मानववाद की बात हम कर रहे थे उसे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का काम कर रहे हैं इसलिए ऋण ले रहे हैं, यह अंतर है. उन्होंने जो देश और प्रदेश में साढ़े अड़तालीस साल बीमारू राज्य के नाम से काम किए, पूरे सदन में लोग कहते हैं कि बीमारू राज्य के नाम से जाना जाता था लेकिन आज इन चौदह साल में जब प्रदेश की बागडोर एक किसान व्यक्ति संभालता है और वह जमीनी चीजों को जानता है कि मेरे प्रदेश की क्या जरूरत है और सारी जनकल्याणकारी योजनाओं को, एक-एक, छोटी-छोटी योजनाओं को जमीन तक पहुंचाने का काम करता है. इसी का परिणाम है कि आज मध्यप्रदेश पूरे देश में विकसित राज्य की श्रेणी में खड़ा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, चौदह वर्ष पूर्व विकास दर कुछ वर्षों में नकारात्मक भी रहा करती थी और जो हमेशा देश की औसत विकास दर से कम रहती थी. आज हम तुलना कर लें. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को साधुवाद और धन्यवाद देना चाहता हॅूं कि आपने सजग प्रहरी की तरह जब से मध्यप्रदेश की बागडोर संभाली है तब से मध्यप्रदेश चहुंमुखी विकास कर रहा है. वर्ष 2017-18 के आंकडे़ ले लीजिए तो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के अग्रिम अनुमान के अनुसार राज्य की अर्थव्यवस्था में स्थिर मूल्य पर 7.3 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की है और जो राष्ट्रीय वृद्धि दर से अधिक है, यह अपने आप में एक मिसाल है. मैं सदन को और अपने मित्रों को भी यह तुलनात्मक जानकारी देना चाहता हॅूं कि कम से कम हम लोग सही तथ्यों के अनुसार अपना विचार सदन में रखें और यह विकास दर इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इस वर्ष पूरे प्रदेश में मानसून कमजोर रहा है और प्रदेश के कई अंचल सूखे से प्रभावित रहे. हम विकास की बात करते हैं "सबका साथ-सबका विकास" तो निश्चित रूप से यह हो रहा है. मैं जिस क्षेत्र से आता हॅूं वह अनुसूचित जाति क्षेत्र है और जिला सिंगरौली है. जब कांग्रेस की सरकार रही तब सीधी जिला हुआ करता था और सिंगरौली जिला बनाने के लिए अनशन और हड़ताल करते थे लेकिन कभी जिला नहीं बना लेकिन जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आयी तब श्रद्धेय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने प्रदेश की बागडोर संभाली और जब वहां की जनता ने उनसे निवेदन किया तो उन्होंने तुरंत, जैसा उनका स्वभाव है स्वीकार किया और सिंगरौली को जिला बना दिया तो सिंगरौली के जिला बनने से कितना विकास हुआ, यह वहां के लोग भी देख रहे हैं और विपक्ष के लोग भी देख लें. नेता प्रतिपक्ष जी नहीं हैं उनके श्रद्धेय दाऊ साहब ने प्रदेश की बागडोर संभाली. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को और जल संसाधन मंत्री जी को भी साधुवाद और धन्यवाद देना चाहता हॅूं. वह सूखा अंचल था, वहां किसान लोग पानी के लिए तरसते थे हमारा किसान मानसून पर आश्रित रहता था और जब वर्ष 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आयी, जब दूरदृष्टि रखने वाले राष्ट्रवादी विचारों के लोग प्रदेश में और देश में बागडोर संभालते हैं तो वह अंतिम व्यक्ति की कैसी चिंता करनी चाहिए, अपने प्रदेश का कैसा विकास होना चाहिए, छोटी-छोटी चीजों की चिंता करते हैं और उस चिंता का परिणाम है कि जिस सिंगरौली जिले में कभी बाँध नहीं हुआ करता था, आज वहाँ गौड़ परियोजना का जालपानी बाँध, जो 1200 करोड़ की लागत से बजट में भी आ गया और उससे 83 हजार एकड़ भूमि सिंचित होगी उससे मेरे एरिया के सभी किसान खुशहाल होंगे.मैं इसके लिए विभाग को भी धन्यवाद देना चाहता हूँ और हम लोगों ने सतत् प्रयास किया और माननीय मुख्यमंत्री जी जो कि विराट और विशाल ह्रदय के धनी हैं उन्होंने तुरंत स्वीकृति दी और जल संसाधन मंत्री जी ने भी उसमें अपनी सहमति दर्ज की उनको भी मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ. एक विकास की बात है सकारात्मक सोच का सवाल है.
उपाध्यक्ष महोदय-- 2 मिनट में समाप्त करें.
श्री राजेन्द्र मेश्राम-- मैं कुछ और बिंदुओं पर बात करना चाहता हूं लेकिन समय की मर्यादा है तो मैं भी आपके आदेश का पालन करता हुआ कुछ निवेदन करना चाह रहा था कि बार-बार कांग्रेस के मित्रों ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग पर राजनीति की. इनसे यह लोग सिर्फ वोट लिया करते थे और देश के संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की दुहाई देकर यह अपना वोट बटोरते थे लेकिन बड़ा खेद का विषय है कि जो संविधान के निर्माता थे, जो दिल्ली में 26 अलीपुर रोड में रहा करते थे, जिस कोठी में रहकर उन्होंने संविधान लिखा था, जब कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी उनकी उस कोठी को उन्होंने बेच दिया था उस समय जिंदल ने उनकी उस कोठी को खरीद लिया था और उस कोठी को खरीदने का पवित्र काम किसी ने किया था तो इस देश में जब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रवादी विचारों के लोग और पंडित अटल बिहारी को जब देश की बागडोर संभालने का मौका मिला था, मैं उनको प्रणाम् करता हूँ धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने इतना पवित्र कार्य किया कि उस संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर जिस कोठी में निवासरत् थे और जो कोठी कांग्रेस के शासन काल में बेच दी गई थी उस जमीन को खरीदकर उन्होंने शासन को दे दिया था इसलिए मैं उन अटलबिहारी बाजपेई जी को धन्यवाद और साधुवाद देना चाहता हूं. मैं वर्तमान प्रधानमंत्री को भी धन्यवाद और साधुवाद देना चाहता हूं, उस पवित्र स्थान के लिए जब वह आए तो उन्होंने 114 करोड़ की देश के नाम एक राष्ट्रीय धरोहर बने उसकी घोषणा की थी और इस बार 14 अप्रैल 2018 को एक भव्य स्मारक देश के सामने समर्पित करने जा रहे हैं इसलिए मैं नरेन्द्र भाई मोदी को धन्यवाद देना चाहता हूँ. लोगों ने सिर्फ डा. भीमराव अंबेडकर का नाम बेचकर राजनीति की है. मैं सभी दल के लोगों से, सभी मित्रों से निवेदन करना चाहता हूँ कि डॉ. अंबेडकर किसी दल विशेष के व्यक्ति नहीं थे, कोई दल विशेष के जय भीम करने से जय भीम नहीं होता है. जय भीम तो विश्व के लोग करते हैं, डॉ. भीमराव अंबेडकर का नाम विश्व की धरोहर है. वह विश्व में व्याप्त हैं लेकिन चंद लोग और चंद दलों के लोग समझते हैं कि डॉ. भीमराव अंबेडकर की विरासत सिर्फ उनकी है. जिस दिन इस देश में नरेन्द्र भाई मोदी जैसे देश के प्रधानमंत्री बने और दिल्ली की बागडोर से कहा कि अगर आज मैं बोलने के लायक हूँ और मुझ पर जो खून है वह डॉ. भीमराव अंबेडकर का खून है तो वह सारे दल जो उनका नाम का उपयोग करते थे उनके पेट में दर्द होने लगा क्योंकि जब यह राष्ट्रवादी विचारों के लोग अंतिम व्यक्ति के विकास की सचमुच में बात करते हैं तो विरोधी मित्र सिर्फ विरोध ही करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप समाप्त करें.
श्री राजेन्द्र मेश्राम-- धन्यवाद उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया.
श्री दिनेश राय(सिवनी)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर मैं अपनी बात रखने के लिए खड़ा हुआ हूँ. मुझे यह कह कर बड़ा दुख हो रहा है कि मेरे जिले सिवनी में नगरपालिका अध्यक्ष हों, जिला पंचायत अध्यक्ष हों, चाहे सांसद हों, चाहे मंत्री जी हों, चाहे मुख्यमंत्री जी हों, चाहे प्रधानमंत्री हों, वह सब आपके भारतीय जनता पार्टी के हैं उसके बाद भी सिवनी की जनता का कौनसा गुनाह है ? और जिलों में आप मेडीकल, इंजीनियरिंग कालेज दे रहे हैं, कृषि महाविद्यालय दे रहे हैं लेकिन इन साढ़े 4 सालों से मेरे जिले के साथ छलावा किया गया है. राज्यपाल के अभिभाषण में ढूंढ रहा था फिर बजट भाषण में भी खूब ढूंढा कि सिवनी के लिए कुछ मिल जाये. कुछ छोटी-मोटी रूटीन की आपने दी है लेकिन जनता ने आपको इतने वोट दिये हैं. उसका कर्ज नहीं चुका रहे हैं फिर अगले चुनाव में जनता आप पर कैसे कर्ज चढ़ाएगी यह मेरी समझ के परे है. मुख्यमंत्री जी जो घोषणा करके आए थे कम से कम उनको तो पूरा करवा दें. वित्त मंत्री जी बैठे हैं उन्होंने पेंच परियोजना दी उसके लिए धन्यवाद देता हूँ. लालमाटी क्षेत्र के लिए मैंने आपसे 2-3 बार निवेदन किया है किन्तु आज भी उसका सर्वे शुरु नहीं हुआ है. वहां पर बहुत घटिया काम हुआ है आप एक बार वहां का निरीक्षण कर लें तो आपको वहां के हालात मालूम चल जाएंगे. पुलिस के कर्मचारियों को पर्याप्त छुट्टियां नहीं दे रहे हैं. आप कहते हैं मध्यप्रदेश विकसित राज्य है. आपके कर्मचारियों को भत्ता पर्याप्त नहीं मिल रहा है. 8 घंटे के स्थान पर उनसे 20-20 घंटे काम करवा रहे हैं. कहीं न कहीं ज्यादती तो है. सभी विभाग के संविदा कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं, शिक्षाकर्मी हड़ताल कर रहे हैं, आशा एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, कुटवार यह सब हड़ताल पर क्यों जा रहे हैं. वेतन विसंगति है इनको पर्याप्त वेतन नहीं दे रहे हैं जिसके कारण यह लोग सरकार के खिलाफ हैं. कल मेरी बहन हिना जी प्रधानमंत्री आवास के बारे में बोल रहीं थीं. वास्तव में इसमें बिना लिए दिए कुछ नहीं हो रहा है. हर आदमी इसमें मुँह बाए हुए बैठा है. भ्रष्टाचार बढ़ गया है इस पर कहीं-न-कहीं रोक लगाएं. मैं मानता हूँ कि मुख्यमंत्री और मंत्री अच्छे हैं, लेकिन आपके अधीनस्थ अधिकारी, कर्मचारी आपको पलीता लगा रहे हैं. उन्होंने आपको हटाने का मन बन लिया है. आप इन अधिकारियों पर नजर रखें. इन अधिकारियों के मन में आपके प्रति बैर आ गया है. यह अच्छाइयां बताने का काम करते हैं लेकिन सब असत्य बातें हैं. जो राजा होता है वह प्रजा की स्थिति जानने के लिए भेष बदलकर जाता है. मंत्री जी आप भी भेष बदलकर क्षेत्र में जाइए और देख लीजिए कि आखिर क्या हो रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारे क्षेत्र में एक खेल ग्राउन्ड मिला है. हमारे यहां एक सीईओ आए हैं जो सिंगरौली में व अन्य स्थानों पर भी पदस्थ रहे हैं. उन्होंने एक गाड़ी अपने नाम से खरीद ली है और किराए से चला रहे हैं. इस संबंध में मैंने विधान सभा में प्रश्न लगाया तो उसका उत्तर घुमा-फिराकर दिया गया. तीन बार मेरे द्वारा प्रश्न लगाया गया है. जिला पंचायत का भ्रष्ट सीईओ वहां बैठा है वह सचिव का ट्रांसफर करने का 50-60 हजार रुपए ले रहा है. इस जिले का कोई माँ-बाप नहीं है यहां कोई विकास नहीं हो सकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी ने एडीएम के बारे में लखनादौन में कहा था. जब वहां पर मुख्यमंत्री जी आते हैं तो 2-3 दिन के लिए एडीएम बैठ जाते हैं उसके बाद वे नहीं आते हैं. मेरा आपसे आग्रह है कि शिक्षक, डॉक्टर हमारे क्षेत्र में नहीं है. प्रदूषण कार्यालय, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग कार्यालय नहीं है इसके लिए दूसरे जिलों में जाना पड़ता है. सभी जिलों की रेल लाइन का काम हो गया है परन्तु सिवनी जिले की रेल लाइन अभी भी अधूरी पड़ी हुई है. स्कूलों की बिल्डिंग नहीं है, बाउण्ड्रीवॉल नहीं है, शिक्षक नहीं हैं. सोयाबीन का मुआवजा नहीं मिला. कृषि मंत्री स्वयं गए और घोषणा करके आए थे कि मैं इस प्रदेश का कृषि मंत्री हूँ मैं दिलवाऊंगा. मैंने स्वयं देखा है कि पूरी फसल चौपट हो गई है लेकिन आज तक सोयाबीन का कोई मुआवजा नहीं मिला है, बीमे की राशि भी नहीं मिली है.
उपाध्यक्ष महोदय, आज महिला दिवस है. वित्त मंत्री जी से कहना चाहता हूँ कि महिला महाविद्यालय के लिए भवन नहीं है कम से कम उनके लिए भवन की राशि आवंटित करें. हमारे यहां धोबी समाज का एक घाट था उस पर एक राष्ट्रीय पार्टी ने कब्जा करके अपना कार्यालय बना लिया है, धोबी तक को नहीं छोड़ा है. वे लोग कपड़े कहां धो रहे हैं भगवान जाने. सिवनी शहर के बच्चे जब प्रतियोगी परीक्षा देने जाते हैं तो उन्हें दूसरे शहरों में जाना पड़ता है. 70 लाख रुपए का वृक्षारोपण हमारे जिले में हुआ जिसमें लखनादौन ब्लाक से सिर्फ 5 लाख के पौधे आए हैं बाकी सब पौधे यूपी से आए हैं जिनकी गलत तरीके से बिलिंग हुई है. इसकी आप जांच करा लेंगे तो आपको पता चल जाएगा कि वृक्षारोपण के नाम पर कितना भ्रष्टाचार अधिकारियों और कर्मचारियों ने किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, ट्रांसपोर्ट नगर की मुख्यमंत्री जी घोषणा करके आए थे. 44 करोड़ की लागत से पशु आहार केन्द्र की भी घोषणा की गई थी यह आज तक नहीं हो पाया है. नशामुक्ति अभियान की बात चल रही थी. मैं नशे का हमेशा विरोधी रहा हूँ मैं चाहता हूँ इस पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. लेकिन यदि नहीं लगा रहे हैं तो मैं एक निवेदन करता हूँ और मैं जानता हूँ इसका विरोध होगा. मैं कहता हूँ आप छूट दे दीजिए. आप तो पान की दुकान, किराने की दुकान इन सब में दारु बिकवाइए, सब जगह छूट दे दीजिए. आप छोटे-छोटे गांवों में बियर बार खुलवाइए. इसकी जब बहुतायत हो जाएगी तो छुपकर पीना बंद हो जाएगा. गांव-गांव में दारु वैसे ही बिक रही है उसे वैध कर दीजिए इससे सरकार की आय बढ़ेगी.
उपाध्यक्ष महोदय, भावान्तर योजना कहीं-न-कहीं व्यापारियों ने फेल की है. अभी बात चल रही थी कि 45 साल कांग्रेस की और 15 साल भाजपा की सरकार रही है. इन सरकारों ने आखिर क्या काम किया है. 14-15 साल में जनसंख्या भी तो बढ़ी है इसमें क्या सरकार का हाथ है. इस पर भी आप कुछ अंकुश लगाएं, धन्यवाद.
श्री मुरलीधर पाटीदार (सुसनेर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है और हमारे माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने सबसे ज्यादा जोर शिक्षा पर दिया है. निश्चित तौर पर गरीब मां-बाप के बच्चे पढ़ नहीं पाते थे क्योंकि शिक्षा बहुत महंगी हो गई थी लेकिन उन्होंने 70 प्रतिशत अंक लाने वाले उन समस्त छात्रों के लिए कॉलेजों की फीस चाहे वह मेडीकल कॉलेज में जाएं, इंजीनियरिंग कॉलेज में जाएं, आई.आई.टी. कॉलेज में जाएं, आई.आई.एम. कॉलेज में जाएं, नर्सिंग कॉलेज में जाएं या पॉलिटेक्निक कॉलेज में जाएं सबकी फीस माफ करके एक नया इतिहास रचा है. निश्चित तौर पर गरीब मां-बाप के बच्चे भी अब आई.ए.एस., आई.पी.एस, डॉक्टर, इंजीनियर बनने का जो सपना संजोए हुए थे वह पूरा होगा. यह हमारी सरकार की बहुत ही महत्वपूर्ण सौगात है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में आप देखो तो कभी किसी गरीब परिवार वाले व्यक्ति ने नहीं सोचा होगा कि हम फोन लगाएंगे और जननी-एक्सप्रेस हमारे घर पर आकर खड़ी हो जाएगी. वह सिर्फ घर पर आकर खड़ी ही नहीं होती है वह घर से लेकर जाती है और प्रसूति के बाद वह गाड़ी वापस घर तक छोड़ने भी आती है और इसी के साथ-साथ अगर वह मजदूर बहन है तो उसको 6 माह की मजदूरी भी मिलती है. यह माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत ही स्वागत योग्य कदम है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में निश्चित तौर पर डॉक्टर की कमी है और डॉक्टर की कमी इसलिए है कि डॉक्टर फैक्ट्री में तो पैदा होते नहीं हैं लेकिन सरकार ने काफी मेडीकल कॉलेज खोले हैं और मेडीकल कॉलेज में सीटें भी बढ़ाई हैं जिसका लाभ आने वाले समय में मिलेगा. हम पीने के पानी की बात करें तो मेरे विधान सभा क्षेत्र के ही 211 गांवों में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था के लिए बजट आवंटित हो गया है और जो समूह नल-जल योजना है उसका सर्वे भी चालू हो चुका है और निश्चित तौर पर कुंडलिया डेम सरकार की एक बहुत बड़ी सौगात है. जब हम वर्षों पहले प्राइमरी क्लास में पढ़ते थे तब नाम सुनते थे लेकिन सरकार के इसी कार्यकाल में न सिर्फ उसका सर्वे हुआ बल्कि भूमिपूजन से लगाकर वह डेम लगभग पूरा होने की स्थिति में पहुंच चुका है और पूरे विधान सभा क्षेत्र को उससे पीने के पानी की व्यवस्था और शत-प्रतिशत सिंचाई करने की व्यवस्था सुनिश्चित हो चुकी है. यह लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है. यह राजगढ़ जिले और आगर जिले के किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होगा. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का दिल से आभार व्यक्त करता हूं. किसान के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण पानी है अगर पानी किसानों को दे दो तो बाकी की व्यवस्था तो वह स्वयं जुटा ही लेता है. हमारे सिंचाई मंत्री जी भी यहां पर हैं उनकी भी विशेष रूप से कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं कि नहरों का सर्वे कार्य चल रहा है चुनाव के पहले जल्द से जल्द नहरें चालू हो जाएंगी तो चार चांद लग जाएंगे. हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी का भाव देखिए, भारतीय जनता पार्टी का भाव देखिए, समरसता अभी सभी जगह एकात्म यात्राएं निकालीं और जिसमें सब समाज के लोग चाहे किसी भी उच्च कुल का हो या नीच कुल का जो परम्पराएं पहले से हैं इन धारणाओं को तोड़ा है. स्वामी शंकराचार्य जी के बारे में मध्यप्रदेश का कोई व्यक्ति नहीं जानता था कि उन्होंने ओंकारेश्वर में शिक्षा प्राप्त की थी. ऐसे महापुरुष को सम्मान दिया और उसके साथ सर्वदलीय समुदाय को भी सम्मान के साथ उस यात्रा में सहभागी बनाया. निश्चित तौर पर समाज में समरसता का भाव पैदा किया है. हमारे प्रतिपक्ष के भाई अगर सबसे ज्यादा चिंता करते हैं तो नर्मदा की करते हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय पाटीदार जी को जानकारी देना चाहता हूं कि शंकराचार्य महोदय सन् 1985 में ओंकारेश्वर आए थे आप कह रहे हैं कि किसी को मालूम ही नहीं था.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- वह सन् 1985 में तो थे ही नहीं. मैं आदि शंकराचार्य जी की बात कर रहा हूं.
श्री अजय सिंह-- मैं तो दयानंद सरस्वती महाराज की बात कर रहा हूं.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- ऐसे तो बहुत सारे है परंतु मैं तो आदि शंकराचार्य जी की बात कर रहा हूं. हर घर में शंकराचार्य हैं.
श्री अजय सिंह-- आपके यहां भी हैं.
श्री मुरलीधर पाटीदार-- शंकराचार्य जी तो सभी जगह मिल जाएंगे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में सरकार द्वारा शानदार गौ-अभ्यारण्य की शुरूआत की गई है. यह विश्व का एक अनोखा गौ-अभ्यारण्य है. चूंकि वहां गायें मर रही थीं इसलिए कुछ लोगों को पेट में बड़ा दर्द हो रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप भी जानते हैं कि 4500 गायों में से 2-4 गायें तो मरती ही हैं. जिसने जन्म लिया है, उसे मरना ही है और हम भी इसी चक्र में शामिल हैं. आप हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी की सोच देखिये कि गायों के लिए सरकार अपनी ओर से व्यवस्था कर रही है.
श्रीमती ऊषा चौधरी- गायें बिना पानी और भूसे के सड़-सड़कर गौ-शालाओं में मरी हैं.
श्री मुरलीधर पाटीदार- मैडम जी, आप आकर देख लें. वहां इतना भूसा है कि भूसे ही भूसे के ढेर लगे हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह- भूसे के अलावा कुछ नहीं है.
श्री मुरलीधर पाटीदार- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वहां बहुत ही शानदार गौ-अभ्यारण्य की कल्पना को कागज पर ही नहीं बल्कि साकार कर दिया गया है. वहां कई अनुसंधान केंद्र बन गए हैं. गौ-अभ्यारण्य में संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों की पोस्टिंग हो गई है. गौ-माता के लिए पूर्व की सरकारों ने जो गोचर खत्म कर दी थी, उसके बारे में वापस यदि गौ-माता की सुरक्षा के लिए किसी ने सोचा है तो वह हमारी भारतीय जनता पार्टी की सरकार और माननीय मुख्यमंत्री जी ने ही सोचा है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक जमाने में थाने के चक्कर लगा-लगाकर आदमी परेशान हो जाता था और उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं होती थी लेकिन आज केवल 100 नंबर लगाओ और डायल 100 उसके दरवाजे पर खड़ी हो जाती है. कोई भी व्यक्ति कितना ही प्रभावशाली क्यों न हो, गरीब व्यक्ति भी उसके खिलाफ एफ.आई.आर. करवा सकता है और उसकी सुनवाई होती है. यह सारी अद्भुत योजनायें हैं. पहले हम कभी-कभी विदेशी फिल्मों की शूटिंग में देखते थे कि पुलिस की गाड़ी का सायरन कैसे बजता है और कैसे गाड़ी पीडि़त के घर पहुंच जाती है लेकिन आज वही चीज हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी ने गांव-गांव और मजरे-मजरे तक डायल 100 के रूप में पहुंचा दी है. यह एक करिश्मा ही है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय,108 तो अपना जलवा बिखेर ही रही है. आज दुर्घटना होने पर तत्काल 108 आ जाती है. पहले घायल आदमी घंटों सड़क पर पड़ा रहता था, कोई उसकी नहीं सुनता था लेकिन आज मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रारंभ की गई 108 के द्वारा चाहे कोई भी व्यक्ति हो, चाहे उसके साथ कोई हो या न हो, 108 उसे अस्पताल तक पहुंचाती है और उसे इलाज मिलता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज पहली बार आपने मुझे बोलने के लिए पर्याप्त समय दिया, इसके लिए धन्यवाद. जय हिन्द. भारत माता की जय.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल के अभिभाषण पर बोलना चाह रही हूं. जिस तरह राज्यपाल के अभिभाषण में सरकार के तमाम् लोगों ने सरकार की गाथा गायी है, जिस तरह से तमाम् यात्राओं पर यात्रायें निकाली जाती हैं और उन यात्राओं के बहाने सरकार का पैसा खर्च किया जाता है यदि इन यात्राओं के स्थान पर ''संविधान यात्रा'' निकाली जाये तो समाज को ज्ञात होगा कि हमारे देश का कानून क्या है, हमारे देश का संविधान क्या है, हमारा अधिकार और मानवाधिकार क्या है. इसके अलावा विकास यात्रा की जाये. इन यात्राओं में एस.पी., कलेक्टर, मंत्री और विधायक सभी हों.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे पूरे प्रदेश में पानी की समस्या है. मैं अधिक तो नहीं जानती लेकिन मेरे जिले के अंदर बूंद-बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे हैं. तालाबों में पानी नहीं है, नदियां सूखी पड़ी हैं. बरगी का पानी वर्ष 2017-18 में सतना लाने की बात कही गई थी लेकिन आज तक उसकी मेढ़ तक नहीं खोदी गई है. बाणसागर का पानी भी नहरों में नहीं दिया जा रहा है. मैं कहना चाहती हूं कि ऐसी यात्रा निकाली जाए जिससे किसान का हित हो, नौजवानों का हित हो, मानव जीवन ढंग से संचालित हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बिजली के लिए राज्यपाल के अभिभाषण में कहा गया कि हम 24 घंटे बिजली दे रहे हैं और किसानों को 10 घंटे बिजली दे रहे हैं. एक-डेढ़ महीने तक ट्रांसफार्मर जले रहते हैं. गांवों में बिजली के खम्भे तो खड़े हैं लेकिन बिजली नहीं है अपितु बिजली के बिल ग्रामीणों को जरूर थमा दिए जाते हैं और ये बिल इतने ज्यादा थमा दिए जाते हैं कि जहां कनेक्शन नहीं हुए हैं वहां भी बिजली के बिल 2-3 हजार तक चले जाते हैं. किसान चिंता में डूबा हुआ है. किसान को पानी और बिजली न मिलने के कारण ही हमारा सतना जिला सूखा घोषित किया गया है. सूखे के कारण किसान की खेती नहीं हो रही है और पीने को पानी भी नहीं मिल रहा है. गौरक्षा के नाम से सरकार ने जो तमाम योजनाएं चलायी हैं, उसमें तमाम लोगों के साथ में घटनाएं हुई, लोगों के साथ मारपीट की गई, लोगों पर असत्य आरोप लगाकर कि उनके पास गाय का मांस था, इसलिये उनको लोगों ने मारा-पीटा. उन गायों की रक्षा के लिये गांवों में गौशाला नहीं खोली जा रही है. वह गाय पानी के बिना तड़प रही हैं, गायें पानी के बिना तड़प रही हैं. इसलिये मेरा मानना है कि बरगी बांध का पानी जल्दी चालू किया जाये और सतना जिले में लाया जाये ताकि किसानों का हित हो सके, जिसका सरकार डिंढोरा पीटती है.
उपाध्यक्ष महोदय, नल-जल योजना पर मैंने पिछले साल भी राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर बोला था, उसके पहले भी राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर बोला था और अभी भी राज्यपाल महोदया के अभिभाषण पर बोल रहे हैं कि नल-जल योजनाएं बंद पड़ी हुई हैं. सरकार द्वारा हर साल सिर्फ नल-जल योजनाएं बनती हैं, परंतु वह संचालित नहीं हो रही हैं. अगर हम गांव-गांव में विकास यात्राएं चलायें, जब गांव में सारे पदाधिकारीगण जायेंगे तो उसी समय योजनाओं को बनाकर संचालित किया जाये, भले ही चार-छ: गांव में विकास यात्रा एक ही दिन निकले तो मेरा मानना है कि प्रदेश का विकास हो सकता है और इस देश का संविधान भी पूर्ण रूप से लागू हो सकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदया जी के अभिभाषण में जिस तरह से कहा गया है कि हमारी सरकार ने शराब की नयी दुकानें संचालित नहीं की हैं. यह हमारे कई सदस्यों ने कहा है कि आज गांव-गांव में जिस तरह शराब बिक रही है, हमारा नौजवान शिक्षा की तरफ जाने की बजाए भटक कर नशे की ओर चला गया है. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की बस्तियों में खुले तौर पर शराब बिक रही है. दूर की बात नहीं करती हूं मेरे घर के सामने अनुसूचित जाति की बस्ती है गडि़याटोला, वहां पर मैं रहती हूं. वहां पर शराब की दुकान खोल दी गयी है. वहां से इतनी गाडि़यां निकलती हैं, जिससे वहां पर एक्सीडेंट भी होते हैं. राज्यपाल जी के अभिभाषण में जिस तरह कहा गया है, यह सरकार असत्य और फरेब की बनी हुई है. सरकार योजनाएं बनाती हैं, प्रोपोगंडा रचती है, लेकिन उन योजनाओं पर क्रियान्वयन नहीं होता है.
उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना के अंतर्गत सतना जिले के एक युवक अजय साकेत ने माननीय मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना के तहत बस खरीदी. एक अनुसूचित जाति के शिक्षित नौजवान ने बस खरीदी तो उसको एक साल से उसको बस चलाने का परमिट नहीं मिला. वह अपनी बस नहीं चला पा रहा है, इस तरह से नौजवानों को रोजगार मिल रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, जिस तरह से आज अनुसूचित जाति के लिये रोजगार की बात कही गयी है, किसानों के संबंध में बात कही गयी है. आज तक एक भी तालाब नहीं खोदा गया है.पिछले साल हम लोगों से सूची ली गयी, विधायकों से अनुमोदन लिया गया, पीएचई विभाग से अनुमोदन लिया गया, लेकिन एक साल से वह सूचियां पड़ी हुई हैं, उन पर काम नहीं हो रहा है. हैंडपंपों की, तालाब खनन की सूचियां ली गयीं, मंगल भवन बनाने के लिये सूचियां ली गयीं, क्योंकि जो सरकार की नीति है कि अब अनुसूचित जाति, जनजाति की बस्तियों में, गांवों में स्कूल बारात ठहरने के लिये नहीं दिया जायेगा, वहां पर मंगल भवन बनाया जायेगा. लेकिन सूचियां तो ली गयीं, बजट पेश हुआ, लेकिन मंगल भवन नहीं बन रहे हैं. पिछले साल एक विधान सभा क्षेत्र में तीन मंगल भवन दिये गये थे, वह लोग कहां जायें. जिस तरह शौचालय का लक्ष्य प्राप्त करने के सरकार ने कहा है. मैं तो देखती हूं कि मेरे क्षेत्र में कोई भी शौचालय संचालित नहीं है, वहां पर पानी भी नहीं है. अगर किसी ने शौचालय बना भी लिया है तो उसका पैसा सीईओ नहीं दे रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी के सांसद और विधायक प्रधानमंत्री आवास की बात करते हैं, वह उन प्रधानमंत्री आवास के जाकर वहां पर अपना फोटो खिंचवाने का काम करते हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज तक तीसरी किश्त जारी नहीं हो पाई है, उनकी मजदूरी नहीं मिल पाई है. मैं तो कहती हूँ कि सरकार के मंत्रियों को दौरा करके देखना चाहिए, अपने-अपने क्षेत्र में मत रहिए, नहीं तो आपका सन् 2018 में सूपड़ा साफ हो जायेगा. जिस तरह असत्य का पुलिंदा मानकर चलते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - ऊषा जी, अब आप समाप्त कीजिए.
श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक मिनट लूँगी. मैं कहना चाह रही थी कि अभी हमारे भाई मेश्राम जी कह रहे थे कि बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम से राजनीति की जाती है, वे सत्य कह रहे थे. सन् 1956 के बाद बौद्ध सत्र संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर का नाम दफन कर दिया गया था. (XXX) लेकिन सन् 1984 में इस देश में एक ऐसा मसीहा पैदा हुआ, जिसने बहुजन समाज पार्टी बनाकर तमाम महापुरुषों के नाम से मेले लगाए.
उपाध्यक्ष महोदय - इस शब्द को विलोपित करें.
श्रीमती ऊषा चौधरी - उपाध्यक्ष महोदय, (XXX) बाबा साहेब अम्बेडकर की जयन्ती तो मनाई जाती है लेकिन बाबा साहेब की प्रतिमाएं कभी नहीं तोड़ी गईं. लेकिन भाजपा की सरकार में बाबा साहेब अम्बेडकर की प्रतिमाएं तोड़ी जाती हैं, उन पर मुकदमा भी कायम नहीं होता है. (शेम-शेम की आवाज) आज तक क्यों नहीं अम्बेडकर यात्रा निकाली गई. मैं तो कहती हूँ कि देश के अन्दर ही नहीं, विश्व के अन्दर बाबा साहेब अम्बेडकर से महान और सन्त पुरुष कोई नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय - इस शब्द को विलोपित करें.
...(व्यवधान)....
श्री सूबेदार सिंह रजौधा - बहन जी, क्या आप कभी महू नहीं गईं ?
श्रीमती ऊषा चौधरी - आपको कुछ ज्ञान ही नहीं है. बाबा साहेब अम्बेडकर के नाम से राजनीति की जाती है.
उपाध्यक्ष महोदय - अब आप समाप्त करें ...(व्यवधान)....
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - आप जरा देखिये. भारतीय जनता पार्टी ने ही महू में सबसे बड़ा स्मारक बनाया है. आप अपनी जानकारी दुरुस्त करें.
श्रीमती ऊषा चौधरी - आप देखिये. मैं तो हर साल देखती आई हूँ.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - आप एक बार इन्दौर के पास महू जाकर देखिए.
श्रीमती ऊषा चौधरी - आपने बाबा साहेब अम्बेडकर का इतिहास मिटाकर रख दिया है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - आप बाबा साहेब के नाम पर राजनीति करना बन्द कर दें. बाबा साहेब सबके थे, आपके अकेले के नहीं.
...(व्यवधान)....
श्रीमती इमरती देवी - अगर बाबा साहेब को इतना चाहते हो तो सदन में बाबा साहेब की तस्वीर लगवा लो.
श्रीमती ऊषा चौधरी - उपाध्यक्ष महोदय, बाबा साहेब अम्बेडकर की झोपड़ी के चारों तरफ कांच से मँड़वाकर उनके इतिहास को, उस झोपड़ी को कायम रखना चाहिए था. लेकिन उस झोपड़ी को हटवाकर वहां पर निर्माण कार्य कराया गया, उनका इतिहास मिटाने का काम किया गया.
उपाध्यक्ष महोदय - ऊषा जी, अब आप समाप्त कीजिए.
श्रीमती ऊषा चौधरी - उपाध्यक्ष जी, आपने मुझे बोलने का मौका दिया. उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. जय हिन्द, जय भारत.
श्री रामेश्वर शर्मा - आपने लखनऊ की झोपड़ी देखी है कि नहीं. अगर लखनऊ की झोपड़ी मिसाल बन सकती है तो भारत के संविधान निर्माता की झोपड़ी भव्य वैभव वाली बिल्डिंग अट्टालिका क्यों नहीं बन सकती है ?
श्रीमती ऊषा चौधरी - लखनऊ जैसी झोपड़ी बनाकर दिखा दो. आपको सरकार बनाए हुए 15 वर्ष हो गए हैं. आप लोगों ने क्या किया है ? आप दोनों ने वही एक काम किया है ...(व्यवधान)....
श्री शंकरलाल तिवारी - उपाध्यक्ष महोदय, राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा करवाइये.
श्रीमती ऊषा चौधरी - (XXX)
उपाध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दीजिये.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - बाबा साहेब को झोपड़ी में नहीं, भारतीय जनता पार्टी ने महल में बिठाया है.
श्रीमती ऊषा चौधरी - आप उनकी जयन्ती में छुट्टी देने का काम तो करते नहीं हैं. आप पूर्णतिथि तो मानते नहीं हैं. 6 दिसम्बर की राष्ट्रीय छुट्टी नहीं होती है और आप कहते हैं कि हम बड़ा नाम देने का काम करते हैं. हम लोगों ने लड़ाई लड़ी तब आप लोगों ने 14 अप्रैल की छुट्टी देने का काम किया.
उपाध्यक्ष महोदय - ऊषा जी, आपकी बात आ गई है. आपकी सारी बातें आ गई हैं. सुन्दरलाल जी आप शुरू करें.
श्री वेलसिंह भूरिया - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अम्बेडकर जी की मूर्ति माननीय अटल बिहारी बाजपेयी जी ने महू में लगवाई थी. भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने देश की सबसे बड़ी मूर्ति लगाई है.
...(व्यवधान)....
उपाध्यक्ष महोदय - श्री सुन्दरलाल तिवारी जी के अलावा, जो कोई भी बोलेगा. वह कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री वेलसिंह भूरिया - (XXX)
....... (व्यवधान) ........
श्रीमती ऊषा चौधरी - (xxx)
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल- (xxx) (व्यवधान) ........
उपाध्यक्ष महोदय - आप सभी बैठ जायें. श्रीमती ऊषा चौधरी आपको मैंने पर्याप्त समय दिया है. आपने बहुत प्रभावशाली ढंग से अपना विषय रखा है. अब आप उस गंभीरता को खत्म मत करिये. (श्री दिनेश राय (मुनमुन) के अपने आसन पर खड़े होने पर) श्री मुनमुन जी आप बैठ जायें. श्री सुन्दरलाल तिवारी जी आप बोलें. (व्यवधान) ........
श्रीमती ललिता यादव - (xxx)
श्री शंकरलाल तिवारी - (xxx)
श्री के.के.श्रीवास्तव -(xxx)
श्री लाल सिंह आर्य -(xxx)
........(व्यवधान)........
उपाध्यक्ष महोदय - मंत्री जी आप तो अनुशासन रखें. आप सभी बैठ जायें. (व्यवधान) .....
4.01 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय - श्री सुन्दरलाल तिवारी जी आप बोलें. कृपया आप सभी बैठ जायें. श्रीमती ऊषा चौधरी आप बैठ जायें. आप बोल चुकी हैं. (व्यवधान) ........
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं क्या बोलूं कम से कम सदन आर्डर में तो हो. (व्यवधान) ........
अध्यक्ष महोदय - आप सभी बैठ जायें. (व्यवधान) ........
श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप ही ने कहा था कि हम बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा लगायेंगे, हम चारों विधायक पूरी विधायक निधि देने के लिये तैयार थे. कोई और विधायक निधि देने के लिये तैयार है. (व्यवधान).......
अध्यक्ष महोदय - आप सभी बैठ जायें. श्रीमती ऊषा चौधरी जी आप बोल चुकी हैं. (व्यवधान).......
एडव्होकेट सत्यप्रकाश सखवार - हम विधायक निधि देने को तैयार है. (व्यवधान) .
अध्यक्ष महोदय - (एक साथ कई माननीय सदस्यों के एक साथ खड़े होने पर)आप सभी बैठ जायें. इस समय यह विषय कहां से आ गया है.सिर्फ श्री सुन्दरलाल तिवारी जी जो बोलेंगे वह लिखा जायेगा, उनके अलावा किसी का नहीं लिखा जायेगा .(व्यवधान) ....
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल - (xxx)
श्रीमती ऊषा चौधरी - (xxx)
श्रीमती शीला त्यागी - (xxx) (व्यवधान) ........
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप सभी बैठ जायें.
........ (व्यवधान) ........
श्रीमती ऊषा चौधरी - (xxx)
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -(xxx)
श्री लाल सिंह आर्य -(xxx) (व्यवधान) ........
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप बहस न करें. माननीय मंत्री जी आप न बोलें. आप सभी बैठ जायें.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल -(xxx) (व्यवधान) ........
अध्यक्ष महोदय - कृपया आप बैठ जायें, कोई किसी का उत्तर नहीं देगा. श्री सुन्दरलाल तिवारी जी आप बोलें. मेहरबानी करके कोई नहीं बोले.
श्रीमती ऊषा चौधरी - (xxx) (व्यवधान) ........
श्री सुन्दरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल के अभिभाषण में बहुत सारे महत्वपूर्ण बिंदु इस सदन के अंदर उल्लेखित नहीं किये गये हैं और सरकार की दृष्टि उस विषय पर सदन के अंदर नहीं दर्शायी गई है. इस देश के अंदर आज हालत इस कदर हो गये हैं कि इस देश का प्रजातंत्र खतरे में हो गया है. (व्यवधान)
श्रीमती ऊषा चौधरी - (xxx)
अध्यक्ष महोदय - कृपया अब कोई भी व्यवधान न करे.
श्री सुदर्शन गुप्ता (आर्य)- (xxx)
श्री सुन्दरलाल तिवारी - आप राज्यपाल के अभिभाषण का पैरा-3 पढ़ लीजिये, उसमें देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का नाम है कि नहीं है. आप पढि़ये उसमें लिखा है कि देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में.
श्री वेलसिंह भूरिया - (xxx)
श्री सुन्दरलाल तिवारी - इस सदन में अभी बाद में मुख्यमंत्री जी को भी बोलना है. आप हमारी बात भी सुन लीजिये सदन को बढि़या से चलने दीजिये. (श्री रामेश्वर शर्मा के अपने आसन पर खड़े होकर कुछ कहने पर) श्री शर्मा जी हम धमकी नहीं दे रहे हैं, हम आपसे आग्रह कर रहे हैं, निवेदन कर रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, इस देश की बड़ी भारी विडम्बना है उच्चतम न्यायालय के जज मिस्टर जे. चेलमेश्वर अदालत से बाहर आकर प्रेस में यह बात कहते हैं कि इस देश में सर्वोच्च न्यायालय के अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. आखिर आज इस देश और प्रदेश की जनता न्याय लेने कहां जाएं ? हमारे देश की वर्तमान में क्या स्थिति में बन गई है. इस देश के अंदर 1947 की आजादी के बाद यह पहली बार हुआ है, जब हमारे केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जिसका नेतृत्व आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी कर रहे हैं, जहां इस देश की न्याय व्यवस्था दो भागों में बंटी दिख रही है. एक तरफ चीफ जस्टिस खड़े हैं, एक तरफ सुप्रीम कोर्ट के चार जज खड़े होकर अपनी बात कह रहे हैं, जजेज को यह लग रहा है कि हम इस देश को न्याय नहीं दे पा रहे हैं. हो सकता है कि छोटे मुंह से यह बात निकली हो, मैं एक छोटा आदमी हूं.
श्री प्रदीप अग्रवाल – आदरणीय तिवारी जी, आप सभी ने पिछले 50 वर्षो से कांग्रेस की सरकार ने जो बीज बोया है, जब हमने उसको उखाड़ने का प्रयास किया तब आप यह बात कर रहे हों, जो भ्रष्ट है वे तो यह कहेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – यह सर्वोच्च न्यायालय के जज ने कहा है, मैंने नहीं कहा है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल – माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यहां पर सर्वोच्च न्यायालय के ऊपर चर्चा हो रही है. यहां पर इस सदन में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के विरोध में सुन्दरलाल तिवारी जी बोलेंगे.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – बिलकुल चर्चा हो सकती है, कहीं कोई रुकावट नहीं है. एक जज जब बाहर आकर प्रेस में कह सकता है. मैं हालात इस देश के बता रहा हूं, अभी-अभी ग्वालियर में चुनाव हुए.
श्री सूबेदार सिंह राजौधा - त्रिपुरा में भी हुए, नागालैंड में भी चुनाव हुए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी – अध्यक्ष महोदय, मैं पार्टी का नाम नहीं लेना चाहता हूं, लेकिन पुलिस ने प्रत्याशी की गाड़ी से लाखों रूपए जप्त किया, अगर पैसे बांटकर इस देश के अंदर, प्रदेश के अंदर वोट लिए जाएंगे तो हमारी प्रजातांत्रिक स्थिति क्या होगी? माननीय मुख्यमंत्री जी हम किस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, इस पर विचार करना नितांत आवश्यक है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आगे मेरा कहना है मैहर में विधान सभा के उप चुनाव हुए चुनाव के आठ महीने के अंदर 8000 परिवारों के गरीबी रेखा में नाम लिखे गए और मेरे प्रश्न में इसी सदन में यह जवाब आया. चुनाव जीतने के लिए 8000 गरीब परिवारों को चिन्हित किया गया जिससे वहां पर वर्तमान सरकार चुनाव जीत सके. प्रजातंत्र में हम किस दिशा में जा रहे हैं. 13-13 मंत्रियों के ऊपर लोकायुक्त में मामले चले आज तक निर्णय नहीं आया कि उसका क्या हुआ है कौन मंत्री गड़बड़ है, कौन भ्रष्ट है, कौन अच्छा है इस बात की जानकारी आज तक प्रदेश जनता को नहीं मिली. माननीय मुख्यमंत्री जी, इसी सदन में 302 के एक मुलजिम मंत्री जी विराजमान है. नैतिकता की बात करने वाले, गाय और भैंस की बात करने वाले. (....व्यवधान)
श्री चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी – माननीय अध्यक्ष महोदय, उसमें माननीय उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया हुआ है और ये माननीय उच्च न्यायालय की अवमानना कर रहे हैं. (....व्यवधान)
श्री वेल सिंह भूरिया - (XXX)
अध्यक्ष महोदय – इसको कार्यवाही से निकाल दे.
श्री के.के. श्रीवास्तव-- अध्यक्ष महोदय, उस पर निर्णय नहीं हुआ है और यह आरोप लगाते रहेंगे क्या.
...(व्यवधान)...
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, क्या मैं गलत कह रहा हूं. 302 का आरोप है और जमानत पर छूटे हुये हैं. मैं जहां गलत हूं तो बतायें.
...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय- तिवारी जी, समय कम है ..
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, क्या मैं गलत कह रहा हूं. पहली बात तो यही हो जाये..
अध्यक्ष महोदय- मैंने तो आपसे कोई प्रश्न किया नहीं. मैं तो समय सीमा की बात कर रहा हूं. इसका उत्तर यह कहां से हो गया.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, अभी रामेश्वर शर्मा जी बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे, यह सरकार जो काम कर रही है उसके बारे में कहना चाहता हूं कि अगर यह प्रजातंत्र मर जायेगा तो हम सब लोगों का अस्तित्व खतरे मे पड़ जायेगा. चाहे चुनाव हों, जो हमारी स्वतंत्र संस्थाये हैं उन पर हमको चिंता व्यक्त करनी चाहिये और कौशिश करनी चाहिये कि जो 50 वर्ष के सफर के बाद कांग्रेस पार्टी ने उनको जो मजबूती दी है यह सरकारें भी स्वतंत्र संस्थाओं को मजबूती दें और उनको और समृद्ध और शक्तिशाली बनायें जिससे इस देश के लोगों को प्रदेश के लोगों को न्याय मिल सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में यह बात आई है कि एक नया कानून महिलाओं-बच्चियों की सुरक्षा के संबंध में बनाया गया है. बड़े सम्मान के साथ में मुख्यमंत्री जी भी यह बात को कहते हैं कि मैंने एक कानून बनाया है, जब यह कानून बना तो हमारा शर्म से सिर झुक जाता है कि क्या बात है कि केवल मध्यप्रदेश को ऐसा कानून बनाने के लिये बाध्य होना पड़ा क्योंकि मध्यप्रदेश के अंदर 8 साल, 9 साल, 11 और 12 साल की बच्चियां भी सुरक्षित नहीं हैं. इसलिये मध्यप्रदेश की सरकार और मुख्यमंत्री जी को यह कानून बनाना पड़ा जैसा कानून हिन्दुस्तान के अंदर किसी अन्य राज्य में नहीं बना है और केन्द्र सरकार ने जो नया कानून बनाया वह भी इस मध्यप्रदेश के लिये अपर्याप्त साबित हो रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसी सदन में मैंने कई बार राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन अधिनियम (एफआरबीएम एक्ट) के बारे में भी बात उठाई है, लेकिन उसके बारे में राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में कोई उल्लेख नहीं है कि यहां पर कानून भी बहुमत के आधार पर ऐसे ऐसे बना दिये जाते हैं जो कानून बनाये नहीं जा सकते, जो नियम विरूद्ध हैं लेकिन बहुमत है इसलिये वैसे कानून बनाये जाते हैं . उसके बारे में जब सदन में कोई सम्मानित सदस्य पूछता है तो सत्ता पक्ष की तरफ से कोई जबाव नहीं आता है. अध्यक्ष महोदय, आज ही मेरा एक प्रश्न था. मैं प्रजातंत्र के सबसे बड़े मंदिर में आज विराजमान था. तीन मंत्री खड़े हुये उसका जबाव देने के लिये लेकिन मुझे अभी तक उसका जबाव सत्य नहीं मिला है. केवल मुख्यमंत्री जी उस समय सदन में नहीं थे, इसलिये मैं उनके बारे में क्या कहूं. लेकिन तीन-तीन मंत्री खड़े हुये और प्रश्न का जबाव नहीं दे रहे हैं. अध्यक्ष महोदय क्या न्याय हो रहा होगा मध्यप्रदेश की जनता के साथ. जब एक विधायक के सवाल का जबाव यहां पर सदन के अंदर नहीं मिल रहे है, यह वास्तविक तस्वीर मध्यप्रदेश की है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यहां पर बात करते एनकाउंटर स्पेशलिस्ट. एक समुदाय के लोगों को 11 निहत्थे लोगों को सिमी का कार्यकर्ता बनाकर के इसी प्रदेश के अंदर उनकी हत्या कर दी गई. और आज तक जांच की रिपोर्ट नहीं आई है कि उन निर्दोषों की हत्या किन हालात में हुई ? हत्या करने वालों की जांच रिपोर्ट आज दिनांक तक सदन में पेश नहीं हुई है .
अध्यक्ष महोदय- तिवारी जी, इसका जांच आयोग अभी है. इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, कहां है. इस सदन में हम लोग आयोग पर चर्चा कर सकते हैं, न्यायालय पर चर्चा कर सकते हैं किसी भी विषय पर हम यहां चर्चा कर सकते हैं, चर्चा नहीं कर सकते तो आप नियम बतायें.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- आपको तो लाईसेंस है, हर कुछ बोल सकते हो.
श्री मनोज निर्भय़ सिंह पटेल -- आपके मित्र थे, आपके कार्यकर्ता थे. आपके क्या थे ?
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी 11 मिनट हो गये हैं ..
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, 11 लोगों की हत्या हुई है. आगे हमारा यह कहना है कि 6 किसानों की हत्या की गई इस सरकार के द्वारा क्या उनका स्मारक बनेगा कि नहीं बनेगा. जहां पर हत्या हुई है वहां पर उनकी मूर्ति स्थापित करे और सरकार क्षमा मांगे उनका स्मारक बनाये, जिन किसानों को गोली मारी गई है. अध्यक्ष महोदय, जिन किसानों को गोली मारी गई है और यहां किसानों की बड़ी-बड़ी बात होती है.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- मुलताई कांड में क्या हुआ था.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- आजादी के पहले की बात करोगे आप. ....(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक. तिवारी जी आप बैठ जाये.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक मिनट और लेंगे बस.
अध्यक्ष महोदय-- चलो एक मिनट और.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- शिक्षा और स्वास्थ्य के विकास के संबंध में डेव्हलपमेंट के बारे में यहां चर्चा आई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, शिक्षा के क्षेत्र में बड़े-बड़े काम हुये हैं, ऐसा सत्तापक्ष से इस सदन में आवाज आई है. अध्यक्ष महोदय, मैं एक ही चीज आपसे निवेदन करके सरकार से पूछना चाहता हूं कि अगर आपकी शासकीय स्कूलें इतनी बेहतर चल रही हैं तो आज इतने निजी स्कूल मध्यप्रदेश के अंदर निरंतर गति से उनकी संख्या क्यों बढ़ती चली जा रही है और सरकारी स्कूल आपको बंद करना पड़ रहे हैं. हमारे जिले में माध्यमिक और प्रायमरी स्कूल लगभग 400 स्कूल बंद कर देना पड़े यह कहकर कि वहां बच्चे नहीं है और उसी गांव का अगर परीक्षण किया जाये.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें, एक मिनट हो गया आपने कहा था.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- उसी गांव में निजी स्कूल प्रायवेट स्कूल खुले हैं जिनमें बच्चे पढ़ने जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- अध्यक्ष महोदय, अंतिम बात.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं अब नहीं. कृपया सहयोग करें. तिवारी जी का अब कुछ नहीं लिखा जायेगा.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें कृपया, आप सबको मर्यादा सिखाते हैं, आप खुद ही मर्यादा में नहीं रहते.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें आप. तिवारी जी कृपया बैठ जायें.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी का कुछ नहीं लिखेंगे, सिर्फ पाठक जी का लिखेंगे. श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक.
श्री सुंदरलाल तिवारी-- (XXX)
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- माननीय तिवारी जी वह गरीबों के इलाज के लिये दिये जा रहे हैं, किसी अस्पताल को नहीं दिये जा रहे. ..(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- मनोज जी बैठिये. ..(व्यवधान)... अरे मत बोलो भाई. आप आधा मिनट बोलते हो, वह 20 मिनट बोलते हैं, कृपया मत बोला करिये आप.
श्री पुष्पेन्द्र नाथ पाठक (बिजावर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल महोदया के अभिभाषण के प्रति मैं अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. साथ-साथ में आसंदी के प्रति भी, माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय उपाध्यक्ष महोदय के प्रति भी बड़ा कृतज्ञ हूं कि वह वात्सल्य भाव से मुझे अवसर प्रदान करते हैं. मैं कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहता हूं अपने संसदीय कार्यमंत्री जी के प्रति भी कि वे मुझे नामांकित करके अपना पक्ष रखने का इस लोकतंत्र के बड़े मंच पर अवसर दे देते हैं. अभिभाषण में सबका साथ, सबका विकास के उदघोष के साथ सरकार ने सर्वहारा कल्याण की योजनाओं से लाभांवित लोगों को करने का जो वादा किया है इसलिये मैं सर्वहारा लोगों की ओर से कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. वर्ष 2017 पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म शताब्दी का वर्ष था. सरकार ने इसको गरीब कल्याण के रूप में मनाते हुये अभियान चलाकर जनहितैषी कार्य किये हैं और वे कार्य लगातार जारी है, इसलिये मैं सरकार की इस भावना के प्रति भी अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार ने अनेकानेक काम किये हैं, लेकिन मैं एक दो बिंदुओं की ओर आपका ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं. भारतवर्ष का जो सामाजिक तानाबाना है इसमें हमारी जो महिलायें हैं वे परिवार के प्रति इतनी उत्तरदायित्वपूर्ण रहती हैं कि वे परिवार की चिंता करते-करते स्वयं अपने स्वास्थ्य के प्रति उतना ध्यान मग्न नहीं रह पाती, कई बार लापरवाही की हद तक स्थिति बनती है. स्वास्थ्य विभाग ने मिशन इंद्रधनुष के माध्यम से टीकाकरण का एक अभियान चलाकर 2 लाख 82 हजार बच्चे और 60 हजार महिलाओं का टीकाकरण करके स्वास्थ्य के लिये उनका जो ध्यान किया है इसके लिये मैं स्वास्थ्य विभाग को और सरकार को बहुत धन्यवाद देता हूं. पूरे देश में साथ-साथ मध्यप्रदेश में भी चिकित्सकों की बहुत कमी है, इस कमी को पूरा करने के लिये मध्यप्रदेश की सरकार ने 7 मेडिकल कॉलेज खोलने की चर्चा की है जो अभिभाषण में आई है. इसके लिये मैं सरकार की प्रशंसा करता हूं और मैं आश्वस्त हूं कि आने वाले दिनों में पूरे देश में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्य होगा जो चिकित्सकों को देश की सेवा के लिये समर्पित करेगा. इसी संदर्भ में मैं यह निवेदन भी करना चाहता हूं कि छतरपुर में भी एक मेडिकल कॉलेज की आवश्यकता है. छतरपुर के मेडिकल कॉलेज को लेकर मैं कुछ तथ्य आपके माध्यम से सरकार तक पहुंचाना चाहता हूं. हालांकि जो मेडिकल कॉलेज खुलने हैं उनमें रतलाम, खण्डवा, विदिशा, शहडोल, दतिया, शिवपुरी और छिन्दवाड़ा के नाम आये हैं. लेकिन मरीजों की संख्या के हिसाब से छतरपुर भी बहुत बड़ा केन्द्र है, जहां इसकी आवश्यकता है. छतरपुर में सीमान्त जिले महोबा, हमीरपुर और बांदा के मरीज भी आते हैं और वह वर्तमान में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये बड़े केन्द्र के रूप में विकसित हो रहा है. वर्तमान में छतरपुर का प्रबुद्ध वर्ग और सभी विचारधारा के लोग एकमत होकर मेडिकल कॉलेज की मांग कर रहे हैं. जनभावनाओं को सरकार तक पहुंचाने का यह ठीक मंच लगा इसीलिये आपके माध्यम से यह बात सरकार तक पहुंचाना चाहता हूं. वर्तमान में जो अभी मेडिकल कॉलेज संचालित हैं जैसे ग्वालियर, जबलपुर, रीवा इनकी दूरी छतरपुर से 200 किलोमीटर से ज्यादा है. सागर भी लगभग 170 किलोमीटर दूर है. इसके साथ साथ जो नवीन मेडिकल कॉलेज अभी प्रस्तावित हैं या जो अभी बन रहे हैं उनमें निकटतम केवल शिवपुरी और दतिया हम छतरपुर से हम मान सकते हैं. इनमें दतिया भी लगभग 140 किलोमीटर दूर, शिवपुरी 120 किलोमीटर से ज्यादा दूर है. छतरपुर जिले के लोगों की ओर से आपकी कृपा से माननीय मुख्यमंत्री जी, स्वास्थ्य मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि आने वाले दिनों में जब भी मेडिकल कॉलेज और खोलने की स्थिति जब भी मध्यप्रदेश में बने तो अवश्य रूप से वह छतरपुर की चिन्ता वह कर लें, क्योंकि छतरपुर किसी भी मामले में मरीजों की सेवा की दृष्टि से व अन्य दृष्टिकोण से कहीं भी काबिलियत में कम नहीं रहेगा. किसी भी विषय की चर्चा करें तो विकास के दृष्टिकोण से जो महत्वपूर्ण बिन्दु उनमें सड़क पानी और बिजली सबसे महत्वपूर्ण घटक हैं जिनसे जनता को सबसे ज्यादा वास्ता पड़ता है. सड़कों के मामले में मुख्य जिला मार्ग जो बने हैं एमडीआर 5 हजार 139 किलोमीटर के उसमें मुझे अपनी विधान सभा में भी लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर के मार्ग मिले हैं इसके लिये मैं सरकार के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. स्टेट हाईवे और नेशनल हाईवे में भी 3 हजार 778 किलोमीटर और 4 हजार 387 किलोमीटर में भी कुछ हिस्सा बिजावर विधान सभा क्षेत्र के हिस्से में आया है इसके लिये भी मैं सरकार के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूं तथा माननीय राज्यपाल महोदया के प्रति भी कृतज्ञ हूं. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की 1 हजार 447 बसाहटें जो अभिभाषण में बतायी गई हैं. उन 1 हजार 447 बसाहटों में से 43 बसाहटें ऐसी हैं जहां बिजावर विधान सभा को लाभ हुआ है. मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना की 6 हजार 658 मार्गों के डामरीकरण की जो सुविधा मिली है उसमें से भी लगभग 52 मार्ग बिजावर विधान सभा के हैं इसके लिये में अभिभाषण में राज्यपाल महोदया के विषय हैं इसके लिये कृतज्ञ हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि पानी की बात करें तो यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि कहां तक तरक्की हुई है. लगभग हर भाषण में बात आ जाती है. इसमें बिजावर विधान सभा को लाभ हुआ है, इसके लिये भी मैं कृतज्ञ हूं. बिजली की उपलब्धता भी काफी बढ़ी है इससे बिजावर विधान सभा क्षेत्र लाभांवित है इसके लिये भी सरकार के प्रति कृतज्ञ हूं. विशेषकर के मध्यप्रदेश जो किसानों पर और कृषि पर ज्यादा आधारित है उसमें सबसे बड़ी बात यह हुई है कि जो जीरो प्रतिशत ब्याज पर ऋण देने की व्यवस्था का जिक्र अभिभाषण में आया है कि 28 लाख कृषकों को 10 हजार 98 करोड़ रूपये ऋण दिया गया है यह सरकार के लिये किया गया बहुत अच्छा काम है इसके लिये पूरे प्रदेश के कृषकों की ओर सरकार को और माननीय राज्यपाल महोदया को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री हरदीप सिंह डंग(सुवासरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. सबका साथ,सबका विकास. मुझे यह मालूम नहीं पड़ रहा कि किसके साथ किसका विकास.किसान,महिलाएं,मजदूर,युवा बेरोजगार, सबकी अगर बात की जाये मंदसौर जिले में जो काण्ड किसानों के साथ हुआ, हम यहां किसानों के लिये बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. वहां निर्दोष 5 किसानों को गोली मार दी जाती है और 8 जून की घटना के बाद एक किसान घनश्याम धाकड़ को पुलिस द्वारा थाने में ले जाकर लाठियों से मार दिया जाता है. यहां प्रश्न पूछने पर यह कहा जाता है कि उसको पुलिस थाने में लाया ही नहीं गया. इतना गलत उत्तर यहां दे दिया जाता .है उसके बाद भी सरकार मानने को तैयार नहीं कि वह किसान सही थे और वहां पर भीड़ फर्जी नहीं थी. फर्जी किसानों के नाम डालकर वहां पर हजारों किसानों के केस बना दिये जाते हैं. वास्तव में आप अगर किसानों का भला चाहते हैं तो जो वहां निर्दोष किसानों के नाम एफ.आई.आर. में दर्ज कर दिये गये हैं तो उन निर्दोष किसानों के नाम एफ.आई.आर. से हटवाएं ताकि वे किसान अपनी जिंदगी चैन से जी सकें. रही भावांतर की बात,भावांतर का एक अर्थ होता है छूमंतर.यह चाहते तो कम से कम सरकारी रेट जो घोषित किया गया था, तो किसानों का रेट 4200 रुपये फिक्स कर देते.
श्री बहादुर सिंह चौहान - भावांतर को आप छूमंतर कैसे कह रहे हो.
श्री हरदीप सिंह डंग - मेरी बात तो सुनो. आपने अपनी बात रख दी. 3050 रुपये जो किसानों का समर्थन मूल्य घोषित किया है.
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष जी, बहादुर सिंह जी और सत्ता पक्ष के सदस्य हमें अपनी बातों को कहने भी नहीं देते. आप जब बोल रहे थे तो क्या हम लोगों ने कोई आपत्ति की थी.
श्री बहादुर सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, भावांतर योजना को छूमंतर योजना कैसे कह रहे हैं. भावांतर को जीरो कैसे बता रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - वह सरकार उत्तर देगी आप बैठिये.
श्री अजय सिंह - सरकार उत्तर देगी आप कौन होते हो बीच में उत्तर देने के लिये.
(..व्यवधान..)
अध्यक्ष महोदय - आप बैठिये.
श्री बहादुर सिंह चौहान - अन्य प्रदेशों में भी यह योजना बन रही है. आप किसान विरोधी हो.
श्री हरदीप सिंह डंग - जोर से बोलने से सही बात नहीं हो जाती.
श्री बहादुर सिंह चौहान - जोर से बोलेंगे और सही बोलेंगे. 50 साल आपने असत्य बोला है.
डॉ.गोविन्द सिंह - अध्यक्ष जी, बहादुर सिंह जी भावांतर योजना की पूरी व्याख्या कर दें.
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, उस कुर्सी की थोड़ी जांच कराईये. निर्भय सिंह जी और बहादुर सिंह जो दोनों विरोध कर रहे हैं. एक घंटे से यही हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय - कोई व्यवधान नहीं करे. कृपा करके बोलने दें.
श्री हरदीप सिंह डंग - सोयाबीन का रेट 3050 घोषित किया. अगर किसान का भला चाहते तो यह रेट 4200 और 4500 भी हो सकता था और तीन माडल रेट जो तय किये गये थे राजस्थान,महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में, वहां पर 2500 अगर रेट तय किया गया है और यहां पर किसानों ने 2400 रुपये में सोयाबीन बेचा है तो इनके खाते में कम से कम 6050 रुपये जाने थे लेकिन इनके खाते में डाले गये 470 रुपये. भावांतर के नाम पर यहां किसानों के साथ छलावा हुआ है और सभी फसलों में ऐसा हुआ है. प्रधानमंत्री बीमा योजना की बात हो रही थी. यहां पर कृषि मंत्री महोदय खुद बोल रहे थे कि मुझे स्वयं इसके नियमों की पूरी जानकारी नहीं है. जब कृषि मंत्री जो को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की पूरी जानकारी नहीं है तो आम किसान को कैसे इसकी जानकारी होगी. इसलिये क्षेत्र में किसान को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. शिक्षा की बात करें, उच्च शिक्षा,अच्छी शिक्षा का स्तर गांव में स्कूल में जाकर देखें, तो न तो वहां टीचर हैं और स्वच्छता के नाम पर न वहां बाउंड्रीवाल है. बाउंड्रीवाल के लिये हजारों बार यहा निवेदन किया गया कि जो रोड के किनारे स्कूल हैं वहां एक्सीडेंट में बच्चे घायल हो जाते हैं तो कम से कम वहां बाउंड्रीवाल होना चाहिये. आप स्वच्छता अभियान पर अगर ध्यान दें तो स्कूलों में बाउंड्रीवॉल भी बनवाएं.
अध्यक्ष महोदय - अब आप समाप्त करें.
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, मुझे मौका बहुत कम मिलता है.
अध्यक्ष महोदय - आपको सबसे अधिक मौका मिलता है. एक मिनट में समाप्त करें.
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहिए. अध्यक्ष महोदय, पेंशन की बात कहना चाहता हूं कि इसी सदन में विधवाओं के लिए बीपीएल कूपन की अनिवार्यता को हटा दिया गया था. विधवा पेंशन के लिए बीपीएल कूपन की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया था. परन्तु यह आदेश आज तक जारी नहीं किया गया है, जिसके कारण से विधवा पेंशन अभी तक जिसके पास बीपीएल का कूपन नहीं है, उनको नहीं मिल पा रही है तो एपीएल कूपन वालों के लिए भी विधवा पेंशन चालू की जाय. शराब के बारे में कहा गया. आज हर गली मोहल्ले में जो हमारी बहन बोल रही थी, हर जगह शराब की दुकानें हैं. उज्जवला योजना के बारे में कह सकते हैं कि जो गैस की टंकी इस सरकार ने दी थी, वह आज तक दूसरी बार भरी नहीं गई है क्योंकि वह सब्सिडी उनके खाते में नहीं जा रही है, इसको आप देखें. अभी छतरपुर में जो मेडिकल कॉलेज खोलने की बात की जा रही है. हमारा मंदसौर जिला जो सबसे बड़ा जिला होने के बाद भी उसको मेडिकल कॉलेज की सौगात नहीं दी जा रही है. यह भी एक विचारणीय बात है. मनरेगा की बात कहना चाहता हूं. जो कहा जा रहा है कि मानव दिवसों में मजदूरी मिल रही है. हर जगह अगर पंचायत में आप देखेंगे तो मनरेगा में सब जगह जेसीबी मशीनों से काम होता है. वहां पर मजदूर को कोई मजदूरी नहीं मिलती है. युवाओं के लिए जो रोजगार की बात की जा रही है. अगर वे बैंकों में ऋण लेने भी जाते हैं तो बैंकों में दलाल बैठे हैं. 5000-5000 रुपए, 10000-10000 रुपए वह दलाल लेते हैं तब उनका ऋण पास किया जाता है.
अध्यक्ष महोदय - अब आप समाप्त करें.
श्री हरदीप सिंह डंग - अध्यक्ष महोदय, मुझे बोलना बहुत था, परन्तु आपके आदेश का पालन करता हूं. धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - समय की मर्यादा है, आपसे क्षमा चाहते हैं.
श्री दिलीप सिंह शेखावत - (अनुपस्थित)
श्री गोपाल परमार (आगर) - अध्यक्ष महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर अपने विचार व्यक्त कर रहा हूं. जो मध्यप्रदेश में हमारे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने काम किये हैं, जो इतिहास उन्होंने बनाया है, जो धर्म को साथ में लेकर चलने का काम करते हैं. गीता में एक श्लोक कहा गया है -
" यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥"
जब जब भी धर्म की हानि होती है, तब तब देश में कोई ऐसे विरले पैदा होते हैं. जैसे हमारे मोदी जी है, उन्होंने पूरी दुनिया में अपना नाम जिस प्रकार से रोशन किया है और जिस प्रकार से मुख्यमंत्री काम कर रहे हैं. यह हंसने की बात नहीं है, मित्रों. यह अधर्म करने वाले लोग, ये अधर्म के अनुयायी, यह गलत काम करने वाले लोग इतने परेशान हो गये हैं..
श्री रामनिवास रावत - कम से कम भगवान से तुलना मत करो.
श्रीमती ऊषा चौधरी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - कार्यवाही से यह निकाल दें.
श्री गोपाल परमार - ..कि जब देखो तब मुख्यमंत्री जी को घेरने का काम करते हैं. हमारी बहन जो बोल रही हैं, उनके बारे में मैं यह कहना चाहता हूं कि आप विचार करें. अध्यक्ष महोदय, यह जो पाप और पुण्य की बात है. जो धर्म और अधर्म की बात है. जो धर्म कर रहा है, जो दुनिया में रहकर मानव मात्र की सेवा कर रहा है. मध्यप्रदेश में जो सेवा कर रहा है. आप तो सोचकर भी कुछ नहीं कर सकते. जो मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने किया है. कोई तारीफ ऐसे ही नहीं होती है. अध्यक्ष महोदय, आप कल्पना तो करिए, उनकी कार्यशैली को देखिए. ऐसा कोई वर्ग अछूता है क्या कि जिनमें उन्होंने सेवा ही नहीं दी हो? आप अट्ठास कर रहे हैं. आप ऐसे व्यक्ति का मनोबल गिराने का काम कर रहे हैं. आपको विचार करना चाहिए कि जो अच्छा काम करता है, उसे समाज हमेशा प्रोत्साहित करता है. आपमें तो वह क्षमता बची नहीं है. आपने तो कुछ पुण्य का काम किया नहीं है. जो विकास के काम हुए हैं, जो किसान भाइयों के लिए, जो गरीब वर्ग के लिए, जो महिलाओं के लिए, जो बच्चों के लिए, जो मजदूर है, जो निचले से निचले तबके का व्यक्ति है, उसके लिए जो काम करके दिखाया है. वह अगर कांग्रेस करती तो हमको यह मौका ही नहीं मिलता, लेकिन आप तो कुछ भी नहीं कर पाए. उन्होंने इतने काम कर दिये तो रात के अंधेरे में भी मुख्यमंत्री जी क्या कर रहे हैं, यह विचार करते करते यह थक गये, लेकिन अब आपके हाथ में सत्ता आने वाली नहीं है, मित्रों. मैं आपको बताना चाहता हूं कि वास्तव में जो उन्होंने काम किया है, वह अपने आपमें इतिहास बनाने का काम है और इसीलिए यह धरती अच्छे लोगों से विहीन नहीं है और मानव की सेवा करने वाला व्यक्ति जो इतने लम्बे समय. आज इतने लंबे समय 14 वर्ष से मुख्यमंत्री अपने पद पर बैठे हैं तो वह कोई आपकी वजह से नहीं बैठे हैं. वह जनता की सेवा करने वाला एक सेवाभावी व्यक्ति, उसकी कल्पना आप कीजिये, मैं जानता हूं कि पाप करने वाले तो बहुत से रहते हैं और पाप करने वाले लोग पाप करके दूर हो जाते हैं, आप पुराना इतिहास देखिये, महाभारत का कार्यकाल देखें, रामायण में देखें कि जब-जब भी धर्म को क्षति पहुंचाने वाले व्यक्ति, आसुरी व्यक्ति पैदा हुए, तब उनको नष्ट करने के लिये एक धर्म की उत्पत्ति हुई और अधर्म का नाश हो गया. आज हम देखें कि हमारे क्षेत्र में जो इस प्रकार से विकास की गंगा बहाई, आगर को 15 अगस्त, 2013 को जिला बनाया और जिला बनाने के बाद एक हजार करोड़ से ज्यादा के काम वहां पर हो चुके हैं. आप कल्पना कर सकते हैं क्या ? आपने तो सड़कें तक नहीं बनवायीं. मैं उस समय वर्ष 1993 में विधायक था और उस समय एक गांव की सड़क भी नहीं थी, आज पूरा मध्यप्रदेश तो क्या देश की प्रत्येक सड़क बन चुकी है और कुछ खेड़े, मजरे-टोले बचे हैं उन पर भी तेजी से काम चल रहा है. आप बताएं कि 51 जिलों में से 31 जिलों में स्वास्थ्य विभाग में हम आगर जिले वाले सौभाग्यशाली हैं कि ट्रामा सेंटर जैसा एक भव्य हॉस्पिटल हमारे यहां बन चुका है, पॉलीटेक्निक कॉलेज बच चुका है, कलेक्टर भवन बच चुका है. आप देखिये रोड के मामले में करीब 70 सड़कें बना दी गईं, जिनकी लागत करीब 100 करोड़ थी. आज जिस काम को हमने कहा, बखूबी हमारे मुख्यमंत्री जी ने किया. हमारे धर्मस्व मंत्री जी यहां बैठे हैं. हम मंदिरों की बात करें तो 50 मंदिरों को लगभग 10 करोड़ रुपये देकर उनका जीर्णोद्धार कराया. क्या आप कल्पना कर सकते हैं ?
अध्यक्ष महोदय -- गोपाल जी, कृपया समाप्त करें.
श्री गोपाल परमार -- अध्यक्ष महोदय, अभी यहां पर बात कर रहे थे कि मुख्यमंत्री जी इन मरीजों की सेवा करके अस्पतालों को पैसे दे रहे हैं. हमारे विपक्ष के मित्रों हम जब भी गरीब लोगों के लिये फाइल लेकर जाते हैं, कोई भी मरीज आता है उसके लिये हमारे उदारवादी मुख्यमंत्री जी किसी को एक लाख, किसी को दो लाख, किसी को 50 हजार रुपये तत्काल उपलब्ध करा देते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जाइये.
श्री गोपाल परमार -- अध्यक्ष महोदय, आपने तो कभी कुछ नहीं दिया. आपने तो मुआवजे के नाम पर कभी 50 रुपये, कभी 25 रुपये देते थे और हमारे मुख्यमंत्री जी ने केवल आगर जिले में 206 करोड़ रुपये मुआवजे के लिये दिये हैं. इसलिये मैं अपने मन की बात कर रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें, आप बैठ जाइये. श्री सुखेन्द्र सिंह जी आप बोलिये. परमार जी, कृपया बैठ जाइये. परमार जी जो भी बोलेंगे वह नहीं लिखा जायेगा.
श्री गोपाल परमार -- (XXX) आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज) -- अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदया के अभिभाषण पर आपने मुझे बोलने का अवसर दिया उसके लिये धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, सत्तापक्ष के विधायक लगातार इस तरीके से चर्चा कर रहे हैं जैसे कि मध्यप्रदेश का उदय सिर्फ इन 14 वर्षों में हुआ और इन 14 वर्षों में ही मध्यप्रदेश दिखाई देने लगा, न इसके पहले कोई मुख्यमंत्री हुआ था और न ही कोई मध्यप्रदेश था.
अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदया के अभिभाषण को मैंने पढ़ा. उसमें बिन्दु क्रमांक 1 से लेकर 139 तक हैं. उसके तीसरे बिन्दु में लिखा गया है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में. अध्यक्ष महोदय, मैं यह कहना चाहता हूं कि इसके पहले डॉ. मनमोहन सिंह जी भी प्रधानमंत्री थे और उस समय भी यहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी तो क्या मुख्यमंत्री जी वहां धरना देने नहीं जाते थे ? क्या वहां से पैसे नहीं लाते थे ? लेकिन उसका कहीं जिक्र नहीं किया जाता. इन चार सालों में जब से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी बने हैं, तब से लगता है कि पूरा मध्यप्रदेश सिर्फ नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में चला है इन 50-60 सालों में.
अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल जी के अभिभाषण का सातवां बिन्दु है सामाजिक समरसता का. जो पूरे प्रदेश में आदि शंकराचार्य जी की रैली निकाली गई, यह रैली हमारे क्षेत्र में भी गई थी, लेकिन मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि इसमें सिर्फ चंदाखोरी का काम किया गया है. आदि शंकराचार्य जी को भी बदनाम करके रख दिया गया है. छुटभैये नेता जो हुआ करते हैं, हर विभाग में उन्होंने जाकर के शंकराचार्य के नाम से वसूली की है. यह बड़ा खेद का विषय है. अध्यक्ष महोदय, कैशलेस प्रणाली को बढ़ावा देने के लिये बहुत सारे काम किये गये. मध्यप्रदेश गांवों में हैं. गावों की स्थिति क्या है ? आज भी हमारे गांव ज्यादातर शिक्षित नहीं हैं. इन 14 वर्षों में जो शिक्षा का स्तर गिरा है, यह कोई छुपी हुई बात नहीं है. स्कूलों में टीचर नहीं हैं. अभी हमारे वरिष्ठ सदस्य, तिवारी जी कह रहे थे कि 400 स्कूल्स तोड़ी गईं. मैं कहता हूं कि 750 स्कूल्स तोड़ी गईं और स्कूल्स में मास्टर नहीं हैं. यह स्थिति है. तो फिर केशलेस प्रणाली कैसे चल पायेगी. तो पहले मध्यप्रदेश में शिक्षा का स्तर सुधारना चाहिये. डीजल- पेट्रोल के भाव एक डेढ़ रुपये कम किये गये. इस समय जब चुनाव आया, जब चुनावी वर्ष आया, तब जाकर के डीजल- पेट्रोल की कीमत कम हुई. उस पर फिर टैक्स भी लगा दिया गया. सबसे प्रमुख बिन्दु यह है कि शराब की एक भी दुकान नहीं खोली गई है. कई मित्रों ने अभी बताया. मैं सदन से यह पूछना चाहता हूं कि यहां सब गांवों के विधायक बैठे हैं,क्या उनके गांवों में शराब नहीं बिक रही है. हर गांव में शराब बिक रही है और नशाखोरी बढ़ रही है. मुझे यह कहने में कतई संकोच नहीं है कि मध्यप्रदेश की पुलिस सबसे ज्यादा सहयोग शराब बिकवाने में करती है. अगर कोई भी एफआईआर शराब के मामले में थाने में पहुंच जाये, तो पुलिस इस तरीके से पहुंचती है, जैसे कि सरकार का कितना बड़ा खजाना लुट गया, कितना बड़ा काम खराब हो गया है. पूरे मध्यप्रदेश में यह शराब की स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय, किसानों की बात हमारे बहुत सारे सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के विधायकों ने की. मंदसौर का कांड कोई छुपा हुआ नहीं है. 7-7 किसानों की हत्या हुई. मध्यप्रदेश में सूखा पड़ा. कई जिले सूखाग्रस्त घोषित किये गये. सतना एवं सीधी जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया गया, लेकिन रीवा जिले को छोड़ दिया गया. तो मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि क्या रीवा जिले में किसान नहीं हैं. क्या रीवा जिले में बारिश नहीं हुई और रीवा जिले के किसानों को क्या नरेन्द्र मोदी जी की फसल बीमा योजना का लाभ मिल पायेगा. यह मैं सरकार से पूछना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में सड़कों का जाल बिछा हुआ है, लेकिन टोल नाकों पर ध्यान नहीं दिया जाता है कि टोल नाके पर किस तरह से वसूली होती है. सदन में कई विधायक इस बात को उठा चुके हैं कि टोलों पर कितनी गुण्डागर्दी होती है और टोल के माध्यम से अगर वसूली न हो तो आपकी रोड कहीं दिखाई नहीं दे. जो भी रोड्स बनी हुई हैं. हमारे विधान सभा के लिये हमने कई रोड्स का प्रस्ताव रखा, लेकिन आज तक कोई भी रोड्स के लिये बजट नहीं मिल पाया. पता नहीं कहां यह बजट चला जाता है. प्रधानमंत्री आवास के माध्यम से ढिण्ढोरा पीटा जा रहा है. सिर्फ इसमें प्रधानमंत्री जी का नाम लिखा जा रहा है. मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि क्या यह सर्वे 2012 में नहीं हुआ था. जब कांग्रेस की सरकार थी, उस समय यह सर्वे हुआ, तो क्या कांग्रेस की सरकार का इसमें कोई रोल नहीं है. इसमें उचित होगा कि अब नये सिरे से इसका सर्वे कराया जाये और इसका रेट बढ़ाया जाये, तब जाकर के इनको सही तरीके से काम मिल सकता है.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया समाप्त करें.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- अध्यक्ष महोदय, राजस्व के बारे में बहुत सारी बातें कहीं गईं कि 13 लाख 62 हजार से ज्यादा प्रकरण निपटाये गये. जब तहसीलों में पटवारी और तहसीलदार नहीं हैं, तो किस माध्यम से प्रकरण निपटाये जा रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया, इसके लिये धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार (नीमच) -- अध्यक्ष महोदय, मैं आज राज्यपाल महोदया के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता प्रस्ताव पर बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. मैं कृतज्ञता व्यक्त करते हुए यह निवेदन करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करते हुए आगे बढ़ रहा है और बढ़ते हुए मध्यप्रदेश को हमारे ही साथी देख नहीं पा रहे हैं. विकास की गाथा यदि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में लिखी गई है, तो उसकी चर्चा, तारीफ पूरे मध्यप्रदेश में और देश में आज गुंजायमान है. अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आज हमारे लिये बड़े गर्व की बात है कि राज्यपाल महोदया, श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी के अभिभाषण पर हम कृतज्ञता व्यक्त कर रहे हैं और आज पूरा विश्व अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है. तो मैं 8 मार्च के इस अवसर पर महिलाओं के लिए जो योजनाएं बनाई गई हैं, उन्हीं की चर्चा कर लेता हूँ. बेटियों की संख्या मध्यप्रदेश में कम पड़ती जा रही थी लेकिन 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना के माध्यम से आज यह संख्या बढ़ी है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने नवरात्रि के दिन हमें कहा कि बेटी के पांव पूजो और बेटी को आने दो. बेटी है तो कल है. आज हम देखते हैं कि मध्यप्रदेश में बेटियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. पहले यदि बेटी का विवाह होता था तो माता-पिता चिंता करते थे कि मुझे बेटी के हाथ पीले करने हैं, मगर आज मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और निकाह योजना में बेटी का विवाह हो रहा है. यह अच्छे दिनों की शुरुआत है. आज हम जिला चिकित्सालय में चले जाएं तो सरदार वल्लभ भाई पटेल योजना के माध्यम से 75 प्रकार की दवाइयां मिल रही हैं और 33 प्रकार की जांच नि:शुल्क हो रही हैं. आज यदि किसी बहन की डिलीवरी होती है तो आप फोन करो तो गाड़ी पहुँचती है, और जब बच्चा हो जाता है तो जापे के लड्डू खाने के भी पैसे सरकार दे रही है.
अध्यक्ष महोदय, आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मैं यह भी कहूँगा कि उज्ज्वला योजना देश के प्रधानमंत्री जी की योजना है. जो बहनें चूल्हे में पोंगली फूँककर अपने आंखों की रोशनी कम कर रही थीं, उन बहनों को उज्ज्वला योजना के माध्यम से आज गैस कनेक्शन पूरे देश में मिल रहे हैं तो वे बहनें भी आज हमारी सरकारों को दुवाएं दे रही हैं, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी को दुवाएं दे रही हैं. मुद्रा योजना में मातृत्व अवकाश, बालिकाओं की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है. आज बेटी पढ़ लिख रही है और बेटी आज समान गति से चल रही है. जीवन की गाड़ी के दो पहिए हैं - एक महिला और एक पुरुष. यदि दोनों समान गति से चलेंगे तो मध्यप्रदेश जिस गति से आगे बढ़ रहा है निश्चित ही और तेज गति से आगे बढ़ेगा और यह देश भी आगे की ओर जाएगा. मां, बहन, पत्नी, बेटी और एक दोस्त के रूप में हमारी महिलाओं से सारे कार्यों की दूरी निर्धारित हो रही है. लाड़ली लक्ष्मी योजना का लाभ हमारी 27 लाख बेटियों को दिया गया है. लाड़ो योजना में भी 83 हजार से अधिक बहनों का विवाह परामर्श किया गया और 4 हजार के लगभग स्थल पर रोकने का काम हमारी सरकार ने किया है. आज महिलाओं को नि:शुल्क ड्राइविंग लाइसेंस मध्यप्रदेश की सरकार द्वारा, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी द्वारा दिया जा रहा है. मैं इसके लिए उन्हें धन्यवाद देता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पुलिस की सेवा में भी नौकरी में आज हम देखते हैं कि महिलाओं को 33 प्रतिशत का आरक्षण दिया जा रहा है. वहीं राजनीति में भी हम देखते हैं कि आज पंच से लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष भी हमारी बहनें बन रही हैं. हमारी बहनें विधायक बनकर मंत्री भी बन रही हैं और इस सदन की शोभा बढ़ा रही हैं. मध्यप्रदेश में जो काम हो रहे हैं उनकी जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है. हिंसा पीड़ित महिलाओं की भी समस्याओं का समाधान इस मध्यप्रदेश की धरती पर हो रहा है और विशेष रूप से 26 जिलों में सखी संचालन आरंभ किया गया है जिसके माध्यम से भी हम देखते हैं जो माताएं, बहनें विधवा हो जाती हैं उनको पेंशन देने का प्रावधान राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में आया है, आज वे बहनें निश्चित ही दुवाएं देंगी. आज सरकार की जितनी भी योजनाएं चल रही हैं, उन योजनाओं में हमारी सरकार कन्याओं की समृद्धि के लिए, बेटियों को आर्थिक दृष्टि से सशक्त करने के लिए, उन्हें अपने पैरों पर खड़े करने के लिए लगातार जो योजनाएं बना रही हैं, उन योजनाओं की वजह से मध्यप्रदेश आगे बढ़ रहा है. आज मैं पुन: मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने नर्मदा को जिंदा रखने के लिए, नर्मदा के शुद्धिकरण के लिए काम किया. नर्मदा मैया जीवनदायिनी मैया है, उसे क्षिप्रा में मिलाया और आने वाले समय में कालीसिंध से चंबल जाएगी. मंदसौर में चंबल का पानी जा रहा है, आज मैंने और चावला जी ने मान्यवर मुख्यमंत्री जी से निवेदन किया है कि चंबल का पानी नीमच जिले में भी आए और किसानों के खेत की शोभा बढ़ाए, प्यासे कंठों की प्यास बुझाए. यह योजना भी बनकर तैयार हो रही है. खेल को प्रोत्साहन देने के लिए हमारी मान्वयर मंत्री महोदया ने जैसा बताया है, मैं बेटी मुस्कान को धन्यवाद दूंगा कि उन्होंने मध्यप्रदेश का मान बढ़ाया है. मैं उन्हें बहुत बधाई देता हूँ.
अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश बहुत तेज गति से बढ़ रहा है, यहां सड़कों का जाल फैल रहा है, बिजली मिल रही है. स्वास्थ्य की भी चिंता हो रही है. रोजगार के लिए हमारे यहां केन्द्र स्थापित हो रहे हैं. आपको धन्यवाद देता हूँ कि आपने मुझे महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर बोलने का अवसर दिया. बहुत-बहुत धन्यवाद. भारत माता की जय.
श्री जितू पटवारी (राऊ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. किसी भी सरकार के लिए माननीय राज्यपाल महोदय का जो अभिभाषण होता है वह अपने किए हुए कार्यों को और आने वाले कार्यों को बताने के लिए एक गौरव की बात होती है और सदन की भी क्रियाशीलता का बोध कराता है. माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर हम सब बात करें लेकिन माननीय राज्यपाल महोदय का पूरा अभिभाषण पढ़ने पर ऐसा लगता है कि सरकार के जो किए हुए कार्य हैं चाहे वह किसान, शिक्षकों के, वेतनभोगियों के आंदोलन के दौरान हों, अलग-अलग सरकार पर कितने भी दाग हों, वह कैसे छुपे, (XXX) उन बातों को अभिभाषण के दौरान कितनी साफगोई से बचने की एक कोशिश के रूप में दिखता है.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लालसिंह आर्य) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश की जनता मूर्ख नहीं है, वह बहुत सजग है. यह मध्यप्रदेश की जनता का अपमान है कि मध्यप्रदेश की जनता मूर्ख है. यह विलोपित होना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय -- इसे निकाल दें.
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को तिवारी जी ने विचलित कर दिया है.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- जितू जी, आप संसदीय ज्ञान देखों...(व्यवधान)...
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुरोध यह है कि इस बार 5 दिन का सदन चला है और विधायक के नाते मुझे 5 दिन में 20 सवाल तारांकित और अतारांकित करने की पात्रता है. उसमें से 10 प्रश्नों के उत्तर सरकार ने नहीं दिया जो मैंने आपके माध्यम से सवाल पूछे थे. 20 में से 10 प्रश्न माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के दौरान इसकी मौखिक शिकायत भी मैंने कल आपको की थी. मैं आपके माध्यम से सदन के पटल पर रखना चाहता हॅूं कि माननीय विधायक चाहे वह सत्तापक्ष का हो या विपक्ष का, अगर माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में इतनी समरसता थी, सरकार के किए हुए अच्छे-अच्छे कार्यों का बखान था तो सवाल के उत्तर देने में सरकार अक्षम क्यों रही ? मैं आप लोगों के माध्यम से प्रश्न करता हॅूं. मेरा यह विषय एक व्यक्ति का नहीं हो सकता, पार्टी का नहीं हो सकता है पर सदन का जरूर हो सकता है. साथियों, बहुत-सी बातें ऐसी हैं जो करना चाहिए. आज महिला दिवस है. महिला सशक्तिकरण की बात कितने माननीय विधायकों ने की, अभी माननीय मुख्यमंत्री जी भी करेंगे. मैं सरकार से यह पूछना चाहता हॅूं खासकर माननीय मुख्यमंत्री जी से, कि आप यह बताएं कि एक परिवार का सदस्य मुंडन कब कराता है ? मुंडन तब कराता है जब उसके घर का, परिवार का कोई साथी, दोस्त, भाई, माता-पिता ईश्वर को प्राप्त हो जाता है. आपकी सरकार ने महिलाओं के मुंडन करवा दिए. आप जरा आईना तो देखें. जगह-जगह आंदोलन होते हैं और हमारी बहनें, माताएं, भाभियां, बहुएं अपने बाल कटवाती हैं और आप सरकार की पीठ थपथपाते हो. यह हम सबको विचार करने की बात है और पूरे सदन के लिए शर्म की बात है. मैं आप लोगों से अनुरोध करना चाहता हॅूं. अभी नर्मदा यात्रा की बात हुई. नर्मदा यात्रा का प्रश्न मैंने पिछले सत्र में पूछा था कि कितना खर्च हुआ. एकात्म यात्रा भी उसके बीच में हुई. अभी माननीय विधायक जी उस पर बखान कर रहे थे, धर्म की बात कर रहे थे और खुद उस झंडे को लेने के लिए सांसद को गाली-गलौच और मारपीट कर रहे थे, अखबारों के फ्रंट पेज पर छपा. आप धर्म की कितनी जय-जयकार करते हैं उसकी तो कोई कल्पना नहीं है.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- आप किसान आंदोलन में क्या कर रहे थे ?
श्री जितू पटवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नर्मदा यात्रा का जो खर्च है वह 1837.28 लाख रूपए है. पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी घूम रहे हैं देख रहे हैं और हिसाब मांग रहे हैं और आपको सही समय पर बताएंगे भी, पर एकात्म यात्रा में आपने जो 900 करोड़ रूपए खर्च किए और उसके बाद सांसद और विधायक पूरे प्रदेश को कैसे गाली-गलौच देते हैं. एक जनप्रतिनिधि कितना तू-तू, मैं-मैं पर जाता है वह आप लोगों ने प्रदर्शित किया. मैं समझता हॅूं कि इससे अच्छी कोई बात हो ही नहीं सकती. मैं आपके माध्यम से यह बताना चाहता हॅूं कि अभी किसानों की बहुत बात हुई. किसानों की बातों में बहुत बडे़-बडे़ आंकडे़ सरकार पेश करती है और वर्ष 2003 से लेकर आज तक का हिसाब हम सब बताते हैं. मैं आप लोगों को अवगत कराना चाहता हॅूं कि वर्ष 2003-04 में 1 लाख रूपए जिस किसान पर कर्ज था उस पर आज 15 लाख रूपए कर्ज है जिस पर 2 लाख रूपए कर्ज था आज उस पर 25 लाख रूपए है, यह उन्नति हुई है किसानों की. आप देखोगे कि सोयाबीन के वर्ष 2003-04 के जो भाव थे वह 4 हजार रुपये के आसपास थे 500 रुपये भाव बढ़े भी होंगे और 200, 400 और 500 रुपये घटे भी होंगे. आज उसके भाव क्या हैं? जरा कल्पना करो. हम सब किसानों के पास जाएंगे. यह किसी कांग्रेस पार्टी के विधायक का या विपक्ष का सवाल नहीं है. हम सबके लिए सवाल है. गेहूँ का भाव 1500-1600 तब भी था अभी मुख्यमंत्री जी ने 2 हजार किया और आज भाव कितना बढ़ा है यह विचार करने का प्रश्न है. चना 3 हजार के आसपास था, आज भी वही है और बिजली क्या भाव थी. कांग्रेस के समय में कम बिजली दी होगी उसकी गालियाँ आपने हमें खूब दी हैं लेकिन फ्री थी और आपने....
श्री सुदर्शन गुप्ता-- आपके समय बिजली थी ही नहीं.
श्री जितू पटवारी-- यह सरकार आने के बाद वर्ष 2004 में जो 10 हार्स पावर का कनेक्शन हजार रुपये के आसपास मिलता था आज 13-13 हजार रुपये का 10 हार्स पावर का टेंपरेरी कनेक्शन मिलता है. लागत कितनी बढ़ गई है?
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- पहले बिजली कितने टाइम मिलती थी यह भी तो बतायें जितू भैया. 1 घंटे, 2 घंटे, 3 घंटे के पैसे लेते थे. 1 हजार रुपये में कितने घंटे बिजली देते थे यह भी आप बताओ.
श्री जितू पटवारी-- मुख्यमंत्री जी आ गये हैं वह उनके भाषण में सब बताएंगे. मैं तो सवाल कर रहा हूं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- उसी सवाल में 1 हजार रुपये में कितने घंटे बिजली दी थी.
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ जाएं.जितू जी आप उनको उत्तर ना दें अपनी बात कहें समय हो रहा है.
श्री जितू पटवारी-- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि यह समय का विषय नहीं है यह किसान की पीड़ा का विषय है.
अध्यक्ष महोदय-- समय का विषय भी है. यहाँ तो समय का ध्यान रखना पड़ेगा.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, रात तक विधान सभा चलेगी. किसान आत्महत्या कर रहे हैं,उनको गोलियाँ मारी जा रही हैं, किसान पीड़ित हैं. मुख्यमंत्री जी उनके लिए दुखी हैं और सदन के पास उनके लिए समय नहीं हैं.
अध्यक्ष महोदय-- यह आम सभा नहीं हैं समय की मर्यादा आपको यहाँ रखना पड़ेगी.
श्री जितू पटवारी-- समय की मर्यादा रखेंगे लेकिन आपसे अनुरोध है कि हम पर भी आपकी कृपा बनी रहे. सरकार की तरफ आपका ध्यान होना चाहिए पर विपक्ष भी आपकी ही रहनुमाई में है. मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि वर्ष 2004 में जो डीजल पेट्रोल का भाव था और आज जो डीजल पेट्रोल का भाव है वह सीधा डबल है. लागत की बात हर बार कही गई. मुख्यमंत्री जी ने भी कही, सरकार के सारे मंत्री लागत घटाना है और आय बढ़ाना है इस पर कहते रहे तो जो फसलों के दाम वर्ष 2004-05 में थे वही 2017 में हैं और किसानों की लागत बीस गुना बढ़ गई है. मैं अध्यक्ष महोदय के माध्यम से कहना चाहता हूं कि मैं जिस गाँव में रहता हूं, सेवा सहकारी संस्था, बिजलपुर, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बैठे हैं और जिले में भी आपकी ही पार्टी लोग हैं उनसे ही मैंने यह हिसाब लिया है कि वर्ष 2003-04 में 85 लाख रुपये की किसानों की एफडी उस सेवा सहकारी संस्था में थी. आज 11 करोड़ रुपया जीरो प्रतिशत आपका ब्याज, जो आपने दिया उस पर किसान कर्जदार हैं और इस साल में 1 लाख 30 हजार रुपया किसान ने वापस लौटाया, जीरो प्रतिशत पर 9 करोड़ के आसपास ओवरड्यू हो गया है किसानों ने पैसा नहीं भरा क्योंकि उनके पास पैसा नहीं था तो यह असली हालत है किसानों की आज. मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि डीएपी की भी बात होती है. यूरिया का पहले क्या भाव था और आज क्या भाव है? मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हूं कि पहले 40-50 रुपये में मजदूर मिलते थे आज 200-250 रुपये जो सरकारी नार्म्स हैं उस हिसाब से मजदूर मिलते हैं तो किसान की लागत कितनी बढ़ी और उसकी आय कितनी बढ़ी है, किसान की आय जहाँ है, वहीं है या नीचे हुई है? मुख्यमंत्रीजी, आज किसान पूर्ण रूप से कर्ज में है.
श्री दिलीप सिंह परिहार--- मध्यप्रदेश में पहले सिंचाई कितनी थी और अभी कितनी है यह देख लो आप.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल--- पहले 30-40 रुपया मजदूरी थी आज मजदूरी कितनी है ? आज इंकम भी तो बढ़ी है.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय,पहले जिस किसान पर 1 लाख रुपये का कर्ज था आज उस पर 10 लाख रुपये का कर्ज है. किसान की जो माँग है उस पर किन्तु परन्तु नहीं होना चाहिए. किसान के मामले में तेरा-मेरा छोड़कर काम करना चाहिए. माननीय अध्यक्ष महोदय के माध्यम से मैं मुख्यमंत्री जी आपसे गुहार लगाता हूँ कि आप किसानों की बातों पर वोट लो, सरकार बनाओ, भाषण दो, अवार्ड लो पर किसानों के ओरिजनल दर्द को समझने का प्रयास भी करो यह मेरा आपसे अनुरोध है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैं जितनी देर बोला हूँ उसमें आधा समय तो टोका-टाकी हुई है.
अध्यक्ष महोदय-- आपको 9 मिनट हो गये हैं 3 मिनट और बोल लीजिये इनको कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा कृपा कर के.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, मैं यह भी अनुरोध कर रहा था कि इतना उत्पादन बढ़ा कि तीन बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला और आज ही के अखबार की एक कटिंग है जिसमें कुपोषण में रोज 52 बच्चों की मौत होती है. यह असली आईना है आपकी सरकार का अभिभाषण में इसका भी उल्लेख कर देते तो आपकी सरकार की मेहरबानी होती. आज महिला दिवस है महिला सशक्तिकरण की बात हुई. प्रदेश में हर दूसरी महिला को उसका पति प्रताड़ित करता है. आपने कानून अच्छे बनाए हैं. बातें महिला सशक्तिकरण की हुईं एक बच्ची है जो कि विकलांग है जो टीकमगढ़ की रहने वाली है भोपाल आकर रह रही है उसे सरकार द्वारा कई प्रकार के अवार्ड दिए गए, प्रोत्साहित किया गया. इस बच्ची ने परिवार चलाने के लिए रोजगार हेतु इंडियन आइल में आवेदन दिया उस बच्ची को इंडियन आइल के एक अधिकारी ने इतना पीड़ित किया कि उसको ब्रेन स्ट्रोक आ गया और आज वह भोपाल में भर्ती है. आज तक उसको देखने एक भी मंत्री नहीं गया, वह पीड़ित है, दुखी है. उसका परिवार आज सुबह मुझसे मिलने आया था. उसका नाम पूनम श्रोति है. बड़ी बड़ी बातें हुईं और भी बड़ी-बड़ी बातें मुख्यमंत्री जी करेंगे. परन्तु असली आईना आपका यही है कि सब दुखी हैं. सबका साथ सबका विकास. किसान दुखी, युवा दुखी, कर्मचारी दुखी. महिला कर्मचारी मुंडन करा रही हैं. इस तरह के हालात बने हैं. 40 लाख युवा बेरोजगार घूम रहे हैं. मैं समझता हूं कि इससे घृणित, इससे पीड़ित, इससे ज्यादा दुख देने वाला बाकी राज्य में कोई नहीं हुआ होगा. मैं इसकी निंदा करता हूँ. धन्यवाद.
श्री रणजीतसिंह गुणवान--पटवारी जी पूरा मध्यप्रदेश सुखी है केवल कांग्रेस दुखी है. पूरे प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता सुखी है. मध्यप्रदेश की शिवराज जी की सरकार ने इतना काम किया है.
श्री गोविन्द सिंह पटेल (गाडरवारा)--अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित करता हूँ. मध्यप्रदेश में 14 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है इन 14 वर्षों में मध्यप्रदेश में चौतरफा विकास हुआ है. मैं भी किसान हूँ किसानों की बात हो रही थी मैं भी किसानों की बात करना चाहता हूँ. मध्यप्रदेश सरकार को लगातार 5 वर्षों से कृषि कर्मण पुरस्कार मिल रहा है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ मोदी जी ने यह पुरस्कार दिया है उसके पहले मनमोहन सिंह जी द्वारा भी 2 वर्षों तक यह पुरस्कार दिया गया है. यह इस बात का द्योतक है कि मध्यप्रदेश की सरकार ने कृषि के क्षेत्र में बहुत विकास किया है. यह विकास एक दिन में या बातों बातों में नहीं हो गया है उसके लिए सरकार ने काम किया है. वर्ष 2003 हमारे यहां सिंचाई का रकबा साढ़े सात लाख हेक्टेयर क्षेत्र में था. आज सिंचाई का रकबा हमारे यहां 40 लाख हेक्टेयर में हो गया है. सरकार ने काम किया है इसलिए यह सिंचाई का रकबा बढ़ा है. इसलिए कृषि कर्मण पुरस्कार मिला है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भाव के उतार-चढ़ाव होते हैं. गत वर्ष कृषि उत्पादन के जिन्सों के रेट कम हो गए थे. सरकार ने उसकी व्यवस्था की. तुरन्त मंडियों में और आवश्यक सेन्टर बनाकर तुअर, मूंग, समर की मूंग इनकी खरीदी की गई. 5050 रुपए के भाव से तुअर और 5225 रुपए के भाव से मूंग का एक-एक दाना किसानों का खरीदा गया. बम्फर उत्पादन था यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो मुश्किल से 3000 रुपए के भाव से तुअर बिकती और मुश्किल से 2500 रुपए के भाव से मूंग बिकती. सरकार ने एक-एक दाना खरीदा और एक-एक दाने का भुगतान किसान को हुआ है.
अध्यक्ष महोदय, इस साल खरीफ की कुछ फसलों जैसे उड़द, मूंग, सोयाबीन और तुअर को भावान्तर योजना में लिया गया है. भावान्तर योजना में समर्थन मूल्य और मॉडल रेट जो कि तीन प्रदेशों के रेट आते हैं उसके अन्तर को लिया जाता है. जैसे उड़द का समर्थन मूल्य था 5400 रुपए और मॉडल रेट आया 3000 रुपए. 2400 रुपए प्रति क्विंवटल किसानों के खाते में सरकार द्वारा जमा किया गया. इस हेतु 1500 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई और किसानों को इसका भुगतान किया गया. अब रबी की फसल में भावान्तर योजना में चना, मसूर और सरसों को शामिल किया जा रहा है. इसके रजिस्ट्रेशन हो रहे हैं. इस हेतु सरकार द्वारा 1000 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है.
अध्यक्ष महोदय, किसानों को उत्तम किस्म के बीज मिले, उत्तम किस्म का खाद मिला इससे प्रति एकड़ जो उत्पादन होता था उसमें अन्तर आया है. जैसे गेहूं का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 18 क्विंटल होता था वह आज बढ़कर 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गया है. धान का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 8 क्विंटल होता था आज 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो रहा है. कुल खाद्यान्न का उत्पादन 1 लाख 43 हजार हेक्टेयर में था आज 4 लाख 39 हजार हेक्टेयर में खाद्यान्न का उत्पादन हुआ है. पहले दलहन का उत्पादन 30 लाख हेक्टेयर में था जो कि अब 79 लाख हेक्टेयर क्षेत्र हुआ है. तिलहन का उत्पादन 49 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में था जो बढ़कर 87 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुआ है. इस वर्ष हमारी सरकार ने, हमारे मुख्यमंत्री जी ने किसानों के लिए प्रोत्साहन योजना लागू की है क्योंकि समर्थन मूल्य के बाद भी अगर कम दाम मिलते हैं तो सरकार ने इसके लिए प्रोत्साहन योजना लागू की है. धान और गेहूं पर 200 रुपए क्विंटल प्रोत्साहन दिया जाएगा जिससे किसान को अपनी उपज का उचित लाभ मिल सके. यह वर्ष 2018 के लिए तो है ही सरकार ने एक और व्यवस्था की है कि वर्ष 2017 का भी उसमें भुगतान किया जाएगा. किसानों को फसल का उचित दाम मिल सके इसके लिए सरकार ने यह व्यवस्था की है. सरकार ने वर्ष 2016 में फसल बीमा के लिए 1 हजार 60 करोड़ का भुगतान किया है. इस बजट में वर्ष 2018-19 के लिए 2 हजार करोड़ का प्रावधान है. किसान कल्याण विभाग के लिए सरकार 9 हजार 278 करोड़ रुपए की व्यवस्था कर रही है. एक समय में 18 से 20 प्रतिशत सहकारिता के माध्यम से किसान को ब्याज मिलता था जिसमें किसान कर्ज के बोझ से नहीं दबता था ब्याज के बोझ से दबता था. आप लोगों के जमाने में उसमें सरचार्ज अलग से लगता था लेकिन हमारी सरकार ने, हमारे मुख्यंमत्री जी ने किसानों की चिंता की उसको पहले 8 प्रतिशत किया, 5 प्रतिशत किया, 3 प्रतिशत किया, 1 प्रतिशत किया और अब तो बिना ब्याज का कर्ज और उसमें भी यदि फसल का ऋण हम समय पर चुकाते हैं उसमें 10 प्रतिशत की छूट भी दी गई है कि 1 लाख रुपए ले जाओ और 90 हजार रुपया जमा कर दो यह व्यवस्था सरकार ने की है. बिना ब्याज का ऋण या तो विक्रमादित्य ने दिया था या आज हमारी सरकार दे रही है. किसानों के लिए सरकार और भी कई उपाय कर रही है. बिजली के क्षेत्र में तो 2 से 4 घण्टे बिजली मिलती थी. बिजली की हालत तो यह थी कि खेतों के लिए तो बिजली मिलती नहीं थी गांव के लिए भी संभाग मुख्यालय पर दो घण्टे बिजली कटती थी, जिला मुख्यालय पर 4 घण्टे बिजली कटती थी, तहसील मुख्यालय पर 8 घण्टे बिजली कटती थी और हमारे गांव में तो 16 घण्टे बिजली कटती थी. गांव में कोई भी कूलर, पंखें नहीं लगाता था क्योंकि बिजली ही नहीं मिलती थी. आज छोटे से गांव में भी 24 घण्टे बिजली मिल रही है. सरकार ने एक मुश्किल काम किया है और आज यह सौभाग्य है कि एक-एक मकान चाहे वह जंगल में हो उसमें सौभाग्य योजना से बिजली पहुंचाने का काम सरकार कर रही है. ऐसे हर क्षेत्र में सरकार ने काम किया है. हमारे मित्रों को अपनी बात कहने का अधिकार है लेकिन सत्य को भी स्वीकार करना चाहिए. आपके पूर्व प्रधानमंत्री ने सत्य को स्वीकार किया था. माननीय स्वर्गीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी कहते थे हम एक रुपया भेजते हैं और 15 पैसा पहुंचता है. आप भी उस चीज को स्वीकार कीजिए और स्वीकार करना चाहिए. लेकिन आज हम एक रुपया भेजते हैं पूरा एक रुपया पहुंचता है. जैसे हम मकान का 1 लाख 35 हजार रुपया भेज रहे हैं वह पूरा पहुंच रहा है, सीधे खाते में पहुंच रहा है. बीच का लेन-देन सब खत्म. आज आप सत्य को स्वीकार करें. जो गलत बात हो, हमारी कमियां हों उन्हें बताओ लेकिन जो सरकार सत्य कर रही है उसको स्वीकार करें आपने मुझे बोलने का मौका दिया उसके लिए बहुत- बहुत धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हमारी प्रदेश की महिला राज्यपाल महोदया श्रीमती आनंदी बेन पटेल द्वारा प्रस्तुत अभिभाषण पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं आज महिला सशक्तिकरण अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस भी है इसलिए मैं पूरी महिला शक्ति को नमन करता हूं और बधाई भी देता हूं. राज्यपाल महोदय का अभिभाषण किसी भी सरकार का नीतिगत दस्तावेज होता है, सरकार का दर्पण होता है जिसमें झलकता है कि सरकार क्या करना चाहती है. अभी तक क्या किया और आगे क्या करना चाहती है. अभिभाषण प्रारंभ किया गया था कि हमारी सरकार का प्रयास है सबका साथ सबका विकास अगर सबको साथ लेकर चलते तो प्रदेश में यह आंदोलन हो रहे हैं अतिथि शिक्षकों द्वारा आंदोलन, संविदा शिक्षकों द्वारा आंदोलन, संविदा स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा आंदोलन, संविदा खेलकर्मियों द्वारा आंदोलन लगातार आंदोलन हो रहे हैं और आंदोलन होते-होते स्थिति यह हो रही है कि लोग मुंडन तक करवा रहे हैं. हमारी जो नारी शक्ति है उन्हें भी मुंडन करवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. इससे बुरी और दूसरी कोई बात नहीं हो सकती. माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर ''सबका साथ, सबका विकास'' होता तो इस प्रदेश की 35 प्रतिशत आबादी आज भी बी.पी.एल. Below Poverty Line नहीं होती. उन्हें उठाने का काम पिछले 15 वर्षों में कितना हुआ है ? आज वे जस के तस हैं. वे जहां थे, आज भी वहीं हैं. बल्कि इस बार, इस सरकार ने यह काम जरूर किया है कि हर जिले में 15 से 20 हजार बी.पी.एल. परिवारों के नाम बिना जांच किए, बिना परीक्षण किए, जिनके पास कुछ नहीं है जो Hand to Mouth की स्थिति में हैं उन्हें सहयोग करने के स्थान पर, उन्हें ऊपर उठाने के बजाय, उन्हें काम देने का प्रयास नहीं किया अपितु बी.पी.एल. सूची से उनका नाम काटकर सम्यावेशी विकास की बात जरूर की है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ''सबका साथ, सबका विकास'' की बात जहां तक आ रही है, इस बारे में किसी से कुछ छिपा नहीं है. आज प्रदेश में कुल शिक्षित बेरोजगार 23 लाख 90 हजार हैं. प्रदेश में आपने 9 हजार पटवारियों के पद निकाले, उसके लिए 22 लाख लोगों ने आवेदन किया जिसमें एम.टेक., बी.टेक. और पी.एच.डी. किए हुए लोगों ने आवेदन किया है, यह प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति है. सरकार ने उन बेरोजगारों से व्यापम के माध्यम से 500-500 रुपये फीस लेकर 50 करोड़ रुपये एकत्रित किए हैं. आप सबसे ज्यादा पैसा प्रदेश के शिक्षित बेरोजगारों से ही कमा रहे हैं. चाहे कोई भी परीक्षा हो, आप जबर्दस्ती उन शिक्षित बेरोजगारों की जेब से परीक्षा के नाम पर पैसा वसूल कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि हम बेरोजगारी की बात करें तो अभी हाल ही में माननीय ग्वालियर न्यायालय में 57 चपरासी के पद निकले जिसमें 60 हजार लोगों ने आवेदन किए. इसमें से 80 फीसदी उम्मीदवार स्नातक, स्नातकोत्तर एवं अन्य डिग्रीधारी हैं. आपकी सरकार में बैकलॉग के पद खाली पड़े हुए हैं. यदि मैं संख्या बताऊं तो अनुसूचित जाति के 5877 पद रिक्त पड़े हैं. अनुसूचित जनजाति के 13241 पद रिक्त हैं. अन्य पिछड़ा वर्ग के 4251 पद रिक्त हैं और नि:शक्तजनों के 3123 पद रिक्त पड़े हुए हैं. आपने राज्यपाल के अभिभाषण में कहा है कि हम समय-सीमा बढ़ायेंगे लेकिन करोगे क्या उस समय-सीमा का ? आपकी मंशा ठीक नहीं है. आपकी क्रियान्वयन की इच्छा ही नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन में बात आई और वास्तव में इस प्रदेश की ही नहीं अपितु देश की आत्मा किसानों में बसती है. गांव में विकास करती है और गांव के किसान खेती करते हैं. यहां ''भावांतर योजना'' की बात आई. ''भावांतर योजना'' का नाम बहुत ही अच्छा है. सुनकर बहुत ही अच्छा लगता है कि किसान को मिलने वाले फसल के मूल्य का अंतर और एम.एस.पी. का अंतर आप किसानों को देंगे लेकिन स्थिति क्या है ? मंदसौर में क्या हुआ ? मंदसौर में किसान केवल अपने प्याज की फसल का उचित मूल्य मांग रहा था. किसान ने इसके लिए आंदोलन किया और आपकी सरकार, प्रशासन ने गोली चलाई जिसमें 6 किसानों की हत्या हो गई. उसके बाद आप जागे और आपने 8 रूपये किलो की दर से प्याज खरीदी. मुख्यमंत्री जी आप ध्यान करें कि आपने इसी सदन में न्यायिक जांच आयोग की घोषणा की थी और आपने कहा था कि तीन महीने के अंदर न्यायिक जांच आयोग, जांच करके रिपोर्ट प्रस्तुत कर देगा और मैं तीन महीने के भीतर रिपोर्ट विधान सभा के पटल पर रख दूंगा लेकिन आपको इस बात का ध्यान नहीं रहा. मुख्यमंत्री जी आपकी घोषणायें होती हैं लेकिन उन घोषणाओं का क्रियान्वयन नहीं होता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, प्याज की खरीदी के बाद स्थिति क्या हुई कि जिस दिन सरकार की खरीदी समाप्त हुई उसके पंद्रह दिन-एक माह के भीतर ही प्याज का दाम 30-35-40 रुपये किलो तक पहुंच गया. क्या हम यही भाषण देते रहेंगे, किसानों पर ही बोलते रहेंगे कि हम अच्छा कर रहे हैं और आप हमारी बुराई कर रहे हो. क्या हमने कभी ईमानदारी से सोचा है कि हम किसानों के हित में क्या करने जा रहे हैं ? माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार ने ''भावांतर योजना'' लागू की. निश्चित रूप से बहुत अच्छा लगता है कि किसानों को मिलने वाले फसल के मूल्य और एम.एस.पी. के मूल्य की राशि हम उन्हें दिलायें, लेकिन होता क्या है ?
श्री दिलीप सिंह परिहार- देखो, जितू भाई स्वीकार किया न ?
श्री रामनिवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, सरकार ने 15 सितंबर को इस योजना की घोषणा की. उस दिन जिन चीजों के भाव आपने घोषित किए उस दिन फसलों के मूल्य क्या थे ? आपने उड़द को ''भावांतर योजना'' में लिया. जिस दिन आपने योजना लागू की उस दिन 4500 रुपये में मंडी में उड़द बिक रही थी. आप चाहें तो भाव बुलवा लें. आपकी योजना लागू करने के 15 दिनों के भीतर-भीतर उड़द 1800 से 2500 के बीच बिकने लगी. आप जो दे रहे हैं वह राशि केवल उतने ही अंतर की राशि दे रहे हैं. आपने दो अन्य राज्यों के साथ मिलकर मॉडल प्राईज़ निकाला और आप किसानों को जो राशि दे रहे हैं वह, वही राशि हैं जो आपके द्वारा योजना लागू करने के पहले किसान को मंडियों में मिल रही थी. आप कम से कम यह तो सोचें कि किसानों की फसलों का लागत मूल्य लगातार बढ़ता जा रहा है. राष्ट्रीय स्तर पर फसल लागत और फसल मूल्य निर्धारण का आयोग बना हुआ है. हम चाहते हैं कि आप राज्य में भी किसानों की फसलों के लागत मूल्य और उत्पादन मूल्य के निर्धारण के लिए एक आयोग गठित करें. हम बात तो करते हैं कि हम किसान को फसल का डेढ़ गुना दाम दिलायेंगे लेकिन हमने आज तक कभी यह नहीं पता किया कि किसान की फसलों के उत्पादन में लागत मूल्य कितना है. लागत मूल्य निकालने के बाद अगर आप डेढ़ गुना दाम देंगे तो निश्चित रूप से रामनिवास पहला व्यक्ति होगा, जो आपको सार्वजनिक रूप से धन्यवाद देगा. आप कुछ भी कहें, लेकिन आज भी प्रदेश के 18 जिलों के जो उड़द के मॉडल रेट घोषित किये थे, इससे पहले तो वह इतने में पहले ही बिक रही थी और आपको अंतर की राशि देना थी. आपकी भावांतर योजना लागू करने के बाद फसलों के दाम निरंतर घट गये. अध्यक्ष महोदय, आपने कुपोषण योजना लागू की, कुपोषण हमारे प्रदेश में एक कलंक के रूप में है. कुपोषण की स्थिति यदि हम देखेंगे तो कुपोषण के मामले में लगातार वृद्धि होती जा रही है. माननीय मुख्यमंत्री आप अभी निश्चित रूप से घोषणा करेंगे कि मैंने कुपोषण मिटाने के लिये पीटीजी ग्रुप की महिलाओं को एक हजार रूपये देने की घोषणा की है, लेकिन कुपोषण की स्थिति में निरंतर वृद्धि होती जा रही है. मेरा अभी हाल ही 28 फरवरी का प्रश्न है, इसमें 92 बच्चे जीरो से लेकर एक वर्ष तक के काल के गाल में समा रहे हैं, प्रतिदिन 92 बच्चों की मौत हो रही है. आपकी योजनाएं तो हैं, आपकी योजनाओं की क्रियान्वयन की स्थिति क्या है. यह कभी आपने देखा है ? यदि आप इसे देखेंगे तो आपको पता चलेगा. आपने इसी सदन में घोषणा की थी और आपने बाहर भी घोषणा की थी कि मैं कुपोषण के मामले में श्वेत पत्र जारी करूंगा, श्वेत पत्र लाऊंगा और विधान सभा के पटल पर रखूंगा. लेकिन आज तक श्वेत पत्र नहीं आया है, जब मैंने सरकार से जानना चाहा तो सरकार ने जवाब दिया कि अभी तक किसी समिति का गठन नहीं किया गया है, अभी तक कोई बिंदु तय नहीं किये गये हैं. आपकी घोषणाओं से प्रदेश का कोई भला नहीं होने वाला है. आप जो सोचते हो, आप जो योजनाएं बनाते हो, उनके क्रियान्वयन करने से क्रियान्वयन मिटेगा. आप कई बार कह चुके हो कि हम प्रदेश में सेल्फ हेल्प ग्रुपों के माध्यम से कुपोषण आहार बंटवायेंगे, लेकिन वह आज तक नहीं बंट पाया है. माननीय अध्यक्ष महोदय मैं पढ़ना चाहूंगा कि '' माननीय उच्च न्यायालय, इंदौर द्वारा दिनांक 13.9.2017 को दिये गये आदेश के पालन में राज्य मंत्रि-परिषद की बैठक- दिनांक 14.11.2017 में निर्णय लिया गया कि पूरक पोषण आहार, टेक होम राशन की नवीन नीति निर्धारित कर आगंनवाड़ी केन्द्रों में पूर्ववत् पोषण आहार की व्यवस्था'' शीघ्र लागू किये जाने का निर्णय आपकी मंत्रि-परिषद ने निर्णय लिया, लेकिन उसका क्या हुआ ? अभी तक उसका क्रियान्वयन नहीं हुआ. आपके ही अधिकारी आपके मंत्रि-परिषद के निर्णय के खिलाफ बड़ी-बड़ी कंपनियों को लाभ देने के लिये आपके लोग कोर्ट में चले गये, यह पूरी स्थिति है.
अध्यक्ष महोदय :- कृपया समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत:- आप कहते हैं तो बैठ जाता हूं.
अध्यक्ष महोदय :- नहीं, मैं केवल अनुरोध कर रहा हूं.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, मैं केवल एक चीज बताना चाहता हूं कि आपने कानून बनाया कि बच्चियों के साथ दुर्व्यवहार करने पर मृत्युदंड देने का प्रावधान किया, लेकिन मैं जानना चाहूंगा कि प्रदेश में किस तरह की स्थिति है. हमारे ही पक्ष के विधायक का एक प्रश्न था कि बच्चियों के साथ उसमें दुष्कृत्यों के बारे में लिखा था. आपके कानून बनाने के बाद दुष्कृत्यों की संख्या बढ़ी है, घटी नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी तो चले गये. अध्यक्ष महोदय, आपके समय का डंडा बार-बार चलेगा. मैं तो यही निवेदन करूंगा कि जीरो टॉलरेंस, भ्रष्टाचार समाप्त करने की बात कही थी. आप माननीय मंत्री महोदय और पूरे सदन के सदस्यों से भी अनुरोध करूंगा कि आप सब पीडि़त हैं, आप ही के पूर्व मंत्री....
श्री वेल सिंह भूरिया:- कांग्रेस पीडि़त है, बाकी कोई पीडि़त नहीं है, कांग्रेस के लोग ही पीडि़त हैं.
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, आपने सरताज सिंह का वीडियो देख लिया होगा, सरताज सिंह का दर्द सबने सुन लिया होगा. इसके आगे मुझे कुछ नहीं कहना है. अध्यक्ष महोदय, नियमों में तो नहीं आता है, मेरे पास तो वीडियो भी है. चाहो तो मैं बता सकता हूं कि सरताज सिंह जी क्या कह रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय:- नहीं, अनुमति नहीं है. आप खुद ही कह रहे हैं कि नियमों में नहीं आता है.
श्री रामनिवास रावत:- अध्यक्ष महोदय, इसके बाद मेरे पास सरकार को कहने के लिये कुछ नहीं रह जाता है. मैंने ऐसा सिस्टम शायद प्रदेश में नहीं देखा है. मैं किसान हूं, मैं विधायक किसान हूं, आम जनता का क्या होगा. (XXX)
अध्यक्ष महोदय:- यह कार्यवाही में नहीं आयेगा.
श्री रामनिवास रावत:- नहीं आये कार्यवाही में, लेकिन आपको, आपकी सरकार का आईना दिखा रहा हूं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- श्री के.के.श्रीवास्तव
श्री शंकरलाल तिवारी:- अध्यक्ष महोदय, अभी त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में चुनाव हुए. (XXX)
अध्यक्ष महोदय:- आप बैठ जाइये. यह कार्यवाही से निकाल दीजिये.
श्री शंकरलाल तिवारी:- इसलिये उसने कांग्रेस छोड़ दी और वहां कांग्रेस साफ हो गयी.
अध्यक्ष महोदय:- तिवारी जी, यह क्या है. एक मिनट श्रीवास्तव जी.
श्री रामनिवास रावत - यह तिवारी जी भाषा, चाल, चरित्र और चेहरा बता रहा है.
अध्यक्ष महोदय - आप अपनी बात कन्क्ल्यूड कर दें.
श्री रामनिवास रावत - मुझे ज्यादा कहने की जरूरत नहीं है.
श्री शंकरलाल तिवारी - रामनिवास रावत जी, चाल, चरित्र एवं चेहरा, आप क्या जानें, इस मामले में.
अध्यक्ष महोदय - तिवारी जी, आप बैठ जाइये.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसे मैंने सरताज सिंह जी के बारे में कहा. वैसे ही, मैं आज की विधानसभा में, हमारे यशपाल सिंह जी ने एक ध्यानाकर्षण लगाया था तो अकेले यशपाल सिंह जी ने ही नहीं, सभी सदस्यों की इच्छा हुई कि उस पर बोला जाये जबकि ध्यानाकर्षण जिसका होता है, वही बोलता है. आसन्दी ने अनुमति दी तो कम से कम 6 सदस्य बोले.
अध्यक्ष महोदय - यह विषय नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, विषय यह है कि आज यह बात कर रहे हैं कि हमने 66 दुकानें बन्द कर दी हैं, प्रदेश में गांव-गांव में, घर-घर में दारू बिक रही है. पहले जो नियम बनाये थे.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें. श्री के.के.श्रीवास्तव बोलें.
श्री रामनिवास रावत - आपने पहले जो नियम बनाये थे, वे नियम आपने खत्म कर दिए हैं. आपने समय दिया, उसके लिए धन्यवाद.
श्री के. के. श्रीवास्तव (टीकमगढ़) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल महोदय के प्रस्तुत अभिभाषण पर अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ. सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा एवं स्वास्थ्य किसी भी सरकार के लिए, जनकल्याणकारी कार्यों के लिए यह महत्वपूर्ण होता हैं. अभी हमारी सरकार के बारे में चर्चा हो रही थी प्रतिपक्षी दल के लोग कह रहे थे कि इस सरकार में बिजली के रेट बढ़ गए हैं, हमारी सरकार में फ्री थे बिल्कुल एकदम फ्री थे.
अध्यक्ष महोदय, उस समय हालात 'अन्धेर नगरी, चौपट राजा' के थे. उस समय मध्यप्रदेश में बिजली के हालात सबको पता हैं, सड़क का सबको पता है- गड्डे ही गड्डे थे, ऐसी सरकार आपको मुबारक हो. पूरे प्रदेश को गर्त में धकेल कर रखा था. दो एकड़ की खेत पटिया सींचने के लिए, कोई किसान अपने परिवार को लेकर, कलेवा बांधकर पूरे दिन-भर खेतों में पड़ा रहता था. (शेम-शेम) एक बेटा स्टार्टर पर अंगुली लगाकर खड़ा होता था, एक पाईप पर पाईप लगाने के लिए खड़ा होता था, एक फावड़ा लेकर खेत की मेड़ पर खड़ा होता कि कब पानी आए, कब बिजली का बल्ब जले, कब स्टार्टर दबाएं एवं कब पानी पाईप से निकले. यह हालत मध्यप्रदेश की थी.
श्रीमती ऊषा चौधरी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - इसको हटा दीजिये.
श्रीमती ऊषा चौधरी - कलेवा कहां ले जाएंगे, जब खेत ही नहीं रहे. सब कांक्रीट के पहाड़ बन गए हैं.
अध्यक्ष महोदय - ऊषा जी, आप बैठ जाइये.
श्री के. के. श्रीवास्तव - अध्यक्ष महोदय, आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. सड़कों की हालत ऐसे थी, जैसे कोई इनका नेता वहां बीन बजा रहा है और तन डोले, मन डोले की हालत पूरे मध्यप्रदेश में थी. अध्यक्ष महोदय, किस क्षेत्र में बात करें ? सिंचाई के बारे में बात करें तब मुख्यमंत्री, श्री दिग्विजय सिंह थे, यहां सदन में चर्चा हुई थी, मैं किसी को छेड़ना नहीं चाहता हूँ. लेकिन अगर तुलना करनी होगी, वर्तमान सरकार से तो हमें उनकी पुरानी बातों को भी याद रखना होगा. पांच हार्स पावर के पम्प फ्री कर दिए, बिजली भी साफ हो गई, बिजली मिली ही नहीं.
अध्यक्ष महोदय, किसान आपकी दया और कृपा पर नहीं रहना चाहता, उसे आपकी कृपा नहीं चाहिए. उसे चाहिए तो समय पर बिजली मिल जाये, उसे चाहिए तो समय पर सिंचाई के साधन मिल जाएं, उसे चाहिए तो खाद, बीज, कीटनाशक दवाई मिल जाये, यदि आप उन्नत किस्म का अनुदान दे सकते हो तो उम्दा ट्रेक्टरों में बक्खर दे दीजिये, उसकी भुजाओं में ताकत है और खेतों में उर्वरा शक्ति है तो वह पैदा कर लेगा. यह हमारी सरकार ने दिया तो हमने 5 बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त किया है. (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दें.
श्री गिरीश भण्डारी - श्रीवास्तव जी, संयम रखिये.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, आप पर पूरा भरोसा है.
अध्यक्ष महोदय - कार्यवाही से निकलवा दिया है. अब क्या कर सकते हैं ?
श्री के. के. श्रीवास्तव - माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन के एक वरिष्ठ सदस्य कह रहे थे कि ये 14 साल के पुराने भूत से कब पीछा छुड़ा पाओगे ?
श्री अजय सिंह - अध्यक्ष महोदय, यह रामलीला हो रही है कि क्या हो रही है ?
श्री के. के. श्रीवास्तव - अध्यक्ष महोदय, यह वह हो रहा है जो आप लोग चाहते हैं.
श्री गिरीश भण्डारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह रामलीला का मंचन हो रहा है.
श्री के. के. श्रीवास्तव - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह कार्यवाही से निकाल दीजिये.
श्री के. के. श्रीवास्तव - माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी कल एक वरिष्ठ सदस्य कह रहे थे कि इस 14 साल के भूत से कब पीछा छुड़वाओगे. मैं कहना चाहता हूं कि यह भारतीय संस्कृति है. आप 2018 चुनाव आने दो दीजिये, हम गया जी में पिंडदान करवा देंगे और इस भूत से भी पीछा छुड़वा देंगे और जनता के आर्शीवाद से यह पिंडदान भी आपका हो जायेगा. पहले प्रदेश 2003 तक बीमारू राज्य की श्रेणी में था, आज प्रदेश विकसित राज्य की श्रेणी में पहुंच गया है. आज कृषि विकास दर में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है. प्रदेश ने 18 से 20 प्रतिशत तक प्रतिवर्ष कृषि विकास दर में उन्नति की है. आज प्रदेश का बजट 2 लाख करोड़ रूप से भी ऊपर हो गया है. हमारी समावेशी और सर्वस्पर्शी विकास की अवधारणा, सबका साथ सबका विकास हो रहा है. अब आपका नहीं हो रहा है तो मैं क्या करूं.(हंसी)
माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी भी सरकार का काम मूलत: सड़क बिजली पानी होता है. मैंने पहले भी निवेदन किया है कि इस सरकार ने तो जन सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर भी काम किया है. बिटिया बचे, भ्रूण हत्या न हो और प्रदेश महिला सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़े, इसलिए हमने लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई, हमने उसकी पढ़ाई-लिखाई की चिंता की और जब वह पढ़ लिखकर आगे बड़ी हो जायेगी तो उसके विवाह की भी हमने चिंता की है. इसके साथ ही साथ सारे काम करते-करते, होम, विवाह से लेकर तीर्थ यात्रा कराने तक की इस सरकार ने योजनाएं बनाई. आप टीकमगढ़ चले आओ हमारे यहां अस्थि विसर्जन का बड़ा महत्व है. चिंता मत करो मैं तो सबकी दीर्घायु की कामना करता हूं. मध्यप्रदेश की सरकार ने तीर्थ दर्शन कराने की बात सोच ली है. टीकमगढ़ में मैंने ऐसे गरीब परिवार जो कभी अस्थि विसर्जन के लिये इलाहाबाद नहीं जा सके थे, उन्हें नि:शुल्क वाहन देने की व्यवस्था कर दी है. (मेजों की थपथपाहट) कहीं कहीं हरिद्वार भी जाते हैं परंतु हमारे क्षेत्र में इलाहाबाद जाते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक रूपये किलो गेहॅूं, एक रूपये किलो चावल, एक रूपये किलो नमक मिल रहा है. हम पंद्रह रूपये और बीस रूपये में गेहूँ खरीद रहे हैं. पांच रूपये किलो में भूसा मिलता है और हम एक रूपये में बांट रहे हैं. प्रदेश के सभी बेघर परिवारों को आवासीय भूखंड दिये जा रहे हैं. वृद्धावस्था पेंशन, नि:शक्त जन, निराश्रित, विधवा आदि को प्रदेश में पेंशन दी जा रही है. 36 लाख पेंशनरों को 116 करोड़ रूपये प्रतिमाह हमारी सरकार दे रही है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने पिछले समय घोषणा की थी कि अब उन विधवा महिलाओं को भी जिनके ऊपर गरीबी रेखा का बंधन हैं, उनको पेंशन देने की पात्रता की श्रेणी से हटाकर ऐसी महिलाएं जो भी विधवा होंगी चाहे उनके पास गरीबी रेखा का कार्ड हो उसके भी आदेश शीघ्र जारी हों जायें, यह माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है और इस दिशा में हमारी सरकार काम कर रही है. अभी शिक्षा के बारे में वह लोग बात कर रहे थे, कर्मचारी के हितों की वह लोग बात कर रहे थे, जो लोग 28 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को निकालने वाले लोग हैं. मैं उन लोगों को आईना दिखा रहा हूं. पहले पांच सौ रूपये में शिक्षाकर्मी, पंचायतकर्मी रखे जाते थे. यह मध्यप्रदेश की पहली सरकार है जिसने कर्मचारियों के हितों में काम किया है. (XXX)
अध्यक्ष महोदय - यह शब्द कार्यवाही से हटा दें.
श्री के.के.श्रीवास्तव- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं उन्हें आईना दिखाना चाहता हूं. यह किसानों की हितैषी सरकार है, जिसने भावांतर योजना बनाई है. अभी चिकित्सा और मेडिकल कॉलेज के संबंध में बात आई. यहां मध्यप्रदेश के स्वास्थ मंत्री विराजमान हैं, प्रदेश के गृह मंत्री यहां पर विराजमान हैं. टीकमगढ़ में लाईफ लाइन एक्सप्रेस के समापन अवसर पर केन्द्रीय मंत्री सुश्री उमाभारती जी भी मौजूद थी, तब मैंने मंच से टीकमगढ़ में मेडिकल कॉलेज की मांग की थी. टीकमगढ़ से 150 किलोमीटर दूरी पर सागर में मेडिकल कॉलेज है, टीकमगढ़ से 200 किलोमीटर की दूरी पर ग्वालियर में मेडिकल कॉलेज है, तब स्वास्थ मंत्री ने कहा था कि मध्यप्रदेश सरकार से टीकमगढ़ में मेडिकल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव हम जरूर भेजेंगे और इसमें गृह मंत्री जी की भी सहमति थी. उस समय सुश्री उमाभारती जी ने भी कहा था कि टीकमगढ़ में मेडीकल कॉलेज खुलेगा. इसलिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में लाना चाहता हूं कि टीकमगढ़ से 150, 200 किलोमीटर की दूरी पर कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है. टीकमगढ़ में मेडिकल कॉलेज खोला जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
05.30बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय - कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई)
05:30 बजे.
राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य द्वारा दिनांक 26 फरवरी, 2018 को प्रस्तुत प्रस्ताव पर चर्चा (क्रमश:)
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) – माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल के अभिभाषण पर सत्ता पक्ष के और विपक्ष के बहुत सारे विधायक साथियों ने विस्तार से चर्चा की. आज महिला दिवस है. मैं कांग्रेस विधायक दल की तरफ से प्रदेश की माताएं-बहनों को महिला दिवस के शुभ अवसर पर शुभकामनाएं देना चाहता हूं. महिला दिवस के अवसर पर मैं अपने छोटे भाई को विशेष रूप से शुभकामनाएं देना चाहता हूं. आज मैं अपने घर से विधान सभा आ रहा था तो रोशनपुरा चौराहा में ट्रेफिक लाइट लाल हो गई, गाड़ी खड़ी हो गई, हम लोगों का सौभाग्य नहीं है कि बिना लाइट के चल दें. ट्रेफिक के नियम का पालन करना पड़ता है. बीच चौराहे में एक होर्डिंग लगी थी, इसलिए आपको शुभकामनाएं देना चाहता हूं, भाभी जी, बहू जी को राष्ट्रीय अध्यक्ष, किरार समाज का बनाया गया है, उसके लिए माननीय छोटे भाई को बधाई देना चाहता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, आज महिला दिवस है तो वहीं से बात शुरू की जाए.14 साल से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जिसमें से 12 साल हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी प्रदेश की जनता को दिशा निर्देश दे रहे हैं, उनके हर भाषण में एक चीज होती है, लाड़ली लक्ष्मी, जननी सुरक्षा, महिलाओं का सम्मान और बड़े गर्व के साथ कहते हैं, वे इसका उत्तर अभी देंगे, बड़े अच्छे तरीके से उत्तर देते हैं. बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि प्रदेश की महिलाएं मेरी बहन है, लेकिन हालात क्या है, जो आदमी 12 साल से ऊपर प्रदेश का मुख्यमंत्री हो और आज भी है, 6-7 महीने बचे हैं यदि बदले न जाएं तो रहेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी तो मंशा है कि मुख्यमंत्री रहे.(... मेजों की थपथपाहट) 6-7 महीने की बात हुई है मेज मत थपथपाओ. 2018 नवंबर तक की बात हुई है.
राज्य मंत्री, सहकारिता (श्री विश्वास सारंग) – मध्यप्रदेश में 2018 के बाद भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ही रहेंगे. आपके मुंह में घी-शक्कर.
श्री अजय सिंह - मैंने 6-7 महीने की बात कही है और 6-7 महीने मैं कायम हूं. 2018 नवंबर में क्या होगा.
राज्य मंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग (श्री लाल सिंह आर्य) – अध्यक्ष महोदय, दिन में एक बार.
श्री अजय सिंह – माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि हमें टोका-टाकी करेंगे तो माननीय मुख्यमंत्री भाषण नहीं दे पाएंगे, साफ शब्दों में कह रहा हूं. इस विधान सभा का गौरव इतिहास रहा है उसको कायम रखने का फर्ज भी हम निभाएं. इस तरह से व्यवधान पैदा न करें कि सदन की कार्यवाही चल न पाए. माननीय अध्यक्ष महोदय, महिलाओं का सम्मान कौन नहीं चाहता? महिलाएं सुरक्षित रहे प्रदेश में कौन नहीं चाहता? माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के मुख्यमंत्री 12 साल से रहने के बाद भी आज प्रदेश में महिलाएं असुरक्षित हैं, सर्वे के हिसाब से केन्द्र के ब्यूरो के हिसाब से सबसे ज्यादा महिला असुरक्षित किसी प्रांत में है तो वह मध्यप्रदेश में है. यह मैं नहीं कर रहा हूं, आंकड़े कह रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, यह मैं नहीं कह रहा हूं, आंकड़े कह रहे हैं. क्या यही आपका सपना है, क्या यही आपकी भावना है कि हम बात करें महिलाओं की सुरक्षा की, महिलाओं के सम्मान की और सबसे ज्यादा असुरक्षित महिलायें अपने ही प्रांत में रहें ? माननीय मुख्यमंत्री जी स्वर्णिम मध्यप्रदेश को बनाने की बात करते थे, हम भी चाहते हैं कि अपना प्रदेश स्वर्णिम मध्यप्रदेश बने लेकिन जब तक प्रदेश में रहने वाली महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा का दायित्व सही तरीके से सरकार नहीं निभायेगी तब तक प्रदेश स्वर्णिम मध्यप्रदेश नहीं बन सकता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, चाहे बालिकायें हों, स्कूली छात्रायें हों प्रदेश में दुष्क्रम की घटना का ग्राफ निरंतर बढ़ता जा रहा है. पश्चिम बंगाल के बाद सबसे ज्यादा बालिकाओं के गायब होने का गौरव भी मध्यप्रदेश को प्राप्त है. 2016 में 12068 बच्चे गायब हुये जिसमें से 8622 बालिकायें थीं, इस नाते देश में दूसरा स्थान मध्यप्रदेश का आता है. एक घटना भोपाल में घटती है, कानून बन जाता है, इसी विधानसभा में कानून पारित होता है सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास हो जाता है कि अगर ऐसा किसी ने किया तो उसको सीधे फांसी की सजा. (श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल के बैठे बैठे कुछ कहने पर ) अध्यक्ष महोदय, इस तरह से सदन चलेगा क्या ?
अध्यक्ष महोदय- कृपया बैठे बैठे इस तरह से टिप्पणी न करें.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, महिलाओं के सम्मान की बात सदन में हो रही है बीच में टोकना आपकी प्रवृत्ति को दर्शाता है कि आप क्या चाहते हैं. आपकी सोच क्या है ? अध्यक्ष जी, मुख्यमंत्री जी महिला अपराधों को लेकर के कितने संवेदनशील हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिये प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है. मैं कानून की बात करता हूं. वर्तमान में ही महिला अपराध को रोकने के लिये इतने कानून बने हुये हैं कि यदि आप चुस्त दुरूस्त प्रशासन चलाते उन्हीं नियम कानून का कठोरता से पालन करवाते तो शायद कोई नये कानून की आवश्यकता नहीं है. लेकिन यहां से कानून बनाकर भेजना, वाह वाही लूटना , हर काम- हर चीज में आयोजन. यह आयोजन की सरकार है. कोई भी घटना प्रदेश में हो जाये, किसी भी क्षेत्र में घटना हो जाये, चाहे महिला के साथ चाहे किसान के साथ उस पर भी रास्ता निकाल लिया जाता है कि ईवेंट मैनेजमेंट हो जाये और उस कानून के बनने के बाद भी एक तरफ पूरे प्रदेश में इस तरह की घटनायें घटती रहीं, दूसरी तरफ माननीय मुख्यमंत्री जी सभा होती रहीं, उनका सम्मान होता रहा, बहुत अच्छी बात है लेकिन वह कानून गया कहां ? यह कानून उसी तरह से भेजा गया है जैसे कि 6 साल पहले सूदखोरी वाला कानून भेजा गया था. हमने राष्ट्रपति को कानून बनाकर के भेज दिया. वाह वाही हो गई, अखबार में छप गया, होर्डिंग-बैनर आदि लग गये और उसके बाद धरातल में स्थिति वही की वही.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. विधानसभा का बजट सत्र निरंतर चल रहा है. आज राज्यपाल के अभिभाषण पर मुख्यमंत्री को सदन में जबाव देना है लेकिन मुझे बड़े ही दु:ख के साथ में इस बात को कहना पड़ रहा है कि सदन के बाहर भी आज मुख्यमंत्री द्वारा घोषणायें की गई ? जब विधानसभा चल रही है और अगर प्रदेश के मुख्यमंत्री को कोई घोषणा आदि करना हो तो सदन में करने की परम्परा है, अध्यक्ष जी इस बात से आप भी वाकिफ हैं. लेकिन आज किसी कार्यक्रम में माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने अविवाहित महिला पेंशन और महिला कोष की स्थापना की घोषणा कर दी. मजदूर महिलाओं के लिये घोषणा कर दी, अविवाहित महिलायें 50 साल की आयु की होंगी उनको पेंशन देने की घोषणा कर दी. ये विधान सभा चलते हुए करने से विधान सभा की गरिमा घटती है, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आप न करें, लेकिन इसकी संसदीय परंपरा भी है, उसका भी थोड़ा पालन हो. वैसे आप महिलाओं के लिये कितना चिंतित हैं, यह तो उसी समय मालूम पड़ गया, जब कोलारस और मुंगावली में चुनाव था, तो 14 साल से भारतीय जनता पार्टी को याद नहीं आया कि सहरिया आदिवासी भी कोई हैं. सहरिया कहां हैं, सहरिया बहुत बड़ी संख्या में कोलारस में हैं. हजार रूपये की घोषणा चुनाव से पहले सहरिया आदिवासी महिलाओं के लिये और उसके बाद क्या हुआ, यह माननीय मुख्यमंत्री महोदय बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, हजार रूपये दिये गये जैसे ही कार्यक्रम खत्म हुआ 200 दिये 800 वापस ले लिये, यह भी एक जानकारी शायद मुख्यमंत्री महोदय को मिल गई होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, एक छोटी सी घटना का उदाहरण देना चाहता हूं कि किस तरह से हम कितने गंभीर हैं. ग्वालियर में एक घटना हुई, जहां एक युवती के साथ दुष्कर्म हुआ, आदमी गिरफ्तार हुआ, रिहा भी हो गया, उसने फिर जाकर युवती को धमकाया, मारपीट की उसकी शिकायत की तो युवती को थाने से भगा दिया गया. मजबूर होकर उसने जहर खा लिया, ऐसी कई घटनायें प्रदेश में, अभी कोई विधायक साथी कह रहे थे कि कोई सी भी घटना हो जाये 108 जिसकी आवाज पहले फिल्मों में देखते थे, सुनते थे वह मध्यप्रदेश में 108 कहां है, थाने में जाकर शिकायत की उसके बाद कार्यवाही नहीं हुई. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री महोदय का दूसरा उसी से जुड़ा हुआ मामला बच्चों के लिये है, लाड़ली लक्ष्मी, आज के एक अखबार के फ्रंट पेज पर यह क्या लिखा है, सीएम की कम भूमि रहे विदिशा में, लड़कों के मुकाबले घटी लड़कियां. यह आज के दैनिक भास्कर में है. कुछ विधायक साथी सत्तापक्ष के कह रहे थे कि बीमारू राज्य से हम उबर गये. हमें भी गर्व होता, यदि बीमारू राज्य से निकल आते, लेकिन आप ही के नीति आयोग ने रिपोर्ट में क्या लिखा है, बालिका शिशु जन्म दर प्रति हजार 927 थी जो घटकर 919 रह गई, यह आपका फ्लेक्सशिप प्रोग्राम है, सबसे ज्यादा माननीय मुख्यमंत्री महोदय चिंतित हैं महिलाओं और बच्चियों के बारे में, शिशु मृत्यु में भी हम देश के 10 अग्रणी राज्यों में शामिल हैं. मध्यप्रदेश में लाडलियों के लिये 972 करोड़ की योजना है बेटी बचाओ योजना चलाने के बारे में डॉक्टर गोविंद सिंह जी ने कल बात कही थी. विधान सभा में 27 फरवरी को 2017-18 के मध्यप्रदेश के आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि भारत के महारजिस्ट्रार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय शिशु मृत्यु दर 37 के विरूद्ध मध्यप्रदेश में अनुमानित शिशु मृत्यु दर 50 रही, जो कि अन्य प्रांतों की तुलना में सर्वाधिक है. ग्रामीण क्षेत्रों में शिशु मृत्यु की राष्ट्रीय दर 25 रही, लेकिन मध्यप्रदेश में 34 थी. इसी सर्वेक्षण रिपोर्ट में बताया गया कि शिशु मृत्यु दर 35 प्रतिशत राष्ट्रीय शिशु मृत्यु दर से अधिक है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मातृ मृत्यु दर मध्यप्रदेश में 221 रही, जो कि भारतवर्ष की मातृ मृत्यु दर 167 रही, जो 32.33 प्रतिशत अधिक है, क्या हम इससे खुश हैं ? क्या हम चाहते हैं इसी तरह हो, आप बात करते हो वर्ष 2003 की, ठीक है हमने गलती की. हम यहां बैठे हैं. लेकिन 14 साल से आप हो. 12 साल से शिवराज सिंह जी लाड़ली लक्ष्मी योजना की बात करते हैं, उनके यह आंकड़े हैं. उत्तर में बता देंगे कि 2 प्रतिशत हमने कर दिया है, इससे काम नहीं चलेगा. यदि आप इसमें सही में गुणवत्ता लाना चाहते हैं तो उसकी जड़ है उसमें अब जाकर के कुछ कमियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. मध्यप्रदेश में कुपोषण से रोज 92 बच्चों की मौत 2016-17 में प्रतिदिन 18 मौतें, यह कुपोषण हो क्यों रहा है ? कुपोषण इसलिये हो रहा है कि सामान उनको मिल ही नहीं रहा है. या तो आप उनसे सामान ले लो या तो उनको दलिया पहुंचा दो. पर दोनों चीज नहीं हो सकती हैं. दलिया गायब हो जाती है तो कुपोषण होगा ही. 2003 के पहले हम लोगों ने एक कानून बनाया था कि पंचायत के माध्यम से, स्व-सहायता समूह के माध्यम से दलिया का उत्पादन होगा उसको 13-14 साल से आपने बंद कर रखा है. अब जाकर सुनते हैं कि स्व-सहायता समूह से दलिया का उत्पादन होगा. 13 साल उत्पादन क्यों नहीं हुआ ? 13 साल तक तो यह लाभ का धन्धा था. जब गले में हड्डी फंस गई तो वापस वही पंचायत, वही स्व-सहायता समूह के माध्यम से दलिया उत्पादन की बात सरकार करने लगे हैं.
अध्यक्ष महोदय, सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में 5672 करोड़, बाल विकास के लिये पिछले वर्ष 4314 करोड़ रूपये खर्च किये यानी लगभग 10 हजार करोड़ रूपये पिछले वर्ष इन मदों में खर्च हुआ और इसके बाद भी हम नीति आयोग के आंकड़ों के हिसाब से अभी भी बीमारू हैं, यह शर्म की बात है. यह सोचने का एवं चिन्तनीय विषय है. यदि हम शिक्षा के क्षेत्र में जाएं तो जिन बिन्दुओं पर नापा जाता है कि बीमारू से विकसित प्रान्त हो जाए. शिक्षा के क्षेत्र में जाएं तो मध्यप्रदेश में आज की तारीख में 10 हजार ऐसे स्कूल हैं जहां एक भी अध्यापक नहीं है. 18 हजार स्कूल एक शिक्षक के भरोसे से चल रहे हैं. मुख्यमंत्री जी के गृह जिले में भी 175 स्कूल ऐसे हैं जहां पर एक भी शिक्षक नहीं है और 340 स्कूल ऐसे हैं जो कि एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. स्कूल भवन नहीं है. बहुत सारी बातें कहीं कि हमारी 14 साल की सरकार ने यह कर दिया, वह कर दिया सभी चीजें विकसित हो गईं, हमने बच्चों को विदेश में भेज दिया, पढ़ाई में इतना ध्यान दिया. स्कूल भवन नहीं हैं अभी भी शालाएं पेड़ के नीचे लग रही हैं. भारत की पांचवीं सबसे बड़ी आबादी वाले मध्यप्रदेश में साक्षरता 70.6 फीसदी रही, जो कि 6.86 अंक की वृद्धि रही और बीमारू राज्य में सबसे कम वृद्धि दर दर्शाई गई. शिक्षा के क्षेत्र में आपकी बदतर स्थिति के कारण मध्यप्रदेश में पिछले चार वर्षों में पठन-पाठन का स्तर 80 फीसदी से गिरकर 32 फीसदी हो गया. मध्यप्रदेश के छात्र गणितीय कौशल में भारत के दूसरे राज्यों में सबसे पीछे है. पिछले वर्ष के परीक्षा परिणाम का आपने उजागर कर दिया. यह स्थिति तब थी जब 2017-18 में आपने 5470 करोड़ रूपये शिक्षा के क्षेत्र में खर्च किये.
5.50 बजे {उपाध्यक्ष महोदय {डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह} पीठासीन हुए}
श्री अजय सिंह-- मध्यप्रदेश की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2017-18 में बताया गया कि 2007-08 के प्राथमिक स्कूल में सकल नामांकन दर 153.44 प्रतिशत थी. यह गिरकर 136.66 प्रतिशत हो गई. हमारे साथी, सत्ता दल के एक विधायक अनुसूचित जाति के बच्चों का प्रतिशत थोड़ा ध्यान से सुन लें यह 118 प्रतिशत से घटकर 98 प्रतिशत हो गया है. शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार को जो केन्द्र सरकार से पैसा मिला उसमें से 19 करोड़ रुपये गायब हो गये. सरकारी स्कूलों के निर्माण के मामले में 850 करोड़ में से 400 करोड़ का पता ही नहीं चल रहा है कि कहां गये. चिंता का विषय होना चाहिये. हम सब चाहते हैं कि बीमारू राज्य मध्यप्रदेश न हो. माननीय मुख्यमंत्री महोदय का सपना साकार हो लेकिन चौदह साल की सरकार क्या कर रही है. आंकड़े 2003 के मत बताईये. 2004 के आंकड़े लीजिये और उसके बाद 2018 के आंकड़े बताईये कि हमने यह लिया था और 2018 में यह हो गया. कितनी वृद्धि कर दी, कितना बढ़ा दिया, लेकिन वह नहीं हो रहा. बीमारू थे और आज भी बीमारू हैं. आपको भी दुख है, हमको भी दुख है. प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में कहना चाहता हूं कि जहां तक बेरोजगारों की बात है, मध्यप्रदेश की सरकार के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में 1 करोड़ 41 लाख युवा हैं. दो सालों में राज्य में 53 प्रतिशत बेरोजगारी बढ़ी है. आपके आंकड़े हैं. मध्यप्रदेश आर्थिक सर्वेक्षण की जानकारी है कि 2015 में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 15.60 लाख थी जो दिसम्बर में बढ़कर 23 लाख हो गई. हम किस दिशा में मध्यप्रदेश को ले जाना चाहते हैं. मध्यप्रदेश का युवा यदि आज भी इतनी संख्या में बेरोजगार है तो हम क्या कर रहे हैं. हमारी प्रथम चिंता होनी चाहिये कि आने वाली पीढ़ी को शिक्षित करें और बेरोजगारी से दूर करें. बेरोजगारी की बात छोड़िये. सबसे ज्यादा यदि बेरोजगार कहीं हैं तो राजधानी भोपाल में हैं. यहां 1 लाख 26 हजार युवाओं के पास रोजगार नहीं है. 18 जिले ऐसे हैं जहां बेरोजगारों के लिये कोई कंपनी भी नहीं है जो मध्यप्रदेश में रोजगार दे सके. हालत उस समय उजागर हुई जब पिछले वर्ष पटवारी परीक्षा हुई. 9 हजार पदों के लिये 10 लाख से अधिक आवेदन जमा हुए. वैसे पुराने जमाने में जब हम राजनीति में आये थे तो पटवारी की भर्ती जिले में होती थी. जिला स्तर का पटवारी होता था लेकिन आजकल सब चीज व्यापम है और व्यापक मामला हो जाता है. तो 9 हजार पद निकाले गये. 10 लाख लोगों ने आवेदन दिये. 10 लाख आवेदन देने वालों में 20 हजार से ज्यादा आवेदन पी.एच.डी. वालों के,डेढ़ लाख आवेदन बी.ई. के, जो उपाध्यक्ष महोदय, आप पढ़े हुए हैं. एम.ई.,एम.टेक किये हुए लोगों के आवेदन आये. 1 लाख से ज्यादा एम.बी.ए. की योग्यता
रखने वाले थे. अब ये पटवारी होंगे, इस पर हमें गर्व होना चाहिये क्या ? (XXX) कि हमारा पीएचडी प्राप्त व्यक्ति, उसको रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे, वह बेचारा पटवारी के लिए आवेदन दे रहा है?
उपाध्यक्ष महोदय - इसे विलोपित कर दें.
श्री अजय सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, माफी चाहता हूं. प्यास लग रही थी इसलिए चुल्लूभर पानी याद आ गया. उपाध्यक्ष महोदय, वर्ष 2017-18 में मध्यप्रदेश के आर्थिक सर्वेक्षण में बताया है कि वर्ष 2016 के अंत में प्रदेश में स्थित रोजगार कार्यालयों में जीवित पंजीकृत कुल 11.24 लाख व्यक्ति दर्ज रहे. राज्य में जीवित पंजीकृत शिक्षित आवेदकों की संख्या 11.24 लाख थी, इनमें से मात्र 422 शिक्षित आवेदकों को रोजगार मिला है. लाखों की संख्या में दर्ज और हजार से कम को नौकरी प्राप्त हुई? प्रशासनिक क्षेत्र में तो नौकरी मिलती नहीं है और शासकीय कर्मचारियों की संख्या निरंतर घटती जा रही है, लेकिन उसमें भी रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, जहां तक स्वरोजगार देने की बात है. माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने बड़े गर्व के साथ प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए वेंचर फाइनेंस लिमिटेड की स्थापना की है. मध्यप्रदेश वेंचर फंड, स्टार्ट अप स्किल इंडिया फाइनेंस लिमिटेड के एमडी और सीईओ ने नौकरी छोड़ दी क्योंकि कुछ काम नहीं हो रहा था. 100 करोड़ रुपयों की घोषणा हुई कि स्टार्ट अप फंड के लिए, वेंचर केपिटल फंड के लिए हमारे युवा उद्यमियों को स्व-रोजगार योजना के लिए हम 100
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XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
करोड़ रुपए देंगे. घोषणा तो करना है, घोषणा में हमारे शिवराज से बड़ा कोई नहीं है. बड़ा हो तो
वह बड़ा वाला है. लेकिन सरकार को 100 करोड़ रुपयों में 20 करोड़ रुपया देना था और दिया कितना? 5 करोड़ रुपए, वह भी ऑफिस कार्यालय के लिए. वेंचर फाइनेंस लिमिटेड का गठन 15 अक्टूबर, 2014 को हुआ था. 40 स्टार्ट अप के प्रस्ताव कंपनी के पास लंबित पड़े हैं. पिछले 3 साल में एक रुपए की भी मदद इस कंपनी से किसी भी युवा उद्यमी को नहीं मिली है. यह आंकड़ें भी हमारे नरेन्द्र मोदी को जाना चाहिए कि स्टार्ट अप स्किल्स इंडिया में मध्यप्रदेश की क्या हालत है? अब रोजगार कैसे मिले, जब कंपनी का पलायन होता है. एक तरफ तो इन्वेस्टर्स समिट होती है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने शायद 12 ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट की हैं? (माननीय मुख्यमंत्री के कुछ कहने पर) माफी चाहता हूं 6 की हैं. इसके बाद 12 दफे यात्राएं हुईं, लेकिन ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट के यदि आंकड़ें हम लोग देखें और आंकड़ों से संतुष्ट हों तो पता नहीं कितने लाख, करोड़ रुपए के इनवेस्टमेंट के मध्यप्रदेश में एमओयू साइन हो गये हैं, परन्तु जमीन पर क्या है?
5.58 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
अध्यक्ष महोदय, एक उदाहरण देते हैं. अनिल अंबानी को आपने जमीन दी. ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट में रक्षा उत्पाद यूनिट स्थापित करने का करार हुआ था. 200 एकड़ जमीन पीथमपुर में दी गई. 50 करोड़ रुपए की कीमत मांगी गई थी. पता चला कि रिलाइंस एडीए ग्रुप मध्यप्रदेश पलायन करके गुजरात की ओर चला गया. जब ऐसे बड़े उद्योगपति जिनको आप बार-बार बुलाकर मंच पर बैठाते हैं और कहते हैं कि इन्होंने करार किया, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है? क्या बेरोजगारों का पेट इससे भर जाएगा कि इतने लाख करोड़ रुपए के एमओयू साइन हो गये कि कहीं चिमनी भी जलेगी, कहीं बोर्ड भी लगेगा कि युवा लोग आ जाओ यहां नौकरी मिलेगी. इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर में आईटी पार्क स्थापित होना था. जरूरी सुविधायें न होने के कारण 20 कंपनियां छोड़कर चली गईं. एक तरफ, बैंगलोर, हैदराबाद है, मध्यप्रदेश के हजारों बच्चे वहां जाकर काम कर रहे हैं. क्या कारण है कि यहां पर भी वह कंपनी आकर चालू नहीं कर सकती हैं ? क्यों नहीं विप्रो, इंफोसिस के भोपाल में आईटी पार्क स्थापित हों ? लेकिन आपकी नीति ऐसी है कि घोषणा हो जाती है, एमओयू साइन हो जाता है, इन्वेस्टर समिट हो जाती है, अच्छा खासा आयोजन हो जाता है, खूब सारी ब्रांडिंग हो जाती है, हीथ्रो एयरपोर्ट में भी आपका विज्ञापन लग जाता है, राजधानी दिल्ली में सभी बस स्टाप्स में इन्वेस्टर्स समिट का नाम आ जाता है, बहुत अच्छी चीज हो जाती है. इवेंट मैनेजमेंट की कला अगर किसी को सीखनी हो तो हमारे छोटे भैया शिवराज भैया से सीखें. मार्केटिंग विषय पर इनको हार्वर्ड भेजना चाहिये. हमें याद है, एक बार लालू प्रसाद यादव जी कोई लेक्चर देने गये थे. अब बारी है हमारे शिवराज भैया की, आपसे बड़ा मार्केटिंग गुरु कोई नहीं है. आपने सबको फेल कर दिया है. मैं अर्थशास्त्र का स्टूडेंट रहा हूं और इससे बड़ा मार्केटिंग विजन कोई नहीं है. कुछ भी हो जाये, चाहे शौचालय हो, चाहे सचिवालय हो, होर्डिंग तो लगेगी भोपाल से लेकर चुरहट के उस गांव तक कि यह बहुत बड़ा क्रांतिकारी निर्णय हो गया और आयोजन, विज्ञापन और आयोजन, हमारे सब लोग बैठे हैं कि हमारे ऐसे मुख्यमंत्री हुये कि कभी जीवन में हुये ही नहीं. ऐसे लोगों से सावधान रहें शिवराज सिंह जी, जो जबरदस्ती तारीफ करते हैं. बाहर अकेले में मिल जायें तो बहादुर सिंह जैसे पता नहीं क्या बोलते हैं ?
श्री बहादुर सिंह चौहान -- अध्यक्ष महोदय, मेरी आपसे कभी मुलाकात ही नहीं हुई. मैं महाकाल की कसम खाकर कहता हूं कि मेरी कभी इनसे बाहर मुलाकात ही नहीं हुई.
श्री अजय सिंह -- मैंने बहादुर जैसे कहा है भाई, आपको नहीं कहा.
श्री कैलाश चावला -- अध्यक्ष महोदय, इससे बात स्पष्ट हो गई कि सबसे बड़े वाले यही हैं.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मैं तो बड़ा हूं ही आप चिंता न करो. आप कहते हैं कि मेरी सरकार ने उद्योगों के लिये यह किया, वह किया. मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री महोदय से एक प्रार्थना करना चाहता हूं कि आप कहीं मत जाइये, औद्योगिक क्षेत्र में क्या अधोसंरचना है, आप वल्लभ भवन या मध्यप्रदेश विधानसभा से 6 किलोमीटर दूर चले जाइये, सबसे पुराना औद्योगिक क्षेत्र गोविंदपुरा है. उस गोविंदपुरा में चले जाइये, तो आप लोग जो बार-बार कहते थे कि 2003 की सड़कें याद आती हैं तो भैया, आज भी 2018 में उसी प्रकार की सड़कें वहां पर देखने को मिलेंगी. गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र राजधानी का सबसे पुराना औद्योगिक क्षेत्र है. गौर साहब का क्षेत्र है.
अध्यक्ष महोदय, नीति आयोग के प्रोफेसर रमेशचंद्र ने कहा है कि मध्यप्रदेश उद्योग, स्वास्थ्य, शिक्षा और सड़कों के मामले में अन्य राज्यों की अपेक्षा पिछड़ा है. यह मैं नहीं कह रहा हूं, यह नीति आयोग के प्रोफेसर कह रहे हैं. आंगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों को पौष्टिक भोजन नहीं मिल रहा है. अस्पतालों की खराब, दयनीय स्थित है. अस्पतालों में खराब एवं दयनीय स्थिति है और मध्याह्न भोजन का सही ढंग से वितरण न होने के कारण प्रदेश में कुपोषण बना हुआ है. कभी हमने सोचा कि यह क्यों हो रहा है. मुख्यमंत्री जी काफी विचार विमर्श करते हैं. कुछ अधिकारियों से उनकी राय मशविरा चलती रहती है. उनको राय मिलती रहती है, लेकिन वह लोग शायद सही जानकारी नहीं देते हैं. हम लोग आंकड़ों के मायाजाल में फंस गये हैं. इतने मेडिकल कालेज खुल गये, इतने अस्पताल खुल गये. लेकिन जब आपमें से कोई गलती से बीमार होता है या हममें से कोई बीमार होता है, तो कोई सरकारी अस्पताल में नहीं जाता है. कोई बंसल, चिरायु अस्पताल जायेगा, यदि भोपाल में कुछ हो गया, क्यों. यह चिंता की हमने. किसी के लिये तो एक बिस्तर परमानेंट फिक्स है, किसी अस्पताल में, कभी भी भर्ती हो जायें. अध्यक्ष महोदय, जब हम लोग इस दिशा में काम नहीं करेंगे, सोचेंगे नहीं कि अपने जो मूल अस्पताल हैं, उनको ठीक नहीं करेंगे, तब तक इसी तरीके से हम लोग पीछे बने रहेंगे. बहुत सारे हमारे सत्ता पार्टी के विधयाक गण कह रहे थे कि कर्ज लिया तो क्या बुरा किया. कर्ज विकास के लिये लिया. हम भी कर्ज लेते थे विकास के लिये लेते थे, कोई घर के लिये कर्ज नहीं लेते थे. तब उमा भारती जी कहती थी कि आपने कर्ज लिया घी पीने के लिये. यह उनका बयान था. मुख्यमंत्री बनी थीं, तो यही बयान विधान सभा में दिया था कि कांग्रेस की सरकार ने कर्ज लिया है, घी पीने के लिये. मेरा आरोप है कि मध्यप्रदेश की वर्तमान सरकार ने जो इतने बड़े बोझ में मध्यप्रदेश की जनता को कर्ज में डुबा दिया है, यह कोई विकास के लिये नहीं लिया है. 1 लाख 37 हजार 810 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया सरकार पर. अलग अलग कारपोरेशन और उसमें देखा जाये, तो कुछ और मिलाकर डेढ़ लाख करोड़ का कर्ज है. लेकिन अब परिभाषा बदल गयी है. अब सब विकास के लिये हो रहा है. मेरा आरोप है कि विकास तो कम हो रहा है, फिजूलखर्ची ज्यादा हो रही है. यदि फिजूलखर्ची में मुख्यमंत्री जी थोड़ा कंट्रोल कर लें, थोड़ा ब्रेंडिंग में खर्चा कम हो जाये, थोड़ा विज्ञापन में खर्चा कम हो जाये, थोड़ा आयोजनों में खर्चा कम हो जाये, तो बहुत सारी चीजें, समस्याएं हल होती जायेंगी. कम समय बचा है, पैसा सही जगह पहुंच जाये, यह आपका प्रयास होना चाहिये. मैं आपका शुभचिंतक हूं. मैं ऐसे लोगों जैसा नहीं हूं, जो और लोग आपको राय देते हैं. मुख्यमंत्री जी, आज मध्यप्रदेश में हर नागरिक के ऊपर 15 हजार रुपये का कर्ज हो गया. फिजूलखर्ची का उदाहरण दें, तो हमारे भाई जितू पटवारी जी नर्मदा यात्रा की बात कर रहे थे कि आज ही विधान सभा के प्रश्न के उत्तर में उनको जानकारी दी गई कि 1870 करोड़ रुपये खर्च हुआ. यह 1870 करोड़ रुपये में क्या है. नर्मदा यात्रा, मुख्यमंत्री जी तो नर्मदा जी के किनारे पैदा हुए, वहीं के रहने वाले हैं. उनको सब मालूम है कि कैसे नर्मदा का संरक्षण और संवर्द्धन होना चाहिए. यात्रा करने की कोई जरूरत नहीं थी, लेकिन उस दिशा में नहीं सोचा गया, यात्रा हो गई. राजनीतिक एजेंडा पूरा होना चाहिए. उसी यात्रा के बहाने बहुत सारी चीजें और हो गईं. यात्रा का मूल उद्देश्य था नर्मदा जी का संरक्षण और संवर्द्धन करना, लेकिन बड़े दु:ख के साथ मुझे कहना पड़ रहा है, मैं इस मामले को उठाना नहीं चाहता था क्योंकि यह अवैध रेत उत्खनन का मामला सदन के अंदर और सदन के बाहर भी कई बार उठ चुका है. माननीय मुख्यमंत्री महोदय भी परिचित हैं, उनके जिले में, उनके क्षेत्र में यह हो रहा है. अध्यक्ष महोदय, आप भी ज्यादा चिंतित हैं क्योंकि आप नर्मदा जी के उस पार हैं. यह क्या हो रहा है, मुख्यमंत्री जी ने यदि उस पवित्र नर्मदा मैया जी की यात्रा की तो वहां अवैध उत्खनन आज भी धड़ल्ले से क्यों हो रहा है. गोविंद सिंह जी सिंध की बात कर रहे थे, कोई चंबल की बात कर रहा था, पनडुब्बी की बात हो रही थी, माननीय मुख्यमंत्री जी, क्या आपने नर्मदा जी की हालत देखी है. यदि इसी तरह से चलता रहा तो धारा भी बंद हो जाएगी. यह हम सबकी चिंता है, नर्मदा जी मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी है. कोई क्षिप्रा लिंक की बात करता है, कोई नीमच में पानी पहुँचाने की बात करता है. माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने भी अपने राज्यपाल के अभिभाषण में लिखा है कि मेरी सरकार में यह काम होगा, लेकिन सरकार में वह काम तब होगा जब आप उस दिशा में भी काम करेंगे. लेकिन यह थोड़ा कठिन है.
अध्यक्ष महोदय, फिजूलखर्ची का एक और उदाहरण बता दूँ कि उसी यात्रा के समापन कार्यक्रम में अमरकंटक में 500 करोड़ रुपये खर्च हो गए. मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि ज्यादा बता रहे हैं, 500 करोड़ की जगह 400 करोड़ हो गए होंगे, कम कर लेते हैं. मुझे आंकड़े 500 करोड़ के मिले, आपको आंकड़े 400 करोड़ के मिले होंगे. लेकिन बहुत सारे आंकड़े आप जोड़ा भी करें, कितने लोग सरकारी गाड़ी में गए, कितनी फिजूलखर्ची हुई, यह सब जोड़ा जाता है. अभी तक तो बहुत से लोगों के बिल भी नहीं चुके हैं. इस समापन कार्यक्रम में स्वच्छता अभियान का भी पैसा खर्च हो गया. एक तरफ तो स्वच्छता अभियान की बात की जाती है और स्वच्छता अभियान का पैसा अमरकंटक में समापन कार्यक्रम में लगा दिया गया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, सही समय पर यदि प्याज खरीद ली जाती तो शायद 500 करोड़ रुपये का घपला न होता, वेस्ट न होता, मैं यह फिजूलखर्ची का उदाहरण दे रहा हूँ. आपने पूरे नर्मदा के किनारे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में कायम होने के लिए नर्मदा जी के संवर्द्धन के लिए पौधे लगाए. अध्यक्ष महोदय, कुछ साल यदि कोई मुख्यमंत्री रह जाए, कोई भी मुख्यमंत्री हो, कुछ साल जब वह रह जाता है तो उसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अवॉर्ड पाने की लालसा हो जाती है. हमने पहले भी देखा है, यह कोई नई बात नहीं है, माननीय मुख्यमंत्री महोदय, आपकी कोई गलती नहीं है, आपके बाएं-दाएं अधिकारी आपका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में लाना चाहते हैं तो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम लिखाने के लिए 6 करोड़ पौधे लगाने का निर्णय लिया गया. माननीय मुख्यमंत्री महोदय, आज आप उसी नर्मदा पट्टी पर चले जाएं और पंचायतों के माध्यम से सोशल ऑडिट करवा दीजिए, यदि 6 करोड़ पौधों में से 2 करोड़ पौधे भी बचे हों तो मैं नाम बदल दूंगा. सिर्फ खर्च करना है, यह फिजूलखर्ची का एक उदाहरण है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऋण तो ऐसे लिया जाता है कि जैसे कोई अपना है ही नहीं, उसे देना ही नहीं पड़ेगा. कुछ ऋण तो ऐसे नामों से ले लिया जाता है जो उपक्रम बंद हो गए हैं. अध्यक्ष महोदय, 16 बार सड़क परिवहन निगम के नाम से ऋण लिया गया है. राज्य उद्योग निगम के नाम से भी सरकार ने ऋण लिया है. जबकि दोनों संस्थान बंद हो चुके हैं. अब इसमें नहीं तो उसमें कर्ज लेना है. नागरिक आपूर्ति निगम में करीब 20 हजार करोड़ रूपए का कर्ज है और 22 हजार करोड़ रूपए का कर्ज लेने की तैयारी कर रहे हैं. माननीय मुख्यमंत्री महोदय कहेंगे कि हम किसानों के लिए यह करेंगे, हम वह करेंगे, उसके लिए कर्ज लिया जा रहा है. मेरी आपसे एक ही प्रार्थना है इतना कर्ज लेने की जरूरत नहीं है. यदि आप फिजूलखर्ची में थोड़ा अंकुश लगा दें, कटौती कर दें...
अध्यक्ष महोदय -- आप कितना समय और लेंगे ?
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तो शुरू किया है. 10 मिनट लूंगा.
अध्यक्ष महोदय -- ठीक है, 10 मिनट करिए.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी भी प्रान्त को सम्पन्न होने पर मानव विकास की स्थिति बेहतर होनी चाहिए. मुख्य आधार मानव विकास (ह्यूमन डवलपमेंट इंडेक्स) है लेकिन आपके सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया कि सामाजिक सूचकांक की दृष्टि से मध्यप्रदेश दूसरे समृद्ध राज्यों से बहुत पीछे है. माननीय मुख्यमंत्री महोदय, यह सब चीजें लेकर आप अपनी योजनाएं बनाएं, तब सही में हम पिछडे़पन से दूर होंगे. सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह भी बताया है कि मध्यप्रदेश देश के प्रमुख 19 राज्यों के विकास सूचकांक तथा असमानता, समायोजित मानव विकास सूचकांक में 16 वें और 19 वें पायदान पर है. किसानों की बात बहुत सारी हो चुकी है. मैं उसमें बहुत ज्यादा विस्तार से नहीं कहना चाहता हॅूं. किसान के बेटे माननीय मुख्यमंत्री महोदय, हमारे छोटे भाई और सभी लोगों ने बता दिया है कि इतनी बड़ी संख्या में सिंचाई की क्षमता बढ़ गई, कृषि कर्मण अवॉर्ड मिल गया, खेत लहलहा रहे हैं, भंडारण पूरा है, भावांतर योजना में सबको अंतर भी मिल रहा है मैं उस विषय पर नहीं जाना चाहता हॅूं लेकिन एक सवाल मेरे दिमाग में आता है कि यदि सब कुछ ठीक-ठाक है तो इतनी बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या क्यों कर रहा है. इसकी भी चिन्ता होनी चाहिए. क्या कारण हैं. रिपोर्ट आ जाएगी कि पारिवारिक कठिनाई से किसान ने आत्महत्या कर ली. पति-पत्नी के विवाद में आत्महत्या कर ली लेकिन मूल में कोई नहीं जा रहा है जैसा कि जितू पटवारी जी ने कहा कि किसान की मूल समस्या क्या है, उसको जब तक आप नहीं करोगे, तब तक ये सब योजनाएं सिर्फ योजनाएं रहेंगी, उसका लाभ सही नहीं मिलेगा. यह आपका फर्ज़ है. आपने सिंचाई की क्षमता बढ़ायी, आपको बहुत-बहुत बधाई. आपने कृषि कर्मण अवॉर्ड प्राप्त किया है बहुत-बहुत बधाई हो. डॉ.मनमोहन सिंह जी के समय में भी अवॉर्ड मिला और बाद में भी मिला. हम आपको बधाई देते हैं लेकिन आत्महत्या क्यों हो रही है इस पर भी आपको चिन्ता करनी चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले 14 वर्षों में कभी आपने ध्यान दिया है कि मध्यप्रदेश में दो कृषि विश्वविद्यालय हैं. कोई उल्लेखनीय प्रजाति पैदा की है या नहीं की है. लेकिन वहां पर मंत्रियों के रिश्तेदार तो कुलपति हो सकते हैं लेकिन जो मूल काम हैं उसमें क्या है ? उसमें कोई काम नहीं है. वहां पर किसी संस्था का आयोजन हो सकता है, किसी संस्था का कैम्प लग सकता है लेकिन उनका जो मूल काम है कि नस्ल पैदा करो, नई प्रजाति पैदा करो, उस दिशा पर कोई काम नहीं हुआ. यूपीए सरकार ने झांसी में रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना की. यह अपने प्रान्त से लगा हुआ है. इस विश्वविद्यालय में मध्यप्रदेश के 6 जिले छतरपुर, दमोह, पन्ना, सागर, टीकमगढ़ और दतिया को भी शामिल किया गया कि कृषि शिक्षा अनुसंधान एवं कृषि विस्तार के सारे महाविद्यालय, अनुसंधान केंद्र प्रक्षेत्रों और उसके अधीन करता है किन्तु आज दिनाँक तक मध्यप्रदेश में इस अधिनियम का क्रियान्वयन नहीं हुआ है. हम कृषि के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं लेकिन नई तकनीक के बगैर आगे नहीं बढ़ सकते हैं. जब तक कृषकों को नई तकनीक नहीं देंगे, आप आगे नहीं बढ़ सकते हैं. आप इस बात का रीव्यू करिये कि साढ़े बारह साल में आपके कृषि महाविद्यालयों ने कितनी नई फसलों को खोज निकाला है या क्या किया है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जहाँ तक किसानों की बात है, अभी किसान महा सम्मेलन हुआ था माननीय मुख्यमंत्री महोदय को याद हो, किसान महा सम्मेलन हुआ था. प्रदेश में जब प्राकृतिक आपदा फैली हुई थी तो जंबूरी मैदान में किसान महा सम्मेलन हुआ था. हम लोगों ने उसका जो वीडियो देखा उसमें तीन चौथाई से ज्यादा कुर्सियाँ खाली थीं और मुख्यमंत्री जी का भाषण हो रहा था यदि किसान खुश है और उसको सब सुविधा मिली थी इतनी सारी बसों का इंतजाम था, भोजन व्यवस्था थी तो किसान आया क्यों नहीं? और जो किसान आये उनसे रिपोर्टर्स ने बाईट ली तो उन किसानों का दर्द सुनने लायक था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कुछ लोगों ने यहाँ तक कह दिया कि हमें जबरन लाया गया था हमें मालूम नहीं था कि काहे के लिए लाया जा रहा है. माननीय मुख्यमंत्री महोदय को पीड़ा लग रही है कि जबरन शब्द कह दिया लेकिन मैं आपको रिकार्डिंग भेज दूंगा. मैं वहाँ नहीं था, किसी किसान ने कहा था.जिस दिन आप वहाँ पर महा सम्मेलन कर रहे थे तो आपके ही क्षेत्र के 20 गांवों के किसान पैदल नसरूल्लागंज तहसील पहुँचे और हड़ताल पर बैठे हुए थे, कहीं और के नहीं आपके क्षेत्र के थे. उनको मुआवजा नहीं मिल रहा था या क्या समस्या थी वह आप बेहतर जानते होंगे लेकिन महा सम्मेलन भोपाल में और कुछ ही किलोमीटर दूर इतने सारे गांवों के किसान नसरूल्लागंज तहसील में अपनी समस्या को लेकर बैठे थे, यह चिंता का विषय है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नरसिंहपुर में किसान आंदोलित हैं. जहाँ तक सिवनी का मामला है हमारे विधायक रजनीश और मुनमुन भाई, सब लोग वहाँ चिंता जता रहे हैं कि इतना कहर पड़ा लेकिन उसकी चिंता नहीं है वहाँ के लिए भी चिंता होनी चाहिए और विदिशा के ग्यारसपुर क्षेत्र के लगभग 20 किसानों ने सरकार से नाराज होकर सामूहिक मुंडन करा लिया, यह तो सुषमा स्वराज जी का क्षेत्र है. एक तरफ नसरुल्लागंज एक तरफ विदिशा और आप कह रहे हैं सब कुछ ठीक ठाक है. सब कुछ ठीक ठाक बना रहे यह हमारी भी मंशा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी बिजली की एक नई योजना आई है और अब नये तरीके से इनको याद आया है कि इतने सारे लाखों घरों में बिजली नहीं है चूंकि अब चुनाव आ गया है, हवा बदल रही है. चुनाव सिर पर है तो 33 लाख घरों में बिजली पहुँचा दी जाये. माननीय अध्यक्ष महोदय, बिजली के मामले में मैं विस्तार से किसी दिन अलग से बिंदु उठाऊँगा क्योंकि आज समयाभाव है. सरकार द्वारा किस तरह से मध्यप्रदेश के किसानों और लोगों पर बिजली का भाव थोपा गया है. हम बाहर सस्ती दे रहे हैं और महंगी बिजली यहाँ दे रहे हैं. जबर्दस्ती हमने पीपीए किये, एमओयू साइन किया. जहाँ लिखा है सिर्फ 5 प्रतिशत का अनुबंध होता है लेकिन पता नहीं क्या कारण है कि हम मजबूर होकर जबर्दस्ती में 30 प्रतिशत उनसे खरीद कर रहे हैं. यह बात सही है कि बिजली हम लोगों के समय नहीं थी. आप सही कह रहे हैं हम भुगत रहे हैं हमें चिन्ता है लेकिन चिन्ता यह भी है कि फिजूलखर्ची क्यों हो रही है ? क्यों आम आदमी के ऊपर इतना बड़ा रेट थोपा जा रहा है ? क्योंकि आप बेक-डाउन चार्जेज दे रहे हैं. इसका कोई अधिकार नहीं है लेकिन कुछ लोगों को लाभ देने के लिए आप इस योजना का क्रियान्वयन कर रहे हैं. मैं पूछना चाहता हूँ कि 14 साल में आपने मध्यप्रदेश की जो मूल जनरेशन बिजली कंपनी है उसकी कितनी उत्पादन क्षमता बढ़ाई है और उसका आज प्लांट लोड फेक्टर कितना है ? चाहे वह बिरसिंहपुर हो, चाहे सतपुड़ा हो, चाहे अमरकंटक हो इन सब में क्षमता बढ़ा दी गई लेकिन बिजली पैदा नहीं कर रहे हैं. पैदा करेंगे तो महंगी बिजली कैसे खरीदेंगे, उनको हम लाभ कैसे देंगे ? यह चिन्ता का विषय है. इसीलिए कर्ज के बोझ तले किसान, हम और आप सब आ गए हैं.
अध्यक्ष महोदय, कानून व्यवस्था की जहां तक बात है इस पर बात न की जाए तो ज्यादा अच्छा होगा. माननीय मुख्यमंत्री महोदय, एक छोटा सा उदाहरण है कानून व्यवस्था के बारे में, भारतीय जनता पार्टी के विधायक पीछे बैठे हैं वे कल प्रश्नकाल में कुछ कह रहे थे कि कैसी चिन्ता उनको इस बारे में है. कानून व्यवस्था के यह हाल हैं कि चित्रकूट में जब चुनाव हो रहा था उसके पहले वहां आपने कहा कि हम डकैत समस्या खत्म कर देंगे. मध्यप्रदेश में कोई भी डकैत नहीं पनपेगा लेकिन आप राज्यपाल महोदय के अभिभाषण के आंकड़े पढ़ें तो वित्त मंत्री ने 28 फरवरी को वर्ष 2018-19 के बजट में स्थिति खोल दी. बजट में डकैती रोधक अभियान के लिए 49 करोड़ 64 लाख 13 हजार रुपए का प्रावधान किया गया है. यह एक साल पहले के बजट से ज्यादा है. डकैत खत्म हो गए, कोई डकैत है ही नहीं, सब समाप्त हो गए हैं, यह आपका दावा है तो फिर बजट आवंटन क्यों बढ़ा रहे हैं ? दिन-दहाड़े रीवा जिले के सिमरिया में और चित्रकूट में एक महीने पहले का प्रकरण है फिरौती के लिए लोगों को ले जाया जा रहा है. यह लोग पुलिस की वजह से नहीं छूटे पैसा देकर छूटे हैं, आप कहते हैं डकैती समस्या समाप्त हो गई है.
अध्यक्ष महोदय, आजकल एक दृश्य हम सबको दिखाई दे रहा है. कुछ चीजें जो पहले हुई हैं वे फिर से रिपीट होती हैं. एक कहावत है -- History has a habit of repeating itself. कुछ चीजें पहले भी हुईं वही आजकल फिर से हो रही हैं. किसी जमाने में कर्मचारियों में असंतोष था. 14 साल बाद आज क्या हो रहा है ? रामनिवास रावत जी ने कहा कि चाहे कोई सा भी विभाग ले लें कर्मचारियों में भारी असंतोष है. यह 14 साल की उपलब्धि है ? कर्मचारियों में असंतोष क्यों है ? इस असंतोष की चरमसीमा तो तब हुई कि अध्यापक वर्ग के शिक्षक सिर मुड़वाकर खून के दिए जला रहे थे और आपको वोट न देने की शपथ ले रहे थे. साथ ही यह कह रहे थे कि कमल का फूल हमारी भूल. कुछ लोगों को शायद याद होगा जो पहले चुनाव जीतकर आए थे. घटनाक्रम वापिस वहीं आ रहा है इससे माननीय मुख्यमंत्री जी को चिन्ता होना चाहिए. टेबल थपथपाने से सरकार नहीं बनती है, काम करने से बनती है और काम सिर्फ कहने से नहीं होता है हकीकत जमीन में उतारनी पड़ती है. सुशासन के बारे में कहने की आवश्यकता नहीं है लेकिन मध्यप्रदेश के हितों का ट्रांसफर हम गुजरात पर क्यों कर रहे हैं. गुजरात में चुनाव हुए, ले जाओ पानी जितना चाहिए. चाहे तुम्हारे डेम के आगे नहर बनी हो या न बनी हो वहां का चुनाव है तो यहां की नर्मदा नदी का पानी चला गया. शिवराज सिंह जी 14 साल में गिर के बब्बर शेर नहीं ले पाए. यदि आपमें सही में क्षमता है तो आप ले आओ बब्बर शेर. फूलपुर कूनो सेंचुरी सालों से बना पड़ा हुआ है. कूनो में आपके क्षेत्र से 25 आदिवासी गांवों को विस्थापित किया गया है और यह अनुबंध था कि गुजरात वहां से शेर देगा लेकिन आज भी नरेन्द्र मोदी जी शेर नहीं आने दे रहे हैं. यदि आपकी सही में मित्रता है, यदि सही में सबका साथ सबका विकास भी है तो इसमें थोड़ा ध्यान दीजिए. दबंगों की हालत तो यह है कि शिवपुरी जिले का टपरा गांव 100 परिवार अनुसूचित जाति के उनके साथ लगातार अत्याचार और अन्याय होने के कारण पिछले एक साल से सभी 100 परिवार पलायन करके राजस्थान चले गए. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अंत में सिर्फ एक चीज सरकार को आईना दिखाने के लिए कहना चाहता हूं यह 14 साल की सरकार चार 'प' की है. पैसा, सबसे बड़ा है बिना कोई पैसा दिए कोई काम नहीं होता है. प्रचार, प्रपंच और पाखण्ड यह चार शब्द में 14 साल में हमने शिवराज सिंह जी की सरकार को बना दिया. पैसा हो, प्रचार करो, प्रपंच करो, नर्मदा यात्रा करो, लोगों को पाखण्ड करो बस इसी में भारतीय जनता पार्टी की सरकार वाहवाही लूट रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे प्रार्थना करना चाहता हूं मेरी कोई मंशा नहीं है कि इस तरह की बात हल्केपन से ली जाए जितना माननीय मुख्यमंत्री महोदय चिंतित हैं प्रदेश के बारे में जितनी उनको चिंता है कि हम बीमारू राज्य से बेहतर हो जाएं वह चिंता हममें भी है. लेकिन जिस तरह से जिस दिशा में आप काम कर रहे हैं उसमें थोड़ा संशोधन करने की आवयश्यकता है. आपने बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सबसे पहले मैं अपनी बहनों को, बेटियों को, माताओं को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. सबेरे भी एक अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के कार्यक्रम में मैं, महिला बाल विकास मंत्री सम्मिलित थे. आज मैं मेरे बड़े भाई नेता प्रतिपक्ष उनको बड़े ध्यान से सुन रहा था. छोटे को कोई हक नहीं है कि वह बड़े को सलाह दे लेकिन भाई तो भाई ही है. चिंता तो करनी ही पड़ेगी. भईया जो आपका भाषण लिखता है उससे थोड़ा सावधान रहना पता नहीं क्या-क्या कहलवा देता है. आप कभी फंस जाओगे. (मेजों की थपथपाहट)
श्री अजय सिंह- कोई लिखता नहीं है. मैं स्वयं लिखता हूं.
श्री शिवराज सिंह चौहान- भईया, यदि स्वयं लिखते हो तो थोड़ा पढ़कर लिखा करो. अमरकंटक में 5 सौ करोड़ खर्च कर दिए, नर्मदा सेवा यात्रा में 15 सौ करोड़ खर्चा कर दिया. भईया, इतना तो कम से कम ध्यान रखा करो कि ''सहरिया'' बहनों को पैसे दिए एक हजार और आठ-आठ सौ छुड़ा ले गए. मेरे बड़े भईया, हमने पैसे हाथ में नहीं दिए थे, हमने तो पैसे सीधे उनके बैंक के खातों में डाले थे. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे चिंता इस बात की नहीं है कि मेरे बड़े भईया असत्य बोल रहे हैं. मुझे चिंता इस बात की है कि इस तरह के उट-पटांग भाषण से मेरे बड़े भाई की प्रतिष्ठा कम होगी, कल अगर वे कोई सही बात भी कहेंगे तो कोई भरोसा नहीं करेगा. आप किस-किस तरह के आंकड़े दिखा रहे थे ? नागरिक आपूर्ति निगम ने 20 हजार करोड़ रुपये का कर्जा ले लिया.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नेता प्रतिपक्ष का भाषण पूरी जिम्मेदारी के साथ होना चाहिए. जो तथ्य दिए जायें वे तथ्य सही होने चाहिए. मैं तो उनकी विद्वता पर भी हैरान था. वे कह रहे थे कि कर्ज लेकर घी पी गए. उस जमाने में कहते थे. मेरे बड़े भईया कर्ज लिया है लेकिन केवल एक बात आपको बताना चाहता हूं कि जब आपकी सरकार होती थी तो कुल राजस्व का 22.18 प्रतिशत आप ब्याज चुकाने में खर्च करते थे और आज हम कुल राजस्व का केवल 8 प्रतिशत ब्याज के भुगतान में खर्च करते हैं. (मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम कर्ज लेकर करते क्या हैं ? एक जमाना आपका भी था जब आपने कर्जा लिया था ICDS. बैंकों से कर्जा लिया और बिना गारंटी के बांट दिया. जाओ महाराज की सरकार है. इसको 30 करोड़, उसको 5 करोड़, उसको 35 करोड़. आज तक उस पैसे का कोई अता-पता नहीं है कि वह पैसा कहां गया. मैं स्वीकार करता हूं कि हां, हमने कर्ज लिया है लेकिन हमने कर्ज लिया है तो प्रदेश के विकास के लिए कर्ज लिया है. बड़े भईया, मैं तो आज आपके भाषण पर हैरान था, आज आप ऐसा, कैसा भाषण दे रहे थे ? ऐसा भाषण मत दिया करो. (हंसी)
श्री गोपाल भार्गव- यदि रिकॉर्ड निकालकर देखा जाए तो जितने समय आप बोल रहे थे, उससे ज्यादा समय आप चुप रहे.
श्री शिवराज सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने एक बात कही कि विदिशा में बेटियों के मुकाबले बेटों की संख्या ज्यादा है. बड़े भईया, बड़ी ही खूबसूरती से बोलते हैं, अर्धसत्य बोलते हैं. जहां यह खबर थी उसी अखबार में नीचे लिखा है कि सीहोर में बेटियों की संख्या बढ़ गई है, वह नहीं बतायेंगे. भईया, बात बताओ तो पूरी ही बताओ. आधा-अधूरा बताने से क्या फायदा. आज मुझे एक तकलीफ और हुई कि आप हमेशा दुखी नजर आये. ऐसे दुखी मत रहा करो. (हंसी) दुनिया चलती ही है लेकिन हमेशा बड़ा दुख है, बड़ा दुख है. मेरे बड़े भाई आपने बात बेटियों से प्रारंभ की थी. मैं आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर अंतर्आत्मा से कह रहा हूं कि महिला सशक्तिकरण हमारी सरकार की प्राथमिकता है. आपने ''लाड़ली लक्ष्मी योजना'' की बात की. मुख्यमंत्री बनते ही मैंने पहली योजना अगर बनाई थी तो वह योजना थी- ''मुख्यमंत्री कन्या विवाह एवं निकाह योजना''. देखिये भाषण देने से बेटियों की संख्या नहीं बढ़ेगी. हम जानते हैं यह पुरूष प्रधान समाज है और इसमें कई वर्षों से एक मानसिकता बना दी गई है कि बेटा श्रेष्ठ है. बेटी न आये तो भली है. मुझे याद है कि जब मैं एम.एल.ए., एम.पी. कुछ नहीं था और एक कार्यक्रम में बोल रहा था कि बेटी को आने दो तो एक बुजुर्ग अम्मा खड़ी हो गई बोली कि भाषण तो बहुत दे रहा है कि बेटी को आने दो लेकिन जब बेटी आयेगी और बड़ी होने पर शादी करनी पड़ी तो उस समय दहेज का इंतजाम क्या तू करवायेगा ? बेटी को आने दो लगा है. उस समय लगा कि केवल भाषण देने से कुछ नही होगा, कदम कोई ठोस उठाने होंगे और इसलिये हमने मुख्यमंत्री कन्यादान योजना और निकाह जैसी योजना बनायी तथा लाड़ली लक्ष्मी योजना भी इसी टीस से, इसी दर्द से निकली थी. आप अगर इसको हल्के में लेते हैं तो लें, प्रतिपक्ष मे मित्र स्वतंत्र हैं, लेकिन हां लाड़ली लक्ष्मी योजना हमने बनायी. मन में दर्द था कि बेटी-बेटी जब तक बोझ रहेगी, जब तक लोग बेटी नहीं आने देंगे. बेटी को वरदान बनाना पड़ेगा, अब उसके लिये उपाय किये जा सकते हैं, इसलिये लाड़ली लक्ष्मी योजना बनी और हमने तय किया और आप जानते हैं कि 30 हजार रूपये के बचत पत्र बिटिया के नाम से जमा होते हैं. उसको हमने शिक्षा से जोड़ा, वह पांचवीं पास करके छठवीं में जाये तो दो हजार, आठवीं पास करके नौवमीं में जाये तो चार हजार, दसवीं से ग्यारहवीं में जाये साढ़े सात हजार रूपये और इक्कीस साल की हो जाये तो कुल एक लाख, अट्ठारह हजार रूपये मिलेंगे. मुझे यह कहते खुशी है कि मध्यप्रदेश में 27 लाख से ज्यादा लाड़ली लक्ष्मी बेटियां हैं और जो 21 साल की होंगी तो सीधे 31 हजार करोड़ रूपये लगभग उनके खाते में जायेगा. क्या हम यह प्रयास नहीं करते ? हमने कोशिश की, विनम्र प्रयास किया है. बेटी पैदा हो तो लाड़ली लक्ष्मी, स्कूल जाये तो किताबें निशुल्क, आठवीं तक की यूनिफार्म निशुल्क. मैंने एक गांव में पूछा मैं मुख्यमंत्री के पहले सांसद भी था कि बेटियां कम क्यों पढ़ती हैं ? पहले हाई स्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल ही कम थे, आपके जमाने के तुलनात्मक आंकड़े भी बता सकता हूं. माता दूसरे गांव बेटियों को पैदल नहीं जाने देते थे तो बेटियों ने कहा कि कैसे जायें ? तब हिन्दुस्तान में सबसे पहले सायकिल देने की योजना प्रारंभ की तो मध्यप्रदेश ने प्रारंभ की. बेटी दूसरे गांव पढ़ने जाये तो सायकिल से जाये, 12 वीं में प्रथम श्रेणी में पास हो जाये तो गांव की बेटी कहलाये, कॉलेज की पढ़ाई के लिये पांच हजार और पाये.कई और चीजें हैं, मैं उनके विस्तार में नहीं जाऊंगा. आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन, मैं गर्व के साथ कहता हूं कि मध्यप्रदेश ऐसा राज्य था कि जिसने फैसला किया कि महिला सशक्तिकरण के लिये, इधर भी बैठी हैं और उधर भी बैठी हैं कि पचास प्रतिशत रिजर्वेशन स्थानीय निकाय के चुनाव में हम अपनी बहन और बेटी को देंगे. सही अर्थों में सरकार चलाने के सूत्र उनके पास आये. जैसे पंचायतें हों, नगर निकाय हों, नगर निगम हों मुझे आज कहते हुए यह गर्व है कि केवल पचास प्रतिशत ही नहीं लगभग 54 प्रतिशत महिलाएं चुनकर आयी हैं, अलग-अलग पदों पर और सरकार चला रही हैं. एक जमाना था कि गांव में घूंघट में महिलाओं को बाहर नहीं निकलने नहीं देते थे. चुनाव साहब लड़ रहे हैं, रोटी बनाओ पचास लोगों की. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और मुझे इस कदम पर गर्व है कि हमने महिलाओं को मैदान में निकालकर सार्वजनिक सेवा के लिये लगाया और सेवा और सरकार चलाने के नये रिकार्ड हमारी बहनों ने स्थापित किये हैं. हमने एक कदम और आगे फैसला किया और फैसला यह किया कि सरकारी नौकरियों में, शिक्षक जैसी नौकरियों में बेटियों को पचास प्रतिशत रिजर्वेशन दिया, आधी बेटी और आधे बेटे और फारेस्ट विभाग छोड़कर हर विभाग में 33 प्रतिशत आरक्षण मय पुलिस के. जब हमने फैसला किया तब विरोध भी हुआ, मुझे कहा कि पुलिस में 33 प्रतिशत बेटियां, क्या यह कानून-व्यवस्था की स्थिति सुधार लेंगी, क्या अपराधियों का मुकाबला कर लेंगी, लेकिन मुझे कहते हुए गर्व है कि बेटियां कसौटियों पर खरा उतर रही हैं. अनेकों स्थानों पर हमारी पुलिस अफसर बेटियों ने अपराधियों के दिमाग ठिकाने लगाने का काम किया है. आज मैं जरूर अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन में, चूंकि आज महिला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस था, मैं गया था.एक पीड़ा थी, दर्द था, चूंकि मुझे यहां पर भी बोलना था और उसमें से वो मेरी अविवाहित बहने जिनका विवाह नहीं होता, उम्र के उस पड़ाव में जब उम्र पचास साल हो जाये, एकाकी जीवन कई बार जीवन को बोझ बना देता है. तब हमने तय किया कि ऐसी बहनों को 50 वर्ष के उम्र के बाद पेंशन दी जायेगी. हमने फैसला किया. यह आज नहीं किया. आप ढंग से अखबार नहीं पढ़ते हैं, मुख्यमंत्री की गतिविधियों पर नजर ढंग से नहीं रखते हैं. हमने तो यह जबलपुर के पास, पनागर में किया है. जबलपुर के मेरे विधायक मित्र यहां पर बैठे हुए हैं और हमने यह तय किया है कि मजदूर बहन अगर हमारी बेटा-बेटी को जन्म देगी, आज मैंने उसे दोहराया है. मजदूर बहन की कोख में अगर उसके बेटा-बेटी आयेगा तो 6 महीने से लेकर 9 महीने के बीच ही उसके खाते में 4,000 रुपये सरकार के खजाने से ट्रांसफर कर दिये जाएंगे और वह इसलिए कि वह भी ढंग से भोजन करे, पोषण आहार ढंग से प्राप्त करे ताकि कोख का बेटा-बेटी भी स्वस्थ हो और जैसे ही बेटा-बेटी को जन्म देगी तो फिर 12,000 रुपये और खजाने से निकालकर खाते में डालेंगे और यह इसलिए करेंगे कि उस समय उसको आराम की जरूरत भी होती है, पोषण आहार की जरूरत भी होती है.
अध्यक्ष महोदय, हममें से जो ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं, वे मित्र जानते हैं कि पुराने जमाने में जब बहन को बेटा-बेटी होता था, बहन के घर बच्चा जन्म लेता था तो कपड़े, सामान एवं लड्डू लेकर जाते थे, हमारे यहां उसको 'पच' कहते थे, यह अभी भी कई जगह प्रचलित है. अब भाई भले ही भूल जाये पर यह भाई तो नहीं भूलेगा. इसलिए 12,000 रुपये खाते में डालने का फैसला किया. वैसे एक नहीं, मैं अनेकों महिला सशक्तिकरण के कदम आपको गिना सकता हूँ. आपने महिला सुरक्षा की बात की है, हम सब चिन्तित हैं. मैं एक बात पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहूँगा. अगर अपराध कम करना हो तो एक साधारण तरीका है, एफआईआर मत लिखो, कागज लेकर रख लो, मैं किसी भी राज्य का नाम नहीं लूँगा लेकिन एक बड़ा सरल तरीका है, अगर एफआईआर रजिस्टर्ड नहीं होगी तो अपराधों की संख्या कम हो जायेगी. मध्य प्रदेश में मैंने निर्देश दिए हैं कि चाहे कुछ हो जाए, एफआईआर लिखी ही जायेगी. एफआईआर लिखी जाती है, उसके बाद जांच होती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, महिला सुरक्षा हमारी चिन्ता का सबसे प्रमुख विषय है. सरकार ने अनेकों कदम उठाए हैं. अब डायल 100 का कोई मजाक उड़ा सकता है कि आवाज हुं, हुं करके आ रही है. लेकिन क्या इससे व्यवस्था नहीं सुधरती है ? क्या शहरों में जब फोन करते हैं तो 5-7 मिनट में गाड़ी नहीं पहुँच जाती है, कोई चीज अपवाद स्वरूप हो सकती है. क्या पुलिस की प्रिजेन्स नहीं बढ़ी है ? आप बेटियों के गायब होने की बात कर रहे थे, यह 75 प्रतिशत से ज्यादा रिकवर हुई है तो यह मध्यप्रदेश पुलिस ने किया है. एक भी बेटी गायब होती है तो यह बहुत तकलीफ की बात है, हमारे लिए चिन्ता की बात है, प्रयास और किये जाने चाहिए. अभी हमने कानून बनाया है. आपको अधिकार है, आप मजाक उड़ा सकते हैं लेकिन वह कानून इस चिन्ता से बना है. हमने कई बार देखा, मध्यप्रदेश में भी ऐसे उदाहरण सामने आए हैं. एक बार रेप किया, वह छूट गया फिर उस तरह की घटनाओं में सम्मिलित हो गया. फिर मन में आया कि दोनों तरह की चीजें करनी पड़ेंगी. सुरक्षा के सारे इन्तजाम के साथ-साथ कड़ा दण्ड होना चाहिए क्योंकि भय बिन मामला नहीं चलेगा. इसी सदन में, हम सभी लोगों ने सर्वसम्मति से पारित किया और हमने पारित किया तो क्या गुनाह किया. हमने चिन्ह्ति अपराध की एक अलग श्रेणी बनाई. जिसमें इस तरह के मामलों को चिन्ह्ति अपराध मानते हैं और चिन्ह्ति अपराध मानकर उनकी जल्दी सुनवाई होती है. उनमें सजा देने का प्रतिशत 73 से ज्यादा है और अभी-अभी 4 लोगों को ऐसे ही अपराधों में फांसी की सजा हुई है. आपने अखबारों में पढ़ा होगा. हम सारे कदम उठा रहे हैं लेकिन बड़े भैया एक बात गम्भीरता से सोचनी पड़ेगी, सुरक्षा सरकार की ड्यूटी नहीं है, दायित्व है. हम उससे अपने कदम पीछे नहीं खीचेंगे, हम बचने की कोशिश नहीं करेंगे, हम जी-जान लगाकर प्रयास करेंगे लेकिन हमें दूसरा काम भी करना पड़ेगा. हमें समाज का माइन्ड सेट बदलने की कोशिश करनी पड़ेगी. हमें दोनों मोर्चों पर एक साथ काम करना पड़ेगा.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मानवता का, इंसानियत का क्या होगा ? कई बार ऐसी घटनाएं आती हैं, जो अंदर से दहला देती हैं. 92 प्रतिशत ऐसे प्रकरण जो छेड़छाड़ और दुराचार के होते हैं, उसमें परिचित, पड़ोसी या रिश्तेदार निकलता है. समाज किस दिशा में जायेगा ? मैं सबकी बात नहीं कर रहा हूं लेकिन जो मुठ्ठी भर लोग इस तरह के होते हैं, उनकी बात कर रहा हूं. इसलिए हमें बच्चों को शिक्षित करने का भी प्रयास करना पड़ेगा. मैं एक घटना आपको बताना चाहता हूं जब यह निर्भया वाला मामला हुआ, उसके बाद केंडिल मार्च निकालते हुए कुछ बच्चे मुख्यमंत्री निवास आ रहे थे, उन्हें पुलिस ने रोका था, जब यह बात मुझे पता चली तो मैंने कहा कि नहीं उनको बुलाओ. उस केंडिल मार्च में बेटे भी थे, बेटियां भी थी. जब वह लोग मुख्यमंत्री निवास आये और मैं उनसे मिला और जब मैं उनसे बातचीत ही कर रहा था, तब एक बेटी ने जो मुझे शिकायत की जिसके कारण मन में ओर चिंता बढ़ जाती है. उसने मुझसे कहा कि मामाजी यह जो हमारे साथ बच्चे आये हैं यही हमें रास्ते में छेड़ते थे. यह सवाल मानसिकता बदलने का भी है. सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है, लेकिन उसके आगे बढ़कर भी हमको प्रयास करने होंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी हमारे भाई कह रहे थे और बाकी मित्रों ने भी कहा था. अभी शायद कल जब यह बहस शुरू हुई थी, तब कहा था कि यह भूत कब भागेगा, आप यह भूत की बात क्यों करते हो. मैं कहना चाहता हूं कि भूत के बिना वर्तमान का परफार्मेंस कैसे पता चलेगी? हम कौन थे, क्या हो गये यह तो देखना ही पड़ेगा, फिर क्यों होंगे आगे उसका रोडमेप भी बनाना पड़ेगा. आप कह रहे थे बड़ी खराब स्थिति है, मेरे बड़े भाई इस सच को तो आप स्वीकार कर लो कि आपके समय में प्रति व्यक्ति आय 6577/-रूपये थी, जैसे-तैसे बढ़कर वह 13000/-रूपये तक पहुंची. मेरे बड़े भाई आज 72599/-रूपये प्रति व्यक्ति आय है. क्या यह सरकार की उपलब्धि नहीं है?
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज पर-केपिका इंकम लगातार बढ़ती जा रही है क्या यह हमारे प्रयासों का परिणाम नहीं है? मेरे बड़े भाई जब उधर की सरकार थी तब सकल घरेलू उत्पाद 98 हजार करोड़ रूपये था. हमारे मित्र श्री रामनिवास रावत जी विद्वान हैं, आज वह बढ़कर 6 लाख 40 हजार करोड़ रूपये हो गया है. क्या यह हमारी उपलब्धि नहीं है?
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे बड़े भईया डकैतों की बात कर रहे थे. हां मैं जब मुख्यमंत्री बना था तो गडरिया और पता नहीं कौन-कौन से अलग-अलग तरह के कितने गिरोह थे, तब हमने तय किया था कि डकैतों का खात्मा करेंगे और मुझे कहते हुए खुशी है कि आज मध्यप्रदेश की धरती पर कोई बड़ा सूचिबद्ध डकैतों का गिरोह नहीं बचा है. कैसे सामूहिक नरसंहार होते थे. लाईन में खड़े करके लोग गोलियों से छलनी कर दिये जाते थे, रक्तरंजित लाशे पड़ी हुई मिलती थी. जब आप सरकार में थे, तो जीडीपी 3.3 प्रतिशत से ज्यादा कभी नहीं बढ़ी थी. अगर आप मेरे 14 साल की बात कर रहे हैं तो इस सरकार में यह लगभग डबल डिजिट के आसपास 9 प्रतिशत के ऊपर रही है. क्या यह सरकार की उपलब्धि नहीं है ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं बिजली की बात करूंगा. आज दिन-रात बिजली मिलती है तो मिलती है, उसमें कौन सी नई बात है. इसी भोपाल की सड़कों पर जब कांग्रेस का जमाना हुआ करता था तो गर्मी के दिनों में रात भर लोग सोते नहीं थे. डॉ. गोविन्द सिंह जी आप तो खरे-खरे आदमी हैं आपको भी ध्यान होगा कई बार गर्मी लगती थी, तो तोलिया लपेटकर बनियान पर सड़कों पर लोग घूमते थे, लोग रात रात भर सो नहीं नहीं पाते थे. हमने उस दृश्य को बदलने की गंभीर कोशिश की है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे बड़े भाई और हमारे मित्रों ने मातृ मृत्यु दर और शिश मृत्यु दर की बहुत बात की है. मैं आज निवेदन करना चाहता हूं कि यह बात सही है कि एमएमआर, आईएमआर में मध्यप्रदेश पीछे है. लेकिन यह सरकार के प्रयास हैं कि आपका जब दस साल शासन था, तब शिशु मृत्यु दर तब 85 से घटकर 82 हुई थी. तब 3 अंकों की कमी आई थी और आज हमारे शासनकाल में वह 82 से घटकर 47 प्रति हजार पर आ गई है. यह 47 अंक भी मेरे लिए संतोषजनक नहीं है. हम लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आपने तीन अंकों की कमी की थी हमने 35 अंकों की कमी की है, 35 अंक में भी हम संतुष्ट नहीं है और काम करने की जरूरत है. मातृ मृत्यु दर आपके शासनकाल में 441 से 379 हुई थी, हमारे शासनकाल में 379 से घटकर 221 हो गई है. सबसे तेजी से अगर गिरावट अंकों की आ रही है तो वह मध्यप्रदेश में आ रही है. लेकिन ऐतिहासिक रूप से हम पिछड़े थे, बंटाधार सब करके गए थे तो संभालते संभालते अब टाइम लग रहा है थोड़ा, लेकिन हम उस दिशा में तेजी से काम करने की, गंभीरता से काम करने की कोशिश मेरे बड़े भाई हम जरूर कर रहे हैं. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं, सड़कों की बात नहीं करूंगा, सड़कों की बात बहुत से मित्रों ने कही है, बात लंबी भी हो जाएगी, लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, एक परिदृश्य मैं आपके सामने जरूर रखना चाहता हूं. इसमें भवष्यि का रोडमेप भी शामिल है. मध्यप्रदेश में आप भले व्यंग करें लेकिन कृषि उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया है. मैंने देखा सत्ता पक्ष के मेरे कई मित्रों ने आंकड़े बताए हैं कि पहले गेहूं कितना पैदा होता था, अब कितना पैदा होता है वह आंकड़े मेरे पास भी है लेकिन मैं आंकड़े नहीं दोहराना चाहता, लेकिन हमारा गंभीर प्रयास है, क्योंकि खेती बिना पानी के हो नहीं सकती, खेती के लिए पानी चाहिए, इसलिए हमने सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर सिंचाई की व्यवस्था को बेहतर बनाने का प्रयास किया. कई मित्रों ने बताया कि कैसे साढ़े सात लाख हेक्टेयर से 40 लाख हेक्टेयर हुए, साढ़े सात लाख हेक्टेयर भी आपके जमाने का नहीं है बड़े भैया, आजादी के पहले भी पुराने शासन काल में भी जब अंग्रेज राजाओं के प्रयास और दूसरे प्रयासों से हुई थी वह सब मिलाकर साढ़े सात लाख हेक्टेयर सीमित क्षेत्र थे. अब हमारा विजन देख लीजिए और आपका विजन देख लीजिए 40 लाख हेक्टेयर तो हुई है, लेकिन मैं सदन को, मेरे विधायक साथियों को और इस सदन के माध्यम से पूरे प्रदेश को बताना चाहता हूं कि अब 40 लाख नहीं अब 60 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की क्षमता विकसित करेंगे.(....मेजों की थपथपाहट) और अभी तो 60 लाख का तय किया है और नया विजन जो हम तैयार कर रहे है वर्ष 2025 तक वह 80 लाख हेक्टेयर में सिंचाई की व्यवस्था की जाएगी और कैसे कैसे की जाएगी वह भी मैं आपको बता रहा हूं. आज हमारे जल संसाधन मंत्री भी यहां बैठे हुए हैं 16.74 लाख हेक्टेयर की सिंचाई परियोजना पर काम चल रहा है. 9 लाख 69 हजार हेक्टेयर की परियोजनाएं हमने स्वीकृत की हैं और 11 लाख 12 हजार हेक्टेयर की परियोजनाएं चिन्हित की हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सभी सिंचाई योजनाएं पूरी होंगी तो मध्यप्रदेश में सिंचाई विभाग, नर्मदा घाटी विकास विभाग की परियोजनाएं से 73 लाख हेक्टेयर और कृषि और ग्रामीण विकास विभाग, हमारे ग्रामीण विकास मंत्री जी बैठे हैं कृषि मंत्री जी अभी यहां नहीं है, वे कल एक कार्यक्रम में सम्मिलित हुए थे. इन सबसे बढ़कर 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में और सिंचाई होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से आज बता रहा हूं कि हम सिंचाई विभाग की इन परियोजनाओं पर वर्ष 2025 तक 1 लाख 10 हजार 500 करोड़ रूपए का निवेश करने जा रहे हैं और यह योजनाएं कहां-कहां बनेगी, बुन्देलखंड अंचल सारे प्रदेश को जानना चाहिए. मेरे विधायक साथियों को जानना चाहिए. निर्माणाधीन योजनाएं साजली, पंचम नगर, बाणसुजारा, बीना, सूरजपुरा, सोनपुर, परकुल, पवई, मझगांव, बलियापुर, तरपेड़ और ऐसी लघु सिंचाई की 70 योजनाएं और ये स्वीकृत निर्माणाधीन है और जो स्वीकृत है- जूड़ी, कैद, कडा़द, सध्धारू, रूंझ और जो प्रस्तावित है – कोटावृहद, कोपरा, केनबेतवा, मड़भासा, मिड़भासा और इसके अलावा भी अगर और कोई स्थान मिलेगा जहां पानी रोका जा सकता है और किसान के सूखे खेतों की प्यास बुझाई जा सकती है तो उसमें भी हम कसर नहीं छोड़ेगे यह बुन्देलखंड अंचल है. आगे अगर हम बड़े ग्वालियर चम्बल अंचल, हरसी हाईलेबिल, लोअरओर, खर्राघाट, आसन, लघु और 26 यह तो निर्माणाधीन है, चन्देरी, टिकटोली ये स्वीकृत है. प्रस्तावित है सेवढ़ा, चेटीखेड़ा, सनगढ़ा. अभी भैया को चुनाव याद आ गया बोले वह मुंगावली चुनाव में हमें सहरिया याद आ गए. मेरे बड़े भाई केवल सहरिया नहीं बैगा और भारिया के लिये भी हमने किया है. और केवल मुंगावली में थोड़े ही किया है, केवल कोलारस में थोड़े ही किया है. हमारे गोविंद सिंह जी बैठे हैं अगल बगल में श्योपुर में भी किया है, गुना में भी किया है,ग्वालियर ग्रामीण में भी किया है. सब जगह किया है और यह सिंचाई की योजनायें हैं. कोई यह नहीं था कि चुनाव थे तो वहां कर आये भूमि पूजन. अगर भूमि पूजन किया है और नारियल फोड़ा है तो स्वीकृत करके फोड़ा है. चंदेरी में, टिकटोली में तो स्वीकृत कर दीं, सेंवढ़ा, चेंटीखेड़ा, सनगढ़ा यह प्रस्तावित है. रामनिवास जी चेंटीखेड़ा तो आपके यहां की है. आपके क्षेत्र की है और पता नहीं फिर आपने वहां पर धरने पर बैठा दिया है ऐसा मत किया करो भाई हमें भी बता दिया करो.(हंसी) चिंता मत करो, आप चिंता क्यों करते हो. जब जब कहीं से पता चल जाता है कि इनकी स्वीकृत हो गई है तो रामनिवास भैया धरने पर बैठा देते हैं.(हंसी)
श्री रामनिवास रावत- आज मेरा ध्यानाकर्षण था, धरने पर मैंने नहीं बैठाया स्वप्रेरित है. वहां पानी की भीषणतम संकट है, आप कल्पना नहीं कर सकते हैं ऐसी वहां पर पानी की भीषण स्थिति है.
श्री शिवराज सिंह चौहान- आपकी चिंता के साथ में हूं और वहां पूरी व्यवस्था करेंगे. हम लोग मिलकर के करेंगे उसमें कोई चिंता की बात नहीं है. मालवांचल में बता रहा हूं. अरे हमने तो नर्मदा का पानी खींचकर के भी ऊपर लाया है. और केवल पानी खींचकर के ऊपर नहीं लाये, हमने तो टनल बनाकर के गांधी सागर से पानी निकालना है बड़े भैया. गांधी सागर से, गरोठ माइक्रो एरिगेशन मंदसौर के हमारे साथी बैठे होंगे , कोटेश्वर, बरखेड़ा, नर्मदा छेगांव माखन, खंडवा जिले की धार जिले की बरखेड़ा, ठाकुर भंवर सिंह जी आप चिंता मत करना आपके क्षेत्र की भी बदनावर की होने वाली है . तैयारी पूरी हो गई है. नर्मदा-हरसूद यह भी खंडवा की है. भाम राजगढ़ जिले की है यह भी खंडवा की है आमलिया, नर्मदा मालवा गंभीर, इसका काम लगभग पूरा होने वाला है, इंदौर, उज्जैन, रतलाम, नीमच, मंदसौर वहां तक पानी पहुंचाया जायेगा, जो कभी आपने सोचा भी नहीं था, याद करो भैया जब कांग्रेस की सरकार थी तो उनके मुखिया से एक विधायक ने प्रश्न किया था कि नर्मदा के पानी को क्षिप्रा में ले आओ, उत्तर था इंपासिबल. जो असंभव है उसको संभव बनाता है शिवराज सिंह चौहान, और भारतीय जनता पार्टी की सरकार. हम नर्मदा मालवा गंभीर को जोड़ रहे हैं, नर्मदा बलवाड़ा को जोड़ रहे हैं ,
श्रीमती उषा चौधरी -- मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कि हमारा जिला सूखाग्रस्त घोषित है, वहां पर पानी की व्यवस्था करा दें बाणसागर से ..
श्री शिवराज सिंह चौहान - ठीक है बहन जी. चिंता मत करें. आप बात करना.
श्रीमती उषा चौधरी - चिंता का विषय तो है.जल्दी चालू करवा दें.
श्री शिवराज सिंह चौहान --जी, जायेगा तो जरूर पहुंचा दूंगा. नर्मदा विस्थान, नर्मदा मोरोडिया, नर्मदा चौड़ी-दामनिया, नर्मदा-बलकवाड़ा, नर्मदा-सिमरोल, अंबाह-चंदल, नर्मदा-अलीराजपुर, माई-विस्तार, नर्मदा-पार्वती भी, हमारे गुणवान जी कहां पर हैं. आप छोटे छोटे तालाब की बात करते थे कान्हाखेड़ी में बनवा दो, फलाना खुदवा दो, अरे पूरा आष्टा विधानसभा का क्षेत्र पानी से लबालब होगा, आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इसके अलावा बघेलखंड रेवांचल ,आप अलग अलग की सुन लो. विंध्यांचल , जबलपुर अंचल, पेंच, छिंदवाड़ा और सिवनी के मित्र यहां बैठे होंगे बरगी डायवर्जन नर्मदा ढीमरखेड़ा, नर्मदा-आलोन, केवल मैंने दो योजनायें जो डिण्डोरी की थीं वह अभी इसलिये स्थगित की है कि वहां के हमारे साथियों का कहना था कि विचार करके करेंगे लेकिन अपर तिलवारा, मुरकी, और लघु बयालिस यह निर्माणाधीन हैं . चिंकी माइक्रो खरबेल-डिण्डोरी यह अभी थोड़ी सी, चूंकि वहां पर हमारे कुछ आदिवासी बंधुओं का विरोध है तो हमने कहा कि जनता की राय में हमारी राय है हमने कहा कि अभी स्थगित करेंगे बाद में पूरा विचार करेंगे. चीताखुदरी , हिरन प्रस्तावित दूधी परियोजना सक्कर, फावर विस्तार, यह विंध्यांचल जबलपुर अंचल के हैं. और बड़े भैया बघेलखंड के भी बता देता हूं. रेवांचल के बाणसागर चरण-2, त्योंथर बहाव, बहुती नहर , मझगवां, वहां के हमारे साथी गिरीश गौतम जी यहां पर बैठे हुये हैं. पूरे उस इलाके में मान बहरी,रामनगर माइक्रो इरीगेशन, नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन, बरगी डाइवर्जन, और लघु और 44 यह तो निर्माणाधीन हैं स्वीकृत हो गई है गौंड और प्रस्तावित है मयार. होशंगाबाद सतपुड़ा पारल-दो लघु-30 मोरानगंजान, गढ़ाबरधा घोघरी, भोपाल अंचल मोहनपुरा-कुंडलिया, पहले मुख्यमंत्री जिस जिले से सांसद हुआ करते थे उस जिले को पानी कभी नहीं पहुंचा. और आज जाकर के देख लो राजगढ़ में मोहनपुरा, कुंडलिया, मोहनपुरा, कुंडलिया, नर्मदा छीपानेर लिफ्ट, बनेठा, दीवानगंज, बारना विस्तार इसके अलावा लघु 58 यह निर्माणाधीन स्वीकृत डेम, नर्मदा पार्वती लिंक और प्रस्तावित कोटा वैराज, पार्वती, रिंसी और इसके अलावा अगर और आगे जायें, चम्बल, श्यामगढ़ सुवासरा, इंदौख, कारम वेलसिंह कहां है, रिंगनोद का भी कह दिया है मैंने आप चिंता मत करना, जब देखो रिंगनोद-रिंगनोद करते रहते हो.
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुंवर विजय शाह)-- छोड़ दो भाई साहब अब तो बहुत हो गईं.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- छोड़ दें. ..(हंसी).. नर्मदा काली सिंध चरण-1, नर्मदा काली सिंध चरण-2, नर्मदा पार्टी यह बड़वानी की, पिपरी आईएमपी यह खरगोन की, नर्मदा भीकनगांव विंजनवाड़ा, नर्मदा नागलबाडी़, नर्मदा पुनासा, नर्मदा किल्लोद, जावर, कोदवार, नर्मदा मालवा गंभीर पार्ट-2 भी आयेगा, नर्मदा मालवा क्षिप्रा पार्ट-2 भी आयेगा, नर्मदा झाबुआ, पेटलावद, थांदला, सरदारपुर कहां कसर छोड़ी है, एक लाख दस हजार करोड़ रूपये खर्च किये जायेंगे. ...(मेजों की थपथपाहट)...
कुंवर विजय शाह-- अब तो नेता प्रतिपक्ष भी ताली बजायेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- मध्यप्रदेश का यह परिदृश्य मैंने सामने रखा है और कर्जा अगर लिया है तो बड़े भैया यह कर्जा प्रदेश के विकास के लिये है और ऐसा कर्ज लेने में मुझे कोई संकोच नहीं है, जो जनता के काम आये, हमने पूरे मध्यप्रदेश में, कैसे हम कृषि की व्यवस्था, अभी किसानों की बात हो रही थी, मैं सच कहता हूं आप थोड़ी गंभीरता से सोचकर देखिये, अगर मैं आंकड़े बताऊंगा तो बहुत देर लगेगी, मैं केवल एक ही आंकड़ा आपको बताऊंगा किसानों की चिंता का. मेरे बड़े भाई अभी हमारे मित्र जितू पटवारी जी कह रहे थे अलग-अलग कुछ आंकड़े वह बता रहे थे कि तब समर्थन मूल्य और अब के समर्थन मूल्य में कोई अंतर नहीं है, अब शायद वह तो चले गये, लेकिन समर्थन मूल्य तब से अब चार गुना बढ़े हैं, वह बात सच नहीं है. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं खेती को अगर लाभ का धंधा बनाना है, फायदे का धंधा बनाना है तो हमको तीन कदम उठाने पड़ेंगे, एक उत्पादन की लागत घटानी पड़ेगी, दो उत्पादन का उचित मूल्य देना पड़ेगा और नंबर तीन प्राकृतिक आपदा में उनका साथ देना पड़ेगा, राहत की राशि ठीक देना पड़ेगी और चौथा भी अगर मैं जोड़ दूं तो कृषि का विवधिकरण करना पड़ेगा. अब सिंचाई का हमने इतना विस्तार कर दिया, अन्न के भंडार भर गये, फल और सब्जियों खूब पैदा हो रही हैं, अब वह उत्पादन बढ़ा तो एक संकट आया, दाम कम हुये, लेकिन हमने उत्पादन की लागत घटाने के जो गंभीर प्रयास किये, हमने तय किया मध्यप्रदेश में जो कर्जा मिलता था लगभग 16 प्रतिशत ब्याज पर उसको घटाकर जीरो प्रतिशत किया, इनपुष्ट काष्ट कम हुई, लागत कम हुई और लागत कम हुई तो किसान को फायदा बढ़ा. हमने तय किया, एक जमाना था जब उधर की सरकार थी मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने भी कई दिन तक यह महसूस किया कि खाद का संकट आ जाता है, जब बोवनी का समय होता है, किसान को भटकना पड़ता है, हमने तय किया एडवांश, अग्रिम भंडार खाद का करके रखेंगे और किसान से कहा भैया 2-3 महीने पहले ही उठा ले जाओ. किसानों ने कहा कि ब्याज 3 महीने का कौन देगा, हमने कहा 3 महीने का ब्याज हम देंगे, सरकार देगी आप तो पहले से उठाकर ले जाओ. जितने कदम उठाये, मैं सारे के सारे बताऊंगा तो घंटों लग जायेंगे, लेकिन अभी जो संकट पैदा हुआ, फसलों के दाम कम होने का, हां हमने तय किया अब बड़े भैया को पता नहीं कौन ने वीडियों दिखाया कि तीन चौथाई खाली थे, एक दिन पहले सबेरे तक कुछ इलाकों में भारी बारिस हुई, ओलावृष्टि हुई, लेकिन भैया तो जैसा देखना पसंद करते हैं उनको दिखाने वाला वैसा ही उनको दिखा देता है और भैया सीधे-सीधे यहां कह देते हैं, सचमुच में भोले भाले हैं, ऐसे नेता बहुत कम होते हैं उनके जैसे, वह तो हैं ही मेरे बड़े भाई. अब उन्होंने अलग-अलग तरह का चित्र यहां प्रस्तुत किया, लेकिन हमने ..(सामने किसी सदस्य के हंसने पर).. अरे यार हमारे बड़े भैया हैं आपको किसलिये हंसी आ रही है, हैं तो हैं उसमें क्या दिक्कत है, सही हैं, अंतरआत्मा से हैं. उस समय प्याज की बात हमारे कई साथी कर रहे थे, प्याज सड़ा दिया. आज मैं कह रहा हूं, जब मैंने देखा कि किसान के प्याज के दाम 2 रूपये किलो, 1 रूपये किलो, पचास पैसे किलो, मैं क्या करता साहब. एक तो यह था कि मैं किसान को प्याज फेंकने देता, दूसरा यह था मुझे पता था, मुझे सबने चेताया भी था कि यह प्याज खरीदकर कहां ले जाओगे, भंडारण की व्यवस्था नहीं है. मैं स्वीकार करता हूं इतनी नहीं थी, क्योंकि प्याज तो किसी किसान ने कहा कि पगला गई है. जहां देखो 32 लाख मीट्रिक टन प्याज पैदा हो गई. जिधर देखो प्याज के ढेर लगे हैं. अब या तो मैं प्याज को सढ़ने देता या मैं रिस्क लेता. हमने तय किया कि प्याज हम खरीदेंगे और किस भाव खरीदेंगे, 8 रूपये किलो खरीदेंगे. प्याज खरीदकर साढ़े छः सौ करोड़ रूपये किसानों के खाते में जमा किये, नगद नहीं दिये. हमने सीधे खाते में डाले हैं. प्याज सड़नी थी, लेकिन मैंने तय किया कि इतनी प्याज बचाकर नहीं रखी जा सकती है. हमने उस समय कोशिश की. दिल्ली में आजाद गंज मण्डी में प्याज भेजी. जब हमारी प्याज ट्रकों से पहुंची उसमें पता चला कि ट्रांसपोर्टेशन का जितना खर्चा आ रहा है उतने दाम वहां पर नहीं मिल रहे हैं, यह स्थिति बीच में पैदा हुई और इसीलिये यह सोचा-समझा फैसला था, किसानों के हित का फैसला था. हमने कहा कि अगर प्याज अगर फेंकेगा तो किसान नहीं फेंकेगा. किसानों से प्याज खरीदकर शिवराज सिंह चौहान फेंकेगा भारतीय जनता पार्टी की सरकार फेंकेगी. प्याज के पूरे दाम देंगे. आज मंदसौर और नीमच के मेरे साथियों ने बताया माननीय जयंत भाई भी बात कर रहे थे. डोडा चुरा की समस्या आ गई है. सरकार के आदेश हो गये हैं. डोडा चुरा का उपयोग कई ऐसी चीजों में किया जाता है जिससे नशे का व्यापार बढ़ता है. तस्करी जैसी दूसरी समस्याएं भी हैं. सरकार के आदेश हो गये कि डोडा चुरा को जलाया जाये. अब किसान का तो जी जलेगा भईया. जिस डोडा चुरा से उसको अच्छे खासे पैसे मिलते थे क्या 100 रूपये किलो में खरीदते थे. आज मैं सदन में घोषणा कर रहा हूं मंदसौर और नीमच के विधायक मित्रों बिल्कुल परेशान मत होना. किसानों से डोडा चुरा हम खरीदकर जलाएंगे. किसान को उसकी पूरी कीमत दी जाएगी. सरकार उसको जलाएगी. किसान की किस्मत को किसी भी कीमत पर जलने नहीं देंगे.
डॉ.गोविन्द सिंह--उसको एक्सपोर्ट कर दो.
श्री शिवराज सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, डॉ.डोडा चुरा को भारत सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया है. उसका एक्सपोर्ट आसानी से थोड़े ही होता है. आप बहुत ही खरे आदमी हो, लेकिन आप कई बार दिमाग नहीं लगाते. अभी आप भाषण में कह रहे थे कि मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 2 हजार रूपये क्विंटल देंगे, लेकिन उन्होंने हिसाब बता दिया 1735 समर्थन मूल्य इसमें 200 रूपये बोनस तो बोले 1935 हुए. गोविन्द सिंह जी यह 200 रूपये इस साल के नहीं हैं. यह 200 रूपये पिछले साल जो किसान ने गेहूं बेचा था उसके देंगे. ऐसी सरकार आपने कहीं देखी है कहीं ? क्योंकि प्रदेश में सूखे का संकट था किसान ने खून पसीना लगाया था. केवल गेहूं के ही नहीं धान के भी देंगे 200 रूपये क्विंटल और इस साल समर्थन मूल्य तो 1735 रूपये होगा. 1735 में खरीदकर किसान के खाते में 1735 रूपये डालेंगे बाद में उनके खाते में 265 रूपये अलग से डालेंगे. बड़े भईया कार्यक्रम करके डालेंगे, किसानों का बड़ा सम्मेलन करेंगे किसानों को लाएंगे उनको भोजन भोजन भी कराएंगे, वे हमारे अन्नदाता हैं और इसीलिये जो 2 हजार का हिसाब है ऐसे बनता है.
अध्यक्ष महोदय, भावान्तर योजना उसकी बड़ी चर्चा हुई. प्रतिपक्ष के मित्रों ने कहा कि भावान्तर नहीं लूटान्तर है, हम लुटेरे हो गये हैं. एक दर्द से भावान्तर भुगतान योजना पैदा हुई. जब प्याज की गति मैंने देखी और दूसरी तरफ यह संकट था कि चीजों के दाम गिर रहे थे. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी अनाज के दाम विपुल उत्पादन होने के कारण गिर रहे थे. चीजों की कीमत घटी, अब घटी तो हमने तय किया है कि एक तो तरीका है कि उनसे खरीदो. हमने मूंग-उड़द खरीदा. मूंग-उड़द भरा रखा हुआ है उसको बेचेंगे, नीलाम करेंगे उसकी बोली भी लगाएंगे तो भी बहुत कम दाम मिलेंगे. इतने में खरीदकर कहां ले जाओगे. मेरा दिमाग में एक बात आयी कि खरीदें भले ही मण्डी में, लेकिन उसका बिक्री और समर्थन मूल्य का अंतर सीधे किसान के खाते में डाल दें उनको पैसा मिल जाये. फिर मार्केटिंग, ट्रांसपोर्टेशन-भण्डारण जैसा उस समय प्याज खरीद रहे थे तो क्या स्थिति थी. कलेक्टर कहां हैं वह प्याज खरीदवा रहे हैं, एस.पी. कहां हैं वह प्याज की लाईन लगवा रहे हैं, एस.डी.एम. कहां हैं मण्डी में व्यवस्था बनवा रहे हैं, तहसीलदार कहां है ? वह किसानों को समझा रहे हैं. पूरा प्रशासन हमारा लगा था खरीदी में और इसीलिये मुझे लगा कि किसान के हित में भी यह होगा कि बाकी काम कर सके. खरीदने के बजाय बाजार में बिके और अंतर की राशि हम डालें. हमारे मित्र सदन में नहीं हैं. वे कह रहे थे कि पहले बाजार में ज्यादा कीमत थी जैसे ही हमने भावांतर योजना शुरू की कीमत घट गयी. मैं बड़ी विनम्रता के साथ कहना चाहता हूं. शायद रामनिवास भैया ने ही कहा था. ये भी वैसे विद्वान बहुत हैं लेकिन कई बार पढ़ते नहीं हैं ऐसे ही सीधे कह देते हैं.मैं आपको बता रहा हूं भईया, आपने यह कहा कि चार हजार प्रति क्विंटल भावांतर योजना के पहले उड़द थी. सही बात यह है कि 3 से लेकर 17 अक्टूबर,2017 के बीच मध्यप्रदेश में उड़द की दाल की माडल दरें 2844 रुपये प्रति क्विंटल थी. भावांतर के अंतिम माह में भी जो दर थी वह 2848 रुपये थी और आपको एक बात और बताना चाहता हूं कि भावांतर भुगतान योजना बनाई तब यह बात आई कि व्यापारी अगर रेट गिरा देंगे तो क्या होगा ? हमने तय किया कि एक राज्य का रेट नहीं तीन राज्यों का एवरेज रेट लगाएंगे. जैसे सोयाबीन, सोयाबीन के लिये हमने तय किया. महाराष्ट्र,राजस्थान और मध्यप्रदेश तीनों के रेट देखकर माडल दरें तय करेंगे. आप राजस्थान पता कर लीजिये,आप महाराष्ट्र पता कर लीजिये. अगर हमारे यहां 2500-2600 रुपये सोयाबीन बिका जहां भावांतर भुगतान योजना थी तो महाराष्ट्र में भी इसी भाव बिका,राजस्थान में भी इसी भाव बिका. वहां तो भावांतर नहीं था तो लूटांतर ये कहां से हो गई. हां,इतना मैं जरूर कहता हूं कि सोयाबीन के रेट तो बाद में और बढ़ते चले गये. जैसे-जैसे समय गुजरा क्योंकि ब्राजील और अर्जेंटाईना में सोयाबीन की फसल खराब हो गई थी तो बाद में 3090 रुपये तक पहुंच गये.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) - मैंने रिकार्ड निकलवाया है शतप्रतिशत विधायकों ने भावांतर का लाभ लिया है. सभी पार्टियों के विधायकों ने लाभ लिया है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - भावांतर योजना का सभी ने लाभ लिया है. इसमें पार्टी का सवाल नहीं है.
स्कूल शिक्षा मंत्री (कुं.विजय शाह) - भाई साहब,यह भावांतर चलता रहा तो सामने वाले छूमंतर हो जायेंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान - किसान तो किसान होता है. अभी सिवनी की बात हो रही थी. हमारे बड़े भईया ने कहा कि सिवनी नहीं गये. सिवनी के हमारे माननीय विधायक साथी यहां बैठे हैं. मुनमुन भाई बैठे हैं. हमारे रजनीश सिंह बैठे हुए हैं. रजनीश, यह शिवराज सिंह चौहान है. तुमने भीड़ में जहां रोका,कूदकर किसानों के बीच में चला गया. और किसी मुख्यमंत्री के साथ मिलकर देख लेते तो मैं जान जाता. भीड़ में घुसकर जहां झण्डा कांग्रेस का थामे हुए हैं. लोगों ने कहा कि प्रतिनिधि मण्डल बुला लें. मैंने कहा कि नहीं किसानों के बीच में जाऊंगा. मैं जाकर घुसा कि नहीं,यह रजनीश सामने बैठे हैं. इन्होंने कहा कि यहां चलो मैंने कहा वहां चलो जहां चलना हो वहां चलो और सिवनी के किसान हों,सीहोर के किसान हों, भगवान न करे प्राकृतिक आपदा कहीं आये लेकिन आती है हर साल किसी न किसी इलाके में आती है. देश भर में,दुनिया भर में. आजकल मौसम के परिवर्तन के कारण भी आ रही है. आप क्या करते थे. जब आपकी सरकार थी लघु सीमांत कृषकों की जब क्षति होती थी तो 2 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से राहत की राशि देते थे उस जमाने में और एक निर्देश और होता था. मैं तो सांसद हुआ करता था और मैं सांसद भी बड़ा लड़ाकू था. कहीं कोई घटना हुई और मैं फसल लेकर सीधा विधान सभा आता था. उस समय के मुख्यमंत्री उस फसल को देखकर मुस्कुराते थे. उनकी अपनी स्टाईल थी. वह नहीं हैं इसलिये उनके बारे में ज्यादा बात नहीं करूंगा.अभी वे परिक्रमा पर हैं इसलिये कुछ कहना ठीक नहीं है लेकिन उस समय निर्देश यह होते थे कि ज्यादा मतलिख देना कम से कम लिखना. ताकि बांटना न प ड़े. आज मैं कह रहा हूं. मेरे प्रतिपक्ष के मित्र रजनीश जी यहां बैठे हैं. इनके बीच में वहां जाकर मैंने घोषणा की थी. किसानों की आंखों में आंसू थे. दर्द था.तकलीफ थी. सूखे के साल में मेहनत करके,परिश्रम करके अपनी फसल उन्होंने पैदा की थी. मैंने कहा था कि जितना नुकसान उतनी भरपाई और एक झटके में मैंने फैसला किया कि 30 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से 50 प्रतिशत से ज्यादा नुकसान है तो किसान को दिया जायेगा. कहां दिया जाता है. आपकी सरकार में 2 हजार हमने कर दिये 30 हजार,और यह 30 हजार फसल बीमा योजना के अतिरिक्त है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से प्रदेश के किसानों से कहना चाहता हूं कि चिंता करने की जरूरत नहीं है. फसल बीमा योजना और राहत की राशि मिलाकर लगभग 50-55-60 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की राशि उनको मिलेगी. जो नुकसान की सीधे-सीधे भरपाई हो जाएगी. किसानों की आंखों में आंसू नहीं रहने देंगे. यह हमारा संकल्प है. (मेजों की थपथपाहट).. उसको पूरा करने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. एक नहीं ऐसी कई योजनाएं हैं. अभी भावांतर भुगतान योजना में एक परिवर्तन हमने सोचा है. वह परिवर्तन यह है कि तत्काल फसल बेचने की जरूरत नहीं है. अगर आपको लगता है कि कल कीमत बढ़ सकती है तो आप उसको वेयर हाउस में रख दीजिए. वेयर हाउस में अगर आप रखेंगे तो वेयर हाउस में रखने का किराया भी हम भरवाएंगे, किसान से नहीं लेंगे, सरकार से भरवाएंगे. (मेजों की थपथपाहट).. ताकि वह इंतजार कर सके. आज फसल नहीं बेचना है, कल बेचना है क्योंकि हमें लगा कि एक साथ मंडी में उत्पादन आ गया तो उसके कारण भी रेट कई बार नीचे आते हैं तो इस तरह की जो चीजें पता चलती हैं.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया) - अध्यक्ष महोदय, भावांतर योजना में मक्के की 1425 रुपए समर्थन मूल्य की आपने घोषणा की. मंडी में वह 900 रुपए में बिकी, मॉडल रेट 1100 रुपए आया तो 1425 रुपए से उसका भुगतान नहीं हो रहा है, सिर्फ 200 रुपए का अंतर आ रहा है.
श्री शिवराज सिंह चौहान - मेरे मित्र, जो अंतर था, बिक्री मूल्य और समर्थन मूल्य का मॉडल रेट पर हमने दिया है, उसमें हम न तो कसर छोड़ेंगे और कहीं कोई तथ्य ध्यान में आता है तो उसको भी देखा जाएगा.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - अध्यक्ष महोदय, आप परासिया का डाटा निकलवा लीजिए, आपको पता चल जाएगा कि क्या स्थिति है?
श्री शिवराज सिंह चौहान - अध्यक्ष महोदय, लेकिन मैं जो कह रहा था, जो अलग-अलग राशि की बात है, बारहमासी फसलों के बारे में एक बात और बताना चाहता हूं कि उस जमाने में कोई प्रावधान नहीं था. हमने वहां भी अगर 50 प्रतिशत से अधिक का नुकसान है तो तीस हजार रुपए प्रति हेक्टेयर देने का फैसला किया. सब्जी, मसाले, इसबगोल, उन्होंने कहा कि इसबगोल खराब हो गया. मैंने तत्काल वहीं कह दिया था, मंदसौर जिले की शायद बात है कि 50 प्रतिशत से अधिक का नुकसान है तो तीस हजार रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से देंगे. पान बरेजे से लेकर कई चीजों पर, आपके जमाने में तो नींबू के बगीचे, पपीता, केला, अंगूर, संतरा देते थे चार हजार रुपया प्रति हेक्टेयर! यह मेरी सरकार है जिसने तय किया कि 500 रुपया प्रति पेड़ दिया जाएगा. कभी कोई कल्पना कर सकता है क्या? कभी कोई सोच सकता है? सांप से मृत्यु हो जाय. 4 लाख रुपया हम देते हैं. बस खड्ढे या पानी में मृत्यु हो जाय, आप पच्चीस हजार रुपए देते थे, हमने उसको चार लाख रुपए कर दिया है. भूकम्प, बाढ़, ओला, भूस्खलन, आकाश की बिजली से मृत्यु हो जाय, उस समय पचास हजार रुपए देते थे, हमने उसको चार लाख रुपया कर दिया है. कुम्हार के ईंट भट्टे, बर्तन, उनकी क्षति पर सहायता हमने अब दस हजार रुपए कर दिये हैं. हमने तो बकरा, बकरी पर भी आठ सौ रुपया, मुर्गा-मुर्गी पर भी चालीस रुपया देने का फैसला किया है. अगर छोटा और कम नुकसान हो. अब मुर्गा-मुर्गी पर मेरे तरफ क्यों देख रहे हो? (हंसी)..
अध्यक्ष महोदय, गरीब आदमी का छोटा नुकसान भी हो तो उसके लिए तो वही बड़ा होता है, उसकी भरपाई की जरूरत होती है तो पूरी संवेदना के साथ हमने कोशिश की. मैं आपसे बात कर रहा था भावांतर भुगतान योजना की कि वे उसको वेयर हाउस में रखें उसका किराया देंगे. एक कोशिश और हम कर रहे हैं. कोशिश हमारी यह है कि किसान को तत्काल पैसे की जरूरत होती है तो तत्काल अगर पैसे की जरूरत पड़े तो हम बैंकों से बात करेंगे 25 प्रतिशत जो फसल का लगभग अनुमानित मूल्य है, उसका मूल्य किसान को मिल जाय तो तत्काल खर्च उसका चल जाय. जब किसान की फसल बिकेगी तो बाकि 75 प्रतिशत वह दे दे, उसका ब्याज भी किसान से नहीं लेंगे. यह सरकार उसका ब्याज भी भरवाने का काम करेगी ताकि उसकी राशि में कहीं कटौती न हो.
माननीय अध्यक्ष महोदय, भैया हमारे स्कूल की बात भी कर रहे थे कि अब स्कूल ऐसे हो गये. मेरे बड़े भैया, आपके जमाने में जीरो बजट के स्कूल खोले गये थे. जीरो बजट का मतलब, पैसा धैला की जरूरत ही नहीं है, स्कूल खुल गया, पैसा न धैला, बंटे सर का मैला. अब काहे की शिक्षा? पूरी व्यवस्था आपने चौपट करके धर दी. ऐसी हालत कर दी कि पांच सौ रुपया महीना में आपने गुरूजी रख लिये. पूरे शिक्षक कैडर को समाप्त कर दिया. पांच सौ रुपया में गुरूजी पढ़ाओ. अब वह सही घटना थी, उस समय हम सांसद थे. एक स्कूल में हम गये. मेरी तो पहले से ही बच्चों के बीच में जाने की आदत है. बच्चों से मैंने पूछा कि गंगा जी कहां से निकली तो उन्होंने मुझे कहा कि विन्ध्यांचल से निकली. हमने गुरूजी से कहा कि गुरूजी पढ़ा क्या रहे हो? गंगाजी तो हिमालय से निकली है तो वह कहने लगे कि पांच सौ रुपया में तो विन्ध्यांचल से ही निकलेगी, भैया हमारा ही ठिकाना नहीं है तो पढ़ा कहां से दे? (हंसी)..पूरी व्यवस्था चौपट करके रख दी थी. हमने उन्हीं गुरूजियों को और उन्हीं शिक्षा कर्मियों को अब शिक्षक बनाने का फैसला किया है. एक ही शिक्षक का कैडर होगा. (मेजों की थपथपाहट).. अब कितनी चीजें सकेलते, सकेलते भी देर लगती है. आप परफार्मेंस की बात कर रहे थे. मुझे कहते हुए गर्व है. पिछले साल से 85 प्रतिशत से ज्यादा नम्बर जो बच्चे लेकर आते हैं, उनको लेपटॉप देते हैं. हमारे कई मित्र कार्यक्रम में आते हैं. आधे से ज्यादा बच्चे सरकारी स्कूलों के होते हैं. प्रायवेट स्कूल के बच्चों को भी हम देते हैं. 12 वीं में 85 परसेंट या उससे ज्यादा नंबर लेने वाले आधे से ज्यादा बच्चे सरकारी स्कूलों के होते हैं. गुणवत्ता ठीक करने के लगातार प्रयास जारी हैं. हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी स्कूल के आंकड़े मैं नहीं बताता कि आपने कितने खोले थे और हमने कितने खोले हैं, क्योंकि देर लग जायेगी. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि शिक्षा की गुणवत्ता का सवाल हो या स्वास्थ्य सेवाओं को ठीक करने का मामला हो, हम पूरी गंभीरता के साथ प्रयास कर रहे हैं. आपने मेडिकल कॉलेज की बात कही. हां 1964 के बाद रीवा मेडिकल कॉलेज के बाद मध्यप्रदेश में कोई मेडिकल कॉलेज नहीं खुला था. सागर वाले तो पता नहीं कितने सालों से आंदोलन कर रहे थे. हमारे बुंदेलखंड के सारे साथी मांग करते थे कि सागर में मेडिकल कॉलेज होना चाहिये और सागर में मेडिकल कॉलेज खुला तो हमने वहां मेडिकल कॉलेज खोलने की शुरुआत की और 7 मेडिकल कॉलेज लगभग बनकर तैयार हो रहे हैं, जहां अधिकांश में अगले सत्र से अध्ययन प्रारंभ हो जायेगा. हमको डॉक्टर्स तैयार करने पड़ेंगे, क्योंकि डॉक्टर्स तो हैं नहीं, मेडिकल कॉलेज ही नहीं थे, तो डॉक्टर नहीं थे, डॉक्टर नहीं थे तो उपलब्धता कम थी. हम लगातार उस दिशा में प्रयास कर रहे हैं. नि:शुल्क दवाओं के वितरण का काम हमने शुरू किया है. कैंसर, कीमोथैरेपी जैसी दवाओं का नि:शुल्क लाभ मिले. थैलीसीमिया के लिये इंदौर में हमने डॉक्टर भेजे. ट्रेनिंग के लिये अमेरिका से एमओयू किया और थैलीसीमिया के जो बच्चे जिनकी जिन्दगी बोझ बन जाती थी, परिवार टूट जाता था, बोनमेरो ट्रांसप्लांट अगर करवाना हो तो 15 लाख रुपये लगते हैं. मुझे खुशी है कि इंदौर के एमवाय अस्पताल में वह सुविधा प्रारंभ हो गई है. यह हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में फैसला किया है. अभी हमने पनागर में मजदूरों का सम्मेलन किया था. मजदूरों का पूरा इलाज अगर उनको प्रायवेट अस्पताल में भी इलाज करवाना पड़ा, तो उसका खर्चा भी सरकार देगी.
अध्यक्ष महोदय, गरीब कल्याण एजेंडे की हम बात कर रहे हैं. मध्यप्रदेश में हम गरीब कल्याण एजेंडा चला रहे हैं. हमारे प्रधानमंत्री श्रीमान् नरेन्द्र मोदी जी, तिवारी जी अभी चले गये हैं, उनको बीच में प्रजातंत्र याद आ गया था कि प्रजातंत्र खतरे में है. पता नहीं कहां चले गये, वह जब तक नहीं होते हैं तब तक पूरा मजा नहीं आता. तिवारी जी का अपना व्यक्तित्व है, मैं उनकी अनुपस्थिति में कह रहा हूं. वह कह रहे थे कि प्रजातंत्र समाप्त हो गया. मेरी उम्र 17 साल थी और प्रजातंत्र कैसे खत्म होता है यह बड़े भैया, मेरे जैसे लोगों से पूछकर देखो. 11 वीं में हम पढ़ते थे, रात में रविशंकर नगर कालोनी से उठा लिये गये और हबीबगंज थाना नया-नया ही बना था, वहां पर रख दिये गये और इतने लट्ठ इन कोहनियों और घुटनों में मारे कि आज तक जब बादल तड़कते हैं तो यह हाथ-पैर दुखते हैं. प्रजातंत्र उस समय खत्म हुआ था जब पूरे देश को कारागार में परिवर्तित कर दिया गया था, 17-17, 18-18 साल के बच्चों को जेल के सीखचों में ठूस दिया गया था. वह था प्रजातंत्र को समाप्त करने वाला. आज प्रजातंत्र को कौन सा खतरा है ? लेकिन मैं गरीब कल्याण एजेंडे की बात कर रहा था, मुझे गर्व है कि हमारे प्रधानमंत्री श्रीमान् नरेन्द्र मोदी जी गरीब कल्याण एजेंडा चला रहे हैं. यह सरकार सबकी है, लेकिन सबसे पहले उनकी है जो सबसे पीछे है, जो सबसे नीचे है, जो सबसे दीन, दुखी और गरीब है, उनकी सरकार सबसे पहले है. गरीब को क्या चाहिये ? रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई, लिखाई, दवाई और रोजगार का इंतजाम. रोटी के लिये राशन की बात अभी हमारे भैया रावत जी कह रहे थे कि गरीबी रेखा से नाम काट दिये गये. मेरे भैया राम निवास जी, साढ़े 5 करोड़ लोगों को एक रुपया किलो गेहूं, चावल और नमक दे रही है तो प्रदेश की सरकार दे रही है. हमने कानून बनाया और यह तय किया कि कोई गरीब मध्यप्रदेश की धरती पर बिना जमीन के नहीं रहेगा. रहने की जमीन का मालिक हर गरीब को बनाया जायेगा और हम तेजी से अभियान चलाकर लगातार तीन चार महीने तक पट्टे बाटेंगे. तेजी से हम अभियान चलायेंगे ताकि कोई बिना भूमि के न रहे. तीसरी चीज बच्चों की पढ़ाई का सवाल आता है. हमने फैसला किया है कि सब समाज और सब जातियों के लिये कि जो मजदूरों के बेटा-बेटी हैं, आप ध्यान से सुनना, पहली से लेकर पीएचडी तक की पढ़ाई नि:शुल्क की जायेगी. गरीबी या पैसा किसी की पढ़ाई में बाधक नहीं बनेगा. आप कहे रहे थे कि विदेश भेजने की बात कर रहे हैं, हां हमने भेजा. एससी के बेटा-बेटियों को भेजा, एसटी के बेटा-बेटियों को भेजा, ओबीसी के बेटा-बेटियों को भेजा. ओबीसी के बच्चों को भी हम भेज रहे हैं. जो बच्चे प्रतिभाशाली हैं, तो वह धन के अभाव के कारण क्या वह उच्च शिक्षा से वंचित रहेंगे. विदेश में भी हमारे बच्चे पढ़ रहे हैं. मेडिकल, इंजीनियरिंग कालेज में भी, आईआईटी, आईआईएम में भी एडमिशन होता है, तो उनकी फीस हम भरते हैं. जहां तक कि हमारे अनुसूचित जाति, जनजाति के बेटे-बेटी अगर किराये का मकान लेकर भी पढ़ाई करते हैं, तो मकान का किराया उनके माता- पिता नहीं चुकाते, उनका मामा, शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की सरकार से चुकवाने का काम करता है. एक नहीं अनेकों कदम उठाये और मेधावी जो बच्चे हमारे हैं, उनके लिये मेधावी विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना, जिसमें पिछले साल हमने तय किया था कि 75 प्रतिशत अंक बारहवीं बोर्ड में ले आओ, यह भी इसलिये कि पढ़ने में प्रतिस्पर्द्धा हो बच्चों की और पिछले साल ही हमने इस योजना को लागू किया. मेडिकल कालेज की फीस भर रहे हैं. 8 लाख रुपया साल भी प्रायवेट मेडिकल कालेज की फीस है, तो उन प्रतिभाशाली बच्चों की भरने का काम यह सरकार कर रही है. भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है. आईआईटी,आईआईएम, पोलिटेक्निक कालेज, नर्सिंग कालेज और अगर जोड़ना होगा, तो और जोड़ने का काम करेंगे. लेकिन इस बार बच्चे मुझे मिले और मुझसे कहा कि मामा 75 प्रतिशत अंक तो थोड़े ज्यादा हो रहे हैं. तो मैंने कहा कि क्या करुं. तो बोले कि 70 प्रतिशत अंक तक खींच देंगे. 70 प्रतिशत अंक कर दो. तो इस साल हमने 70 प्रतिशत अंक कर दिया कि 70 प्रतिशत अंक ले आओ और फीस मामा से भरवाओ. प्रदेश की सरकार से भरवाओ. यह फीस भरवाने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार कर रही है. हमारे प्रधानमंत्री जी उज्जवला रसोई गैस के कनेक्शन देकर बहनों को धुएं से मुक्त करने का काम कर रहे हैं. अब एक कार्यक्रम हम और करेंगे भैया. कार्यक्रम करेंगे. हमने तय किया है कि हमारे जो गरीब भाई बहन हैं, जो तेंदू का पत्ता तोड़ते हैं, महुए का फूल बीनते हैं. अचार तोड़ने जाते हैं. अब वे कई बार नंगे पांव जाते हुए दिखाई दिये. हमने तय किया है कि हमारे ऐसे भाई और बहनों, भाई के पेरों में जूते और बहनों के पेरों में चप्पल पहनाने का का काम किया जायेगा प्रदेश की सरकार की तरफ से. उस कार्यक्रम में इधर के मित्र तो आमंत्रित हैं ही, आप भी आमंत्रित हैं. पीने के पानी के लिये कुप्पी दी जायेगी,ठण्डा पानी रहें, क्योंकि तूमा वाला जमाना तो चला गया. पहले जमाने में तो तूमा लेकर उसमें पानी भर लेते थे, वह भी हम देने का काम करेंगे. गरीब की तकलीफ, दर्द एवं परेशानी जहां देखेंगे, उस परेशानी को दूर करने का काम किया जायेगा. मैंने गरीबों की एक और परेशानी देखी बिजली के बिल की. जहां जायें, आप लोगों ने भी बताया. जनता से भी मिले. भैया, बिजली के बिल बड़े बड़े आ रहे हैं. अब उसके पीछे एक कहानी यह भी रहती है कि शुरु से भरे नहीं तो और बड़े हो जाते हैं. पता नहीं कौन कौन सा सरचार्ज लगकर. अब हमने फैसला किया है कि अब जो हमारे मजदूर हैं, उन सबके बिजली के बिल मीटर से नहीं लिये जायेंगे. मीटर का चक्कर खत्म. 200 रुपया लेकर फ्लेट रेट पर उनको बिजली दे देंगे, ताकि बिजली के बढ़े हुए बिलों से उनको मुक्ति मिल जाये. गरीबों के हित में जितने फैसले जरुरी होंगे, मैं और भी कई फैसले आपको बता सकता हूं, लेकिन समय की सीमा है, वह सारे फैसले करने का हम काम करेंगे. रुरल एण्ड अर्बन डेव्हलपमेंट की अगर आप बात करें, तो गरीबों को मकान चाहिये. यह सरकार है. मुझे कहते हुए गर्व है कि 17 लाख मकान हमने बनाकर अलग अलग योजनाओं के अब तक तैयार किये हैं और इस साल के वित्तीय वर्ष के अंत तक 15 लाख मकान और बन जायेंगे गरीबों को दिये जायेंगे. हर गरीब के पक्के मकान होंगे. गांव में भी, हमारे पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री बैठे हैं. तेजी से मकान बना रहे हैं. आपने पता नहीं कौन कौन से आंकड़े तो दे दिया, लेकिन गांव में मकान बनाने के मामले में, शहर में मकान बनाने के मामले में हमारी सरकार नम्बर एक पर है पूरे हिन्दुस्तान में. हम तेजी से मकान बना रहे हैं. बिना मकान के कोई गरीब नहीं रहेगा. हर गरीब पक्के मकान का मालिक बनाया जायेगा. यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार का संकल्प है. इस संकल्प को हम पूरा करेंगे, ताकि वह कम से कम चेन से और आराम से बड़ा बंगला न मिले, छोटा मकान मिल जायेगा. जहां वह चेन से और आराम से रह सके. तो गरीबों के हित में जितने फैसले हो सकते हैं, आपने स्वच्छता की बात की. भैया, आप एक बात यह भूल जाते हैं कि जो अच्छी बात है, वह तो कहना चाहिये. स्वच्छता अभियान में स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछले साल 100 शहरों में से देश भर में मध्यप्रदेश का इन्दौर नम्बर वन और भोपाल नम्बर टू. क्या हमें गर्व नहीं होना चाहिये. मध्यप्रदेश अगर कोई उपलब्धि हासिल करता है, तो हमें प्रसन्नता और आनन्द नहीं होना चाहिये. मैं ऐसे कई आंकड़े आपको गिना सकता हूं. उन्होंने कहा कि अवार्ड. अब अवार्ड भैया जब यूपीए की सरकार थी, तब भी बुला-बुलाकर हमको देती थी, उसमें कौन सी बात है. टूरिज्म के मामले में देखें. तो अभी बेस्ट टूरिज्म स्टेट का अवार्ड लगातार तीन साल से मध्यप्रदेश को मिला और इस साल भारत सरकार ने तय किया कि चौथे साल भी मध्यप्रदेश ले जायेगा. तो उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश इस प्रतिस्पर्धा से अलग है. अब बाकी राज्यों में प्रतिस्पर्धा होगी. आप रोजगार की बात कर रहे थे. हां, हमारा फोकस है - रोजगार, रोजगार और रोजगार. आपने ग्लोबल इन्वेस्टर्स सम्मिट की बात की. आप कह रहे थे टीसीएस नहीं दिख रही है, इन्फोसिस नहीं दिख रही है, मेरे बड़े भैया, आप इंदौर एयर-पोर्ट पर उतरिए और सुपर कॉरिडोर से इंदौर की तरफ बढ़िए. आपको दाएं हाथ की तरफ टीसीएस और इन्फोसिस के कैम्पस बनते हुए दिखाई देंगे, जहां बच्चे काम करने लगे हैं. टीसीएस आ रही है, इन्फोसिस आ रही है. आपने आईटी पार्क की बात की, यहां पर यशोधरा जी बैठी हुई हैं, माया सिंह जी बैठी हुई हैं, ग्वालियर में आईटी पार्क बनकर तैयार है, जबलपुर में बनकर तैयार है, भोपाल में बनकर तैयार है. कंपनियां आ रही हैं, स्थान ले रही हैं, आईटी कंपनी खुल रही है. अब भैया कंपनी आएगी तो जो प्रक्रिया है, उसे पूरी करते हुए आएगी, लेकिन आईटी कंपनी भी आ रही हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्वेस्टर्स सम्मिट की बात हो रही थी, पंजाब के जितने बड़े घराने थे टैक्सटाइल के, आज सबने मध्यप्रदेश में इंडस्ट्री डाली है. आप देख लीजिए टैक्सटाइल इंडस्ट्रीज़ मध्यप्रदेश में फल-फूल रही हैं. ऑटोमोबाइल सेक्टर में यदि आप देखें तो पीथमपुर में पांव रखने की जगह नहीं है. हमारे पास प्लॉट अलॉट करने के लिए जगह नहीं बची है, वॉलमार्ट जैसी कंपनी को हमें दूर जगह देनी पड़ी. वर्ष 2014 से लेकर वर्ष 2016 के बीच 2 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया और अब भी निवेश का क्रम जारी है. मुझे यह कहते हुए गर्व है कि हम 2 लाख बच्चों को इन बड़ी फैक्टरीज़ में रोजगार दिला पाए और एमएसएमई की बात अगर आप करें तो लगभग 15 लाख बच्चों को रोजगार दिया है. आप आंकड़े देख लीजिएगा, पिछले साल स्वरोजगार की योजनाओं में 6 लाख बच्चों को रोजगार दिया गया है - मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री आर्थिक कल्याण योजना, स्टेंड-अप योजना, स्टार्ट-अप योजना, प्रधानमंत्री जी की मुद्रा बैंक योजना, इन योजनाओं में 6 लाख लोगों को स्वरोजगार से पिछले साल ही लगाया गया है और इस साल का हमारा लक्ष्य साढ़े 7 लाख नौजवानों को स्वरोजगार से लगाना है. हम इन्हें लगाएंगे, आपके सामने आंकड़े रख देंगे. यह बात सही है कि बेरोजगारों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है और इसलिए इतने बच्चों को रोजगार देने के बाद भी बेरोजगारों की बड़ी फौज रहती है. इसमें कोई दो मत नहीं है कि बेरोजगारी की समस्या है लेकिन हम इसका मुकाबला करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे बच्चों की एक शिकायत रहती है कि मध्यप्रदेश में जो नौकरियां निकलती हैं, उसमें मध्यप्रदेश के बच्चों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए. हमने उसके प्रयास भी किए हैं. हमने मध्यप्रदेश के मूल निवासी बच्चों के लिए 40 वर्ष तक की उम्र निर्धारित की थी, लेकिन कुछ व्यवधान आ जाते हैं, कई लोग कोर्ट में चले जाते हैं, लेकिन हमारी पुरजोर कोशिश यह रहेगी कि मध्यप्रदेश में जो भी सरकारी नौकरियों में रोजगार के अवसर निकलें, उसमें मध्यप्रदेश के बच्चे ही रोजगार प्राप्त कर पाएं. अभी भी लगभग 90 हजार नौकरियां तैयार हैं जिनके विज्ञापन निकलने वाले हैं. जब शासकीय नौकरी निकलती है तो हम इस बात से तो नहीं डर सकते कि कितने लोग आवेदन करेंगे. यह समस्या है, वे आवेदन करेंगे, हम भर्तियां भी लगातार करेंगे. रोजगार के नए अवसर सृजित करेंगे. साढ़े 7 लाख लोगों को रोजगार और साढ़े 7 लाख लोगों को स्किल्ड करके, उनके हाथ में कौशल देकर हम ऐसी परिस्थिति पैदा करेंगे कि उनको रोजगार मिले. उनको देश में रोजगार मिले, प्रदेश में रोजगार मिले. हम एक प्लेसमेंट सेल बना रहे हैं, विदेशों में भी जहां रोजगार के बेहतर अवसर हो सकते हैं, वहां के लिए भी बना रहे हैं, तो रोजगार के लिए जितने प्रयास किए जा सकते हैं, सारे प्रयास किए जाएंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी एक बात नर्मदा सेवा यात्रा की हुई. मुख्यमंत्री ने बड़ा गड़बड़ काम कर दिया. नर्मदा सेवा यात्रा निकाल दी. तुम तो नर्मदा किनारे ही पैदा हुए हो, भैया, क्या उसके पीछे का भाव जानते हैं, देखिए, आपने बिल्कुल सही बात की. नर्मदा मैया मध्यप्रदेश की जीवन रेखा है. हमारे लिए तो वह मां है, मैं तो बचपन से नर्मदा मैया की गोद में खेला हूँ. नर्मदा जी हमारे बचपन का झूला, जवानी की फुलवारी और बुढ़ापे की काशी है. हम तो पैदा ही नर्मदा मैया की गोद में हुए हैं. अब उस नर्मदा मैया में जल की धार कम हो रही है क्योंकि इस साल परिस्थिति अलग है. इस साल तो आप भी जानते हैं कि कैचमेंट इलाके में पानी ही नहीं गिरा. कई वर्षों के बाद बरगी डैम नहीं भरा. सारे डैम हमारे खाली पड़े हुए हैं और इसलिए इस बार जल का संकट ज्यादा गहरा है, लेकिन हर साल यह स्थिति नहीं रहेगी. अब यह काम अकेला शिवराज नहीं कर सकता, सरकार भी नहीं कर सकती, इसके लिए अवेयरनेस पैदा करनी पड़ेगी. मैंने बचपन में नर्मदा मैया के वे तट देखे हैं जब दोनों तरफ घने पेड़ हुआ करते थे, बीहड़ें हुआ करती थीं, पड़त जमीन हुआ करती थी, घास हुआ करता था. लेकिन समय के साथ-साथ लोगों ने उस पड़त जमीन को तोड़कर खेत बना लिए, आज वहां फसलें लहलहा रही हैं. परंतु पेड़ों की संख्या कम होने के कारण, क्योंकि नर्मदा जी गंगा जी की तरह, जमुना जी की तरह कोई ग्लेशियर से नहीं निकलती, नर्मदा जी तो पेड़ों की जड़ों का प्रसाद है. पेड़ जो वर्षा जल अवशोषित करते थे, वह बूंद-बूंद करके पानी जो सोखकर रखते थे और छोड़ते थे तो उसी की धार नर्मदा जी की बन जाती थी. हमारे मन में यह आया कि व्यापक चेतना जगायी जाए. नर्मदा जी को अगर बचाना है तो पेड़ व्यापक पैमाने पर लगाने होंगे. दूसरा संकट यह था कि नर्मदा के किनारे लगभग 20 शहर हैं उनके सीवेज का गंदा पानी नर्मदा जी में जा रहा था. हमने गंगा जी की हालत देखी है, हमने जमुना जी की हालत देखी है. मेरे मन में लगा कि समय रहते यदि नहीं चेते तो नर्मदा जी की स्थिति भी ऐसी न हो जाए और इसलिए मुझे लगा कि लोगों को जगाना पडे़गा. अब लोगों को जगाने हम निकल पडे़ तो क्या हमने कोई पाप कर दिया, क्या हमने अपराध कर दिया. उसके लिए अगर हमने संसाधन लगाए लेकिन आपने तो पता नहीं 1800 करोड़ रूपए बता दिए. 1800 करोड़ रूपए का थोड़ा बहुत 20-25 करोड़ कह दें तो चल जाएगा लेकिन 1800 करोड़ का 1800 करोड़ कर दिया, यह तो न्याय नहीं है. इससे विश्वसनीयता भी नहीं बनेगी. अब देखिए हमने 6.63 लाख पेड़ लगाए. लेकिन मैं विनम्रता से आपसे कहना चाहता हॅूं कि ये पेड़ कैचमेंट इलाके में लगे हैं केवल तट पर नहीं लगे हैं. लगभग 40 लाख फलदार पेड़ तो किसानों ने अपने खेतों में लगाएं हैं और उनमें से 95 परसेंट से ज्यादा पेड़ जीवित हैं जो कैचमेंट एरिया में हैं. फॉरेस्ट ने जो पेड़ लगाएं हैं उनके जो आंकडे़ हैं लगभग 90 प्रतिशत पेड़ आज भी जीवित हैं. जन अभियान परिषद् ने पेड़ लगाए, पंचायतों ने लगाए, नगर निगम ने लगाए, नगर पंचायतों ने लगाए. अब हम जानते हैं कि सर्वाइवल रेट हमेशा 90 परसेंट नहीं होता. पेड़ों का जो सर्वाइवल रेट है अगर वह 60 परसेंट भी है तो वह बहुत बड़ी मानी जाती है. लेकिन हमारे मित्र तो कह रहे हैं कि पेड़ दिखाई नहीं दे रहे हैं. मैं आपसे निवेदन करता हॅूं कि आप कैचमेंट एरिया में चलें, आप पेड़ देख लें. पेड़ लगाने को एक अभियान के रूप में किया है. कोई भी अभियान चाहे वह नदी बचाने का, पर्यावरण बचाने का अभियान हो, जब तक वह जन आंदोलन नहीं बनेगा तब तक वह सफल नहीं हो सकता. अकेली सरकार नहीं कर सकती. हमने जनता की चेतना पैदा करने की कोशिश की तो क्या कोई अपराध किया, क्या कोई पाप किया. हमने लोगों से आह्वान किया कि नर्मदा जी में प्रदूषण न फैले. यह सरकार बैठी है जिसने तय किया कि सभी 20 शहरों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जाएंगे. हमारे अधिकांश टेण्डर शुरू हो गए. जबलपुर में काम शुरू हो गया. लगभग दो साल में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार हो जाएंगे और एक बूंद मल-जल की नर्मदा जी में नहीं जाएगी. अभी जा रही है नहीं जाएगी, हमने संकल्प लिया. हमने यह किया तो क्या बुरा किया, हमने अगर तय किया कि मुक्तिधाम बने क्योंकि परिजन के अंतिम संस्कार के लिए नर्मदा जी के तट पर ही जलाओ और वहीं बहा दो और कई जगह होते थे कि जलदाग दे दो. मतलब पूरे पार्थिव शरीर को ऐसे ही समर्पित कर दो. क्या उसके कारण प्रदूषण नहीं फैलता, क्या पर्यावरण नहीं बिगड़ता. हमने मुक्तिधाम बनाने का फैसला किया और मुझे कहते हुए खुशी है कि दोनों तटों के सभी प्रमुख घाटों पर मुक्तिधाम बन गए. हम घाटों के निर्माण का काम कर रहे हैं, हम पूजन कुंड बना रहे हैं, विसर्जन कुंड बना रहे हैं. एक नहीं बल्कि अनेक प्रकार की गतिविधियां नर्मदा सेवा मिशन के अंतर्गत चला रहे हैं. अब क्या यह कोई अपराध है, क्या कोई पाप है. मुझे गर्व है कि हमने नर्मदा सेवा मिशन बनाया है. अभी और एक कार्यक्रम नर्मदा जी के तट, बारना बांध पर नदी महोत्सव हो रहा है. उसका भी हम प्रचार करेंगे क्योंकि बिना प्रचार के हम लोगों को पर्यावरण के प्रति कैसे जागरूक कर पाएंगे और इसलिए प्रचार तो जरूरी है. नदी महोत्सव कार्यक्रम भी अभी सम्पन्न होने वाला है. नदियॉं बचानी पडे़ंगी. अभी मैंने नर्मदा जी के पानी को सब जगह ले जाने की बात कही लेकिन यह तभी होगा जब नर्मदा जी में पानी रहेगा और एक बात मैं पूरी ताकत से कहना चाहता हॅूं कि हमने एक बूंद ज्यादा गुजरात को उनके हिस्से से नहीं दिया, यह पूरे दावे के साथ इस विधानसभा में मैं कह रहा हॅूं.(मेजों की थपथपाहट) वर्ष 2024 तक मध्यप्रदेश के हिस्से के पूरे पानी का उपयोग मुझे करना है और एक-एक बूंद पानी का उपयोग हम मध्यप्रदेश के हिस्से का कर लेंगे, यह हमारा संकल्प है. आप गोविंदपुरा की बात कर रहे थे लेकिन अगर आप अर्बन डवलपमेंट की दृष्टि से देखेंगे तो लगभग 90 हजार करोड़ रूपया शहरों को संजाने-संवारने में प्रदेश की सरकार खर्च कर रही है. रूरल डवलपमेंट आप देख लीजिए गांवों में पेयजल की सरकारी योजनाएं नहीं हुआ करती थीं केवल हेंडपंप से पानी आता था और हेंडपंप का पानी नीचे चला जाए तो हेंडपंप चलाते-चलाते पानी भर-भरके बेटियों की हालात खराब हो जाती थी. हमने नल-जल योजना पहली बार बनायी. मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल योजना और अब हमारा टॉरगेट है मैं सभी विधायक साथियों से कहना चाहता हॅूं कि पहले चरण में 1000 की आबादी के गांवों को हम नल-जल योजना से जोड़कर घर में टोटी वाले नल लगाकर शुद्ध पीने का पानी देंगे जिससे कई बीमारियों से बचेंगे. आपके जमाने में तो कभी यह सोचा भी नहीं गया. मुख्यमंत्री शहरी पेयजल योजना हमने बनायी है. श्री रामनिवास जी मुस्कुरा रहे हैं लेकिन उस जमाने में मेरे मित्र एक योजना होती थी यूआईडीएसएसएमटी. एक योजना होती थी केन्द्र भेज दे तो ठीक है नहीं तो भैया अपने पास तो कुछ है ही नहीं ."पैसा ना धेला, मैंने कहा बटेश्वर का मेला." कुछ धरा तो है ही नहीं वैसे ही पियो बोर का पानी लेकिन सभी 378 शहरों में या तो काम पूरा हो गया या काम चल रहा है. शुद्ध पीने का पानी नल जल योजना के माध्यम से जनता को देगी तो यह प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार देगी. यह हमारी सरकार कर रही है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कितने काम आपको गिनाऊँ( डॉ. गोविंद सिंह की तरफ देखते हुए) क्या बटेश्वर के बारे में पूछ रहे हैं?(हंसी)..
डॉ. गोविंद सिंह-- आज कल बटेश्वर फ्री में होता है .आज कल सरसब्ज हो गया है वहाँ और रजिस्ट्रेशन हो गया है अब ऐसा नहीं है.
श्री शिवराज सिंह चौहान-- जो अच्छा सरसब्ज गाँव है वहीं तो लोग जाते हैं पैसे धेले नहीं होंगे तो जाएंगे कैसे मैं यह कह रहा था. हमारे गाँव में बचपन की कहावत थी कि पैसा धेला तो है नहीं और मेला चले तो वह कहावत मुझे याद आ गई लेकिन अब यह पेयजल की बेहतर व्यवस्था करने का प्रयास कर रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे साथियों ने एक नहीं अनेकों मुद्दों पर बात कही. हमने एक यात्रा और निकाली, एकात्म यात्रा. मैं इसके पीछे का भी मर्म आपको समझाना चाहता हूँ,बताना चाहता हूं. आदिगुरु शंकराचार्य जी का जन्म केरल में हुआ था वह उनकी जन्मभूमि थी और मध्यप्रदेश में उनको गुरु मिले, गुरु गोविंद गोलपादाचार्य जी. अब देखिये, शंकराचार्य जी एक ऐसे उत्कट विद्वान थे, हम में से तो मुझे लगता है कि उनका सब आदर करते होंगे. उन्होंने एक दर्शन दिया कि सभी प्राणियों में एक ही चेतना है, मनुष्य मात्र में तो है ही. जो "सियाराम मय सब जग जानी" की जो बात आई तो सिया राम का मतलब केवल सियाराम नहीं है, ईश्वर भी है. सबमें एक ही चेतना है तो सब बराबर हैं. कोई भेदभाव नहीं है और इसलिए भारत में "वसुधैव कुटुम्बकम्" की बात कही गई कि जब सारी दुनिया ही एक परिवार है, मुझे लगता है कि जो अद्वैत वेदान्त का दर्शन है वह सारे भेदभाव खत्म करके धर्म के आधार पर, जाति के आधार पर सब भेदभाव खत्म करके समाज को एकरस कर सकता है. एकात्म बना सकता है और हमें मन में यह आया कि जब ओंकारेश्वर में उनको गुरु मिले तो वहाँ उनकी एक प्रतिमा होनी चाहिए और प्रतिमा भी लोगों के सहयोग से बने और लोगों के सहयोग से बने तो कोई सोना-चाँदी और पैसा ना लें. केवल एक छोटा-सा कलश गाँव के लोग भेंट करें और सरकार उस काम को करे उसके लिए हमने एकात्म यात्रा निकाली ताकि हम समरस समाज का निर्माण कर सके उसमें साधु-संत भी सम्मिलित हुए, विद्वान सम्मिलित हुए और एक ही मंत्र था कि सब एक हैं, कोई भेदभाव नहीं हैं. मनुष्य मात्र तो है ही एक. लेकिन शंकराचार्य जी तो आगे बढ़कर कहते थे कि पशुओं में भी वही चेतना है, पेड़-पौधों में वही चेतना है, नदियों-समुद्रों में वही चेतना है, ग्रह-नक्षत्रों, तारों में वही चेतना है. एक ही चेतना सब में है तो भेदभाव काहे का. हमको लगा यह दर्शन का प्रचार अगर नीचे तक होगा तो भेदभाव मिटेंगे इसलिए हमने एकात्म यात्रा निकालने का विनम्र प्रयास किया. उसके पहले बेटी बचाओ यात्रा भी मध्यप्रदेश में हमने निकाली.
अध्यक्ष महोदय, कानून और व्यवस्था की बात भैया कर रहे थे, मैं आज कहता हूं कि कुछ न कुछ समस्यायें जहाँ जीवित समाज है , वहाँ कानून और व्यवस्था की रहती ही है. एक मित्र तो बड़े जोश में आ गये कि निर्दोष लोगों मार डाला आपने. मेरे भाई, तीन तरह की कानून व्यवस्था की समस्यायें मध्यप्रदेश की धरती पर हैं, उत्तर मध्यप्रदेश में जाओ तो डकैत हुआ करते थे.अगर आप बालाघाट तरफ चले जाओ तो नक्सलवाद की समस्या थी. बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि नक्सलवाद इतना हावी था, हिना बेटी यहाँ बैठी है, कहते हुए तकलीफ होती है लेकिन उस समय तत्कालीन मंत्री जिनका मैं बहुत आदर करता हूँ उनकी हत्या हो गई थी, भयावह रूप में वह समस्या थी. एक तरफ नक्सलवाद, एक तरफ डकैतों का आतंक, एक तरफ सिमी का नेटवर्क, इन तीनों को ध्वस्त करने की हमने लगातार कोशिश की है और अपराधियों ने यदि हिमाकत की है तो पुलिस ने जवाब भी दिया है. हमने कानून व्यवस्था बेहतर बनाने की कोशिश की है. सुशासन की दृष्टि से एक नहीं अनेकों प्रयास मध्यप्रदेश की धरती पर किये हैं,उनके विस्तार में मैं जाऊँगा तो समय बहुत अधिक लग जाएगा. वैसे भैया बड़ी फाइल लेकर आए थे, अब मेरी फाइल तो मैं ज्यादा खोल ही नहीं पाया क्योंकि समय मुझे उसकी इजाजत नहीं दे रहा है.
श्री आरिफ अकील-- आप थक गये होंगे.
श्री शिवराज सिंह चौहान--- आरिफ भाई, यह दुबला पतला शरीर थकता बहुत कम है. देखिये, आप तो हमारे पुराने मित्र हो, सैफिया कॉलेज में साइकिल से मैं आता था और आप भी वहीं लक्ष्मी टॉकीज से निकल कर आते थे और पहली बार अपन ने पैक्ट करके चुनाव लड़ा था तो दो आपके जीते थे, दो हमारे जीते थे. तबसे अपनी दोस्ती है. यह आरिफ भाई की सच्चाई कोई जानता नहीं है यह मेरे बड़े गहरे मित्र हैं. यूनिवर्सिटी का चुनाव भी हम साथ में लड़े थे और प्रेसीडेंट संघ जिताकर लाए थे. यह तो मित्रता के गहरे राज हैं और कुछ नहीं है बाकी वे आरिफ भाई हैं बढ़िया काम करते हैं इसलिए उनको चिन्ता हुई कि मैं थक न जाऊं आज भी आरिफ भाई मुझसे स्नेह करते हैं, ध्यान रखते हैं. अब मैं बहुत विस्तार में न जाऊं नहीं तो बहुत लंबा हो जाएगा. मैं इतना जरुर कहना चाहता हूँ कि यह सरकार किसानों के लिए, समाज के कमजोर वर्गों के लिए, महिला सशक्तिकरण के लिए, युवाओं के लिए, कर्मचारियों की बात आई. इधर भी आग लगी है उधर भी आग लगी है. अगर आप कर्मचारियों की तनख्वाह देख लें तो आपके समय जिन कर्मचारियों को 4000 रुपए मिलते थे, आरक्षक जैसे कर्मचारी को उस समय आप देते थे लगभग 4000 रुपए हम देते हैं 20475 रुपए. अध्यापक को, गुरुजी को आप 500 रुपए देते थे. यह प्रारंभ का बता रहा हूँ बाकी तो बढ़ती रहती है उनको कम से कम 23500 रुपए है ज्यादा में तो 40000-42000 रुपए तक पहुंच गए हैं. पटवारी जी प्रारंभ में प्राप्त करते थे 5000 रुपए हम शुरु ही करते हैं 23205 रुपए से जब इतनी राशि से पटवारी शुरु करेंगे तो फार्म भरेंगे ही लोग नौकरी करने क्यों नहीं आएंगे. जब पर्याप्त पैसा मिलेगा तो संख्या बढ़ेगी ही. पंचायत सचिव को तो आप 500 रुपए ही देते थे अब तो इनके बढ़कर 24000 रुपए होने जा रहे हैं. सहायक वर्ग-3 आपके जमाने में 4000 रुपए से शुरु होते थे. अब 20475 से शुरु हो रहे हैं. बाकी कर्मचारी भी जितने हैं वे शासन के अभिन्न अंग हैं. आपको आन्दोलन की चिन्ता हो रही है उनको पता है कि देने वाले से ही तो मांगेंगे. आपके जमाने में तो शिक्षाकर्मियों को वो लट्ठ पड़े थे मुरली पाटीदार जी को आज तक याद होंगे. कहां-कहां दौड़ा-दौड़ा कर खदेड़-खदेड़ कर मारा था. यह हालत हो जाती थी. लेकिन कर्मचारियों की जितनी भी जस्टिफाइड मांगें हैं वह करने में हमारा विश्वास है. जो न्यायोचित होगा वह हर वर्ग के चाहे हमारे किसान हों, मजदूर हों, युवा हों, कर्मचारी हों सब के लिए किया जाएगा क्योंकि यह सबकी सरकार है. सबका साथ सबका विकास इस मंत्र को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं. मैं तो आपको भी सलाह दूंगा कि रचनात्मक विरोध कीजिए, अच्छे कदमों का आप स्वागत किया करें आपका कद और बढ़ेगा लोगों को लगेगा कि अजय भैय्या सही बोलते हैं और गलत चीज हो तो डंके की चोट पर विरोध कीजिए. कुछ कार्यक्रम में दोनों भाई साथ में चला करें कोई दिक्कत नहीं है अच्छा हो तो आप प्रशंसा करना, लेकिन कांग्रेस में पता नहीं क्या हो गया है. उस जमाने में ऐसा नहीं था स्वर्गीय भाई साहब जब मुख्यमंत्री हुआ करते थे. उस जमाने में नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री कई बार मिला करते थे. अब मैं भैय्या को जन्म दिन के लिए भी ढूंढता हूं तो फोन पर ही मिलते हैं वैसे नहीं मिलते हैं. (हंसी)
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम में साथ चलने के बारे में कहा. मैं एक छोटा उदाहरण देना चाहता हूँ. स्थापना दिवस का कार्यक्रम था, जिस दिन कार्यक्रम था उस दिन हमारे यहाँ कार्ड आया हाथ से लिखा हुआ, राहुल भैया, नेता प्रतिपक्ष. मैंने मुख्यमंत्री महोदय को चिट्ठी लिखी कि इस तरह से आपने कार्ड भेजा है. तत्काल उन्होंने उस अधिकारी को सस्पेंड कर दिया. मैंने अखबार में पढ़ा कि वह अधिकारी सस्पेंड हो गया. माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब आया कि मैंने उस अधिकारी को सस्पेंड कर दिया है. 6 दिन बाद आप ही के संभागायुक्त ने उस अधिकारी को सस्पेंशन से बहाल कर दिया. क्या इसी तरह आप हमें बुलाएंगे ?
श्री शिवराज सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, बातें थोड़ी व्यक्तिगत हो जाएंगी.
श्री अजय सिंह--मैंने आपके जन्मदिन पर सुबह से शाम तक दस फोन लगाए परन्तु आप मिले ही नहीं. आपके घर में जितने लोग थे सबको मालूम है मैंने 5 तारीख को 6 बार फोन किया. उस समय मैं चुरहट में था. लगातार फोन कर रहा हूँ कि मुख्यमंत्री से बात करा दीजिए वहां से जवाब आ रहा था कि यहां हैं वहां हैं आपसे बात करने की इच्छा नहीं है. (हंसी)
श्री शिवराज सिंह चौहान--माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के कार्यक्रम में पूरे सम्मान के साथ पहले नेता प्रतिपक्ष को, भैया के पहले भी आमंत्रित करते थे. स्वर्गीय जमुना देवी जी कार्यक्रमों में आईं भी थीं. बाद में वह कार्यक्रम राजनीति का माध्यम बन गया, बहिष्कार किया जाने लगा. उसको भी राजनीति के लिए उपयोग किया गया तो मन में लगा कि यह ठीक नहीं है. यह बात सही है कि जिस ढंग से कार्ड गया था मैंने गलती स्वीकार की और मैंने निर्देश दिए कि इस तरह से नेता प्रतिपक्ष को कार्ड नहीं दिया जाना चाहिए. निलंबन किया आप यह भी जानते हैं कि निलंबन एक सजा होती है लेकिन परमानेंट ही टांग दें यह तो आपने भी नहीं सोचा होगा कि ठीक है सजा मिल गई लेकिन मैं उस जमाने की परम्परा आपको याद दिला रहा हूं जब स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे. उस समय स्वर्गीय पटवा जी ने भारतीय जनता पार्टी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जयंती के कार्यक्रम में आमंत्रित किया. मैं आज कह रहा हूं कि उस समय की राजनीति और उस समय का बड़ा दिल और उदार मन कि वे उस कार्यक्रम में पहुंचे थे. मैं एक कार्यकर्ता की हैसियत से उस कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ था लेकिन आज जैसा माहौल बना है आज मैंने सोचा नहीं था कि इस पर चर्चा करूं. सत्तापक्ष और प्रतिपक्ष लोकतंत्र के दो पहिए हैं. आलोचना भी हो लेकिन अच्छे कामों के लिए हम लोग साथ-साथ चलने की भी कोशिश करें. लेकिन माहौल कुछ ऐसा बन गया कि मुख्यमंत्री से मिल लिए तो नंबर कम हो जाएंगे कहीं यह तो नहीं है कि यह डर का और भय का वातावरण खत्म हो आप डंके की चोट पर विरोध करें बुरे कामों का डर बढ़े लेकिन अच्छे कामों में हम अगर साथ खड़े होंगे तो प्रदेश की जनता का विश्वास बढ़ेगा कि राजनैतिक दल मध्यप्रदेश के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं. मैं अपना संकल्प व्यक्त करता हूं कि मध्यप्रदेश की प्रगति और विकास के लिए जो भी होगा आप अंतरमन से यह मानिए मैं यहां से कह रहा हूं कि हमारी हर सांस चलेगी तो मध्यप्रदेश के विकास और प्राणों से प्यारी जनता के कल्याण के लिए चलेगी. कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. काफी आगे बढ़े हैं लेकिन काफी मंजिलें अभी तय करना हैं. आइए प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता को साथ लेकर हम मध्यप्रदेश को आगे बढ़ाने का प्रयास करें और उसमें मैं आप सबका सहयोग भी चाहता हूं. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय-- मैं, समझता हूं कि राज्यपाल के अभिभाषण के उत्तर में प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव में जितने संशोधन प्रस्तुत हुए हैं उन पर एक साथ ही मत ले लिया जाये.
समस्त संशोधन अस्वीकृत हुए.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न यह है कि-
''राज्यपाल ने जो अभिभाषण दिया, उसके लिए मध्यप्रदेश की विधानसभा के इस सत्र में समवेत सदस्यगण अत्यन्त कृतज्ञ हैं.''
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय-- विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 9 मार्च, 2018 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
रात्रि 7.58 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 9 मार्च, 2018 (18 फाल्गुन, शक संवत् 1939) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिए स्थगित की गई.
भोपाल :
दिनांक : 8 मार्च, 2018 ए.पी. सिंह
प्रमुख सचिव,
मध्यप्रदेश विधान सभा