मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा त्रयोदश सत्र
फरवरी-मार्च, 2017 सत्र
बुधवार, दिनांक 8 मार्च, 2017
(17 फाल्गुन, शक संवत् 1938 )
[खण्ड- 13 ] [अंक- 11 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
बुधवार, दिनांक 8 मार्च, 2017
(17 फाल्गुन, शक संवत् 1938 )
विधान सभा पूर्वाह्न 11.03 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
विशेष उल्लेख
दिनांक 7 मार्च 2017 को हुए ट्रेन में बम विस्फोट की घटना में शीघ्र आतंकवादियों के पकड़े जाने पर पुलिस विभाग को बधाई
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश पुलिस द्वारा इतने बड़े विस्फोट में बहुत जल्दी आतंकवादियों को ट्रेस किया गया है, इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री और हमारे गृह मंत्री माननीय भूपेन्द्र सिंह जी को बधाई देना चाहता हूं, एक ऐतिहासिक काम कल हमारी मध्यप्रदेश पुलिस ने किया है. मैं सदन की ओर से भी मध्यप्रदेश पुलिस को बधाई देना चाहता हूं, बहुत धन्यवाद.
गृह मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी इस संबंध में सदन में वक्तव्य देंगे तो सारे तथ्य सामने आ जाएंगे.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने ध्यान दिलाया है. मैंने इस घटना के संबंध में स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत किया है.
अध्यक्ष महोदय - इस संबंध में जानकारी मंगाई गई है.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, जब जानकारी मंगाई है तो मुख्यमंत्री जी वक्तव्य क्यों दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - मुख्यमंत्री तो वक्तव्य दे ही सकते हैं.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, वक्तव्य दे ही सकते हैं तो आप जानकारी चर्चा में ले लें, कितनी बड़ी घटना है, पहले सिमी के विचाराधीन कैदियों का जेल ब्रेक होना, सामानांतर एक्सचेंज चलना, यह सब आतंकवादी घटना हो सकती है, इसकी ओर इंगित कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - क्या बिना जानकारी के चर्चा में लें ले, इसकी जानकारी मंगाई है?
डॉ नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, क्या ऐसा कहीं नियम में लिखा है कि अगर कोई स्थगन दे दें तो वक्तव्य नहीं दिया जाता, इसलिए तो आपकी सीट चेंज हो गई .
11:04 बजे तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
ग्रामीण विद्युतीकरण एवं एक बत्ती कनेक्शन कार्य की जाँच
[आदिम जाति कल्याण]
1. ( *क्र. 3143 ) कुमारी निर्मला भूरिया : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) झाबुआ जिले में वर्ष 2011-12, 2012-13 एवं 2013-14 में ग्रामीण विद्युतीकरण मद अंतर्गत किन-किन ग्रामों/मजरे/टोलों में विद्युतीकरण तथा एक बत्ती कनेक्शन कार्य कितनी-कितनी लागत के किये गये? कार्यवार विकासखण्डवार जानकारी देवें। (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार स्वीकृत कार्य किन-किन ठेकेदारों द्वारा किया गया तथा वर्तमान में कार्य की क्या स्थिति है? उक्त कार्य का निरीक्षण किस-किस के द्वारा किया गया? (ग) क्या मजरे टोलों में विद्युतीकरण अथवा एक बत्ती कनेक्शन के कार्य में उपयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता सही नहीं है और न ही शासन द्वारा निर्धारित मापदण्ड अनुसार सामग्री का उपयोग किया है? (घ) क्या शासन द्वारा उक्त कार्यों का निरीक्षण संभाग स्तर के किसी अधिकारी द्वारा करवाया गया है? यदि नहीं, तो क्यों और कब तक करवाया जावेगा?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) एवं (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ग) जी नहीं। (घ) कार्यों के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त न होने से संभाग स्तर के किसी अधिकारी से जांच नहीं कराई गई. कार्य म.प्र.प.क्षे.वि.वि.क.लिमि. झाबुआ के तकनीकी अधिकारियों के पर्यवेक्षण में कराए गए हैं.
कुमारी निर्मला भूरिया - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से मेरा प्रश्न है कि झाबुआ जिले के ग्रामीण मंजरे टोले में जो विद्युतीकरण किया गया है, उस कार्य में जो भी सामग्री लगाई जाती है जैसे- पोल है, तार है तो मेरा मंत्री जी से यही निवेदन है कि मेरे प्रश्न में मैंने जिन जिन गांवों में पूछा था कि उनमें कार्य तो पूर्ण हो गया है, लेकिन जिन गांवों में खम्भे गिर गये हैं और तार वगैरह टूट गये हैं, क्या उनको आप ठीक करायेंगे. दूसरा, मेरा यह भी प्रश्न है कि इस अवधि में जो प्रश्न मैंने किया है, वर्ष 2011-12 से 2013-14 तक एक ही ठेकेदार को ये सारे काम दिये गये हैं. क्या विज्ञप्ति करके इन्हें काम दिया जाता है या किस तरह से काम दिया जाता है, यह मैं जानना चाहती हूं.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्या ने पूछा है कि इनको जो ठेका मिला, तो टेंडर प्रक्रिया होती है, उसी के तहत ठेके मिलते हैं. दूसरा, आपने कहा है कि कुछ गांवों में खम्भे गिर गये हैं या विद्युत के पोल गिर गये हैं. मुझे आप अथेंटिक रुप से बता दें कि कौन से गांव में ये गिरे हैं, हम वहां उसको ठीक कराने का काम करेंगे.
कुमारी निर्मला भूरिया -- अध्यक्ष महोदय, जी हां, मैं जिन गांवों में ये पोल, खम्भे गिरे हैं और तार टूटे हुए हैं, उनकी लिस्ट मंत्री जी को दे दूंगी. कुछ तो हात्यादेहली और कुण्डाल है, इस तरह के गांव हैं. मेरा मंत्री जी से एक और प्रश्न है कि यह जो सामान हम पोल वगैरह लगाते हैं, तो उसकी अभी कोई लेबोरेट्री से जांच वगैरह होती है कि कैसे हम पता करेंगे कि वह गुणवत्ता वाले लग रहे हैं कि या नहीं लग रहे हैं.
श्री लाल सिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, मैं यह झाबुआ में आपको बता दूं कि वर्ष 2011-12 में एकल बत्ती कनेक्शन 1104 हुए हैं और मजरे टोलों में 16. वर्ष 2012-13 में भी 4 और 181, वर्ष 2013-14 में 37 जगह, सभी काम पूर्ण हो गये हैं. इतनी बड़ी संख्या में हमने काम किया है. सरकार का निर्देश है कि मापदण्ड के हिसाब से और गुणवत्तायुक्त ही विद्युतीकरण का कार्य होगा. जहां तक प्रश्न यह आ रहा है कि किसी गांव का, मैं आपसे कह रहा हूं कि आप मुझे सुची दे दीजिये और उस सूची के हिसाब से ठेकेदार से वह कार्य हम करायेंगे, यदि समय सीमा के भीतर गड़बड़ हुई होगी तो.
कुमारी निर्मला भूरिया -- मंत्री जी, धन्यवाद.
भोपाल संभाग अंतर्गत विद्युतीकरण
[आदिम जाति कल्याण]
2. ( *क्र. 4419 ) श्री शैलेन्द्र पटेल : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या शासन द्वारा आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति कल्याण योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण कार्य कराए जाते हैं? यदि हाँ, तो किस योजना के तहत कौन-कौन से कार्य कराए जाते हैं। (ख) क्या शासन द्वारा प्रश्नांश (क) अनुसार योजना में किसी प्रकार का परिवर्तन किया है? यदि हाँ, तो परिवर्तित योजना का ब्यौरा दें। (ग) क्या शासन द्वारा प्रश्न दिनांक से 2 वर्ष पूर्व की अवधि में उक्त योजना के तहत कार्य कराए गए हैं? यदि हाँ, तो भोपाल संभाग में कराए गए कार्यों का ब्लॉकवार वर्षवार ब्यौरा दें। (घ) प्रश्नांश (ग) अनुसार विगत 2 वर्ष में व्यय की गई राशि का ब्यौरा दें?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जी हाँ। अनुसूचित जनजाति बस्तियों में विद्युतीकरण, अनुसूचित जनजाति के कृषकों को सिंचाई सुविधा हेतु विद्युत लाइन का विस्तार (पंपों का ऊर्जीकरण) योजना नियम 2016 के तहत अविद्युतीकृत आदिवासी मजरे/टोलों में विद्युतीकरण एवं आदिवासी कृषकों के कुओं तक विद्युत लाइन विस्तार का कार्य किया जाता है। (ख) पूर्व में जारी निर्देश के स्थान पर जारी नवीन निर्देश की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (घ) प्रश्नांश अंतर्गत वर्णित जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है।
श्री शैलेन्द्र पटेल -- अध्यक्ष महोदय, मेरा जो प्रश्न था, वह आदिम जाति और अनुसूचित जाति के लोगों को योजना के अंतर्गत बिजली कनेक्शन का लाभ पहुंचाने का था. मैंने प्रश्न किया था कि अनुसूचित जनजाति बस्तियों में विद्युतीकरण एवं कृषकों के लिये सिंचाई सुविधाई हेतु विद्युत लाइन के विस्तार, पम्प के ऊर्जीकरण का क्या नियम है. सरकार ने जो जवाब दिया है, उन्होंने यह स्वीकार किया है कि वह नियम चेंज कर दिया गया है और आदिम जाति कल्याण विभाग का 23 दिसम्बर,2016 को राजपत्र में प्रकाशित हुआ है और अनुसूचित जाति का 6 दिसम्बर,2016 को राजपत्र में प्रकाशित हुआ है. मेरा प्रश्न यह था कि कितने लोगों का काम हुआ और जो उत्तर दिया है, उत्तर में दो वर्षों में अनुसूचित जाति में मेरे जिले के अंतर्गत निरंक काम हुआ है. एक भी काम नहीं हुआ है. गजट नोटिफिकेशन के पहले भी पैसा खर्च नहीं किया गया और गजट नोटिफिकेशन हुआ, नये नियम जारी हुए, उसके बाद में आज तारीख तक कोई काम नहीं हुआ. तो यह पैसा कहां गया, क्योंकि जब विधान सभा से हम लोगों ने बजट पारित किया, अनुसूचित जाति, जनजाति के लिये और कृषक दो सालों से दर-दर भटक रहे हैं और यह बात थी कि नया नियम आने वाला है. तो पिछले दो वर्षों में भी एक भी काम नहीं किया और गजट नोटिफिकेशन के बाद भी एक काम नहीं हुआ. मेरा मंत्री जी से यह प्रश्न है कि यह राशि कहां लेकर गये, कहां पर आपने खर्च की.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन (श्री लाल सिंह आर्य) -- अध्यक्ष महोदय, पहले तो आप यह बतायें कि एससी का पूछ रहे हैं कि एसटी का पूछ रहे हैं.
श्री शैलेन्द्र पटेल -- मंत्री जी, एससी में मेरे जिले के अन्दर निरंक आया है. एसटी में मात्र 10 काम मेरे विधान सभा में और 35 काम पूरे जिले में हुए हैं. मंत्री जी, मैंने पूरा पढ़ लिया है, आप चिंता न करें, कृपया आप पढ़ें. मैं एससी का कह रहा हूं कि जीरो, निरंक आया है, आपके पास उत्तर है और मुझे सुबह उत्तर मिला है.
श्री लाल सिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय, पहली बात तो यह है कि विद्युतीकरण का काम चाहे एससी बस्तियां हों, चाहे एसटी बस्तियां हों, चाहे सामान्य बस्तियां हों, कोई भी हो, वहां काम राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत भी हो रहा था और अटल ज्योति योजना के तहत भी काम हो रहा था. हम जिलों को आवंटन देते हैं, लेकिन जिलों में इन योजनाओं से हटकर अगर किसी गांव में काम कराना है, तो वहां वह अधिकारी कहीं न कहीं स्थानीय स्तर पर निर्णय लेते हैं. लेकिन हमारी सरकार की मंशा उन क्षेत्रों में काम कराने की है.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, जवाब अस्पष्ट है. मेरा सीधा सा सवाल यह था कि 2 वर्षों में एस.सी डिपार्टमेन्ट में मेरे जिले के अन्दर एक काम भी नहीं हुआ है. यह मुख्यमंत्री जी का गृह जिला है. उसके बाद भी एक काम भी अनुसूचित जाति की बस्ती में कृषि पम्पों का नहीं हुआ है. किसान दर-दर भटक रहे हैं और माननीय मंत्री जी जवाब दे रहे हैं कि हमने नये नियम बना दिये हैं. नये नियम के पहले भी 2 वर्षों में कोई काम नहीं हुआ और मेरा आरोप है कि यह पैसा कहां गया? यह माननीय मंत्री जी बतायें. आपकी मंशा ठीक है, हम मान रहे हैं. एक काम भी सीहोर जिले के अन्तर्गत 2 वर्षों में नहीं हुआ है. यह राशि कहां लेकर गए और कहां खर्च की ? यह बता दें.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने अनुसूचित जाति की बस्तियों के लिए भोपाल में भी आवंटन दिया है और आपके जिले में भी दिया है.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके पास कॉपी है. उसमें परिशिष्ट 'ब' में यह उत्तर आया है, उसमें क्लीयर लिखा है- निरंक. अध्यक्ष महोदय, आप पढ़ लीजिये. आपके पास परिशिष्ट 'ब' में मैंने संभाग का पूछा था, जिसमें भोपाल, सीहोर, रायसेन, राजगढ़, विदिशा में ऊपर से लेकर नीचे तक निरंक लिखा है. एक रुपया भी खर्च नहीं किया है.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले वर्ष एक निर्णय हुआ था कि अनुसूचित जाति की बस्तियों में जो काम कराना है, वह विद्युत विभाग के माध्यम से कराना है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों ने माननीय मुख्यमंत्री जी से कहा था, सदन में भी बात उठाई थी कि इन अनुसूचित जाति की जो बस्तियां हैं, उनमें विद्युतीकरण का जो काम होना है. उसके सर्वे का काम, उसकी स्वीकृति का काम अनुसूचित जाति विभाग से होना चाहिए. हमने यह निर्णय ले लिया है. माननीय मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिया कि विद्युत विभाग नहीं करेगा, हम राशि देंगे, विद्युत विभाग काम करेगा, लेकिन उस सूची को स्वीकृत करने का काम अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण विभाग करेगा. इसलिए आप जो निरंक वाला विषय बता रहे हैं, वह राशि हमने वापस ले ली है. वह एक लेकुना था, अब उसको समाप्त कर दिया है. अब अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग के माध्यम से ही विभिन्न जिलों में काम होगा.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का जवाब नहीं मिला है. मैंने पूछा था कि 2 वर्ष पहले कितना काम हुआ था, जीरो काम हुआ. मैं आपका संरक्षण चाहता हूँ, यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है. उसके बाद भी आज तक नहीं हुआ है और अभी तक एक रुपये की राशि जारी नहीं हुई है.
अध्यक्ष महोदय - आपने रिपीट किया है.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, जवाब ही नहीं दे रहे हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी का जवाब तो आना चाहिए कि वह राशि कहां गई ?
अध्यक्ष महोदय - उन्होंने बताया है कि राशि वापस कर ली है.
श्री अजय सिंह - दूसरी बात, सरकार अनुसूचित जाति-जनजाति के लिए बड़ी संवेदनशील है. यदि मुख्यमंत्री जी के क्षेत्र में ही इस तरह की लापरवाही हो रही है तो आप समझ सकते हैं कि प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति के क्षेत्रों में किस तरह से काम हो रहा होगा.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा जवाब दिलवा दीजिये. मंत्री जी ने जवाब नहीं दिया है कि वह राशि कहां लेकर गए हैं ?
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या पिछले 3 वर्षों की राशि लेप्स हो गई ?
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति-जनजाति के हितों का ध्यान मध्यप्रदेश की सरकार को है. हमने सन् 2016-17 में भोपाल, सीहोर, रायसेन, राजगढ़, विदिशा को 70 लाख रुपये कामों के लिए दिया है. राजगढ़ में 18 लाख रुपये, विदिशा में 305 लाख रुपये एवं वर्ष 2016-17 में 8.40 लाख रुपये दिया है. ऊर्जा विभाग के 62 करोड़ रुपये जो वापस आया है.
श्री शैलेन्द्र पटेल - आपने फिर निरंक जानकारी क्यों दी है ?
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप अनुसूचित जनजाति विद्युतीकरण योजना के अंतर्गत परिशिष्टि 'ब' देख लीजिये.
श्री शैलेन्द्र पटेल - मैं अनुसूचित जाति का पूछ रहा हूँ, जनजाति का नहीं. मैं जो प्रश्न पूछ रहा हूँ, उसका उत्तर दें.
श्री लाल सिंह आर्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप पिछले वर्ष की राशि का बता रहे हैं. मैं वह आपको स्पष्ट कर चुका हूँ कि चूँकि शासन ने पहले यह निर्णय लिया था कि विद्युत विभाग ही गांव की सूची के सर्वे के अनुसार सूची तैयार करेगा. सम्मानीय सदस्यों की मांग पर, सरकार ने यह निर्णय बदल दिया है कि नहीं अनुसूचित जाति के विभाग को ही उस राशि का सर्वे करके, उस गांव में विद्युतीकरण या पम्प ऊर्जीकरण का जो भी है, उसको करना चाहिए. शासन ने नियम बदल दिया है. अनुसूचित जाति-जनजाति में अगर काम नहीं हुआ है, यह हमारे पास सूची है.
श्री शैलेन्द्र पटेल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सूची की बात कर रहा हूँ. मंत्री जी, आपने जवाब दिया है कि निरंक है, काम नहीं किया है. आप पैसा कहां लेकर गए, यह तो बता दें ? आपने पैसा कहां खर्च दिया ?
श्री लाल सिंह आर्य - पैसा शासन के पास ही रहता है, वह निकाला नहीं जा सकता है.
श्री शैलेन्द्र पटेल - मंत्री जी, जिस विभाग का था, आपने वहां खर्च नहीं किया.
श्री रामनिवास रावत-- वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 में जो राशि दी गई है क्या आप उसका काम कराएंगे?
श्री लाल सिंह आर्य-- जो नए नियम बने हैं उसके तहत हम काम कराएंगे.
श्री शैलेन्द्र पटेल-- नए नियम बनने के बाद एक भी काम नहीं हुआ है.
श्योपुर जिला चिकित्सालय में रिक्त पदों की पूर्ति
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
3. ( *क्र. 1032 ) श्री दुर्गालाल विजय : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या श्योपुर जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन/विभाग द्वारा आई.सी.यू. वेन्टीलेटर का क्रय आदेश क्रमांक 4020, दिनांक 27.07.2016 द्वारा जारी कर दिया है? क्या संबंधित एजेंसी ने वेन्टीलेटर प्रदाय कर दिया है? यदि हाँ, तो कब तक चिकित्सालय में आई.सी.यू. की स्थापना कर दी जावेगी? (ख) क्या चिकित्सालय में दो प्रथम श्रेणी सर्जीकल विशेषज्ञों सहित सभी रोगों के विशेषज्ञों के स्वीकृत 17 पदों में से वर्तमान में 14 पद रिक्त हैं, इन्हें भरने में विलंब के कारण गंभीर मरीजों के ऑपरेशन की सुविधा का अभाव है, नतीजतन जनवरी 2014 से वर्तमान तक 12104 गम्भीर मरीज भर्ती हुए, उसमें से 168 मरीजों को अन्यत्र रेफर किया केवल 24 रोड एक्सीडेंट एवं फ्रेक्चर वाले मरीजों के ऑपरेशन ही संभव हो सके तथा 11912 मरीजों को मजबूरी में ऑपरेशन हेतु स्वेच्छा से अन्यत्र जाना पड़ा? (ग) क्या उक्त स्थिति चिकित्सालय में सर्जीकल तथा अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों के रिक्त पदों सहित आई.सी.यू. के अभाव के कारण निर्मित हुई? (घ) क्या शासन जिले के गंभीर मरीजों को बेहतर उपचार ऑपरेशन की सुविधा की उपलब्धता के मद्देनजर सर्जीकल विशेषज्ञों के दोनों रिक्त पदों को अविलंब भरेगा व आई.सी.यू. की स्थापना शीघ्र करवाएगा? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) हाँ यह सही है, कि आई.सी.यू. वेन्टीलेटर के क्रय हेतु कार्यालीन आदेश क्रमांक 4020 श्योपुर दिनांक 29.07.2016 के द्वारा कोवेडियन हेल्थ केयर को क्रय आदेश जारी किया गया है। संबंधित फर्म के द्वारा अभी तक आई.सी.यू. वेन्टीलेटर प्रदाय नहीं किया इस हेतु कार्यालीन पत्र क्र./क्रय/2017/380 श्योपुर, दिनांक 24.01.2017 एवं पत्र क्र./क्रय/2017/735 श्योपुर, दिनांक 13.02.2017 के द्वारा भी संबंधित फर्म को वेन्टीलेटर प्रदाय हेतु पत्र भेजा गया है। आई.सी.यू वेन्टीलेटर प्राप्त होते ही शीघ्र आई.सी.यू. की स्थापना की जावेगी। (ख) जिला चिकित्सालय, श्योपुर में प्रथम श्रेणी 23 पद स्वीकृत हैं, जिसके विरूद्ध वर्तमान में 09 पद भरे हुये हैं एवं 14 पद रिक्त हैं। जो संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। रिक्त विशेषज्ञों की विधा में द्वितीय श्रेणी चिकित्सा अधिकारियों के द्वारा अपनी सेवायें प्रदान की जा रही हैं। जी हाँ। यह सही है कि जनवरी 2014 से 30.11.2016 की स्थिति में गंभीर भर्ती मरीजों की संख्या 12107 एवं रेफर किये मरीजों की संख्या 168 एवं ऑपरेशन किये गये मरीजों की संख्या 24 थी, शेष 11936 गंभीर मरीजों को मजबूरी में ऑपरेशन हेतु अन्यत्र नहीं जाना पड़ा, अपितु इनका उपचार जिला चिकित्सालय, श्योपुर में पदस्थ विशेषज्ञ एवं चिकित्सकों के द्वारा ही किया गया है। लेकिन सभी बीमारियों के अधिकांश मरीजों को अन्यत्र रेफर नहीं किया जाता है। कुछ बीमारियों से संबंधित गंभीर मरीजों को जैसे हेडइन्जूरी, गंभीर हृदय रोग वाले मरीजों को सुपर स्पेशलिस्ट के अभाव में आगामी उपचार हेतु हायर सेन्टर के लिए रेफर किया जाता है। (ग) जिला चिकित्सालय, श्योपुर में विशेषज्ञ चिकित्सकों के रिक्त पदों के विरूद्ध वर्तमान में कार्यरत उक्त विधा के द्वितीय श्रेणी चिकित्सकों के द्वारा मरीजों का उपचार किया जा रहा है। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (घ) प्रदेश में विशेषज्ञों की अत्यधिक कमी के कारण तथा विशेषज्ञ का पद शत-प्रतिशत पदोन्नति से भरने का प्रावधान होने के कारण, प्रथम श्रेणी विशेषज्ञ के रिक्त पद भरने में कठिनाई हो रही है। जिला चिकित्सालय, श्योपुर में एम.एस. सर्जरी योग्यता के एक द्वितीय श्रेणी चिकित्सक कार्यरत हैं। विभाग रिक्त पदों की पूर्ति हेतु निरंतर प्रयास कर रहा है, चिकित्सा अधिकारी के 1896 पदों हेतु मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग में साक्षात्कार की कार्यवाही प्रचलन में है। चयन सूची प्राप्त होने पर उपलब्धता अनुसार सर्जरी योग्यता के चिकित्सक की पदस्थापना संबंधी कार्यवाही की जावेगी। पद पूर्ति हेतु निश्चित समयावधि बताई जाना संभव नहीं हैं।
श्री दुर्गालाल विजय-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न श्योपुर जिला चिकित्सालय में आई.सी.यू. प्रारम्भ करने को लेकर है. श्योपुर जिला पिछड़ा हुआ जिला है और भौगोलिक दृष्टि से भी वह एक कोने में है. मैंने पिछले समय भी पूछा था कि आई.सी.यू. प्रारम्भ क्यों नहीं किया जा रहा है तो उन्होंने कहा कि वेन्टीलेटर खरीदने के बाद इसे प्रारंभ करेंगे. ऐसा बताया गया है कि वेन्टीलेटर खरीदने के लिए जुलाई 2016 में आदेश दे दिए गए हैं. आदेश देने के बाद भी अभी तक वेन्टीलेटर श्योपुर जिला चिकित्सालय में नहीं आया है. श्योपुर जिला चिकित्सालय में जो गम्भीर रूप से बीमार रोगी हैं और जिनको इन्टेंसिव केयर वार्ड में रखा जाना बहुत आवश्यक होता है. ऐसे रोगियों को मजबूरी के कारण बाहर जाना पड़ रहा है क्योंकि अभी तक वहां वेन्टीलेटर प्रदाय नहीं किया गया है. इसमें मेरा एक प्रश्न और है अभी मंत्री जी ने जवाब दिया है कि वेन्टीलेटर जिस कंपनी से खरीदना है वह कोवेडियम हेल्थ केयर के नाम से है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि यह कंपनी कहां की है. हमारे प्रदेश और देश में और भी जो नामी कंपनियां हैं जो समय पर प्रदाय कर देती हैं कम कीमत पर प्रदाय कर देती हैं. उन कंपनियों से वेन्टीलेटर क्यों नहीं खरीदा गया और किसने यह आर्डर दिया है कि यह कोवेडियम कंपनी से खरीदा जाए. यह कंपनी बार-बार पत्र लिखने के बाद भी सप्लाई नहीं कर रही है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है. मेरा माननीय मंत्री जी से यह भी कहना है कि यह जो नॉर्म्स के अंदर इस प्रकार की शर्तें निर्धारित कर दी जाती हैं जिसके कारण और कोई कंपनी उसमें भागीदार न बन सके और जिस कंपनी को देना है उसके हिसाब से नार्म्स तैयार कर लिए जाते हैं. मैं यह पूछना चाहता हूं कि जिस कंपनी को आर्डर दिया गया है जो वेन्टीलेटर सप्लाई करने में असमर्थ हैं उसका आर्डर कैंसिल किया जाना चाहिए. देश की ऐसी बहुत सारी कंपनियां हैं जो समय पर गुणवत्तापूर्ण तरीके से सप्लाई करती हैं उनको आर्डर दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय--यह आपका दूसरा प्रश्न है. पहले एक का उत्तर आ जाने दीजिए.
श्री रुस्तम सिंह --अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो बात कही है कि श्योपुर दूरस्थ जिला है यह बात सही है कि श्योपुर मध्यप्रदेश के अंतिम छोर पर है और इसी वजह से वहां पर आई.सी.यू. चालू हो जाए इसके लिए वेन्टीलेटर की व्यवस्था की गई थी. वेन्टीलेटर खरीदी के आदेश दिनांक 29.07.2016 को दिए गए थे जो अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाए हैं. इसके लिए निर्देश भी दिए गए हैं. इसमें कोवेडियम कंपनी को आर्डर दिया गया है. यह नामी कंपनी कहलाती है और यह कंपनी पूरे देश में वेन्टीलेटर सप्लाई करती है. विधायक जी की चिन्ता भी सही है कि और भी कंपनियां होंगी. हम शीघ्रातिशीघ्र वेन्टीलेटर भी लगवाएंगे. जो बात उन्होंने कही है कि इसी कंपनी को क्यों दिया गया है. उन्होंने एक और शंका जाहिर की है कि वह नॉर्म्स और उनके जो पेरामीटर होते हैं वह ऐसे बनते हैं जिसकी वजह से किसी पर्टिकुलर कंपनी को आर्डर मिल जाता है. जैसे इनका आशय कोवेडियम कंपनी की तरफ है. इसको हम दिखवा लेंगे. नॉर्म्स प्राय: इस तरह के बनाए जाते हैं कि जनता के हित में हों, रेट्स ठीक आएं और अच्छी से अच्छी कंपनी उसमें हिस्सा ले सके लेकिन आपने जो जानकारी दी है इसको हम दिखवा लेंगे और हम यह बताना चाहते हैं कि यह पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से हो इसको भी सुनिश्चित कर लेंगे.
श्री दुर्गालाल विजय--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं आया है. पहले तो यह बताया जाए कि यह किसने तय किया है कि इस कंपनी को ऑर्डर दिया जाए. सिविल सर्जन ने तो केवल सप्लाई ऑर्डर जारी किए हैं उन्हें जो आदेश दिए गए थे उसके अन्तर्गत जारी कर दिए लेकिन इसको तय किसने किया कि इस कंपनी को ऑर्डर दिया जाना है, एक तो इस बात को बताएं. जिन्होंने यह आदेश दे दिया है और अभी तक सप्लाई नहीं हुई है उनके ऊपर क्या कार्यवाही की जाएगी. उनके खिलाफ जांच करने के बाद कार्यवाही करने का मेरा निवेदन है और तीसरी बात यह है कि कब तक वेन्टीलेटर को वहां स्थापित कर देंगे ताकि वहां का आईसीयू वार्ड प्रारंभ हो जाए.
श्री रुस्तम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक ने कहा है कि 7-8-9 महीने तक यह प्रदाय नहीं हो सका इसके लिए कौन दोषी है. इसकी तह तक हम जरुर जाएंगे. हम आपके माध्यम से उनको आश्वस्त करना चाहते हैं कि अगर इसमें कोई दोषी पाया जाएगा तो उस पर कार्यवाही भी करेंगे.
श्री दुर्गालाल विजय--अध्यक्ष महोदय, अभी इसमें एक प्रश्न और बकाया है.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, यह मेरा भी जिला है मैं भी एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय--आप दोनों इसी प्रश्न में पूरा समय लगा देंगे और इसी प्रश्न में बारह बज जाएंगे. बस अब आप यह पूछ लीजिए कि मशीन कब तक आ जाएगी. आप 4-5 प्रश्न पूछ चुके हैं.
श्री दुर्गालाल विजय--माननीय अध्यक्ष महोदय, इस प्रश्न का उत्तर तो आ गया है.
अध्यक्ष महोदय--तो बस अब आप बैठ जाइए.
श्री रामनिवास रावत--इस मशीन को ऑपरेट कौन करेगा.
श्री दुर्गालाल विजय--माननीय अध्यक्ष महोदय, एक तो माननीय मंत्री जी ने बताया नहीं है जो कि हमारी जानकारी में है कि कोई कार्पोरेशन उन्होंने इसके लिए निश्चित कर रखा है जिसका कोई काम नहीं है बस जबर्दस्ती खरीद करना और सप्लाई करना रहता है. क्या इस पर भी कोई नियंत्रण करेंगे. श्योपुर जिले में 17 पद विशेषज्ञों के हैं.
श्री रुस्तम सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने प्रश्न समझ लिया है. वेन्टीलेटर का जहां तक प्रश्न है वह आ भी जाएगा और दो महीने में इंस्टाल करके जो विधायक जी चाहते हैं वैसी कार्यवाही भी हो जाएगी. जहां तक कार्पोरेशन का सवाल है यह कार्पोरेशन मध्यप्रदेश में आने वाले समय में दवाइयों से लेकर इक्वीपमेंट आदि सभी की खरीद करेगा. केबिनेट से स्वीकृत होकर यह कार्पोरेशन बना है जो कि तमिलनाडु की तर्ज पर बना है. काफी साल पहले इस पर निर्णय हुआ था. इसके अलावा जो रिक्त पदों की बात है तो पूरे प्रदेश में विशेषज्ञों के पद रिक्त हैं करीब 1500-1600 पद रिक्त हैं. यह पद सुप्रीम कोर्ट से जैसे ही आरक्षण के संबंध में निर्णय आ जाता है उसके पश्चात हम इन पदों को भरने की कार्यवाही कर देंगे.
प्रश्न संख्या --4 (अनुपस्थित)
छात्रावासों के वार्डन/सहायक वार्डनों का स्थानांतरण
[स्कूल शिक्षा]
5. ( *क्र. 452 ) श्री सतीश मालवीय : क्या स्कूल शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला परियोजना समन्वयक उज्जैन द्वारा छात्रावासों के वार्डन और सहायक वार्डनों को हटाने के संबंध में कोई कार्यवाही विगत तीन वर्षों में की गई है? यदि हाँ, तो किन-किन छात्रावासों के वार्डन और सहायक वार्डनों को हटाया गया है? कारण स्पष्ट करें। (ख) छात्रावासों में शासन के नियमानुसार वार्डन को प्रतिनियुक्ति पर रखने पर कितने वर्ष तक का कार्यकाल अधिकतम होना चाहिये? क्या नियमों का पालन किया गया? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) छात्रावासों में सहायक वार्डनों की अस्थाई नियुक्ति को किस समिति में अनुमोदन कराकर उनकी नियुक्ति आगे बढ़ाई गई है? समिति के अनुमोदन की जानकारी देवें, कब और किस-किस वर्ष अनुमोदन लेकर नियुक्ति अवधि बढ़ाई गई? यदि नहीं, तो इसके लिये कौन जिम्मेदार है? (घ) क्या छात्रावासों में नियुक्त अस्थायी सहायक वार्डनों के नियुक्ति आदेश पत्र जारी किये गए हैं तथा किस आधार पर उनकी नियुक्ति की गई?
स्कूल शिक्षा मंत्री ( कुँवर विजय शाह ) : (क) जी हाँ। के.जी.बी.वी नागदा, के.जी.बी.वी पानबिहार, के.जी.बी.वी. महिदपुर, बालिका छात्रावास चांपाखेडा, बालिका छात्रावास खाचरोद, बालिका छात्रावास महिदपुर, बालिका छात्रावास उज्जैन की वार्डनों को हटाया गया है। सहायक वार्डनों को हटाने के संबंध में विगत तीन वर्षों में जिले से कोई कार्यवाही नहीं हुई है। छात्रावासों के वार्डन का प्रशासनिक प्रक्रिया अनुसार प्रभार हटाया गया है। (ख) वार्डन को प्रतिनियुक्ति पर रखने का प्रावधान नहीं है, अपितु छात्रावास का प्रभार दिया जाता है। प्रभार हेतु वर्तमान में समय-सीमा निर्धारित नहीं है। शेषांश का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) सहायक वार्डनों की नियुक्ति नियम एवं निर्देशों के अनुसार जिला जेण्डर कोर ग्रुप के अनुमोदन से बढ़ाई जाती है। सहायक वार्डनों की सेवा वृद्धि 4 जनवरी 2011 को की गई है। इस संबंध में जाँच कराई जा रही है। (घ) जी हाँ। सहायक वार्डनों की नियुक्ति राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा जारी निर्देश के अनुरूप निर्धारित मापदण्ड के आधार पर जिला जेण्डर कोर ग्रुप के अनुशंसा से कलेक्टर सहमिशन संचालक के अनुमोदन उपरांत की जाती है।
श्री सतीश मालवीय--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहूंगा मेरा प्रश्न अनुसूचित जाति के बालक-बालिकाओं से संबंधित है. मैंने जो प्रश्न पूछा था उसके (क) भाग का जो जवाब आया है वह आधा-अधूरा आया है. सहायक वार्डनों को हटाने के संबंध में विगत तीन वर्षों में कोई कार्यवाही नहीं हुई है. मैं मानता हूं यह गलत उत्तर आया है. अभी तक कार्यवाही नहीं हुई है तो क्यों नहीं हुई है.
कुँवर विजय शाह--माननीय अध्यक्ष महोदय, या तो विधायक जी ने उत्तर पढ़ा नहीं है या फिर उन्हें कहीं कन्फ्यूजन है. मैं इसका क्या जवाब दूं ? उत्तर में स्पष्ट लिखा हुआ है कि जी हाँ. के.जी.बी.वी नागदा, के.जी.बी.वी. पानबिहार, के.जी.बी.वी. महिदपुर, बालिका छात्रावास चांपाखेड़ा, बालिका छात्रावास खाचरोद, बालिका छात्रावास महिदपुर, बालिका छात्रावास उज्जैन की वार्डनों को हटाया गया है. सहायक वार्डनों को हटाने के संबंध में विगत तीन वर्षों में जिले से कोई कार्यवाही नहीं हुई है.
श्री सतीश मालवीय- मैं यही कहना चाहता हूं कि सहायक वार्डनों को हटाने के संबंध में कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई है.
श्री अनिल फिरोजिया- ये गलत जानकारी दे रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय- जिनका प्रश्न है, पहले उन्हें पूछ लेने दीजिए.
श्री सतीश मालवीय- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि छात्रावासों के सहायक वार्डनों को क्यों नहीं हटाया गया है ? उन्हें नहीं हटाने का क्या कारण है ?
कुंवर विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, सहायक वार्डनों को तीन वर्षों में हटाने का कोई नियम नहीं है.
श्री सतीश मालवीय- यह नियम में है. अगर मंत्री जी चाहें तो मैं उन्हें शासन का पत्र उपलब्ध करवा दूंगा.
कुंवर विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, समय-समय पर नियमों में परिवर्तन होते रहते हैं. यदि संबंधित के विरूद्ध कोई शिकायत है तो हम इसकी जांच करवा लेंगे, यदि कोई गड़बड़ी होगी तो हम संबंधित को हटा भी देंगे. लेकिन किसी के विरूद्ध कोई शिकायत नहीं है. केवल कोई आदेश जारी हुए हैं कि हटा सकते हैं तो इस आधार पर हटाना तो ठीक नहीं है. शिकायत हो तो हम जांच करवायें, गलती हो तो हम हटायें.
श्री अनिल फिरोजिया- माननीय अध्यक्ष महोदय, उनकी बहुत सी शिकायतें हैं. हमने स्वयं लिखित में शिकायत की है. पहले भी पूरे जिले के विधायकों ने शिकायत की है. मंत्री जी या तो उसे हटायें या उसकी जांच करवायें. ....(व्यवधान)....
श्री बहादुर सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप मंत्री जी को आदेश दें कि वे उज्जैन जिले के पांचों विधायकों को जांच में शामिल कर लें. मेरा महिदपुर क्षेत्र भी इससे जुड़ा हुआ है.
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी, जो शिकायतें हुई हैं, उसके संबंध में...........
कुंवर विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बड़ी विनम्रता के साथ माननीय विधायक जी को कहना चाहता हूं कि मेरे पास आज दिनांक तक कोई शिकायत नहीं आई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, दो-दो लोग एक साथ बोलेंगे तो मैं जवाब कैसे दे पाऊंगा. .....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय- जी हां, दो नहीं, तीन लोग एक साथ बोल रहे हैं. आप सभी पहले मंत्री जी का जवाब सुन लीजिए. अनिल जी आप बैठ जाईये.
श्री सतीश मालवीय- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी जांच करवाने का आश्वासन दे रहे हैं. मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि जिन अधीक्षकों एवं सहायक अधीक्षकों को तीन साल से अधिक समय हो गया है, क्या मंत्री जी उनका एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण करेंगे ताकि वहां के छात्र-छात्राओं को जिस असुविधा का सामना करना पड़ रहा है, वे उस असुविधा से बच सकें.
कुंवर विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, पहली बात की मेरे पास कोई शिकायत आई ही नहीं है. शिकायत आयेगी तो मैं कोई निर्णय लूंगा. दूसरी बात यह है कि राज्य शिक्षा केंद्र में नियम वर्ष 2014-15 के हैं. मैं मानता हूं कि देश-काल-परिस्थिति बदली है और समय के साथ-साथ कलेक्टर और जिला अधिकारियों के अधिकारों की हमें समीक्षा करनी पड़ेगी. भोजन, मेडिकल, स्थानांनतरण सभी मामलों की हम बहुत जल्दी समीक्षा करके, जिन नियमों में परिवर्तन करना होगा, उन्हें परिवर्तित करेंगे. सरकार बच्चियों की सुरक्षा और सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं करेगी.
श्री सतीश मालवीय- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि यदि वे समीक्षा करेंगे तो फिर जांच किस बात की करेंगे ? यदि सब कुछ सही पाया गया है तो वह किस चीज़ की जांच करेंगे ?
अध्यक्ष महोदय- मंत्री जी शिकायत मिलने पर जांच करवायेंगे.
श्री अनिल फिरोजिया- यह बहुत ही गंभीर मामला है.
श्री बहादुर सिंह चौहान- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं शिकायत के बारे में बताना चाहता हूं, शिकायत मंत्री जी के पास नहीं पहुंची है. शिकायत यह है कि सभी वार्डनों को हटा दिया गया है. प्रतिनियुक्ति पर रखने का प्रावधान नहीं है. कितने समय तक उन्हें रखा जाएगा यह उत्तर में लिखा नहीं है. अपने चहेतों को वार्डन का चार्ज दे दिया गया है. अध्यक्ष महोदय, मेरा इस प्रकरण में आपसे केवल इतना आग्रह है कि मंत्री जी ने जांच का आश्वासन दे दिया है, यह हमारे जिले से जुड़ा हुआ मुद्दा है. हम नहीं कह रहे हैं कि वार्डन को हटाकर जांच की जाए क्योंकि कोई आरोप नहीं है. हम केवल यह कह रहे हैं कि जांच में उज्जैन जिले के समस्त विधायकों को सम्मिलित कर लिया जाए.
श्री सतीश मालवीय- इसमें बहुत भ्रष्टाचार हुआ है.
कुंवर विजय शाह- माननीय अध्यक्ष महोदय, कलेक्टर मिशन का लीडर होता है. अगर माननीय विधायक कलेक्टर से संतुष्ट नहीं हैं तो मैं भोपाल से अधिकारी भेज कर जांच करवा लेता हूं.
श्री सतीश मालवीय- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी केवल एक और बात के लिए आपका संरक्षण चाहता हूं. यह अनुसूचित जाति के बच्चे-बच्चियों से जुड़ा हुआ मामला है. हम लोगों को अपने क्षेत्र में जवाब देना पड़ता है. हम अपनी बात सदन में नहीं रख पायेंगे तो कहां रखेंगे ? .....(व्यवधान )....
अध्यक्ष महोदय- आपकी बात आ गई है.
श्री सतीश मालवीय- मंत्री जी ने मेरे प्रश्न का जवाब दिया ही नहीं है. भोपाल स्तर के अधिकारी से प्रकरण की जांच करवायें. माननीय मंत्री जी भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने में लगे हुए हैं. मंत्री जी भ्रष्ट अधिकारियों को क्यों बचाना चाहते हैं ? इसके पीछे क्या कारण है. ....(व्यवधान)....
अध्यक्ष महोदय- भोपाल से अधिकारी भेज कर मंत्री जी जांच करवा लेंगे. आपकी बात का समाधान हो गया है. आप शिकायत करिये, मंत्री जी उसकी जांच करवायेंगे. आप वही-वही बात कब तक पूछेंगे ?
श्री अनिल फिरोजिया- मंत्री जी जांच में विधायकों को शामिल क्यों नहीं करना चाहते हैं. अधिकारियों को क्यों बचाना चाहते हैं?
श्री सतीश मालवीय-- वह भी भ्रष्ट अधिकारी को क्यों बचाना चाहते हों, इसके पीछे क्या कारण है?
अध्यक्ष महोदय-- आप बैठ तो जाएँ.
श्री अनिल फिरोजिया-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी विधायकों को क्यों नहीं लेना चाहते?
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, जैसा माननीय मंत्री जी ने कहा है, तो जो भी विषय हो उसे आज ही लिख कर एक शिकायत दे दो, कार्यवाही हो जाएगी.
श्री सतीश मालवीय-- शिकायत तो दे चुके हैं.
कुँवर विजय शाह-- माननीय अध्यक्ष जी, उस अधिकारी को तो मैं जानता भी नहीं हूँ. लेकिन एक साल भी नहीं हुआ है, आप शिकायत दे दें मैं जाँच करा लूँगा.
अध्यक्ष महोदय-- आप भोपाल से वरिष्ठ अधिकारी को भेज कर जाँच करा लीजिए, ऐसा उनका अनुरोध है.
कुँवर विजय शाह-- आप जैसी चाहेंगे, अध्यक्ष जी, पहले शिकायत तो आवे. किस चीज की जाँच करा लूँ मैं? ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- अब कितनी बार वही वही बात करेंगे? अब मधु भगत जी का ही लिखा जाएगा.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्ष जी, सम्मानित सदस्य का कहना है कि भोपाल का अधिकारी जाकर जाँच कर ले.....
श्री सतीश मालवीय-- विधायकों की उपस्थिति में.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- जब आपकी भी शिकायत उसमें शामिल हो जाएगी, भोपाल से अधिकारी जाकर जाँच करेंगे ऐसा मंत्री जी ने बोल दिया है.
अमानक दवाइयों की खरीदी की जाँच
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
6. ( *क्र. 4506 ) श्री मधु भगत : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) अतारांकित प्रश्न (क्रमांक 3224) दिनांक 24.07.2015 के उत्तर में यह स्वीकार किया गया है कि वर्ष 2013-14 में अमानक दवाइयां खरीदी गईं? यदि हाँ, तो वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक ऐसे कितने प्रकरण विभाग की जानकारी में हैं, जिनमें कि अमानक दवाइयां क्रय में अनियमिततायें, भंडार क्रय नियमों का उल्लंघन, निविदा पद्धति का उल्लंघन किया हो? तिथिवार बतायें तथा यह बतायें कि संबंधित अधिकारी/कर्मचारी/एजेंसी या अन्य जिम्मेदारों पर कब-कब क्या-क्या कार्यवाही की गई? (ख) प्रश्न क्रमांक 3224, दिनांक 24.07.2015 के उत्तर अनुसार अमानक दवाइयों के दोषियों पर पुलिस में एफ.आई.आर. की गई? यदि हाँ, तो बतायें कि संबंधित अधिकारी/कर्मचारी/एजेंसी या अन्य जिम्मेदारों पर कब-कब क्या कार्यवाही की गई? (ग) क्या अमानक दवाइयों के क्रय के अलावा ऑक्सीजन गैस सिलेण्डर, पट्टी गॉज बैंडेज कपास खरीदने में भी अनियमिततायें पाई गईं हैं? उक्त अवधि में यह बतायें कि प्रश्नांश (ग) में अंकित सामानों की खरीदी कब-कब किस-किस फर्म से कितनी-कितनी राशि की, की गयी? तिथिवार, वर्षवार, निविदावार, संस्थावार बिल एवं जमा रसीद की प्रति बतायें।
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) विभाग द्वारा अमानक दवाइयों की खरीदी नहीं की जाती है। क्रय करने के पश्चात् राज्य स्तरीय प्रयोगशाला में जाँच उपरांत कतिपय कारणों से दवाइयां अमानक पाई जाती हैं। वर्ष 2013-14 से प्रश्न दिनांक तक अमानक पाई गई दवाइयों की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। दवाइयों के क्रय में अनियमितता अथवा भंडार क्रय नियमों का उल्लघंन नहीं किया जाता है। परीक्षण पश्चात् अमानक पाई जाने वाली दवाइयों के सप्लायर/फर्म पर निविदा शर्तों अनुसार कार्यवाही की जाती है। अधिकारियों/कर्मचारी/एजेंसी की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ख) निविदा की शर्तों में दवा क्रय के उपरांत लेब टेस्टिंग में दवा अमानक पाए जाने पर दवा के बदलने/सप्लायर्स के विरूद्ध कार्यवाही का प्रावधान है, इन प्रकरणों में निविदा की शर्तों के अनुसार कार्यवाही की जा चुकी है, जिसकी जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। (ग)
श्री मधु भगत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपके माध्यम से लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री से जानकारी चाही थी. जिसमें जो जानकारी मुझे मंत्री जी द्वारा दी गई है, उसमें जो प्रश्नांश ख है इसका मंत्री महोदय ने मुझे जो जवाब दिया है, वह बिल्कुल गलत दिया है. उत्तर में यह स्वीकार किया है कि दवा क्रय के उपरांत लेब टेस्टिंग में दवा अमानक पाए जाने पर दवा को बदलने एवं सप्लायर के विरुद्ध कार्यवाही करने का प्रावधान है. यदि यह सही है तो बताएँ कि आपने मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम मर्यादित के पत्र क्रमांक लघु उद्योग निगम/विपणन/ पीएस 4, 2011-12/1124/26 भोपाल दिनाँक 7.3.2013 द्वारा संचालक, स्वास्थ्य सेवाओं को यह सूचित कर दिया था कि पायरेथ्रम दवा एक्स्ट्रेक्ट दो प्रतिशत के परीक्षण में अमानक पाई गई. इसके बावजूद संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएँ के पत्र क्रमांक 8 मलेरिया.....
अध्यक्ष महोदय-- आप पत्र मत पढ़िए. आप तो सीधा प्रश्न करिए. आप इस पत्र से क्या चाहते हैं?
श्री मधु भगत-- अध्यक्ष महोदय, अगर आपको जब बता दिया गया कि यह दवाई मार्च के महीने में अमानक है, उसके बाद भी 24 जुलाई को, इन्होंने 2012 को 50 लाख 70 हजार का भुगतान कर दिया. मेरा सवाल यह है कि जब दवाई अमानक पाई गई तो आपने भुगतान कैसे किया?
श्री रुस्तम सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य क के उत्तर से सहमत हैं इसलिए ख के बारे में जानकारी चाह रहे हैं, यह मान लिया जाए?
श्री मधु भगत-- अध्यक्ष महोदय, मैंने अभी वही प्रश्न किया है क्योंकि जानकारी मेरे पास अभी आई है.
श्री रुस्तम सिंह-- आपको क को नहीं पूछना है?
श्री मधु भगत-- अभी आप मेरे सवाल का जवाब दे दीजिए. पहले आप इसका जवाब दे दीजिए फिर क का भी पूछ लूँगा.
श्री रुस्तम सिंह-- आप आगे की पंक्ति से पीछे आएँगे, ठीक है, क्योंकि पहले से दूसरा संबंधित है इसलिए मैंने कहा है. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य को यह बताना चाहता हूँ कि निविदा की जो शर्तें होती हैं उसमें दवा आती है, उसमें लेब टेस्टिंग होती है और लेब टेस्टिंग में अगर वह अमानक पाई जाती है तो उसको निरस्त तो किया ही जाता है, उस कंपनी को ब्लेक लिस्टेड भी किया जाता है और भविष्य में उस कंपनी से दवाई भी नहीं खरीदी जाती है और आपने जो कहा है कि इसके बाद पेमेंट हो गया. अमानक पाए जाने के बाद पेमेंट हो गया, यह बात सही नहीं है. जब पता लग गया था और एक तरह की दवाई की यह पचास लाख की कीमत की बता रहे हैं, अगर इनका सत्य है तो मैं इसके पूरे ब्यौरों में तह में जाकर, इन्होंने जो कहा है उसी की जाँच कराऊँगा.
श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पास आपके विभाग के ये पेपर हैं कि भुगतान हो गया है. आप कहें तो मैं इन्हें सदन के पटल पर रख दूँ?
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अभी पटल पर नहीं रखना है. मधु भगत जी को पूछने दीजिए.
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, इसके बाद मुझे एक प्रश्न पूछने की अनुमति दे दें.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अभी पहले उनसे बात कर लें, उसके बाद सोचेंगे.
श्री मधु भगत-- अध्यक्ष महोदय, यह मेरे पास लेब की पूरी रिपोर्ट है और उस लेब की रिपोर्ट के बाद...
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, पेमेंट हो गया उसके बारे में बताएँ.
श्री मधु भगत-- अध्यक्ष महोदय, पेमेंट की रिपोर्ट है. जिस लेब की रिपोर्ट में यह पाया गया कि वह दवाई अमानक है.
अध्यक्ष महोदय-- कौनसी तारीख की है और पेमेंट कौनसी तारीख का है?
श्री मधु भगत-- यह भी मैं आपको बता देता हूँ. इसकी जो तारीख है, मैंने अभी थोड़ी देर पहले पूरा बताया था, पत्र के माध्यम से...
अध्यक्ष महोदय-- पढ़ कर नहीं बताना. केवल तारीख बता दीजिए.
श्री मधु भगत -- मैं तारीख बता देता हॅूं. यह पाया गया है, दिनांक 07.03.2013 और उसके बाद 24 जुलाई, 2012 को 50 लाख 70 हजार रूपये का भुगतान किया गया है.
श्री रूस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आप सोचते हैं कांग्रेस में जैसा होता था वैसा ही हम भी मान लें. ऐसा कैसे मान लें. मेरा आग्रह सुनें. विधायक महोदय थोड़ा कन्फ्यूज़ हो गए हैं, जो 50 लाख 70 हजार का बताया गया है, वह मलेरिया के छिड़काव की दवाईयों का पेमेन्ट है. जो माननीय विधायक बता रहे है, यह उसका पेमेन्ट नहीं है.
श्री मधु भगत -- हम उसी की बात कर रहे हैं अब आप सही जा रहे हैं. हम वहीं ले जाना चाह रहे थे मलेरिया छिड़काव में. .... (व्यवधान)......सिंगरौली, सीधी में 40-40 लोगों की मौत हुई थी इसमें तीन दिन तक मुख्यमंत्री जी उस जगह पर बैठकर राजनीति करते रहे और यही पेमेन्ट है जो आपको बताया जा रहा है 11-12 जुलाई की जो तारीख है आपने पेमेन्ट किया है जबकि फरवरी में आपके पास रिपोर्ट आ गई थी. सातवें महीने में पेमेन्ट करने का क्या औचित्य बनता है? जबकि फरवरी में उसे अमानक घोषित कर दिया. इसके पीछे कितना बड़ा भ्रष्टाचार है. क्योंकि यह छोटा-सा 50 लाख 70 हजार का पेमेन्ट है. इसमें कम से कम हम पूरे प्रदेश भर में लें तो कितना बड़ा भ्रष्टाचार उजागर होगा.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जाएं.
श्री रूस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम जो उत्तर दे रहे हैं और माननीय विधायक जो पूछ रहे हैं उसमें गेप है. हम जो कह रहे हैं कि 50 लाख का ऑर्डर है वह उससे हटकर दूसरी कंपनी का है. जिसका अमानक बोल रहे हैं उसका नहीं है. हमारे विभाग का ऐसा कहना है, माननीय विधायक जी अगर ऐसा बोल रहे हैं सबूत हैं तो आप दे दीजिए मैं पूरे प्रकरण की जॉंच करा लूंगा और इसमें जो दोषी होंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी.
श्री मधु भगत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अमानक पायी गई दवाईयों का भुगतान किया है हॉं या नहीं?
श्री मधु भगत -- बस हम यही चाह रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी मेरे सवाल का पूरा जवाब नहीं आया है. यह भ्रष्टाचार का मामला है. इसका पेमेन्ट कैसे हुआ ? .......(व्यवधान)...... पूरे के पूरे हमारे पास एविडेंस हैं.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, छोटा-सा प्रश्न है. क्या अमानक पायी गई दवाइयों का भुगतान हुआ है या नहीं ?
श्री रूस्तम सिंह -- हमारा यह कहना है कि अमानक दवाईयों का भुगतान नहीं हुआ है और अगर यह कह रहे हैं तो सबूत दें, हम कार्रवाई करेंगे.....(व्यवधान)...
श्री मुकेश नायक -- यह डायरेक्टर का पत्र है.
अध्यक्ष महोदय -- अब उनका सीधा प्रश्न था और उसका सीधा उत्तर आ गया.
श्री मुकेश नायक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से जिस बारे में प्रश्न पूछा गया है उसी डायरेक्टर की चिट्टी है.
अध्यक्ष महोदय -- अब बैठ जाइए, अब श्री आरिफ अकील जी को पूछ लेने दीजिए.
अनाधिकृत लोगों को अधिग्रहित भूमि का मुआवज़ा
[पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण]
7. ( *क्र. 4439 ) श्री आरिफ अकील : क्या राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग महोदया यह बताने की कृपा करेंगी कि (क) प्रदेश के मण्डला जिला मण्डला के सक्षम प्राधिकारी भू-अर्जन राष्ट्रीय राजमार्ग 12-ए एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व मण्डला द्वारा वक्फ सम्पत्ति खसरा 80 रकबा 0.110 हेक्टेयर, खसरा नम्बर 102/2 रकबा 0.020 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित करने के फलस्वरूप जिला प्रशासन द्वारा मुआवज़े की राशि वक्फ अंजुमन कमेटी तिदनी और जिला वक्फ कमेटी मण्डला को रूपये 56,84,661/- (छप्पन लाख चौरासी हजार छ: सौ इकसठ) भुगतान किया गया है? (ख) यदि हाँ, तो प्रश्नांश (क) में उल्लेखित अधिग्रहित भूमि के मुआवज़े की राशि किस स्वामित्वता के तहत अंजुम कमेटी तिदनी व जिला वक्फ कमेटी मण्डला को भुगतान की गयी तथा अंजुम कमेटी व जिला वक्फ कमेटी द्वारा बिना बोर्ड स्वीकृति के किस अधिकारिता के तहत राशि प्राप्त की? संबंधितों का यह कृत्य भ्रष्टाचार की श्रेणी में नहीं है? यदि है तो शासन द्वारा किन-किन के विरूद्ध क्या-क्या तथा कब तक कार्यवाही करेंगे? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या जिला वक्फ कमेटी मण्डला का कार्यकाल 16 मई, 2016 को समाप्त हो चुका था? यदि हाँ, तो क्या अधिनियम में किसी भी जिला व प्रबंध कमेटी के गठन का अधिकार मात्र बोर्ड को होता है? यदि हाँ, तो जिला वक्फ कमेटी मण्डला ने तिदनी अंजुमन कमेटी का गठन किस आधार पर किया? इस नियम विपरीत कार्यवाही में क्या मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड के वर्तमान अध्यक्ष की अप्रत्यक्ष रूप से सहभागिता है? यदि नहीं, तो लगभग 1 (एक) वर्ष व्यतीत हो जाने के पश्चात् भी मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड अध्यक्ष द्वारा प्रश्नांश (क) (ख) में जो राशि का लेनदेन हुआ उसके विरूद्ध कार्यवाही नहीं करने के क्या कारण हैं?
राज्यमंत्री, पिछड़ा वर्ग ( श्रीमती ललिता यादव ) : (क) कलेक्टर मण्डला से प्राप्त जानकारी अनुसार जिला प्रशासन द्वारा मुआवजे की राशि वक्फ अंजुमन कमेटी तिदनी और जिला वक्फ कमेटी मण्डला को रू. 51,83,541/- (इक्यावन लाख त्रियासी हजार पाँच सौ इकतालीस) का भुगतान किया गया। इसका विवरण निम्नानुसार है :- खसरा नं. 80 रकबा 0.020 हेक्टेयर जो अंजुमन कमेटी तिदनी के नाम पर भूमि स्वामी हक में दर्ज है, जिसमें से 0.110 हेक्टेयर भूमि अर्जित कर मुआवजा रूपये 665236/- स्वीकृत हुआ जिसका भुगतान अंजुमन कमेटी तिदनी की ओर से मो. आकिद एवं मो. आविद द्वारा प्राप्त किया गया है। इसी प्रकार खसरा नं. 102/2 रकबा 0.020 हेक्टेयर तिदनी मस्जिद कमेटी तिदनी के द्वारा मुतवल्ली सैय्यद वरकतुल्ला पिता सैय्यद अब्दुल्ला के नाम पर दर्ज है, जिसका 0.220 हेक्टेयर भूमि एवं उस पर निर्मित पक्का मकान का मुआवजा का भुगतान रूपये 4518305/- सचिव मस्जिद कमेटी श्री मंसूरी अहमद द्वारा प्राप्त किया गया है। (ख) प्रश्नांश (क) के संबंध में मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड एवं कलेक्टर मण्डला द्वारा जाँच की जा रही है। (ग) जी हाँ। प्रकरण का परीक्षण कराया जा रहा है।
श्री आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का जवाब पूरी तरह से माननीया मंत्री जी नहीं दे पायी हैं. मैं आपके माध्यम से पूछना चाहता हॅूं कि वक््फ अधिनियम धारा में स्पष्ट प्रावधान हैं कि वक्फ बोर्ड की अनुमति के बगैर, अध्यक्ष महोदय आप हमारी तरफ भी देख लीजिए (हंसी)...
अध्यक्ष महोदय -- मैं सुन लेता हॅूं. देखूं कहीं भी. बात आपकी सुनता हॅूं.
श्री आरिफ अकील -- अध्यक्ष महोदय, मुझे यह अच्छा नहीं लगेगा कि कहीं देखो. मुझे देखो, मुझे सुनो तो अच्छा लगेगा.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए ठीक है.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास (श्री गोपाल भार्गव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, अच्छा है आप नहीं देखते हैं. (XXX)..(हंसी)..
अध्यक्ष महोदय -- वह स्मार्ट हैं. ऐसा नहीं है.
श्री आरिफ अकील -- ठीक है. अच्छा लग रहा है आपको. आपकी तो आदत में ही बना हुआ है. आपको जो अच्छा लगता है, अध्यक्ष जी भी कभी-कभी आपको नजरअंदाज कर देते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- चलिए, आप तो प्रश्न करें.
श्री आरिफ अकील -- आपका विशेष अधिकार है. जो चाहे गाओ, जो चाहे बजाओ. गाना बजाना दोनों आपका उचित रहेगा.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया प्रश्न करें.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस सदन में कोई किसी को देखने के लिए बाध्य कर सकता है ? आप आसंदी से व्यवस्था दे दें.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने जो कद, काठी की बात कही है उसे विलोपित किया जाए. यह उचित नहीं है.
श्री आरिफ अकील -- हम उससे ज्यादा अच्छे शब्द बोल सकते हैं. आप उसको विलोपित मत करना.(XXX).
अध्यक्ष महोदय -- सारा विलोपित कर दें. आप सीधा प्रश्न करें.
श्री आरिफ अकील -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे पूछा कि माननीय मंत्री जी से मैं पूछना चाहता हॅूं कि क्या धारा 51 में प्रावधान हैं कि वक्फ भूमि का जो अधिग्रहण किया जाता है वह वक्फ अनुमति से किया जाता है. उसकी अनुमति के बगैर कोई वक्फ भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता. यह मंडला का ऑर्डर हुआ है 31.8.2015 को आदेश पारित किया है उसमें वक्फ बोर्ड को पक्षकार नहीं बनाया गया है और यह सीधा-सीधा 56 लाख रुपयों का गबन हुआ है. मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय से कहना चाहता हूं कि बहन जी, आज महिला दिवस है. आज बेईमानों को ऐसा सबक सिखाना, ऐसी कार्यवाही करना कि आइन्दा कोई बेईमानी ना करे और ऐसा लगे कि महिला दिवस पर महिला मंत्री ने ऐसी घोषणा की कि दूध-का-दूध और पानी-का-पानी अलग-अलग कर दिया.
अध्यक्ष महोदय-- आप साइकोलॉजिकल प्रेशर मत डालिये,तथ्यगत जवाब आने दीजिये.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय, आज तक हम आप पर प्रेशर नहीं डाल पाये तो किसी और पर हमारा प्रेशर क्या डलेगा.
श्रीमती ललिता यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पूरे सदन को अपनी ओर से बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनायें देती हूं साथ ही विधायक जी को भी मैं बहुत-बहुत शुभकामनायें देना चाहती हूं. अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो कहा है कि कोई भी संपत्ति बिना वक्फ की अनुमति के ना क्रय की जा सकती है ना उसका भुगतान किया जा सकता है. यह बात बिल्कुल सही है कि वक्फ बोर्ड की अनुमति के बिना उसका भुगतान नहीं हो सकता यह गलत हुआ है. अध्यक्ष महोदय, इस गलती के लिए 14 तारीख को जो पत्र प्राप्त हुआ उसमें जाँच की गई है और कलेक्टर ने 20 फरवरी को इसके जांच के आदेश दे दिये हैं.
श्री आरिफ अकील-- माननीय अध्यक्ष महोदय, 56 लाख रुपये का गबन हुआ है. मंत्री महोदया कह रही हैं कि वक्फ बोर्ड की अनुमति के बगैर अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है. जब सभी यह मान रहे हैं..
अध्यक्ष महोदय-- अधिग्रहण या भुगतान ?
श्री आरिफ अकील-- जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जा सकता है और भुगतान भी नहीं किया जा सकता है. दोनों काम नहीं हो सकते हैं लेकिन भुगतान हो गया है तो अब जाँच किस बात की हो रही है अब तो एफआईआर की आवश्यकता है. वक्फ बोर्ड ही जिम्मेदार हैं और जो वहाँ अंजुमन की कमेटी बनाई गई है जिनका 15.5.2016 को कार्यकाल भी समाप्त हो गया था और 1.6.2016 को उन्होंने एक सब-कमेटी बनाई, उस कमेटी ने इस 56 लाख रुपये का भुगतान ले लिया अगर ऐसे गबन होते रहेंगे, जाँच होती रहेगी और एफआईआर नहीं होगी तो कैसे वक्फ बोर्ड का निजाम चल पाएगा.अध्यक्ष महोदय, मैं आपका संरक्षण चाहते हुए कहना चाहता हूं कि जब बात क्लियर हो गई है कि 56 लाख रुपये का गबन हुआ है तो उनके खिलाफ एफआईआर क्यों नहीं हो रही है?
श्रीमती ललिता यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बात सही है कि कमेटी का कार्यकाल मई 2016 को समाप्त हो गया था लेकिन जब तक नई कमेटी नहीं बनती तब तक पुरानी कमेटी कार्यरत् रहती है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विधायक जी को बताना चाहती हूं कि वक्फ बोर्ड ने एफआईआर के आदेश दे दिये हैं और जो-जो दोषी होंगे उन पर कार्यवाही होगी, उन पर एफआईआर होगी और विधायक जी चाहेंगे तो मैं इसकी कॉपी विधायक जी को दे दूँगी.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय, मेरा एक आखिरी प्रश्न है. आप सुन तो लीजिये मुझे एक मिनट का टाइम दे दीजिये.
अध्यक्ष महोदय-- अब ऑर्डर हो ही गया है. जो आप चाहते थे वह आदेश हो गये हैं.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय, मैं कह रहा हूं कि वक्फ बोर्ड इसमें इन्वाल्व है और मंत्री महोदया कह रही हैं कि वक्फ बोर्ड ने एफआईआर के आदेश दे दिये हैं. मैं यह अनुरोध करना चाहता हूं कि जब वक्फ बोर्ड इसमें इन्वाल्व है तो वह एफआईआर कैसे कर रहा है. आप तो जो भी दोषी हों, चाहे वक्फ बोर्ड हो, चाहे सब-कमेटी हो, चाहे आपके विभाग के अधिकारी हों उनके खिलाफ जाँच के आदेश देना चाहिए.
श्री बाबूलाल गौर-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह तो गंभीर बात है कि अपराधी खुद जाकर एफआईआर करा रहा है. अपराधी एफआईआर कैसे कराएंगे. वक्फ बोर्ड ही अपराधी है.
श्री आरिफ अकील-- अध्यक्ष महोदय, न्याय करिये.
श्रीमती ललिता यादव-- अध्यक्ष महोदय, वक्फ बोर्ड अपराधी नहीं है. वहाँ जिला कमेटी ने एक कमेटी बनाई है.
श्री आरिफ अकील-- क्या जिला कमेटी को सब-कमेटी बनाने का अधिकार है?
श्रीमती ललिता यादव-- माननीय सदस्य, आप सही कह रहे हैं कि जिला कमेटी को कमेटी बनाने का अधिकार नहीं है. वहाँ गलत हुआ है और विवेचना के अनुसार कार्यवाही की जाएगी, जाँच में जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्यवाही होगी.
श्री बाबूलाल गौर-- अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर मामला है. पूरा विभाग, पूरा वक्फ बोर्ड गलत काम कर रहा है और जो अपराधी हैं, उनके खिलाफ कार्यवाही होना चाहिए. अध्यक्ष महोदय, जिस वक्फ बोर्ड ने खुद ही यह कार्य किया है और वह अपराधी है, उसने एक कमेटी बना दी, वह भी अपराधी हैं इसलिए पूरा वक्फ बोर्ड अपराधी है उनके खिलाफ एफआईआर होना चाहिए. यह हमारा अनुरोध है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) -- अध्यक्ष महोदय, माननीय गौर साहब बिल्कुल सही बोल रहे हैं और आरिफ अकील जी की बात भी उसी में आ गई है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदया से अनुरोध करना चाहता हूँ कि जब वक्फ़ बोर्ड ही शामिल है तो क्यों न आप सीधे विभाग से ही कार्यवाही करवाते ?
अध्यक्ष महोदय -- उत्तर में कहाँ लिखा है कि वक्फ़ बोर्ड शामिल है ?
श्रीमती ललिता यादव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विवेचना में जो-जो दोषी पाए जाएंगे उन पर कार्यवाही होगी और एफ.आई.आर. होगी.
सी.टी. एवं एम.आर.आई. जाँच हेतु आधुनिक मशीनों की स्थापना
[चिकित्सा शिक्षा]
8. ( *क्र. 4458 ) श्रीमती प्रतिभा सिंह : क्या राज्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश के किन-किन मेडिकल कॉलेजों में सी.टी., एम.आर.आई. जाँच हेतु विभागीय आधुनिक मशीनें उपलब्ध हैं एवं किन-किन मेडिकल कॉलेजों में पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप के अंतर्गत मशीनें लगाई गयीं हैं? जबलपुर मेडिकल कॉलेज में संचालित P.P. पार्टनरशिप की मशीनों को विगत 5 वर्षों में जाँचों हेतु शासन द्वारा कितना भुगतान विभिन्न योजनाओं से किया गया? (ख) क्या शासन द्वारा प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में C.T. एवं MRI जाँच हेतु शासकीय आधुनिक तकनीक की मशीनें लगाई जावेंगी? ताकि प्रदेश के गरीब मरीजों को जाँच की सुविधा एवं पी.जी. (रेडियोलॉजी) छात्रों को प्रायोगिक ज्ञान मिल सकेगा? यदि हाँ, तो कब तक?
राज्यमंत्री, चिकित्सा शिक्षा ( एडवोकेट शरद जैन ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जबलपुर मेडिकल कॉलेज में संचालित पी.पी.पी. पार्टनरशिप की मशीनों के संबंध में विगत 05 वर्षों में जाँच हेतु किये गये भुगतान की जानकारी निम्नानुसार है :-
अवधि |
किया गया भुगतान |
2012-13 |
1,36,80,492.00 |
2013-14 |
1,20,86,170.00 |
2014-15 |
72,95,192.00 |
2015-16 |
55,51,685.00 |
2016-17 |
1,48,95,625.00 |
(ख) उत्तरांश (क) के परिप्रेक्ष्य में जी हाँ। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्रीमती प्रतिभा सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने प्रश्न (क) एवं (ख) के उत्तर में बताया है कि प्रदेश के 6 शासकीय मेडिकल कॉलेजों में शासकीय एम.आर.आई. मशीन नहीं है और 2 कॉलेजों में सी.टी. मशीन है. महोदय, केवल जबलपुर मेडिकल कॉलेज की मशीन को शासन ने पी.पी.पी. के तहत् 5 करोड़ 35 लाख रुपये का भुगतान बी.पी.एल. के मरीजों हेतु कर दिया, साथ में मशीन लगाने हेतु बिल्डिंग एवं बिजली बिल भी शासन देता है. शासन ने एक प्राइवेट मशीन से जाँचो के लिए 5 करोड़ से अधिक का भुगतान कर दिया, इतनी राशि में तो नई टेक्नॉलॉजी की मशीन खरीदी जा सकती है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहती हूँ कि सभी शासकीय मेडिकल कॉलेजों में आधुनिक टेक्नॉलॉजी की एम.आर.आई. एवं सी.टी. स्केन मशीन लगाई जाए ताकि प्रदेश के गरीबों को जाँच का लाभ मिल सके, साथ ही रेडियोलॉजी के छात्र भी अच्छी पढ़ाई कर सकेंगे. अध्यक्ष महोदय, क्योंकि सरकार ने इस वर्ष चिकित्सा शिक्षा का बजट भी बढ़ा दिया है तो मैं माननीय मंत्री जी को इसके लिए धन्यवाद देती हूँ और निवेदन करती हूँ कि चूँकि आज महिला दिवस भी है तो इसके उपलक्ष्य में मेरे प्रश्न के उत्तर में सभी मेडिकल कॉलेजों को एम.आर.आई. मशीन और सी.टी. स्केन मशीन देने की घोषणा करें. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से आज यह उपलब्धि दिलवा दीजिएगा.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, डॉ. गोविन्द सिंह जी पूछ रहे हैं कि पुरुष दिवस कब आएगा ?
श्रीमती प्रतिभा सिंह -- अजय सिंह जी, यह संभव नहीं है क्योंकि बहुत पहले से पुरुष दिवस चलता रहा है, अभी महिला दिवस आना शुरू हुआ है.
डॉ. गोविन्द सिंह -- अध्यक्ष महोदय, पुरुषों के अधिकारों के लिए कभी पुरुष दिवस भी मनेगा या नहीं, कब आएगा पुरुष दिवस, हमारा आपसे निवेदन है कि इस विधान सभा में पुरुष दिवस के लिए भी कम से कम कोई दिन नियत कर दें ताकि हमको भी सम्मान मिल सके.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, कोई दिन नियत नहीं किया जाएगा.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आज महिला दिवस के दिन एक भी महिला के साथ अन्याय नहीं होगा, क्या सरकार इसकी गारंटी लेती है.
अध्यक्ष महोदय -- बैठ जाइये, प्रश्न का उत्तर आने दीजिए.
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री (श्री रुस्तम सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो हमारी माननीय विधायिका जी ने बात कही है, दो मेडिकल कॉलेजेस में ऑलरेडी सी.टी. स्केन मशीनें हैं और उनका आग्रह यह है कि सभी मेडिकल कॉलेजेस में शासन के द्वारा ये मशीनें स्थापित कराई जाएं, जबकि पी.पी.पी. मोड पर हर कॉलेज में ये मशीनें हैं और वे चल रही हैं. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इतना खर्चा सरकार कर ही रही है तो शासन के द्वारा ही क्यों न मशीनें खरीदी जाएं, यह सरकार के विचार में है और सरकार यह करना भी चाहती है. भोपाल हेतु पी.पी.पी. के तहत् एम.आर.आई. और सी.टी. स्केन मशीन हेतु टेंडर निकल गया है और जहाँ-जहाँ भी पी.पी.पी. के तहत् मशीनें लगाई गई हैं उनके रिजल्ट बेहतर हैं, उनका काम भी बेहतर है, इसलिए हम ऐसा कर रहे हैं. हम लोग तो हर जिला चिकित्सालय में सी.टी. स्केन की मशीनें पी.पी.पी. के तहत् ही लगाने का सोच रहे हैं क्योंकि वे दुरुस्त भी रखते हैं और चालू भी रखते हैं और भी बहुत सारी चीजें हैं जिन पर वे ध्यान देते हैं, आपने जो कहा उस पर विचार जरूर करेंगे लेकिन रिजल्ट्स में, सुविधा में प्राइवेट पार्टनरशिप के नतीजे ठीक आए हैं.
श्रीमती प्रतिभा सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, लेकिन प्राइवेट पार्टनरशिप में इतना पैसा शासन का जाता है.
अध्यक्ष महोदय -- इसका उत्तर उन्होंने दे तो दिया.
श्रीमती प्रतिभा सिंह -- उत्तर दे तो दिया है लेकिन मेरा यह कहना है कि इसमें शासन को खुद मशीनें खरीदना चाहिए और हमारे सभी मेडिकल कॉलेजेस को मशीनें मिल जाएं.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात का उत्तर उन्होंने दे दिया है, वही बात वे फिर बोलेंगे.
श्रीमती प्रतिभा सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह मेरा निवेदन था आज महिला दिवस है तो आज के दिन तो कम से कम वे घोषणा कर देते.
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, यह कोई बात नहीं है.
श्रीमती प्रतिभा सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
वित्तीय अपराध के दोषी चिकित्सक के विरूद्ध कार्यवाही
[लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण]
9. ( *क्र. 4888 ) पं. रमेश दुबे : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रश्नकर्ता के परि.अता. प्रश्न (क्र. 1331), दिनांक 26.02.2016 के उत्तर में यह बताया गया है कि डॉ. प्रमोद वाचक बी.एम.ओ. को वित्तीय अनियमितता का प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है? प्रक्रियात्मक अनियमिततायें एवं समुचित अभिलेखों का संधारण न करना पाया गया? (ख) प्रश्नकर्ता के प्रश्न क्र. 5618, दिनांक 14.03.2016 के उत्तर में बताया गया है कि डॉ. वाचक खण्ड चिकित्साधिकारी वित्तीय अनियमितता के दोषी हैं? प्रश्न क्र. 1586 दिनांक 26.07.2016 के उत्तर में डॉ. प्रमोद वाचक को वित्तीय अनियमितता का दोषी पाये जाने के फलस्वरूप उन्हें स्पष्टीकरण जारी किया जाना और प्रश्न क्र. 1804, दिनांक 09.12.2016 के उत्तर में राशि रूपये 258861.00 वसूली योग्य पायी जाने से वसूली जारी होना बताया गया है? (ग) प्रश्नांश (क) और (ख) के अनुसार जब डॉ. वाचक को वित्तीय अनियमितता का दोषी पाया गया है तो उनके विरूद्ध थाने में वित्तीय अपराध की प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं कराई गयी? उन्हें अभी तक निलंबित क्यों नहीं किया गया? क्या यह माना जाय कि स्वास्थ्य विभाग वित्तीय अपराधियों को प्रश्रय दे रहा है? (घ) क्या शासन वित्तीय अपराध के दोषी डॉ. प्रमोद वाचक, तत्कालीन बी.एम.ओ. के विरूद्ध थाने में प्राथमिक दर्ज कराने का आदेश देगा? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हाँ। जी हाँ। (ख) जी हाँ। जी हाँ। जी हाँ। (ग) प्रकरण में संबंधित चिकित्सक के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रक्रिया नियमानुसार जारी है। गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जावेगा। जी नहीं। (घ) अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रक्रिया पूर्ण होने पर गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जावेगा।
पं. रमेश दुबे :- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के ''क'' और ''ख'' में माननीय मंत्री जी ने इस बात को स्वीकार किया है कि प्रथम दृष्टयता वह दोषी पाये गये हैं और अभिलेखों का संधारण नहीं हुआ है और उसी के आधार पर उन्होंने उत्तर दिया है कि गुण दोष के आधार पर निर्णय लिया जायेगा. मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि गुण दोष का आधार क्या होगा और आप निर्णय क्या लेंगे, जिन्होंने वित्तीय अनियमितताएं की हैं ?
श्री रूस्तम सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक पिछले लगातार तीन चार बार सत्र हुए हैं, तब तब इन्होंने यह मुद्दा उठाया है, उनसे जो जांच हुई थी यह रोगी कल्याण समिति का पैसा था, जिसके आडिट में यह पाया गया कि पर्टिकुलर इनके बिल नहीं मिल पाये, उसी का उसे दोषी मानकर, उससे वसूली शुरू कर दी है और हर महीने वसूली हो रही है और उसके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी किये गये हैं, जो निकट भविष्य में पूरी होगी, जितनी गलती पायी जायेगी उससे उसको सजा भी दी जायेगी.
पं.रमेश दुबे:- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी ने इस बात को स्वीकार किया है. लगभग आठ-नौ बार इस बात की शिकायत करने के बाद यह स्थिति बनी हैं. अभिलेखों का संधारण नहीं हुआ है, संयुक्त संचालक स्वास्थ्य, जबलपुर समिति जो इसकी जांच कर रही है; मेरा उनसे यह कहना है कि ढाई वर्ष हो गये हैं और ढाई वर्ष में उन्हें इतना अवसर दिया कि फर्जी बिल और बाऊचर लगाने का मौका दिया गया. इसलिये मैं चाहता हूं कि इसकी प्रदेश स्तरीय जांच करायी जाये. आर्थिक अनियमितताओं में जब दोषी पाये गये हैं तो क्या माननीय मंत्री जी उनके खिलाफ उनको निलंबित करके एफ.आई.आर करायेंगे ? अपने आप निर्णय हो जायेगा,मामला न्यायालय में चला जायेगा.
श्री रूस्तम सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी चिंता जाहिर है कि रोगी कल्याण समिति का पैसा था,उसके कुछ बिल और बाऊचर मेल नहीं खाये थे. उसको विभाग ने गंभीरता से लिया है. जितने बिल मेल नहीं खाये थे, उनसे उनकी वसूली शुरू कर दी है और अभी तक कुछ वसूली हो गयी है. बाकी वसूली भी होगी विभागीय जांच होगी और उसमें जो निर्णय आयेगा उस पर कार्यवाही होगी.
पं.रमेश दुबे :- माननीय अध्यक्ष महोदय, उन्होंने अपने खुद के हस्ताक्षर से भी राशि का आहरण किया है. जबकि संयुक्त हस्ताक्षर से आहरण करना था, यह भी दोषी पाया गया है. उसमें ऐसी भारी अनियमितताएं हुई हैं. मैं चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी उसकी विभागीय जांच कराकर उस पर कार्यवाही करवायें ?
अध्यक्ष महोदय :- उन्होंने जांच कराने का बोल दिया है.
प्रश्न कमांक 10- अनुपस्थित. (श्री आशीष गोविंद शर्मा)
मूल विषय के प्रोफेसर पद पर नियम विरूद्ध पदोन्नति
[आयुष]
11. ( *क्र. 4157 ) श्री केदारनाथ शुक्ल : क्या लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या आयुष विभाग के कुछ व्याख्याताओं एवं रीडरों को उनके मूल विषय से हटकर अन्य विषय में बिना सहमति पदोन्नतियां दी गई हैं? यदि हाँ, तो कब-कब किसे? महाविद्यालयवार, विषयवार सूची दें। इसके लिए कौन दोषी हैं? दोषियों के विरूद्ध क्या कार्यवाही की जावेगी? (ख) क्या इन लोगों को विषय विभाग में तत्समय रिक्त प्रोफेसर के पद के विरूद्ध पदोन्नति दी जाना (अन्यों की भांति) अपराधिक था? यदि नहीं, तो इन्हें भी मूल विषय में कब तक पदस्थ कर दिया जावेगा? यदि नहीं, तो क्यों?
लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ( श्री रुस्तम सिंह ) : (क) जी हाँ, पदोन्नति में सहमति का प्रावधान न होने से। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार। कोई नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) जी नहीं। समय-सीमा बताया जाना संभव नहीं है।
श्री केदारनाथ शुक्ल :- अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि यदि द्रव्य गुण विज्ञान विषय का संबध विषय अगद तंत्र है.अगद तंत्र एवं विकृति तंत्र है तो अगद तंत्र एवं विकृति तंत्र का संबध विषय द्रव्य गुण विज्ञान विषय भी है,और बिना सहमति के द्रव्यगुण विज्ञान विषय के लेक्चरर को आपने अगद तंत्र में दे दिया, अब उसके बाद उसकी ओर से लगातार अपने मूल विषय की ओर जाने की बात की जा रही है.आप उसे मूल विषय में भेज नहीं रहे हो और उसकी ओर से लगातार रिप्रेजेंटेशन दिये गये हैं. जूनियर को लगातार प्रमोशन दिये गये हैं. कहीं नियम का पालन नहीं किया गया है, लेकिन उसके लिये बार-बार नियमों का हवाला दिया जाता है. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि क्या आप सारे प्रकरण की जांच कराकर संबंधित को उसके विषय का प्रोफेसर बनायेंगे. क्योंकि उसकी एम.डी और पी.एच.डी भी द्रव्यगुण विज्ञान विषय में है. इसके बाद भी उसके द्वारा प्रमोशन मांगने पर नहीं मिल रहा है. जबकि उसके जूनियर्स को बिना समय सीमा का पालन किये रीडर्स बना दिया गया है. इस नाते मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि आप क्या उसे उसके मूल विषय प्रोफेसर बनायेंगे ?
श्री रूस्तम सिंह :- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाया है उसमें वह यह बताना चाहते हैं कि आयुर्वेदिक कालेज में रीडर बनने के लिये पांच साल और प्रोफेसर बनने के लिये 10 साल का अनुभव उसी विभाग का जरूरी है, जिस विभाग में वह व्याख्याता है. यह जिस पर्टीकुलर प्रकरण की बात कर रहे हैं, उनके पास जिस समय उनको रीडर बनाया गया तब उनके पास पूरा अनुभव नहीं था और वह पद भरा हुआ था, पद एक ही था. नियमानुसार उन्होंने स्वीकृत किया, जो ग्रुप होता है कि इसमें भी प्रमोशन हो सकता है उसमें उनका प्रमोशन किया गया और उसकी सीनियरिटी के हिसाब से उनको फिर प्रोफेसर के पद पर प्रमोशन किया गया, वह पदोन्नतियां प्राप्त करते गये.
दूसरे प्रश्न में माननीय विधायक जी ने यह कहा है कि अन्य कई लोग ऐसे हैं जिनको 10 साल की सीनियरिटी उस विभाग की न होते हुए भी प्रमोशन दिये गये हैं. यह जानकारी ऐसी है कि इसकी जांच करायी जाना चाहिए. इसकी हम जांच करा लेंगे और आपके जरिये विधायक जी को उपलब्ध करा देंगे.
श्री केदारनाथ शुक्ल -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं बताना चाहता हूं कि 2 वर्ष और 2.6 वर्ष इस तरह करके, खुशीलाल शर्मा महाविद्यालय में ही 3 कनिष्ठों को प्रोफेसर के पद के विरूद्ध रीडर के पद पर नियुक्ति दी गई है, जबकि संबंधित प्राध्यापक के पास में 13.6 वर्ष का प्रोफेसर पद का अनुभव है. अगर वह विधि से संबंद्ध है तो वह दूसरे विषय से संबंद्ध भी तो है. अगर एक विषय के विरूद्ध में किसी को रीडर बना सकते हैं तो उस विषय के विरूद्ध में उसे प्रोफेसर भी तो बना सकते हैं. दूसरी बात मैं यह निवेदन करना चाहता हूं कि व्याख्याता से रीडर के लिए 5 वर्ष का अनुभव चाहिए था. डॉ आर के पत्ती, डॉ संजय श्रीवास्तव, डॉ चारू बंसल एवं डॉ विनोद शर्मा आदि को वरिष्ठता को शिथिल कर रीडर बना दिया गया है. इसी तरह से कई लोगों को सीधे प्रोफेसर पद के विरूद्ध रीडर के पद पर नियुक्ति दे दी गई है, उनसे जूनियर को . मेरा यह निवेदन है कि पीएचडी और एमडी भी उसी विषय में है, तो उसको क्यों नहीं बनाया जा सकता है अगर संबद्ध विषय में उसे रीडर बनाया जा सकता है , इस नाते मैं माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि संबंधित पूरे प्रकरण की जांच करवाकर क्या न्याय करेंगे.
श्री रूस्तम सिंह -- अध्यक्ष महोदय मैंने पहले भी आपसे आग्रह किया है कि सीसीआई जो कि भारत सरकार का संस्थान है उससे हमने इसमें मार्गदर्शन भी मांगा था. उनका कहना है कि 10 वर्ष की स्पेसिफिक सीनियरिटी स्पेसिफिक विभाग की होगी तब ही वह उसमें प्रोफेसर बन पायेंगे. अन्य आयुर्वेदिक कालेज की जो बातें माननीय सदस्य ने बताई हैं, उन पूरे प्रकरणों की हम जांच करा लेंगे.
श्री केदारनाथ शुक्ल -- धन्यवाद्.
अनुसूचित जाति छात्रावास की स्वीकृति
[अनुसूचित जाति कल्याण]
12. ( *क्र. 796 ) श्री के.पी. सिंह : क्या आदिम जाति कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) प्रदेश में विगत तीन वर्षों में किस-किस विधानसभा क्षेत्र में कितने अनुसूचित जाति छात्रावास खोले गए हैं? विधानसभा क्षेत्रवार, ग्राम के नाम सहित जानकारी दें। (ख) क्या इन छात्रावासों को स्वीकृत करने में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया गया है? जहाँ अत्यधिक जरूरत थी, ऐसे क्षेत्रों की उपेक्षा की गई है? यदि हाँ, तो इसके क्या कारण हैं?
आदिम जाति कल्याण मंत्री ( श्री ज्ञान सिंह ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट अनुसार है। (ख) जी नहीं। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता।
श्री के पी सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरे प्रश्न में मैंने मंत्री जी से पूछा है कि छात्रावास खोलने में क्या पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया गया है. मंत्री जी ने कहा है कि जी नहीं. मंत्री जी मैं आपको उदाहरण देना चाहता हूं कि वर्ष 2013-14 में टीकमगढ़ में 20, सीहोर में 11, विदिशा में 10 छात्रावास खोले गये हैं. 2014-15 में भोपाल में 24, ग्वालियर में 14, इंदौर में 12 और 2015-16 में ग्वालियर में 19, मुरैना में 19 और छतरपुर में 10 और यहां पर जब शिवपुरी की बात आती है तो 2013-14 में कुल 3 जिसमें करेरा, पोहरी और शिवपुरी में एक एक छात्रावास खोला गया है. मेरी विधान सभा में जीरो. उसके बाद 2014-15 आता है तो शिवपुरी में दो और यह दोनों शिवपुरी विधान सभा में ही खोले गये हैं. बाकी किसी विधान सभा में कोई छात्रावास नहीं खोला गया है. इसी तरह से जब 2015-16 का आंकड़ा देखते हैं तो शिवपुरी में दो और दोनों ही शिवपुरी विधान सभा में दिये गये हैं. मंत्री जी यह जो पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया गया है. उसमें मेरा सीधा सीधा आपको यह कहना है कि बाकी लोगों के साथ में अन्याय हुआ है. विगत तीन वर्ष में एक भी छात्रावास मेरी विधान सभा में नहीं खोला गया है. क्या इस वर्ष में इस व्यवस्था को ठीक करेंगे या यह ही रवैया विभाग का रहेगा.
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय किसी भी विधान सभा के साथ में किसी प्रकार का अन्याय करने का सरकार का कोई मंतव्य नहीं है. जैसा कि माननीय सदस्य ने कहा है विभाग द्वारा एक साफ्टवेयर तैयार किया गया है उसमें छात्रावासों की जो संख्या होती है, और छात्रों की जो संख्या होती है वह जब हम साफ्टवेयर में डालते हैं तो वह हमें घटते क्रम में बताता है और उसके अनुसार ही छात्रावासों का निर्धारण होता है. जहां तक माननीय सदस्य ने कहा है मैं उसका परीक्षण करा लूंगा अगर नार्मस में आ रहा होगा तो वहां पर ..
श्री के पी सिंह -- आपके ही जवाब में यह दिया हुआ है. आपके ही जवाब में पूरे तीन वर्ष में एक भी छात्रावास मेरी विधान सभा में नहीं है. यह मैंने आपके ही जवाब से पढ़ा है मेरी जानकारी नहीं है यह.
श्री लाल सिंह आर्य -- पूरे मध्यप्रदेश में हैं.
श्री के पी सिंह -- मैं मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले की और मेरी विधान सभा क्षेत्र की बात कर रहा हूं.
श्री लाल सिंह आर्य-- मेरा कहना है कि वह मापदण्ड में नहीं आ रहा होगा.
श्री के पी सिंह -- एक विधान सभा में आप पांच छात्रावास खोल रहे हैं और एक विधान सभा में एक भी नहीं . शिवपुरी जिला मापदण्ड में आता होगा तब ही तो शिवपुरी जिले में खोले हैं.
श्री लाल सिंह आर्य -- जी.
श्री के पी सिंह -- एक विधान सभा में 5 छात्रावास और एक विधान सभा में एक भी छात्रावास नहीं.
श्री लाल सिंह आर्य-- मैं उसका परीक्षण करा लूंगा और नार्मस में आ रहा होगा तो
श्री के पी सिंह -- आपका ही जवाब है,इसमें परीक्षण की क्या जरूरत है. आपका ही जवाब है कि 3 साल में एक विधान सभा में 5 छात्रावास खोले हैं और एक विधान सभा में जीरो.
अध्यक्ष महोदय -- तो उसका ही तो परीक्षण करायेंगे कि क्यों ऐसा हुआ है.
श्री के पी सिंह -- अगर इनका जवाब सही है तो क्या यह इसका पालन करायेंगे या नहीं करायेंगे. जो पक्षपात किया गया है उसे ठीक ठाक करेंगे या नहीं.
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं कह रहा हूं कि पक्षपातपूर्ण कार्यवाही हो ही नहीं सकती है. लेकिन आप कह रहे हैं तो हम उसका परीक्षण करा लेंगे, और फिर भी वहां पर आवश्यकता महसूस होगी तो करा लेंगे.
श्री के पी सिंह -- आवश्यकता किस नजरिये से महसूस होगी. अध्यक्ष महोदय सरकार का यह पक्षपातपूर्ण रवैया है और मैं सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये के विरोध में बहिर्गमन करता हूं.
समय 12.00 बजे. बहिर्गमन
सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये के विरोध में
( श्री के पी सिंह सदस्य द्वारा सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण सदन से बहिर्गमन किया गया. )
अध्यक्ष महोदय -- प्रश्नकाल समाप्त.
( प्रश्नकाल समाप्त )
12.02 बजे बधाई
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
अध्यक्ष महोदय - आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. मैं इस अवसर पर अपनी और पूरे सदन की ओर से महिला सदस्यों एवं समस्त महिलाओं को बधाई देता हूं.
12.03 बजे अध्यक्षीय घोषणा
हीमोग्लोबिन जांच शिविर लगाये जाने विषयक.
अध्यक्ष महोदय - आज दिनांक - 08 मार्च, 2017 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विधानसभा परिसर स्थित समिति कक्ष क्रमांक-2 में हीमोग्लोबिन जांच शिविर लगाया गया है. मेरा सभी माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि वह पांच बजे तक अपनी सुविधा अनुसार हीमोग्लोबिन का परीक्षण कराने का कष्ट करें ,धन्यवाद.
मुख्यमंत्री( श्री शिवराज सिंह चौहान) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है, इस अवसर पर हम अपनी बहिनों, बेटियों, माताओं और भांजियों को भी चूंकि मैं बेटियों और भांजियों को एक ही मानता हूं, दोनों में कोई अंतर नहीं है, इसलिए हम उनको हार्दिक शुभकामनाएं देते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम सबकी कोशिश तो यह हो कि केवल एक दिन महिलाओं के लिये क्यों रहे हर दिन मां बहन और बेटी का क्यों न हो. भारत की तो परम्परा है कि बेटियां गंगा, गीता, गायत्री है, बेटियां सीता, सत्या, सावित्री हैं, बेटियां दुर्गा, लक्ष्मी सरस्वती हैं. अर्धनारेश्वर की कल्पना भी भारत ने ही की है कि पुरूष और स्त्री के बिना यह सृष्टि चल नहीं सकती है. हम लोग उस दिशा में बहिनों के कल्याण के लिये भी लगातार काम करते रहे हैं. एक बार फिर सभी बहिनों को हार्दिक शुभकामनाएं.
श्री सुंदरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - कोई निवेदन नहीं होगा. आप बैठ जाएं, कुछ एलाउ नहीं है. श्री सुंदरलाल तिवारी जो भी बोल रहे हैं वह कुछ भी नहीं लिखा जायेगा. माननीय मंत्री जी बोल रहे हैं, कृपया आप बैठ जायें.
श्री सुंदरलाल तिवारी - (XXX)
संसदीय कार्यमंत्री(डॉ. नरोत्तम) - बहुत ही गलत है, माननीय अध्यक्ष जी बार बार कह रहे हैं, उसके बाद भी आप बैठते नहीं है.
श्री सुंदरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - श्री सुंदरलाल तिवारी जी आप मर्यादाओं का पालन करें, कुछ भी न सुना जायेगा, न ही लिखा जायेगा. श्री सुंदरलाल तिवारी जी कृपया आप बैठ जाएं. आधा मिनिट भी नहीं कृपया बैठ जाएं, जी नहीं आपको कोई अवसर नहीं दिया जायेगा. आपका कुछ भी नहीं लिखा जायेगा. आप बैठ जाइये. यह उचित नहीं है, कृपया आप बैठ जाएं, कृपया वकील साहब आप बैठ जाएं. आदरणीय वकील साहब श्री सुंदरलाल तिवारी जी आप कृपा करके बैठ जाएं. आप लोकसभा के पुराने सदस्य रहे हैं कृपा करके बैठ जाएं.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछली विधानसभा में विधायकों को स्वास्थ्य परीक्षण करवाया गया था, उसकी रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है ?
अध्यक्ष महोदय - रिपोर्ट दे देंगे.
12.04 बजे विशेष उल्लेख
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला बाल विकास विभाग के कार्यक्रम विषयक.
महिला एवं बाल विकास मंत्री ( श्रीमती अर्चना चिटनीस) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय नेता प्रतिपक्ष जी और उपाध्यक्ष जी और सभी माननीय सदस्यों को हमारी सारी बहिन विधायकों की ओर से एवं महिला बाल विकास की ओर से इस बात के लिये आग्रहपूर्वक निवेदन करना चाहती हूं कि ध्यानाकर्षण के बाद आडीटोरियम में ही महिला बाल विकास विभाग का एक छोटा सा सवा एक घंटे का कार्यक्रम है, उसमें माननीय मुख्यमंत्री जी भी उपस्थित रहेंगे. मैं आप सभी सदस्यों से पुन: पुन: आग्रह करती हूं कि उसमें आप सभी जरूर आयें. हमने बहुत ही स्नेह से आपके लिये बड़ा सादा सा और परंपरागत भोजन बनाया है. हम आपको खड़े-खड़े नहीं खाने देंगे महिला दिवस पर आप सभी को बैठाकर प्यार से परोसकर, हम भोजन करायेंगे. मैं फिर से आग्रह करती हूं आप सभी उस कार्यक्रम में आयें. माननीय मुख्यमंत्री जी ने लालिमा अभियान चार दिसंबर को प्रारंभ किया था और लालिमा अभियान के अंतर्गत हमने स्वास्थ्य मंत्री जी से इस बात के लिए निवेदन किया, आग्रह किया कि लालिमा अभियान के अंतर्गत ही सभी माननीय विधायकों का हीमोग्लोबिन चेक हो जाय और फिर हम अगले 8 मार्च तक जैसा माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हर दिवस महिला दिवस, हम अगले 8 मार्च तक मध्यप्रदेश की हर बेटी का, बहन का हीमोग्लोबिन चेक करके उसमें अनिमिया न रहे इसके लिए हम स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर उसको आगे बढ़ाएंगे और आप भी हमारे साथ में मंचस्थ होंगे. श्री अजय सिंह जी, आप जरूर आइए और बीच में एक पोषण वाटिका है, उसका भी आप अवलोकन करें और महिला दिवस पर आपने हमें इतना स्पेस दिया, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - पद क्रमांक 5 तक की कार्यवाही होने के बाद माननीय सदस्य आपके कार्यक्रम में जाएंगे. दिनांक 7.3.17 को शाजापुर जिले में.. तिवारी जी बैठ जायं, तिवारी जी बैठ जायं आप. (श्री सुन्दरलाल तिवारी, सदस्य के लगातार बोलते रहने पर) यह बात ठीक नहीं है. मैं खड़ा हूं ना, आपको कुछ मर्यादाओं का ज्ञान है कि नहीं है तो फिर बैठ जाय .
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आपका निवेदन अस्वीकार है.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह) - अध्यक्ष महोदय, उनको महिलाओं के लिए बड़ी चिंता है और माननीय विधायक महोदय महिला दिवस पर ही कुछ बात कहना चाहते हैं. एक मिनट उनको समय दे दिया जाय.
अध्यक्ष महोदय - उनको पूरे प्रदेश भर की हर कार्य की चिंता है, इसीलिए समस्या है. एकाध चिंता होती तो उनको अनुमति दे देते, कृपया श्री तिवारी बैठ जायं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - जी नहीं. माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी ने जो कहा, मैंने उनको समझा दिया है. जी नहीं, आधा मिनट भी नहीं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आधा मिनट भी नहीं. तिवारी जी आप मुझे मजबूर न करें, प्लीज़.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आप अपनी मर्यादा रखें और आप मर्यादा नहीं रखेंगे तो मुझे फिर मर्यादा का हनन करना पड़ेगा.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - जी नहीं. सिर्फ नेता प्रतिपक्ष बोल सकते हैं. (व्यवधान)..आप बैठ जाइए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - बहस नहीं होगी. आप बैठ जाइए. सिर्फ नेता प्रतिपक्ष बोल सकते हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - नेता प्रतिपक्ष बोलें. आप कौन हैं? कौन रोक रहा है, उप नेता हैं, नेता हैं, कौन रोक रहा है? उन्होंने आपकी सिफारिश की तो किसी ने उनको रोका क्या? वे बोलें, आप कौन हैं?
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - परन्तु अनुमति मेरी लगेगी. अनुमति आसंदी की होती है. आप बैठ जाइए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - उनको उनकी मर्यादा की चिंता नहीं है. हमें ही करना पड़ेगी. आप बैठ जायं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - कृपया बैठ जाइए. श्री सुन्दरलाल तिवारी, मैं आपको चेतावनी दे रहा हूं, आप बैठ जायं अपने स्थान पर.
श्री सुन्दरलाल तिवारी - (XXX)
अध्यक्ष महोदय - श्री सुन्दरलाल तिवारी, मैं दोबारा कह रहा हूं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - माननीय अध्यक्ष जी, प्लीज़, प्लीज़.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया बैठ जायं.
श्री गोपाल भार्गव - इतनी कर्कश आवाज है, महिलाओं के बारे में कुछ बोला जा सकता है?
अध्यक्ष महोदय - दिनांक 7.3.2017 को शाजापुर जिले में जबड़ी रेलवे स्टेशन के पास भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में आतंकियों द्वारा किये गये विस्फोट के संबंध में माननीय मुख्यमंत्री जी वक्तव्य देंगे.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान) - माननीय अध्यक्ष महोदय..
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर) - अध्यक्ष महोदय, नियम प्रक्रिया में यह व्यवस्था है. मैंने इस घटना के संबंध में स्थगन दिया है, उसी घटना के संबंध में सरकार वक्तव्य दे रही है.
श्री भूपेन्द्र सिंह - अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी खड़े हैं. आप मर्यादा नहीं रखते हैं.. बाद में आप कह सकते हैं. (व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत - मैं मुख्यमंत्री जी को चैलेंज नहीं कर रहा हूं. मैं निवेदन कर रहा हूं. मैं प्रक्रिया के संबंध में निवेदन कर रहा हूं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - इस वक्तव्य के बाद भी आप निवेदन कर सकते हैं. आपको निवेदन ही तो करना है ना?
श्री रामनिवास रावत - यह वक्तव्य ही उसका जवाब होगा. मैंने इस संबंध में स्थगन दिया है, आप स्थगन पढ़ दें. माननीय मुख्यमंत्री उस पर वक्तव्य दे दें. सरकार का जवाब आ जाय.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइए. आपकी बात का उत्तर सुन लें. स्थगन प्रस्ताव आपने कब दिया है?
श्री रामनिवास रावत - आज सुबह, आठ बजे से पहले.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जायें. आठ बजे के पहले दिया. स्थगन प्रस्ताव पर जानकारी मंगाई जा रही है. एक मिनट सुन तो लीजिए. कृपा करके बहुत दिनों के बाद आए हैं तो थोड़ी एनर्जी ज्यादा है.
श्री रामनिवास रावत - ऐसी कोई बात नहीं है.
श्री आरिफ अकील - आप जानकारी मंगा रहे हैं और मुख्यमंत्री जी वक्तव्य दे रहे हैं. आपके पास जानकारी नहीं आई, मुख्यमंत्री जी के पास जानकारी आ गई है.
अध्यक्ष महोदय - मुख्यमंत्री जी को जानकारी है, इसलिए दे रहे हैं परन्तु विधान सभा को, हमारे सचिवालय को जानकारी नहीं है, इसलिए जानकारी मंगाई है. जानकारी आने के बाद उस पर निर्णय करेंगे. माननीय मुख्यमंत्री जी सदन के नेता हैं, वे वक्तव्य दे सकते हैं.
श्री रामनिवास रावत - वे वक्तव्य दे सकते हैं, उसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री जी वक्तव्य दे सकते हैं, वे सदन के नेता हैं. लेकिन जिस संबंध में स्थगन लगाया है, उसी के संबंध में वक्तव्य आ रहा है, वही जानकारी है.
अध्यक्ष महोदय--ऐसा कोई नियम नहीं है.
श्री रामनिवास रावत--जैसा आप कहें हमें तो वैसा स्वीकार है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--अस्वीकार की बात नहीं है आपने नियमों की बात कह रहे हैं तब मैंने कहा है.
शासकीय वक्तव्य
शाजापुर जिले के जबड़ी रेल्वे स्टेशन पर ट्रेन में आतंकवादियों द्वारा विस्फोट किये जाने विषयक.
मुख्यमंत्री (श्री शिवराज सिंह चौहान)--माननीय अध्यक्ष महोदय, एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत कल दिनांक 7.3.2017 को शाजापुर जिले के अंतर्गत भोपाल उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में जबड़ी रेल्वे स्टेशन के समीप आईएस, आईएस की आतंकी विचारधारा से प्रभावित आतंकवादियों के द्वारा एक विस्फोट किया गया. इस घटना के उपरांत त्वरित कार्यवाही करते हुए मध्यप्रदेश की पुलिस ए.टी.एस. और केन्द्रीय एजेंसियों से समन्वय करते हुए पांच घंटे में ही संदेहियों को पकड़ा जा सका. यह मध्यप्रदेश पुलिस की एक बहुत बड़ी सफलता है. समूचे पुलिस विभाग एटीएस,होशंगाबाद पुलिस एवं केन्द्रीय एजेंसियों को बहुत बहुत बधाई. इस घटना में ट्रेन के जनरल कोच में प्रातः 9.41 बजे विस्फोट हुआ. इस विस्फोट से 10 रेल यात्रियों को चोटें आयी हैं तथा रेल्वे की सम्पत्ति को भी नुकसान पहुंचा है. दो रेल यात्रियों को गंभीर रूप से चोटें आयी हैं तथा शेष सामान्य रूप से घायल हैं. इस घटना के संबंध में ट्रेन गार्ड फरियादी सुरेश कुमार स्वामी की रिपोर्ट पर थाना शासकीय रेल्वे पुलिस उज्जैन में अपराध क्रमांक 4717 धारा 3-4 विस्फोटक अधिनियम 1908 के तहत अज्ञात आरोपियों के विरूद्ध अपराध कायम कर विवेचना में लिया गया है. घटनास्थल की जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि विस्फोट एक सुनियोजित आतंकवादी घटना थी जिसको आईएस-आईएस की आतंकी विचारधार से जुड़े हुए आरोपियों के द्वारा आईईडी द्वारा यह कार्य किया गया था. घटना की सूचना प्राप्त होते ही पुलिस महानिदेशक मध्यप्रदेश के साथ अन्य प्रशासनिक व पुलिस के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण घटनास्थल पर पहुंचे व घटनास्थल का निरीक्षण भी किया तथा समस्त पुलिस अधीक्षकों को नाकेबंदी के निर्देश दिये गये. साथ ही इस घटना के संबंध में केन्द्रीय एजेंसियों से समन्वय कर कार्यवाही प्रारंभ की गई जिसके फलस्वरूप यह सूचना प्राप्त हो सकी कि तीन संदेही बस से पिपरिया की ओर रवाना हुए हैं. इस सूचना पर गंभीरता से कार्यवाही करते हुए पुलिस अधीक्षकों को निर्देशित किया गया व परिणामस्वरूप पिपरिया में तीन संदेहियों को वाहन चैकिंग के दौरान पकड़ा गया. संदेहियों से हुई पूछताछ में उपरोक्त घटना में उनकी सहभागिता स्पष्ट हुई है. संदेहियों से पूछताछ के दौरान प्राप्त जानकारी केन्द्रीय एजेंसियों से साझा की गई तथा वर्तमान में संदेहियों से अन्य सम्पर्क सूत्रों के संबंध में जानकारियों एकत्रित की जा रही हैं उक्त घटना में गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों के लिये 50 हजार रूपये एवं साधारण रूप से घायल व्यक्तियों के लिये 25 हजार रूपये की आर्थिक सहायता उनको दी जा रही है. पिछले कुछ माहों में आतंकवादियों ने मध्यप्रदेश में कुछ घटनाएं करने का प्रयास किया है जिनको मध्यप्रदेश पुलिस ने तत्परता से विफल किया है, यह उनकी सजगता का प्रमाण है. मेरी सरकार ऐसे तत्वों को पनपने नहीं देगी. मैं प्रदेश की जनता को पूर्ण विश्वास दिलाता हूं कि उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है. धन्यवाद.
शून्यकाल की सूचनाएं
निम्नलिखित माननीय सदस्यों की सूचनाएं सदन में पढ़ी हुई मानी जाएंगी.
1. श्री सतीश मालवीय
2. श्रीमती सरस्वती सिंह
3. श्री कालुसिंह ठाकुर
4. श्री के.के.श्रीवास्तव
5. सुश्री हिना लिखीराम कावरे
6. श्री दिलीप सिंह शेखावत
7. श्री गिरीश भंडारी
8. श्री प्रदीप अग्रवाल
9. श्री शैलेन्द जैन
10. श्री राजेन्द्र मेश्राम
पत्रों का पटल पर रखा जाना
मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2015-2016
(स्कूल शिक्षा मंत्री) कुंवर विजय शाह -- अध्यक्ष महोदय, मैं, मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम विनिमय, 1974 के नियम 48 की अपेक्षानुसार मध्यप्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम का वार्षिक प्रतिवेदन एवं लेखे वर्ष 2015-2016 पटल पर रखता हूं.
2 अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा(मध्यप्रदेश) का 48 वां प्रगति प्रतिवेदन वर्ष 2015-2016.
12.16 बजे ध्यानाकर्षण.
(1) भिण्ड जिले के ग्राम हीरापुर निवासी की हत्या किए जाने संबंधी.
डॉ. गोविन्द सिंह (लहार) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
गृह मंत्री (श्री भूपेन्द्र सिंह ठाकुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
डॉ गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का जवाब आया. उसमें मुख्य जांच अधिकारी एसडीओपी अवनीश बंसल के बारे में कहा है. मैं बता देना चाहता हूं कि यह मामला रेत व्यापार से जुड़ा हुआ है. अपराधी हीरापुर निवासी राकेश इटावा, उत्तर प्रदेश से ट्राली से ईंट लाता था और अपनी रोजी-रोटी चलाता था. लहार से करीब 45 किलोमीटर दूर होटल(ढाबा) है वहां पर सभी रेत के ट्रक इकट्ठा होते हैं. जो मुख्य आरोपी है वह वहां पर प्रत्येक ट्रक से हजार-हजार रुपये गुंडा टैक्स वसूल करता था और एसडीओपी, लहार अवनीश बंसल से उसकी सांठगांठ थी. मेरे पास फोन आया कि राकेश को पकड़ कर, बिलाव के पास हाथ-पैर बांध कर दीपक यादव के कुंए पर पड़ा हुआ है. मैंने पुलिस को, एसडीओपी को सूचना दी कि वह वहां पड़ा हुआ है लेकिन गांवों में गुंडों के भय की वजह से नाम नहीं बताया और हीरापुरा गांव के सब लोग इकट्ठा होकर गए तो उन्होंने ट्राली जब्त कर ली. ट्राली कहां से जब्त हुई? किसके द्वारा हुई? अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात कि यह एसडीओपी बंसल है, वह लहार से अपने ड्रायवर धर्मेन्द्र के नाम से करीब 15 ट्रक,डम्पर चला रहे हैं. उत्तर प्रदेश का कोई यादव है, उससे उसकी सांठगांठ है और किराये पर चलाता है. यहां से भर कर ले जाते हैं, फ्री आते हैं, यहां से वहां तक कोई पकड़ता नहीं है. जब उसकी सांठगांठ है. अपराधियों को संरक्षण है. वह वसूली करते थे और आगे भेजते थे.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया प्रश्न करें.
डॉ गोविन्द सिंह-- अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि जिस एसडीओपी बंसल जिसे मैंने भी फोन पर कहा कि आप ट्राली चलवा रहे हो तो वह बोला मैं नहीं चलवाता हूं. मैंने कहा आप एसडीओपी लहार हो. आपके ड्रायवर धर्मेन्द्र है. बाद में मैंने एसपी से कहा तो दो दिन पहले उसको अटैच किया. धर्मेन्द्र के मोबाइल नंबर ट्रेस किए जाएं कि उन अपराधियों से और क्या संबंध हैं? जो अपराधी उत्तर प्रदेश में घूम रहे हैं. जिन अपराधियों को एसडीओपी द्वारा संरक्षण दिया जा रहा था, उन्हीं के द्वारा एक सीडी में उसका बयान है जिसमें एसडीओपी ने कहा कि मैं नहीं, मेरा ड्रायवर चलवा रहा है और 10-12 डम्पर चोरी से चलवा रहा है.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्न कर दें.
डॉ गोविन्द सिंह-- मैं यह कहना चाहता हूं कि जिस एसडीओपी द्वारा जो लहार में रह रहा है और धमकी दे रहा है और अपराधी थाने के आसपास घूम रहा है, उस एसडीओपी अवनीश बंसल जो इसमें इन्वाल्व है, उसने करोड़ों रुपये की रेत चोरी करवा दी उसके वहां रहते क्या आप उसकी निष्पक्ष जांच करवा सकेंगे? जो खुद उसमें इन्वाल्व है. इसके प्रमाण भी हमारे पास है. 20 लोगों के शपथ पत्र भी हैं जिनसे वह वसूली करता है. ट्रेक्टर चलवा रहा है. उन्होंने कहा कि हमारे ट्रक एसडीओपी ने किराये पर ले रखे हैं और अपराधी को बचा रहा है. मैं मंत्रीजी से जानना चाहता हूं कि अपराधियों को आप कितने दिनों में पकड़वा लेंगे? और जो ट्रेक्टर ट्राली जब्त हुई वह किस कारण से, किसने जब्त की और उसके बाद क्या बंसल, एसडीओपी से हटाकर, उससे बड़ा अधिकारी जो आपने सेल गठित किया है, उस सेल को जिम्मेदारी सौंपेगे? तभी निष्पक्ष जांच हो सकती है अन्यथा अपराधी नहीं पकड़े जा सकेंगे.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से घटना गंभीर है और इसमें 4 आरोपी नामजद हुए हैं. जिसमें से 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और इसमें जो मुख्य आरोपी है जितेन्द्र सिंह उसकी गिरफ्तारी अभी नहीं हो सकी है, यह बात सही है. इसलिये माननीय विधायक जी ने जो चिंता व्यक्त की है उससे मैं पूरी तरह सहमत हूं. उन्होंने मुख्य रूप से 3 विषय यहां पर रखे हैं. एक विषय तो यह कि जो मुख्य आरोपी है जितेन्द्र सिंह, इसकी गिरफ्तारी हो जाये. इसके लिये हमने यह निर्णय किया है कि वहां के जो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हैं उनके नेतृत्व में हम टीम बनाएंगे और उनके नेतृत्व में टीम बनाकर उसकी शीघ्र गिरफ्तारी हो जाये इसके लिये हम लोग प्रयास करेंगे. दूसरी बात जो मुख्य आरोपी है उसकी गिरफ्तारी के लिये अभी जो उस पर ईनाम है 10 हजार रुपये का, उसको बढ़ाकर हम 25 हजार रुपये कर रहे हैं और जो आपने एस.डी.ओ.पी के बारे में चिंता व्यक्त की है तो इस पूरे विषय की हम ए.डी.जी. स्तर से जांच करा लेंगे.
डॉ.गोविन्द सिंह - धन्यवाद. मैं आपको सब प्रमाण दे दूंगा कि एस.डी.ओ.पी ने क्या-क्या किया है.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र का मामला है.
अध्यक्ष महोदय - उत्तर तो आ गया. चलिये एक प्रश्न पूछ लीजिये.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, यह बहुत बड़ी घटना है. एक जिंदा व्यक्ति को हाथ-पांव बांधकर अंधा कुंए में फेंक दिया गया.
अध्यक्ष महोदय - वह सब आ गया. आप प्रश्न कर लें. सारी बात गोविन्द सिंह जी ने बता दी है.
श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह - अध्यक्ष महोदय, यह जितेन्द्र सिंह जो अपराधी है इसके एक नहीं अनेक अपराध हैं. इसकी गिरफ्तारी कब तक हो जायेगी ?
अध्यक्ष महोदय - उसका उत्तर आ गया. एक बार और बोल दीजिये मंत्री जी.
श्री भूपेन्द्र सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे माननीय सदस्य श्री नरेन्द्र सिंह कुशवाह जी ने जो विषय रखा है जैसा मैंने पूर्व में कहा है इसकी गिरफ्तारी शीघ्र हो,इसके लिये हम अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में टीम गठित कर रहे हैं और उसकी शीघ्र गिरफ्तारी करेंगे.
12.26 बजे स्वागत उल्लेख
मन्दसौर-जावरा क्षेत्र के सांसद श्री सुधीर गुप्ता जी का स्वागत-उल्लेख
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया - माननीय अध्यक्ष जी, मन्दसौर-जावरा क्षेत्र के सांसद श्री सुधीर गुप्ता जी अध्यक्षीय दीर्घा में मौजूद हैं. उनका स्वागत है.
अध्यक्ष महोदय - मन्दसौर-जावरा क्षेत्र के सांसद श्री सुधीर गुप्ता जी का सदन की ओर से स्वागत है.
12.27 बजे
(2) जबलपुर नगर निगम में शामिल केंट क्षेत्र की ग्राम पंचायतों को शासकीय योजनाओं
का लाभ न मिलना
श्री अशोक रोहाणी(जबलपुर केन्टोनमेंट) - माननीय अध्यक्ष महोदय,
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) - अध्यक्ष महोदय,
श्री अशोक रोहाणी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो उनको यह बताया जाता है कि आपका पोर्टल तहसील में है, तहसील वाले बोलते हैं कि नगर निगम में है, यह जो जानकारी दी जा रही है कि 4 ग्राम पंचायतों में गरीबी रेखा के कार्ड बने हैं, एक भी गरीबी रेखा का कार्ड उन 4 ग्राम पंचायतों में नहीं बना है. गंभीर रूप से बीमारी से ग्रसित अगर किसी व्यक्ति को आवश्यक रूप से गरीबी रेखा का कार्ड बनवाना हो तो भी नहीं बनाया जा रहा है. मेरा माननीय मंत्री जी आपके माध्यम से आग्रह है कि यह 4 ग्राम पंचायतें हैं इनके जोन कार्यालय इन पंचायतों से कम से कम 10 किलोमीटर दूर हैं. मेरा माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से यह आग्रह है कि जो पंचायतें हैं उनके जो कार्यालय हैं उनमें अगर नगर निगम के अधिकारी बैठकर इन समस्याओं का हल करेंगे तो निश्चित रूप से हितग्राहियों को इसका लाभ मिलेगा साथ ही यह जानकारी दी जा रही है कि लाला लाजपतराय वार्ड और रानी अवंतिबाई बार्ड यह आलरेडी पहले से ही वार्ड थे, उसमें ग्राम पंचायतों को समाहित किया गया है, कभी भी इनको नया वार्ड नहीं माना गया है और इनको जो पंचायत की तरफ से 10-10 लाख रूपये की अतिरिक्त राशि मिलती है वह भी नहीं मिलती है. मेरा माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से आग्रह है कि इस समस्या का निराकरण करायें.
श्रीमती माया सिंह-- माननीय अध्यक्ष जी, सम्मानीय विधायक जी ने जो बात रखी है कि दूरी ज्यादा है और वहां पर नगर निगम के अधिकारी बैठें, उसकी व्यवस्था हम आयुक्त महोदय से बात करके कर देंगे, लेकिन वहां पर नगर उदय अभियान के तहत भी शिविर लगे हैं और डोर टू डोर भी घर-घर जाकर उनको योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई है और उसी के अनुसार जो मैंने इसमें पढ़कर सुनाया है उतने व्यक्तियों को अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से इसमें लाभ मिला है.
श्री अशोक रोहाणी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का, माननीय मंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं कि केन्टोनमेंट बोर्ड को इन जन सुविधाओं का आपके आदेश के बाद लाभ मिलने लगा है और साथ ही जो चुंगी क्षतिपूर्ति उनने जो दी है, उसके लिये भी मैं आभार व्यक्त करता हूं, साथ ही यह आग्रह करता हूं कि यह चुंगी क्षतिपूर्ति का विधायक अनुशंसा से मद खर्च किया जाये तो बहुत अच्छा होगा.
इंजी. प्रदीप लारिया (नरयावली)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में भी केन्टोनमेंट बोर्ड है. राज्य शासन की कई योजनायें यहां पर लागू नहीं होती हैं, एक बार माननीय मंत्री जी इसका परीक्षण करवा लेंगे और सारी की सारी जो राज्य शासन की योजनायें हैं वह केंट बोर्ड क्षेत्र में लागू हो जायें. दो बहुत ही महत्वपूर्ण योजनायें हैं, एक तो स्वच्छता मिशन के अंतर्गत जो शौचालय निर्माण हो रहे हैं वह केन्टोनमेंट बोर्ड में नहीं हो पा रहे हैं और दूसरा प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से जो आवास बनना चाहिये वह भी नहीं बन पा रहे हैं. इसका सर्वे दिनांक 06.06.2016 को हो गया है जिसमें 800 ऐसे हितग्राही पाये गये हैं जिनका शौचालय का निर्माण हो और लगभग 475 आवास निर्माण का भी सर्वे हो गया है. क्या यह सुनिश्चित करेंगे कि यह निर्माण कार्य पूर्ण हो जायें.
श्री दिलीप सिंह परिहार(नीमच) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, नीमच में भी कैन्टोनमेंट का क्षेत्र है, बंगला बगीचा वहां के निवासियों को मूलभूत सुविधायें नहीं मिल रही हैं. मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि वहां के निवासियों को मूलभूत सुविधायें मिल जायें, बिजली, पानी, सफाई और सरकार की योजनाओं का लाभ बंगला-बगीचा निवासियों को भी मिल जाये तो बहुत अच्छा होगा.यही निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय- कैन्टोनमेंट में यह समस्यायें हैं. आप वैसा आश्वस्त कर दें.
श्रीमती माया सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहती हूं कि मुख्यमंत्री जी ने स्वयं इस बात की चिंता की और कैन्टोनमेंट बोर्ड की जितनी भी नगरपालिकायें, नगरपरिषदें हैं उनके विकास कार्यों के लिये पैसा दिया है, पहली बार इस तरह के कदम सरकार के द्वारा उठाये गये हैं और वहां के जो वार्ड नगर निगम में शामिल हुये हैं, हम पूरी कोशिश करेंगे वैसे वहां पर नगर निगम के माध्यम से सुविधायें दी जा रही हैं लेकिन अगर वहां कोई पात्र व्यक्ति छूटता है तो वह हमें बता दें, हम वहां के आयुक्त और महापौर से बोलेंगे कि कोई पात्र व्यक्ति छूटना नहीं चाहिये सुविधा को उसका लाभ मिले. प्रदीप लारिया जी ने जो शौचालय और आवास की बात कही है उसको दिखवा लेंगे, वहां पर वह होगा तो जरूर उस काम को करवायेंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- मंत्री जी नीमच में जरूर आप करवा दें.
श्री अशोक रोहाणी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो पैसा पहली बार मिला है उसके लिये मैंने पहले ही आभार व्यक्त कर दिया है. मेरा आग्रह यह है कि विधायक अनुशंसा से अगर वह खर्च हो तो ज्यादा अच्छा होगा.
श्री दिलीप सिंह परिहार-- शासन ऐसे निर्देश देकर के व्यवस्था कर दे तो बेहतर होगा.
श्रीमती माया सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायक जी जो कह रहे हैं मैं उनसे कहना चाहती हूं कि उस क्षेत्र में काम करवाने के लिये अनुशंसा या उनका पत्र आयेगा तो वह हम संबंधित को रेफर कर देंगे क्योंकि यह काम एमआईसी से मंजूर होते हैं उनकी भी राय है उस राय को जरूर उसमें शामिल करेंगे.
इंजी.प्रदीप लारिया-- अध्यक्ष महोदय, कैन्टोनमेंट बोर्ड होता है वह तय करता है उसको एक पत्र चला जाये, कि जो भी क्षतिपूर्ति की राशि है विधायक जिस काम की अनुशंसा करता है उसको प्राथमिकता देंगे ऐसा पत्र यदि विभाग से चला जायेगा तो हो जायेगा.
श्रीमती माया सिंह -- अध्यक्ष महोदय, नियमानुसार क्या कदम उठाये जा सकते हैं, माननीय सदस्य की जो भावना है उस भावना को ध्यान में रखते हुये देखेंगे कि क्या नियम के अनुसार कदम उठाये जा सकते हैं.
श्री अशोक रोहाणी- मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद.
12.36 बजे प्रतिवेदनों की प्रस्तुति
याचिका समिति का चवालीसवां एवं पैंतालीसवां प्रतिवेदन
श्री शंकरलाल तिवारी(सभापति) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं याचिका समिति का चवालीसवां एवं पैंतालीसवां प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
प्रत्यायुक्त विधानसभा समिति का अष्टम(कार्यान्वयन) प्रतिवेदन
श्री जयसिंह मरावी(सभापति)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं प्रत्यायुक्त विधान समिति का अष्टम् (कार्यान्वयन) प्रतिवेदन प्रस्तुत करता हूं.
12.37 बजे याचिकाओं की प्रस्तुति
अध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकायें प्रस्तुत की हुई मानी जायेंगी.
सदन की कार्यवाही अपराह्न 3.00 बजे तक के लिये स्थगित.
(12.39 बजे से 3.00 बजे तक अंतराल)
03:03 बजे विधान सभा पुन: समवेत हुई
{उपाध्यक्ष महोदय (डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र) - माननीय उपाध्यक्ष जी, अभी माननीय गोविन्द सिंह जी कह रहे थे कि कभी पुरुष दिवस होगा कि नहीं होगा. मैं गोविन्द सिंह जी के घर पर बहुत जाता रहता हूं. अभी पिछले महीनों गया था खाना खाने के लिए, इनके घर में ऐसी स्थिति है कि वहां पर कभी पुरुष दिवस आ ही नहीं सकता. (हंसी...)
डॉ गोविन्द सिंह (लहार) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह बात सच है कि संविधान में सभी को बराबर का अधिकार है, हमारी शुभकामना है कि महिलाएं आगे आएं, सक्षम बने और बनी भी हैं, जैसी जैसी शिक्षा बढ़ रही है, लेकिन इस मुल्क में पुरुषों की सुनने वाला कोई है कि नहीं , तमाम अत्याचार, अन्याय हो रहे हैं, कानून का दुरूपयोग कर रहे हैं, निर्दोष लोग जेलों में सड़ रहे हैं. ऐसे कायदे-कानून बने हैं जो पुरुषों के ऊपर कुठाराघात करने वाले हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - यह तो महिलाओं से ही पूछिए.
डॉ नरोत्तम मिश्र - यहां अपनी पारिवारिक स्थिति का बयां न करें.(हंसी..)
डॉ गोविन्द सिंह - उपाध्यक्ष महोदय, पुरुषों के न्याय के लिए भी जरा कोई सोचे.
उपाध्यक्ष महोदय - डॉ साहब का दर्द छलक रहा है.
पशुपालन मंत्री (सुश्री कुसुम महदेले)- अध्यक्ष महोदय, महिलाओं की अभी नहीं सुन रहे हैं तो फिर कब सुनेंगे. आज तो महिला दिवस है. पुरुष दिवस तो रोज होता है, महिला दिवस तो साल में एक ही दिन होना है.
श्री बाला बच्चन - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक दिन महिला दिवस को छोड़कर, सारे दिन पुरुष दिवस ही होते हैं.
03:04 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
विभागीय प्रतिवेदन उपलब्ध कराने विषयक
डॉ गोविन्द सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारी व्यवस्था का प्रश्न यह है कि सदन में स्थिति बिगड़ती चली जा रही है. हम सुबह 10:30-11:00 बजे से आ जाते हैं और शाम 7 से 8 बजे तक यहां उपस्थित रहते हैं, क्योंकि बीच में लंच नहीं होता. हमेशा परम्परा रही है कि प्रशासकीय प्रतिवेदन एक दिन पहले मिल जाते हैं ताकि हम उसका अध्ययन कर सके. आज सुबह यहां श्रम विभाग का प्रशासकीय प्रतिवेदन मिला, लेकिन अन्य विभागों के प्रशासकीय प्रतिवेदन अभी तक नहीं मिले हैं, राजस्व विभाग का अभी तक नहीं मिला, स्वास्थ्य विभाग का प्रतिवेदन अभी अभी मिला है, इससे सरकार को सचेत होना चाहिए, या तो सरकार का कंट्रोल नहीं है, पूरी तरह से संसदीय विभाग अक्षम है जो विधान सभा की गरिमा को गिराने का काम कर रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय -- मंत्री गण इस बात का ध्यान रखें.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)-- उपाध्यक्ष महोदय, यह संसदीय विभाग बीच में कहां से आ गया. संसदीय विभाग थोड़ी प्रतिवेदन देता है. हर विभाग अपना अलग अलग प्रतिवेदन देता है. डॉक्टर साहब को तो जबरदस्ती मुझे घेरना है. मेरा कहना है कि राजस्व विभाग को छोड़कर के लगभग सभी विभागों के प्रतिवेदन आ गये हैं. आपने निर्देश दिया है, हम उसका अक्षरशः पालन करेंगे.
डॉ. गोविन्द सिंह -- उपाध्यक्ष महोदय, एक दिन पूर्व तो आना चाहिये.
उपाध्यक्ष महोदय -- कम से कम एक दिन पूर्व तो आ ही जाना चाहिये.
श्री बाला बच्चन -- उपाध्यक्ष महोदय, अभी हमको 15 मिनट पहले स्वास्थ्य विभाग का प्रशासकीय प्रतिवेदन मिला है. मैं डॉक्टर साहब की बात से सहमत हूं, मंत्री जी इस बात को दिखवायें, क्योंकि विभाग की मांगों पर 23 तारीख तक चर्चा है.
उपाध्यक्ष महोदय -- यह व्यवस्था में दे रहा हूं कि इसका पूर्ण ध्यान रखा जाये, जितने शासकीय प्रतिवेदन हैं, कम से कम एक दिन पहले माननीय सदस्यों के पास अवश्य आ जाया करें.
3.06 बजे वर्ष 2017-18 की अनुदानों की मांगों पर मतदान (क्रमशः)
मांग संख्या - 18 श्रम
मांग संख्या - 39 खाद्य, नागरिक आपूर्ति तथा उपभोक्ता संरक्षण
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए. अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
3.09 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था (क्रमशः)
मांगों पर चर्चा के समय कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत करने वाले माननीय सदस्यों की सदन में उपस्थिति सुनिश्चित करने विषयक
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- उपाध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है कि यह कटौती प्रस्ताव मूल रुप से विपक्ष के लिये ही होता है और विपक्ष जिस तरह का रवैया अपना रहा है, मैंने कल भी ध्यानाकर्षित किया था, व्यवस्था का प्रश्न आपके सामने ही उठाया था कि जो व्यक्ति बजट पर चर्चा स्टार्ट करे, वह जब मंत्री जी जवाब दें, तब सदन में उपस्थित रहें. आपने व्यवस्था भी दी थी, इसके लिये मैं आपका आभार व्यक्त करता हूं. अब आप देखिये कि 90 प्रतिशत कटौती प्रस्ताव देने वाले माननीय सदस्य, जिनके नाम आपने पढ़े, वे नहीं हैं. मैं यह नहीं कहता कि कटौती प्रस्ताव न दें, जो माननीय सदस्य कटौती प्रस्ताव देते हैं,मेरी इच्छा यह है कि इस बहाने उपस्थित तो रहें, जो वास्तव में क्षेत्र की मांग करते हैं. इसका मतलब तो यह है कि अपने बाबू या क्लर्क से लिखवाकर भेज देते होंगे और ध्यान नहीं देते हैं. उप नेता जी एवं गोविन्द सिंह जी, मैं आपसे प्रार्थना करता हूं, नेता प्रतिपक्ष जी तो आपके रहते नहीं हैं, आप कृपा करें. उपाध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे निवेदन है कि इस संबंध में आप कुछ व्यवस्था दें.
उपाध्यक्ष महोदय -- मैं आपके सुझाव से पूर्णतः सहमत हूं और पूर्व में भी व्यवस्था दे चुका हूं. कम से कम कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत करने वाले माननीय सदस्य तो रहें, लेकिन कम से कम वह सदस्य जो शुरु में बोलते हैं या बाद में भी बोलते हैं. जो बोलने वाले सदस्य हैं, उनको सुनना चाहिए. बहुत सारे इश्यूस में माननीय मंत्री जी अपने भाषण के दौरान जवाब भी देते हैं तो उचित तो यही रहेगा. ऐसी व्यवस्था करें.
श्री बाला बच्चन (राजपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम बिल्कुल सुनिश्चित करेंगे. आपकी बात और माननीय संसदीय कार्यमंत्री की बात से हम सहमत हैं,. ठीक है, हमारे विधायकगण रहेंगे और ओपनर तो विशेषकर रहेंगे ही.
हमारा निवेदन है कि आज एक साथ पांच डिमाण्ड्स पर चर्चा है तो पांचों के मंत्री, जैसे धीरे-धीरे आते जाएंगे. जैसे ही यह चर्चा शुरू होगी, हमने जो नाम दिए हैं, हमारे बोलने वाले सभी सदस्यगण रहेंगे बाकी हमारी तरफ से भी उन लोगों को हिदायत दे दी जायेगी कि आप लोगों को हाऊस में स्ट्रिक्टली रहना ही है.
3.11 बजे वर्ष 2017-2018 की अनुदान की मांगों पर मतदान (क्रमश:)
सुश्री हिना लिखीराम कावरे (लांजी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 18 एवं 39 पर बोलने के लिए खड़ी हुई हूँ.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है, लेकिन आज भी महिलाओं को कम मजदूरी दी जाती है. यह कानून की किसी भी किताब में या संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग मजदूरी दी जायेगी. मैं आपको उदाहरण देकर बताना चाहती हूँ. मेरी विधानसभा क्षेत्र के अन्तर्गत नहरों में लाइनिंग का काम चल रहा था. मैंने गाड़ी रोकी और वहां जो मजदूर काम कर रहे थे, मैंने उनसे बात की और पूछा कि आपको कितनी मजदूरी मिल रही है ? महिलाओं ने बताया कि हमें 100 रुपये मिल रहे हैं. जब मैंने पुरुषों से बात की तो उन्होंने बताया कि उनको 130 रुपये मिल रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने वहीं से एस.डी.ओ. को फोन किया और पूछा कि आपके डिपार्टमेन्ट में सी.एस.आर. में रेट तय होते हैं. मजदूरी के क्या रेट हैं ? क्योंकि यहां जो लेबर काम कर रहे हैं, उनमें महिलाओं को 100 रुपये और पुरुषों को 130 रुपये मिल रहे हैं. एस.डी.ओ. ने मुझे जवाब दिया कि मैडम, वह काम तो ठेकेदार करवा रहे हैं. ठेकेदार जो चाहे वह मजदूरी लेबरों को दे सकते हैं. शासकीय कार्यों में जब भी ठेके होते हैं तो उसमें स्पष्ट निर्देश होता है कि मजदूरी का भुगतान शासन के नियमों के अनुसार है. जब एस.डी.ओ. का मुझे यह जवाब मिला तो मैंने पूरी जानकारी ली कि आखिर वास्तव में मजदूरी क्या है. मैं आपको बता देती हूँ कि पिछले 2 वर्षों से एरिगेशन में मजदूरी के रेट तय नहीं हो रहे हैं. लेकिन जब मैंने जानकारी ली कि अभी क्या रेट चल रहे हैं ? तब मुझे पता चला कि कमिश्नरी के रेट से इनको भुगतान करना है और जिसमें अकुशल श्रमिक को 267 रुपये, अर्द्धकुशल श्रमिक को 300 रुपये, कुशल श्रमिक को 353 रुपये एवं जो कुशल से भी अच्छे हैं, उनको 403 रुपये देना है. यह मजदूरी के रेट शासन ने निर्धारित कर रखे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक एस.डी.ओ., यदि एम.एल.ए. को यह जवाब देता है तब आप इस बात की कल्पना कर सकते हैं कि जो जन-प्रतिनिधि गांवों में रहते हैं जैसे पंच, सरपंच, जनपद के सदस्य, जिला पंचायत के सदस्य, वे जब अधिकारियों से बात करते होंगे तो उनकी क्या स्थिति होती होगी ? इस बात की कल्पना आप और हम यहां बैठकर निश्चित रूप से कर सकते हैं. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहती हूँ कि इसके लिए सरकार को ही कड़े कदम उठाने पड़ेंगे क्योंकि हम मजदूरी की शिकायत कर भी दें तो श्रम न्यायालय में जब केस चलता है तो ठेकेदार, मजदूरों को 10-20,000 रुपये देकर उनके बयान बदलवा देते हैं और इस तरह श्रम न्यायालय बेअसर रहता है. यह बहुत गंभीर मामला है एवं श्रमिकों के कल्याण के लिये श्रमिक कल्याण निधि में करोड़ों रुपये जमा होते हैं लेकिन यदि रुपये शासन के खजाने में रहें और यदि रुपये श्रमिकों के उपयोग के लिये खर्च न हों तो इन रुपयों का क्या मतलब है ?
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहती हूँ कि श्रमिकों के श्रमिक कार्ड बनने चाहिए. आज वर्तमान में, उस तरह श्रमिकों के कार्ड नहीं बन रहे हैं. जब तक उनके कार्ड नहीं बनेंगे तो श्रमिकों को मिलने वाले लाभ से, वे निश्चित रूप से वंचित रह जायेंगे और मैं तो इस सदन में बैठे हुए सभी जन-प्रतिनिधियों से कहना चाहती हूँ कि श्रमिक कार्ड के लिए हमें एक अभियान चलाना पड़ेगा. कई बार हम सोच लेते हैं कि श्रम अधिकारी कार्ड बनवा लेंगे, श्रम निरीक्षक कार्ड बनवा लेंगे. अधिकारियों को श्रमिकों से कोई लेना-देना नहीं है, वे तो यह देखते हैं कि बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां कहां पर हैं ? उनके दिमाग में बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां रहती हैं न कि श्रमिकों के श्रमिक कार्ड. इसके लिए तो हम जन-प्रतिनिधियों को ही आगे बढ़कर इसको एक अभियान के तहत श्रमिक कार्ड बनवाना पड़ेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक और बात कहना चाहती हूं कि जो कामकाजी महिलाएं हैं उन कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल की सुविधा विशेष रूप से होना चाहिए और इसका पालन भी कड़ाई से होना चाहिए. साथ ही साथ उनके हॉस्टल परिसर की सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम होने चाहिए. अब मैं पी.डी.एस. की बात करना चाहती हूं. शासन ने 25 श्रेणियां पी.डी.एस. के माध्यम से केरोसिन देने के लिए बनाई हैं. पहली श्रेणी में अंत्योदय श्रेणी, दूसरी श्रेणी में बी.पी.एल. श्रेणी और तीसरी श्रेणी में अन्य 23 श्रेणियों को रखा गया है. इन श्रेणियों के अलावा भी जो लोग प्रदेश में हैं उनको भी केरोसिन की जरूरत पड़ती है. ऐसी स्थिति में वह केरोसिन कहां से लाएंगे क्योंकि आज वर्तमान में खुले बाजार में केरोसिन बेचने की व्यवस्था शासन ने नहीं की है. कहीं पर भी मार्केट में केरोसिन नहीं मिल रहा है और इसकी व्यवस्था शासन को करना चाहिए. यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो इन श्रेणियों को छोड़कर जिन परिवारों को मिट्टी के तेल की जरूरत है वह मिट्टी का तेल कहां से लाएंगे या तो वह इन्हीं परिवारों से ज्यादा रेट पर केरोसिन खरीदेंगे जिनको केरोसिन मिल रहा है. या फिर सेल्स मेन से मिट्टी का तेल ज्यादा रेट पर खरीदेंगे और यदि बात इन सबसे ज्यादा आगे बढ़ गई तो पी.डी.एस. तक जो केरोसिन जाता है वहां जाने के पहले ही उसका बंटाढार हो जाएगा. क्योंकि जिन्हें जरूरत है वह तो निश्चित रूप से ज्यादा रेट देकर खरीदेंगे. इसीलिए मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि मिट्टी के तेल को आपको खुले बाजार में बेचने की व्यवस्था करनी चाहिए. मैं एक और बात कहना चाहती हूं कि केश सब्सिडी सरकार लागू करने वाली है. आप बताइए कि जब तक आप केश सब्सिडी लागू करने की योजना बना रहे हैं बहुत अच्छी बात है लेकिन जब तक खुले बाजार से आप मिट्टी का तेल नहीं खरीदेंगे तो आप उनकी सब्सिडी कैसे जमा करवाएंगे. वह लोग मिट्टी का तेल कहां से खरीदेंगे. आप यदि पी.डी.एस. में नहीं देंगे तो वह खुले मार्केट से खरीदेंगे और उसके बाद ही तो सब्सिडी उनके खाते में आएगी तो यह व्यवस्था तो आपको निश्चित रूप से करवानी होगी. मैं उज्ज्वला योजना के बारे में भी कहना चाहती हूं. उज्ज्वला योजना में जितनी भी बी.पी.एल. परिवारों की महिलाएं हैं सरकार उनको गैस कनेक्शन देने का काम कर रही है. यह बहुत अच्छी बात है लेकिन शहरी क्षेत्र में जो बी.पी.एल. की महिलाएं हैं जिनको गैस कनेक्शन आपने दिया है. उन लोगों को आपने पिछले एक वर्ष से केरोसिन देना बंद कर दिया है और जब शहर के लोग केरोसिन की बात करते हैं तो आप उनको कहते हैं कि आपको तो हमने गैस कनेक्शन दे दिया है अब आपको केरोसिन की जरूरत कहां है. जब वह कहते है कि केरोसिन हमको खाना बनाने के लिए नहीं चाहिए लेकिन यदि लाईट चली जाए तो दिया जलाने के लिए हमको केरोसिन की जरूरत पड़ती है तो आपका जवाब आता है कि हमने 24 घंटे बिजली दे दी है. यह तो आपने शहरों में कर दिया है लेकिन मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि जैसे आपने शहरों में मिट्टी का तेल देना बंद कर दिया है वैसे यदि आपके दिमाग में यह है कि जिन-जिन को आपने गैस कनेक्शन दिए हैं आप गांव में उनको मिट्टी का तेल देना बंद कर देंगे. गांव में तो अभी आप उज्ज्वला योजना के कनेक्शन बांट रहे हैं उनको गैस कनेक्शन ही दिए जा रहे हैं लेकिन मैं आपके माध्यम से सरकार से कहना चाहती हूं कि यदि उनके दिमाग में यह बात है कि आप उनको मिट्टी का तेल देना बंद करने वाले हैं तो मैं आपको बता दूं माननीय उपाध्यक्ष महोदय कि गलती से भी आप यह कदम नहीं उठाना क्योंकि मैं तो कांग्रेस की विधायक हूं और मुझे यह बात नहीं कहना चाहिए. उसके बावजूद भी मैं लोगों की भलाई के लिए यह बात कह रही हूं कि यदि आपने यह कदम उठा लिया तो यह बात आप भी जानते हैं कि यदि आपने गलती से भी गांव में केरोसिन देना बंद कर दिया तो 2018 और 2019 के पहले ही आपका गैस का भांडा फूट जाएगा और आप उसके लिए अभी से तैयार हो जाइए. इसलिए यह बात यदि आपके दिमाग में हो तो भी मैं आपके माध्यम से कहना चाहती हूं कि सरकार इस बात पर पुनर्विचार जरूर करें कि गलती से भी यह कदम कभी न उठाए. अगस्त 2016 से पात्र परिवारों को पात्रता पर्ची नहीं मिल रही है. मैंने जब पता किया कि ऐसा क्या कारण है जिसके कारण पात्रता पर्ची नहीं मिल रही है तो मुझे पता चला कि भोपाल से ही सिस्टम बंद कर दिया गया है और जब मैंने अंदरुनी बात पता की कि आखिर क्या कारण है तो मुझे पता चला कि फूड सिक्योरिटी बिल में एक गांव में 75 प्रतिशत लोगों को लाभान्वित करने का प्रावधान है लेकिन पात्रता पर्ची इतनी बढ़ गई हैं कि 75 प्रतिशत पीछे छूट गया. मैं निवेदन करना चाहती हूँ कि यह जो 75 प्रतिशत की पात्रता कर दी है इनके लिए राज्य शासन अपने बजट में से व्यवस्था करे और यह पात्रता पर्ची के द्वारा जितने लोग खाद्यान्न के लिए आते हैं उनको खाद्यान्न की पूरी सुविधा आप उपलब्ध करवाइये.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं मिलिंग सिस्टम की बात करना चाह रही हूँ. बालाघाट जिले में सबसे ज्यादा धान होता है. बहुत सारी ऐसी फसलें होती हैं जिनका सीधे-सीधे उपार्जन किया जाता है लेकिन धान एक ऐसी फसल है जिसके उपार्जन के बाद उसकी मिलिंग करना पड़ती है. गेहूं, चना, सोयाबीन इनका उपार्जन सीधे-सीधे हो जाता है उपार्जन के बाद इनमें मिलिंग की जरुरत नहीं पड़ती है क्योंकि गेहूँ का आटा बनाकर नहीं बांटते हैं. धान एक ऐसी फसल है जिसकी मिलिंग बहुत जरुरी होती है. मध्यप्रदेश में बालाघाट और सिवनी जिले में सबसे ज्यादा धान होता है. मैं शासन को दोषी नहीं मानती लेकिन उसकी कमियों को बताना चाहती हूँ कि मध्यप्रदेश में सिस्टम है कि जब सोसायटियां धान खरीदती हैं उसके बाद उस धान को गोदाम में रखा जाता है सोसायटी से यह धान गोदाम में जाता है उसके बाद यह धान मिलर्स को मिलिंग के लिए देते हैं. मिलिंग के बाद यह धान वापस गोदाम में आता है फिर गोदाम से पीडीएस के केन्द्रों में जाता है जहाँ से लोगों को खाद्यान्न वितरित किया जाता है.
उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के बगल में छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र राज्य हैं. छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा फसल धान की होती है वहां यह सिस्टम है कि सोसायटियों से सीधे मिलर्स को धान दे दिया जाता है और मिलर्स से सीधे पीडीएस की दुकानों में धान चला जाता है. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूँ कि इस पूरे सिस्टम में करोड़ों रुपए ट्रासंपोर्ट में खर्च होता है. यदि इस बात पर आप विचार करेंगे तो इस व्यय को सीधे-सीधे बचाया जा सकता है. अभी दो दिन पहले श्री दिनेश राय मुनमुन जी ने भी जिक्र किया था कि हमारे यहां पीडीएस में कालाबाजारी होती है. मैं आपको बताना चाहती हूँ कि यह कैसे होती है. मध्यप्रदेश में उत्तर प्रदेश और बिहार का चावल आता है. सोसायटियों से जब मिलर्स को धान दिया जाता है तो वे मिलर्स उस धान को रख लेते हैं उसकी मिलिंग किए बिना उत्तर प्रदेश और बिहार का जो धान है उसको मिलर्स पीडीएस केन्द्रों पर भिजवा देते हैं. अब आप कल्पना कीजिए कि पता नहीं वह कब का चावल है. यह जमीनी सच्चाई है ऐसा होता है. हमारे यहां के लोग जो पीडीएस की दुकानों से अनाज खरीदकर खाते हैं यह वही धान खरीदकर खाते हैं. सरकार के पास यह सिस्टम है कि वह पता कर सकती है कि यह चावल कितना पुराना है.
उपाध्यक्ष महोदय--हिना जी अब आप समाप्त करें 13 मिनट आप बोल चुकी हैं.
कुंवर विक्रम सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, आज महिला दिवस के अवसर पर बोल लेने दें.
उपाध्यक्ष महोदय--आपके पास आज की कार्य-सूची होगी उसमें देखिए इस विभाग पर 1.30 घंटे का समय निर्धारित है. सत्तापक्ष से 10 सदस्य बोलने वाले हैं प्रतिपक्ष में कांग्रेस से 5, बहुजन समाज पार्टी से 3 और आदरणीय दिनेश राय मुनमुन जी भी बोलने वाले हैं. अब आप समाप्त करिए.
सुश्री हिना लिखिराम कावरे-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 18 और 39 का समर्थन करता हूं. आज महिला दिवस है. आज का दिन हमने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया है. मध्यप्रदेश की सरकार ने और माननीय मुख्यमंत्री जी ने महिलाओं के सशक्तिकरण की दृष्टि से बहुत से कार्य किए हैं. विभिन्न विभागों की मांगों की चर्चा में सदन में उनका उल्लेख आयेगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के खाद्य आपूर्ति विभाग ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने की दृष्टि से सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानें महिलाओं के माध्यम से संचालित करने और दुकानों में विक्रेता भी महिला ही हो ऐसा प्रबंध मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. इसका कारण हम सभी ठीक तरह से समझ सकते हैं और प्रदेश की जनता भी इस बात को जानती है कि विभिन्न क्ष्ोत्रों में महिलाओं को सशक्त करने का काम माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया ही है परंतु आर्थिक रूप से महिलाओं को समृद्ध एवं सशक्त करने का काम भी सरकार ने किया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आप और हम, सभी यह बात जानते हैं कि खाद्य से संबंधित तमाम बातों को लेकर महिलाएं जितनी संवेदनशील होती हैं, इस मसले पर पुरूष उतने संवेदनशील नहीं हो पाते हैं. इसी वजह से खाद्य वितरण की व्यवस्था को महिलाओं के हाथों में दिए जाने का निर्णय सरकार ने किया है. इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा यह भी निर्णय लिया गया है कि अब तक जो राशन कार्ड थे उनमें परिवार के मुखिया के तौर पर पुरूष का नाम होता था, लेकिन अब जो राशन कार्ड बनेंगे उनमें पुरूष के स्थान पर राशन कार्डों में मुखिया के रूप में महिला का नाम दर्ज किया जाएगा. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही साथ यह भी तय किया गया है कि यदि किसी परिवार में 18 वर्ष तक की कोई महिला नहीं है तो पुरूष का नाम मुखिया के तौर पर राशन कार्ड में रहेगा लेकिन बाद में जब परिवार की महिला 18 वर्ष की हो जाएगी तो पुरूष का नाम मुखिया से हटाकर, उसके स्थान पर परिवार की जिस महिला ने 18 वर्ष की आयु पूर्ण की है, उसका नाम रखा जाएगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, खाद्य सुरक्षा के अंतर्गत यह भी तय किया गया है कि जो कामकाजी महिलाएं हैं, उन्हें प्राथमिकता की श्रेणी में रखने का काम मध्यप्रदेश सरकार ने किया है. परिवार की श्रेणी में सम्मिलित किया है और ऐसी महिलाओं को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत पात्रतानुसार रियायती दर पर शक्कर, नमक और अन्य खाद्यान्न उपलब्ध कराने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है. माननीय उपाध्यक्ष्ा महोदय, सुरक्षा की दृष्टि से भी बहुत से फैसले सरकार द्वारा लिए गए हैं, जिसके तहत महिलाओं को खाद्यान्न एवं आर्थिक रूप से सम्पन्न कर पूरी तरह समृद्ध बनाया जा सके. सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सही ढंग से जारी रखने का काम करती है और खाद्य विभाग के माध्यम से इस कार्य को संचालित करने का कार्य किया जाता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं बताना चाहता हूं कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों पर मिलने वाली सभी आवश्यक वस्तुओं को सही तरीके से जनता के बीच पहुंचाने का काम खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के माध्यम से सरकार द्वारा किया जा रहा है. अभी सदन में उल्लेख किया गया कि केरोसिन बंद कर दिया गया है. जिसके कारण लोगों को कठिनाई हो रही है. लेकिन हम सभी जानते हैं कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम तो इस सरकार के पहले ही लागू हो गया था. जिस सरकार द्वारा यह अधिनियम लागू किया गया, उस सरकार के लोग भी यदि यह कहें कि इसे बंद कर दिया गया है. क्योंकि उसमें जो प्रावधान किया गया था, उस प्रावधान के अन्दर बीपीएल को छोड़ करके बाकी लोगों को केरोसिन न देने का निर्णय हुआ. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूँ कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में तो सरकार ठीक से काम कर ही रही है, खाद्य विभाग के माध्यम से इसमें गेहूँ और धान उपार्जन का काम भी संचालित किया जाता है और मुझे यह कहते हुए बड़ी प्रसन्नता है कि पिछले वर्षों में खाद्य विभाग के माध्यम से जो उपार्जन का कार्य किया गया था, उस उपार्जन के कार्य के अन्तर्गत गेहूँ का उपार्जन बहुत बंफर स्तर पर हुआ और मध्यप्रदेश का उसमें नाम था और उसमें किसानों को कहीं किसी भी प्रकार की कठिनाई उत्पन्न न हो, इस प्रकार का प्रबंध किया गया था, धान में भी यह प्रबंध हुआ था. उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस बात को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं करता कि ट्रांसपोर्टर के कारण से थोड़ी बहुत कठिनाइयों का सामना किसानों को और वहाँ की व्यवस्था को करना पड़ता है क्योंकि यह समितियों के माध्यम से विभाग इस काम को संपादित कराता है और उसके कारण उसमें कहीं न कहीं किसी भी प्रकार की थोड़ी बहुत कठिनाई तो उत्पन्न होती है, लेकिन गेहूँ का जितना विपुल उत्पादन था, देश में दूसरा नंबर, हमारे प्रदेश का था. ऐसी स्थिति में जिस तेजी के साथ में उपार्जन का कार्य ठीक से संपन्न हो पाया उसको करने में हमारी सरकार ने और खाद्य विभाग ने बहुत बेहतर तरीके से कार्य किया.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में श्रम विभाग के माध्यम से बहुत सारे ऐसे काम करने का प्रयत्न किया जाता है, जिससे हमारे श्रमिकों को ठीक से लाभ प्राप्त हो सके, औद्योगिक क्षेत्र में कार्य करने वाले नियोजकों को भी ठीक वातावरण में कार्य करने का अवसर मिले, इस दृष्टि से हमारे प्रदेश में श्रम विभाग और श्रम आयुक्त संगठन के माध्यम से उद्योगों में शांति स्थापित करने और औद्योगिक तनाव को समाप्त करने की दृष्टि से बहुत सारे कार्य ठीक तरीके से संपन्न करने का काम किया है और इसके कारण मैं यह कह सकता हूँ कि जो समय आ रहा है और जिस प्रकार का समय आगे आने वाला है उसमें विभिन्न सारे नियोजकों को अब यह धीरे धीरे संतुष्टि होने लगी है कि हमारे मध्यप्रदेश के अन्दर उद्योग लगाने के कारण से उनको कहीं न कहीं किसी न किसी प्रकार का लाभ प्राप्त होगा, उद्योग ठीक तरीके से चल पाएगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- (श्री के.पी.सिंह माननीय सदस्य द्वारा अपने आसन पर बैठे बैठे पेपर पढ़ने पर) आदरणीय के. पी. सिंह जी, अखबार न पढ़ें.
श्री दुर्गालाल विजय-- उपाध्यक्ष महोदय, औद्योगिक क्षेत्र में जो तनाव उत्पन्न होता था, जो असंतोष उत्पन्न होता था उसको श्रम विभाग...
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- माननीय उपाध्यक्ष जी, के पी सिंह जी हमारे छात्र नेता रहते थे, बड़े लीडर थे. कॉलेज टाइम से मैंने देखा है ऐसे ही काम करते थे.
उपाध्यक्ष महोदय-- आप इनकी टीम में थे क्या?
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- हाँ थे.
उपाध्यक्ष महोदय-- आपने उनको शुरू से सही सलाह दी नहीं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र-- उपाध्यक्ष जी, कभी किसी की नहीं मानी.
श्री दुर्गालाल विजय-- उपाध्यक्ष महोदय, 735 व्यक्तिगत विवादों को श्रम न्यायालय को संदर्भ करने की कार्यवाही विभाग ने की है और इसमें लगभग 1196 अवार्डों में विभाग के द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई जिससे यह काम ठीक तरीके से आगे बढ़ा और इसके अलावा जो श्रम न्यायालय ने विशेष कार्य किया है, 2016-17 में 25 प्रकरणों में लगभग एक करोड़ छः लाख रुपये की राशि का जो अवार्ड दिया था, उसकी वसूली कराने का काम सरकार ने किया है.
उपाध्यक्ष महोदय, वर्तमान समय में लोगों में कार्य करने की क्षमता बहुत वर्षों तक रहती है. पिछले समय में जब कार्य करने की क्षमता कम हुआ करती थी तो किसी भी उद्योग में काम करने के लिए श्रमिकों की आयु 58 वर्ष निर्धारित की गई थी, लेकिन प्रदेश की सरकार ने और श्रम विभाग ने इस आयु को बढ़ाकर 60 वर्ष कर दिया है. इसके कारण से ऐसे अनेक परिवार जो उद्योगों में कार्य कर रहे थे, जिनके मुखिया उसमें काम करते थे वे लोग बहुत प्रसन्नता महसूस कर रहे हैं कि उन्हें दो वर्षों तक और रोजगार करने का अवसर मिलेगा. यह काम श्रम विभाग ने और मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. दूसरा माननीय अध्यक्ष महोदय एक और काम सरकार की ओर से हुआ है उसमें बड़ी पहल की गई है कि महिला मजदूर रात्रि के समय काम करने के लिए जाने में बहुत कठिनाई महसूस करती थीं. महिला सुरक्षा की दृष्टि से सरकार ने जो प्रबंध किए हैं और उनको रात्रिकालीन सेवा में कार्य करने के लिए स्वीकृति और अनुमति प्रदान की है इसके कारण से अब महिलाएं भी रात्रिकाल में सुरक्षा की व्यवस्था ठीक होने के कारण से कार्य करने में सक्षम हो पायी हैं. बहुत सारे उद्योगों में अब रात्रिकालीन समय में भी महिलाएं कार्य करने के लिए आगे आ रही हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सन्निर्माण कर्मकार मंडल के अंतर्गत बहुत सारे लाभ श्रमिकों को देने का कार्य सरकार ने किया है और हमारे मध्यप्रदेश में पिछले वर्ष 25 लाख श्रमिकों को 709 करोड़ रूपये का लाभ देने का काम सरकार ने किया है और इसी प्रकार विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत भी 11 लाख लोगों को 320 करोड़ रूपये का लाभ विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में देने का काम मध्यप्रदेश की सरकार ने किया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, न्यूनतम वेतन अधिनियम, 1948 के अंतर्गत 66 अधिसूचित नियोजनों में न्यूनतम वेतन दरों का पुनरीक्षण किया गया है. यह बहुत महत्वपूर्ण है कि अकुशल श्रमिकों के लिए 267 रूपये, अर्द्ध कुशल श्रमिकों के लिए 300 रूपये, कुशल श्रमिकों के लिए 353 और उच्च कुशल श्रमिकों के लिए 403 रूपये का वेतन निर्धारण मध्यप्रदेश की सरकार द्वारा किया है और स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से भी सरकार ने बहुत सारे काम किए हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक लाइन में अपने क्षेत्र की बात थोड़ी-सी कहना चाहता हॅूं कि हमारे श्योपुर क्षेत्र में गेहूं का विपुल उत्पादन होता है और गेहूं का विपुल उत्पादन, यह कह सकता हॅूं कि मध्यप्रदेश में श्योपुर तीसरे नंबर पर है. उपार्जन के समय लोगों को ठीक से सुविधा प्राप्त हो सके, इसके कारण पहले जो व्यवस्था की गई थी उस व्यवस्था में तो पूरा एक साथ तुल जाया करता था, चला जाया करता था. लेकिन अब पृथक-पृथक सोसायटियों के केन्द्रों पर जाने के लिए वहां पर लोगों को काम करना पडे़गा. आपके माध्यम से मेरा निवेदन यह है कि आपने सोसायटियों पर व्यवस्था कर दी है केन्द्र पृथक-पृथक कर दिए हैं लेकिन वहां पर धर्मकांटे लगाकर और जो इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटा है वह प्रत्येक केन्द्रों पर लगाया जाए. आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- धन्यवाद.
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 18 और 39 के विरोध में खड़ा हुआ हूँ. 7 नवम्बर 1917 को रसियन समाज क्रांति का उदय हुआ था और 7 नवम्बर 2017 को इसे 100 वर्ष पूरे होंगे. उनकी शुरूआत थी. हम मेहनतकश जब जग वालों से अपना हिस्सा मांगेगे, एक खेत नहीं, एक देश नहीं, हम सारी दुनियां मांगेगे. यह जो श्रम विभाग है हमारे यहां के जो मजदूर हैं यह उनकी लगातार उपेक्षा करता जा रहा है और ऐसा लगता है कि कुछ दिनों बाद अभी जातिगत समीकरण चलते हैं कुछ दिनों बाद वर्ग संघर्ष पैदा हो जाएगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरे कटनी क्षेत्र में एक एसीसी सीमेंट फैक्ट्री है जहां लेबर का अनुबंध होना था, जो विगत कई वर्षों से नहीं हुआ और लगातार वे लेबर कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं. आज दिनांक तक मैनेजमेंट से उनकी बात नहीं हो पायी. प्राइवेट ठेकेदार तो ठीक है, जहॉं तक सरकारी कामों की बात होती है नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, जो एक सरकारी विभाग है वहां के जो ठेकेदार हैं वे भी मजदूरों का 70-80 लाख प्रोविडेंट फण्ड का पैसा जो मजदूरों से काट कर रखा जाता है वह भी कई सालों से जमा नहीं होता है. बार-बार प्रश्न लगाने पर श्रम विभाग उनके प्रोविडेंट फण्ड का पैसा उनके खातों में जमा करवाता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इस ठेकेदार की मनमर्जी के चलते वहाँ के किसानों की जमीनों पर वहाँ मजदूरों के पेमेंट लगातार बहुत लोगों से बकाया है और अभी तक उसका भुगतान नहीं हो पा रहा है. हमारे क्षेत्र में संन्निर्माण कार्ड का पंजीयन ढंग से नहीं हो पा रहा है इससे छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है. राशि संबंधित जनपद श्रम विभाग में पड़ी रहती है और जब पंजीयन नहीं हो रहा है तो मजदूरों को उसका लाभ नहीं मिलता और पूरी की पूरी राशि मूल विभाग को वापस लौटा दी जाती है और जो ब्याज के साथ राशि वापस आना चाहिए संबंधित विभाग उस ब्याज का दोहन कर रहे हैं और मजदूरों की राशि जो यहाँ सरकार बजट में पास करके भेजती है वह उन तक नहीं पहुँच पा रही है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 39 जो खाद्य विभाग की है, हमारे यहाँ एक तेलदूत योजना चलती है जिसमें डिपो से कटनी की जो दूरी दिखाई गई है वह उससे ज्यादा दिखाई गई है. दिखने में तो ज्यादा असर नहीं आता है. कटनी में लगभग प्रति गरीबी रेखा कार्ड पर मिलने वाले औसत तेल पर 27 पैसे का वहन ज्यादा आता है, अति गरीब वालों को और इसी तरह सागर में लगभग 46 पैसे का अधिक आता है.कुल मिलाकर सारे जिलों में जो इस तरह की योजना चल रही है उनका उद्देश्य मजदूरों को लाभ देना है, कार्डधारियों को लाभ देना है लेकिन उनको लाभ ना मिलकर के वह लाभ डिपो में ट्रांसपोर्ट करने वालों को लगातार दिया जा रहा है. हमारे जिले में लगातार, कार्डों से अधिक आवंटन, जब मैं जिला पंचायत में उपाध्यक्ष था तब भी यह प्रश्न और जाँच चलती रही अभी तक इसका हल निकल नहीं पाया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शौचालय के नहीं बनने के अभाव में स्वच्छता के कारण यहाँ पर हमारे जिले में अघोषित आदेश के तहत जिन गरीबों के घर में शौचालय नहीं बने हैं, उनको गल्ला नहीं मिलेगा. ऐसा बोलकर उनका गल्ला रोक दिया गया है. वह गल्ला कहाँ जा रहा है? यह लगभग सभी जिलों की स्थिति है. पंचायत सचिव वैसे ही हेराफेरी करके नाम कटवा देते हैं अब और गल्ला वहाँ स्टोर हो रहा है और गरीबों तक नहीं पहुँच पा रहा है. सरकार ने वितरण का रजिस्टर बनाना बंद कर दिया है और मशीन से वितरण डाटा आपके पास सिर्फ एक माह का रहता है. एक माह के बाद का डाटा आपके पास उपलब्ध नहीं होता है. अगर कोई गड़बड़ी होती है तो आप उसको किस तरह बंद करेंगे,किस तरह पकड़ेंगे. रही बात सर्वर की तो कई जिलों के विभाग सर्वर से अपना डेटा माँग रहे हैं कि हमारे यहाँ कितना वितरण हुआ, जो आज तक प्राप्त नहीं हो पाया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मास्टर कार्ड खत्म हो रहे हैं, मदर कार्ड खत्म हो रहे हैं और संन्निर्माण कार्ड रीन्यू तो हो ही नहीं रहे हैं. लगभग सभी स्थिति में तेल की काला बाजारी हो रही है. मैं यह कहना चाहता हूं कि चाहे खाद्य विभाग हो, चाहे श्रम विभाग हो, इनके द्वारा जो बजट का एलोकेशन किया गया है, जो इनकी माँग संख्या है, इसके आधार पर यह काम नहीं पा रहे हैं. इनका पूरा का पूरा जोर कागजी खाना पूर्ति में है. जबसे इन्होंने इसको डिजीटिलाईज किया है तबसे आंकड़ों का खेल हो गया है. हकीकत में जनता के पास चाहे तेल हो, चाहे श्रम कार्ड की बात हो, वह नहीं पहुँच रहा है जो उनके पास पहुँचना चाहिए. मेरा आपसे निवेदन है मैं श्रम और खाद्य विभाग की माँग संख्या का विरोध करता हूं और मैं चाहूँगा कि मंत्री जी इस विषय पर ध्यान दें.
श्री मानवेन्द्र सिंह (महाराजपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माँग संख्या 18 और 39 के पक्ष में बात रखने के लिए खड़ा हुआ हूँ. श्रम विभाग में शासन की ओर से एक श्रमायुक्त संगठन के माध्यम से यह जो बड़े-बड़े उद्योगपति हैं और वहाँ पर जो यह श्रम की जो समस्यायें आती हैं और उनके विवादों का निराकरण शासन की तरफ से काफी हद तक किया गया है. मैं माननीय मंत्री जी को बधाई देना चाहूँगा क्योंकि बड़े उद्योगपतियों की जो श्रमिकों की जो समस्यायें होती हैं वह आसानी से नहीं निपटती हैं. दूसरा माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो 58 वर्ष उम्र थी, उसको 60 वर्ष करके श्रमिकों को दो वर्ष का और काम करने का मौका दिया है उसके लिए मैं उनको बधाई देना चाहूँगा और महिलाओं के लिए जो रात्रि पाली होती थी उसमें उनको आने-जाने में और काम करने में जो असुविधा होती थी, उनकी सुरक्षा की व्यवस्था मंत्री जी और विभाग द्वार की गई है उससे महिलाओं के रात्रि में काम करने की संख्या भी काफी हद तक बढ़ी है. जहाँ तक श्रमिकों की जो मजदूरी है उसमें भी अकुशल श्रमिकों की 267 रुपये की गई है. अर्ध कुशल की 300 रुपये और कुशल श्रमिक की 353 रुपये और उच्च कुशल श्रमिकों की उनकी 403 रुपये प्रतिदिन की राशि उनके लिए उपलब्ध की जाती है . माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो आसपास के राज्य हैं उनसे यह राशि काफी अधिक है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या-39, जो कि खाद्य, नागरिक आपूर्ति तथा उपभोक्ता संरक्षण से संबंधित है, इसके बारे में मैं कहना चाहता हूँ कि सब जगह जो प्वॉइंट ऑफ सेल बनाए गए हैं इससे जो बोगस कॉर्ड्स थे और राशन वितरण में जो समस्याएँ आती थीं उन पर काफी हद तक अंकुश लगा है. प्वॉइंट ऑफ सेल से व्यवस्था काफी सुधरी है, उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मंत्री जी से मैं एक निवेदन और करना चाहूँगा कि केवल बी.पी.एल. कार्डधारक को ही खाद्यान्न मिलता है, इस योजना को थोड़ा विस्तृत कर ओ.बी.सी. और अन्य लोग जिनके पास बी.पी.एल. कार्ड नहीं हैं लेकिन वे गरीब हैं, उनको भी इसमें सम्मिलित किया जाए क्योंकि उनमें बड़ा असंतोष है. आपके माध्यम से मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि इनको भी यह सुविधा उपलब्ध कराने की शासन की ओर से प्रयास किया जाए. आपने मुझे समय दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद आपको भी मानवेन्द्र सिंह जी कि आपने काफी कम समय लिया.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 18 और 39 के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ. आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है तो मैं सभी माताओं, बहनों और बेटियों को अपनी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएँ और बधाई देते हुए अपनी बात जिला अनूपपुर और अपने क्षेत्र से मैं प्रारंभ करना चाहूँगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन लिमिटेड, क्षेत्रीय कार्यालय, सतना का पत्र क्रमांक - परिवहन/द्वारप्रदाय/16-17/1685 दिनाँक 22.02.2017 एवं मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन लिमिटेड, मुख्यालय भोपाल का पत्र क्रमांक - द्वारप्रदाय/परिवहन/2016-17/953, भोपाल दिनाँक 16.02.2017, पुष्पराजगढ़ के सेक्टर राजेन्द्रग्राम में परिवहनकर्ता मैसर्स सुनील कुमार कुकरेती से संबंधित ये पत्र हैं. और दूसरा एम.पी. स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन लिमिटेड, जिला कार्यालय, अनूपपुर का पत्र क्रमांक एन.ए.एन./क्लैम/2016-17, अनूपपुर, दिनाँक 02.03.2017, इस पत्र के माध्यम से अनूपपुर जिले में 21814.84 क्विंटल चावल गोदाम में कम पाया गया जिसकी राशि लगभग रुपये 5 करोड़ 88 लाख 97 हजार होती है. इन पत्रों पर बाद में विस्तार से चर्चा करने की अनुमति मैं चाहूंगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन लिमिटेड, शहडोल का पत्र क्रमांक - परिवहन/अनुबंध/2016-17/392, शहडोल, दिनाँक 22.10.2016, स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन लिमिटेड, शहडोल का पत्र क्रमांक - परिवहन/2016-17/347, शहडोल, दिनाँक 21.10.2016 एवं मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन लिमिटेड, शहडोल का पत्र क्रमांक- 16-17/ 348, शहडोल, दिनांक 19.10.2016. मध्यप्रदेश स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन लिमिटेड, शहडोल- परिवहन/ 2016-17/ 329/ शहडोल, दिनांक 17.10.2016 और स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन, शहडोल का पत्र दिनांक 14.10.2016.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह पेट का सवाल है इसलिये मैं आपसे थोड़ा समय और चाहूंगा,क्योंकि यह नागरिक आपूर्ति विभाग से संबंधित है. तीसरा पत्र है, परिवहनकर्ता श्री पंकज चतुर्वेदी का और मध्यप्रदेश स्टेट सिविल कार्पोरेशन लिमिटेड, जिला कार्यालय, अनुपपूर का पत्र क्रमांक-उपार्जन/2016-17-Q,अनूपपुर,दिनांक 23.2.2017 और मध्यप्रदेश स्टेल सिविल सप्लाई कार्पोरेशन लिमि., जिला अनूपपुर, मध्यप्रदेश का पत्र क्रमांक- उपार्जन/2016-17- 626, अनूपपुर, दिनांक 2.3.2017.
उपाध्यक्ष महोदय :- फुंदेलाल जी, मैं यह कह रहा हूं कि आपको बोलते हुए करीब 6 मिनट हो गये हैं. अब आप 2 मिनट में अपनी बात समाप्त करें. आप पत्र बहुत सारे कोड कर रहे हैं, अब आप विषय वस्तु पर आइये.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैंने जिन पत्रों का उल्लेख किया है, उनमे सारे बिंदु विभाग के द्वारा सही पाये गये हैं. मैं माननीय मंत्री जी से मात्र कार्यवाही की अपेक्षा चाहूंगा. इसमें मेसर्स सुनील कुमार कुकरेती, परिवहनकर्ता के द्वारा जानबूझकर परिवहन में विलंब खाद्यान्न की अफरातफरी, मिलावट या अन्य कपटपूर्ण आचरण करने तथा उसके विरूद्ध जिला प्रबंधक व क्षेत्रीय प्रबंधक की अनुशंसा पर अन्य कार्यवाहियों के अलावा उसे अनिवार्यत: कार्पोरेशन की काली सूची में दर्ज कर भविष्य में कार्पोरेशन की समस्त परिवहन निविदाओं में किसी भी प्रकार से भाग न लेने के लिये दस वर्ष के लिये काली सूची में शामिल किया जाये.
मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहूंगा कि जो मेसर्स सुनील कुमार कुकरेती हैं उनके विरूद्ध क्या आप कार्यवाही करेंगे या उसको काली सूची में डालेंगे या भविष्य में 10 वर्ष के लिये वह किसी भी नागरिक आपूर्ति विभाग के कार्य में भाग न लेने के लिये आप प्रतिबंधित करेंगे या नहीं ? जब आप बोलें तो अपने उत्तर में इसको जरूर शामिल करें. मेरे पुष्पराजगढ़ विधान सभा में लगभग 22 हजार क्विंटल चावल और विभाग की मिली भगत के कारण और इस सप्लाईकर्ता, सुनील कुमार कुकरेती के कारण 21 हजार क्विंटल चावल पुष्पराजगढ़ में दिसम्बर, जनवरी, फरवरी में नहीं मिला है. इस कारण से शासन की महत्वपूर्ण योजना के माध्यम से गांव गांव तक खाद्यान्न नहीं पहुंचाया गया है. हमारे पूरे जिले का 21 हजार क्विंटल चावल को विभाग के द्वारा अफरा तफरी करके गोल माल कर दिया गया, यहां पर हमने सभी पत्रों का उल्लेख किया है. इसलिए मैं चाहता हूं कि माननीय मंत्री जी इसमें कार्यवाही करें. हमारे यहां पर जो पीडीएस के गोदाम हैं, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानें हैं, लेकिन मंत्री जी के विभाग में अभी करोड़ों रूपया संचित कर रखा गया है. मंत्री जी मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या आप उस पैसे को रखे रहेंगे. वहां पर लोग धूप में गल्ला लेने के लिए खड़े रहते हैं. आप वहां पर शेड का निर्माण नहीं करवा रहे हैं, आप वहां पर छांव की कोई व्यवस्था नहीं कर रहे हैं, आप अपने पैसे को रखे रहें. मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि आप वहां पर तत्काल शेड का निर्माण करें, वहां पर पानी की व्यवस्था करें इसके लिए आपके पास में पर्याप्त राशि है उसे आप खर्च करने का कष्ट करें. उपाध्यक्ष महोदय आपने बोलने के लिए समय दिया धन्यवाद.
श्री मुकेश नायक -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे इसके बाद में जेल विभाग की मांगों पर बोलने के लिए 2 मिनट का समय प्रदान कर देंगे.
श्री सुदर्शन गुप्ता ( इंदौर-1) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 18 और 39 का समर्थन करता हूं तथा कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं. मध्यप्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का क्रियान्वयन सुचारू रूप से हो रहा है और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियमन के अंतर्गत पात्र परिवारों हेतु भारत सरकार द्वारा 2 रूपये किलो गेहूं और 3 रूपये किलो चावल दिये जाने का प्रावधान है, किंतु मध्यप्रदेश की सरकार और माननीय शिवराज सिंह जी की सरकार यहां पर गरीबों को 1 रूपये किलो में गेहूं, चावल और नमक दे रही है. इससे फरवरी 2017 में लाभांवित परिवारों की संख्या 1 करोड़ 15 लाख 47 हजार से बढ़कर 5 करोड़ 36 लाख 55 हजार हो गयी है. इस वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार के द्वारा विभागग के लिए इस बजट में 509 करोड़ का प्रावधान किया गया है जो कि प्रशंसनीय है इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी, माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देता हूं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, प्रदेश की 22396 उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से शक्कर, नमक और कैरोसीन दिया जा रहा है, जिसमें 4300 शहरी क्षेत्र में तथा 18096 ग्रामीण क्षेत्र में उचित मूल्य की दुकानें हैं. सिंहस्थ में भी हमारे मुख्यमंत्री जी द्वारा और हमारी सरकार के द्वारा और जो हमारे साधु संत थे और उनके जो अनुयायी थे उनको भी सस्ती दर पर जैसे 10 रूपये किलो आटा, 10 रूपये किलो चावल और 20 रूपये किलो शक्कर का भी वितरण किया गया और पूरे देश भर से आये हुए साधु संत और उनके अनुयायी इस बात से प्रसन्नचित थे कि यहां की सरकार ने बहुत अच्छी व्यवस्था की है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से अपने क्षेत्र की समस्याओं को रखना चाहता हूं, और माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा. पूरे प्रदेश में और इंदौर जिले में विशेषकर पैट्रोल और डीजल पंपों पर उपभोक्ताओं के साथ में पंप वाले खुले आम लूट करते हैं, पैट्रोल पंपों पर मिलावटी पैट्रोल और डीजल का वितरण किया जाता है, इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. साथ ही पंपों के माध्यम से उपभोक्ताओं को जो पैट्रोल डीजल मिलता हैं वह कम मात्रा में और मिलावटी मिलता है इनकी समय समय पर चैकिंग होना चाहिए, इनके यहां पर रेड पड़ना चाहिए और इनका निरीक्षण होना चाहिए. वहां पर अगर हमारे उपभोक्ता शिकायत करते हैं तो पंप मालिक और पंप के कर्मचारी उपभोक्ताओं के साथ में अभद्र व्यवहार करते हैं, मारपीट करते हैं. इस तरह की घटनाएं जिन पंपों पर होती हैं उन पंपों के लायसेंस निरस्त करके उन पंपों को बंद कर देना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि इसका शक्ति के साथ पालन किया जाए. इसी प्रकार एल.पी.जी. के जो सिलेंडर आते हैं, उसमें निर्धारित मात्रा में कई बार हाकर्स गड़बड़ी करते हैं. वह एल.पी.जी. के सिलेंडर वहां गोडाउन से तो लेकर आ जाते हैं, किंतु बीच रास्ते में गैस सिलेंडर में से दो-दो, चार-चार किलो अपने दूसरे सिलेंडरों में खाली करके उसकी पैकिंग वापस उसमें फिट कर देते हैं. उसके बाद उन सिलेंडरों को घरों में सप्लाई कर देते हैं, इसके कारण उपभोक्ताओं को जो सिलेंडर 15 किलों का मिलना चाहिए, वह पूरी मात्रा में नहीं मिलता है. उपभोक्ताओं को केवल दस बारह किलो का ही सिलेंडर मिलता है, उस पर भी विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत है और नाप तौल विभाग को सक्रिय करने की जरूरत है. विशेषकर जो हाकर्स हैं, इनका आकस्मिक निरीक्षण किया जाना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह नागरिक सुरक्षा के अंतर्गत प्रदेश में दो पहिया वाहन चालकों को बिना हेलमेट लगाये पेट्रोल प्रदान नहीं किया जा रहा है. मेरी इस पर आपत्ति है. आपत्ति का यह कारण है कि शहरी क्षेत्रों में इतना ज्यादा भारी आवागमन और ट्रेफिक रहता है कि वहां आदमी चलता नहीं है, वह दो पहिया वाहन लेकर रेंगता है. हर चौराहे -चौराहे पर लाल लाईट, पीली लाईट में उसको रूकना पड़ता है. इस प्रकार वह जब दस की स्पीड से चल नहीं पाता है तो वहां हेलमेट का कोई उपयोग ही नहीं रह जाता है, इसलिए इस पर भी पुनर्विचार करना चाहिए. हां जहां पर रिंग रोड है या बायपास है तो वहां पर हेलमेट लागू करें, मगर शहरी क्षेत्रों में जहां पर इतना ट्रेफिक, इतने वाहन है कि आदमी चल ही नहीं पा रहा है और उसके ऊपर अगर हेलमेट नहीं लगाकर आओगे तो पेट्रोल नहीं देंगे. इस तरह इस प्रकार के कई जगहों पर विवाद होते हैं. मेरा इस संबंध में आपसे यह निवेदन है कि हमको इस पर विचार करना चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी के साथ मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि इंदौर में जो कंट्रोल की दुकानों में सामग्री का वितरण ऑनलाईन के माध्यम से हो रहा है, उसमें सर्वर बार-बार खराब होने से नागरिकों को असुविधा का सामना करना पड़ता है. अगर सर्वर खराब हो जाता है तो इसमें संबंधित आदमी की आईडी या आधारकार्ड को देखकर सामग्री दी जानी चाहिए. बेचारे गरीब दो-दो, चार-चार, पांच-पांच किलोमीटर दूर तक जाते हैं और जब सर्वर खराब होता है तो निराश होकर लौटकर पूरा दिन खराब करके घंटो में वापस अपने घर आते हैं. वह अपनी मजदूरी छोड़कर कंट्रोल की दुकान पर जाते हैं और इस तरह से सर्वर खराब होने पर उनका पूरा दिन तो खराब होता ही है, साथ ही उनकी मजदूरी भी मारी जाती है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह मैं माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से निवेदन करूंगा कि इंदौर में जो कंट्रोल की जो दुकानों में सामग्री का वितरण होता है वह उसी वार्ड में होना चाहिए जहां वह आदमी रहता है. आदमी रहता तो कहीं ओर है और पांच किलोमीटर और दस किलोमीटर दूर जाकर वह कंट्रोल की दुकान पर लाईन लगकर सामान लेने जाता है. इससे उसे बहुत कठिनाई होती है. अत: जो नागरिक जिस क्षेत्र का होता है उसी वार्ड में उसके सामग्री वितरण की कंट्रोल की दुकान होनी चाहिए. ऐसा नहीं होने पर एक वार्ड से दूसरे वार्ड में जाने में आदमी को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इंदौर में कंट्रोल की दुकानों के कम होने से नागरिकों को दूर दूर जाना पड़ता है और गरीब मजदूर को बहुत ज्यादा परेशानी उठानी पड़ती है. इसी तरह बीच में यह प्रावधान हुआ था कि महिला उपभोक्ता भण्डार केंद्र बनाने पड़े थे, उसका गठन किया गया था किंतु उनको अभी तक दुकानें एलॉट नहीं की गई हैं. मेरा निेवेदन है कि महिला उपभोक्ता भंडार का गठन तो किया गया है किंतु उन्हें अभी तक संचालन हेतु दुकानें नहीं दी गई है. महिला उपभोक्ता भण्डारों को हम लोग दुकान देंगे तो निश्चित ही वह बहुत अच्छी तरीके से चलेंगी और संचालित होंगी. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज वैसे ही महिला दिवस है, आज अगर माननीय मंत्री जी घोषणा कर देंगे तो ज्यादा बेहतर होगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी तरह बी.पी.एल. कार्डधारियों की संख्या कुछ जगहों पर बढ़ाई जानी आवश्यक है. उसका कारण यह है कि जो विधवा है, विकलांग हैं या गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति हैं और उनका किसी कारण वश अगर बी.पी.एल. का कार्ड नहीं बना है. अगर उनका हम लोग बी.पी.एल.का कार्ड बना देते हैं तो निश्चित ही एक बहुत बड़ा उपकार का काम होगा क्योंकि उस बी.पी.एल. कार्ड के कारण वह गंभीर बीमारियों का ईलाज वहां के जिला कलेक्टर के माध्यम से करा सकते हैं. इस संबंध में मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि इस तरफ वह ध्यान देंगे. आपने बोलने के लिये समय दिया उसके लिये बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव) - उपाध्यक्ष महोदय, सबसे पहले तो मैं आज महिला दिवस के अवसर पर इस देश की सबसे महान महिला प्रथम शिक्षिका को याद करना चाहती हूं. माता सावित्री बाई फुले, वर्ष 1832 में जो प्रथम महिला शिक्षिका होकर उनके पति महात्मा ज्योतिराव फुले ने महिलाओं को बड़े संघर्षों से पढ़ाने का काम किया. उनका नाम कहीं पर नहीं लिया जाता है. देश में संविधान निर्माता बाबा साहब अम्बेडकर जी ने संविधान के अंदर धारा 14 लिखकर महिलाओं का बराबरी का अधिकार दिया, उनको भी मैं नमन करती हूं. उन्हीं की बदौलत आज इस सदन में महिलाओं को बोलने का अधिकार मिला है, नहीं तो हम महिलाओं को कोई बोरी देना भी पसंद नहीं करता था. जिस तरह से देश में व्यवस्था थी कि स्त्री शुद्रो ना धीयताम, तमाम कई तरह की चौपाइयां लिखी गई थीं. इस सबको खत्म करने के लिए मान्यवर डॉ. भीमराव अम्बेडकर का बहुत बड़ा योगदान है.
उपाध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है, मैं मांग संख्या 18 एवं 39 पर बोलने के लिए खड़ी हुई हैं. श्रम विभाग की बात कहना चाहती हूं कि आज हमारे मध्यप्रदेश में जिस तरह से हम देखते हैं कि होटलों में छोटे-छोटे बच्चे मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं और उन पर कोई कार्यवाही नहीं होती है, उनको मजदूरी भी ठीक से नहीं दी जाती है, वे होटलों में कप-प्लेट धोते हैं, झूठन धोते हैं और बचा-खुचा खाना उनको दिया जाता है. 100-50 रुपए उनको पकड़ा दिये जाते हैं, उनकी मजदूरी भी तय नहीं है. जिस तरह से कुशल, अकुशल मजदूरों की मजदूरी तय की गई है. जैसे मेरे सतना जिले में आदिम जाति कल्याण विभाग में रसोइए पद में कुछ मजदूरों को रखा गया था, उनको वहां पर काम करते हुए दो साल हो गये हैं, उनकी मजदूरी बढ़ाई नहीं गई है. माननीय मंत्री महोदय इस बात को जानते हैं. कलेक्टर सतना, एसडीओ, डीओ, आदिम जाति कल्याण विभाग ने नयी भर्ती की है, नियुक्ति की है. हालांकि मैंने सदन में भी यह बोला, माननीय मंत्री जी को भी पत्र लिखकर दिया था कि उनकी नियुक्ति अभी नहीं हो रही है. उन मजदूरों की मजदूरी भी बढ़ाई जाय. उनकी मजदूरी 150 रुपए से बढ़ाकर 300 रुपए की जाय. उनको भी कुशल मजदूर में लेकर परमानेंट किया जाय, उनको इसमें प्राथमिकता दी जाय.
उपाध्यक्ष महोदय, जिस तरह से महिलाओं की मजदूरी की बात आई है. हमारे सतना जिले में मनरेगा का काम बंद है. महिलाओं को कोई रोजगार नहीं मिल रहा है. महिलाएं जिले को छोड़कर पलायन करके कोई गुजरात, कोई उड़िसा, कोई मुम्बई जाकर वहां अपने बच्चों को लेकर फुटपाथ पर रहकर मजदूरी करने पर मजबूर हैं क्योंकि शासन के सारे काम जो हैं वह जेसीबी मशीन द्वारा करा लिये जाते हैं.
दूसरी बात है कि फैक्ट्रियों में महिलाओं को महत्व नहीं दिया जाता है. फैक्ट्रियों में पुरुषों को रखा जाता है, उसमें भी जिले के मजदूरों को महत्व नहीं दिया जाता है, बाहर से लोगों को लाया जाता है. सतना जिले में कई ऐसे गांव हैं, जिनकी जमीन फैक्ट्रियों ने ले ली हैं, लेकिन वहां के लोगों को मजदूरी में भी नहीं रखा गया और जहां रखा गया है वहां 2-2, 4-4 हजार रुपए केवल उनको मजदूरी दी जाती है. बहुत से ऐसे स्थान हैं चाहे मनरेगा की बात हो या अन्य स्थानों पर जो भी ठेकेदार मजदूरी कराते हैं वह साल-साल भर उनकी मजदूरी नहीं देते हैं. एक मामला मेरे पास आया है. नगर निगम का मामला था, कोई ठेकेदार सतना की नल जल योजना के तहत नाली खुदवाने के लिए छिंदवाड़ा से मजदूरों को लेकर गया था और वे मजदूर वहां पर एक महीने से डले हुए थे, उनकी मजदूरी भी नहीं दी गई और वह ठेकेदार वहां से गायब हो गया. इस पर शासन द्वारा एक कानून बनाया जाय कि जो ठेकेदार ठेका लेता है तो मजदूरों की मजदूरी उसमें सुनिश्चित की जाय कि उनको मजदूरी मिल सके.
उपाध्यक्ष महोदय, खाद्य, नागरिक आपूर्ति तथा उपभोक्ता संरक्षण विभाग के बारे में बोलना चाहती हूं कि सतना जिले में जिस तरह से खाद्य पदार्थों की कालाबाजारी हो रही है. एक महीना गरीबों को राशन नहीं दिया जाता है और जिस महीने का राशन उनको दिया जाना चाहिए वह न दिया जाकर घोटाला कर लिया जाता है. केरोसिन के मामले में हमारे सतना जिले में यह कहा जाता है कि शासन से रोक लग गई है और केरोसिन बिल्कुल नहीं मिल रहा है, वह खत्म हो गया है. मेरा यह निवेदन है कि सतना जिले में पुनः केरोसिन देने की व्यवस्था की जाय. सबसे ज्यादा अगर विडम्बना है और सबसे ज्यादा जो कष्ट है तो वह पात्रता पर्ची का है क्योंकि नेट द्वारा सिस्टम कर दिया गया है. भोपाल से सीधे पर्ची वितरित होती है तो जो गरीब महिलाएं हैं, जो मजदूर हैं, जो वृद्धा हैं, वे जानती ही नहीं हैं कि कहां पर्ची मिल रही है. उनको राशन नहीं मिल पाता है. मेरे विधानसभा क्षेत्र में एक मुटवा गांव है. जो पन्ना से लगा हुआ है, उस मुटवा और खुटकहा गांव की जो राशन की दुकान है, वह 10 कि.मी. दूर सिराजपुर में मिलती है, उसको वहां से स्थानांतरित करके खुटकहा में लगा दिया जाय. इस तरह के कई ऐसे मामले हैं. जैसे हाटी में जो खाद्यान्न की दुकान है और जो पूर्वा पंचायत है वहां भी 10 कि.मी. का अंतर है तो पूर्वा में उसको कर दिया जाय. उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का मौका दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं संख्या 18 एवं 39 का समर्थन करता हूं कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूं. इसके पूर्व कि आप मुझे (XXX) करें मैं अपना वक्तव्य बहुत ही संक्षिप्त में देने की कोशिश करूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय--यह शब्द कार्यवाही से निकाल दें. सिर्फ टोक शब्द इस्तेमाल करेंगे तो एलाऊ करेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन--उपाध्यक्ष महोदय क्षमा करियेगा.मैं जिस क्षेत्र से आता हूं वहां पर बीड़ी श्रमिकों की 33 हजार की संख्या है पूरे जिले में 66 हजार बीड़ी श्रमिक हैं. वहां पर अनेक तरह की पंचायतें हुईं उनके माध्यम से उनकी समस्याओं को दूर करने की दिशा में काम हुआ है, लेकिन बीड़ी श्रमिकों की पंचायत घोषणा करने के बाद भी अभी तक नहीं हो पाई है.
श्री के.पी.सिंह--यह पंचायत तो मुख्यमंत्री जी करते हैं, यह मंत्री जी कैसे करेंगे. वहां बात करें यहां पर बात करने का मतलब नहीं है.
श्री शैलेन्द्र जैन--उपाध्यक्ष महोदय, आप भी बीड़ी व्यवसाय से जुड़े हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--इस व्यवसाय में अनेक लोग जुड़े हुए हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन--उपाध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि कम लागत में अधिकतम लोगों को रोजगार दिया जा सकता है. यह संसार में अगर कोई कर सकता है तो बीड़ी उद्योग है. मैं मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि यह पंचायत बुलायी जाये. बीड़ी श्रमिकों की प्रदेश में बहुत अधिक संख्या है उनका कोई सम्मेलन यहां भोपाल में बुलाया जाये, यह उचित नहीं होगा. उनकी पंचायत सागर में या और कहीं पर की जाए जहां पर उनकी संख्या बहुत अधिक हो तो उसका लाभ बीड़ी श्रमिकों को होगा.
उपाध्यक्ष महोदय, एक आवास से संबंधित विषय जरूर ध्यान में आया है. अभी तक बीड़ी श्रमिकों के लिये 40 हजार रूपये की राशि के अनुदान की व्यवस्था शासन के द्वारा की गई थी हालांकि उस योजना में केन्द्र का योगदान बहुत ज्यादा है उसको बढ़ाकर के डेढ़ लाख रूपये प्रति हितग्राही कर दिया गया है. मैं इस बात के लिये केन्द्र सरकार एवं मध्यप्रदेश की सरकार को बधाई देना चाहता हूं. यह बीड़ी श्रमिकों के हित में एक अच्छा कदम है, लेकिन मैं यह मानता हैं कि अभी भी महंगाई के दौर में डेढ़ लाख रूपये कम है. हमने प्रधानमंत्री आवास योजना में देखा कि इस तरह के हितग्राहियों के लिये ढाई लाख रूपये की योजना है. वह व्यक्ति जो संनिर्माण कर्मकार मण्डल रजिस्टर्ड हैं उनको लगभग साढ़े तीन लाख रूपये अनुदान देने की व्यवस्था है तो मैं समझता हूं कि बीड़ी श्रमिकों के लिये डेढ़ लाख रूपये की जो राशि है वह कम है उसको बढ़ाकर के कम से कम 2 लाख रूपये किया जाये. सागर में एक बीड़ी कामगार अस्पताल है वह काफी पुराना है, लेकिन यह देखने में आया है कि उस अस्पताल में इन्डोर पेशन्ट की भर्ती करने की व्यवस्था नहीं है जिस हेतु बीड़ी श्रमिक काफी परेशान होते हैं. वहां ओपीडी की संख्या तो अच्छी हो रही है, लेकिन एडमीशन कम हो पाते हैं. वह इस दिशा में काम करें. वहां इक्यूपमेंट की निहायत कमी है जितने भी इनवेस्टीगेशन हैं उनको कराने के लिये बाहर की अस्पतालों में तथा शासकीय अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है. बीड़ी श्रमिकों के हित में अगर अस्पतालों के उन्नयन काम करेंगे तो बहुत अच्छा होगा.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं खाद्य पर अपनी बात कहना चाहता हूं. मध्यप्रदेश की सरकार ने स्टील साइलो बनाने का निर्णय किया है वह काबिले तारीफ है. हमारा जो स्टील साइलो है उसकी सर्वत्र प्रशंसा हुई है. उस मॉडल को सर्वश्रेष्ठ मॉडल मानकर देश के अन्य हिस्सों में भी उस तरह के मॉडल को अपनाने की अनुशंसा की गई है. मैं माननीय मंत्री जी को इसके लिए बहुत बहुत बधाई देना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को इस बात के लिए भी बधाई देना चाहता हूं कि जो राशन कार्ड होल्डर हैं उनको अब जो खाद्य सामग्री मिलेगी, वह बायोमैट्रिक पद्धति से मिलेगी. यह बायोमैट्रिक सिस्टम पूरे शहरी क्षेत्र में लगाने का संकल्प लिया है उससे निश्चित रुप से गलत पद्धति अपनायी जा रही थी, उस पर रोक लगेगी, लगाम लगेगी.
उपाध्यक्ष महोदय, एक सुझाव भी आपके माध्यम से देना चाहता हूं. केरोसीन को ओपन मार्केट में बेचा जाए लेकिन उसकी जो सब्सिडी है वह उपभोक्ताओं को सीधे उनके बैंक खाते में जमा करा दी जाए तो उससे काला बाजारी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी. यह व्यवस्था झारखंड,हरियाणा में भी है और वहां सफलता पूर्वक चल रही है.
राज्यमंत्री, सामान्य प्रशासन(श्री लालसिंह आर्य)--उपाध्यक्ष महोदय, आज शैलेन्द्र जी पिंक कलर में कुछ हटकर लग रहे हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन--उपाध्यक्ष जी, आज का दिन मैंने मातृ शक्ति के लिए समर्पित किया है. उनके सम्मान में यह वेश है.
श्री के पी सिंह-- माननीय लालसिंह जी, शैलेन्द्र शुरु से ही समर्पित हैं. (हंसी)
श्री शैलेन्द्र जैन--उपाध्यक्ष महोदय, मप्र की सरकार ने एक अच्छा निर्णय लिया है कि राशन दुकानों का संचालन महिला समितियों के माध्यम से किया जाएगा वह भी काबिले तारीफ है. मैं उसकी प्रशंसा करना चाहता हूं. धन्यवाद.
श्री शंकरलाल तिवारी-- उपाध्यक्ष महोदय, सिर्फ एक वाक्य कहने की अनुमति दे दें.
उपाध्यक्ष महोदय-- फिर एक वाक्य से आगे ना बढें.
श्री शंकरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार ने अभी अभी फैक्ट्रीज़ में जो मजदूर काम करते हैं, उनको चेक से पेमेंट देने की बात कही है. मैं आपसे विनती पूर्वक कहता हूं कि यदि सतना जिले में और अन्यान्य जगहों पर जो सीमेंट या अन्य फैक्ट्रीज़ चल रही हैं वहां के मजदूरों को चेक पेमेंट होने लगे और पीएफ रजिस्ट्रेशन हो जाएगा तो उनका शोषण रुक जाएगा. इसलिए माननीय मंत्री जी चेक पेमेंट कराएं. धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- अब आप बोलने का समय तो नहीं मांगेगे ना?
श्री शंकरलाल तिवारी-- नहीं मांगूगा.
उपाध्यक्ष महोदय-- धन्यवाद. बहुत महत्वपूर्ण सुझाव दिया है.
श्रीमती शीला त्यागी(मनगवां )--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 18,39 के विरोध में अपनी बात रखने के लिए खड़ी हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, हमारी प्रदेश सरकार गरीब कल्याण वर्ष मना रही है. मांग संख्या 18 में श्रमिकों के कल्याण के लिए यानी गरीबों के कल्याण के लिए बजट का प्रावधान किया गया है. मेरी मनगवां विधानसभा क्षेत्र में बहुत सूखा है. वहां गरीबी भी है. वहां अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग बड़ी संख्या में निवास करते हैं जिसमें अधिकांश मजदूर और गरीब हैं. मनगवां विधानसभा में मजदूरों का पंजीयन सही तरीके से नहीं हुआ है जिससे उनके स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सुरक्षा के लिए जो योजनाएं बनी हुई हैं, उनका क्रियान्वयन अभी तक नहीं हुआ है. मंत्री जी से निवेदन है कि कर्मकारों के लिए जो योजना है उसमें सारे श्रमिकों का पंजीयन हो और उनके भविष्य और सुरक्षा तथा उनके भावी विकास को ध्यान में रखते हुए सभी का पंजीयन हो जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके.
उपाध्यक्ष महोदय, श्रम कल्याण विभाग में जो योजनाएं बनी हैं उनका भी लाभ श्रमिकों को सही तरीके से मिलना चाहिए. इसके लिए अभी तक कोई कारगर उपाय हमारी मनगवां विधानसभा के मजदूरों के लिए नहीं किया गया है. और यही स्थिति पूरे प्रदेश की है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं कह रही थी कि ग्रामीण क्षेत्र के समस्त ऐसे व्यक्ति जो मुख्यमंत्री मजदूर एवं सुरक्षा योजना अंतर्गत भूमिहीन हैं, खेतीहर मजदूर के रुप में पंजीकृत हैं उन तक के लिए सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है. खासतौर से महिलाएं जो अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर मजदूरी करने जाती हैं. उनका यौन उत्पीड़न तो होता ही है साथ ही साथ उनके बच्चों का जीवन भी सुरक्षित नहीं रहता है इसलिये जो श्रमिक परिवार हैं उनके परिवार के सदस्यों को भी श्रम कल्याण विभाग द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाये. हमारे प्रदेश में बड़ी-बड़ी इन्वेस्टमेंट समिट होती हैं. पूंजीपतियों के उद्योगों को बढ़ाने के लिये बड़ी-बड़ी योजनाएं बनती हैं उनके लिये बहुत सारा बजट दिया जाता है. हमारे प्रदेश में जो श्रमिक हैं जिनसे पूरे देश,प्रदेश,जिले,गांव सभी का आधार जुड़ा हुआ है अगर श्रमिक मजदूरी न करें तो हम जो इस पवित्र विधान सभा के मंदिर में आज यहां हम नहीं बैठे होते. उनके हित के लिये भी सरकार को गंभीरता से चिंता करना चाहिये. माननीय मंत्री जी काफी संवेदनशील हैं उनके सामने कोई भी बात आती है तो वह उसे गंभीरता से लेते हैं और कार्यवाही भी करते हैं इसलिये मेरा उनसे नि वेदन है कि श्रम कल्याण विभाग के द्वारा मजदूरों के हित के लिये श्रम विभाग जो बाल श्रमिक मजदूर हैं उनकी पढ़ाई के लिये अभी तक 100 रुपये दिये जाते थे उसको बढ़ाकर इतनी महंगाई के दौर में कम से कम 500 रुपये तो कर ही दिया जाये. साथ ही साथ महिलाओं को लिंग भेद अभी भी बड़े पैमाने पर भोगना पड़ता है. आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है, मैं भी एक महिला हूं. मुझे बड़ी चिंता होती है कि इस इक्कीसवीं सदी में आज भी महिलाओं के साथ गैर बराबरी का व्यवहार होता है और बहुत सारी महिलाएं इसका शिकार होती हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - शीला जी एक मिनट में समाप्त करें.
श्रीमती शीला त्यागी - ग्रामीण अंचल में महिलाओं को मजदूरी बहुत कम दी जाती है साथ ही साथ जो श्रमिकों के कल्याण के लिये निधि आती है सरकारी जितने कार्यालय हैं उनमें करोडों रुपये की राशि तो दे दी जाती है लेकिन विभाग के द्वारा सही तरीके से खर्च नहीं होती, मैं मंत्री जी से निवेदन करती हूं कि मध्यप्रदेश के सभी जिलों में श्रम विभाग की योजनाओं का प्रचार-प्रसार किया जाये. अभी तक पूरी तरह से उनका प्रचार-प्रसार नहीं हुआ है.
उपाध्यक्ष महोदय - अब आप समाप्त करें.
श्रीमती शीला त्यागी - आज महिला दिवस है उपाध्यक्ष महोदय, जब से मैंने बोलना शुरू किया है तब से आप कह रहे हैं कि समाप्त करें शीला जी. आप मुझे हमेशा स्नेह करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - ऐसा नहीं है. आप चार मिनट बोल चुके हैं. मेरे पास रिकार्ड रहता है घड़ी सामने है,पेंसिल मेरे पास है.
श्रीमती शीला त्यागी - महिला दिवस के मौके पर 2 मिनट और दे दीजिये.
उपाध्यक्ष महोदय - ऊषा जी ने 6 मिनट बोल लिया,चलिये एक मिनट में खत्म करें.
श्रीमती शीला त्यागी - अब मैं खाद्य विभाग के संबंध में यही कहना चाहती हूं कि खाद्य नागरिक आपूर्ति उपभोक्ता संरक्षण विभाग में जो बीपीएल परिवारों के खाद्यान्न जैसे नमक,शक्कर,केरोसिन का वितरण किया जाता है. पात्र बीपीएल परिवारों को जितना लाभ मिलना चाहिये उतना नहीं मिलता बल्कि अपात्र लोगों को इसका लाभ ज्यादा मिल जाता है. खासकर पूरा खाद्यान्न कालाबाजारी की भेंट चढ़ रहा है. मैंने प्रश्न भी लगाया था मैं मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं कि मेरे प्रश्न लगाने पर उन्होंने तत्काल कार्यवाही की और बहुत सारे सप्लायर्सों को निलंबित कर दिया. मैं मंत्री जी से एक और निवेदन करना चाहती हूं कि आपने पात्रता परची की जो अनिवार्यता रखी है जैसा अभी बहन ऊषा चौधरी जी कह रही थीं कि पात्रता परची का लाभ लेने के लिये बहुत परेशानी होती है इसलिये आप गरीब महिलाओं के कल्याण के लिये खाद्यान्न का जो असली उद्देश्य है कि गरीब की थाली में भोजन मिले, गरीबों की रसोई जले, उसके लिये खाद्यान्न विभाग खाद्यान्न की कालाबाजारी रोकने का कार्य करे. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का मौका दिया बहुत-बहुत धन्यवाद लेकिन मैं संतुष्ट नहीं हूं कि आज महिला दिवस है और आप मुझे बोलने से रोक रहे हैं.
श्री बहादुरसिंह चौहान (महिदपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 18 एवं 39 का समर्थन करता हूं और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं. माननीय उपाध्यक्ष जी, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण एवं श्रम विभाग देखने में तो छोटे विभाग हैं लेकिन शासन के बहुत असरदार विभाग हैं. मध्यप्रदेश की 5 करोड़ 34 लाख आबादी से सीधा यह विभाग जुड़ा हुआ है. मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के तहत् गेहूं,चावल,नमक 1 रुपये किलो में दिया जाता है साथ ही 20 रूपये किलो में शक्कर दी जाती है, इसके लिये विभाग के द्वारा वित्तीय वर्ष 2015-2016 में 416.11 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया था और माननीय उपाध्यक्ष जी 416.11 करोड़ की तुलना में इस वर्ष 2016-17 में 724.11 करोड़ का प्रावधान इस बजट में किया गया है. यह बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय सरकार का है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की राशन वितरण करने की मध्यप्रदेश की जो दुकानें हैं वह 22401 हैं और इन दुकानों से जो वितरण किया जा रहा है वह कियोस्क मशीनों द्वारा किया जा रहा है. इसमें कालाबाजारी की कोई शंका-कुशंका नहीं बची है और मैं कह सकता हूं कि सीधा-सीधा राशन गरीबों के घर तक पहुंच रहा है. जहां तक अभी शैलेन्द्र जी कह रहे थे कि इंदौर, खंडवा, बुरहानपुर, देवास, भोपाल एवं छिंदवाड़ा में परिवारों की पहचान के लिये आधार आधारित बायोमैट्रिक सत्यापन के द्वारा उसकी पहचान की जा रही है, अब गड़बड़ी होने की कोई संभावना नहीं बचेगी, इसको चरणबद्ध मध्यप्रदेश के अन्य स्थानों पर भी लागू किया जायेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री जी ने प्रधानमंत्री उज्जवला योजना प्रारंभ की, यह योजना देखने में छोटी दिखती है. प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में हिन्दुस्तान में जितने भी प्रदेश हैं उसमें हमारा मध्यप्रदेश द्वितीय है, इसमें निर्धन परिवार की महिलाओं को 18 लाख 67 हजार गैस कनेक्शन इस योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश में वितरित किये गये हैं, यह माननीय नरेन्द्र मोदी जी का ऐतिहासिक कदम है. मैं कहना चाहता हूं कि मैं मालवा क्षेत्र से हूं और शुद्धरूपेण किसान हूं इसलिये श्रम वाला मामला बहुत ही महत्वपूर्ण है. हमारे यहां नागदा में ग्रेसिम उद्योग भी है जो मालवा में आता है. मालवा में जब गेहूं और चने की कटाई होती है तब एक महीने के लिये लेबर को काम मिलता है और उसके बाद सोयाबीन की जो कटाई होती है तब उनको एक महीने का काम मिलता है. मैं कह सकता हूं कि बाकी समय हमारे रतलाम, नीमच, मंदसौर, शाजापुर, देवास से लगाकर धार से लगाकर इंदौर इस क्षेत्र में कोई भी कार्य श्रमिकों को नहीं रहता है. श्रम विभाग शासन का बहुत ही महत्वपूर्ण विभाग है. राज्य बीमा अस्पताल के बजट में इस वित्तीय वर्ष में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है और इसमें 37 करोड़ रूपये का प्रावधान इस सरकार ने रखा है. श्रम कानून का क्रियान्वयन करने के लिये भी इस बजट में 20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की गई है और 25 करोड़ रूपये का प्रावधान इस बजट में किया गया है. उद्योग में कार्य करने वाले जो श्रमिक होते हैं उनकी सुरक्षा के लिये कोई फंड नहीं होता था, पहली बार इसमें भी 7 करोड़ रूपये का प्रावधान इस बजट में श्रम विभाग की ओर से रखा गया है. दुर्घटना बीमा क्लेम यह भी एक महत्वपूर्ण निर्णय है. महिला श्रमिक कानून इसको भी सरकार ने गंभीरता से लिया है. माननीय उपाध्यक्ष जी, नागरिक आपूर्ति विभाग के अंतर्गत पेट्रोल, डीजल भी आते हैं और हमारे हिन्दुस्तान में 3 कंपनियां हैं, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम यह 3 कंपनियां हैं, इनके ऊपर जो कसावट होना चाहिये पूर्व की तुलना में तो अच्छी है, लेकिन मंत्री जी को मैं सुझाव दे रहा हूं, थोड़ी और कसावट की इसमें आवश्यकता है. इसको मैंने कैसे पकड़ा, मेरी गाड़ी एक्सयूव्ही का 4300 रूपये में टेंक फुल हो जाता है. एक बार गाड़ी का कांटा 1 नंबर पर आने के बाद जब मैं डीजल भरवाने के लिये गया तो उसमें 4600 रूपये लगे और जब मैंने अच्छे से चेक करवाया तो उसमें साढ़े तीन लीटर डीजल कम मिला था. एक एमएलए के लिये साढ़े तीन लीटर डीजल का कोई महत्व नहीं है लेकिन हमने तत्काल चेक करवाया तो यह बात पकड़ में आई. मेरा मंत्री जी से यह अनुरोध है कि चूंकि पेट्रोल पंप वाला पैसा तो पूरा लेता है, शुद्ध पेट्रोल और डीजल दे रहा है लेकिन नाप में वह गड़गड़ी कर रहा है , हम इस बात को भी मानते हैं कि पहले की तुलना में यह गड़बड़ियां बहुत कम हो गई हैं लेकिन इसमें अभी और कसावट की आवश्यकता है. मैं चाहता हूं कि आप इस पर कन्ट्रोल करें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया इसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सोहनलाल बाल्मीक(परासिया) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 18 और 39 के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में अपनी बात रखने जा रहा हूं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय को अवगत कराना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में श्रमिकों को चार कैटेगिरी में विभक्त किया गया है. कुशल, अर्द्धकुशल, अतिकुशल और अकुशल. इन चार कैटेगिरी में श्रमिकों का वेतन निर्धारण किया गया है. जब विभाग के प्रतिवेदन को देखते हैं तो कई योजनायें हमें दिखती हैं और आये दिन देखते हैं कि यह जो नियम और कानून बने तो है मगर जमीनी स्तर पर हम देखेंगे तो पायेगे कि जहां मजदूरों को उनकी सुविधायें और हक मिलना चाहिये, अधिकार मिलना चाहिये वह उनको नहीं मिल पा रहे हैं. उदाहरण के लिये मैं बताना चाहूंगा कि मेरे छिंदवाड़ा जिले में बहुत सारी प्रायवेट सेक्टर की फेक्ट्रियां काम करती हैं. जो प्रायवेट सेक्टर की फेक्ट्रियां काम करती हैं उसमें जो वेजेस का समझोता है, किसी में 3 साल में, किसी में 4 साल में वेज निर्धारित होता है वह नहीं हो पा रहा है. रेमण्ड फेक्ट्री में लगभग 8 माह हो गये हैं लेकिन वहां पर आज भी समझोता नहीं हो पाया है. श्रमिक संगठन लगातार प्रबंधन से चर्चा कर रहे हैं लेकिन प्रबंधन मान नहीं रहा है.जिस तरीके से वेतन का निर्धारण होना चाहिये आज भी प्रबंधन उस बात को न मानते हुये, धीरे धीरे स्थिति को बढ़ाते जा रहा है.इसी तरह से बताना चाहता हूं कि मेरे छिंदवाड़ा जिले में हिन्दुस्तान लीवर फेक्ट्री है, उसमे भी श्रम कानून का उल्लंघन हो रहा है, श्रमिकों का जो वेतन का निर्धारण 4 साल बाद होना चाहिये वह आज तक नहीं हो पा रहा है. इस तरह की व्यवस्था में बहुत सारी गड़बड़ियां हैं जो माननीय मंत्री जी को सुधारने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र में कोयले की खान है . मैंने इस संबंध में प्रश्न भी लगाया था किंतु प्रश्न को ग्राह्य नहीं किया गया उसमें जो ठेकेदारी पर कामगार काम करते हैं, जो कान्ट्रेक्चुअल वर्कर हैं,उन कान्ट्रेक्चुअल वर्कर को एनसीडब्ल्यू-9 में जो हाईपॉवर कमेटी बनी हुई है उसमें ठेकेदारी कामगारों का वेतन निर्धारण किया गया है. उसके अनुसार कोयला खान के क्षेत्र में जो मजदूर काम करते हैं उनका वेतन निर्धारण होना चाहिये, ठीक है वह सेन्ट्रल गवर्मेंट से लगा है, वह पब्लिक सेक्टर की एक संस्था है मगर जो काम हमारे क्षेत्र के और प्रदेश के मजदूर कर रहे हैं उन कान्ट्रेक्टर वर्कर को आज भी हाईपॉवर कमेटी ने जो वेतन निर्धारित किया है, वह वेतन आज भी उन मजदूरों को नहीं मिल रहा है, न उनके पीएफ की कटौती हो रही है, न उनका जीवन स्तर सुधारने की कोई बात हो रही है, उनकी कोई कल्याणकारी योजनाये नहीं बन पा रही हैं, मेडिकल की सुविधा नहीं मिल पा रही है, खदान के अंदर कोई एक्सीडेंट होता है तो मजदूर का इलाज तक ठेकेदार नहीं करवाता है, काम करते समय यदि किसी श्रमिक की मृत्यु हो जाती है तो अनुकम्पा नियुक्ति नहीं मिलती, सही मायने में जो उस मजदूर को कम्पनसेशन मिलना चाहिये वह भी नहीं मिल पाता है तो इस तरीके की विसंगति को श्रम विभाग को पूरे तरीके से इसमें नजर मारने की आवश्यकता है.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं इस मौके पर यह भी कहना चाहता हूं कि जहां पर संगठित कामगार है वह संगठित कामगारों के लिये तो श्रमिक संगठन, ट्रे़ड यूनियनें बात करते रहते हैं उनके हक की लड़ाई लड़ते रहते हैं मगर जहां पर असंगठित कामगार हैं वहां उनको देखने वाला कोई नहीं है. बहुत सारे नियम बने हैं, बहुत सारी बातें यहां पर होती हैं मगर असंगठित कामगारों के लिये कोई बात नहीं उठ पाती है न सरकार का इस तरफ कोई ध्यान जाता है. मैं बहुत सारे असंगठित मजदूरों से चर्चा करता हूं, चाहे वह खेतिहर मजदूर हो, चाहे सिविल में काम करने वाला हो, उनका पूरे तरीके से शोषण होता है. 8 घंटे तक काम करने की जो नीति बनी हुई है,जो कानून बना हुआ है कि 8 घंटे काम करना चाहिये वहां पर उन मजदूरों से 10 से 12 घंटे तक का काम लिया जा रहा है. उनके पीएफ की कटौती नहीं होती, उनकी कोई ग्रेच्युटी नहीं बनती, उनके जीवन के कल्याण के लिये कोई योजना नहीं होती उनके लिये मेडिकल की सुविधा नहीं होती इस तरीके की जो असुविधायें हो रही हैं इसके लिये सरकार को हर जिले के स्तर पर हर ब्लाक के स्तर पर एक श्रम कमेटी बनाना चाहिये और वह कमेटी देखे कि जो ऐसे असंगठित मजदूर हैं जिनका शोषण होता है उनका पूर्ण रूप से ध्यान रखे जाने की आवश्यकता है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक बात और कहना चाहता हूं कि.
अध्यक्ष महोदय - एक मिनिट में समाप्त करें.
श्री सोहललाल बाल्मीक - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मुझे बहुत कुछ कहना है, मेरे विधानसभा क्षेत्र में ऐसी बहुत सी पंचायतें हैं, जहां के लोग बड़ी संख्या में दूसरे जिले में काम करने बाहर जाते हैं. जब वे काम करने जाते हैं तो तीन-तीन, 6-6 महीने तक के लिए बाहर चले जाते हैं. जब घर से काम करने लायक लोग बाहर जाते हैं तो उनके परिवार में जो छोटे बच्चे होते हैं तो उनकी देखभाल बराबर नहीं हो पाती, बच्चे को समय पर खाना नहीं मिल पाता, स्कूल नहीं जा पाते, जिसके कारण कुपोषण बढ़ता है. इसके अलावा जो कामगार काम करने के लिए जाते हैं, उन कामगारों के साथ यदि कोई दुर्घटना हो जाती है तो ठेकेदार उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं करते है.
उपाध्यक्ष महोदय - सोहन लाल जी, आप कृपया समाप्त करें.
श्री सोहललाल बाल्मीक - उपाध्यक्ष महोदय, बस एक मिनट.
उपाध्यक्ष महोदय - लेकिन ईमानदारी से एक मिनट .
श्री सोहललाल बाल्मीक - मेरा पूरा एक विभाग रह गया है.
उपाध्यक्ष महोदय - ऐसा जरूरी नहीं है कि सारी बातें आ जाए.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ. नरोत्तम मिश्र) - उपाध्यक्ष जी, के.पी. सिंह जी और गोविन्द सिंह जी यदि इतना पढ़ाई के समय पढ़ लेते तो पता नहीं कहां पर होते, एक घंटे से दोनों ने ऊपर सिर नहीं उठाया.(हंसी...)
श्री के.पी. सिंह - आपको इससे तकलीफ क्या है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - मैं इनके आगे पीछे घूमता रहता था तो मैंने देखा ये पढ़ते ही नहीं थे. (हंसी...)
श्री के.पी. सिंह - हम बिना पढ़े पास हो जाते थे, आप तो पढ़कर बैठ गए.
डॉ. गोविन्द सिंह - आपके ही कारनामों की स्टडी कर रहा हूं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - वह तो आपका काम है, करते रहो, स्टडी करते करते 71 से 58 में आ गए.
उपाध्यक्ष महोदय - गोविन्द सिंह जी, आपको पीएचडी वाली डाक्टरेट मिल जाएगी अगर आप नरोत्तम जी को अध्ययन कर लेंगे.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जब से आदरणीय नरोत्तम मिश्र जी ने गोविन्द सिंह जी के यहां खाना खाया है, जब से प्यार कुछ ज्यादा बढ़ गया है, विधान सभा के अंदर हमको यह दिख रहा है.
उपाध्यक्ष महोदय - नहीं प्यार हमेशा से ही रहा है, आप जानते नहीं हो इन लोगों को.(हंसी...)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - बाल्मीक जी आप बुलाओगे नहीं तो फिर क्या करें, कोई एक आदमी तो है जो बुलाता है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - सर आप मौका देंगे तो जरूर बुलाएंगे.
उपाध्यक्ष महोदय - बाल्मीक जी आप अपनी आखिरी बात कह कर समाप्त करें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के विक्रेताओं को 8400 रूपए कमीशन प्राप्त हो रहा है, जबकि उक्त राशि संस्था के खाते में जाती है और विक्रेताओं को एवं अन्यों को संस्था अपनी जरूरत के बाद ही वेतन देती है. ऐसी परिस्थिति में कहीं न कहीं इनका शोषण होता है और जो विक्रेता है उसको जब पैसा कम मिलता है तो वह उस पैसों को निकालने के लिए कहीं न कहीं भ्रष्टाचार करता है. इसमें निश्चित रूप से आगे काम करने की जरूरत है.
उपाध्यक्ष महोदय - बाल्मीक जी आप समाप्त करें, आपके 6 मिनट हो चुके हैं, देखिए मैं गणित का विद्यार्थी हूं, केलकूलेट कर लेता हूं.
श्री दिनेश राय, मुनमुन(सिवनी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 18 और 39 का समर्थन करता हूं. माननीय श्रम मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि प्रदेश में श्रम कानून का पालन सख्ती से नहीं किया जा रहा है, मैं इसमें और सुधार करने की उम्मीद करता हूं. मेरे क्षेत्र में भी दिनों दिन बाल मजदूरों की संख्या बढ़ती जा रही हैं. बंधुआ मजदूर हमारे क्षेत्र से पलायन कर रहे हैं, दूसरे बड़े शहरों में काम करने के लिए जा रहे हैं, उन मजदूरों को समय पर वेतन भी नहीं दिया जाता है और उन्हें बड़े अव्यवहारिक तरीके से रखा जाता है, हमारे द्वारा कई मजदूरों को उनसे छुड़वाया भी गया है. कई अलग अलग क्षेत्रों में मजदूरों की मजदूरों अलग अलग निर्धारित है, उसको भी नियम कानून के तहत सही कराया जाना चाहिए. आपसे आग्रह है कि प्रदेश में बंद पड़ी मिलों को चालू कराये जाने का प्रयास किया जाए. कर्मकार कार्ड के बड़े अच्छे सुखद रिजल्ट आए हैं. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि इसको और वृहद रूप में करें, जिससे सभी कर्मकार लोगों को इसका फायदा मिले. इसी प्रकार मैं खाद्य नागरिक आपूर्ति तथा उपभोक्ता के संबंध में कहना चाहूंगा कि जिस तरह से स्वास्थ्य विभाग, महिला विभाग का प्रचार प्रसार होता है, उस तरीके से आपके विभाग का प्रचार प्रसार नहीं होता है. आपकी कितनी योजनाएं चल रही हैं इसकी जानकारी आम आदमी तक नहीं पहुंच पा रही है. मेरा विशेष आग्रह है कि गांव-गांव तक जो आपकी योजनाएं हैं, उनका लाभ पाने के लिये आपको पूरी जानकारी पहुंचानी पड़ेगी, आपको उसका प्रचार-प्रसार काफी तादाद में करना पड़ेगा. मेरा आग्रह है कि आप इस पर विशेष ध्यान दें. हम जैसे लोगों को मालूम नहीं है कि आपकी कौन-कौन सी योजनाएं चल रही हैं, कितना खाद्यान्न दे रहे हैं. किस- किस योजना से किस-किस को क्या फायदा मिलेगा, उसको आप विशेषकर गंभीरता से लेकर के ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहरी क्षेत्र में प्रचार प्रसार बढ़ायें. मिट्टी का तेल अभी आप बीपीएल में देते हैं, ग्रामीण क्षेत्र में न डीजल पम्प है, न पेट्रोल पम्प है, वह कहां से लायेंगे. तो मेरा आपसे आग्रह है कि एपीएल कार्डधारियों को भी कम से कम दो लीटर मिट्टी का तेल उपलब्ध करायें. ग्रामीण क्षेत्रों में पीडीएस योजना का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य भण्डारण हेतु अनुदान व उचित मूल्य की दुकानों की संख्या बढाई जाये, क्योंकि अभी वे काफी कम हैं,काफी दूर तक लोगों को जाना पड़ता है. प्रदेश में लगातार काला-बाजारी हो रही है, इसको रोकने के लिये आप कठोर कदम उठायें. मध्याह्न भोजन एवं बीपीएल को मिलने वाले राशन की गुणवत्ता सुनिश्चित करें. सिवनी शहर के वार्ड नम्बर 14,16,18,24 एवं ग्रामीण क्षेत्र गोरखपुर,बलारपुर, सागर, गोपालगंज में खाद्य भण्डारण केंद्र खोलने का मैं आपसे आग्रह करता हूं. मंत्री जी, जैसे ही आपने चार्ज लिया था और धड़ाधड़ आपने जबलपुर और कई गोदामों को चेक किया, इससे हड़कम्प मच गया और काफी सुधार हुआ. मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप एक बार हमारे सिवनी जिले में भी आ जायें, वहां के भी बड़े बड़े गोदामों का निरीक्षण कर लें और समय न हो तो वह चार्ज हम लोगों को दे दें, तो हम लोग कुछ दिनों में चेक कर लेंगे, सब निपटा देंगे. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के लिये समय दिया, धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय -- आज यह पता नहीं लगा कि आपने कटौती प्रस्तावों का समर्थन किया है या विरोध किया है.
श्री दिनेश राय -- उपाध्यक्ष महोदय, मैंने समर्थन ही किया है, लेकिन अपने क्षेत्र की समस्याओं से अवगत भी कराया है.
उपाध्यक्ष महोदय -- क्योंकि कभी आप विरोध करते हैं, कभी समर्थन करते हैं.
श्री दिनेश राय -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं विरोध कभी नहीं करता, मांगों का हमेशा समर्थन किया है, लेकिन समस्याओं को जरुर अवगत कराया है.
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 39 के विरोध में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, वैसे तो काफी छोटा विभाग माना जाता रहा है, लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि यह विभाग मध्यप्रदेश के हर परिवार से, हर व्यक्ति से जुड़ा हुआ है. इस विभाग के माध्यम से ज्यादातर जो ग्रामीण अंचलों में, दूरस्थ अंचलों में अंतिम पंक्ति का अंतिम व्यक्ति है, उस तक यह विभाग पहुंचता है. आज यिदि परिवार की संख्या पर अनुमान लगाया जाये, तो लगभग मध्यप्रदेश के 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के अधीन निवास कर रहे हैं. यह आपके प्रतिवेदन से ऐसी जानकारी लगभग-लगभग मिलती है. 40 प्रतिशत से ज्यादा लोग मध्यप्रदेश में यदि गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करते हैं, तो यह अफसोस की बात है, यह प्रदेश की स्थिति के लिये दुर्भाग्यपूर्ण है. जो आप दावे करते हैं कि आओ बनायें मध्यप्रदेश, स्वर्णिम बनाएं मध्यप्रदेश, मैं समझता हूं कि यह आपके आंकड़ों के माध्यम से खोखला साबित होता है. सहकारिता के माध्यम से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में एपीएल,बीपीएल के लिये जो राशन पहुंचाते हैं, उनकी उचित मूल्य की दुकानों में काला बाजारी हो रही है, गेहूं और चांवल के खाद्यान्नों में जिस तरह से आप देखेंगे कि कफी पत्थर, मिट्टी की मिलावट होती है, जिसको आप और हम इलैक्ट्रानिक और प्रिण्ट मीडिया के माध्यम से बेहतर तरीके से देख रहे हैं. आज राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू है, इसके तहत परिवारों को चिह्नित करें और परिवारों को चिह्नित करने के पश्चात् राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जिस दिन से आया, उस दिन से अधिकतर लोगों के कार्ड भी निरस्त किये गये हैं. एपीएल के लोगों को न तो गेहूं दिया जाता है, न चांवल दिया जाता है, न केरोसिन दिया जाता है, एपीएल के लोगों को भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत दिये जाने वाला राशन पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. रही बात पात्रता पर्चियों की, तो माननीय उपाध्यक्ष महोदय, जो पर्चियां वितरित की जा रही हैं, इसमें समग्र पोर्टल के माध्यम से चढ़ाने का काम करें. इसमें काफी दिन बीतने के बाद भी पंचायतों की स्थिति ऐसी है कि जो सेक्रेटरी साहब चाहेंगे, वही होगा. आज खाद्य की पर्चियां लोगों को वितरित नहीं हो पाती हैं, आपकी दुकानें समय से नहीं खुलती हैं, आपके सेल्समेन की मनमर्जी के मुताबिक दुकानें खुलती हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, गुणवत्ताहीन खाद्य सामग्री मिलती है, इसमें सुधार किये जाने की आवश्यकता है. जो खाद्यान्न के लिए हितग्राहियों के शेड निर्माण हैं, वे कहीं नहीं करवाये गये हैं, यह भी खोखला है. खाद्य पदार्थों की मिलावट से प्रदेश में जो अव्यवस्थाएं फैली हैं, उस पर सरकार नियंत्रण नहीं कर पाने में अपने आपको अक्षम साबित हो रही है. शहडोल जिले की सोसायटी में धान खरीदी का समय समय पर परिवहन नहीं हो पाया था, बीच में वर्षा हुई, कई किसानों का धान भीग गया था, जिससे किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा एवं किसानों ने स्वयं के व्यय पर तौलाई एवं भराई की है, इसमें शासन द्वारा लापरवाही की गई, जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ तथा परिवहन ठेकेदार का अनुबंध नहीं किया गया और न ही मानक राशि जमा कराई गई और नियम विरुद्ध टोल-टैक्स आने-जाने का माफ किया गया, खरीदी खत्म होने के बाद एक माह तक परिवहन किया गया जबकि नियम में खरीदी होने के 24 घण्टे के अन्दर परिवहन करवा लिया जाना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय - रामपाल जी, आप समाप्त करें. अब समय नहीं है.
श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी) - मुझे एक मिनट का समय दें. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक घण्टे के अन्दर परिवहन करवा लिया जाना नियम में है. जिला प्रशासन एवं नागरिक आपूर्ति निगम परिवहन ठेकेदार को खुली छूट देकर क्रास मूव्मेंट करवा लिया गया, जिससे शासन को 50 से 60 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. इसकी भरपाई किससे करवाई जायेगी एवं लापरवाहों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की जायेगी ? दूसरी बात, अभी हमारे साथी विधायक सम्माननीय श्री फुन्देलाल सिंह मार्को ने एक बात रखी थी कि श्री सुशील कुमार कुकरेती के द्वारा 5 लाख रुपये की वसूली की कार्यवाही नहीं की गई. ऐसे में वह लगातार ठेका प्राप्त कर रहा है. महाप्रबंधक, परिवहन एवं नागरिक आपूर्ति नियम विरुद्ध, सुशील कुमार कुकरेती के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार किये गये हैं और नियम विरुद्ध जारी किये गये हैं, जिसकी जांच के आदेश माननीय मंत्री जी द्वारा दिए गए हैं पर जांच आज दिनांक तक नहीं हुई है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री वैलसिंह भूरिया (सरदारपुर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार मध्यप्रदेश में गरीबों के लिए रात-दिन मेहनत करके एवं मध्यप्रदेश के लाडले मुख्यमंत्री माननीय शिवराज जी 17 एवं 18 घण्टे गरीबों के लिए काम करते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय - मैं सभी माननीय वक्ता सदस्यगण से सहयोग चाहता हूँ कि सब 3-3 मिनट में अपनी बात समाप्त करेंगे क्योंकि आज 5 विभाग हैं.
श्री वैलसिंह भूरिया - जी हां, आज हमारी सरकार गरीबों के लिए अति संवेदनशील है. गरीबों के लिए बहुत अच्छा कार्य कर रही है. मैं आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी को कुछ सुझाव देना चाहता हूँ कि हमारे प्रदेश में वाकई में उन लोगों की आवश्यकता है, मध्यप्रदेश में विकासखण्डों का विस्तारीकरण नहीं हुआ है. मेरा कहना है कि जो बड़े-बड़े मजरे-टोले हैं, जहां 1,000 जनसंख्या की आबादी है, उनमें उचित मूल्य की दुकान होनी चाहिए. दूसरी बात, उसमें सुधार लाने की आवश्यकता है कि कम से कम प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर उचित मूल्य की दुकानें होनी चाहिए क्योंकि क्षेत्रफल एवं भौगोलिक दृष्टि से, हमारा आदिवासी एरिया बहुत दूर तक है. जो बड़े मजरे-टोले होते हैं, 10, 12 एवं 15 मजरे-टोले मिलाकर एक ग्राम पंचायत होती है तो ग्राम पंचायत स्तर पर 5, 6 एवं 7-7 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. इसलिए जो 1,000 की आबादी के मजरे-टोले हैं, उनमें उचित मूल्य की दुकानें होनी चाहिए और रेवेन्यू विलेज में भी उचित मूल्य की दुकानें होनी चाहिए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए कर्मकार मण्डल के लिए एक रुपये किलो गेहूँ एवं एक रुपये किलो चावल की हमारी नीति देश की सबसे अच्छी नीति है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मध्यप्रदेश की सरकार को, माननीय मुख्यमंत्री जी को और हमारे माननीय मंत्री जी को बहुत बधाई और धन्यवाद देता हूं. जो पिछड़ा वर्ग के लोग हैं वह थोड़े से वंचित रह गए हैं. पिछड़ा वर्ग के लोगों को भी करोसिन की आवश्यकता होती है. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को और सरकार को बताना चाह रहा हूं कि पिछड़ा वर्ग के हमारे भाइयों के लिए पांच लीटर नहीं हो सकता है तो कम से कम तीन लीटर केरोसिन अनिवार्य रूप से महीनों में देने की पहल करें. इसका सरकार की तरफ से समाज में एक अच्छा संदेश जाएगा. मध्यप्रदेश के 51 जिलों में गरीबों के लिए हमारी सरकार ने रिकार्ड बनाया है 1 करोड़ 15 लाख 37 हजार 855 पात्र परिवारों को भारतीय जनता पार्टी की सरकार एक रुपए किलो गेहूं, एक रुपए किलो चावल दे रही है. यह एक ऐतिहासिक रिकार्ड है. पात्र परिवारों की जनसंख्या 5 लाख 36 हजार 568 है. यह एक ऐतिहासिक कदम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उठाया है. हमारे लाडले मुख्यमंत्री जी ने गरीबों की आंखों के आंसू पोंछने का काम किया है. आपने मुझे बोलने का मौका दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री रामलाल रौतेल (अनूपपुर)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 18, 39 के समर्थन में यहां पर बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. कमोवेश मध्यप्रदेश की खाद्य पदार्थों की विभिन्न प्रकार की उपलब्धियां हैं. उनके संदर्भ में हमारे साथियों ने विस्तारपूर्वक अपनी बात कही है. मैं अपने क्षेत्र के कुछ मुद्दों पर बात करना चाहता हूं. हम जिस क्षेत्र से आते हैं वह ग्रामीण क्षेत्र है, आदिवासी क्षेत्र है. आदिवासी क्षेत्र में आज से 15-20 साल पहले पलायन की स्थिति निर्मित होती थी, लेकिन जब से मध्यप्रदेश सरकार ने 35 किलो चावल की उपलब्धता कराई है उससे निश्चित तौर से पलायन रुका है. इसके अतिरिक्त सेल्समेनों की भी कमी है. हमारे क्षेत्र में एक सेल्समेन अनेक दुकानों को संचालित करता है. मैं माननीय मंत्री जी से अनुरोध करूंगा कि सेल्समेन की व्यवस्था सुनिश्चित करें तो अच्छा होगा. श्रम विभाग, उद्योगों और श्रमिकों के बीच में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न न हो इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है. मैं जिस क्षेत्र से आता हूं वह औद्योगिक क्षेत्र है. यहां कल- कारखाने हैं, कोल माइंस हैं, पॉवर हाउस हैं. मैं निश्चित तौर से आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि यहां श्रम न्यायालय की आवश्यकता है. अगर इसकी पहल करेंगे तो बहुत अच्छा होगा. इन्हीं बिंदुओं के साथ मैं अपनी बात समाप्त करना चाहता हूं. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र मेश्राम (अनुपस्थित)
उपाध्यक्ष महोदय-- तिवारी जी हमारा तीन मिनट के एम.ओ.यू. का करार आप लोगों के बीच में है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़) -- उपाध्यक्ष महोदय, एक सेकेण्ड भी अगर हट के बोलूंगा तो बताइएगा. मैं इस सरकार की तस्वीर दो मिनट के अंदर आपके सामने रख दूंगा. मैं चाहूंगा कि माननीय संसदीय मंत्री जी, जब मुख्यमंत्री जी बोल रहे थे तब मैं उस समय खड़ा हो रहा था तो वे मुझे नहीं बोलने दे रहे थे. अब आप इसका जवाब इस सदन में दे दीजिएगा.
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं क्यों जवाब दूंगा जवाब तो विभाग का मंत्री देगा या तो फिर उपाध्यक्ष महोदय, आप मुझे अनुमति दें. मैं तो अभी से ही जवाब देना शुरू कर देता हूं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है और मध्यप्रदेश की सरकार महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार कर रही है उनके अधिकारों के साथ क्या खिलवाड़ कर रही है यह मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी--उपाध्यक्ष महोदय, किस विभाग पर चर्चा हो रही है. आपसे पहले अध्यक्ष महोदय ने बहुत अच्छी व्यवस्था दी थी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--मैं उसी पर आ रहा हूं बोलने तो दीजिए.
श्री जसवंत सिंह हाड़ा--उपाध्यक्ष महोदय, मैं तिवारी जी के लिए कुछ बोलना चाहता हूँ. आज महिला दिवस है इस पर अच्छा-अच्छा बोलें उनके सम्मान के लिए जो अच्छा हो सकता हो वह बोलें.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--खूब अच्छा बोलेंगे सुनिए तो, उन्हीं के सम्मान की बात कर रहा हूं.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल-- महिलाओं की बात और आप तिवारी जी से अपेक्षा रख रहे हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 की धारा 13 में महिलाओं को सम्मान देने का उल्लेख है और यूपीए सरकार ने इस देश में महिलाओं को सम्मान देने के लिए यह कानून बनाया था लेकिन दुर्भाग्य है कि मध्यप्रदेश की सरकार ने इसको...
डॉ. नरोत्तम मिश्र--यह दुर्भाग्य है कि यह कानून बनाने के बाद नेता प्रतिपक्ष के लायक लोग जीतकर नहीं आ पाए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दुर्भाग्य है कि मध्यप्रदेश की सरकार ने इस कानून को मध्यप्रदेश में लागू नहीं किया. महिलाओं के सशक्तिकरण या महिलाओं को शक्तिशाली बनाने के लिए इस कानून के द्वारा अधिकार दिया गया था लेकिन इस सरकार ने इसको मध्यप्रदेश में लागू नहीं किया. माननीय श्रम मंत्री जी भी बैठे हैं मैं उनसे भी निवेदन करता हूँ. यह अधिनियम मैं पढ़कर सुनाए देता हूँ. धारा 13 "राशनकार्ड जारी किए जाने के प्रयोजन के लिए 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की स्त्रियों की गृहस्थी का मुखिया होना. प्रत्येक पात्र गृहस्थी में वर्षिस्ठ स्त्री जिसकी आयु 18 वर्ष से कम न हो राशन कार्ड जारी किए जाने के प्रयोजन के लिए गृहस्थी की मुखिया होगी". कोई राशन कार्ड अगर बनेगा और उस घर में किसी स्त्री की आयु 18 वर्ष से अधिक है तो राशन कार्ड में मुखिया के रुप में महिला का नाम होना चाहिए जो मध्यप्रदेश में किसी भी जिले में और किसी भी पंचायत में आज तक लागू नहीं किया गया है. आज महिला दिवस है यह वर्ष 2013 का बना हुआ कानून है तीन साल बीत गए हैं चौथा साल लग गया है और आज तक यह कानून मध्यप्रदेश में लागू नहीं हुआ है और महिला सशक्तिकरण की बात की जा रही है. इस सरकार का महिलाओं के प्रति क्या रवैया है यह मुझे सदन को बताना है इसकी तस्वीर मैं स्पष्ट करना चाहता हूँ. इसी कानून के क्लाज (2) में लिखा है कि "जहां किसी गृहस्थी में किसी समय कोई स्त्री अथवा 18 वर्ष से अधिक आयु की स्त्री नहीं है किन्तु 18 वर्ष से कम आयु की महिला सदस्य है तो गृहस्थी का वर्षिस्ठ पुरुष सदस्य राशन कार्ड जारी किए जाने के प्रयोजन के लिए गृहस्थी का मुखिया होगा और महिला सदस्य 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर ऐसे राशन कार्डों के लिए पुरुष सदस्य के स्थान पर गृहस्थी की मुखिया बन जाएगी".
उपाध्यक्ष महोदय--यह बात आ गई, महत्वपूर्ण बात है. यह गलत बात है आपने दो मिनट मांगे थे आपको दो की जगह पांच मिनट दे दिए हैं अब आप समाप्त करें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--यह बात कई लोग बता चुके हैं. दुर्गालाल विजय जी और दूसरे सदस्य यह बात बता चुके हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--जी हां दुर्गालाल विजय जी ने यह बात बताई थी तब आप सदन में नहीं थे.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल--तिवारी जी अब आपकी बात हो गई है, आपका काम हो गया है अब आप बैठ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, श्रम मंत्री जी यह बताएं कि वे मध्यप्रदेश में इस कानून को लागू करेंगे या नहीं.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल--मंत्री जी जब जवाब देंगे तब आपको बताएंगे अब आप बैठ जाओ तिवारी जी.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--उपाध्यक्ष महोदय, दूसरी बात मेरा कहना है कि पोर्टल की बात आई है.
डॉ. योगेन्द्र निर्मल--तिवारी जी को कितना बोलते हैं अध्यक्ष जी, उपाध्यक्ष जी लेकिन (XXX) यह दूसरे को कभी बोलने ही नहीं देते हैं.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--आप अध्यक्ष हो क्या ?
उपाध्यक्ष महोदय--आपस में बात न करें. यह गलत बात है.आपस में वार्तालाप नहीं चलेगा. इसे कार्यवाही से निकाल दिया जाए.
श्री सुन्दरलाल तिवारी- उपाध्यक्ष महोदय, मैं बहुत ही सम्मान के साथ सदन में विधायकों के प्रति अपनी बात रखता हूं. मैं अपमानजनक शब्द कभी उपयोग नहीं करता हूं.
डॉ.योगेन्द्र निर्मल (वारासिवनी)- तिवारी जी आप बैठ जाईये. आज आसंदी से आपको दो बार चेतावनी दी गई है.
डॉ.गोविन्द सिंह- आप अपने शब्दों के लिए माफी मांगिए. ऐसा कहने का आपको कोई अधिकार नहीं है. ....(व्यवधान)....
श्री सुन्दरलाल तिवारी- चेतावनी देना उनका वैधानिक और कानूनी अधिकार है. लेकिन आपने जो शब्द उपयोग किए हैं, उनका उपयोग करने का आपको कोई अधिकार नहीं है. उपाध्यक्ष महोदय, इस तरह के शब्दों का उपयोग सदन में नहीं होना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय- आपस में वार्तालाप करना सही नहीं है. मैंने वे शब्द कार्यवाही से निकलवा दिए हैं.
डॉ.योगेन्द्र निर्मल- तिवारी जी, आप दूसरों को भी तो बोलने दीजिए. आप दूसरों को बोलने क्यों नहीं देते हैं. क्या हम बैठ जायें ? अपनी बात न रखें. चलिए हमने अपने शब्द वापस ले लिए.
डॉ.गोविन्द सिंह- चलो, माफ किया.
उपाध्यक्ष महोदय- मैंने विलोपित करवा दिया है. निर्मल जी, आप अपनी बात दो मिनट में रखिये.
डॉ.योगेन्द्र निर्मल- धन्यवाद महोदय, मैं मांग संख्या 18 एवं 39 के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. दाने-दाने पर लिखा है, खाने वाले का नाम. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि मेरे वारासिवनी खैरलांजी विधान सभा क्षेत्र में खाद्यान्न पर्चियां बनना बाकी हैं, उन्हें पूरा किया जाए. मेरा दूसरा आग्रह बहुत ही महत्वपूर्ण है. मेरे क्षेत्र की सोसायटियों में कई पंचायतें ऐसी हैं जो 5-6 किलोमीटर दूर हैं और लोगों को उस स्थान तक राशन लेने जाने में पूरा दिन लग जाता है. पिछले 4-5 वर्षों से नई दुकानें खोलने की अनुमति नहीं दी गई है. कृपया इस हेतु अनुमति प्रदान की जाए. मैं माननीय मंत्री जी को, अभी धान उपार्जन के समय बालाघाट जिले को दिए गए सहयोग के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. वरना किसान को 20-20 किलोमीटर दूर अपना धान देने जाता पड़ता. कस्टम मिलिंग के मामले में मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि जो माल कैब और गोदाम में जाता है, उसकी दो बार लोडिंग-अनलोडिंग होती है. ट्रांसपोर्टिंग का चार्ज लगता है. सरकार इसे बचाने का प्रयास करे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक और बात बोलकर अपनी बात समाप्त करूंगा. ''विश्व भरण पोषण कर जेही, ताकर नाम भरत अस होई'', देने वाला दाता होता है. यदि हम सोचें कि भूखे पेट किसी को देशभक्ति सिखायें, तो यह संभव नहीं है. मैं कहना चाहता हूं कि कई बार सदन में बात उठती है कि मिट्टी का तेल नहीं मिल रहा है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कई बाहुबली थे, मैं इस बात का प्रत्यक्षदर्शी हूं कि तलवार के बल पर, चाकू के बल पर, छूरे के बल पर, वे सेल्समैन से मिट्टी का तेल लेकर आते थे. माननीय मुख्यमंत्री जी ने, गृह मंत्री जी ने, आज हमें ऐसे क्राइम से बचाया है. पहले होने वाले लड़ाई, झगड़ों से उन्होंने हमें बचाया है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूं कि 47 सालों के राज में धूल नहीं छंटी, मिट्टी नहीं छंटी, अनाज से मुरम नहीं छटा. 47 साल यानि आप सभी समझ जाईये 16, 16, 10 और 5, इशारे से बात कर रहा हूं. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इस हेतु आपका धन्यवाद. जय हिन्द, जय भारत, वंदे मातरम्.
उपाध्यक्ष महोदय- धन्यवाद. माननीय मंत्री जी आप चर्चा का जवाब दें.
श्री हरदीपसिंह डंग- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपनी एक बात रखना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय- नहीं, इस प्रकार नहीं चलेगा. आपका नाम लिस्ट में कहीं नहीं है.
श्री यादवेन्द्र सिंह- नाम कहीं चला गया होगा. महोदय, यदि आप इन्हें एक मिनट दे देंगे तो क्या बिगड़ जायेगा.
उपाध्यक्ष महोदय- आप सभी आसंदी से सहयोग करें. आप सभी समझने की कोशिश कीजिए. कार्य मंत्रणा समिति ने डेढ़ घण्टा इस विभाग हेतु निर्धारित किया था. जिसकी अनुमति पूरे माननीय सदन ने दी थी. इस विभाग की चर्चा को दो घण्टे से ज्यादा हो चुके हैं. कम से कम एक और विभाग आज आना है. 7 बजे आपके यहां बैठक भी है. आप नियम प्रकिया से चलिये. आपको पहले ही अपने नाम देने चाहिए थे. इस तरह आसंदी से वार्तालाप न करें. आप एक काम करिये, आप अपने सुझाव माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी को दे दीजिए. मंत्री जी आप जारी रखिये.
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री (श्री ओमप्रकाश धुर्वे)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर मैं महिलाओं का सम्मान करता हूं. हमारे प्रदेश में गोण्डवाना साम्राज्य की महारानी दुर्गावती, अवंती बाई का जन्म हुआ. निश्चित रूप से हम सौभाग्यशाली हैं और उन्हीं से प्रेरणा लेकर आज हमारे मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने महिलाओं को सशक्त करने के लिए कई नियम और कानून बनाये हैं. इसी तारतम्य में महिलाओं में जागरूकता आई है. उनके सशक्तिकरण का काम हुआ है. आज महिलाओं को कई क्षेत्रों में 33 प्रतिशत का आरक्षण भी मिला है. पंचायतों में चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण है. नौकरियों में भी आरक्षण है. वन विभाग में तो महिलाएँ होती नहीं थीं, उनको भी मिला है. श्रम विभाग में भी हमने रात्रि पाली में जो महिलाओं को काम करने पर प्रतिबंध था या काम नहीं मिलता था, लेकिन उनको सुरक्षा मुहैया कराई है और आज मैं हमारे प्रदेश के यशस्वी माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि निश्चित रूप से इस तारतम्य में आज महिलाओं को सुरक्षा प्रदान की गई है और महिलाएँ रात्रिकालीन पारी में भी वे काम कर रही हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पूर्व में विभिन्न श्रम कानून का परिपालन कराने वाला श्रम विभाग एक रेग्यूलेट्री विभाग था लेकिन भारतीय जनता पार्टी सरकार के लगभग इन 13 सालों में श्रम विभाग ने कई कल्याणकारी काम अपने हाथ में लिए हैं. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हम लोग दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद पर काम करने वाले हैं. महात्मा गाँधी के विचारों पर काम करने वाले हैं. इनका कहना था कि अंतिम छोर में जो व्यक्ति है, वहाँ तक सरकार की योजना कैसे जाए, अंतिम छोर में कौन है, मजदूर है, गरीब है, किसान है, खेती में काम करने वाले लोग हैं. मैं भी हूँ, आरक्षित वर्ग से आया हूँ इसलिए, तो निश्चित रूप से आज आप देखिए भवन संन्निर्माण कर्मकार मण्डल, इसका गठन हुआ है और इसमें आज हमने कई परिवर्तन किए हैं. उपाध्यक्ष जी, आज अगर किसी का कर्मकार मण्डल में कार्ड बन जाता है तो उसको कहीं डिलेवरी होती है, तो एक महीने का और उनके जो पतिदेव हैं, वह भी सेवा कर ले, महिला का सहयोग कर ले, 15 दिन का, लगभग साढ़े चौदह हजार रुपये का एक महीने का दोनों मिलाकर के उनको उनकी मजदूरी दी जाती है. (मेजों की थपथपाहट) माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह पहला काम है जो मध्यप्रदेश की सरकार माननीय मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूरे देश में कर रही है. उपाध्यक्ष महोदय, हम एक और काम कर रहे हैं, जिनके पास अगर कार्ड है, मुख्यमंत्री कन्या विवाह, हमारे भार्गव जी हैं, आप लोग तो करते ही हैं, हमारे विभाग में भी है. सामूहिक विवाह करते हैं, लेकिन कर्मकार मण्डल का, जिस गरीब के पास अगर कार्ड है, पच्चीस हजार रुपये का चेक दिया जाता है, बढ़िया घर में आप मण्डप गड़ा लीजिए. (मेजों की थपथपाहट) यह दूसरा काम करने का भी हमने प्रयास किया है. उपाध्यक्ष महोदय, गरीब आदमी के यहाँ अगर किसी की मृत्यु हो जाती है, कोई कमाने वाला जवान अगर खत्म हो जाता है, 45 वर्ष की आयु तक का, तो उसकी साधारण मृत्यु पर भी, जिसके पास अगर कर्मकार मण्डल का कार्ड है तो हमने दो लाख रुपये देने का प्रावधान किया है. (मेजों की थपथपाहट) उपाध्यक्ष महोदय, अगर 45 वर्ष से ऊपर है, धीरे-धीरे उसकी काम करने की क्षमता कम होती जाती है, उसको हम एक लाख रुपये देते हैं और जिसकी आकस्मिक दुर्घटना से मौत होती है, उसको चार लाख रुपये दिए जाते हैं ताकि दशगात्र कर ले. उपाध्यक्ष महोदय, एक बार शादी में आदमी पूरे गाँव को नहीं खिला पाता, कोर्ट में मैरेज करवा लेता है, लेकिन मरने पर समाज को खिलाना पड़ता है. कई उसमें परंपराएँ हैं. गंगा जी जाना पड़ता है. गरीब कर्जदार होता है. दशगात्र करने के लिए, तेरहवीं करने के लिए, खेती-बाड़ी गिरवी रख कर, अपने गाय, भैस, बैल, गिरवी रख कर इस क्रियाकर्म को पूरा करता है, लेकिन इस बात को ध्यान में रखते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में हमारी सरकार ने आज ये दो लाख से लेकर के, एक लाख और चार लाख रुपये दशगात्र के लिए, अंत्येष्टि के लिए, हमने प्रावधान किया है. यह बहुत बड़ी उपलब्धि है. (मेजों की थपथपाहट) जो हिन्दुस्तान के हमारे देश के अन्य राज्यों में यह व्यवस्था नहीं है, जो हमने लागू की है. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी प्रकार से अभी भार्गव जी का कल मैं भाषण सुन रहा था कि नगरीय क्षेत्र में पाँच लाख आवास गरीबों को आप बना कर दे रहे हैं. डेढ़ लाख का एक आवास और ग्रामीण क्षेत्र में भी एक लाख बीस हजार और सब मिलाकर डेढ़ लाख रूपये का आवास है. हमारे विभाग से भी यह योजना है. कर्मकार मंडल में यदि किसी का रजिस्ट्रेशन है तो हम 50 हजार रूपये का उसमें भी अनुदान देते हैं और शहरी एरिया में है उसके लिए 1 लाख का प्रावधान है. इतनी राशि और जोड़ लीजिए, इस प्रकार से उनका कल्याण होगा, फ्लैट ही बन जाएगा. हम लोग साइकिल के लिए भी अनुदान देते हैं. कई प्रकार की योजनाएं हैं जिसके बारे में मैं ज्यादा उल्लेख नहीं करना चाहता.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों ने इस चर्चा में भाग लेकर, जिनका मैं उल्लेख करना चाहूंगा. हमारे बीच सुश्री हिना लिखीराम कावरे जी इनका भी सुझाव था कि केरोसिन एपीएल को नहीं दिया जाता. मैं आपको बताना चाहूंगा कि केरोसिन की अनुज्ञप्ति के लिए हमने छूट देकर रखा है. कोई भी लायसेंस लेकर इसका व्यवसाय कर सकता है. प्रयोग के तौर पर हम 5 जिलों में इसमें छूट देकर सफेद केरोसिन, जिसकी कीमत 68 रूपये है. एपीएल वालों के लिए तो प्रयोग के तौर पर हमने चालू किया था लेकिन हमारे पास मांग ही नहीं आई, केरोसिन ही नहीं बिक पाया. इसके लिए बंद कर दिया गया है. अब आपके जिले में कोई भी लायसेंस लेकर इसे कर सकते हैं, इसमें कोई बात नहीं है. सुश्री हिना कावरे जी का एक अच्छा सुझाव था कि धान उपार्जन के बाद आप गोदाम में रखते हैं, गोदाम के बाद फिर मिल प्वाइंट में ले जाते हैं अच्छा सुझाव है. कई माननीय सदस्यों ने भी अपने सुझाव दिए हैं. निश्चित रूप से इसमें सरकार की बचत होगी और आने वाले समय में आपके सुझाव का निर्देश करेंगे कि उपार्जन के बाद धान को मिल प्वाइंट पर ही पहुंचाया जाए. ताकि यह जो खर्चें हैं उसमें कमी आएगी. श्री दुर्गालाल विजय जी का भी अच्छा सुझाव रहा है हमारे कुंवर सौरभ सिंह जी का इनका भी अच्छा सुझाव रहा है. मैं आपको बता देना चाहता हॅूं कि प्रोविडेंट फण्ड में निश्चित रूप से राशि कटती है लेकिन जमा नहीं की जाती, ऐसी कई जानकारी में बातें हैं. हमारे श्रम विभाग का पोर्टल तैयार हो गया है पूरे देश में इस सिस्टम को चालू किया गया है. इसकी सराहना की गई है. यह तैयार होने से जो विसंगतियां हैं आने वाले समय में ये विसंगतियां दूर हो जाएंगी, ऐसा मैं मानता हॅूं. श्री मानवेन्द्र सिंह जी, श्री फुन्देलाल सिंह मार्को जी का भी सुझाव आया है. निश्चित रूप से विधानसभा सत्र में पिछले समय आपने महसूस किया होगा कि श्री सुनील कुकरेती जी हैं मैं जॉच रिपोर्ट बुलवा कर परीक्षण करवाऊंगा, अगर गलती पायी जाती है और गलती सिद्ध होती है तो निश्चित रूप से इसको प्रतिबंधित करेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आज तक काला-बाजारी करते कोई व्यक्ति पकड़ाया या कोई परिवहनकर्ता पकड़ाता था तो मात्र उस संस्था के ऊपर कार्यवाही होती थी, व्यक्ति के ऊपर कार्यवाही होती थी. संस्था या व्यक्ति पर कार्यवाही होने के बाद, ब्लैक लिस्ट होने के बाद कई फर्म तैयार कर लेते थे. लड़के के नाम पर, पत्नी के नाम पर, नौकर के नाम पर और इस प्रकार से अभी तक जो हमारे संज्ञान में है जितने भी पुराने ब्लैक लिस्टेड ठेकेदार हैं, परिवहनकर्ता हैं आज भी वही काम कर रहे हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अब हम इसके लिए नए नियम-कानून बनाने वाले हैं कि अब परिवहनकर्ता को ब्लैक लिस्ट तो करेंगे ही, लेकिन उनके जो आवश्यक वाहन हैं उनको भी 10 साल के लिए प्रतिबंधित करेंगे, ताकि थोड़ा ज्यादा चोट पहुंचे और भविष्य में इस प्रकार की घटना ना हो, यह हमारा प्रयास है. हमारे बीच श्री सुदर्शन गुप्ता जी का भी अच्छा सुझाव आया था. सर्वर डाउन होता है. दुकान भंडारण की दुकानों की संख्या बढ़ाई जाए. श्रीमती ऊषा चौधरी जी, श्री शैलेन्द्र जैन जी, श्रीमती शीला त्यागी जी, श्री शंकरलाल तिवारी जी नाम नहीं हैं पर उन्होंने भी सुझाव दिए हैं. श्री बहादुर सिंह चौहान जी, सोहनलाल बाल्मीक जी ने अपनी बात रखी. दिनेश राय मुनमुन जी ने अपनी बात रखी. दिनेश राय जी, मैंने आपके यहाँ जांच के लिए पहले ही आदेश कर चुका हूं. रामपाल जी, वैलसिंह भूरिया जी, रामलाल रौतेल जी ने अपनी बात रखी. रामलाल रौतेल जी का कहना था कि श्रम न्यायालय की आवश्यकता है. मैं बताना चाहता हूं कि हर जिले में श्रम न्यायालय हम स्थापित कर चुके हैं. हमारे अब श्रम कार्यालय भी बन रहे हैं. कुछ जिलों में हमको जमीन नहीं मिल पा रही है. सम्माननीय विधायकों से मैं निवेदन करूँगा कि आप अपने-अपने जिलों में सहयोग करें और जमीन हमको दिलवायें ताकि हम पैसा भी जारी कर सके और हमारे पृथक से कार्यालय हो जायें ताकि काम सुचारू रूप से हो सके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सुंदरलाल तिवारी जी का मैं निश्चित रूप से सम्मान करता हूँ आप तो अधिवक्ता हैं. आपने जो बात रखी वह प्रक्रियाधीन है, 2017 में यह लागू हो जाएगा. मुझे मंत्री बने चार-पाँच माह ही हुए हैं. माननीय डॉ. योगेन्द्र निर्मल जी, आप सबके बहुत ही महत्वपूर्ण सुझाव हमको मिले हैं. हम निश्चित रूप से आपके सुझावों को शामिल करेंगे और उस पर गौर करेंगे. हमारे कई सदस्यों ने कहा है कि हमारे जो भवन संन्निमार्ण कर्मकार मंडल हैं, हमारी योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों में नहीं हैं. कर्मकार मंडल के लगभग 25 लाख रजिस्ट्रेशन हमारे पास हैं लेकिन यह बात सही है मैं इस बात को स्वीकारता हूं कि जानकारी के अभाव में उनके नवीनीकरण होने के कारण से बहुत से लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पाता है. हमने अभी एक जो जन अभियान परिषद है, जिनका दूर-दूर, छोटे-छोटे गाँवों तक उनका नेटवर्क है, उनसे समझौता किया है. मैं आपको एक जानकारी देना चाहता हूं कि चित्रकूट में नाना देशमुख विश्वविद्यालय में हमारा मुख्यमंत्री नेतृत्व क्षमता विकास पाठ्यक्रम पिछले हफ्ते तैयार हुआ है, यह मध्यप्रदेश का एक अभिनव प्रयोग है. हर गाँव में जो हमारे युवा हैं, कुछ ऐसे लड़के रहते हैं, जो उत्साही रहते हैं. जो हमेशा जनता की सेवा करना चाहते हैं, सामाजिक सरोकार के क्षेत्र में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं,लोगों की मदद करना चाहते हैं ताकि लोगों तक सरकारी योजनायें पहुँचें इसकी चिंता करते हैं ऐसे लोगों को चिन्हित करके आज लगभग 23 हजार ग्राम पंचायत स्तर के नौजवानों को प्रशिक्षण दिया है और आने वाले समय में इनके माध्यम से हम ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का काम कराने वाले हैं. एक-एक ग्राम पंचायत में एक-एक लड़के रहेंगे उनको हम टेब देने वाले हैं ताकि वह जरूरतमंदों को ढूंढ-ढूंढकर टेबलेट से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करेंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक बार रजिस्ट्रेशन हो जाता है लेकिन दुबारा उसका नवीनीकरण ना होने के कारण से वह निरस्त हो जाता है और लोगों को मालूम नहीं रहता है कि इसका नवीनीकरण होना है. लेकिन अभी जन अभियान परिषद से हमने जो समझौता किया है और ऑनलाइन काम जो रहा है उसमें अब हम एसएमएस भी करेंगे कि आपके नवीनीकरण का समय आ गया है आप नवीनीकरण करा लीजियेगा और इसमें हमारे जितने भी लड़के काम करेंगे, जिनको हम टेब दे रहे हैं वह हर पाँच साल में नवीनीकरण का काम करने का भी प्रयास करेंगे. हम लोग बड़े बड़े संगठन बनाते हैं.
डॉ. गोविंद सिंह-- आपसे जानना चाहता हूं कि जन अभियान परिषद यह कौनसा विभाग है, जिससे समझौता आपने किया है. यह कहाँ से आया है.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे-- मैं बताऊँगा आपको आप बैठिये.
उपाध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, डॉ. साहब जानते हैं कि यह एक एनजीओ है.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह जो हमारा कर्मकार मंडल है, एक बहुत बड़ी संख्या है. बड़े-बड़े इंटक के हैं, कांग्रेस के भी ऐसे संगठन हैं. बीएमएस, भारतीय जनता पार्टी के भी हैं. लेकिन यह बड़े बड़े संगठन आज तक बड़े-बड़े कारखाना, फैक्टरी, निगम जहाँ बुद्धिजीवी हैं. पढ़े-लिखे लोग-बाग हैं. यहाँ पर जो संगठित क्षेत्र के लोग काम करते हैं, उनकी भी हम लोग चर्चा करते हैं. आज तक इतिहास में क्या गाँव में बसने वाले गरीब खेतिहर मजदूरों की किसी ने चिंता की है ? क्या उनको किसी ने नेतृत्व प्रदान करने की कोशिश की है कि उनको मजदूरी मिल रही है या नहीं? माननीय उपाध्यक्ष जी, मध्यप्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने माननीय शिवराज सिंह चौहान जी के नेतृत्व में असंगठित क्षेत्र के कर्मकार मंडल का भी गठन किया है. इनके लिए पूरे प्लान और नियम, कानून-कायदे बन रहे हैं, आगामी समय में ऐसे जो खेतिहर मजदूर हैं, कोई पुताई का काम कर रहे हैं, छोटे-छोटे काम कर रहे हैं, खेती-बाड़ी का काम कर रहे हैं, इन पर भी हम काम करने का प्रयास करेंगे. इनको भी लाभ मिले, इनको भी समाज में इज्जत मिले, इसके लिए हम काम करने वाले हैं.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, खाद्य विभाग भी मेरे पास है, निश्चित रूप से आज मध्यप्रदेश की लगभग 75 प्रतिशत आबादी, जो गरीब हैं, बी.पी.एल. में हैं, अति गरीब हैं, जिनको वास्तव में जरूरत है, इनको खाद्यान्न देने का काम मध्यप्रदेश की सरकार कर रही है. आज लगभग 5 करोड़ 36 लाख जनसंख्या को हम कव्हर कर रहे हैं और लगभग 1 करोड़ 15 लाख परिवारों को हम एक रुपये किलो गेहूँ, एक रुपये किलो चावल और नमक देने का काम कर रहे हैं.
श्री सुखेन्द्र सिंह -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पात्रता पर्ची 8 महीने से बंद है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 3 महीने से छिंदवाड़ा जिले में चावल नहीं बँट रहा है, क्या मंत्री महोदय इसके बारे में कुछ बताएंगे ?
श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश पूरे देश का पहला राज्य है जहाँ हमारे आदिवासी और अनुसूचित जाति के जो भाई हैं उनके लिए हम चाहे वे बी.पी.एल. हों या ए.पी.एल. के हों, सभी परिवारों को हम एक रुपये किलो चावल देने का ही काम कर रहे हैं.
उपाध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी, अब आप समाप्त करें, बहुत समय हो गया है.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बहुत से हमारे जो विधायकगण हैं उन सबकी चिंता थी कि ग्रामीण क्षेत्र में या शहरी क्षेत्रों में भी राशन के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगानी पड़ती हैं. एक दुकान है और उसमें एक-एक, दो-दो हजार राशन कार्ड हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में राशन के लिए 5-5, 10-10 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, इसलिए अब हमने यह तय किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में हर ग्राम-पंचायत स्तर पर और नगरीय क्षेत्रों में 800 राशन कार्ड पर उचित मूल्य की एक दुकान खोलेंगे. आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मैं कहना चाहूँगा कि हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में हमने यह पहले ही तय कर दिया है कि 33 प्रतिशत दुकानों को महिलाएँ संचालित करेंगी, चूँकि अभी मामला न्यायालय में है और मुझे लगता है कि एकाध महीने में कुछ न कुछ फैसला आ जाएगा, तब हम लोग यह लागू कर देंगे.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कालाबाजारी को रोकने के लिए भी हमने कई प्रयास किए हैं. जो हमारी द्वारप्रदाय योजना है, अभी तक परिवहन करते थे या उपार्जन के पात्र हम गोदाम में ले जाते थे, तो कोई भी ट्रक ठेकेदार ले जाता था लेकिन अब हम जितने भी हमारे परिवहन वाहन हैं उनको हम विशेष रंग से रंगने का काम करेंगे, जैसे डीजल, मिट्टी के तेल के जो टैंकर होते हैं उनको हम रगेंगे, ताकि यदि वह अनुपयुक्त जगह में जाएगा तो कोई भी उसको पहचान सकेगा. इसके अलावा हम उन वाहनों में जी.पी.एस. सिस्टम भी लगा रहे हैं. हमारी गाड़ी कहाँ जा रही है, कितने समय पर पहुँची, इसका भी रिकार्ड हमारे पास हो जाएगा. हम पूरे सिस्टम को कम्प्यूटराइज्ड कर रहे हैं, ताकि चोरी न हो सके. चोरियों को भी रोकने का हम प्रयास कर रहे हैं.
श्री शंकरलाल तिवारी -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मजदूरों को चेक पेमेंट करवाएं.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- जी, जी, वह भी कराएंगे. माननीय उपाध्यक्ष जी, हमारी सीमा है, हम सीमा से ज्यादा राशन नहीं दे सकते.
उपाध्यक्ष महोदय -- समय-सीमा का भी ध्यान रखें.
श्री ओमप्रकाश धुर्वे -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, बोगस राशन कार्डों की संख्या ज्यादा थी इसलिए हम आधार आधारित बायोमेट्रिक सिस्टम से राशन देना चाहते हैं. इसके प्रथम चरण में हमने 3 नगर-निगमों को लिया था, लेकिन आज पूरे 16 नगर-निगम क्षेत्रों में हम यह काम करने जा रहे हैं ताकि बोगस राशन कार्डों से जो राशन लेते थे वह रुक जाए और जैसा कि माननीय सदस्यों ने कहा था कि ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वर डाऊन रहता है तो मैं बताना चाहता हूँ कि आगामी समय में विभाग का अलग सर्वर रहेगा और उसका उपयोग सिर्फ राशन वितरण प्रणाली के लिए ही होगा. लोड ज्यादा होने से सर्वर डाऊन हो जाता था लेकिन निश्चित रूप से हमने कई उपाय किए हैं.
उपाध्यक्ष जी, मेरे विभाग के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए मांगों का समर्थन सभी माननीय सदस्य एकमत से समर्थन करें, ऐसा मैं चाहता हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय:- मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या- 18 तथा 39
पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किये जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अब, मैं, मांगों पर मत लूंगा.
उपाध्यक्ष महोदय :- प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2018 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को-
अनुदान संख्या- 18 श्रम के लिये एक सौ अठहत्तर करोड़,
बहत्तर लाख, चौवन हजार रूपये तथा
अनुदान संख्या -39 खाद्य, नागरिक आपूर्ति तथा उपभोक्ता संरक्षण
के लिए एक हजार छह सौ ग्यारह करोड़, चौसठ
लाख, तेरह हजार रूपये
तक की राशि दी जाये.
मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
2. लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण.
श्री रूस्तम सिंह, मंत्री :- उपाध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि 31 मार्च, 2018 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को-
अनुदान संख्या- 19 लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के लिये पांच हजार छह सौ बहत्तर करोड़, साठ
लाख, पचास हजार रूपये
तक की राशि दी जाय.
उपाध्यक्ष महोदय :- प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अब, इस मांग पर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत होंगे. कटौती प्रस्तावों की सूची पृथकत: वितरित की जा चुकी है. प्रस्तावक सदस्य का नाम पुकारे जाने पर जो माननीय सदस्य हाथ उठाकर कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने हेतु सहमति देंगे, उनके ही कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए माने जायेंगे.
मांग संख्या- 19 लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
क्रमांक
1. श्री दिनेश नाय (मुनमुन) 2
2. श्रीमती ऊषा चौधरी 5
3. श्री सचिन यादव 6
4. श्री शैलेन्द्र पटेल 7
5. श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा 8
6. श्रीमती शीला त्यागी 9
7. श्री रामपाल सिंह (ब्यौहारी) 11
8. श्री फुंदेलाल सिंह मार्को 12
9. श्री मधु भगत 13
10. श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर 14
11. श्री आरिफ अकील 16
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब, मैं, मांग और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
उपाध्यक्ष महोदय -- आज की कार्यसूची के पद क्रमांक 6 के उप पद 2 का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाय.
मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति दी गई.
श्री बाला बच्चन ( राजपुर ) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19 लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय, जिस विभाग के मेडीकल स्पेशलिस्ट के 65 प्रतिशत पद रिक्त हों, चिकित्सा अधिकारियों के 40 प्रतिशत पद रिक्त हों और हजारों पद पैरामेडिकल स्टाफ के रिक्त हों, जैसा कि अभी मैंने बताया कि मेडीकल स्पेशलिस्ट के 2566 में से 2095 पद रिक्त हैं, जो कि 65 प्रतिशत पद होते हैं, चिकित्सा अधिकारियों के 4860 में से 1729 पद रिक्त हैं जो कि 40 प्रतिशत रिक्त हैं और ऐसे पैरामेडिकल के करीब हजारों पद खाली हैं. ऐसे विभाग की स्वास्थ्य सेवाओं का हम अनुमान लगा सकते हैं कि उनकी स्वास्थ्य सेवाओं के क्या हाल होंगे. मैं इस बात को यहां पर डंके की चोट पर कह सकता हूं कि मध्यप्रदेश की सरकार की स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हो चुकी हैं, चरमरा चुकी हैं और समाप्त हो चुकी हैं. माननीय मंत्री जी यह जो आंकड़े मैंने आपको दिये हैं इस पर आपको गौर करना चाहिए. इसी बात को ध्यान में रखते हुए बताना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की नजर के पास, प्रदेश की नाक के नीचे हमीदिया अस्पताल है. वहां पर एक महिला के शव को चूहे कुतरने की बात हम सबके संज्ञान में आयी है. माननीय मुख्यमंत्री जी वहां पर गये थे. उन्होंने वहां पर जाकर स्वास्थ्य सेवाएं अपने हाथ में ली.
समय 5.31 बजे { अध्यक्ष महोदय(डॉ सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए}
अध्यक्ष महोदय उसी समय विभाग के प्रमुख सचिव और अधिकारियों को वहां से हटाया था और डीएमई को निलंबित भी किया था. अध्यक्ष महोदय माननीय मुख्यमंत्री जी किस किस अस्पताल में, किस किस मेडीकल कालेज में जाकर स्वास्थ्य सेवाओं को देखेंगे और चैक करेंगे तो माननीय मंत्री जी आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए और आपके अमले को भी ध्यान देना चाहिए. यह बात यहीं पर समाप्त नहीं होती है. हम अगर एमवाय मेडीकल कालेज की बात करें , वहां पर हमारे चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरद जैन जी अपना बीपी चैक कराने के लिए जाते हैं तो उस समय जो डॉक्टर ड्यूटी पर थे वह ठीक तरह से उनका बीपी चैक नहीं कर पाते हैं तो यह हालत मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के हैं.
अध्यक्ष महोदय, अभी दो दिन पहले की बात है. प्रदेश की आम जनता की और मरीज की बात तो आप छोड़ें, दो दिन पहले यह सरकार जो बड़ी बड़ी बातें करती है. ट्रामा सेण्टर की बातें करती है. सीटी स्कैन की बातें करती है. भाजपा के थांदला के विधायक आदरणीय कल सिंह भाबर जी जब अपनी सोनोग्राफी कराने के लिए गये थे तो वहां पर उनकी सोनोग्राफी नहीं हो पायी थी. उनको उस समय गुजरात के दाहोद में जाकर अपनी सोनोग्राफी कराना पड़ी थी. यह मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं हैं, तो मंत्री जी आपको इस पर ध्यान देना होगा अन्यथा मैं समझता हूं कि अभी जो हालात हैं उससे और ज्यादा खराब हालात स्वास्थ्य सेवाओं के होंगे.
अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य विभाग खुद ही वेंटीलेटर पर है इस बात से मैं पूरी तरह से सहमत हूं. प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से समाप्त हो चुकी हैं और आम जनता का भरोसा और विश्वास भी मंत्री जी टूट चुका है. सरकारी अस्पतालों में मरीजों का आना भी अब काफी कम हो गया है. यह स्थिति बन गई है कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी और चिकित्सक हैं, वह भी स्वास्थ्य विभाग के रवैये से काफी असंतुष्ट हैं, इसलिए आये दिन स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मचारी हड़ताल पर रहते हैं इसका असर विभाग पर तो नहीं पड़ता है लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं और मरीजों पर इसका बहुत असर पड़ता है. इस तरफ माननीय मंत्री जी आपको ध्यान देना होगा. प्रतिवर्ष लगभग 100 चिकित्सकों की संख्या कम होती जा रही है, माननीय मंत्री जी यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है. विभाग का अधिकतम ध्यान मेडीसिन क्रय के लिए, सर्जिकल उपकरण की खरीदी के लिए और अन्य विभाग में खरीदी जाने वाली सामग्री की तरफ ध्यान रहता है. इस ओर भी आपको देखना होगा. अभी अभी की घटना है छिंदवाड़ा का दवा खरीदने का एक बहुत बड़ा कांड सामने आया था जिस पर कार्यवाही की गई है उस पर अधिकारी कर्मचारी निलंबित हुए हैं. लेकिन उसके बाद में भी जो हालात मध्यप्रदेश में कण्ट्रोल होना चाहिए थे स्वास्थ्य विभाग के अमले पर वह नहीं हुआ है. मंत्री जी आपको इस पर ध्यान देना होगा, केवल इन बातों पर विभाग के द्वारा जो ध्यान दिया जाता है और अगर इस पर ध्यान नहीं देंगे तो आगे और हालात खराब होंगे.
अध्यक्ष महोदय, मैंने महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण की चर्चा के समय कहा था कि विभागीय जांचें जो लंबित होती हैं, उन पर समय सीमा में कार्यवाही नहीं होती है. उसका परिणाम हम लोगों को करप्शन के रूप में भुगतना पड़ता है और करप्शन जो कि बंद होना चाहिए लेकिन करप्शन की प्रवृत्ति अधिकारियों और कर्मचारियों में बढ़ गई है उससे संबंधित शिकायतें आती हैं उसमें जांच समय सीमा में नहीं हो पाने के कारण मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है. मैं समझता हूं कि भ्रष्टाचार काफी चरम सीमा पर है. मुझे नहीं लगता है कि ऐसे ही आपने स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने के लिये कोई कार्यवाही की है या कोई सख्त कदम उठाये हैं. माननीय मंत्री जी आपने इसके विपरीत मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण करना शुरू कर दिया है और आपने उसकी शुरूआत भी मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले अलीराजपुर की है, यह ठीक नहीं है. मुझे लगता है कि आप धीरे-धीरे करके शिक्षा का निजीकरण, स्वास्थ्य विभाग का निजीकरण भी कर देंगे. मैं आगे आपको और बताउूंगा कि आपके विभाग ने क्या-क्या किया है. आप इस निजीकरण की कार्यवाही को करके मध्यप्रदेश के लोगों का और स्वास्थ्य विभाग का स्वास्थ्य खराब कर रहे हैं. मैं समझता हूं कि माननीय मंत्री जी आपको इस पर ध्यान देना चाहिए और इस विचार करना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने ऐसे ही जिला चिकित्सालयों में साफ सफाई और सुरक्षा की जिम्मेदारी निजी फर्मों को दी हैं और करोड़ों रूपयों का भुगतान इन निजी फर्मों को कर दिया है, लेकिन उनको जो रिजेल्ट ओरियेंटेड होना चाहिए, जो रिजेल्ट देना चाहिए और जैसी जिला चिकित्सालयों की साफ सफाई करना चाहिए, वैसा मुझे नहीं लगता कि हो रहा है और न वहां की कोई सुरक्षा हो रही है. इस प्रकार जिस दृष्टिकोण से आपने इनको जो काम दिये हैं, उसका वह बेहतर रिजेल्ट नहीं दे रहे हैं. इस पर भी आपको विचार करना चाहिए. आप देख लीजिये कहीं हम जब निजी अस्पताल में जाते हैं और उसके बाद जब हम सरकारी अस्पतालों में जाते हैं और वहां की साफ सफाई और सुरक्षा देखते हैं तो हमको जमीन और आसमान का अंतर नजर आता है. यह छोटी छोटी बातें जरूर लगती होंगी, लेकिन इससे मरीज पर असर पड़ता है और उसके बाद तुरंत मरीज डायवर्ट होता है, इस पर आपको ध्यान देना होगा. माननीय मंत्री जी आप अस्पतालों एवं स्वास्थ्य सेवाओं का जो निजीकरण करते जा रहे हैं, इसको रोकें. आपके द्वारा करोड़ों रूपये का भुगतान इनको किया जा रहा है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही मैंने अभी जब संशोधन विधेयक आया था और मैंने शायद महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण में भी इस बात को बोला था और आपको और माननीय शेजवार जी को भी कोड किया था कि आप दोनों एम.बी.बी.एस. डॉक्टर हैं. मैंने उस समय इस बात को बोला था कि आप कैसे बिना एम.सी.आई. की अनुमति लिये ऐलोपैथी की दवाइयां यूनानी और आयुर्वेदिक डॉक्टरों से लिखवाओगे, यह कैसे संभव है ? आप उस समय भी मुस्कुरा रहे थे और आज भी मुस्कुरा रहे हैं. मैं समझता हूं कि आप भी एम.बी.बी.एस. डॉक्टर हैं और आप इस बात को समझते हैं. सरकार की क्या मजबूरी है ? सरकार यह कहकर बच नहीं सकती है कि हमारी फर्स्ट टर्म है, हमें एक साल या दो साल ही हुए हैं. श्री शिवराज सिंह चौहान जी की सरकार का यह चौदहवां बजट पेश हो रहा है और उसकी स्वास्थ्य विभाग से संबंधित अनुदान मांग पर मैं बोल रहा हूं. सरकार को इस पर विचार करना पड़ेगा. मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश का इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है कि केवल छोटी सी ट्रेनिंग से आप आयुर्वेदिक और यूनानी के डॉक्टरों को एलोपैथी की प्रिस्किपशन के लिये और दवाइयां लिखने का अधिकार बिना एम.सी.आई. की अनुमति के दे रहो हो. मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश का इससे बड़ा दुर्भाग्य और कुछ हो नहीं सकता है. माननीय मंत्री जी जब भी आप बोलें तो इस बात को स्पष्ट करें कि ऐसा आप क्यों कर रहे हैं ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अभी जैसा बताया है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण हो रहा है. अभी मेरी बात यहीं समाप्त नहीं होती है, जिस प्रकार से आपने दीपक फाउंडेशन जो गुजरात का एन.जी.ओ. है, उसको आपने मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं सौंपी हैं. आपने ऐसे ही सेवा भारती को दीन दयाल चलित अस्पतालें संचालित करने के लिये भी दिया है. मैं समझता हूं कि यह दीन दयाल चलित अस्पताल जो सेवा भारती को दिया है, मैं इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण उजागर कर रहा हूं. माननीय मंत्री जी आप इसको ध्यान से सुने. बड़वानी जिले में अभी एक महीने पहले हरीसिंह मण्डलोई नाम का एक व्यक्ति था और एस. पटेल नाम का कोई डॉक्टर था. दीन दयाल चलित अस्पताल में उस डॉक्टर ने दस हजार रूपये महीने पर हरीसिंह मण्डलोई को नियुक्त किया था और वह कई दिनों तक उस डॉक्टर की जगह पर स्वास्थ्य सेवाएं देता रहा. उसके बाद जब पता चला तो हरीसिंह मण्डलोई ने इस बात को स्वीकार किया कि उसे दस हजार रूपये की महीने की पेमेंट पर डॉक्टर एस. पटेल ने रखा था. मैं समझता हूं कि माननीय अध्यक्ष महोदय, इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात क्या हो सकती है कि जिसकी डिग्री नहीं जिसको उस सिस्टम का कोई ज्ञान नहीं है, जिसने कोई पढ़ाई लिखाई नहीं, उसे एमबीबीएस डॉक्टर ने दस हजार रूपये महीने पर रखा और उसका ईलाज चलता रहा. इस प्रकार यह तो हंडी में चावल चेक करने वाली जैसी बात है. पूरे मध्यप्रदेश में दीन दयाल चलित अस्पतालों में यह हो रहा है. माननीय मंत्री जी आप एक चलित अस्पताल को करीब डेढ़ लाख रूपये तक पेमेंट कर रहो हो और 74 में से 66 चलित अस्पतालों में आप अनुसूचित जाति, जनजाति क्षेत्र में इस तरह का इलाज कर रहो हो, मैं समझता हूं कि इलाज होने के बजाय और स्वास्थ्य बिगाड़ने वाली बात होगी. माननीय मंत्री जी जब भी आप बोलें तो इस बात को स्पष्ट करें. और मैं भूल जाऊंगा माननीय मंत्री जी कि मेरी विधान सभा क्षेत्र के प्रस्ताव कई दिनों से मैं लिखता रहा हूं. वह एक आदिवासी क्षेत्र है, उसमें बहुत बड़ा एरिया आता है. एक मंडवाड़ा का उप स्वास्थ्य केन्द्र है, उस मंडवाड़ा उप स्वास्थ्य केन्द्र को आप अगर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में तब्दील कर देंगे और आज इसकी घोषणा हो जाएगी तो मैं समझता हूं कि वहां की जनता का सौभाग्य होगा. ऐसा ही एक अंजड़ है जिसकी 30000 की जनसंख्या है, वहां नगर पंचायत और तहसील आफिस है. वहां से ये संचालित होते हैं, उसका प्रस्ताव भी हम काफी दिनों से भेज रहे हैं. वहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है, उसको मैं चाहता हूं कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिए प्रमोट कर देते हैं तो मैं समझता हूं कि स्वास्थ्य लाभ वहां की जनता को और विशेषकर अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को इलाज मिलेगा. डॉक्टर पदस्थ होने के कारण वहां के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर मिलने लगेगी. यह माननीय मंत्री जी मेरा आपसे यह निवेदन है.
अध्यक्ष महोदय, जैसा बजट में उल्लेख है, सरकार इस वर्ष को गरीब कल्याण वर्ष बता रही है और पूरे प्रदेश भर में दीन दयाल जन्मशती वर्ष के बड़े-बड़े विज्ञापन जिसमें होर्डिंग, बैनर लगाकर करोड़ों रुपए की राशि सरकार खर्च कर रही है. यदि यह राशि मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं पर, दवाई पर और रिक्रूटमेंट पर करेंगे तो मैं समझता हूं कि मध्यप्रदेश की ज्यादा बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं होंगी, इस पर आप ध्यान दें. चलित अस्पताल में जो दिक्कतें हैं, वहां के जो चिकित्सक है, जो पूरा सेट अप है, उनकी मोबाइल के हिसाब से उनकी लोकेशन ट्रेस करेंगे, उसके अनुसार देखा जाएगा तो बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं में कसावट हो सकती है. माननीय मंत्री जी जब आप बोले तो इस बात पर ध्यान दें.
अध्यक्ष महोदय, ऐसे ही एक और सुझाव देना चाहता हूं कि अभी एएनएम की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की है. 1728 एएनएम की भर्ती होने जा रही है, उसमें आपके विभाग ने यह शर्त डाली है कि केवल शासकीय नर्सिंग कालेज की ही आवेदिकाएं होना चाहिए तो अगर यही कराना होता और सरकार को यही करना है तो आपने मैं समझता हूं कि सैंकड़ों निजी नर्सिंग कालेजेस को मान्यता क्यों दी है? फिर वहां से निकली आवेदिकाओं का क्या होगा? नर्सेस का क्या होगा? माननीय मंत्री जी इस बात पर भी आप ध्यान दें. दूसरा, इसमें आपने यह शर्त और डाली है कि फीमेल ही होना चाहिए, मेल नर्सिंग छात्र इसमें आवेदन नहीं कर सकते हैं. ऐसा आपने क्यों किया है, मैं इसमें यहां जानना चाहता हूं? जो निजी मेडीकल कालेज से छात्र एमबीबीएस करते हैं क्या उनको आप शासकीय सेवाओं में नहीं लेते हो? अगर उनको आप लेते हो तो नर्सिंग के लिए आपने यह शर्त क्यों डाली है? माननीय मंत्री जी, इस बात को भी जब आप बोले तो बताएं. दूसरा, गॉयनेकोलॉजिस्ट तो मेल होते हैं तो आप फिर इनको क्यों नहीं ले रहे हैं? माननीय मंत्री जी इस बात को भी आप स्पष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि हेल्थ से संबंधित पैरा मीटर में मध्यप्रदेश में मातृ और मृत्यु दर पूरे देश में अभी भी अव्वल नंबर पर है. डॉक्टर नहीं, पैरा मेडीकल स्टॉफ नहीं, विशेषज्ञ नहीं तो यह सूचकांक को कब और कैसे आप कम कर पाएंगे, इस पर भी आप विचार करें? जननी एक्सप्रेस की बात करते हैं, उसके बाद 108 एम्बूलेंस की बात करते हैं. जननी एक्सप्रेस पहुंचती नहीं है और उसके पहले ही कई जगह प्रसूताओं की मौत हो गई है तो माननीय मंत्री जी आप इस पर ध्यान दें और इसमें भी आप कसावट लाएं. आपने दोनों को एक कर दिया है जिससे मैं समझता हूं कि इस पर भी वॉच रखेंगे, मॉनिटरिंग करेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा. संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों को अप्रैज़ल के नाम पर नौकरी से निकाला जा रहा है, यह ठीक नहीं है क्योंकि वे टीकाकरण के कार्यक्रम, जो एनएचएम के कार्यक्रम होते हैं, निःशुल्क दवा वितरण समेत अन्य कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं. वर्ष 2013 से 2017 तक जो ऑन-लाइन उनकी नियुक्तियां हुई हैं, व्यापम के द्वारा उनकी जो नियुक्तियां हुई हैं लेकिन उन्हें वेतन वृद्धि, महंगाई भत्ता तो दिया नहीं, जबकि उनको निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. आप इस पर ध्यान दें.
अध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 19 की कंडिका 6105 में पेंशनर्स की दवाई की राशि में वृद्धि नहीं की गई है, जबकि मैं समझता हूं कि इसकी आवश्यकता है. आप इस राशि को बढ़वाएं. दूसरा, जून 2015 से चिकित्सकों की भर्ती का विज्ञापन निकला हुआ है, इसको 20 महीने होने को आ गये हैं, लेकिन चिकित्सकों की भर्ती की प्रक्रिया पूरी नहीं की है क्यों नहीं आप उन्हें पदस्थ कर रहे हैं, माननीय मंत्री जी? इसके अलावा भी मेरे पास बहुत सारे सुझाव हैं बाकि मैंने दो मांगें मेरे विधान सभा क्षेत्र की मंडवाड़ा को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाने की और अंजड़ को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाने की रखी है, मुझे उम्मीद है कि आप मेरी इस बात को मानेंगे और मेरे उस क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य लाभ दिलाएंगे. मैंने जितनी बातें रखी हैं, माननीय मंत्री जी और सरकार से मैं उम्मीद और अपेक्षा करता हूं कि आप प्रदेश का स्वास्थ्य बेहतर करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं पर कसावट लाएं, अपने तंत्र को कसे और वे जिस दूसरे काम में लगे हैं, उनसे बाहर निकालकर स्वास्थ्य सेवाओं पर पूरा पूरा ध्यान दिलवाएं तो मैं समझता हूं कि ज्यादा बेहतर होगा, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय--यशपाल सिंह जी आप कितना समय लेंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--जितना आपने बाला बच्चन को समय दिया है उतना लेंगे.
अध्यक्ष महोदय--नहीं वह कांग्रेस की तरफ से पहले वक्ता थे इसलिये उनको ज्यादा समय दिया.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--मैं भी शुरूआत कर रहा हूं इसलिये मैं भी पहला सदस्य हूं.
अध्यक्ष महोदय--आप 10 मिनट ले लीजिये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--कोशिश करके 10 मिनट में समाप्त करूंगा.
अध्यक्ष महोदय--ठीक है.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया(मंदसौर)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19 का समर्थन करता हूं. यह कहना बिल्कुल असत्य एवं निराधार है कि सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की हालत बदहाली में बदल गई है. भर्ती मरीजों की संख्या एवं ओ.पी.डी में आने वाले मरीजों की संख्या इसका अगर हम तुलनात्मक रूप से अध्ययन करेंगे तो लोगों में निराशा नहीं है. माननीय मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री तथा सरकार की ओर से जो निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं. पूरे दृष्टिकोण से अगर देखें तो चिकित्सालय में सबसे बड़ा काम हुआ है, वह हुआ है संस्थागत् प्रसव, संस्थागत् प्रसव इसीलिये संभव हो पाये कि सरकार ने उसमें अनुदान दिया तथा वाहन सुविधा भी उपलब्ध करवाई. जिस प्रकार से गांवों में अपरिपक्व हाथों से डिलेवरी होती थी उसमें जच्चा और बच्चा दोनों काल के गाल में समा जाते थे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, करीबन 12 वर्ष पूर्व संस्थागत् प्रसव में मध्यप्रदेश 26.9 प्रतिशत पर था आज कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि 86 प्रतिशत संस्थागत प्रसव के आंकड़ों को छूआ है. पहले शासकीय चिकित्सालयों में प्रसव के दौरान भर्ती प्रसुता को उपचार के लिये दवाईयां, बॉटल, ऑपरेशन थियेटर में लगने वाली फीस उसमें चाहे बी.पी.एल होते थे अथवा ए.पी.एल होते थे, यह पहले का परिदृश्य है. आज बताते हुए अत्यंत प्रसन्नता है कि स्वास्थ्य विभाग के इस महकमें में प्रसुता वार्ड में भर्ती मरीज चाहे वह ए.पी.एल का हो अथवा बी.पी.एल का हो, चाहे उसकी ऑपरेशन से डिलेवरी होती हो वहां एक नया पैसा फीस के रूप में नहीं लिया जाता है, यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मातृ मृत्यु दर में पूर्व में 379 प्रति लाख था आज यह 221 प्रति लाख हो गया है. शिशु मृत्यु दर में 86 प्रति हजार था 50 प्रति हजार हो गया है. मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर में कमी के अभी और प्रयास की आवश्यकता है और निश्चित रूप से यह सरकार प्रयत्नशील है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेडिकल कॉलेजों की कल्पना लंबे अरसे से थी एक बार पुनः बजट ने करवट ली और सात नये मेडिकल कॉलेज इस बजट में प्रस्तावित किये गये इसके लिये 590 करोड़ रूपये प्रस्तावित किये गये हैं. मैं जब बजट पढ़ रहा था तो एक बात अच्छी पसन्द आयी कि जो एम.बी.बी.एस. छात्र-छात्राएं डिग्री प्राप्त करके प्रायवेट में चले जाते हैं अथवा अपना खुद का नर्सिंग होम डाल लेते हैं. अब मेडिकल पास एम.बी.बी.एस बच्चों को तीन वर्ष तक अपनी सेवाएं ग्रामीण क्षेत्रों में देना पड़ेगी इस प्रकार का बॉड् उनसे भराया जायेगा ताकि वहां गांव में छात्र-छात्राएं जो एम.बी.बी.एस कर चुके हैं, जाने के लिये प्रेरित होंगे तथा यह उनकी मजबूरी होगी.
अध्यक्ष महोदय, स्वास्थ्य सेवाओं में अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिये अनुत्पादक खर्चों को चिन्हांकित किया जावेगा तथा सब्सिडी आधारित योजनाओं की समीक्षा की जाना इस बजट में प्रस्तावित किया गया था जो बजट माननीय वित्तमंत्री जी ने प्रस्तुत किया था. अध्यक्ष महोदय, उन्नयन के क्षेत्र में शहरी क्षेत्र में 11 तथा ग्रामीण क्षेत्रों 27 उप स्वास्थ्य केन्द्रों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन किए जाने का प्रस्ताव सराहनीय है. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, देवसर जिला सिंगरौली. सतवास जिला देवास. हस्तिनापुर जिला ग्वालियर का उन्नयन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के रुप में प्रस्तावित किया जाना भी प्रशंसनीय है.
अध्यक्ष महोदय, ट्रामा सेंटर की आवश्यकता अब और अधिक हो गई है. मैं मंदसौर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूं वह फोर लेन और टू लेन सड़क मार्ग पर है. मप्र की सरकार ने यह संकल्पना की है कि प्रत्येक जिले में ट्रामा सेंटर स्थापित होगा. इसके लिए मंदसौर को भी राशि प्राप्त हुई है. उसका बजट प्रावधान हो गया है. उसका टेंडर हो गया है. ट्रामा सेंटर भी सुसज्जित हो जाता तो बहुत कुछ चीजें वहां आसानी से सुधर सकती है. क्योंकि जो आकस्मिक दुर्घटना में या जो गंभीर मरीज आता है उसको सबसे पहले ट्रामा सेंटर की आवश्यकता होती है. सरकार ने ट्रामा सेंटर की भी कल्पना की है यह मील का पत्थर साबित होगा.
अध्यक्ष महोदय, डायलिसिस और कीमोथैरेपी की सुविधा भी दी जा रही है. पूर्व में संचालित चिकित्सा महाविद्यालयों में सीटों में इजाफा करना भी एक बड़ा काम सरकार की ओर से हुआ है.
अध्यक्ष महोदय, भर्ती मरीजों की संख्या देखें तो ओपीडी में निरन्तर इजाफा हो रहा है. पोलियो और टीबी (क्षय रोग) को लेकर भारत सरकार के दिशा निर्देश उपलब्ध हैं, उस मप्र सरकार ने बहुत आगे बढ़कर काम किया है. मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि पोलियो के क्षेत्र में स्वास्थ्य अमले ने जो काम किया है. रेल्वे स्टेशनों पर, बस स्टेंडों पर और सार्वजनिक स्थानों पर टेंट लगाकर जो काम किया है वह प्रशंसनीय है. अगर कोई पांच वर्ष तक का बच्चा उस शिविर के पास से निकलता है तो उनके परिवारों को प्रेरित किया जाता है कि आप पोलियो की दवा पिलायें. जिस प्रकार से मतदान केन्द्रों पर हमारी उंगली पर स्याही का निशान लगाया जाता है उसी प्रकार से जिला चिकित्सालयों में या जहां जहां भी पोलियो के वेक्सीन सेंटर बने हैं, जहां दवा पिलायी जाती है, वहां पर तुरंत जन्मे बच्चे की उंगली पर काली स्याही का निशान लगाया जाता है जो इस बात द्योतक है कि पोलियो को जड़मूल से समाप्त करने के लिए सरकार संकल्पित है. रोटरी इंटरनेशनल का मैं जरुर उल्लेख करुंगा कि सामाजिक क्षेत्र में, स्वयंसेवी संगठनों की भूमिका में रोटरी क्लब ने जो कदम आगे बढ़ाया था आज उनका भी सपना साकार हुआ है. मप्र में भी पोलियो पर स्वास्थ्य अमले ने जो काम किया है, वह वास्तव में प्रशंसनीय है.
अध्यक्ष महोदय, एक वर्ष हो रहा है मप्र की सरकार ने क्षय रोग निदान के लिए टीबी वर्ष के रुप में मनाने का संकल्प लिया था. आज चिकित्सालयों में टीबी की किसी भी प्रकार की दवाईयां ही नहीं उस भर्ती मरीज पर होने वाला पूरा खर्चा शासन की ओर दिया जाता है. पहले टीबी को हेय की दृष्टि से, घृणा की दृष्टि से देखा जाता था. उसके बरतन अलग, उसका बिस्तर अलग, उसको धूप में बैठाना, घर-परिवार में अलग कमरा देना, छत पर सुलाना यह काम होते थे. लेकिन अब यह जो परिवर्तन हुआ है इस परिवर्तन के कारण कहीं न कहीं शासकीय चिकित्सालयों के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है.
अध्यक्ष महोदय, मेरे कुछ सुझाव हैं, जैसा बाला बच्चन जी ने कहा है कि यूनानी और आयुर्वेदिक चिकित्सकों, प्राकृतिक चिकित्सकों की अस्पतालों में व्यवस्था को लेकर एक विधेयक पारित हुआ था. विधेयक पारित होने के बाद उनको ट्रेनिंग दी जाएगी. उनकी व्यवस्था की जाएगी. उनको इस बात के लिए तैयार किया जाएगा. नीम हकीम खतरे जान अगर मरीज उन तक पहुंचेगा तो निश्चित रुप से मरेगा, काल के गाल में समायेगा. इसलिए आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सकों को इसमें जोड़ने का प्रयत्न किया गया. मैं मंत्री जी आग्रह करुंगा कि इसके साथ साथ आप एक काम और करें कि जो दंत चिकित्सक हैं, जो बीडीएस डॉक्टर्स हैं, उनका प्रारंभिक कोर्स दो-ढ़ाई साल का होता है वह एमबीबीएस की तर्ज पर करते हैं उनको भी जोड़ लिया जाएगा मैं समझता हूं कि ज्यादा ठीक होगा. कॉलेजों की एमबीबीएस की सीटें भी भरना चाहिए और उनको इस काम में लगाना चाहिए. बाला बच्चन जी गर्दन हिला रहे हैं शायद वे मेरी बात से सहमत होंगे. क्योंकि बीडीएस और एमबीबीएस करने वाले बच्चे बेरोजगार की श्रेणी में आ जाते हैं तो वह इनसे भी बेहतर अपनी सेवाएं देंगे.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्ष जी, मैं सिसौदिया जी की बात से बिलकुल सहमत हूं कि बीडीएस इनसे बेहतर होंगे.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया--धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, मेरा तारांकित प्रश्न था. मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से जानना भी चाहूंगा कि रतलाम,मंदसौर और नीमच जिले में देह व्यापार करने वाली एक समाज विशेष की बालिकाएं, महिलाएं सरेआम,खुलेआम देह व्यापार में जूझ रही है. उनका पूरा शरीर देह व्यापार को समर्पित हो रहा है. मुझे प्रश्न के माध्यम से जानकारी मिली थी चूंकि आज मुझे डिमांड पर बोलने का अवसर मिला. मैं मंत्री जी से जानना चाहूंगा कि रतलाम, मंदसौर और नीमच जिले में 1 जनवरी 2015 से 1 जनवरी,2015 से मेरे प्रश्न दिनांक तक 1 करोड़ 56 लाख 96 हजार 860 रुपये की राशि का भुगतान 4 एन.जी.ओ. को किया गया. इन एन.जी.ओ.ने वहां क्या किया ? डेढ़ करोड़ रुपये की राशि एक साल में दिये जाने की व्यवस्था की गई थी तो आपके विभाग के माध्यम से उन एन.जी.ओ. को ताकीद करने का कष्ट करें कि उन्होंने उन महिलाओं के ऊपर या उस वर्ग विशेष,उस जाति विशेष की महिलाओं के लिये क्या किया ? अध्यक्ष महोदय, दो-तीन सुझाव देकर मैं अपनी बात समाप्त करता हूं. नरोत्तम मिश्रा जी यहां पर विराजित हैं. वे स्वास्थ्य मंत्री थे और उन्होंने मुझे बहुत सहयोग दिया था और मेरी एक बात पर हाऊस में उन्होंने आश्वासन दिया था कि सूर्यास्त के बाद पोस्टमार्टम अस्पतालों में नहीं होते थे मेरे ध्यानाकर्षण पर नरोत्तम मिश्रा जी ने सदन में इस बात की घोषणा की थी कि अब रात को 8 बजे तक चिकित्सालयों में पोस्टमार्टम किये जायेंगे क्योंकि अब लाईट पर्याप्त होने लगी है लेकिन वह घोषणा अमल में नहीं आ पाई यह बहुत आवश्यक है. निजी पूंजी निवेश में एम.आर.आई.,सीटी स्केन,डायलिसिस सेंटर,परीक्षण को बढ़ावा देना चाहिये क्योंकि सरकारी अस्पतालों में बहुत जगह पड़ी है. एक अनुबंध होना चाहिये कि जिला चिकित्सालय में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले भर्ती मरीज को डायलिसिस की सुविधा,सीटी स्केन की सुविधा,एम.आर.आई. की सुविधा अस्पताल परिसर में नि:शुल्क मिलेगी. यह हो जायेगा तो प्रायवेट सेक्टर के लोग उस परिसर में आएंगे इससे अस्पताल में जो गरीबी रेखा के नीचे रहने वाला मरीज भर्ती है उसको इसका लाभ मिलेगा. एक मेरा सुझाव और है कि निजी चिकित्सालयों में और निजी नर्सिंग होम में पेकेज के नाम से जो पैसे लिये जाते हैं. वहां पर उसका जो तरीका है, सिंगल बेड,डबल बेड और सुविधाएं फाईव स्टार होटल जैसे कमरे उनके हैं. मैं मंत्री जी से आग्रह करूंगा कि निजी चिकित्सालयों में और निजी नर्सिंग होमों में आप इस प्रकार की व्यवस्था सुनिश्चित करे कि मरीजों के आपरेशन का जो शुल्क है, मरीज के भर्ती का जो शुल्क है वह शुल्क कहीं न कहीं शासन की मध्यस्थता से निर्धारित होना चाहिये. पेकेज के नाम से निजी अस्पताल और निजी नर्सिंग होम मरीजों को लूट रहे हैं उस पर सरकार का नियंत्रण होना चाहिये. आपने बोलने का अवसर दिया अध्यक्ष महोदय,बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ.गोविन्द सिंह(लहार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य विभाग का बजट प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है परन्तु स्वास्थ्य चौपट होता जा रहा है. आपने 2016-17 के बजट में 4886.55 करोड़ का बजट रखा था इस बार आपने इसको बढ़ाकर 5672 करोड़ किया है. कुपोषित बच्चों के ईलाज पर भी आपने बजट बढ़ाया है. 2014-15 में 18 करोड़ रुपये था इस बार आपने 19 करोड़ से अधिक किया है. मैं पूछना चाहता हूं कि इसका बजट लगातार बढ़ रहा है लेकिन इसके बाद भी मध्यप्रदेश में कुपोषण क्यों बढ़ रहा है. समूचे भारतवर्ष में आप कुपोषण के मामले में नंबर दो पर हैं और शिशु मृत्यु दर में आप नंबर एक पर हैं. मध्यप्रदेश में आज भी जो बच्चे पैदा होते हैं उनमें से 1 हजार बच्चे पैदा होते हैं वह अपनी पह ली वर्षगांठ नहीं मना पाते. आज आपके सभी अस्पतालों में चाहे वह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हों,सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हों, या सिविल अस्पताल हों वहां न नर्स हैं, न डाक्टर हैं और अस्पताल खाली पड़े हुए हैं. तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री जी हमारे क्षेत्र में गये थे. हमने सोचा था बड़े खूबसूरत स्वास्थ्य मंत्री को हम इस सदन से ले जा रहे हैं, कुछ न कुछ होगा. उन्होंने घोषणा कर दी यह हो जायेगा, वह हो जायेगा, दोनों हाथ उठा-उठाकर घोषणायें हुईं. मंत्री जी के लच्छेदार भाषणों की सीडी आज भी हमारे पास है और मंत्री जी सामने बैठे हैं, लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि आपके स्वास्थ्य विभाग से हटते ही आपकी यह दुर्दशा हो गई. हम लगातार पत्र लिख रहे हैं, विधान सभा प्रश्न लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही. जब आपकी सरकार में चलती नहीं है तो क्यों घोषणा करते हो ?
श्री बहादुर सिंह चौहान-- सब जगह चलती है, पूरे प्रदेश में चलती है.
डॉ. गोविंद सिंह-- चलती है तो फिर घोषणायें पूरी क्यों नहीं हुई. केवल दतिया तक मंत्री जी की चलती है. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में 53 हजार के करीब गांव हैं और प्रदेश के उप स्वास्थ्य केन्द्रों में एएनएम 12412 हैं. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में 324 विशेषज्ञों के पद रिक्त हैं, केवल 55 पद भरे हैं, 279 पद खाली पड़े हैं. 334 सर्जन की आवश्यकता है, केवल 51 पद भरे हुये हैं, 283 पद आज भी खाली पड़े हैं. फिजीशियन के 334 के स्थान पर केवल 72 भरे हैं, 262 खाली पड़े हैं. बाल रोग विशेषज्ञ के 334 पद होना चाहिये उसमें केवल 85 कार्यरत हैं 249 पद रिक्त हैं. इसी प्रकार 1179 पद पीएससी में हैं, 1600 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं, इसमें भी करीब 999 पद खाली पड़े हैं. मध्यप्रदेश में 12514 की जरूरत है, परंतु आपके 9192 उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं जिनमें अभी भी 26 प्रतिशत की कमी है, इसमें और बढ़ाने की आवश्यकता है. अभी डाक्टरों की काफी कमी है जिसे पीएससी के माध्यम से आपको पूरी करना चाहिये. 497 सीएससी की मध्यप्रदेश में आवश्यकता है, इसमें भी महज 334 हैं, इसमें आबादी के हिसाब से अभी 163 और होना चाहिये वह कम हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बिजौरा, रावतपुरा सरकार. आप सब वहां जाकर धौक लगाते हैं और वहां आज तक डॉक्टर पदस्थ नहीं है.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी-- सुना है आपका भी तो राजीनामा हो गया है.
डॉ. गोविंद सिंह-- राजीनामा की बात छोड़ो हम आपकी सरकार की बात कर रहे हैं वह तो सुनो. वहां जाकर सब नतमस्तक होते हैं तो वहां डॉक्टर की व्यवस्था क्यों नहीं कर रहे. रावतपुरा में आपने 30-35 लाख का अस्पताल भवन बनवाया है फिर उसमें पद स्वीकृत क्यों नहीं है. माननीय अध्यक्ष महोदय आप वहां पर पद स्वीकृत करायें जो डॉ. नरोत्तम मिश्र जी वहां पर घोषणा करके आये हैं, उसका भी पालन होना चाहिये.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- डॉ. साहब जब मैं आपके यहां घोषणा करने गया था तो आपको किसी केन्द्रीय नेता का फोन आया था कि नरोत्तम को कार्यक्रम में मत बुलाओ.
डॉ. गोविंद सिंह-- हम किसी की मानते हैं क्या, हम फ्री स्टाइल वाले हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- आया था या नहीं. हां या न कुछ तो बोलो, आप असत्य नहीं बोलते हो. मैं किसी का नाम नहीं ले रहा हूं.
डॉ. गोविंद सिंह-- नहीं कोई फोन नहीं आया.
श्री बाला बच्चन-- आपको सब पता रहता है आप ही बता दो न.
डॉ. नरोत्तम मिश्र-- नहीं मैं नाम नहीं लूंगा.
डॉ. गोविंद सिंह-- मेरा आज ही विधानसभा में प्रश्न था, वह चर्चा में नहीं आ पाया. हमारे यहां बराह में रोगी कल्याण समिति है वहां के बीएमओ ने हजारों रूपये, जो लहार ब्लॉक में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अधीन थे बिना मंजूरी के, बिना काम कराये पैसे खा गये. उन्होंने घोटाले किये है, जिसकी कलेक्टर ने एक सीएमओ की अध्यक्षता में समिति बनाकर के जांच कराई थी, वह जांच रिपोर्ट मंत्री जी आपके यहां आ गई है. मेरा आपसे अनुरोध है कि उस जांच रिपोर्ट पर कार्यवाही करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, खाद्य एवं औषधि विभाग के बारे में कहना चाहता हूं कि 5-6 नवम्बर, 2015 को आग लगी थी, आफिस में रखा हुआ सारा रिकार्ड जल गया, उसमें करोड़ों रूपये का घोटाला हुआ है. सारे रिकार्ड नष्ट कर दिये गये हैं. इसलिये हमारा अनुरोध है कि आप इस प्रकरण की पुन: जांच करायें. सरकार ने घोषणा की है कि डायलेसिस और कीमोथैरेपी कर रहे हैं लेकिन कई जिलों के अस्पतालों में यह सुविधा नहीं है, जहां पर है भी वहां नियमित नहीं है. आपके पास में ट्रेंड डॉक्टर नहीं है. जब आपके पास में बजट उपलब्ध है तो यह सुविधायें आम नागरिकों को क्यों प्रदान नहीं कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मुरैना में तेल में मिलावट के बारे में मैंने ध्यानाकर्षण भी लगाया था, बहुतायत में ऐसी शिकायतें मिली हैं लेकिन खाद्य एवं औषधि विभाग के पास में स्टाफ की कमी है, एक ड्रग इंस्पेक्टर तीन जिलों का काम देख रहा है. आप ड्रग इंस्पेक्टर की भर्ती करें और सरसों के तेल में जो मिलावट की घटनायें हो रही हैं उनको रोकें. अभी दो माह पूर्व ही ऐसा मामला मुरैना में पकड़ा गया है. मंत्री जी से अनुरोध है कि वह इस बारे में सतत निगरानी रखें और तेल के मिलावट की घटनायें रोकें...
श्री रूस्तम सिंह -- हमारा इंस्पेक्टर तो दवायें देखता है. तेल का मामला फूड इंस्पेक्टर देखता है.
डॉ. गोविन्द सिंह-- आपसे अनुरोध है कि आपको मैंने जो प्रकरण बताये हैं उनकी जांच करायें, रिक्त पड़े पदों को भरें, हर चीज में मिलावट हो रही है , विभाग निरंतर मानीटरिंग करता नहीं है न मेडिकल स्टोर की जांच करते हैं इसलिये यह घटनायें बढ़ रही हैं. झोला छाप डॉक्टर बढ़ गये हैं वह भी लोगों को मारने का काम कर रहे हैं, उन पर भी सरकार का नियंत्रण नहीं बचा है.
अध्यक्ष महोदय, अंतिम बात कहना चाहता हूं कि पतंजली को आपने आयुर्वेदिक दवायें बनाने का लाईसेंस दिया है, लेकिन वह खाद्य सामग्री क्यों बेच रहे हैं, करोड़ों का टेक्स चोरी हो रहा है, इसलिये मेरा आपसे कहना है कि इस पर नियंत्रण रखें.
श्री शंकरलाल तिवारी- घोर आपत्ति है पतंजलि बजट का विषय नहीं है.
डॉ.गोविन्द सिंह -- पतंजलि वाला, आटा बेच रहा है, मंजन बेच रहा है. टेक्स की चोरी कर रहा है उस पर सरकार रोक लगाये.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी- अध्यक्ष महोदय डॉ.साहब की आदत है कि यह पहले बाबा पर बरसते हैं फिर जाकर के ढोक लगाते हैं.
श्री गिरीश गौतम(देवतालाब) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की मांग संख्या 19 का समर्थन करने और कटौती प्रस्ताव का विरोध करने के लिये खड़ा हूं. हमारे लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की तरफ से कई योजनायें प्रदेश में चलाई जा रही हैं जिससे गरीबों का कल्याण हो जाये, उन विषयों पर मैं नहीं जाना चाहता हूं. मैं केवल कैंसर की बात तक अपने को सीमित रखना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कैंसर एक ऐसा मर्ज है वास्तव में यह चिंता का विषय है और चिंता का विषय इसलिये भी है कि जो डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट है उसके अनुसार पूरी दुनियां में 49 लाख लोग तंबाखू उत्पाद से मर रहे हैं और 49 लाख में से 8 लाख लोग भारत के भीतर मर रहे हैं. तंबाखू उत्पाद से बहुत सारे नुकसान हो रहे हैं. एक रिपोर्ट और है जिसके अनुसार तंबाखू उत्पाद से जो मर्ज हो रहे हैं, कैंसर हो रहा है, या कार्डिया-वेस्क्युलर हो रहे हैं या लंग्स डिसार्डर हो रहे हैं इसमें 30 हजार करोड़ रूपये खर्चा हो रहा है और इन उत्पादों का जो टैक्स है वह शायद इससे कम है. इन सब बातों को लेकर के मध्यप्रदेश की सरकार ने कई व्यवस्थायें की हैं उन व्यवस्थाओं में जैसे यह कहा कि इस तरह के कानून बनाकर के उनको लागू किया है, जैसे स्कूलों के पास में इसको रोकना है, तो मैं यह कहना चाहता हूं कि चेतावनी तंबाखू उत्पाद में लिखते हैं कि यह स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है.परंतु उसमें हम जो रिमार्क करते हैं 85% हमें उसको प्रकाशित करना पड़ेगा, और जो खतरनाक चीज है उसको प्रदर्शित करना पड़ेगा. परंतु देखने में आ रहा है कि जो हम प्रदर्शन करते हैं या दिखाते हैं शायद वह कम हो जाता है इसलिये ज्यादा सख्ती से इस कानून को लागू करने की आज आवश्यकता है. इस कानून को ज्यादा सख्ती से लागू करेंगे तो निश्चित रूप से बहुत सारी रोक लगेंगी. मैं यह भी कहना चाहता हूं कि उसकी सूचना के लिए, उसकी शिक्षा के लिए तमाम काम करते हैं, लेकिन मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि इसमें एक काम यह कर लें कि हम स्कूलों में बच्चों को शिक्षा देते हैं तो ऐसी व्यवस्था क्यों नहीं कर सकते कि चौथी, पांचवीं से ही स्कूलों की किताबों में, पाठ्यक्रम में यह विषय रख दें, तभी से बच्चों को पढ़ाना शुरू करें और कम से कम आठवीं, नवमीं तक के बच्चों को उस विषय को पढ़ाया जाए और इस बीमारी के खतरे का संकेत बता सके तो निश्चित तौर पर मैं समझता हूं कि चेतावनी के बतौर, उनके मन के भीतर, उनके जहन के भीतर यह बात बैठ जाएगी तो शायद वह इसको दूर कर सकेंगे. इसलिए मैं सरकार द्वारा किए गए कामों का समर्थन करता हूं, इसमें और बहुत कुछ करने की आवश्यकता है. कैंसर के मरीजों को 2 लाख रूपए तक की राशि कलेक्टर को स्वीकृत करने का अधिकार हो गया है. मैं ज्यादा समय नहीं लेना चाहता हूं. माननीय मंत्री जी से मैं दो आग्रह करना चाहता हूं, 27 दिसम्बर 2016 को माननीय मुख्यमंत्री जी मेरे विधान सभा क्षेत्र में आए हुए थे, वहां पर मेरी एवं जनता की मांग पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना की घोषणा की थी, घोषणा में कहा गया था कि इसी बजट में उसको शामिल करेंगे, वह घोषणा शायद आई हुई होगी. माननीय मंत्री जी से मेरा आग्रह है कि उस घोषणा को आवश्यक रूप से आप यहीं सदन में घोषणा कर दें, क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है. दूसरा, मैं एक और निवेदन करना चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र के भीतर सीतापुर एक बड़ा कस्बा है, आदिवासियों का इलाका है, वहां एक उप स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना कर दें, इन दो मांगों के साथ फिर से मैं मांगों का समर्थन करते हुए अपनी बात को समाप्त करता हूं, धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - श्री हरदीप सिंह डंग(अनुपस्थित)
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19 का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूं. मध्यप्रदेश की सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं की दृष्टि से बहुत सारे काम किये हैं, जिसका उल्लेख अभी यशपाल सिंह जी ने भी किया और श्री गिरीश गौतम जी ने भी किया है. यह बात सही है कि कैंसर घातक बीमारी है और इसका निदान करने की दृष्टि से या लोगों को आगाह करने की दृष्टि से बहुत सारे कार्यक्रम संचालित होते हैं. माननीय मंत्री जी से मेरा निवेदन है कि इसको और तेजी के साथ आगे बढ़ाए जाने की आवश्यकता है, जैसे गिरीश गौतम जी ने कहा कि प्रारंभिक दृष्टि से ही बच्चों में प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर ही उनको इस बात का ज्ञान कराने की कोशिश की जाए, क्योंकि जो संस्कार प्रारंभ में बच्चों को दिए जाते है, वह बहुत वर्षों तक जहन में रहते हैं, इसको किए जाने की आवश्यकता है. स्वास्थ्य विभाग ने, मध्यप्रदेश की सरकार ने प्रत्येक जिले के अंदर एक चिकित्सक को कीमियोथेरेपी के लिए, कैंसर के उपचार की दृष्टि से प्रशिक्षित करने का काम किया है. इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति को बाहर जाना पड़ता था, लेकिन यह अब जिला मुख्यालय में ही संभव हो जाता है, दो नर्सों को भी ट्रेंड करके इस कार्य में लगाया गया है, यह अच्छी बात है. इसके लिए मैं माननीय मंत्री जी की और स्वास्थ्य विभाग की प्रशंसा करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रत्येक जिले में डायलिसिस मशीन पहुंचाने का जो काम किया गया है, मेरा जिला तो छोटा है, लेकिन वहां पर डायलिसिस मशीन आने के बाद जिन लोगों को कोटा और जयपुर सप्ताह में दो बार जाना पड़ता था, किराया-भाड़ा सहित लगभग 20000 से 25000 रूपए तक खर्च होता था, श्योपुर में डायलिसिस मशीन के आने के कारण एवं डाक्टर को प्रशिक्षित करके उसको वहीं पर पदस्थ करने का जो कार्य प्रारंभ हुआ है, ऐसा अन्य जिलों में भी यह मशीन पहुंचाकर के इसको प्रारंभ किया गया है, जिससे लोगों को सुविधा मिली है और नि:शुल्क डायलिसिस हो रही है. बिना बीपीएल के लोगों के लिए पांच सौ रूपए लेते हैं, इसके साथ साथ ट्रामा सेंटर की स्थापना भी हुई है, श्योपुर में भी ट्रामा सेन्टर की स्थापना हुई है, लेकिन वहां पर चिकित्सकों की अभी कमी है, उसकी व्यवस्था बनाने के लिए आज महिला दिवस है और ऐसे कहने को तो बहुत कुछ है. हमारी प्रदेश की सरकार ने, मुख्यमंत्री जी ने स्वास्थ्य विभाग में महिलाओं की दृष्टि से जो क्रांतिकारी परिवर्तन किया है और विभिन्न सारी योजनाएं जो प्रारंभ की हैं, उन योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को बहुत सारा लाभ प्राप्त हुआ है. हम चाहे जननी एक्सप्रेस योजना की बात कर लें अथवा हम मातृ सुरक्षा योजना की बात कर लें अथवा हम बालकों के लिये और गर्भवती महिलाओं की दृष्टि से जो व्यवस्थाएं सरकार की ओर से की गई हैं, उनकी बात करें, तो ऐसी अनेक योजनाएं प्रारंभ की गई हैं, जिन योजनाओं के माध्यम से आज हमारी माताओं और बहनों को उपचार के लिये बहुत ठीक तरीके से और अच्छा वातावरण उपलब्ध हो रहा है.
अध्यक्ष महोदय, आज मैं यह कहूं कि 4880 बालकों, बच्चों के हृदय की धड़कन जो चल रही है, वह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी के कारण, मध्यप्रदेश की भाजपा की सरकार के कारण बाल हृदय योजना जो उन्होंने प्रारंभ की है और उस योजना के कारण से आज लगभग 5000 के आस पास हमारे बच्चे लाभान्वित हुए हैं और लगातार लाभान्वित हो रहे हैं. ऐसी अनेक योजनाएं हैं, जिनके बारे में समय की कमी के कारण बहुत विस्तार से तो उल्लेख नहीं हो सकता. महिलाओं के लिये महिला स्वास्थ्य शिविर लगाये गये हैं और स्वास्थ्य शिविर कार्यक्रम, पोषण एवं पुनर्वास केंद्र, रोशनी क्लीनिक एवं निशुल्क दवा वितरण योजना तो पूरे प्रदेश में है, एक-एक गांव में गली-गली के अन्दर है. सरकार ने जो निशुल्क जांच करने का काम प्रारम्भ किया है, बड़ी बड़ी जांचें, जिसके अन्दर हो रही हैं, उसमें जिला स्तर पर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर और नीचे के स्तर पर भी ये सब जो निशुल्क जांचों से और निशुल्क दवा के कारण से आम जन को लाभान्वित होने का अवसर प्राप्त हो रहा है. हमारे स्वास्थ्य मंत्री जी ने और मुख्यमंत्री जी ने हमारे श्योपुर जिले के जिला चिकित्सालय को 100 बिस्तर से 200 बिस्तर का उन्नयन किया है, मैं इसके लिये स्वास्थ्य मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं और प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी को भी धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने एक पिछड़े जिले में जिला चिकित्सालय का उन्नयन कर दिया है. लेकिन एक निवेदन करना चाहता हूं कि वह जो आपने उन्नयन किया है, उसकी व्यवस्थाएं थोड़ी सी ठीक करने की आवश्यकता है. वहां आदिवासी क्षेत्र है, गरीब लोग निवास करते हैं. ऐसी स्थिति में वहां की व्यवस्थाओं को ठीक करने की कृपा करें. अध्यक्ष महोदय, हमारे मानपुर में जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का अभी आपने उन्नयन किया है, उसको भी जल्दी प्रारंभ करने का मेरा निवेदन है. धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र जैन (सागर) -- अध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र की कुछ बातें करके अपनी बात को समाप्त करुंगा. सागर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत जो हमारा जिला चिकित्सालय है, वह 400 बिस्तरों का चिकित्सालय स्वीकृत है, लेकिन राउंड दि ईयर 500 से 550 बिस्तर वहां पर हमेशा लगे रहते हैं. उसका 3 साल का आप रिकार्ड मंगा सकते हैं. मैं मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि सागर के जिला चिकित्सालय को 400 बिस्तर के स्थान पर 550 बिस्तर के अस्पताल के रुप में मान्यता दे दी जाये, ताकि उसमें जो भी पैरा मेडिकल, मेडिकल स्टाफ है और सर्जीकल स्टाफ है, उसके हिसाब से उनकी नियुक्ति हो पाये. एक विषय जिसके लिये मैं मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं कि कुछ स्थान ऐसे हैं, जहां पर हमारी चिकित्सीय सुविधायें तो उपलब्ध हैं, उपकरण उपलब्ध हैं, स्थान उपलब्ध हैं, लेकिन वहां पर चिकित्सक न हो पाने के कारण उसका समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है, ऐसे स्थानों के लिये निजी चिकित्सकों की सेवाएं सीमित आधार पर लेने का उन्होंने निर्णय लिया है, मैं सरकार को इस बात के लिये बधाई देना चाहता हूं. लेकिन साथ में एक निवेदन करना चाहता हूं कि जैसे अर्बन स्लम डिसपेंसरी में संविदा के आधार पर रिटायर्ड शिक्षकों को रखने की व्यवस्था की गई है तो क्या हम इसी आधार पर जिला चिकित्सालयों में भी इस तरह की व्यवस्था कर सकते हैं, हम यदि उस पर विचार करेंगे तो बहुत अच्छा होगा और जो चिकित्सकों की कमी है, उसको दूर किया जा सकता है. एक वर्ष पूर्व तत्कालीन माननीय हेल्थ मिनिस्टर ने घोषणा की थी कि सागर के चमेली चौक में 30 बेडेड हॉस्पिटल खोला जायेगा. मुझे कल यह ज्ञात हुआ है कि उस हॉस्पिटल का प्रस्ताव बनकर तैयार हुआ है, लेकिन वह 30 बेडेड के स्थान पर 10 बेडेड हॉस्पिटल हो गया है. मैं मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूँ कि जो घोषणा माननीय डॉ. नरोत्तम मिश्र जी ने की थी, उसको यथावत् रखा जाये.
अध्यक्ष महोदय, अभी बातचीत चल रही थी कि जो आयुर्वैदिक चिकित्सक हैं, यूनानी चिकित्सक हैं, उनको कुछ माह की ट्रेनिंग के बाद, एलोपैथी की दवाइयां लिखने और प्रेक्टिस करने का मौका मिलेगा, इसमें बीडीएस वालों को भी शामिल किया जाये, मैं उस बात से सहमत हूँ, लेकिन होम्योपैथी डॉक्टर्स इससे क्यों वंचित हों ? जब आयुष में इन तीनों किस्म के डॉक्टर्स आते हैं, तो होम्योपैथी डॉक्टर को भी उसमें शामिल किया जाये, मैं यह आपसे निवेदन करना चाहता हूँ. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री दिनेश राय (सिवनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19 की मांगों का समर्थन करता हूँ एवं साथ ही अपने क्षेत्र के लिए माननीय मंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहूँगा. सिवनी जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट, रेडियोग्राफर और ट्रामा यूनिट में विशेषज्ञों की कमी है, वहां विशेषज्ञ नहीं हैं, वहां नाक, कान, गला और आंख के विशेषज्ञों की नियुक्ति नहीं हुई है, वहां पर सीटी स्कैन की मशीन नहीं है. आपसे निवेदन है कि आयुर्वैदिक चिकित्सा पद्धति का विस्तार किया जाना चाहिए. आप एक्स-रे मशीन की संख्या बढ़ाएं, हमारे यहां एक्स-रे की एक ही मशीन है. आप हृदय रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ, ड्रेसर, वार्ड ब्वाय एवं स्टाफ नर्सों के पदों की पूर्ति करें. हमारे अस्पताल का आईसीयू वार्ड बहुत छोटा है, उसमें बेड भी बहुत कम हैं, उन्हें बढ़ाने की कृपा करें.
अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी से मेरा एक और आग्रह है कि हमारे यहां जो शहरी और ग्रामीण क्षेत्र हैं. वहां पर काफी मात्रा में डॉक्टर्स, स्टाफ नर्स और दवाई देने वालों की कमी है. मैं एक बात और ध्यान दिलाना चाहूँगा कि यदि किसी महिला डॉक्टर का पति डॉक्टर हो जाये और वह राजनीति करता है, तो महिला डॉक्टर को बहुत फटकार लगती है. हमारे यहां एक डॉक्टर है, लेकिन उनकी पत्नी वहां कैम्पस में रहकर नेतागिरी करती हैं, उनसे हमारा पूरा स्टाफ डरा हुआ रहता है, वे इतने वर्षों से जिला चिकित्सा अधिकारी के मकान में कब्जा किये हुए हैं, आप उस पर जरूर ध्यान दें. मैंने कई बार शिकायत भी की है, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है. इसी प्रकार जिला स्वास्थ्य का एक एकाउण्ट ऑफिसर है, वह संविदा पर नियुक्त है, लेकिन खुद संविदा कर्मचारियों से बिना पैसे लिये उनके वेतन, टी.ए., डी.ए., मेडीकल कुछ भी नहीं निकालती हैं और बहुत परेशान करती हैं. उनके खिलाफ नर्सों और स्टाफ ने लिखित में शिकायत की है, उसके बाद भी उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है. इस मामले को सदन में भी रखा गया है, लेकिन उसमें भी कार्यवाही का आश्वासन मिला है किन्तु आज तक कार्यवाही नहीं की गई है. मलेरिया विभाग का कार्य शून्य है, लेकिन उसको बड़ा बजट दिया गया है. इसमें पता नहीं क्या बंदरबाट हो रही है ? डॉक्टर्स अपनी निजी प्रैक्टिस में लगे रहते हैं, जब हमारे मरीज हॉस्पिटल जाते हैं, वे हॉस्पिटल में समय पर नहीं आते हैं और वे स्वयं की क्लीनिक में बुलाने का प्रयास करते हैं. सिवनी जिला चिकित्सालय में जनता बहुत परेशान है, यहां कभी भी बड़ी घटना घट सकती है. मैं आपको पुन: अवगत करवा रहा हूँ, वहां पर कभी भी बड़ा मामला हो सकता है. डॉक्टर्स के दवाई लिखने के बाद भी दवाइयां नहीं मिलती हैं, उनको मार्केट से दवाइयां लेनी पड़ती हैं. एनीथीसिया का एक ही डॉक्टर है. यदि कभी हॉस्पिटल में ऑपरेशन होगा और यदि मरीज 1,000 रुपये देगा तो हॉस्पिटल में मरीज को एडमिट करेंगे, नहीं तो वे मरीज को वहां से वापस कर देते हैं तब वह प्रायवेट हॉस्पिटल में जाकर इलाज करवाता है. मेरा आग्रह है कि ग्रामीण क्षेत्र में डॉक्टर्स एवं नर्सें नहीं हैं, वहां पर व्यवस्था करें और मरीजों के प्रति डॉक्टर्स एवं नर्सों का व्यवहार अच्छा नहीं है. मेरा पुन: आग्रह है कि उनको संस्कार सिखाएं कि वे मरीजों से अच्छा व्यवहार करें. आपने मुझे बोलने का मौका दिया, उसके लिये धन्यवाद.
श्री प्रताप सिंह (जबेरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19 का विरोध करने के लिए खड़ा हुआ हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का, अपने क्षेत्र की कुछ समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूँ. मेरे निर्वाचन क्षेत्र में 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं, एक तेंदूखेड़ा और दूसरा जबेरा में, इन दोनों प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में ही 5-5 डॉक्टर्स, जिसमें कि 3-3 पुरुष डॉक्टर और 2 महिला डॉक्टर्स होने चाहिए. लेकिन इस समय सिर्फ दो डाक्टर ही पदस्थ हैं. हमारे क्षेत्र में और पूरे प्रदेश की स्थिति है कि बाल मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर दोनों में दमोह जिले के तेंदुखेड़ा विकासखंड की पांच पंचायतों, वहां की ग्रामसभाओं में एक जनवरी 2016 से दिसंबर 2016 तक 22 लोगों की मृत्यु हुई है. मैंने इस विषय में ध्यानाकर्षण लगाया है लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने न तो वहां पर कोई टीम भेजी है और न ही वहां जांच करवाई है कि इन मौतों का क्या कारण है. इसी प्रकार मैं पिछले साल की घटना बताता हूं कि हमारे विधान सभा क्षेत्र में कई गांव ऐसे थे जहां डेंगू के मरीज बहुतायत में पाए गए और वहां डेंगू से दस लोगों की मृत्यु हुई. दमोह जिले में स्वास्थ्य केन्द्र में फॉगिंग मशीन द्वारा हर तीन दिवस में फॉगिंग होना चाहिए परंतु वह भी वहां उपलब्ध नहीं थी. एक मशीन उपलब्ध करवाई गई तो वह भी बिगड़ी पड़ी थी. तब हम लोगों ने जाकर नगर पालिका की मशीन से फॉगिंग करवाई. मैं माननीय मंत्री जी से चाहूंगा कि हमारे यहां जो डॉक्टरों की कमी है. वह कमी पूर्ण हो. भौगोलिक क्षेत्र की दृष्टि से भी हमारा विधान सभा क्षेत्र बहुत बड़ा है, आदिवासी बाहुल्य है. तेजगढ़ में भी एक उप स्वास्थ्य केन्द्र खोला जाए और जहां महिला डॉक्टरों की कमी है वहां उनकी पूर्ति की जाए. साथ ही हमारे दोनों उप स्वास्थ्य केन्द्रों में, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में जो एम्बुलेंस है. करीब एक-एक साल से बिगड़ी पड़ी है. हमने कई बार इसके लिए पत्र व्यवहार आपकी ओर किए लेकिन वह एम्बुलेंस अभी तक उपलब्ध नहीं है. मैं चाहूंगा कि इस वित्तीय वर्ष में हमारे यहां डॉक्टर एवं एम्बुलेंस की व्यवस्था भी की जाए. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री हेमंत विजय खण्डेलवाल (बैतूल) --माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आदरणीय मुख्यमंत्री जी को और मंत्री जी को चाहे जननी सुरक्षा की बात करें, कैंसर की बात करें, डायलेसिस मशीन की बात करें, इलाज की बात करें, बाल हृदय रोग की बात करें या बाल श्रवण योजना की बात करें इन सब योजनाओं के लिए मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहूंगा और उम्मीद करूंगा कि उनके द्वारा जो अच्छे कार्य किए जा रहे हैं उससे प्रदेश की जनता को लाभ मिलेगा. साथ ही मैं कुछ सुझाव देकर अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा. सबसे पहले मैं हमारे स्वास्थ्य मंत्री को इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने 20 से 25 प्रतिशत बोनस चिकित्सकों को ग्रामीण क्षेत्र के लिए दिया है. मैं बताना चाहूंगा कि अगर हम चाहते हैं कि चिकित्सक हमारे चिकित्सालयों में रहें और यह जो कमी है यह पूरे प्रदेश में है. तो हमें कुछ ऐसी नीतियां बनाना पड़ेंगी जिससे चिकित्सक चिकित्सालयों में रहें और उन्हें जो सरकारी अस्पताल हैं उनमें नौकरी करने में इंटरेस्ट रहे. इसके लिए हमें विशेषज्ञ डॉक्टर के लिए नया वेतनमान लागू करना चाहिए और महाराष्ट्र की तर्ज पर पार्ट टाइम जॉब पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की जानी चाहिए. मेरा एक और सुझाव है कि हम अस्पताल की जो बिलिंग है उसे 100 प्रतिशत करें. गरीब को मुफ्त चिकित्सा दें लेकिन गरीबी रेखा से ऊपर वालों से हम कुछ चार्ज लें जिससे हमारे अस्पतालों की हालत सुधर सके.
अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मैं मंत्री जी को इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहूगा कि बैतूल के जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों ने एक प्रस्ताव दिया था और जिसमें बाहरी विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवाएं लेने के लिए हमने अनुरोध किया था.उसी तर्ज पर आपने निर्णय लेते हुए 12 जिलों में बैतूल जिले सहित यह योजना लागू कर दी है. मैं इसके लिए मुख्यमंत्री जी और आपका आभार व्यक्त करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय हमें यह बात समझना चाहिए कि हमारे मरीज की जो मानसिकता है वह इलाज तो प्राइवेट डॉक्टर से कराना चाहता है लेकिन प्राइवेट नर्सिंग होम से उसकी बिलिंग हो उस पर उसका भरोसा नहीं होता है वह चाहता है कि बिलिंग सरकारी अस्पताल से हो. सरकार की जमीन, सरकार का इन्फ्रास्ट्रक्चर, सरकार की दवाइयां और सरकार की बिलिंग, ऑपरेशन हमारी छत के नीचे हो और उसे प्रायवेट विशेषज्ञ डॉक्टर करे. अगर यह मॉडल मेरे जिले में और प्रदेश में लागू होगा तो यह मॉडल आने वाले समय में पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बनकर लागू हो जाएगा. इसके लिए मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से अनुरोध है कि इसकी शुरुआत बैतूल से की जाए क्योंकि नागपुर में हजारों विशेषज्ञ डॉक्टर हैं और नागपुर से बैतूल की दूरी मात्र दो घंटे की है. पुन: आपको धन्यवाद देते हुए इस योजना की शुरुआत मेरे जिले से की जाए इस बात का अनुरोध करते हुए, इस बात की उम्मीद करते हुए कि एक नये मॉडल पर हम काम करेंगे और देश के लिए एक उदाहरण बनकर प्रस्तुत होंगे. मैं अपनी बात आपके द्वारा दिए गए समय में समाप्त करते हुए आपको धन्यवाद देना चाहूंगा.
श्री सुखेन्द्र सिंह (मऊगंज)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे स्वास्थ्य विभाग की मांग संख्या 19 पर बोलने का अवसर मिला है. प्रदेश की स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता हूँ क्योंकि हमारे दल के वरिष्ठ सदस्य आदरणीय श्री बाला बच्चन जी और गोविन्द सिंह जी ने इस पर विस्तार से प्रकाश डाला है.
अध्यक्ष महोदय, सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकगण उपस्थित हैं स्वास्थ्य के बारे में मध्यप्रदेश की क्या स्थिति है सभी को इसकी जानकारी है. भोपाल, इंदौर और उज्जैन की स्थिति थोड़ी बहुत ठीक हो सकती है लेकिन मैं रीवा संभाग की ओर ध्यान दिलाना चाहता हूँ. रीवा जिला अस्पताल संभागीय स्तर का है यहां से मरीज रेफर होकर जबलपुर जाते हैं, जबलपुर की स्थिति भी इसी तरह की है. अभी नागपुर का जिक्र आया अब सारे मरीज नागपुर जाते हैं. इससे यह प्रतीत होता है कि जब हमारे यहां के सारे मरीज नागपुर जाते हैं तो इससे श्रेष्ठ तो हमारे लिए नागपुर है. जो राज्य बीमारी सहायता सरकार द्वारा दी जाती है इसके जो इस्टीमेट बनते हैं उनमें सबसे ज्यादा नागपुर के अस्पतालों का टाई-अप है. मेरा स्वास्थ्य मंत्री जी से अनुरोध है कि रीवा के एकाध अस्पताल का टाई-अप हो जाए जिससे मरीज 100-150 किलोमीटर की दूरी से आएं तो उनको भी राज्य बीमारी सहायता का लाभ मिल सके. अन्यथा ज्यादातर मरीज इस्टीमेट ढूंढते ढूंढते मर जाते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि मेरा विधान सभा क्षेत्र सबसे अंतिम छोर पर आता है वहां स्वास्थ्य की स्थिति यह है कि यहां के सारे मरीज उत्तर प्रदेश चले जाते हैं. उत्तर प्रदेश के दलाल इस काम में लगे रहते हैं यदि किसी मरीज को पेट में दर्द होता है तो सीधे उत्तर प्रदेश ले जाकर उनकी किडनी तक निकलवा लेते हैं. मऊगंज विधान सभा क्षेत्र आज जिले की स्थिति में आ रहा है वहां पर एडिश्नल एस.पी. बैठते हैं, वहां पर एक-एक दिन के लिए एडिश्नल कलेक्टर भी बैठने लगे हैं. वहां पर 100 बेड के अस्पताल का निर्धारण हो जाए जैसा कि प्रस्ताव भी आया है तो इस क्षेत्र के कमजोर लोग, बीमार लोगों को समुचित लाभ मिल सकेगा. हमारा जिला मध्यप्रदेश में कुपोषण के मामले में पहला जिला हो गया है. मेरा अनुरोध यह है कि इस पर भी स्वास्थ्य मंत्री जी ध्यान देंगे. खासकर यदि 100 बेड के अस्पताल की घोषणा यदि आज आपके माध्यम से सदन में हो जाएगी तो निश्चित रुप से मैं आभारी रहूंगा. धन्यवाद.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी (मेहगांव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से कुछ निवेदन प्रस्तुत करना चाहूंगा. आज सुबह मैंने आपका रौद्र रुप देखा है तो मैं अपने समय से बाहर नहीं जाऊंगा आपने जो दो मिनट का समय दिया है उसी में रहूंगा. निश्चित रुप से मध्यप्रदेश की सरकार, मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री और मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बहुत सारी ऐसी योजनाएं चला रहे हैं जो इस सरकार के पहले न सुनी गईं न देखी गईं. उदाहरण के तौर पर बताना चाहूंगा कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक बहुत अच्छी योजना चालू की है सरकार ने कुछ डॉक्टरों को ट्रेंड किया और जिला अस्पतालों में कीमोथैरेपी आरंभ कराई. इसके साथ मैं एक सुझाव भी दूंगा कि कीमोथैरेपी के साथ-साथ पेड-स्केन भी वहां उपलब्ध कराने लगें इसकी सुविधा भी अगर मरीज को मिल जाए तो उसको निजी अस्पताल में जाने की जरुरत नहीं होगी. माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि मेरा यह सुझाव मान्य हो जाएगा तो संपूर्ण मध्यप्रदेश में इसका उपयोग होगा और गरीब जनता को इसका लाभ होगा. माननीय अध्यक्ष्ा महोदय, मैं केवल अपने जिले की बात करूंगा. हमारे जिले में कायाकल्प योजना के तहत भिण्ड जिला चिकित्सालय का बहुत ही बेहतरीन कायाकल्प किया गया है. मैं माननीय मंत्री जी को सुझाव देना चाहूंगा कि वे अन्य जिलों के CMHO'S एवं कलेक्ट्रेट के प्रतिनिधियों को भिण्ड जिले के जिला चिकित्सालय को देखने भेजें. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं विशेष रूप से उल्लेख करना चाहूंगा कि हमारे जिला कलेक्टर ने बहुत मेहनत से अपनी निजी ताकत लगाते हुए सुबह 6 बजे से रात के 8 बजे तक का अपना समय देते हुए सिर्फ अस्पताल का कायाकल्प किया है. पिछले 6-8 महीनों की उनकी मेहनत रंग लाई है और आज हमारा भिण्ड जिला चिकित्सालय किसी निजी चिकित्सालय से कम नहीं है. आज वहां हर तरह की सुविधा है, हर तरह के मरीज देखे जा रहे हैं, हर तरह के डॉक्टर भी वहां उपलब्ध हैं. चिकित्सकों ने भी अपनी मॉरल वैल्यूज़ को बढ़ाया और आज जिला चिकित्सालय में संपूर्ण सुविधायें एवं सभी तरह के चिकित्सक उपलब्ध हैं. मैं यह सुझाव देना चाहता हूं कि यदि संभव हो तो मंत्री जी अन्य जिलों के अधिकारियों को भिण्ड जिला चिकित्सालय की व्यवस्थायें दिखायें ताकि वे जान सकें कि हमारे कलेक्टर ने किस प्रकार का कायाकल्प वहां किया है क्योंकि कायाकल्प योजना के अंतर्गत हमारे जिले ने 30 लाख रूपये का पुरस्कार प्राप्त किया है. मैं चाहूंगा कि संपूर्ण मध्यप्रदेश के जिला अस्पताल इस कायाकल्प योजना में अपना योगदान दें और पुरस्कार प्राप्त करें.
श्री जसवंतसिंह हाड़ा- मैं माननीय सदस्य से पूछना चाहूंगा कि क्या उन्होंने गोविंद सिंह जी को भिण्ड का जिला चिकित्सालय दिखाया है. हमें भिण्ड बुलाने के बजाए गोविंद सिंह जी को ही बुला लेते.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी- डॉ. गोविंद सिंह जी ने अपने आप को लहार तक ही सीमित कर रखा है. वे इधर-उधर बहुत ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करते हैं.
डॉ.गोविंद सिंह- आप तो प्रदेशव्यापी हैं.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी- डॉ. साहब, मैंने ऐसा कब कहा. मैं तो पहले ही कह चुका हूं कि मैं केवल अपने जिले की बात करूंगा.
अध्यक्ष महोदय- आप जल्दी से अपनी बात समाप्त करें.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र के लिए कुछ सुझाव हैं. मेरे यहां एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की बिल्डिंग बहुत ही जर्जर हालत में है. बहुत सी चीजें वहां उपलब्ध नहीं है. मैंने कुछ मांगें माननीय मंत्री जी से व्यक्तिगत रूप से भी की हैं और आज आपके माध्यम से भी करना चाहूंगा. पुराने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भवन का सुदृढ़ीकरण कराया जाए जिसकी अनुमानित लागत लगभग 13 लाख 65 हजार रूपये आएगी. हमारे यहां रोगी कल्याण समिति की मीटिंग के लिए कोई मीटिंग हॉल नहीं है और न ही अन्य कोई ऐसा भवन है जहां बैठकर चर्चा या सभा की जा सके. यदि यह मीटिंग हॉल बन जाए तो बहुत बेहतर होगा. जिसकी अनुमानित लागत लगभग 15 लाख रूपये है. इसका एस्टीमेट भी मैंने जमा कर दिया है.
अध्यक्ष्ा महोदय- कृपया अपनी बात जल्दी समाप्त करें. अपनी मांगें जल्दी-जल्दी रखें. व्याख्या न करें.
चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जल्दी समाप्त कर रहा हूं. मेरे क्षेत्र में नए ड्रग स्टोर का भी निर्माण हो जाए. जिसकी अनुमानित लागत 15 लाख रूपये है. पुराने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के टॉयलेट भी पुराने हो गए हैं. इनके सुदृढ़ीकरण की अनुमानित लागत 3 लाख 88 हजार रूपये है. हमारे यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ओ पी डी नहीं है. यदि डॉक्टरों के लिए ओ पी डी का निर्माण हो जाए तो बेहतर होगा. इसकी अनुमानित लागत लगभग 13 लाख रूपये है. आज महिला दिवस है तो महिला वार्ड की बात हो जाए. हमारे यहां एक महिला वार्ड की बहुत आवश्यकता है. इसकी लागत लगभग 25 लाख रूपये आएगी. मैं चाहूंगा कि माननीय मंत्री जी आज इसकी घोषणा कर दें. मेरे यहां एक गोरमी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है. गोरमी कस्बा है, गोरमी नगर पंचायत है, गोरमी तहसील है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं चाहूंगा कि गोरमी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परिवर्तित हो जाए, तो मैं मंत्री जी का आभारी रहूंगा. एक नवीन पुरूष वार्ड मेहगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में और हो जाए तो मैं उनका बहुत आभारी रहूंगा. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में भारौली बहुत ही दूर-दराज़ का गांव है. मैं बड़ी मुश्किल से एक डॉक्टर को व्यक्तिगत रूप से अनुरोध कर वहां ले गया हूं. लेकिन वहां का भवन बहुत जर्जर हो रहा है. यदि उसका सुदृढ़ीकरण हो जाए तो मैं मंत्री जी का बहुत आभारी रहूंगा. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इस हेतु धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी(मनगवां)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19 के विरोध में एवं कटौती प्रस्तावों के समर्थन में अपनी बात रख रही हूँ. अध्यक्ष महोदय, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, जैसा कि शीर्षक से ही अवगत हो रहा है....
अध्यक्ष महोदय-- कृपया आप क्षेत्र की बात कर लें. पहले भाषण देते हैं, जब हम बंद करने को बोलते हैं तब आप क्षेत्र की बात बोलते हैं.
श्रीमती शीला त्यागी-- ठीक है, अध्यक्ष महोदय, मैं क्षेत्र की ही बात कर रही हूँ. अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश सरकार सभी के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था सुनिश्चित करने के उद्देश्य को ध्यान में रख कर भारी-भरकम बजट देती है और विभाग को दिया भी जाता है. अध्यक्ष महोदय, राज्य शासन की पहल यह होनी चाहिए कि सभी चिकित्सालयों में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएँ हों, स्टाफ की कमी दूर हो, नकली दवाइयों की रोकथाम हो, जो पैथालॉजी सेंटर्स हैं वहाँ जितनी एक्स-रे मशीनें हैं, वह नई दी जाएँ, जो बन्द पड़ी हैं उनके रखरखाव के लिए प्रयास किया जाए. साथ ही साथ मेरा यह भी सुझाव है कि संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रदेश के सभी ग्रामों में जो डिपो होल्डर संचालित हैं वे पुराने तरीके से हैं वहाँ सिर्फ ये नाम से डिपो होल्डर हैं, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को बताना चाहती हूँ कि जो भी ग्राम हैं, उनमें जो डिपो होल्डर हैं, उनमें जो दवाइयाँ रखी जाती हैं, जैसे ब्लीचिंग पावडर, जीवन रक्षक घोल, क्लोरिन की गोलियाँ, पेरासिटेमाल, ये गोलियाँ अगर उन डिपो होल्डर में रखी जाएँ तो जो गाँव की जनता जिला चिकित्सालय में जाकर संख्या बढ़ाती है और चिकित्सालयों में जो भारी-भरकम दबाव पड़ता है, वह कम हो जाएगा और गंभीर बीमारियाँ होने से बच जाएँगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आपने आदेश दिया है कि मैं अपने क्षेत्र की मांग रखूँ तो मेरे मनगवां विधान सभा क्षेत्र में लाल गाँव प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का उन्नयन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में किया जाए, जो मेरी दूसरी मांग है, यह मैं तीसरे बजट में बोल रही हूँ कि मेरे मनगवां विधान सभा क्षेत्र में जो रीवा जिले का हृदय-स्थल है, दो-दो नेशनल हाई-वे, जो इलाहाबाद और बनारस को जाता है, संस्कारधानियों को जाता है और बड़ी संख्या में पूरे देश से लोग आते हैं तथा कोई एक्सीडेंट वगैरह होता है तो समय से पहले ही काल के गाल में समा जाते हैं और जिला चिकित्सालय 40-45 किलोमीटर दूर पड़ता है, तो मैं जैसा कि कह रही थी कि हमारे मनगवां विधान सभा क्षेत्र में जो पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र था, उसका डिमोशन कर दिया गया था, मैं यह बार-बार बजट में रख रही हूँ कि उसका उन्नयन किया जाए. पुनः सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में उसको बहाल किया जाए और दूसरा नईगढ़ी, गंगेव सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्सकों की कमी को पूरा किया जाए. खास कर महिला चिकित्सकों की भर्ती की जाए और सभी ग्राम पंचायतों में स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रचार-प्रसार हेतु पुनः जन-जागरूकता शिविर लगाए जाएँ तभी हमारे प्रदेश की जनता स्वस्थ रहेगी और उनका विकास होगा. अध्यक्ष महोदय, आपने बात रखने के लिए मुझे समय दिया, धन्यवाद. ..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- पहले यह सूची समाप्त होगी, उसके बाद जिन्होंने बाद में नाम दिए उनके लेंगे और अभी सूची में 20 नाम हैं, इसके बाद आएँगे.
श्री इन्दर सिंह परमार(काला पीपल)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19 का समर्थन करता हूँ. अध्यक्ष महोदय, मेरे विधान सभा क्षेत्र में जो 15 नये उप स्वास्थ्य केन्द्र स्वीकृत किए हैं, उसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ. मैं चाहता हूँ कि एक उप स्वास्थ्य केन्द्र का उन्नयन करके प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और स्वीकृत कर दें. पिछले साल हमारे स्वास्थ्य मंत्री जी ने ग्राम पोचानेर के लिए नया प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने का सदन में आश्वासन दिया था वह शायद छूट गया है, उसको जोड़ लें. साथ ही हमारे यहाँ पर दो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं, उनमें आज तक महिला चिकित्सकों का अभाव है, उनकी पूर्ति नहीं हुई है, इनकी पूर्ति कर दें. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने पूरे प्रदेश के मूक-बधिर बच्चे, जो बोल नहीं सकते थे, सुन नहीं सकते थे, उनके लिए पाँच वर्ष के इलाज की सुविधा थी, लेकिन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने, आग्रह करने पर उसको सात वर्ष किया है, मैं चाहता हूँ कि डॉक्टर्स की सलाह पर उसको दस वर्ष कर दिया जाए. साथ ही जिस प्रकार से बाल हृदय योजना में 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए किसी प्रकार के बीपीएल कार्ड की आवश्यकता नहीं है, सभी बच्चों के इसमें इलाज की सुविधा प्रदान की गई है. मूक-बधिर बच्चों के लिए बीपीएल की अनिवार्यता समाप्त कर दी जाए ताकि पूरे प्रदेश के हजारों बच्चों को उसका लाभ होगा. यह बहुत महत्वाकांक्षी योजना है. अध्यक्ष महोदय, शाजापुर जिले में अभी 8 महीने में 10 ऐसे मूक-बधिर बच्चों का इलाज हुआ है, जिसमें से 4 बच्चों ने बोलना और सुनना प्रारंभ कर दिया है. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूँगा कि बीपीएल की अनिवार्यता उसमें जरूर समाप्त कर दें. माननीय अध्यक्ष जी को बहुत-बहुत धन्यवाद, उन्होंने बोलने का अवसर दिया.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19 के कटौती प्रस्ताव पर बोलना चाह रही थी. सतना जिले के अस्पताल में डॉयलिसिस की सुविधा माननीय मुख्यमंत्री जी ने करायी है लेकिन वहां पर जब मरीज जाते हैं वहां हर चौथे दिन डॉयलिसिस होता है वहां ब्लड की व्यवस्था नहीं हो पाती है. वहां के ब्लड बैंक के अधिकारी कहते हैं कि आप विधायकों से लिखवाकर ले आइए और जब तक कोई वजनदार व्यक्ति अगर सिफारिश न करे, तो उनकी ब्लड की व्यवस्था नहीं हो पाती है. इस कारण डॉयलिसिस की व्यवस्था ठीक नहीं है. सतना जिले में जो जननी सुरक्षा है वहां गर्भवती महिलाओं को जिला अस्पताल में लाया जाता है लेकिन जब उसकी डिलीवरी हो जाती है तो उसको वापस भेजने में जननी सुरक्षा नहीं दी जाती है. उसमें भी महिलाओं को परेशानी होती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से कैंसर के इलाज के लिए घोषणा की है. मैंने विदिशा जिले के नसीम खान जी का प्रकरण गरीबी रेखा के अंतर्गत बंसल अस्पताल में इलाज के लिए दिया था. बंसल अस्पताल में कैंसर के मरीज को प्रताडि़त किया गया और मैं मुख्यमंत्री कार्यालय से बार-बार फोन लगाती रही कि अस्पताल में फोन कर दिया जाए. फिर उस मरीज को ऑपरेशन थियेटर में ले जाया गया. उससे 70 हजार रूपये मांगे गए, बार-बार उस मरीज को टॉर्चर करते रहे कि पूरा पैसा जमा करो, तब तुम्हारा ऑपरेशन होगा और उसको एक बार ऑपरेशन थियेटर से बाहर भी कर दिया गया. इस तरह कैंसर के मरीज को अगर मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जायेगा, तो सरकार की योजनाओं का क्या लाभ ?
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहती हॅूं कि मेरे सतना जिले में कई अस्पताल की पिछली बार भी मैं कटौती प्रस्ताव में मांग कर चुकी हूँ जैसे शिवराजपुर सतना जिले से 50 किलोमीटर दूर पड़ता है. वहां स्वास्थ्य की ऐसी कोई भी सुविधा नहीं है जहां पर मरीज आकर तुरंत ठीक हो सके. इसलिए मैं शिवराजपुर, रैगांव और सिंगपुर में आयुर्वेदिक अस्पताल की मांग करती हॅूं कि पतंजलि का अस्पताल खोला जाए और मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हॅूं कि उपस्वास्थ्य केन्द्र शिवराजपुर में इसको जरूर स्वीकार कर लिया जाए. 20 हजार, 40 हजार रूपये कैंसर के मरीजों को स्वेच्छानुदान दिया जा रहा है माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणाओं का पालन किया जाए और इस पर गंभीरता से विचार किया जाए. आपने बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19 का समर्थन करते हुए अपनी बात रखना चाहता हॅूं इस बजट में चिकित्सा शिक्षा को लेकर 7 हजार 472 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है.
श्री बाला बच्चन -- यह चिकित्सा शिक्षा की नहीं, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की मॉंग है. एक ही अनुदान मांग है.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- हॉं, उसमें दोनों आ गया है. मैं मान रहा हॅूं. मांग संख्या 19 का ही आ गया उसमें. मैं इकट्ठा बोल रहा हॅूं. अलग-अलग नहीं बोल रहा हॅूं. 115 करोड़ रूपये का प्रावधान इन्फ्रास्ट्रक्चर पर रखा गया है. साथ ही हमारी जो 108 एम्बुलेंस है इससे मध्यप्रदेश में 6 लाख लोग लाभान्वित हुए हैं. जननी एक्सप्रेस जो है इससे 8 लाख 50 हजार हितग्राही लाभान्वित हुए हैं. दीनदयाल चलित जो हमारा अस्पताल है उससे 9 लाख 75 हजार हितग्राही लाभान्वित हुए हैं. साथ ही हमारे अस्पताल के लिए, औषधालय के लिए 131 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है जो गत् वर्ष की तुलना में दो गुना है. उपस्वास्थ्य केन्द्र के लिए, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिए और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के लिए 85 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है जो गत् वर्ष की तुलना में 2 प्रतिशत से भी अधिक है. मैं समझ रहा हूं माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सीधा मेरे क्षेत्र में आ जाता हूँ. मेरे क्षेत्र की मांग आपके माध्यम से एक मिनट में करना चाहता हॅूं मैं माननीय मंत्री जी को अवगत कराना चाहता हूँ कि मेरा विधानसभा क्षेत्र जो नागदा जंक्शन से महिदपुर रोड 16 किलोमीटर है.बहुत बड़ा कस्बा महिदपुर रोड है उसको गोगापुर भी बोलते हैं वहाँ पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है और वहाँ लगभग 30-35 गाँवों का क्षेत्र लगता है. मैं चाहता हूं कि उस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तब्दील कर दिया जाये. साथ ही मेरा एक सुझाव है कि आपने उप स्वास्थ्य केंद्र जो खोले, वह जहाँ खुलना चाहिए थे उस स्थान पर ना खुलकर दूसरे स्थान पर खोल दिये गये हैं. मैं आग्रह करना चाहता हूं कि उसमें मैं करेक्शन चाहता हूं, मैं आपको लिखकर उसके विषय में दे दूंगा.एक अंतिम सुझाव मेरा यह है हमारा शासकीय हास्पिटल, हमारी शासकीय ओटी को आप बहुत अच्छी बनाये और वहाँ हम डॉक्टर्स को हायर करे और उसका बिलिंग प्राइवेट हास्पिटल की तरह करें तो उससे हमारी आय का स्त्रोत भी होगा और सरकारी अस्पतालों के प्रति आम आदमी की भावना बढ़ेगी. यह प्रयोग निश्चित रूप से करना चाहिए और मध्यप्रदेश में उज्जैन के सरकारी हास्पिटल में कैंसर को लेकर महत्वपूर्ण काम किया गया है, वहाँ पर पहली एक्टिव केयर स्थापित की गई है.अध्यक्ष महोदय, मैं इसके लिए आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देते हुए मेरी बात को समाप्त करता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- लगभग 15-16 सदस्य इस पर बोल चुके हैं और अभी 20 नाम और शेष हैं इनके अलावा 3 नाम अभी और आये हैं और हमारे दरबार अलग कह रहे हैं कि एक मिनट दे देई तो यदि आप अनुमति दें तो आप सदस्य लोग माननीय मंत्री जी को लिखकर दे दें और मंत्री जी उसी गंभीरता से लेंगे जिस गंभीरता से आपके बोलने पर लेते हैं और उनका वक्तव्य शुरु करा सके,आपका क्या कहना है? (माननीय सदस्यों द्वारा 2-2 मिनट बोलने की अनुमति माँगने पर) चूंकि काँग्रेस विधायक दल की बैठक 7.30 बजे हैं. नहीं तो हम इस पर समय बढ़ा देते फिर और भी विभाग हैं.
नेता प्रतिपक्ष (श्री अजय सिंह)-- अध्यक्ष महोदय, यदि हम लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो और विभागों पर चर्चा हो पाएगी तो उचित यह होगा कि इसको कल के लिए ले लिया जाये.
अध्यक्ष महोदय-- 23 तारीख तक का हमारे पास समय है.कल 4 विषय हैं. होता यह है कि जो नाम पहले से रहते हैं उसके बाद में 5-6 नाम फिर और आ जाते हैं तो यह अंतरहित हो जाता है. मेरा दलों के नेताओं और उनके मुख्य सचेतक से भी अनुरोध है कि वह कृपा कर के इसको भी सीमित करें. वैसे अब सदस्य मर्यादा में कम बोल रहे हैं इसके लिए मैं उनका आभारी भी हूँ. मंत्री जी, आप इस पर कुछ कहेंगे?
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री(श्री रुस्तम सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, हम तो आपके हर निर्देश का अक्षरशः पालन करेंगे जो आप निर्देश देंगे.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में हम समय निर्धारित करते हैं, आपके निर्देश पर, आपके आदेश पर, आपकी व्यवस्था के अनुसार हम सभी लोग उसका पालन करते हैं. अध्यक्ष महोदय, कल जिन विभागों की आपने माँग आपने रखी थीं. हमने अक्षरशः आपके आदेश को माना है और तीनों विभागों की माँगें कल पारित हुई थीं. मैं चाहता हूं कि शेड्यूल के हिसाब से पूरी कार्यवाही चले.
अध्यक्ष महोदय-- स्वास्थ्य विभाग के लिए 2 घंटे दिये थे 5.30 बजे इस पर चर्चा शुरु हुई है तो अभी आधा घंटा है बचा है वैसे किन्तु कांग्रेस विधायक दल की बैठक 7.30 बजे से है और इसीलिए इसको 7.00 बजे समाप्त कर रहे थे.
श्री अजय सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि आप यह सुनिश्चित करें कि मंत्री जी का जवाब भी 7.25 तक हो जाये तो ठीक है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी का जवाब हो जाएगा यदि अभी से प्रारंभ करा देंगे.माननीय मंत्री जी, आप 7.25 तक समाप्त कर देंगे?
श्री गोपाल भार्गव -- अध्यक्ष जी, आपने बहुत अच्छी व्यवस्था दी है कि माननीय सदस्य लिखकर दे दें तो मेरा मानना है कि वह और ज्यादा कारगर होगा.
श्री शंकरलाल तिवारी - माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायकों से सुझाव ले लिया जाए, माननीय भार्गव जी तो मंत्री हैं वे अपना सब कार्य करवा लेंगे. कल इस विभाग को ले लिया जाए और हम लोगों को अपनी मांगें तो बोल लेने दिया जाए.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सत्ता पक्ष के विधायक साथियों से अनुरोध है कि आप लोग लिखित में दे दीजिए और हमारे पक्ष वाले दो-चार सदस्य बोल लें.
श्री शंकरलाल तिवारी -- यह तो गड़बड़ है, यह गड़बड़ न करो. (हंसी)
श्री गोपाल भार्गव -- पूरे अखबारों में एक कॉलम में निपट जाओगे, काहे के लिए आप ऐसा कर रहे हो, इसलिए सबसे अच्छा यही है कि लिखकर दे दो.
अध्यक्ष महोदय -- आज विपक्षी दल की ओर से 2-3 माननीय सदस्यों के नाम बुला लेते हैं और 7.30 बजे तक यहाँ बैठेंगे, जितना हो जाएगा उतना कर लेंगे, परंतु कल सिर्फ माननीय मंत्री जी बोलेंगे.
श्री रुस्तम सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपका जो निर्देश होगा, हम तो उसका पालन करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- कल फर्स्ट ऑवर में जब मांगों पर चर्चा प्रारंभ होगी तो माननीय मंत्री जी बोलेंगे, माननीय सदस्य अभी दो-दो मिनट में अपनी बात कह लेंगे.
श्री दिलीप सिंह परिहार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ठीक है.
श्री गोपाल भार्गव -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी तो पहले पुलिस में रहे हैं, पूरा अनुशासन मानेंगे जो आप निर्देश करेंगे.
श्री हरदीप सिंह डंग (सुवासरा) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले सत्र में माननीय शरद जी जैन द्वारा क्यामपुर में दो डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टॉफ और 10 बिस्तर के अस्पताल की घोषणा की गई थी, लेकिन इसका अभी तक कोई पालन नहीं हुआ है तो इसका पालन कराया जाए. सुवासरा जो मुख्यालय है वहाँ पर अभी भी एन.आर.सी. की कोई व्यवस्था नहीं है जबकि वहाँ पर कुपोषण सबसे ज्यादा है. श्यामगढ़ में दो साल से सोनोग्राफी मशीन है लेकिन वह प्रारंभ नहीं हो पा रही है इसके लिए भी गंभीरता से सोचा जाए. सुवासरा और सीतामऊ में डिजीटल एक्स-रे मशीन की मांग कई बार की गई है लेकिन वह अभी भी उपलब्ध नहीं है तो कृपया इसकी व्यवस्था की जाए. कई दिनों से क्षेत्रवासियों की मांग रूणिजा में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की स्थापना की है तो इस मांग को भी पूरा किया जाए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा एक महत्वपूर्ण सुझाव यह है कि जिस तरह से कोर्ट में जज का आवास रहता है उसी तरह से जहाँ पर हॉस्पिटल है वहाँ पर परिसर में डॉक्टर का बंगला और पूरे स्टॉफ के लिए भी आवास गृह बनाए जाएं ताकि वे लोग वहीं रहें, क्योंकि कई दुर्घटनाएँ रात्रि में होती हैं तो अगर डॉक्टर के आवास हॉस्पिटल के पास में ही रहेंगे तो डॉक्टर वहाँ पर तुरंत उपलब्ध हो सकते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में तथा सुवासरा और सीतामऊ में महिला डॉक्टर्स की जो कमी है तो जल्दी से जल्दी उनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जाए. हमारे यहाँ पर 27 दुकानें रोगी कल्याण समिति के रुपयों से बनी हुई हैं जो करोड़ों की हैं, अगर उनकी नीलामी हो जाती है तो 10 करोड़ रुपये सरकार को मिलेंगे और 10 करोड़ रुपये से हमारे हॉस्पिटल में हम प्राइवेट डॉक्टर्स भी रख सकते हैं, वाहन भी उपलब्ध करा सकते हैं और मशीनें भी खरीद सकते हैं. अत: मेरा कहना है कि 27 दुकानें जो हमने लाखों रुपये लगाकर बनाई हैं उनकी नीलामी की कार्यवाही हमें शीघ्र करने दी जाए जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि हो सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रात्रिकालीन डॉक्टर्स की व्यवस्था नहीं हो पाती है, अनिवार्य रूप से रात्रिकालीन डॉक्टर्स अस्पताल में उपस्थित रहें, यह हमारी एक और मांग है.
अध्यक्ष महोदय, उप-स्वास्थ्य केन्द्रों की जो स्वीकृति हुई थी वह आज तक प्रारंभ नहीं हो पाए हैं इसलिए मेरा निवेदन है कि जल्दी से जल्दी उनको भी प्रारंभ किया जाए. साथ ही सभी अस्पतालों में राज्य बीमारी सहायता से संबंधित एक सूची टांगी जाए कि कौन-सी बीमारी चिह्नित है जिसकी राज्य बीमारी सहायता के अंतर्गत राशि मिल सकती है और किस अस्पताल से एस्टीमेट बने क्योंकि मरीज को यह पता नहीं रहता है और वह सब अस्पतालों में चक्कर काटता रहता है कि मैं किस अस्पताल में जाऊँ. इसलिए विशेष कर वे सूचियाँ टांगी जाएं कि किस बीमारी के लिए कौन सा अस्पताल अधिकृत है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री मुरलीधर पाटीदार(सुसनेर):- अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या -19 के प्रस्ताव का समर्थन करता हूं.
मेरा मंत्री जी से आग्रह है कि मेरे विधान सभा क्षेत्र सुसनेर शहर और नलखेड़ा शहर में जो अस्पताल हैं उसको सिविल अस्पताल का दर्जा दिया जाये. अभी वहां पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है. अभी यहां पर चार-चार सौ और पांच-पांच सौ की ओपीडी है, वहां पर बड़ी दिक्कत आती है. दूसरा ग्राम पचलाना, लटूरीखेगेहलोत, मोल्याखेड़ी, देहरिसासुसनेन, अन्नालिया, आकली, बुरलाया, बपनावद एवं अलोरिया में भी नवीन स्वास्थ्य केन्द्र प्रारंभ किये जाये. ग्राम मोड़ी, डोंगरगांवसोयत के उप स्वास्थ्य केन्द्रों को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में परिवर्तित किया जाये. सोयतकलां के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रोन्नत किया जाये. मेरी पुरी सुसनेर विधान सभा में मात्र चार डाक्टर हैं और 3.50 लाख की जनसंख्या है. आप अंदाजा लगा लो उसी तारतम्य में मैं, आपसे आग्रह कर रहा हूं कि हमारे यहां पर बी.डी.एस डाक्टर बहुत हैं, उन बी.डी.एस डाक्टरों को भी अनुमति दी जाये. मेरा आपसे एक और आग्रह है कि अस्सी प्रतिशत जनसंख्या का इलाज जिनको हम झोला छाप (आर.एम.पी) कहते हैं, सब लोग उनको परेशान करते हैं. उनको भी ट्रेनिंग करवाकर इलाज करने की अनुमति दी जाये. कम से कम वह मलेरिया, क्लोरोक्वीन का इंजेक्शन तो लगाते हैं. वास्तव में इलाज तो वही कर रहे हैं, हम उनको झोला छाप कहकर उनका अपमान करते हैं. मेरा आपसे आग्रह है कि विभाग इस पर गंभीरता से चिंतन करे. दूसरा यह कि आगर जिला बना ,जिला चिकित्सालय बना है और मेरे यहां एक ही डाक्टर था उसको भी वहां से जिला चिकित्सालय में ले गये. मेरा विभाग से आग्रह है कि हमारे यहां पर डॉक्टर परमार है उसको वापस भेजा जाये. चार बार मुख्यमंत्री से लिखवाकर दे चुका हूं. परन्तु कोई सुनने को तैयार नहीं है. आपने बोलने के लिये समय दिया धन्यवाद.
श्रीमती चन्दा सुरेन्द्र सिंह गौर (खरगापुर):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या -19 के विरोध में अपनी बात रख रही हूं.
अध्यक्ष महोदय, मेरी खरगापुर विधान सभा में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बल्देवगढ़, खरगापुर की बड़ी खराब हालत है. अभी कुछ दिन पहले एक्सपायर दवाईयां पकड़ी गयी थीं. वहां पर गंदगी का तो अंबार लगा रहता है. खरगापुर अस्पताल में डाक्टर नहीं है और बल्देवगढ़ में डाक्टरों की कमी के साथ वहां पर महिला डॉक्टर भी नहीं है. अध्यक्ष महोदय,मैं आपके से मंत्री जी से बोलना चाहती हूं कि बल्लूगढ़ में महिला डाक्टर और खरगापुर में डॉक्टर की जल्दी पूर्ति करें. मंत्री जी तो हमारे जिला टीकमगढ़ के प्रभारी मंत्री भी हैं. मैं मंत्री जी से अनुरोध करती हूं और कहना चाहती हूं कि स्वास्थ्य विभाग में गड़बड़ी, जनता भोगे पीर और कहते हैं कि जनता कैसे रखे धीर. आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री अनिल जैन (निवाड़ी):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अपनी बात करना चाहता हूं कि जहां तक स्वास्थ्य विभाग की बात करें तो माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और स्वास्थ्य मंत्री जी ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेक योजनाएं संचालित की और अध्यक्ष जी हमारी सरकार ने जिला स्तर पर भी स्वास्थ्य शिविर लगाये हुए हैं, गंभीर से गंभीर बीमारियों को चिन्हित करके उनके उपचार की व्यवस्था भी करायी है. हमारे यहां पर राज्य बीमारी सहायता निधि से भी कई लोगों का निशुल्क इलाज कराया, वह आज पूर्णत: स्वस्थ्य है. उनकी और से मैं आपको और माननीय मुख्यमंत्री जी को मैं हृदय से बधाई देता हूं.
माननीय अध्यक्ष जी, हमने कभी भी नहीं सुना था कि ट्रेनों में भी इलाज होगा आज हमारे टीगमगढ़ जिले में लाईफ लाईन एक्सप्रेस ट्रेन से रेलवे स्टेशन पर निशुल्क इलाज कर रही है. गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज हो रहा है. वह आज सरकार को दुआएं दे रहे हैं. ऐसी स्वास्थ्य की अनेकों योजनाएं संचालित हैं. स्वास्थ्य की संपूर्ण सेवा होने के बाद भी हमारे यहां कुछ कमियां हैं जिन्हें ठीक करने की आवश्यकता है, जैसे ओरछा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को स्वतंत्र स्वास्थ्य केन्द्र बनाया जाये, निवाड़ी सामुदायिक केन्द्र को बी मार्क से सी मार्क किया जाये. उप स्वास्थ्य केन्द्र पुछी करगुंआ को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र किया जाये. यह उप स्वास्थ्य केन्द्र पुछी करगुंआ मुख्यमंत्री की घोषणा में भी शामिल है और मंत्री जी से भी अनुरोध है कि और मेरे जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं. आप मेरी मांगों को प्राथमिकता पर लेते हुए निश्चित रूप से आज स्वीकृति प्रदान करेंगे. आपने बोलने का समय दिया, धन्यवाद.
श्री यादवेन्द्र सिंह ( नागौद ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं अपने क्षेत्र के बारे में कुछ निवेदन करना चाहता हूं. हमारे यहां पर नागौद सबसे बड़ा विकास खण्ड है. इसमें 93 नगर पंचायतें हैं. आजादी के बाद में यह पहले भी जिला रह चुका है. मैं चाहता हूं कि हमारे यहां पर 30 बिस्तर का अस्पताल बहुत दिनों से चल रहा है. अगर वह 100 बिस्तर का अस्पताल नहीं हो सकता है तो 60 बिस्तर का तो कम से कम हो जाय. इसी तरह से उचेहरा है वहां पर जितने भी ब्लाक हैं सभी में 100 बिस्तर के अस्पताल हो चुके हैं. इसी तरह से अटरा में स्वास्थ्य केन्द्र हो जाता, अभी वहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है. मेरी यही मांग है आपसे बाकी पिछले साल मैंने कहा था सतना में मेडीकल कालेज खुल जाय. लेकिन शहडोल में उस समय सांसद जी का निधन हो गया तो शहडोल में चुनाव के समय मेडीकल कालेज खुल गया था. सतना में जमीन आरक्षित है तो सतना में मेडीकल कालेज खोल दिया जाय, क्या सतना में कोई मर जायेगा तब ही वहां पर मेडीकल कालेज खुलेगा. मैं यह ही अनुरोध कर रहा हूं जिंदा रहने पर भी मेडीकल कालेज खुलवा दें. वहां पर मुख्यमंत्री जी की घोषणा भी है और जमीन भी आरक्षित पड़ी है. अध्यक्ष महोदय आपने बोलने के लिए समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती सरस्वती सिंह ( चितरंगी ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19 का विरोध करती हूं और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करती हूं. मैं अपने विधान सभा चितरंगी के बारे में माननीय मंत्री जी से मांग रखना चाहती हूं. मेरे चितरंगी विधान सभा क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बना हुआ है वह 30 बिस्तर का रिकार्ड में लिखा गया है वहां पर 30 बिस्तर न होते हुए 10 बिस्तर ही हैं. जब वहां पर मरीजों की संख्या बढ़ जाती है तो हर बिस्तर पर दो मरीज लिटा दिये जाते हैं. मेरे बगदहरा क्षेत्र और बेरदा क्षेत्र में ग्राम पंचायत है वहां पर चीर घर ( पोस्टमार्टम हाऊस) नहीं बनाया गया है. जब किसी का पोस्टमार्टम किया जाता है तो खुले आसमान के नीचे लिटाकर उसका पोस्टमार्टम किया जाता है. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि आज ही इस विधान सभा के अंदर घोषणा कर दें ताकि वहां पर चीर घर बनाया जा सके. इसी तरह से मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र नवडिब्हा में बना हुआ है जो 30 बिस्तर का बना हुआ है लेकिन वहां पर लाईट और पानी की व्यवस्था नहीं है. मैं चाहती हूं कि इसकी भी वहां पर तत्काल व्यवस्था कराई जाय. इसी तरह से स्वास्थ्य केन्द्र हर पंचायतों में बनाये गये हैं लेकिन वहां पर एएनएम न होने के कारण, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी न होने के कारण वह जर्जर स्थिति में आ गये हैं, गिरने की स्थिति में आ गये हैं. मैं चाहती हूं कि वहां पर तत्काल एएनएम या डॉक्टर की व्यवस्था करवाकर उसको शुरू करवाया जाय. जो सफाई कर्मी ठेकेदार के द्वारा रखे जाते हैं उनको 2 - 2 और 4 - 4 माह में निकाल दिया जाता है. उनको रखने की सीमा 2 या चार वर्ष रखी जाय. मेरी विधान सभा की यह ही आवश्यकता है मैं चाहती हूं कि इसको पूर्ण किया जाय.
श्री दिलीप सिंह शेखावत( नागदा खाचरोद) -- अध्यक्ष महोदय मैं मेरी विधान सभा की समस्याओं को मंत्री जी के सामने रखना चाहता हूं. एक तो खाचरोद बहुत पुरानी तहसील है 30 हजार खाचरौद की आबादी है और लगभग 70 गांव उस तहसील में हैं. लेकिन वहां पर दो ही डॉक्टर हैं अगर आप डॉक्टरों की नियुक्ति करेंगे तो अच्छा होगा. उन्हेल में एक ब्लाक मेडीकल आफिस है. खाचरोद और नागदा उससे बड़ा है. नागदा में अगर ब्लाक मेडीकल आफिस का हेड क्वार्टर बना दिया जायेगा तो ठीक होगा. पूर्व में श्रीमती गौरी सिंह जी प्रमुख सचिव नागदा गईं थीं और उन्होंने स्वयं ने देखा है कि नागदा का अस्पताल 1960 में बना था और नागदा फाइबर के क्षेत्र में एशिया का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है. उस अस्पताल के भवन के लिए माननीय मंत्री जी घोषणा करेंगे तो ठीक होगा. मैंने सीएसआर फण्ड से नागदा में डायलिसिस मशीन ले ली है वह मशीन अभी हमें लगाना है लेकिन अगर आप एक्सपर्ट की व्यवस्था दो दिन के लिए कर देंगे तो हम वह मशीन लगवा लेंगे.
अध्यक्ष महोदय एक निवेदन और करना चाहता हूं कि पूर्व में 11 उप स्वास्थ्य केन्द्र स्वीकृत हुए थे उनको अगर जल्द से जल्द प्रारम्भ करा देंगे तो ठीक होगा. चापाखेड़ा और मड़ावदा में उपस्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्थाएं ठीक करेंगे तो अच्छा होगा. एक आग्रह अंत में करते हुए अपनी बात को समाप्त करूंगा. नागदा और खाचरोद दोनों जगह पर महिला डॉक्टर नहीं है और उसके कारण बहुत ज्यादा समस्या रहती है. मैं इसके बारे में पूर्व में भी निवेदन कर चुका हूं. माननीय मंत्री जी ने ध्यानाकर्षण में थैलेसिमिया बीमारी का जो पूरे मध्यप्रदेश में नि:शुल्क इलाज की घोषणा की थी उसके लिए उनको धन्यवाद देता हूं. आपने बोलने के लिए समय दिया धन्यवाद्.
सुश्री हिना लिखीराम कांवरे (लांजी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें कहीं कोई दो राय की बात नहीं है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में आम जनों का विश्वास शासकीय औषधालयों के प्रति बढ़ा है (मेजों की थपथपाहट). इसका कारण यह है कि यूपीए के शासन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की योजनाओं के चलते यह विश्वास बढ़ा है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बालाघाट का जो हमारा जिला अस्पताल है वहां गई थी. मैंने देखा है कि कई बार प्रसव के बाद महिलाएं और बच्चे ये दोनों अस्पताल के बरामदे में बेड लगा हुआ होता है और उसके बगल में बच्चे सोये रहते हैं और वहीं उनकी माताएं भी सोयी रहती हैं. आप बताईये कि ऐसे में उनको संक्रमण होने से कौन बचा सकता है. मैं अच्छे से जानती हूं कि केंद्र सरकार ने समय-समय पर राज्य शासन को यह निर्देशित किया है कि मध्यप्रदेश में प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु दर और मातृ शिशु दर इन दोनों की मृत्यु की संख्या अन्य राज्यों की अपेक्षा मध्यप्रदेश की बहुत ज्यादा है. केंद्र सरकार ने राज्य शासन को बार बार निर्देशित किया है कि प्रायवेट डॉक्टर्स की मदद लें या प्रायवेट अस्पताल की मदद से इन सबको नियंत्रित करें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि जब वह इस सदन में अपना वक्तव्य दें तो हमारे बालाघाट का जिला अस्पताल 300 बिस्तरों का है, उसे 500 बिस्तरों का करने की घोषणा करें. माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात मैं यह कहना चाहती हूं कि राज्य बीमारी सहायता के तहत जो पुराने प्रकरण हैं, अभी तक उनके बिल लंबित हैं और इस वजह से नये प्रकरणों को पूरा करने के लिये जो डॉक्टर्स हैं वह कतराते हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय मैं एक बात और कहना चाहती हूं कि राज्य बीमारी सहायता का जो एग्रीमेंट मध्यप्रदेश सरकार का है, हमारे यहां चूंकि बालाघाट से नागपुर बहुत करीब पड़ता है. नागपुर के कई अस्पताल ऐसे हैं, जिनसे राज्य बीमारी सहायता के तहत एग्रीमेंट हुआ है और उनने कई बीमारियों के नीचे एमाउंट फिक्स कर रखा है. उसके बावजूद भी कई बार यह देखने में आया है कि कई बार मरीजों को अस्पताल में परेशान किया जाता है. कई बार उनसे कहा जाता है कि बीस हजार आपको ज्यादा लगेंगे, कई बार कहा जाता है कि तीस हजार आपको ज्यादा लगेंगे. इस तरह की बातें अकसर गरीबों के साथ आती हैं. जो लोग गरीब होते हैं वह अस्पताल में आने जाने के लिये खर्चा भी बड़ी मुश्किल से जुटा पाते हैं. वह गरीब लोग वहां रहने की व्यवस्था भी वह बहुत मुश्किल से जुटा पाते हैं. ऐसी स्थिति में यदि उनसे इस तरह से पैसे लिये जायेंगे तो वह कैसे अपना ईलाज करा पायेंगे, इसका समाधान माननीय मंत्री जी को निश्चित रूप से करना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अंत में बैठने से पहले मैं एक बात कहना चाहती हूं कि हमारे बालाघाट में रेडक्रास है, रेडक्रास का उपयोग निश्चित रूप से प्राकृतिक आपदा के समय, दुर्घटना के समय या ऐसी कोई बीमारी फैल जाये, तो उस समय उसका उपयोग होना चाहिए. बालाघाट जिले के कलेक्टर व्यक्तिगत रूप से कई लोगों को दो हजार रूपये, तीन हजार रूपये, पांच हजार रूपये के चेक बांट रहे हैं. माननीय मंत्री जी इस पर बहुत ज्यादा ध्यान दें और भविष्य में इस तरह की गलती न हो इस बात का विशेष ध्यान दें. आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री दिलीप सिंह परिहार(नीमच) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19 का समर्थन करता हूं. नीमच जिले में जहां पटवा जी और सखलेचा जी का गृहनगर रहा है वहां माननीय स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री ने ट्रामा सेंटर दिया है, उसका शुभारंभ नहीं हुआ है. मैं माननीय मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि अब वहां एक्यूपमेंट आ गये हैं आप वहां पधारे मैं आपको निमंत्रण देता हूं कि आप वहां आकर यह सौगात दे दें.
माननीय अध्यक्ष महोदय,आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है और इस महिला दिवस के अवसर पर मैं आपसे मांग करता हूं कि नीमच जिले में महिला डॉक्टर्स की कमी है, आप उस कमी की भी आज पूर्ति कर दें.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी तहसील जीरन में आपने स्वास्थ्य की बिल्डिंग दी है, परंतु वहां भी डॉक्टर्स की कमी है. आपसे यह भी निवेदन है कि वह तहसील स्थान होने की वजह से और वह आदिवासी ईलाका भी है, इसलिए आप वहां पर भी डॉक्टर्स की व्यवस्था कर दें. आपसे इतना ही निवेदन है कि जहां मैं स्वयं रहता हूं नीमच सिटी वहां पुरानी बस्ती है और लगभग पंद्रह हजार लोग निवास करते हैं, आपने वहां स्वास्थ्य केंद्र दिया है. वहां यदि बिल्डिंग की व्यवस्था कर देंगे तो मैं आपका बहुत आभारी रहूंगा.घसूंडी जंगीर जो आदिवासी क्षेत्र है और मां भादवा माता का स्थान है. लाखों लोग वहां आते हैं, लेकिन वहां उप स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से जो लोग वहां मां के दर्शन आते हैं और जिन लोगों को लखवा मार जाता है और जो वहां रहते हैं, उन्हें उपस्वास्थ्य केंद्र की वहां आवश्यकता है. तो मेरा आपसे निवेदन है कि मां भादवा माता के स्थान पर और जो बघाना पुराना है वहां भी उप स्वास्थ्य केन्द्र की घोषणा कर दें. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोलने के लिए भी बोरदियाकलां और बीसलवास में डॉक्टर और एएनएम की कमी है उसे आप पूरा कर दें. मैं जब वर्ष 2003 में विधायक बना था, उस समय सांसद और हमने, डॉ. पांडे साहब ने एक एम्बुलेंस वहां पर दी थी तो आपसे निवेदन है कि 9 साल से एक भी एम्बुलेंस जिला स्थान पर नहीं आई है तो आप तत्काल एक एम्बुलेंस की व्यवस्था कर दें. नवजात शिशु गहन चिकित्सा की व्यवस्था आपने नीमच जिला स्थान पर अच्छी की है, इसके लिए भी धन्यवाद देता हूं. एक चिताखेड़ा में जहां आदिवासी बंधू रहते हैं, वहां पर जो बिल्डिंग दी है, वहां डॉक्टर और एएनएम भेजकर उसको प्रारंभ करा दें. इस अवसर पर आपसे यही निवेदन है कि ट्रामा सेंटर को आप जल्दी से जल्दी प्रारंभ कर दें. नीमच जिला एक बहुत बड़ा केन्द्र है. आज मुख्यमंत्री जी से सारे विधायक और सांसद महोदय मिले थे. राजस्थान मेरे नीमच के बिल्कुल पास में लगा हुआ है, मगर कोई भी मरीज वहां पर जाता है तो उससे 750 रुपए लेते हैं तो आप वहां मुख्यमंत्री जी और स्वास्थ्य मंत्री जी से बात करें कि यदि कोई भी बीमार और दीन-दुःखी आता है उस राशि की माफी करें. झालरी और कनावटी में भी बिल्डिंग देने की कृपा करें. अध्यक्ष महोदय, मैं बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. पूर्व में स्वास्थ्य मंत्री श्री सुभाष सोजतिया रहे, उन्होंने वहां पर कुछ नहीं दिया. जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई, आपने सब कुछ दिया. मैं पुनः आपके लिए दुआएं करता हूं.
"क्या मार सकेगी मौत उसे
औरों के लिए जो जीता है,
मिलता है जहां का प्यार उसे,
जो गरीब के आंसू पीता है."
अध्यक्ष महोदय, हमारी सरकार गरीबों के आंसू पी रही है. दीन-दुखियों के लिए अनेक योजनाएं चलाई हैं. आपने जो बोलने का अवसर दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
डॉ. रामकिशोर दोगने (हरदा) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19 के विरोध में और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. यह जो स्वास्थ्य विभाग है और रेलवे का विभाग पहले सरकार ने सेवा के लिए ही चलाया था, जिसे पेट की व्यवस्था लोग कह रहे हैं, वह नहीं होना चाहिए क्योंकि यह विभाग सिर्फ सेवा के लिए रखा गया है. इससे जनता की सेवा ही होना चाहिए. बहुत सारे टैक्स और बहुत सारी व्यवस्थाएं सरकार के पास इन विभागों को चलाने के लिए है, इसलिए इसमें किसी प्रकार के इनकम की बात नहीं होना चाहिए. इसमें सिर्फ सेवा की बात होना चाहिए. यह सेवा का ही पैसा है. इसके साथ ही मैं आपको बताना चाहता हूं. अपने क्षेत्र में आना चाहता हूं. बातें बहुत सारी हैं, बहुत सारी बातें करनी थी. प्रदेश में स्वास्थ्य की बहुत समस्याएं हैं परन्तु मैं अपने क्षेत्र पर आ रहा हूं कि हरदा जिला जो है वह सेंटर में आता है और वहां से दो-दो नेशनल हाईवे निकल रहे हैं. वहां पर रोज एक्सीडेंट होते हैं, घटनाएं होती हैं, इसलिए वहां का जो जिला अस्पताल है, उसकी सुविधाएं बढा़ई जाएं. वहां डॉक्टर्स नहीं है, दूसरी सुविधाएं नहीं हैं. एमआरआई मशीन नहीं चल रही है. डायलिसिस की मशीन नहीं है. इसके साथ ही सिटी स्कीन भी नहीं है क्योंकि वहां पर टेक्नीशियन उपलब्ध नहीं होने के कारण यहां ये सब चीजें नहीं हो पाती हैं तो वहां पर उनको रखा जाय क्योंकि अभी नमामि देवी नर्मदा यात्रा चल रही है और हरदा का हंडिया जो है, जो नाभि कुंड कहलाता है या जो नर्मदा जी का सेंटर कहलाता है तो वहां पर ये व्यवस्थाएं होंगी तो अच्छा रहेगा क्योंकि वह तीर्थ स्थल भी है. वहां पर अमावस्या के दिन 1-1, 2-2 लाख लोग नहाने आते हैं. वहां भी बहुत सारी घटनाएं होती हैं, इसलिए अस्पताल की व्यवस्था की जाएगी और उसको 300 बेड का अस्पताल कर दिया जाए. मेरा तो निवेदन है कि पूरे जिला स्तर पर मेडीकल कालेज खोल दिया जाना चाहिए, जिससे डॉक्टर्स भी उपलब्ध हो सकते हैं और सेवा भी मिल पाएगी. 300 बेड का अस्पताल सभी जिलों में हो जाय. हरदा में भी इसे कर दें और हरदा में मेडीकल कालेज खोल दें तो बहुत अच्छा रहेगा. यह मैं मंत्री जी से मांग करना चाहता हूं. मेरे यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खिरकिया और हंडिया है, वहां पर भी व्यवस्था नहीं है, डॉक्टर्स की व्यवस्था नहीं है, वार्ड बॉय की, नर्सों की व्यवस्था नहीं है तो वहां पर इनकी सुविधाएं करेंगे तो बहुत अच्छा रहेगा.
अध्यक्ष महोदय, इसके साथ ही बताना चाहता हूं कि मेरे विधान सभा क्षेत्र में मगरधा, मोरगढ़ी और नयापुरा, ये तीन ऐसे सेंटर हैं जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की नितांत आवश्यकता है. यह आदिवासी क्षेत्र है और वहां 40-50 गांव लगे हुए हैं, उनको इलाज के लिए दूर जाना पड़ता है तो प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र वहां खोलेंगे तो अच्छा रहेगा. इसी के साथ मेरा एक निवेदन और है कि एलोपैथी डॉक्टर्स की जो कमी हो रही है तो उसके साथ में आयुर्वेदिक और यूनानी डॉक्टर्स को परमीशन दी जा रही है, उसके साथ हौम्योपैथी डॉक्टर्स को भी परमीशन देना चाहिए, क्योंकि वह भी डॉक्टर है, वह भी वह कोर्स करता है. अगर आप आयुर्वेदिक और यूनानी डॉक्टर्स को परमीशन दे रहे हैं तो उनको भी परमीशन देना चाहिए और जैसे श्री मुरलीधर पाटीदार जी ने कहा है मैं बिल्कुल सहमत हूं कि आरएमपी डॉक्टर्स जो इलाज कर रहे हैं. 80 प्रतिशत प्रदेश और देश में इलाज कर रहे हैं तो उनको भी परमीशन देना चाहिए. इसके साथ एक निवेदन करना चाहूंगा कि हमारे यहां जो ब्लड बैंक है. यह बहुत अच्छी बात है. हमारे यहां खिरकिया में महिलाओं द्वारा ब्लड दिया जाता है और हर महीने दिया जाता है. महिलाएं वहां पर ब्लड दे रही हैं तो इस तरह से सभी जिलों में माहौल बनेगा. हमारे लायंस क्लब और इसके माध्यम से खिरकिया में ब्लड बैंक में ब्लड देने का कार्यक्रम चल रहा है, उसमें स्वास्थ्य सुविधा की बात हो रही है. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का जो अवसर दिया, उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री सुन्दरलाल तिवारी (गुढ़)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है.
अध्यक्ष महोदय--इसको आज तीन चार बार बोल चुके हैं. आपने एक्ट भी पढ़ लिया है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी--अध्यक्ष महोदय, 54 प्रतिशत से ज्यादा मध्यप्रदेश की महिलाएं एनिमिक हैं. हमारे देश में महिलाओं में रक्त की कमी के मामले में मध्यप्रदेश का छठवां स्थान है. दूसरा हमारा कहना है कि शिशु, मातृ मृत्यु दर मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा है. इसमें भी हम हिन्दुस्तान में नंबर एक में हैं. हमारे से अच्छा बिहार है. हमारे यहां पर 1 हजार में 64 मौतें हो रही हैं. बिहार एवं दूसरे राज्य हमसे बेहतर हैं. हमारे यहां से 1 से 5 साल तक के बच्चे हैं. उनमें से 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों में खून की कमी है, यह वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाईजेशन की रिपोर्ट है. मंत्री जी समय कम है नहीं तो इसके आंकड़े भी प्रस्तुत कर देते. अब इसमें बड़ी आश्चर्य की बात है कि मध्यप्रदेश से पॉडिचेरी और मणिपुर जैसे राज्य हमसे बेहतर स्थिति में हैं तो हमने इसमें जानने की कोशिश की है, जब हमने उसको पढ़ा कि ऐसी स्थिति वहां पर क्या है कि मणिपुर जैसे राज्य मध्यप्रदेश से बेहतर स्थिति में है. तो पता लगा कि वहां पर ज्यादा पढ़े-लिखे डॉक्टर ज्यादा हाई डिग्री लिये एम.डी.अथवा डीएम डॉक्टर नहीं हैं, केवल एम.बी.बी.एस. डॉक्टर हैं और नर्स हैं. वहां के अस्पतालों में केवल एक बात पर विशेष ध्यान दिया जाता है अस्पताल में साफ-सफाई रहे. वहां पर केवल सफाई रहने की वजह से बहुत आगे हो गये हैं. मध्यप्रदेश में गंदगी के मामले में अस्पताल देश में 1 नंबर पर हैं, आप केवल अस्पतालों में गंदगी को दूर कर दें तो मेरा ख्याल है कि हम बेहतर स्थिति में स्वास्थ्य के क्षेत्र में पहुंच जाएंगे. इसको आप देख लें.आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री लखन पटेल (पथरिया)--माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने के समय दिया इसके लिये धन्यवाद. समय का अभाव है दो तीन बातें का जिक्र करके अपनी बात को समाप्त करूंगा. मेरे विधान सभा क्षेत्र में ग्राम कीर बना है जिसमें माननीय मुख्यमंत्री जी जब दौरे पर गये थे तो उन्होंने 30 बिस्तरों के अस्पताल की घोषणा की थी कृपया उसको पूरा करवाएं. मैं दो सुझाव देना चाहता हूं. एक हर बार यह बात आती है कि डॉक्टरों की कमी है और तारतम्य में आयुर्वेदिक एवं यूनानी के डॉक्टरों को लिया है. मेरे मित्र दोगने जी ने कहा कि बीएचएमएस वालों को लिया जाये. मेरा अनुरोध है कि बीडीएस डॉक्टर बहुत सारे प्रदेश में बेरोजगार हैं आज पूरे प्रदेश में डॉक्टरों की कमी है. अगर उनको भी प्रशिक्षण देकर के हम ग्रामीण क्षेत्र में पोस्ट करेंगे तो मुझे लगता है कि इस संबंध में समस्या का बहुत जल्दी निदान हो जाएगा. इसी प्रकार से स्त्री रोग विशेषज्ञ बहुत ज्यादा प्रदेश में उपलब्ध नहीं हैं. मेरा अनुरोध है कि जो सीनियर नर्स हैं जिनके 15 से 20 साल का अनुभव है अगर उनको प्रशिक्षण देकर हम अगर उनसे काम कराएंगे तो मुझे लगता है कि समस्या का निदान बहुत जल्दी हो सकता है.
श्री रामलाल रौतेल( अनूपपुर)-- अध्यक्ष महोदय,मध्यप्रदेश की जनहितैषी और संवेदनशील सरकार ने मप्र के स्वस्थ्य अवधारणा को साकार करने के लिए अनेक योजनाएं संचालित की है. हमारे पूर्व साथियों ने उसका उल्लेख किया है.
अध्यक्ष महोदय, मैं अपने विधानसभा क्षेत्र के संबंध में ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं. हमारे यहां जिला चिकित्सालय का भवन नहीं है. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के भवन में यह संचालित हो रहा है. मैंने विधान सभा में अतारांकित प्रश्न किया था जिसमें मुझे जानकारी प्राप्त हुई उसमें कहा गया कि जमीन/भूमि का विवाद है. अध्यक्ष महोदय, वहां किसी भी प्रकार की कोई भूमि का विवाद नहीं है. प्रभावशाली व्यक्ति वहां पर भवन नहीं बनने देता. आपसे अनुरोध है कि इसका भवन बनवाने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र जतैरी जिसमें कुल 6 पद सृजित हैं जिसमें मात्र एक डॉक्टर है. आपसे अनुरोध करना चाहता हूं कि वहां एक महिला चिकित्सक की व्यवस्था की जाए.
अध्यक्ष महोदय, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, खुनगा में भवन बनकर तैयार है, वहां आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए तो बेहतर होगा.
अध्यक्ष महोदय, अनूपपुर जिला चिकित्सालय में क्षय रोग यूनिट को अलग कर दिया जाएगा तो बेहतर होगा. इसके अतिरिक्त ओटी की व्यवस्था ठीकठाक नहीं है. धन्यवाद.
श्री मानवेन्द्र सिंह(महाराजपुर)--अध्यक्ष महोदय, मैं अपने जिले और क्षेत्र की मांग को आपके माध्यम से रखना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, पिछले वर्ष छतरपुर में मेडिकल कॉलेज खुलने का लगभग तय हो गया था लेकिन किन्हीं कारणों से वहां कॉलेज नहीं खुल पाया. मेरा मंत्री जी अनुरोध है कि जो सात नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए उसमें से एक कॉलेज छतरपुर को देने का आश्वासन दिया जाए.
अध्यक्ष महोदय, मेरे यहां ग्रामीण क्षेत्र में 11 भवन स्वीकृत हुए थे जिसमें से एक भवन ही बन पाया है. कुछ भवनों के टेंडर्स हुए हैं, बाकी के नहीं हो पाए हैं. इन भवनों के लिए भी कार्रवाई पूरी की जाए.
अध्यक्ष महोदय, नौगांव में टीबी अस्पताल है उसकी व्यवस्था में सुधार की मांग करते हैं. हमारे महाराजपुर और हरपालपुर में डॉक्टर्स की बहुत कमी है. मैं मंत्री जी से अनुरोध करुंगा की यहां डॉक्टरों की व्यवस्था की जाए. धन्यवाद.
डॉ योगेन्द्र निर्मल(वारासिवनी)--अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्रीजी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं. कैंसर के लिए बहुत सा इलाज उपलब्ध है. पिछले वर्षों तक ट्रांस टू मेब इंजेक्शन जो 13 लगते हैं और कैंसर में यह संजीवनी का काम करते हैं और कैंसर पीड़ित की 5 से 7 वर्ष की उम्र बढ़ा देते हैं. लेकिन यह इंजेक्शन पिछले वर्ष से शासन नहीं दे पा रहा है. मैं मंत्री जी अनुरोध करना चाहता हूं कि यह ट्रांस टू मेब इंजेक्शन शासकीय अस्पतालों में उपलब्ध करा दें.
अध्यक्ष महोदय, मेरा दूसरा निवेदन है कि 1990 से 1992 तक शासकीय अस्पतालों में जनता की एक समिति माननीय पटवा जी ने बनवाई थी उसके बहुत अच्छे रिजल्ट आये थे. माननीय मंत्री जी यदि ऐसी समितियां गठित कर देंगे तो मैं मान कर चलता हूं कि बहुत अच्छे रिजल्ट आयेंगे. धन्यवाद.
श्री आर डी प्रजापति(चन्दला )--अध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र के बारे में बताना चाहता हूं. मेरा क्षेत्र सबसे सुदूर है वहां से 100 किमी छतरपुर आना पड़ता है. मेरा निवेदन है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, चन्दला का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में उन्नयन किया जाए. मेरी विधान सभा चन्दला में डॉक्टर के रहने का आवास नहीं है मेरा निवेदन है कि अस्पताल परिसर में ही डॉक्टरों का क्वार्टर बनवाया जाए.
अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र से करीब 100 किमी दूर एक्स-रे कराने के लिए छतरपुर आना पड़ता है. मेरा क्षेत्र एससी/एसटी का रिजर्व क्षेत्र है. अधिकांश लोग बांदा,महौबा जाते हैं इसलिए वहां पर एक्स-रे मशीन रखवायी जाए तो कृपा होगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे क्षेत्र में डाक्टरों की सबसे ज्यादा कमी है और चंदला में 10 उपस्वास्थ्य केन्द्र हैं लेकिन एक भी डाक्टर नहीं है. यहां तक कि मेरा गांव मुड़ेरी है जहां उप स्वास्थ्य केन्द्र है. मैं वहां से विधायक हूं, मेरा बेटा जिला पंचायत अध्यक्ष है और वहां अस्पताल में ताला लगा रहता है. मैंने कई बार लिखकर दिया. लोग कहते हैं कि आप विधायक भी हो और आपका बेटा जिला पंचायत अध्यक्ष हैं उसके बाद भी यहां डाक्टर नहीं है तो मेरे गांव मुड़ेरी में डाक्टर दिया जाये. चंदला,सरवई,गौरिहार, इन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में पोस्टमार्टम केन्द्र नहीं हैं और खुले में ही पोस्टमार्टम करना पड़ता है. लवकुश नगर में गांव के अन्दर ही पोस्टमार्टम केन्द्र है उसको वहां से बाहर कहीं और स्थानांतरित किया जाये और इन अस्पतालों में पोस्टमार्टम केन्द्र खोले जायें. एक निवेदन और करना चाहता हूं हमारे क्षेत्र में जो सफाई कर्मी हैं उनको जुलाई,2016 से फरवरी,2017 तक, आज तक, पैसे नहीं मिले हैं. उनको पैसे नहीं मिलने से वे गंदगी नहीं उठाते हैं. वहां गंदगी पड़ी रहती है. गरीब आदमी को पैसा नहीं मिलेगा तो वह गंदगी कैसे साफ करेगा. उनको वेतन दिया जाये. होम्योपैथिक डाक्टर और रखे जाने चाहिये. इनके पद भी भरे जायें और मेरे क्षेत्र में डाक्टरों की कमी को पूरा किया जाये. आपने बोलने का मौका दिया. बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सूबेदार सिंह राजौधा(जौरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने सबसे पहले नाम दिया था. माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी ने मेरा नाम पहुंचा दिया. नीचे बैठने वाले लोगों ने मेरा नाम नहीं लिखा. मेरी क्या गल्ती है. अब मैं तो पांच मिनट बोलूंगा कम से कम. अनुमति हो तो ठीक है नहीं तो मैं बैठ जाता हूं.
अध्यक्ष महोदय - नहीं. पांच मिनट नहीं. श्री राजेन्द्र फूलचन्द्र वर्मा. बैठ जाईये आप. सब दो-दो मिनट बोल रहे हैं आप बोल रहे हैं पांच मिनट बोलने दें.
श्री सूबेदार सिंह राजौधा - अध्यक्ष महोदय,ठीक है आपका निर्णय मान्य है. आदरणीय दोगने साहब ने कहा था कि स्वास्थ्य विभाग और रेल विभाग सेवा के लिये होते हैं यह तो आपने ठीक कहा लेकिन आपने एक गल्ती की है, पूरी सरकार सेवा के लिये होती है. हमारी सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में इतने अच्छे काम किये हैं कि उन सेवाओं के कारण दुआओं से ही हमारी सरकार निरंतर चल रही है. मेरे क्षेत्र में इसी बजट में हर्रा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खोले जाने के लिये प्रावधान रखा है इसके लिये मैं माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं और मेरे विधान सभा क्षेत्र के कैलारस में अस्पताल की बिल्डिंग नहीं थी बिल्कुल टूटीफूटी थी. कभी भी मरीजों के साथ दुर्घटना हो सकती थी. मैंने पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जी से मांग की थी तो माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी ने वहां 3 करोड़ 65 लाख की अस्पताल की बिल्डिंग स्वीकृत की है. उसी का अभी भूमिपूजन किया है उसके लिये मैं स्वास्थ्य मंत्री जो को धन्यवाद देता हूं. वैसे मुरैना में माननीय मंत्री जी ने काम करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है. सबलगढ़ में नयी बिल्डिंग बनाने का काम हुआ है. मुरैना जिला अस्पताल को 300 बिस्तरों से बढ़ाकर 600 बिस्तरों का किया है. इसमें हमारे दोनों पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और वर्तमान का योगदान है, उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं. मेरे क्षेत्र में अभी माननीय मुख्यमंत्री जी का दौरा था उसमें तिलावली में प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र खोलने की घोषणा की थी, मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करता हूं कि उस घोषणा को पूरी करें, दूसरा एक कनार गांव जिसे माननीय मंत्री जी ने देखा है, जंगल में है और वहां आदिवासियों की संख्या ज्यादा है और वहां कोई अस्पताल नहीं है, उनको श्योपुर या विजयपुर जाना पड़ता है. मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि कनार में भी नया अस्पताल खोलने का कष्ट करेंगे. मेरे क्षेत्र में बारा नाम का एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र है वहां न तो डॉक्टर है, न वहां बिल्डिंग है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करता हूं कि जो बारा में अस्पताल चल रहा है उसका स्थान बदल करके परसोटा में करें. परसोटा की 3-4 हजार जनसंख्या है, वहां पर हो जायेगा, वहां बिल्डिंग के लिये भी जगह है. मैं समझता हूं माननीय मंत्री जी मेरे सुझावों पर विचार करेंगे. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया. धन्यवाद.
श्री राजेन्द्र फूलचंद वर्मा (सोनकच्छ)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 19 का समर्थन करता हूं, और कटौती प्रस्ताव का विरोध करता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, पहले तो मैं पोस्टमार्टम, कैंसर और तंबाखू को पाठ्यक्रम में शामिल करने वाले विषय पर बोलना चाहता था, चूंकि मेरे पूर्व वक्ताओं ने बोल दिया इसलिये मैं रिपीटेशन न करते हुये सीधे अपने क्षेत्र की मांग पर आना चाहता हूं. आपके माध्यम से मेरा माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि सोनकच्छ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सरकारी जमीन पर सरकारी बिल्डिंग में एक प्राइवेट मेडिकल स्टोर चल रहा है जो कि अवैधानिक है. मेरा आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि वहां पर भोली भाली जनता ठगाती है तो कम से कम वह मेडिकल बंद करने की अपने वक्तव्य में घोषणा कर दें और वर्ष 2008 में माननीय मुख्यमंत्री जी मेरे विधान सभा क्षेत्र के खरेली ग्राम में आये थे वहां पर उन्होंने आयुर्वेदिक औषधालय की घोषणा की थी, वर्ष 2008 से लेकर आज तक वह घोषणा अपूर्ण है, आपके माध्यम से मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि उसको भी पूर्ण कराने का कष्ट करें. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया, अत्यंत कृपाबद्ध होकर आपका धन्यवाद करता हूं, बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे पुष्पराजगढ़ विधान सभा के पहाड़ी इलाकों में उप स्वास्थ्य केन्द्र न होने के कारण लोग झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि ग्राम क्योटार, घोंघरी, धरमदास, ताली और बिजौरी में उपस्वास्थ्य केन्द्र खोले जायें और भवन विहीन उपस्वास्थ्य केन्द्रों में भवन का निर्माण कराया जाये. इनकी सूची लंबी है यदि आपकी अनुमति हो तो मैं माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी को उपलब्ध करा दूं.
अध्यक्ष महोदय-- आपके पास सूची हो तो मंत्री जी को अभी दे दीजिये.
श्री शंकरलाल तिवारी (सतना)-- अध्यक्ष महोदय, सतना जिला अस्पताल में 1500 से 2000 का आउटडोर रहता है, लगभग 7-8 सौ मरीज इनडोर रहते हैं, कम से कम 200 बिस्तरों की बढ़ोत्तरी की जाये. जिला अस्पताल में शाम का आउटडोर नहीं चल पाता उसे भी चलाया जाये. सतना क्षेत्र स्थित धवारी सामुदायिक केन्द्र का उन्नयन कर सिविल अस्पताल कम से कम 30 विस्तरों का बनाया जाये. सतना शहर के उप नगर नई बस्ती एवं टिकुरिया टोला में अर्बन एरिया में स्वास्थ्य केन्द्र पिछले 3 वर्ष पूर्व किराये के भवन में प्रारंभ किये गये थे, कृपया भवन निर्माण की राशि स्वीकृत की जाये तथा इन स्वास्थ केन्द्रों में स्टॉफ की पूर्ति कराई जाये. सतना में न्यूरोसर्जन एवं मनोचिकित्सक का पद रिक्त है, पूरे संभाग में मनोचिकित्सक नहीं है, लोगों को परेशानी है, नियुक्त किया जाये. ट्रामा यूनिट 6 महीने के अंदर प्रारंभ करने का आश्वासन माननीय मंत्री जी ने दिया है और नर्सिंग कॉलेज के छात्रावास भवन को पूर्ण करने की बात की है, मैं इसके लिये उनको धन्यवाद देता हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण अंचल में उपस्वास्थ्य केन्द्र भवन बारीबराज नीमी के लिये राशि स्वीकृत है, भूमिपूजन 3 साल पहले हो चुका है इसका निर्माण नहीं हो पा रहा है उसे कराया जाये. माधौगढ़ स्वास्थ्य केन्द्र का उन्नयन कराया जाये. माननीय एक बात आखिरी कहकर जो सर्वव्यापी है मध्यप्रदेश के अंदर जो नर्सिंगहोम और प्राइवेट अस्पताल चल रहे हैं इनमें सोनोग्राफी, एक्सरे, डायलिसिस, सीटी स्केन, एमआरआई एवं अन्य सभी जांचों व वार्ड चार्ज आदि में एकरूपता मध्यप्रदेश सरकार का स्वास्थ्य विभाग लाये. इन तमाम जांचों के नाम पर अलग-अलग नर्सिंग होम अलग-अलग प्राइवेट अस्पताल बेड चार्ज, रूम चार्ज के नाम पर भारी लूट कर रहे हैं. इनकी जो वसूली है इनकी जो दरें हैं इसमे एकरूपता कायम की जाये. केन्द्र की सरकार ने अभी हृदय में जो स्टेंट लगता है उसका रेट तय किया है तो फिर हमारी सरकार क्यों नहीं प्रदेश के नर्सिंग होम में प्रायवेट अस्पतालों में सोनोग्राफी, डायलेसिस, एमआरआई, सिटी स्केन आदि का चार्ज बैठकर के तय कर ले. इतना ही कहना आपने अवसर दिया धन्यवाद.
श्री जसवंत सिंह हाडा(शुजालपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सुझाव देना चाहता हूं कि अस्पताल में स्वच्छता को लेकर के ठेका पद्धति से अच्छा काम प्रारंभ हुआ था लेकिन पिछले 4 माह में सफाई मजदूरों की मजदूरी का 6 से 7 लाख रूपया बकाया था, मैं इस मामले को भोपाल तक लाया था, जिला स्वास्थ्य अधिकारी से 7 लाख का भुगतान करवाकर बड़ी मुश्किल से वह सफाई का काम शुरू हो पाया है. वे लोग सफाई नहीं करने देते हैं. आज फिर स्थिति है कि 5 माह से उनको वेतन नहीं मिल रहा है. इसलिये यह बहुत ज्वलंत समस्या है इस पर मंत्री जी विशेष रूप से ध्यान देंगे. अध्यक्ष जी चूंकि मुझे अवसर दिया इसलिये कहना चाहता हूं कि मेरे शुजालपुर शहर में मंडी में एक अस्पताल बना है वह दो वर्ष में पूरी तरह से बनकर के तैयार है. उसका लोकार्पण होना है लेकिन वहां पर सामग्री के नाम पर कुछ नहीं है तो वहां पर आवश्यक सामग्री उपलब्ध हो जाये तो जनता उसका लाभ ले सकेगी. गुलाना एक तहसील केन्द्र है वहां 22 से 25 किलोमीटर आसपास में कोई अस्पताल नहीं है तो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र का प्रस्ताव है यदि हो जाये तो बहुत अच्छा होगा. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया उसके लिये आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री मनोज निर्भय सिंह पटेल(देपालपुर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा सुझाव और निवेदन भी है कि माननीय लोकसभा की अध्यक्ष आदरणीय सुमित्रा महाजन जी ने गोतमपुरा क्षेत्र मे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाने की घोषणा की थी . उस समय के स्वास्थ्य मंत्री माननीय नरोत्तम मिश्रा जी ने सदन में घोषणा की थी कहा था कि अगले बजट में इसको शामिल कर लेंगे तो मंत्री जी से अनुरोध है कि उसको बजट में शामिल करें. पूर्व स्वास्थ्य मंत्री जी और वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री जी दोनों यहां पर उपस्थित हैं इसलिये उम्मीद करता हूं कि लोकसभा के अध्यक्ष की घोषणा है उसका पालन करेंगे. अध्यक्ष महोदय, आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- विभागीय माननीय मंत्री जी का वक्तव्य कल होगा.
विधानसभा की कार्यवाही गुरूवार, दिनांक 9 मार्च, 2017 के प्रात: 11.00 बजे तक के लिये स्थगित.
अपराह्न 7.34 बजे विधानसभा की कार्यवाही, गुरूवार, दिनांक 9 मार्च, 2017 (फाल्गुन 18, शक संवत् 1938) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
अवधेश प्रताप सिंह
भोपाल, प्रमुख सचिव
दिनांक : 8 मार्च, 2017 मध्यप्रदेश विधानसभा