मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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चतुर्दश विधान सभा दशम् सत्र
फरवरी-अप्रैल, 2016 सत्र
मंगलवार, दिनांक 08 मार्च, 2016
(18 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
[खण्ड- 10 ] [अंक- 10 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
मंगलवार, दिनांक 08 मार्च, 2016
(18 फाल्गुन, शक संवत् 1937 )
विधान सभा पूर्वाह्न 10.33 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.}
निधन का उल्लेख
1. श्री पी.ए. संगमा, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष तथा
2. श्री पवन दीवान, पूर्व विधानसभा सदस्य
अध्यक्ष महोदय - मुझे सदन को सूचित करते हुए अत्यन्त दुख हो रहा है कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष, श्री पी. ए. संगमा का 04 मार्च तथा पूर्व विधानसभा सदस्य, श्री पवन दीवान का 02 मार्च, 2016 को निधन हो गया है.
श्री पी. ए. संगमा का जन्म 01 सितम्बर, 1947 को ग्राम चापाहाटी जिला वेस्ट गारो हिल्स (मेघालय) में हुआ था. श्री संगमा 1988 में मेघालय विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए तथा 1988 से 1990 में मुख्यमंत्री और 1990-1991 में विपक्ष के नेता रहे. आप छठवीं, सातवीं, आठवीं, दसवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं, चौदहवीं तथा वर्तमान सोलहवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. आपने 1996 से 1998 तक लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. श्री संगमा केन्द्र सरकार में समय-समय पर विभिन्न विभागों के राज्यमंत्री और मंत्री भी रहे.
आपके निधन से देश ने एक वरिष्ठ राजनेता, संसदविद्, कुशल प्रशासक एवं कर्मठ समाजसेवी खो दिया है.
श्री पवन दीवान का जन्म 01 जनवरी, 1945 को किरवई जिला- रायपुर में हुआ था. श्री दीवान ने संस्कृत विद्यापीठ में प्राचार्य के पद पर कार्य किया. आप 1982-89 में मध्यप्रदेश कांग्रेस (आई) समिति के कार्यकारी सदस्य तथा मध्यप्रदेश रूरल हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष रहे. श्री दीवान प्रदेश की छठवीं विधानसभा के सदस्य तथा जेल विभाग के मंत्री रहे. आप दसवीं तथा ग्यारहवीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. संत प्रवृत्ति के श्री दीवान प्रवचनकर्ता और कवि के रूप में विख्यात थे. आप लेखन और समाजसेवा के माध्यम से निरन्तर सक्रिय रहे.
आपके निधन से प्रदेश के सार्वजनिक जीवन की अपूरणीय क्षति हुई है.
गृह मंत्री (श्री बाबूलाल गौर) -- अध्यक्ष महोदय, जैसा कि आपने श्री पी.ए. संगमा, जिनका वेस्ट गारो हिल्स, मेघालय में जन्म हुआ था. उन्होंने हर पद पर सेवा की और वहां की जनता ने उनको निर्वाचित किया. वे विपक्ष के नेता रहे, मुख्यमंत्री रहे. 9 बार लोकसभा के सदस्य रहे. वे 1996 से 1998 तक 3 साल लगभग लोकसभा के अध्यक्ष रहे. उन्होंने केन्द्र के अनेक पदों को सुशोभित किया. मैं जब मेघालय गया था, मैं मुख्यमंत्री था, तो मुझे उनकी बेटी जो भारत सरकार में राज्यमंत्री बनी थी, उनके घर जाकर मेरी भेंट हुई. उस वेस्ट गारो हिल्स में भारतीयता के प्रति, भारत की निष्ठा के प्रति, इस मातृ भूमि के प्रति, जो देशभक्ति एवं राष्ट्र भक्ति संगमा जी के जीवन में , उनके परिवार में पाई गई, वह अतुलनीय है. आज राष्ट्र में देश भक्ति, अखंड भारत की बहुत आवश्यकता है. ऐसे परम देश भक्त, राजनेता, जन नायक के चरणों में मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
दूसरे महान पुरुष, श्री पवन दीवान एक संत प्रवृत्ति के थे. उनके साथ मध्यप्रदेश की विधान सभा में मुझे उनको करीब से देखने का मौका मिला. वे राजिम से चुनकर आते थे. वे बहुत फक्कड़ व्यक्ति थे. इतने फक्कड़ व्यक्ति थे कि वे अपनी जेब भी नहीं रखते थे. उनकी जेब भी कपड़ों में नहीं थी. वे केवल एक गेरुआ वस्त्र धारण करते थे. वे गीता के बहुत विद्वान थे. एक दिन मैं काम से उनके बंगले गया,तो उनको एक फाइल में दस्तखत करना था, जेल मंत्री थे. तो वे बोले कि आप अपना कलम दीजिये मुझे दस्तखत करना है. इतने त्यागी, तपस्वी, एक आदर्श जीवन के व्यक्ति थे. इन महान विभूतियों का जो निधन हुआ है ,उनके निधन से प्रदेश एवं देश के अन्दर अपूर्ण क्षति हुई है, उनको मैं अपनी ओर से और सदन की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
उप नेता प्रतिपक्ष (श्री बाला बच्चन) -- अध्यक्ष महोदय, श्री पी.ए. संगमा जी का जन्म 1 सितम्बर,1947 को ग्राम चापाहाटी, जिला वेस्ट गारो हिल्स, मेघालय में हुआ था. वे 1988 से 1990 के बीच में मेघालय राज्य के मुख्यमंत्री रहे. उसके बाद केन्द्र सरकार के कई विभागों के वे कई बार मंत्री रहे. वे 12वीं लोकसभा के स्पीकर भी रहे हैं. लोक सभा के स्पीकर रहते हुए वे संसद की कार्यवाही का संचालन इतने लोकतांत्रिक तरीके से संचालित करते थे, जिससे कि न केवल सत्ता पक्ष के राजनेता या सदस्य ही नहीं उनकी तारीफ करते थे, बल्कि मैं समझता हूं कि संसद के विपक्ष के जो सदस्य हुआ करते थे, वे भी उनकी तारीफ और प्रशंसा करते थे. वे अपने राजनैतिक जीवन में अपने जीवन को बहुत ऊंचाइयों तक ले गये. वे आज हमारे बीच में नहीं रहे हैं. मुझे यह भी याद है कि वे राष्ट्रीय आदिवासी विकास परिषद् के उपाध्यक्ष भी थे, जिसके अध्यक्ष मेरे ससुर जी हुआ करते थे. अभी भी मेरे ससुर जी तो राष्ट्रीय आदिवासी विकास परिषद् के अध्यक्ष हैं. तो समाज की जो बैठकें होती थीं, समाज का जो एजेंडा राष्ट्रीय स्तर का होता था, तो कई बार मेरी भी उनसे मुलाकात हुई है. मेरे ससुर जी भी कई बार उनके साथ जो सांसद रहे हैं, तो मैंने उनको बहुत अच्छे से सुना भी है, समझा भी है और जाना भी है. वे न केवल हमारे समाज के लिये ही नहीं, लेकिन मैं समझता हूं कि असम, मेघालय और उसके बाद पूरे देश के लिये जो चिंता करते थे और जिस तरह से जो संसद का संचालन करते थे, वह मैं समझता हूं कि अपने आप में एक अनूठी उनकी शैली थी. उस समय गठबंधन की सरकारें बनती थीं. सभी नेताओं से उनके मधुर और अच्छे संबंध हुआ करते थे.
माननीय अध्यक्ष जी, आज वे हमारे बीच में नहीं हैं, मैं समझता हूं कि उनके निधन से न केवल पूर्वी राज्यों से जो आवाज गूंजती वही न केवल हमसे छिन गई बल्कि बहुत बड़ा समाजसेवी, बहुत बड़ा नेता हमारे बीच में नहीं रहा है. मैं इस अवसर पर पी.ए.संगमा जी के निधन पर अपनी तरफ से कांग्रेस पार्टी के सभी लोगों की तरफ से श्रृद्धासुमन अर्पित करता, श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं. ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे तथा मैं शौक संतृप्त परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आदरणीय पवन दीवान जी का जन्म 1 जनवरी, 1945 किरवई ग्राम, रायपुर, छत्तीसगढ़ में हुआ था .अविभाजित मध्यप्रदेश में कई वर्षों तक वे मध्यप्रदेश शासन में कई विभाग के मंत्री भी रहे हैं.2 बार वे संसद सदस्य रहे हैं, वे कांग्रेस(आई) पार्टी के कार्यकारी सदस्य भी रहे हैं, मध्यप्रदेश रूरल हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे हैं, मैं आपकी जानकारी में लाना चाहता हूं कि बाद में उन्होंने आध्यात्मिकता के पथ पर चलकर जन सामान्य जीवन में आध्यात्मिकता का प्रकाश समाज में फेलाने की कोशिश की है. वे संस्कृत विद्यापीठ के प्राचार्य भी रहे हैं. उनकी सेवाये मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के अलावा देश को मिली है, उनकी प्रतिभा से सब भलीभांति परिचित हैं. वे संत की तरह जीवन जिये. हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषा में कविताओं के अलावा रामायण-भागवत सुनाने की भी उनकी अनूठी शैली थी. आज वे हमारे बीच में नहीं रहे हैं. उनका योगदान हमारे लिये हमेशा हमेशा के लिये अविस्मरणीय रहेगा. मैं अपनी तरफ से कांग्रेस पार्टी के सभी लोगों की तरह से उन्हें श्रृद्धांजलि अर्पित करता हूं. तथा ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे और शौक संतृप्त परिवार के प्रति मैं संवेदना व्यक्त करता हूं. ऊं शांति.
उपाध्यक्ष महोदय(डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वर्गीय पूर्णो-अगीतो संगमा जी (Purno Agitok Sangma) राष्ट्र के उन बिरले राजनेताओं में से एक थे जो ग्रामीण परिवेश में अत्यंत निर्धन परिवार से आते हुये देश की शीर्षस्थ राजनीति पर पहुंचे थे. संगमा साहब जब पढ़ते थे तो गरीबी के कारण उनको अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ी और जीवन का निर्वाह करने हेतु वे जानवरों को लेकर के जंगल में जाते थे, उनको चराते थे, जिस तरह से चरवाहा होता है, ऐेसे परिवेश से संगमा जी आये. जब उनकी पढ़ाई छूटी तो वे एक ईसाई, पादरी और चर्च के संपर्क में आये, उन्होंने संगमी जी की मदद की फिर संगमा जी ने अपनी शिक्षा पूरी की, बीए किया, पीजी की शिक्षा प्राप्त की और शिलांग में बतौर प्रोफेसर उन्होंने पढ़ाना शुरू किया. उसके बाद उन्होंने अपने जीवन में कभी पीछे मुड़कर के नहीं देखा. निरंतर वे तरक्की करते गये, आगे बढ़ते गये, और केन्द्र सरकार में, भारत के मंत्री के रूप में, लोक सभा में सम्मानित अध्यक्ष के रूप में, और प्रदेश में भी मुख्यमंत्री और प्रतिपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने काम किया. बिरले ही राजनीति में ऐसे उदाहरण हमें देखने को मिलते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपको स्मरण होगा कि संगमा साहब मध्यप्रदेश भी आये थे. पिछले डेढ़ वर्ष पहले, जब विधान सभा ने माननीय विधायकों के लिये प्रबोधन का कार्यक्रम रखा था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, तो हमने उनसे प्रश्न किया कि संगमा जी आप इतना कुशल संचालन लोकसभा का कैसे करते थे, तो उन्होंने कहा कि हमारे तीन तरीके थे, या तो बहुत शोर-शराबा होता था, मैं चुपचाप बैठकर कुछ पुराने संस्करण याद करने लगता था और सदन को इसी तरह चलने देता था, जब तक कि लोग थक नहीं जाते थे, या कभी कभी झिड़की देनी पड़ती थी और कभी-कभी मैं मुस्कुरा देता था, ये सब सारी तस्बीर, सारा दृश्य हम लोगों ने टेलीविजन पर और बहुत से लोगों को अनुभव होगा, जिन्होंने उनकी लोकसभा संचालन के दरमियान वहां उपस्थिति दर्ज कराई होगी, देखी होगी. फिर मैंने उनसे पूछा की आपकी सफलता का राज क्या है, बोले कड़ी मेहनत तो है, लेकिन तीन-चार चीजें हैं जो जीवन में उतारिये. बड़ी विनम्रता के साथ उन्होंने कहा, एक तो हमेशा मुस्कुराते रहिये, दूसरा अध्ययन करिये, किताबे पढि़ये, तीसरा मित्रता करिये जितने ज्यादा से ज्यादा लोगों से हो सके, मित्रता करिये और चौथा पर्यटन करिये, घूमिये, देश में घूमिये, विदेश तो ठीक है, देश में जरूर घूमिये. ये चार चीजें उन्होंने बताईं थी, वह आज हमें याद आ रही हैं. 9वीं बार वह लोकसभा के सदस्य चुने गये थे, ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्ति जो इंसानियत से भरे हुये थे, हमारे बीच नहीं हैं, उनके न रहने से जो एक कुशल प्रशासक, कर्मठ समाजसेवी हैं, हमने खोया है इस रिक्तता को पूरा नहीं किया जा सकता. मैं उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं.
अध्यक्ष महोदय, माननीय पवन दीवान जी, एक लेखक, शिक्षाविद, राजनेता और संत यह सारे गुण उनमें समाये हुये थे और उनमें जो अल्हड़पन था, उनके व्यक्तिव में निष्च्छल भाव जो था वह झलकता था, दिखाई देता था और जब छत्तीसगढ़ी में वह भाषण देते थे और प्रवचन करते थे तो घंटों हजारों लोगों को मंत्रमुग्ध किये रहते थे, बांधे रहते थे, ऐसी प्रतिभा उनमें थी. यह संयोग था कि वह राजनीति में भी आये, विधायक बने, मंत्री बने और 2-2 बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया. बहुत सारे लोग अध्यक्ष जी गेरूआ वस्त्र धारण करते हैं, लेकिन उस वस्त्र का महत्व उसकी महिमा समझना कठिन होता है, लेकिन बखूबी पवन दीवान जी ने उसको समझा और हम लोगों ने सबने अनुभव किया कि ऐसा नेता जो अब हमारे बीच नहीं रहा है उनके न रहने से न सिर्फ छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश बल्कि पूरे राष्ट्र को एक क्षति पहुंची है और सार्वजनिक जीवन में वह अपूरणीय है, मैं उनको विनम्र श्रृद्धांजलि देता हूं.
अध्यक्ष महोदय-- मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन 2 मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रृद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन में 2 मिनट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रृद्धांजलि अर्पित की गई)
अध्यक्ष महोदय-- दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिये स्थगित.
(10.50 बजे से 5 मिनट के लिये अंतराल)
समय 10.58 बजे अध्यक्ष महोदय (डॉ सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.
ब धा ई
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ नरोत्तम मिश्र)--अध्यक्ष महोदय, आज अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस है. इस अवसर पर मैं अपनी ओर से, सदन की ओर से समस्त महिलाओं को बधाई देता हूं.
अध्यक्षजी, दिनांक 5 और 6 मार्च को लोकसभा अध्यक्षजी द्वारा एक पहल कर, नई दिल्ली में महिला सशक्तिकरण पर एक वृहत् सम्मेलन बुलाया था. आपकी ओर से भी हमारे प्रदेश की महिला बाल मंत्री और माननीय विधायक अर्चना चिटनीस जी गई थीं. शिक्षा और सामाजिक विकास के संबंध में सूत्रपात और आर्थिक विकास स्वशासन विषय पर एक संकल्प मेडम चिटनीस ने प्रस्तुत किया जो वहां स्वीकार भी हुआ. मैं उनको भी बधाई देता हूं. अध्यक्ष महोदय, यह वह देश है, जहां नारी की पूजा होती है. अपने कहा भी गया है यत्र नारी पूजयन्ते, रमन्ते तत्र देवता हमारे पैदा होने से लेकर अन्त तक मातृ शक्ति का बहुत महत्व है. इस अवसर पर मैं सदन की ओर से बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं.
उप नेता प्रतिपक्ष(श्री बाला बच्चन)-- अध्यक्ष महोदय, महिला दिवस पर मैं भी प्रदेश और देश भर की महिलाओं को मेरी और मेरे दल की ओर से बधाई और शुभकामनाएं देता हूं. (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- यह अभी उठाने वाला विषय नहीं है. किसी अन्य विषय में उठा लीजिए.
श्री बाला बच्चन--(XXX)
गृहमंत्री(श्री बाबूलाल गौर)--अध्यक्ष महोदय, यह आपत्तिजनक है.
डॉ नरोत्तम मिश्र-- अध्यक्षजी, अब ये नेता प्रतिपक्ष बन गये.
अध्यक्ष महोदय--कृपया इस विषय का राजनीतिकरण न करें.
श्री बाला बच्चन-- अध्यक्षजी, जैसा संसदीय कार्य मंत्रीजी ने अपनी बात कही तो मैंने भी महिलाओं को बधाई देते हुए कहना चाहता हूं कि (XXX)
अध्यक्ष महोदय-- उन्होंने जो महिला दिवस पर बधाई दी है,उसको छोड़कर बाकी विलोपित कर दें. विषय समाप्त.
डॉ नरोत्तम मिश्र--अध्यक्षजी, नेता प्रतिपक्ष कुछ बोलना चाहें तो बोलने के लिए अलग अलग समय भी होते हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है, इस अवसर पर मैं अपनी ओर से, सदन की ओर से समस्त महिलाओं को बधाई देता हूं. जैसा अभी पूर्व में भी उल्लेखित किया गया कि हमारी लोकसभा अध्यक्ष जी ने एक दो दिवसीय कार्यशाला भी रखी थी, उसमें हमारे प्रदेश की विधान सभा की 17 माननीय महिला सदस्यों ने भाग लिया. मैं उन सभी हमारी सम्मानीया सदस्यों को भी बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, (XXX).
अध्यक्ष महोदय - कृपा करके आप बैठ जाएं.
संसदीय कार्यमंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र) - अध्यक्ष महोदय, यह क्या, कोई भी बात कभी भी?
अध्यक्ष महोदय - यह सब विलोपित कर दें, यह कोई विषय नहीं है.
श्री बाला बच्चन -(XXX)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, यह फिर वही उकसाने वाली बात कर दी. यह उकसाने वाली बात फिर कर दी गई अध्यक्ष महोदय.
श्री बाला बच्चन - (XXX). हम इसका विरोध करते हैं...
अध्यक्ष महोदय - यह कोई विषय नहीं है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, इस पर हम घोर आपत्ति लेते हैं. यह घोर आपत्तिजनक है.
अध्यक्ष महोदय - आप प्रश्नकाल चलने दें. इसके बाद जो बोलना है वह बोलें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, सदन नियम प्रक्रिया से चलेगा कि तानाशाही से चलेगा?
श्री बाला बच्चन - ..आरक्षण का विरोध करना संविधान का विरोध करने जैसा है. और बाबा साहेब की विचाराधारा का भी यह अपमान है.(व्यवधान)..
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, यह 12वीं का पर्चा है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आप आरएसएस का उल्लेख क्यों कर रहे हैं?
अध्यक्ष महोदय - आप कृपा करके प्रश्नकाल चलने दें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, यह उकसाने वाली बात है.
श्री बाला बच्चन - ..मैं यह चाहूंगा कि इस पर सरकार चर्चा कराएं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय प्रतिपक्ष के नेता जी, आप कृपा करके प्रश्नकाल के बाद जो विषय उठाना है वह उठा लें.
श्री बाला बच्चन - अध्यक्ष महोदय, यह इतना महत्वपूर्ण विषय है कि 12वीं के विद्यार्थियों से आप यह निबंध लिखवाकर उनमें लड़ाई के बीज अभी से क्यों डाल रहे हैं?
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, हमारी बात भी आ जाए. मेरा निवेदन सिर्फ इतना-सा है कि जानबूझकर नेता प्रतिपक्ष उकसाने की बातें करते हैं और कौन-सी बात कब कैसे कही जाती है और यह सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है. यह फ्लोर चर्चा के लिए है. एक जानबूझकर बार-बार आरएसएस का उल्लेख करना, यह इस बात का द्योतक है, आज प्रदेश में ओले पड़े हैं, उसकी बात नहीं उठाई..
श्री जितू पटवारी - (व्यवधान).. यह जातिगत आरक्षण को लेकर आपकी मंशा समझ में आई है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - .. आज किसान परेशान है उसकी बात नहीं उठाई है. आज हमारे यहां 10-10 किसान आहत हो गये हैं, ओले की बात नहीं कर रहे हैं..
श्री रामनिवास रावत - कर रहे हैं. (व्यवधान)..
डॉ. नरोत्तम मिश्र - .. ये किसानों की बात नहीं कर रहे हैं, यह सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए इस फ्लोर का उपयोग करते हैं अध्यक्ष महोदय. किसान की बात नहीं करेंगे, गरीब की बात नहीं करेंगे..
श्री रामनिवास रावत - बिल्कुल गरीबों की बात कर रहे हैं. इस तरह से बोलना उचित नहीं है. यह संसदीय मंत्री का कौन-सा तरीका है?
श्री जितू पटवारी - आखिर सरकार क्या चाहती है, सरकार की मंशा क्या है?
अध्यक्ष महोदय - आप कृपया बैठ जाएं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - .. मजदूर की बात नहीं करेंगे, यह क्या तरीका है अध्यक्ष महोदय? कौन-सी बात कब उठा रहे हैं, क्या यह गंभीर विषय है जो उन्होंने उठाया है? आप इसी विषय की चर्चा शून्यकाल में कर सकते थे कि नहीं कर सकते थे? आप खुद भी कह रहे हैं कि इसकी बात शून्यकाल में कर लें.
अध्यक्ष महोदय - आप कृपा करके प्रश्नकाल हो जाने दें. माननीय मंत्री जी कृपया बैठें.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, लेकिन यह कहना कि ओले से पूरा प्रदेश परेशान है, उसके लिए ध्यानाकर्षण लगाया है आप चर्चा करा लो.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - आपने यह बात नहीं उठाई, लेकिन राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए इस फ्लोर का उपयोग हम नहीं होने देंगे. (व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत - आप देख लीजिए, विधान सभा सचिवालय से पता कर लीजिए, आप क्या आरक्षण खत्म करोगे?
श्री मुकेश नायक - अध्यक्ष महोदय, मैंने स्थगन प्रस्ताव दिया है, आप चाहें तो प्रश्नकाल के बाद मुझे अनुमति दे दें.
अध्यक्ष महोदय - प्रश्नकाल के बाद उठाइए जो विषय उठाना है.
श्री जितू पटवारी - अध्यक्ष महोदय, उन्होंने जो स्थगन दिया है उस पर आप चर्चा कराने की अनुमति दें.
अध्यक्ष महोदय - अभी आप प्रश्नकाल तो हो जाने दें, इसके बाद बात करेंगे.
श्री लाखन सिंह यादव - अध्यक्ष महोदय, कल शाम को 5 बजे ग्वालियर जिले में तमाम सारे गांवों में भयानक ओलावृष्टि हुई है.
अध्यक्ष महोदय - कृपया करके यह आप शून्यकाल में उठा लें, शून्यकाल में आपको समय देंगे. माननीय मंत्री जी..
महिला एवं बाल विकास मंत्री (श्रीमती माया सिंह) - अध्यक्ष महोदय, मैं आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश की सभी बहनों को और यहां उपस्थित सभी हमारी सम्मानीय बहनों को दिल की गहराइयों से बधाई देना चाहती हूं और यहां सभी भाइयों को भी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई और खासतौर से आदरणीय बाला बच्चन जी को भी मैं कहना चाहती हूं कि मध्यप्रदेश वह प्रदेश है, जिसने कि महिलाओं के लिए, उनको आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में ऐसे कदम उठाए हैं, उन उठाए गये कदमों का ही नतीजा है, जिनकी वजह से आज महिलाएं अपनी पूरी क्षमता और अपनी रुचि और योग्यता के अनुसार अपना लक्ष्य और दिशा तय करके आगे बढ़ रही हैं. मैं कहना चाहती हूं कि सरकार ने महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए कोई कौताही नहीं बरती है, लेकिन ऐसी योजनाएं भी बनी हैं, आपको इस मौके पर मैं एक आग्रह करना चाहती हूं कि महिलाओं को उन सभी के बारे में जानकारी देना, उनको बराबर के अवसर उपलब्ध हों, इसमें हम सबकी महत्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए मैं आज इस मौके पर यह कहना चाहती हूं, मुझे लगा कि बच्चन जी हमें बधाई देंगे. मैं कहना चाहती हूं कि यह मध्यप्रदेश है, मध्यप्रदेश में हमें सारे मौके मिल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय - ठीक है, बात समाप्त हो गई है, अब उनकी बात का उत्तर न दें.
श्रीमती माया सिंह - इसलिए आप सबको मेरी ओर से बहुत बहुत बधाई और अपेक्षा करती हूं कि हर क्षेत्र में महिलाओं को आप सबका सहयोग और आदर मिलेगा.
श्री मुकेश नायक --(XXX)...(व्यवधान)..
श्री लाल सिंह आर्य -- क्या इनका आर्थिक विकास हुआ है यह आप आरोप लगा रहे हैं. आप बिना प्रमाण के आरोप लगा रहे हैं यह क्या तरीका है. यह महिलाओं का अपमान है. आप यहां पर केवल माया सिंह जी का अपमान नहीं कर रहे हैं बल्कि पूरे महिला जगत का अपमान कर रहे हैं. यह क्या तरीका है. आप माया सिंह जी पर आरोप लगाकर पूरे महिला जगत को अपमानित कर रहे हैं.
श्री मुकेश नायक -- आप समय दे दें मैं आरोप सिद्ध कर दूंगा. मैं बिना जानकारी के आरोप नहीं लगाता हूं...(व्यवधान)..इस प्रदेश की गरीब महिला 50 हजार रूपये की सिल्क की साड़ी पहनती हैं क्या बताइये आप ....(व्यवधान)..
एक माननीय सदस्य -- अध्यक्ष महोदय यह व्यक्तिगत आरोप है मुकेश जी.. इसको कार्यवाही से निकाल दिया जाय.
अध्यक्ष महोदय -- आर्थिक और सामाजिक विकास की बात को विलोपित कर दें...(व्यवधान)..
श्री शंकरलाल तिवारी -- अध्यक्ष महोदय चाहे कुछ भी हो (XXX)..(व्यवधान)..
श्री लाल सिंह आर्य -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा हक है इनको माफी मांगना चाहिए क्योंकि माया सिंह जी पर अप्रमाणिक ढंग से आरोप लगाये हैं..(व्यवधान).. आपने महिला जगत का अपमान किया है महिला दिवस के दिन. आपको अपने शब्द वापस लेना चाहिए..(व्यवधान)..
श्री मुकेश नायक --सही बात कहने वाले को माफी मांगना चाहिए..(व्यवधान).. महिला दिवस पर हम यह नहीं कहें कि महिलाओं पर अत्याचार हो रहा है,महिला दिवस पर हम यह नहीं कहें कि मध्यप्रदेश बलात्कार के मामले में पहले नंबर पर है, क्या बोलें हम आप बतायें....बड़ी बड़ी बातें करते हैं..(व्यवधान)..सही बात कहने वालों को रोकते हैं.
श्री लाल सिंह आर्य -- आपकी सरकार में क्या हुआ है..(व्यवधान).. हमारी सरकार में सशक्तिकरण हुआ है. लूट और अपमान तो आपकी सरकार के समय में हुआ है..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- कृपया माननीय सदस्य को अपना प्रश्न करने दें...(व्यवधान) नायक जी बैठ जायें...
श्री मुकेश नायक -- आप हमें समय देंगे तो महिलाओं के विकास और उनके सामाजिक स्तर और सभी विषय पर सदन में आपको बात चीत करना होगी...(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा -- अध्यक्ष महोदय आज सदन में हर विषय पर चर्चा होती हैं मैं पूछना चाहता हूं कि उस समय यह नेता कहां गये थे जब दिल्ली की सड़कों पर माननीय मनमोहन सिंह जी के नेतृत्व के समय पर बहनों के साथ में बलात्कार हुआ था तब आपने निंदा क्यों नहीं की..(व्यवधान)..
श्री मुकेश नायक -- हम यहां पर प्रदेश की बात कर रहे हैं आप दिल्ली की बात कर रहे हैं....
श्री रामेश्वर शर्मा -- क्यों नहीं करेंगे.
अध्यक्ष महोदय -- शर्मा जी एवं अन्य सभी सदस्य बैठ जायें सदस्य को अपना प्रश्न करने दें.
श्री मुकेश नायक -- आप बैठ जाइये इसी में भलाई है नहीं तो इस विषय पर बातचीत होगी तो असहज हो जायेगी पूरी सरकार...(व्यवधान)..
श्री लाल सिंह आर्य -- अध्यक्ष महोदय आज यहां पर सिद्ध हो गया है कि कांग्रेस महिला विरोधी हैं...(व्यवधान)--
अध्यक्ष महोदय -- माननीय मंत्री जी कृपया बैठ जायें...(व्यवधान)..
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
(वर्ग 4 : लोक निर्माण, वाणिज्य, उद्योग एवं रोजगार, खेल एवं युवा कल्याण, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व, वन, तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास, उच्च शिक्षा)
शा.
पोलिटेक्निक
पचौर के
छात्रावास का
सुदृढ़ीकरण
1. ( *क्र. 3503 ) श्री कुँवरजी कोठार : क्या तकनीकी शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) जिला राजगढ़ के पोलिटेक्निक कॉलेज पचौर में छात्रावास किस दिनांक से संचालित है, छात्रावास की लागत एवं निर्माण कार्य पूर्ण होने की तिथि क्या थी? (ख) प्रश्नांश (क) अनुसार छात्रावास पूर्ण होने के पश्चात प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष में कॉलेज में कितने छात्र/छात्राओं के द्वारा प्रवेश लिया गया एवं उनके विरूद्ध कितने छात्र/छात्राओं को प्रत्येक वर्ष छात्रावास में प्रवेश दिया गया है? (ग) प्रश्नांश (ख) पोलिटेक्निक कॉलेज पचौर में अध्ययनरत छात्र/छात्राओं को छात्रावास में रहने हेतु संपूर्ण मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं? यदि नहीं, तो शासन द्वारा छात्रावास में रहने हेतु संपूर्ण मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु क्या प्रयास किया जावेगा, जिससे कि छात्र/छात्राओं की शैक्षणिक व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो सके?
तकनीकी शिक्षा मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) राजगढ़ जिले के पोलिटेक्निक कॉलेज पचौर में छात्रावास भवन वर्ष 1997 से संचालित है। छात्रावास की लागत रू. 63.00 लाख है एवं निर्माण कार्य पूर्ण करने की तिथि 31 दिसम्बर, 1997 थी। (ख) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ‘अ’ एवं ‘ब’ अनुसार है। (ग) जी हाँ। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री कुंवरजी कोठार -- अध्यक्ष महोदय मेरे प्रश्न ग के उत्तर में पालिटेक्निक कालेज पचोर में अध्ययनरत छात्रों को छात्रावास में रहने हेतु संपूर्ण मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं. माननीय मंत्री जी ने उत्तर दिया है जी हां. उत्तर के परिशिष्ट एक अ में 2001 में पालिटेक्निक कालेज में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या बतायी है 201, 254,2010 में 265, 2011 में 304, 2012 में 319, 2013 में 333, 2014 में 375 , 2015 में 303 और छात्रावासों में इन सालों में 2008 से लेकर 2014 तक छात्रावासों में प्रवेश लेने वाले छात्रों की संख्या बताई है निरंक तो मैं यहां पर माननीय मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि जब मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं तो और आपने उत्तर दिया है कि जी हां. तो फिर यह कैसे होगा. कालेज के द्वार 19 लाख का प्राक्कलन भेजा है मरम्मत के काम के लिए तो क्या उसको स्वीकृत करेंगे. ताकि पालिटेक्निक कालेज में पढ़ने वाले छात्र छात्रावास की सुविधा का लाभ उठा सकें.
श्री उमाशंकर गुप्ता -- जी हां कर देंगे.
श्री कुंवरजी कोठार -- धन्यवाद्.
बी.ओ.टी. योजनांतर्गत मार्ग निर्माण
2. ( *क्र. 4171 ) श्री अजय सिंह : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रीवा संभाग में बी.ओ.टी. योजना के अंतर्गत वर्ष 2013-14, 2014-15 एवं 2015-16 में राज्य सरकार द्वारा कितने सड़क मार्ग बी.ओ.टी. योजना के माध्यम से बनवाये गये और इन मार्गों की कितने कि.मी. की दूरी है, इन मार्गों के क्रम बतायें कि कहाँ से कहाँ तक मार्ग बनाये गये हैं। (ख) इन बनाये हुए मार्गों में राज्य शासन के द्वारा संबंधित बी.ओ.टी. कंपनी (ठेका कंपनी) को कुल सड़क लागत के कितने प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा राशि दी गई। क्या यह राशि ठेका कंपनी द्वारा राज्य सरकार को वापस की गई या उन्हीं सड़कों पर खर्च कर दी गई? (ग) प्रस्तावित बी.ओ.टी. परियोजना में वर्तमान में कितने प्रतिशत राशि ठेका कंपनी को राज्य सरकार देगी और यह राशि क्या ठेका कंपनी वापस करेगी अथवा रोड पर ही खर्च कर दी जायेगी। प्रस्तावित मार्गों के नाम एवं दूरी बतावें।
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सरताज सिंह ) : (क) जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है। (ख) बी.ओ.टी. के अंतर्गत निर्मित सड़कों पर राज्य शासन द्वारा दी गई ग्रान्ट की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''ब'' अनुसार है। उपयुक्त राशि राज्य सरकार को वापस करने का कोई प्रावधान नहीं है। (ग) बी.ओ.टी. के अंतर्गत निर्माणाधीन सड़कों पर राज्य शासन द्वारा ग्रांट सड़क निर्माण के पश्चात दी जावेगी। उपयुक्त राशि राज्य सरकार को वापस करने का कोई प्रावधान नहीं है। नाम व दूरी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'' अनुसार है।
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय मेरे प्रश्न के उत्तर में मंत्री जी ने रीवा संभाग में राष्ट्रीय राजमार्ग के अंतर्गत निर्माणाधीन बीओटी पद्धति के द्वारा 2745 करोड़ की रोड़ अपूर्ण बताई गई हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से यह पूछना चाहता हूँ कि इतनी महत्वपूर्ण सड़कें हैं, शायद रीवा संभाग में ही ग्रहण लगा हो कि वहीं की सड़कें नहीं बन रही हैं. सीधी से सिंगरौली एक बहुत ही महत्वपूर्ण सड़क है, क्या कारण है माननीय अध्यक्ष महोदय कि बीओटी के अंतर्गत होने के बाद भी निमार्णाधीन ही है, यह माननीय मंत्री जी बताएं. इसी तरह सतना से बेला सड़क का काम शुरू होता है फिर बंद हो जाता है तो मैं पूछना चाहता हूँ कि आपके माध्यम से कि इन ठेकेदारों के ऊपर मंत्री जी का कोई नियंत्रण है या नहीं, यह भी वे बताने की कृपा करें.
श्री सरताज सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये पांचों सड़कें काफी समय से लंबित हैं, ठेकेदार के साथ विवाद थे, निर्माण का मामला लगभग बंद हो चुका था, मैं माननीय गडकरी जी इस बात के लिए धन्यवाद देना चाहूंगा कि उनके आने के बाद उन्होंने इस मामले को ठीक किया. ठेकेदारों को बुलाकर उनकी बात सुनी और एक रास्ता निकाला और आज फिर से इन सड़कों का कार्य शुरू हो चुका है.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने जरूर विशेष पहल की होगी लेकिन मैं माननीय मंत्री महोदय को यह बताना चाहता हूँ कि उदाहरण के लिए सिर्फ सतना-बेला मार्ग, आपने काम शुरू किया, महीने भर काम चला उसके बाद फिर बंद हो गया तो क्या अब फिर से गडकरी जी को बुलाएंगे. 13 साल पहले सीधी से सिंगरौली जाने में 3 घंटे लगते थे आप लोग बहुत वर्ष 2003 का बहुत उदाहरण देते हैं मैं बताना चाहता हूँ कि 13 साल पहले 3 घंटे लगते थे और आज सीधी से सिंगरौली जाने में 6 घंटे लगते हैं. अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री महोदय ने जो कहा कि गडकरी ने विशेष पहल की, ठेकेदार को बुलाया लेकिन उसके बाद भी कार्य क्यों चालू नहीं हो पा रहा है.
श्री सरताज सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये पांचों सड़कें मॉर्थ (MORTH) के अंतर्गत आती हैं, केन्द्रीय सरकार के अंतर्गत आती हैं, उन्हीं के फंडिंग से बन रही हैं और आरडीसी केवल इसकी एक एजेंसी है, इसलिए माननीय गडकरी जी तो हर बार आएंगे ही जहां भी विवाद आएगा क्योंकि सड़क उनकी है, उन्होंने विवाद सुलझाया है और सभी सड़कों में काम आगे बढ़ रहा है. सतना-बेला सड़क का काम थोड़ा पीछे है लेकिन बाकी सड़कों के काम काफी आगे बढ़ गए हैं. हमारा पूरा प्रयास है कि इस सड़क का काम भी पूरा हो जाए.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री महोदय से अंत में यह पूछना चाहता हूँ कि काम कमजोर इसलिए हो रहा है, देरी इसलिए हो रही है कि कोई ठेकेदार नहीं है. हर रोड में पेटी कान्ट्रेक्टर से काम कराते हैं क्या बांड बीओटी योजना के अंतर्गत पेटी कान्ट्रेक्टर निर्माण एजेंसी बन सकते हैं.
श्री सरताज सिंह -- अध्यक्ष महोदय, काम को सब्लेट करने का प्रावधान है और बहुत से ठेकेदारों से इससे पहले भी काम को सब्लेट करके बनवाया है. लेकिन काम में जो भी कमी होगी या गलती होगी, उसका जिम्मेदार वह ठेकेदार ही रहेगा और इसमें पर डे पेनाल्टी लगाने का प्रावधान है जो इन पर लग रही है. हमारा पूरा प्रयास है कि इस काम को जल्दी से जल्दी किया जाए और यह प्रयास का परिणाम ही है कि सब काम शुरू हो चुके हैं.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, आज की तारीख में सतना-बेला मार्ग का काम चालू है या नहीं, मंत्री जी केवल यह बता दें.
अध्यक्ष महोदय -- अब आपके तीन प्रश्न हो गए.
श्री गिरीश गौतम -- अध्यक्ष महोदय, मनगवां से चारघाट सड़क का काम बंद है, मैं निवेदन करना चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया बैठ जाएं, बाद में बात करेंगे.
अभ्यारण्य क्षेत्र के ग्रामों में मूलभूत सुविधाएं
3. ( *क्र. 5032 ) श्री गिरीश भंडारी : क्या वन मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) नरसिंहगढ़ के चिड़ीखौ अभ्यारण्य में कौन-कौन से ग्राम आते हैं? ग्रामों के नाम सहित जानकारी देवें? (ख) क्या अभ्यारण्य क्षेत्र के ग्रामों में सड़क, बिजली, शाला भवन, नलकूप खनन, हैण्डपंप जैसी मूलभूत सुविधाएं हेतु क्या-क्या प्रावधान/मापदण्ड/शर्तें हैं? शासन के निर्देशों की प्रति दें। (ग) प्रश्न की कंडिका (क) की उपलब्ध जानकारी अनुसार इन सभी ग्रामों में मूलभूत सुविधाएं प्राप्त हैं या वन विभाग इन ग्रामों तक जाने वाली सड़कें बनाने में रोक लगा रहा है?
वन मंत्री ( डॉ. गौरीशंकर शेजवार ) : (क) नरसिंहगढ़ (चिड़िखौ) अभ्यारण्य के अंतर्गत 2 ग्राम, वनग्राम देवगढ़ एवं राजस्व ग्राम चैनपुराखुर्द स्थित हैं। (ख) अभ्यारण्य क्षेत्र के ग्रामों में सड़क, बिजली, शाला भवन, हैण्डपम्प, नलकूप खनन जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए भारत शासन, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय का पत्र दिनांक 26 अक्टूबर, 2007 एवं मध्यप्रदेश शासन, वन विभाग का पत्र दिनांक 25 मई, 2009 संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 1 एवं 2 अनुसार है। (ग) उत्तरांश ‘क‘ में उल्लेखित ग्रामों में हैण्डपम्प, कुआं, नलकूप, बिजली, शाला भवन एवं सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। प्रश्नाधीन ग्रामों तक जाने वाली सड़क बनाने हेतु कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुए हैं एवं न ही लंबित हैं। अतः वन विभाग द्वारा इन ग्रामों तक जाने वाली सड़क बनाने में रोक लगाने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री गिरीश भंडारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के उत्तर में माननीय वन मंत्री जी ने जो जानकारी दी है वह जानकारी सही नहीं है. मेरा प्रश्न था कि चिड़ीखौ अभ्यारण्य के पास कौन-कौन से गांव हैं तो एक ही गांव का नाम बताया गया है जबकि इस फारेस्ट क्षेत्र के पास में ग्राम हनापुरा, रसीदखेड़ी, चारपुरा, रेसई, भाटपुरा, भोपालपुरा, छाबड़, बरखेड़ी, गढ़ी ये गांव भी आते हैं और मेरा सीधा सा प्रश्न यह है कि इन गांवों में जाने के लिए मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत सड़कें स्वीकृत हुई हैं लेकिन फारेस्ट की रोक के कारण वहां सड़कें बनाना विभाग के द्वारा संभव नहीं हो पा रहा है तो क्या फारेस्ट उन सड़कों को बनाने की मंजूरी देगा.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय,देवगढ़ और चैनपुराखुर्द दो गांव इस सेंचुरी में आते हैं. तीसरा एक टोला है जिसको गांव की मान्यता नहीं है. यह तिन्दौनिया का वार्ड नम्बर 17 है. बाकी के ग्राम आपने अभ्यारण्य का जो क्षेत्र है उसमें नहीं आते हैं.
श्री गिरीश भण्डारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि वन्य जो आपका अभ्यारण्य क्षेत्र है इसके पास लगे हुए गांव हैं और उस वन क्षेत्र में से जाकर ही उन गांवों में पहुंचा जाता है और उन गांवों की रोडें मुख्यमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत स्वीकृत हुई हैं लेकिन वन विभाग का यह कहना है कि हमारे वन में निकलकर जा रही हैं इसलिए हम इन सड़कों को नहीं बनाने देंगे. मैं वन मंत्री जी से जानना चाहता हूँ कि क्या उन सड़कों को बनाने की अनुमति देंगे?
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अभ्यारण्य में, नेशनल पार्क में और वन भूमि में रोड अथवा कोई भी निर्माण के लिए एक अनुमति लगती है और उसकी एक प्रक्रिया है. प्रक्रिया में एक हेक्टेयर से नीचे अनुमति देने का अधिकार वनमण्डलाधिकारी को है और नक्सली क्षेत्रों में 5 हेक्टेयर से नीचे के भी अधिकार वनमण्डलाधिकारी को हैं और इसके ऊपर के जो भी अधिकार है वह प्रदेश शासन केन्द्र सरकार को रिकमंड करता है और केन्द्र सरकार से उसकी अनुमति आती है तब उसकी अनुमति मिलती है और इसमें जो जमीन है उसका हस्तांतरण होता है और जमीन हस्तांतरण के लिए कुछ नियम और प्रक्रिया है. यदि जो भी हमें कार्य करना है तो उस नियम प्रक्रिया का पालन करना पड़ेगा और उसके अंतर्गत गुजरना पड़ेगा. यह वन संरक्षण अधिनियम इसके लिए लागू होता है.
श्री गिरीश भंडारी-- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह वन्य अभ्यारण्य जब बना, यह गांव उसके पहले से स्थित हैं क्या इन गांवों को सड़कों की सुविधा उपलब्ध होगी या नहीं?
अध्यक्ष महोदय--वे चाहते हैं कि उसकी अनुमति मिल जाए जिस भी प्रक्रिया से मिले.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार-- नियम प्रक्रिया से एप्लाई करेंगे तो उसमें कहीं कोई अकारण बाधा पैदा नहीं करते और नियम में जो आता है उसके अंतर्गत अनुमति मिलेगी.
अध्यक्ष महोदय-- वन विभाग के लिए एप्लाई करवा दें तो अनुमति हो जाएगी.
श्री गिरीश भंडारी-- ठीक है,धन्यवाद.
संचालक तकनीकी शिक्षा के पद पर नियमित पदस्थापना
4. ( *क्र. 4244 ) श्री तरूण भनोत : क्या तकनीकी शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) संचालक, तकनीकी शिक्षा म.प्र. की शैक्षणिक योग्यता, अनुभव सेवा शर्तें, नियुक्ति का तरीका क्या है? क्या विगत दस वर्षों से प्रदेश में नियमित संचालक तकनीकी शिक्षा म.प्र. नहीं है? विगत दस वर्षों में प्रभारी संचालक तकनीकी शिक्षा म.प्र. कौन-कौन रहे, उनका नाम कार्यकाल व वे किस सेवा संवर्ग से थे? क्या विगत दस वर्षों में प्रभारी संचालक को नियमानुसार संचालक का प्रभार दिया जा सकता है? यदि नहीं, तो किन परिस्थितियों में यह निर्णय लिया गया? (ख) विगत दस वर्षों में नियमित संचालक तकनीकी शिक्षा म.प्र. की नियुक्ति हेतु क्या-क्या प्रयास किये गये? (ग) क्या प्रभारी संचालक, तकनीकी शिक्षा म.प्र. को प्रभार से मुक्त कर आई.ए.एस. कैडर के अधिकारी की पदस्थापना नियम विरूद्ध तरीके से की गई थी? यदि हाँ, तो यह निर्णय किन परिस्थितियों में लिया गया है? कब तक नियमित संचालक की नियुक्ति की जावेगी? (घ) क्या विगत दस वर्षों में संचालनालय तकनीकी शिक्षा म.प्र. में पदस्थ अधिकारी यथा अतिरिक्त संचालकों तथा संयुक्त संचालकों की पदस्थापना नियमानुसार वरिष्ठता के आधार पर की गई? यदि नहीं, तो किन परिस्थितियों में यह निर्णय लिया गया? अब कितनी समयावधि में नियमानुसार अतिरिक्त संचालकों तथा संयुक्त संचालकों की नियुक्तियां की जावेंगी?
तकनीकी शिक्षा मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) मध्यप्रदेश शैक्षणिक सेवा (तकनीकी शाखा) भर्ती नियम 1967 के अनुसार संचालक तकनीकी शिक्षा का पद 100 प्रतिशत शासकीय इंजीनियरिंग महाविद्यालय के प्राचार्य के संवर्ग से स्थानांतरण द्वारा भरे जाने के प्रावधान हैं। विगत दस वर्षों मे प्रभारी संचालक तकनीकी शिक्षा मध्यप्रदेश के नाम, कार्यकाल एवं सेवा संवर्ग का विवरण संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। जी हाँ। शेष का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ख) केडर में नियमित प्राचार्य उपलब्ध नहीं होने के कारण नियमित संचालक की नियुक्ति नहीं की गई है। (ग) संचालक, तकनीकी शिक्षा के पद पर आई.ए.एस. कैडर अधिकारी की पदस्थापना कैडर में नियमित प्राचार्य उपलब्ध न होने के कारण की गई थी। प्रकरण माननीय न्यायालय में विचाराधीन है। (घ) संचालनालयीन अधिकारियों का पृथक संवर्ग नहीं है। वर्तमान पदस्थापना कार्य आवश्यकता के आधार पर की गई है।
श्री तरुण भनोत-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से सीधा प्वाइंटेड प्रश्न यह पूछना चाहता हूँ, क्योंकि उत्तर बहुत गोलमोल, घुमाकर दिया गया है. पिछले 10 वर्षों से मध्यप्रदेश टेक्नीकल एज्युकेशन बोर्ड के डायरेक्टर के रुप में क्या एआईसीटीएस के नियमों का पालन करते हुए डायरेक्टर का पद दिया गया है? दूसरा प्रश्न मैं यह पूछना चाहता हूँ कि यह पद टेक्नोक्रेट्स के लिए है या ब्यूरोक्रेट के लिए? इन दोनों प्रश्नों का जवाब मंत्री जी दे दें, फिर मैं तीसरा अंतिम प्रश्न पूछूंगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, डायरेक्टर टेक्नीकल एज्युकेशन का पद इन्जीनियरिंग कालेज के प्राचार्य के पद से भरा जाता है.इन्जीनियरिंग कालेज में इन दिनों कोई रेग्युलर प्राचार्य हमारे पास नहीं है और इसलिए इन पदों पर पॉलीटेक्निक के प्राचार्यों की नियुक्ति विगत वर्षों से हो रही है. मैं माननीय सदस्य को आपके माध्यम से भी बताना चाहता हूँ कि वैसे इन्जीनियरिंग कालेज के प्राचार्य और पॉलीटेक्निक के प्राचार्य की योग्यता एक जैसी ही हैं लेकिन फिर भी जो अभी अवेलेबिल हैं लेकिन इन्जीनियरिंग कालेज के प्राचार्य के पद जल्दी भर जाएँ, इसके लिए हम कोशिश कर रहे हैं. दूसरा जो इन्होंने पूछा है यह पद टेक्नोक्रेट्स के लिए है लेकिन जैसा प्रश्न आया था कि इन्जीनियरिंग कालेज के प्राचार्य हमारे पास नहीं हैं इसलिए बीच में एक आईएएस की नियुक्ति हुई थी लेकिन वह मामला कोर्ट में है और इसलिए किसी आईएएस की नियुक्ति नहीं हुई है. अभी टेक्नोक्रेट्स ही संचालक के पद पर हैं.
श्री तरुण भनोत--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी को बताना चाहता हूं कि ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्नीकल एजुकेशन का डायरेक्टिव है कि इस पद पर सिर्फ वह व्यक्ति रह सकता है जो इंजीनियरिंग कॉलेज में पांच साल तक जो प्रोफेसर रहे हों और टेक्नीकल सब्जैक्ट से आते हो. आपने जो नियुक्ति की है वह केमिस्ट्री, फिजिक्स और जूलॉजी विषय वालों की, की है. जबकि उसमें साफ निर्देशित है कि मेकेनिकल , सिविल या किसी टेक्नीकल ब्रांच का ही व्यक्ति उसका चेयरमैन बन सकता है . माननीय अध्यक्ष महोदय, नियमों का उल्लंघन किया गया है, इसके अलावा क्या दस वर्षों का समय कम होता है.
अध्यक्ष महोदय—कृपया सीधा प्रश्न कर दें.
श्री तरुण भनोत-- अध्यक्ष महोदय, मेरा सीधा प्रश्न यह है कि क्या दस वर्षों का समय कम होता है . दस वर्षों से आपको किसी भी इंजीनियरिंग कॉलेज में एक भी ऐसी योग्यता रखने वाला प्रोफेसर नहीं मिला और अगर नहीं मिला तो मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि (XXX) शिक्षा का स्तर क्या है टेक्नीकल एजुकेशन का मध्यप्रदेश में ?
अध्यक्ष महोदय-- यह मुहावरों में कुछ नहीं पूछा जाएगा.सीधे प्रश्न कीजिये.
श्री तरुण भनोत-- दस वर्षों से आपको एक भी व्यक्ति नहीं मिला जिसको कि आप डायरेक्टर बना सकते हैं. मेरा सीधा प्रश्न है कि क्या आपको दस वर्षों में एक भी व्यक्ति किसी इंजीनियरिंग कालेज में नहीं मिला जिसको आप टेक्नीकल एजुकेशन के डायरेक्टर पद पर बिठा सकते हैं.
वनमंत्री (डॉ. गौरीशंकर शेजवार)-- अध्यक्ष महोदय, यह (XXX) कार्यवाही से निकलवा दें.
अध्यक्ष महोदय---- इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री तरुण भनोत-- मैंने तो एक उदाहरण दिया है कि (XXX). इसलिए व्यापम जैसे घोटाले मध्यप्रदेश में हो रहे हैं.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार-- अध्यक्ष महोदय, अजय सिंह जी ने बैठे बैठे एक कमेंट किया (XXX), मुझे इस पर आपत्ति है.
अध्यक्ष महोदय--- इसको कार्यवाही से निकाल दें.
श्री अजय सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, शेजवार जी, किस तरह से कौनसी बात को घुमाया जाये यह जानते हैं. मैंने तो कुछ और बोला (XXX), आप खुद ही पता लगा लो क्या हो.
श्री तरुण भनोत-- अध्यक्ष महोदय, यह बहुत महत्वपूर्ण बात है कि सरकार दस साल में एक भी ऐसे व्यक्ति को ढूंढ नहीं पाई जिसको टेक्नीकल एजुकेशन का डायरेक्टर बनाया जा सके.
अध्यक्ष महोदय--- आपका प्रश्न आ गया है.
श्री तरुण भनोत--- माननीय मंत्री जी ने अभी जवाब नहीं दिया है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी ने जवाब दे दिया है. आपका प्रश्न आ गया है.
श्री तरुण भनोत--- दस वर्ष लग गये हैं कितने साल और लगेंगे आपको ढूंढने में.
अध्यक्ष महोदय--- मुकेश जी आप प्रश्न कर लें, मंत्री जी आप इकट्ठा जवाब दे दें.
श्री मुकेश नायक--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि स्थाई डायरेक्टर की कमी के कारण ..
श्री गोपाल भार्गव--- अध्यक्ष महोदय, मैं पूछना चाहता हूं कि ऐसे प्राणी जो मूक हैं, बोल नहीं सकते, इनकी भाषा समझ में नहीं आ सकती उनका सदन में उल्लेख करना, चर्चा करना , उनका अपमान है.
अध्यक्ष महोदय--- उसको हमने कार्यवाही से निकाल दिया है. नायक जी , अपना प्रश्न करें.
श्री तरुण भनोत--- भार्गव जी जब घोड़ी पर बैठकर बारात में जा रहे थे तब मूक जानवर पर नहीं बैठे थे क्या.
अध्यक्ष महोदय-- आपके प्रश्न का उत्तर आने दें.
श्री मुकेश नायक--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मंत्री जी से जानना चाहता हूं कि प्राचार्य और डायरेक्टर का पद अस्थाई होने के कारण पूर्णकालिक व्यक्ति वहाँ पदस्थ नहीं होने के कारण जो पूरे के पूरे टेक्नीकल एजुकेशन के एकेडेमिक कैलेंडर , स्पोर्ट्स कैंलेंडर, कल्चरल कैलेंडर का कोई फॉलोअप नहीं है. कब परीक्षा होगी, पता नहीं है. सारी परीक्षायें न्यायालय करा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय-- आप गुस्से में मत पूछिये.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, और लोगों के भी प्रश्न लगे हैं पूरे प्रश्न यही पूछ लेंगे क्या .
श्री मुकेश नायक-- मैं पूछना चाहता हूं कि क्या आपका परीक्षा कराने का कोई वार्षिक कैलेंडर है . आपने शैक्षिणिक संस्थानों का कोई कैलेंडर बनाया है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी, आप तरुण जी का उत्तर दे दीजिये कि कब तक ऐसा टेक्नीकल आदमी मिल जाएगा.
श्री उमाशंकर गुप्ता--- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस पर नहीं जाऊँगा कि (XXX), कैसे क्लास टू की नियुक्तियाँ हुई हैं , उस पर मैं नहीं जाऊँगा. 50 साल के इतिहास में देश और प्रदेश में क्या हुआ उस पर मैं नहीं जाऊँगा, कैसे घोड़े-गधे रहे मैं यह नहीं कहूंगा , यह सदन की गरिमा की अनुरूप नहीं होगा. लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने कहा है कि भर्ती नियम में डायरेक्टर के पद पर इंजीनियरिंग कालेज के प्राचार्य के पद से व्यक्ति जाता है पिछले दस साल से इंजीनियरिंग में कोई डायरेक्ट हमारे पास कॉलेज का प्राचार्य नहीं है बीच में जो सेवा भर्ती नियम बदले और सारे इंजीनियरिंग कालेज और पोलिटेक्नीक कालजेस की सोसायटी बन गई और वह पद सीधी भर्ती का हो गया इसलिए प्रमोशन भी नहीं कर सकते जो कहा कि दस साल में कोई नहीं ढूंढ पाये लेकिन जैसा मैंने कहा कि हम लगातार इसके पीछे पड़े हैं और मैं आपको बताना चाहता हूं कि आज ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सेवा भर्ती नियम के सुधार की मीटिंग है और मुझे लगता है कि फैसला हो जाएगा और मैं यह भी आश्वस्त करता हूं कि नायकजी, सब टाइमटेबल कैलेंडर साल भर का हम प्रकाशित करते हैं, आप सुन लीजिये आपको असत्य कहने की आदत है.
अध्यक्ष महोदय--- प्रश्न समाप्त हो गया है. आपका जवाब आ गया है.
श्री उमाशंकर गुप्ता--- आपको सुनने की आदत नहीं है आपको अपना जमाना याद है.
..(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आपका जवाब आ गया. ...(व्यवधान)..प्रश्न क्रमांक 5 श्री संदीप जायसवाल...(व्यवधान)..
श्री उमाशंकर गुप्ता-- सुन लीजिए. आपकी असत्य बोलने की आदत है.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब प्रश्न समाप्त हो गया. आपका जवाब आ गया...(व्यवधान)..
श्री उमाशंकर गुप्ता-- सुनने की ताकत नहीं है. आपका अपना जमाना याद है...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्न क्रमांक 5 श्री संदीप जायसवाल..(व्यवधान)...मुकेश नायक जी, अब आप बैठ जाएँ.
श्री तरूण भनोत-- अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न का जवाब नहीं आया.
अध्यक्ष महोदय-- आपके प्रश्न का जवाब आ गया...(व्यवधान)..
श्री तरूण भनोत-- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट चाहता हूँ.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, आपके 3-4 प्रश्न हो गए. श्री संदीप जायसवाल.
श्री तरूण भनोत-- एक का भी सही जवाब नहीं दिया. यह सरकार 10 साल में एक डायरेक्टर नहीं ढूँढ पाई...(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया सहयोग करें.
श्री तरूण भनोत-- अध्यक्ष जी, (xxx)
अध्यक्ष महोदय-- यह कुछ नहीं आएगा रिकार्ड में. केवल संदीप जायसवाल जी का और मंत्री जी का आएगा. आपका पूरा उत्तर आ गया. आपको आपके सदस्यों ने ही व्यवधान पैदा किया.
श्री तरूण भनोत-- (xxx)..(व्यवधान)..
कटनी नदी पर पुल निर्माण
5. ( *क्र. 5232 ) श्री संदीप श्री प्रसाद जायसवाल : क्या लोक निर्माण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या प्रश्नकर्ता सदस्य द्वारा कटनी नदी में नये पुल निर्माण हेतु दिनांक 09.07.2014 को सदन में प्रस्तुत ध्यानाकर्षण सूचना के परिप्रेक्ष्य में उक्त कार्य प्रश्न दिनांक तक कितने प्रतिशत पूर्ण हो चुका है? कार्यावधि कितनी बढ़ाई गई? क्या 60 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने की सत्यता का परीक्षण प्रश्नकर्ता सदस्य सहित स्थल निरीक्षण कर किया जायेगा? यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों? (ख) कार्य में विलंब के क्या-क्या कारण हैं? वर्तमान में स्थल पर क्या कार्य संचालित हैं, कार्य कब तक पूर्ण किया जायेगा? क्या पुल निर्माण कार्य की लागत में बढ़ोत्तरी होने की संभावना है? यदि हाँ, तो इन कारणों के जिम्मेदारों पर क्या कार्यवाही की जायेगी?
लोक निर्माण मंत्री ( श्री सरताज सिंह ) : (क) पुल का 60 प्रतिशत कार्य पूर्ण। दिनांक 30.12.2015 तक कार्यावधि बढ़ाई गई। जी हाँ। माननीय विधायक जी द्वारा निर्धारित तिथि अनुसार। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता। (ख) भू-अर्जन प्रकरण में विलंब होना, अतिरिक्त कार्य एवं संविदाकार द्वारा समानुपातिक प्रगति नहीं देने के कारण। सुपर स्ट्रक्चर की ड्रांइग प्रूफ चैकिंग हेतु आई.आई.टी. दिल्ली में लंबित होने के कारण कार्य बंद है। जून-2017 तक पूर्ण होना संभावित है। वर्तमान में लागत वृद्धि की संभावना प्रतीत नहीं होती है। इसके लिए कोई अधिकारी जिम्मेदार नहीं है, संविदाकार द्वारा कार्य धीमी गति से करने के कारण अनुबंधानुसार कार्यवाही की जा रही है।
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से जानकारी लेना चाहूँगा कि इस प्रश्न पर पूर्व में मैंने ध्यानाकर्षण लगाया था. उसमें भी यह जानकारी आई थी और मैं मंत्री महोदय से यह जानकारी चाहूँगा कि पुल पर जो भी व्यवधान आ रहे हैं..(व्यवधान)..जून 2017 तक जो..(व्यवधान)..कार्य बताया जा रहा है. यह कब तक पूर्ण होने की संभावना है?...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय-- आप कृपया सहयोग करें. मंत्री जी, कृपया संदीप जायसवाल जी के प्रश्न का उत्तर दें. माननीय मंत्री जी, आपको सुनाई पड़ा?..(व्यवधान)..
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- माननीय मंत्री महोदय, पिछले उत्तर से इस उत्तर के बीच की डेढ़ साल की अवधि में कोई भी कार्य नहीं हुआ है. जनता में असंतोष है. महत्वपूर्ण कार्य है. मैं मंत्री महोदय से जानना चाहूँगा कि कितनी जल्दी यह कार्य पूर्ण होगा और इस काम को लेकर जो तकनीकी समस्या है उसको कैसे हल किया जाएगा?
श्री सरताज सिंह-- माननीय अध्यक्ष महोदय, पुल के निर्माण में जो विलंब हुआ है. उसके पीछे एक तो भू-अर्जन में समय लगा और दूसरा इसकी जो डिजाइन थी, डिजाइन की प्रूफ चेकिंग आई आई टी, दिल्ली से लंबित होने के कारण, जब तक वहाँ से ड्राइंग का एप्रुव्हल नहीं आएगा तब तक यह पुल का काम चालू नहीं हो पाएगा. उसमें इस कारण से विलंब हुआ है और प्रयास किया जा रहा है कि उसको जल्दी किया जाए. जो काम बिना ड्राइंग के संभव था, वह उसमें किया गया है और लगभग 60 प्रतिशत कार्य हुआ भी है.
श्री संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल-- अध्यक्ष महोदय, एक ध्यानाकर्षण सूचना पर 9.7.2014 को भी मुझे जानकारी दी गई थी कि 60 परसेंट काम हुआ है. आज भी 60 परसेंट काम हुआ है. हमारा उद्देश्य पुल को जल्दी बनवाना है. विभाग में हो रही देरी को देखते हुए मैं चाहूँगा कि माननीय मंत्री महोदय इस विषय पर विशेष ध्यान देते हुए एक कोई वरिष्ठ अधिकारी को यह जवाबदारी दे जो उसकी मंथली रिपोर्ट लेते हुए उसको जल्द से जल्द ड्राइंग, डिजाइन इत्यादि का पूरा इंतजाम कराकर उस कार्य को जल्दी करवा सकें.
श्री सरताज सिंह-- अध्यक्ष महोदय, विभाग की तरफ से पूरा प्रयास किया जा रहा है चूँकि मामला दिल्ली में लंबित है इसलिए थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ-- माननीय अध्यक्ष महोदय....
अध्यक्ष महोदय-- भाण्डेर से क्या लेना देना. वह कटनी का प्रश्न है.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ-- इसमें भी माननीय मंत्री महोदय बोल देंगे क्योंकि माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा है...
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, आपका प्रश्न नहीं है.वह विषय ही यहाँ नहीं है. नहीं पूछ सकते.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ-- पुल से संबंधित ही है.
अध्यक्ष महोदय-- दूसरे पुल से संबंधित नहीं पूछ सकते. वह प्रश्न उद्भूत नहीं होता. प्रदेश भर के पुल का थोड़े ही बता पाएँगे. अब उनका नहीं लिखा जाएगा. श्री मोती कश्यप अपना प्रश्न करें.
श्री घनश्याम पिरोनियॉ-- (xxx)
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति
6. ( *क्र. 239 ) श्री मोती कश्यप : क्या तकनीकी शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में कौन-कौन से विभाग व पाठ्यक्रम संचालित हैं और उनमें किन स्तर के कौन से पद सृजित हैं तथा कब से कौन से पद किन कारणों से रिक्त हैं? (ख) प्रश्नांश (क) में किन विभाग व पाठ्यक्रमों में किन-किन अतिथि अध्यापकों की नियुक्ति की गई है और वे कब से अध्यापन कार्य कर रहे हैं? (ग) वर्ष 2013 से किन विषय विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में किनके शोध कार्य पूर्ण हुये हैं और चल रहे हैं? (घ) विश्वविद्यालय द्वारा विभाग से पदपूर्ति का अनुमोदन प्राप्त कर लेने के उपरान्त भी किन कारणों से नियुक्तियां नहीं की हैं?
तकनीकी शिक्षा मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) : (क) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''अ'', ''ब'' एवं ''स'' अनुसार है। (ख) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''द'' अनुसार है। (ग) जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र ''ई'' अनुसार है। (घ) विश्वविद्यालय द्वारा रिक्त पदों की पूर्ति हेतु दिनांक 20.01.2014 एवं 03.03.2014 को विज्ञापन जारी किये गये थे, परन्तु माननीय उच्च न्यायालय में दायर याचिका क्रमांक 7532/2014 में स्थगन का निराकरण दिनांक 30.10.2014 एवं याचिका क्रमांक 7326/15 में निर्णय दिनांक 27.08.2015 के परिपालन में विज्ञापित पदों में से अनारक्षित के 23 एवं बैकलॉग के 55 पद भरे जाने थे। विधि विभाग के रिक्त पदों की पूर्ति हेतु दिनांक 12.12.2014 को साक्षात्कार आयोजित किया गया था, जिसमें कोई भी उम्मीदवार योग्य नहीं पाया गया है। इसी बीच समन्वय समिति की 90वीं बैठक दिनांक 26.06.2015 में अध्यादेश क्रमांक 04 में हुए परिवर्तन जो कार्य परिषद बैठक दिनांक 19.02.2016 में अंगीकृत किया गया, के पालन में अधिसूचना जारी कर पुन: विज्ञापन निकालने की कार्यवाही की जा रही है।
श्री मोती कश्यप-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय का प्रश्न उठाया और..(व्यवधान).. वर्ष 2014 को जो विज्ञप्ति निकाली गई है और उसमें आरक्षण के बेकलॉग के पदों का अनुसूचित जाति और जनजाति के जो पद आमंत्रित किए गए थे. वर्ष 2007, 2010, 2011 में आमंत्रित किए गए थे. उन पर नियुक्तियाँ नहीं कीं. राजनीति चलती रही और अपने-अपने लोगों को भरने के लिए 2014 में....
अध्यक्ष महोदय-- सीधा प्रश्न करें. समय हो गया है. भाषण नहीं.
श्री मोती कश्यप-- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि बेकलॉग के पदों की पूर्ति के लिए 6.11.2007, 26.4.2010 और 14.10.2011 को विज्ञापित पदों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर के अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए जो पद विज्ञापित किए गए थे. उनमें 2014 में जो परिवर्तन कर दिया गया, तो क्या इसको पुराने जो 2011 के जो विज्ञापित पद हैं, उनको मान्यता प्रदान की जाएगी?
श्री उमाशंकर गुप्ता-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस मामले में लोग माननीय न्यायालय में गये थे न्यायालय ने बैकलाग और जनरल के लिये जो 55 व 23 पद हेतु हमें निर्देश दिए हैं उसकी भर्ती का विज्ञापन हमने जारी कर दिया है.
अध्यक्ष महोदय--प्रश्नकाल समाप्त.
( प्रश्नकाल समाप्त )
शून्यकाल में उल्लेख
श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, जातिगत आरक्षण के विषय पर आपको चर्चा करवानी चाहिए हमारे साथियों ने इस पर स्थगन प्रस्ताव दिया है आपको उसको चर्चा के लिए लेना चाहिए. (व्यवधान)
श्री मुकेश नायक--माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा स्थगन प्रस्ताव है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--शून्यकाल की सूचनाएं पढ़ लेने दें यह 10 सूचनाएं हैं 5-7 मिनट लगेंगे इसके बाद मैं आपकी बात सुनूंगा.(व्यवधान)
श्री बाला बच्चन--माननीय अध्यक्ष महोदय, आप आश्वस्त करें.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--अब आप लोग एक को तो बोलने दो (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन--आप 12 वीं कक्षा में विद्यार्थियों से ऐसा निबंध लिखवाते हैं उनकी परीक्षा में यह प्रश्न डालते हैं कि जातिगत आरक्षण देश के लिए घातक है (व्यवधान)
श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा स्थगन प्रस्ताव है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--यह बैठें तो पहले (व्यवधान)
डॉ. गोविन्द सिंह--माननीय अध्यक्ष महोदय, रेत माफियाओं द्वारा मुरैना में एक वनकर्मी नरेन्द्र शर्मा की ट्रेक्टर से कुचलकर कर हत्या कर दी है इस पर मैंने ध्यानाकर्षण लगाया है उस पर चर्चा करायें भारी पैमाने पर अवैध उत्खनन चल रहा है..(व्यवधान)
श्री बाला बच्चन--आप ऐसे एजेंडे को लागू करना चाहते हैं क्या (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--कृपा करके शून्यकाल की सूचनाएं हो जाने दें (व्यवधान)
श्री बाला बच्चन--हमारे विधायक साथियों ने स्थगन दिया है जातिगत आरक्षण देश के लिए घातक है आपको हमारे इस स्थगन को लेना चाहिए और इस पर चर्चा कराना चाहिए (व्यवधान)
श्री मुकेश नायक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा स्थगन प्रस्ताव है अगर आप अनुमति देंगे तो शून्यकाल के बाद उस पर मैं अपनी बात कह दूंगा.. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--सुन लें, अभी नहीं कहेंगे, प्रतिपक्ष के नेता जी ने जो कहा है उसका उत्तर तो जान लें..
श्री मुकेश नायक--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने स्थगन प्रस्ताव दिया है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--उसी का तो उत्तर दे रहे हैं बैठ जाइये. यह शून्यकाल की सूचनाओं के बाद. आपको अनुमति देंगे बैठ जाइये (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--शून्यकाल इसके बाद आएगा पहले स्थगन आएगा (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--बाद में अनुमति देंगे.
डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि...
अध्यक्ष महोदय--मंत्रीजी एक मिनट, इन्होंने जो कहा है उसके बाद आप बोल लीजिएगा. अभी दे रहे हैं न अनुमति. नेता प्रतिपक्ष ने कुछ विषय उठाया है, माननीय नेता प्रतिपक्ष एवं सदस्यगण जिस स्थगन प्रस्ताव की चर्चा कर रहे हैं वह 10 बजकर 40 मिनट पर दिया गया है जो प्रक्रियाधीन है.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, मैंने पहले दिया है 9 या 9.30 बजे के लगभग दिया है. मैंने दिया है.
अध्यक्ष महोदय--आज अभी प्रक्रियाधीन है मना नहीं किया है..(व्यवधान) आपने ठीक बोला 10.40 की जगह आपका स्थगन 9 बजे आया होगा किन्तु चर्चा अभी विचाराधीन है इसलिये (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--बोल चुके हैं कि स्थगन है (व्यवधान) क्या आप आरक्षण को समाप्त करना चाहते हो (व्यवधान) क्या आप शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन करना चाहते हो (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र--अध्यक्ष महोदय, जिसके बारे में शिक्षा मंत्री बोल चुके हैं (व्यधान)
संसदीय कार्य मंत्री (डॉ. नरोत्तम मिश्र)--अध्यक्ष जी यह कितने गंभीर हैं इसी से अंदाजा लगता है कि स्थगन की सूचनाएं 8 बजे के पहले दी जाती हैं यह पूरा स्टाफ यहां पर रहता है, लेकिन हमारा दूसरा कहना है..(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--वैसे भी प्रक्रियाधीन है उस पर विचार कर लेंगे मना कहां कर रहे हैं (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत--किस तरह से संविधान की मूल भावनाओं को छेड़ने का प्रयास किया जा रहा है इस तरह से वैचारिक..(व्यवधान) पूरी आरक्षण प्रणाली पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है (व्यवधान)
अध्यश्र महोदय--प्रश्न चिह्न नहीं आपने खुद स्वीकार किया है कि 9.00 बजे दिया है आपने सिर्फ 8.30 बजे तक के स्वीकार किये जाते हैं आज की सूची में..अभी प्रक्रियाधीन है मना नहीं किया है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय--आपने कहा कि 10 बजकर 40 मिनट पर दिया है इसलिए मैंने कह दिया कि 9 बजे दिया है मैंने असत्य तो नहीं बोला..(व्यवधान)
अध्यक्ष महादेय :- यह विषय अभी विचाराधीन है. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत :- हम बोल तो चुके हैं कि स्थगन प्रस्ताव है. क्या आप आरक्षण को समाप्त करना चाहते हैं. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र :- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आप लोग मुद्दा बनाना चाहते हैं. आपको ओले कि चिन्ता नहीं है. किसान की चिन्ता नहीं है, गांव की चिन्ता नहीं है. किसान की चिन्ता नहीं है. आपने एक भी विषय नहीं उठाया. (व्यवधान) आप जानबुझकर राजनैतिक रोटियां सेकना चाहते हैं. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत :- आप शिक्षा का भगवाकरण नहीं कर पाएगें.
डॉ. नरोत्तम मिश्र :- हम हर विषय पर चर्चा करने को तैयार हैं.
श्री रामनिवास रावत:- आप इस प्रदेश में आरक्षण समाप्त नहीं कर पाओगे. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र:- माननीय अध्यक्ष महोदय, चर्चा कराने को कौन मना कर रहा है. (व्यवधान) जिस विषय पर हमारे शिक्षा मंत्री बोल चुके हैं. (व्यवधान) यह कहां पर त्रृटि हुई है, हमने पाठ्य पुस्तक निगम से बुलवाया है. (व्यवधान) हमने शिक्षा मंडल बोर्ड से कह दिया है. हम उसको चेक करवा रहे हैं, यह भी कह दिया है.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- कृपया आप सभी लोग बैठ जाईये.(व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र :- यह जातिगत विद्वेश फैलाने की कोशिश करते हैं. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत :- आप जातिगत विद्वेश फैलाने की कोशिश करते हैं. (व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र :- यह इस हाऊस के फ्लोर पर राजनीतिक रोटियां सेकने की कोशिश करते हैं. इनको किसान की चिन्ता नहीं है. (व्यवधान) इस व्यक्ति भी नहीं बोला कि ओले पर स्थगन प्रस्ताव लो (व्यवधान) एक व्यक्ति नहीं बोला कि 10 किसान मर गये हैं, उस पर स्थगन लो. माननीय अध्यक्ष महोदय, इनको किसान की चिन्ता नहीं है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय:- आप लोग कृपा करने सदन चलने दीजिये. मेरा दोनों तरफ के सदस्य से अनुरोध है कि आप कृपया बैठ जाईये. सभी विषयों पर बातचीत करेंगे. कृपा करके बैठ जायें. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र :- अध्यक्ष महोदय कांग्रेस के लोक किसान विरोधी हैं. 10-10 किसान मर गये पर एक भी व्यक्ति ने नहीं कि स्थगन प्रस्ताव ले लो. (व्यवधान)
श्री सुन्दर लाल तिवारी :- हमने स्थगन दिया है. (व्यवधान)
डॉ नरोत्तम मिश्र :- एक भी व्यक्ति ने नहीं बोला. किसानों के नाम पर कागजी घोड़े दौड़ा कर औपचारिकता पूरी कर रहे हैं. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय :- सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित.
( सदन की कार्यवाही 11.36 बजे 10 मिनट के लिये स्थगित)
11.48 बजे विधान सभा की कार्यवाही पुन: समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय डॉ.सीतासरन शर्मा पीठासीन हुए}
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने स्थगन दिया हुआ है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
एक माननीय सदस्य - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझसे बोला था कि शून्यकाल में मुझे अपनी बात कहने की अनुमति देंगे.
अध्यक्ष महोदय - शून्यकाल होने नहीं देने दे रहे हैं. यदि शून्यकाल होगा तो आपको मैं अनुमति दूंगा.शून्यकाल की सूचनाएं. श्री सुदर्शन गुप्ता.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, मैं स्थगन के विषय में कहना चाहता हूं कि 5 मार्च से बारहवीं की परीक्षाएं...
डॉ.नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, वह स्थगन पढ़ रहे हैं. मेरा प्वाइंट आफ आर्डर उस स्थगन के बारे में ही है.
अध्यक्ष महोदय - वह स्थगन नहीं पढ़ रहे. वह स्थगन के विषय में अपना कुछ विषय बोल रहे हैं.
श्री रामनिवास रावत - मैं पढ़ नहीं रहा. मैं घटना बता रहा हूं.
अध्यक्ष महोदय - घटना मत बताईये. आप क्या चाहते हैं वह बताईये.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष महोदय, बारहवीं की बोर्ड रीक्षा जो 5 तारीख को हुई उस संबंध में मैंने स्थगन दिया हुआ है. मैं चाहता हूं उस स्थगन पर सरकार का जवाब आ जाये. आप चर्चा करा लें.
अध्यक्ष महोदय - वह लिखा हुआ आ गया है मेरे पास.
डॉ.नरोत्तम मिश्रा--माननीय अध्यक्ष जी हमारी नियम प्रक्रिया कार्य संचालन समिति की पुस्तक है और इसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि स्थगन प्रस्ताव की सूचना उस दिन जिस दिन प्रस्ताव करने का विचार हो बैठक के आरंभ होने के कम से कम दो घंटे पूर्व प्रमुख सचिव, सचिव अथवा प्राधिकृत अधिकारी को तीन प्रतियों में अध्यक्ष महोदय की सहमति लेकर के अभी सम्मानित सदस्य 9.00 बजे का कह रहे थे, जब उनका स्थगन 9.40 बजे प्राप्त हुआ है. वह किसी भी विषय पर नियम प्रक्रिया के तहत चर्चा में आया है अध्यक्ष महोदय आपको सर्वाधिकार है उसमें चर्चा कर सकते हैं, लेकिन इस तरह से तो कुछ भी नहीं हो सकता है.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, विषय की गंभीरता को देखते हुए मैंने चर्चा के लिये निवेदन किया है.
अध्यक्ष महोदय--आपका निवेदन आ गया है.
श्री रामनिवास रावत--मैं मानता हूं कि 8.00 बजे के पूर्व दिया जाना चाहिये विषय की गंभीरता को देखते हुए इसमें शासन का उत्तर आ जाए और इस पर चर्चा करा ली जाए या उसको कल चर्चा के लिये रख दीजिये.
श्री मुकेश नायक--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पूरा संकलन करके आपको दे दूंगा कि ऐसी परम्परा रही है अध्यक्ष महोदय ने पूर्व में संरक्षण दिया है, ऐसे गंभीर विषयों पर चर्चा करायी है मेरी विनम्र विनती है आपसे.
अध्यक्ष महोदय--मैंने चर्चा के लिये किसी भी बात के लिये मना नहीं किया है.
श्री रामनिवास रावत--यह तात्कालिक विषय है आज हम क्षेत्र से आ रहे थे इसलिये विलंब हो गया नहीं तो यह भी विलंब नहीं होता.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा--अध्यक्ष महोदय, 8 बजकर 20 मिनट पर मैंने प्रदेश में ओलावृष्टि तथा जबरदस्त बारिश हुई है उसके कारण फसलों का नुकसान हुआ उस बारे में स्थगन प्रस्ताव दिया है मेरा निवेदन है कि इस पर विचार किया जाना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय--ठीक है उस पर विचार कर लेंगे. माननीय रावत जी ने जो मुद्दा उठाया है जिसका समर्थन माननीय मुकेश नायक जी ने किया है आपने जो स्थगन प्रस्ताव दिया है विधान सभा में 9.40 बजे यहां पर रिसीव हुआ है अभी संसदीय कार्यमंत्री जी ने नियम पढ़कर के सुनाया है. आप भी यह जानते हैं दोनों मंत्री पद पर रह चुके हैं कि शासन को जानकारी बुलाने के लिये समय चाहिये और इसीलिये दो घंटे का नियम इसलिये नहीं बनाया है कि इसमें कोई तथ्य एवं तर्क है. इसमें तर्क यही है कि जानकारी वह मंगवा लें. चूंकि अभी उसको जानकारी के लिये भेजा गया है उसमें भी बिना जानकारी के उत्तर मांगना मैं नहीं समझता कि उचित होगा. अतः आपसे अनुरोध है कि शासन से जानकारी आने दें .
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--आप तो ऐसा कह रहे हैं कि 5.00 बजे ले लें.
श्री रामनिवास रावत--किसने कहा कि 5.00 बजे ले लें.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--आप कुछ भी मत कहिये यदि आप ऐसे कमेन्ट करेंगे, यह उचित नहीं है. मुकेश नायक जी ने भी कहा पूर्व में परम्पराएं रही हैं आज तक कभी भी ऐसी परम्परा नहीं रही आज तक स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार करने अथवा चर्चा कराने के लिये कभी भी नियमों की अवहेलना नहीं की गई और जैसा कि आपने स्वयं ने निर्देशित किया कि 2 घंटे का समय इसलिये दिया जाता है कि सरकार को अधिकृत जानकारी मंगाने के लिये पर्याप्त समय मिल जाए. यदि आप समय पर देते कार्यवाही प्रारंभ होने के 2 घंटे पूर्व देते और स्थगन प्रस्ताव आपका आता और 100 प्रतिशत आपका क्लेम था शासन 11.30 बजे तक हर हाल में आपका उत्तर विधान सभा को पहुंचा देती. दूसरी बात इन्होंने कहा कि 5.00 बजे ले लीजिये, तो क्या नियम कानून कभी भी हो जाएंगे ? आप सीनियर सदस्य हैं.
श्री मुकेश नायक--आप कार्यवाही निकालकर देख लें 5.00 बजे का हमने कहा ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय--यह बहस का विषय नहीं है. माननीय मंत्री जी आपकी बात आ गई है.
डॉ.गौरीशंकर शेजवार--मेरा इसमें कहना है कि हम खुद इतने गंभीर नहीं है कि समय पर प्रस्ताव को भेज सकें और सदन में आप बड़ी गंभीरता की बात कर रहे हैं. आप खुद इतने गंभीर नहीं हैं कि समय पर आप स्थगन प्रस्ताव को दे पाते.
श्री मुकेश नायक--आप आरक्षण के पक्ष में हैं या विपक्ष में यह बता दें.
श्री रामनिवास रावत--माननीय मंत्री जी ने कहा कि समय पर आपने स्थगन नहीं दिया हम लोग 2 घंटे पूर्व नहीं दे पाये, इसका यह मतलब नहीं है कि उसका उत्तर जानने का अथवा चर्चा करने का स्तर समाप्त हो गया है. आज नहीं तो कल ले लीजिये.
श्री मुकेश नायक--आप कल ले लीजिये.
अध्यक्ष महोदय--अभी माननीय सदस्यों ने आग्रह किया है कि इस विषय को कल लें लें शासन से जानकारी आ जाने दें उसके बाद ही निर्णय करेंगे.
श्री रामनिवास रावत--जानकारी आप कल तक बुलवा लें अध्यक्ष महोदय,
अध्यक्ष महोदय- कृपा करके सचिवालय हमको चलाने दें, आप नहीं चलाएं ।
श्री रामनिवास रावत- शेजवार साहब कह रहे हैं, हम तैयार हैं, सरकार जवाब देगी ।
...... (व्यवधान).....
अध्यक्ष महोदय - आप सभी बैठ जाएं, विषय खत्म हो गया है, शून्य काल की सूचना......
पंचायत मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) - अध्यक्ष महोदय, सदन की यह मान्य परंपरा रही है कि जब बजट सत्र चलता है तब बजट की मांगों पर चर्चा होती है और ऐसी कोई बात स्थगन के रूप में बीच में सामान्यत: नहीं ली जाती है । प्रदेश की कानून व्यवस्था भंग हो रही हों......(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत- जी, हां, भंग हो रही हैं, आप संविधान की मूल भावना से छेड़-छाड़ कर रहे हैं । (व्यवधान)
डॉं गौरीशंकर शेजवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन की परंपरा रही है कि जब बजट पर पर चर्चा चल रही हो तब स्थगन प्रस्ताव नहीं लिए जाते हैं ।
श्री मुकेश नायक - माननीय अध्यक्ष महोदय, आप कल का समय दे दें ।
डॉं गौरीशंकर शेजवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहता हूँ कि आरक्षण के प्रति, आप खुद आरक्षण पसंद नहीं करते और यदि आरक्षण पसंद करते तो साढ़े आठ बजे के पहले स्थगन देते, आपको इस विषय पर बात करने का कोई अधिकार नही है ।
(व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत- आप खुद आरक्षण विरोधी हो ।
श्री मुकेश नायक - आप मध्यप्रदेश में आरक्षण के खिलाफ बोल रहे हो, आप उस वर्ग से आते हो, यह शर्म की बात है कि आप उनके हितों के खिलाफ विधानसभा में बोल रहे हो और व्यवधान डाल रहे हो, उस स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा नहीं करा रहे हो । (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत- जिस तरह से अनुसूचित जाति, जनजाति के अधिकारों के विरूद्व बोल रहे हैं .......(व्यवधान)
डॉं गौरीशंकर शेजवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे ऊपर आरोप लगाए जा रहे हैं ।
अध्यक्ष महोदय- कृपया आप सभी बैठ जाएं । (व्यवधान)
श्री मुकेश नायक- आप उस वर्ग से आते हो, फायदा लेते हो और उसके खिलाफ बोल रहे हो । (व्यवधान)
डॉं गौरीशंकर शेजवार- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे ऊपर आरोप लगाए गए हैं, मुझे बोलना पड़ेगा ।
अध्यक्ष महोदय- श्री मुकेश नायक और डॉं साहब से मेरा अनुरोध है कि आप बैठ जाएं । माननीय संसदीय कार्य मंत्री जी आप कृपया बैठाएं ।
श्री लाखन सिंह यादव- माननीय अध्यक्ष महोदय, आरक्षण का लाभ लेकर यहां बैठे हुए हैं और आरक्षण के विरोध में बोल रहे हैं ।
डॉं गौरीशंकर शेजवार - माननीय अध्यक्ष महोदय, मुकेश नायक ने मेरे ऊपर आरोप लगाए हैं, मुकेश नायक सबसे बड़ा आरक्षण विरोधी है,अनुसूचित जाति का सबसे बड़ा विरोधी है, उसे आगे नहीं बढ़ने दिया और आज आप चाहते हो कि आरक्षण खत्म हो । भारतीय जनता पार्टी आरक्षण को कभी समाप्त नहीं करना चाहती है । (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय- माननीय मंत्री जी से मेरा अनुरोध है कि बैठ जाएं ।
डॉं गौरीशंकर शेजवार- आरक्षण रहेगा और तुम्हारे मंसूबे पूरे नहीं रहेंगे ।
अध्यक्ष महोदय- आपकी बात आ गई है, माननीय वनमंत्री जी से मेरा अनुरोध है,कृपया अपना स्थान ग्रहण करें,कृपया आप बैठ जाएं ।
श्री मुकेश नायक- ये आरक्षण का विरोध कर रहे हैं, समाज के नाम पर कुसिर्यों पर बैठे हुए हो और उनके हितों पर बात नहीं करने दे रहे हो, धन, प्रतिष्ठा, राजनीति हासिल कर ली और उनके बारे में बोलने नहीं देते हो । ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये, वे भी बैठ जायेंगे. आरिफ जी बैठ जाइये.(बहुत से माननीय सदस्य एक साथ खड़े होकर बोलने लगे)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह प्वाइंट ऑफ ऑर्डर है, यह व्यवस्था का प्रश्न है. (व्यवधान)
श्री गोपाल भार्गव - अध्यक्ष महोदय, जिन लोगों ने शिवभानु सिंह सोलंकी को मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया. शिवभानु सिंह सोलंकी आदिवासी थे, जनजाति के थे, उन लोगों को आपने मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया. अब क्या आरक्षण (व्यवधान)
श्री मुकेश नायक - अब पता लगा कि शेजवार इसलिए मुख्यमंत्री नहीं बन पाये कि ये आरक्षण विरोधी हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है.
अध्यक्ष महोदय - मैंने प्वाइंट ऑफ ऑर्डर एलाउ किया. जरा, प्वाइंट ऑफ ऑर्डर सुन लें. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत - वैसे तो शून्यकाल है. शून्यकाल में प्वाइंट ऑफ ऑर्डर नहीं होता.
अध्यक्ष महोदय - शून्यकाल में कोई प्वाइंट ऑफ ऑर्डर नहीं होता. ठीक बात है. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - नहीं, प्रश्नकाल के अलावा कभी भी होता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप इसमें देख लें. मेरी बात एक सेकेण्ड के लिये सुन लें कि भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से आरक्षण की पक्षधर है.
अध्यक्ष महोदय - यह विषय बहस का नहीं है. आरक्षण पर कोई बहस नहीं हो रही है. मैंने किसी को एलाउ नहीं किया है. (व्यवधान)
डॉ. नरोत्तम मिश्र - यह विषयान्तर करने की कोशिश की जा रही है, इसमें लिखा है. परीक्षा का प्रश्न-पत्र पूरी तरह से गोपनीय होता है. आपने मेरे शून्यकाल में व्यवस्था दे दी है. इस व्यवस्था में आप इनसे चर्चा करेंगे, सरकार 2 घण्टे में जवाब आपको देगी. विषय समाप्त हो जाता है.
अध्यक्ष महोदय - आप लोग बैठ जाइये. अभी एलाउ करता हूँ. डॉक्टर साहब अभी अति हो रही है. माननीय वन मंत्री जी आप बैठ जाइये. (व्यवधान)
डॉ. गौरीशंकर शेजवार (श्री मुकेश नायक की ओर इशारा करते हुए)- ये बाला बच्चन की खिलाफत करके नेता प्रतिपक्ष बनना चाहते हैं. आज विधानसभा में आरक्षण का विरोध कर रहे हैं. (व्यवधान)
श्री रामनिवास रावत - डॉक्टर साहब चर्चा करवा लीजिये. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्रीगण बैठ जाइये.
श्रीमती शीला त्यागी - माननीय अध्यक्ष महोदय, यह भारतीय संविधान की परम्पराओं के विरूद्ध है, कोई भी जनहित के मुद्दे आते हैं तो चर्चा में शामिल किया जाना चाहिए. दोषी व्यक्तियों को सस्पेंड किया जाना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - आप बैठ जाइये. भार्गव जी बैठ जाइये. कृपा कर बिना अनुमति के नहीं बोलें. माननीय महोदय, कम से कम सुनने की आदत डालिये. उन्हीं को बोला है. उसमें भी एतराज है तो बैठ जाता हूँ. मेरा संसदीय कार्य मंत्री जी से भी अनुरोध है कि व्यस्था आने दें और सभी उनके सदस्यों को भी समझायें और प्रतिपक्ष के नेताजी से, माननीय इस विषय पर कृपा कर बैठ जाएं. मैंने अनुमति नहीं दी है. मैंने श्री अजय सिंह जी को अनुमति दी है.
श्री अजय सिंह - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो स्थगन, हम लोगों ने प्रस्तुत किया है. श्री मुकेश नायक, श्री रामनिवास रावत, श्री जितु पटवारी और मैंने, बहुत संवेदनशील विषय है. इसमें आपने कहा कि चर्चा तब लेंगे, जब जानकारी आ जायेगी.
अध्यक्ष महोदय - मैंने चर्चा कर लेंगे का नहीं कहा, निर्णय कर लेंगे. थोड़ा संशोधन कर लीजिये.
डॉ. गौरीशंकर शेजवार - अब सिर्फ अजय सिंह जी को बोलने दें. ये तो अनुसूचित जाति के नहीं हैं. केवल तुम अनुसूचित जाति के लोगों को दबाने की बात कर रहे हो.
श्री मुकेश नायक - डॉक्टर साहब, आप अनुसूचित जाति के विरोधी हो. आप आरक्षण के नाम पर मंत्री बन गये हैं. अगर आरक्षण नहीं होता सरपंच नहीं बन पाते.
श्री ऊषा चौधरी - आप तो अनुसूचित जाति के हो. आप तो संविधान के अन्दर की बात करें.
अध्यक्ष महोदय - श्री अजय सिंह जी बोलें.
श्री रामेश्वर शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, पूरी कांग्रेंस पार्टी इस बात से डर रही है कि देश के प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी जी ..
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, सिर्फ अजय सिंह जी का लिखा जायेगा.
श्री रामेश्वर शर्मा -- .. और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह कहा है कि जब तक भारतीय जनता पार्टी सरकार में है, कोई (XXX) आरक्षण खत्म नहीं कर सकता. इसलिये ये भय ग्रस्त हैं.
..(व्यवधान)..
श्री सुन्दरलाल तिवारी-- शर्मा जी, क्या आप (XXX) असहमत हैं.
अध्यक्ष महोदय -- तिवारी जी, बैठ जाइये.
श्री सुन्दरलाल तिवारी -- शर्मा जी, आप (XXX) असहमत हो कि नहीं, बताइये.
अध्यक्ष महोदय -- यह विलोपित कर दीजिये. आप नाम नहीं ले सकते.
श्री रामेश्वर शर्मा -- तिवारी जी, संविधान की बात संविधान के अनुसार रखें और अगर आपको और फोरम पर चर्चा करनी है, तो हम उस फोरम पर भी चर्चा करने के लिये तैयार हो जायेंगे.
श्री अजय सिंह -- अध्यक्ष महोदय, यह आपस में क्या चर्चा हो रही है.
श्री रामेश्वर शर्मा -- अजय सिंह जी, (श्री सुन्दरलाल तिवारी की ओर इशारा करते हुए) आप उनको समझाइये ना.
श्री अजय सिंह -- आप थोड़ा बैठिये.
अध्यक्ष महोदय -- सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिये स्थगित.
(विधान सभा की कार्यवाही 12.06 बजे से 10 मिनट के लिये स्थगित हुई.)
12.18 बजे विधानसभा की कार्यवाही पुन: समवेत हुई.
[अध्यक्ष महोदय(डॉ.सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए]
अध्यक्ष महोदय -- मेरा माननीय वरिष्ठ सदस्य अजय सिंह जी से अनुरोध है कि चूंकि अब वह विषय समाप्त हो गया है इसलिये कोई वाद विवाद उस विषय पर न करें. जैसा कि मैंने पहले ही कहा है कि विषय की जानकारी आ जाये उसके बाद में निर्णय करेंगे. (श्री अजय सिंह द्वारा हाथ उठाये जाने पर) ठीक है, अजय सिंह जी को सुन लेंते हैं, लेकिन कोई इस पर प्रतिक्रिया नहीं देगा.
श्री अजय सिंह -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ आपसे यह गुजारिश कर रहा था कि आपने जो निर्णय दिया है कि जानकारी आने पर विचार कर लेंगे. सदन की भावना है यह बहुत ही संवेदनशील मामला है, संविधान के ऊपर आक्षेप आ रहे हैं, इसलिये जानकारी आने पर इस विषय को आप चर्चा में ले लें. इतनी ही आपसे गुजारिश है.
(श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा के खडे होने पर)
अध्यक्ष महोदय-- अब नहीं, प्लीज.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- अध्यक्ष महोदय, मैं इस मामले को नहीं ले रहा हूं. ओला पीडि़त वाला मामला है.आप उसको लेंगे ? मैंने 8.20 पर स्थगन दिया है.
अध्यक्ष महोदय--(हंसते हुये) सबमें हां अभी करवा लेंगे आप. आप उस विषय को आने दें, आने के लिये मैने कहा है कि आप अपनी बात कह लेना, यह मैं कह रहा हूं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा- आप मौका देंगे सर.
अध्यक्ष महोदय-- हां मौका देंगे.
12.19 बजे नियम 267-क के अधीन विषय
(1) इंदौर जिले में लाड़ली लक्ष्मी योजना के लाभ संबंधी प्रमाण पत्रों का
वितरण न होना.
श्री सुदर्शन गुप्ता(इन्दौर-1) माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है :-
मध्यप्रदेश शासन की महत्वाकांक्षी लाड़ली लक्ष्मी योजना सरकारी कार्यालयों में विभागीय लापरवाही के कारण दम तोड़ती नजर आ रही है. 1 अप्रैल 2007 से शुरू की गई, लाड़ली लक्ष्मी योजना में मौजूदा दिनांक तक अकेले इन्दौर में 10 हजार से ज्यादा प्रमाण-पत्रों का वितरण नहीं हो पाया है. जिससे नागरिकों में भारी रोष व्याप्त है.
लाड़ली लक्ष्मी योजना में इन्दौर में मौजूद सभी विकासखण्डों में 3 माह पूर्व आवेदन करने के बाद भी विभागीय पैंडेंसी 10 हजार पार कर चुकी है, हालांकि विभागीय अधिकारियों ने इसे रूटिन कार्य बताते हुये संतोष जाहिर किया है, वहीं योजना का लाभ न मिल पाने से हितग्राहियों में निराशा का भाव झलकने लगा है. लाड़ली लक्ष्मी योजना को अब ई-लाड़ली करते हुये पूरी प्रक्रिया आनलाईन कर दी है. अब आवेदक आवश्यक दस्तावेजों के साथ सीधे या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से परियोजना कार्यालय, लोक सेवा केन्द्र या किसी भी इन्टरनेट कैफे से आवेदन कर पंजीयन कर सकता है. असल परेशानी आवेदन करने के बाद शुरू होती है. आवेदन स्वीकृति के लिये सभी दस्तावेजों का परीक्षण परियोजना कार्यालय से किया जा रहा है. अब यहां हालात यह है कि इन्दौर विकासखण्डों में डाटा तो तैयार है, लेकिन उसके प्रिंट होने और दस्तावेज प्रमाणीकरण की प्रक्रिया धीमी होने से यह प्रमाण पत्र अटक रहे हैं. प्रदेश शासन व जिला प्रशासन को इस ओर ध्यान देते हुये लाड़ली लक्ष्मी योजना के प्रमाण पत्र शीघ्र हितग्राही को उपलब्ध करना अति आवश्यक है.
(2) प्रदेश की बांझ महिलाओं के टेस्ट ट्यूब बेवी की व्यवस्था की जावे
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया (मंदसौर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
बांझपन से ग्रसित शिकार महिलाएं सामाजिक प्राताड़ना, उलाहनों व मानसिक वेदनाओं से ग्रसित रहती हैं, ऐसी महिलाओं का दाम्पत्य जीवन सुखमय भी नहीं रह पाता है. कई महिलाओं का दाम्पत्य जीवन बीच में टूट जाता है उन्हें संतान हीनता के कारण दम्पत्य अधिकारों से पृथक तथा तलाक जैसी प्रक्रिया पर भी मजबूर होना पड़ता है, शासन ऐसी महिलाओं के स्वास्थ्य विभाग की नई व्यवस्था जोड़कर टेस्टट्यूब बेबी अथवा संपूर्ण उपचार बांझपन से मुक्त होने की व्यवस्था कर महिलओं को सामाजिक न्याय प्रदान करें. शासन बांझपन से ग्रसित महिलाओं के सम्पूर्ण उपचार की व्यवस्था सुनिश्चित करे.
(3) छतरपुर जिले के चंदला क्षेत्र में सूखा राहत राशि में वितरण में अनियमितता.
श्री आर.डी. प्रजापति (चंदला)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
छतरपुर जिले की चंदला विधान सभा क्षेत्रांतर्गत पानी न बरसने के कारण रवी और खरीब की फसल की बोनी नहीं हो पाई जिससे सूखा राहत (मुआवजा) की राशि के वितरण तहसील गौरिहार, चंदला, लवकुशनगर में पदस्थ तहसीलदार व पटवारियों द्वारा कोई मापदंड निर्धारित न करते हुये जिस किसान से जिस तरह की रिश्वत प्राप्त हुई उसी को आधार मानते हुये मनमानी से सूखा राहत राशि का वितरण किया गया और मजबूरन धरना प्रदर्शन हो रहे हैं. धरना प्रदर्शन के चलते कुछ पटवारियों को निलंबित भी किया गया है जिससे किसानों में भारी आक्रोश व्याप्त है.
अध्यक्ष महोदय-- श्री रमाकांत तिवारी, (अनुपस्थित).
(4) सागर जिले के ग्रामों में विद्युत कनेक्शन काटे जाना.
इंजी. प्रदीप लारिया (नरयावली)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
नरयावली विधानसभा क्षेत्र जिला सागर के अधिकांश गांवों में ऊर्जा विभाग/बिजली विभाग द्वारा गांवों के विद्युत कनेक्शन विच्छेद किये जा रहे हैं. विच्छेद करने का कारण गांवों के उपभोक्ताओं द्वारा बिल का भुगतान न करना है. वर्तमान में ग्रामीणजन प्राकृतिक प्रकोप के कारण फसल का उत्पादन न होना एवं मुआवजा राशि न मिलने के कारण परेशान हैं, फसल आने पर विद्युत बिल का भुगतान करने तैयार हैं. वर्तमान में हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्ड्री परीक्षा समीप है. विभाग द्वारा विद्युत कनेक्शन या ट्रांसफार्मर उठा ले जाने के कारण छात्र-छात्राओं एवं नल जल योजनायें प्रभावित होंगी. छात्र छात्राओं के भविष्य को देखते हुये विद्युत विच्छेद नहीं किया जावे. ऐसा करने से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है.
(5) श्योपुर जिला मुख्यालय में 220 के.व्ही का उपकेन्द्र स्थापित किया जावे.
श्री दुर्गालाल विजय (श्योपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी शून्यकाल की सूचना का विषय इस प्रकार है-
(6) जावरा शहर में बहने वाली पीलिया खाल को प्रदुषण मुक्त किये जाने.
श्री राजेन्द्र पाण्डेय(जावरा)--अध्यक्ष महोदय, जावरा शहर मध्य स्थित बहकर जाने वाली पीलिया खाल शहर के एक बड़े गंदे नाले के रुप में परिवर्तित होकर पर्यावरण को प्रदुषित कर,गंभीर बीमारियां फैलाने का कारण बन चुकी है. चूंकि नाले के दोनों ओर घनी आबादी एवं आवासीय क्षेत्र होकर आमजन प्रदूषित जल पीने एवं प्रदूषित पर्यावरण के कारण गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहा है. तत्कालीन वर्षों में इसके कारण लगभग 116 बच्चे पोलियोग्रस्त होकर विकलांग हुए, यह प्रमाणित भी हुआ है. अतएव पीलिया खाल को प्रदूषण मुक्त किये जाने की कार्ययोजना की पहल शीघ्र की जावे, ताकि आमजन की स्वच्छता एवं स्वास्थ्य की पूर्ति की जा सके.
अध्यक्ष महोदय--श्री अरुण भीमावद (अनुपस्थित)
(7) शालेय शिक्षा विभाग द्वारा 'वह अमर छलांग ' योजना बंद किये जाने.
श्रीमती अर्चना चिटनिस(नेपानगर)--शालेय शिक्षा विभाग द्वारा वह अमर छलांग नामक कार्यक्रम चलाकर छात्रों को खेल तथा स्वास्थ्य के साथ साथ देश के ऐतिहासिक प्रसंगों के माध्यम से देश भक्ति की भावना से परिचित कराने का कार्य कराया जा रहा था परंतु उक्त बहुउद्देशीय योजना को बंद करने से शालेय स्तर से ही विद्यार्थियों में देश प्रेम की भावना तथा इतिहास से जुड़ाव खत्म हो रहा है जिससे उनमें सार्वजनिक जीवन में अवांछित लोगों को नायक मानने की प्रवृत्ति पनप रही है जो बहुत चिंता का विषय है. ऐसी स्थिति में सम्पूर्ण समाज में उक्त योजना को निरंतर चलायमान ना रखने से बहुत चिंता तथा रोष व्याप्त है.
अध्यक्ष महोदय-- श्रीमती सरस्वती सिंह(अनुपस्थित)
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार(सुमावली)--अध्यक्ष महोदय, मेरे ग्वालियर और चम्बल संभाग में इस प्रकार ओलावृष्टि हुई है, जिसकी कल्पना भी हम लोग नहीं कर सकते. सुबह जब हम सदन में आये और आपसे से भी मैंने भेंट की. मुझे लगा कि अगर सदन में सबसे पहले किसी विषय पर चर्चा होगी तो प्रदेश के जो ओला पीड़ित किसान हैं, दुखी किसान हैं, उनकी चर्चा होगी. लेकिन हमारे विपक्ष भाईयों ने..
अध्यक्ष महोदय--आप किसी पर आरोप न लगायें. आप किसानों की बात कहें.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--अध्यक्ष महोदय, मेरे सुमावली विधानसभा में, जौरा,मुरैना,अटेर,मेहगांव,सबलगढ़ और मुझे जहां तक मालूम है कि प्रदेश के बहुत सारे हिस्सों में ओलावृष्टि हुई है जिसके कारण किसानों की फसल पूरी तरह बरबाद हुई है. सुबह मेरे पास लोगों के फोन आये कि भाई साहब ! इस कदर फसल बरबाद हुई है कि एक भी दाना नहीं बचा.
अध्यक्ष महोदय--ठीक है. आपकी बात रिकार्ड में आ गई.
श्री सत्यपाल सिंह सिकरवार--अध्यक्ष महोदय, मैं सदन में अपने मित्रों से यह कहना चाहता हूं कि पहले किस विषय पर चर्चा होना चाहिए. आज किसान दुखी है. जिसके आंसू अभी तक हम लोग नहीं पोंछ पाये, उनकी चर्चा होना चाहिए. जितू भाई ने एक कागज का पन्ने पर हंगामा खड़ा कर दिया.
अध्यक्ष महोदय--अब कुछ रिकार्ड में नहीं आयेगा.बैठ जाईये.
श्री गिरीश भण्डारी ( नरसिंहगढ़ )- अध्यक्ष महोदय, मेरे राजगढ़ जिले के नगर सारंगपुर में एक नाबालिग छात्र अभिषेक टेलर को पुलिस द्वारा बिना कोई कार्यवाही के, बिना किसी आरोप के..(व्यवधान).. वह छात्र 4 दिन से गायब है, उसकी परीक्षा चल रही है. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे समय दिया है, वह छात्र 4 दिन से गायब है और पुलिस ने अकारण धारा 151 की कार्यवाही उस पर की है. अध्यक्ष महोदय, राजगढ़ जिले के नगर सारंगपुर के एक नाबालिग छात्र अभिषेक टेलर जो कि कक्षा 9वीं का छात्र है और जिसकी परीक्षा चल रही है, उसको एक वाट्स-अप के मैसेज के आधार पर वहां के क्षेत्रीय विधायक ने पुलिस पर दबाव बनाकर उस छात्र को जेल में बंद करवा दिया. वह छात्र जमानत होने के बाद आज तक लापता है.
अध्यक्ष महोदय - नहीं, इस तरह से आरोप नहीं, यह विलोपित कर दें. अब आप बैठ जाइए.
श्री गिरीश भण्डारी - अध्यक्ष महोदय, वह छात्र 4 दिन से लापता है, उसकी 9 मार्च को परीक्षा है.
अध्यक्ष महोदय - जो आपने आरोप लगाया है, वह विलोपित कर दिया है, बाकी बात आ गई.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली) - अध्यक्ष महोदय, मैंने 8 बजकर 20 मिनट पर स्थगन प्रस्ताव दिया है, न केवल मुंगावली, अशोकनगर में, वरन् प्रदेश के अधिकांश जिलों में भिण्ड, मुरैना से लेकर, विन्ध्यप्रदेश से लेकर, पचमढ़ी और चारों ओर जबर्दस्त ओला वृष्टि और अतिवृष्टि हुई है, उसके कारण किसानों का बहुत नुकसान हुआ है. पहले ही किसानों को बीमा की राशि और मुआवजे की राशि नहीं मिली है और यह कहर टूट पड़ा है. मुझे नहीं लगता कि यह सरकार के जो कर्मचारी हैं, वे हर जगह जा नहीं रहे हैं. मैं मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि वह पटवारियों और कर्मचारियों को हर जगह भेजें और सही आकलन करके उनको मुआवजा देने का इंतजाम करें.
श्री घनश्याम पिरोनियां (भाण्डेर) - अध्यक्ष महोदय, भाण्डेर विधान सभा क्षेत्र के गौदन, रमपुरा, कुतौली, काशीपुरा, कमलापुरी, उड़ीना, भलका, इरौनी, आदि सहित अनेक ग्रामों में अतिवृष्टि और ओलावृष्टि हुई है. फसलें बर्बाद हुई हैं. इससे पूर्व भी 3 वर्षों से हमारा विधान सभा क्षेत्र से जूझ रहा है. मेरा निवेदन है कि राजस्व अमले को भेजकर उसकी एक बार जांच हो जाए और किसानों को उसका मुआवजा मिल जाए, यही निवेदन में करता हूं.
इंजी. प्रदीप लारिया (नरयावली) - अध्यक्ष महोदय, 5 तारीख को शनिवार को रात के लगभग 9 और 10 बजे के बीच में नरयावली विधान सभा क्षेत्र के लगभग 10 गांवों में जिसका मैं उल्लेख करना चाहता हूं कि ध्वाब, मैहर, लोहारी, सेवारासेवारी, कानौनी, मढ़ियागोंट सेवासासेवारी, पिपरियाखंगार, लगभग 10 गांवों में बड़े-बड़े ओले गिरे हैं. अध्यक्ष महोदय, रविवार को मुझे जैसे ही सूचना मिली, मैं गांव में गया तो गांव के लोगों ने बताया कि कम से कम 50 ग्राम से लेकर 100 ग्राम के ओले, जो शनिवार को गिरे थे, वह रविवार को दोपहर में भी वह ओले पिघले नहीं थे. किसानों की फसल बर्बाद हो गई है. अध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि उसका सर्वे हो जाय और उनको उसका जल्दी से मुआवजा मिल जाय.
श्री संदीप जायसवाल - मेरे क्षेत्र में भी यही स्थिति है. (व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय - सब जगह यही बात है. आपका क्या विषय है?
डॉ. कैलाश जाटव (गोटेगांव) - अध्यक्ष महोदय, गोटेगांव विधान सभा में 6, 7 और 8 तारीख को लगातार तीन दिन से ओलावृष्टि हुई है, पूरे क्षेत्र में किसानों का नुकसान हुआ है. मेरा निवेदन है कि जांच दल गठित करके वहां की जांच कराई जाय और किसानों को मुआवजा दिलवाया जाय. नरसिंहपुर जिले में 3 दिन ओलावृष्टि हो रही है. कल गोटेगांव में इतनी अधिक ओलावृष्टि हुई है कि पूरी फसल नष्ट हो गई है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - अध्यक्ष महोदय, सभी जगह की मांग है, सभी जगह के सर्वे के भी आदेश दे दिये हैं, सभी जगह के आंकलन के आदेश भी दे दिये हैं, कर्मचारी- अधिकारी भी भेज दिये हैं. एक ही विषय आ रहा है, अध्यक्ष महोदय.
डॉ गोविन्द सिंह (लहार ) -- अध्यक्ष महोदय मुरैना जिले में रेत माफिया द्वारा ट्राली पकड़कर एक वनकर्मी नरेन्द्र शर्मा की हत्या कर दी है. ..(व्यवधान) पूराअवैध उत्खनन हो रहा है.
श्री सुन्दरलाल तिवारी ( गुढ़ )-- अध्यक्ष म होदय रीवा जिले में भी अतिवृष्टि और ओलावृष्टि की वजह से फसलों का नुकसान हो गया है, पूरा रीवा जिला प्रभावित हुआ है, साथ ही हमारा विधान सभा गुढ़ हुआ है बरिया, बासी, इमरती, देवरा, थमरा, पड़ोखर बमहगना इन गावों में अरहर गेहूं की फसलें खराब हो गई हैं. सर्वे करवाकर इन किसानों को मुआवजा दिलाने का कष्ट करें.
अध्यक्ष महोदय -- सभी माननीय सदस्यों ने यह ओले के संबंध में अपनी अपनी बात रखी है और यहां पर चर्चा रखने की भी बात कहीहै माननीय राजस्व मंत्री जी इस विषय पर कुछ कह रहे हैं.
राजस्व मंत्री ( श्री रामपाल सिंह ) -- अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्यों ने जो चिंता व्यक्त की है पूरे प्रदेश में वहां के कलेक्टरों को निर्देश दिये जा चुके हैं, जैसे ही खबर मिली की ओले गिरे हैं मैंने भी कलेक्टरों से चर्चा की है, और राजस्व, कृषि और पंचायत तीनों विभागों के अधिकारी सर्वे के लिए निकल पड़े हैं, शासन की तरफ से जैसा कि पूर्व मंत्री श्री महेन्द्र सिंह जी कह रहे थेतो पुरानी राशि भी बंट गई है, किसानों को किसी तरह की कोई कठिनाई न हो इसके निर्देश दिये गये हैं पारदर्शिता से सर्वे करें, और तुरंत किसानों को सहायता दी जायेगी. हमारे माननीय सदस्य उसमें कोई चर्चा रखना चाहते हैं तो उसके लिए भी हम तैयार हैं पिछली बार भी विपक्ष की तरफ से मामला नहीं आया था तो मैंने स्वयं पहल करके विधान सभा में चर्चा करवाई थी. हम तैयार हैं मध्यप्रदेश की सरकार किसानों की सरकार है.
अध्यक्ष महोदय -- अब कोई नहीं बोलेगा श्री बाला बच्चन जी को एलाऊ किया है.(व्यवधान)...( श्री ओमकार सिंह मरकाम जी के द्वारा अपनी बात बोलने का कहने पर, ) नहीं, अब वह विषय मंत्री जी के बोलने के बाद में समाप्त हो गया है. अब मैंने केवल बाला बच्चन जी को एलाऊ किया है. मंत्री जी चर्चा कराने के लिए भी तैयार हैं. (..व्यवधान)......... कृपया सभी सदस्य बैठ जायें. दिनेश राय जी ओमकार सिंह जी सभी माननीय सदस्य बैठ जायें.मैंने केवल श्री बाला बच्चन जी को एलाऊ किया है.
श्री बाला बच्चन -- माननीय अध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से और सरकार से आग्रह करना चाहता हूं कि जिस तरह से अभी राजस्व मंत्री जी ने अपने ब्यान में कहा है कि राजस्व, कृषि और पंचायत विभाग के कर्मचारी खेतों तक पहुंचे हैं. बड़वानी जिले की मेरी राजपुर विधान सभा की जानकारी लेकर आया हूं. माननीय मंत्री जी सरकारी तंत्र खेतों तक नहीं पहुंचा है. बड़वानी जिला, बैतूल, छिंदवाड़ा, डिंडौरी, मण्डला और सिवनी के लिए सरकारी तंत्र खेतों तक पहुंचना आवश्यक है. सर्वे करायें और मुआवजा राशि जल्दी दिलवायें.
अध्यक्ष महोदय -- आपकी बात पर, सभी माननीय सदस्यों की बात की चिंताओं को लेकर माननीय राजस्व मंत्री जी ने एक वक्तव्य दिया है. उस पर आपने अपनी प्रतिक्रिया भी दे दी. अब यहां पर कोई बहस नहीं हो रही है. आपसे अनुरोध है कि कृपया सहयोग करें...
( माननीय श्री ओमकार सिंह मरकाम जी बिना माइक के लगातार बोलते रहने पर )
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- ( X X X )
अध्यक्ष महोदय -- नहीं लिखा जायेगा. अब हम आगे बढ़ गये हैं. हमेशा समय देते हैं आपको. इस तरह से जिद नहीं करेंगे हमेशा समय देते हैं. ओमकार सिंह जी का कुछ भी रिकार्ड में नहीं आयेगा.
समय 12.39 बजे.
पत्रों का पटल पर रखा जाना.
अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय का द्वितीय वार्षिक प्रतिवेदन 2013-14 तथा
महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-14 एवं 2014-15.
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री उमाशंकर गुप्ता ) -- अध्यक्ष महोदय मैं (क) अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय अधिनियम, 2011 ( क्रमांक 34 सन् 2011 ) की धारा 44 की उपधारा (2) की अपेक्षानुसार अटर बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय का द्वितीय वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-14 तथा
(ख) - चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1991 (क्रमांक 9 सन् 1991 ) की धारा 36 की उपधारा (5) की अपेक्षानुसार महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट जिला सदना का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2013-14 एवं 2014-15 पटल पर रखता हूं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- अब आगे बढ़ गए हैं, कृपा करके सहयोग करें, हमेशा आपको समय देते हैं.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, इस तरह से जिद नहीं करेंगे आप, प्लीज. ध्यानाकर्षण की सूचना. श्री कैलाश चावला.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- ओमकार सिंह मरकाम जी का कुछ रिकार्ड में नहीं आएगा.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, एक मिनट का समय दे दीजिए माननीय विधायक जी को.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- नहीं, दे दिया समय, अब पीछे नहीं जाएंगे. सभी सदस्यों को वही बोलना है.
श्री बाला बच्चन -- अध्यक्ष महोदय, वे ऐसे क्षेत्र से चुनकर आते हैं, उनको एक मिनट का समय दे दीजिए.
अध्यक्ष महोदय -- उनकी बात आ गई रिकार्ड में, अब पीछे नहीं जाएंगे, इस तरह से परंपराएं ठीक नहीं होंगी.
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (xxx)
अध्यक्ष महोदय -- जी नहीं, आप कृपया शांति रखें, दूसरों को बोलने दें. बिल्कुल नहीं, कुछ रिकार्ड में नहीं आएगा.
12.41 बजे ध्यान आकर्षण
(1) नीमच जिले के मनासा क्षेत्र में बिजली के बिल के नाम पर लोगों को परेशान
किया जाना
श्री कैलाश चावला-- अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यानाकर्षण की सूचना का विषय इस प्रकार है -
12.42 बजे गर्भगृह में प्रवेश एवं बहिर्गमन
श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्य द्वारा गर्भगृह में प्रवेश एवं बहिर्गमन
श्री ओमकार सिंह मरकाम -- (xxx)
(श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्य अपनी बात कहते हुए अपने आसन से उठकर गर्भगृह में आए तथा कुछ ही क्षण पश्चात् सर्वश्री बाला बच्चन एवं रामनिवास रावत, सदस्यों द्वारा गर्भगृह में आकर उन्हें अपने आसन पर जाने की समझाइश दी गई किंतु श्री ओमकार सिंह मरकाम, सदस्य द्वारा उनकी बात को न सुने जाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया गया.)
ऊर्जा मंत्री (श्री राजेन्द्र शुक्ल) -- माननीय अध्यक्ष महोदय,
श्री कैलाश चावला-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी का जवाब मैंने सुना. मूल बात छोड़कर सब बातें जवाब में हैं. मैंने न तो यह पूछा कि नीमच जिले में क्या हुआ, आपने नीमच जिले का उल्लेख कर दिया. मैंने केवल मनासा विधानसभा क्षेत्र की जानकारी आपसे पूछी थी. मैंने आपसे यह भी नहीं पूछा था कि इसके प्रावधान अपील के क्या क्या हैं. आपने अनावश्यक रुप से एक पैरा और उसमें जोड़ दिया. मूल बात यह है कि जो प्रकरण बनाया गया, वह जो नोटिस मिला है, उसमें लिखा है कि विद्युत चोरी की गयी जबकि आपके जवाब में यह नहीं आ रहा है कि विद्युत चोरी की गयी. नोटिस जिस आधार पर जारी किया गया, उसमें विद्युत चोरी की बात आपने उल्लेखित की है और इसमें आप कह रहे हैं कि ऐसी व्यवस्था की गयी थी. मेरा सीधा सीधा मंत्री जी से प्रश्न है कि जिस समय निरीक्षण किया गया, क्या सिंचाई फीडर से इण्डस्ट्री चल रही थी? सिंचाई फीडर क्या उस समय चालू था जिसको आरोप लगाया जा रहा है कि सिंचाई फीडर से हम इण्डस्ट्री चला रहे थे तो क्या यह उपभोक्ता वैसा कर सकता था अगर सिंचाई फीडर बंद था तो, इसकी जानकारी मंत्री जी दें।
श्री राजेन्द्र शुक्ल--- माननीय अध्यक्ष महोदय, जवाब तो नीमच जिले के मनासा विधानसभा से जुड़ा हुआ ही दिया गया है. जहाँ तक चावला जी का कहना है कि सिंचाई के फीडर में जब 10 घन्टे के अलावा घन्टे होते हैं, उस समय क्या कृषि वाले, एग्रीकल्चर वाले में वह कृषि की बिजली जा नहीं सकती थी. इसमें जो मामला सामने आया है , वह कृषि फीडर के एलटी लाइन को , इंडस्ट्रियल लाइन के एलटी लाइन तक पहुंचाना और इंडस्ट्रियल के एलटी लाइन से कृषि तक पहुंचाने का मामला है. यह एक तरह से इनफ्लो और आउटफ्लो दोनों का अरेजमेंट उसमें प्राइमाफेसी दिखाई देता है. मैं सीधे-सीधे आपकी बात को नहीं काट रहा हूं लेकिन जो रिपोर्ट आई है उसके आधार पर बिजली जब चाहे एग्रीकल्चर फीडर से इंडस्ट्रियल में पहुंचाई जा सकती थी क्योंकि दो-तीन सौ मीटर का ही अंतर है. इस प्रकार का यह अरेजमेंट है,एक नीम का पेड़ है ,जिसमें एलटी लाइन लाकर वहाँ पर पहुंचाई गई और इंडस्ट्रियल से भी एलटी लाइन वहाँ पहुंचाई गई और आवश्यकतानुसार उसको जोड़ने की व्यवस्था के आधार पर वह बिजली इधर से उधर फ्लो हो सकती थी. तो इसलिए जब बात पकड़ में यहाँ पर आई कि जब मीटर में एमआरआई मीटर रीडिंग इंस्ट्रूमेंट के माध्यम से मीटर में आजकल एक सिम का प्रावधान कर दिया जाता है, उसमें यह निकाला जा सकता है कि पर्टीकुलर टाइम पर ....
श्री कैलाश चावला-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सीधा कहना चाहता हूं कि जो विद्युत चोरी का आरोप लगाया गया, जब पंचनामा बनाया गया मेरे पास उसी डीसी का एक पत्र का जिसमें लिखा गया है कि इस समय बिजली का सप्लाई बंद था, सिंचाई का. तो जब पंचनामा बना तब सिंचाई का बिजली सप्लाई बंद था तो फिर चोरी करने का सवाल कहाँ उठता है, मैं सीधा यह सवाल पूछ रहा हूं. क्या व्यवस्था थी क्या व्यवस्था नहीं था यह सवाल नहीं है. मेरी पास बंदूक थी पर मैंने मारी हो तब ना. इससे क्या मतलब है. आपके अधिकारी ने जिस समय निरीक्षण किया क्या सिंचाई की लाइट से उसने इंडस्ट्री चलती हुई पाई यह सीधा जवाब दे दीजिये आप.
श्री राजेन्द्र शुक्ल--- अध्यक्ष महोदय, सिंचाई की बिजली से इंडस्ट्री चलाने की आवश्यकता इसलिए नहीं है क्योंकि इंडस्ट्रियल फीडर में तो आलरेडी 24 घंटे बिजली देने की व्यवस्था है . आवश्यकता हो सकती है कि इंडस्ट्री की बिजली से हम सिंचाई का उपयोग करें यदि 10 घन्टे हमको अपर्याप्त लगते हैं. लेकिन इसमें कुल मिलाकर जो इंडस्ट्रियल मीटर है वह पूरा रीडिंग इसलिए नहीं ले पा रहा था क्योंकि उसमें वोल्टेज , तीन फेज में से एक फेज में वोल्टेज जीरो बता रहा था जब एमआरआई इंस्ट्रूमेंट ने जो भी आंकड़े सामने रखे हैं. फिर भी माननीय चावला साहब बहुत ही वरिष्ठ सदस्य हैं और बहुत ही हाई लेवल का टेक्नीकल मामला है इसलिए आपके पास भी जो प्रमाण हैं, विभाग ने जो प्रमाण दिये हैं, उस पर हम लोग अलग से बैठकर उसमें आपके तर्कों का समावेश करते हुए समाधान कर लेंगे. यदि किसी ने कुछ गलत किया है तो गलत करना तो स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
श्री कैलाश चावला--- यदि गलत किया तो गलत स्वीकार करना ही पड़ेगा आपको कि गलत किया है, क्यों नहीं किया जा सकता है, हम इसीलिये तो प्रकरण आपके पास लाये हैं.
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- मेरा आशय यह है कि यदि किसी ने गलत किया है तो उसको स्वीकार नहीं किया जाएगा उसके परिणाम स्वरूप उसको दंड दिया जाएगा.
अध्यक्ष महोदय-- वह उपभोक्ता की कह रहे हैं और आप सरकार की कह रहे हैं गलत करने का उनका अलग अलग मत है. वह कह रहे हैं कि उपभोक्ता ने गलत किया है और आप कह रहे हैं कि सरकार ने गलत किया है दोनों ही स्वीकार हैं , दोनों में गलती स्वीकार है.
श्री कैलाश चावला--- अध्यक्ष महोदय, मैं सरकार को गलत नहीं कह रहा हूं. मैं यह कह रहा हूं कि जब सिंचाई का फीडर बंद था केवल संभावना के आधार पर कोई प्रकरण नहीं बनाया जा सकता है.
अध्यक्ष महोदय-- मंत्री जी कह रहे हैं कि आपके साथ चलकर उसकी पूरी जांच करा लेंगे.
श्री कैलाश चावला--- अध्यक्ष महोदय,मेरा सवाल पूरा नहीं हुआ हूं मैं यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि जो चेंज ओवर की बात कही गई है , क्या उस चेंज ओवर स्विच को जप्त किया गया यदि जप्त किया गया हो तो मैं इस बात के लिए तैयार हूं कि उसकी जांच हो. जो इंस्ट्रूमेंट था क्या उसको जप्त किया . जो आप लाइन बता रहे हैं कि केबल डाली गई थी क्या आपने उसको जप्त किया, जब एमआरआई आपने की तो उपभोक्ता वहाँ उपस्थित था, क्या आपने पंचनामे के साथ एमआरआई की कापी उसको दी , आपने उसको कुछ नहीं दिया और आपने एक बिल जारी कर दिया, यह कैसे संभव है? क्या मनमानी चलेगी?
अध्यक्ष महोदय-- अब उसका उत्तर ले लें.
श्री कैलाश चावला-- अध्यक्ष महोदय, कोई प्रक्रिया है. माननीय अध्यक्ष महोदय, सिंचाई का फीडर बंद था इस कारण वह चोरी नहीं हो सकती थी. अगर वहाँ कोई ऐसा इंस्ट्रुमेंट लगा था, तो उसको जप्त किया जाना चाहिए था. जो केबल आप बता रहे हैं, डायरेक्ट डली हुई थी, उसको जप्त किया जाना चाहिए था. जो एम आर आई की गई है, उसकी कॉपी दी जानी चाहिए थी. उसके दस्तख्त नहीं हैं. मेरा ऐसा आरोप है कि उपभोक्ता की एम आर आई हुई ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- आपका प्रश्न आ गया.
श्री कैलाश चावला-- बताएँ कब एम आर आई हुई और एम आर आई क्यों नहीं दी गई?
12.56 बजे अध्यक्षीय घोषणा.
माननीय सदस्यों के लिए भोजन विषयक.
अध्यक्ष महोदय-- आज भोजन अवकाश नहीं होगा. माननीय सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधा अऩुसार भोजन ग्रहण करने का कष्ट करें.
12.57 बजे ध्यानाकर्षण(क्रमशः)
श्री राजेन्द्र शुक्ल-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने जवाब में बताया है कि रामदयाल, जो उपभोक्ता के प्रतिनिधि थे, जब पंचनामा बनाया गया तो उनके दस्तख्त बाकायदा उसमें लिए गए हैं और उसके बाद भी, मैंने शुरू में भी कहा था, फिर से मैं कह रहा हूँ कि चूँकि यह बहुत ही हाई लेवल का टेक्नीकल मामला है और इसके लिए, चूँकि आपके पास ऐसे प्रमाण हैं, जिसको कि हम सीधे एक सिरे से खारिज नहीं करना चाहते हैं इसलिए संबंधित विभागों के साथ बैठकर, क्योंकि सतर्कता टीम ने कुछ काम किया है, उसको हम कैसे पूरी तरीके से, आपकी बात को काट कर कह दें कि उन्होंने सही किया है. इसलिए बैठकर इसको देख लेंगे कि यदि कहीं कुछ गलती या चूक हुई है तो उस पर आवश्यक निर्णय करेंगे.
श्योपुर जिले में कृषकों को भूमि चकबंदी का लाभ न मिलने से उत्पन्न स्थिति.
श्री दुर्गालाल विजय(श्योपुर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
राजस्व मंत्री (श्री रामपाल सिंह)-- माननीय अध्यक्ष महोदय,
1.00 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए}
श्री दुर्गालाल विजय-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्रीजी ने उत्तर में यह बताया है कि चकबंदी का राजस्व अभिलेख में तो इंद्राज कर दिया गया है लेकिन मौके पर कब्जा नहीं दिया गया है जब मौके पर कब्जा दिया ही नहीं गया है तो चकबंदी की पुष्टि होने का कोई प्रश्न नहीं है इस कारण मैं माननीय मंत्रीजी से दो सवाल करना चाहता हूँ. एक तो उन्होंने कहा कि इसकी पुष्टि हो गई है और एक बात यह कही है कि उनका कब्जा मौके पर नहीं दिया गया है. मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 209 जिसमें चकबंदी के प्रावधान हैं उसमें धारा 209 की उपधारा (4) (5) में यह व्यवस्था है कि जब चकबंदी की स्कीम पूरी हो जाए यदि स्कीम से प्रभावित समस्त भूमि स्वामी उस स्कीम के अधीन उन्हें आवंटित किए गए खातों का का कब्जा लेने के लिए सहमत हो जायें तो चकबंदी अधिकारी उनको स्कीम में वर्णित की जाने वाली तारीख को ऐसा कब्जा लेने के लिए अनुज्ञात कर सकेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, धारा 210 में प्रावधान किया है कि कब्जा देने के बाद स्कीम की पुष्टि की जाएगी तो मैं यह प्रश्न करना चाहता हूं कि जब कब्जा दिया ही नहीं गया स्कीम की पुष्टि हुई नहीं है, चकबंदी हुई नहीं है तो कागज में जो इंद्राज हुए हैं उनको समाप्त करने का क्या मंत्रीजी आदेश देंगे.
श्री रामेश्वर शर्मा--उपाध्यक्ष महोदय, मेरा इसी विषय से संबंधित प्रश्न है यदि आप अनुमति दे दें तो पूछ लेता हूं अन्यथा आप बाद में मौका नहीं देंगे. मंत्रीजी अनुमति दे देंगे मुझे.
उपाध्यक्ष महोदय--मंत्रीजी जवाब दे रहे हैं उनको जवाब दे देने दीजिये. मंत्रीजी जवाब देने के लिए खड़े हो गये हैं यह गलत परम्परा हो जायेगी फिर आप पूछ लीजिएगा मैं एलाउ कर दूंगा.
श्री रामपाल सिंह--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य सही तर्क रख रहे हैं और कहीं न कहीं कठिनाई है. जब चकबंदी हुई थी उस समय 90 गांवों में हुई थी 6 गांव रह गये थे वहां के किसान परेशान हैं पहले भी माननीय सदस्य ने इस बात को बड़ी वजनदारी से रखा है. उन्होंने धारा और उपधारा का जो उल्लेख किया है वह सही है लेकिन पहले जब चकबंदी हुई थी. 1960 में गावों से सहमति ली जाती थी सहमति के आधार पर चकबंदी की थी 90 गांवों में व्यवस्था है लेकिन 6 गांवों में कठिनाई है उस कठिनाई को दूर करने के लिए शासन का भी कर्तव्य बनता है कि किसान भाई परेशान न हों विधायक जी ने जो बता रखी है उसके संबंध में हम निर्देश कर रहे हैं पीएलआरसी की धारा 108 (2) में अधिकार अभिलेख बनाकर किसानों को व्यवस्थित कर दिया जाएगा और जो कठिनाई उनको आ रही है उसको दूर कर दिया जाएगा.
श्री दुर्गालाल विजय--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मंत्रीजी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ यह जो बात अभी माननीय मंत्रीजी ने कही है यही बात दिनांक 27.3.2006 को भी मेरे प्रश्न के उत्तर में कही गई थी और आश्वासन भी दिया था और आज कहा जा रहा है कि उसके अनुसार अधिकार अभिलेख में परिवर्तन कर दिया जाए.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से स्पष्ट उत्तर चाहता हूं कि आप यह निर्देशित करें कि जहां पर किसान पहले भूमि स्वामी था, वही पुन: अधिकार अभिलेखों के अन्दर इंद्राज किये जायेंगे तभी तो इस समस्या का समाधान होगा. तभी तो इस समस्या का समाधान होगा नहीं तो आज 10 साल के बाद मुझे बताया गया कि चकबंदी निरस्त नहीं की जा सकती है. हमने जब पूरा रिकार्ड पेश किया कि चकबंदी हुई ही नहीं है और उसकी पुष्टि ही नहीं हुई तो फिर उसको निरस्त करने का सवाल ही नहीं है. लेकिन अब शासन की ओर से बताया गया कि रिकार्ड ही नहीं मिल रहा है, हो सकता है कि 1960 से अभी तक का रिकार्ड न मिले लेकिन यह बात तो शासन के सामने स्पष्ट है कि 1960 के समय जिन भूमि स्वामियों का नाम दर्ज था, वह उसी स्थान पर काबिज हैं तो उसी के अनुसार उनका नाम इंद्राज कर दिया जाए. समस्या का समाधान हो जाए. बहुत सारे किसान परेशान है. आपने यह तो कहा कि खाद बीज लेने में कोई कठिनाई नहीं है. लेकिन कोई भूमि स्वामी अपनी जमीन का विक्रय करना चाहे, उससे वह 60 वर्ष से वंचित है. उसकी दूसरी और तीसरी पीढ़ी इंद्राज हुई है. लेकिन अब वह बेच ही नहीं सकता है, क्योंकि जिस जमीन पर कब्जा है उसमें मालिकाना हक नहीं है.
उपाध्यक्ष महोदय:- आपकी बात सही है, लेकिन माननीय मंत्री ने आश्वासन दिया है कि शीघ्र ही इसको करवा देंगे. यदि माननीय मंत्री जी कोई समय सीमा बता सकें तो बता देंगे.
श्री रामपाल सिंह :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पहले भी माननीय विधायक जी ने यह बात रखी थी लेकिन राजस्व विभाग का जो अमला था, बहुत बड़ा सर्वे का काम करता था, उसे 2002 में बंद कर दिया और अब वह अमला नहीं है. लेकिन अब हम आऊट सोर्स करके उनकी समस्या का निराकरण कर देंगे और एक साल के अन्दर इनके 6 गांव बचे हैं वहां के रिकार्ड व्यवस्थित करवा कर किसानों का जो अधिकार है वह उनको दिलवायेंगे. उनके अभिलेखों को व्यवस्थित करवाकर वास्तव में जो वहां काबिज किसान हैं उनके जो अधिकार हैं, वह उनको दिलवायेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय:- आपकी समस्या का समाधान हो गया है. उसमें समय सीमा भी आ गयी है. 10 वर्ष से जो चीज नहीं हुई है, उसको माननीय मंत्री जी ने 1 वर्ष में करवाने की बात की है.
श्री दुर्गालाल विजय :- मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं केवल इतना चाहता हूं कि जो वहां पर काबिज हैं. उनको वहीं पर काबिज किया जाए.
श्री रामेश्वर शर्मा:- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, इसी के संदर्भ में मेरा एक प्रश्न है कि बंदोबस्त और चकबंदी लगभग एक ही बात है. हमारे क्षेत्र में भी कई ऐसे गांव हैं जहां पर बंदोबस्त का कार्य हुआ है. मौके पर जिसकी जमीन है वह वहीं पर काबिज है, पर रिकार्डों में थोड़ा सा सुधार करने की आवश्यकता है. उसकी जमीन कर कर दी गयी है. उसके कारण पारिवारिक और पड़ोसियों से भी विवाद बहुत बढे़ हैं, जैसे कि एक साल का समय उनको दिया है और कलेक्टर के कोर्ट में यह प्रकरण सब विचाराधीन हैं. जब कलेक्टर से इस संबंध में चर्चा की जाती है तो कलेक्टर बताते हैं कि पुराना प्रकरण है, मैं इसमें क्यों फसुं, जमीनों के रेट हैं, जांच में मैं क्यों फंसु.
उपाध्यक्ष महोदय, यह प्रश्न उद्भूत नहीं होता है, आपकी बात आ गयी है.
श्री रामपाल सिंह :- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी माननीय शर्मा जी की भोपाल की जो समस्या है वह अलग से लिखकर दे देंगे. उस पर तुरन्त कार्यवाही करेंगे और किसानों को न्याय दिलवायेंगे. मध्यप्रदेश में किसानों की सरकार है और किसानों की सेवा के लिये हम लोग काम कर रहे हैं.वह निश्चित रूप से रखें, उस पर हम लोग कार्यवाही करेंगे. शर्मा जी तो भोपाल में ही रहते हैं,वह कभी जिले की टीम के साथ बैठ भी सकते हैं और भी कोई समस्या हो वह बताते रहें.
उपाध्यक्ष्ा महोदय:- शर्मा जी आपकी समस्या का समाधान हो गया है.
श्री रामेश्वर शर्मा :- मैं माननीय मंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद् देता हूं.
याचिकाओं की प्रस्तुति
उपाध्यक्ष महोदय:- आज की कार्यसूची में सम्मिलित सभी याचिकाएं प्रस्तुत हुई मानी जाएंगी.
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समय
(1.10बजे)
वर्ष 2016-17 की अनुदानों की मांगों पर मतदान(क्रमश:)
मांग संख्या -17 सहकारिता
मांग संख्या - 30 ग्रामीण विकास
मांग संख्या - 34 सामाजिक न्याय
मांग संख्या - 59 ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित विदेशों से
सहायता प्राप्त परियोजनाएं
मांग संख्या - 62 पंचायत
मांग संख्या - 74 त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को वित्तीय सहायता
उपाध्यक्ष महोदय - मांग संख्या 17,30,34,59,62,74 पर चर्चा हेतु 3 घंटे का समय निर्धारित है. तद्नुसार दलीय व्यवस्था निम्नानुसार आवंटित है:-
भारतीय जनता पार्टी - 2 घंटे 9 मिनट
इंडियन नेशनल कांग्रेस - 42 मिनट
बहुजन समाज पार्टी - 6 मिनट
निर्दलीय - 3 मिनट
माननीय सदस्यगण समय-सीमा का ध्यान रखकर कृपया सहयोग करें.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री(श्री गोपाल भार्गव) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं,राज्यपाल महोदय की सिफारिश के अनुसार प्रस्ताव करता हूं कि 31 मार्च,2017 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में से प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को --
उपाध्यक्ष महोदय - प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ.
अब मांगों और कटौती प्रस्तावों पर एक साथ चर्चा होगी.
डॉ.गोविन्द सिंह(लहार) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में जब से भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है तब से सहकारी आंदोलनों का प्रजातांत्रिक स्वरूप पूरी तरह से तहसनहस भारतीय जनता पार्टी के द्वारा कर दिया गया है. पिछले 12-13 वर्षों में अनेक संस्थाएं जो सहकारिता के क्षेत्र में किसानों को आम जनता में हाऊसिंग में हर क्षेत्र में काम करती थीं और गरीबों को न्याय दिलाने का काम करती थीं उन संस्थाओं का प्रजातांत्रिक स्वरूप नष्ट करके भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को, कार्यकर्ताओं को उन संस्थाओं में काबिज करके उनको पूरी तरह से चरने के लिये चारागाह के रूप में छोड़ दिया गया और अनेक संस्थाएं पूरी तरह से बंद हो रही हैं और कई संस्थाएं ऐसी हैं जिनमें करीब 12-13 वर्षों से चुनाव नहीं हुए और चुनाव हुए भी हैं तो केवल नाममात्र के लिये. मेरे पास एक पत्र है. भारतीय जनता पार्टी कार्यालय से मैं नाम नहीं पढूंगा. लिखा गया है कि क वर्ग में यह संचालक रहेंगे. इनको अधिकृत किया जाता है और इनके ही संचालक नोमिनेट करें. यह दतिया जिले का पत्र मेरे पास है. उनको क,ख,ग,वर्ग में करके यहां से अधिकृत हुआ है. बाकी किसी को नोमिनेशन फार्म नहीं भरने दिया. भारतीय जनता पार्टी के भी कई लोग चुनाव लड़ना चाहते थे उनको भी अवसर नहीं दिया गया. यह पत्र माननीय मंत्री जी कहेंगे तो मैं उन तक पहुंचा दूंगा. वे देख लें. नीचे पार्टी के अध्यक्ष के हस्ताक्षर हैं और एक नहीं समूचे जिलों में केन्द्रीय सहकारी बैंक के चुनाव नहीं हुए हैं. आज कई संस्थाएं ऐसी हैं जिनमें जो संविधान है और सहकारी अधिनियमों की धज्जियां उड़ा दी गई हैं क्योंकि प्रजातंत्र में इनका विश्वास नहीं है.इन्होंने बीज संघ के चुनाव2005 से,उद्योग संघ के 2005 से,आवास संघ के 2004 से, दुग्ध महासंघ के 2004 से, बैंक एसोसियेशन के 2004 से,सहकारी संघ के 2004 से, सहकारी संघ के 2004 से, कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के 11 वर्ष से, शक्कर कारखाने के करीब 12-13 वर्षों से, अनेक ऐसी संस्थाएं हैं जिनके चुनाव नहीं कराये गये. मध्यप्रदेश राज्य सहकारी संघ है जिसके अधीन सभी संस्थाएं कार्य करती हैं. उनके संरक्षण,ट्रेनिंग सेंटर, यह संघ करता है. मध्यप्रदेश राज्य सहकारी संघ पूरी तरह से आज बंद होने की स्थिति में है. कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक वर्षों से मध्यप्रदेश में काम कररही थी. लगातार इनकी कार्यपद्धति के चलते अनेक प्रकार के ऐसे निर्णय लिये हैं जिससे पूरा सहकारी क्षेत्र नष्ट हो रहा है. सरकार ने निर्णय ले लिया है उन बैंकों को बंद कर दिया जायेगा और प्रशासक को हटाकर डेपुटेशन पर डाल रहे हैं लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि आप उनको बंद कर रहे हैं तो उनके कर्मचारियों का क्या होगा और केन्द्रीय सहकारी बैंक और जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों के प्रदेश में करीब साढ़े चार हजार-पांच हजार के करीब पद खाली पड़े हैं. सहकारी सोसायटियों को एक-एक सचिव चला रहा है. आपका प्रजातंत्र में क्यों विश्वास नहीं है. आपने नोमिनेट कर दिये. आपकी पार्टी के मठाधीश बैठे हुए हैं. उनसे भी आप अधिकार छीनकर कोर्ट के माध्यम से लूटखसोट यहां से करना चाहते हैं. सभी अधिकारों को केन्द्रीकृत करके उनको प्रजातांत्रिक स्वरूप से नौकरी देने का काम बंद कर रहे हैं. अगर वहां से लोगों को रोजगार मिलेगा तो जिले के लोगों को मिलेगा. आप बाहर के लोगों को लाकर वहां बैठाना चाहते हो. करीब 1100 कर्मचारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के हैं उनमें अधिकांश चतुर्थ श्रेणी के हैं. करीब 350-400 चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं और आपकी जब 5 हजार जगह खाली हैं तो हमारा आपसे अनुरोध है कि जब आपने निर्णय लियआ कि उन कर्मचारियों को सहकारी बैंक में विलीनीकरण करें. जिस प्रकार तिलहन संघ का विलीनीकरण हुआ था उस समय भी वहां के कर्मचारियों को सभी सहकारी संस्थाओं में भेजा गया था. आज कई जिले ऐसे हैं जहां 12-13 महिने से वेतन नहीं मिला. लोग जगह-जगह भटक रहे हैं. आपने आवास संघ में कोई खटोल जी बैठा रखे हैं वे तमाम ठेके ले रहे हैं. ऐसी स्थिति में उनकी निगाह आवास संघ के गरीबों को मकान देने की नहीं है. वह देख रहे हैं कि हमें विधायकों के आवास मिलें वहां करोड़ों रुपयों के काम हों. ऐसी संस्थाएं लें जिसमें उनको कमीशन 15 परसेंट मिले. इस प्रकार के लोगों को बैठाने का काम बंदकरो और जिस उद्देश्य के लिये संस्था का गठन हुआ उस पर काम करो.
डॉ.नरोत्तम मिश्र - आधा दर्जन विभाग हैं उन पर.अकेला सहकारिता नहीं है.
डॉ.गोविन्द सिंह - यही तो केन्द्रीयकृत कर रहे हैं. जो बैठा रखे हैं आपने वह खुद ही कब्जा करके बैठ जायेंगे. जिसका समाजवाद एवं प्रजातंत्र में पूरा विश्वास था, लेकिन आपकी ट्रेनिंग लेकर के आपने इनको भी खराब कर दिया है. इस प्रकार आपने अंतर्राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन बुलाया इसमें केवल अपनी पार्टी के लोगों को बुलाया क्या कांग्रेस के लोग सहकारी आंदोलन में भाग नहीं लेते, हमारी राजनीति सहकारी आंदोलन से हुई है और आप लोगों ने हर कहीं से चन्दा लिया है, किसको दे दिया है सहकार भारती, यह सहकार भारती कौन है ? यह कहां से पैदाइश है अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हिन्दुस्तान एवं अफ्रीकी देशों में बुलाया उसमें भी करोड़ो रूपये खा गये उसमें 7 करोड़ रूपये का टेन्ट लगा था उसका बिल भी पेमेन्ट हुआ है इसमें भी करोड़ों रूपये हर संस्था से चन्दा लेकर तथा भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश सरकार ने दिये हैं उसमें उन पैसों का दुरूपयोग भी हुआ है. आज ऋण वितरण में भी घोटाला हुआ था तत्कालीन सहकारिता मंत्री जी ने उसमें श्वेत पत्र जारी किया था राज्यपाल महोदय जी के यहां से रिपोर्ट कही थी उसमें करीब ऋण राहत में 85 करोड़, 52 लाख रूपये तथा ऋण माफी में 84 करोड़ 63 लाख रूपये की गड़बड़ी स्वीकार की थी करीबन 21-22 कर्मचारियों को दोषी ठहराया गया था मध्यप्रदेश की करीबन 12-13 सौ सहकारी समितियां थीं उनमें आज तक वसूली नहीं हुई जिन्होंने कहा था कि हम कार्यवाही करेंगे एफ.आई.आर दर्ज करेंगे कहीं कुछ नहीं कर रहे हैं लूट खाएं सब बंद हो गई. आज प्रदेश की करीबन 11 केन्द्रीय सहकारी बैंकों के रिजर्व बैंक उनके लायसेन्स रद्द करने वाली है. भारत सरकार ने वेद्य नाथन समिति की कमेटी के समय जब माननीय मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थी उसमें 16 सौ करोड़ रूपये दिये थे. आज आपने इसमें कुछ शर्ते लगाई हैं उसका भी आपने पालन नहीं किया है. करीबन साढ़े छः सौ करोड़ रूपये आपने लेप्स कर दिये हैं. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आज सहकारिता आंदोलन को प्रजातांत्रिक स्वरूप दें और वहां की समस्या देखें आप बार बार सहकारिता मंत्री बन जाते हैं आपकी उसमें क्या रूचि है, (XXX) उसमें आप कुछ नहीं करते हैं.
डॉ.नरोत्तम मिश्र—(XXX) शब्द को विलोपित करवा दें.
उपाध्यक्ष महोदय--इसको विलोपित करें.
श्री गोपाल भार्गव--हमारा क्षेत्राधिकार है क्या हमारी पार्टी तय करती है हमारा हाईकमान जो भी तय करेगा वही होगा.
डॉ.गोविन्द सिंह--आप इसमें प्रजातांत्रिक स्वरूप पैदा कर दें जिससे ग्रामीण एवं कृषि के लोगों का उद्धार हो जाएगा. अब मैं पंचायत के बारे में कहना चाहता हूं उसमें भी यही हालत है. मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि भारत सरकार ने परफारमेन्स गारंटी को पैसा दिया था करीबन 425 करोड़ रूपये दिये थे जो पैसा जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत एवं पंचायतों को सीधा जाना था वह जाना था आदिवासी आबादी के लिहाज से उसका भी जनसंख्या के अनुपात में वितरण होता है, परन्तु माननीय मंत्री जी के द्वारा किन्हीं के दबाव में या हम नहीं कह सकते हैं कि किस के दबाव में हुआ है. तमाम नोटशीट हमारे पास में हैं आपने उसमें लघु उद्योग निगम को ठेका दिया था. लघु उद्योग निगम ने आपकी 2 संस्थाएं जो गुजरात की हैं उनको पैसा 344 करोड़ 29 लाख रूपये का ठेका दे दिया किसके लिये पंचायत भवन इत्यादि बनाने के लिये उसमें भी आधे भवन बने नहीं लघु उद्योग निगम का एमडी पैसा वापस नहीं कर रहा है वहां के एमडी राजन जी ने कई पत्र लिखे, कई जिला पंचायत के सीईओ ने पत्र लिखे कि हमारा पैसा वापस कर दो जो उन्होंने ठेके के टेन्डर दिये थे वह भी आधे से ज्यादा पैसा वापस नहीं कर रहे हैं और न ही पंचायत भवन बन रहे हैं. आपने सेटेक इन्वायर इंजीनियरिंग यह गुजरात की दो कम्पनियां हैं, यह कोई एनजीओ चला रहा है, यह किसका आदमी है, यह माननीय नरेन्द्र मोदी जी से पूछ लेंगे. इसी प्रकार से संटेक्स इंडस्ट्रीज दूसरी कम्पनी को दी है ई कक्ष जो ग्राम पंचायतें भवन 15 लाख रूपये में बना रही हैं वह पंचायतों का ठेका लघु उद्योग निगम के माध्यम से उस कम्पनी को 16 लाख, 14 हजार रूपये में दिया है.
श्री गोपाल भार्गव--यह तीन साल पहले खत्म हो चुका है अब पंचायतों को ही 15 लाख रूपये का अधिकार दे दिये गये हैं, अब वही बना रही हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह--वह तो नहीं बना रही हैं.
श्री गोपाल भार्गव--इसमें सरकार को पैसा नहीं लेना है उसको लोटकर के लेना है.
डॉ.नरोत्तम मिश्र--उसके बाद 2 बजट आ चुके हैं, जिस पर यह चर्चा हो चुकी है, लेकिन अभी तक अधूरे पड़े हैं.
डॉ.गोविन्द सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, आपने ई कक्ष में 6 लाख रूपये दिलवाए थे, हालांकि यह पंचायतें 3 लाख रूपये में बना रही हैं. आपने कम्प्यूटर खरीदी में आपके नॉलाज में है तथा आपने उसकी जांच भी करवायी है, लेकिन कम्प्यूटर एवं टीवी सब यंत्र मिलाकर के जो कम्प्यूटर से संबंधित है वह करीबन 55-60 हजार के आते थे आपके यहां पर करीबन 1 करोड़ 13 लाख 8 सौ रूपये के करीबन पेमेन्ट हुआ है इसमें कई गांव हैं जहां की पंचायतों में विद्युत ही नहीं है. लाईटे के लिये पंचायतों के पास में पैसे ही नहीं हैं, आपके ई कक्ष ठीक ढंग से चल ही नहीं रहे हैं. कई जगहों पर कम्प्यूटर एवं टीवी लगी थीं वह भी गांवों के लोगों ने उसकी चोरी कर ली. आपने इसमें करोड़ों रूपये खर्च किये हैं आप दूसरी जगहों पर जहां पर इन्फ्रास्ट्रक्चर, बिजली है वहां पर खर्च करते, लेकिन अधिकारियों को छूट मिल गई खाओ कमीशन एवं लूटो तुम भी खाओ एवं हम भी खाएं तुम भी चोर एवं हम भी चोर.
उपाध्यक्ष महोदय, इसके अलावा और आश्चर्य की बात और सुनिये आपका पास में परफार्मेन्स स्टॉफ का जो पैसा आया है वह पैसा रहली में 22 करोड़ रूपये ले लिया है और जो आपके चहेते आपके साथ घूमने वाले थे किसी को 2 करोड़ तो किसी को 5 करोड़ रूपये स्कूल पंचायतों में दे दिये हैं आखिरकार कांग्रेस के एवं विपक्ष के विधायक हैं जनता ने उनको भी चुना है, उनके प्रति आपकी कोई दया नहीं है, ताकि उस क्षेत्र के निवासी आपका गुणगान करें. इसके अलावा चुनाव के पहले यह फाईल सूचना के अधिकार के अंतर्गत लाये हैं इसमें चुनाव से पहले लिखा गया है कि उसमें एक पत्र तथा नोटशीट चली है माननीय विधायक जी हम उसमें किसी का भी नाम नहीं ले रहे हैं, उसमें बहुत से तो यहीं पर बैठे हैं. 425 करोड़ रूपये में से 225 करोड़ रूपये ऐसे चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी के 200 एवं 225 लोगों को जिसमें सांसद तथा मंत्री जी भी हैं आप चाहे हैं बहुत लोगों के नाम तो हम पढ़ सकते हैं.
उपाध्यक्ष महोदय--नाम नहीं पढ़े.
डॉ.गोविन्द सिंह--नोटशीट में नाम हैं.
श्री गोपाल भार्गव--विकास में क्यों अड़ंगेबाजी होना चाहिये.
डॉ.गोविन्द सिंह--यह चुनाव के समय पैसा दिया है, आपने वहां पर देखे कि तालाब खुदे कि नहीं खुदे, निर्माण कार्य हुए कि नहीं हुए.
श्री गोपाल भार्गव--पैसा लेप्स हो जाए उससे सरकार तथा विभाग की कितनी बदनामी होती है इसमें माननीय सदस्यों के कहने पर जिनको जो आवश्यकता थी उनके लिये पैसे खर्च कर दिये.
डॉ.गोविन्द सिंह--उपाध्यक्ष महोदय, इसमें प्रमाणित दस्तावेज हैं. आपत्ति इस बात पर है कि एक पार्टी के लोगों को चुनाव के पहले पैसे दिये हैं इसमें हमारा सीधा आरोप है. उस पैसे को चुनाव में लड़ने के लिये भारतीय जनता पार्टी के नेताओं तथा कार्यकर्ताओं को दिया गया है.
इंजी. प्रदीप लारिया- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मेरा विधानसभा क्षेत्र भी मध्यप्रदेश में है, गोविन्द सिंह जी को बताना चाहता हूँ यदि विधानसभा क्षेत्र के लिए पैसा दिया गया है तो कोई पाप नहीं किया गया है ।
डॉं. गोविन्द सिंह- उपाध्यक्ष महोदय, माननीय कैलाश विजयवर्गीय जी को, 24.8.13 को 1 करोड़ 59 लाख मिला है,विजयपाल सिंह को 74 लाख,अजय विश्नोई जी को 1 करोड़ 30 लाख और अब हम विधायकों के नाम नहीं ले रहे हैं, लेकिन सीधी वाले सांसद जी को 53 लाख मिला है ।
श्री घनश्याम पिरोनिया- डॉं साहब मेरा नाम नहीं होगा ।
डॉ. गोविन्द सिंह - आप विधायक नहीं थे तो आपको कहां से हो जाएगा । इसके अलावा भोपाल शहर जो ग्रामीण क्षेत्र के लिए पैसा आया था, वह पैसा सी.सी.रोड एवं डामरीकरण के लिए 52 लाख 90 हजार रूपया आपने भोपाल में भी दिया, आपने देखा नहीं, आपकी नोटशीट आती है और लिखते हैं, माननीय अमुक- अमुक के प्रस्ताव अनुसार, अब नाम लेंगे तो कई लोगों को मिर्चियां लगेगीं, अभी सामने बैठे हैं, से प्राप्त पत्र के आधार पर दिनांक 3.9.2014 को प्रस्तुत प्रस्ताव अनुसार विकास कार्यों के लिए राशि स्वीकृत करें, निर्देशानुसार समुचित कार्यवाही हेतु संलग्न है, के.डी.कुकरेती, विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी,कार्यालय माननीय मंत्री, सामाजिक न्याय और पंचायत एवं ग्रामीण विकास, मतलब एक - एक विधायक को, एक - एक और डेढ़- डेढ़, दो-दो करोड़ रूपए, माननीय वरिष्ठ सांसद हैं, राज्यसभा के हैं, जिनको पांच - पांच करोड़ रूपए भारत सरकार देती है, उनको भी दिया, इस राशि का भारी पैमाने पर भारतीय जनता पार्टी के लोगों ने जो गांव के विकास के लिए पैसा जाना चाहिए था, जो गांव की तरक्की के लिए, गांव की सी.सी., नाली, खरंजा,स्कूल उनके लिए थी ।
श्री कैलाश जाटव- डॉं साहब वह पैसा विकास के लिए दिया है ।
डॉं. गोविन्द सिंह - क्या उस पैसे का आपने ठेका लेकर रखा है,हम लोगों ने नहीं लिया है और चुनाव के पहले हुआ है, अगस्त सितम्बर अक्टूबर इन महीनों में आचार संहिता जारी होने के पहले करीब 200 करोड़ का....... (व्यवधान)
श्री कैलाश जाटव- हां विकास का ठेका लेकर रखा है, आचार संहिता के पहले का है।
इंजी प्रदीप लारिया- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 2 बजट निकल चुके हैं, हमारी सरकार ने दिया है ।
उपाध्यक्ष महोदय- लारिया जी, बैठ जाएं ।
डॉं. गोविन्द सिंह- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूँ और निवेदन भी है अगर आप इसमें ईमानदारी से जांच करवाएंगे दिल पर हाथ रखकर तो कम से कम 50 प्रतिशत विधायक मिलेंगे जिन्होंने उस राशि का दुरूपयोग किया, फर्जी बिल बनवाकर चुनाव में पैसा लगवाया और कांग्रेस पार्टी को हराने के लिए सरकारी धन का, जो भारत सरकार ने दिया उसका दुरूपयोग किया है, मैं आपको चुनौती देता हूँ.........
श्री कैलाश जाटव- माननीय उपाध्यक्ष जी, यह क्या बोल रहे हैं कोई प्रमाण तो होना चाहिए, ऐसे आरोप लगाने के लिए कम से कम प्रमाण तो दें ।
इंजी प्रदीप लारिया - जितनी राशि दी गई है, उसकी जांच करवा लो । (व्यवधान)
डॉं. गोविन्द सिंह- प्रमाणित दस्तावेज हैं, सूचना के अधिकार में पंचायत विभाग से दस्तावेज निकाले हैं,इसलिए आपसे हमारा अनुरोध है कि इस प्रकार का भ्रष्टाचार हुआ है, माननीय मंत्री जी अगर आप पर कोई दाग नहीं है,निष्कलंक हैं जैसे ईमानदारी से बहादुरी से यहां दहाड़ते हैं, जिन्होंने पैसे का दुरूपयोग चुनाव में लगाकर नहीं किए,एक- एक, डेढ़ - डेढ़ करोड़ रूपए लेकर आधे से ज्यादा, कुछ ने कह दिया सफाई की है, अगर आप ईमानदारी से जांच कराएंगे तो हम आपका स्वागत करेंगे, अभिनंदन भी करेंगे और आपको धन्यवाद भी देंगे, अभी तक नहीं दिया, लेकिन अब धन्यवाद भी देंगे ।
श्री गोपाल भार्गव - माननीय उपाध्यक्ष महोदय,विधायकों के खाते में पैसे नहीं जाते हैं,यह राशि तो ग्राम पंचायतें खर्च करती हैं, सवाल ही पैदा नहीं होता, कोई विधायक निधि थोड़ी है ।
उपाध्यक्ष महोदय- गोविन्द सिंह जी समझ रहे हैं ।
डॉं. नरोत्तम मिश्र- उपाध्यक्ष महोदय, आपने अभी कांग्रेस पार्टी का 42 मिनट का समय पढ़ा था,32 मिनट इनको हो गए हैं ।
डॉं. गोविन्द सिंह- आधा समय तो आप डिस्टर्ब कर रहे हैं ।
उपाध्यक्ष महोदय- आपने तो भाषण समाप्त कर दिया था ।
डॉं. गोविन्द सिंह- हमारी बात खत्म है, हम केवल इतना कहना चाहते हैं, अगर आपको विश्वास नहीं है तो हम अभी पढ़वा देते हैं आप अपने,विभाग के और सरकार के कारनामे पढ़ लेना ।
श्री गोपाल भार्गव –डॉं. साहब 20 साल मैं भी विपक्ष में रहा हूँ, 20 साल में 20 रूपए भी मेरे लिए नहीं दिए गए थे और आपके यहां सड़कें,सामुदायिक भवन से लेकर पी.एम.जी.एस.वाय,सी.एम.जी.एस.वाय. सारी चीजें हैं, आपके यहां करोड़ों रूपए का काम हुआ है, कांग्रेस के विधायकों का एक एक का नाम पढ़कर बता दूंगा ।
डॉं. गोविन्द सिंह- जो दुर्गति कांग्रेस की हुई है, क्या आप अपनी चाहते हो । और चाहते हो तो फिर तैयार हो जाओ ....(हंसी).....
श्री गोपाल भार्गव – मैं यह कह रहा हूं कि 20 साल मैं भी विपक्ष में रहा हूं रिकार्ड उठाकर देख लेना, यदि मेरे विधानसभा क्षेत्र में 20 रूपए का भी काम हुआ हो ।
डॉं. गोविन्द सिंह- ठीक है, हमने गलती की हमने सजा भोग ली,जनता ने सजा दे दी अब आप क्यों तैयार हो रहे हो ।
उपाध्यक्ष महोदय- नहीं, नहीं यह प्रश्नकाल नहीं है आप बैठ जाइए,श्री यशपाल सिंह जी आप अपनी बात शुरू करें ।
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया(मंदसौर)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 17,सहकारिता,मांग संख्या 30,ग्रामीण विकास,मांग संख्या 34 सामाजिक न्याय, मांग संख्या 59 ग्रामीण विकास,मांग संख्या 62 पंचायत तथा मांग संख्या 74 त्रि-स्तरीय पंचायत राज, की मांगों के पक्ष,समर्थन में, मैं अपनी दो बातें रखना चाहता हूँ, आपने समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सामाजिक न्याय से अपना वक्तव्य प्रारम्भ करूंगा, सरकारें तो पहले भी कई दलों की रही हैं, विशेषकर कांग्रेस की,पूरे मध्यप्रदेश में सामाजिक सरोकार रखने वाली वे तमाम हितग्राही मूलक योजनाएं आज सार्वजनिक स्थानों पर उन आयोजना के साथ जहां पर गरीब और दुखी व्यक्तियों को न्याय मिलता है, स्पर्श अभियान होते हैं, कन्यादान विवाह योजनाएं उसमें दिखती हैं, मुख्यमंत्री निकाह योजना उसमें दिखती है । माननीय उपाध्यक्षमहोदय, एक समय था जब उस व्यक्ति का जिसका शरीर अंग-भंग कट जाता था, उसको लूला बोला जाता था, उसको अंधा बोला जाता था, लंगड़ा बोला जाता था,लेकिन धीरे- धीरे परिवर्तन हुआ, शब्द आया विकलांग, फिर शब्द आया नि:शक्त और अभी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पूरे देशवासियों को यह संदेश देते हुए नि:शक्तजनों को दिव्यांग के नाम से संबोधित किए जाने का जो अनुकरणीय उदाहरण दिया है माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वे विकलांग वे नि:शक्तजन अब दिव्यांग की श्रेणी में आ गए हैं
1:38 बजे सभापति महोदय (डॉं. गोविन्द सिंह) पीठासीन हुए ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं, बधाई देना चाहता हूं कि जिन्होंने विकलांग और नि:शक्तजन की इस परिभाषा को तब्दील किया और सिर्फ शरीर के अंग- भंग होने वाले उन्हीं व्यक्तियों को ही विकलांग या दिव्यांग नि:शक्त नहीं माना, आगे चलकर के जो मंद बुद्वि के बच्चे हैं, शरीर से दिखने के लिए वह ठीक हो सकते हैं, हृष्ट पुष्ट लगते हैं, लेकिन मानसिक रूप से मंद बुद्वि के होने के कारण से उनको भी इस अभियान में जोड़ने का अनुकरणीय कार्य किया है ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं पुन: माननीय मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने पिछले 2 वर्ष पहले विकास खण्ड और अस्पताल परिसरों में स्पर्श अभियान लागू करके विकलांगों को, दिव्यांगों को, नि:शक्तजनों को एक टेंट के नीचे आमंत्रण देकर उनको चिन्हांकित करने का काम किया है, मध्यप्रदेश में हजारों की संख्या निकली जो अछूते थे,जो मुख्य धारा से जुड़ नहीं पा रहे थे ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी को एक बात के लिए और धन्यवाद देना चाहता हूं, सरकार की यह योजना है कि कन्यादान विवाह योजना हो, निकाह योजना हो,माननीय मंत्री जी ने स्वयं आगे बढ़ करके एक उदाहरण प्रस्तुत किया हैअपने बेटे अभिषेक और बिटिया की शादी, विवाह समारोह कन्यादान योजना में सार्वजनिक रूप से उस टेंट के नीचे कराई और एक उदाहरण प्रस्तुत किया। यह सरकार का काम है, यह वह सरकार नहीं है जो कथनी और करनी में अंतर करे । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, 2 दिवस पहले बैतूल जिले में दिव्यांगों का सामूहिक विवाह जिसमें माननीय मुख्यमंत्री जी ने भी हिस्सा लिया था और आदरणीय खण्डेलवाल जी भी यहां विराजित हैं, मैं टी.व्ही पर देख रहा था,सांसद महोदया भी उस कार्यक्रम में विराजी थीं, 91 जोड़ों का विवाह हुआ और वे 91 जोड़े सरकार के झण्डे तले, बैनर तले टेंट के नीचे बैठे थे ।
माननीय सभापति महोदय, उसमें जन-भागीदारी हुई, अब बड़ी खुशी और प्रसन्नता की बात है कि सामाजिक सरोकार रखने वाले स्वयं सेवी संगठन भी, इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं. सामाजिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए अनेक अनुकरणीय कार्य हुए हैं. पूरे देश भर में स्वच्छता अभियान चल रहे हैं. गरीब की बस्ती में शौचालय बन जाये, इसकी चिन्ता माननीय प्रधानमंत्री जी ने की है. मैं एक बार पुन: माननीय मंत्री जी एवं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूँ. मुझे स्मरण है कि मैं पिछली विधानसभा में भी सदन का सदस्य था. घर-घर में, गांव-गांव में मर्यादा अभियान चलाने का था, हम ग्रामीण क्षेत्र में भी प्रतिनिधित्व करते हैं. हम जब दौरे पर जाते हैं तो एक परिदृश्य देखने को मिलता था, दिल पर बड़ा अजीब सा लगता था कि महिलायें सार्वजनिक शौच करती हैं और हमारी गाडि़यां जब निकलती हैं तो उनको शौच करने के समय छुपना पड़ता था. उनको सुरक्षा दी गई और शौचालय की जो शुरूआत हुई है. वह मर्यादा अभियान के माध्यम से, मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने पहल की थी और एक अभियान के रूप में लिया था. पूरे प्रदेश भर में जो संख्या निकलकर आई थी, उससे सार्वजनिक स्थानों पर शौच करने वाले उन महिला और पुरूषों की संख्या में निरन्तर गिरावट आई. आज भारत सरकार और मध्यप्रदेश की सरकार ने भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
माननीय सभापति महोदय, मैं इसके साथ-साथ मंत्री जी को सुझाव भी देना चाहता हूँ कि आपका विभाग इसमें कितनी मदद कर पायेगा या शिक्षा विभाग इसमें जुड़ेगा या स्वास्थ्य विभाग उसमें जुड़ेगा. लेकिन पांचवीं से लेकर आठवीं तक, जो छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं, जिस प्रकार से आपने बहुविकलांगों जो जोड़ा है, जिस प्रकार से आपने नि:शक्तजन और विकलांगता की परिभाषा को स्पर्श अभियान के माध्यम से बदलने की कोशिश की है. वह जो पांचवीं से आठवीं पढ़ने वाले छात्र स्कूलों में पढ़ रहे हैं और पढ़ाई के दौरान, उनकी आंखें अचानक कमजोर हो जाती हैं, उनके नेत्र-परीक्षण किस प्रकार से होगा ? आदरणीय नरोत्तम मिश्रा जी, वे स्वास्थ्य विभाग के मंत्री हैं. ये कौन विभाग तय करेगा ? मैं चाहूँगा कि उन बच्चों की सरकारी स्कूलों में नेत्रों का परीक्षण हो जाये ताकि उनका समय पर चश्मा लग जाये ताकि 5 - 7 साल के बाद ऐसी स्थिति बन रही है कि वे देख नहीं पा रहे हैं, अन्धत्व की ओर जा रहे हैं. मैंने आदरणीय श्री गोपाल भार्गव मंत्री जी से आग्रह भी किया है. माननीय सभापति महोदय, कल की ही बात है. मैं मन्दसौर में था तो रोटरी इन्टरनेशनल के द्वारा 17 लोगों के कृत्रिम हाथ लगाने के काम हुए और अमेरिका ने प्रति हितग्राही को 60 - 60,000/- रू. की राशि से राहत प्रदान की है. मैं भी था, मन्दसौर कलेक्टर भी उस कार्यक्रम में थे. उनके कृत्रिम हाथ लगे हैं, छोटा-मोटा कार्य वे करना प्रारंभ कर दें. टी. चोइथराम, इन्दौर में उनका उपचार हुआ और कृत्रिम हाथ लगने का कार्य, उनका प्रारम्भ हो गया. मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूँगा कि शासन के स्तर पर भी बड़े आयोजनों के साथ, चूँकि थ्रेसर चलाते समय किसान का हाथ कट जाता है, कुँए में जब ब्लास्टिंग का काम आता है तो हाथ उड़ जाता है, दुर्घटनाओं में हाथ कट जाता है, खेतिहर मजदूर का खेत में काम करते-करते दतारे से हाथ कट जाता है तो ऐसे में रोटरी इन्टरनेशनल ने कुछ काम करके दिया है तो आप उसको किस प्रकार से बढ़ायेंगे ? मुझे सरकार पर पूरा भरोसा एवं विश्वास है कि माननीय मुख्यमंत्री जी की संवेदनाओं के ऊपर और माननीय श्री गोपाल भार्गव जी, यह जो उदाहरण मन्दसौर में सामने आया है, इसको आप किस प्रकार से आगे बढ़ाकर काम करायेंगे.
माननीय सभापति महोदय, मैं एक और निवेदन करना चाहता हूँ कि इस विभाग से संबंधित बातें थी. मैं सुझाव भी साथ रख रहा हूँ. कलेक्टरों को प्रत्येक जिले में निराश्रित राशि जो ब्याज की होती है, इस पर 2 लाख रूपये का उस समय [at a time] खर्च करने का अधिकार होता है, मैं माननीय मंत्री जी से आग्रह करूँगा कि 2 लाख रूपये की राशि कम होती है, आयुक्त की 10 लाख की होती है एवं कलेक्टर की 2 लाख रूपये की होती है. मैं इस अनुदान मांग के माध्यम से आग्रह करूँगा कि कलेक्टरों की राशि 2 लाख रूपये से बढ़ाकर 5 लाख रूपये की जाये ताकि स्थानीय स्तर पर उस निराश्रित हितग्राही को तत्काल प्रभाव से लाभ मिल जाये.
माननीय सभापति महोदय, अब मैं पंचायत विभाग पर आता हूँ. यदि लोकसभा और विधानसभा में विधायक निधि बढ़ाने की बात चलती है तो बढ़ती भी है. पंचायत प्रतिनिधि, फिर चाहे वह पंच हो, सरपंच हो या जनपद प्रतिनिधि हो या जिला पंचायत प्रतिनिधि हो, जनपद अध्यक्ष हो, जनपद उपाध्यक्ष हो, जिला पंचायत का अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष हो. इन सबका भी मानदेय बढ़ाने का कार्य, सम्मान देने का एक बड़ा काम, यदि 50 वर्षों के बाद कभी हुआ है, तो अभी वर्तमान सरकार के नेतृत्व में हुआ है. अब अनुकूलता के साथ उनको बैठकों में जाने पर पारिश्रमिक मिलता है, पैसा भी मिलता है और मानदेय भी मिलता है. साथ ही, माननीय सभापति महोदय, अभी-अभी सरकार ने जिला पंचायत के अध्यक्ष को 2 करोड़ रूपये की राशि, जिस प्रकार से विधायक को निधि नहीं मिलती है, सांसद को निधि मिलती है. उसी प्रकार से जिला पंचायत के अध्यक्ष और जनपद पंचायत के अध्यक्ष को 1-1 करोड़ रूपये की राशि देने का प्रावधान किया है. यह परिवर्तन की बयार है. अभी 2-3 विभाग और भी है.
सभापति महोदय - आप जल्दी कीजिये. बहुत वक्ता हैं.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - माननीय सभापति महोदय, बड़ा गम्भीर विषय है, संवेदनाओं से जुड़ा हुआ है. सामाजिक न्याय, ग्रामीण यांत्रिकीय विभाग है. मैं, माननीय मंत्री जी से आग्रह करूँगा कि छत्तीसगढ़ में इसी सत्र में एक विधेयक की तैयारी चल रही है और छत्तीसगढ़ राज्य इस बात को लेकर राजस्थान की तर्ज पर तैयारी कर रहा है कि पंचायत के चुनाव में पंच और सरपंचों की शैक्षणिक व्यवस्थाओं को सुनिश्चित किया जाये. उसके घरों में टॉयलेट एवं शौचालय है कि नहीं, उसकी तैयारी की जा रही है. पंच को 5वीं की कक्षा तक पास होना चाहिए और सरपंच को 8वीं तक की परीक्षा पास होना चाहिए और जनपद एवं जिला पंचायत के प्रतिनिधि को 10 वीं पास होना चाहिए. यह व्यवस्था राजस्थान में लागू है. छत्तीसगढ़ इसकी तैयारी कर रहा है.
माननीय सभापति महोदय, साथ में यदि जिला पंचायत के सदस्य का चुनाव और जनपद पंचायत के सदस्य का चुनाव राजनीतिक आधार पर भी हो जाये तो कोई एतराज नहीं है ताकि यह जो व्यर्थ का लम्बा चुनाव होता है. इस लम्बे चुनाव को समेटने की आवश्यकता प्रतिपादित होती है. विधायक और सांसद से भी बड़ा चुनाव होता है, 1-1 महीने तक, और उसके कारण से खर्च बढ़ते हैं, अपव्यय और दुरूपयोग बढ़ता है, उसको कहीं न कहीं नियंत्रित किये जाने की आवश्यकता है. ग्रामीण यांत्रिकीय विभाग, ग्रामीण विकास विभाग के ऊपर, मैं बोलना चाहूँगा. आवास योजना में विशेषकर, मुख्यमंत्री आवास योजना में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है. इसी बजट में प्रावधान किया गया है, 6,07,476 हितग्राही लाभान्वित हुए हैं और लगभग 4 लाख से अधिक आवास मध्यप्रदेश में बन चुके हैं और बजट 2016-17 में 1,50,000 आवास का लक्ष्य सरकार ने निर्धारित किया है.
माननीय सभापति महोदय, पंच-परमेश्वर योजना कन्वर्जन के माध्यम से विधायक निधि को सम्मिलित करते हुए, गांव-गांव में अधोसंरचना का जो विकास हुआ है. बड़ा परिवर्तन हुआ है.
सभापति महोदय - समाप्त करें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - केवल 5 मिनिट दीजिये. मनरेगा के अन्तर्गत खेत-खलिहान सड़क योजना को बढ़ावा मिला है. खेल मैदान अभी आप इधर विराजित थे, कन्वर्जन के माध्यम से कोई दुरूपयोग हुआ है. सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी ने विधायकों का सम्मान बढ़ाया है, 80 - 80,00,000 रूपये हमको परफोरमेन्स गारन्टी योजना के अन्तर्गत खेल मैदान के लिए प्राप्त हुए हैं. सहकारिता के क्षेत्र के बारे में, मेरा कहना है कि जीरो प्रतिशत पर कर्जा आकर टिक गया है.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - सभापति महोदय, भारतीय जनता पार्टी को आवंटित हुआ था 3 घण्टे और कुछ मिनिट.
सभापति महोदय - इसमें आपके 17 लोग हैं.
डॉ. नरोत्तम मिश्र - हमारी पूरी बात सुन लीजिये. कांग्रेस को 42 मिनिट हुआ था, कांग्रेस से जो सम्मानित सदस्य बोले, वे 34 मिनिट बोले. भारतीय जनता पार्टी के 17 मिनिट बोले.
सभापति महोदय - सिसोदिया जी, आप 19 मिनिट बोल चुके हैं. कृपया आप समाप्त करें.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - मुझे 10 मिनिट और बोलने दें. भण्डारण की क्षमता को लेकर, सहकारिता को टैक्स में 1 रूपये वर्गफीट में जमीनें दी गई हैं ताकि किसानों का माल वहां जमा हो सके. 4 माह का अग्रिम खाद्यान्न का भण्डार किसान पहले से कर ले, यह सहकारिता में नई व्यवस्था हुई है.
माननीय सभापति महोदय, सहकारिता के क्षेत्र में कोर बैंकिंग का बड़ा काम हुआ है. 38 जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक एवं अपैक्स बैंक पूरी तरह से, कोर बैंकिंग व्यवस्था के साथ जुड़ चुका है, प्रारंभ हो चुका है. पोर्टल ई व्यवस्था को-आपरेटिव में प्रारंभ हुई है. 21,50,000 कृषक इसमें पंजीकृत हुए हैं. एक नया उदाहरण, 1,00,000 रूपये का कर्जा लो, 90,000 रूपये लौटाओ, बिना ब्याज के 10,000 की फिर मदद सरकार की तरफ से दी जा रही है. किसान क्रेडिट कार्ड की कल्पना श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने देखी थी. उसको बढ़ाने का काम तथा सहकारिता से जोड़ने का काम सरकार ने किया है. आपने मेरे समय में कटौती कर दी. लेकिन मैं चाहता हूँ कि थोड़ा और बोलूँ. आपने इतना समय दिया उसके लिए मैं आपका आभारी हूँ.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा (मुंगावली) -- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 17,30,34,59,62 एवं 74 का विरोध करता हूं और कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. मंत्री जी के पास सामाजिक न्याय विभाग भी है. मैं सबसे पहले तो यह अनुरोध करुंगा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष भी है. आपके सहकारी बैंकों में स्टाफ की बहुत कमी है. इसके कारण अराजकता फैली हुई है. सहकारिता और पंचायत विभाग में जितनी भी आप भर्तियां करें, उसमें विक्लांगों, विधवा और परित्यक्त महिलाओं के लिये विशेष आप प्रावधान करने का कष्ट करें कि उनके रिक्यूरमेंट में इतना प्रतिशत होना ही चाहिये. मैं तो यह कहूंगा, चूंकि सामाजिक न्याय विभाग आपके पास हैं, तो अन्य मंत्रियों से भी आप अनुरोध करें कि विक्लांग, परित्यक्त एवं विधवा महिलाओं को अधिक से अधिक नौकरी मिले. प्रदेश के सहकारी बैंकों की हालत बहुत खराब है. आप यह खुद स्वीकार कर चुके हैं. प्रदेश की सहकारी बैंकों के लिये नाबार्ड ने इस साल 4700 करोड़ रुपये की साख सीमा निर्धारित की है. पुनर्वित्त पात्रता के लिये जो 50-50 प्रतिशत था, अब उन्होंने कम कर. 40/60 कर दिया है. अब आप यह बताइये कि जीरो परसेंट पर किसान को कैसे ऋण देंगे. वैसे भी किसान खैरात में नहीं चाहता है. किसान फ्री में बिजली नहीं चाहता है. किसान जीरो प्रतिशत पर ऋण नहीं चाहता है. आप तो दो-तीन प्रतिशत जो कम से कम हो आपको वह ब्याज लेना चाहिये, ताकि वह साहूकारों के चंगुल में न फंसे. आप तो नीति में परिवर्तन करें, क्योंकि आपकी इस नीति के कारण पैक्स की हालत बहुत खराब हो गई है. जो प्राथमिक सहकारी समितियां हैं, उनको आप कम्पनसेट भी नहीं कर पा रहे हैं और उनकी बहुत बुरी हालत है. इसको आपको ठीक करना चाहिये. मेरे पूर्व वक्ता गोविन्द सिंह जी ने आप पर आरोप लगाया था कि आपने सहकारिता का सरकारीकरण कर दिया है, पार्टीकरण कर दिया है. पहले जब आप विरोध में थे, तब आप कांग्रेस पर यही आरोप लगाते थे. लेकिन आप आये, तो आपने भी वही काम किया. तो फिर क्या फर्क पड़ा. मेरा आपसे अनुरोध है कि उज्जैन दुग्ध संघ के चुनाव अभी हुए हैं. उसमें नियम है कि कोई भी समिति एक वर्ष में 270 दिन में 20 हजार लीटर दूध दे, यह जरुरी है और समिति में जो प्रतिनिधि निर्वाचित होना चाहता है, वह एक साल में 700 लीटर दूध 180 दिन तक दे. लेकिन मैंने विधान में प्रश्न भी किया है, आप इसकी जांच करवा लें कि जिन लोगों ने 700 लीटर दूध और 180 दिन में नहीं दिया है, ऐसे लोगों को आपने समितियों में प्रतिनिधि ही नहीं, संचालक बना दिया है. संचालक बनने का मौका दिया है और नकली दुग्ध उत्पादकों के हाथ में, संचालक अगर चले गये, तो नकली दुग्ध उत्पादक संचालक बन गये. तो जो अमूल पैटर्न है, डॉ. कुरियन ने जो सपना देखा था, वह पूरा नहीं हो सकता है. हमारे यहां पर, चूंकि मेरा लगाव है, अखिल भारतीय पर मैं अध्यक्ष रहा था. तो मैंने चुनाव तो लड़ा है. मुझे 50 में चुनाव लड़ना पड़ा. बहादुर सिंह जी ने 8 में ही चुनाव लड़वा दिया. 8 में ही एक को, किसी सोसायटी को इस लायक ही नहीं रहने दिया, उनके क्षेत्र में बिलकुल नकली हुआ है, उन्हीं से पूछ लीजियेगा आप.
श्री बहादुर सिंह चौहान -- वह निर्विरोध निर्वाचित हो गया, मैं क्या करुं.
श्री महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा -- वह आपने ही करवाया उनको. चुनाव लड़ना ही नहीं पड़ा. मुझे 50 में चुनाव लड़ना पड़ा, उनको 8 में भी नहीं और 8 में भी निर्विरोध निर्वाचित हुआ. इन्होंने किसी को खड़ा ही नहीं होने दिया. तो आप मेहरबानी करके यह देखिये कि यह सहकारिता में प्रजातंत्र समाप्त न हो. अब मैं सहकारी समितियों पर आता हूं. राजकुमार सिंह जी यादव, बीजेपी के विधायक, चन्देरी के. उन्होंने 2010 में एक ध्यान आकर्षण लगाया था कि सहकारी समितियों के माध्यम से करोड़ों का भ्रष्टाचार हो रहा है. सारा ब्लैक में जा रहा है. तब पारस जैन जी खाद्य मंत्री थे, तब उन्होंने एक जांच करवाई,तो संचालक खाद्य ने रिपोर्ट दी. उस पर आपका एक कर्मचारी हाईकोर्ट चला गया 2010 में. आज 2015 हो गया, आप स्टे भी वेकेट नहीं करवा पाये. 5 साल हो गया. यह 2015 की आप रिपोर्ट पढ़ लें. आपकी सहकारी समितियों में क्या क्या हो रहा है. यह रिपोर्ट मिस्टर चंदेल की है, खाद्य के उप सचिव. इन्होंने क्लीयरकट गबन लिखा है. इंदिरा महिला बहुद्देशीय सहकारी संस्था पीपरई, गरेठी, सेवा सहकारी संस्था रामनगर, जमाखेड़ीसे संचालित की जा रही है. आकेत की संस्था पीपरई से चालू की जा रही है. एक ही संस्था है रामनगर और डुगरासिरा, मोहली, सिंहपुर, चलदा, गरेठी सब जगह सहकारी समितियां हैं, उनको राशन की दुकान मिलना चाहिये,लेकिन उसकी बजाय एक ही रामनगर सोसायटी को आपने दे दी है. मेहरबानी करके आप यह चंदेल जी की रिपोर्ट पढ़िये. यह बहुत लम्बी रिपोर्ट है. इसमें आपने किसी को दंडिता नहीं किया है. 2010 वाली रिपोर्ट के बारे में आपने कहा था, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की. कम से कम छोटे छोटे कर्मचारी सहकारिता विभाग, सहकारी समितियों के हैं, उन सहकारी समितियों को आप भंग करिये. अपनी बीबी को उसने सहकारी समिति का संचालक बना दिया, खुद राशन की दुकान 10-10,15-15,20-20 चला रहा है. मुझे बड़ा अफसोस है कि मैं दो ढाई साल से इसके लिये आवाज उठा रहा हूं और मैं आपका आभारी हूं कि आपने मेरी शिकायत को आवश्यक कार्यवाही के लिये भेजा भी है. लेकिन सवाल यह है कि सहकारिता विभाग के उप पंजीयक और जिला सहकारी बैंक, वह गुना में है और पत्र सब अशोक नगर जाते हैं. जबकि वह गुना कलेक्टर के अधीन हैं. इस पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है. मेरा आपसे अनुरोध है कि आप इन सब लोगों को राशन सिस्टम से अलग करिये और इन लोगों को दंडित करिये. अब तो आप कुछ मशीन वगैरह ला रहे हैं और कुछ ठीक काम कर रहे हैं, ताकि यह बेईमानी न हो सके. लेकिन मैं चाहता हूं कि इन पापियों को, ये डाकू माधव सिंह और मोहर सिंह से भी खतरनाक लोग हैं. क्योंकि वे तो बड़े लोगों को लूटते थे. ये लोग तो बिलकुल गरीब, बीपीएल, एससी,एसटी के लोगों को लूटते हैं. जो राशन गरीबों के लिये है, उसको खा जाते हैं और छोटे छोटे कर्मचारियों ने इसमें करोड़ों रुपये कमा लिये हैं.
सभापति महोदय, मैं पंचायत विभाग के बारे में निवेदन करना चाहूंगा. पंचायत में, मुझे खुशी है कि पंचायत के कर्मचारियों को भी राजस्व मंत्री जी कह रहे थे कि इनवाल्व किया. यह जो ओलावृष्टि हुई है, उसमें आप पंचायत कर्मचारियों को कहें कि पटवारी मनमानी करता है, तो आपके कर्मचारी भी होंगे, तो थोड़ा बैलेंस होगा, ऐसा मैं सोचता हूं. ताकि अच्छा आंकलन हो और जिन लोगों को वास्तव में नुकसान हुआ है, उनको फायदा आपके विभाग के कर्मचारियों के मार्फत से मिले. हमारे यहां पर एक झागर पंचायत में लाखन सिंह यादव सरपंच हैं, उन्होंने एक सचिव की शिकायत की है, उसका निलंबन भी हुआ, उस पर पुलिस रिपोर्ट भी हो गई, लेकिन वह स्थगन ले आया है अतिरिक्त आयुक्त, ग्वालियर से. तो ऐसे बेईमान लोगों पर अगर आप इस तरह से कार्यवाही नहीं करेंगे, वह आपसे बिलकुल डरते ही नहीं हैं. मुख्यमंत्री आवास योजना में भी आपके कई सचिव पैसा मांगते हैं. मेरा अनुरोध है कि जितनी सरकारी योजनायें हैं, इसमें जिन पंचायत सचिवों के विरुद्ध आपको रिपोर्ट मिले, मेहरबानी करके उसको लोकायुक्त से रंगे हाथों गिरफ्तार करवाइये, क्योंकि जनता इतनी जागृत नहीं है कि वह यह काम करवा सके. पंचायत के सचिव इतने होशियार हैं, मेरे यहां एक टीला पंचायत है. वहां का सचिव जब आदिवासी अनपढ़ महिला सरपंच थी, तब वह वहां सचिव था, जैसे ही वहां निर्वाचित बाबूलाल यादव समझदार वकील सरपंच बन गये, तो उसने अपना ट्रांसफर अन्यत्र आदिवासी एरिया में करवा लिया. जहां पर वह पैसा खा सके. तो इस ओर आप ध्यान दें. जैसे सार्वजनिक शौचालय हैं, मनरेगा के थ्रू बनते हैं, पशु शेड हैं, इसमें जबरदस्त भ्रष्टाचार हुआ है. कपिल धारा में बहुत भ्रष्टाचार हुआ है. ऐसा नहीं है कि मैंने शिकायतें नहीं की हैं. जहां जहां लोग मुझे बोलते हैं, मैं उनकी शिकायत बाकायदा करता हूं. लेकिन कोई कार्यवाही नहीं होती है. एक और अनुरोध है कि आज कल सरकारी एसडीओ और तहसीलदार इसी मुहिम में लगे हैं कि कौन से सरपंच को रेत लाते हुए पकड़ा जाये. आप विकास कार्यों की अनुमति देते हैं, तो कम से कम यह प्रावधान करिये कि पंचायत के सरपंच रेत और मिट्टी, मुरम ला सकें, इसका आप प्रावधान करिये, नहीं तो उनका शोषण होता है और उसके कारण उनकी कॉस्ट ऑफ कंस्ट्रक्शन भी बढ़ती है. तो इस पर आप विशेष रुप से विचार करने का कष्ट करें. मेरे यहां पर एक नगेसिरी पंचायत थी. उस पंचायत के संबंध में विधान सभा में एक प्रश्न किया था, आपने खुद उत्तर दिया था कि वहां सरपंच के पुत्र, पत्नी दो सचिव हैं, वह सब लोग मनरेगा के मजदूर थे, लेकिन एक एसडीओ, श्री सिसोदिया थे, उन्होंने उन सब को दोष मुक्त कर दिया. अल्टीमेटली लोगों को अदालत जाना पड़ा और अदालत में पूर्व सरपंच, सरपंच पति, देवर सब के खिलाफ 420,467 और 468 के मुकदमें अदालत ने दर्ज किये हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि ये डिप्टी कलेक्टर जो दो साल में रिटायर होने वाले आते हैं . इनको आप नियुक्त कर देते हो तो यह पैसा इकट्ठा करने का ही काम करते हैं, रिटायर होने वाले हैं ऐसे सरपंचों को और सचिवों को जिन्होंने मनरेगा में करोड़ो रूपया कमाया है ऐसे गरीब लोग जो बेचारे अपने काम के लिये रेत ला रहे हैं, अगर व्यापार के लिये ला रहे हों तो आप जरूर पकड़िये, विभाग के कर्मचारी ऐसे लोगों को पकड़ पकड़ कर पैसा इकट्ठा कर रहे हैं. मेरा आपसे अनुरोध है कि जैसा डॉ. गोविंद सिंह जी ने बताया कि आपने बंदरबांट बहुत जबरदस्त की है, मेहरबानी करके आपके प्रभार के जिले में भी ऐसी बंदरबाट कर दीजिये, हम लोगों को भी 2-4 करोड़ रूपये विकास कार्यों के लिये दे दीजिये. हम देखेंगे कि वास्तव में विकास के कार्य हो गड़बड़ न हो, धन्यवाद, जय हिन्द.
श्री रामेश्वर शर्मा(हुजूर) -- सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 17, 30, 34, 59, 62 और 74 का समर्थन करता हूं. मध्यप्रदेश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान पंचायत विभाग का है क्योंकि मध्यप्रदेश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था में और बहुतायत क्षेत्र में पंचायत का सर्वाधिक विस्तार है. इस दिशा में मुख्यमंत्री जी ने, पंचायत मंत्री जी ने हमारी सभी पंचायतों को सर्व सुविधा युक्त बनाने का जो लक्ष्य पंच परमेश्वर योजना के माध्यम से लिया है, वह सराहनीय है. आज हम कह सकते हैं कि किसी नगर निगम की अच्छी सड़क अगर दिख रही है तो उसके मुकाबले एक ग्राम पंचायत में भी सड़क बनाने की जबावदारी पंच परमेश्वर योजना के माध्यम से दिखी है इसके लिये मंत्री जी को बधाई.
माननीय सभापति महोदय, पंचायतों के विकास को चहुमुंखी विकास के योगदान का बनाया है यह अपने आप में बहुत बड़ा उदाहरण है. हम आज यह कह सकते हैं कि पंचायती क्षेत्र में एक और विस्तार की आवश्यकता है, हालांकि मंत्री जी इस बात से सहमत हैं मुख्यमंत्री जी भी इस बात से सहमत हैं क्योंकि हमारे यहां ग्राम पंचायत के कार्यालय बन रहे हैं, हम चाहते हैं कि जहां पर ग्राम पंचायत के कार्यालय बनें वहां पर कम से कम 2-3 एकड़ भूमि आरक्षित की जाये, जहां पर ग्राम पंचायत का कार्यालय हो, वहीं आंगनवाड़ी हो, सरकार के जितने भी व्यवस्थित कार्यालय हैं वह सब एक साथ लगें जिससे कभी भविष्य में पंचायती राज योजना से, या ग्रामीण सचिवालय हमें संचालित करना पड़े तो हमें उनके कार्यालयों को दूर दूर ढूंढना न पड़े, बल्कि एक स्थान पर ही हों. अगर हो सके तो वहां पर एक मंगल भवन भी बनाने की व्यवस्था की जाये. मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत जो गरीब बेटियों के लिये शादी में नि:शुल्क दिया जाये जिससे उनका वहां पर विवाह हो सके. और सामाजिक न्याय की जो चुनौतियां आ रही हैं, वह चुनौतियां आज मंहगाई, दहेज प्रताडना के कारण, दहेज की मांग के कारण हैं लेकिन एक सामान्य परिवार का पिता अपनी लड़की की शादी करना चाहता है तो टेंट का खर्चा भी वह पिता नहीं उठा सकता है, इसलिये मैं चाहूंगा कि इस तरह का विस्तार हम ग्राम पंचायत में करेंगे तो बहुत अच्छा होगा.
सभापति महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी ने एक घोषणा की थी उस पर अमल हुआ, मैं इसके लिये सरकार को बधाई देना चाहता हूं. मुख्यमंत्री जी ने कहा था कि अब दूर दराज गांव की बेटी भी 1-1 किलोमीटर से सिर पर पानी ढोकर नहीं लायेगी उसके घर में भी नल लगाया जायेगा. इस पर भी काम हुआ, सैकड़ों पंचायतों में 40 लाख से लेकर के 1 करोड़ तक की नल जल योजनायें वहां पर स्वीकृत हुई लेकिन आज जिस तरह से सूखे ने अपने पैर पसारे हैं, जगह जगह जल स्त्रोत, ट्यूव वैल हमारे सूख गये हैं, 700-800 फीट तक हमारे ट्यूव वैल में पानी नहीं है. मैं मंत्री जी से प्रार्थना करूंगा मैंने मुख्यमंत्री जी से भी व्यक्तिगत रूप से आग्रह किया है, पीएचई मंत्री जी से मैंने आग्रह किया है हमारे हर गांव में लगभग पांच से छे: एकड तक के तालाब हैं, यह तालाब या तो जीर्णशीर्ष अवस्था में हैं या थोड़े बहुत अतिक्रमण के शिकार हैं, या इनको तालाब कहना लोग भूल गये हैं, पर सरकारी रिकार्ड में आज भी यह तालाब हैं, अगर मंत्री महोदय चाहें तो मनरेगा की राशि से अगर और भी राशि की जरूरत पड़े तो विधायक निधि, सांसद निधि या अन्य कोई निधि का उपयोग करते हुये इन तालाबों का जीर्णोद्धार कर देंगे तो आने वाले दिनों में जो पीने के पानी की समस्या की चुनौती है शायद हम उसका मुकाबला कर सकें और हमारे जल स्त्रोत वहां पर पानी देने लगें.
इसलिये मैं चाहता हूं कि इसमें भी मनरेगा से कनवर्शन की योजना लागू होगी तो अच्छा होगा और जो मंशा मुख्यमंत्री जी की है उसके माध्यम से हम नल जल योजना को घर घर तक पहुंचाने में कामयाब होंगे.
माननीय सभापति महोदय, आज हम और आप देख रहे हैं कि लोकतंत्र की सबसे पहली सीढी पंच है, पंच से सरपंच है, सरपंच से जनपद का सदस्य है, जनपद से जिला पंचायत का सदस्य है, और जिला पंचायत के सदस्य के बाद विधायक और सांसद का निर्वाचन है. अगर यह प्रक्रिया चुनाव की है तो मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि क्या पंच और सरपंच का चुनाव जो कि 100-200 वोटरों के बीच में होता है, सरपंच का चुनाव अगर 1000 वोटरों पर होता है, एक ही गांव का सरपंच होता है अधिकतर 2 या 3 गांव होते हैं जिसकी दूरी लगभग 2 से ढाई किलोमीटर अधिकतम होती है तो क्या हम सरपंचों का चुनाव फार्म भरने से 3 दिन के अंदर सरपंच का चुनाव करा सकते हैं ? अगर हम यह चुनाव करेंगे तो धन का अपव्यय रूकेगा, वहां पर होने वाली गड़बड़ियों पर भी आसानी से प्रतिबंध लगाया जा सकता है. 3 दिन के अंदर पंच और सरपंच का निर्वाचन होना चाहिये. इसी प्रकार से मेरी प्रार्थना है कि जनपद के सदस्य का और जिला पंचायत के सदस्य के चुनाव में भी 20 से 30 दिन दिये जाते हैं. जिस तरह से धन का अपव्यय होता है, हम और आप जिस निर्वाचन की प्रक्रिया से आते हैं और हमारे चुनाव में पर्यवेक्षक का ध्यान रहता है लेकिन इस प्रक्रिया में जिस तरह की शिथिलता है, लाखों रूपये चुनाव में खर्च होते हैं ,जब वे निर्वाचित होकर के आते हैं तो जीतने के बाद उनका ध्यान अन्यत्र रहता है तो मेरी प्रार्थना है कि पूरा सदन इस पर विचार करे, विपक्ष भी मेरे सुझाव पर सहमत होकर के विचार करे कि सरपंच-पंच का चुनाव 3 दिन के अंदर और जिला पंचायत सदस्य और जनपद पंचायत सदस्य का निर्वाचन 7 दिन के भीतर हो जाना चाहिये जिससे समय, और पैसे का अपव्यय रोका जा सके तथा दूसरी अन्य प्रकार की हाईजेक करने की जो प्रवृत्ति जो विकसित हो रही हैं, चाहे वह नशे की प्रवृत्ति हो, उससे बचा जा सकता है और लोकतंत्र की पवित्र पाठशाला से जब यह निर्वाचित होकर आयेंगे तो आने वाले पंच, सरपंच ही नहीं आन वाले भविष्य के अनेक जन नेताओं के नाते काम का उदाहरण प्रस्तुत कर सकें.
सभापति महोदय-- शर्मा जी कृपया समाप्त करें.
श्री रामेश्वर शर्मा -- सभापति महोदय, मैं एक ओर प्रार्थना करता हूं कि इस निर्वाचन प्रक्रिया को और भी सरल बनाया जाये. हालांकि मैं भी पूरी तरह से कन्फ्रम नहीं हूं. क्या हम यह कर सकते हैं कि जब जिला पंचायत के सदस्य का चुनाव हो तो विधायक उसमें एक मतदाता की हैसियत से रखा जाये, जब विधायक उसका सदस्य होगा तो मैं समझता हूं कि पारस्परिक संबंध ठीक होंगे , विधायिका वहां पर ठीक से काम करेगी और वहां पर होने वाली जो अनियमिततायें होती हैं, अनकन्ट्रोल की जो स्थिति होती है शायद हम उस स्थिति पर एक सामान्य प्रक्रिया के तहत कार्य कर सकते हैं. इस तरह की प्रक्रिया अगर लागू की जा सकती है तो बहुत अच्छा इस पर कार्य होगा.
सभापति महोदय, आज हम यह महसूस करते हैं कि जो सरपंच जीता, जो जनपद का सदस्य जीता जो जिला पंचायत का सदस्य जीता उसे मालूम है कि अगली बार मुझे इस वार्ड से चुनाव नहीं लड़ना , क्योंकि चुनाव में आरक्षण का जो रोटेशन है वह केवल 5 साल का है, और 5 साल का डर न होकर उसमें स्वच्छन्दता पैदा करता है. उसे किसी प्रकार से जनता का भय भी नहीं रहता है. मैं चाहता हूं कि आप और सदन इस पर विचार करे कि क्या इस आरक्षण की प्रक्रिया को इस रोटेशन को क्या हम 10 साल में कन्वर्ड कर सकते हैं ? अगर हम इसको 10 साल में कन्वर्ड करेंगे तो वहां पर निर्वाचित प्रतिनिधि चाहे वह सरपंच हो, जनपद हो या जिला पंचायत हो वह अपना व्यवहार ठीक रखेगा और लोकतंत्र पर भरोसा रखेगा और उसे भी लगेगा कि अगला चुनाव मुझे यहीं से लड़ना है तो काम की प्रक्रिया और सुचारू रूप से संचालन में सहायक भूमिका अदा करेगा.
सभापति महोदय पंचायत मंत्री के पास में सामाजिक न्याय विभाग भी है. सामाजिक न्याय के लिये काफी काम आदरणीय गोपाल भार्गव जी ने किये हैं. विकलांगों के लिये सायकिल, उनको पेंशन की व्यवस्था की गई है. लेकिन मैं चाहता हूं कि जो रैन बसेरा हैं, माननीय पंचायत ने मेरी जिला पंचायत में घोषणा भी की है. कोलार में एक रैन बसेरा देने की घोषणा की थी जो अस्पताल में बनेगा, बैरागढ़ में एक रैन बसेरा देने की घोषणा की थी तथा 11मील पर रैन बसेरा देने की घोषणा की थी, इस तरह के जो रैन बसेरा है. हम चाहते हैं कि यह ऐसी जगहों पर बनें जिसका सामाजिक रूप से खासकर के जो बस स्टेन्ड या अस्पतालों में आने जाने वाले नागरिक हैं, यह इन रैन बसेरा का लाभ ले सकें क्योंकि अस्पताल के पास में अगर रैन बसेरा बनते हैं तो बाहर से और दूर दराज से जो आने वाले लोग हैं उनको अस्पताल में जगह नहीं होती वो रैन बसेरा का उपयोग कर सकते हैं, शहरी क्षेत्र में और जगहों पर बना देते हैं पर इस तरह से अगर यह काम करेंगे तो मुझे लगता है कि बहुत ज्यादा अच्छा होगा.
सभापति महोदय--कृपया समाप्त करें. 10 मिनिट से ज्यादा हो गये हैं.रामनिवास जी रावत....
श्री रामेश्वर शर्मा-सभापति जी रावत जी तो वरिष्ठ सदस्य हैं वे तो बोलते ही रहते हैं. आपका और रावत जी का आशीर्वाद मेरे ऊपर है.
सभापति महोदय-कृपया आधा मिनिट में समाप्त करें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- अरे राजनीति में आधा मिनिट में क्या होता है, आप भी जानते हैं. (हंसी).....
मैं माननीय मंत्री महोदय से प्रार्थना करना चाहूंगा कि जो नल जल योजना है, इस नल जल योजना में भी हमारी पीएचई मंत्री भी यहां बैठी हुई हैं मैं उनसे भी बात करूंगा कि जब गांव में नल जल योजना लगे तो हम पाइप लगाकर, टंकी बनाकर और खटका दबाकर उसको छोड़कर नहीं आयें, बल्कि नल जल योजना में घर-घर कनेक्शन दिये जायें और 3 महीने तक वह ठेकेदार उस योजना का संचालन करे ऐसा प्रावधान डले, यह पंचायत विभाग में आता है तो पंचायत विभाग करे और यदि पीएचई पानी में आता है तो माननीय मंत्री महोदय इसके लिये करें. नहीं तो क्या होता है कि तकनीकी रूप से इतनी बड़ी योजना लगाकर चले आते हैं बाद में वह योजना सुचारू रूप से नहीं चलती, हमारे पैसे का मिसयूज होता है और साथ में जनता को उसका लाभ नहीं मिलता, तो हम यह चाहते हैं कि इस तरह की योजनायें वहां पर की जायें. मैं माननीय मंत्री महोदय से प्रार्थना करूंगा कि मेरी जो 53 पंचायतें हैं जिसमें अभी हमने प्रत्येक पंचायत में पानी का एक टेंकर उपलब्ध कराया है.
सभापति महोदय-- रामेश्वर जी, श्री रावत जी बोलेंगे अब.
श्री रामेश्वर शर्मा-- तो धन्यवाद तो दे दूं माननीय मंत्री महोदय का.
सभापति महोदय-- दे दो.
श्री रामेश्वर शर्मा-- मैं आपके माध्यम से और पूरे सदन के माध्यम से ....
सभापति महोदय-- संख्या बहुत लंबी है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- चलेगा, आपने तो टाइम शायद 8-9 बजे तक का कर दिया. रात्रि का खाना भी शायद यहीं है, ऐसी सूचना है. मैं माननीय मंत्री महोदय का बहुत हृदय से धन्यवाद देता हूं और मैंने जो निर्वाचन प्रक्रिया पर कुछ बोला है, अगर इस पर कुछ विचार किया जा सकता है तो मैं समझता हूं कि लोकतंत्र के हित में होगा और लोकतंत्र का संरक्षण भी होगा, इस निमित्त माननीय मंत्री महोदय से प्रार्थना है.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)-- माननीय सभापति महोदय मैं माननीय मंत्री जी द्वारा प्रस्तुत मांग संख्या 17, 30, 34, 59 , 62, 74 द्वारा प्रस्तुत मांगों का विरोध करते हुये कटौती प्रस्तावों का समर्थन करता हूं. माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी का बहुत भारी भरकम, बड़ा विभाग है, यह बात अलग है कि वह संतुष्ट नहीं है, मैं समझता हूं कि प्रदेश की 70 प्रतिशत ग्रामीण आबादी से आप ही संबंधित हो, सीधे, यदि उनके विकास में कोई सहयोग प्रदान करता है तो वह भी आप हो, और अगर बाधक भी बनता है तो वह भी आप ही हो, लेकिन मैं माननीय मंत्री जी के सबसे पहले सहकारिता विभाग पर दो शब्द कहना चाहूंगा कि सहकारिता विभाग जैसी कि संविधान की हमारी मूल अवधारणा थी, कल्याणकारी राज्य की स्थापना, इसको लेकर के लोगों के कल्याण के लिये बनाया गया, लेकिन जिस तरह से सहकारिता विभाग हमारी राजनैतिक, माननीय मंत्री जी आपकी राजनैतिक अपेक्षाओं और आकांक्षाओं की भेंट चढ़ रहा है, जिस तरह से राजनैतिक शोषण का अड्डा बना हुआ है, बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है, जहां कांग्रेस की यूपीए सरकार ने 72 हजार करोड़ रूपये की ऋण माफी की, उसका कितना बड़ा भ्रष्टाचार इस प्रदेश में देखने को मिला और मिला भी लेकिन आपने कोई बहुत बड़ी कार्यवाही किसी मसले पर नहीं की. सभापति महोदय, सहकारिता के आप भी पुरोधा रहे हैं, रीवा जिले की डबोरासेंक में बैंक घोटाला, हरदा की सहकारी बैंक में घोटाला, ग्वालियर की चिनार में सहकारी संस्था में कृषक ऋण माफी घोटाला और शिवपुरी में मृत व्यक्तियों को लोन देकर और उनकी ऋण माफी भी कर दी, जांच भी हो गई, उसकी रिपोर्ट भी है, लेकिन आप कार्यवाही नहीं कर रहे और जो व्यक्ति इसमें इनवाल्व है उसी को आपने बैंक मेनेजर बना रखा है, बड़े दुर्भाग्य की बात है. इसके साथ-साथ आपने जैसा बताया कई बैंकें समाप्त होने की कगार पर है, आरबीआई उनका लाइसेंस निरस्त करने की स्थिति में है. माननीय मंत्री जी आपको भी मालूम है, आपने घोषणा की थी कि हमारे श्योपुर जिले की सहकारी बैंक जिससे मुरैना फल फूल रहा है, मुरैना में जितना भी पैसा है, श्योपुर जिले का वापस आ रहा है, उस पैसे से सारा काम चल रहा है तो उसका पृथकीकरण करने का प्रस्ताव भेजने के लिये आपने कहा था, लेकिन संभवत आपकी विधानसभा की घोषणा....
पंचायत एवं ग्रामीण विकास एवं सहकारिता मंत्री (श्री गोपाल भार्गव)-- भेज दिया.
श्री रामनिवास रावत-- भेज दिया, तो उसे जल्दी करवा दो. (श्री गोपाल भार्गव मंत्री जी द्वारा बैठे-बैठे कहा गया कि बोर्ड सहमत नहीं है) बोर्ड तो सहमत इसलिये नहीं होगा कि बोर्ड तो भंग ही हो जायेगा, जब बोर्ड के पास कुछ बचेगा ही नहीं. श्योपुर अलग हो जायेगा तो मुरैना की वित्तीय स्थिति इतनी दयनीय हो जायेगी कि एक महीने का वेतन नहीं दे सकेंगे आप अपने बैंक कर्मचारियों को.
माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी मैंने भारी भरकम भी कहा और जनता के लिये भी कहा, इस बार मैं पहली बार देख रहा हूं कि ग्रामीण विकास विभाग का बजट पहली बार किसी वर्ष में कम हुआ है, आपको कब आवंटन मिला है, या तो आपकी रूचि नहीं है या सरकार की ग्रामीण विकास विभाग के प्रति रूचि नहीं है, आवंटन कम हुआ है न इस बार. (श्री गोपाल भार्गव मंत्री जी द्वारा बैठे-बैठे सर हिलाकर हां में जवाब दिया गया) हुआ है.
माननीय सभापति महोदय, इसी से यह प्रकट होता है कि ग्रामीण विकास विभाग में जहां वर्ष 2015-2016 के लिये बजट आवंटित था 12628 करोड़ अब इस बार 11596.90 करोड़ है, इसमें 3.66 प्रतिशत की कमी है, यह किस तरह से प्रदेश के गांवों का विकास करेंगे, यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है और पंचायत एवं समाज कल्याण, ग्रामीण विकास विभाग जितना भी है, इस सबको एक तरह से जोड़कर देखा जाये तो जितनी भी योजनायें गरीबों की बीपीएल के लोगों की अधिकतर चलाई जाती हैं, ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग के द्वारा चलाई जाती हैं और इसमें भ्रष्टाचार की भी कोई सीमा और कमी नहीं हैं. मैं तो इतना ही कहना चाहूंगा कि अभी तक मनरेगा से जितने भी काम हुये, सब जगह की बात आ रही है, मनरेगा में आप खूब पैसा दे रहे हो, खूब पैसा आया, इस बार कम हो गया, अभी बढ़ा है, इस वर्ष बढ़ा रहे हैं, लेकिन मनरेगा के पैसे का सदुउपयोग हो यह अगर आप सुनिश्चित करेंगे तो बड़ी कृपा होगी. मैं यह कहता हूं कि मनरेगा का पैसा जितना आया है, जब से लागू हुई है, श्योपुर में 2006 से लागू हुई है अभी तक 500-600 करोड़ रूपये श्योपुर जिले में आ चुका है. अगर इतनी राशि हम किसी सी.ओ. को दे देते तो श्योपुर जिले की दिशा और दशा दोनों ही बदल जाती, मैंने एक सूची भेजी भी है आपको, अभी एक और पत्र की कापी दूंगा, 21 ऐसे डेमों की सूची है जो कम से कम 40-50 करोड़ रूपये में बनाये गये हैं लेकिन एक बूंद पानी उनमें नहीं रूकता, कम से कम उसे ही रोकने की व्यवस्था उसमें कर दो. इस तरह से मनरेगा के भ्रष्टाचार की स्थिति मत बनने दो और इसी के साथ साथ आपकी पूरी योजनाओं का क्रियान्वयन, वैसे तो पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में केन्द्र सरकार ने ही पैसा देना कम कर दिया. केन्द्र सरकार ने बीआरजीएफ, आरजीपीएसए यह राशि भी बंद कर दीं, मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम में आपको इस वर्ष पैसा कम मिला है, आरजीपीएसए में पैसा कम मिला है और निर्मल भारत अभियान में भी कम मिला है.
माननीय सभापति महोदय, माननीय मंत्री जी हम कितना भी प्रचार-प्रसार करते रहे, स्वच्छ भारत अभियान, ग्रामीण स्वच्छता अभियान पहले भी यह निर्मल भारत अभियान चल रहा था, लेकिन आप यह बतायें कि स्वच्छता शौचालय बने कितने हैं, क्या हम कभी टोकन के रूप में कुछ पंचायतों का सर्वेक्षण करायेंगे या भौतिक स्थिति देखेंगे, अगर हम भौतिक स्थिति देखेंगे तो निश्चित रूप से हमें पता लग पायेगा कि जमीनी हकीकत क्या है और आज 23 तारीख से लेकर के आज तक आपकी योजनायें पूरी ठप्प पड़ी हैं, आपके पंचायत सचिव रोजगार सहायक जिनके माध्यम से आप योजनायें चलाते हैं वह पूरी की पूरी योजनायें आज बंद पड़ी हैं. इन योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा, मनरेगा की मजदूरी, माननीय सभापति महोदय कितने बड़े दुर्भाग्य की बात है कि आज अकाल पड़ा हुआ है, सूखा है, जबरदस्त भीषण आपदा है, लेकिन लोग पलायन कर रहे हैं, आप मजदूरी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं, आप मनरेगा की बात करेंगे, मनरेगा में आपने कई करोड़ के काम स्वीकृत किये हुये हैं, मेरे यहां अकेले श्योपुर जिले में 30 करोड़ रूपये की मजदूरी मनरेगा की अटकी हुई है, मजदूरी करने वाला व्यक्ति, वह सुबह मजदूरी करे और शाम को पैसा मिले तब कहीं जाकर मजदूरी करेगा, आप कम से कम प्रदेश के उन गरीब लोगों के पलायन की स्थिति देखोगे तो बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण है, इसके पहले वर्ष 2002 और 2003 में भी अकाल पड़ा था, ऐसी व्यवस्था करें, ऐसे मद की व्यवस्था करायें कि जिन लोगों को आज सुबह खाने को नहीं है और शाम को पेट भरने के लिये बाजार से खरीदकर लाने की आवश्यकता है, ऐसे लोगों को मजदूरी तुरंत मुहैया करायें, आपकी मजदूरी भी बहुत कम है, अन्य राज्यों में मजदूरी अधिक है, अगर मनरेगा की मजदूरी कम है तो आप अपना स्टेट कम्पोनेंट बढ़ा दें और माननीय सभापति महोदय जो पंचायत सचिव और रोजगार सहायकों की जो हड़ताल 23 तारीख से चल रही है, सारी योजनायें बंद बड़ी हुई हैं. मेरे क्षेत्र में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां ग्रामीण नल जल योजनायें से पीने का पानी मिलता है, अगर बिजली नहीं है तो पानी नहीं. नल जल योजनायें बंद हैं तो पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, 5-5 किलोमीटर, 10-10 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ा है और पीएचई विभाग ने नल जल योजनाओं का संधारण ग्राम पंचायत को दे दिया है और पंचायत विभाग के सचिव न तो उनके पास कोई राशि रहती है और जो राशि आती है वित्त आयोग की और मूलभूत की, मूलभूत खत्म कर दिया है शायद, वित्त आयोग की या जो भी राशि जाती है वह उस राशि को निर्माण कार्यों में अपने ढंग से उपयोग करके लगाते हैं, वह इसलिये करते हैं कि उस पर मजदूरी का बंधन नहीं रहता उसे जैसे चाहे वैसे डायवर्ट कर लेते हैं. कम से कम यह व्यवस्था करें या आप एक प्रस्ताव बनायें, आप भी सरकार के मंत्री हो, पीएचई मंत्री भी सरकार के मंत्री हैं, या तो आप इन पूरी योजनाओं को पीएचई को ट्रासफर कर दें या फिर इस तरह की व्यवस्था बनायें, न तो आपके पास पंचायतों में मैकेनिक है, न आपके पास पंचायतों में सुविधा है, न व्यवस्था है. मेरे यहां 80 प्रतिशत से अधिक योजनाएं बंद पड़ी हैं. आप कहेंगे कि 80 प्रतिशत ! हां, मेरे क्षेत्र में 125 से अधिक योजनाएं हैं उनमें से 15-20 योजनाओं को छोड़कर,बाकी सब बंद पड़ी हैं. लोग 5-5 किलोमीटर तक पानी पीने के लिए जा रहे हैं.
सभापति महोदय-- कितना समय लेंगे?
श्री रामनिवास रावत-- बस समाप्त कर रहा हूं.सभापति महोदय, माननीय मंत्रीजी आपके पंचायत सचिव, रोजगार सहायक कुछ मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे हैं. उनके कुछ विषय मुझे भी मानवीय संवेदनाओं से भरे हुए लगते हैं. जैसे हम अनुकंपा नियुक्ति की व्यवस्था करते हैं. निश्चित रुप से वह भी आपके एक कर्मचारी हैं. लेकिन पंचायत सचिवों को अनुकंपा नियुक्ति दिये जाने की कोई व्यवस्था आपके यहां पर नहीं है. उनकी जो मांगे हैं उसके लिए आप उनको बुलाकर, चर्चा तो करें कि किस तरह उनकी व्यवस्थाएं की जायें. उनके लिए अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान किया जाये. उन्होंने छठवा वेतनमान भी लागू करने की मांग की है, लेकिन आप देंगे नहीं यह हम जानते हैं. आप दे देंगे तो बहुत बढ़िया होगा.
सभापति महोदय, मृत्यु की अनुग्रह राशि तो आप बढ़ा सकते हैं. अभी मेरे ख्याल से डेढ़ लाख या 2 लाख रुपये है. (माननीय मंत्रीजी द्वारा डेढ़ लाख रुपये कहे जाने पर) डेढ़ लाख रुपये है तो कम है, इसे तो कम से कम 5 लाख रुपये तक तो कर ही सकते हैं.
सभापति महोदय, उन्होंने मातृत्व,पितृत्व अवकाश, दो पदोन्नति,क्रमोन्नति, परिवार चिकित्सा बीमा, 50 प्रतिशत पदों पर विभागीय पदोन्नति और सहायक सचिवों की भी मांग है. रोजगार सहायकों को सहायक सचिव घोषित किया जाये. इस तरह से 23 हजार सहायक सचिव हैं, उनकी सेवा शर्ते निर्धारित की जाये. सभापति महोदय, मनरेगा के सभी संविदा कर्मी भी हड़ताल पर हैं.
सभापति महोदय--कृपया समाप्त करें.
श्री रामनिवास रावत--मंत्रीजी कह दें कि मैं मानता हूं तो हम समाप्त कर देते हैं. यह कह दे कि मैं भ्रष्टाचार मिटाता हूं. हम समाप्त कर देते हैं. मैं मंत्रीजी से भी निवेदन करुंगा, आपने भी कहा कि कम से कम परफार्मेंश ग्रांट की राशि, पंचायत निधि की राशि बांटने में चश्मे की अंतर मत लगाओ. सभी को दें. मैं तालाबों की सूची दे रहा हूं, उनको भी स्वीकार करा दें. हमारी जो सहकारी शक्कर कारखाना,कैलारस है वह हमारे जिला ही नहीं, ग्वालियर-चम्बल संभाग की पहचान हुआ करती थी, उसको समाप्त कर दिया. उसके लिए किसी भी तरह, कहीं से भी राशि उपलब्ध करा कर प्रारंभ करा दें. बड़ी कृपा होगी. धन्यवाद.
सभापति महोदय-- इंजी.प्रदीप लारिया...कृपया 5 मिनट में समाप्त करें.
इंजी.प्रदीप लारिया(नरियावली)--सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 17,30,34,59,62 और 74 का समर्थन और कटौती प्रस्तावों का विरोध करता हूं.
सभापति महोदय, अभी हमारे कांग्रेस के वक्ता ग्रामीण विकास के संदर्भ में बात कर रहे थे. मैं आपसे कहना चाहता हूं कि भारत की आर्थिक व्यवस्था ग्रामीणों और किसानों से जुड़ी हुई है. गांव के विकास की चिन्ता यदि इस देश में सबसे पहले किसी ने की है तो वह हमारे पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी ने की. हम देखते थे कि गांव में जाने के लिए पहले कोई सड़क नहीं होती थी. गांव के लोग शहर नहीं आ पाते थे, शहर के लोग गांव नहीं जा पाते थे. जब श्री अटलबिहारी वाजपेयी जी देश के प्रधानमंत्री बने उन्होंने इस बात को जाना का कि गांव का विकास क्यों नहीं हो रहा है. उसका मुख्य कारण यह था कि गांव तक पहुंच मार्ग नहीं थे. इस वजह से श्री वाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री सड़क योजना प्रारंभ की.
सभापति महोदय, हम देखते हैं कि जब से प्रधानमंत्री सड़क योजना इस देश में आयी है, निश्चित तौर पर गांव का विकास हुआ है. यदि हम मध्यप्रदेश की बात करें तो हमारा प्रदेश प्रधानमंत्री सड़क योजना के मामले में पूरे देश में सबसे अग्रणी प्रांत है. आज प्रदेश में लगातार सड़कें बनाने का काम हुआ है. निश्चित तौर पर जहां 63 हजार किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ है, वहीं 30 हजार किलोमीटर सड़कों का 5 वर्षों तक संधारण किया जा रहा है.
सभापति महोदय, आज हम देखते हैं कि मध्यप्रदेश में तेजी के साथ प्रधानमंत्री सड़क का काम हुआ है. लेकिन 500 से नीचे की आबादी वाले जो गांव थे. वह कहीं न कहीं इस योजना से छूट रहे थे. वह प्रधानमंत्री सड़क योजना में आ नहीं पा रहे थे. इस कारण से मध्यप्रदेश की सरकार ने, हमारे यशस्वी मुख्यमंत्रीजी और ग्रामीण विकास मंत्री आदरणीय गोपाल भार्गव जी ने मुख्यमंत्री सड़क योजना प्रारंभ की. जब से मुख्यमंत्री सड़क योजना प्रारंभ हुई है, मैं समझता हूं प्रदेश का प्रत्येक गांव ग्रेवल सड़कों से, प्रधानमंत्री सड़क से जुड़ गया है. निश्चित रुप से कनेक्टिविटी बढ़ी है.
सभापति महोदय, हमारे विधानसभा क्षेत्र की यदि हम बात करें तो नरियावली विधानसभा क्षेत्र में शत-प्रतिशत गांव या तो प्रधानमंत्री सड़क से जुड़ गये हैं या मुख्यमंत्री सड़क से जुड़ गये हैं. अभी अभी जो 3 राजस्व ग्राम घोषित हुए हैं वह मुख्यमंत्री सड़क योजना में नहीं आ पाये हैं. मैं मंत्रीजी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि धारखेड़ी, भगवनपुरा और खिरिया कर्रापुर ये राजस्व ग्राम घोषित हुए हैं, लेकिन वे मुख्यमंत्री सड़क योजना में नहीं आ पाये हैं. मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं ये गांव इस योजना में आ जाये जिससे हमारे नरियावली विधानसभा,शत-प्रतिशत गांवों का सड़कों से जुड़ने वाला क्षेत्र हो जायेगा.
सभापति महोदय, प्रधानमंत्री सड़क योजना में हमारे ऐसे कई गांव हैं, जो फोर लेन से जुड़े हैं. फोर लेन होने के कारण उस पर से भारी वाहन निकलते हैं. हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री सड़क 10 से 12 टन के लिए डिजाईन होते हैं लेकिन फोर लेन कनेक्टिविटी के कारण वहां से 25-30 टन के वाहन जाते हैं, जिससे वह प्रधानमंत्री सड़क मिट गई है. मैं आपके माध्यम से निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे विधानसभा क्षेत्र के भापुलपाटन,रानीपुरा,बरखेड़ाखुमान,ईसापुर पहुंच मार्ग, गडौली पहुंच मार्ग, सेवारी, जड़ारा पहुंच मार्ग, जैरवारा पहुंच मार्ग और मुरियाढ़ाना ये ध्वस्त हो गई है. इन सड़कों का निर्माण हो जाये और दो सड़कें बहुत महत्वपूर्ण हैं परदुआ, सांईखेडा. यहां पर वेअरहाऊस है. इसमे भारी वाहन जाते हैं. यह सड़क भी 10 से 12 टन के लिए डिजाईन हैं लेकिन भारी वाहनों के कारण इस रोड़ की स्थिति भी खराब हो गई है.
सभापति महोदय--कृपया समाप्त करें.
इंजी.प्रदीप लारिया-- सभापति महोदय, अपने क्षेत्र की बात कर रहा हूं. मेरे यहां रजौआ गांव हैं उसमें फैक्ट्री है. मेरा निवेदन है कि इसमें सड़क का निर्माण हो जाये. दूसरा, पंच परमेश्वर योजना है. मैंने उल्लेख किया था. आज हम देखते हैं कि गांव में शहरों से अच्छी, नगर निगम क्षेत्र से अच्छी गुणवत्ता युक्त सड़कों का निर्माण हो रहा है. पहले हम गांव में पहुंचते थे तो दलदल में से जाना पडता था लेकिन जब से पंच परमेश्वर योजना आयी है. पहले कांग्रेस की सरकार थी. मैं यह कहना चाहता हूं कि पंचायत से लेकर विधानसभा और विधानसभा से लेकर केन्द्र तक में जब कांग्रेस की सरकार थी लेकिन कभी गांवों के विकास की चिंता कांग्रेस की सरकारों ने नहीं की. 25-50 हजार रुपये का काम होना बहुत बड़ी बात होती थी. लेकिन हमारे ग्रामीण विकास मंत्री और मुख्यमंत्रीजी ने इसको ठीक किया है. पंच परमेश्वर योजना मध्यप्रदेश की धरती पर आयी और हम देखते हैं कि गुणवत्ता युक्त सड़कों का निर्माण हो रहा है.
सभापति महोदय-- समाप्त करें. 6 मिनट हो गये हैं. आधे मिनट में समाप्त करें.
इंजी प्रदीप लारिया--सभापति महोदय, मेरे विधानसभा क्षेत्र की बात कर लेता हूं. हमारा क्षेत्र शहर से लगा हुआ है. जो ग्रामीण क्षेत्र में आता है, सागर नगर निगम से लगा हुआ है. जो सागर नगर से लगे हुए गांव हैं इनकी आबादी कहीं पर 10 हजार है, कहीं 15 हजार है. आने वाले समय में निश्चित रुप से शहर का आकार लेने वाले हैं, जुड़ने वाले हैं. यदि हम इनका विकास योजनाबद्ध तरीके से नहीं करायेंगे तो आने वाले समय में बहुत दिक्कत हो जायेगी.
सभापति महोदय, मैं माननीय मंत्री जी का आभार करना चाहता हूं कि उन्होंने बड़ी से बड़ी पंचायत के लिए 15 लाख रुपए की राशि दी है. लेकिन जो शहर से लगे हुए गांव हैं, इनके लिए राशि उनके विकास के लिए अपर्याप्त हो जाती है तो मेरा आपके माध्यम से आग्रह है कि जो शहर से लगे हुए गांव हैं, इनकी एक अलग से योजना बनाएं, कैसे उनमें और शहर जैसा विकास कर सकते हैं, वह देखें. सभापति महोदय, आपने बोलने के लिए जो समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
सहकारिता मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) - प्रदीप जी लिखकर दे दें.
सभापति महोदय - माननीय मंत्री जी कह रहे हैं कि लिखकर दे दो सब काम हो जाएंगे.
श्री गोपाल भार्गव - वैसे भी इनके क्षेत्र में जब पंचायत थी तो हमने 5 करोड़ रुपए की सीसी सड़कें बनवाई.
इंजी. प्रदीप लारिया - 5 करोड़ नहीं, 9 करोड़ की.
श्री गोपाल भार्गव - सभापति महोदय, मकरोनिया में रजाखेड़ी, अब तो नगरपालिका हो गई है. हालांकि विधान सभा में मांगने की अलग बात होती है.
समय 2.31 बजे {उपाध्यक्ष महोदय (डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए.}
श्रीमती शीला त्यागी (मनगवां) - उपाध्यक्ष महोदय, आप आ गये, बहुत बहुत धन्यवाद. उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 17,30,34,59,62 एवं 74 के पक्ष में नहीं, बल्कि विपक्ष में अपनी बात रखने के लिए खड़ी हुई हूं. उपाध्यक्ष महोदय, सहकारिता विभाग का मुख्य कार्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े दलित और शोषित कमजोर वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिए इस विभाग का निर्माण किया गया है. लेकिन मैं आपसे कहना चाहती हूं कि मनगवां विधानसभा के गंगैव ब्लॉक में सहकारिता विभाग के द्वारा 96 करोड़ रुपए की राशि विभिन्न योजनाओं में स्वीकृत करके आपस में बंदरबांट कर ली गई है. साथ ही साथ जैसे किसान क्रेडिट कार्ड, ऋण खाद-बीज के तहत जो अनुदान गंगैव, मनगवां, लालगांव, देवासगढ़ में दिया गया था. यूवीआई की जो बैंक शाखाएं हैं, इनमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है. इसको रोकने के लिए माननीय मंत्री जी से गुजारिश करती हूं कि इसमें जांच करवाकर भ्रष्टाचार को रोकने का प्रयास करेंगे. माननीय मंत्री जी से यह भी गुजारिश करती हूं कि जो गोडाऊन की व्यवस्था की जानी चाहिए थी और जो प्रत्येक गांव में सहकारी उचित मूल्य की दुकानें हैं अगर उनके स्वयं के भवन होंगे तो कालाबाजारी है, जो चोरी होती है, इसको भी रोकने में बड़े पैमाने पर सफलता मिल सकती है. साथ ही यह भी कहना चाहती हूं कि मनगवां विधान सभा में बहुत सारे ऐसे गांव हैं जहां पर अभी सोसाइटी के भवन नहीं हैं. उनको भवन के लिए आप राशि उपलब्ध करवाएं. जो डिफाल्टर सहकारी समितियां हैं, उनकी जांच अभी तक लंबित हैं. उनकी जांच करवाकर विभाग के माध्यम से उसमें दंडित करने का भी प्रयास करेंगे. साथ ही साथ कंदैला, जड़ोरी, रामपुर और बहुत सारे ऐसे मनगवां में सहकारी समितियां चल रही हैं, उनमें बहुत अधिक भ्रष्टाचार है. उसको भी आप रोकने का प्रयास करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय, ग्रामीण विकास विभाग की मांग संख्या 30 के संबंध में कहना चाहती हूं कि जैसा विभाग का नाम ही है कि गांव का विकास ग्रामीण विकास, जब गांव का विकास होगा, तभी हमारे प्रदेश और देश का विकास होगा, क्योंकि हम सबको मालूम है कि 75 जनता गांव में रहती है और उनके विकास के लिए सरकार भी प्रतिबद्ध है. इसलिए मैं आपसे गुजारिश करती हूं कि जो भी गांव की समस्याएं होती हैं, पहली समस्या पानी की है. पानी, बिजली, आवास, रोजगार की समस्याएं हैं. इन सभी के लिए विभाग में बहुत सारी योजनाएं संचालित हैं. लेकिन माननीय मंत्री जी आपसे गुजारिश है, अपील है, विनती है, प्रार्थना है कि हमारे मनगवां के विधान सभा के गांव जो आज 68 साल की आजादी के बाद भी जो उनका विकास होना चाहिए था, वह आज तक नहीं हुआ है. आज भी पानी, बिजली की समस्याएं हैं, जो प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत सड़कें बनी हुई हैं, वे बनने से पहले ऊखड़ जा रही हैं. इसके अलावा भी जो सड़कें हैं जो खेत से खेत जोड़ने की, नाली की व्यवस्था ये सब जो योजनाएं हैं, आपने तो बहुत अच्छी व्यवस्था दी. सरकार ने बहुत अच्छी व्यवस्था दी और आपने बजट भी बहुत अच्छा दिया है. लेकिन माननीय मंत्री जी जो आपके नुमाइंदें हैं जो प्रशासन तंत्र है, बहुत ही ज्यादा भ्रष्ट होता जा रहा है. इसमें आपको बड़े पैमाने पर शिंकजा लगाने की जरूरत है. बड़े पैमाने पर इनकी जांच करवा कर दंड देने की जरूरत है. माननीय मंत्री जी आपसे गुजारिश करती हूं कि रोजगार गारंटी स्कीम के तहत जो भी निर्माण किये जाते हैं. वह बड़े पैमाने पर मशीन के द्वारा कर लिये जाते हैं और फर्जी बिल वाउचर के द्वारा वह बिल पुट अप करके बैंक से नगद राशि निकाल ली जाती है. जबकि मजदूरों को राशि उनके खाते में देना चाहिए.
उपाध्यक्ष महोदय - अब दो मिनट में समाप्त करें.
श्रीमती शीला त्यागी - उपाध्यक्ष महोदय, मैं सिर्फ दो मिनट लूंगी. उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपसे यही कहना चाहती हूं कि बड़े पैमाने पर यह भी है कि जिन गरीबों को हम रोजगार उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं तो उनको बेरोजगारी भत्ता देना चाहिए, ऐसा कोई भी हमारी मनगवां विधान सभा में आज तक बेरोजागारी भत्ता नहीं दिया गया है. इसलिए माननीय मंत्री जी से गुजारिश है कि बेरोजगारी भत्ते के नाम से जो राशि निकाली जाती है. उसमें काफी भ्रष्टाचार होता है, उसको भी रोकने का प्रयास करेंगे. साथ ही साथ जो कार्यस्थल पर सुविधा उपलब्ध करवाने की व्यवस्था आपके ग्रामीण विकास विभाग की तरफ से की गई है कि वहां पर स्वच्छ पानी मिले, जो मजदूरों के वहां पर बच्चे आते हैं, उनको भी छाया मिले तो यह सिर्फ पन्नों में है. मैं यही कहना चाहती हूं कि सरकार की मंशा बहुत अच्छी है. लेकिन मंशा कुछ और है इसलिए कथनी और करनी में पर्याप्त अंतर है. माननीय मंत्री जी आपकी मंशा वाकई में स्वच्छ और साफ है. आप ईमानदार हैं, बड़े पैमाने पर विभाग को अच्छे से चला रहे हैं और ग्रामीण विकास भी करना चाहते हैं कि किसानों के लिए गरीबों के लिए, बेरोजगारों के लिए, लेकिन थोड़ा-सा और सुधार करने की जरुरत है.
माननीय मंत्री जी से मैं आपसे यह कहना चाहती हूं कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत जो 12000 रुपए की राशि आपने दी है, स्वच्छता के तहत शौचालय के निर्माण की, इसको थोड़ा-सा और बढ़ा देंगे क्योंकि महंगाई बढ़ गई है, गिट्टी, बालू मिल नहीं रहा है, ग्रामीण 12000 रुपए में कैसे शौचालय का निर्माण करवाएंगे, इसके लिए आपके कहना चाहती हूं कि इसको बढ़ाया जाय. अनुसूचित जाति, बीपीएल, एपीएल, सामान्य वर्ग एवं अन्य पिछड़े वर्ग के लिए जो भी शौचालय निर्माण किये गये हैं, वह घटिया तरह से किये गये हैं. उपाध्यक्ष महोदय, मैं अंतिम बात रखना चाहती हूं, मैं माननीय मंत्री जी से यह कहना चाहती हूं कि यह भारतीय परिवार का नियम है कि जब परिवार के मुखिया मृत्यु हो जाती है तो उसका वारिसाना अपने आप ही उसकी पत्नी को, उसके बच्चों के लिए उतर जाता है. लेकिन एपीएल, बीपीएल कार्ड में राशन कार्ड में जब परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाती है तो उस परिवार को पुनः उसी जटिल प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. आपसे हाथ जोड़कर गरीब भाइयों के लिए विनती है कि जब परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाय तो पुनः उसको दोबारा राशन कार्ड बनाने के लिए पंचायत सचिव, पटवारी इतना तंग करते हैं कि इसको शब्दों में बयां नहीं कर सकती.
उपाध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, यह अच्छा सुझाव है.
श्रीमती शीला त्यागी - उसके परिवार का एक तो मुखिया भी मर जाता है और इस पर जो उसकी पत्नी और बच्चे होते हैं उनको राशन कार्ड और बीपीएल कार्ड की जटिल प्रक्रिया से दोबारा गुजरना पड़ता है. आपकी निगरानी समिति के सदस्य क्या करते रहते हैं, आखिर आपके सीईओ क्या करते हैं? वे जनपद पंचायत के चक्ककर काटते रहते हैं, गांव में वे परेशान रहते हैं, मैं विशेष रूप से गुजारिश करती हूं कि यह पुनः बीपीएल, एपीएल कार्ड न बनवाकर वारिसाना जैसे उतरता है वैसे किया जाय. उपाध्यक्ष महोदय, आपने जो बोलने का समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री बहादुर सिंह चौहान (महिदपुर) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 17,30,34,59,62 एवं 74 के समर्थन में अपनी बात रखना चाहता हूं. मध्यप्रदेश में जो सहकारिता विभाग है. इसके तहत जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक जो हैं वह 38 हैं, उसके अंतर्गत जो छोटी बैंके कार्य करती हैं, वह 829 हैं. इनके भी नीचे जो प्राथमिक सेवा सहकारी संस्थाएं जो आती हैं वह 4524 हैं. इस प्रकार पूरे मध्यप्रदेश का तंत्र उसके द्वारा चलता है. ये 38 जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक से लाइसेंस प्राप्त हैं. यह एक बहुत बड़ा अमला ग्रामीण अंचल में काम करता है. वहां के जो सेवक हैं वह बहुत कम पैसे में बहुत अधिक कार्य करते हैं. वहां पर ऋण देना, वहां पर समय पर खाद की उपलब्धता करवाना, समय पर बीज की उपलब्धता करवाना, इन 4524 संस्थाओं द्वारा यह किया जाता है.
मैं माननीय सहकारिता मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं कि अब जो सीधे राशन की व्यवस्था में गेहूं और चावल 1 रूपये किलो में दे रहे हैं. उसमें भ्रष्टाचार की शंका कहीं पर भी नहीं रहेगी. यह बात सत्य है कि पूर्व में जो व्यवस्था थी उसको धीरे धीरे हमारी सरकार ने बदला है और गरीबों के घर तक 1 रूपये किलो गेहूं और चावल पहुंच रहा है. इस बात की मैं माननीय शिवराज जी को भाजपा को और हमारे माननीय मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
उपाध्यक्ष महोदय इन संस्थाओं के द्वारा मैंने देखा है मैं स्वयं कृषक हूं. आज से 10 - 12 वर्ष पूर्व किसान को व्यापारी से ऋण लेना होता था तो उसे 7 से 12 प्रतिशत तक का लोन मिलता था लेकिन उसको चुकाने में उ सकी जमीन बिक जाती थी. आज भाजपा की सरकार ने मंत्री जी ने किसानों को जीरो प्रतिशत पर ऋण उपलब्ध करा रहे हैं . यहीं तक नहीं वह बीज और जो उर्वरक लेते हैं उस पर जो राशि बनती है उसका 10 प्रतिशत और उसका ब्याज भाजपा की सरकार उनके खाते में डाल रही है. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय सरकार का है मैं इसके लिये मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
मैं चूंकि ग्रामीण विधान सभा से हूं इसलिए पंचायत विभाग पर भी अपनी बात रखना चाहता हूं. हिन्दुस्तान की 70 प्रतिशत जनता गावों में निवास करती है और हिन्दुस्तान की आत्मा गावों में रहती है. गांवों का विकास करने के लिए एक मात्र जो विभाग है वह है पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इसके माध्यम से ही वहां पर विकास संभव है हमारे मंत्री जी को इसलिए धन्यवाद देना चाहता हूं कि उसकी सीमा और जो पीएस करने की ताकत होती है 15 लाख तक की कर दी है पहले बहुत कम थी तो आरईएस और अन्य विभाग काम करते थे. उसकी लिमिट बढ़ाने से बहुत अधिक फायदा हुआ है, मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि जो अरबों खरबों रूपये डकार जाते हैं उनको चोर नहीं कहते हैं, जो ग्राम पंचायत का सचिव और सरपंच बहुत कम, आप जल संसाधन और लोक निर्माण विभाग के नाम से उठाकर देख लें उससे बहुत कम में ग्राम पंचायतें बहुत अच्छा काम कर रही हैं, सीसी रोड बना रहे हैं, निश्चित रूप से हमारी सरकार के आने केबाद काफी ताकत उनको मिली है.
उपाध्यक्ष महोदय एक बहुत बड़ा निर्णय देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो किया है गांव के लिए और जो मैंने पढा है वह मैं यहां पर सदन में रखना बहुत उपयुक्त समझता हूं. श्यामाप्रसाद मुखर्जी रूरल मिशन को 16-9-2015 को नरेन्द्र मोदी जी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने निर्णय लिया है उ सके तहत 5142 करोड़ 8 लाख रूपये का प्रावधान उस बैठक में किया गया है. मध्यप्रदेश के नान ट्रायबल सब डिस्ट्रिक्ट जो हैं 20 लिये गये हैं ट्रायबल डिस्ट्रिक भी 20 लिये गये हैं. उसमें उज्जैन जिला जो कि एक संभागीय स्तर का जिला है छूट गया है . मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हू कि जो श्यामाप्रसाद मुखर्जी रूरल मिशन है उसमें उज्जैन जिले की तहसील महिदपुर को भी जोड़ने की कृपा करें निश्चित रूप से आप कृपा करेंगे.
उपाध्यक्ष महोदय मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि ग्रामीण विभाग में आरआरडीए एक महत्वपूर्ण विभाग सड़कों के लिए हुआ करता है. मैं जिस दिन से विधायक बना हूं उस दिन से मेरे क्षेत्र की एक सड़क थी उसके लिए लगा था. माननीय मुख्यमंत्री जी से पत्र लिखवाया मंत्री जी से पत्र लिखवाया मुख्य सचिव जी से पत्र लिखाया और विभाग के प्रमुख सचिव से मिला और उसके लिए मैंने पूरी मेहनत की उसमें मैंने कहा था कि इसको 3.5 से 7 मीटर बनायें, उस पर से 20 से 30 टन के ट्राले निकलते थे, जब सड़क के टेण्डर लगने की स्थिति आयी कि यह सड़क आरआरडीए नहीं बनायेंगे, उसको एमपीआरडीसी बनायेगी, अब मैंने पूरी मेहनत की उस सड़क के लिए और आप देखें कि उसके साथ में एक ग्वालियर की सड़क थी वहतो स्वीकृत हो गया लेकिन यह जो 70 - 80 करोड़ रूपये की सड़क थी इसे एमपीआरडीसी ने ले लिया है. मेरा यह कहना नहीं है कि कौन साविभाग बनाये . मैं यहां पर आपके माध्यम से मंत्री जी से आग्रह करना चाहता हूं कि जो आरआरडीए टू लेन का रोड बना रहे थे वह एमपीआरडीसी से बने इसके लिए वह हमारे लिए प्रयास करेंगे और वह रोड की पूरी तैयारी हो गई है, उसका सर्वे डीपीआर सब कुछ हो गया है.
मैं यहां पर केवल एक अंतिम मांग रखना चाहता हूं. अब चूंकि गांवों में विकास तो पंचायत एवं ग्रामीण विकास से ही संभव है. मेरे विधान सभा का एक कस्बा झारना हैऔर उसकी जनसंख्या 16 हजार है हम उस जनसंख्या के लिए नगरीय विकास विभाग से पंचायत विभाग की तुलनाकरें तो उसकी 10 प्रतिशत राशि भी गांव वालों को नहीं मिलती है. मेरा कहना है कि उस 16 हजार की आबादी के लिए बस स्टेण्ड की आवश्यकताहै तो वह बस स्टेण्ड हम कहां से बनायें. हमने पत्र माननीय मंत्री जी को लिखा है मंत्री जी ने उसे विभाग को भेजा है. उसकी पूरी तैयारी हो गई थी और उसके बाद में लगभग स्वीकृति की ओर है वह नस्ती माननीय मंत्री जी के पास में आने वाली है. मैं आपके माध्यम से निवेदन और आग्रह करना चाहता हूं कि उस 16 हजार की जनसंख्या के लिए बस स्टेण्ड के लिए सीसी रोड बनाना है उसके लिए स्वीकृति करने की कृपा करेंगे. मैं अपनी एक अंतिम बात को यहां पर रखना चाहता हूं. मैं भूत बाबा महाकालेशवर की नगरी में वहां के जिलाधीश जी ने एक बहुत अच्छी योजना चलायी है वह है स्मार्ट विलेज और स्मार्ट पंचायत, इसके तहत हमारे क्षेत्र की 12 से 15 पंचायतों को 25 - 25 लाख रूपये मिले हैं जिससे हमारे यहां पर बहुत ही अच्छा विकास हो रहाहै. मेरा कहना है कि अन्य जगह भी स्मार्ट पंचायत बनायी जायें. आपने बोलने केलिए समय दिया धन्यवाद.
श्री दिनेश राय ( सिवनी ) -- माननीय उपाध्य महोदय, मैं मांग संख्या 17,30,34, 59, 62 एवं 74 का समर्थन करता हूं साथ ही मैं मेरे क्षेत्र की समस्याओं से मंत्री जी को यहां पर अवगत भी कराना चाहता हूं. सबसे पहले मैं कहना चाहूंगा कि अभी हमारे सचिव, सहायक सचिव मनरेगा अधिकारियों की जो मांग लेकर बैठे हैं उनपर अवश्य ध्यान दें क्योंकि हड़ताल की वजह से हमारी ग्राम पंचायतों का विकास रूक गया है, तमाम तरह के काम रूक गये हैं हमारी पेयजल व्यवस्था का काम भी रूक गया है, क्योंकि पीएचई विभाग का तो भगवान ही मालिक है, पीएचई विभाग से हमारे यहां पर कुछ नहीं होता है. हमारे यहां की जो भी नलजल योजनाएं रूकी हैं उनको आप अपने अधीन जनपद में ले लें और उनका संचालन करवायें.
उपाध्यक्ष महोदय हमारे यहां पर प्रधानमंत्री सड़कों का काम होना था वह पूरा अधूरा पड़ा हुआ है कुछ जगह पर बदमाशी करके जहां पर 2 किलोमीटर में कोई गाव छूट रहाहै तो उसको छोड़ दिया गया है उसको लिंक रोड से नहीं जोड़ा गया है. मेरा आपसे आग्रह है कि आप एक बार प्रधानमंत्री सड़कों की जांच अवश्य करवा लें. कब से टेण्डर लगे हैं और कितने लोग काम छोड़कर चले गये हैं और कितने लोगों को आपने नया काम दिया है, जिनको भी आपने काम दिया है उसकी समय सीमा निकल गई है, जब भी जिला योजना समिति की बैठक होती है, या विधान सभा का प्रश्न भी लगाया है तो उनके द्वारा सिर्फ एक ही जवाब होता है कि लाइनिंग का काम चालू है तो तकब तक यह चलेगा पूरा साल निकल गया है हमारे निवेदन है कि हमारे परफार्मेंस ग्यारंटी का पैसा भी जिला पंचायत के द्वार बंदर बांट कर दिया गया है उसमें भी नियम है कि आदिवासी क्षेत्रों के लिए दलित वर्गों केलिए लेकिन वहां की अध्यक्षा महोदय आज भी लाल बत्ती लगाकर घूम रही हैं. आपने तो लाल बत्ती दी नहीं है प्रभारी मंत्री जी भी बैठे हैं उनको भी पता है लेकिन ऐसा क्यों हो रहाहै यह समझ में नहीं आ रहाहै.
मेरा एक निवेदन है कि वाटर हार्वेस्टरिंग के काम को प्रगति दें, जल स्त्रोत हमारे लगातार नीचे की ओर जा रहे हैं, पूर्व में जिस तरह से काम चलता था उसमें ऐसा कुछ प्रावधान आप जरूर करें कि जिससे कि हमारा बरसात का पानी नदियों में होते हुए समुद्र में न जाय, खेतों में गांव में किसानों के खेत में रूके जिससे वाटर लेबल ऊपर आयेगा. ग्राउण्ड की हमारे यहां पर बहुत समस्या है.
उपाध्यक्ष महोदय मैं आपके माध्यम से एक और निवेदन करना चाहता हूंकि मेरे यहां पर सिवनी ब्लाक और छपारा ब्लाक सिवनी विधान सभा में आता है 1.5 लाख की जनसंख्या सिवनी नगरपालिका की है और 345 गांव मेरी विधान सभा में हैं. वहां के दोनों सीईओ ठेकेदारी पद्धति से काम करा रहे हैं. कृपया जांच करवा लें आप दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा.अभी बात आयी थी कि विदेशों से जो सहायता आपको मिल रही है तो मैं निवेदन करता हूं कि मेरे क्षेत्र के लिए प्रदान करने की कृपा करें. जो काम हमारे यहां पर चल रहे हैं उनकी राशि समय पर नहीं मिल रही है, शौचालय निर्माण काम काफी तीव्र गति से चल रहा है लेकिन समय पर पैसा न मिलने के कारण हितग्राही भी काम नहीं कर पा रहेहैं और एजेन्सी भी काम नहीं कर पा रही है. विकलांग विधवा परित्यकता बुजुर्ग की योजनाओंका ग्रमीण क्षेत्र में सही लाभ मिलना चाहिए वह भी नहीं मिल पा रहा है. जनपद सदस्य और जिला पंचायत सदस्यों का रोल क्या है, समझ में नहीं आता है इतनी मेहनत करके जीतते हैं और खाली निकल जाते हैं. मेरा आग्रह है कि विधायक जिला पंचायत अध्यक्ष से बड़ा होताहै. कहीं भी पूरी विधान सभा और प्रदेश में प्रोटोकाल का उल्लंघन नहीं होना चाहिए उनको लाल बत्ती दे रहे हैं तो मेरा निवेदन हैं हम विधायकों को हरी बत्ती ही दे दें. उपाध्यक्ष महोदय आपने बोलने के लिए समय दिया धन्यवाद.
श्री दुर्गालाल विजय (श्यापुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 17, 30, 34, 59 और 62 का समर्थन करने के लिए खड़ा हुआ हूँ. सहकारिता विभाग में पहले से ही बहुत से कार्य सरकार के द्वारा और विभाग के द्वारा किए गए जिनका उल्लेख पूर्व में हो चुका है. चाहे वह शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण देने की बात हो अथवा ऋण में 10 प्रतिशत कटौती करके पैसा जमा करने की बात हो, चाहे कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से केसीसी बनाने की बात हो, विभिन्न कार्यों के माध्यम से किसानों को राहत पहुँचाने का काम मध्यप्रदेश की सरकार ने और मध्यप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी ने किया है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कृषि सहकारी संस्थाओं को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से वहां पर भंडारण के लिए गोडाऊन, किसानों के लिए रेस्ट-हाऊस और उस स्थान पर उनके ठहरने की व्यवस्था की दृष्टि से मध्यप्रदेश के सहकारिता विभाग ने सहकारी क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर इस प्रकार के सुविधाजनक निर्माण करने का फैसला किया है. मेरे श्योपुर जिले में भी ऐसे कार्य हुए हैं और विशेषकर श्योपुर विधान सभा क्षेत्र में दो स्थानों पर पांच करोड़ और इसके ऊपर की लागत से इस प्रकार के सुविधा केन्द्र और गोडाऊन्स का निर्माण किया जा रहा है जिससे किसानों को बहुत बड़ा लाभ प्राप्त होगा और माननीय मंत्री जी से मैं यह भी निवेदन करता हूँ कि इसको और आगे बढ़ाएं जिससे आगे वाले समय में यह कृषि साख सहकारी समितियां ठीक तरीके से किसानों को सुविधा प्रदान कर सकें और उनको कठिनाई न हो.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूँ कि हमारे श्योपुर के कॉ-ऑपरेटिव्ह बैंक की बहुत लंबे समय से किसानों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. ढाई सौ किलोमीटर दूर मुरैना होने के कारण और वहां जो कॉ-ऑपरेटिव्ह बैंक प्रशासनिक दृष्टि से कार्य करते हैं उनकी मानसिकता कह लीजिए या उनके अधिकारियों का श्योपुर के प्रति जो उपेक्षापूर्ण रवैया है उसके कारण से, श्योपुर की जिन सहकारी संस्थाओं की स्थिति बहुत अच्छी थी, अगर मैं यह कहूँ तो अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मध्यप्रदेश के अंदर श्योपुर विधान सभा क्षेत्र के अंदर कार्य करने वाली सहकारी समितियां बहुत ही श्रेष्ठ तरीके से अपना कार्य कर रही थीं लेकिन पिछले कुछ समय से इस प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है कि श्योपुर के जो किसान बहुत लंबे से अच्छा लेन-देन करते थे ठीक तरीके से उनका सोसाइटीज के साथ और बैंक के साथ जो व्यवहार होता था उसके बावजूद मुरैना में आने वाली कठिनाइयों की प्रतिपूर्ति श्योपुर से करने के कारण एक बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो रही है. मैं अगर यह कहूँ कि श्योपुर में किसान जब-जब भी सहकारी समितियों के समक्ष ठीक तरीके से व्यवहार करने के लिए खड़ा रहता है ऐसे समय में मुरैना कॉ-ऑपरेटिव्ह बैंक के अधिकारियों के निर्देश के कारण वहां काम करने वाले नीचे स्तर के अधिकारियों को स्वयं कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है किसी बात को बोलने की बजाय वे कार्य करना बंद कर देते हैं और किसानों को उसका लाभ नहीं मिलता है. पिछले समय में ध्यान आकर्षण के माध्यम से मैंने माननीय मंत्री जी से आग्रह किया था और हमें उम्मीद भी थी कि हमारे प्रदेश के यशस्वी सहकारिता मंत्री जी से जो कि बहुत ही दबंग तरीक से कार्य करने के लिए जाने जाते हैं. हमने श्योपुर क्षेत्र के नागरिकों को वहां के किसानों को कहा भी था कि समस्या का समाधान जल्दी होगा. माननीय मुख्यमंत्री जी से भी इस संबंध में जब निवेदन किया उन्होंने भी श्योपुर जिले में इसकी घोषणा की कि श्योपुर का बैंक पृथक किया जाएगा और मुरैना के बैंक से इसे जल्द ही अलग कर दिया जाएगा लेकिन अभी तक आगे की कार्यवाही इसमें नहीं होने के कारण श्योपुर के किसानों में बहुत निराशा है और उनका जो सहकारिता के माध्यम से कार्य करने का उनका ध्येय है उनका जो लक्ष्य है वह भी धूमिल होता जा रहा है. वह ठीक तरीके से सहकारी समितियों के माध्यम से और कॉ-ऑपरेटिव्ह बैंक के माध्यम से अपने कार्य को करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं और अन्य बैंकों की तरफ अपना रुख अख्तियार कर रहे हैं और सहकारिता के क्षेत्र में यह हमारे श्योपुर क्षेत्र की बहुत बड़ी विडंबना है जिसे दूर करने की आवश्यकता है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पंचायत एवं ग्रामीण विकास की दृष्टि से मध्यप्रदेश की सरकार ने, माननीय मुख्यमंत्री जी ने, माननीय पंचायत मंत्री जी ने बेहतर तरीके से कार्य किया. उनके कार्यों का ही परिणाम है कि आज प्रदेश के अंदर ग्रामीण अंचलों में ठीक तरीके से प्रगति का रास्ता आगे की ओर बढ़ रहा है. वह सबसे बड़ा काम जिसका उल्लेख मेरे मित्रों ने पहले भी किया है कि गांव की आंतरिक सड़कें बनाने की एक बहुत बड़ी कठिनाई थी, विधायक और सांसदों के पीछे वहां के सरपंच और वहां के लोग घूमा करते थे लेकिन आज हर पंचायत को उसकी जनसंख्या के हिसाब से राशि देकर आंतरिक सड़कों को पक्की बनाने का जो फैसला मध्यप्रदेश की सरकार ने और विभाग ने किया है वास्तव में बहुत सराहनीय और प्रशंसनीय है उसके माध्यम से बहुत से कार्य हुए हैं. मैं दो-तीन सुझावों के बाद अपनी बात समाप्त कर दूंगा क्योंकि मैं भी जानता हूँ कि समय की कमी है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कुछ स्थानों पर सीसी रोड बनाये जाने के लिए मैं अलग से माननीय मंत्री जी को प्रस्ताव दूंगा और वह ऐसे स्थान हैं जिन पर कार्य कराना बहुत ही आवश्यक है. प्रधानमंत्री सड़क योजना के माध्यम से ठीक तरीके से हमारे प्रदेश में काम हुए हैं, मुख्यमंत्री सड़क योजना के कार्य भी बहुत अच्छी तरह से हुए, हजारों किलोमीटर सड़कें बनी हैं लेकिन हमारे श्योपुर जिले की 6-7 सड़कें प्रधानमंत्री सड़क योजना में जोड़ तो दी गई थी, उनका डीपीआर भी तैयार करके भेज दिया गया था लेकिन तकनीकी खामियों के कारण वे प्रस्ताव वापस आ गए जिसके कारण उन 6-7 अति महत्वपूर्ण सड़कों का काम नहीं हो पाया और वे उसमें नहीं आ पाई हैं, मैं निवेदन करूंगा कि तकनीकी खामियों को पूर्ण करके शीघ्र ही केन्द्र की सरकार को भेजा जाए ताकि जल्दी ही उन सड़कों का निर्माण प्रारंभ हो सके.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, हमारे श्योपुर विधान सभा क्षेत्र में दो-तीन स्थान अति धार्मिक महत्व के हैं जिनमें से एक स्थान पर तो माननीय मंत्री जी ने कृपा करके उसको सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए राशि आवंटित कर दी देवरी के हनुमान मंदिर पर लेकिन दुर्गापुरी का स्थान श्योपुर जिले में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के अंदर महत्व रखता है जिसमें सारे प्रदेश से लोग आते हैं. वहां पर डेढ़ किलोमीटर की सड़क बची हुई है, उसको जोड़ने के लिए मेरी माननीय मंत्री जी से प्रार्थना है और उन्होंने सहमति भी दे दी है, मैं माननीय मंत्री जी को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ और अपनी बात समाप्त करता हूँ. उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय उसके लिए धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 17, 30, 34, 59, 62 और 74 के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ और इसलिए विरोध में खड़ा नहीं हुआ हूँ कि उसका विरोध करना है, मुझे लगता है कि बजट बहुत कम है. जो मैं आज वक्तव्य देने वाला हूँ उसमें न मैं शौचालय घोटाले, जिसमें कि करोड़ों का घोटाला हुआ है और 70 हजार शौचालय मिसिंग हैं, न ट्रेनिंग घोटाला, न पंच परमेश्वर घोटाला, न मनरेगा घोटाला और अपने ही कार्यों से जो सांसद यहां पर खुश नहीं हो के गए उनके बारे में चर्चा न करते हुए मैं कुछ बातें और कुछ सुझाव यहां पर रखना चाहता हूँ. मैं अदम गोंडवी की चंद लाइनों से शुरूआत करना चाहता हूँ जिसमें कहा गया है कि -
तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है,
मगर ये आंकड़े झूठे हैं दावे किताबी हैं,
तुम्हारी मेज चांदी की तुम्हारे जाम सोने के,
यहां जुम्मन के घर में आज भी फूटी रकाबी है,
क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में आज विकास बहुत पीछे है और जब सूबे के मुखिया किसानों की बात करते हैं और हमेशा किसानों की उन्नति करते हैं तो मेरे मन में एक सवाल उठता है कि किसान रहते कहां हैं? किसान गांव में रहते हैं. 70 प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी आज गांव में निवास करती है लेकिन कभी भी उन गांव में रहने वालों के लिए और पंचायत के विकास की बातें उनके मुंह से सुनने में नहीं आतीं. उन किसानों का भला तभी होगा जब गांव में वह आधारभूत जो सुविधाएँ हैं वह मिलें तभी गांव का आदमी विकास करेगा और गांव में विकास की बात आएगी क्योंकि जो राशि का आवंटन होता है वह राशि बहुत कम है. अभी यहां पर जिक्र किया गया कि यह राशि घटा दी गयी है. पंचायत विभाग में भी मामूली बढ़ोतरी की गयी है और रुरल डेव्हलपमेंट में वह राशि घटा दी गयी है और इस घटती हुई राशि से विकास संभव नहीं है. शहर और गांव में विकास का अंतर बहुत ज्यादा है और जब हम प्रदेश के विकास की बात करते हैं, प्रदेश को अग्रणी ले जाने की बात करते हैं लेकिन जब तक इन गांवों में विकास नहीं होगा, यह सपना अधूरा रह जाएगा क्योंकि बहुत ज्याद विषमताएँ हैं. पंचायत की संरचनाओं में 3 से 4 गांव आते हैं. क्षेत्रफल बड़ा होता है और इनके नाली निर्माण या सी.सी. रोड के निर्माण के लिए जो राशि आवंटित हो रही है वह नाकाफी है क्योंकि पहले गांव में खरंजिया रोड बनता था, अलंगा रोड बनता था, मुरम से रोड बनते थे इसलिए उस राशि में काम चल जाता था लेकिन जब सी.सी. रोड बनने लगी तो 4 से 5 लाख की राशि में ये काम संभव नहीं है. जब तक हम यह राशि नहीं बढ़ायेंगे, तब तक स्वच्छता का, सी.सी. रोड और नाली निर्माण के जो काम हैं वे अधूरे रह जाएंगे और मुझे नहीं लगता कि आने वाले 5-10 सालों में भी हम सारे गांव में सी.सी. रोड और नाली निर्माण कर पायेंगे.उपाध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यही प्रश्न करना चाहता हूँ कि हम कब यह योजना बनायेंगे कि हमारे सारे गांव कितने वर्षों में सी.सी. रोड हो जाएंगे, कब तक वहां पर नाली निर्माण की बात हो जाएगी.
उपाध्यक्ष महोदय, पंचायती राज की जब हम बात करते हैं तो इसकी परिकल्पना महात्मा गांधी जी ने की थी और उनका यह सपना था कि पंचायती राज का सशक्तीकरण किया जाए और उसके बाद में हमारे देश के प्रधानमंत्री आदरणीय राजीव गांधी जी ने इस परिकल्पना को साकार किया था. संविधान के 73वें संशोधन के माध्यम से पंचायत राज को साकार किया और उसे संवैधानिक दर्जा दिया है लेकिन गांव में आज स्थिति देखी जा रही है कि धीरे धीरे यह अधिकार कम कर दिये गये हैं और यह अधिकार कम होने के कारण अगर पूरे देश में हम देखें तो जो हमारा प्रदेश का स्थान है वह विकेन्द्रीकरण के मामले में 18 वां आता है और जो पहले पंचायत को अधिकार थे चाहे वह बंटवारे का हो, चाहे बीपीएल कार्ड बनाने का हो, ये दोनों ही अधिकार थे क्योंकि एसडीएम और तहसीलदार तो जानता नहीं है कि गांव में कौन गरीब है. गांव का सरपंच और गांव में जो सचिव हैं वह जानते हैं कि वास्तविक गरीब कौन हैं और आज भी 10 प्रतिशत से ज्यादा गरीब लोग बीपीएल कार्ड से वंचित हैं और उनके अधिकार का हनन कहीं न कहीं हो रहा है. आज की स्थिति यह है कि अगर मनरेगा की राशि अगर नहीं मिलती है तो गांव में दूसरी राशि होती नहीं है. मूलभूत की राशि भी बहुत न के बराबर होती है. दो बातें में कहना चाहता हूँ कि जो पंचायत सचिव हैं, मनरेगा कर्मचारी हैं और जो कर्मचारी हैं उनकी मांगें जायज हैं और माननीय मंत्री जी ने मेरे प्रश्न के उत्तर में यह जवाब दिया कि वे शासकीय कर्मचारी नहीं हैं तो वे शासकीय कर्मचारी क्यों नहीं हैं. जब राशि उनके यहां से आवंटित होती है, उनका ट्रांसफर किया जाता है तो उन्हें भी कहीं न कहीं शासकीय कर्मचारी मानकर उनकी जो जायज मांगें हैं उनको दी जाए जैसे अनुकम्पा नियुक्ति, मेडीकल की सुविधाएँ और छठवें वेतनमान की सारी मांगें उनकी पूरी की जाएँ क्योंकि इनके बिना पंचायत के सारे काम ठप्प पड़े हुए हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, मैं कुछ सुझाव माननीय मंत्री जी को देना चाहता हूँ. जो दौरों के दौरान हम जब गांवों में गए तो उनकी बातें आयीं. पंचायत भवन में बाउण्ड्री वॉल नहीं होती तो बाऊण्ड्री वॉल भी निर्माण हो ताकि वहां पर अतिक्रमण भी नहीं हो और छोटे मोटे कार्यक्रम भी हो सकें और हर गांव में पंचायत स्तर पर एक सामुदायिक भवन का निर्माण हो ताकि गांव में तेरहवीं के, शादी के अन्य कार्यक्रम भी सामुदायिक भवन में हो सकें. राशन कार्ड के बनाने का अधिकार पंचायतों को दिया जाए ताकि वास्तविक गरीब को उसका फायदा मिले. मनरेगा की राशि पूरे देश में हमारे प्रदेश में मजदूरों को कम हैं उस राशि को भी बढ़ाया जाए और कौशल उन्नयन का काम भी गांवों में किया जाए, लघु उद्योग और कुटीर उद्योग के माध्यम से और आज महिला दिवस है और महिला दिवस होने के नाते जो हमारी जनप्रतिनिधि हैं उनको उनके अधिकार की तरफ मजबूत किया जाए और वह वास्तविक महिला पदाधिकारी रहें, ऐसी व्यवस्था की जाए. गांव से गांव जोड़ने के जो रोज हैं, जो मिसिंग रोड हैं उनको बनाने की कोशिश की जाए. जो गांव से गांव के रोड हैं वह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री रोड से तो बन गए हैं लेकिन उनके आपस की कनेक्टिविटी नहीं हुई है क्योंकि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री रोड के माध्यम से इस वर्ष सारे रोड बन जाएंगे. अब अगले स्टेप में हम उन मिसिंग रोड को और डबल कनेक्टिविटी रोड को लें ताकि गांवों में आपस में आवागमन का साधन हो सके. माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री गोविन्द सिंह पटेल(गाडरवारा)-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 17,30,34,59,62 एवं 74 का समर्थन करता हूँ. यह जो विभाग हमारे सम्मानीय मंत्री गोपाल जी भार्गव के पास है उससे ग्रामीण क्षेत्र की पूरी जनता जुड़ी है. ग्रामीण क्षेत्र में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो कि इस विभाग से संबद्ध न हो. यदि वह बड़ा किसान भी है तो भी सहकारिता से वह ऋण लेता है, खाद लेता है, बीज लेता है. गरीब है तो वहां से खाद्यान लेता है और विभिन्न जो पंचायत के द्वारा योजनाएं चलती हैं उनका लाभ लेता है इसलिए यह विभाग बहुत महत्वपूर्ण हैं और इसमें चर्चा में बहुत ज्यादा लोग भाग लें और मैं सुझाव देना चाहता हूँ कि ग्रामीण क्षेत्र के ज्यादा से ज्यादा विधायक इसमें भाग लें और अपनी बात रखें तो ज्याद उपयुक्त होगा. आज सहकारिता विभाग एक ऐसा विभाग है जो कि रासायनिक उर्वरक, बीज और हमारी कीटनाशक इनकी अधिकांश आपूर्ति हमारे किसानों की सहकारिता विभाग से ही होती है. सहकारिता विभाग पर किसान का भरोसा है क्योंकि इसमें समस्त उर्वरक का 53 प्रतिशत जो लोग उपभोग करते हैं वह सहकारिता क्षेत्र से करते हैं और डीएपी, काम्पलेक्स खाद, उर्वरक 74 प्रतिशत सहकारिता क्षेत्र से लोग उपयोग करते हैं और सहकारिता क्षेत्र पर भरोसा है और उसके भरोसे के कारण ही आज किसान की हालत सुधरी है और जो मुख्यमंत्री जी की इच्छा है खेती को लाभकारी बनाने की. खेती को लाभ का धंधा बनाने की बात आती है, दोनों मंत्री बैठे हैं कृषि मंत्री जी और माननीय पंचायत मंत्री जी, मेरा निवेदन है कि इसमें धंधा शब्द तो कटवा दो खेती से क्योंकि खेती कोई धंधा नहीं है. खेती एक सेवा है. किसान सिर्फ सेवा करता है धंधा नहीं. यदि उसके पूरे परिवार की वर्षभर की एक मजदूर जोड़ ली जाए तो उसको एक रुपया रोज की मजदूरी नहीं आती इसलिए धंधा शब्द खेती से हटाना चाहिए. खेती को लाभकारी मुख्यमंत्री जी बना रहे हैं उससे मैं सहमत हूँ और लाभकारी बन भी रही है तो सहकारिता विभाग में खाद की जो बात आती थी,पिछले वर्ष यूरिया की बहुत कमी आयी और मारामारी पड़ी और कालाबाजारी हुई और बड़ी दिक्कत आयी लेकिन इस साल हमारे सहकारिता मंत्री जी ने और हमारे मुख्यमंत्री जी ने और केन्द्र सरकार ने और हमारे प्रधानमंत्रीजी ने इतनी पुख्ता व्यवस्था की कि किसी भी किस्म के खाद की चाहे वह डीएपी हो, यूरिया हो या कोई भी खाद हो उसकी कहीं कोई कमी नहीं आयी और जो लक्ष्य रखा था उससे ज्यादा ही उठाव हुआ है. हमने इस साल कृषि आदानों का 18.15 लाख का लक्ष्य था उसके विरुद्ध 18.75 लाख का उठाव यहां हुआ है और हर किस्म के खाद का अधिकांश उठाव हुआ है उसमें कहीं कमी नहीं आयी है. मेरा एक सुझाव मंत्री महोदय से है कि खाद के, बीज के और कीटनाशक के मामले में पहले एक कृषि विभाग और सहकारिता विभाग मिल के काम करते थे, पहले एक एक्शन प्लॉन बनता था. रबी के सीजन के पहले और खरीब के सीजन के पहले एक्शन प्लॉन में किसानों से एक जानकारी जो एग्रीकल्चर विभाग का अमला लेता था कि कितना किसको यूरिया चाहिए, कितना डीएपी चाहिए, कितना उर्वरक, कितना बीज चाहिए और वह फार्म प्लॉन इकट्टा होता था और ब्लाक स्तर पर उससे डिमांड आ जाती थी और अनुसार उर्वरक, बीज कीटनाशक की व्यवस्था होती थी इसलिए कमी नहीं आती थी. आजकल वह काम नहीं हो पा रहा है तो कम से कम उसके पहले फार्म प्लॉन बना लिया जाए जिससे कि वह दिक्कत न हो और सहकारिता क्षेत्र में जो बिना ब्याज का कर्ज, जीरो परसेंट पर कर्ज, मैं कहना चाहता हूँ कि बिना ब्याज का कर्ज पहले जो मध्यप्रदेश सरकार दे रही है या तो महाराज विक्रमादित्य ने दिया था या शिवराजसिंह चौहान जी दे रहे हैं, बिना ब्याज का, अब तो उसमें 10 परसेंट की छूट. उपाध्यक्ष महोदय-- गोविंद सिंह जी, कृपया समाप्त करें.
श्री गोविंद सिंह पटेल—अभी तो सहकारिता विभाग ही हो पाया है मेरे कुछ सुझाव भी हैं. दूसरा जो सामाजिक न्याय विभाग भी मंत्री जी के पास है, सामाजिक न्याय विभाग के विषय में मैं बात करना चाहता हूं. बहुत सी योजनायें इस विभाग में चल रही हैं . विभिन्न किस्म की पेंशन हैं. राष्ट्रीय इंदिरा गांधी वृद्धावस्था पेंशन में 275 रुपये मिलते हैं , विधवा पेंशन 200 रुपये मिलती है . निराश्रित पेंशन 100 रुपये मिलती हैं. राष्ट्रीय परिवार सहायता योजना और मुख्यमंत्री कन्यादान योजना. ऐसी बहुत सी योजनायें चल रही हैं. दो योजनाओं में मेरा मंत्री महोदय को सुझाव है . एक तो जो हमारी परिवार सहायता योजना है, इसमें परिवार से अर्थ है कि परिवार के कमाऊ व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद. यदि साठ से कम उम्र में परिवार के कमाऊ व्यक्ति की मौत होती है तो उसकी विधवा या नाबालिग बच्चों को 20 हजार रुपये दिये जाते हैं. उसमें सिर्फ पुरुष को परिवार का मुखिया माना जाता है महिला को मुखिया नहीं माना जाता है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि परिवार में दोनों कमाऊ व्यक्ति होते हैं, पुरुष भी होते हैं, महिला भी होती है. पति पत्नी दोनों होते हैं इसमें किसी की भी मौत 60 वर्ष से कम उम्र में हो तो परिवार सहायता का लाभ पत्नी की मौत के बाद भी मिलना चाहिए,जिससे की गरीब परिवार को राहत मिल सके. यह मेरा सुझाव है...
समय – 3.11 बजे {सभापति महोदया (श्रीमती अर्चना चिटनिस)पीठासीन हुईं}
....सभापति महोदया, कन्यादान योजना में मेरा एक सुझाव है. मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में हम निर्धन कन्याओं की शादी कराते हैं. उसमें सामूहिक विवाह सम्मेलन का एक बंधन है, जब विवाह सम्मेलन में हो तब ही 25 हजार रुपयों की मदद वहाँ देते हैं. उसमें मेरा कहना है कि हम सांस्कृतिक मूल्यों ..
सभापति महोदया-- गोविंद सिंह जी समाप्त करें. आपने ही कहा है कि अधिक से अधिक विधायकों को बोलने का मौका देना चाहिए.
श्री गोविंद सिंह पटेल-- दो मिनट में समाप्त करूंगा. अभी मैं पंचायत पर भी बोलूंगा. कन्यादान योजना में मेरा सुझाव है कि यदि हितग्राही घर से शादी करता है, क्योंकि कभी कभी भई हमारे पंडित जी कहते हैं कि तुम्हारी लड़की की शादी नहीं बन रही है तो वह सम्मेलन में नहीं जा पाता और वह गरीब व्यक्ति सरकार की योजना का लाभ नहीं ले पाता तो उसको पंचायत से प्रमाणित करा दे , यदि वह घर से भी शादी करता है तो उसको 25 हजार की मदद हमको देना चाहिए . पंचायत विभाग के द्वारा भी बहुत से विकास कार्य हमारी सरकार करा रही है. पंच परमेश्वर योजना में गांव में नाली, सड़क का जो असंभव काम था , वह संभव हुआ है. कम से कम पांच लाख रुपया छोटी सी छोटी पंचायत में मिलते हैं और 15 लाख बड़ी से बड़ी पंचायत में मिलते हैं . हाट बाजार योजना, खेल मैदान योजना ,श्मशान घाट योजना, पंचायत भवन , मुख्यमत्री आवास योजना ऐसी कई योजनायें सरकार पंचायत विभाग के अंतर्गत चला रही है. इसमें जो मनरेगा की योजना है,रोजगार गांरटी योजना. उसमें 60-40 का रेश्यो है. उसमें सिर्फ मिट्टी का वर्क होता है, हम मानते हैं कि मिट्टी डलाना है और ग्राम संपर्क योजना है. खेत सड़क योजना है . उसमें मेरा सुझाव है कि 1 किलोमीटर खेत सड़क योजना में 15 लाख का एस्टीमेट होता है . 1 किलोमीटर में मिट्टी डलती है, बजरा डलता है, सब होता है और यदि 60-40 का रेश्यो आप यदि सीमेंट सड़क में रखते हैं तो उसमें भी मजदूरी लगती है तो 60-40 का रेश्यो पूरा हो जाएगा . मैं दावा करता हूं क्योंकि मैं भी चार बार सरपंच रहा हूं. एक किलोमीटर सीमेंट की सड़क 15 लाख में एक फुट मोटी और बारह फुट चौड़ी बन जाएगी और मजदूरी का रेश्यो भी वही आ जाएगा . तो हम क्यों अकेले मिट्टी की सड़क का काम करते हैं . इतने रुपयों में पुलिया भी बन सकती है ,स्टापडैम भी बन सकते हैं. इसको सब इंजीनियर अप्रूव नहीं करते हैं. इसमें कुछ पक्के काम भी हो सकते हैं . इसमें रोजगार गारंटी भी मिलेगी. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि आप बहुत अच्छा विभाग चला रहे हैं और बहुत अच्छा काम हो रहा है. एक परिसीमन की मेरी बात है. जनपदों का परिसीमन बहुत दिनों से नहीं हुआ है,उनकी लोकेशन बिगड़ी हुई है. उनका परिसीमन ड्यू था जो कि दस वर्षों से नहीं हुआ है. इसलिए पंचायतों और ब्लाकों का परिसीमन भी करें आपने समय दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री भारत सिंह कुशवाह—(अनुपस्थित)
श्री वेलसिंह भूरिया(सरदारपुर)--- माननीय सभापति महोदय, हमारे मुख्यमंत्री माननीय शिवराज जी और हमारे पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री जी को मैं बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं. देश को आजाद हुए 67 वर्ष से अधिक हो गये हैं . इतने वर्षों में यदि हमारी भारतीय जनता पार्टी का 12 साल का राजपाट देखे और 12 साल का कार्यकाल देखें और कांग्रेस के राज के 50 साल की तुलना करें निश्चित ही हमारी भाजपा सरकार का और मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री आदरणीय गोपाल भार्गव के राज का पलड़ा भारी है. माननीय सभापति महोदय, हमारी सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने ग्रामीण क्षेत्र का बहुत ज्यादा विकास किया है. यदि मैं उसको गिनाने जाऊँगा तो दिन भर लग जाएगा. इसलिए अपने क्षेत्र की समस्या बता रहा हूं.
सभापति महोदया-- इसलिए मेरा आग्रह है कि आप अपने सुझावों और मांगों पर तुरंत आ जाएं.
श्री वेलसिंह भूरिया—माननीय सभापति महोदया, मैं पिछली बार जनपद ,जिला पंचायत में रहा हूं और पंचायत से ही मैं विधायक बना हूं तो मेरे से ज्यादा और कौन समझ सकता है पंचायत ग्रामीण विकास विभाग को ? माननीय सभापति महोदया, मैं कुछ सुझाव दे रहा हूं अभी कुछ हमारे पूर्व पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने भी सुझाव दिये हैं . मेरा सुझाव यह है कि जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव दलीय आधार पर होना चाहिए, इसी प्रकार जनपद पंचायत का चुनाव दलीय आधार पर होना चाहिए. हर ग्राम पंचायत में मांगलिक भवन होना चाहिए. ग्राम पंचायत सचिव जो पूरे मध्यप्रदेश में धरने पर बैठे हुए हैं, मैं उनके समर्थन में एक बात बोलना चाहता हूं. मैं धार जिले के पंचायत सचिव संघ का संरक्षक भी हूं. हमारे ग्राम पंचायत के सचिव ,सरपंच एवं रोजगार सहायक धरने पर बैठे हैं इससे 23 तारीख से पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के विकास की गति एकदम ठप्प हो गई है, लोग परेशान है. मजदूरों का भुगतान नहीं हो रहा है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि उनकी जो वाजिब मांग है, उसके ऊपर निश्चित ही विचार करके कुछ न कुछ उचित निर्णय लें और पंचायत सचिवों के धरना , प्रदर्शन, आंदोलन को समाप्त किया जाये. ताकि ग्रामीण क्षेत्र में विकास की गति जो रूक हुई है, वह तेज गति से चलने लगे.
माननीय सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र की बात करूं तो मेरे सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय शिवराज जी द्वारा सूखा घोषित कर दिया है, फसल आंकलन के आधार पर. मैं चाहता हूं कि 76 से अधिक निस्तार तालाब के प्रस्ताव जिला स्तर पर पेंडिंग पड़े हैं, उनको स्वीकृत किया जाये. मंत्री जी से निवेदन करूंगा सरदारपुर विधानसभा के जो पंचायत एवं ग्रामीण विकास के मुख्यमंत्री सड़क योजना के जो बड़े बड़े रोड हैं, वह मंजूर किये जाये, वह विभाग में पेंडिंग पड़े हैं. माननीय सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र में एक अकोलिया ग्राम पंचायत है. अकोलिया से बसलई, देश आजाद हो कर 67 साल हो गये हैं वहाँ अभी तक रोड नहीं है, पुल नहीं है, गांव की कनेक्टिविटी टूटी हुई है, बच्चों को स्कूल जाने में काफी परेशानी होती है. इसलिए अकोलिया से बसलई वाला रोड मुख्यमंत्री सड़क में जोड़कर इसको स्वीकृत करें , साथ में पुलिया भी बनाई जाये. रिंगनोद से बीछा रोड को मुख्यमंत्री सड़क में जोड़ा जाये, नयापुरा से खेड़ा को मुख्यमंत्री सड़क से जोड़ा जाये. गुमानपुर से तिरला को भी मुख्यमंत्री सड़क से जोड़ा जाये. नरसिंहदेवला से भानगढ़ रोड जो कि हमारे नरसिंह भगवान के दर्शन हेतु वहाँ लाखों करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं ,यह डेढ़ किलोमीटर का रोड है , यहां घुटने घुटने तक गड़ता है इससे श्रद्धालु बारिश में काफी परेशान होते हैं तो भानगढ़ से नरसिंहदेवला को या भानगढ़ से नरसिंहदेवला को मुख्यमंत्री सड़क में जोड़ा जाये. सहकारिता विभाग के विभाग विषय में कहना चाहूंगा मेरे सरदारपुर विधानसभा को सूखा घोषित कर दिया गया हैं और सहकारिता विभाग के द्वारा किसानों के ऊपर प्रेशर किया जा रहा है कि कर्ज वसूली पर रोक लगी है, वह आदेश हमको नहीं मिला है. मैं सहकारिता मंत्री जी से यह भी निवेदन करता हूं कि कर्ज वसूली पर रोक लगाने का शासन का जो आदेश है उसको आप जल्दी से जल्दी जारी करें ताकि किसानों को राहत मिले, सरदारपुर में किसानों को प्रताड़ित नहीं किया जाये. मेरा निवेदन है कि कर्ज वसूली पर रोक लगाई जाये. माननीय सभापति महोदया, भानगढ़ से कुमारेखेड़ी वाले रोड की बहुत ही दर्दनाक स्थिति है. उसको भी मुख्यमंत्री सड़क योजना से जोड़ा जाये.
सभापति महोदया-- अब आप यह लिख कर दे दें. सड़कों की सूची माननीय मंत्री जी को उपलब्ध करा दें.
श्री वेलसिंह भूरिया-- माननीय सभापति महोदया, 2-3 बातें और बता देना चाहता हूँ. जितने भी तालाब हमारी सरदारपुर तहसील में हैं, पुराने जमाने के, स्टेट गव्हर्नमेंट के जमाने के जो तालाब हैं, निस्तार तालाब हैं, सिंचाई तालाब हैं, उनमें गाद भर गई है. यदि उनका गहरीकरण किया जाएगा तो निश्चित ही उस क्षेत्र की जनता को रोजगार भी मिलेगा और क्षेत्र में वॉटर भी इकट्ठा होगा, जिससे हमारे क्षेत्र में वॉटर लेवलिंग जो कम हो गई है, वह वॉटर लेवलिंग बढ़ेगी.
माननीय सभापति महोदया, प्रदेश की सभी सड़कों के जो प्रस्ताव हमारे प्रदेश में पैंडिंग हैं उनको भी स्वीकृत किया जाए. सभापति महोदया, हमारी सरकार निरंतर काम कर रही है. जनता के जितने काम अभी हो रहे हैं, चाहे वे हितग्राही मूलक योजना में हों, पंचायत ग्रामीण विकास में मजदूरों को जो मजदूरी मिल रही है, वह डेढ़ सौ रुपये कर दी है और कम से कम डेढ़ सौ दिन की मजदूरी हमारी सरकार मजदूरों को दे रही है. करोड़ों मजदूरों को रोजगार मिल रहा है. उसके लिए भी हमारी सरकार को और माननीय मुख्यमंत्री जी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ. माननीय सभापति महोदया, आपने मुझे बोलने का मौका दिया, उसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.
श्रीमती झूमा सोलंकी(भीकनगाँव)-- माननीय सभापति महोदया, वर्ष 2016-17 की अनुदान मांग संख्या 17,30,34,59,62 एवं 74 का मैं विरोध करती हूँ और अपनी बात रखती हूँ. सभापति महोदया, पंचायत एवं ग्रामीण विकास में जिन जनकल्याणकारी योजनाओं का संचालन हो रहा है. वर्तमान में सचिव, रोजगार सहायक, मनरेगा, संविदा कर्मचारी, समस्त अपनी मांगों को लेकर कलमबंद हड़ताल कर रहे हैं. जिससे पूरा ग्रामीण क्षेत्र प्रभावित हो रहा है. उनकी जो भी मांगें हों, सरकार, उन्हें जो मानने लायक हों, उन्हें मानी जाएँ ताकि इनके निराकरण न होने से, विकास जो प्रभावित हो रहा है, वह फिर से शुरू हो जाए. सरपंचों को मानदेय मिले. ऐसा प्रावधान सरकार ने किया किन्तु पिछली बार पंचायतों का गठन हुआ उसमें भी उन्हें मानदेय नहीं दिया, न सरपंच को दिया गया, न पंचों को दिया गया है. इस बार भी उन्हें नहीं मिल रहा है. इसके लिए माननीय मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहूँगी कि उन्हें दिया जाए.
सभापति महोदया, भारत स्वच्छता अभियान के अंतर्गत शौचालय निर्माण, मेरी विधान सभा के अंतर्गत कई पंचायतें ऐसी हैं, जहाँ ग्रामीण जन चाहते हैं कि हर घर में शौचालय का निर्माण हो, जिससे माता, बहू, बेटियों को विशेष तौर पर लाभ होगा. किन्तु 12000 में शौचालय का निर्माण असंभव है. योजनाएँ बन गईं किन्तु बनना न बनना कोई मतलब नहीं रहा इस योजना का इसलिए इसकी राशि बढ़ाई जाए और जितनी मांगें आएँ, जितने भी परिवार इसकी मांग करते हैं, उनके घरों में शौचालयों का निर्माण हो और वर्तमान में मनरेगा योजना के अंतर्गत जो नवीन कार्य प्रतिबंधित हैं, उस प्रतिबंध को हटाया जाए क्योंकि आज की तारीख में सूखा पड़ा है, आप सब जानते हैं और इसके लिए जनता को भटकना पड़ रहा है इसलिए खेत तालाब, मुख्यमंत्री सड़क योजना, कपिल धारा के कुँए, शुरू करना चाहिए. पशु शेड निर्माण, यह योजना जिस दिन आई, किसानों के बीच एक इतना अच्छा संदेश आया कि हमारे घरों के अलावा पशु शेड निर्माण होंगे और मुख्यालयों पर यह स्थिति रही कि 600-700, हजार किसान अपनी फाइलें लेकर घूम रहे थे किन्तु उसका देखने में यह आया कि टारगेट 10 या 20 हो गया इसलिए टारगेट बढ़ाया जाए ताकि वह ज्यादा से ज्यादा बनाएँ. मुख्यमंत्री आवास, इसमें हर किसान चाहता है कि हमारा कच्चा मकान, पक्का बन जाए किन्तु टारगेट के अभाव में बैंकों के द्वारा राशि नहीं दी जाती है और हमारा जो आमजन है इससे वह अपने काम नहीं कर पा रहा है.
सभापति महोदया, जनपद के माध्यम से परफार्मेंस ग्रांट या अन्य मद से जो जो राशि दी जाती है उसमें विधायकों की अनुशंसा अनिवार्य होना चाहिए ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगे और सरकार जो पैसा सीधा जनता के लिए दे रही है उसमें अंकुश के साथ में भ्रष्टाचार पर भी रोक लगेगी, राशि का सही उपयोग हो पाएगा इसलिए मैं चाहती हूँ कि इसके ऊपर विधायकों का संरक्षण आवश्यक है.
सभापति महोदया, पीने के पानी की व्यवस्था पंचायत ही अपने अंडर में रखे क्योंकि पी एच ई के द्वारा यह संभव नहीं हो पा रहा है. पंचायत सचिव, सरपंच, उन्हें जवाबदारी दी जाए, वह कैसी व्यवस्था...
सभापति महोदया-- अपनी बात पूरी करने का प्रयास करें.
श्रीमती झूमा सोलंकी-- सभापति महोदया, एक ही बचा है. पानी की व्यवस्था पंचायतें करें. पहले भी ऐसी व्यवस्था थी. पानी के बिलों का भरना भी पंचायत ही सुनिश्चित करे. आज की तारीख में जो सूखे की स्थिति पड़ी है, मुझे नहीं लगता कोई सी पंचायत में पानी आज की तारीख में उपलब्ध होगा. हमको भारी तकलीफ आना है इसलिए पंचायत मंत्री जी से अनुरोध है कि माताओं, बहनों का, विशेष तौर से ध्यान रखते हुए, आज महिला दिवस भी है. इस बात के लिए कम से कम अपनी बात ध्यान में रखते हुए इनकी व्यवस्था अपनी पंचायतों के माध्यम से पूरी करें.
सभापति महोदया-- आपको भी महिला दिवस की बहुत सारी बधाई. अब आशीष शर्मा जी अपनी बात शुरू करें.
श्रीमती झूमा सोलंकी-- सभापति महोदया, विधवा पेंशन के लिए कहना चाहती हूँ कि हमारी माता, बहनों को जो पेंशन मिलती है वह बहुत कम है, वह बढ़ाई जाए. साथ ही बी पी एल, ए पी एल, का जो प्रावधान है, वह हटा दिया जाए. पिछली बार जो प्रावधान आया है कि आप ए पी एल में हों इसलिए आपका नाम काट दिया गया तो उन महिलाओं के प्रति जब वे बोलती हैं, अपनी बात को बड़े दुःख के साथ यह कहना पड़ता है कि उनके लिए यह प्रावधान हटाया जाए और उनकी मांगों को पूरा किया जाए. सभापति महोदया, आपने मुझे बोलने का वक्त दिया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा(खातेगाँव)-- माननीय सभापति महोदया, मैं संख्या 17,30,34,59,62 एवं 74 का समर्थन करता हूँ. सभापति महोदया, मैं कहना चाहता हूँ कि आज मध्यप्रदेश में यदि हम ग्रामीण क्षेत्र का अवलोकन करें तो हम पाएँगे कि आज गाँव में बहुत तेजी से विकास हुआ है. महात्मा गाँधी की जो ग्राम स्वराज की कल्पना थी वह मध्यप्रदेश में आकार ले रही है. पंचायतों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता आई है. आज जब हम किसी गाँव में प्रवेश करते हैं तो वहाँ हमें बहुत सुन्दरता दिखाई देती है. आज गाँव में प्रकाश के लिए स्ट्रीट लाइट्स लग रही हों, खेल के मैदान बन रहे हों, तालाब से पशुओं को पीने के लिए पानी उपलब्ध हो रहा है. गाँव में घर घर शौचालय निर्मित हो रहे हैं. सामुदायिक भवनों का निर्माण हो रहा है और सबसे अच्छी बात है कि गाँव की सड़कें जो कीचड़ से सनी हुआ करती थीं, आज वहाँ पर सीमेंट काँक्रिट की बहुत अच्छी सड़कें हमको देखने के लिए मिल रहे हैं. इस सरकार को साधुवाद, माननीय मुख्यमंत्री जी एवं माननीय पंचायत मंत्री महोदय को साधुवाद, जिन्होंने ग्राम पंचायतों को सक्षम और आत्मनिर्भर बनाने के लिए बहुत अच्छी आर्थिक सहायता समय समय पर प्रदान की है. सभापति महोदया, मैं कुछ सुझाव देना चाहता हूँ. जो ग्राम पंचायतों के लिए मैं आवश्यक मानता हूँ, एक तो हमारे आदरणीय सदस्य रामेश्वर शर्मा जी ने कहा कि पिछले बार जो पंचायत राज के चुनाव हुए थे, उनका समय बहुत ज्यादा था. लगभग एक से डेढ़ माह तक वह चुनाव होते रहे और कहीं न कहीं इसके कारण, उन चुनावों में पैसे का प्रयोग ज्यादा बढ़ा और कहीं न कहीं वह व्यवस्था हमको अच्छी नहीं लगी इसलिए मैं चाहता हूँ कि सरपंचों के चुनाव की समय सीमा कम की जाए. जनपद और जिला पंचायत के सदस्यों से अध्यक्ष के निर्वाचन की समय सीमा कम की जाए ताकि इसमें जो वित्तीय अनियमितताएँ होती हैं, जो पैसे और बाहुबल का दुरुपयोग, इन चुनावों में किया जाता है, वह रुके. मैं कहना चाहता हूँ कि ग्राम सभा को ज्यादा अधिकार प्रदान किए गए हैं उसके बनिस्बत पंचों के अधिकार कम किए गए हैं. कहीं न कहीं उसके कारण पंचों में नाराजगी देखी जाती है. ग्राम सभा और पंचों के बीच के अधिकारों को ठीक से विभाजित किया जाए और पंच गणों के अधिकारों में बढ़ोत्तरी की जाए. पंच परमेश्वर की जो योजना है इसके अंतर्गत सीमेंट काँक्रिट के रोड गाँवों में बनाए जा रहे हैं, इसमें पेवर ब्लाक लगाने की भी, छोटी छोटी जो गलियाँ हैं, वहाँ पर पेवर ब्लाक का काम भी इस योजना के माध्यम से हो जाए, उसके विषय में देखा जाए.
सभापति महोदया, मनरेगा जो योजना है उसके अंतर्गत जो काम ग्राम पंचायतों में पहले हुए हैं, चाहे सड़क के काम हुए हों, चाहे अन्य काम हुए हों, उनको एक लंबा समय होने के कारण उनका दुरुस्तीकरण करने की आवश्यकता है. नरेगा के माध्यम से ऐसा कोई फंड हमें रखना चाहिए जिससे हम उन कार्यों में दुरुस्तीकरण का काम भी इस फंड से कर सकें.
सभापति महोदया, इंदिरा आवास योजना गरीबों को आवास उपलब्ध कराने की बहुत महत्वपूर्ण योजना है. लेकिन इस योजना की राशि सीधे हितग्राही के खाते में जमा होती है. इस कारण पंचायत पर से इसका नियंत्रण लगभग समाप्त जैसा हो गया है. हितग्राही पहली राशि किश्त की निकाल लेता है और उसके बाद निर्माण कार्य ठीक से नहीं करता है इस कारण पंचायत में इन इंदिरा आवास से जुड़े कार्यों की विकास की गति प्रभावित हो रही है. लक्ष्य पूर्ति में दिक्कत आ रही है.
सभापति महोदया, मुख्यमंत्री आवास योजना में एक विसंगति है. जो हितग्राही किसी भूमि पर लगभग 20 वर्षों से निवास कर रहे हैं यदि वह भूमि आबादी की नहीं है तो उसको वहाँ पर पट्टा प्राप्त नहीं हो सकता लेकिन यदि वह 20 साल से उस भूमि पर काबिज है तो हमें ऐसा कुछ प्रावधान करना चाहिए कि उसे उस भूमि का पट्टा प्राप्त हो जाए. जिससे हमें मुख्यमंत्री आवास का लक्ष्य भी प्राप्त हो जाएगा और यदि हम इसमें यह प्रावधान कर सकते हैं कि इंदिरा आवास की जो प्रतीक्षा सूची है चूँकि वह एक सीमित संख्या में पंचायतों को आवंटित होती है. यदि 50,000 की राशि हम उसमें उपलब्ध करा सकें....
सभापति महोदया-- अब आप कन्क्लुड करें.
श्री आशीष गोविन्द शर्मा-- जी कर रहा हूँ. ग्राम पंचायतों को सफाई कर्मी नियुक्त करने का अधिकार मिले. राष्ट्रीय परिवार सहायता में मुखिया के निधन पर राशि देने के बजाय परिवार के प्रत्येक वयस्क सदस्य की मृत्यु होने पर राशि देने का प्रावधान किया जाए. ग्राम पंचायत में निर्माण में जो सामग्री उपयोग होती है कई बार वहीं की नदियों से वह सामग्री निकालते हैं जैसे रेत, बजरिया और उस पर भी उनको रायल्टी देना पड़ती है. ग्राम पंचायतों को निर्माण कार्यों में रायल्टी से मुक्ति दी जाये. पहले ग्राम पंचायतों को भू-राजस्व में से एक किश्त दी जाती थी लेकिन आजकल वह राशि देना बंद कर दी गई है भू-राजस्व की एक किश्त पंचायतों को मिलना चाहिए. स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत जो शौचालय बनाये जा रहे हैं उसमें 12500 रुपये की राशि कम है उसे बढ़ाकर 20000 रुपये किया जाए. आज के समय में गांव में हाट-बाजारों के कारण रौनक आई है मैं माननीय मंत्रीजी को बधाई देता हूँ जब हाट-बाजार गांव में लगता है तो बहुत सुन्दर लगता है जैसे हम कई बार फिल्मों में देखा करते थे ऐसा दृश्य वहां पर उपस्थित होता है. ग्रामीण खेल के मैदान जो निर्मित हो रहे हैं वे बहुत अच्छी क्वालिटी के निर्मित हो रहे हैं. अन्त्योदय मेलों के माध्यम से पंचायत विकास ने एक ही मेले में बहुत सारे हितग्राहियों को लाभ देने का काम किया है इस हेतु मैं माननीय मंत्रीजी को बधाई देता हूँ.
सभापति महोदया, पेंशन में विकलांगों और विधवाओं के मामले में बीपीएल की अनिवार्यता है उसे समाप्त किया जाना चाहिए. विकलांगों और विधवाओं को बीपीएल मुक्त रखा जाकर उनकी पेंशन प्रारंभ करना चाहिए. पेयजल के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत को अतिरिक्त फंड पेयजल व्यवस्था के संचालन के लिए दिया जाना चाहिए. हर गांव में एक गौशाला के लिए भी प्रावधान इसी बजट में करना चाहिए.
आदरणीय सभापति महोदया, आपने बोलने का समय दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी (राउ)-- सभापति महोदया, पंचायतों में जो अभी चुने हुए जनप्रतिनिधियों के अधिकारों में कटौती हुई है और पंचायतकर्मी भी इस व्यवस्था के खिलाफ इस वक्त हड़ताल पर हैं. मैं समझता हूँ ऐसी कई बातें हैं जो ग्रामीण विकास को लेकर सरकार के मूल भाव को जो ज्यादा से ज्यादा किसान और गरीब का गांव का भला हो इसको लेकर थोड़ा पीछे दिखती है. सरकार अपनी योजनाओं में मद की बढ़ोतरी करेगी तो ग्रामीण विकास का भला होगा इसी आशा और विश्वास के साथ धन्यवाद.
श्री फुन्देलाल सिंह मार्को (पुष्पराजगढ़)-- माननीय सभापति महोदया, मैं मांग संख्या के विरोध में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूं. मैं ज्यादा कुछ न बोलते हुए मेरे विधान सभा क्षेत्र की मुख्य समस्याओं के बारे में बोलना चाहूंगा. सहकारी समिति के माध्यम से प्रत्येक ग्राम पंचायत में पीडीएस दुकान के भवन का निर्माण किया जाए और जहां इन दुकानों का निर्माण किया जाए उसके सामने पेयजल की व्यवस्था की जाए वहां बहुत सारे लोग इकट्ठे हो जाते हैं इसलिए वहां पर एक शेड का भी निर्माण किया जाए जिससे लोग बरसात और गर्मी के समय में उस शेड में बैठकर राशन ले सकें. सहकारी समिति में धर्ता के नाम से राशि काटी जाती है वह प्रत्येक किसान से काटी जाती है लेकिन उस धर्ता की राशि का पता नहीं चलता है हम चाहते हैं कि उस धर्ता की राशि का जो ब्याज है उस ब्याज को या तो किसानों के ऋणों में समायोजित करें या उस राशि को पुन: किसानों को वापिस किया जाए बहुत सारे ऐसे किसान हैं जो ऋण लेना बंद कर देते हैं लेकिन उनकी काटी हुई राशि किसानों को वापिस नहीं की जाती है. मैं चाहता हूँ कि वह राशि किसानों को वापिस की जाए या उनके ऋणों में उसे समायोजित कर दिया जाए.
सभापति महोदया, ग्रामीण विकास के अन्तर्गत अनूपपुर जिले में 12 करोड़ रुपये की मजदूरी का भुगतान करना शेष है यह काफी समय से नहीं हो पा रहा है मंत्रीजी से निवेदन करुंगा कि उन गरीब मजदूरों की मजदूरी का भुगतान तुरन्त कराया जाए.
सभापति महोदया, इंदिरा आवास की द्वितीय किश्त वर्ष 2015-16 की राशि अभी तक ग्राम पंचायतों में नहीं पहुंच पा रही है यह द्वितीय किश्त तत्काल अनूपपुर जिले को उपलब्ध कराई जाए और आप अनूपपुर जिले में भेजेंगे तो मेरे विधान सभा क्षेत्र पुष्पराजगढ़ के हितग्राहियों को भी वह द्वितीय किश्त की राशि मिल जाएगी और वे अपने घर पूर्ण कर सकेंगे यह एक बहुत बड़ी समस्या है. इंदिरा आवास की राशि बहुत कम है इसे बढ़ाया जाए, पेयजल की समस्या है पठारी क्षेत्र है वहां पर जल स्तर बहुत नीचे जा रहा है. नल जल योजना का संधारण ग्राम पंचायत को दिया गया है लेकिन ग्राम पंचायतों को आपने राशि नहीं दी है जब राशि नहीं मिली है तो संधारण कैसे होगा इस कारण नलजल योजनाएं ठप्प पड़ी हुई हैं. पुष्पराजगढ़ विधान सभा क्षेत्र में तहसील मुख्यालय किरगी है वहां सारे अधिकारियों और कर्मचारियों का तहसील मुख्यालय, ब्लाक मुख्यालय है. मुख्यालय की जो नलजल योजनाएं है वह 2-3 साल से बंद पड़ी हैं. ऐसी बहुत सारी योजनाएं हैं जो ग्राम पंचायत में बंद हैं यह सूखे का वर्ष है, पेयजल की समस्या है इसलिए इन बंद नलजल योजनाओं को तत्काल प्रारंभ कराने की कृपा करें एवं ग्राम पंचायतों को पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराने का कष्ट करें ताकि वे उनका अच्छे से संचालन व संधारण कर सकें.
सभापति महोदया, प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक खेल मैदान की आवश्यकता है पुराने समय में मनरेगा के तहत समतलीकरण कराया गया था लेकिन कुछ राशि की और आवश्यकता थी वह मैदान पूर्णत: नहीं बन पाए हैं ऐसे ग्राम पंचायतों के मैदानों का समतलीकरण करा दिया जाए ताकि बच्चे वहां पर अच्छे से खेल सकें.
सभापति महोदया, आज पूरा देश जिस पर चिन्तित है माननीय मुख्यमंत्रीजी, हम आप और सब लोग चिन्तित हैं वह है स्वच्छता अभियान और इस अभियान में जो माननीय मंत्री महोदय जी आप राशि देते हैं उस राशि का कैसे बंदरबांट होता है बताना चाहता हूँ कि मेरे क्षेत्र में 16 ग्राम पंचायतों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया वहां समन्वयक संजीव सोनी है 12000 रुपये में यह शौचालय नहीं बनेगा ऐसा सरपंच और सचिव को गुमराह करके 56 लाख रुपये उसने फर्जी तरीके से आहरण करा लिया. वहां पर एक भी शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है और आज भी वह संजीव सोनी धड़ल्ले से समन्वयक है वह घूम रहा है जेल हमारे सरपंच और सचिव जा रहे हैं. मैं चाहता हूँ कि जो राशि यहां से दी जा रही है उसकी प्रापर मॉनिटरिंग हो यदि कोई गड़बड़ी करता है तो उसको दंड भी मिलना चाहिए. ऐसा न हो कि भोले भाले आदिवासी सरपंच जेल जाएं इस पर आप सख्ती से पालन करायें. जब भी हमने निवेदन किया है पंचायत मंत्रीजी ने उस पर कार्यवाही की है और दंड भी दिए हैं मैं चाहता हूँ कि जो सुझाव हमने दिए हैं उन पर भी आपका आशीर्वाद मिलेगा. इन शब्दों के साथ आपने बोलने का मौका दिया धन्यवाद.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव)-- माननीय सभापति महोदया, मैं मांग 17, 30, 34, 59, 62 और 74 का विरोध करती हूं और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में खड़ी हुई हूं.
माननीय सभापति महोदया, मेरे रैगांव विधान सभा क्षेत्र में ग्राम पंचायतों में कांजी हाउस की अति आवश्यकता है और ग्रामीण क्षेत्रों में गौशाला भी बनवाई जाए क्योंकि ऐरा प्रथा चली हुई है उससे किसान और ग्रामीण क्षेत्र के लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं. लालपुर पंचायत व पडरिया गांव में सीसी रोड और नाली का निर्माण कराया जाए. पंचायत सचिव, रोजगार सहायक आज धरने पर बैठे हुए हैं मेरे सतना जिले में भी उनके नियमितीकरण में मेरे जिले में भी धरने में बैठे हुए लोगों को वेतन भत्ता लागू किये जाये रोजगार सहायक और सचिवों के लिये . मांग संख्या 17, सहकारिता पर मैं बोलना चाहता हूं कि ग्राम पंचायत हाटी में मेरे रैगांव क्षेत्र में 20 सालों से सोसायटी बंद पड़ी हुई है जिससे 20 गांवों के लोगों को बीज और खाद आहरण करने के लिये काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उस सोसायटी के संबंध में पिछले सत्र में बोला था कि सोसायटी चालू करवा दी जाये, मेरा ऐसा मानना है कि हर ग्राम पंयायत में भी सोसायटी होना चाहिये ताकि किसानों को समय पर खाद, बीज मिल सके. दूसरा यह कि सोसायटियों में जो बीज मिलता है वह नकली मिलता है. कई किसानों के खेत में बीज ही नहीं उग पाये हैं, जिससे उनको मुआवजा आज तक नहीं मिल पाया है, उनकी समय की और आर्थिक क्षति हुई है.
सभापति महोदय, इस समय जो सूखे की समस्या के समय मेरे विधान सभा क्षेत्र में मनरेगा के कोई काम चल रहे हैं ना ही रोजगार गारण्टी के कोई काम चल रहे हैं. इसलिये हमारे जिले से किसान और मजदूर पलायन कर रहे हैं और वह पंजाब, बिहार और मद्रास जा रहे हैं, जिससे उनके बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है, क्योंकि पयायन होने के कारण वह अपने परिवार के साथ जा रहे हैं. इसलिये वहां पर रोजगार गारण्टी के काम चलाये जाएं जिससे वे पयायन न करें और उनको भरण पोषण हो सके.
सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 34 , सामाजिक न्याय पर बोलना चाहती हूं. ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी रेखा में वास्तव में जो गरीब लोग हैं उनके नाम नहीं जोड़े जाते हैं, न तो तहसीलदार और पटवारी उनकी रिपोर्ट लगाते हैं और उनकी फाईलें पड़ी रहती है और जो वास्तव में गरीब नहीं हैं, जो गरीबी रेखा में नहीं आते हैं,जिनके पास बड़े-बड़े ट्रेक्टर हैं और कई एकड़ों की जमीन के मालिक हैं, उनके नाम आराम से नाम गरीबी रेखा में जुड़े होते हैं, इसकी भी जांच कराकर और सर्वे कराकर जो वास्तव में गरीब लोग हैं, मैं एक बात बताना चाहती हूं कि एक केंसर पीडि़त महिला थी, जिसका गरीबी रेखा में नाम जोड़ने के लिये, जो वास्तव में गरीब थी, उसकी फाईल एक महीने तहसीलदार के पास पड़ी रही, मैं उनको फोन करती रही, जब वह काफी सीरियस हो गयी उसके उसके एक महीने बाद उसका नाम गरीबी रेखा में जुड़ा और उसके पहले किसी ने उसका मैं नाम नहीं लेना चाहूंगी, उसने अपना आवेदन दिया कि उसका नाम गरीबी रेखा में जोड़ा जाये तो उसका नाम 10 दिन में गरीबी रेखा में जुड़ गया. यह भेदभाव भी खत्म होना चाहिये. मेरा एक और निवेदन है कि वृद्धा पेंशन जो मिलती है उसमें भी वृद्धि करना चाहिये.क्योंकि जो काफी वृद्ध हैं जिसके परिवार में कमाने वाले लोग नहीं हैं तो 300 रूपये में कुछ नहीं होता है. तो उसको 500 और 700 रूपये केटेगरी के हिसाब से किया जाये और लोगों को 8महीने-11 महीने तक वृद्धा पेंशन लोगों को नहीं मिलती है, उनको एक या दो महीने में पेंशन मिल जाये. क्योंकि जब वृद्ध लोग बैंको में जाकर लाईन लगाते हैं तो उनको बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. सभापति महोदय, ग्रामीण क्षेत्रों में जो शौचालय बनाने की जो योजना है उसमें अभी 12000 रूपये मिलते हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी स्वच्छता अभियान की बात करते हैं, वह होना चाहिये यह सत्य है. लेकिन यर्थाथ में एक बार मंत्री जी मेरे रेगांव क्षेत्र में चल कर देखें और बतायें कि वहां पर कितने शौचालय बने हैं, इसके लिये जो 12000 की राशि देते हैं उसका दुरूपयोग होता है. उतनी राशि से काम भी नहीं होता है, अगर उस राशि को बढ़ाकर 25000 रूपये कर दी जाये और उसकी मानीटरिंग की जाये और मानीटरिंग करने के लिये विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, सदस्य और सचिवों की मानीटरिंग हो तो मुझे लगता है कि इसमें गुणवत्ता आ सकती है.
सभापति महोदय, मेरे क्षेत्र में ऐसे ऐसे गांव हैं जहां पर दो किलोमीटर, ढाई किलोमीटर या पांच पांच किलोमीटर बरसात के समय पैदल नहीं चल पाते हैं. यदि कोई बीमार है जैसे ग्राम चौरहाई है और भी अन्य गांव है जिनके नाम मैं मंत्री जी को लिखकर दे दूंगी. वहां पर सड़के बनाई जायीं. कई विधानसभाओं में तो पानी का अच्छा स्त्रोत है, क्योंकि वहां पर नहरें बन गई हैं,परन्तु रेगावं विधान सभा में कोई ऐसा स्थान नहीं हैं, क्योंकि तालाब भी सूखे पड़े हुए हैं वर्षा के अभाव में . मेरे यहां पर 58 एकड़ का अमईयां गांव में तालाब है, यदि उसको गहरीकरण करा दिया जाये तो उसमें करीब 20 गांव लाभान्वित होंगे और वह आदिवासी बेल्ट है जो जंगल से लगा हुआ है. मड़कानी है वहां पर भी इसी तरह से यदि पानी बरसता भी है तो वह बह जाता है. वैसे तो दो तीन तालाब हैं जिसमें निर्माण कार्य कराया जाये. रेगांव विधान सभा में 27 नल जल योजनाएं स्वीकृत हैं. लेकिन एक भी नल जल योजना नहीं चल रही है, इसलिये मेरे यहां बहुत ज्यादा पानी के पीने की समस्या है और किसानों की समस्या तो है ही. सभापति महोदय आपने बोलने का समय दिया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री प्रदीप अग्रवाल :- अनुपस्थित.
श्री के.के.श्रीवास्तव (टीकमगढ़):- माननीय सभापति महोदय, मैं ग्रामीण विकास विभाग और सामाजिक न्याय विभाग की अनुदान मांगों के समर्थन में यहां पर उपस्थित हुआ हुं. आज ग्रामीण विकास विभाग और पी.एच.ई. इन दोनों विभागों में कहीं न कहीं पेयजल संकट को लेकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने की स्थिति ग्रामीण स्तर पर बनती है. भीषण जल संकट ग्रामों में आ गया है,मैं समझता हूं कि इन बातों से एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने से पेयजल संकट का समाधान नहीं होगा या तो पूरी की पूरी परियोजना पीएचई अपने हाथों में ले और यह सही भी है कि पीने के पानी का काम और उसकी व्यवस्थित करने और उसको मेंटेन रखना उसको तकनीकी दृष्टि से कैसे चलाना, संचालन करना यह पी एच ई ठीक तरह से समझ सकता है. पंचायत के जो सचिव हैं, वहां का सचिव है, रोजगार सहायक है जो भी कर्मचारी हैं उनका इंट्रेस्ट नहीं रहता है. इस योजना से उनका कोई मतलब नहीं रहता है और गांव में जो चुनाव होते हैं तो किस मोहल्ले से हमको वोट मिला किस मोहल्ले से नहीं मिला, जो सरपंच होता है, वह अपने तरीके से उस नलजल योजना को संचालित करने का काम करता है और कहीं न कहीं इससे लोग प्रभावित होते हैं. मैं समझता हूं कि इसको पूरा विभाग चेंज करके पी एच ई विभाग को दे देना चाहिये. मैं इस विषय पर केवल यही बात रखना चाहता हूं. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री गिरीश भंडारी (नरसिंहगढ़):- माननीय सभापति महोदय, मैं मांग संख्या 17,30,34,59,62 और 74 की अनुदान मांगों का विरोध करता हूं.
माननीय सभापति महोदय, पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग मैं मानना हूं कि एक बहुत महत्वपूर्ण विभाग है. वह इसलिये कि हम जनप्रतिनिधि भी ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं और मध्यप्रदेश की आबादी का 70 प्रतिशत हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं. लेकिन शहर और ग्रामीण इनमें जमीन और आसमान का फर्क है. आज जहां शहरों में पेयजल के लिये केरवां और कहीं बड़े बड़े डेमों से पानी लाकर कहीं पर नर्मदा का पानी लाकर हम पानी की बात करते हैं. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी स्वच्छ पीने के पानी के लिये ग्रामीणों को काफी मशक्कत करना पड़ती है और आज महिला दिवस है और कर करके ग्रामीण क्षेत्र की हमारी महिलाओं के लिये हमको काफी विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि उनको एक एक किलोमीटर दूर उनको एक एक, दो दो , तीन तीन बर्तन पानी लाना पड़ता है. माननीय सभापति महोदय आज यहां पर बैठी हैं,मैं आज मंत्री जी निवेदन करूंगा कि आज महिला दिवस पर निश्चित कोई न कोई पानी की बात रखेगें. दूसरा आज महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना ने आज आज हमारे ग्रामीण क्षेत्र की दशा और दिशा दोनों बदल दी है. आज वहां पर वहां पर रोजगार बढ़े हैं,लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है और कहीं न कहीं हमारे ग्रामों में निर्माण कार्यों में सहयोग मिला है . लेकिन पिछले दो वर्षों से इस रोजगार गारण्टी योजना में हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में काफी बुरी स्थिति हो रही है. आज हालात यह है कि हमारे मनरेगा के जो भी जनपद,जिला पंचायत,ग्राम पंचायत के अधिकारी,कर्मचारी आज हड़ताल पर बैठे हुए हैं और पिछले एक-दो महिने से ग्रामीण क्षेत्रों में कोई काम नहीं हो पा रहा है. जिससे वहां काफी परेशानी आ रही है. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि उनका जो भी निराकरण करना हो करें ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में काम की शुरूआत हो सके. इंदिरा आवास योजना, प्रधानमंत्री जी ने मुख्यमंत्री जी ने सबने कहा कि हर परिवार को आवास मिलना चाहिये लेकिन स्थिति यह है कि एक पंचायत में दो आवास. इंदिरा आवास में पंचायतों में दो या तीन आवास दिये जाते हैं और मांगने वालों की संख्या 200 से 250 है. लगता नहीं है कि इस योजना के अंतर्गत हम कई लोगों को आवास सुविधा उपलब्ध करा पाएंगे. इसका एक विकल्प ढूंढा गया मुख्यमंत्री आवास योजना. इसकी स्थिति यह हो चुकी है जो बैंकों ने पहले वर्ष जब योजना लागू हुई और पहले वर्ष जो बैंकों ने फाईनेंस किया. दूसरे वर्ष बैंकों ने मुख्यमंत्री आवास योजना में ऋण देना बंद कर दिया जिसके कारण ग्रामीण लोग फाईलें लेकर चक्कर लगाते रहते हैं उस पर भी कहीं न कहीं सुधार की आवश्यक्ता है. सबसे महत्वपूर्ण है मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में हमारी जो सड़कें हैं उनका जो स्तर है वह काफी घटिया है उसमें सबसे महत्वपूर्ण यह हैकि जब उसमें पुल,पुलिया आती है जो टेंडर की उसमें प्रक्रिया है. मेरे यहां कुछ ऐसी सड़कें हैं सड़कें तो बन गईं लेकिन पुल,पुलियों के टेंडर पिछले दो वर्षों से नहीं हुए. पुल पुलियों के बगैर वह सड़कें अधूरी हैं उसमें भी कार्य करने की आवश्यक्ता है. सभापति महोदया, स्वच्छता अभियान के अंतर्गत शौचालयों का निर्माण हो रहा है. पिछली बार जो शौचालयों का निर्माण हुआ उनकी स्थिति किसी से छिपी नहीं है. आज वह शौचालय कण्डाघर या लकड़ीघर में तब्दील हो गये हैं आज भी साढ़े बारह हजार रुपये की राशि शौचालय के लिये दी जा रही है उनसे जो शौचालय बने हैं अगर देखा जाये तो वह शौचालय भी छह महिने बाद कहीं न कहीं लकड़ीघर और कण्डाघर के रूप में काम आयेंगे और शौचालय की उपयोगिता जब तक सिद्ध नहीं हो पायेगी तब तक कि उसमें पानी की व्यवस्था नहीं की जायेगी. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
(3.54बजे) { उपाध्यक्ष महोदय{डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह} पीठासीन हुए }
श्री जालमसिंह पटेल(नरसिंहपुर) - माननीय उपाध्य महोदय,मैं मांग संख्या 17,30,34,61,62,74 का समर्थन करता हूं. जब से इस प्रदेश में 2003 से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है तब से इस प्रदेश के जो गांव हैं और ग्रामीण क्षेत्र हैं उसका विकास हुआ है. जब हमारे देश के प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी जी बने तब से गांवों का विकास हुआ है. लोगों का गांवों की तरफ जाने का मन बना है. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के माध्यम से सड़कों का विकास हुआ और 2003 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी और गांवों का विकास प्रारंभ हुआ. हम सब जानते हैं कि हमारी संस्कृति गांवों में बसती है और गांवों में जितने प्रकार के चाहे धार्मिक हों,सामाजिक हों,मेलमिलाप और भी तीजत्योहार गांवों में मनाये जाते हैं. गांव का एक जो बुजुर्ग होता है वह लगभग सारे गांव के रिश्तेदारों को जानता है. दूसरे गांव के लोगों को भी जानता है जाति के लोगों को भी जानता है. इस प्रकार का गांव का विकास जैसा का हमारा पंचपरमेश्वर गांव की विकास योजना का नाम दिया गया है वह गांव के लिये सार्थक है और सिद्ध भी होता है.सरकार ने गांव के विकास का के लिये काम किया उसके कारण गांव का पलायन रुका है इसके पूर्व शहरों का विकास लगातार किया गया उसके कारण मजदूरों ने पलायन किया,बच्चों को पढ़ाने के लिये लोग आये और शहरों में आकर एक छोटी सी जगह बनाकर रहे या मकान बनाने के लिये उन्होंने काफी पैसे खर्च किये. अनावश्यक उन्होंन पैसा खर्च किया. उसके कारण असंतुलन बढ़ा था मगर हमने देखा केन्द्र की सरकार ने भारी भरकम बजट ग्रामीण विकास के लिये दिया है और प्रदेश की सरकार लगातार विकास कर रही है. अभी मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की थी कि पंचपरमेश्वर में एक पंचायत के लिये 2000 से कम आबादी के लिये 5 लाख रुपये की राहत राशि दी जाती थी अब लगभग 15लाख रुपये तक की राशि पंचायतों को दी जायेगी. मैं समझता हूं कि ग्रामीण विकास के लिये प्रदेश के मुखिया और सम्माननीय मंत्री जी ने काम किया है. मैं अपने क्षेत्र की बात कहना चाहता हूं. माननीय मंत्री जी बरमान घाट से आप भलीभांति परिचित है और आपने वहां बहुत विकास किया है. लगभग 1 करोड़ रुपये की राशि से अधोसंरचना के काम किये हैं. इसके अलावा निवेदन है कि प्रत्येक महिने पूना में लाखों लोग जाते हैं और परिक्रमावासी भी जाते हैं वहां एक महिने तक मेला लगता है और वहां शौच की व्यवस्था न होने से काफी गंदगी फैल जाती है मैंने पूर्व में भी आपसे निवेदन किया था आज भी मैं विनम्र निवेदन करता हूं कि वहां 500 शौचालयों की व्यवस्था वहा की जाये क्योंकि इससे नर्मदा में बहुत प्रदूषण होता है. वहां की आंतरिक सड़क भी बननी है कि उसके लिये भी आप एक करोड़ रुपये की घोषणा उसके लिये करेंगे. वहां एक महिने तक मकर संक्रांति पर मेला भरता है और बरमानखुर्द और बरमानकला के बीच नर्मदा जी हैं वहां गोपालघाट पर गोपाल पुल के नाम से आप वहां एक पुल बना दें जैसे वहां गोपाल धर्मशाला वहां बनी है. एक और सहकारिता विभाग की हमारे जिले की एक समस्या है उससे आप परिचित होंगे. जो वहां गेहूं खरीदी होती है तो विभाग द्वारा 15 रुपये प्रति क्विंटल खर्च करने के लिये दिया जाता है वहां कोई सोसायटी 15,कोई 25 रुपये तक निकाल लेती है. वह भी एक गड़बड़ी है घोटाला है. उसमें रिकवरी तो हुई है.यह खरीदी संबंधी समस्या है. उसके लिये मैं मंत्री जी से निवेदन कर रहा हूं. वहां खरीदी के लिये टेंडर हो रहे हैं उसमें टेंडरकर्ता ने 1पैसे क्विंटल डाल दिया और तीन बरसों से यह क्रम चल रहा है ऐसा करने से वहां उसके जो रिवाईज रेट हैं उससे फिर से परिवहन होने लगता है. उस पर भी ध्यान देंगे. दूसरा वहां फटे हुए बारदान अगर यहां से चले जाते हैं फटे रहते हैं या खराब रहते हैं इसके बाद भी भुगतान वहां की समिति करती है ऐसा पूरे प्रदेश में हो रहा होगा. जो भी खरीदी की जाये वह वेयर हाऊस के माध्यम से की जाये. किसान को ही अगर उसी को परिवहन का पैसा दिया जाये तो विधिवत परिवहन हो सकता है और किसानों को उसका लाभ होगा. आपने बोलने का अवसर दिया धन्यवाद.
श्री बलबीरसिंह डण्डौतिया(दिमनी) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने क्षेत्र की बात कहना चाहता हूं. किसानों की समस्या है.कल वहां 30 गांवों में इतने ओले पड़े कि पूरी फसलखराब हो गई है और वहां 2-3-4इंच खेतों में बर्फ जम गई है. पहले भी मेरे यहां दो बार ओले पड़े. एक रूपया नहीं मिला. मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि अबकी बार नहीं दिया तो मैं धरने पर बैठूंगा. मैं अपने क्षेत्र से ही आया हूं. मेरा एक निवेदन है कि अधिकारी वहां जाकर जांच करें और वास्तव में बात सच है. उनको पैसा दिया जाए. दूसरी बात यह है कि गांव में एक-एक नलकूप पर 25-50 आदमी पानी भरने के लिये वहां पर झगड़े हो रहे हैं. एक एक गांव में एक नलकूप से करीबन 500 की बस्ती पानी भर रही है वहां पर 200 किलोमीटर पानी दूर से जा रहा है. कई लोग तो पांच पांच ड्रम तक नहाने में पानी खर्च कर देते हैं उन गांवों की समस्याओं को देखेंगे तो पानी की एक एक बाल्टी के लिये चार चार दिन तक संघर्ष करने के बाद ही मिल पाती है. मेरा पहला निवेदन यह है कि पानी पर ध्यान दिया जाए. दूसरी समस्या किसानों की मैंने बतायी है कि जब किसानों से मिलेगो तथा उनकी समस्याओं को सुनेंगे तो पता चलेगा. गांवों में वृद्धों के लिये डेढ़ सौ रूपये रखे हैं डेढ़ सौ रूपये तो महंगाई में ऐसे ही खर्च हो जाते हैं, क्या डेढ़ सौ रूपये में गरीब आदमी अपना जीवन-यापन चला सकता है उन वृद्धों के लिये एक महीने में पांच सौ रूपये अथवा एक हजार रूपये किये जाएं यह मेरा आपसे निवेदन है. दूसरा यह कहना है माननीय मंत्री जी से कि गांव में कम से कम 40 पेयजल योजनाओं में से एक भी योजना चालू नहीं है आप उसकी भी जांच करवा सकते हैं. रही सड़कों की बात उस पर पैसा जा रहा है सड़कों की हालत भी गांवों में ठीक नहीं है. अभी भी मेरे विधान सभा क्षेत्र में चार पांच गांवों में मरीज को खाट पर रखकर के लाया जाता है. मेरे क्षेत्र में ओले गिरे हैं मैं मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हूं कि उसकी जांच करवा लें, जो किसानों का बने उसको पैसा दिया जाए. दूसरी पानी के बारे में बताया कि सबसे ज्यादा पैसा उस पर खर्च हो रहा है. जो मेरे यहां पर गरीबी रेखा के कार्ड बन रहे हैं उनसे 2-2 हजार रूपये लिये जा रहे हैं उनके लिये ऐसी कोई टीम बनायी जाए उसकी जांच करें कि जो कार्ड के योग्य हों उनको ही कार्ड दिये जाएं. एक हमारे अम्बाह में मेरी विधान सभा में 50 कार्ड दे दिये गये हैं उनसे भी एक एक हजार रूपये ले लिये गये हैं उनसे भी 2-2 हजार रूपये तय थे. एक तहसीलदार कॉल जी हैं उनको एक एक हजार रूपये नहीं दिये तो गरीब लोगों का 2 महीने का राशन केंसिल कर दिया गया आप पैसे लाईये तब ही आपको कार्ड दिया जाएगा. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि इसकी जांच करा लें अगर जांच सही पायी जाए तो उसको सस्पेंड किया जाए अगर नहीं किया गया है तो मैं आपके यहां पर धरने पर बैठूंगा. अगर सही पायी जाए तो उनके ऊपर कार्यवाही करें, क्योंकि गरीबों का जितना भी गेहूं जाता है वह बाजारों में बिक रहा है, सबको पता है कि कमीशन ले रहे हैं कोई यह नहीं कह रहा है कि उसकी जांच करायी जाए. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्रीमती शीला त्यागी (मनगवां)--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 17-34-62 के विरोध में अपनी बातों को रख रही हूं. मांग संख्या 17 में सहकारिता विभाग में किसानों के लिये बजट में कोई खास प्रावधान नहीं आया है, जो आया भी है वह धरातल पर असर नहीं कर पा रहा है, यह केवल घोषणाओं की वीरता को सिद्ध करता है. जिला टीकमगढ़, खरगापुर में किसानों को खाद बीज का कर्ज इस प्रकार दिया जा रहा है कि जिन किसानों ने कर्ज लिया ही नहीं, फिर भी उनका नाम कर्जदारों की सूची में हैं, इससे सहकारिता विभाग की इस लापरवाही को कहा जाए या किसानों को हितैषी कहा जाए. इसी तरह से सामाजिक न्याय विभाग में भी अपनी योजनाओं को कागजों की गति को बढ़ा रहा है. खरगापुर विधान सभा में विकलांगों की हालत जस की तस बनी हुई है. विकलांग यदि दोनों पैरों से चल नहीं सकता है फिर भी तीन पहिये की सायकिल पाने के लिये अधिकारी कहते हैं कि प्रमाण पत्र का भले हो, लेकिन फिर भी उसकी जांच करायें तभी उसको सायकिल मिलेगी. मुझे इससे बड़ा ही दर्द हो रहा है कि विकलांगों के साथ ऐसा बर्ताव नहीं होना चाहिये. मैं नर्मतापूर्वक निवेदन करना चाहती हूं कि खरगापुर, टीकमगढ़ विधान सभा सहित पूरे जिले में विकलांगों के हित में एक अच्छी योजना को बनाकर अधिकारियों के ऊपर लगाम लगाएं. पंचायत विभाग में आज इतनी समस्या है कि पूरे प्रदेश में ग्राम पंचायतों में मेम्बरों के पद खाली पड़े हैं वहां पर उप चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं, क्योंकि सरपंचों एवं जिला पंचायत के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों को जब कोई अधिकार नहीं दिया, उनको वित्तीय अधिकार ही नहीं तो फिर कैसे काम चलेगा. ग्राम पंचायतों में नये कोई भी निर्माण कार्य चालू नहीं किये गये हैं मजदूर खरगापुर क्षेत्र में परेशान हैं. मजदूर लोगों को पालने-पोसने की समस्याओं से जूझ रहे हैं, फिर भी मजदूर इन पंक्तियों को हृदय में संजोकर कहता है कि सरकार यदि मजदूरों की मदद नहीं कर रही है तो परमात्मा को उनका ख्याल रखेगा जरूर. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल--माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अनुदानों की मांगों के पक्ष में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूं सबसे पहले आपके माध्यम से मंत्री जी एवं सरकार को इस बात के लिये धन्यवाद देना चाहूंगा कि लगभग पांच लाख लोगों को मुख्यमंत्री आवास बनायें इस सरकार ने एवं इस साल लगभग डेढ़ लाख का और लक्ष्य रखा है. सरकार ने मूलभूत सुविधाओं के लिये 841 करोड़ रूपये चौदहवें वित्त आयोग के लिये 2292 करोड़ का प्रस्ताव रखा है. पंचायती व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिये सराहनीय कार्य कर रही है, लेकिन कुछ ऐसी कमियां हैं जिसके कारण हमारी पंचायती राज व्यवस्था वैसी नहीं हो पा रही है जिसकी उम्मीद हमारा ग्रामीण जन हमसे करता है इसमें मेरी समझ से जो बात है कि हमारी पंचायतों का काफी छोटा-छोटा होना न उनके पास इतनी राशि होती है कि वह पुल-पुलियों का निर्माण कर सकें. जलस्रोतों का वह स्रोत नहीं ढूंढ पाती एवं बिजली के बिलों का भुगतान न होने के कारण हमारी एक चौथाई पेयजल की योजनाएं बंद पड़ी हैं. मैं प्रदेश का आंकड़ा रखना चाहता हूं हमारे प्रदेश की कुल आबादी 7 करोड़ है और इसमें लगभग 22 हजार 8 सौ 25 पंचायतें हैं अगर हम एवरेज बात करें तो लगभग 1500 सौ से 2 हजार की आबादी पर हमारी एक पंचायत है इन पंचायतों का भविष्य एक सरपंच एवं एक सचिव के मन पर निर्भर करता है अगर वह सही है तो पांस साल तक गांव ठीक चलेगा अगर सही नहीं है तो उन पांच सालों में सारे काम अवरूध्द हो जाते हैं. कई पंचायतें तो ऐसी हैं जिनमें आधे महीने तक उनके द्वार भी नहीं खुलते और इसीलिये मेरा आपसे अनुरोध है कि जब भी चुनाव हों इस बारे में विचार करें कि इन पंचायतों का आकार बड़ रहे मैं आपको एक राज्य का आंकड़ा देना चाहूंगा हमारे देश का केरल पंचायती राज व्यवस्था में बहुत आगे बढ़ गया हैं वहां तीन करोड़ की आबादी है वहां पर मात्र 951 पंचायतें हैं एक पंचायत 20 से 25 हजार की आबादी की है इतनी आबादी की पंचायत होने के कारण वहां पर इतनी धनराशि रहती है कि पंचायतें अपना सारा विकास खुद कर लेती हैं. आपसे अनुरोध है हम इस पर फिर से विचार करें और जब भी हमारे चुनाव हों तो इस व्यवस्था को बदलने का प्रयास करें. हमारे प्रदेश में पेयजल का भारी संकट है हमारी जितनी भी ग्रामीण क्षेत्र में नल-जल की योजनाएं हैं उसमें से आधी या तो स्रोत अथवा बिजली के बिल के अभाव में कहीं न कहीं बंद हो रही हैं मेरा कहना है कि इसमें 8-8, 10-10 का एक ग्रुप बनाया जाए तथा उसको प्रायवेट हाथों में दिया जाए और यह पूरा हम पीएचई के माध्यम से करें ताकि प्रायवेट जल स्रोत को भी ले सकें. जब तक हम ऐसा नहीं करते, तब तक हम अपने ग्रामीण क्षेत्र की पेयजल समस्या दूर नहीं कर पाएंगे, चुनाव तो 2-3 साल बाद हैं, लेकिन मेरा आपसे आग्रह है कि जब तक चुनाव नहीं होते, हम 8-10 पंचायतों का एक क्लस्टर बनाएं, उन पंचायतों के क्लस्टर में हम कई सामूहिक कार्य करें, सामुदायिक मार्केट विकसित करें, सामुदायिक कक्ष को विकसित करें और सामुदायिक ऐसी चीजें डेवलप करें, जिससे बड़ी पंचायत की जो हमारी परिकल्पना है वह पूरी हो सके । मैं आपसे पुन: अनुरोध करना चाहूँगा, जब तक हम इस बारे में विचार नहीं करेंगे तब तक कहीं न कहीं हमारी पंचायतों का विकास नहीं होगा । अंत में मैं मंत्री जी को, क्योंकि आप सामाजिक न्याय मंत्री भी हैं, आपको इस बात के लिए भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि हमारी सरकार सामाजिक न्याय के मामले में, सामूहिक विवाह के मामले में, गरीब कन्याओं के मामले में, तो काफी बड़ा काम कर रही है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से हमारे मुख्यमंत्री जी की इच्छा के अनुरूप हमारे जो विकलांग हैं, जो दिव्यांग हैं, उनकी तरफ हमारी सरकार ने ध्यान देना शुरू किया है । एक उदाहरण देकर अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा, अभी तीन मार्च को बैतूल में जो दिव्यांग वर वधू हैं, जो कन्या पक्ष हैं, 91 जोड़ों का विवाह मुख्यमंत्री जी की उपस्थिति में हुआ, उस समारोह की बात मैं इसलिए करना चाहूंगा क्योंकि समारोह में सरकार ने जो पैसा दिया, वह पूरा का पूरा पैसा एफ.डी. बनाकर उन परिवारों को दे दिया गया और पूरा का पूरा खर्च समाज के लोगों ने उठाया, 11 हजार रूपए में हर कन्या का कन्यादान हमारी सामाजिक संस्थाओं ने किया । लगभग 5 हजार लोगों को भोजन भी हमारे सामाजिक लोगों ने कराया और समारोह में एक एक कन्या को सांसद और विधायक ने अपने एक माह की तनख्वाह देकर 90 लोगों को कलर टी.व्ही. 90 देने का काम किया है, यह सारा काम हमारे मुख्यमंत्री जी की उपस्थिति में हुआ, इसमें शासन जनप्रतिनिधि और जनता का इतना सुन्दर समन्वय रहा कि वधु पक्ष हमारा शासन रहा, हमारे कलेक्टर महोदय और उनकी टीम रही और वर पक्ष हम जनप्रतिनिधि रहे, मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मेरा मंत्री जी से अनुरोध है कि इस तरह के कार्यक्रम हर जिले में किए जाएं, ताकि सामाजिक सामंजस्य का कार्यक्रम और एक अच्छा काम हर जिले में हो सके, पूरा समाज एक सूत्र में बंध सके। पुन: आपको धन्यवाद देते हुए क्योंकि आपने आखरी में मुझे बोलने का मौका दिया मैं आपका धन्यवाद करता हूँ और आपके माध्यम से मध्यप्रदेश की संवेदनशील सरकार को भी धन्यवाद देना चाहूंगा जो इतने अच्छे काम कर रही है भविष्य में भी हमारे और लोग और सरकारें इससे कहीं न कहीं प्रेरणा लेगी और पूरे देश में इस तरह के कार्यक्रम होंगे, धन्यवाद ।
श्री रामपाल सिंह(ब्यौहारी)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मांग संख्या 17,30,34,59,62,74 के विरोध में और कटौती प्रस्तावों के समर्थन में बोलने के लिए खड़ा हुआ हूँ । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सहकारिता विभाग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2015-16 की पृष्ठ संख्या 30 में विभाग के प्रशासकीय विषय में उल्लेख किया गया है कि सहकारी संस्थाओं के संचालक मण्डल का कार्यकाल 5 वर्ष नियत है । कार्यकाल अवसान के पूर्व सहकारी संस्थाओं के नवीन संचालक मण्डल के निर्वाचन किए जाते हैं, शहडोल जिला सहकारी संस्था सहित प्रदेश के कई जिले में संचालक मण्डल का कार्यकाल समाप्त हो गया है, किन्तु नवीन संचालक मण्डल का निर्वाचन नहीं कराया गया है, प्रतिवेदन में उक्त तथ्य को छुपाया गया है, संचालक मण्डल का गठन न होने से योजनाओं के उद्देश्यों का सही क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है नवीन निर्वाचन की जानकारी नहीं दी जाती है । विभाग के बजट 2015-16 में लैम्प्स समितियों की सहायता संबंधी बजट स्वीकृत नहीं है, जबकि शहडोल जिले में कई ऐसी आपकी सोसायटी हैं, जैसे सीधी करकी ठिंगराहा,जयसिंहनगर सहित कई ऐसी लैम्प्स की समितियां हैं, जिसकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी सुदृढ़ नहीं हैं, उन्हें सहायता दिया जाना नितान्त आवश्यक है, इसलिए इस बजट में आवंटन करना आवश्यक है, आपकी उपयोजना के तहत कृषकों को दी जाने वाली राशि बजट में अपर्याप्त है, जिसे बढ़ाया जाना चाहिए ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के संबंध में बात रखना चाहूंगा, राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा पर राज्य शासन की कर एवं कार्योत्तर राजस्व आय की 4 प्रतिशत राशि ग्राम पंचायतों को दी जाती है जो कि अपर्याप्त है, जिसे बढ़ाया जाए, जिससे पंचायतों का विकास तेजी से कराया जा सके । दूसरी बात मैं यह कहना चाहूंगा कि प्रतिवेदन में गौड़ खनिज खदानों की 10 लाख रूपए की वार्षिक आय की समस्त खदानों को दिनांक 1.4.96 से अनुज्ञा पत्र जारी करने का अधिकार पंचायतों को दिया जाना प्रतिवेदित किया गया है, मेरे विधानसभा क्षेत्र की अधिकांश पंचायतों द्वारा उक्त अधिकारों का उपयोग पंचायतों की आय बढ़ाने के लिए नहीं किया जा रहा है, जिससे अवैध उत्खनन की स्थिति निर्मित होती है या तो पंचायतों को इस नियम की विस्तृत जानकारी नहीं है या अधिकार का उपयोग नहीं कर पा रही हैं, इसलिए उक्त संबंध का स्पष्ट आदेश पंचायतों में समस्त नियम प्रक्रिया सहित लागू करने हेतु माननीय मंत्री महोदय जारी किया जावे।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, तीसरा बिन्दु कहना चाहता हूं प्रतिवेदन के मुताबिक योजना का क्रमांक 4610 अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क वसूली के विरूद्व अनुदान वित्तीय वर्ष 15-16 में जनपद पंचायतों एवं ग्राम पंचायतों को कुल राशि 69185.58 लाख बजट प्रदान किया जाए और दूसरी बात इंदिरा आवास की द्वितीय किश्त एवं मनरेगा की मजदूरी का भुगतान जो आज से बहुत दिनों से लंबित है, उसे भी पूरा किया जाए । पंच परमेश्वर योजना के तहत जनसंख्या के मान से ग्राम पंचायतों को उपलब्ध कराने वाली स्वीकृत राशि का बजट बहुत कम है, जिससे कोई विकास नहीं हो पाता इसलिए बजट को कम से कम दो गुना किया जाए । भवन विहीन पंचायतों को भवन निर्माण हेतु विभागीय मद एवं मनरेगा के अभिसरण नवीन पंचायतों का कार्य प्रारंभ कराया जाए, बजट के अभाव में अधिकांश भवन आज भी अधूरे हैं ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं सामाजिक न्याय में थोड़ा सा बोलूंगा, जनरल बजट में प्रमुख उपलब्धियों और चुनौतियों में वर्ष 2015-16 के लिए मुख्यमंत्री निकाह एवं कन्यादान योजना का बजट पर्याप्त नहीं है, क्योंकि सूखा प्रभावित कृषकों के, कन्या के एकल विवाह हेतु भी राशि दिए जाने की घोषणा सरकार के द्वारा की गई है, पर्याप्त बजट के अभाव में इस योजना का लाभ सभी व्यक्तियों को देना संभव नहीं है, इस तरह से माता - पिता भरण पोषण योजना में बजट नगण्य है,सुधारात्मक सेवाओं के अंतर्गत प्रशिक्षण का बजट बहुत कम है, विभागीय संचालित योजनाओं के आवंटन की जानकारी 2015-16 में कुशाभाऊ ठाकरे अंशदायी पेंशन योजना, मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के लिए बजट नहीं है, इन योजनाओं को रखने में बजट का कोई प्रावधान नहीं है, जबकि मेरे विधानसभा क्षेत्र ब्योहारी में सामजिक न्याय भवन की अत्यन्त आवश्यकता है, तीसरा बिन्दु यह कहना चाहूंगा नवीन मूक बधिर शालाओं की स्थापना हेतु बजट में कोई प्रावधान नहीं है जबकि शहडोल जिले में उक्त शाला के स्थापना की आवश्यकता है ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अंत में कहना चाहूंगा कि नि:शक्त वृद्वा एवं अन्य सामाजिक पेंशन प्राप्त करने हेतु गरीबी रेखा का परिवार में नाम दर्ज होना बाध्यकारी किया गया है जबकि कई ऐसे परिवार हैं, जिनका नाम गरीबी रेखा की सूची में नहीं है और वह पेंशन की पात्रता रखते हैं, इसलिए गरीबी रेखा की बाध्यता को हटाए जाने की कार्यवाही की जाए । सरकार द्वारा प्रदाय पेंशन की राशि अति न्यूनतम है, बढ़ाए जाने की आवश्यकता है एवं पेंशन समय सीमा में उपलब्ध कराई जाने की व्यवस्थाएं की जानी चाहिए, आपने बोलने का समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद ।
श्री सुखेन्द्र सिह(मऊगंज)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय,कटौती प्रस्ताव के समर्थन में मांग संख्या 17,30,34,59,62,74 के समर्थन में बोलने का अवसर मिला सहकारिता विभाग निश्चित रूप से यह विभाग गरीबी स्तर पर गरीबों के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण है लेकिन जमीनी स्तर पर दो-दो माह के एक साथ खाद्यान बेंच दिए जाते हैं इस पर शासन का ध्यान कम रहता है यहां तक कि सेल्स मेन काफी धांधली करते हैं हमारे मऊगंज क्षेत्र के अंतर्गत गौरी सोसायटी है, बहुत बड़ी सोसायटी है इसके बावजूद वहां का सेल्समेन नहीं बल्कि पहाड़ी दूसरी सोसायटी का सेल्समेन है उसे चार्ज देकर के वहां पर काम कराया जा रहा है, इस तरीके से अनियतिता है, इस पर विचार करने की जरूरत है ।
दूसरी मांग संख्या ग्रामीण विकास विभाग में मैं सीधे अपने विधानसभा क्षेत्र की मुख्यमंत्री सड़क योजना पर चर्चा करना चाहता हूं । हमारे विधानसभा क्षेत्र से कुल 14 मुख्यमंत्री सड़क योजना का प्रस्ताव आया, लेकिन उस पर एक भी कार्यवाही नहीं हुई, माननीय मंत्री जी बैठे हैं, आपके माध्यम से अनुरोध है कि मेरे विधानसभा क्षेत्र मऊगंज में भी मुख्यमंत्री सड़क पर विचार किया जाए । पंचायत विभाग में बहुत सारे कार्य चले रहे हैं लेकिन इस समय पेयजल का घोर संकट है. चाहे नल-जल के माध्यम से हों, चाहे अन्य साधन हों, पेयजल की उपलब्धता की कमी है. मेरा अनुरोध है कि शासकीय तालाबों का उत्खनन तो होता है, जो प्रायवेट तालाब हैं एवं गांवों में, पंचायतों में बहुत सारे प्रायवेट तालाब हैं, उस पर कोई विचार नहीं किया जाता है. मेरा आपके माध्यम से, माननीय मंत्री जी से अनुरोध है कि प्रायवेट तालाब के लिए कुछ ऐसा प्रावधान किया जाये जिससे कि उनका खनन हो सके, जिससे की पेयजल की व्यवस्था सुधारी जा सकती है और जल-स्तर बढ़ाया जा सकता है. इस पर भी, मैं माननीय मंत्री जी का आपके माध्यम से ध्यान दिलाना चाहता हूँ. ज्यादा कुछ न बोलते हुए, आपने मुझे बोलने का अवसर दिया. उसके लिये धन्यवाद.
श्री प्रताप सिंह (जबेरा) - माननीय उपाध्यक्ष जी, मेरे निर्वाचन क्षेत्र में भी ओले गिरे. मैं माननीय मंत्री जी का ध्यान इस ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ. पूरे दमोह जिले में ओले गिरे और साथ में कुछ ग्रामों में पानी इतना गिरा कि चने की फसल 2-2, 5-5 एकड़ डूब चुकी है. मैं एक तो यह मांग चाहूँगा कि उसका तत्काल ही सर्वे करवाया जाये और उनको उचित मुआवजा मिले. दूसरा, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के 2 वर्ष से कार्य बन्द पड़े हैं तो उनको दूर किया जाये. इसमें सिमरिया, बैरागढ़, भौड़ी सुरई ग्रामीण नल-जल योजनाएं बन्द पड़ी हैं. इसमें सर्रा, नौटुकरिया, पौड़ी, मानगढ़, इसमें सोख-सेख गांव के लिये अभी तक वहां पर पाईप-लाईन नहीं पहुँची है तो यदि उनको पाईप मिल जाते हैं तो वे गांव चालू हो जायेंगे. सूखाग्रस्त तहसीलों में जैसे माननीय मुख्यमंत्री जी ने कन्या विवाह के लिये 25,000/- रू. देने की घोषणा की थी. लेकिन उसका लाभ आज दिनांक तक क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल पाया है क्योंकि प्रचार-प्रसार की कमी रही.
4.22 बजे अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुए.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
श्री प्रताप सिंह - अध्यक्ष महोदय, केवल एक मिनिट दें. दूसरा वर्ष 2013-14 में मेरे क्षेत्र में इन्दिरा आवास योजना की द्वितीय किश्त, अभी भी पूरे क्षेत्र में नहीं मिल पाई है तो मैं चाहूँगा कि माननीय मंत्री जी, यदि वह किश्त भारत सरकार ने नहीं दी है तो उसकी पूर्ति मध्यप्रदेश शासन करे. दूसरा मेरे क्षेत्र में जंगल का क्षेत्र बड़ा है, वहां काफी तालाब हैं, तालाबों के कार्य मनरेगा से नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि वहां एन.ओ.सी. नहीं मिल पा रही है तो मैं चाहूँगा कि उस क्षेत्र में जहां जल स्त्रोत सूख गये हैं, सिर्फ पुराने ही जल स्त्रोत बचे हैं तो उनको भी मनरेगा से जोड़ा जाये तो मैं चाहूँगा कि माननीय मंत्री जी उस क्षेत्र में जरूरत ध्यान देंगे.
श्री विष्णु खत्री (बैरसिया) - अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 17, 30, 34, 59, 62, 74 का समर्थन करता हूँ. भारत में यदि कहीं आत्मा बसती है तो वह गांवों में बसती है. गांव के विकास के बिना, हम यदि विकसित भारत की कल्पना करते हैं, समृद्धशाली भारत की कल्पना करते हैं तो वह संभव नहीं है. आज जो देखने में आ रहा है कि बड़े-बड़े जितने भी शहर हैं, उनका विकास नियोजित तरीके से हो रहा है चाहे वह भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर हो. लेकिन हमारे जो गांव हैं, हमने उन्हें बेतरतीब विकास के लिये छोड़ रखा है. मैंने, पूर्व में भी माननीय मंत्री जी का ध्यान दिलवाया था कि जो हमारी पंचायतें हैं. इन पंचायतों का एक मास्टर प्लान तैयार होना चाहिए कि इनके अन्दर जो शासकीय भवन बनेंगे. उनका स्थान निश्चित होना चाहिए. जो आवास बनेंगे, उनका स्थान निश्चित होना चाहिए. कैजुअल शॉपिंग सेन्टर का स्थान निश्चित होना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारे स्मार्ट पंचायतों की, जो कल्पना देश के मुखिया माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देखी है. हमारे प्रदेश के मुखिया ने देखी है तो वह बिना मास्टर प्लान के नियोजित प्लान से संभव नहीं है, इसके अलावा मैं एक और सुझाव विभाग को देना चाहता हूँ कि हम मास्टर प्लान के साथ में पंचायतों का एक पंचवर्षीय प्राक्कलन भी तैयार करें. अभी हमारे पास 2 वर्ष से अधिक हैं तो हम 2 वर्ष का ही करें क्योंकि पंच-परमेश्वर में हम राशि दे रहे हैं तो निश्चित रूप से इसका गांव में अच्छा उपयोग हो रहा है. हमें गांव में कम से कम सड़कें देखने को मिल रही हैं. पहले अभी तक जो पैसा जाता है, मुरमीकरण और अन्य कार्यों में चले जाने के कारण गांवों में विकास नहीं दिखता था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके अन्दर यदि हम एकजाई प्लान तैयार करें और उसको क्रमश: करें, जैसे-जैसे बजट की उपलब्धता हो तो मुझे लगता है कि गांव का की स्मार्ट पंचायत, वह बिना एकजाई प्लान के संभव नहीं है. मैं एक सुझाव अन्त में देना चाहता हूँ. हमने 10-10 पंचायतों पर एक सी.एफ.टी., जो क्लस्टर व्यवस्था खड़ी की है, इसको बहुत सशक्त करने की आवश्यकता है. इसके अन्दर हम केवल क्लस्टर को, यहां पर यह सुनिश्चित करें कि क्योंकि पंचायतों में जन-सुनवाई नहीं हो पा रही है. हमने मंगलवार का दिन जरूरत निश्चित किया है. लेकिन वहां पर पटवारी नहीं पहुँचते हैं, ग्राम-सेवक नहीं पहुँचते हैं. मेरा इसमें केवल एक सुझाव है कि 10 ग्राम-पंचायतों पर एक क्लस्टर है, इस पर यह सुनिश्चित करें, वहां पर जन-सुनवाई का एक दिन निश्चित करें और इनको हम अधिकार भी दें. पेन्शन, जन्म प्रमाण-पत्र, मृत्यु प्रमाण-पत्र एवं वहां पर पटवारी, नायब तहसीलदार, ग्राम-सेवक को बैठाना सुनिश्चित करें. अन्त में, यह विधानसभा से संबंधित, सहकारिता विभाग का है. माननीय समाजिक न्याय विभाग में माननीय मंत्री जी ने जिला पंचायत की बैठक में बैरसिया में रैन-बसेरा देने को आश्वस्त किया था. अध्यक्ष महोदय, यदि वे बैरसिया में रैन-बसेरा देंगे तो कृपा होगी और लगातार प्रदेश की सरकार, गांवों, गरीबों, किसानों, महिलाओं, बजुर्गों हर वर्ग के लिये काम कर रही हैं. मैं मांग संख्या का समर्थन करता हूँ. बहुत-बहुत धन्यवाद.
कुँवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद) - माननीय अध्यक्ष महोदय, को-ऑपरेटिव्ह सोसायटी के मामले में, हमने इसको सूचना के दायरे से बाहर रखा है. जबकि सारी सोसायटियां शासकीय पैसे का उपयोग करती हैं. यह आर.टी.आई. से बाहर है. यह बहुत बड़ा फ्लो है, उपार्जन के विषय में माननीय पिछले तीन-चार वर्षों में कटनी जिले में लाखों रूपये का पेमेन्ट ज्यादा हुआ है क्योंकि सोसायटियां पहले से फर्जी खरीद दिखा देती हैं और बाद में, बाजार से खरीद धान और गेहूँ को एडजस्ट करती हैं. इसके उदाहरण के लिये, बहोरीबंद योगी और रीठी सोसायटियां हैं. माननीय समितियां और प्रबन्धकों की कमी, इस विषय में सेल्समैन को प्रभारी बनाया जा रहा है और उसे वित्तीय अधिकार न होने से, बैंक का एक अधिकार बढ़ रहा है. इससे किसानों का महत्व कम हो रहा है, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का अधिकार कम हो रहा है. सोसायटी की जो मुख्य मंशा है, सहकारिता की इमेज खत्म हो रही है. हर दुकान में सेल्समैन की कमी है, आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा है. सभी समितियां स्वयं सेल्समैन की नियुक्तियां कर रही हैं, नियमों को ताक पर रख दिया गया है, अपने हिसाब से अपने रिश्तेदारों की भर्तियां कर रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, कटनी जिले में बड़गांव और रीठी सोसायटी में, बड़गांव में पत्र क्रमांक 405, फसल बीमा खरीफ 14 - 15 माननीय मैं, इसमें माननीय मंत्री जी का ध्यान आकृष्ट कराना चाहूँगा कि जो इंश्योरड सम राशि होती है और जो प्रीमियम दिया गया है तो जो खाते में चढ़ाया गया है और जो एक्सेल में दिया गया है, इसमें बहुत विसंगति है. मतलब, किताब में कुछ और लिख रहे हैं और हाथ में कुछ और दे रहे हैं. माननीय रिकॉर्ड के विषय में, केरोसिन की कटनी जिले में लगभग एक करोड़ रूपये की वसूली है, पर समितियां रिकॉर्ड नहीं दे रही हैं इसलिए रिकॉर्ड वेरीफाई नहीं हो पा रहा है, वेरीफाई नहीं होने के कारण वसूली नहीं हो पा रही है. लगभग 32 करोड़ रूपये का खाद्यान्न राशन कार्ड से अधिक कटनी में आवंटित हुआ है पर लोगों तक नहीं पहुँचा है. माननीय शासन स्वयं अभिलेख नहीं लेना चाह रहा है. अभी अभिलेख रखने का समय भी 3 माह कर दिया गया है. मेरा निवेदन है कि इस पर एक बार ध्यान देंगे.
अध्यक्ष महोदय - कृपया समाप्त करें.
कुंवर सौरभ सिंह -- अध्यक्ष महोदय, मनरेगा का पेमेंट हकीकत यह है कि जमीन पर नहीं हो पा रहा है. पिछले 2-3 वर्षों से सूखे के कारण लोगों का काम ज्यादा बढ़ना चाहिये, मांगने के लिये, पर नहीं आ पा रहा है. मतलब कहीं नहीं कहीं विसंगति है. निर्मल भारत अभियान में हम शौचालय तो बना रहे हैं, पर हमारे पास पानी नहीं है. लगभग 70 प्रतिशत हैंडपम्प पूरे हुए हैं, कैसे बन रहे होंगे, हकीकत हमको मालूम है. पेंशन न बंट रही है, न सयाने लोगों का फिंगर प्रिंट आ पा रहा है. मेरा निवेदन है कि इस पर ध्यान दिया जाये. इंदिरा आवास की दूसरी किश्तें नहीं पहुंच रही हैं. सारे काम अधूरे हैं, गिरने के कगार पर हैं. आरईएस,जिसके पास न तो तगाड़ी है, न फावड़ा है, उसको हम सब काम करने के लिये देते हैं. जो तालाब सरपंच 5 लाख में बनाता है, वह आरईएस 15 लाख में बनाता है. मेरा कहना यह है कि जो नान टेक्नीकल लोग हैं, वह ज्यादा अच्छा काम कर रहे हैं और जो टेक्नीकल लोग हैं, वह खराब काम कर रहे हैं. आपने बोलने के लिये समय दिया, उसके लिये धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी को जल्दी खत्म करना है और मंत्री जी वैसे भी विभाग मन से तो संभाल नहीं रहे हैं. आत्मा से बोलेंगे. अगर सहमति हो जाये, तो उनका वक्तव्य पढ़ा हुआ मान लिया जाये. बजट तो मिलना ही है. हम आपकी सक्षमता पर भरोसा रखते हैं.
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री (श्री गोपाल भार्गव) -- ऐसा नहीं है. इस चर्चा में 29 सदस्यों ने भाग लिया है. आप लोगों की भावनाओं का सम्मान तो करना होगा, कुछ लोगों ने अपेक्षायें भी की हैं. अध्यक्ष महोदय, आज सहकारिता, पंचायत, ग्रामीण विकास एवं सामाजिक न्याय विभाग की मांगों पर चर्चा के दौरान हमारे माननीय सदस्यों, सर्वश्री डॉ. गोविन्द सिंह, यशपाल सिंह सिसोदिया, महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा, रामेश्वर शर्मा, रामनिवास रावत, प्रदीप लारिया, श्रीमती शीला त्यागी, बहादुर सिंह चौहान, दिनेश राय, दुर्गालाल विजय, शैलेन्द्र पटेल, गोविन्द सिंह पटेल, वैलसिंह भूरिया, श्रीमती झूमा सोलंकी, आशीष शर्मा, जितू पटवारी, फुन्देलाल सिंह मार्को, श्रीमती ऊषा चौधरी, के.के.श्रीवास्तव, गिरीश भंडारी, जालम सिंह पटेल,बलवीर सिंह डण्डौतिया, श्रीमती चन्दा गौर, हेमन्त खण्डेलवाल, रामपाल सिंह, सुखेन्द्र सिंह, प्रताप सिंह, विष्णु खत्री एवं कुंवर सौरभ सिंह ने चर्चा में भाग लिया. इन सभी सदस्यों ने जो सुझाव दिये और चर्चा में भाग लिया, सभी का मैं आभार व्यक्त करता हूं. सबसे ज्यादा चिंता इस पूरी चर्चा के दौरान जो मुझे समझ में आई, खास तौर से मेरी सदस्य बहने हैं,उनकी तरफ से ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट की स्थिति के बारे में है. यह बात सही है कि हमारे प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों में जो हमारी ग्राम पंचायतें हैं या ग्राम हैं, उनमें पेयजल योजनाएं, उनका निर्माण, सोर्स का खोजना, सोर्स पैदा करना, ओव्हर हैड टेंक बनाना और उसके बाद में पाइप लाइन के माध्यम से घर तक पानी पहुंचाना, यह पीएचई विभाग का काम है. उनके टेंडर होते हैं, वह इस काम को करते हैं. उसके बाद में वह योजना पंचायतों को सुपुर्द कर दी जाती है. जब से राज्य में खास तौर से इस वर्ष सूखे की स्थिति की जानकारी से सभी अवगत है, चर्चा भी होती रहती है, स्थिति उत्पन्न हुई है. इसके कारण से यह बात सही है कि गांव, देहात में पीने के पानी की समस्या है, निस्तार के पानी की समस्या है. इस बात पर विचार करते हुए, चूंकि हमारी कई बहनों ने स्मरण दिलाया कि आज महिला वर्ष है. यदि आज ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी की महिलाओं के लिये बहुत कोई सुगम और सुचारु, सुदढ़ व्यवस्था यदि हो जाये, तो यह महिला वर्ष का सबसे बड़ा उपहार ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के लिये खास तौर से होगा. मैं अवगत कराना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश ही एक ऐसा राज्य है, जहां भाजपा की सरकार बनने के बाद हम लोगों ने चाहे स्थानीय निकाय हों, चाहे वह ग्रामीण हो या शहरी हों, 50 प्रतिशत से ज्यादा महिला आरक्षण की व्यवस्था की थी. दस्तावेज और सबूत इस बात के गवाह हैं. आज मुझे यह कहते हुए खुशी है कि मध्यप्रदेश में वह 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर ग्राम पंचायतों में 54 प्रतिशत, जिला पंचायत में 65 प्रतिशत प्रतिनिधित्व महिलाओं का मध्यप्रदेश के अंदर हो गया. 51 जिला पंचायतों में 34 जिला पंचायत अध्यक्ष महिलाएं हैं. एक ऐसा बड़ा वर्ग, जिनकी इतनी दमदार उपस्थिति हो और इतना बड़ा हमारा महिला वर्ग है, हमारी आधी दुनिया है, उनके लिये यदि हम पानी की व्यवस्था नहीं कर सकें, तो मैं मानकर चलता हूं कि कहीं न कहीं हमारी कमी होगी. इस कारण से मैं सदन को अवगत कराना चाहता हूं कि इस वर्ष हमने लगभग 1450 करोड़ रुपये की राशि का वर्ष 2015-16 वर्ष में 14वें वित्त आयोग में प्रावधान किया था, उसकी एक किश्त हमने लगभग 750 करोड़ रुपये की जारी कर दी है. 750 करोड़ में हमने सभी ग्राम पंचायतों को कहा है कि प्रमुखता से वह पानी के सोर्स ढूंढने का, पाइप लाइन दुरुस्त करने का, ओव्हर हैड टेंक को ठीक करने का, मोटर पम्प यदि जल गया हो, तो उसको ठीक करने का और स्टार्टर खराब हो गया है, तो उसको ठीक करने का काम कर लें. उसके बाद भी यदि पंचायतों की बिजली के बिलों की राशि बकाया है,सारी की सारी राशि का तीनों विद्युत कम्पनियों के लिये भुगतान मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा कर दिया गया है. अब किसी प्रकार की कोई दिक्कत हमारी ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं, बहनों के पेय जल के लिये नहीं होना चाहिये. यह आज के दिन मैं मानकर चलता हूं कि सबसे बड़ा हमारा महिलाओं के लिये, समर्पण उनकी समस्या दूर करने के लिये सबसे बड़ा प्रयास है. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के बारे में बहुत सी चर्चाएं हमारे माननीय सदस्यों ने की हैं. विष्णु खत्री जी ने अभी बताया कि पंचायतों की एक समग्र योजना होना चाहिये, कम्पोजिट प्लान होना चाहिये. इस पर विभाग ने काम शुरु कर दिया है. इस साल प्रत्येक गांव का अपना प्लान तैयार करके और गांव समग्र हो, सारी सुविधाओं से युक्त हो, उसमें स्कूल भवन, आंगनवाड़ी भवन, सब हैल्थ सेंटर, खेल मैदान, श्मशान घाट हो, सारी चीजें प्लान के अंतर्गत हम लोगों ने उसमें समाहित करके और एक समार्ट गांव की परिकल्पना की है. मुझे विश्वास है कि आगे आने वाले दो वर्षों में मध्यप्रदेश की सभी 23 हजार ग्राम पंचायतों के अंतर्गत आने वाले सभी 52 हजार गांव स्मार्ट गांव में परिवर्तित करने में हम सफल होंगे. मैं माननीय सदस्यों को अवगत कराना चाहता हूं कि 1463 करोड़ रुपये की यह राशि हमने 2015-16 में पंचायतों के लिये भेजी है. इसमें हमने प्राथमिकता भी तय कर दी है. प्राथमिकता के अनुसार पेयजल के लिये, पेयजल के अलावा जो सीसी रोड हैं, उनको बनाने के लिये और भी जो दूसरी आवश्यकताएं हैं और मुझे कहते हुए खुशी है कि पहले जो छोटी छोटी सी राशि आती थी 25, 40, 50 हजार. पता ही नहीं चलता था कि किसमें खर्च हो गई. कहीं मूलभूत आवश्यकता है, यह अलग अलग मिसलेनियस में चली जाती थी. इसी कारण से हमने सब को एकत्रित करके पंच परमेश्वर योजना शुरु की. आज मुझे बताते हुए खुशी है कि छोटी से छोटी ग्राम पंचायत चाहे उसकी एक हजार आबादी क्यों नहीं हो, उस ग्राम पंचायत में 6 लाख रुपये से कम की राशि किसी भी ग्राम पंचायत में नहीं दी जायेगी, इससे ज्यादा ही राशि 15,20,25 लाख जितनी ज्यादा से ज्यादा हो सकती है, देंगे सिर्फ पंच परमेश्वर में. राज्य वित्त आयोग की राशि पृथक से देंगे.परफारमेंस की अलग से उसके लिये राशि दी जायेगी. मुझे बताते हुए खुशी है कि 2016 -17 में हमने 2292 करोड़ रुपये के मूल अंदान के रुप में तथा 265 करोड़ रुपये परफारमेंस ग्रांट के रुप में पंचायतों के लिये प्रावधानित किया है. मेरा सोचना है कि जो पिछले साल राशि मिली है, उससे लगभग डेढ़ गुनी राशि इस वर्ष अब ग्राम पंचायतों के लिये हम उपलब्ध करवा देंगे. मुझे विश्वास है कि इस राशि का पंचायतें सदुपयोग करेंगी. जैसा कि माननीय सदस्यों ने कहा है कि पंचायतें अच्छा काम करवा लेती हैं, यह बड़ी खुशी की बात है. हम एजेंसी 15 लाख रुपये तक के कामों के लिये ग्राम पंचायत ही बनाये हुए हैं, न आरईएस, न पीडब्ल्यूडी कोई दूसरी एजेंसी वहां पर काम नहीं करेगी. जो भी काम होगा,पंचायत खुद उसकी प्रशासनिक स्वीकृति जारी करेगी. तकनीकी स्वीकृति के लिये जो भी तकनीकी अधिकारी वहां रहेगा इंजीनियर, वह करेगा. सूखे की स्थिति का सामना करने के बारे में मैंने बता ही दिया. बहुत सी योजनायें हमारे पंचायत विभाग के द्वारा राज्य में संचालित की जा रही हैं. सभी विधान सभा क्षेत्रों में 80-80 लाख रुपये की राशि से हमारे विभाग ने एक-एक अच्छा, सुसज्जित, बेहतरीन स्टेडियम बनाने का काम स्वीकृत कर दिया है, राशि भी भेज दी है. मुझे कहते हुए खुशी है कि बहुत सी हमारी जनपदों में, बहुत से हमारे और विधानसभा क्षेत्रों में काम भी शुरू हो गया है. डॉ. गोविंद सिंह जी कह रहे थे कि पहचान पहचान कर स्टेडियम दिया है, वास्तव में यदि मैं आपसे पूछना चाहूं, क्या हमने आपके यहां पर स्टेडियम नहीं दिया है. ? क्या वहां स्टेडियम की राशि नहीं पहुंची ?
श्रीमती उषा चौधरी-- हमारे यहां काम चालू नहीं हो रहा है. कलेक्टर ने अभी तक जमीन उपलब्ध नहीं कराई है.
श्री गोपाल भार्गव--राशि मैंने भेज दी, जमीन उपलब्ध कराना आपका काम है.
श्रीमती उषा चौधरी -- जमीन उपलब्ध करा दी है. कलेक्टर ने आज तक वहां पर कोई स्वीकृति नहीं दी है हमने 10 पत्र भी इसके लिये लिखे हैं.
श्री गोपाल भार्गव -- यह तो स्थानीय व्यवस्था की कमी है.
श्रीमती उषा चौधरी -- कलेक्टर सतना कोई काम नहीं कर रहे हैं पता नहीं क्यों सतना में बैठा रखा है.
अध्यक्ष महोदय-- प्रश्नकाल नहीं है. कृपया बैठ जायें.
श्री गोपाल भार्गव-- हम उनसे संपर्क करके जमीन की बात करेंगे. मैं बात करके भूमि उपलब्ध कराने और जल्दी से जल्दी उस काम को कराने के लिये बात करूंगा.
अध्यक्ष महोदय, एक एक विधानसभा क्षेत्र में खास तौर से ग्रामीण क्षेत्र में बहुत सी प्रतिभायें होती हैं, मैंने देखा है कि बच्चे क्रिक्रेट खेलते हैं, ऊंची-नीची जगह पर गिरते-पड़ते हैं उनके लिये एक खेल मैदान भी नसीब नहीं होता. खेल काम्पटीशन होते हैं, आज कल हर गांव में 3-4 क्रिक्रेट की टीम हो गई हैं. बच्चे आते हैं कहते हैं कि हमारे लिये क्रिक्रेट की किट ले दो. उस समय मालूम पड़ता है कि एक एक गांव में 2-3 टीमे हैं. एक विधानसभा क्षेत्र के अंदर 200 से लेकर के 250 टीमें तक क्रिक्रेट की होती हैं, उनके काम्पटीशन के लिये मैदान नहीं है. हमारे परम्परागत खेल, खो-खो, कबड्डी, बालीबाल है, फुटवाल है, हमने खेल मैदान के लिये 80 लाख रूपये की व्यवस्था की है और मैं चाहता हूं कि खेल मैदान जब तैयार हो जाये तो विभाग की तरफ से हम उसके लिये जिम इत्यादि जो कुछ भी हो सकता होगा हम उसके और भी बेहतर करने की व्यवस्था करने की कोशिश करेंगे ताकि गांव के लड़कों की भी वर्जिश हो, उनकी भी बॉडी बने, उनके भी मसल्स बने. जितू भाई के यहां इंदौर में बहुत से जिम खुले हुये है, वहां तो 3000 रूपये हम माह लगते हैं हम तो 2-3 रूपया भी नहीं लेंगे गांव के बच्चों के लिये अच्छे से अच्छे स्टेडियम और उसमें उपकरण की व्यवस्था करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, हमने माननीय सदस्यों के लिये पिछली बार 10-10 लाख रूपये की लागत से 3-3 सभी सदस्यों के लिये सामुदायिक भवनों की व्यवस्था की. वो बन गये होंगे तो अगले वर्ष में हम प्रावधानित करके जैसे ही हमें राशि उपलब्ध होगी, क्योंकि कई सदस्यों की इच्छा थी कि और भी उनके लिये सामुदायिक भवन बने, क्योंकि उसमें कल्चरल प्रोग्राम करना, सामाजिक कार्यक्रम हैं, शादी-ब्याह के लिये भी समान रूप से सभी सदस्यों को हम अपने विभाग की तरफ से उसके लिये राशि को उपलब्ध करायेंगे.
डॉ.रामकिशोर दोगने -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी इतना बता दें कि क्या सामुदायिक भवन में जनपद पंचायत की सिफारिश भी लगती है.
श्री गोपाल भार्गव-- निश्चित रूप से. क्योंकि यह ग्रामीण विकास विभाग का पैसा है और भारत सरकार के जो नियम हैं उसके हिसाब से जनपद पंचायतों की भी सहमति आवश्यक है लेकिन आप भी चुने हुये सदस्य हैं इस कारण से आपकी भी स्वीकृति आपकी अनुशंसा हमने प्रावधानित की है. 1000 हमने ऐसे भवन मध्यप्रदेश में बनवाये हैं.
श्रीमती उषा चौधरी--31 मार्च का इंतजार रहता है कि यह राशि लेप्स होकर के सरकार के कोष में चलीं जायें योजनायें बनीं रहे और काम भी न हो.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठ जायें. यह प्रश्नकाल नहीं है.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, इन पंचायत भवनों में बैठने के लिये बेहतर से बेहतर स्थान हों, सरपंचों के लिये, सचिवों के लिये, रोजगार सहायकों के लिये, और भी जो कर्मचारी आते हैं, मैं तो चाहता हूं कि उसमें पटवारी भी बैठें. हैंडपंप मैकेनिक भी बैठे, को-आपरेटिव का कर्मचारी है बैठना चाहे, सेल्स मेन है तो वह भी बैठे. मैं तो उसको एक ग्रामीण सचिवालय का स्वरूप भी देना चाहता हूं इसलिये हमने बेहतर से बेहतर पंचायत भवन बनाने का काम हाथ में लिया है. अभी हमने 6850 पंचायत भवन स्वीकृत किये थे जिसमें 2718 भवन पूर्ण हो गये हैं और 4132 भवन प्रगतिरत हैं. और पंचायत भवनों की जहां भी आवश्यकता होगी सदस्य बता दें, लिख दें हम 15 लाख रूपये तक की राशि के पंचायत भवन और वह भवन पंचायत के द्वारा ही बनाये जायेंगे . डॉक्टर गोविंद साहब कह रहे थे तो मैं उनसे कहना चाहता हूं कि बाहरी सारा काम बंद, न कोई ठेकेदारी होगी, न लघु उद्योग निगम, कुछ नहीं. ग्राम पंचायतें ही पूर्ण स्वायत्ता के साथ में यह निर्माण कार्य करायेंगी.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जो भवन विहीन पंचायतें थी उसमें नगद राशि देने का प्रावधान हमने किया है, एक पंचायत एक खाते की व्यवस्था भी की और पंचायतों के द्वारा अनेकों काम निष्पादित किये जा रहे हैं, रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत काफी कार्य हो रहे हैं, उस पर मैं ज्यादा नहीं कहूंगा. क्योंकि उस पर काफी चर्चा हो चुकी है.
अध्यक्ष महोदय, 2002 में एनडीए की सरकार दिल्ली में थी, उस समय अटल बिहारी जी प्रधान मंत्री थे. सारे लोग जानते थे कि आजादी के 60 साल के बाद भी गांव की दशा नहीं बदल सकी थी. कीचड़ से सनी हुई गलियां, तमाम प्रकार की परेशानियां, आदमी बीमार हो जाये तो खाट पर लेकर के उसको तहसील या जिला मुख्यालय तक जाना पड़ता था. अटल जी की देन है कि प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना 2002 से शुरू हुई. और मुझे आज कहते हुये खुशी है कि मध्यप्रदेश में हम आज की तारीख तक 2002 से लेकर के अभी तक 64 हजार किलोमीटर लंबी लड़कों का निर्माण कर चुके हैं, इससे बड़ी महत्वाकांक्षी योजना हिन्दुस्तान में आज तक ग्रामीण क्षेत्रों के कल्याण के लिये कोई नहीं थी. मुझे खुशी है कि मध्यप्रदेश हिन्दुस्ता में एक नंबर पर है, प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना में हमने सबसे लंबी सड़कें बनाई हैं. लोक निर्माण विभाग की सड़कों की लम्बाई 50 हजार किलोमीटर से कम है. लेकिन प्रधान मंत्री ग्राम सड़क की लंबाई आज मध्यप्रदेश में 64 हजार किलोमीटर है हमें 5 हजार किलोमीटर सड़कों की और स्वीकृति इसी सप्ताह में मिलने की आशा है. मुझे विश्वास है कि हमें जल्दी से जल्दी यह स्वीकृति प्राप्त हो जायेगी. हमारे अधिकांश गांव प्रधान मंत्री सड़क योजना से जुड़ जायेंगे.
अध्यक्ष महोदय, इसी तरह से भारत सरकार के नियम 500 से ऊपर की आबादी के थे इस कारण से हमने 500 से कम की आबादी के जो गांव थे उन्हें मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत लिया है. आज मुझे कहते हुये खुशी है कि मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत हम लोगों ने 20 हजार किलोमीटर सड़कों की स्वीकृति दी थी उसमें से 14 हजार किलोमीटर लंबी सड़कें हम अभी तक 3 वर्षों में निर्मित कर चुके हैं और उससे 7300 बसाहटों को जोड़ा गया है, और बाकी की बची हुई सड़कों को हम इस वर्ष में पूर्ण कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय, सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि मुख्य मंत्री ग्राम सड़क योजना के बारे में अक्सर लोग कहा करते थे कि इसमें ग्रेवल रोड बने, वर्ना 2-4 साल में मुख्यमंत्री सड़क खराब हो जायेगी. आपको प्रधान मंत्री सड़क योजना की तरह ही मुख्यमंत्री सड़क योजना में सड़कें बनानी चाहिये. इस कारण से हमने सभी ने विचार करके, मुख्यमंत्री जी ने, अधिकारियों ने सभी लोगों ने विचार करके यह तय किया है कि जो हमारी मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना है इसको हम डामरीकृत करेंगे. जो 20 हजार किलोमीटर की सड़कें हमारी बन रही हैं, 14 हजार बन चुकी हैं यह सड़कें भी अगले 3 सालों में पूरी तरह से डामरीकृत कर दी जायेंगी. मतलब मध्यप्रदेश के अंदर लगभग 90 हजार किलोमीटर सड़कें ग्रामीण क्षेत्रों में पूरे 52 हजार गांव को जोड़ने के लिये चाहे वो पीएमजीएसवाय की हो, चाहे सीएमजीएसवाय की हो, मय पुल-पुलियों के 12मासी बेहतरीन सड़क का निर्माण इन 3 वर्षों के अंदर कर दिया जायेगा, अधिकांश काम हो चुका है जो काम शेष है एडीबी की मदद से हमें स्वीकृति भी मिल गई है. ऋण की व्यवस्था भी हो गई है, इसमें लगभग 3,000 करोड़ की राशि व्यय होगी. इस योजना में 11600 किलोमीटर लंबी सड़कों को फिलहाल हम डामरीकृत करेंगे, और कुल तीन वर्षों में हमारा लक्ष्य जैसा कि मैंने बताया कि 20 हजार किलोमीटर की सड़कें डामरीकृत करने का है.
अध्यक्ष महोदय, कभी कल्पना नहीं की होगी, गांव तक जाने लिये सड़क नहीं होती थी लेकिन अब हमने खेत तक जाने के लिये सड़क की व्यवस्था मुख्यमंत्री की जो सुदूर ग्राम संपर्क योजना है उसके अंतर्गत हमने यह काम हाथ में लिया है और मुझे कहते हुये खुशी है कि हर गांव में इसका काम जौरों के साथ में चल रहा है. अध्यक्ष महोदय मनरेगा के बारे में काफी चर्चा होती है लेकिन अभी मनरेगा के स्वरूप में काफी सुधार आया है.
अध्यक्ष महोदय, मनरेगा के स्वरूप में काफी सुधार आया है, पहले हमारी व्यवस्था बहुत ज्यादा पारदर्शी नहीं थी, जब योजना शुरू हुई थी, एकाउंट नहीं खुले थे, जॉबकार्ड बने थे, लेकिन खाते बैंकों में नहीं खुले थे और इस कारण से व्यवस्था नहीं थी कि हम एकाउंट में पैसा डाल सके. आज मुझे कहते हुये खुशी है कि पूरी शतप्रतिशत पारदर्शी व्यवस्था के अंतर्गत हम महात्मा गांधी रोजगार योजना का संचालन मध्य प्रदेश में कर रहे हैं. पिछले वर्ष लगभग 4 हजार करोड़ रूपये का व्यय हुआ था, इस बार कुछ राशि विलंब से प्राप्त होने के कारण से, लेकिन मुझे विश्वास है कि इस वर्ष भी हम उतनी ही राशि व्यय कर लेंगे लगभग 4 हजार करोड़ रूपये की और मुझे कहते हुये खुशी है कि इस योजना की जो उपयोजना है मनरेगा की, मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुई, जिसे भारत सरकार ने भी अभी एडाप्ट किया है. लगभग साढ़े तीन लाख कुंयें कपिलधारा के हम मध्यप्रदेश में खोदनें में हम कामयाब हुये हैं और उसके बाद हम निरंतर कपिल धारा के कुओं के माध्यम से खोद रहे हैं और वहां पर सिंचाई की व्यवस्था आज जो मध्यप्रदेश के लिये कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त हुआ है इसमें कपिल धारा के कुये जो मेरा अनुमान है कि साढ़े तीन लाख कुंओं से कम से कम साढ़े तीन लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित हुई होगी और इससे मध्यप्रदेश का कृषि उत्पादन जहां बढ़ा वहां मजदूरों के लिये रोजगार भी मिला और स्वतंत्र रूप से जहां केनाल नहीं है, दूसरी व्यवस्थायें नहीं हैं, जहां सिंचाई की व्यवस्था नहीं है, तालाब नहीं है, वहां रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से यह सारी व्यवस्थायें हुईं. अध्यक्ष महोदय मनरेगा की योजना में कुओं के अलावा पशु शेड और भी दूसरे ऐसे निर्माण कार्य जो परमानेंट एसेट्स हैं हमारे वह हमने बनाने का प्रयास किया है. इसके माध्यम से बहुत सी बातें सड़कों के बारे में, खेल मैदानों के बारे में, भवनों के बारे में, पंचायत भवनों के बारे में, सामुदायिक भवनों के बारे में, पुल पुलियों के बारे में, पेयजल योजनाओं के बारे में सभी के बारे में जिनका क्रियान्वयन हमारी पंचायतें करती हैं, बखूबी विभाग ने काम किया है और एक लय के साथ में काम किया है. मध्यान्ह भोजन योजना का काम आज मध्यान्ह भोजन में हम प्राथमिक शालायें 86142 प्राथमिक शालाओं में जिनकी छात्रों की संख्या 50 लाख से ज्यादा प्राथमिक शाला में, माध्यमिक शाला में 26 लाख से ज्यादा है, ऐसे विद्यार्थियों के लिये जो मध्यान्ह भोजन की जो व्यवस्था है वह मध्यान्ह भोजन सफलतापूर्वक संचालित कर रहे हैं. अध्यक्ष महोदय, एक दूसरा विभाग जो खास चर्चा होती है, सहकारिता विभाग, जैसा अभी मैंने कहा कृषि कर्मण अवार्ड मिलने के कारण से या इसके पीछे बहुत से कारण थे. एक बार जो हमारा जल संसाधन विभाग है, उसका भी बहुत बड़ी भूमिका थी, सिंचाई का हमारा जो रकवा है वह 6 गुना बढ़ गया, हमारा ऊर्जा विभाग है उसकी बड़ी भूमिका थी, बिजली का उत्पादन हमारा 6 गुना बढ़ गया लेकिन अध्यक्ष महोदय, जब तक किसान के लिये कम ब्याज पर ऋण न मिले, या बिना ब्याज पर ऋण न मिले, मानकर चलता हूं कि किसान की प्रगति नहीं हो सकती. मुझे अच्छी तरह से याद है, विधायक जी डॉक्टर साहब चर्चा कर रहे थे, भूमि विकास बैंक की, भूमि विकास बैंक के बारे में सभी को जानकारी है, 20 साल पहले जब कृषि ग्रामीण विकास बैंक से ऋण दिया जाता था, 18 प्रतिशत ब्याज पर ऋण दिया जाता था, और क्युमेलेटिव इंट्रेस्ट जो जुड़ता था वह जो 24,25, 30 प्रतिशत तक हो जाता था. मुझे स्मरण है कि 10 एकड़ जमीन भी अगर कोई व्यक्ति बंधक रखता था और 25-30 हजार का ऋण अगर ले लेता था तो उसका ऋण कभी चुकता नहीं था, वह जमीन पूरी की पूरी उस किसान की नीलाम हो जाया करती थी, लेकिन आज किसानों के दिन फिरे हैं, आज बहूरे हैं दिन अध्यक्ष महोदय और इस कारण से मुझे कहते हुये खुशी है कि आज मध्यप्रदेश सरकार या हमारी योजनायें कुआं खोदकर दे रही हैं. 20 हजार रूपये का हम पम्प दे रहे हैं उन्हीं कपिलधारा के कुंओं पर चलाने के लिये, बिजली का ले लो चाहे डीजल पम्प ले लो. इस तरह से यह गुलामी से जो मुक्ति हुई किसान की, यह जमीनें बंधक रखी जाती थीं, जो कर्जदार हो जाता था, जो बार-बार चर्चा होती थी आत्महत्या की, मैं तो यह कहना चाहता हूं कि इसके कारण से बहुत बड़ी संख्या में इस प्रकार की घटनायें रूकी हैं. अध्यक्ष महोदय, आज किसान कर्जदार नहीं है और कहते हुये खुशी है कि पहले 7 प्रतिशत फिर 5 प्रतिशत फिर 3 प्रतिशत अब जीरो प्रतिशत ब्याज पर किसान के लिये मध्यप्रदेश की सरकार ऋण दे रही है, हमारे बैंक ऋण दे रहे हैं और बैंकों की जो उसकी घाटापूर्ति है वह मध्यप्रदेश की सरकार के द्वारा हमारे बैंकों के लिये की जा रही है, समितियों के लिये की जा रही है और अब तो एक नई योजना अध्यक्ष महोदय मध्यप्रदेश में जो अभिनव योजना है, भारत में शायद कहीं नहीं होगी कि 10 हजार का ऋण लो इनपुट पर चाहे वह खाद हो चाहे बीज हो चाहे कोई भी चीज हो और 10 हजार के बदले 9 हजार रूपये वापस करो, ऐसी योजना शायद मध्यप्रदेश के अलावा हिंदुस्तान के किसी सूबे में, दुनिया में नहीं हो सकती. ब्याज भी माफ औरउसके अलावा मूल में भी 10 प्रतिशत की छूट. मैं मानकर चलता हूं कि यदि आपकी सरकार में ऐसा आप कर लेते तो जैसा कहा है यहां बैठे, वहां बैठे ऐसी शायद स्थितियां नहीं आ पातीं, लेकिन जहां तक एलडीवी के मर्जर की बात कही, हम लोगों ने केबीनेट में उसका प्रस्ताव कर लिया है उसके जितने भी कर्मचारी हैं, वह सारे के सारे हमारे जिला सहकारी बैंकों में, जैसा कि आइल फेड के कर्मचारियों के बारे में तय हुआ, जिला सहकारी बैंकों में या अन्य जहां-जहां उनकी उपयोगिता होगी, जितना उनकी जरूरत होगी उसके हिसाब से हम सारे कर्मचारियों को एकोमडेट करेंगे, पिछले महीने की उनकी जो तनख्वाह है उसके बारे में भी हमें चिंता है, उसकी भी हम शीघ्रतिशीघ्र दिलाने की व्यवस्था करेंगे.
अध्यक्ष महोदय वर्ष 2003-04 में कुल 1273 करोड़ रूपये फसल पर ऋण उपलब्ध कराया था, बताना चाहता हूं अध्यक्ष महोदय, इस साल हमने 11627 करोड़ रूपये का फसल ऋण वितरित किया है जो 10 गुना से अधिक है, यह एक उल्लेखनीय सफलता विभाग की है और इस साल हमारा जो लक्ष्य है 18 हजार करोड़ रूपये ऋण वितरण का वर्ष 2016-17 में हमने लक्ष्य रखा है, 1300 करोड़ रूपये का ऋण अभी हमारा रवी में भी वितरित करने का लक्ष्य है. किसान क्रेडिट कार्ड की संख्या वर्ष 2003-04 में कुल 19 लाख किसान क्रेडिट कार्ड जारी किये गये, वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 52 लाख 38 हजार हो गई है जो निश्चित रूप से उल्लेखनीय है.
श्री रामनिवास रावत (विजयपुर)-- यह तो उल्लेखनीय है पर किसान क्रेडिट कार्ड पर राशि नहीं मिल रही, मुरैना में कहीं नहीं मिल रही. अब आपकी मान रहे हैं आप पारित करा लो, बजट लेना है बस. ...(हंसी)
श्री मुकेश नायक (पवई)-- लोन वापिस करने की अंतिम तारीख सहकारी बैंक ने क्या रखी है, आपने जून तक रखी है न और जून तक जो किसान लोन जमा नहीं कर पाये उसको साढ़े 9 प्रतिशत ब्याज लगता है कि नहीं, यह मंत्री जी स्वीकार कर रहे हैं, एक चीज, दूसरी चीज मैं आपसे यह पूछना चाहता हूं, आपको मालूम है कि मध्यप्रदेश में ऐसे कितने किसान हैं, उनकी संख्या क्या है जो 31 जून तक यह राशि जमा नहीं कर पाते हैं, मालूम है आपको, मुझे मालूम है और आप यह कह रहे हैं कि सरकार, आपको पता है आप साढ़े 9 प्रतिशत ब्याज पर पैसा दे रहे हैं, आज ओडी गाड़ी, आज मर्सिडीज गाड़ी, ट्रेक्टर साढ़े 12 प्रतिशत ब्याज पर दे रहे हो.
श्री मनोज पटेल (देपालपुर)-- मुकेश भैया मैं आपकी जानकारी के लिये बता दूं जो जून में पैसा भरना रहता है वह सोयाबीन का रहता है.
श्री मुकेश नायक-- अरे आपको कुछ पता है नहीं और बेकार में खड़े हो गये और बेकार में बहस कर रहे हो.
अध्यक्ष महोदय-- बात आ गई आपकी.
श्री मनोज पटेल-- तो जानकारी निकलवाओ न.
श्री मुकेश नायक-- सदन में गलत जानकारी नहीं देना चाहिये. आप पूरा केटेगरीकली पूरा डिस्क्राइव करो, कितने समय तक आपको लोन देना है, कितने समय तक नहीं दे पाये तो यह ब्याज लगेगा, खरीफ की फसल की सीमा यह है.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें कृपया.
श्री गोपाल भार्गव-- मुकेश भाई आप गांव में तो रहते नहीं हो.
श्री मुकेश नायक-- अरे भइया गांव में ही रहते हैं. मेरा पूरा ग्रामीण क्षेत्र है जहां से मैं जनप्रतिनिधि हूं.
श्री गोपाल भार्गव-- क्षेत्र रहता होगा लेकिन आप रहते नहीं हो. .... (व्यवधान)
श्री बहादुर सिंह चौहान-- जो समय पर पैसा नहीं भरेगा उस पर तो ब्याज लगेगा.
श्री गोपाल भार्गव-- अध्यक्ष महोदय, आप अनंत काल तक ब्याज नहीं भरेंगे, कोई ऐसी अर्थव्यवस्था नहीं है दुनिया की .... .... (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें कृपया. मुकेश भाई आपकी बात आ गई.
श्री गोपाल भार्गव-- अरे मुकेश भाई आप क्या बात कर रहे हैं, आपने बेईमानों को, उद्योग पतियों को 4 लाख करोड़ रूपये का एलपीए करवा दिया आपने, चोरों के लिये, डांकुओं के लिये, पूंजी पतियों के लिये, आप क्या बात कर रहे हैं, आपकी सरकार में हुआ कि नहीं 4 लाख करोड़ रूपये का यह बड़े-बड़े शराब व्यवसायी, बड़े-बड़े किंगफिशर अब मैं नाम नहीं लेना चाहता. बड़े-बड़े लोगों को आपने खिलाया, आपके समय खाया, हम तो किसानों पर खर्च कर रहे हैं, आपको प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं है. यह एलपीए आपकी सरकार में बढ़ा या हमारी सरकार में बढ़ा?
डॉ गोविन्द सिंह-- मोदी सरकार ने अडानी को 16 हजार करोड़ रुपये का माफ किया है. (व्यवधान)
एक माननीय सदस्य-- ड्यू और ओव्हर ड्यू में होता ही है. कमर्शियल में भी होता है. (व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय-- कृपया बैठ जायें.
श्री मुकेश नायक--अध्यक्षजी, मंत्रीजी थोड़ा असंयत हो गये. वे विनम्रता पूर्वक दो लाईन का जवाब दे सकते थे. वे कहां की चर्चा करने लगे. अप्रासंगिक है. सहकारी बैंक के बारे में बात हैं और जब आप उत्तर दे रहे हैं और उसी से संबंधित कोई बात आपसे पूछी है तो उसमें इतना असंयत होने की क्या आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय--बैठ जायें. यहां कोई डिस्कसन नहीं हो रहा है.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय,क्या यह बात असत्य है कि हम 6 महीने में लोगों को यह सुविधा देते हैं कि जब खरीफ की फसल आ जाये तो इस तारीख को आप जमा करना. जब रबी की फसल आ जाये तो इस तारीख को जमा कर देना. इस बीच में हम कोई ब्याज नहीं लेंगे. क्या यह असत्य है कि हम 10 हजार रुपये का ऋण देकर 9 हजार मूल में वापस ले रहे हैं और हम एक हजार रुपये छोड़ रहे हैं. आप इस बात को क्यों घुमा रहे हैं. क्या यह बात असत्य है कि आपकी सरकार के समय कृषि ग्रामीण विकास बैंक में या जो सहकारी बैंक थे उसमें 18 से 20 प्रतिशत तक ब्याज लिया जाता था. चक्रवृद्धि ब्याज जब हो जाता था तो वह 24-25 प्रतिशत तक हो जाता था.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- मंत्रीजी, जब फसल ही नहीं आयेगी तो किसान समय पर कहां से दे देगा. जब ओलावृष्टि में, अतिवृष्टि में फसल नष्ट हो गई तो कहां से पैसा देगा.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जाओ. बार बार उठना ठीक नहीं है.
श्रीमती ऊषा चौधरी-- मैं सत्य बोलती हूं तो बोलते हैं बैठ जाऊं.(हंसी)
श्री गोपाल भार्गव‑-अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश को जो कृषि कर्मण अवार्ड मिला, उसके पीछे कृषि विभाग, सहकारिता विभाग और हमारे अन्य विभागों की भी काफी हिस्सेदारी रही.
श्री रामनिवास रावत--लेकिन अवार्ड लेने आपको साथ में तो लेकर जाते ही नहीं है. हाथ आपका और साथ में नहीं ले जाते. अन्याय है.
श्री गोपाल भार्गव-- जाने का शौक भी नहीं है. अध्यक्ष महोदय, जहां तक बीज उत्पादन का सवाल है. हमारे प्रदेश का जो सीड फेडरेशन है जिसका गठन मैंने किया था जब मैं 2004 में प्रारंभ में सहकारिता मंत्री था. सीड फेडरेशन का गठन सिर्फ इस बात को देखते हुए किया था कि म.प्र. में प्रमाणित बीज की इतनी उत्पादकता नहीं है या उतना प्रमाणित बीज नहीं मिल पा रहा है. खासतौर से जो हमारा बीज और फार्म विकास निगम था, उसके माध्यम से मिलता था फिर हम लोगों ने बैठकर यह तैयारी की थी कि हम सीड फेडरेशन का गठन करें. मुझे कहते हुए खुशी है कि वह सीड फेडरेशन आज प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे हिंदुस्तान के किसानों के लिए सोयाबीन से लेकर दूसरे प्रकार के प्रमाणित बीजों का वितरण/विक्रय कर रहा है. उसका जो भी लाभांश/फायदा है वह हमारे बीज उत्पादक सहकारी समितियां हैं, उनको जा रहा है.
श्री मुकेश नायक-- अध्यक्ष महोदय, समय बढ़ा दें.
अध्यक्ष महोदय-- समय बढ़ा दिया था. कार्यमंत्रणा समिति में यह तय हो चुका था कि बजट सत्र में 8 तारीख से 17 तारीख तक 7 बजे तक विधानसभा होगी. भोजन अवकाश नहीं होने और 7 बजे तक कार्यवाही चलने का वह प्रस्ताव सदन से स्वीकृत है.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, 6 बजे तक कर दें. संसदीय मंत्रीजी,लंच भी ब्रेक कर रहे हैं तो 6 बजे तक कर लें.
संसदीय कार्य मंत्री(डॉ नरोत्तम मिश्र)-- गृह विभाग की मांगे पूरी होने तक कर दें.
श्री रामनिवास रावत-- गृह विभाग इतना बड़ा विभाग है.
अध्यक्षीय घोषणा
माननीय सदस्यों के स्वल्पाहार विषयक.
अध्यक्ष महोदय-- बैठ जायें. माननीय सदस्यों के लिए स्वल्पाहार की व्यवस्था सदन की लॉबी में की गई है. माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि सुविधानुसार स्वल्पाहार ग्रहण करने का कष्ट करें और सात बजे तक बैठें.
श्री रामनिवास रावत-- जो अंत्व करे वो?
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्रीजी कितना समय लेंगे?
श्री गोपाल भार्गव-- 10 मिनट लूंगा.
श्री बहादुर सिंह चौहान--अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण विकास विभाग की ओर से कस्बा झारड़ा, तहसील महिदपुर में नवीन बस स्टेंड को सर्व सुविधा युक्त बनाये जाने और रोड़ बनाने के संबंध में निवेदन किया था. कृपया मंत्रीजी उसकी घोषणा कर दें.
श्री रामनिवास रावत--अध्यक्ष महोदय, मैं कोई बहस नहीं करता. मैंने जो ध्यान आकर्षित किया था उसको जरुर दिखवा लें कि कई बैंकें ऐसी हैं जहां किसान द्वारा समय सीमा में ऋण वापस किये जाने बाद पुनः ऋण नहीं दे रही है. पता नहीं क्या आर्थिक स्थिति खराब है या क्या कारण है यह मेरी समझ से बाहर है. इसको दिखवा लें.
श्री गोपाल भार्गव--अध्यक्ष महोदय, मुरैना जिला सहकारी बैंक में यह समस्या हो सकती है. मैं आज ही इसका परीक्षण करके,प्रयास यह करुंगा कि इस प्रकार की स्थिति न आये. अध्यक्ष महोदय, जिन माननीय सदस्यों ने भले ही वह इस पक्ष के हों, या उस पक्ष के हों, अपने भाषण में जो जो बातें नोट करवायी हैं, पूरा परीक्षण करके, उनके लिए राशि की व्यवस्था करने का यथासंभव प्रयास करुंगा.
अध्यक्ष महोदय, आज मध्यप्रदेश कृषि में हिंदुस्तान में एक नंबर का राज्य है. इसमें सबसे बड़ी भूमिका हमारे उपार्जन की है. हमने पिछले सालों में जो बखूबी,सटीक और अचूक उपार्जन किया है, इसके कारण 2015-16 में 2.43 करोड़ किसानों से 12.65 लाख मीट्रिक टन धान का जो समर्थन मूल्य था, उस पर उपार्जन हुआ. और 45 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन हुआ, जो हिंदुस्तान में एक रिकार्ड है कि इतना उपार्जन किसी सहकारी एजेन्सी के माध्यम से आज तक देश में कभी नहीं हुआ.
अध्यक्ष महोदय, फर्टिलाईजर की बात करना चाहता हूं. आज पूरे देश में फर्टिलाईजर की त्राहि-त्राहि मची हुई है. हमारे विपक्ष के लोग भी ईमानदारी के साथ इस बात को स्वीकार करेंगे कि हमने, हमारे प्रदेश में इस साल एडवांस भण्डारण करके रखा था. इसके बाद मुख्यमंत्रीजी ने भारत सरकार के फर्टिलाईजर मिनिस्ट्री से, रेल्वे मिनिस्ट्री से लगातार चर्चा की. मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हम फर्टिलाईजर के मामले में भी पूरी तरह से किसानों को देने में सफल रहे. अध्यक्ष महोदय, 25.50 मीट्रिक टन फर्टिलाईजर हमने किसानों को प्रदाय किया.
अध्यक्ष महोदय, जिला सहकारी बैंकों में भर्ती का जहां तक सवाल आया. हम नहीं चाहते थे कि राज्य की किसी एजेन्सी से उसकी भर्ती करायें तो भारत सरकार का जो बैंकिंग भर्ती बोर्ड है उसके लिए हम सभी लोगों ने तैयारी कर ली है और भारत सरकार बैंकिंग भर्ती बोर्ड के माध्यम से लगभग 2 हजार से ज्यादा पद विज्ञापित कर दिये गये उनमें शीघ्रातिशीघ्र भर्ती हो जायेगी और मध्यप्रदेश के सभी 38 जिला सहकारी बैंकों के लिए अच्छे से अच्छे प्रोफेशनल्स, अच्छे से अच्छे अधिकारी उपलब्ध हो जायेंगे. नीचे के कर्मचारियों की जो भी नियुक्ति होगी, उसके लिए हमारे पंजीयक विभाग अलग से नियम बना लेंगे. अध्यक्षजी, हम चाहते थे कि कारपोरेट कल्चर, व्यावसायिक मानसिकता के साथ जैसे बड़े बड़े बैंक ICICI या HDFC चलते हैं, हमारी इच्छा थी कि इसी तरह से हमारे जिले के सहकारी बैंक भी चलें. निश्चित रुप से जैसे ही नियुक्तियां हो जायेंगी, जैसा मुझे विश्वास है क्योंकि हमारे पास ब्रांच मैंनेजरों की भी कमी है. यह बात सही है कि आधी शाखाओं में ब्रांच मैंनेजर्स नहीं हैं. किसी भी तरह से किसी को प्रभार देकर चलाया जा रहा है इस कारण से कहीं न कहीं गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही हैं. हम इन सुराखों को भरने,ढंकने की कोशिश कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, जहां जहां गड़ब़ड़ियां हो रही है, लगातार प्रभावी कार्यवाहियां हम लोग कर रहे हैं. बाला बच्चन जी चले गये. जब राज्यपाल के अभिभाषण पर उनका भाषण हो रहा था तो उन्होंने 3-4 जिलों से संबंधित बातें कहीं थीं. LDB के संबंध में मैं बता चुका हूं. उन्होंने रीवा के सहकारी बैंक के संबंध में बात कही थी. यह बात सही है कि रीवा जिले की जिला सहकारी बैंक की डबौरा शाखा है, उसमें 16.14 करोड़ रुपये की धनराशि का गबन पाया गया था. मैंने तुरंत कलेक्टर, एसपी को बैंक का प्रभार सौंप कर, वहां पर एक अधिकारी बैठाकर पूरी की पूरी राशि की रिकवरी करने का काम शुरु किया. मैंने लिखित में भी दिया. बार बार स्मरण पत्र भी भेजे. मुझे आज यह कहते हुए खुशी है कि इसमें से लगभग 13 करोड़ रुपये की राशि या तो हमने जब्त कर ली या अटैच कर ली गई है. मैं बताना चाहता हूं कि एक पैसा भी सहकारिता का, सहकारी बैंकों का, या सोसायटियों का हमारी सरकार गबन नहीं होने देगी चाहे किसी को भी हमें जेल भेजना पड़े. उसमें पुलिस के कुछ अधिकारी भी जेल गये, और भी अधिकारी जेल गये और किसी को भी जेल भेजने की आवश्यकता होगी तो उसकी एफआईआर करेंगे, यह जनधन है. हम इसका दुरुपयोग नहीं होने देंगे. एक वेयर हाऊस में रसीदों में मंदसौर में गड़बड़ी हुई थी, उसके अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई, उनकी भी प्रापर्टी अटैच की गई. उनको भी जेल भेजा गया है.
अध्यक्ष महोदय, होशंगाबाद की हरदा शाखा में 2 करोड़ 77 लाख रुपए की गड़बड़ी हुई थी, इसमें आपराधिक प्रकरण दर्ज करके उत्तरदायी अधिकारी कर्मचारियों को निलंबित किया गया है. उनसे राशि वसूल कर ली गई है. पूरी राशि जमा हो गई है. न्यायालय में चालान भी पेश हो गया है.
अध्यक्ष महोदय, सीधी में ट्रैक्टरों की बात आई थी कि फर्जी ट्रैक्टर फाइनेंस हुए थे, इसमें मैंने कलेक्टर को सीधी बैंक का प्रभार दिया. वहां पर पुलिस अधीक्षक से भी बात की और लगभग 250 ट्रैक्टर या अन्य वाहन में अनियमितताएं थीं. उनको हमने अटैच कर लिया है. इसके बाद में जो भी कर्मचारी इसके लिए दोषी थे, उनके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण दर्ज किये हैं. नौकरी तो उनकी चली गई, लेकिन उनके विरुद्ध आपराधिक प्रकरण भी कायम करके आज वे सभी लोग जेल में हैं. सीहोर की आष्टा शाखा में भी कुछ गड़बड़ी हुई थी, राशि दी गई लेकिन बैंक में जमा नहीं कराई गई. मुख्य आरोपी द्वारा आत्महत्या कर ली गई. लेकिन अन्य कर्मचारी जो उत्तरदायी थे, उनकी प्रापर्टी के अटैचमेंट की कार्यवाही की गई है और अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की गई है. खरगौन में, प्रभारी नेता जी नहीं हैं, खरगौन बैंक की उन्होंने चर्चा की थी, वे स्वयं अपने उत्तर में कह रहे थे कि आपने बहुत प्रभावी कार्यवाही की है तो मैं चाहता हूं कि जहां सही काम हो, वहां कम से कम यह कहा जाय कि वास्तव में सख्ती हुई है. निश्चित रूप से इससे हमारे अधिकारियों का भी मनोबल बढ़ता है जो भी रायसेन में गड़बड़ी हुई थी, उसमें भी इसी प्रकार से अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करके उनको जेल भेज दिया गया.
अध्यक्ष महोदय, कोई भी ऐसा जिला बैंक या ऐसी कोई समिति नहीं है, जिसने गड़बड़ी की हो और उसके विरुद्ध हमने इस कार्यकाल में प्रभावी कार्यवाही नहीं की हो. हमने जो बोर्ड के सदस्य थे, जो समय पर भुगतान नहीं कर रहे थे, ऐसे 2500 संचालक मंडल के सदस्यों के विरुद्ध भी उनको पद से हटाने की कार्यवाही की है कि नहीं, आप यदि सदस्य भी होगे तो भी आपको पैसा भरना पड़ेगा. अन्यथा आपके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी. उपार्जन में भी जो गड़बड़ी होती थी, उनके विरुद्ध भी जहां जहां उत्तरदायी थे, सब पर कार्यवाही की गई.
अंत मैं यह हमारा जो सामाजिक विभाग का निःशक्तजन है. जिन्हें हमारे प्रधानमंत्री जी ने दिव्यांग का नाम दिया है. मुझे यह कहते हुए खुशी है कि वर्ष 2011 से हम इस पर अभियान चला रहा हैं. जिले जिले में, ब्लाक स्तर पर, तहसील स्तर पर उसमें 8 लाख से अधिक निःशक्तजनों का आडेंटिफीकेशन हुआ और उनका डाटा तैयार करके उनका डिजिटाईजेशन हुआ. मुझे यह कहते हुए खुशी है कि हिन्दुस्तान में मध्यप्रदेश पहला ऐसा राज्य है और एकमात्र ऐसा राज्य है जहां निःशक्तजनों का डाटा तैयार करके उसका डिजिटाईजेशन किया गया है. मैं मानकर चलता हूं कि यह बहुत ही बड़ी उपलब्धि इस विभाग के लिए है. निःशक्तजन विवाह प्रोत्साहन हेतु हम लोग दंपत्ति में से किसी एक के निःशक्तजन होने पर 50000 रुपए देते हैं. हमारे खंडेलवाल जी बता रहे थे कि उन्होंने बैतूल में जोड़ों की शादी की है. निश्चित रूप से यह बड़ा स्तुत्य प्रयास है, जो जीवन से निराश हो चुके हैं, जो जीवन से हताश हो चुके हैं, जिनके जीवन में आशा की रोशनी नहीं थी, उनकी यदि हम शादी करवा दें तो निश्चित रूप से अध्यक्ष महोदय, इससे उन्हें जीने की राह मिलती है. एक प्रकाश की किरण उनके जीवन में आती है. बाकी पिछले साल भी काफी निःशक्तजनों की शादियां हुईं. सरकार ने इन सबको प्रोत्साहन दिया ताकि वे किसी प्रकार का गलत कदम न उठाएं. उनके जीवन में रोशनी डालने के लिए, उनमें साहस लाने के लिए और भविष्य की उम्मीद पैदा करने के लिए 50000 रुपए की राशि एक निःशक्त के लिए और यदि दोनों निःशक्त हैं तो उनके लिए 1 लाख रुपए की राशि, इंटरकॉस्ट मैरिज यदि है तो निश्चित रूप से उसमें 2 लाख रुपए की राशि का हमने प्रावधान किया है. इस तरह से 7037 निःशक्तजनों की अभी तक शादी संपन्न हो चुकी है.
अध्यक्ष महोदय, मुझे यह कहते हुए खुशी है कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के अंतर्गत अभी तक मध्यप्रदेश में 553994 शादियां हो चुकी हैं. (मेजों की थपथपाहट)..यह अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. मुझे यह कहते हुए खुशी है कि जो हमारा समग्र पोर्टल तैयार हुआ है, जो आर्थिक गड़बड़ियां होती थीं, इससे हमें काफी मदद मिली है. आर्थिक गड़बड़ियों को रोकने में हम काफी सक्षम हुए हैं और निःशक्तजनों के लिए कौशल उन्नयन के लिए काफी योजनाएं विभाग चला रहा है. बीएड, डीएड, श्रवण बाधितों को करवाने की व्यवस्था की है, इसके लिए हमने 1000 का लक्ष्य रखा है. इसमें 8 करोड़ 84 लाख रुपए का प्रावधान रखा है तो निःशक्तजन पढ़े, लिखें, आगे बढ़ें. अभी हमसे कुछ दिन पहले निःशक्तजन मिले थे, वह जो चाहते थे कि नौकरियों में प्राथमिकता हो तो मुझे यह बताते हुए खुशी है कि 1000 से ऊपर निःशक्तजन इस साल तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की जो नौकरियां हैं, उनमें भर्ती हुए हैं. जैसे जैसे पात्रता परीक्षण होता जा रहा है, हम भर्तियां करते जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, अंत में, मैं यही कहना चाहूंगा कि चाहे सहकारिता का क्षेत्र हो, चाहे पंचायत के ग्रामीण विकास विभाग के विकास कार्यों का, चाहे सेवा कार्यों का क्षेत्र हो, और चाहे वह गरीबों के कल्याण की सेवा का काम हो, निःशक्तजनों की सेवा काम हो, विभाग बखूबी अपना काम कर रहा है. मैं चाहता हूं कि सर्वसम्मति से इसे स्वीकार करके सदन इस पर मोहर लगाए. सभी के लिए धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत - पंचायत सचिवों, रोजगार सहायक और मनरेगा के कर्मचारियों की हड़ताल के बारे में तो कुछ आप बोले ही नहीं?
(2) मांग संख्या - 3 पुलिस
मांग संख्या - 4 गृह विभाग से संबंधित अन्य व्यय
मांग संख्या - 5 जेल
गृह मंत्री (श्री बाबूलाल गौर) - अध्यक्ष महोदय, मैं, राज्यपाल महोदय की सिफारिश के
उपस्थित सदस्यों के कटौती प्रस्ताव प्रस्तुत हुए.
अब मांगों और कटौती प्रस्ताव पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री मुकेश नायक ( पवई ) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, पुलिस गृह विभाग से संबंधित अन्य व्यय एवं जेल विभाग पर मैं इस सदन में चर्चा करना चाहता हूं और चर्चा करते समय मैं बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मैं किसी पक्ष या विपक्ष के सदस्य की हैसियत से इस विषय पर नहीं बोल रहाहूं. एक सामान्य नागरिक की हैसियत से मैं मध्यप्रदेश की कानून व्यवस्था पुलिसिंग इसके पूरे प्रशासनिक कौशल दिशा दर्शन नीति सिद्धांतऔर कार्यक्रमों को लेकर मैं जो अनुभव करता हूं उसके बारे में मैं यहां पर बात करना चाहता हूं.
माननीयअध्यक्ष महोदय बुनियादी तौर पर किसी भी राज्य में किसी भी सिस्टम में हमारी जो विकास की अवधारणा है आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, धार्मिक इन सभी विषयों को लेकर पूरे समाज की संरचना को लेकर उसके सहज प्रवाह को लेकर अगर कानून व्यवस्था सुरक्षा अनुशासन समन्वय समाज में है समाज अगर समृद्ध विविधता को स्वीकार करता है और उसके पीछे अगर सही कानून व्यवस्था का आधार मिलता है तो मुझे लगता है कि विकास का सही सही उपयोग कोई भी नागरिक अपने हित में और जीवनशैली में कर सकता है.
मैं यहां पर पुलिस के मार्डनाइजेशन को लेकर बात करना चाहता हूं. साइंटिफिक इंवेस्टिगेशन को लेकर पुलिस के प्रशिक्षण और उसके कौशल विकास को लेकर. मध्यप्रदेश में बड़े संयोग की बात है कि पिछले तीन डाटरेक्टर जनरल पुलिस की मैं बात करना चाहूंगा. सुभाषचन्द्र त्रिपाठी, नंदन दुबे, अभी जो सुरेन्द्र सिंह जी प्रदेश के डायरेक्टर जनरल पुलिस हैं. यह संयोग है कि ये तीनों पुलिस अधिकारी ईमानदार सक्षम संवेदनशील और जनहित में काम करने वाले हैं. अगर इनको सही सपोर्ट मिल जाय, सही हस्तक्षेप हो अवांछनीय हस्तक्षेप न हो तो मैं यह उम्मीद करता हूं कि मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर जिस तरह की हम पुलिसिंग चाहते हैं, जिस तरह की क्षमताओं के साथ में हम सुरक्षा चाहते हैं. वह इस राज्य में संभव हो सकती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय जब हम मार्डनाइजेशन की बात करते हैं तो पुलिस को गतिशील होना चाहिए. उसका कमयूनिकेशन प्रापर होना चाहिए. उसकी कनेक्टिविटी प्रापर होना चाहिए. उसके इंफार्मेशन के स्त्रोत बहुत पुख्ता होना चाहिए और समाज के सभी वर्गों के साथ में समन्वय होना चाहिए, पुलिस का जो व्यवहार है, वह बेहद उदार और जनोन्मुखी होना चाहिए.
मैं यह कहना चाहता हूं कि इस समय पुलिस में बहुत सारी गाड़ियां आयी हैं. यह पूरा का पूरा कार्यक्रम थोड़ा महंगा है, लेकिन इसकी आलोचना इसलिए नहीं हो सकती कि इससे मध्यप्रदेश के नागरिकों को फायदा नहीं होगा, कुछ भी लग जाय कितना भी आर्थिक नियोजन करना पड़े, लेकिन अगर सिस्टम में सुधार आता है लोग सुरक्षा का अनुभव करते हैं तो इसको हम अतिरिक्त और आर्थिक बोझ नहीं मानते हैं. मैं यहां पर एक सुझाव देना चाहूंगा कि यूएसए का 911 सिस्टम है, पुलिसिंग का पहरेदारी का, गश्त लगाने का, इंफार्मेशन देने का अगर उसका अध्ययन करने के लिए राज्य का एक दल वहां जाय और उसके जीपीएस सिस्टम को, उसकी इंफार्मेशन टेक्नालाजी को उसकी कनेक्टिविटी को उसके लिंकेज को अगर ठीक तरीके से देखे, और उस साफ्टवेयर का उपयोग करें जिसका उपयोग वहां पर होता है तो इतने बड़े राज्य में वह बहुत उपयोगी होगा, हमारा राज्य क्षेत्रफल में बहुत पड़ा राज्य है. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जब संयुक्त राज्य हुआ करते थे तब यह भारत में क्षेत्रफल में सबसे बड़ा राज्य हुआ करता था. अकेला बस्तर केरल और हरियाणा से बड़ा है. केवल रायसेन जिले का क्षेत्रफल पूरे हरियाणा के बराबरहै और इतने बड़े राज्य में जब तक आपका कम्यूनिकेशन सिस्टम स्ट्रांग नहीं होगा, जब तक आपके पास में इक्यूपमेंट प्रापर नहीं होंगे तो आप पुलिसिंग नहीं कर सकते हैं. उ सका कारण है कि पुलिस का जो मनोवैज्ञानिक उपस्थिति पूरे राज्य में होना चाहिए, उसकी कमी के कारण अपराध बढ़ते हैं. एक अच्छा टीआई अगर किसी थाने में पहुंचे और उसके रूतबे का संदेश पूरे टाऊन में चला जाय और वह एक चौराहे पर मोटर सायकिल रखकर सो जाता है तो उ सकी मनोवैज्ञानिक उपस्थिति पूरे सिस्टम परबनी रहती है. इस साइक्लोजिकल प्रेजेंस का बहुत महत्व है पुलिसिंग में, सिस्टम में, पहरेदारी में इसके जरूरी है कि जब मार्डनाइजेशन की बात होती हैतो गृहमंत्री जी मुख्यमंत्री भी रहे हैं प्रदेश के वह अच्छा प्रभाव रखते हैं. वह अगर चाहें तो इसमें इस तरह के बजट आवंटन करा सकते हैं कि आपके आर्म्स बहुत अच्छे हों. अभी आपको पता होगा जो आपने बंदूकें पुलिस को दी हैं उससे गोली ही नहीं चलती है. जब टारगेट शूटिंग होती है जब चांदमारी होती है तो पता चला कि 30 प्रतिशत बंदूकें काम ही नहीं कर रही हैं. इ सलिए सबसे पहले आप अपने आधुनिक आर्म्स पर अपने बजट का नियोजन करें. पुलिस को अच्छा गाड़ियां दें हरेक गाड़ी में इस तरह से जीपीएस सिस्टम को लगायें ताकि पूरे राज्य के सिस्टम का आंकलन वहां से हो सके. अगर यूएसए में 911 गाड़ी में कोई भी पीड़ित आदमी फोन करता है तो उसके फोन पर ही उसकी लोकेशन मिल जाती है कि फोन कहां से आया है और केवल लोकेशन ही पता नहीं लगती है बल्कि जिस गाड़ी में फोन आया है उस गाड़ी से पास से पास जो पुलिसिंग सिस्टम है वहां पर मैसेज हो जाता है कि वहां पर एप्रोच करना है.इतने कम समय में अगर पुलिस घटना स्थल पर पहुंचे, सही तरीके से उसका अन्वेषण करे तो भविष्य में होने वाले अपराधों के प्रति व्यक्ति के मन में डर पैदा होता है.
दूसरी बात मैं यहां पर साइंटिफिक इंवेस्टीगेशन को लेकर कहना चाहता हूं. मध्यप्रदेश में फारेंसिक लैब कि आधुनिक लैब की बहुत कमी है अपराध विज्ञान की लैब नहीं है. चाहे वह फिर फिंगर प्रिंट को लेकर हो, चाहे बेलेस्टिक को लेकर हो, चाहे जले कटे पदार्थों को लेकर हो, चाहे बिसरा के परीक्षण को लेकर हो. एक ऐसा मसला यहां पर व्यापम के समय पर आया था कि उ स समय एक डीएनए परीक्षण की बात आयी तो गुजरात की एक लैब ने कह दिया कि हम 4.5 लाख रूपये इस परीक्षण के लेंगे तो वह परीक्षण ही नहीं हो पाया है. मैं माननीय गृह मंत्री जी से प्रार्थना करूंगा कि मध्यप्रदेश में बहुत शानदार अति आधुनिक वेल इक्यूप्ड स्कील्ड मेन पावर वाली अगर फारेंसिक लैब भोपाल में और अलग अलग रिजन में बनाते हैं तो मध्यप्रदेशमें अपराध की रोकथाम में लोगों को सजा देने में बहुत फायदा होगा. आपको बतायें कि 70 प्रतिशत अपराध करने वालों को सजा नहीं होती है. मैं अभी पूरे आंकड़े आपके सामने लाऊंगा. अपराधियों के बच जाने का कारण है कि खुले घटनास्थल और बंद घटनास्थल में जो भौतिक साक्ष्य मिलते हैं, चाहे वह किसी का बाल मिल जाय, चाहे नाखून में खून के निशान मिल जायें, चाहे फिंगर प्रिंट मिल जायें, चाहे घटना स्थल पर दूसरे भौतिक साक्ष्य मिल जायें लेकिन आपके पास में उन्नत लैब न होने के कारण आप यह सिद्ध नहीं कर पाते हैं कि यह फलाना व्यक्ति है जो कि अपराध के मूल में है जो कि जिम्मेदार है इसके लिए. सागर में आपकी फारेंसिक लैब है उसमें बेलेस्टिक का परीक्षण होताहै, फिंगर प्रिंट का परिक्षण होता है. देखिये अपराध विज्ञान में जो अंगुली चिन्ह हैं उनका बेहद महत्व है , क्योकि संसार में कभी भी किन्हीं दो व्यक्तियों के फिंगर प्रिंट मेल नहीं खाते हैं. जुड़वा बच्चों के भी फिंगर प्रिंट अलग अलग होते हैं. अमेरिका में अपराध करने वाले का अगर एक बाल भी मिल जाय तो उनके पास में इतनी उन्नत लैब है कि उससे डीएनए का परीक्षण हो जाता है वह बताते हैं कि वह किस व्यक्ति का बाल है और सजा हो जाती है. भारतवर्ष में जब तक आप साइंटिफिक इंवेस्टीगेशन को वैज्ञानिक आधार पर जो अनुसंधान होते हैं उनको महत्व नहीं देंगे. तब तक ज्यादा से ज्यादा लोगों को आप सजा नहीं दे पायेंगे. इसलिए मेरी प्रार्थना है कि आपकी जितनी भी लैबहैं उनको आप विश्व स्तर की बनायें ताकि इतनी बड़ी आबादी में होने वाले अपराधों की रोकथाम की जा सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय मध्यप्रदेश में जो संवेदनशील जगह हैं जो भी हैं. उनको आपको एक जीपीएस सिस्टम से जोड़ना चाहिए औरवहां पर आपको क्लोज सर्किट टीवी लगाना चाहिए. वहां पर अच्छे उन्नत शैली के कैमरे लगाना चाहिए. मैं आज से 7 - 8 साल पहले भोपाल के कण्ट्रोल रूम में जब गया तो मुझे हंसी आयी मैने चार बार पूरे विश्व का भ्रमण किया है. चूंकि मेरे अंदर एक उत्सुकता है सिस्टम को जानने की चीजों को समझने की तो बड़े बड़े देशों में जाकर वहां की कार्यप्रणाली हम देखते हैं और अपने देश की कार्य प्रणाली हम देखते हैं तो बहुत तकलीफ होती है. तकलीफ इसलिए होती है कि भारत वर्ष दिमाग के मामले में अनुसंधान की प्रवृत्ति और स्किल के मामले में दुनियां के किसी भी देश से कमजोर नहीं है लेकिन यहां के कण्ट्रोल रूम में जब हम गये तो एक फोन था, एक बेचारा दीन हीन अटैच सिपाही उसमें बैठा हुआ था, चार पांच कुर्सी वहां पर रखी थीं, उस पर बैठो तो कहो कि कुर्सी काट खाये. आप किस तरह का सिस्टम ला रहे हो ? आपका कंट्रोल रूम मध्यप्रदेश का ऐसा होना चाहिए कि जिसमें एलसीडी प्रोजेक्टर्स लगे हों और मध्यप्रदेश के जितने भी संवेदनशील इलाके हैं उनसे वे एलसीडी प्रोजेक्टर्स जुड़े हुए हों, उनकी इंटरलिंकिंग हो, कनेक्टिविटी हो, ऐसे साफ्टवेयर आ गए हैं. अगर आपको साफ्टवेयर की जानकारी चाहिए तो मैं आपको दे सकता हूँ. जब यहां भोपाल में बैठकर आप दमोह के या जबलपुर के रेस्टारेंट में यह देख सकते हैं, मॉनिटरिंग कर सकते हैं कि कौन क्या खा रहा है तो क्या आप मध्यप्रदेश के सारे संवेदनशील इलाकों में क्लोज सर्किट टेलीविजन लगाकर उसको अपने कंट्रोल रूम से मॉनिटर नहीं कर सकते हैं ? आपको यह करना चाहिए और इस पर आपको पैसे देने चाहिए, इस पर आपको बजट खर्च करना चाहिए ताकि पुलिस की मनोवैज्ञानिक उपस्थिति सिस्टम पर बने और पुलिस की इनफार्मेशन और पुलिस की जानकारी को दुरुस्त किया जा सके.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पुलिस में जो चार-पांच महकमे हैं इनके बारे में मैं आपसे दो मिनट बात करना चाहूंगा. पुलिस का जो इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट है, लोकायुक्त में जो पुलिस का अमला है, आर्थिक अपराध अनुसंधान डिपार्टमेंट में जो पुलिस का अमला है और जो होमगार्ड में पुलिस का अमला है इसको जब तक अलग-अलग कैडर में तब्दील नहीं करेंगे और सुरक्षा में लगे हुए जो कर्मचारी हैं. मुझे अभी अच्छा लगा कि मध्यप्रदेश के पुलिस विभाग ने जो व्यक्तियों की सुरक्षा में लगे हुए सुरक्षाकर्मी हैं उनके लिए एक सिस्टम डेव्लप किया है, उनके ट्रेनिंग पार्ट को मजबूत किया गया है और उनको दूसरे कामों से हटाकर उसी काम में लगाया गया है ताकि पूरी दक्षता से वे अपने उस काम में फोकस रह सकें और काम कर सकें. लेकिन अभी आप किसी को डिस्ट्रिक्ट फोर्स से लोकायुक्त में भेज दें या आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग में भेज दें तो वह अपने आपको एक लूपलाइन में पड़ा हुआ समझता है. किसी को स्पेशल ब्रांच में भेज दें किसी को पीएचक्यू में अटैच कर दें तो सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि पुलिस की हाऊसिंग की व्यवस्था बहुत कमजोर है. आज सिपाही अल्प वेतन भोगी है, हवलदार अल्प वेतन भोगी है, यह तो बहुत अच्छी बात है कि माननीय नंदन दुबे के जमाने में जो आईपीएस के नीचे का पुलिस का कैडर है उसके प्रमोशन के लिए एक सिस्टम उन्होंने शुरू किया और जल्दी-जल्दी उन्होंने पदोन्नतियां दीं नहीं तो सिपाही हवलदार नहीं बन पाता था, एसआई भी टीआई नहीं बन पाता था और रिटायर हो जाता था, इसी तरह टीआई कभी डीएसपी नहीं बन पाता था और सेवानिवृत्त हो जाता था. आपको प्रमोशन के चैनल को दुरुस्त करना चाहिए क्योंकि उससे अधिकारियों को प्रोत्साहन मिलता है, समय पर पदोन्नतियां होनी चाहिए, काम करने के अवसर मिलने चाहिए, अपनी प्रतिभा को दिखाने का मौका मिलना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरी बात यह है कि भोपाल में जो पुलिस वाले अटैच हैं जो ऑफिसर अटैच हैं या जिलों में जो सिपाही गांवों से आकर भर्ती हो गए हैं उनके रहने की क्या व्यवस्था है ? भोपाल में एक कमरे का घर पांच हजार रुपये में मिलता है अगर अच्छे से रहना हो तो, अगर वह पांच हजार रुपये का घर लेगा, दो हजार रुपये दूध-सब्जी में खर्च कर देगा, पांच सौ रुपये बिजली का बिल देगा, एक हजार रुपये बच्चे की फीस देगा तो वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को, माननीय गृह मंत्री जी को और हम सब लोगों को इस बात को समझने की आवश्यकता है कि वह अपनी आर्थिक क्षमताओं से जूझेगा या सक्षमता के साथ काम करेगा ? आपने पिछली दफे कहा था कि आप पुलिस कर्मचारियों के लिए पांच हजार आवासों का निर्माण करना चाहते हैं, आप करिए, सारे लोग आपकी मदद करेंगे, इस पर आप बजट में प्रावधान करिए, आपकी पुलिस हाऊसिंग सोसायटी है उसे पैसे दीजिए, उसको मजबूत करिए और जितने भी ऐसे कर्मचारी जो स्पेशल ब्रांच में हैं या लोकायुक्त के दफ्तर में हैं या आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग में हैं या होमगार्ड में हैं उन सबके लिए जब तक आप आवास उपलब्ध नहीं कराएंगे, खासतौर से सिपाही और हवलदार रैंक के कर्मचारियों को, तब तक उन्हें आप आर्थिक चिंताओं से मुक्त नहीं कर सकते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अब मैं मध्यप्रदेश के परफार्मेंस के ऊपर बात करूंगा. तमाम चीजों के बावजूद भी जिन बातों का मैंने इस सदन में जिक्र किया है उनमें कमी होने के कारण इतने शांतिप्रिय राज्य में अपराधों में बेहद बढ़ोत्तरी हुई है. हमारे पर्यटन स्थल, हमारे हाट-बाजार, हमारे भीड़ भरे इलाके, हमारे धर्मस्थलों में जाने में लोगों को असुरक्षा का अनुभव होता है. रतनगढ़ के मंदिर में क्या हुआ, भगदड़ से सैकड़ों लोग मर गए, पाण्डे कमीशन बना उसकी रिपोर्ट नहीं आई. दूसरी बार लोग मर गए फिर आपने कमीशन बना दिया लेकिन मुझे दु:ख के साथ सदन में कहना पड़ रहा है कि दोनों कमीशन जो इस सरकार ने बनाए उसकी रिपोर्ट सदन के पटल पर सरकार ने नहीं रखी. क्यों नहीं रखी, आप कमीशन बनाते क्यों हैं, आप एक रिटायर्ड जस्टिस को कमीशन का अध्यक्ष बनाकर कमीशन का काम दे देते हैं.
अध्यक्ष महोदय -- कृपया पांच मिनट में समाप्त करें.
श्री मुकेश नायक -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझे दस मिनट लगेंगे. 4 घंटे का समय है और मैं उसी अनुमान से बोल रहा हूँ.
श्री बाबूलाल गौर (गृह मंत्री) -- अध्यक्ष महोदय, दस मिनट बोलने दें, अच्छा बोल रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- दस मिनट बोलें.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में जो पुलिस की परफार्मेंस है, इसको लेकर मैं कुछ बातचीत करना चाहता हूँ. नेशनल क्राइम ब्रांच की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2014 में 5076 बलात्कार के केस दर्ज हुए, मध्यप्रदेश में 14 बलात्कार प्रतिदिन होते हैं. पूरे देश में 24206 बलात्कार हुए जिसमें से मध्यप्रदेश में 5076 बलात्कार हुए. पूरे भारत में मध्यप्रदेश राज्य बलात्कार में अव्वल नंबर पर है. आप कृषि में पहले नंबर की, दूसरे नंबर की बात करते हैं, आप फलां क्षेत्र में पहले-दूसरे नंबर की बात करते हैं, आज महिला दिवस है जरा इसकी भी बात कर लीजिए कि हमारे देश में हमारी माताएं, हमारी बहनें, हमारी महिलाएं सुरक्षित नहीं रहेंगी तो ऐसे विकास का क्या अर्थ है जो मानवीय गरिमा के पतन में जन्म लेता है. दूसरी चीज मैं यह कहना चाहता हूँ कि देश की आपराधिक राजधानी बने मध्यप्रदेश में उत्पीड़न के 19614 मामले हैं जिनमें सजा मात्र 6019 मामलों में है बाकी सब छूट गए. लज्जा भंग करने के, डोमेस्टिक वायलेंस के आपराधिक बल प्रयोग के मामले मध्यप्रदेश में 70020 दर्ज किए गए. मध्यप्रदेश में नाबालिकों के साथ आपराधिक वारदातें सबसे ज्यादा हैं पूरे भारतवर्ष में, शर्म आनी चाहिए और 4646 नाबालिग बच्चों के साथ वारदातें हुई हैं मध्यप्रदेश में और इसमें नाबालिग बालिकाओं के साथ 1071 बलात्कार हुए हैं यह रेश्यो पूरे भारत का 20 प्रतिशत है. आज हम महिला वर्ष मना रहे हैं और बड़े दु:ख के साथ मुझे सरकार से कहना पड़ रहा है कि पूरे भारतवर्ष में जो नाबालिगों के साथ बलात्कार हुए हैं उसका 20 प्रतिशत बलात्कार केवल मध्यप्रदेश में हुआ है. यह भारतवर्ष में सबसे ज्यादा है. मैं बच्चों पर होने वाले अत्याचार के आंकड़े आपको देना चाहता हूँ जो नेशनल क्राइम ब्रांच ने दिए हैं. दिल्ली में 258 बच्चों के साथ...
श्री गोपाल भार्गव, पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री-- मध्यप्रदेश में कोई भी छोटी-मोटी रिपोर्ट दर्ज की जाती हैं, इस बात को आपको स्वीकार करना चाहिए.
श्री मुकेश नायक -- आप रिपोर्ट लिख रहे हो तो क्या मध्यप्रदेश पर कृपा कर रहे हो, आप रिपोर्ट नहीं लिखोगे क्या.
श्री गोपाल भार्गव -- नहीं, कृपा नहीं कर रहे हैं आप उत्तर प्रदेश चले जाएं.
श्री मुकेश नायक -- हमें क्या लेना उत्तर प्रदेश से, हम मध्यप्रदेश की बात कर रहे हैं आप उत्तर प्रदेश की बात कर रहे हैं. हम कहते हैं कि मध्यप्रदेश में अपराध हैं तो आप कहते हैं कि उत्तरप्रदेश में इससे ज्यादा हैं. इसका क्या अर्थ है, मध्यप्रदेश के बजट पर चर्चा हो रही है, मध्यप्रदेश के प्रशासन पर चर्चा हो रही है, मध्यप्रदेश के परफार्मेंस पर बात हो रही है, मैं उसकी बात कर रहा हूँ. मुंबई में 85 और भोपाल में 77, माननीय गृह मंत्री जी आप भोपाल में रहते हैं, बहुत लंबा आपको संसदीय अनुभव है, बहुत वयोवृद्ध और बहुत अनुभवी नेता हैं, आपको अच्छा लगता है क्या.
डॉ. नरोत्तम मिश्र -- ये न कहें, वयोवृद्ध वाली बात, मुकेश भाई, ये आपत्तिजनक है, एक जगह आपत्ति है.
श्री मुकेश नायक -- उम्र ज्यों ही बढ़ती है दिल जवान होता है राज ये हसीं गजलें गौर साहब की टोपी में. ठीक कहा ना साहब, अब तो प्रसन्न हो गए आप.
श्री बाबूलाल गौर -- आप विषय पर बोलेंगे तो अच्छा रहेगा.
श्री मुकेश नायक -- अध्यक्ष महोदय, बच्चों के साथ अत्याचार के मामले में पूरे भारत में भोपाल तीसरे नंबर पर है. यह भोपाल भारत की सबसे खूबसूरत, सबसे अनुशासित और जलवायु के मामले में सबसे अच्छी राजधानी है पूरे भारत की और मैं यह कहना चाहता हूँ कि मैंने पूरी दुनिया के बड़े-बड़े शहर देखे हैं, मेरी दृष्टि में भोपाल माननीय गौर साहब, दुनिया का सबसे खूबसूरत शहर है. अगर यहां पहाड़ बचा लें आप, यहां की झीलें बचा लें आप और यहां का जो प्राकृतिक सौंदर्य है पेड़-पौधे हैं अगर इनको आप बचा लें तो इससे खूबसूरत शहर पूरी दुनिया में नहीं है. लेकिन इस खूबसूरती का क्या होगा जब अपराध में तीसरे नंबर पर है, बच्चों के अपराध में छठे नंबर पर है, बलात्कार में पहले नंबर पर है. हमने पहले ही कहा और सौंदर्य के हम भी कद्रदान हैं पर ऐसे सौंदर्य के नहीं जो मानवीय गरिमा के पतन में जन्म लेता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पूरे भारत वर्ष में 2851563 अपराध दर्ज हुए हैं जिसमें अकेले मध्यप्रदेश में 272423 अपराध दर्ज हुए हैं. मैं इस बात से सहमत हूँ, जैसा हमारे भाई गोपाल भार्गव जी ने कहा कि मध्यप्रदेश वह संवेदनशील राज्य है जो केस दर्ज करता है, यह बहुत अच्छी बात है. दूसरे राज्य एफआईआर दर्ज नहीं करें लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम इन अपराधों की रोकथाम न करें. हम भी ऐसा कर लें कि कोई बलात्कार का केस दर्ज करने आयें, चोरी का केस दर्ज करने आये, अपहरण का केस दर्ज करने आयें, क्या हम ऐसी पुलिस बनाना चाहते हैं कि हम उसकी एफआईआर दर्ज न करें. क्या हम ऐसी पुलिस का निर्माण करना चाहते हैं जो थानों में आम जनता, पीड़ित और शोषित लोगों से अच्छा व्यवहार नहीं करे. हम एक ऐसी पुलिस चाहते हैं कि जनता के साथ जिसकी सहिष्णुता हो, सद्भाव हो, संवाद हो, ठीक व्यवहार हो, पुलिस थानों में संरक्षण का अनुभव हो और पुलिस वाले पीड़ित व्यक्ति के साथ ऐसा व्यवहार करें ताकि पुलिस थानों से लोगों को डर न लगें और इसलिए यह आवश्यक है कि मध्यप्रदेश में पुलिस के माडर्नाइजेशन, साइंटिफिक इन्वेस्टीगेशन और पुलिस को वेल इक्यूप्ड करने की आवश्यकता है. अच्छे अधिकारियों को अच्छे स्थान पर रखने की आवश्यकता है, इस पर ध्यान देने की जरुरत है. मुझे उम्मीद है कि सही व्यक्ति को सही स्थान पर रखकर और जिन बातों को मैंने बताया है इसको अत्याधुनिक बनाकर हम मध्यप्रदेश की सुरक्षा कर सकते हैं और एक ऐसी पुलिस बना सकते हैं जिसके साथ मध्यप्रदेश के नागरिकों को सुरक्षा का अनुभव हो. माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया इसके लिए धन्यवाद.
श्री रामेश्वर शर्मा(हुजूर)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3,4 और 5 के समर्थन में यहां बोलने के लिए खड़ा हूँ. मध्यप्रदेश का राजनैतिक, सामाजिक और सौंदर्य के इतिहास की अभी सारी चर्चा हुई. दूसरे मध्यप्रदेश में यह भी तय हो गया कि मध्यप्रदेश के प्रशासक, मध्यप्रदेश के जननायक जब प्रशासक का चयन करते हैं तो वह भी ईमानदार करते हैं तो इस बात में तो मध्यप्रदेश की तारीफ हो ही चुकी है और मैं मुकेश नायक जी को धन्यवाद देता हूँ कि जब हमारा डीजीपी आनेस्ट है, जब हमारे अधिकारी आनेस्ट हैं तो व्यवस्था कहीं चरमरा नहीं सकती, व्यवस्था को कहीं कोई हाईजेक नहीं कर सकता. आज मध्यप्रदेश में हम यह नहीं कह सकते कि विभिन्नता में एकता और मध्यप्रदेश पुलिस की यह एक खास विशेषता है, हम मध्यप्रदेश की पुलिस को इस बात में भी देख सकते हैं कि आज मध्यप्रदेश के अन्दर, अगर दुनिया के देशों का आंकलन आपने किया, पूरे हिन्दुस्तान का आपने आंकलन किया, पड़ौसी राज्य से लेकर अगर आज मध्यप्रदेश को देखा जाए तो मध्यप्रदेश शांति का टापू है. चम्बल की धरती पर भी अब उद्योग लगेंगे तो यह मध्यप्रदेश की पुलिस के साहस के कारण लगेंगे क्योंकि डाकू मुक्त प्रदेश बना है. हमने डाकू मुक्त प्रदेश बनाया है इसके मैं मध्यप्रदेश की पुलिस को और मध्यप्रदेश के जननायक को आदरणीय शिवराज जी को और गौर जी को बधाई देता हूँ कि निर्णय लिया और पुलिस को यह कहा कि जो अपराधी हैं,अपराधी की जो सजा है उस सजा को देने के आप हकदार हैं, आपको कोई राजनैतिक हस्तक्षेप नहीं करेगा. उन अपराधियों को सजा दी गयी. आज हम डाकुओं से मुक्त प्रदेश हैं.आज अगर हम यह कहें कि आसपास के प्रदेशों में नक्सल बढ़ रहा है लेकिन हम साहस के साथ कह सकते हैं कि हमारे पुलिस के जवानों की वीरता के कारण कह सकते हैं, निडरता के कारण 24 घंटे लड़ रहे हैं, घर परिवार से दूर रह रहे हैं लेकिन मध्यप्रदेश को नक्सलवाद की छाया से मुक्त रखा है वह बधाई के पात्र हैं. इस बात के लिए भी हम उनको बधाई देते हैं कि उऩ्होंने अपने साहस और वीरता के कारण नक्सलवाद मध्यप्रदेश में नहीं पनपन दिया. मध्यप्रदेश में कुछ तथाकथित लोग जेहादी आतंकवाद को भी बढ़ावा देना चाह रहे थे लेकिन पुलिस इस बात के लिए भी बधाई की पात्र है कि मध्यप्रदेश की धरती पर जेहादी आतंकवाद न पनपा और न पनपने दिया जाएगा, इस बात के लिए भी बधाई के पात्र हैं. मैं बधाई देता हूँ मध्यप्रदेश के उन पुलिस कर्मियों को जिन्होंने साहस और वीरता के साथ सिमी जैसे आतंकवादी संगठन को नेस्तनाबूत मध्यप्रदेश की धरती पर किया, इसके लिए भी वे बधाई के पात्र हैं. आज मध्यप्रदेश को इस बात में भी आंका जा सकता है, हमारे आदरणीय मुकेश नायक जी बोल रहे थे कि मध्यप्रदेश की पुलिस के पास आवास 50 साल में मात्र 25 हजार आवास थे, मैं धन्यवाद देता हूँ आदरणीय गौर जी आपको और मुख्यमंत्री जी को कि इन 12-13 साल में आपने 10 हजार नये आवास बनाकर पुलिस को आवास की सुविधा उपलब्ध करायी है. आप इस बात के बधाई के पात्र हैं, आगामी आपने 25 हजार आवास बनाने के लिए प्रावधान रखा है, पुलिस के पास जब आवास होंगे, पुलिस में जब सुविधाएँ होंगी, पुलिस के पास पहले क्या गाड़ियां थीं, कितनी गाड़ियां? आधे समय तो पुलिस अपनी गाड़ियों में धक्का लगाने में ही व्यस्त रहती थी क्योंकि उनका इन्जन ही काम नहीं करता था. पुलिस अपनी गाड़ी को खुद धकाती रहती थी लेकिन आज तो दो डायल मध्यप्रदेश में ऐसे चले हैं, एक 100 डायल जो अपराधियों पर शिकंजा भी कस रहा है और व्यक्तियों की जान भी बचा रहा है इसके उदाहरण हैं, आज 100 डायल घुमाओ, आज 100 डायल में 84 हजार कॉल आते हैं, पुलिस तत्काल वहां पर पहुंचती है. मैं औबेदुल्लागंज का ही एक उदाहरण देता हूँ, एक मुस्लिम नौजवान ने जल्दबाजी में अपना गला काटने का प्रत्यत्न किया लेकिन जब 100 डायल पर फोन लगाया, तत्काल पुलिस वहां पर पहुंची, उस नौजवान के प्राण बचाये. आज उनके पूरे परिवार ने इस बात के लिए पुलिस को बधाई दी है. पुलिस ने गुण्डों को भी पकड़ा है, अपराधियों को भी पकड़ा है, बलात्कारियों को भी पकड़ा है, जोर जबर्दस्ती करने वालों को भी पकड़ा है. 100 डायल एक तरह से चलित थाने के आजकल हमारे काम कर रहे हैं. हमने महिला अपराध को रोकने के लिए हर थाने में महिला डेस्क खड़ी की है, वहां पर हमारे प्रभारी सब इन्स्पेक्टर वह महिला हैं, उनके साथ चार पुलिस कर्मी महिला हैं वहां पर इस तरह की व्यवस्था आज मध्यप्रदेश की पुलिस ने वहां पर संचालित की है. मध्यप्रदेश की पुलिस लगातार मध्यप्रदेश की सुरक्षा में, मध्यप्रदेश के सम्मान में लगातार काम कर रही है और भी मैं आपको उदाहरण देना चाहता हूँ, आज चाहे किसी भी प्रकार की कोई भी हो, पहले सुविधाएँ थीं कितनी, कौन पुलिस को सुविधाएँ देता था, हम पुलिस के साहस की तो चर्चा भी नहीं करते थे, हम पुलिस की वीरता के कभी अहसास भी नहीं करते थे, आज पुलिस ने जिन लोगों ने वीरता और साहस का परिचय दिया है, सरकार ने उनको सम्मानित किया. अगर पुलिस ने उन बच्चों को साहस और वीरता के लिए भी सम्मानित किया है पुलिस ने, मैं पुलिस को भी बधाई देता हूँ, जो बच्चे अपराधियों से लड़े हैं या अपराधी पकडवाने में अपने साहस की भूमिका अदा की है तो मध्यप्रदेश की पुलिस ने उनको भी धन्यवाद दिया है. उनके पास भी परिवार के लोगों के पास पहुंचकर हमारे मुख्यमंत्री जी, हमारे गृह मंत्री जी, मैं खुद भी अभी परसों कोलार में गये थे वहां पर उनके पूरे परिवार को धन्यवाद दिया जहां बेटी ने सास के साथ गुण्डे से लड़ाई लड़ी.आज जिस प्रकार की मध्यप्रदेश की पुलिस है. मध्यप्रदेश की पुलिस में हमने और सुविधाएँ भी जुटाई. मध्यप्रदेश की पुलिस का हमने वेलफेयर फंड बढ़ाया है. मध्यप्रदेश के पुलिस के परिवार के लोग पहले एक बच्चे को मुश्किल से छात्रवृत्ति मिलती थी. अब परिवार के दो दो बच्चों को छात्रवृत्ति मिलेगी. मध्यप्रदेश के पुलिस के परिवार का इलाज के लिए तरसता रहता था आज हमने मध्यप्रदेश पुलिस स्वास्थ्य योजना के तहत् उनके परिवार को भी उसमें कनेक्ट किया है, उनके स्वास्थ्य की चिन्ता भी मध्यप्रदेश की सरकार ने की है जब हम उनको सुविधाएं देंगे, जब उनके साहस पर उनकी पीठ थपथपाएंगे, जब सरकार कहेगी अच्छे और नेक काम करो, किसी से डरने की जरुरत नहीं है तो निश्चित रुप से इस बात का हम सबको पुलिस की पीठ थपथपाना चाहिए कि अगर आज हम मध्यप्रदेश को शांति का टापू कह रहे हैं तो शांति के टापू को सुरक्षित रखने में मध्यप्रदेश के पुलिस के नौजवानों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है , वे बधाई के पात्र हैं, उनको बधाई देना चाहिए इसको राजनैतिक नजरिये सेकभी नहीं देखा जाना चाहिए. हम अगर यूएसए की चीज लाना चाहते हैं तो अचानक यूएसए की चीज नहीं आ जाएगी, चार दिन में मध्यप्रदेश में जीपीएस सिस्टम नहीं लग जाएगा. जिस मध्यप्रदेश के पुराने थाने, जिनकी छतें चूती हैं, जहां पर आज भी टीनटप्पर नहीं है,आज भी कई थानों में कवेल्लू नहीं हैं, एकदम सब थाने तो नहीं बदले जा सकते लेकिन दस सालों में लगातार थानों में भी वृद्धि हुई है. पहले हमारे पास पुलिस का बल कितना था आज हम 1 लाख 16 हजार पुलिस बल पर है, पहले हम 86 हजार पुलिस बल पर थे. आज पुलिस का बल बढ़ाया गया है जब पुलिस का बल बढ़ेगा, सुविधाएं दी जाएंगी और जब उनके पास सुविधाएँ होंगी और जब उनको करने के लिए उनको छूट होगी तो फिर मध्यप्रदेश में अपराध नहीं झांकेगा, मध्यप्रदेश शांति का टापू रहेगा. आज मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी, माननीय अध्यक्ष महोदय,आप भी जानते हैं, हम भी जानते हैं, विपक्ष के सदस्य भी जानते हैं, जहां भी जाते हैं वहां हमेशा वीडियों कान्फ्रेंसिग करते हैं. वीडियों काऩ्फ्रेंसिंग में कभी मुख्यमंत्री जी ने यह नहीं कहा कि अपराध नहीं, बल्कि अपराध कायम होना चाहिए अगर छोटी भी वारदात हुई है, हमने अपराध कायम किया है और अपराध अगर कायम नहीं करते तो बड़ी वारदात को अंजाम मिलता, इसलिए अपराध कायम करके पुलिस ने इन्वेस्टीगेशन में लिया है, पुलिस ने जांच करके उसका आखिरी निचोड़ निकला है, न्यायिक परीक्षण हैं तो न्याय ने व्यवस्था दी है. जो न्याय ने व्यवस्था दी है उस पर हम टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन पुलिस ने अपने बलबूते पर उस व्यवस्था पर कंट्रोल किया है औॅर इसलिए जिस तरह मध्यप्रदेश की पुलिस ने लगातार अपने शासनकाल में जो कुछ भी व्यवस्थाएँ दी गयीं थीं उन सब में बहुत लगातार काम किया है. हमने गाय तो पकड़ ली, पुलिस थाने के हवाले गाय है, न तो कांजी हाउस उस समय लेने के लिए तैयार होता है, न दूसरा विभाग तैयार होता है, पुलिस ने अपने खुद के इन्तजामों को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने अगर गाय पकड़ी है तो गाय के चारे की व्यवस्था भी इस सरकार ने की है, क्योंकि इस सरकार को सब वर्गों के बारे में सोचना पड़ता है. नहीं तो कल यह भी एक समाचार बनता कि पुलिस ने गाय का ट्रक पकड़ा , थाने में खड़ा है, गाय भूखी मर रही है. पर गाय के चारे की व्यवस्था भी पुलिस ने की है. पुलिस ने उस पर भी जोर दिया है. पुलिस ने यदि कोई लावारिस लाश मिली है उसकी पूरी तहकीकात करने के बाद ,पूरे इंतजाम करने के बाद, पूरी कानूनी प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद ऐसा नहीं कि पुलिस उस लाश को दफना दे अगर पुलिस इस बात के लिए सक्षम हो जाए कि अब इसका कानूनी परीक्षण पूर्ण हो गया तो पुलिस ने उसके दाह संस्कार की भी व्यवस्था की है . इस बात के लिए भी मैं मध्यप्रदेश के गृह मंत्रालय को और पुलिस को बधाई देता हूं कि उन्होंने सम्मान रखा, एक मानवता को जिंदा रखा, एक मानवता की भूमिका अदा की है. मैं यह भी बता देना चाहता हूं कि कुछ क्षेत्रों में हमने नवीन थानों के प्रस्ताव भी दिये हैं, नवीन थाने भी खुलने जा रहे हैं. टूरिज्म पूरे देश में कम हुआ है, टूरिज्म पूरे विश्व में कम हुआ है केवल यही नहीं हुआ है. क्योंकि जिस तरह की आंतकी घटनायें बढ़ी हैं वह चाहे हिंदुस्तान में बढ़ी हो, अन्य प्रदेशों में बढ़ी हो या दूर देशों में बढ़ी हो, उसके कारण टूरिज्म में कमी आई है. लेकिन हमारी पुलिस ने जहाँ जहाँ टूरिज्म की चौकियाँ थी वहाँ पर मुस्तैदी से काम किया है और आज दिनांक तक हम यह कह सकते हैं कि जितने भी प्रकरण इस तरह के आए हैं, उनके तत्काल निराकरण और समाधान भी किये हैं, पुलिस इस बात के लिए भी बधाई की पात्र है. आज पुलिस के पास हम और आप विचार तो करते हैं , कभी हमने और आपने इस बारे में विचार नहीं किया कि यह, हम तो कह रहे हैं कि 6 बजे तक विधानसभा लगाओ. 6 बजे के बाद फिर कल सुबह 10.30 बजे मिलेंगे. पर पुलिस का 6 बजता ही नहीं है, पुलिस की घड़ी में कोई टाइम ही नहीं है. अगर सुबह 6 बजे से आया है और दूसरे दिन की भी सुबह हो गई तो कोई पूछने जाने वाला नहीं है कि भैया , तुम्हारे 6 से 6 , 12 और 12 से 6 , 24 घन्टे हो गये तुम्हारी छुट्टी का क्या हुआ. इस पर भी सरकार विचार कर रही है मैं इसके लिए भी सरकार को और गौर जी को बधाई देता हूं कि आखिर पुलिस वालों के भी तो परिवार हैं , इनके भी तो अपने बेटा बेटी हैं. विचार करो यह समाज को सुरक्षित रखते हैं और खुद इनका परिवार असुरक्षित हो जाता है. उसके परिवार की चिंता करने वाला कौन है ? उनकी बेटियों को एक्जाम दिलाने वाला कौन है , उनके घर में बूढ़े मां – बाप का इलाज कराने वाला कौन है, कोई नहीं है. लेकिन इसके बाद भी सरकार इस पर विचार कर रही है और मानवीय आधार पर हमने उनके स्वास्थ्य की योजना चालू की है. हमने उनके आवास बनाये . मैं बधाई देता हूं गौर जी को और मुख्यमंत्री जी को कि हमने यह भी व्यवस्था की जहाँ थाने के पास जमीन ज्यादा है अगर वहाँ पर हम आवास बना सकते हैं तो हम वहाँ पर नवीन आवास बनाकर थाने का स्टाफ वहीं पर रखा जाये जिससे उनको आने-जाने में जो दूरी होती है वह दूरी कम की जा सके, इस दिशा में भी हमारी सरकार ने काफी कुछ काम किया है. पहले बजट था कितना.
अध्यक्ष महोदय--- कृपया अब पांच मिनट में समाप्त करें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- और उनका मिनट नहीं गिना .
अध्यक्ष महोदय--- उनका भी गिन लिया था आपका भी गिन लिया है, पांच मिनट में समाप्त करें.
श्री रामेश्वर शर्मा--- आप जैसा आदेश करें. अध्यक्ष महोदय, पहले बजट था कितना 975 करोड़ रुपये अब बजट कितना है, 5 हजार करोड़ रुपये. अब बजट जब बढ़ाया है तब ही तो व्यवस्थायें बढ़ेंगी पहले जरा से बजट में बंदूक नहीं चली , निशाना नहीं लगा. ठीक है मैदान में नहीं लगा क्योंकि वहाँ जा रहे हैं, प्रैक्टिस कर रहे हैं , ठीक है. लेकिन यह तो पूछे चंबल के डाकू को जो मारा है तो पुलिस की बंदूक से मारा है कि कोई कांग्रेस के विधायक की बंदूक से मारा है, वहाँ तो निशाना लगा. चंबल में डाकू मारने में तो निशाना लगा, नक्सलवाद से लड़ने में तो निशाना लगा . जेहादी आंतकवाद को रोकने में तो निशाना लगा और पुलिस के निशाने पर शक न किया जाये . पुलिस को जहाँ निशाना लगाना होता है, ईमानदारी और कर्तव्य के साथ पुलिस वहाँ निशाना लगाती है.हम मध्यप्रदेश के पुलिस को कमजोर आंकने की कोशिश करते हैं. हम समाचार और मीडिया में यह प्रचारित करते हैं कि हमारी पुलिस के पास हथियार नहीं हैं. हमारे पुलिस के पास हथियार हैं, हमारी पुलिस के पास दम है, हमारी पुलिस के पास कर्तव्य के प्रति साहस है, हमारी पुलिस के पास आत्मविश्वास है और इसलिए जहाँ सरकार कहती है कि यहाँ आंतकवाद से निपटो तो वहाँ निपटती है. आज अनेक ऐसे उदाहरण मध्यप्रदेश की पुलिस ने किये हैं. इसलिए मैं निवेदन करना चाहता हूं कि पुलिस के जितने भी काम हैं, यह साहसीपूर्ण हैं. पहले अपराध कायम नहीं हुए, 2002 में भी अपराधों की चर्चा हो जाना चाहिए. 2002 में अनुसूचित जाति वर्ग पर कितने अपराध कायम हुए थे और उस समय अनुसूचित जाति वर्ग पर जो अपराध कायम हुए थे वह 3972 अपराध कायम हुए थे, एक ही वर्ष में. पट्टों के झगड़ों में पूरे अनुसूचित जाति वर्ग पर अपराध कायम कर दिये थे, तब आपको वह समाचार और उनका दर्द नहीं दिखा. लेकिन फिर भी आज कितनी बड़ी घटनायें हैं, उन सारी घटनाओं से लड़ने का काम हमारी मध्यप्रदेश की पुलिस साहस से कर रही है. अध्यक्ष महोदय, मैं आज आपको यह भी बता देना चाहता हूं कि 51 जिलों में एक जैसी व्यवस्था मध्यप्रदेश की पुलिस संचालित कर रही है. आज किसी भी क्षेत्र में देख लीजिये लगातार अपराधों में गिरावट आई है. कुछ बातें हो सकती हैं, जहाँ अपराध बढ़ा है. अब नवीन बस्तियाँ यदि निर्मित हुई हैं, नवीन कालोनियों निर्मित हुई हैं, वहाँ नये नये लोग आ रहे हैं, एक दूसरे से संवाद और परिचय नहीं है, एक दूसरे की जानकारी नहीं है अगर वहाँ कोई तत्काल अपराध करके भाग जाये वह एक अलग बात है नहीं तो पुलिस ने उन सारे अपराधों पर कायमी की है. मैं गृहमंत्री जी से प्रार्थना करना चाहता हूं , माननीय गृहमंत्री जी भोपाल के हैं , भोपाल में रोज घूमते हैं. हमारे मुकेश नायक जी बोल रहे थे वयोवृद्ध हैं, सुबह 5.30 बजे उठते हैं . आरिफ भाई, आप तो जानते हैं कि 8.30 बजे टेबल पर बैठ जाते हैं, आज इसमें से कोई भी विधायक अपने कार्यक्रम की डायरी नोट नहीं करता पर मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मध्यप्रदेश के बाबूलाल गौर अपने कार्यक्रम की खुद डायरी मेंटेन करते हैं, वह बता देंगे कि किस समय कहाँ के कार्यक्रम थे, पूरा टाइमटेबल रखते हैं. आज वह थानों का निरीक्षण करते है. एक दिन आरिफ अकील साहब और मैं किसी विषय पर चर्चा कर रहे थे , गौर जी यहाँ से गये हम तो सोच रहे थे कि लंच करने गये होंगे उन्होंने लंच में ही पुलिस के अधिकारियों को बुलाकर कहा ऐसे ऐसे समाचार मुझे मिले हैं, आप तत्काल कार्यवाही करिये और पुलिस ने वहाँ पर कार्यवाही की. आरिफ भाई इस बात के गवाह हैं और इसलिए वहाँ पर पुलिस की कार्यवाही की हमें सराहना करना चाहिए. मैं आपसे एक और प्रार्थना कर देना चाहता हूं कि जो आज हमारे राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल हैं, इसके लिए हमने विशेष वाहिनी बनाने की व्यवस्था की है. हमने रेलवे पुलिस बल में 50 लाख की चोरी यहीं नहीं पकड़ी साहब. कहाँ गये मुकेश भाई, शायद चले गये. हमने यहीं नहीं पकड़ी, हमने 50 लाख की चोरी और सब लोग मध्यप्रदेश की पुलिस के लिए ताली बजाओ , यह बिहार में मुगलसराय में जाकर मध्यप्रदेश की पुलिस ने पकड़ी . इसके लिए पुलिस बधाई की पात्र है.
अध्यक्ष महोदय-- कृपया समाप्त करें.
श्री रामेश्वर शर्मा--- हम केवल यही नहीं हम बिहार , जिसको हम क्या कहते हैं , कौनसा राज , वह लोग ज्यादा जानते हैं. जिस राज में, एक बार तो मुकेश नायक जी खुद उत्तरप्रदेश में फंस गये थे, इनकी खुद एफआईआर नहीं लिखी गई. हमारे राहुल गांधी जी की एफआईआर यूपी में नहीं लिखी गई , चुनाव के दौरान. तो आप उस उत्तरप्रदेश में, जहाँ आप जाते हो वहाँ कुछ नहीं होता. यहाँ पर पुलिस आपकी सब सुनती है तो उसके ऊपर आप आक्षेप लगाते हो और इसलिए मैं चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की पुलिस के जो सराहनीय कार्य हैं, वह बधाई के पात्र हैं. मध्यप्रदेश के गृहमंत्री हमारी इस पुलिस की व्यवस्था को लगातार चुस्त दुरुस्त करने के लिए कार्य करते हैं, हमारे डीजीपी साहब, जब ईमानदार अधिकारी हो, कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी हो तो हम यह कह सकते हैं कि व्यवस्था में कभी कोई चूक नहीं हो सकती है. इसलिए मैं मध्यप्रदेश की पुलिस को एक और बधाई देना चाहता हूं.
अध्यक्ष महोदय, अब तो दुनिया का सबसे बड़ा मेला हमारे यहाँ ही लगने वाला है. दुनिया का सबसे बड़ा मेला पहले भी इसी पुलिस ने संभाला था, उज्जैन के महा सिंहस्थ का और आज भी दुनिया के सबसे बड़े महाकुंभ का व्यवस्था यही मध्यप्रदेश की पुलिस करेगी और हमें पूर्ण विश्वास है कि पूर्ण सुरक्षा के साथ मध्यप्रदेश ही नहीं देश विदेश के श्रद्धालुओं को वहाँ पर स्वागत भी होगा, सम्मान भी होगा और सुरक्षा के प्रबंधन भी होंगे . मैं एक और बात बता देना चाहता हूं कि यह बात आई कि इतने बच्चे गायब हुए. मध्यप्रदेश की पुलिस ने सात हजार खोये हुए बच्चे भी तो मुस्कान अभियान के तहत ढूंढे. उनके लिए भी तो हम बधाई दे सकते हैं. आखिर परिवार की रंजिश के कारण , परिवार की वैमनस्यता के कारण या बच्चे की डांट फटकार के कारण , दूसरी परिस्थितियों के कारण जो बच्चे गुम हुए हैं, उनको भी मध्यप्रदेश की पुलिस ऑपरेशन मुस्कान के तहत ढूंढकर लेकर आई है, उसके लिए भी वह बधाई की पात्र है. माननीय अध्यक्ष महोदय, आप चूंकि समय नहीं दे रहे हैं, मध्यप्रदेश की पुलिस जितनी बड़ी होनी चाहिए उतनी कम है लेकिन फिर भी मैं मुख्यमंत्री जी को बधाई दूंगा कि उन्होंने गुंडों की ठीक करने के लिए कहा था कि अब बेटियों को भी पुलिस में भर्ती किया जाएगा और 33 प्रतिशत जो महिलाओं को आरक्षण दिया , आज के दिन वह बड़ा महत्वपूर्ण है और इसलिए हम मुख्यमंत्री जी को बधाई देते हैं. अब महिलाओं के सम्मान में भी मध्यप्रदेश की जनता के बीच में महिला महिला पुलिस के हाथ में डंडा होगा इसलिए पुलिस का और महिलाओं के बीच का जो पारस्परिक स्नेह है वह भी ठीक रहेगा. हमने जो सुरक्षा पंक्ति है उनको भी विशेष अधिकार दिए हैं इसलिए....
अध्यक्ष महोदय-- बस अब कृपया समाप्त करें. श्री जीतू पटवारी, बोलें. अब आप सहयोग करें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- बस एक मिनट.
अध्यक्ष महोदय-- नहीं, अब एक एक मिनट नहीं.
श्री रामेश्वर शर्मा-- इनको धन्यवाद तो दे दूँ.
अध्यक्ष महोदय-- आपने धन्यवाद दे दिया.
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से और पूरे सदन की तरफ से माननीय गौर जी को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ कि वे इस क्षेत्र में लगातार जनता के बीच में सामंजस्य बनाकर मध्यप्रदेश की जो पुलिस काम कर रही है, उसको निरंतर आगे बढ़ाएँगे. गौर जी, एक निवेदन और करना चाहता हूँ...
अध्यक्ष महोदय-- नहीं बस अब समाप्त करें. अब कोई निवेदन नहीं.
श्री रामेश्वर शर्मा-- मुझे लगता है गौर जी लिखेंगे क्योंकि जिस विधान सभा से मैं चुनाव लड़कर आया हूँ वह आपकी पुरानी विधान सभा है. समरधा में एक नवीन थाना खोला जाए क्योंकि वहाँ पर नवीन कॉलोनियाँ और दूरदराज....
अध्यक्ष महोदय-- बस अब आप कृपया बैठ जाइये.17 मिनट हो गए. श्री जीतू पटवारी बोलें.
श्री रामेश्वर शर्मा-- वहाँ पर एक थाने की बहुत आवश्यकता है. होशंगाबाद रोड और एक विजय नगर लाल घाटी पर भी एक नवीन थाना खोलने की बहुत जरुरत है क्योंकि उधर नवीन कॉलोनियाँ बन रही हैं. एयर पोर्ट में व्ही आई पी व्यवस्था लगानी पड़ती है...
अध्यक्ष महोदय-- श्री जीतू पटवारी. बस अब ठीक है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- इसलिए अगर आप वहाँ भी दो थाने खोलेंगे...
अध्यक्ष महोदय-- कृपया अब बैठ जाएँ. आपको यह पहले बोलना था.
श्री रामेश्वर शर्मा-- तो मैं आपको बहुत बहुत बधाई देता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि माननीय गौर जी इस मध्यप्रदेश की पूरी सुरक्षा के लिए, पुलिस की भी पीठ थपथपाते रहेंगे और शांति के टापू की सुरक्षा करते रहेंगे. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री जितू पटवारी-- रामेश्वर जी बोलना चालू करूँ?
श्री रामेश्वर शर्मा-- हो गया.
श्री जितू पटवारी(राऊ)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं गृह विभाग की मांग संख्या 3,4 और 5 पर...
अध्यक्ष महोदय-- अब माननीय सदस्यों से अनुरोध है कृपया संक्षेप में अपनी बात करेंगे.
श्री जितू पटवारी-- मुझे बोलने के लिए आपने अवसर दिया उसके लिए धन्यवाद. अध्यक्ष महोदय, जब भी हम विपक्ष के लोग खड़े होते हैं और अनुदान की मांगों पर बोलना हो मैं समझता हूँ एक सुझाव के रूप में ही आना चाहिए और मुकेश नायक जी ने उसका बाखूबी, अच्छे से, पालन किया है. गौर साहब की उम्र को लेकर भी और उनकी युवा अवस्था वृद्धावस्था को लेकर भी बहुत चर्चाएँ हुई हैं पर कार्य से तो वे हर काम में युवा हैं. उम्र तो जरूर बुजुर्ग की है. उनकी हर तरीके से तारीफ और मेरी तो जितनी उम्र है उससे ज्यादा उनका राजनैतिक कैरियर हो गया होगा तो उनके लिए अगर मैं कुछ आलोचना करके उनके विभाग को बोलूँ यह भी शोभा नहीं देगा पर यह जरूर है कि मैं बचपन से सुनता आया हूँ कि गौर साहब तो बुलडोजर मंत्री के नाम से जाने जाते हैं पर उनको दे दिया गृह विभाग, तो उनका मन कितना लगता है, कितना नहीं लगता, इस विभाग को लेकर, जब भी वे नगर निगम के अधिकारियों की मीटिंग लेते हैं, खैर यह बात एक अलग है. अध्यक्ष महोदय, मैं इस अवसर पर, रामेश्वर जी ने 2-3 बातें कहीं मैंने वह नोट भी की है. उन्होंने कहा कि एस टी, एस सी, के आँकड़ों पर भी निगाह डाली कि जब क्या थे और अब क्या हैं. रामेश्वर जी, मैं आपको बता दूँ कि एस टी, एस सी, पर अपराध के मामले में मध्यप्रदेश देश में चौथे नंबर पर है और तब 17 वें नंबर पर थे, रिकार्ड चेक करना. दूसरी आपने एक और बात अच्छी कही कि हमने 975 करोड़ के बजट को 5000 करोड़ का गृह विभाग का कर दिया. 2003 से आज तक अगर बजट की बढ़त को देखें और गृह विभाग के हिस्से को देखें तो अभी 10,000 करोड़ रुपये होना था. उसमें आपकी कमी थी, इसको भी सरकार के ध्यान में मैं लाना चाहता हूँ और एक और गायों को लेकर भी बातें हुई हैं. मुझे पिछले साल तक की याद है. इस साल मैंने आँकड़ा नहीं देखा. लावारिस लाशों के लिए भी आपके विभाग में पिछले साल कोई बजट नहीं था. मैं अनुरोध करता हूँ इस पर ध्यान देना चाहिए. अभी एक यू पी के कोई शहर का नाम बताया कि वहाँ से पकड़ कर लाए. अरे भैय्या, धार में एक अवैध पिस्तौल का कारखाना चल रहा था यू पी की पुलिस आई, वह अवैध कारखाना पिस्तौल का, रिवाल्वर बनाने का वहाँ पकड़ा, मध्यप्रदेश की पुलिस को पता नहीं चला. यह भी आपके नॉलेज में होना चाहिए. आदरणीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से यह बताना चाहता हूँ कि भोपाल की बार बार बात आ रही है, भोपाल में जिस तरीके से हबीबगंज थाने के अंतर्गत एक केस है. गौर साहब, हबीबगंज थाना, मेट्रो थाना है. मध्यप्रदेश का सबसे आधुनिक थाना और उसका जिन मंत्री ने, इसका हिसाब इससे भी लगाया जा सकता है, इसकी तारीफ इससे भी की जा सकती है कि जिन मंत्री ने उसका उद्घाटन किया था, उसी में उनकी एफ आई आर हुई. मैं विदिशा से आदरणीय पूर्व वित्त मंत्री जी की बात कर रहा हूं. मैं आप से एक और अनुरोध करना चाहता हूँ कि हबीबगंज थाना इतना आधुनिक है, उसके बाद भी केवल 20 कदम दूर, आज ही मैंने अखबार में पढ़ा वह बात है, मेरे को बहुत अच्छी शैली नहीं आती बड़े शब्द नहीं आते हैं पर सही तरीके से यह है कि उससे सिर्फ 20 कदम दूर, केरला गोल्ड पार्क नाम की एक ज्वेलरी की दुकान है, उसमें कल रात को चोरी हुई है. आपके थानों की यह स्थिति है. यह समझने की बातें हैं.अध्यक्ष महोदय, महिला सशक्तिकरण पर बहुत बातें हुईं, मुकेश नायक जी ने भी बहुत अच्छे सुझाव दिए और यह भी बात बिल्कुल सही है कि मध्यप्रदेश की पुलिस को आधुनिक करने के लिए जो बजट आज है वह पर्याप्त नहीं है और सही में जितना बजट है उससे डबल करेंगे तब जाकर हम यह सोच बना पाएँगे, जिस तरीके मुकेश नायक जी ने बात कही और वैसा बनना चाहिए, यह हम सब चाहते हैं. यह बात अभी रामेश्वर जी ने बड़ी ताकत से कही, आज महिला दिवस भी है और उस पर भी बड़ी चर्चा हुई. जो मुकेश नायक जी बोल चुके हैं उन बातों को मैं रोक रहा हूँ पर इतना जरूर है कि जितने आँकड़े उन्होंने बताए हैं, डी जी पी साहब भी यहाँ बैठे हैं, 20 से 25 परसेंट अपराधों पर, महिलाओं के, बच्चों के, किसी के भी, आखरी सजा मिलती है. 75 परसेंट लोग छूट रहे हैं. आँकड़ों समेत भी मैं बता सकता हूँ. यह भी विधान सभा के प्रश्नों के उत्तर से जो बातें आई हैं, चूँकि समय की एक मर्यादा है, अध्यक्ष जी के आदेशों का जितना पालन मैं करता हूँ, मैं समझता हूँ दूसरा कोई सदस्य नहीं करता है और रामेश्वर शर्मा तो करता ही नहीं है. यह भी मुझे पता है, तो मेरा अनुरोध है कि उन आँकड़ों को अगर मैं नहीं बताऊँगा.....
श्री रामेश्वर शर्मा-- अध्यक्ष जी, एक तो जो पुलिस ने कल-कारखाना पकड़ा था वह 2002 में पकड़ा था.
अध्यक्ष महोदय-- आप उत्तर मत दीजिए.
श्री रामेश्वर शर्मा-- मैं उत्तर नहीं दे रहा हूँ. मैं जानकारी ठीक कर रहा हूँ. जानकारी ठीक करते रहें बोलते रहें.
अध्यक्ष महोदय-- समय हो रहा है कृपया संक्षिप्त कर दें.
श्री जितू पटवारी-- अभी भी?
अध्यक्ष महोदय-- 5 मिनट हो गए.
श्री जितू पटवारी-- तो मतलब रामेश्वर शर्मा के 40 मिनट और मेरे 5 मिनट. वे भोपाल के हैं इसलिए?
अध्यक्ष महोदय-- वे दोनों पहले वक्ता थे. मुकेश नायक जी और रामेश्वर शर्मा जी अपने अपने दल के पहले वक्ता थे. यही परंपरा है. पहले वक्ताओं को अधिक समय दिया जाता है. बाद में 4-5 मिनट से अधिक नहीं दिये जाते.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष जी, मेरा अनुरोध है कि मैं तो आपके परिवार का सदस्य हूँ, इस सदन के परिवार का....
अध्यक्ष महोदय-- क्या विचार है आपका?
श्री जितू पटवारी-- तो मेरे को सीमाओं में न बाँधें. गौर साहब कह दें कि अब बिठा दो तो मैं बैठ जाऊँगा. अब यह गौर साहब को अधिकार आज के दिन एक....बोल लूँ गौर साहब?
श्री बाबूलाल गौर-- 2-4 मिनट बोल लें.
अध्यक्ष महोदय-- 2-4 मिनट बोल लीजिए.
श्री जितू पटवारी-- अध्यक्ष महोदय, इसमें भी मैं आँकड़ों में मैं नहीं जाना चाहता. गौर साहब, एक बात पर आप भी गौर करेंगे और गृह विभाग के पुलिस अधिकारी भी यहाँ बैठे हैं. सांप्रदायिक हिंसा में मध्यप्रदेश, बहुत चिंता का विषय है पर सुझाव के रूप में मैं अपनी बात कह रहा हूँ. पिछले साल 49 सांप्रदायिक दंगे, छोटे मोटे, बंद वगैरह सब और यह सरकार के आँकड़े हैं, मैं जिन पर बात कर रहा हूँ और इसमें क्या मृत्यु हुई, कितनी हानि हुई, अपनी जगह है. गौर साहब, एक विश्व हिन्दू परिषद् और बजरंग दल ने शौर्य दिवस, विवेकानंद जी तो शांति के प्रतीक थे. उनके जन्म दिवस पर 12 जनवरी से चालू किया था. उसके बाद शौर्य यात्रा के दिन ही मनावर में, धार में, कितना बड़ा दंगा हुआ क्यों हुआ, उससे पहले हमने एहतियातन कदम क्यों नहीं उठाए? क्या कारण था कि सत्ता में जो लोग थे, वे शस्त्र लेकर शौर्य दिवस मना रहे थे और हम रोक नहीं पाए. इसके बाद दशहरे के दिन खरगौन में, 1984 से लेकर आज तक खरगौन में एक दंगा नहीं हुआ था. खरगौन में 6-7 दिन तक कर्फ्यू रहा और मैं यह बात किसी आलोचना के रूप में नहीं कह रहा हूँ. यह उन स्थानों को चिन्हिंत करने की कोशिश कर रहा हूँ जहाँ कभी इस तरह की घटनाएँ नहीं घटी थी. ऐसे ही यूसूफ खत्री, यूसूफ खत्री को कितने लोग जानते हैं, वह साड़ियों में पैंटिंग के विश्व प्रसिद्ध ऑर्टिस्ट हैं. उन्होंने कहा, उनके भाई को इतना मारा कि उसके हाथ पैर तोड़ दिए, तो जब टी व्ही पर मैंने ए बी पी पर उनका वक्तव्य सुना था, तो बात याद रह गई कि मैं हिन्दुस्तान में नहीं रहना चाहता हूँ, इस तरह की घटनाएँ होने लगी हैं....(माननीय सदस्य श्री वेलसिंह भूरिया के खड़े होने पर) अध्यक्ष जी, क्या है यह.
अध्यक्ष महोदय-- बोलने दीजिए. आपका भी समय आ रहा है.
श्री जितू पटवारी-- उन्होंने कहा कि मैं हिन्दुस्तान में रहना नहीं चाहता हूँ. एक व्यक्ति के यह भाव जब अपनी मातृ भाषा के प्रति निकलते हैं उसकी कितनी निंदा की जानी चाहिए. यह एक बात है. देवास जैसा शहर शौर्य दिवस के 2 दिन बाद ही वहाँ पर कर्फ्यू लगाना पड़ा. क्या कारण है? हरदा के पास खिरकिया एक जगह है. एक मुस्लिम परिवार को इतना मारा, हरदा के कोई यहाँ विधायक हों, इतना मारा, इतना मारा, कि 5 दिन तक खिरकिया बंद रहा, तो इस तरह की घटनाओं पर भी लगाम लगाने के लिए एहतियातन हमें कुछ करना चाहिए. मैं गृह मंत्री जी से पूछना चाहता हूँ और यह बात हो रही है गौर साहब, मैं मेरी बात नहीं कर रहा हूँ देवेन्द्र वर्मा, खंडवा के बी जे पी के एम एल ए हैं, उन्होंने एक डी एस पी के भ्रष्टाचार को लेकर कहा और कई विधायकों ने उसकी चर्चा की, एक ने नहीं की, बी जे पी के, काँग्रेस के, कई विधायकों ने सामूहिक शिकायत की, सदन में की. यहाँ पर उस पर तारांकित प्रश्न में बहस हुई. गौर साहब ने कहा नहीं, नहीं, नियम, कायदे, कानून से हो रहा है आप लोग ठीक नहीं हैं, वही ठीक है, तो मैं समझता हूँ कि इतना जब हम एक पुलिस अधिकारी का पक्ष लेते हैं तो बाकी चीजें भी आती होंगी. मैं ज्यादा कुछ न कहते हुए जेल विभाग के बारे में कहना चाहता हूँ कि दो जेल सुप्रिन्टेडेन्ट जेल में ही है और उसी जेल में हैं जिस जेल में वे सुप्रिन्टेडेन्ट थे क्या कारण है कि जिस जेल में जो व्यक्ति सुप्रिन्टेडेन्ट रहता है वही उस जेल में कैदी रहता है इतना भ्रष्टाचार होगा आपकी सरकार में मैं इस वक्त यह भी कहना चाहता हूँ कि एक महिला है जेल में उसके बारे में दो-चार दिन पहले और आज भी किसी अखबार में आया है जोरियाबा बानो विदेशी महिला है 35 वर्ष की है वह प्रेग्नेन्ट हो गई यह जांच का विषय है या नहीं है जेल की व्यवस्था कैसी है. जेल से लक्ष्मीकांत शर्मा जी जैसे ही बाहर आए उन्होंने टीवी पर वक्तव्य दिया कि दो रोटी और पतली सी दाल खाता था इसलिए दुबला हो गया तो आप कैसा भोजन दे रहे हैं जेल में. धारा 151 के बारे में कहना चाहता हूँ व सभी पुलिस अधिकारियों से अनुरोध करता हूँ यह रोज भुगतते हैं खासकर राजनीतिज्ञ लोग, विधायक. यह 151 की धारा टारगेट होता है थानों पर और थाने किसको टारगेट बनाते हैं जिन पर पहले से 4-4, 5-5, 6-6 अपराध हैं उनको फिर से पकड़कर लाते हैं. त्यौहार आते ही धारा 151 लगा देते हैं इसमें कहीं न कहीं सुधार और विचार करने की आवश्यकता है.
अध्यक्ष महोदय--अब आप समाप्त करें.
श्री जितू पटवारी--अध्यक्ष महोदय, आखिरी बात यह है कि जो मुकेश नायक जी और रामेश्वर शर्मा जी ने कहा कि जो छोटे पुलिस कर्मचारी हैं.
अध्यक्ष महोदय--और भी सदस्यों का समय है अकेले आपका समय नहीं है आप 10 मिनट से ज्यादा बोल चुके हैं. सहयोग करें कृपया.
श्री जितू पटवारी--जो छोटे पुलिसकर्मी हैं उनके परिवारों का ध्यान रखना चाहिये अगर पुलिस में भ्रष्टाचार कम करना है तो उनकी सुविधाएं बढ़ानी पड़ेंगी जो सिपाही है जो हेड कांस्टेबल है जो सब इंस्पेक्टर है अगर उनके आचरण पर लगाम रखनी है तो उनके परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य पर उनके बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर उनके आवास पर सब पर ध्यान देंगे तो मेहरबानी होगी. आपने बोलने का अवसर दिया धन्यवाद.
श्री सुदर्शन गुप्ता (इंदौर-1)--माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3,4 और 5 का समर्थन करता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, स्वामी रामतीर्थ ने अपनी पुस्तक में लिखा है किसी राज्य में जनसंख्या का न बढ़ना और शांति का कायम रहना कठिन कार्य है इसी प्रकार प्रसिद्ध अर्थशास्त्री माल्थस ने भी अपने जनसंख्या सिद्धांत में कहा है कि जैसे जैसे जनसंख्या बढ़ती है अपराध की घटनाएं बढ़ती हैं और प्राकृतिक प्रकोप बढ़ते हैं. प्रदेश में कानून व्यवस्था पहले से बेहतर है एक समय था जब हमने कांग्रेस का शासन देखा था जब आए दिन आपराधिक घटनाएं होती थीं और आज प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और पिछले 12 वर्षों से कानून व्यवस्था नियंत्रण में है. सभी त्यौहार सोहाद्रपूर्ण तरीके से मनाए गए हैं. प्रदेश में जितने भी आंदोलन हुए हैं चाहे वे प्रतिपक्ष पार्टी के लोगों द्वारा किए गए हों या छात्र आंदोलन हुए हों, कर्मचारियों द्वारा किये गए हों, किसानों द्वारा किए गए हों या बिजली कर्मचारियों द्वारा किए गए हों या फिर मजदूरों द्वारा किए गए हों कानून व्यवस्था को नियंत्रण में रखकर उन आन्दोलनों का सामना किया गया है. साम्प्रदायिक माहौल अच्छा बना हुआ है सभी धर्मों के भाई लोग भाईचारे के साथ जीवनयापन कर रहे हैं. हर प्रकार की योजनाओं का लाभ सभी समुदाय के लोगों को मिल रहा है. अभी पंचायत चुनाव हुए, नगर निगम के चुनाव हुए, विधान सभा के चुनाव हुए, लोक सभा के चुनाव हुए यह सभी शांतिपूर्ण तरीके से निपटाए गए. इसी प्रकार हमारे राष्ट्रीय त्यौहार 15 अगस्त व 26 जनवरी पूरी शांति से निपटे हैं. आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए प्रदेश के कई महत्वपूर्ण संस्थानों में आधुनिक उपकरणों से सुरक्षा सुनिश्चित कराए जाने की कार्यवाही की जा रही है. सिंहस्थ 2016 हम सब के लिए प्रसन्नता और गौरव की बात है उज्जैन में सिहंस्थ अप्रैल से प्रारंभ होने जा रहा है जो कि एक माह तक चलेगा जिसमें देश और विदेश से लाखों नागरिक सिंहस्थ मेले में आयेंगे. सिंहस्थ के दौरान सुरक्षा व्यवस्था हेतु 25 बीडीडीएस टीमों का गठन किया गया है आप सबके सहयोग से सिंहस्थ निर्विघ्न संपन्न होगा. सौभाग्य की बात है कि जब जब सिंहस्थ आता है तो उस समय भारतीय जनता पार्टी की सरकार ही रहती है. इंटेलीजेंसी ब्यूरो के सुरक्षा आडिट अनुसार प्रदेश के संवेदनशील प्रतिष्ठानों, महत्वपूर्ण स्थानों, धार्मिक स्थानों व सामाजिक महत्व के स्थानों की नियमित समीक्षा कर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कराई जा रही है. गृह विभाग द्वारा समय-समय पर अवैध शराब, जुआं, सट्टा के विरुद्ध अभियान चलाया गया है और हजारों की तादाद में उसके प्रकरण बनाये गए हैं आरोपियों को निरुद्ध किया गया है करोड़ों रुपयों की राशि जप्त की गई है. वारंटों की तामील की गई है लगभग 50 प्रतिशत से अधिक वारंटों की तामील की गई है. महिला अपराधों का नियंत्रण सख्ती के साथ किया जा रहा है. मध्यप्रदेश की जनसंख्या 7 करोड़ 25 लाख 97 हजार 565 है जिसमें से 48 प्रतिशत महिलाओं की है और अपराधों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए महिला अपराध शाखा का गठन किया गया है इसमें अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, उप संचालक अभियोजन के पदों का सृजन किया जाकर पदस्थापना की गई है. डॉयल 100 की योजना लागू की गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, नई पीढ़ी जाने-अनजाने सायबर क्राइम की ओर चली जाती है मंत्रीजी इस ओर ध्यान दें विशेषकर महानगरों में जाने-अनजाने में बच्चे उस ओर भटक जाते हैं. इसी प्रकार आत्महत्या का भी प्रचलन चला है, नई पीढ़ी में प्रेम प्रसंग हो जाये या परीक्षाओं में फेल हो जायें या केरियर बनाने में असफल हो जायें तो यह आत्महत्या की तरफ बढ़ जाते हैं उनकी तरफ भी हमको विचार करना चाहिए. मैं इंदौर महानगर से चुनकर आया हूँ इसलिये यहां की बात करना बहुत जरूरी है क्योंकि तेजी के साथ इंदौर बढ़ रहा है अन्य प्रदेशों से रोजगार की तलाश में लोग यहां आते हैं पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थी अन्य कार्य व रोजगार के लिए यहां पर भटकते रहते हैं इसी के साथ-साथ वाहनों की संख्या भी बढ़ती जा रही है इसलिये इंदौर में पुलिस बल बढ़ाये जाने की आवश्यकता है, थाने बढ़ाये जाने की आवश्यकता है. वाहनों का दबाव काफी तेजी के साथ बढ़ रहा है इसलिये यातायात पुलिस व उसके संसाधन बढ़ाये जाने की भी आवश्यकता है. मंत्रीजी से निवेदन करुंगा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र इंदौर-1 में भागीरथपुरा पुलिस चौकी है उसे थाने में परिवर्तित करने की आवश्यकता है ऐसे ही बाडंगा थाना है ब्रिज बनने के कारण उसका भवन नीचे दब गया है बाणेश्वरी कुंड के पास पर्याप्त जगह है हम उसको सांसद व विधायक निधि से बनाने के लिए तैयार है वह बन जाये तो जनता व विभाग को सुविधा हो जाएगी. सभी थाना परिसरों में लावारिश वाहन सैंकड़ों की तादाद में पड़े हैं उनको भी नीलाम किया जाना अति आवश्यक है. वर्तमान में हेलमेट की अनिवार्यता लागू की गई है इंदौर शहर में वाहन 15 से 20 किलोमीटर की गति से वाहन चलते हैं और वहां पर हेलमेट की कोई आवश्यकता नहीं है पुलिस द्वारा सख्ती के साथ कार्यवाही की जाती है नागरिक परेशान होते हैं मेरा यह कहना है कि बाहरी क्षेत्र में हेलमेट की अनिवार्यता लागू करें शहरी क्षेत्र में इसकी आवश्यकता नहीं है. पूर्व में गुण्डागर्दी विरोधी अभियान पूरे मध्यप्रदेश में चलाया गया था लगभग 4 वर्ष पूर्व इंदौर में भी चलाया गया था उससे इंदौर के गुंडे भाग गए थे मेरा मंत्रीजी से निवेदन है कि इंदौर सहित पूरे मध्यप्रदेश में गुंडा विरोधी अभियान चालू करें और इसी के साथ-साथ जितने वारंट है इन वारंटों की तामील की जाना चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया उसके लिए धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय :- माननीय सदस्यों से अनुरोध है कि समय की मर्यादा रखें और बीएसपी के सदस्यों से अनुरोध है कि आपके दल के 8 मिनट है और आप तीनों से सदस्यों ने बोलने में अपना नाम दे दिया है.आप सभी तीनों सदस्यों को तीन-तीन मिनट बोलने का समय है.
श्री बलबीर सिंह डण्डौतिया(दिमनी):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे दिमनी क्षेत्र मुरैना में डकैती का क्षेत्र है तो मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि मेरा क्षेत्र चम्बल नदी के किनारे है, वहां पर चौकियां खुलवायी जाएं और एक थाना भी खुलवाया जाये, मेरे क्षेत्र में पुलिस की कमी है, वहां पर पुलिस बल बढ़ाया जाये. क्योंकि मेरा क्षेत्र हमेशा से डाकुओं का क्षेत्र रहा है. मैं कर्मचारियों के बारे में कहना चाहता हूं कि छोटे कर्मचारियों को 18 रूपये धुलाई के मिलते हैं, वह बढ़ाई जाये. उनको मकान का किराया 600 रूपये है, उनका किराया बढ़ाया है. भ्रष्टाचार इसीलिये बढ़ रहा है क्योंकि उनकी तनख्वाह कम है. अगर आप उनकी तनख्वाह बढ़ा देंगे तो भ्रष्टाचार में कमी आयेगी.माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे गनमैन को रिवाल्वर दे दी है. क्या चम्बल जैसे क्षेत्र में रिवाल्वर काम कर सकती है, नहीं कर सकती है. इसलिये मैं निवेदन करना चाहता हूं कि उनको रिवाल्वर की जगह बंदूक दी जाये. क्योंकि मैंने सुरक्षा की दृष्टि से मांग की थी और मैं वहां पर मांगने भी गया था कि वहां पर रिवाल्वर काम नहीं करेगी, इसलिये बंदूक दी जाये. मेरे क्षेत्र में पुलिस चौकियां खुलवायी जाएं. हालांकि डकैती पहले से तो कम तो हो गयी है. परन्तु वहां पर कम से कम चार पांच चौकियां खुलवायी जाएं. अगर चम्बल क्षेत्र में चार पांच चौकियां खुल जाये तो बहुत सुविधा मिलेगी. आपने बोलने का समय दिया धन्यवाद.
डॉ रामकिशोर दोगने(हरदा):- माननीय अध्यक्ष महोदय, पुलिस विभाग, गृह विभाग और जेल विभाग के विरोध में और कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने जा रहा हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सरकार को बताना चाहता हूं कि पुलिस विभाग एक ऐसा विभाग है जो समाज का मुख्य अंग है और सामाजिक व्यवस्था में उसकी मुख्य भूमिका रहती है, पुरन्तु इस विभाग में सृष्टि के निर्माण से ही भ्रष्ट और क्रूर विभाग माना गया है. उसी कारण इस विभाग को वेतन कम दिया जाता रहा है और वर्तमान में भी वही परिस्थियां हैं.
6.23 बजे { उपाध्यक्ष महोदय (डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह) पीठासीन हुए }
इस विभाग को वेतन कम और काम ज्यादा लिया जाता रहा है. मध्यप्रदेश में बीच में स्वर्गीय अर्जुन सिंह जी मुख्यमंत्री थे, उसी समय इनका वेतन बढ़ा था. मध्यप्रदेश में अगर देखा जाये तो पहले प्यून के समान इनका वेतन था परन्तु जब अर्जुन सिंह जी मुख्यमंत्री बने उस समय बाबू के समान उनकी सेलरी की थी. पुलिस विभाग में वेतन कम होने के कारण हम देखें तो पुलिस विभाग के कर्मचारियों से 24 घंटे काम कराया जाता है, परन्तु उस हिसाब से सुविधा नहीं दी जाती है. 24 घंटे ड्यूटी के कारण वह जटिल बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं. वह मनोरोगी भी हो जाते हैं. इससे उनको काम करने में परेशानी भी आती है और इस कारण से वह कभी कभी गलत काम भी वह कर देते हैं, इसलिये कभी कभी वह अपराधी को छोड़ फरियादी को बंद कर देते हैं तो इन परिस्थियों के कारण कभी कभी दुष्परिणाम भी देखने को मिलते हैं. मुख्यत: पुलिस विभाग के आरक्षक से लेकर निरीक्षक तक के अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों पर इतना दबाव रहता है कि वह समय पर वह अपने काम नहीं कर पाता है. समय समय पर हम देखते हैं कि उनके बच्चों की व परिवार की देखभाल नहीं कर पाते हैं. जिससे बीच में बात आयी की वह अपने माता पिता की भी देखभाल भी नहीं कर पाते हैं. अगर वह 24 घंटे ड्यूटी करेगा तो वह अपने परिवार और बच्चों की देखभाल कैसे कर पायेगा. उनके बच्चे हमेशा अच्छी शिक्षा नहीं ले पाते हैं. वह अच्छे बच्चे नहीं बन पाते हैं और मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाते हैं. मेरा यह अनुरोध है कि इनको रहने की अच्छी सुविधा दी जाये. पुलिस विभाग को अच्छी सुविधा दी जायेगी तो सुधार होगा. पुलिस विभाग में आठ घंटे ड्यूटी ली जानी चाहिये. दूसरे विभागों में भी आठ घंटे ड्यूटी ली जाती है. अगर उनसे ज्यादा ड्यूटी ली जाती है तो उनको ओवर टाईम दिया जाना चाहिये. पुलिस विभाग में प्रत्येक कर्मचारियों एवं अधिकारियों को निवास की सुविधा दी जानी चाहिये. जबकि उनके निवास की कोई व्यवस्था नहीं है. आज आप डीआरपी लाईन में जाकर देखें तो दस बाई दस के एक कमरे में एक कमरा और किचन प्रधान आरक्षक को दिया जाता है. दस बाई दस के दो कमरे एक किचन सब इंस्पेक्टर को दिये जाते हैं. वह कैसे अपने परिवार को संभाल सकता है और परिवार को चला सकता है. इतनी कम जगह में वह बच्चों को पढ़ा सकता है. उनके बच्चों को पढ़ने के लिये अच्छी सुविधा देना चाहिये. उनको पहले बीच में अर्जित अवकाश सरेण्डर करने की सुविधा थी. उनको एक महिने की जो ई एल मिलती है, उनको छुट्टियां भी नहीं मिलती है और उनको ई एल सरेण्डर करने की जो पहले सुविधा थी वह पुन: शुरू की जाए. पुलिस विभाग में कर्मचारियों और अधिकारियों की भर्ती की प्रक्रिया सतत् जारी रखना चाहिये. जहां पर पुलिस बल कम रहता है तो वही लोड उनके ऊपर आता है क्योंकि कर्मचारियों की संख्या कम रहती है. इसलिये भर्ती की प्रक्रिया भी चालू रहे तो निश्चित ही वह अच्छे से काम कर पायेंगे.वर्तमान में अगर हम देखें तो उनका समय हमेशा परेशानी में गुजरता है. विषम परिस्थियों में भी वह समस्याओं का सामना करता है इसीलिये उनको सुविधाएं दी जायेंगी तो निश्चित ही वह अच्छा काम करेंगे. हमारे यहां पर व्यवस्था सुधरेगी. उपाध्यक्ष महोदय, हरदा नया जिला है और थाने बहुत कम है इसलिये हरदा ग्रामीण एक थाना बनाया जाये. एक झीपानेर थाना बनाया जाये और मोरगढ़ी, मगरता और सोनतलाई को चौकी बना दिया जायेगा तो निश्चित ही हमारे जिले में अपराधों की कमी होगी. जैसे की जीतू भाई ने बताया कि खिरकिया में दंगा हुआ था, उस अपराधी को पकड़ लिया गया है उसके लिये मैं मंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. राज्यपाल जी के अभिभाषण में मैंने बोला था कि एक अपराधी जो दंगे का अपराधी है और फिर दंगा कराने की बात कर रहा था और वह एस पी को चेलेंज कर रहा था और धमका रहा था, वह आदमी पकड़ा गया है. इसलिये आपको बहुत बहुत बधाई. ऐसे अपराधियों को छोड़ना नहीं चाहिये क्योंकि यह हमेशा मानवता के विरूद्ध काम करते हैं और मानवता के विरूद्ध वालों को हमेशा दंड देना बहुत जरूरी होता है. आपने बोलने का समय दिया इसलिये धन्यवाद.
श्री देवेन्द्र वर्मा :- अनुपस्थित.
श्रीमती शीला त्यागी (मनगवां):- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं पुलिस विभाग के विपक्ष में कभी बोल ही नहीं सकती क्योंकि मेरा इस विभाग से आत्मिक लगाव है, मैं आई पी एस की बेटी हूं , मेरे पिता भी कई जिलों में एस पी रह चुके हैं. नरसिंहपुर, दमोह और नीमच में एस पी रह चुके हैं.लेकिन मैं अपने क्षेत्र से संबंधित कुछ मांगे रखना चाहती हूं मेरा जो विधान सभा क्षेत्र है वह उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है. वहां पर जो गढ़ और मनगवां थाने हैं इन थानों के अंतर्गत करीब 150 गांव आते हैं और इन थानों के अंतर्गत दो चौकियां है, कुछ गांव नईगढ़ी और सिरमौर क्षेत्र में भी आते हैं. लेकिन उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से कहना चाहती हूं कि जो लालगांव चौकी है उसको थाने में परिवर्तित किया जाए और साथ ही साथ मनगवां और गढ़ के जो थाने हैं वहां पर पुलिस बल की कमी है जिसकी वजह से हमको जब अपराध की सूचना मिलती है तो हमें जब उनको सूचित करना होता है तो टी.आई और एस.आई वहां पर पदस्थ होते हैं तो वह यही कहते हैं कि हम एक मुंशी और एक सिपाही के भरोसे मैं थाना छोड़कर नहीं जा सकता हूं. मेरी आपके माध्यम से मंत्री जी से विशेष आग्रह है कि वहां पर पुलिस बल बढ़ाया जाये और साथ ही साथ थानों में महिला पुलिस कर्मियों की भी पदस्थापना की जाये. माननीय मुख्यमंत्री जी का संकल्प है कि हम प्रदेश को अत्याचार और भय मुक्त रखते हुए सबको न्याय दिलवायेंगे.लेकिन मध्यप्रदेश पुलिस बल में आत्मबल की कमी नहीं है. सुविधाओं में कमी हो सकती है लेकिन फिर भी मध्यप्रदेश की पुलिस ने कारनामे भी किये हैं और कुछ गलत काम भी उनसे हो जाते हैं जैसे एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है पुलिस विभाग में ईमानदार अफसरों की कमी नहीं है लेकिन कुछ ईमानदार अफसर,कर्मचारी हैं जो मानवीय गलत काम कर जाते हैं उनके ऊपर फौजदारी का मुकदमा दायर होना चाहिये. रही बात पुलिस विभाग के अधिकारी,कर्मचारियों की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की जाये जैसा मुकेश नायक जी ने कहा और भी सदस्यों ने कहा. मैं भी आपसे गुजारिश करती हूं कि थानों को अधिक से अधिक सुविधा सम्पन्न बनाया जाये. महिला पुलिस कर्मियों की अधिक से अधिक भर्ती की जाये. साथ ही साथ होमगार्ड के जो कर्मचारी हैं उनका यह उद्देश्य है कि जब भी कोई आपातकाल की स्थिति आती है कोई शांति व्यवस्था बनानी होती है तो उनको बेचारों को बुला लिया जाता है लेकिन वे बेचारे न रहकर एक विशेष बात जो मैं कहना चाहती हूं कि एस्ट्रोसिटी एक्ट के थाने जो बने हैं वहां पर उन्हीं अधिकारी,कर्मचारियों को उसी वर्ग से पदस्थ किया जाये जिससे कि उनको न्याय मिल सके साथ ही साथ पुलिस कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा,स्वास्थ्य की सुविधाओं के लिये विभाग द्वारा जो बजट दिया गया है वह बहुत कम है उसमें बढ़ोत्तरी की जाये जिससे पुलिस कर्मी आराम से मानसिक और शारीरिक रूप से संतुलित रहकर ड्युटी कर सकें क्योंकि अधिक ड्यूटी तो उन्हीं पर पड़ती है. डंडा लेकर तो उन्हें ही खड़े रहना पड़ता है. जिसकी वजह से उनका ध्यान अपने परिवार की सुख-सुविधाओं पर ध्यान न रहे बल्कि चौराहे पर खड़े हुए अपनी ड्युटी पर रहे. आपने समय दिया धन्यवाद.
श्री वैलसिंह भूरिया (सरदारपुर) - उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3,4,5, का समर्थन क रता हूं और सरकार के समर्थन में मेरी बात को कहने के लिये खड़ा हुआ हूं. वाकई में हमारा जो मध्यप्रदेश है अमन चैन और शांति का टापू है. मध्यप्रदेश के अंदर कानून व्यवस्था बहुत अच्छी है. उसमें कोई शंका-कुशंका वाली बात नहीं है लेकिन पुलिस डिपार्टमेंट में सुधार की भी आवश्यक्ता है. हमारे धार,झाबुआ,अलिराजपुर में ज्यादा क्राईम होता है. क्राईम होने का एक ही कारण है कि आदिवासी भाईयों में छोटी-छोटी बात को लेकर विवाद हमेशा होता रहता है और उसका एक कारण है दारू. संविधान के अनुसार पांचवीं अनुसूची के अनुसार धार,झाबुआ में दारू की दुकानें खोलने का कोई अधिकार ही नहीं है. कानून में प्रावधान है. जितनी भी गुजरात दारू जाती है वह धार,झाबुआ से होकर जाती है. उसके ऊपर भी रोक लगाई जाये यह मेरा सरकार को सुझाव है. हमारे धार जिले के अंदर मैं धार जिले के कलेक्टर,एस.पी. को धन्यवाद देना चाहूंगा क्योंकि धार जिले में जो बसंत पंचमी का त्यौहार था वह अमन,चैन और शांति से मना,बहुत अच्छा शांति का वातावरण है. अभी जितू भाई कह रहे थे मैं बता देना चाहता हूं कांग्रेस कमेटी का प्रदेश का महासचिव नारे लगाता है पाकिस्तान जिंदाबाद मैं कहना चाहता हूं कि हिन्दुस्तान में रहना है तो वंदेमातरम् बोलना पड़ेगा. भारत माता की जय बोलना पड़ेगा. हमारे कांग्रेस के विधायक जी कह रहे थे यूसुफ खत्री जी की बात मैं नाम लेकर बोलता हूं डर की कोई चिंता की बात नहीं है हम जो बोलते हैं डंके की चोट पर बोलते हैं. आदिवासी भाईयों की बहन,बेटियों के साथ इनके परिवार के लोग अत्याचार करते हैं. छेड़छाड़ करते हैं चलते रास्ते में स्कूल की बच्चियों के साथ. हमारे जो लोग हैं वे चुप नहीं बैठेंगे. पूरे धार जिले के अंदर अशांति फैलाने का काम कांग्रेस के लोगों के द्वारा किया जा रहा है. धार जिले में बसंत पंचमी का त्यौहार अमन,चैन,शांति से हो गया....
श्री वैलसिंह भूरिया- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पूरे धार जिले के अंदर अशांति फैलाने का काम कांग्रेस के लोगों के द्वारा किया जा रहा है । धार जिले में बसंत पंचमी का त्यौहार अमन, चैन और शांति से हो गया तो दूसरे दिन कांग्रेस के पूर्व विधायक और कांग्रेस के नेता लोग हमारे एक राष्ट्रीय धरोहर है, उनके ऊपर हमारे कार्यालय के ऊपर.......
श्री सुखेन्द्र सिंह - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सीधे सीधे आरोप लगाना ठीक नहीं है ।
श्री वैलसिंह भूरिया- हमारे कार्यालय के ऊपर, संघ के स्वयं सेवक के कार्यालय के ऊपर, पत्थर फिकवाते हैं, अशांति फैलाने का काम करते हैं । बना साहब मैं बता रहा हूं खुद के ऊपर आती है तो फिर मिर्ची भी लगती है, सत्य को स्वीकार करिए। माननीय उपाध्यक्ष महोदय वाकई में धार जिले में, सरदारपुर तहसील में और मध्यप्रदेश में अमन चैन और शांति का माहौल है । कांग्रेस के लोग फिजा बिगाड़ने का काम करते हैं, यह सिद्व हो गया है और उसके ऊपर मुकदमा कायम हुआ है, देशद्रोह का मुकदमा का कायम हुआ है, कांग्रेस के पदाधिकारी के ऊपर वह हमेशा पूरे धार जिले में अमन चैन और शांति बिगाड़ने का काम करते हैं ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कुछ लोग हैं धार जिले में, धार और झाबुआ जिले में ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है । धार जिले में फिजा बिगाड़ने का काम कांग्रेस के लोग ही करते हैं । माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं फिर कहना चाहता हूँ वाकई में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और हमारे गृहमंत्री जी ने एक व्यवस्था लागू की है, वह बहुत शानदार है एक फोन लगाओ 100 नम्बर डॉयल करो, एक बार क्या हुआ मैं भोपाल से गया तो मैंने सोचा कि पुलिस को चेक तो करें मैंने दो तीन जगह नम्बर दबा दिए चौराहों पर चारों जगह से चार गाडि़यां आ गई । माननीय अध्यक्ष महोदय यह टेस्ट हो गया, मध्यप्रदेश की सरकार और गृह विभाग बहुत ही अच्छा कार्य कर रहे हैं ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और बता देना चाहता हूं पुलिस विभाग में आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता है अंत में मेरे क्षेत्र की समस्या बताता हूं, धार जिले के सरदारपुर विधानसभा में तिरला एक ऐसा क्षेत्र है, जहां पर पुलिस चौकी खोलने के लिए माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा भी है, बहुत जल्दी पुलिस चौकी वहां पर स्वीकृत की जाए, झाबुआ से लगा हुआ क्षेत्र है, बहुत क्राइम होते हैं, रीनोत को पुलिस थाना घोषित किया जाए, माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का समय दिया,बहुत बहुत धन्यवाद और माननीय गृह मंत्री जी को भी बहुत बहुत धन्यवाद ।
श्रीमती ऊषा चौधरी(रैगांव)- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, सतना जिले में जिस तरह पुलिस प्रशासन काम कर रही है, ठीक ठाक है, लेकिन पुलिस कर्मियों को और भी ज्यादा बढ़ावा देने की जरूरत है, क्योंकि हमारे सतना जिले में कई तीर्थ स्थल हैं, जब मेले का समय आता है, चाहे चित्रकूट हो, चाहे मैहर हो तो सारे के सारे अधिकारी, कर्मचारी उन मेलों में लग जाते हैं, जब क्षेत्रीय समस्या होती है,कोई क्राइम होता है तो उसके लिए थाने में पुलिस विभाग के न तो अधिकारी बचते हैं न महिला पुलिस बचती है और न कोई जिला अधिकारी बचते हैं, इसलिए पुलिस विभाग में यह नीति बननी चाहिए कि जिस तरह हर विभाग में 8 घण्टे की ड्यूटी की जाती है उसी तरह पुलिस विभाग में भी 8 घण्टे की ड्यूटी होनी चाहिए ताकि शिफ्ट वाईज शिफ्ट जिले को, ठीक से कानून व्यवस्था को, पुलिस विभाग देख सके और शेष सदस्यों ने बोला है कि उनके परिवारों को उनके बच्चों के लिए हर सुविधा होना चाहिए पर माननीय उपाध्यक्ष महोदय,मेरे सतना जिले में उचेहरा थाने में एक महीना पहले 1.1.16 की घटना है, मुबारक अली के घर में आक्रमण हुआ जिन लोगों ने आक्रमण किया राजनैतिक द्वेष और पारिवारिक द्वेष के कारण उनके ऊपर मुकदमा दर्ज नहीं हुआ और दूसरे लोगों पर मुकदमा कायम हुआ फिर मैंने सदन में प्रश्न भी लगाया उसके बाद जांच प्रतिवेदन तो गया लेकिन जो मूल अपराधी थे,उसमें 5 लोगों के अंतिम प्रतिवेदन तो शामिल किए गए, लेकिन दो लोगों का नाम छोड़ दिया गया क्योंकि वह दबंग घराने के लोग थे, राजनीति से जुड़े हुए लोग थे, मैं नाम नहीं लेना चाहूंगी ।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, उसमें सबसे बड़ी शर्म की बात यह है कि जो व्यक्ति घटनाक्रम में नहीं था जिस व्यक्ति के नाम से रिपोर्ट की गई उसकी पत्नि का नाम न जोड़कर उसकी भाभी का नाम उसके साथ जोड़ दिया गया तमीला बी के नाम से रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी और उसके पति का नाम उसके जेठ के साथ मुबारक अली किया, यह अंतिम प्रतिवेदन पुलिस की रिपोर्ट बता रही है ।
इसमें सुधार किया जाये एवं जांच कराई जाये.
उपाध्यक्ष महोदय - आप एक मिनिट में समाप्त करेंगी. आपके ढाई मिनिट हो चुके हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, अभी एक मिनिट ही तो हुआ है. आज महिला दिवस है. मैं कहना चाहूँगी कि हम महिलाओं को थोड़ा एक्सट्रा समय दे दिया जाये.
उपाध्यक्ष महोदय - आप दिल्ली भी तो हो आई हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी - हो आई हूँ लेकिन वहां बोलने का मौका नहीं मिला है.
उपाध्यक्ष महोदय - आप दूसरे विभाग की मांगों पर बोलिएगा. इसमें समाप्त करें.
श्रीमती ऊषा चौधरी - उपाध्यक्ष महोदय, आज महिला दिवस के अवसर पर, हमने देखा कि होशंगाबाद जिले में इटारसी में एक 12 वर्षीय लड़की, (XXX) , वह दलित समाज से है. उसका सामूहिक रेप किया गया और वह एक महीने से एम्स में भर्ती है, उसका ठीक से इलाज नहीं हो रहा है और जो सामूहिक बलात्कार किये हैं, वे गिरफ्तार नहीं हुए हैं. दूसरे लोग गिरफ्तार हुए हैं तो ऐसी घटनायें मध्यप्रदेश के अन्दर हो रही हैं. महिला थाने में सुधार किये जाने की जरूरत है. धन्यवाद.
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XXX आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया - उपाध्यक्ष महोदय, बलात्कार से पीडि़त लड़की का नाम रिकॉर्ड से हटा दीजिये.
उपाध्यक्ष महोदय - नाम आ गया है. नाम नहीं आना चाहिए. इसे कार्यवाही से निकाला जाये.
श्रीमती ऊषा चौधरी - उपाध्यक्ष महोदय, जब दिल्ली में किसी लड़की के साथ रैप होता है तो पूरे देश में कैण्डिल मार्च होता है. पूरा देश कानून व्यवस्था की बात करता है. लेकिन जब ग्रामीण क्षेत्रों में, बीहड़ों में, पठारों में, जंगलों में गरीब परिवार के साथ कोई दबंगाई करता है तो उस पर कोई कार्यवाही नहीं होती है. उसकी रिपोर्ट नहीं लिखी जाती है. ऐसी कानून व्यवस्था बनाई जाये. एक निवेदन और करना चाहती हूँ कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा, लड़कियों की सुरक्षा की खातिर ग्रामीण ब्लॉक एवं तहसील स्तर पर जूडो-कराटे क्लास खुलवाये जायें ताकि महिलाओं की सुरक्षा हो सके. धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र पटेल (इछावर) - माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का मौका दिया, उसके लिये धन्यवाद देना चाहता हूँ. मैं अनुदान मांग संख्या 3, 4 एवं 5 की कटौती प्रस्ताव के समर्थन में बोलने के लिये खड़ा हुआ हूँ और निश्चित रूप से पूर्व वक्ताओं ने जो बातें रखी हैं, वह सत्यता के नजदीक हैं.
उपाध्यक्ष महोदय, जब देश में प्रदेश की बात आती है, चाहे वह रैप की बात हो, चाहे महिलाओं पर अपराध की बात हो, चाहे एस.सी.एस.टी. के ऊपर अपराध की बात आती हो, तो मध्यप्रदेश का नम्बर ऊपर की तरफ आता है और यह विचार कहीं न कहीं आना चाहिए कि उसका क्या कारण है ? जो कारण मुझे समझ में आता है, वह यह आता है कि प्रदेश में जो पुलिस बल की संख्या में भारी कमी है. इस सरकार ने यह भी निर्णय लिया था कि हम प्रतिवर्ष 6,000 पुलिस आरक्षकों की भर्ती करें ताकि नई चौकी और नये थाने खुलें लेकिन अभी तक वह संभव नहीं हो पा रहा है. एक ओर अपराध जहां जुँआ, सट्टा, नशा और बेरोजगारी के कारण बढ़ता है, दूसरी ओर कहीं न कहीं पुलिस बल की कमी के कारण भी अपराधों में अंकुश नहीं लग पाता है. जब तक हम यह नहीं देखेंगे कि प्रति हजार व्यक्ति, हमारे पास कितना पुलिस बल हैं ? और देश एवं प्रदेशों में कितने बल हैं ? जब तक अपराधों में अंकुश नहीं लग पायेगा और इसी तरह हमारे प्रदेश का सिर कहीं न कहीं शर्मशार होता रहेगा. निश्चित रूप से, जो पुलिस कर्मचारी और अधिकारियों के वेलफेयर की बात हुई. चाहे उनकी सैलेरी की बात हो, चाहे उनके ड्रेसेस के एलाउंस की बात हो, चाहे उनके मेडीकल एलाउंसेस की बात हो, चाहे स्टेशनरी की बात हो, तो निश्चित रूप से भारी कमियां है, विषमतायें हैं. जब तक इन विषमताओं को दूर नहीं करेंगे, प्रदेश में अपराधों में अंकुश नहीं लगेगा.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं एक बात और मानता हूँ कि पुलिस को जब हम देखते हैं, समझते हैं, सोचते हैं कि पुलिस कैसी हो तो चुस्त-दुरूस्त हो. हमेशा एक्टिव हो. हमें, हमेशा पुलिस की ऐसी अवधारणा रहती है. उसके लिये समय-समय पर उनकी फिजिकल ट्रेनिंग, नॉलेज ट्रेनिंग और रिफ्रेशमेन्ट कोर्सेस की जरूरत है और वह नहीं हो पाता है. वह केवल फॉरमैलिटी के नाम पर होते हैं. हर 3 महीने एवं 4 महीने में, ये कोर्सेस समय-समय पर होते रहते हैं. निश्चित रूप से, डॉयल 100 की बात आई, अभी भी उसमें बहुत सुधार की आवश्यकता है. वह नई-नई योजना है. अगर वह लागू की है तो उसको सुधार करके बढ़ायें ताकि उसकी जो कमियां हैं, उसे दूर करें और प्रदेश के अन्दर, आज पुलिस बल की कमी है, उसको कहीं न कहीं दूर करने का प्रयास करें.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, दूसरा, जो होमगार्ड की बात आई है. होमगार्ड का, मैंने एक प्रश्न भी लगाया था. होमगार्ड से आज पुलिस बल में कमी होने के कारण, थानों में सिपाही के रूप में कार्य करवाया जाता है और उनको हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी उनकी वेतन विसंगति को दूर नहीं किया गया क्योंकि वे 24 घण्टे कार्य करते हैं. पहले स्वयं सेवक के रूप में थे, कालान्तर में जब पुलिस बल की कमी हुई है तो एक आरक्षक या प्रधान आरक्षक के साथ लगाकर काम लिया जाता है. इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है.
माननीय उपाध्यक्ष महोदय, एक और बात लायसेन्स की है. लायसेन्स की जो प्रक्रिया है, उसके सरलीकरण की आवश्यकता है और कहीं न कहीं आज जो बहुत सी सिक्योरिटी कम्पनियां हैं.
वह बंदूक धारियों को लायसेंस देते हैं. कई बार बात आती है कि आपके पास जमीन, प्रापर्टी नहीं है. तो बंदूक लेकर क्या करेंगे. उन बेरोजगारों के लिये भी ऐसा नियम बनना चाहिये कि उनको भी लायसेंस दिया जाये, ताकि उनको रोजगार प्राप्त हो सके. दूसरा, चिंट फंड कम्पनियों का भी मकड़जाल प्रदेश के अंदर है. बहुत सी कम्पनियां प्रदेश के नौजवानों का और मध्यम वर्ग का पैसा लेकर, लूटकर भाग गई हैं. जब तक उनके ऊपर तेजी से काम नहीं होगा और इसमें बहुत से लोगों का पैसा डूबा हुआ है. चाहे साईंप्रसाद कम्पनी, मेरे खुद के जिले से करोड़ रुपये लेकर वह गई है. उनके ऊपर अंकुश लगाने की जरुरत है. मैं एक और बात कहना चाहता हूं कि एफआईआर होना पर्याप्त नहीं है. किसी अपराधी को अपराधी शब्द सिद्ध करने के लिये विवेचना की आवश्यकता होती है. अगर विवेचना सही तरीके से नहीं होगी, तो अपराधियों को सजा नहीं मिलेगी और फिर वह समाज के अंदर लौटकर आयेंगे. तो विवेचना के ऊपर ध्यान देने की जरुरत है कि प्रापर विवेचना हो और अपराधी उससे न बच जायें. ग्राम सुरक्षा समिति को और इम्पावर्ड करने की जरुरत है. अंत में अपने क्षेत्र की एक मांग रखना चाहता हूं कि भोपाल से लेकर इन्दौर के बीच में एक अमलहा करके चेक पोस्ट है. वहां पर अभी तक पुलिस चौकी नहीं है. हाईवे है. वहां पर एक्सीडेंट भी होते हैं और कंजरों का मूव्हमेंट भी होता है. तो वहां पर एक पुलिस चौकी बने, ताकि भोपाल और इन्दौर हाइवे पर, जो कि प्रदेश की आर्थिक राजधानी और राजधानी के बीच स्थित है, वहां से गुजरने वाले यात्रिों को सुविधा प्राप्त हो सके. साथ ही कंजर का सीहोर और शाजापुर जिलों में आतंक है. ये कंजर सबसे ज्यादा किसानों पर जुर्म करते हैं, मोटर और मोटर साइकिलें ले जाते हैं. इन कंजरों के उन्मूलन का प्रयास अलग से किया जाये, यह मैं मांग करता हूं. आपने बोलने के लिये मौका दिया, इसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
कुंवर सौरभ सिंह (बहोरीबंद) -- उपाध्यक्ष महोदय, मैं मांग संख्या 3,4 और 5 के विरोध में खड़ा हुआ हूं. कटनी जिले के बहोरीबंद के समीप अभी एक बहुत बड़ा हत्याकांड हुआ था, जिसमें पुलिस ने यह बताया कि एक भाजपा कार्यकर्ता शशांक तिवारी ने अपने दो बच्चों, पत्नी और दो कुत्तों को मारकर खुद आत्महत्या कर ली. मैं इस विषय में बोलना चाहता हूं कि वह व्यक्ति जमीन पर बैठकर अपनी 12 बोर बंदूक से गले में मारा है, ऊपर छत पर छर्रे लगे हुए हैं. खून के धब्बे हैं. पर हाथ में उनके एनपी बोर 315 है. खाली कार्टर एक भी नहीं मिले, इतने राउंड्स चलने के बाद. जिसे पुलिस सुसोइड नोट बता रही थी, वहां पर उसने बच्चे में टाइम डाला हुआ है कि बड़े बच्चे को मैंने इतने बजकर इतने मिनट पर मारा, आधे घण्टे में दूसरे बच्चे को मारा. कुत्तों को इतने बजे मारा और पत्नी को इतने बजे मारा. मेरा इसमें गृह मंत्री जी से निवेदन है कि इसकी कृपया सीबीआई से जांच करायें. यह सुसाइड केस नहीं है. विभाग के वार्षिक प्रतिवेदन के पेज नम्बर 23 में आपने दिखाया है कि भिक्षावृत्ति करते 2722 लोग पकड़े गये. क्या पूरे प्रदेश में 2722 लोग भिक्षा मांग रहे हैं. इस आंकड़े से मैं सहमत नहीं हूं. एटीएम से आज कल कई लोग चोरी कर रहे हैं. वहां कैमरा लगा है, उसके बाद भी लोग पकड़े नहीं जा रहे हैं. साइबर क्राइम के बारे में आदरणीय सुदर्शन गुप्ता जी ने कहा कि कई एसएमएस और मेल गरीब लोगों के पास आते हैं, जिसमें कहा जाता है कि आपने इतना इनाम जीत लिया और लोग उनसे मेल में बात करते हैं और उनके पास पैसे जा रहे हैं. इसी तरह से पेज नम्बर 26 में बिन्दु 6.11.1 में अवैध शराब और जुआं के बारे में उल्लेख है. मेरा ऐसा मानना है कि पुलिस को आबकारी विभाग भी दे सकते हैं, क्योंकि सारी पेकारी पूरे मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग चला रही है. पेज नम्बर 36 में नारकोटिक्स के बारे में उल्लेख है. आप रेल्वे स्टेशन जाइये या बस स्टेण्ड जाइये. 10 से 15 किशोर बच्चे आपको गांजे की पुड़िया लेते हुए मिलेंगे, स्नेक्स लेते मिलेंगे. इतनी ज्यादा संख्या में नारकोटिक्स अपने यहां आ रहा है और छोटे बच्चे जो बिना पढ़े लिखे हैं, वह इसका व्यसन कर रहे हैं, इसमें अपनी कोई पकड़ नहीं है, कोई कंट्रोल नहीं है. जब पुलिस बल में कमी है, तो मेरा मानना है कि 100 डायल हमने क्यों स्टार्ट किया. हमारे जिले में ही काफी पुलिस बल की कमी है. पुलिस बल की संख्या जनसंख्या के अनुपात से होना चाहिये. मेरा मंत्री जी से निवेदन है कि पुलिस का काम पुलिसिंग का फील्ड वर्क करवायें. आपने पूरे पुलिस प्रशासन को कागजों में समेट दिया है. आप उनसे सिर्फ फिगर बनवा रहे हैं और क्षेत्र में पुलिस नहीं घूम रही है. मांग संख्या 5 के संबंध में प्रशासकीय प्रतिवेदन के पेज नंबर 20 भाग दो के पहले पैरा में आपने कहा है कि आपने जो राशि रखी है, वह घटाई नहीं जा सकती, क्योंकि आंदोलनों में बहुत सारे लोग जेल में जाते हैं. इसलिये खाने की व्यवस्था करनी पड़ती है. मैं कहना चाहता हूं कि आंदोलन के कारण कई बार मैं जेल गया, पर खाने को कभी नहीं मिला. वर्ष 2011-12, 2012-13, 2013-14, 2014-15 एवं 2015-16 में क्रमशः 3.9912 लाख, 192.72 लाख,234.51 लाख,1512.23 लाख का व्यय बचत होना बताया गया है. इतने सालों में लगातार यह राशि बच रही है, इसका मतलब है कि जब आपको पद पूर्ति करनी थी, आपने न डीपीसी की न पद पूर्ति की. कहीं न कहीं आपकी इस ढिलाई का पूरे प्रदेश को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. यह जो आंकड़े सरकार पेश कर रही है, हकीकत कुछ और बया हो रही है, जमीन पर सब लोग आये हुये हैं, कोई किसी पार्टी की तारीफ करे या बुराई करे इससे फर्क नहीं पड़ता . समस्या जनता की है और सरकार को समस्या पर ध्यान देना चाहिये समस्या का समाधान करना चाहिये. उपाध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का अवसर प्रदान किया उसके लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
उपाध्यक्ष महोदय-- बहादुर सिंह जी आपका नाम सूची में नहीं था, आपको मैं 2 मिनिट का समय देता हूं कृपया क्षेत्र की बात करके समाप्त करेंगे.
श्री बहादुर सिंह चौहान(महिदपुर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपका आदेश शिरोधार्य. मैं गृह मंत्री द्वारा प्रस्तुत मांगों का समर्थन करता हूं. मैं अपने विधानसभा क्षेत्र की कुछ समस्याओं की और मंत्री जी का ध्यानाकर्षित करना चाहता हूं. उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील राजस्थान के बार्डर से लगी हुई है और जन सहयोग से थाना झारला जिसमें 77 गांव आते हैं जनता के द्वारा 25-30 लाख का भवन बनाकर के राणारापीर में चौकी का प्रस्ताव भी शासन के पास लंबित है. वहां एक चार की गार्ड है एक स्टार पुलिस पदस्थ है, मेरी मांग है कि वहां पर भवन उपलब्ध है, प्रस्ताव भी शासन के पास आ चुका है इसलिये राणारापीर में पुलिस चौकी खोलने का प्रस्ताव स्वीकृत करेंगे. नागदा तहसील अंतर्गत थाना नागदा में रूपाटा गांव मेरी विधानसभा का आता है, पाटीदार बाहुल्य गांव है, वे कृषि करते हैं. कंजरों का इतना आतंक है, चोमेला राजस्थान में आता है वह टेक्टर ले जाते हैं 50 हजार रूपये लेकर के 1 लाख रूपये लेकर के टेक्टर वापस दे देते हैं. मैंने ध्यानाकर्षण भी लगाया था. एक टेक्टर झारला का वापस आ गया है लेकिन रूपाटा के अंदर जो थाना नागदा में जो अपराध दर्ज है वह उस गरीब किसान पाटीदार का टेक्टर आज दिनांक तक वापस नहीं आया है, आग्रह है कि निश्चित रूप से मंत्री जी उस पर कार्यवाही करेंगे. भूतभवन महाकाल की नगरी में पुलिस के जो मकान बने हैं, पुलिस अपराध को रोकने का काम करती है उनके मकान की स्थिति ठीक नहीं है, मंत्री जी उस पर भी ध्यान देंगे. उपाध्यक्ष महोदय आपने समय दिया , बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री यशपाल सिंह सिसोदिया(मंदसौर) -- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मात्र एक सुझाव देना चाहता हूं. गृह मंत्री आदरणीय गौर साहब पूर्व में नगरीय प्रशासन मंत्री भी रहा करते थे. नगरीय क्षेत्रों में पुलिस कालोनी बनती है वह सरकार की जमीन पर और सरकार के बजट पर बनती है, उनके नक्शे भी पास होते हैं, अनुमति भी मिलती है.लेकिन बाद में उनका हाल यह होता है कि वह कालोनियां नगर पालिका को हस्तानांतरित नहीं होती है जिसके कारण वे कालोनियां वैध होते हुये भी अवैध कहलाती हैं. गृह मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि वे कुछ ऐसी व्यवस्था करें ताकि वे कालोनियां जिसमें नल जल की व्यवस्था, नाली निर्माण की व्यवस्था, सड़क निर्माण की व्यवस्था कर सकें. उपाध्यक्ष महोदय आपने समय दिया बहुत बहुत धन्यवाद.
समय 6.52
अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
उपाध्यक्ष महोदय-- आज की कार्य सूची के पद क्रमांक 6 के उप पद (2) का कार्य पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धी की जाये. मैं समझता हूं सदन इससे सहमत है.
सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.
गृह मंत्री (श्री बाबूलाल गौर) --माननीय उपाध्यक्ष महोदय, वास्तव में आज का दिन बहुत ही ऐतिहासिक दिन है. जिन माननीय सदस्यों ने इस चर्चा में भाग लिया है मैं उनका हृदय से आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने आलोचना कम की है और सकारात्मक सुझाव दिये हैं. शायद मध्यप्रदेश की विधानसभा में गृह विभाग के लिये यह बहुत ही शुभ दिन है कि जब आपने पुलिस की तारीफ की है और दिल से की है. इस चर्चा के अंदर माननीय मुकेश नायक, माननीय रामेश्वर शर्माजी, माननीय जितू पटवारी जी,माननीय सुदर्शन गुप्ता जी, माननीय बलवीरसिंह दण्डोतिया जी, माननीय रामकिशन जी, श्रीमती शीला त्यागी जी, वैलसिंह भूरिया जी, श्रीमती उषा चौधरी , शैलेन्द्र पटेल जी, कुंवर सौरभ सिंह जी, बहादुर सिंह चौहान जी और यशपाल सिंह सिसोदिया जी ने बहुत अच्छे विचार रखे .
उपाध्यक्ष महोदय-- गौर साहब, क्या कारण है कि सबसे कम लोगों ने आपके विभाग की चर्चा में भाग लिया.
श्री बाबूलाल गौर-- उपाध्यक्ष महोदय, कोई कमी नहीं थी, अच्छा काम था इसलिये लोगों ने भाग कम लिया.
श्री बाबूलाल गौर (जारी)-- उपाध्यक्ष महोदय मैं बताना चाहता हूं कि ...
श्री जितू पटवारी-- पुलिस से डर भी लगता है.
श्री बाबूलाल गौर-- माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्यों की इसलिये प्रशंसा कर रहा हूं, पुलिस का विभाग बड़ा संवेदनशील विभाग है. इसमें हर व्यक्ति जिसके खिलाफ अत्याचार होता है, आरोप होता है, प्रत्यारोप होता है वह अपनी बात कहने आता है और जिसके खिलाफ कार्यवाही होती है वह भी दुखी होता है और जो आता है वह भी दुखी रहता है. यह विभाग ऐसा है जिसमें लोगों के अंदर कभी भी संतोष व्याप्त नहीं होता, लेकिन इसके बाद भी मध्यप्रदेश के पुलिस की जो आज तारीफ की गई है, मैं उनका हाथ जोड़कर अभिवादन करता हूं, तारीफ करता हूं कि मध्यप्रदेश की पुलिस एक आदर्श पुलिस है. मैं माननीय सदस्यों के सुझावों का बाद में उत्तर दूंगा, पहले मैं अपनी बात रख लूं क्योंकि समय उपाध्यक्ष महोदय आपने 7.00 बजे तक का समय दिया है और 6.56 हो रहा है तो क्या आज जारी रखी जाये बहस.
6.56 बजे {अध्यक्ष महोदय (डॉ. सीतासरन शर्मा) पीठासीन हुये}
अध्यक्ष महोदय-- माननीय मंत्री जी का उत्तर देने और पत्र क्रमांक .... समय बढ़ा दिया.
श्री बाबूलाल गौर-- माननीय अध्यक्ष मैं यह बताना चाहता हूं कि जो आंकड़े पेश किये गये हैं, अलग- अलग प्रकार के अपराधों के, उसके परीक्षण की आवश्यकता है, क्योंकि अभी उनको हम सही इसलिये नहीं मान सकते कि हमारे हिसाब से वह तथ्यात्मक ढंग से पेश नहीं किये गये. मैं सबसे पहले जो पुलिस के बारे में बताया गया कि यह कार्य होना चाहिये, यह कार्य की आवश्यकता है और फंड जितना चाहिये 10 हजार रूपये का तो मैं माननीय वित्तमंत्री जी से कहूंगा अगली बार 5 हजार की जगह 10 हजार ही कर देना आप ताकि यह समस्या का समाधान हो जाये.
श्री यशपाल सिंह सिसौदिया-- करोड़ बता देना आप.
श्री बाबूलाल गौर-- हां 10 हजार करोड़, माननीय अध्यक्ष महोदय, पुलिस की बहुत अधिक आवश्यकता है, सुरक्षा के लिये, सम्पत्ति की रक्षा के लिये, जानमाल की रक्षा के लिये और उसके लिये हमने कुछ कार्यवाही भी की है. क्राइम एण्ड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एण्ड सिस्टम को लागू करने में पूरे मध्यप्रदेश में अग्रणी हैं. मध्यप्रदेश में 1029 थानों में 428 वरिष्ठ कार्यालयों में सीसीटीएनएस के माध्यम से सभी कार्य जैसे एफआईआर, अपराध बैरूल पत्रक, गिरफ्तारी पत्रक, जप्ती पत्रक, चालानी पत्रक, सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज तैयार किये गये हैं तथा डिजीटल मध्यप्रदेश की दिशा में यह एक बहुत बड़ा कदम है. आधुनिकता की तरफ जो आपने ध्यान दिलाया, उस संबंध में हम कार्यवाही कर रहे हैं. दूसरा पुलिस कर्मी की भर्ती के लिये मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का और वित्त मंत्री जी का आभार व्यक्त करता हूं कि चरणबद्ध तरीके से मुख्यमंत्री जी और वित्तमंत्री जी की घोषणा के परिप्रेक्ष्य में प्रतिवर्ष 6 हजार पुलिसकर्मियों की भरती की जायेगी ताकि अपराधों पर प्रभावी नियंत्रण हो सके. इन सभी योजनाओं की पूर्ति के लिये बजट में समानुपातिक रूप से वृद्धि की गई है और इस वर्ष 2015-16 की तुलना में इस वर्ष 158 करोड़ रूपये की वृद्धि बजट में की जा रही है. यह हमेशा वृद्धि करने के कारण ही संभव हो सका है.
दूसरा मेरा अनुरोध है सीसीटीव्ही के बारे में, मुझे अपने सभी साथियों को बताते हुये हर्ष है कि पूरे प्रदेश में 61 शहरों में करीब 1972 स्थानों पर सीसीटीव्ही पर आधारित सुरक्षा एवं निगरानी व्यवस्था इस साल की जा रही है. मध्यप्रदेश के सभी 11 शहरों में 832 स्थानों पर उपकरण स्थापित करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. सिंहस्थ के परिप्रेक्ष्य में उज्जैन के ओंकारेश्वर में मार्च में ही यह प्रणाली कार्य करना शुरू कर देगी तथा अन्य बड़े शहरों में जून तक यह सिस्टम आंतरिक सुरक्षा के परिप्रेक्ष्य में पूर्ण कर लिया जायेगा.
इसके अलावा पुलिस आवास के सवाल पर जहां आप सबने चिंता प्रकट की है, वास्तव में पुलिसकर्मी जो है उनको बहुत कम किराया मिलता है, आज बाजार के अंदर उन्हें एक कमरा या मकान 5 हजार रूपये में मिलता है, उसे बहुत कम राशि दी जाती है, लेकिन हम आने वाले 10 सालों में हर पुलिसकर्मी को उसका मकान और उसके रहने की पूरी व्यवस्था, उसका स्कूल और उसकी सारी व्यवस्था करेंगे, यह आपको विश्वास दिलाना चाहते हैं और उसके अंतर्गत...
श्री जितू पटवारी-- 10 साल.
श्री बाबूलाल गौर-- अभी हमारा ही राज रहेगा भैया, अरे आप चिंता मत करो अभी 10-20 साल हम ही रहेंगे. हम बड़ी-बड़ी घोषणायें नहीं करते.
श्री जितू पटवारी-- 10 साल नहीं 20, 25, 30 साल जियेंगे अभी, वह लड़ाई नहीं है.
श्री बाबूलाल गौर-- मैं पूरे 100 साल तक रहूंगा इस विधानसभा के अंदर, आप चिंता नहीं करिये.
अध्यक्ष महोदय, पिछले कुछ वर्षों में मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत पुलिस के जवानों और राजपत्रित अधिकारियों के लिए 10500 मकानों का निर्माण किया गया. यह बात मैं शेखी बघारने के लिए नहीं कह रहा हूं. यह पुराने मकान जो इतने जीर्ण-शीर्ण हो गये थे कि उसमें रहने लायक व्यवस्था नहीं थी. जब मैं शाहजहांनाबाद की एक कॉलोनी में गया, मैं वकील भी था. मेरा एक रिश्तेदार पुलिस में कर्मी था. जब मैं उसके घर जाता था तो एक उसके पास केवल एक कमरा था और एक आंगन था. आंगन में चूल्हा था और उसकी पत्नी उस पर भोजन बनाती थी. उस मकान पर कवेलू चढ़े थे और बांस का छान था. कभी कभी चूहे ऊपर झगड़ा कर ले तो छिपकली गिर पड़ती थी. यह थी पुलिस कर्मियों के मकान की दशा. न पानी की व्यवस्था, न स्कूल की व्यवस्था. अध्यक्ष महोदय, अब हमने जो मकान बनाये हैं. विधायकजी आप जरा देख कर आना. इतने बढ़िया मकान बनाये हैं कि मंत्री के मकान से भी वह अच्छे दिखते हैं. हमारे मकान 50-60 साल पुराने हैं. मैं जिस बंगले में रहता हूं वहां पानी टपकता है. 1956 में बने थे. हम उसको अच्छा करेंगे. आप उसको देखिये. मैं प्रशंसा नहीं कर रहा हूं. अन्य विभाग के द्वारा जो मकान निर्माण किया जाता है, हम कम पैसे में अच्छा मकान पुलिस कर्मियों को दे रहे हैं, यह बहुत बड़ी बात है.
अध्यक्ष महोदय, पुलिस कल्याण हेतु अत्यधिक मांग के परिप्रेक्ष्य में राज्यशासन द्वारा आगामी 5 वर्षों में 25 हजार अतिरिक्त मकान बनाने का निर्णय लिया है. इसके लिए वित्तमंत्रीजी ने हमें सहमति दी है. अभी 30-35 प्रतिशत मकानों की कमी है, मैंने इसलिए कहा कि आने वाले 10 वर्षो में इसकी पूर्ति कर लेंगे.
अध्यक्ष महोदय, डायल 100 स्कीम. 'तुमने बुलाया और हम चले आये.'(हंसी) आप डायल 100 योजना देखिये. आप अभी कह रहे थे कि अमेरिका में देख कर आये हैं. अमेरिका मैं भी गया और मुख्यमंत्रीजी भी गये थे. मैंने वहां 911 योजना देखी है. बहुत अच्छी योजना है. अमेरिका धनी देश है. दुनिया का सबसे अमीर देश है. हमारा उनसे मुकाबला करना संभव नहीं है. क्योंकि वहां का स्टेंडर्ड ऑफ लिविंग बहुत अच्छा है. वहां कोई आदमी एक मजदूर भी नहीं रख सकता क्योंकि मजदूर का वेतन इतना ज्यादा है.
अध्यक्ष महोदय, प्रदेश के समस्त 51 जिलों में डायल 100 सेवा में प्रतिदिन औसतन 90 हजार कॉल प्राप्त होते हैं. जिनकी समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाता है. यहां तक कि फर्स्ट रिस्पांस वेटेज के रुप में डायल 100 की गाड़ियां रोजाना 5 हजार स्थानों पर पहुंच कर उनकी समस्याओं का तुरंत निदान करती हैं. मौके पर तुरंत राहत प्रदान करती है. विगत 4 माह में ही इस योजना से सैकड़ों ऐसे उदाहरण सामने आये हैं जिससे आमजन में इसके प्रति रुझान बढ़ा है. तथा अपराधों में प्रभावी नियंत्रण हुआ है और असामाजिक तत्वों में कानून का भय पैदा हुआ है.
अध्यक्ष महोदय, नायक साहब ने हमारे 3 डीजीपी की तारीफ की. हमारे जितने भी IPS अधिकारी हैं, उनमें 99 प्रतिशत ईमानदार हैं इसलिए पुलिस की व्यवस्था ठीक है. आप सुरेन्द्र सिंह की बात कर रहे हैं, नन्दन जी की कर रहे हैं, त्रिपाठी जी की कर रहे हैं. ये बहुत ही ईमानदार हैं. यह बात आपके द्वारा कहे जाने के बाद हमारा सीना फुल जाता है कि अगली बार आप भी पुलिस में भर्ती हो, ताकि पुलिस विभाग बहुत अच्छा काम करे.
अध्यक्ष महोदय, सिंहस्थ-2016 जो 21 अप्रैल से शुरु होने वाला है. सिंहस्थ की भीड़ प्रबंधन सुरक्षा को लेकर अभूतपूर्व तैयारी की गई है. 5 करोड़ से अधिक दर्शनार्थियों के आने की संभावना को देखते हुए 25 हजार पुलिस कर्मचारियों को तैनात किया जायेगा. इनका प्रशिक्षण पूर्ण किया जा चुका है.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्रीजी ने पूरे उज्जैन को पिछले 5 साल में स्मार्ट सिटी बना दिया है. आप देखेंगे कि 12 साल बाद जब सिंहस्थ होता है तो पूरी नगरी का परिवर्तन हो जाता है. यह भारत की ऐसी पवित्र नगरी है, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने सांदिपनि आश्रम में अध्ययन किया और महाकाल का यहां दरबार है.
अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्रीजी द्वारा सुरक्षा से संबंधित सभी कार्यों का शिलान्यास किया तथा उन्होंने पुलिस की बैरकों को, आवासीय गुणवत्ता की मुक्त कंठ से सराहना की. किसी भी आपात स्थिति में आपदा प्रबंधन के लिए होमगार्ड, स्टेट डिजास्टर, एमएनसी रिस्पांस फोर्स जवानों को विशेष रुप से प्रशिक्षण दिया जाना. इन सब कार्यों के लिए हम बहुत ही चिन्तित हैं और उनको कर रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह बताना चाहता हूं कि 5000 करोड़ जो हमें मिले हैं, उसमें प्रदेश के अंदर नये थाने भी खोल रहे हैं. बहुत से माननीय सदस्यों ने मांग की है, उसका हम परीक्षण करेंगे. लेकिन अभी हम 11 नवीन थाने खोलने जा रहे हैं. भोपाल में कटारा हिल्स, सतना में देहात, सिंगरौली में नवानगर, इंदौर में गांधी नगर, श्री सुदर्शन गुप्ता जी नहीं हैं? इंदौर में तिलक नगर, उज्जैन में नाकझिरी, शहडोल में पमोद, जबलपुर में तिलवाड़ा, नरसिंहपुर में डौंगरगावं, सिवनी में डूंडासिवनी ग्रामीण, रायसेन में उद्योग क्षेत्र सलामतपुर, ये 11 नवीन थाने इस वर्ष खोले जाएंगे. इसके अलावा 21 चौकियों को भी हम प्रारंभ करने जा रहे हैं. सीहोर में अम्लाहा, जो आपने मांग रखी है. आपकी बात पहले से ही हमें मंजूर थी.
श्रीमती शीला त्यागी - मैंने भी चौकी को थाने में परिवर्तित करने की बात की थी.
श्री शैलेन्द्र पटेल - आपको धन्यवाद. दो साल से मैं लगातार प्रयास कर रहा था, आपने उसको पूरा किया बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री बाबूलाल गौर - अध्यक्ष महोदय, विदिशा में कामपुर, होशंगाबाद में बालागंज, रायसेन में देहात, रायसेन में छिंद जहां हनुमान जी का बहुत बड़ा मंदिर है. बैतूल में भौरा, बैतूल में सोनाघाटी, इंदौर में जिला अस्पताल, खरगौन में बमनाला, रतलाम में धामनौद, गुना में घोसीपुरा, गुना में नानाखेड़ी, अशोकनगर में बंगलाचौराहा, उमरिया में घुनघुटी, इसके बाद कुछ चौकियों का उन्नयन करके थाने बनाए जाएंगे और उन चौकियों के नाम हैं, डिंडौरी में मेहद्वानी, जबलपुर में गौरा बाजार, नरसिंहपुर में कंडेलटाऊन, छिंदवाड़ा में रावनबाड़ा, बड़वानी में परसूद और बड़वानी में जुलवानिया , इनको उन्नयन करके थाने के रूप में स्थापित करेंगे.
अध्यक्ष महोदय, इतनी उपलब्धियां इस सरकार के द्वारा रही हैं..
श्री वैलसिंह भूरिया - मुझे भी कुछ दे दें. धार जिले के सरदारपुर में तिरला जो है वहां बहुत आवश्यकता है, वह झाबुआ बार्डर से जुड़ा हुआ है. वहां पर बहुत ज्यादा क्राईम होता है. अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति से मैं माननीय मंत्री महोदय से निवेदन कर रहा हूं, तिरला की अभी आप घोषणा कर दें तो मेरे लिए वरदान हो जाएगा. तिरला पुलिस चौकी सरदारपुर तहसील में खोली जाए.
श्री बाबूलाल गौर - मैंने आपकी बात सुन ली. जिन माननीय सदस्यों ने जो नयी चौकी या थाने के बारे में कहा है उसमें काफी रुपया खर्च होता है. हम परीक्षण करके आपको बताएंगे कि यह कब तक खोल पाएंगे. लेकिन में असत्य घोषणा नहीं करना चाहता, आपको न वरदान चाहता, न श्राप देना चाहता. कुछ माननीय सदस्यों ने जो आरोप लगाए थे या आलोचना की थी कि प्रदेश की साम्प्रदायिक स्थिति के बारे में जैसा बताया. बिल्कुल वह पूरी कंट्रोल में हैं. कोई भी साम्प्रदायिक दंगा नहीं हुआ. छोटी-मोटी घटनाएं जरूर हुई हैं, उसके लिए हम पूरी सक्षमता के साथ कर रहे हैं. जिनका नाम आपने बताया, उनको मैंने व्यक्तिगत कहा है, जो प्रिंट करते हैं. उनको कहा है कि आपको भारत से छोड़ने की जरूरत नहीं है. उनको पुलिस का स्पेशल गॉर्ड दिया है. डीजीपी से बात की, चीफ सेक्रट्री से बात की, कलेक्टर से बात की और मैंने कहा कि आप जाएंगे तो मुझे बहुत दुख होगा. आपके प्रिंट के कारखाने में जो देश में प्रसिद्ध है, उसको किसी प्रकार की हानि नहीं होने देंगे, यह पुलिस का और गृह मंत्री का दावा है कि हम आपकी पूरी रक्षा करेंगे और वह हमारी बात को मान गये. उन्होंने कहा कि मैं कहीं नहीं जाऊंगा, मैंने दुख के साथ यह कहा है और इसलिए मैं कहना चाहता हूं कि यह छोटे-मोटे जो झगड़े हुए हैं उसको आप दंगे का रूप मत दीजिए. कोई साईकिल से टकरा गया हिन्दू-मुसलमान, उसमें विवाद हो गया, कोई पड़ोसी का पानी इधर से उधर आ गया, वह नाराज हो गया. कोई लेन-देन का मामला है. यह पुलिस ने इसको दंगा नहीं माना है. यह आपस की पड़ोसी की एक प्रकार की घटना है. यह दंगे के रूप में इसको नहीं लेना चाहिए. इसलिए मैं आपसे निवेदन करता हूं कि कितने त्यौहार इस समय आए. एक साथ इतने त्यौहार आए. हिन्दुओं के, जैनियों के, मुस्लिम भाइयों के भी. इन त्यौहारों में एक ही तिथि में 2015 में संपन्न हुए. माह सितम्बर में गणेश उत्सव, बकरा ईद, माह अक्टूबर में नवरात्री, मोहर्रम, दशहरा, त्यौहारों को एक साथ मनाया गया. बसंत पंचमी को बहुत आनंद के साथ मनाया. अब बसंत पंचमी शांति से हो गई तो कुछ लोग जाकर हमारे आरएसएस की कारों में पत्थर मार आए. जिन पर आरोप लगता था कि यही दंगे कराते हैं, उन्होंने कहा कि नहीं, भैया दंगे नहीं होना चाहिए तो कुछ नाराज होकर कार लेकर गाड़ी जला आए. आप जरा देखना पटवारी साहब कि ऐसा तो नहीं होना चाहिए , जिनके लिए आप आलोचना करते हैं.
श्री जितू पटवारी -- यह व्यवस्था भी आप की है जिन्होंने चलाया है उनको तो अंदर करो वह भी आज तक अंदर नहीं हुए हैं.
श्री बाबूलाल गौर -- ठीक है करेंगे. जहां पर भी सांप्रदायिक दंगा हुआ है वहां पर तुरंत कार्यवाही की गई है. मैंने स्वयं भोपाल के जो मुफ्ती हैं, और देवास के मुफ्ती हैं उन्होंने कहा कि यहां पर एक जुलूस निकल रहा है, उसके कारण यहां पर बहुत उत्तेजना हो गई है. हमने वहां पर स्पेशल फोर्स उज्जैन से भेजा है, वहां पर पूरे क्षेत्र में धारा 144 लगायी कर्फ्यू लगाया गया, हमने कोशिश की कि किसी की अंगूली में चोट नहीं लगना चाहिए. यह पूरी कार्य़वाही हमारे द्वारा निष्पक्षता के साथ में की गई . इसमें राजनीतिक संरक्षण जातिवाद, संप्रदायवाद का हमने कभी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया है. इसलिए मैं यह बताना चाहता हूं कि अभी किसी ने कहा कि विदेशी महिला जेल के अंदर गर्भवती हो गई. विदेशी महिला पहले से ही गर्भवती थी, यह विदेशी महिला दिसंबर के महीने में दाखिल हुई है, जांच के दौरान गर्भवती होना पाया गया है, अदालत को भी सूचना दी गई है तीन दिन पहले एक बच्ची का जन्म हुआ है. यह इस तरह के आरोप जेल के कर्मचारियों पर लगाना अच्छी बात नहीं है.
श्री जितू पटवारी -- उ सके पीछे मेरी भावना यह थी कि अखबारों में जिस तरह से आया तो वह शंका पैदा करता है इसलिए आपका स्पष्टीकरण जरूरी था, आपने किया धन्यवाद अब आप बच्ची का नामकरण कर दें.
श्री बाबूलाल गौर -- नामकरण का अधिकार मुझे नहीं है वह तो उसकी माता का अधिकार है. 65 कस्बों में एवं शहरों में 19 स्थानों पर लगभग 10 हजार सीसीटीवी कैमरों की 429 करोड़ की योजना स्वीकृत है. इसमें से 11 शहरों में 825 स्थानों पर कैमरे लगाने का काम शुरू हो गया है. इस योजना से भोपाल में स्टेट सीटीवी कण्ट्रोल रूम में ऐसे उपकरण होंगे जिससे पूरे प्रदेश में किसी भी स्थान के कैमरे को देखा जा सकता है. मुकेश नायक जी आपके सुझाव पर हम ये कार्यवाही कर रहे हैं. जहां तक आपने हथियार के बारे में कहा है कि हथियार पुराने हैं. हथियार अब बहुत बदल गये हैं. आपको बताना चाहता हूं कि 5.56 रायफल 30595 हमने खरीदी हैं, 7.62 एसएलआर रायफल 27619 हमने खरीदे हैं , एके 47 रायफल 1220 नग हमने खरीदे हैं, कुछ उपलब्ध अच्छी रायफलें 59434 खरीदे हैं यह सब आधुनिक हैं भारत सरकार के स्टैण्डर्ड हैं उसके अनुसार खरीदे गये हैं.
श्रीमती ऊषा चौधरी -- महिलाओं को एक एक पिस्तौल गिफ्ट कर दें. हमारी सुरक्षा के लिए होगा आप हमें गिफ्ट कर दें हम संभाल लेंगी.
श्री बाबूलाल गौर -- पिस्तौल रखना एक प्रकार से अपने सम्मान को बढ़ाने जैसा है. लेकिन यह हथियार हर एक को नहीं रखना चाहिए. मैं तो आज तक कभी भी नहीं रखता हूं. 9 एमएम पिस्टल11365 लाये हैं, आधुनिक आयातित पिस्टल 2482 हैं. कुल अच्छी पिस्तौल13847 खरीदी गई हैं.
श्री मुकेश नायक -- यह पिस्टल पूरी दुनिया की पुलिस में कोई नहीं रखता है इसका कार्टेज फंस जाता है. रिवाल्वर का जमाना है, एक से बढ़कर एक वेपन आ गये हैं. यह 9 एमएम पिस्टल बहुत पुराना है इसका कार्टेज फंस गया तो बहुत मुश्किल होती है.
श्री बाबूलाल गौर -- माननीय अध्यक्ष महोदय इस सुझाव पर विचार करेंगे. भोपाल में आपने क्षेत्रीय फारेंसिक प्रयोगशाला की कमी के बारे में आपने बताया है तो उसका विस्तारीकरण किया जा रहा है, शीघ्र ही भोपाल में डीएनए टेस्टिंग की सुविधा चालू की जायेगी. विगत वर्ष में 96 वैज्ञानिक अधिकारियों की भर्ती की गई है और फिंगर प्रिंट के लिए नया एफएएस सिस्टम स्थापित किया जा रहा है.
यह जो सभी ने अपने सुझाव दिये हैं उसके लिए मैं आभारी हूं. अध्यक्ष महोदय मैं अनुरोध करूंगा कि जिन जिन माननीय सदस्यों ने थाने की चौकियों की मांग की है बाद में वह हमसे मिल लें बाद में उनकी मांगों पर विचार करेंगे. धन्यवाद् जय हिंद.
श्रीमती ऊषा चौधरी (रैगांव) -- वह लड़की एम्स में पड़ी हुई है, उसकी व्यवस्था के लिए आपने कुछ नहीं कहा है, वह 12 साल की बच्ची है. उसका बयान लेकर जांच कराके अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए.
श्री बाबूलाल गौर -- जांच करा देंगे.
श्री जीतु पटवारी -- अध्यक्ष जी, यदि अनुमति दें तो मैं एक बात कहना चाहता हूँ.
श्री बलवीर सिंह डण्डौतिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ाई जाएगी या नहीं.
अध्यक्ष महोदय -- मंत्री जी के जवाब के बाद में परंपरा नहीं है इस तरह की. मैं पहले कटौती प्रस्तावों पर मत लूंगा.
प्रश्न यह है कि मांग संख्या - 3, 4 एवं 5 पर प्रस्तुत कटौती प्रस्ताव स्वीकृत किए जायें.
कटौती प्रस्ताव अस्वीकृत हुए.
अध्यक्ष महोदय -- अब मैं मांगों पर मत लूंगा. प्रश्न यह है कि 31 मार्च, 2017 को समाप्त होने वाले वर्ष में राज्य की संचित निधि में प्रस्तावित व्यय के निमित्त राज्यपाल महोदय को -
अनुदान संख्या - 3 पुलिस के लिए पांच हजार तीन सौ तैंतीस करोड़, छियासठ लाख, बाईस हजार रुपये,
अनुदान संख्या - 4 गृह विभाग से संबंधित अन्य व्यय के लिए इकतालीस करोड़, पचपन लाख, अठासी हजार रुपये, तथा
अनुदान संख्या - 5 जेल के लिए तीन सौ बयालीस करोड़, पैंतीस लाख, बयासी हजार रुपये,
तक की राशि दी जाए. मांगों का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ.
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 9 मार्च, 2016 को प्रातः10.30 बजे तक के लिए स्थगित.
सायं 7.16 बजे विधानसभा की कार्यवाही बुधवार, दिनांक 9 मार्च, 2016 (19 फाल्गुन, शक संवत् 1937 ) के पूर्वाह्न 10.30 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भगवानदेव ईसरानी
भोपाल : प्रमुख सचिव
दिनांक : 8 मार्च, 2016 मध्यप्रदेश विधान सभा.