मध्यप्रदेश विधान सभा
की
कार्यवाही
(अधिकृत विवरण)
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षोडश विधान सभा द्वितीय सत्र
फरवरी, 2024 सत्र
गुरुवार, दिनांक 8 फरवरी, 2024
(19 माघ, शक संवत् 1945)
[खण्ड- 2 ] [अंक- 2 ]
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मध्यप्रदेश विधान सभा
गुरुवार, दिनांक 8 फरवरी, 2024
(19 माघ, शक संवत् 1945)
विधान सभा पूर्वाह्न 11.01 बजे समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
निधन का उल्लेख
(1) दिनांक 6 फरवरी,2024 को हरदा जिले के ग्राम बैरागढ़ स्थित पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के बाद आग लगने से अनेक व्यक्तियों की मृत्यु होना.
(2) माह दिसम्बर,2023 में लेह-लद्दाख में आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ में सेना के जवान श्री राजेश यादव का शहीद होना.
(3) दिनांक 30 जनवरी,2024 को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के टेकलगुड़ेम में हुए नक्सली हमले में सीपीआरएफ के जवान एवं भिण्ड जिले के गांव कुपावली के निवासी श्री पवन भदौरिया सहित कई जवान शहीद होना.
(4) दिनांक 27 दिसम्बर,2023 को गुना से आरोन जा रही यात्री बस के डम्पर से टकराने से अनेक यात्रियों की जलने से मृत्यु होना.
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव)-- अध्यक्ष महोदय, मुझे यह सूचित करते हुए अत्यन्त दुख हो रहा है कि दिनांक 6 फरवरी,2024 को हरदा जिले के ग्राम बैरागढ़ में एक पटाखा फैक्ट्री में भीषण विस्फोट हुआ और लगभग 11 लोगों का इसमें देवलोक गमन हुआ है और कई लोग घायल हुए हैं,यह हम सबको जानकारी है. इस भीषण हादसे को लेकर के मेरा मन भी व्यथित है. मैं स्वयं भी कल वहां गया था. घायलों से भी मिला हूं. मैं इस दु:ख की घड़ी में मृतक परिवारों के शोक में शामिल भी हूं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की बाबा महाकाल से कामना करता हूं.
माह दिसम्बर, 2023 में लेह लद्दाख में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में हमारे सेना के जवान शहीद श्री राजेश यादव एक भीषण संघर्ष के बाद उन्होंने बहादुरी का परिचय देते हुए शरीर छोड़ा, वह सागर जिले की बंडा तहसील के ग्राम क्वायला के निवासी थे. हमारे ऐसे बहादुर जवान की शहादत पर गर्व भी है.
30 जनवरी, 2024 को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के हमले में हमारे अपने सीआरपीएफ के जवान जो मूलत: भिण्ड जिले के गांव कुपावली के निवासी थे. मैं ऐसे जवान जिन्होंने नक्सली हमले में प्राण गवां दिये, लेकिन मध्यप्रदेश को हमारे अपने जवान के जाने का गम है, लेकिन हमको गर्व भी है कि ऐसे बहादुरी के क्षण में अपने प्राणों की बाजी लगाकर के उन्होंने हम सब के लिये एक तरह से नक्सलियों के आगे न झुकने के प्रण को मजबूत करने का विश्वास दिलाया है.
इसी प्रकार 27 दिसम्बर, 2023 को गुना से आरौन जा रही बस के डंपर से टकराने से कई यात्री मारे गये हैं और कई लोग उसमें घायल भी हुए थे. मैंने उस घटना में स्वयं ने भी उनके घर जाकर के उन संवेदना में हिस्सेदारी की थी और इस संबंध में, मैं अपनी ओर से सदन में विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
आज के इस अवसर पर जाने-अंजाने इस सत्र के दरम्यान सभी दिवंगतों को अपनी ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.
नेता प्रतिपक्ष ( श्री उमंग सिंघार):- माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले कई सालों में प्रदेश में एक बड़ी घटना प्रदेश में हुई है. निश्चित तौर से देश के प्रधानमंत्री, देश के राष्ट्रपति सबने शोक व्यक्त किया. इस घटना में जिनकी मृत्यु हुइ उनके परिवारों के प्रति मेरी संवेदना है. भावनाएं तो हम व्यक्त करते हैं और संवेदना भी व्यक्त करते हैं. उस परिवार का जो भविष्य है, उनके बारे में भी संवेदनाओं के साथ हमें आगे सोचना चाहिये, तब जाकर के हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी. उन परिवारों के प्रति मेरी ऐसी भावना है.
लेह लद्दाख में आंतकवादियों से मुठभेड़ में श्री राजेश यादव जी, जो सागर जिले के बंडा तहसील के रहने वाले थे, वह शहीद हुए उनके परिवार को भी मेरी ओर से श्रद्धांजलि.
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के टेकलगुड़ेम में श्री पवन भदौरिया जी भिण्ड जिले के थे, वह जवान लड़ते हुए शहीद हुआ, निश्चित तौर से हमारे प्रदेश के अंदर ऐसे बहादुर जवान हैं, जो देश और प्रदेश की सुरक्षा के लिये हमेशा तत्पर रहते हैं. गुना से आरौन जा रही बस के डंपर से टकराने में कई परिवारों के लोगों की आग लगने से मृत्यु हुई. इस प्रकार के हृदय विदारक जो भी हादसे प्रदेश में हुए हैं, उन सभी मृत व्यक्तियों को मेरे दल की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. मैं सदन की ओर से शोकाकुल परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं.धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय :- मैं सदन की ओर से शाकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं. अब सदन दो मिनिट मौन खड़े रहकर दिवंगतों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करेगा.
(सदन द्वारा 2 मिनट खड़े होकर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी.)
अध्यक्ष महोदय:- दिवंगतों के सम्मान में सदन की कार्यवाही 10 मिनिट के लिये स्थगित.
(11.11 बजे सदन की कार्यवाही 10 मिनिट के लिए स्थगित)
11.22 बजे विधान सभा पुनः समवेत हुई.
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए.}
तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर
अध्यक्ष महोदय - अब प्रश्नकाल प्रारंभ होगा. सभी लोग कृपया स्थान ग्रहण कर लें.
क्षेत्रीय
नवीन
महाविद्यालय
की स्थापना
[उच्च शिक्षा]
1. ( *क्र. 469 ) डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या क्षेत्रीय कठिनाई एवं आवश्यकता को दृष्टिगत रख छात्र एवं छात्राएं जावरा नगर में कन्या एवं विधि महाविद्यालय प्रारंभ किये जाने की मांग कर रहे हैं? (ख) क्या संपूर्ण रतलाम जिले में मात्र एक-एक ही कन्या एवं विधि महाविद्यालय होने से असंख्य छात्र-छात्राएं उच्च अध्ययन से विभिन्न कारणों से वंचित रह जाते हैं? (ग) यदि हाँ, तो आलोट, ताल, बड़ावदा, पिपलौदा एवं जावरा तहसील के छात्र-छात्राओं का भौगोलिक दृष्टि से जावरा नगर केंद्र न्यायोचित होकर जिले के शेष भाग का मुख्य नजदीकी केंद्र भी है? (घ) छात्र-छात्राओं के उच्च अध्ययन, अध्यापन एवं भौगोलिक दृष्टि से नजदीक केंद्र होने से जावरा नगर में विधि एवं कन्या महाविद्यालय प्रारम्भ किया जाये तो कब तक प्रारंभ किया जायेगा?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) कुछ विद्यार्थियों द्वारा जावरा नगर में विधि महाविद्यालय खोले जाने हेतु एक ज्ञापन दिनांक 30.07.2023 को प्राचार्य, भगतसिंह शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जावरा को प्रस्तुत किया था. (ख) जी नहीं। जानकारी संलग्न परिशिष्ट अनुसार है। (ग) एवं (घ) शासकीय महाविद्यालय जावरा, बडावदा एवं पिपलौदा में सहशिक्षा महाविद्यालय होने एवं विभाग के मापदण्ड अनुसार उक्त महाविद्यालय 20 से 30 कि.मी. की परिधि में होने के कारण जावरा में शासकीय कन्या महाविद्यालय एवं सीमित वित्तीय संसाधनों के कारण वर्तमान में विधि महाविद्यालय खोले जाने में कठिनाई है.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, सर्वप्रथम तो मैं आपका अपनी ओर से और सदन की ओर से स्वागत करता हूं. सोलहवीं विधान सभा का यह पहला प्रश्न है. स्थानीय क्षेत्र के साथ प्रदेश और देश में आपका नेतृत्व, आपकी कार्यकुशलता और गंभीरता से हमने संरक्षण प्राप्त किया है. मैं इस प्रश्न में भी आपका संरक्षण चाहूंगा. अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न सामान्य-सा है, लेकिन अत्यंत आवश्यक है. रतलाम जिले में विगत वर्षों में 1963 से अशासकीय रूप से विधि महाविद्यालय संचालित होता रहा है और एकमात्र विधि महाविद्यालय है. इसको लगभग 60 वर्ष से अधिक हो चुके हैं और यही स्थिति वर्ष 1971 में कन्या महाविद्यालय जिला मुख्यालय पर प्रारंभ हुआ था. लगभग 53 वर्ष हो चुके हैं. लगातार छात्राओं की बढ़ती हुई संख्या और लगातार कानून की पड़ने वाली आवश्यकताएं, इन दोनों दृष्टि से कन्या महाविद्यालय अतिरिक्त रूप से जिले में प्रारंभ किया जाना चाहिए. मैं भारतीय जनता पार्टी की सरकार का, विगत वर्ष के शासनकाल का धन्यवाद भी ज्ञापित करना चाहता हूं कि अनेक महाविद्यालय प्रारंभ किये गये, किन्तु को-एजूकेशन के साथ-साथ कुछ पेरेंट्स यह भी चाहते हैं कि छात्राओं के लिए अलग से महाविद्यालय खोला जाय. लगातार छात्राओं की संख्या भी बढ़ रही है. अगर मैं मेरे स्थानीय जावरा क्षेत्र की ही बात करूं, रतलाम जिले का सेंटर पाइंट है. ताल, आलोट, बड़ावदा, उससे लगा हुआ है, लगभग साढ़े तीन हजार के आसपास छात्राएं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय सदस्य प्रश्न करें.
डॉ. राजेन्द्र पाण्डेय - अध्यक्ष महोदय, मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है कि कन्या महाविद्यालय और विधि महाविद्यालय प्रारंभ किये जाने की अनुमति प्रदान करें.
श्री इन्दर सिंह परमार -- अध्यक्ष महोदय, माननीय राजेन्द्र जी का प्रश्न तो महत्वपूर्ण है और विधि महाविद्यालय वहां से अशासकीय रूप से पहले से ही चल रहा है. अभी हमने कन्या महाविद्यालय जिला केन्द्र पर और पहले जो जिले से अन्य जगहों पर खुल चुके हैं, ऐसे 54 पूरे प्रदेश में अभी संचालित हैं. इसलिए अभी कई जिला केन्द्रों में भी हमारे पास कन्या महाविद्यालय नहीं हैं. इसलिए हम उस पर एक नीति बना रहे हैं और नीति के अनुसार धीरे-धीरे करके नीचे जाएंगे, फिर जिले में भविष्य में जो बडे़ सेंटर हैं, उनका परीक्षण कराकर आगे करने वाले हैं. क्योंकि इनके यहां का जो महाविद्यालय है वह भी बहुत पुराना है, जो अभी संचालित है और इसलिए उसकी जो कैपेसिटी है, उसमें अभी 5860 छात्र पढ़ते हैं तो हम अभी उसी महाविद्यालय को और कैपेसिटी के साथ में, उसको संसाधन देने का हमने तय किया है और करने वाले हैं और बाकी दोनों विधि महाविद्यालय और कन्या महाविद्यालय का परीक्षण कराकर के भविष्य में जब योजना बनेगी, उसको उसमें जोडे़ंगे.
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- धन्यवाद. माननीय मंत्री जी, एक परीक्षण करवा लें लेकिन दोनों में से एक महाविद्यालय की कम से कम स्वीकृति प्रदान कर दें कि अतिशीघ्र इसकी स्वीकृति दे दी जाएगी. अतिशीघ्र प्रारम्भ कर दिया जाएगा. अतिशीघ्र हम परीक्षण करवाकर इसको प्रारम्भ करेंगे, तो कुछ तो मुझे आश्वासन मिल जाए.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक बार पूरे मध्यप्रदेश के संदर्भ में सोचकर के, पूरा अध्ययन करके और आगे का जैसा भी होगा, उसको करेंगे. क्योंकि अभी कन्या महाविद्यालय में हमारे जिला केन्द्र छूटे हैं इसलिए उनको कवर करना है और जैसे-जैसे व्यवस्था होती जाएगी, करेंगे लेकिन मैंने व्यक्तिगत रूप से भी कहा है कि हम भविष्य में जरूर जावरा को....
डॉ.राजेन्द्र पाण्डेय -- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी अभी जो बता रहे हैं, मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हॅूं कि उन्होंने यह आश्वस्त किया है कि हमारे यहां का महाविद्यालय काफी पुराना है और उसमें छात्र-छात्राओं की संख्या भी अधिक है तो उसमें कम से कम अभी दोनों महाविद्यालयों के लिये जब तक यह परीक्षण करवाएं, तब तक वहां पर जो आवश्यकताएं हैं, जैसे एक तो वहां एम.ए. (अंग्रेजी), समाज शास्त्र, बी.ए. (होमसाइंस) और कृषि संकाय की आवश्यकता है तो कम से कम उसकी स्वीकृति प्रदान कर दें, ताकि वहां पर फैकल्टी खुल जाए.
श्री इन्दर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, एम.ए. (अंग्रेजी) और समाज शास्त्र यह हम अगले सत्र से प्रारम्भ कर देंगे. होम साइंस में थोड़ा देख लेते हैं कितने विद्यार्थी आते हैं क्योंकि ऐसे विषयों पर कम बच्चियां एडमिशन ले रही हैं लेकिन हम फिर भी इसका परीक्षण करके तय करेंगे और एक एग्रीकल्चर का है उसका भी थोड़ा, क्योंकि एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी चालू कर रहे हैं उसी क्रम में चालू किया है. उसको कैसे क्या कर पाएंगे, उसका भी परीक्षण कराकर देखेंगे. लेकिन एम.ए. (अंग्रेजी) और समाजशास्त्र अगले सत्र से कर देंगे.
उर्वरक भण्डारण, वितरण केन्द्र
[सहकारिता]
2. ( *क्र. 415 ) श्री सुशील कुमार तिवारी : क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या बरेला क्षेत्र के धनपुरी, कुटेली, महगवां डूंगा, कुडारी, उमरिया, तिलहरी, पडवार, सलैया एवं अन्य अनेक ग्रामों के किसानों को उर्वरक लेने हेतु डबल लॉक सेंटर जबलपुर लगभग 40 से 50 कि.मी. आना पड़ता है? (ख) क्या जबलपुर के व्यस्त ट्रैफिक एवं सीजन के समय ट्रैक्टर ट्रालियों के इकट्ठा हो जाने के कारण उर्वरक लेने हेतु एक से दो दिन का अतिरिक्त समय लगता है? (ग) प्रश्नांश (क), (ख) का उत्तर हाँ है तो क्या बरेला मुख्यालय में उर्वरक भण्डारण वितरण केन्द्र प्रारंभ किया जावेगा? (घ) यदि हाँ, तो कब तक? यदि नहीं, तो क्यों?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) बरेला क्षेत्र के विभिन्न ग्रामों की डबल लॉक सेन्टर जबलपुर से दूरी पृथक-पृथक है। किसानों की सुविधा अनुसार बरेला शाखा से संबद्ध सेवा सहकारी समिति पडवार, बरेला एवं पिन्डरई समिति से किसानों को उर्वरक उपलब्ध कराया जाता है। किसान आवश्यकता अनुसार निजी विक्रेताओं से भी उर्वरक प्राप्त कर सकते हैं। (ख) जबलपुर के व्यस्त ट्रैफिक एवं सीजन के समय ट्रैक्टर ट्रालियों के इकट्टा हो जाने के कारण उर्वरक लेने हेतु एक से दो दिन का अतिरिक्त समय लगने के संबंध में विपणन संघ को कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। विपणन संघ जबलपुर के समस्त उर्वरक विक्रय केन्द्रों में उपस्थित कृषकों को उनकी मांग अनुसार दैनिक रूप से उर्वरक उपलब्ध कराया जाता है। (ग) वर्तमान में बरेला उर्वरक भण्डारण वितरण केन्द्र खोलने की कोई प्रक्रिया प्रचलन में नहीं है। (घ) प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता है।
श्री सुशील कुमार तिवारी -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा वास्तविक प्रश्न यह है कि हमारे यहां बहुत छोटे किसान हैं जिनके पास संसाधन भी नहीं हैं, ट्रेक्टर्स भी नहीं हैं उनको यदि ट्रैक्टर लेने जाना पड़ता है तो बहुत दूर लगभग 40-50 किलोमीटर व्यय अधिक आता है. मैंने डबल लॉक सेंटर की मांग की थी कि खाद डबल लॉक में किया जाना चाहिए. मेरा ऐसा कहना है कि अभी आपके उत्तर में आया है कि प्राइवेट लोगों से, प्राइवेट दुकानों से खाद ली जा सकती है तो मेरा आपसे यह निवेदन है कि क्यों नहीं ली जा सकती, तो इसका कारण आपको पता है कि प्राइवेट में क्या स्थिति होती है क्या अधिक दरें, ब्लैक या अन्य चीजें होती हैं. मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहता हॅूं कि कोई ऐसी व्यवस्था लागू की जाए जिससे उन छोटे किसानों को वहीं लाभ प्राप्त हो सके. अभी वर्तमान में मुश्किल से सौ-डेढ़ सौ किसानों तक ही खाद पहुंच पाती है. यदि कोई डबल लॉक या अन्य कोई व्यवस्था माननीय मंत्री जी देंगे, तो मैं मानकर चलूंगा कि उन्हें किसानों के हित में बहुत बड़ा काम हो जाएगा, ऐसा मेरा माननीय मंत्री जी से निवेदन है.
श्री विश्वास सारंग—माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक जी ने जो प्रश्न पूछा है उसमें बरेला क्षेत्र में तीन पैक्स हमारे काम करते हैं. बरेला, पिन्डरई, पडवार तीनों में हमारे जो ऋणी किसान हैं. उनको समय से जब भी जरूरत होती है उर्वरक उपलब्ध होता है. माननीय विधायक जी ने जो बात की है वृत्तिकर्मी जो किसान हैं उनसे संबंधित है. पूरे प्रदेश में नगद खाद देने के लिये डबल लॉक की व्यवस्था है, परन्तु इस क्षेत्र में अभी जो परीक्षण हुआ है इसकी आवश्यकता महसूस नहीं होती. जहां तक हमारे जो ऋणी किसान हैं उनको उर्वरक उपलब्ध कराने की जो व्यवस्था वह सुचारू रूप से चल रही है. इसलिये जो माननीय विधायक जी ने जो दूरी दी है, वह भी बहुत ज्यादा है. मैंने पूरा परीक्षण कराया. सभी गांवों में इन सोसाईटियों से उर्वरक मिलता है. पर माननीय विधायक जी की कोई पर्टिक्यूलर बात होगी तो मैं उसका निश्चित रूप से निदान करूंगा.
अध्यक्ष महोदय—पूरक प्रश्न.
श्री सुशील कुमार तिवारी “इन्दू भैया”—अध्यक्ष महोदय, मेरा ऐसा कहना है कि 262 आपने अस्थायी केन्द्र खोले थे. आखिर में हमारा क्षेत्र क्यों वंचित है. क्या इसकी कोई व्यवस्था की जा सकती है या नहीं की जा सकती है ? जो परीक्षण की बात आपने की है. 262 केन्द्र आपने खोले हमारे यहां का आपने परीक्षण किया उसमें दूरी अधिक है दोनों को यदि तुलना में मिला लें तो वहां पर इतनी खाद ही नहीं पहुंचती कि 100 से 150 किसानों से ज्यादा किसानों को खाद नहीं मिल पाती है. तो कोई ऐसी व्यवस्था की जाये डबल लॉक की व्यवस्था आप नहीं कर सकते हैं तो कोई अन्य व्यवस्था की जाये. पर छोटे किसान किराया लेकर जाये और भीड़ में जाकर खड़ा हो जबलपुर में उसमें भी आप कहते हैं कि इसकी शिकायत आपने विपणन संघ में नहीं की गई. विपणन संघ वाले तो खुद ही परेशान हैं.
अध्यक्ष महोदय—तिवारी जी आप प्रश्न करें.
श्री सुशील कुमार तिवारी “इन्दू भैया”—अध्यक्ष महोदय, विपणन संघ वाले खुद ही परेशान हैं, वह तो खुद ही पुलिस को बुलवाते हैं दो दो दिन में वहां पुलिस आती है और वह अपनी कार्यवाही करती है, खाद वितरण करवाती है. तो हमारा यह निवेदन है कि ऐसे छोटे किसानों के लिये कोई शासन व्यवस्था करे डबल लॉक जब आप 262 जगहों पर कर सकते हैं, अस्थायी केन्द्र खोल सकते हैं.
अध्यक्ष महोदय—आप अपना प्रश्न तो बताईये ?
श्री सुशील कुमार तिवारी “इन्दू भैया”—अध्यक्ष महोदय, हमारे छोटे किसानों के लिये क्या व्यवस्था है उसके लिये माननीय मंत्री जी आपसे निवेदन है कि आप कोई ऐसी व्यवस्था बनायें कि 262 केन्द्र जब आप अस्थायी खोल सकते हैं तो हमारे यहां का आप फिर से परीक्षण कराकर आप देख लें.
श्री विश्वास सारंग—माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं जानकारी के लिये बताना चाहता हूं कि बरेला जो हमारी पैक्स है उसमें 218 किसानों को हम खाद उपलब्ध करवा रहे हैं, पिन्डरई में लगभग 170 को तथा पडवार में लगभग 357 किसानों को कर रहे हैं. पर जो भी माननीय विधायक जी ने बोला है कि जो अस्थायी हमारे नगदी के जो केन्द्र है उसके बारे में परीक्षण करवा के उसकी व्यवस्था को हम लागू करने का प्रयास करेंगे.
श्री सुशील कुमार तिवारी “इन्दू भैया”—अध्यक्ष महोदय, जी धन्यवाद.
प्रश्न संख्या-3
महाविद्यालयों में स्वीकृत पदों की जानकारी
[उच्च शिक्षा]
3. ( *क्र. 524 ) श्री राजन मण्डलोई : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) बड़वानी विधानसभा क्षेत्र में संचालित महाविद्यालयों में सभी संवर्गों के कुल कितने पद स्वीकृत हैं? उसके सापेक्ष कुल कितने पद हैं, की जानकारी महाविद्यालय का नाम सहित देवें। उपरोक्तानुसार पद कितने समय से रिक्त हैं? प्रत्येक पद की रिक्तता की समयावधि बतावें। (ख) उक्त रिक्त पदों की पूर्ति कब तक कर ली जावेगी? (ग) वित्तीय वर्ष 2020-21, 2021-22 एवं 2022-23 की ऑडिट रिपोर्ट की प्रमाणित प्रतियां बड़वानी विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक महाविद्यालय के संदर्भ में देवें। जिन महाविद्यालयों ने ऑडिट नहीं कराया है, उन जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्यवाही की गई है? यदि कोई कार्यवाही नहीं की गई है तो शासन द्वारा कब तक कार्यवाही संस्थित की जावेगी? (घ) बड़वानी विधानसभा क्षेत्र के महाविद्यालयों में अध्यनरत छात्र-छात्राओं की कितनी छात्रवृत्ति कब से लंबित है? संख्या बतावें। छात्रवृत्ति के संदर्भ में महाविद्यालय का नाम, छात्र-छात्राओं का नाम, लंबित राशि, लंबित समयावधि सहित अनुसूचित जाति जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के संदर्भ में सूची पृथक-पृथक देवें। उक्त राशि का भुगतान कब तक कर दिया जावेगा?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) बड़वानी विधानसभा क्षेत्र में संचालित महाविद्यालयों में सभी संवर्गों के कुल 227 पद स्वीकृत हैं। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ख) शैक्षणिक संवर्ग अंतर्गत प्रदेश के समस्त शासकीय महाविद्यालयों में रिक्त पदों पर भर्ती हेतु म.प्र. लोक सेवा आयोग, इंदौर द्वारा सहायक प्राध्यापकों के 1669 पदों, ग्रंथपाल के 255 पदों एवं क्रीडा अधिकारी के 129 पदों की पूर्ति हेतु विज्ञापन दिनांक 30.12.2022 को जारी किया जा चुका है। प्रयोगशाला तकनीशियन के रिक्त पदों की पूर्ति हेतु कर्मचारी चयन मंडल, भोपाल को मांगपत्र प्रेषित किया जा चुका है। रिक्त पदों की पूर्ति हेतु समय-सीमा बताई जाना संभव नहीं है। (ग) बड़वानी विधानसभा क्षेत्र के शहीद भीमानायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी, शासकीय कन्या महाविद्यालय, बड़वानी एवं भगवान बिरसा मुण्डा शासकीय महाविद्यालय, पाटी की ऑडिट रिपोर्ट की प्रमाणित प्रतियों की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है। शासकीय विधि महाविद्यालय, बड़वानी सत्र 2021-22 में प्रारंभ होने से ऑडिट का कार्य प्रक्रियाधीन है तथा नवीन आदर्श महाविद्यालय 2023-24 में प्रारंभ हुआ है। शेष प्रश्नांश उपस्थित नहीं होता। (घ) बड़वानी विधानसभा क्षेत्र के महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की उच्च शिक्षा विभाग द्वारा संचालित समस्त छात्रवृत्तियों का भुगतान लंबित नहीं है, वर्ष 2023-24 की छात्रवृत्तियों का भुगतान प्रक्रियाधीन है। अन्य विभाग द्वारा प्रदाय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के संबंध में पृथक-पृथक सूची की जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'स' अनुसार है।
श्री राजन मण्डलोई—अध्यक्ष महोदय, आपके माध्यम से मैं मंत्री जी से बड़वानी महाविद्यालय के लिये जानकारी चाह रहा था. बड़वानी विधान सभा में चार कालेज बड़वानी में हैं और एक कालेज पार्टी विकासखण्ड में है. माननीय मंत्री जी हमारे कालेजों में जो 149 पद हैं उसके विरूद्ध मात्र 32 कार्यरत् हैं और 77 पद रिक्त हैं. इसके अलावा जो मॉडल कालेज खोला है. उस मॉडल कालेज में 39 पद स्वीकृत होकर मात्र 3 कार्यरत् हैं 36 पद रिक्त हैं. साथ में जो भृत्य और क्लर्क दूसरा स्टॉफ होता है उसके भी 78 पदों में से 40 कार्यरत् हैं और 38 पद रिक्त हैं. इन रिक्त पदों की भर्ती कब तक की जायेगी. क्योंकि हमारा बड़वानी जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है वहां पर छात्रों को पढ़ाई में बहुत समस्या आती है. साथ में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के बाद छात्रवृत्ति के आधार पर जो बच्चे पढ़ते हैं उनको प्रेरणा मिलती है, वह पढ़ने के लिये जा सकें. काफी समय से उनकी छात्रवृत्ति पेंडिंग पड़ी हुई है. छात्रवृत्ति उच्च शिक्षा विभाग नहीं देता, जनजाति विभाग द्वारा जारी की जाती है. लेकिन 2022 से अभी तक उनको छात्रवृत्ति नहीं मिली है. इस सत्र में तो छात्रवृत्ति के फार्म ही नहीं गये हैं, जबकि सत्र एण्ड होने जा रहा है. आदिवासी, दलित, ओ.बी.सी.छात्रों को आवास भत्ता एवं स्टेशनरी मिलती है. जब से कोरोना काल आया था उसके बाद से उनको स्टेशनरी भी मिलना बिल्कुल बंद हो गई है. आवास भत्ते की राशि भी उनको नहीं मिल रही है. ऐसी स्थिति में जो—
अध्यक्ष महोदय—मण्डलोई जी आप पूरा लब्बो लुआब निकालकर कोई प्रश्न तो करें. मंत्री जी भी भाषण का जवाब भाषण से देंगे तो एक ही प्रश्न में सारा मामला निपट जायेगा. श्री राजन मण्डलोई - अध्यक्ष जी, मेरा कहना है कि रिक्त पदो की पूर्ति कब तक कर ली जाएगी? कोई निश्चित समय सीमा बता दी जाए और साथ में स्कॉलरशिप और स्टेशनरी वगैरह कब तक उनको प्रदान कर दी जाएगी.
श्री इन्दर सिंह परमार - अध्यक्ष जी, मध्यप्रदेश में असिस्टेंट प्रोफेसर, ग्रंथपाल एवं क्रीड़ा अधिकारियों के कुल 2053 पदों की पूर्ति हेतु विज्ञापन जारी हो चुका है जिसकी परीक्षा भी तीन मार्च से प्रारंभ हो रही है. ओबीसी के आरक्षण को न्यायालयीन प्रक्रिया में होने के कारण से उसमें अभी 87 प्रतिशत का ही परीक्षा परिणाम घोषित किया जाएगा, इसलिए बहुत जल्दी है जैसे ही पीएससी चयन कर लेगी, उसके बाद तत्काल हम रिक्त पदों की पूर्ति कर देंगे. इसी प्रकार से जो छात्रवृत्तियां हैं, अलग अलग विभाग से अलग अलग प्रकार से संचालित होती है, हायर एजुकेशन के इस वर्ष के अलावा पिछले सालों की कोई पेंडेंसी नहीं नहीं है, लेकिन एससी, एसटी और पिछड़े वर्ग से जो छात्रवृत्ति आती है वह पिछले साल की भी बकाया है और इस साल की भी बकाया है. आज ही हम इसमें करके, मैं समझता हूं कि बहुत जल्दी निराकरण करने वाले हैं. सभी छात्रों को छात्रवृत्ति मिल जाए, पुरानी पेंडेसी मिल जाए, जो इस साल की है उसकी प्रक्रिया अभी प्रारंभ कर दी है. पोर्टल का भी विषय आया था, सभी जगह का पोर्टल खोल दिया गया है और इसलिए जल्दी उनके आंकड़े भी आ जाएंगे. पहले से जो एससी, एसटी के पोर्टल खुले हुए हैं, उसकी संख्या हमारे पास है, लेकिन जो पिछड़े वर्ग का पोर्टल नहीं खुला था. 26 जनवरी 2024 से ओबीसी का छात्रवृत्ति वाला पोर्टल खुल चुका है और जल्दी हम उसको समाधान की ओर ले जाएंगे. बच्चों तक छात्रवृत्ति पहुंचाने का काम करेंगे.
अध्यक्ष महोदय - मंडलोई जी कोई दूसरा पूरक प्रश्न, जरुरी नहीं है पूछना अगर नहीं है तो मत पूछो.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदस्य की बात को आगे बढ़ाता हूं. ये पूरे प्रदेश का मामला है. चाहे पक्ष के हो या विपक्ष के हो कोई भी विधायक हो, सभी की विधान सभा का और सभी के कॉलेजों का मामला है. मैं चाहता हूं कि आसंदी की तरफ से ये निर्देश होना चाहिए कि सदन को और सदस्यों को आश्वासन होना चाहिए कि समय सीमा निश्चित हो. अगर एक-एक, दो-दो साल से छात्रवृत्ति नहीं मिलेगी तो उन छात्रों का भविष्य क्या होगा, वे कैसे आएंगे(...मेजो की थपथपाहट) मेरा आपसे अनुरोध है, इस बारे में आप निर्देशित करें.
श्री इन्दर सिंह परमार - विपक्ष के नेता जी ने जो कहा है, वह अगले 14 नंबर के प्रश्न में है, उसमें सारे प्रदेश की जानकारी हम दे रहे हैं, लेकिन मेरा केवल इतना सा निवेदन है कि कुछ तकनीकी कारणों से छात्रवृत्ति रुकी है, वर्ष 2021 की भी बहुत कम छात्रों की छात्रवृत्ति रुकी है. 2022 का आंकड़ा ज्यादा है और इस साल का है तो इस साल की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है और संबंधित विभागों को उसके लिए भी आवश्यक आदेश जारी हो रहे हैं. मैं समझता हूं कि इस सत्र में मार्च के पहले पहले सभी का भुगतान कर देंगे.
अध्यक्ष महोदय - रामनिवास जी आप कुछ पूछना चाहते हैं.
श्री रामनिवास रावत - अध्यक्ष जी, पोर्टल खराब होने के कारण छात्रवृत्ति नहीं मिल पाई है, छात्रवृत्ति नहीं मिल पाने से कई लोग परेशान भी रहे हैं, एससी, एसटी, ओबीसी के छात्र. मैं तो केवल एक ही प्रश्न करुंगा कि इस शिक्षा सत्र के समाप्ति के पूर्व क्या सभी छात्रों को पूरी पेंडिंग छात्रवृत्ति प्रदाय कर दी जाएगी.
श्री इन्दर सिंह परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो पुरानी पेंडेंसी है, उसको हम इसी सत्र में पहले पूरी कर लेंगे और ये जो वर्तमान है उसके लिए भी पोर्टल खोल दिया गया है, उसका भी जल्दी होगा. किसी की छात्रृत्ति पेंडिंग नहीं होगी, ये हम पूरी कोशिश करेंगे.
श्री आरिफ मसूद - अध्यक्ष जी, इसमें एसटी, ओबीसी की बात आ गई है तो अल्पसंख्यक भी छात्रवृत्ति का लाभ लेना चाहते हैं और सबका साथ सबका विकास होना है तो इसको भी जुड़वा दें. दूसरा छात्रों को बहुत परेशानी आती है, मार्च में परीक्षा है, चुनाव की वजह से इस बार मार्च-अप्रैल में परीक्षाएं हो रही हैं तो तमाम स्कूल, कालेज छात्रों को पेड करने को कहते हैं, छात्रवृत्ति जल्दी मिल जाए, मंत्री जी ने कहा है कि जल्दी करा देंगे. मैं समझता हूं कि मार्च में जल्दी करवा देंगे तो बेहतर होगा.
संसदीय कार्यमंत्री(श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- मैं समझता हूं कि देश बढ़ रहा है और आगे बढ़ रहा है, श्री आरिफ भाई शिक्षा के ऊपर पर प्रश्न पूछ रहे हैं, मतलब यह बहुत बड़ी बात है.
अध्यक्ष महोदय -- मैं समझता हूं कि मंत्री जी ने समुचित उत्तर दिया है लेकिन फिर भी शीघ्रता करेंगे ऐसी मुझे आशा है.
महाराजा प्राथमिक उपभोक्ता भंडार द्वारा अनियमितता
[सहकारिता]
4. ( *क्र. 583 ) डॉ. सीतासरन शर्मा : क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या महाराजा प्राथमिक उपभोक्ता भंडार मर्या. वार्ड क्र. 13. इटारसी जिला नर्मदापुरम के संचालकों द्वारा फर्जी सदस्य बनाने सहित अन्य शिकायतों पर इटारसी थाने में अपराध क्र. 676/2020 में धारा 420, 467, 468, 471 आई.पी.सी. में प्रकरण पंजीबद्ध हुआ था? (ख) महाराजा प्राथमिक उपभोक्ता भंडार के संचालकों के खिलाफ विभाग द्वारा क्या कार्यवाही की गयी? यदि हाँ, तो क्या एवं यदि नहीं, तो क्यों? (ग) क्या इस संबंध में संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जावेगी? यदि हाँ, तो क्या? (घ) क्या खाद्य विभाग से थाना प्रभारी इटारसी द्वारा कब-कब कौन-कौन सी जानकारी मांगी गयी थी? वांछित जानकारी क्या दे दी गयी है? यदि नहीं, तो क्यों? (ड.) संयुक्त संचालक, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, भोपाल द्वारा अपने पत्र क्र. 8033/शिकायत/2021, दिनांक 03.08.2021 से कलेक्टर, होशंगाबाद/नर्मदापुरम द्वारा राशन माफिया पर कार्यवाही हेतु लिखे गये पत्र के आधार पर क्या कार्यवाही की गयी?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) जी हाँ। (ख) संस्था के संचालक मण्डल को म.प्र. सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1960 की धारा 53 (1) के अन्तर्गत अधिक्रमित कर प्रशासक नियुक्त किया गया है। (ग) उत्तरांश 'ख' अनुसार कार्यवाही की गई है। (घ) थाना प्रभारी इटारसी द्वारा खाद्य विभाग से पत्र क्रमांक/था.ई./अप.-948/2023, दिनांक 09.06.2023 से चाही गई जानकारी खाद्य विभाग के पत्र क्रमांक/1634/खाद्य/2023 इटारसी दिनांक 08.07.2023 से प्रदाय की गई है। जानकारी पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'अ' अनुसार है। (ड.) कृत कार्यवाही का प्रतिवेदन पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट के प्रपत्र 'ब' अनुसार है।
डॉ.सीतासरन शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा प्रश्न यह था कि फर्जी सदस्य बनाकर सोसाइटी बनाई गई और उसमें जांच हुई है और जांच में डी.आर. ने यह लिखा है कि उन्होंने कोई सूची उपलब्ध ही नहीं कराई, इससे भी जाहिर होता है कि फर्जी सदस्य थे. माननीय अध्यक्ष महोदय, दूसरा इसमें वित्तीय अनियमितताएं भी हैं और यह भी डी.आर. की जांच में आया है. मेरा माननीय मंत्री जी से प्रश्न है कि क्या वह इसकी विस्तृत जांच निश्चित समय सीमा में कराकर और यदि उस सोसाइटी में फर्जी सदस्य हैं, फर्जी सोसाइटी पायी जाती है तो क्या वह सोसाइटी के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करायेंगे ?
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, जो विधायक जी ने प्रश्न किया है और विधायक जी के पत्र पर ही, इस पर समुचित कार्यवाही हुई थी और सोसाइटी में प्रशासक बैठा दिया है और जो सभी संचालक मंडल थे, उसको भंग कर दिया गया है और उस संचालक मंडल के खिलाफ एफ.आई.आर. भी दर्ज हुई है, पर जैसा विधायक जी का कहना है कि हमारे विभाग की ओर से और विस्तृत जांच करा दें. मुझे आपके प्रश्न से ऐसा लगता है कि आप यह चाहते हैं कि विभाग की तरफ से भी एफ.आई.आर. की बात आ जाये तो माननीय अध्यक्ष महोदय, क्योंकि जब एफ.आई.आर. हुई थी, तो सभी दस्तावेज पुलिस ने अपने पास रखे हुए थे. माननीय विधायक जी ने जो कहा है, हम इसकी जांच करा लेंगे और उसके बाद जो भी उसमें निष्कर्ष निकलेगा उसके बाद यदि विभाग की ओर से यदि एफ.आई.आर. की जरूरत होगी तो करेंगे, पर यह बात सही है कि वहां पर अनियमितताएं थीं, इसलिये विभाग ने त्वरित कार्यवाही करके संचालक मंडल को हटा दिया है.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- माननीय मंत्री जी कोई समय सीमा ओर बतला दें तो बढि़या होगा.
श्री विश्वास सारंग -- आपने बोला है, आप हम सबके बहुत आदरणीय हैं, तो एक महीने के अंदर हम जांच भी करा देंगे और आप जैसा उसमें जो एफ.आई.आर. की बात है, तो वह भी कर देंगे.
डॉ.सीतासरन शर्मा -- धन्यवाद.
आयुष महाविद्यालय की स्थापना
[आयुष]
5. ( *क्र. 345 ) श्री शैलेन्द्र कुमार जैन : क्या उच्च शिक्षा मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या मध्यप्रदेश में लगभग सभी संभागीय मुख्यालयों पर आयुष महाविद्यालय संचालित है, परन्तु बुन्देलखण्ड क्षेत्र के संभागीय मुख्यालय, सागर में अब तक आयुष महाविद्यालय संचालित नहीं है, इसका क्या कारण है? जबकि संभागीय मुख्यालय, सागर में आयुष महाविद्यालय की महती आवश्यकता है। (ख) क्या शासन के समक्ष संभागीय मुख्यालय, सागर में आयुष महाविद्यालय खोले जाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन है? यदि हाँ, तो वर्तमान तक क्या कार्यवाही प्रचलन में है? यदि नहीं, तो क्या शासन इस पर विचार करेगा तथा कब तक?
उच्च शिक्षा मंत्री ( श्री इन्दर सिंह परमार ) : (क) जी हाँ, प्रदेश के 6 संभागीय मुख्यालयों पर आयुर्वेदिक महाविद्यालय संचालित हैं। (ख) जी नहीं।
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने अपने प्रश्न के माध्यम से माननीय मंत्री महोदय से जानकारी चाही थी और निवेदन भी किया था और मैं धन्यवाद देना चाहता हूं, माननीय मुख्यमंत्री जी को, सम्माननीय उच्च शिक्षा विभाग के संवेदनशील मंत्री जी को कि प्रश्न लगाते ही हमारी समस्या का समाधान हो गया है और न केवल हमारी समस्या का समाधान हुआ है बल्कि सागर के साथ साथ शहडोल, नर्मदापुरम, धार, झाबुआ, मण्डला, बालाघाट, शिवपुर और खजुराहो में भी आयुर्वेदिक महाविद्यालय खोलने का महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में उल्लेख है तो मैं धन्यवाद भी देना चाहता हूं (मेजों की थपथपाहट) लेकिन अध्यक्ष महोदय मेरा निवेदन यह है कि मैंने आयुष महाविद्यालय की मांग की है और उन्होंने घोषणा की है महज आयुर्वेदिक महाविद्यालय खोलने की तो आयुष में यूनानी और होम्योपैथी भी शामिल कराकर और आयुष महाविद्यालय के लिये घोषणा कर दें, यह मैं आपके माध्यम से मंत्री महोदय से निवेदन करना चाहता हूं.
श्री इंदर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आयुर्वेदिक महाविद्यालय जिन संभाग केंद्र पर नहीं है, वहां पर हम सब संभाग केंद्र पर खोलने जा रहे हैं.
अध्यक्ष महोदय -- उच्च शिक्षा विभाग की लोकप्रियता ज्यादा है, प्रश्नों को देखकर लग रहा है(हंसी)
श्री इंदर सिंह परमार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, साथ ही और जिले भी हमने चिन्हित किये हैं, जिन स्थानों पर हम महाविद्यालय खोलने जा रहे हैं, दूसरा प्रश्न जो आदरणीय शैलेन्द्र जी का है, क्योंकि आयुष में तीनों आते हैं, यूनानी,होम्योपैथी और आयुर्वेदिक भी तो सरकार ने नीतिगत रूप से निर्णय किया है कि हम आयुर्वेदिक महाविद्यालय ही खोलेंगे, पहले से भी आयुर्वेदिक महाविद्यालय संचालित हैं और इसलिये सरकार की नीति के अनुसार सब स्थानों पर, यानि दस और हम महाविद्यालय खोलने जा रहे हैं.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बार पुन: निवेदन करना चाहता हूं कि होम्योपैथी के प्रति भी विद्यार्थियों में काफी उत्साह है और इस पैथी को और इसकी लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए उस पैथी के विद्यार्थियों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए अगर यह साथ में सम्मिलित कर लिये जायें क्योंकि आयुष में तीनों घटक शामिल हैं, अब दो घटकों को छोड़ दिया जायेगा तो ऐसे विद्यार्थियों के साथ अन्याय होगा.
श्री इंदर सिंह परमार-- माननीय अध्यक्ष महोदय, एक विभाग में जरूर है, लेकिन प्रकृति तीनों की अलग-अलग है. एक आयुर्वेदिक कालेज में होम्योपैथी का अध्ययन कराना सरल नहीं होगा, इसलिये उन कठिनाईयों को ध्यान में रखकर के हमने अभी आयुर्वेदिक कॉलेज खोलने का निर्णय किया है, भविष्य में जब उस पर विचार करेंगे तो आपसे विचार विमर्श करके आगे का निर्णय करेंगे.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन-- माननीय अध्यक्ष महोदय, अगर अलग-अलग खोल रहे हैं तो आयुर्वेद का भी अलग से खोल दें....
अध्यक्ष महोदय-- माननीय सदस्य से अनुरोध है कि माननीय मंत्री जी का जवाब आ गया है आप व्यक्तिगत रूप से मिलकर अनुरोध करें.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन-- बहुत-बहुत धन्यवाद अध्यक्ष महोदय और बहुत धन्यवाद माननीय मंत्री महोदय का.
पंचायतों को प्राप्त विकास कार्यों की राशि का उपयोग
[पंचायत एवं ग्रामीण विकास]
6. ( *क्र. 213 ) श्रीमती ललिता यादव : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) छतरपुर विधानसभा अंतर्गत ग्राम पंचायतों को दिनांक 01 जनवरी, 2019 से प्रश्न दिनांक तक किस-किस ग्राम पंचायत को किस-किस कार्य के लिए किस-किस दिनांक में कितनी-कितनी राशि प्रदान की गई? ग्राम पंचायतवार पृथक-पृथक राशि, कार्य का नाम, कार्य की स्थिति सहित बतायें। (ख) प्रश्नांश (क) के प्रकाश में ग्राम पंचायतों ने कितनी-कितनी राशि किस-किस कार्य में व्यय की? ग्राम पंचायत, कार्य, राशि, दिनांक सहित पृथक-पृथक बतायें। (ग) ग्राम पंचायतों में कितने कार्य पूर्ण हो गए हैं? कितने कार्य अधूरे पड़े हैं और कितने कार्यों का मूल्यांकन हो चुका है? ग्राम पंचायतवार पृथक-पृथक बतायें। (घ) प्रश्नांश (ग) के प्रकाश में यदि कार्य अधूरे पड़े हैं तो कार्य पूर्ण न होने का कारण व जवाबदार पर विभाग द्वारा क्या-क्या कार्यवाही की गई? ग्राम पंचायतवार पृथक-पृथक बतायें।
पंचायत मंत्री ( श्री प्रहलाद सिंह पटैल ) :
श्रीमती ललिता यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं 16वीं विधान सभा में आपका अभिनंदन करती हूं, स्वागत करती हूं. माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न 'ग' के जवाब में जो जानकारी पूर्ण कार्यों की दी गई है वह असत्य है. मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करना चाहती हूं कि छतरपुर विधान सभा की 3 पंचायतों की जांच जिला पंचायत सीईओ के नेतृत्व में टीम बनाकर करवा ली जायेगी तो इसका दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- माननीय अध्यक्ष जी, ग्रामीण विकास मंत्रालय की 2-3 सूचनायें मैं आपके माध्यम से सदन को देना चाहता हूं और माननीय सदस्य का उत्तर मैं उसके बाद दूंगा. चूंकि आप भी इस विभाग के मंत्री रहे हैं. डोमेन पर जो चीजें पोर्टल के माध्यम से हैं, क्योंकि मैं प्रश्न पढ़ रहा था, मेरा पहला दिन है और पहली बार मेरा विधान सभा में उत्तर देने का अनुभव है तो मेरा आपके माध्यम से सभी....
अध्यक्ष महोदय-- लोक सभा में तो देते रहे हो आप, ऐसी कोई बात नहीं है. ...(हंसी)...
श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- माननीय अध्यक्ष जी, यहां जिस प्रकार से प्रश्न पूछे जाते हैं उसमें तो पूरी पुस्तक ही देना पड़ेगी. पहला मेरा निवेदन यही है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय के तीन पोर्टल हैं, narega.nic.in दूसरा है egramswaraj.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- माननीय अध्यक्ष महोदय, इनको बैठकर बोलने की परमीशन दें या माइक को ऊंचा करवाया जाये. ...(हंसी)...
श्री प्रहलाद सिंह पटैल-- और तीसरा राज्य वित्त आयोग का prd.mp.gov.in तो मुझे लगता है कि उस दृष्टि से होंगे तो प्रश्न स्पेशिक पूछे जायेंगे और जैसा माननीय सदस्या ने कहा है गलत जानकारी सरकार ने दी है मैं थोड़ा इससे असहमत हूं, मुझे लगता है कि कार्यवाही में ऐसे शब्द न आयें, अगर उनको ऐतराज है कि कोई सूचना गलत है तो निश्चित रूप से आपके माध्यम से आपके पटल पर आना चाहिये, लेकिन जो जानकारी मुझे प्रश्न के माध्यम से मिली है, विधायक ने दी, जनपद पंचायत ने दी, महिला बाल विकास एक इसका आंकड़ा उनको दिया है कि 1534 निर्माण कार्यों की स्वीकृति इसमें थी और लगभग 5247 लाख रूपये की इसमें स्वीकृति थी, इसमें लगभग 4429 लाख का व्यय हुआ. दूसरा उनका यह मानना था कि हम नरेगा की जानकारी दें. नरेगा की जानकारी में जांच पेमेंट तभी होता है जब उसका मूल्यांकन हो जाता है और इसमें हमने 47 पंचायतों की जानकारी उनके विधान सभा में दी भी है, अगर उनको स्पेशिफिक 3 किसी भी पंचायत की जानकारी चाहिये तो निश्चित रूप से देने का मैं आपके माध्यम से आश्वस्त करता हूं कि जानकारी भी देंगे और गलती पाई जायेगी तो कार्यवाही भी करेंगे.
श्रीमती ललिता यादव-- माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी ने जो आश्वस्त किया है तो मैं यही तो कहना चाहती हूं कि आप जब 3 पंचायतों की जांच करा देंगे तो सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा तो समय सीमा में माननीय मंत्री जी इसकी जांच करा लीजिये जो मूल्यांकन दिखाया गया है वह मूल्यांकन तो दिखाया है, लेकिन मौके पर इतने काम नहीं हुये हैं, तीन पंचायतों की जांच हो जायेगी तो सब सही हो जायेगा, मैं माननीय मंत्री जी से निवेदन करती हूं.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल - अध्यक्ष महोदय, मुझे तीनों नाम मिल जाएंगे तो मैं कार्यवाही कर दूंगा.
अध्यक्ष महोदय - ललिता जी, मंत्री जी ने कह दिया कि आप तीनों पंचायतों के नाम दे दीजिये.
श्रीमती ललिता यादव - अध्यक्ष महोदय,पंचायतों का नाम मैं बता देती हूं. एक बरगवां पंचायत, एक खरका पंचायत है, एक रामपुर पंचायत है.
पंचायत सचिवों की पदस्थापना
[पंचायत एवं ग्रामीण विकास]
7. ( *क्र. 241 ) श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल : क्या पंचायत मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पंचायत सचिवों को एक ही ग्राम पंचायत में अधिकतम पदस्थ रहने की क्या नीति है? (ख) यदि पदस्थ रहने की अवधि 03 वर्ष है तो स्थानांतरण नीति में 10 % की सीमा निर्धारित होने से क्या किसी पंचायत सचिव को 10 वर्ष के पूर्व स्थानांतरित किया जाना संभव है?
पंचायत मंत्री ( श्री प्रहलाद सिंह पटैल ) : (क) पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी पत्र दिनांक 07.07.2023 जिसमें ग्राम पंचायत सचिवों के स्थानांतरण के संबंध में कार्यवाही का लेख किया गया है, तदानुसार सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी स्थानांतरण नीति-निर्देश दिनांक 24.06.2021 की कण्डिका-17 के अनुसार सामान्यत: तीन वर्ष या उससे अधिक पदस्थापना की अवधि पूर्ण कर लेने के कारण स्थानांतरण किया जा सकेगा, की नीति है। (ख) जी हाँ।
श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल - माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से मंत्री जी से यह पूछना चाहता हूं कि पंचायत सचिवों को एक ही पंचायत में रहने की समय सीमा क्या है अगर वह तीन वर्ष है तो साल में एक बार स्थानांतरण नीति आती है और मेरा बड़ा नीतिगत प्रश्न है और उसमें लिमिट रहती है 10 परसेंट की तो क्या कोई सचिव या कोई कर्मचारी 10 वर्ष से पहले अपने स्थान से हट सकता है क्या. यह विरोधाभासी बातें क्यों आपके निर्देश में रहती हैं मुझे बताने का कष्ट करें.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल - अध्यक्ष महोदय,बहुत अच्छा प्रश्न है और मैं मानता हूं कि सारा सदन इस तथ्य से इन्वाल्व भी होगा.जो नियमावली बनी उसमें साफ कहा गया कि हम जी.ए.डी. की गाईड लाईन का पालन करेंगे. जी.ए.डी. की गाईड लाईन बड़ी साफ कहती है कि अगर 200 का कोई ब्लाक है और 200 से नीचे संख्या है तो आप 20 प्रतिशत ट्रांसफर कर सकते हैं लेकिन ऊपर जाएंगे तो 200 से 2000 तक 10 परसेंट हो जाता है. अब इसमें कई बार उल्टा लगता है कि अगर 200 से ज्यादा संख्या होगी तो रेश्यो 10 परसेंट बढ़ जाएगा और हमारे छोटे जिले हैं जहां 200 से कम है लेकिन बड़े जिलों में यह समस्या है यह सच्चाई है लेकिन जी.ए.डी. का रूल तो यही है इसके लिये मंत्रालय ने, हमने निर्देश दिये हैं कि एक बार हमें रूल पर विचार कर लेना चाहिये कि हम इसमें क्या पालिसी बनाएं. मैं सदन से आग्रह करता हूं कि हमें कोई सुचारू व्यवस्था बनानी है तो हमें नियमों में थोड़ा परिवर्तन करके हम रास्ते पर जा सकते हैं लेकिन माननीय सदस्य को मैं जानकारी दे रहा हूं एक सर्कुलर मुझे मिला है वह 6.8.2021 का है तो यह रूल ही है कि पंचायत राज की तरफ से सर्कुलर निकला होगा. यह तीन चीजें हैं जो मदद कर सकती हैं, अगर किसी सचिव का रिश्तेदार किसी ग्राम पंचायत में सरपंच बन गया है तो वह वहां नहीं जा सकता. दूसरा उसमें बड़ा स्पष्ट लिखा है कि पैतृक गांव में या उसकी ससुराल में उसकी पोस्टिंग नहीं हो सकती तो युक्तियु्क्तकरण या सामन्जस्य से हो पर जैसा माननीय सदस्य कह रहे हैं कि 10 साल कोई रहे और उसको नहीं हटाया जा सकता ऐसा कहीं भी किसी भी नियम में नहीं है.
श्री हेमन्त विजय खण्डेलवाल - अध्यक्ष महोदय,मेरा पूरक प्रश्न है कि अगर 10 परसेंट की सीमा है और ट्रांसफर नीति साल में एक बार आती है तो आपकी गाईड लाईन जो भी कहती है अगर 100 में 10 का भाग देते हैं तो 10 साल से पहले न सिर्फ आपके विभाग में बल्कि कहीं भी कोई भी अधिकारी चेंज नहीं हो सकता इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है और सभी जगह यह स्थिति बनती है.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल - अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य संसद के सदस्य भी रहे हैं. मैंने सिर्फ गाईड लाईन के कुछ हिस्से पढ़े हैं, अगर जहां संख्या 200 से नीचे है वहां पर तो 20 प्रतिशत का ट्रांसफर हो सकता है, तो आप मानकर चलिये कि आप उसको कुछ कर सकते हैं और अन्य कंडिकाओं में जो आप कार्यवाहियां कर सकते हैं. वह विकल्प सरकार के पास या प्रशासन के पास मौजूद रहता है. मैं माननीय सदस्य से कहूंगा कि हम पूरे राज्य की नीति को एक साथ मिल बैठकर बनाएं. यह सदन इसीलिये हैं. नियमों में परिवर्तन करके एक बार मैं सदन के सामने आऊँगा. आपको उसमें कोई सलाह देनी है तो आप उसको दे सकते हैं.
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) - माननीय अध्यक्ष महोदय,इसमें तो आप निर्देश सरकार को दे सकते हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - माननीय अध्यक्ष महोदय,मेरा आग्रह होगा कि जैसे हम कई विभाग में पांच साल से ज्यादा किसी एक आदमी को एक स्थान पर नहीं रखते.इसमें एक गाई़ड लाईन उस दिशा में भी अगर सोच लें क्योंकि कुछ पंचायतों में वास्तव में 20-20 सालों से वही सचिव बैठा हुआ है और ऐसे ही रोजगार सहायक की भी स्थितियां हैं. इन दोनों के बारे में एक बार विचार करके कि तीन या चार साल से ज्यादा एक पंचायत में वह न रह पाए उसकी भी गाईड लाईन उस नियमावली में बन जाए तो शायद अति उत्तम रहेगा. ऐसा सुझाव है.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल - अध्यक्ष महोदय,मैंने पहले ही कहा है कि इसमें सभी लोगों की रुचि है और इसीलिये मैंने पहले ही कहा है कि हम रूल बनाकर एक कोई पालिसी इसकी जरूर बनाएंगे और मुझे लगता है कि इसके लिये मुझे और मेरे मंत्रालय को अवसर मिलना चाहिये.
श्री गिरीश गौतम -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इसमें थोड़ी सी और आवश्यकता है कि सचिवों के लिए पहले यह था कि अपनी पंचायत में ही हो सकते हैं, वहीं पर अपाइंटमेंट होता था, उनका ट्रांसफर नहीं होता था. बाद में यह नियम बना कि वह अपनी पंचायत में नहीं रह सकता, वह हट जाए, बाहर चला जाए. अब जीआरएस जो हैं, जो ग्राम रोजगार सहायक कहलाते हैं, वे भी उसी पंचायत में नियुक्त होते हैं, उनके ट्रांसफर की कोई पॉलिसी नहीं है और इस समय सबसे ज्यादा जिम्मेदारी हितग्राहियों को पैसे देने की उन्हीं के हाथ में हैं. ऐसा कोई नियम बनाने की आवश्यकता है कि जीआरएस को भी उसकी पंचायत से बाहर करें.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल -- अध्यक्ष जी, यह बात सामने आई है और बहुत से हमारे माननीय विधायकों ने मुझे ये पत्र दिए हैं. पर अभी तक जीआरएस के लिए कोई पॉलिसी नहीं है. इसलिए मैंने दोनों को जोड़कर ही कहा था कि हम उसमें कोई नीति बनाएंगे और उसकी नियमावली हम सामने लेकर आएंगे.
श्री गिरीश गौतम -- इसमें सब साथ देंगे.
अध्यक्ष महोदय -- मुझे लगता है कि कुल मिलाकर जो तथ्य सामने आए हैं, उस मामले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री जी एक बार सामान्य प्रशासन मंत्री जी के साथ बैठक करके इन तथ्यों के प्रकाश में विचार करें.
खेल सुविधाएं
[खेल एवं युवा कल्याण]
8. ( *क्र. 82 ) श्री लखन घनघोरिया : क्या खेल एवं युवा कल्याण मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) पूर्व विधानसभा क्षेत्र क्र. 97 जबलपुर के तहत कहां-कहां पर आउटडोर, इनडोर स्टेडियम, मिनी स्टेडियम, खेल परिसर हैं तथा स्थानीय जनता व खिलाड़ियों के लिये कहां-कहां पर कौन-कौन सी खेल सुविधाएं, संसाधन और क्या-क्या व्यवस्थाएं हैं? (ख) प्रश्नांश (क) में कांचघर लालमाटी (बर्न कम्पनी के खाली मैदान) में मिनी स्टेडियम, खेल परिसर का निर्माण हेतु कब कितनी राशि की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई है एवं इसका कब किसने भूमि पूजन किया था? भूमि पूजन होने के पश्चात इसके लिये कब कितनी राशि आवंटित की गई? यदि नहीं, तो क्यों? (ग) प्रश्नांकित प्रस्तावित एवं स्वीकृत मिनी स्टेडियम (खेल परिसर) का निर्माण किस विधान सभा क्षेत्र में कब कितनी राशि में कराया गया? वर्तमान में इसकी क्या स्थिति है एवं क्या इसका उपयोग खिलाड़ियों द्वारा किया जा रहा है? (घ) क्या कांचघर लालमाटी में स्थानीय खेल प्रेमियों, खिलाड़ियों के लिये मिनी स्टेडियम (खेल परिसर) की आवश्यकता है, जिसकी दीर्घकाल से निरंतर मांग की जा रही है? यदि हाँ, तो क्या शासन इसका निर्माण कराने हेतु आवश्यक बजट राशि का प्रावधान कर निर्माण कराना सुनिश्चित करेगा?
खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ( श्री विश्वास सारंग ) : (क) खेल और युवा कल्याण विभाग के आधिपत्य का पूर्व विधानसभा क्षेत्र क्र. 97 जबलपुर में कोई भी आउटडोर इंडोर स्टेडियम, मिनी स्टेडियम, खेल परिसर नहीं है, शासन के अन्य विभागों के स्टेडियमों की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 1 अनुसार है। स्थानीय जनता, खिलाड़ियों के लिये जबलपुर में उपलब्ध खेल सुविधाओं की जानकारी संलग्न परिशिष्ट के प्रपत्र 2 अनुसार है। (ख) विभागीय जानकारी अनुसार कांचघर लालमाटी (बर्न कम्पनी के खाली मैदान) में खेल और युवा कल्याण विभाग द्वारा कोई स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है। शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। (ग) विभाग द्वारा केंट विधानसभा क्षेत्र के रॉझी, जबलपुर में आउटडोर खेल परिसर में भारत सरकार की खेलो इंडिया योजनान्तर्गत केन्द्रीय सहायता से सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक राशि रू. 6.82 करोड़ की लागत से निर्माण पूर्ण किया जा चुका है। उपरोक्त के अलावा म.प्र.राज्य तीरंदाजी अकादमी हेतु हॉस्टल भवन, टेक्नीकल बिल्डिंग, पेवेलियन आदि का राशि रू. 19.35 करोड़ की लागत से निर्माण कार्य प्रगतिरत है। (घ) बर्न कंपनी खेल मैदान, कांचघर लालमाटी रेलवे विभाग के स्वामित्व का है। अतः शेष प्रश्न उपस्थित नहीं होता है।
श्री लखन घनघोरिया -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे प्रश्न के जवाब में (ग) में माननीय मंत्री महोदय की तरफ से यह जवाब आया है कि विधान सभा क्षेत्रवार खेल विभाग के खेल परिसरों की जानकारी प्रपत्र 'ग' में संलग्न है. प्रपत्र 'ग' में पहले 12 आउटडोर स्टेडियम की जानकारी दी गई है, और खेल विभाग की दी है 19, ये भी भ्रामक है. लेकिन इसके साथ एक संशोधन प्रपत्र दिया है, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया है कि करिया पत्थर मिनी स्पोर्ट सेंटर, स्मार्ट सिटी और दूसरा, बर्न कंपनी खेल मैदान, लाल माटी कांचघर सौरभा रेल्वे कॉलोनी में है, इसके संदर्भ में जब हमने जानकारी निकाली, इसमें इन्होंने स्वीकार कर लिया, लेकिन ये स्वीकार नहीं किया कि कहीं मिनी स्टेडियम बना है. कहीं भी जवाब में स्वीकार नहीं किया है. मेरा निवेदन यह है कि दिनांक 1.11.2019 को एक भूमि-पूजन हुआ था, जिसमें मल्टी स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स, करिया पत्थर, और मल्टी स्पोर्ट कॉम्प्लेक्स, फूटाताल, इनकी दोनों की अलग-अलग लागत 4 लाख 39 हजार, 4 लाख 39 हजार रुपये है. इसका एलओए भी दिनांक 17.9.2019 को जारी हो गया था और उसमें बिल्कुल स्पष्ट है, दोनों का एलओए जारी हो चुका है, जबकि जवाब में यह दिया है कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है. भूमि-पूजन हो गया, एलओए जारी हो गया. एक स्टेडियम की बाऊंड्री वॉल बन चुकी और आपके रिकार्ड में नहीं है. आपके किसी रिकार्ड में नहीं है. न खेल विभाग के है, न किसी विभाग के रिकार्ड में है. दूसरे का स्थल परिवर्तन हुआ था, फूटाताल का, चूँकि मेरी ही विधान सभा में था, बर्न स्टेंडर्ड कंपनी, जो आधा हिस्सा रेल्वे को चला गया, आधा प्रदेश सरकार के पास है, उसमें आधे हिस्से में तत्कालीन कलेक्टर महोदय उस स्पॉट के इंस्पेक्शन...
अध्यक्ष महोदय -- लाखन भाई, प्रश्न कर लें, समय कम बचा है, नहीं तो उत्तर नहीं आ पाएगा.
श्री लखन घनघोरिया -- अध्यक्ष महोदय, ये दो जो एलओए जारी हुए, भूमि-पूजन हुआ, एक में आधी बाऊंड्री वॉल बन चुकी है, जिसका आपने कहीं उल्लेख नहीं किया है. मेरे मूल प्रश्न का कहीं भी उल्लेख नहीं किया. जानकारी भ्रामक है. मैं आपको यह दे रहा हूँ, आप इसमें से कर दें.
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, कोई भ्रामक जानकारी नहीं दी है. इसमें स्पष्ट है. विधायक जी थोड़ा सा कन्फ्यूज हो रहे हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस स्थान की ये बात कर रहे हैं, वह रेल्वे का ग्राउंड है. खेल विभाग की ओर से कौन से खेल परिसर संचालित हैं, इसकी व्यापक और पूरी तरह से सही जानकारी विधायक जी को उपलब्ध कराई गई है. माननीय अध्यक्ष महोदय, यदि विधायक जी चाहेंगे तो मैं सदन में वह प्रपत्र पढ़कर भी बता दूंगा. जबलपुर में कुल मिलाकर 19 ऐसे परिसर हैं, जहां पर खेल गतिविधियां होती हैं. उसमें से 4 खेल गतिविधियां हैं, जिनका संचालन खेल और युवा कल्याण विभाग, मध्यप्रदेश करता है. जिसमें कि इनडोर आउटडोर स्टेडियम, रानीताल का खेल परिसर जबलपुर, इनडोर आउटडोर स्टेडियम युवा सदन रामपुर, इनडोर आउटडोर स्टेडियम रांझी, आउटडोर स्टेडियम एमएलबी खेल परिसर जबलपुर. माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके अलावा नगर निगम जबलपुर, मध्य रेलवे, पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर, उच्च शिक्षा विभाग जबलपुर, मध्यप्रदेश विद्युत मण्डल, पुलिस लाईन्स, जबलपुर विकास प्राधिकरण, रेलवे ऑफिसर क्लब, कैंट सदन, सदर और ऑडिनेंस फैक्ट्री, व्हीकल फैक्ट्री, रावण पार्क, वन विभाग, नगर निगम, कृषि विभाग, इस तरह से माननीय अध्यक्ष महोदय 19 स्थान ऐसे हैं, जिस पर संचालन यह अलग-अलग विभाग करते हैं.
अध्यक्ष महोदय - माननीय मंत्री जी, माननीय सदस्य को व्यक्तिगत रूप से मिलकर और चर्चा कर लेंगे. प्रश्नकाल समाप्त.
(प्रश्नकाल समाप्त)
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12.01 बजे अध्यक्षीय व्यवस्था
अध्यक्ष महोदय - गत सत्र में की गई घोषणा के परिप्रेक्ष्य में, मेरे द्वारा विचार कर दिनांक 8 अगस्त, 2023 को जारी पत्रक अनुसार, अध्यक्ष के स्थाई आदेश के अध्याय- तीन ''प्रश्न और अल्प सूचना प्रश्न'' के अंतर्गत कण्डिका 13-क के पश्चात् संशोधन द्वारा अंत: स्थापित नवीन कण्डिका 13-ख को विलोपित कर दिया गया है. इसमें यह प्रावधान था कि विधान सभा के किसी कार्यकाल के सत्रों में सदन की बैठकों हेतु प्राप्त प्रश्नों की वे सूचनाएं, जो स्वीकृत होकर विभागों को उत्तर हेतु भेजी जा चुकी हों, के अपूर्ण उत्तरों के पूर्ण उत्तर सभा के विघटन के ठीक पूर्व तक प्राप्त नहीं होने पर, सभा के विघटन पर व्यपगत माने जाएंगे.''
अब कि उक्तानुसार विधान सभा के विघटन के पूर्व सत्र तक लंबित प्रश्नों के अपूर्ण उत्तरों के उत्तर व्यपगत नहीं होंगे. इसके संबंध में परीक्षण कर प्रश्न एवं संदर्भ समिति द्वारा कार्यवाही की जावेगी तथा समिति द्वारा अनुशंसा सहित प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जायेगा.
12.02 बजे शपथ/प्रतिज्ञान
अध्यक्ष महोदय - निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक- 184, कसरावद के निर्वाचित सदस्य श्री सचिन सुभाषचन्द्र यादव की सदस्यता और प्रतिज्ञान उस समय नहीं हो पाया था, तो मैं उनसे आग्रह करूँगा कि वह आएं और नामावली में हस्ताक्षर भी करें, शपथ ग्रहण भी करें.
1. श्री सचिन सुभाषचंद्र यादव (कसरावद) - शपथ
12.03 बजे स्थगन प्रस्ताव
हरदा शहर के ग्राम बैरागढ़ स्थित पटाखा फैक्ट्री में हुए
विस्फोट से उत्पन्न स्थिति
अत: इस लोक महत्व के विषय पर आज सदन की कार्यवाही स्थगित कर चर्चा करायी जाये, इसके संबंध में शासन का क्या मत है ?
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)- हमें स्वीकार है.
अध्यक्ष महोदय- चूंकि घटना गंभीर है और शासन पक्ष द्वारा चर्चा की सहमति दी गई है. अत: स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा अभी प्रारंभ की जायेगी. जिसमें दोनों पक्षों के सदस्य भाग ले सकेंगे. इस चर्चा के लिए मैं, डेढ़ घंटे का समय निर्धारित करता हूं और मैं, समझता हूं कि यह एक सारगर्भित चर्चा होगी. तथ्य सामने आयें, तदुपरांत सरकार उसका संज्ञान ले.
इस चर्चा के तत्काल पश्चात् राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन पर चर्चा प्रारंभ होगी.
श्री राम निवास रावत (विजयपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, घटना की गंभीरता से सभी परिचित हैं लेकिन इस गंभीर विषय के लिए, न तो माननीय मुख्यमंत्री जी सदन में उपस्थित हैं और न ही गृह मंत्री जी हैं. हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री जी सदन में रहें.
अध्यक्ष महोदय- मंत्रिपरिषद के काफी सदस्य यहां उपस्थित हैं.
श्री बाला बच्चन- जिनके पास गृह मंत्रालय है वे भी सदन में उपस्थित नहीं हैं ये बोला गया है.
जल संसाधन मंत्री (श्री तुलसीराम सिलावट)- रावत जी, कल ही माननीय मुख्यमंत्री जी स्वयं वहां से होकर आये हैं. वे इसे बहुत गंभीरता से ले रहें, आप चिंता न करें.
सहकारिता मंत्री (श्री विश्वास सारंग)- माननीय अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी अपने कक्ष में हैं और पूरी कार्यवाही सुन रहे हैं.
श्री राम निवास रावत- अब क्या कक्ष से सदन चलेगा ?
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, रावत जी हमारे वरिष्ठ सदस्य हैं और यह इतनी गंभीर घटना है, मुख्यमंत्री जी कक्ष में बैठे हैं. यदि वे संवेदनशील हैं तो उन्हें आना चाहिए. यह पूरे प्रदेश का मामला है. मंत्री सदन में हैं लेकिन सदन की गरिमा होनी चाहिए. (मेजों की थपथपाहट)
श्री कैलाश विजयवर्गीय- माननीय अध्यक्ष महोदय, हमारी जवाबदार सरकार है, जवाबदार मंत्रीगण यहां बैठे हुए हैं. आपने स्थगन रखा और मैंने उसे स्वीकृति प्रदान की है. यह पहला सत्र है, पहला दिन है और विपक्ष के दिए हुए स्थगन को हमने स्वीकार कर लिया. इस विषय में कम से कम विपक्ष को सत्ता पक्ष की सराहना करनी चाहिए. इसलिए मेरा निवेदन है कि आप गंभीरता से चर्चा प्रारंभ करें, हमारा पूरा मंत्रिमण्डल गंभीर है, इस पर कार्यवाही भी करेंगे और जवाब भी देंगे.
(मेजों की थपथपाहट)
अध्यक्ष महोदय- रावत जी.
श्री राम निवास रावत- माननीय अध्यक्ष महोदय, दिनांक 06.02.2024 को हरदा के बैरागढ़ में जो विस्फोट हुआ, वह कितना भयावह था इसकी जानकारी सभी को है. इसमें 12 लोगों की मृत्यु बताई गई है, 12 लोग काल के गाल में समा गए हैं. 60 घर तबाह हो गए हैं, सड़कों पर लाशें बिछी हुई थीं, सड़कों पर लाशों के हाथ कटे हुए पड़े थे, मौत यूं बरस रही थी मानो हम जंग के मैदान में खड़े हों. राकेट से जो हमला होता है उससे भी ज्यादा भयावह विस्फोट वहां हुए. माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां केवल सुतली बम नहीं हो सकते हैं, क्योंकि सुतली बम से इतना बड़ा विस्फोट नहीं हो सकता है. वहां सुतली बम से हटकर जिलेटिन बनाने का काम भी किया जा रहा होगा. वहां रह-रहकर धमाके हो रहे थे, रेस्क्यू टीम अंदर नहीं जा पा रही थी और बचाव दल लोगों को बचा नहीं पा रहा था. अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है कि उस घटना स्थल पर तत्समय फैक्ट्री में कितने मजदूर काम कर रहे थे. उस फैक्ट्री में 500 लोगों के काम करने की क्षमता थी. यह तथ्य बार-बार आया है कि उसमें बाल श्रमिक भी मजदूरी करते थे और कई अन्य मजदूर भी काम करते थे. फैक्ट्री में तत्समय जब विस्फोट हुआ उस समय कितने मजदूर वहां काम कर रहे थे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है और जहां तक फैक्ट्री की बात है यह कोई पहला विस्फोट नहीं था. इस फैक्ट्री में सबसे पहला हादसा वर्ष 2015 में हुआ था और वर्ष 2015 से लेकर अभी तक कई हादसे इस फैक्ट्री में हुए हैं. मैं समझता हूं कि इस फैक्ट्री का जो मालिक था अग्रवाल, उसकी फैक्ट्री कुंजरग्राम में भी है वहां यह फैक्ट्री 10 हजार वर्गफीट जमीन पर है, यह फैक्ट्री पीपलपानी में भी है और बैरागढ़ में यह हादसा हुआ है वहां पर भी यह फैक्ट्री है. प्रशासन द्वारा एक वर्ष या छ: महीने में एक बार पटाखा गोदामों की जांच प्रशासन द्वारा होती है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, फैक्ट्री में कई बार हादसे हुए हैं और इस विस्फोटक सामग्री से पहले पेटलावद में भी हादसा हुआ है और 79 जाने गईं थीं. 8 अक्टूबर 2015 को इस फैक्ट्री मालिक की फैक्ट्री में हादसा हुआ, 6 फरवरी को हादसा हुआ और इस तरह से 22 लोगों की मौतें हुईं. फेक्ट्रियां चलती हैं, हादसे होते हैं, हम चर्चा करते हैं और चर्चा के बाद निर्देश होकर, ट्रांसफर होकर इतिश्री हो जाती है. अब आप और हम सभी को यह सोचना पड़ेगा कि इन हादसों के पीछे, इन अनियमितताओं को निरंतर चलने देने के पीछे आखिर कौन जिम्मेदार है? इस फैक्ट्री को अवैध रूप से कैसे संचालित किया जा रहा था? इस फैक्ट्री का जो लाइसेंस था उसमें तीन लाइसेंस थे जिसमें से दो तो निरस्त हो गए थे, केवल एक ही लाइसेंस था. जब दो लाइसेंस निरस्त हो गए तो उन स्थानों पर फैक्ट्री कैसे संचालित हो रही थी यह विचारणीय प्रश्न है? माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां की एसडीएम बीच में रहीं थीं एसडीएम ने जांच करके रिपोर्ट प्रस्तुत की कि फैक्ट्री अवैध रूप से संचालित हो रही है. फैक्ट्री में तमाम अनियमितताएं हैं अत: फैक्ट्री को तुरंत बंद कराया जाए. उनके उन्हें अनियमितता की सूचना देने के बाद भी हादसे वाली फैक्ट्री में लाइसेंस की गड़बडी सामने आई थी. सूत्रों के मुताबिक 4 लाइसेंस थे. दो लाइसेंस एल-5 कैटेगिरी के थे, दो एल कैटेगिरी के थे. एल कैटेगिरी के लाइसेंस सस्पेंड हैं. एल-5 कैटेगिरी का लाइसेंस एक्टिव था जिसके तहत 300 किलो विस्फोटक रखा जा सकता था. जब दो लाइसेंस सस्पेंड थे तो यह तीसरा लाइसेंस जो है इसमें भी अनियमितता थी तो यह कैसे बना रहा था.
माननीय अध्यक्ष महोदय, फैक्ट्री में लाइसेंस देने के लिए, फैक्ट्री का लाइसेंस संचालित करने के लिए विस्फोटक विभाग या तीन चार विभागों से एनओसी ली जाती है. नगर निगम, विस्फोटक विभाग, फायर विभाग की एनओसी, इतने विभागों की एनओसी के बाद तब कहीं यह फैक्ट्री संचालित होती है, फैक्ट्री को अनुमति प्रदान की जाती है. किसी विभाग की अनुमति इस फैक्ट्री को नहीं थी तो फिर इसका लाइसेंस कैसे जारी किया गया? लाइसेंस कैसे बनाया गया? वर्ष 2022 में हरदा के स्थानीय लोगों ने इस फैक्ट्री में बारूद के अवैध भंडारण और सेफ्टी के मानकों को पूरा नहीं करने को लेकर जिला प्रशासन से शिकायत की थी. जिस पर प्रशासन द्वारा दिनांक 26 सितम्बर, 2022 को फैक्ट्री को सील कर दिया गया था. उसके पश्चात् तत्कालीन आयुक्त श्री माल सिंह के यहां अपील की गई थी उसके बाद मात्र एक माह का स्टे दिया गया था. उसके बाद लगातार फैक्ट्री का नियम विरुद्ध संचालन किया जा रहा है. सबसे बड़ा विचारणीय प्रश्न यह है कि आयुक्त ने स्टे कैसे दिया, क्यों दिया जबकि फैक्ट्री का अवैध संचालन किया जा रहा था. एक माह का ही स्टे दिया गया था तो अभी तक फैक्ट्री कैसे संचालित की जा रही थी. इन घटनाओं के लिए कौन जिम्मेदार है. इस तथ्य की जांच होना चाहिए. केवल कलेक्टर या एस.पी. को हटा देना पर्याप्त नहीं है. इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार कौन है. कहीं न कहीं राजनैतिक संरक्षण होगा. आज के समाचार पत्र में दिया है कि लोग एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कोई कह रहा है कि कांग्रेसियों का संरक्षण है, कोई कह रहा है कि बीजेपी वालों का संरक्षण है. संरक्षण किसी का भी हो लेकिन इस तरह की घटनाओं में संरक्षण नहीं मिलना चाहिए. संरक्षण देने वाले भी इस घटना के लिए कहीं न कहीं जिम्मेदार हैं. इस तथ्य की जांच होना चाहिए. मैं माननीय अध्यक्ष महोदय को धन्यवाद देता हूँ कि आपने इस मामले में स्थगन प्रस्ताव को ग्रहण किया है. मुख्यमंत्री जी अभी सदन में नहीं हैं उन्होंने प्रयास भी किए हैं. वहां पर 140 फायर ब्रिग्रेड पहुंची, पहली बार किसी एक स्थान पर इतनी फायर ब्रिगेड एकत्रित हुई थीं. आपने एम्बूलेंस भी भिजवाईं, घायलों को उठवाया भी. लेकिन कार्यवाही कब की जाएगी, कैसे की जाएगी यह देखने वाला तथ्य है. इसके लिए हाई कोर्ट में भी एक रिट लगी हुई थी कि जो हाईराइज बिल्डिंग और हाईराइज मॉल बनाए जाते हैं उनमें फायर सेफ्टी, विस्फोटक विभाग और नगर निगम द्वारा एनओसी ली जाती है, तब कहीं चालू की जाती हैं. इस फैक्ट्री के संबंध में विस्फोटक नियंत्रक, दो कमिश्नर, एक कलेक्टर अभी तक हाई कोर्ट में जवाब नहीं दे पाए हैं. आपने जांच के लिए एसीएस की एक सदस्यीय समिति बनाई है. एसीएस तो गृह विभाग का है. एसीएस के विरुद्ध तो खुद ही प्रश्नवाचक चिह्न लगा हुआ है. पुलिस के संरक्षण के बिना कोई भी अवैध काम उस जिले में संचालित नहीं हो सकता है. चाहे वह दारू बेचने वाला काम हो, चाहे सट्टा चलाने का काम हो, चाहे फैक्ट्री चलाने का काम हो, चाहे अवैध खनन हो. यह काम बिना गृह विभाग, पुलिस के संरक्षण के नहीं चल सकते हैं. चाहे गृह विभाग राजनैतिक रुप से दबा हुआ हो. मैं इस ओर सबका ध्यान दिलाना चाहता हूँ. कहीं न कहीं हम लोगों को चिन्तन, मनन करना पड़ेगा. सरकारें आती जाती रहती हैं लेकिन ऐसे कामों के लिए हम कभी संरक्षण न दें. इस घटना में इस तथ्य तक पहुंचना बहुत आवश्यक है कि उसको किसने संरक्षण दिया और किसने उसे रोका और फैक्ट्री को अबाध रुप से चलने देने में किस किस का सहयोग है. ऐसे लोगों के खिलाफ प्रकरण कायम होना चाहिए. चाहे एसपी हो या कलेक्टर हो उन्हें हटाना पर्याप्त नहीं है, चाहे कोई राजनैतिक व्यक्ति हो जिसने संरक्षण दिया हो, वह चाहे उस पक्ष का हो या इस पक्ष का हो. ऐसे लोगों के खिलाफ आवश्यक रुप से कार्यवाही होना चाहिए. हम राजनैतिक रुप से इतने कमजोर होते जा रहे हैं कि ऐसी चीजों को संरक्षण दे रहे हैं जो कि मानव जीवन के लिए संकट उत्पन्न करती हों. यह बहुत बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण घटना है. इससे पहले पेटलावद में विस्फोट हुआ 79 लोग उसमें मारे गए थे उसके लिए जितने भी आयोग बनाए गए उनकी रिपोर्टें आज तक प्रस्तुत नहीं हुई हैं. इस घटना के लिए भी आपने एक सदस्यीय समिति बना दी है इसकी भी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं होगी. वहां के रहवासियों का कहना है कि माँ-पापा को पत्थर लगे वे गिरे तो उठे नहीं. हमने तीन बार फैक्ट्री बंद करने की शिकायत की, लेकिन अफसर आते हैं, बडी-बडी बातें करते हैं और नाश्ता पानी करके चले जाते हैं, यह वहां के रहवासियों का कहना है. यह वहां के रहवासी बयान कर रहे हैं. कृषि भूमि पर बिना लाइसेंस थी फैक्ट्री. बच्चों से बंधवाते थे सुतली बम. अध्यक्ष महोदय, यह राजस्व विभाग को भी देखना चाहिये कि उपयोग परिवर्तन नहीं कराया और कृषि भूमि जिस पर खेती किया जाना थी उस पर पटाखों की फैक्ट्री चला रहे हैं. इसके लिए आखिर कौन दोषी है ? यह भारी मात्रा में सुतली बम बनाने का काम किया जाता था. पूरे देश में यहां से सुतली बम भेजे जाते थे. निश्चित रूप से माननीय मुख्यमंत्री जी ने मंत्री जी को भेजा था. मंत्री जी ने एस.पी. से पूछा कि आरोपी कहां हैं, तो वह नहीं बता पाए कि आरोपी कहां हैं, फिर आपने जब सख्ती की तब आरोपियों को पकडा गया है, लेकिन उनके विरुद्ध क्या कार्यवाही की जाएगी ? इसके पहले भी एक अधिकारी ने एक प्रायवेट परिवाद दायर किया था और इसके खिलाफ उसने चीफ ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट के यहां प्रकरण भी चला था, लेकिन उसमें वह गवाही के लिये ही नहीं गए. प्रकरण कायम करा दिया और प्रकरण का विचारण हुआ, गवाही देने नहीं गए. क्यों नहीं गए ? किसके दबाव में देने नहीं गए ? मैंने रोका या आपने रोका, यह बहुत महत्वपूर्ण है. मैं समझता हूं कि उसके लिये अगर मैंने रोका है तो मैं दोषी हूं और आपने रोका है तो आप दोषी हैं. किसी ने तो रोका होगा. अगर किसी ने नहीं रोका तो वह वह क्यों नहीं गया ? उसके खिलाफ प्रकरण कायम होना चाहिए. उसके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए. उसे शायद निलंबित कर दिया है, परंतु क्या निलंबन पर्याप्त है ? या निलंबन कोई सजा है ? या निलंबन कोई दण्ड है ? एस.पी. और कलेक्टर को हटाया गया है कि ट्रांसफर किया गया है. क्या ट्रांसफर कोई सजा है ? क्या ट्रांसफर कोई दण्ड है ? सामान्य प्रक्रिया में भी स्थानांतरण होते रहते है. इन बातों के लिये दोषी कौन है ? इतनी बडी घटना है. इसका संज्ञान सभी ने लिया है. मानव अधिकार आयोग ने इसका संज्ञान लिया है, एन.जी.टी. ने इसका संज्ञान लिया है.
अध्यक्ष महोदय, हम आर्थिक सहायता पीडित परिवारों को प्रदान करते हैं. एक तो मैं यह निवेदन करूंगा चाहे सरकार की तरफ से जाए, चाहे हमारी तरफ से जाए, चाहे स्टेटमेंट मीडिया वाले चलाएं कभी आर्थिक सहायता वाले मामले में मुआवजे का प्रयोग न करें. मृतकों के परिवारजनों को आर्थिक सहायता देने वाले मामले में मुआवजे का प्रयोग न करें क्योंकि यह सही नहीं लगता कि मुआवजा दिया गया. अध्यक्ष महोदय, यह पूरा विवरण दिया है कि हरदा में विस्फोटक का लाइसेंस लेकर काम करने वाले राजेश अग्रवाल को बचाने में अफसरों ने कोई कसर नहीं छोडी. 5 से 8 जुलाई, 2015 को तत्कालीन कारखाना निरीक्षक एवं सहायक संचालक औद्योगिक स्वास्थ्य सुरक्षा, नवीन कुमार वर्मा के द्वारा राजेश अग्रवाल की फैक्ट्री का निरीक्षण किया गया. बिना लाइसेंस के खतरनाक ढंग से काम व अधिक भंडारण की जानकारी की रिपोर्ट के साथ मापदंडों का खुला उल्लंघन मिला, सीढियां तंग मिली, फायर इंतजाम नहीं थे, इमरजेंसी प्लान भी नहीं था, इस जांच को लेकर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने परिवाद पेश किया और खुद साक्षी बने. प्रत्यक्ष में उन्होंने कमियां देखीं, बार-बार कोर्ट ने बैरवा को उपस्थित होने के लिये कहा. साक्षी को गवाही देने के लिये बुलाया लेकिन वह नहीं गये और 21 फरवरी, 2023 को कोर्ट ने आरोपी राजेश अग्रवाल को बरी कर दिया और कोर्ट ने निर्देश भी दिये कि बैरवा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए कि वह साक्ष्य देने क्यों नहीं गए.
अध्यक्ष महोदय, यह सारे जांच के बिंदु हैं. फैक्ट्री कृषि भूमि पर चल रही थी. पटवारी, तहसीलदार क्या कर रहे थे ? इनको भी सचेत किया जाए. इनके खिलाफ भी कार्यवाही की जाए. फैक्ट्री बेसमेंट में थी बारूद का स्टॉक रखा जाता था, इतना खतरनाक काम अवैध तरीके से चल रहा था कि अधिकारियों को मालूम नहीं हो यह कैसे हो सकता है. यह सारी चीजें बडी स्पष्ट हैं कि इसकी जानकारी सभी को थी. इसमें जांच में स्थानीय प्रशासन और स्थानीय बॉडी, नगर पालिका या नगर निगम जो भी हो, यह जिला स्तर का था, उनसे भी एनओसी चाहिये थी. फायर एनओसी भी चाहिये थी. विस्फोटक विभाग से भी एनओसी चाहिये थी. तो इस तरह से इसके लिये कहीं न कहीं पूरे के पूरे समस्त विभाग जो एनओसी के बाद लायसेंस जारी होने का काम करते हैं, उन सभी की लापरवाही इस घटना में थी. यह सर्व मान्य तथ्य है कि जिन स्थानों पर विस्फोटक और ज्वलनशील पदार्थों का संग्रहण होता है, बल्क में उपयोग किये जाते हैं, उनमें विस्फोट अधिनियम और नगर पालिका अधिनियम, फायर सेफ्टी अधिनियम का पालन करवाया जाना आवश्यक है. क्या यहां इसका पालन करवाया गया. इसके लिये सभी विभागों के सचिव से लेकर तत्कालीन वहां निचले स्तर तक अधिकारी जिम्मेदार हैं. इसके लिये एक आरटीआई एक्टिविस्ट श्री राजेन्द्र गुप्ता ने रिट भी लगाई थी और रिट के बाद नोटिस भी जारी हुए थे. नोटिस के बाद आज तक जवाब नहीं गया. हाई कोर्ट ने फटकार भी लगाई. हमारे प्रिंसिपल सेक्रेटरी तक ने जवाब नहीं दिया. यह बड़ी विडम्बना है.
अध्यक्ष महोदय--रावत जी, आपको थोड़ा संक्षिप्त करना पड़ेगा, आपके पक्ष की तरफ से बोलने वाले काफी लोग हैं.
श्री रामनिवास रावत-- जी अध्यक्ष महोदय. यह घटना केवल इतना ही नहीं है, कहीं पूरे प्रदेश में इस तरह की घटना न हो, भयावह घटना और कोई जान माल न जाये, इसमें श्रम विभाग भी आता है, कितनी लेबर लगती है. वहां लेबर का बीमा था कि नहीं था. श्रम विभाग ने क्यों नहीं देखा, वहां बाल श्रमिक काम करते थे. ऐसी घटनाओं पर चिंतन किया जाना चाहिये और ऐसी घटना हो क्यों रही है और घटना के लिये जिम्मेदार कौन है. जो इस घटना के लिये जिम्मेदार हैं, वही इन मौतों के लिये जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ, उन तथ्यों तक पहुंचने की हिम्मत दिखानी चाहिये. मुख्यमंत्री जी, आपने जिस तरह से सदाशयता,संवेदनशीलता के साथ जागरुकता दिखाई और वहां फायर वाहन पहुंचाये, एम्बुलेंस पहुंचाईं, उसी तरह से उतनी ही सख्ती के साथ प्रदेश में भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों, प्रदेश में अनियमितताएं न हों, उसी सख्ती के साथ इस घटना के लिये जिम्मदार व्यक्ति तक पहुंचने के लिये आप क्षमता दिखायें, इसकी न्यायिक जांच की घोषणा करें. इसमें जो एक सदस्यीय एसीएस, गृह को जांच अधिकारी बनाया गया है, मैं उससे सहमत नहीं हूं, क्योंकि गृह विभाग के ही अधिकारी, कर्मचारी जो इस घटना को रोकने के लिये नीचे पूरा पुलिस डिपार्टमेंट गृह विभाग में ही आता है. मैं समझता हूं कि वह पूरा न्याय नहीं कर पायेंगे. इसकी न्यायिक जांच कराई जाये और मृतकों के परिवार जनों को 25-25 लाख, वैसे तो हमने लिखित में 1-1 करोड़ की राशि की मांग की है कि दी जाये, आर्थिक सहायता दी जाये. इसी के साथ उनके परिवार में अगर कोई नौकरी लगने वाला हो, शासकीय सेवा में रखने का काम किया जाये. सबसे बड़ा बिन्दु अभी तक यह कोई नहीं कह सकता कि तत्समय फैक्ट्री में काम करने वाले कितने लोग थे, क्योंकि फैक्ट्री में जो काम करने वाले लोग थे, उनका कुछ भी नहीं बचा होगा. 150-200 मीटर ऊपर तक ईंटें उठकर गई हैं. अगर ब्लास्ट आप देखते, ब्लास्ट का वीडियो आपने भी देखा होगा. तो दहल जायेगा आदमी, दंग रह जायेगा. 600 मकान जलकर ध्वस्त हो गये हैं. इतना बड़ा विस्फोट था. तो यह कहना या मैं यह समझता हूं कि जांच कर पाना कि तत्समय में फैक्ट्री में कितने लोग काम कर रहे थे, संभव ही नहीं है. इसकी जानकारी जरुर गंभीरता से ली जाये, यह जांच का प्रथम बिन्दु होना चाहिये. मेरा मानना है कि 500 मजदूर काम करने वाली फैक्ट्री में कुछ न कुछ मजदूर तो होंगे, जिनका अभी तक पता नहीं लग पा रहा है और इस घटना से हम सब दुखी हैं और व्यथित हैं. मैं समझता हूं कि हम चाहते हैं कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों, इसके लिये हिम्मत दिखायें, दोषी कोई भी हो, जिसने भी राजनैतिक हस्तक्षेप किया हो, जिसने भी इस फैक्ट्री को चलने देने में सहयोग किया हो, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही हो, बिना किसी भेदभाव के, यह हमारी अपेक्षा है और मैंने जो मांगें की हैं,उनको भी पूरी करने का काम मुख्यमंत्री जी सदाशयता से करायेंगे, ऐसी मेरी अपेक्षा है. अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया, बहुत बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय:- रामनिवास जी से वैसे काफी विस्तार से तथ्य रखें. कोशिश यह करना चाहिये जो उनसे छूट गया हो, वैसा तथ्य आयेगा तो कम समय में आप अपनी बात रख सकेंगे.
डॉ.रामकिशोर दोगने(हरदा):- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आंखों देखी घटना सुनाउंगा. मैं वहीं से विधायक हूं और मेरे क्षेत्र का ही मामला है और आपने स्थगन प्रस्ताव लिया इसके लिए मैं, आपका बहुत-बहुत आभारी हूं कि आपने हमको हमारी समस्या उठाने का मौका दिया और मुख्यमंत्री जी ने संवेदनशीलता दिखाकर हमारे वहां मेडिकल कालेज खुलवाये और सभी लोगों के लिये एंबुलेंस की व्यवस्था की मैं उनका भी आभारी हूं. किन्तु इस पर प्रश्न चिह्न बनता है कि यह प्रशासनिक लोग वहां क्या रहे थे. 15-20 साल से फैक्ट्री चल रही है, उस फैक्ट्री 600-700 लोग काम कर रहे हैं और 600-700 लोग काम कर रहे हैं उनका रिकार्ड अभी तक नहीं मिला है किसी के पास भी कि कितने लोग काम कर रहे थे. वहां जो अंदर लोग काम कर रहे थे उनमें से बचकर बाहर आये उन लोगों से हमने चर्चा की, उन्होंने हमको बताया कि हम 600-700 लोग अंदर थे. उसमें से 200-225 लोग अस्पताल तक आये हैं. इसके बाद बाकी लोग कहां गये. यह भी प्रश्न चिह्न है और यह जांच का विषय है, इसकी स्पष्ट जांच होना चाहिये. इसके साथ ही 225 लोगों में जो बाहर से रोड से निकल रहे थे तो जो फैक्ट्री के पत्थर, गिट्टी और सरिया उड़कर आये हैं वह उनको लगे हैं. उनसे भी लोग घायल हुए हैं उसमें वह लोग भी हैं. पर जो अंदर लोग काम कर रहे थे वह लोग कहां गये. इसकी जांच बहुत जरूरी है और फैक्ट्री के अंदर चार-पांच कमरे थे और नीचे तलघर था, तलघर के साथ टीन शेड के भी हॉल थे. इस तरह से चार-पांच जगह उनकी ढाई एकड़ की एक फैक्ट्री थी उसमें बारूद फैला हुआ था तो वहां उस समय कितने लोग थे, इसकी जांच होनी चाहिये. मेरा अनुमान है कि नीचे तलघर में 100-200 लोग जो काम कर रहे थे वह निकल नहीं पाये हैं और वहां जो अन्य लोग काम कर रहे थे, वह भी बता रहे हैं कि वह छत के नीचे दब गये हैं. पोकलेन मशीनों से सिर्फ प्रशासनिक अधिकारियों ने ऊपर से बराबर किया है. उन्होंने तलघर को खोलकर नहीं देखा है, उनको नीचे देखना चाहिये था कि नीचे कोई मृत तो नहीं है. उसमें इतनी आग निकली थी कि उससे सरिया और लोहा पिघल गया तो आदमियों के क्या हाल हुए होंगे.
अध्यक्ष महोदय, यह बहुत गंभीर घटना है और भयावह घटना है. इसकी प्रॉपर जांच होना चाहिये, ऐसा लग रहा है कि जांच के नाम पर लीपापोती की जा रही है. क्योंकि जांच प्रॉपर नहीं हो रही है और जांच भी जिन अधिकारियों से करायी जा रही है वहीं अधिकारी गृह विभाग के हैं. गृह विभाग के एसपी और कलेक्टर के संरक्षण में ही यह काम चल रहा था. आप बताइये सरकार चल रही है, सरकार के अधिकारी वहां हैं, सरकार के मंत्री वहां रहे हैं, सरकार के सत्ता पक्ष के वहां विधायक रहे हैं वह लोग क्या कर रहे थे ? यह फैक्ट्री इतने दिन से चल रही है और यह इतनी भयावह घटना हुई है और इस आदमी के द्वारा फैक्ट्री चलाने के साथ-साथ उसकी यह तीसरी घटना है. वहां पर दो बार और हत्याएं हुई हैं. लोग मारे गये हैं, चिथड़े उड़ गये हैं और चिथड़े के साथ में एक केस भी पंजीबद्ध हुआ है और उसमें इस आदमी को 10 साल की सजा भी हुई है. इसके बाद भी प्रशासनिक अमला नहीं चेता और फैक्ट्री को चलने दिया गया. अभी भी इसकी वहां पर चार फैक्ट्रियां चल रही थी. एक फैक्ट्री और थी, वहां से एक-डेढ़ किलोमीटर पर दो फैक्ट्रीयां और थीं और वहां आप देखोगे, आज पेपर में भी छपा है और आपने देखा होगा कि पूरे एक एकड़ में बम फेलाये हुए हैं, सूख रहे हैं. अब बताइये की अगर वहां पर विस्फोट हो जाये अगर जरा सी भी आग वहां चली जाये तो क्या होगा. अभी तो यह था की फैक्ट्री के आजू-बाजू गेहूं की हरी फसल थी. हरी फसल थी इसलिये आग नहीं फैल पायी, अगर आग फैल जाती तो हरदा शहर भी बर्बाद हो जाता और आसपास के गांव भी बर्बाद हो जाता और आसपास के गांव भी बर्बाद हो जाते. इस घटना में पूरा हरदा दहल गया. इसका विस्फोटक बेसमेंट में रखा गया था और विस्फोटक जो था वह बारूद नहीं था. बारूद के अलावा भी वहां संभावना व्यक्त की जा रही है और निश्चित वह होगा जो मिलेट्री में उपयोग किया जाता है '' ट्राई नाइट्रो ट्रोल विन'' नाम का जो बारूद जिसका उपयोग मिलिट्री में किया जाता है, दुश्मनों को मारने के लिये किया जाता है वह बारूद होगा. तभी वहां पर भूकंप जैसा माहौल बना. वह बेसमेंट में रखा था और बेसमेंट फूटने से पूरा हरदा हिल गया और हरदा के हर घर के कांच फूटे, खिड़कियां फूटी हैं, यह स्थिति है. लोगों को कांच गिरकर लगे हैं वह चीजें हुई हैं तो इतना बड़ा विस्फोटक इकट्ठा हो गया, कितने क्विंटलों से इकट्ठा हो गया था, जबकि इस आदमी के पास सिर्फ 15-15 किलो विस्फोटक रखने के दो लायसेंस थे. वह भी चालू नहीं थे, निरस्त थे. इसके बाद इतना बारूद इकट्ठा करके रखना यह प्रशासनिक अधिकारियों का या राजनीतिक दबाव का या क्या कारण था इसके ऊपर जाना चाहिये और निश्चित इसको निकालना चाहिए, जो भी हो राजनीतिक दल में, मैं वहां विधायक हूं, मैं हूं, मेरा संरक्षण है तो मुझे भी फांसी की सजा दी जाना चाहिए, नहीं तो वह विधायक को भी या वह मंत्री को भी जो वहां पर रहा है, उसको भी फांसी की सजा दी जाना चाहिए. वह अधिकारी, कलेक्टर और एसपी के ऊपर भी एफआईआर होना चाहिए, क्यों चला रहे थे, इस तरह का काम क्यों चल रहा था? यह इतने लम्बे समय से चल रहा था? कमिश्नर ने क्यों उस आदमी को एक महीने का स्टे दिया? दो साल पहले एक महीने का उसको स्टे दिया. दो साल पहले केस लगा, कलेक्टर ने लाइसेंस निरस्त कर दिया, कमिश्नर ने एक महीने का स्टे दे दिया, उसके बाद वह फैक्ट्री दो साल तक फिर चल गई, पता ही नहीं लगा, कोई अधिकारी चेक करने वाला नहीं था. इसमें कितने विभाग हैं, इसमें श्रम विभाग है, इसमें फारेंसिक विभाग है, इसमें विस्फोटक विभाग, नगर निगम, पुलिस थाना है, उसमें एसपी है, कलेक्टर है, राजस्व के अधिकारी हैं, सबको चेक करना चाहिए.
अध्यक्ष महोदय, वह फैक्ट्री कृषि भूमि पर चल रही थी. इसके बाद यह घटना हुई. कृषि भूमि की भी जांच नहीं हुई कि क्यों डायवर्सन नहीं कराया गया तो इस तरह से बहुत सारे जांच के विषय हैं और मेरा आपसे करबद्ध अनुरोध है, मुख्यमंत्री जी यहां पर बैठे हैं, मेरा निवेदन है कि इसमें जो अधिकारियों की टीम बनाई है, उसकी न्यायिक टीम बनाई जाय, न्यायिक ज्युडिश्यरी जांच कराई जाय और अगर वह नहीं हो रहा है तो अधिकारियों के साथ हमें रखा जाय, विधायक को भी रखा जाय, भाजपा के वहां के अध्यक्ष को भी रखा जाय, वहां दोनों पार्टी के आदमी हों. उनके साथ वहां पत्रकार भी हों, जिसमें वहां का मलबा हमको नीचे से निकालना चाहिए, तलघर में जो मलबा पड़ा है, जिसमें आदमी होने की संभावना है तो प्रापर उसकी जांच होगी. उस मलबे की जांच होगी तो पता लग जाएगा कि अंतर कितने लोग रह गये? वहां पर लोग अभी मिसिंग हैं. मेरे पास कल भी बहुत सारे लोग आए कि वह कह रहे हैं कि हमारे पिता नहीं है, कोई कह रहा है कि हमारा बच्चा नहीं मिल रहा है, कोई कह रहा है कि पत्नी नहीं मिल रही है, ये परिस्थितियां आ रही हैं तो वे लोग कहां गये होंगे? उस फैक्ट्री में बाहर के लोग काम कर रहे थे, यह तो लोकल के लोग आए. वहां बाहर के बैतूल की तरफ के लोग भी थे, कुछ खरगौन की तरफ के भी थे. कुछ खंडवा की तरफ के लोग भी थे, उन लोगों के मिसिंग की तो अभी जानकारी ही नहीं है, जब तक परिवार को पता लगेगा, परिवार ढूंढेगा, आएगा, तब पता लगेगा, नहीं तो उनका पता ही नहीं है कि वे लोग कहां पर गये हैं. इस तरह से वहां पर बहुत सारे लोग थे, उसकी प्रापर जांच होना चाहिए, मलबे के नीचे दबे लोगों को निकालना चाहिए. मेरा तो यही निवेदन है कि यह जो एसपी, कलेक्टर और जितने भी अधिकारी हैं, जिनके अंडर में यह आता है, जो लाइसेंस देते हैं, लाइसेंस की प्रक्रिया में शामिल होते हैं, उन सब पर कार्यवाही होना चाहिए और आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध होना चाहिए. तब उन्हें न्याय मिलेगा और मैं यह भी चाहता हूं कि वहां के जो गरीब लोग हैं, जो लोग मारे गये हैं उनके परिवार को कम से कम 1 करोड़ रुपये दिये जाने चाहिए, जिससे उनके परिवार का जीवन-यापन हो सके, कम से कम 5 लाख रुपया मुआवजा जो घायल हुए हैं उनको दिया जाना चाहिए, जिससे वह अपना पालन कर सकें.
अध्यक्ष महोदय, किसी का हाथ गया है, किसी का पैर गया है, किसी का कुछ टूटा हुआ है तो वह आदमी जीवन-यापन कैसे कर पाएगा, कैसे रह पाएगा क्योंकि यह सरकार की विफलता के कारण, प्रशासनिक अधिकारियों की विफलता के कारण यह घटना हुई है. सरकार को अपनी गलती मानकर यह प्रापर मुआवजा देना चाहिए, उसमें व्यक्ति की गलती होती तो मान लेते. यह व्यापारी की गलती तो है ही, साथ साथ सरकार जो उसको संरक्षण दे रही थी, जो प्रशासनिक अधिकारी संरक्षण दे रहे थे, उनके संरक्षण में यह कार्य चल रहा था, इसलिए जो पीड़ित हैं उनको मुआवजा मिलना चाहिए, जिससे वह जीवन-यापन कर सकें. वहां पर हरदा के लोग बहुत त्रस्त हैं, बहुत दुखी हैं. सरकार से वह उम्मीद लगा कर बैठे हैं कि उनके लालन-पालन या उनका घर चलाने के लिए, जो उनके मकान टूटे हैं उसके लिए उनको सुरक्षा दी जाय और उनको मुआवजा दिया जाय, जिससे वह अपना मकान बना सकें, उसमें रह सकें और उनके बच्चों को पढ़ा-लिखा सकें. अध्यक्ष महोदय, आपने बोलने का जो मौका दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
परिवहन मंत्री (श्री उदय प्रताप सिंह) - अध्यक्ष महोदय, हरदा में बैरागढ़ में एक आकस्मिक हृदयविदारक घटना दिनांक 6 फरवरी, 2024 को जो हुई, सबसे पहले तो मैं आपका धन्यवाद देता हूं कि आपने इस महत्वपूर्ण विषय का स्थगन ग्राह्य किया और सरकार में माननीय मुख्यमंत्री जी का विशेष रूप से मैं आभार भी व्यक्त करता हूं, धन्यवाद भी ज्ञापित करता हूं कि उन्होंने आम तौर पर हमारा यह अनुभव रहा है कि सरकारें इन विषयों से बचती हैं, लेकिन आपने पूरी संवेदनशीलता और संजीदगी के साथ सरकार की तरफ से इस विषय पर यहां पर चर्चा के लिए सहमति दी. अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का बहुत हृदय से, आपका आभार भी व्यक्त करता हूं और जो दुर्घटना में जिनका आकस्मिक वहां पर निधन हुआ है, उनके प्रति भी श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं.
अध्यक्ष महोदय, 6 तारीख को कैबिनेट की बैठक थी. माननीय मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में कैबिनेट चल रही थी. तभी आपको सूचना मिली कि हरदा में इस तरह का कोई वाकया हुआ है. कैबिनेट को तुरंत माननीय मुख्यमंत्री जी ने लगभग पूर्णता प्रदान की और निर्देशित किया कि हरदा जाकर मौके पर तुरंत वहां पर देखें कि वहां क्या स्थिति है. एसीएस श्री अजित केसरी जी और एडीजी होमगार्ड, एक और अन्य एडीजी के साथ हम लोग हरदा गये. हम लोग सीधे घटनास्थल पर पहुंचे. मुझे लगता है कि जनप्रतिनिधियों में वहां पहुंचने वाले पहले हम लोग थे. मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर हम लोग वहां सबसे पहले पहुंचे और घटनास्थल का मुआवना भी किया. सारे अधिकारी वहां पर थे. उसके बाद अस्पताल जाने का काम किया. मैं इसमें एक चीज सबसे पहले स्पष्ट रूप से कहना चाहता हॅूं कि आदरणीय रावत जी ने भी उसको बड़ी सहृदयता के साथ रखा है कि मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर मुझे लगता है कि मध्यप्रदेश की शायद यह पहली घटना है जिसमें इतनी व्यापक तैयारी कुछ घंटों में हुई होगी. शायद यह मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार इस तरह की चीज हुई है. बैतूल से प्लॉटून कमांडर्स और जवान, नर्मदापुरम से जिला सेनानी, भोपाल से संभागीय सेनानी और प्लॉटून कंमाडर्स, खंडवा से प्लॉटून कमांडर्स और सेनानी, हरदा से लोकल स्टॉफ सब लगातार काम कर रहे थे और एम्बुलेंसेस की सीरीज़ थी और सबसे महत्वपूर्ण इंदौर के लिये, नर्मदापुरम के लिये, भोपाल एम्स और हमारा जो मेडिकल कॉलेज है उसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. यह इस बात का प्रमाण है कि सरकार ने इसे हाईएस्ट प्रॉयोरिटी पर इस विषय को लिया और जो घायल हैं वह बगैर समय लगे त्वरित शीघ्र गति से अस्पताल पहुंचें, उनका इलाज शुरू हो, इस बात की सरकार ने चिंता की.
अध्यक्ष महोदय, हम लोग वहां पर अस्पताल में गए, तो मुझे इस बात को कहते हुए संतोष है कि स्वास्थ्य का हमारा जो अमला है वहां आसपास के जिलों से डॉक्टर्स की जो टीम पहुंची, वह बहुत संजीदगी के साथ उन्होंने उस पूरे आपाधापी भरे सिस्टम को हेंडल किया. लोगों को संतुष्ट करने का भी काम कर रहे थे और जो घायल थे, उनका भी त्वरित गति से इलाज वहां पर कर रहे थे. मैं आपके माध्यम से यह कहना चाहता हॅूं कि अगर इस घटना को जिस शीघ्रता के साथ सरकार ने संज्ञान में लिया, अगर उसमें विलंब होता तो शायद यह जो आज हम जो कह सकते हैं कि 11 मृतक हैं और हमारे घायल साथी, जो समय पर पहुंचे, जिन्हें इलाज मिला जिसके कारण हम उनका जीवन बचा सके, उसमें प्रशासन की, स्वास्थ्य विभाग की और सरकार की मंशा और उनकी जो एक त्वरित कार्यवाही है, उसी के कारण यह संभव हुआ कि यह आंकडे़ बढ़ नहीं पाए और आज हम यह कह सकते हैं कि हम घायलों का बेहतर इलाज कर पा रहे हैं.
माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दूंगा कि भारत सरकार को भी आपने समय रहते इसकी सूचना दी और शायद यह पहली बार हुआ है कि हमारे एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर्स इंदौर में आकर खडे़ हुए कि अगर किसी पेशेंट को ऐसा लगता है कि हिन्दुस्तान की किसी बर्निंग यूनिट में या कहीं और बेहतर इलाज के लिए भेजना पडे़ तो स्टेंडबॉय में एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर्स वहां खडे़ रहें, लेकिन इसकी आवश्यकता नहीं पड़ी. हमारे प्रदेश के स्वास्थ्य के जो संसाधन थे, उनसे हम बेहतर इलाज कर पाए और आज हम कह सकते हैं कि उनका इलाज जो हॉस्पिटल में चल रहा है वह घायलों की दृष्टि से लगभग समुचित है. मैं इसके लिए भी माननीय मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करना चाहूंगा कि जो मृतक हैं, घायल हैं उनको तुरंत आर्थिक मदद करने का भी आपने काम किया. भारत सरकार को आपने अवगत कराया तो माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी मृतकों के लिए 2 लाख रूपए और घायलों के लिए भी अलग से मदद की बात वहां से रखी है. जैसा अभी आदरणीय रावत जी कह रहे थे कि इसमें जो एक सदस्यीय जांच दल बनाया है, वह कैसे काम करेगा. मैं जानकारी के लिए बताना चाहता हॅूं कि यह एक सदस्यीय जांच दल नहीं हैं, यह एसीएस श्री संजय दुबे जी की अध्यक्षता में है. इसमें एडीजी और तकनीकी विषय को भी शामिल करते हुए पीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी को भी इसमें शामिल किया गया है. चूंकि यह विषय इतना गंभीर है और घटना इतनी दु:खद है कि इस पर शायद राजनीति नहीं होना चाहिए और कर भी नहीं रहे हैं और आदरणीय रावत जी ने जिस तरह से इस विषय को रखा है, मुझे बहुत संतोष है कि आपने इस घटना पर जिस सहृदयता के साथ इस विषय को रखना चाहिये था, वही आपने काम किया. व्यक्तिगत रूप से मैं आपका बहुत धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. अभी जो विषय आ रहे हैं कि मृतकों की संख्या बहुत बढ़ सकती है, कितने लोग हैं, यह जांच का विषय है ? उसमें मैं दखल नहीं देना चाहता, लेकिन मैं एक बात कहना चाहता हूं कि वहां पर मैंने लोगों से चर्चा की जो हमने लोगों से बात की कि उस दिन मंगलवार अवकाश दिवस था वहां जिसके कारण कर्मचारियों की संख्या दोगने, जी भी इससे सहमत होंगे कि कम थी. अवकाश नहीं होता तो शायद यह घटना बड़ी हो सकती थी. दूसरा कितने लोग और मरे हैं या सस्पेक्टेड हैं, क्या हो सकता है ? इसका सबसे बड़ा प्रमाण हो सकता है कि लोग ढूंढते हैं कि हमारा परिवार का व्यक्ति मिल नहीं रहा है, मिसिंग है, लापता है, तो बहुत चर्चा के बाद प्रशासन की बहुत खोजबीन के बाद जो खबरें मिल रही हैं उससे दो व्यक्तियों का जरूर कहते हैं कि पता नहीं है शायद वह रिश्तेदारों के पास गये थे, उनका फोन नहीं आ रहा है, कुछ नहीं आ रहा है. दो लोगों के अलावा इस तरह की अभी कोई सूचना नहीं है. अगर 100-200 लोग अगर मिसिंग हैं. अगर मिसिंग होते हैं तो आजकल सोशल मीडिया के माध्यम से यह खबर देश भर में जाती है. अगर बाहर के प्रांत का व्यक्ति काम कर रहा होता तो लोग कहते कि मेरे रिश्तेदार का क्या हुआ ? तो कहीं न कहीं से यह सूचना सरकार के पास जरूर आयी होती. तो भगवान का शुक्र है कि अभी तक इस तरह की कोई सूचना नहीं है जिससे हम मानकर के चल रहे हैं कि शायद ईश्वर करे यह संख्या आगे न बढ़े जो आज तक यह लग रहा है कि शायद ऐसा ही होगा. मैं बहुत लंबी बात न करते हुए इस विषय पर आपके माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी का तो धन्यवाद ज्ञापित करता हूं. साथ ही पूरे सदन का कि हमें ऐसी घटनाओं में संवेदनशीलता दिखाते हुए एकजुटता का परिचय देना चाहिये. हमारा जो फेडरल स्ट्रक्चर है हमारे देश में काम करने का लोकतंत्र की जो व्यवस्था है. उसमें शायद जनता भी इस बात को चाहती हूं कि इन मामलों में सारा सदन दलीय राजनीतिक सीमाओं को छोड़कर लोग एकजुट हों और प्राकृतिक आपदाओं में आकस्मिक घटनाओं में एकजुट होकर उसके निराकरण में और भविष्य में इस तरह की कोई चीजें ना हों, पुनरावृत्ति ना हो. जांच में सहयोगात्मक रवैया अपनाते हुए एक बेहतर परिणामों की तरफ यह राज्य बढ़ेगा, यह सिस्टम बढ़ेगा उसमें आप सबका सहयोग रहा भी है और मुझे लगता है कि आगे इसकी यूनिटी का राज्य में दलीय सीमाओं से हटकर महत्वपूर्ण विषयों में हम सब एकजुट होकर एक बेहतरी के लिये काम करेंगे, शायद इसकी शुरूआत होगी और आपकी अध्यक्षता में वह चीज यहां पर परिलक्षित हो रही है. मैं आपका धन्यवाद ज्ञापित करते हुए माननीय मुख्यमंत्री जी का विशेष रूप से लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं, लगातार वहां पर क्या बेहतर हो सकता है, प्रशासन के जो निर्णय हैं, वह भी आपने त्वरित गति से लिये हैं. लोगों की अपेक्षाओं को आप लगातार पूरा कर रहे हैं मैं आपके माध्यम से उनको भी धन्यवाद देता हूं. बहुत बहुत धन्यवाद.
श्री फूलसिंह बरैया ( भाण्डेर ) अध्यक्ष महोदय, हरदा हादसा यह इस प्रकार का हादसा था उसमें धरती हिल गई थी. वहां पर जो हादसा हुआ उससे लाशों के टुकड़े हुए वह आसमान में कई किलोमीटर तक टुकड़े पाये गये. यह हादसा कोई पहला हादसा नहीं है. ऐसे हादसे अब नहीं होंगे,आगे नहीं होंगे. ऐसे हादसे कई होते रहे हैं और हम लोग गंभीरता से इसको लेकर के नहीं सोचेंगे तो यह हादसे बंद होने वाले नहीं हैं. सबसे पहले इस हादसे की जिम्मेदारी तय करनी चाहिये कि यह जिम्मेदारी किसकी थी, कौन है जिम्मेदार ? तो सबसे पहले जो जिम्मेदार है उसको हम लोग पकड़ें और जो जिम्मेदार है उसके ऊपर एफआईआर करें. एफआईआर करके उसको जेल में भेज दें. उसके बाद जांच होगी तो मुझे लगता है कि जांच फिर सही से जांच हो सकती है. पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि सबसे पहले तो सरकार खुद ही जिम्मेदार है, सरकार तो अपने ही ऊपर एफआईआर करेगी नहीं. दूसरा जो जिम्मेदार होता है शासन को चलाने वाला वह जिम्मेदार होता है कलेक्टर और एसपी. कलेक्टर और एसपी कोई भी हमारे यहां पर फैक्ट्री या कारखाना चलता है, उसका मुआयना करने के लिये जाना चाहिये. पहले इसको लाइसेंस मिला था पटाखा फैक्ट्री का लेकिन आज मैं आपसे भरोसे से कह सकता हूं, जो हादसे का नेचर है वह पटाखा फैक्ट्री नहीं है, उसके बाद उस फैक्ट्री में बम बनाने लगे थे, बम बनने लगे थे, इसकी जांच कौन करेगा. क्योंकि पटाखे की बारुद का इतना बड़ा विस्फोट नहीं हो सकता है. ये एक बम का विस्फोट है, जिससे धरती हिल गई थी और मैं आपसे कहूंगा कि ये जो बम बन रहे थे तो कलेक्टर, एसपी ने इसकी बीच में जांच क्यों नहीं की. समय सीमा पर जाकर के पता क्यों नहीं किया कि इसमें कौन सी चीज बन रही है. अगर ये जांच हो जाती तो ये हादसा नहीं होता. सैकड़ों लोगों की जान बच जाती. परिवार तबाह हो गए वे बच जाते, लेकिन मैं आपसे कहूंगा कि अगर सही नियति से इस हादसे की अगर वास्तव में आपको जांच करवानी है तो सबसे पहले एसपी, कलेक्टर के ऊपर एफआईआर करके जेल भेजना चाहिए और इसके बाद अगर जांच होगी तो मुझे पूरा भरोसा है कि जांच करने वाला भी जांच सही करेगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो जांच भी दो दिन, चार दिन बाद उसके रिश्तेदार सरकार के पास आ जाएंगे. मंत्रियों के पास आ जाएंगे, अरे साहब हो गया, तो हो गया, ऐसा होते रहता है.. और बचने की कवायद शुरू हो जाएगी और फैक्ट्री का मालिक, फैक्ट्री के सारे लोग बच जाएंगे. जैसे कोई ताकतवर आदमी मर्डर करता है, तो उस मर्डर के पीछे एक उसके नौकर को धारा 302 लगाकर जेल भेज देते हैं और कहते हैं, हमने भेज तो दिया जेल में.
अध्यक्ष महोदय, इस हादसे का तमाशा नहीं होना चाहिए. इस हादसे को अगर उस गंभीरता से सरकार लेती है तो मैं दावे से कह सकता हूं कि आने वाले समय में ऐसे हादसे कभी नहीं होंगे और इसमें परिवार के लोगों को, अभी माननीय मंत्री जी ने कहा कि दो लाख रुपए दिल्ली से प्रधान मंत्री जी की तरफ से जो सहायता आई है, दो लाख रुपए कुछ भी नहीं है. किसी का हाथ कट गया, किसी का पैर कट गया, किसी का कुछ हिस्सा कट गया है वह जीवन कैसे जीयेगा. अध्यक्ष महोदय मैं कहना चाहूंगा कि एक-एक करोड़ रुपए से कम नहीं और उनके जो घर, परिवार बिखर गए हैं, उनको भी स्थापित करने का काम सरकार करे और ये हम लोग सब मिलकर करेंगे तो ऐसे हादसे भविष्य में भी पूरी तरह से बंद हो जाएंगे. कभी ऐसे हादसे नहीं होंगे. यही मैं आपसे उम्मीद करूंगा, आशा करूंगा कि इस हादसे की जांच हो, इस हादसे की लीपा-पोती न हो, इस हादसा सही तरीके से जांच हो जाए और दूध का दूध, पानी का पानी हो जाए. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
उपनेता प्रतिपक्ष(श्री हेमन्त कटारे) - माननीय अध्यक्ष जी, मैं सबसे पहले आपको धन्यवाद देना चाहूंगा कि आपने इस बेहद गंभीर विषय को स्थगन के रूप में चर्चा में स्वीकृत किया और मुझे बोलने का अवसर दिया. मैं हमारे नेता प्रतिपक्ष जी को भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि ये एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसको मध्यप्रदेश ही नहीं प्रधानमंत्री जी तक नजर गड़ाकर देख रहे हैं. इस विषय पर उन्होंने स्थगन का प्रस्ताव रखा और मध्यप्रदेश के लोगों की नब्ज को समझा और उनके दुख में शामिल होने का एक प्रयास किया, उनको न्याय दिलवाने का एक प्रयास किया.
माननीय अध्यक्ष जी, सबसे पहले जो पीडि़त परिवार है उनको सच्चे दिल से श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहूंगा और सिर्फ इस मंच के माध्यम से, इस आसंदी के माध्यम से ...
एक माननीय सदस्य - (आसन पर बैठे बैठे बोले) ये सदन है.
श्री हेमन्त कटारे - जी धन्यवाद, आपने मुझे करेक्ट किया, इसके लिए धन्यवाद. लेकिन अगर आप इसमें कुछ उत्तर दे सकते कि उनके लिए क्या किया तो वह जरुर सुनना चाहूंगा, ये तो मुझे बहुत अच्छा लगा. आप ये जरुर बताना कि इसमें क्या किया. अभी उस पर भी बात करेंगे, लेकिन आपके सुझाव के लिए धन्यवाद. सुझाव देते रहिए, मैं सीखूंगा.
अध्यक्ष महोदय - हेमन्त जी इनका जवाब आएगा आप तो अपनी बात रखो.
श्री हेमन्त कटारे - अध्यक्ष जी, जो अभी जवाब आया, उसमें कुछ नहीं किया, प्रशंसा करते रहे बैठे बैठे, क्या कार्यवाही किया, स्थानांतरण कोई कार्यवाही होती है? माननीय अध्यक्ष महोदय,एक आई.ए.एस. का स्थानांतरण कौन सी कार्यवाही होती है, आप बताईये ना, मैं पूछना चाहता हूं. मुख्यमंत्री जी तो अंदर बैठकर नई ट्रांसफर लिस्ट बना रहे होंगे, उन्होंने आपदा में अवसर ढूंढ लिया, जहां आपदा होती है, वहां ट्रांसफर करो, नए आई.ए.एस. को लेकर आ जाईये.
जल संसाधन मंत्री( श्री तुलसीराम सिलावट) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह अच्छी बात नहीं है कि यह लिस्ट बना रहे हैं, यह वापस करें.
अध्यक्ष महोदय -- श्री हेमन्त जी आप अपनी बात करें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- काहे के लिये वापस करें.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह सब विलोपित करें, नहीं- नहीं, यह सब बिल्कुल नहीं चलेगा.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आपको आदेशित करेंगे. श्री तुलसीराम सिलावट जी आप माननीय अध्यक्ष महोदय को आदेशित नहीं कर सकते हैं.
श्री तुलसीराम सिलावट -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह इस प्रकार से बिल्कुल नहीं चलेगा. आप इतने गंभीर विषय पर बोल रहे हैं और ऐसी बात कर रहे हैं. आप इतने गंभीर विषय पर बात कर रहे हो.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- श्री तुलसीराम सिलावट जी आपने आसंदी को आदेशित किया है, आप अपने शब्द वापस लीजिये. यह आपको आदेशित कर रहे हैं. इनको क्षमा मांगनी चाहिए, यह आपको आदेशित नहीं कर सकते हैं. आप पुराने सदस्य हैं, आप परंपरा को बेहतर जानते हैं, आप सिखा सकते हैं तो सीखने में भी संकोच न कीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- श्री हेमन्त जी, चर्चा काफी गंभीर चल रही है और सौहार्दपूर्ण वातावरण में चल रही है, मैं समझता हूं जो नए तथ्य आयेंगे तो उसके बाद फिर सरकार का मार्गदर्शन होगा.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आसंदी यह निर्देशित कर दे कि अनावश्यक टीका टिप्पणी न करे, क्योंकि अगर वह टीका टिप्पणी करेंगे तो उसका उत्तर तो मिलेगा, क्रिया की प्रतिक्रिया तो होगी.
श्री सोहनलाल बाल्मीक-- माननीय अध्यक्ष महोदय, उधर भी निर्देश हो जाये कि जब यह बोल रहे थे, तो उनको बोलने की आवश्यकता नहीं थी. शुरूआत वहां से होगी तो यहां से भी होगी.
अध्यक्ष महोदय -- आप मेरी तरफ मुखातिब होकर बोलें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- जी, मैं आपको ही बोल रहा हूं लेकिन वहां से कान में आवाज आयेगी, तो उसका उत्तर तो जायेगा.
अध्यक्ष महोदय -- आप बोलें, नहीं आयेगा.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे -- माननीय अध्यक्ष महोदय, इस घटना की जानकारी मुझे पत्रकारों के माध्यम से प्राप्त हुई और जब मैंने इसका दृश्य देखा एक वीडियो आया सबसे पहले जिसमें, आगजनी और धुंआ ऐसा दिखाई दे रहा था, जैसे बादल को छू रहा है, ऐसा दृश्य माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछली बार मैंने कभी देखा था तो एक हिस्ट्री चैनल आता है, उसमें जब विश्वयुद्ध के हम लोग पुराने वीडियोज देखते हैं तो उसमें इस तरह का दृश्य देखने को मिलता है. वास्तविकता में पहले देखकर ऐसा लगा ही नहीं कि कोई पटाखे की फैक्ट्री में आग लगी, मुझे पहले ऐसा लगा कि मैं पत्रकार से पूछूं कि यह कहां पर, कहां किन देशों में युद्ध झिड़ गया, इतना बड़ा धमाका, यह पटाखे नहीं है, यह सुतली बम बता रहे हैं लेकिन माननीय अध्यक्ष महोदय ऐसा प्रतीत तो नहीं हो रहा है, यह जांच का विषय है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, अखबारों की खबर आपने भी पढ़ी होगी जो मृतक हैं, उनके शव जो हैं वह करीब दो-दो, तीन-तीन सौ फिट ऊपर उछलकर उनके चिथड़े-चिथड़े हो गये. माननीय अध्यक्ष महोदय, दुख इस बात का तो है ही उनके परिजनों को कि उनके परिवार का एक व्यक्ति चला गया, उससे एक गहरा दु:ख और है कि उसका व्यक्ति खो गया और आज उसका शव भी अंतिम संस्कार करने के लिये उपलब्ध नहीं है. अंतिम संस्कार के बाद हम लोग हिंदु धर्म में जानते हैं कि आत्मा को शांति प्रदान करने के लिये जब तक मृत्यु भोज, अंतिम संस्कार की क्रियाएं नहीं हो जायें, तब तक आत्मा भटकती रहती है और शरीर यहां पर रह जाता है. माननीय अध्यक्ष महोदय, संस्कार के लिये शरीर तक उपलब्ध नहीं हो रहे हैं, वह लोग रो रहे हैं, आप कल्पना कीजिये उनके दुख का.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं कहना चाहूंगा कि कल पहला दिन था सदन का माननीय महामहिम जी ने अभिभाषण दिया और जब तक आपने पूरी कार्यवाही समाप्त नहीं की तब तक मैंने कहा कि क्या इस विषय पर एक मिनिट का शोक नहीं जाहिर करना था सदन को, एक मिनट का शोक सिर्फ. मैं नहीं कह रहा हूं कि चर्चा करते, पर शोक तो जाहिर कर देते और यह पहली घटना नहीं है इसके पहले भी घटनाएं हो चुकी हैं और इसी स्थान पर इसी व्यक्ति के द्वारा पहले भी अलग-अलग हादसों में करीब 22 लोग यहां पर मृतक हो चुके हैं और जो अग्रवाल जी जो इसके मालिक हैं या जो भी इसके संचालक हैं, मुझे हमारे विधायक श्री आर.के.दोगने साहब ने बताया कि इनको कोर्ट के द्वारा दस साल की सजा भी हो चुकी है और यह अभी बेल पर चल रहे हैं, तो सजा तो उनको मिल ही चुकी है और वह आपराधिक प्रवृत्ति के तो है हीं. अब उनको क्या डर है, कोई डर नहीं है, खुलेआम संचालन कर रहे हैं, एक नहीं ऐसी अन्य भी फैक्ट्रियां चल रही हैं, कुछ उनके नाम से चल रही हैं, कुछ गैरों के नाम से चल रही हैं, और लोगों के नाम से चल रही हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं हमारे नेता प्रतिपक्ष जी के साथ हमीदिया अस्पताल गया, जैसे ही यह घटना की जानकारी मिली तो वहां पर जो घायल लोग थे, उनसे मिलने के लिये गया और वहां जाकर घायलों से चर्चा भी की और जब मैंने घायलों से चर्चा की तो जो चीजें उन्होंने बताई, उसमें से एक चीज तो जो हमारे माननीय मंत्री जी ने कहा कि आप इस बात से सहमत होंगे कि वहां कम लोग होंगे तो मैं इस बात पर असहमति जाहिर कर देता हूं. मुझे तो उल्टा उन्होंने यह बताया कि यह हमारा तनख्वाह लेने का समय था. हम सभी लोग तनख्वाह लेने के लिये इस समय पर जाते हैं, छुट्टी का अवकाश का दिन होता है तो उस दिन संख्या और अधिक होती, जो सामान्य से अधिक होती है, क्योंकि सब अपने परिवार को भी लेकर जाते हैं कि कुछ दो, पांच हजार रूपये मिल लाये, लेबर को क्या मिलेगा ? कोई दस, पांच हजार रूपये मिल गये तो परिवार के साथ वहीं से चले गये, थोड़ा सा बच्चों के साथ घूम आये तो उस दिन संख्या जो सामान्य है, उससे भी अधिक थी औरे जो घटना में बताया जा रहा है कि दस या ग्यारह लोग मृतक हैं, मुझे ऐसा लगता है माननीय अध्यक्ष जी जो बार-बार वहां पर मंत्री जी और सब लोग जा रहे हैं, मुख्यमंत्री जी जा रहे हैं, कहीं ऐसा तो नहीं कि घटना को दबाने के लिये जा रहे हैं क्योंकि प्रधानमंत्री जी की इस पर नजर है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि जिस गंभीरता के साथ सत्तापक्ष ने इस चर्चा को स्वीकार किया है और रामनिवास रावत जी वरिष्ठ सदस्य ने जिस तरह इसकी पहल की है, डायरेक्ट इस तरह उप नेता प्रतिपक्ष जी न बोलें तो ज्यादा बेहतर है, चर्चा है और चर्चा कर लीजिये, दोनों पक्ष उस पर सहमत हैं, आप डायरेक्ट सरकार को कोड नहीं कर सकते और कोई दावा नहीं कर सकते, अगर चीफ मिनिस्टर दबाते तो हमने एसपी, कलेक्टर को तत्काल हटाया, आप ऐसे कैसे बात करते हैं.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- माननीय अध्यक्ष महोदय, सब टोक रहे हैं मैं सबका जवाब भी दूंगा.
अध्यक्ष महोदय-- अभी हेमन्त जी बोल रहे हैं, बाकी शांत रहें. हेमन्त जी आप अपनी बात पूरी करें.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- पहले मैं इन माननीय जी को बता देता हूं कि आपने एसपी, कलेक्टर को हटाया, स्थानांतरण किया, आप थोड़ी परिभाषा पढ़ लीजियेगा, स्थानांतरण एक सामान्य प्रक्रिया है वह कोई सजा नहीं होती है.
श्री रामेश्वर शर्मा-- हटाया है, स्थानांतरण नहीं किया है, हटाने के शब्द का मतलब नहीं समझते आप.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- कैसे हटाया आपने, नौकरी से हटाया, कुछ भी बोल रहे हैं, माननीय अध्यक्ष जी इनको ज्ञान ही नहीं है.
अध्यक्ष महोदय-- हेमन्त जी, आप भी वरिष्ठ सदस्य हैं, उप नेता हैं, यह प्रश्नकाल नहीं है सवाल का जवाब देना जरूरी नहीं है, रामेश्वर जी आप भी ध्यान रखें.
श्री विजय रेवनाथ चौरे-- अध्यक्ष जी, अगर निलंबित करते तो सरकार की भी छवि अच्छी बनती. कम से कम इतना तो करते, मुख्यमंत्री जी तो इसमें हमेशा संवेदनशील रहते हैं.
अध्यक्ष महोदय-- हेमन्त जी, आप अपनी बात पूरी कीजिये, टाइम हो रहा है अभी नेता प्रतिपक्ष और मुख्यमंत्री जी को भी बोलना है.
श्री हेमन्त सत्यदेव कटारे-- माननीय अध्यक्ष जी, मैं सिर्फ इतना और कहना चाहूंगा कि जो वहां पर घायल लोगों ने हमें अवगत करवाया कि फैक्ट्री के आसपास घनी आबादी बसी हुई थी, कुछ चंद फीट की दूरी पर वहां काफी सारे घर बने हुये थे मैंने यह चीज हमारे विधायक जी से भी कंफर्म की और वहां पर वैसे भी वीडियों में दिखाई दे रहा है कि करीब दो चार सौ मीटर के आसपास घनी आबादी थी, जो नियम है वह इस चीज को एलाऊ नहीं करते. पहली चीज तो यह कि ऐसे में परमीशन क्यों दी, दूसरी चीज उन्होंने जो मृतकों का आंकड़ा बताया उनका कहना था कि यहां पर कम से कम 200 लोग मृतक होंगे, भगवान न करे ऐसा हो, लेकिन ऐसी उनकी आशंका थी. माननीय अध्यक्ष जी, इसमें अब मैं दो, तीन महत्वपूर्ण बिंदु कहकर अपनी बात को समाप्त कर देता हूं. एक चीज तो यह कि कलेक्टर और एसडीएम ने यह प्रपोजल कमिश्नर को भेजा था कि इस फैक्ट्री को सील किया जाये और कमिश्नर साहब ने उसको फिर से बहाल करने की अनुमति दे दी, इसमें कमिश्नर साहब का दोष कोई देखना ही नहीं चाह रहा, आप एक चीज देखिये, कमिश्नर साहब ने एक तर्क क्या दिया जो मैंने मीडिया के माध्यम से सुना, कमिश्नर साहब यह कह रहे हैं कि हमने दिवाली को देखते हुये उनको छूट दे दी, स्टे दे दिया. मैं एक चीज कमिश्नर साहब के भी संज्ञान में आपके माध्यम से पटल के माध्यम से लाना चाहता हूं कि क्या दिवाली की जानकारी एसडीएम और कलेक्टर को नहीं थी कि दिवाली आने वाली है, सिर्फ कमिश्नर को पता रहता है कि दिवाली कब आयेगी साल में, उनको पता था, लेकिन कमिश्नर साहब ने बड़ी चालाकी से आईएएस होते हैं तो थोड़ा सा ब्यूरोक्रेसी को इतनी कलम चलाने की अक्ल तो होती है तो उन्होंने स्टे दे दिया और दिवाली की आड़ में दे दिया, लेकिन गलत काम के लिये जो वास्तविकता में छूट दी है वह कमिश्नर साहब ने दी है अध्यक्ष जी. दूसरी चीज जो कार्यवाही एसपी, कलेक्टर पर की है, मैं उसको कार्यवाही नहीं मानता. एक स्थानांतरण या एक पद से हटाकर पीएचक्यू या किसी को लूप लाइन में अटैच कर देना कोई कार्यवाही नहीं है, यह सामान्य प्रक्रिया है. कार्यवाही यदि आपको करनी है तो जैसा हमारे आदरणीय बरैया साहब ने भी कहा कि एफआईआर दर्ज करके दिखाईये तो लगेगा कि हां आपने कार्यवाही की है.
माननीय अध्यक्ष जी, इसमें मेरी सिर्फ दो प्रार्थनायें हैं इस पूरे विषय में आपसे, पहली प्रार्थना तो यह है कि जो हमारा एक्सप्लोसिव रूल्स है 2008 यह स्पष्ट रूप से कहता है Licenses and certificate for specific purposes may be granted by the authority specified in part one of schedule four. schedule four माननीय अध्यक्ष जी यह कहता है कि डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को यह पॉवर है किसी भी ऐसी फैक्ट्री को 15 किलो तक स्टोर करने की देने के पॉवर है, 15 किलो एक्सप्लोसिव विस्फोट कर सके इतने पॉवर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट यदि इसके ऊपर किसी को पॉवर हैं तो वह है कंट्रोलर ऑफ एक्सप्लोसिव को तो माननीय अध्यक्ष जी, मैं आपसे यह प्रार्थना करना चाहूंगा कि पहले तो यह देखना चाहिये कि इसमें कंट्रोलर ऑफ एक्सप्लोसिव की अनुमति थी क्या अधिक स्टोर करने की, क्योंकि बारूद क्षमता से अधिक नहीं अत्यधिक था पहली चीज. दूसरी चीज मैं इसमें माननीय अध्यक्ष जी आपके माध्यम से सरकार से भी प्रार्थना करूंगा कि जो एक्सप्लोसिव एक्ट है 1984 का उसका सेक्शन 9(A) क्लीयरली एलाऊ करता है कि यदि हम चाहें तो सेंट्रल गवर्नमेंट की अनुमति से इसमें ओपन कोर्ट की इंक्वायरी करवा सकते हैं. मैं समझता हूँ कि इसमें न विपक्ष को आपत्ति होना चाहिये न सत्ता पक्ष को, इसकी पूरी इंक्वायरी ओपन कोर्ट में हो जाना चाहिये और सेंट्रल गवर्नमेंट को एक प्रपोजल यहां से बनाकर भेज देना चाहिये कि इसकी ओपन कोर्ट में इंक्वायरी हो और हम भी देखें उसमें क्या चल रहा है और साथ ही जो अधिकारी हैं उसमें कमिश्नर को भी न बख्सा जाये और स्थानांतरण या हटाना कोई कार्यवाही नहीं है, उनके ऊपर एफआईआर दर्ज करना चाहिये माननीय अध्यक्ष जी, यह मेरी आपसे प्रार्थना है. बहुत-बहुत धन्यवाद.
सहकारिता मंत्री (श्री विश्वास सारंग) - माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस स्थगन प्रस्ताव पर यहां पर चर्चा हो रही है वह निश्चित रूप से पूरे देश को हिलाने वाली घटना थी और एक ऐसी घटना जिससे हम सब बहुत दुखी भी हुए. यह सदन ने जिस जागरूकता के साथ सरकार की पहल पर इस स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार किया यह सरकार की संवेदनशीलता को भी प्रकट करता है और यह पूरा सदन इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो उसको लेकर भी विचार करने को तत्पर है, इस बात को सिद्ध करता है. बहुत लंबी बात करने की आवश्यकता नहीं है. रावत जी ने चर्चा की शुरुआत की. उन्होंने तथ्यों को रखा और मैं रावत जी को बहुत बधाई देता हूं कि उन्होंने सहृदयता के साथ और विशाल मन के साथ माननीय मुख्यमंत्री जी और इस सरकार ने इस पूरी घटना में जो त्वरित कार्यवाही की. जो संवेदनशीलता दिखाई उसके बारे में यहां पर तारीफ की. यह निश्चित रूप से इस सदन की गरिमा को बढ़ाने वाला और सरकार जितनी संवेदनशील है विपक्ष भी उसी संवेदनशीलता के साथ किसी घटना के बारे में विचार करता है इसको स्थापित करता है.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरे आधे तथ्यों को तो स्वीकार कर रहे हैं और जो आधे मैंने कहे हैं उसके बारे में भी कह दें कि उन पर भी सत्ता पक्ष विचार करेगा.
अध्यक्ष महोदय - सभी तथ्यों को उन्होंने सुना है गंभीरता से. आप चिंता न करें.
श्री विश्वास सारंग - रावत जी जो अच्छी बात है मैंने बोली मुझे लगता है. दो बातें मैं कहूंगा. मैं हेमन्त कटारे जी को कोई बात नहीं कहना चाहता लेकिन जिस गंभीरता के साथ यह पूरी चर्चा चल रही है उसी गंभीरता के साथ हमें इस चर्चा को अंतिम पड़ाव तक पहुंचाना चाहिये. इसमें कोई राजनीति नहीं होनी चाहिये. दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मैंने फिर कहा कि यहां पर चर्चा होगी. घटना क्या हुई है तथ्य आ गये पर इसकी पुनरावृत्ति न हो प्रदेश में हम ऐसी व्यवस्था का सुचारू रूप से पालन करें यह इस सदन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. माननीय अध्यक्ष महोदय, राव उदय प्रताप जी ने पूरी घटना के बारे में बताया.चूंकि राव उदय प्रताप जी मुख्यमंत्री जी के कहने पर तत्काल प्रदेश सरकार के और मुख्यमंत्री जी के प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे थे. जैसा राव उदय प्रताप जी ने बताया कि केबिनेट की बैठक चल रही थी और लगभग 11.20-11.25 पर माननीय मुख्यमंत्री जी के संज्ञान में इस घटना को लाया गया और उन्होंने तत्काल बचाव कार्य के लिये निर्देश दिये और जो ऐसी आपदाओं के लिये एस.डी.आर.एफ. और और एन.डी.आर.एफ. की टीम घटना स्थल तक पहुंच सके और रेस्क्यू आपरेशन तत्काल प्रभाव से हो सके इसकी व्यवस्था की गई और उसके साथ-साथ उदय प्रताप सिंह जी और दो सीनियर अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया कि वे घटना स्थल पर जाएं. जबकि पेपर और टी.वी. चैनल पर देखा कि घटना होने के बात उसमें विस्फोट इस तरह से हो रहे थे कि उसके आसपास जाना भी सही मायने में खतरे से खाली नहीं था पर मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और राव उदय प्रताप सिंह जी को भी मैं बधाई दूंगा कि वे तत्काल घटना स्थल पर पहुंचे. लगभग 11.20 पर इसकी सूचना मिली और एक से डेढ़ बजे के बीच में उदय प्रताप सिंह जी दोनों शीर्ष अधिकारियों के साथ वहां पर पहुंच गये थे. सरकार ने जो इस तरह की घटनाएं होती हैं उसके तीन पक्ष होते हैं.
श्री बाला बच्चन - माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मंत्री जी बार-बार बधाई दे रहे हैं सरकार को. बधाई तो तब होती जब यह घटना ही नहीं होती. मंत्री जी क्या भाषण दे रहे हैं. आपने अभी तक के अपने वक्तव्य में कितनी बार सरकार को बधाई दी है. बधाई तब होती जब यह घटना नहीं होती. किस बात की बधाई दे रहे हैं आप.
श्री विश्वास सारंग -इसकी शुरुआत आपके रावत जी ने की. रावत जी की बात का आप खण्डन करना चाहते हैं. घटना के तीनों पहलुओं पर सरकार ने त्वरित कार्यवाही की. राहत और बचाव कार्य के लिये जैसा मैंने कहा कि एन.डी.आर.एफ. और एस.डी.आर.एफ. की टीम तत्काल पहुंची और घटना की सूचना मिलते ही लगभग 400 पुलिस जवानों का अतिरिक्त बल हरदा में उपलब्ध कराया गया. माननीय अध्यक्ष महोदय, उसके साथ ही सही मायने में त्वरित राहत के कार्य पहुँच सकें, हरदा जिले में जितनी एम्बुलेंस थीं, उसके अलावा आसपास के जिलों से तत्काल प्रभाव से एम्बुलेंस की उपलब्धता कराई गई. लगभग 100 एम्बुलेंस घटना स्थल पर पहुँचाई गईं. उसके साथ ही बर्न किट भी तत्काल प्रभाव से उपलब्ध कराए गए और जैसा माननीय मंत्री जी ने कहा कि घायलों को उचित और समय पर इलाज मिल सके, उसके लिए ग्रीन कॉरिडोर का भी वहां पर प्रबंध किया गया, जिससे कि बिना ट्रैफिक व्यवधान के घायलों को भोपाल के हमीदिया अस्पताल में, एम्स अस्पताल में, इन्दौर के एमवाय में और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में समय से पहुँचाया गया. उसके साथ ही केन्द्र सरकार से बातचीत कर आर्मी के रेस्क्यू के जो हेलिकॉप्टर हैं, उनको भी तत्काल प्रभाव से मध्यप्रदेश बुलाया गया और इंदौर में उनको स्टेशन किया गया. उसके साथ ही पीड़ित परिवारों को भी तत्काल सहायता प्रदेश की सरकार से भी मिली और केन्द्र की सरकार से भी मिली, माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी इसका संज्ञान लिया और केन्द्र की सरकार से भी उन्हें राहत राशि पहुँचाई गई. दोषियों पर सख्त कार्यवाही हुई है. राजेश अग्रवाल जी, सोमेश अग्रवाल जी, रफीक, अरविंद ये सब...(व्यवधान)...
श्री विजय रेवनाथ चौरे --माननीय अध्यक्ष महोदय, ये जी कह रहे हैं, वे सम्मान के लायक नहीं हैं...(व्यवधान)... मंत्री जी, अपराधियों के लिए आप जी लगा रहे हैं... ...(व्यवधान)...
श्री रामकिशोर दोगने -- माननीय अध्यक्ष महोदय, ये वरिष्ठ मंत्री हैं, विलोपित किया जाए. ...(व्यवधान)...
एक माननीय सदस्य -- इसका मतलब प्रदेश की सरकार का उनको संरक्षण हैं. ...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं वापस ले रहा हूँ. ...(व्यवधान)...
श्री रामकिशोर दोगने -- अध्यक्ष महोदय, हरदा की जनता ने पूरी व्यवस्था संभाली है. ...(व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन -- माननीय मुख्यमंत्री जी, इन पर आप लगाम लगाएं.. ...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- बाला भाई, आप हेमन्त कटारे जी का स्टेटमेंट पढ़िए और सुनिए, उन्होंने भी यही बोला था, मैं तो वापस ले रहा हूँ. मैंने तो वापस ले लिया, हेमन्त ने भी यही बोला था. ...(व्यवधान)...
श्री बाला बच्चन -- आप तो सरकार हो. ...(व्यवधान)...
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- माननीय अध्यक्ष महोदय, आग लगाके और कुँआ खोदने का काम कर रहे हैं. 18 साल से आपकी सरकार है...(व्यवधान)...
श्री विश्वास सारंग -- ये कैसे बोल रहे हैं. ...(व्यवधान)...
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- वही है, मैं बता रहा हूँ. वैसे ही मैं बोल रहा हूँ, जैसे आप बोल रहे हैं. मेरा निवेदन है... ...(व्यवधान)...
संसदीय कार्यमंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वॉइंट ऑफ ऑर्डर है. ...(व्यवधान)...
श्री फुंदेलाल सिंह मार्को -- 18 साल से सरकार है और उसके बाद भी फिर से... ...(व्यवधान)...
अध्यक्ष महोदय -- आपको मैंने अनुमति नहीं दी है, कृपया बैठ जाइये.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वॉइन्ट ऑफ ऑर्डर है. मेरा प्वॉइन्ट ऑफ ऑर्डर यह है कि आपने अध्यक्ष महोदय... ...(व्यवधान)...
श्री रामनिवास रावत -- माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी, स्थगन में प्वॉइन्ट ऑफ ऑर्डर नहीं होता.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- जब अव्यवस्था होती है तो बोलना पड़ता है. चाहे स्थगन हो या कोई भी हो. अध्यक्ष महोदय, आपने डेढ़ घण्टे का समय निर्धारित किया है. हमने सहृदयतापूर्वक माननीय विपक्ष ने जो स्थगन रखा, उसको स्वीकार किया और चर्चा के लिए रखा, आपने नाम निर्धारित किए, कौन-कौन बोलेगा, मैं समझता हूँ कि उसके अलावा जो लोग भी बोलें, उन्हें विलोपित कर दें. जहां तक विश्वास जी ने बोला, उन्होंने कहा है कि मैं वापस ले रहा हूँ, अब इससे बड़ी बात क्या हो सकती है. ये तो उनकी बहुत बड़ी सहृदयता है. इसलिए विश्वास जी को मैं धन्यवाद देता हूँ, अब आप कन्टिन्यु करें और विपक्ष यदि इस विषय को महत्वपूर्ण समझता है तो चर्चा करने दें. चर्चा होने दें. बड़ी सार्थक चर्चा हो रही है. अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद.
श्री रामनिवास रावत -- माननीय अध्यक्ष महोदय, निश्चित रूप से विपक्ष भी उतना ही महत्वपूर्ण समझता है और हमने सार्थक चर्चा प्रारंभ की थी. आपकी सदाशयता को भी हमने स्वीकार किया है, लेकिन मौतों के लिए जिम्मेवार कौन और घटना के लिए जिम्मेवार कौन, इसकी जांच विपक्ष नहीं करेगा, सरकार करेगी.
अध्यक्ष महोदय - राम निवास जी, यह बात आप पहले कह चुके हैं.
श्री विश्वास सारंग - माननीय अध्यक्ष महोदय, जांच की समिति भी बन गई है, उसने काम करना भी शुरू कर दिया है, पर सबसे महत्वपूर्ण बात माननीय अध्यक्ष महोदय, जो मैंने कहा था कि इसकी पुनरावृत्ति न हो. सरकार ने इसके समुचित प्रयास किए हैं और कल से ही पूरे प्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर इस पर सघन कार्यवाही शुरू हो गई है. आपने समाचार-पत्रों में भी पढ़ा होगा, उन पर कार्यवाही हो रही है. सरकार इस बात को लेकर पूरी तरह से संवेदनशील है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और मैं माननीय मुख्यमंत्री जी के माध्यम से, सरकार के माध्यम से हम पूरी तरह से यह सुनिश्चित करते हैं कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी. बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - श्री आरिफ मसूद जी, आप दो मिनट में समाप्त कीजिये.
श्री आरिफ मसूद (भोपाल मध्य) - अध्यक्ष महोदय, मैं एक मिनट में समाप्त कर दूँगा. आपको धन्यवाद कि आपने इस गंभीर विषय पर स्थगन प्रस्ताव स्वीकार किया और सरकार का भी धन्यवाद. इसमें लगभग सभी बातें आ गई हैं. सबसे ज्यादा इस बात की खुशी हो रही है कि सदन में वास्तव में गंभीर चीजों पर, गंभीर चर्चा हो रही है. इस अवसर पर अपनी बात रखने का मौका सभी सदस्यों को मिला, यह अच्छी बात है. यह सरकार की अच्छी पहल है, इसका हम स्वागत करते हैं. हमने सबने श्रद्धांजलि भी दी है.
अध्यक्ष महोदय, इसमें दो-तीन बातें जरूर हैं. विषय इतना गंभीर था और उस पर मुख्यमंत्री जी ने बहुत तत्परता से कार्यवाही की, हमारे रामनिवास रावत जी ने भी कहा, सबने कहा. एक बात श्री उदय प्रताप सिंह जी, मंत्री जी कह रहे थे कि हेलीकॉप्टर इन्दौर के हैलीपेड में खड़े कराए. उससे बेहतर यह होता कि उन हेलीकॉप्टरों का प्रयोग भी वह हरदा में कर लेते तो शायद हम थोड़ा और मदद कर लेते. माननीय अध्यक्ष महोदय, जब बार-बार यह बात आ रही है कि मुख्यमंत्री जी भी गंभीर है, सरकार भी गंभीर है और यह घटना बिल्कुल चौंकाने वाली थी, तो इसके बाद अधिकारियों को क्यों छोड़ा जा रहा है ? और जब कमिश्नर के ऊपर बार-बार बात आ रही है तो उन्हें क्यों छोड़ा जा रहा है ? यह सोचने वाली बात है कि इस पर जब सबने स्थगन प्रस्ताव पर कहा है तो इस पर कार्यवाही होनी चाहिए. दूसरा, जनप्रतिनिधि की बात आई. माननीय मंत्री महोदय जी ने कहा कि हम सबसे पहले पहुँचने वाले जन प्रतिनिधि थे तो मैं माननीय मंत्री महोदय को आपकी तरफ से अवगत कराता हूँ कि हमारे वहां के स्थानीय विधायक डॉ. रामकिशोर दोगने जी सबसे पहले वहां पहुँच गए थे, तो जब जन प्रतिनिधि के बारे में भविष्य में कभी चर्चा हो तो उनका नाम आना चाहिए. यह गंभीर विषय है, मैं भोपाल को लेकर भी कहना चाहूँगा कि अभी श्री विश्वास सारंग जी कह रहे थे कि सरकार सचेत हो गई है और सब जगह मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दे दिये हैं. मुख्यमंत्री जी सदन के माध्यम से आपसे मेरा आग्रह है कि भोपाल के अन्दर सिटी में बीचों-बीच व्यापार हो रहा है. अध्यक्ष महोदय, शादी-हॉलों में लगातार वहां पर शादियां होती हैं और विस्फोटक सामग्री भी वहीं रखी होती है और शादी-ब्याह वाले आतिशबाजी करते हैं तो जाहिर है कि कभी मालिक न करे कि दोबारा कभी ऐसी कोई घटना हो जाए. इस प्रकरण में हमको इस बात के लिए, आगे भविष्य के लिए आगाह हो जाना चाहिए कि ऐसी जगह जो इस शहर के बीचों-बीच में इस तरह की विस्फोटक सामग्री है, उसको वहां से हटा देना चाहिए. मैं आपके माध्यम से केवल यह कहना चाहता हूँ कि यह बहुत गंभीर विषय है और वास्तव में, सरकार गंभीर चर्चा करवा रही है. प्रदेश में जब भी कोई घटना हुई है तो बुलडोजर सबसे पहले पहुँचे हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी, अग्रवाल जी के घर बुलडोजर पहुँच जाता तो हमें लगता कि आप वास्तव में बहुत गंभीर हो गए हैं. यह बात सही है कि डॉ. मोहन यादव जी, हम आपको धन्यवाद देंगे कि आपने जिस तरह से मरीजों को लाने की व्यवस्था की, मैं भी हमीदिया अस्पताल उनको देखने पहुँचा था. हमारे प्रदेश अध्यक्ष श्री जितु पटवारी, नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार जी हम सब लोग पहुँचे थे. आपने व्यवस्था की और हम लोगों ने भी उसमें सहयोग किया. आप पहले दिन से हमारे बयान उठाकर देख लीजिये, विपक्ष ने सरकार पर कोई टीका-टिप्पणी नहीं की है और यह कहा है कि जो सहयोग चाहिए, वह कांग्रेस पार्टी देगी और कांग्रेस का कार्यकर्ता सहयोग देगा. लेकिन हम चाहते हैं कि आप निष्पक्षता दिखाएं और इन पर 302 का प्रकरण बनना चाहिए. डॉ. मोहन यादव जी, अधिकारियों में आपकी बहुत चर्चा है, आप बहुत कार्यवाही कर रहे हैं. मुख्यमंत्री जी, आप लगे हाथ कार्यवाही कर दो. अभी मौका मिला है और अच्छा मौका मिला है तो एक-दो अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज हो जाये तो दोबारा प्रदेश में इस तरह से कुछ नहीं होगा. आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - बहुत धन्यवाद आरिफ भाई. सुरेश राजे जी.
श्री सुरेश राजे (डबरा) - माननीय अध्यक्ष महोदय, धन्यवाद आपने मुझे इस गंभीर विषय पर बोलने का अवसर दिया. सारे विषय विस्तार से आ गए हैं लेकिन जो बात सबसे गंभीर है, जैसे अभी सारंग जी ने कहा, हम पूरे प्रदेश की चिंता करेंगे. मैं, अपनी बात में यही कहूंगा कि सरकार ने जितनी चिंता की है, अगर इस घटना की पुनरावृत्ति नहीं होनी है तो इस घटना के परिप्रेक्ष्य में, पूरे प्रदेश में ऐसी सभी अवैध फैक्ट्रियां कहां-कहां, किस-किस जिले में चल रही हैं, हमें इसे गंभीरता से देखना चाहिए. यदि हमने इसे यह सोचकर छोड़ दिया कि इस घटना की जांच हो गई, बस जांच के बाद कुछ निष्कर्ष आया, 18 वर्ष पूर्व एक जांच कमेटी बनी थी, उसका कोई निष्कर्ष आज तक इस सदन को नहीं दिया गया, मैं समझता हूं कि इस कारण ऐसी घटना की पुनरावृत्ति हुई है. अगर 18 वर्ष पूर्व जांच कमेटी, ऐसी ही पेटलावाद की घटना को लेकर कोई निष्कर्ष इस सदन के पटल पर रख देती तो हमें आज यह दिन देखने को नहीं मिलता. मेरा आग्रह है कि इस घटना की पुनरावृत्ति इस प्रदेश में न हो इसलिए सरकार इसे गंभीरता से देखें और प्रदेश में किस-किस जिले में, कहां-कहां इस तरह की वैध या अवैध फैक्ट्रियां हैं, यदि वे वैध हैं तो उसकी भी जानकारी हमारे पास हो, अगर वे अवैध हैं तो उन पर समय रहते अंकुश लगा दिया जाये, जिससे ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो, यही मेरा निवेदन है, धन्यवाद.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार)- माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में भाजपा सरकार में कई घटनायें हुई हैं और उन घटनाओं पर लीपा-पोती हुई. किसी अधिकारी को दोषी नहीं पाया गया. पूर्व में पेटलावाद की घटना हुई, 9 वर्ष प्रकरण चला और अभी पता चला कि सभी बरी हो गए. सरकार जनता के लिए है कि अधिकारियों को बचाने के लिए है ? क्या मुख्यमंत्री जी अधिकारियों से डरते हैं ? आपने शपथ ली है कि मैं, प्रदेश की जनता के प्रति न्याय करूंगा और निष्पक्ष न्याय करूंगा. ट्रांसफर करके केवल खानापूर्ति की जाती है. फैक्ट्री के संचालक पर पूर्व में भी कई प्रकरण दर्ज थे, जेल भी गए लेकिन आपके कमिश्नर, कलेक्टर जो सरकार के काम करने के अंग होते हैं, क्या वे निरीक्षण नहीं करते थे, क्या जिन्हें विस्फोटकों के लाइसेंस दिए गए हैं, उनका 6 माह या 1 वर्ष में निरीक्षण करने का कोई प्रावधान नहीं है कि उनके गोदाम रिहाइशी क्षेत्रों से बाहर है या नहीं. क्या अधिकारियों ने कभी इसकी विवेचना की, जांच की, निरीक्षण किया, नहीं किया. इसलिए नहीं किया क्योंकि सभी भ्रष्टाचार में लिप्त थे, सभी को 5-10 लाख रुपये प्रतिमाह आ रहे थे तो क्यों वहां कलेक्टर और कमिश्नर जायेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा बताया जा रहा है वहां 15 किलोग्राम बारूद रखने की अनुमति थी लेकिन वहां 7 लाख 35 हजार रस्सी बम सूख रहे थे. क्या 15 किलोग्राम बारूद से इतने बम बन सकते हैं ? खुलेआम वार्ड क्रमांक 31 में प्रधानमंत्री आवास से लगे हुए रखे थे, वहां प्रधानमंत्री आवास भी टूट गए. उन परिवारों का आज क्या होगा ? उनके हाथ कट गए, टूट गए, आप उन घायलों को केवल 2-5 लाख रुपये देना चाहते हैं, जिनका जीवन भर के लिए हाथ टूट गया, पैर टूट गया, क्या अब वे कभी रोजगार कर पायेंगे ? उसके लिए आपने क्या आश्वासन दिया, कुछ नहीं दिया. यदि आप उस परिवार के प्रति वास्तव में संवेदना रखते हैं, इस सदन में कई माननीय सदस्यों ने कहा कि हमें मिलकर काम करना चाहिए, भाषण देने से काम नहीं होगा आपको हकीकत में काम करके बताना पड़ेगा, आप सरकार में बैठे हैं. सरकार के फोटो आ गए, हैलीकॉप्टर चले गए, आप मिल आये, लेकिन आज वहां पर कई परिवारों को उनके परिवार के सदस्य नहीं मिल रहे हैं. क्या कारण है कि प्रशासन को इतनी जल्दी वहां बुलडोज़र चलाने की आवश्यकता पड़ी ? क्यों वहां भूमि को समतल और बराबर करने की जरूरत पड़ी, इसका मतलब है कि वहां ज्यादा लोग मरे हैं.
1.25 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय)-- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने डेढ़ घंटे का समय दिया था. डेढ़ घंटा हो गया है. मेरा ख्याल है कि आप निर्देशित कर दें कि जब तक माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब आए तब तक इस सदन की कार्यवाही चलती रहे.
अध्यक्ष महोदय-- स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा पूर्ण होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाए. मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे कह रहा था कि जैसे कि आज चार-चार जेसीबी चला दीं, समतल कर दिया. मुझे आज जानकारी मिली कि वहां कई जिलों के आदिवासी परिवार थे. आज उनको खबर मिल रही है अपने-अपने जिलों में धार, झाबुआ, बैतूल वह भागे-भागे जा रहे हैं कि हमारे परिवार का क्या होगा? प्रशासन ने व्यवस्था की उन परिवारों से मिलने की, उनके बारे में आपने क्या सूचना केन्द्र बनाया वह भी आपके पास नहीं है? मैं आपसे कहना चाहता हूं कि फोरेंसिक टीम आई नहीं और जब तक फॉरेंसिक टीम नहीं आती तब तक किसी चीज को अलग नहीं किया जा सकता है. मुख्यमंत्री जी यह घोर लापरवाही सरकार के अधिकारियों को नहीं दिख रही है क्या? यह मजाक है या लीपापोती करके बराबर कर दो. प्रदेश में किसी को दिखे नहीं की इस प्रकार की घटना हुई, बड़ी घटना हुई है. 11 लोग मरे, अभी हमारे अभिजीत जी हमारी तरफ से गये थे विधायक दल की तरफ से दोगने जी कांग्रेस की तरफ से कमेटी बनाकर भेजी थी. आपने बताया कि कई लोग वहां पर मरे हैं, लेकिन उनके बारे में वहां पर कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. क्षेत्रीय विधायक सूचना दे रहे हैं, लेकिन कलेक्टर फोन नहीं उठा रहे हैं. रात को इन्होंने ट्रांसफर कर दिये. आरोपी है तो क्या सिर्फ ट्रांसफर करना ही सबकुछ है? मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आप प्रदेश को क्या संदेश देना चाहते हैं? पुलिस ने लोकसेवकों पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 217 क्यों नहीं लगाई. इसमें स्पष्ट है कि कोई लोकसेवक किसी व्यक्ति को दण्ड से बचाने के लिए विधि पूर्वक आदेश की अवज्ञा करता है तो उसे धारा 217 लगती है. आपकी सरकार ने यह धारा क्यों नहीं लगाई? धारा 286 जब कोई व्यक्ति जानबूझकर, लापरवाही द्वारा किसी विस्फोटक पदार्थ को ऐसे स्थान पर रखेगा जिससे मानव जीवन को संकट उत्पन्न होने वाला है उस व्यक्ति पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 286 के अंतर्गत 6 माह की सजा होती है. आईपीसी की धारा 304 कोई भी लापरवाही से गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में न आने वाले किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनता है तो उसे दो साल की सजा होती है. धारा 336, 120 (बी) के तहत तो जो आपके राजस्व निरीक्षक है, पटवारी है, कलेक्टर है, एसपी है एक थाने में अगर कोई घटना घटती है, किसी की मृत्यु होती है, बलात्कार होता है तो पूरा थाना सस्पेंड हो जाता है, सबको अटेच कर दिया जाता है यहां पर इतनी बड़ी घटना हो गई सीधे-सीधे अधिकारियों को बचाया जा रहा है. आप जनता के मुख्यमंत्री हैं या अधिकारियों के यह प्रदेश की बताना पड़ेगा. मैं यह कहना चाहूंगा कि यदि आप न्याय चाहते हैं तो आपको जनता के लिए निष्पक्ष न्याय करना पड़ेगा. अंत में मैं यही कहना चाहता हूं कि आप चाहते हैं कि इसकी निष्पक्ष जांच हो तो इसकी न्यायिक जांच होना चाहिए या फिर कानून के अनुसार ओपन कोर्ट जांच होना चाहिए. जिस पर हम चाहते हैं कि सरकार अपना पक्ष रखे और जिनके हाथ-पैर कट गए हैं, जो जीवनभर मजदूरी नहीं कर पाएंगे या रोजगार नहीं कर पाएंगे उनको दो लाख की बजाए कितना मुआवजा बढ़ा सकते हैं, 25 लाख रुपए, 1 करोड़ रुपए यह हम चाहेंगे कि उनको मिले क्योंकि वह परिवार जीवनभर कुछ नहीं कर पाएगा. माननीय मुख्यमंत्री जी एक विकलांग व्यक्ति की क्या स्थिति रहती है आप समझते हैं. यह महत्वपूर्ण तथ्य हैं, मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि इन तथ्यों पर, इन धाराओं से उन अधिकारियों को भी आरोपी बनाया जाए, जो तत्कालीन कमिश्नर थे उनको भी इसमें आरोपी बनाया जाए. यह मैं कांग्रेस पार्टी और विधायक दल की तरफ से आपसे मांग करता हूं. धन्यवाद, जय हिन्द.
मुख्यमंत्री (डॉ. मोहन यादव) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, विस्फोट की घटना के बाद स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार करने का प्रतिपक्ष का आग्रह आया तो हमने भी सहमति दी और सबकी भावनाओं को देखते हुए हमने आपसे भी इस स्थगन प्रस्ताव को स्वीकार करने का आग्रह किया. इस पर पक्ष ने प्रतिपक्ष ने जो बातें रखी हैं यह हम सबकी संवेदना और भावना बताती है. ऐसे गंभीर मसले पर मध्यप्रदेश की विधान सभा और इससे जुड़े हुए सारे सदस्यगण निश्चित रुप से पूरी संजीदगी के साथ इस तरह के विषयों पर चर्चा करने की एक नई धारा निकाल रहे हैं. इस मामले में मैं चूंकि घटना दुखद है इसलिए बधाई तो नहीं दूंगा लेकिन यह विश्वास व्यक्त करता हूँ कि आगे भी कभी ऐसी घटना आई तो यह मिसाल बनेगी जिससे इस तरह के संजीदगी वाले विषय पर हम सब मिलकर कैसे चल सकते हैं. दोनों बातें एक साथ हुई हैं अगर मैं अलग-अलग जवाब देना चाहूं तो मुझे लगता है कि ज्यादा लंबा जवाब हो जाएगा. घटना की जानकारी मुझे कैबिनेट की बैठक में 11 बजकर 20 मिनिट पर प्राप्त हुई. हमने बैठक को रोककर वहीं एक टीम बनाई राव उदय प्रताप सिंह जी को कहा कि आप तुरंत यहीं से जाएं उनके साथ दो जिम्मेदार अधिकारी भी भेजे. जिस समय यह घटना हुई थी उस समय हम इसका अंदाजा नहीं लगा सकते थे लेकिन वीडियो देखने के बाद अंदाजा हो गया था कि यह भीषण घटना है. शब्दों में इस घटना को बताना भी मुश्किल है, कुछ भी हो सकता था. ऐसा लग रहा था जैसे कि कोई परमाणु बम फूट गया हो. उस भयावहता के आधार पर हमने तुरंत निर्णय लिया राव उदय प्रताप सिंह जी और अधिकारी गए. 50 मिनट के अन्दर सारी तैयारी और प्रशासन की मुस्तैदी के साथ एक इमरजेंसी बैठक बुलाई. हरदा की भौगोलिक दूरी भोपाल, इंदौर और होशंगाबाद से ज्यादा थी. भारत सरकार के गृह मंत्री जी को भी 12 बजकर 20 मिनट पर बता दिया गया कि आप एनडीआरएफ की टीम भेजें. पहले सामान्य जानकारी उनको दी गई. टीम के साथ हेलीकाप्टर भेजने हेतु भी कहा गया. शुरुआत में यह आतंकवादी वारदात है या क्या है कुछ कहने की स्थिति में हम नहीं थे. जब इस बात की पुष्टि हो गई कि केवल पटाखे वाला ही मामला है तो भी हमने इसे पूरी गंभीरता से लिया. मुझे इस बात का संतोष है कि राव उदय प्रताप सिंह जी ने वहां जाकर कम्युनिकेशन किया. इस बीच यहां हम जो मेडिकल की सुविधा दे सकते थे जैसे ग्रीन कॉरिडोर बनाना, बर्न यूनिट तैयार करना वह हमने किया. यह बात सही है कि जलने पर दूरस्थ अंचलों में जो तुरंत सुविधा मिलना चाहिए उसको विकसित करना अभी बाकी है. फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी इतनी नहीं थीं. जैसा कि चर्चा में आया सभी मित्रों ने बताया कि हमने 100 से ज्यादा फायर ब्रिगेड, 50 एम्बूलेंस भेजीं. एक तरह से रास्ता ही नहीं बचा था कि हरदा किस मार्ग से पहुंचाएं. पुलिस प्रबंधन की सहायता से यह साधन वहां पर पहुंचे. हेलीकाप्टर की भी बात आई. चूंकि बर्न व्यक्ति के साथ उसके परिवार के लोग भी आना चाह रहे थे, परिवार के लोगों को भी इसमें जोड़कर रखा गया ताकि घबराहट न फैले. मैं हमीदिया अस्पताल में एक-एक घायल से मिलकर आया हूँ. किसी को पत्थर से चोट लगी थी तो किसी को किसी और चीज से चोट लगी थी. वहां मुझे एक बहादुर महिला मिली, मैं उसे देखकर हिल गया. वह महिला बारूद बनाने की फैक्ट्री के अन्दर ही काम करती थी. इस घटना में उसका हाथ कट गया था. मैं जब डॉक्टर के पास गया तो उन्होंने कहा कि इस महिला का हाथ उड़ गया है तो मैंने डॉक्टर से कहा कि आप धीरे बोलें. वह होश में है सुनेगी तो उसको क्या लगेगा, मैं उससे कैसे बात करूं, तो डॉक्टर ने कहा नहीं यह तो उसने स्वयं बताया है वह बहुत हिम्मती है, आप उसकी चिंता मत करिये, फिर भी यह बात सही है कि उसको कष्ट है परंतु ऊपर वाले की मेहरबानी से उसको हमने बचा लिया है और वह भी इस बात को जानती है. वास्तव में जब मैं दोबारा उससे मिला और मैंने पूछा कि अम्मा जी आपको क्या हुआ, तो उन्होंने कहा मेरा हाथ उड गया है लेकिन मुझे इस बात का अहसास था. चूंकि मैं दौड नहीं पा रही थी सब लोग दौडकर निकल गये. जब पहला विस्फोट हुआ तो लोग दौडकर चले गए इसलिये वह बच गए, परंतु भैया जैसा मुझसे बना चूंकि एकदम से यह घटना घटी है, तो मैंने कहा आपको मालूम है आपको क्या हुआ है, तो बोली हां मुझे मालूम है मेरा हाथ उड गया है लेकिन मैं बच गई मुझे इस बात का संतोष है, परंतु और बाकी लोग भी वहां घायल हुए थे उनके क्या हाल हैं. वह खुद का दर्द भूलकर बाकी दूसरे लोगों का पूछ रही थी. ऐसे ही हमारी फायर ब्रिगेड का कर्मचारी आग बुझाने में उसके स्वयं के हाथ का पंजा कट गया. यह जो भीषणता उस समय थी उसका मैं अहसास करा रहा हूं कि कैसी आग लगी और क्या हुआ और उसमें जो बाकी लोग मिले उनसे पूछा, तो बोले भैया पहले पटाखे फूटे तो ऐसा लगा कि हमको मदद करने के लिए जाना चाहिए, तो कुछ लोग जो मदद करने वाले थे और मदद करने के लिये जाने में उनकी यह स्थिति बनी. दोबारा जो विस्फोट हुआ वह और भीषण हुआ. उसमें वह लोग अधिकांश घायल हुए जो मदद करने गए थे या वीडियो बनाने गये थे या कोई रास्ते से जाने वाले राहगीर थे. इसलिये इस पूरी घटना के बारे में मैं बताऊंगा तो वह थोडा सही नहीं लगेगा बल्कि भविष्य की दृष्टि से इस पर हमारे कदम की बात की जानी चाहिये. घटना की मैंने थोडी सी संक्षिप्त छवि बताने का प्रयास किया है, लेकिन यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और यह सरकार के लेबल पर पक्ष-विपक्ष की बात न करते हुए जिस ढंग से हम सबने बात की, मैं बाबा महाकाल से कामना करता हूं कि जिनका इस घटना में देहांत हुआ है उनको अपने चरणों में स्थान दें और घायलों को शीघ्र अतिशीघ्र ठीक करें. हमसे जो भी हो सकता है हमने सारे प्रबंधन भी किए और हमने कहा किसी को कोई भी खर्च ना देना पडे और जो अच्छे से अच्छा इसका इलाज हो सकता है, हमारे प्रदेश के बाहर भी जाना पडे तो हम उनको प्रदेश के बाहर भी ले जाएंगे. सरकार हर संभव मदद करेगी. जैसे मैंने कहा कि यह बातचीत अपने में से आई है कि राहत बचाव के कार्य के साथ हमने जिस प्रकार से सभी कदम एकसाथ उठाए कि जहां बीमार आ रहे हैं उन बीमारों के लिए डाक्टर्स की एडवांस टीम इकट्ठी की, वहां पर भी जो प्रबंधन था शहर के अंदर यह बात भी सही है कि तीन साल पहले किनकी सरकार थी, हो सकता है उस समय कुछ हो और आज कुछ हो, मैं इन सब चक्करों में नहीं पडना चाहता हूं क्योंकि शहर के अंदर हुआ है तो वह जो प्रधानमंत्री आवास हैं वह हम में से किसी को भी नहीं देना चाहिये था. चूंकि यह बात सही है कि जब फैक्ट्री बनी तब फैक्ट्री तो एकांत में थी लेकिन बाद में हमारे द्वारा ही जाने-अनजाने में बस्ती बसा दी गई. बस्ती बसाने में कौन-कौन दोषी है यह तो जांच में आएगा, लेकिन ऐसी चीजों में हम भी कहीं यह ध्यान रखें कि गरीबों को भी अगर किसी को आवास देना है तो उससे बचाना चाहिये. उतनी दूरी पर नहीं होना चाहिये.
अध्यक्ष महोदय, वहां पर मेरी निगाह में यह भी आया था और इसी के साथ-साथ जैसे अभी जानकारी में आया है कि अधिकारी हटाने के बारे में नेता प्रतिपक्ष ने भी बात की है, तो अधिकारी इसलिये हटाए हैं क्योंकि मेरी जानकारी में यह भी आया है, एक पत्र मैंने देखा है जिसमें दो महीने पहले का पत्र है जिसमें एक मातहत अधिकारी ने अपने बडे अधिकारी को लिखा है कि मैंने इसमें क्षमता से अधिक विस्फोटक पाया है, तो अभी चूंकि जांच चल रही है इसलिये मैं उस पर कोई कमेंट नहीं करते हुये हमने कहा वरिष्ठ अधिकारी चाहे कलेक्टर हो, चाहे एस.पी. हो, अगर उनके मातहत ने लिखा है और उनकी मौजूदगी में जांच होगी तो हो सकता है वह बचाने का प्रयास करेंगे. यह मैं आपको आश्वस्त करना चाहूंगा कि कितना भी बडा अधिकारी हो कोई भी हो, जांच के बाद कोई नहीं बचेगा निश्चित रूप से सब पर कठोर कार्यवाही करेंगे.
श्री रामनिवास रावत -- न्यायिक जांच.
श्री उमंग सिंघार -- न्यायिक जांच की बात कीजिये.
श्री हेमन्त कटारे -- माननीय मुख्यमंत्री जी, उसमें आप सदन के समक्ष आश्वासन दीजिये.
डॉ. मोहन यादव -- अभी आपसे निवेदन यह किया है कि आप मेरी बात सुनें. अगर आपको लगे कि जांच में कोई लीपापोती होती है, तो आप जरूर बताइएगा जैसा आपको जानकारी है.
श्री उमंग सिंघार -- माननीय मुख्यमंत्री जी, न्यायिक जांच की बात है. जांच हो रही है, अधिकारी कर रहे हैं यह बात नहीं है. अध्यक्ष जी, आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि इस पर न्यायिक जांच की बात हो रही है. आप न्यायिक जांच कराना चाहते हैं कि नहीं कराना चाहते हैं सदन को स्पष्ट करें.
डॉ. मोहन यादव -- मेरा निवेदन तो सुनिये. अभी मेरी बात समाप्त हो जाएगी तब आप बताइए. एक के बाद एक अभी हाल में सारी चीजों को लेकर के आपके सामने सारी बातें रखी हैं और यह बात भी सही है कि भविष्य की दृष्टि से जैसा आज बताया गया है तो मैं बताना चाहूंगा कि 200 बेड तो हमने एम्स से लेकर और सारी जगह पर रिजर्व भी किये थे और बर्न यूनिट को लेकर भविष्य में हमको और बाकी जगह भी तैयारी रखनी चाहिये. तहसील स्तर पर, जिला, केन्द्र स्तर पर, क्योंकि यह ऐसी चीजें हैं, जिसमें भविष्य में आवश्यकता पड़ती है, तो नजदीक की जो जगह होती है, वहीं इसकी आवश्यकता पड़ती है, लेकिन यह मेडिकल का लम्बा, अब इसमें जो भविष्य में रहेगा, उस पर बात करेंगे. राहत को लेकर के भी जो बताया गया है कि राहत के मामले में माननीय प्रधानमंत्री जी ने, हमने भी घोषित किया है और एनजीटी ने भी कोई आर्डर किया है. मैं उसके आर्डर का परीक्षण कर रहा हूं,तो निश्चित रुप से एनजीटी भी जो कह रही है, वह भी सारी राशि उनको दिलाई जायेगी. इसके साथ साथ आपने खास करके भविष्य की दृष्टि से ये जो सारे 55 जिले हैं, एक साथ सभी के साथ हमने उसी दिन वी.सी. करके यानि एक मीटिंग तो सुबह की और एक मीटिंग शाम को की और मीटिंग करने के बाद हरदा के साथ साथ समान रुप से पूरे प्रदेश के अन्दर एक साथ जांच दल गठित करते हुए सारी दूर की जांच रिपोर्ट मंगवाई, इसलिये जो सुरेश राजे जी ने यह प्रश्न उठाया था, मैं बताना चाहूंगा कि हमारे जितने विस्फोटक लायसेंस दिये गये थे. अभी तक इसमें मण्डला में 17, दतिया में 4, मुरैना में 5, जबलपुर में 123, शिवपुरी में 10, ग्वालियर में 26, नरसिंहपुर में 6, डिंडोरी में 6, छिंदवाड़ा में 72, कटनी में 6, शहडोल में 29, अशोक नगर में 7 संस्थानों की जांच हमने एक साथ चालू कराई है और इसी में हरदा में 12 विस्फोटक लायसेंस जो दिये गये थे, उनकी जांच के बजाय उनको पहले सील किया है. तो 12 तो अकेले..(श्री उमंग सिंघार, नेता प्रतिपक्ष के खड़े होने पर) मेरी बात तो सुन लें.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपके माध्यम से मुख्यमंत्री जी से अनुरोध है कि पूरे प्रदेश में जांच हो रही है. अधिकारी जा रहे हैं, पुलिस अधिकारी जा रहे हैं. स्टॉक की जांच हो रही है. लेकिन वह स्थान बाहर हैं कि नहीं, गोडाउन बाहर हैं कि नहीं, इसकी जांच नहीं हो रही है. दुकानों में ही विस्फोटक है, यह मैं आपकी जानकारी में ला रहा हूं.
डॉ. मोहन यादव -- अध्यक्ष महोदय, दोनों तरह से जांच कर रहे हैं. आपकी जानकारी के लिये बता दूं कि गोडाउन कहां है, माल कहां है, उससे आगे की भी जांच हो रही है. माल कितना रखना चाहिये, वहां उसकी क्षमता से अधिक है, तो भी हम उसको रोक रहे हैं, उस पर केस बना रहे हैं. जितना रिकार्ड में है, यह जो झगड़ा है यहां का, हरदा का, वह भी यही है. एक लायसेंस कितने का था और उससे कितना ज्यादा ले लिया. मैं तो यह सुनकर दंग रह गया कि मैंने यह कहा कि यहां आखिर इतनी बड़ी शिवा काशी जैसी फैक्ट्री बनी कैसे. तो उन्होंने बताया साहब, यह तो और बड़ी बात यह है कि यह तो अभी थोड़ा सा एक दो साल से सख्ती हो गई तो फैक्ट्री में आ गया. नहीं तो घर घर जाकर के बम बनाने के लिये वह बारुद बांटते थे और घर से बनवाकर मंगवाते थे. अब यह तमाशा पहली बार सुना है.
श्री रामनिवास रावत -- मुख्यमंत्री जी, क्या यह तमाशा बिना पुलिस अधिकारियों और प्रशासनिक अधिकारियों के सहयोग के बिना हो सकता है.
डॉ. मोहन यादव -- मैं आपसे सहमत हूं, इसीलिये तो जांच करा रहे हैं कि यह संभव नहीं है.
श्री रामनिवास रावत -- इसलिये उनके खिलाफ कार्यवाही करिये, आप सहमत हैं तो.
डॉ. मोहन यादव -- हण्ड्रेस परसेंट.
श्री रामनिवास रावत -- इसमें न्यायिक जांच की घोषणा करिये और उनके खिलाफ केस कायम कराइये.
डॉ. मोहन यादव -- मैं आपसे सहमत हूं, एक भी आदमी जो इसमें लिप्त रहा होगा, आपको आश्वस्त करना चाहूंगा कि किसी को नहीं छोड़ेंगे, निश्चित रुप से सब पर कार्यवाही होगी और दूसरी बात आने वाले समय में जो बात हमने कही है कि जैसे रिहायशी फैक्ट्रियों के लिये जो अभी एक विषय बना है. अब अपने बीच में से मैं तो यह चाहूंगा कि भविष्य में अगर इस दिशा में कोई और ठोस कदम उठाना है, तो पक्ष विपक्ष के लोग मिलकर के, कमेटी बनाकर के भी इस दिशा में भविष्य में आप क्या चाहते हैं, मैं उसके लिये भी तैयार हूं.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, मेरा आपसे अनुरोध है कि आप न्यायिक जांच करायेंगे, न्यायिक जांच की बात हो रही है. उसके बारे में मुख्यमंत्री जी कहना नहीं चाह रहे हैं. अधिकारियों के खिलाफ, आरोपियों के खिलाफ क्या कार्यवाही करेंगे, यह बात हो रही है.
1.43 बजे बहिर्गमन
इण्डियन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा सदन से बहिर्गमन.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, हमने जो बिन्दु उठाये हैं, न्यायिक जांच की घोषणा,पीड़ित परिवारजनों को 1-1 करोड़ रुपये देने की बात, नौकरी देने की बात के संबंध में एक शब्द मुख्यमंत्री जी ने नहीं कहा है.
श्री उमंग सिंघार-- अध्यक्ष महोदय, हम लोग बहिर्गमन करते हैं.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, तो हम सरकार के जवाब से असंतुष्ट होते हुए सदन से बहिर्गमन कर रहे हैं.
(श्री उमंग सिघार, नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में इण्डिन नेशनल कांग्रेस के सदस्यगण द्वारा शासन के उत्तर से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया गया.)
अध्यक्ष महोदय-- सदन की कार्यवाही 3.30 बजे तक के लिये स्थगित.
(1.44 बजे से 3.30 बजे तक अंतराल)
3.34 बजे
{अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
कार्य मंत्रणा समिति का प्रतिवेदन
3.36 बजे
गैर सरकारी सदस्यों के विधेयकों तथा संकल्पों संबंधी समिति के प्रथम प्रतिवेदन की प्रस्तुति एवं स्वीकृति
3.37 बजे
अध्यादेश का पटल पर रखा जाना
मध्यप्रदेश माल और सेवा कर (संशोधन) अध्यादेश , 2024( क्रमांक 1सन् 2024)
3.38
पत्रों का पटल पर रखा जाना
(क) (i) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का अनुपालन लेखापरीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च, 2021 को समाप्त वर्ष के लिए (पर्यावरण, लोक निर्माण, ऊर्जा और उद्योग विभाग) मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2023 का प्रतिवेदन संख्या-2,
(ii) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का प्रतिवेदन लोक निर्माण विभाग द्वारा मध्यप्रदेश में वृहद पुलों के निर्माण पर निष्पादन लेखापरीक्षा पर 31 मार्च, 2020 को समाप्त वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2023 का प्रतिवेदन क्रमांक-3,
(iii) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का राज्य के वित्त पर लेखापरीक्षा प्रतिवेदन 31 मार्च, 2022 को समाप्त वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2023 का प्रतिवेदन संख्या-4,
(iv) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का 31 मार्च, 2021 को समाप्त वर्ष हेतु प्रतिवेदन अनुपालन लेखापरीक्षा प्रतिवेदन (खण्ड-प्रथम) मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2023 का प्रतिवेदन संख्या-5,
(v) भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक का 31 मार्च, 2021 को समाप्त वर्ष हेतु क्षिप्रा नदी के क्षरण पर निष्पादन लेखा परीक्षा प्रतिवेदन पर मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2023 का प्रतिवेदन क्रमांक-6,
(vi) भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का स्थानीय निकाय पर प्रतिवेदन 31 मार्च, 2021 को समाप्त वर्ष के लिए मध्यप्रदेश शासन का वर्ष 2023 का प्रतिवेदन संख्या-7
(vii) मध्यप्रदेश सरकार के वित्त लेखे वर्ष 2022-2023 (खण्ड-I एवं II) एवं विनियोग लेखे वर्ष 2022-2023
(ख) त्रि-स्तरीय पंचायतराज संस्थाओं का संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा का वार्षिक संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020
(ग) स्थानीय निधि संपरीक्षा मध्यप्रदेश का वार्षिक संपरीक्षा प्रतिवेदन वर्ष 2019-2020
(2) (क) (i) क्रमांक 693/मप्रविनिआ/2023, दिनांक 31 मार्च, 2023,
(ii) क्रमांक 558-मप्रविनिआ-2023, दिनांक 15 मार्च, 2023,
(iii) क्रमांक 497-मप्रविनिआ-2023, दिनांक 09 मार्च, 2023,
(iv) क्रमांक 220/मप्रविनिआ/2023,दिनांक 24 जनवरी,2023,
(v) क्रमांक 730/मप्रविनिआ/2023, दिनांक 05 अप्रैल,2023,
(vi) क्रमांक 2740/मप्रविनिआ/2023, दिनांक 07 दिसम्बर, 2023,
(vii) क्रमांक 1686-मप्रविनिआ-2023, दिनांक 26 जुलाई, 2023,
(viii) क्रमांक 1685-मप्रविनिआ-2023, दिनांक 26 जुलाई, 2023,
(ix) क्रमांक 2741/मप्रविनिआ/2023, दिनांक 07 दिसम्बर, 2023,
(x) क्रमांक 2896/मप्रविनिआ/2023, दिनांक 22 दिसम्बर,2023,एवं
(xi) क्रमांक 1684/मप्रविनिआ/2023, दिनांक 26 जुलाई, 2023,
(ख) मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग के वर्ष 2022-2023 के अंकेक्षित लेखे
(ग) मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2022-2023
3.42 बजे राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त विधेयक की सूचना
सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन का प्रतिषेध और व्यापार तथा वाणिज्य, उत्पादन, प्रदाय और वितरण का विनियमन) मध्यप्रदेश संशोधन विधेयक, 2024
(क्रमांक 7 सन् 2023)
3.43 बजे अध्यक्षीय घोषणा
ध्यानाकर्षण की सूचनाएं एवं माननीय सदस्यों के आवेदनों की प्रस्तुति
आगामी दिवस में किया जाना
3.44 बजे
श्री रामेश्वर शर्मा जी कृतज्ञता ज्ञापन पर चर्चा प्रारंभ करेंगे. (मेजों की थपथपाहट)
3.45 बजे
राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य द्वारा दिनांक 7 फरवरी, 2024 को प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा
श्री रामेश्वर शर्मा (हुजूर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर कृतज्ञता ज्ञापन और उन्होंने जो अपना अभिभाषण दिया है, उसके समर्थन में मैं अपनी बात रखने के लिए खड़ा हुआ हॅूं. हम सब लोग एक ऐसे कालखंड में हैं कि जब हम लोगों ने अपने पूर्वजों से रामायण से, वेदों से, पुराणों से सुना था कि एक त्रेता युग है त्रेता युग में भगवान राम का जन्म हुआ और भगवान राम का त्रेतायुग में जन्म हुआ, तो जन्म के समय राजा राम का राज्याभिषेक का वक्त आया, तो किन्हीं कारणों से पिताश्री की आज्ञा से राम वन गए और वन से जब लंका विजय के बाद राम अयोध्या लौटकर आए थे, तो अयोध्यावासियों ने दीये जलाकर दीपावली मनायी. इस दीपावली के शब्द को हिन्दुस्तान त्रेता, द्वापर और कलयुग तक की श्रृंखला में आज दिनांक तक मनाते आया है लेकिन भारत के ऊपर एक समय ऐसा भी आया कि आक्रांताओं का जब आक्रमण हुआ और आक्रांताओं ने हमारी सांस्कृतिक विरासत को लूटा, धन लूटा, संपदा लूटी. बहन-बेटियों की इज्जत लूटी. मठ और मंदिरों को तोड़े और जब यह मठ-मंदिर तोडे़ गए, तो इसके लिए हमने सहज स्वीकार नहीं किया. पीढ़ी-दर-पीढ़ी इसके लिए संघर्ष होता रहा. अनेक आत्माओं ने इसके लिए युद्ध लड़ा. अनेक साधु, महंत, अखाड़ों ने इसके लिए युद्ध लड़ा. लाखों लोग बलिदान हुए, लेकिन बार-बार यह दोहराते रहे कि जहां राम का जन्म हुआ है, मंदिर वहीं बनेगा. सन् 90 में भी यह संघर्ष आया. कारसेवकों ने गोली खायी. कहा तो यह जाता है कि अयोध्या उसका नाम है, जहां कभी किसी का वध नहीं हुआ हो लेकिन अयोध्या ने 500 वर्ष के कालखंड में ऐसे अनेक वध देखे, अनेक अपने ही भक्तों को मौत के मुंह में जाते हुए देखा. जिस निर्मल धारा से सरयू मैया बहती थी, उस निर्मल धारा में ऐसा भी समय आया कि हमारे कारसेवकों के हाथ-पैरों में पत्थर बांधकर सीमेंट की बोरियां बांधकर धक्के मारकर उनको फेंक दिया गया.
नेता प्रतिपक्ष (श्री उमंग सिंघार) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, क्या यह राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर चर्चा हो रही है ?
अध्यक्ष महोदय -- राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हो रही है.
श्री महेश परमार -- रामराज आ गया है. सुनो, रामराज आ गया है. रामेश्वर शर्मा जी, राम जी की एक कथा विधानसभा में कराना है...
...(व्यवधान)...
श्री प्रहलाद सिंह पटैल -- अध्यक्ष महोदय, एक का नाम राम और एक का नाम लक्ष्मण और राम पर आपत्ति कर रहे हैं....(व्यवधान)..
श्री रामेश्वर शर्मा -- रामनिवास जी, हम तो आपके ही निवास ...(व्यवधान)...
श्री उमाकांत शर्मा -- हमको कृष्ण भगवान पर चर्चा करनी है, हमारे कृष्ण भगवान का नाम क्यों नहीं लेते....(व्यवधान)..
अध्यक्ष महोदय -- अभी चर्चा करने दें..(व्यवधान)..
श्री रामनिवास रावत -- हमें भगवान राम पर कोई आपत्ति नहीं है केवल यह बता दें कि उनका जन्म हुआ या प्राकट्य हुआ ?
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- अध्यक्ष जी, आपका नाम रामनिवास है. आप इनको अयोध्याप्रसाद भी बोल सकते हैं...(हंसी)..
श्री रामनिवास रावत -- हमें उसमें भी आपत्ति नहीं है. लेकिन राम जी का जन्म हुआ या प्राकट्य हुआ, केवल यह बता दें.
श्री रामेश्वर शर्मा -- आप क्या चाहते हैं राम जन्म हुआ, यह भी उल्लेख है और राम जी प्रकट हुए, यह भी उल्लेख है.
अध्यक्ष महोदय -- रामेश्वर जी, आपको हर चीज का जवाब नहीं देना है. आप सीधा जवाब दें.
श्री रामनिवास रावत -- अध्यक्ष महोदय, वे सीधा तो जवाब देंगे, क्योंकि वे पंडित हैं.
अध्यक्ष महोदय -- लेकिन आपको भी बार-बार खड़े नहीं होना चाहिए, क्योंकि आप वरिष्ठ सदस्य हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा -- अध्यक्ष महोदय, अभी तो हम आपके निवास की चर्चा कर रहे हैं. यही तो हिन्दुस्तान की खास बात है कि 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ, आजादी का जो जश्न मनाया गया, उस दिन भी पूज्य महात्मा गांधी जी ने यह कहा था, जो चित्र यहां पर लगा है, जिस चित्र की हम चर्चा करते हैं जिसके आधार पर भारत का संविधान चलता है, पूज्य बाबा साहब आंबेडकर जी का चित्र लगा है. बाबा साहब आंबेडकर के संविधान के प्रथम पृष्ठ पर रामलला विराजमान हैं. राम दरबार बैठा हुआ है और महामहिम राज्यपाल महोदय ने अपने अभिभाषण में भी उसका उल्लेख किया है. मैं यह कहना चाहता हॅूं कि त्रेतायुग की उस घड़ी में हम थे या नहीं थे, हमे नहीं मालूम और मध्यप्रदेश की विधानसभा की ओर से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देता हॅूं कि त्रेता का युग कलयुग में दिया, जब रामलला प्रकट हुए, रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ. पूरा देश ही नहीं, पूरा विश्व राममय था. सबको निमंत्रण आए थे. जैसे यहां भी कुछ 2-3 लोग खडे़ हो गए, ऐसे 2-3 लोगों ने वहां भी मना कर दिया कि हम नहीं जाएंगे.
श्री अभय कुमार मिश्रा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, सदन का कीमती समय प्रदेश के विकास की चर्चा पर हो.
श्री रामेश्वर शर्मा -- वाह मेरी कांग्रेस वाह.
अध्यक्ष महोदय -- अभय जी, जरा विकास पर आने तो दो. आप बीच में टोकते हो, तो विषय पूरा नहीं होगा, तो तब तक वे विकास पर नहीं आएंगे...(हंसी).
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यही तो परेशानी है कि रामराज्य की बात करते हैं पर रामराज्य नहीं आ पाया और इसलिए उस रामराज्य की सही शुरूआत हुई है तो मैं भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देता हॅूं
22 जनवरी, 2024 को रामलला के भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ अब राम राज्य की शुरूआत भारत के अंदर हो गई है. इस बात के लिये हम प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देते हैं. हम उनका उल्लेख क्यों ना करें. विक्रमादित्य की नगरी से उज्जैन का बेटा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने अपने हाथ से उज्जैन की महाकाल की भूमि पर 5 लाख लड्डु बनाकर रामलला के भोग के लिये भेजे हैं उनका उल्लेख होगा. मध्यप्रदेश से रामलला का वास्ता है. हम तो रामलला के लिये जहां जहां से भी गये हैं. वह रामपद बनाने की बात भी उन्होंने अभिभाषण में कही है. ऐसा नहीं है कि हम करते. मैं आपसे यह भी निवेदन करना चाहता हूं कि मजदूर का बेटा जब मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बना तो इन्दौर की मिल के जितने भी कर्मचारी थे. 4 हजार से अधिक उन सबको न्याय देने का काम भी डॉ. मोहन यादव जी ने किया है, मैं इसके लिये उनको भी बधाई देता हूं. ऐसा नहीं है कि हमने गरीबों की सुनवाई नहीं की. मोदी जी के मन में मध्यप्रदेश है और मध्यप्रदेश के मन में मोदी है तो विकसित भारत यात्रा यह हमने गांव गांव तक पहुंचाने का काम किया है. माननीय मोदी जी के नेतृत्व में हमने गांव के, गरीब के, किसान के, मजदूर के जिनके आयुष्मान कार्ड नहीं बने हैं उनके आयुष्मान कार्ड बनाये. जिनके प्रधानमंत्री आवास के आवेदन नहीं थे उनके प्रधानमंत्री आवास के आवेदन लिये, जिनके गरीबी के कार्ड नहीं बने थे, उनके कार्ड के लिये आवेदन लिये. एक-दो नहीं बल्कि बहुत बड़ी तादाद में 366 गाड़ी जिसको मोदी जी की गारंटी की गाड़ी कहते हैं. मध्यप्रदेश की सरकार ने प्रत्येक पंचायत केन्द्र में, प्रत्येक ब्लाक केन्द्र में, प्रत्येक नगर निगम के वार्डों में ये गाड़ियां पहुंचाईं. इस यात्रा के माध्यम से आज हम कह सकते हैं कि मध्यप्रदेश की गरीब जनता की जो सहभागिता हुई दो करोड़ से अधिक नागरिक इस यात्रा में सम्मिलित हुए और 50 लाख से अधिक लोग इस विकास यात्रा की गाड़ी से लाभांवित हुए हैं. यह मध्यप्रदेश की सरकार की अपने नागरिकों के प्रति सबसे बड़ी जवाबदेही है. मैं यह भी निवेदन कर देना चाहता हूं कि हम राम का नाम नहीं लें. राम का देश है, राम का नाम नहीं ले, राम राज्य की कल्पना करते हैं, बिना राम के राम राज्य की कल्पना साकार हो जायेगी. अब तो देश के अंदर नहीं देश से बाहर भी अगर जाओ तो जिधर देखता हूं मोदी ही मोदी यह बात मैं नहीं कह रहा हूं.
श्री अभय मिश्रा—कभी कभी माननीय शिवराज जी का भी नाम ले लिया करो. किसान के बेटे हैं उनकी चर्चा आपने बंद कर दी है, मुझे अच्छा नहीं लग रहा है.
श्री रामेश्वर शर्मा—उनकी भी चर्चा कर लेंगे.
श्री सुरेश राजेन्द्र पंत—22 जनवरी, 2024 के बाद ही राम राज्य आया है, उसके पहले तो राम राज्य था ही नहीं. अभी 18-20 वर्षों से कौन सा राज्य चला रहे थे.
श्री रामेश्वर शर्मा—अध्यक्ष महोदय, यही कांग्रेस का दर्द है.
श्री सुरेश राजे—रामेश्वर जी 22 जनवरी को राम थे और राज्य उसके बाद चालू हुआ है.
अध्यक्ष महोदय—रामेश्वर जी आप भाषण पूरा करिये.
श्री रामेश्वर शर्मा—अध्यक्ष महोदय, जब जब राम मंदिर की बात आती है, जब जब राम राज्य की बात आती है तो कांग्रेस ऐसे भड़कती है जैसे लाल कपड़े को देखकर मैंने आगे कुछ नहीं बोला है. ऐसे भड़क जाती है. अरे भैया, मोदी जी की चर्चा सुनकर पछताओ मत आपके दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष ने खुद ही कह दिया है अब तो चारों तरफ सुन रहा हूं कि अब की बार 400 सौ पार, यह आपके नेता ने कहा है. यह 400 पार का नार बुलंद हो रहा है. आप जो थोड़े बहुत बचे हो ना.
श्री सुरेश राजे—आप सदन को गुमराह मत करो ऐसा कहा कि 400 पार कैसे ले जाओगे, ऐसा कहा ?
श्री रामेश्वर शर्मा—अध्यक्ष महोदय, जो सदस्य यहां का होता नहीं है उनका नाम नहीं लिया जाता है. लेकिन एक आचार्य का नाम मैं और लूंगा जो पहले कांग्रेस के प्रवक्ता रहे उन्होंने भी कहा है कि मोदी नहीं होता तो अयोध्या में राम मंदिर नहीं होता. इस बात के लिये हम मोदी जी को धन्यवाद देते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, वैसे तो यहां जो सदस्य नहीं होता, उसका नाम नहीं लिया जाता है, लेकिन एक आचार्य का नाम मैं और लूंगा, जो पहले कांग्रेस के प्रवक्ता रहे, उन्होंने भी कहा है कि मोदी नहीं होता तो अयोध्या में राम मंदिर नहीं होता, इस बात के लिए हम मोदी जी को धन्यवाद देते हैं, आचार्य प्रमोद कृष्णन् जी का, कहो तो नाम भी ले देता हूं.
श्री दिनेश गुर्जर - सुप्रीम कोर्ट का कोई योगदान था कि नहीं था, ये बताइए.
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जी को हृदय से धन्यवाद देता हूं कि अब तक हम 1 जनवरी का कैलेण्डर छापते छापते परेशान हो गए थे, लेकिन मैं मध्यप्रदेश (...व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, विक्रम संवत्सर, गुड़ी पड़वा से नए साल के उत्सव पूरे प्रदेश में होंगे, ये परम्परा की शुरूवात है, ये परम्परा पच नहीं रही होगी 31 दिसम्बर की रात वालों को, लेकिन ये परम्परा जब मध्यप्रदेश में शुरू होगी, इस परम्परा का असर हमारे बेटा और बेटियों पर जाएगा, नौनिहालों पर जाएगा, वे नौनिहाल आपके राम लक्ष्मण बनकर आपकी सेवा करेंगे, ये संस्कार की पहल है और ये माननीय मुख्यमंत्री जी ने क्षिप्रा के तट से की है और पूरे प्रदेश में गुड़ी पड़वा नव संवत्सर बडे़ धूमधाम से उत्सव मनाने का तय किया है.
अध्यक्ष महोदय, एक और निवेदन करना चाहता हूं कि केवल इस दिन पर्व ही नहीं मनाए जाएंगे, गुड़ी पड़वा के पर्व पर शासकीय भवनों को भी सजाने के काम की घोषणा मुख्यमंत्री जी ने की है. माननीय राज्यपाल जी के अभिभाषण पर एक बात निवेदन करना चाहता हूं कि आखिर हम और आप त्रेता से लेकर आज तक गली चौराहों में रामकथा सुनते आए हैं, रामलीला देखते आए हैं इसलिए रामचरित पर चर्चा हुई और राम के बारे में तो आप लोगों ने भी बोला था, पर हम लोग ये भगवान राम, भगवान कृष्ण जहां जहां गए, उन स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने का संकल्प मध्यप्रदेश की सरकार ने लिया है, महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण में इस बात को भी लिया है. अब ओरक्षा के रामलला जी के बारे में अगर वहां पर विकास होगा तो आपको अच्छा नहीं लग रहा क्या, पेट दुख रहा है.
अध्यक्ष महोदय - रामेश्वर जी आप अपनी बात कहो, उनसे न कहो, उनसे क्यों पूछ रहे हो भाई, मैं सुन रहा हूं. (व्यवधान..)
डॉ.रामकिशोर दोगने - घर से लगाया क्या, रामेश्वर शर्मा जी आपने कुछ घर से लगा दिया क्या राम मंदिर में, वहां चंदा आया, जनता के पैसे से विकसित हुआ है, कोई आपने नहीं लगाया है(...व्यवधान) ये देश हिन्दुस्तान हिन्दुओं का है और सब हिन्दू है, सभी हिन्दुओं ने चंदा दिया, कोई तुम्हारी ठेकेदारी नहीं है, आपका ठेका नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - रामकिशोर जी कृपया बैठिए.
श्री रामेश्वर शर्मा - यही तो समय की प्रतीक्षा कर रहा था देश और मोदी ने ये साबित कर दिया कि कल जो हिन्दू होना पाप मानते थे, उन्हें मजबूरन हिन्दू कहना पड़ रहा है, यही हमारी जीत है, यही हमारी जीत का डंका है, यही तो हम आपके मुंह से निकलवाना चाहते हैं. और तो और अभी मैं बोलना नहीं चाहता माननीय संसदीय कार्यमंत्री जी है, अभी हम देख रहे थे एक बहुत बड़े नेता यात्रा करते घूम रहे हैं, रूद्राक्ष की माला पहनने से ही इंकार कर दिया (xxx)
नेता प्रतिपक्ष(श्री उमंग सिंघार) - अध्यक्ष जी, घोर आपत्ति है, इसको विलोपित किया जाए. (...व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय - इसको रिकार्ड न किया जाए. (...व्यवधान)
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष जी एक प्रार्थना करना चाहता हूं. चाहे ओरक्षा का रामलला का मंदिर हो, चाहे महाकाल की धरती हो, चाहे मैहर वाली देवी हो, जहां जहां धार्मिक, सांस्कृति विरासतें हैं, जिनकी उपेक्षा वर्षों से नहीं शताब्दी से देश में की गई,
उन सबके विकास कार्यों के बारे में भी हमारे महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में उल्लेख है. अध्यक्ष महोदय, आपसे ये भी प्रार्थना करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश में प्रदेश के 1 करोड़ 29 लाख लाड़ली लक्ष्मी बहनों के खाते में भी हम लगातार राशि डाले रहे हैं, ये भी हमारी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे यह भी प्रार्थना कर देना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश की धरती पर अनेक काम हुए हैं,. आज आपने ही विधानसभा के प्रश्नोत्तर में जब उच्च शिक्षा मंत्री जी से कहा कि लगातार आपके प्रश्न आ रहे हैं.
श्री देवेन्द्र रामनारायन सखवार -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक बात कहना चाहता हूं कि माननीय पूर्व मुख्यमंत्री जी ने तीन हजार की घोषणा की थी, वह आप क्यों नहीं कर रहे हैं.
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी एक प्रार्थना है कि अगर इतना ही टोकना है तो फिर मुझे भी टोकना आता है, या तो मैं अपनी बात कह लूं, या इनको कह लेने दीजिये.
अध्यक्ष महोदय -- चलिये, आप अपनी बात करें.
श्री रामेश्वर शर्मा -- माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे एक प्रार्थना और करना चाहता हूं कि हमारी जो सरकार है, वह गरीबों के लिये काम कर रही है, वैसे मैंने आपको कहा था कि 4800
XXX : आदेशानुसार रिकार्ड नहीं किया गया.
श्रमिक परिवार जो लंबे समय से इंदौर में संघर्ष कर रहे थे, माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के निर्देश पर और माननीय मुख्यमंत्री की पहल पर 224 करोड़ रूपये का उन मजदूरों को भुगतान किया गया है, यह एक सबसे बड़ा गरीबों और मजदूरों के हित में निर्णय मध्यप्रदेश सरकार का है. तेंदूपत्ता के संग्राहकों के लिये भी 35 लाख जो लोग हैं, उनके लिये भी मध्यप्रदेश सरकार ने विशेष पहल की है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इतना और कह देना चाहता हूं कि सरकार बहुत सी उपलब्धियों की बात करती है,गरीबों की पिछड़ों की आखिर बाबा साहब अंबेडकर का जो चित्र लगा है, यह न लगे इस पर भी बहस हुई है. मैं आपसे यह भी प्रार्थना कर देना चाहता हूं कि यह सौभाग्य भी श्रीमान् अटल बिहारी वाजपेयी जी को है कि भारत रत्न की उपाधि से बाबा साहब अंबेडकर को सम्मानित हमारी सरकार ने किया, यह भी हमारा सबसे बड़ा निर्णय है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको आग्रह करना चाहता हूं कि क्या बिहार के कर्पूरी ठाकुर को जो भारत रत्न मिला यह पहले नहीं मिल सकता था. श्रीमती इंदिरा गॉंधी जी को, राजीव गांधी जी को और कांग्रेस के अनेक नेताओं को उनकी मृत्यु के तत्काल छ: महीने, आठ महीने बाद भारत रत्न से सम्मानित किया गया, लेकिन न तो बाबा साहब को किया गया था, न हमारे कर्पूरी ठाकुर साहब को किया गया था. अब हमने भारत की राजनीति में जिन्होंने स्वच्छता के प्रमाण दिये हैं, जिन्होंने राजनीति को एक नई दिशा और सांस्कृतिक विरासत पर बहस शुरू की है, हम इस बात के लिये मोदी जी को भी फिर से धन्यवाद देते हैं कि हमारे नेता और भारत के पूर्व उपप्रधानमंत्री आदरणीय लाल कृष्ण आडवानी जी को भी जो भारत रत्न दिया है, वह भी इसके लिये स्वागत के योग्य है(मेजों की थपथपाहट)
माननीय अध्यक्ष महोदय, हम मध्यप्रदेश की आर्थिक स्थिति में लगातार सुधार की तरफ बढ़ रहे हैं, अगर यह कहा जाये कि भारत विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ रहा है तो उस तीसरी अर्थव्यवस्था में कदमताल करने के लिये हमारा मध्यप्रदेश भी तैयार है. कदम से कदम मिलाकर भारत सरकार के साथ मध्यप्रदेश निरंतर विकास की गतियों को आगे बढ़ाता जा रहा है. आज हम सांस्कृतिक रूप से अगर कहें, अभी हमारे रामनिवास जी चले गये हैं और आप भी माननीय अध्यक्ष महोदय, उसी क्षेत्र से आते हैं, क्या चंबल को यह पानी पहले नहीं मिलना चाहिये. जब दृढ़इच्छाशक्ति की सरकार होती है तो नर्मदा मैया के ऊपर भारत के लौहपुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जहां विशाल प्रतिमा लगाई गई है, आज उससे लाखों किसानों को पानी भी मिलता है, भारत के लौह पुरूष की वहां पर प्रतिमा भी है और वहां पर कई मेगावाट, हजारों मेगावाट बिजली भी उत्पादित होती. आज जो हमारा केन बेतवा समझौता हुआ, शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, श्योपुर, गुना, शाजापुर, उज्जैन, इंदौर, देवास इनमें पेयजल की समस्या तो हल होगी ही, यह नहीं है कि बी.जे.पी.वालों के घर ही पानी जायेगा. यह पानी यह गंगाजल आपके घर भी जायेगा, केवल घरों में ही नहीं जायेगा बल्कि किसानों के सूखे खेतों की भी हरियाली में यह परिवर्तन करेगा. यह भी माननीय मुख्यमंत्री जी को हम बधाई देते हैं और साथ में हमारे प्रधानमंत्री जी की जो दृढ़इच्छाशक्ति थी, हमारे जलसंसाधन मंत्री भारत सरकार के और राजस्थान के हमारे मुख्यमंत्री तीनों ने बैठकर यह जो निर्णय लिया है, यह निर्णय मध्यप्रदेश के हित में है और इस निर्णय से 3 लाख 37 हजार हैक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होगी, यह कृषि भूमि सिंचित होगी इसका लाभ तो सबको मिलेगा, आपको भी मिलेगा, दूसरों को भी मिलेगा. मध्यप्रदेश में कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा, किसानों को सुविधाएं भी होगी और पीने का पानी भी मिलेगा, यह एक अनुकरणीय पहल माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने की है. माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक और निवेदन आपसे कर देना चाहता हूं, सुप्रीम कोर्ट की भी बात आई, सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्णय दिये थे, कोलाहल एक्ट में भी सुप्रीम कोर्ट का निर्णय था, लेकिन उसको लागू करने में बहुत देरी हो रही थी, हां आपका भी सबका सहयोग रहा और समाज ने भी उसको स्वीकार किया, कोलाहल एक्ट का नियंत्रण करते हुये अनावश्यक बजने वाले लाउडस्पीकर दिन में 5-5 बार तंग करने वाले लाउडस्पीकर और डीजे पर भी नियंत्रण करने के लिये सख्त कानून लागू किया और तत्काल लागू हुआ, इस बात के लिये हम मुख्यमंत्री जी को हृदय से बधाई और धन्यवाद देते हैं. हम कई समाज के लोग हैं, कई समाज मांसाहार स्वीकार नहीं करता, लेकिन जो मांसाहार भी खाते हैं वह भी क्या चौराहे पर, जहां चाहो वहां, मंदिर हो, सड़क हो, चौक हो, चौराहा हो, जिसने चाहे वहां दुकान लगा दी, वहां खुले में मांस बिक रहा है और उसके कारण बीमारियां फैल रही हैं, उस पर भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने खुले में मांस पर बिक्री पर जो रोक लगाई है और प्रतिबंध लगाया है उसके लिये भी हम समाजों की तरफ से भी और मध्यप्रदेश के नागरिक होने के नाते भी माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देते हैं. मैं आपसे एक और निवेदन कर देना चाहता हूं कि जो लंबे समय से अब हमारे मंत्री नहीं हैं 15-16 महीने की सरकार आई थी, बीआरटीएस कॉरीडोर था और घोषणा की थी, चुनाव लड़ा था और उसमें 1700 बार एक साल में 1700 बार नगरीय प्रशासन मंत्री उड़े थे बैरागढ़ से वह बीआरटीएस नहीं हटा था. 24 घंटे में निर्देश दिया मोहन यादव जी ने बैरागढ़ भोपाल का बीआरटीएस हटा दिया, बल्कि पूरे भोपाल का बीआरटीएस हटाने का निर्णय किया है और बीआरटीएस को हटाने के लिये अन्य जगह से भी लोगों ने पहल की है, इंदौर में भी लोग इसकी चर्चा कर रहे हैं क्योंकि इसके हटने से यातायात सुगम होगी, नागरिकों को सुविधा होगी और इस सुविधा में और भी जो वहां पर एक्सीडेंट होते थे उससे बचा जा सकेगा, इतना ही नहीं है, बल्कि वहां पर हम एक नया लगभग 2 किलोमीटर लंबा 305 करोड़ रूपये से अधिक की लागत का एक नया फ्लाईओवर बनाने जा रहे हैं इस बात के लिये भी हम धन्यवाद देते हैं. मैं आपसे यह भी निवेदन कर देना चाहता हूं कि जनजातियों में खड़े अनाज या श्री अनाज का जो प्रचलन है जो बहुत पहले से था, भारत के प्रधानमंत्री जी ने इसको बढ़ाया और इसमें हमारे मध्यप्रदेश के अनेक जिले हैं जहां पर मक्का, मूंग, बाजरा इस तरह की फसल होती है इस पर भी मध्यप्रदेश सरकार ने प्रोत्साहन राशि के रूप में 10 रूपये बढ़ाया है, हम उस बात के लिये भी हृदय से धन्यवाद देते हैं. मैं आपसे एक और निवेदन करना चाहता हूं कि थाने हैं थानों में हम जायें तो कई थाने ऐसे हैं जो बहुत छोटे और कई थाने इतने बड़े हैं कि वह दूसरे थाने के क्षेत्र में भी घुस गये हैं, जब संभागीय बैठक की पहल हुई, पहली बार माननीय मुख्यमंत्री मोहन यादव जी ने एक अच्छी पहल की, जनप्रतिनिधियों के साथ संभागीय बैठक करके कलेक्टर, एसपी को साथ में लेकर एक पीएस लेबल के अधिकारी और डीजीपी लेबल के अधिकारियों को संभाग का इंचार्ज बनाया, कानूनी नियंत्रण पर भी इस सरकार ने पहल की और जो थाने बहुत बड़े और छोटे थे इनको समतुल्य बनाने के लिये इनके परिसीमन पर भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने दिशा निर्देश जारी किये हैं. माननीय अध्यक्ष महोदय मैं एक और आपको निवेदन कर देना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के नौजवानों के अंदर देशभक्ति हो, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जिन योद्धाओं ने अपना योगदान दिया उनके बारे में और इसलिये माननीय मुख्यमंत्री जी ने वीरभूमि के लिये भी एक संग्रहालय बनाने का निर्णय लिया है, वह भारत के नौजवानों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है और मैं खासकर मध्यप्रदेश के नौजवानों की ओर से उनको हृदय से धन्यवाद देता हूं और प्रदेश की शिक्षा नीति में यह कितनी बड़ी बात है वीरांगना अवंति बाई और रानी दुर्गावती यह दोनों ऐसी देवियां हैं-
''दुर्गावती जब रण में निकली, हाथों में तलवारें दो,
धरती हिली, अंबर हिला, जब चलने लगी तलवारें दो''
यह कहानी किसके लिये है. कई लोग अकबर को बहुत महान कहते हैं, अकबर बहुत लोकतांत्रिक नेता था, अकबर ने बहुत लोकतंत्र की स्थापना की उससे भी रानी दुर्गावती ने युद्ध लड़ा है. इसीलिये उनकी कहानी,उनका जीवन चरित्र मध्यप्रदेश के इतिहास में लिखा जायेगा और इसको शिक्षा में सम्मिलित करने की जो मुख्यमंत्री जी ने पहल की है, मैं इसके लिये भी मुख्यमंत्री जी को हृदय से धन्यवाद देता हूं. मैं आपसे एक और निवेदन कर देना चाहता हूं कि बिना मांगे प्रत्येक जिले को एक महाविद्यालय,जिनको माननीय मुख्यमंत्री जी ने उत्कृष्ट महाविद्यालय की संज्ञा दी है. प्रत्येक जिले को एक महाविद्यालय मिलेगा उसमें हो सकता है आप भी जिले के मुख्यालय से विधायक बने हो तो वह आपके खाते में भी जायेगा. इसके लिये तो कम से कम माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद दिया ही जा सकता है क्योंकि जो हमारे जिले हैं वहां महाविद्यालय चालू होंगे. लोक सेवा आयोग के माध्यम से 700 उम्मीदवारों को जो शासकीय सेवा में नियुक्ति दी गई है और अन्य नियुक्तियों के पत्र जारी होने वाले हैं. मध्यप्रदेश में रोजगार का क्रम बढ़ने वाला है और अन्य रोजगार की गतिविधियों को वह संचालित करना चाहते हैं और इस दृष्टि से हम माननीय मुख्यमंत्री जो बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं. इन्दौर, उज्जैन. अब इन्दौर-उज्जैन की दूरी धीरे-धीरे कम हो रही है लेकिन डेव्लहपमेंट कम हो रहा था तो माननीय मुख्यमंत्री जी ने केबिनेट में निर्णय लेकर 308 करोड़ रुपये से वहां पर एलीवेटेड कारीडोर बनाने का निर्णय लिया है इसके लिये हम मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देते हैं. हमें कई प्रदेशों में चुनाव प्रचार करने जाने को मिला है वहां जो नागरिक हमें मिलते थे या हमारी पार्टी के नेता हमसे मिलते थे तो वह मध्यप्रदेश वालों से एक बात के लिये दोस्ती जरूर करते थे कि हम जब उज्जैन आएं तो हमें महाकाल के दर्शन की व्यवस्था करवा देना और उज्जैन कहां से आएंगे.अब उज्जैन में एयरपोर्ट भी बनाया जाएगा इसके लिये माननीय मुख्यमंत्री जी ने पहल की है. इससे महाकाल की नगरी के साथ-साथ हम मध्यप्रदेश का गौरव भी स्थापित कर रहे हैं. वैसे तो जगाधिपति हैं महादेव, देवाधिदेव हैं महादेव, अब यह महादेव की नगरी और सजेगी और रोजगार भी वहां पर बढ़ेगा और इतना ही नहीं मोदी जी के आने का क्या-क्या चमत्कार होता है.
श्री महेश परमार - माननीय अध्यक्ष महोदय, उज्जैन में महाकाल में 250 रुपये शुल्क लगता है दर्शन करने का. वहां नि:शुल्क दर्शन कराएं. वहां पूरे देश और प्रदेश के लोग आते हैं. यह भी उल्लेख कर दें.
श्री रामेश्वर शर्मा - माननीय अध्यक्ष महोदय, महाकाल की जब चर्चा चल ही रही है तो मैं एक और धन्यवाद देना चाहता हूं भारत के प्रधानमंत्री जी को, कि भारत के प्रधानमंत्री जी ने गंगा स्नान करके विश्वनाथ के तट पर खड़े होकर वहीं से अपने लोक सभा का प्रतिनिधित्व शुरू किया और जो बाबा विश्वनाथ का जो कारीडोर बनाकर तैयार किया है वह आधुनिक भारत के लिये एक बहुत बड़ा उदाहरण है और केवल बाबा विश्वनाथ कारीडोर ही नहीं बना अब तो सिंगार गौरी के पट भी खोल दिये गये. वहां भी अभिषेक शुरू हो रहा है. वहां भी देवी का प्रार्थना,आराधना शुरू हो गई है. यही हिन्दुस्तान में राम राज्य की कल्पना है. हम जानते हैं इसके लिये लड़ाई लड़ने वाले लोग जेलों में गये. यहीं बहुत से विधायक,जनप्रतिनिधि बैठे हैं. 5-5,7-7 दिन जेलों में गये. पिटे हैं , और तो और जो राम के नाम पर आज भी भड़क रहे थे कल भी भड़क रहे थे मैं उनको एक निवेदन कर देना चाहता हूं जिन्होंने राम का निमंत्रण ठुकराया है उन्हें यह देश भी ठुकरा देगा. देश भी उनको आगे नहीं बढ़ने देगा. वे इस बात का ख्याल रखें कि हिन्दुस्तान से तुष्टिकरण की राजनीति अब बंद हो रही है. हिन्दुस्तान में विकास की राजनीति होगी. सड़कें बनेंगी,फ्लाई ओवर बनेंगे. एयरपोर्ट बनेंगे. महाविद्यालय बनेंगे. कालेज बनेंगे. एम्स बनेंगे. आप कहते हो, आपने कितने एम्स खोले. राजधानी से बाहर अगर एम्स खोलने की शुरुआत हुई है तो वह माननीय अटल बिहारी बाजपेयी जी की सरकार के समय शुरुआत हुई है और प्रदेश आज आगे बढ़ रहा है. स्वच्छता के रिकार्ड के बारे में अगर पूछें तो स्वच्छता के सारे अवार्ड पहले भी मध्यप्रदेश को मिलते रहे. आज भी सबसे स्वच्छता का अवार्ड इन्दौर नगर को मिला और स्वच्छतम राजधानी होने का भोपाल को भी अवार्ड मिला है. मैं इसके लिये भी भारत के प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं. क्योंकि उन्होंने इस बात की शुरुआत की और इसलिए इस बात की जब उन्होंने शुरुआत की है तो निश्चित रूप से वे लोग, जो स्वच्छता में काम कर रहे हैं, उनको सम्मानित किया जा रहा है. उनका मनोबल बढ़ाया जा रहा है. इंदौर प्रथम है और देश की राजधानियों में, प्रदेश की राजधानियों में नंबर वन भोपाल है, इसके लिए भी मैं निवेदन कर देना चाहता हूँ.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं एक निवेदन कर देना चाहता हूँ कि भारत के प्रधानमंत्री जी ने 10 साल में क्या-क्या बदला और इसलिए 70 साल के राज करने वालों से एक सवाल हम पूछ सकते हैं. हम उनसे एक निवेदन कर देना चाहते हैं कि पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार ने गरीबों के लिए 4 करोड़ आवास बनाए. क्या पहले कभी बने थे, यह गरीबों के लिए मोदी जी की सबसे बड़ी देन है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले 10 वर्षों में 40 हजार किलोमीटर से ज्यादा रेलवे ट्रैक का विद्युतिकरण किया गया. ये मोदी जी की और सरकार की देन है. पिछले 10 वर्षों में 17 करोड़ से अधिक बहनें, जो गर्मी, बारिश में गीली लकड़ियां उठाकर लाती थीं और जब फूंक-फूंक कर चूल्हा जलाती थी तो आंख में आंसू आते थे और बहन रोती थी, उसके बेटे और बच्चियां पूछती थीं कि मां क्यों रो रही है, मां क्यों बताए कि लकड़ी नहीं जल रही है, उस दर्द को प्रधानमंत्री जी ने समझा और आज यह कह सकते हैं कि 17 करोड़ से अधिक बहनों को गैस कनेक्शन माननीय मोदी जी ने 10 साल में दिए हैं. पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी रेखा से बाहर किया है. पिछले 10 वर्षों में 50 करोड़ गरीबों के पास आज बैंक खाते हैं. पिछले 10 वर्षों में 4 करोड़ गरीबों के पास पक्का मकान है. पिछले 10 वर्षों में 11 करोड़ से अधिक गरीबों को नल से पीने का शुद्ध जल मिल रहा है. पिछले 10 वर्षों में 55 करोड़ से अधिक गरीबों के पास आयुष्मान कार्ड है. माननीय अध्यक्ष महोदय, इस पीड़ा को हम लोग भलीभांति जानते हैं. कोई गरीब बीमार हो जाए. अस्पताल पहुँच जाए, आपके, इसके, मेरे सबके द्वार जाता था, आज यह बात तो मान लो कि भारत पहला देश है जो अपनी आबादी से आधी आबादी को आयुष्मान कार्ड बनाकर गरीबों का मुफ्त इलाज करा रहा है और मध्यप्रदेश इसमें नंबर वन है. इसके लिए हम मध्यप्रदेश सरकार को और भारत के प्रधानमंत्री जी को हृदय से धन्यवाद देते हैं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, 10 वर्षों में 30 से अधिक वंदे भारत ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ है. कुछ लोगों को मुगालता था कि उनके झण्डे में चांद है, मोदी जी ने चांद पर भारत का झण्डा गाड़ दिया. ये भारत के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है. बजाओ ताली, ये तो भारत की है कि नहीं है. हाय हाय री कांग्रेस. कैसे कहेगी तू राष्ट्रभक्त कांग्रेस है. याद करो, ये आपके देश की उपलब्धियां हैं. मेरे भारत के नेता जब-जब प्रधानमंत्री होने के नाते दूसरे देशों में गए हैं, तो भी भारत के प्रधानमंत्री के नाते उनकी तारीफ की गई है. आज भारत गौरवान्वित है. सर्जिकल स्ट्राइक, घर में, तुम्हारे नेता प्रमाण मांग रहे थे. अगली बार जब भेजेंगे तो हम तो माननीय मुख्यमंत्री जी से या कैलाश जी से निवेदन करेंगे, प्रहलाद जी के भी और नरेन्द्र सिंह तोमर जी के भी दिल्ली में अच्छे संबंध हैं, जब सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान में हो तो मध्यप्रदेश के कांग्रेस के दो-तीन नेताओं को जरूर टांगकर भेज देना, जिससे उनका फोटो...
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- रामेश्वर जी, अरे पानी पूरा जल्दी पी लीजिए, नहीं तो हम लोगों को कहां-कहां ले जाएंगे आप. मध्यप्रदेश में आप रहने ही देते, भारत के दूसरे कोने में, पूरे भारत में ले जा रहे हैं, अब खत्म कर दो.
अध्यक्ष महोदय -- रामेश्वर जी, मध्यप्रदेश में ही समाप्त कर दो.
श्री रामेश्वर शर्मा -- ओके सर, ठीक है. माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय राजेन्द्र कुमार सिंह जी तो हमारे मार्गदर्शक हैं, वरिष्ठ नेता हैं, ये कह रहे हैं तो मैं मान लेता हूँ. लेकिन सर, दिल है मध्यप्रदेश, देश का दिल है, मानेगा कैसे, दिल है कि मानता नहीं, मध्यप्रदेश देश का दिल है और ये देश के लिए नहीं धड़केगा तो कौन देश के लिए धड़केगा. इसलिए जब मध्यप्रदेश की विधान सभा में बात होगी...
श्री महेश परमार -- आदरणीय अध्यक्ष महोदय, नरोत्तम जी की आत्मा आ गई है रामेश्वर जी में.
श्री रामेश्वर शर्मा -- उनकी आत्मा घूम रही है, ऐसा लग रहा है तुम्हें. (हंसी). थोड़ी दया करो यार, उज्जैन के महाकाल की नगरी से आए, थोड़ी दया करो.
डॉ. रामकिशोर दोगने -- सरकार में मंत्री पद खाली नहीं है. मध्यप्रदेश सरकार में वेकेंसी नहीं है मंत्री पद की अभी.
अध्यक्ष महोदय -- रामेश्वर जी, समय पूरा हो रहा है.
श्री रामेश्वर शर्मा - मेरा समय पूरा हो रहा है. मैं अभी भोपाल में तो आया ही नहीं. माननीय अध्यक्ष जी, आप कहें तो मैं थोड़ी सी बात और कर देता हूँ. यह तारीफ इसलिए भी करनी पड़ेगी कि महामहिम राज्यपाल जी ने अभिभाषण में राम मंदिर का उल्लेख किया था, इसलिए हम सबको मध्यप्रदेश की विधान सभा की ओर से मोदी जी को धन्यवाद देना चाहिए. 500 वर्षों के बाद हिन्दू स्वाभिमान जागा है, सनातन का परचम फहराया है.
श्री कैलाश कुशवाहा - आप यह बताइये कि 10 वर्षों में क्या हुआ ? आपने इतनी बात रखी है, यह अच्छी बात है. मोदी जी ने 15 लाख रुपये देने की बात कही थी, वह भी तो बता दीजिये.
श्री रामेश्वर शर्मा - अध्यक्ष महोदय, राम मंदिर बन गया, आपको 15 लाख रुपये नहीं मिले. आप 2024 में मांगना, मिल जाएगा. अभी जो बचे हैं, वह भी चले जाएंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने कहा तो मैं तीन-चार बातें कहकर अपनी बात समाप्त कर दूँगा. 500 वर्षों में अयोध्या में राम मंदिर माननीय मोदी जी बनवाया, 70 वर्षों में 370 धारा खत्म की, माननीय मोदी जी ने 72 वर्ष में तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं को मुक्ति दिलाई, माननीय मोदी जी 34 वर्ष बाद नई शिक्षा नीति लाये, मोदी जी 22 वर्षों के इन्तजार के बाद राफेल लेकर आए. 70 वर्षों में शौच के लिए खुले में घूमते थे, भारत इससे मुक्त हुआ. माननीय मोदी जी के प्रयासों से और 70 वर्षों बाद देश को सुदूर क्षेत्रों में बिजली पहुँचाने का मौका दिया माननीय मोदी जी ने दिया और 70 वर्षों बाद लाखों गांवों तक इन्टरनेट से आज संबंध देश और विदेश का जुड़ा है, इसमें भी माननीय मोदी जी कृपा है, उनका आशीर्वाद है और यह हमारी डबल इंजन की सरकार है. 'मोदी जी के मन में एमपी और एमपी के मन में मोदी', मोदी और मोहन की जोड़ी मध्यप्रदेश के विकास में अग्रिम भूमिका अदा करेगी. हम विकास के आयामों को भी चूमेंगे. गरीब और जनता-जनार्दन, नौजवान, बहन और बेटी इनकी सुरक्षा भी करेंगे, नौजवानों के हाथों में रोजगार भी लायेंगे, किसानों के खेतों में भी हरियाली पहुँचाने का काम करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं महामहिम राज्यपाल जी के अभिभाषण पर अपना समर्थन प्रस्ताव प्रस्तुत करता हूँ और निवेदन कर देना चाहता हूँ कि महामहिम राज्यपाल जी ने जो अपनी बातें कही हैं, यह मध्यप्रदेश सरकार का दृष्टिकोण है, मध्यप्रदेश सरकार का वचन-पत्र है, यह मध्यप्रदेश सरकार की जवाबदारी की घोषणाएं हैं, जो हम जनता के बीच में लेकर जाएंगे और जनता के बीच में सेवा करके मध्यप्रदेश अपना कीर्तिमान कायम करेगा. हर क्षेत्र में जिधर देखेंगे, विकास ही विकास नजर आएगा, जिधर देखेंगे, जय श्री राम का नारा ही नजर आएगा. आप नारे लगाइये, जय जय श्री राम, जय जय श्री राम (सदस्यगण द्वारा जय श्री राम के नारे लगाए गए.) माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने जो समय दिया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय - रामेश्वर जी, बहुत धन्यवाद.
अध्यक्ष महोदय- राज्यपाल के अभिभाषण पर श्री रामेश्वर शर्मा, सदस्य द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव और संशोधनों पर एक साथ चर्चा होगी.
श्री बाला बच्चन (राजपुर)- माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन के प्रस्ताव का मैं, विरोध करता हूं. सोलहवीं विधान सभा में राज्यपाल के दो अभिभाषण हुए हैं, एक पहले हुआ था जो दिग्भ्रमित करने वाला था और दूसरा अभिभाषण, जो अभी आया है, वह भी जनता जनार्दन को निराश करने वाला और दिशाहीन अभिभाषण है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने पूरा अभिभाषण पढ़ा है. यह 48 पेज में 59 पैरा का अभिभाषण है लेकिन इसमें कुछ भी नहीं है, जिससे किसानों के हितों की बात हो, महिलाओं के हितों की बात हो, युवाओं की बात हो, कर्मचारी-अधिकारियों की बात हो, मध्यप्रदेश की जनता के हितों की बात हो, यह पूरी तरह से भटका हुआ, दिशाहीन और दिग्भ्रमित करने वाला अभिभाषण है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, इस सदन के वरिष्ठ मंत्रीगणों को याद दिलाना चाहता हूं कि पहले सत्र में उनके वक्तव्य हुए थे और उस समय यह बात दमदारी से कही गई थी कि विधान सभा जितने समय के आहूत होती है, उतने समय तक चलनी चाहिए. विधायकों के प्रश्नों के जवाब आने चाहिए, निष्पक्ष कार्यवाही होनी चाहिए. मैं, यहां जो भी बात कहूंगा, बिल्कुल तथ्यों पर आधारित ही कहूंगा, इधर-उधर किसी को भटकाने वाली बात नहीं कहूंगा. आज मेरा भी प्रश्न लगा था. इस सदन से संबंधित विधायकों द्वारा प्रदेश की जनता और अपने क्षेत्र के जो विषय होते हैं, उससे संबंधित बात कहूंगा, जो विधान सभा की पूंजी है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, स्पष्ट रूप से विधान सभा के प्रश्नों के माध्यम से जो जवाब आते हैं, उनका मिलान करते हुए अपनी बात रखना चाहता हूं और इसके लिए मुझे आपका संरक्षण चाहिए.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के दोनों अभिभाषणों का यदि हम मिलान करते हैं तो भारतीय जनता पार्टी का, वर्ष 2023 का जो चुनावी संकल्प पत्र था, उनसे पूरी तरह से दोनों अभिभाषण भिन्न हैं और बिल्कुल मैच नहीं होते हैं. मैंने दोनों अभिभाषण पढ़े हैं और मुझे जो बात समझ आयी है, वह बात मैं यहां बताना चाहता हूं. मैं, तथ्यात्मक रूप से उदाहरणों सहित अपनी बात को इस सदन में रखना चाहता हूं.
माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल महोदय के अभिभाषण की कंडिका 20 में किसानों से संबंधित बात कही गई है लेकिन यहां कहीं भी गेहूँ के समर्थन मूल्य की कोई बात नहीं कही गई है. गेहूँ के समर्थन मूल्य को पूरी तरह से गायब किया गया है जबकि भाजपा के संकल्प पत्र में यह था कि हम किसानों के गेहूँ की खरीदी 2700 रुपये प्रति क्विंटल पर करेंगे.
माननीय अध्यक्ष महोदय, आज मेरा प्रश्न क्रमांक 321 लगा हुआ था. मैंने इस संबंध में सरकार से पूछा था, उसमें आज सरकार ने जवाब दिया है कि जानकारी एकत्रित की जा रही है. हम विधायकगण अपने-अपने विधान सभा क्षेत्र के मतदाताओं के द्वारा चुनकर आते हैं और मैं समझता हूं कि विधान सभा वह सर्वोच्च संस्था है, जहां विधायक अपनी बात को रख सकता है और हम पूरी तरह से उम्मीद और अपेक्षा रखते हैं लेकिन जब सरकार का जवाब आता है तो वह पूरी तरह से निरर्थक होता है.
माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं, पिछले लगातार करीब चार चुनाव से इस विधान सभा का सदस्य रहा हूं, आपने भी हमें आश्वस्त किया था, आज ही 12 प्रश्नों का एक साथ यह जवाब आया है कि "जानकारी एकत्रित की जा रही है." अध्यक्ष जी, आपकी जानकारी में यह बात रहे, जिससे कि आगे इस तरह की पुनरावृत्ति न हो. श्री गौतम टेटवाल जी जो तकनीकी शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार विभाग के राज्यमंत्री हैं उनके विभाग से संबंधित 12 प्रश्नों की जानकारी, पूरी की पूरी एकत्रित की जा रही है.
4.30 बजे {सभापति महोदय (श्री अजय विश्नोई) पीठासीन हुए.)
श्री बाला बच्चन-- किसी का कोई उत्तर नहीं आया है. इससे हम लोगों को निराशा हाथ लगती है और हमारी उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फिर जाता है. मेरा आग्रह है और आपने भी चुनाव के समय कहा था कि हम 2700 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं खरीदेंगे. आपने दोनों अभिभाषणों में इसका उल्लेख कहीं नहीं किया है, लेकिन मैंने भाजपा का संकल्प पत्र पढ़ा है. उसमें यह था कि हम 2700 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं खरीदेंगे. जब माननीय मंत्रीगण जो बोले थे वह इस बात का जवाब दें. माननीय सभापति महोदय, बात यहीं समाप्त नहीं होती है. मैं किसानों से संबंधित बात के अलावा महिलाओं की बात पर भी आना चाहता हूं. अभी जो रामेश्रवर जी बोल रहे थे मैं जानता हूं, मैं समझता हूं और हमारे दल के साथी भी समझते हैं कि आपका और आपकी पार्टी का हमेशा से भटकाने का इरादा रहता है, दिग्भ्रमित करने का इरादा रहता है. मैं जानना चाहता हूं. अभी आपने एक करोड़ 29 लाख महिलाओं को लाड़ली लक्ष्मी योजना की राशि देने की बात का जो उल्लेख किया है उसे हम समझ रहे हैं. लोकसभा चुनाव तक उसके बाद?
माननीय सभापति महोदय, राज्यपाल जी के अभिभाषण की कंडिका 25 में आपने उल्लेख किया है किे 46 लाख महिलाओं को 450 रुपए में हम गैस सिलेंडर दे रहे हैं. क्या आपने अपने संकल्प पत्र का आंकड़ा पढ़ा है. 1.31 करोड़ महिलाओं का आपने भाजपा के संकल्प पत्र में उल्लेख किया है, लेकिन आप जो 450 रुपए में गैस सिलेंडर महिलाओं को देने की बात कर रहे हैं वह मात्र 46 लाख महिलाओं को दे रहे हैं. 85 लाख महिलाओं को आपने इस योजना से वंचित किया है. मैं जानना चाहता हूं कि 85 लाख महिलाओं को 900 रुपए में गैस सिलेंडर क्यों खरीदना पड़ रहा है. जबकि आपने चुनाव में यह अपने संकल्प पत्र में डाला था, लेकिन आप महिलाओं के साथ में छलावा कर रहे हो. किसानों के साथ में छलावा कर रहे हो. विधान सभा में हमारे विधायक साथियों ने जो प्रश्न लगाए हैं और उनके जो उत्तर आए हैं उसके आधार पर मैं बोल रहा हूं. तीसरा जो बिंदु है वह युवाओं से संबंधित है. मैंने शुरुआत में ही इस बात को बोला था कि कौशल विकास और रोजगार को लेकर सरकार कितनी गंभीर है जो 12 प्रश्नों का जवाब नहीं दे रही है. वह युवाओं के साथ में छलावा है. मैं इसको आगे बढ़ा रहा हूं. कंडिका 27 में युवाओं को निराश करने वाली बात आई है इसमें सरकारी भर्ती का कहीं पर भी उल्लेख नहीं है और न ही सरकार के पास बेरोजगारों की संख्या है. आपने यह बात भी अपने संकल्प पत्र में कही थी कि हम ढाई लाख सरकारी पदों की भर्ती करेंगे. उसका कहीं भी अता-पता नहीं है इसलिए आपको अपनी बात को कहां-कहां घुमाना-फिराना पड़ा है. रामेश्वर जी इस बात को हम भी जानते हैं और सदन भी जानता है और मैं समझता हूं कि सदन के जो भी विटनेस हैं हर व्यक्ति इस बात को जानता है कि घुमाने-फिराने से जनता आपको माफ नहीं करेगी. ढाई लाख भर्तियों का कहीं पर भी दोनों अभिभाषणों में उल्लेख नहीं है. एक और चौंकाने वाली बात है कि आपने मात्र 60 पदों के लिए पीएससी 2024 की भर्ती प्रक्रिया शुरू की है बाकी लाखों की संख्या में जो बेरोजगार हैं इसलिए तो आपको इतनी मेहनत करना पड़ रहा है, इसलिए तो आपको इस सदन को और हमको घुमाने के लिए इतनी बात करना पड़ रही है. सबको समझ में आता है जिस एटमॉस्फेयर में आप हो उसमें हम भी हैं. मंदिर की बात है आप केवल एक मंदिर की बात करते हो मैंने 342 मंदिर केवल मेरे विधान सभा क्षेत्र में बनवाए हैं. आप चेक करवा लेना सरकार आपकी है यहां भी सरकार आपकी है, देश में भी सरकार आपकी है. दिसम्बर 2013 से लगाकर दिसम्बर 2023 तक मैंने 342 मंदिर अकेले बड़वानी जिले के राजपुर विधान सभा क्षेत्र में बनवाए हैं तो क्या हम राम जी को मानने वाले नहीं हैं. राम जी के मंदिर के लिए भी हम सबने, हमारे सभी साथियों ने बढ़-चढ़कर जो हिस्सा लिया है योगदान और जो सहयोग करना चाहिए, लेकिन यह बताने की बात नहीं है. वैसे मैं कभी भी नहीं बोलता था, लेकिन आज आप बोले हो इस कारण से मुझे बोलना पड़ रहा है कि आप एक मंदिर की बात करते हो बाला बच्चन ने अपनी विधान सभा क्षेत्र में 342 मंदिर बनवा दिये. इसी से संबंधित, युवाओं से संबंधित आज फिर मेरा प्रश्न था. मेरा 321 नंबर का प्रश्न था उसका उल्लेख किया है आज फिर मेरा प्रश्न था. मेरा और मेरी पार्टी के हमारे विधायक साथियों के भी, आप लोगों की तरफ से भी प्रश्न थे लेकिन जवाब क्या आते हैं?
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- बाला बच्चन जी ने काफी मंदिर बनवाए हैं. अच्छा आदमी एक गलत पार्टी में आकर बैठ गया है, मुझे ऐसा लगता है.
सभापति महोदय -- बाला बच्चन जी तारीफ भी काफी हो गई और समय भी काफी हो गया है. अब आप अपनी बात को संक्षेप में समाप्त कर सकते हैं.
एक माननीय सदस्य -- हम धर्म के ठेकेदार नहीं, हम धर्म के पहरेदार हैं.
श्री
बाला बच्चन --
माननीय
सभापति महोदय,
पिछले
अभिभाषण पर भी
मेरा वक्तव्य
था. मैं
माननीय विजयवर्गीय
जी को बता रहा
हूँ कि आज
मेरा प्रश्न
था. उन्होंने
यह बातें बोली
थीं लेकिन एक
महीने में सब
भूल गये किसी
ने आपकी बात
का पालन नहीं
किया है. आप
संसदीय कार्य
मंत्री हैं,
मैं आपको
बताना चाहता
हूँ. आपको
वक्त बताएगा
यह तो वक्त
वक्त की बात
है. हम 138 साल
पुरानी
गौरवशाली
कांग्रेस
पार्टी के
कार्यकर्ता
हैं. यह तो
वक्त वक्त की
बात है, वक्त
वक्त का तकाजा
है. मैंने आज
युवाओं से संबंधित
प्रश्न पूछा
था, प्रश्न
क्रमांक 320 है
दिनांक 8
फरवरी, 2024 है.
बेरोजगारों
की संख्या के
बारे में
प्रश्न था. इस
पर भी सरकार
ने जवाब दिया
है कि जानकारी
एकत्रित की जा
रही है. ऐसे
में विधान सभा
में हम सभी का
क्या
इंटरेस्ट
बचेगा.
मध्यप्रदेश
की सर्वोच्च संस्था
में हमें अपनी
बात कहना
चाहिए और उस
पर सरकार की
तरफ से जवाब
आना चाहिए
परन्तु उत्तर
ठीक नहीं आ
रहे हैं. मैं
समझता हूँ
सरकार दण्डई
कर रही है. मैं
जिन
क्षेत्रों से
चुनकर आता हूँ
वहां पर
स्वास्थ्य से
संबंधित, जनजाति,
स्कूल शिक्षा,
कॉलेज सभी
विभागों के
हजारों पद
रिक्त हैं.
ट्रायबल
एरिया में यह
स्थिति है.
चाहे हम
बड़वानी जिले
की राजपुर
विधान सभा की
बात कर लें,
चाहे हम
अलीराजपुर,
धार, झाबुआ की
बात कर लें,
डिण्डौरी,
उमरिया, शहडोल
की बात कर लें.
ट्रायबल
एरिया और
रिमोट एरिया
में
मैथेमेटिक्स,
फिजिक्स,
कैमेस्ट्री,
बॉयोलॉजी,
बॉटनी,
इंग्लिश
पढ़ाने के लिए
टीचर नहीं
हैं. मैंने एक
बैठक में मेरे
क्षेत्र का
फोल्डर लिया
था उसमें
मैंने देखा कि
बड़वानी जिले
में
केमेस्ट्री
का एक भी टीचर
नहीं था. आप
मध्यप्रदेश
के छात्रों की
पड़ोसी राज्यों
से तुलना
कीजिए,
क्वालिटी ऑफ
एजूकेशन की तो
बहुत बदतर
स्थिति है.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य कृपया सीमित करें. 10 मिनट हो गए हैं.
श्री बाला बच्चन -- माननीय सभापति महोदय, मेरी पार्टी की तरफ से मैं पहला बोलने वाला सदस्य हूँ, लास्ट टाइम भी आपने यह बात कही थी. अथेंटिक चीजें बता रहा हूँ. मैंने अभिभाषण को कंडिकावार पढ़ा है. मैं अथेंटिक बातें बता रहा हूँ, नहीं सुनना चाहते हैं तो कोई बात नहीं है. कंडिका 27 में सरकार दावा कर रही थी 7 लाख युवाओं को 5 हजार करोड़ रुपए के स्वरोजगार ऋण दिए गए हैं. मतलब केवल 70 हजार रुपए प्रति युवा ऋण दिए गए हैं. इसमें युवा कौन सा व्यापार करेगा. 70 हजार रुपए में क्या स्वरोजगार योजना चलेगी. यह सरकार के सोचने, समझने की बात है. कंडिका 15 में संबल योजना की बात है. सरकार संबल योजना का खूब ढिंढोरा पीटती है. पैरा 15 के आंकड़े और सरकार के आंकड़े गलत हैं. जिसमें सरकार बोलती है कि 5 लाख 25 हजार हितग्राहियों को 5 हजार करोड़ रुपए की राशि दी गई है. आज ही मेरा प्रश्न था उसके उत्तर में आया है, मैं सदन को चौंकाने वाली बात बताना चाहता हूँ कि बड़वानी जिले की राजपुर विधान सभा की एक जनपद ठीकरी है जो मेरे विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. मैंने एक प्रश्न लगाया था. 27 फरवरी, 2023 से आज तक 168 प्रकरण लंबित हैं. साल भर में एक रुपए की भी राशि नहीं दी गई है. 5 लाख 25 हजार हितग्राहियों को 5 करोड़ रुपए राशि देने की बात है. मैं यह बताना चाहता हूँ कि मेरे जिले में संबल योजना की राशि नहीं पहुंच रही है. यह मैंने प्रश्नवार आपको बताया है. मेरा 322 नंबर का प्रश्न था. राजपुर विधान सभा की ठीकरी जनपद में 168 प्रकरण पेंडिंग हैं इसमें कोई राशि नहीं दी गई है. आज अगर एक विधान सभा क्षेत्र और जिले की यह स्थिति है तो पूरे मध्यप्रदेश में क्या स्थिति होगी. कंडिका 15 में जल जीवन मिशन की बात कही गई है. यह योजना पूरी तरह से भ्रष्टाचार की शिकार हो गई है. आपने इसमें बताया है कि लगभग 12 हजार से अधिक ग्रामों के सभी घरों में शत प्रतिशत नल से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है. मेरा इससे संबंधित प्रश्न था. राजपुर विधान सभा क्षेत्र में नल जल योजना में जो 32 किलोमीटर सड़कें खोद दी गई हैं वो फिर से बनाई नहीं गई हैं. उसके बाद 60 से अधिक गांवों में पानी की टंकियां नहीं बनी हैं, नल जल योजनाएँ पूरी नहीं हुई हैं, सब मर्सिबल अच्छे नहीं डले हैं. मेरे विधान सभा क्षेत्र के 87 गांवों को लिया गया था जिसमें पिछले 4 साल से 60 गांवों में पूरी योजना आधी अधूरी पड़ी है. सभी अलग-अलग संगठनों के बारे में बताना चाहता हूँ आपकी जानकारी में लाना चाहता हूँ. सभी दल के जो वहां पर अलग-अलग पदाधिकारी हैं. लगभग 400 करोड रुपये करप्शन का अनुमान लगा रहे हैं. बडवानी जिले में नल जल योजना में इतना करप्शन हुआ है, तो पूरे प्रदेश में क्या हाल होंगे यह इन बातों से आपको मैं बताना चाहता हूं और आपसे मैं निवेदन भी करना चाहता हूं.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य, आपके दल के 21 लोगों को बोलना है. उनको भी थोडा समय देना पडेगा इसलिये आप कृपया संक्षिप्त करें.
श्री बाला बच्चन -- सभापति महोदय, पेटलावद विस्फोट कांड से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया जिससे अभी यह हरदा का विस्फोट कांड हो गया है. हमारा यह आग्रह है, हमारे दल की तरफ से और हमारा यह निवेदन है कि जो मृत हुये हैं उनके परिवारजनों को एक-एक करोड रुपये की आर्थिक सहायता राशि दी जानी चाहिये और जो घायल हैं उनका उपचार ठीक ढंग से होना चाहिये और 25-25 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता उन्हें भी मिलनी चाहिये.
सभापति महोदय, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 की बात इंदौर की, संसदीय कार्यमंत्री जी वहां से आते हैं, पूरी सरकार की दिखावटी ब्रांडिंग होती है. 100 करोड रुपये खर्च किये. अभी फिर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट होने जा रही है, उसमें फिर लगभग इतने ही करोड रुपये खर्च होंगे लेकिन इसमें फायदा किसका हो रहा है ? आपने इसमें 100 करोड रुपये खर्च करके अनुमान लगाया था कि 15 लाख करोड रुपये के निवेश आएंगे और 6,957 प्रस्ताव उस समय इंदौर में मिले थे, लेकिन किसी पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है. एक भी प्रस्ताव पर कार्यवाही नहीं हुई. हमारे आदरणीय शेखावत जी भी वहां से आते हैं 6,957 प्रस्तावों में से एक भी प्रस्ताव पर कार्यवाही नहीं हुई है. लगभग 15 लाख करोड निवेश की बात कही गई थी, 100 करोड रुपये खर्च कर दिये गये थे. सरकार जा कहां रही है ? सरकार की स्थति क्या है ? एक-दो मिनट में और मेरी बात बताना चाहता हूं. मैं ट्राइबल एरिया से आता हूं. ट्राइबल एरिया में बहुत बुरी स्थिति है. सभी गावों की मैं आपको बताना चाहता हूं कि लगभग अभी अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितों पर जो राशि खर्च करनी थी, उनके यहां पर जो इन्फ्रास्ट्रक्चर पर राशि खर्च करनी थी और यह दिनांक 03.02.2024 को 207 करोड रुपये की राशि महिला एवं बाल विकास विभाग की अनुसूचित जनजाति उपयोजना की राशि यह मानदेय पर खर्च कर दी गई है. माननीय मंत्री जी, 2016 में भी 100 करोड रुपये की राशि जो ट्राइबल के लिये खर्च होनी थी वह मेट्रो पर खर्च कर दी गई थी और अब यह 207 करोड की राशि से आप मानदेय अदा कर रहे हैं, तो यह हमारे साथ बहुत भेदभाव, पार्शीएल्टी सरकार कर रही है और मैं समझता हूं कि यह होना नहीं चाहिये जिससे सरकारी योजनाओं से हम लोग और हमारा वर्ग पूरा वंचित हो रहा है, आप हमें इसमें प्रोटेक्ट करें.
सभापति महोदय -- अब कृपया आप समाप्त करें. मैं आपके दल के दूसरे व्यक्ति को बुलाने जा रहा हूं. सोहनलाल बाल्मीक जी. आपके दल के ही दूसरे व्यक्ति को बुला रहा हूं. एकसाथ आपके दल के दो-दो लोगों को मौका दूंगा क्योंकि यहां 10 लोग हैं और आपके यहां 21 लोग हैं.
श्री बाला बच्चन -- सभापति महोदय, एक बात और करना चाहता हूं. एकाध मिनट और बात करना चाहता हूं. एक तरफ भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की सरकार बात कर रही है, पिछले 20 साल से ई.ओ.डब्ल्यू. और लोकायुक्त में अभी तक प्रकरण लंबित हैं. इसपर कोई कार्यवाही सरकार ने नहीं की है. हमारा निवेदन है आप इस पर कार्यवाही करें. मेरा एक निवेदन है कि अतिथि शिक्षक जो पैसा मोबिलाइजर हैं, उनको पिछले 4-4 महीने से, 6-6 महीने से मानदेय नहीं मिला है. सरकार पूरी तरह से भटकी हुई है. दोनों अभिभाषणों से हमें पूरी निराशा हाथ लगी है. एक तरफ प्रदेश की सरकार निरंतर कर्ज लेती जा रही है दूसरी तरफ हमारे उप मुख्यमंत्री जी जो पिछली बार 15 वीं टर्म में भी वित्तमंत्री थे, अभी भी वित्तमंत्री हैं, लगभग 5,000 करोड जी.एस.टी. की मध्यप्रदेश की क्षतिपूर्ति की राशि पेंडिंग है, सरकार क्यों नहीं ले पा रही है ? इतना ही नहीं आप एक रुपया भी नहीं ले पा रहे हैं. डबल इंजन की सरकार के लिये हमारा यह चैलेंज है कि 5,000 करोड रुपये में से आप थोडे बहुत भी तो ला के बताएं. डबल इंजन की सरकार की बात करते हैं. यह तो केवल जी.एस. टी. की क्षतिपूर्ति की राशि की मैं बात कर रहा हूं. अन्य विभागों की हमारी जो राशियां हैं
सभापति महोदय -- सम्माननीय सदस्य, कृपया आप समाप्त करें. कृपया सोहनलाल बाल्मीक जी.
श्री बाला बच्चन -- सभापति महोदय, पूरी तरह से भटकाव, निराशाजनक, दिशाहीन, दिग्भ्रमित करने वाले यह दोनों अभिभाषण हैं और जितनी बात रामेश्वर जी ने की रामेश्वर जी, जब कभी कोई बात आएगी इस इश्यु पर बात करने की, उसमें हम अलग से चर्चा कर लेंगे.
सभापति महोदय -- चलिये, दल के अनुरोध पर डॉ. विक्रांत भूरिया जी. आपके ही दल के नये सदस्य हैं उनको अवसर दीजिये.
श्री बाला बच्चन -- सभापति महोदय, और भी बहुत सी बातें बोलने की हैं. आपने मुझे जो वक्त दिया उसके लिये मैं आपको धन्यवाद देता हूं.
डॉ. विक्रांत भूरिया (झाबुआ) -- बहुत-बहुत धन्यवाद माननीय सभापति जी. सम्माननीय सदन, कल राज्यपाल जी का मैंने अभिभाषण सुना. आज रामेश्वर शर्मा जी ने भी चीजें बताईं. बात यह है कि इन दोनों भाषणों में एक चीज साफ थी कि रोजगार का मुद्दा गायब था. जो रोजगार आज युवाओं के लिये सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. इस प्रदेश का हर युवा एक ही चीज पुकारता है रोजगार, रोजगार, रोजगार और उनकी पीड़ा मैं आप सबके सामने रखना चाहूंगा. बेरोजगार हैं साहब, इन्हें रोजगार चाहिये. भ्रष्टाचार में लोग खूब नौकरी पा रहे हैं, रिश्वत की कमाई खूब मजे से खा रहे हैं. नौकरी पाने के लिये यहां जुगाड़ चाहिये, बेरोजगार हैं साहब, इन्हें रोजगार चाहिये. टेलेंट की कोई कमी नहीं है, मध्यप्रदेश की सड़कों पर दुनिया बदल देंगे, भरोसा करो इन लड़कों पर. कैसे मिले नौकरी, जब नौकरी ही बिकी जा रही है. नौकरी की प्रक्रिया में अब तो सुधार चाहिये. बेरोजगार हैं साहब, इन्हें रोजगार चाहिये. मैं यहां पर सभी उपस्थित विधायकों को एक चीज कहना चाहूंगा कि रोजगार का महत्व आज सबसे ज्यादा हो गया है. मैं खुद प्रतियोगिता परीक्षा से निकल कर डॉक्टर बना, सर्जन बना और उस प्रतियोगिता परीक्षा की मैं एक पीड़ा समझता हूं कि जब 3-3,4-4 साल आपकी परीक्षा नहीं आती. परीक्षा आती है, तो रिजल्ट नहीं आता. रिजल्ट आता है, तो उसमें भ्रष्टाचार हो जाता है और यह सबसे बड़ी चुनौती इसलिये भी है,क्योंकि मध्यप्रदेश में जब भी बच्चा कोई परीक्षा देता है, तो वह बच्चा परीक्षा नहीं दे रहा होता है, पूरा परिवार परीक्षा दे रहा होता है और परिवार को डर लगा रहता है कि कहीं बच्चे का मानसिक संतुलन न बिगड़ जाये और बच्चा आत्महत्या न कर ले. यह हकीकत है और यही स्थिति दो दिन पहले इन्दौर के एक बालक ने एमपी पीएससी की जो तैयारी कर रहा था, उसने आत्महत्या कर ली. उसके आत्महत्या करने से शायद कुछ लोगों को फर्क नहीं पड़ेगा, पर यह सिस्टम के मुंह पर जबरदस्त तमाचा है, क्योंकि आज अगर हम अपने बच्चों को रोजगार नहीं दे पा रहे हैं, तो हम उनके लिये कुछ अच्छा नहीं कर रहे हैं. सभापति महोदय, मैं आपके सामने सबसे बड़ी बात रखना चाहूंगा कि आज मेरा एक तारांकित प्रश्न था कि कितनी भर्तियां हुईं, उनकी कब विज्ञप्ति निकली और विज्ञप्ति निकली, तो उसका क्या हुआ और अगर विज्ञप्ति निरस्त हुई, तो उन बच्चों को वह पैसे वापस किये गये कि नहीं किये गये. मैं आपको बताना चाहूंगा कि उस प्रश्न का मुझे उत्तर नहीं दिया गया. क्या यह विधायक के प्रोटोकॉल का उल्लंघन नहीं है कि प्रश्न पूछे जाने पर उसका उत्तर नहीं दिया जाये. मैं एक और बात कहता हूं कि मध्यप्रदेश में सरकार है, मुख्यमंत्री बहुत वादे करते हैं और जिस तरह के वादे अतिथि शिक्षकों, अतिथि विद्वानों, आशा कार्यकर्ताओं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ किये गये, सबको छल लिया गया है. आज बेरोजगारी पलायन का सबसे बड़ा कारण है. मैं एक आदिवासी हूं, आदिवासी अंचल से आता हूं. हमारे पूरे लोग नौकरी करने के लिये गुजरात जाते हैं. क्या कारण है, क्योंकि उनको रोजगार झाबुआ में नहीं मिल पाता, आदिवासी अंचल में नहीं मिल पाता. उनको बाहर पलायन करना पड़ता है, क्योंकि उनके पास रोजगार नहीं है. क्या कारण है , मध्यप्रदेश में एससी,एसटी बैकलॉग के 1.50 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं. क्या कारण है कि आदिवासियों के लिये जो पैसा आता है, जो उनके अधिकार का पैसा है, ट्रायबल सब प्लान का पैसा है, उसका 207 करोड़ रुपये दूसरे विभाग में दे दिया जाता है, यह लज्जा की बात है. सबसे बड़ी बात आप मध्यप्रदेश में रिटायरमेंट की उम्र 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष करने जा रहे हैं. 5 लाख लड्डुओं की बात तो बता रहे हो,पर 5 लाख रोजगार कब दोगे, यह भी हमको आप कब बताओगे. 5 लाख रोजगार जिनको मिलना था, आपने उनको हटा दिया. आपको यह समझना चाहिये कि अगर आप कोई सेवा निवृत्त 5 लाख लोग हो रहे हैं, तो 5 लाख युवाओं को रोजगार मिल जाता. 5 लाख कर्मचारियों को प्रमोशन मिल जाता और सबसे बड़ी बात है कि जिन लोगों की आपने 62 वर्ष से 65 वर्ष की रिटायरमेंट आयु की है, वह भी नौकरी नहीं करना चाहते, उनको जबरदस्ती नौकरी करवाई जा रही है. मैं एक बात आप सबसे खुलकर कहता हूं कि रोजगार को लेकर बहुत सारी बातें हैं, पर हमको एक परिवार के रुप में इस पर कुछ न कुछ काम करना पड़ेगा, क्योंकि अगर हम उन युवाओं को रोजगार नहीं दे पाये, आप कब तक उनको लाठियों,डण्डों से डराओगे, कब तक जेलों में बंद करोगे. अगर एक भगत सिंह बन गया, तो सबको तबाह करके रख देगा, क्योंकि हम लोग भगत सिंह बनना नहीं चाहते हैं. हम लोग वह हाथ में चीज नहीं लेना चाहते हैं, क्योंकि यह महत्मा गांधी का देश है और हम जानते हैं कि हमारे अंदर भी भगत सिंह है, चन्द्रशेखर आजाद है, हम लड़ने से पीछे हटने वाले नहीं हैं. हम लोग महात्मा गांधी के लोग हैं, गोड़से के लोग नहीं हैं कि हम माफी मांग लेंगे.
सभापति महोदय:-विक्रांत जी, अब आप विषय बात समाप्त करिये. आपको बोलते हुए पांच मिनट हो गये हैं. मेरे को दूसरे सदस्यों को भी बोलने के लिये बुलाना है.
डॉ. विक्रांत भूरिया- सभापति महोदय, मैं दो पंक्तियों के साथ अपनी बात को समाप्त करना चाहूंगा कि मध्यप्रदेश में युवाओं की क्या स्थिति है. पिछले दो दशकों में मध्यप्रदेश में बेरोजगारों की एक ही कहानी है कि-
''दर-दर भटककर, युवा छोकरे अपनी जवानी है, अपनी जवानी है.'' बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन (सागर):- माननीय सभापति महोदय, मैं राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर वरिष्ठ सदस्य सम्माननीय श्री रामेश्वर शर्मा जी द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन का समर्थन करने के लिये खड़ा हुआ हूं.
माननीय सभापति महोदय, मैं सर्वप्रथम 16 वीं विधान सभा के गठन के लिये जो चुनाव सम्पन्न हुए, उस चुनाव में जो शांतिपूर्ण मतदान हुआ और मध्यप्रदेश के इतिहास में आज तक का सर्वाधिक मतदान इस चुनाव में हुआ. यह चुनाव निश्चित रूप से, इसके लिये न केवल मैं, मध्यप्रदेश के मतदाता बहनों, भाईयों को धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं शासन, प्रशासन को और मतदान के इस पुनीत कार्य में लगे हुए समस्त कर्मचारियों और अधिकारियों को इस बात के लिये बधाई देना चाहता हूं. यह मतदान जो है, यह सरकार की नीतियों, सरकार के कार्यक्रमों और सरकार की योजनाओं के प्रति, मध्यप्रदेश की सरकार मध्यप्रदेश की जनता के द्वारा, जो विश्वास व्यक्त किया गया है उसकी अभिव्यक्ति के रूप में मैं, इस मतदान को देखता हूं.
माननीय सभापति महोदय, सिर्फ चुनाव जितना यह हमारा मकसद नहीं होता. लोगों के दिलों तक पहुंचना और लोगों के दिलों को जितना यह हमारा मकसद होना चाहिये. कहा है कि-
'' जिस्म की बात नहीं थी,
उनके दिल तक जाना था.''
लम्बी दूरी तय करने में,
वक्त तो लगता है.
माननीय सभापति महोदय, मैं इस अभूतपूर्व चुनाव के लिये, अभूतपूर्व मतदान के लिये एक बार पुन: मध्यप्रदेश की जनता का बहुत-बहुत अभिवादन करना चाहता हूं. हम सब भाग्यशाली है, यह हम सब का बड़ा सौभाग्य है कि हम उस समय के साक्षी बने, जब भारतीय स्वतंत्र एवं भारतीय गणतंत्र दोनों के अमृत महोत्सव के साक्षी बनने का हम सबको सौभाग्य मिला है. यह अवसर है, जब हम अपने बलिदानियों के प्रति, हम अपने ऐसे जननायकों के प्रति आभार व्यक्त करने का, कृतज्ञता व्यक्त करने का और मैं, अपनी ओर से ऐसे तमाम जननायकों के ऐसे बलिदानियों के, जिन्होंने देश की खातिर अपने प्राणों का उत्सर्ग किया, उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए चार लाइनें कहकर कृतज्ञता ज्ञापित करना चाहता हूं-
'' हे नमन उनको कि जो इस देह को अमृत देकर,
इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं,
हे नमन उनको कि जिनके सामने बौना हिमालय
जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं.''
(मेजों की थपथपाहट)
माननीन सभापति महोदय, यह भी हम सबके लिये बड़ा सौभाग्य का विषय है. हमारे सम्माननीय श्री रामेश्वर शर्मा जी ने उस विषय को बड़ा विस्तार से लिया है. मैं भी उसको छूना चाहता हूं. लगभग 500 वर्षों के लम्बे अंतराल के पश्चात् इस देश की आन-बान-शान और जिन्होंने इस देश को नई पहचान दी. इस समाज में मर्यादा की क्या भूमिका होनी चाहिए, क्या परिभाषा होनी चाहिए, उस परिभाषा को गढ़ने का काम जिन्होंने किया, ऐसे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचन्द्र जी के भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण भी हम सबने होते हुए देखा है, उस ऐतिहासिक क्षण के हम सब साक्षी बने हैं, जब प्रभु राम उस मंदिर में विराजमान हुए, उनकी प्राण प्रतिष्ठा हुई. हमारी सरकार ने भी उनके वन गमन पथ को लेकर जो कार्य प्रारंभ किया है, ओरछा और चित्रकूट में, उसका भी विस्तार करने का काम हमारी सरकार के माध्यम से होने वाला है, उसके प्रति उन्होंने बड़े संकल्प के साथ, दृढ़-इच्छाशक्ति के साथ करने का संकल्प लिया है, न केवल इन कामों को आगे बढ़ाया जाएगा, वरन् जिन जिन स्थानों पर ऐतिहासिक जो दस्तावेज हैं, उनके आधार पर प्रभु राम के, प्रभु कृष्ण के जो भी हमारे ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर.
श्री अभय मिश्रा - सभापति महोदय, सभी को अवसर मिलना चाहिए.
सभापति महोदय - आप चिंता मत कीजिए, आपके दल के दो लोगों को बुला रहे हैं, तब उनको एक को बुला रहे हैं.
श्री शैलेन्द्र जैन - सभापति महोदय, उन स्थानों को पवित्र स्थानों के रूप में, तीर्थ-स्थल के रूप में विकसित करने का हमारी सरकार ने संकल्प लिया है. मैं सरकार को इस बात के लिए बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं. सभापति महोदय, हमारी सरकार के मुखिया सम्माननीय डॉ. मोहन यादव जी ने जैसे ही सरकार के मुखिया के तौर पर शपथ ली. शपथ लेने के साथ ही उन्होंने कुछ ऐतिहासिक निर्णय किये हैं. मैं उन निर्णयों के लिए डॉ. मोहन यादव जी को धन्यवाद देना चाहता हूं. इसका उल्लेख अभी सम्माननीय श्री रामेश्वर शर्मा जी कर रहे थे. ध्वनि विस्तारक यंत्र, जिस तरह से विद्यार्थियों को कठिनाई होती थी, उन कठिनाइयों को दूर करने की दिशा में यह बड़ा ऐतिहासिक कदम है, मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं. उन विद्यार्थियों की ओर से धन्यवाद देना चाहता हूं. सभापति महोदय, एक सभ्य समाज में जहां पर खुले में अगर मांस, मीट, मछली का इस तरह से विक्रय हो, यह उचित नहीं ठहराया जा सकता है. मैं समझता हूं कि उस पर प्रतिबंध लगाकर हमारी सरकार ने कार्य किया है. मैं उसके लिए भी धन्यवाद देना चाहता हूं.
सभापति महोदय - माननीय सदस्य संक्षिप्त करेंगे.
श्री शैलेन्द्र जैन - सभापति महोदय, अभी शुरुआत है. (श्री यादवेन्द्र सिंह, सदस्य के बैठे बैठे कुछ कहने पर) उसकी चर्चा चुनाव में आप लोगों ने खूब की. परिणाम आपके सामने है. जो पिछली बार की संख्या थी, उसके बाद कितने लोग बचे हैं, उसकी गिनती अवश्य कर लीजिएगा.
श्री रामेश्वर शर्मा - शैलेन्द्र जी, संख्या केवल चुनाव में ही कम नहीं होती है, कभी भी कम हो सकती है. गिनते रहना चाहिए.
श्री शैलेन्द्र जैन- सभापति महोदय, एक बहुत अच्छा निर्णय हमारी सरकार ने किया है. तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य में हमारे जनजातीय क्षेत्र के लोग लगे हुए हैं, उनके पारिश्रमिक में अभूतपूर्व इजाफा किया है. 3000 रुपये प्रति मानक बोरे से बढ़ाकर 4000 रुपये प्रति मानक बोरा करके हमारे वनवासी साथियों के लिए उनके जीवन-स्तर को ऊंचा उठाने की दृष्टि से यह एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है.
श्री यादवेन्द्र सिंह - तेंदूपत्ता पूरा का पूरा बंगाल जा रहा है, यहां का उद्योग खत्म हो रहा है. आप बीड़ी के उद्योगपति हो, आपको वकालत करना चाहिए कि मध्यप्रदेश को तेंदूपत्ता दें.
श्री शैलेन्द्र जैन - आप अगर समय दिलवाएं तो मैं इस पर थोड़ा-सा प्रकाश डालने की कोशिश करूंगा.
सभापति महोदय - आप विषय पर आइए. संक्षिप्त करिए.
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन (सागर) -- माननीय अध्यक्ष महोदय, यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है. तेंदूपत्ता, जो एक बेसिक रॉ मटेरियल है, मैं समझता हॅूं कि सबसे ज्यादा तेंदूपत्ता मध्यप्रदेश में होता है और बीड़ी निर्माण में जिस तरह से हमारे मध्यप्रदेश के अंदर बीड़ी निर्माण की गति मध्यम हुई है, यह निश्चित रूप से हम सबके लिए चिन्ता का विषय है. लगभग 4 लाख लोग बीड़ी व्यवसाय के कार्य में संलग्न रहे हैं. यह वर्ष 2016 का फिगर है और आज उनकी संख्या 1 लाख से भी नीचे आ गई है. सबसे कम राशि में, सबसे कम पूंजी में सर्वाधिक रोजगार देने का काम हमारी बीड़ी इंडस्ट्री देती थी. यह निश्चित रूप से हम सबके लिए सोचनीय विषय है. माननीय सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित करना चाहता हॅूं कि इस संबंध में निश्चित रूप से कुछ ठोस निर्णय लेने चाहिए. जब हम नये उद्योग-धंधों के लिए बहुत सारे इंटेंसिव्स, बहुत सारी रियायतें देने के लिए तैयार हैं, तो क्यों नहीं हम मध्यप्रदेश के अंदर जो बीड़ी का निर्माण होता है, उसके लिए भी हम निश्चित रूप से इंटेंसिव देने का काम करें, इस दिशा में हमें निश्चित रूप से सोचना चाहिए.
माननीय सभापति महोदय, बीआरटीएस का अभी उल्लेख किया गया. जनभावनाएं जिस कार्य के लिए हों, उन जनभावनाओं के अनुरूप निर्णय लेकर और एतिहासिक निर्णय लेकर काम करना यह भारतीय जनता पार्टी की सरकार की अपनी एक विशिष्ट विशेषता है और बीआरटीएस को 24 घंटे के अंदर, जनभावना के अनुरूप निर्णय लेने के लिए मैं सम्मानीय डॉ.मोहन यादव जी को धन्यवाद देना चाहता हॅूं.
माननीय सभापति महोदय, अपराधियों को पकड़ने की दिशा में चाहे अपराध के खिलाफ, उसमें ठोस कार्यवाही होनी चाहिए...
श्री भंवर सिंह शेखावत -- सभापति महोदय, यह बीआरटीएस बनवाने के अंदर भी काफी करोड़ों रूपया लगाया गया, इसका जनता ने बहुत विरोध किया था. उसके अंदर भी भ्रष्टाचार हुआ है और अब तुड़वाने में भी भ्रष्टाचार होगा.
श्री रामेश्वर शर्मा -- क्या था भईया, तब तो तुम हमारे मार्गदर्शक थे और पैसा उस समय श्री कमल नाथ जी की सरकार बिना योजना के दिल्ली से दिये जा रही थी....(व्यवधान)...
श्री शैलेन्द्र कुमार जैन -- माननीय सभापति महोदय, जिस तरह से हमारे मुख्यमंत्री महोदय ने अपराधियों को दंडित करने का कार्य किया है, मैं धन्यवाद स्वरूप ये लाइनें उनको प्रेषित करना चाहता हॅूं. कहा है कि बेलगाम जोर घोड़ों को दिया तुमने
लगाम, कौम कोई तुमको दुआएं, कौम का तुमको सलाम.
सभापति महोदय -- बहुत-बहुत धन्यवाद शैलेन्द्र जैन जी.
श्री शैलेन्द्र जैन -- सभापति महोदय, मैं 2 मिनट में अपनी बात समाप्त करता हॅूं. हवाई सेवाओं के मामले में बड़ी उल्लेखनीय प्रगति इस समय मध्यप्रदेश में हुई है और जिस तरह की योजनाएं बनीं हैं वह निश्चित रूप से आगे आने वाला समय बहुत अच्छा है. जिस हिसाब से ग्वालियर एयरपोर्ट का काम हुआ है, वह आज तक के इतिहास में सबसे कम समय में यदि कोई एयरपोर्ट बनते देखा है तो हमने ग्वालियर एयरपोर्ट देखा है. अभी माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण में उज्जैन में एयरपोर्ट बनाने का जो उल्लेख आया है, मैं उसका बहुत स्वागत करता हॅूं. हवाई यात्राओं के माध्यम से, हेलीकॉप्टर के माध्यम से जो सेवायें शुरू होने वाली हैं वह निश्चित रूप से प्रशंसनीय हैं. मैं जिस विधानसभा क्षेत्र से आता हॅूं उस जिले में भी हवाई पट्टी बहुत जमाने से है. जब अनेक स्थानों पर हवाई पट्टियां नहीं होती थीं, उस समय की हवाईपट्टी है. लेकिन हवाई यातायात से सागर जिला महरूम है. मैं आपके माध्यम से जरूर यह बात कहना चाहता हॅूं कि इतने सारे हवाई अड्डों का विस्तार हो रहा है. हवाई पट्टियां बन रही हैं. रीवा में भी नया एयरपोर्ट बनने वाला है.
सभापति महोदय, हमारी सरकार सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया के जिस भाव को लेकर और वसुदैव कुटुम्बकम के जिस भाव को लेकर चल रही है, मैं सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हॅूं. माननीय संसदीय कार्य मंत्री महोदय, आपके विभाग में एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य हुआ है. गरीब परिवारों के लिये 105 स्क्वेयर मीटर में निर्माण करने पर कहीं कोई अनुमति नहीं होगी, इसके लिए मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देते हुए अपनी बात को समाप्त करता हॅू.बहुत-बहुत धन्यवाद.
डॉ. हिरालाल अलावा - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने मुझे अपनी बात रखने के लिए समय दिया, इसके लिए आपका तहेदिल से धन्यवाद. सोलहवीं विधान सभा में मनावर विधान सभा की जनता ने मुझे दोबार सदन के अंदर पहुंचने का मौका दिया, उन्हें भी मैं धन्यवाद देता हूं.
श्री सोहन बाल्मीक - माननीय अध्यक्ष जी, यहां मेरा नाम था.
सभापति महोदय - कोई दिक्कत नहीं है, अलावा जी के बाद आप बोल लीजिएगा.
श्री सोहन बाल्मीक - जी.
डॉ. हिरालाल अलावा - माननीय सभापति महोदय, आज आजादी के इस अमृत काल में, आजादी के अमृत महोत्सव के बीच. रामराज्य की जहां पर चर्चा हो रही है, जहां पर आज देश में बुलेट ट्रेन के सपने दिखाए जा रहे हैं, हम चांद और सूरज पर पहुंच रहे हैं, 5 ट्रिलियन इकोनॉमी के हमको सपने दिखाए जा रहे हैं, 2030 तक 10 ट्रिलियन इकोनॉमी के सपने दिखाए जा रहे हैं और वर्ष 2047 के भी सपने दिखाए जा रहे हैं. आज राज्यपाल महोदय के अभिभाषण को मैंने पढ़ा और उस अभिभाषण में प्रदेश के दो करोड़ आदिवासी जो आज भी विकास के अंतिम पायदान में है. उन आदिवासियों के लिए इस अभिभाषण में तेंदूपत्ता को तीन हजार से चार हजार रूपए बोरा बढ़ाने के सिवा मुझे कुछ भी नजर नहीं आया.
सभापति महोदय, आज हमारे प्रदेश में कुपोषण एक गंभीर समस्या है, भारत देश कुपोषण के मामले में नंबर वन पर है और मध्यप्रदेश कुपोषण के मामले में हमारे देश में नंबर 1 पर है. भारत सरकार के आंकड़ों के आधार पर, जो सरकारी रिपोर्ट जारी हुई है एनएफएचएस 5 की, वह कहती है कि 6 से 23 माह के 89 प्रतिशत शिशुओं को न्यूनतम स्वीकार्य पोषण नहीं मिलता. यूएनओ के खाद्य एवं कृषि संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत में 74 प्रतिशत लोगों को पोषक भोजन मुहैया नहीं कराया जा रहा. यह स्थिति तब है जब वर्ष 2020 से हम भारत में पांच किलो मुफ्त अनाज दे रहे. देश की 80 करोड़ आबादी खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभान्वित हो रही है. आज मध्यप्रदेश खाद्यान्न कृषि उत्पादन क्षेत्र में बहुत अच्छे रेंकिंग में है. महिला एवं बाल विकास विभाग भारत सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 16.6 प्रतिशत बच्चे अंडर नरिस्ड है. कुपोषण के कारण बच्चे दुबले और नाटे हो रहे है.
माननीय सभापति महोदय, भारत का भविष्य नाटा हो रहा है. ये भारत के भविष्य कुपोषण के कारण मंदबुद्धि होते जा रहे हैं. हम चांद पर पहुंच रहे हैं, लेकिन कुपोषण दूर करने के लिए नीतियां नहीं बना पा रहे हैं, अगर नीतियां बना पा रहे हैं तो क्या वह नीतियां कुपोषण दूर करने के लिए कारगर साबित हो रही है, नहीं हो रही है, इस पर हमारा कोई ध्यान नहीं है. सरकार ने कहा कि 2013-14 से 2022-23 तक हमने 17.89 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर किया. सच्चाई तो यह है कि बीपीएल कार्ड ही बनना बंद हो गये, जब गरीबी रेखा के कार्ड ही बनना बंद हो गए तो रिकार्ड में गरीब कहां से आएंगे. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण बस्तियों को स्कूलों से अस्पतालों से और कृषि बाजार से जोड़ने का वादा किया गया था. आज भी 50 हजार किलोमीटर सड़कें अभी भी पूरा होने का इंतजार कर रही हैं. आज हमारे आदिवासी क्षेत्रों में गांव के मोहल्ले, कस्बे अभी भी पक्की सड़क का इंतजार कर रहे हैं, आज सरकार बुलेट ट्रेन बनाने के लिये वेनिटी वेन प्रोजेक्ट के तहत एक किलोमीटर वेनिटी वेन प्रोजेक्ट पर दो सौ करोड़ खर्च कर रही है, लेकिन किसानों के लिये जो फ्रंट कॉरिडोर बनाने के लिये 23 करोड़ रूपये प्रति किलोमीटर का खर्च नहीं कर पा रही है.
माननीय सभापति महोदय, आदिवासी इलाकों की एक गंभीर समस्या है पलायन, जिस पर हमारे पूर्व साथी विक्रांत भाई ने भी चर्चा की है, यह बात सही है कि धार, झाबुआ, बड़वानी, खरगोन जैसे आदिवासी इलाकों से रोजगार की तलाश में प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में हमारे आदिवासी भाई पलायन करके अन्य राज्यों में जा रहे हैं और पलायन के कारण आज आदिवासी क्षेत्र अनुसूचित क्षेत्र आज कहीं न कहीं वहां पर आदिवासी अपने ही क्षेत्रों में अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं और कहीं न कहीं यह शेड्यूल्ड एरिये के ऊपर भी एक खतरा मंडरा रहा है तो सरकार इन क्षेत्रों में इन आदिवासियों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की नीतियां क्यों नहीं बना रही है. आज आदिवासी इलाकों में आदिवासियों की जमीन पर बड़े बड़े प्रोजेक्ट लगाये जा रहे हैं, अभी हमारे धार जिले में पी.एम.मित्र टेक्सटाइल प्रोजेक्ट पांच हजार करोड़ रूपये का लगाया जा रहा है. आदिवासियों की जमीन जो पीढ़ी दर पीढ़ी, दस दस पीढि़यों से जो आदिवासी रह रहे थे, उन आदिवासियों को विस्थापित किया जा रहा है. सरकार बिना किसी स्थानीय नीति के, बिना आदिवासियों को जमीन के बदले जमीन देने की नीति बनाये बिना उन आदिवासियों को घरों से बेदखल कर रही है. क्या सरकार को आदिवासियों की जमीन पर ही बड़े बड़े प्रोजेक्ट लगाना मंजूर है, जमीन आप कहीं सामान्य क्षेत्रों से भी लीजिये, लेकिन आदिवासियों के पास जमीन के सिवा और कोई संसाधन नहीं है कि वह अपना जीवन यापन कर सकें, पर जिन जिन क्षेत्रों में आदिवासियों से जमीन छीनी गई वह क्षेत्र और वहां के आदिवासी आज न तो उनकी संस्कृति बची है और न उनकी भाषा बची और न उनका अस्तित्व बचा है.
सभापति महोदय -- माननीय सदस्य से अनुरोध है कि आप संक्षेप करें, अभी 25 सदस्यों को और बोलना है, कृपया हर एक सदस्य से निवेदन रहेगा कि पांच मिनिट में अपनी बात रखेंगे.
डॉ.हिरालाल अलावा -- माननीय सभापति महोदय, आपसे अनुरोध है, कुछ महत्वपूर्ण बिंदू आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि चूंकि मैं सदन में यह भी महसूस करता हूं कि आदिवासियों की बात यहां पर बहुत कम होती है और जहां पर आदिवासियों का पक्ष मजबूती के साथ रखना चाहिये, आदिवासियों के कानूनों पर चर्चा होना चाहिए, वह नहीं के बराबर होती है और हम तो कभी कभी मौका मिलता है. आज भी सभापति महोदय, प्रश्नकाल में मेरा नौवें नंबर पर महत्वपूर्ण प्रश्न लगा था, लेकिन उस पर भी मैं अपनी बात नहीं रख पाया था तो आपसे माननीय सभापति महोदय अनुरोध है कि मुझे थोड़ा सा टाईम और दिया जाये. माननीय सभापति महोदय, सरकार ने पेसा नियम 2022 ने बनाया, कानून वर्ष 1996 में बना, 25 साल बाद नियम बने और नियम बनने के बाद में प्रदेश के दो करोड़ आदिवासियों को बड़े-बड़े सपने दिखाये कि पेसा नियम बनने के बाद में ग्राम पंचायतों का विकास होगा, ग्राम पंचायतों को स्वायत्ता मिलेगी, ग्राम पंचायतों को विशेष अधिकार मिलेंगे, लेकिन माननीय सभापति महोदय, पेसा नियम 2022 बनने के बाद भी, आज भी जो गांव में समितियां बनी हैं, उनकी समितियों को शासन प्रशासन, पुलिस विभाग नहीं मानती है, आदिवासियों के ऊपर छोटे-छोटे मामले में जमीन का विवाद हो, दारू संबंधी मामले हों, पुलिस बिना ग्राम सभा को सूचित किये, बिना समितियों को सूचित किये आदिवासियों को जेल में डाल रही है और उनके ऊपर फर्जी मुकदमें डाल रही है.
माननीय सभापति महोदय, एक ओर गंभीर मुद्दा है आदिवासी इलाकों में अवैध शराब का, आज हमारे धार, झाबुआ, बड़वानी, खरगोन में गली-गली, मोहल्ले मोहल्ले में अवैध शराब बिक रही है, अवैध शराब बिकने का अगर हमारे युवा विरोध करते हैं तो उनके ऊपर शराब माफिया गाड़ी चलाकर उनकी हत्या कर देते हैं. हाल ही में हमारे मनावर विधानसभा क्षेत्र के पास में ही कुछी विधानसभा क्षेत्र है, वहां डही में एक अर्जुन कनासिया युवा ने शराब माफिया की गाड़ी रोकी, शराब माफिया ने उसको गाड़ी से कुचलकर मार दिया और जब उसको शराब माफिया ने मार दिया तो आज दिनांक तक पुलिस ने उन माफियाओं के खिलाफ हत्या की धारायें नहीं लगाई उनके ऊपर, हमको धरना देना पड़ा, आंदोलन करना पड़ा तब जाकर एसआईटी बनी, लेकिन एसआईटी कब रिपोर्ट पेश करेगी, कब एफआईआर होगी, कब अर्जुन करासिया को न्याय मिलेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है. माननीय सभापति महोदय, आदिवासी क्षेत्रों में विकास के लिये उपयोजना के तहत प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रूपये केन्द्र सरकार से आते हैं उसमें राज्य सरकार मिलाकर आदिवासी इलाकों में उपयोजना का पैसा खर्च करती है, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग ने हाल ही में पत्र जारी किया और उपयोजना का 207 करोड़ रूपया सामान्य क्षेत्र की आंगनबाड़ी में खर्च करने के लिये आवंटित कर दिया. माननीय अध्यक्ष महोदय, यह आदिवासी क्षेत्रों के विकास के साथ खुला-खुला अन्याय है. एक तो जो पैसा आ रहा है वह समय से खर्च नहीं किया जा रहा है और जो पैसा आदिवासियों के क्षेत्र के विकास के लिये खर्च किया जा रहा है वह दूसरे मदों में दिया जा रह है. मध्यप्रदेश सरकार आदिवासी उपयोजना का पैसा कैसे, कब, कहां खर्च करना चाहिये आज दिनांक तक कोई नियम नहीं बना पाई तो यह कहीं न कहीं सरकार की आदिवासी विरोधी का भी एक नतीजा है.
सहकारिता मंत्री (श्री विश्वास कैलाश सारंग)-- माननीय सभापति महोदय, अलावा जी, आपने को-आपरेटिव्ह सोसाइटी के बारे में यहां पर बात रखी और यह भी बोला कि सुबह प्रश्न था, माननीय सभापति महोदय, उसमें हमने यह क्लीयर उत्तर दिया था 97वां जो संविधान संशोधन है उसमें वर्ष 2013 में जो प्रावधान किये गये थे, उसको एडॉप्ट किया गया है और वर्ष 2013 में कांग्रेस की सरकार थी, उन्होंने आपके हितों को कम किया है और 97वां संशोधन में यह जरूरी था कि उसको हम एडॉप्ट करें इसलिये किया है. आप यह न बोलिये कि इस सरकार ने गड़बड़ की है. उस समय वह मनमोहन जी की सरकार ने किया था.
डॉ. हिरालाल अलावा-- माननीय मंत्री जी, अगर आप मान रहे हैं कि मनमोहन जी की सरकार ने प्रदेश के आदिवासियों के साथ गलत किया, लेकिन आपकी सरकार ने उस गलती को आगे बढ़ाया और जिन सहकारी सोसाइटियों में जिला अध्यक्ष के आदिवासियों के आरक्षित पद थे वह पद आपने खत्म कर दिये, जबकि उस अमेण्डमेंट में जो 97वां संविधान संशोधन हुआ उसमें अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद खत्म करने का कोई प्रावधान नहीं था और दूसरा माननीय सभापति महोदय, आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी को मैं बताना चाहता हूं कि उसी अधिनियम जो 97वां संविधान संशोधन पार्ट 9बी जो J(Z) से लेकर T(Z) तक जो संशोधन किया गया उसी संशोधन को गुजरात हाईकोर्ट ने अल्ट्रावायरस घोषित करके उसको खत्म किया गया.
श्री विश्वास कैलाश सारंग-- मैं वही बताना चाह रहा हूं अलावा जी. आप बोल रहे हैं इस सरकार ने अत्याचार किया है, यह नहीं है.
डॉ. हिरालाल अलावा-- माननीय सभापति महोदय, मैं तो यह कहना चाहता हूं कि जब यह कह रहे हैं कि भाजपा की सरकार ने गुजरात में उस अमेंडमेंट को वहां के हाईकोर्ट ने अल्ट्रावायरस घोषित किया तो यह अमेंडमेंट मध्यप्रदेश में भी अल्ट्रावायरस घोषित किया जाये और उसे समाप्त किया जाये ताकि आदिवासियों के साथ न्याय हो सके. माननीय मंत्री जी आपसे मुझे यही जवाब चाहिये.
सभापति महोदय-- बहस में न उलझें, अपने विषय को समाप्त करें.
डॉ. हिरालाल अलावा-- माननीय सभापति महोदय, मेरा कहना यही है कि सहकारी सोसाइटियों में जो वर्ष 2013 के पूर्व में जो आरक्षण एससी, एसटी, और ओबीसी को दिया जा रहा था उसी आरक्षण के तहत व्यवस्था की जाये अगर सरकार आदिवासी, एससी और ओबीसी की हितैषी है तो जो गुजरात हाईकोर्ट के जजमेंट के आधार पर गुजरात सरकार ने किया वह मध्यप्रदेश सरकार को करना चाहिये, सभापति महोदय, मेरा आपके माध्यम से मंत्री जी से यही अनुरोध है. सभापति जी, आपने मुझे बोलने का समय दिया बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया)-- माननीय सभापति जी, राज्यपाल जी के अभिभाषण में मैं अपनी बात रखना चाहता हूं. राज्यपाल जी के अभिभाषण में बहुत सारी बातों का उल्लेख किया गया है और उसमें प्रमुख रूप से प्रथम पृष्ठ में ही रामराज्य की कल्पना के बारे में किया गया है और रामराज्य की परिकल्पना के बारे में रामेश्वर जी चले गये हैं, उन्होंने बहुत सारी बातें कही हैं. मैं भी उसमें थोड़ा सा आपका ध्यान दिलाना चाहता हूं कि रामराज्य की कल्पना हम लोग भी करते हैं, हम उससे कोई अछूते नहीं हैं, हम भी चाहते हैं कि रामराज्य की कल्पना हो, रामराज्य आये और रामराज्य का अर्थ और मतलब भी समझना चाहिये कि रामराज्य का अर्थ यह नहीं होता कि सिर्फ राजनीति करके उसको छोड़ दिया जाये. रामराज्य की जो बात हो रही है और जो मंदिर की बात हुई. प्राण प्रतिष्ठा की बात हुई है. मैं सभापति जी, जिन्होंने राम राज्य के बारे में बोला, राम जी के बारे में बोला. इसमें एक पार्ट यह भी है कि जब प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी. जब राम जी की प्रतिमा को स्थापित किया जा रहा था उस समय बहुत सारे लोग समर्थन में थे और सनातन धर्म के चारों शंकराचार्य विरोध में थे और इस बात को भी सोचना चाहिये कि जब चारों शंकराचार्य ने इस बात का विरोध किया कि यह जो स्थापना की जा रही है जो स्थापना का समय तय किया गया है वह गलत तरीका है और अभी मंदिर का निर्माण पूर्ण नहीं हुआ है और बिना मंदिर के निर्माण के पूर्ण किये क्यों रामजी की स्थापना की जा रही है. यह बात कोई नहीं बोलेगा क्योंकि इसके पीछे बहुत बड़ा कारण था बहुत बड़ा राज था कि सिर्फ रामजी की मूर्ति को स्थापित करना,प्राण प्रतिष्ठा करना लोक सभा चुनाव का फायदा लेने के लिये सारी प्रक्रिया की गई है नहीं तो चारों शंकराचार्य के विरोध के बाद जिसमें सनातन धर्म में चारों शंकराचार्य जी को प्रथम माना जाता है उनको मान्यता दी गई है हिन्दू धर्म की, सनातन धर्म की उनके विरोध के बाद यदि राम मंदिर में रामजी की प्राण प्रतिष्ठा हुई है तो आप समझ सकते हैं कि इसके पीछे भारतीय जनता पार्टी का कितना बड़ा कारण था कि वह लोकसभा चुनाव का फायदा लेना चाहती थी और इसके अलावा कोई हिन्दू धर्म नहीं कोई सनातन धर्म नहीं था.निश्चित रूप से जिस तरीके से बड़ी-बड़ी बातें बोलते हैं.राम राज्य की कल्पना की बात करते हैं राम की बात करते हैं लेकिन शंकराचार्यों जी के विरोध के बावजूद भी यह सब कार्यवाही की गई है. राज्यपाल जी ने जो बातें कहीं हैं. यह जो अभिभाषण है राज्यपाल जी का. मैं 26 जनवरी के कार्यक्रम में था और यह राज्यपाल जी का अभिभाषण है. लगभग 26 जनवरी के मुख्यमंत्री जी के संदेश के माध्यम से यह सारी चीजें पहले बोल दी गईं थीं कोई नई चीजें इसमें नहीं कही गई हैं. बहुत सारी बातों का इसमें उल्लेख किया गया है. इसमें मैं एक बात कहना चाहता हूं कि जिस तरीके से प्रधानमंत्री उज्जवला गैस योजना के संबंध में जो बातें कही गई हैं कि 85 लाख महिलाओं को इसका लाभ दिया गया. जब यह योजना चालू हुई थी तो माताओं,बहनों की आंखों से आंसू पोंछने की बात हुई थी तो इस बात का आंकड़ा इसमें होना चाहिये था जो आपने 85 लाख गैस सिलेण्डर दिये उसमें कितने लोग गैस भरा पा रहे हैं उसमें से 85 प्रतिशत लोग आज गैस नहीं भरा पा रहे हैं जिन्हें प्रधानमंत्री उज्जवला गैस योजना का फायदा दिया गया क्योंकि जब गैस के रेट बढ़े तो लोगों ने कहीं फेंक दिया किसी ने बेच दिया. इस बात को भी समझना चाहिये कि जब आप उज्जवला गैस दे रहे हैं तो उनको सब्सिडी का फायदा भी मिलना चाहिये था. गैस सिलेण्डर भी उनको सस्ते में मिलने चाहिये थे ताकि उस योजना का लाभ वे आगे ले सकें. माननीय सभापति जी, सी.एम.राईज स्कूल का भी उल्लेख किया गया कि लगभग 369 हमने सी.एम.राईज स्कूल प्रारंभ कर दिये हैं. इन स्कूलों को बनाने का उद्देश्य, मैं देख रहा हूं कि जहां सी.एम.राईज स्कूल प्रारंभ हुए हैं. कुछ जगह बिल्डिंग बनने का काम है. कुछ जगह बिल्डिंग बन गई हैं जहां बिल्डिंग नहीं है वहां भी सी.एम. राईज स्कूल चल रहे हैं. जैसे मेरे परासिया विधान सभा क्षेत्र में सी.एम.राईज स्कूल है परन्तु सी.एम.राईज स्कूल के लिये जिस तरह से योजना बनाई गई थी क्या उस योजना के तहत चल रहा है. क्या सी.एम.राईज स्कूल में पर्याप्त टीचर और स्टाफ होने चाहिये. मेरे विधान सभा क्षेत्र के सी.एम.राईज स्कूल में सिर्फ 22 टीचर पढ़ा रहे हैं.बाकी कोई व्यवस्था नहीं बन पा रही है मगर सी.एम. राईज स्कूल के लिये जिस तरह से सरकार उसका उल्लेख करती है कि हम इतनी बड़ी योजना लाए हैं शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये मगर आज उसकी हालत बद से बदतर होती चली जा रही है. आज भी जो पूरे प्रदेश में यह स्कूल संचालित हो रहे हैं. वहां आज भी कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं. कहीं भवन विहीन स्कूल चल रहे हैं यह सब हालत हम सबके सामने नजर आ रही है. स्वास्थ्य सेवा का भी इसमें उल्लेख किया गया है.जहां तक स्वास्थ्य सेवा के बारे में मध्यप्रदेश की स्थिति है आज हर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में डाक्टर्स की कमी है. स्टाफ की कमी है. पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है. कई चीजों की कमी होने के बावजूद भी आज स्वास्थ्य सेवा के बारे में जिस तरीके का उल्लेख किया गया. इस अभिभाषण में जिस तरीके से सरकार ने जो आंकड़े प्रस्तुत किये हैं. वास्तविकता यह नहीं है. वास्तविकता कुछ और है यदि आप फील्ड में जाकर देखेंगे तो आंकड़ों और जमीनी स्तर में बहुत सारा अंतर हमको नजर आता है. आज डाक्टर्स की कमी के कारण गर्भवती महिलाओं का ईलाज नहीं हो पा रहा है. किसी प्रकार की दुर्घटना,घटना होती है तो उनको सही समय पर ईलाज नहीं मिल पाता है. प्रायवेट क्षेत्रों में जो अस्पताल चल रहे हैं उस स्तर पर हमारे सरकारी अस्पतालों की स्थिति नहीं है. आज हालात स्वास्थ्य सेवाओं के इतने गंभीर हैं कि कोई सरकारी अस्पतालों में जाना नहीं चाहता. आज मेरे विधान सभा क्षेत्र में लगभग 14 करोड़ रुपये की बिल्डिंग बनाई गई है. कांग्रेस की सरकार के समय वर्ष 2019 में स्वीकृति प्राप्त हुई थी, बिल्डिंग बनकर तैयार हो गई, स्वास्थ्य विभाग को हैंड ओवर हो गई. मेरा इसमें प्रश्न भी लगा हुआ है. मैंने आज माननीय मंत्री जी को भी इस संबंध में पत्र लिखकर दिया है कि 1 करोड़ 77 लाख रुपये के उपकरण जो उस बिल्डिंग में आने चाहिए थे, आज तक वे 1 करोड़ 77 लाख रुपये के उपकरण नहीं आ पाए, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं नहीं चल पा रही हैं. उन उपकरणों की सहायता से गंभीर बीमारियों का इलाज होना चाहिए, जो डाइग्नोज होना चाहिए, वह नहीं हो पा रहा है. आज वह हमारी 14 करोड़ रुपये की बिल्डिंग बनी हुई है, वह एक सफेद हाथी की तरह नजर आ रही है. इस बात को भी समझना चाहिए कि यदि बिल्डिंग बनाने में हम पैसे खर्च करते हैं, इफ्रास्ट्रक्चर बनाते हैं तो उसमें जो बाकी चीजें हैं, उसका जो एक स्टैण्डर्ड है, उस स्टैण्डर्ड के तहत सारी सुविधाओं को उपलब्ध कराना भी आवश्यक होता है.
माननीय सभापति जी, उत्खनन की बात आई है. खनिज की बात आई है. मैं आपसे...
सभापति महोदय -- अब कृपया संक्षिप्त करें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक -- सभापति जी, बस मैं खत्म ही करना चाह रहा हूँ. मैं इस बात को कहना चाह रहा हूँ कि आज पूरे प्रदेश के अंदर में रेत का उत्खनन हो रहा है. अवैध उत्खनन हो रहा है. मेरे विधान सभा क्षेत्र में, मेरे छिंदवाड़ा जिले के अंदर में भी बहुत सारी रेत खदानें हैं. उनका जब टेण्डर हुआ, उनकी जब बोली लगाई गई, जब बिड हुई तो बहुत महंगी दरों पर लोगों ने रेत की खदानें ली हैं. आज यह हालत है कि जो रेत खदान जहां से ली गई है, वहां उत्खनन नहीं किया जा रहा है. अन्य जगह, दूसरी जगह उत्खनन किया जा रहा है. जिस जगह की सीमा निर्धारित की गई है कि इस खदान की सीमा में यहां से रेत निकाली जाएगी, वहां से रेत नहीं निकाली जा रही है, दूसरी जगह से रेत निकाली जा रही है. एक रॉयल्टी में चार-चार ट्रिप, पांच-पांच डम्पर, ट्रक निकाले जा रहे हैं, ट्रैक्टर निकाले जा रहे हैं. इस तरीके का अवैध उत्खनन चल रहा है. जितनी महंगी बिड हुई है, जितना महंगा रेत का ठेका गया है, इससे सीधे तौर पर प्रदेश की जनता को, हमारे जिले की जनता को नुकसान हो रहा है. माननीय सभापति जी, जो रेत दो हजार या ढाई हजार रुपये में मिलती थी, हमारे क्षेत्र में इतने में एक ट्रैक्टर मिलता था, आज वही ट्रैक्टर की कीमत लगभग छ: हजार रुपए हो गई है तो ये आप किस तरीके की सरकार चला रहे हैं. जनता के हित के लिए सरकार चला रहे हैं कि ठेकेदारों का भला करने के लिए चला रहे हैं. कुछ लोगों की मदद करने के लिए सरकार चलाई जा रही है. ये जो परिस्थितियां हैं, जिस तरीके से राज्यपाल के अभिभाषण के अंदर में बहुत सारी बातों का, आंकड़ों का जो खेल किया गया है, उससे कहीं न कहीं हम सभी प्रभावित होते हैं. जिस तरह की स्थिति है, सरकार की तारीफ करना, सरकार के बारे में बोलना और सच्चाई को परे रखना, यह हम सबके लिए एक चिंता का विषय है क्योंकि सदन के अंदर में जिस तरीके की बातें होती हैं, यह प्रदेश का पवित्र मंदिर है. यहां पर सच्चाई और यथार्थ की बातें होनी चाहिए, जो नहीं हो पातीं. माननीय सभापति महोदय, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा (जावद) -- माननीय सभापति महोदय, मैं राज्यपाल के अभिभाषण के समर्थन में अपनी चर्चा जिन बिंदुओं पर बात हो गई है, उनको छोड़कर नए बिंदुओं को लेकर चर्चा शुरू करना चाहता हूँ. मैं काफी देर से सुन रहा था, काफी आध्यात्मिक बातें हो गईं, थोड़ी बहुत आर्थिक विषय पर भी हमको चर्चा कर लेनी चाहिए. जब हम गांव और इस सरकार के आर्थिक विषय के बारे में बात करते हैं तो मैं देख रहा था कि अगर मैं पूरे भारत की बात करूं तो इकॉनॉमी में 12वें से 5वें नंबर पर हम आ गए हैं और तीसरे की तैयारी है. ये तैयारी केवल आंकड़ों पर नहीं, वास्तविकता पर है. साथ ही अगर मैं मध्यप्रदेश की बात करूं तो मध्यप्रदेश में जहां चार हजार कुछ करोड़ रुपये का सालाना बजट डेवलपमेंट का होता था वर्ष 2003 में, वहां इस बार 56 हजार करोड़ रुपये का बजट है. यह 14 गुना बढ़ा है, ये 14 गुना जो बढ़ा है, अगर मैं इसके रोटेशन और टर्न ओवर की बात करूं तो इसका एप्रॉक्सीमेटली 60 प्रतिशत पैसा जो भी डेवलपमेंट का काम होता है, वह स्थानीय लोगों की जेब में जाता है. चाहे वह गिट्टी खरीदे, चाहे वह मजदूरी में जाए, चाहे वह होटल हो, चाहे सड़क बने, चाहे स्कूल का भवन बने. वह जो पैसा जाता है, उस पैसे का जो अंतर आज जीवन में दिख रहा है, क्योंकि एक पक्ष टोटल निराशावादी बात कर रहा है जबकि पूरे प्रदेश का जो नक्शा बदल रहा है, उस नक्शे के बारे में भी सोचना चाहिए. आने वाली पीढ़ी, अगर उस दृष्टिकोण से जब मैं देखता हूँ तो 60 प्रतिशत पैसा लोकल बंटता है और मैं अगर आरबीआई के नियम को समझूँ तो वह सात टर्न ओवर एक साल में करता है. मैं अगर इस पूरे चक्र को समझता हूँ तो यह कई डेढ़ लाख करोड़ रुपये की इकोनॉमी के टर्नओवर के रोटेशन का असर आया, पर उसका असर हर गांव में दिखता है.
5.30 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
सभापति महोदय - सदन के समय में सायं 6 बजे तक की वृद्धि की जाये. मैं समझता हूँ कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति व्यक्त की गई)
5.31 बजे
राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन पर चर्चा (क्रमश:)
सभापति महोदय - श्री ओमप्रकाश सखलेचा जी.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - सभापति महोदय, मैं केवल इस टर्नओवर और इस इकोनॉमिक ग्रोथ की बात नहीं कर रहा हूँ. इस इकोनॉमिक ग्रोथ में, मैं बात करूँ तो चाहे पानी की बात करूँ. एक समय था, जब सन् 78 में नर्मदा के पानी का डिस्ट्रिब्यूशन हुआ, तब से लेकर सन् 2006 तक उसमें कोई मूवमेंट नहीं हुआ. सन् 2006 में जब उसका मूवमेंट हुआ तो उसका असर पड़ा तो हमारी पुरानी 15 वर्ष की सरकार के कारण, हमारी खेती में डबल डिजिट की ग्रोथ आई, वह केवल पानी और हमारा एरिया बढ़ने का कारण था. हमें उस बात को जरूर अंकित करना चाहिए. अगर मैं बात करूँ कि अगर हम केवल सड़क और पानी की बात न करें, इण्डस्ट्रीज की बात करें तो आज मध्यप्रदेश को अभी पिछले माह ही एमएसएमई को इण्डिया का बेस्ट एमएसएमई का अवार्ड केन्द्र सरकार ने दिया था. कहीं न कहीं 8 से 10,000 इण्डस्ट्री पिछले 3 वर्षों में नई शुरू हुई और लाखों लोगों को रोजगार का अवसर सृजित हुआ. यह केवल बातों की बात नहीं है, हम तथ्यों पर बात कर रहे हैं.
श्री अभय कुमार मिश्रा - आप एक इण्डस्ट्री का नाम बता दीजिये.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - आप जितनी चाहेंगे, मैं आपको इण्डस्ट्रीज़ की लिस्ट भी दे दूँगा. मैंने केवल एमएसएमई की बात कही है.
श्री अभय कुमार मिश्रा - आप कोई दो का नाम बता दीजिये.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - बहुत सारी हैं, मैं आपको लिस्ट भेज दूँगा.
श्री अभय कुमार मिश्रा - आप किसी एक का नाम बता दीजिये.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - उसमें चाहे मैं अगर क्लस्टर्स की बात करूँ. मैं एमएसएमई की बात कर रहा हूँ.
श्री अभय कुमार मिश्रा - आप केवल एक का नाम बता दीजिये. आप एकदम क्लियर बता दीजिये. आप एमएसएमई के मंत्री भी रहे हैं.
डॉ. सीतासरन शर्मा - नेशनल इण्डस्ट्रीज घाटमपुर है, अब आप बोलिए.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - एमएसएमई में हर जिले में, मैं नामजद अगर बात करूँ तो नीमच की बता दूँ, इन्दौर की बता दूँ. मैं व्यक्तिगत किसी भी इन्डस्ट्री का नाम लेकर उसे चिन्ह्ति नहीं करना चाहूँगा.
श्री भंवर सिंह शेखावत - माननीय सभापति महोदय, जितना बड़ा नुकसान पिछले 4 वर्ष के अन्दर, 5 वर्ष के अन्दर हिन्दुस्तान के अन्दर एमएसएमई को हुआ है, उतना किसी को नहीं हुआ है. आप जरा पता लगा लीजिये, पूरा का पूरा एमएसएमई समाप्त हो गया है.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - सभापति महोदय, पहली बार एमएसएमई की जो मध्यप्रदेश की नीति बनी है, उसे पूरे भारत में एडॉप्ट करने के लिए कहा गया. पहली बार मध्यप्रदेश में क्लस्टर फॉर्मेशन से अगर नई यूनिट की ग्रांट हुई, फारवर्ड, बैकवर्ड, इंटीग्रेशन की बात हुई तो मध्यप्रदेश से शुरू हुई. अगर आपको ध्यान नहीं है तो आपको यह भी बता दूँ.
श्री अभय कुमार मिश्रा - आप किसी एक में उद्घाटन करने तो गए होंगे, जब आप मंत्री रहे होंगे.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - मैं किसी भी इण्डस्ट्री का नाम लेकर यहां विषय को इंगित नहीं करना चाहता हूँ.
सभापति महोदय - ओमप्रकाश जी, आप अपने विषय पर आइये. आप अपना समय खराब न करें.
श्री सोहनलाल बाल्मीक - हम विषय में ही कह रहे हैं. आपसे एक नाम पूछ रहे हैं ?
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - I am not answerable to answer your question, am I clear ? और जो बात आपको रखनी है, आप अपनी बात रखियेगा.
सभापति महोदय - ओमप्रकाश जी, आप उधर बहस मत कीजिये. आप अपना विषय रखिये.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - जहां तक सवाल है कि अगर मैं मेडिकल फील्ड की बात करूँ, तो पचास वर्ष में 5 मेडिकल कॉलेज थे और अभी 24 सरकारी मेडिकल कॉलेज हुए हैं, तो कहीं न कहीं स्वास्थ्य सेवाओं में अन्तर आया है. अगर मैं एजुकेशन की बात करूँ.
श्री फुंदेलाल मार्को - सभापति जी, शर्मा जी महाविद्यालयों के बारे में बता चुके हैं.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा - सभापति महोदय, मैं बात कर रहा था कि कहीं न कहीं टेक्नोलॉजी से लेकर इस परिवर्तन के कारण, जो आने वाला समय है, उसमें जिस तेजी से एक्सरसाइज/गणित हो रही है. अगर स्वास्थ्य, शिक्षा, इण्डस्ट्री एवं रोजगार की बात करें, तो ये चार सबसे महत्वपूर्ण पिलर हैं, जिन पर एक अलग नज़रिये से बात करनी चाहिए. जहां तक बात है इन विषयों की तो पूर्व में किसी ने इन्हें ठीक ढंग से नहीं उठाया इसलिए मैंने सोचा कि मैं, इन पर बात करूं. आज यदि मैं लाड़ली लक्ष्मी की बात करूं तो प्रदेश में 14 लाख बेटियों को लाड़ली लक्ष्मी का स्टेटस् मिला है और लाड़ली बहनों का विषय अभी कवर हो चुका है इसलिए मैं उस पर अपना समय नहीं लगाना चाहता हूं.
माननीय सभापति महोदय, मैं, अभी एक और विषय पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं वह है AI. भविष्य में इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध होने की गुंजाईश है. मध्यप्रदेश पूरे भारत में शायद पहला प्रदेश है और यदि मैं केवल अपने विधान सभा क्षेत्र की बात करूं तो हायर सेकण्डरी स्कूल के 9 हजार बच्चे AI की पढ़ाई कर रहे हैं. वे ऑनलाईन पढ़ाई कर रहे हैं और इसकी चर्चा पूरे देश में हुई है.
माननीय सभापति महोदय, अगर मैं बात करूं तो मेरी अपनी विधान सभा में डेढ़ लाख लोगों का पूरा हेल्थ चैकअप, उनकी ECG, उनके हेल्थ का पूरा डाटा, उनके मोबाईल पर डलवा दिया गया है क्योंकि जब Telemedicine की बात होती है तो यह अनिवार्य होता है और यह हमारे प्रदेश में, इस सरकार के द्वारा ही किया गया है.
माननीय सभापति महोदय, हम बात करें तो पहली बार मध्यप्रदेश में अलग-अलग भाषाओं के माध्यम से बच्चे बाहर जाकर, अलग दृष्टिकोण से पढ़ाई कर रहे हैं. मेरी विधान सभा के 12वीं से पास हुए, 16 बच्चों ने जापानी भाषा की N4, N5 की परीक्षा पास की है और जापान के विश्वविद्यालय में बिना फ़ीस के उनका दाखिला करवाया जा रहा है ताकि वे वहां ग्रेजुएट हों और वहां आर्थिक रूप से सक्षम होकर, प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अलग दृष्टिकोण से अंतर लायें. ये सभी बातें तथ्यों पर आधारित हैं और इनके आंकड़े सभी जगह उपलब्ध हैं.
माननीय सभापति महोदय, सी.एम.राइज़ स्कूल एक और बहुत बड़ा विषय है. जिसके माध्यम से एक नया अवसर मध्यप्रदेश के युवाओं को मिल रहा है क्योंकि अध्ययन का स्तर जब सुधरेगा तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भविष्य में बहुत बड़ा असर आयेगा. एक दिन में कभी-भी पूरी स्थितियां परिवर्तित नहीं होती हैं. छात्रों के लिए "मेधावी छात्र योजना" बहुत ही अलग दृष्टिकोण की है.
माननीय सभापति महोदय, आयुष्मान योजना की बात करें तो 3 करोड़ 86 लाख आयुष्मान योजना के कार्ड बने हैं, यह अपने आप में बहुत बड़ा रिकॉर्ड है. 104 प्रतिशत का आंकड़ा हमने प्राप्त किया है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक (परासिया)- माननीय सभापति महोदय, मैं, आयुष्मान कार्ड के बारे में कहना चाहूंगा कि हम देख रहे हैं कि यदि हमारा कोई व्यक्ति महाराष्ट्र में जाता है तो वहां उसका आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं होता है. सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए कि अन्य राज्यों में भी उन्हें फायदा मिले.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा- मैं, आपकी बात से बिल्कुल सहमत हूं. आपकी राजस्थान की सरकार ने पांच वर्ष तक यह किया है. हमारा मध्यप्रदेश, राजस्थान की सीमा से लगा हुआ है. उदयपुर हमारे सबसे अधिक मरीज जाते थे. हमने कई बार राजस्थान सरकार से आग्रह किया लेकिन राजनैतिक दृष्टि, राजस्थान सरकार की इतनी विचित्र थी कि उन्होंने कभी हमारे प्रदेश के मरीजों को इलाज नहीं दिया.
श्री विजय रेवनाथ चौरे- महाराष्ट्र में तो आपकी सरकार है.
श्री सोहनलाल बाल्मीक- महाराष्ट्र और राजस्थान दोनों जगह आपकी सरकार है. मैं केवल किसी राज्य विशेष की बात नहीं कर रहा हूं, मैं सभी राज्यों की बात कर रहा हूं.
सभापति महोदय- आपकी बात आ गई है. आप कृपया बैठ जायें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा- बाल्मीक जी, मैं, आपकी बात से बिल्कुल सहमत हूं. हमारी चर्चा चल रही है हम बहुत जल्द ही राजस्थान में प्रारंभ करवा लेंगे.
माननीय सभापति महोदय, हमने 11 नए IT Park विकसित किए हैं और इनके माध्यम से 220 नई ईकाइयों में काम प्रारंभ हो गया है. जिसमें जबलपुर IT Park में 100 प्रतिशत Occupied है. इंदौर में अभी काफी तेजी से कार्य हो रहा है और वहां लगभग 20 हजार लोगों को नया रोजगार IT Park के माध्यम से मिला है. अगर आप चिह्नित बात करें तो 6 हजार केवल दो कंपनियों ने इंफोसिस और टीसीएस ने मैंने स्वयं उसका इम्प्लायमेंट किया क्योंकि उसमें पॉलिसी में परिवर्तन करना पड़ा क्योंकि एज्युकेशन सिस्टम में उसका अलग से सिस्टम चालू करवाकर किया. अगर मैं बात करूं अमृत सरोवर की तो पहली बार प्रदेश में 3 हजार 900 का टार्गेट था. उसकी जगह हमने 5 हजार 400 से ज्यादा अमृत सरोवर बनाए ताकि पानी का स्तर और गांव में ग्रामीण क्षेत्रों में अंतर आए.
श्री सुनील उइके-- सखलेचा जी कौन से मद से बनाए हैं. किसी एक का नाम बता दीजिए.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- मेरा सोचना है कि आप उसको विकास की बजाय आप सदन का समय फालतू की बातों में बर्बाद करके जनता के पैसों से खिलवाड़ करने की जो कोशिश कर रहे हैं मैं उससे बिलकुल सहमत नहीं हूं. आपके हर एक मिनट की कॉस्ट मध्यप्रदेश की जनता को उठानी पड़ रही है आपके इस मजाक और सवाल जवाब का विषय नहीं है.
सभापति महोदय-- सखलेचा जी आप अपना विषय समाप्त करें. मैं अगला नाम लेने जा रहा हूं.
श्री सुनील उइके-- आप बहुत सीनियर हैं और हम आपको सुनना चाहते हैं.
सभापति महोदय-- ओमप्रकाश जी आप अपनी बात को समाप्त करें.
श्री ओमप्रकाश सखलेचा-- नामांतरण और बंटवारे की अभी जो नई नियमावली है और हर गांव में जिस तेजी से काम हो रहा है गांव की काफी लंबी समस्याएं, हर गांव में जो शिविर लगाकर हो रहा है वह अकल्पनीय है और उससे लोगों की सालों की समस्याएं हल हो रही हैं. मेरे कुछ विषय और थे जिन्हें मैं फिर कभी अगले दिन चर्चा में रखूंगा. आपने बोलने के लिए समय दिया उसके लिए धन्यवाद और मेरे मित्रों ने समय बर्बाद करने की विशेष कोशिश की उसके लिए उनको बधाई कि जनता के पैसे से कैसे खिलवाड़ किया जाए यह उदाहरण लिखा जाएगा, धन्यवाद.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह (अमरपाटन)-- माननीय सभापति महोदय, आपने मुझे बोलने का समय दिया मैं आपको धन्यवाद देता हूं. मैं आपका बहुत ज्यादा समय नहीं लूंगा क्योंकि जब वक्ता बाद में बोलता है तो बहुत सारे इश्यू पहले ही सदन में आ जाते हैं और मैं उनको दोहराना उचित नहीं समझता हूं. माननीय सदस्य रामेश्वर शर्मा जी ने महामहिम राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर अपने कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर अपनी बात रखी, लेकिन राज्यपाल महोदय के उद्बोधन को सुनकर और उस पुस्तक पढ़कर बहुत सी विरोधाभाषी बातें हैं. कोई ठोस रणनीति प्रदेश को आगे ले जाने की दिशा में मुझे इसमें दिखाई नहीं देती है इसलिए मेरी आत्मा गवारा नहीं करती कि मैं आपके इस प्रस्ताव का समर्थन करूं. कल जब माननीय राज्यपाल महोदय भाषण दे रहे थे तो मुझे भी उत्सुकता हुई और मैंने एक पुस्तक वहां से ली अपने पढ़ने के लिए कि राज्यपाल जी जो कह रहे हैं उसको पढ़ता भी चलूं. पहले तीन पन्ने तो मैं उनके भाषण का साथ निभा पाया पढ़ने की दृष्टि से, लेकिन उसके बाद पता ही नहीं चला कि राज्यपाल जी कहां चले जाते थे. हम रामनिवास जी से पूछें कि कहां पहुंचे राज्यपाल जी तो यह भी नहीं समझ पा रहे थे तो हमने एक बात पकड़ी उसमें कि बार-बार राज्यपाल महोदय मोदी जी का नाम ले रहे हैं कि जहां-जहां मोदी जी लिखा है वह उसी वाक्य को जहां-जहां मोदी जी लिखा है उसी वाक्य को, उसी लाइन के पैराग्राफ को पकड़ो और राज्यपाल जी के कदमताल से आप ताल मिला सकते हो. अभिभाषण भी वैसा था कि अगर आदमी आंख बंद करके बैठता और सुनता. हमारे राज्यपाल जी पुरुष हैं, हमारी राष्ट्रपति महोदया महिला हैं. लेकिन जिस तरह से केन्द्र सरकार का उल्लेख हुआ. माननीय प्रधानमंत्री जी की उपलब्धियों का उल्लेख हुआ, उनकी योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया. इस सदन की कभी परम्परा नहीं रही है.
सभापति महोदय, मैं पहली बार सन् 1980 में विधायक बनकर आया था. पुरानी विधान सभा में हम लोग बैठते थे. नये-नये थे तो सुनने का काम ज्यादा करते थे. कभी उस विधान सभा में या उसके बाद की विधान सभाओं में केन्द्र सरकार की उपलब्धियों का बखान उस डाक्यूमेंट में नहीं होता था. जो भी राज्य सरकार रही हो उस काल में उसके संबंध में ही चर्चा होती थी. लेकिन कल तो ऐसा लगा कि हम लोग संसद में पहुंच गए हैं. सखलेचा जी तो संसद भेजने लायक हैं. माननीय ओमप्रकाश जी ने एमएसएमई में अच्छा काम किया वहां अच्छे मार्गदर्शन की जरुरत है.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल -- यदि आपकी अनुमति हो तो कुछ कहना चाहता हूँ. आप इतने वरिष्ठ सदस्य हैं, मैं सुन रहा था लेकिन उस समय हम लोग तो विधान सभा में नहीं थे लेकिन गरीबी और इंदिरा जी का नाम तो अभिभाषण में था. इंदिरा ही इंडिया.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत -- इंदिरा निकलीं जिन गांवों से पानी निकला उन गांवों से ऐसा बोलते थे.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- गोविन्द जी आप उस समय कहां थे.
5.47 बजे {अध्यक्ष महोदय (श्री नरेन्द्र सिंह तोमर) पीठासीन हुए}
श्री दिनेश जैन -- सबसे ज्यादा नारे आपने लगाए गोविन्द भैय्या. (व्यवधान)
श्री यादवेन्द्र सिंह -- गोविन्द सिंह जी आप भी उसी पेड़ के लगाए हुए हो.(व्यवधान)
अध्यक्ष महोदय -- राजेन्द्र सिंह जी को तो बोलने दीजिए.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- गोविन्द जी उस समय आप भी यूथ कांग्रेस के प्रेसीडेंट नहीं हुए थे बाद में हुए थे, लेकिन हम लोगों के साथ ही थे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय -- इस विधान सभा की ब्यूटी यही है सर, इधर से जब भंवर सिंह जी बोलते हैं तो हमको बहुत अच्छा लगता है, इधर से गोविन्द जी बोलते हैं तो आपको बहुत अच्छा लगता है.
अध्यक्ष महोदय -- इसके लिए धन्यवाद तो देना चाहिए.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- राजनीति का रिवाज बदल गया है, राजनीति बदल गई है कौन कहां कब है यह पता ही नहीं चलता है.
श्री सिद्धार्थ तिवारी -- हम लोग सन् 1977 में नहीं थे लेकिन हमने पढ़ा जरुर है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- कल ऐसा महसूस हो रहा था जैसे हम लोग संसद में बैठ हैं.
श्री भंवर सिंह शेखावत -- कैलाश बाबू आप इधर-उधर की बात मत करो, पहले यह बताओ यह कारवां लुटा क्यों है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह -- मुझे रहजनों से गिला नहीं तेरी रहबरी का सवाल है. कल ऐसा प्रतीत हो रहा था कि हम लोग संसद में बैठे हैं और राज्यपाल महोदय के पूरे अभिभाषण में माननीय प्रधानमंत्री जी का कई बार नाम आया. हमारे रामेश्वर शर्मा जी बहुत अच्छे वक्ता हैं, बड़े अच्छे नेता हैं भोपाल के इस बार तो भारी बहुमत से जीतकर आए हैं. पिछली बार 15-16 हजार मतों से जीते थे इस बार भारी बहुमत से जीते हैं. वे हमारे मित्र हैं उनकी सारी जानकारी हम रखते हैं. विश्वास भी प्रसन्न हैं.
अध्यक्ष महोदय, मैं यह कह रहा था कि हमारी जो राज्य सरकार का बजट है, हमारी योजनाएं हैं, अभिभाषण है. रामेश्वर जी तो नाम ले रहे थे मोदी जी का नाम भी इन्होंने बहुत बार लिया, राम मंदिर का लिया, राम जी का लिया, राममय वातावरण इन्होंने बनाने की कोशिश की. राममय वातावरण है इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन जब उपलब्धियों की बात कर रहे थे तो मोहन जी को तो अभी मुख्यमंत्री बने दो महीने ही हुए हैं. पिछले 5-7-10 साल और विशेषकर पिछले 5 साल की उपलब्धियों की बात आप संभवत: कर रहे थे लेकिन माननीय शिवराज सिंह जी का नाम एक बार भी नहीं लिया.अब राज्यपाल महोदय के पास तो एक शील्ड है, एक ढाल है. अब वह मोदी जी कहते थे और कह देते थे मेरी सरकार. उन्हीं की सरकार, तो उनको तो किसी का नाम लेने की जरूरत नहीं थी, लेकिन कम से कम आप उनके चहेते रहे हैं, नाम तो ले लेना चाहिये. देखिये, बहुत से मुख्यमंत्री बने हैं, सरकारें आईं, सफलताएं मिलीं, विफलताएं रहीं, लेकिन किसी की नीयत पर शक नहीं करना चाहिये. सबने अपने हिसाब से काम किया और ईमानदारी से काम किया, डिलिवर करने के लिये काम किया, बहरहाल आज-कल अब चूंकि आप लोगों ने कई बार नाम लिया और किताब में भी छपा है तो मोदी जी का नाम और प्रधानमंत्री जी का नाम लेना तो वाजिब है. वैसे पहले यह माना जाता था कि जो सदन के सदस्य नहीं हैं और केन्द्र सरकार है या संवैधानिक संस्थाएं हैं उनके बारे में यहां बात नहीं होती है.
अध्यक्ष महोदय, हमारे प्रधानमंत्री जी आजकल ग्यारंटीज दे रहे हैं. पहले तो वह 4-5 चीजें थीं, अब हम उसको जुमला नहीं कहेंगे चूंकि माननीय शाह साहब ने जो 15 लाख वाला मामला था उसको जुमला कहकर खारिज कर दिया. अभी जो ग्यारंटीज दे रहे हैं मैं आपको स्मरण दिलाना चाहता हूं कर्नाटक के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने और हमारे नेताओं ने 5 ग्यारंटीज दी थीं और वह ग्यारंटी के ही नाम से बडी प्रचारित हुई थीं. तो अब शायद कोने में एक बल्ब जला है. सामने कठिनाई महसूस हो रही है. अब इन तीन विधान सभा चुनावों भर की बात न करिये. उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम की भौगोलिक स्थिति, राजनैतिक स्थति, समीकरण बहुत भिन्न हैं, अलग-अलग हैं और 400 पार तो सिर्फ एक चीज से हो सकता है. इस अभिभाषण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढावा देने की बात कही गई. अब इसमें दो चीजें होती हैं, एक होती है डीप टेक और एक होती डीप फेक. डीप फेक इतनी खतरनाक चीज है सब जानते हैं, बुद्धिमान हैं, होशियार हैं, पढे लिखे हैं. वह डीप फेक से आदमी को औरत बना देते हैं, औरत को कुछ बना देते हैं, तो अब वह 400 पार डीप फेक ही मदद करेगी बाकी रामजी के मंदिर से यह प्रभाव नहीं पडने वाला.
अध्यक्ष महोदय, बहरहाल जो बजट दिल्ली का आया था, मैं उसमें देख रहा था और बहुत बात आजकल प्रधानमंत्री जी मिलिट प्रोग्राम की, आर्गेनिक खेती की करते हैं, लेकिन जब निर्मला जी ने बजट पेश किया, मैंने उसमें देखा तो बडा हतप्रभ रहा कि प्रधानमंत्री जी बात मंचों से और बडी सार्वजनिक सभाओं से मिलिट्स को बढावा देने के लिये यानी मोटे अनाज को बढावा देने के लिये करते हैं जो कि बहुत अच्छी पहल है. स्वास्थ्य की दृष्टि से और अपनी जडों से भी हमें नहीं कटना चाहिये. पहले लोग खाते थे. स्वास्थ्य के लिये हर तरह से अच्छे हैं और गावों में पहले इसकी बहुत खेती होती थी, लेकिन मिलिट्स प्रोग्राम का जब मैंने बजट देखा तो वह पिछले साल से घट गया है. आप उसको देख लें और किसका बढा है केमिकल फर्टिलाइजर्स का. अब बात कुछ करते हैं, लिखी कुछ जाती हैं, होता कुछ है, तो इस तरह से कार्यक्रम चल रहा है.
अध्यक्ष महोदय, अब हम ग्यारंटीज की बात करें तो यह ग्यारंटी पिछले चुनाव में छत्तीसगढ के मंच से प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की थी कि धान के लिये 3,100 रुपये क्विंटल समर्थन मूल्य दिया जाएगा और गेहूं के लिये 2,700 रुपये क्विंटल दिया जाएगा. जो किसान है वह तो सहसा विश्वास भी नहीं कर रहा था क्योंकि आप सभी जानते हैं कृषि पृष्ठ भूमि से आते हैं, हम सभी लोग आते हैं, ओमप्रकाश जी भी खेती जरूर करते ही होंगे, गेहूं का रेट धान से हमेशा ज्यादा रहता है. अभी भी उसका जो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है, प्रहलाद जी, गेहूं का धान से ज्यादा मिल रहा है ना ? यह कैसी घोषणा मोदी जी कर गए, किसने उनको पर्ची पकडा दी ? लेकिन अगर गारण्टी थी, तो उसको लागू करना चाहिये था. हमारा धान की खरीदी का सीजन चला गया. किसानों को वही 2170 या 2180 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से भुगतान किया गया है. बहुत से लोग अभी बाकी हैं और गेहूं का सीजन आने वाला है. चलिये धान में नहीं दिया, अब गेहूं में तो दीजिये. तब तो आपकी गारण्टीज़ पर लोग भरोसा करेंगे. नहीं तो धीरे धीरे भरोसा उठने लगेगा, मैं आपसे यह कहना चाहता हूं. बहुत सारी चीजें यहां पर कही गईं, इन्वेस्टर्स मीट के बारे में कहा गया. शिवराज सिंह जी के जमाने में 15 साल के शासन काल में मुझे लगता है कि करीब 6-7 इन्वेस्टर्स मीट हुई थीं. अगर सबको जोड़ा जाये, जितना इन्वेस्टमेंट आना था, तो सब 25-30 लाख करोड़ के पास आंकड़ा पहुंचता है. मैं एमएसएमई की बात नहीं कर रहा हूं. ओमप्रकाश जी, क्योंकि फजीहत बहुत होती है इसमें, मैं भी उद्योग मंत्री रहा हूं 1993 से 1998 तक. तो कैलाश जी बहुत खिचाई करते थे हमारी हुकुमचन्द मिल को लेकर. 1990 में बंद हुई थी, कैलाश जी उस समय मुख्यमंत्री कौन था, बता दीजिये. सुन्दरलाल पटवा जी थे, बंद हुई थी. फिर हम लोगों ने प्रयास किया, मैं 1993 में उद्योग मंत्री बना और कैलाश जी बहुत उसके प्रति उत्साहित थे, लगे रहे थे. हम लोगों को क्या क्या बातें कहा करते थे. यहां से बैठकर, यह सदन नहीं था, सदन तो उस समय उधर की बात थी. मुझे कहते थे कि यह सामंत क्या जाने मजदूर की पीड़ा. अब आपको पता नहीं है, शायद उस युग की परिकल्पना थी, अब आज तो सामंत नहीं कहा जाता. एक जमाने में बहुत सुनने को मिलता था. लेकिन प्रयास हम लोगों ने, सब ने किया. ईमानदारी से किया, जितनी सरकारें आईं और अब जाकर वह कल्मिनेट हुई है और 224 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं. लगभग 4800 श्रमिक हैं..
श्री भंवर सिंह शेखावत -- अध्यक्ष महोदय, इसके लिये हमको हाई कोर्ट में जाना पड़ा, कैलाश जी को मालूम है, अभी भी पैसा मजदूरों के खाते में नहीं पहुंचा है और 4-4 पीढ़ी समाप्त हो चुकी है, पांचवीं पीढ़ी पैसा ले रही है. मैं और माननीय कैलाश जी दोनों उसी वर्ग से आते हैं और हमने भी, दोनों ने लड़ाई खूब लड़ी है इसकी. लेकिन आज भी 200 करोड़ रुपये का कर्जा लेने के बाद हुकुमचन्द मिल के मजदूरों को कोर्ट में जाना पड़ा और फिर कोर्ट ने कहा कि इनके खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिये जायें.
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- नहीं, शायद आपको जानकारी नहीं है. उनके खाते में पहुंच गये हैं और अब पहुंचना चालू हो रहे हैं. कोर्ट का निर्देश एक महीने पहले आया था, आदेश का पालन कर दिया गया है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- नहीं, हम तो कैलाश जी को श्रेय दे रहे हैं इस बात का. लेकिन अब हम यह भी कह रहे हैं कि जो हम लोगों की एक आदत पड़ गई है कि पुरानी विरासत है, पुरानी सरकारें हैं, उनको कोसते रहते हैं. लेकिन विकास, उपलब्धियां निरन्तर आगे बढ़ने वाली परम्परा है, सब पालन करते हैं. आपने किया, लेकिन जब रामेश्वर जी इसका जिक्र कर रहे थे, तो शिवराज सिंह जी का नाम फिर भूल गये वे. नहीं लिया जानबूझकर. मैं सोच रहा था भाषण समाप्त होने के पहले कम से कम एक बार तो शिवराज सिंह जी का नाम ले लेते. नहीं लिया. मुझे बड़ी शिकायत है इस बात की.
5.58 बजे अध्यक्षीय घोषणा
सदन के समय में वृद्धि विषयक
अध्यक्ष महोदय-- राजेन्द्र सिंह जी, एक मिनट. माननीय सदस्य का भाषण समाप्त होने तक सदन के समय में वृद्धि की जाये, मैं समझता हूं कि सदन इससे सहमत है.
(सदन द्वारा सहमति प्रदान की गई.)
5.59 बजे राज्यपाल के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर चर्चा (क्रमशः)
श्री कैलाश विजयवर्गीय-- अध्यक्ष महोदय, एकाध घण्टे का समय आप और बढ़ा दीजिये, बहुत अच्छा भाषण दे रहे हैं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह-- कैलाश जी, मैंने तैयारी नहीं की, नहीं तो मैं सबसे पहले बोलता. फिर मैंने सोचा. लाड़ली बहना वाला जो मुद्दा है, बहुत सारे माननीय सदस्यों ने इस बात को रखा है. लेकिन हम सिर्फ इसमें गणित के कारण इस चीज का उल्लेख करना चाहते हैं. यहां पर 1 करोड़ 29 लाख लाड़ली बहनाएं हैं मध्यप्रदेश में,जहां तक मेरे आंकड़े सही हैं और गैस रिफिल 54 लाख 89 हजार महिलाओं को मिला है, उन लाड़ली महिलाओं में से 950 रूपये कीमत है करीब. यदि आप 450 रूपये में देते हैं तो 500 रूपये सबसिडी उनके खाते में जानी चाहिये. अभी में गणित लगा रहा था तो सरासर मेरी नज़र पड़ी, जो आपकी पुस्तिका में उल्लेख है वह 118 करोड़ रूपये है. क्योंकि मैं भी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से हूं, साइंस पढा हैं, तो 229 करोड़ है, गुणा करके देख लीजिये 500 रूपये का, तो कुछ न कुछ उनकी खिंचाई होनी चाहिये, जिन्होंने यह आंकड़े बनाकर दिेये हैं. राज्यपाल महोदय से असत्य कथन कहलाया, इसको जरूर आप देखें.
अध्यक्ष महोदय, आयुष्मान भारत की बड़ी चर्चा होती है. गरीबी वाली बड़ी चर्चा होती है. हमारे गोविन्द जी ने, कैलाश जी ने इंदिरा जी का समय याद दिलाया. अब वह भी उस समय को सोच लेते, संज्ञान ले लेते कि जब वर्ष 1947 में देश आजाद हुआ था तो भारत सरकार का बजट कितना था, मात्र 280 करोड़ रूपये का बजट था. एक नगर का उससे ज्यादा बजट होता है. निरन्तर प्रयास किया, जवाहर लाल जी ने किया, हमारे लाल बहादुर शास्त्री जी ने किया, इंदिरा जी ने किया, मोरारजी भाई देसाई जी ने किया और कई प्रधान मंत्री आये, अटल जी ने किया और भारत रत्न देने की बात थी तो आप सारा श्रेय वर्तमान प्रधान मंत्री जी को दे रहे हैं. अटल जी को आपने दिया ही नहीं.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत:- आप राजीव जी को भूल गये.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह:- किसको ?
श्री गोविन्द सिंह राजपूत:- आप राजीव गांधी जी को भूल गये. उन्होंने कुछ नहीं किया ?
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह:- नहीं, राजीव जी को तो भूला नहीं जा सकता. देखिये टेक्नॉलाजी में हम लोगों ने तेजी से तरक्की की. इसको लीप फ्रागिंग कहते हैं. जैसे कोई दौड़ता है और मेंढक कूदता है तो उसको लीप फ्रागिंग कहते हैं तो वह राजीव जी के ही जमाने में हुआ. आप भी आनंद लेते रहे होंगे रामायण और महाभारत सीरियल का. उस वक्त टेलीविजन आया, सी डॉग टेक्नॉलाजी आयी. सेम पित्रोदा का भी उल्लेख करना जरूरी है. अब वह अलग बात है कि बहुत-बहुत बड़े नेता कह देते हैं कि मैंने तो 1990 में डिजि़टल टेक्नॉलाजी से फोटो खींचकर वहां भेज दिया था. ( हंसी) तब डिजि़नल टेक्नालॉजी थी ही नहीं.
श्री यादवेन्द्र सिंह:- आप लोग ताली बजाते हो.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह:- अब क्या करना, मजबूरी है, जब नेता कह रहा है तो. आप लोग अन्यथा न लीजियेगा. हम लोग गांव वाले लोग हैं बहुत सारे लोग सियार कहते हैं. शुद्ध बघेलखंडी में सिगट बोलते हैं, यहां हमारे बघेलखंड वाले कई लोग हैं. तो जब मुखिया-मुखिया हुआ कर देता है तो सब बोलने लगते हैं.
संसदीय कार्य मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय):- अध्यक्ष जी, मैं बहुत दिनों बाद इस सदन में जब आया और शुरू से लेकर आज की जो चर्चा हुई है. रामनिवास जी ने भी बहुत अच्छा विषय उठाया और आज सब सदस्यों ने अच्छा बोला और राजेन्द जी ने तो बहुत ही अच्छा बोला है. इस सदन को आप लगातार चलने दीजिये और हम उनको सुनना चाहते हैं. कभी-कभी लगता है कि कोई संत प्रवचन कर रहा है. कभी उनको देखते हैं तो उसमें अच्छा राजनेता प्रवचन कर रहा है तो आप बोलते रहिये सर और नये विधायक सब सीखें. बीच-बीच में उठकर बोलने से सदन की गरिमा खराब होती है. भाषण देना हो, व्यंग करना हो तो कैसे किया जाता है, यह आप राजेन्द्र सिंह जी सीखिये.
अध्यक्ष महोदय:- राजेन्द्र सिंह जी कमजोर नहीं पड़ेंगे.
श्री कैलाश विजयवर्गीय:- सीखना उनसे ही है.
अध्यक्ष महोदय:- उनका भाषण बहुत मर्यादित है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह:- अध्यक्ष महोदय, अब आयुष्मान भारत की चर्चा कर लेते हैं, थोड़ी सी. कई लोगों ने चर्चा की और गरीबों के लिये अच्छी योजना है और मध्यप्रदेश के संबंध में कहा जाता है कि तीन करोड़ छियासी लाख कार्ड बने हैं. यहां पर बहुत सारे माननीय सदस्य डॉक्टर्स भी हैं और डॉक्टर साहब प्रभुराम जी सामने बैठे ही हैं, पूर्व मंत्री स्वास्थ्य के रहे हैं. इतना इसमें घोटाला हुआ है, क्यों नहीं इस पर इतनी निगरानी की गयी ? इतनी महत्वपूर्ण योजना है यदि गरीब बीमार होता है उसका एक पुश्त, दो पुश्त के लिये सब बिक जाता है, यदि कोई गंभीर बीमारी हुई तो, और पांच लाख की साहब बहुत बड़ी राशि होती है. कई तरह के ऑपरेशन सारे सम्पन्न होते हैं. हम लोगों ने भी, हमारी सरकार तो नहीं बनी लेकिन हमारे वचन पत्र में हमने तो 30 लाख रूपये तक की राशि रखी थी. लेकिन अब हमारा दांव नहीं चला, आपका चल गया. आपकी सरकार आई, आप उधर बैठे हो, हम इधर बैठे हैं. हमारी जो लाड़ली बहनें हैं. एक दिन मंत्री परिषद् के सब सदस्य अपने अपने इलाके में जायं, 5-5, 10-10 बहनों के पैर धोएं और चरणामृत ग्रहण जरूर करें, उनको उज्ज्वल भविष्य, लोगों को नहीं दिखा, अब ठीक है उनका अपना सोच है, उनकी बुद्धिमत्ता है, उस पर प्रश्नचिह्न हम नहीं लगा सकते हैं. उनको उज्ज्वल भविष्य नहीं दिखा. उनको 1250 रुपये दिखे और उस समय दिया पैसा चुनाव के 7 दिन पहले जब वोटिंग होनी थी और दिल्ली से भी आ गया, धन वर्षा हुई, 4-4 हजार रुपये, दो किश्तें इकट्ठा गईं, अब वह सारा खेल है, लाड़ली लक्ष्मी महत्वपूर्ण विषय तो है ही और आयुष्मान कार्ड के बारे में मैंने कहा कि इसमें जांच होना चाहिए. अभी हमने अखबारों में ही पढ़ा कि बहुत से बड़े इंस्टीट्युशन्स जो मेडीकल कॉलेज हैं, होस्टल्स हैं, यह शिविर लगाते हैं. वहां से छोटी-छोटी बीमारियों के लोगों को यहां भर्ती करते हैं, एक दिन में उनकी छुट्टी कर दी और बिल डेढ़ लाख रुपये का बना, दो लाख रुपये का बना, उस व्यक्ति को जाने के पहले पांच हजार रुपया दे दिया. अंतत्वोगत्वा है तो पैसा जनता का ही, जो जा रहा है, 1 लाख 75 हजार रुपया, जिसका दुरुपयोग हो रहा है. जो किसी ऐसे व्यक्ति को दिया जा सकता था, जो वास्तव में गंभीर रूप से बीमार है. इस पर जरूर ध्यान आपको देना चाहिए. एक-एक आधारकार्ड पर हजारों आयुष्मान कार्ड बने हैं. एक टेलीफोन नम्बर पर हजारों की संख्या में आयुष्मान कार्ड बने हैं. आप हमसे सहमत हैं ?
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री (श्री कैलाश विजयवर्गीय) - अध्यक्ष महोदय, मैं धन्यवाद देता हूं कि आपने इस योजना की अनुशंसा की है. वास्तव में योजना तो बहुत अच्छी है. परन्तु इसमें अगर कुछ गड़बड़ियां हुई तो उसको जरूर देखा जाएगा, परन्तु योजना की तो आपने प्रशंसा की, इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, इसमें दो मत क्या हो सकते हैं और फिर आप गरीबी, गरीबी. इंदिरा जी का नाम ले रहे हैं, 80 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज क्यों दे रहे हैं ? माननीय प्रधानमंत्री ने दोहरा दिया, अभी 5-6 चीजें जो विज़न अगली सरकार का है. अगली सरकार जब बनेगी, जब बनेगी उनके हिसाब से सब कोई कल्पना है, यह उनकी अपनी सोच है, उनका विज़न है. वह ऐसा मानते हैं, हम तो नहीं मानते हैं. क्षमा करेंगे इसमें मेरा आपसे मतभेद है.
श्री गोविन्द सिंह राजपूत - आप नहीं मानते, आपकी अंतर्रात्मा मानती है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अब वह कौन-सा टेलिस्कोप या कौन-सा स्कोप है, आप जो अंदर देख लेते हैं? सबका परीक्षण होना चाहिए, फिर कोई उसमें छूटना नहीं चाहिए.
अध्यक्ष महोदय - श्री गोविन्द सिंह जी और आपके पुराने संबंध हैं, इसलिए आत्मा के तार कभी कभी मिल जाते होंगे.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - जी हां, वह तो जु़ड़े हुए हैं. हम लोग किसी दल में रहें लेकिन व्यक्तिगत संबंध अपनी जगह पर है ही, बहुत अच्छे इंसान है गोविन्द जी. बड़े नेता हैं तो हमारा यह सौभाग्य है कि उनसे हमारे अच्छे संबंध हैं. मैं तो ऐसा मानता हूं तो जो मैंने कहा 80 करोड़ को क्यों दे रहे हैं अगर देश में गरीबी नहीं है? और कहते हैं कि 22 करोड़ लोगों को गरीबी की रेखा से ऊपर निकाल दिया, मतलब गरीबी से हट गये हैं. मध्यप्रदेश में भी हमने 4 करोड़ लोगों का क्लेम किया है. मेरा यह कहना है कि बहुत सारी चीजें हैं. मैंने बहुत ज्यादा तो नहीं पढ़ा है. लेकिन जितना देखा है. अब बिजली की बात करते हैं कि 24 घंटे घरेलू, 10 कृषि में देते हैं. कल ही भोपाल में दरयाफ्त कीजिएगा. अध्यक्ष महोदय, 12 वार्डों में 6-6 घंटे तक शटडाऊन था. आप तो बहुत वरिष्ठ नेता हैं. जनता से जुड़े हैं क्या यह मौसम बिजली विभाग का मेंटिनेंस का होता है? वह तो बरसात के पहले करते हैं. 14-14 वार्डों में 6-6 घंटे शटडाऊन? हम रोज ही एक पिक्चर पेंट कर देते हैं कि सब सुनहरा ही सुनहरा है, उसकी गहराई से हमें अंदर जाना चाहिए और सही चीज सामने आए. सही चीज सामने आती है तो हमें भी प्रेरणा मिलती है कि हम उसको दुरुस्त करें. लेकिन हम गलतफहमी में, खुशफहमी में रह आएंगे.
श्री रामेश्वर शर्मा - सीमेंट पोल पर जो थे, उनको बदला जा रहा है. अब लोहे के पोल लगाए जा रहे हैं इसलिए काम चल रहा है. अब लोहे के पोल लगाए जा रहे हैं, इसलिए काम चल रहा है. मेरे वॉर्ड में जो काम चल रहा है मैं उनका भी बता रहा हॅूं. अभी जो चेंज हुआ है और 147 करोड़ रूपए की योजना हमारे यहां आयी है जो पुराने सीमेंट के पोल लगे थे, वह जगह-जगह से जीर्ण-शीर्ण हो गए. कई जगह उनको चेंज करना पड़ा, तो उसके कारण है. यह योजना भारत सरकार के सहयोग से भी है.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- आप ठीक कह रहे होंगे. मैं आपकी बात से इतेफ़ाक रखता हॅूं. लेकिन जहां जरूरी हो, वहीं खर्च किया जाए. जैसे अभी बीआरटीएस की बात आयी. बीआरटीएस बनवाने में जहां तक मैं जानता हूँ आपकी भी मॉंग थी. आप कह रहे थे कि श्री कमल नाथ जी ने पैसा दिया. आपने इतना तो माना कि कमल नाथ जी ने दिया लेकिन आपने यह और नहीं बताया कि कितनी सारी योजनाओं के लिए, कितने नेशनल हाईवेस के लिये, स्टेट हाईवेस के लिये दिया. श्री कमलनाथ जी जब भू-तल परिवहन मंत्री थे, तब उन्होंने कितनी राशि दी. पूरा बता देते तो, अच्छा था. आपने यह कहा कि श्री कमल नाथ जी ने बीआरटीएस का पैसा दिया था, तो बीआरटीएस बनाने में सौ-डेढ़ सौ करोड़ रूपए तो लगे होंगे और 18-20 करोड़ रूपए आप बीआरटीएस को तोड़ने में खर्च कर रहे हो. यह किसकी परिकल्पना है, इसकी जॉंच होनी चाहिए. किन अफस़रान ने, किन लोगों ने इसको सजेस्ट किया था कि इतनी राशि लगे और व्यर्थ हो जाए. राज्य के पास तो वैसे ही सोर्सेज की कमी है.
अध्यक्ष महोदय, मैं अपने महत्वपूर्ण विषय पर आता हॅूं. आज पूरे देश की यह स्थिति है कि राज्यों का जो हिस्सा है वह उनको नहीं दिया जा रहा है. पहले जो शेयरिंग था, जो भी हमारी दिल्ली में डायरेक्ट-इनडायरेक्ट टैक्सेस इकट्ठे होते हैं, सेस में तो हिस्सा नहीं मिलता था, लेकिन जितने डायरेक्ट-इनडायरेक्ट टैक्सेस हैं, राज्यों में पहले 41 फीसदी मिला करता था. केन्द्र जितना भी कलेक्शन करता था, क्रमश: धीरे-धीरे करके उसको 35 परसेंट कर दिया. हालांकि 15वें वित्त आयोग ने 41 फीसदी की अनुशंसा की है. वह संवैधानिक संस्था है उसकी बात मानी जानी चाहिए. यह हम आप लोगों के पक्ष की बात कर रहे हैं जो सरकार में मंत्रीगण हैं. जब संसाधन आपको मिलेंगे, तब ही आप विकास कर पाएंगे. जो आपने एक खाका खींचा, तब ही उसमें रंग भर पाओगे. सारी चीजें तो आ गईं, तो मैंने कहा कि एक छोटा सा उल्लेख कर दूं. यह दबाव बनाना चाहिए और फिर प्रधानमंत्री हमारे नरेन्द्र मोदी जी हैं जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे और प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी थे तो मैंने स्वयं टेलीविजन पर सुना है, अखबार में पढ़ा है उन्होंने मांग की थी कि केन्द्रीय करों का राज्य को 50 फीसदी हिस्सा मिलना चाहिए. आप चेक कर लीजिए. मैं ऐसा नहीं कह रहा हॅू. इलेक्शन के पहले पॉलिटिकल पॉश्चरिंग भी होती है. लेकिन अगर हमने कहा है तो आप शीर्ष पर बैठे हैं. राज्यों को कमजोर मत कीजिए. आज मैं प्रधानमंत्री आवास की बात कर देता हॅूं.
श्री प्रहलाद सिंह पटैल -- अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हॅूं कि आपकी भाषण शैली अच्छी है, अच्छे आंकडे़ं हैं लेकिन मुझे लगता है कि वित्तीय मामलों में यह सतही बातें न हों. हम इन मामलों में बजट पर बात करेंगे. आपका कहना सच है कि उन्होंने 50 फीसदी की डिमांड की थी और हम 50 फीसदी से ज्यादा देने की तैयारी में भी हैं. इसलिए अगर हम ईमानदारी से देखें कि जो भी केन्द्रपोषित योजनाएं हैं, डायरेक्ट-इनडायरेक्ट इसका जो हिस्सा है जितनी बातें हम 41 परसेंट के आधार पर कर रहे हैं, यह 30 परसेंट या 37 परसेंट भी उससे डेढ़ गुना पैसा है तो मुझे लगता है कि कई बार आंकड़ों की बाजीगरी लगती है. लेकिन आप जो कह रहे हैं मेरे हिसाब से मुझे लगता है कि यह मेरे से यह तथ्य से परे है.
डॉ.राजेन्द्र कुमार सिंह -- लेकिन यह मांग किससे की गई थी. क्या प्रधानमंत्री जी से की गई थी ? केन्द्र की सरकार से की गई थी ? आज प्रधानमंत्री कौन है. केन्द्र की सरकार किसकी है, तो इसमें तो कोई संशय नहीं है.
अध्यक्ष महोदय - राजेन्द्र जी, इसमें थोड़ा मैं आपको करेक्ट कर दूं. मोदी जी की डिमांड क्या है वह तो एक अलग प्रश्न हो गया, लेकिन मुझे अच्छे से ध्यान है कि पहले 32 प्रतिशत हिस्सा राज्यों को मिलता था, जब मोदी जी प्रधानमंत्री बने, मैं भी मंत्री मंडल का हिस्सा था, मोदी जी ने ही उसको बढ़ाकर 42 प्रतिशत किया. मैं आपकी जानकारी के लिए बता रहा हूं.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं भी क्रॉस चैक करूंगा.
श्री गौरव सिंह पारधी(कटनी) - माननीय अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति से मेरे वरिष्ठ सदस्य है. 12 वां फायनेंस कमीशन जब था, उस समय 29.5 प्रतिशत राज्यों को हिस्सा दिया गया था, उस समय हमारे वरिष्ठ सदस्य की ही केन्द्र में सरकार थी और अब जाकर जो है माननीय मोदी जी के बनने के बाद ही 42 प्रतिशत चौदहवें फायनेंस कमिशन में कहा गया और 41 प्रतिशत जो है 15 वें कमीशन में रिकमंड किया गया है, 12 वां फायनेंस कमीशन, जब आपकी सरकार थी केन्द्र में तब 29.5 प्रतिशत ही था.
अध्यक्ष महोदय - ये बहस का विषय नहीं है.
श्री रामनिवास रावत - माननीय अध्यक्ष महोदय, जो चर्चा चल रही है, मुझे जहां तक जानकारी है. पहले जितनी भी केन्द्र प्रवर्तित योजनाएं राज्य में चलती थी, उस समय केन्द्र की राशि अधिक हुआ करती थी और अब केन्द्र प्रवर्तित योजनाएं जितनी भी है, उसमें केन्द्र की राशि कम है.
डॉ. सीतासरन शर्मा - अध्यक्ष महोदय, बाकी की बहस कल हो जाएगी, बहुत लंबा समय हो गया, पौन घंटे बढ़ा दिए हैं, हमारे धीरज की परीक्षा मत लीजिए आप (...हंसी)
अध्यक्ष महोदय - राजेन्द्र जी को अपनी बात पूरी कर लेने दें, आप अपनी बात पूरी करो.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - इनकी हम क्लेरिफिकेशन कर दें, जो पहली बार के सदस्य है, बड़ी अच्छी बात है, उनकी जानकारी के हिसाब से उन्होंने कही है. आप जिस समय की बात कर रहे हैं 12 वें फायनेंस कमिशन जब था, उस समय जीएसटी लागू नहीं हुआ था, सेल्स टैक्स और जितने टैक्सेस थे, राज्य इकट्ठा करते थे, आज तो जीएसटी में सारा पैसा केन्द्र में चला जाता है. हमको वैट का मिलता है, डीजल, पेट्रोल, सिगरेट, शराब, तम्बाकू, बाकी पूरा पैसा चला जाता है. मैं कन्क्लूड कर रहा हूं.
श्री कैलाश विजय वर्गीय - अध्यक्ष महोदय, ये फायनेंस का विषय है और केन्द्र से संबंधित है, हम राज्य के सदन में चर्चा कर रहे हैं. इसके ऊपर बहस करना है तो एक दिन इस पर भी बहस कर सकते हैं और पूरे आंकड़ों के साथ कर सकते हैं. कल पूरक आ भी रहा है, उस पर हम लोग अथेंटिक रूप से चर्चा करेंगे, मेरा कहना है कि ये विषय बाहर जा रहा है, आप राज्यपाल के अभिभाषण पर ही बोलकर समापन करेंगे तो बड़ी कृपा होगी.
अध्यक्ष महोदय - अब राजेन्द्र कुमार सिंह जी को पूरा तो करने दो, बीच बीच में टोक देते हैं तो समय बढ़ जाता है.
डॉ राजेन्द्र कुमार सिंह - मैं खतम कर रहा हूं, मेरा समय फिर बढ़ जाता है और फिर ब्याज के साथ आता है, बाइबिल जब रुकती है तो पारौसिया उसको और आगे बढ़ाते हैं.
अध्यक्ष महोदय - दोबारा ग्रूम करने में टाइम लगता है.
डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह - अध्यक्ष महोदय, मैं स्पष्ट कर दूं कि उस समय वैट वगैरह का कलेक्शन हमारी राज्य सरकार करती थी, एक जो महत्वपूर्ण बात रामनिवास जी ने कही है, वह भी मैं उल्लेख करने वाला था, उन्होंने मेरे मुंह से बात छीन ली. लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं कि मोदी सरकार के पहले पहला कार्यकाल तक तो व्यवस्था दूसरी थी, बहुत सारी केन्द्र परिवर्तित योजनाएं जो हैं, हमको भारत सरकार से एक ग्रांट मिलता है, हमें एड मिलता है, लांग टर्म फायनेंसेस मिलते हैं, बिना ब्याज के पैसा मिलता है, लेकिन होना लोन ही है, बिना ब्याज का लोन है, तो 60- 40 मिला करता था, अधिकांश स्कीम्स में. 60 फीसदी केन्द्र सरकार देती थी और 40 फीसदी राज्य सरकारें लगाती थी, अब 50-50 कर दिया है, 40-60 है, कि 60 प्रतिशत राज्य सरकार लगाएगी, 40 प्रतिशत केन्द्र सरकार लगाएगी. प्रधानमंत्री आवास में जो गतिरोध है निर्माण में, आप पता कर लें, यही कारण है. पहले क्या होता था राज्य सरकारें को केन्द्र पैसा दे देता था, राज्य सरकारें जहां जरुरत हो वहां खर्च करती थी. अब वर्तमान केंद्र सरकार बहुत स्ट्रिक्ट है, कड़ी है इस मामले में उनका कहना है कि 60 फीसदी तुमने राशि इस्तेमाल कर लिया, यूटीलाईजेशन सर्टिफिकेट दो तब हम यहां से पैसा जारी करेंगे. अब हमारे पास 60 फीसदी है ही नहीं, तो अब जितनी केंद्र परिवर्तित योजनाएं हैं, वह ठप्प पड़ी हुई हैं, इस दिशा में भी राज्य सरकारों की जो आर्थिक स्थिति है, वित्तीय स्थिति है, निरंतर कमजोर होती जा रही है, केंद्र की बढ़ रही है, इसमें कोई दो राय नहीं है और आप कह रहे थे कि बहुत से फ्लाई ओवर बन गये, एयरपोर्ट बन गये, रेल्वे स्टेशन बन गये, वह बन तो गये लेकिन यह भी देखना पड़ेगा आदरणीय रामेश्वर जी कि कहीं वह भी बिक न जाये, किस उद्देश्य से वह बन रहे हैं, यह भी देखना पड़ेगा, यह अपने देश में बड़ी आज बीमारी लग गई है.
माननीय अध्यक्ष महोदय,फिर हमारे आदिवासी अनुसूचित जाति जनजाति भाईयों की बहुत सारी जो योजनाएं हैं, मैं पढ़ रहा था डॉ.हिरालाल अलावा जी ने उल्लेख भी किया था, एक 250 करोड़ रूपये समाज कल्याण विभाग को आदिवासी योजना का पैसा दे दिया गया. हम लोग इसको अपराध मानते थे, फाईनेंशियल इर्ररेगुलेरिटी, कार्डिनल सिन मानते थे, इसको कि आदिवासी उपयोजनाओं का पैसा दूसरे विभागों को हम ट्रांसफर कर रहे हैं लेकिन यह भी हो रहा है, वह अनुसूचित जाति का पैसा है. हमारे जो शिशु वृत्ति है, वह बच्चों को नहीं मिल रही है. आज ही कोई प्रश्न लगा था, उसमें वहां बताया उन्होंने कि तीन साल से नहीं मिली है, आदरणीय परमार जी शिक्षा मंत्री जी ने बताया था कि पांच छ: साल से नहीं मिली तो यह हालत है जो हमारे समाज के कमजोर तबके के बच्चे, जो होनहार बच्चे आगे बढ़ना चाहते हैं उनको एक ब्रेक लगता है, एक तरह से तो इस पर ध्यान देना चाहिए. मैं समझता हूं बहुत लंबा हो गया है, आपने बर्दाश्त किया इतनी देर तक तो मैं आपका आभारी हूं (हंसी) और रामेश्वर जी का भी आभारी हूं, आप सभी का भी आभारी हूं कि टोका टाकी ज्यादा नहीं हुई. सभी को धन्यवाद देता हूं.
अध्यक्ष महोदय -- टोका टाकी में वैसे समय बढ़ जाता है क्योंकि एक बार ब्रेक लग गया न तो फिर दोबारा गाड़ी गियर में डालने में थोड़ा समय लगता ही है. मुझे लगता है कि सदन का समय बचाना है तो बाकी सब सदस्यों को इससे बचना चाहिए. राजेन्द्र कुमार सिंह जी बहुत ही विद्वान और वरिष्ठ सदस्य हैं और निश्चित रूप से जैसा कैलाश जी ने भी इंगित किया है कि नये सदस्यों को सदन की तहजीब राजेन्द्र जी जैसे सदस्यों से सीखना चाहिए, कोई भी सदस्य खड़ा हुआ तो एकदम बैठ गये, यह सदन का एक तौर से नियम ही है, मुख्यमंत्री खड़े हैं तो सबको बैठना चाहिए, नेता प्रतिपक्ष खड़े हों तो सबको बैठना चाहिए, अध्यक्ष आसन पर खड़े हो जायें, तो सदन के सभी सदस्यों को बैठ जाना चाहिए, यह सदन की परंपराएं और नियम रहे हैं, तो यह नये सदस्यों को और पुराने वुराने भी कुछ लोगों को भी सीखना चाहिए (हंसी)
अध्यक्ष महोदय -- विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 9 फरवरी, 2024 को प्रात: 11.00 बजे तक के लिए स्थगित.
अपराह्न 6.23 बजे विधान सभा की कार्यवाही शुक्रवार, दिनांक 9 फरवरी, 2024 ( 20 माघ, शक संवत् 1945 ) के पूर्वाह्न 11.00 बजे तक के लिये स्थगित की गई.
भोपाल : ए.पी. सिंह
दिनांक- 8 फरवरी, 2024 प्रमुख सचिव
मध्यप्रदेश विधान सभा